HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions )

प्रश्न 1.
ध्वनि तीव्रतम चलती है-
(a) वायु में
(b) जल में
(c) निर्वात में
(d) स्टील में
उत्तर:
(d) स्टील में

प्रश्न 2.
न्यूटन द्वारा दिये गये ध्वनि की चाल के सूत्र में लाप्लास संशोधन की आवश्यकता पड़ी क्योंकि गैस में ध्वनि तरंगें-
(a) अनुदैर्घ्य हैं
(b) समतापीय रूप में चलती हैं।
(c) रुद्धोष्म रूप में चलती हैं।
(d) अधिक तरंगदैर्घ्य की हैं।
उत्तर:
(c) रुद्धोष्म रूप में चलती हैं।

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प्रश्न 3.
समान ताप पर गैस में ध्वनि की चाल अधिकतम होगी-
(a) H में
(b) N में
(c) O में
(d) सभी में बराबर ।
उत्तर:
(a) H में

प्रश्न 4.
ध्वनि की चाल निर्भर नहीं करती है-
(a) आर्द्रता पर
(b) ताप पर
(c) दाब पर
(d) इनमें से किसी पर नहीं।
उत्तर:
(c) दाब पर

प्रश्न 5.
एक तनी हुई डोरी का तनाव बढ़ाकर चार गुना कर देने पर उसमें अनुप्रस्थ तरंग की चाल हो जाएगी-
(a) चार गुनी
(b) आठ गुनी
(c) दो गुनी
(d) आधी
उत्तर:
(c) दो गुनी

प्रश्न 6.
किसी गैस में उत्पन्न ध्वनि तरंगें होती हैं-
(a) अनुप्रस्थ
(b) अनुदैर्घ्य
(c) अप्रगामी
(d) विद्युत् चुम्बकीय।
उत्तर:
(b) अनुदैर्घ्य

प्रश्न 7.
सितार के तार में किस प्रकार के कम्पन्न उत्पन्न होते हैं-
(a) प्रगामी अनुप्रस्थ
(b) प्रगामी अनुदैर्घ्य
(c) अप्रगामी अनुप्रस्थ
(d) अप्रगामी अनुदैर्घ्य
उत्तर:
(c) अप्रगामी अनुप्रस्थ

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प्रश्न 8.
श्रोता, किस वेग से ध्वनि स्रोत की ओर चले कि उसकी आभासी आवृत्ति दुगुनी हो जाये, ध्वनि का वेग है-
(a) v
(b) v/2
(c) 2v
(d) 3v
उत्तर:
(a) v

प्रश्न 9.
अप्रगामी तरंगों में प्रस्पन्दों पर घनत्व –
(a) अधिकतम
(b) न्यूनतम
(c) अधिकतम परावर्तन
(d) न्यूनतम परिवर्तन।
उत्तर:
(d) न्यूनतम परिवर्तन।

प्रश्न 10.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग का वेग निर्भर नहीं करता है-
(a) घनत्व
(b) त्रिज्या
(c) तनाव
(d) लम्बाई
उत्तर:
(d) लम्बाई

प्रश्न 11.
ध्वनि की चाल किसमें अधिकतम होगी-
(a) पानी में
(b) लोहे में
(c) हवा में
(d) निर्वात में
उत्तर:
(d) निर्वात में

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प्रश्न 12.
जब ताप बढ़ता है तो आर्गन पाइप की आवृत्ति
(a) घट जाती है
(b) बढ़ जाती है
(c) स्थिर रहती है
(d) शून्य हो जाती है।
उत्तर:
(b) बढ़ जाती है

प्रश्न 13.
डॉप्लर प्रभाव लागू नहीं होता है-
(a) श्रव्य तरंगों के लिये
(b) पराश्रव्य तरंगों के लिए
(c) विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिए
(d) प्रघाती तरंगों के लिए।
उत्तर:
(d) प्रघाती तरंगों के लिए।

प्रश्न 14.
जब किसी स्वरित्र को कम्पित किया जाता है तो इसकी दोनों भुजाओं के कम्पनों में कलान्तर-
(a) शून्य
(b) π
(c) \(\frac{π}{2}\)
(d) \(\frac{π}{4}\)
उत्तर:
(b) π

प्रश्न 15.
एक 4 मीटर लम्बा तार अपने सिरे पर लगे 300 Hz के कम्पित के द्वारा कम्पनशील है तार चार खण्डों में कम्पन कर रहा है। तार में अनुप्रस्थ तरंगों की चाल है-
(a) 150 ms-1
(b) 300 ms-1
(c) 600 ms-1
(d) 200 ms-1
उत्तर:
(c) 600 ms-1

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प्रश्न 16.
l तथा 2l लम्बाइयों वाले एक ही पदार्थ के बने समान त्रिज्या के दो तार क्रमशः 100 Hz तथा 150 Hz आवृत्ति के कम्पन करते हैं, उन पर लगे तनावों का अनुपात है-
(a) 1:9
(b) 3:2
(c) 2:3
(d) 1:3
उत्तर:
(a) 1:9

प्रश्न 17.
450 हर्ट्ज की ध्वनि देने वाली एक सीटी एक स्थिर श्रोता की ओर 33 मी/से की चाल से आ रही है। वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है श्रोता द्वारा सुनी गई आवृत्ति हज में है-
(a) 409
(b) 429
(c) 517
(d) 500
उत्तर:
(c) 517

प्रश्न 18.
ध्वनि के डॉप्लर प्रभाव लागू होने की प्रमुख शर्त है-
(a) vs > v
(b) vs = v
(c) vs < V
(d) vs = ∞
उत्तर:
(b) vs = v

प्रश्न 19.
यदि आवृत्ति का ध्वनि स्रोत किसी स्थिर श्रोता से दूर v वेग से जा रहा हो तो श्रोता को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति होगी-
(a) \(\text { n. } \frac{\left(v-v_s\right)}{v}\)
(b) \(\text { n. } \frac{\left(v+v_s\right)}{2}\)
(c) \(\text { n. } \frac{\left(v-v_s\right)}{2}\)
(d) \(\text { n. } \frac{v}{\left(v+v_s\right)}\)
उत्तर:
(d) \(\text { n. } \frac{v}{\left(v+v_s\right)}\)

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प्रश्न 20.
एक गतिमान ध्वनि स्रोत के पीछे खड़े एक स्थिर श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति सुनाई देगी-
(a) मूल आवृत्ति से अधिक
(b) मूल आवृत्ति के बराबर
(c) मूल आवृत्ति से कम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) मूल आवृत्ति से कम

प्रश्न 21.
एक स्थिर ध्वनि खोत की ओर एक श्रोता एकसमान वेग से गति कर रहा है। श्रोता द्वारा सुनी गई आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति के सापेक्ष होगी-
(a) कम
(b) अधिक
(c) समान
(d) कुछ भी हो सकती है।
उत्तर:
(b) अधिक

प्रश्न 22.
एक तारा पृथ्वी से दूर जा रहा है पृथ्वी पर प्रेक्षक को तारे की तरंगदैर्घ्य प्रतीत होगी-
(a) घटी हुई
(b) बढ़ी हुई
(c) अपरिवर्तित
(d) गिरती हुई।
उत्तर:
(d) गिरती हुई।

प्रश्न 23.
यदि आवृत्ति का एक ध्वनि स्रोत v/4 वेग से प्रेक्षक की तरफ गति करे तथा प्रेक्षक v/5 वेग से स्रोत की ओर गति करे तो आभासी आवृत्ति होगी-
(a) \(\frac{5}{8}\) n
(b) \(\frac{8}{5}\) n
(c) \(\frac{7}{5}\) n
(d) \(\frac{5}{7}\) n
उत्तर:
(b) \(\frac{8}{5}\) n

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी गैस में ध्वनि की चाल का न्यूटन का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए ।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{P}{d}}\) जहाँ P→ दाब, d → घनत्व

प्रश्न 2.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1.0 किमी की दूरी पर कान लगाकर बैठे एक दूसरे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। कारण बताइए।
उत्तर:
एक ध्वनि तरंग वायु में संचरित होकर तथा दूसरी ध्वनि तरंग रेल की पटरी से होकर श्रोता के कानों तक पहुँचती है। इसलिए दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।

प्रश्न 3.
किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के प्रत्यास्थता गुणांक E तथा घनत्व पर निर्भर करती है। ध्वनि की चाल का सूत्र E तथा d के पदों में लिखिए ।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{E}{d}}\)

प्रश्न 4.
वायु का ताप 1°C बढ़ाने पर उसमें ध्वनि का वेग कितना बढ़ जाता है?
उत्तर:
वायु का ताप 1°C पर बढ़ाने से वायु में ध्वनि की चाल का मान 0.61 मी/सेकण्ड बढ़ जाता है।

प्रश्न 5.
तरंग गति में किसका स्थानान्तरण होता है ?
उत्तर:
तरंग गति में माध्यम के कम्पित कणों द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।

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प्रश्न 6.
एक तनी हुई डोरी की लम्बाई दुगुनी तथा तनाव चार गुना कर दें तो नई आवृत्ति व पूर्व आवृत्ति में क्या सम्बन्ध होगा ?
उत्तर:
n1 = \(\frac{1}{2l} \sqrt{\frac{T}{m}}\) तथा n2 = \(\frac{1}{2 \times 2 l} \sqrt{\frac{4 \mathrm{~T}}{m}}=\frac{2}{2} \times \frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
या n2 = n1

प्रश्न 7.
कोणीय आवृत्ति, कोणीय तरंग संख्या तथा तरंग वेग में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
ω = 2πn ⇒ n = \(\frac{ω}{2π}\)
संचरण वेग k = \(\frac{2π}{λ}\) ⇒ λ = \(\frac{2π}{k}\)
तरंग वेग v = nλ = \(\frac{ω}{2π} \times \frac{2π}{k}\)
या v = \(\frac{ω}{k}\)

प्रश्न 8.
माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकण्ड में किये गये कम्पनों की संख्या को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
आवृत्ति ।

प्रश्न 9.
एक कम्पन करने में लिया गया समय क्या कहलाता है?
उत्तर:
आवर्तकाल ।

प्रश्न 10.
तरंग वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
तरंग वेग v = nλ, जहाँ n = आवृत्ति λ = तरंगदैर्घ्य है।

प्रश्न 11.
वायु में मानक ताप व दाब पर ध्वनि का वेग कितना होता है ?
उत्तर:
मानक ताप व दाब पर वायु में ध्वनि का वेग = 332 ms-1.

