Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज
HBSE 12th Class Hindi कैमरे में बंद अपाहिज Textbook Questions and Answers
कविता के साथ
प्रश्न 1.
कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर:
कोष्ठकों में रखी गई पंक्तियाँ अलग-अलग लोगों को संबोधित की गई हैं जैसे
(क) कैमरामैन का कथन –
(1) कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा
(2) कैमरा
- बस करो
- नहीं हुआ
- रहने दो
- परदे पर वक्त की कीमत है।
(ख) दर्शकों को कही गई पंक्तियाँ-
- हम खुद इशारे से बताएंगे कि क्या ऐसा?
- यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा।
(ग) स्वयं से कथन –
- यह अवसर खो देंगे?
- बस थोड़ी कसर रह गई।
ये पंक्तियाँ अलग-अलग लोगों को संबोधित की गई हैं जिससे यह कविता रोचक बन गई है तथा इसमें नाटकीयता उत्पन्न हो गई है।
प्रश्न 2.
कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए।
उत्तर:
कैमरे में बंद अपाहिज’ कार्यक्रम में जिस करुणा को दिखाने का प्रयास किया गया है, वह कृत्रिम है। इसका उद्देश्य चैनल के लिए एक लोकप्रिय तथा बिकाऊ कार्यक्रम तैयार करना है। कार्यक्रम-संचालक अपाहिज से बड़े बेहूदे तथा अस्वाभाविक प्रश्न पूछता है जिसमें करुणा लेशमात्र है, परंतु क्रूरता-ही-क्रूरता है। उदाहरण के रूप में अपाहिज से यह बार-बार कहना कि वह अपने दुख के बारे में जल्दी-जल्दी बताए, नहीं तो वह इस अवसर को खो देगा। नीचे कुछ पंक्तियाँ इसी बात को प्रमाणित करती हैं-
- तो आप क्या अपाहिज हैं?
- क्यों अपाहिज हैं?
- अपाहिजपन तो दुख देता होगा?
- दुख क्या है?
- अपाहिज होकर कैसा लगता है?
प्रश्न 3.
हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर:
‘हम समर्थ शक्तिवान’ के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि दूरदर्शनकर्मी स्वयं को शक्तिशाली और समर्थ समझते हैं। वे सोचते हैं कि वे चाहें तो किसी को भी ऊपर उठा सकते हैं और किसी को भी नीचे गिरा सकते हैं। वस्तुतः आज के समाचार चैनलों पर काम करने वाले व्यक्तियों की यही मानसिकता देखी जा सकती है। इसका एक अर्थ यह भी हो सकता है कि जो व्यक्ति अपंग नहीं हैं, वह अपाहिजों की तुलना में अधिक समर्थ व शक्तिशाली होता है।
‘हम दुर्बल को लाएँगे’ के माध्यम से यह व्यंग्य किया है कि दूरदर्शनकर्मी किसी अपंग व्यक्ति को दूरदर्शन के पर्दे पर दिखाकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाने का प्रयास करते हैं। कभी-कभी तो लगता है कि वे दर्शकों के सामने अपाहिज व्यक्ति का मज़ाक उड़ा रहे हैं और उसकी व्यथा को द्विगुणित कर रहे हैं। उनके मन में न तो अपाहिज के प्रति सहानुभूति है और न ही वह उसकी सहायता करना चाहते हैं। वे तो केवल एक असहाय व्यक्ति को पर्दे पर दिखाकर धन कमाना चाहते हैं।
प्रश्न 4.
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर:
यदि कोई अपाहिज और दर्शक एक साथ रोने लगेंगे तो प्रश्नकर्ता को यह लगने लगेगा कि उसका कार्यक्रम सफल रहा। क्योंकि उसने अपने कार्यक्रम में करुणा की स्थिति को उत्पन्न कर दिया है। वह यह चाहता है कि अपंग व्यक्ति का दुख-दर्द छलक कर दर्शकों के सामने आए और दर्शकों की आँखें भी नम हो जाएँ। ऐसा करने से उसका कार्यक्रम लोकप्रिय होगा। उसे खूब वाह-वाही मिलेगी और मीडिया को अधिक-से-अधिक विज्ञापन मिलेंगे जिससे उसकी अच्छी कमाई हो सकेगी।
प्रश्न 5.
परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?
उत्तर:
‘परदे पर वक्त की कीमत है’ इस कथन से कार्यक्रम-संचालक की सच्चाई का पता चल जाता है। उसके लिए कार्यक्रम दिखाने के बदले में मिलने वाले पैसे का अधिक महत्त्व है। दूरदर्शन पर एक-एक मिनट से भारी आय होती है। दूरदर्शनकर्मी धन कमाने के लिए ही दुखियों तथा अपंगों के दुख को दिखाने का प्रयास करते हैं। कवि यहाँ पर यह व्यंग्य करना चाहता है कि दूरदर्शनकर्मी व्यवसायी लोग हैं। उनके मन में दुखी लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। पर्दे पर दिखाई जा रही करुणा तथा वेदना से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। उनका एकमात्र लक्ष्य अधिक धन कमाना और अपने व्यवसाय को चमकाना है।
कविता के आसपास
प्रश्न 1.
यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो किन शब्दों में करवाएँगे?
उत्तर:
मैं शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे अपने मित्र का परिचय लोगों को इस प्रकार दूँगा ये मेरे घनिष्ठ मित्र मोहनलाल शर्मा हैं। ये एक प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थी है और हमेशा कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं। एक सड़क-दुर्घटना के कारण इनका बायां हाथ कट गया था। इसके बावजूद भी ये हमेशा बड़े परिश्रम से काम करते हैं तथा अन्य विद्यार्थी इनका सहयोग प्राप्त करते हैं। ये हम सब को निःशुल्क पढ़ाते भी हैं और हर प्रकार से हमारी सहायता करते हैं। इन्हें अपने बाएं हाथ की कमी कभी नहीं खलती।
प्रश्न 2.
सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम दिखाने का बहाना करके जो दूरदर्शनकर्मी लोगों की वाह-वाही लूटना चाहते हैं और धन कमाना चाहते हैं, मुझे उनकी बुद्धि पर तरस आता है। मेरा विचार है कि लोगों को इस प्रकार की मानसिकता का विरोध करना चाहिए और सच्चे हृदय से अपाहिजों की सहायता करनी चाहिए। इस प्रकार के कार्यक्रम दिखाने वाले चैनल को मैं देखना नहीं चाहूँगा।
प्रश्न 3.
यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी०वी० पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर:
सेवा में
निदेशक,
दूरदर्शन, प्रसार समिति
नई दिल्ली।
महोदय,
मैंने कल दूरदर्शन पर प्रसारित ‘पीड़ा’ नामक सामाजिक कार्यक्रम देखा। मुझे यह सब देखकर बड़ी निराशा हुई। कार्यक्रम-संचालक ने इस कार्यक्रम द्वारा अपंगों, अपाहिजों की करुणा को उभारने के लिए उनसे बड़े ही बेहूदे, बेतुके प्रश्न पूछे। ऐसा लगा कि मानों वह अपाहिजों तथा लूले-लंगड़ों का मज़ाक उड़ा रहा था। मैं समझती हूँ कि इस प्रकार के कार्यक्रम दिखाने से हमारे मन में अपाहिजों के प्रति करुणा की भावना उत्पन्न नहीं होती अपितु दूरदर्शनकर्मी के प्रति घृणा की भावना उत्पन्न होती है। कृपया अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति का सही ढंग अपनाएँ। यदि किसी अपाहिज को पर्दे पर प्रस्तुत भी किया जाता है तो उसके दुख-दर्द के साथ उसकी उपलब्धियों की चर्चा भी की जानी चाहिए। यदि अपाहिजों की समस्या को सचमुच प्रस्तुत करना चाहते हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक की सहायता लें। आशा है कि आप अपने कार्यक्रम के प्रस्तुतीकरण में आवश्यक सुधार करेंगे।
भवदीय
एकता खन्ना
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए
उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथों का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ एड़ी ही है।
पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफ़र एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़ कर उसका हौसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है। जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नवरसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है। -9 अक्तूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार
उत्तर:
काल्पनिक साक्षात्कार में बुधिया से निम्नलिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं-
- आपका नाम क्या है?
- आप कहाँ के निवासी हैं?
- र्वप्रथम आपने दौड़ना कब शुरू किया?
- क्या आप जन्म से विकलांग हैं?
- आज आपने किस स्थान से दौड़ना आरंभ किया?
- आपकी यह दौड़ कितने घंटे बाद समाप्त हुई?
- आप किस कक्षा में पढ़ते हैं?
- आपको दौड़ने की प्रेरणा किससे मिली?
- पकी दौड़ कहाँ जाकर समाप्त हुई?
- आप बिहार के किस जनपद के रहने वाले हैं?
- आपके साथ लगभग तीन सौ बच्चे क्यों भाग रहे थे?
- भविष्य में आपका क्या सपना है?
HBSE 12th Class Hindi कैमरे में बंद अपाहिज Important Questions and Answers
सराहना संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है?
उत्तर:
- इसमें कवि ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि दूरदर्शनकर्मी समर्थ और शक्तिवान होते हैं। वे किसी असहाय और दुर्बल व्यक्ति की पीड़ा दिखाकर अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं और धन कमाना चाहते हैं।
- कवि ने दूरदर्शनकर्मियों की हृदयहीनता पर प्रकाश डाला है।
- ‘तो आप क्यों अपाहिज हैं?’ में प्रश्नालंकार का प्रयोग हुआ है।
- सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग है।
- शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- मुक्त छंद का प्रयोग है तथा संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)
उत्तर:
- यहाँ कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया है।
- कोष्ठकों में अंकित वाक्यों का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है।
- ‘पूछ-पूछकर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- सहज, सरल एवं सामान्य हिंदी भाषा का प्रयोग है।
- शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- मुक्त छंद का प्रयोग हुआ है तथा संबोधनात्मक शैली है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए-
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे।
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी।
उत्तर:
- यहाँ कवि ने स्पष्ट किया है कि दूरदर्शनकर्मी पर्दे पर अपाहिज की फूली आँख की बहुत बड़ी तसवीर दिखाकर अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं तथा धन कमाना चाहते हैं।
- कवि ने कार्यक्रम-संचालकों की व्यवसायी प्रवृत्ति पर करारा व्यंग्य किया है।
- ‘बहुत बड़ी तसवीर’ में अनुप्रास अलंकार का सफल प्रयोग है।
- सहज, सरल तथा सामान्य हिंदी भाषा का प्रयोग है।
- शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- मुक्त छंद का प्रयोग हुआ है।
विषय-वस्तु पर आधारित लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कवि रघुवीर सहाय ने दूरदर्शनकर्मियों की व्यवसायी प्रवृत्ति पर करारा व्यंग्य किया है। दूरदर्शनकर्मी दूरदर्शन के कार्यक्रमों द्वारा अपाहिजों के दुख-दर्द को बेचते हैं। उनके मन में न तो अपाहिजों के प्रति सहानुभूति है और न ही संवेदना। वे अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए अपाहिजों से बेतुके प्रश्न पूछते हैं। कवि दूरदर्शनकर्मियों की इस मानसिकता का विरोध करता है।
प्रश्न 2.
दूरदर्शनकर्मी कैमरे के सामने अपाहिज व्यक्ति को क्यों लाते हैं?
उत्तर:
दूरदर्शनकर्मी इस कथ्य से भली प्रकार परिचित हैं कि प्रायः लोग किसी दुखी व्यक्ति को देखकर स्वयं भी दुखी हो जाते हैं। आम आदमी अधिक संवेदनशील होता है। दूरदर्शन वाले आम लोगों की संवेदना के माध्यम से धन कमाना चाहते हैं।
प्रश्न 3.
आपकी दृष्टि में अपाहिज से पूछे जाने वाले प्रश्न बेहूदे कैसे हैं?
