Class 11

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्पीशीज में प्रत्येक रेखांकित तत्व की ऑक्सीकरण संख्या का निर्धारण कीजिए-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 1
उत्तर:
(क) NaH2PO4 में माना कि P की ऑक्सीकरण संख्या x है।
Na H2 P O4
(+1) + 2 × (+1) + x + 4 × (- 2) = 0
या + 1 + 2 + x – 8 = 0
या x + 5 = 0
x = + 5

(ख) NaHSO4 में माना कि S की आ. सं. x है।
Na H SO4
+ 1 + 1 + x + 4 × (- 2) = 0
या + 2 + x – 8 = 0
या x – 6 = 0
∴ x = + 6

(ग) H4P2O7 में माना कि P की आ. सं. x है।
H4 P2 O7
4 × (+ 1) + 2 × x + 7 (- 2) = 0
या + 4 + 2x – 14 = 0
या 2x – 10 = 0
या 2x = +10
∴ x = \(\frac { 10 }{ 2 }\) = +5

(घ) K2MnO4 में माना कि Mn की आ. सं. x है
K2 Mn O4
2 × (+ 1) + x + 4 × (- 2) = 0
या + 2 + x – 8 = 0
या x – 6 = 0
∴ x = +6

(ङ) CaO2 में माना कि O की आ. सं. x है।
Ca O2
+ 2 + 2 × x = 0
या 2x = – 2
या x = \(\frac { -2 }{ 2 }\)
∴ x = -1

(च) NaBH4 में माना कि B की आ. सं. x है।
Na B H4
+ 1 + x + 4 × (-1) = 0
या + 1 + x – 4 = 0
या x – 3 = 0
∴ x = +3

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

(छ) H2S2O7 में माना कि S की आ. सं. x है।
H2 S2 O7
2 ×(+1) + 2 × x + 7 ×(- 2) = 0
या + 2 + 2x – 14 = 0
या 2x – 12 = 0
या 2x =+ 12
या x = \(\frac { +12 }{ 2 }\)
∴ x = +6

(ज) KAl(SO4)2.12H2O में माना S की आ. सं. x है।
K Al (SO4)2. 12H2O
+ 1 + 3 + 2[x + 4 (-2)] + 12 (2 × 1 + (-2) = 0
या 2x – 12 = 0
या 2x = + 12
या x = \(\frac { +12 }{ 2 }\)
x = +6

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या क्या है तथा इन परिणामों को आप कैसे प्राप्त करते हैं ?
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 2
उत्तर:
(क) माना कि KI3 में I की ऑक्सीकरण संख्या x है।
K I3
(+1) + x × 3 = 0
या 3x = -1
∴ x = \(\frac { +1 }{ 3 }\)

स्पष्टीकरण-उपर्युक्त उदाहरण में आयोडीन की ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक अर्थात् \(\left(-\frac{1}{3}\right)\) आयी है, जो कि सम्भव प्रतीत नहीं होती है। यदि हम \(\mathrm{I}_3^{-}\) की संरचना पर विचार करें तो हम पायेंगे कि आयोडीन के दो परमाणु सहसंयोजक आबन्ध (I – I) के द्वारा जुड़े हुए हैं तथा आयोडीन आयन (I) इस अणु से उपसहसंयोजक बन्ध (I) के द्वारा जुड़ा हुआ है। [I – I ← I] इस प्रकार KI3 को हम निम्न रूप से प्रदर्शित कर सकते हैं-
K+[I – I ← I]
अब \(\mathrm{I}_3^{-}\) आयन में दो आयोडीन परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या शून्य एवं एक I आयन की ऑक्सीकरण संख्या -1 है। अतः \(\mathrm{I}_3^{-}\) आयन की औसत ऑक्सीकरण संख्या इस प्रकार आयेगी-
\(\frac{0+0+(-1)}{3}\) = \(-\frac{1}{3}\)

(ख) H2S4O6 में माना कि S की ऑक्सीकरण संख्या x है।
H2 S4 O6
2 × (+1) + 4 × x + 6 × (-2) = 0
या + 2 + 4 x – 12 = 0
या 4x – 10 = 0
या 4x = +10
या x = \(\frac { +10 }{ 4 }\)
∴ x = +\(\frac { 5 }{ 2 }\) या + 2.5

स्पष्टीकरण-यहाँ सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक है। इस भिन्नात्मक मान को हम अम्ल की संरचना के द्वारा ही स्पष्ट कर सकते हैं। H2S4O6 की संरचना निम्न प्रकार है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 3
संरचना से स्पष्ट है कि दो मध्यवर्ती सल्फर परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है जबकि सीमान्त स्थिति में स्थित सल्फर परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या +5 है।
अतः सल्फर की औसत ऑक्सीकरण संख्या
= \(\frac { 1 }{ 4 }\) [5 + 0 + 0 + 5] = \(\frac { 10 }{ 4 }\) = \(\frac { 5 }{ 2 }\)

(ग) Fe3O4 में माना कि Fe की ऑक्सीकरण संख्या x है।
Fe3 O4
3 × x + 4 × (-2) = 0
या 3x – 8 = 0
या 3x = +8
∴ = \(\frac { +8 }{ 3 }\)
स्पष्टीकरण- Fe3 O4 में Fe की ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक है। इसका कारण है कि Fe3 O4 एक मिश्रित ऑक्साइड है। यह FeO तथा Fe2 O3 का सममोलर मिश्रण होता है।

FeO में Fe की ऑक्सीकरण संख्या +2 है जबकि Fe2 O3 में दोनों Fe की ऑक्सीकरण संख्या +3 है। अतः
Fe की औसत ऑक्सीकरण संख्या
= \(\frac { 1 }{ 3 }\) [+ 2 + 3 + 3] = \(\frac { 8 }{ 3 }\)

(घ) माना कि CH3CH2OH में C की ऑक्सीकरण संख्या x है।
CH3 CH2 OH
x + 3 + x + 2 + (-2) + 1 = 0
या 2x + 4 = 0
या 2x = -4
या x = \(\frac { -4 }{ 2 }\)
x = -2

स्पष्टीकरण – अब हम CH3CH2OH में C1 तथा C2 परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या की गणना करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 4
C2 कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ जुड़ा है। ये हाइड्रोजन परमाणु कम वैद्युत ऋणात्मक होते हैं साथ ही यही C2 कार्बन परमाणु एक CH2OH समूह से भी जुड़ा हुआ है। यह समूह कार्बन से अधिक वैद्युत ॠणात्मक है। अतः C2 की ऑक्सीकरण संख्या = 3 × (+1) + x + 1 ×(-1) = 0; x = -2

C1 कार्बन परमाणु जैसा कि चित्र से स्पष्ट है कि, यह एक OH समूह से (जिसकी ऑक्सीकरण संख्या -1 है) तथा दो H परमाणु से (जिसकी ऑक्सीकरण संख्या +1) एवं एक CH3 समूह से (ऑक्सीकरण संख्या = +1) से जुड़ा है, अत:
C1 की ऑक्सीकरण संख्या =
1 × (+1) + x + 1 × (-2) + 1 ×(-1) = 0
या +1 + x – 2 – 1 = 0
∴ x = + 2
कार्बन की औसत ऑक्सीकरण संख्या
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) [+2 + -2] = 0

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं का अपचयोपचय अभिक्रियाओं के रूप में औचित्य स्थापित करने का प्रयास करें-
(क) CuO(s) +H2(g) → Cu(s) + H2O(g)
(ख) Fe2O3(s) + 3CO(g) → 2Fe(s) + 3 CO2(g)
(ग) 4BCl3(g) + 3LiAlH4(s) → 2 B2H6(g) + 3LiCl(g) + 3 AlCl3(s)
(घ) 2K(s) + F2(g) → 2K2F(s)
(ङ) 4NH3(g) + 5O2(g) → 4NO(g) + 6H2O(g)
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 5
उपर्युक्त अभिक्रिया में CuO से ऑक्सीजन निकल रही है और यह Cu में अपचयित हो रहा है, इसी के साथ-साथ Cu की ऑक्सीकरण संख्या +2 से 0 हो रही है अत: CuO, Cu में अपचयित हो रहा है। इसके साथ-साथ हाइड्रोजन से ऑक्सीजन जुड़ रही है और यह H2 से H2O में परिवर्तित हो रहा है, इसी के साथ-साथ हाइड्रोजन की आ. स. 0 से बढ़कर +1 हो रही है अत: इसका ऑक्सीकरण हो रहा है। इसलिए यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 6
यहाँ Fe की आ. सं. +3 से 0 में परिवर्तित हो रही है। अतः इसका अपचयन हो रहा है जबकि कार्बन की आ. सं. +2 से +4 में परिवर्तित हो रही है अतः इसका ऑक्सीकरण हो रहा है। चूंकि अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों हो रहे हैं अतः यह एक अपचयोपचय अधिक्रिया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 7
चूंकि उपर्युक्त अभिक्रिया में आ. सं. में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है अतः अपचयोपचय अभिक्रिया नहीं है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 8
उपर्युक्त अभिक्रिया में K की ऑक्सीकरण संख्या 0 से +1 हो रही है अतः इसका ऑक्सीकरण हो रहा है तथा F की ऑक्सीकरण संख्या 0 से -1 हो रही है अतः इसका अपचयन हो रहा है चूंकि यहाँ ऑक्सीकरण और अपचयन दोनों हो रहे हैं। अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 9
यहाँ ऑक्सीजन का अपचयन हो रहा है क्योंकि ऑक्सीकरण संख्या 0 से -2 में बदल रही है तथा नाइट्रोजन का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण संख्या -3 से +2 में परिवर्तित हो रही है। अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है। है-

प्रश्न 4.
फ्लोरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती
H2O(s) + F2(g) → HF(g) + HOF(g)
इस अभिक्रिया का अपचयोपचय औचित्य स्थापित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 10
उपर्युक्त अभिक्रिया में फ्लोरीन का अपचयन और ऑक्सीकरण दोनों हो रहा है। यह अपचयोपचय अभिक्रिया के असमानुपात प्रकार का उदाहरण है।

प्रश्न 5.
H2SO5, Cr2O72- तथा NO3 में सल्फर, क्रोमियम तथा नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए। साथ ही इन यौगिकों की संरचना बताइए तथा इसमें हेत्वाभास (Fallacy) का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर:
(i) H2SO5 में सल्फर की आ. सं. :
H2 S O5
2 × (+1) + x + 5 × (-2) = 0
+2 + x – 10 = 0
x = +8
परन्तु सल्फर की आ. सं. यहाँ +8 गलत है क्योंकि सल्फर की अधिकतम आ. सं. +6 हो सकती है इससे अधिक नहीं। परन्तु यहाँ सल्फर की आ. सं. +8 इसलिए आयी है क्योंकि यहाँ ऑक्सीजन की आ. सं. को गलत लिखा गया है, यहाँ ऑक्सीजन परऑक्साइड के रूप में उपस्थित है जिसकी आ. सं. (-1) होगी।
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H2 SO2 O3
2 × (+1) + x + 2 × (-1) + 3 × (-2) = 0
या + 2 + x – 2 – 6 = 0
∴ x = +6
अत: सल्फर की आ. सं. +6 है।
(ii) Cr2O72- में क्रोमियम की आ. सं. :
Cr2O72-
2 × x + 7 × (-2) = – 2
या 2x – 14 = – 2
या 2x = +12
∴ x = +6
यह आ. संख्या सही है क्योंकि चित्र के अनुसार प्रत्येक ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या (-2) है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 12

(iii) NO3 में N की ऑक्सीकरण संख्या-
NO3
x + 3 ×(-2) = -1
या x – 6 = -1
x = +5
यह ऑक्सीकरण संख्या सही है क्योंकि प्रत्येक ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या का मान यहाँ -2 ही है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 13

प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(क) मरकरी (II) क्लोराइड
(ख) निकिल (II) सल्फेट
(ग) टिन (IV) ऑक्साइड
(घ) थैलियम (I) सल्फेट
(ङ) आयरन (III) सल्फेट
(च) क्रोमियम (III) ऑक्साइड
उत्तर:
(क) HgCl2
(ख) NiSO4
(ग) SnO2
(घ) Tl2SO4
(ङ) Fe2(SO4)3
(च) Cr2O3

प्रश्न 7.
उन पदार्थों की सूची तैयार कीजिए जिनमें कार्बन की -4 से +4 तक तथा नाइट्रोजन -3 से +5 तक की ऑक्सीकरण अवस्था होती है।
उत्तर:
कार्बन की परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (-4 से +4 तक)
Table

प्रश्न 8.
अपनी अभिक्रियाओं में सल्फर डाइ- ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों ही रूपों में क्रिया करते हैं जबकि ओजोन तथा नाइट्रिक अम्ल केवल ऑक्सीकारक के रूप में ही। क्यों ?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड SO2 तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड (H2O2) में सल्फर तथा ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्रमश: +4 तथा -1 हैं। ये यौगिक रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेने के दौरान अपनी ऑक्सीकरण संख्याएँ घटा या बढ़ा सकते हैं अर्थात् ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों ही रूपों में क्रिया कर सकते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 14
ओजोन (O3) में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है, जबकि नाइट्रिक अम्ल में नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था +5 है। चूँकि ये दोनों ऑक्सीकरण अवस्था में कमी तो प्रदर्शित कर सकते हैं, परन्तु वृद्धि नहीं कर सकते; अतः ये केवल ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करते है, अपचायक के रूप में नहीं।

प्रश्न 9.
इन अभिक्रियाओं को देखिए-
(क) 6CO2(g) + 6H2O(l) → C6H12O6(aq) + 6O2(g)
(ख) O3(g) + H2O2(l) → H2O(l) + 2O2(g)
बताइए कि इन्हें निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है ?

(क) 6CO2(g) + 12H2O(l) → C6H12O6(aq) + 6H2O(l) + 6O2(g)
(ख) O3(g) + H2O2(l) → H2O(l) + O2(g) + O2(g)
उपर्युक्त अपचयोपचय अभिक्रियाओं (क) तथा (ख) के अन्वेषण की विधि सुझाइए।
उत्तर:
(क) 6CO2(g) + 6H2O(l) → C6H12O6(aq) + 6O2(g)
उपर्युक्त समीकरण को असन्तुलित अवस्था में लिखते हैं-
CO2(g) + H2O(l) → C6H12O6(aq) + O2(g)
अब इस समीकरण को अर्द्ध-अभिक्रिया या आयन इलेक्ट्रॉन विधि से सन्तुलित करने पर-

पद 1. सर्वप्रथम सभी की आक्सीकरण संख्या लिखते हैं। अपचयन
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पद 2. अब इन्हें ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया के रूप में लिखने पर,
(A) ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया-
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पद (a) ऑक्सीजन को सन्तुलित करने
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 17
पद (b) ऑक्सीकरण संख्या सन्तुलित करने पर,
2H2O → O2 + 4e
पद (c) हाइड्रोजन सन्तुलित करने पर,
2H2O → O2 + 4e + 4H+

(B) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 18
पद (a) कार्बन सन्तुलित करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 19
पद (b) ऑक्सीकरण संख्या सन्तुलित करने पर,
6CO2 + 24e → C6H12O6
पद (c) ऑक्सीजन संतुलित करने पर,
6CO2 + 24e → C6H12O6 + 6H2O
पद (d) हाइड्रोजन की संख्या संतुलित करने पर,
6CO2 + 24e + 24H+ → C6H12O6 + 6H2O

पद 3. अब सन्तुलित ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या सन्तुलित करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 6 का गुणा करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 20
उपर्युक्त लिखी अपचयोपचय अभिक्रिया की अन्वेषण की विधि बताती है कि किस प्रकार इलेक्ट्रॉन त्यागे या स्रहण किये जाते हैं, तथा इसके साथ-साथ इस अभिक्रिया को संशोधित रूप में किस तरह लिखते हैं, यह भी बताती है।
(ख) O3(g) + H2O2(l) → H2O(l) + 2O2(g)
इस समीकरण को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा सन्तुलित करते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 21
सन्तुलित ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रियाएँ लिखकर उन्हें जोड़ने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 22

  • इस अभिक्रिया में O3 ऑक्सीकारक की भाँति तथा H2O2 अपचायक की भाँति कार्य करते हैं।
  • यदि दो समान परमाणुओं के मध्य एक उपसहसंयोजी आबन्ध उपस्थित होता है तो दाता परमापु +2 ऑक्सीकरण संख्या प्राप्त करता है तथा ग्राही -2 ऑक्सीकरण संख्या प्राप्त करता है।

इस प्रकार अभिदि के अन्बेषण की विधि स्पष्ट हो जाती है तथा इसे संशोधित रूप में लिखने का कारण भी स्पष्ट हो जाता है।

प्रश्न 10.
AgF2 एक अस्थिर यौगिक है। यदि यह बन जाए तो यह यौगिक एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है। क्यों ?
उत्तर:
AgF2 वियोजित होकर Ag2+ तथा 2F देता है। Ag2+, अपचायक द्वारा एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Ag+ में अपचयित हो जाता है।
Ag2+ + 6– → Ag+
Ag+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पूर्णतया भरे हुए d-कक्षकों के कारण स्थायी होता है।
Ag+(46) : 1s2, 2s2 2p6, 3s23p63d10, 4s24p64d10, 5s0
अतः AgF2 एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

प्रश्न 11.
“जब भी एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक के बीच अभिक्रिया सम्पन्न की जाती है, तब अपचायक के आधिक्य में निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य में उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक बनता है।” इस वक्तव्य का औचित्य तीन उदाहरण देकर दीजिए।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 23

प्रश्न 12.
इन प्रेक्षणों की अनुकूलता को कैसे समझायेंगे ?
(क) यद्यपि क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट तथा अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट दोनों ही ऑक्सीकारक हैं। फिर भी टॉलुईन से बेन्जोइक अम्ल बनाने के लिए हम ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग ऑक्सीकारक के रूप में क्यों करते हैं? इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित अपचयोपचय समीकरण दीजिए।
(ख) क्लोराइड युक्त अकार्बनिक यौगिक में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालने पर हमें तीक्ष्ण गन्ध वाली HCl गैस प्राप्त होती है, परन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित हो तो हमें ब्रोमीन की लाल वाष्प प्राप्त होती है, क्यों ?
उत्तर:
(क) उदासीन माध्यम में KMnO4 निम्नलिखित प्रकार से ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है-
MnO4 + 2H2O + 3e → MnO2 + 4OH
प्रयोगशाला में टॉलुईन को बेन्जोइक अम्ल में ऑक्सीकृत करने के लिए क्षारीय $\mathrm{KMnO}_4$ का प्रयोग किया जाता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 24
औद्योगिक निर्माण के दौरान ऐल्कोहॉलिक KMnO4 को प्रयोग करने के निम्नलिखित दो कारण हैं-

  • अभिक्रिया के दौरान क्षार (OH आयन स्वतः उत्पन्न हो जाता है; अतः क्षार मिलाने का अतिरिक्त व्यय नहीं होता।
  • एक कार्बनिक ध्रुवी विलायक, एथिल ऐल्कोहॉल, दोनों अभिकारकों, $\mathrm{KMnO}_4$ (इसकी ध्रुवी प्रकृति के कारण) तथा टॉलुईन (इसके कार्बनिक यौगिक होने के कारण) को मिश्रित करने में सहायता प्रदान क्रता है।

(ख) एक क्लोराइडयुक्त अकार्बनिक यौगिक; जैसे- NaCl, जब सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है, तब हाइड्रोजन क्लोराइड गैस उत्पन्न होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 25
ब्रोमाइड (जैसे- NaBr) की H2SO4 से अभिक्रिया पर भी HBr की वाष्प उत्पन्न होती है, परन्तु HBr के प्रबल अपचायक होने के कारण, यह सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा ऑक्सीकृत होकर ब्रोमीन की लाल वाष्प मुक्त करता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 26

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकृत, अपचयित, ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ पहचानिए-

(क) 2AgBr(s) + C6H6O2(aq) → 2Ag(s) + 2HBr(aq) + C6H4O2(aq)
(ख) HCHO(l) + 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH(aq) → 2Ag(aq) + HCOO(aq) + 4NH3(aq) + 2H2O(l)
(ग) HCHO(l) + 2Cu2+(aq) + 5OH(aq) → Cu2O(s) + HCOO(aq) + 3H2O(l)
(घ) N2H4(l) + 2H2O2(l) → N2(g) + 4H2O(l)
(ङ) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
उत्तर:
(क) 2AgBr(s) + C6H6O2(aq) → 2Ag(s) + 2HBr(aq) + C6H4O2(aq)
ऑक्सीकारक : AgBr (अपचयित पदार्थ)
अपचायक : C6H4O2(aq) (ऑक्सीकृत पदार्थ)

(ख) HCHO(l) + 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH(aq) → 2Ag(s) + HCOO(aq) + 4NH3(aq) + 2H2O(l)
ऑक्सीकारक : [Ag(NH3)2]+ (अपचयित पदार्थ)
अपचायक : HCHO (ऑक्सीकृत पदार्थ)

(ग) HCHO(l) + 2Cu2+(aq) + 5OH(aq) + 3H2O(l)
ऑक्सीकारक : Cu2+ (अपचयित पदार्थ)
अपचायक : HCHO (ऑक्सीकृत पदार्थ)

(घ) N2H4(l) + 2H2O2(l) → N2(g) + 4H2O(l)
ऑक्सीकारक : H2O2 (अपचयित पदार्थ)
अपचायक : N2H4 (ऑक्सीकृत पदार्थ)

(ङ) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
ऑक्सीकारक : PbO2 (अपचयित पदार्थ)
अपचायक : Pb (ऑक्सीकृत पदार्थ)

प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया क्यों करता है?
2S2O32-(aq) + I2(s) → S4O62-(aq) + 2I(aq)
S2O32-(aq) + 2Br2(l) + 5H2O(l) → 2SO42-(aq) + 4Br(aq) + 10H+(aq)
उत्तर:
आयोडीन (I2) थायोसल्फेट आयन को टेट्राथायोनेट आयन में ऑक्सीकृत कर देती है अर्थात् S2O32- में S की ऑक्सीकरण संख्या +2 से S4O62- आयन में S की ऑक्सीकरण संख्या (\(\frac { 5 }{ 2 }\)) में परिवर्तित हो जाती है।

ब्रोमीन (Br2) थायोसल्फेट आयन को सल्फेट आयन में ऑक्सीकृत कर देती है अर्थात् S की ऑक्सीकरण संख्या +2 (S2O32- में) से +6(SO42- आयन में ) में परिवर्तित हो जाती है। इसका कारण यह है कि ब्रोमीन, आयोडीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है।
E0(Br2/2Br = 1.09 V, E0(I2/2I) = 0.54 V |

प्रश्न 15.
अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिए कि हैलोजन में फ्लुओरीन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाइड्रो हैलिक यौगिकों में हाइड्रो आयोडिक अम्ल श्रेष्ठ अपचायक है।
उत्तर:
हैलोजनों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता बहुत प्रबल होती है। अतः ये शक्तिशाली ऑक्सीकारक होते हैं। हैलोजनों की ऑक्सीकारक क्षमता इलेक्ट्रोड विभव के आधार पर निम्न प्रकार होती है।
F2(+2.87V)>Cl2(+1.36V) > Br2(+1.09V)>I2(+0.54V)
इलेक्ट्रोड विभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि F2 सर्वश्रेष्ठ ऑक्सीकारक है तथा यह अन्य हैलोजनों को उनके यौगिकों से मुक्त कर देता है।
F2 + 2Cl → 2F + Cl2
F2 + 2Br → 2F + Br2
F2 + 2I → 2F + I2
तथा Cl2 अपने से नीचे वाले हैलोजनों को उनके यौगिकों से विस्थापित कर देता है।
Cl2 + 2Br → 2Cl + Br2
Cl2 + 2I → 2Cl + I2

जबकि हैलाइड आयनों की प्रकृति इलेक्ट्रॉन को मुक्त करने की होती है। अतः वे अपचायक की तरह कार्य करते हैं। हैलाइड आयनों के इलेक्ट्रोड विभव निम्न प्रकार से हैं-
I(-0.54V) > Br(-1.09V) > Cl(-1.36V) > F(-2.87V)
अतः इनकी अपचायक प्रकृति निम्न प्रकार है-
HI > HBr > HCl > HF
अतः हाइड्रोआयोडिक एसिड सबसे प्रबल अपचायक है।
उदाहरण:
(i) HI तथा HBr, H2SO4 को SO2 में अपचयित कर देते हैं परन्तु HCl तथा HF नहीं कर सकते।
2HBr + H2SO4 → Br2 + SO2 + 2H2O
2HI + H2SO4 → I2 + SO2 + 2H2O

(ii) I, Cu2+ को Cu+ में अपचयित कर सकता है परन्तु Br नहीं
2Cu2+ +4I → Cu2I2 + I2
Cu2++ 2Br → कोई भी अभिक्रिया नहीं
अतः HI सबसे प्रबल अपचायक है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है?
XeO64-(aq) + 2F(aq) + 6H+(aq) → XeO3(g) + F2(g) + 3H2O(l)
यौगिक Na4XeO6 (जिसका एक भाग XeO64- है) के बारे में आप इस अभिक्रिया में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
XeO64-(aq) + 2F(aq) + 6H+(aq) → XeO3(g) + F2(g) + 3H2O(l)

F2 के रासायनिक विधियों द्वारा निर्माण की हाल ही में यह अभिक्रिया विकसित की गई रासायनिक विधियों की श्रेणी में से एक है। यह प्रचलित विद्युत्-रासायनिक विधि नहीं है। इस अभिक्रिया में XeO64- एक प्रबल ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करते हुए F को F2 ऑक्सीकृत कर देता है जो विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में सर्वाधिक अपचायक क्षमता वाला तत्व है।
F2 के निर्माण की एक अन्य रासायनिक विधि में अन्य प्रबल ऑक्सीकारक K2MnF6 प्रयुक्त होता है।
2K2MnF6 + 4SbF5 → 4KSbF6 + 2MnF3 + F2

