Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1.
ऊर्जा का मात्रक नहीं है-
(a) बाट
(b) किलोवाट घण्टा
(c) जूल
(d) इलेक्ट्रॉन बोल्ट
उत्तर:
(a) बाट
प्रश्न 2.
स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान-
(a) नियत रहता है
(b) घटता रहता है
(c) बढ़ता रहता है।
(d) शून्य रहता है।
उत्तर:
(c) बढ़ता रहता है।
प्रश्न 3.
चित्र में वेग समय चक्र दर्शाया गया है। बल द्वारा C से D तक किया गया कार्य होगा-
(a) धनात्मक
(b) शन्य
(c) ऋणात्मक
(d) अनन्त
उत्तर:
(b) शन्य
प्रश्न 4.
यदि एक बल को किसी पिण्ड पर लगाने से उस पिण्ड को वेग प्राप्त होता है तो शक्ति होगी-
(a) F/V
(b) FV²
(c) FV
(d) E/V²
उत्तर:
(c) FV
प्रश्न 5.
एक लड़का दूरी तक सिर पर वजन रखकर ढोता है उसे अधिकतम कार्य करना पड़ता है जब वह वस्तु को लेकर
(a) खुरदरे क्षैतिज सतह पर चलता है।
(b) चिकनी क्षैतिज सतह पर चलता है।
(c) नत तल पर चलता है
(d) ऊर्ध्व तल पर ऊपर चलता है।
उत्तर:
(d) ऊर्ध्व तल पर ऊपर चलता है।
प्रश्न 6.
एक बॉक्स को फर्श से उठाकर किसी टेबिल पर रख देते हैं। हमारे द्वारा बॉक्स पर किया गया कार्य निर्भर करता है-
(a) बॉक्स को रखने में विभिन्न पथों पर
(b) हमारे द्वारा लिये गये स्थान पर
(c) हमारे भार पर
(d) बॉक्स से भार पर
उत्तर:
(d) बॉक्स से भार पर
प्रश्न 7.
किसी निकाय पर संरक्षी आन्तरिक बल द्वारा किये गये कार्य का ऋणात्मक मान तुल्य होता है-
(a) कुल ऊर्जा में परिवर्तन के
(b) गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के
(c) स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन के
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन के
प्रश्न 8.
किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो उसके संवेग में प्रतिशत वृद्धि होगी-
(a) 0.05%
(b) 0.1%
(c) 1.0%
(d) 10%
उत्तर:
(a) 0.05%
प्रश्न 9.
राशियाँ जो किसी टक्कर में नियत रहती है-
(a) संवेग, गतिज ऊर्जा तथा ताप
(b) संवेग, लेकिन गतिज ऊर्जा तथा ताप नहीं
(c) संवेग, गतिज ऊर्जा लेकिन ताप नहीं
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) संवेग, लेकिन गतिज ऊर्जा तथा ताप नहीं
प्रश्न 10.
दो स्प्रिंगों के बल नियतांक व 2 हैं। उनमें समान खिंचाव x उत्पन्न किया जाता है। इनकी प्रत्यास्थ ऊर्जा E व E2 हो तो E1 व E2 का अनुपात होगा-
(a) \(\frac{k_1}{k_2}\)
(b) \(\frac{k_2}{k_1}\)
(c) \(\frac{\sqrt{k_2}}{\sqrt{k_1}}\)
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) \(\frac{k_1}{k_2}\)
प्रश्न 11.
पिण्ड पर किया गया कार्य निर्भर नहीं करता है-
(a) आरोपित बल पर
(b) पिण्ड की प्रारम्भिक चाल पर
(c) बल व विस्थापन के मध्य कोण पर
(d) विस्थापन पर
उत्तर:
(b) पिण्ड की प्रारम्भिक चाल पर
प्रश्न 12.
यदि किसी पिण्ड का संवेग दुगना कर दिया जाये तो गतिज ऊर्जा में वृद्धि होगी-
(a) 400%
(b) 200%
(c) 300%
(d) 50%
उत्तर:
(c) 300%
प्रश्न 13.
m व 4m द्रव्यमान के दो अणुओं की गतिज ऊर्जा समान है। उनमें रेखीय संवेग का अनुपात होगा-
(a) 1 : 4
(b) 4 : 1
(c) 1 : 2
(d) 1 : √2
उत्तर:
(c) 1 : 2
प्रश्न 14.
एक पिण्ड समान वेग से चलता हुआ दूसरे समान द्रव्यमान के स्थिर पिण्ड से द्विविमीय टक्कर करता है। टक्कर के पश्चात् दोनों के मध्य कोण होगा-
(a) 450
(b) 90°
(c) 60°
(d) 30°
उत्तर:
(b) 90°
प्रश्न 15.
m द्रव्यमान की गोली 1 वेग से क्षैतिज दिशा में दागी जाती है। यह गोली m द्रव्यमान के रेत के थैले में धँस जाती है। टक्कर के कारण रेत के थैले का वेग होगा-
(a) \(\frac{mu}{M+m}\)
(b) \(\frac{m}{(M+m)u}\)
(c) \(\frac{mM}{(M+m)u}\)
(d) o
उत्तर:
(a) \(\frac{mu}{M+m}\)
प्रश्न 16.
पूर्णत: प्रत्यास्थ टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक ९ का मान होता है-
(a) 1
(b)0
(c) ∞
(d) – 1
उत्तर:
(a) 1
प्रश्न 17.
एक रेलगाड़ी को रोकने के लिए समान मन्दन बल लगाया जाता है। यदि चाल दोगुनी कर दी जाये तो दूरी होगी-
(a) समान
(b) दो गुनी
(c) आधी
(d) चार गुनी
उत्तर:
(d) चार गुनी
प्रश्न 18.
एक गेंद 5 मीटर ऊँचाई से गिरकर 1.8 मीटर ऊँचाई तक उछलती है, उछलने के पश्चात् तथा पूर्व गेंद के वेगों का अनुपात होगा –
(a) \(\frac{4}{5}\)
(b) \(\frac{1}{5}\)
(c) \(\frac{2}{5}\)
(d) \(\frac{3}{5}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{3}{5}\)
प्रश्न 19.
यदि \(\vec{F}=(20 \hat{i}+15 \hat{j}-5 \hat{k}) \mathrm{N} \text { तथा } \vec{v}=(6 \hat{i}-4 \hat{j}+3 \hat{k}) \mathrm{m} / \mathrm{s}\) है तो तात्क्षणिक शक्ति होगी-
(a) 35 W
(b) 25 W
(c) 90 W
(d) 45 W
उत्तर:
(d) 45 W
प्रश्न 20.
√Ek में खींचा गया वक्र है-
(E = गतिज ऊर्जा तन्त्र, p = रेखीय संवेग)
उत्तर:
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions)
प्रश्न 1.
गुरुत्व के विरुद्ध किसी मनुष्य द्वारा किया गया कार्य कितना होगा, यदि वह समतल में चल रहा हो ?
उत्तर:
∵ W =F.d cos θ
समतल में चलने पर θ = 90° और F = mg
तो W = mg × cos 90°
या W = 0
प्रश्न 2.