उत्तर:
दूरदर्शनकर्मी द्वारा अपाहिज से ये प्रश्न पूछना कि क्या आप अपाहिज हैं? अथवा आप क्यों अपाहिज हैं? इससे आपको दुःख तो होता होगा? ये प्रश्न बेहूदे हैं। इनका कोई उत्तर नहीं है। दर्शक भी देख रहे हैं कि वह व्यक्ति अपाहिज है और किसी-न-किसी दुर्घटना के कारण वह अपाहिज हुआ होगा। इस प्रकार के बेहूदे तथा बेतुके प्रश्न पूछकर अपाहिज व्यक्ति का अपमान करना है। उससे यह पूछना कि वह अपाहिज क्यों है? सचमुच उसके प्रति किया गया क्रूर मज़ाक है और यह पूछना कि आपका अपाहिजपन आपको दुख तो देता होगा, सचमुच उसके जले पर नमक छिड़कने जैसा है। इस प्रकार के प्रश्न अपाहिज से नहीं पूछे जाने चाहिएँ, बल्कि उससे यह पूछा जाना चाहिए कि वह अपने दुख-दर्द का किस प्रकार सामना कर रहा है।
प्रश्न 4.
अपाहिज व्यक्ति अपने दुख को छिपाना चाहता है अथवा दिखाना चाहता है। सोचकर बताएँ।
उत्तर:
कोई भी अपाहिज व्यक्ति अपनी अपंगता को दिखाना नहीं चाहता और न ही उसकी चर्चा करना चाहता है। यदि हम अंधे व्यक्ति को अंधा कहते हैं तो वह हमारी बातों का बुरा मान जाता है। कुबड़े को कुबड़ा कहना या गंजे को गंजा कहना सर्वथा अनुचित है, अपाहिज व्यक्ति यही चाहता है कि लोग उसके साथ बराबरी का व्यवहार करें और समाज उसे ऐसा रोजगार दे जिससे वह अपने व अपने परिवार का लालन-पालन कर सके।
प्रश्न 5.
टेलीविजन कैमरे में बंद अपाहिज के माध्यम से कार्यक्रम को कैसे रोचक बनाया गया?
उत्तर:
टेलीविजन वाले लोग अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं। इसलिए वे जरूरी समझते हैं कि हम अपाहिज की पीड़ा को अच्छी तरह से समझें और लोगों को खुलकर बताएँ। मीडिया के कर्मचारियों को विकलांग व्यक्ति की पीड़ा और कष्ट मात्र एक कार्यक्रम नज़र आता है। इसलिए वे उससे इतने प्रश्न पूछते हैं कि वह रोने लगता है। इस प्रकार दूरदर्शन के लोग विकलांग के रो पड़ने की प्रतीक्षा करते हैं। दर्शक भी उसकी पीड़ा को ही देखना चाहते हैं।
प्रश्न 6.
कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में समर्थ तथा शक्तिवान विशेषण किसके लिए प्रयुक्त किए गए हैं और क्यों?
उत्तर:
यहाँ कवि ने समर्थ तथा शक्तिवान विशेषण दूरदर्शनकर्मियों के लिए प्रयुक्त किए हैं। आज हमारा मीडिया अत्यधिक शक्तिशाली हो चुका है। बड़े-से-बड़े राजनीतिज्ञ भी इससे डरते हैं। दूरदर्शनकर्मी अपने चैनल द्वारा किसी भी व्यक्ति पर कीचड़ उछाल सकते हैं। ये लोग दुर्बल व्यक्ति को भी बलवान बना सकते हैं। यही नहीं, कभी-कभी तो ये लोग न्यायालय की भूमिका निभाने लगते हैं और मनमाने ढंग से किसी बेकसूर को भी अपराधी सिद्ध कर देते हैं।
प्रश्न 7.
अपाहिज के होंठों की कसमसाहट को दिखाने का लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
सर्वप्रथम कार्यक्रम-संचालक अपाहिज से तरह-तरह के बेतुके प्रश्न पूछता है। तत्पश्चात् उसके होंठों की पीड़ा को दिखा कर दर्शक को यह बताने की कोशिश करता है कि वह अपनी अपंगता के कारण दुखी एवं निराश है। कार्यक्रम-संचालक ऐसा करके अपाहिज के लिए दर्शकों की सहानुभूति प्राप्त करना चाहता है तथा अपने लिए वाह-वाही तथा धन अर्जित करना चाहता है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. रघुवीर सहाय का जन्म कहाँ हुआ?
(A) सहारनपुर
(B) लखनऊ
(C) कानपुर
(D) इलाहाबाद
उत्तर:
(B) लखनऊ
2. रघुवीर सहाय का जन्म कब हुआ?
(A) 4 जनवरी, 1938
(B) 2 मार्च, 1937
(C) 9 दिसंबर, 1929
(D) 6 दिसम्बर, 1928
उत्तर:
(C) 9 दिसंबर, 1929
3. रघुवीर सहाय के पिता का नाम क्या था?
(A) राम सहाय
(B) कृष्ण सहाय
(C) मोहनदेव सहाय
(D) हरदेव सहाय
उत्तर:
(D) हरदेव सहाय
4. रघुवीर सहाय ने किस विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की?
(A) आगरा विश्वविद्यालय
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय
(C) कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
(D) दिल्ली विश्वविद्यालय
उत्तर:
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय
5. रघुवीर सहाय ने किस वर्ष अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1957 में
(C) सन् 1954 में
(D) सन् 1953 में
उत्तर:
(A) सन् 1951 में
6. दिल्ली आकर रघुवीर सहाय किस पत्रिका के सहायक संपादक बन गए?
(A) दिनमान
(B) प्रतीक
(C) धर्मयुग
(D) आलोचना
उत्तर:
(B) प्रतीक
7. सन् 1949 में रघुवीर सहाय किस दैनिक समाचार-पत्र को अपनी सेवाएँ देने लगे?
(A) नवभारत
(B) दैनिक हिंदुस्तान
(C) नवयुग
(D) दैनिक नवजीवन
उत्तर:
(D) दैनिक नवजीवन
8. पहली बार रघुवीर सहाय ने आकाशवाणी को कब-से-कब तक सेवाएँ दी?
(A) 1953 से 1957 तक
(B) 1951 से 1953 तक
(C) 1954 से 1958 तक
(D) 1949 से 1953 तक
उत्तर:
(A) 1953 से 1957 तक
9. रघुवीर सहाय किस पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य बने?
(A) प्रतीक
(B) कल्पना
(C) नवजीवन
(D) धर्मयुग
उत्तर:
(B) कल्पना
10. रघुवीर सहाय पुनः आकाशवाणी से कब जुड़े?