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में-
(क) H3PO2(aq) + 4AgNO3(aq) + 2H2O(l) → H3PO4(aq) + 4Ag(s) + 4HNO3(aq)

(ख) H3PO2(aq) + 2CuSO4(aq) + 2H2O(l) → H3PO4(aq) + 2Cu(s) + 2H2SO4(aq)

(ग) C6H5CHO(l) + 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH(aq) → C6H5COO(aq) + 2H2O(l)

(घ) C6H5CHO(l) + 2Cu2+(aq) + 5OH(aq) → कोई परिवर्तन नहीं।
इन अभिक्रियाओं से Ag+ तथा Cu2+ के व्यवहार के विषय में निष्कर्ष निकालिए।
उत्तर:
(क) Ag+ आयन Ag में अपचयित होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
(ख) Cu2+ आयन Cu में अपचयित होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
(ग) संकुल में उपस्थित Ag+(aq),Ag में अपचयित हो जाता है जो चमकदार दर्पण की भाँति अवक्षेपित हो जाता है।
(घ) Cu2+(aq) आयन C6H5CHO (बेन्जैल्डिाइड) द्वारा अपचयित नहीं होते जो एक दुर्बल अपचायक है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

प्रश्न 18.
आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित कीजिए-
(क) MnO4(aq) + I(aq) → MnO2(s) + I2(s) (क्षारीय माध्यम)
(ख) MnO4(aq) + SO2(g) → Mn2+(aq) + HSO4(aq) (अम्लीय माध्यम)
(ग) H2O2(aq) + Fe2+(aq) → Fe3+(aq) + H2O(l) (अम्लीय माध्यम)
(घ) Cr2O72+ + SO2(g) → Cr+3(aq) + SO42-(aq) (अम्लीय माध्यम)
उत्तर:
(क) आयन इलेक्ट्रॉन विधि-
पद 1. सभी की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 27

पद 2. अभिक्रिया को ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में विभाजित करने पर,
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया-
पद (a) ऑक्सीकरण की संख्या सन्तुलित करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 28

पद (b) ऑक्सीजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
MnO4 + 3e → MnO2 + 2H2O

पद (c) हाइड्रोजन की संख्या को क्षारीय माध्यम में सन्तुलित करने के लिए दाईं तरफ 4OH तथा बाईं तरफ 4H2O को जोड़ने पर,
MnO4 + 3e + 4H2O → MnO2 + 2H2O + 4OH (सन्तुलित अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया)

ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 29
पद (a) आयोडीन की संख्या बराबर करने पर,
2I → I2

पद (b) आवेश बराबर करने पर,
2I → I2 + 2e (सन्तुलित ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया)

पद 3. अब सन्तुलित ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ें तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या सन्तुलित करने के लिए अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में 2 का तथा ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 3 का गुणा करें।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 30

उत्तर:
आयन इलेक्ट्रॉन विधि-
पद 1. सर्वप्रथम प्रत्येक की ऑक्सीकरण संख्या लिखिए-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 31
पद 2. अंब अभिक्रिया को अपचयन तथा ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में विभाजित करें।
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया-
MnO4 → Mn2+
पद (a) इस पद में आवेश सन्तुलित करने पर,
MnO4 + 5e → Mn2+

पद (b) ऑक्सीजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
MnO4 + 5e → Mn2+ + 4H2O

पद (c) अम्लीय माध्यम में हाइड्रोजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
MnO4 + 5e + 8H+ → Mn2+ + 4H2O
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया-
SO2 → HSO4

पद (a) इस पद में आवेश सन्तुलित करने पर,
SO2 → HSO4 + 2e

पद (b) इस पद में ऑक्सीजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
SO2 + 2H2O → HSO4 + 2e

पद (c) अम्लीय माध्यम में हाइड्रोजन की संख्या संतुलित करने पर,
SO2 + 2H2O → HSO4 + 2e + 3H+

पद 3. अब ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को जोड़ने पर तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या को सन्तुलित करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 5 का तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में 2 का गुणा करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 32

(ग) H2O2(aq) + Fe2+(aq) → Fe3+(aq) + H2O(l) (अम्लीय माध्यम)
उत्तर:
आयन इलेक्ट्रॉन विधि-
पद 1. सर्वप्रथम प्रत्येक की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 33

पद 2. अब अपचयन व ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में विभाजित करने पर,
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 34
पद (a) ऑक्सीजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 35

पद (b) ऑक्सीकरण संख्या सन्तुलित करने पर,
H2O2 + 2e → 2H2O

पद (c) अम्लीय माध्यम में हाइड्रोजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
H2O2 + 2e + 2H+ → 2H2O
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया
Fe2+ → Fe3+

पद (d) ऑक्सीकरण संख्या सन्तुलित करने पर-
Fe2+ → Fe3+ + e

पद 3. इस पद में ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या को सन्तुलित करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 2 का गुणा करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 36

(घ) Cr2O72+(aq) + SO2(g) → Cr3+(aq) + SO42-(aq) (अम्लीय माध्यम)
सर्वप्रथम आ. संख्या लिखने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 37
पद 1. अभिक्रिया को अपचयन व ऑक्सीकरण अर्द्ध- अभिक्रिया में विभाजित करने पर,
ऑसीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया
SO2 → SO42-

(a) आ. सं. को सन्तुलित करने पर,
SO2 → SO42- + 2e

(b) ऑक्सीजन की संख्या सन्तुलित करने पर,
SO2 + 2H2O → SO42- + 2e

(c)अम्लीय माध्यम में हाइड्रोजन संतुलित करने पर-
SO2 + 2H2O → SO42- + 2e + 4H+

अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 38
(a) क्रोमियम की संख्या सन्तुलित करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 39
(b) ऑक्सीकरण संख्या व्यवस्थित करने पर,
6e + Cr2O22- → 2Cr3+

(c) ऑक्सीजन की संख्या संतुलित करने पर-
Cr2O22- + 6e → 2Cr3+ + 7H2O

(d) हाइड्रोजन की संख्या अम्लीय माध्यम में व्यवस्थित करने पर,
Cr2O72- + 6e + 14H+ → 2Cr3+ + 7H2O

पद 2. संतुलित ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को जोड़ने पर तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या सन्तुलित करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द-अभिक्रिया में 3 का गुणा करने पर,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 40

प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरणों को आयन-इलेक्ट्रॉन तथा ऑक्सीकरण संख्या विधि (क्षारीय माध्यम में) द्वारा सन्तुलित कीजिए तथा इनमें ऑक्सीकारक और अपचायकों की पहचान कीजिए-
(क) P4(s) + OH(aq) → PH3(g) + H2PO2(aq)
(ख) N2H4(l) + ClO3(aq) → NO(g) + Cl(g)
(ग) Cl2O7(g) + H2O2(aq) → ClO2(aq) + O2(g) + H+(aq)
उत्तर:
(क) आयन इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
P4(s) + OH(aq) → PH3(g) + H2PO2(aq)

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
(i) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 41
(ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 42
(P) ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों की भाँति कार्य करता है)

पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में पहले $P$ परमाणुओं को सन्तुलित करके O परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम बाईं ओर आठ जल अण जोडते हैं।
P4(s) + 8H2O(l) → 4H2PO2(aq)

इस अभिक्रिया में H परमाणु सन्तुलित करने के लिए आठ H+ आयन दाई ओर जोड़ते हैं।
P4(s) + 8H2O(l) → 4H2PO2(aq) + 8H+(aq)
अब चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अतः दोनों ओर OH आयन जोड़ते हैं-
P4(s) + 8H2O(l) + 8OH(aq) → 4H2PO2(aq) + 8H2O(l)

या P4(s) + 8H2O(l) + 8OH(aq) → 4H2PO2(aq) + 8H2O(l)

या P4(s) + 8OH(aq) → 4H2PO2(aq)

पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में P परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
P4(s) → 4PH3(g)

H-परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम उपर्युक्त अभिक्रिया में बाई ओर बारह (6)H+ आयन जोड़ देते हैं-
P4(s) + 12H+(aq) → 4PH3(g)

क्योंकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अत: 12H+ आयनों के लिए 12OH आयन समीकरण के दोनों ओर ज़ड़ते हैं-
P4(s) + 12H+(aq) + 12OH(aq) → 4PH3(g) + 12OH(aq)

H+ तथा OH के संयोग से जल अणु बनने के कारण परिणामी समीकरण निम्नलिखित होगी-
P4(s) + 12H2O(l) → 4PH3(g) + 12OH(aq)

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
P4(s) + 8OH(aq) → 4H2PO2(aq) + 4e
P4(s) + 12H2O(l) + 12e → 4PH3(g) + 12OH(aq)

पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
4P4(s) + 12H2O(l) + 12OH(aq) → 4PH3(g) + 12H2PO2(aq)
या P4(s) + 3H2O(l) + 3OH(aq) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)

अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण में दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-

पद 1. अभिक्रिया का ढाँचा इस प्रकार है-
P4(s) + OH(aq) → PH3(g) + H2PO2(aq)

पद 2. अभिक्रिया में P की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 43
यह इस बात का सूचक है कि P ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों रूपों में कार्य करता है।

पद 3. P की ऑक्सीकरण अवस्था 3 घटती है तथा 1 बढ़ती है। अतः हमें H2PO2 को 3 से गुणा करना होगा।
P4(s) + OH(aq) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)

पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा दोनों ओर के आयनों का आवेश एकसमान नहीं है। अतः हम बाई ओर तीन OH आयन जोड़ेंगे जिससे आवेश एकसमान हो जाए।
P4(s) + 3OH(aq) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)

पद 5. इस पद में हाइड्रोजन आयनों को संतुलित करने के लिए हम तीन जल अणुओं को बाईं ओर जोड़ते हैं-

P4(s) + 3OH(aq) + 3H2O(l) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)
यह सन्तुलित अभिक्रिया है।

(ख) आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-

पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
N2H4(l) + ClO3(aq) → NO(g) + Cl(g)

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
(i) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 44
(ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 45

(N2H4 अपचायक तथा ClO3 ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है।)
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में N-परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
N2H4(l) → 2NO(g)
अब O परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में बाईं ओर दो जल अणु जोड़ते हैं-
N2H4(l) + 2H2O(l) → 2NO(g)

अब H परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में दाईं ओर 8H+ जोड़ते हैं-

N2H4(l) + 2H2O(l) → 2NO(g) + 8H+(aq)
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है; अतः समीकरण के दोनों ओर 8OH आयन जोड़ते हैं-
N2H4(l) + 2H2O(l) + 8OH(aq) → 2NO(g) + 8H+ + 8OH(aq)
H+ तथा OH आयनों के संयोग पर जल अणु बनने के कारण समीकरण निम्नवत् होगी-
N2H4(l) + 8OH(aq) → 2NO(g) + 6H2O(l)

पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में O परमाणुओं के सन्तुलन के लिए समीकरण के दाई ओर तीन जल अणु जोड़ते हैं-
ClO3(aq) → Cl(g) + 3H2O(l)

H परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण के बाईं ओर छ: H+ आयन जोड़ते हैं-

ClO3(aq) + 6H+(aq) + 6OH(aq) → Cl(g) + 3H2O(l)

चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अतः समीकरण में दोनों ओर छः OH आयन जोड़ते हैं-

ClO3(aq) + 6H+(aq) + 6OH(aq) → Cl(g) + 3H2O(l) + 6OH(aq)

H+ तथा OH के संयोग से जल अणु बनने पर,
ClO3(aq) + H2O(l) → Cl(g) + 6OH(aq)

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं के आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
N2H4(l) + 8OH(aq) → 2NO(g) + 6H2O(l) + 8e
ClO3(aq) + 3H2O(l) + 6e → Cl(g) + 6OH(aq)

इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्धअभिक्रिया को 3 से तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को 4 से गुणा करते हैं-
3N2H4(l) + 24OH(aq) → 6NO(g) + 18H2O(l) + 24e
4ClO3(aq) + 12H2O(l) + 24e → 4Cl(g) + 24OH(aq)

पद 6. दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
3N2H4(l) + 4ClO3(aq) → 6NO(g) + 4Cl(g) + 6H2O(l)
अन्तिम सत्यापन दरांता है कि उपर्युक्त समीकरण परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से सन्तुलित हैं।
ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-

पद 1. अभिक्रिया का ढ्वाँचा इस प्रकार है-
N2H4(l) + ClO3(aq) → NO(g) + Cl(g)

पद 2. अभिक्रिया में N तथा Cl की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 46
स्पष्ट है कि N2H4 अपचायक तथा ClO3 ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करते हैं।

पद 3. ऑक्सीकरण संख्या में होने वाली वृद्धि तथा कमी की गणना करते हैं तथा इन्हें एकसमान बनाते हैं।
3N2H4(l) + 4ClO3(aq) → 6NO(g) + 4Cl(g)

पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा अभिक्रिया आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है; अतः O तथा H परमाणुओं के सन्तुलन के लिए अभिक्रिया में दाईं ओर 6 जल अणु जोड़ देने पर पूर्णतया सन्तुलित समीकरण प्राप्त हो जायेगी।

3N2H4(l) + 4ClO3(aq) → 6NO(g) + 4Cl(g) + 6H2O(l) यह सन्तुलित समीकरण है।

(ग) आयन इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-

पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-

Cl2O7(g) + H2O2(aq) → ClO(aq) + O2(aq) + H+(aq)

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-

(i) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 47
(ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया :
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 48
(H2O2 अपचायक तथा Cl2O7ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करते है।)

पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया में H परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम दो H+ दाईं ओर जोड़ते हैं-
H2O2(aq) → O2(g) + 2H+(aq)
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में सम्पन्न होती है; अतः दोनों ओर दो-दो OH आयन जोड़ने पर,
2OH(aq) + H2O2(aq) → O2(g) + 2H+(aq) + 2OH(aq)
H+ तथा OH आयन के संयोग से जल अणु बनने पर परिणामी समीकरण निम्नवत् होगी-
H2O2(aq) + 2OH(aq) → O2(aq) + 2H2O(l)

पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में सर्वप्रथम Cl परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
Cl2O7(g) → 2ClO2(aq)
O परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम दाईं ओर तीन जल-अणु जोड़ते हैं-
Cl2O7(g) → 2ClO2(aq) + 3H2O(l)
H परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम 6H+ बाईं ओर जोड़ते हैं-
Cl2O7(g) + 6H+(aq) → 2ClO2(aq) + 3H2O(l)
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में सम्पन्न होती है; अतः 6H+ के लिए दोनों ओर 6OH जोड़ते हैं-
Cl2O7(g) + 6H+(aq) + 6OH(aq) → 2ClO2(aq) + 3H2O(l) + 6OH(aq)
H+ तथा OH के संयोग से जल अणु बनने पर परिणामी समीकरण निम्नवत् होगी-
Cl2O7(g) + 3H2O(l) → 2ClO2(aq) + 6OH(aq)

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
H2O2(aq) + 2OH(aq) → O2(g) + 2H2O(l) + 2e
Cl2O7(g) + 3H2O(l) + 8e → 2ClO2(aq) + 6OH(aq)

इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 4 से गुणा करते हैं।
4H2O2(aq)+ 8OH(aq) → 4O2(g) + 8H2O(l) + 8e
Cl2O7(aq) + 3H2O(l) + 8e → 2ClO2(aq) + 6OH(aq)

पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर,
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2ClO2(aq) + 4O2(g) + 5H2O(l)
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण में दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।

ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-

पद 1. अभिक्रिया का ढाँचा इस प्रकार है-
Cl2O7(g) + H2O2(aq) → ClO2(aq) + O2(aq) + H+(aq)

पद 2. अभिक्रिया में Cl तथा O की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 49
स्पष्ट है कि H2O2 अपचायक तथा Cl2O2 ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करते हैं।

पद 3. ऑक्सीकरण संख्या में होने वाली कमी तथा वृद्धि की गणना करते हैं तथा इन्हें एकसमान बनाते हैं-
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) → 2ClO2(aq) + 4O2(g)

पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा दोनों ओर के आयनों का आवेश एकसमान नहीं है; अतः हम दो OH आयन बाईं ओर जोड़ देते हैं-
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2ClO2(aq) + 4O2(g)
H परमाणुओं के सन्तुलन के लिए दाईं ओर पाँच जल-अणु जोड़ते हैं।
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2ClO2(aq) + 4O2(g) + 5H2O(l)
यह सन्तुलित समीकरण है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया से आप कौन-सी सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं-
(CN)2(g) + 2OH(aq) → CN(aq) + CNO(aq) + H2O(l)
उत्तर:
(CN)2(g) + 2OH(aq) → CN(aq) + CNO(aq) + H2O(l)
इस अभिक्रिया से निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त होती हैं-

  • अभिक्रिया में क्षारीय माध्यम में सायनोजन (CN)2 का वियोजन हो रहा है।
  • (CN)2 तथा CN दोनों प्रकृति में छद्म हैलोजेन (pseudo halogen) हैं अर्थात् इनके गुण हैलोजनों के समान हैं।
  • यह एक असमानुपातन अभिक्रिया है। इसमें एक पदार्थ का ऑक्सीकरण तथा अपचयन होता है। सायनोजन (CN})2 का CNO में ऑक्सीकरण तथा CN में अपचयन होता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

प्रश्न 21.
Mn3+ आयन विलयन में अस्थायी होता है तथा असमानुपातन द्वारा Mn2+, MnO2 और H+ आयन देता है। इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित आयनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार असमानुपातन अभिक्रिया निम्नवत् होगी –
Mn3+ → Mn2+ + MnO2 + H+
इस अभिक्रिया को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नांकित पदों में सन्तुलित किया जाता है-

पद 1. पहले हम ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
Mn3+ → Mn2+ + MnO2 + H+

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
(i) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया :
Mn3+ → MnO2
(ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया :
Mn3+ → Mn2+

पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को सन्तुलित करने के लिए इसमें बाईं ओर दो जल अणु जोड़ते हैं। इससे O-परमाणु सन्तुलित हो जाते हैं।
Mn3+ + 2H2O → MnO2
अब H परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए चार H+ दाई ओर जोड़ देते हैं-
Mn3+ + 2H2O → MnO2 + 4H+

पद 4. सन्तुलित अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया निम्नलिखित है-
Mn3+ + 2H2O → Mn2+ + 4H+

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन निम्नलिखित प्रकार करते हैं-
Mn3+ + 2H2O → MnO2 + 4H+ + le
Mn3+ + le → Mn2+

पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर,
2Mn3+ + 2H2O → MnO2 + Mn2+ + 4H+
यही सन्तुलित समीकरण है।

प्रश्न 22.
Cs, Ne, I तथा F में ऐसे तत्व की पहचान कीजिए, जो
(क) केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ख) केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ग) ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(घ) न ऋणात्मक और न ही धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
(क) F (फ्लुओरीन) केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ख) Cs (सीजियम) केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ग) I (आयोडीन) ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(घ) Ne ( निऑन) न ऋणात्मक और न ही धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 23.
जल के शुद्धिकरण में क्लोरीन को प्रयोग में लाया जाता है। क्लोरीन की अधिकता हानिकारक होती है। सल्फर डाइ-ऑक्साइड से अभिक्रिया करके इस अधिकता को दूर किया जाता है। जल में होने वाले इस अपचयोपचय परिवर्तन के लिए सन्तुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
क्लोरीन तथा सल्फर डाइऑक्साइड की अभिक्रिया निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त की जा सकती है-
Cl2 + SO2 → Cl + SO42-
इस अपचयोपचय अभिक्रिया को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से निम्नांकित पदों में सन्तुलित करते हैं-

पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
Cl2 + SO2 → Cl + SO42-

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं-
(i) ऑक्सीकरण अर्द-अभिक्रिया :
SO2 → SO42-
(ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया :
Cl2 → Cl

पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में O परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में बाई ओर दो जल अणु जोड़ते हैं-
SO2 + 2H2O → 4H+

पद 4. सन्तुलित अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया निम्नवत् होगी-
Cl2 → 2Cl

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन इस प्रकार करेंगे-
SO2 + 2H2O → SO42- + 4H+ + 2e

पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर,
Cl2 + SO2 + 2H2O → 2Cl + SO42- + 4H+
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण परमाणुओं की संख्या एवं आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है।

प्रश्न 24.
आवर्त सारणी की सहायता से निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) सम्भावित अधातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन की अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
(ख) किन्हीं तीन धातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
उत्तर:
(क) वे अधातुएँ जो परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाओं में रह सकती हैं, असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हैं। फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा सल्फर ऐसी ही अधातुएँ हैं।
(ख) संक्रमण श्रेणी (d-ब्लॉक तत्व) से सम्बद्ध धातुएँ असमानुपातन अभिक्रियाएँ प्रदर्शित कर सकती हैं। उदाहरणार्थ-मैंगनीज, आयरन तथा कॉपर।

प्रश्न 25.
नाइट्रिक अम्ल निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि के प्रथम पद में अमोनिया गैस के ऑक्सीजन गैस द्वारा ऑक्सीकरण से नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा जलवाष्प बनती है। 10.0 g अमोनिया तथा 20.00 g ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड की कितनी अधिकतम मात्रा प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
ओस्टवाल्ड विधि में अमोनिया गैस निम्न प्रकार ऑक्सीजन से क्रिया करके नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा जलवाष्प बनाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 50
68 g अमोनिया अभिक्रिया करती है = 160 g ऑक्सीजन से अतः
10 g अमोनिया अभिक्रिया करेगी = \(\frac { 160 × 10 }{ 68 }\) = 23.6 g ऑक्सीजन;
परन्तु ऑक्सीजन की उपलब्ध मात्रा 20g है जो आवश्यक मात्रा से कम है अतः ऑक्सीजन सीमान्त अभिकर्मक है।
अत: 160 g ऑक्सीजन बनाती है = 120 g NO
20 g ऑक्सीजन बनायेगी = \(\frac { 120 × 20 }{ 160 }\) = 15 g NO

प्रश्न 26.
पाठ्य-पुस्तक की सारणी 8.1 में दिए गए मानक विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या इन अभिकारकों के बीच अभिक्रिया सम्भव है?
(क) Fe3+ तथा I(aq)
(ख) Ag+ तथा Cu(s)
(ग) Fe3+(aq) तथा Br(aq)
(घ) Ag(s) तभा Fe3+(aq)
(ङ) Br2(aq) तथा Fe2+
उत्तर:
(क) Fe3+ तथा I(aq)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 51

(ख) Ag+ तथा Cu(s)
सारणी के अनुसार, E0Ag+/Ag = +0.80 V E0Cu++/Cu = 0.34V
2Ag+ + 2e → 2Ag (अपचयन, कैथोड पर)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 52

(ग) Fe3+(aq) तथा Br(aq)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 53

(घ) Ag(s) तभा Fe3+(aq)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 54

(ङ) Br2(aq) तथा Fe2+
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 55

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के विद्युत्-अपघटन से प्राप्त उत्पादों के नाम बताइए।
(क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ AgNO(s) का जलीय विलयन
(ग) प्लैटिनम इलेक्टोड के साथ H2SO4 का तनु विलयन
(घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ CuCl2 का जलीय विलयन
उत्तर:
(क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
ऐनोड पर, Ag → Ag+ + e
कैथोड पर, Ag+ + e → Ag
ऐनोड पर सिल्वर छड़ घुल जायेगी तथा कैथोड पर सिल्वर छड़ पर जमा होने लगेगा।

(ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ AgNO3 का जलीय विलयन-
AgNO3 → Ag+ + NO3
H2O → H+ + OH
ऐनोड पर, 4OH → 2H2O + O2 + 4e
कैथोड पर, Ag+ + e → Ag
कैथोड पर सिल्वर जमा होगा तथा ऐनोड पर ऑक्सीजन गैस प्राप्त होगी।

(ग) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ H2SO4 का तनु विलयन
H2SO4 → 2H+ + SO42-
H2O → H+ + OH
ऐनोड पर, 4OH → 2H2O + O2 + 4e
कैथोड पर, 2H+ + 2e → H2
कैथोड पर हाइड्रोजन तथा ऐनोड पर ऑक्सीजन गैस प्राप्त होती है।

(घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ CuCl2 का जलीय विलयन
CuCl2 → Cu2+ + 2Cl
H2O → H+ + OH
ऐनोड पर, 2Cl → Cl2 + 2e
कैथोड पर, Cu2+ + 2e → Cu
कैथोड पर कॉपर जमा होगा तथा ऐनोड पर क्लोरीन गैस प्राप्त होगी।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

प्रश्न 28.
निम्नलिखित धातुओं को उनके लवणों के विलयन में से विस्थापन की क्षमता के क्रम में लिखिए-
Al, Cu, Fe, Mg तथा Zn
उत्तर:
Mg > Al > Zn > Fe > Cu.

प्रश्न 29.
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती अपचायक क्षमता के क्रम में लिखिए-
K+/K = -2.93 V,
Ag+/Ag = 0.80V,
Hg2+/Hg = 0.79 V
Mg2+/Mg = -2.37 V,
Cr3+/Cr = -0.74V
उत्तर:
Ag < Hg < Cr < Mg < K .

