Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम
बहुविकल्पीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
न्यूटन के गति के नियम लागू होते हैं:
(a) घूर्णी तन्त्र में
(b) त्वरित तन्त्र में
(c) अजड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में
(d) त्वरण रहित तन्त्र में
उत्तर:
(d) त्वरण रहित तन्त्र में
प्रश्न 2.
एक कार घर्षण युक्त सड़क पर नियत वेग से गतिशील है, तो:
(a) कार के इंजन के द्वारा बल लगाया जा रहा है
(b) कार के इंजन के द्वारा बल नही लगाया जा रहा है।
(c) कार का संवेग बढ़ रहा है
(d) यह सम्भव नहीं
उत्तर:
(a) कार के इंजन के द्वारा बल लगाया जा रहा है
प्रश्न 3.
एक किग्रा भार बराबर होता है:
(a) 1 न्यूटन
(b) 9.8 न्यूटन
(c) 980 न्यूटन
(d) 98 न्यूटन
उत्तर:
(b) 9.8 न्यूटन
प्रश्न 4.
न्यूटन का तृतीय तुल्य है:
(a) रेखीय संवेग संरक्षण के नियम के
(b) ऊर्जा संरक्षण के नियम के
(c) कोणीय संवेग संरक्षण के नियम के
(d) ऊर्जा व द्रव्यमान तुल्यता के नियम के
उत्तर:
(a) रेखीय संवेग संरक्षण के नियम के
प्रश्न 5.
न्यूटन का गति का तृतीय नियम देता है:
(a) बल की माप
(b) बल की परिभाषा
(c) जड़त्व की परिभाषा
(d) बल का गुण
उत्तर:
(d) बल का गुण
प्रश्न 6.
यदि किसी कण द्वारा तय की गई दूरी (x) एवं समय (t) सम्बन्ध t = ax2 + bx, यहाँ a एवं b स्थिरांक हैं, तो कण का मन्दन होगा:
(a) 2av3
(b) 2bv3
(c) 2av2
(d) 2bv2
उत्तर:
(a) 2av3
प्रश्न 7.
एक स्प्रिंग तुला के पलड़े पर एक बीकर में थोड़ा पानी रखा हुआ है। यदि हम बीकर की तली को बिना छुए जल में अपनी अँगुली डुबाएँ तो तुला का:
(a) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा बढ़ जायेगा
(b) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा घट जायेगा
(c) पाठ्यांक अपरिवर्तित रहेगा
(d) पाठ्यांक परिवर्तन बीकर में भरे पदार्थ पर निर्भर करेगा।
उत्तर:
(a) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा बढ़ जायेगा
प्रश्न 8.
एक स्वचालित मशीन गन से एक ही दिशा में गोलियाँ दागी जती हैं। प्रत्येक गोली का द्रव्यमान 50 ग्राम एवं वेग 1000 मी/से है। यदि गोली चलाने वाले व्यक्ति पर लगने वाला औसत बल 200 न्यूटन हो, तो प्रति मिनट दागी गयी गोलियों की संख्या होगी।
(a) 30
(b) 60
(c) 120
(d) 240
उत्तर:
(d) 240
प्रश्न 9.
तीन घनाकार आकृति के पिण्ड जिनके द्रव्यमान क्रमश: m1 = 20 किग्रा m2 = 40 किग्रा एवं m3 = 60 किग्रा हैं, घर्षण रहित तल पर चित्रानुसार रखे हुए हैं। तीनों पिण्ड एक अविस्तारित डोरी से जुड़े हैं। तनाव T1 एवं T2 के मान होंगे:
(a) 20 एंव 10 न्यूटन
(b) 20 एवं 60 न्यूटन
(c) 40 एवं 20 न्यूटन
(d) 10 एवं 20 नयूटन
उत्तर:
(b) 20 एवं 60 न्यूटन
प्रश्न 10.
स्थिर 238U से एक a-कण 107 मी/से वेग से विघटित होता है।
शेष नाभिक का विघटित वेग होगा:
(a) 107 मी/से
(b) \(\frac{4}{238}\) × 107 मी/से
(c) \(\frac{4}{234}\) × 107 मी/से
(d) \(\frac{1}{238}\) × 107मी/से
उत्तर:
(c) \(\frac{4}{234}\) × 107 मी/से
प्रश्न 11.
जब एक व्यक्ति खुरदरी सतह पर चलता है, तो सतह द्वारा आरोपित घर्षण बल:
(a) व्यक्ति की गति की दिशा में होता है
(b) व्यक्ति की गति की दिशा से विपरीत होता है
(c) व्यक्ति की गति की दिशा के लम्बवत् होता है।
(d) व्यक्ति की गति की दिशा के लम्बवत् नीचे की ओर होता है।
उत्तर:
(a) व्यक्ति की गति की दिशा में होता है
प्रश्न 12.
एक पिण्ड पर F = 4t3 न्यूटन बल, प्रथम दो सेकण्ड तक लगाया जाता है। पिण्ड के रेखीय संवेग में वृद्धि होगी:
(a) 16 न्यूटन सेकण्ड
(b) 8 न्यूटन सेकण्ड
(c) 48 न्यूटन सेकण्ड
(d) 32 न्यूटन सेकण्ड
उत्तर:
(a) 16 न्यूटन सेकण्ड
प्रश्न 13.
एक बिन्दु पर 10-10 न्यूटन के दो बल कोण θ पर कार्य कर रहे है। उनका परिणामी बल भी होगा 10 न्यूटन कोण θ का मान हैं।
(a) 0°
(b) 60°
(c) 120°
(d) 180°
उत्तर:
(c) 120°
प्रश्न 14.
2 किग्रा द्रव्यमान का एक ब्लॉक फर्श पर रखा हुआ है। स्थैतिक घर्षण गुणांक का मान 0.4 है। यदि 2.5 न्यूटन का एक बल चित्रानुसार ब्लॉक पर लगाया जाये तो ब्लॉक व फर्श के मध्य घर्षण बल का मान है
F = 2.5N
(a) 2.5 न्यूटन
(b) 5.0 न्यूटन
(c) 7.5 न्यूटन
(d) 10 न्यूटन
उत्तर:
(a) 2.5 न्यूटन
प्रश्न 15.
घर्षण रहित फर्श पर किस व्यक्ति को चलने के लिए निम्न नियम की सहायता लेनी होगी:
(a) न्यूटन के प्रथम नियम की
(b) न्यूटन के द्वितीय नियम की
(c) न्यूटन के तृतीय नियम की
(d) उपर्युक्त सभी नियमों की
उत्तर:
(c) न्यूटन के तृतीय नियम की
प्रश्न 16.
समान वेग से सरल रेखीय पथ पर गतिशील एक ट्रेन में एक बच्चे ने हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे से बँधी हुई डोरी को हाथ में पकड़ रखा है। यदि ड्राइवर अचानक ब्रेक लगाता है तो गुब्बारा:
(a) पीछे जायेगा
(b) ऊर्ध्व ऊपर रहगा
(c) आगे जायेगा
(d) ऊर्ध्व नीचे रहेगा
उत्तर:
(a) पीछे जायेगा
प्रश्न 17.
एक गुटका एक मेज पर रखा हुआ है। प्रतिक्रिया बल होगा:
(a) नीचे की ओर मेज द्वारा
(b) नीचे की ओर गुटके द्वारा
(c) ऊपर की ओर गुटके द्वारा
(d) ऊपर की ओर मेज द्वारा।
उत्तर:
(d) ऊपर की ओर मेज द्वारा।
प्रश्न 18.
सरकस में दौड़ते हुए घोड़े की पीठ पर बैठा घुड़सवार उछलकर पुन: घोड़े पर आ जाता है क्योंकि:
(a) वृत्तीय पथ में गति है
(b) स्थिरता का जड़त्व है
(c) गतिशीलता का जड़त्व है
(d) यह असम्भव है
उत्तर:
(c) गतिशीलता का जड़त्व है
प्रश्न 19.
निम्न में से किस प्रक्रिया में बल की आवश्यकता नहीं होती है?
(a) समान चाल से वर्तुल गति
(b) समान वेग से रेखीय गति
(c) समान त्वरण से रेखीय गति
(d) सभी में बल की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
(a) समान चाल से वर्तुल गति
प्रश्न 20.
यदि किसी पिण्ड पर कई बल कार्यरत हैं तो उसके साम्यावस्था में होने के लिए आवश्यक शर्त है।
(a) पिण्ड बहुत हल्का होना चाहिए
(b) पिण्ड बहुत भारी होना चाहिए
(c) पिण्ड पर कार्यरत् बल संगामी होने चाहिए
(d) पिण्ड पर कार्यरत् सभी बलों का सदिश योग शून्य होना चाहिए।
उत्तर:
(c) पिण्ड पर कार्यरत् बल संगामी होने चाहिए
अति लघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक वृत्ताकार चिकनी चकती पर एक चिकनी गोली रखी है। चकती को घुमाने पर गोली चकती से लुढ़ककर नीचे गिर जाती है, क्यों?
उत्तर:
चकती एवं गोली दोनों चिकनी हैं अतः गोली को चकती के साथ घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल (घर्षण बल के द्वारा) नहीं मिल पाता है; अत; गोली वृत्त की स्पर्श रेखा की दिशा में गति करती हुई नीचे गिर जाती है।
प्रश्न 2.
कार में बैठा व्यक्ति कार के मुड़ने पर विपरीत दिशा में झुक जाता है, क्यों?
उत्तर:
कार के मुड़ने पर व्यक्ति के ऊपरी भाग को आवश्यक अभिकेन्द्र बल नहीं मिल पाता है अतः वह अपकेन्द्र बल के कारण विपरीत दिशा में झुक जाता है।
प्रश्न 3.
मोड़ पर सड़क के करवट के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
सड़क पर करवट से वाहन के अधिकतम सुरक्षित वेग में वृद्धि होती है जिससे वाहन बिना फिसले मोड़ से सुरक्षित गुजर जाते हैं।
प्रश्न 4.
यदि नियत परिमाण का बल सदैव गतिशील पिण्ड की गति की दिशा के लम्बवत् कार्य करता है, तो कण का पथ कैसा होगा?
उत्तर:
कण का पथ वृत्ताकार होगा क्योंकि लगाया गया बल अभिकेन्द्र बल का कार्य करेगा।
प्रश्न 5.