(A) सन् 1960 में
(B) सन् 1962 में
(C) सन् 1961 में
(D) सन् 1963 में
उत्तर:
(C) सन् 1961 में
11. सन् 1967 में रघुवीर सहाय किस प्रमुख पत्रिका को अपनी सेवाएँ देने लगे?
(A) धर्मयुग
(B) दैनिक हिंदुस्तान
(C) नवजीवन
(D) दिनमान
उत्तर:
(D) दिनमान
12. रघुवीर सहाय का निधन कब हुआ?
(A) सन् 1991 में
(B) सन् 1989 में
(C) सन् 1990 में
(D) सन् 1992 में
उत्तर:
(C) सन् 1990 में
13. रघुवीर सहाय ने किस काव्य-संग्रह के प्रकाशन द्वारा साहित्य में प्रवेश किया?
(A) प्रथम तार सप्तक द्वारा
(B) दूसरा सप्तक द्वारा
(C) दिनमान द्वारा
(D) नवजीवन द्वारा
उत्तर:
(B) दूसरा सप्तक द्वारा
14. ‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1949 में
(C) सन् 1953 में
(D) सन् 1950 में
उत्तर:
(A) सन् 1951 में
15. ‘सीढ़ियों पर धूप में काव्य-संग्रह के रचयिता हैं
(A) भारत भूषण अग्रवाल
(B) केदारनाथ अग्रवाल
(C) रघुवीर सहाय
(D) आलोक धन्वा
उत्तर:
(C) रघुवीर सहाय
16. ‘सीढ़ियों पर धूप में’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1960 में
(B) सन् 1962 में
(C) सन् 1959 में
(D) सन् 1963 में
उत्तर:
(A) सन् 1960 में
17. ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ काव्य-संग्रह का प्रकाशन वर्ष कौन-सा है?
(A) सन् 1962
(B) सन् 1965
(C) सन् 1966
(D) सन् 1967
उत्तर:
(D) सन् 1967
18. ‘हँसो-हँसो जल्दी हँसो’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1971 में
(B) सन् 1973 में
(C) सन् 1975 में
(D) सन् 1974 में
उत्तर:
(C) सन् 1975 में
19. ‘लोग भूल गए हैं’ के रचयिता हैं
(A) मुक्ति बोध
(B) रघुवीर सहाय
(C) केदारनाथ अग्रवाल
(D) कुँवर नारायण
उत्तर:
(B) रघुवीर सहाय
20. ‘लोग भूल गए हैं’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1982 में
(B) सन् 1981 में
(C) सन् 1979 में
(D) सन् 1980 में
उत्तर:
(A) सन् 1982 में
21. ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1992 में
(B) सन् 1994 में
(C) सन् 1993 में
(D) सन् 1995 में
उत्तर:
(B) सन् 1994 में
22. रघुवीर सहाय का संपूर्ण साहित्य किस शीर्षक से प्रकाशित हुआ है?
(A) रघुवीर साहित्य
(B) रघुवीर काव्य
(C) रघुवीर का नया साहित्य
(D) रघुवीर सहाय रचनावली
उत्तर:
(D) रघुवीर सहाय रचनावली
23. ‘कुछ पते, कुछ चिट्ठियाँ’ के रचयिता हैं-
(A) निराला
(B) कुँवर नारायण
(C) रघुवीर सहाय
(D) हरिवंश राय बच्चन
उत्तर:
(C) रघुवीर सहाय
24. कार्यक्रम कैसा होना चाहिए?
(A) अद्भुत
(B) दिव्य
(C) रोचक
(D) अलौकिक
उत्तर:
(C) रोचक
25. कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस पर व्यंग्य किया गया है?
(A) व्यवस्था पर
(B) दूरदर्शन वालों पर
(C) दर्शक पर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) दूरदर्शन वालों पर
26. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस शैली का प्रयोग हुआ है?
(A) नाटकीय शैली
(B) वर्णनात्मक शैली
(C) विवेचना शैली
(D) प्रतीकात्मक शैली
उत्तर:
(A) नाटकीय शैली
27. दूरदर्शन वाले बंद कमरे में किसे लाए थे?
(A) सबल को
(B) दुर्बल को
(C) बीमार को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) दुर्बल को
28. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में दूरदर्शनकर्मियों की किस प्रवृत्ति का उद्घाटन किया गया है?
(A) संवेदनशीलता का
(B) दयालुता का
(C) दुर्बलता का
(D) संवेदनहीनता तथा क्रूरता का
उत्तर:
(D) संवेदनहीनता तथा क्रूरता का
29. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी किसकी कविता है?
(A) दया की
(B) परोपकार की
(C) क्रूरता की
(D) वात्सल्य की
उत्तर:
(C) क्रूरता की
30. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ है?
(A) संस्कृतनिष्ठ भाषा का
(B) सहज, सरल या सामान्य भाषा का
(C) साहित्यिक ब्रज भाषा का
(D) साहित्यिक अवधी भाषा का
उत्तर:
(B) सहज, सरल या सामान्य भाषा का
31. अपाहिज के होंठों पर कैसे भाव दिखाई देते हैं?
(A) आशा के
(B) पीड़ा के
(C) कसमसाहट के
(D) उत्साह के
उत्तर:
(C) कसमसाहट के
32. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कैमरा एक-साथ क्या दिखाना चाहता है?
(A) नए और पुराने कार्यक्रम
(B) दर्शक और अपाहिज रोते हुए
(C) सामान्य व्यक्ति की दुर्दशा और खशी
(D) समाचार और खेल
उत्तर:
(B) दर्शक और अपाहिज रोते हुए।
33. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में ‘समर्थ शक्तिवान’ किसे कहा गया है?
(A) अपाहिज को
(B) कैमरामैन को
(C) दूरदर्शन वालों को
(D) निर्देशक को
उत्तर:
(C) दूरदर्शन वालों को
34. रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ में किसे रेखांकित करने का तरीका अपनाया है?
