HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 1 आंकड़े : स्रोत और संकलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 1 आंकड़े: स्रोत और संकलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 1 आंकड़े : स्रोत और संकलन

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए- (i) एक संख्या अथवा लक्षण को जो मापन को प्रदर्शित करता है, कहते हैं-
(क) अंक
(ग) संख्या
(ख) आंकड़े
(घ) लक्षण
उत्तर:
(ख) आंकड़े।

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(ii) एकल आधार सामग्री एकमात्र माप हैं-
(क) तालिका
(ग) वास्तविक संसार
(ख) आवृत्ति
(घ) सूचना।
उत्तर:
(क) तालिका।

(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एंड क्रासिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं-
(क) फोर एंड क्रास विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति अंकित विधि
(घ) समावेश विधि
उत्तर:
(क) फोर एंड क्रास विधि

(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें-
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती हैं
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती हैं।
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती हैं
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती हैं।
उत्तर:
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती हैं।

(v) यदि वर्ग के दोनों अंत आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं-
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेश विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि।
उत्तर:
(ख) समावेश विधि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) आंकड़ा और सूचना के बीच अंतर।
उत्तर:
सभी प्रकार के स्वीकृत तथ्य, व्यक्ति, वस्तु, स्थानों इत्यादि के नाम उनसे जुड़े तथ्य विवरण व आंकड़ों को डेटा (आंकड़ा) कहते हैं। इन आंकड़ों की कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस कर एंड यूजर के लिए उपलब्ध करवाई जाने वाली उपयोगी जानकारियों को सूचना कहते हैं।

(ii) आंकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सभी प्रकार के स्वीकृत तथ्य, व्यक्ति, स्थानों इत्यादि के नाम उनसे जुड़े तथ्य, विवरण व आंकड़ों को डेटा या आंकड़े कहते हैं।

(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
एक तालिका में पाद टिप्पणी से लाभ इस प्रकार हैं- तालिका में, पाद टिप्पणी कुछ विशिष्ट सेल (cells) से जुड़ी होती है। इस सेल (cells) में कॉलम शीर्षक अथवा कतार शीर्षक शामिल होते हैं।

(iv) आंकड़ों के प्राथमिक स्त्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वे आंकड़े जो क्षेत्र से सीधे किसी तत्व की गणना द्वारा अथवा लोगों से साक्षात्कार करके प्राप्त किये जाते हैं, उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहते हैं।

(v) द्वितीयक आंकड़ों के पाँच स्त्रोत बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक आंकड़ों के पाँच प्रकाशित व अप्रकाशित स्त्रोत इस प्रकार हैं-

  1. सरकारी
  2. अर्ध सरकारी
  3. अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन
  4. निजी प्रकाशन
  5. समाचार पत्र और पत्रिकाएं।

(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधि क्या है?
उत्तर:

वर्ग f Cf
00-10 4 4
10-20 5 9
20-30 5 14
30-40 7 21
40-50 6 27
50-60 10 37
60-70 8 45
70-80 6 51
80-90 5 56
90-100 4 60

जैसे कि इस तालिका में दर्शाया गया है कि एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा जैसी है। इस विधि में कोई भी अवलोकन जिसका मूल्य 30 है उसी वर्ग में रखा जाएगा जिसमें यह निम्न सीमा पर आता है और यह उस वर्ग से निकाल दिया जाता है जिसमें यह उच्च सीमा पर है। इसलिए इस विधि को अपवर्ती विधि कहते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए-
(i) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए। जहाँ से द्वितीयक आंकड़े एकत्र किए जा सकते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक आंकड़ों को राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों द्वारा एकत्र किया जा सकता है जैसे कि-
सरकारी प्रकाशन – विभिन्न मंत्रालयों और भारत सरकार के विभागों, राज्य सरकारों के प्रकाशन और जिलों के बुलेटिन द्वितीयक सूचनाओं के महत्वपूर्ण साधन हैं। इनके अंतर्गत भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्ट, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट सम्मिलित किए जाते हैं।