क्षैतिज वृत्त में घूमने वाले पिण्ड की गतिज ऊर्जा प्रत्येक स्थिति में समान रहती है। क्या ऊर्ध्व वृत्त में भी यह कथन सत्य होगा?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि ऊध्वं वृत्तीय गति में गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का एक-दूसरे में रूपान्तरण होता रहता है।
प्रश्न 6.
एक डोरी से भारी पत्थर लटकाया गया है। जैसे ही पत्थर को सरल लोलक की तरह दोलन कराया जाता है, डोरी टूट जाती है। इस घटना का क्या कारण है?
उत्तर:
केवल लटकाये जाने की स्थिति में डोरी में तनाव T = mg होता है, जो डोरी की सहनशीलता के अन्दर होता है और डोरी नहीं टूटती है। दोलन कराने पर निम्नतम बिन्दु तनाव अधिकतम Tmax = (mg + \(\frac{m v^2}{r}\)
हो जाता है, जो डोरी की सहनशीलता से अधिक हो जाता है जिससे डोरी टूट जाती है।
प्रश्न 7.
अभिकेन्द्रीय बल को यह नाम क्यों दिया गया?
उत्तर:
क्योंकि इसकी दिशा सदैव केन्द्र की ओर होती है।
प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अभिकेन्द्रीय बल कहाँ अधिकतम होता है?
उत्तर:
अभिकेन्द्रीय बल F = \(\frac{m v^2}{r}\) ध्रुवों पर r का मान न्यूनतम होता है। अतः यहाँ पर F का मान अधिकतम होता है।
प्रश्न 9.
एक कार को समतल सड़क पर मुड़ने के लिए अभिकेन्द्रीय बल किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
सड़क व कार के पहियों के टायरों के मध्य लगने वाला घर्षण बल ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है।
प्रश्न 10.
अभिकेन्द्र बल एवं अपकेन्द्र बल में कौन वास्तविक बल एवं कौन छद्म बल है?
उत्तर:
अभिकेन्द्र बल वास्तविक एवं अपकेन्द्र बल छद्म बल है।
प्रश्न 11.
ऊर्ध्व वृत्त में गतिमान पिण्ड की उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल को क्या कहते हैं? इसका मान क्या होता है?
उत्तर:
उच्चतम बिन्दु पर न्यूतनतम चाल को क्रान्तिक चाल कहते हैं और इसका मान v = \(\sqrt{r g}\) होता है।
प्रश्न 12.
ऊर्ध्वाधर वृत्त के निम्नतम बिन्दु पर क्रान्तिक चाल एवं डोरी में इस दशा में तनाव कितना होगा?
उत्तर:
डोरी में तनाव T = 6 mg तथा क्रान्तिक चाल Vc = \(\sqrt{5 r g}\)
प्रश्न 13.
जेट इंजन किसके संरक्षण पर आधारित है- ऊर्जा के, संवेग के या द्रव्यमान के?
उत्तर:
जेट इंजन संवेग संरक्षण के सिद्धान्त पर आधारित है।
प्रश्न 14.
पृथ्वी चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाती है; इसका प्रतिक्रिया बल कहाँ लग रहा होगा?
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र पर चन्द्रमा की ओर।
प्रश्न 15.
कुँए से पानी खींचते समय यदि रस्सी टूट जाये तो मनुष्य किस ओर गिरेगा?
उत्तर:
पीछे की ओर।
प्रश्न 16.
एक खिलाड़ी कूदने से पहले कुछ दूरी तक भागता क्यों है?
उत्तर:
खिलाड़ी गति जड़त्व के लिए कूदने से पहले कुछ दूर दौड़ता है।
प्रश्न 17.
यदि किसी पिण्ड पर नेट बल शून्य है, तो पिण्ड क्या विरामावस्था में होगा?
उत्तर:
आवश्यक नहीं है क्योंकि नियत वेग से गतिमान वस्तु पर भी नेट बल शून्य होता है।
प्रश्न 18.
जब कोई गेंद ऊपर की ओर फेंकी जाती है तो उसका वेग पहले घटता है फिर बढ़ता है। क्या इस प्रक्रिया में संवेग संरक्षण का उल्लंघन होता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि (गेंद + पृथ्वी) का संवेग संरक्षित रहता है।
प्रश्न 19.
क्या रॉकेट मुक्त आकाश में उड़ सकता है?
उत्तर:
हाँ; रॉकेट मुक्त आकाश में उड़ सकता है।
प्रश्न 20.
चलती बस के अचानक रुकने पर उसमें बैठा यात्री आगे की ओर गिर जाता है, क्यों?
उत्तर:
गति जड़त्व के कारण यात्री के शरीर का ऊपर वाला भाग गतिशील रहता है जबकि बस की सीट के सम्पर्क वाला भाग बस के साथ रुक जाता है। इसलिए यात्री आगे की ओर गिर जाता है।
प्रश्न 21.
यदि एक दीवार पर समान द्रव्यमान तथा समान वेग से बारी-बारी से लोहे, पत्थर, मिट्टी, टेनिस की गेंद मारी जाये तो किसके द्वारा सबसे अधिक बल लगेगा?
उत्तर:
टेनिस की गेंद से क्योंकि यह सर्वाधिक वेग से वापस लौटेगी तथा संवेग में परिवर्तन सर्वाधिक होगा।
प्रश्न 22.
दो तलों के मध्य घर्षण गुणांक किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आर्द्रता, तलों की प्रकृति, ताप, तलों की स्वच्छता पर।
प्रश्न 23.
पृथ्वी किस प्रकार का निर्देश तन्त्र है?
उत्तर:
अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र, क्योंकि पृथ्वी के घूर्णन के कारण इस पर स्थित वस्तुओं की गति त्वरित गति की श्रेणी में आती है।
प्रश्न 24.
पहिए गोल क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
पहिए गोल इसलिए बनाये जाते हैं ताकि वे सर्पी घर्षण को लोटनी घर्षण में बदल सकें।
प्रश्न 25.
किसी पिण्ड की गति प्रारम्भ करने की अपेक्षा उसकी गति को बनाये रखना आसान होता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि गतिक घर्षण बल का मान सीमान्त घर्षण बल की तुलना में कम होता है।
प्रश्न 26.
दो समान द्रव्यमान के दो व्यक्ति अपने पैरों पर बर्फ पर चलने वाली स्की (ice-skates) बाँधकर बर्फ के समतल मैदान पर कुछ दूरी पर खड़े हैं। एक व्यक्ति की कमर में एक रस्सी बँधी है जिसका दूसरा सिरा दूसरे व्यक्ति के हाथ में है। यदि दूसरा व्यक्ति रस्सी को अपनी ओर खींचे तो दोनों व्यक्तियों की गति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
दोनों व्यक्ति समान संवेग से एक-दूसरे की ओर गति करेंगे।
प्रश्न 27.
एक वस्तु पर कार्यरत् असमान संगामी बलों की संख्या कम से कम क्या होनी चाहिए जिससे वस्तु संतुलित रहे?
उत्तर:
वस्तु पर कार्यरत् असमान संगामी बलों की संख्या तीन होनी चाहिए जिससे वस्तु संतुलित रह सके।
प्रश्न 28.
समतल पृष्ठ पर एक W भार के बक्से को ऊर्ध्वाधर से θ कोंण पर F परिमाण का बल लगाकर खींचा जा रहा है। यदि बक्सा क्षैतिज दिशा में खिसके तब समान पृष्ठ का बक्से पर कितना प्रतिक्रिया बल मिलता है?
उत्तर:
बल को वियोजित करने पर,
R + Fcosθ = W
प्रतिक्रिया बल, R = W – Fcosθ
प्रश्न 29
एक नत समतल पर m द्रव्यमान की वस्तु रखी है जिस पर क्षैतिज बल F लग रहा है। वस्तु पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल क्या है?
उत्तर:
बल F को एवं mg को वियोजित करने पर अभिलम्ब
प्रतिक्रिया
R = mg cosθ + F sinθ
प्रश्न 30.
कार की छत से धागे द्वारा लटकी गेंद कार के बायें मुड़ने पर किस ओर हटेगी?
उत्तर:
कार के बायीं ओर मुड़ने पर छद्म बल ( अपकेन्द्र बल) दायीं ओर को लगेगा। अतः गेंद दायीं ओर हटेगी।
प्रश्न 31.
एक लड़के के हाथ में एक पिंजरा है जिसकी फर्श पर एक चिड़िया बैठी है। यदि चिड़िया पिंजरे के भीतर उड़ने लगे तो क्या लड़के को पिंजरे के भार के कोई परिवर्तन अनुभव होगा?
उत्तर:
हाँ, पिंजरा पहले से हल्का प्रतीत होगा क्योकि अब चिड़िया का भार अनुभव नहीं होगा।
प्रश्न 32.
क्रिया व प्रतिक्रिया बल एक दूसरे के विपरीत व परिमाण में समान होते हैं लेकिन फिर भी वे एक दूसरे को निरस्त नहीं कर पाते हैं?
उत्तर:
प्रश्नगत क्रिया एवं प्रतिक्रिया बल एक दूसरे को निरस्त नही कर पाते क्योंकि ये दोनों बल एक ही वस्तु पर कार्य न करके दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 33.
यदि किसी पिण्ड को तीन समान्तर बल सन्तुलन में रखते हैं तो उन बलों की विशेषता क्या होगी?
उत्तर:
बल समतलीय तथा संगामी होंगे।
लघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
रेलगाड़ी का ड्राइवर स्टार्ट करने के लिए पहले रेल के इंजन को पीछे धकेलता है तथा फिर आगे बढ़ाता है। ऐसा क्यों करता है?
उत्तर:
इंजन को पीछे धकेलने से डिब्बों को जोड़ने वाली कड़ियाँ ढीली पड़ जाती हैं। अब इंजन द्वारा आगे की ओर बल लगाने पर सर्वप्रथम पहला डिब्बा तथा फिर बारी-बारी से पिछले डिब्बे त्वरित होते हैं। यदि ड्राइवर ऐसा न करे तो कड़ियों के तने होने पर पूरी गाड़ी एक साथ त्वरित होगी, जिसके लिए इंजन को बहुत अधिक बल लगाना पड़ेगा।
प्रश्न 2.
क्या समान वेग से गति करने वाला पिण्ड सन्तुलन में है?