(A) क्रूरता
(B) संवेदनहीनता
(C) प्रताड़ना
(D) हताशा
उत्तर:
(A) क्रूरता
कैमरे में बंद अपाहिज पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
[1] हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या है
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा [पृष्ठ-23]
शब्दार्थ-समर्थ = शक्तिशाली। शक्तिवान = ताकतवर। दर्बल = कमजोर। अपाहिज = विकलांग।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ में से ली गई है। इस कविता में कवि ने दूरदर्शन कर्मियों की संवेदनहीनता तथा क्रूरता पर प्रकाश डाला है। इस पद्यांश में कवि दूरदर्शन के संचालक की क्रूरता का वर्णन करते हुए कहता है
व्याख्या-दूरदर्शनकर्मी स्वयं को समर्थ और शक्तिशाली समझते हैं, क्योंकि वे अपनी बात को सब लोगों तक पहुँचाने में समर्थ हैं। दूरदर्शन का संचालक अपने साथियों से कहता है कि हम स्टूडियो के बंद कमरे में एक कमजोर तथा मजबूर व्यक्ति को लेकर आएँगे। वह व्यक्ति एक विकलांग होगा जो अपनी आजीविका नहीं चला सकता। बंद कमरे में हम उससे पूछेगे कि क्या आप विकलांग हो? इससे पहले कि वह हमारे प्रश्न का उत्तर दे, इस पर हम एक और प्रश्न दाग देंगे कि आप विकलांग क्यों हुए? हमारा यह प्रश्न बेतुका होगा और वह अपाहिज कुछ समय तक चुप रहेगा। फिर से हम उसे कुरेदकर पूछेगे कि आपका विकलांग होना आपको दुख तो देता होगा। वह बेचारा इस पर भी चुप रहेगा। हम पुनः वही प्रश्न पूछेगे कि आपको अपाहिज होना क्या सचमुच दुख देता है? बताइए, क्या सचमुच आप विकलांग होने से दुखी हैं?
इस प्रश्न के साथ ही दूरदर्शन संचालक अपने साथी से कहेगा कि वह अपाहिज के दुखी चेहरे को और बड़ा करके दिखाए ताकि लोग उसके दुखी चेहरे को आसानी से व ध्यान से देख सकें। विकलांग को पुनः उत्तेजित करके पूछा जाएगा कि हाँ, उसे बताओ कि आपका दुख क्या है? समय बीता जा रहा है, हमें जल्दी से अपने दुख के बारे में बताओ। अन्ततः संचालक को लगेगा कि यह अपाहिज अपने दुख के बारे में कुछ नहीं बता सकता।
विशेष-
- प्रस्तुत पद्यांश में दूरदर्शनकर्मियों की संवेदनहीनता तथा हृदयहीन कार्य-शैली का यथार्थ वर्णन किया गया है।
- दूरदर्शन के चैनलों की बढ़ती स्पर्धा का वर्णन किया गया है जो अपाहिज की वेदना को कुरेदकर अपने कार्यक्रम को अधिक रोचक बनाना चाहते हैं।
- सहज, सरल तथा सामान्य भाषा का प्रयोग किया गया है।
- शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- संपूर्ण पद्य में प्रश्नालंकारों की छटा दर्शनीय है।
- नाटकीय शैली का सफल प्रयोग हुआ है।।
- मुक्त छंद का सफल प्रयोग हुआ है।
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) इस कविता के माध्यम से किस पर व्यंग्य किया गया है?
(ग) अपाहिज से पूछे गए प्रश्न क्या सिद्ध करते हैं?
(घ) समर्थ शक्तिवान लोग कौन हैं? और वे दूरदर्शन पर निर्बल को क्यों लाते हैं?
उत्तर:
(क) कवि का नाम-रघुवीर सहाय – कविता का नाम कैमरे में बंद अपाहिज।
(ख) इस कविता के माध्यम से दूरदर्शन कर्मियों की संवेदनहीनता और क्रूरता पर करारा व्यंग्य किया गया है। ये लोग अपने कार्यक्रम को आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए विकलांगों की पीड़ा से खिलवाड़ करते हैं तथा उनसे बेतुके सवाल पूछकर उनकी भावनाओं से खेलते हैं।
(ग) अपाहिज से पूछे गए प्रश्न यह सिद्ध करते हैं कि उनसे पूछे गए प्रश्न बेकार और व्यर्थ हैं तथा जो अपाहिजों को संवेदना प्राप्त करने के स्थान पर उनको पीड़ा पहुंचाते हैं।
(घ) समर्थ शक्तिवान लोग दूरदर्शन के संचालक हैं। वे विकलांगों तथा दुर्बलों की पीड़ाओं को दर्शक के सामने रखकर अपने कार्यक्रम को इसलिए रोमांचित बनाते हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक पैसा कमा सकें।
[2]
सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे।
इंतज़ार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?
(यह प्रश्न नहीं पूछा जाएगा) [पृष्ठ 23-24]
शब्दार्थ-अपाहिज = विकलांग। यानी = अर्थात् । अवसर = मौका। रोचक = दिलचस्प। इंतज़ार = प्रतीक्षा।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं। में से ली गई है। इस पद्य में कवि उस स्थिति का वर्णन करता है जब कार्यक्रम संचालक अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए अपाहिज से बेतुके सवाल पूछता है।
व्याख्या-कार्यक्रम-संचालक अपाहिज से पूछता है कि आप अच्छी प्रकार सोचकर हमें बताइए कि आपको विकलांग होना कैसा लगता है? अर्थात् क्या आपको विकलांग होने का दुख है, यदि है तो यह कैसा दुख है? आप सोचकर दर्शकों को बताइए कि आपको कितना दुख है और यह कितना बुरा लगता है। इस पर विकलांग व्यक्ति चुप रह जाता है। वह कुछ बोल नहीं पाता। वह मन-ही-मन बड़ा दुखी है। तब कार्यक्रम संचालक बेहूदे इशारे करके पूछता है कि आपका दुख कैसा है? फिर वह कहता है कि आप तनिक अच्छी तरह सोचिए, सोचने की कोशिश कीजिए तथा सोचकर हमें बताइए कि आपका दुख कैसा है? यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह मौका आपके हाथ से निकल जाएगा।
कार्यक्रम-संचालक पुनः कहता है कि हमें तो अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपाहिज की पीड़ा को अच्छी तरह समझें और लोगों को खुलकर बताएँ। इसलिए हम उससे इतने प्रश्न पूछेगे कि वह रोने लगेगा। इस प्रकार दूरदर्शन के व्यक्ति विकलांग व्यक्ति के रो पड़ने की प्रतीक्षा करते हैं। वे उस क्षण का इंतज़ार करते हैं जब अपाहिज अपनी पीड़ा बताते-बताते रो पड़े, क्योंकि दर्शक भी यही सब देखना चाहते हैं।
विशेष-
- इस पद्य में कवि ने दूरदर्शनकर्मियों की हृदयहीनता तथा क्रूरता का यथार्थ वर्णन किया है।
- दूरदर्शन के चैनलों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा का वर्णन किया है जो विकलांगों से बेतुके प्रश्न पूछकर अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं।
- सहज, सरल तथा सामान्य भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
- शब्द-योजना सटीक तथा भावानुकूल है।
- संपूर्ण पद्य में प्रश्नालंकारों का सफल प्रयोग किया गया है।
- मुक्त छंद का प्रयोग है तथा प्रसाद गुण है।
- कोष्ठकों में वाक्यों का प्रयोग करना एक अभिनव प्रयोग है।
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) यह कविता कवि के किस काव्य-संग्रह में संकलित है?