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(ii) सूचकांक का क्या महत्व है? सूचकांक की परिकलन की प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर:
सूचकांक एक सांख्यिकीय मापदण्ड है जो किसी परिवर्ती में आए बदलाव को दिखाने के लिए अथवा समय को ध्यान में रखकर परिवर्तीयों से जुड़े ग्रुप, भौगोलिक स्थानों तथा तापों को दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं की तुलना भी करता है। सूचकांक का प्रयोग व्यापक रूप में अर्थशास्त्र तथा व्यवसाय में लागत तथा मात्रा में आए बदलाव को देखने के लिए किया जाता है। सूचकांक के परिकलन के लिए अलग-अलग प्रकार की विधियाँ हैं। इसे इस प्रकार प्राप्त किया जाता है-
\(\frac{\sum q 1}{\sum q 0} \times 100\)
∑q1 = वर्तमान वर्ष के उत्पादन का योग
∑q0= आधार वर्ष के उत्पादन का योग
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लघु उत्तरीय प्रश्न
(Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौगोलिक आँकड़े किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
भौगोलिक आँकड़े (Geographical Data)- भौगोलिक आँकड़े संख्याओं तथा सूचना के समूह का विवरण है।
आँकड़े किसी तथ्य के घनत्व, वितरण तथा विस्तार की जानकारी प्रदान करते हैं। भौगोलिक आँकड़े विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें उच्चावच, चट्टानें, जलवायु, वनस्पति, कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन तथा मानव संबंधी आँकड़े हैं।

प्रश्न 2.
आँकड़ों के वर्गीकरण के कौन-कौन से चरण हैं?
उत्तर:
आँकड़ों के वर्गीकरण के निम्नलिखित मुख्य चरण हैं-

  1. समय, प्रदेश, गुण, मात्रा आदि के आधार पर आँकड़ों के वर्ग बनाना (Classification)
  2. आँकड़ों का शुद्ध रूप में सारणीयन (Tabulation)
  3. उपयुक्त सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग करते हुए आँकड़ों को संसाधित करना (Processing)

प्रश्न 3.
आँकड़ों के प्राथमिक स्रोतों एवं गौण स्रोतों की तुलना करो।
उत्तर:
आँकड़ों के स्रोत (Sources of Data)- भौगोलिक आँकड़ों के दो मुख्य स्रोत होते हैं- प्राथमिक (Primary) तथा गौण (Secondary)।

  1. प्राथमिक आँकड़े-वे आँकड़े जो क्षेत्र से सीधे किसी तत्त्व की गणना द्वारा अथवा लोगों से साक्षात्कार करके प्राप्त किए जाते हैं, उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहते हैं।
  2. गौण आँकड़े-गौण आँकड़े प्रयोगकर्ता द्वारा स्वयं एकत्र नहीं किए जाते हैं। ये बहुधा प्रकाशित होते हैं अथवा किसी दूसरे के पास उपलब्ध होते हैं। प्रयोगकर्ता ऐसे आँकड़ों को लेकर उन्हें सही व विश्वसनीय मानते हुए अपना निष्कर्ष निकालते हैं।

प्रश्न 4.
आँकड़ों के स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़ों के स्त्रोत (Sources of Primary Data)- प्राथमिक आँकड़ों का मुख्य स्रोत क्षेत्र सर्वेक्षण (Field work) होता है गौण सूचनाओं के स्रोतों की संख्या अनगिनत है। प्रत्येक विशिष्ट संस्था अपने अलग-अलग आँकड़े एकत्र करके प्रकाशित करती है।
(1) भारत का जनगणना विभाग (Census Deptt.) जनसंख्या आँकड़ों का प्रकाशन करता है।
(2) कृषि विभाग (Agriculture Deptt.) द्वारा कृषि संबंधी आँकड़े प्रकाशित किए जाते हैं।
(3) भारत में मानचित्रों के प्रकाशन की दो सरकारी संस्थाएं हैं। पहली भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) तथा दूसरी राष्ट्रीय मानचित्र एवं विषयक मानचित्रण संगठन (नैटमी) (NATMO)। भारतीय सर्वेक्षण विभाग विभिन्न मापकों पर मुख्यतः स्थलाकृतिक मानचित्रों का प्रकाशन करता है जबकि नैटमो विभिन्न प्रकार के विषयक मानचित्रों को प्रकाशित करता है।