उत्तर:
हाँ, सरल रेखीय गति में,
संतुलन की अवस्था में Fnet = 0
अर्थात्
Fnet = ma = \(\frac{m(\Delta v)}{t}\)
= 0
या
∆v = 0
अर्थात् पिण्ड समान वेग से गतिमान है।
प्रश्न 3.
एक हल्के एवं दूसरे भारी पिण्ड के रेखीय संवेग समान हैं। किस पिण्ड की गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा E = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{m^2 v^2}{2 m}\)
= \(\frac{p^2}{2 m}\)
∴ p2 = 2mE ⇒ P = \(\sqrt{2 m E}\)
दिया है:
P1 = P2
∴ \(\sqrt{2 m_1 E_1}\) = \(\sqrt{2 m_7 E_2}\)
या
m1E1 = m2E2
⇒ \(\frac{E_1}{E_2}\) = \(\frac{m_2}{m_1}\)
∵ m2 > m1
∴ E1 > E2
अर्थात् हल्के पिण्ड की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।
प्रश्न 4.
एक हल्के एवं भारी पिण्ड की गतिज ऊर्जा समान है। किस पिण्ड का रेखीय संवेग अधिक होगा?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा E = \(\frac{p^2}{2 m}\)
∵ E1 = E2
∴\(\frac{p_1^2}{2 m_1}\) = \(\frac{p_2^2}{2 m_2}\)
या
\(\frac{p_1^2}{p_2^2}\) = \(\frac{m_1}{m_2}\)
∵ m1 < m2
p12 < P22 या P1 < P2
अर्थात् हल्के पिण्ड का रेखीय संवेग कम होगा और भारी का अधिक।
प्रश्न 5.
समान द्रव्यमान M के तीन समरूप गुटके एक घर्षण रहित मेज पर चित्र के अनुसार धकेले जाते हैं। बताइये कि (i) गुटकों का त्वरण क्या है? (ii) गुटके A पर नेट बल कितना है ? (iii) गुटका A गुटके B पर कितना बल लगाता है? (iv) गुटका B गुटके C पर कितना बल लगाता है? (v) गुटकों के सम्पर्क तलों पर क्रिया तथा प्रतिक्रिया बलों को दिखाइये।
उत्तर:
(i) प्रत्येक गुटके का त्वरण a = \(\frac{F}{3 M}\)
(ii) गुटके A पर नेट बल = \(\frac{F}{3}\)
(iii) गुटके A द्वारा B पर लगाया गया बल = \(\frac{2 F}{3}\)
(iv) गुटके B द्वारा C पर लगाया गया बल = \(\frac{F}{3}\)
(v) क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल चित्र में प्रदर्शित हैं।
प्रश्न 6.
समान द्रव्यमान के तीन गुटके डोरियों से बाँधकर एक चिकनी क्षैतिज मेज पर बल द्वारा खींचे जाते हैं। डोरियों में तनाव T1 व T2 ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना बल F के कारण त्वरण a उत्पन्न होता है। अतः न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से:
∴ प्रथम पिण्ड के लिए गति का समी०
F – T1 = ma ⇒ T1 = F – ma
= F – m\(\frac{F}{3 m}\)
या
T1 = F – \(\frac{F}{3 m}\) = \(\frac{2F}{3 m}\)
या
T1 = \(\frac{2F}{3 m}\)
इसी प्रकार दूसरे पिण्ड के लिए
T1 – T2 = ma = \(\frac{F}{3}\)
या
T2 = T1 – \(\frac{F}{3}\) = \(\frac{2F}{3}\) – \(\frac{F}{3}\) = \(\frac{F}{3}\)
या
T2 = \(\frac{F}{3}\)
प्रश्न 7.
पेड़ की शाखा को हिलाने पर आम नीचे क्यों गिर जाते हैं?
उत्तर:
जब पेड़ की शाखा को हिलाते हैं तो यह गति करती है। जड़त्व के कारण आम स्थिर रहता है। इसी कारण आम शाखा से अलग होकर नीचे गिर जाता है।
प्रश्न 8.
धूल हटाने के लिए गलीचे को डण्डे से क्यों पिटते हैं?
उत्तर:
जब गलीचे को डण्डे से पीटते हैं तो गलीचा तो गति में आ जाता है लेकिन धूल के कण विराम जड़त्व के कारण गति में नहीं आ पाते हैं और वे गलीच से अलग हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं?
उत्तर:
न्यूटन के गति के प्रथम नियम अर्थात् जड़त्व के नियम के अनुसार गतिशील वस्तु रुकने का विरोध करती है। इसीलिए तीव्र गतिशील वाहक के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
प्रश्न 10.
न्यूटन के गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम क्यों कहते हैं?
उत्तर:
न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी पिण्ड की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता है और जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करती है। इसीलिए गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम कहते हैं।
प्रश्न 11.
क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे की ओर क्यों खींचता है?
उत्तर:
गति के द्वितीय नियम से F = \(\frac{\Delta p}{\Delta t}\)
स्पष्ट है कि ∆p संवेग परिवर्तन के लिए समयान्तराल ∆r का मान जितना अधिक होगा, बल F का मान उतना ही कम होगा। इसीलिए क्रिकेट खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे खींच लेता है। ताकि गेंद का संवेग शून्य होने का समय बढ़ जाये और हाथ पर गेंद द्वारा आरोपित बल कम हो जाये।
प्रश्न 12.
बल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बल वह कारक है जो किसी वस्तु की अवस्था को बदल दे या बदलने का प्रयास करे।
प्रश्न 13.
एक जड़त्वीय तन्त्र के अन्तर्गत् एक कण का त्वरण मापने पर शून्य आता है। क्या हम कह सकते हैं कि कण पर कोई बल कार्यरत् नहीं है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जड़त्वीय निर्देश तन्त्र में न्यूटन के गति के प्रथम व द्वितीय नियम वैध होते हैं। गति की परिभाषा आपेक्षिक आधार पर की जाती है। सामान्यतः पृथ्वी को स्थिर मान कर हम गति को परिभाषित करते हैं और पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र मानते हैं। अतः पृथ्वी पर किसी वस्तु का त्वरण शून्य होने पर भी उस पर गुरुत्वीय बल (भार) कार्य करता है।
प्रश्न 14.
न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार रस्साकशी के खेल में प्रत्येक टीम अपनी विरोधी टीम को समान बल से खींचता है, तो फिर एक टीम जीतती है और दूसरी हार जाती है ऐसा क्यों?
उत्तर:
रस्साकशी के खेल में दोनों टीमें जब तक समान बल से रस्से को सींचती हैं तब तक पूरे निकाय पर नेट बल शून्य रहता है। जैसे ही 1 एक टीम का बल दूसरी टीम के बल से अधिक हो जाता है, नेट बल लगने लगता और पूरा निकाय नेट बल की दिशा में गति करने लगता है। फलस्वरूप एक टीम जीत जाती है और दूसरी हार जाती है।
प्रश्न 15.
एक मेज पर एक किताब रखी हुई है। किताब का भार एवं मेज द्वारा किताब पर लगाया गया अभिलम्ब बल परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत हैं। क्या इसे न्यूटन के तृतीय नियम का उदाहरण माना जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, क्योंकि तृतीय नियम के लिए दोनों बल परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत होने चाहिए तथा दोनों बल दो अलग-अलग वस्तुओं पर लगने चाहिए । यहाँ ये शर्तें पूर्ण होती हैं।
प्रश्न 16.
किसी वस्तु पर लगने वाले आवेग की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
आवेग (Impulse): जब दो वस्तुओं में टक्कर होती है, तो वे एक दूसरे पर बल आरोपित करती हैं। फलस्वरूप प्रत्येक वस्तु के संवेग में दूसरी वस्तु द्वारा लगाये बल के कारण परिवर्तन होता है। सामान्यतः इस प्रकार की टक्कर में सम्पर्क का समय अर्थात् स्पर्श काल (Duration of Contact) अत्यल्प होता है जबकि वस्तुओं के संवेग में परिवर्तन अत्यधिक होता है। इसका अर्थ है कि टक्कर के समय लगने वाले बल का परिमाण अत्याधिक होना चाहिए। उदाहरणार्थ- क्रिकेट के खेल में बल्ले द्वारा गेंद पर अत्यधिक बल अत्यल्प समय के लिए लगाया जाता है। ऐसे ही बल को ‘आवेगी बल’ (Impulsive Force) कहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि. सम्पर्क के समय बल एक समान ( uniform ) हो। इस प्रकार, “किसी वस्तु की गति पर बल के समग्र प्रभाव को आवेग कहते हैं और इसका मान बल एवं समयान्तराल के गुणनफल से प्राप्त करते हैं।” इसे / से व्यक्त करते हैं और यह सदिश राशि है जिसकी दिशा वही होती है, जो आरोपित बल की होती है।
अत:
आवेग = बल x समयान्तराल
या
I = F.∆l …..(1)
सदिश रूप में
\(\vec{I}\) = \(\vec{I}\)∆l …..(2)
∵ न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से
\(\vec{F}\) = \(\frac{\Delta \vec{p}}{\Delta t}\)
\(\vec{I}\) = \(\frac{\Delta \vec{p}}{\Delta t}\) x ∆t
या
\(\vec{I}\) = \(\Delta \vec{p}\) ….(3)
अर्थात् “किसी वस्तु पर कार्यरत् आवेग, उसके संवेग में परिवर्तन के बराबर होता है।” यही आवेग संवेग प्रमेय हैं।
यदि किसी वस्तु पर कोई बल \(\vec{F}\) है अल्प समय dt के लिए कार्यरत् रहता है, तो बल का आवेग,
dI = F.dt
यदि ब F समय t1 से t2 तक के लिए आरोपित रहता है, तो कुल आवेग
I = \(\int d I\) = \(\int_{t_1}^{t_2} F \cdot d t\)
यदि बल समय का फलन (function) नहीं है तो नियत रहेगा। अतः
I = \(F \cdot \int_{t_1}^{t_2} d t-F \cdot[t]_{t_1}^{t_2}\)
या
I = F.∆t
मात्रक एवं विमीय सूत्र
∵ आवेग I = F. ∆t
∴ I का मात्रक = N. s.
तथा I का विमीय सूत्र = [M1L1T-2][T1]
= [M1L1T-1]
प्रश्न 17.
आवेगी बल क्या होते हैं?