प्रश्न 30.
उस गैल्वेनिक सेल को चित्रित कीजिए, जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
Zn(s) + 2Ag+(aq) → Zn2+(aq) + 2Ag(s)
अब बताइए कि-
(क) कौन-सा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है?
(ख) सेल में विद्युत्-धारा के वाहक कौन हैं?
(ग) प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ क्या हैं?
उत्तर:
Zn(s)| Zn2+(aq) | | Ag+(aq) | Ag(s)
(क) Zn इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है।
(ख) इलेक्ट्रॉन।
(ग) ऐनोड पर, Zn → Zn2+ + 2e
कैथोड पर, Ag+ + e → Ag

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
0°C पर केल्विन तापक्रम का सही मान है-
(a) 273.15 K
(b) 272.85 K
(c) 273K
(d) 273.2 K
उत्तर:
(a) 273.15 K

प्रश्न 2.
किसी रोगी का ताप 40°C है तो उसका ताप फॉरनहाइट स्केल पर होगा-
(a) 72°F
(b) 100°F
(c) 96°F
(d) 104°F
उत्तर:
(d) 104°F

प्रश्न 3.
ताप जो सेण्टीग्रेड तथा फॉरेनहाइट पैमाने पर समान ताप देता है,
(a) 0°
(b) 30°
(c) + 40°
(d) – 40°
उत्तर:
(d) – 40°

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 4.
ऑक्सीजन -183 °C पर उबलती है यह ताप लगभग है-
(a) -297°F
(c) -261°F
(b) -285°F
(d) -329°F
उत्तर:
(a) -297°F

प्रश्न 5.
किसी जल का सेल्सियस तथा फॉरेनहाइट पैमाने पर ताप का अनुपात 13 है जल का ताप है-
(a) 40°C
(b) -26.66°C
(c) -40°C
(d) 26.66°C
उत्तर:
(d) 26.66°C

प्रश्न 6.
परम शून्य ताप है-
(a) जिस पर गैस द्रवित हो जाए
(b) न्यूनतम सम्भव ताप
(c) जिस पर वास्तविक गैसों का आयतन शून्य हो जाए
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) न्यूनतम सम्भव ताप

प्रश्न 7.
गैस नियतांक का मात्रक है-
(a) कैलोरी / °C
(b) जूल / मोल
(c) जूल / मोल K
(d) जूल/ किग्रा
उत्तर:
(c) जूल / मोल K

प्रश्न 8.
यदि कोई गैस बॉयल के नियम का पालन करे तो उसके लिए PV वP के बीच ग्राफ होगा-
(a) अतिपरवलय
(b) PV अक्ष के समान्तर सरल रेखा
(c) P अक्ष के समान्तर सरल रेखा
(d) मूल बिन्दु से गुजरती P अक्ष से 45° कोण पर सरल रेखा ।
उत्तर:
(c) P अक्ष के समान्तर सरल रेखा

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 9.
किसी गैस की विशिष्ट ऊष्मा के मान-
(a) केवल दो मान Cp तथा Cv होते हैं
(b) किसी दिये हुए ताप पर केवल एकमात्र मान होता है।
(c) मान 0 से ∞ के बीच कुछ भी हो सकते हैं
(d) मान गैस के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(c) मान 0 से ∞ के बीच कुछ भी हो सकते हैं

प्रश्न 10.
100°C की वायु से जलन उसी ताप पर भाप की जलन से-
(a) अधिक घातक
(b) कम घातक
(c) दोनों बराबर घातक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) कम घातक

प्रश्न 11.
कार के इंजन में पानी को रेडिएटर में शीतलक के रूप में प्रयोग किए जाने का कारण है-
(a) कम घनत्व के कारण
(b) निम्न क्वथनांक के कारण
(c) आसानी से उपलब्धता के कारण
(d) उच्च विशिष्ट ऊष्मा के कारण।
उत्तर:
(d) उच्च विशिष्ट ऊष्मा के कारण।

प्रश्न 12.
निम्न में कौन-सा ऊष्मा चालकता के बढ़ते क्रम में सही है-
(a) Al, Cu, Ag
(b) Cu, Ag. Al
(c) Al, Ag. Cu
(d) Ag. Cu, Al.
उत्तर:
(a) Al, Cu, Ag

प्रश्न 13.
यदि समान धातु की दो छड़ों की लम्बाइयों व त्रिज्याओं का अनुपात क्रमशः 12 तथा 23 हो तथा तापान्तर समान हो, तब स्थायी अवस्था में ऊष्मा प्रवाह की दर का अनुपात होगा-
(a) 8:9
(b) 4:3
(c) 1:3
(d) 3:2
उत्तर:
(a) 8:9

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 14.
दो समान लम्बाई की छड़ों A तथा B के दोनों सिरे नियत समान ताप तथा 02 पर हैं। छड़ों में ऊष्मा संचरण की समान दर के लिए शर्त होगी-
(a) K1A1 = K2A2
(b) K1²A1 = K2²A2
(c) K1A2 = K2A1
(d) K1A1² = K2A2²
उत्तर:
(a) K1A1 = K2A2

प्रश्न 15.
किसी छड़ का ऊष्मा चालकता गुणांक निर्भर करता है-
(a) छड़ के दोनों सिरों के बीच तापान्तर पर
(b) छड़ की लम्बाई पर
(c) छड़ के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर
(d) छड़ के पदार्थ पर |
उत्तर:
(d) छड़ के पदार्थ पर

प्रश्न 16.
स्थायी अवस्था में किसी छड़ का ताप-
(a) समय के साथ घटता है
(b) समय के साथ बढ़ता है
(c) समय के साथ नहीं बदलता परन्तु भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर भिन्न-भिन्न होता है
(d) समय के साथ नहीं बदलता तथा छड़ के प्रत्येक बिन्दु पर समान होता है।
उत्तर:
(c) समय के साथ नहीं बदलता परन्तु भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर भिन्न-भिन्न होता है

प्रश्न 17.
एक गर्म पानी से भरी बाल्टी 70°C से 65°C तक 11 मिनट में 65°C से 60°C तक 12 मिनट में तथा 60°C से 55°C तक मिनट में ठण्डी होती है, तो
(a) t1 = t2 = t3
(b) t1 < t2 < t3
(c) t1 > t2 > t3
(d) t1 < t2 > t3
उत्तर:
(b) t1 < t2 < t3

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Questions)

प्रश्न 1.
ऊष्मा के विभिन्न मात्रक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
ऊष्मा के विभिन्न मात्रक जूल तथा कैलोरी हैं।

प्रश्न 2.
स्वस्थ मनुष्य के शरीर का ताप C में कितना होता है?
उत्तर:
37°C.

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प्रश्न 3.
द्रवों एवं गैसों में ऊष्मा संचरण किस विधि से होता है?
उत्तर:
द्रवों एवं गैसों में ऊष्मा संचरण संवहन विधि से होता है

प्रश्न 4.
ताप मापने के लिए कौन-कौन से तापक्रम पैमाने प्रचलित हैं?
उत्तर:
सेल्सियस पैमाना, डिग्री फॉरेनहाइट तथा केल्विन पैमाने प्रचलित हैं।

प्रश्न 5.
बर्फ का गलनांक ०°C है पानी का हिमांक कितना होगा ?
उत्तर:
पानी का हिमांक C होगा।

प्रश्न 6.
किसी वस्तु का ताप किस ऊर्जा की माप है?
उत्तर:
किसी वस्तु का ताप उसके अणुओं की औसत ऊर्जा की माप है।

प्रश्न 7.
परम शून्य ताप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
0 K ताप को परम शून्य ताप कहा जाता है। यह न्यूनतम सम्भव ताप है इसीलिए इसे परम शून्य ताप कहते हैं डिग्री सेल्सियस पैमाने पर इसके संगत ताप – 273.15°C है।

प्रश्न 8.
किसी वस्तु को ऊष्मा प्रदान करने पर उसमें किस तरह के प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं?
उत्तर:
वस्तु का ताप बढ़ सकता है, उसका प्रसार हो सकता है, उसकी अवस्था में परिवर्तन हो सकता है।

प्रश्न 9.
केल्विन पैमाने पर जल का क्वथनांक कितना होता है?
उत्तर:
K = C + 273.15 – 100 + 273.15 = 373.15 K

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प्रश्न 10.
एक द्रव का नाम बताइए जो ऊष्मा का सुचालक है?
उत्तर:
पारा ऊष्मा का सुचालक है।

प्रश्न 11.
किसी पदार्थ के रेखीय प्रसार गुणांक तथा आयतन प्रसार गुणांक में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
आयतन प्रसार गुणांक
= 3 × रेखीव प्रसार गुणांक
γ = 3α

प्रश्न 12.
किसी धातु के रेखीय प्रसार गुणांक (α), क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (ß) तथा आयतन प्रसार गुणांक (γ) में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
α : ß : γ = 1 : 2 : 3

प्रश्न 13.
क्या किसी पदार्थ को गर्म किए जाने पर उसका आयतन कम हो जाता है ? उदाहरण दें।
उत्तर:
हाँ, जल को 0°C से 4°C तक गर्म किए जाने पर जल का आयतन कम हो जाता है।

प्रश्न 14.
टेलीफोन के दो खम्भों के बीच तारों को कुछ ढीला क्यों छोड़ा जाता है?
उत्तर:
टेलीफोन के तारों को दो खम्भों के बीच ढीला इसलिए रखते हैं जिससे वे सर्दियों में सिकुड़कर टूट न जाएँ।

प्रश्न 15.
रेखीय प्रसार गुणांक का मात्रक लिखिए।
उत्तर:
रेखीय प्रसार गुणांक का मात्रक प्रति °C है।

प्रश्न 16.
विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक क्या है?
उत्तर:
विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक J kg-1 K-1 अथवा cal kg-1 °C-1 है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 17.
किस द्रव की विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक होती है?
उत्तर:
जल की विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 18.
जल की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर –
जल की विशिष्ट ऊष्मा = 1 Cal g-1 °C-1
अथवा 4.18 × 10³ J kg-1 C-1 होती है।

प्रश्न 19.
जल की विशिष्ट ऊष्मा अधिक होने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि जल देर में गर्म तथा देर में ठण्डा होता

प्रश्न 20.
यदि किसी वस्तु की ऊष्मा धारिता Q तथा उसका द्रव्यमान m हो तो वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा क्या होगी ?
उत्तर:
वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा (s) = \(\frac{\text { ऊष्मा धारिता (Q) }}{\text { द्रव्यमान (m) }}\)

प्रश्न 21.
ताँबा, लोहा, जल में से किसकी विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक है?
उत्तर:
जल की विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक है।

प्रश्न 22.
m द्रव्यमान तथा गुप्त ऊष्मा वाले पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के लिए कितनी ऊष्मा चाहिए ?
उत्तर:
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के लिए आवश्यक ऊष्मा Q = mL

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प्रश्न 23.
किसी लोहे के टुकड़े को हथौड़े से पीटने पर वह गर्म हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि हथौड़े की गतिज ऊर्जा, टुकड़े से टकराने पर ऊष्मा में बदल जाती है।

प्रश्न 24.
बर्फ की गुप्त ऊष्मा का J kg-1 में मान बताइए। अथवा बर्फ की गुप्त ऊष्मा का मान बताइए।
उत्तर:
बर्फ की गुप्त ऊष्मा 3.36 × 105 J kg-1 है।

प्रश्न 25.
लकड़ी, काँच, पारा तथा वायु में ऊष्मा का सबसे बुरा चालक कौन है?
उत्तर:
वायु, सबसे बुरा चालक है।

प्रश्न 26.
जल के क्वथनांक पर दाब का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
दाब के बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है तथा दाब के घटने पर क्वथनांक घटता है।

प्रश्न 27.
द्रव में अपद्रव्य मिलाने पर क्वथनांक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
क्वथनांक बढ़ जाता है।

प्रश्न 28.
ऊष्मा चालकता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पदार्थों का वह गुण, जिसके कारण उनमें चालन की प्रक्रिया द्वारा ऊष्मा का संचरण होता है, पदार्थ की ऊष्मा चालकता कहलाता है।

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प्रश्न 29.
स्थायी अवस्था में छड़ के प्रत्येक भाग का ताप स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर:
क्योंकि इस अवस्था में छड़ का कोई भी भाग ऊष्मा का अवशोषण नहीं करता ।

प्रश्न 30.
ऊष्मीय विकिरण की प्रकृति कैसी होती है?
उत्तर:
ऊष्मीय विकिरण की प्रकृति विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के समान होती है। यही कारण है कि इसे चलने के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 31.
सर्दियों में टेलीफोन की तारें तन जाती हैं, क्यों ?
उत्तर:
सर्दियों में ताप कम होने के कारण वे संकुचित हो जाती है, इस कारण वन जाती हैं।

प्रश्न 32.
निर्वात में प्रकाश की चाल क्या होती है?
उत्तर:
3 × 108 m/s.

प्रश्न 33.
ड्यूआर फ्लास्क अथवा धर्मस बोतल की भीतरी तथा बाहरी दीवारों पर किसका लेप होता है?
उत्तर:
चाँदी का |

प्रश्न 34.
दो व्यक्ति चाय पीने बैठते हैं। एक ने अपनी चाय में तुरन्त ठण्डा दूध मिला दिया पर दूसरे ने थोड़ी देर बाद किसकी चाय देरी से ठण्डी होगी ?
उत्तर:
जिसने तुरन्त दूध मिला दिया क्योंकि कम ताप वाली वस्तु के ठण्डी होने की दर कम होती है।

प्रश्न 35.
क्या भू-उपग्रह के भीतर जल को उबाला जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि भू-उपग्रह के भीतर वायु भारहीन होती है, अतः संवहन धाराएँ नहीं बहती हैं।

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प्रश्न 36.
जब चीनी को चाय में मिलाया जाता है तो यह ठण्डी हो जाती है, क्यों ?
उत्तर:
चीनी चाय से ऊष्मा अवशोषित कर लेती है, अतः चाय का ताप घट जाता है।

प्रश्न 37.
किसी हीटर में ऊष्मा निरन्तर उत्पन्न होती है। फिर भी कुछ समय पश्चात् इसका ताप स्थिर हो जाता है, क्यों ?
उत्तर:
कुछ समय पश्चात् ऊष्मा उत्पन्न होने की दर तथा विकिरण के द्वारा ऊष्मा हानि बराबर हो जाती है जिससे ताप स्थिर रहता है।

प्रश्न 38.
अत्यधिक ठण्ड होने पर प्राणी अपने आप को समेट कर बैठते हैं, क्यों ?
उत्तर:
ऐसा करने पर उनका क्षेत्रफल कम हो जाता है, जिससे ऊष्मा की क्षति कम होती है।

प्रश्न 39.
हाथ पर ईथर डालने से हाथ को ठण्डक का अनुभव क्यों होता है ?
उत्तर:
ईथर के वाष्पीकरण के लिए गुप्त ऊष्मा हाथ में लेने के कारण ठण्डक का अनुभव होता है।

प्रश्न 40.
अवस्था परिवर्तन में कौन सी राशि नहीं बदलती है ?
उत्तर:
ताप ।

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प्रश्न 41.
वीन के नियम के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
इसकी सहायता से सूर्य एवं अन्य नक्षत्रों के ताप ज्ञात किये जा सकते हैं।

प्रश्न 42.
गैसों के दाब गुणांकों का मान कितना होता है ?
उत्तर-
α = ß = \(\frac{1}{273}\)

प्रश्न 43.
ऊष्माधारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी पदार्थ की ऊष्माधारिता वह ऊष्मा है जो एकांक ताप परिवर्तन के लिए आवश्यक होती हैं।
S = \(\frac{∆Q}{∆T}\)

प्रश्न 44.
पूर्ण सूर्यग्रहण का समय फ्रॉनहॉफर रेखाएँ अपेक्षाकृत काली होती हैं या चमकीली ?
उत्तर:
चमकीली।

प्रश्न 45.
किरचॉफ के नियम के अनुसार अच्छे अवशोषक……. होते हैं।
उत्तर:
अच्छे उत्सर्जक ।

प्रश्न 46.
किस ताप पर डिग्री सेन्टीग्रेट व फॉरेनहाइट पैमाना बराबर होते हैं ?
उत्तर:
40°C पर ।

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लघु उत्तरीय प्रश्न ( Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्टीफन के नियम से न्यूटन के शीतलन के नियम की उत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
तापीय प्रसार (THERMAL EXPANSION):
जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है, तो उसका ताप बढ़ने से पदार्थ के अनेक भौतिक गुण बदल जाते हैं। इनमें से एक प्रभाव पदार्थ के आकार पर भी पड़ता है। इसी को पदार्थ का तापीय प्रसार कहते हैं। तापीय प्रसार विभिन्न पदार्थों के लिए भिन्न-भिन्न होता है। ताप के बढ़ने से सभी पदार्थ (ठोस, द्रव या गैस) प्रसारित होते हैं।

ठोसों में तापीय प्रसार (Thermal Expansion In Solids):
ठोसों को गर्म करने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप ठोस पदार्थों की लम्बाई, पृष्ठ का क्षेत्रफल तथा आयतन भी बढ़ जाता है। इस प्रकार ठोसों में प्रसार तीन प्रकार का होता है-

  • रेखीय प्रसार (Linear Expansion)
  • क्षेत्रीय प्रसार (Superficial Expansion)
  • आयतन प्रसार (Volume Expansion)

प्रश्न 2.
वीन के नियम से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
वीन का विस्थापन नियम (Wein’s Displacement Law):
कृष्णिका विकिरण में सभी तरंगदैर्घ्यों के लिए उत्सर्जन क्षमता eλ समान नहीं होती है। एक विशेष ताप पर एक विशेष तरंगदैर्घ्य को उत्सर्जकता अधिकतम होती है। इस तरंगदैर्घ्य को λm से व्यक्त करते हैं और ताप बढ़ाने पर λm का मान घटता है। वैज्ञानिक वीन से λm एवं ताप T में सम्बन्ध स्थापित करते हुए एक नियम दिया जो उन्हीं के नाम से ‘वीन का विस्थापन नियम’ के रूप में जाना गया। इस नियम के अनुसार ” λm का मान कृष्णिका के परम ताप (T) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।” अर्थात्
λm ∝ \(\frac{1}{T}\)
या λm ∝ \(\frac{b}{T}\)
या λm.T = b
यहाँ b एक नियतांक है जिसे ‘वीन-नियतांक’ (Wein Constant) कहते हैं। इसका मान कृष्णिका के लिए 2.90 × 103m होता है। इस नियम की सहायता से सूर्य के ताप की गणना निम्न प्रकार की जा सकती है। विभिन्न प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि सूर्य के लिए λm का मान 4753 × 10-10 होता है। अतः वीन के नियमानुसार
\(T=\frac{b}{\lambda_m}=\frac{2.90 \times 10^{-3}}{4753 \times 10^{-10}}=6100 \mathrm{~K}\)

प्रश्न 4.
धातु छड़ की स्थायी दशा एवं परिवर्तित दशा से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
ऊष्मा स्थानान्तरण (Heat Transfer):
ऊष्मा का संचरण सदैव उच्च ताप से निम्न ताप की ओर होता है। ताप में अन्तर के कारण एक निकाय से दूसरे निकाय में अथवा किसी निकाय के एक भाग से उसके दूसरे भाग में ऊर्जा के स्थानान्तरण को ऊष्मा स्थानान्तरण कहते हैं। ऊष्मा स्थानान्तरण की निम्न तीन विधियाँ हैं-

  • चालन (Conduction)
  • संवहन (Convection) एवं
  • विकिरण (Radiation) ।

सामान्यतः ठोसों में ऊष्मा का स्थानान्तरण चालन विधि से होता है जबकि द्रवों व गैसों में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि से होता है। सूर्य से पृथ्वी तक सूर्य की ऊर्जा विकिरण विधि से आती है। यहाँ पर यह उल्लेख भी आवश्यक है कि चालन व संवहन ऊष्मा संचरण की धीमी विधियाँ हैं जबकि विकिरण तीव्र गति की विधा है। चालन व संवहन के लिए माध्यम की आवश्यकता है जबकि विकिरण के लिए माध्य की आवश्यकता नहीं है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 5.
त्रिक बिन्दु से आप क्या समझते हैं? पानी के लिए इसका मान क्या होता है?
उत्तर:
त्रिक बिन्दु (Triple Point):
हम जानते हैं कि अवस्था परिवर्तन के समय किसी पदार्थ का ताप नियत रहता है। पदार्थ के दाब व ताप के मध्य खींच गया ग्राफ प्रावस्था आरेख कहलाता है। चित्र 11.13 में जल के लिए एवं चित्र (11.14) में CO2 के लिए प्रावस्था आरेख प्रदर्शित किये गये हैं। इस प्रकार के आरेख में P-T तल को ठोस, द्रव व वाष्प क्षेत्र में विभाजित किया जा सकता है। ये क्षेत्र विभिन्न वक्रों द्वारा प्रथक होते हैं। ये वक्र हैं-(i) ऊर्ध्वपातन वक्र (BO) (ii) वाष्पन वक्र (CO) (iii) संगलन वक्र (A O) । ऊर्ध्वपातन वक्र B O के बिन्दु उस अवस्था के व्यक्त करते हैं जिस पर ठोस व वाष्प अवस्थाएँ सहवर्ती होती हैं। इसी प्रकार वाष्पन वक्र CO के बिन्दुओं पर द्रव एवं वाष्प अवस्थाएँ सहवर्ती होती हैं। संगलन वक्र AO के बिन्दुओं पर ठोस व द्रव की अवस्थाएँ सहवर्ती होती हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -1

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 6.
उष्मीय चालकता गुणांक से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
ऊष्मा स्थानान्तरण (Heat Transfer):
ऊष्मा का संचरण सदैव उच्च ताप से निम्न ताप की ओर होता है। ताप में अन्तर के कारण एक निकाय से दूसरे निकाय में अथवा किसी निकाय के एक भाग से उसके दूसरे भाग में ऊर्जा के स्थानान्तरण को ऊष्मा स्थानान्तरण कहते हैं। ऊष्मा स्थानान्तरण की निम्न तीन विधियाँ हैं-

  • चालन (Conduction)
  • संवहन (Convection) एवं
  • विकिरण (Radiation) ।

सामान्यतः ठोसों में ऊष्मा का स्थानान्तरण चालन विधि से होता है जबकि द्रवों व गैसों में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि से होता है। सूर्य से पृथ्वी तक सूर्य की ऊर्जा विकिरण विधि से आती है। यहाँ पर यह उल्लेख भी आवश्यक है कि चालन व संवहन ऊष्मा संचरण की धीमी विधियाँ हैं जबकि विकिरण तीव्र गति की विधा है। चालन व संवहन के लिए माध्यम की आवश्यकता है जबकि विकिरण के लिए माध्य की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 7.
गलन की गुप्त ऊष्मा से क्या अभिप्राय है? बर्फ के लिए इसका क्या मान होता है?
उत्तर:
गुप्त ऊष्मा (Latent Heat):
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के समय ऊष्मा की आपूर्ति निरन्तर होती रहती है, लेकिन पदार्थ का ताप नहीं बदलता है। यह तब तक नियत रहता है जब तक सम्पूर्ण पदार्थ की अवस्था परिवर्तित नहीं हो जाती है। इस समय पदार्थ को दी गई ऊष्मा उसका ताप न बढ़ाकर उसके अणुओं को आणविक बलों के विरुद्ध अलग करने में व्यय होती है। “पदार्थ के
एकांक द्रव्यमान की अवस्था परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा को पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।” इसे L से व्यक्त करते हैं। चूँकि अवस्था परिवद्रन के समय दी गई ऊष्मा से ताप वृद्धि नहीं होती है इसलिए ऊष्मा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं। अवस्था परिवर्तन के दौरान ताप व दाब का मान नियत रहता है।

उदाहरण के लिए यदि -15°C पर स्थित बर्फ को ऊष्मा दी जाये तो पहले बर्फ का ताप बढ़कर 0°C तक पहुँचता है। यही बर्फ का गलनांक है। अतः ऊष्मा प्रदान करने की प्रक्रिया जारी रखी जाये तो बर्फ का अवस्था परिवर्तन अर्थात् पिघलना प्रारम्भ होता है। ताप का मान 0°C पर ही नियत रहेगा जब तक पूरी बर्फ नहीं गल जाती। अवस्था परिवर्तन की यही स्थिति वाष्पन के समय होती है। क्वथनांक पर द्रव का ताप नियत हो जाता है और तब तक नियत रहता है जब तक सारा द्रव वाष्प में परिवर्तित नहीं हो जाता है।
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प्रश्न 8.
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा से क्या अभिप्राय है? भाप के लिए इसका क्या मान होता है?
उत्तर:
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporisation):
ऊष्मा की वह मात्रा जो पदार्थ के एकांक द्रव्यमान को उसके क्वथनांक पर द्रव से गैस अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक होती है, पदार्थ की वाष्पन की गुप्त ऊष्मा Lv कहलाती है। अवस्था परिवर्तन से सम्बन्धित ऊष्मा व ताप के मध्य जल के लिए परिवर्तन चित्र में प्रदर्शित है।
यहाँ यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि अवस्था परिवर्तन के समय ऊष्मा चाहे ली जाये या दी जाये लेकिन ताप नियत रहता है। चित्र 11.15 में A B, C D तथा EF की प्रवणता समान नहीं है जिसका कारण।

विभिन्न अवस्थाओं में विशिष्ट ऊष्मा का असमान होना है। जल के लिए Lf = 2.33 × 105 J.kg-1 व Lv = 22.6 × 105 J.kg है अर्थात् 0°C पर 1 kg बर्फ को पूर्णतः पिघलाने के लिए 3.33 × 105 J ऊष्मा की आवश्यकता होती है और उक्त जल को 100°C पर पूर्णरूप से वाष्प में बदलने के लिए 22.6 × 105 J ऊष्मा की आवश्यकता होती है। स्पष्ट है कि 100°C के जल की अपेक्षा 100°C की भाप में 22.6 × 105 J ऊष्मा अधिक होती है। इसीलिए उबलते हुए जल की अपेक्षा भाप से अधिक जलन होती है। निम्न सारणी में कुछ पदार्थों के ताप व गुप्त ऊष्मा के मान दिये गये हैं-
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प्रश्न 9.
विद्युत् हीटर का स्विच ऑन करने के कुछ समय पश्चात् हीटर का ताप स्थिर हो जाता है, जबकि उसमें धारा प्रवाहित होती रहती है, क्यों?
उत्तर:
कुछ समय के बाद स्थायी अवस्था आ जाती है, इस अवस्था मैं चालन, संवहन व विकिरण द्वारा ऊष्मा हानि दर हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर के बराबर हो जाती है।

प्रश्न 10.
जाड़ों में मोटी कमीज की अपेक्षा दो पतली कमीजें पहनना अधिक उपर्युक्त है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि दो पतों के मध्य वायु की एक पर्त बन जाती है जो कि ऊष्मा की कुचालक है, जिससे शरीर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती है।

