Author name: Bhagya

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी प्रक्षेप्य पर ऊँचाई y तथा क्षैतिज तल के अनुदिश दूरी x क्रमश: y = 8t – 5t2 तथा x = 6t है, जहाँ t सेकण्ड में तथा दूरियाँ मीटर में हैं। प्रक्षेप्य का प्रक्षेपण वेग होगा:
(a) 8 मीटर/सेकण्ड
(b) 6 मीटर/सेकण्ड
(c) 10 मीटर/सेकण्ड
(d) उपर्युक्त विवरण से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
उत्तर:
(c) 10 मीटर/सेकण्ड

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
आकाश में उड़ता एक वायुयान क्षैतिज तल में मोड़ ले रहा है। ऐसा करते समय उसके पंख:
(a) क्षैतिज रहते हैं
(b) ऊर्ध्वाधर हो जाते हैं।
(c) भीतर की ओर झुक जाते हैं।
(d) बाहर की ओर झुक जाते हैं।
उत्तर:
(c) भीतर की ओर झुक जाते हैं।

प्रश्न 3.
यदि एक बन्दूक से वेग से छोड़ी गयी गोली की परास R हो, तो बन्दूक का क्षैतिज से झुकाव होगा।
(a) cos-1\(\frac{v^2}{R g}\)
(b) cos-1\(\frac{R g}{v^2}\)
(c) tan-1\(\frac{v^2}{R g}\)
(d) sin-1\(\frac{g R}{v^2}\)
उत्तर:
(d) sin-1\(\frac{g R}{v^2}\)

प्रश्न 4.
एक कण x y तल में गति कर रहा है और किसी बिन्दु पर उसके निर्देशांक, x = Asin ωt तथा y = Acosωt हैं, जहाँ ω एक नियत राशि है। कण का पथ है।
(a) सरल रेखा
(b) दीर्घ वृत्ताकार
(c) वृत्ताकार
(d) परवलयाकार
उत्तर:
(c) वृत्ताकार

प्रश्न 5.
एक नाव जिसकी शान्त जल में चाल 5 km/hr है, 1 km चौड़ी नदी को सबसे छोटे सम्भव मार्ग से 15 मिनट में पार करती है। नदी के जल का km/hr में वेग है।
(a) 1
(b) 3
(c) 4
(d) √41
उत्तर:
(b) 3

प्रश्न 6.
दो कण A व B एक दृढ़ छड़ AB द्वारा जुड़े हैं। छड़ लम्बवत् पटरियों पर फिसलती है, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है । कण 4 का बायीं ओर वेग 10 m/s है। जब कोण α = 60° है, तो कण B का वेग होगा।

(a) 5.8m/s
(b) 9.8m/s
(c) 10m/s
(d) 17.3m/s
उत्तर:
(a) 5.8m/s

प्रश्न 7.
एक कण एक समान चाल से वृत्ताकार पथ पर चक्कर लगाता है। कण का त्वरण है।
(a) वृत्त की परिधि के अनुदिश
(b) स्पर्श रेखा के अनुदिश
(c) त्रिज्या के अनुदिश
(d) शून्य।
उत्तर:
(c) त्रिज्या के अनुदिश

प्रश्न 8.
किसी प्रक्षेप्य का पथ होता है?
(a) सरल रेखीय
(b) परवलयिक
(c) दीर्घवृत्तीय
(d) अतिपरवलयिक
उत्तर:
(b) परवलयिक

प्रश्न 9.
एक प्रक्षेप्य से किस कोण से प्रक्षेपित किया जाये कि उसकी परास एवं अधिकतम ऊँचाई समान हो।
(a) tan-1 (√3)
(b) tan-1 (√2)
(c) tan-1 (4)
(d) tan-1 (√4)
उत्तर:
(c) tan-1 (4)

प्रश्न 10.
एक कण r त्रिज्या के वृत्तीय पथ में गति करता हैं। अर्द्धवृत्त पूर्ण करने पर उसका विस्थापन होगा।
(a) 2r
(b) \(\frac{r}{2}\)
(c) \(\frac{r}{4}\)
(d) r
उत्तर:
(a) 2r

प्रश्न 11.
एक गेंद को क्षैतिज θ कोण पर किसी वेग फेंका जाता है। उसकी क्षैतिज परास अधिकतम होने के लिए θ का मान होगा:
(a) 30°
(b) 0°
(c) 45°
(d) 60°
उत्तर:
(c) 45°

प्रश्न 12.
समान परास के लिए एक पिण्ड को समान चाल से कितनी दिशाओं में (कोणों पर) प्रेक्षित किया जा सकता है?
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 1
उत्तर:
(a) 2

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 13.
एक प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई पर चाल उसकी प्रारम्भिक चाल की आधी है। प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास है।
(a) \(\frac{3 u^2}{g}\)
(b) \(\frac{\sqrt{3} u^2}{2 g}\)
(c) \(\frac{u^2}{2 g}\)
(d) \(\frac{2 u^2}{g}\)
उत्तर:
(b) \(\frac{\sqrt{3} u^2}{2 g}\)

प्रश्न 14.
एक मोटर कार 30 मीटर / सेकण्ड की चाल से 500 मीटर त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गतिमान है। यदि इसकी चाल 2 मीटर/सेकण्ड2 की दर से बढ़ रही है तब इसका परिणामी त्वरण है।
(a) 2 मी/से2
(b) 2.2 मी/से2
(c) 2.7 मी/से2
(d) 3.8 मी/से2
उत्तर:
(c) 2.7 मी/से2

अति लघुत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
एकांक सदिश किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह सदिश जिसका परिमाण इकाई होता है, एकांक सदिश कहलाता है। इसका उपयोग सदिश को दिशा देने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
X- अक्ष, Y-अक्ष तथा Z-अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश बताइये।
उत्तर:
X- अक्ष की दिशा में एकांक वेक्टर \(\hat{i}\), Y-अक्ष के अनुदिश \(\hat{j}\) तथा Z-अक्ष के अनुदिश \(\hat{k}\) होता है।

प्रश्न 3.
शून्य सदिश किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा सदिश जिसका परिमाण शून्य होता है, शून्य सदिश कहलाता है। इस सदिश की दिशा का निर्धारण सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4.
सदिशों का वियोजन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
सदिशों का वियोजन दो प्रकार का होता है:

  1.  द्विविमीय वियोजन
  2.  त्रिविमीय वियोजन।

प्रश्न 5.
क्या दो सदिशों के परिणामी सदिश का परिमाण दिये गये सदिशों में से किसी एक सदिश के परिमाण से कम हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, यदि दोनों सदिशों के मध्य कोण 90° से अधिक हो।

प्रश्न 6.
निम्न भौतिक राशियों में से अदिश तथा सदिश राशियों को अलग-अलग कीजिए-
बल आघूर्ण, पृष्ठ तनाव, संवेग, ताप, ऊर्जा, वेग, त्वरण, चाल।
उत्तर:
अदिश राशियाँ: पृष्ठ तनाव, ताप, ऊर्जा, वेग, त्वरण चाल।
सदिश राशियाँ: बल आघूर्ण, संवेग।

प्रश्न 7.
क्या एक अदिश और एक सदिश राशि को जोड़ा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि एक सी प्रकार की राशियों का योग सम्भव है। और अदिश में दिशा नहीं होती है, जबकि सदिश में परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है।

प्रश्न 8.
यदि किसी सदिश राशि का एक घटक शून्य हो व अन्य घटक शून्य न हो, तो क्या वह सदिश राशि शून्य हो सकती है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 9.
दो सदिशों के सदिश गुणनफल से प्राप्त सदिश की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
दो सदिशों के सदिश गुणनफल की दिशा (\(\hat{n}\)) दोनों सदिशों के तल की लम्ब दिशा में होती है।

प्रश्न 10.
दो समान्तर सदिशों का सदिश गुणनफल क्या होता है?
उत्तर:
यदि \(\vec{A} \| \vec{B}\) A x B = A. B. sin O \(\hat{n}\) = 0 (शून्य) अर्थात् दो समान्तर सदिशों का सदिश गुणनफल शून्य होता है।

प्रश्न 11.
क्या एक स्केलर को वेक्टर से गुंणा किया जा सकता
उत्तर:
हाँ ; बल \(\vec{F}=m \vec{a}\) एवं संवेग \(\vec{p}=m \vec{v}\) इसी के उदाहरण हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 12.
क्या विभिन्न परिमाणों के दो सदिशों को ऐसे जोड़ा जा सकता है कि उनका परिणामी शून्य हों?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 13.
बल F एक स्थिर पिण्ड को दूरी तक विस्थापित करता है। इस क्रिया को सदिश संकेत से कैसे दिखायेंगे?
उत्तर:
W = \(\vec{F} \cdot \vec{d}\)
= F.d.cos θ

प्रश्न 14.
किस अवस्था में दो अशून्य सदिशों का स्केलर गुणनफल अधिकतम होता है?
उत्तर:
\(\vec{A} \cdot \vec{B}\)
= ABcos θ
जब
θ = 0° तो cos θ = 1
\((\vec{A} \cdot \vec{B})\)max = AB
अतः समान दिशा में होने पर स्केलर गुणनफल अधिकतम होगा।

प्रश्न 15.
किसी सदिश का ग्राफीय निरूपण कैसे किया जाता।
उत्तर:
तीर (Arrow) चिन्ह द्वारा।

प्रश्न 16.
क्या सदिशों की वियोजन संक्रिया में साहचर्य गुणधर्म लागू होता है?
उत्तर:
हाँ; क्योंकि \((\vec{P}+\vec{Q})-\vec{R}=\vec{P}+(\vec{Q}-\vec{R})\)

प्रश्न 17.
क्या चार असमतलीय सदिशों का परिणामी शून्य हो सकता है?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
यदि a अदिश राशि है और b सदिश राशि हो तो ab किस प्रकार की राशि होगी?
उत्तर:
सदिश।

प्रश्न 19.
यदि \(\vec{P} \cdot \vec{R}=\vec{Q} \cdot \vec{R}\) तो क्या \(\overrightarrow{\boldsymbol{P}}\) और \(\overrightarrow{\boldsymbol{Q}}\) सदैव परस्पर बराबर होंगे?
उत्तर:
\(\vec{P}\) और \(\vec{Q}\) परस्पर तभी बराबर होंगे, जब दोनों में से प्रत्येक \(\vec{R}\) के साथ समान कोण बनाए।

प्रश्न 20.
दो अक्षीय सदिशों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कोणीय वेग, बल-आघूर्ण।

प्रश्न 21.
बल तथा दाब में कौन सी सदिश राशि है?
उत्तर:
बल।

प्रश्न 22.
क्या \(\vec{A}+\vec{B}\) का परिमाण वही है जो \(\vec{B}+\vec{A}\) का है?
उत्तर:
हाँ दोनों के परिमाण एवं दिशाएं समान हैं।

प्रश्न 23.
क्या \(\vec{A}-\vec{B}\) का परिमाण वही है जो \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}-\overrightarrow{\boldsymbol{A}}\) का है? क्या दोनों की दिशाएं भी समान हैं?
उत्तर:
\(\vec{A}-\vec{B}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}-\overrightarrow{\boldsymbol{A}}\) दोनों के परिमाण तो समान होंगे लेकिन दिशाएं परस्पर विपरीत होंगी।

प्रश्न 24.
दो सदिशों का योग कब अधिकतम व कब न्यूनतम होता है?
उत्तर:
जब दोनों सदिश एक ही दिशा में होते हैं (अर्थात् θ = 0) तो उनका योग अधिकतम होता है और जब परस्पर विपरीत दिशा में (अर्थात् θ = 180°) होते हैं तो उनका योग न्यूनतम होता है।

प्रश्न 25.
यदि किन्हीं दो सदिशों के पीरमाण को अपरिवर्तित रखते हुए केवल उनके बीच का कोण परिवर्तित कर दें तो उनके परिणामी सदिश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
परिणामी सदिश के परिमाण व दिशा दोनों बदल जायेंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 26.
क्या किसी सदिश के वियोजित घटक का मान उस सदिश के मान से अधिक हो सकता है?
उत्तर:
नहीं; किसी सदिश के वियोजित घटक का अधिकतम मान सदिश के मान के बराबर हो सकता है।

प्रश्न 27.
क्या दो सदिशों का अदिश गुणन ऋणात्मक हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, यदि दोनों सदिशों के मध्य कोण 90° से 270° के मध्य हों।

प्रश्न 28.
प्रक्षेप्य पथ के किस बिन्दु पर चाल न्यूनतम होती है?
उत्तर:
उच्चतम बिन्दु पर।

प्रश्न 29.
प्रक्षेप्य पथ किस प्रकार का होता है? क्या यह ऋजुरेखीय हो सकता है?
उत्तर:
प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है। प्रक्षेपण कोण θ = 90° के लिए यह ऋजुरेखीय होगा।

प्रश्न 30.
प्रक्षेप्य गति में अधिकतम परास के लिए प्रक्षेपण कोंण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
45°

प्रश्न 31.
वायु के प्रतिरोध का प्रक्षेप्य के उड्डयन काल तथा परास क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वायु के प्रतिरोध के कारण उड्डयन काल बढ़ जाता है। लेकिन परास घट जाता है।

प्रश्न 32.
किस प्रक्षेपण कोण के लिए महत्तम ऊँचाई एवं परास बराबर होते हैं?
उत्तर:
0 = tan-1(4) = 76°

प्रश्न 33.
जब प्रक्षेप्य को क्षैतिज के साथ किसी कोण (90° को छोड़कर) पर प्रक्षेपित किया जाता है तो गति के दौरान वेग का कौन सा घटक नियत रहता है?
उत्तर:
वेग का क्षैतिज घटक (ucosθ) नियत रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
दो बराबर सदिशों का परिणामी सदिश कब:
1. शून्य हो सकता है
2. प्रत्येक के बराबर हो सकता है?
उत्तर:

  1. परिमाण में समान दो सदिश के मध्य जब 180° का कोण होता है तो उनका परिणामी शून्य होगा।
  2. जब परिमाण में समान दो सदिश 120° के कोण पर होते हैं तो उनके परिणामी का परिमाण उनके परिमाण के बराबर प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
दो सदिश \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) इस प्रकार हैं कि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
यदि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 तो निम्नलिखित दो सम्भावनाएँ हैं:

  1. \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) में कोई एक शून्य है।
  2.  \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 या ABcosθ = 0

AB ≠ 0 या cos θ = 0
अतः θ = 90°
इस प्रकार \(\vec{A} \perp \vec{B}\) अर्थात् दोनों सदिश परस्पर लम्बवत् होंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 3.
यदि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = AB तो \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
\(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = AB
या
AB cosθ = AB
या
cos θ = 1
∴ θ = 0°
अर्थात् \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) परस्पर समान्तर होंगे।

प्रश्न 4.
यदि \(\vec{R}=\vec{A} \times \vec{B}\) तो
(i) R तथा 1 के बीच कोण क्या है?
(ii) में तथा 8 के बीच कोण क्या है?
उत्तर:
दिया है:
R = 1 x B
अतः की दिशा व के तल के लम्बवत् होगी।
∴ की दिशा व B दोनों के लम्बवत् होगी अर्थात् दोनों के साथ कोण 90° होगा।

प्रश्न 5.
क्या तीन असमतलीय सदिशों का परिणामी शून्य हो सकता है?
उत्तर:
नहीं; किन्हीं दो सदिशों का परिणामी उन सदिशों के तल में ही होता है, अतः यह तीसरे सदिश जो कि भिन्न तल में है, के प्रभाव को निरस्त नहीं कर सकता है।

प्रश्न 6.
जब सदिश \(\vec{A}\) का सदिश \(\vec{B}\) में की दिशा में घटक शून्य है तो आप दोनों सदिशों के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
माना दो सदिशों \(\vec{A}\) का \(\vec{B}\) के मध्य कोण θ है। सदिश \(\vec{B}\) की दिशा में सदिश \(\vec{A}\) का घटक Acosθ होगा।
यदि यह घटक शून्य है अर्थात्
या
A cosθ = 0
cos θ = 0
⇒ θ = 90°
स्पष्ट है कि \(\vec{A} \perp \vec{B}\) अर्थात् दोनों सदिश परस्पर लम्बवत् होंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 7.
क्या शून्य सदिश (\(\overrightarrow{\mathbf{0}}\)) को सदिश कहना सही है?
उत्तर:
दो सदिशों का अन्तर भी सदिश होता है अत: \(\vec{R}-\vec{R}=\overrightarrow{0}\) अतः शून्य सदिश को सदिश कहना सही है।

प्रश्न 8.
यद्यपि बल \(\vec{F}\) है व विस्थापन \(\overrightarrow{\boldsymbol{S}}\) दोनों सदिश राशियाँ हैं, फिर भी इन दोनों के गुणन से प्राप्त कार्य अदिश राशि है क्यों? यदि
\(\overrightarrow{\boldsymbol{F}}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{s}}\) शून्य न हों फिर भी W का मान शून्य हो सकता है, कब?
उत्तर:
दो सदिश राशियों का डॉट गुणनफल अदिश राशि होती है
और कार्य W = \(\vec{F}\)\(\vec{S}\) डे, अतः कार्य अदिश राशि है।
पुन:
W = \(\vec{F}\)\(\vec{S}\) = F S cosθ
स्पष्ट है कि जब cosθ = 0 तो W = 0 होगा।
अर्थात्
θ = 90° हो \(\overrightarrow{\boldsymbol{F}}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{s}}\) के अशून्य होने पर भी W का मान शून्य होगा।

प्रश्न 9.
सदिशों के योग का समान्तर चतुर्भुज नियम लिखिए।
उत्तर:
सदिशों के संयोजन का समान्तर चतुर्भुज नियम (Law of Parallelogram of Vectors Addition): इस नियम की सहायता से हम दो सदिशों को जोड़ सकते हैं। इस नियम के अनुसार, “यदि दो सदिशों को परिमाण व दिशा दोनों में किसी समान्तर चतुर्भुज की दो आसन्न भुजाओं द्वारा व्यक्त किया जा सके तो उनका परिणामी परिमाण व दिशा दोनों में चतुर्भुज के उस विकर्ण द्वारा प्रदर्शित होगा जो उन भुजाओं के कटान बिन्दु से होकर जाता है। ”

“चित्र 4.15 में माना दो सदिश व परिमाण व दिशा दोनों में समान्तर चतुर्भुज OABC की आसन्न भुजाओं OA व OB द्वारा व्यक्त किये जाते हैं तो इनका परिणामी विकर्ण OB द्वारा व्यक्त होगा अर्थात्

प्रश्न 10.
सदिशों के योग के लिए बहुभुज नियम लिखिए।
उत्तर:
(C) सदिशों के संयोजन का बहुभुज नियम (Law of Polygon of Vectors Addition): इस नियम की सहायता से दो से अधिक सदिशों को जोड़ा जा सकता है। इस नियम के अनुसार, यदि (n-1) सदिशों को भुजाओं वाले बहुभुज की (n-1) क्रमागत भुजाओं द्वारा प्रदर्शित किया जा सके तो उनका परिणामी बहुभुज की अन्तिम (n वीं) भुजा द्वारा नियमित क्रम में प्रदर्शित होगा।” सदिशों के बहुभुज नियम को दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं, “यदि दो से अधिक सदिशों को परिमाण व दिशा दोनों में एक खुले बहुभुज की भुजाओं द्वारा एक क्रम में निरूपित किया जा सके तो बहुभुज को बन्द करने वाली भुजा द्वारा परिमाण व दिशा दोनों में उनका परिणामी व्यक्त होगा।”

विधि – बहुभुज नियम द्वारा सदिश योग ज्ञात करने के लिए उचित पैमाना मानकर योग की क्रिया किसी एक सदिश को खींचकर प्रारम्भ करते हैं, फिर उसके शीर्ष पर दूसरे सदिश का पुच्छ रखकर दूसरा सदिश खींचते हैं। इसी प्रकार दिये गये सभी सदिश क्रमशः खींच लेते हैं। प्रथम सदिश के पुच्छ एवं अंतिम वेक्टर के शीर्ष को मिला देते हैं। यही परिणामी वेक्टर होता है। इसे नापकर पैमाने का गुणा करके परिणामी का परिमाण ज्ञात करं – लेते हैं।
उदाहरणार्थ: माना चार सदिश A, B, C, D का योग बहुभुज नियम द्वारा ज्ञात करना है।

सत्यापन: त्रिभुज नियम के आधार पर

प्रश्न 11.
निम्न कथन की विवेचना कीजिए।
विस्थापन सदिश मूलतः स्थिति सदिश है।
उत्तर:
संलग्न चित्र में A व B के स्थिति सदिश क्रमशः \(\overrightarrow{r_A}\) व \(\overrightarrow{r_B}\) हैं। यदि कोई वस्तु A से B तक विस्थापित होती है तो विस्थापन सदिश

यदि प्रारम्भिक बिन्दु A मूल बिन्दु पर हो तो \(\overrightarrow{r_A}\) = 0 होगा, अतः
\(\overrightarrow{\Delta r}\) = \(\overrightarrow{r_B}\) जो कि B का स्थिति सदिश है।
स्पष्ट है कि विस्थापन सदिश मूलतः स्थिति सदिश है।

प्रश्न 12.
क्या सदिश को अदिश से गुणा करने पर इसकी प्रकृति बदल जाती है?
उत्तर:
बदल भी सकती है और नहीं भी उदाहरण के लिए जब एक सदिश शुद्ध अंक (जैसे, 1, 2, 3….. ) से गुणा करते हैं तो सदिश की प्रकृति नहीं बदलती है लेकिन यदि सदिश को अदिश भौतिक राशि से गुणा करते हैं तो सदिश की प्रकृति बदल जाती है। उदाहरण के लिए जब वेग \(\vec{v}\) सदिश को द्रव्यमान (m) अदिश से गुणा करते हैं तो सदिश राशि संवेग \(\vec{p}\) प्राप्त होता है जिसकी प्रकृति वेग से भिन्न है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 13.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित एक समतल से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स (अदिश), समतल के क्षेत्रफल तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (सदिश) के गुणनफल के बराबर होता है। बताइये कि समतल का क्षेत्रफल सदिश है या अदिश?
उत्तर:
दो सदिश राशियों का स्केलर गुणनफल एक अदिश राशि होता है।
चुम्बकीय फ्लक्स Φ = \(\vec{B}\) . \(\vec{A}\)
अतः समतल का क्षेत्रफल सदिश राशि (\(\vec{A}\)) है।

प्रश्न 14.
क्या परिमाण व दिशा दोनों वाली राशियाँ निश्चित रूप से सदिश राशियाँ होती हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नहीं; क्योंकि परिमाण व दिशा वाली राशियाँ यदि सदिश योग के नियम का पालन करती हैं तो वे सदिश राशियाँ होती हैं परन्तु यदि वे सदिश योग के नियम का पालन नहीं करती हैं तो वे अदिश राशि की श्रेणी में आती हैं; उदाहरणार्थ – विद्युत् धारा, समय आदि।

प्रश्न 15.
एक गेंद को वेग से ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंकने पर यह ऊँचाई तक जाती है। यदि वेग को दोगुना (2u) कर दें तो ऊँचाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
गेंद का वेग उच्चतम बिन्दु पर शून्य हो जायेगा, अत: सूत्र
v2 = u2 + 2as’
से
0 = u2 – 2gh
या
2gh = u2
h = \(\frac{u^2}{2 g}\)
यदि वेग (2u) कर दिया जाये तो माना ऊँचाई ‘ हो जाती है अतः
h = \(\frac{(2 u)^2}{2 g}\) = \(\frac{4 u^2}{2 g}\) = \(4 \times\left(\frac{u^2}{2 g}\right)\)
या
h = 4h
अर्थात् वेग दो गुना कर देने पर ऊँचाई चार गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 16.
प्रक्षेप्य गति किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रक्षेप्य गति: जब किसी वस्तु को क्षैतिज से किसी कोण पर ऊर्ध्वाधर तल में किसी प्रारम्भिक वेग से प्रक्षेपित की जाती है तो फेंके जाने के पश्चात् यह वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में गति करती है। इस प्रकार की गति को प्रक्षेप्य गति कहा जाता है। इस गति के दौरान वस्तु परवलयाकार पथ का अनुसरण करती है।

प्रश्न 17.
क्रिकेट का एक खिलाड़ी किसी गेंद को 100 मी० की अधिकतम क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है। वह खिलाड़ी उसी गेंद को जमीन से ऊपर कितनी ऊँचाई तक फेंक सकता है?
उत्तर:
दिया है, Rmax = 100 मी०
किसी प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई
⇒ \(Y=\frac{T^2}{4 \pi^2 L}\)
= 100 मी०
\(h_m=\frac{v_0^2 \sin ^2 \theta_0}{2 g} \)
\(\left(h_m\right)_{\max }=\frac{v_0^2}{2 g} \)
जबकि θ° = 90°
H = \(\frac{1}{2}\) x \(\frac{v_0^2}{g}\)
= \(\frac{1}{2}\) x 100 मी० = 50 मी०

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 18.
एक प्रक्षेप्य की महत्तम ऊँचाई H तथा उड्डयन काल T है। सिद्ध कीजिए कि 8H = gT2
उत्तर:
महत्तम ऊँचाई, H = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2g}\)
एवं उड्डयन काल T = \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\)
∴ \(\frac{H}{T^2}=\frac{\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}}{\frac{4 u^2 \sin ^2 \theta}{g^2}}=\frac{g}{8}\)
∴ 8H = gT2

प्रश्न 19.
सिद्ध कीजिए H ऊँचाई (महत्तम ऊँचाई) तक पहुँचाने के लिए प्रक्षेपण वेग u = \(\frac{\sqrt{2 g H}}{\sin \theta}\) होगा।
उत्तर:
प्रक्षेप्य द्वारा प्राप्त महत्तम ऊँचाई
\(H=\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
u2 sin2 θ = 2Hg
या
u2 = \(\frac{2 H g}{\sin ^2 \theta}\) ⇒ u = \(\sqrt{\frac{2 H g}{\sin ^2 \theta}}\)
या
u = \(\frac{\sqrt{2 H g}}{\sin \theta}\)

प्रश्न 20.
यदि प्रक्षेप्य का परास एवं महत्तम ऊँचाई बराबर हों तो प्रक्षेपण कोण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ क्षैतिज परास = महत्तम ऊँचाई
\(\frac{u^2 \sin 2 \theta}{g}=\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
या
sin 2θ = \(\frac{\sin ^2 \theta}{2}\)
या
2sinθ.cosθ = \(\frac{\sin ^2 \theta}{2}\)
या
2cos θ = \(\frac{\sin \theta}{2}\)
या
4 = \(\frac{\sin \theta}{\cos \theta}\)
= tan θ
∴ θ = tan-1 (4) = 75.96°

प्रश्न 21.
समान ऊँचाई से एक ही क्षण एक गोली 4 स्वतन्त्रता पूर्वक गिराई जाती है तथा दूसरी गोली B क्षैतिज दिशा में फेंकी जाती है। यदि वायु का प्रतिरोध नगण्य हो तो बताइये।
1. कौन सी गेंद जमीन पर पहले टकरायेगी?
2. जमीन से टकराते समय किस गोली का ऊर्ध्वं वेग अधिक होगा?
3. क्या गोलियाँ एक ही स्थान पर गिरेंगी?
4. गोली B का क्षैतिज परास किस बात पर निर्भर करेगा?
उत्तर:

  1. दोनों गोलियाँ एक साथ जमीन से टकरायेंगी।
  2.  दोनों का ऊर्ध्व वेग समान होगा।
  3. नहीं।
  4.  ऊँचाई तथा क्षैतिज वेग पर।

प्रश्न 22.
सभी दिशाओं में, वेग से कई गोलियाँ दागी जाती हैं. पृथ्वी तल पर वह अधिकतम क्षेत्रफल क्या होगा। जिस पर ये गोलियाँ फैल जायेंगी?
उत्तर:
वह क्षेत्रफल जिसमें गोलियाँ फैलेगी = πr2
जहाँ r = अधिकतम परास Rmax = \(\frac{u^2}{g}\)
यहाँ
u = v
∴ r = \(\frac{v^2}{g}\)
(जब θ = 45°)
अतः प्रभावित क्षेत्रफल = πr2 = π \(\left(\frac{v^2}{g}\right)^2\) = \(\frac{\pi v^4}{g^2}\)

प्रश्न 23.
वृत्तीय गति में अभिकेन्द्रीय त्वरण क्या होता है? इसके लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अभिकेन्द्रीय त्वरण (Centripetal Acceleration):
चित्र 4.30 के अनुसार हम एक कण की वृत्ताकार गति पर विचार करते हैं। किसी भी क्षण t पर कण बिन्दु P पर है जिसकी कोणीय स्थिति θ है। अब P बिन्दु पर एक एकांक सदिश \(\overrightarrow{P A}=\hat{e_r}\) वृत्त की त्रिज्या के बाहर की ओर की दिशा में खींचते हैं तथा एक एकांक सदिश \(\overrightarrow{P B}=\hat{e_t}\) इस बिन्दु P पर स्पर्श रेखा की ओर कोण θ के बढ़ने की दिशा में खींचते हैं। \(\hat{e_r}\) को हम त्रिज्या एकांक सदिश तथा \(\hat{e_t}\) को स्पर्श रेखीय एकांक संदिश कहते हैं।

अब X- अक्ष के समान्तर PX’ एवं Y-अक्ष के समान्तर PY’ रेखाएं खींचते हैं। अब चित्र 4.30 से स्पष्ट है
\(\overrightarrow{P A}=P A \cdot \cos \theta \hat{i}+P A \sin \theta \hat{j}\)
या
\(\frac{\overrightarrow{P A}}{P A}=\hat{i} \cos \theta+\hat{j} \sin \theta\)
या
\(\hat{e}_r=\hat{i} \cdot \cos \theta+\hat{j} \sin \theta\) ……(1)
यहाँ PA = \(|\overrightarrow{P A}|\) = 1 तथा \(\hat{i}\) एवं \(\hat{j}\) क्रमश: X – एवं Y अक्षों की दिशाओं में एकांक सदिश हैं।
इसी प्रकार
\(\frac{\overrightarrow{P B}}{P B}=-\hat{i} \sin \theta+\hat{j} \cos \theta\)
या
\(\overrightarrow{e_t}=-\hat{i} \sin \theta+\hat{j} \cos \theta\) ……(2)
अब समय t पर कण का स्थिति सदिश
\(\vec{r}=\overrightarrow{O P}\)
या
\(\vec{r}=\hat{i} \cdot r \cos \theta+\hat{j} r \sin \theta\)
या
\(\vec{r}=r(\hat{i} \cdot \cos \theta+\hat{j} \sin \theta)\) ……..(3)
समीकरण (3) का समय के साथ अवकलन करने पर हमें किसी भी
समय t पर कण का वेग ज्ञात होता है।
अतः कण का वेग
\(\vec{v}=\frac{d \vec{r}}{d t}=\frac{d}{d t}[r(\hat{i} \cos \theta+\hat{j} \sin \theta)]\)
= \(\left[\hat{i}\left(-\sin \theta \cdot \frac{d \theta}{d t}\right)+\hat{j}\left(\cos \theta \cdot \frac{d \theta}{d t}\right)\right]\)
= rω[-\(\hat{i}\)sinθ +[-\(\hat{j}\)cosθ] ……….(4)
क्योंकि
\(\frac{d \theta}{d t}\) = ω
या
\(\vec{v}\) = rω.\(\hat{e_t}\) ……..(5)
[समी० (2) से]
उपरोक्त समी० (5) से हम देखते हैं कि पद rω किसी भी समय t पर कण की चाल है और इसकी दिशा \(\hat{e}_t\) की ओर अर्थात् स्पर्श रेखा की ओर है।
किसी समय t पर कण का त्वरण समी० (4) को समय t के सापेक्ष अवकलन करके ज्ञात किया जा सकता है। अतः कण का त्वरण

या \(\vec{a}\) = -ω2.r.\(\hat{e}_r\) + rα\(\hat{e}_t\) ………..(6)
यहाँ पर सभी ० (1) व (2) का उपयोग किया गया है। समी० (6) से हम देखते हैं कि एक कण की सामान्य वृत्तीय गति में त्वरण \(\vec{a}\) के दो घटक होते हैं
(i) \(\vec{a}\) = -ω2 r\(\hat{e}_r\), जिसकी दिशा (-\(\hat{e}_r\)) की ओर अर्थात् वृत्त के केन्द्र की ओर होती है। अतः इसे ‘अभिकेन्द्रीय त्वरण’ (centripetal acceleration) कहते हैं होती है अत: ‘स्पर्श रेखीय त्वरण’ (tangential acceleration) कहते हैं। इसका मान होगा। एक कण की असमान वृत्तीय गति में ये दोनों त्वरण होंगे। एक कण की एक समान वृत्तीय
ω नियत रहता है (क्योंकि v = rω)।
अत: \(\frac{d v}{d t}\) = \(r \frac{d \omega}{d t}\) = 0
अतः स्पर्श रेखीय त्वरण \(\vec{a}_t\) का मान शून्य होगा। अत: समी० (6) से अभिकेन्द्रीय त्वरण
\(\vec{a}_r\) = -ω2.r.\(\hat{e}_r\) ………..(7)
इस त्वरण की दिशा केन्द्र की ओर होगी। इस त्वरण का परिणाम
ar = ω2.r = \(\frac{\omega^2 r^2}{r}\) = \(\frac{v^2}{r}\) ……..(8)
यहाँ यह ध्यान रखने की बात है कि एक समान वृत्तीय गति में कण की चाल तो नियत रहती है, परन्तु वेग की दिशा प्रति क्षण बदलने से वेग परिवर्तित होता रहता है। इसीलिए कण में अभिकेन्द्र त्वरण होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्न की परिभाषा दीजिए:
1. एकांक सदिश
2. समान या तुल्य सदिश
3. विपरीत सदिश
4. शून्य सदिश
5. समान्तर संदिश।
उत्तर:
1. तुल्य या समान सदिश (Equivalent Vectors): वे सदिश जिनके परिमाण एवं दिशाएँ समान होते हैं, समान वेक्टर या तुल्य सदिश कहलाते हैं।

संलग्न चित्र में प्रदर्शित दो वेक्टर \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) बराबर वेक्टर हैं अर्थात्
\(\vec{A}\) = \(\vec{B}\)
तथा
A = B

2. असमान सदिश (Unequal Vectors): यदि दो सदिशों के परिमाण समान हों परन्तु दिशाएँ भिन्न हों अथवा परिमाण भिन्न हों किन्तु दिशाएँ समान हों अथवा परिमाण व दिशाएँ दोनों भिन्न हों तो दोनों सदिश असमान सदिश कहलाते हैं। चित्र 4.6 में असमान सदिशों की उक्त तीनों स्थितियाँ प्रदर्शित की गई हैं-

3. विपरीत सदिश (Opposite Vectors): जब दो सदिशों के परिमाण तो समान हों किन्तु दिशाएँ विपरीत हों तो वे परस्पर विपरीत सदिश कहलाते हैं। संलग्न चित्र 4.7 में दो सदिश \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) दिये हैं तो

\(\vec{A}\) = \(\vec{B}\)
अथवा
\(\vec{B}\) = –\(\vec{A}\)

4. एकांक सदिश (Unit Vectors): वह सदिश जिसका परिमाण इकाई अर्थात् 1 होता है, एकांक सदिश कहलाता है।
एकांक सदिश को किसी सदिश की दिशा प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरणार्थ: माना किसी सदिश का परिमाण है एवं सदिश की दिशा में एकांक सदिश है। [ एकांक सदिश को व्यक्त करने के लिए कैप (^) का प्रयोग किया जाता है।]
\(\vec{r}\) = r.r
या
\(\hat{r}=\frac{\vec{r}}{r}=\frac{\vec{r}}{|\vec{r}|}\)

5. समकोणिक एकांक सदिश (Orthogonal Unit Vectors): X- अक्ष, Y-अक्ष एवं Z अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश क्रमश: \hat{i} \hat{j} एवं \hat{k} समकोणिक एकांक सदिश कहलाते हैं। संलग्न चित्र 4.8 में इन एकांक सदिशों को प्रदर्शित किया गया है।

6. सरेखीय सदिश (Collinear Vectors): ऐसे सदिश जो एक ही रेखा के अनुदिश होते हैं, संरेखीय सदिश कहलाते हैं। ये सदिश दिशीय अथवा विपरीत दिशीय हो सकते हैं जैसा कि संलग्न चित्र 4.9 में प्रदर्शित है।

7. शून्य सदिश (Zero Vectors): वह सदिश जिसका परिमाण शून्य हो, शून्य सदिश कहलाता है। इसकी दिशा का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। यह निम्न स्थितियों में प्राप्त किया जाता है:

  1. \(\vec{A}\) व –\(\vec{A}\) सदिशों को जोड़ने पर \(\vec{A}\) + –\(\vec{A}\) = \(\overrightarrow{0}\)
  2. सदिश \(\vec{A}\) को शून्य से गुणा करने पर \(\vec{A}\) .0 = \(\overrightarrow{0}\)
  3.  वस्तु गति करने के पश्चात् अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट आती है तो उसका ‘शून्य सदिश’ अर्थात् \(\overrightarrow{0}\) होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
कार्तीय निर्देशांक पद्धति में, एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय सदिशों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कार्तीय निर्देशांक पद्धति में एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय सदिश (One Dimensional, Two Dimensional and Three Dimensional Vectors in Cartesian Coordinate System):
किसी बिन्दु की स्थिति को पूर्णतः व्यक्त करने के लिए मूल बिन्दु एवं तीन परस्पर लम्बवत् अक्षों से निर्मित तन्त्र कार्तीय निर्देशांक तन्त्र कहलाता है। कार्तीय निर्देशांक तन्त्र में क्रमश: धनात्मक एवं Z – अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश क्रमश: \(\hat{i}\) \(\hat{j}\) व \(\hat{k}\) X- अक्ष, Y-अक्ष होते हैं। संलग्न

चित्र 4.10 में बिन्दु P (x, y, z) की स्थिति मूल बिन्दु 0 तथा परस्पर लम्बवत् अक्षों X, Y व Z के सापेक्ष बताई गयी है। निर्देश तन्त्र में मूल बिन्दु 0 तथा किसी एक अक्ष का चयन स्वच्छ है, शेष दो अक्षों का निर्धारण क्रमागत वामावर्त (Anticlockwise) दिशा में स्वतः हो जाता है।

(i) एक विमीय सदिश (One Dimensional Vectors): वह सदिश जिसकी दिशा केवल एक अक्ष (X- अक्ष अथवा Y अक्ष अथवा Z-अक्ष) के अनुदिश हो तो उसे एक विमीय सदिश कहते हैं।
निम्न चित्र 4.11 में तीन दिशाओं में एक विमीय सदिश की स्थितियाँ दर्शायी गई हैं।

(i) यदि सदिश X- अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = x\(\hat{i}\)
(ii) यदि सदिश – अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = y\(\hat{j}\)
(iii) यदि सदिश Z-अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = z\(\hat{k}\)

(ii) द्विविमीय सदिश (Two Dimensional Vectors): वह सदिश जो एक तल में स्थित होता है, द्विविमीय सदिश कहलाता है। द्विविमीय सदिश का प्रभाव किन्हीं दो दिशाओं अथवा दो अक्षों के अनुदिश होता है। इस प्रकार के सदिश की निम्न तीन स्थितियाँ सम्भव हैं।
(a) यदि कोई सदिश \(\vec{r}\), X-Y तल में स्थित है तो,
\(\vec{r}\) = (x\(\hat{i}\) + y\(\hat{j}\)) चित्र 4.12 (a)
(b) यदि कोई सदिश X-Z तल में है तो,
\(\vec{r}\) = (x\(\hat{i}\) + z\(\hat{k}\)) चित्र 4.12(b)
(c) यदि कोई सदिश Y-Z तल में है तो,
\(\vec{r}\) = (y\(\hat{j}\) + z\(\hat{k}\)) चित्र 4.12(c)

(iii) त्रिविमीय सदिश (Three Dimensional Vector):
वह सदिश जो आकाश (Space) में स्थित हो, त्रिविमीय सदिश कहलाता है। इस सदिश का प्रभाव तीनों अक्षों के अनुदिश होता है। चित्र (4.13) में ऐसा ही एक सदिश प्रदर्शित है जिसका प्रारम्भिक बिन्दु मूलबिन्दु 0 एवं शीर्ष बिन्दु P (x, y, z) है। अतः यह सदिश,

प्रश्न 3.
सदिशों के संयोजन के लिए त्रिभुज नियम क्या है? इस नियम का उपयोग करके परिणामी के परिमाण व दिशा के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
(i) दो सदिशों के परिणामी सदिश का परिमाण ज्ञात करना (To Determine the Magnitude of Resultant Vector of Two Vectors): त्रिभुज नियम का उपयोग करके यदि दो सदिशों \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) को जोड़ा जाये तो उनका परिणामी \(\vec{R}\) चित्र 4.17(b) की भाँति प्राप्त होगा। माना दोनों सदिशों के बीच कोण है। परिणामी का परिमाण ज्ञात करने के लिए आधार ON आगे बढ़ाते हैं और इस पर Q से OP लम्ब डालते हैं।

∴ समकोण त्रिभुज NPQ में,
sin α = \(\frac{Q P}{N Q}\)=\(\frac{Q P}{B}\)
QP = B sinα …(1)
तथा
cos α = \(\frac{N P}{N Q}\)=\(\frac{N P}{B}\)
∴NP = Bcosα …(2)
अब त्रिभुज OPQ में,
OP = ON + NP = A + B cosα …(3)
पाइथागोरस प्रमेय से
समकोण ∆OPQ में
या
(OQ)2 = (OP)2 + (QP)2
(R)2 = (A + B cosα)2 + (Bsinα)2
या R2 = A2+ 2 AB cosα + B2 cos2α + B2 sin2α
या
R2 = A2 + B2 (cos2α + sin2α ) + 2AB cosα
या
R2 = A2 + B2 + 2ABcosα
या
R = \(\sqrt{A^2+B^2+2 A B \cos \alpha}\) …(4)
उपरोक्त समीकरण को कोज्या का नियम कहते हैं।

प्रश्न 4.
सदिशों के द्विविमीय वियोजन की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सदिशों का वियोजन (Resolution of Vectors):
व्यापक रूप से एक सदिश को अनेक स्वैच्छ घटकों में वियोजित किया जा सकता है परन्तु यहाँ हम केवल दो या तीन समकोणिक घटकों में वियोजन का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार के वियोजन के लिए कार्तीय निर्देशांक पद्धति का उपयोग करेंगे। वियोजन की क्रिया योग की क्रिया की विपरीत क्रिया है। इस क्रिया में एक सदिश को दो या तीन घटकों (Components) में वियोजित किया जाता है। सदिश के घटकों का योग करने पर योगफल के रूप में मूल सदिश ही प्राप्त होता है। सदिश वियोजन की निम्न दो विधियाँ हैं।
(i) द्विविमीय निर्देश तन्त्र में वियोजन (Resolution in Two Dimensions):

माना X-Y तल में स्थित \(\vec{A}\) जो X- अक्ष के साथ 6 कोण बनाता है, का दो लम्बवत् घटकों में वियोजन करता है। सदिश \(\vec{A}\) के शीर्ष P से X व Y- अक्षों पर लम्ब क्रमश: PM व PN खींचे तो OM सदिश \(\vec{A}\) का X- अक्ष के अनुदिश घटक \(\overrightarrow{A_x}\) होगा और ON, Y-अक्ष के अनुदिश घटक \(\overrightarrow{A_y}\) होगा।
अतः त्रिभुज ∆OPM में त्रिभुज नियम से संयोजन करने पर
\(\overrightarrow{O P}=\overrightarrow{O M}+\overrightarrow{M P}\)
या
\(\vec{A}=\overrightarrow{A_x}+\overrightarrow{A_y}\) …(1)
(क्योंकि \(\overrightarrow{M P}\) = \(\overrightarrow{O N}\) = \(\overrightarrow{A_y}\))
यदि X व Y – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश क्रमशः \(\hat{i}\) व \(\hat{j}\) हों तो,
\(\overrightarrow{A_x}\) = Ax\(\hat{i}\) ……..(2)
एवं
\(\overrightarrow{A_y}\) = Ay\(\hat{j}\) …….(3)
अतः समी० (1) को निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
\(\vec{A}\) = Ax\(\hat{i}\) + Ay\(\hat{j}\) ……..(4)

वेक्टर \(\vec{A}\) के घटकों के परिमाण निम्न प्रकार ज्ञात करते हैं:
समकोण त्रिभुज OMP से
cos θ = \(\frac{A_x}{A}\)
अतः
Ax = A.cosθ …(5)
तथा
sin θ = \(\frac{A_Y}{A}\)
अतः
Ay = A sinθ ……(6)
घटकों के पदों में सदिश \(\vec{A}\) का परिमाण
समी० (5) व (6) के वर्गों को जोड़ने पर:
AxA2 + 4 = ( A cosθ)2 + (Asinθ)2
= A2cos2θ + A2 sin2θ
= A2 [cos2θ + sin2θ] = A2
या
A2 = AxA2 + AyA2
∴ A = \(\sqrt{A_x^2+A_y^2}\)
घटकों के पदों में 8 का मान
पुन: समी० (5) व (6) से
\(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta}\) = tanθ
या
tanθ = \(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta} \)
∴ θ = tan-1 \(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta}\)
स्पष्ट है कि यदि किसी सदिश के घटक ज्ञात हों तो उसका परिमाण समी० (7) की सहायता एवं उसकी दिशा समी० (8) की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 5.
सदिशों के सदिश गुणनफल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सदिश गुणनफल या क्रॉस गुणनफल (Vector Product or Cross Product): सदिशों का यह गुणनफल सदिश राशि होता है अत: इसे सदिश गुणनफल कहते हैं और इसे व्यक्त करने के लिए क्रॉस (x) चिन्ह का उपयोग किया जाता है, अतः इसे क्रॉस गुणनफल या वज्रीय गुणनफल भी कहते हैं। दो सदिशों का सदिश गुणनफल दोनों सदिशों के परिमाणों व उनके मध्य कोण की ज्या के गुणनफल के बराबर होता है एवं परिणामी सदिश की दिशा उन दोनों सदिशों के तल के लम्बवत् दक्षिणावर्त पेंच नियम द्वारा निर्धारित दिशा में होती है।
दो सदिशों का सदिश गुणनफल निम्न सूत्र से प्राप्त होता है:
\(\vec{A} \). \(\vec{B} \) = A.Bsinθ. \(\hat{n}\) …..(1)
जहाँ
A = | \(\vec{A} \)| = \(\vec{A} \) का परिमाण
B = | \(\vec{B} \) | = \(\vec{B} \) का परिमाण
तथाव के तल के लम्बवत् दिशा में एकांक वेक्टर
सदिश गुणनफल \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा निम्न दो नियमों से प्राप्त कर सकते हैं।

(i) दायें हाथ का नियम (Right Hand Rule): इस नियम के अनुसार, यदि हम दाँयें हाथ की अंगुलियों को इस प्रकार मोड़ें कि ये सदिश \(\vec{A} \) से सदिश \(\vec{b} \) की ओर रहे तथा उनके बीच के लघु कोण की ओर घूमने की दिशा को प्रदर्शित करें तो अंगूठा सदिश \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा को व्यक्त करेगा [चित्र 4.20 (a)]

(ii) दक्षिणावर्त पेंच का नियम (Right Hand Screw Rule): इस नियम के अनुसार, “यदि हम अपने दाँये हाथ से पेंच को सदिश \(\vec{A} \) से \(\vec{B} \) की ओर उनके बीच के लघु कोण की ओर घुमाएँ तो पेंच की नोंक की गति की दिशा \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा होगी [चित्र 4.20 (b)]।

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि प्रक्षेप्य की गति का पथ परवलय होता है।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का पथ (Path of Projectile):
माना कोई प्रक्षेप्य क्षैतिज के साथ 6 के कोण पर ऊपर की ओर प्रक्षेपित किया जाता है। प्रक्षेप्य के वेग का क्षैतिज घटक
ux = ucosθ ……(1)

एवं ऊर्ध्व घटक,
uy = usinθ …(2)
गति के दौरान वस्तु पर केवल गुरुत्वीय त्वरण कार्य करता है, जो कि ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होता है, अतः त्वरण के क्षैतिज व ऊर्ध्व घटक, ax = 0 तथा ay = -g होंगे।
माना प्रक्षेप्य पथ पर कोई बिन्दु P (x,y,t) स्थित है तो सूत्र
s = ut + \(\frac{1}{2}\) का प्रयोग करने पर
x = ux.t + 0 = ucosθ.t
x = ucosθ.t …(3)
y = uyt + \(\frac{1}{2}\)ayt2
या
y = usinθ.t – \(\frac{1}{2}\)gt2 …(4)
समी० (3) से,
x = \(\frac{x}{u \cos \theta}\)
समय का यह मान समी० (4) में रखने पर
y = usinθ x \(\frac{x}{u \cos \theta}-\frac{1}{2} g \frac{x^2}{u^2 \cos ^2 \theta}\)
या
y = tanθ.x – \(\left(\frac{g}{2 u^2 \cos ^2 \theta}\right) \cdot x^2\)
या
y = ax – bx2 …..(5)
जहाँ
a = tanθ एवं b = \(\frac{g}{2 u^2 \cos ^2 \theta}\)
समीकरण (5) एक परवलय का समीकरण है अतः “प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है।”

प्रश्न 7.
प्रक्षेप्य की गति हेतु उड्डयन काल (T), प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (H) व प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (T) (Time of Flight of Projectile):
प्रक्षेप्य जितने समय तक वायु में रहता है अर्थात् प्रक्षेपण के बाद भूमि से टकराने तक प्रक्षेप्य को जितना समय लगता है, उसे प्रक्षेप्य का उड्डयन काल कहते हैं। इसे 7 से व्यक्त करते हैं।
प्रक्षेप्य जब अपने पथ के उच्च बिन्दु पर पहुँचता है तो ऊर्ध्व वेग घटक uy = 0 हो जाता है; अतः यदि इस आधी यात्रा का समय : मान लें तो ऊर्ध्व वेग घटक के लिए सूत्र
v = u + at
0 = usinθ – gt
या
gt = usinθ
∴ t = \(\frac{u \sin \theta}{g}\)
वायु के प्रतिरोध को यदि नगण्य मान लें तो जितना समय प्रक्षेप्य ऊपर जाने में लेता है ठीक उतना ही समय नीचे आने में लेता है। अतः प्रक्षेप्य का उड्डयन काल
T = t + t = 2t
या
T = \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\) …….(6)

प्रक्षेप्य की महत्तम ऊँचाई (H) (Maximum Height of Projectile):
प्रक्षेप्य पथ के उच्चतम बिन्दु के संगत प्रक्षेप्य की ऊँचाई को महत्तम ऊँचाई कहते हैं। इसे H से व्यक्त करते हैं। सूत्र
v2 = u2 + 2as से के लिए
ऊर्ध्वं वेग घटक uy के लिए,
या
0 = (usinθ)2 + 2(-g) H = u2sin2θ – 2gH
2gH = u2 sin2θ
H = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\) ………(7)
प्रक्षेप्य को अधिकतम ऊँचाई प्रदान करने के लिए sin2θ का मान
अधिकतम अर्थात् 1 होना चाहिए। अतः के लिए,
sin2θ = 1 => sinθ = 1
अधिकतम ऊँचाई के लिए,
=> θ = 90°
स्पष्ट है कि अधिकतम ऊँचाई तक फेंकने के लिए प्रक्षेप्य को 90° के प्रक्षेपण कोण पर अर्थात् ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंकना होगा।
Hmax = \(\frac{u^2}{2 g}\) ………(8)

प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) (Horizontal Range of a Projectile):
प्रक्षेप्य द्वारा सम्पूर्ण उड्डयन काल के दौरान तय की गई क्षैतिज दूरी को प्रक्षेप्य का परास कहते हैं। इसे R से व्यक्त करते हैं।
यदि वायु के घर्षण को नगण्य मान लें तो प्रक्षेप्य के क्षैतिज वेग में कोई परिवर्तन नहीं होता है अतः प्रक्षेप्य का क्षैतिज परास,
R = क्षैतिज वेग x उड़ान का समय
= ucosθ x T
= ucosθ x \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\)
या
R = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\) ……(9)
(i) अधिकतम क्षैतिज परास के लिए,
sin2θ = 1 ⇒ 2θ = 90°
θ = 45°
अतः अधिकतम परास के लिए प्रक्षेपण कोण 45° होना चाहिए।
Rmax = \(\frac{u^2}{g}\) …….(10)

(ii) θ प्रक्षेपण कोण के लिए परास
R = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
यदि प्रक्षेपण कोण (90° – θ) हो तो परास,
R’ = \(\frac{u^2}{g}\)sin2( 90°- θ)
या R = \(\frac{u^2}{g}\) sin (180° – 2θ) = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
या
R = R
अर्थात् प्रक्षेपण कोण θ हो या (90° – θ) हो; दोनों स्थितियों में परास का मान समान होगा लेकिन महत्तम ऊँचाई भिन्न होगी।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
यदि \(\vec{a}\) तथा \(\vec{b}\) एकांक सदिश हों तो सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
\(\sin \left(\frac{\theta}{2}\right)=\frac{1}{2}|(\vec{a}-\vec{b})\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
30 N तथा 40 N के दो बल एक ही बिन्दु पर परस्पर 60° के कोण पर कार्य कर रहे हैं। इन बलों का परिणामी बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
60.83 NJ

प्रश्न 3.
एक कण पर दो बल 5 N तथा 10 N एक साथ कार्यरत् हैं। उनके बीच का कोण 120° है। इन बलों का परिणामी बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
8.66 N

प्रश्न 4.
क्षैतिज से 30° के कोण पर कार्यरत एक बल का ऊर्ध्व घटक 200 N है। आरोपित बल का मान बताइये।
उत्तर:
400N

प्रश्न 5.
घास के रोलर के हत्थे को 50N के बल से खींचा जाता है। यदि हत्था क्षैतिज से 30° का कोण बनाए तो बल के क्षैतिज एवं ऊर्ध्व घटक बताइये।
उत्तर:
43.3 N; 25 N

प्रश्न 6.
किसी बिन्दु पर बल \(\vec{F}=(2 \hat{i}-3 \hat{j}+4 \hat{k})\) न्यूटन \(\vec{s} = (3 \hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k})\) मीटर है। इसके बल आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर:
\((17 \hat{i}-6 \hat{j}-13 \hat{k})\)N-m

प्रश्न 7,
यदि वेक्टर \(\vec{A}=(2 \hat{i}+2 \hat{j}-2 \hat{k})\) और \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}= \hat{i}-5 \hat{j}+2 \hat{k}\) हों, तो \(\vec{A} \times \vec{B}\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(-6 \hat{i}-18 \hat{j}-24 \hat{k}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 8.
यदि \(\vec{A}=(2 \hat{i}+2 \hat{j}-2 \hat{k})\) तथा \(\vec{B}=-5 \hat{i}-5 \hat{j}+5 \hat{k}\) तो \(\vec{A} \times \vec{B}\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\((15 \hat{i}-20 \hat{j}-5 \hat{k}\)

प्रश्न 9.
एक मीनार से तीन गोलियाँ A, B व C क्रमश: 0.5 ms-1; 1ms-1 तथा 2ms-1 के क्षैतिज वेग से फेंकी जाती है। सबसे पहले कौन सी गोली पृथ्वी से टकरायेगी? कौन सी गोली मीनार के आधार पर सबसे अधिक दूर टकरायेगी?
उत्तर:
तीनों गोलियाँ एक साथ पृथ्वी से टकरायेंगी C गोली सबसे अधिक दूरी तय करेगी।

प्रश्न 10.
40m ऊँची मीनार की चोटी से एक गोला क्षैतिज में 20ms-1 के वेग से छोड़ा जाता है। यह कितने समय पश्चात् तथा मीनार से कितनी क्षैतिज दूरी पर पृथ्वी से टकरायेगा ? (g = 9.8ms-2)
उत्तर:
2.88 s; 57.14m

प्रश्न 11.
एक हवाई जहाज 1960 m की ऊंचाई पर 500/3 ms-1 के क्षैतिज वेग से उड़ रहा है। जब जहाज पृथ्वी के किसी स्थान 4 के ठीक ऊपर होता है, तो उससे एक बम छोड़ा जाता है जो पृथ्वी तल पर किसी बिन्दु Q पर टकराता है। बम की प्रक्षेपण बिन्दु से टकराने के बिन्दु तक की क्षैतिज दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
3.333km

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 12.
एक गेंद 30ms-1 के वेग से क्षैतिज से 60° का कोण बनाते हुए फेंकी जाती है। ज्ञात कीजिए
1. उड़ान का समय,
2. अधिकतम ऊँचाई,
3. परास,
4. पृथ्वी से टकराने पर गेंद के वेग का परिमाण व दिशा।
उत्तर:

  1.  5.2s,
  2. 33.75m,
  3. 78m,
  4. 30ms-1, क्षैतिज के साथ 60° नीचे की ओर

प्रश्न 13.
एक पुल से एक पत्थर क्षैतिज से नीचे की ओर 30° के कोण पर 20 ms-1 के वेग से फेंका जाता है। यदि पत्थर 2.0s में जल से टकराता है तो जल के तल से पुल की ऊँचाई क्या है? (g = 9:8 ms-2)
उत्तर:
39.6m

प्रश्न 14.
0.1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 1.0m लम्बी डोरी के एक सिरे पर बाँधकर \(\frac{10}{\pi}\) चक्कर प्रति सेकण्ड की दर से एक क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
40N

प्रश्न 15.
एक डोरी के सिरे पर बँधी हुई 1kg द्रव्यमान की एक वस्तु 0.1m त्रिज्या के क्षैतिज वृत्त में 3 चक्कर प्रति सेकण्ड के वेग से घुमायी जा रही है। गुरुत्व का प्रभाव नंगण्य मानकर
1. वस्तु का रेखीय वेग,
2. अभिकेन्द्रीय त्वरण
3. डोरी में तनाव का परिकलन कीजिए।
4. यदि डोरी टृट जाये तो क्या होगा?
उत्तर:

  1. 1.88 ms-1
  2. 35.34ms-2
  3. 35.34N
  4. यदि डोरी टूट जाती है तो डोरी टूटने पर तनाव समाप्त हो जायेगा, फलस्वरूप वस्तु स्पर्श रेखा की दिशा में गति करने लगेगी।

प्रश्न 16.
0.10kg द्रव्यमान का पिण्ड 1.0m व्यास के वृत्तीय पथ पर 31.4s में 10 चक्कर की दर से घूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले
उत्तर:
0.2N

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 1
की अभिक्रिया की कोटि तथा अणुसंख्यता क्रमशः है-
(अ) 1, 3
(ब) 1, 2
(स) 2, 1
(द) 2, 2
उत्तर:
(ब) 1, 2

2. प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु 100 सेकण्ड है तो इसका वेग स्थिरांक होगा-
(अ) 6.93 × 10-3s
(ब) 6.93 × 10-2s
(स) 0.693 s
(द) 6.93 s
उत्तर:
(अ) 6.93 × 10-3s

3. अभिक्रिया x + y → उत्पाद के लिए अभिक्रिया का वेग = k[x]a [y]b है तो अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) b
(ब) a
(स) a + b
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(स) a + b

4. x तथा y के मध्य अभिक्रिया का वेग 100 गुना हो जाता है जब x की सांद्रता 10 गुना बढ़ा देते हैं तो X ‘संदर्भ में अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 10
(ब) 2
(स) 4
(द) 1
उत्तर:
(ब) 2

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

5. प्रथम कोटि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई है-
(अ) सेकंड2
(ब) मोल लीटर-1 सेकंड-1
(स) सेकंड-1
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(स) सेकंड-1

6. अभिक्रिया के वेग की इकाई है-
(अ) मोल लीटर-1
(ब) मोल सेकंड-1
(स) मोल लीटर-1 सेकंड-1
(द) मोल लीटर-1 सेकंड
उत्तर:
(स) मोल लीटर-1 सेकंड-1

7. उत्प्रेरक की उपस्थिति में किसी अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा-
(अ) बढ़ जाती है।
(ब) कम हो जाती है।
(स) स्थिर रहती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ब) कम हो जाती है।

8. किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है?
(अ) सांद्रता
(ब) अभिक्रिया का ताप
(स) दाब
(द) माध्यम की प्रकृति
उत्तर:
(ब) अभिक्रिया का ताप

9. प्रथम कोटि की अभिक्रिया की अर्धायु निर्भर करती है-
(अ) क्रियाकारकों की सांद्रता पर
(ब) उत्पादों की सांद्रता पर
(स) वेग स्थिरांक पर
(द) उत्प्रेरक पर
उत्तर:
(स) वेग स्थिरांक पर

10. शून्य कोटि अभिक्रिया का उदाहरण है-
(अ) H2 + I2 → 2HI
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 2
(स) एस्टर का क्षारीय जल अपघटन
(द) \(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_{4(\mathrm{~g})}+\mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})} \rightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_{6(\mathrm{~g})}\)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 3

11. किसी अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं करता तो उस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
(अ) 1
(ब) शून्य
(स) 2
(द) 3
उत्तर:
(ब) शून्य

12. किसी शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य है ?
(अ) वेग = k
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 4
(स) k का मात्रक = सेकण्ड-1
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) वेग = k

13. अभिक्रिया A + B = 2C के लिए A के लुप्त होने का वेग 10-2 मोल लीटर-1 सेकंड-1 है तो C के बनने का वेग क्या होगा-
(अ) 1.5 × 10-2 मोल लीटर10-1 सेकंड10-1
(ब) 0.5 × 10-2 मोल-1 लीटर सेकंड
(स) 1 × 10-2 मोल लीटर सेकंड
(द) 2.0 × 10-2 मोल लीटर सेकंड ।
उत्तर:
(द) 2.0 × 10-2 मोल लीटर सेकंड ।

14. \({ }_6 \mathrm{C}^{14}\) की अर्धायु 5760 वर्ष है। \({ }_6 \mathrm{C}^{14}\) का 100 mg का नमूना कितने वर्ष के बाद 25 mg रह जाएगा ?
(अ) 1440 वर्ष
(ब) 23040 वर्ष
(स) 11520 वर्ष
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) 11520 वर्ष

15. किसी रासायनिक अभिक्रिया के लिए देहली ऊर्जा होती है-
(अ) सक्रियण ऊर्जा – अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा
(ब) सक्रियण ऊर्जा + अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा
(स) सक्रियण ऊर्जा के बराबर
(द) अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा के बराबर.
उत्तर:
(ब) सक्रियण ऊर्जा + अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा

16. अभिकारक अणुओं को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा होती है-
(अ) गतिज ऊर्जा
(ब) स्थितिज ऊर्जा
(स) सक्रियण ऊर्जा
(द) गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
उत्तर:
(स) सक्रियण ऊर्जा

17. अभिक्रिया 2A + B → 3C + D के लिए, निम्नलिखित में से कौनसा व्यंजक, अभिक्रिया के वेग को नहीं दर्शाता ?
(अ) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{A})}{2 \mathrm{dt}}\)
(ब) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{B})}{\mathrm{dt}}\)
(स) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{C})}{\mathrm{dt}}\)
(द) \(+\frac{\mathrm{d}(\mathrm{D})}{\mathrm{dt}}\)
उत्तर:
(स) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{C})}{\mathrm{dt}}\)

18. किसी अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को प्रभावित करने वाला कारक
(अ) ताप
(स) सांद्रता
(ब) टक्कर आवृत्ति
(द) ताप
उत्तर:
(द) ताप

19. किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की ताप पर निर्भरता को निम्नलिखित में से किस समीकरण से दिया जाता है?
(अ) In k = In A – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(ब) In A = In k – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(स) In k = A\(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(द) In A = RT In Ea – In k
उत्तर:
(अ) In k = In A – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)

20. शून्य कोटि अभिक्रिया का आलेख है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 5
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 6

21. किसी अभिक्रिया में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता दुगुनी करने पर उस अभिक्रिया की अर्धआयु भी पहले की तुलना में दुगुनी हो जाती है तो इस अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 3
(ब) 2
(स) शून्य
(द) 1
उत्तर:
(स) शून्य

22. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 7 यह ग्राफ किस कोटि की अभिक्रिया को दर्शाता है?
(अ) प्रथम
(ब) शून्य
(स) द्वितीय
(द) तृतीय
उत्तर:
(अ) प्रथम

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

23. रेडियोएक्टिव विघुटन की अभिक्रिया की कोटि कितनी होती है?
(अ) शून्य
(ब) 1
(स) 2
(द) 3
उत्तर:
(ब) 1

24. शून्य कोटि अभिक्रिया के पूर्ण होने में लगा समय है-
(अ) [R]o/k
(ब) 2k/[R]o
(स) [R]ok
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) [R]o/k

25. अभिक्रिया A + 2B → उत्पाद के लिए अवकलन दर समीकरण है-
(अ) \(-\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(ब) \(\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(स) \(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(द) \(\frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
उत्तर:
(स) \(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)

26. अभिकर्मक की प्रारम्भिक सान्द्रता को दोगुना करने पर इसकी t1/2 आधी हो जाती है। इस अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) प्रथम कोटि
(ब) शून्य कोटि
(स) द्वितीय कोटि
(द) तृतीय कोटि
उत्तर:
(स) द्वितीय कोटि

27. यदि a तथा t1/2 क्रमशः अभिक्रियकों की प्रारम्भिक सान्द्रता तथा शून्य कोटि की अभिक्रिया की अर्द्ध आयु हो तो निम्नलिखित में से सही सम्बन्ध है?
(अ) t1/2 ∝ \(\frac { 1 }{ a }\)
(ब) t1/2 ∝ a
(स) t1/2 ∝ \(\frac{1}{a^2}\)
(द) t1/2 ∝ a2
उत्तर:
(ब) t1/2 ∝ a

28. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के (t2/3) ज्ञात कीजिए। दिया है k = 5.48 × 10-14 सेकण्ड |
(अ) 2.00 × 1013 सेकण्ड
(ब) 2.00 × 1013 सेकण्ड
(स) 200 × 1020 सेकण्ड
(द) 0.200 × 1010 सेकण्ड
उत्तर:
(अ) 2.00 × 1013 सेकण्ड

29. 2A + B → उत्पाद (P) अभिक्रिया गति नियम दिया है। \(\frac { dp }{ dt }\) = k[A][B] जब [B] >> [A], तो इस परिस्थिति में अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 0
(ब) 1
(स) 2
(द) 1.5
उत्तर:
(ब) 1

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
शर्करा के क्रिस्टल की तुलना में शर्करा का पाउडर जल में जल्दी घुल जाता है। क्यों?
उत्तर:
पाठडर अवस्था में शर्करा का पृष्ठ क्षेत्रफल क्रिस्टल की तुलना में अधिक होता है अतः यह जल में जल्दी घुल जाता है।

प्रश्न 2.
N2O5 के विघटन की अभिक्रिया की कोटि बताइए।
उत्तर:
N2O5 का विघटन प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

प्रश्न 3.
किसी अभिक्रिया का औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग कब समान होता है?
उत्तर:
जब समय अन्तराल △t बहुत ही कम (शून्य के नजदीक) हो तब अभिक्रिया का औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग समान होगा।

प्रश्न 4.
किसी अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग की इकाई समान है तो इस अभिक्रिया की कोटि कितनी होगी?
उत्तर:
यह शून्य कोटि की अभिक्रिया है क्योकि इसके लिए-
वेग = k

प्रश्न 5.
किस प्रकार की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती?
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक (k) की इकाई sec-1 होती है अतः यह सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
अभिक्रिया के वेग स्थिरांक को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक अभिकारकों की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर करता है।

प्रश्न 7.
शून्य कोटि अभिक्रिया में अभिकारकों की सान्द्रता को तीन गुना करने पर इसके वेग पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
अभिक्रिया का वेग अपरिवर्तित रहेगा क्योंकि शून्य कोटि अभिक्रिया का वेग सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 8.
अभिक्रिया 2NO +O2 की आप्विकता तथा कोटि कितनी है?
उत्तर:
इस अभिक्रिया की कोटि तथा आण्विकता दोनों ही 3 हैं।

प्रश्न 9.
अभिक्रिया की कोटि तथा आण्विकता में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
अभिक्रिया की आण्विकता हमेशा पूर्णांक होती है जबकि कोटि का पूर्णांक होना आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 10.
कोई द्विअणुक अभिक्रिया किस स्थिति में प्रथम कोटि की होगी?
उत्तर:
द्विअणुक अभिक्रिया में किसी एक अभिकारक को आधिक्य में लेने पर अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी क्योंकि अभिक्रिया का वेग इस अभिकारक की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करेगा।

प्रश्न 11.
अवकल वेग समीकरण क्या होता है?
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के लिए सांद्रता पर आधारित समीकरण को अवकल वेग समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 12.
किसी अभिक्रिया का वेग निधाँक पद कौनसा होता है?
उत्तर:
जटिल अभिक्रियाओं में सबसे धीमा पद वेग निर्धारक पद होता है क्योंकि इससे अभिक्रिया का वेग निर्धारित किया जाता है।

प्रश्न 13.
किसी रेडियोएक्टिव विघटन अभिक्रिया की कोटि कितनी होती है?
उत्तर:
रेडियोएक्टिव विघटन अभिक्रिया हमेशा प्रथम कोटि की होती हैं।

प्रश्न 14.
प्रथम कोष्टि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक बताइए।
उत्तर:
समय-1 (सेकण्ड-1 या मिनट-1)

प्रश्न 15.
शून्य कोटि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का सूत्र बताइए।
उत्तर:
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
\(\mathrm{k}=\frac{[\mathrm{R}]_0-[\mathrm{R}]}{\mathrm{t}}\)

प्रश्न 16.
गैसीय अभिक्रिया A → B + C के लिए वेग नियतांक का सूत्र बताइए।
उत्तर:
\(k=\frac{2.303}{t} \log \frac{P_i}{\left(2 P_i-P_t\right)}\)

प्रश्न 17.
शून्य कोटि अभिक्रिया की अर्धयु ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
\(\mathbf{t}_{\frac{1}{2}}=\frac{[\mathrm{R}]_0}{2 \mathrm{k}}\)

प्रश्न 18.
यदि किसी अभिक्रिया में अभिकारक के सभी अणुओं के मध्य प्रभावी टक्कर हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
अभिक्रिया तीक्र वेग से होगी तथा लगभग पूर्ण हो जाएगी।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 19.
देहली ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी अभिकारक की वह न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा जो उसे उत्पाद् में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक होती है, उसे देहली ऊर्जा कहते हैं।
देहली ऊर्जां = सामान्य अणु की ऊर्जा + सक्रियण ऊर्जा

प्रश्न 20.
किसी अभिक्रिया में टक्कर करने वाले अणुओं की पर्याप्त संख्या की ऊर्जा, देहली ऊर्जा से अधिक है फिर भी अभिक्रिया का वेग कम है, क्यों?
उत्तर:
अणुओं का अभिविन्यास सही नही होने के कारण अभिक्रिया का वेग कम है।

प्रश्न 21.
दो भिन्न-भिन्न अभिक्रियाएँ समान ताप पर करवाई जाती हैं तथा दोनों के लिए सक्रियण ऊर्जा भी समान है, तो क्या इन अभिक्रियाओं के वेग भी समान होंगे?
उत्तर:
इन अभिक्रियाओं के वेग समान नहीं हो सकते क्योंकि वेग नियतांक, पूर्व चरघातांकी गुणक (A) पर भी निर्भर करता है, जो कि भिन्नभिन्न अभिक्रियाओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 22.
प्रभावी टक्कर क्या होती है?
उत्तर:
वे टक्कर जिनके परिणामस्वरूप उत्पाद का निर्माण होता है, उन्हें प्रभावी टक्कर कहते है।