एक मनुष्य 10kg के भार को 1 min तक अपने कन्धों पर उठाये रखता है। मनुष्य द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
W = F.d
यहाँ d = 0
W = 0
प्रश्न 3.
क्या यांत्रिक ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है?
उत्तर:
नहीं; केवल विलगित निकाय की यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है जबकि असंरक्षी बल शून्य हो।
प्रश्न 4.
घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में कौन-सी ऊर्जा संचित होती है? घड़ी चलते रहने पर यह ऊर्जा कौन-सी ऊर्जा में परिवर्तित होती है?
उत्तर:
घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में उसकी स्थितिज ऊर्जा के रूप में ऊर्जा एकत्र होती है। घड़ी के चलते रहने पर यहीं स्थितिज ऊर्जा सुइयों की गतिज ऊर्जा में बदलती है।
प्रश्न 5.
क्या किसी निकाय के संवेग में परिवर्तन किये बिना गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ; निकाय के कणों का कुल संवेग अपरिवर्तित रहेगा परन्तु उसके कणों के अलग-अलग संवेग बदल सकते हैं और फलस्वरूप गतिज ऊर्जा में परिवर्तन हो सकता है।
प्रश्न 6.
क्या किसी कण की गतिज ऊर्जा परिवर्तित किये बिना इसका संवेग परिवर्तित किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ; एक समान वृत्तीय गति में कण की चाल नियत होने से उसकी गतिज ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है लेकिन प्रति क्षण वेग की दिशा बदलने से संवेग परिवर्तित होगा।
प्रश्न 7.
क्या किसी पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर में सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा क्षय हो सकती है?
उत्तर:
हाँ जब एक स्प्रिंग को दबाते हैं या वस्तु खुरदरे तल पर नियत वेग से खींची जाये।
प्रश्न 8.
संरक्षी बलों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
गुरुत्वीय बल स्प्रिंग बल ।
प्रश्न 9.
असंरक्षी बलों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
घर्षण बल श्यान बल ।
प्रश्न 10.
आइन्स्टीन का द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
E = mc²
जहाँ m = ऊर्जा में बदलने वाला द्रव्यमान
एवं c = प्रकाश की चाल = 3 × 100 ms-1
प्रश्न 11.
क्या किसी वस्तु की (EU) राशि ऋणात्मक हो सकती है? यहाँ E कुल ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा है।
उत्तर:
नहीं, क्योंकि राशि (EU) कुल गतिज ऊर्जा को व्यक्त करती है और गतिज ऊर्जा ऋणात्मक नहीं हो सकती है।
प्रश्न 12.
क्या किसी वस्तु पर बाह्य बल लगाये बिना निकाय की गतिज ऊर्जा परिवर्तित की जा सकती है?
उत्तर:
हाँ, जैसे बम विस्फोट में।
प्रश्न 13.
क्या रेखीय संवेग सदैव संरक्षित रहता है?
उत्तर:
नहीं; रेखीय संवेग केवल विलगित निकाय (Isolated System) में ही संरक्षित रहता है।
प्रश्न 14.
क्या किसी वस्तु पर बिना गतिज ऊर्जा परिवर्तन के बल लगाया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ; जब एक स्प्रिंग को दबाते हैं या वस्तु खुरदरे तल पर नियत वेग से खींची जाये।
प्रश्न 15.
पानी में एक हवा का बुलबुला ऊपर उठता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा घटेगी।
प्रश्न 16.
ऋणात्मक कार्य का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि विस्थापन बल के विपरीत है अर्थात् कार्य बल के विरुद्ध किया गया।
प्रश्न 17.
1 kWh में जूल (J) की संख्या लिखिए।
उत्तर:
1 kWh = 36 × 106 J
प्रश्न 18.
खिंची हुई स्प्रिंग की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा का मान कितना है?
उत्तर:
U(x) = \(\frac{1}{2}\) kx²
प्रश्न 19.
क्या यांत्रिक ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है?
उत्तर:
नहीं; केवल विलगित निकाय की यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है, जब आन्तरिक असंरक्षी बल शून्य हो।
प्रश्न 20.
जब संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है, तो पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा घटती है।
प्रश्न 21.
धनात्मक कार्य के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
घोड़े द्वारा गाड़ी खींचना गिरते हुए पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कृत कार्य
प्रश्न 22.
एक व्यक्ति अपने हाथ में सूटकेस लिए हुए प्लेटफार्म पर खड़ा है, क्या वह कोई कार्य कर रहा है?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि विस्थापन शून्य है।
प्रश्न 23.
1 जूल में कितने अगं होते हैं?
उत्तर:
1 जूल 107 अर्ग
प्रश्न 24.
नाभिक के चारों ओर घूमते इलेक्ट्रॉन में स्थितिज ऊर्जा होती है अथवा नहीं?
उत्तर:
ऋणात्मक विद्युत् स्थितिज ऊर्जा होती है।
प्रश्न 25.
ऊर्जा के चार रूप लिखिए।
उत्तर:
ऊष्मीय ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा और प्रकाश ऊर्जा।
प्रश्न 26.
माचिस की तीली जलाने पर तीली से कौन-सी ऊर्जा ऊष्मा में बदलती है?
उत्तर:
रासायनिक ऊर्जा ऊष्मा में बदलती है।
प्रश्न 27.
किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर:
ऊर्जा।
प्रश्न 28.
जब किसी वस्तु का ताप बढ़ता है तो उसकी आन्तरिक ऊर्जा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर:
आन्तरिक ऊर्जा बढ़ती है।
प्रश्न 29.
कमान से छोड़े गये तीर में गतिज ऊर्जा होती है, तीर को वह गतिज ऊर्जा कहाँ से मिलती है?
उत्तर:
तीर और कमान निकाय की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जो तीर को मिल जाती है।
प्रश्न 30.
क्या पूर्ण अप्रत्यास्थ संघट्ट में निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जा क्षय हो जाती है?
उत्तर:
नहीं; केवल उतनी ही गतिज ऊर्जा का क्षय होता है जितनी कि संवेग संरक्षण के लिए आवश्यक होती है।
प्रश्न 31.
प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ संघट्ट में से किसमें संवेग संरक्षित रहता है और किसमें यांत्रिक ऊर्जा ?
उत्तर:
प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ दोनों ही प्रकार के संघट्टों में संवेग संरक्षित रहता है लेकिन यांत्रिक ऊर्जा केवल प्रत्यास्थ संघट्ट में संरक्षित रहती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
प्रश्न 1.
शून्य कार्य, धनात्मक कार्य एवं ऋणात्मक कार्य के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) शून्य कार्य –
∵ W = F.s.cos θ
यदि θ = 90° तो cos θ = 0 अत: W = 0
उदाहरण के लिए – वृत्तीय पथ पर गतिशील पिण्ड पर अभिकेन्द्रीय बल द्वारा कृत कार्य शून्य होता है।
धनात्मक कार्य – W=Fs.cos θ जब 80° तो cos 9 = 1 अतः W – F. अर्थात् कार्य धनात्मक होगा।
उदाहरण के लिए – जब कोई व्यक्ति किसी भार को ऊपर उठाता है तो व्यक्ति द्वारा कृत कार्य धनात्मक होता है।
ऋणात्मक कार्य – जब 0-180° तो cos81. अतः WFs अर्थात् कार्य ऋणात्मक होगा।
उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति किसी भार को ऊपर उठाता है तो गुरुत्वीय बल द्वारा कृत कार्य ऋणात्मक (-mgh) होता है।
प्रश्न 2.