प्रश्न 11.
किसी पदार्थ के उष्मीय प्रतिरोध से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
चालन (Conduction):
यदि किसी चालक छड़ के सिरों पर तापान्तर उत्पन्न किया जाता है तो ऊष्मा का संचरण उच्च ताप के सिरे से निम्न ताप के सिरे की ओर होने लगता है। ऊष्मा के इसी स्थानान्तरण को चालन कहते हैं। उदाहरण के लिए-लोहे की छड़ का एक सिरा गर्म करने पर दूसरे सिरे का गर्म हो जाना। हम जानते हैं कि ठोसों के अणु केवल अपने स्थान पर कम्पन कर सकते हैं लेकिन अपना स्थान नहीं छोड़ते। छड़ के गर्म सिरे पर अणु ऊष्मा ग्रहण करके अधिक आयाम के दोलन करने लगते हैं अर्थात् उनकी दोलन ऊर्जा बढ़ जाती है। इस प्रकार इस भाग के अणुओं की गतिज दूसरे पड़ोसी भाग के अणुओं की अपेक्षा अधिक हो जाती है। इन अणुओं की टक्क्र समीपवर्ती कम ऊर्जा वाले भाग के अणुओं से होती है, अतः ऊर्जा का स्थानान्तरण कम ऊर्जा वाले अणुओं को हो जाता है। यही प्रक्रिया आगे के भागों की ओर बढ़ती है और इस प्रकार अणुओं के माध्यम से ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होता रहता है। यही चालन विधि है। स्पष्ट है कि इस विधा में केवल ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, द्रव्य का नहीं।

सभी पदार्थों का ऊष्मा के प्रति व्यवहार समान नहीं है। कुछ पदार्थ जैसे-ताँबा, चाँदी, लोहा आदि ऊष्मा के अच्छे चालक होते हैं। इसके विपरीत कुछ अन्य पदार्थ जैसे-काँच, प्लास्टिक, बेकेलाइट, प्लाईवुड आदि ऊष्मा के कुचालक होते हैं। धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन भी ऊष्मा चालन में सक्रिय योगदान देते हैं। “पदार्थों का वह गुण जो ऊष्मा के चालन की व्याख्या करता है उसे ऊष्मा चालकता से परिभाषित करते हैं। ऊष्मा चालन की व्याख्या किसी पदार्थ में किसी दिये गये तापान्तर पर ऊष्मा प्रवाह की दर से की जाती है।”
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प्रश्न 12.
समान पदार्थ के दो गोलों की त्रिज्याओं एवं इसके पृष्ठ तापक्रम के मान क्रमशः r1,r2 एवं T1,T2 हैं तथा ये समान शक्ति की ऊर्जा विकिरित करते हैं, तो r1 एवं r2 का अनुपात कितना होगा?
उत्तर:
पदार्थ की शक्ति
(P) = Aσ T4 = 4πr²σ T4
P a r²T4
या r² ∝ \(\frac{1}{T^4}\) [∵ P = स्थिरांक ]
∴ \(\frac{r_1}{r_2}=\left(\frac{\mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}\right)^2\)

प्रश्न 13.
तीन कृष्ण पिण्डों के लिए तीव्रता- तरंग दैर्ध्य ग्राफ प्रदर्शित है। पिण्डों के ताप क्रमश: T1,T2 व T3 हों तो T1,T2 व T3 में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -5
उत्तर:
चीन के नियम से, λm × \(\frac{1}{T}\) तथा चित्र से,
m)1 < (λm)3 < (λm)2
अतः T1 > T3 > T2 से।

प्रश्न 14.
चित्र में दिखाया गया ग्राफ किसी वस्तु के तापक्रम के लिए डिग्री सेल्सियस एवं डिग्री फॉरेनहाइट के बीच है, तब AB रेखा का ढाल ज्ञात कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -6
उत्तर:
सेण्टीग्रेड तथा फॉरेनहाइट तापक्रम पैमाने में सम्बन्ध
\(\frac{C}{5}=\frac{F-32}{9}\)
\(C=\frac{5}{9} F-\frac{160}{9}\)
उपर्युक्त समीकरण की तुलना y = mx + c से करने पर,
\(m=\frac{5}{9}\)
अतः रेखा की ढाल = \(\frac{5}{9}\)

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प्रश्न 15.
वायु तथा लकड़ी दोनों ही ऊष्मा के कुचालक हैं, यदि तप्त तन्तु व अपने बीच लकड़ी का पर्दा रख दें, तो ऊष्मा हम तक नहीं पहुँच पाती, परन्तु बीच में केवल वायु होने से हम तप्त तन्तु की ऊष्मा का आभास करते हैं, क्यों?
उत्तर:
वायु तथा लकड़ी दोनों ही ऊष्मा की कुचालक हैं, परन्तु वायु में संवहन द्वारा ऊष्मा का संचरण हो सकता है जबकि लकड़ी में संवहन की प्रक्रिया नहीं होती, इसलिए तप्त तन्तु व हमारे बीच लकड़ी का पर्दा होने से तप्त तन्तु की ऊष्मा हम तक नहीं पहुँच पाती, परन्तु लकड़ी के पर्दे की अनुपस्थिति में तप्त तन्तु से ऊष्मा संवहन द्वारा हम तक पहुँच जाती है।

प्रश्न 16.
धातु के दो गोले S1 एवं S2 समान पदार्थ के बने हैं एवं इनकी सतहों की प्रकृति भी समान है। S1 गोले का द्रव्यमान, S2 के द्रव्यमान का तीन गुना है। दोनों गोलों को समान उच्च तापक्रम तक गर्म कर एक कमरे में एक-दूसरे से ऊष्मारोधित रूप में भिन्न तापक्रम पर रखा जाता है तो S1 एवं S2 के ठण्डा होने की दरों का अनुपात ज्ञात कीजिए ।
उत्तर-
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प्रश्न 17.
स्टील के खाना पकाने के बर्तनों की पेंदी में ताँबे की पर्त लगाई जाती है, क्यों?
उत्तर:
स्टील की अपेक्षा ताँबे की ऊष्मा चालकता काफी अधिक होती है, अतः ताँबे की अतिरिक्त तली होने के कारण आग पर रखने पर यह अधिक ऊष्मा का कम समय में संचरण करती है।

प्रश्न 18.
रेफ्रिजरेटर में शीतलक कुण्डलियाँ ऊपर क्यों बनाई जाती हैं ?
उत्तर:
ऊपर की वायु कुण्डलियों के सम्पर्क में आने पर ठण्डी होकर भारी हो जाती है अतः नीचे आने लगती है तथा नीचे की गर्म हल्की वायु ऊपर जाने लगती है। इस प्रकार रेफ्रिजरेटर में वायु में संवहन धाराएँ बन जाती हैं तथा पूरा स्थान ठण्डा हो जाता है, यदि शीतलक कुण्डलियाँ नीचे लगायी जाएँ, तो संवहन धाराएँ नहीं बनेंगी।

प्रश्न 19.
तारा A हरे रंग का, तारा B नीले रंग का प्रकाश उत्सर्जित करता है। इन दोनों में किसका ताप अधिक है?
उत्तर:
वीन के नियम के अनुसार, λmT = नियतांक,
इसके अनुसार, T ∝ \(\frac{1}{λ_m}\)
चूँकि नीले रंग की तरंगदैर्घ्य हरे रंग से कम होती है, अतः नीला रंग उत्सर्जित करने वाले तारे का ताप अधिक होगा अर्थात् तारे B का ताप A की अपेक्षा अधिक होगा।

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प्रश्न 20.
यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल अनुपस्थित होता तो पृथ्वी इतनी ठण्डी हो जाती है कि यहाँ जीवन सम्भव नहीं होता। समझाइए, क्यों ?
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल अवरक्त विकिरणों के लिए एक कुचालक आवरण की भाँति व्यवहार करता है। यह दिन के समय पृथ्वी द्वारा प्राप्त की गई ऊष्मा को रात्रि के समय वापस जाने से रोक लेता है। किन्तु यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल अनुपस्थित होता तो पृथ्वी सारी ऊष्मा को उत्सर्जित कर देती और यदि सारी ऊष्मा पृथ्वी की सतह छोड़ देती तो यह अत्यधिक ठण्डी हो जाती।

प्रश्न 21.
वे बर्तन जिनके पैदे काले और खुरदुरे होते हैं उनमें रखा द्रव पॉलिश किये हुए आधार वाले बर्तन की तुलना में जल्दी उबलने लग जाता है, क्यों?
उत्तर:
काले और खुरदुरे पृष्ठ चमकीले पृष्ठों की तुलना में ऊष्मा के अच्छे अवशोषक होते हैं। इस कारण ही वे बर्तन जिनके पैदे काले और खुरदुरे होते हैं, उनमें रखा द्रव पॉलिश किये हुए पेंदे वाले बर्तन की तुलना में जल्दी उबलने लग जाता है।

प्रश्न 22.
मोटे काँच के गिलास में गर्म चाय डालने से गिलास टूट जाता है परन्तु चम्मच रखे गिलास में चाय डालने से गिलास नहीं टूटता है, क्यों?
उत्तर:
जब काँच के गिलास में गर्म चाय डालते हैं तो गिलास के भीतर की सतह फैलती है परन्तु काँच ऊष्मा का कुचालक होने के कारण ऊष्मा बाहर की सतह पर शीघ्र नहीं पहुँचती जिसके कारण गिलास टूट जाता है। यदि गिलास में चम्मच रख दें तो ऊष्मा चम्मच में फैल जाती है और गिलास टूटने से बच जाता है।

प्रश्न 23.
रेल की पटरियों के मध्य कुछ स्थान खाली क्यों छोड़ा जाता है?
उत्तर:
यदि रेल की पटरियों के मध्य स्थान खाली नहीं छोड़ा जायेगा तो गर्मियों में ताप वृद्धि के कारण ये प्रसारित होंगी और खाली स्थान के अभाव में मुड़ जाएंगी इससे ट्रेन पटरी से उतर सकती है। इसी कारण दो पटरियों के मध्य कुछ स्थान खाली रखा जाता है।

प्रश्न 24.
दो छड़ों के पदार्थों की ऊष्मा चालकताओं का अनुपात 4 : 3 है। यदि दोनों की त्रिज्या एवं ऊष्मीय प्रतिरोध समान हों तो उनकी लम्बाईयों का अनुपात क्या
होगा ?
उत्तर:
R = \(\frac{l}{KA}\) ∵ R1 = R2 तथा A1 = A2
∴ \(\frac{l_1}{\mathrm{~K}_1 \mathrm{~A}}=\frac{l_2}{\mathrm{~K}_2 \mathrm{~A}} \Rightarrow \frac{l_1}{l_2}=\frac{\mathrm{K}_1}{\mathrm{~K}_2}=\frac{4}{3}\)
∴ l1 : l2 = 4 : 3

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प्रश्न 25.
जिस रात आकाश में बादल होते हैं, उस रात अधिक गर्मी पड़ती है। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दिन में पृथ्वी सूर्य के ऊष्मीय विकिरण को अवशोषित करके गर्म हो जाती है तथा रात को ऊष्मीय विकिरण उत्सर्जित करके ठण्डी होती है, जब आकाश में बादल होते हैं जो कि ऊष्मीय विकिरण के अवशोषक हैं, तब पृथ्वी से उत्सर्जित विकिरण बादलों से परावर्तित होकर वापस पृथ्वी की ओर आ जाती है, जिससे पृथ्वी गर्म बनी रहती है।

प्रश्न 26.
पारे के एक तापमापी A का बल्ब गोलाकार तथा दूसरे का बेलनाकार है। दोनों में पारे की मात्रा समान है। इनमें से कौन-सा तापमापी गर्म जल का ताप शीघ्र नापेगा ?
उत्तर:
शेष सभी बातें समान हैं, ऊष्मा चालन की दर क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है, बेलनाकार बल्ब का पृष्ठ क्षेत्रफल गोलाकार बल्ब की अपेक्षा अधिक होता है, अतः बेलनाकार बल्ब में ऊष्मा चालान की दर अधिक होगी, अतः बेलनाकार बल्ब वाला तापमापी गर्म जल का ताप शीघ्र पढ़ेगा।

प्रश्न 27.
धातु की छड़ को गर्म करने पर परिवर्ती अवस्था में समय के साथ ताप का बढ़ना किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
विसरणशीलता पर।
विसरणशीलता = \(\frac{K}{ρs}\)
जहाँ K = ऊष्मा चालकता,
ρ = छड़ के पदार्थ का घनत्व
s = पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा

प्रश्न 28.
धातु की एक गेंद पर काला चिह्न है, गेंद को 1000° C तक गर्म करके अन्धेरे कमरे में ले जाया जाता है, यहाँ पर काला चिह्न शेष गेंद से अधिक चमकता हुआ दिखाई देता है, क्यों?
उत्तर:
काले धब्बे वाला भाग शेष सतह की तुलना में विकिरण का अच्छा अवशोषक है, अत: किरचॉफ के नियम के अनुसार उच्च ताप पर यह विकिरण का अच्छा उत्सर्जक भी है। यही कारण है कि उच्च ताप पर काला चिह्न, शेष गेंद की अपेक्षा अधिक चमकता हुआ दिखाई देता है।

प्रश्न 29.
ऊष्मा तापमापी में प्रयुक्त पदार्थ के क्या विभिन्न गुण हैं ?
उत्तर:
ऊष्मा तापमापी में प्रयुक्त पदार्थ में निम्न गुण हैं-
(i) क्वथनांक अधिक तथा हिमांक निम्न होना चाहिए जिससे अधिक परास के ताप को मापा जा सके।
(ii) पदार्थ का प्रसार गुणांक उच्च होना चाहिए जिससे तापमापी संवेदनशील हो ।
(iii) यह शुद्ध अवस्था में उपलब्ध होना चाहिए।
(iv) काँच की नली में यह चिपकना नहीं चाहिए।
(v) इसका ऊष्मा चालकता अच्छी होनी चाहिए।
(vi) इसका प्रसार एक समान होना चाहिए जिससे इसका अंशांकन युग्म हो सके।

प्रश्न 30.
बिजली के चूल्हे में ऊष्मा सतत निकलती रहती है, फिर भी उसका ताप कुछ समय बाद स्थिर हो जाता है, क्यों ?
उत्तर:
बिजली के चूल्हे में जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चूल्हा लगातार धीरे-धीरे गर्म होने लगता है जिससे उसका ताप बढ़ता है। गर्म होने पर उससे ऊष्मा विकरित होने लगती है। कुछ समय बाद जब चूल्हे में विद्युत् धारा के कारण ऊष्मा उत्पादन की दर और चूल्हे द्वारा विकरित ऊष्मा की दर बराबर हो जाती है, तब चूल्हे का ताप स्थिर हो जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तापमापन से क्या अभिप्राय है ? तापीय पैमाने क्या होते हैं ? इन्हें कैसे प्राप्त किया जाता है ? विभिन्न तापीय पैमानों के व्यंजक ज्ञात कीजिए एवं इनमें सम्बन्ध बताइये।
उत्तर:
ताप मापन (Temperature Measurement)
“तापमापन हेतु प्रयुक्त उपकरण तापमापी कहलाता है।” ताप के मापक्रम के लिए पदार्थ के ऐसे गुण का चयन किया जाता है, जो ताप के साथ परिवर्तित तथा प्रेक्षणीय होता है। पदार्थ के ऐसे गुण को “तापमापक गुण” कहते हैं। सामान्यतः उपयोग में आने वाला तापमापी काँच में द्रव के प्रसार (ताप के साथ आयतन में परिवर्तन) पर आधारित है।

इस प्रकार के तापमापियों में सामान्यतः पारा तथा ऐल्कोहॉल जैसे द्रवों का उपयोग किया जाता है। अन्य प्रकार के तापमापियों में गैसों के ऊष्मीय प्रसार (स्थिर आयतन पर गैस के दाब में परिवर्तन); चालक तार के विद्युत् प्रतिरोध को परिवर्तित होना आदि ताप मापक गुणों का उपयोग किया जाता है। तापमापी में अंशाकन इस प्रकार किया जाता है कि ताप को संख्यात्मक रूप से व्यक्त किया जा सके। किसी मानक तापमाप क्रम के निर्धारण हेतु दो नियत सन्दर्भ बिन्दुओं की आवश्यकता होती है। शुद्ध जल का हिमांक तथा क्वथनांक दो सुविधाजनक नियत बिन्दु हैं। ये ऐसे ताप हैं जो मानक दाब पर नियत रहते हैं तथा शुद्ध रूप से पुनरोत्पादित (reproduce) किये जा सकते हैं।
तापमापक गुणों के आधार पर तापमापियों को निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है-

  • द्रव तापमापी ( जैसे-पारा तापमापी एवं ऐल्कोहॉल तापमापी)
  • गैस तापमापी (जैसे-स्थिर आयतन वायुतापमापी, हाइड्रोजन गैस तापमापी)
  • प्रतिरोध तापमापी (जैसे-प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी)
  • ताप युग्म तापमापी, ताप बढ़ने पर ताप वैद्युत वाहक बल बढ़ने के सिद्धान्त पर आधारित है।
  • विकिरण तापमापी, ताप बढ़ने पर विकिरण की मात्रा पर आधारित है।
  • तप्त तन्तु तापमापी, प्रदीप्ति समानता पर आधारित है।
  • वाष्पदाब तापमापी, संतृप्त वाष्पदाब पर आधारित है।

प्रश्न 2.
न्यूटन के शीतलन नियम को लिखिए तथा इसके लिए आवश्यक प्रतिबन्ध निकालिए।
उत्तर:
न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s Law of Cooling):
इस नियम के अनुसार, “किसी तप्त वस्तु के शीतल \(\frac{d T}{d t}\) अथवा वस्तु द्वारा ऊष्मा क्षय की दर \(\frac{d Q}{d t}\) वातावरण के मध्य तापान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है तापान्तर अधिक न हो।” यदि वस्तु एवं वातावरण के ताप क्रमशः \mathrm{T}_0 हैं, तो न्यूटन के शीतलन नियम से
–\(\frac{d Q}{d t}\) ∝ (TY – T0)
या –\(\frac{d Q}{d t}\) = k(T – T0) ………(1)
जहाँ K एक नियतांक है जिसका मान धनात्मक होता है तथा इसका मान वस्तु के पृष्ठ व प्रकृति पर निर्भर करता है। यदि T ताप पर वस्तु द्रव्यमान व विशिष्ट ऊष्मा क्रमशः m व S हों और d t समय में d T ताप हो,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -8

प्रश्न 3.
रेखीय प्रसार गुणांक, क्षेत्रीय प्रसार गुणांक तथा आयतन प्रसार गुणांक परिभाषित कर इनमें परस्पर सम्बन्ध प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
रेखीय प्रसार गुणांक तथा क्षेत्रीय प्रसार गुणांक में सम्बन्ध (Relation Between Coefficient of Linear Expansion and Coefficient of Superficial Expansion)
माना किसी ताप पर किसी पदार्थ के एक वर्गाकार पटल की प्रत्येक भुजा की लम्बाई l मीटर है, अतः इसका क्षेत्रफल l² मी² होगा। इस पटल का ताप ∆t°C बढ़ा देने पर पटल की प्रत्येक भुजा की लम्बाई (l+∆l) मीटर तथा क्षेत्रफल (l+∆l)² मी² हो जायेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -9

रेखीय प्रसार गुणांक तथा आयतन प्रसार गुणांक में सम्बन्ध (Relation Between Coefficient of Linear Expansion and Coefficient of Volume Expansion):
माना किसी ताप पर किसी पदार्थ के घन की प्रत्येक भुजा 1 मीटर है। अतः इसका आयतन 1 मी०³ होगा। इस घन का ताप 1°C बढ़ा देने पर घन की प्रत्येक भुजा (1+α) मीटर तथा घन का आयतन (1+α)³ हो जाएगा।
अतः घन के आयतन में वृद्धि
∆V = अन्तिम आयतन – प्रारम्भिक आयतन
= (1+α)³ – 1
∆V = 1 + 3α + 3α² + α³ – 1
= 3α + 3α² + α³
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -10
∵ α का मान अत्यन्त कम है अतः α² व α³ के मान बहुत छोटे होंगे। अतः α² व α³ को छोड़ने पर,
आयतन में वृद्धि ∆V = 3 α
∴ आयतन प्रसार गुणांक
\(\gamma=\frac{\text { आयतन में वृद्धि }}{\text { प्रारम्भिक आयतन } \times \text { ताप में वृद्धि }}\)
\(\gamma=\frac{3 \alpha}{1 \times 1} \quad \text { या } \gamma=3 \alpha\)
अतः किसी पदार्थ का आयतन प्रसार गुणांक उसके रेखीय प्रसार गुणांक का तीन गुना होता है।
अत: α : β : γ = α : 2 α : 3 α \\
या α : β : γ = 1 : 2 : 3
यही रेखीय, क्षेत्रीय तथा आयतन प्रसार गुणांकों में सम्बन्ध है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 4.
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ? इसे उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर:
अवस्था परिवर्तन (Change of State):
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव एवं गैस हैं उदाहरण के लिए, जल ठोस अवस्था में बर्फ (ice) के रूप में, द्रव अवस्था में जल के रूप में तथा गैसीय अवस्था में भाप के रूप में होता है। इन परिवर्तनों का कारण पदार्थ और उसके परिवेश के बीच ऊष्मा का विनिमय होता है।
अतः वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ अपनी भौतिक अवस्था को परिवर्तित करता है, अवस्था परिवर्तन कहलाता है।
अवस्था परिवर्तन के बारे में अधिक जानकारी के लिए हम चित्र में प्रदर्शित प्रयोग पर विचार करते हैं।
एक बीकर में कुछ बर्फ के टुकड़े लेकर बर्फ का ताप (IPC) नोट कर लेते हैं। अब बीकर को बर्नर द्वारा गर्म करते हैं एवं तापमापी का पाठ्यांक हर दो मिनट बाद नोट करते जाते हैं विडोलक की सहायता से बर्फ को विडोलित करते रहते हैं प्रयोग में हम देखते हैं कि जब तक बीकर में बर्फ उपस्थित रहती है तब तक थर्मामीटर का पाठ्यांक नियत रहता है अर्थात् बढ़ता नहीं है। स्पष्ट है कि ऊष्मा की सतत आपूर्ति होने पर भी ताप के मान में कोई वृद्धि नहीं होती है। यहाँ ऊष्मा का उपयोग बर्फ (ठोस) से द्रव (जल) में अवस्था परिवर्तन में हो रहा है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -11
अवस्था परिवर्तन के लिए मुख्यतः दो शर्तें आवश्यक हैं-
(i) अवस्था परिवर्तन एक निश्चित ताप पर होता है।
(ii) जिस समय अन्तराल में अवस्था का परिवर्तन होता है उस बीच पदार्थ का ताप स्थिर रहता है, जब तक पूरे पदार्थ का अवस्था परिवर्तन नहीं हो जाता।

अवस्था परिवर्तन की कुछ मुख्य क्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) गलन (Melting) : ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तन को गलन कहते हैं। यह क्रिया जिस निश्चित ताप पर होती है, वह गलनांक (Melting Point) कहलाता है।

(ii) क्वथन (Boiling) : जब कोई पदार्थ पूर्णत: किसी निश्चित ताप पर द्रव अवस्था से गैस अवस्था में बदलता है तो इस परिवर्तन को क्वथन कहते हैं। यह क्रिया जिस निश्चित ताप पर होती है, वह क्वथनांक (Boiling Point) कहलाता है।

(iii) वाष्पन (Vapourisation ) : ऊपरी सतह से द्रव सभी ताप पर गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता रहता है। यह क्रिया वाष्पन कहलाती है।

(iv) संघनन या द्रवण ( Condensation ) : वह क्रिया जिसमें गैस का ताप कम करने पर वह एक निश्चित ताप पर गैस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती है, द्रवण या संघनन कहलाती है। यह ताप द्रवणांक कहलाता है।

(v) ऊर्ध्वपातन (Sublimation ) : कुछ ठोस पदार्थ (जैसे- नौसादर, कपूर इत्यादि) ऐसे होते हैं, जो गर्म करने पर बिना द्रवित हुए भी ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में आ जाते हैं तथा ठण्डा होने या सीधे ठोस में बदल जाते हैं। इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं। उदाहरण के लिए- आयोडीन, शुष्क हिम, नेप्यलीन इत्यादि ।

(vi) हिमायन (Freezing) : द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तन हिमायन (Freezing) कहलाता है। इस क्रिया के लिए आवश्यक निश्चित ताप हिमांक (Freezing point) कहलाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 5.
गलनांक एवं क्वथनांक पर दाब के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
गलनांक पर दाब का प्रभाव (Effect of Pressure on Meeting Point):
पदार्थ का गलनांक निश्चित दाब पर निश्चित (नियत) होता है लेकिन दाब बदलने पर गलनांक बदल जाता है। दाब बढ़ाने पर गलनांक भी बढ़ जाता है। इस तथ्य को समझने के लिए चित्र की भाँति एक प्रयोग करते हैं। एक बर्फ की पट्टिका पर चित्र की भाँति इसके दोनों ऊपर से गुजरते हुए तार के दोनों मुक्त सिरों पर समान भार (जैसे 5 kg) लटका देते हैं तो भार के कारण उत्पन्न दाब के कारण तार के नीचे की बर्फ कमरे के ताप पर भी पिघल जाती है जिससे तार बर्फ की पट्टिका में प्रवेश कर जाता है और धीरे-धीरे पूरी पट्टिका से आर-पार गुजर जाता है। तार नीचे धँसता जाता है और उसके ऊपर पिघली हुई बर्फ पुन: जम जाती है। इस क्रिया को ‘पुनर्हिमायन’ कहते हैं। स्पष्ट है कि दाब बढ़ाने पर गलनांक भी बढ़ जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -12