प्रश्न 23.
किसी अभिक्रिया के लिए t1/2 ∝ [R]0 है, तो इस अभिक्रिया की कोटि कितनी होगी?
उत्तर:
शून्य।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अभिक्रिया की कौटि तथा अणुसंख्यता (आणिवकता) में विभेद् कीजिए।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया की कोटि तथा अणुसंख्यता में निम्नलिखित विभेद है-

  • अभिक्रिया की कोटि प्रायोगिक राशि है जबकि आण्विक्ता एक सैद्धान्तिक राशि है।
  • कोटि, शून्य या भिन्नात्मक भी हो सकती है जबकि आण्विकता हमेशा पूर्णांक होती है।
  • कोटि से अभिक्रिया की क्रियाविधि ज्ञात होती है, आण्विकता से नहीं।
  • अभिक्रिया की कोटि प्राथमिक तथा जटिल दोनों प्रकार की अभिक्रियाओं के लिए लाग होती है लेकिन अभिक्रिया की आण्विकता केवल प्राथमिक अभिक्रियाओ के लिए ही लागू होती है। जटिल अभिक्रियाओं की आण्विकता का कोई अर्थ नहीं होता। जटिल अभिक्रियाओं में कोटि सबसे धीमे पद से दी जाती है तथा सामान्यतः सबसे मंद पद की आण्विकता तथा कोटि समान होती है।
  • कोटि ताप, दाब या अभिक्रिया की परिस्थिति पर निभर करती है लेकिन आण्विकता नहीं।
  • कोटि सान्द्रता से सम्बन्धित होती है जबकि आण्विकता अणुओं की संख्या से सम्बन्धित है।

प्रश्न 2.
तीन अभिक्रियाएँ जिनकी कोटि 1,2 तथा 3 हैं इनके लिए वेग स्थिरांकों का मान समान है तो सान्द्रता का मान 1M, से कम तथा 1M से अधिक होने पर इन अभिक्रियाओं के वेगों का क्रम क्या होगा?
उत्तर:
माना R → उत्पाद्
प्रथम कोटि के लिए, वेग (v1)=k[R]
द्वितीय कोटि के लिए, वेग (v2)=k[R]2
तृतीय कोटि के लिए, वेग (v3)=k[R]3
अतः [R] = 1 होने पर v1 = v2 = v3
जब [R] = 1 तो v1 > v2 > v3
तथा [R] > 1 होने पर v1 < v2 < v3

प्रश्न 3.
किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग में तीन अन्तर बताइए।
उत्तर:
वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग में निम्नलिखित अन्तर होते है-

  • वेग स्थिरांक वह वेग है जब सभी अभिकारकों की सान्द्रता इकाई हो लेकिन इकाई समय में किसी अभिकारक या उत्पाद् की सान्द्रता में होने वाला परिवर्तन अभिक्रिया वेग होता है।
  • वेग स्थिरांक अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता जबकि अभिक्रिया का वेग सान्द्रता के समानुपाती होता है।
  • वेग स्थिरांक का मात्रक अभिक्रिया की क्रोटि पर निर्भर करता है जबकि वेग का मात्रक mol L-1 s-1 है। अर्थात् यह निश्चित होता है।

प्रश्न 4.
अभिक्रिया – HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 8 में पात्र का आयतन प्रारम्भिक आयतन का \(\frac { 1 }{ 3 }\) करने पर अभिक्रिया वेग पर क्या प्रभाव होगा तथा आयतन में इस परिवर्तन से अभिक्रिया की कोटि में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
समीकरण के अनुसार,
अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग (v)= k [A]2 [B]
जब्न पात्र का आयतन प्रारम्भिक आयतन का \(\frac { 1 }{ 3 }\) कर द्यि जाता है तो A तथा B दोनों की सान्द्रता 3 गुना हो जाएगी। अतः इस स्थिति में अभिक्रिया का वेग
v1 = k [3A]2[3B]
v1 = 27k [A]2[B]
अतः अभिक्रिया का वेग प्रारम्भिक वेग की तुलना में 27 गुना हो जाएगा लेकिन अभिक्रिया की कोटि पर कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि कोटि सान्द्रता या आयतन पर निभर नहीं करती।

प्रश्न 5.
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु का सूत्र ज्ञात कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करती।
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 9
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अध्धायु का मान निश्चित होता है। अर्थात् यह अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
प्रथम कोटि की गैसीय अभिक्रिया A(g) → B(g) + C(g) के लिए वेग नियतांक के सूत्र \(k=\frac{2.303}{t} \log \frac{P_i}{\left(2 P_i-P t\right)}\) की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया का अर्ध आयु काल:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 11
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु का मान निश्चित होता है, अर्थात् यह अभिकारक की प्रारंभिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।
इसे निम्नलिखित ग्राफ द्वारा दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 12
अत: n वीं कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु (t1/2) का सूत्र निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 13
[R]0 = अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता
तथा किसी अभिक्रिया के लिए n अर्धायु के बाद बचा पदार्थ = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2^n}\)
प्रथम कोटि अभिक्रियाओं के उदाहरण-
(i) एथीन का हाइड्रोजनीकरण-
C2H4 (g) + H2 (g) → C2H4 (g)
वेग = k (C2H4) (इसमें H2 आधिक्य में होता है।)

(ii) नाभिकीय विखण्डन (प्राकृतिक या कृत्रिम) की सभी अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि की होती हैं जैसे
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 14

(iii) नाइट्स्सक्साइड का अपघटन-
2N2O → 2N2 + O2
वेग = k[N2O]
अभिक्रिया की क्रियाविधि

  • N2O → N2 + O (धीमा पद)
  • N2O → N2 + O2 (तेज पद)

(iv) गैसीय अभिक्रिया का अध्ययन विभिन्न समय पर अभिकारकों तथा उत्पादों के आंशिक दाब ज्ञात करके किया जाता है।
अभिक्रिया A(g) → B(g) + C(g)
उदाहरण-एजो आइसोप्रोपेन का विघटन
C6H14N2 → N2 + C6H14
अभिक्रिया के लिए वेग = k[A]
अतः यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

माना कि गैस A का प्रारंभिक दाब Pi तथा ‘t’ समय पर अभिक्रिया मिश्रण का कुल दाब Pt है तो इस अभिक्रिया हेतु समाकलित वेग समीकरण निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं-
कुल दाब Pt = PA + PB + PC
PA, PB तथा PC क्रमशः A, B तथा C के आंशिक दाब हैं।
माना t समय पर A के दाब में x atm की कमी होती है तो B तथा C प्रत्येक के दाब में x atm की वृद्धि होगी।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 15
यहाँ Pi = t = 0 समय पर A का प्रारंभिक दाब
Pt = (Pi – x) + x + x
Pt = Pi + x
x = Pt – Pi
t समय पर, PA = Pi – x
= Pi – (Pt – Pi)
या PA = 2Pi – Pt
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
[R]0 = Pi, [R] pt
अतः k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{p_i}{p_A}\)
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{p_i}{\left(2 p_i-p_t\right)}\)

प्रश्न 7.
उस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी जिसके 50% पूर्ण होने में 2 घण्टे तथा 75% पूर्ण होने में 4 घण्टे लगते हैं?
उत्तर:
इस अभिक्रिया के 50% पूर्ण होने में 2 घण्टे लग रहे हैं अर्थात् इस अभिक्रिया की अर्धायु 2 घण्टे है। इसमें 4 घण्टे (दो अर्धायु) के बाद 75% अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है अर्थात् 25% अभिकारक बच जाता है, जिसका तात्पर्य यह है कि इस अभिक्रिया की अध्धायु प्रारम्भिक सान्द्रता पर निभर नर्ही करती। अतः यह एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

प्रश्न 8.
(a) किसी जटिल अभिक्रिया के धीमे पद् की अणुसंख्यता ही सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता होती है। समझाइए।
(b) उच्य कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यत: नहीं होती, क्यों?
उत्तर:
(a) जटिल अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में सबसे धीमे पद को वेग निर्धारक पद माना जाता है। चूँक किसी अभिक्रिया के लिए अणुसंख्यता का मान सामान्यतया 3 से अधिक नहीं होता अतः धीमे पद में उपस्थित अणुओं से ही अभिक्रिया की अणुसंख्यता ज्ञात करते हैं, चाहे पूर्ण सन्तुलित समीकरण में अणुओ की संख्या अधिक हो।

(b) अभिक्रिया होते समय उन अणुओ के मध्य टक्कर होती है जो निश्चित दिशा में अभिविन्यासित होते हैं तथा जटिल अभिक्रियाओं में धीमे पद में जितने अणुओ की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, वही अभिक्रिया की कोटि होती है। टककर में सामान्यतः तीन से अधिक अणु भाग नहीं लेते अतः उच्च कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यतः नहीं होती।

प्रश्न 9.
अभिक्रिया – 2N2O → 2N2 + O2 का प्रायोगिक वेग समीकरण निम्नलिखित है-वेग =k[N2O], इस अभिक्रिया की क्रियाविधि बताइए।
उत्तर:
वेग समीकरण में N2O की सान्द्रता की घात एक है अतः वेग निर्धारक पद (धीमा पद) में N2O का एक अणु उपस्थित होना चाहिए इसलिए इस अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्नलिखित है-
N2O → N2 + O (धीमा पद)
N2O + O → N2 + O2 (तेज पद)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 10.
अभिक्रिया 2NO + Br2 → 2NOBr की क्रियाविधि निम्नलिखित है –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 10
तो इस अभिक्रिया का वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की क्रियाविधि के आधार पर धीमे पद से अभिक्रिया के वेग को ज्ञात किया जाता है अतः
वेग = k[NOBr2][NO] ….(1)
चूँकि NOBr2 अभिकारक नहीं है बल्कि माध्यमिक यौगिक है तथा प्रथम पद उत्क्रमणीय है अतः
साम्य स्थिरांक Kc = \(\frac{\left[\mathrm{NOBr}_2\right]}{[\mathrm{NO}]\left[\mathrm{Br}_2\right]}\) …(2)
या [NOBr2] = Kc [NO][Br2]
यह मान समीकरण (i) में रखने पर
वेग = k Kc [NO][Br2][NO]
वेग = k1 [NO]2[Br2]
यहाँ k1 = k . Kc
अतः अभिक्रिया का वेग समीकरण निम्न प्रकार होगा-
वेग = k1 [NO]2[Br2]

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
(a) निम्नलिखित पदों को स्पष्ट कीजिए-

  • अभिक्रिया की दर
  • अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा

(b) फॉस्फोन, PH3, का अपघटन निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है-
4PH3(g) → P4(g) + 6H2(g)
यह पाया जाता है कि अभिक्रिया निम्नलिखित दर समीकरण के अनुसार होती है-
दर = k [PH3].
120°C पर PH3 की अर्ध-आयु 37.9 s है।

(i) PH3 के 3/4 भाग के अपघटित होने के लिए कितना समय लगेगा?
(ii) 1 मिनट के पश्चात् PH3 के मूल प्रतिदर्श का कौनसा प्रभाज शेष रह जाएगा?
अथवा
(a) निम्न पदों को स्पष्ट कीजिए-

  • एक अभिक्रिया की कोटि
  • एक अभिक्रिया की आण्विकता

(b) तापमान 300 K से बढ़कर 320 K हो जाने पर एक अभिक्रिया की दर चार गुनी हो जाती है। अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा का परिकलन कीजिए, यह मानते हुए तापमान बदलने के साथ इसका मान परिवर्तित नहीं होता है। (R = 8.314 JK-1 mol-1)
उत्तर:
(a) (i) अभिक्रिया की दर-काई समय में कसी अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में जितना परिंवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की दर कहते हैं।
(ii) अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा-किसी अभिकारक को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा जो अभिकारक द्वारा ग्रहण करना आवश्यक है, उसे अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा कहते हैं।
(b) (i) अभिक्रिया 4PH3(g) → P4(g)(g) + 6H2(g) की दर = k[PH3] दी गई है अतः यह एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया है। इसके लिए
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
k = 0.693/t1/2
t1/2 = 37.9 s
अतः k = \(\frac { 0.693 }{ 37.9 }\) = 0.01828
k = 1.82 × 10-2 s-1
समाकलित वेग समीकरण
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t समय पर PH3 का 3/4 भाग अपघटित हो रहा है।
अतः t = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log\(\frac{[R]_0}{\frac{3}{4}[R]_0}\)
t = \(\frac{2.303}{1.82 \times 10^{-2}}\)log\(\frac { 4 }{ 3 }\)
t = 126.5 (log 4 – log 3)
t = 126.5 (0.6021 – 0.4771)
t = 126.5 × 0.125
t = 15.8 sec.

(ii) k = \(\frac { 2.303 }{ 37.9 }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
1.82 × 10-2 = \(\frac { 2.303 }{ 60 }\)log\(\frac{1}{[R]}\)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 16
अतः 1 मिनट (60 sec) के बाद पदार्थ का बचा अंश = 0.335 अर्थात् 33.5%
अथवा
(a) (i) अभिक्रिया की कोटि:
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अभिकारकों की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, अतः किसी अभिक्रिया के प्रायोगिक वेग समीकरण (वेग नियम व्यंजक) में अभिकारकों की सान्द्रता के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाता है।
अथवा
किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं की संख्या, जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
अभिक्रिया aA + bB → उत्पाद के लिए
वेग = k [A]x[B]y
अतः अभिक्रिया की कोटि (n) = x + y
इस अभिक्रिया में अभिकारक A के प्रति अभिक्रिया की कोटि x है एवं अभिकारक B के प्रति अभिक्रिया की कोटि y है। अभिक्रिया की कोटि शून्य, एक, दो, तीन अथवा भिन्नात्मक भी हो सकती है। किसी अभिक्रिया की कोटि शून्य होने का अर्थ है कि उस अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता के शून्य घात के समानुपाती होता है अर्थात् अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।

किसी रासायनिक अभिक्रिया के संतुलित समीकरण द्वारा अभिक्रिया की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं होती। कुछ अभिक्रियाएँ एक पद में तथा कुछ अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। लेकिन एक पद में होने वाली अभिक्रियाएँ बहुत कम होती हैं। वे अभिक्रियाएँ जो एक पद में होती हैं, उन्हें प्राथमिक अभिक्रियाएँ (Elementary reactions) तथा एक से अधिक पदों में होने वाली अभिक्रियाओं को जटिल अभिक्रियाएँ (Complex reactions) कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में कुछ पद धीमे तथा कुछ पद तेज होते हैं, लेकिन धीमा पद अभिक्रिया का गति निर्धारक पद होता है जिससे अभिक्रिया का वेग लिखा जाता है।
जटिल अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • क्रमागत अभिक्रियाएँ
  • विपरीत अभिक्रियाएँ तथा
  • पाश्र्व अभिक्रियाएँ।

एथेन का CO2 तथा H2O में ऑक्सीकरण क्रमागत अभिक्रिया तथा फीनॉल का नाइट्रीकरण पार्श्व अभिक्रिया का उदाहरण है।

(ii) अभिक्रिया की आण्विकता:
प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन ) की संख्या जो कि एक साथ टक्कर करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती हैं, उसे अभिक्रिया की आण्विकता कहते हैं।
उदाहरण – NH4NO2 → N2 + 2H2O (एक अणुक अभिक्रिया)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 18
तीन से अधिक अणुओं की उचित विन्यास के साथ एक साथ टक्कर होकर अभिक्रिया होने की सम्भावना बहुत ही कम होती है अतः अणुसंख्यता सामान्यतः तीन से अधिक नहीं होती है।
सरल अभिक्रियाओं की आण्विकता, संतुलित रासायनिक समीकरण में उपस्थित अभिकारक अणुओं की संख्या के बराबर होती है। उदाहरण-
H2 + I2 → 2HI (द्विअणुक अभिक्रिया)
जटिल अभिक्रियाएँ जिनमें तीन से अधिक अभिकारक अणु उपस्थित होते हैं, सामान्यतया एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। जैसे-
KCIO3 + 6 FeSO4 + 3H2SO4 → KCI + 3Fe2 (SO4)3 + 3H2O

यह अभिक्रिया द्वितीय कोटि की है। इन जटिल अभिक्रियाओं की कोटि क्रियाविधि से ज्ञात होती है जिसमें धीमा पद गति निर्धारक पद होता है। अतः इनके लिए सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता का कोई महत्त्व नहीं होता है, केवल गति निर्धारक पद की अणुसंख्यता देखी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 17

प्रश्न 2.
अभिक्रिया कोटि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की कोटि:
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अभिकारकों की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, अतः किसी अभिक्रिया के प्रायोगिक वेग समीकरण (वेग नियम व्यंजक) में अभिकारकों की सान्द्रता के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाता है।
अथवा
किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं की संख्या, जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
अभिक्रिया aA + bB → उत्पाद के लिए
वेग = k [A]x[B]y
अतः अभिक्रिया की कोटि (n) = x + y
इस अभिक्रिया में अभिकारक A के प्रति अभिक्रिया की कोटि x है एवं अभिकारक B के प्रति अभिक्रिया की कोटि y है। अभिक्रिया की कोटि शून्य, एक, दो, तीन अथवा भिन्नात्मक भी हो सकती है। किसी अभिक्रिया की कोटि शून्य होने का अर्थ है कि उस अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता के शून्य घात के समानुपाती होता है अर्थात् अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।

किसी रासायनिक अभिक्रिया के संतुलित समीकरण द्वारा अभिक्रिया की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं होती। कुछ अभिक्रियाएँ एक पद में तथा कुछ अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। लेकिन एक पद में होने वाली अभिक्रियाएँ बहुत कम होती हैं। वे अभिक्रियाएँ जो एक पद में होती हैं, उन्हें प्राथमिक अभिक्रियाएँ (Elementary reactions) तथा एक से अधिक पदों में होने वाली अभिक्रियाओं को जटिल अभिक्रियाएँ (Complex reactions) कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में कुछ पद धीमे तथा कुछ पद तेज होते हैं, लेकिन धीमा पद अभिक्रिया का गति निर्धारक पद होता है जिससे अभिक्रिया का वेग लिखा जाता है।

जटिल अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • क्रमागत अभिक्रियाएँ
  • विपरीत अभिक्रियाएँ तथा
  • पाश्र्व अभिक्रियाएँ।

एथेन का CO2 तथा H2O में ऑक्सीकरण क्रमागत अभिक्रिया तथा फीनॉल का नाइट्रीकरण पार्श्व अभिक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 3.
आप एक अभिक्रिया के दर नियम (वेग व्यंजक) और दर स्थिरांक (वेंग स्थिरांक) से क्या समझते हैं? दर स्थिरांक के निम्नलिखित मात्रकों से अभिक्रिया की कोटि की पहचान कीजिए-
(i) L-1 mol s-1
(ii) L mol-1 s-1
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के वेग को अभिकारकों की सांद्रता के पदों में व्यक्त करना ही वेग नियम कहलाता है। अतः वेग नियम वह व्यंजक होता है जिसमें किसी अभिक्रिया के वेग को अभिकारकों की मोलर सांद्रता के पद पर कोई घातांक लगाकर व्यक्त किया जाता है। यह किसी संतुलित रासायनिक समीकरण में अभिकर्मकों के स्टॉइकियोमीट्री गुणांक के समान या भिन्न होता है।
वेग नियम को वेग समीकरण या वेग व्यजंक भी कहते हैं।
उदाहरण : अभिक्रिया-
a A + bB → cC + dD के लिए
अभिक्रिया का वेग ∝[A]x [B]y
x तथा y, a व b के समान भी हो सकते हैं अथवा भिन्न भी हो सकते हैं तथा x व y का मान प्रयोग द्वारा ज्ञात किया जाता है, अतः इसे प्रायोगिक वेग समीकरण कहते हैं।
या वेग = k[A]x [B]y
\(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{R}]}{\mathrm{dt}}\) = k[A]x [B]y
इसे अवकल वेग समीकरण कहते हैं।
यहाँ k = समानुपाती स्थिरांक जिसे वेग स्थिरांक या वेग नियतांक भी कहते हैं। अतः वेग नियम अभिक्रिया के वेग तथा अभिकारकों की सान्द्रता में सम्बन्ध दर्शाता है।
(i) शून्य कोटि
(ii) द्वितीय कोटि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.
दिए गए ताप पर 2.4 × 10-3 s-1 के दर स्थिरांक के साथ HCO2H का ऊष्मीय विघटन एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया होता है। परिकलन कीजिए HCO2H की एक आरम्भिक मात्रा को इसके तीन-चौथाई तक विघटन में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t समय पर प्रारम्भिक मात्रा का तीन-चौथाई विघटन हो रहा है, अतः \(\frac { 1 }{ 4 }\) भाग बचेगा
t = \(\frac{2.303}{2.4 \times 10^{-3}}\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{\frac{1}{4}[\mathrm{R}]_0}\)
t = 0.9595 × 103 (log 4)
t = 0.9595 × 103 × 0.6021
t = 577.7 sec.

प्रश्न 5.
एक अभिक्रिया एक अभिकारक के सन्दर्भ में द्वितीय कोटि की है। यदि इस अभिकारक की सान्द्रता (i) दुगुनी कर दी जाए (ii) आधी कर दी जाए, तो दर (वेग) कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
वेग = k [R]2
(i) अभिकारक की सान्द्रता दुगुनी करने पर,
वेग = k [2R]2
वेग = 4k [R]2
अतः दर पहले की तुलना में 4 गुना हो जाएगी।
(ii) अभिकारक की सान्द्रता आधी करने पर,
वेग = \(\mathrm{k}\left[\frac{\mathrm{R}}{2}\right]^2\)
वेग = \(\frac{\mathrm{k}}{4}[\mathrm{R}]^2\)
अतः दर पहले की एक-चौथाई रह जाएगी।

प्रश्न 6.
(अ) रासायनिक अभिक्रिया में 10°C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दुगुनी वृद्धि हो जाती है। नामांकित वितरण वक्र से समझाइए।
(ब) ताप 350 K से 400 K परिवर्तित करने पर प्रथम कोटि अभिक्रिया का वेग स्थिरांक चार गुना बढ़ जाता है। सक्रियण ऊर्जा की गणना यह मानकर कीजिए कि यह ताप के साथ परिवर्तित नहीं होती है।
(R=8.314 जूल केल्विन-1 मोल-1, log 4=0.6021)
अथवा
(अ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग अधिक हो जाता है। इस कथन को अभिक्रिया निर्देशांक व ऊर्जा में वक्र बनाकर समझाइए।
(ब) एक अभिक्रिया के लिए क्रियाकारकों की प्रारम्भिक सान्द्रता 0.4 M तथा वेग स्थिरांक 2.5 × 10-4 मोल लीटर-1 से.-1 हैं। अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(अ) किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने पर Ea से अधिक ऊर्जायुक्त संघट्ट करने वाले अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। चित्र से स्पष्ट है कि वक्र मेंt +10 तापमान पर सक्रियण ऊर्जा या इससे अधिक ऊर्जायुक्त अणुओं को दर्शाने वाला क्षेत्रफल लगभग दो गुना हो जाता है अतः अभिक्रिया वेग भी दो गुना हो जाता है।
आर्रेनिसस समीकरण में कारक \(\mathrm{e}^{-\mathrm{E}_a / \mathrm{RT}}, \mathrm{E}_{\mathrm{a}}\) से अधिक गतिज ऊर्जा वाले अणुओं की भिन्न के संगत होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 19
(ब) log\(\frac{k_2}{k_1}\) = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{2.303 \mathrm{R}}\left[\frac{\mathrm{T}_2-\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_1 \mathrm{~T}_2}\right]\)
प्रश्नानुसार,
\(\frac{\mathrm{k}_2}{\mathrm{k}_1}\) = 4, T1 = 350K, T2 = 400 K, R = 8.314 जूल केल्विन-1 मोल-1
मान रखने पर,
log 4 = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{2.303 \times 8.314}\left[\frac{400-350}{350 \times 400}\right]\)
0.6021 = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{19.1471}\left[\frac{50}{140000}\right]\)
Ea = \(\frac{0.6021 \times 19.1471 \times 140000}{50}\)
Ea = 32279.71 J mol-1
अथवा
उत्तर:
(अ) उत्प्रेरक अभिक्रिया को वैकल्पिक पथ प्रदान करता है जिससे सक्रियण ऊर्जा कम हो जाती है अतः यह ऊर्जा अवरोध में कमी करके अभिक्रिया को सम्पन्न करता है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है। इसे निम्नलिखित वक्र से समझाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 20
(ब) यह शून्य कोटि अभिक्रिया है क्योंकि इसमें प्रारम्भिक सान्द्रता दी गई है। अतः इसके लिए
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 21

प्रश्न 7.
एथिल ऐसीटेट के जल अपघटन का उदाहरण लेकर छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसकी कोटि एक हो तथा आण्विकता एक से अधिक हो उसे छद्म प्रथम कोटि अभिक्रिया कहते हैं। इस प्रकार की अभिक्रिया में दो अभिकारकों में से एक अभिकारक आधिक्य में होता है जिसकी सान्द्रता में परिवर्तन बहुत कम होता है अतः इसको नगण्य मानते हैं।
उदाहरण: एस्टर का अम्लीय माध्यम में जल अपघटन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 22

प्रश्न 8.
शून्य कोटि एवं प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के लिए वेग स्थिरांक की इकाइयाँ लिखिए।
उत्तर:
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई = mol L-1S-1
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई =S-1

प्रश्न 9.
अभिक्रिया की अर्धायु किसे कहते हैं? प्रथम कोटि अभिक्रिया के वेग समीकरण से अर्धायु ज्ञात करने का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की अर्धायु-किसी अभिक्रिया में जितने समय में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता आधी रह जाती है, उसे अभिक्रिया की अर्धायु कहते हैं।
प्रथम कोटि अभिक्रिया का अवकल वेग समीकरण-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
[R]0 = प्रारम्भिक सान्द्रता, [R] = t समय पर सान्द्रता,
t = समय तथा k = वेग नियतांक
अर्धायु t1/2 पर, [R] = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}\)
ये मान उपर्युक्त समीकरण में रखने पर,
k = \(\frac{2.303}{\mathrm{t}^{\frac{1}{2}}} \log \frac{\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]_0}}{2}\)
या t1/2 = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log2
= \(\frac { 2.303 }{ k }\)log2
= \(\frac { 2.303 }{ k }\) × 0.3010
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)

प्रश्न 10.
(a) अभिक्रिया A + B → P के लिए वेग नियम v = \(\mathbf{k}[\mathbf{A}]^{\frac{1}{2}}[\mathrm{~B}]^2\) से दिया जाता है। इस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
(b) एक प्रथम कोटि अभिक्रिया का वेग नियतांक k = 5.5 × 10-14s-1 से दिया जाता है । इस अभिक्रिया की अर्धआयु कीजिए ।
उत्तर:
(a) अभिक्रिया की कोटि = \(\frac { 1 }{ 2 }\)+2 = 2\(\frac { 1 }{ 2 }\) या 2.5
(b) प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए-
अर्धआयु (t\(\frac { 1 }{ 2 }\)) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
t\(\frac { 1 }{ 2 }\) = \(\frac{0.693}{5.5 \times 10^{-14}}\)
t\(\frac { 1 }{ 2 }\) = 1.26 × 1013s

प्रश्न 11.
स्थिर आयतन पर SO2Cl2 के प्रथम कोटि के तापीय विघटन के दौरान निम्नलिखित आँकड़े प्राप्त हुए-
SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl2(g)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 23
वेग नियतांक परिकलित कीजिए।
( दिया गया है – log 4 = 0.6021)
उत्तर:
अभिक्रिया SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl2(g)
अभिक्रिया Ag → B(g) + C(g) के समतुल्य है
अतः इसके लिए-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{P_i}{\left(2 P_i-P_t\right)}\)
यहाँ Pi = 0.4 atm, Pt = 0.7 atm तथा t = 100 s
k = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log\(\frac{0.4}{(2 \times 0.4-0.7)}\)
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log\(\frac { 0.4 }{ 0.1 }\)
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log4
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) × 0.6021
k = 0.01386 = 1.38 × 10-2 s-1

प्रश्न 12.
एक रासायनिक अभिक्रिया, R → P के लिए, समय (t) के प्रति सान्द्रता (R) में परिवर्तन को निम्नलिखित ग्राफ में दर्शाया गया है –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 24
(i) इस अभिक्रिया की कोटि बताइए ।
(ii) ग्राफ की प्रवणता ( ढलान ) क्या होगी ?
उत्तर:
(i) यह एक शून्य कोटि अभिक्रिया है ।
(ii) इस ग्राफ का ढाल = – k = –\(-\left[\frac{[\mathrm{R}]_0-[\mathrm{R}]}{\mathrm{t}}\right]\)
यदि [R]0 = a तथा [R] = a – x तो k = \(-\frac{x}{t}\)

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं की कोटि बताइए-
(अ) कृत्रिम नाभिकीय क्षय
(ब) उच्च दाब पर गैसीय अमोनिया का तप्त Pt सतह पर वियोजन
(स) एथीन का हाइड्रोजनन
(द) N2O5 का अपघटन ।
उत्तर:
(अ) कृत्रिम नाभिकीय क्षय प्रथम कोटि अभिक्रिया होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 25
(ब) उच्च दाब पर गैसीय अमोनिया का तप्त Pt सतह पर वियोजन शून्य कोटि अभिक्रिया होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 26
वेग = k [NH3]

(स) एथीन का हाइड्रोजनन (हाइड्रोजनीकरण) एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।
C2H4(g) + H2(g) → C2H6(g)
वेग = K [C2H4]

(द) N2O5 का अपघटन एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।
2N2O5 → 4NO2 + O2
वेग = k[N2O5]

प्रश्न 14.
किसी अभिक्रिया की अर्धायु क्या है? प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण से यह पुष्टि कीजिए कि इस अभिक्रिया की अर्धायु अभिक्रियकों की प्रारम्भिक सान्द्रताओं पर निर्भर नहीं होती।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता का आधा जितने समय में उत्पाद में बदल जाता है उसे अभिक्रिया की अर्धायु कहते हैं।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\);
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) पर [R] = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}\)
R का यह मान रखने पर,
k = \(\frac{2.303}{\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}} \frac{[\mathrm{R}]_0}{\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}}\)
या \(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log 2
= \(\frac { 2.303 }{ t }\) × 0.3010 (log 2 = 0.3010)
या \(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु निश्चित होती है, अर्थात् यह अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं होती।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 15.
किसी अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई सेकण्ड-1 है। अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
उत्तर:
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।

प्रश्न 16.
अभिक्रिया 2A + B → उत्पाद हेतु अवकलन वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अभिक्रिया 2A + B → उत्पाद के लिए अवकलन वेग समीकरण निम्न प्रकार होगा-
\(-\frac{\mathrm{d}[\mathrm{R}]}{\mathrm{dt}}\) = K[A]2[B]

प्रश्न 17.
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु काल 10 sec
उत्तर:
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु काल
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\) यहाँ k = वेग स्थिरांक
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = 10 sec.
अतः वेग स्थिरांक k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\)
k = \(\frac { 0.693 }{ 10 sec. }\) = 0.0693 sec-1

प्रश्न 18.
जलीय विलयन में मेथिल ऐसीटेट के जल- अपघटन से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 27
(i) जल की सान्द्रता स्थिर रखते हुए प्रदर्शित कीजिए कि यह छद्म (स्यूडो) प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
(ii) समयांतराल 30 से 60 सेकण्ड के बीच अभिक्रिया की औसत दर का परिकलन कीजिए।
अथवा
(a) एक अभिक्रिया A + B → P के लिए दर दिया गया है। दर = k [A]2 [B]

  • यदि A की सान्द्रता दुगुनी कर दी जाए, तो अभिक्रिया की दर कैसे प्रभावित होती है ?
  • यदि B बड़ी मात्रा में उपस्थित हो, तो अभिक्रिया की सम्पूर्ण कोटि क्या है?

(b) एक अभिक्रिया 50% पूर्ण होने में 23.1 मिनट लेती है और अभिक्रिया प्रथम कोटि की है। इस अभिक्रिया को 75% पूर्ण होने में कितना समय लगेगा, उसका परिकलन कीजिए। ( दिया गया है – log 2 = 0.301, log 3 = 0.4771, log 4 = 0.6021)
उत्तर:
(i) जल की सान्द्रता स्थिर है अतः यह छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया है। प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक है-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
उपर्युक्त आँकड़ों से सूत्र द्वारा k का मान 30 S तथा 60 S पर ज्ञात करते हैं तो समान आता है जो कि 2.310 × 10-2 s-1 है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि यह एक छद्म प्रथम कोटि अभिक्रिया है।

(ii) अभिक्रिया की औसत दर (rav) = \(-\frac{\Delta[\mathrm{R}]}{\Delta \mathrm{t}}\)=\(\frac{\mathrm{C}_2-\mathrm{C}_1}{\Delta \mathrm{t}}\)
= \(-\frac{0.15-0.30}{60-30}\) = \(-\frac{(-0.15)}{30}\)
= 0.005
= 5 × 10-3 mol L-1
अथवा
(a) अभिक्रिया की दर = k [A]2 [B]

(i) जब A की सान्द्रता दुगुनी की जाती है तो उपरोक्त समीकरण के अनुसार
दर = k [24]2 [B]
दर = 4k [A]2 [B]
अतः अभिक्रिया की दर 4 गुना हो जाती है।
(ii) जब B बड़ी मात्रा में उपस्थित हो तो अभिक्रिया की दर इस पर निर्भर नहीं करेगी इसलिए अभिक्रिया की सम्पूर्ण कोटि 2 + 0 = 2 होगी।

(b) प्रथम कोटि अभिक्रिया के 50% पूर्ण होने में लगा समय अर्थात्
अर्धायु
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
या k = \(\frac{0.693}{t_{\frac{1}{2}}}\) \(\frac{0.693}{23.1 \mathrm{~min}}\)
= 0.03 = 3 × 10-2 min-1
अतः अभिक्रिया के 75% पूर्ण {[R] = 0.25} होने में लगा समय-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{\left[\mathrm{R}_0\right]}{[\mathrm{R}]}\)
t = \(\frac{2.303}{3 \times 10^{-2}}\)log\(\frac{1}{0.25}\) = \(\frac{2.303}{0.03}\)log 4
t = \(\frac { 2.303 }{ 0.03 }\)(0.6021) = 46.2 मिनट

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की मुख्य अभिक्रिया है-
(अ) इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(ब) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(द) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
उत्तर:
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया

2. कार्बोनिल समूह के कार्बन पर कौनसा संकरण होता है?
(अ) sp
(ब) sp²
(स) sp³
(द) sp³d
उत्तर:
(ब) sp²

3. निम्नलिखित में से किस यौगिक में कैनिजारो अभिक्रिया नहीं होती ?
(अ) C6H5CHO
(ब) HCHO
(स) CCl3CHO
(द) CH3 – CHO
उत्तर:
(द) CH3 – CHO

4. ऐल्किल सायनाइड के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 2

5. निम्नलिखित में से किसके द्वारा ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है?
(अ) NaHCO3
(ब) HCN
(स) फेलिंग विलयन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) फेलिंग विलयन

6. सोडियम प्रोपेनॉएट (CH3-CH2-COONa) को सोडालाइम (NaOH + CaO) के साथ गर्म करने पर बना उत्पाद है-
(अ) ऐसीटोन
(स) ऐथेन
(ब) मेथेन
(द) एथीन
उत्तर:
(स) ऐथेन

7. यौगिक X फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया करता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता तो यौगिक X होगा-
(अ) ऐमाइड
(ब) कीटोन
(स) ऐल्डिहाइड
(द) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) कीटोन

8. यौगिक जो ऐल्डोल संघनन नहीं देता, वह है-
(अ) CH3CHO
(ब) CH3 – COCH3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 3
(द) HCHO
उत्तर:
(द) HCHO

9. टॉलेन अभिकर्मक निम्नलिखित में से किस धातु आयन का NH3 के साथ संकुल है?
(अ) Cu2+
(ब) Cu+1
(स) Ag+
(द) Co2+
उत्तर:
(स) Ag+

10. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन के क्षारीय विलयन के साथ गर्म करने पर पीला अवक्षेप देता है?
(अ) मेथेनैल
(ब) प्रोपेनोन
(स) प्रोपेनैल
(द) ब्यूटेनैल
उत्तर:
(ब) प्रोपेनोन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

11. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रबल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) CH3COOH
(स) CH3 – CH2-COOH
(द) Cl – CH2 – COOH
उत्तर:
(द) Cl – CH2 – COOH

12. ऐसीटिक अम्ल से ऐसीटिल क्लोराइड बनाने में निम्नलिखित में से किस अभिकर्मक को प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ?
(अ) PCl5
(ब) PCl3
(स) SOCl2
(द) Cl2
उत्तर:
(द) Cl2

13. निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में उत्पाद D है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 4
(अ) CH3 – CH2NH2
(ब) CH3CN
(स) HCONH2
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5

14. निम्नलिखित में से सिन्नेमैल्डिहाइड का सूत्र कौनसा है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 7

15. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 8 का IUPAC नाम है-
(अ) साइक्लोहेक्सेनैल
(ब) साइक्लोहेक्सेन ऐल्डिहाइड
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड

16. प्रोपाइन (CH3C ≡ CH) के जलयोजन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 9
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 10

17. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 11 से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 13

18. ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से ………………
(अ) कम होते हैं
(स) समान होते हैं
(ब) अधिक होते हैं
(द) तुलना करना असंभव है
उत्तर:
(ब) अधिक होते हैं

19. कीटोनों की क्लीमेन्सन अपचयन अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक होते हैं-
(अ) ऐल्कोहॉल
(ब) ऐल्केन
(स) कार्बोक्सिलिक अम्ल
(द) ऐल्काइन
उत्तर:
(ब) ऐल्केन

20. फेलिंग परीक्षण में प्राप्त लाल अवक्षेप निम्नलिखित में से किस यौगिक के बनने के कारण आता है ?
(अ) Ag2O
(ब) CuO
(स) Cu2O
(द) Cu(OH)2
उत्तर:
(ब) CuO

21. एथिल ब्यूटेनोएट के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 14
उत्तर:
(स) CH3 – CH2-CH2-COOH

22. निम्नलिखित में से सबसे दुर्बल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) C2H5-CH2-COOH
(स) CH3COOH
(द) CH3 – CH2-COOH
उत्तर:
(ब) C2H5-CH2-COOH

23. नाइलॉन 66 के निर्माण में किस यौगिक का प्रयोग होता है?
(अ) ब्यूटेन डाइओइक अम्ल
(ब) प्रोपेनोइक अम्ल
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल
(द) बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

24. बेन्जोइक अम्ल द्वारा निम्नलिखित में से कौनसी अभिक्रिया नहीं दर्शायी जाती?
(अ) नाइट्रीकरण
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया
(स) हैलोजेनीकरण
(द) सल्फोनीकरण
उत्तर:
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया

25. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 15 का उत्पाद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 16
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 17

26. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है?
(अ) CH3COOH
(ब) CH3COCH3
(स) HCOOH
(द) C6H5COOH
उत्तर:
(स) HCOOH

27. एथेनैल निम्नलिखित में से कौनसा परीक्षण नहीं देता है?
(अ) टॉलेन परीक्षण
(ब) फेलिंग परीक्षण
(स) लुकाश परीक्षण
(द) आयोडोफॉर्म परीक्षण
उत्तर:
(स) लुकाश परीक्षण

28. प्रोपेनाइक अम्ल की श्मिट अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH3 – NH2
(ब) CH3CONH2
(स) CH3 – CH2 – NH2
(द) CH3 – CN
उत्तर:
(स) CH3 – CH2 – NH2

29. ऐसीटिलीकरण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त यौगिक कौनसा है ?
(अ) CH3CONH2
(ब) CH3COOH
(स) (CH3CO)2O
(द) CH3COOC2H5
उत्तर:
(स) (CH3CO)2O

30. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 18 है-
(अ) श्मिट अभिक्रिया
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया
(स) राइमर टीमान अभिक्रिया
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया

31. एक हाइड्रोकार्बन के ओजोनी अपघटन पर एक मोल एसीटोन तथा एक मोल फॉर्मेल्डिहाइड बनता है तो वह हाइड्रोकार्बन है-
(अ) प्रोपीन
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन
(द) 2 – मेथिल – ब्यूट- 1 – ईन
(स) 2 – मेथिल – ब्यूट – 2 – ईन
उत्तर:
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन

32. कीटोन किस विधि द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं ?
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन द्वारा
(ब) इटार्ड अभिक्रिया द्वारा
(स) कैनिजारो अभिक्रिया द्वारा
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा
उत्तर:
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा

33. जब प्रोपेनोइक अम्ल की क्रिया जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ करवाई जाती है तो CO2 गैस निष्कासित होती है। CO2 का कार्बन कहाँ से आता है?
(अ) मेथिल समूह से
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह से
(स) मेथिलीन समूह से
(द) बाईकार्बोनेट से
उत्तर:
(द) बाईकार्बोनेट से

34. सोडियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में एथिल ऐसीटेट के दो मोल के स्वः संघनन से प्राप्त होता है-
(अ) एथिल ब्यूटरेट
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर
(स) मेथिल ऐसीटोऐसीटेट
(द) एथिल प्रोपिओनेट
उत्तर:
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर

35. निम्नलिखित अभिक्रिया का अन्तिम उत्पाद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 19
उत्तर:
(स) CH2 = CHOOOH

36. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप देगा ?
(अ) ICH2COCH2CH3
(ब) CH3COOCOCH3
(स) CH3-CH2-CH(OH)CH2CH3
(द) CH3COOH
उत्तर:
(अ) ICH2COCH2CH3

37. निम्नलिखित में से किस यौगिक के ओजोनीकरण पश्चात् जल-अपघटन से ऐसीटोन प्राप्त होगा ?
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन
(ब) 3 – मेथिल- 1- ब्यूटीन
(स) साइक्लोपेन्टेन
(द) 2-मेथिल- 1- ब्यूटीन
उत्तर:
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन

38. निम्नलिखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीयता पर विचार करें-
(i) Ph-COOH
(ii) 0-NO2C6H4COOH
(iii) p-NO2C6H4COOH
(iv) m-NO2C6H4COOH
निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम (अवरोही) सही है ?
(अ) (i), (ii), (iii), (iv)
(ब) (ii), (iv), (iii), (i)
(स) (ii), (iv), (i), (iii)
(द) (ii), (iii), (iv), (i)
उत्तर:
(द) (ii), (iii), (iv), (i)

39. CH3CHO और C6H5CH2CHO में किसके द्वारा अन्तर जा सकता है ?
(अ) बेनेडिक्ट विलयन द्वारा
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(द) फेहलिंग विलयन द्वारा
उत्तर:
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा

40. निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया द्वारा बेन्जेल्डिहाइड नहीं बन सकता है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 20
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 21

41. यौगिक जो जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन द्वारा अभिक्रिया कर CO2 नहीं देता है, वह है-
(अ) बेन्जोइक अम्ल
(ब) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल
(स) सेलिसिलिक अम्ल
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)
उत्तर:
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)

42. यौगिक HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 22 का IUPAC नाम है-
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड
(ब) 3 – फॉर्मिल – 1, 5- पेन्टेनडाईअल
(स) 3- प्रोपेन- 1, 2, 3 – ट्राई अल
(द) 3 – ऐल्डो -1, 5- पेन्टेनडाईअल
उत्तर:
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड

43. बेन्जेल्डिहाइड एवं फॉर्मेल्डिहाइड के मिश्रण की अभिक्रिया सान्द्र तथा गर्म NaOH से करवाने पर प्राप्त उत्पाद हैं-
(अ) C6H5COONa + CH3OH
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa
(स) C6H5COONa + C6H5CH2OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 23
उत्तर:
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa

44. निम्नलिखित में उत्पाद C होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 24
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 25

45. हेल – फोलार्ड – जेलिंस्की अभिक्रिया में 2- मेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल एक यौगिक (A) देता है। यह यौगिक (A) है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 26
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 27

46. निम्नलिखित यौगिकों की अम्ल-सामर्थ्य का अवरोही क्रम है-
(अ) RCOOH > CH = CH > HOH > ROH
(ब) RCOOH > ROH > HOH > CH = CH
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH
(द) RCOOH > HOH > CH = CH > ROH
उत्तर:
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 28
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29

प्रश्न 2.
कार्बोक्सिलिक अम्लों से बेन्जेल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29a

प्रश्न 3.
ब्यूट – 2 – आइन के जलयोजन से कौनसा यौगिक बनता है?
उत्तर:
ब्यूटेन – 2 ऑन।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29b

प्रश्न 4.
रोजेनमुंड अभिक्रिया से कौनसा ऐल्डिहाइड प्राप्त नहीं होता?
उत्तर:
HCHO फार्मेल्डिहाइड।

प्रश्न 5.
स्टीफैन अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 30

प्रश्न 6.
किसी ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से CH3COCH3 तथा CH3CHO प्राप्त होते हैं तो उस ऐल्कीन की संरचना बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 31

प्रश्न 7.
ईटाई अभिक्रिया द्वारा टॉलुईन से बेन्जेल्डिहाइड किस प्रकार बनाया जाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 32

प्रश्न 8.
फार्मेल्डिहाइड की सान्द्र KOH से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 33
इसे कैनिजारो अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 9.
एक यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ करता है लेकिन फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता, यह यौगिक होगा?
उत्तर:
यह यौगिक कोई कीटोन जैसे ऐसीटोन होगा।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 10.
पाँच कार्बन युक्त द्विशाखित ऐल्डिहाइड बताइए जो कैनिजारो अभिक्रिया देता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 34

प्रश्न 11.
एथेनोइक अम्ल से प्रोपेनोन प्राप्त करने का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35

प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों की HCN के साथ क्रिया के लिए क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम लिखिए-
C6H5CHO, CCl3,CHO, CH3CHO
उत्तर:
C6H5CHO < CH3CHO < CCl3CHO

प्रश्न 13.
वह कौनसा ऐल्डिहाइड जिसकी क्रिया सोडियम हाइपो आयोडाइट (NaOI ) के साथ करवाने पर आयोडोफॉर्म बनता है?
उत्तर:
CH3CHO (ऐसिटैल्डिहाइड)।

प्रश्न 14.
ऐसिटेल्डिहाइड से क्रोटोन ऐल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 36

प्रश्न 15.
क्या होगा जब HCHO को कुछ दिन तक बेरायटा जल [Ba(OH)2] के सम्पर्क में रखा जाता है?
उत्तर:
HCHO को कुछ दिन तक Ba(OH)2 के सम्पर्क में रखने पर हेक्सोस शर्कराओं का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे फार्मेस कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 37

प्रश्न 16.
निम्न यौगिकों के क्वथनांक का आरोही क्रम बताइए-
n-ब्यूटेन (I) मेथॉक्सीमेथेन (II), ऐसीटोन (III) प्रोपेनैन (IV), तथा प्रोपेन- 1 ऑल (V)
उत्तर:
I < II < III < IV < V

प्रश्न 17.
CH3CHO की NH3 के साथ क्रिया का अन्तिम उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
CH3CHO की NH के साथ क्रिया कराने पर अन्तिम उत्पाद के रूप में 2, 4, 6 ट्राइमेथिल हेक्साहाइड्रो-1, 3, 5 ट्राइऐजीन ट्राइहाइड्रेट बनता है।

प्रश्न 18.
Br, CI. CN NO2 तथा CF3 समूह के -1 प्रभाव का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
Br < CI < CN < NO, < CF3

प्रश्न 19.
प्रोपेनोइक अम्ल की थायोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
CH3 – CH2 – COOH + SOCl2 → CH3 – CH2-COCl+SO2+HCl

प्रश्न 20.
ऐसीटिक अम्ल, क्लोरो ऐसीटिक अम्ल, डाइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल तथा ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल के अम्लीय सामर्थ्य का घटता क्रम क्या होगा ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 38

प्रश्न 21.
सेब, नींबू तथा इमली में पाए जाने वाले अम्लों के सूचना सूत्र, सामान्य नाम तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
सेब में मैलिक अम्ल
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 39

प्रश्न 22.
निम्नलिखित अम्लों के सूत्र लिखिए-
(i) स्टियरिक अम्ल
(ii) ऑलिक अम्ल।
उत्तर:
(i) C17H35COOH
(ii) C17H33COOH

प्रश्न 23.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को किन विधियों द्वारा नहीं बनाया जा सकता है?
उत्तर:
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को ऐल्कीनों के कार्बोनिलीकरण तथा आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाया जा सकता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 24.
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल जल में विलेय होते हैं, क्यों?
उत्तर:
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल के साथ अंतराअणुक हाइड्रोजन बंध बना लेते हैं, अतः ये जल में विलेय होते हैं।

प्रश्न 25.
ऐसीटिक अम्ल से मैलोनिक अम्ल बनाने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 40

प्रश्न 26.
सिरके का संघटन बताइए।
उत्तर:
ऐसीटिक अम्ल का तनु जलीय विलयन (8-10%) सिरका कहलाता है।

प्रश्न 27.
बेन्जोइक अम्ल की जल में विलेयता ऐसीटिक अम्ल की तुलना में कम होती है, क्यों?
उत्तर:
बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) में फेनिल (हाइड्रोकार्बन) समूह के बड़े आकार के कारण इसकी जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति कम होती है, अतः यह ऐसीटिक अम्ल की तुलना में जल में कम विलेय होता है।

प्रश्न 28.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल में विभेद करने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर:
फार्मिक अम्ल टॉलेन अभिकर्मक के साथ रजत दर्पण देता है जबकि ऐसीटिक अम्ल ऐसा नहीं करता है ।

प्रश्न 29.
सक्रिय हाइड्रोजन युक्त यौगिकों के ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसिटिल क्लोराइड की तुलना में ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त ह है, क्यों?
उत्तर:
ऐसिटिक ऐन्हाइड्राइड की तुलना में ऐसिटिल क्लोराइड अधिक क्रियाशील होता है। अतः अभिक्रिया का वेग अधिक होता है जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है अतः ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त होता है।

प्रश्न 30.
ऐसीटिक अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3COCl < CH3COOCH5 < (CH3CO)2O < CH3CONH2

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोनिल यौगिकों के सन्दर्भ में निम्नलिखित के उदाहरण दीजिए—
(i) मध्यावयवता
(ii) स्थिति समावयवता।
उत्तर:
(i) मध्यावयवता – यह समावयवता बहुसंयोजी समूह युक्त यौगिक कीटोन में होती है जिसमें > C = O से जुड़े ऐल्किल समूहों में भिन्नता होती है।
उदाहरण- पेन्टेन – 2 ऑन तथा पेन्टेन 3-ऑन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 41

(ii) स्थिति समावयवता भी कीटोन में ही होती है। उपरोक्त उदाहरण स्थिति समावयवता का भी है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 42
प्रश्न 2.
टॉलुइन से बेन्जेल्डिहाइड बनाने की विभिन्न विधियाँ बताइए।
उत्तर:
टॉलुइन के पार्श्व शृंखला क्लोरीनीकरण-जल अपघटन द्वारा (By the Side Chain Chlorination-Hydrolysis of Soluene)-सूर्य के प्रकाश में टॉलुईन की क्रिया क्लोरीन से कराने पर पहले बेन्जल क्लोराइड बनता है जिसके जल अपघटन से बेन्जैल्डिहाइड प्राप्त होता है। बेन्जैल्डिहाइड बनाने की यह एक औद्योगिक विधि है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 43

प्रश्न 3.
(i) रोजेनमुंड अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए। (ii) ऑक्सो अभिक्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसिल क्लोराइडों के अपचयन द्वारा – रोजेनमुंड अपचयन (By the Reduction of Acyl Chlorides – Rosenmund Reduction) – Pd तथा BaSO की उपस्थिति में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 44
नोट – (i) इस अभिक्रिया में प्रयुक्त BaSO Pd की उत्प्रेरकं क्षमता को कम कर देता है जिससे ऐल्डिहाइड का पुनः अपचयन होकर प्राथमिक ऐल्कोहॉल नहीं बनता है ।
(ii) इस अभिक्रिया से HCHO नहीं बनाया जा सकता क्योंकि HC-CI अस्थायी होता है।

(ii) ऑक्सो अभिक्रिया द्वारा (हाइड्रोफार्मिलीकरण) (By Oxo Reaction (Hydroformylation) ] – कोबाल्ट उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्कीन की क्रिया कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन के मिश्रण के साथ करवाने पर ऐल्डिहाइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 45
इस अभिक्रिया में कोबाल्ट के स्थान पर [Co2(CO)2] को भी प्रयुक्त किया जा सकता है तथा इस अभिक्रिया में द्विबन्ध का वियोजन होकर हाइड्रोजन तथा फार्मिल समूह का योग होता है अतः इसे हाइड्रोफार्मिलीकरण भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन का फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसिटिलीकरण
(ii) गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण
(iii) गाटरमान ऐल्डिहाइड संश्लेषण।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 46

प्रश्न 5.
कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं, क्यों?
उत्तर:
कार्बोनिल यौगिकों में प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से बना ऐल्कॉक्साइड आयन, इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से बने कार्बोकेटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है। इसी कारण कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 6.
बेन्जेल्डिहाइड तथा ऐसिटैल्डिहाइड में किस प्रकार विभेद किया जाता है?
उत्तर:
(i) बेन्जेल्डिहाइड (C6H5CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता जबकि ऐसिटैल्डिहाइड (CH3CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।

(ii) C6H5CHO फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता जबकि CH3CHO, फेलिंग विलयन को अपचयित कर देता है।

प्रश्न 7.
अणुसूत्र C4H8O वाला यौगिक हाइड्रेजीन के साथ क्रिया करके हाइड्रेजोन बनाता है तथा यह आयोडीन व NaOH के साथ क्रिया करके आयोडोफॉर्म बनाता है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन से कोई क्रिया नहीं होती तो इस यौगिक की संरचना तथा आवश्यक समीकरण बताइए।
उत्तर:
यौगिक हाइड्रेजीन से क्रिया करता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती अतः यह कीटोन होगा तथा यह आयोडोफॉर्म बनाता है इसलिए यह ब्यूटेनोन (CH3COCH2-CH3) मेथिल कीटोन है जो कि अणुसूत्र से भी सिद्ध हो जाता है।

उपरोक्त अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 47

प्रश्न 8.
CH3CHO की NH3 के साथ अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परअम्लों से ऑक्सीकरण (बेयर विलिगर अभिक्रिया) परअम्लों द्वारा ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा कीटेन क्रमशः कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा एस्टर देते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 48

प्रश्न 9.
एथेनैल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं को समझाइए –
(i) C2H5NH2
(ii) फेनिल हाइड्रेजीन
(iii) सेमीकार्बेजाइड।
उत्तर:
(i) एथेनैल की C2H5NH2 के साथ क्रिया कराने पर एक शिफ क्षारक बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 49

प्रश्न 10.
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, लेकिन ऐल्कोहॉलों से कम, क्यों?
उत्तर:
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, क्योंकि ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण बल के कारण आण्विक संगुणन पाया जाता है। लेकिन इनके क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्कोहॉलों से कम होते हैं क्योंकि ऐल्कोहॉलों में अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जो कि इनमें नहीं होता ।

प्रश्न 11.
(a) कार्बोनिल यौगिकों में -हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं, क्यों?
(b) एथेनैल की एल्डोल संघनन अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(a) कार्बोनिल यौगिकों (ऐल्डिहाइड तथा कीटोन) में α-हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं क्योंकि कार्बोनिल समूह -I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव) दर्शाता है तथा हाइड्रोजन आयन (Hsup>+) के निकलने से प्राप्त संयुग्मी क्षार, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 50

(b) एथेनैल में α-हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं अतः तनु क्षार की उपस्थिति में इसके दो अणु क्रिया करके 3 -हाइड्रॉक्सी-ब्यूटैनैल बनाते हैं जिसे गर्म करने पर ब्यूट-2-ईनैल बनता है। इस अभिक्रिया को एल्डोल संघनन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 51

प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों का अम्लीय KMnO4 या अम्लीय K2Cr2O7 से ऑक्सीकरण करवाने पर प्राप्त
उत्पाद बताइए –
(i) CH3CHO
(ii) CH3COCH3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 52
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 53
अभिक्रिया (iii) में प्राप्त उत्पाद पोपाफ के नियम के अनुसार है।

प्रश्न 13.
पोपाफ का नियम क्या होता है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब किसी असममित कीटोन के ऑक्सीकरण से दो असमान कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं तो > C = 0 समूह छोटे ऐल्किल समूह की तरफ जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 54

प्रश्न 14.
कार्बोनिल यौगिकों की नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि-कार्बोनिल यौगिकों में कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 55 प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण धनावेशित (इलेक्ट्रॉन न्यून) कार्बन पर होता है इसी कारण इसे नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया कहते हैं। प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 56
प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से प्राप्त ऐल्कोक्साइड आयन इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से प्राप्त कार्बोकैटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है, अतः कार्बोनिल समूह पर प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण होता है। यह पद उत्क्रमणीय होता है।

नाभिकस्नेही, कार्बोनिल समूह के कार्बन पर उस दिशा से आक्रमण करता है जो कार्बोनिल कार्बन के sp² संकरित कक्षकों के तल के लम्बवत् होती है तथा इस क्रिया में कार्बन की संकरण अवस्था sp² से sp³ हो जाती है। इसके पश्चात् द्वितीय पद में इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण होकर योगोत्पाद बन जाता है।

प्रश्न 15.
नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता-इलेक्ट्रॉनिक तथा त्रिविम विन्यासी प्रभावों के कारण नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए ऐल्डिहाइड की क्रियाशीलता कीटोन से अधिक होती है क्योंकि ऐल्डिहाइडों में कार्बोनिल समूह के कार्बन से केवल एक ऐल्किल समूह जुड़ा होता है जबकि कीटोन में दो ऐल्किल समूह जुड़े होते हैं, जिनकी त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण कार्बोनिल कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण मुश्किल हो जाता है तथा इन ऐल्किल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण ये कार्बोनिल कार्बन के धनावेश को कम कर देते हैं जिसके कारण नाभिकस्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।

ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में ऐल्किल समूहों का आकार बढ़ने पर इनकी क्रियाशीलता कम होती जाती है, क्योंकि +I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा बढ़ती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 57

प्रश्न 16.
ऐसीटोन की HCN तथा NaHSO3 के साथ अभिक्रियाएँ बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसीटोन की HCN के साथ क्रिया से ऐसीटोन सायनोहाइड्रिन प्राप्त होता है। शुद्ध HCN के साथ यह अभिक्रिया धीमी गति से होती है; अतः यह अभिक्रिया क्षार की उपस्थिति में करवायी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 58
(ii) ऐसीटोन की NaHSO3 के साथ क्रिया से ऐसीटोन सोडियमहाइड्रोजन सल्फाइट (योगोत्पाद) बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 59

प्रश्न 17.
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि-क्षार से प्राप्त \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\), कार्बोनिल यौगिक के α-H (सक्रिय) से क्रिया करके जल तथा कार्बत्रणायन मध्यवर्ती बनाता है जिसमें अनुनाद होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 60
यह कार्ब ऋणायन (नाभिकस्नेही) कार्बोनिल यौगिक के दूसरे अणु से क्रिया करता है तथा जल से H+ को पुनः ग्रहण करके ऐल्डोल बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 61
मिश्र या क्रॉस ऐल्डोल संघनन-जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन या एक ऐल्डिहाइड व एक कीटेन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। जब दोनों कार्बोनिल यौगिकों में α- हाइड्रोजन होते हैं तो इस अभिक्रिया द्वारा चार उत्पादों का मिश्रण प्राप्त होता है।

उदाहरण-यौगिक A तथा यौगिक B के ऐल्डोल संघनन से चार उत्पाद निम्न प्रकार बनते हैं-
सरल ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(i) A पर A के संकलन से [A – A]
(ii) B पर B के संकलन से [B – B]

मिश्र ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(iii) A पर B के संकलन से [A – B]
(iv) B पर A के संकलन से [B – A]

यहाँ उत्पाद A – B तथा B – A के संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होंगे, जैसे-एथेनैल व प्रोपेनैल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 62
α-H युक्त यौगिक, α-H रहित यौगिक से क्रिया करके भी ऐल्डोल संघनन दर्शाता है।

प्रश्न 18.
पिनेकॉल अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 64

प्रश्न 19.
ऐसिटैल्डिहाइड के त्रिलकीकरण तथा चतुष्टयीकरण के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 65

प्रश्न 20.
ऐसीटोन से निम्नलिखित यौगिकों को किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
(i) मेसिटिल ऑक्साइड (ii) फोरोन (iii) मेसिटिलीन।
उत्तर”
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 66
(i) शुष्क HCl की उपस्थिति में ऐसीटेन को गरम करने पर मेसिटिल ऑक्साइड तथा फोरोन का मिश्रण प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 67
(ii) सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐसीटोन को गरम करने पर संघनन तृतीयकरण द्वारा समचक्रीय एरोमैटिक यौगिक मेसिटिलीन प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 68

प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं पर टिप्पणी लिखिए- (i) बेन्जोइन संघनन (ii) पर्किन अभिक्रिया।
उत्तर:
ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइडों की विशिष्ट अभिक्रियाएँ (Specific Reactions of Aromatic Aldehydes) –
(i) बेन्जॉइन संघनन-बेन्जैल्डिहाइड को जलीय ऐल्कोहॉली KCN के साथ गरम करने पर बेन्जोइन बनता है जो कि एक कीटोनिक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है। उत्पाद के नाम के आधार पर इस अभिक्रिया को बेन्जोइन संघनन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 69

(ii) पर्किन अभिक्रिया-बेन्जैल्डिहाइड को ऐसीटिक एन्हाइड्राइड तथा सोडियम एसीटेट के साथ गरम करने पर सिन्नेमिक अम्ल (α, ß – असंतृप्त अम्ल) प्राप्त होता है, इसे पर्किन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 70

प्रश्न 22.
क्लेजन संघनन तथा नोवेनैजेल अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्लेजन संघनन-न्यूनतम दो α-हाइड्रोजन परमाणु युक्त ऐल्डिहाइड या कीटोन की क्रिया तनु क्षार की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड के साथ कराने पर α, ß असंतृप्त ऐल्डिहाइड या कीटोन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को क्लेजन संघनन कहते हैं।

उदाहरण-बेन्जैल्डिहाइड तथा ऐसीटैल्डिहाइड की क्रिया से सिन्नेमैल्डिहाइड बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 71

नोवेनैजेल अभिक्रिया-पिरिडीन की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड की क्रिया मैलोनिक एस्टर के साथ कराने पर सिन्नैमिक अम्ल प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया में मैलोनिक एस्टर में उपस्थित सक्रिय मेथिलीन समूह के दो हाइड्रोजन परमाणु जल के रूप में बाहर निकलते हैं।

प्रश्न 23.
ऐसीटोन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) नाइट्र्स अम्ल
(ii) सोडामाइड।
उत्तर:
केवल कीटोनों की अभिक्रियाएँ (Reactions of only Ketones) – कुछ अभिक्रियाएँ केवल कीटोनों द्वारा ही दर्शायी जाती हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
(i) नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया-ऐसीटेन की क्रिया नाइट्रस अम्ल (HNO2) के साथ कराने पर ऑक्सिमीनोऐसीटोन तथा जल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 72

(ii) क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया一क्षार की उपस्थिति में ऐसीयेन तथा क्लोरोफॉर्म की क्रिया से क्लोरीटोन बनता है जो कि निद्राकारी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 73

(iii) सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 74

प्रश्न 24.
क्या होता है? जब-
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल की क्रिया क्लोरीन से करवाई जाती है।
(ii) सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया अक्रिय विलायक (CCl4) में ब्रोमीन से करवायी जाती है।
उत्तर:
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल, क्लोरीन से क्रिया करके मोनोक्लोरो एसीटिक अम्ल देता है। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 75

(ii) अक्रिय विलायक में सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया ब्रोमीन के साथ करवाने पर मेथिल ब्रोमाइड बनता है। इस अभिक्रिया को हुंस्डीकर अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 76

प्रश्न 25.
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह पाया जाता है, फिर भी ये कार्बोनिल समूह के गुण नहीं दर्शाते, क्यों?
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह (> C = O) पाया जाता है लेकिन इन यौगिकों में अनुनाद होता है जिससे कार्बोनिल समूह के कार्बन-ऑक्सीजन द्विबन्ध में एकल बन्ध के गुण आ जाते हैं अतः यह वास्तविक कार्बोनिल समूह नहीं रह पाता है इसी कारण ये यौगिक कार्बोनिल समूह के गुण जैसे ऑक्सिम बनाना इत्यादि नहीं दर्शाते।

अम्ल तथा इसके व्युत्पन्नों की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 77
Z = OH तो कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा Z = विभिन्न समूह होने पर ये अम्ल के व्युत्पन्न होंगे।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए आवश्यक समीकरण दीजिए-
(i) ऐसीटोफीनॉन से बेंजोइक अम्ल
(ii) प्रोपिओनिक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 78

प्रश्न 27.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में श्रृंखला तथा स्थिति समावयवता के उदाहरण बताइए ।
उत्तर:
(i) ब्यूटेनोइक अम्ल तथा 2 मेथिलप्रोपेनोइक अम्ल एक- दूसरे से श्रृंखला समावयवी हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 79

(ii) 2-मेथिल ब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3- मेथिल ब्यूटेनोइक अम्ल एक-दूसरे के स्थिति समावयवी हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 80

प्रश्न 28.
(i) वह सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल कौनसा है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है तथा क्यों ?
(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट के युग्म में कौनसी समावयवता पायी जाती है तथा क्यों?
उत्तर:
(i) 2 – मेथिलब्यूटेनोइक अम्ल एक सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है क्योंकि इसमें एक असममित कार्बन उपस्थित है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 81

(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट एक-दूसरे के क्रियात्मक समूह समावयवी हैं क्योंकि इनमें भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह उपस्थित हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 82

प्रश्न 29.
(i) ऐल्कीनो के कार्बोनिलीकरण से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने की एक अभिक्रिया लिखिए।
(ii) आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 83

(ii) आणर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया से (From Arndt Eistert Reaction)-ऐसिड हैलाइड की क्रिया डाइऐजोमेथेन से कराने पर प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं जिनमें ऐसिड हैलाइड की तुलना में एक कार्बन अधिक होता है। इस विधि को आण्ट्ट आइसटर्ट अभिक्रिया कहते हैं। इस विधि द्वारा न्यूनतम तीन कार्बन का अम्ल बनाया जा सकता है। अतः यह विधि HCOOH तथा CH3COOH बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 84
इस विधि के लिए आवश्यक ऐसिड हैलाइड, कार्बोक्सिलिक अम्लों से ही प्राप्त होता है अतः इस अभिक्रिया को एक सजातीय श्रेणी में आरोहण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 30.
एस्टरीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
एस्टरीकरण – सान्द्र H2SO4 या HCl गैस उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल के साथ करवाने पर संगत एस्टर बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 85

एस्टरीकरण की क्रियाविधि – कार्बोक्सिलिक अम्लों से एस्टर बनने की अभिक्रिया की व्याख्या निम्नलिखित क्रियाविधि की सहायता से की जा सकती है। समस्थानिक ऑक्सीजन \(\left(\begin{array}{l} 18 \\ \mathrm{O} \end{array}\right)\) युक्त यौगिकों के प्रयोग से यह सिद्ध हो गया है कि इस अभिक्रिया में बने जल में – OH समूह अम्ल से आता है न कि ऐल्कोहॉल से।

कार्बोक्सिलिक अम्लों की ऐल्कोहॉलों के साथ क्रिया द्वारा एस्टरों का बनना एक नाभिकस्नेही ऐसिल प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। इसमें पहले कार्बोंक्सिलिक अम्ल में उपस्थित कार्बोनल समूह की ऑक्सीजन का प्रोटेनीकरण (Protonation) होता है, जिससे कार्बोनिल समूह, ऐल्कोहॉल के नाभिकस्नेही योग के लिए सक्रिय हो जाता है।

इसके पश्चात् ऐल्कोहॉल के योग से बने मध्यवर्ती में प्रोटॉन का स्थानान्तरण -OH समूह को –\(\stackrel{+}{\mathrm{O}}\)H2 में परिवर्तित कर देता है जो कि एक आसानी से निकलने वाला समूह होने के कारण, जल के अणु के रूप में निकल जाता है तथा इंस प्रकार बना प्रोटॉनित एस्टर प्रोटॉन को त्यागकर एस्टर बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 86

प्रश्न 31.
बेन्जोइक अम्ल से निम्नलिखित यौगिक किस प्रकार बनाए जाते हैं?
(i) m नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(ii) m- ब्रोमो बेन्जोइक अम्ल।
उत्तर:
(i) बेन्जोइक अम्ल को सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO3 (नाइट्रीकारक मिश्रण) के साथ गरम करने पर II- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 87

(ii) FeBr3 की उपस्थिति में बेन्जोइक अम्ल की ब्रोमीन के साथ क्रिया करवाने पर m-ब्रोमोयेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 88

प्रश्न 32.
ऐसिल क्लोराइड तथा ऐसिड ऐन्हाइड्राइड के जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 89

प्रश्न 33.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों, कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं, क्यों?
उत्तर:
समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों की तुलना कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक उच्च होते हैं क्योंकि कार्बोक्सिलिक अम्लों में प्रबल अंतराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश अम्ल वाष्प अवस्था एवं ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 34.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्लीय गुणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल, क्षारों के साथ क्रिया करके लवण बनाते हैं जिससे इनके अम्लीय गुण की पुष्टि होती है। कार्बोंक्सिलिक
अम्लों के अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती हैकार्बोक्सिलिक अम्ल, (RCOOH) जल में आयनित होकर RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) (कार्बोक्सिलेट आयन) तथा H3 (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 89a

इस अभिक्रिया के लिएसाम्य स्थिरांक, Keq = \(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{O}\right][\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्ल वियोजन स्थिरांक Ka = Keq[H2O] = ]\(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{[\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्लों की सामर्थ्य को सामान्यतः Ka मान की अपेक्षा PKa के से दर्शाते हैं
pKa = – log Ka
किसी अम्ल का pKa मान जितना कम होता है वह उतना ही प्र अम्ल होता है।
अम्लों की प्रबलता को pKa मानों से निम्न प्रकार सम्बन्धित किया जा सकता है-

pKaअम्लीय प्रबलता
1 से कमप्रबल अम्ल
1 से 5मध्यम प्रबल अम्ल
5 से 15दुर्बल अम्ल
15 से अधिकअत्यधिक दुर्बल अम्ल

कुछ अम्लीय यौगिकों के pK मान निम्नलिखित हैं-

यौगिकpKमानयौगिकpKमान
KCl– 7.0CH3COOH4.76
CF3COOH0.23C6H5OH10
C6H5COOH4.19C2H5OH~  1.6

ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल (CF3COOH) के pKa मान से यह सिद्ध होता है कि यह प्रबलतम कार्बनिक अम्ल है। कार्बोक्सिलिक अम्ल, खनिज अम्लों से दुर्बल लेकिन ऐल्कोहॉलों तथा फीनॉलों से प्रबल होते हैं।