प्रश्न 12.
किसी तरंग का आयाम यदि आधा कर दिया जाये तो उसकी तीव्रता में क्या परिवर्तन आएगा ?
उत्तर:
तरंग की तीव्रता I ∝ (आयाम)²
या I ∝ a² या I = ka²
जब आयाम = \(\frac{a}{2}\) तीव्रता
I’ ∝ \(\frac{a^2}{2}\) या I’ = \(\frac{1}{4}\) ka² = \(\frac{1}{4}\)
I’ = \(\frac{I}{4}\) अर्थात् तीव्रता पहले की चौथाई रह जायेगी।
∴ \(\frac{P}{d}=\frac{RT}{M}\) = नियतांक |

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प्रश्न 13.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल की सूत्र लिखिए ।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
जहाँ T डोरी का तनाव एवं m = डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान ।

प्रश्न 14.
एक पूर्णतः दृढ़ छड़ में ध्वनि का वेग कितना होता है ?
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) जहाँ Y = यंग प्रत्यास्थता गुणांक
तथा d = छड़ कर घनत्व ।

प्रश्न 15.
स्थिर ताप पर वायु का दाब चार गुना कर देने पर वायु में ध्वनि की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
कोई प्रभाव नहीं क्योंकि v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\) जिसमें दाब नहीं है।

प्रश्न 16.
ध्वनि तरंगों तथा ऊष्मीय तरंगों में क्या अन्तर है ?
उत्तर;
ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें’ हैं जबकि ऊष्मीय तरंगें ‘विद्युत् चुम्बकीय तरंगें’ हैं।

प्रश्न 17.
गैस, द्रव एवं ठोस माध्यमों में ध्वनि की चाल किसमें सबसे अधिक होगी ?
उत्तर:
ठोस माध्यम में; क्योंकि ठोसों के लिए v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) और Y का मान सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 18.
किसी गैस के अणुओं की वर्गमाध्य मूल चाल ” एवं उसी में ध्वनि की चाल के मध्य क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
\(\frac{v}{v_{r m s}}=\frac{\sqrt{\frac{\gamma \mathrm{RT}}{\mathrm{M}}}}{\sqrt{\frac{3 \mathrm{RT}}{\mathrm{M}}}}=\sqrt{\frac{\gamma}{3}}\)
∴ \(v=v_{r m s} \cdot \sqrt{\frac{\gamma}{3}}\)

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प्रश्न 19.
समान लम्बाई की रबर तथा स्टील की दो डोरियों में एक सिरे पर ध्वनि उत्पन्न की जाये तो किस डोरी से दूसरे सिरे पर ध्वनि खुले पहुँचेगी ?
उत्तर:
स्टील की डोरी में।

प्रश्न 20.
किसी बिन्दु पर तरंग की तीव्रता और उसके आयाम तथा आवृत्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
I = 2π²n²a²ρv
जहाँ I = तरंग की तीव्रता; n = आवत्ति; a = आयाम; ρ = माध्यम का घनत्व; v = तरंग की चाल ।

प्रश्न 21.
किसी प्रगामी तरंग का समीकरण y(x,t) = A sin (ωt – kx) है। इसका वेग कितना होगा ?
उत्तर:
दिया है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -1

प्रश्न 22.
कम्पन्न करते हुए किसी कण के कलान्तर तथा पथान्तर के बीच सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
पथान्तर के कारण कलान्तर
∆ϕ = \(\frac{2π}{λ}\) × ∆x
जहाँ ∆x = पथान्तर ।

प्रश्न 23.
समतल प्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
X- अक्ष की धनात्मक दिशा में प्रगामी तरंग का समीकरण
y = asin \(\frac{2π}{λ}\) (vt – x)
जहाँ a = आयाम; λ = तरंगदैर्घ्य; v = तरंग वेग

प्रश्न 24.
कलान्तर एवं समयान्तर में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
∆ϕ = \(\frac{2π}{λ}\) × ∆t
जहाँ T = आवर्तकाल; ∆t = समयान्तर।

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प्रश्न 25.
गैसों में उत्पन्न तरंगें किस प्रकार की होती हैं ?
उत्तर:
अनुदैर्घ्य तरंगें।

प्रश्न 26.
क्या द्रवों में अनुप्रस्थ तरंगें सम्भव हैं ?
उत्तर:
हीं; केवल द्रव के तल पर ।

प्रश्न 27.
गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें क्यों उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं ?
उत्तर:
क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है।

प्रश्न 28.
एक समतल प्रगामी तरंग का आयाम A मीटर, v वेग मीटर / सेकण्ड तथा आवृत्ति vHz है। इस तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
y = A sin2π (t – \(\frac{x}{t}\))

प्रश्न 29.
किस माध्यम से परावर्तित होने पर परावर्तित तरंग की कला परिवर्तित हो जाती है ?
उत्तर:
जब तरंग सघन माध्यम से परावर्तित होती है तो तरंग की कला में का परिवर्तन हो जाता है।

प्रश्न 30.
400 व 402 आवृत्ति के स्वरित्र एक साथ कम्पित कराने पर विस्पन्द की आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
विस्पन्द आवृत्ति n = n1 ~ n2 = 400 ~ 402
या n = 2 विस्पन्द / सेकण्ड ।

प्रश्न 31.
समान लम्बाई के खुले व बन्द ऑर्गन पाइपों की मूल आवृत्तियों का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर- खुले पाइप की मूल आवृत्ति n = \(\frac{v}{2l}\)
बन्द पाइप की मूल आवृत्ति n’ = \(\frac{v}{4l}\)
या n’ = \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{v}{2l}\) = \(\frac{1}{2}\)n
∴ \(\frac{n^{\prime}}{n}=\frac{1}{2}\) या \(\frac{n}{n^{\prime}}=\frac{2}{1}\)
∴ n : n’ = 2 : 1

प्रश्न 32.
खुले या बन्द ऑर्गन पाइप में से किसमें केवल विषम सनादी ही उत्पन्न हो सकती है ?
उत्तर:
बन्द आर्गन पाइप में।

प्रश्न 33.
माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
आयाम।

प्रश्न 34.
क्या अप्रगामी तरंगों के माध्यम से ऊर्जा स्थानान्तरण होता है ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 35.
अनुनादित वायु स्तम्भ में कौन-सी तरंगें उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर;
अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें ।

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प्रश्न 36.
एक प्रस्पन्द व उसके क्रमिक निस्पन्द के मध्य कितनी दूरी होती है?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -2
उत्तर:
एक प्रस्पन्द व उसके क्रमिक निस्पन्द के मध्य दूरी = \(\frac{λ}{4}\)

प्रश्न 37.
ध्वनि के वेग पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
v ∝ √T अर्थात् ताप बढ़ने पर ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। ताप के साथ परिवर्तन निम्न सूत्र से प्राप्त होता है-
vt = vo + 0.61t

प्रश्न 38.
कहा जाता है कि ध्वनि कम्पनों के कारण उत्पन्न होती है फिर सरल लोलक दोलनों की ध्वनि क्यों नहीं सुनाई देती है ?
उत्तर:
दोलनों की आवृत्ति कम (अपश्रव्य क्षेत्र में) होने के कारण सरल लोलक के दोलनों की ध्वनि सुनाई नहीं देती है।

प्रश्न 39.
अप्रगामी तरंगें बनने के लिए क्या बद्ध माध्यम होना आवश्यक है ?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 40.
अपग्रामी तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
y = 2a sin(\(\frac{2πx}{λ}\) cos (2πnt)
जहाँ a = अध्यारोपण करने वाली तरंगों के आयाम; λ = तरंगदैर्घ्य; n = आवृत्ति ।

प्रश्न 41.
आर्द्रता बढ़ने पर ऑर्गन पाइप से उत्पन्न स्वर की आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
आर्द्रता बढ़ने से वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है अतः पाइप की आवृत्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 42.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की मूल आवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
n = \(\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{T}{m}}\), जहाँ T = डोरी का तनाव l = डोरी की लम्बाई तथा m = डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान ।

प्रश्न 43.
अप्रगामी तरंग में किसी निस्पन्द एवं उसके तुरन्त बाद वाले प्रस्पन्द के बीच कितना कलान्तर होता है ?
उत्तर:
π/2

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प्रश्न 44.
सोनोमीटर से किसी स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात करने के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर:
\(\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{Mg}}{\pi r^2 \cdot d}}\)
जहाँ l = तार की लम्बाई; M = सोनोमीटर तार में तनाव लगाने के लिए लटकाया गया द्रव्यमान; r = तार की त्रिज्या; d = तार का घनत्व ।

प्रश्न 45.
किसी तार के तनाव को नौ गुना कर देने पर तरंग की चाल कितने गुना हो जायेगी ?
उत्तर:
∵ v a √T
∴ \(\frac{1}{2}\)
∴ v2 = 3v1

प्रश्न 46.
कम्पित स्वरित्र के प्रस्पन्दों एवं निस्पन्दों की स्थिति चित्र में प्रदर्शित कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -3
उत्तर:
कम्पित स्वरित्र के प्रस्यन्द एवं निस्पन्द संलग्न चित्र में दिखाए गये हैं।

प्रश्न 47.
स्वरित्र द्विभुज की पिच किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
पिच आवृत्ति पर निर्भर करती है और आवृत्ति स्वरित्र की लम्बाई के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती तथा मोटाई के अनुक्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 48.
सितार में भिन्न-भिन्न आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न होते हैं क्यों ?
उत्तर:
उत्पन्न अधिस्वरकों की भिन्नता के कारण।

प्रश्न 49.
डॉप्लर का प्रभाव ध्वनि तारत्व परिवर्तन के बारे में बताता है अथवा तीव्रता परिवर्तन के बारे में?
उत्तर:
तारत्व परिवर्तन के बारे में।

प्रश्न 50.
ध्वनि स्रोत तथा श्रोता एक-दूसरे के सापेक्ष स्थिर हैं। यदि ध्वनि की चाल बदल जाये तो श्रोता द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य में किसमें परिवर्तन नहीं होगा ?
उत्तर:
आवृत्ति में परिवर्तन नहीं होगा।

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प्रश्न 51.
एक ही दिशा में ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता समान वेग से चल रहे हैं। ध्वनि-स्रोत की आवृत्ति और श्रोता द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति का अनुपात बताइये।
उत्तर:
1:1 क्योंकि स्रोत एवं श्रोता के मध्य सापेक्ष गति नहीं होती है अतः आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति के बराबर होगी।

प्रश्न 52.
कम्पित स्वरित्र को यदि दीवार की ओर तेजी से ले जायें तो क्या श्रोता को विस्पन्द सुनाई देंगे ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर:
हाँ क्योंकि दीवार से परावर्तित ध्वनि की आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति से अधिक होगी।

प्रश्न 53.
यदि आप सड़क पर जा रहे हैं और कार पीछे से हॉर्न बजाती हुई आती है और क्रॉस करके निकल जाये तो आपको आवृत्ति में क्या परिवर्तन प्रतीत होगा ?
उत्तर:
कार के पास आते समय आवृत्ति बढ़ती हुई एवं क्रॉस करने बाद घटती हुई प्रतीत होगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अनुप्रस्थ एवं अनुदैर्घ्य तरंगों में क्या अन्तर है? लिखिये ।
उत्तर:

अनुदैर्घ्य तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें
1. जिन तरंगों के संचरण के समय माध्यम के कण संचरण दिशा के अनुदिश गति करते हैं, उन तरंगों को अनुदैर्घ्य तरंगें कहते हैं। 1. जब माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् गति करते हैं, उन तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं।
2. अनुदैर्घ्य तरंगें सम्पीडन एवं विरलन के रूप में गमन करती हैं। 2. अनुप्रस्थ तरंगें श्रंग एवं गर्त के रूप में आगे बढ़ती हैं।
3. अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण के लिए माध्यम सम्पीडन होना चाहिए। 3. अनुप्रस्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम दृढ़ अथवा असंपीड्य होना चाहिए।

प्रश्न 2.
तरंग के दक्षतापूर्ण संचरण हेतु माध्यम में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
उत्तर:
माध्यम में तरंग के दक्षतापूर्वक संचरण के लिए निम्न गुण देने चाहिए-

  1. माध्यम प्रत्यास्थ होना चाहिए ताकि विस्थापित कण अपनी माध्य स्थिति में लौट सके।
  2. माध्यम में जड़त्व का गुण होना चाहिए ताकि वह ऊर्जा को एकत्र कर सके।
  3. माध्यम का प्रतिरोध अल्प होना चाहिए ताकि कम्पित कण की ऊर्जा में क्षय न हो सके।

प्रश्न 3.
प्रत्यास्थ तरंगें किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
वे तरंगें जो प्रत्यास्थ माध्यम में उत्पन्न होती हैं, प्रत्यास्थ तरंगें कहलाती हैं। सभी यांत्रिक तरंगें प्रत्यास्थ तरंगों की श्रेणी में आती हैं क्योंकि इनके बनने एवं संचरण के लिए प्रत्यास्थ माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगों की परिभाषा बताइये और उनमें अन्तर लिखो ।
उत्तर:
प्रगामी तरंगें : वे तरंगें जिनके द्वारा ऊर्जा का संचरण होता हैं, प्रगामी तरंगें कहलाती है।
अप्रगामी तरंगें : वे तरंगें जिनके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है, बल्कि ये अपने ही स्थान पर बनती और बिगड़ती रहती हैं, उन्हें अप्रगामी तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 5.
तरंगों के अध्यारोपण से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

प्रश्न 6.
गैस में तरंग वेग व्यंजक हेतु लाप्लास संशोधन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र
(Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग $v$ घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8.1
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 7.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ कम्पन के नियम लिखिए।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल
(Velocity Of Transverse Wave In A Stretched String):
तनी हुई डोरी में विक्षोभ से अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है। अतः अनुप्रस्थ तरंग का वेग ज्ञात करने हेतु माना एक डोरी, जिसकी एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m है तथा तनाव T है, में एक विक्षोभ बायीं ओर से दायीं ओर वेग से गतिशील है। हम यह मान सकते हैं कि प्रेक्षक विक्षोभ की दिशा में समान वेग v से गतिशील है तो प्रेक्षक को स्पन्द स्थिर प्रतीत होगा तथा डोरी विपरीत दिशा में गति करती हुई प्रतीत होगी।

अब डोरी के अल्पांश ∆l पर विचार करें तो विक्षोभ के कारण यदि डोरी में अल्प विस्थापन हो तो इस अल्पांश ∆l को चित्र की भाँति R त्रिज्या के वृत्तीय चाप के रूप में ले सकते हैं।
इस चाप का द्रव्यमान M = m. ∆l
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -14.1
इस अल्पांश पर केन्द्र की ओर लगने वाला कुल तनाव बल 2T sin θ ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -15
अर्थात् तरंग वेग डोरी के तनाव एवं डोरी की एकांक लम्बाई के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह तरंग वेग आयाम व तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं करता है। इस सूत्र की उपपत्ति में डोरी को आदर्श (पूर्णत: प्रत्यास्थ, समान घनत्व) माना गया है तथा कम्पन करते समय इसकी लम्बाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।

प्रश्न 8.
सोनोमीटर में अप्रगामी तरंगों का निर्माण किस प्रकार होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सोनोमीटर तार में तनाव उत्पन्न करके जब एक कम्पित स्वरित्र की मूँठ को सोनोमीटर के तख्ते पर ऊर्ध्वाधर खड़ा किया जाता है। तो तख्ते में प्रणोदित कम्पन (स्वरित्र की आवृत्ति से) प्रारम्भ होते हैं। ये कम्पन सेतुओं द्वारा तार में पहुँचते हैं, फलवरूप सेतुओं से समान आवृत्ति की एवं समान आयाम की दो तरंगें परस्पर विपरीत दिशाओं में चलकर अध्यारोपित होती हैं और तार में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न हो जाती

प्रश्न 9.
ध्वनि के वेग पर ताप, दाब एवं आर्द्रता का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
दाब का प्रभाव v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\) में दाब P नहीं आता है, अतः यदि ताप नियत हो दाब P का ध्वनि के वेग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
ताप का प्रभाव : v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
एक ही माध्यम के लिए व M के मान नियत रहते हैं।
अतः v ∝ √T
अर्थात् किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के परम ताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् ताप बढ़ने पर ध्वनि का वेग बढ़ जाता है।

आर्द्रता का प्रभाव : v = \(\sqrt{\frac{γP}{d}}\)
अर्थात् ν ∝ \(\frac{1}{\sqrt{d}}\)
शुष्क वायु एवं जल वाष्य के घनत्वों का अनुपात 8 : 5 में होता है। अतः जिस वायु में जलवाष्प मिली होती है। उसका घनत्व शुष्क वायु से कम होता है अतः आर्द्रवायु में ध्वनि का वेग अधिक होता है।

प्रश्न 10.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1.0 km दूर कान लगाकर बैठे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। कारण बताइये ।
उत्तर:
रेल की पटरी में ध्वनि की चाल v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) वायु में ध्वनि की चाल v = \(\sqrt{\frac{γP}{d}}\) से अधिक होती है। इसलिए श्रोता को पटरी से हो Vd कर जाने वाली ध्वनि पहले एवं वायु से होकर आने वाली ध्वनि बाद में सुनाई देती है अर्थात् उसे दो ध्वनियाँ सुनाई देती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 11.
सामान्य ताप व दाब पर वायु में ध्वनि की चाल 330 ms है। ताप स्थिर रखते हुए दाब को दोगुना करने पर ध्वनि की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? कारण बताइये।
v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
उत्तर:
इस सूत्र में दाब P नहीं है, अतः यदि ताप I नियत है तो ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अतः दाब को नियत ताप पर दो गुना कर देने पर चाल अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 12.
किसी गैस में ध्वनि तरंग की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यदि गैस का परम ताप पहले का चार गुना कर दिया जाये ?
उत्तर:
ν ∝ √ T
∴ \(\frac{v_2}{v_1}=\sqrt{\frac{\mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}}=\sqrt{\frac{4 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{~T}_1}}=\sqrt{4}=2\)
या v2 = 2v1

प्रश्न 13.
समान ताप पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन गैसों में ध्वनि तरंगों के वेगों का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर- :
v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
यदि ताप नियत रहे तो v ∝ \(\frac{1}{\sqrt{M}}\)
∴ \(\frac{v_{\mathrm{H}}}{v_{\mathrm{O}}}=\sqrt{\frac{\mathrm{M}_{\mathrm{O}}}{\mathrm{M}_{\mathrm{H}}}}=\sqrt{\frac{32}{2}}=\sqrt{\frac{16}{1}}=\frac{4}{1}\)
∴ vH : vO = 4 : 1

प्रश्न 14.
किसी तार के तनाव को चार गुना कर दें तो तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\), ∴ V ∝ √T
∴ \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
∴ v2 = 2v1

प्रश्न 15.
वायु की अपेक्षा कार्बन डाई ऑक्साइड में ध्वनि अधिक तीव्र सुनाई देती है, क्यों ?
उत्तर:
ध्वनि की तीव्रता (I =2π²n²a²ρv) माध्यम के घनत्व ρ के अनुक्रमानुपाती होती है। CO2 का घनत्व वायु के घनत्व से अधिक होता है इसीलिए CO2 में ध्वनि की तीव्रता व प्रबलता वायु की अपेक्षा अधिक रहती है।

प्रश्न 16.
चन्द्रमा पर एक व्यक्ति दूसरे की आवाज नहीं सुन सकता ? आवाज को सुनने के लिए किस प्रकार के सहायक यंत्र चाहिए ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के चरण के लिए माध्यम की आवश्यकता रहती है और चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है इसीलिए चन्द्रमा पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की आवाज नहीं सुन सकता है। वहाँ पर आवाज सुनने के लिए ऐसे यंत्र की आवश्यकता होगी जिससे विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का सूचन एवं प्रसारण हो सके।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 17.
आकाश में बिजली की कड़क तथा दमक एक साथ सम्पन्न होती हैं, परन्तु बिजली की दमक पहले दिखाई देती है एवं कड़क बाद में सुनाई देती है क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि ध्वनि की चाल 332 ms-1 प्रकाश की चाल 108 ms-1 से कम होती है। इसीलिए बिजली की चमक पहले दिखाई देती है और कड़क बाद में सुनाई देती है।

प्रश्न 18.
वर्षां के मौसम में मेढकों के बोलने की आवाज दूर-दूर तक स्पष्ट सुनी जाती है क्यों ?
उत्तर:
वर्षा के मौसम में वायु में आर्द्रता अधिक होती है और आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है इसलिए मेड़कों के बोलने की आवाज दूर-दूर तक सुनी जाती है।

प्रश्न 19.
यदि हम दूर स्थित किसी फैक्ट्री के साइरन से अपनी घड़ी मिलाते हैं तो घड़ी सुस्त हो जाती है क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि साइरन की ध्वनि को फैक्ट्री से हमारे पास तक आने कुछ समय लग जाता है, अतः घड़ी सुस्त हो जाती है।

प्रश्न 20.
सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों में कौन-सा गुण सर्वनिष्ठ है ?
उत्तर:
तरंगें माध्यम के कणों की सहायता से आगे बढ़ती हैं परन्तु माध्यम तरंग के साथ आगे नहीं बढ़ता है।

प्रश्न 21.
बद्ध माध्यम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
बद्ध माध्यम से अभिप्राय एक निश्चित परिसीमा तथा उसकी सीमाएँ अन्य माध्यमों से स्पष्ट पृष्ठों द्वारा अलग होना है।

प्रश्न 22.
सन्नादी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
वे स्वर जिनकी आवृत्तियाँ मूल स्वरक की पूर्ण गुणज होती. हैं, सन्नादी कहलाते हैं। सम गुणज को सम सन्नादी एवं विषम गुणज का विषम सन्नादी कहते हैं।