प्रश्न 5.
आँकड़ों का आरेखीय प्रदर्शन किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
आरेखीय प्रदर्शन – आँकड़ों का आरेखीय प्रदर्शन भूगोल की दूसरी महत्त्वपूर्ण विशेषता है। हम बड़े-बड़े आँकड़ों का लेखाचित्र चार्ट या मानचित्र में बदल सकते हैं तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को दृश्य स्वरूप प्रदान करते हैं। ऐसे मानचित्रों में चुने हुए तथ्यों के वितरण तथा उसके आपसी संबंधों का प्रदर्शन किया जाता है।

प्रश्न 6.
आँकड़ों के विश्लेषण के दो चरण बताओ।
उत्तर:
आंकड़ों का विश्लेषण ( Data Analysis) – आँकड़ों का विश्लेषण निम्नलिखित चरणों में होता है-
1. आँकड़ों का संकलन (Collection of Data) – इनके प्रयोग का प्रथम चरण होता है सही आँकड़े प्राप्त करने का यथासंभव प्रयास किया जाता है त्रुटिपूर्ण आँकड़ों से त्रुटिपूर्ण परिणाम मिलते हैं।
2. आँकड़ों का वर्गीकरण (Data Classification ) संकलित आँकड़ों को संक्षिप्त रूप देने के लिए उनका संपादन (Editing), वर्गीकरण (Classification) तथा संगठन (Organisation) किया जाता है। गणना करना, सारणीबद्ध करना और यथाप्राप्त सूचनाओं का एक उपयुक्त आधार पर संख्यात्मक स्वरूप प्रदान करना आदि क्रियाओं को सम्मिलित रूप में आँकड़ा विश्लेषण कहते हैं। इस प्रक्रिया में पहला चरण किन्हीं समान विशेषताओं के आधार पर आँकड़ों का वर्गीकरण करना होता है। यही आँकड़ों का वर्गीकरण है।

निबंधात्मक प्रश्न
(Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आंकड़ों के सारणीयन (Tabulation) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आँकड़ों का सारणीयन (Tabulation of Data)- एकत्रित आँकड़े अव्यवस्थित तथा अवर्गीकृत रूप में प्राप्त होते हैं। इन आँकड़ों को सरल रूप में समझना तथा कोई निष्कर्ष निकालना कठिन होता है। इन आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इन आँकड़ों को स्तम्भ और पंक्तियों में रखा जाता है। इससे इनकी तुलना करना आसान हो जाता है। पंक्तियों को समान्तर क्षैतिजीय (Horizontal) रूप में रखा जाता है तथा स्तंभों को लंबवत् (Vertical) रूप में लिखा जाता है।
सारणी के प्रमुख भाग (Main Parts of a Table )-एक अच्छी सारणी के प्रमुख भागों को नीचे सारणी में एक प्रतिरूप (Format) द्वारा दिखाया गया है-
1. सारणी संख्या (Table Number ) सब से ऊपर सारणी का संकेत (Reference) देने के लिए नंबर दिया जाता है।
2. सारणी शीर्षक (Title of the Table)-सारणी के उद्देश्य को प्रकट करने के लिए शीर्षक दिया जाता है।

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3. शीर्षक टिप्पणी (Head-note) अधिक जानकारी के लिए शीर्षक टिप्पणी लिखी जाती है।
4. प्रतिपर्ण (Stubs) पंक्तियों के इकट्ठे शीर्षक को प्रतिपर्ण कहा जाता है। इसके आगे प्रतिपर्ण की प्रविष्टियां (enteries) होती हैं।
5. कक्ष शीर्ष (Book- head) सारणी के स्तंभों में लिखे जाने वाले विवरण को कक्ष शीर्ष कहा जाता है।
6. मुख्य भाग (Body) सारणी के आँकड़ों को कोशिकाओं के रूप में लिखा जाता है।
7.याद टिप्पणी (Foot-note)- सारणी के नीचे आँकड़ों से संबंधित आवश्यक सूचना लिखी जाती है तथा एक तारे (*) का चिह्न लगाया जाता है।
8. खोत (Source) सारणी में सबसे नीचे आँकड़ों के लोत के बारे में लिखा जाता है।