प्रश्न 35.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर विभिन्न प्रतिस्थापियों के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव – कार्बोक्सिलिक अम्लों के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन जितना अधिक स्थायी होता है साम्य उतना ही अग्र दिशा में विस्थापित होता है जिससे हाइड्रोजन आयन (H+) अधिक बनते हैं अतः अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।

कार्बोक्सिलिक अम्ल में उपस्थित प्रतिस्थापी कार्बोक्सिलेट आयन (संयुग्मी क्षारक) के स्थायित्व को प्रभावित करते हैं अतः इनसे इनके अम्लीय सामर्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।

इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह ( – I प्रभाव या EWG) कार्बोक्सिलेट आयन के स्थायित्व को बढ़ाते हैं क्योंकि ये साझित इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जिससे ऋणावेशित ऑक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अर्थात् ऋणावेश का विस्थानीकरण हो जाता है । अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता बढ़ जाती है।

विभिन्न समूहों के – I प्रभाव का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
C6H5 – < OCH3 < OH < I < Br < CI < F < CN < NO2 < CF3 (−I प्रभाव )

इसके विपरीत इलेक्ट्रॉन दाता समूह ( + I प्रभाव या EDG) के कारण कार्बोक्सिलेट आयन का स्थायित्व कम हो जाता है क्योंकि यह ऑक्सीजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व को बढ़ा देता है, जिससे इसकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता कम हो जाती है।

अतः निम्नलिखित अम्लों की अम्लीय प्रबलता का घटता क्रम निम्न प्रकार होता है-
(1) CF3COOH> CCl3COOH > CHCl2COOH > NO2CH2COOH > N≡C-CH2COOH > FCH2COOH > ClCH2COOH > BrCH2COOH > HCOOH > ClCH2CH2COOH > > C6H5COOH > C6H5CH2COOH > CH3COOH > CH3CH2COOH

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90
(+I प्रभाव कम हो रहा है, क्योंकि + I प्रभाव ऐल्किल समूह आकार के समानुपाती होता है। )

(3) अशाखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीय प्रबलता, शाखित अम्लों की तुलना में अधिक होती है क्योंकि शाखित ऐल्किल समूह का +I प्रभाव अधिक होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90a

(4) इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह, – COOH समूह अम्लीय प्रबलता उतनी ही कम होगी।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90b

(5) – I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90c

(6) कार्बोक्सिल समूह पर वाइनिल या फेनिल समूह जुड़े होने पर अम्ल की प्रबलता बढ़ जाती है क्योंकि इनमें कार्बोक्सिल समूह से जुड़े कार्बन पर sp² संकरण होता है जिससे कार्बन की विद्युतऋणता बढ़ जाती है तथा इनमें अनुनाद भी पाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90d

(7) ऐलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों के समान, ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों में भी इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है जबकि इलेक्ट्रॉनदाता समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में कमी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 91a

(8) बेन्जोइक अम्ल में ऑर्थोस्थिति पर कोई भी समूह (+I या -I प्रभाव दर्शाने वाला) उपस्थित होने पर अम्लीय गुण में वृद्धि होती है इसे ऑर्थोप्रभाव कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90e

(ii) धातुओं तथा क्षारों के साथ अभिक्रिया – ऐल्कोहॉलों के समान कार्बोक्सिलिक अम्ल भी सक्रिय धातुओं के साथ क्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस देते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 90f

फनॉल के समान, कार्बोक्सिलिक अम्ल भी क्षारों के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं, लेकिन NaHCO3 के साथ केवल कार्बोक्सिलिक अम्ल ही क्रिया करते हैं, फीनॉल नहीं । अतः इस अभिक्रिया द्वारा फीनॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल में विभेद किया जा सकता है।
R – COOH + 2NaOH → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2
2R COOH + Na2CO3 → 2R COONa + H2O + CO2
2R COOH + Ca(OH)2 → (RCOO)2 Ca + 2H2O
RCOOH + AgOH → RCOOAg + H2O
R – COOH + NaHCO3 → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2O + CO2

प्रश्न 36.
फार्मिक अम्ल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ दीजिए-
(i) सान्द्र H2SO4 (ii) जलीय Cl2
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 91

प्रश्न 37.
फ्लुओरीन की विद्युतॠणता, क्लोरीन की विद्युतॠणता से अधिक होती है फिर भी p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता p-फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर:
हैलोजन, +M तथा I दोनों प्रभाव दर्शाते हैं लेकिन फ्लुओरीन तथा कार्बन का परमाणु आकार लगभग समान होता है अतः p-फ्लुओरो बेन्जोइक अम्ल में +M प्रभाव p-क्लोरो बेन्जोइक अम्ल की तुलना में अधिक होता है । इसलिए इसमें – I प्रभाव कम प्रभावी रह जाता है इस कारण p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता, P- फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है।

प्रश्न 38.
अणु सूत्र C12H12 युक्त एक ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से दो भिन्न-भिन्न यौगिक प्राप्त होते हैं जिनमें से एक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता तो इस ऐल्कीन तथा उत्पादों के नाम एवं सूत्र बताइए ।
उत्तर:
ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से प्राप्त एक यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया नहीं करता अतः यह कीटोन होना चाहिए लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह मेथिल कीटोन होगा जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया करता है अतः यह एक ऐल्डिहाइड होगा चूंकि एल्कीन में छः कार्बन हैं। अतः एक यौगिक ऐसीटोन तथा दूसरा यौगिक प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड होंगा जो कि निम्नलिखित अभिक्रिया से भी स्पष्ट है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 92
ऐसीटोन (मेथिल कीटोन) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड नहीं।

प्रश्न 39.
(i) ऐसी दो विधियाँ बताइए जिनसे C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) ऐल्डिहाइडों के शोधन में सोडियम बाइसल्फाइट का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(i) क्लीमेन्सन अपचयन तथा वोल्फ किश्नर अपचयन द्वारा > C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।

(ii) ऐल्डिहाइड सोडियम बाइ सल्फाइट (NaHSO3) से क्रिया करते हैं लेकिन अन्य अशुद्धियाँ नहीं, अतः अशुद्ध ऐल्डिहाइड की NaHSO3 से क्रिया द्वारा प्राप्त श्वेत ठोस का जल अपघटन करके शुद्ध ऐल्डिहाइड प्राप्त कर लिया जाता है।

प्रश्न 40.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 93
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 94

प्रश्न 41.
बेन्जोइक अम्ल को ऐनिलीन में किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 95

प्रश्न 42.
(i) अपचायक के प्रयोग के बिना फॉर्मेल्डिहाइड से मेथेनॉल किस प्रकार बनाया जा सकता है?
(ii) फेलिंग विलयन में रोशेल लवण क्यों मिलाया जाता है?
उत्तर:
(i) फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO) की सान्द्र NaOH के साथ अभिक्रिया से केनिजारो अभिक्रिया होकर मेथेनॉल (CH3OH) तथा सोडियम फॉर्मेट बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त NaOH अपचायक नहीं है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 96

(ii) फेलिंग विलयन में क्षारीय माध्यम होता है तथा क्षारीय माध्यम में Cu2+ आयन Cu(OH)2 के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। अतः रोशेल लवण मिलाने पर Cu2+ तथा रोशेल लवण के मध्य संकुल बन जाता है। जिससे Cu2+ अवक्षेप के रूप में न रहकर विलयन में आ जाते हैं अन्यथा परीक्षण में बाधा उत्पन्न होगी।

प्रश्न 43.
(i) निम्नलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 97
(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिल ऐमीन के साथ क्रिया से बने दो समावयवियों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 98

(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ क्रिया से इसका ऑक्सिम बनता है जो कि दो ज्यामितीय समावयवी रूपों में पाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 99

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) निम्नलिखित नामधारिक अभिक्रियाओं (Name reactions) को रासायनिक समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) कैनिजारो की अभिक्रिया
(ii) हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया

(b) निम्नलिखित यौगिक युग्मों में भिन्नता की पहचान करने के लिए एक-एक रासायनिक परीक्षण दीजिए-
(i) प्रोपेनेल तथा प्रोपेनोन में
(ii) ऐसीटोफीनोन और बेन्जोफीनोन में
(iii) फीनॉल और बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित रूपांतरण आप कैसे करेंगे-
(i) एथेनॉल को 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनेल में
(ii) बेन्जैल्डिहाइड को बेन्जोफीनोन में

(b) एक ऑर्गोनिक (कार्बनिक) यौगिक A (आण्विक सूत्र C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से जल-अपघटित किया गया जिससे एक कार्बोक्सिलिक अम्ल B और एक ऐल्कोहॉल C उत्पादित हुआ। C के क्रोमिक अम्ल के साथ उपचयन (ऑक्सीकरण) से भी B प्राप्त होता है। C का निर्जलीकरण करने पर ब्यूट-1-ईन प्राप्त होता है। सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) फेलिंग अभिकर्मक से क्रिया-फेलिंग अभिकर्मक, फेलिंग विलयन A तथा फेलिंग विलयन B से मिलकर बना होता है।
फेलिंग विलयन A जलीय कॉपर सल्फेट (CuSO) का नीला तथा फेलिंग विलयन B सोडियम पोटैशियम टार्ट्रेट ( रोशेल लवण) का रंगहीन क्षारीय विलयन होता है। विलयन A तथा B को समान मात्रा में मिलाकर ऐल्डिहाइड के साथ गर्म करने पर क्युप्रस ऑक्साइड का लाल भूरा अवक्षेप बनता है।
R – CHO + 2Cu2+ + 5\(\overline{\mathrm{O}}\)H → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + Cu2O + 3H2O
एरोमैटिक ऐल्डिहाइड जैसे बेन्जेल्डिहाइड, फेलिंग अभिकर्मक में क्रिया नहीं करते हैं।
रोशेल लवण का सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 100 होता है, तथा इस अभिक्रिया में पहले गहरे नीले रंग का संकुल बनता है जिससे Cu2+ आयनों का अवक्षेप [Cu(OH)2] बनने के बजाय ये विलयन में आ जाते हैं। सकुल की संरचना निम्नलिखित है- HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 101 क्यूरिट आयन (गहरा नीला)

(ii) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 102
फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।

(b) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद – प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटोन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-

  • आयोडोफॉर्म परीक्षण – जलीय NaOH तथा I2 के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल में कोई क्रिया नहीं होती जबकि प्रोपेनोन द्वारा आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप आता है।
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 103
  • टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट) के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल रजत दर्पण देता है (रजत दर्पण परीक्षण) जबकि प्रोपेनोन में कोई क्रिया नहीं होती।
  • फेलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल से लाल अवक्षेप बनता है जबकि प्रोपेनोन से कोई अभिक्रिया नहीं होती।

(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्ज़ोफ़ीनॉन में विभेद – ऐसीटोफ़ीनॉन (CH3COC6H5) एक सेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 104यह परीक्षण नहीं देता।

(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्ज़ोइक अम्ल में विभेद-
(1) फ़ीनॉल NaHCO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस देता है।
C6H5COOH + NaHCO3 → C6H5COONa +CO2↑ + H2

(2) उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फ़ीनॉल बैंगनी (Violet) रंग देता है जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 105
(b) यौगिक A का अणुसूत्र तथा इसके जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बनने से ज्ञात होता है कि यह एक संतृप्त एस्टर है। ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ब्यूट-1-ईन प्राप्त होती है अतः ऐल्कोहॉल में सीधी श्रृंखला में चार कार्बन परमाणु हैं अतः कार्बोक्सिलिक अम्ल में भी चार कार्बन परमाणु ही होंगे। सन्निहित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 106

प्रश्न 2.
1-फेनिल पेन्टेन-1-ओन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 107

प्रश्न 3.
टॉलेन अभिकर्मक क्या होता है? इस अभिकर्मक की एक उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन को टॉलेन अभिकर्मक कहते हैं। इस अभिकर्मक से ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है। ऐल्डिहाइड इसके साथ क्रिया करके रजत दर्पण देते हैं लेकिन कीटोन नहीं।

प्रश्न 4.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं को प्रत्येक के लिए रासायनिक समीकरण देकर लिखिए-
(i) क्लीमेन्सन अभिक्रिया
(ii) कैनिज़ारो की अभिक्रिया

(b) वर्णन कीजिए कि निम्नलिखित रूपांतरण कैसे किए जाते हैं-
(i) साइक्लोहेक्सैनॉल का साइक्लोहेक्सेन-1-ओन में
(ii) एथिलबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में
(iii) ब्रोमोबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित नामों की अभिक्रियाओं को उदाहरण के साथ लिखिए-
(i) हेल-फोलार्ड-जेलिंस्की अभिक्रिया
(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन अभिक्रिया

(b) निम्न रूपांतरण कैसे किए जा सकते हैं-
(i) मेथिल सायनाइड का एथेनोइक अम्ल में
(ii) ब्यूटेन-1-ऑल का ब्यूटेनोइक अम्ल में
सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 108
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

(ii) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 109

(b)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 110
अथवा
(a) (i) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 111
फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।

(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रैजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा ऐल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 111
उपरोक्त अभिक्रिया में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (HO-CH2-CH2-O-CH2-OH) तथा KOH लेने पर इसे हुएंगमिनलॉन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 112

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 113

प्रश्न 5.
4-क्लोरोपेन्टेन 2-ओन की संरचना आरेखित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 113a

प्रश्न 6.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं के उदाहरण दीजिए-
(i) कैनिज़ारो की अभिक्रिया
(ii) क्लीमेन्सन अपचयन

(b) निम्नलिखित को आप कैसे प्राप्त करेंगे-
(i) एथेनैल से ब्यूट – 2 – इनैल
(ii) ब्यूटेनॉल से ब्यूटेनोइक अम्ल
(iii) एथिलबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल।
अथवा
(a) निम्नलिखित में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षणों को लिखिए-
(i) बेन्जोइक अम्ल और एथिल बेन्जोएट
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटोफीनोन

(b) निम्नलिखित में अभिकारक अथवा उत्पाद जो न लिखे गए हों उन्हें लिखकर प्रत्येक संश्लेषण को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 114
उत्तर:
(a) (i) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 115

(ii) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 116
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित का आई.यू. पी. ए. सी. (IUPAC ) नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 117
उत्तर:
पेन्ट – 2 – ईन – 1- ऐल।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 8.
(a) उपयुक्त रासायनिक समीकरण को लिखकर निम्नलिखित प्रत्येक रूपांतरण को पूर्ण कीजिए-
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल को ब्यूटेनॉइक अम्ल में
(ii) 4 – मेथिलऐ सीटोफीनोन को बेन्जीन-1, 4- डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल में

(b) एक ऑर्गेनिक (कार्बनिक यौगिक, जिसका आण्विक सूत्र C9H10O है, 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है, और कैनिजारो की अभिक्रिया देता है। तीव्र ऑक्सीकरण पर यह 1, 2 – बेन्जीनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल देता है । यौगिक की पहचान कीजिए।
अथवा
(a) निम्न के बीच अंतर करने के लिए रासायनिक जाँचों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल और प्रोपेनोन में
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटीफीनोन में

(b) अग्रलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्मों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(i) ऐसीट-ऐल्डिहाइड, ऐसीटोन, मेथिल टर्ट (तृतीयक) ब्यूटिल कीटोन (HCN के प्रति क्रियाशीलता)
(ii) बेन्जोइक अम्ल, 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल (अम्ल सामर्थ्य)
(iii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br) CH3COOH,
(CH3)2CH COOH (अम्ल सामर्थ्य)
उत्तर:
(a)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 118
(b) यह कार्बनिक यौगिक 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है। अतः यह कार्बोनिल यौगिक (ऐल्डिहाइड या कीटोन) होगा लेकिन यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचित (reduced) कर रहा है। अतः यह ऐल्डिहाइड है तथा यह कैनिजारो अभिक्रिया दे रहा है। अतः इसमें α-H अनुपस्थित है। इसके आक्सीकरण से 1,2 -बेन्जीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 119
ऑक्सीकरण के बाद बने उत्पाद से यह सिद्ध होता है कि इसमें एक बेन्जीन वलय है, एक COOH समूह – CHO समूह के ऑक्सीकरण से तथा दूसरा – COOH समूह ऐल्किल समूह के ऑक्सीकरण से प्राप्त होगा। अतः अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 120

अथवा
(a) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद-प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटेन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-

(ii) (1) बेन्ज़ैल्डिहाइड (C6H5CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 121एक मेथिल कीटोन है अतः ऐसीटोफ़ीनॉन, आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ैल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता है।

(2) बेन्ज़ल्डिहाइड टॉलेन अभिकर्मक से ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन इससे क्रिया नहीं करता।

(b) (i) ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की नाभिकरागी संकलन के लिए क्रियाशीलता + I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा पर निर्भर करती है। अतः इनकी HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा-डाइ तृतीयक – ब्यूटिल कीटोन – मेथिल तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < ऐसीटोन – ऐसिटैल्डिहाइड

(ii) कार्बोक्सिलिक अम्लों का अम्लीय गुण, प्रेरणिक प्रभाव (+I तथा -I) तथा विभिन्न समूहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अतः इनके अम्लीय गुण का क्रम निम्न प्रकार होगा-
(CH3)2CHCOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3CH(Br)CH2COOH < CH3CH2CH(Br)COOH

(iii) 4 – मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(अम्लता की सामर्थ्य का बढ़ता क्रम)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 122

प्रश्न 9.
निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 123
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 124

प्रश्न 10.
(i) रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया लिखिए।
(ii) HCOOH, CF3COOH, ClCH2CUUH, अम्लों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए।
(iii) एथेनोइक अम्ल की क्रिया अमोनिया से कराने पर यौगिक A बनता है जिसे गर्म करने पर यौगिक B प्राप्त होता है। B का अम्लीय जल अपघटन कराने पर पुन: एथेनोइक अम्ल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखो व अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(iv) कार्बोनिल समूह का कक्षीय आरेख चित्र बनाइए।
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन की अभिक्रिया लिखिए।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 125संरचना में α हाइड्रोजन परमाणु की अम्लीय प्रकृति को समझाइए।
(iii) एक कार्बोनिल यौगिक A का ऑक्सीकरण टॉलन अभिकर्मक से कराने पर यौगिक B बनता है जिसका अपचयन LiAlH4 से कराने पर एथेनॉल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखिए।
(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइये।
उत्तर:
(i) Pd तथा BaSO4 की उपस्थित में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 126

(ii) अम्लों की अम्लीयता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 127
अतः (A) = CH3COONH4 अमोनियम ऐसीटेट या अमोनियम एथेनॉएट
(B) = CH3CONH2 एथेनेमाइड

(iv) कार्बोनिल समूह में कार्बन परमाणु पर sp² संकरण होता है तथा ये तीन sp² संकरित कक्षक तीन σ बन्ध बनाते हैं एवं कार्बन का असंकरित p कक्षक, ऑक्सीजन के p – कक्षक के साथ सम्पार्श्विक अतिव्यापन द्वारा π बन्ध बनाता है।

इस प्रकार कार्बोनिल समूह का कार्बन तथा इससे जुड़े तीन परमाणु एक ही तल में स्थित होते हैं तथा π इलेक्ट्रॉन अभ्र इस तल के ऊपर एवं नीचे स्थित होता है। बंध कोण का मान लगभग 120° होता है तथा ज्यामिति त्रिकोणीय समतल होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 128
कार्बन की तुलना में ऑक्सीजन की विद्युतऋणात्मकता अधिक होने के कारण कार्बन-ऑक्सीजन द्विआबंध ध्रुवित हो जाता है अतः कार्बोनिल समूह का कार्बन एक इलेक्ट्रॉनस्नेही (लूइस अम्ल) केन्द्र तथा ऑक्सीजन एक नाभिकस्नेही (लूइस क्षारक) केन्द्र के समान व्यवहार करता है।

> C = O समूह की ध्रुवता के कारण ही कार्बोनिल यौगिकों के द्विध्रुव आघूर्ण का मान अधिक होता है तथा ये ईथर की तुलना में अधिक ध्रुवीय होते हैं। कार्बोनिल समूह की ध्रुवता का कारण अनुनाद है जिसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 129
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर >C = O समूह -CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 130

(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 131 संरचना में कार्बोनिल समूह है तथा कार्बोनिल यौगिकों के alpha-हाइड्रोजन परमाणु की अम्लता कार्बोनिल समूह के इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने के प्रबल प्रभाव तथा संयुग्मी क्षार के अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेने के कारण होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 132

(iii) कार्बोनिल यौगिक A का यॅलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकरण हो रहा है अतः यौगिक A ऐल्डिहाइड होगा तथा ऐल्डिहाइड के ऑक्सीकरण से अम्ल बनता है अतः यौगिक B अम्ल होगा जिसका LiAlH4 के द्वारा अपचयन से एथेनॉल बन रहा है। अतः यौगिक B, CH3CHO तथा A, CH3CHO होगा। सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 133

(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 134

प्रश्न 11.
साइक्लोप्रोपेनॉन-2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना दीजिए।
उत्तर:
साइक्लोप्रोपेनॉन – 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 135
यह साइक्लोप्रोपेनॉन की 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजीन के साथ क्रिया से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 136

प्रश्न 12.
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) कैनिजारो अभिक्रिया
(ii) ऐल्डोल संघनन
(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांक के बढ़ते क्रम में लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 137
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऐल्डिहाइड एवं कीटोन में विभेद कैसे करेंगे?
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) रोजेनमुंड अपचयन
(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया

(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए-
(CH3)2 CH – COOH, HCOOH, CH3 – COOH, (CH3)3 C – COOH

(स) सोडियम बाइकार्बोनेट द्वारा कार्बोक्सिलिक अम्ल व फीनॉल में विभेद किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(अ) (i) कैनिजारो अभिक्रिया – वे ऐल्डिहाइड, जिनमें a – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार (NaOH या KOH) की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) दर्शाते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 138

(ii) ऐल्डोल संघनन – जिन ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में a- हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं, वे तनु क्षार (NaOH, Ca (OH)2) की उपस्थिति में आपस में क्रिया करके क्रमशः ß-हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (एल्डोल) अथवा p-हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) बनाते हैं। इस अभिक्रिया को ऐल्डोल संघनन कहते हैं।

उदाहरण – ऐसीटैल्डिहाइड का ऐल्डोल संघनन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 139

(ब) क्वथनांक का बढ़ता क्रम-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 140

(स) ऐल्डिहाइड को अमोनियम सिल्वर नाइट्रेट विलयन (AgNO3 + NH4OH) (टॉलेन अभिकर्मक ) के साथ गर्म करने पर सिल्वर बनने के कारण चमकदार सिल्वर दर्पण बनता है तथा ऐल्डिहाइड संगत कार्बोक्सिलेट आयन में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
RCHO + 2[Ag(NH3)2]+ + 3\(\overline{\mathrm{OH}}\) → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + 2Ag + 2H2O + 4NH3
कीटोन, टॉलेन अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते।
अथवा
(अ) (i) रोजेनमुंड अपचयन – Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में एसिल क्लोराइड की हाइड्रोजन के साथ क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 141

(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया – ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में बेन्जीन की कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ क्रिया कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 142
इस अभिक्रिया को गाटरमान – कोख अभिक्रिया कहते हैं।

(ब) अम्लीयता का बढ़ता क्रम-
(CH3)3 C – COOH < (CH3)2 CHCOOH < CH3COOH < HCOOH

(स) फीनॉल (C6H5OH) सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल (RCOOH), NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है।
RCOOH + NaHCO3 → RCOONa + CO2 ↑ + H2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 13.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C3H6O है, 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है किन्तु टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है। यौगिक का IUPAC नाम व संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक C3H6O 2, 4- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक ( ऐल्डिहाइड या कीटोन) है तथा यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है अतः यह ऐल्डिहाइड नहीं है इसलिए यह एक कीटोन है। अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र तथा IUPAC नाम निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 143

प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) फार्मेल्डिहाइड
(ब) ऐसीटोन।
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) मेलोनिक अम्ल
(ब) सक्सिनिक अम्ल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 144

प्रश्न 15.
(अ) कार्बोक्सिलेट आयन किस प्रकार अनुनाद .द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है? संरचाओं द्वारा स्पष्ट करें।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल की अपेक्षा अधिक अम्लीय होता है। समझाइए |
उत्तर:
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल में आयनित होकर कार्बोक्सिलेट आयन RCOŌ तथा \(\mathrm{H}_3 \stackrel{+}{\mathrm{O}}\) (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCOŌ अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है। इसकी अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 145
इस अभिक्रिया के लिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 146
यहाँ Keq साम्यावस्था स्थिरांक तथा Ka अम्ल वियोजन स्थिरांक है।

(ब) फीनॉल के आयनन से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन (C6H5O) में ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु तथा कम विद्युतऋणी कार्बन पर होता है, जबकि कार्बोक्सिलिक आयन (RCO) में ऋणात्मक आवेश दो विद्युतऋणी ऑक्सीजन परमाणुओं पर वितरित होता है, अतः कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणात्मक आवेश का विस्थानीकरण, फीनॉक्साइड आयन से अधिक होता है इस कारण इसका अनुनाद स्थायीकरण अधिक होता है । इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल से अधिक अम्लीय है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH3-CHO, CH3-CH2-OH, CH3-CH2-CH3
उत्तर:
CH3-CH2-CH3 < CH3-CHO < CH3-CH2-OH

प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित को किस प्रकार परिवर्तित करेंगे-
(a) प्रोपेनॉन से प्रोपेन – 2 – ऑल
(b) एथेनैल से 2- हाइड्रॉक्सीप्रोपेनॉइक अम्ल
(c) टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) निम्नलिखित में विभेद कीजिए-
(a) पेन्टेन – 2 – ऑन तथा पेन्टेन- 3 – ऑन
(b) एथेनैल तथा प्रोपेनैल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 147

(ii) (a) पेन्टेन-2-ऑन एक मेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि पेन्टेन – 2 – ऑन यह परीक्षण नहीं देता है।
(b) एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनैल यह परीक्षण नहीं देता।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 148

प्रश्न 18.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 149
उत्तर:
(i) 3- हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल
(ii) 3-ऐमीनो ब्यूटेनैल
(iii) 4-हाइड्रॉक्सी पेन्टेन-2-ऑन

प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 150
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 151

प्रश्न 20.
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए –
(अ) रोजेनमुंड अपचयन
(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया।
अथवा
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए-
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन
(ब) स्टीफेन अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 152

(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया – जब बेन्जीन की क्रिया ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में कार्बनमोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 153
इस अभिक्रिया को गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण भी कहते हैं।
अथवा
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन – इस अभिक्रिया में कार्बोनिल यौगिकों का जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl ( Zn / Hg + HCI) के मिश्रण से अपचयन कराया जाता है जिससे ऐल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 154
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

(ब) स्टीफेन अभिक्रिया – जब ऐल्केन नाइट्राइल का अपचयन SnCl2 + HCl से कराया जाता है तो संगत इमीन बनते हैं जिनके जल अपघटन से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे स्टीफेन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 155

प्रश्न 21.
आप एक पद में सोडियम एसिटेट को मेथेन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
सोडियम एसिटेट को सोडालाइम (NaOH तथा CaO का मिश्रण 3 : 1) के साथ गरम करने पर मेथेन प्राप्त होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 157

प्रश्न 22.
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है, क्यों?
(स) कार्बोक्सिलेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
अथवा
(अ) वोल्फ – किश्नर अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों से उच्च होते हैं, क्यों?
(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय की संरचना बनाइए।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 152

(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित फ्लोरीन का इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव (-1 प्रभाव) क्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित क्लोरीन के – I प्रभाव से अधिक होता है अतः यह अम्ल के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन के ऋणावेशित ऑक्सीजन से इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करके उसका स्थायित्व बढ़ा देता है जिससे विलयन में H+ आयन अधिक प्राप्त होते हैं। अतः फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है।

(स) कार्बोक्सिलेट आयन (RCO\(\overline{\mathrm{O}}\)) की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 158
अथवा
(अ) (i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।

(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों से उच्च होते हैं क्योंकि इनमें प्रचल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश कार्बोक्सिलिक अम्ल वाष्प अवस्था तथा ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।

(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय (द्विलक) की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 159

प्रश्न 23.
बेन्जोइक अम्ल, 4 मेथिल बेन्जोइक अम्ल एवं 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल को अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
उपरोक्त अम्लों की अम्लीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 160

प्रश्न 24.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 161
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 162

प्रश्न 25.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में जो अभिकर्मक प्रयुक्त होते हैं, उन्हें लिखिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 163
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्म के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(i) CH3CHO, C6H5CHO, HCHO
(नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता)
(ii) 2,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक एसिड, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक एसिड, 4 – नाइट्रोबेन्जोइक एसिड (अम्लीय व्यवहार)।
उत्तर-
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 164
(ii) CH3COOH + PCl5 → CH3COCl + HCl + POCl3
अतः अभिक्रिया (i) में Zn Hg व सान्द्र HCl तथा अभिक्रिया (ii) में PCL5 अभिकर्मक है।
अथवा
(i) CH3CHO, C6H5CHO HCHO का नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
C6H5CHO < CH3CHO < HCHO
उपरोक्त यौगिकों के अम्लीय व्यवहार का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार हैं –
4- मेक्सीबेन्जोइक एसिड < 4- नाइट्रोबेन्जोइक एसिड < 2,4- डाइनाइट्रोक एसिड
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 165

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Read More »

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions )

1. यूरिया का संश्लेषण किसके टूटने से होता है ?
(A) ग्लूकोस
(B) वसा अम्ल
(C) अमीनो अम्ल
(D) अमोनिया ।
उत्तर:
(C) अमीनो अम्ल

2. हेनले के लूप में होता है-
(A) ग्लोमेरुलर निस्यंदन
(B) यूरिया
(C) मूत्र
(D) रुधिर ।
उत्तर:
(A) ग्लोमेरुलर निस्यंदन

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

3. परानिस्यंदन कहाँ होता है ?
(A) बोमेन सम्पुट में
(B) मूत्राशय में
(C) रुधिर वाहिनी में
(D) केशिकागुच्छ में।
उत्तर:
(D) केशिकागुच्छ में।

4. स्तनियों का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ होता है ?
(A) अमोनिया
(B) अमीनो अम्ल
(D) यूरिया !
(C) यूरिक अम्ल
उत्तर:
(D) यूरिया !

5. केशिकागुच्छ (ग्लोमेरुलस) में परानिस्यंद कब बनता है ?
(A) बोमेन सम्पुट में केशिकागुच्छ से हाइड्रोस्टेटिक दबाव अधिक हो
(B) बोमेन सम्पुट में कोलॉयडली ऑस्मोटिक दबाव तथा हाइड्रोस्टेटिक दबाव ग्लोमेरुलर हाइड्रोस्टेटिक दबाव से कम हो ।
(C) हाइड्रोस्टेटिक दबाव ऑस्मोटिक दबाव से अधिक हो
(D) ऑस्मोटिक दबाव हाइड्रोस्टेटिक दबाव से अधिक हो ।
उत्तर:
(B) बोमेन सम्पुट में कोलॉयडली ऑस्मोटिक दबाव तथा हाइड्रोस्टेटिक दबाव ग्लोमेरुलर हाइड्रोस्टेटिक दबाव से कम हो ।

6. ग्लोमेरुलर निस्यंद होता है-
(A) रुधिराणु एवं प्लाज्मा प्रोटीन रहित रुधिर
(B) रुधिराणु रहित रुधिर
(C) जल, अमोनिया तथा रुधिराणु का मिश्रण
(D) मूत्र ।
उत्तर:
(A) रुधिराणु एवं प्लाज्मा प्रोटीन रहित रुधिर

7. सोडियम तथा जल का सर्वाधिक अवशोषण कहाँ होता है ?
(A) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में
(B) दूरस्थ कुण्डलित नलिका में
(C) हेनले के लूप में
(D) इन सभी में।
उत्तर:
(A) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में

8. स्तनी के वृक्क में ग्लोमेरुलस से निकलने वाली रुधिर वाहिनी कहलाती है-
(A) अपवाही धमनिका
(B) अभिवाही धमनिका
(C) रीनल धमनी
(D) रीनल शिरा ।
उत्तर:
(A) अपवाही धमनिका

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

9. रुधिर प्लाज्मा का ग्लोमेरुलस से वोमेन सम्पुट में निस्यंदन किस कारण होता है ?
(A) डाएलिसिस
(B) अवशोषण
(C) स्त्रावण
(D) ग्लोमेरुलर हाइड्रोस्टेटिक दबाव ।
उत्तर:
(D) ग्लोमेरुलर हाइड्रोस्टेटिक दबाव ।

10. जब ADH की मात्रा कम होती है तो मूत्र विसर्जन की दर-
(A) कम होती है।
(B) अधिक होती है
(C) यथावत् रहती है
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(B) अधिक होती है

11. स्तनियों में जल का सर्वाधिक अवशोषण किस भाग में होता है?
(A) त्वचा में
(B) आन्त्र में
(C) फेफड़े में
(D) वृक्क में।
उत्तर:
(D) वृक्क में।

12. मैलपीघी कोष में होता है-
(A) वृक्क नलिका
(B) बोमेन सम्पुट व केशिका गुच्छ
(C) बोमेन सम्पुट तथा वृक्क नलिका
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(B) बोमेन सम्पुट व केशिका गुच्छ

13. ग्लूकोस का अवशोषण वृक्क नलिका के किस भाग में होता है ?
(A) संग्रह नलिका में
(B) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में
(C) दूरस्थ कुण्डलित नलिका में
(D) हेनले लूप में ।
उत्तर:
(B) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में

14. यकृत में यूरिया का निर्माण किसके द्वारा होता है ?
(A) नाइट्रोजन चक्र
(B) ग्लाइकोलिसिस
(C) आर्निथीन चक्र
(D) क्रैब चक्र ।
उत्तर:
(C) आर्निथीन चक्र

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

15. गुर्दे (वृक्क) की कार्यिकी इकाई है- (UPPMT)
(A) डैन्ड्रॉन
(B) नेफ्रॉन
(C) न्यूरॉन
(D) एक्सॉन ।
उत्तर:
(B) नेफ्रॉन

16. कीटों का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ है- (RPMT)
(A) अमोनिया
(B) यूरिक अम्ल
(C) अमीनो अम्ल
(D) यूरिया ।
उत्तर:
(B) यूरिक अम्ल

17. Na+ तथा CI दोनों का पुनः अवशोषण होता है-
(A) हेनले लूप की आरोही भुजा में
(B) हेनले लूप की अवरोही भुजा में
(C) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में
(D) दूरस्थ कुण्डलित नलिका में।
उत्तर:
(A) हेनले लूप की आरोही भुजा में

18. मनुष्य के वृक्क होते हैं-
(A) मीसोनेफ्रिक प्रकार के
(B) मेटानेफ्रिक प्रकार के
(C) प्रोनेफिक प्रकार के
(D) सभी प्रकार के ।
उत्तर:
(B) मेटानेफ्रिक प्रकार के

19. मांसाहारी व्यक्ति के मूत्र में अधिक मात्रा निकलेगी-
(A) ग्लूकोस की
(B) ग्लाइकोजन की
(C) यूरिया की
(D) क्रिएटीनीन की ।
उत्तर:
(C) यूरिया की

20. ग्लोमेरुलस में रुधिर लाने वाली वाहिनी कहलाती है-
(A) अभिवाही धमनिका
(B) अपवाही धमनिका
(D) वृक्कीय शिरा ।
(C) वृक्कीय धमनी
उत्तर:
(A) अभिवाही धमनिका

21. कुण्डलित नलिका के दूरस्थ भाग द्वारा जल अवशोषण नियन्त्रित होता
(A) ऐण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन द्वारा
(B) ऐन्ड्रोजन्स द्वारा
(C) टेस्टोस्टीरोन द्वारा
(D) लेक्टोजेनिक हॉर्मोन द्वारा ।
उत्तर:
(A) ऐण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन द्वारा

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

22. मूत्र का आयतन किसके द्वारा नियन्त्रित होता है ?
(A) केवल ADH द्वारा
(B) केवल एल्डोस्टीरोन द्वारा
(C) एल्डोस्टीरोन तथा ADH द्वारा
(D) ADH व टेस्टोस्टीरोन द्वारा ।
उत्तर:
(C) एल्डोस्टीरोन तथा ADH द्वारा

23. यूरिया का उत्सर्जन कहलाता है- (RPMT)
(A) यूरियोटेलिज्म
(B) ऐमीनोटेलिज्म
(C) यूरिकोटेलिज्म
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(A) यूरियोटेलिज्म

24. ग्लोमेरुलस निस्यंद में होते हैं- (RPMT)
(A) यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया और जल
(B) केवल यूरिया एवं यूरिक अम्ल
(C) यूरिया, यूरिक अम्ल एवं जल
(D) यूरिया, यूरिक अम्ल, ग्लूकोज और जल ।
उत्तर:
(A) यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया और जल

25. जन्तुओं के शरीर में यूरिया का निर्माण होता है- (RPMT)
(A) ऐमीनो अम्ल के डिएमीनेशन से,
(B) ग्लूकोज में ऑक्सीकरण से
(C) वसा के जल में अपघटन से
(D) वसा में इमेल्सीकरण से ।
उत्तर:
(A) ऐमीनो अम्ल के डिएमीनेशन से,

26. वृक्क का कार्य नहीं है-
(A) उत्सर्जन
(B) जल नियन्त्रण
(C) रुधिर आयतन नियन्त्रण
(D) मृत रुधिराणुओं का विनाश।
उत्तर:
(D) मृत रुधिराणुओं का विनाश।

27. अमीबा में परासरण नियमन किसके द्वारा होता है- (RPMT)
(A) संकुचनशील धानी द्वारा
(B) एक्टोप्लाज्म द्वारा
(C) कूटपाद द्वारा
(D) हायलोप्लाज्मा द्वारा
उत्तर:
(A) संकुचनशील धानी द्वारा

28. एक व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन आहार लेता है वह किस पदार्थ की अधिक मात्रा उत्सर्जित करेगा ? (UPCPMT)
(A) अमोनिया
(B) यूरिया
(C) ग्लाइकोजन
(D) पित्त ।
उत्तर:
(B) यूरिया

29. कौनसा यकृत से वृक्क की ओर जाता है ? (UPCPMT)
(A) अमोनिया
(B) यूरिया
(C) शर्करा
(D) पित्त ।
उत्तर:
(B) यूरिया

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

30. यूरिया का सान्द्रण होता है- (UPCPMT)
(A) वृक्क में
(B) यकृत में
(C) कोलन में
(D) हृदय में
उत्तर:
(A) वृक्क में

31. बोमेन्स सम्पुट पाए जाते हैं- (UPCPMT)
(A) ग्लोमेरुलस में
(C) नेफ्रॉन में
(B) यूरी नेफरस नलिका में
(D) मैल्पीघी नलिका में ।
उत्तर:
(C) नेफ्रॉन में

32. अमीनो (NH2) समूह का पृथक्करण कहलाता है- (RPMT)
(A) उत्सर्जन
(B) अवशोषण
(C) ट्रांस एमीनेशन
(D) ऐमीनेशन ।
उत्तर:
(D) ऐमीनेशन ।

33. डिऐमीनेशन पाया जाता है- (UPCPMT)
(A) वृक्क में
(B) यकृत में
(C) नेफ्रॉन में
(D) अ व द दोनों ।
उत्तर:
(B) यकृत में

34. एक व्यक्ति लम्बे समय से भूख हड़ताल पर है और केवल पानी पर आश्रित है, उसके-
(A) मूत्र में अधिक सोडियम होगा
(B) मूत्र में कम एमीनो अम्ल होंगे
(C) रुधिर में अधिक ग्लूकोज होगा
(D) मूत्र में कम यूरिया होगा ।
उत्तर:
(A) मूत्र में अधिक सोडियम होगा

35. निम्न में से आर्निथीन चक्र में अंश नहीं है-(CBSE PMT) (RPMT)
(A) आथीन, सिलीन, एलेनीन
(B) आनिथीन, सिटुलीन, अर्जिनीन
(C) अमीनो अम्ल प्रयोग नहीं होते
(D) आर्नीथीन, सिटूलीन, फ्यूमेरिक अम्ल ।
उत्तर:
(C) अमीनो अम्ल प्रयोग नहीं होते

(B) अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
नाइट्रोजनयुक्त उपापचयी अपशिष्ट पदार्थों एवं अतिरिक्त लवणों को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

प्रश्न 2.
उत्सर्जन की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई क्या है ?
उत्तर:
उत्सर्जन की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई वृक्क नलिका या नेफ्रॉन है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 3.
अमोनिया के उत्सर्जन की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
अमोनिया के उत्सर्जन की प्रक्रिया को अमोनियोत्सर्ग (ammonotelism) कहते हैं।

प्रश्न 4.
अमोनिया उत्सर्जी प्राणियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
अमोनिया उत्सर्जी प्राणियों को अमोनोटेलिक (ammonotelic) प्राणी कहते हैं।

प्रश्न 5.
यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करने वाले प्राणियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करने वाले प्राणियों को यूरिकोटेलिक (Urecotelic) प्राणी कहते हैं।

प्रश्न 6.
अमोनिया को कौन-सा अंग यूरिया में बदलता है ?
उत्तर:
अमोनिया को यूरिया में यकृत बदल देता है।

प्रश्न 7.
यूरिया का उत्सर्जन करने वाले प्राणियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
यूरिया का उत्सर्जन करने वाले प्राणियों को यूरियोटैलिक (Ureotelic) प्राणी कहते हैं।

प्रश्न 8.
केशिकागुच्छ कहाँ पाया जाता है ? इसका प्रमुख कार्य क्या ?
उत्तर:
केशिकागुच्छ (glomerulus) वृक्क नलिका के समीपस्थ भाग बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) में पाया जाता है। यह परानिस्यंदन द्वारा ग्लोमेरुलर निस्यंद बनाता हैं।

प्रश्न 9.
मैलपीघी काय किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बोमेन सम्पुट तथा केशिकागुच्छ को संयुक्त रूप से मैलपीघी काय (Malpighian body) कहते हैं।

प्रश्न 10.
हैनले पाश (लूप) कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर:
हैनले पाश (लूप) वृक्क नलिका में पाया जाता है जो इसकी समीपस्थ एवं दूरस्थ कुण्डलित नलिकाओं के बीच ‘U’ के आकार की रचना के रूप में स्थित होता है।

प्रश्न 11.
केशिकागुच्छ को रुधिर ले जाने वाली रुधिरवाहिनी का नाम लिखिए ।
उत्तर:
अभिवाही वृक्क धमनिका ( Afferent renal arteriole)।

प्रश्न 12.
परानिस्यंदन की क्रिया वृक्क नलिका के किस भाग में होती है ?
उत्तर:
परानिस्यंदन (ultrafiltration) की क्रिया केशिकागुच्छ (glomerulus) में होती है।

प्रश्न 13.
चयनात्मक पुनरावशोषण वृक्क नलिका के किस भाग में होता ?
उत्तर:
चयनात्मक पुनरावशोषण वृक्क नलिका के कुण्डलित भाग में होता है।
The

प्रश्न 14.
मूत्र निर्माण के अन्तर्गत आने वाली तीन आवश्यक क्रियाओं के नाम बताइए।
उत्तर:

  • परानिस्यंदन या अति सूक्ष्म निस्यंदन (ultrafiltration),
  • वरणात्मक या चयनात्मक पुनरावशोषण (selective reabsorption) तथा
  • स्रावण ( Secretion ) ।

प्रश्न 15.
उत्सर्जन क्रिया के तीन चरणों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • उत्सर्जी पदार्थों का निर्माण,
  • उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन,
  • उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन ।

प्रश्न 16.
ग्लोमेरुलर निस्यंद में उपस्थित पदार्थों के नाम बताइये।
उत्तर:
ग्लोमेरुलर निस्यंद में उत्सर्जी पदार्थ यूरिया, लाभदायक जल, . अनेक लवण, ग्लूकोज तथा अन्य कुछ विषैले पदार्थ उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 17.
सबसे अधिक पुनरावशोषण नेफ्रॉन के किस भाग में होता है ?
उत्तर:
सबसे अधिक पुनरावशोषण नेफ्रॉन की समीपस्थ कुण्डलित नलिका होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 18.
बर्टिनी के स्तम्भ किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
वृक्क कॉर्टेक्स की उभारों को बर्टिनी के स्तम्भ कहते हैं ।

प्रश्न 19.
शरीर में वृक्कों का मुख्य कार्य बताइए ।
उत्तर:
वृक्कों द्वारा शरीर में जल व लवण सन्तुलन स्थापित होता है।

प्रश्न 20.
मनुष्य में प्रभावी निस्यंद दाब कितना होता है ?
उत्तर:
मनुष्य में प्रभावी निस्यंद दाब (effective filtration pressure) 60 – (32 +18) 10mm Hg होता है।

प्रश्न 21.
मूत्र का pH तथा आपेक्षिक घनत्व बताइए।
उत्तर:

  • मूत्र का pH = 4.8 से 7.5 तक,
  • मूत्र का आपेक्षिक घनत्व = 1.003 से 1.032 तक ।

प्रश्न 22.
वृक्कों के दो प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:

  • शरीर के नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना ( उत्सर्जन) ।
  • शरीर के आन्तरिक वातावरण को सन्तुलित बनाए रखना ।

प्रश्न 23.
यकृत में अमोनिया के यूरिया में परिवर्तन के प्रक्रम को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
यकृत में अमोनिया के यूरिया में परिवर्तन के प्रक्रम को आर्निथीन चक्र कहते हैं।

प्रश्न 24.
नेफ्रॉन कितने प्रकार के होते हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
नेफ्रॉन दो प्रकार के होते हैं-

  • वल्कुटीय नेफ्रॉन,
  • मध्यांशीय नेफ्रॉन ।

प्रश्न 25.
हेनले लूप में क्या अवशोषित होता है ?
उत्तर:
हेनले लूप में जल का पुनरावशोषण होता है ।

प्रश्न 26.
एक स्वस्थ मनुष्य के केशिकागुच्छ की धमनिकाओं में आने वाले रुधिर का द्रव स्थैतिक दाब कितना होता है ?
उत्तर:
70 mm Hg होता है ।

प्रश्न 27.
हीमेटूरिया क्या है ?
उत्तर:
ग्लोमेरुलस (glomerulus) में सूजन आने अथवा इसकी झिल्लियों के अत्यधिक पारगम्य हो जाने के कारण लाल रक्ताणु (RBCs) तथा प्रोटीन (protein) भी छनकर निस्यन्द ( filtrate) में आ जाते हैं। इसी घटना को हीमेटूरिया (haematuria) कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 28.
ग्लाइकोसूरिया किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मूत्र (Urine) में शर्करा (Glucose) की उपस्थिति एवं उत्सर्जन ग्लाइकोसूरिया (glycosuria) कहलाता है।

प्रश्न 29.
यदि किसी मनुष्य की वृक्क नलिका (nephron ) में से हल का लूप ( Henle’s loop) हटा दिया जाये तो इसके उत्सर्जन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
यदि किसी मनुष्य की वृक्क नलिका ( nephron ) में से हेनले का लूप (Henle’s loop) हटा दिया जाये तो मूत्र (Urine ) अधिक तनु हो जायेगा ।

प्रश्न 30.
रक्त में यूरिया (urea) की उपस्थिति को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
रक्त में यूरिया की उपस्थिति को यूरेमिया ( uremia) कहते हैं जो अत्यन्त हानिकारक है।

प्रश्न 31.
मूत्र में रक्त की उपस्थिति को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
मूत्र (urine) में रक्त (blood) की उपस्थिति हीमेटूरिया (haematuria) कहलाती है।

प्रश्न 32.
रक्त अपोहन (हीमोडायलिसिस) क्या है ?
उत्तर:
रोगी के शरीर से कृत्रिम विधि द्वारा उत्सर्जी पदार्थ को बाहर निकालने की क्रिया को रक्त अपोहन ( haemodialysis) कहते हैं।

प्रश्न 33.
एण्टीडाइयूरेटिक हार्मोन (ADH) के अल्पस्त्रावण का उत्सर्जन क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
एण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (ADH) के अल्पस्रावण से दूरस्थ कुण्डलित नलिका एवं संग्राहक नलिका में जल का अवशोषण नहीं होगा फलस्वरूप बार-बार अधिक मात्रा में मूत्र त्याग करना पड़ेगा।

प्रश्न 34.
केशिकागुच्छ निस्यंदन दर ( GFR) कितनी होती है ?
उत्तर:
एक स्वस्थ व्यक्ति में केशिका गुच्छ निस्यंदन दर (GFR ) 125 मिली / मिनट या 180 लीटर प्रतिदिन होती है ।

प्रश्न 35.
रेनिन एन्जियोटेन्सिन क्रिया-विधि पर नियंत्रक का कार्य कौन करता है ?
उत्तर:
रेनिन एन्जियोटेन्सिन क्रिया विधि पर नियंत्रण का कार्य अलिन्दीय नेटियेरेटिक कारक करता है।

प्रश्न 36.
वृक्क की पथरी क्या है ?
उत्तर:
जब केशिकागुच्छ निस्यंदन में ऑक्सलेट एवं फॉस्फेट आयनों की मात्रा अधिक हो जाती है तो वे पेल्विस में अवक्षेपित हो जाते हैं और पथरी बनाते हैं। पथरी द्वारा मूत्रवाहिनी अवरुद्ध हो जाने से वृक्क में तेज दर्द होता है।

प्रश्न 37
परानिस्यंदन किसे कहते हैं ?
उत्त;
ग्लोमेरुलस (glomerulus) की रक्त केशिकाओं से उत्सर्जी तथा अन्य उपयोगी पदार्थों का छनकर बोमेन कैप्सूल ( Bowman’s capsule) की गुहा में जाने की क्रिया परानिस्यन्दन (ultrafiltration) कहलाती है ।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 38.
वृक्क के ग्लोमेरुलस से निकलने वाली रुधिर वाहिनी का नाम लिखिए।
उत्तर:
वृक्क के ग्लोमेरुलस से निकलने वाली रुधिर वाहिनी अपवाही धमनिका (efferent arteriole) कहलाती है।

(C) लघूत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
परानिस्यन्दन तथा चयनात्मक पुनः अवशोषण की मूत्र निर्माण में क्या भूमिका है ?
उत्तर:
परानिस्यन्दन (Ultrafiltration ) – यकृत कोशिकाओं (liver cells) में यूरिया का निर्माण होने के पश्चात् रक्त नलिकाओं द्वारा यूरिया वृक्क (kidney) में पहुँचता है। वृक्क नलिका में बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) एक सूक्ष्म छलनी की भाँति कार्य करता है। इसमें अभिवाही धमनिका (afferent arteriole) यूरिया युक्त रुधिर लेकर आती है और अपवाही धमनियाँ (efferent arteriole) रुधिर बाहर लेकर आती है।

ग्लोमेरुलस की केशिका दीवारों में लगभग 1.0 µ व्यास के असंख्य छिद्र होते हैं, जिससे छिद्रित दीवार की पारगम्यता (permeability) सामान्य रुधिर केशिकाओं की तुलना में अधिक होती है, जिससे तरल प्लाज्मा व अन्य उत्सर्जी पदार्थ छनकर बोमेन सम्पुट की गुहा में आ जाते हैं, परन्तु ग्लोमेरुलस केशिकाओं से रुधिर कणिकाएँ तथा रक्त में घुले हुए रुधिर प्रोटीन नहीं छन पाते हैं।

ग्लोमेरुलस से छना हुआ रक्त प्लाज्मा जो बोमेन सम्पुट की गुहा में आता है, ग्लोमेरुलर निस्यन्द (glomerular filtrate) कहलाता है तथा यह प्रक्रिया परानिस्यन्दन (ultrafiltration) कहलाती है। इस प्रक्रिया द्वारा रक्त से उत्सर्जी पदार्थ अलग हो जाते हैं।

चयनात्मक पुनः अवशोषण (Selective Reabsorption ) – परानिस्यन्दन (ultrafiltration) क्रिया द्वारा निस्यन्द (glomerular filtrate) में उत्सर्जी पदार्थों; जैसे-यूरिया, यूरिक अम्ल, क्रियेटिन आदि उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ लाभदायक पदार्थ जैसे-ग्लूकोस (glucose), एमीनो अम्ल ( amino acid), कुछ वसीय अम्ल (fatty acids), विटामिन (vitamins), जल (water) तथा उपयोगी लवण (salts) भी छनकर आ जाते हैं। रक्त में उपस्थित जल का लगभग 95% भाग छनकर निस्यन्द में आ जाता है परन्तु इसका केवल 0.8% भाग के लगभग ही मूत्र में परिवर्तित होकर बाहर निकलता है।

निस्यन्द (filtrate) में उपस्थित लाभदायक पदार्थों का वृक्क की नलिकाओं द्वारा रुधिर में पुनरावशोषण (reabsorption ) कर लिया जाता है। वृक्क नलिकाओं द्वारा निस्यन्द (filtrate) में उपस्थित लाभदायक पदार्थों के पुनः रुधिर में पहुँचने की क्रिया ही चयनात्मक पुनः अवशोषण कहलाती है। इस प्रकार परानिस्यन्दन (ultrafiltration ) तथा चयनात्मक पुनः अवशोषण (selective reabsorption ) मूत्र निर्माण की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण पद हैं।

प्रश्न 2.
मूत्र की तनुता एवं सान्द्रण को नियन्त्रित करने वाली हॉर्मोन की कार्य प्रणाली को समझाइए ।
उत्तर:
शरीर में जल की मात्रा बढ़ने पर मूत्र पतला तथा मात्रा में अधिक हो जाता है तथा शरीर में जल की मात्रा घटने पर मूत्र की मात्रा कम तथा सान्द्रता अधिक हो जाती है। मूत्र की मात्रा एवं सान्द्रता में परिवर्तन के लिए वृक्क नलिका (nephron ) की दूरस्थ कुण्डलित नलिका एवं संग्रह नलिकाओं की पारगम्यता जिम्मेदार होती है। इनकी पारगम्यता का नियमन दो विशेष हॉर्मोन (hormones) द्वारा किया जाता है। ये हॉर्मोन निम्नलिखित हैं-

(1) एल्डोस्टीरॉन (Aldosterone ) – इस हॉर्मोन का स्त्रावण एड्रीनल कॉर्टेक्स प्रन्थि ( adrenal cortex gland) द्वारा किया जाता है। यह हॉर्मोन वृक्क नलिकाओं (Nephrons) में ग्लोमेरुलर निस्यन्द (glomerular filtrate) से सोडियम आयनों Na+ के पुनः अवशोषण ( re-absorption ) में वृद्धि करता है, जिससे शरीर मे सोडियम आयनों (Nat) की सान्द्रता निश्चित बनी रहती है।

(2) एण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन अथवा वेसोप्रेसिन (Antidiuretic Hormone, ADH or Vasopressin) – इस हॉर्मोन (hormone) का स्रावण पश्च पीयूष मन्यि (posterior pituitary gland) द्वारा किया जाता है। यह हॉर्मोन वृक्क नलिका (Nephron ) के संग्राहक नलिका (Collecting tubule) वाले भाग में जल के पुनः अवशोषण एवं स्त्रावण (reabsorption and secretion) के नियमन द्वारा मूत्र ( urine) की मात्रा एवं सान्द्रता को नियन्त्रित रखता है।

जब शरीर में जल की अधिकता होती है तो ADH का स्त्रावण कम तथा ऐल्डोस्टीरीन हॉर्मोन का स्त्रावण अधिक होता है जिसके फलस्वरूप सोडियम आयनों (Na+) का अधिक अवशोषण तथा जल का काम अवशोषण होता है परिणामस्वरूप मूत्र की सान्द्रता कम तथा आयतन ज्यादा होता है। इसके विपरीत शरीर में जल की कमी होने पर एण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (ADH) का स्रावण अधिक तथा ऐल्डोस्टीरॉन हॉर्मोन का स्त्रावण कम होने से मूत्र अधिक सान्द्र तथा मात्रा में कम होता है।

प्रश्न 3.
नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों के आधार पर निर्धारित श्रेणियों को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों के आधार पर प्राणियों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है-

  1. अमोनिया उत्सर्जी जन्तु ( Ammonotelic animals),
  2. यूरिया उत्सर्जी जन्तु (Ureotelic animals),
  3. यूरिक अम्ल उत्सर्जी जन्तु (Urecotelic animals)।
  4. अमोनिया उत्सर्जी जन्तु (Ammonotelic Animals) वे जन्तु जो नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में अमोनिया ( ammonia) का उत्सर्जन करते हैं, अमोनिया उत्सर्जी जन्तु या अमोनोटेलिक जन्तु ( Ammonotelic animal) कहलाते हैं।
    उदाहरण- संघ प्रोटोजोआ (Protozoa), पोरीफेरा ( Porifera ), सीलेन्ट्रेटा (Coelentrata ), ऐनिलिडा ( Annelida ), जलीय आर्थ्रोपोडा (Aquatic arthropoda) इत्यादि ।

2. यूरिया उत्सर्जी जन्तु (Ureotelic Animals) – जिन जन्तुओं में मुख्य नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ यूरिया (Urea ) होती है वे जन्तु यूरिया उत्सर्जी जन्तु या यूरियोटेलिक जन्तु (ureotelic) कहलाते हैं। उदाहरण- मेंढक (Frog ), उपारिस्थल मछलियाँ (cartilaginous fishes), जल व स्थल पर रहने वाले सरीसृप ( amphibian reptiles) तथा स्तनी प्राणी (mammals) इत्यादि ।

3. यूरिक अम्ल उत्सर्जी जन्तु (Urecotelic Animals) – जिन जन्तुओं मुख्य नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ यूरिक अम्ल (uric acid) होता है वे जन्तु यूरिक अम्ल उत्सर्जी जन्तु या यूरिकोटेलिक जन्तु (urecotelic) कहलाते हैं। उदाहरण – शुष्क वातावरण में रहने वाले जन्तु, जैसे- सरीसृप (Reptiles), कीट (Insects), पक्षी (Birds ) तथा घोंघे ( Snails) इत्यादि ।

प्रश्न 4.
मूत्र के संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संग्राहक वाहिनी (Collecting tubule) के अन्तिम भाग में ग्लोमेरुलर निस्यन्द (glomerular filtrate) मूत्र (Urine) कहलाता है।

मानव मूत्र का संघटन निम्न प्रकार से होता है-

(1) जल-लगभग96 %
(2) यूरिया2.0 %
(3) अकार्बनिक लवण .5 %
(4) कार्बनिक लवण0.5 %
(5) क्रियेटिनिन0.5 %
(6) यूरिक अम्ल0.2-0.5 %
(7) हिपेरिक अम्ल0.5 %
(8) अमोनिया0.25 %

प्रश्न 5.
स्तनियों की उत्सर्जन क्रिया में वरणात्मक पुनः अवशोषण की क्रिया कहाँ होती है ? इस क्रिया का महत्व बताइए ।
उत्तर:
वरणात्मक पुनः अवशोषण स्तनधारियों की उत्सर्जन क्रिया में वरणात्मक पुनः अवशोषण (selective reabsorption) वृक्क नलिकाओं के कुण्डलित भाग में होती है। इस क्रिया के अन्तर्गत केशिकागुच्छ से छनकर आए हुए निस्यंद से वृक्क नलिका के कुण्डलित भाग की प्रन्थिल कोशिकाएँ इसमें से ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, विटामिन्स, Na+, CI, K+, Ca++ HCO3 तथा PO4, आदि लवणों के आयन व जल आदि उपयोगी पदार्थों को अवशोषित करके पुनः अपवाही धमनिका के केशिका जाल (परिनलिका जाल ) में पहुंचा देती हैं। इसमें यूरिया व यूरिक अम्ल आदि का अवशोषण नहीं होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

इसलिए इस प्रक्रिया को वरणात्मक पुनः अवशोषण या चयनात्मक पुनरावशोषण कहते हैं। वरणात्मक पुनः अवशोषण का महत्व उत्सर्जन क्रिया का यह एक महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि यह क्रिया मूत्र निर्माण में प्रमुख योगदान करती है। इसके द्वारा शरीर के लिए उपयोगी पदार्थों को कुण्डलित वृक्क नलिकाओं में पुनः अवशोषित करके उन्हें रुधिर में मुक्त कर दिया जाता है और के साथ शरीर से बाहर निकल जाने से रोक दिया जाता है। इससे शरीर के आन्तरिक वातावरण (रुधिर, लसिका व ऊतक द्रव्य) का रासायनिक संघटन, परासरणी दाब की मात्रा आदि का सन्तुलन यथावत् बना रहता है।

प्रश्न 6.
वृक्कों के विभिन्न नियन्त्रक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वृक्कों के नियन्त्रक कार्य (Regulatory Functions of Kidney)
उत्सर्जी उत्पादों के उत्सर्जन के अतिरिक्त प्राणियों के वृक्क निम्नलिखित नियन्त्रक कार्य भी करते हैं-
1. रुधिर में से आवश्यकता से अधिक और निरर्थक पदार्थों का चयनात्मक उत्सर्जन (selective excretion) करके वृक्क शरीर के भीतरी वातावरण की रासायनिक अखण्डता (समस्थापन – होमियोस्टेसिस) बनाये रखने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।

2. उपापचयी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप बने आवश्यकता से अधिक अम्ल व क्षारों का वृक्क चयनात्मक उत्सर्जन करके रुधिर के pH को सामान्य बनाये रखते हैं।

3. हॉर्मोन्स की सहायता से रुधिर तथा ऊतक द्रव्य में जल एवं लवणों की उपयुक्त मात्रा बनाये रखकर वृक्क रुधिर दाब और ऊतक द्रव्यों की परासरणीयता ( osmolarity) का नियन्त्रण करते हैं।

4. शरीर में ऑक्सीजन की कमी (हाइपोक्सिया hypoxia) होने पर वृक्क एक विशेष एन्जाइम एरिथ्रोजेनिन का स्त्रावण करते हैं जो रुधिर में मुक्त होकर उसकी ग्लोब्यूलिन प्रोटीन से मिलकर एरिथ्रोपोयटिन ( erythropoitin) नामक पदार्थ बनाता है, जो अस्थि मज्जा में पहुँचकर अधिकाधिक लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण को प्रेरित करता है, जिससे ये फेफड़ों में वायु से अधिक ऑक्सीजन ग्रहण कर सकें।

5. वृक्क शरीर में परासरण नियन्त्रण द्वारा जल की निश्चित मात्रा को बनाये रखते हैं।

प्रश्न 7.
वृक्क के कार्यों का नियन्त्रण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
वृक्क के कार्यों का नियन्त्रण-वृक्कों का प्रमुख कार्य मूत्र-निर्माण । मूत्र की मात्रा, सान्द्रता आदि का नियन्त्रण कुछ हॉर्मोन्स द्वारा किया जाता
(1) जल अवशोषण का नियन्त्रण- पीयूष पन्थ (pituitary gland) के पश्च पिण्ड से स्त्रावित ऐन्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (Antidiuretic hormone : ADH) द्वारा वृक्क नलिकाओं में जल अवशोषण का नियन्त्रण किया जाता है। इस प्रकार ADH मूत्र के तनुकरण व सान्द्रण का प्रमुख नियन्त्रक होता है।

(2) सोडियम (Na+) व पोटैशियम (K+) का नियन्त्रण मूत्र में Na+ व K+ लवणों की मात्रा का नियन्त्रण अधिवृक्क ग्रन्थियों (adrenal glands) से स्त्रावित ऐल्डोस्टीरोन (aldosterone) नामक हॉर्मोन द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में अन्तर बताइए-
(क) उत्सर्जन तथा बहिष्करण
(ख) परानिस्यंदन तथा चयनात्मक पुनरावशोषण ।
उत्तर:
(क) उत्सर्जन तथा बहिष्करण में अन्तर

उत्सर्जन (Excretion)बहिष्करण (Egestion)
1. यह एक कोशिकीय प्रक्रिया है।1. यह कोशिकीय क्रिया नहीं है।
2. इसमें अनेक उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप कई उत्सर्जी पदार्थ बनते हैं जिनका बाद में उत्सर्जन होता है।2. इसमें भोजन के पाचन के बाद अपच भाग शेष रह जाता है। इसे मल विसर्जन द्वारा शरीर से बाहर निष्कासित किया जाता है।
3. उत्सर्जी पदार्थ प्राय: जल में विलेय होते हैं। अतः इनका उत्सर्जन प्राय: जलीय विलयन के रूप में होता है।3. प्राय: मल अपच व जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो जल में अविलेय होते हैं। इनका बहिष्करण अर्द्धठोस के रूप में होता है।
4. फेफड़े, वृक्क व त्वचा उत्सर्जन के मुख्य अंग हैं।4. मल का बहिष्करण आहारनाल के अन्तिम भाग गुदा अथवा क्लोएका के द्वारा होता है।

(ख) परानिस्यंदन तथा चयनात्मक पुनरावशोषण में अन्तर

परानिस्यन्दन (Ultrafiltration)चयनार्मक पुनरावशोषण (Selective Reabsorption)
1. यह क्रिया बोमेन सम्पुट तथा केशिकागुच्छ (ग्लोमेरुलस) के मध्य होती है।1. यह क्रिया वृक्क नलिका की काय (body) तथा इसके उप लिपटी अपवाही धमनिका की केशिकाओं के मध्य सम्पन्न होती है।
2. इसमें लाभदायक तथा हानिकारक पदार्थ रुधिर दाब के कारण जल में घुलित अवस्था में केशिकागुच्छ से छनकर बोमेन्स सम्पुट में आ जाते हैं।2. इसमें लाभदायक पदार्थ एवं जल ही वृक्क नलिका की काय से पुनः अवशोषित होकर अपवाहीी धमनिका की केशिकाओं में आते हैं। हानिकारक पदार्थों का अवशोषण नहीं होता है तथा रुधिर केशिकाओं से यूरिया व हानिकारक लवण वृक्क नलिकाओं की काय में विसरित हो जाते हैं।
3. यह क्रिया रुधिर दाब की भिन्नता के कारण होती है।3. यह क्रिया रुधिर में जल की कमी के कारण होती है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) यूरिया का निर्माण किस अंग द्वारा तथा किस पदार्थ से होता है ?
(ख) मूत्रलता या डाइयूरेसिस किसे कहते हैं ?
(ग) यूरीमिया किसे कहते हैं ?
(ब) जक्स्टा ग्लोमेरुलर नलिकाएँ क्या हैं ?
(ङ) परासरण नियन्त्रण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
(क) यूरिया का निर्माण यकृत में अमीनो अम्लों के डीएमीनेशन की क्रिया से प्राप्त अमोनिया (NH ) तथा CO2 के संयोग से होता है। ये सभी क्रियाएँ जिनके अन्तर्गत यूरिया (NH2.CO.NH2) बनता है, आर्निवीन चक्र कहलाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

(ख) मूत्रलता (Diuresis) शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाने पर रुधिर, लसीका तथा ऊतक द्रव्य की परासरणीयता कम हो जाती है। इसके कारण वृक्कों से उत्सर्जित मूत्र पतला व अधिक मात्रा में होता है। मूत्र की मात्रा के बढ़ने की क्रिया को मूत्रलता या डाइयूरेसिस कहते हैं। इसे बहुमूत्र रोग भी कहते हैं । इस रोग में बार-बार पेशाब आता है और प्यास भी बहुत लगती है।

(ग) यूरीमिया (Uremia) – वृक्कों की कार्यिकी अव्यवस्थित ( गड़बड़ ) हो जाने पर हमारे रुधिर में यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है। इसे ‘यूरीमिया का रोग’ कहते हैं।

(घ) जक्स्टा ग्लोमेरुलर नलिकाएँ (Juxta Glomerular Tubules) – ये वे वृक्क नलिकाएँ होती हैं जिनका हेनले लूप अपेक्षाकृत बहुत लम्बा तथा वृक्क के पेल्विस (pelvis) तक फैला होता है। वृक्क नलिकाओं में लगभग 20-30% जक्स्टा ग्लोमेरुलर वृक्क नलिकाएँ होती हैं।

(ङ) परासरण नियन्त्रण (Osmoregulation) – हॉर्मोन्स की सहायता से रुधिर तथा ऊतक द्रव्य में जल एवं लवणों की उपयुक्त मात्रा बनाये रखकर वृक्क रुधिर दाब और ऊतक द्रव्यों की परासरणीयता का नियन्त्रण करते हैं। इसे ही परासरण नियन्त्रण कहते हैं।

प्रश्न 10.
परासरण नियन्त्रण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
परासरण नियन्त्रण (Osmoregulation) की परिभाषा लघु उत्तरीय प्रश्न 9 (ङ) के उत्तर में देखिए ।
वृक्कों द्वारा परासरण नियन्त्रण (Osmoregulation by Kidneys ) – समस्थापन (Homeostasis) के अन्तर्गत शरीर के तरल को छानने के अतिरिक्त शरीर के जल एवं लवणों की मात्रा का नियन्त्रण भी वृक्कों का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। शरीर में जल की मात्रा अधिक हो जाने पर भूत्र पतला और मात्रा में अधिक हो जाता है।

इसी प्रकार शरीर में जल की कमी हो जाने में पर मूत्र गाढ़ा और मात्रा में कम हो जाता है। मूत्र में ये परिवर्तन दूरस्थ कुण्डलित नलिकाओं और संग्रह नलिकाओं की पारगम्यता के बदलने से सम्भव हो पाते हैं। इसीलिए इन नलिकाओं की पारगम्यता निम्नलिखित दो प्रमुख हॉर्मोन्स द्वारा नियन्त्रित होती है-

(1) एल्डोस्टीरॉन (Aldosterone) हॉमोंन-इसका स्रावण अधिवृक्क ग्रन्थियों ( adrenal glands) से होता है। यह हॉर्मोन दूरस्थ कुण्डलित एवं संग्रह नलिकाओं में बहते हुए निस्यंद से Na+ के पुनरावशोषण को बढ़ाता है जिससे शरीर के अन्तः वातावरण में Na+ की उपयुक्त मात्रा बनी रहती है।

(2) ऐण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (Antidiuretic Hormone ADH ) – इसका स्रावण मस्तिष्क में स्थित पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) द्वारा होता है। यह हॉर्मोन मूत्र के पतलेपन (तनुकरण) या गाढ़ेपन (सान्द्रण) को नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 11.
वल्कुटीय वृक्क नलिकाओं एवं जक्स्टा मेड्यूलरी वृक्क नलिकाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वल्कुटीय एवं जक्स्टा मेड्यूलरी वृक्क नलिकाओं में अन्तर

वर्कुटीय वृक्क नलिकाएँ (Cortical Nephrons)जक्स्टा मेड्यूलरी वृक्क नलिकाएँ (Juxta Medullary Nephrons)
1. ये अपेक्षाकृत छोटी होती हैं।1. ये अपेक्षाकृत बड़ी होती हैं।
2. इनके बोमैन सम्पुट वृक्कों की सतह के समीप स्थित होते हैं।2. इनके बोमैन सम्पुट वृक्कों के वल्कलीय (cortical) एवं मध्यांश (medullary) भाग के संगम क्षेत्र पर स्थित होते हैं।
3. इनके हेनले लूप छोटे एवं वृक्कों के मध्यांश भाग में कुछ ही दूरी तक फैले होते हैं।3. इनके हेनले लूप बहुत बड़े एवं वृक्कों के मध्यांश भाग के पिरैमिड्स में पूरी गहराई तक फैले होते हैं।
4. इनमें रुधिर की आपूर्ति परिनलिका केशिकाओं के द्वारा होती है।4. इनमें रुधिर की आपूर्ति वासारेक्टा द्वारा होती है।