उत्तर:
अत्यधिक परिमाण के वे बल जो अत्यल्प अवधि (स्पर्श काल) के लिए कार्यरत् होते हैं, आवेगी बल कहलाते हैं।
प्रश्न 18.
विलगित निकाय किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा निकाय जिस पर कोई बाह्य बल कार्य न कर रहा हो या कार्यरत् बाह्य बलों का सदिश योग शून्य हो, विलगित निकाय कहलाता है।
प्रश्न 19.
किसी बन्दूक से एक गोली छोड़ने पर बन्दूक पीछे की ओर प्रतिक्षिप्त क्यों करती है?
उत्तर:
संवेग संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी निकाय का कुल संवेग संरक्षित अर्थात् नियत रहता है। अतः जब बन्दूक से गोली दागी जाती है तो जिस संवेग से गोली गति करती है, ठीक उतने ही संवेग से बन्दूक प्रतिक्षिप्त होती है, ताकि कुल संवेग नियत रहे।
प्रश्न 20.
एक व्यक्ति सीमेन्ट के फर्श पर गिरता है तो रेत की ढेरी पर गिरने की अपेक्षा अधिक चोट लगती है, क्यों?
उत्तर:
जब व्यक्ति किसी ऊँचाई से सीमेन्ट की फर्श पर गिरता है तो अचानक रूक जाता है क्योंकि फर्श दबती नहीं है। अतः आवेग को संतुलित करने के लिए फर्श द्वारा अधिक बल लगाया जाता है है जिससे चोट अधिक लगती है। इसके विपरीत जब व्यक्ति रेत के ढेर पर गिरता है तो रेत दब जाता है और संवेग को शून्य होने के लिए अधिक समय लगता है, अतः रेत की फर्श द्वारा कम बल लगाया जाता है जिससे चोट कम लगती है।
प्रश्न 21.
एक गुब्बारे (द्रव्यमान M) से बंधी रस्सी से एक व्यक्ति (द्रव्यमान m) लटका है तथा गुब्बारा स्थिर है। यदि वह व्यकि इसी रस्सी के सहारे चढ़ने लगे तो गुब्बारा किस वेग से तथा किस दिशा में चलने लगेगा? व्यक्ति का रस्सी के सापेक्ष वेग v है।
उत्तर:
व्यक्ति तथा गुब्बारे का प्रारम्भिक संवेग शून्य है, अतः व्यक्ति जिस संवेग से ऊपर चढ़ेगा, गुब्बारा उतने ही संवेग से नीचे गति करेगा। यदि गुब्बारे का वेग u है, तो व्यक्ति ऊपर की ओर (V – u) वेग से ऊपर चढ़ेगा।
अतः व्यक्ति का संवेग + गुब्बारे का संवेग = 0
या
m(v – u) – Mu = 0
या
mv – mu – Mu = 0
या
mv – u(m + M) = 0
या
u(M + m) = mv
∴ u = \(\frac{m v}{M+m}\)
प्रश्न 22.
कीचड़ वाली सड़क पर हम फिसल क्यों जाते हैं?
उत्तर:
कीचड़ वाली सड़क पर हमारे पैरों और सड़क के बीच जल की एक पतली पर्त होती है। यह पर्त अन्तर्ग्रथन (interlocking) को समाप्त करके घर्षण को कम कर देती है। इसीलिए कीचड़ युक्त सड़क पर हम फिसल जाते हैं।,
प्रश्न 23.
चाल से गतिमान एक ट्रक के ड्राइवर को अपने सामने दूरी पर एक चौड़ी दीवार दिखाई देती है टक्कर से बचने के लिए उसे ब्रेक लगानी चाहिए अथवा बिना ब्रेक लगाये गाड़ी को वृत्तीय मोड़ देना चाहिए? कारण भी बताइये।
उत्तर:
ब्रेक लगाने चाहिए, ब्रेक लगाने पर ट्रक की गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय होगी। यदि घर्षण बल Ff तथा रुकने से पूर्व ट्रक द्वारा चली गई दूरी हो तो
\(\frac{1}{2}\)mv2 = Ff x. ∴ x = \(\frac{m v^2}{2 F_f}\)
ट्रक को टक्कर से बचाने के लिए x < r
∴ \(\frac{m v^2}{2 F_f} \leq r\) या \(F_f \geq \frac{m v^2}{2 r}\)
ट्रक को मोड़ने पर,. \(F_f=\frac{m v^2}{r^{\prime}}\)
∴ \(r^{\prime}=\frac{m v^2}{F_f}\)
टक्कर से बचने के लिए \(r^{\prime} \leq r,\)
या \(\frac{m v^2}{F_f} \leq r\)
स्पष्ट है कि ब्रेक द्वारा रोकने के आवश्यक घर्षण बल \(\frac{m v^2}{2 r}\) वृत्तीय मोड़ देने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल \(\frac{m v^2}{r}\) से आधा है।
प्रश्न 24.
एक राइफल से गोली दागी जाती है। यदि राइफल स्वतन्त्रता पूर्वक प्रतिक्षेपित होती है, तो बताइये कि राइफल की गतिज ऊर्जा गोली की गतिज से किस प्रकार सम्बन्धित होगी?
उत्तर:
गतिशील पिण्ड की गतिज ऊर्जा E = \(\frac{p^2}{2 m}\)
∴ गोली एवं राइफल दोनों के संवेग समान होंगे, अतः E ∝ \( \frac{1}{m}\) स्पष्ट है कि राइफल की गतिज ऊर्जा गोली की गतिज ऊर्जा से कम होगी क्योंकि राइफल का द्रव्यमान गोली के द्रव्यमान से अधिक होता है।
प्रश्न 25.
ढालू सड़क पर चढ़ने की अपेक्षा समतल सड़क पर टायरों की पकड़ अधिक मजबूत होती है, क्यों?
उत्तर:
समतल सड़क पर घर्षण बल μmg होता है जबकि ढालू सड़क पर μmg cosθ होता है। यदि θ > 0° तो cosθ < 1, अतः समतल सड़क पर घर्षण बल अधिक होने के कारण टायरों की पकड़ अधिक मजबूत होती है।
प्रश्न 26.
किसी सतह का अत्यधिक पॉलिश करने पर घर्षण बल बढ जाता है। कारण बताइये।
उत्तर:
जब किसी पृष्ठ को बहुत अधिक पॉलिश कर दिया जाता है तो पृष्ठ के अणु एक-दूसरे की आणविक परास के अन्दर आ जाते हैं। अतः अन्तरापरमाणवीय आकर्षण बढ़ जाता है जिसके कारण घर्षण बल बढ़ जाता है।
प्रश्न 27.
50g द्रव्यमान की वस्तु निर्वात् में नियत वेग 10ms-1 के वेग से क्षैतिज घर्षण रहित तल पर गति करती है, वस्तु पर बल क्या होगा?
उत्तर:
नियत वेग से गतिमान वस्तु का त्वरण शून्य होगा, अर्थात् a = 0 अतः उस पर लगने वाला बल F = ma = 0 होगा।
प्रश्न 28.
विद्युत् बन्द कर देने के बाद भी पंखा कुछ देर तक घूमता रहता है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
गति जड़त्व के कारण पंखा विद्युत् आपूर्ति बन्द करने के बाद कुछ समय तक घूमता रहता है। यदि घर्षण बल जैसे विरोधी बल न हों तो पंखा अनन्त काल तक घूमता रहेगा।
प्रश्न 29.
भारहीन तथा घर्षण रहित एक घिरनी पर भारहीन तथा न बढ़ने वाली एक रस्सी के दोनों सिरों पर समान द्रव्यमान के दो बन्दर लटके हैं। रस्सी के सापेक्ष एक बन्दर तेजी से चढ़ता है। कौन सा बन्दर सबसे पहले ऊपर पहुँचेगा?
उत्तर:
किसी भी बन्दर को संवेग प्रदान करने वाला कोई भी बाहय बल आरोपित नहीं हो रहा है। केवल बन्दर ही एक दूसरे पर बराबर संवेग लगा रहे है। अतः दोनों बन्दर एक साथ घिरनी पर पहुँचेंगे।
प्रश्न 30.
एक क्षैतिज सड़क पर एक पहिया घूमता हुआ आगे बढ़ रहा है। इस पर घर्षण बल की दिशा बताइये।
उत्तर:
आगे बढ़ रहे घूमते पहिए पर दो घर्षण बल कार्य करते हैं:
- लोटनी घर्षण बल एवं
- गतिक घर्षण बल 1 चूँकि पहिया आगे बढ़ रहा है, अतः गतिक घर्षण बल पीछे की ओर कार्य करेगा। पहिए के सड़क के सम्पर्क वाले भाग की प्रवृत्ति पीछे की ओर है अतः लोटनी घर्षण बल आगे को लगेगा। चूँकि लोटनी घर्षण बल गतिक घर्षण बल से कम होता है अतः परिणामी घर्षण बल पीछे की ओर लगेगा।
प्रश्न 31.
एक डोरी के सिरे पर एक पत्थर बाँधकर उसे तेजी से घुमाने पर डोरी टूट जाती है और पत्थर स्पर्श रेखा की दिशा में दूर चला जाता है, क्यों?
उत्तर:
ऐसा दिशा के जड़त्व के कारण होता है। जब डोरी टूटती है तो पत्थर को डोरी द्वारा प्राप्त होने वाला अभिकेन्द्रीय बल समाप्त हो जाता है। बल की अनुपस्थिति में पत्थर तात्क्षणिक वेग की दिशा में दूर चला जाता है। यह दिशा डोरी टूटने
के बिन्दु पर वृत्तीय पथ की स्पर्श रेखा की दिशा में होती है।
प्रश्न 32.
एक नाभिक जो स्थिर अवस्था में है, अचानक दो समान भागों में टूट जाता है। दोनों नाभिकों के मध्य वह कोण ज्ञात कीजिए जिस पर ये एक दूसरे से दूर जाते हैं।
उत्तर:
बड़ा नाभिक स्थिर है अतः इसका संवेग = 0 (शून्य)। टूटने के बाद दोनों नाभिकों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा उनके वेग क्रमशः \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) हैं, तो उनके संवेग
\(\overrightarrow{p_1}\) = m1 \(\overrightarrow{v_1}\)
एवं
\(\overrightarrow{p_2}\) = m2 \(\overrightarrow{v_2}\)
संवेग संरक्षण के सिद्धान्त से
टूटने के बाद कुल संवेग = टूटने के पूर्व संवेग
\(\overrightarrow{p_1}\) + \(\overrightarrow{p_2}\) = 0
∴ \(\vec{p}=-\overrightarrow{p_2}\)
या
m1 \(\overrightarrow{v_1}\) = m2 \(\overrightarrow{v_2}\)
∵ m1 व m2 अदिश राशियाँ हैं अतः \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) की दिशाएँ परस्पर विपरीत दिशा में अर्थात 180° के कोण पर होंगी।
प्रश्न 33.