किसी बन्दूक से गोली दागी जाती है, तो बन्दूक एवं गोली में से किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
∵ Ek = \(\frac{p^{2}}{2m}\)
या Ek ∝ \(\frac{1}{m}\) यदि p का मान नियत है।
∵ गोली एवं बन्दूक के संवेग परिमाण में समान होते हैं अतः गोली की गतिज ऊर्जा अधिक होगी क्योंकि इसका द्रव्यमान कम होता है।
प्रश्न 3.
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह ऊर्जा जो किसी पिण्ड में उसकी गति के कारण होती है. गतिज ऊर्जा कहलाती है और इसकी माप उस कार्य से की जाती है, जो शून्य वेग की अवस्था से उस वेग की अवस्था तक लाने में करना पड़ता है। 1 वेग की अवस्था में
K = \(\frac{1}{2}\) v²
प्रश्न 4.
तोप से दागा गया गोला ऊपर जाकर वायु में फट जाता है। संवेग तथा गतिज ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
जब गोला फटता है तो संवेग संरक्षित रहता है लेकिन गतिज ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 5.
गतिज ऊर्जा एवं संवेग में सम्बन्ध बताइये और इसकी सहायता से बताइये कि यदि हल्के एवं भारी पिण्डों के संवेग समान हैं तो किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा,
\(K_i=\frac{1}{2} m v^2=\frac{m^2 v^2}{2 m}=\frac{p^2}{2 m}\)
या \(K=\frac{p^2}{2 m}\)
यदि P का मान नियत है, तो K ∝ \(\frac{1}{m}\)
स्पष्ट है कि हल्के पिण्ड ( कम द्रव्यमान m) की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।
प्रश्न 6.
कार्य निर्देश तन्त्र पर किस प्रकार निर्भर करता है? समझाइये।
उत्तर:
कार्य, निर्देश तन्त्र पर निर्भर करता है क्योंकि निर्देश तन्त्र परिवर्तित होने से विस्थापन परिवर्तित हो जाता है। जैसे-यदि किसी बॉक्स जिसका द्रव्यमान है, को कोई व्यक्ति सिर पर रखकर ऊँचाई तक ले जाता है, तो व्यक्ति के सापेक्ष बॉक्स का विस्थापन शून्य होता है। अतः व्यक्ति के सापेक्ष कार्य शून्य होगा, लेकिन प्लेटफार्म पर खड़े व्यक्ति के लिए इसका मान Www.gh होता है क्योंकि प्लेटफार्म पर खड़े व्यक्ति के लिए बॉक्स का विस्थापन है।
प्रश्न 7.
स्थितिज ऊर्जा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
ऊर्जा एवं ऊर्जा के रूप (Energy and Types of Energy) :
ऊर्जा एक विशेष प्रचलित शब्द है अर्थात् बिना ऊर्जा के कोई भी कार्य करना सम्भव नहीं है। मनुष्य इसे खाना खाकर, दूध पीकर, फल खाकर, फलों एवं सब्जियों का जूस पीकर ग्रहण करता है।
किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा गति के कारण कार्य करने की क्षमता पायी जाती है। “वस्तु द्वारा कार्य की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते है।’ किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है, जितना कि वह कर सकती है जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे। ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है।
जब कोई वस्तु या पिण्ड कार्य करता है तो उसकी ऊर्जा घटती हैं। किसी भी ऊर्जा की माप उस कार्य से होती है जो वह शून्य ऊर्जा वाली स्थिति में आने तक करती है। स्पष्ट है कि वस्तु द्वारा किया गया अधिकतम कार्य ही ऊर्जा की माप है।
ऊर्जा के वही मात्रक होते हैं जो कार्य के होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल (J) होता है। ऊर्जा के अन्य मात्रक किलोवार घण्टा kWh तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) होते हैं।
1 kWh = 10³ × 1 Watt × 1 hour = 10³ J.s-1 × 3600 s
या 1 kWh = 3.6 × 106 J
1 eV = 1.6 × 10-19 C × 1 J.C-1
या 1 eV = 1.6 × 10-19 J
स्थितिज ऊर्जा की अवधारणा
(Concept of Potential Energy)
किसी कण या पिण्ड या तन्त्र की वह ऊर्जा है जो उसकी स्थिति या अभिविन्यास के कारण होती है, स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
यह धनात्मक या ऋणात्मक हो सकती है। स्थितिज ऊर्जा सदैव सम्पूर्ण निकाय की होती है।
प्रतिकर्षण बलों के कारण स्थितिज ऊर्जा का मान धनात्मक तथा आकर्षण बलों के कारण स्थितिज ऊर्जा का मान ऋणात्मक होता है।
जब कणों के बीच लगने वाला बल आकर्षण होता है तो उनके बीच दूरी बढ़ाने पर स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है और जब कणों के बीच लगने वाला बल प्रतिकर्षण होता है तो उनके बीच की दूरी बढाने पर स्थितिज ऊर्जा घटती है।
आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बलों के प्रभाव में स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन चित्र 6.9 में दर्शाया है।
प्रश्न 8.