प्रश्न 2.
आँकड़ों के वर्गीकरण से क्या अभिप्राय है? इसे कितने प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर:
आँकड़ों का वर्गीकरण (Classification of Data)- आँकड़ों को सरल रूप में समझने के लिए विभिन्न वर्गों में रखा जाता है। वर्गीकरण एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा आँकड़ों को उनके एक जैसे गुण के आधार पर समान वर्गों में या अलग गुणों के आधार पर अलग-अलग वर्गों में रखा जाता है। इन आँकड़ों को आरोही क्रम (Ascending order) तथा अवरोही क्रम (Descending order) में लिखा जाता है। आरोही क्रम में आँकड़ों का क्रम बढ़ता जाता है, परंतु अवरोही क्रम में आंकड़ों का क्रम घटता जाता है।
उदाहरण-नीचे दिए गए कुछ विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों को वर्गों तथा सारणी के रूप में रखो-

चिहन (Tally Bar) कहते हैं। जब इन मिलान चिहनों को संख्या के रूप में लिखते हैं तो इसे आवृत्ति (Frequency) कहते हैं। किसी वर्ग की ऊपरी तथा निम्न सीमा के मध्य अंतर को वर्ग अंतराल (Class Interval) कहा जाता है।
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उत्तर:
आरोही क्रम (Ascending order)

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अवरोही क्रम (Descending order)
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बारंबारता बंटन सारणी (Frequency Distribution Table ) – बारंबारता बंटन सारणी एक ऐसी सारणी है जिसमें आँकड़ों को एक व्यवस्थित रूप में रखा जाता है। आँकड़ों को विभिन्न वर्गों में बांटा जाता है। इन वर्गों को मिलान चिह्नों द्वारा प्रकट किया जाता है। प्रत्येक वर्ग में जितने आँकड़े या संख्याएं आती हैं उन्हें एक खड़ी लाइन
(1) से लिखा जाता है। पांच संख्यात्मक मूल्यों को दिखाने के लिए चार लाइनें खींच कर पांचवीं लाइन से काट देते हैं। इसे मिलान

प्रश्न 3.
वर्गीकरण की मुख्य रीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वर्गीकरण की विधियां ( Methods of Classification)
आँकड़ों को सरल व संक्षिप्त बनाया जाता है ताकि उनसे आसानी से निष्कर्ष निकाले जा सकें। जलवायु, तापमान, वर्षा आदि के आँकड़ों

3. अखंडित श्रृंखला – अखंडित अथवा अविच्छिन्न अथवा स श्रृंखला वह श्रृंखला होती है जिसमें इकाइयों का निश्चित माप संभव नहीं होता। इसी कारण उन्हें कुछ सीमाओं में व्यक्त किया जाता है। इन सीमाओं को वर्गन्तर कहते हैं। प्रत्येक वर्गातर के साथ उसकी आवृत्तियां लिखी जाती हैं।
आगे 30 विद्यार्थियों के अर्थशास्त्र में प्राप्त अंक दिए गए हैं जिन्हें हम 5-5 के वर्गांतर से अखंडित श्रृंखला अथवा श्रेणी में बदल सकते हैं।
अखंडित श्रृंखला को निम्नलिखित चार प्रकारों में बांटा जाता

(i) अपवर्जी शृंखला (Exclusive Series)
(ii) समावेशी श्रृंखला (Inclusive Series)
(iii) खुले सिरे वाली शृंखला (Open End Series)
(iv) संचयी आवृत्ति ( Cumulative Frequency Series)

(i) अपवर्जी श्रृंखला (Exclusive Series ) – यह विधि समावेशी विधि से अधिक प्रचलित है। इस रीति में एक वर्ग की जगह सीमा तथा अगले वर्ग की निचली सीमा एक ही होती है।
दिया उदाहरण इस विधि का उदाहरण है-

अंक विद्यार्थियों की संख्या
0-10

10-20

20-30

30-40

40-50

50-40

60-70

10

30

15

35

8

7

2

योग =107

इसमें पहला वर्ग 0-10 तथा 10-20 है। इसमें विदित होता है कि पहले वर्ग की उच्च सीमा तथा दूसरे वर्ग की निम्न सीमा एक हैं। जब वर्ग इस प्रकार होते हैं तो यह शंका होती है कि 10 को किस वर्ग में रखा जाए पहले में या दूसरे में? इस विषय में यह नियम है कि किसी वर्ग की उच्च सीमा को इस वर्ग के अंतर्गत सम्मिलित नहीं किया जाता बल्कि उसके बाद वाले वर्ग में सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार 10 पहले वर्ग में नहीं अपितु दूसरे में किया जाएगा।