दाब पर क्वथनांक का प्रभाव (Effect of Pressure on Boiling Point):
द्रवों का क्वथनांक भी दाब पर निर्भर करता है। दाब बढ़ाने पर क्वथनांक बढ़ जाता है एवं दाब घटाने पर क्वथनांक कम हो जाता है। उदाहरण के लिए एक वायुमण्डलीय दाब पर जल का क्वथनांक 100°C होता है परन्तु दाब यदि दो वायुमण्डलीय दाब के बराबर कर दिया जाये तो जल का क्वथनांक 128°C हो जाता है। क्वथन की प्रक्रिया को समझने के लिए निम्न प्रयोग पर विचार करते हैं-
चित्र में प्रदर्शित व्यवस्था के अनुसार एक फ्लास्क में जल गर्म करते हैं जल को गर्म करने पर हम देखते हैं कि जल में घुली हुई वायु बुलबुलों के रूप में बाहर आती है इसके पश्चात् भाप के बुलबुले तली में बनते हैं किन्तु जैसे ही ऊपरी भाग के ठण्डे जल की ओर उठते हैं, संघनित होकर अदृश्य हो जाते हैं। जल का ताप जैसे ही 100°C पहुँचता है तो भाप के बुलबुले पृष्ठ पर पहुँचते हैं।

फ्लास्क के अन्दर भाप दिखाई नहीं देती हैं परन्तु जैसे ही वह बाहर आती है तो जल की अत्यन्त छोटी-छोटी बूँदों में संघनित होकर धुँध के रूप में प्रकट होती है। अब यदि कुछ देर के लिए भाप की निकासनली को बन्द कर दिया जाये तो फ्लास्क के भीतर दाब में वृद्धि होती है। क्वथन की प्रक्रिया कुछ देर के लिए रुक जाती है और फिर यह प्रक्रिया प्रारम्भ होती है तो हम देखते हैं कि थर्मामीटर का पाठ्यांक पहले से कुछ बढ़ जाता है। स्पष्ट है कि दाब बढ़ने पर जल का क्वथनांक बढ़ जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -13
अब यदि बर्नर को हटाकर जल को लगभग 80°C तक ठंडा करें और फ्लास्क से थर्मामीटर व निकास नली को हटाकर उसके मुख को कसकर बन्द कर दें तथा फ्लास्क को उल्टा करके उसके ऊपर बर्फ के समान ठंडा जल डालें तो फ्लास्क के भीतर की वाष्प संघनित होकर फ्लास्क के भीतर जल के पृष्ठ पर दाब को घटा देती है। अब निम्न दाब पर जल में पुन: क्वथन प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार दाब में कमी होने पर क्वथनांक कम हो जाता है।

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प्रश्न 6.
ऊष्मामिति का क्या सिद्धान्त है ? कैलोरीमापी की सहायता से द्रव ‘की विशिष्ट ऊष्मा ज्ञात करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कैलोरीमापी की संरचना:
कैलोरीमिति की क्रिया में प्रयोग किए जाने वाले उपकरण को कैलोरीमापी कहते हैं। इसमें ताँबे का बना एक बेलनाकार बर्तन होता है। ताँबे का प्रयोग करने का कारण इसकी विशिष्ट ऊष्मा कम होना (लगभग 0.095 कैलोरी / ग्राम°C) है। इसकी बाहरी सतह चमकदार बनायी जाती है जिससे विकिरण विधि द्वारा बाहर की ऊष्मा अन्दर तथा अन्दर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती है। इस बर्तन को लकड़ी के बड़े
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -14
डिब्बे में रखकर खाली स्थान में ऊष्मा-अवरोधी पदार्थ, जैसे-रूई आदि रख देते हैं जिससे चालन तथा संवहन से होने वाले ऊष्मा के स्थानान्तरण को रोका जाता है। कैलोरीमापी में रखे पदार्थ को हिलाने के लिए विलोडक होता है जो कि ताँबे का बना होता है। कैलोरीमापी को लकड़ी के ढक्कन से बन्द कर देते हैं जिससे कि संवहन द्वारा ऊष्मा हानि को रोका जा सके। अन्दर भरे द्रव का ताप ज्ञात करने के लिए तापमापी T का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
संवहन की प्रयोग द्वारा व्याख्या कीजिए एवं इसके निम्नलिखित दैनिक जीवन के उदाहरणों पर प्रकाश डालिए-
(i) हमारे पूरे शरीर का ताप समान रहना।
(ii) एअर कण्डीशनर का हीटर के रूप में उपयोग होना।
उत्तर:
संवहन (Convection):
संवहन ऊष्मा संचरण की वह विधि है, जिसमें ऊष्मा का संचरण पदार्थ की वास्तविक गति के द्वारा होता है। इस विधि द्वारा ऊष्मा का संचरण मुख्य रूप से द्रवों एवं गैसों में होता है। संवहन प्राकृतिक भी हो सकता है। प्राकृतिक संवहन में पदार्थ की गति घनत्व में अन्तर के कारण होती है और प्रणोदित भी हो सकता है। प्राकृतिक संवहन को समझने के लिए हम एक धातु के बर्तन में जल को गर्म करते हैं तो हम देखते हैं कि ऊष्मीय स्रोत से ऊष्मा प्राप्त करके बर्तन के पेढें के निकट के जल में प्रसार होता है, जिससे यहाँ का घनत्व घट जाता है। अतः उत्प्लावन के कारण यह ऊपर उठता है और इसकी जगह लेने के लिए ऊपर का ठंडा जल आता है तथा यह भी गर्म होकर पूर्व क्रिया को दोहराता है। इस प्रकार यही प्रक्रिया जारी रहती है और ऊष्मा का संचरण नीचे (अधिक ताप) से ऊपर (कम ताप) की ओर होता रहता है। स्पष्ट है संवहन में द्रव (तरल) के विभिन्न भागों का स्थूल अधिगमन होता है। तरल के इस अभिगमन को संवहन धारा से निरूपित करते हैं। इसी प्रकार गैसों (जैसे – वायु) में भी संवहन धारायें उत्पन्न होती हैं जिसके कारण ऊष्मा का संचरण अधिक ताप से निम्न ताप के क्षेत्र की ओर होता है।

संवहन की उक्त घटना को देखने के लिए हम जल में KMnO4 क्रिस्टल के कुछ कण एक फ्लास्क की तली में डालकर उसमें जल भर कर फ्लास्क को गर्म करते हैं तो हम देखते हैं कि गर्म करने पर KMnO4 के कण ऊपर की ओर गति करते हैं और संवहन धाराओं को रंग के आधार पर आसानी से देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -15
प्रणोदित संवहन में पदार्थ को किसी पम्प या ब्लोअर द्वारा गति कराने हेतु विवश कराया जाता है।
संवहन के दैनिक जीवन में उदाहरण-
1. किसी स्वस्थ मनुष्य का हृदय एक पम्प की तरह कार्य करते हुए रक्त का पूरे शरीर में संचरण करता है जिसके कारण पूरे शरीर का ताप एक समान बना रहता है यह प्रणोदित संवहन का उदाहरण है।

2. ठंडे प्रदेशों में सर्दी के दिनों में बाहर का ताप 0°C से भी कम होता है जबकि किसी बन्द कमरे का ताप 20FC तक रखने के लिए एअर कंडीशनर को हीटर (Heater) की तरह काम में लाते हैं। यह भी प्रणोदित संवहन का उदाहरण है।

3. हम जानते हैं कि पृथ्वी को विषुवत् रेखीय व ध्रुवीय क्षेत्रों पर सूर्य से असमान ऊष्मा प्राप्त होती है विषुवत् रेखीय क्षेत्रों की वायु का तप्त होना तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में वायु के शीतल होने का यही कारण है। इन्हीं कारणों से विषुवत् रेखीय क्षेत्रों से वायु का संचरण ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर होता है और पुनः विषुवत् रेखीय क्षेत्रों की ओर आती है। उक्त संवहन धाराओं को व्यापारिक धाराएँ कहते हैं। यह प्राकृतिक संवहन का उदाहरण है।

4. प्राकृतिक संवहन के कारण ही दिन में जलाशयों की तुलना में थल शीघ्र गर्म हो जाता है। इस घटना का मूल कारण जल की उच्च विशिष्ट ऊष्मा तथा मिश्रित धाराओं द्वारा अवशोषित ऊष्मा को बड़े आयतन के जल के सब भागों में विसरित करना है। जबकि गर्म जल के सम्पर्क वाली वायु चालन द्वारा गर्म होने से ऊपर की ओर फैलती है और अधिक घनत्व की वायु उसका रिक्त स्थान भरती है, फलस्वरूप गर्म वायु ऊपर उठती है व थल गर्म हो जाता है।

प्रश्न 8.
ऊष्मा चालन की परिवर्ती एवं स्थायी अवस्था की व्याख्या कीजिए तथा ऊष्मा चालक गुणांक की परिभाषा दीजिए। इसका मात्रक एवं विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चालन (Conduction):
यदि किसी चालक छड़ के सिरों पर तापान्तर उत्पन्न किया जाता है। तो ऊष्मा का संचरण उच्च ताप के सिरे से निम्न ताप के सिरे की ओर होने लगता है। ऊष्मा के इसी स्थानान्तरण को चालन कहते हैं। उदाहरण के लिए – लोहे की छड़ का एक सिरा गर्म करने पर दूसरे सिरे का गर्म हो जाना। हम जानते हैं कि ठोसों के अणु केवल अपने स्थान पर कम्पन कर- सकते हैं लेकिन अपना स्थान नहीं छोड़ते। छड़ के गर्म सिरे पर अणु ऊष्मा ग्रहण करके अधिक आयाम के दोलन करने लगते हैं अर्थात् उनकी दोलन ऊर्जा बढ़ जाती है। इस प्रकार इस भाग के अणुओं की गतिज दूसरे पड़ोसी भाग के अणुओं की अपेक्षा अधिक हो जाती है। इन अणुओं की टक्कर समीपवर्ती कम ऊर्जा वाले भाग के अणुओं से होती है, अतः ऊर्जा का स्थानान्तरण कम ऊर्जा वाले अणुओं को हो जाता है। यही प्रक्रिया आगे के भागों की ओर बढ़ती है और इस प्रकार अणुओं के माध्यम से ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होता रहता है। यही चालन विधि है स्पष्ट है कि इस विधा में केवल ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, द्रव्य का नहीं।

सभी पदार्थों का ऊष्मा के प्रति व्यवहार समान नहीं है। कुछ पदार्थ जैसे – ताँबा, चाँदी, लोहा आदि ऊष्मा के अच्छे चालक होते हैं। इसके विपरीत कुछ अन्य पदार्थ जैसे- काँच, प्लास्टिक, बेकेलाइट, प्लाईवुड आदि ऊष्मा के कुचालक होते हैं। धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन भी ऊष्मा चालन में सक्रिय योगदान देते हैं। “पदार्थों का वह गुण जो ऊष्मा के चालन की व्याख्या करता है उसे ऊष्मा चालकता से परिभाषित करते हैं। ऊष्मा चालन की व्याख्या किसी पदार्थ में किसी दिये गये तापान्तर पर ऊष्मा प्रवाह की दर से की जाती है।”
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -4.1
चित्र 11.16 के अनुसार माना L लम्बाई तथा A अनुप्रस्थ परिच्छेद की एक चालक छड़ है जिसका एक सिरा गर्म एवं दूसरा सिरा ठंडा है अर्थात् दोनों सिरों के मध्य तापान्तर है। ऊष्मा की हानि को कम करने के लिए छड़ के पार्श्व पृष्ठ पर कुचालक पदार्थ की पट्टी लपेट देते हैं छड़ को सूक्ष्म लम्बाई के अनेक परिच्छेदों से मिलकर बना हुआ मान सकते हैं। चालन प्रक्रिया के प्रारम्भ में छड़ का प्रत्येक परिच्छेद अपने पूर्ववर्ती परिच्छेद से कुछ ऊष्मा Q1 प्राप्त करता है।

इस ऊष्मा का कुछ भाग Q2 यह परिच्छेद अवशोषित कर लेता है जिससे इस अंश का ताप बढ़ता है। तथा ऊष्मा के शेष भाग Q3 को यह अपने बाद वाले अल्पांश को स्थानान्तरित कर देता है। अत: इस अवस्था में Q1 = (Q2 + Q3) होता है। “जब तक इस प्रक्रिया द्वारा चालक छड़ का कोई भाग ऊष्मा का अवशोषण करता रहता है अर्थात् छड़ के किसी भाग का ताप बढ़ता रहता है तब तक यह ऊष्मा चालन की परिवर्ती अवस्था कहलाती है।” इस अवस्था में छड़ के प्रत्येक परिच्छेद का ताप समय के साथ बढ़ता रहता है परन्तु गर्म सिरे से छड़ की लम्बाई के अनुदिश ताप का पतन होता है।

छड़ के एक सिरे को लगातार गर्म करते रहने पर कुछ समय बाद छड़ के प्रत्येक परिच्छेद अल्पांश का ताप नियत हो जाता है। इस अवस्था में छड़ के प्रत्येक परिच्छेद, अपने से पहले परिच्छेद से प्राप्त ऊष्मा Q1 को अगले परिच्छेद को स्थानान्तरित कर देता है अर्थात् व किसी परिच्छेद द्वारा ऊष्मा का अवशोषण नहीं होता है (Q2 = 0) अत: Q1 = Q3 होता है। “छड की यह अवस्था जब छड़ का कोई भी भाग ऊष्मा का अवशोषण नहीं करता है, ऊष्मा चालन की स्थायी अवस्था (Steady State of Heat Conduction) कहलाती है।” इस अवस्था में छड़ के किसी भी परिच्छेद से एकांक समय में प्रवाहित ऊष्मा ऊष्मीय धारा कहलाती है। इसे से व्यक्त करते हैं अतः
H= \(\frac{ΔQ}{Δt}\) ………(1)
जहाँ ΔQ = Δt समय में प्रवाहित ऊष्मा की मात्रा
यह पाया जात है कि ऊष्मा चालन की स्थायी अवस्था में,
H ∝ A, (छड़ का परिच्छेद क्षेत्रफल)
H ∝ (T1 – T2) (छड़ के सिरों का तापान्तर)
एवं H ∝ \(\frac{1}{L}\) (L = छड़ की लम्बाई)
H ∝ \(\frac{A(T_1-T_2)}{L}\)
या H ∝ \(\frac{A.ΔT}{L}\)
या H = K.A.\(\frac{ΔT}{L}\) ………….(2)
यहाँ एक नियतांक है जिसे छड़ के पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक (Coefficient of Heat Conduction) कहते हैं।
यदि A = 1 ताप प्रवणता \(\frac{ΔT}{L}\) = 1°C.m-1
तो H = K
अर्थात् “किसी पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक ऊष्मा प्रवाह की उस दर के तुल्य है जो उस, पदार्थ की एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली किसी छड़ के सिरों के मध्य एकांक ताप प्रवणता उत्पन्न कर दे।”
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -16

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 9.
स्टीफन का नियम लिखिए एवं इसके लिये आवश्यक प्रतिबन्ध बतलाइये। न्यूटन के नियम की उत्पत्ति स्टीफन के नियम से कीजिये।
उत्तर:
स्टीफन के नियम से न्यूटन के शीतलन नियम की व्युत्पत्ति
(Deduction Of Newton’s Law of Cooling By Stefan’s Law)
माना किसी वस्तु का क्षेत्रफल A व परमताप T तथा वातावरण का ताप T0 है तो स्टीफेन के नियम से-
\(\frac{d \mathrm{Q}}{d t}=\frac{\sigma \varepsilon \mathrm{A}}{\mathrm{J}}\left(T^4-\mathrm{T}_0^4\right)\)
जहाँ σ = स्टीफन नियतांक; ε = वस्तु की उत्सर्जकता एवं dQ = d t समय से उत्सर्जित ऊष्मीय ऊर्जा।
dQ = dt समय से उत्सर्जित ऊष्मीय ऊर्जा।
यदि T व T0 के मध्य तापान्तर ∆T हो,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -17
अर्थात् किसी तप्त वस्तु के शीतलन की दर वस्तु एवं वातावरण के मध्य तापान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है बशर्तें कि तापान्तर कम हो। यही न्यूटन का शीतलन नियम है।

प्रश्न 10.
जल का असंगत प्रसार क्या है ? इसके दैनिक जीवन में उदाहरणों को समझाइये।
उत्तर:
जल का असंगत प्रसार (Anomalous Expansion of Water):
किसी द्रव को गर्म करने पर ताप वृद्धि के साथ-साथ उसके आयतन में भी वृद्धि होती है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -18
द्रव को ठण्डा करते जाने पर उसका ताप घटता जाता है तथा आयतन भी घटता जाता है। 4°C ताप तक आयतन कम होता है तथा 4°C के बाद जल के आयतन में वृद्धि होना प्रारम्भ होती है तथा 100°C तक वृद्धि होती जाती है।
4°C पर जल का आयतन सबसे कम तथा घनत्व सबसे अधिक (1.0 × 10³ kg / m³) होता है। इस प्रकार पानी का 0°C तथा 4°C के बीच में व्यवहार असामान्य होता है। इसे जल का असामान्य प्रसार कहते हैं।

प्रश्न 11.
ऊष्मीय विकिरण से क्या तात्पर्य है ? ऊष्मीय विकिरणों की क्या प्रकृति होती है ? समझाइये |
उत्तर:
विकिरण (Radiation)
“ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, विकिरण कहलाती है।” सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा इसी विधि से आती है। चूँकि सूर्य व पृथ्वी सतह के मध्य कई करोड़ किलोमीटर की दूरी में विकिरण निर्वात् में गति करता है, जो इस बात का प्रमाण है कि विकिरण द्वारा ऊष्मा के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं है।

अन्य उदाहरण में यदि हम आग के पास खड़े होते हैं तो हमें तुरन्त गर्मी का अनुभव होने लगता है, क्योंकि वायु अल्प ऊष्मा चालक हैं तथा धाराएँ इतनी शीघ्रता से स्थापित नहीं हो सकती। विकिरण ऊर्जा चुम्बकीय तरंगों की तरंगदैर्घ्य अलग-अलग भी हो सकती है। प्रकाश के वेग (c = 3 × 108 ms-1) से निर्वात में गति करती हैं। पदार्थ (ठोस, द्रव व गैस) विकिरण ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। वस्तु द्वारा उसके तापान्तर के कारण उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय (जैसे गर्म लाल लोहे से उत्सर्जित विकिरण) को ऊष्मा विकिरण कहते हैं।” ऊष्मा विकिरणों की तरंगदैर्घ्य परास 1 μm से 100μm तक ये तरंगें सीधी रेखा में गमन करती हैं तथा परावर्तन व अपवर्तन नियमों का पालन करती हैं। प्रत्येक वस्तु 0K ताप से अधिक ताप वाले ऊष्मीय विकिरणों का उत्सर्जन करती है तथा जब किसी विकिरण आपतित होते हैं तो आपतित विकिरण (Q) का का कुछ भाग परावर्तित (QR) कुछ भाग का अवशोषण (QA) व शेष भाग (QT) होता है। अर्थात्
Q = QR + QA + QT
या \(\frac{Q}{Q}=\frac{Q_R}{Q}+\frac{Q_A}{Q}+\frac{Q_T}{Q}\)
या 1 = r + a + t
यहाँ r, a व t क्रमशः परावर्तन, अवशोषण व परागमन कहलाते है
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण -19
उक्त तीनों क्रियाएँ (परावर्तन, अवशोषण तथा पारगमन पृष्ठ की प्रकृति व आपतित विकिरणों की तरंगदैर्घ्य पर निर्भर) है।

प्रश्न 12.
ऊष्मीय संचरण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ? उनका वर्णन कीजिये तथा इनके व्यावहारिक अनुप्रयोग बताइये ।
उत्तर:
ऊष्मा स्थानान्तरण (Heat Transfer):
ऊष्मा का संचरण सदैव उच्च ताप से निम्न ताप की ओर होता है। ताप में अन्तर के कारण एक निकाय से दूसरे निकाय में अथवा किसी निकाय के एक भाग से उसके दूसरे भाग में ऊर्जा के स्थानान्तरण को ऊष्मा स्थानान्तरण कहते हैं। ऊष्मा स्थानान्तरण की निम्न तीन विधियाँ हैं-
(i) चालन (Conduction)
(ii) संवहन (Convection) एवं
(iii) विकिरण (Radiation) ।
सामान्यतः ठोसों में ऊष्मा का स्थानान्तरण चालन विधि से होता है जबकि द्रवों व गैसों में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि से होता है। सूर्य से पृथ्वी तक सूर्य की ऊर्जा विकिरण विधि से आती है। यहाँ पर यह उल्लेख भी आवश्यक है कि चालन व संवहन ऊष्मा संचरण की धीमी विधियाँ हैं जबकि विकिरण तीव्र गति की विधा है। चालन व संवहन के लिए माध्यम की आवश्यकता है जबकि विकिरण के लिए माध्य की आवश्यकता नहीं है।

आंकिक प्रश्न (Numerical Question)

तापमापन पर आधारित

प्रश्न 1.
दो वस्तुओं के तापों में अन्तर 63°F है सेल्सियस पैमाने पर यह अन्तर कितना होगा ?
उत्तर:
35°C

प्रश्न 2.
एक अशुद्ध तापमापी के स्थिर बिन्दु 5°C तथा 95°C चिह्नित हैं। इस तापमापी द्वारा एक वस्तु का ताप 59° मापा गया। सेल्सियस पैमाने पर इस वस्तु के ताप का शुद्ध मान क्या होगा ?
उत्तर:
60°C

ऊष्मीय प्रसार पर आधारित

प्रश्न 3.
पीतल के एक घन की भुजा की लम्बाई 15°C ताप पर 10 सेमी है। 60°C ताप पर गर्म करने पर इसकी भुजा की लम्बाई तथा आयतन ज्ञात कीजिए रेखीय प्रसार गुणांक = 1.9 × 10 प्रति °C है।
उत्तर:
10.0085 सेमी, 10002.5 सेमी

प्रश्न 4.
एक पीतल की चकती में एक छेद है। 27°C ताप पर छेद का व्यास 2.50 सेमी है। चकती को 327°C ताप पर गर्म करने पर इसके छेद के व्यास परिवर्तन ज्ञात कीजिए दिया है, पीतल का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.9 × 10-5°C-1
उत्तर:
0.0142 सेमी

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 5.
स्टील की लोलक युक्त एक घड़ी का 20°C पर आवर्तकाल 2 सेकण्ड है। यदि घड़ी का ताप बढ़ाकर 30°C कर दिया जाये तो प्रतिदिन समय में कमी या वृद्धि कितनी होगी? स्टील के लिए रेखीय प्रसार गुणांक = 1.2 × 10-5°C-1 है।
उत्तर:
5.18 सेकण्ड धीमी हो जायेगी।

प्रश्न 6.
काँच के बने एक फलास्क का °C पर आयतन 100 सेमी³ है। इसका 100°C पर आयतन क्या होगा ? दिया है, काँच का आयतन प्रसार गुणांक = 2.5 × 10-5°C-1
उत्तर:
1000.25 सेमी³

प्रश्न 7.
कोई व्यक्ति किसी बैलगाड़ी के लकड़ी के पहिए की नेमी पर लोहे की रिंग चढ़ाता है। यदि 37°C पर नेमी व लोहे की रिंग का व्यास क्रमश: 5,443 व 5.434m हैं तो लोहे को किस ताप पर गर्म किया जाये कि नेमी पहिये में ठीक से बैठ जाये यहाँ लोहे का रेखीय प्रसार गुणांक 1.20 × 10-5 K-1 है। |
उत्तर:
T2 = 175.02°C

प्रश्न 8.
यदि पारे का काँच के सापेक्ष आभासी प्रसार गुणांक 0.00040/°C व इसका वास्तविक प्रसार 0.00049/°C है तो काँच का रेखीय प्रसार गुणांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
αg = 0.00003°C

प्रश्न 9.
एक धातु का आयतन प्रसार गुणांक 6.0 × 105 प्रति °C है। इसका रेखीय प्रसार गुणांक तथा क्षेत्रीय प्रसार गुणांक का मान कितना होगा ?
उत्तर:
4.0 × 10-5 प्रति/°C

ऊष्मामिति पर आधारित

प्रश्न 10.
-20°C की 5 किग्रा बर्फ को 100°C की भाप में बदलने के लिए कितनी ऊष्मा की आवश्यकता होगी? बर्फ की विशिष्ट ऊष्मा 0.5 किलो कैलोरी / किग्रा °C बर्फ की गुप्त ऊष्मा = 80 किलो कैलोरी / किग्रा, भाप की गुप्त ऊष्मा = 540 किलोकैलोरी/किया। |
उत्तर:
3650 जूल

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 11.
किसी बाँध से जल 200 मी की ऊँचाई से गिरता है। यदि गिरने के कारण सम्पूर्ण ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है और गिरते हुए जल द्वारा ग्रहण कर ली जाती है तो ताप वृद्धि ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
10.4°C

प्रश्न 12.
2 किलोग्राम अमोनिया प्रति मिनट बर्फ की मशीन में भेजी जाती है कितने समय में °C का 500 किग्रा जल बर्फ में बदल जायेगा ? (अमोनिया के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा = 320 किलोकॅलोरी/किग्रा. बर्फ की गुप्त ऊष्मा = 80 किलो कैलोरी /किलोग्राम)
उत्तर:
62.5 मिनट

प्रश्न 13.
एक बर्तन जिसकी ऊष्मा धारिता 5 कैलोरी है, में 95 ग्राम जल 50°C पर भरा है। इसमें ‘C की 10 ग्राम बर्फ डालने पर मिश्रण का ताप क्या होगा ?
उत्तर:
38.2°C

ऊष्मा के चालन पर आधारित

प्रश्न 14.
काँच की खोखली नली की दीवारें 1.5 mm मोटी हैं तथा क्षेत्रफल 10 cm² है। इस नली में बर्फ भरकर इसे एक पात्र में रख दिया जाता है जिसका ताप 100°C हैं। जब काँच की दीवारों में से ऊष्मा का प्रवाह स्थायी हो जायेगा तो बर्फ के पिघलने की दर कितनी होगी ? काँच का ऊष्मीय चालकता गुणांक 1 Wm-1 K-1 तथा बर्फ की गुप्त ऊष्मा 334.8 Jg-1 है |
उत्तर:
0.199 ग्राम/सेकण्ड