संरक्षी बलों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संरक्षी तथा असंरक्षी बल
(Conservative and Non-conservative Forces)
प्रथम परिभाषा-जब किसी कण पर एक या एक एक से अधिक
बल इस प्रकार कार्य करते हैं कि कण की अपनी प्रारम्भिक अवस्था में लौटने पर वही गतिज ऊर्जा रहती है, जो प्रारिम्भक अवस्था में थी, तो ये बल संरक्षी बल कहलाते है। गतिज ऊर्जा के मान में कमी होने पर बलों को असंरक्षी बल कहते हैं।
द्वितीय परिभाषा : वे बल जिनके द्वारा पिण्ड को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता है, संरक्षी बल कहलाते है। अर्थात् पथों 1,2 व 3 के लिये
W1 = W2 = W3
उदाहरणार्थ – गुरुत्वीय बल, प्रत्यास्थ बल आदि।
इसके विपरीत जिन बलों के प्रभाव में वस्तुऐं एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक विस्थापित करनें में कृत कार्य पथ पर निर्भर करता है, असंरक्षी बल कहलाते हैं अर्थात् इनके लिए
W1 ≠ W2 ≠ W3
उदाहरण के लिए – घर्षण बल, श्यान बल आदि।
तृतीय परिभाषा : किसी बल को किसी कण पर लगाने से एक एक पूर्ण चक्कर में बल द्वारा सम्पन्न कार्य शून्य हो तो बल को संरक्षी बल कहते हैं। यदि कुल कार्य का परिमाण शून्य नहीं है तो बल को असंरक्षी कहते हैं।
संरक्षी तथा असंरक्षी बलों के उदाहरण
(i) गुरुत्वीय बल संरक्षी बल है : यदि एक गेंद को पृथ्वी की सतह पर कुछ गतिज ऊर्जा देकर ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाए तो कुछ समय पश्चात वह पुन: पृथ्वी पर लौट आती है तथा उसकी गतिज ऊर्जा वही होती है जितनी ऊपर की ओर फेकते समय थी।
(ii) स्प्र्रग का प्रत्यास्थ बल संरक्षी बल है : माना पिण्ड द्रव्यमान रहित स्प्रिग के सिरे से जुड़ा है। स्प्रिग का दूसरा सिरा एक दीवार से जुड़ा है। स्प्रिग तथा गुटके का यह निकाय एक घर्षण रहित चिकने क्षैतिज धरातल पर रखा है। गुर्युके को दीवार की ओर कुछ विस्थापित करने पर स्प्रिग संपीडित होती है। स्प्रिग प्रत्यास्थता के कारण गुटके के विस्थापन के विपरीत दिशा में एक प्रत्यानयन बल आरोपित करती है। जिससे गुटका स्थिर हो जायेगा तथा उसकी गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। अब संपीडित स्प्रिग विपरीत दिशा में प्रसारित होता है जिससे गुटका पूर्व गति के विपरीत दिशा में गतिशील होता है। जब गुटका अपनी प्रारस्भिक स्थिति में पहुँचता है तो उसका वेग तथा गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक मान के बराबर होते हैं। अतः परिवर्तन के पूर्ण चक्र में गुटके की गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इससे स्पष्ट होता है कि स्प्रिग का प्रत्यास्थ बल संरक्षी बल होता है।
(iii) घर्षण बल एवं श्यान बल : यदि क्षैतिज तल चिकना न हो अर्थात् घर्षण युक्त हो या गेंद पर वायु प्रतिरोधी श्यान बल करें तो गुटके या गेंद के प्रारम्भिक अवस्था में लौटकर आने पर उनकी गतिज ऊर्जा परिवर्तित हो जायेगी। स्पष्ट है कि घर्षण बल तथा श्यान बल असंरक्षी बल होते हैं।
प्रश्न 9.
टक्कर के लिए न्यूटन का नियम लिखिए।
उत्तर:
संघट्ट या टक्कर (Collision) :
किन्हीं दो पिण्ड़ों के मध्य अल्प समय के लिए पारस्परिक क्रिया (mutual interaction) का होना जिसके द्वारा पिण्ड़ों के संवेग तथा ऊर्जाएँ बदल जायें, संघट्ट कहलाता हैं अर्थात् “जब एक पिण्ड दूसरे पिण्ड की ओर गति करता है तो समीप आने अथवा अन्योन्य क्रिया के कारण उनकी गति में परिवर्तन होता है तो इस प्रक्रिया को संघट्ट या टक्कर कहते है।”
मुख्य तथ्य-
1. टक्कर में दो पिण्डों का परस्पर सम्पर्क में आना आवश्यक नहीं है। साधारणतः दो स्थूल पिण्ड टक्कर में एक-दूसरे को स्पर्श करते हैं। परन्तु सूक्ष्म कणों की टक्कर में उनके बीच स्पर्श नहीं होता है। उदाहरणार्थ-किसी गेंद तथा बल्ले के बीच टक्कर में स्पर्श होता हैं परन्तु नाभिक द्वारा α-कण के प्रकीर्णन में कोई स्पर्श नहीं होता है।
2. टक्कर की प्रक्रिया में पिणड़ों के रेखीय संवेगों में पुनर्वितरण होता हैं लेकिन कुल संवेग संरक्षित रहता है।
3. टक्कर में कुल ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है।
4. यदि एक टक्कर में टकराने वाले कण टक्कर से पूर्ण तथा टक्कर के पश्चात् एक ही सरल रेखा के अनुदिश गतिशील हों, तो इसे सम्मुख टक्कर (Head on collision) कहते है। वे टक्कर एक विमीय कहलाती है, जबकि यदि टक्कर करने वाली वस्तुओं के वेग एक रेखा के अनुदिश नहीं होने तथा टक्कर से पूर्व और पश्चात् एक ही तल में स्थित होने पर टक्कर द्विविमीय कहलाती है। इसे तिर्यक टक्कर (Oblique collision) भी कहते हैं।
प्रश्न 10.
किसी वस्तु के संवेग में 50% की वृद्धि करें तो उसकी गतिज ऊर्जा में कितनी वृद्धि हो जायेगी ?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा एवं संवेग में सम्बन्ध
प्रश्न 11.
तिर्यक टक्कर किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि टक्कर करने वाली वस्तुओं के वेग एक रेखा के अनुदिश नहीं होते हैं और टक्कर के पूर्व तथा पश्चात् एक ही तल में होते हैं। तो इस टक्कर को द्विविमीय टक्कर या तिर्यक टक्कर कहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
प्रश्न 1.
कार्य किसे कहते हैं? परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य किस प्रकार ज्ञात करते हैं? समझाइये।
उत्तर:
अनुच्छेद 6.2 व 6.5 का अवलोकन कीजिए।
कार्य (Work) :
साधारण भाषा में कार्य शब्द किसी भी क्रिया को व्यक्त करता है जिसमें भौतिक या शारीरिक रूप से कोई कार्य सम्मिलित होता है। भौतिकी में कार्य का अर्थ अलग है। यदि किसी पिण्ड पर बल लगाया जाये और वह पिण्ड बल की दिशा में विस्थापित हो तो कहा जाता है कि कार्य किया गया है।
6.5. परिवर्तो बल के द्वारा किया गया कार्य (Work Done by Variable Force)
परिवर्ती बल की स्थिति में माना बिन्दु P पर बल \(\vec{F}\) द्वारा \(\vec{d} r\) विस्थापन देने में कृत कार्य
\(d W=\vec{F} \cdot \overrightarrow{d r}\)
या dW = Fdr cos θi …….(1)
यहाँ θi बिन्दु P पर \(\vec{F}\) व \(\vec{d}\) r के मध्य कोण है। \(\vec{d} r \)का मान इतना अत्यल्प है कि इस विस्थापन के लिये \(\vec{F}\) को नियत मान सकते हैं। इस प्रकार अल्प विस्थापन d r के संगत किया गया कार्य d W है। इस प्रकार सम्पूर्ण दूरी \(A \rightarrow B\) के लिये कृत कार्य ज्ञात करने के लिये सम्पूर्ण दूरी को अल्पांशों \(\Delta \overrightarrow{r_1}, \Delta \overrightarrow{r_2} \ldots\). इत्यादि में बाँट लेते हैं। ये अल्पांश इतने अल्प होने चाहिये कि इनके संगत बल को नियत माना जा सके। यदि इन अल्पांशों के संगत बलों के मान क्रमश: \(\vec{F}_1, \vec{F}_2, \vec{F}_3, \ldots\) इत्यादि हों, तो सम्पूर्ण विस्थापन में किया गया कार्य
प्रश्न 2.