प्रश्न 12.
हीमोडाइलेसिस पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:
हीमोडाइलेसिस (Haemodialysis)
वृक्कों के निष्क्रिय होने पर रक्त में यूरिया एकत्रित हो जाता है। इसे यूरिमिया ( uremia) कहते हैं जो कि अत्यन्त हानिकारक है। यह वृक्क पात (kidney failure) के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है। इसके मरीजों में यूरिया का निष्कासन हीमोडाइलेसिस (रक्त अपोहन) द्वारा होता है। इस क्रिया में रोगी की मुख्य धमनी से रक्त निकालकर 0°C पर ठण्डा करते हैं।

अथवा इस रक्त में हिपेरिन (heparin) नामक थक्कारोधी (प्रतिस्कन्दक) मिलाते हैं। तत्पश्चात् इस रक्त को अपोहनकारी इकाई में भेजा जाता है। इस इकाई में एक कुण्डलित सेलोफेन नली होती है और यह ऐसे द्रव से घिरी रहती है, जिसका संगठन नाइट्रोजनी अपशिष्टों को छोड़कर प्लाज्मा के समान होता है।

छिद्र युक्त सेलोफेन झिल्ली से अपोहनी द्रव में अणुओं का आवागमन सान्द्रण प्रवणता के अनुसार होता है। अपोहनी द्रव में नाइट्रोजनी अपशिष्ट अनुपस्थित होते हैं, अतः वे पदार्थ बाहर की ओर गमन करते हैं और रक्त को शुद्ध करते हैं। शुद्ध रक्त में हिपेरिन विरोधी डालकर उसे रोगी की शिराओं द्वारा पुनः शरीर में भेज दिया जाता है। हीमोडाइलेसिस विधि द्वारा यूरिमिया व्याधि से रोगियों का उपचार किया जाता है।

(D) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ? सरल जन्तुओं में उत्सर्जन किस प्रकार होता है ? उत्सर्जन (Excretion)
उत्तर:
प्राणियों के शरीर में होने वाली विभिन्न उपापचयिक क्रियाओं (metabolic activities) के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले हानिकारक पदार्थों, मुख्यतः प्रोटीन के अपचय (catabolism) से उत्पन्न अमोनिया यूरिया, यूरिक अम्ल आदि नाइट्रोजनी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की जैव-प्रक्रिया को उत्सर्जन (excretion) कहते हैं। शरीर में बनने वाले ऐसे नाइट्रोजनी वर्ज्य व हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी पदार्थ (excretory products) कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

इन वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने वाले अंगों को उत्सर्जी अंग (excretory organs) कहते हैं। उत्सर्जन अंगों को सामूहिक रूप से उत्सर्जन तन्त्र (excretory system) कहते हैं। संक्षेप में- “शरीर के अन्दर प्रोटीन के अपचय के फलस्वरूप उत्पन्न अमोनिया, यूरिया तथा यूरिक अम्ल आदि हानिकारक वर्ज्य पदार्थों को उत्सर्जी अंगों द्वारा शरीर से बाहर त्यागने की प्रक्रिया को उत्सर्जन (excretion) कहते हैं। इस क्रिया से सम्बन्धित अंगों को उत्सर्जन अंग कहते हैं। ”

नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों का उत्सर्जन (Excretion of Nitrogenous Waste Products):
नाइट्रोजनी वर्ज्य (अपशिष्ट पदार्थ अमोनिया, यूरिया एवं यूरिक अम्ल के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं।

इनके आधार पर जन्तुओं की तीन श्रेणियाँ होती हैं-
1. अमोनियोटेलिक जन्तु (Ammoniotelic Animals) – ये वे जन्तु होते हैं जो अपने शरीर से अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं। इस प्रक्रिया को अमोनियोटेलिज्म (ammoniotelism) कहते हैं। अमोनिया जल में घुलनशील होती है, अतः इसे बाहर निकालने के लिए अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। अतः केवल सरल जलीय जन्तु ही अपने जलीय वातावरण में इसका उत्सर्जन करने में समर्थ होते हैं। उदाहरणार्थ – अमीबा, स्पंज, हाइड्रा, जेलीफिश तथा स्वच्छ जलीय मछलियाँ, पोलीकीट कृमि, सेफेलोपोड्स तथा क्रस्टेशियन एवं अन्य मॉलस्क आदि अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं।

2. यूरियोटेलिक जन्तु (Ureotelic Animals) – ये वे जन्तु होते हैं जो नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को यूरिया के रूप में अपने शरीर से बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को यूरियोटेलिज्म (ureotelism) कहते हैं। इसमें अपेक्षाकृत कम जल की आवश्यकता होती है। यूरिया अधिक मात्रा में होने पर विषाक्त होता है।

अतः रुधिर में से इसे पृथक् करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। इसीलिए यूरिया के साथ मूत्र के रूप में काफी मात्रा में जल भी बाहर निकलता है। सभी स्तनी, कुछ सरीसृप, (जैसे-मगर, घड़ियाल, कछुआ आदि), कुछ समुद्री मछलियाँ तथा मेंढक व टोड आदि यूरियोटेलिक जन्तुओं के उदाहरण हैं।

3. यूरिकोटेलिक जन्तु (Uricotelic Animals) – ये वे जन्तु होते हैं। जो नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को यूरिक अम्ल के रूप में अपने शरीर से बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को यूरिकोटेलिज्म (uricotelism) कहते हैं। यूरिक अम्ल ठोस या अर्द्ध ठोस के रूप में उत्सर्जी होता है, उदाहरणार्थ- सभी पक्षी कीट, कुछ सरीसृप, जैसे–छिपकली, गिरगिट, स्थलीय साँप आदि यूरिकोटेलिक जन्तु हैं।

रहता सरल जन्तुओं में उत्सर्जन (Excretion in Simple Animals)
एककोशिकीय प्राणियों; जैसे-संघ प्रोटोजोआ के जन्तु और सबसे निम्नकोटि के बहुकोशिकीय जन्तुओं जैसे स्पंज, सीलेन्ट्रेट्स (हाइड्रा, जैलीफिश आदि) में शरीर की प्रत्येक कोशिका का बाहरी जलीय वातावरण से सीधा सम्पर्क है और ये सामान्य विसरण (simple diffusion) द्वारा अपने उत्सर्जी पदार्थों (मुख्यतः अमोनिया) का इस जल में विसर्जन करती रहती हैं।

इन प्राणियों की कोशिकाओं में निरन्तर उपापचय के कारण उत्सर्जी पदार्थों का सान्द्रण बाहर के जलीय वातावरण की अपेक्षा सदैव अधिक रहता है। इसलिए ये पदार्थ सामान्य विसरण द्वारा कोशिकाओं से बाहर निकलते रहते हैं। अलवण जलीय प्रोटोजोआ एवं स्पंजों की कुछ कोशिकाओं में परासरण नियन्त्रण हेतु संकुचनशील रिक्तिकाएँ (contractile vacuoles) होती हैं। उत्सर्जन के लिए इन सरल प्राणियों में कोई विशिष्ट संरचनाएँ नहीं होती हैं।

प्रश्न 2.
मनुष्य के उत्सर्जी तन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का उत्सर्जी तन्त्र (Excretory System of Human)
मनुष्य एवं अन्य उच्च कशेरुकी प्राणियों का उत्सर्जन तन्त्र नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन तथा परासरण नियमन का कार्य करता है। इसमें निम्नलिखित अंग होते हैं-

  1. एक जोड़ी वृक्क (Kidneys)
  2. एक जोड़ी मूत्र वाहनियाँ (Ureters)
  3. एक मूत्राशय (Urinary Bladder)
  4. एक मूत्र मार्ग (Urethra)

1. वृक्क या गुर्दे (Kidneys) – मनुष्य में एक जोड़ी वृक्क होते हैं, जो उदर गुहा के पृष्ठभाग में डायाफ्राम के नीचे व कशेरुकदण्ड के इधर-उधर (दायें-बायें) स्थित होते हैं। दाहिनी ओर यकृत (Liver) की उपस्थिति के कारण दाहिना वृक्क बायें वृक्क से कुछ आगे स्थित होता है। दोनों वृक्क एक पतली पेरिटोनियम झिल्ली द्वारा उदरगुहा की पृष्ठ दीवार से लगे होते हैं और वसीय ऊतक के अन्दर धँसे होते हैं।

मनुष्य के वृक्क गहरे लाल रंग के तथा सेम के बीज जैसी आकृति के होते हैं। प्रत्येक वृक्क लगभग 10-11 सेमी लम्बा, 5 सेमी चौड़ा तथा 2.5-3 सेमी मोटा होता है। प्रत्येक वृक्क का बाहरी तल उत्तल (convex) तथा भीतरी तल अवतल (Concave) होता है। अवतल सतह की ओर गड्डे जैसी एक रचना होती है, जिसे वृक्क नाभि या हाइलस (hilus) कहते हैं।

इसी से होकर रीनल धमनी (renal artery) वृक्क में प्रवेश करती है और रीनल शिरा (renal vein) तथा मूत्रवाहिनी (ureter) इसमें से बाहर निकलती है। वृक्क के चारों ओर तन्तुमय संयोजी ऊतक का बना पतला रीनल कैप्सूल (renal capsule) होता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 1

2. मूत्रवाहिनियाँ (Ureters) – प्रत्येक वृक्क की नाभि (hilus) से मोटी व पेशीय भित्चि की बनी सँकरी नलिका निकलती है। इसे मूत्वाहिनी (यूरेटर; ureter) कहते हैं। यह नीचे की ओर चलकर झिर्री के समान एक छिद्र द्वारा मूत्राशय में खुलती है। दोनों ओर की मूत्र वाहिनियाँ वृक्कों से मूत्र को लाकर मूत्राशय में पहुँचाती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

3. मूत्राशय (Urinary Bladder) – यह थैले के समान एक पेशीय संरचना है, जिसमें मूत्र का स्थाई रूप से संभह किया जाता है। इसकी भित्ति में तीन स्तर पाए जाते हैं- बाल्य स्तर-पेरीटोनियम का सीरोसा स्तर, मध्य-अरेखित पेशी स्तर तथा आन्तरिक-श्लेष्मिका स्तर। मूत्राशय शंकुरूपी होता है जिसका ऊपरी भाग चौड़ा तथा निचला भाग संकरा होता है।

सँकरा भाग एक छिद्र द्वारा मूत्रोजनन मार्ग (urethra) में खुलता है। इस छिद्र रेखित पेशी की बनी अवरोधनी (sphincter) पायी जाती है। मूत्राशय नर में मलाशय (rectum) के आगे तथा मादा में योनि के ठीक ऊपर पाया जाता है। मूत्राशय में 700-800 मिली मूत्र का संग्रह किया जा सकता है। पक्षियों, सर्पों, घड़ियाल तथा प्रोटोथीरिया वर्ग के जन्तुओं में मूत्राशय का अभाव होता है। परन्तु उड़ानविहीन पक्षी शुतुर्मुर्ग में मूत्राशय पाया जाता है। पक्षियों में मूत्राशय का अभाव इनके उड़ने के लिए अनुकूलन है।

4. मूत्र मार्ग (Urethra) – मूत्राशय की ग्रीवा से एक पतली नलिका निकलती है जिसे मूत्रमार्ग या यूरेश्रा कहते हैं। मूत्रमार्ग द्वारा मूत्र शरीर से बाहर निकलता है। मूत्रमार्ग पर अवरोधनी पेशी (sphincter muscle) उपस्थित होती है जो सामान्यतः मूत्रमार्ग को कसकर बन्द रखती है। मूत्रत्याग के समय अवरोधनी शिथिल हो जाती है, जिससे मूत्र आसानी से बाहर निकल जाता है।

पुरुषों में मूत्रमार्ग लगभग 15 सेमी लम्बा होता है और शिश्न में से होकर गुजरता है। इसमें होकर मूत्र व वीर्य (शुक्ररस जिसमें शुक्राणु उपस्थित होते हैं) दोनों ही बाहर निकलते हैं। स्तियों में मूत्रमार्ग लगभग 4 सेमी लम्बा होता है तथा इसमें केवल मूत्र ही बाहर निकलता है।

नर में मूत्रमार्ग तीन भागों का बना होता है-

  • प्रोस्टेट भाग या यूरिध्रल भाग (Prostatic or Urethral Part) – यह 2.5 सेमी लम्बा होता है जो प्रोस्टेट प्रन्थि के मध्य से गुजरता है। इसी भाग में दोनों शुक्रवाहनियाँ खुलती हैं।
  • झिल्लीनुमा थाग (Membranous Part) – यह प्रोस्टेट ग्रन्थि एवं शिश्न के मध्य का छोटा भाग होता है।
  • शिश्नी भाग (Penile Part) – यह लगभग 15 सेमी लम्बा मार्ग है, जो शिश्न (penis) के कॉर्पस स्पंजियोसम से निकलकर शिश्न मुण्ड के शीर्ष पर बाह्य मत्र छिद्र के रूप में बाहर खुलता है।

प्रश्न 3.
मनुष्य के वृक्क की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। –
उत्तर:
मनुष्य के वृक्क की आन्तरिक संरचना (Internal Structure of Human Kidney)
मनुष्य का प्रत्येक वृक्क या गुर्दा एक दृढ़ तन्तुमय संयोजी ऊतक के बने वृक्क सम्पुट या रीनल कैप्सूल (capsule) से ढँका रहता है। वृक्क की एक अनुलम्ब काट (longitudinal section) में दो भाग स्पष्ट दिखाई देते हैं।
(1) प्रानसस्थ या वल्कीय भाग या वस्कुट (Cortex) -यह वृक्क का बाहरी एवं गहरे लाल रंग का भाग होता है। इसमें वृक्क नलिकाओं या नेफ्रोन्स (uriniferous tubules or nephrons) के मैलपीघी कोष (malpighian capsules) तथा संवलित नलिकाओं के समीपस्थ एवं दुरस्थ भाग स्थित होते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 2

(2) अन्तस्थ या मध्यांश या मज्जक (medulla) – यह वृक्क का भीतरी व हल्के रंग का भाग होता है। अन्तस्थ का मध्यभाग एक स्पष्ट वृक्क अंकुर (renal papilla) के रूप में वृक्क नाभि (hilum or hilus) की ओर उभरा होता है। प्रान्तस्थ भाग के कुछ छोटे-छोटे एवं सँकरे उभार अन्तस्थ के बाहरी भाग में धँसे रहते हैं। इन्हें बर्टिनी के वृक्क स्तम्भ (renal columns of Bertini) कहते हैं।

इनके कारण अन्तस्थ (medulla) का बाहरी भाग 6-12 शंक्वाकार उभारों के रूप में बँटा-सा दिखाई देता है। जिन्हें पिरामिझ्स (pyramids) कहते हैं। ये पिरामिड्स ही वृक्क नाभि की ओर वृक्क अंकुर (Renal papilla) के रूप में एक कीप जैसे भाग-पेल्विस (Pelvis) में उभरे रहते हैं।

यहीं से मूत्रवाहिनी (ureter) निकलती है। पेल्विस (वृक्क श्रोणि) पिरामिड्स की ओर छोटी-छोटी शाखाओं में बँटी रहती है जिन्हें वृद् कैलिक्स (major calyx) कहते हैं। ये फिर लघु कैलिक्स (minor calyxes) में बँटे रहते हैं। वृक्क अंकुर लघु कैलिक्स के उपर खुलते हैं। मनुष्य के प्रत्येक वृक्क में 10-12 लाख सूक्ष्म, बहुत लम्बी तथा कुण्डलित वृक्क नलिकाएँ या नेक्रॉन्स होती हैं।

ये संयोजी ऊतक में रुधिर वाहनियों, लसीका वाहनियों, तन्त्रिका एवं पेशी तन्तुओं सहित दबी हुई व सटी हुई रहती हैं। ये उत्सर्जन की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाइयाँ होती हैं। प्रत्येक वृक्क नलिका के निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं-

  • मैल्पीघी सम्पुट (Malpighian capsule),
  • प्रीवा (Neck),
  • समीपस्थ कुण्डलित नलिका,
  • हेनले लूप (Henle’s loop),
  • दूरस्थ कुण्डलित नलिका,
  • संमह नलिका (Collecting duct)।

वृक्क नलिकाओं के मैलपीघी सम्पुट, ग्रीवा, समीपस्थ कुण्डलित नलिका युक्त भाग तो प्रान्तस्थ (cortex) में और इनका हेनले. लूप वाला भाग अन्तस्थ (medulla) में स्थित रहता है।

वृक्क नलिकाएँ (नेक्रॉन्स) भी दो प्रकार की होती हैं-

  • वल्कुटीय नेक्रॉन्स (Cortical nephrons) – इनका मैलपीघी सम्पुट प्रान्तस्थ (cortex) में दूर स्थित होता है।
  • मध्यांशीय नेक्रॉंस्स (Medullary nephrons) – इनका मैलपीघी सम्पुट अन्तस्थ (medulla) के बहुत ही समीप स्थित होता है।

प्रान्तस्थ और अन्तस्थ के जोड़ पर वृक्क शिरा (renal vein) तथा वृक्क धमनी (renal artery) समान्तर चलती है तथा धमनी से धमनिकाएँ निकलकर केशिका गुच्छ (ग्लोमेरुलस- glomerulus) बनाती हैं तथा वृक्क नलिका के कुण्डलित भाग के चारों ओर केशिका जाल बनाती हैं। ये केशिकाएँ मिलकर शिरिकाएँ बनाती हैं जो अन्त में वृक्क शिरा में खुलती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 4.
मनुष्य की वृक्क नलिका या नेफ्रोन की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य की वृक्क नलिका या नेफ्रॉन की संरचना (Structure of Urineferous Tubule or Nephron)
वृक्क नलिकाएँ वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती हैं। मनुष्य के प्रत्येक वृक्क में लगभग 10-12 लाख सूक्ष्म, बहुत्त लम्बी व कुण्डलित वक्क नलिकाएँ होती हैं। प्रत्येक वृक्क नलिका में निम्नलिखित भाग होते हैं-
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 3

(1) मैलपीघी कोष (Malpighian Capsule)-प्रत्येक वृक्क नलिका का अगला स्वतत्र सिरा प्यालेवत् दोहरी दीवार का बना हुआ होता है। इसे बोमेन समपट (Bowman’s capsule) कहते हैं। यह दोही दीवार का बना होता है। बाहरी दीवार शल्की एपिथीलियम की बनी होती है तथा भीतरी दीवार पोडोसाइद्स (podocytes) नामक विशेष प्रकार की कोशिकाओं की बनी होती है।

पोडोसाइट्स से अनेक अंगुलीवत् प्रवर्ध बाहर की ओर निकलकर ग्लोमेरलस की केशिकाओं से लिपटे रहते हैं। केशिकाओं एवं पोड़साइट्स के प्रवर्धों की दीवरों मिलकर महीन ग्लोमेरूलस कला बनाती हैं जिसमें होकर परानिस्यंदन (ultrafiltration) होता है। बोमेन समुट में कोशिका गुच्छ या ग्लोमेरलस (glomerulus) नामक रुधर कोशिकाओं का घना जाल स्थित होता है।

बोमेन सम्युट तथा केशिका गुच्छ को सम्मिलित रूप में मैलपीघी कोष कहते हैं। केशिका गुच्छ में रुधिर अभिवाही धमनिका (afferent arteriole) द्वारा प्रवेश करता है तथा अपवाही धमनिका (efferent arteriole) द्वारा बाहर निकलता है। अभिवाही धमनिका का व्यास अपवाही धमनिका के व्यास से अधिक होता है, जिसके कारण केशिका गुच्छ में रुधर दाब बढ़ जाता है।

अपवाही धमनिका पुनः वृक्क नलिका के कुण्डलित भाग पर केशिकाओं का जाल बनाती है। जिसे परिनलिका केशिका जालक (peritubular capillary network) कहते हैं। ये केशिकाएँ मिलकर वृक्क शिरा (renal vein) के रूप में बाहर आती हैं।

(2) ग्रीवा (Neck) – बोमेन समुट का निचला भाग पतली नलिका के रूप में होता है जिसे प्रीवा कहते हैं। यह भीतर की ओर रोमाभि उपकला (ciliated epithelium) से स्तरित रहती है तथा निस्यंदन (filtrate) को आगे की ओर प्रवाहित करने में सहायता करती है।

(3) वृक्क नलिका का स्रावी भाग (Secretory Part of nephron)-प्रीवा के पीछे वृक्क नलिका अत्यधिक लम्बी, स्रावी एवं कुण्डलित होती है।
(i) समीपस्थ कुण्डलित नलिका (Proximal convoluted tubule)-यह बोमेन सम्पुट से निकलने वाली छोटी, मोटी एवं कुण्डलित नलिका होती है। आगे की ओर यह पतली और सीधी हो जाती है। यह भाग घनाकार उपकला (cuboidal epithelium) का बना होता है। कोशिकाओं की स्वतन्त्र सतह पर सूक्ष्मांकुर (microvilli) होते हैं। ये समीपस्थ कुण्डलित नलिका को अवशोषण के उपयुक्त बनाते हैं।

(ii) हेनले लूप (Henle’s loop) – समीपस्थ कुण्डलित भाग के बाद वृक्क नलिका का कुछ भाग सीधा और चाप ‘ U ‘ के रूप में होता है। इसे हेनले लूप कहते हैं। इसकी अवरोही नलिका (descending tubule) समीपस्थ कुण्डलित नलिका से मिली रहती है तथा आरोही़ नलिका (ascending tubule) दूरस्थ कुण्डलित नलिका से मिली रहती है।

(iii) दूरस्थ कुष्डलित नलिका (Distal convoluted tubule) – हेनले लूप की आरोही नलिका से मिली हुई यह नलिका भी समीपस्थ कुण्डलित नलिका के समान छोटी-मोटी और कुण्डलित होती है तथा इसी के समीप स्थित रहती है और किसी संग्रह नलिका (collecting duct) में खुलती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 4

(4) संग्रह नलिका (Collecting duct) – अनेक वृक्क नलिकाएँ अन्त में संम्रह नलिका में खुलती हैं। संप्रह नलिका वृक्क नलिका का भाग नहीं है। कई संप्रह नलिकाएँ (जो अन्तस्थ के पिरैमिड्स में स्थित होती हैं) एक चौड़ी प्रमुख संम्रह नलिका में खुलती है, जिसे बेलिनी की नलिका (duct of Bellini) कहते हैं। सभी बेलिनी की नलिकाएँ वृक्क अंकुरों के शिखर पर मूत्रवाहिनी (ureter) में खुलती हैं।

वृक्क नलिकाओं (नेफ्रोन) के प्रकार (Kinds of Nephrons)
मनुष्य (तथा अन्य स्तनियों) के वृक्कों में स्थिति, लम्बाई तथा रुधि आपूर्ति में भिन्न दो स्पष्ट प्रकार की वृक्क नलिकाएँ होती हैं-
(1) वल्कलीय या वस्कुटीय वृक्क नलिकाएँ (Cortical nephrons) – इनकी संख्या लगभग 80% होती है। ये अपेक्षाकृत छोटी होती हैं। इनके बोमेन सम्पुट वृक्कों की सतह के अधिक निकट स्थित होते हैं। इनके हेनले के लूप बहुत छोटे और वृक्कों के अन्तस्थ या मज्जक (medullary) भाग के कुछ ही दूर तक फैले होते हैं।

(2) मध्यांशीय वृक्क नलिकाएँ या जक्स्टामेडुलरी नेक्रॉंन (Medullary nephron or Juxtamedullary nephron) – इनकी संख्या लगभग 20% होती है। ये वल्कीय वृक्क नलिकाओं को अपेक्षा बड़ी होती हैं। इनके वोमैन सम्पुट वृक्कों के प्रान्तस्थ या वल्कीय (Cortical) तथा अन्तस्थ या मज्जक (medullary) भागों के संगम क्षेत्र में स्थित होते हैं तथा इनके हेनले लूप बहुत लम्बे और वृक्कों के मज्जक (medullary) भाग के पिरामिडों में लगभग पूरी गहराई तक फैले होते हैं । इनके हेनले लूप के समान्तर एक ‘ U ‘ के आकार की कोशिका होती है, जिसे वासा रेक्टा (vasa recta) कहते हैं। ये कोशिकाएँ जल के पुनरावशोषण में सहायता करती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 5.
मनुष्य में यूरिया के निर्माण की क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मूत्र निर्माण (Formation of Urine)
यकृत कोशिकाओं में बने यूरिया को रुधिर द्वारा वृक्कों में लाया जाता है। यकृत से यूरिया युक्त रुधि यकृत शिरा द्वारा पश्च महाशिरा में डाल दिया जाता है। पश्च महाशिरा से यूरिया युक्त रधधर वृक्कों में पहुँचता है। वृक्कों में यूरिया को रुधिर से पृथक् किया जाता है। इसे मूत्र निर्माण कहते हैं। मूत्र निर्माण की क्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है-

  • परानिस्यन्दन (Ultrafiltration),
  • वरणात्मक पुनरावशोषण (Selective reabsorption),
  • स्रावण (Secretion)।

1. परानिस्यन्दन या अस्ट्राफिल्ट्रेशन (Ultrafiltration) – वृक्क के बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) सूक्ष्म छलनी की भाँति कार्य करते हैं। मनुष्य के ग्लोमेरलस (glomerulus) में लगभग 50 समानान्तर केशिकाएँ पायी जाती हैं। इसमें अभिवाही धमनिका (afferent arteriole) यूरिया युक्त रुधिर लाती है तथा अपवाही धमनिका (efferent arteriole) इससे रुधिर बाहर ले जाती है।

ग्लोमेरुलस की दीवार में असंख्य छिद्र होते हैं, जिनका व्यास लगभग 0.1µm होता है, इन छिद्रों में से प्लाज्मा में घुले पदार्थ छनकर निकल सकते हैं। छिद्रित दीवार की पारगम्यता (permeability) सामान्य रुधिर केशिकाओं की अपेक्षा 100 से 1000 गुना अधिक होती है। ग्लोमेरूलस में आने वाला रुधिर जितना तेजी से आता है, बाहर जाते समय उतनी तेजी से नहीं जा पाता है।

इसी कारण एक स्वस्थ मनुष्य में ग्लोमेरूलस में आने वाले रुधिर का रुधिर दाब 70mm Hg होता है, जबकि ग्लोमेरुलस से जाते समय रीधर दाब 30mm Hg होता है। इसके फलस्वरूप ग्लोमेरुलस के रुधिर से तरल प्लाज्मा (plasma) व उत्सर्जी पदार्थ बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) की गुहा में पहुँच जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 5

ग्लोमेरूलस से छनकर बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) की गुहा में जाने वाले द्रव को ग्लोमेरलर निस्यन्द (glomerular filtrate) कहते हैं। इसमें रुधिर के जल का 95% भाग, अमीनो अम्ल (amino acids), यूरिया (urea), ग्लूकोस (glucose), यूरिक अम्ल (uric acid), क्रिएटिन (criatine) तथा लवण (salts) होते हैं। बोमेन सम्मुट के नीचे म्रीवा (neck) का भीतरी अस्तर पक्ष्माभी एपिथीलियम का बना होता है। पक्ष्माभों (cilia) की गति से ग्लोमेरलर फिल्ट्रेट तेजी से नलिका में आगे बढ़ता रहता है।

(2) वरणात्पक पुनरावशोषण (Selective Reabsorption) – ग्लोमेरूलर निस्यन्द (Glomerular filtrate) में रुधिर के जल का 95% भाग छनकर आ जाता है परन्तु इसका लगभग 0.8 % भाग ही मूत्र में परिवर्तित होकर बाहर निकलता है। शेष भाग का रुधिर में पुन: अवशोषण हो जाता है। लाभदायक पदार्थों का वृक्क नलिकाओं से पुनः रुधर में पहुँचना वरणात्मक पुनरावशोषण (selective reabsorption) कहलाता है। यह पुन: अवशोषण निम्नानुसार होता है-

(i) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में पुनरावशोषण (Reabsorption in Proximal Convoluted Tubules) – इन कोशिकाओं द्वारा निस्यन्द का लगभग 75% भाग अवशोषित होकर परिनलिका केशिका जाल (peritubular capillary network) के रुधिर में पहुँचता है। जिसके फलस्वरूप ग्लूकोज (glucose), ऐमीनो अम्ल (amino acids), विटामिन (vitamins), अकार्बनिक लवण, जैसे – फॉस्फेट, स्ल्फेट, सोडियम, कैल्सियम, पोटैशियम आदि सक्रिय गमन (active transport) द्वारा पुनः रुधिर में चले जाते हैं, परासरण द्वारा जल भी रुधिर में पहुँचता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 6

(ii) हेन्ले के लूप में पुनरावशोषण (Reabsorption in Loop of Henle) – इसके तीन भाग होते हैं-
(अ) अवरोही भुजा (Descending Limb) – लूप का यह भाग मैड्यूला में स्थित होता है जिस कारण यहाँ सोडियम आयन Na+ की अधिकता होती है। इस कारण यहाँ जल का अधिक मात्रा में अवशोषण होता है तथा सोडियम Na+ पोटैशियम K+ तथा क्लोराइड CI आयनों का अवशोषण कम होता है।

(ब) आरोही भुआ का महीन खण्ड (Thin Segment of Ascending Limb) – यह जल के लिए अपारगम्य, यूरिया के लिए अर्द्धपारगम्य तथा Na+ एवं CI के लिए पूर्ण पारगम्य होता है।

(स) आरोही भुजा का चौड़ा खण्ड (Thick Segment of Ascending Limb) – इस खण्ड की दीवार मोटी व जल और यूरिया के लिए अपारगम्य होती है। यहाँ Na+ तथा CI आयनों का सक्रिय अभिगमन द्वारा निस्यन्द से बाहर स्थानान्तरण होता है।

(iii) दूरस्थ कुण्डलित नलिका में पुनरावशोषण (Reabsorption in Distal Convoluted Tubule)-इस भाग में सोडियम आयनों Na+तथा क्लोराइड आयनों CI का सक्रिय अभिगमन द्वारा अवशोषण होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

(3) स्रावण (Secretion)- कुछ हानिकारक पदार्थ, जैसे- रंगा पदार्थ (pigments), कुछ औषधियाँ (drugs), यूरिक अम्ल (uric acid) इत्यादि हानिकारक पदार्थ परानिस्यन्दन (ultrafiltration) द्वारा नहीं छन पाते हैं। हेनले के लूप तथा समीपस्थ एवं दूरस्थ कुण्डलित नलिकाओं की उपकला कोशिकाएँ इन अपशिष्ट पदार्थों को सक्रिय अभिगमन द्वारा वृक्क नलिकाओं (nephrons) की गुहा में मुक्त करती रहती हैं। इस प्रक्रिया को नलिकीय स्रावण (secretion) कहते हैं। संप्राहक नलिका (collecting tubule) के अन्तिम भाग में ग्लोमेरलर निस्यन्द (glomerular filtrate) मूत्र (Urine) कहलाने लगता है।

मूत्र (Urine) – ग्लोमेलुलर निस्यन्द का अवशेष, जो पेल्विस में तथा वहाँ से मूत्रवाहिनी में पहुँचता है, मूत्र (urine) होता है। मूत्र में सामान्यतया 95% जल, 2% अनावश्यक लवण, 2.6% यूरिया, 0.3% क्रिटिनीन, सूक्ष्म मात्रा में यूरिक अम्ल तथा अन्य पदार्थ होते हैं। मूत्र का पीला रंग यूरोक्रोम (urochrome) के कारण होता है। मूत्र हल्का अम्लीय (pH-6) होता है। निम्न ताप पर मूत्र अधिक मात्रा में उत्सर्जित होता है। उच्च ताप, शारीरिक परिश्रम तथा अधिक पसीना आने के कारण मूत्र की मात्रा कम हो जाती है। चाय, कॉफी, ऐल्कोहॉल आदि के प्रभाव से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। इन पदार्थों को मूत्रलता (diuretic) कहते हैं।

मूत्र का संगठन

जल95%
अकार्बनिक लवण1.5%Na+Mg++K+PO2,Se
यूरिया2.6%
यूरिक अम्ल0.5%
हिप्यूरिक अम्ल.0.5%
अमोनिया0.25%
क्रिएटिन, क्रिऐटिनिन0.5%

प्रश्न 6.
मनुष्य में मूत्र निर्माण कहाँ होता है ? मूत्र निर्माण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
मूत्र निर्माण (Formation of Urine)
यकृत कोशिकाओं में बने यूरिया को रुधिर द्वारा वृक्कों में लाया जाता है। यकृत से यूरिया युक्त रुधि यकृत शिरा द्वारा पश्च महाशिरा में डाल दिया जाता है। पश्च महाशिरा से यूरिया युक्त रधधर वृक्कों में पहुँचता है। वृक्कों में यूरिया को रुधिर से पृथक् किया जाता है। इसे मूत्र निर्माण कहते हैं। मूत्र निर्माण की क्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है-

  • परानिस्यन्दन (Ultrafiltration),
  • वरणात्मक पुनरावशोषण (Selective reabsorption),
  • स्रावण (Secretion)।

(1) परानिस्यन्दन या अस्ट्राफिल्ट्रेशन (Ultrafiltration) – वृक्क के बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) सूक्ष्म छलनी की भाँति कार्य करते हैं। मनुष्य के ग्लोमेरलस (glomerulus) में लगभग 50 समानान्तर केशिकाएँ पायी जाती हैं। इसमें अभिवाही धमनिका (afferent arteriole) यूरिया युक्त रुधिर लाती है तथा अपवाही धमनिका (efferent arteriole) इससे रुधिर बाहर ले जाती है।

ग्लोमेरुलस की दीवार में असंख्य छिद्र होते हैं, जिनका व्यास लगभग 0.1µm होता है, इन छिद्रों में से प्लाज्मा में घुले पदार्थ छनकर निकल सकते हैं। छिद्रित दीवार की पारगम्यता (permeability) सामान्य रुधिर केशिकाओं की अपेक्षा 100 से 1000 गुना अधिक होती है। ग्लोमेरूलस में आने वाला रुधिर जितना तेजी से आता है, बाहर जाते समय उतनी तेजी से नहीं जा पाता है।

इसी कारण एक स्वस्थ मनुष्य में ग्लोमेरूलस में आने वाले रुधिर का रुधिर दाब 70mm Hg होता है, जबकि ग्लोमेरुलस से जाते समय रीधर दाब 30mm Hg होता है। इसके फलस्वरूप ग्लोमेरुलस के रुधिर से तरल प्लाज्मा (plasma) व उत्सर्जी पदार्थ बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) की गुहा में पहुँच जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 7

ग्लोमेरूलस से छनकर बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) की गुहा में जाने वाले द्रव को ग्लोमेरलर निस्यन्द (glomerular filtrate) कहते हैं। इसमें रुधिर के जल का 95% भाग, अमीनो अम्ल (amino acids), यूरिया (urea), ग्लूकोस (glucose), यूरिक अम्ल (uric acid), क्रिएटिन (criatine) तथा लवण (salts) होते हैं। बोमेन सम्मुट के नीचे म्रीवा (neck) का भीतरी अस्तर पक्ष्माभी एपिथीलियम का बना होता है। पक्ष्माभों (cilia) की गति से ग्लोमेरलर फिल्ट्रेट तेजी से नलिका में आगे बढ़ता रहता है।

(2) वरणात्पक पुनरावशोषण (Selective Reabsorption) – ग्लोमेरूलर निस्यन्द (Glomerular filtrate) में रुधिर के जल का 95% भाग छनकर आ जाता है परन्तु इसका लगभग 0.8 % भाग ही मूत्र में परिवर्तित होकर बाहर निकलता है। शेष भाग का रुधिर में पुन: अवशोषण हो जाता है। लाभदायक पदार्थों का वृक्क नलिकाओं से पुनः रुधर में पहुँचना वरणात्मक पुनरावशोषण (selective reabsorption) कहलाता है। यह पुन: अवशोषण निम्नानुसार होता है-

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

(i) समीपस्थ कुण्डलित नलिका में पुनरावशोषण (Reabsorption in Proximal Convoluted Tubules) – इन कोशिकाओं द्वारा निस्यन्द का लगभग 75% भाग अवशोषित होकर परिनलिका केशिका जाल (peritubular capillary network) के रुधिर में पहुँचता है। जिसके फलस्वरूप ग्लूकोज (glucose), ऐमीनो अम्ल (amino acids), विटामिन (vitamins), अकार्बनिक लवण, जैसे – फॉस्फेट, स्ल्फेट, सोडियम, कैल्सियम, पोटैशियम आदि सक्रिय गमन (active transport) द्वारा पुनः रुधिर में चले जाते हैं, परासरण द्वारा जल भी रुधिर में पहुँचता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 8

(ii) हेन्ले के लूप में पुनरावशोषण (Reabsorption in Loop of Henle) – इसके तीन भाग होते हैं-
(अ) अवरोही भुजा (Descending Limb) – लूप का यह भाग मैड्यूला में स्थित होता है जिस कारण यहाँ सोडियम आयन Na+ की अधिकता होती है। इस कारण यहाँ जल का अधिक मात्रा में अवशोषण होता है तथा सोडियम Na+ पोटैशियम K+ तथा क्लोराइड CI आयनों का अवशोषण कम होता है।

(ब) आरोही भुआ का महीन खण्ड (Thin Segment of Ascending Limb) – यह जल के लिए अपारगम्य, यूरिया के लिए अर्द्धपारगम्य तथा Na+ एवं CI के लिए पूर्ण पारगम्य होता है।

(स) आरोही भुजा का चौड़ा खण्ड (Thick Segment of Ascending Limb) – इस खण्ड की दीवार मोटी व जल और यूरिया के लिए अपारगम्य होती है। यहाँ Na+ तथा CI आयनों का सक्रिय अभिगमन द्वारा निस्यन्द से बाहर स्थानान्तरण होता है।

(iii) दूरस्थ कुण्डलित नलिका में पुनरावशोषण (Reabsorption in Distal Convoluted Tubule)-इस भाग में सोडियम आयनों Na+ तथा क्लोराइड आयनों CI का सक्रिय अभिगमन द्वारा अवशोषण होता है।

(3) स्रावण (Secretion)- कुछ हानिकारक पदार्थ, जैसे- रंगा पदार्थ (pigments), कुछ औषधियाँ (drugs), यूरिक अम्ल (uric acid) इत्यादि हानिकारक पदार्थ परानिस्यन्दन (ultrafiltration) द्वारा नहीं छन पाते हैं। हेनले के लूप तथा समीपस्थ एवं दूरस्थ कुण्डलित नलिकाओं की उपकला कोशिकाएँ इन अपशिष्ट पदार्थों को सक्रिय अभिगमन द्वारा वृक्क नलिकाओं (nephrons) की गुहा में मुक्त करती रहती हैं। इस प्रक्रिया को नलिकीय स्रावण (secretion) कहते हैं। संप्राहक नलिका (collecting tubule) के अन्तिम भाग में ग्लोमेरलर निस्यन्द (glomerular filtrate) मूत्र (Urine) कहलाने लगता है।

मूत्र (Urine) – ग्लोमेलुलर निस्यन्द का अवशेष, जो पेल्विस में तथा वहाँ से मूत्रवाहिनी में पहुँचता है, मूत्र (urine) होता है। मूत्र में सामान्यतया 95% जल, 2% अनावश्यक लवण, 2.6% यूरिया, 0.3% क्रिटिनीन, सूक्ष्म मात्रा में यूरिक अम्ल तथा अन्य पदार्थ होते हैं। मूत्र का पीला रंग यूरोक्रोम (urochrome) के कारण होता है। मूत्र हल्का अम्लीय (pH-6) होता है।

निम्न ताप पर मूत्र अधिक मात्रा में उत्सर्जित होता है। उच्च ताप, शारीरिक परिश्रम तथा अधिक पसीना आने के कारण मूत्र की मात्रा कम हो जाती है। चाय, कॉफी, ऐल्कोहॉल आदि के प्रभाव से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। इन पदार्थों को मूत्रलता (diuretic) कहते हैं।

प्रश्न 7.
मानव में उत्सर्जन से सम्बन्धित प्रमुख क्रिया रोगों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
उत्सर्जन सम्बन्धी रोग (Disorders Related to Excretion)
मानव में उत्सर्जन क्रिया में अनियमितता होने पर कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं-

  1. यूरेमिया (Uremia) – जब रक्त में यूरिया की मात्रा सामान्य मात्रा (10-30) mg प्रति 100 ml से अधिक हो जाती है तो यह स्थिति यूरेमिया (uremia) कहलाती है।
  2. गॉड्ट (Gout) – यह एक आनुवंशिक रोग होता है जिसमें रक्त में यूरिक अम्ल (uric acid) की मात्रा अधिक हो जाती है तथा यह सन्धियों (joints) तथा वृक्क ऊतकों (kidney tissues) में जमा हो जाता है।
  3. वृक्क पथरी (Kidney stones) – सामान्यतः वृक्क श्रोणि (renal pelvis) में यूरिक अम्ल के क्रिस्टल, कैल्सियम के ऑक्सलेट्स, फॉस्फेट लवण इत्यादि पथरी के रूप में जमा हो जाते हैं जिसमें रोगी को दर्द या मूत्र त्याग में बाधा उत्पन्न होती है।
  4. बाइट का रोग अधवा नेक्रिटिस (Bright’s Disease or Nephritis) – इस रोग में ग्लोमेरुलस में जीवाणु संक्रमण (bacterial infection) के कारण ग्लोमेरूलस में सूजन आ जाती है जिस कारण लाल रक्ताणु तथा प्रोटीन थी छनकर निस्यन्द (filtrate) में आ जाते हैं।
  5. ग्लाइकोसूरिया (Glycosuria)-मूत्र (urine) में शर्करा (glucose) की उपस्थिति एवं उत्सर्जन ग्लाइकोसूरिया (glycosuria) कहलाता है। यह रोग इन्सुलिन हॉर्मोन (insuline hormone) की कमी से उत्पन्न होता है।
  6. डिसयूरिया (Disurea) – मूत्र त्याग के समय दर्द की अवस्था डिसयूरिया कहलाती है।
  7. पोलीयूरिया (Polyurea) – वृक्क नलिकाओं (nephrons) द्वारा पुन: अवशोषण (Re-absorption) में कमी आने या न होने से मूत्र के आयतन के बढ़ने की अवस्था पोलीयूरिया (polyurea) कहलाती है।
  8. सिस्टिटि (Cystitis) – मूत्राशय (Urinay bladder) में सूजन आ जाने से यह रोग उत्पन्न होता है।
  9. डायबिटीज इन्सिपिड्स (Diabetes Insipidus) – पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) द्वारा स्नावित एण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (ADH) के कम स्नावण के कारण दूरस्थ कुण्डलित नलिका (distal convoluted tubules) एवं संयाहक नलिका (collecting tubule) में जल के अवशोषण में कमी आती है जिस कारण रोगी बार-बार अधिक मात्रा में मूत्र त्याग करता है।
  10. ओलीगोयूरिया (Oligouria) – मूत्र (urine) की बहुत कम मात्रा के निर्माण होने से यह रोग उत्पन्न होता है।
  11. प्रोटीन्यूरिया (Proteinuria) – मूत्र में प्रोटीन की मात्रा का सामान्य से अधिक होना प्रोटीन्यूरिया कहते हैं।
  12. एल्ब्यूमिनयूरिया (Albuminuria) – नेफ्रोन के ग्लोमेरूलस में सूजन के कारण अल्ट्रा छिद्रों (ultra pore) का व्यास बढ़ जाता है जिसे नेक्राइटिस (Nephritis) कहते हैं। इस रोग के कारण मूत्र में एल्ब्यूमिन प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
  13. कीटोन्यूरिया (Ketonuria) – मूत्र में कीटोनकाय जैसे ऐसीटिक अम्ल आदि की मात्रा का बढ़ना कीटोन्यूरिया कहलाती है।
  14. हीमेटोयूरिया-मूत्र के साथ लाल रक्त कणिकाओं (RBC) का निष्कासित होना हीमेटोयूरिया कहलाता है।
  15. हीमोग्लोबिनयूरिया (Haemoglobinuria) – मूत्र में हीमोग्लोबिन की उपस्थिति हीमोग्लोबिनयूरिया कहलाती है।
  16. पाइयूरिया (Pyuria) – मूत्र में मवाद कोशिकाओं (pus cells) का पाया जाना पाइयूरिया कहलाती है।
  17. पीलिया (Jaundice) – मूत्र में पित्त वर्णकों का अस्यधिक मात्रा में पाया जाना पीलिया कहलाता है। यह प्रायः हिपेटाइटिस या पित्त नलिका में रुकावट के समय दिखाई देता है।
  18. एल्कैप्टोन्यूरिया (Alcaptonuria) – मूत्र में एल्कैप्टोन या होमोजेन्टीसिक अम्ल का पाया जाना एल्कैप्टोन्यूरिया कहलाता है। जब एल्कैप्टोन वायु के सम्पर्क है तो मूत्र काले रंग का दिखाई देता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(अ) अपोहन
(ब) परानिस्यंदन
(स) चयनात्मक पुनः अवशोषण
(द) जक्स्टा ग्लोमेरुलर उपकरण ।
उत्तर:
(अ) अपोहन
अपाहन या हामाडाइालासस (Haemodialysis)
वृक्कों के निक्क्रिय होने पर रक्त में यूरिया एकत्रित हो जाता है। इसे यूरिनिया (urenia) कहते हैं जो कि अत्यन्त हानिकारक है। यह वृक्क-पात (kidney failure) के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है। इसके मरीजों में यूरिया का निष्कासन हीमोडाइलिसिस (रक्त अपोहन) द्वारा होता है। इस क्रिया में रोगी की मुख्य धमनी से रक्त निकालकर 0° पर उण्डा करते हैं।

अथवा इस रक्त में हिपेरिन (heparin) नामक थक्कारोधी (प्रतिस्कन्दक) मिलाते हैं। तत्पश्चात् इस रक्त को अपोहनकारी इकाई में भेजा जाता है। इस इकाई में एक कुण्डलित सेलोफेन नली होती है और यह ऐसे द्रव से घिरी रहती है, जिसका संगठन नाइट्रोजनी अपशिष्टों को छोड़कर प्लाज्मा के समान होता है।

छिद्र युक्त सेलोफेन झिल्ली से अपोहनी द्रव में अणुओं का आवागमन सान्द्रण प्रवणता के अनुसार होता है। अपोहनी द्रव में नाइट्रोजनी अपशिष्ट अनुपस्थित होते हैं, अतः वे पदार्थ बाहर की ओर गमन करते हैं और रक्त को शुद्ध करते हैं। शुद्ध रक्त में हिपेरिन विरोधी डालकर, उसे रोगी की शिराओं द्वारा पुनः शरीर में भेज दिया जाता है। हीमोडाइलिसिस विधि द्वारा यूरिमिया व्याधि से रोगियों का उपचार किया जाता है।

(ब) परानिस्यंदन
(1) परानिस्यन्दन या अल्ट्राफिल्ट्रेशन (Ultrafiltration) – वृक्क के बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) सूक्ष्म छलनी की भाँति कार्य करते हैं। मनुष्य के ग्लोमेरूलस (glomerulus) में लगभग 50 समानान्तर केशिकाएँ पायी जाती हैं। इसमें अभिवाही धमनिका (afferent arteriole) यूरिया युक्त रुधिर लाती है तथा अपवाही धमनिका (efferent arteriole) इससे रुधिर बाहर ले जाती है। ग्लोमेरुलस की दीवार में असंख्य छिद्र होते हैं, जिनका व्यास लगभग 0.1 µm होता है, इन छिद्रों में से प्लाज्मा में घुले पदार्थ छनकर निकल सकते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 9

छिद्रित दीवार की पारगम्यता (permeability) सामान्य रुधिर केशिकाओं की अपेक्षा 100 से 1000 गुना अधिक होती है। ग्लोमेरुलस में आने वाला रुधिर जितना तेजी से आता है, बाहर जाते समय उतनी तेजी से नहीं जा पाता है। इसी कारण एक स्वस्थ मनुष्य में ग्लोमेरुलस में आने वाले रुधिर का रुधिर दाब 70 mm Hg होता है, जबकि ग्लोमेरुलस से जाते समय रुधर दाब 30mm = Hg होता है।

इसके फलस्वरूप ग्लोमेरुलस के रुधिर से तरल प्लाज्मा (plasma) व उत्सर्जी पदार्थ बोमेन सम्पट (Bowman’s capsule) की गुहा में पहुँच जाते हैं। ग्लोमेरलस से छनकर बोमेन सम्पुट (Bowman’s capsule) की गुहा में जाने वाले द्रव को ग्लोमेरेलर निस्यन्द (glomerular filtrate) कहते हैं।

इसमें रुधिर के जल का 95% भाग, अमीनो अम्ल (amino acids), यूरिया (urea), ग्लूकोस (glucose), यूरिक अम्ल (uric acid), क्रिएटिन (criatine) तथा लवण (salts) होते हैं। बोमेन सम्मुट के नीचे प्रीवा (neck) का भीतरी अस्तर पक्ष्माभी एपिथीलियम का बना होता है। पक्ष्माभों (cilia) की गति से ग्लोमेरुलर फिल्टेट तेजी से नलिका में आगे बढ़ा रहता है।

(स) चयनात्मक पुनः अवशोषण
वरणात्भक पुनरावशोषण (Selective Reabsorption) – ग्लोमेरुलर निस्यन्द (Glomerular filtrate) में रुधिर के जल का 95% भाग छनकर आ जाता है परन्तु इसका लगभग 0.8% भाग ही मूत्र में परिवर्तित होकर बाहर निकलता है। शेष भाग का रुधिर में पुन: अवशोषण हो जाता है। लाभदायक पदार्थों (र)। यह पन: अवशोषण निम्नानुसार होता है-

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन

(द) जक्स्टा ग्लोमेरुलर उपकरण ।
(ii) सानिध्य मध्यांश वृक्काणु या जक्स्ता मैड्यूलरी नेक्रान्स (Juxta medullary nephrons)
ये कुल नेक्रॉन्स का5-35% होते हैं। ये वृक्क में कार्टेक्स व मेड्यूला के मिलने के स्थान पर पाए जाते हैं। इनके हेनले के लूप लम्बे होते हैं जोकि वृक्क अंकुर (renal papilla) तक फैले होते हैं। इनकी परिनलिका केशिका जाल आलपिन की नोंक जैसा लूप बनाता है जिसे वासा रेक्टा (vasa recta) या
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन 10

रीटी माइेबिल (rete Mirabile) कहते हैं। इसमें बोमेन सम्पुट, आरोही भुजा तथा अभिवाही व अपवाही धमनिका में विशिष्ट कोशिकाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें क्रमशः पोल्कीसन कोशिका (polkisson cells), मैक्युला डेस्सा (macula densa) तथा जक्स्टा म्लोमेरललर कोशिका (Juxta-Glomerular cells) कहते हैं। ये तीनों प्रकार की कोशिकाएँ मिलकर जक्स्टा-ग्लोमेुलर समिश्र (Juxta-glomerular apparatus) बनाते हैं। ये अन्त्रान्रावी प्रन्थि की भाँति कार्य कर वृक्क हामोंन रेनिन का स्रावण करते हैं।

वृक्कों में गुच्छ निस्यंदन की दर के नियमन के लिए गुच्छीय आसन्न उपकरण या जक्स्टा ग्लोमेरुलर समिश्र पाया जाता है जो अभिवाही व अपवाही धमनिकाओं के दूरस्थ कुण्डलित नलिका की केशिकाओं के रूपान्तरण से बनता है। इसी के सक्रियण से रेनिन का स्रावण होता है। रेनिन मून्र के सान्द्रण तथा गुच्छ निस्यंदन को नियन्त्रित करता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न :

1. गैल्वेनिक सेल के लिए कौनसा कथन सत्य नहीं है?
(अ) ऐनोड ऋणावेशित होता है।
(ब) कैथोड धनावेशित होता है।
(स) ऐनोड पर अपचयन होता है।
(द) कैथोड पर अपचयन होता है।
उत्तर:
(स) ऐनोड पर अपचयन होता है।

2. इलेक्ट्रॉड अभिक्रिया, \(\mathbf{M}_{(\mathrm{aq})}^{\mathrm{n}+}+\mathrm{ne}^{-} \rightarrow \mathbf{M}_{(\mathrm{s})}\) के लिये नेन्ंस्ट अभिक्रिया है-
(अ) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\frac{1}{\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]}\)
(ब) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
(स) E = E° + RT ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
(द) \(\frac{E}{E^{\circ}}\) = \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
उत्तर:
(ब) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)

3. विशिष्ट चालकत्व की इकाई है-
(अ) S cm2 mol-1
(ब) Scm2
(स) S m-1
(द) cm-1
उत्तर:
(स) S m-1

4. लैड संचायक सेल को आवेशित करने पर-
(अ) PbO2 घुलता है।
(ब) लैड इलेक्ट्रोड पर PbSO4 जमता है।
(स) H2SO4 पुनः बनता है
(द) H2SO4 की मात्रा कम होती है।
उत्तर:
(स) H2SO4 पुनः बनता है

5. चार पृथक् पृथक् परखनलियों में भिन्न-भिन्न लवणों के रंगहीन विलयन उपस्थित हैं। इनमें कॉपर की छड़ डुबोने पर कौनसे विलयन का रंग नीला हो जाएगा-
(अ) Pb(NO3)2
(ब) AgNO3
(स) Zn(NO3)2
(द) Cd (NO3)2
उत्तर:
(ब) AgNO3

6. \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\left|\mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{+2} \| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\right| \mathrm{Cu}\) में दो खड़ी समानान्तर रेखाएँ (||) किसको दर्शाती हैं?
(अ) कैथोड
(ब) ऐनोड
(स) लवण सेतु
(द) विद्युत अपघट्य
उत्तर:
(स) लवण सेतु

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

7. कॉपर को अम्लीय CuSO4 तथा क्षारीय Cu(CN)2 से निक्षेपित किया जा सकता है। यदि समान विद्युत धारा समान समय के लिए इनके विलयन में प्रवाहित की जाए तो निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य है?
(अ) क्षारीय कॉपर सायनाइड (Cu(CN)2) से निक्षेपित कॉपर की मात्रा अम्लीय CuSO4 की तुलना में दुगुनी होगी।
(ब) क्षारीय कॉपर सायनाइड से निक्षेपित कॉपर की मात्रा अम्लीय CuSO4 की तुलना में आधी होगी।
(स) दोनों विलयनों से कॉपर की समान मात्रा निक्षेपित होगी।
(द) उपरोक्त सभी कथन गलत हैं।
उत्तर:
(स) दोनों विलयनों से कॉपर की समान मात्रा निक्षेपित होगी।

8. निम्नलिखित में से किसके जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसका विघटन होगा?
(अ) ग्लूकोस
(ब) यूरिया
(स) शर्करा
(द) सिल्वर नाइट्रेट
उत्तर:
(द) सिल्वर नाइट्रेट

9. गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद हैं-
(अ) NaOH, H2 तथा Cl2
(ब) Na तथा Cl2
(स) Na, NaOH तथा Cl2
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) Na तथा Cl2

10. Zn2+ | Zn (E° = – 0.76 V) तथा Cu2+ | Cu(E° = +0.34) से बने एक गैल्वेनिक सेल का EMF है-
(अ) 0.42 V
(ब) 1.10 V
(स) – 0.10 V
(द) – 0.42 V
उत्तर:
(ब) 1.10 V

11. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव होता है-
(अ) 1.0 V
(ब) 0.0 v
(स) 1.10 V
(द) 0.20 V
उत्तर:
(ब) 0.0 v

12. धात्विक चालक में आवेश के वाहक होते हैं-
(अ) इलेक्ट्रॉन
(ब) आयन
(स) प्रोटोन
(द) लवण
उत्तर:
(अ) इलेक्ट्रॉन

13. Cu2+ आयन पर आवेश (कूलाम में ) है-
(अ) 96500
(ब) 57900
(स) 1.6 × 10-19
(द) 3.2 × 10-19
उत्तर:
(द) 3.2 × 10-19

14. लोहे पर जंग लगने से रोकने का सर्वोत्तम उपाय है-
(अ) लवणयुक्त जल में रखकर
(ब) कैथोडिक रक्षण
(स) टिन की परत चढ़ाकर
(द) साधारण जल में रखकर
उत्तर:
(ब) कैथोडिक रक्षण

15. \(\mathrm{MnO}_4^{-}\) के 1 मोल का MnO2 में अपचयन करने के लिए आवश्यक आवेश है-
(अ) 1F
(ब) 3F
(स) 5F
(द) 7F
उत्तर:
(ब) 3F

16. Na2SO4 के तनु जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर ऐनोड तथा कैथोड पर प्राप्त उत्पाद क्या होंगे? यदि Pt इलेक्ट्रॉड प्रयुक्त किया गया है-
(अ) O2, Na
(ब) H2. NaOH
(स) O2. H2
(द) \(\mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{-2}, \mathrm{H}_2\)
उत्तर:
(स) O2. H2

17. निम्नलिखित में से किस अवस्था में विलयन की मोलर चालकता बढ़ती है?
(अ) सान्द्रता बढ़ाने पर
(ब) ताप कम करने पर
(स) तनुता बढ़ाने पर
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) तनुता बढ़ाने पर

18. डेनियल सेल में प्रयुक्त उपापचयी अभिक्रिया है-
(अ) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\)
(ब) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-}\)
(स) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
(द) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

19. प्रतिरोध का व्युत्क्रम होता है-
(अ) प्रतिरोधकता
(ब) चालकत्व
(स) सेल नियतांक
(द) चालकता
उत्तर:
(ब) चालकत्व

20. निम्नलिखित में से किसकी चालकता सर्वाधिक होती है?
(अ) सोडियम
(ब) सिल्वर
(स) गोल्ड
(द) कॉपर
उत्तर:
(ब) सिल्वर

21. इलेक्ट्रॉनिक चालकत्व निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है-
(अ) धातु की प्रकृति एवं संरचना
(ब) ताप
(स) प्रति परमाणु संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

22. किसी विलयन की चालकता का सूत्र है-
(अ) k = \(\frac { G }{ R }\)
(ब) k = \(\frac { l }{ A }\)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 1
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 2

23. लैड संचायक सेल में ऐनोड पर होने वाली अभिक्रिया है-
(अ) PbO2(s) → PbSO4(s)
(ब) PbSO4(s) → PbO2(s)
(स) \(\mathrm{Pb}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{2-} \rightarrow \mathrm{PbSO}_{4(\mathrm{~s})}+2 \mathrm{e}^{-}\)
(द) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(aq) + 2H2O(l)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{Pb}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{2-} \rightarrow \mathrm{PbSO}_{4(\mathrm{~s})}+2 \mathrm{e}^{-}\)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

24. H2 व O2 से बने ईंधन सेल में कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया है-
(अ) \(2 \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-}\)
(ब) \(2 \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \rightarrow 2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}\)
(स) \(\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-}\)
(द) \(4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-} \rightarrow \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-}\)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-}\)

25. सेल स्थिरांक किस पदार्थ के जलीय विलयन की चालकता मापकर ज्ञात करते हैं?
(अ) NaCl
(ब) CaCl2
(स) KCl
(द) MgCl2
उत्तर:
(स) KCl

26. किसी सेल अभिक्रिया की साम्यावस्था पर सेल का विद्युत वाहक बल (EMF) होता है-
(अ) धनात्मक
(ब) शून्य
(स) ऋणात्मक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) शून्य

27. किसी स्वतः प्रवर्तित अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक E°सेल तथा △G क्रमशः होंगे-
(अ) <1, +ve, -ve
(ब) >1, +ve, -ve
(स) = 1, +ve, +ve
(द) = 1, – ve, -ve
उत्तर:
(ब) >1, +ve, -ve

28. लवण सेतु में KNO का संतृप्त विलयन प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि-
(अ) KNO3 की जल में विलेयता उच्च है।
(ब) K+ तथा \(\mathrm{NO}_3^{-}\) की गति लगभग समान होती है।
(स) K+ की गति \(\mathrm{NO}_3^{-}\) से अधिक होती है।
(द) K+ की गति \(\mathrm{NO}_3^{-}\) से कम होती है।
उत्तर:
(ब) K+ तथा \(\mathrm{NO}_3^{-}\) की गति लगभग समान होती है।

29. यदि सेल अभिक्रिया स्वतः परिवर्तित है, तो-
(अ) E° = -ve
(ब) E° = + ve
(स) emf = + ve
(द) (△G + E°) = + ve
उत्तर:
(स) emf = + ve

30. Zn – Cu सेल के लिए E° = 1.10 V है। यदि \(\mathrm{Cu}^{2+}{ }_{(\mathrm{aq})} / \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\) युग्म का अपचयन विभव 0.34 V हो तो \(\mathrm{Zn}^{2+}(\mathrm{aq}) / \mathrm{nn}_{(\mathrm{s})}\) युग्म का अपचयन विभाग होगा-
(अ) – 0.76 V
(ब) 0.76 V
(स) 7.6 V
(द) 0.38 V
उत्तर:
(अ) – 0.76 V

31. 25°C पर, Zn + Cu2+ → Cu + Zn2+ का मानक विद्युत वाहक बल 1.10 है तो इस सेल में 0.1 M Cu2+ तथा 0.1 M Zn2+ विलयन का प्रयोग करने पर सेल के विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा?
(अ) 1.10 V
(ब) + 0.110 V
(स) – 1.10 V
(द) – 0.11 V
उत्तर:
(अ) 1.10 V

32. तीन धात्विक धनायनों X, Y, Z के मानक अपचयन विभव मान क्रमश: 0.52 – 3.03 तथा – 1.18 V है | संगत धातुओं की अपचायक क्षमता का क्रम है-
(अ) Y > Z > X
(ब) X > Y > Z
(स) Z> Y> X
(द) Z > x > Y
उत्तर:
(अ) Y > Z > X

33. अभिक्रिया IMG गैलवेनिक सेल में होती है। इसका सही निरूपण है-
(अ) Ag/AgCl(s)/KCl(aq)//AgNO3(aq)/Ag
(ब) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgNO3(qa)/Ag
(स) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgCl(aq)/ Ag(s)
(द) Pt, H2(g)/KCl(aq)//AgCl(s)/Ag
उत्तर:
(स) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgCl(aq)/ Ag(s)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
जब CuSO4 के जलीय विलयन में जिंक धातु की छड़ को डुबोते हैं तो विलयन का नीला रंग गायब हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
Zn+2 का मानक अपचयन विभव, Cu+2 के मानक अपचयन विभव से कम होने के कारण Zn Cu+2 को इलेक्ट्रॉन देकर उसे अपचयित कर देता है। अतः विलयन का नीला रंग गायब हो जाता है क्योंकि विलयन का नीला रंग Cu+2 आयनों के कारण होता है।

प्रश्न 2. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड (SHE) में प्लैटिनम का कार्य बताइए।
उत्तर:
SHE में प्लैटिनम, उत्प्रेरक तथा धात्विक सम्पर्क हेतु अक्रिय धातु का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
साम्यावस्था स्थिरांक Kc. E°(सेल) से सम्बन्धित होता है, न कि Eसेल से क्यों?
उत्तर:
Kc का सम्बन्ध E°(सेल) से होता है क्योंकि साम्य पर Eसेल का मान शून्य होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रिया होगी या नहीं-
ZnSO4(aq) + 2Ag(s) → Ag2SO4(aq) + Zn(s)
उत्तर:
यह अभिक्रिया नहीं होगी क्योंकि Ag की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति Zn की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति से कम होती है।

प्रश्न 5.
Zn+2 की सान्द्रता बढ़ाने पर Zn इलेक्ट्रॉड के इलेक्ट्रॉड विभव के मान पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
Zn+2 की सान्द्रता बढ़ाने पर Zn इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव बढ़ता है।

प्रश्न 6.
विलयन की pH तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड विभव में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 3

प्रश्न 7.
कॉपर सल्फेट (CuSO4) के जलीय विलयन को आयरन के पात्र में रखा जा सकता है या नहीं?
उत्तर:
CuSO4 के जलीय विलयन को आयरन के पात्र में नहीं रख सकते क्योंकि इसकी क्रियाशीलता Cu से अधिक है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 16 अतः Fe, Cu+2 को Cu में अपचयित कर देता है जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
\(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+2}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

प्रश्न 8.
तनु H2SO4 से H2 को विस्थापित नहीं करने वाली धातुएँ बताइए।
उत्तर:
Cu, Ag. Au, Pt

प्रश्न 9.
Na, Al तथा Zn की क्रियाशीलता का अवरोही क्रम लिखिए।
उत्तर:
Na > Al > Zn

प्रश्न 10.
गैल्वेनी सेल में लवण सेतु में प्रयुक्त एक लवण का नाम बताइए।
उत्तर:
पोटेशियम क्लोराइड (KCl)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित सेल अभिक्रिया का सेल आरेख लिखिए-
\(2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}+3 \mathrm{Cd}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow 2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+3}+3 \mathrm{Cd}_{(\mathrm{s})}\)
उत्तर:
उपर्युक्त सेल अभिक्रिया का सेल आरेख निम्न प्रकार होगा- एनोड-
एनोड \({ }^{-} \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}\left|\mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+3} \| \mathrm{Cd}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\right| \mathrm{Cd}_{(\mathrm{s})}{ }^{+}\) कैथोड

प्रश्न 12.
डेनियल सेल में धारा तथा इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा बताइए |
उत्तर:
डेनियल सेल में धारा का प्रवाह Cu से Zn इलेक्ट्रॉड की तरफ तथा इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह Zn से Cu इलेक्ट्रॉड की तरफ होता है अर्थात् धारा तथा इलेक्ट्रॉनों का प्रभाव एक-दूसरे से विपरीत दिशा में होता है।

प्रश्न 13.
सेल का ऋणात्मक मान क्या दर्शाता है?
उत्तर:
सेल के ऋणात्मक होने का अर्थ है, △G = +ve तथा इस स्थिति में सेल में कार्य नहीं होगा।

प्रश्न 14.
सेल अभिक्रिया \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}+2 \mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) के लिए EMF का मान बताइए जब \(\mathrm{E}_{\mathrm{Cu}^{+2 / \mathrm{Cu}}}^{\mathrm{o}}=0.34 \mathrm{~V}\) तथा \(\mathrm{E}_{\mathrm{Ag}^{+} / \mathrm{Ag}}^{\mathrm{o}}=0.80 \mathrm{~V}\)
उत्तर:
सेल = ER – EL
= 0.80 – (0.34)
सेल = 0.46 V

प्रश्न 15.
प्लैटिनम इलेक्ट्रॉड प्रयुक्त करके CuSO4 के विलयन का विद्युत अपघटन करने पर प्राप्त उत्पाद बताइए ।
उत्तर:
CuSO4 के विलयन का विद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर कॉपर तथा एनोड पर ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

प्रश्न 16.
Al3+ से एक मोल AI प्राप्त करने के लिए कितने कूलॉम आवेश चाहिए?
उत्तर:
Al3+ + 3e →Al
अभिक्रिया के अनुसार 1 मोल Al प्राप्त करने के लिए 3F= 3 × 96500 = 289500 कूलॉम आवेश आवश्यक होगा।

प्रश्न 17.
NaCl के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर विलयन की pH में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
NaCl के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर विलयन की pH बढ़ जाती है (pH > 7) क्योंकि इसमें प्रबल क्षार (NaOH) बनता है।

प्रश्न 18.
विशिष्ट चालकत्व (K) तथा सेल स्थिरांक में सम्बन्ध बताइए |
उत्तर:
K = \(\frac { 1 }{ R }\) × \(\frac { 1 }{ A }\) (\(\frac { 1 }{ A }\) = सेल स्थिरांक)

प्रश्न 19.
मोलर चालकता ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
मोलर चालकता, \(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{K \times 1000}{\mathrm{M}}\) (M = मोलरता)

प्रश्न 20.
मोलर चालकता तथा तुल्यांकी चालकता में क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 4

प्रश्न 21.
अधिविभव किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ वैद्युत रासायनिक प्रक्रम सम्भव होते हैं लेकिन उनकी गति इतनी कम होती है कि वे निम्न विभव पर आसानी से नहीं होते। इस स्थिति में प्रक्रम को करवाने के लिए अतिरिक्त विभव लगाना पड़ता है, उसे अधिविभव कहते हैं।

प्रश्न 22.
गलित PhBr2 का विद्युत अपघटन करने पर प्राप्त उत्पाद क्या होंगे? यदि अक्रिय इलेक्ट्रॉड लिया गया है।
उत्तर:
गलित PhBr2 का विद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर Pb तथा एनोड पर Br2 प्राप्त होती है।

प्रश्न 23.
डिबाई हकल-आंनसेगर समीकरण क्या होता है?
उत्तर:
\(\Lambda_m=\Lambda_m^{\circ}-A \sqrt{C}\)
\(\Lambda_{\mathrm{m}}\) मोलर चालकता, \(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ}\) = सीमान्त मोलर चालकता, A = स्थिरांक तथा C = सान्द्रता

प्रश्न 24.
विद्युत रासायनिक तुल्यांक (Z) किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी विद्युत अपघट्य के विलयन में एक ऐम्पियर की धारा एक सेकण्ड (एक कूलॉम आवेश ) तक प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉड पर निक्षेपित पदार्थ की मात्रा को उसका विद्युत रासायनिक तुल्यांक कहते हैं।

प्रश्न 25.
वैद्युत अपघटन से Na, Mg तथा Al कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
सोडियम तथा मैग्नीशियम को उनके गलित क्लोराइडों के वैद्युत अपघटन द्वारा तथा ऐलुमिनियम को क्रायोलाइट (Na3AlF6) की उपस्थिति में ऐलुमिनियम ऑक्साइड के वैद्युत अपघटन से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 26.
Al के लवणों के विद्युत अपघटन से Al धातु प्राप्त नहीं होती, क्यों?
उत्तर:
Al के लवणों के विद्युत अपघटन से Al धातु प्राप्त नहीं होती क्योंकि यह जल से क्रिया करके Al2O3 बना लेता है।

प्रश्न 27.
सीसा संचायक सेल को लगातार प्रयोग में लेने पर उसमें उपस्थित H2SO4 पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
सीसा संचायक सेल को लगातार प्रयोग में लेने पर उसमें उपस्थित H2SO4, का घनत्व कम हो जाता है क्योंकि अभिक्रिया होने पर सल्फेट (\(\mathrm{SO}_4^{2-}\)) आयन, Pb+2 से क्रिया करके PbSO4 बना देते हैं।

प्रश्न 28.
शुष्क सेल में जिंक क्लोराइड (ZnC12) का क्या कार्य है ?
उत्तर:
ZnCl2 से प्राप्त Zn2+, अभिक्रिया में उत्पन्न NH3 से क्रिया करके [Zn(NH3)4] 22+ संकुल आयन बना लेता है जिससे दाब उत्पन्न नहीं होता है तथा सील के टूटने की सम्भावना नहीं रहती ।

प्रश्न 29.
मर्क्यूरी सेल में सम्पूर्ण कार्य अवधि में विभव स्थिर रहता है, क्यों?
उत्तर:
मयूरी सेल की सम्पूर्ण सेल अभिक्रिया में कोई ऐसा आयन नहीं है, जिसकी सान्द्रता विलयन में होने के कारण बदलती हो ।

प्रश्न 30.
शुष्क सेल को काफी समय तक प्रयोग में नहीं लेने पर वह नष्ट हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
शुष्क सेल को काफी समय तक प्रयोग में नहीं लेने पर इसमें उपस्थित अमोनियम क्लोराइड, उसके जिंक से बने पात्र को संक्षारित करके उसे नष्ट कर देता है।