एक स्थिर वाहन के अन्दर बैठे कुछ यात्री इसको अन्दर से धक्का लगा रहे हैं। कारण सहित बताइये कि वह वाहन चलेगा या नहीं?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि यात्रियों द्वारा लगाया गया बल, वाहन की दीवार द्वारा आरोपित समान परन्तु विपरीत प्रतिक्रिया बल द्वारा संतुलित हो जाता है; अतः वाहन पर शुद्ध बल शून्य होगा और वाहन नहीं चलेगा।
प्रश्न 34.
विरामावस्था में रखा एक बम समान द्रव्यमान के तीन टुकड़ों में विस्फोटित हो जाता है। दो टुकड़ों का संवेग क्रमशः -2p\(\hat{i}\) और p\(\hat{j}\) है। तीसरे टुकड़ें के संवेग का परिमाण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है;
प्रश्न 35.
एक व्यक्ति पूर्णतया घर्षण रहित बर्फ के तालाब के मध्य में खड़ा है वह किनारे तक कैसे पहुँच सकता है?
उत्तर:
वह सामने की ओर फूँक मारकर या सामने की ओर थूककर किनारे पर पहुँच सकता है। ऐसा करने पर वह आगे की ओर कुछ बल लगाता है और वायु को कुछ संवेग प्रदान करता है। संवेग संरक्षण के सिद्धान्त से उसके शरीर को विपरीत दिशा में समान संवेग प्राप्त होता है। घर्षण की अनुपस्थिति में व्यक्ति की गतिज ऊर्जा में कोई हानि नहीं होती है और वह तालाब के किनारे पर पहुँच जाता है।
प्रश्न 36.
वर्षा होने पर सड़क के मोड़ पर स्कूटर प्रायः फिसल क्यों जाते हैं?
उत्तर:
वर्षा होने पर सड़क पानी के कारण गीली हो जाती है जिससे घर्षण कम हो जाता है। फलस्वरूप स्कूटर को घर्षण के द्वारा पर्याप्त अभिकेन्द्रीय बल नहीं मिल पाता है और वह फिसल जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
प्रश्न 1.
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम लिखिए तथा इससे सिद्ध कीजिए कि F = ma; इस सूत्र की सहायता से बल के S.I. मात्रक की परिभाषा दीजिए तथा बल का विमीय सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) :
इस नियम के अनुसार, “किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की समय दर उस पर लगाये गये बाह्य बल के अनुक्रमानुपाती होती है और उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल लगाया जाता है।”
यदि m द्रव्यमान की वस्तु पर बल \(\vec{F}\) समयान्तराल ∆t के लिये लगाने पर उसका वेग \(\vec{v}\) से (\(\vec{v}+∆ \vec{v}\)) हो जाये तथा उसके संवेग में परिवर्तन \(\Delta \vec{p}\) हो तब
\(\vec{F} \propto \frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\)
अति सूक्ष्म समयान्तराल (∆t → 0) के लिए \(\frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\), समय t के सापेक्ष \(\vec{p}\) का अवकलन अथवा अवकल गुणांक हो जाता है जिसे \(\frac{d \vec{p}}{d t}\) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अतः
\(\vec{F} \propto \frac{d \vec{p}}{dt}\)
\(\vec{F}=k\frac{d \vec{p}}{dt}\)
जहाँ k = आनुपातिकता स्थिरांक (constant of proportionality) है।
k का मान चयनित मात्रकों की पद्धति पर निर्भर करता है। मात्रकों का चयन इस प्रकार करते हैं कि k = 1
अत: समी० (1) से
अतः किसी वस्तु पर कार्यरत् बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
प्रश्न 2.
जड़त्व क्या है? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर :
अनुच्छेद 5.4 का अवलोकन कीजिए।
जड़त्व का नियम (Law of Motion) :
जड़त्व (Inertia) :
जड़त्व शब्द की उत्पत्ति जड़ता शब्द से हुई है जिसका अर्थ स्थिरता या अपरिवर्तनीयता है। प्रत्येक वस्तु जिस अवस्था में होती है, उसी अवस्था में रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामावस्था है तो विरामावस्था में ही रहना चाहती है और यदि गतिशील है तो उसी वेग से चलते रहना चाहती है तथा अपनी उक्त अवस्थाओं में परिवर्तन का विरोध करती है। यही कारण है कि वस्तु की अवस्था परिवर्तित करने के लिए बाह्य असन्तुलित बल की आवश्यकता होती है। वस्तु के इस गुण को गैलीलियो ने ‘जड़त्व’ नाम द्यिया।
अतः, “जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है जिस कारण वह अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।”
किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। अतः भारी वस्तु अपनी विरामावस्था में परिवर्तन का विरोध, हल्की वस्तु की तुलना में अधिक करती है।
जड़त्व के प्रकार (Kinds of Inertia) –
- विराम का जड़त्व (Inertia of Rest) : वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपनी विरामावस्था में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है, विराम का जड़त्व कहलाता है।
- गति का जड़त्व (Inertia of Motion) : तस्तु का वह गुण जिसके कारण सरल रेखा में गतिशील वस्तु अपनी गति में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है, गति का जड़त्व कहलाता है।
- दिशा का जड़त्व (Inertia of Direction) : दिशा के जड़्व के कारण कोई वस्तु अपनी वास्तविक दिशा में रहने का प्रयास करती है और दिशा परिवर्तन का विरोध करती है।
प्रश्न 3.
न्यूटन के गति का द्वितीय नियम लिखिए तथा सिद्ध कीजिए कि बल का आवेग संवेग परिवर्तन के बराबर होता है। उदाहरण सहित इसका महत्त्व समझाइये।
उत्तर :
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) :
इस नियम के अनुसार, “किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की समय दर उस पर लगाये गये बाह्य बल के अनुक्रमानुपाती होती है और उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल लगाया जाता है।”
यदि m द्रव्यमान की वस्तु पर बल \(\vec{F}\) समयान्तराल ∆t के लिये लगाने पर उसका वेग \(\vec{v}\) से (\(\vec{v}+∆ \vec{v}\)) हो जाये तथा उसके संवेग में परिवर्तन \(\Delta \vec{p}\) हो तब
\(\vec{F} \propto \frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\)
अति सूक्ष्म समयान्तराल (∆t → 0) के लिए \(\frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\), समय t के सापेक्ष \(\vec{p}\) का अवकलन अथवा अवकल गुणांक हो जाता है जिसे \(\frac{d \vec{p}}{d t}\) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अतः
\(\vec{F} \propto \frac{d \vec{p}}{dt}\)
\(\vec{F}=k\frac{d \vec{p}}{dt}\)
जहाँ k = आनुपातिकता स्थिरांक (constant of proportionality) है।
k का मान चयनित मात्रकों की पद्धति पर निर्भर करता है। मात्रकों का चयन इस प्रकार करते हैं कि k = 1
अत: समी० (1) से
अतः किसी वस्तु पर कार्यरत् बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
आवेग संवेग प्रमेय (Impulse Momentum Theorem) :
कथन-इस प्रमेय के अनुसार, ” किसी बल का आवेग उस बल के कारण उत्पन्न हुए संवेग परिवर्तन के बराबर होता है।” उप्पत्ति-न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से-
प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि तीन संयुग्मी बलों \(\vec{F}_1, \vec{F}_2 व \vec{F}_3\) की स्थिति में वस्तु साम्यावस्था में होगी जब \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\vec{F}_3=0\).
उत्तर :
किसी कण की साम्यावस्था (Equilibrium of a particle concurrent forces) ;
संगामी बल (Concurrent Forces) :
“यदि किसी वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों की क्रिया रेखाएँ एक उभयनिष्ट बिन्दु से गुजरती हैं, तो उन्हें संगामी बल कहते हैं।” ऐसी अवस्था में वस्तु पर परिणामी बल उस पर कार्यरत् सभी बलों के सदिश योग के बराबर होता है और यही परिणामी बल वस्तु के रेखीय त्वरण को निर्धारित करता है। यदि वस्तु पर कार्यरत् बल संगामी नहीं हैं तो वस्तु पर परिणामी बलयुग्म लग सकता है और फलस्वरूप वस्तु घूर्णन गति भी कर सकती है। संगामी बलों के प्रभाव में यदि वस्तु साम्यावस्था में है तो सभी बलों का सदिश योग शून्य होगा। अर्थात्
या \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\ldots \ldots+\vec{F}_n=0\)
किसी वस्तु पर कार्यरत् बलों की संख्या के.अनुसार सदिशों के संयोजन हेतु उपयुक्त त्रिभुज नियम, समान्तर चतुर्भुज नियम या बहुभुज नियम का प्रयोग करते हुए परिणामी बल के परिमाण एवं दिशा ज्ञात की जा सकती है और तदानुसार वस्तु की गति का निर्धारण किया जा सकता है।
संगामी बलों के प्रभाव में संतुलन की आवश्यक शर्त (Necessary condition for equilibrium under effect of concurrent forces) :
संतुलन का अर्थ है कि वस्तु अपनी यथास्थिति को बनाये रखे। इसकी आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं-
(i) यदि पिण्ड पर दो संगामी बल कार्य करें तो बलों के संतुलन के लिए दोनों बल परिमाण में समान किन्तु परस्पर विपरीत दिशा में लगने चाहिए।
(ii) यदि बलों की क्रिया रेखाएँ समान नहीं हैं तो बलों की संख्या कम से कम तीन होनी चाहिए।
(iii) तीन संगामी बलों के प्रभाव में संतुलित अवस्था में
(iv) यदि किसी वस्तु पर लगने वाले N संगामी बल N भुजाओं वाले बहुभुज की भुजाओं द्वारा क्रमागतः रूप से व्यक्त किये जा सकते हैं तो ये बल संतुलन में होते हैं।
प्रश्न 5.