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं? सिद्ध करें कि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा mp” होती है? कार्य-कर्जा प्रमेय को समझाते हुए इसे व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर;
ऊर्जा एवं ऊर्जा के रूप (Energy and Types of Energy) :
ऊर्जा एक विशेष प्रचलित शब्द है अर्थात् बिना ऊर्जा के कोई भी कार्य करना सम्भव नहीं है। मनुष्य इसे खाना खाकर, दूध पीकर, फल खाकर, फलों एवं सब्जियों का जूस पीकर ग्रहण करता है।
किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा गति के कारण कार्य करने की क्षमता पायी जाती है। “वस्तु द्वारा कार्य की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते है।’ किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है, जितना कि वह कर सकती है जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे। ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है।
जब कोई वस्तु या पिण्ड कार्य करता है तो उसकी ऊर्जा घटती हैं। किसी भी ऊर्जा की माप उस कार्य से होती है जो वह शून्य ऊर्जा वाली स्थिति में आने तक करती है। स्पष्ट है कि वस्तु द्वारा किया गया अधिकतम कार्य ही ऊर्जा की माप है।
ऊर्जा के वही मात्रक होते हैं जो कार्य के होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल (J) होता है। ऊर्जा के अन्य मात्रक किलोवार घण्टा kWh तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) होते हैं।
1 kWh = 10³ × 1 Watt × 1 hour = 10³ J.s-1 × 3600 s
या 1 kWh = 3.6 × 106 J
1 eV = 1.6 × 10-19 C × 1 J.C-1
या 1 eV = 1.6 × 10-19 J
कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem)
कथन-
” किसी बल द्वारा क्षैतिज तल पर एक वस्तु को विस्थापित करने में कृत कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है।’ अर्थात्
W = ∆K
नियत बल के लिए कार्य-ऊर्जा प्रमेय-माना कोई कण जिसका द्रव्यमान m है, किसी क्षण प्रारम्भिक वेग \(\vec{u}\) से गतिमान है। अब यदि कोई बल \(\vec{F}\) उस पर गति की दिशा में लगाने से वस्तु का s दूरी तय करने के बाद अन्तिम वेग \(\vec{v}\) हो जाता है तथा वस्तु में उत्पन्न त्वरण \(\vec{a}\) है, तो गति के तृतीय नियम को सदिश रूप से लिखने पर
अत: किसी वस्तु पर लगाये गये कुल बल द्वारा सम्पन्न कार्य, वस्तु की दो विशिष्ट अवस्थाओं में विद्यमान गतिज ऊर्जाओं के अन्तर के बराबर होता है। यही कार्य-ऊर्जा प्रमेय है। स्पष्ट है कि-
(i) यदि W > 0 तो (Kf – Ki) >0 या Kf > Ki अर्थात् यदि सम्पन्न कार्य धनात्मक है तो अन्तिम गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा से अधिक होगी।
(ii) यदि W < 0 तो (Kf – Ki) < 0 या Kf < Ki अर्थात् यदि सम्पन्न कार्य ऋणात्मक है तो अन्तिम गतिज ऊर्जा प्रारिम्भक गतिज ऊर्जा से कम होगी।
परिवर्ती बल के अन्तर्गत कार्य ऊर्जा प्रमेय –
गतिज ऊर्जा \(K=\frac{1}{2} m v^2\)
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन की दर
इस प्रकार परिवर्ती बल के लिए कार्य-ऊर्जा प्रमेय सिद्ध होती है। वास्तव में यह न्यूटन के द्वितीय का समालकन रूप है।
प्रश्न 3.
ऊर्जा किसे कहते हैं? यांत्रिक ऊर्जा कितने प्रकार की होती है? यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण गुणत्व के अधीन स्वतंत्रतापूर्वक गिरते पिण्ड का उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
ऊर्जा एवं ऊर्जा के रूप (Energy and Types of Energy) :
ऊर्जा एक विशेष प्रचलित शब्द है अर्थात् बिना ऊर्जा के कोई भी कार्य करना सम्भव नहीं है। मनुष्य इसे खाना खाकर, दूध पीकर, फल खाकर, फलों एवं सब्जियों का जूस पीकर ग्रहण करता है।
किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा गति के कारण कार्य करने की क्षमता पायी जाती है। “वस्तु द्वारा कार्य की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते है।’ किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है, जितना कि वह कर सकती है जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे। ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है।
जब कोई वस्तु या पिण्ड कार्य करता है तो उसकी ऊर्जा घटती हैं। किसी भी ऊर्जा की माप उस कार्य से होती है जो वह शून्य ऊर्जा वाली स्थिति में आने तक करती है। स्पष्ट है कि वस्तु द्वारा किया गया अधिकतम कार्य ही ऊर्जा की माप है।
ऊर्जा के वही मात्रक होते हैं जो कार्य के होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल (J) होता है। ऊर्जा के अन्य मात्रक किलोवार घण्टा kWh तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) होते हैं।
1 kWh = 10³ × 1 Watt × 1 hour = 10³ J.s-1 × 3600 s
या 1 kWh = 3.6 × 106 J
1 eV = 1.6 × 10-19 C × 1 J.C-1
या 1 eV = 1.6 × 10-19 J
यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mechanical Energy) :
संरक्षी बलों (Conservative forces) की उपस्थिति में किसी पिण्ड अथवा निकाय की यात्त्रिक ऊर्जा अर्थात् गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है। यही यान्त्रिक ऊर्जा के संरक्षण का नियम है।
हम जानते हैं कि किसी निकाय पर संरक्षी बल लगाने पर उसके विन्यास में परिवर्तन होता है और इस निकाय की गतिज ऊर्जा ∆K से बदल जाती है। संरक्षी बल की परिभाषा के अनुसार निकाय की स्थितिज ऊर्जा में भी बराबर व विपरीत मात्रा में परिवर्तन होना चाहिए, जिससे कि दोनों परिवर्तनों का योग शून्य हो जाये अर्थात्
∆U = -∆K
या ∆U + ∆K = 0
या U + K = नियतांक ……………(1)
अत: संरक्षी बलों की उपस्थिति में किसी निकाय की गतिज ऊर्जा K में परिवर्तन, निकाय की स्थितिज ऊर्जा U में बराबर व विपरीत परिवर्तन के तुल्य होता है और गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।
यह नियम असंरक्षीय बल (अर्थात् क्षयकारी बल) जैसे-घर्षण बल के लिए लागू नहीं होता है क्योंकि असंरक्षी बलों (Non conservative forces) के कारण यान्त्रिक ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि, ऊष्मा, प्रकाश या अन्य प्रकार की ऊर्जाओं में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 4.