(ख) कार्यक्रम संचालक अपाहिजों के दुख को बार-बार प्रश्न पूछकर गंभीर क्यों बनाना चाहता है?
(ग) कार्यक्रम संचालक श्रोताओं को क्या विश्वास दिलाता है।
(घ) अपाहिजों के कार्यक्रम में दर्शक किस बात की प्रतीक्षा करते हैं?
(ङ) इस पद्यांश में कवि ने दूरदर्शन के संचालकों पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर:
(क) प्रस्तुत कविता रघुवीर सहाय के लोग भूल गए हैं’ काव्य-संग्रह से संकलित है।
(ख) कार्यक्रम संचालक अपाहिज के दुखों के बारे में प्रश्न पूछकर उनके दुख को इसलिए गंभीर बनाना चाहता है ताकि वह अपने कार्यक्रमों को अधिक रोचक बना सके और कार्यक्रम द्वारा अधिकाधिक धन कमा सके।
(ग) कार्यक्रम का संचालक श्रोताओं को यह विश्वास दिलाता है कि विकलांग से इस प्रकार के प्रश्न पूछेगा कि वह अपनी पीड़ा को याद करके रोने लगेगा।
(ङ) इस पद्यांश के द्वारा कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की कार्य-शैली पर करारा व्यंग्य किया है। उनके मन में अपाहिजों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है। वे तो अपाहिजों से तरह-तरह के बेतुके प्रश्न पूछकर अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं ताकि वे अधिकाधिक धन प्राप्त कर सकें और लोकप्रियता अर्जित कर सकें।
[3] फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएँगे हम आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम (बस थोड़ी ही कसर रह गई) धन्यवाद। [पृष्ठ 24-25]
शब्दार्थ-कसमसाहट = पीड़ा, छटपटाहट। अपंगता = अपाहिज होना। धीरज = धैर्य। संग = साथ। वक्त = समय। सामाजिक उद्देश्य = समाज को बेहतर बनाने का लक्ष्य । युक्त = जुड़ा हुआ। कसर = कमी।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्य हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ में से ली गई है। इस पद्यांश में कार्यक्रम-संचालक अपाहिज की पीड़ा और व्यथा को उभारकर दर्शकों को दिखाने का प्रयास करता है। इस संदर्भ में कवि कहता है
व्याख्या-पहले तो कार्यक्रम-संचालक अपाहिज व्यक्ति से तरह-तरह के प्रश्न पूछकर उसकी पीड़ा से दर्शकों को अवगत कराना चाहते हैं। बाद में वे दूरदर्शन के पर्दे पर अपाहिज की सूजी हुई आँख की बहुत बड़ी तस्वीर दिखाने का प्रयास करते हैं। वे वस्तुतः अपाहिज की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहते हैं और वे उसके होंठों पर विद्यमान मजबूरी और छटपटाहट को भी उभारकर दिखाना चाहते हैं। उनका लक्ष्य होता है कि दर्शक अपंग व्यक्ति की पीड़ा को समझें। इसके बाद संचालक कहते हैं कि हम एक और कोशिश करके देखते हैं। वे दर्शकों से धैर्य रखने की अपील करते हैं।
कार्यक्रम-संचालक कहते हैं कि हमें अपाहिज के दर्द को इस प्रकार दिखाना है कि एक साथ अपाहिज और दर्शक रो पड़ें। परंतु ऐसा हो नहीं पाता। कार्यक्रम-संचालक अपने लक्ष्य में असफल रह जाते हैं। इसलिए वे कैमरामैन को आदेश देते हैं कि वह कैमरे को बंद कर दे। यदि अपाहिज रो नहीं सका तो न सही, क्योंकि पर्दे पर समय का अत्यधिक महत्त्व है। यहाँ तो एक-एक क्षण मूल्यवान होता है। समय के साथ-साथ धन का भी व्यय हो जाता है। इसलिए वे अपाहिज को दूरदर्शन के पर्दे पर दिखाना बंद कर देते हैं और दर्शकों से कहते हैं कि अब हम मुस्कुराएंगे और दर्शकों से कहेंगे कि आप इस समय सामाजिक पीड़ा को दिखाने वाला कार्यक्रम देख रहे थे। इसका लक्ष्य था कि हम और आप दोनों अपाहिजों की पीड़ा को समझें और अनुभव करें। लेकिन वे कार्यक्रम संचालक मन-ही-मन सोचते होंगे कि उसका कार्यक्रम पूर्णतया सफल नहीं हो सका क्योंकि वे अपाहिज और दर्शकों को संग-संग रुला नहीं सके।
यदि दोनों एक-साथ रो पड़ते तो निश्चय से उसका कार्यक्रम सफल हो जाता। अंत में कार्यक्रम-संचालक दर्शकों को धन्यवाद करके कार्यक्रम समाप्त कर देते हैं। इसके पीछे भी कवि का करारा व्यंग्य है। वह कार्यक्रम-संचालक की हृदयहीनता को स्पष्ट करना चाहता है।
विशेष-
- प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने दूरदर्शनकर्मियों की हृदयहीनता पर करारा व्यंग्य किया है और दूरदर्शन के सामाजिक कार्यक्रमों का पर्दाफाश किया है।
- दूरदर्शनकर्मी किसी सामाजिक समस्या को उभारने के चक्कर में निर्मम और कठोर हो जाते हैं और अपंग व्यक्ति की पीड़ा को समझ नहीं पाते।
- ‘बहुत बड़ी तसवीर’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- सहज, सरल तथा सामान्य हिंदी भाषा का सफल प्रयोग किया गया है।
- शब्द-योजना सर्वथा सटीक एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- प्रस्तुत पद्यांश में नाटकीय, संबोधनात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का सफल प्रयोग किया गया है।
- प्रसाद गुण है तथा मुक्त छंद का प्रयोग हुआ है।
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) प्रस्तुत पद्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है?