प्रश्न 15.
1.5 m लम्बाई की एकसमान अनुप्रस्थ काट की कॉपर की एक छड़ का एक सिरा बर्फ के सम्पर्क में एवं दूसरा सिरा 100°C के जल के साथ रखा गया। इसकी लम्बाई में किस बिन्दु पर 200°C का तापमान बनाये रखना चाहिए जिससे कि स्थायी अवस्था में पिघली हुई बर्फ का द्रव्यमान उसी समयान्तराल में उत्पन्न भाव के बराबर हो । कल्पना कीजिए कि पूरी पद्धति चारों ओर से ऊष्मारोधी है। बर्फ के पिघलने की गुप्त ऊष्मा = 80 कैलोरी प्रति ग्राम पानी के भाप बनने की गुप्त ऊष्मा = 540 कैलोरी/ग्राम ।
उत्तर:
1.396 मीटर

प्रश्न 16.
25 cm लम्बी धातु की छड़ का एक सिरा भाप में तथा दूसरा में है। यदि 12 ग्राम बर्फ प्रति मिनट गल रही हो, तो धातु की ऊष्मा चालकता ज्ञात कीजिए। छड़ का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 5 cm² तथा बर्फ की गलन की गुप्त ऊष्मा = 3.4 × 105 J kg-1 है।
उत्तर:
3.4 × 10² J/m sec °C

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 17.
समान क्षेत्रफल की दो प्लेटें एक दूसरे के सम्पर्क में रखी जाती हैं। इसकी मोटाइयाँ क्रमश: 2.0 तथा 3.0 cm है। पहली प्लेट के बाह्य पृष्ठ का ताप -25°C तथा दूसरी प्लेट का बाह्य पृष्ठ का ताप 25°C है। इन प्लेटों के सम्पर्क पृष्ठ का ताप क्या होगा यदि (i) दोनों प्लेटें एक ही पदार्थ की बनी हों, (ii) दोनों प्लेटों के ऊष्मीय चालकता गुणांकों का अनुपात 2:3 हो ?
उत्तर:
(i) -5°C
(ii) 0°C

प्रश्न 18.
25.0 सेमी लम्बी और 8.80 वर्ग सेमी अनुप्रस्थ क्षेत्रफल की एक छड़ में ऊष्मा प्रवाहित हो रही है। छड़ के पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक 920 × 10-4 किलोकैलोरी मी-1 °C-1 से-1 है और स्थायी अवस्था में छड़ के सिरों के ताप 125°C और 0°C हैं निम्नलिखित गणनाएँ कीजिए-
(i) छड़ में ताप प्रवणता,
(ii) छड़ पर तप्त सिरे के 10.0cm दूर वाले बिन्दु पर ताप,
(iii) ऊष्मा स्थानान्तरण की दर
उत्तर:
(i) 5 × 10² °C / मीटर
(ii) 75°C
(iii) 4.1 × 10-2 k.cal/sec

प्रश्न 19.
4.0 cm व्यास वाली एवं 20 cm लम्बी ऐलुमिनियम की एक छड़ के ऊष्मीय प्रतिरोध की गणना कीजिए ऐलुमिनियम का ऊष्मा चालकता गुणांक 0.50 कैलोरी प्रति सेमी सेकण्ड °C है तथा ऊष्मा संचरण की दर छड़ की लम्बाई की दिशा में होती है। यदि छड़ के दोनों सिरों के बीच तापान्तर 50°C हो, तो ऊष्मा संचरण की दर ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
3.18 × 10³ s°C kcal, 1.57 × 10-2 kcals-1

प्रश्न 20.
एक समतल तली की केतली को स्टोव पर रखकर पानी उबाला जा रहा है। तली का क्षेत्रफल 270 cm², मोटाई 0.3 cm तथा उसके पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक 0.5 कैलोरी / sec °C cm है। यदि केतली में 10 ग्राम / मिनट की दर से भाप बन रही हो, तो तली के अन्दर तथा बाहर की सतह के तापान्तर की गणना कीजिए। (भाप की गुप्त ऊष्मा = 540 cal/gram)
उत्तर:
0.2°C

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 21.
35 cm लम्बी धातु की छड़ का एक सिरा भाप में दूसरा बर्फ में रहता है। यदि 10 gm. m-1 की दर से बर्फ पिघल रही हैं तो उस धातु की ऊष्मा चालकता ज्ञात कीजिए। यदि छड़ का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 7 cm² व बर्फ की गलन की गुप्त ऊष्मा 3.4 × 105 J. kg-1
उत्तर:
2.833 × 107 Jm-1s-1°C-1

स्टीफन के नियम पर आधारित

प्रश्न 22.
ताँबे का एक ठोस गोला (घनत्व ρ, विशिष्ट ऊष्मा C, त्रिज्या r) जिसका प्रारम्भिक ताप 200 K है, एक ऐसे कोष्ठ में लटका है। जिसकी दीवारें लगभग 0 K ताप पर हैं। गोले के ताप को 100 K तक गिरने में लगने वाला समय कितना होगा? (स्टीफन नियतांक σ है ।)
उत्तर:
\(\frac{7}{72} \frac{r \rho \mathrm{C}}{\sigma} \times 10^{-6} \mathrm{sec}\)

प्रश्न 23.
पृथ्वी अपने तल पर सूर्य से 14000 वाट/मी² की दर से विकिरण प्राप्त करती है। पृथ्वी के तल से सूर्य के केन्द्र की दूरी 1.5 × 1011 m है, तथा सूर्य की त्रिज्या 7.0 × 108 m है सूर्य को कृष्णिका मानते हुए इसका पृष्ठ-ताप ज्ञात कीजिए। (स्टीफन नियतांक σ = 5.67 × 10-8 वाट/m² K4)
उत्तर:
5803 K

प्रश्न 24.
एक कृष्णिका के पृष्ठ का क्षेत्रफल 5 × 10-4 m² तथा ताप 727°C है यह प्रति मिनट कितनी ऊष्मा विकिरित करेगा? स्टीफन नियतांक= 5.67 × 10 -8J/m² sec K4.
उत्तर:
1.7 × 10³ जूल

प्रश्न 25.
यदि सूर्य के प्रत्येक cm² पृष्ठ से ऊर्जा 1.5 × 10-3 cal s-1 cm-2 की दर से विकरित हो रही है। यदि स्टीफन नियतांक 5.7 × 10-8 Js m-2 K-1 हो तो सूर्य के पृष्ठ का ताप केल्विन में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
5765.9K

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 26.
127°C का ताप वाले कृष्णिका के तल से 1.6 × 106 J cm-2 की दर से उत्सर्जन हो रहा है। कृष्णिका के ताप का मान ज्ञात कीजिए जिस पर उत्सर्जन की दर 81 × 106J cm-2 हो।
उत्तर:
1200K

न्यूटन के शीतलन के नियम पर आधारित

प्रश्न 27.
एक द्रव 5 मिनट में 80°C से 70°C तक ठण्डा होता है इसे 70°C से 60°C तक ठण्डा होने में कितना समय लगेगा? वातावरण का ताप 40°C पर स्थिर है।
उत्तर:
7 मिनट

प्रश्न 28.
किसी पिण्ड को 60°C से 50°C तक ठण्डा होने में 10 मिनट का समय लगा है। यदि कमरे का ताप 25°C हो, तो न्यूटन के शीतलन नियम को उचित मानते हुए पिण्ड का ताप अगले 10 मिनट में कितना होगा?
उत्तर:
42.85°C

प्रश्न 29.
किसी बर्तन में भरे जल का ताप 5 min में 90°C से 80°C हो जाता है, जबकि कमरे का ताप 20°C है तब 63°C से 55°C ताप गिरने में कितना समय लगेगा ?
उत्तर:
6.67 मिनट

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

वीन के विस्थापन नियम पर आधारित

प्रश्न 30.
दो तारे X और Y क्रमश: 4800Å तथा 6000Å तरंगदैर्ध्य पर अधिकतम विकिरण उत्सर्जित करते हैं। यदि Y का ताप 5800K हो तो X का ताप क्या होगा ?
उत्तर:
7250 K

प्रश्न 31.
तरंगदैर्घ्य λ के संगत कृष्ण पिण्ड अधिकतम ऊर्जा उत्सर्जित करता है। कृष्ण पिण्ड का ताप इस प्रकार बढ़ायें कि अधिकतम ऊर्जा के संगत तरंगदैर्घ्य \(\frac{5 λ}{7}\) हो जाती है। कृष्ण पिण्ड से उत्सर्जित शक्ति कितने गुना बढ़ जायेगी?
उत्तर:
\(\frac{2401}{625}\) गुना

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 1.
एक द्रव को सील बन्द पात्र में निश्चित ताप पर उसके वाष्प के साथ साम्य में रखा जाता है। पात्र का आयतन अचानक बढ़ा दिया जाता है-
(क) वाष्प दाब परिवर्तन का प्रारम्भिक परिणाम क्या होगा ?
(ख) प्रारम्भ में वाष्पन एवं संघनन की दर कैसे बदलती है?
(ग) क्या होगा जबकि साम्य पुन: अन्तिम रूप से स्थापित हो जायेगा तब अन्तिम वाष्प दाब क्या होगा ?
उत्तर:
(क) पात्र का आयतन बढ़ाने पर वाष्प दाब प्रारम्भिक रूप से घटेगा क्योंकि इस स्थिति में वाष्पों की समान मात्रा अधिक स्थान पर वितरित रहती है।

(ख) पात्र का आयतन बढ़ाने पर प्रारम्भ में वांष्पन दर बढ़ेगी, क्योंकि अब अधिक स्थान उपलब्ध होगा। चूँक प्रति इकाई आयतन में वाष्प की मात्रा आयतन बढ़ाने पर घटेगी। अतः प्रारम्भ में संघनन की दर कम होगी।

(ग) साम्यावस्था पर वाष्पन दर संघनन दर के बराबर होती है। अन्तिम वाष्प दाब समान होगा क्योंक यह ताप पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित साम्य के लिये Kc क्या होगा यदि साम्य पर प्रत्येक पदार्थ की सान्द्रतायें हैं-
[SO2] = 0.60M, [O2] = 0.82 M, [SO3] = 1.90M
2SO2(g) + O2 (g) \(\rightleftharpoons\) 2SO3 (g)
हल:
अभिक्रिया
2SO2(g) + O2(g) \(\rightleftharpoons\) 2SO3(g)
Kc = \(\frac{\left[\mathrm{SO}_3\right]^2}{\left[\mathrm{SO}_2\right]^2\left[\mathrm{O}_2\right]}\)
Kc = \(\frac{(1.90)^2}{(0.60)^2(0.82)}\)
Kc = 12.229 mol L-1

प्रश्न 3.
एक निश्चित ताप एवं कुल दाब 105Pa पर आयोडीन वाष्प में आयतानुसार 40% आयोडीन परमाणु होते हैं।
I2(g) = 2I(g)
साम्य के लिए Kp की गणना कीजिए।
हल:
साम्य पर कुल दाब = 105Paa
आयोडीन परमाणु I का आंशिक दाब
Pi = \(\frac { 40 }{ 100 }\) x (105Pa) = 0.4 x 105Pa
आयोडीन अणुओं (12) का आंशिक दाब
Pi2 = \(\frac { 60 }{ 100 }\) × (105Pa) = 0.6 × 105Pa
Kp = \(\frac{\left(\mathrm{P}_{\mathrm{I}}\right)^2}{P_{\mathrm{I}_2}}=\frac{\left(0.4 \times 10^5\right)^2}{\left(0.6 \times 10^5\right)}\)
= 2.67 × 104 Pa

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से प्रत्येक अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक KC का व्यंजक लिखिए-
(i) 2NOCl(g) ⇌ 2NO (g) + Cl1⁄2 (g)
(ii) 2Cu(NO3)2(s) ⇌ 2CuO(s) + 4NO2(g) + O2(g)
(iii) CH3COOC2H5(g) + H2O(l) ⇌ C3COOH(aq) + C2H5OH(aq)
(iv) Fe3+(aq) + 3OH(aq) ⇌ Fe(OH)3(s)
(v) I2(s) + 5F2 ⇌ 2IF5
हल:
(i) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{NO}^2\left[\mathrm{Cl}_2\right]\right.}{[\mathrm{NOCl}]^2}]\)
(ii) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{NO}_2\right]^4[\mathrm{CuO}]^2\left[\mathrm{O}_2\right]}{\left[\mathrm{Cu}\left(\mathrm{NO}_3\right)_2\right]^2}=\left[\mathrm{NO}_2\right]^4\left[\mathrm{O}_2\right]\)
(iii) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{CH}_3 \mathrm{COOH}\right]\left[\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{OH}\right]}{\left[\mathrm{CH}_3 \mathrm{COOC}_2 \mathrm{H}_5\right]\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{O}\right]}\)
(iv) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{Fe}(\mathrm{OH})_3\right]}{\left[\mathrm{Fe}^{3+}\right]\left[\mathrm{OH}^{-}\right]^3}=\frac{1}{\left[\mathrm{Fe}^{3+}\right]\left[\mathrm{OH}^{-}\right]^3}\)
(v) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{IF}_{\mathrm{s}}\right]^2}{\left[\mathrm{~F}_2\right]^5}\)

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 5.
K के मान से निम्नलिखित में से प्रत्येक साम्य के लिए Kc का मान ज्ञात कीजिए।
(i) 2NOCl (g) ⇌ 2NO(g) + Cl2 (g)
Kp = 1·8 × 10-2 500K ताप पर

(ii) CaCO3 (g) ⇌ CaO ( s) + CO2 (g)
Kp = 1.67, 1073K ताप पर
हल:
(i) 2NOCl(g) ⇌ 2NO(g) + Cl2(g)
Kp = 1.8 × 10-2
∆n = (2 + 1) – 2 = 1
Kc = \(\frac{\mathrm{K}_p}{(\mathrm{RT})^{\Delta n}}=\frac{1.8 \times 10^{-2}}{(0.0821 \times 500)^1}\)
= 4.4 × 10-4 mol L-1

(ii) CaCO3(s) ⇌ CaO (s) + CO2(g)
Kp = 167 ∆n = 1
Kc = \(\frac{\mathrm{K}_p}{(\mathrm{RT})^{\Delta n}}=\frac{167}{0.0821 \times 1073}\)
= 1.90 mol L-1

प्रश्न 6.
NO(g) + O3(g) ⇌ NO2(g) + O2(g) के लिए 1000 K पर KC = 6.3 x 1014 है। साम्य में अग्र एवं प्रतीप दोनों अभिक्रियाएँ प्राथमिक रूप से द्विअणुक हैं। प्रतीप अभिक्रिया के लिए K’C क्या है?
उत्तर:
प्रतीप अभिक्रिया के लिये.
K’c = \(\frac{1}{6.3 \times 10^{14}}\) = 1.59 × 10-15

प्रश्न 7.
साम्य स्थिरांक का व्यंजक लिखते समय समझाइए कि शुद्ध द्रवों एवं ठोसों को उपेक्षित क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
सुविधा के लिए शुद्ध ठोस के लिए द्रव्यमान स्थिर होता है यदि शुद्ध द्रव अधिक मात्रा में है तब इसका त्रिज्या द्रव्यमान भी स्थिर होगा अतः क्रिया द्रव्यमान एक लिया जा सकता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 1
घनत्व एक गहन गुण है तथा पदार्थ के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। इसके अतिरिक्त एक शुद्ध पदार्थ (ठोस या द्रव) की मोलर सान्द्रता के मान सदैव समान रहते हैं तथा इन्हें साम्य स्थिरांक का मान लिखते समय उपेक्षित किया जा सकता है। यद्यपि गैसीय अवस्था या जलीय विलयन में, पदार्थों लिए दिये गये आयतन में उनकी मात्रा परिवर्तनीय हो सकती है तथा उनकी मोलर सान्द्रता स्थिर नहीं रहती जिससे साम्य स्थिरांक के लिए व्यंजक लिखते समय इसे उपेक्षित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
N2 और O2 के मध्य निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
2N2(g) + O2(g) ⇌ 2N2O(g)
यदि एक 101 के पात्र में 0.48 mol N2 एवं 0.933 mol O2 रखे जायें तथा एक ताप जिस पर N2O बनने दिया जाये तो साम्य मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए। (Kc = 20 x 10-37)
हल:
माना कि N2(g) के X मोल अभिक्रिया में भाग लेते हैं। अभिक्रिया के अनुसार O2 के \(\frac { X }{ 2 }\) मोल अभिक्रिया करके N2O(g) के X मोल बनायेंगे। उस स्पीशीज की अभिक्रिया के पहले तथा साम्य बिन्दु पर प्रति लीटर मोलर सान्द्रतायें हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 2
साम्य स्थिरांक का मान अत्यन्त कम है अतः अभिकारकों को केवल कुछ मात्रा ही अधिकृत हुई है। इसलिए X अत्यन्त कम होगा तथा अभिकारकों के सम्बन्ध में इसे उपेक्षणीय माना जा सकता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 3
उत्तर-अतः साम्य मिश्रण में
N2 की मोलर सान्द्रता = 0.0482 mol L-1
O2 की मोलर सान्द्रता = 0.0433 mol L-1
N2O की मोलर सान्द्रता = 6.58 x 10-20 mol L-1

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 9.
निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार नाइट्रिक ऑक्साइड Br2 से अभिक्रिया करके नाइट्रोसिल ब्रोमाइड बनाती हैं।
2NO(g) + Br2(g) ⇌ 2NOBr(g)
जब स्थिर ताप पर एक बन्द पात्र में 0-087 mol NO एवं 0.0437 mol Br2 मिश्रित किए जाते हैं तब 0.0518 mol NOBr प्राप्त होती है। NO तथा Br2 की साम्य मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
2NO(g) + Br2(g) ⇌ 2NOBr(g)
NO(g) के 2 मोल, Br2(g) के मोल से अभिक्रिया करके 2 मोल NOBr(g) बनाते हैं। साम्य मिश्रण के संगठन निम्नवत् हैं-
साम्य पर निर्मित NOBr(g) के मोलों की संख्या = 0.0518 mol
NO(g) के मोलों की संख्या = 0.0518 मोल
साम्य पर NO (g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.087 – 0.0518 = 00352 मोल
Br2(g) के मोलों की संख्या =\(\frac { 1 }{ 2 }\) x 0.0518 = 0.0259
साम्य पर Br2(g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.437 – 0.0259
= 0.0178 mol
उत्तर-विभिन्न स्पीशीज की प्रारम्भिक मोलर सान्द्रताएँ तथा साम्य मोलर सान्द्रताओं को निम्न प्रकार निरूपित कर सकते हैं।
2NO(g) + Br2(g) ⇌ 2NOBr(g)
प्रारम्भिक मोल 0-087 0.0437 0
साम्य पर मोल 0.0352 00178 0.0518

प्रश्न 10.
साम्य 2SO2(g) + O2(g) ⇌ 2SO3(g) के लिये 450K पर Kp = 2.0 × 10+10 bar-1 है। इस ताप पर KC के मान की गणना करो।
हल:
दिया गया है
Kp = 2 × 1010 bar-1
R = 0.0831 L bar K-1 mol-1
T = 450K
2SO2(g) + O2(g) ⇌ 2SO3(g)
∆n = 2 – 3 = – 1
Kc = \(\frac{\mathrm{K}_p}{(\mathrm{RT})^{\Delta n}}\)
Kc = \(\frac{2.0 \times 10^{10}}{(0.0831 \times 450)^{-1}}\)
Kc = 2.0 x 1010 x 0.0831 x 450
Kc = 7.47 x 1010 mol L-1

प्रश्न 11.
HI (g) का एक नमूना 0.2 atm दाब पर एक फ्लास्क में रखा जाता है। साम्य पर H2(g) का आंशिक दाब 0.08 atm है। दिये गये साम्य के लिए Kp का मान क्या होगा?
2HI (g) ⇌ H2 (g) + I2 (g)
हल:
PHI = 0.04 atm
PH2 = 0.08 atm
PI2 = 0.08 atm
Kp = \(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{H}_2} \times \mathrm{P}_{1_2}}{\mathrm{P}_{\mathrm{HI}}^2}\)
= \(\frac{(0.08)(0.08)}{(0.04)(0.04)}\)
Kp = 4

प्रश्न 12.
500 K ताप पर एक 20 L पात्र में Ng के 1.57 मोल H2 के 1.92 मोल एवं NH3 के 8.13 मोल को लिया जाता है। अभिक्रिया
N2(g) + 3 H2 (g) ⇌ 2NH3 (g) के लिए KC का मान 1.7 x 10² है। क्या अभिक्रिया मिश्रण साम्य में है? यदि नहीं तो नेट अभिक्रिया की दिशा क्या होगी?
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 4
यहाँ अभिक्रिया भागफल (QC) का मान Kc से अधिक है। अर्थात् QC > Kc अतः अभिक्रिया साम्य में न होकर विपरीत दिशा में अग्रसरित होगी।

प्रश्न 13.
एक गैसीय अभिक्रिया के लिए
Kc = \(\frac{\left[\mathrm{NH}_3\right]^4\left[\mathrm{O}_2\right]^5}{\left[\mathrm{NO}^4\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{O}\right]^6\right.}\) है तो
इस व्यंजक के लिए संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
4 NO(g) + 6H2O(g) → 4 (4NH3) NH3 (g) + 5O2 (g)

प्रश्न 14.
H2O का एक मोल एवं CO का एक मोल 725 K ताप पर 101 के पात्र में लिए जाते हैं। साम्य पर 40% जल भारात्मक CO के साथ निम्नलिखित समीकरण के अनुसार अभिक्रिया करता है।
H2O (g) + CO (g) ⇌ H2 (g) + CO2 (g)
अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए।
हल:
वास्तविक रूप से उपस्थित जल के मोलों की संख्या = 1 mol
अधिकृत जल का प्रतिशत = 40%
अधिकृत जल के मोलों की संख्या = (1.0 0.4)
समीकरण के अनुसार जल के 0.4ml, CO के 0.4 ml के साथ अभिक्रिया करके 0.4 ml H2 तथा 0.4 mol CO2 बनाएँगे। अतः अभिक्रिया से पहले तथा साम्य बिन्दु पर अभिकारकों तथा उत्पादों की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर निम्न प्रकार होगी-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 5

प्रश्न 15.
700K ताप पर अभिक्रिया
H2 (g) + I2 (g) = 2HI (g)
के लिए साम्य स्थिरांक 54.8 है। यदि हमने शुरू में HI (g) लिया हो, 700K ताप पर साम्य स्थापित हो तथा साम्य पर 0.5 ml L-1 HI (g) उपस्थित हो तो साम्य पर H2 (g) एवं I2 (g) की सान्द्रता क्या होगी ?
हल:
माना H2 (g) तथा I2 (g) की साम्यावस्था पर सान्द्रता X mol L-1 है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 6
साम्यावस्था पर [H2] = 0.068 mol L-1
[I2] = 0.068 mol L-1

प्रश्न 16.
ICl की सान्द्रता प्रारम्भ में 0.78 M को यदि साम्य पर दिया जाये प्रत्येक की साम्य सान्द्रतायें क्या होंगी।
2 ICl(g) ⇌ I2(g) + Cl2(g) Kc = 0.14
हल:
अभिक्रिया
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 7

प्रश्न 17.
नीचे दर्शाये गये साम्य में 899 K पर Kp का मान 0.04 atm है। C2H6 (g) साम्य पर सान्द्रता क्या होगी यदि 4.0 atm दाब पर C2H 6को एक फ्लास्क में रखा गया है एवं साम्यावस्था पर आने दिया जाता है।
C2H6(g) ⇌ C2H4(g) + H2(g)
हल:
अभिक्रिया में,
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 8
साम्यावस्था पर मोलों की कुल संख्या,
= 4 – α + α + α
= 4 + α
C2H6 के मोल अंश xC2H6 = \(\frac{(4-\alpha)}{(4+\alpha)}\)
C2H4 के मोल अंश xC2H6 = \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\)
H2 के मोल अंश HH2 = \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\)
PC2 = XC2H6 x कुल दाब
= \(\frac{(4-\alpha)}{(4+\alpha)}\) x 1 atm
= \(\frac{(4-\alpha)}{(4+\alpha)}\) atm
PC2H4 = xC2H4 x कुल दाब
= \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\) x 1 atm
= \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\)atm
PH2 = XH2 x कुल दाब
= \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\) x 1 atm
= \(\frac{\alpha}{(4+\alpha)}\) atm
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 9
अत: C2H6 की सान्द्रता (4 – α) = 4 – 0.78 = 3.22

प्रश्न 18.
एथेनॉल एवं ऐसीटिक अम्ल की अभिक्रिया में ऐथिल ऐसीटेट बनाया जाता है एवं साम्य को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है।
CH3COOH(l) + C2H5OH(l) ⇌ CH3COOC2H5(l) + H2O
(i) इस अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात (अभिक्रिया भागफल) Qc लिखिए।

(ii) यदि 293 K पर 1.00 mol ऐसीटिक अम्ल एवं 0.18 mol ऐथेनॉल प्रारम्भ लिया जाय तो अन्तिम साम्य मिश्रण में 0.171 mol एथिल ऐसीटेट है। साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए।

(iii) 0.5mol ऐथेनॉल 1.0 mol ऐसीटिक अम्ल से प्रारम्भ करते हुए 293 K ताप पर कुछ समय पश्चात् एथिल ऐसीटेट के 0.214 मोल पाए गये तो क्या साम्य स्थिरांक स्थाई हो गया।
हल:
(i) अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 10

चूँकि QC का मान K से कम है (QC < Kc) अतः साम्यावस्था प्राप्त नहीं होगी परन्तु अभिकारक अभिक्रिया में भाग लेंगे तथा उत्पाद बनाएँगे।

प्रश्न 19.
437 K ताप पर निर्वात में PCl5 का एक नमूना एक फ्लास्क में लिया गया। साम्य स्थापित होने पर PCI5 की सान्द्रता 0.5 x 10-1 mol L-1 पाई गई, यदि Kc का मान 8.3 x 10-3 है। तो साम्य पर PCI3 एवं CI2 की सान्द्रताएँ क्या होंगी।
PCI5 (g) ⇌ PCI3 (g) + CI2 (g)
हल:
माना PCl5 की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर = X मोल L-1
साम्यावस्था पर PCI5 की मोलर सान्द्रता = 0.05 mol L-1
PCI3 के वियोजित मोल = (X – 0.05) mol L-1
CI2 के प्राप्त मोल = (X – 0.05) mol L-1
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 11
साम्य बिन्दु पर PCI3 की मोलर सान्द्रता
= (0.07 – 0.05) = 0.02 mol L-1