प्रश्न 31.
लवणीय जल में जंग जल्दी लगती है, क्यों?
उत्तर:
लवण (NaCl), H2O के आयनन को बढ़ा देता है जिससे H+ की सान्द्रता बढ़ जाती है जो कि जंग लगने में सहायक है।

प्रश्न 32.
(i) 100 मिली विलयन में एक मोल NaCl तथा (ii) 250 मिली विलयन में एक मोल NaCl में से किसकी मोलर चालकता अधिक होगी तथा क्यों?
उत्तर:
विलयन (ii) की मोलर चालकता अधिक होगी क्योंकि \(\Lambda_{\mathrm{m}}=\kappa \times \mathrm{V}\) अर्थात् आयतन बढ़ने पर मोलर चालकता बढ़ती है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
कॉपर की HCl तथा HNO3 से अभिक्रिया कराने पर क्या होता है?
उत्तर:
कॉपर की HCl से कोई अभिक्रिया नहीं होती क्योंकि H+ आयन, Cu को ऑक्सीकृत नहीं कर सकता अर्थात् Cu, H+ को इलेक्ट्रॉन नहीं दे सकता क्योंकि कॉपर, हाइड्रोजन से कम क्रियाशील होता है। लेकिन Cu की HNO3 से क्रिया करवाने पर यह H+ से क्रिया न करके \(\mathrm{NO}_3^{-}\) आयनों द्वारा ऑक्सीकृत होता है।

प्रश्न 2.
गैल्वेनिक सेल में लवण सेतु की बनावट तथा कार्य बताइए ।
उत्तर:
गैल्वैनी सेल एक वैद्युत रासायनिक सेल है। इसमें स्वतः उपापचयी अभिक्रिया की गिब्ज ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा (वैद्युत कार्य ) में परिवर्तित होती है, जिससे मोटर, पंखा, गीजर, हीटर इत्यादि चलाए जाते हैं।

डेनियल सेल, गैल्वैनी सेल का एक उदाहरण है जिसमें Zn का ऐनोड तथा Cu का कैथोड लिया जाता है। इस सेल के दोनों इलेक्ट्रॉंडों को अर्ध सेल कहते हैं तथा इन पर होने वाली अभिक्रियाओं को अर्ध सेल अभिक्रिया कहते हैं। दोनों इलेक्ट्रॉडों को लवण सेतु से जोड़ा जाता है। डेनियल सेल में होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
यह अभिक्रिया निम्नलिखित दो अभिक्रियाओं का योग है-

(i) कैथोड पर Cu2+ + 2e → Cu(s) (अपचयन अर्ध अभिक्रिया)
(ii) ऐनोड पर Zu(s) → Zn2+ + 2e (ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया )

Z के ऑक्सीकरण से प्राप्त इलेक्ट्रॉन धातु के तार की सहायता से Cu की छड़ पर चले जाते हैं तथा CuSO4 विलयन से Cu2+ आयन, कॉपर की छड़ की ओर गमन करते हैं। ऐनोड (Zn छड़ ) पर इलेक्ट्रॉन निकलने के कारण इसे ऋण ध्रुव (-ve) कहते हैं तथा कैथोड (Cu छड़) पर Cu2+ आयन एकत्रित होने के कारण इसे धन ध्रुव (+ve) कहते हैं। बाहरी परिपथ में इलेक्ट्रॉन -ve इलेक्ट्रॉड से +ve इलेक्ट्रॉड की ओर जाते हैं। उपर्युक्त अभिक्रियाएँ डेनियल सेल के दो अलग-अलग भागों में होती हैं। अपचयन अर्ध अभिक्रिया कॉपर इलेक्ट्रॉड पर जबकि ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया ज़िंक इलेक्ट्रॉड पर होती है। डेन्यल सेल के ये भाग, अर्ध सेल या रेडॉक्स युग्म कहलाते हैं। कॉपर इलेक्ट्रॉड को अपचयन अर्ध सेल एवं ज़िंक इलेक्ट्रॉड को ऑक्सीकरण अर्ध सेल कहते हैं।

प्रश्न 3.
सान्द्रता सेल की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
वह सेल जिसमें दो समान इलेक्ट्रॉड अपने आयनों की भिन्न-भिन्न सान्द्रता के विलयनों में डूबे होते हैं। इस कारण इन इलेक्ट्रॉडों के विभव भी भिन्न-भिन्न होते हैं। अतः सेल में विभवान्तर उत्पन्न होता है। इसके लिए 298 K पर सेल विभव
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 5

प्रश्न 4.
किसी एक इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्यों?
उत्तर:
किसी एक इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव इसलिए ज्ञात नहीं किया जा सकता क्योंकि विद्युत वाहक बल (EMF) उसी स्थिति में माप सकते हैं जब परिपथ पूर्ण हो तथा एक इलेक्ट्रॉड से परिपथ पूर्ण नहीं होता ।

प्रश्न 5.
Fe2+ → Fe3+ (E° = – 0.77V)
तथा Cu → Cu2+ (E° = – 0.34V)
इन मानों के आधार पर ज्ञात कीजिए कि Cu+ आयन, Fe2+ आयन से अपचयित हो सकता है या नहीं।
उत्तर:
दिए गए मान ऑक्सीकरण विभव के हैं, अतः अपचयन विभव के मान Fe+3 → Fe2+ के लिए 0.77 V तथा Cu+2 → Cu के लिए 0.34 V होंगे। चूँकि Fe+3 का अपचयन विभव Cu2+ के अपचयन विभव से अधिक है। अतः Cu2+ आयन, Fe2+ आयन से अपचयित नहीं हो सकता।

प्रश्न 6.
अपचयन विभव तथा ऑक्सीकरण विभव क्या होते हैं?
उत्तर:
उपापचयी अभिक्रिया में अपचयन अर्ध- अभिक्रिया के विभव को अपचयन विभव तथा ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया के विभव को ऑक्सीकरण विभव कहते हैं। किसी अर्ध-अभिक्रिया के लिए ऑक्सीकरण विभव तथा अपचयन विभव के मान समान होते हैं लेकिन उनके चिह्न विपरीत होते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 7.
सेल \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\left|\mathbf{Z n}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{+2}\right| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\) के लिए सेल विभव का मान धनात्मक है। इससे क्या निष्कर्ष प्राप्त होता है?
उत्तर:
यह गैल्वेनिक सेल है तथा इसके लिए नेंस्ट समीकरण निम्न प्रकार लिखा जाता है-
\(\mathrm{E}_{\text {सेल }}=\mathrm{E}_{\text {सेल }}^0-\frac{0.059}{2} \log \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)
इस समीकरण से सिद्ध होता है कि Cu2+ की सान्द्रता अधिक होने पर ही Eसेल का मान धनात्मक होना सम्भव है। इस स्थिति में Zn ऑक्सीकृत होकर Zn2+ देता है तथा Cu2+ आयन का अपचयन होकर Cu प्राप्त होता है।

प्रश्न 8.
एक मोल इलेक्ट्रॉनों के आवेश की गणना कीजिए ।
उत्तर:
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6021 × 10-19C (कूलॉम)
1 मोल इलेक्ट्रॉन = आवोगाद्रो संख्या (NA) = 6.022 × 1023
अतः एक मोल इलेक्ट्रॉनों का आवेश
= एक इलेक्ट्रॉन का आवेश × NA
= 1.6021 × 10-19 C × 6.022 × 1023 mol-1
= 96478 C mol-1 ≈ 96500 C mol-1 = 1 फैराडे (IF)

प्रश्न 9.
किसी विद्युत अपघट्य के विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद किन कारकों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
वैद्युत अपघटन के उत्पाद: किसी पदार्थ (विद्युत अपघट्य) के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद (i) पदार्थ की अवस्था, (ii) प्रयुक्त किए गए इलेक्ट्रॉडों की प्रकृति तथा (iii) ओंक्सीकारक व अपचायक स्पीशीज एवं उनके मानक इलेक्ट्रोंड विभव पर निभर करते हैं। सक्रिय धातुओं के इलेक्ट्रॉडड लेने पर वे अभिक्रिया में भाग लेते हैं लेकिन अक्रिय धातुओं जैसे प्लैटिम इत्यादि के इलेक्ट्रॉड बनाने पर ये अभिक्रिया में भाग नहीं लेते तथा केवल इलेक्ट्रॉनों के स्रोत का कार्य करते हैं।

गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर Na तथा ऐनोड पर Cl2 प्राप्त होती है क्योंकि द्रव अवस्था में केवल एक ही प्रकार के धनायन Na+ तथा ऋणायन (Cl हैं, जिनका क्रमशः अपचयन तथा ऑंक्सीकरण होता है-
कैथोड पर- Na+ + e → Na
ऐनोड पर- Cl → \(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2 + e

जब विद्युत अपघट्य का जलीय विलयन लिया जाता है तो विलयन में एक से अधिक प्रकार के धनायन तथा ऋणायन होते हैं क्योंकि कुछ मात्रा में H2O के आयनन से H+ तथा \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\) आयन भी प्राप्त होते हैं। इस स्थिति में किसी इलेक्ट्रोंड पर कौनसा आयन विसर्जित होगा, इसे चयनात्मक विसर्ज्जन सिद्धान्त (Preferential Discharge Theory) के आधार पर समझाया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, जब विलयन में एक ही प्रकार (धनायन या ऋणायन) के एक से अधिक आयन होते हैं तो इलेक्ट्रॉंड पर वह आयन पहले विसर्जित (Discharge) होगा, जिसका विसर्जन विभव (Discharge Potential) कम हो अर्थात् जिसके विसर्जन हेतु कम ऊर्जा की आवश्यकता हो।

प्रश्न 10.
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पादों को इलेक्ट्रॉड विभव मानों के आधार पर समझाइए |
उत्तर:
वैद्युत अपघटन के उत्पाद: किसी पदार्थ (विद्युत अपघट्य) के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद (i) पदार्थ की अवस्था, (ii) प्रयुक्त किए गए इलेक्ट्रॉडों की प्रकृति तथा (iii) ओंक्सीकारक व अपचायक स्पीशीज एवं उनके मानक इलेक्ट्रोंड विभव पर निभर करते हैं। सक्रिय धातुओं के इलेक्ट्रॉडड लेने पर वे अभिक्रिया में भाग लेते हैं लेकिन अक्रिय धातुओं जैसे प्लैटिम इत्यादि के इलेक्ट्रॉड बनाने पर ये अभिक्रिया में भाग नहीं लेते तथा केवल इलेक्ट्रॉनों के स्रोत का कार्य करते हैं।

गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर Na तथा ऐनोड पर Cl2 प्राप्त होती है क्योंकि द्रव अवस्था में केवल एक ही प्रकार के धनायन Na+ तथा ऋणायन (Cl हैं, जिनका क्रमशः अपचयन तथा ऑंक्सीकरण होता है-
कैथोड पर- Na+ + e → Na
ऐनोड पर- Cl → \(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2 + e

जब विद्युत अपघट्य का जलीय विलयन लिया जाता है तो विलयन में एक से अधिक प्रकार के धनायन तथा ऋणायन होते हैं क्योंकि कुछ मात्रा में H2O के आयनन से H+ तथा \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\) आयन भी प्राप्त होते हैं। इस स्थिति में किसी इलेक्ट्रोंड पर कौनसा आयन विसर्जित होगा, इसे चयनात्मक विसर्ज्जन सिद्धान्त (Preferential Discharge Theory) के आधार पर समझाया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, जब विलयन में एक ही प्रकार (धनायन या ऋणायन) के एक से अधिक आयन होते हैं तो इलेक्ट्रॉंड पर वह आयन पहले विसर्जित (Discharge) होगा, जिसका विसर्जन विभव (Discharge Potential) कम हो अर्थात् जिसके विसर्जन हेतु कम ऊर्जा की आवश्यकता हो।

किसी आयन का विसर्जन विभव निम्न कारको पर निर्भर करता है-
(i) विद्युत रासायनिक श्रेणी में आयन का स्थान,
(ii) आयन की सान्द्रता तथा
(iii) इलेक्ट्रॉंड की प्रकृति।
इस आधार पर विभिन आयनों के विसर्जित होने का क्रम निम्न प्रकार होता है-
धनायन – Li+ < K+ <Na+ < Ca2+ < Mg2+ < Al3+ < Zn2+ < Fe2+ < Co2+ < Ni2+ < Sn2+ < H+ < Cu2+ < Hg2+ < Ag2+ < Au3+

ॠणायन – \(\mathrm{SO}_4^{2-}<\mathrm{NO}_3^{-}<\mathrm{OH}^{-}<\mathrm{Cl}^{-}<\mathrm{Br}^{-}<\mathrm{I}^{-}\)

(i) सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन-सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन के वैद्युत अपघटन से NaOH, Cl2 गैस तथा H2 गैस बनती है। इसमें Na+ एवं Cl के साथ H+ एवं OH आयन तथा विलायक के अणु (H2O) भी होते है। कैथोड पर निम्नलिखित दो अभिक्रियाएँ हो सकती है-

Na+(aq) + e → Na(s); E°सेल = – 2.71 V …(1)
H+(aq) + e → \(\frac { 1 }{ 2 }\)H2(g); E°सेल = 0.00 V …(2)

लेकिन कैथोड पर वह अभिक्रिया होती है जिसके लिए E° का मान अधिक हो, अतः कैथोड पर अभिक्रिया (2) होगी। \(\mathrm{H}_{(\mathrm{aq})}^{+}\), H2O के वियोजन से प्राप्त होता है, अतः कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जाता है-

\(\mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \frac{1}{2} \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}_{(a q)}\)

ऐनोड पर होने वाली संभावित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

Cl(aq) → \(\frac { 1 }{ 2 }\) Cl2(g) + e; E°सेल = 1.36 V …(1)
2H2O(l) → O2(g) + 4H+(aq)+4e; E°सेल = 1.23 V …(2)

ऐनोड़ पर कम E° मान वाली अभिक्रिया पहले होती है अतः ऐनोड पर अभिक्रिया (2) होनी चाहिए लेकिन ऑक्सीजन के अधिविभव (Over Potential) के कारण अभिक्रिया (1) ही सम्पन्न होती है। अतः सम्पूर्ण अभिक्रिया को निम्न प्रकार से लिखा जाता है-

NaCl(aq) + H2O(l) →Na+ (aq) + OH(aq)+\(\frac { 1 }{ 2 }\)H2 (g)+\(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2(g)

नोट-इस विद्युत अपघटन में अक्रिय इलेक्ट्रोंड (Pt) प्रयुक्त किया जाता है लेकिन मर्करी का इलेक्ट्रॉंड प्रयुक्त करने पर कैथोड पर H+ का विसर्जन, Na+ की तुलना में मुश्किल से होता है। अतः कैथोड पर H2 के स्थान पर Na प्राप्त होता है तथा सोडियम अमलगम (Na/Hg) बन जाता है।

(ii) H2SO4 का वैद्युत अपघटन (Pt इलेक्ट्रॉड) – H2SO4 के वैद्युत अपघटन उत्पाद सान्द्रता पर निर्भर करते हैं अतः इसमें इलेक्ट्रॉड विभव के स्थान पर नेर्न्स्ट.समीकरण से प्राप्त इलेक्ट्रॉड विभव काम में लेते हैं।

(i) तनु H2SO4 के वैद्युत अपघटन पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
2H2O(l)→O2(g) + 4H+(aq) + 4e; E°सेल = +1.23 V

(ii) सांद्र H2SO4 लेने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(2 \mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{2-}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-} ; \mathrm{E}_{\text {(सेल) }}^{\circ}=+1.96 \mathrm{~V}\)

(iii) K2SO4 के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन (Pt इलेक्ट्रॉड) –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 17
K+ की तुलना में H+ अधिक क्रियाशील है अतः कैथोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
2H+ + 2e → H2(g)

तथा \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) की तुलना में OH अधिक क्रियाशील है अतः ऐनोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-

2OH → [O] + H2O + 2e
या 4OH → O2 + 2H2O + 4e

प्रश्न 11.
गलित NaCl का वैद्युत अपघटन किस प्रकार होता
उत्तर:
गलित NaCl में केवल Na+ तथा Cl आयन होते हैं अतः कैथोड पर Na+ अपचयित होकर Na बनाते हैं तथा ऐनोड पर Cl ऑक्सीकृत होकर Cl2 बनाते हैं।
कैथोड पर – 2Na+ + 2e → 2Na(s)
ऐनोड पर – 2Cl – 2e → Cl2(g)

प्रश्न 12.
तनु तथा सान्द्र H2SO4 के वैद्युत अपघटन में होने वाली अभिक्रियाएँ लिखिए ।
उत्तर:
तनु H2SO4 के वैद्युत अपघटन पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
2H2O(/) → O2(g) + 4H+ (aq) + 4e, \(E_{\text {(सेल) }}^{\circ}\) = +1.23V तथा सांद्र H2SO4 लेने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(2 \mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{2-}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-}, \mathrm{E}_{\text {(बेल) }}^{\circ}=+1.96 \mathrm{~V}\)

प्रश्न 13.
अनन्त तनुता पर किसी दुर्बल वैद्युत अपघट्य की मोलर चालकता को किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
दुर्बल वैद्युत अपघट्यों की मोलर चालकता पर सान्द्रता या तनुता का प्रभाव-दुर्बल वैद्युत अपघट्यों में प्रारम्भ में सान्द्रता अधिक होने पर वियोजन कम होता है लेकिन इनकी तनुता बढ़ाने पर, वियोजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे एक मोल वैद्युत अपघट्य युक्त विलयन में आयनों की संख्या में वृद्धि होती है, जिससे मोलर चालकता (\(\Lambda_m\)) का मान बढ़ जाता है। अतः निम्न सान्द्रता के समीप तनुता बढ़ाने पर \(\Lambda_m\) का मान तेजी से बढ़ता है। (ग्राफ) उदाहरण-ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) |

प्रश्न 14.
किसी अल्प विलेय लवण की विलेयता को चालकता मापन द्वारा किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
अल्प विलेय लवणों जैसे BaSO की जल में विलेयता, बहुत ही कम होती है अतः इसके विलयन में आयनों की सान्द्रता बहुत ही कम होगी। इसलिए इसके विलयन को अनन्त तनु मान सकते हैं तथा इसके संतृप्त विलयन की सान्द्रता ही इसकी विलेयता होगी। इस विलयन की मोलर चालकता तथा विशिष्ट चालकत्व ज्ञात करके विलेयता की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जा सकती है-
S = \(\frac{\kappa \times 1000}{\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ}}\)

प्रश्न 15.
विद्युत अपघटनी चालन तथा धात्विक चालन में अन्तर बताइए ।
उत्तर:

  • विद्युत अपघटनी चालन आयनों द्वारा होता है जबकि धात्विक चालन इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।
  • विद्युत अपघटन चालन में विद्युत प्रवाहित करने पर आयन क्रिया में भाग लेते हैं अर्थात् वैद्युत अपघटन होता है जबकि धात्विक चालकों पर कोई प्रभाव नहीं होता।
  • विद्युत अपघटन चालकों का ताप बढ़ाने पर चालकता बढ़ती है जबकि ताप बढ़ाने पर धात्विक चालकों की चालकता कम हो जाती है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित युग्मों में से किसमें अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होगी तथा क्यों ?
(a) 25°C पर KCl विलयन तथा 50°C पर KCl विलयन
(b) 0.2M CH3COOH क्लियन तथा 2M CH3COOH विलयन
(c) 25°C पर NH4OH विलयन तथा 75°C पर NH4OH विलयन
(d) 25°C पर AI का तार तथा 50°C पर Al का तार ।
उत्तर:
(a) 50°C पर KCl विलयन, क्योंकि ताप बढ़ाने पर आयनों की गति बढ़ती है।
(b) 0.2M CH3COOH विलयन, क्योंकि तनु विलयन में दुर्बल वैद्युत अपघट्य का आयनन अधिक होता है।
(c) 75°C पर NH4OH विलयन, क्योंकि ताप बढ़ाने पर दुर्बल वैद्युत अपघट्य का आयनन अधिक होता है।
(d) 25°C पर Al का तार क्योंकि ताप बढ़ाने पर धातुओं की चालकता कम होती है।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन के विद्युत अपघटन में 3 घण्टे में 1.5 ग्राम कॉपर प्राप्त करने के लिए कितनी विद्युत धारा प्रवाहित करनी होगी ? [Cu का परमाणु भार = 63.5]
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 18
कॉपर का तुल्यांकी भार = \(\frac { 63.5 }{ 2 }\) = 31.75
क्योंकि Cu2+ से Cu बनता है जिसके लिए 2 इलेक्ट्रॉन आवश्यक है।
अतः \(Z=\frac{31.75}{96500}=3.29 \times 10^{-4}\)

फैराडे के प्रथम नियम से
W = ZIt
I = \(\frac { W }{ Zt }\)
W = 1.5 ग्राम, Z = 3.29 × 10-4, t = 3 × 60 × 60 सेकण्ड
अतः I = \(\frac{1.5}{3 \times 60 \times 60 \times 3.29 \times 10^{-4}}\)
I = 0.422 ऐम्पियर

प्रश्न 2.
गलित NaCl में 50 एम्पियर की धारा 2 घण्टे तक प्रवाहित करने पर
(a) ऐनोड पर कितने ग्राम क्लोरीन गैस प्राप्त होगी?
(b) प्राप्त क्लोरीन गैस का मानक ताप तथा दाब (NTP) पर आयतन कितना होगा?
उत्तर:
गलित NaCl में विद्युत प्रवाहित करने पर ऐनोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
(a) 2C → Cl2 + 2e
Cl2 का अणुभार = 35.5 × 2 = 71 ग्राम
आवेश Q = It
1 = 50 ऐम्पियर तथा t = 2 × 60 × 60 सेकण्ड = 7200 सेकण्ड
अतः Q = 50 × 7200 = 360000 C समीकरण के अनुसार,
2 × 96500 कूलॉम, Cl2 = 71 ग्राम Cl2 (1 मोल )
360000 कूलॉम Cl2 = \(\frac{360000}{2 \times 96500}\) × 71 = 132.4 ग्राम क्लोरीन

(b) 2 × 96500 कूलॉम Cl2 = 1 मोल Cl2
अतः 36,000 कूलॉम Cl2 = \(\frac{3,60,000}{2 \times 96500}\) = 1.8652 मोल क्लोरीन
NTP पर एक मोल Cl2 = 22.4 लीटर
अत: 1.8652 मोल Cl2 = 22.4 × 1.8652 = 41.78 लीटर क्लोरीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.
कॉपर धातु की सतह जिसका क्षेत्रफल 60 cm2 है पर 0.004 मिलीमीटर मोटी Ag की परत के लेपन के लिए AgNO3 के विलयन में 5.0 ऐम्पियर की धारा कितने सेकण्ड तक प्रवाहित करनी आवश्यक होगी?
(सिल्वर का घनत्व 10.5 ग्राम सेमी तथा Ag का परमाणु भार = 108)
उत्तर:
कॉपर पर लेपित Ag की मात्रा (W)
= आयतन × घनत्व
= सतह का क्षेत्रफल × सतह की मोटाई × घनत्व
= 60 × 0.004 × 10.5
W = 2.52 ग्राम
फैराडे के प्रथम नियम से
W = Zlt
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 18

अभिक्रिया \(\mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) में एक इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त हो रहा
है अतः Ag का तुल्यांकी भार
= \(\frac { 108 }{ 1 }\) = 108
अतः Z = \(\frac { 108 }{ 96500 }\)
समय t = \(\frac { W }{ ZI }\) = \(\frac{2.52 \times 96500}{108 \times 5}\)
t = 450.3 सेकण्ड

प्रश्न 4.
श्रेणीक्रम में जुड़े हुए दो विद्युत अपघटनी सेलों में क्रमशः अम्लीकृत जल तथा CuSO4 के विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर 200 ml H2 (NTP पर ) तथा 0.60 ग्राम Cu प्राप्त हुए, तो Cu का तुल्यांकी भार कितना होगा?
उत्तर:
H2 का अणुभार = 2 तथा तुल्यांकी भार = 1
NTP पर 22.4 लीटर (22400 ml) H2 ग्राम
अतः 200ml H2 = \(\frac{2 \times 200}{22400}\) = 0.01785 ग्राम
प्राप्त Cu का भार = 0.60 ग्राम
फैराडे के द्वितीय नियम से-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 6

प्रश्न 5.
AlCl3 के विलयन में 0.1 फैराडे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर कितने ग्राम AI धातु प्राप्त होगी ? (Al का परमाणु भार = 27)
उत्तर:
कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Al}_{(\mathrm{aq})}^{3+}+3 \mathrm{e} \rightarrow \mathrm{Al}_{(\mathrm{s})}\)
फैराडे के प्रथम नियम से-
W = ZQ
Z = \(\frac { M }{ nF }\)
अतः W = \(\frac{M}{n F} Q\)
Al के लिए M = 27, n = 3, F = 96500 कूलॉम
Q = 0.1. फैराडे = 9650 कूलॉम
W = \(\frac{27 \times 9650}{3 \times 96500}\) = 0.9 ग्राम

प्रश्न 6.
किसी आयन से परमाणु बनने पर होने वाले अपचयन में 6 × 1020 इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त होते हैं तो आयन के तुल्यांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(\mathrm{X}^{\mathrm{n}+}+\mathrm{ne}^{-} \rightarrow \mathrm{X}\)
n = 6 × 1023 = 0.001 मोल
क्योंकि 6 × 1023 = 1 मोल
चूँकि एक तुल्यांक आयन 1 मोल इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है। अतः 0.001 मोल इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले आयन के तुल्यांक = 0.001

प्रश्न 7.
गलित AlCl3, CuSO4 के जलीय विलयन तथा गलित NaCl से भरे विभिन्न विद्युत अपघटनी सेलों में 3 फैराडे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर प्राप्त Al, Cu तथा Na की मात्राओं का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर:
(i) \(\mathrm{Al}_{(\mathrm{aq})}^{3+}+3 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Al}_{(\mathrm{s})}\) (कैथोडिक अभिक्रिया)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Al = 1 मोल Al

(ii) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Cu = 1.5 मोल Cu

(iii) \(\mathrm{Na}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Na}_{(\mathrm{s})}\)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Na = 3 मोल Na
अतः Al, Cu तथा Na की मात्राओं का अनुपात
= 1 : 1.5 : 3
=2 : 3 : 6

प्रश्न 8.
Mg2+ आयन के विलयन से 1 ग्राम Mg प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की कीमत 5.00 रुपए है तो Al3+ से 10 ग्राम Al प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की कीमत ज्ञात कीजिए। (AI का परमाणु भार = 27 तथा Mg का परमाणु भार = 24 ) हल – फैराडे के प्रथम नियम से-
Al के लिए- W = ZQ
Z = \(\frac { E }{ F }\) = \(\frac { M }{ nF }\)
अतः W = \(\frac{M}{n F} Q\)
W = 10 ग्राम तथा n 3 क्योंकि Al3+ से Al बनता है।
अतः Q = \(\frac { WnF }{ M }\) = \(\frac{10 \times 3 \times 96500}{27}\) = 107222 कूलाम
इसी प्रकार Mg के लिए, Q = \(\frac { WnF }{ M }\)
(W= 1 ग्राम तथा n = 2 क्योंकि Mg2+ से Mg बनता है।)
= \(\frac{1 \times 2 \times 96500}{24}\) = 8041 कूलाम
प्रश्नानुसार, 8041 कूलाम विद्युत = 5.00 रुपए तो
107222 कूलाम विद्युत = \(\frac { 5 }{ 8041 }\) × 107222 = 66.67 रुपए

प्रश्न 9.
HCl से अम्लीकृत किए गए जल में 1 ऐम्पियर की धारा 3000 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर कैथोड पर मुक्त H2 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विद्युत धारा की मात्रा Q = It
I = 1 ऐम्पियर, t = 3000 सेकण्ड
Q = 1 × 3000 = 3000 कूलॉम
कैथोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(\mathrm{H}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \frac{1}{2} \mathrm{H}_2\)
अतः इस अभिक्रिया के अनुसार \(\frac { 1 }{ 2 }\) मोल H2 (1g H2) प्राप्त होने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 96500 कूलॉम = (1 मोल इलेक्ट्रॉन)
चूँकि 96,500 कूलॉम से प्राप्त
H2 = 1 ग्राम
अतः 3000 कूलॉम से प्राप्त
H2 = \(\frac { 1 }{ 96500 }\) × 3000 = 0.0310 ग्राम

प्रश्न 10.
H+ आयन के विलयन के विद्युत अपघटन से 6 मोल H2 गैस प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा कूलॉम में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(2 \mathrm{H}^{+}+2 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{H}_2\)
समीकरण के अनुसार 1 मोल H2 प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2 फैराडे

अतः 6 मोल H2 प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2 × 6 = 12 फैराडे
12F = 12 × 96500 कूलॉम
=1158000 कूलॉम
=11.58 × 105 कूलॉम

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
सीमान्त मोलर चालकता क्या होती है ?
उत्तर:
किसी विलयन की अनन्त तनुता (लगभग शून्य सान्द्रता ) पर मोलर चालकता को सीमान्त मोलर चालकता कहते हैं। इसे \(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\mathrm{o}}\) से दर्शाते हैं।

प्रश्न 2.
सेल स्थिरांक, सेल में विलयन का प्रतिरोध और विलयन की चालकता के बीच जो सम्बन्ध होता है, उसे स्पष्ट कीजिए। किस प्रकार विलयन की चालकता उसकी मोलर चालकता से सम्बन्धित होती है?
उत्तर:
(i) G = \(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { A }{ pl }\) = k\(\frac { A }{ l }\)
यहाँ G = चालकत्व, k= चालकता (विशिष्ट चालकत्व)
\(\frac { l }{ A }\) = सेल स्थिरांक
R = विलयन का प्रतिरोध, p = प्रतिरोधकता

(ii) मोलर चालकता \(\Lambda_{\mathrm{m}}\) = \(\frac { k × 1000 }{ M }\)
K = चालकता, M = मोलरता

प्रश्न 3.
कुछ धातुओं के मानक इलेक्ट्रॉड विभव (E°) दिए गए हैं-
K+/K = – 2.93 V, Ag+/Ag = 0.80 V, Cu2+/Cu = 0.34 V, Mg2+/Mg = – 2.37 V, Cr2+ / Cr = – 0.74 V, Fe2+/ Fe = – 0.44 V.
इन धातुओं को उनके बढ़ते अपचायी सामर्थ्य के क्रम में पुनः व्यवस्थित कीजिए।
अथवा
एक विद्युत रासायनिक सेल की दो अर्ध-अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं-
\(\mathrm{MnO}_4^{-}(\mathrm{aq})+8 \mathrm{H}^{+}(\mathrm{aq})+5 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Mn}^{2+}(\mathrm{aq})+4 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l), \mathrm{E}^{\circ}=+1.51 \mathrm{~V}\)

\(\mathrm{Sn}^{2+}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{Sn}^{4+}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-}, \mathrm{E}^{\circ}=+0.15 \mathrm{~V}\)
इन दो अर्ध- अभिक्रियाओं के आधार पर रेडॉक्स (अपचयोपचय) अभिक्रिया का समीकरण लिखिए और मानक इलेक्ट्रॉड विभवों से सेल विभव परिकलित कीजिए और प्रागुक्ति कीजिए कि अभिक्रिया अभिकारक अनुकूली होगी अथवा उत्पाद अनुकूल होगी।
उत्तर:
मानक इलेक्ट्रॉड विभव के आधार पर इन धातुओं की बढ़ती अपचायी सामर्थ्य का क्रम निम्नलिखित है-
Ag < Cu < Fe < Cr < Mg < K [मानक इलेक्ट्रॉड विभव (अपचयन विभव) का घटता क्रम ]
अथवा
मानक इलेक्ट्रॉड विभव के आधार पर अभिक्रिया का संतुलित समीकरण निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 7
अधिक क्रियाशील धातु (Mn) का एनोड होगा अतः
\(\mathrm{E}_{\mathrm{R}}^{\circ}=1.51 \mathrm{~V} \mathrm{E}_{\mathrm{L}}^{\circ}=-0.15 \mathrm{~V}\) (क्योंकि ऑक्सीकरण विभव दिया गया है अतः इसका विपरीत अपचयन विभव होगा)
सेल = 1.51 – (- 0.15 V)
सेल = 1.66 V
सेल का मान धनात्मक है अतः उपरोक्त अभिक्रिया सम्पन्न होगी, अर्थात् अभिक्रिया उत्पाद अनुकूली है।

प्रश्न 4.
(a) सीसा संचायक बैटरी किस प्रकार की बैटरी है? सीसा संचायक बैटरी के काम करने पर जो एनोड और कैथोड पर अभिक्रियाएँ होती हैं और कुल मिलाकर जो सेल अभिक्रिया होती है, उन्हें लिखिए।
(b) 0.10 M K2Cr2O7 (aq), 0.20 M Cr3+ (aq) और 1.0 × 10-4 M H+ (aq) वाले अर्ध-सेल का विभव परिकलित कीजिए । अर्ध- सेल अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है-
\(\begin{array}{r}\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}(\mathrm{aq})+14 \mathrm{H}^{+}(\mathrm{aq})+6 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \\2 \mathrm{Cr}^{3+}(\mathrm{aq})+7 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l)\end{array}\)
इसके लिए मानक इलेक्ट्रॉड विभव दिया गया है, E° = 1.33V.
उत्तर:
(a) सीसा संचायक बैटरी (सेल) एक द्वितीयक सेल है। सीसा संचायक बैटरी के काम करने पर होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 8

प्रश्न 5.
एक विद्युत अपघट्य के 1.5 M विलयन की मोलर चालकता 138.9 S mol-1 पाई जाती है। इस विलयन की चालकता परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 9

प्रश्न 6.
1 cm व्यास और 50 cm लम्बाई वाले 0.05 M NaOH विलयन के कॉलम का विद्युतीय प्रतिरोध 5.55 × 103 ohm है। इसकी प्रतिरोधकता, चालकता और मोलर चालकता का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
r = 1/2 = 0.5 cm
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
A = πr2 = 3.14 × 0.52 cm2 = 0.785cm2 = 0.785 × 10-4m2
l = 50 cm 0.5 m
प्रतिरोध R = \(\frac { pl }{ A }\)
या p = \(\frac { RA }{ l }\) = \(\frac{5.55 \times 10^3 \Omega \times 0.785 \mathrm{~cm}^2}{50 \mathrm{~cm}}\)
प्रतिरोधकता (p) = 87.135 Ω cm
चालकता \(\kappa=\frac{1}{\rho}=\left(\frac{1}{87.135}\right) \mathrm{S} \mathrm{cm}^{-1}\)
\(\mathcal{K}\) = 0.011476 s cm-1
\(\mathcal{K}\) = 0.01148 s cm-1
मोलर चालकता,
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{\kappa \times 1000}{\mathrm{c}} \mathrm{cm}^3 \mathrm{~L}^{-1}\)
c = 0.05 mol L-1
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{0.01148 \mathrm{~S} \mathrm{~cm}^{-1} \times 1000 \mathrm{~cm}^3 \mathrm{~L}^{-1}}{0.05 \mathrm{~mol} \mathrm{~L}^{-1}}\)
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=229.6 \mathrm{~S} \mathrm{~cm}{ }^2 \mathrm{~mol}^{-1}\)
जब cm के स्थान पर m के पदों में गणना करें तो-
p = \(\frac { RA }{ l }\) = \(\frac{5.55 \times 10^3 \Omega \times 0.785 \times 10^{-4} \mathrm{~m}^2}{0.5 \mathrm{~m}}\)
= 87.135 × 10-2 Ω m
\(\mathcal{K}\) = \(\frac { l }{ p}\) = \(\frac { 100 }{ 87.135 }\)Ω cm
= 1.148 S m-1
तथा \(\Lambda_{\mathrm{m}}\) = \(\frac{\mathrm{K}}{\mathrm{c}}\) = \(\frac{1.148 \mathrm{~S} \mathrm{~m}^{-1}}{50 \mathrm{~mol} \mathrm{~m}^{-3}}\)
= 229.6 × 10-4 S m2 mol-1

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 7.
AgNO3 के विलयन को 2.0 ऐम्पियर की धारा से 30 मिनट तक वैद्युत अपघटित किया गया। कैथोड पर निक्षेपित चाँदी का द्रव्यमान क्या होगा?
(Ag का मोलर द्रव्यमान 108 ग्राम मोल-1, F = 96500 कूलाम मोल-1)
उत्तर:
समय (t) = 30 मिनट = 30 × 60 = 1800 sec.
I = 2 ऐम्पियर
आवेश = धारा × समय
Q = It = 2 × 1800 कूलाम
= 3600 amp sec. = 3600 कूलाम
\(\mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) के अनुसार, एक मोल (108 g) Ag को निक्षेपित करने के लिए IF या 96500 कूलाम आवेश की आवश्यकता होती है।
अतः 3600 कूलाम आवेश द्वारा निक्षेपित Ag का द्रव्यमान
= \(\frac{108 \times 3600}{96500}\) = 4.029 = 4.03 ग्राम

प्रश्न 8.
KCl, HCl एवं CH3COOK के लिए \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) के मान क्रमशः 149.8 S Cm2 mol-1, 425.9 S cm2 mol-1 एवं 114.4 S Cm2 mol-1 हैं | CH3COOH के लिए \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (CH3COOH) = \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (CH3COOK) + \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (HCl) – \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (KCl)
= 114.4 + 425.9 – 149,8
= 540.3 – 149.8
= 390.5 S cm2 mol-1

प्रश्न 9.
विद्युत चालन के आधार पर अचालक एवं अर्धचालक को समझाइए |
उत्तर:
अचालक या विद्युतरोधी – वे ठोस जिनकी चालकता बहुत कम (10-20 से 10-10 ohm-1 m-1 ) होती है, उन्हें अचालक कहते हैं। इनमें स्वतंत्र आयन या स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन नहीं होते अतः ये विद्युत का चालन नहीं करते हैं। इनमें संयोजी बैंड पूर्ण भरा होता है तथा संयोजी बैण्ड एवं चालन बैंड के मध्य ऊर्जा अन्तराल अधिक होता है। उदाहरण- यूरिया तथा शर्करा ।

अर्धचालक – वे ठोस जिनकी चालकता, चालक तथा अचालक के मध्य (10-6 से 104 ohm-1 m-1 ) होती है, उन्हें अर्धचालक कहते हैं। अर्धचालकों में संयोजी बैंड तथा चालक बैंड के मध्य ऊर्जा अन्तराल बहुत कम होता है अतः ये अल्प चालकता दर्शाते हैं। उदाहरण- सिलिकन एवं जर्मेनियम ।

प्रश्न 10.
साम्य अवस्था पर डेन्यल सेल के लिए नेन्ंस्ट समीकरण लिखिए एवं E°(सेल) तथा साम्य स्थिरांक (Kc) में सम्बन्ध व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
डेनियल सेल में प्रयुक्त अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 10
अतः T = 298 K पर R तथा F का मान रखने पर, उपर्युक्त समीकरण को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
सेल = \(\frac { 0.059V }{ 2 }\)log KC
डेन्यल सेल के लिए E°सेल =1.1 V
1.1 V = \(\frac { 0.059V }{ 2 }\)log Kc
log Kc = \(\frac{(1.1 \mathrm{~V} \times 2)}{0.059 \mathrm{~V}}\) = 37.288
Kc = Antilog 37.288 = 1.941 × 1037
Kc = 2 × 1037 (297 K परं)
अतः सामान्य रूप में,
सेल = \(\frac{2.303 \mathrm{RT}}{\mathrm{nF}}\)log Kc या E°सेल = \(\frac{0.059 \mathrm{~V}}{\mathrm{nF}}\) log Kc
यह समीकरण सेल के मानक विभव (E°सेल) तथा साम्य स्थिरांक (Kc) के मध्य सम्बन्ध है।

प्रश्न 11.
(अ) डेनियल सेल का नामांकित चित्र बनाइए ।
(ब) इलेक्ट्रॉडों पर होने वाली ऑक्सीकरण एवं अपचयन की अर्ध अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(अ) डेनियल सेल को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 11
डेनियल सेल जिसमें जिंक एवं कॉपर इलेक्ट्रॉड अपने लवणों के विलयनों में उपस्थित हैं।
(ब) डेन्यल सेल में इलेक्ट्रॉडों पर होने वाली अर्ध अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

कैथोड पर-

(i) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Cu}(\mathrm{s})\) (अपचयन अर्ध अभिक्रिया)
ऐनोड पर –
(ii) \(\mathrm{Zn}(\mathrm{s}) \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-}\) (ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया) तथा सम्पूर्ण अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

प्रश्न 12.
डेनियल सेल का मानक इलेक्ट्रॉड विभव E° = + 1.1V है तो अभिक्रिया \(\mathbf{Z n}_{(\mathrm{s})}+\mathbf{C u}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathbf{Z n}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathbf{C u}_{(\mathrm{s})}\) के लिए △G° का परिकलन कीजिए। (F = 96500C mol-1)
उत्तर:
उपरोक्त अभिक्रिया के लिए n = 2
△G° = – nFE°सेल
= – 2 × 96500 × 1.1
= – 212,300
= – 212,300 जूल मोल-1
= 212.30 किलो जूल मोल-1

प्रश्न 13.
(i) 298 K पर निम्नलिखित सेल के विद्युत वाहक बल का परिकलन कीजिए-
Mg(s) | Mg2+ (0.1M) || Cu2+(0.01M) | Cu(s)
दिया गया है-
सेल = + 2.71V तथा 1F = 96500 C mol-1

(ii) अपोलो अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए विद्युत शक्ति उपलब्ध कराने के लिए प्रयुक्त सेल के प्रकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 12

प्रश्न 14.
(अ) क्या हम CuSO4 के विलयन को लोहे के पात्र में भण्डारण कर सकते हैं? समझाइए ।
(ब) कॉलराउश का नियम लिखिए एवं एक अनुप्रयोग बताइए ।
उत्तर:
(अ) CuSO4 के विलयन का लोहे के पात्र में भण्डारण नहीं किया जा सकता क्योंकि लोहा, कॉपर से अधिक क्रियाशील होता है। अर्थात् आयरन (लोहा) कॉपर की तुलना में प्रबल अपचायक है। अतः यह CuSO4 के विलयन से कॉपर को अवक्षेपित कर देता है।
\(\mathrm{CuSO}_{4(\mathrm{aq})}+\mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{FeSO}_{4(\mathrm{aq})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

(ब) कोलराडश के अनुसार वैद्युत अपघट्यों के वे युग्म जिनमें धनायन या ऋणायन समान हों, उनकी अनन्त तनुता पर मोलर चालकताओं (A) का अन्तर निश्चित होता है।
\(\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{KCl})}^{\circ}-\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{NaCl})}^{\circ}=\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{KBr})}^{\circ}-\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{NaBr})}^{\circ}\)

अतः अनन्त तनुता पर किसी विद्युत अपघट्य का प्रत्येक आयन मोलर चालकता (\(\Lambda_{\mathrm{m}}\)) में एक निश्चित योगदान देता है तथा यह दूसरे आयन पर निर्भर नहीं करता। इस आधार पर कोलराडश ने आयनों के स्वतंत्र अभिगमन का नियम दिया जिसे कोलराडश का नियम कहते हैं। इसके अनुसार किसी वैद्युत अपघट्य की सीमान्त मोलर चालकता, उसके धनायन तथा ऋणायन की सीमान्त मोलर चालकता का योग होती है।
उदाहरण – KCl के लिए
\(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ} \mathrm{KCl}=\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}+\lambda_{\mathrm{Cl}^{-}}^{\circ}\) \(\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}\)

\(\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}\) व \(\lambda_{\mathrm{Cl}^{-}}^{\circ}\) क्रमश: K+ तथा Cl की सीमान्त मोलर चालकता है। कोलराडश के नियम से किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य की सीमान्त मोलर चालकता (अनन्त तनुता पर मोलर चालकता) ज्ञात की जा सकती है।
उदाहरण – CH3COOH (HAc) के लिए
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 13

प्रश्न 15.
(अ) लोहे के जंग लगने की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
(ब) डेन्यल सेल की सम्पूर्ण अभिक्रिया दीजिए एवं इस सेल के लिए नेर्नूस्ट समीकरण का गणितीय रूप लिखिए।
उत्तर:
(अ) लोहे के जंग लगने की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+4 \stackrel{+}{\mathrm{H}}_{(\mathrm{aq})} \rightarrow 2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(/)}\)
इसके पश्चात् वायुमण्डलीय ऑक्सीजन के द्वारा Fe2+ आयन पुनः ऑक्सीकृत होकर Fe3+ बनाते हैं। ये आयन जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3. x H2O) बना लेते हैं। यही जंग का रासायनिक संघटन है।

(ब) डेनियल सेल की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
इसके लिए नेर्नूस्ट समीकरण इस प्रकार लिखा जा सकता है-
E(सेल) = E°सेल – \(\frac{\mathrm{RT}}{2 \mathrm{~F}} \ln \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)
सेल = मानक सेल विभव
समीकरण में प्राकृतिक लघुगणक को 10 के आधार में बदलने तथा R, F एवं T के मान रखने पर
E(सेल) = E°सेल – \(\frac{0.059}{2} \log \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)

प्रश्न 16.
प्रतिरोधकता का SI मात्रक लिखिये ।
उत्तर:
प्रतिरोधकता का SI मात्रक ओम मीटर (Ωm) होता है।

प्रश्न 17.
Mg2+ व Cl आयनों की सीमान्त मोलर चालकता क्रमश: 106.0 s.cm2.mol-1 तथा 76.3 s.cm2.mol-1 है। MgCl2 की सीमान्त मोलर चालकता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
MgCl2 की सीमान्त मोलर चालकता
\(\Lambda_{\mathrm{m}}^0\left(\mathrm{MgCl}_2\right)=\lambda^{\circ}\left(\mathrm{Mg}^{2+}\right)+2 \lambda^{\circ}\left(\mathrm{Cl}^{-}\right)\)
= 106.0 s.cm.mol-1 + 2( 76.3 s. cm2.mol-1) = 258.6 s.cm2.mol-1

प्रश्न 18.
(अ) फैराडे के विद्युत अपघटन के द्वितीय नियम को लिखिए।
(ब) मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) फैराडे के विद्युत अपघटन का द्वितीय नियम – विभिन्न वैद्युत अपघट्यों के विलयनों में विद्युत की समान मात्रा समान समय तक प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉडों पर प्राप्त विभिन्न पदार्थों की मात्राएँ उनके रासायनिक तुल्यांकी भारों के समानुपाती होती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 14

प्रश्न 19.
जब 1.5 A की विद्युत धारा AgNO3 के विलयन में से प्रवाहित की जाती है तो कैथोड पर सिल्वर का 1.5 g जमा होने में जो समय लगता है, उसका परिकलन कीजिए ।
(Ag का मोलर द्रव्यमान = 108 g mol-1, 1 F = 96500 C mol-1)
उत्तर:
1 मोल (108g) Ag के निक्षेपित होने के लिए आवश्यक आवेश = 96500 कूलाम
अतः 1.5 g Ag के निक्षेपित होने के लिए प्रयुक्त आवेश
= \(\frac { 96500 }{ 108 }\) × 1.5 = 1340.3 कूलाम
आवेश Q = I × t
अतः समय (t) = \(\frac { Q }{ I }\) = \(\frac { 1340.3 }{ 1.5 }\) = 893.5 सेकण्ड
इसलिए 1.5 g सिल्वर के जमा होने में लगा समय = 893.5 सेकण्ड

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए E°सेल और △rG° को 25°C पर परिकलित कीजिए-
A2+ + B+ → A3+ + B
दिया गया है – Kc = 1010, 1 F = 96500 C mol-1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 15

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन Read More »

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन


बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
यदि बल, लम्बाई तथा समय मूल मात्रक हों तो द्रव्यमान का विमीय सूत्र होता है:
(a) [F1 L-1 T2]
(b) [F1 L1 T2]
(c) [F1 L1 T-1]
(d) [F1 l1 T1]
उत्तर:
(b) [F1 L1 T2]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 2.
एक ठोस गोले की त्रिज्या के आयतन मापन में 2% त्रुटि है, इसके मापन में 2% की त्रुटि है:
(a) 10%
(b) 20%
(c) 6%
(d) 8%
उत्तर:
(c) 6%

प्रश्न 3.
\(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \varepsilon_0}}\) का विमीय सूत्र है:
(a) [[M0L0T0]
(b) [M0L1T-1A-1]
(c) [M0L1T-1A-1]
(d) [M0LT-1]
उत्तर:
(d) [M0LT-1]

प्रश्न 4.
\(\frac{E}{B}\) का विमीय सूत्र है:
(a) [M0L0T0]
(b) [ML2T-2K-1]
(c) [M0LT-1]
(d) [MLT3A-1]
उत्तर:
(c) [M0LT-1]

प्रश्न 5.
एक प्रकाश वर्ष (ly) की दूरी का मान है:
(a) 9.46 x 1010 km
(b) 9.46 x 1012 km
(c) 9.46 x 1012m
(d) 9.46 x 1015 cm
उत्तर:
(b) 9.46 x 1012 km

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 6.
किसी कण द्वारा तय की गई दूरी तथा समय में निम्न सम्बन्ध हैं:
x = At + Bt2 इनमें A व B की विमाएँ हैं:
(a) [M0L1T1][M0L1T-2]
(b) [M0L1T-1][M0L1T-2]
(c) [M0L1T1][M0L1T-2]
(d) [M0L1T1][M0L1T-1]
उत्तर:
(b) [M0L1T-1][M0L1T-2]

प्रश्न 7.
एक भौतिक राशि Y = MaLbT-c द्वारा व्यक्त की जाती है। यदि M, L व T के मापन में क्रमशः α%, β% व γ% त्रुटि हो, तो कुल प्रतिशत त्रुटि होगी-
(a) [aα – bβ + cγ]%
(b) [aα – bβ – cγ]%
(c) [aα + bβ – cγ]%
(d) [aα + bβ + cγ]?
उत्तर:
(d) [aα + bβ + cγ]?

प्रश्न 8.
कोणीय संवेग व रेखीय संवेग के अनुपात की विमा है:
(a) [M0LT0]
(b) [MLT-1]
(c) [ML2T-1]
(d) [M-1L-1T-1]
उत्तर:
(a) [M0LT0]

प्रश्न 9.
एक घन की लम्बाई और द्रव्यमान के मापन में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि 2% और 3% है। घनत्व के मापन में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि होगी:
(a) 9%
(b) 3%
(c) 27%
(d) 6%
उत्तर:
(a) 9%

प्रश्न 10.
1 सेकण्ड तुल्य है:
(a) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के
(b) क्रिप्टॉन घड़ी के 652189.63 आवर्ती के
(c) सीजियम घड़ी के 1650763.73 आवर्तों के
(d) सीजियम घड़ी के 9192631770 आवतों के
उत्तर:
(a) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के

प्रश्न 11.
गुरुत्वीय नियतांक G का विमीय सूत्र है:
(a) [M1L2T2]
(b) [M-1L3T-2]
(c) [M-1L2T-2]
(d) [M-1L1T-2]
उत्तर:
(b) [M-1L3T-2]

प्रश्न 12.
विमीय विश्लेषण विधि से निम्न सूत्र व्युत्पन्न नहीं किया जा सकता है:
(a) T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
(b) s = ut + at2
(c) F = 6πrv
(d) v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
उत्तर:
(b) s = ut + at2

प्रश्न 13.
ताप का SI पद्धति में मात्रक है:
(a) सेण्टीग्रेड
(b) लम्बाई
(c) केल्विन
(d) रूमर
उत्तर:
(c) केल्विन

प्रश्न 14.
निम्न में से कौन सी राशि व्युत्पन्न है?
(a) द्रव्यमान
(b) फॉरेनहाइट
(c) समय
(d) वेग
उत्तर:
(d) वेग

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 15.
एक वैज्ञानिक किसी प्रयोग में 100 प्रेक्षण लेता है। वह पुन: इस प्रयोग को दोहराता है तथा 400 प्रेक्षण लेता है, तो त्रुटि:
(a) अपरिवर्तित होगी
(b) आधी हो जायेगी
(c) चौथाई हो जायेगी
(d) चौगुनी हो जायेगी
उत्तर:
(c) चौथाई हो जायेगी

प्रश्न 16.
7000 में सार्थक अंकों की संख्या है:
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(a) 1

प्रश्न 17.
जूल सेकण्ड मात्रक है:
(a) बल आघूर्ण का
(b) कोणीय संवेग का
(c) ऊर्जा का
(d) शक्ति का
उत्तर:
(b) कोणीय संवेग का

प्रश्न 18.
धारा I = ktan θ सूत्र में का मात्रक होगा:
(a) ऐम्पियर
(b) रेडियन
(c) वोल्ट
(d) ओम
उत्तर:
(a) ऐम्पियर

प्रश्न 19.
तरंग संख्या k = \(\frac{2 \pi}{\lambda}\) का विमीय सूत्र होगा:
(a) [M0L-1T1]
(b) [M0L0T1]
(c) [M0L0T0]
(d) [M0L-1T0]
उत्तर:
(d) [M0L-1T0]

प्रश्न 20.
एक मोल गैस के लिए PV = RT समीकरण में R का विमीय सूत्र होगा:
(a) [M1L-2T-2K-1]
(b) [M1L2T2K-1]
(c) [M1L2T-2K-1]
(d) [M2L2T-2K]
उत्तर:
(c) [M1L2T-2K-1]

प्रश्न 21.
1 नैनोमीटर तुल्य है:
(a) 109 मीटर
(b) 106 मीटर
(c) 10-7 सेमी
(d) 10-9 सेमी
उत्तर:
(c) 10-7 सेमी

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 22.
3.513 kg का एक पिण्ड 5.0 m/s की चाल से x- दिशा में संवेग का परिमाण रिकॉर्ड किया अनुदिश गतिमान है। इसके जायेगा:
(a) 17.56 kg ms-1
(b) 17.57 kg ms-1
(c) 17.6 kg ms-1
(d) 17.565 kg ms-1
उत्तर:
(c) 17.6 kg ms-1

प्रश्न 23.
यदि E = ऊर्जा, G = गुरुत्वाकर्षण नियतांक l = आवेग तथा M द्रव्यमान, \(\frac{G I M^2}{E^2}\) तब की विमाएँ किस राशि को प्रदर्शित करती हैं?
(a) समय
(b) द्रव्यमान
(c) लम्बाई
(d) बल
उत्तर:
(a) समय

प्रश्न 24.
निम्नलिखित इकाइयों में से कौन-सी विमा दर्शाती है, जहाँ विद्युत आवेश दर्शाता है?
(a) \(\frac{\mathrm{Wb}}{\mathrm{m}^2}\)
(b) हेनरी (H)
(c) \(\frac{\mathrm{H}}{\mathrm{m}^2}\)
(d) वेबर (Wb)
उत्तर:
(b) हेनरी (H)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
माइक्रोन किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
माइक्रोन दूरी अथवा लम्बाई का मात्रक है। (एक माइक्रोन = 10-6 मीटर)

प्रश्न 2.
रेडियन तथा स्टेरेडियन किसके मात्रक हैं?
उत्तर:
रेडियन समतलीय कोण का एवं स्टेरेडियन घन कोण का मात्रक है।

प्रश्न 3.
पूरक मात्रकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रेडियन व स्टेरेडियन।

प्रश्न 4.
1 सेकण्ड में कितने नैनो सेकण्ड होते हैं?
उत्तर:
1 सेकण्ड में 109 नैनो सेकण्ड होते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 5.
1 सेकण्ड माध्य सौर दिवस का कौन सा भाग होता है?
उत्तर:
1 सेकण्ड माध्य सौर दिवस का 86,400 वाँ भाग होता है।

प्रश्न 6.
mN, Nm तथा nm में क्या अन्तर है?
उत्तर:
mN मिली न्यूटन को, Nm न्यूटन मीटर को तथा nm नैनो मीटर को प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 7.
वेग प्रवणता का विमीय ‘सूत्र’ लिखिये।
उत्तर:
वेग प्रवणता =
अतः वेग प्रवणता का विमीय सूत्र
\(\frac{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^{-1}\right]}{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^0\right]}\) = [M0L0T-1 ]

प्रश्न 8.
S.I. पद्धति में प्रदीपन तीव्रता का मात्रक क्या होता है?
उत्तर:
S.I. पद्धति में प्रदीपन तीव्रता का मात्रक “कैण्डिला” (cd) होता है।

प्रश्न 9.
पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक क्या है?
उत्तर:
पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक ‘मोल’ (mol) है।

प्रश्न 10.
एक जूल ऊर्जा कितने अर्ग के बराबर होती है?
उत्तर:
1 जूल = 107 अर्ग।

प्रश्न 11.
प्लांक नियतांक का मात्रक क्या होता है?
उत्तर:
प्लांक नियतांक / का मात्रक ‘जूल सेकण्ड’ (Js) होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 12.
गुरुत्वीय त्वरण तथा सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) की विमाएं लिखिए।
उत्तर:
गुरुत्वीय त्वरण (g) का विमीय सूत्र = [M0L1T-2] तथा सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का विमीय सूत्र = [M-1L3T-2]

प्रश्न 13.
उस भौतिक राशि का नाम बताइये, जिसकी विमा प्लाँक नियतांक की विमा के बराबर हो।
उत्तर:
कोणीय संवेग।

प्रश्न 14.
उन राशियों के नाम बताइये जिनका विमीय सूत्र [M1L2T-1] हो।
उत्तर:
कोणीय संवेग तथा प्लांक नियतांक।

प्रश्न 15.
उन राशियों के नाम बताइये जिनका विमीय सूत्र [M1L2T-1] हो।
उत्तर:
कार्य एवं बल आघूर्ण।

प्रश्न 16.
समीकरण E = at + bt2 में E ताप विद्युत् वाहक बल है एवं तापान्तर है तथा वb नियतांक है। यहाँ का मात्रक क्या होगा ?
उत्तर:
∵ at का मात्रक = E का मात्रक
∴ का मात्रक = \(\frac{E}{t}\) = imm वोल्ट / डिग्री।

प्रश्न 17.
पृष्ठ तनाव की विमा क्या होती है?
उत्तर:
[M1L0T-2]

प्रश्न 18.
एक मीटर में Kr 86 की कितनी तरंगदैर्ध्य होती हैं?
उत्तर:
1 मीटर में Kr86 की तरंग संख्या = 1,650,763.73

प्रश्न 19.
आवेग की विमा किसकी विमा के समान होती है?
उत्तर:
आवेग की विमा [M1L1T-1] ‘संवेग’ की विमा के समान होती है।

प्रश्न 20.
दो विमाहीन राशियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कोण, विकृति।

प्रश्न 21.
उन भौतिक राशियों के नाम लिखिये जिनके विमीय सूत्र [M1L-1 T-2] हैं।
उत्तर:
दाब, प्रतिबल, प्रत्यास्थता गुणांक।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 22.
किसी ऐसी भौतिक राशि का नाम लिखिये जिसका मात्रक तो हो लेकिन विमाहीन हो।
उत्तर:
कोण

प्रश्न 23.
सूत्र \(T=2 \pi \sqrt{L Y}\) में T समय एवं L लम्बाई हो तो Y का विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर:
दिया है:
\(T=2 \pi \sqrt{L Y}\) ⇒ \(Y=\frac{T^2}{4 \pi^2 L}\)
∴ [y] = [M0L-1T-2]

प्रश्न 24.
बल, त्वरण, संवेग तथा शक्ति में न्यूटन सेकण्ड किसका मात्रक है?
उत्तर:
संवेग का।

प्रश्न 25.
क्या किसी भौतिक राशि की विमाएँ भिन्न-भिन्न पद्धतियों में भिन्न-भिन्न होती हैं?
उत्तर:
नहीं; किसी भौतिक राशि की विमाएँ सभी पद्धतियों में समान होती हैं।

प्रश्न 26.
भौतिक राशि Z की गणना सूत्र Z = \(\frac{a b^3}{c^6}\)द्वारा की जाती है। a, b तथा में से कौन सी राशि अधिक यथार्थता से नापी जानी चाहिए और क्यों?

उत्तर:
c क्योंकि c की घात अधिकतम है और त्रुटि में घात का गुणा किया जाता है।

प्रश्न 27.
प्लॉक के सार्वत्रिक नियतांक (h) का मात्रकं प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
फोटॉन की ऊर्जा, E = hv ⇒ h = \(\frac{E}{\mathrm{v}}\)
∴ h का मात्रक =
= जूल- सेकण्ड

प्रश्न 28.
किसी कोण की माप क्या लम्बाई के मात्रक पर निर्भर करती है?
उत्तर:
नहीं कोण दो लम्बाइयों का अनुपात होता है; अतः यह लम्बाई के मात्रक से स्वतन्त्र है।

प्रश्न 29.
X के मान में आपेक्षिक त्रुटि बताइये यदि X = \(\frac{A^4 B^{1 / 3}}{C \cdot D^{3 / 2}}\)
उत्तर:
X के मान में अधिकतम आपेक्षिक त्रुटि
\(\left|\frac{\Delta X}{X}\right|_{\max }=4 \frac{\Delta A}{A}+\frac{1}{3} \frac{\Delta B}{B}+\frac{\Delta C}{C}+\frac{3}{2} \frac{\Delta D}{D}\)

प्रश्न 30.
निम्न में सार्थक अंकों की संख्या बताइये:
1. 0.0020 × 104m;
2. 5.30 x 106 kg
उत्तर:

  1.  दो सार्थक अंक
  2. तीन सार्थक अंक

प्रश्न 31.
1 मिली सेकण्ड में कितने नैनो सेकण्ड होते हैं?
उत्तर:
1 ms = 10-3 s = 10-3 × 109 s = 106 ns.