स्प्रिंग नियतांक वाली एक प्रत्यास्थ स्प्रिंग को x दूरी तक संपीडित किया जाता है, दशांइये कि स्थितिज ऊर्जा \(\frac{1}{2}\)Kx² होती है।
उत्तर:
यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mechanical Energy) :
संरक्षी बलों (Conservative forces) की उपस्थिति में किसी पिण्ड अथवा निकाय की यात्त्रिक ऊर्जा अर्थात् गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है। यही यान्त्रिक ऊर्जा के संरक्षण का नियम है।
हम जानते हैं कि किसी निकाय पर संरक्षी बल लगाने पर उसके विन्यास में परिवर्तन होता है और इस निकाय की गतिज ऊर्जा ∆K से बदल जाती है। संरक्षी बल की परिभाषा के अनुसार निकाय की स्थितिज ऊर्जा में भी बराबर व विपरीत मात्रा में परिवर्तन होना चाहिए, जिससे कि दोनों परिवर्तनों का योग शून्य हो जाये अर्थात्
∆U = -∆K
या ∆U + ∆K = 0
या U + K = नियतांक ……………(1)
अत: संरक्षी बलों की उपस्थिति में किसी निकाय की गतिज ऊर्जा K में परिवर्तन, निकाय की स्थितिज ऊर्जा U में बराबर व विपरीत परिवर्तन के तुल्य होता है और गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।
यह नियम असंरक्षीय बल (अर्थात् क्षयकारी बल) जैसे-घर्षण बल के लिए लागू नहीं होता है क्योंकि असंरक्षी बलों (Non conservative forces) के कारण यान्त्रिक ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि, ऊष्मा, प्रकाश या अन्य प्रकार की ऊर्जाओं में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि दो समान द्रव्यमान की एक ही रेखा में गतिशील गेंदों के मध्य होने वाली प्रत्यास्थ टक्कर में गेंदे अपने वेगों को परस्पर बदल लेती हैं।
उत्तर:
एक विमीय प्रत्यास्थ टक्कर (One Dimensional Elastic Collision) :
माना चित्र में m1 व m2 द्रव्यमान के दो पिण्ड क्रमशः \(\overrightarrow{u_1}\) व \overrightarrow{u_2}[/latex] नियत वेगों \(\left(\vec{u}>\overrightarrow{u_2}\right)\) से एक सरल रेखा में चलते हुए प्रत्यास्थ रूप से टकराते हैं और टक्कर के बाद के उसी दिशा में क्रमश: \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) वेग से गति करते हैं।
प्रत्यास्थ टक्कर में ऊर्जा एवं संवेग दोनों संरक्षित रहते हैं। अतः संवेग संरक्षण के नियम से-
इस प्रकार एक विमीय सम्मुख प्रत्यास्थ टक्कर में टक्कर के पूर्व कणों के समीप आने का आपेक्षिक वेग (u1 – u2) टक्कर के पश्चात् उनके दूर जाने के आपेक्षिक वेग (v2 – v1) के बराबर होता है अत: इस टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक
प्रश्न 6.
दो विमीय टक्कर का वर्णन कीजिए। इस प्रकार की टक्कर में कणों के अन्तिम वेग किस प्रकार ज्ञात किये जाते हैं?
उत्तर:
द्विविमीय टक्कर अथवा तिर्यक टक्कर (Two Dimensional Collision or Oblique Collision) :
टक्कर के पश्चात् यदि टकराने वाली वस्तुओं के वेग एक रेखा के अनुदिश नहीं रहते तथा टक्कर के पूर्व व पश्चात् उनके तल समान रहते हैं तो इस प्रकार की टक्कर को द्विविमीय टक्कर कहते हैं। इसे तिर्यक टक्कर (oblique collision) भी कहते हैं।
चित्र में माना m1 द्रव्यमान का पिण्ड u1 वेग से चलते हुये m2 द्रव्यमान के स्थिर पिण्ड (u2 = 0) से टकराता है और टक्कर के पश्चात् वे मूल दिशा से क्रमशः θ व ϕ कोणों पर समान तल में गति करते हैं। अतः सदिश निरुपण में
प्रश्न 7.
बल विस्थापन ग्राफ की सहायता से कार्य का आंकलन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
परिवर्तो बल के द्वारा किया गया कार्य (Work Done by Variable Force)
परिवर्ती बल की स्थिति में माना बिन्दु P पर बल \(\vec{F}\) द्वारा \(\vec{d} r\) विस्थापन देने में कृत कार्य
\(d W=\vec{F} \cdot \overrightarrow{d r}\)
या dW = Fdr cos θi …….(1)
यहाँ θi बिन्दु P पर \(\vec{F}\) व \(\vec{d}\) r के मध्य कोण है। \(\vec{d} r \)का मान इतना अत्यल्प है कि इस विस्थापन के लिये \(\vec{F}\) को नियत मान सकते हैं। इस प्रकार अल्प विस्थापन d r के संगत किया गया कार्य d W है। इस प्रकार सम्पूर्ण दूरी \(A \rightarrow B\) के लिये कृत कार्य ज्ञात करने के लिये सम्पूर्ण दूरी को अल्पांशों \(\Delta \overrightarrow{r_1}, \Delta \overrightarrow{r_2} \ldots\). इत्यादि में बाँट लेते हैं। ये अल्पांश इतने अल्प होने चाहिये कि इनके संगत बल को नियत माना जा सके। यदि इन अल्पांशों के संगत बलों के मान क्रमश: \(\vec{F}_1, \vec{F}_2, \vec{F}_3, \ldots\) इत्यादि हों, तो सम्पूर्ण विस्थापन में किया गया कार्य
प्रश्न 8.
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम क्या है? प्रत्यास्थ स्प्रिंग लोलक का उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mechanical Energy) :
संरक्षी बलों (Conservative forces) की उपस्थिति में किसी पिण्ड अथवा निकाय की यात्त्रिक ऊर्जा अर्थात् गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है। यही यान्त्रिक ऊर्जा के संरक्षण का नियम है।
हम जानते हैं कि किसी निकाय पर संरक्षी बल लगाने पर उसके विन्यास में परिवर्तन होता है और इस निकाय की गतिज ऊर्जा ∆K से बदल जाती है। संरक्षी बल की परिभाषा के अनुसार निकाय की स्थितिज ऊर्जा में भी बराबर व विपरीत मात्रा में परिवर्तन होना चाहिए, जिससे कि दोनों परिवर्तनों का योग शून्य हो जाये अर्थात्
∆U = -∆K
या ∆U + ∆K = 0
या U + K = नियतांक ……………(1)
अत: संरक्षी बलों की उपस्थिति में किसी निकाय की गतिज ऊर्जा K में परिवर्तन, निकाय की स्थितिज ऊर्जा U में बराबर व विपरीत परिवर्तन के तुल्य होता है और गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।
(B) प्रत्यास्थ स्प्रिंग में यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण (Mechanical energy consevnation in elastic spring):
स्प्रिग बल भी संरक्षी परिवर्ती बल का उदाहरण है। चित्र में एक स्प्रिग जिसका बल नियतांक k है, दर्शाया है जिसका दूसरा सिरा किसी दृढ़ दीवार से जुड़ा है। स्प्रिग को द्रव्यमान रहित माना जा सकता है। स्प्रिग के लिए आदर्श स्थिति में बल का नियम निम्न है-
इसे हुक का नियम भी कहते हैं।
(i) जब गुटके को बाहर की ओर खींचते हैं तो विस्थापन x है। स्प्रिग बल द्वारा किया गया कार्य
\(W=\int_0^x F_x d x=-\int_0^x k x d x\)
\(W=-\frac{k x^2}{2}\)
यदि स्प्रिग को संपीडित किया जाता है तब भी उपर्युक्त व्यंजक सत्य है। परन्तु इस स्थिति में स्प्रिग बल धनात्मक होता है।
किस स्प्रिग के गुटके को xi से पुन: xi तक आने दिया जाए तो किया गया कार्य
\(W=-\int_{x_i}^{x_i} k x d x=0\)
अर्थात् पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य होगा। अत: स्प्रिग बल एक संरक्षी बल है।
जब स्प्रिग को x दूरी संपीडित किया जाता है तो स्थितिज ऊर्जा
\(U_{(x)}=\frac{1}{2} k x^2\)
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण के नियम से गुटके की चाल v हो तो गतिज ऊर्जा साम्यावस्था (xm = 0) पर अधिकतम होगी।
\(K=\frac{1}{2} m v_m^2=\frac{1}{2} k x_m^2\)
प्रश्न 9.