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 20.
लौह अयस्क से स्टील बनाते समय जो अभिक्रिया होती है वह आयरन (II) ऑक्साइड का कार्बन मोनो ऑक्साइड द्वारा अपचयन है एवं इससे धात्विक लौह एवं CO2 मिलते हैं।
FeO (s) + CO (g) ⇌ Fe (s) + CO2 (g)
Kp = 0.265 atm at 1050K
1050 K पर CO एवं CO2 के साम्य पर आंशिक दाब क्या होंगे यदि उनके प्रारम्भिक आशिक दाब हैं।
PCO = 14 atm एवं PCO2 = 0.80 atm
हल:
FeO(s) + CO (g) ⇌ Fe (s) + CO2(g)
अभिक्रिया के लिये, Qp = \(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}_2}}{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}}}\)
दिया गया है। PCO2 = 0.80atm
PCO = 1.4 atm
Kp = 0.265 atm
Qp = \(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}_2}}{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}}}=\frac{0 \cdot 81}{1 \cdot 40}\) = 0.571
परन्तु Kp = 0.265
चूँकि Qp, Kp से अधिक है अतः अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में अग्रसारित होगी। अत: CO2 का दाव घटेगा तथा CO का दाब बढ़ेगा जिससे साम्यावस्था प्राप्त हो सके। अतः यदि CO2 के दाब में होने वाली कमी p है तो CO के दाव में वृद्धि होगी।
साम्यावस्था पर PCO2 = (0.80 – p) atm
PCO = (1.4 + p) atm
Kp = \(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}_2}}{\mathrm{P}_{\mathrm{CO}}}\)
0.265 = \(\frac{0 \cdot 80-p}{1 \cdot 40+p}\)
0.265 (1.4+p) = 0.80 – p
0.371 + 0.265p = 0.80 – p
1.265p = 0.429
P = \(\frac { 0.429 }{ 1.265 }\) = 0.339 atm
अतः साम्यावस्था पर PCO = 1.4 + 0.339
= 1.739 atm
PCO2 = 0.80 – 0.339 = 0.461 atm

प्रश्न 21.
अभिक्रिया N2 (g) + 3H2 ⇌ 2 NH3 के लिए (500 K पर) साम्य स्थिरांक KC = 0.061 है एक विशेष समय पर मिश्रण का संघटन इस प्रकार है-
[N2] = 3.0 mol L-1 [H2] = 2.0 mol L-1
एवं [NH3] = 0.5 mol L-1
क्या अभिक्रिया साम्य में है? यदि नहीं तो साम्य स्थापित करने के लिए अभिक्रिया किस दिशा में अग्रसरित होगी?
हल:
N2 (g) + 3H2 ⇌ 2 NH3 (g)
[N2] = 3.0 mol L-1
[H2] = 2.0 mol L-1
[NH3] = 0.5 mol L-1
QC = \(\frac{\left[\mathrm{NH}_{3(\mathrm{~g})}\right]^2}{\left[\mathrm{~N}_{2(\mathrm{~g})}\right]\left[\mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}\right]^3}=\frac{(0.5)^2}{(3.0)(2.0)^3}\)
= \(\frac{0.25}{(3.0)(2.0)^3}=\frac{0.25}{24}\)
= 0.0104
चूँकि QC का मान K के मान (0.061) से कम है अतः अभिक्रिया साम्यावस्था में नहीं है। यह तब तक अग्रगामी दिशा में अग्रसरित होगी जब तक कि QC का मान Kc के समान न हो जाये।

प्रश्न 22.
ब्रोमीन मोनो क्लोराइड (BrCI) विघटित होकर ब्रोमीन एवं क्लोरीन देता है तथा साम्य स्थापित होता है ।
2 BrCl (g) ⇌ Br2 (g) + Cl2(g)
इसके लिए 500 K पर KC = 32 है। यदि प्रारम्भ में BrCl की सान्द्रता 3.3 x 10-3 mol L-1 हो तो साम्य पर मिश्रण में इसकी सान्द्रता क्या होगी?
हल:
माना साम्यावस्था प्राप्त करने के लिये BrCl के x मोल वियोजित होते हैं। विभिन्न स्पीशीज की प्रारम्भिक व साम्य बिन्दु पर मोलर सान्द्रतायें निम्न प्रकार होंगी।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 12
साम्य बिन्दु पर BrCl की मोलर सान्द्रता
= 3.3 x 10-3 – 3.0 x 10-3
= 3.0 x 10-4 mol/L-1

प्रश्न 23.
1127 K एवं 1 atm दाब पर CO तथा CO2 के गैसीय मिश्रण में साम्यावस्था पर ठोस कार्बन में 90.55% (भारात्मक) CO है।
C(s) + CO2(g) ⇌ 2CO(g)
उपर्युक्त ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc के मान की गणना कीजिए।
हल:
अभिक्रिया के लिए Kp की गणना-
माना गैसीय मिश्रण का कुल द्रव्यमान = 100 g
मिश्रण में CO का द्रव्यमान = 90.55 g
मिश्रण में CO2 का द्रव्यमान = (100 – 90.55) = 9.45 g
CO के मोलों की संख्या = \(\frac { 90.55 }{ 28 }\)
= 3.234 mol
CO2 के मोलों की संख्या =\(\frac { 9.45 }{ 44 }\)
= 0.2l5 mol
मिश्रण में CO का आंशिक दाब
PCO = \(\frac{3.234}{3.234+0.215}\)
= 0.938 atm
मिश्रण में CO2 का आंशिक दाब
PCO2 = \(\frac{0.215}{(3.234+0.215)}\) x 1 atm
= 0.062 atm
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 13
Kp = 0.959 atm R = 0.082 L atm K-1 mol-1
= 1127K
n = 2 – 1 = 1
Kc = \(\frac{14.19}{(0.082) \times(1127 K)}\)
= 0.153 mol L-1

प्रश्न 24.
298 K पर NO एवं O2 से NO2 बनती है।
NO (g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) ⇌ NO2 (g)
अभिक्रिया के लिए (क) ∆G° एवं (ख) साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए –
fG° (NO2) = 52.0KJ/mol
fG° (NO) = 87.0kJ/mol
fG° (O2) = 0.0kJ/mol
हल:
(क) ∆G° की गणना –
∆G° = ∑ ∆G° (उत्पाद) – ∑ ∆G°(अधिकारक)
∆G° = [∆fG° (NO2)] – [∆fG°(NO) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) ∆fG°(O2)]
∆G° = 52.0 (87.0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 0)
∆G° = 52 – 87
∆G° = – 35 kJ mol-1

(ख) Kc की गणना ∆fG° = – 2.303 RT log Kc
log Kc = \(\frac{-\Delta_f \mathrm{G}^{\mathrm{o}}}{2 \cdot 303 \mathrm{RT}}\)
log Kc = \(\frac{-\left(-35 \times 10^3\right)}{2 \cdot 303 \times 8.314 \times 298}\)
log Kc = 6.134
Kc = Antilog 6.134
Kc = 1.36 x 106

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से प्रत्येक साम्य में जब आयतन बढ़ाकर दाब कम किया जाता है तब बतलाइए कि अभिक्रिया के उत्पादों के मोलों की संख्या बढ़ती है या घटती है या समान रहती है –
(क) PCl5 (g) ⇌ PCI (g) + Cl2 (g)
(3) CaO (s) + CO2 (g) ⇌ CaCO3 (s)
(ग) 3Fe (s) + 4H2O (g) ⇌ Fe3O4 (s) + 4H2 (g)
उत्तर:
(क) दाब में कमी अग्रगामी अभिक्रिया को बढ़ा देगी तथा उत्पादों के मोलों की संख्या बढ़ेगी।
(ख) दाब में कमी पश्चगामी अभिक्रिया को बढ़ा देगी तथा उत्पादों के मोलों की संख्या घटेगी।
(ग) साम्यावस्था स्थिरांक पर दाब परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि उत्पादों के मोलों की संख्या समान है।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित में से दाब बढ़ाने कौन-कौन सी अभिक्रिया प्रभावित होगी? यह भी बताइए कि दाब परिवर्तन करने पर अभिक्रिया अग्र या प्रतीप दिशा में गतिमान होगी।
(i) COCl2 (g) ⇌ CO (g) + Cl2 (g)
(ii) CH4 (g) + 2S2 (g) ⇌ CS2 (g) + 2H2S (g)
(iii) CO2 (g) + C(s) ⇌ 2 CO (g)
(iv) 2H2 (g) + CO (g) ⇌ CH3OH (g)
(v) CaCO3 (s) ⇌ CaO (s) + CO2 (g)
(vi) 4NH (g) + 5O2(g) ⇌ 4NO (g) + 6H2O (g)
उत्तर:
(i) मोलों की संख्या में अन्तर ∆n = 1 + 1 – 1 – 1 दाब वृद्धि पश्चगामी अधिक्रिया का समर्थन करेगी चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या की प्रति इकाई आयतन में कमी हो रही है।

(ii) मोलों की संख्या में अन्तर ∆n = (1 + 2) – (1 + 2) = 0
दाब वृद्धि साम्यावस्था को प्रभावित नहीं करती है क्योंकि अभिक्रिया के फलस्वरूप मोलों की संख्या में कोई अन्तर नहीं हो रहा है।

(iii) मोलों की संख्या में अन्तर ∆n = 2 – 1 = 1
दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या की प्रति इकाई आयतन में कमी हो रही है।

(iv) मोलों की संख्या में अन्तर ∆n = 1 – (2 + 1) = – 2
दाब में वृद्धि अग्रगामी क्रिया का समर्थन करेगी चूँकि अग्रगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या की प्रति इकाई आयतन में कमी हो रही है।

(v) मोलों की संख्या में अन्तर = ∆n = 1
दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या की प्रति इकाई आयतन में कमी हो रही है।

(vi) मोलों की संख्या में अन्तर ∆n = (4 + 6) – (4 + 5) = 1
दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या की प्रति इकाई आयतन में कमी हो रही है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 27.
निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए 1024 K पर साम्य स्थिरांक 1.6 x 105 है।
H2(g) + Br2(g) ⇌ 2HBr(g)
यदि HBr के 10.0 bar सील युक्त पात्र में डाले जाएँ तो सभी गैसों के 1124 K पर साम्य दाब ज्ञात कीजिए।
हल:
Kp की गणना-
H2(g) + Br2(g) ⇌ 2HBr(g)
Kp = Kc(RT)∆n ∆n = 0
Kp = Kc = 1.6 x 105
गैसों के आंशिक दाब-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 14
उत्तर-PH2 = 0.050/2 = 0.025 bar
PBr2 = 0.025 bar
PHBr = (10 – 0.050) = 9.95 bar

प्रश्न 28.
निम्नलिखित ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं के अनुसार ऑक्सीकरण द्वारा डाई हाइड्रोजन गैस प्राकृतिक गैस से प्राप्त की जाती है।
CH4(g) + H2O(g) ⇌ CO(g) + 3H2(g)
(क) उपर्युक्त अभिक्रिया के लिए Kp का व्यंजक लिखिए।
(ख) Kp एवं अभिक्रिया मिश्रण का साम्य पर संघटन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि –
(i) दाब बढ़ा दिया जाय।
(ii) ताप बढ़ा दिया जाय।
(iii) उत्प्रेरकं प्रयुक्त किया जाय।
उत्तर:
(क) CH4(g) + H2O(g) ⇌ CO(g) + 3H2(g) के लिए Kp का व्यंजक
Kp = \(\frac{\left(\mathrm{P}_{\mathrm{CO}}\right)\left(\mathrm{P}_{\mathrm{H}_2}\right)^3}{\left(\mathrm{P}_{\mathrm{CH}_4}\right)\left(\mathrm{P}_{\mathrm{H}_2 \mathrm{O}}\right)}\)

(ख) (i) दाब बढ़ाने पर मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन बढ़ेगी। अतः दाब बढ़ाने पर साम्यावस्था बायीं ओर अर्थात् पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी। परिणामस्वरूप अभिकारकों की अधिक मात्रा बनेगी तथा Kp का मान घट जायेगा।

(ii) यदि ताप बढ़ाया जाता है तो अग्रगामी अभिक्रिया बढ़ेगी चूँकि यह ऊष्माशोषी है इसलिए साम्यावस्था दाई ओर अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी तथा Kp का मान घटेगा।

(iii) उत्प्रेरक के प्रयोग से साम्यावस्था परिवर्तित नहीं होगी क्योंकि यह अग्रगामी तथा पश्चगामी दोनों अभिक्रियाओं को समान रूप से प्रभावित करता है।

प्रश्न 29.
साम्य 2H2 (g) + CO (g) ⇌ CH3OH (g) पर (i) H2 मिलाने पर (ii) CH3OH मिलाने पर (iii) CO हटाने पर (iv) CH3OH हटाने पर साम्यावस्था किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
(i) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी।
(ii) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी।
(iii) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी।
(iv) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित होगी।

प्रश्न 30.
473 K पर PCl5 के विघटन के लिए K का मान 8.3 x 10-3 है। यदि विघटन इस प्रकार दर्शाया जाये तो
PCI5 (g) ⇌ PCl3 (g) + Cl2 (g)
rH° = 124.0 kJ mol-1
(क) अभिक्रिया के लिए Kc का व्यंजक लिखिए।
(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिए समान ताप पर Kc का मान क्या होगा?
(ग) यदि
(i) और अधिक PCl5 मिलाया जाये।
(ii) दाब बढ़ाया जाये।
(iii) ताप बढ़ाया जाये तो Kc पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
(क) Kc = \(\frac{\left[\mathrm{PCl}_3\right]\left[\mathrm{Cl}_2\right]}{\left[\mathrm{PCl}_5\right]}\)
यहाँ दिया है Kc = 8.3 × 10-3

(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिये,
Kc‘ = \(\frac{\left[\mathrm{PCl}_5\right]}{\left[\mathrm{PCl}_3\right]\left[\mathrm{Cl}_2\right]}\)
Kc‘ = \(\frac{1}{\mathrm{~K}_{\mathrm{C}}}\)
Kc‘ = \(\frac{1}{8.3 \times 10^{-3}}\) = 120.48

(ग) (i) यदि और अधिक PCl5 मिलाया जायेगा तो Kc का मान नियत रहता है।

(ii) जब दाब बढ़ाया जाता है तो अभिक्रिया कम आयतन की दिशा में अग्रसर होती है अतः अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में विस्थापित हो जायेगी परिणामस्वरूप Kc का मान घट जायेगा।

(iii) ताप बढ़ाने पर अग्रगामी अभिक्रिया तीव्र होगी चूँकि अभिक्रिया ऊष्माशोषी है। इसलिए साम्यावस्था स्थिरांक Kc का मान बढ़ जायेगा।

प्रश्न 31.
हैबर विधि में प्रयुक्त हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस से प्राप्त मेथेन को उच्च ताप की भाप से क्रिया कर बनाया जाता है। दो पदों वाली अभिक्रिया में प्रथम पद में CO तथा H2 बनती है। दूसरे पद में प्रथम पद में बनने वाली CO और अधिक भाप से क्रिया करती है।
CO(g) + H2O(g) ⇌ CO2(g) + H2(g)
यदि 400°C पर अभिक्रिया पात्र में CO एवं भाप का सममोलर मिश्रण इस प्रकार लिया जाये कि PCO = PH2O = 4.0 bar, H2 का साम्यावस्था पर आंशिक दाब क्या होगा?
400°C पर Kp = 10.1 है।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 15

प्रश्न 32.
बताइए कि निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों की सान्द्रता सुप्रेक्ष्य होगी –
(क) Cl2 (g) ⇌ 2Cl (g) Kc = 5 × 10-39
(ख) Cl2 (g) + 2NO (g) ⇌ 2NOCl (g) Kc = 3.7 x 108
(ग) Cl2 (g) + 2 NO2 (g) ⇌ 2 NO2 Cl (g) Kc = 1.8
उत्तर:
(क) Kc = 5 x 10-9 यह मान अत्यन्त कम है। इसलिये साम्यावस्था पर अभिकारकों की मात्रा बहुत अधिक है।

(ख) Kc = 3.7 x 108 यह मान अत्यधिक उच्च है इसलिए साम्यावस्था पर उत्पादों की मात्रा बहुत अधिक है तथा अभिक्रिया पूर्णता के निकट है।

(ग) Kc = 1.8 यह मान 1 से अधिक है। इसलिए अभिकारकों की मात्रा उत्पादों की मात्रा से कम होगी। अतः इस अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों की सान्द्रता सप्रेक्ष्य होगी।

प्रश्न 33.
25°C पर अभिक्रिया 3O2 (g) ⇌ 2O3 (g) के लिए K का मान 2.0 x 10-50 है यदि वायु में 25°C ताप पर O2 की साम्यावस्था सान्द्रता 1.6 x 10-2 है तो O3 की सान्द्रता क्या होगी?
हल:
3O2 (g) ⇌ 2O3 (g)
Kc = \(\frac{\left[\mathrm{O}_3\right]^2}{\left[\mathrm{O}_2\right]^3}\)
2.0 x 10-50 = \(\frac{\left[\mathrm{O}_3\right]^2}{\left(1.6 \times 10^{-2}\right)^3}\)
[O3]² = 2.0 x 10-50 x 2.56 x 1.6 × 10-6
= 8.19 × 10-56
[O3] = 2.9 x 10-28 mol L-1

प्रश्न 34.
CO(g) + 3H2(g) ⇌ CH4 (g) + H2O(g) अभिक्रिया एक लीटर फ्लास्क में 1300 K पर साम्यावस्था में है। इसमें CO के 0.3 mol, H2,के 0.01 mol, H2 O के 0.01 mol एवं CH4, की अज्ञात
मात्रा है दिये गये ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc का मान 3.90 है। मिश्रण में CH4 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 16

प्रश्न 35.
संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म का क्या अर्थ है। निम्नलिखित स्पीशीज के लिए संयुग्मी अम्ल / क्षारक बताइए-
HNO2 CN, HClO4, F, OH, CO32-, एवं S2-
उत्तर:
अम्ल तथा क्षारक के वे युग्म जो क्रमश: एक प्रोटॉन की उपस्थिति या अनुपस्थिति के कारण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म कहलाते हैं अतः संयुग्मी अम्ल में एक अतिरिक्त प्रोटॉन होता है तथा प्रत्येक क्षारक में एक प्रोटॉन कम होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 17

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में कौन लूइस अम्ल हैं?
H2O, BF3, H+ एक NH4+
उत्तर:
BF3, H+ लूईस अम्ल हैं।

प्रश्न 37.
निम्नलिखित ब्रॉन्स्टेड अम्लों के लिए संयुग्मी क्षारकों के सूत्र लिखिए-
HF, H2SO4 एक HCO3
उत्तर:

ब्रॉन्स्टेड अम्ल संयुग्मी क्षारक
HF F
H2SO4 HSO4
HCO3 CO32-

प्रश्न 38.
ब्रॉन्स्टेड क्षारकों NH2, NH3 तथा HCOO के संयुग्मी अम्ल लिखिए।
उत्तर:

ब्रॉन्स्टेड क्षारक संयुग्मी अम्ल
NH2 NH3
NH3 NH4+
HCOO HCOOH

प्रश्न 39.
स्पीशीज H2O, HCO3, HSO4 तथा NH3 ब्रॉन्स्टेड अम्ल तथा क्षारक दोनों की भाँति व्यवहार करते हैं, प्रत्येक के संयुग्मी अम्ल तथा क्षारक बताइए।
उत्तर:

स्पीशीज संयुग्मी अम्ल संयुग्मी क्षारक
H2O H3O+ OH
HCO3 H2CO3 CO32-
HSO4 H2SO4 SO42-
NH3 NH4+ NH2-

प्रश्न 40.
निम्नलिखित स्पीशीज को लूइस अम्ल तथा क्षारक में वर्गीकृत कीजिए तथा बताइए कि ये किस प्रकार लूईस अम्ल-क्षारक का कार्य करते हैं-
(क) OH (ख) F (ग) H+ (घ) BCl3
उत्तर:
(कं) OH लुईस क्षारक, यह इलेक्ट्रॉन युग्म दाता है।
(ख) F लूईस क्षारक, एक इलेक्ट्रॉन युग्म दान कर सकता है।
(ग) H+ लुईस अम्ल, एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सकता है।
(घ) BCl3 लूइस अम्ल, एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सकता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 41.
एक मृदु पेय के नमूने में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता 3.8 x 10-3 M है, उसकी pH ज्ञात कीजिए।
हल:
pH = – log [H+]
= – log (3.8 x 10-3)
= 2.4202

प्रश्न 42.
सिरके के एक नमूने की pH 3. 76 है। इसमें हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
हल:
pH = – log [H+]
= \(\frac{1}{\log \left[\mathrm{H}^{+}\right]}=3.76\)
= 3.76
\(\frac{1}{\left[\mathrm{H}^{+}\right]}\) = anti log 3.76 = 5754.4
[H+] = 1.74 × 104M

प्रश्न 43.
HF, HCOOH तथा HCN का 298 K का आयनन स्थिरांक क्रमश: 6.8 × 10-4, 1.8 × 104 तथा 4.8 x 10-9 है। इनके संगत संयुग्मी क्षारकों के आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
HF के लिए,
Kw = 10-14
Ka = 6.8 × 10-4
Kb = \(\frac{\mathrm{K}_w}{\mathrm{~K}_a}=\frac{10^{-14}}{6.8 \times 10^{-4}}\)
= 1.47 × 10-11
HCOOH के लिए
Ka = 1.8 × 10-4
Kb = \(\frac{\mathrm{K}_w}{\mathrm{~K}_a}\)
= \(\frac{10^{-14}}{4.8 \times 10^{-4}}\)
= 5.55 x 10-9
HCN के लिए
Ka = 4.8 × 10-9
Kb = \(\frac{\mathbf{K}_w}{\mathbf{K}_a}\)
= \(\frac{10^{-14}}{1.8 \times 10^{-9}}\)
= 2.08 x 10-6

प्रश्न 44.
फीनॉल का आयनन स्थिरांक 1.0 x 10-10 है। 0.05 M फीनॉल के विलयन में फीनॉलेट आयन की सान्द्रता तथा 0.01 M सोडियम फीनेट विलयन में उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
माना फीनॉल के C mol जल में घुलकर विलयन बनाते हैं तथा फीनॉल के वियोजन की मात्रा α है । साम्य बिन्दु पर विभिन्न स्पीशीज की सान्द्रता निम्न प्रकार होगी-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 18
जब फीनॉल (PhOH) को 0.01 M सोडियम फीनेट विलयन में मिलाया जाता है तब
PhOH ⇌ PhO + H+
PhONa ⇌ PhO + Na+
सोडियम फीनेट के आयनन के कारण PhO की सान्द्रता की पूर्णता (पूर्ण आयनन) = 0.01 M
PhOH से PhO आयनों की सान्द्रता = x M
PhO आयनों की कुल सान्द्रता PhO = 0.01 + x
= 0.01 M (x अत्यन्त कम होने के कारण नगण्य है)
अनायनित PhOH की सान्द्रता = 0.05 – x = 0.05 M
PhOH के लिए आयनन स्थिरांक
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 19

प्रश्न 45.
H2S का प्रथम आयनन विभव स्थिरांक 9.1 x 10-8 है। इसके 0.1 M विलयन में HS आयनों की सान्द्रता की गणना कीजिए तथा बताइए कि यदि इसमें 0.1 M HCl भी उपस्थित हो तो सान्द्रता किस प्रकार प्रभावित होगी। यदि H2S का द्वितीय वियोजन स्थिरांक 1.2 x 10-13 हो तो सल्फाइड S2- आयनों की दोनों स्थितियों में सान्द्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
0.1 M H2S विलयन में [HS ] की गणना-
माना H2S के विलयन की मात्रा = α
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 20
0.1 M HCl विलयन में [HS] सान्द्रता-
जब 0.1 M HCl विलयन में H2S मिलाई जाती है तब वियोजन निम्न प्रकार होता है-
H2S ⇌ H+ + HS
HCl → H+ + Cl
HCl के वियोजन से प्राप्त (H+] = 0.1 M
माना H2S (दुर्बल अम्ल) के वियोजन के कारण [H+] = xM
H+ आयनों की कुल सान्द्रता = 0.1 x 0.1 M
(x अत्यन्त कम होने के कारण उपेक्षणीय है)
विलयन में [HS] = xM
अवियोजित H2S की सान्द्रता = [H2S] = 0.1 – x = 0.1 M
Kαl = \(\frac{\left[\mathrm{H}^{+}\right]\left[\mathrm{HS}^{-}\right]}{\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{~S}\right]}\)
9.1 × 10-8 = \(\frac{(0.1 \times x)}{(0.1)}\)
x = 9.1 × 10-8
HCl की अनुपस्थिति में [S2-] की गणना-
H2S ⇌ H+ + HS, Kα1 = 9.1 × 10-8
HS ⇌ H+ + S2-, Kα2 = 1.2 × 10-13
सम्पूर्ण अभिक्रिया के लिए Kα गणना हेतु दोनों समीकरणों से
Kα = Kα1 × Kα2 = (9.1 × 10-8) × (1.2 × 10-13)
= 1.092 × 10-20
H2S का समीकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 21
0.1 MHCI की उपस्थिति में [S2-] की गणना-
माना H2S के वियोजन के कारण [S2-] = zM.
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 22

प्रश्न 46.
ऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.74 x 10-5 है इसके 0.05M विलयन में वियोजन की मात्रा, ऐसीटेट आयन सान्द्रता तथा pH का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 23

प्रश्न 47.
0.01 M कार्बनिक अम्ल (HA) के विलयन की PH 4.15 है। इसके ऋणायन की सान्द्रता, अम्ल का आयनन स्थिरांक तथा pKa मान परिकलित कीजिए।
हल:
HA ⇌ H+ + A
pH = 4.15, C = [HA] = 0.01 M
[H+] = 10-PH
– log [H+] = 4.15
log [H+] = – 4.15 = \(\overline{5}\).85
[H+] = antilog \(\overline{5}\).85 = 7.079 × 10–5
ऋणायन की सान्द्रता [A] = [H+] = 7.08 x 10-5 M
Ka = (7.08 × 10-5)²/0.01 = 5.8 × 10-7
pKa = – log Ka
= – log 5.08 × 10-7 = 6.29

प्रश्न 48.
पूर्ण वियोजन मानते हुए निम्नलिखित विलयनों के pH मान ज्ञात कीजिए।
(क) 0.003 M HCl
(ख) 0.005 M NaOH
(ग) 0.002 M HBr
(घ) 0.002 M KOH
हल:
(क) HCl(aq) → H+(aq) + Cl (g)
[HCl] = 0.003 M
[H+] = [HCl] = 0.003
pH = – log [H+] = – log 3 × 10-3 = 2.528

(ख) NaOHaq → Na+aq + OHaq
[NaOH] = 0.005 = 5 × 10-3 M
[OH] = [NaOH] = 5 × 10-3 M
[H+] = \(\frac{\left[\mathrm{K}_w\right]}{\left[\mathrm{OH}^{-}\right]}=\frac{10 \times 10^{-14}}{5.0 \times 10^{-3}}\) = 2 × 10-12
pH = – log 2 x 10-12 = 11.70

(ग) HBr → H+ + Br
[HBr] = 0.002M = [H+]
|pH = – log [H+] = – log 2 × 10-3 = 2.70

(घ) KOH → K+ + OH
[OH] = 0.002 M
[H+] = \(\frac{\left[\mathrm{K}_w\right]}{\left[\mathrm{OH}^{-}\right]}=\frac{1 \times 10^{-14}}{0.002}\) = 5 × 10-12 M
pH = – log [H+] = 11.30

प्रश्न 49.
निम्नलिखित में विलयनों के pH ज्ञात कीजिए-
(क) 2g TiOH को जल में घोलकर 2 L विलयन बनाया जाए।
(ख) 0.3 g Ca(OH)2 को जल में घोलकर 500 ml विलयन बनाया जाए।
(ग) 0.3 g NaOH को जल में घोलकर 200 ml विलयन बनाया जाए।
(घ) 13.6 M HCl के ml को जल से तनुकरण करके कुल आयतन 1 L किया जाए।
हल:
(क) Ti(OH) विलयन की मोलरता
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 24
pOH = – log [OH]
= – log (3.75 × 10-2 ) = 1.426
pH = 14 – pOH
= 14 – 1.426 = 12.574

(घ) M1V1 = M2V2
13.6M × 1 = M2 x 1000
M2 = \(\frac { 13.6 }{ 1000 }\)
= 1.36 × 10-2 M
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 25
pH = – log [H+]
= – log (1.36 × 10-2)
= 1.866.