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 32.
बल नियतांक का विमीय सूत्र लिखिये।
उत्तर:
बल नियतांक का विमीय सूत्र = [M1 L0T-2]

प्रश्न 33.
उन दो राशियों के नाम बताइये जिनके विमीय सूत्र [M1L0T-2] हों।
उत्तर:
बल नियतांक पृष्ठ तनाव।

प्रश्न 34.
आवेग का विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर:
आवेग = बल x समयान्तराल
= [M1L1T-2] × [T1] = [M1L1T-1]

प्रश्न 35.
किसी तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल V = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) है, जहाँ T तनाव बल है। यदि m तार की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान kg-m-1 में हो तथा वेग 1, ms-1 में हो तो तनाव t का मात्रक बताइये
उत्तर:
सूत्र V = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
⇒ T = v2.m
∴ T का मात्रक = (ms-1)2 kg.m-1 = kg.m.s-2 या न्यूटन

प्रश्न 36.
कोणीय संवेग की विमा तथा मात्रक लिखिए।
उत्तर:
कोणीय संवेग L = Iω
∴ L का मात्रक = kg-m2 s-1 तथा विमीय सूत्र
= [M2L2T-1]

प्रश्न 37.
दो ऐसे नियतांकों के नाम बताइये जो विमाहीन न हों।
उत्तर:
प्लांक नियतांक; गैस नियतांक

प्रश्न 38.
श्यानता गुणांक की विमा लिखिये।
उत्तर:
[M1L-1T-1]

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
मात्रक किसे कहते हैं तथा मात्रकों की कितनी पद्धतियाँ होती हैं?
उत्तर:
भौतिक राशि के मापन के लिए नियत किये मान को मात्रक कहते हैं। किसी भौतिक राशि के निश्चित वास्तविक मूल रूप को उस राशि का मानक मात्रक कहते हैं।
मात्रकों की निम्नलिखित तीन पद्धतियाँ हैं:

  1. C.GS. पद्धति अर्थात् सेन्टीमीटर ग्राम सेकण्ड पद्धति।
  2. M. KS. पद्धति अर्थात् मीटर किलोग्राम सेकण्ड पद्धति।
  3. F.P.S. पद्धति अर्थात् फुट पाउण्ड सेकण्ड पद्धति।

प्रश्न 2.
एक रेडियन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
एक तलीय कोण
∆s = \(\frac{\Delta s}{r}\) rad
यदि
∆s = r तो ∆θ = 1 rad.
अर्थात् एक रेडियन वह तलीय कोण है जो वृत्त की त्रिज्या के बराबर चाप द्वारा वृत्त के केन्द्र पर अन्तरित किया जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 3.
किसी माप की यथार्थता तथा परिशुद्धता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किसी माप की यथार्थता से अभिप्राय है कि राशि का मापित मान उसके वास्तविक मान के कितना निकट है, जबकि किसी माप की परिशुद्धता से अभिप्राय है कि राशि किस विभेदन सीमा तक मापी गयी।
माप की परिशुद्धता ∝

प्रश्न 4.
आपेक्षिक तथा निरपेक्ष त्रुटि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निरपेक्ष त्रुटि: किसी राशि के वास्तविक एवं मापित मान के अन्तर को निरपेक्ष या परम त्रुटि कहते हैं।
जब वास्तविक मान न दिया हो बल्कि मापन के पाठ्यांक दिये हों उनका माध्यमान ही वास्तविक मान मान लिया जाता है अर्थात्
\(\bar{a}=\sum_{i=1}^n \frac{a_i}{n}\)
अतः i वे माप की निरपेक्ष त्रुटि
∆a = \(\bar{a}-a_i\)
और कुल निरपेक्ष त्रुटि
∆\(\bar{a}=\frac{1}{n} \sum_{i=1}^n\left|\Delta a_i\right|\)
आपेक्षिक त्रुटि: माध्य परम त्रुटि एवं माध्यमान के अनुपात को आपेक्षिक त्रुटि कहते हैं।
∴ आपेक्षिक त्रुटि = \(\frac{\Delta \bar{a}}{a}\)

प्रश्न 5.
शून्य अंक किन परिस्थितियों में सार्थक माना जाता है?
उत्तर:
शून्य अंक निम्न परिस्थितियों में सार्थक माना जाता है:

  1. यदि यह दो अशून्य अंकों के मध्य हो।
  2. यदि यह दशमलव बिन्दु के आगे अशून्य अंक के बाद हो।
  3.  यदि शून्य युक्त पूर्ण संख्या मापन से प्राप्त होती है जैसे किसी छड़ की लम्बाई मापने पर 200 cm प्राप्त होती है तो इसके दोनो शून्य सार्थक हैं।

प्रश्न 6.
एक गोले की त्रिज्या के मापन में 2% की त्रुटि होती है। इसके आयतन के मापन में कितने प्रतिशत त्रुटि होगी?
उत्तर:
गोले का आयतन v = \(\frac{4}{3}\)πr3
∴ \(\frac{\Delta V}{V}\) x 100 = 3 \(\frac{\Delta r}{r}\) × 100 = 3 x 2% = 6%
∴ गोले के आयतन में प्रतिशत त्रुटि = 6%

प्रश्न 7.
3.27 मीटर तथा 3.25 मीटर का अन्तर 0.02 मीटर या 2 x 10-2 मीटर है। क्या इसे 2.00 × 102 मीटर लिख सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि 2 के बाद के अंक निश्चित नहीं है अतः इन अंकों को शून्य नहीं माना जा सकता है।

प्रश्न 8.
यदि किसी प्रयोग में विभिन्न मापों में सार्थक अंकों की संख्या भिन्न-भिन्न हो तो किस राशि को अधिक शुद्धता से मापना चाहिए तथा क्यों?
उत्तर:
जिस राशि में सार्थक अंकों की संख्या सबसे कम हो, उसको अधिक शुद्धता से मापना चाहिए क्योंकि इसके कारण प्रतिशत त्रुटि सबसे अधिक आती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 9.
किसी कण का विस्थापन s = ct3 द्वारा प्रदर्शित है, जहाँ t समय है। c का विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विस्थापन s = ct3 ⇒ c =
∴ c का विमीय सूत्र = \(\frac{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^0\right]}{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^0 \mathrm{~T}^3\right]}\)
= [M0L1T-3]
= [M0L1T-3]

प्रश्न 10.
यदि वेग, बल एवं समय को मूल मात्रक मान लिया जाये तो ऊर्जा का विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ ऊर्जा = कार्य = बल x विस्थापन = बल x वेग x समय
∴ ऊर्जा का विमीय सूत्र = [F1V1t1]

प्रश्न 11.
S.I. पद्धति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. यह मात्रकों की परिमेयकृत पद्धति है अर्थात् इस पद्धति में किसी एक भौतिक राशि के लिए एक ही मात्रक का उपयोग होता है।
  2.  इस पद्धति में मात्रक अचर तथा उपलब्ध मानकों पर आधारित हैं।
  3.  यह मात्रकों की सम्बद्ध पद्धति है अर्थात् इस पद्धति में सभी भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रक केवल मूल मात्रकों को गुणा एवं भाग करके प्राप्त हो सकते हैं।
  4.  ये सभी मात्रक सुपरिभाषित एवं पुन: स्थापित होने वाले हैं।
  5.  यह मीट्रिक या दशमलव पद्धति है।
  6.  S.I. पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रयोग की जा सकती है परन्तु M.K.S. पद्धति को केवल यांत्रिकी में प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
विमीय विश्लेषण विधि के उपयोग बताइये।
उत्तर:
विमीय समीकरणों के निम्नलिखित उपयोग हैं:

  1.  किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना।
  2. विभिन्न भौतिक राशियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना।
  3.  भौतिक राशियों के मात्रकों को मापन की एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना।

1. किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना (To Check the Truthfulness of an Equation):
जिस समीकरण की सत्यता की जाँच करनी होती है, उसके दोनों पक्षों की विमाओं की तुलना करते हैं। यदि दोनों पक्षों की विमाएं समान मिलती हैं तो समीकरण सही होगा अन्यथा गलत होगा। यदि समीकरण के किसी पक्ष में एक से अधिक पदों का योग अथवा अन्तर हो तो सत्यता की जाँच अर्द्ध-समीकरण बनाकर करते हैं। यदि सभी अर्द्ध समीकरण विमीय दृष्टि से सही मिलते हैं तो दिया गया समीकरण सही होगा, अन्यथा गलत होगा।

प्रश्न 13.
क्या विमाहीन एवं मात्रकहीन भौतिक राशि का अस्तित्व सम्भव है?
उत्तर:
विमाहीन राशियों का अस्तित्व सम्भव है जैसे – कोण, विकृति इसी प्रकार मात्रक विहीन राशियों का अस्तित्व भी संभव है जैसे – विकृति, अपवर्तनांक, आपेक्षिक घनत्व।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रकों के नाम एवं संकेत लिखने के नियम लिखिए।
उत्तर:

  1. भौतिक राशियों को प्रतीक रूप में सामान्यतः अंग्रेजी वर्णमाला के किसी अक्षर से निरूपित करते हैं तथा इन्हें तिरछे अथवा ढालू टाइप में छपवाया जाता है तथापि जिस राशि के लिए दो अक्षरीय प्रतीक आवश्यक हों तो उन्हें दो प्रतीकों के गुणनफल के रूप में प्रदर्शित करना होता है परन्तु इन प्रतीकों को पृथक् दर्शाने के लिए कुछ स्थान छोड़ना आवश्यक होता है।
  2.  नामों अथवा व्यंजकों के संक्षिप्त रूपों, जैसे- Potential Energy के लिए P.E. का उपयोग भौतिक समीकरणों में नहीं किया जाता है। पाठ्य सामग्री में इन संक्षिप्त रूपों को साधारण रोमन (सीधे) टाइप में छपवाया जाता है।
  3.  सदिश राशियों को मोटे टाइप में तथा सीधे छपवाया जाता है।
  4.  दो भौतिक राशियों के गुणनफल को उनके बीच कुछ स्थान छोड़कर लिखा जाता है। एक भौतिक राशि को दूसरी राशि से विभाजित करना एक क्षैतिज दण्ड खींचकर अथवा सॉलिडस (अर्थात् तिरछा रेखा) के साथ निर्दिष्ट किया जा सकता है अथवा अंश तथा हर के प्रथम घात के व्युत्क्रम के (जैसे- m/s या ms) के रूप में गुणनफल लिख सकते हैं।
  5.  मात्रकों के मानक तथा अनुमोदित प्रतीकों को अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षरों से आरम्भ करके रोमन (सीधे टाइप) में लिखा जाता है। मात्रकों के लघु उल्लेखों, जैसे- kg, m, s, cd आदि को प्रतीकों के रूप में लिखा जाता है, संक्षिप्त रूप में नहीं मात्रकों को केवल तभी बड़े अक्षर से लिखा जाता है जब प्रतीक को किसी वैज्ञानिक के नाम से व्युत्पन्न किया जाता है जैसे- न्यूटन (N), जूल (J), ऐम्पियर (A) आदि।
  6.  मात्रकों के प्रतीकों को उनके लिए अनुमोदित अक्षरों में लिखने के पश्चात् उनके अन्त में पूर्ण विराम नहीं लगाया जाता तथा मात्रकों के प्रतीकों के केवल एक वचन में ही लिखा जाता है बहुवचन में नहीं अर्थात् किसी मात्रक का प्रतीक बहुवचन में अपरिवर्तित रहता है।
  7.  सॉलिडस (Solidus) अर्थात् (l) के उपयोग का अनुमोदन केवल एक अक्षर के मात्रक प्रतीक के अन्य मात्रक प्रतीक द्वारा विभाजन का संकेतन करने के लिए किया गया है। एक से अधिक सॉलिडस का उपयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न 2.
विमीय समीकरणों के उपयोग से किसी समीकरण में नियतांकों एवं चरों की विमाएँ ज्ञात करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी समीकरण में नियतांकों एवं चरों की विमाएं ज्ञात करना (To Find the Dimensions of Constants and Variables in the Given Equation):
समीकरणों में नियतांकों और चरों की विमाएँ भी विमाओं की समांगता के नियम से ज्ञात की जा सकती हैं अर्थात् किसी भी भौतिक राशि में जोड़ी या घटाई जाने वाली राशियों की विमाएँ समान होती हैं तथा समीकरण के दोनों पक्षों की विमाएँ भी समान होती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 3.
विमा, विमीय सूत्र, विमीय समीकरण एवं विमीय समांगता का सिद्धान्त विस्तार पूर्वक समझाइये।
उत्तर:
विमा (Dimensions and Dimensional Analysis):
“किसी भौतिक राशि की विमाएँ वे घातें होती हैं, जिन्हें उस भौतिक राशि के व्युत्पन्न मात्रक प्राप्त करने के लिए मूल मात्रकों पर चढ़ाया जाता है।” उदाहरणार्थ-

= (दूरी का मात्रक)1 x ( समय का मात्रक)-1
स्पष्ट है कि चाल का मात्रक प्राप्त करने के लिए हमें लम्बाई के मात्रक पर 1 की घात एवं समय के मात्रक पर (-1) की घात चढ़ानी होती है। चाल के मात्रक को विभिन्न पद्धतियों में लिख सकते हैं – मीटर / सेकण्ड, सेमी/सेकण्ड, फुट/सेकण्ड। अतः ये सभी मात्रक अलग-अलग हैं परन्तु प्रत्येक की विमा में दूरी की । घात एवं समय की (-1) घात है। अतः, “किसी भौतिक राशि की विमाएँ राशि को व्यक्त करने वाले मात्रकों पर निर्भर नहीं करती हैं।”

कुछ पदों की परिभाषा निम्न प्रकार की जा सकती है:
1. विमीय सूत्र (Dimensional Formula): वह पद जो यह प्रदर्शित करता है कि व्युत्पन्न मात्रक को बनाने के लिए कौन सी मूल राशियों के मात्रक प्रयुक्त किये गये हैं, और कौन सी घातें इस कार्य में प्रयुक्त हैं, इसे भौतिक राशि का विमीय सूत्र कहते हैं। विमीय सूत्रों को सदैव बड़े कोष्ठक में लिखा जाता है।
उदाहरणार्थ: बल का विमीय सूत्र [M1L1 T-2] है।

2. विमीय समीकरण (Dimensional Equation): भौतिक राशि के संकेत को उसके विमीय सूत्र के बराबर रखने पर प्राप्त समीकरण को विमीय समीकरण कहते हैं।
उदाहरणार्थ:
[बल] = [M1L1T-2]
या
[F] = [M1L1T-2]

3. विमाओं का समांगता का सिद्धान्त (Principle of Homogeneity of Dimensions): इस सिद्धान्त के अनुसार “किसी भौतिक सम्बन्ध के लिए दोनों ओर के सभी पदों की विमाएँ समान होनी चाहिए।”
उदाहरण के लिए:
v = u + at में,
v की विमाएँ = [L1T-1]
u की विमाएँ = [L1T-1]
at की विमाएँ = [L1 T-2][T]=[LT-1]
उपयुक्त भौतिक समीकरण के दोनों पक्षों के सभी पदों की विमाएँ समान हैं, जोकि विमाओं की समांगता के सिद्धान्त के अनुरूप है।
विमीय सूत्र ज्ञात करना-यदि हमें यह ज्ञात हो कि किसी भौतिक राशि में कौन-कौन सी मूल राशियाँ शामिल हैं तो उस राशि का विमीय सूत्र हम निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं

प्रश्न 4.
किसी भौतिक राशि के संख्यात्मक मान तथा उसके मात्रक में क्या सम्बन्ध है? विमीय विधि में इस सम्बन्ध की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
भौतिक राशियों के मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना (Conversion of Units of Physical Quantities from One to Another System):
किसी भौतिक राशि के आंकिक मान (n) तथा मात्रक (u) का गुणनफल नियत रहता है; अर्थात्
n. [u] = नियतांक …….(1)
माना किसी भौतिक राशि Q का विमीय सूत्र [MaLbTc] है। इस राशि का एक पद्धति में आंकिक मान n1 एवं मात्रक [Ma1Lb1T c1] तथा दूसरी पद्धति में आंकिक मान n2 एवं मात्रक [Ma2Lb2Tc2] है। अत: समीकरण (1) से
Q = n1u1 = n2u2
या Q = n1 [M4LT] = n2[M£LT′′]
या n2 = n \(\frac{\left[\mathrm{M}_1^a \mathrm{~L}_1^b \mathrm{~T}_1^c\right]}{\left[\mathrm{M}_2^a \mathrm{~L}_2^b \mathrm{~T}_2^c\right]}\)
या n2 = n1 \(\left[\frac{\mathrm{M}_1}{\mathrm{M}_2}\right]^a\left[\frac{\mathrm{L}_1}{\mathrm{~L}_2}\right]^b\left[\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_2}\right]^c\)
इस सूत्र की सहायता से किसी भौतिक राशि के आंकिक मान को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदला जा सकता है।

प्रश्न 5.
त्रुटि किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की त्रुटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(A) क्रमबद्ध त्रुटियाँ (Systematic Errors): ” वे त्रुटियाँ जो किसी क्रमबद्ध नियम से निर्धारित होती हैं, क्रमबद्ध त्रुटियाँ कहलाती हैं।” क्रमबद्ध त्रुटियों को निर्धारित करने वाले नियम का पता लगाया जा सकता है। इस नियम के ज्ञात होते ही क्रमबद्ध त्रुटि को न्यूनतम किया जा सकता है। क्रमबद्ध त्रुटियों के कुछ स्रोत निम्नलिखित हैं-
(a) उपकरणी त्रुटियाँ ( Instrumental Errors ): सभी उपकरणी त्रुटियाँ क्रमबद्ध त्रुटियों के अन्तर्गत आती हैं। इनके उदाहरण हैं

  1.  स्केल का त्रुटिपूर्ण अंशांकन: त्रुटिपूर्ण अंशांकन के कारण एक तापमापी द्वारा N. T.P. पर जल का क्वथनांक 100°C के स्थान पर 95°C पढ़ा जा सकता है।
  2.  उपकरण की शून्यांक त्रुटि: वर्नियर कैलीपर्स, पेंचमापी की शून्यांक त्रुटि प्रकाशिक बेंच की सूचक त्रुटि (index error) भी क्रमबद्ध त्रुटियाँ हैं। सुग्राही एवं उच्च गुणवत्ता के यंत्रों का उपयोग करके इस प्रकार की त्रुटि को कम किया जा सकता है।

(b) प्रायोगिक तकनीक में अपूर्णता (Imperfection in Experimental Technique): प्रयोग के दौरान बाह्य प्रतिबन्धों जैसे – ताप, आर्द्रता, वायु-वेग आदि में क्रमबद्ध परिवर्तन तथा मापन की अनुचित तकनीक ( Imperfect Technique) क्रमबद्ध त्रुटियों के अन्तर्गत आते हैं। उदाहरणार्थ: यदि किसी व्यक्ति का ताप कन्धे व भुजा के बीच तापमापी को दबाकर मापा जाये तो इसका पाठ वास्तविक ताप से कम होगा। ऊष्मा के प्रयोगों में कुछ ऊष्मा का विकिरण द्वारा ह्रास हो जाता है।

(c) व्यक्तिगत त्रुटियाँ (Personal Errors): ये त्रुटियाँ उपकरण की अनुचित व्यवस्था तथा प्रेक्षण के दौरान उचित सावधानी न बरतने के कारण उत्पन्न होती हैं।
निराकरण (Elimination): क्रमबद्ध त्रुटियों को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न विधियों प्रयुक्त की जाती हैं।

  1. कुछ स्थितियों में त्रुटियों का निर्धारण वास्तविक प्रयोग से पहले किया जाता है। उदाहरणार्थ: यंत्र की शून्यांक त्रुटि प्रयोग से पहले ज्ञात की जाती है तथा प्रत्येक माप से संगत संशोधन किया जाता है।
  2.  कुछ स्थितियों में त्रुटियों का निर्धारण प्रयोग के बाद किया जाता है। उदाहरणार्थ: ऊष्मा के प्रयोग में विकिरण के ह्रास का संशोधन विभिन्न समयों में लिए ताप के प्रेक्षण से किया जाता है।

(B) यादृच्छिक त्रुटियाँ (Random Errors): इस प्रकार की त्रुटियाँ अत्यधिक भिन्नता के कारण होती हैं। कभी-कभी इस प्रकार की त्रुटियाँ अवसरीय त्रुटि कहलाती हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने पाठ्यांकों की पुनरावृत्ति करे तो व्यक्ति प्रत्येक प्रेक्षण में त्रुटि करता है एवं इस प्रकार की त्रुटि को अंकगणितीय माध्य के द्वारा कम करके शुद्धतम मान प्राप्त किया जा सकता है।
माना किसी राशि के लिए लिये गये n पाठ्यांकों का मान क्रमश a1, a2, a3, ……….. an हो, तो शुद्ध मान निम्न होगा
या
स्पष्ट है कि प्रेक्षणों की संख्या n जितनी अधिक होगी, त्रुटि उतनी ही \(\left(\frac{1}{n}\right)\)
यदि 100 प्रेक्षणों के औसत मान में यादृच्छिक त्रूटि x है तो 500 प्रेक्षणों के औसत मान में यह त्रुटि \(\left(\frac{x}{5}\right)\) होगी।

(C) स्थूल त्रुटियाँ (Gross Errors): व्यक्ति की असावधानी के कारण मापन में जो त्रुटि हो जाती है, वह सम्पूर्ण अथवा स्थूल त्रुटि कहलाती है। इनके उत्पन्न होने के कारण निम्न हैं।

  1.  किसी उपकरण की उचित व्यवस्था किये बिना पाठ्यांक लेने के कारण।
  2.  गलत तरीके से पाठ्यांक लेना।
  3.   पाठ्यांक को लिखते समय गलत लिख लेना।
  4.  परिकलन में पाठ्यांक का मान गलत रख देना।

प्रश्न 6.
दो राशियों के गुणनफल तथा भागफल में होने वाली अधिकतम त्रुटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राशियों के गुणनफल में त्रुटि (Error in Product of Quantities): माना कोई भौतिक राशि Z राशियों A व B के गुणनफल के बराबर है, अर्थात्
Z = A x B
माना ∆A = A राशि में परम त्रुटि
∆B = B राशि में परम त्रुटि
और ∆Z = Z के आंकलन में परम त्रुटि

∵ राशि \(\frac{\Delta A \cdot \Delta B}{A B}\) बहुत छोटी राशि है अत: इसे छोड़ने पर,
\(\pm \frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\pm \frac{\Delta A}{A} \pm \frac{\Delta B}{B}\)
∴ अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि-
\(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)

वैकल्पिक विधि (Alternative Method):
∴ Z = A.B
दोनों ओर का लघुगुणक (log) लेने पर:
log Z = log A.B
या log Z = log A + log B
दोनों पक्षों का अवकलन करने पर,
\(\frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
∴ \(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
अतः दो राशियों के गुणनफल में अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि, गुणक राशियों की भिन्नात्मक त्रुटियों के योग के बराबर होती है।

राशियों के भागफल में त्रुटि (Error in Division of Quantities): माना कोई भौतिक राशि Z दो राशियों A व B के बराबर है, अर्थात्
Z = \(\frac{A}{B}\)
माना ∆A = A के मापन में परम त्रुटि ∆B = B के मापन में परम त्रुटि
तथा ∆Z = Z के आंकलन में परम त्रुटि
अतः
Z = \(\frac{A}{B}\)
दोनों ओर का लघुगुणक लेने पर
log Z = log A – log B
दोनों पक्षों का अवकलन करने पर
\(\frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\frac{\Delta A}{A}-\frac{\Delta B}{B}\)
अतः अधिकतम त्रुटि के लिए
\(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
अतः दो राशियों के गुणनफल में अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि, गुणक राशियों की भिन्नात्मक त्रुटियों के योग के बराबर होती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 7.
अल्पतमांक से क्या अभिप्राय है? वर्नियर कैलिपर्स एवं स्क्रूगेज की अल्पतमांक का उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
(A) वर्नियर कैलीपर्स: “किसी उपकरण द्वारा मापी जा सकने वाली न्यूनतम माप को उस उपकरण की अल्पतमांक (Least Count) कहते हैं।” साधारण मीटर स्केल का अल्पतमांक 0.1 cm होता है। इससे छोटी दूरी के मापन के लिए फ्रान्सीसी वैज्ञानिक “पियरे वर्नियर” ने मुख्य पैमाने के साथ सरकने वाले एक सहायक पैमाने का विकास किया जिसे वर्नियर पैमाना कहते हैं। वर्नियर पैमाने के n भागों का मान मुख्य पैमाने के (n – 1) भागों के मान के बराबर होता है अर्थात् वर्नियर पैमाने के 1 खाने का मान मुख्य स्केल के 1 भाग के मान से छोटा होता है। इन दोनों के मानों में अन्तर ही अल्पतमांक कहलाता है।

वर्नियर पैमाने का उपयोग दो जबड़ों वाले कैलीपर्स के साथ करने से वर्नियर कैलीपर्स बनता है। वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक साधारणतः 0.01 cm होता है। वर्नियर पैमाने के 10 भागों का मान 9 mm होता है, अतः एक भाग का मान 0.9mm होगा।
∴ वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक
= 1mm – 0.9mm = 0.1mm
= 0.01 cm
इस प्रकार व्यापक रूप से वर्नियर कैलीपर्स का

वर्नियर कैलीपर्स का नामांकित आरेख संलग्न चित्र 2.7 में दर्शाया है।

(B) स्क्रूगेज अथवा पेंचमापी – यह उपकरण पेंच के सिद्धान्त पर कार्य करता है, इसलिए इसे पेंचमापी (Screw gauge) कहते हैं। पेंच में दो क्रमागत चूड़ियों के बीच की दूरी को चूड़ी अन्तराल (pitch) कहते हैं। पेंच को एक पूरा चक्कर घुमाने पर पेंच की नोंक का विस्थापन चूड़ी अन्तराल के बराबर होता है। पेंचमापी का नामांकित आरेख संलग्न चित्र 2.8 में दर्शाया है। इसमें एक वृत्ताकार पैमाना एक मुख्य पैमाने पर एक पेंच की सहायता से गति करता है।

प्रश्न 8.
सूक्ष्म दूरियों के मापन की स्पष्ट विवेचना कीजिए एवं उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(A) सूक्ष्म दूरियों का मापन (Measurement of Very Small Distances): अणु का व्यास 108 m से 10-10m की कोटि का होता है। किसी भी सूक्ष्मदर्शी की एक सीमा होती है। प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी में प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 5 x 10-7m होती है। ऐसा सूक्ष्मदर्शी 10-7 मी कोटि की तरंगदैर्ध्य के तुल्य विभेदन के लिए उपयोगी होता है इसलिए सूक्ष्मदर्शी से 100 मी कोटि के आकार वाले कणों की माप की जा सकती है। इलेक्ट्रॉन पुंज में भी तरंग गुण होते हैं एवं इलेक्ट्रॉन-तरंगों की तरंगदैर्ध्य 1A = 10-10 m की कोटि की होती है तथा इलेक्ट्रॉनों को वैद्युत् व चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा फोकसित भी किया जा सकता है। इसी आधार पर इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की रचना की गई है। इसके द्वारा परमाणुओं एवं अणुओं का विभेदन सम्भव है। जिससे इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी अणुओं के आंकलन के लिए उपयुक्त होता है। आजकल सुरंगन सूक्ष्मदर्शी (Tunnelling microscope) उपयोग किया जाता है। अतः अति सूक्ष्म लम्बाइयों के मापन के लिए कुछ परोक्ष विधियाँ भी उपयोगी होती हैं। यहाँ पर हम कुछ ऐसी विधियों का वर्णन करेंगे

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
विमीय विधि से निम्न समीकरण की सत्यता की जाँच कीजिए
v = \(\sqrt{\frac{2 G M}{r}}\) जहाँ v वेग; G गुरुत्वाकर्षण नियतांक एवं दूरी है।
उत्तर:
सत्या

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 2.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड किसी स्प्रिंग के सिरे पर लटका हुआ दोलन करता है। स्प्रिंग का बल नियतांक K तथा दोलनकाल T है। विमीय विधि से ज्ञात कीजिए कि T = 2π \(\frac{m}{K}\) अशुद्ध है।
उत्तर:
अशुद्ध।

प्रश्न 3.
आइंस्टीन के अनुसार किसी पदार्थ की ऊर्जा उसके द्रव्यमान (m), तथा प्रकाश की चाल (c) पर निर्भर करती है। विमीय विधि से ऊर्जा के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
E = mc2

प्रश्न 4.
मान लीजिए किसी माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल (v), प्रत्यास्थता गुणांक (E) व घनत्व (p) पर निर्भर करती है। विमीय विधि से चाल (v) के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{E}{\rho}}\)

प्रश्न 5.
एक क्षैतिज तल में वृत्तीय कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। कण पर लगने वाला अभिकेन्द्र बल कण के द्रव्यमान (m), वृत्त की त्रिज्या (r) तथा कण की चाल (ρ) पर निर्भर करता है। विमीय विधि से अभिकेन्द्र बल के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
F = \(\frac{m v^2}{r}\)

प्रश्न 6.
गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 ms-2 है। इसका मान किलोमीटर/मिनट में विमीय विधि से ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
35.28 किमी / मिनट2

प्रश्न 7.
जल में ध्वनि की चाल 1440ms-1 है। यदि लम्बाई का मात्रक km तथा समय का मात्रक hr हो तो इसका मान क्या होगा?
उत्तर:
5184 km. hr-1

प्रश्न 8.
स्टील का यंग प्रत्यास्थता गुणांक 19 × 1010 Nm2 है। इसका मान dyne cm2 में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
19 x 1011 dyne cm-2

प्रश्न 9.
पृथ्वी के दो व्यासतः अभिमुख बिन्दुओं A व B से चन्द्रमा को प्रेक्षित करने पर, प्रेक्षण दिशाओं के मध्य कोण θ का मान 1.54° प्राप्त होता है। पृथ्वी का व्यास 1.276 x 107 m लेते हुए पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी का आंकलन कीजिए।
उत्तर:
3.85 x 105 km

प्रश्न 10.
हाइड्रोजन परमाणु का आकार लगभग 0.4Å है। हाइड्रोजन परमाणु के एक मोल का कुल आयतन m3 में ज्ञात कीजिए। दिया है: 1 A = 10-10 m.
उत्तर:
1.6 x 107 m3

प्रश्न 11.
एक पेंचमापी की अल्पतमांक 0.001 cm है। इसके द्वारा तार का व्यास 0.225 cm मापा जाता है। इस माप में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.4%

प्रश्न 12.
एक वर्नियर कैलिपर्स का अल्पतमांक 0.01 cm है। इसके द्वारा किसी गोले कां व्यास 2.52 cm मापा जाता है। इस माप में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.39%

प्रश्न 13.
सरल लोलक के प्रयोग में लोलक की लम्बाई L नापने में 0.1% की त्रुटि तथा आवर्तकाल T नापने में 2% की त्रुटि होती है। इन प्रेक्षणों से प्राप्त L/T2 के मान में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4.1%

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 14.
घनत्व नापने के प्रयोग में एक विद्यार्थी ने वस्तु का द्रव्यमान 7.34 g तथा आयतन 13.4 cm3 मापा उसके फल में कितने प्रतिशत अधिकतम सम्भावित त्रुटि है?
उत्तर:
0.88%

प्रश्न 15.
एक तनी हुई डोरी में ध्वनि की चाल = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) जहाँ T = Mg है। प्रयोग द्वारा M 2.0kg तथा m = 1.5g.m ज्ञात किया गया। के मान में अधिकतम सम्भावित प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए। उत्तर:
5.8%

प्रश्न 16.
एक घन के द्रव्यमान तथा उसकी एक भुजा की लम्बाई की मापों में अधिकतम त्रुटियाँ क्रमशः 3% तथा 2% हैं। घन के पदार्थ के परिकलित घनत्व में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
9%

प्रश्न 17.
एक भौतिक राशि तीन मापी गई भौतिक राशियों a, b व c से निम्न सूत्र द्वारा सम्बन्धित हैं:
\(s=\frac{a b^2}{c^3}\)
यदि a, b व c के मापन में क्रमशः 1, 2 और 3 प्रतिशत की त्रुटियाँ हों तो s के मान में अधिकतम सम्भावित त्रुटि क्या होगी?
उत्तर:
14%

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. R3N में नाइट्रोजन परमाणु की संकरण अवस्था क्या है?
(अ) sp³
(ब) sp
(स) sp²
(द) sp³d
उत्तर:
(अ) sp³

2. अम्लीय माध्यम में Sn + HCI से नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन करने पर प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) N-फेनिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन
(ब) फीनॉल
(स) ऐनिलीन
(द) N-मेथिल ऐनिलीन
उत्तर:
(स) ऐनिलीन

3. एथेन नाइट्राइल का LiAlH4 द्वारा अपचयन करने पर प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) मेथिल ऐमीन
(ब) एथिल ऐमीन
(स) डाइमेथिल ऐमीन
(द) ट्राइमेथिल ऐमीन
उत्तर:
(ब) एथिल ऐमीन

4. निम्नलिखित में से किसके द्वारा प्राथमिक ऐमीन की पहचान की जाती है?
(अ) NaOH
(ब) HCl
(स) CHCl3
(द) CHCl3 + KOH
उत्तर:
(द) CHCl3 + KOH

5. बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड की क्रिया यौगिक y से कराने पर एक रंजक बनता है तो यौगिक y है-
(अ) C6H6
(ब) C2H5OH
(स) H2O
(द) C6H5NH2
उत्तर:
(द) C6H5NH2

6. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 1का LiAlH4 / H2O से अपचयन कराने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) ऐथेनेमीन
(ब) प्रोपेन- 1- ऐमीन
(स) प्रोपेन -2- ऐमीन
(द) प्रोपेनॉइक अम्ल
उत्तर:
(ब) प्रोपेन- 1- ऐमीन

7. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 2 का आई.यू.पी.ए.सी. नाम है-
(अ) एथेन डाइऐमीन
(ब) एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन
(स) 1, 2 – डाइऐमीनोएथेन
(द) 2 – ऐमीनो ऐथेनेमीन
उत्तर:
(ब) एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन

8. निम्नलिखित में से कौनसा तृतीयक ऐमीन है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 4

9. निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक उच्चतम है ?
(अ) CH3-CH2-CH-NH2
(ब) CH3-NH-CH2-CH3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 5
(द) सभी का समान
उत्तर:
(अ) CH3-CH2-CH-NH2

10. निम्नलिखित में से किसका pKb मान न्यूनतम है?
(अ) N- मेथिल मेथेनेमीन
(ब) N N डाइमेथिलमेथेनेमीन
(स) मेथेनेमीन
(द) बेन्जीनेमीन
उत्तर:
(अ) N- मेथिल मेथेनेमीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

11. निम्नलिखित में से अधिकतम क्षारीय यौगिक कौनसा है?
(अ) (C2H5)3N
(ब) (C2H5)2NH
(स) C2H5NH2
(द) NH3
उत्तर:
(ब) (C2H5)2NH

12. इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के लिए – NH2 समूह है-
(अ) निर्देशी
(ब) o, p-निर्देशी
(स) केवल 0-निर्देशी
(द) केवल p-निर्देशी
उत्तर:
(ब) o, p-निर्देशी

13. ऐनिलीन की ब्रोमीन जल से अभिक्रिया कराने पर बना यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 7

14. अभिक्रिया C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2, \(\stackrel{-}{C}\)l + KI से बना यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 8
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 9

15. C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2, \(\stackrel{-}{C}\)l का अपचयन CH3CH2OH से कराने पर कौनसा उत्पाद नहीं बनेगा-
(अ) C6H6
(ब) C6H5 – CHO
(स) N2
(द) NH3
उत्तर:
(द) NH3

16. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 10
में यौगिक C है-
(अ) CH3 – CH2 – CH2 – NH2
(ब) CH3 – CH2 – NH – CH3
(स) CH3 – CH2 – CH2 NHCOCH3
(द) CH3 – CH2 – CONH – COCH3
उत्तर:
(स) CH3 – CH2 – CH2 NHCOCH3

17. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 11
में यौगिक Z है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 13

18. निम्नलिखित में से कौनसी अभिक्रिया शॉटन बोमान अभिक्रिया कहलाती है?
(अ) CH3 NH2 + HCl → CH3N\(\stackrel{+}{H}\)3, \(\stackrel{-}{Cl}\)
(ब) CH3 – CH2 NH2 + C6H5 COCl → CH3 – CH2 – NH – COC6H5 + HCl
(स) C6H5 NH2 + CH3 COCl → C6H5 NH – COCH3 + HCl
(द) C6H5OH + CH3COCl → C6H5O COCH3 + HCl
उत्तर:
(ब) CH3 – CH2 NH2 + C6H5 COCl → CH3 – CH2 – NH – COC6H5 + HCl

19. निम्नलिखित में से कौनसे यौगिक की CH3COCl से अभिक्रिया नहीं होती?
(अ) C2H5OH
(ब) (CH3 – CH2)2 NH
(स) (CH3)3 N
(द) CH3 NH2
उत्तर:
(स) (CH3)3 N

20. निम्नलिखित में से किस यौगिक का अपचयन LiAIH4 द्वारा कराने पर \(\stackrel{\circ}{2}\) ऐमीन प्राप्त होता है?
(अ) CH3 – CH2 – NC
(ब) CH3CONH2
(स) CH3 – NO2
(द) CH3 – CH2 – CN
उत्तर:
(अ) CH3 – CH2 – NC

21. प्राथमिक ऐल्किल ऐमीन को क्लोरोफॉर्म एवं ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर बनता है-
(अ) ऐल्किल क्लोराइड
(ब) ऐल्किल ऐल्कोहॉल
(स) ऐल्किल आइसोसायनाइड
(द) ऐल्कीन
उत्तर:
(स) ऐल्किल आइसोसायनाइड

22. निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में उत्पाद की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 14
(अ) 3, 4, 5 ट्राइबोमोबेन्जीन
(ब) 1, 2, 3 ट्राइब्रोमोबेन्जीन
(स) 3, 4, 5 ट्राइब्रोमोफीनॉल
(द) 3, 4, 5 ट्राइब्रोमोनाइट्रो बेन्जीन
उत्तर:
(ब) 1, 2, 3 ट्राइब्रोमोबेन्जीन

23. ऐमीन जो नाइट्स अम्ल के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन मुक्त नहीं करती है, वह है-
(अ) ट्राइमेथिल ऐमीन
(ब) एथिल ऐमीन
(स) द्वितीयक ब्यूटिल ऐमीन
(द) आइसोप्रोपिल ऐमीन
उत्तर:
(अ) ट्राइमेथिल ऐमीन

24. बेन्जिलऐमीन को क्लोरोफार्म तथा एथेनॉलिक KOH के साथ गर्म करने पर प्राप्त उत्पाद है-
(अ) बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(ब) बेन्जेल्डिहाइड
(स) बेन्जोनाइट्राइल
(द) बेन्जिल आइसोसायनाइड
उत्तर:
(द) बेन्जिल आइसोसायनाइड

25. निम्नलिखित में से कौन-सी अभिक्रिया द्वारा प्राथमिक ऐमीन प्राप्त नहीं होती?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 15
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 16

26. अणुसूत्र C4H11N से कितने प्राथमिक ऐमीनों का निर्माण सम्भव है-
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
उत्तर:
(द) 4

27. ऐनिलीन सर्वप्रथम ऐसीटिल क्लोराइड के साथ क्रिया करके यौगिक ‘A’ बनाती है। ‘A’ नाइट्रिक अम्ल / सल्फ्यूरिक अम्ल मिश्रण के साथ क्रिया करता है तथा यौगिक ‘B’ बनाता है जो जल अपघटित होकर यौगिक ‘C’ देता है। यौगिक ‘C’ क्या है?
(अ) ऐसीटेनिलाइड
(ब) p-नाइट्रो ऐसीटेनिलाइड
(स) p- नाइट्रोऐनीलीन
(द) सल्फोनिक अम्ल
उत्तर:
(स) p- नाइट्रोऐनीलीन

28. निम्नलिखित में से कौन सी अभिक्रिया गाटरमान अभिक्रिया कहलाती है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 17
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 18

29. O – टॉलुडीन से एक उत्पाद D बनता है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 19
यह मुख्य उत्पाद D होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 20
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 21

30. निम्नलिखित अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 22
तो D होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 23
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 24

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यौगिकों के निम्नलिखित युग्म में कौनसी समावयवता है?
CH3 – CH2 – CH2 – NH2 तथा HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 25
उत्तर:
स्थिति समावयवता।

प्रश्न 2.
ऐल्किल हैलाइड की अमोनिया के आधिक्य के साथ क्रिया कराने पर प्राप्त प्रमुख उत्पाद क्या होगा?
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन।

प्रश्न 3.
समान अणुभार वाले प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों के क्वथनांक का क्रम लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन > द्वितीयक ऐमीन > तृतीयक ऐमीन।

प्रश्न 4.
कौनसे ऐमीन जल में अविलेय होते हैं ?
उत्तर:
तृतीयक ऐमीन।

प्रश्न 5.
सल्फेनिलिक अम्ल का सूत्र तथा IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 26

प्रश्न 6.
ऐमीनों के प्राकृतिक स्रोत बताइए।
उत्तर:
प्रकृति में ऐमीन, प्रोटीन, विटामिन, ऐल्केलॉइड तथा हॉर्मोनों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
दो जैव सक्रिय ऐमीन बताइए जिनका उपयोग रक्त चाप बढ़ाने में किया जाता है।
उत्तर:
ऐड्रीनलिन और इफेड्रिन, ये द्वितीयक ऐमीन हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 8.
बैनेड्रिल का उपयोग बताइए। इसमें उपस्थित क्रियात्मक समूह भी बताइए।
उत्तर:
बैनेड्रिल प्रतिहिस्टैमिन के रूप में प्रयुक्त होता है तथा इसमें तृतीयक ऐमीन समूह उपस्थित होता है।

प्रश्न 9.
चतुष्क अमोनियम लवणों का एक उपयोग बताइए।
उंत्तर:
चतुष्क अमोनियम लवणों \(\left(\mathrm{R}_4 \stackrel{+}{\mathrm{N}} \overline{\mathrm{X}}\right)\) को पृष्ठ सक्रिय पदार्थों के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
तृतीयक ब्यूटिल ऐमीन किस प्रकार की ऐमीन है?
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन।

प्रश्न 11.
वह सरलतम प्राथमिक ऐमीन कौनसा है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 27

प्रश्न 12.
मेथिल ऐमीन की अम्लीय प्रकृति को दर्शाने वाली एक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 28

प्रश्न 13.
एक प्राथमिक ऐमीन (अणु भार 31) HgCl2 की उपस्थिति में कार्बन डाइसल्फाइड के साथ क्रिया करके ऐसा यौगिक बनाता है जिसमें सरसों के तेल के समान गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीन का सूत्र तथा रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 29

प्रश्न 14.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक से 2° तथा 3° ऐमीन में विभेद कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
2° ऐमीन हिन्सबर्ग अभिकर्मक के साथ क्रिया कर लेती है। लेकिन 3° ऐमीन की हिन्सबर्ग अभिकर्मक के साथ कोई क्रिया नहीं होती।

प्रश्न 15.
ऐनिलीन की बैन्जेल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 30

प्रश्न 16.
मेथेनैमीन को एथेन नाइट्राइल में रूपान्तरित करने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम को लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 31

प्रश्न 17.
जल में विलेय तथा जल में अविलेय डाइएजोनियम लवण कौनसे होते हैं?
उत्तर:
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड (C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2\(\overline{Cl}\)) जल में विलय होता है लेकिन बेन्जीन डाइएजोनियम फ्लुओरो बोरेट [C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2B\(\overline{F}\)4] जल में अविलेय होता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए आवश्यक समीकरण दीजिए-
(i) एथेनैल से मेथेनेमीन
(ii) एथेनॉयल क्लोराइड से मेथेनेमीन
(iii) एथेनॉइक अम्ल से प्रोपेन- 1- ऐमीन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 32

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 33
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 34

प्रश्न 3.
ऐथेनेमीन जल में पूर्ण विलेय है, जबकि बेन्जीनेमीन (ऐनिलीन) जल में लगभग अविलेय है, क्यों?
उत्तर:
ऐथेनेमीन जल के साथ आसानी से अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बन्ध बना लेती है, अतः यह जल में पूर्ण विलेय है लेकिन ऐनिलीन में फेनिल समूह के बड़े आकार के कारण यह जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना पाती है अतः यह जल में लगभग अविलेय है।

प्रश्न 4.
(i) ऐलुमिना की उपस्थिति में एथेनॉल के आधिक्य की क्रिया अमोनिया के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद बताइए।
(ii) निम्नलिखित यौगिकों से मेथिल ऐमीन किस प्रकार बनाया जाता है? समीकरण दीजिए।
(a) CH3-MgCl
(b) CH3COCl
उत्तर:
(i) ऐलुमिना (Al2O3) की उपस्थिति में एथेनॉल के अधिकय की क्रिया अमोनिया के साथ कराने पर प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐमीनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 35

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विधियों से प्राथमिक ऐमीन बनाने की अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(a) ऐल्किल आइसोसायनाइड का जल अपघटन
(b) कार्बोनिल यौगिकों का अपचायक ऐमीनीकरण
(c) ऐल्किल आइसोसायनेट का क्षारीय जल अपघटन
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 36

प्रश्न 6.
ऐथिलऐमीन क्षारीय होती है जबकि ऐसिटेमाइड उभयधर्मी होता है, इसका कारण बताइए।
उत्तर:
ऐथिलऐमीन में – NH2 समूह के नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रोटोन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन ऐसिटैमाइड में उपस्थित HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 37 समूह के – I प्रभाव के कारण, -NH2 समूह के नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म अनुनाद में भाग लेता है अतः यह प्रोटेन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए ऐथिलऐमीन क्षारीय होता है जबकि ऐसिटैमाइड उभयधर्मी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 38

प्रश्न 7.
साइक्लोहेक्सेनैमीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 39 बेन्जीनेमीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 40की तुलना में अधिक क्षारीय होती है, क्यों?
उत्तर:
साइक्लोहेक्सेनैमीन में नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से उपलब्ध हो जाता है क्योंकि इसमें अनुनाद नहीं होता जबकि बेन्जीनेमीन (ऐनिलीन) में अनुनाद के कारण नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है अतः साइक्लोहेक्सेनैमीन, बेन्जीनेमीन की तुलना में अधिक क्षारीय होती है।

प्रश्न 8.
मेथिलऐमीन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया दीजिए-
(i) HAuCl4
(ii) H2PtCl6
(iii) CH3COCl
(iv) C6H5COCl
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 42

प्रश्न 9.
हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया-ऐल्किल ऐमीन की क्रिया कार्बन डाइसल्फाइड CS2 के साथ कराने पर पहले N-ऐल्किल डाइथायोकार्बेमिक अम्ल बनता है जिसे मरक्यूरिक क्लोराइड (HgCl2) के साथ गरम करने पर ऐल्किल आइसोथायोसायनेट प्राप्त होता है जिसकी सरसों के तेल के समान गंध आती है। अतः इस अभिक्रिया को हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया कहते हैं तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 43
ऐरोमैटिक ऐमीन (जैसे ऐनिलीन) में यह अभिक्रिया निम्न प्रकार भी की जा सकती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 44

प्रश्न 10.
ऐनिलीन से o-ब्रोमोऐनिलीन तथा p-ब्रोमोऐनिलीन किस प्रकार बनाया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
ऐनिलीन की इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति अधिक क्रियाशीलता के कारण प्रतिस्थापन o – तथा p – दोनों स्थितियों पर हो जाता है अतः ऐनिलीन का एकल प्रतिस्थापी व्युत्पन्न बनाने के लिए – NH2 समूह के सक्रियण प्रभाव को कम करने के लिए पहले ऐसिटिलीकरण द्वारा इसका रक्षण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 45

प्रश्न 11.
ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से p-नाइट्रोऐनिलीन किस प्रकार बनाया जाता है ? समीकरण सहित समझाइए।
उत्तर:
नाइट्रीकारक मिश्रण में उपस्थित सान्द्र HNO3 के ऑक्सीकारक गुण के कारण यह ऐनिलीन का ऑक्सीकरण कर देता है अतः इस अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए नाइट्रीकरण से पहले ऐनिलीन का ऐसिटिलीकरण करके – NH2 समूह का रक्षण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 46

प्रश्न 12.
नाइट्रोबेन्जीन को बेन्जीन में रूपान्तरित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 47

प्रश्न 13.
p-ऐमीनोटॉलुइन से 2-ब्रोमो-4-मेथिल ऐनिलीन बनाने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम बताइए।
उत्तर:
p-ऐमीनोटॉलुइन से 2 -ब्रोमो-4-मेथिल ऐनिलीन बनाने के लिए निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम आवश्यक होते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 48

प्रश्न 14.
सैन्डमायर अभिक्रिया तथा गाटरमान अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हैलाइड अथवा सायनाइड आयन द्वारा प्रतिस्थापन (हैलोबेन्जीन अथवा सायनो बेन्जीन का निर्माण) –
(i) बेन्जीनडाइएजोनियम क्लोराइड की क्रिया Cu(I) की उपस्थिति में HCl, HBr तथा KCN के साथ करवाने पर क्रमशः C6H5Cl, C6H5Br तथा C6H5CN बनते हैं। इसे सैन्डमायर अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 49
इस अभिक्रिया में Cu(I) के स्थान पर कॉपर लेने परइसे गाटरमान अभिक्रिया कहते हैं लेकिन इसमें उत्पाद की लब्धि कम होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 50
नोट-C6H5CN (बेन्जोनाइट्राइल) से बेन्जिल ऐमीन, बेन्जेमाइड तथा बेन्जोइक अम्ल का संश्लेषण किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 51

(ii) फ्लुओरोबेन्जीन का निर्माण – जब बेन्जीनडाइएजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया फ्लुओरोबोरिक अम्ल के साथ की जाती है तो पहले ऐरीनडाइएजोनियम फ्लुओरोबोरेट अवक्षेपित होता है जिसे गरम करने पर यह ऐरिलफ्लुओराइड देता है। इसे बाल्ज शीमान अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 52

(iii) आयोडोबेन्जीन का निर्माण – बेन्जीन वलय में आयोडीन को सीधे जोड़ना मुश्किल होता है अतः आयोडोबेन्जीन बनाने के लिए बेन्जीन डाइजोनियम क्लोराइड की क्रिया पोटेशियम आयोडाइड के साथ करवायी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 53

प्रश्न 15.
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ बताइए-
(i) N, N-डाइमेथिल ऐनिलीन
(ii) ß – नैफ्थॉल।
उत्तर:
(i) N, N-डाइमेथिलऐनिलीन के साथ क्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 54

(ii) ß – नैफ्थॉल के साथ क्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 55

प्रश्न 16.
ऐमीनों के बनाने की वे कौनसी विधियाँ हैं जिनसे ऐनिलीन नहीं बनायी जा सकती ?
उत्तर:
ऐमीन बनाने की निम्नलिखित विधियों द्वारा ऐनिलीन नहीं बनायी जा सकती-

  • नाइट्राइलों का अपचयन
  • ऐमाइडों का अपचयन
  • ऑक्सिमों का अपचयन
  • कार्बोनिल यौगिकों का अपचायक ऐमीनीकरण।

प्रश्न 17.
अणुसूत्र C4H11N युक्त दो समावयवी A तथा B की HNO2 के साथ क्रिया से यौगिक C तथा D बनते हैं। C का ऑक्सीकरण मुश्किल से होता है लेकिन यह शीघ्रता से ल्युकास अभिकर्मक से क्रिया करता है जबकि D की ल्युकास अभिकर्मक से क्रिया 5 मिनट में होती है तथा यह हैलोफॉर्म अभिक्रिया भी देता है तो A, B, C तथा D की पहचान कीजिए।
उत्तर:
A = (CH3)3 C – NH2
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 56
A व B प्राथमिक ऐमीन हैं जिनकी HNO2 के साथ क्रिया से संगत ऐल्कोहॉल बनते हैं। C तृतीयक ऐल्कोहॉल है जिसका ऑक्सीकरण मुश्किल से होता है तथा यह ल्युकास अभिकर्मक से तुरन्त क्रिया कर लेता है तथा D एक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है अतः यह ल्युकास अभिकर्मक से 5 मिनट में क्रिया करता है एवं HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 57 समूह के कारण यह हैलोफॉर्म अभिक्रिया देता है।

प्रश्न 18.
आप निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे ?
(i) मेथिल ऐल्कोहॉल से एथिल ऐमीन
(ii) एथेनॉइक अम्ल से एथेनैमीन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 58

प्रश्न 19.
बेन्जीन से फेनिल आइसोसायनाइड किस प्रकार बना जाता है ? आवश्यक ‘अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 59

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके जलीय विलयनों में क्षारीय सामर्थ्य के बढ़ते हुए क्रम में लिखिए-
NH3, CH3NH2, (CH3)2NH, (CH3)3N
उत्तर:
NH3 < (CH3)3 N < CH3 – NH2 < (CH3)2NH

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण रूप में लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 60
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 61

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिक युग्मों में अंतर करने के लिए रासायनिक परीक्षण लिखिए-
(i) एथिलऐमीन और ऐनिलीन में
(ii) ऐनिलीन और बेन्जिलऐमीन में।
उत्तर:
(i) ऐथिलऐमीन बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोरइड से क्रिया करके ऐजो रंजक (Azo dye) नहीं बनाता जबकि ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड से क्रिया करके एजोरंजक (पीला) बनाती है।

(ii) ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड (C6H5\(\overline{N}\)2\(\overline{C}\)) से क्रिया करके एजोरंजक बनाती है लेकिन बेन्जिलऐमीन ऐसा नहीं करती।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रत्येक प्रक्रम में A और B की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 62
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 63

प्रश्न 5.
निम्नलिखित को उनकी क्षारीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में पुनः व्यवस्थित कीजिए-
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C6H5)2NH और CH3NH2
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 64

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के कारण लिखिए-
(i) ऐनिलीन के लिए pKb का मान अपेक्षाकृत मेथिलऐमीन से अधिक होता है।
(ii) एथिलऐमीन जल में घुलनशील है परन्तु ऐनिलीन जल में नहीं घुलती।
(iii) प्राथमिक ऐमीनों के क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होते हैं।
उत्तर:
(i) मेथिल ऐमीन (CH3 – NH2) में मेथिल समूह के + I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के कारण नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए इसका क्षारीय गुण अधिक होता है जबकि ऐनिलीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 65 में नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद (+M प्रभाव) करता है जिससे इसके नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति कम हो जाती है इसलिए इसका क्षारीय गुण कम होता है। इसी कारण ऐनिलीन का pKb मेथिलऐमीन की तुलना में अधिक होता है क्योंकि क्षारीय गुण \(\propto \frac{1}{pK}{b} \propto K{b}\) (क्षार वियोजन स्थिरांक)

(ii) ऐथिलऐमीन (C2H5 – NH2) जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाती है जबकि ऐनिलीन के C6H5 – समूह (अध्रुवीय) के बड़े आकार के इसमें जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती अतः ऐथिलऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।

(iii) प्राथमिक ऐमीनों में नाइट्रोजन पर दो हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं जिनके कारण इनमें प्रबल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध होता है जिससे आण्विक सगुणन (Molecular association) अधिक होता है जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं होने के कारण हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनता अतः प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 66

प्रश्न 7.
प्रत्येक के लिए संगत रासायनिक समीकरण देकर निम्नलिखित का वर्णन कीजिए-
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(ii) हॉफमान की ब्रोमैमाइड अभिक्रिया
उत्तर:
(i) हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया या आइसोसायनाइड परीक्षण-ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक KOH या NaOH के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गधधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कार्बिलऐमीन बनता है इसे हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त की जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 67

(ii) हॉफमान ब्रोमामाइड निम्नीकरण अभिक्रिया या हॉफमान हाइपोब्रोमाइट अभिक्रिया द्वारा (By Hofmann Bromamide Degradation Reaction or Hofmann Hypobromite Reaction) – NaOH याँ KOH के जलीय अथवा एथेनॉलिक विलयन में ऐमाइडों की क्रिया ब्रोमीन के साथ करवाने पर प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया से प्राप्त ऐमीन में ऐमाइड की तुलना में एक कार्बन कम होता है। अतः इस अभिक्रिया को निम्नीकरण अभिक्रिया कहते हैं तथा इसे सजातीय श्रेणी में अवरोहण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इस अभिक्रिया के प्रथम पद में ब्रोमामाइड (हाइपोब्रोमाइट) बनता है अतः इसे हॉफमान ब्रोमामाइड अभिक्रिया कहा जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 68
अभिक्रिया की क्रियाविधि – यह अभिक्रिया चार पदों में सम्पन्न होती है तथा इसमें नाइट्रीन मध्यवर्ती बनता है।
(i) ब्रोमीनीकरण (Bromination)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 69
(ii) विहाइड्रोब्रोमीनीकरण (Dehydrobromination)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 70

(iii) पुनर्विन्यास (Rearrangement) – इस पद में ऐल्किल समूह का स्थानान्तरण कार्बन परमाणु से नाइट्रोजन परमाणु पर होकर ऐल्किल आइसोसायनेट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 71

(iv) जल अपघटन (Hydrolysis)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 72

प्रश्न 8.
(i) ऐनिलीन के डाइएजोटीकरण से क्या अभिप्राय है? अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
(ii) ऐनिलीन की निम्नलिखित के साथ होने वाली अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(A) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से
(B) ब्रोमीन जल से
(C) नाइट्रीकारी मिश्रण से
(D) क्षार की उपस्थिति में क्लोरोफार्म से
उत्तर:
(i) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड बनाने के लिए निम्न ताप पर ऐनिलीन की नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिया करवायी जाती है। इस अभिक्रिया के लिए आवश्यक नाइट्रस अम्ल को अभिक्रिया मिश्रण में ही सोडियम नाइट्राइट (NaNO2 तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की क्रिया से उत्पन्न किया जाता है। प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन से डाइऐजोनियम लवण बनाने की इस अभिक्रिया को डाइऐजोकरण या डाइएजोटीकरण (Diazotisation) कहते हैं। यह अभिक्रिया उन्हीं प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीनों द्वारा दी जाती है जिनमें -NH2 समूह ऐरीमैटिक वलय से सीधे जुड़ा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 73
बेन्जीन डाइएजोनियम लवण केवल विलयन में ही कुछ समय के लिए स्थायी होते हैं अतः इनका भण्डारण नहीं किया जा सकता तथा इन्हें बनते ही प्रयोग में ले लिया जाता है।

(ii)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 74

B. हैलोजेनीकरण या हैलोजनन (Halogenation)-ऐनिलीन कमरे के ताप पर ही ब्रोमीन जल से अभिक्रिया करके 2,4,6-ट्राइब्रोमोऐनिलीन का श्वेत अवक्षेप देती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 75
ऐनिलीन की इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति अधिक क्रियाशीलता के कारण प्रतिस्थापन आर्थो तथा पैरा दोनों स्थितियों पर हो जाता है। जब ऐनिलीन का एकल हैलो प्रतिस्थापी व्युत्पन्न बनाना हो तो NH2 समूह के सक्रियण प्रभाव को कम करने के लिए पहले ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड से ऐसिटिलीकरण द्वारा इसको रक्षित (Protect) किया जाता है, इसके पश्चात् प्रतिस्थापन करते हैं और फिर अंत में प्रतिस्थापित ऐमाइड का जल अपघटन किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 76
ऐसिटेनिलाइड की नाइट्रोजन पर स्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, ऑक्सीजन परमाणु की इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रवृत्ति के कारण इसके साथ अनुनाद में भाग लेता है जिससे नाइट्रेजन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का बेन्जीन वलय की तरफ अनुनाद (+M प्रभाव) कम हो जाता है। इसी कारण – NHCOCH3 समूह का सक्रियण प्रभाव, – NH2 समूह से कम होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 77

C. नाइट्रीकरण (Nitration ) – नाइट्रीकारक मिश्रण (सान्द्र HNO3 + सान्द्र H2SO4) में उपस्थित सान्द्र HNO3 ऑक्सीकारक होता है अतः ऐनिलीन के सीधे नाइट्रीकरण में नाइट्रोव्युत्पन्नों के साथ ऑक्सीकरण उत्पाद भी बनते हैं तथा ऐनिलीन H2SO4 से प्रोटोन ग्रहण करके ऐनिलीनियम आयन बना देती है जिसके m – निर्देशी प्रभाव के कारण o- तथा p- उत्पादों के साथ m – उत्पाद भी अपेक्षित मात्रा से अधिक बन जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 78

अतः ऐनिलीन की नाइट्रीकरण अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए पहले, (CH3CO)2O के साथ क्रिया द्वारा – NH2 समूह का रक्षण (Protection) करते हैं इसके पश्चात् नाइट्रीकरण करके प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से पैरानाइट्रोऐनिलीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है।

D. हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया या आइसोसायनाइड परीक्षण-ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक KOH या NaOH के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गधधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कार्बिलऐमीन बनता है इसे हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त की जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 80

प्रश्न 9.
(अ) ऐनिलीन एवं N मेथिल ऐनिलीन में विभेद के लिए एक रासायनिक समीकरण दीजिए।
(ब) डाइमेथिल ऐमीन मेथिल ऐमीन से प्रबल क्षार है । (कारण दीजिए)
(स) ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करेंगे – (केवल समीकरण दीजिए)
(i) 2, 4, 6- ट्राइब्रोमोऐनिलीन?
(ii) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड ?
उत्तर:
(अ) ऐनिलीन (1° – ऐमीन) CHCI, तथा क्षार के साथ कार्बिल ऐमीन परीक्षण देता है जबकि N- मेथिल ऐनिलीन (2°- ऐमीन) कार्बिल ऐमीन परीक्षण नहीं देती।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 81

(ब) डाइमेथिल ऐमीन, मेथिल ऐमीन से प्रबल क्षार है क्योंकि डाइमेथिल ऐमीन (2°) में दो मेथिल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

(स)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 82

प्रश्न 10.
(अ) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में X तथा Y को पहचानिए एवं प्रयुक्त दोनों अभिक्रियाओं के नाम भी लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 83

(ब) ऐल्केनेमीन अमोनिया से प्रबल क्षारक है। कारण दीजिए।
उत्तर:
(अ) RCONH2 + Br2 + 4 NaOH → RNH2 + Na2CO3 + 2NaBr + 2H2O
यहाँ X = R-NH2 ( प्राथमिक ऐमीन) इस अभिक्रिया को हॉफमान ब्रोमामाइड निम्नीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 84
इस अभिक्रिया को कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया कहते हैं।

(ब) ऐल्केनेमीन, अमोनिया से प्रबल क्षारक है क्योंकि ऐल्केनेमीन में उपस्थित ऐल्किल समूह की इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रकृति के कारण यह इलेक्ट्रॉन युग्म को नाइट्रोजन की ओर प्रतिकर्षित करता है इससे नाइट्रोजन के असहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्म की प्रोटॉन से साझेदारी के लिए उपलब्धता बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त ऐमीन से प्राप्त हुआ प्रतिस्थापित अमोनियम आयन, ऐल्किल समूह + I प्रभाव के कारण आवेश के वितरण द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित की संरचना लिखिए-
(i) प्रोप-2-ईन-1-ऐमीन
(ii) N-मेथिल ऐथेनैमीन
(iii) 2-ऐमीनो टॉलुईन
उत्तर:
(i) CH2 = CH – CH2 – NH2
(ii) CH3 – CH2 – NH – CH3
(iii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 85

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के मुख्य उत्पाद लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 86
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 87

प्रश्न 13.
(i) निम्नलिखित यौगिकों की जल में विलेयता का आरोही क्रम लिखिए-
C6H5NH2, (C2H5)2NH, C2H5NH2
(ii) निम्नलिखित यौगिकों को क्षारीय प्रबलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2
उत्तर:
(i) जल में विलेयता का आरोही क्रम
C6H5NH2 < (C2H5)2 NH < C2H5NH2

(ii) क्षारीय प्रबलता का बढ़ता क्रम
C6H5NH2 < C6H5NHCH3 < C6H5CH2NH2

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे ? समीकरण दीजिए।
(i) नाइट्रोबेन्जीन से ऐनिलीन
(ii) एथेनॉइक अम्ल से मेथेनैमीन
(iii) ऐनिलीन से N – फेनिलएथेनैमाइड
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 88

प्रश्न 15.
हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
किसी ऐमाइड की NaOH या KOH के जलीय अथवा ऐथेनॉलिक विलयन में ब्रोमीन से अभिक्रिया कराने पर प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होती है। इसे हॉफमान ब्रोमाइड अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 88a

प्रश्न 16.
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की फ़ीनॉल के साथ युग्मन अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की फीनॉल के साथ अभिक्रिया कराने पर युग्मन द्वारा p-हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन बनता है जो कि एक ऐजोरंजक है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 89

प्रश्न 17.
(i) ऐलीफैटिक एवं (ii) ऐरोमैटिक प्राथमिक एमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐलीफैटिक प्राथमिक ऐमीन की नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया से मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्केनॉल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 90

(ii) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया द्वारा जीन डाइजोनियम लवण प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 91

प्रश्न 18.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 92 का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
N, N-डाइएथिल ब्यूटेन-1-ऐमीन

प्रश्न 19.
क्या होता है जब बेंजीन डाइएजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया पोटेशियम आयोडाइड से कराई जाती है? (केवल अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 93

प्रश्न 20.
अधोलिखित यौगिकों को उनके बढ़ते हुए क्षारीय सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित कर कारण स्पष्ट कीजिए-
C2H5NH2, NH3, C6H5NH2
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों के क्षारीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
C2H5NH2 < NH3 < C6H5NH2
C6H5NH2(ऐनिलीन) में नाइट्रोजन पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का बेन्जीन वलय के साथ संयुग्मन (अनुनाद ) (+ M प्रभाव) हो जाता है। अतः यह प्रोटोन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए इसकी क्षारीय सामर्थ्य NH3 से कम होती है जबकि C2H5NH2 में एथिल समूह (C2H5-) के इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव (+I प्रभाव ) के कारण नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से प्रोटोन ग्रहण कर लेता है तथा इससे प्राप्त प्रतिस्थापित अमोनियम आयन में आवेश का वितरण हो जाता है जिससे वह स्थायी हो जाता है अतः एथिल एमीन (C6H5NH2) की क्षारीय सामर्थ्य, NH3 से अधिक होती है।

प्रश्न 21.
आणिकक सूत्र C7H7ON का एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ नीचे दिखाई गई एक अभिक्रिया श्रेणी में जाता है। निम्नलिखित अभिक्रियाओं में A, B, C, D और E की संरचनाएँ लिखिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 94
अथवा
(a) जब ऐनिलीन निम्नलिखित अभिकारकों के साथ अभिक्रिया करता है तो प्राप्त उत्पादों की संरचनाएँ लिखिए :
(i) Br2 जल
(ii) HCl
(iii) (CH3CO)2O / पिरिडीन

(b) निम्नलिखित को उनके क्वथनांक के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
C2H5NH2, C2H5OH, (CH3)3 N

(c) यौगिकों के निम्नलिखित युग्म में अन्तर करने के लिए एक सामान्य रासायनिक जाँच दीजिए :
(CH3)2 – NH और (CH3)3N
उत्तर:
दिए गए ऐरोमैटिक यौगिक C7H7ON की अभिक्रिया श्रेणी निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 95
अतः
A = C6H5CONH2 बेन्जैमाइड
B = C6H5N2Cl बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
C = C6H5CN फेनिल सायनाइड
D = C6H5NC फेनिल आइसोसायनाइड
E = C6H5OH फीनॉल
अथवा
(a)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 96
(b) क्वथनांक का बढ़ता क्रम-
(CH3)3N < C2H5NH2 < C2H5OH

(c) (CH3)2NH (\({ }_2^{\circ}\)-ऐमीन) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया करती है लेकिन (CH3)3 N (\({ }_3^{\circ}\)-ऐमीन) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया नहीं करती। अतः हिन्सबर्ग अभिकर्मक की सहायता से इनमें अन्तर किया जा सकता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन Read More »

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
सबसे क्षीण मूल बल है:
(a) गुरुत्वीय बल
(b) विद्युत् चुम्बकीय बल
(c) प्रबल नाभिकीय बल
(d) क्षीण नाभिकीय बल
उत्तर:
(a) गुरुत्वीय बल

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 2.
जगदीश चन्द्र बोस की प्रमुख खोज है:
(a) X – किरण
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) अति लघु रेडियो तरंगें
(d) जड़त्व का नियम
उत्तर:
(c) अति लघु रेडियो तरंगें

प्रश्न 3.
जब निकाय पर बाह्य बल शून्य है, तो संरक्षित भौतिक राशि है:
(a) यांत्रिक ऊर्जा
(b) रेखीय संवेग
(c) कोणीय संवेग
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) रेखीय संवेग

प्रश्न 4.
β-क्षय उत्सर्जन के साथ कौन-सा कण उत्सर्जित होता है?
(a) न्यूट्रिनो
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन
उत्तर:
(a) न्यूट्रिनो

प्रश्न 5.
X- किरणों के आविष्कारक थे:
(a) न्यूटन
(b) आइंस्टीन
(c) रोजन
(d) गोल्डस्टीन
उत्तर:
(c) रोजन

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 6.
दो कारों की टक्कर में संरक्षित राशि होगी:
(a) गतिज ऊर्जा
(b) कुल यान्त्रिक ऊर्जा
(c) रेखीय संवेग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रेखीय संवेग

प्रश्न 7.
बोसॉन है:
(a) अर्द्ध-पूर्णांक चक्रण वाले कण
(b) पूर्णांक चक्रण वाले कण
(c) गैसों के कण
(d) अनावेशित कण
उत्तर:
(b) पूर्णांक चक्रण वाले कण

प्रश्न 8.
दो प्रोटॉनों के बीच का वैद्युत् बल उनके बीच लगे गुरुत्वाकर्षण बल का कितने गुना होता है:
(a) 1014
(b) 1017
(c) 1034
(d) 1036
उत्तर:
(d) 1036

अति लघु उत्तरीय प्रश्न: 

प्रश्न 1.
प्रकृति के मूल बलों में अल्प परास का सबसे प्रबल बल कौन-सा है?
उत्तर:
नाभिकीय बल।

प्रश्न 2.
सूर्य के परितः ग्रहों की गति में कौन सी राशि संरक्षित रहती है?
उत्तर:
कोणीय वेग।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक व्यवहार क्या है?
उत्तर:
वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग से समस्याएँ हल करने का व्यवहार, वैज्ञानिक व्यवहार कहलाता है।

प्रश्न 4.
विज्ञान का मूलभूत लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
विज्ञान का मूलभूत लक्ष्य हमारे चारों ओर के वातावरण में होने वाली प्राकृतिक परिघटनाओं का विश्लेषण तथा सत्य की खोज करना है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 5.
प्रकृति के चार मूलभूत बलों के नाम दीजिए।
उत्तर:

  1.  गुरुत्वाकर्षण बल,
  2.  विद्युत् चुम्बकीय बल
  3.  प्रबल नाभिकीय बल
  4.  दुर्बल नाभिकीय बल।

प्रश्न 6.
द्रव्यमान ऊर्जा तुल्यता का सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
E = mc2, यहाँ
c → प्रकाश का वेग।

प्रश्न 7.
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम वैज्ञानिक का क्या नाम है?
उत्तर:
सर सी०वी० रमन (रमन प्रभाव के लिए)।

प्रश्न 8.
नाभिक में धनावेशित कण किस मूल बल के कारण बँधे रहते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय बल।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
भौतिक विज्ञान क्या है?
उत्तर:
भौतिकी अर्थात् भौतिक विज्ञान शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) शब्द ‘फुसिस’ (Pheusis / Fusis) से हुई है जिसका तात्पर्य है ‘प्रकृति’। वेदों में भी ‘प्राकृतिक’ (Natural) के लिए अधिकांशतः “भौतिक” (Physical) शब्द का उपयोग किया गया है। इसी से ‘भौतिकी’ या ‘भौतिक विज्ञान’ शब्द की उत्पत्ति हुई है। इस प्रकार ” भौतिकी अर्थात् भौतिक विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।” [Physics is the branch of Science which deals with the study of nature and natural phenomena] चूँकि प्रकृति में ब्रह्माण्ड की सभी सजीव तथा निर्जीव वस्तुएँ समाहित हैं, जो द्रव्य तथा ऊर्जा से मिलकर बनी हैं; अत: दूसरे शब्दों में, विज्ञान की उस शाखा को जिसमें द्रव्य तथा ऊर्जा और उनकी पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, भौतिक विज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 2.
भौतिकी की हमारे आम जीवन में क्या भूमिका है?
उत्तर:
आपसी सम्पर्क तथा आदान-प्रदान सुलभ होने से सभी देशों की सभ्यता, रहन-सहन और सोचने-विचारने के तरीकों में बहुत परिवर्तन हुआ है। इस प्रकार भौतिक विज्ञान ने अन्तर्राष्ट्रीय एवं विश्व-बन्धुत्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। शक्ति के साधनों का विकास- मानव का अस्तित्व तथा विकास शक्ति के साधनों पर निर्भर है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 3.
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम लिखिए।
उत्तर:
1. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force ): गुरुत्वाकर्षण बल दो पिण्डों के बीच उनके द्रव्यमानों के कारण लगने वाला आकर्षण बल है। यह सार्वत्रिक बल है। न्यूटन के अनुसार, “दो द्रव्य पिण्डों के मध्य आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती व इनके मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।” यह संरक्षी बल है।
माना दो पिण्ड m1 व m2 हैं, जिनके बीच की दूरी हो तो गुरुत्वाकर्षण बल
F = G \(\frac{m_1 m_2}{r^2}\)
G सार्वत्रिक नियतांक कहलाता है जिसका मान 6.67 x 10-11 N- m2 kg-2 होता है।
पृथ्वी के परित: चन्द्रमा तथा मानव निर्मित उपग्रहों की गति, सूर्य के परितः पृथ्वी तथा ग्रहों की गति और पृथ्वी पर गिरते पिण्डों की गति गुरुत्व बल द्वारा ही नियन्त्रित होती है। गुरुत्वीय बल का क्षेत्र कण ‘ग्रेविटोन’ कहलाता है।

प्रश्न 4.
भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
विज्ञान एवं उसमें भी विशेष रूप से भौतिकी का अनुप्रयोगात्मक स्वरूप ही प्रौद्योगिकी है। भौतिकी के सिद्धान्तों एवं नियमों का उपयोग करके बहुत-सी युक्तियाँ विकसित की गई हैं तथा यंत्र और उपकरण बनाये गये हैं। जिनके उपयोग से मानव जीवन अत्यन्त ही लाभान्वित और उन्नत हुआ है।
इससे सम्बन्धित अनेकों उदाहरण हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  1.  गुरुत्वाकर्षण के नियमों एवं गति के अध्ययन से अन्तरिक्षयानों तथा कृत्रिम उपग्रहों का प्रक्षेपण संभव हो सका, जिससे मनुष्य का चन्द्रमा तक जाना संभव हो सका है
  2.  ऊष्मागतिकी के नियमों के अध्ययन से ही ऊष्मीय इंजन तथा प्रशीतक (Refrigerator ) का विकास संभव हुआ है।
  3.  फैराडे के विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त के आधार पर ही विद्युत् ऊर्जा का उत्पादन (हाइड्रोइलेक्ट्रिक संयंत्रों तथा थर्मल पावर संयंत्रों द्वारा) किया जाता है। यह विद्युत् ऊर्जा आधुनिक प्रौद्योगिकी का मूल आधार है।
  4.  प्रकाश विद्युत् प्रभाव का उपयोग करके सौर बैटरी, सौर-कार, सौर लैम्प आदि का निर्माण सम्भव हो सका।
  5.  नाभिकीय विखण्डन की प्रक्रिया के आधार पर परमाणु ऊर्जा का उत्पादन तथा परमाणु बम, नाभिकीय पनडुब्बियों आदि का निर्माण किया जाता है।
  6.  इलेक्ट्रॉनिक्स के ज्ञान से टेलीविजन, कम्प्यूटर आदि का विकास संभव हुआ है।

प्रश्न 5.
भौतिकी तथा समाज के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
भौतिक विज्ञान में होने वाले तरह-तरह की खोजों, नए-नए नियमों एवं अवधारणाओं के सूत्रपात से नए नए साधनों और उपकरणों का आविष्कार हुआ। इन उपकरणों का प्रयोग समाज ही करता है, जिससे उसका जीवन सुगम होता है। उसका श्रम,धन और समय बचता है। इसलिए भौतिकी में हुई शोध, खोज और अविष्कारों का फल सकारात्मक रूप में समाज को मिलता है और समाज स्वयं को विकास के रास्ते पर ले जाता है, इसलिए समाज एवं भौतिकी में गहरा संबंध है।

  1.  ऊर्जा के नए स्रोतों की खोज बहुत बड़ी है। समाज के लिए महत्व।
  2.  परिवहन के तीव्र साधन किसके लिए कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। समाज।

प्रश्न 6.
ऊर्जा संरक्षण नियमों का कथन एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न बलों से नियन्त्रित होने वाली किसी भी भौतिक घटना में कई राशियाँ समय के साथ बदलती रहती हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट भौतिक राशियाँ समय के साथ नहीं बदलती, जैसे- द्रव्यमान, ऊर्जा, संवेग, आदेश आदि । ये प्रकृति की संरक्षी भौतिक राशियाँ हैं। इन राशियों का संरक्षित
रहना कई प्रकार के संरक्षण नियमों का आधार है ऐसी ज्ञात 14 संरक्षी भौतिक राशियों में से कुछ संरक्षण नियम निम्नलिखित हैं-
1. द्रव्यमान-ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass Energy): बाह्य संरक्षी बलों के अन्तर्गत होने वाली गति कुल यांत्रिक ऊर्जा (अर्थात् गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा) संरक्षित रहती है। उदाहरण के लिए, गुरुत्व के अन्तर्गत मुक्त रूप से गिरते पिण्ड की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। लेकिन उनका योग नियत रहता है। संरक्षी बलों के लिए यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम विलगित निकाय के ऊर्जा संरक्षण के सामान्य नियम पर लागू नहीं होता है।

ऊर्जा संरक्षण का सामान्य नियम सभी बलों के लिए तथा ऊर्जा के सभी रूपों के परस्पर एक-दूसरे में परिवर्तन के लिए सत्य है। इसी प्रकार आइन्सटीन के सापेक्षवाद के सिद्धान्त के पूर्व अवधारणा सर्वमान्य थी कि द्रव्य अविनाशी है। रासायनिक अभिक्रियाओं के विश्लेषण एवं अध्ययन में यह नियम अभी भी लागू होता है। नाभिकीय अभिक्रियाओं में द्रव्य का ऊर्जा में तथा ऊर्जा का द्रव्य में रूपान्तरण होता है। आइंस्टीन के द्रव्य ऊर्जा समीकरण E = mc2 के अनुसार यदि किसी द्रव्य के m द्रव्यमान का ऊर्जा में पूर्णतः रूपान्तरण होने पर E ऊर्जा उत्पन्न होती है। अतः नाभिकीय अभिक्रियाओं में ऊर्जा संरक्षण का नियम तथा द्रव्यमान संरक्षण का नियम अलग-अलग लागू नहीं होता, अपितु द्रव्यमान-ऊर्जा संरक्षण का नियम लागू होता है।

2. रेखीय संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Linear Conservation): इस नियम के अनुसार, “किसी विलगित निकाय का कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।” संवेग एक सदिश राशि है। यद्यपि संवेग संरक्षण के नियम की व्युत्पत्ति न्यूटन के गति के नियमों से की जा सकती है तथा संरक्षण का नियम प्रकृति का एक सार्वत्रिक नियम है। और वहाँ भी लागू रहता है जहाँ न्यूटन के गतिविषयक नियम लागू नहीं होते।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 7.
विभिन्न मूल बलों के एकीकरण के प्रयासों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भौतिक विज्ञान की महत्वपूर्ण उपलब्धि विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रभाव क्षेत्रों तथा मूल बलों को एकीकरण की ओर ले जाती है। प्रकृति के विभिन्न बलों एवं प्रभाव क्षेत्रों के एकीकरण में प्रगति में महत्वपूर्ण प्रयास निम्नलिखित हैं:

  1.  सन् 1687 में आइजेक न्यूटन ने खगोलीय तथा पार्थिव यांत्रिकी को एकीकृत किया। उन्होंने यह दर्शाया कि दोनों प्रभाव क्षेत्रों पर समान गति के नियम तथा गुरुत्वाकर्षण लागू होते हैं।
  2.  सन् 1820 में हेंस क्रिश्चियन ऑस्टेंड ने यह दर्शाया कि वैद्युत् तथा चुम्बकीय परिघटनाएँ एक एकीकृत प्रभाव क्षेत्र हैं।
  3.  सन् 1830 में माइकल फैराडे ने विद्युत् चुम्बकत्व के अविक्षेप रूप को प्रस्तुत किया।
  4.  सन् 1873 में जेम्स क्लॉर्क मैक्सवेल ने विद्युत् चुम्बकत्व तथा प्रकाशिकी को एकीकृत किया तथा यह दर्शाया कि प्रकाश विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं।