बल निर्देशक आरेख क्या है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर ;
बल निर्देशक आरेख द्वारा यांत्रिकी में समस्याओं का हल (Solutions of Problems in Mechanics by Force Diagram)
बल निर्देशक आरेख (Force Diagram) :
आमतौर पर यांत्रिकी की किसी प्रारूपी समस्या में बलों की क्रिया के अधीन केवल एक पिण्ड का ही समावेश नहीं होता। अधिकांश प्रकरणों में हम विभिन्न पिण्डों के ऐसे संयोजन पर विचार करते हैं जिनमें पिण्ड परस्पर एक दूसरे पर बल लगाते हैं। इसके अतिरिक्त संयोजन का प्रत्येक पिण्ड गुरुत्वीय बल का भी अनुभव करता है। इस प्रकार की किसी समस्या को हल करने के लिए प्रयास करते समय हमें एक तथ्य को ध्यान रखना आवश्यक है कि हम संयोजन के किसी भी भाग को चुनकर उस पर न्यूटन के गति के नियमों को इस शर्त के साथ लागू कर सकते हैं कि चुने हुए भाग पर संयोजन के शेष भागों द्वारा आरोपित सभी बलों को सम्मिलित करना सुनिश्चित कर लिया गया है। संयोजन के चुने हुए भाग को हम ‘निकाय’ (System) कह सकते हैं तथा संयोजन के शेष भाग को ‘वातावरण’ (environment) कह सकते हैं। अब हमें यांत्रिकी की किसी प्रारूपी समस्या को सुव्यवस्थित ढंग से हल करने के लिए निम्नलिखित चरणों को अपनाना चाहिए-
(i) पिण्डों के संयोजन के विभिन्न भागों, सम्बन्धों आदि को दर्शाने वाला संक्षिप्त योजनाबद्ध आरेख खीचिए।
(ii) संयोजन के किसी भाग को, जिसकी गति के बारे में हमें जानना हो, निकाय के रूप में चुनिए।
(iii) एक पृथक् आरेख खींचिए जिसमें केवल निकाय तथा पिण्डों के संयोजन के शेष भागों (वातावरण) द्वारा निकाय पर आरोपित सभी बलों को सम्मिलित करके दर्शाया गया हो। निकाय पर सभी अन्य साधनों द्वारा आरोपित बलों को भी सम्मिलित कीजिए। परन्तु यह ध्यान रहे कि निकाय द्वारा वातावरण पर आरोपित बलों को इसमें सम्मिलित नही करना है। इस प्रकार के आरेख को ‘बल निर्देशक आरेख’ कहते हैं।
(iv) किसी बल निर्देशक आरेख में बलों से संबन्धित केवल वही सूचनाएँ (बलों के परिमाण तथा दिशाएँ) सम्मिलित कीजिए जो या तो आप को दी गई हैं अथवा जो निर्विवाद् निश्चित हैं। उदाहरण के लिए किसी पतली डोरी में तनाव की दिशा सदैव डोरी की लम्बाई के अनुदिश होती है; गुरुत्वीय बल की दिशा ऊध्र्वाधर नीचे की ओर होती है; अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल तल के लम्बवत् होता है, आदि। शेष उन सभी को अज्ञात माना जाना चाहिए जिन्हें गति के नियमों के अनुप्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जाना है।
(v) यदि आवश्यक हो तो संयोजन के किसी अन्य भाग को निकाय मानकर उसके लिए भी यही विधि अपनाइये। ऐसा करने के लिए न्यूटन के तृतीय नियम का ध्यान रखना आवश्यक है, अर्थात् यदि निकाय A के बल निर्देशक आरेख में B (वातावरण) के कारण A पर बल को \(\vec{F}\) द्वारा दर्शाया गया है, तो निकाय B के बल निर्देशक में A (वातावरण) के कारण B पर बल \(-\vec{F}\) द्वारा दर्शाया जाना चाहिए। यांत्रिकी की समस्याओं को हल करने में बल निर्देशक आरेख खोंचना सहायक है।
प्रश्न 6.
संवेग संरक्षण का नियम लिखकर इसे प्राप्त कीजिए एवं इस नियम की सहायता से गति का तृतीय नियम निगमित कीजिए।
उत्तर :
संवेग संरक्षण नियम एवं इसके अनुप्रयोग (Law of Conservation of Momentum and its Applications) :
संवेग संरक्षण नियम (Law of Conservation of Momentum) ;
न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से किसी विलगित कण पर कार्य करने वाला बल, उसके संवेग परिवर्तन की दर के बराबर होता है, अर्थात्
\(\vec{F}=\frac{d \vec{p}}{d t}\)
यदि पिण्ड या कण पर आरोपित बल अनुपस्थित हो तो-
\(\vec{F}=0 \quad \text { अत: } \quad \frac{d \vec{p}}{d t}=0\)
या \(\vec{p}\) = नियतांक [क्योंकि नियतांक का अवकलन शून्य होता है] आंकिक रूप से p = नियतांक
या \(m \vec{v}\) = नियतांक
अर्थात् “बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी कण का कुल रेखीय संवेग नियत रहता है।’ यही रेखीय संवेग संरक्षण का सिद्धान्त है।
कणों के निकाय के लिए संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Momentum for System of Particles) :
जब हम कणों के एक निकाय पर विचार करते हैं तो हमें निकाय पर आरोपित बाह्य बलों और निकाय के आन्तरिक बलों में भेद करना होगा। चूँकि आन्तरिक बल बराबर एवं विपरीत बलों के युग्म के रूप में होते हैं (अर्थात् \(\overrightarrow{F_{B A}}=-\overrightarrow{F_{A B}}\) ), अतः आन्तरिक बलों का सदिश योग शून्य होगा और निकाय पर केवल बाह्य आरोपित बलों का ही प्रभाव होगा।
अर्थात् ऐसा निकाय जिस पर कोई बाह्य बल कार्य नहीं कर रहा है या कार्यरत् बाह्य बलों का सदिश योग शून्य है, एक विलगित निकाय (Isolated System) कहलाता है। समीकरण (4) के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में विलगित निकाय का कुल संवेग नियत या संरक्षित रहता है। यही एक विलगित निकाय के लिए संवेग संरक्षण का नियम है।
समीकरण (4) व (5) के अनुसार निकाय कण विशेष का संवेग या वेग परिवर्तित हो सकता है परन्तु बाह्य बल की अनुपस्थिति में निकाय का कुल संवेग नियत रहेगा।
कणों की खोज (Invention of Particles)-संवेग संरक्षण का नियम भौतिकी के मूलभूत नियमों में से एक है। संवेग संरक्षण के सामान्य नियम का अभी तक कोई अपवाद सामने नहीं आया है। वास्तव में जब कभी किसी प्रयोग में संवेग संरक्षण के सामान्य नियम का अतिक्रमण दृष्टि गोचर होता है, तो एक छिपे हुए या अज्ञात कण की खोज प्रारम्भ होती है, जो ऊपरी तौर से ऊर्जा संरक्षण नियम के अतिक्रमण के लिए भी उत्तरदायी होता है। इसी से न्यूट्रिनो, मेसॉन और कई अन्य मूल कणों की खोज सम्भव हो सकी है।
प्रश्न 7.
संगामी बलों से क्या तात्पर्य है? संगामी बलों के संतुलन के लिए आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर :
किसी कण की साम्यावस्था (Equilibrium of a particle concurrent forces) ;
संगामी बल (Concurrent Forces) :
“यदि किसी वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों की क्रिया रेखाएँ एक उभयनिष्ट बिन्दु से गुजरती हैं, तो उन्हें संगामी बल कहते हैं।” ऐसी अवस्था में वस्तु पर परिणामी बल उस पर कार्यरत् सभी बलों के सदिश योग के बराबर होता है और यही परिणामी बल वस्तु के रेखीय त्वरण को निर्धारित करता है। यदि वस्तु पर कार्यरत् बल संगामी नहीं हैं तो वस्तु पर परिणामी बलयुग्म लग सकता है और फलस्वरूप वस्तु घूर्णन गति भी कर सकती है। संगामी बलों के प्रभाव में यदि वस्तु साम्यावस्था में है तो सभी बलों का सदिश योग शून्य होगा। अर्थात्
या \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\ldots \ldots+\vec{F}_n=0\)
किसी वस्तु पर कार्यरत् बलों की संख्या के.अनुसार सदिशों के संयोजन हेतु उपयुक्त त्रिभुज नियम, समान्तर चतुर्भुज नियम या बहुभुज नियम का प्रयोग करते हुए परिणामी बल के परिमाण एवं दिशा ज्ञात की जा सकती है और तदानुसार वस्तु की गति का निर्धारण किया जा सकता है।
संगामी बलों के प्रभाव में संतुलन की आवश्यक शर्त (Necessary condition for equilibrium under effect of concurrent forces) :
संतुलन का अर्थ है कि वस्तु अपनी यथास्थिति को बनाये रखे। इसकी आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं-
(i) यदि पिण्ड पर दो संगामी बल कार्य करें तो बलों के संतुलन के लिए दोनों बल परिमाण में समान किन्तु परस्पर विपरीत दिशा में लगने चाहिए।
(ii) यदि बलों की क्रिया रेखाएँ समान नहीं हैं तो बलों की संख्या कम से कम तीन होनी चाहिए।
(iii) तीन संगामी बलों के प्रभाव में संतुलित अवस्था में
(iv) यदि किसी वस्तु पर लगने वाले N संगामी बल N भुजाओं वाले बहुभुज की भुजाओं द्वारा क्रमागतः रूप से व्यक्त किये जा सकते हैं तो ये बल संतुलन में होते हैं।
प्रश्न 8.