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(ii) समावेशी श्रृंखला ( Inclusive Series) – इस प्रकार के वर्गीकरण में निम्न सीमा तथा उच्च सीमा दोनों की उसी वर्ग में सम्मिलित कर लिया जाता है। संदेह को दूर करने के लिए पहले वर्ग की उच्च सीमा दूसरे वर्ग की निम्न सीमा से 1 या कोई अन्य संख्या कम कर दी जाती है। जैसे-

वेतन मजनूरों की संख्या
100-149 20
150-199 25
200-249 60
250-299 15
300-349 5
योग =125

(iii) खुले सिरे वाली शृंखला (Open End Series)-इस शृंखला में प्रथम वर्ग की निचली सीमा में ‘कम’ (Below) तथा ऊपरी सीमा में ‘अधिक’ (Above) का प्रयोग किया जाता है। जैसे-

अंक (Marks) विद्यार्थियों की संख्या
10 से कम (Frequency)
10-20 7
20-30 7
30 से अधिक 5
1

(iv) संचयी आवृत्ति भृंखला (Cumulative Frequency Series)-इस शृंखला में आवृत्तियों को जोड़ दिया जाता है। दूसरे वर्ग की आवृत्ति को जोड़कर संचयी आवृत्ति प्राप्त की जाती है। जैसे-

आय (रुपए में) (x) परिवारों की संख्या (f) संचयी आवृति (c)
0-500 4 4
500-1000 6 4+6=10
1000-1500 10 10+10=20
1500-2000 5 20+5=25
2000-2500 3 25+3=8

प्रश्न 5.
आँकड़ों के प्राथमिक व द्वितीयक स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर:
आँकड़ों के स्रोत आँकड़ों को दो प्रकार से एकत्रित किया जाता है –
1. प्राथमिक स्रोत
2. द्वितीयक स्रोत।
जिन आँकड़ों को हम पहली बार व्यक्तिगत रूप से अथवा किसी समूह इत्यादि के द्वारा एकत्रित किया जाता है उन्हें आँकड़ों के प्रथम स्त्रोत कहते हैं और जिन आँकड़ों को किसी प्रकाशित या अप्रकाशित साधनों के द्वारा एकत्रित किया जाता है उन्हें द्वितीयक स्रोत कहते हैं।

प्राथमिक आँकड़ों के साधन
1. व्यक्तिगत प्रेक्षण-
यह व्यक्तिगत या व्यक्तियों के समूह के संग्रह की ओर संकेत करता है जिस द्वारा क्षेत्र में प्रत्यक्ष प्रेक्षण के द्वारा एकत्र किया जाता है। इस प्रेक्षण द्वारा क्षेत्र सर्वेक्षण के अंतर्गत भू-आकृति के लक्षणों, मिट्टी तथा प्राकृतिक वनस्पति के प्रकारों के साथ ही जनसंख्या संरचना, लिंग अनुपात, साक्षरता, परिवहन तथा संचार के साधन नगरीय तथा ग्रामीण अधिवास इत्यादि की सूचना प्रदान की जाती हैं। परंतु व्यक्तिगत प्रेक्षण करते समय उसमें शामिल व्यक्तियों की निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए ज्ञान का तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना आवश्यक है।