प्रश्न 8.
भौतिकी की तकनीकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह विधि जिसमें द्रव्य, ऊर्जा तथा उनकी अन्तर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है तथा भौतिकी के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है, भौतिकी की तकनीक कहलाती है। इसे वैज्ञानिक विधि (Scientific method) भी कहते हैं।
अनुसंधान कार्यों के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अपनायी जाने वाली सुविचारित, सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत विधि को वैज्ञानिक विधि कहते हैं।

वैज्ञानिक विधि के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:

  1.  क्रमबद्ध प्रेक्षण (Systematic Obervation): किसी प्रश्न या समस्या के हल या समाधान के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग किये जाते हैं, जिनसे ये क्रमबद्ध प्रेक्षण लेते हैं। इस प्रेक्षणों से आँकड़े एकत्र किये जाते हैं और फिर उनका गहन अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है।
  2.  परिकल्पना (Hypothesis): प्राप्त प्रेक्षणों एवं आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा कुछ परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।
  3.  परिकल्पनाओं का परीक्षण (Testing of Hypothesis): परिकल्पनाएँ बनाने के उपरान्त इन परिकल्पनाओं का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा परिकल्पनाओं के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं और भविष्यवाणियाँ (Predictions) की जाती हैं। इन भविष्यवाणियों का नये प्रयोगों द्वारा सत्यापन किया गया है।
  4. अन्तिम सिद्धान्त (Final Theory): यदि प्राप्त निष्कर्षों तथा भविष्यवाणियों का प्रयोगों द्वारा सत्यापन हो जाता है, तो इसे अन्तिम सिद्धान्त मान लिया जाता है। सत्यापन न होने की स्थिति में परिकल्पनाओं में आवश्यकतानुसर संशोधन किये जाते हैं अथवा नई परिकल्पनाएँ बनाई जाती हैं तथा उनका पुनः परीक्षण किया जाता है। परिकल्पनाएँ बनाने और उनका परीक्षण करने का यह क्रम तब तक जारी रखा जाता है जब तक कि प्रयोगों द्वारा सत्यापित अंतिम सिद्धान्त प्राप्त न हो जाये।

 

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत Read More »

HBSE 11th Class Physics Important Questions and Answers

Haryana Board HBSE 11th Class Physics Important Questions and Answers

HBSE 11th Class Physics Important Questions in Hindi Medium

HBSE 11th Class Physics Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 Physical World Important Questions
  • Chapter 2 Units and Measurements Important Questions
  • Chapter 3 Motion in a Straight Line Important Questions
  • Chapter 4 Motion in a Plane Important Questions
  • Chapter 5 Laws of Motion Important Questions
  • Chapter 6 Work Energy and Power Important Questions
  • Chapter 7 System of Particles and Rotational Motion Important Questions
  • Chapter 8 Gravitation Important Questions
  • Chapter 9 Mechanical Properties of Solids Important Questions
  • Chapter 10 Mechanical Properties of Fluids Important Questions
  • Chapter 11 Thermal Properties of Matter Important Questions
  • Chapter 12 Thermodynamics Important Questions
  • Chapter 13 Kinetic Theory Important Questions
  • Chapter 14 Oscillations Important Questions
  • Chapter 15 Waves Important Questions

HBSE 11th Class Physics Important Questions and Answers Read More »

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. सामान्य मनुष्य में विश्राम अवस्था में ज्वारीय आपतन होता है-
(A) 0.5 लीटर
(B) 2.5 लीटर
(C) 1.2 लीटर
(D) 4.9 लीटर।
उत्तर:
(A) 0.5 लीटर

2. फेफड़े की कोशिकाओं में कूपिका से रुचिर में O2 अभिगमन के लिए उत्तरदायी है-
(A) सक्रिय अभिगमन
(B) निस्यन्दन
(C) सुगमीकृत विसरण
(D) निष्क्रिय विसरण।
उत्तर:
(D) निष्क्रिय विसरण।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

3. मस्तिष्क में उपस्थित श्वसन केन्द्र किस परिवर्तन के प्रति अनुक्रिया दर्शाति
(A) रुधिर में O2 सान्द्रण
(B) रुधिर में CO2 सान्द्रण
(C) माइटोकॉण्ड्रिया में ग्लूकोस
(D) माइटोकॉण्ड्रिया में वसा ।
उत्तर:
(D) माइटोकॉण्ड्रिया में वसा ।

4. श्वसन सतह में से गैसों का अभिगमन होता है-
(A) विसरण द्वारा
(B) सक्रिय श्वसन द्वारा
(C) संचालन द्वारा
(D) सुगमीकृत विसरण द्वारा।
उत्तर:
(B) सक्रिय श्वसन द्वारा

5. कौन-सी रचना फुफ्फुस के विभाजन का अन्तिम भाग है तथा गैसीय विनिमय का स्थान है-
(A) ट्रेकिओल
(B) वायु कोष्ठिका
(C) श्वसनिकाएँ
(D) श्वसन श्वसनिकाएँ।
उत्तर:
(A) ट्रेकिओल

6. कार्बन डाइ ऑक्साइड का परिवहन होता है-
(A) हीमोग्लोबिन द्वारा
(B) प्लाज्मा द्वारा
(C) लाल रक्त कणिकाओं द्वारा
(D) इन सभी के द्वारा।
उत्तर:
(B) प्लाज्मा द्वारा

7. दौड़ने पर श्वसन दर बढ़ जाती है क्योंकि रक्त में-
(A) लैक्टिक अम्ल की मात्रा कम होती है
(B) CO2 की सान्द्रता अधिक होती है।
(C) CO2 की सान्द्रता कम होती है
(D) CO2 व लैक्टिक अम्ल की सान्द्रता कम होती है।
उत्तर:
(C) CO2 की सान्द्रता कम होती है

8. उनकों में ऑक्सीहीमोग्लोविन से O2 का विघटन होने का कारण है-
(A) O2 की कम सान्द्रता
(B) CO2 की कम सान्द्रता
(C) O2 की अधिक सान्द्रता
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(D) इनमें से कोई नहीं।

9. एक बार साँस लेने में वायु की जो मात्रा बाहर निकाली जाती है या भीतर ली जाती है कहलाती है-
(A) प्रवाही आयतन
(B) अवशेषी आयतन
(C) सजीव आयतन
(D) निःश्वसन एवं प्रश्वसन
उत्तर:
(C) सजीव आयतन

10. अन्तःश्वसन के समय डायाफ्राम हो जाता है-
(A) संकुचित
(B) प्रसारित
(C) विश्रामावस्था में
(D) कोई परिवर्तन नहीं
उत्तर:
(B) प्रसारित

11. फेफड़ों में श्वासनली (Trachea ) की शाखा का अन्तिम भाग तथा गैसीय विनिमय का स्थान है-
(A) श्वसनियाँ
(B) श्वसनिकाएँ
(C) वायु-कूपिकाएँ
(D) वायुकोष
उत्तर:
(A) श्वसनियाँ

12. रुचिर में फेफड़ों तक CO2 का संवहन मुख्यतः होता है-.
(A) कार्बोनिक अम्ल तथा कार्बोमिनोहीमोग्लोबिन के रूप में
(B) प्लाज्मा में घुली अवस्था में
(C) केवल कार्बोनिल अम्ल के रूप में
(D) केवल हीमोग्लोबिन से मिलकर।
उत्तर:
(D) केवल हीमोग्लोबिन से मिलकर।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

13. कोष्ठकीय वायु की तुलना में वायुमंडलीय वायु का PCO2 व PO2 होगा –
(A) कम PO2 उच्च PCO2
(C) उच्च PO2 उच्च PPCO2
(B) उच्च PO2 कम PCO2
(D) कम PO2कम PCO2
उत्तर:
(B) उच्च PO2 कम PCO2

14. निम्न में से किसका मान सबसे कम होता है ?
(A) प्रवाही आयतन
(B) सजीव क्षमता
(C) अन्त: श्वसनी व्युत्क्रम आयतन
(D) बाह्य श्वसनी व्युत्क्रम आयतन ।
उत्तर:
(C) अन्त: श्वसनी व्युत्क्रम आयतन

15. फेफड़े के कोष्ठकों में गैसीय विनिमय किसके द्वारा होता है ?
(A) चेष्टा संवहन
(B) परासरण
(C) साधारण विसरण
(D) निष्चेष्ट संवहन।
उत्तर:
(B) परासरण

16. हीमोग्लोबिन द्वारा वहन ऑक्सीजन का निर्धारण किसके द्वारा होता है-
(A) pH
(B) ऑक्सीजन का आंशिक दाब
(C) CO2 का आंशिक दाब
(D) इनमें से सभी।
उत्तर:
(B) ऑक्सीजन का आंशिक दाब

17. उनकों में हीमोग्लोबिन का विघटन किस कारण होता है-
(A) उच्च PO2
(B) कम PO2
(C) समान PO 2
(D) PO2 के विपरीत।
उत्तर:
(B) कम PO2

18. क्रेन्स चक्र के अन्त में प्राप्त ATP की संख्या होती है- (RPMT)
(A) 2 ATP
(B) 4 ATP
(C) 36 ATP
(D) 38 ATP.
उत्तर:
(C) 36 ATP

19. वायवीय श्वसन में ग्लूकोज के अणु से ATP के कितने अणु प्राप्त होते है- (UP CPMT)
(A) 12
(B) 18
(C) 30
(D) 38.
उत्तर:
(B) 18

20. एक हीमोग्लोबिन कितने ऑक्सीजन अणुओं का वहन करता है- (UP CPMT)
(A) 4
(B) 2
(C) 6
(D) 8.
उत्तर:
(B) 2

21. वायवीय श्वसन सम्बन्धित है- (RPMT)
(A) माइटोकॉण्ड्रिया से
(B) प्लाज्मा झिल्ली से
(C) गॉल्जी काय से
(D) अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से
उत्तर:
(C) गॉल्जी काय से

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

22. मेढ़क में सुप्तावस्था के समय श्वसन होता है- (RPMT)
(A) त्वचा द्वारा
(B) फेफड़ों द्वारा
(C) मुखीय फैरिंक्स द्वारा
(D) फैरिंक्स द्वारा ।
उत्तर:
(D) फैरिंक्स द्वारा ।

23. रुधिर द्वारा CO2 किस रूप में पायी जाती है- (RPMTS UPCPMT)
(A) Hb CO2
(B) Na HCO3
(C) कार्बोनिक अम्ल
(D) Hb CO2 कार्बोनिक अम्ल
उत्तर:
(A) Hb CO2

24. श्वसन केन्द्र उपस्थित होते हैं- (RPMT)
(A) सेरीबेलम में
(B) सेरीब्रम में
(C) मैड्यूला ऑब्लांगेटा में
(D) हाइपोथैलेमस में ।
उत्तर:
(A) सेरीबेलम में

25. बुक लेग्स श्वसन अंग हैं- (RPMT)
(A) प्रोटोजो अन्स में
(C) आर्थ्रोपोड में
(B) निडेरिया में
(D) ऐम्फीबियन में।
उत्तर:
(A) प्रोटोजो अन्स में

26. जब तापमान कम होता है तब ऑक्सी-Hb वक्र हो जाएगा- (UP CPMT)
(A) अधिक झुका
(B) सीधा
(C) पैराबोला
(D) ये सब ।
उत्तर:
(B) सीधा

27. ऑक्सीजन विघटन वक्र होता है- (RPMT)
(A) सिग्मॉइड
(B) पैराबोलिक
(C) हाइपरबोलिक
(D) सीधी रेखा ।
उत्तर:
(A) सिग्मॉइड

28. फेफड़ों का प्रवाही आयतन होता है- (CBSE)
(A) 500 मिली
(B) 1000 मिली
(C) 1500 मिली
(D) 2000 मिली ।
उत्तर:
(D) 2000 मिली ।

29. ऑक्सीजन विघटन वक्र होता है-
(A) सिग्मॉइड
(B) पैराबोलिक
(C) हाइपरबोलिक
(D) सीधी रेखा
उत्तर:
(C) हाइपरबोलिक

30. फेफड़ों का प्रवाही आयतन होती है-
(A) 500MI
(C) 1500mL
(B) 100mL
(D) 2000mL
उत्तर:
(A) 500MI

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

31. ऊतकों द्वारा ग्रहण किए जाने के पश्चात् भी मनुष्य के रुधिर में ऑक्सीजन का एक बड़ा अनुपात अप्रयुक्त रह जाता है।
(A) रुधिर के PCO2 को 75 mm Hg तक बढ़ा देती है
(B) ऑक्सी- हीमोग्लोबिन संतृप्तता को 96% पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त होती है
(C) उपकला ऊतकों में अधिक ऑक्सीजन मुक्त करने में सहायता करती है
(D) पेशीय व्यायाम के दौरान एक रिजर्व की भाँति कार्य करती है।
उत्तर:
(B) ऑक्सी- हीमोग्लोबिन संतृप्तता को 96% पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त होती है

32. निःश्वसन के दौरान डायाफ्राम हो जाता है- (RPMT)
(A) सामान्य
(B) चपटा
(C) गुम्बदाकार
(D) तिरछा
उत्तर:
(C) गुम्बदाकार

33. इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला में इलेक्ट्रॉन का अन्तिम ग्राही होता है-
(A) जल
(C) राइटोक्रोम-a
(B) साइट्रोक्रोम-a-3
(D) ऑक्सीजन
उत्तर:
(D) ऑक्सीजन

34. CO2 परिवहन में भाग लेने वाला एन्जाइम कार्बनिक एनहाइड्रेस पाया जाता है-
(A) WBCs में
(B) लिम्फोसाइट्स में
(C) RBCS में
(D) मोनोसाइट्स में।
उत्तर:
(B) लिम्फोसाइट्स में

35. मनुष्यों में श्वसन के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से सत्य कथन है-
(A) सिगरेट के पीने से श्वसनी शोथ (inflamation of bronchi) उत्पन्न हो सकता है।
(B) मस्तिष्क के पोन्स भाग में स्थित न्यूमोटॉक्सिक केन्द्र से उत्पन्न तंत्रिकीय संकेत अन्तःश्वसन की अवधि को बढ़ा सकते हैं
(C) पत्थर तोड़ने एवं घिसने के उद्योग में कार्यरत मजदूर फुफ्सीय रेशीमयता (lung fibrosis) नामक रोग से पीड़ित हो सकते हैं।
(D) CO2 का लगभग 90% भाग हीमोग्लोबिन द्वारा कार्बमीनो- हीमोग्लोबिन के रूप में ले जाया जाता है।
उत्तर:
(A) सिगरेट के पीने से श्वसनी शोथ (inflamation of bronchi) उत्पन्न हो सकता है।

36. चित्र में मानव श्वसन तंत्र का एक आरेखी दृश्य दर्शाया गया है जिसमें चार नामांकन A, B, C और D दिए गए हैं। अंग की सही पहचान के साथ-साथ उसके प्रमुख कार्य और / अथवा विशिष्टता के विकल्प चुनिए । (NEET UG)
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 1
उत्तर:
(D)

(B) अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
फेफड़ों में ऐसी कौन-सी रचनाएँ हैं जो श्वसन केन्द्र को नियन्त्रित करती हैं ?
उत्तर:
फेफड़ों में श्वसन केन्द्र को नियन्त्रित करने हेतु विशेष प्रकार के स्फीति प्राही (Inflation receptors) तथा अपस्फीति ग्राही (Deflation receptors) पाये जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 2.
गैसीय विनिमय एवं गैसों के परिवहन को संयुक्त रूप से क्या कहते हैं ?
उत्तर:
गैसीय विनिमय एवं गैसों के परिवहन को संयुक्त रूप से बाह्य श्वसन (External respiration) कहते हैं।

प्रश्न 3.
कोशिका में सम्पन्न होने वाली ऐसी कौन-सी क्रिया है, जिसके द्वारा कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होता है ?
उत्तर:
कोशिका में सम्पन्न होने वाली क्रिया कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) में CO2 का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
ज्वारीय आयतन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सामान्य अवस्था में प्राणी के फेफड़ों में वायु के जिस आयतन का आवागमन होता है, उसे ज्वारीय आयतन (Tidal volume) कहते हैं।

प्रश्न 5.
अन्तःश्वसन संचयी आयतन से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पेशीय प्रयास बढ़ाने से अन्तःश्वसन के समय वायु के अतिरिक्त आयतन को ग्रहण किया जा सकता है। इस आयतन को अन्तःश्वसन संचयी आयतन (Inspiratory Reserve Volume) कहते हैं।

प्रश्न 6.
बहिःश्वसन संचयी आयतन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अतिरिक्त पेशीय प्रयास में बहिःश्वसन के समय वायु के अतिरिक्त आयतन को फेफड़ों से बाहर निकाला जा सकता है। इसे बहिःश्वसन आयतन (Expiratory Reserve Volume) कहते हैं।

प्रश्न 7.
कशेरुकी प्राणियों में ऑक्सीजन का अधिकतम संवहन रुधिर में किस रूप में होता है ?
उत्तर:
कशेरुकी प्राणियों के रुधिर में लाल रुधिराणुओं (R.B.C.) में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन [Hb (O2)4] के रूप में ऑक्सीजन का अधिकतम संवहन होता है।

प्रश्न 8.
फेफड़ों की जैव क्षमता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
फेफड़ों की जैव क्षमता वायु का वह आयतन है जो सबसे गहरे निश्वास के बाद और सबसे शक्तिशाली उच्छ्वास द्वारा बाहर निकलता है। मनुष्य में इसका औसत आयतन 4,600 ml होता है।

प्रश्न 9.
बाह्य श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कोशिकाओं द्वारा पर्यावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करना और कार्बन डाइ-ऑक्साइड बाहर निकालना बाह्य श्वसन कहलाता है।

प्रश्न 10.
गैस विनिमय की प्रमुख सतह क्या है ?
उत्तर:
वायु कूपिकाएँ ।

प्रश्न 11.
रुधिर द्वारा परिवर्तित ऑक्सीजन का कितने प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होता है?
उत्तर:
97%

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 12.
हीमोग्लोबिन के साथ O2 की बंधुता किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
pH – तापमान एवं डाइफॉस्फोग्लिसरेट पर ।

प्रश्न 13.
स्पाइरीमीटर क्या है ?
उत्तर:
फेफड़ों के व्यावहारिक कार्यों को निर्धारित करने के लिए उनके आयतन तथा क्षमताएँ जिस उपकरण से मापी जाती हैं, उन्हें स्पाइरोमीटर (Spirometer) कहते हैं।

प्रश्न 14.
ज्वारीय उच्छ्वसन की माप क्या होगी ?
उत्तर:
500 मिली ।

प्रश्न 15
निश्वसन आरक्षित आयतन क्या है ?
उत्तर:
सामान्य निश्वसन के बाद अधिकतम निश्वसित की जा सकने वाली वायु का आयतन निश्वसन आरक्षित आयतन होता है। इसका माप लगभग 300 मिली होता है।

प्रश्न 16.
उच्छ्वसन आरक्षित आयतन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्य उच्छ्वसन के पश्चात् बलपूर्वक अधिकतम उच्छ्वसित की गई वायु का आयतन उच्छ्वसन आरक्षित आयतन (Expiratory Reserve Volume) कहलाता है। इसका माप 1100 मिली होता है।

प्रश्न 17.
अवशिष्ट आयतन किसे कहते हैं ?-
उत्तर:
बलपूर्वक अधिकतम उच्छ्वसित की गयी वायु के पश्चात् भी फेफड़ों में जो वायु बची रहती है उसे अवशिष्ट आयतन ( Residual Volume) कहते हैं। इसकी माप 1200 मिली होती है।

प्रश्न 18.
निश्वसन क्षमता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वायु की उस अधिकतम मात्रा को जो एक निश्वसन में ग्रहण की जा सकती है, निश्वसन क्षमता कहते हैं। इसका योग TV (ज्वारीय आयतन) + IRV (निश्वसित आरक्षित आयतन) के बराबर होता है।

प्रश्न 19.
कार्यात्मक अवशिष्ट क्षमता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्य उच्छ्वसन के पश्चात् जो वायु की मात्रा फेफड़ों में शेष बचती है उसे कार्यात्मक अवशिष्ट क्षमता कहते हैं। इसका मान ERV (उच्छ्वसन आरक्षित आयतन) + RV ( अवशिष्ट आयतन) के बराबर होता है।

प्रश्न 20.
अधर श्वसन केन्द्र कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर:
मैड्यूला (Medulla) में।

प्रश्न 21.
PCO2 PO2, TV शब्दों का विस्तार कीजिए।
उत्तर:
PCO2 = कार्बन डाई ऑक्साइड का आंशिक दाब
PO2 = ऑक्सीजन का आंशिक दाब
TV = Tidal Volume (ज्वारीय आयतन) ।

प्रश्न 22.
बोहर का प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
उच्च PCO2 की उपस्थिति में ऑक्सीहीमोग्लोबिन के विघटन को ‘बोहर का प्रभाव’ कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 23.
फेफड़े की कुल सामर्थ्य कितनी होती है ?
उत्तर:
फेफड़े की कुल सामर्थ्य 5000 6000 mm होती हैं।

प्रश्न 24.
हैल्डेन प्रभाव क्या होता है ?
उत्तर:
जैसे-जैसे रुधिर का pH मान कम होता जाता है, रुधिर से वायु कूपिकाओं में अधिक CO2 मुक्त होती है और अधिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनती है। ऊतकों में यह क्रिया विपरीत दिशा में होती है। इसे ‘हैल्डेन प्रभाव’ कहते हैं।

(C) लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
श्वसन किसे कहते हैं ? श्वसन और श्वासोच्छ्वास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्वसन (Respiration ) – ऑक्सीजन का शरीर में प्रवेश करना; कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) का शरीर से बाहर निकलना तथा वे सभी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है, श्वसन कहलाता है।

श्वसन तथा श्वासोच्छ्वास में अन्तर –

श्वसन (Respiration)श्वासोच्छ्वास (Breathing)
1. यह एक अपचयी क्रिया है जिसमें कोशिकाओं के अन्दर भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है1. यह एक यान्त्रिक क्रिया है जिसमें वातावरण की शुद्ध वायु श्वसनांगों तक पहुँचाई जाती है। और CO2 तथा जल वाष्प बाहर निष्कासित की जाती है।
2. इसमें ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से CO2 तथा जल बनते हैं और ऊर्जा ऊष्मा के रूप में विमुक्त होती है। यह ATP में संचित हो जाती है और कोशिकीय उपापचय में काम आती है।2. इसमें श्वसन के बाद उत्पन्न CO2 व जलवाष्प आदि श्वसनांगों से वातावरण में बाहर चली जाती है।
3. इसके चार चरण हैं-
(i) बाह्य श्वसन
(ii) गैसीय संवहन
(iii) अन्तःश्वसन
(iv) कोशिकीय श्वसन ।
3. इसकी केवल दो ही अवस्थाएँ हैं-
(i) निश्वसन तथा
(ii) निःश्वसन ।
अतः यह केवल बाह्य कोशिकीय प्रक्रिया है।
4. यह भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं का एक सम्मिलित रूप है।4. यह केवल एक भौतिक क्रिया मात्र है ।

प्रश्न 2.
श्वसन में कितने चरण होते हैं ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
श्वसन के चरण (Steps of Respiration) श्वसन में निम्नलिखित चरण सम्मिलित है –

  1. श्वसन का फुफ्फुसी संवातन जिससे वायुमंडलीय वायु अन्दर खींची जाती है और CO2 से भरपूर कूपिका की वायु को बाहर मुक्त किया जाता है।
  2. कूपिका झिल्ली के आर-पार गैसों (O2 व CO2) का विसरण ।
  3. रुधिर द्वारा गैसों का परिवहन।
  4. रुधिर और ऊतकों के बीच O2और CO2का विसरण
  5. उपापचयी क्रियाओं के लिए कोशिकाओं द्वारा O2 का उपयोग और उसके फलस्वरूप CO2 का उत्पन्न होना ।

प्रश्न 3.
गैसीय परिवहन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गैसीय परिवहन (Transportation of gases) – फेफड़ों से ऑक्सीजन का रुधिर केशिकाओं द्वारा ऊतकों तक पहुँचने तथा ऊतकों से CO2 का रुधिर केशिकाओं के द्वारा फेफड़ों में छोड़ने की क्रिया को गैसीय परिवहन कहते हैं। इस परिवहन में लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित श्वसन वर्णक के रूप में हीमोग्लोबिन का विशेष योगदान रहता है।

गैसीय परिवहन दो पदों में होता हैं –
(1) ऑक्सीजन का परिवहन फेफड़ों की कूपिकाओं में आयी हुई CO2 को हीमोग्लोबिन अवशोषित करके अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन में परिवर्तित हो जाता है। रुधिर परिवहन के साथ यह ऊतकों में पहुँचकर ऑक्सीजन को मुक्त करके पुनः हीमोग्लोबिन में बदल जाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 2
(ऑक्सीहीमोग्लोबिन) इस प्रकार फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों में पहुँच जाती है। ऑक्सीजन का कुछ भाग रुधिर प्लाज्मा में घुलकर ऊतक कोशिकाओं तक पहुँच जाता है।

(2) कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कोशिकीय श्वसन के पश्चात् CO2 तथा जल के अणुओं का निर्माण होता है। कोशिकाओं में मुक्त हुई CO2 धीरे-धीरे ऊतकीय द्रव के माध्यम से विसरित होकर केशिकाओं में निम्नोक्त रूपों में पहुंचती है, जहाँ से वह रुधिर परिवहन के साथ फेफड़ों में जाती है-

  • कार्बनिक अम्ल (H2CO3) के रूप में,
  • बाइकार्बोनेट के रूप में,
  • कार्बन एमीनो यौगिक के रूप में।

उपर्युक्त अस्थायी पदार्थों से फेफड़ों के समीप CO2 मुक्त होकर कोशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली भित्तियों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है, जहाँ से CO2 निःश्वसन द्वारा वातावरण में मुक्त हो जाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 4.
श्वसन किसे कहते हैं ? बाह्य एवं आनरिक श्वसन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्वसन (Respiration) श्वसन उन भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं का सम्मिलित रूप है, जिसके अन्तर्गत बाह्य वायुमण्डल की ऑक्सीजन शरीर के अन्दर कोशिकाओं तक पहुँचती है और उन सजीव कोशिकाओं में उपस्थित संचित खाद्य का क्रमिक ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा (Energy) मुक्त होती है। यह ऊर्जा विभिन्न दैहिक कार्यों में उपयोग की जाती है। इस क्रिया में उत्पन्न हुई CO2 शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।

श्वसन के दो चरण –

  1. बाह्य श्वसन तथा
  2. आन्तरिक श्वसन होते

1. बाह्य श्वसन (External Respiration ) – यह वह भौतिक क्रिया होती है जिसके द्वारा कोई जन्तु अपने आवासी पर्यावरण से ऑक्सीजन (O2) को निरन्तर एवं नियमित रूप से प्राप्त करता है तथा साथ ही कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) का निष्कासन करता है। इसे साँस लेना ( breathing) कहते हैं। संक्षेप में फेफड़ों के अन्दर वायु की O2 एवं रुधिर की CO2 के विनिमय को बाह्य श्वसन कहते हैं।

2. आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration) – इसके अन्तर्गत वे सभी रासायनिक क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं, जिनके द्वारा कोशिकाओं में उपस्थित खाद्य पदार्थों का ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऑक्सीकरण होता है और ऊर्जा मुक्त होती है। इसे कोशिकीय या ऊतकीय श्वसन (Cellular or Tissue Respiration) भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
ऑक्सीजनित रक्त (Oxygenated blood) ऊतकों से गुजर रहा हो तथा इसकी ऑक्सीजन का आंशिक दाब अचानक पारे के 40 मिमी से 10 मिमी तक कम हो जाये, तो हीमोग्लोबिन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
ऊतकों में ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम रहता है, तभी ऑक्सीहीमोग्लोबिन टूटकर ऑक्सीजन विमुक्त करता है जो ऊतक की कोशिकाओं में विसरित हो जाती है।
Hb(O2)4 → НЫ + 4O2
प्रश्नानुसार, ऊतकों में ऑक्सीजन का आंशिक दाब 40 मिमी से 10 मिमी पारे के स्तम्भ तक कम हो जाता है। यह लगभग सम्पूर्ण ऑक्सीहीमोग्लोबिन के हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सीजन में टूट जाने की सम्भावना है।

प्रश्न 6.
आंशिक दाब किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अणुओं का वह दाब जो उन्हें उच्च सान्द्रण से निम्न सान्द्रण वाले स्थान पर प्रतिगमन हेतु आवश्यक होता है, आंशिक दाब कहलाता है। वायु या जल में ऑक्सीजन अणु का आंशिक दाब कोशिकाओं की तुलना में अधिक होता है अतः ऑक्सीजन कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती है और कोशिकाओं के अन्दर कार्बन डाइ ऑक्साइड का आंशिक दाब अधिक होने से यह बाहर चली जाती है।

प्रश्न 7.
निश्वसन की क्रिया-विधि समझाइए ।
उत्तर:
निश्वसन (Inspiration)
श्वसन क्रिया में निश्वसन वह प्रक्रिया है जो डायाफ्राम एवं बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियों (external intercostal muscles) के संकुचन से प्रारम्भ होती है। जब डायाफ्राम संकुचित होता है तो चपटा हो जाता है इसके साथ-साथ उदर की ओर नीचे आ जाता है। परिणामस्वरूप वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है। बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियाँ भी साथ-साथ संकुचित होने लगता हैं।

अन्तरापर्शुक पेशियों के संकुचन से पसलियाँ ऊपर एवं बाहर की ओर – खींची जाती हैं जिससे वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है। अतः वक्ष गुहा एवं फेफड़ों में वायु दाब वायुमण्डल दाब से कम हो जाता है । फलस्वरूप दाब कम होने से अवशोषण बल उत्पन्न होता है और वायुमण्डल की वायु श्वसन पथ से होती हुई फेफड़ों में पहुँचती है। दा के इस अन्तर के कारण वायुमण्डल से वायु श्वसन मार्ग से होती हुई वायु कूपिकाओं में तेजी से तब तक भरती है जब तक कि कूपिकाओं का दाब वायुमण्डल के दाब के बराबर न हो जाये। वायुमार्ग इस प्रकार होता है –
नासा → द्वार → नासा गुहा → आन्तरिक नासा छिद्र → प्रसनी → घांटी → श्वसन नली → श्वसनियाँ → श्वसनिकाएँ → वायुकूपिका वाहिनी → वायु कूपिका कोष → वायु कूपिकाएँ ।

(D) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन से आप क्या समझते हैं ? इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अवायवीय या अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic respiration):
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में खाद्य पदार्थों के विषटन को अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का अपूर्ण विघटन होता है। जिसके फलस्वरूप CO2 एथिल ऐल्काहॉल या लैक्टिक अम्ल तथा कुछ ऊर्जा मुक्त होती है। यह ऊर्जा ग्लूकोज अणु में संचित ऊर्जा का केवल 5% है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 3
अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) प्राणियों के भीतरी ऊ्तकों में होता है। इस प्रक्रिया को आंत्र के परजीवी जैसे—फीताकृमि, गोलकृमि, हकवर्म तथा यक्त कुमियों में देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 4
अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) के समय पेशियों में लैक्टिक अम्ल (lactic acid) बनता है। पेशियों (muscles) में एकत्रित होकर यह पेशी श्रांति (muscle fatigue) उत्पन्न करता है। बाद में यह धीरे-धीरे यकृत कोशकाओं तथा छद्पेशियों (cardiac muscles) द्वारा पूर्ण रूप से ऑक्सीकृत (oxidise) हो जाता है। लाल रुधिराणुओं में माइटोकॉण्ड्रिया नहीं होते, अतः इनमें भी केवंल अवायवीय शवसन होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

वायवीय श्वसन में गैसीय विनिमय (Gaseous Exchange in Aerobic Respiration)
सभी वायवीय जीव श्वसन के लिए विसरण द्वारा पर्यावरण से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं और CO2 बाहर निकालते हैं। वायु में 21% तथा जल में 0.7% ऑक्सीजन होती है। अतः स्थलीय जीवों को जलीय जीवों की तुलना में अधिक अंक्सीजन उपलब्ध होती है।

जीवों में यह विनिमय (exchange) दो प्रकार से होता है –

1. प्रत्यक्ष गैसीय विनिमय (Direct gaseous exchange)-इसमें जीवों के शरीर की कोशिकाओं तथा जलीय माध्यम मेंCO2 व CO2 का सीधा विनिमय होता है। इनमें गैसों के परिवहन के लिए रुधिर जैसा कोई परिवहन माध्यम नहीं होता। यह विनिमय एक कोशिकीय जीवों, जैसे-प्रोटोजोआ, स्पंजों तथा सीलेन्ट्रेट्स में होता है।

2. अप्रत्यक्ष गैसीय विनिमय (Indirect gaseous exchange)-अधिकांश बहुकोशीय जन्तुओं में दैठिक कोशिकाओं का बाहा पर्यावरण से सीधा सम्पर्क नहीं होता है। इनमें विशेष श्वसनांग पाए जाते हैं। अतः इनमें दो स्तर पर गैसीय विनिमय होता है-
(i) बाह्य श्वसन (External respiration) – इसमें गैसीय आदान-प्रदान बाह्म पर्यावरण (जल या वायु) तथा रुधर के बीच होता है। यह क्रिया शरीर की सतह पर, श्वसन सतह पर तथा श्वसन अंगो, में होती है। इसमें साँस लेना भी सम्मिलित है। यह केवल भौतिक प्रक्रिया है।

(ii) आंतरिक श्वसन (Internal respiration) – इसमें CO2 तथा CO2 का विनिमय रुधिर तथा ऊतक कोशिकाओं के बीच होता है। यह क्रिया कोशिकीय स्तर पर होती है। इसे ऊतकीय श्वसन भी कहते हैं। इसमें गैस विनिमय तथा भोजन का ऑक्सीकरण (oxidation) व ऊर्जा की मुक्ति भी शामिल है। अतः यह भौतिक रासायनिक क्रिया है।
जन्तुओं के विभिन्न समूहों में गैसों के विनिमय के लिए श्वसन संरचनाएँ (Respiratory Structure for the Exchange of Gases in Different Groups of Animals) –

जन्तु समूह (Animal Group)श्वसन संरचना (Respiratory structure)
1. प्रोटोजोआ (उदाहरण – अमीबा, पैरामीशियम आदि)जीवद्रव्य कला (Plasma membrane)
2. पॉरीफेरा (उदाहरण-साइकन)कोशिकाओं की जीवद्रव्य कला (plasma membrane of cells)
3. निडेरिया (उदाहरण हाइड्रा)शरीर सतह (Body surface)
4. प्लेटीहेल्मिन्थीज
(a) मुक्तजीवी (उदाहरण – प्लेनेरिया)(b) परजीवी (उदाहरण फीताकृमि)
शरीर सतह (Body surface)

गैसीय विनिमय नहीं (अनॉक्सी श्वसन)

5. निमेटोडा

(a) मुक्तजीवी (उदाहरण – रेब्डीटिस)

(b) परजीवी (उदाहरण – ऐस्केरिस)

शरीर सतह (Body surface)

गैसीय विनिमय नहीं (अनॉक्सी श्वसन)

6. ऐनेलिडा (उदाहरण केंचुआ)त्वचा (skin)
7. ऑथ्रोपोडा

(a) झींगा मछली, क्रेफिश

(b) कीट, सेन्टीपोड्स, मिलीपीड्स, खटमल

(c) बिच्छू, मकड़ी

(d) किंग केंकड़ा ( लिमूलस)

क्लोम (gills)

ट्रेकिया (trachea )

बुक लंग्स (book lungs)

बुक लंग्स (book lungs)

8. मौलस्का

(a) यूनियो (सीप)

(b) पाइला (घोंघा)

क्लोम (gills)

एक क्लोम तथा एक पल्मोनरी कोष्ठ (lung)

9. इकाइनोडर्मेटा (उदाहरण – तारा मछली)नाल पाद (tube feet)
10. हेमीकॉर्डेटा (उदाहरण – बैलेनोग्लॉसस)ग्रसनी भित्ति (pharyngeal wall)
11. कॉर्बेट

(a) यूरोकॉर्डेटा (उदाहरण – हर्डमानिया)

(b) सिफेलोकॉर्डेटा (उदाहरण – बैंकियोस्टोमा)

(c) बर्टीब्रेटा

ग्रसनी भित्ति (pharyngeal wall)

प्रसनी भिति (pharyngeal wall)

(i) साइक्लोस्टोम, मछलियाँ

(ii) ऐम्फीबिया

(iii) रेप्टीलिया, एवीज, स्तनधारी

क्लोम (gills)

त्वचा, मुखप्रसनी अस्तर, फेफड़े

फेफड़े (lungs)

प्रश्न 2.
विभिन्न जीवधारियों में श्वसन अंगों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
श्वसन अंग (Respiratory Organ):
विभिन्न जीवधारियों में गैसीय विनिमय के लिए विभिन्न प्रकार के श्वसन अंग पाए जाते हैं। प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा एवं नीडेरिया संघ के प्राणियों में विशिष्ट श्वसन अंग नहीं होते हैं, इनमें गैसों का विनिमय प्राणी के शरीर की सामान्य सतह से विसरण (diffusion) द्वारा होता है। मेढ़क में भी त्वचा (skin) द्वारा विसरण हो सकता है। केंदुआ, फीताकृमि, गोलकृमि आदि। जन्तुओं में गैसों का विसरण (diffusion) नम त्वचा (Moist skin) द्वारा होता है।

संष आध्रोपोड़ा के प्राणियों में गैसों के विनिमय के लिए ब्जोम (gills), द्रेंकिया या श्वसनी (trachea) या बुक लंग्स (book lungs) पाए जाते हैं। अधिकाश जलीय कशेरुकियों (vertebrates) में गैसों का विनिमय क्लोमों (gills) द्वारा होता है। क्लोम्स में जल संवहनी तंत्र होता है तथा इनमें रुधिर संवहन (blood vasculation) भी अधिक होता है जिससे जल में घुली हुई ऑक्सीजन O2 रुधिर द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और CO2 जल में छोड़ दी जाती है, इसे जलीय श्वसन कहते हैं। स्थलीय प्राणियों में गैसों का विनिमय फेफड़ों (lungs) द्वारा होता है जिसमें ऑक्सीजन वायुमण्डल से पहुण की जाती है इसलिए इसे वायवीय श्वसन (aerobic respiration) भी कहते हैं। बैसे-उभयचर (amphibians), सरीसुप (reptiles), पक्षी एवं स्तनधारी (Mammals)।

(1) शरीर की सामान्य स्ता द्वारा श्वसन (Respiration through General Body Sufrace)-प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा, सीलेन्द्रेटा संघ के प्राणी तथा जल व नमीयुक्त वावावरण में रहने वाले अनेक प्राणियों में शरीर की सामान्य सतह ह्वारा ही श्वसन छोता है। प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा व सीलेन्ट्रेटा (नीडेरिया) संघ के प्राणियों में विशिष्ट श्वसन अंग नहीं छोते और न ही गैसीय संवहान के लिए परिसंचरण तन्त्र होता है। ऐसी स्थिति में शरीर की सामान्य नम सतह ही गैस विनिमय का कार्य करती है परन्तु केंचुए (carthworm) व मेंडक (frog) की त्वचा पर नमी के साथ-साथ रक्त परिवहन भी होता है जो गैसों के विनिमय को आसान बनाता है।

(2) क्लोम छ्वारा श्वसन (Respiration Through Gills)-कुछ आश्रोंपोडा, मोलस्का व सभी मछलियों में क्लोम (gills) मुख्य श्वसन अंग होते हैं। क्लोम (gills) जलीय प्राणियों के प्रमुख श्वसन अंग है। क्लोम में अनेक सूक्ष्म तन्तु पाये जाते हैं जिन्हें गिल तन्तु (gill filaments) कहते हैं। ये पतली व अत्यधिक संवहुनीय उपकला द्वारा ढके होते हैं।

जब जल इन गिल तन्तुओं से निकलता है तो सान्द्रता भिम्नता के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन रक्त में चली जाती है और रक्त से कार्बन डाईऑक्साइड CO2 जल में बाहर आं जाती है और सामान्य विसरण क्रिया द्वारा गैसो का आदान-प्रदान हो जाता है। गिल्स में जल व रक परिवहन की दिशा एक- दूसरे के विपरीत होती है, जिससे एक प्रातिारा तन्त्र का निर्माण होता है जो गैसों के विनिमय को और आसान बना देता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(3) ट्रेजिया या प्वास नली द्वारा ए्क्तन (Respiration Through Trachea)-हीमोग्लोबिन (haemoglobin) के अभाव के कारण कीटों का रुधि ऑक्सीजन के वाहक के र्रूप में कार्य नहीं करता। इसलिए क्तकों और शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए इनमें श्वास नलियाँ (ट्रिकिया trachea) जाल के रूप में फैली रहती हैं। शरीर के पार्श्व भागों में स्थित 10 जोड़ी दरार जैसे श्वास रन्यों (Spiracles) द्वारा बाहर की वायु इन श्वासनलियों में प्रवेश करती है। श्वास रन्ध्र छोटे वेश्म (atrium) में खुलते हैं।

श्वास रन्त्रों (spiracles) पर रोम जैसे शूक (bristles) होते हैं जो वायु को छानकर धूल आदि के कणों को वेश्म (atrium) में प्रवेश करने से रोकते हैं। प्रत्येक रन्ध्र पर इसे खोलने और बंद करने एवं जल की हानि को रोकने के लिए कपाट (valve) मी होता है। कीटों के प्रत्येक उदर खंड में अनेक पेशियाँ होती हैं।

इन पेशियों के बार-बार संकुचन और अनुशिधिलन से कीटों का उदर नियमित समयान्तरों पर फूलता व पिचकता रहता है। उदर भाग के फूलने पर बाहर की वायु श्वास रन्द्रों से होकर शवास नलियों में प्रवेश कर जाती है। इस प्रक्रिया को अन्तीश्वसन या नि:स्वसन (inspiration) कहते हैं। इसके विपरीत, शरीर के पिचकने पर वायु बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को निश्वसन या उच्छूवास (expiration) कहते हैं।

गैसीय विनिमय (Gaseous exchange)-श्वास नलिकाओं की भित्ति से होकर ऑक्सीजन विसरण द्वारा ऊतकों में पहुँचती है। कीटों (insects) की विश्राम अवस्था में श्वास नलिकाओं में अन्दर आई ऑक्सीजन धीरे-षीरे ऊतक द्रव्य में घुलकर शरीर के ऊतकों में पहुँचती है और कीट की सक्रिय अवस्था में ऊतक द्रव्य निकलकर ऊतक कोशिकाओं में चला जाता है तथा ऑक्सीजन ऊतकों में सीधी पहुँच जाती है। ऊतकों के अन्दर ऑक्सीकरण क्रिया में मुक्त हुई CO2 श्वासनलिका में आ जाती है और फिर श्वास नलियों के श्वासरन्द्रों (spiracles) तथा अध्यावरण (integument) द्वारा विसरित होकर बाहर निकलती रहती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 5

(4) फेफ्छे (Lungs) – उभयचरों, सरीसुप, पथी तथा स्तनधारियों (mammals) में श्वसन फेफड़ों (lungs) द्वारा होता है। इस अध्याय में फेफड़ों द्वारा श्वसन क्रिया का विस्तु वर्णन किया गया है।

प्रश्न 3.
मनुष्य के श्वसन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर;
मनुष्य का श्वसन-तंत्र (Respiratory System of Man)
मनुष्य के मुख्य श्वसनांग फेफड़े (Lungs) हैं और शेष सहायक अंग हैं। इस प्रकार मनुष्य के श्वसनांगों में नासिका, नासामार्ग, म्रसनी, स्वरयन्त, श्वासनाल या वायुनाल, श्वासनली तथा फेफड़े सम्मिलित हैं।

(1) नासा तथा नासामार्ग (Nose \& Nasal Passages) – मनुष्य का श्वसन तंत्र नासिका से प्रारम्भ होता है। यह दो बाह्य नासारन्ध्रों (nostril) द्वारा नीचे मुख की ओर खुलती है। ये दोनों नासारन्त्र दाहिने तथा बायें दो पथक् नासा वेश्मों (nasal fossa) में खुलते हैं। नासा वेश्म श्लेष्म द्वारा नम तथा रोमयुक्त (hairy) होते हैं जिससे धूल के कण, जीवाणु तथा अन्य पदार्थ फेफड़ों (lungs) में जाने से रुक जाते हैं।

नासा वेश्मों में वायु शुद्ध, नम तथा शरीर के ताप के अनुकूल हो जाती है। नासावेश्म (nasal fossa) दायें तथा बायें नासामार्गों में खुलते हैं। ये नासा पह्ट (nasal septum) द्वारा एक-दूसरे से पृथक् रहते हैं। दोनों ओर के नासा मार्ग अन्न:नासारन्रों (internal nares) द्वारा कण्ठ द्वार के समीप नासा वसनी (nasopharynx) में खुलते हैं।

प्रत्येक नासामार्ग तीन भागों में विभेदित होता है –
(1) प्रकोष्ठ या प्रश्राण या वेछ्ट्यूल (Vestibule)-यह नासिका का सबसे निचला उभरा हुआ भाग होता है। इसके दोनों ओर दो अण्डाकार बाहा नासा छिद्र होते हैं, यह भाग त्वचीय होता है। इसकी आन्तरिक सतह पर तैल प्रन्थि (sebacious glands) व स्वेद मन्थियाँ (sweat glands) होती हैं। इस पर कड़े व संवेदी रोम (sensory hair) होते हैं।

(2) घ्राण धाग या आल्फैक्ट्री धाग (Olfactory region)-यह नासागुछा का मध्य भांग है। इसकी श्लेष्य उपकला (mucous membrane) में घ्राण कोशिकाएँ होती हैं। अतः यह भाग घ्राण अंग (olfactory organ) कहलाता है।

(3) श्वसन भाग (Respiratory Region) -यह नासिका गुहा का निचला भाग है। नासिका गुहा की पार्श्व दीवार से तीन सर्पिल या टरबाइनल अस्थियाँ (turbinal bones) नासा गुहा में उभरी रहती हैं। ये स्रॉल के समान घुमावदार तथा वलित (folded) होती हैं। इन वलनों पर श्लेष्म उपकला (Mucus membrane) का महीन आवरण होता है, इनकी कोशिकाएँ रोमयुक्त (ciliated) होती हैं और म्यूकस का स्राव करती हैं। जो नासिका गुरा को नम बनाए रखता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

इन अस्थियों के वलनों (folds) के बीच सँकरे व घुमावदार पथ बन जाते हैं। इन्हें शंखिकाएँ या मिएटाई (conchae or meati) कहाते हैं। इनके तीन समूहों को ऊपर से नीचे की ओर क्रमशः ऊर्ष्ववर्ती (superior), मध्यवर्ती (middle) तथा अधोवर्ती (inferior) शंखिकाएँ कहते हैं।

नासिका के कार्य-यद्यपि हम नासिका तथा मुख दोनों से ही साँस ले सकते हैं, किन्तु नासिका द्वारा साँस लेने से निम्नलिखित लाभ हैं-

  • टरबाइनल अस्थियों द्वारा नासामागों को घुमावदार बनाने से इनका भीतरी क्षेत्रफल काफी अधिक बढ़ जाता है। इन लम्बे नासामागों से होकर गुजरते समय बाहरी गर्म वायु का ताप शरीर ताप के बराबर हो जाता है ।
  • नासामार्ग फिल्टर की भाँति कार्य करते हैं क्योंकि ये धूल के कणों एवं सूक्ष्म जीवों को अन्दर आने वाली वायु में से अलग करते हैं जो म्यूकस अर्थात् श्लेष्म से उलझकर नासामार्गों में ही रह जाते हैं।
  • म्यूकोसा नासाकक्षों को नम रखती है जिससे फेफड़ों में पहुँचने वाली वायु नम हो जाती है।
  • श्नीडेरियन कला (Schreiderian membrane) घ्राण संवेदी होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 6

2. प्यसनी (Pharynx) – मुखगुहा पीछे की ओर एक कीपाकार गुहा में खुलती है जिसे म्रसनी (Pharynx) कहते हैं। यह लगभग 12.5 सेमी लम्बी नली है जो तीन भागों में बँटी होती है-
(1) नासोफैरिंक्स (Nasopharynx) – यह तालू (Palate) के ऊपर का चौड़ा और कोमल भाग है। इसमें एक जोड़ी अंतः नासाछिद्र तथा एक जोड़ी यूस्टेकियन नलिका के छिद्र खुलते हैं। अंतः नासाछिद्र का श्वसन से तथा यूस्टेकियन छिद्र का कर्ण गुहा से सम्बन्ध होता है।

(2) ओरोफरिक्स (Oropharynx)-यह कोमल तालू के नीचे स्थित होता है। यह भोजन के संवहन में सहायता करता है।

(3) कंठ व्रसनी या लेरिंगोफैरिंक्स (Laryngopharynx) – यह कोमल तालू के नीचे तथा कंठ या लैरिंक्स के पीछे स्थित होता है।

इस भाग में दो छिद्र खुलते हैं –

  • भोजन नलिका द्वार अर्थात् ग्रसिका (gullet) जो म्रास नली में खुलता है।
  • श्वास नली का द्वार या घाँटी द्वार (glottis), जो श्वसन नली में खुलता है। घाँटी द्वार पर घाँटी ढक्कन या एपिग्लॉटिस नाम का एक पतला-सा पर्दा लटका रहता है।

कार्य (Functions)-भोजन तथा वायु क्रमशः मसनी में से होकर भोजन नली और श्वास नली में पहुँचते हैं। श्वास लेते समय घांटी ढक्कन घाँटी द्वार से हट जाता है परन्तु भोजन निगलते समय कोमल तालू ऊपर उठ जाता है तथा घांटी ढक्कन घटी द्वार को ढक लेता है जिससे भोजन कंठ में नहीं जा पाता है। जब कभी भोजन के कण श्वासनली में चले जाते हैं तो तीव्र खांसी होती है।

(3) वायुनाल (Wind pipe)-वायुनाल म्रीवा से होकर वक्ष गुहा (thoracic cavity) में प्रवेश करती है। वायु नाल मास नली के अधर वल पर स्थित होती है। वायु नाल दो भागों में विभेदित होती है। ऊपरी वेश्मवत् कंठ या स्वरयंत्न (larynx) – यह घांटी द्वार के ठीक पीछे स्थित होता है। निचला लम्बा भाग श्वास नाल या श्वास नली (trachea) कहलाता है। स्वरयंत्र (Larynx) में वाक्रज्जु उपस्थित होते हैं। जब वायु स्वर यंत्र से बाहर निकलती है तब वाक्रज्जुओं में कम्पन होता है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।

(4) श्वास नली (Trachea) -श्वास नली कंठ से जुड़ी पतली भित्ती की अर्द्ध पारदर्शक लम्बी नली होती है जो वक्ष गुहा में पहुँचकर दाहिनी तथा बायीं शाखाओं में विभाजित हो जाती है। इन शाखाओं को ए्वसनियाँ (Bronchi) कहते हैं। ये अपनी-अपनी ओर के फेफड़े में प्रवेश कर जाती हैं, श्वास नली तथा श्वसनियों की भित्ति में अनेक C के आकार के अपूर्ण व लचीले उपास्थीय छल्ले (Cartilagenous rings) होते हैं, जो इनकी भित्ति को चिपकने से रोकते हैं और सदैव खुला रखते हैं ताकि इनमें वायु स्वतन्त्रतापूर्वक आवागमन कर सके। प्रत्येक श्वसनी छोटी-छोटी नलिकाओं में निरन्तर विभाजित होती हुई थैलीवत् सूक्ष्म रचना में समाप्त हो जाती है जिन्हें कूपिका या वायुकोष्ठ (alveoli) कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 7

लैरिंक्स या कंठ तथा ध्वनि उत्पादक यंत्र (Larynx and Sound Production System)
इसे स्वर यन्न कण्ठ (Larynx) भी कहते हैं। यह ट्रेकिया अथवा श्वसन नाल के अम्र भाग पर स्थित होता है। मनुष्य का स्वरयन्त 9 उपास्थियों से बना होता है। ये उपास्थियाँ परस्पर स्नायुओं/लिगामेन्ट्स द्वारा संलग्न रहती है। उपास्थियाँ इकहरी व जोड़ीदार होती हैं।
इकहरी = एकल (unpaired) उपास्वियाँ-इनकी संख्या तीन होती हैं-

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(i) बायरोंड्ड उपास्थि (Thyroid cartilage)- सबसे बड़ी काँचाभ उपास्थि (hyaline cartilage) है। लैरिंक्स या स्वरयन्त्र का अधर-पार्ण भाग बनाती हैं। पुरुष की थायरॉइड उपास्थि सामने से फूली हुई होती है तथा त्रिकोणाकार आकृति समान दिखाई देती है। इस उभरे हुए भाग को टेंटुआ या एडम्स एक (Adam’s apple) कहते हैं। स्रियों में इसका आकार छोटा होता है। अप्रभाग में थायरॉइड उपास्थि थाइरोहाइऔइड स्नायु (Thyrohyoid ligament) छारा जीभ के आधार भाग पर स्थित आइऔइड अस्थि (hyoid bone) से संलग्न रहती है।

(ii) एविम्लोडिस (Epiglottis)-पतली पर्ण समान ढक्कन रूपी होती है और लचीली उपास्थि की बनी होती है। यह थायरॉइड उपास्थि के अप्र सिरे व हाइऔइड अस्थि से स्नायुओं द्वारा संलग्न रहती है। यह उपास्थि ढक्कन समान ग्लॉटिस/घांटी द्वार को भोजन को निगलते समय ढकने में सहायक होती है। इस कारण से घांटीढापन कहते हैं।

(iii) किकिकोड्ड उपास्थि (Cricoid Carlilage)-सैरिंक्स का आधार भाग बनाती है। थाइॉॉडड के नीचे मुद्राकार उपास्थि जो पूर्ण छल्ले या वलय के रूप में होती है। यह काचाभ उपास्थि (hyline cartilage) होती है। इस उपास्थि का पृष्ठ/पीठ की ओर वाला भाग अधिक चौड़ा तथा अधर भाग या सामने वाला भाग संकरा होतां है। युग्मित उपास्थियाँ (Paired cartilages)

1. ऐरिटिनोइड उपास्थि (Arytenoid cartilage)-काँचाभ उपास्थियाँ (hyaline cartilages) होती हैं। दोनों उपास्थियाँ आकार में छोटी व पिरामिड समान होती हैं। ये दोनों लैरिंक्स के पृष्ठ तल पर क्रिकॉइड उपास्थि के चौड़े भाग के ऊपर लगी होती हैं। इन दोनों के पार्श्व किनारे थायरॉइड उपास्थि के पृष्ठ पार्श्व किनारों से सम्पर्क में रहते हैं।

2. कोर्नीक्युलेट उपास्थि (Carniculate cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ घुण्डी समान होती हैं। ऐरिटिनॉइड उपास्थियों के अप्र सिरों पर लगी होती हैं।

3. क्यूनीफोर्म उपास्थि (Cuneiform Cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ लम्बी व संकरी होती हैं। ये कोर्नीक्युलेट उपास्थियों के ऊपर स्थित होती हैं।

वाक् रु् या स्वर स्तु या वोकलकोईस (Vocal cords)-संख्या दो जोड़ी होते हैं। ये कण्ठकोष/लैरिंजिअ चैम्बर की गुहा में थायरॉइड्ड व ऐरिटिनॉइड्स उपास्थियों के बीच अनुप्रस्थ रूप में फैले होते हैं। एक जोड़ी मिथ्या/कूट स्वर रज्जु व एक जोड़ी सत्य स्वर रज्जु होती हैं।
(1) कृट/मिध्या स्वर रत्डु (False Vocal Cords)-एक जोड़ी कुछ मोटे व कम लचीले स्वर रज्जु लैरिन्जियल कोष/चैम्बर के ऊपरी भाग में थायरॉइड व एरिटिनॉइड्ड उपास्थियों के बीच फैले होते हैं। ये स्वर-खज्जु ध्वनि उत्पादन में भाग नहीं लेते हैं। ये सत्य या यथार्थ स्वर-रज्जुओं को नम बनाए रखने व सहारा देने में सहायक होते हैं।

(2) सख्य/यधार्ध स्वर स्सा (True Vocal Cords)-ये एक जोड़ी अपेक्षाकृत पतले, अधिक लचीले एवं सफेद से होते हैं तथा लैरेन्जियल कोष के निचले भाग में, क्ट स्वर रज्जुओं में नीचे स्थित होते हैं। ये दोनों थाइॉॉड्ड व ऐरेटाइड्ड उपास्थियों के बीच फैले रहते हैं। इन दोनों सत्य रजुओं के बीच में अवकाश

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 8

को रीमा ग्लोटीडस कहते हैं। फेफड़ों से बाहर निकलने वाली वायु जष सत्य स्वर रज्जुओं के बीच स्थित अवकाश से होकर गुजरती है तब इन रज्जुओं में कम्पन्न होता है जिससे ध्वनि उत्पादन होता है। घनि उतपादन (Sound Production)-जब लैरिंक्स की आंतरिक पेशियों के संकुचन से ऐरिटिनाइड उपास्थियों की स्थिति परिवर्तित हो जाती है तो दोनों सत्य स्वर रज्जु भी पास आ जाते हैं।

इन रज्जुओं के बीच उपस्थित बड़ा अवकाश संकरा व दरार रूपी हो जाता हैं जब निश्वास के दौरान वायु फेफड़ों से मुक्त होकर संकरे दरार रूपी अवकाश से गुजरती है तब सत्य स्वर रज्जुओं में कम्पन होता है एवं ध्वनि उत्पन्न होती है। स्वर रज्जुओं की लम्बाई में होने वाला परिवर्तन जिसके कारण इनमें शिथिलता या तनाव आता है, ध्वनि के स्वर स्तर या पिच को निर्षारित करता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

मनुष्य के लैरिंक्स द्वारा ध्वनि उत्पादन में मसनी, मुखगुहा, नासामार्ग रचनाएँ प्रतिध्वनि उत्पन्न करते हैं। लड़कों में लैरिक्स का विकास लड़कियों की अपेक्षा अधिक होता है, फलस्वरूप यौवनारम्प अवस्था में लड़कों की आवाज भारी तथा लड़कियों की आवाज पतली होती है।

(5) फेकड़े (Lungs)-मनुष्य में दो बड़े शंक्वाकार फेफड़े प्रमुख श्वसनांग होते हैं जो क्यय के पार्श्व में स्थित होते हैं, फेफड़े़ गुलाबी रंग के, कोमल और संजी होते हैं तथा अपनी-अपनी ओर की प्लूरल गुहाओं में घिरे रहते हैं। ये डायाफ्राम के ऊपर स्थित रहते हैं। दोनों फेफड़ों का निचला चोड़ा अवतल भाग डायाफ्राम के उभरे हुए भाग पर चिपका रहता है।

प्रत्येक फेफड़ा चारों ओर से एक पतली और दोहरी झिल्ली के आवरण परल कला (pleural membrane) से घिरा रहता है। प्लूरल कला की दोनों झिल्लियों के बीच फ्लूरल द्रव (plural fluid) भरा रहता है। जो फेफड़ों को रगड़ से बचाता व इनको सुरक्षा प्रदान करता है। दाहिना फेफड़ा तीन पिण्डों (lobules) में तथा बायाँ फेरड़ा दो पिण्डों में बंटा रहता है।

फेफड़ों में महीन नलिकाओं का जाल फैला रहता है जिसे ए्वसनीय वक्ष (respiratory tree) कहते हैं। श्वसनी की छोटी शाखाओं को ए्वसनिका (bronchial) कहते हैं। यह श्वसनिका क्रमशः छोटी-छोटी अनेक कृषिका नलिकाओं में विभाजित हो जाती है। ये फिर वायुकोष्ठ में खुलती हैं। प्रत्येक कोष्ठ दो या अधिक वायुकोष्ठकों या कुपिकाओं (alveoli) में बंटा रहता है। कूपिकाओं में रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है। गैसों का विनिमय कूपिकाओं की वायु तथा रुधिर कोशिकाओं के मध्य होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 9

प्रश्न 4.
मनुष्य के ध्वनि उत्पादक अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लैरिंक्स या कंठ तथा ध्वनि उत्पादक यंत्र (Larynx and Sound Production System)
इसे स्वर यन्न कण्ठ (Larynx) भी कहते हैं। यह ट्रेकिया अथवा श्वसन नाल के अम्र भाग पर स्थित होता है। मनुष्य का स्वरयन्त 9 उपास्थियों से बना होता है। ये उपास्थियाँ परस्पर स्नायुओं/लिगामेन्ट्स द्वारा संलग्न रहती है। उपास्थियाँ इकहरी व जोड़ीदार होती हैं।
इकहरी = एकल (unpaired) उपास्वियाँ-इनकी संख्या तीन होती हैं –

(i) बायरोंड्ड उपास्थि (Thyroid cartilage)- सबसे बड़ी काँचाभ उपास्थि (hyaline cartilage) है। लैरिंक्स या स्वरयन्त्र का अधर-पार्ण भाग बनाती हैं। पुरुष की थायरॉइड उपास्थि सामने से फूली हुई होती है तथा त्रिकोणाकार आकृति समान दिखाई देती है। इस उभरे हुए भाग को टेंटुआ या एडम्स एक (Adam’s apple) कहते हैं। स्रियों में इसका आकार छोटा होता है। अप्रभाग में थायरॉइड उपास्थि थाइरोहाइऔइड स्नायु (Thyrohyoid ligament) छारा जीभ के आधार भाग पर स्थित आइऔइड अस्थि (hyoid bone) से संलग्न रहती है।

(ii) एविम्लोडिस (Epiglottis)-पतली पर्ण समान ढक्कन रूपी होती है और लचीली उपास्थि की बनी होती है। यह थायरॉइड उपास्थि के अप्र सिरे व हाइऔइड अस्थि से स्नायुओं द्वारा संलग्न रहती है। यह उपास्थि ढक्कन समान ग्लॉटिस/घांटी द्वार को भोजन को निगलते समय ढकने में सहायक होती है। इस कारण से घांटीढापन कहते हैं।

(iii) किकिकोड्ड उपास्थि (Cricoid Carlilage)-सैरिंक्स का आधार भाग बनाती है। थाइॉॉडड के नीचे मुद्राकार उपास्थि जो पूर्ण छल्ले या वलय के रूप में होती है। यह काचाभ उपास्थि (hyline cartilage) होती है। इस उपास्थि का पृष्ठ/पीठ की ओर वाला भाग अधिक चौड़ा तथा अधर भाग या सामने वाला भाग संकरा होतां है।

युग्मित उपास्थियाँ (Paired cartilages) –
1. ऐरिटिनोइड उपास्थि (Arytenoid cartilage)-काँचाभ उपास्थियाँ (hyaline cartilages) होती हैं। दोनों उपास्थियाँ आकार में छोटी व पिरामिड समान होती हैं। ये दोनों लैरिंक्स के पृष्ठ तल पर क्रिकॉइड उपास्थि के चौड़े भाग के ऊपर लगी होती हैं। इन दोनों के पार्श्व किनारे थायरॉइड उपास्थि के पृष्ठ पार्श्व किनारों से सम्पर्क में रहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

2. कोर्नीक्युलेट उपास्थि (Carniculate cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ घुण्डी समान होती हैं। ऐरिटिनॉइड उपास्थियों के अप्र सिरों पर लगी होती हैं।

3. क्यूनीफोर्म उपास्थि (Cuneiform Cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ लम्बी व संकरी होती हैं। ये कोर्नीक्युलेट उपास्थियों के ऊपर स्थित होती हैं। वाक् रु् या स्वर स्तु या वोकलकोईस (Vocal cords)-संख्या दो जोड़ी होते हैं। ये कण्ठकोष/लैरिंजिअ चैम्बर की गुहा में थायरॉइड्ड व ऐरिटिनॉइड्स उपास्थियों के बीच अनुप्रस्थ रूप में फैले होते हैं। एक जोड़ी मिथ्या/कूट स्वर रज्जु व एक जोड़ी सत्य स्वर रज्जु होती हैं।

(1) कृट/मिध्या स्वर रत्डु (False Vocal Cords)-एक जोड़ी कुछ मोटे व कम लचीले स्वर रज्जु लैरिन्जियल कोष/चैम्बर के ऊपरी भाग में थायरॉइड व एरिटिनॉइड्ड उपास्थियों के बीच फैले होते हैं। ये स्वर-खज्जु ध्वनि उत्पादन में भाग नहीं लेते हैं। ये सत्य या यथार्थ स्वर-रज्जुओं को नम बनाए रखने व सहारा देने में सहायक होते हैं।

(2) सख्य/यधार्ध स्वर स्सा (True Vocal Cords)-ये एक जोड़ी अपेक्षाकृत पतले, अधिक लचीले एवं सफेद से होते हैं तथा लैरेन्जियल कोष के निचले भाग में, क्ट स्वर रज्जुओं में नीचे स्थित होते हैं। ये दोनों थाइॉॉड्ड व ऐरेटाइड्ड उपास्थियों के बीच फैले रहते हैं।

इन दोनों सत्य रजुओं के बीच में अवकाश –

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 10

को रीमा ग्लोटीडस कहते हैं। फेफड़ों से बाहर निकलने वाली वायु जष सत्य स्वर रज्जुओं के बीच स्थित अवकाश से होकर गुजरती है तब इन रज्जुओं में कम्पन्न होता है जिससे ध्वनि उत्पादन होता है। घनि उतपादन (Sound Production)-जब लैरिंक्स की आंतरिक पेशियों के संकुचन से ऐरिटिनाइड उपास्थियों की स्थिति परिवर्तित हो जाती है तो दोनों सत्य स्वर रज्जु भी पास आ जाते हैं।

इन रज्जुओं के बीच उपस्थित बड़ा अवकाश संकरा व दरार रूपी हो जाता हैं जब निश्वास के दौरान वायु फेफड़ों से मुक्त होकर संकरे दरार रूपी अवकाश से गुजरती है तब सत्य स्वर रज्जुओं में कम्पन होता है एवं ध्वनि उत्पन्न होती है। स्वर रज्जुओं की लम्बाई में होने वाला परिवर्तन जिसके कारण इनमें शिथिलता या तनाव आता है, ध्वनि के स्वर स्तर या पिच को निर्षारित करता है। मनुष्य के लैरिंक्स द्वारा ध्वनि उत्पादन में मसनी, मुखगुहा, नासामार्ग रचनाएँ प्रतिध्वनि उत्पन्न करते हैं। लड़कों में लैरिक्स का विकास लड़कियों की अपेक्षा अधिक होता है, फलस्वरूप यौवनारम्प अवस्था में लड़कों की आवाज भारी तथा लड़कियों की आवाज पतली होती है।

(3) फेकड़े (Lungs)-मनुष्य में दो बड़े शंक्वाकार फेफड़े प्रमुख श्वसनांग होते हैं जो क्यय के पार्श्व में स्थित होते हैं, फेफड़े़ गुलाबी रंग के, कोमल और संजी होते हैं तथा अपनी-अपनी ओर की प्लूरल गुहाओं में घिरे रहते हैं। ये डायाफ्राम के ऊपर स्थित रहते हैं। दोनों फेफड़ों का निचला चोड़ा अवतल भाग डायाफ्राम के उभरे हुए भाग पर चिपका रहता है। प्रत्येक फेफड़ा चारों ओर से एक पतली और दोहरी झिल्ली के आवरण परल कला (pleural membrane) से घिरा रहता है।

प्लूरल कला की दोनों झिल्लियों के बीच फ्लूरल द्रव (plural fluid) भरा रहता है। जो फेफड़ों को रगड़ से बचाता व इनको सुरक्षा प्रदान करता है। दाहिना फेफड़ा तीन पिण्डों (lobules) में तथा बायाँ फेरड़ा दो पिण्डों में बंटा रहता है। फेफड़ों में महीन नलिकाओं का जाल फैला रहता है जिसे ए्वसनीय वक्ष (respiratory tree) कहते हैं।

श्वसनी की छोटी शाखाओं को ए्वसनिका (bronchial) कहते हैं। यह श्वसनिका क्रमशः छोटी-छोटी अनेक कृषिका नलिकाओं में विभाजित हो जाती है। ये फिर वायुकोष्ठ में खुलती हैं। प्रत्येक कोष्ठ दो या अधिक वायुकोष्ठकों या कुपिकाओं (alveoli) में बंटा रहता है। कूपिकाओं में रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है। गैसों का विनिमय कूपिकाओं की वायु तथा रुधिर कोशिकाओं के मध्य होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 11

प्रश्न 5.
फेफड़े की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर;
फेफड़े की आन्तरिक संरचना (Internal Structure of Lung)
मनुष्य में एक जोड़ी फेफड़े होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा प्लूरल कला के आन्तरिक स्तर द्वारा ढका होता है। श्वास नली वक्ष भाग में पहुँचकर दो शाखाओं में बँट जाती है, प्रत्येक शाखा श्वसनिका या बोंकस (bronchus) कहलाती है। प्रत्येक ब्रोंकस अपने ओर के पिंडों की संख्या के अनुसार पिण्डकीय श्वसनियों (lobular bronchi) में विभाजित हो जाता है। ये दोनों ओर की पिम्डकीय श्वसनियाँ पुनः विभाजित छोकर तृतीयक श्वसनियाँ (bronchi) बनाती हैं। प्रत्येक खण्डीय श्वसनिका पुनः शाखित होकर अन्तः फुफ्फुसीय श्वसनियाँ (intrapulmonary bronchi) बनाती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 12

ट्रेकिया बोंकाई, पिण्डकीय श्वसनियों, खण्डीय श्वसनियों व अन्तरा फुफ्फुसीय श्वसनियों में उपास्थि के बने ‘ C ‘ आकार के छल्ले पाए जाते हैं। जिससे ये पिचकती नहीं हैं। इनसे आगे की नलिकाओं में ये छल्ले अनुपस्थित होते हैं। प्रत्येक अन्तः फुफ्फुसीय श्वसनियाँ अनेक छल्ले रहित श्वसनिकाओं अथवा बोन्कियोल्स (bronchioles) में बँटती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

ये ब्रोन्कियोल्स अन्तस्थ श्वसनिकाओं (terminal bronchioles) में बँटती है तथा प्रत्येक अन्तस्थ श्वसनिका अनेक श्वसन श्वसनिकाओं अथवा श्वसनीय बोन्कियोल्स में विभाजित हो जाती है। प्रत्येक श्वसनीय ब्रोन्कियोल्स 2.11 कूपिका नलिका अथवा एल्वियोलर नलिकाओं (alveolar ducts) में बँटा हाता है तथा प्रत्येक एल्वियोलर नलिका भी अनेक सूक्ष्म नलिकाओं में बँटी होती है जिन्हें आलिन्द या एट्रियम (atrium) कहते हैं। प्रत्येक एट्रियम वायुकोष या एल्वियोलर सैक (alveolar sac) में खुलता है।

एल्वियोलर सैक को इस्पष्डीबुलम भी कह्ने हैं तथा प्रत्येक वायुकोष में दो या अधिक कूपिकाएँ (alveoli) पायी जाती हैं। ये कूपिकाएँ ही फेफड़ीं की सबसे छोटी संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई (Structural and functional units) होती है । ये शल्की उपकला स्तर की बनी होती है तथा इनके चारों ओर रक्त केशिकाओं का सघन जाल होता है। कपिकाओं में फफ््फसीय धमनी ‘अशुद्ध’ (विऑक्सीजनित) रक्त लाती है व फुफ्फुसीय शिरा ‘शुद्ध’ (ऑक्सीजनित) रक्त को बाहर ले जाती है।