प्रश्न 23.
अप्रगामी तरंगों से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब समान आवृत्ति एवं समान आयाम की दो तरंगें किसी बद्ध माध्यम में एक ही रेखा में विपरीत दिशाओं से आकर अध्यारोपण करती है, तो उत्पन्न हुई नई तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है, अत: इसे ‘स्थावर तरंग’ (Standing wave ) या ‘अप्रगामी तरंग’ (Stationary wave) कहते हैं ये तरंगें अनुप्रस्थ व अनुदैर्घ्य दोनों प्रकार की होती हैं।
डोरियों में ‘अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें’ जबकि वायु स्तम्भों में अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें’ उत्पन्न होती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 24.
क्या कारण है कि खुले पाइप का स्वर बन्द पाइप की अपेक्षा अधिक मधुर होता है ?
उत्तर:
किसी स्वर में सन्नादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतना ही अधिक मधुर होता है। चूँकि बन्द पाइप में केवल विषम सन्नादी एवं खुले पाइप में सम और विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं अतः खुले पाइप का स्वर अधिक मधुर होता है।

प्रश्न 25.
एक ध्वनि स्त्रोत की मूल आवृत्ति 200 Hz है तथा इससे सभी सन्नादी उत्पन्न होते हैं। बताइये कि यह ध्वनि स्रोत निम्न आवृत्तियों में से किस-किस के साथ अनुनाद कर सकता है ?
उत्तर:
अनुनाद के लिए प्रणोदित दोलनों की आवृत्ति कम्पित वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति या इसके पूर्व गुणज के बराबर होनी चाहिए। अतः अनुनादी आवृत्तियाँ 200 व 6000 Hz होगी।

प्रश्न 26.
व्यतिकरण तथा विस्पन्द में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यतिकरण तथा विस्पन्द में निम्न अन्तर हैं-
1. व्यतिकरण में दोनों तरंगों की आवृत्ति समान होती है, जबकि विस्पन्दों में आवृत्तियाँ लगभग समान होती हैं।
2. व्यतिकरण में एक स्थान पर तीव्रता समय के साथ नियत रहती है जबकि विस्पन्दों में एक ही स्थान पर तीव्रता समय के साथ बदलती रहती है।

प्रश्न 27.
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक शर्त बताइये।
उत्तर:
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक शर्तें निम्नलिखित

  • दोनों तरंगों की आवृत्तियाँ लगभग समान होनी चाहिए।
  • दोनों तरंगों के आयाम समान होने चाहिए।
  • दोनों तरंगें एक ही दिशा में तथा एक ही सरल रेखा में गति करनी चाहिए।
  • दोनों तरंगों के कम्पन तल समान होने चाहिए।

प्रश्न 28.
एक ध्वनि स्त्रोत ध्वनि के वेग से एक स्थिर श्रोता की ओर गतिमान है। श्रोता द्वारा सुनी गई आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
ध्वनि स्रोत पास आ रहा है, तो आभासी आवृत्ति –
n’ = \(\frac{v}{\left(v-v_s\right)}\).n
दिया है- स्रोत का वेग vs = v
n’ = \(\frac{v}{v-v}=\frac{v}{0}\) = ∞ (अनन्त)
या n’ = ∞ अनन्त
यह श्रोता की श्रव्य परास से अधिक है, अतः श्रोता को ध्वनि सुनाई। नहीं देगी।

प्रश्न 29.
ध्वनि तरंगों में डॉप्लर प्रभाव किन-किन पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव निम्न बातों पर निर्भर करता है-
1. श्रोता एवं स्रोत के मध्य आपेक्षिक वेग पर।
2. श्रोता एवं श्रोता के वेगों पर।
3. इस बात पर कि खोत एवं श्रोता में कौन गतिशील है ?
4. माध्यम (वायु) के प्रवाह वेग पर ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तरंग गति से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए। प्रगामी तरंग समीकरण हेतु व्यंजक एवं तरंग का एक विमीय अवकल समीकरण प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंग गति (Wave Motion):
यदि हम तालाब में एक पत्थर का टुकड़ा डालें, तो हम देखेंगे कि जल में पत्थर के गिरने के स्थान पर विक्षोभ (Disturbance) उत्पन्न हो जाता है। यह विक्षोभ उसी रूप में व निश्चित चाल से आगे बढ़ता है और तालाब के किनारे पर पहुँच जाता है। इसी प्रकार यदि हम किसी रस्सी का एक सिरा किसी हुक से बाँधकर तथा दूसरे सिरे को हाथ में पकड़कर ऊपर-नीचे हिलायें, तो रस्सी में भी एक प्रकार का विक्षोभ उत्पन्न हो जाता है, जो एक निश्चित चाल से आगे बढ़ता है तथा दूसरे सिरे तक पहुँच जाता है।
इस प्रकार, “तरंग माध्यम में उत्पन्न वह विक्षोभ (Disturbance) है, जिसमें माध्यम के कण अपनी साम्यावस्था के इर्द-गिर्द दोलन करते रहते हैं और माध्यम के स्थानान्तरण के बिना ही ऊर्जा स्थानान्तरित हो जाती है।
तरंग गति में माध्यम में ऊर्जा तथा संवेग में परिवर्तन होता है व माध्यम के कणों की कला सतत रूप से परिवर्तित होती रहती है। • तरंग के संचरण के लिए माध्यम के आवश्यक गुण

  • तरंग संचरण के लिए माध्यम में अवस्था परिवर्तन का विरोध करने वाला अर्थात् जड़त्व का गुण होना चाहिए।
  • माध्यम में बल लगाने पर विस्थापित होने तथा बल हटाने पर प्रारम्भिक अवस्था में आ जाने का अर्थात् प्रत्यास्थता का गुण होना चाहिए।
  • तरंग संचरण के लिए माध्यम का प्रतिरोध कम-से कम होना चाहिए।

प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 2.
वायु में ध्वनि की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए। लाप्लास ने इसमें क्या संशोधन किया और क्यों ?
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र
(Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7.1
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग v घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8.2
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 3.
किसी गैस में ध्वनि की चाल पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र (Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7.2
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग $v$ घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
कोणीय आवृत्ति एवं तरंग संरचण नियतांक तथा तरंग बेग की परिभाषाएँ लिखिए और इनमें संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
तरंग से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ (Definition Related To Waves):
तरंग गति से सम्बन्धित विभिन्न परिभाषाओं को समझने के लिए हमें विक्षोभ के कारण उत्पन्न कम्पन के कारण विस्थापन का अध्ययन करना होगा जिसके माध्यम से विक्षोभ या तरंग आगे बढ़ती है।

संलग्न चित्र में कणों की माध्य स्थिति से विस्थापन दर्शाए गये हैं। माना किसी कण की माध्य अवस्था में स्थिति A पर है तो विक्षोभ के कारण कम्पन करने के साथ इसका विस्थापन विक्षोभ (तरंग) की दिशा में बढ़ता है व अधिकतम विस्थापन की स्थिति में B बिन्दु पर जाकर पुनः माध्य स्थिति की ओर गति करता है। अतः विस्थापन पुनः कम होता है तथा C स्थिति पर कण माध्य स्थिति में आकार पुनः पूर्व गति की दिशा के विपरीत दिशा में विस्थापित होता है व अधिकतम विपरीत विस्थापन की स्थिति में D पर जाकर पुनः माध्य स्थिति की ओर गति करता है तथा स्थिति E पर पहुँचता है। इस प्रकार कम्पन्न गति का एक चक्र पूर्ण होता है व उत्तरोत्तर समय के साथ कण इस प्रकार की आवर्ती गति करता है।

1. आयाम (Amplitude) (A): “माध्य स्थिति के कण के अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं।” इसे सामान्यत: A से प्रदर्शित करते हैं। चित्र 15.3 (a) में BB’, DD, FF’ आदि द्वारा दर्शाया गया है। इसका मात्रक मीटर है।

2. आवृत्ति (Frequency) (n) : प्रगामी तरंग के संचरण के दौरान, “माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकण्ड में किये गये कम्पनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।” इसे ” से व्यक्त करते हैं। आवृत्ति माध्यम के किसी बिन्दु से एक सेकण्ड में गुजरने वाली तरंगों की संख्या को बताती है। इसका मात्रक कम्पन / सेकण्ड या हर्ट्ज (Hz) है।

3. आवर्त काल (Time Period) (T) : प्रगामी तरंग संचरण के दौरान, “कण द्वारा एक कम्पन पूरा करने में लिया गया समय आवर्त काल कहलाता है ।” इसे T से व्यक्त करते हैं और इसका मात्रक सेकण्ड है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -9
यदि कम्पित कण की आवृत्ति ” एवं आवर्त काल T हो, तो इन दोनों में निम्न सम्बन्ध होता है-
T = \(\frac{1}{n}\) या n = \(\frac{1}{T}\)

4. तरंगदैर्घ्य (Wavelength) (λ): “एक आवर्तकाल में कण द्वारा तय की गई दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।” इसे λ से व्यक्त करते हैं इसका मात्रक है। तरंगदैर्घ्य की परिभाषा इस प्रकार भी कर सकते हैं। “समान कला के दो निकटतम बिन्दुओं के मध्य दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।” चित्र 15.3 में समान कला के दो निकटतम बिन्दुओं A व E अथवा B’ व F’ अथवा D व H आदि के मध्य दूरी तरंगदैर्घ्य λ के बराबर होगी।

अनुप्रस्थ तरंगों में दो क्रमागत शीर्षो (श्रंगों) अथवा दो क्रमागत गर्त के मध्य दूरी एवं अनुदैर्ध्य तरंगों में दो क्रमागत सम्पीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के मध्य दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। अतः
∵ λ = एक आवर्त काल में तरंग द्वारा तय की गई दूरी
या λ = v.T
या λ = v.\(\frac{1}{n}\)
या v = nλ

5. तरंग संख्या (Wave Number) (\(\bar{v}\)) : “तरंगदैर्घ्य का व्युत्क्रम तरंग संख्या कहलाता है अर्थात् एकांक दूरी में तरंगों की संख्या को तरंग संख्या कहते हैं।” इसे से व्यक्त करते हैं।
∴ \(\bar{v}=\frac{1}{λ}\)

6. तरंगाग्र (Wavefront) : “समान कला में दोलन करने वाले कणों की निधि (Locus) तरंगाग्र कहलाती है अर्थात् वह तल, जिसमें मौजूद प्रत्येक कण समान कला में कम्पन करता है, तरंगाग्र कहलाता है।
तरंगाय निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

  • समतल तरंगा (Plane Wavefront)
  • गोलाकार तरंगा (Spherical wavefront)
  • बेलनाकार तरंगा (Cylindrical Wavefront)

7. पथान्तर (Path Difference) : दो कम्पित कर्णो के साम्यावस्था से विस्थापन के अन्तर को पथान्तर कहते हैं।

8. कला (Phase) : प्रगामी तरंग में किसी क्षण कम्पन करते हुए कण की कला उस क्षण कण की स्थिति तथा गति की दिशा को प्रदर्शित करती है इसे प्रायः कोण के रूप में व्यक्त करते हैं। यदि माध्यम के दो कण किसी क्षण साम्य स्थिति से एक ही दिशा में समान दूरियों पर स्थित हों वे दोनों समान कला में कहलाते हैं तथा यदि दो कण साम्य स्थिति से बराबर दूरी पर परस्पर विपरीत दिशा में गतिशील हो तो वे विपरीत कला में होते हैं। कम्पित कण की साम्यावस्था एवं प्रारम्भिक स्थिति के मध्य कण को प्रारम्भिक कला कहते हैं। चित्र में बिन्दु A व E, B व F, C व G, D व H समान कला में होंगे।
इसी प्रकार A व C, B व D आदि विपरीत कला में होंगे।

9. कलान्तर (Phase Difference) : दो कणों अथवा एक ही कण की दो भिन्न स्थितियों के बीच कला के अन्तर को कलान्तर कहते हैं।
समान कला में कलान्तर 0, 2π, 4π, ….. होता है तथा विपरीत कला में कलान्तर = π, 3π, 5π, …..