2. साक्षात्कार-
इस विधि के द्वारा सूचना उत्तर देने वाले से शोधकर्ता संवाद तथा बातचीत द्वारा प्राप्त करता है फिर भी साक्षात्कार करते समय साक्षात्कारकर्ता को क्षेत्र के लोगों से निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए-
(1) जिन सूचनाओं को लोगों से साक्षात्कार द्वारा इकट्ठा करना है, उन विषयों की एक परिशुद्ध सूची तैयार की जानी चाहिए।
(2) साक्षात्कार लेने वाले व्यक्तियों को सर्वेक्षण के उद्देश्यों के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है।
(3) अगर कोई भी संवेदनशील प्रश्न पूछना है तो पहले उत्तर देने वालों को विश्वास में लेना आवश्यक है और उसे विश्वास दिलाना चाहिए कि गोपनीयता बनाई रखी जाएगी।
(4) वातावरण का अनुकूल होना भी आवश्यक है। इससे उत्तर देने वाला बिना किसी झिझक के तथ्यों को स्पष्ट कर सकेगा।
(5) प्रश्नावली की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए ताकि उत्तर देने वाला प्रेरित होकर तथा सहज होकर प्रश्नों से संबंधित सूचना देने के लिए सहमत हो जाए।
(6) जिस प्रश्नों से उत्तर देने वाले के आत्मसम्मान अथवा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे ऐसे प्रश्नों को पूछने से परहेज करना चाहिए।
(7) अंत में उत्तर देने वाले से यह पूछना चाहिए कि जो भी सूचना वह दे चुके हैं, इसके अतिरिक्त और क्या जानकारी वह और दे सकते हैं?
(8) उत्तर देने वाले का अपना बहुमूल्य समय प्रदान करने के लिए धन्यवाद किया जाना भी आवश्यक है।

3. प्रश्नावली अनुसूची-
यह एक ऐसी विधि है जिसमें साधारण प्रश्नों और उनके उत्तर एक सादे कागज पर लिखे जाते हैं तथा उत्तर देने वाले व्यक्ति से दिए गए विकल्पों में से किसी एक विकल्प पर निशान लगाना होता है। कई बार संरचनात्मक प्रश्नों का एक समूह भी प्रश्नावली में शामिल किया जाता है और उत्तर देने वाले के विचारों को ज्ञात करने के लिए उचित स्थान भी छोड़ दिया जाता है। यदि केवल विवृत्तांत प्रश्नों के माध्यम से लोगों के विचारों को एकत्र करने की आवश्यकता तो इसे प्रश्नावली कहते हैं सर्वेक्षण के उद्देश्य भी स्पष्ट रूप से प्रश्नावली में उल्लिखित होने चाहिए।

यह विधि बड़े क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए भी उपयोगी होती हैं इस विधि की सीमा यह है कि सूचनाओं को उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है कि केवल साक्षर और शिक्षित लोगों से ही संपर्क किया जा सकता है। इसमें एक अनुसूची होती है। जो प्रश्नावली से मिलती-जुलती होती है जिसमें जांच-पड़ताल से जुड़े प्रश्न दिए रहते हैं। अनुसूची और प्रश्नावली में केवल यह अंतर है कि प्रश्नावली में उत्तर देने वाला प्रश्नावलियों को स्वयं भरता तथा सूची में परिगणक उत्तर देने वाले से प्रश्न पूछकर वह खुद भरता है। प्रश्नावली की तुलना में अनुसूची का मुख्य लाभ यह है कि इसके द्वारा सूचना शिक्षित तथा अशिक्षित दोनों ही उत्तर देने वालों से एकत्र की जाती हैं। एक अनुसूची को भरने के लिए गणनाकर्ता को पूरी तरह से प्रशिक्षित होना आवश्यक है।

4. अन्य विधियां
जल तथा मृदा से संबंधित आँकड़े सीधे क्षेत्रों से उनकी विशेषताओं का मापन करके मृदा किट तथा जल गुणवत्ता किट का प्रयोग करके एकत्र किया जाता है। इस प्रकार क्षेत्र वैज्ञानिक के प्रयोग से फसलों तथा वनस्पति के स्वास्थ्य के बारे में आँकड़े एकत्र किए जाते हैं। आँकड़ों के द्वितीयक स्त्रोत इन स्रोतों के अंतर्गत आँकड़ों को प्रकाशित और अप्रकाशित रूप में एकत्र किया जाता है जिसमें सरकारी प्रकाशन, प्रलेख और रिपोर्ट सम्मिलित किए जाते हैं।

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प्रकाशित साधन

1. सरकारी प्रकाशन-
भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों, राज्य सरकारों के प्रकाशन और बुलेटिन द्वितीयक सूचनाओं के उपयोगी स्रोत हैं। भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्टें, राज्य सरकारों के द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट इसके अंतर्गत शामिल किए जाते हैं।