संरक्षी व असंरक्षी बलों से क्या अभिप्राय है? समझाकर लिखिए।
उत्तर:
संरक्षी तथा असंरक्षी बल (Conservative and Non-conservative Forces) :
प्रथम परिभाषा-जब किसी कण पर एक या एक एक से अधिक-
बल इस प्रकार कार्य करते हैं कि कण की अपनी प्रारम्भिक अवस्था में लौटने पर वही गतिज ऊर्जा रहती है, जो प्रारिम्भक अवस्था में थी, तो ये बल संरक्षी बल कहलाते है। गतिज ऊर्जा के मान में कमी होने पर बलों को असंरक्षी बल कहते हैं।
द्वितीय परिभाषा : वे बल जिनके द्वारा पिण्ड को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता है, संरक्षी बल कहलाते है। अर्थात् पथों 1,2 व 3 के लिये
W1 = W2 = W3
उदाहरणार्थ – गुरुत्वीय बल, प्रत्यास्थ बल आदि।
इसके विपरीत जिन बलों के प्रभाव में वस्तुऐं एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक विस्थापित करनें में कृत कार्य पथ पर निर्भर करता है, असंरक्षी बल कहलाते हैं अर्थात् इनके लिए
W1 ≠ W2 ≠ W3
उदाहरण के लिए – घर्षण बल, श्यान बल आदि।
तृतीय परिभाषा : किसी बल को किसी कण पर लगाने से एक एक पूर्ण चक्कर में बल द्वारा सम्पन्न कार्य शून्य हो तो बल को संरक्षी बल कहते हैं। यदि कुल कार्य का परिमाण शून्य नहीं है तो बल को असंरक्षी कहते हैं।
संरक्षी तथा असंरक्षी बलों के उदाहरण
(i) गुरुत्वीय बल संरक्षी बल है : यदि एक गेंद को पृथ्वी की सतह पर कुछ गतिज ऊर्जा देकर ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाए तो कुछ समय पश्चात वह पुन: पृथ्वी पर लौट आती है तथा उसकी गतिज ऊर्जा वही होती है जितनी ऊपर की ओर फेकते समय थी।
(ii) स्प्र्रग का प्रत्यास्थ बल संरक्षी बल है : माना पिण्ड द्रव्यमान रहित स्प्रिग के सिरे से जुड़ा है। स्प्रिग का दूसरा सिरा एक दीवार से जुड़ा है। स्प्रिग तथा गुटके का यह निकाय एक घर्षण रहित चिकने क्षैतिज धरातल पर रखा है। गुर्युके को दीवार की ओर कुछ विस्थापित करने पर स्प्रिग संपीडित होती है। स्प्रिग प्रत्यास्थता के कारण गुटके के विस्थापन के विपरीत दिशा में एक प्रत्यानयन बल आरोपित करती है। जिससे गुटका स्थिर हो जायेगा तथा उसकी गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। अब संपीडित स्प्रिग विपरीत दिशा में प्रसारित होता है जिससे गुटका पूर्व गति के विपरीत दिशा में गतिशील होता है। जब गुटका अपनी प्रारस्भिक स्थिति में पहुँचता है तो उसका वेग तथा गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक मान के बराबर होते हैं। अतः परिवर्तन के पूर्ण चक्र में गुटके की गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इससे स्पष्ट होता है कि स्प्रिग का प्रत्यास्थ बल संरक्षी बल होता है।
(iii) घर्षण बल एवं श्यान बल : यदि क्षैतिज तल चिकना न हो अर्थात् घर्षण युक्त हो या गेंद पर वायु प्रतिरोधी श्यान बल करें तो गुटके या गेंद के प्रारम्भिक अवस्था में लौटकर आने पर उनकी गतिज ऊर्जा परिवर्तित हो जायेगी। स्पष्ट है कि घर्षण बल तथा श्यान बल असंरक्षी बल होते हैं।
प्रश्न 10.
शक्ति से आप क्या समझते हैं? इसके मात्रक की परिभाषा कीजिए।
उत्तर:
शक्ति (Power) :
“किसी मशीन या यन्त्र द्वारा कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।”
यदि यन्त्र द्वारा ∆t समय में कृत कार्य ∆W है, तो औसत शक्ति
अर्थात् बल तथा वेग का अदिश गुणनफल शक्ति प्रदान करता है। यदि θ = 0° अर्थात् बल एवं वेग समान दिशा में है, तो
cos θ = 1
∴ P = F.v
मात्रक एवं विमीय सूत्र-मात्रक :
∵ P = F.v = \(\frac{W}{t}\)
∴ P का मात्रक = \(\frac{J}{s}\) = वाट (Watt)
यदि W = 1 J, t = 1 s, तो P = 1 वाट
अर्थात् यदि कोई मशीन 1 s में 1 J कार्य करती है तो उसकी शक्ति 1 वाट होती है।
विद्युत् उपकरणों में शक्ति किलोवाट (kwatt) में नापी जाती है।
∴ 1 kW = 1000 Js-1 या वाट
व्यवहारिक मात्रक अश्वशक्ति (H.P.) = 746 वाट
विमीय सूत्र ∵ P = \(\frac{W}{t}\)
∴ P का विमीय सूत्र = \(\frac{\left[\mathrm{M}^1 \mathrm{~L}^2 \mathrm{~T}^{-2}\right]}{\left[\mathrm{T}^1\right]}=\left[\mathrm{M}^1 \mathrm{~L}^2 \mathrm{~T}^{-3}\right]\)
प्रश्न 11.
प्रत्यावस्थान गुणांक से क्या अभिप्राय है? विभिन्न प्रकार की टक्करों के लिए इसके मानों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रत्यावस्थान गुणांक (Coefficient of Restitution):
“न्यूटन के अनुसार टक्कर के पश्चात् कणों के दूर आने आपेक्षिक वेग तथा टक्कर के पूर्व उनके समीप आने के आपेक्षिक वे का अनुपात नियत रहता है। यह नियतांक प्रत्यावस्थान गुणां कहलाता है।” इसे e से व्यक्त करते हैं।
अत: \(e=\frac{v_2-v_1}{u_1-u_2}\)
या \(\left(v_2-v_1\right)=e\left(u_1-u_2\right)\)
जहाँ v2 – v1= टक्कर के पश्चात् दूर जाने का आपेक्षिक वेग u1 – u1 = टक्कर के पूर्व समीप आने का आपेक्षिक वेग
e का मान शून्य से 1 के मध्य होता है अर्थात् 0 ≤ e ≤ 1
e का मान के आधार पर टक्करों के प्रकार-
- प्रत्यास्थ टक्कर के लिए e = 1
- अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए 0 < e < 1
- पूर्ण अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए e = 0
सुमेलन सम्बन्धित प्रश्न (Matrix Match Type Questions)
प्रश्न 1.