10. कोणीय आवृत्ति (Angular Frequency) (ω) – समय के साथ कला कोण में परिवर्तन की दर कोणीय आवृत्ति कहलाती है। इसका मात्रक रेडियन सेकण्ड होता है।
चूँकि एक आवर्त काल (T) में कला में परिवर्तन 2π होता है अतः कोणीय आवृत्ति
ω = \(\frac{2π}{T}\) या ω = 2πn

11. तरंग संचरण नियतांक (Wave Propagation Constant ) (k) : कम्पन करते हुए कणों में एकांक दूरी पर स्थित कणों के मध्य कलान्तर को तरंग संचरण नियतांक कहते हैं।” इसे कोणीय तरंग संख्या भी जाता है। चूँकि λ दूरी पर स्थित कणों के मध्य कलान्तर 2π होता है अतः एकांक दूरी पर कलान्तर $\frac{2 \pi}{\lambda}$ होगा।
∴ \(k=\frac{2 \pi}{λ}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 5.
अनुदैर्घ्य तरंगों का संचरण समझाइये एवं उनके वेग के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के प्रकार (Types Of Waves):
तरंगें निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है-

  1. यांत्रिक तरंगें (Mechanical Waves)
  2. विद्युत् चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic Waves)
  3. द्रव्य तरंगें (Matter Waves)

(1) यांत्रिक तरंगें (Mechanical Waves) : यांत्रिक तरंग वह आवर्ती विक्षोभ है जिसमें संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है एवं जो बिना आकृति बदले माध्यम में एक नियत चाल से बढ़ती है। यह माध्यम के प्रत्यास्थ गुणों पर निर्भर करता है। उदाहरण- जल तरंगें, वायु में ध्वनि तरंगें तथा द्रवों में उत्पन्न तरंगें।

यांत्रिक तरंगों के प्रकार :
यांत्रिक तरंगें दो प्रकार की होती है-
(a) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves): जब किसी माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् दोलन करते हैं तो इस तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।
उदाहरण के लिए – तनी हुई डोरी में उत्पन्न कोई विक्षोभ डोरी की लम्बाई के अनुदिश गति करता है लेकिन डोरी के कण लम्बाई के लम्बवत् कम्पन करते हैं। अनुप्रस्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम का संपीड्य होना आवश्यक है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -10
अनुप्रस्थ तरंग में ऊपर की ओर अधिकतम विस्थापन की स्थिति को श्रृंग व नीचे की ओर अधिकतम विस्थापन की स्थिति को गर्त कहा जाता है तथा श्रृंग एवं गर्त के रूप में आगे बढ़ती है। इसमें भी दो क्रमागत शृंगों अथवा दो क्रमागत गर्तों के मध्य दूरी अनुप्रस्थ तरंग की तरंगदैर्घ्य (2) कहलाती है।

(b) अनुदैर्घ्य तरंगें ( Longitudinal Waves) : “यदि माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के अनुदिश गति करते हैं तो इस तरंग को अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं।” उदाहरण के लिए वायु में ध्वनि तरंगें ठोस में अनुदैर्घ्य कम्पनों से उत्पन्न तरंगें स्प्रिंग में उत्पन्न संपीडन एवं विरलन आदि अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण के लिए माध्यम का संपीड्य होना आवश्यक है, क्योंकि इन तरंगों का संचरण संपीड़न एवं विरलन के रूप में ही होता है। माध्यम का घनत्व व दाव सम्पीडन के स्थान पर अधिक (कणों के पास आने के कारण) तथा विरलन पर दाब व घनत्व कम (कणों के दूर जाने के कारण होता है दो क्रमागत विरलनों अथवा सम्पीडनों के बीच की दूरी को अनुदैर्घ्य तरंग की तरंगदैर्घ्य (A.) कहते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -11
उपरोक्त तरंगों में माध्यम की प्रत्यास्थता अधिक होने पर तरंग की चाल बढ़ जाती है व जड़त्व अधिक होने पर तरंग की चाल कम हो जाती है।

2. विद्युत् चुम्बकीय तरंगें (Electro Magnetic Waves) : ये वे तरंगें हैं, जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इन तरंगों का संचरण निर्वात में सम्भव है। ये तरंगें प्रकाश के वेग अर्थात् 3 × 10<sup>8</sup> मी./से. की चाल से गति करती है। ऊष्मा विकिरण, दृश्य प्रकाश X किरणें, सूक्ष्म तरंगें पराबैंगनी किरणें इत्यादि सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं इनकी अनुप्रस्थ प्रकृति होती है।

3. द्रव्य तरंगें (Matter Waves) : डी ब्रॉली परिकल्पना के आधार पर गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के अभिलाक्षणिक गुण सम्बद्ध होते हैं अर्थात् उनके साथ तरंगों का सम्बद्ध होना पाया जाता है। इन्हीं तरंगों को ‘द्रव्य तरंगें’ कहते हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 6.
समतल प्रगामी तरंग का समीकरण स्थापित कीजिए एवं इसे दो स्वरूपों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5.1
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6.1
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 7.
समतल प्रगामी तरंग के लिए विस्थापन- दूरी ग्राफ खींचकर आयाम, तरंगदैर्घ्य एवं कलान्तर प्रदर्शित करते हुए इनकी परिभाषाएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5.2
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6.2
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 8.
अप्रगामी तरंगों से क्या अभिप्राय है ? किसी बद्ध माध्यम में इनका बनना चित्र द्वारा समझाइये।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगें (Stationary Waves):
जब समान आवृत्ति एवं समान आयाम की दो प्रगामी तरंगें किसी बद्ध माध्यम में समान बाल से, एक ही रेखा में, परस्पर विपरीत दिशाओं से आकर अध्यारोपित होती हैं तो उत्पन्न हुई नई तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है, अतः इस तरंग को प्रगामी स्थावर तरंग (standing waves) कहते हैं। इन तरंगों द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है अतः इन तरंगों को अप्रगामी तरंग कहते हैं।

अप्रगामी तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
(i) अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें,
(ii) अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें।
(i) अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें : जब दो समान आवृत्ति एवं समान आयाम की अनुदैर्घ्य तरंगें एक ही सरल रेखा पर विपरीत दिशा में गति र करती हुई अध्यारोपित होती हैं तो माध्यम में इनके अध्यारोपण से अनुदैर्घ्य J अप्रगामी तरंगें बनाती हैं वायु स्तम्भों पर आधारित वाद्य यंत्रों जैसे बिगुल, बांसुरी, बीन आदि में अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें बनाती हैं।

(ii) अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें : जब दो समान आवृत्ति एवं समान आयाम की अनुप्रस्थ तरंगें एक सरल रेखा पर विपरीत दिशा में गति करती हुई अध्यारोपित होती है तो माध्यम में इनके अध्यारोपण से अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं। तनी हुई डोरी पर आधारित वाद्य यंत्रों जैसे सितार, वॉयलिन, इकतारा आदि की डोरियों में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं।

अप्रगामी तरंगें बनने की आवश्यक शर्ते :
अप्रगामी तरंगें बनने के लिए माध्यम सीमित होना चाहिए अर्थात् माध्यम बद्ध होना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के माध्यम में संचरित कोई प्रगामी तरंग माध्यम की परिसीमा पर परावर्तित होकर अपने ही अनुरूप तथा विपरीत दिशा में संचरित तरंग उत्पन्न करती है। इन आपतित एवं परावर्तित तरंगों के अध्यारोपण के फलस्वरूप ही अप्रगामी तरंग बनती है। “इस प्रकार अप्रगामी तरंगों के बनने के लिए बद्ध माध्यम होना एक आवश्यक शर्त है।”

प्रश्न 9.
अप्रगामी तरंग के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगों का गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis of Standing Waves)
माना धनात्मक X- अक्ष की दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग का समीकरण –
y1 = a sin (ωt – kx) ……..(1)
जब यह तरंग बद्ध माध्यम की परिसीमा से परावर्तित होती है तो परावर्तित तरंग का समीकरण-
y2 = ±a sin (ωt + kx) ……..(2)
इस समीकरण (+) चिह्न का प्रयोग तब होगा जब तरंग का परावर्तन मुक्त परिसीमा मुक्त है अर्थात् परावर्तन विरल माध्यम से हो रहा हो ओर दृढ़ परिसीमा अर्थात् सघन माध्यम से परावर्तन होने पर (-) चिह्न का प्रयोग होगा क्योंकि इस स्थिति में परावर्तित तरंग में का कलान्तर और उत्पन्न हो जायेगा। परावर्तित तरंग की दिशा X- अक्ष की ऋणात्मक दिशा में होगी अतः kx से पूर्व (+) चिह्न का ही प्रयोग होगा।

अब हम यह मानकर गणितीय विवेचना में आगे बढ़ते हैं कि परावर्तन सघन माध्यम से हो रहा है।
अध्यारोपण के सिद्धान्त से-
y = y1 + y2 ………..(3)
या y = a sin (ωt – kx) – asin(ωt + kx)
= a [sin (ωt – kx) – sin(ωt + kx)]
= a [{sin ωt cos kx – cos ωt sin kx} – {sin ωt cos kx + cos ωt sin kx}]
= a[sin ωt cos kx – cos ωt sin kx – sin ωt cos kx – cos ωt sin kx]
[ क्योंकि sin (A ± B) = sin Acos B ± cosA sinB]
या y = -2a cos ωt sin kx
या y = -2a sin kx cos ωt ………(4)
या y = A cos ωt ……….(5)
जहाँ y = A sin kx तरंग का आयाम है। ……….(6)
समी (4) एवं (5) परिणामी तरंग का समीकरण व्यक्त करते हैं। स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी आवर्ती तरंग है जिसकी कोणीय आवृत्ति (ω) अध्यारोपित होने वाली तरंगों की कोणीय आवृत्ति के समान है लेकिन इसका आयाम (A) नियत नहीं है बल्कि यह समी. (6) के अनुसार परिवर्तित होता है।
अब समी. ( 4 ) का अवकलन करने पर कणों का वेग
v = \(v=\frac{d y}{d t}=\frac{d}{d t}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\)
या v = 2aω sinkx win ωt …………(7)
तथा विकृति
\(\frac{d y}{d x}=\frac{d}{d x}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\) …………(8)
या \(\frac{d y}{d x}=2 a k \cos k x \cos \omega t\)