(ख) कार्यक्रम संचालक पर्दे पर अपाहिज व्यक्ति की फूली हुई आँख की तसवीर क्यों दिखाता है?
(ग) कार्यक्रम-संचालक एक साथ किसे और क्यों रुलाना चाहता है?
(घ) क्या कार्यक्रम संचालक अपने लक्ष्य में सफल रहा? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर:
(क) इस पद्यांश में दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की हृदयहीनता पर करारा व्यंग्य किया गया है। वे अपंगों तथा दीन-दुखियों की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहते हैं ताकि उनका कार्यक्रम रोचक तथा लोकप्रिय बन सके धन कमा सकें।
(ख) कार्यक्रम-संचालक पर्दे पर अपाहिज व्यक्ति की फूली हुई आँख को बड़ा करके इसलिए दिखाता है ताकि वह लोगों के सामने अपाहिजों के दुख-दर्द को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सके और अपने कार्यक्रम को प्रभावशाली बना सके।
(ग) कार्यक्रम-संचालक अपाहिज तथा दर्शकों को एक साथ रुलाना चाहता है ताकि वह अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बना सके और लोगों में अपाहिजों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर सके।
(घ) कार्यक्रम संचालक अपनी अनेक कोशिशों के बावजूद भी पर्दे पर अपाहिज को रोते हुए न दिखा सका। न उसकी आँखों में आँसू आए, न ही वह ज़ोर-ज़ोर से रोया। कारण यह था कि अपाहिज व्यक्ति भली प्रकार जानता था कि दूरदर्शनकर्मियों का उसके दुख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं है, न ही उनके मन में अपाहिजों के प्रति सच्ची सहानुभूति की भावना है।
कैमरे में बंद अपाहिज Summary in Hindi
कैमरे में बंद अपाहिज कवि-परिचय
प्रश्न-
रघुवीर सहाय का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा रघुवीर सहाय का साहित्यिक परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
1. जीवन-परिचय-रघुवीर सहाय दूसरा सप्तक तथा बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध के एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनका जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ में हुआ। उनके पिता हरदेव सहाय साहित्य के अध्यापक थे। सन् 1951 में कवि ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की। परंतु उनका रचना कार्य सन् 1946 से ही आरंभ हो चुका था। वे आरंभ से ही पत्रकारिता से जुड़ गए। 1949 में उन्होंने ‘दैनिक नवजीवन’ को अपनी सेवाएँ देनी आरंभ कर दीं। सन् 1951 तक वे इस दैनिक समाचार पत्र के संपादक तथा सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में कार्य करते रहे। परंतु इसी वर्ष वे दिल्ली चले गए तथा ‘प्रतीक’ पत्रिका के सहायक संपादक बन गए। 1953 से 1957 तक वे आकाशवाणी में काम करते रहे। बाद में वे ‘कल्पना’ पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य बन गए। परंतु सन् 1961 में वे पुनः आकाशवाणी को अपनी सेवाएँ देने लगे। बाद में 1967 में वे ‘दिनमान’ साप्ताहिक पत्रिका से जुड़ गए। 1982 तक वे इसके प्रधान संपादक रहे, परंतु बाद में वे स्वतंत्र लेखन करने लगे। 30 दिसंबर, 1990 को उनका निधन हो गया।
2. प्रमुख रचनाएँ वस्तुतः रघुवीर सहाय सन् 1951 में अज्ञेय द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ के कारण प्रकाश में आए। ‘सीढ़ियों पर धूप में इनका पहला काव्य-संग्रह है। उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-
‘दूसरा सप्तक’ 1951 में संकलित कविताएँ-‘सीढ़ियों पर धूप में’ (1960), ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो-हँसो जल्दी हँसो’ (1975), ‘लोग भूल गए हैं’ (1982), ‘कुछ पते, कुछ चिट्ठियाँ’ (1989), ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (1994)। रघुवीर सहाय का संपूर्ण साहित्य ‘रघुवीर सहाय रचनावली’ के नाम से प्रकाशित है।।
3. काव्यगत विशेषताएँ-पहले बताया जा चुका है कि रघुवीर सहाय आजीवन पत्रकारिता से जुड़े रहे। इसलिए उनकी काव्य रचनाओं में राजनीतिक चेतना के अतिरिक्त आधुनिक युग की विभिन्न समस्याओं पर समुचित प्रकाश डाला गया है। उनकी काव्यगत विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) राजनीतिक चेतना पत्रकारिता से जुड़े रहने के कारण रघुवीर सहाय की कविताओं में राजनीतिक चेतना सहज रूप में व्यक्त हुई है। कवि ने राजनीति की क्रूरताओं तथा गतिविधियों का सहज वर्णन किया है। कवि स्वीकार करता है कि राजनीति ने देश को अवसरवादिता, जातिवाद, हिंसा तथा भ्रष्टाचार जैसी बुराइयाँ प्रदान की हैं। इस संदर्भ में कवि के काव्य में मंत्री मुसद्दी लाल लोकतंत्र के भ्रष्टाचार का प्रतीक है। इसलिए डॉक्टर बच्चन सिंह ने रघुवीर सहाय को पोलिटिकल कवि कहा है। देश की दयनीय दशा देखकर कवि बड़े-से-बड़े राजनेता का नाम लेने में संकोच नहीं करता
“गया वाजपेयी जी से पूछ आया देश का हाल,
पर उढ़ा नहीं सका एक नंगी औरत को
कम्बल रेलगाड़ी में बीस अजनबियों के सामने।”