घर्षण से आप क्या समझते हैं? सीमान्त घर्षण, गतिक घर्षण तथा सर्पी घर्षण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
घर्षण (Friction) :
एक क्षैतिज मेज पर रखे m द्रव्यमान के पिण्ड पर लगने वाले बलों पर विचार करते हैं। जब तक कोई बाहरी बल पिण्ड पर नहीं लगाया जाता है तब तक पिण्ड विरामावस्था में रहता है और पिण्ड का भार \(\vec{W}=m \vec{g}\) व मेज द्वारा पिण्ड पर आरोपित अभिलम्ब बल परस्पर विपरीत दिशा में होने के कारण एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं।
अब माना पिण्ड पर कोई बाह्य बल \(\vec{F}\) क्षैतिजत: आरोपित किया जाता है जो परिमाण में इतना कम है कि पिण्ड में कोई गति उत्पन्न नहीं कर पाता है। प्रश्न यह उठता है कि बाह्य बल \(\vec{F}\) परिमाण में भले ही कितना कम हो, लेकिन पिण्ड में इसके द्वारा त्वरण (\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}\)) उत्पन्न होना चाहिए
और वस्तु को गतिशील होना चाहिए था; परन्तु ऐसा नहीं होता है। इसका अर्थ यह है कि \(\vec{F}\) के विपरीत दिशा में निश्चित रूप से एक विरोधी बल उत्पन्न होता है जो \(\vec{F}\) का विरोध करता है और पिण्ड विरामावस्था में बना रहता है। यह विरोधी बल पिण्ड एवं मेज के सम्पर्क पृष्ठ के अनुदिश लगता है। इसी बल को घर्षण बल (Force of Friction) कहते हैं। इस बल को fs से व्यक्त करते हैं। इसे स्थैतिक घर्षण (Static Friction) कहते हैं। इस प्रकार,
“जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलती है या फिसलने का प्रयास करती है तो स्पर्शी तलों के मध्य एक विरोधी बल उत्पन्न हो जाता है जो गति के विपरीत दिशा में ( अर्थात् बाह्य बल की विपरीत दिशा में ) गति का विरोध करता है। इसी विरोधी बल को घर्षण बल कहते हैं।”
यह ध्यान देने योग्य है कि स्थैतिक घर्षण का तब तक कोई अस्तित्व नहीं है जब तक कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। स्थैतिक घर्षण बल स्वत: समायोजित होने वाला बल है अर्थात् बाह्य बल को बढ़ाने पर यह बढ़ता है और एक सीमा तक बढ़ने के बाद फिर नहीं बढ़ता है। इसी अधिकतम स्थैतिक घर्षण बल को सीमान्त घर्षण (Limiting Friction) कहते हैं। बाह्य बल का मान इससे अधिक करने पर पिण्ड गति आरम्भ कर देता है।
प्रश्न 9.
घर्षण से क्या हानियाँ हैं? घर्षण कम करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर ;
घर्षण (Friction) :
एक क्षैतिज मेज पर रखे m द्रव्यमान के पिण्ड पर लगने वाले बलों पर विचार करते हैं। जब तक कोई बाहरी बल पिण्ड पर नहीं लगाया जाता है तब तक पिण्ड विरामावस्था में रहता है और पिण्ड का भार \(\vec{W}=m \vec{g}\) व मेज द्वारा पिण्ड पर आरोपित अभिलम्ब बल परस्पर विपरीत दिशा में होने के कारण एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं।
अब माना पिण्ड पर कोई बाह्य बल \(\vec{F}\) क्षैतिजत: आरोपित किया जाता है जो परिमाण में इतना कम है कि पिण्ड में कोई गति उत्पन्न नहीं कर पाता है। प्रश्न यह उठता है कि बाह्य बल \(\vec{F}\) परिमाण में भले ही कितना कम हो, लेकिन पिण्ड में इसके द्वारा त्वरण (\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}\)) उत्पन्न होना चाहिए
और वस्तु को गतिशील होना चाहिए था; परन्तु ऐसा नहीं होता है। इसका अर्थ यह है कि \(\vec{F}\) के विपरीत दिशा में निश्चित रूप से एक विरोधी बल उत्पन्न होता है जो \(\vec{F}\) का विरोध करता है और पिण्ड विरामावस्था में बना रहता है। यह विरोधी बल पिण्ड एवं मेज के सम्पर्क पृष्ठ के अनुदिश लगता है। इसी बल को घर्षण बल (Force of Friction) कहते हैं। इस बल को fs से व्यक्त करते हैं। इसे स्थैतिक घर्षण (Static Friction) कहते हैं। इस प्रकार,
“जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलती है या फिसलने का प्रयास करती है तो स्पर्शी तलों के मध्य एक विरोधी बल उत्पन्न हो जाता है जो गति के विपरीत दिशा में ( अर्थात् बाह्य बल की विपरीत दिशा में ) गति का विरोध करता है। इसी विरोधी बल को घर्षण बल कहते हैं।”
यह ध्यान देने योग्य है कि स्थैतिक घर्षण का तब तक कोई अस्तित्व नहीं है जब तक कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। स्थैतिक घर्षण बल स्वत: समायोजित होने वाला बल है अर्थात् बाह्य बल को बढ़ाने पर यह बढ़ता है और एक सीमा तक बढ़ने के बाद फिर नहीं बढ़ता है। इसी अधिकतम स्थैतिक घर्षण बल को सीमान्त घर्षण (Limiting Friction) कहते हैं। बाह्य बल का मान इससे अधिक करने पर पिण्ड गति आरम्भ कर देता है।
घर्षण एक बुराई (Friction as an Evil) :
- मशीनों में टूट फूट (wear and tear) का कारण घर्षण ही है।
- घर्षण का प्रतिकार करने में ही शक्ति का बड़ा भाग व्यर्थ चला जाता है जिससे मशीनों की दक्षता काफी कम हो जाती है।
- घर्षण के कारण ही मशीन के घूमने वाले हिस्सों में ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे वे गर्म हो जाती हैं।
घर्षण को कम करने की विधियाँ (Methods of Reducing Friction) :
1. पॉलिश द्वारा (By Polishing) :दो पृष्ठों के मध्य घर्षण को कम करने के लिए उन्हें पॉलिश किया जाता है। घड़ियों में प्रयुक्त ज्वेल बियरिंग (jewel-bearing) एवं तुला में प्रयुक्त छुर-धारों (knife-edges) पर उच्च कोटि की पॉलिश की जाती है ताकि घर्षण कम हो जाये।
2. बाल बियरिंग (Ball-Bearing) : लोटनी घर्षण फिसलन घर्षण से कम होता है। इसीलिए घूर्णन करने वाली मशीनों में शैफ्ट को बाल बियरिंग चित्र 5.22 पर जड़ (fix) दिया जाता है ताकि घर्षण को काफी कम किया जा सके। बाइसिकिल में फ्री-हील, मोटर कार की एक्सिल, मोटर एवं डायनमों की शैफ्ट आदि में बाल बियरिंग का प्रयोग किया जाता है।
3. स्नेहक (Lubricants) : स्नेहक ऐसा पदार्थ (ठोस या द्रव) होता है, जो सम्पर्क वाली दोनों सतहों के मध्य एक पतली पर्त बना लेता है। यह सम्पर्क वाली सतहों के गड्ढ़ों (depressions) को भी भर देता है और घर्षण को काफी कम कर देता है। हल्की मशीनों में कम श्यानता का पतला तेल प्रयोग किया जाता है। भारी और तेज चलने वाली मशीनों में गाढ़ा तेल (thick oil) या ठोस स्नेहक (grease) प्रयोग किये जाते हैं। दो सतहों के मध्य स्नेहक के प्रयोग से घर्षण कम किया जाता है।
कभी-कभी ठोस पॉउडर के रूप में स्नेहक का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, फरम बोर्ड पर पॉउडर छिड़क देते हैं, जिससे बोर्ड व गोटियों के बीच घर्षण कम हो जाता है।
4. सुप्रवाहिता (Streamlining) : तीव्र गति वाले वाहनों जैसे-वायुयान, जलयान, जेटयान आदि को सामने की ओर विशेष आकार (नुकीला) का बनाना सुप्रवाहिता कहलाता है। इससे तरल घर्षण (अर्थात् वायु का घर्षण वाहन पर) घट जाता है।
प्रश्न 10.