2. अर्ध सरकारी प्रकाशन-
विभिन्न नगरों और शहरों के नगर निगमों और नगर विकास प्राधिकरणों और जिला परिषदों के प्रकाशन तथा रिपोर्ट इत्यादि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

3. अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन-
वार्षिकी, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरण जैसे कि वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन, खाद्य व कृषि परिषद् इत्यादि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशन जो आवधिक रूप में छपते हैं वह हैं – डेमोग्राफिक इयर बुक और मानव विकास रिपोर्ट इत्यादि।

4. निजी प्रकाशन-
समाचार पत्र और निजी संस्थाओं द्वारा प्रकाशित वार्षिकी पुस्तिका, सर्वेक्षण शोध रिपोर्ट तथा प्रबंध इत्यादि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

5. समाचार पत्र और पत्रिकाएं-
इस श्रेणी के अंतर्गत दैनिक समाचार पत्र और साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएं आसानी से प्राप्त स्रोत हैं।

अप्रकाशित साधन

1. सरकारी आलेख-
इस श्रेणी के अंतर्गत अप्रकाशित रिपोर्ट, मोनोग्राफ और प्रलेख इत्यादि शामिल हैं। यह प्रलेख सरकार के अलग-अगल स्तरों पर अप्रकाशित रिकॉर्ड के रूप में मिलते हैं और इनको अनुरक्षित रखा जाता है जैसे कि गांव के स्तर पर, राजस्व अभिलेख, गाँव के पटवारियों के द्वारा तैयार किए जाते हैं जो कि एक गांव स्तर की जानकारी प्रदान करने का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

2. अर्ध-सरकारी प्रलेख-
इस श्रेणी के अंतर्गत विभिन्न नगर-निगम, जिला परिषदों और लोक सेवा विभागों द्वारा बनाए और अनुरक्षित की गई रिपोर्ट और विकास की योजनाएं शामिल की जाती हैं।

3. निजी प्रलेख-
इस श्रेणी के अंतर्गत व्यापार संघों, विभिन्न राजनैतिक और अराजनैतिक संगठनों तथा कंपनियों इत्यादि अप्रकाशित रिपोर्ट और रिकॉर्ड शामिल किए जाते हैं।

मौखिक परीक्षा के प्रश्न
(Questions For Viva-Voce)

प्रश्न 1.
मानचित्र (Map) शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई?
उत्तर:
‘मैप’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द मप्पा (Mappa) का बिगड़ा हुआ रूप है।

प्रश्न 2.
संसार में सर्वप्रथम मानचित्र किसने बनाया?
उत्तर:
संसार में सर्वप्रथम मानचित्र ट्यूरिन पैपीरस नामक विद्वान् ने तैयार किया।

प्रश्न 3.
आँकड़े किन-किन इकाइयों के आधार पर एकत्र होते हैं?
उत्तर:
आँकड़े प्राय: प्रशासनिक इकाइयों जैसे गांव, ब्लाक, जिला, नगर, राज्य के आधार पर एकत्र होते हैं।

प्रश्न 4.
आँकड़ों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. मात्रात्मक आँकड़े (Quantitation Data)
  2. गुणात्मक आँकड़े (Qualitation Data)

प्रश्न 5.
आँकड़ों के दो प्रमुख स्त्रोत बताओ।
उत्तर(:

  1. प्राथमिक आँकड़े (Primary Data)
  2. गौण आँकड़े (Secondary Data)।

प्रश्न 6.
NATMO किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय मानचित्र एवं विषयक मानचित्रण संघटन (National Atlas and Thematic Mapping Organisation) NATMO कहते हैं।

प्रश्न 7.
आँकड़ों का विश्लेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
आँकड़ों की गणना करना, सारणीबद्ध करना तथा संख्यात्मक रूप देना।

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प्रश्न 8.
आँकड़ों का वर्गीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
समान विशेषताओं के आधार पर वर्ग बनाना।

प्रश्न 9.
आँकड़ों के संगठन (Organisation of Data) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आँकड़ों को तर्कसंगत क्रम में व्यवस्थित करना तथा उन्हें सारणीबद्ध करना।

प्रश्न 10.
आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण (Summarisation of Data) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आरेख, लेखाचित्र (Graphs ) तथा विषयक मानचित्रों में आँकड़ों को बदलना।

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