प्रश्न 10.
अप्रगामी तरंगों के सूत्र लिखिए और इसकी सहायता से प्रस्पन्दों एवं निस्पन्दों की स्थितियाँ प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगों का निर्माण (Formation of Standing Waves):
अप्रगामी तरंगों के बनने की प्रक्रिया निम्न चित्र में प्रदर्शित हैं-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -11.1
प्रगामी तरंगों की भाँति अप्रगामी तरंगें भी अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार की होती हैं। तनी हुई डोरियों में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें एवं वायु स्तम्भों में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं। सभी वाद्य यंत्रों से संगीत अप्रगामी तरंगों के बनने से ही उत्पनन होता है। सितार वायलिन, पियानो, गिटार, इकतारा आदि में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें तथा बाँसुरी, विगुल, सीटी, तबला आदि में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं।

वह माध्यम जिसमें तरंग एक नियत रेखा के अनुदिश गति करती है, रेखीय माध्यम कहलाता है तथा यदि रेखीय माध्यम की लम्बाई अनन्त नहीं है अर्थात् निश्चित है तो माध्यम ‘बद्ध माध्यम’ कहलाता है। रेखीय बद्ध माध्यम में प्रायः सीमा पर एक तरंग आपतित होती है एवं दूसरी तरंग पहली तरंग के परावर्तन से प्राप्त है (क्योंकि समान आवृत्ति व समान आयाम की दो तरंगों को दो भिन्न स्रोतो से प्राप्त करना काफी कठिन है)। इन दोनों तरंगों के अध्यारोपण से अप्रगामी तरंगें बनती हैं। इन तरंगों का बनना समझने के लिए चित्र का अध्ययन करते हैं।

यहाँ दो समान आवृत्ति तथा समान आयाम की तरंगों की दिशा में संचरित होते हुए दिखाया गया है। एक तरंग को बायीं ओर से तथा दूसरी को दायीं ओर से बायीं ओर क्रमशः सतत् रेखा तथा कित रेखा द्वारा दर्शाया गया है। सतत रेखा वाली तरंग बद्धमाध्यम परिसीमा पर आपतित तरंग है एवं बिन्दुकित रेखा से व्यक्त तरंग पर तरंग है ।

(i) प्रारम्भ में (t = 0) पर) दोनों तरंगें विपरीत कला में अध्यारोपित रही हैं अतः माध्यम के सभी कण माध्यस्थिति में है ।
(ii) t = \(\frac{T}{4}\) (जहाँ T दोनों तरंगों का आवर्तकाल है) समय के बाद दोनों तरंगें विपरीत दिशाओं में λ/4 दूरी से आगे बढ़ जाती हैं। अतिरिक्त λ/2 का पथान्तर (λ/4 + λ/4) या का उत्पन्न हो जाता है। अतः दोनों तरंगें समान कला में मिलता परिणामी के चित्र से स्पष्ट है इस स्थिति में कूछ [A1, A2, A3, A4, A5] का विस्थापन अधिकतम है जबकि कण [N1, N2, N3, N4] अभी भी माध्यम स्थिति में हैं।
(iii) t = \(\frac{T}{2}\) समय के पश्चात् पुनः तरंगें विपरीत कला में अध्यारोपित होती हैं अत: माध्यम के सभी कण पुनः अपनी माध्य स्थिति आ जाते हैं।
(iv) t = \(\frac{3T}{4}\) समय के पश्चात् पुनः तरंगें समान कला में हो जाती हैं और माध्यम के कणों A1, A2, A3, A4 व A5 का विस्थापन फिर अधिकतम हो जाता है लेकिन इनकी कला विपरीत हो जाती है। N1, N2, N3 व N4 अब माध्य स्थिति में ही रहते हैं ।
(v) t = T समय पश्चात् पुनः प्रारंभिक स्थिति प्राप्त हो जाती है।

उपरोक्त विवेचना से निम्नलिखित निष्कर्ण निकलते हैं-
1. माध्यम के कूछ कण (A1, A2, A3, A4, A5) सदैव अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर अधिकतम आयाम से कम्पन करते हैं, उन्हें ‘प्रस्पन्द’ (Antinodes ) कहते हैं। प्रस्पन्दों पर कणों का वेग (\(\frac{d y}{d t}\)) अधिकतम होता है तथा दाब या घनत्व परिवर्तन शून्य होता है (क्योंकि \(\frac{d y}{d x}=0\))

2. क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच के कण (N1, N2, N3, N4) सदैव स्थिर रहते हैं। इन्हें ‘निस्पन्द’ (Nodes) कहते हैं। ये समान दूरियों पर स्थिर रहते हैं । निस्पन्दों पर कणों का वेग (\(\frac{d y}{d t}\)) शून्य होता है तथा दाब तथा घनत्व परिवर्तन अधिकतम होता है।

3. दो क्रमागत प्रस्पन्दों या दो क्रमागत निस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है तथा एक निस्पन्द व उसके समीपस्थ प्रस्पन्द के बीच की दूरी λ/4 होती, जहाँ λ तरंग की तरंगदैर्ध्य है।

4. प्रस्पन्दों की ऊर्जा दोनों ओर के निस्पन्दों को स्थानान्तरित नहीं होती है अर्थात् इन तरंगों के द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है तथा तरंगें माध्यम में भी आगे नहीं बढ़ती हैं बल्कि अपने ही स्थान पर माध्यम की परिसीमाओं के बीच स्थिर रहकर फैलती व सिकूड़ती रहती है। इन्हीं गुणों के कारण इन तरंगों को अप्रगामी या स्थावर तरंगें कहा जाता है।

5. अप्रगामी तरंगों में प्रत्येक कण का आवर्तकाल (T) समान होता है परन्तु दो निस्पन्दों के मध्य प्रत्येक कण का आयाम भिन्न होता है। इसी प्रकार दो निस्पन्दों के मध्य सभी कण समान कला में दोलन करते हैं।

6. एक निस्पन्द के दोनों ओर के कण परस्पर विपरीत कला में दोलन करते हैं।

7. एक आवर्तकाल में दो बार माध्यम के कण एक साथ अपनी साम्यावस्था में आते हैं अर्थात् एक आवर्तकाल में दो बार सभी कणों का विस्थापन शून्य होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 11.
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त क्या है ? इसका उपयोग करते हुए दो तरंगों के अध्यारोपण से परिणामों तरंग के आयाम के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]:
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.1
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.2
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि तनी हुई डोरियों में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अप्रगामी तरंगें एवं कम्पन की विधाएँ तथा कम्पन के नियम
(STANDING WAVES IN STRETCHED STRING AND MODES OF VIBRATION AND LAWS OF VIBRATIONS)
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं। इसके लिए हम के मध्य तनी हुई डोरी में उत्पन्न अप्रग्रामी तरंगों पर विचार यदि डोरी में तनाव T, डोरी की लम्बाई / तथा डोरी की एकांक का द्रव्यमान यदि । हो तो डोरी में उत्पन्न तरंगों का वेग
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) ……….(1)
जब डोरी की लम्बवत् दिशा में थोड़ा खींचकर छोड़ा जाता है, तो इसके सिरों की ओर अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगें चलने लगती हैं। ये तरंगें डोरी के दृढ़ सिरों से परावर्तित हो जाती हैं और आपतित तथा परावर्तित तरंगें अध्यारोपण करके अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न करते हैं। ये तरंगें तब तक रहती हैं जब तक कि घर्षण इत्यादि कारणों से उनकी ऊर्जा नष्ट नहीं हो जाती है। डोरी के कसे हुए सिरों पर दोलन की स्वतन्त्रता न होने के कारण सदैव इन सिरों पर निस्पन्द बनते हैं। जब डोरी को मध्य बिन्दु से थोड़ा खींचकर छोड़ दिया जाता है तो डोरी एक खण्ड में कम्पन करती है। डोरी के दोनों सिरों पर निस्पन्द एवं मध्य बिन्दु पर प्रस्पन्द बनता है। यह तनी हुई डोरी में अप्रगामी तरंग की सबसे सरल विधा है जिसमें डोरी एक लूप में कम्पन्न करती है। इस अवस्था में डोरी न्यूनतम आवृत्ति का स्वर उत्पन्न करती है जिसे ‘मूल स्वरक’ कहते हैं। इस स्थिति में यदि
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -12
उत्पन्न, अप्रगामी तरंगों की तरंगदैर्ध्य λ1 हो तो
\(\frac{\lambda_1}{2}=l \Rightarrow \lambda_1=2 l\)
अतः मूल स्वर की आवृत्ति
\(n_1=\frac{v}{\lambda_1}=\frac{v}{2 l}\)
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
∴ \(n_1=\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
यदि डोरी के मध्य बिन्दु के पास B बिन्दु (एक सिरे से λ/ 4 दूरी पर स्थित बिन्दु) से थोड़ा खींचकर छोड़ दें तो डोरी चित्र अनुसार दो खण्डों में कम्पन करती है। इस स्थिति में λ2 = l, अतः उत्पन्न अप्रगामी तरंगों की आवृत्ति
\(n_2=\frac{v}{\lambda_2}=\frac{v}{t}=\frac{2 v}{2 l}\)
या n2 = 2n1 ……………….(3)
या \(n_2=\frac{2}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
इसी प्रकार चित्र के अनुसार जब C बिन्दु पर डोरी को थोड़ा खींचकर छोड़ा जाता है तो डोरी तीन खण्डों में कम्पन करने लगती है। इन तरंगों की तरंगदैर्ध्य यदि λ3 हो तो
\(\lambda_3+\frac{\lambda_3}{2}=l \Rightarrow \frac{3 \lambda_3}{2}=l\)
या \(\lambda_3=\frac{2 l}{3}\)
इन तरंगों की आवृत्ति
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -13
मूल आवृत्ति से अधिक आवृत्तियों के स्वरकों को ‘अधिस्वरक’ (over tone) कहते हैं। आवृत्तियों n2, n3, n4 … आदि के स्वर क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय …… अधिस्वरक कहलाते हैं।

जिन अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ मूल स्वरक की आवृत्ति की पूर्ण गुणज होती हैं उन्हें ‘सन्नादी’ (harmonics) कहते हैं। जिन स्वरकों को आवृत्ति मूलस्वरक की आवृत्ति की विषम गुणज होती है उन्हें ‘विषम सन्नादी’ (odd harmonic) कहते हैं और जिनकी आवृत्ति सम गुणज होती है उन्हें ‘सम सन्नादी’ (even harmonics) कहते हैं। समी. (2), (3), (5) आदि स्पष्ट है कि तनी हुई डोरियों में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 13.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ कम्पनों के नियमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल (Velocity Of Transverse Wave In A Stretched String):
तनी हुई डोरी में विक्षोभ से अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है। अतः अनुप्रस्थ तरंग का वेग ज्ञात करने हेतु माना एक डोरी, जिसकी एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m है तथा तनाव T है, में एक विक्षोभ बायीं ओर से दायीं ओर वेग से गतिशील है। हम यह मान सकते हैं कि प्रेक्षक विक्षोभ की दिशा में समान वेग v से गतिशील है तो प्रेक्षक को स्पन्द स्थिर प्रतीत होगा तथा डोरी विपरीत दिशा में गति करती हुई प्रतीत होगी।