बाह्य नासाछ्छिद्र से अन्तस्थ श्वसनिकाओं तक का भाग चालन भाग कहलाता है। यह वायुमण्डल से वायु को कूपिकाओं तक भेजने का कार्य करता है। इसके लिए यह वायु को बाह्म कणों से मुक्त करता है, श्लेष्मा द्वारा आद्र बनाता है तथा बाह्य वायु के ताप को शरीर के तापक्रम के बराबर कर देता है।

जबकि कूपिकाएँ व उनकी नलिकाएँ श्वसन तन्न्र का श्वसन या विनिमय भाग बनाता है जो रक्त बाहा वायुमण्डल के बीच गैसों का विनिमय करता है और अश्वसनीय सतह (वास्तविक विसरण स्थल) को बनाता है। ब्रोंकस से कूपिका तक अनेक संरचनाएँ व उनकी शाखाएँ वृक्ष की भाँति संरचना बनाती हैं। अतः इसे श्वसन वृष्ष (bronchial Tree) कहते हैं।

मनुष्य के दोनों फेफड़ों में लगभग 60 करोड़ कूपिकाएँ पायी जाती हैं जिनका क्षेत्रफल लगभग 100 वर्ग मीटर होता है। श्वसन, श्वसनिकाएँ, वायु कूपिकाएँ, वायु कूपिका वाहिनी, एट्रियम मिलकर श्वसन इकाई बनाते हैं। कूपिका की अन्तः व बाद्य सतह पर श्लेष्मा का पतला स्तर पाया जाता है। कूपिका की उपकला भी बहुत पतली होती है। कूपिका की सतह श्वसनीय सतह कहलाती है। इसका व्यास लगभग 0.2 मिमी होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 13
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 14

प्रश्न 6.
श्वासोच्छ्वास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फुफ्फसीय संवातन (Pulmonary Ventilation)-वायुमण्डल से फेफड़ों के अन्दर वायु खींचना फुफ्फुसीय संवातन (Ventilation) या साँस लेना (breathing) कहलाता है। इसमें O2 का फेफड़ों में प्रवेश तथा CO2 का फेफड़ों से निष्कासन होता है। यह एक भौतिक क्रिया है, इसे दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-अन्तः श्वास तथा निश्वास। फेफड़ों में पेशियाँ अनुपस्थित होती हैं।

अतः इनमें स्वतः प्रसारित होने या संकुचन की क्षमता नहीं होती है। फेफड़ों में संकुचन या शिथिलन वक्ष गुहा (thoracic cavity) के आयतन के घटने व बढ़ने के फलस्वरूप होता है। इस क्रिया में वक्षीय बॉक्स या केज सहायता करता है। यह शरीर के वक्ष भाग में उपस्थित होता है। इसका पृष्ठ भाग कशेरुक दण्ड का व अधर भाग उरोस्थि (sternum) का बना होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

दोनों पार्श्व सतहें पसलियों की बनी होती हैं। इसका अप्र भाग मीवा व पश्चभाग डायक्राम (diaphragm) का बना होता है। डायफ्राम एक मोटा व अत्यधिक पेशीय पर्दा है जो वक्ष गुढ्र को उदर गुहाँ से अलग करता है। इसमें अरीय पेशियाँ पायी जाती हैं जिनके संकुचन से यह चपटा व शिथिलन से गुम्बद के आकार का हो जाता है। यह श्वसन के साथ-साथ मल-मु्र त्यागने एवं प्रसव में भी सह़ायक होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 15

मनुष्य में 12 जोड़ी पसलियाँ पायी जाती हैं। दो क्रमागत पसलियों के बीच एक जोड़ी अन्तरापर्शुक (intercostal muscles) के समूह पाए जाते हैं। जिन्हें बाद्य इन्टर कॉस्टल पेशी (External intercostal muscle = EICM) तथा अन्तः इन्टर कॉस्टल पेशी (internal intercostal muscle : IICM) कहते हैं।

इन्हीं के संकुचन एवं शिथिलन से पसलियाँ गति करती हैं। संवातन में 75 प्रतिशत भूमिका ड्डायाफ्राम व अरीय पेशियों की तथा 25 प्रतिशत भूमिका पसलियों की इन्टरकॉस्टल पेशियों की होती है। वक्षीय पिंजड़ा (thoracic cage or box) एक वायु अवरुद्ध (air tight) कोष्ठ है। इसके आयतन में कमी या वृद्धि से ही वक्ष गुहा एवं फेकड़ों के आयतन में कमी या वृद्धि होती है।

यदि डायफ्राम या श्वसन बॉक्स को पंक्चर कर दिया जाए तो वक्ष गुहा फेफड़ों पर दाब नहीं बना पाती है और साँस लेना अवरुद्ध हो जाएगा और कुछ समय में व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी। श्वास खींचना या अन्तः श्वसन (Inspiration) – ऑक्सीजन युक्त वायु (oxygenated air) का फेफड़ों में प्रवेश करना अन्तः श्वसन कहलाता है। यह तभी सम्भव होता है जब फेफड्रों की वाय का दाब वायमण्डलीय दाब से कम हो। इसमें निम्नलिखित क्रियाएँ होती हैं-

  • सर्वप्रथम डायफ्राम की अरीय पेशियाँ (radial Muscle) संकुचित होती हैं जिससे डायाफ्राम चपटा हो जाता है।
  • अब बादा इण्टर-कॉस्टल पेशी (बाद्य अंतरापर्शुक पेशियों) में संकुचन होता है चिससे पसलियाँ बाहर की ओर व स्टरनम ऊपर की ओर उठ जाता है।
  • इन दोनों क्रियाओं के फलस्वसूप वक्ष गुहा का आयतन बढ़ता है तथा फेफड़े फूल जाते हैं। फेफड़ों पर दाब कम हो जासा है तथा

फेफड़ों के अन्दर का वायु दाब भी इस समय बाह्य वायुमण्डलीय दाब से 1-3 mm hg कम हो जाता है, जिससे वायु बाहर से फेफड़ों में प्रवेश कर जाती है। इसका मार्ग निम्न प्रकार होता है-
बाह्म नासा छिद्र → नासा मार्ग → अन्तः नासा छिद्र → मसनी → घाँटी द्वार → श्वासनली → श्वसनियाँ श्वसनिकाएँ → वायु कूपिका वाहिनी → वायु कूपिका कोश → वायु कूपिकाएँ।

  • फेफड़ों में वायु का प्रवेश करना ही अन्तः श्वसन कहलाता है।
  • अन्तःशवन एक सक्रिय क्रिया (active process) है, जिसमें ऊर्जा का व्यय होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 16श्वास बाहर निकालना या नि:श्वसन (Expiration) – फेफड़ों से CO2 युक्त वायु का शरीर से बाहर निकालना निश्वसन कहलाता है। यह तभी सम्भव है जब फुफ्फुसीय दाब वायुमण्डलीय दाब से अधिक होता है।
(i) बाह्य इन्टर कॉस्टल पेशियों का शिथिलन होता है। जिससे पसलियाँ व स्टरनम पुनः अपनी पूर्व स्थिति में आ जाते हैं।

(ii) अब डायाक्राम की अरीय पेशियों में शिथिलन होता है और ये गुम्बद के आकार का हो जाता है।

(iii) इन दोनों क्रियाओं के फलम्बरूप वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है और फेफढ़ों पर दाब बढ़ु जाता है। जिससे फेफड़ों से वायु बाहु निकल जाती है, इस समय फेफड़ों का वायु दाब बाहरी वायुमण्डलीय दाब से लगभग 1-3 mm Hg अधिक होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(iv) इस प्रकार वायु का फेफड़़ों से बाहर निकलना ही निःशवसन कहलाता है।

(v) यह एक निक्किय (passive process) है, सामान्य शांत निश्वास या उच्छवसन में किसी पेशी का संकुचन नहीं छोता है। अन्तः श्वास के बाद पेशियों का शिथिलन होता है, जिससे पसलियाँ, स्र्रम एवं डायाफ्राम अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। व्यायाम के समय यह क्रिया सक्रिय (active) हो जाती है। मनुष्य की सामान्य श्वासोच्छवास दर (Breathing rate) 12 से 16 प्रति मिनट होती है, लेकिन क्यायाम एवं घबराहट के समय श्वसन दर बढ़ जाती है।

इस समय डायाफ्राम की पेशियों एवं बाह्य इंटर कॉस्टल पेशियों के संकुचन की दर 4.5 गुना बढ़ जाती है, जिससे वक्ष गुहा के आयतन में भी सामान्य स्थिति में 15-20 प्रतिशत अधिक वृद्धि होती है। इससे श्वसन क्षमता बढ़ जाती है और कोशिकाओं, उत्तकों व पेशियों को पर्याप्त औक्सीजन मिल पाती है। दो प्रकार के

श्वासोच्छवास (Two Types of Breathing) –
(i) उदरीय श्वासोच्छवास (Abdominal breathing)-यछ्ष शांत श्वासोच्छवास है, जो मुख्यतः डायाफ्राम की गतियों द्वारा संचालित छोता है। निश्वास के दौरान डायाफ्राम के चपटा होने से उदर गुछ्षा में स्थित अंगों पर दबाव पड़ता है। इस कारण उदरीय अंग उदर की दीवार पर दाब डालते हैं जिससे उदर फूलता है। निश्वास में उदर पुनः सामान्य हो जाता है। इसमें वक्ष का फूलना व पिचकना अत्यधिक कम होता है।

(ii) चेस्ट श्वासोच्छवास (Forced breathing)-इस गहरी श्वासोच्छवास भी कहते हैं। इसमें वक्षीय गति उदरीय गति से अधिक होती है इसीलिए इसे वक्षीय श्वासोच्छवास कहते हैं। अन्त: अन्तरापर्शुक पेशियों का संकुचन अधिक होता है फलस्वस्लप पसलियाँ एवं स्रर्नम अन्दर की ओर खींचकर वक्षीय बॉक्स का आयतन अत्यधिक कम कर देते हैं। इसमें उदरीय पेशियों का संकुचन भी होता है जिससे उदर अंगों पर दाब पड़ता है और ये उदर अंग डायाफ्राम को वक्ष गुहां की ओर अधिक दबाते हैं।

इन सभी क्रियाओं के फलस्वरूप फेफड़े सामान्य से अधिक दाते हैं तथा सामान्य से अधिक वायु फेफड़ों से निकल जाती है। अन्तःश्वास के दौरान ही बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियों का संकुचन भी पूर्ण एवं प्रभावी होता है साथ ही डायाक्राम का संकुचन भी सामान्य से अधिक होता है। इस कारण वक्ष गुहा का आयतन सामान्य से अधिक 15-20 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। इस गहरी अन्तः श्वास के दोरान फेफड़ों में सामाम्य से अधिक वाय भरती है। इस प्रकार का श्वासोच्छवास व्यायाम, घबराहटट तथा थकान के दौरान होता है।
अन्त शसन तथा निएकतन में अत्तार –

अन्तः श्वसन या निश्वसन (Inspiration)निःश्वसन (Expiration)
वायुमण्डलीय वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।फेफड़ों में भरी वायु फेफड़ों से बाहर निकलती है।
निश्वसन के समय फेफड़ों में वायुदाब कम होता है।निःश्वसन में फेफड़ों में वायुदाब अधिक होता है।
डायाफ्राम की अरीय पेशियाँ सिकुड़ती हैं जिससे डायाफ्राम चपटा हो जाता है।डायाफ्राम की अरीय पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं जिससे डायाफ्राम गुम्बद के समान हो जाता है।
बाह्य इंटर कॉस्टल पेशियों और आन्तर इंटरकॉस्टल पेशियों के कार्टिलेजिनस भाग सिकुड़ते हैं जिससे वक्ष कंडी बाहर खिंच जाती हैं।अन्तः इंटर कॉस्टल पेशियों के सिकुड़ने और बाह्य इंटरकास्टल पेशियों के शिथिलन से वक्ष कंडी अन्दर खिंच जाती है।
प्लूरल गुहाओं का आयतन बढ़ जाता है।प्लूरल गुहाओं का आयतन कम हो जाता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य में गैसीय विनिमय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फेफड़ों में गैसों का विनिमय (Exchange of Gases in Lungs)-मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 30 करोड़ वायु कोष्ठ या कूपिकाएँ (alveoli) होती हैं। कूपिकाओं की दीवारें बहुत पतली और शल्की एपिथीलियम की बनी होती हैं। ये दीवारें ऑक्सीजन O2 तथा CO2 दोनों के लिए पारगम्य होती हैं। इनमें रुधिर कोशिकाओं का घना जाल बिछा रहता है। श्वास नाल (trachea), श्वसनी (bronchus), श्वसनिका (bronchiole) तथा कूपिका नलिकाओं (alveolar duct) आदि में रुधिर कोशिकाओं का जाल फैला हुआ नहीं होता है।

अतः कूपिकाओं को छोड़कर अन्य श्वसन भागों में गैसीय विनिमय नहीं होता है। सामान्यतः प्रहण की गई 500 ml प्रवाही वायु में से लगभग 350 ml. वायु कूपिकाओं में पहुँचती है, शेष श्वास मार्ग में ही रह जाती हैं। वायु कोष्ठों या कूपिकाओं की दीवार तथा रुधिर कोशिकाओं की दीवार मिलकर श्वसन कला (respiratory membrane) बनाती हैं। इसमें ऑक्सीजन O2 तथा कार्बन डाई क्साइड CO2 का विनिमय आसानी से हो जाता है। गैसीय विनिमय सामान्य विसरण क्रिया द्वारा होता है। इसमें गैसें उच्च आंशिक दाब से कम आंशिक दाब की ओर विसरित होती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 17

वायु कोष्ठों में O2 का आंशिक दाब PO 100-104 mmHg और CO2 का आंशिक दाब PCO2 40 mmHg होता है। फेफड़ों की रुधिर केशिकाओं में आए अशुद्ध रुधर में O2 का आंशिक दाब 40 mm Hg और CO2 का आंशिक दाब 45-46 mm Hg होता है। वायु प्रकोष्ठ का कूपिकाओं में आई हुई वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

यह ऑक्सीजन कूपिकाओं की भीतरी नम दीवारों में उपस्थित श्लेष्म में घुलकर विसरण द्वारा पल्मोनरी केशिकाओं में पहुँच जाती है। इसके बदले में रुधिर केशिकाओं में उपस्थित CO2 कूपिकाओं की वायु में विसरित हो जाती है। इस प्रकार कूपिकाओं से रधधर केशिकाओं में रधिर ऑक्सीजन युक्त होता है। फेफड़ों से निष्कासित वायु में O2 लगभग 15.7% और CO2 लगभग 3.6 % होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 18

प्रश्न 8.
मनुष्य के रुधिर द्वारा O2 तथा CO2 का परिवहन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कोशिकीय श्वसन (Cellular Respiration) अथवा रुधिर एवं ऊतकों के बीच ऑक्सीजन का विसरण ऑक्सीजन युक्त रुधिर पल्मोनरी शिरा द्वारा सर्वप्रथम हृदय में, तत्पश्चात् रुधिर परिसंचरण द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचता है। उन स्थानों पर जहाँ O2 की सान्द्रता कम तथा CO2 की सान्द्रता अधिक होती है, ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में टूट जाता है-
Hb (O2)4 → Hb + 4O2
मुक्त हुई ऑक्सीजन रुधिर केशिकाओं की दीवारों से विसरित होकर ऊतक द्रव या लसीका में पहुँचती है और वहाँ से विसरित होकर अंगों की ऊतक कोशिकाओं में प्रवेश करती है। कोशिकाओं के अन्दर ऑक्सीजन की सहायता से भोज्य पदार्थों (ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण होता है। परिणामस्वरूप क्रिया के अन्त में CO2 जल एवं ऊर्जा मुक्त होती है। यह CO2 पुनः फेफड़ों में पहुँचायी जाती है।C6H12O6 + 6O2 6CO2 + 6H2O + 673 कि. कैलोरी (ऊर्जा)

17.5.5 CO2 का रुधिर द्वारा परिवहन (Transport of CO2 by Blood):
ऊतकों में संचित खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से उत्पन्न CO2 विसरण द्वारा रुधिर केशिकाओं में चली जाती है। रुधिर केशिकाओं द्वारा इसका परिवहन श्वसनांगों तक निम्नलिखित प्रकार से होता है –

(1) कार्बोनिक अम्ल के रूप में (In the form of carbonic acid) CO2 जल में अधिक घुलनशील होती है। इसका 5-10% भाग प्लाज्मा के जल के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल (H, CO) बनाता है। CO2 + HCO2O → H2CO3

समस्त CO2 का लगभग 10% भाग रुधिर में H2CO2 के रूप में रहता है और शेष भाग शीघ्र ही हाइड्रोजन तथा बाइकार्बोनेट के आयनों में टूट जाता है –
H2CO3 → HCO3 + H+
(2) बाइकार्बोनेट के रूप में (In the form of Bicarbonate) – लगभग 70-75% CO2 बाइकार्बोनेट के रूप में रुधिर प्लाज्मा के सोडियम आयन (Nat) तथा लाल कणिकाओं के पोटैशियम आयन (K+) से मिलकर सोडियम तथा पोटैशियम के बाइकार्बोनेट बनाते हैं-
HCO3 + Na+ → NaHCO3 (सोडियम बाइकार्बोनेट)
HCO3 + K+ → KHCO3 (पोटैशियम बाइकार्बोनेट)

(3) कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन के रूप में (In the form of Carboxyhaemoglobin ) – लगभग 10% CO2 लाल रुधिर कणिकाओं के हीमोग्लोबिन से मिलकर अस्थायी यौगिक कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है –
Hb + 4CO2 → Hb (CO2)4

(4) कार्बन एमीनो यौगिक के रूप में (In the form of carbon amino compound) – लगभग 10% CO2 रुधिर प्लाज्मा की प्रोटीन से संयोग करके कार्बन एमीनो यौगिक बनाती है – प्लाज्मा प्रोटीन + CO2 कार्बन एमीनो यौगिक (अस्थायी)

कार्बोनिक अम्ल सोडियम व पोटैशियम के बाइकार्बोनेट, कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन तथा कार्बन एमीनो यौगिक आदि पदार्थों से युक्त रुधिर अशुद्ध होता है। यह अशुद्ध रुधिर केशिकाओं से शिराओं द्वारा हृदय में और फिर हृदय में फुफ्फुस धमनी द्वारा श्वसनांगों (फेफड़ों) में शुद्ध होने के लिए जाता है और रुधिर में से CO2 श्वसनांगों से मुक्त होकर बाहर निकल जाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(5) अस्थायी पदार्थों से CO2 का मुक्त होना (Release of CO2 from unstable substances ) – फेफड़ों के समीप रुधिर केशिकाओं में ऑक्सीहीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है। यह अधिक अम्लीय होता है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन के अम्लीय स्वभाव से सभी अस्थायी यौगिक टूट जाते हैं। और CO2 मुक्त करते हैं-
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
2KHCO3 → K2CO3 + H2O + CO2
H2CO3 → H3O + CO3
Hb (CO2) 4 → Hb + 4CO2

इस प्रकार मुक्त हुई CO2 रुधिर केशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली भित्तियों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है जहाँ से CO2 को निःश्वसन की क्रिया द्वारा वातावरण में छोड़ दिया जाता है। क्लोराइड शिफ्ट (Chloride Shift ) प्लाज्मा एवं RBC के बीच CT तथा HCO3 आयतन के पारस्परिक आदान-प्रदान को क्लोराइड शिफ्ट या हेम्बर्गर परिघटना ( Hamburger’s Phenomenon) कहते हैं।

(i) प्लाज्मा प्रोटीन्स के साथ मिलकर अस्थाई कार्बएमीन यौगिक के रूप में लगभग 10 प्रतिशत CO2 कार्य ऐमीनों यौगिक बनाती है। आक्सीकरण द्वारा एमीनो अम्ल दो समूह अमीनो मुप (-NH2) तथा कार्बोक्सिलिक ग्रुप ( – COOH) में टूट जाते हैं। ऐमीनो ग्रुप CO2 के साथ मिलकर कार्य ऐमीनो यौगिक बनाता है।
CO2 + NH2 → NHCOOH
CO2 की कुछ मात्रा रुधिर के प्रोटीन्स के साथ रासायनिक यौगिक बनाती है, जैसे CO2 हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सिल हीमोग्लोबिन बनाती है –
Hb NH2 + CO2– → Hb NHCOOH

(ii) लाल रुधिर कणिकाओं में बाइकार्बोनिट्स के रूप में लगभग 80-85 प्रतिशत CO2 सोडियम व पोटेशियम के साथ मिलकर बाइकार्बोनेट बनाती Na2CO3 + H2O + CO2 → NaHCO3 हेल्डेन प्रभाव (Haldane Effect)- कूपिकीय रुधिर में O2 एवं Hb के जुड़ने से अधिकाधिक CO2 का रुधिर से निष्कासन होता है। इस प्रभाव को हेल्डेन प्रभाव (Haldane effect) कहते हैं। हेल्डेन प्रभाव का मुख्य कारण H. Hb एवं O2 के संयोजन से बने ऑक्सीहीमोग्लोबिन HbO, तथा H+ आयन्स हैं। जैसे ही RBC में ये H+ आयन्स मुक्त होते हैं RBC से क्लोराइड आयन्स (CIT) प्लाज्मा में तथा प्लाज्मा से HCO2 आयन्स RBC में आ जाते हैं। H+ तथा HCO2 आयम्स परस्पर मिलकर कार्बनिक अम्ल (H2 CO2) का निर्माण करते हैं जो बाद में जल व CO2 में वियोजित हो जाता है।

प्रश्न 9.
मानव में श्वसन सम्बन्धी व्याधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्वसन सक्बन्धी रोग (Respiratory Disorders):
श्वसन सम्बन्धी प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं-
(1) दमा (Asthma) – यह एक एलर्जी रोग है। यह मुख्यतः परागकण, धूल पदार्थ, धुआँ, धुम्रपान आदि के कारण ठोता है। इस रोंग में साँस लेने में कठिनाई होने लगती है। इस रोग का प्रमुख लक्षण है-निरन्तर खाँसी आना। दमा के रोगियों को दरंरे पड़ने की भी शिकायत रहती है। अधिक संकुचन के कारण श्वसनियों का संकरा हो जाना, इसमें अधिक इलेष्मा बनना तथा कभी-कभी सूजन आ जाना। वह सब श्वास लेने में कठिनाई उत्पन्न करते हैं। इसके रोगियों के लिए अवि आवश्यक है, एलर्जी उस्न करने वाले कारकों से दूर रहना। इसके साथ-साथ एण्टीबायोटिक औषधि भी ली जाती है।

(2) श्वसनी शोथ या बोकाईहित (Bronchitis) – इस रोग में श्वसनी की आन्तरिक सतह पर सूञन आ जती है। इससे रोगी को लगातार खाँसी होती रहती है। इससे श्वास लेने में कठिनाई छोती है और खाँसी के साथ छल्का-पीला कफ आवा है। इस रोग का प्रमुख कारण सिगरेट आदि का धुग्रपान है। धुमपान के कारण श्लेष्मा अधिक बनता है और श्वसनी में सूजन आ जाती है। इससे सीलिया भी नष्ट हो जाती हैं। इस रोग से बच्चने का उपाय है-धूग्रपान से दूर रहना।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(3) वात स्यीति या एक्काइसिया (Emphysea) – पढ रोग लगात्तार धूम्रपान के कारण होता है। धूस्तपान से फेकड़ों में उक्तेजना उत्पन्न होने लगती है जिसके कारण कूपिकाएँ नष्ट होने लगती हैं और वायु स्थान फैलकर बड़े हो जाते हैं। इससे श्वसन सतह का क्षेत्रफल घटकर कम हो जाता है। केकड़े की प्रत्यास्थता भी कम हो जाती है और उच्छृषसन बहुत कठिन हो जाता है। इस रोग के कारण श्वसनिकाएँ सँकरी हो जाती हैं और अत्यधिक कफ के कारण श्वास लेने में कठिनाई होने लगती है। धूम्रपान से बचकर ही इस रोग से बचा जा सकता है।

(4) सिलिकोसिस एवं एन्सेसेसिस (Silicosis and Asbestosis) – इस रोग का प्रमुख कारण वायु प्रद्षण है। वे श्रमिक जो खानों या कारखानों में काम करते हैं, उनमें यह रोग होने की सम्भावना अधिक छोती है। श्वास के साथ इन पदार्थों के कणों का केकड़ों में जाना इस रोग का प्रमुख कारण है। ये कण फेफड़ों के उपरी भाग में फाइबोसिस तथा सूञन पैदा करते हैं। ये असाध्य रोग हैं।

(5) न्यूमोनिया (Pneumonia)-यह फेफड़ों का संक्रमण है जो स्ट्प्टोकोकस न्यूमोनी नामक जीवाणु के कारण होता है। संक्रमण से कूपिकाएँ मृत केशिकाओं एवं तरल से भर जाती हैं। इनमें सूचन आ जाती है जिससे श्वास लेने में कठिनाई होने लगती है।

(6) डिस्पनोइया (Dyspnoea) इसमें व्यक्ति बैचेनी का अनुभव करता है और श्वसन गत्ति बढ़ जाती है। यह प्राय: अत्यधिक व्यायाम, अकस्मात तेज दौड़ने या उर जाने की स्थिति में होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. मोनोसैकैराइड का सरल उदाहरण है–
(अ) माल्टोस
(ब) सूक्रोस
(स) सेलुलोस
(द) राइबोस
उत्तर:
(द) राइबोस

2. निम्नलिखित में से अपचायी शर्करा है-
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) लैक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) लैक्टोस

3. प्रोटीन होते हैं-
(अ) पॉलिएस्टर
(ब) पॉलिपेप्टाइड
(स) पॉलिसैकैराइड
(द) पॉलिन्यूक्लिओटाइड
उत्तर:
(ब) पॉलिपेप्टाइड

4. न्यूक्लिक अम्ल होते हैं-
(अ) सरल अणु
(ब) प्रोटीन
(स) शर्करा
(द) बहुलक
उत्तर:
(द) बहुलक

5. DNA में निम्नलिखित में से कौनसा क्षारक नहीं होता?
(अ) ऐडेनीन
(ब) यूरेसिल
(स) थायमीन
(द) साइटोसीन
उत्तर:
(ब) यूरेसिल

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

6. संतरा तथा आँवला में पाया जाने वाला मुख्य विटामिन है-
(अ) D
(ब) C
(स) K
(द) E
उत्तर:
(ब) C

7. रतौधी रोग (रात्रि अंधता) किस विटामिन की कमी से होता है?
(अ) B6
(ब) A
(स) C
(द) D
उत्तर:
(ब) A

8. दो ऐमीनो अम्लों की परस्पर क्रिया से बने बन्ध को क्या कहते हैं?
(अ) आयनिक बन्ध
(ब) ग्लाइकोसाइडी बन्ध
(स) हाइड्रोजन बन्ध
(द) पेप्टाइड बन्ध
उत्तर:
(द) पेप्टाइड बन्ध

9. निम्नलिखित में से किसमें निरपवाद रूप से नाइट्रोजन उपस्थित होता है?
(अ) वसा
(ब) कार्बोहाइड्रेट
(स) प्रोटीन
(द) स्टार्च
उत्तर:
(स) प्रोटीन

10. विटामिन B1 है-
(अ) थायमीन
(ब) राइबोफ्लेविन
(स) ऐस्कॉर्बिक अम्ल
(द) पिरिडाक्सिन
उत्तर:
(अ) थायमीन

11. निम्नलिखित में से कौनसी शर्करा शेष तीनों से अधिक मीठी है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) फ्रक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) फ्रक्टोस

12. निम्नलितित में से कौन डाइसैकैराइड नहीं है?
(अ) सूक्रोस
(ब) गैलैक्टोस
(स) लैक्टोस
(द) माल्टोस
उत्तर:
(ब) गैलैक्टोस

13. कोशिका के आनुवांशिक गुणों के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी है-
(अ) RNA
(ब) प्रोटीन
(स) DNA
(द) विटामिन
उत्तर:
(स) DNA

14. ग्लूकोस को ब्रोमीन जल से ऑक्सीकृत करने पर बना अम्ल है-
(अ) ग्लाइकॉलिक अम्ल
(ब) सैकैरिक अम्ल
(स) ग्लूकोनिक अम्ल
(द) ग्लिसरिक अम्ल
उत्तर:
(स) ग्लूकोनिक अम्ल

15. दुग्ध में पाए जाने वाली शर्करा है-
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) माल्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(ब) लैक्टोस

16. प्राणी शरीर में कार्बोहाइड्रेट किसके रूप में संग्रहित रहता है?
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) ग्लाइकोजन
(द) माल्टोस
उत्तर:
(स) ग्लाइकोजन

17. निम्नलिखित में से आवश्यक ऐमीनो अम्ल है-
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) वैलीन
(द) ऐस्पार्टिक अम्ल
उत्तर:
(स) वैलीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

18. प्रोटीन की तृतीयक संरचना में वे कौनसे प्रमुख बल हैं जो 2° तथा 3° संरचनाओं को स्थायित्व प्रदान करते हैं?
(अ) ह्यडड्रोजन आबंध
(ब) डाइसल्फाइड बन्ध
(स) स्थिर विद्युत आकर्षण बल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

19. माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) इनवर्टेस
(ब) जाइमेस
(स) माल्टेस
(द) यूरियेस
उत्तर:
(स) माल्टेस

20. वसा में विलेय विटामिन है-
(अ) A
(ब) B
(स) C
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) A

21. मनुष्य के पाचन तंत्र द्वारा निम्न में से किसका जल अपघटन नहीं होता?
(अ) ग्लाइकोजन
(ब) सेलुलोस
(स) माल्टोस
(द) स्टार्च
उत्तर:
(ब) सेलुलोस

22. निम्नलिखित में कौनसा यौगिक ज्विटर आयन के रूप में नहीं पाया जाता है?
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) सल्फेनिलिक अम्ल
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल

23. निम्नलिखित में से जल विलेय विटामिन कौनसा है?
(अ) विट्रमिन D
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन E
(द) विटामिन A
उत्तर:
(ब) विटामिन C

24. ग्लोबुलर (गोलिकाकार) प्रोटीन में कौनसा बन्ध पाया जाता है?
(अ) हाइड्रोजन बन्ध
(ब) वान्डरवाल आकर्षण बल
(स) डाइसल्फाइड बन्ध
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

25. एक शर्करा-रोगी के मूत्र में किसका परीक्षण किया जाता है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) फ्रक्टोस
(स) सुक्रोस
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) ग्लूकोस

26. DNA का पूर्ण जल अपघटन पेन्टोस शर्करा, डिआक्सीराइबोस बनाता है। राइबोस से डिऑक्सीराइबोस इस तरह भिन्न है कि इसमें किस कार्बन पर -OH ग्रुप नहीं होता है ?
(अ) C – 1
(ब) C – 2
(स) C – 3
(द) C – 4
उत्तर:
(ब) C – 2

27. एक महत्त्वपूर्ण विट्रामिन जो कि तेल एवं वसा में विलेय है तथा जल में अविलेय। यह बच्चों में रिकेट्स एवं वयस्कों में ऑस्टियोमेलेशिया के लिये उत्तरदायी है। यह विटामिन है-
(अ) विटामिन B12
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन D
(द) विटामिन E
उत्तर:
(स) विटामिन D

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रक्टोस में उपस्थित क्रियात्मक समूह बताइए।
उत्तर:
फ्रक्टोस में – OH समूहों के अतिरिक्त कार्बन संख्या-2 पर कीटोनिक समूह होता है।

प्रश्न 2.
ओलिगोसैकैराइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल अपघटन से 2 से 10 मोनोसैकैराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं उन्हें ओलिगोसैकैराइड कहते हैं।

प्रश्न 3.
जैव तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य जैव अणु कौनसे ह हैं?
उत्तर:
जैव तंत्र में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल तथा लिपिड इत्यादि जैव अणु पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
ऐसे दो यौगिकों के नाम बताइए जिनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2:1 है लेकिन वे कार्बोहाइड्रेट नहीं हैं।
उत्तर:
ऐसिटिक अम्ल (C2H4O2) तथा लैक्टिक अम्ल (C3HO3)।

प्रश्न 5.
एरिथ्रोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2 (OH) – (CHOH)2 – CHO

प्रश्न 6.
डाइसैकैराइडों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
माल्टोस तथा लैक्टोस।

प्रश्न 7.
राइबोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2(OH) – (CHOH)3 – CHO

प्रश्न 8.
एक ऐसा यौगिक बताइए जो कार्बोहाइड्रेट है लेकिन इसका अणु सूत्र कार्बोहाइड्रेट के सामान्य सूत्र के अनुसार नहीं है।
उत्तर:
रेम्नोस (C6H12O5)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 9.
ग्लूकोस की निम्न के साथ अभिक्रिया के उत्पाद बताइए – (i) ब्रोमीन जल (ii) सोडियम अमलगम तथा जल।
उत्तर:

  1. ग्लूकोस ब्रोमीन जल द्वारा ऑक्सीकृत होकर ग्लूकोनिक अम्ल देता है।
  2. सोडियम अमलगम (Na / Hg) तथा जल द्वारा ग्लूकोस का अपचयन हो जाता है तथा सार्बिटॉल प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
जन्तुओं के यकृत में संग्रहित पॉलिसैकैराइड कौनसा होता है?
उत्तर:
ग्लाइकोजन।

प्रश्न 11.
सूक्रोस के स्रोत बताइए।
उत्तर:
सुक्रोस गन्ने तथा चुकन्दर से प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
a-D-ग्लूकोस तथा B-D-ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान बताइए।
उत्तर:
a-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 112° तथा B-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 19° होता है।

प्रश्न 13.
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र क्या होता है?
उत्तर:
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र – CO-NH – होता है।

प्रश्न 14.
ऐलानिन ( ऐमीनो अम्ल ) का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐलानिन का सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 1 होता है।

प्रश्न 15.
क्षारक किस प्रकार के यौगिक होते हैं?
उत्तर:
क्षारक विषमचक्रीय यौगिक होते हैं?

प्रश्न 16.
क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कौनसे होते हैं?
उत्तर:
वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल ( – COOH) समूहों की तुलना में ऐमीनो (-NH2 ) समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं।

प्रश्न 17.
जल में विलेय विटामिन बताइए।
उत्तर:
B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं।

प्रश्न 18.
प्रोटीन के मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
दूध, पनीर, दालें, मूंगफली तथा मांस प्रोटीन के मुख्य स्रोत होते हैं।

प्रश्न 19.
विटामिन K का मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
विटामिन K हरे पत्ते वाली सब्जियों में पाया जाता है।

प्रश्न 20.
प्रोटीन को निनहाइड्रिन के साथ गरम करने पर क्या होते हैं?
उत्तर:
प्रोटीन को निहाइड्रिन के साथ गरम करने पर नीला रंग प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 21.
विटामिन B2 का नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन B2 को राइबोफ्लेविन कहते हैं।

प्रश्न 22.
सायनोकोबालैमीन किस विटामिन का नाम है?
उत्तर:
विटामिन B12

प्रश्न 23.
विटामिन D की कमी से कौनसे रोग होते हैं?
उत्तर:
विटामिन D की कमी से रिकेट्स तथा ऑस्टियोमेलेशिया रोग होते हैं।

प्रश्न 24.
यकृत में संग्रहित जल में विलेय विटामिन कौनसा होता है?
उत्तर:
विटामिन B12

प्रश्न 25.
प्रोटीन → पॉलीपेप्टाइड → α – ऐमीनो अम्ल
इस अभिक्रिया अनुक्रम के लिए आवश्यक एन्जाइम बताइए।
उत्तर:
प्रोटिऐस तथा पेप्टाइडेस।

प्रश्न 26.
न्यूक्लिओटाइड आपस में कौनसे बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं?
उत्तर:
फास्फोडाइएस्टर बन्ध।

प्रश्न 27.
ग्लूकोस को डेक्सट्रोस क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ग्लूकोस दक्षिण ध्रुवण घूर्णक होता है अतः इसे डेक्सट्रोस भी कहते हैं।

प्रश्न 28.
सर्वाधिक मीठी शर्करा कौनसी होती है ?
उत्तर:
फ्रक्टोज सर्वाधिक मीठी शर्करा होती है।

प्रश्न 29.
कार्बोहाइड्रेट्स को सैकैराइड क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट शर्करा या शर्करा एकलकों के बहुलक होते हैं अतः इन्हें सैकैराइड कहा जाता है।

प्रश्न 30.
मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर:
दूध एक सम्पूर्ण आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन तथा विटामिन होते हैं अतः मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है।

प्रश्न 31.
नर लिंग हॉर्मोनों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
एन्ड्रोजन।

प्रश्न 32.
इन्सुलिन हॉर्मोन का क्या कार्य है ?
उत्तर:
रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सन्तुलित रखना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अपचायी तथा अनअपचायी शर्करा में अन्तर बताइए तथा उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
अपचायी शर्करा में अपचायक गुण होते हैं अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक इत्यादि का अपचयन कर देते हैं। उदाहरण सभी मोनोसैकैराइड, माल्टोस तथा लैक्टोस । अनअपचायी शर्करा में अपचायक गुण नहीं होता अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक का अपचयन नहीं करते हैं। उदाहरण- सूक्रोस ।

प्रश्न 2.
ग्लूकोस एक ऐल्डोहेक्सोस मोनोसैकैराइड है फिर भी यह हाइड्रोजन सायनाइड से क्रिया करके सायनोहाइड्रिन तो देता है लेकिन सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट के साथ योग नहीं करता। क्यों?
उत्तर:
ग्लूकोस की चक्रीय संरचना होती है जिसमें – CHO समूह के प्रयोग से चक्रीय हैमीऐसीटैल संरचना बनती है अतः इसमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड समूह नहीं होता जिसके कारण इसकी सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट (NaHSO3) के साथ अभिक्रिया नहीं होती लेकिन हाइड्रोजन सायनाइड (HCN) से क्रिया में इसकी चक्रीय संरचना की वलय टूटकर ऐल्डिहाइड समूह स्वतंत्र हो जाता है क्योंकि ग्लूकोस की वलय तथा विवृत श्रृंखला संरचना में साम्य होता है। अतः HCN के साथ क्रिया द्वारा यह सायनो हाइड्रिन दे देता है।

प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेटों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेटों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 2

प्रश्न 4.
सूक्रोस की संरचना तथा गुण बताइए।
उत्तर:
सूक्रोस (इक्षु-शर्करा) से-सूक्रोस को तनु HCl अथवा H2SO4 के साथ ऐल्कोहॉलिक विलयन में उबालने पर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के एक-एक मोल (समान मात्रा) प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 3

प्रश्न 5.
लैक्टोस की संरचना बताइए।
उत्तर:
लैक्टोस (Lactose) –
(i) लैक्टोस को दुग्ध शर्करा भी कहते हैं क्योंकि यह दुग्ध में उपस्थित होती है।
(ii) लैक्टोस के जल अपघटन से D (+) ग्लूकोस तथा D (+) गैलेक्टोस के समान मोल प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 4
(iii) लैक्टोस की संरचना – लैक्टोस, ß – [D] गैलेक्टोस तथा ß- [D] ग्लूकोस से मिलकर बनी होती है। गैलैक्टोस के C1 तथा ग्लूकोस के C4 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बंध होता है विलयन में ग्लूकोस इकाई C-1 पर मुक्त एल्डिहाइड समूह उत्पन्न होता है। अतः माल्टोस की तरह यह भी एक अपचायी शर्करा है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5
(iv) यह एक क्रिस्टलीय ठोस होता है जो कि जल में विलेय तथा ऐल्कोहॉल एवं ईथर में अविलेय है।

प्रश्न 6.
ग्लूकोस के α तथा ß रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लूकोस प्रकृति में मुक्त अथवा संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। यह मीठे फलों जैसे पके हुए अंगूर तथा शहद में पाया जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 7.
एपीमरीकरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
वे ऐल्डोस जिनके α- कार्बन परमाणु (C2) के विन्यास में भिन्नता होती है उन्हें एक-दूसरे के एपीमर कहते हैं तथा एक एपीमर के दूसरे एपीमर में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को ऐपीमरीकरण कहते हैं। उदाहरण- ग्लूकोस तथा मैनोस।

ग्लूकोस में C2 पर – OH समूह दाईं ओर जबकि मैनोस में यह बायीं ओर होता है।

प्रश्न 8.
ऐमीनो अम्ल अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन होते हैं। इनकी व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
(i) अम्लीय ऐमीनो अम्लों में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- ऐस्पार्टिक अम्ल HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5a

(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल वे होते हैं जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- लाइसीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5b

(iii) वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल समूह तथा ऐमीनो समूह समान संख्या में होते हैं उन्हें उदासीन ऐमीनो अम्ल कहते हैं। जैसे-ग्लाइसीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5c

प्रश्न 9.
प्रोटीन का निर्माण किस प्रकार होता है ? समझाइए।
उत्तर:
प्रोटीन α-ऐमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं जो आपस में पेप्टाइड अंघ द्वारा जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के – NH2 समूह के मध्य अभिक्रिया होकर जल के अणु से निकलने से बने बन्ध को पेप्टाइड बन्ध कहते हैं जिसे – CONH- द्वारा दर्शाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 6
प्रोटीनों में α- ऐमीनो अम्ल समान तथा भिन्न भी हो सकते हैं। जब बनने वाला उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों से बनता है तो इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरण, ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, ऐलानीन के ऐमीनो समूह के साथ क्रिया करता है तो एक डइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलानिन बनता है। अतः डाइपेप्टाइड में एक पेप्टाइड बन्ध होता है।

जब तीसरा ऐमीनो अम्ल, डाइपेप्टाइड के साथ क्रिया करता है तो बने उत्पाद को ट्राइपेप्टाइड कहते हैं। अतः एक ट्राइपेप्टाइड में तीन ऐमीनो अम्ल दो पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। इसी प्रकार चार, पाँच तथा छः ऐमीनो अम्लों के आपस में जुड़ने से बने उत्पादों को टेट्रापेप्टाइड पेन्टापेप्टाइड तथा हेक्सापेप्टाइड कहते हैं बहुत से ऐमीनो अम्लों (10 से अधिक) के आपस में संघनन द्वारा बने पेप्टाइडों को पॉलिपेप्टाइड कहते हैं।

वे पॉलिपेप्टाइड जिनमें असंख्य (100 से अधिक) भिन्न-भिन्न ऐमीनो अम्ल होते हैं तथा जिनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 से अधिक होता है, उन्हें प्रोटीन कहते हैं। यद्यपि पॉलिपेप्टाइड तथा प्रोटीन विभेद अधिक स्पष्ट नहीं है। 100 से कम ऐमीनो अम्लों वाले पॉलिपेप्टाइडों को भी प्रोटीन कहा जाता है यदि उनमें प्रोटीन जैसा स्पष्ट संरूपण (conformation) हो। उदाहरण इन्सुलिन 51 ऐमीनो अम्लों से मिलकर बना होता है।

प्रोटीनों के सामान्य गुण:

  • प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
  • प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
  • प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
  • प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
  • प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।

आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।

(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।
उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।

(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।

उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।

प्रोटीनों की संरचना तथा आकृति का अध्ययन चार स्तरों पर किया जाता है – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुष्क संरचनाएं। इनका प्रत्येक स्तर पूर्व स्तर की तुलना में अधिक जटिल होता है।

(i) प्रोटीन की प्राथमिक संरचना प्रोटीनों में एक या अधिक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट तथा निश्चित क्रम में जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के विशिष्ट क्रम को ही प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना कहते हैं। भिन्न-भिन्न प्रोटीनों में यह क्रम भिन्न-भिन्न होता है। फ्रेडरिंग सेंगर (1953) ने सर्वप्रथम अग्न्याशय द्वारा उत्सर्जित, इन्सुलिन की प्राथमिक संरचना का निर्धारण किया था।

किसी विशिष्ट प्रेटीन में उपस्थित विभिन्न ऐमीनो अम्लों में से एक a- ऐमीनो अम्ल के स्थान पर किसी अन्य x – ऐमीनो अम्ल के आ जाने से उस प्रोटीन की जैव रासायनिक क्रियाशीलता में परिवर्तन आ जाता है या नष्ट हो जाती है। उदहरण- हीमोग्लोबिन में ग्लुटेमिक अम्ल के स्थान पर वैलीन आ जाने पर सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है। प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना को चित्र 14.1 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 7
(ii) प्रोटीनों की द्वितीयक संरचना-प्रोटीन की द्वितीयक संरचना इनकी आकृति से सम्बन्धित होती है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला उपस्थित होती है। यह दो प्रकार की संरचनाओं में पायी जाती है(i) α-हेलिक्स तथा (ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (या लहरियादार चादर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 8
संरचना)। ये संरचनाएं पेप्टाइड बंध के HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 9 तथा -NH- समूह के मध्य हाइड्रोजन बंध के कारण पॉलिपेप्यइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुंडलन (Folding) में उत्पन्न होती हैं।
(i) α-हेलिक्स संरचना की पॉलिपेप्यइड शृंखला में सभी संभव हाइड्रोजन बन्ध बन सकते हैं तथा इसकी पॉलिपेप्यइड शृंखला दक्षिणावर्ती पेच की तरह मुड़ी होती है जिससे प्रत्येक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट का NH-समूह कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित >C = O समूह के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है।

(ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (लहरियादार चादर संरचना) में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं एक-दूसरे के पाश्र्व में होती हैं जिनमें अधिकतम खिंचाव होता है तथा ये आपस में अंतरा आण्विक हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़ी होती हैं। यह संरचना वस्त्रों (लहरियादार चादर) के समान होती है। अतः इसे ß-प्लीटेड शीट संरचना कहते हैं।

α-हेलिक्स तथा ß-प्लीटेड शीट संरचना को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 10

प्रश्न 10.
प्रोटीनों के सामान्य गुण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों के सामान्य गुण:

  • प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
  • प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
  • प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
  • प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
  • प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।

आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।

(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।

उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।

(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।
उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 11.
प्रोटीनों के परीक्षण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों का परीक्षण:

  • बाइयूरेट परीक्षण-प्रोटीन में थोड़ा-सा 10% NaOH तथा कुछ बूंद 1% CuSO4 विलयन डालने पर नीला-बैंगनी रंग आता है।
  • जेन्थोप्रोटिक परीक्षण-प्रोटीन को सान्द्र HNO3 के साथ गर्म करने पर यह पीले ग का अवक्षेप देती है, इसे जेन्थोप्रोटिक परीक्षण कहते हैं।
  • निनहाइड्रिन परीक्षण-प्रोटीन में कुछ बूंदें निनहाइड्रिन विलयन मिलाकर उबालने से गहरा नीला रंग प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
DNA तथा RNA में उपस्थित शर्कराओं की संरचना बताइए।
उत्तर:
DNA में ß-D-2-डिऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबकि RNA में ß-D-राइबोस शर्करा होती है जिनकी संरचनाएं निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 11

प्रश्न 13.
DNA की द्विकुंडलनी संरचना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
DNA की द्विकुंडलनी संरचना (Double Strand Helix Structure of DNA):
न्यूक्लिक अम्ल की एक शृंखला के अनुक्रम से संबंधित जानकारी को इसकी प्राथमिक संरचना कहते हैं। प्रोटीन के समान न्यूक्लिक अम्लों की द्वितीयक संरचना भी होती है। जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने DNA की द्विकुंडलनी त्रिविमीय संरचना दी।

DNA की वाटसन-क्रिक संरचना के अनुसार पॉलिन्यूक्लिओटाइड की दो सर्पिल शृंखलाएँ या स्ट्रेण्ड क्षारक इकाइयों के मध्य हाइड्रोजन बन्धन द्वारा जुड़कर परस्पर समानान्तर रूप से कुण्डिलत अवस्था में विद्यमान रहती हैं। एक पॉलिन्यूक्लिओटाइड शृंखला के पिरिमिडीन क्षारक तथा दूसरी पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रंखला के प्यूरीन क्षारक के मध्य ही हाइड्रोजन बन्ध बन सकता है। इसके पश्चात् प्रयोगों से ज्ञात हुआ कि प्रकृति में क्षारक ऐडेनीन A केवल थायमीन T के साथ दो हाइड्रोजन बन्धों द्वारा जुड़ सकता है तथा ग्वानीन G केवल साइटोसीन C के साथ तीन H बन्धों द्वारा जुड़ सकता है।

इस प्रकार, ‘ T तथा A ‘ और ‘ G तथा C’ क्षारकों के युग्म बनते हैं अर्थात् T तथा A एक-दूसरे के पूरक हैं और G तथा C एक-दूसरे के पूरक हैं। DNA में T: A तथा G: C अनुपात 1: 1 पाया गया, इससे उपरोक्त युग्मों की पुष्टि हो जाती है। अतः यह कहा जा सकता है कि DNA की दो पॉलिपेप्टाइड शृंखलाओं के मध्य निश्चित क्षारक युग्मों की उपस्थिति के कारण एक श्रृंखला (रज्जुक) दूसरी शृंखला की पूरक होती है, अर्थात् यदि एक पॉलिपेप्टाइड शृंखला में क्षारक अनुक्रम ज्ञात हो तो दूसरी शृंखला का क्षारक अनुक्रम स्वतः ही निश्चित हो जाता है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 12

प्रश्न 14.
DNA की द्विकुण्डलनी त्रिविमीय संरचना को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 13
DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-

  • संदेशवाहक RNA (m-RNA)
  • राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  • अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)

प्रश्न 15.
DNA अंगुली छापन क्या होता है? समझाइए तथा इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
डी.एन.ए. अंगुली छापन (DNA Finger Printing)प्रत्येक जीव के अंगुली छाप अद्वितीय (Unique) होते हैं। ये अंगुली के शीर्ष पर होते हैं तथा पहले इन्हें किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए काम में लाया जाता था, लेकिन शल्य चिकित्सा के द्वारा इन्हें बदला जा सकता है। किसी व्यक्ति में DNA के क्षारकों का अनुक्रम अद्वितीय होता है तथा DNA के क्षारकों के अनुक्रम का निर्धारण ही DNA अंगुली छापन कहलाता है। यह प्रत्येक कोशिकां के लिए समान होता है तथा इसे किसी भी इलाज द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता।

DNA अंगुली छापन एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसके निम्नलिखित उपयोग हैं-

  • विधि संबंधी प्रयोगशाला में अपराधी की पहचान करने में।
  • किसी व्यक्ति की पैतृकता (Paternity) को निर्धीरित करने में।
  • दुर्घटना में मृत व्यक्ति के शरीर की पहचान करने के लिए उसके बच्चों या जनक के DNA से तुलना करने में।
  • जैव विकास के पुनर्लेखन में किसी प्रजाति की पहचान करने में।

प्रश्न 16.
DNA की स्वप्रतिकृति (Self Replication) किस प्रकार होती है? समझाइए।
उत्तर:
स्व-प्रतिकृति (Self Replication)-डी.एन.ए. आनुवांशिकता का रासायनिक आधार होता है तथा यह आनुवांशिक सूचनाओं का संग्राहक होता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार है।

जीवों में कोशिका विभाजन के समय DNA की प्रतिकृति होती है। इसमें जनक DNA दो संतति DNA में विभाजित हो जाता है। उपयुक्त एन्जाइम की उपस्थिति में पहले DNA के एक सिरे से हाइड्रोजन बन्धों के टूटने से दो स्ट्रेण्ड पृथक् होती जाती हैं तथा प्रत्येक स्ट्रेण्ड पर उपयुक्त न्यूक्लिओटाइड जुड़ते चले जाते हैं और दो समान संतति द्विकुण्डलनियाँ बन जाती हैं। इस प्रकार बनी प्रत्येक संतति द्विकुण्डलनी में एक कुण्डलनी जनक DNA से आती है तथा दूसरी कुण्डलनी नयी बनती है, जिन्हें क्रमशः जनक स्ट्रेण्ड तथा संतति स्ट्रेण्ड कहा जाता है। इस प्रकार पुत्री कोशिका में समान रज्जुक का अंतरण होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 14

प्रश्न 17.
DNA द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के नियंत्रण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन संश्लेषण का नियन्त्रण (Control of Protein Synthesis)-न्यूक्लिक अम्ल प्रोटीन संश्लेषण भी करते हैं। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न प्रकार के RŃA द्वारा होता है। परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का संदेश DNA में उपस्थित होता है। DNA का वह भाग जो प्रोटीन संश्लेषण का नियंत्रण करता है उसे जीन कहते हैं। मानव कोशिका के केन्द्रक में एक DNA में सामान्यतः दस लाख जीन होते हैं।

न्यूक्लिक अम्ल की कुण्डलनी पर उपस्थित तीन-तीन क्रमागत विषमचक्रीय क्षारकों के समुच्चय एक त्रिककूट (Triplet Code) का काम करते हैं। प्रत्येक त्रिककूट का सम्बन्ध एक विशिष्ट ऐमीनो अम्ल से होता है। अतः अनेक त्रिककूटों का निश्चित अनुक्रम, विशिष्ट ऐमीनो अम्लों को निश्चित क्रम में व्यवस्थित करके प्रोटीन संश्लेषण को नियन्त्रित करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 15

प्रश्न 18.
(i) सिकल सेल एनिमिया रोग कब होता है?
(ii) थायमीन तथा यूरेसिल के संरचना सूत्रों में क्या अन्तर होता है ?
(iii) आनुवांशिकता तथा क्रोमोसोम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
(i) हीमोग्लोबिन में ग्लूटेमिक अम्ल के स्थान पर वेलिन – ऐमीनो अम्ल आ जाता हैं तो सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है।

(ii) यूरेसिल के संरचना सूत्र में > C = 0 के पास वाले कार्बन पर हाइड्रोजन के स्थान पर मेथिल समूह आ जाने पर थायमीन की संरचना प्राप्त होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 16

(iii) प्रत्येक प्रजाति की किसी पीढ़ी के गुण उसके पूर्वजों से मिलते-जुलते होते हैं जीवों के इस गुण को आनुवांशिकता कहते हैं। किसी सजीव कोशिका के नाभिक में उपस्थित वे कण जो अनुवांशिकता के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन्हें क्रोमोसोम कहते हैं।

प्रश्न 19.
ग्लूकोस तथा स्टार्च में विभेद कीजिए।
उत्तर:

  1. ग्लूकोस, आयोडीन विलयन के साथ क्रिया नहीं करता जबकि स्टार्च, आयोडीन विलयन के साथ नीला रंग देता है।
  2. ग्लूकोस का जल अपघटन नहीं होता जबकि स्टार्च के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।
  3. ग्लूकोस, फेलिंग विलयन के साथ लाल अवक्षेप देता है लेकिन स्टार्च नहीं।

प्रश्न 20.
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर क्या होता है?
उत्तर:
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर इसका जल अपघटन होकर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस बनते है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 17

प्रश्न 21.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) ऐड्रिनोकॉर्टिकॉइड हॉर्मोन
(ii) प्रोटीन हॉर्मोन।
उत्तर:
(i) ऐड्डिनोकॉर्टि कॉइड हॉर्मोन (Adrenocorticoid Hormones)-ये वृक्क या गुर्दों (Kidney) में विद्यमान अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland) तथा वल्कुट (Cortex) द्वारा स्रावित होते हैं। जन्तुओं में ये हॉर्मोन अनुपस्थित होने पर तत्काल मृत्यु हो जाती है। ये हॉर्मोन अनेक प्रक्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं। उदाहरणग्लूकोक्रॉर्टिकायड हार्मोन कार्बोहाइड्रेट उपापचय का नियंत्रण करते हैं, जलन उत्पत्र करने वाली अभिक्रियाओं में कमी करते हैं तथा तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में भी सम्मिलित होते हैं।

मिनरैलोकॉर्टिकॉयड गुर्दों से उत्सर्जित होने वले जल तथा लवण के स्तर को नियंत्रित करते हैं। यदि ऐड्रिनल कॉर्टेक्स ठीक से कार्य न करें तो इसके परिणामस्वरूप ऐडीसन्सडिजीज हो सकती है जिसके लक्षण हैं हाइपोग्लाइसीमिया, दुर्बलता और तनाव के प्रति संवेदनशीलता की संभावना बढ़ना।

(ii) प्रोटीन हॉर्मोन-प्रोटीन हॉर्मोनों को पॉलिपेप्टाइड हॉर्मोन भी कहा जाता है क्योंकि ये विभिन्न ऐमीनो अम्लों के संघनन सहबहुलकीकरण से बनते हैं। इन्सुलिन, ग्लूकागॉन, ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रेसिन, गैस्ट्रिन तथा एन्डोर्फिन इस परिवार के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन का स्रवण अग्न्याशय (Pancreas) में होता है जबकि ऑक्सीटोसिन तथा वैसोप्रेसिन का स्रवण पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland) में होता है।

इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन दोनों एक साथ कार्बोहाइड्रेट उपापचय को नियंत्रित करके रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सामान्य स्तर पर बनाये रखते हैं। रक्त में ग्लूकोस को मात्रा तेजी से बढ़ने पर इन्सुलिन निकलने लगती है। दूसरी ओर हॉर्मोन ग्लूकागॉन की प्रवृत्ति रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ाने की होती है। ऑक्सीटोसिन, प्रसव के बाद गर्भाशय के संकुचन तथा स्तन ग्रन्थियों से दूध के मोचन (Release of milk) को नियंत्रित करता है। वैसोप्रेसिन हॉर्मोन रक्त दाब (Blood Pressure) को बढ़ाता है तथा वृक्क की जल-धारण क्षमता में वृद्धि करता है। गैस्ट्रिन, आमाशय में जठर रस के स्रवण को नियंत्रित करके प्रोटीन के पाचन में अपनी भूमिका निभाता है।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
चार क्षारकों के नाम लिखिए जो DNA में विद्यमान हैं। इनमें से कौनसा एक RNA में विद्यमान नहीं है?
उत्तर:
DNA में विद्यमान क्षारक साइटोसीन, ऐडेनीन, ग्वानीन तथा थायमीन हैं। इनमें से थायमीन RNA में नहीं पाया जाता लेकिन इसके स्थान पर यूरेसिल होता है।

प्रश्न 2.
वसा में घुलनशील दो विटामिनों के नाम, उनके स्रोत और उनकी भोजन में कमी से होने वाली बीमारियों के नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन A तथा Dवसा में घुलनशील होते हैं। विटामिन A गाजर, मक्खन, दूध तथा मछली के यकृत के तेल में पाया जाता है तथा इसकी कमी से रात्रि अंधता (रतौंधी) नामक बीमारी हो जाती है।

विटामिन D, सूर्य के प्रकाश, मछली तथा अंडे से प्राप्त होता है तथा इसकी कमी से रिकेट्स नामक बीमारी हो जाती है।

प्रश्न 3.
अपचायी शर्करा से क्या समझा जाता है?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन अभिकर्मक या फेलिंग विलयन को अपचयित करते हैं उन्हें अपचायी शर्करा कहते हैं। इनमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड या कीटोन समूह होता है। जैसे-ग्लूकोस, फ्रक्टोस, माल्टोस तथा लैक्टोस।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 4.
ऐमीनो अम्ल संभवतः अम्लीय, क्षारीय अथवा उदासीन होते हैं। यह किस प्रकार होता है? आवश्यक और अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार का एकएक नाम बताइए।
उत्तर:
(a) ऐमीनो अम्लों की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण- ऐमीनो अम्लों में उपस्थित ऐमीनो तथा कार्बोक्सिल समूहों की संख्या के आधार पर इन्हें अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन में वर्गीकृत किया जाता है।

(i) अम्लीय ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्ल जिनमें ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है उन्हें अम्लीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 18

(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 19

(iii) उदासीन ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों तथा ऐमीनो समूहों की संख्या समान होती है, वे उदासीन ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 20

(b) संश्लेषण के आधार पर वर्गीकरण – संश्लेषण के आधार पर ऐमीनो अम्लों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है; अनावश्यक तथा आवश्यक ऐमीनो अम्ल।
(i) अनावश्यक ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में हो जाता है उन्हें अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों के अतिरिक्त सभी ऐमीनो अम्ल इस श्रेणी में लिए जाते हैं जैसे ग्लाइसीन, ऐलानिन इत्यादि।

(ii) आवश्यक ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्लं जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में नहीं होता है तथा जिनको भोजन में लेना आवश्यक होता है उन्हें आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों की संख्या 10 होती है जो निम्नलिखित हैं-

ट्रिप्टोफेन (T), वैलीन (V), मेथिओनिन (M), आइसोल्यूसीन (I), ल्यूसीन (L.), लाइसीन (L), फेनिल ऐलानिन (P), आर्जिनीन (A), ट्रिप्टोफेन (T) तथा हिस्टिडीन (H)

आवश्यक ऐमीनो अम्लों को इनके अंग्रेजी नामों के प्रथम अक्षर ‘टीवीमीलपाथ’ (TVMILLPATH) से याद रखा जा सकता है।
ऐमीनो अम्लों के गुण-
(i) एमीनो अम्ल रंगहीन, अवाष्पशील क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।

(ii) ये जल में विलेय तथा कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं तथा इनका गलनांक उच्च होता है क्योंकि इनमें -NH2 तथा -COOH दोनों समूह होने के कारण ये लवणों के समान व्यवहार करते हैं।

(iii) ग्लाइसीन के अतिरिक्त प्रकृति में उपलब्ध सभी ऐमीनो अम्ल ध्रुवण घूर्णक (optically active) होते हैं क्योंकि इनमें α-कार्बन परमाणु असममित होता है।

(iv) ये ‘D’ तथा ‘L’ रूपों में पाए जाते हैं।

(v) अधिकांश प्राकृतिक ऐमीनो अम्लों का विन्यास ‘L’ होता है तथा L- एमीनो अम्लों में NH2 समूह को सूत्र में बाईं ओर लिखकर दर्शाया जाता है।

प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि निम्नलिखित से क्या समझा जाता है?
(i) पेप्टाइड लिंकेज
(ii) ग्लूकोस की पिरानोस संरचना।
उत्तर:
(i) वह बन्ध (लिंकेज) जिसके द्वारा विभिन्न α- ऐमीनो अम्ल आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं उसे पेप्टाइड लिंकेज (-CONH-) कहते हैं। यह α – ऐमीनो अम्ल के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के -NH2 समूह से जल के निकलने से बनता है।

(ii) ग्लूकोस की छः सदस्यीय वलय युक्त संरचना पाइरैन के समान होती है अतः इसे पिरानोस (पाइरैनोस) संरचना कहते हैं। पाइरैन पांच कार्बन तथा एक ऑक्सीजन युक्त चक्रीय यौगिक होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 21

प्रश्न 6.
DNA और RNA में मुख्य संरचनात्मक अंतर लिखिए। चार क्षारकों में से उनके नाम लिखिए जो इन दोनों में पाए जाते हैं।
उत्तर:
DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-

  • संदेशवाहक RNA (m-RNA)
  • राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  • अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)

DNA तथा RNA में विभेद

(a) संरचनात्मक विभेद्

  • DNA, कोशिका के नाभिक में स्थित क्रोमोसोम (गुणसूत्र ) में पाया जाता है जबकि RNA मुख्यतः कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है
  • DNA में ß-D-डीऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबक् RNA में ß-D राइबोस शर्करा होती है।
  • पिरीमिडीन क्षारक, थायमीन केवल DNA में होता है जबक् यूरेसिल केवल RNA में होता है।
  • DNA की द्विकुंडलनी संरचना होती है जबकि RNA कं एककुंडलनी संरचना होती है।

(b) क्रियात्मक विभेद: DNA में स्वप्रतिकरण (Self Replication) का गुण होता है तथ यह आनुवांशिक गुणों के स्थानान्तरण को नियंत्रित करता है जबकि RNA प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है। साइटोसीन, ऐडेनीन तथा ग्वानीन धारक DNA तथा RNA दोनों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
उस उत्पाद की संरचना लिखिए जो ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से प्राप्त होता है।
उत्तर:
ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से ग्लूकोनिक अम्ल प्राप्त होता है।
HOOC – (CHOH)4 – CH2OH

प्रश्न 8.
α- ग्लूकोस और ß – ग्लूकोस में विशेषतः क्या अंतर है? ग्लूकोस की पायरैनोस संरचना से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
α-ग्लूकोस तथा ß- ग्लूकोस में C1 पर उपस्थित हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह के विन्यास में भिन्नता होती है। α – ग्लूकोस में यह -OH समूह दायीं ओर (नीचे की तरफ ) जबकि ß-ग्लूकोस में यह बायीं ओर (ऊपर की तरफ) स्थित होता है इसलिए C1 कार्बन को ऐनोमरी कार्बन कहते हैं।

ग्लूकोस की ये संरचनाएँ विषमचक्रीय यौगिक पाइरैन के समान होती हैं अतः इन्हें पाइरैनोस संरचना कहते हैं।

प्रश्न 9.
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को किस प्रकार का आहार देना चाहिए?
(ii) ग्लूकोस की ऐसी अभिक्रियाएँ दीजिए जिससे यह सिद्ध होता है कि-
(A) ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।
(B) ग्लूकोन में ऐल्डिहाइड समूह पाया जाता है।
(iii) एन्जाइम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को विटामिन B1 (थायमीन) युक्त आहार जैसे हरी सब्जियाँ, दालें तथा दूध इत्यादि देना चाहिए।

(ii)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 22
ग्लूकोस की HI से क्रिया द्वारा n हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।

(B) ग्लूकोस का दुर्बल ऑक्सीकारक जैसे ब्रोमीन जल से ऑक्सीकरण कराने पर ग्लूकोनिक अम्ल बनता है। इससे सिद्ध होता है कि ग्लूकोस में ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 23
(iii) सजीवों में होने वाली जैव रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले जैव उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहते हैं। जैसे – माल्टेस एन्जाइम की उपस्थिति में माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।

प्रश्न 10.
(अ) DNA की द्विकुंडलनी संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
(ब) हमारे शरीर में विटामिन C संचित नहीं हो सकता है। कारण दीजिए।
(स) ग्लूकोस से कैसे प्राप्त करेंगे? (केवल समीकरण दीजिए)
(i) ग्लूकोनिक अम्ल
(ii) n-हैक्सेन।
उत्तर:
(अ) DNA की द्विकुंडलिनी संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 24

(ब) विटामिन C जल में विलेय होता है अतः यह हमारे शरीर में संचित नहीं हो सकता क्योंक यह जलीय विलयन के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।

(स) (i) ग्लूकोस से ग्लूकोनिक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 25
(ii) ग्लूकोस से n-हैक्सेन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 26

प्रश्न 11.
(अ) सूक्रोस का हावर्थ सूत्र लिखिए।
(ब) सूक्रोस एक अनपचायी शर्करा है। क्यों?
उत्तर:
उत्तर:
(अ) सूक्रोस (C12H12O11) का हावर्थ सूत्र निम्न प्रकार होता है-
इसमें α- ग्लूकोस के C1 तथा ß – फ्रक्टोज के C2 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बन्ध होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 27

(ब) सूक्रोस में उपस्थित ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस के अपचायक समूह ग्लाइकोसाइडी बन्ध बना लेते हैं अतः यह एक अनअपचायी शर्करा है।

प्रश्न 12.
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन का नाम लिखिए।
(b) श्रीमती अनुराधा के घर में सहायक शान्ति एक दिन फर्श को पोंछते हुए अचानक बेहोश होकर गिर गई। श्रीमती अनुराधा शीप्र ही उसे निकट के अस्पताल में ले गई जहाँ बताया गया कि शान्ति को अत्यधिक रक्त की कमी हो गयी है। डॉक्टर ने उसके लिए लोह धारक भोजन और बहु विटामिनी गोलियाँ लिख दीं। औषधि खरीदने में श्रीमती अनुराधा ने उसकी आर्थिक सहायता की। एक माह पश्चात् निदान कराने पर शान्ति को साधारण बताया गया।

उपर्युक्त लेख को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) श्रीमती अनुराधा ने किन मूल्यों का परिचय दिया ?
(ii) उस विटामिन का नाम बताइए जिसके अभाव में शान्ति को ‘हानिकारक रक्त अभाव’ (प्रणांशी रक्ताल्पता) हुआ।
(iii) जलविलेय विटामिन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन को पेप्टाइड बन्धन कहते हैं।
(b) (i) श्रीमती अनुराधा ने मानवता का परिचय दिया जो कि दयालु, बुद्धिमान तथा दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य के प्रति भी सजग है।
(ii) विटामिन B12
(iii) विटामिन C

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 13.
(i) स्टार्च का कौनसा घटक जल में विलेय होता है?
(ii) कौनसे विटामिन की कमी से रात्रि अंधता रोग उत्पन्न होता है?
(iii) उस क्षारक का नाम बताइए जो केवल RNA के न्युक्लिओटाइड में पाया जाता है।
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन बनता है, इससे ग्लूकोस की संरचना के बारे में क्या जानकारी प्राप्त होती है?
उत्तर:
(i) ऐमिलोस
(ii) विटामिन-A
(iii) यूरेसिल
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस में सभी छः कार्बन परमाणु सीधी श्रृंखला में होते हैं।

प्रश्न 14.
वह रासायनिक अभिक्रिया लिखिए जिससे ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
उत्तर:
ग्लूकोस, हाइड्रॉक्सिल ऐमीन (NH2OH) के साथ अभिक्रिया करके एक ऑक्सिम देता है। इस अभिक्रिया से ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह ( HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 28

प्रश्न 15.
विटामिन A, B, C और D को जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर वर्गीकृत कर उनकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) वसा विलेय विटामिन-ये विटामिन वसा तथा तेल में विलेय होते हैं लेकिन जल में अविलेय होते हैं। ये विटामिन A तथा D हैं। ये यकृत तथा ऐडिपोस ऊतक में संग्रहित रहते हैं अतः इनका उत्सर्जन नहीं होता है।

(ii) जल विलेय विटामिन-ये विटामिन जल में विलेय होते हैं। ये विटामिन B तथा C हैं। ये मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। इस कारण हमारे शरीर में संचित नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 16.
मोनोसैकैराइड क्या होते हैं?
उत्तर:
मोनोसैकैराइड वे कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिनको और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता है। इनका सामान्य सूत्र C2H2nOn होता है। यहाँ n = 3 से 7. उदाहरण – ग्लूकोस, फ्रक्टोस तथा राइबोस।

प्रश्न 17.
प्रोटीन के विकृतिकरण को एक उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब प्राकृतिक प्रोटीन के ताप तथा pH में परिवर्तन किया जाता है तो उसमें उपस्थित हाइड्रोजन बन्धों की व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण प्रोटीन की गोलिका खुल जाती है तथा हैलिक्स अकुंडलित हो जाती है अतः प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता खो देता है, इसे प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं। उदाहरण-अंडे को उबालने पर उसमें उपस्थित सफेदी का स्कंदन।

प्रश्न 18.
(i) निम्नलिखित में कौनसा एक डाइसैकेराइड है : स्टार्च, माल्टोस, फ्रक्टोस, ग्लूकोस
(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड और क्षारीय ऐमीनो ऐसिड में क्या अन्तर है?
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज का नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) माल्टोस एक डाइसैकेराइड है।

(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जबकि क्षारीय ऐमीनो ऐंसिड में कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है। उदाहरण-अम्लीय ऐमीनो ऐसिड-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 29
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज को फॉस्फोडाइएस्टर बंधन कहते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु Read More »