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र ( प्रारम्भिक अवधारणा) (Inertial and Non-inertial Frames of References) :
जड़त्वीय निर्देश तन्त्र (Inertial Frame of Reference ) ;
निर्देश तंत्रों की परिकल्पना गति की विश्लेषणात्मक व्याख्या के लिए की जाती है। यदि हम एक निर्देशांक पद्धति (coordinate system) की कल्पना करें जो किसी दृढ़ पिण्ड से सम्बद्ध है तथा इस निर्देशांक पद्धति के सापेक्ष किसी कण की स्थिति का मापन करते हुए इसकी गति का अध्ययन करें तो इस निर्देशांक पद्धति को निर्देश तन्त्र कहा जाता है। सामान्यतः प्रेक्षक की स्थिति निर्देश तन्त्र के मूल बिन्दु पर ली जाती हैं किन्तु यह आवयश्क नहीं है। सामान्यतः प्रेक्षक उस निर्देश तन्त्र को काम में लेता है जो उसके सापेक्ष स्थिर होता है। कार्तीय निर्देशांक पद्धति (cartesian coordinate system) को सरलतम निर्देश तन्त्र के रूप में लिया जाता है। इस प्रकार के निर्देश तन्त्र त्रिविमीय आकाश (three dimensional space) में परस्पर लम्बवत् तीन सरल रेखीय अक्षों X, Y व 2 से मिलकर बनते हैं और ये अक्ष मूलबिन्दु पर मिलती हैं।
इस प्रकार के तन्त्र से किसी क्षण पर स्थिति तीन निर्देशांकों (x. 31.2) द्वारा व्यक्त की जाती है। यद्यपि कार्तीय निर्देशांक पद्धति, दक्षिणावर्ती (right handed) (चित्र) व वामावर्ती (left handed) (चित्र b) दो प्रकार की होती है परन्तु अधिकांशतः दक्षिणावर्ती कार्तीय निर्देशांक पद्धति का ही प्रयोग निर्देश तन्त्र के रूप में किया जाता है।
ऐसे निर्देश तन्त्र जिनमें न्यूटन के गति सम्बन्धी प्रथम और द्वितीय नियम वैध होते हैं, जड़त्वीय निर्देश तन्त्र कहलाते हैं। इस प्रकार के तन्त्र में यदि किसी कण पर कोई बाह्य बल कार्यरत् नहीं है तो यह कण या तो स्थिर रहता है अथवा एक समान वेग से सरल रेखीय गति करता है (जड़त्व का नियम)। अत: इन्हें जगत्वीय निर्देश तन्त्र कहा जाता है। इस प्रकार के तन्त्रों को गैलीलियन तन्त्र अथवा न्यूटोनियन निर्देश तन्त्र के नाम से भी जाना जाता है।
गणितीय विश्लेषण से यह सिद्ध किया जा सकता है कि जड़त्वीय निर्देश तन्त्र या तो स्थिर होते हैं अथवा नियत वेग से गतिमान होते हैं। यह भी सिद्ध किया जा सकता है कि किसी जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के सापेक्ष नियत वेग से गतिमान अन्य कोई तन्त्र भी जड़त्वीय ही होगा।
जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के लिए न्यूटन द्वारा निरपेक्ष आकाश (Absolute space) की कल्पना की गई। न्यूटन ने यह माना कि निरपेक्ष आकाश एक ऐसा जड़त्वीय तंत्र है जो स्वयं निरपेक्ष विरामावस्था में है, अतः इसके सापेक्ष सभी प्रकार की गतियों का अध्ययन किया जा सकता है। परन्तु आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त के आधार पर यह कल्पना यथार्थ की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है। अनुभवों के आधार पर यह ज्ञात है कि स्थिर तारे (fixed stars) निरपेक्ष आकाश के सापेक्ष लगभग स्थिर होते हैं। अतः इन तारों से सम्बद्ध निर्देश तन्त्र सर्वोत्तम उपलब्ध जड़त्वीय निर्देश तन्त्र है।
अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र : वे निर्देश तन्त्र जिनमें न्यूटन के गति के प्रथम व द्वितीय नियम वैध नहीं रहते हैं, अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र कहलाते हैं। इन तन्त्रों में बल की अनुपस्थिति में भी किसी कण की गति त्वरित प्रतीत होती है। सभी त्वरित तन्त्र एवं घूर्णन करते हुए तन्त्र अजड़त्वीय होते हैं।
क्या पृथ्वी जड़त्वीय निर्देश तन्त्र है? – पृथ्वी न केवल अपनी स्वयं की अक्ष पर अपितु सूर्य के चारों ओर भी घूर्णन करती है अतः पृथ्वी सम्बद्ध जड़त्वीय निर्देश तन्त्र वास्तव में जड़त्वीय निर्देश तन्त्र नहीं हैं। पृथ्वी की स्वयं की घूर्णन गति के कारण इसकी सतह पर स्थित कोई स्थिर कण इसके केन्द्र की ओर अभिकेन्द्रीय बल का अनुभव करता है।
उदाहरणार्थ : भूमध्य रेखा पर इस अभिकेन्द्रीय त्वरण का मान-
सामान्य यांत्रिकी की समस्याओं में इस त्वरण को यदि न्यून मानकर छोड़ दें, तो पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र माना जा सकता है। परन्तु कुछ समस्याओं में इस त्वरण के प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं। वास्तव में पृथ्वी के अपनी अक्ष पर घूमने तथा सूर्य के चारों ओर परिक्रमण से सम्बन्धित त्वरणों के संशोधन के पश्चात् ही पृथ्वी को व्यावहारिक निर्देश तन्त्र माना जा सकता है। हालांकि पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र मानकर ही हम भौतिकी की समस्याओं को हल करते हैं।
आंकिक प्रश्न (Numerical Questions)
न्यूटन के गति के नियमों, आवेग एवं संवेग पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1.
एक मीनार की दीवार पर जल के फब्बारे द्वारा लगाया जाने वाला बल ज्ञात कीजिए, जबकि पाइप का क्षेत्रफल 10-2 m-2 तथा पानी का वेग 15 ms-1 है। मान लीजिए कि जल दीवार से टकराने के बाद वापस नही लौटता है। (g = 10 ms-2)
उत्तर :
250 N
प्रश्न 2.
विरामावस्था में पड़ा एक बम तीन समान टुकड़ों में विभक्त हो जाता है दो टुकड़े समकोण पर क्रमशः 9 ms-1 व 12 ms-1 के वेग से गति करते है, तो तीसरे टुकड़े का वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
15 ms-1
प्रश्न 3.
500 g का हथौड़ा 6 ms-1 के वेग से एक कील के सिरे पर टकराकर उस कील को 5 cm अन्दर धकेल देता है। यदि कील का द्रव्यमान उपेक्षणीय हो तो ज्ञात कीजिए-
(a) टक्कर के पश्चात त्वरण;
(b) टक्कर में लगा समय;
(c) आवेग का मान।
उत्तर :
(a) 360 ms-2;
(b) \(\frac{1}{60}\) s;
(c) 3N.s.
प्रश्न 4.
एक वस्तु का द्रव्यमान 2 kg तथा प्रारम्भिक वेग 5 ms-1 है, वस्तु की गति की दिशा में एक बल 4 s के लिए कार्य करता है। बल-समय ग्राफ संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। वस्तु के आवेग तथा वेग की गणना कीजिए।
उत्तर :
8.5 N.s. ; 9.25 ms-1
परिवर्ती द्रव्यमान पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 5.
500 kg द्रव्यमान का एक वाहन 6 ms-1 के वेग से गति कर रहा है। इस पर 10kg min-1 की दर से रेत डाली जा रही है। वाहन को नियत वेग से गतिशील रखने के लिए आवश्यक बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
N
प्रश्न 6.
एक रॉकेट का ईंधन 100 kg.s-1 की दर से जल रहा है। निष्कासित गैसें 4.5 × 104 ms-1 के वेग से निकलती हैं। रॉकेट पर उछाल बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
4.5 × 106 N
प्रश्न 7.
एक क्षैतिज घर्षण रहित सड़क पर खड़ी 2000kg की कार के ऊपर एक गन रखी गयी है। किसी समय गन द्वारा 10g की गोली कार के सापेक्ष 500 ms-1 के वेग से छोड़ी जाती है। प्रति सेकण्ड छोड़ी गयी गोलियों की संख्या 10 है, तो निकाय पर आरोपित औसत प्रणोद ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
50N
घर्षण पर आधरित प्रश्न
प्रश्न 8.
2 kg का एक गुटका क्षैतिज से 60° के कोण पर झुके हुए एक आनत तल पर रखा है गुटके एवं तल के बीच घर्षण गुणांक 0.7 है गुटके पर लगने वाला घर्षण बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
6.86N
प्रश्न 9.
10 ms-1 की चाल से सड़क पर लुढ़कता हुआ एक पिण्ड 50m दूरी तय करके विरामावस्था में आ जाता है। घर्षण गुणांक ज्ञात कीजिए। (g = 10 ms-2)
उत्तर :
0.1
प्रश्न 10.
एक मोटर कार सीधी क्षैतिज सड़क पर 1 चाल से चल रही है। यदि सड़क तथा टायरों के बीच स्वैतिक घर्षण गुणांक (4) हो, तो वह कम से कम दूरी क्या है जिसमें मोटर कार को रोका जा सकता है?
उत्तर :
\(\frac{u^2}{2 \mu_s \cdot g}\)
प्रश्न 11.
एक व्यक्ति जिसका द्रव्यमान 80kg है, एक खम्भे से नीचे फिसलता है। घर्षण बल 720 N पर नियत है। व्यक्ति का त्वरण ज्ञात कीजिए। (g = 10ms-2)
उत्तर :
1.0 ms-2
प्रश्न 12.
1200g द्रव्यमान का बक्सा क्षैतिज धरातल पर 12 g भार के बल से खींचा जाता है। घर्षण गुणांक 0.2 है सक्से में उत्पन्न त्वरण कितना होगा?
उत्तर :
7.84 ms-2
प्रश्न 13.
L लम्बाई की एक चेन अशंत मेज पर पड़ी है तथा अशंतः मेज के किनारे से लटकी है। यदि चेन तथा मेज के मध्य स्थैतिक घर्षण गुणक µs हो तो चेन कितनी अधिकतम लटकायी जा सकती है, जिससे कि मेज पर पड़ा चेन का भाग न खिसके?
उत्तर :
\(l=\frac{\mu_s \cdot L}{1+\mu_s}\)
प्रश्न 14.
एक नत तल जिसकी लम्बाई 13 m तथा ऊँचाई 5m है और µ = \(\frac{1}{3}\) है। किस प्रारंभिक वेग से वस्तु प्रक्षेपित की जानी चाहिए ताकि वस्तु तल के उच्चतम बिन्दु पर विरामावस्था में आ जाये ?
उत्तर :
13.28 ms-1
प्रश्न 15.
धातु का बना एक ब्लॉक धातु से बनी नत तल की सतह जो क्षैतिज के साथ 30° का कोण बनाती है, पर रखा हुआ है। यदि ब्लॉक का द्रव्यमान 0.5 kg और घर्षण गुणांक 0.2 है तो (i) वस्तु को फिसलने से रोकने के लिए आवश्यक बल क्या होगा ? (ii) सतह पर ऊपर की ओर गति कराने के लिए आवश्यक बल क्या होगा ? (iii) ऊपर की ओर 20 cms-2 त्वरण से गति के लिए आवश्यक बल क्या होगा?
उत्तर :
(i) 1.6N
(ii) 3.299 N
(iii) 3.399 N
वृत्तीय गति पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 16.
0.10 kg द्रव्यमान का पिण्ड 1.0m व्यास के वृत्तीय पथ पर 31.48 में 10 चक्कर की दर से घूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर :
0.2N
प्रश्न 17.
वह अधिकतम वेग ज्ञात कीजिए जिससे एक रेलगाड़ी 100 m त्रिज्या वाले वृत्ताकार पथ पर चलाई जा सकती है। पटरियों का झुकाव 11.31° है। (tan 11.31° = 0.2, g = 10ms-2)
उत्तर :
14 ms-1
प्रश्न 18.
एक साइकिल सवार जिसका द्रव्यमान 100 kg है, 100 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ को 10 ms की चाल से पार करना चाहता है। यदि साइकिल के टायरों व सड़क के बीच घर्षण गुणांक 11 0.6 हो, तो क्या सवार मोड़ को पार कर लेगा? (g = 10ms-2)
उत्तर :
हाँ
संगामी बलों पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 19.
2 किग्रा भार की एक वस्तु को संलग्न चित्र की भाँति लटकाया गया है। क्षैतिज डोरी में तनाव T1 (किग्रा भार में) ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
2√3 किग्रा भार
प्रश्न 20.
M द्रव्यमान को किसी अवितान्य डोरी से संलग्न चित्र की भाँति लटकाते हैं। क्षैतिज डोरी में तनाव क्या होगा?
उत्तर :
√3 Mg