(ii) सामाजिक चेतना पत्रकार तथा संपादक होने के कारण रघुवीर सहाय के काव्य में सामाजिक चेतना भी देखी जा सकती है। कहीं-कहीं कवि जनसाधारण का पक्षधर दिखाई देता है। कवि ने अपनी अधिकांश कविताओं में सामाजिक विरोधों तथा अंतर्विरोधों एवं विसंगतियों का उद्घाटन किया है। कवि मध्यवर्गीय जीवन के दबाव और लोकतांत्रिक जीवन की विडंबना का यथार्थ वर्णन करता है। यही नहीं, वह आम आदमी के साथ खड़ा दिखाई देता है। इसलिए वह कहता है
“मैं तुम्हें रोटी नहीं दे सकता।।
न उसके साथ खाने के लिए गम्।
न मैं मिटा सकता हूँ ईश्वर के विषय में सब भ्रम।”
(iii) मानवीय संबंधों का वर्णन कवि ने अपनी कुछ कविताओं में मानवीय संबंधों का वर्णन करते हुए मानवीय व्यथा के विविध आयामों पर प्रकाश डाला है। कवि ने स्त्री जीवन की पीड़ा को अधिक मुखरित किया है। ‘बैंक में लड़कियाँ’ शीर्षक कविता में कवि स्त्री तथा पुरुष के मनोविज्ञान पर प्रकाश डालता है। इसी प्रकार ‘चेहरा’ कविता में गरीब लड़की का जो वर्णन किया है, वह बड़ा ही सजीव बन पड़ा है। कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कवि ने एक अपाहिज की पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
(iv) आक्रोश और व्यंग्य का उद्घाटन-रघुवीर सहाय सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं। कहीं-कहीं उनके व्यंग्य की धार बड़ी तीखी तथा चुभने वाली लगती है। आज की अवसरवादिता, समझौतापरस्ती, जातिवाद, मध्यवर्गीय आडंबर को देखकर कवि की वाणी में आक्रोश भर जाता है। कवि लोकतंत्र पर भी व्यंग्य करने से नहीं चूकता। इस संदर्भ में ‘रामदास’ नामक कविता विशेष महत्त्व रखती है जो कि समाज के ताकतवरों की बढ़ती हुई हैसियत का एहसास कराती है। लोकतंत्र पर व्यंग्य करता हुआ कवि कहता है-..
“अपराधी से आते हैं राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधायक
बख्शे हुए से जाते हैं।”
4. भाषा-शैली-अखबारों से जुड़े रहने के कारण रघुवीर सहाय की कविता में सहज, सरल तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग देखा जा सकता है। उनकी भाषा की अपनी शैली है। उसमें कहीं पर भी विद्वत्ता का मुलम्मा नहीं चढ़ा। परंतु इनकी बोलचाल की भाषा परिनिष्ठित हिंदी भाषा से जुड़ी हुई है। कुछ स्थलों पर कवि संस्कृतनिष्ठ शब्दों के साथ-साथ उर्दू के शब्दों का मिश्रण करते हुए चलते हैं। उदाहरण देखिए
“कितने सही हैं ये गुलाब कुछ कसे हुए और कुछ झरने-झरने को
और हल्की-सी हवा में और भी, जोखम से
निखर गया है उसका रूप जो झरने को है।”
कवि की आरंभिक कविताओं में प्रकृति के बिंब देखे जा सकते हैं, परंतु परवर्ती कविताओं में वे जनसाधारण के जीवन के चित्र उकेरते हैं। उनकी कविताओं में नेहरू, वाजपेयी, मोरारजी देसाई के नाम प्रतीक रूप में प्रयुक्त हुए हैं। आरंभ में उन्होंने छंद का निर्वाह करते हुए कविताएँ लिखीं। परंतु आगे चलकर वे छंद मुक्त कविता करने लगे।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि भाव और भाषा दोनों दृष्टियों से रघुवीर सहाय का काव्य नई कविता से लेकर समकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ लिए हुए हैं। उनकी कविताएँ प्रेम, प्रकृति, परिवार, समाज तथा राजनीति का यथार्थ वर्णन करने में सक्षम रही हैं।
कैमरे में बंद अपाहिज कविता का सार
प्रश्न-
रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता कैमरे में बंद अपाहिज’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता रघुवीर सहाय द्वारा रचित ‘लोग भूल गए हैं। काव्य-संग्रह में संकलित है। इस कविता में कवि ने साधारण भाषा-शैली में अपाहिज व्यक्ति की विडंबना को पकड़ने का प्रयास किया है। विकलांगता निश्चय से मनुष्य को कमजोर तथा दुखी कर देती है। परंतु हमारा आज का मीडिया दुखदायी विकलांगता को अपनी लोकप्रियता का माध्यम बनाना चाहता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि मीडिया में लोकप्रियता प्राप्त करने की स्पर्धा लगी हुई है। वे विकलांग व्यक्ति को मीडिया के समक्ष रखकर उससे इस प्रकार के प्रश्न पूछते हैं कि जवाब देना भी कठिन हो जाता है। संवेदनहीन कार्यक्रम संचालक विकलांग क बढ़ा देता है। जब विकलांग की वेदना फूट पड़ती है तो दर्शक भी उसे देखकर रोने लगते हैं। ऐसी स्थिति में कार्यक्रम संचालक यह देखकर प्रसन्न हो जाता है कि उसका कार्यक्रम सफल रहा। मीडिया के कर्मचारियों को विकलांग व्यक्ति की पीड़ा और कष्ट मात्र एक कार्यक्रम ही नज़र आता है।
यह कविता दूरदर्शन तथा स्टूडियो की भीतरी दुनिया को रेखांकित करती है। कवि यह संदेश देना चाहता है कि पर्दे के पीछे तथा पर्दे के बाहर पीड़ा का व्यापार नहीं होना चाहिए। हमें उस स्थिति से बचना चाहिए जो दूसरों के मर्म को आहत करती है। विकलांग व्यक्ति के प्रति संवेदना तथा सहानुभूति रखनी चाहिए ताकि उसके आहत हृदय में आत्मविश्वास उत्पन्न हो सके।