अब डोरी के अल्पांश ∆l पर विचार करें तो विक्षोभ के कारण यदि डोरी में अल्प विस्थापन हो तो इस अल्पांश ∆l को चित्र की भाँति R त्रिज्या के वृत्तीय चाप के रूप में ले सकते हैं।
इस चाप का द्रव्यमान M = m. ∆l
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -14
इस अल्पांश पर केन्द्र की ओर लगने वाला कुल तनाव बल 2T sin θ ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -15.1
अर्थात् तरंग वेग डोरी के तनाव एवं डोरी की एकांक लम्बाई के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह तरंग वेग आयाम व तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं करता है। इस सूत्र की उपपत्ति में डोरी को आदर्श (पूर्णत: प्रत्यास्थ, समान घनत्व) माना गया है तथा कम्पन करते समय इसकी लम्बाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 14.
बन्द वायु स्तम्भों में कम्पन की विधाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वायु स्तम्भों में अप्रगामी तरंगें एवं कम्पन की विधाएँ
(Standing Waves In Air Columns And Mode Of Vibrations):
वायु स्तम्भों में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं। जब कोई कम्पित ध्वनि स्रोत जैसे स्वरित्र वायु स्तम्भ के पास लाया जाता है तो वायु स्तम्भ में सम्पीडन एवं विरलन उत्पन्न होते हैं और ये अनुदैर्ध्य प्रगामी तरंगें वायु स्तम्भ के दूसरे सिरे से परावर्तित होकर आपतित तरंगों के साथ अध्यारोपण हो जाती हैं। फलस्वरूप वायु स्तम्भ में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें उत्पन्न होती है। वायु स्तम्भ दो प्रकार के होते हैं-
1. बन्द वायु स्तम्भ – वे वायु स्तम्भ एक सिरे पर खुले एवं दूसरे सिरे पर बन्द होते हैं।
2. खुले वायु स्तम्भ – ये वायु स्तम्भ दोनों सिरों पर खुले होते हैं।
वायु स्तम्भों में कम्पन की विधाओं का अध्ययन करने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखने चाहिए-
(i) पाइप के बन्द सिरे पर दोलन की स्वतन्त्रता नहीं होती है, अतः इस सिरे पर सदैव निस्पन्द बनता है।
(ii) वायु स्तम्भ का खुला सिरा वायुमण्डल के सम्पर्क में होता है इसलिए इस सिरे पर घनत्व परिवर्तन लगभग शून्य होता है अर्थात् यहाँ विकृति शून्य होनी चाहिए और पाइप के खुले सिरे पर प्रस्पन्द होना चाहिए।
(iii) दो निस्पन्दों के मध्य एक प्रस्पन्द और दो प्रस्पन्दों के मध्य एक निस्पन्द होना चाहिए।

बन्द वायु स्तम्भ में कम्पन की विधाएँ (Modes of Vibrations in Closed Organ Pipes):
(i) मूलस्वरक (Fundamental Tone):
बन्द वायु के कम्पन की सरलतम विधा संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। इसमें बन्द सिरे पर निस्पन्द एवं खुले सिरे पर प्रस्पन्द बनता है। इस स्थिति में उत्पन्न स्वरक को मूल स्वरक कहते हैं। चित्र से
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -16
\(\frac{\lambda_1}{4}=l \Rightarrow \lambda_1=4 l\)
अतः मूल स्वरक की आवृत्ति,
\(n_1=\frac{v}{\lambda_1}\)
या \(n_1=\frac{v}{4 l}\) ………(1)
यह आवृत्ति मूल आवृत्ति की एक गुनी है। अत: इसे प्रथम सन्नादी (first harmonic) भी कहते हैं।

(ii) प्रथम अधिस्वरक (First Overtone ): यदि कम्पन संलग्न चित्र की भाँति हो रहे हैं अर्थात् पाइप के सिरों पर प्रस्पन्द एवं निस्पन्द के अलावा मध्य में एक प्रस्पन्द व एक निस्पन्द और बनता है तो उत्पन्न स्वरक को ‘प्रथम अधिस्वरक’ कहते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -17
∵ n2 का मान n1 का तीन गुना है अतः इसे तृतीय सन्नादी (Third harmonic) कहते हैं।

(iii) द्वितीय अधिस्वरक (Second Overtone): द्वितीय अधिस्वरक की स्थिति में वायु स्तम्भ में कम्पन की विधा चित्र में प्रदर्शित है।
इस स्थिति में;
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -18
अतः बन्द वायु स्तम्भों में केवल विषम सन्नादी ही उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 15.
सिद्ध कीजिए कि खुले ऑर्गन पाइप में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर;
अप्रगामी तरंगों का गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis of Standing Waves)
माना धनात्मक X- अक्ष की दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग का समीकरण –
y1 = a sin (ωt – kx) ……..(1)
जब यह तरंग बद्ध माध्यम की परिसीमा से परावर्तित होती है तो परावर्तित तरंग का समीकरण-
y2 = ±a sin (ωt + kx) ……..(2)
इस समीकरण (+) चिह्न का प्रयोग तब होगा जब तरंग का परावर्तन मुक्त परिसीमा मुक्त है अर्थात् परावर्तन विरल माध्यम से हो रहा हो ओर दृढ़ परिसीमा अर्थात् सघन माध्यम से परावर्तन होने पर (-) चिह्न का प्रयोग होगा क्योंकि इस स्थिति में परावर्तित तरंग में का कलान्तर और उत्पन्न हो जायेगा। परावर्तित तरंग की दिशा X- अक्ष की ऋणात्मक दिशा में होगी अतः kx से पूर्व (+) चिह्न का ही प्रयोग होगा।

अब हम यह मानकर गणितीय विवेचना में आगे बढ़ते हैं कि परावर्तन सघन माध्यम से हो रहा है।
अध्यारोपण के सिद्धान्त से-
y = y1 + y2 ………..(3)
या y = a sin (ωt – kx) – asin(ωt + kx)
= a [sin (ωt – kx) – sin(ωt + kx)]
= a [{sin ωt cos kx – cos ωt sin kx} – {sin ωt cos kx + cos ωt sin kx}]
= a[sin ωt cos kx – cos ωt sin kx – sin ωt cos kx – cos ωt sin kx]
[ क्योंकि sin (A ± B) = sin Acos B ± cosA sinB]
या y = -2a cos ωt sin kx
या y = -2a sin kx cos ωt ………(4)
या y = A cos ωt ……….(5)
जहाँ y = A sin kx तरंग का आयाम है। ……….(6)
समी (4) एवं (5) परिणामी तरंग का समीकरण व्यक्त करते हैं। स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी आवर्ती तरंग है जिसकी कोणीय आवृत्ति (ω) अध्यारोपित होने वाली तरंगों की कोणीय आवृत्ति के समान है लेकिन इसका आयाम (A) नियत नहीं है बल्कि यह समी. (6) के अनुसार परिवर्तित होता है।
अब समी. ( 4 ) का अवकलन करने पर कणों का वेग
v = \(v=\frac{d y}{d t}=\frac{d}{d t}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\)
या v = 2aω sinkx win ωt …………(7)
तथा विकृति
\(\frac{d y}{d x}=\frac{d}{d x}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\) …………(8)
या \(\frac{d y}{d x}=2 a k \cos k x \cos \omega t\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 16.
सोनोमीटर किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ? इसकी सहायता से स्वरित्र की अज्ञात आवृत्ति किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?
उत्तर:
स्वरमापी (Sonometer)
तनी हुई डोरियों में अप्रगगमी तरंगों एवं अनुनाद के सिद्धान्त पर यह ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात की जा सकती है।

इसमें बढ़िया किस्म की मुलायम लकड़ी का बना एक आयताकार खोखला बक्सा है जिसे ‘ध्वनि बॉक्स’ (Sound Box) कहते हैं और इसे चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें दो बड़े छेद होते हैं जिससे बॉक्स के अन्दर उत्पन्न ध्वनि बाहर सुनी जा सके। इसे ‘अनुनाद बॉक्स’ (Resonancl Box) भी कहते हैं। ध्वनि बॉक्स को दो ऊर्ध्वाधर स्टेण्डों पर रख दिया जाता है तथा इसकी ऊपरी सतह पर एक तार हुक से बंधा होता है जो सतुओं A, B, C के ऊपर से होता हुआ ध्वनि बॉक्स के दूसरे सिरे घिरनी पर होकर गुजरता है तार के दूसरे सिरे पर एक हैंगर लगा जिस पर चॉट चढ़ाकर तार में तनाव उत्पन्न किया जाता है। सेतुओं के दूरी ज्ञात करने के लिए बॉक्स के एक किनारे पर एक मीटर स्केल भी रहता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -19

जब तार को कर्षित (Plucked) किया जाता है तो उसमें अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगे उत्पन्न होती हैं जो कर्षण बिन्दु के दोनों ओर तार के अनुदिश गति करती हैं और सेतुओं से परावर्तित होकर अध्यारोपण करती है। जिससे तार में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न होती हैं ये तरंगें सेतुओं के माध्यम से ध्वनि बॉक्स में जाकर वायु को कम्पित करती हैं। अनुनाद की स्थिति में ध्वनि बॉक्स के छिद्रों से होकर तीव्र ध्वनि सुनाई देती है।

जब कोई तना हुआ तार मूल स्वर में (एक खण्ड) कम्पन करता है तो उसकी आवृत्ति निम्न सूत्र से दी जाती है।
n = \(\frac{1}{2} \sqrt{\frac{T}{m}}\) जहाँ T = Mg
m = तार की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान
l = कम्पित तार की लम्बाई
g = गुरुत्वीय त्वरण
M = हँगर सहित उस पर लटकाया गया द्रव्यमान
यदि स्वरमापी पर एक कम्पित स्वरित्र की मूठ रखी जाती है तो ता कम्पन करने लगता है जो सेतुओं के माध्यम से तार में पहुँचकर अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगे उत्पन्न करते हैं यदि सेतुओं के मध्य दूरी को समायोजित करके अनुनाद की स्थिति ज्ञात कर ली जाये तो-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -20

प्रश्न 17.
विस्पन्द विधि द्वारा स्वरित्र द्विभुज की अज्ञात आवृत्ति किस प्रकार ज्ञात की जा सकती है ?
उत्तर:
विस्पन्दों के अनुप्रयोग (Applications of Beats)
(i) विस्पंदों विधि द्वारा स्वरित्र की अज्ञात आवृत्ति ज्ञात करना
किसी दिये हुए स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात करने के लिए एक लगभग समान किन्तु ज्ञात आवृत्ति का स्वरित्र लिया जाता है, क्योंकि ध्वनि तरंगों के विस्पन्दों को प्रेक्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि दोनों तरंगों की आवृत्ति में अन्तर अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा विस्पन्द इतनी शीघ्रता से बनेंगे कि उनका सुनना सम्भव न होगा। दोनों स्वरित्रों को एक साथ कम्पित करवाकर प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या ज्ञात की जाती है माना स्वरित्र की आवृत्ति n व उत्पन्न विस्पन्द आवृत्ति ∆n हो, तो अज्ञात स्वरित्र की आवृत्ति (n + ∆n) या (n – ∆n) होगी।