स्तम्भ I में कुछ राशियाँ एवं स्तम्भ II में उनके दिये गये हैं। स्तम्भ I को स्तम्भ II से सुमेलित कीजिए।
स्तम्भ – I | स्तम्भ – II |
(A) किसी बल द्वारा कृत कार्य | (p) शून्य |
(B) गतिज ऊर्जा एवं संवेग में सम्बन्ध | (q) 1 |
(C) प्रत्यास्थ टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक का मान | (r) p = √2mk |
(D) पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक का मान | (s) \(\vec{F} \cdot \vec{s}\) |
(t) \(\int_{x_1}^{x_2} F d x\) |
उत्तर:
स्तम्भ – I | स्तम्भ – II |
(A) किसी बल द्वारा कृत कार्य | (s) \(\vec{F} \cdot \vec{s}\), (t) \(\int_{x_1}^{x_2} F d x\) |
(B) गतिज ऊर्जा एवं संवेग में सम्बन्ध | (r) p = √2mk |
(C) प्रत्यास्थ टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक का मान | (q) 1 |
(D) पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए प्रत्यावस्थान गुणांक का मान | (p) शून्य |
आंकिक प्रश्न (Numerical Questions )
कार्य पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी निकाय पर तीन बल है \(\vec{F}_1=(2 \hat{i}+3 \hat{j}+4 \hat{k})\); \(\vec{F}_2=(\hat{i}+\hat{j}+\hat{k})\) तथा \(\vec{F}_3=(3 \hat{i}-2 \hat{j}-\hat{k})\) एक ही दिशा में कार्य कर रहे हैं। ये यल निकाय को बिन्दु (2, 3, 6) से बिन्दु (5, 3, 8) तक विस्थापित कर देते हैं। इस स्थिति में बल द्वारा किये गये कार्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
26 मात्रक
प्रश्न 2.
नियत बल के अन्तर्गत गतिमान एक कण के विस्थापन तथा समय के बीच सम्बन्ध √x + 3 है, जहाँ x मीटर में एवं सेकण्ड में है। ज्ञात कीजिए-
(i) कण का उस क्षण विस्थापन जब इसका वेग शून्य है,
(ii) पहले 65 में बल द्वारा किया गया कार्य।
उत्तर:
(i) शून्य
(ii) शून्य
प्रश्न 3.
एक स्प्रिंग जिसका बल नियतांक है, हुक के नियम का पालन करती है। इसको मूल लम्बाई से 10 cm खींचने में 4 जूल कार्य की आवश्यकता होती है। गणना करें-
(i) A का मान,
(ii) इसे अतिरिक्त 10 cm लम्बाई तक खींचने में कृत कार्य।
उत्तर:
(i) 800 Nmal,
(ii) 123
प्रश्न 4.
एक 6 kg का पत्थर जिसका घनत्व 2g .cm-3 है, पानी में डूबा हुआ है। इसे पानी के अन्दर 4m गहराई से 1 m की गहराई तक उठाने में किये गये कार्य की गणना कीजिए ।
उत्तर:
90 J
ऊर्जा पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 5.
चित्र में ABC एक चिकना वक्रीय पथ है जिसका 8 से आगे का भाग त्रिज्या के उर्ध्व वृत्त के रूप में है। इस पथ पर एक गेंद को किस न्यूनतम ऊँचाई से छोड़ा जाये कि वह पथ के सम्पर्क में रहते हुए उच्चतम बिन्दु C को पार कर ले?
उत्तर:
h = (\(\frac{5}{2}\)) r
प्रश्न 6.
एक गेंद 10m की ऊंचाई से प्रारम्भिक वेग μ0 से नीचे की ओर फेंकी जाती है। यह पृथ्वी से टकराने पर 50% ऊर्जा खो देती है। तथा फिर उसी ऊँचाई तक उठती है। ज्ञात कीजिए-
(i) प्रारम्भिक वेग μ0
(ii) यदि प्रारम्भिक स्थिति नीचे न होकर ऊपर को हो तो पृथ्वी से टकराने के बाद गेंद कितनी ऊपर उठेगी?
उत्तर:
(i) 14 ms-1
(ii) 10 m
प्रश्न 7.
एक 50 kg भार का व्यक्ति एक 15 kg भार की वस्तु को अपने सिर पर उठाता है। यदि वह 20 m की दूरी तय करता है, तो उसके द्वारा किया गया कार्य ज्ञात कीजिए-
(a) क्षैतिज तल पर;
(b) 5 में 1 से झुके हुए तल पर [ g = 10 ms-2]
उत्तर:
(a) शून्य
(b) 2600 J
शक्ति पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 8.
एक पेट्रोल चालित पानी का पम्प, 30m गहराई से 0.50m³ min-1 की दर से पानी खींचता है। यदि पम्प की दक्षता 70% है, तो इंजन द्वारा जनित शक्ति ज्ञात कीजिए। (g = 10 ms-2 तथा पानी का घनत्व 10³ kg ):
उत्तर:
3500 वाट
प्रश्न 9.
एक ट्यूबवेल प्रति मिनट 2400 kg पानी खींचता है। यदि पाइप से पानी 3 ms-1 के वेग से बाहर निकलता है तो पम्प की शक्ति ज्ञात कीजिए 10 घण्टे में पम्प कितना कार्य करता है? (g = 10 ms-2 )।
उत्तर:
180 W; 6.48 × 106 J
प्रश्न 10.
एक मोटर वोट 36 km hr-1 की नियत चाल से गतिशील है। यदि नाव की गति के विरुद्ध प्रतिरोध 4000 N है, तो इंजन की शक्ति ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
40 kW
संघट्ट पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 11.
10 kg द्रव्यमान के एक पिण्ड की जिसका वेग 5ms-1 है। एक अन्य 10 kg द्रव्यमान के अन्य पिण्ड से जो विरामावस्था में है, सम्मुख प्रत्यास्थी टक्कर होती है। टक्कर के बाद दोनों पिण्डों के वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
v1 = 0, v2 = 5 ms-1
प्रश्न 12.
एक प्रोटॉन 500 ms-1 के वेग से गति करते हुए दूसरे प्रोटॉन से जो विरामावस्था में है, प्रत्यास्थ संघट्ट करता है। संघ के पश्चात् पहला प्रोटॉन अपनी प्रारम्भिक गति की दिशा से 60° कोण पर प्रकीर्णित हो जाता है। दूसरे प्रोटॉन की संघट्ट के बाद गति की दिशा क्या होगी ? संघट्ट के पश्चात् दोनों प्राटोंनों की चाल क्या होगी ?
उत्तर:
प्रथम प्रोटॉन की प्रारम्भिक गति की दिशा से 30° कोण पर; 250 ms-1 व 433 ms-1