यह निर्धारित करने के लिए अज्ञात स्वरित्र की आवृत्ति (n + ∆n) या (n – ∆n) है, अज्ञात आवृत्ति वाले स्वरित्र की भुजा पर थोड़ा मोम लगा देते हैं, जिससे भुजा का भार बढ़ जाने से उसकी आवृत्ति कम हो जायेगी। पुनः दोनों स्वरित्रों को एक साथ कम्पित कराकर विस्पन्दों की संख्या ज्ञात करते हैं। यदि विस्पन्द आवृत्ति पहले से अधिक मिलती है, आवृत्ति (n – ∆n) और विस्पन्द आवृत्ति कम होने पर अज्ञात आवृत्ति (n + ∆n) होगी।

(ii) वाद्ययंत्रों का स्वर मिलाना संगीतज्ञ दो वाद्य यंत्रों के मिलाने के लिए अर्थात् उनकी आवृत्तियों को समान करने के लिए विस्पन्द का उपयोग करते हैं। यदि दोनों की आवृत्तियों में थोड़ा-सा अन्तर हैं तो उन्हें अलग-अलग बजाकर समस्वरित नहीं किया जा सकता, परन्तु यदि दोनों वाद्य यन्त्रों को साथ-साथ बजाया जाए तो उनकी आवृत्तियों में थोड़ा-सा अन्तर होने पर विस्पन्द सुनाई देंगे। इस स्थिति में एक वाद्य यंत्र को इस प्रकार समायोजित करते हैं कि विस्पन्दों की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगे तथा अन्त में विस्पन्द सुनाई देने बन्द हो जाएँ। इस प्रकार वाद्य यंत्र समस्वरित हो जाते हैं।

(iii) खानों में खतरनाक गैसों का पता लगाना- इसके लिए एक विशेष प्रकार का यंत्र प्रयोग में लाया जाता है। इसमें बिल्कूल समान आकार के दो छोटे पाइप होते हैं। एक पाइप में शुद्ध हवा तथा दूसरे पाइप में खान की हवा प्रवाहित की जाती है। यदि खान की हवा शुद्ध है तो दोनों पाइप समस्वरित (Tuned) होंगे अर्थात् दोनों पाइपों में एक ही आवृत्ति का स्वर निकलेगा, अतः विस्पन्द सुनाई नहीं देंगे। यदि खान की हवा में खतरनाक गैस का वेग बढ़ जाता है। इससे उत्पन्न ध्वनि स्वर की आवृत्ति बदल जाती है, अतः विस्पन्द सुनाई देने लगेंगे।

(iv) संकरण विधि से ध्वनि उत्पन्न करना इसके लिए दो विद्युत परिपथ तैयार किये जाते हैं। इनमें प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न की जाती है। ये धाराएँ दो लाउडस्पीकरों को दी जाती है। इनमें से एक धारा की आवृत्ति को समायोजित करके इच्छित आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न किए जा सकते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 18.
डॉप्लर प्रभाव से आप क्या समझते हैं ? किस परिस्थिति में यह लागू नहीं होता है ?
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.3
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 19.
यदि ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता दोनों गतिमान है, तो आभासी आवृत्ति के लिए विभिन्न स्थितियों में सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.4
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 20.
डॉप्लर प्रभाव के उपयोग से पनडुब्बी का वेग किस प्रकार ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.5
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

आंकिक प्रश्न (Numerical Problems )

तरंगदैर्ध्य व तरंग गति पर आधारित

प्रश्न 1.
एक रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति 60 MHz है। केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। (प्रकाश की चाल = 3 × 108 ms-1)
उत्तर:
5 m

प्रश्न 2.
एक दर्शक समुद्र के किनारे खड़ा होकर देखता है कि 1 मिनट में 70 तरंगें किनारे तक पहुंचती हैं। यदि तरंगदैर्घ्य 12m हो तो उनका वेग बताइये।
उत्तर:
14 ms-1

प्रश्न 3.
समुद्र की तरंगों में दो शृंगों के बीच की दूरी 12m है और प्रति मिनट 20 श्रृंग बनते हैं तो तरंगों की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4 ms-1

तनी डोरी में तरंग की चाल

प्रश्न 4.
4.0m लम्बे तार का द्रव्यमान 0.01 kg है, इसे 400N बल से खींचा जाता है। तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल कितनी है ?
उत्तर:
400 ms-1

यांत्रिक तरंगों की चाल पर आधारित

प्रश्न 5.
इस्पात के लिए प्रत्यास्थता गुणांक 2.9 × 1011 Nm-2 है एवं घनत्व 8 × 103 kg.m-3 है इस्पात में अनुदैर्घ्य तरंगों का वेग बताइये।
उत्तर:
6.02 × 103 ms-1

प्रश्न 6.
105 Nm-2 वायुमण्डलीय दाब पर वायु का घनत्व 1.29 kg. m-3 है। यदि वायु के लिए = 1.41 है तो वायु में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
330.6 ms-1

प्रश्न 7.
जल में ध्वनि की चाल 1346 ms-1 है तथा जल का घनत्व 1.0 × 103 kg.m-3 है। जल के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
1.81 × 109 N.m-2

प्रश्न 8.
105 Nm-2 दाब पर जल की आयतन विकृति 5 × 10-5 है। यदि जल का घनत्व 1 × 103 kg.m-3 हो, तो जल में ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
उत्तर:
1414.2 ms-1

गैसों में ध्वनि की चाल पर आधारित

प्रश्न 9.
0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 330 ms-1 है। किस ताप पर ध्वनि की चाल 495 ms-1 होगी ?
उत्तर:
341.25°C

प्रश्न 10,
0°C व 1092K ताप पर ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
1 : 2

प्रश्न 11.
किसी ताप पर वायु में ध्वनि की चाल 25°C ताप पर वायु में ध्वनि की चाल की 1.6 गुनी हो जायेगी ?
उत्तर:
489.9°C

प्रश्न 12.
किस ताप पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही होगी जो कि 28°C पर नाइट्रोजन में है ? ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के अणुभार क्रमशः 32 व 28 है।
उत्तर:
71°C

प्रगामी तरंगों पर आधारित

प्रश्न 13.
किसी तरंग का समीकरण y = 0.5 sin π (100x – 3t) है। इसमें y व x मीटर में तथा t सेकण्ड में है। इस तरंग का प्रसारण वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
300 ms-1

प्रश्न 14.
निम्नलिखित तरंग समीकरण से तरंगदैर्घ्यं ज्ञात कीजिए-
y = 0.4 sin (120πt – \(\frac{4π}{5}\)), जहाँ दूरी m में तथा समय सेकण्ड में दिया गया है।
उत्तर:
2.5m

प्रश्न 15.
एक प्रगामी तरंग का आयाम 0.05m; चाल 330 ms-1 तथा आवृत्ति 110 Hz है। इस तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर :
y = 0.05 sin 2π (110t – \(\frac{x}{3}]/latex])।

प्रश्न 16.
एक माध्यम के दो कणों के बीच की दूरी 5 cm है। यदि इनका कलान्तर [latex]\frac{π}{3}\) हो तो तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.3 m

प्रश्न 17.
एक प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.04 sin (157 t – 3.14 x) है जहाँ दूरियाँ m में तथा t सेकण्ड में हैं। तरंग आयाम, आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए इसी प्रकार यदि किसी अन्य तरंग का समीकरण y’ = 0.30 sin (157t – 3.14 x + 3.14) हो तो उपर्युक्त दोनों तरंगों के मध्य कलान्तर ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.04 m; 25 Hz; 2m; π rad. या 180°

प्रश्न 18.
दो तरंगों के आयामों का अनुपात 2:3 है तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4 : 9

प्रश्न 19.
एक समतल प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.4sin 8π (t – \(\frac{x}{20}\)) है। यदि तरंग किसी तल से परावर्तित होती है एवं परावर्तित तरंग का आयाम पहले का आधा रह जाता है तो परावर्तित तरंग का समीकरण ज्ञात कीजिए यदि तरंग किसी (i) दृढ़ तल से (ii) मुक्त तल से परावर्तित हो।
उत्तर:
(i) y’ = 0.2 sin 8π (t + \(\frac{x}{20}\))
(ii) y” = 0.2 sin 8π (t + \(\frac{x}{20}\))

प्रश्न 20.
अप्रगामी तरंग का समीकरण y = 12 cos \(\frac{πx}{5}\) sin 20πt जहाँ x व y सेमी में तथा t सेकण्ड में है ज्ञात कीजिए-
(i) प्रगामी तरंगों की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति (ii) वेग तथा आयाम ।
उत्तर:
(i) 10 cm; 10 Hz
(ii) 100 cms; 6 cm

प्रश्न 21.
किसी बन्द ऑगंन नली में बनी अप्रगामी तरंग का समीकरण है y = 7 cos (\(\frac{πx}{6}\)) sin (30 πt) जिसमें x एवं y, cm में तथा t, s में है। है। इस तरंग को उत्पन्न करने वाली प्रगामी तरंगों की आवृत्ति, चाल, आयाम तथा तरंगदैर्घ्यं ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
15 Hz; 180 cms; 3.5 cm 12 cm

प्रश्न 22.
एक सिरे पर बन्द नली में मूल स्वर की आवृत्ति 200 Hz है। इसी प्रकार की इसी लम्बाई की, परन्तु दोनों सिरों पर खुली नली के मूल स्वर की आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
400 Hz

प्रश्न 23.
एक बन्द आर्गन पाइप के मूल अधिस्वरक की आवृत्ति एवं एक खुले पाइप के मूल अधिस्वरक की आवृत्ति समान हैं उनकी लम्बाइयों में क्या अनुपात है ?
उत्तर:
1 : 2

प्रश्न 24.
दो स्वरित्र A व B एक साथ कम्पन करने पर क्षय विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करते हैं। 32 cm लम्बे बन्द ऑर्गन पाइप के साथ A तथा 33 cm लम्बे बन्द ऑर्गन पाइप के साथ B अनुनाद करता है। स्वरित्रों की आवृत्तियाँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
264 Hz; 256 Hz

प्रश्न 25.
341 Hz आवृत्ति के एक स्वरित्र को 1m लम्बी नली के ठीक ऊपर कम्पित कराया जाता है। नली में धीरे-धीरे जल भरा जा रहा है। जल की कितनी ऊँचाई अनुनाद के लिए आवश्यक होगी ? (वायु में ध्वनि की चाल = 341 ms2 )
उत्तर:
75cm; 25cm

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