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 50.
ब्रोमो ऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा 0.132 है। 0.1 M अम्ल की pH तथा pka का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
ब्रोमो ऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा (α) = 0.132
अम्ल की सान्द्रता = 0.1 M
[H+] = C × α = 0.1 x 0.132
= 00132 M
PH = – log [H+] = – log 0.0132
= – log (1.32 × 10-2)
= 1.88.
Ka = \(\frac { Ca² }{ 1-α }\)
[CH3COO] = Cα तथा [CH3COOBr] =C(1 – α)
= \(\frac{0.1 \times(0.0132)^2}{1-0.0132}\)
= 2.01 x 10-3
pKa = – log Ka = – log (2.01 × 10-3)
= 2.71

प्रश्न 51.
0.005 M कोडीन C18H21 NO3 विलयन की PH 9.95 है। इसका आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 26

प्रश्न 52.
0.001 M एनिलीन विलयन का pH क्या है एनिलीन का आयनन स्थिरांक 4.27 x 10-10 है। इसके संयुग्मी अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 27

प्रश्न 53.
यदि 0.05 M ऐसीटिक अम्ल के pKa का मान 4.74 है तो आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए। यदि इसे
(अ) 0.01 M HCl
(ब) 0.1 M HCl विलयन में डाला जाए तो वियोजन की मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है।
हल:
PKa = – log Ka
4.74 = – log Ka
log Ka = – 4.74 + 1 – 1
log Ka = \(\overline{5}\).26
Ka = anti log (\(\overline{5}\).26)
= 1.8 × 10-5
Ka = Cα²
α = \(\sqrt{\frac{\mathrm{K}_a}{\mathrm{C}}}=\sqrt{\frac{\left(1.8 \times 10^{-5}\right)}{0.05}}\)
= \(\sqrt{3.6 \times 10^{-4}}\)
= 1.9 x 10-2
= 0.019 = 1.9 %
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 28
इस स्थिति में वियोजन की मात्रा 0.01 M HCl से 10 गुना कम हो जाती है।

प्रश्न 54.
डाइ मेथिल एमीन का आयनन स्थिरांक 5.4 x 10-4 है। इसके 0.02 M विलयन की आयनन की मात्रा की गणना करिए यदि यह विलयन NaOH के प्रति 0.1M हो तो डाड़ मेथिल एमीन का प्रतिशत आयनन क्या होगा?
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 29
NaOH की अनुपस्थिति में वियोजन की मात्रा 0.164 से अत्यन्त कम है।

प्रश्न 55.
निम्नलिखित जैविक द्रवों जिनकी PH दी गई है की हाइड्रोजन आयन सान्द्रता परिकलित कीजिए।
(क) मानव पेशीय द्रव 6.83
(ख) मानव उदर द्रव 1.2
(ग) मानव रुधिर 7.38
(घ) मानव लार 6.4
हल:
(क) मानव पेशीय द्रव की [H+]
pH = 6.83
log\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 6.83
= antilog 6.83
[H+] = antilog (6.83)
= 1.48 × 10-7 M

(ख) मानव उदर द्रव की [H+]
pH = 1.2 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 1.2
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log (1.2)
= anti log (- 1.2)
= 6.309 × 10-2 M

(ग) मानव रुधिर की [H+]
pH = 7.38 या \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 73.8
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log (7.38)
[H+] = anti log (- 7.38)
= 4.168 × 10-8 M

(घ) मानव लार की [H+]
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log (6.4)
[H+] = anti log ( – 6.4)
= 3.981 × 107M.

प्रश्न 56.
दूध, कॉफी, टमाटर रस, नीबू रस तथा अण्डे की सफेदी के pH का मान क्रमश: 6.8, 5.0, 4.2 2.2 तथा 7.8 हैं। प्रत्येक के संगत H+ आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
हल:
दूध की [H+]
pH = 6.8
या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 6.8
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = antilog (6.8)
[H+] = antilog (- 6.8)
= 1.585 x 10-7 M
कॉफी की [H+]
pH = 5.0
या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 5.0
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = antilog (5.0)
[H+] = antilog (-5.0)
= 1.0 x 10-5 M
टमाटर रस की [H+]
pH = 4.2
या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 4.2
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log 4.2
[H+] = anti log (4.2)
= 6.309 × 10-5 M
नीबू रस की [H+]
pH = 2.2
या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 2.2
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log (2.2)
[H+] = anti log (2.2)
= 6.309 × 10-3 M
अण्डे की सफेद जर्दी की [H+]
pH = 7.8
या \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 7.8
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = anti log (7.8)
[H+] = anti log ( 7.8)
= 1.585 × 10-8 M.

प्रश्न 57.
298K पर 0.561 g KOH जल में घोलने पर प्राप्त 200 ml विलयन की pH तथा पोटैशियम, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोक्सिल आयनों की सान्द्रताऐं ज्ञात कीजिए।
हल:
विलयन की मोलर सान्द्रता
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 30

प्रश्न 58.
298 K पर Sr (OH)2 विलयन की विलेयता 19.23g/ L है स्ट्रॉन्शियम तथा हाइड्रोक्सिल आयन की सान्द्रता एवं विलयन की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
विलयन की मोलरता
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 31

प्रश्न 59.
प्रोपेनोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.32 × 105 है, 0.05 M अम्ल विलयन के आयनन की मात्रा तथा PH ज्ञात कीजिए। यदि विलयन में 0.01 M HCI मिलाया जाये तो उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि आयनन की मात्रा है तो
α = \(\sqrt{\frac{\mathrm{K}_a}{\mathrm{C}}}\)
= \(\sqrt{\frac{1.32 \times 10^{-5}}{0.05}}\)
= 1.62 × 10-2
[H+] = Cα
= 0.05 x 1.62 × 10-2
= 8.12 x 10-4
pH = – log [H+]
= – log (8.12 x 10-4)
= 3.09
0.01 M HCl की उपस्थिति में आयनन की मात्रा घटेगी क्योंकि HCl की उपस्थिति में साम्य बाँयी तरफ जायेगा अतः प्रोपेनोइक अम्ल की सान्द्रता बढ़ेगी।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 32

प्रश्न 60.
यदि सायनिक अम्ल (HCNO) के 0.1M विलयन की pH = 2.34 हो तो अम्ल के आयनन स्थिरांक तथा आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 33

प्रश्न 61.
यदि नाइट्स अम्ल का आयनन स्थिरांक 4.5 x 10-4 है तो 0.04 M सोडियम नाइट्राइट विलयन की pH तथा जलयोजन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
सोडियम नाइट्राइट प्रबल क्षार NaOH तथा दुर्बल अम्ल HNO का लवण है। इसके जलयोजन की मात्रा निम्न प्रकार होगी –
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 34
PH की गणना-जलीय विलयन में NaNO2 का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 35

प्रश्न 62.
यदि पिरीडीनियम हाइड्रोजन क्लोराइड के 0.02 M विलयन का pH 3.44 है तो पिरीडीन का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए ।
हल:
पिरीडीनियम हाइड्रोजन क्लोराइड [C6H5N+ HCl) का
pH = – \(\frac { 1 }{ 2 }\) [log Kw – log Kb + log c]
pH = 3.44, Kw = 1 x 10-14, C = 0.02 M
3.44= – \(\frac { 1 }{ 2 }\)[log(1 × 10-14) – log Kb + log(2 x 10-2)]
3.44 = – \(\frac { 1 }{ 2 }\)[- 14 – log Kb – 1.70]
6.88 = 14 + log Kb + 1.70
log Kb = 6.88 – 14 – 1.70 = – 8.82
Kb = antilog (- 8.82) = 1.51 x 10-9

प्रश्न 63.
निम्नलिखित लवणों के जलीय विलयनों के उदासीन अम्लीय तथा क्षारीय होने की प्रागुक्ति कीजिए।
NaCl, KBr, NaCN, NH4NO3, NaNO3 तथा KF
हल:
अम्लीय – NH4NO3
क्षारीय – NaCN, NaNO3, KF
उदासीन NaCl, KBr

प्रश्न 64.
क्लोरोऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.35 x 10-3 है 0.1 M अम्ल तथा इसके 0.1 M सोडियम लवण की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
अम्ल विलयन का pH
Ka = 1.35 x 10-3
C = 0.1 M
[H+] = (Ka × C)1/2
= (1.35 × 10-3 x 0.1) 1⁄2
= 1.16 × 10-2 M
pH = – log [H+] = – log (1.16 × 10-2) = 1.94
अम्ल के सोडियम लवण का pH
Kh = \(\frac{\mathrm{K}_w}{\mathrm{~K}_a}=\frac{1.0 \times 10^{-14}}{1.35 \times 10^{-3}}=7.4 \times 10^{-12}\)
जलयोजन मात्रा h = \(\sqrt{\frac{\mathrm{K}_h}{\mathrm{C}}}\)
= \(\sqrt{\frac{\left(7.4 \times 10^{-12}\right)}{0.1}}\)
= 8.6 x 10-7
अम्ल का सोडियम लवण जलयोजन द्वारा क्षारीय विलयन बनाता है
[OH] = Ch = 0.1 x 8.6 × 10 = 8.6 × 10-7
[H+] = \(\frac{\mathrm{K}_w}{\left[\mathrm{OH}^{-}\right]}=\frac{1.0 \times 10^{-14}}{8.6 \times 10^{-7}}\) = 1.16 x 10-8
pH = – log[H+] = log (1.16 × 10-8)
= 7.94

प्रश्न 65.
310K ताप पर यदि जल का आयनन स्थिरांक 2.7 x 10-14 है तो ताप पर उदासीन जल की pH क्या होगी?
हल:
उदासीन जल के लिए [H+] = [OH]
[H+] [OH] = Kw = 2.7 x 10-14
[H+]² = 2.7 x 10-14
[H+] = (2.7 x 10-14)1/2 = 1.643 × 10-7
जल का pH = – log [H+] = log (1.643 x 10-7) = 6.78

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 66.
निम्नलिखित मिश्रणों की pH परिकलित कीजिए-
(क) 0.2 M Ca(OH) का 10 ml + 0.1 M HCl का 25 ml
(ख) 0.01 M H2 SO4 का 10ml + 0.01 M Ca(OH)2 का 10 ml
(ग) 0.1 M H2SO4 का 10ml + 0.1 M KOH का 10ml
हल:
(क) मिश्रित करने पर Ca(OH)2 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.2 \mathrm{M}) \times(10 \mathrm{ml})}{(35 \mathrm{ml})}\)
= 0.057 M
विलयन में [OH] = 2 x 0.057 M = 0.114 M
मिश्रित करने पर HCl की मोलरता
= \(\frac{(0.1 \mathrm{M}) \times(25 \mathrm{ml})}{(35 \mathrm{ml})}\)
= 0.071 M
विलयन में [H+] = 0.071 M
उदासीनीकरण के पश्चात् [OH] = (0114 – 0.071) = 0.043 M
[OH] = = log[OH]
= – log (4.3 x 10-2)
= 1.367 = 1.37
pH = 14 – POH = 14 – 1.37 = 12.63

(ख) मिश्रित करने पर H2 SO4 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01 \mathrm{M} \times 10 \mathrm{ml})}{(20 \mathrm{ml})}\)
= 0.005 M
विलयन में [H+] = 2 × 0.005 = 0.01 M
मिश्रित करने पर Ca(OH)2 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01 \mathrm{M} \times 10 \mathrm{ml})}{(20 \mathrm{ml})}\)
= 0.005 M
विलयन में [OH] = 0.005 × 2 = 0.01 M
चूँकि विलयन में [H+] तथा [OH] समान हैं अतः विलयन उदासीन है।
अतः विलयन का pH = 7

(ग) मिश्रित करने पर H2SO4 की मोलरता
= \(\frac{(0.1 \times 0.1)}{20}\)
= 0.05 M
विलयन में [H+] = (0.05 x 2 ) = 0.10 M
मिश्रित करने पर KOH की मोलरता
= \(\frac{(0.1 \times 0.1)}{20}\)
= 0.05 M
विलयन में [OH] = 0.05 M
उदासीनीकरण के पश्चात् [H+] = 0.05 M
= 0.1 – 0.05 = 0.05 M
pH = – log [H+] = – log (5 x 10-2)
= 1.301

प्रश्न 67.
सिल्वर क्रोमेट, बेरियम क्रोमेट, फैरिक हाइड्रोक्साइड, लैंड क्लोराइड तथा मरक्यूरस आयोडाइड विलयन के 298 K पर निम्नलिखित दिये गये विलेयता गुणनफल स्थिरांक की सहायता से विलेयता ज्ञात कीजिए तथा प्रत्येक आयन की मोलरता भी ज्ञात कीजिए।
Ksp(Ag2CrO4) = 1.1 × 10-12
Ksp (BaCr O4) = 1.2 × 10-10
Ksp = (Fe(OH3) = 1.0 × 10-38
Ksp = (PbCl2) = 1.6 x 10-5
Ksp(Hg2I2) = 45 × 10-29
उत्तर:
(i) (Ag2CrO4)
(Ag2CrO4) ⇌ 2Ag+(aq) + CrO42- (aq)
माना जल में लवण की विलेयता = S
[Ag+(aq)]= 2S
[CrO4-2(aq)] = S
Ksp = [Ag+ (aq)]² [CrO42- (aq)
1.1 x = 10-12 = (2S)² × S = 4s³
S³ = \(\frac{\left(1.1 \times 10^{-12}\right)}{4}\)
= 0.275 x 10-12
S = \(\sqrt[3]{0.275 \times 10^{-12}}\)
S = 6.5 × 10-5 M
Ag+ आयनों की मोलरता
= 2S = 2 × 6.5 x 10-5 M
= 1.3 × 10-4 M
CrO42- आयनों की मोलरता
= S = 6.5 x 10-5 M

(ii) (BaCrO4)
BaCrO4 ⇌ Ba2+ (aq) + CrO42- (aq)
माना जल में लवण की विलेयता S है।
[Ba2+(aq)] = S
[CrO42-] = S
Ksp = [Ba2+ (aq)] [CrO42-(aq)]
1.2 × 10-10 = S x S = S²
S = (1.2 × 10-10)1/2
S = 1.10 × 105- M
Ba2+ (aq) आयनों की मोलरता = 1.1 x 105- M
CrO42- आयनों की मोलरता = 1.1 × 105- M

(iii) (Fe(OH)3)
Fe(OH)3(aq) ⇌ Fe3+(aq) + 3OH(aq)
माना जल में लवण की विलेयता S है।
Fe3+(aq) = S
[OH] (aq) = 3S
Ksp = [Fe3+(aq)] [OH(aq)]³
1.0 × 10-38 = S × (3S)³ = 27S4
S = \(\left(\frac{1.0 \times 10^{-38}}{27}\right)^{1 / 4}\)
= 1.387 x 10-10 M
Fe3+(aq) आयनों की मोलरता
= 1.387 × 10-10 M
OH (aq) आयनों की मोलरता
= 3 × 1.387 × 10-10 M
= 4.16 × 10-10 M

(iv) (PbCl2)
PbCl2 ⇌ Pb2+ + 2Cl(aq)
माना लवण की जल में विलेयता = S
Pb2+(aq) = S
Cl (aq) = 2S
Ksp = [Pb2+aq] [CI(aq)]²
1.6 × 10-5 = (S) × (2S)² = 4S³
S³ = \(\frac{1.6 \times 10^{-5}}{4}\) = 4.0 x 10-6
S = (4.0 × 10-6)1/3 = 1.58 × 10-2 M
Pb2+ (aq) आयनों की मोलरता
= 1.58 x 10-2 M
Cl(aq) आयनों की मोलरता
= 3.16 × 10-2 M

(v) (Hg2I2)
Hg2I2 ⇌ Hg22+ + 2I (aq)
माना जल में Hg2I2 की विलेयता = S
Hg2I2+(aq) = S
I (aq) = 2S
Ksp= [Hg22+(aq)] [I(aq)]²
45 × 10-29 = (S) × (2S)² = 4S³
S³ = \(\frac{4.5 \times 10^{-29}}{4}\) = 1.125 × 10-29
S = (1.125 × 10-29)1/3
= 2.24 x 10-10 M
Hg22+ (aq) आयनों की मोलरता
= 2.24 x 10-10 M
I (aq) आयनों की मोलरता
= 4.48 × 10-10 M

प्रश्न 68.
Ag2CrO4 तथा AgBr का विलेयता गुणनफल क्रमशः 1.1 × 10-12 तथा 5.0 x 10-13 है। उनके संतृप्त विलयन की मोलरता का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
Ag2CrO4 ⇌ = 2Ag+(aq) + CrO42-(aq)
माना लवण की जल में विलेयता S है।
[Ag+(aq)] = 2S
[CrO42-(aq)] = S
Ksp = [Ag+(aq)]² [CrO42-(aq)]
= (2S)² × S = 4S³
S = \(\left(\frac{\mathrm{K}_{s p}}{4}\right)^{1 / 3}=\left(\frac{1.1 \times 10^{-12}}{4}\right)^{1 / 3}\)
= 0.65 × 10-4 mol L-1
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था 36

प्रश्न 69.
यदि 0.002 M सान्द्रता वाले सोडियम आयोडेट तथा क्यूप्रिक क्लोरेट विलयन के समान आयतन को मिलाया जाए तो क्या कॉपर आयोडेट का अवक्षेपण होगा?
(कॉपर आयोडेट के लिए Ksp = 7.4 x 10-6)
हल:
मिश्रण के पश्चात् NaIO3 की सान्द्रता
= \(\frac { 0.002 }{ 2 }\) = 0.001 M
Cu (ClO3)2 की सान्द्रता मिश्रण के पश्चात्
= \(\frac { 0.002 }{ 2 }\) = 0.001 M
NaIO3 ⇌ Na+ + IO3
[IO3] = 0.001 M
Cu (ClO3)2 ⇌ Cu2+ + 2 ClO3
[Cu2+] = 0.001 M
Cu (IO3)2 का आयनिक गुणनफल= [Cu2+][IO3
= (0.001) (0.001)²
= (0.001) (0.001)²
= 1 × 10-9
चूँकि Kp (7.4 x 10-4) का मान आयनिक गुणनफल (1 × 10-9) की तुलना में काफी अधिक है अतः अवक्षेपण नहीं होगा। आयनिक गुणनफल विलेयता गुणनफल से कम है। अतः कोई अवक्षेप नहीं बनेगा।

प्रश्न 70.
बैन्जोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 6.46 x 10-5 तथा सिल्वर बैन्जोएट का Ksp2.5 x 10-13 है। 3.19 pH वाले बफर विलयन में सिल्वर बॅन्जोएट जल की तुलना में कितना विलेय होगा?
हल:
C6H5COOAg ⇌ C6H5COO + Ag+
माना सिल्वर वैन्जोएट की विलेयता X mol L
Ksp = [C6H5COO][Ag+]
X² = Ksp = 2.5 × 10-13
X = \(\sqrt{\mathrm{K}_{S P}}=\sqrt{2.5 \times 10^{-13}}\)
= 5.0 x 10-7 mol L-1
बफर का pH = 3.19
PH = – log [H+]
3.19 = – log [H] = 3.19 = \(\overline{4}\).81
[H+] = antilog \(\overline{4}\).81 = 6.457 x 10-4
C6H5COO ⇌ आयन H+ आयन के साथ बैन्जोइक अम्ल बनाता है। परन्तु H+ आयन स्थिर रहता है बफर विलयन के कारण
C6H5COOH ⇌ C6H5COO + H+
Ka = \(\frac{\left[\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_5 \mathrm{COO}^{-}\right]\left[\mathrm{H}^{+}\right]}{\left[\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_5 \mathrm{COOH}\right]}\)
= \(\frac{6.457 \times 10^{-4}}{6.46 \times 10^{-5}}\) = 10
माना बफर विलयन में विलेयता Y मोल/लीटर है।
तब लगभग सारा बैजोएट आयन बैन्जोइक अम्ल में बदल जायेगा।
Y = [Ag+] = [C6H5COO] + [C6H5COOH]
= [C6H5COO] + 10[C6H5COO]
= 11[C6H5COO]
या [C6H5COO] = \(\frac { y }{ 11 }\)
Ksp = [C6H5COO] [Ag+]
2.5 × 10-13 = \(\frac { y }{ 11 }\) x y
y² = 11 x 2.5 x 10-13 = 2.75 × 10-12
y = (2.75 x 10-12)1/2 = 166 x 10-6 mol L-1
बफर तथा जल में सिल्वर बैन्जोएट की विलेयताओं का अनुपात
\(\frac { y }{ x }\) = \(\frac{\left(1.66 \times 10^6\right)}{5.0 \times 10^7}\) = 3.32

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

प्रश्न 71.
फेरस सल्फेट तथा सोडियम सल्फाइड के सममोलर विलयनों की अधिकतम सान्द्रता बताइए जब उनके समान आयतन मिलाने पर आयरन सल्फाइड अवक्षेपित न हो।
(आयरन सल्फाइड के लिये Ksp = 6.3× 10-18)
हल:
माना FeSO4 तथा Na2S दोनों विलयनों की सान्द्रताएँ मिलाने से पहले x mol L-1 या xM है विलयनों के समान आयतन मिलाने पर विलयन तथा आयनों की सान्द्रता घटकर आधी अर्थात् \(\frac { x }{ 2 }\) रह जाती है।
FeS का विलेयता गुणनफल Ksp = 6.3 × 10-18
FeS(s) ⇌ Fe2+ (aq) + S2- (aq)
\(\frac { x }{ 2 }\) \(\frac { x }{ 2 }\)
\(\frac { x }{ 2 }\) x \(\frac { x }{ 2 }\) = 6.3 x 10-18
x² = 4 × 6.3 × 10-18
= 25.2 x 10-18 M
x = (25.2 × 10-18)1/2
= 5.02 x 10-9 M
दोनों विलयनों की अधिकतम सान्द्रताएँ 5-02 x 10-9 M हैं

प्रश्न 72.
1g कैल्सियम सल्फेट को घोलने के लिए कम से कम कितने आयतन जल की आवश्यकता होगी?
(CaSO4 के लिए Ksp 9.1 x 10-6)
हल:
CaSO4 (s) ⇌ Ca2+(aq) + SO42-(aq)
यदि CaSO4 की विलेयता S है, तो
S = \(\sqrt{\mathrm{K}_{s p}}\)
= \(\sqrt{9.1 \times 10^{-6}}\)
= 3.02 x 10-3 mol L-1
CaSO4 का मोलर द्रव्यमान = 40 + 32 + 64
= 136 g mol-1
CaSO4 का द्रव्यमान
= (3.02 x 10-3) × 136
= 0.411 g L-1
0.411 g CaSO4 को घोलने के लिये आवश्यक जल
= 1 L
1 g CaSO4 को घोलने के लिये आवश्यक जल का आयतन
= \(\frac { 1×1 }{ 0.411 }\)
= 2.43 L

प्रश्न 73.
0.1 M HCl में हाइड्रोजन सल्फाइड से संतृप्त विलयन की सान्द्रता 1.0 x 10-19 M है। यदि इस विलयन का 10 mL निम्नलिखित 0.04 M विलयन के 5mL में डाला जाये तो किन विलयनों से अवक्षेप प्राप्त होगा?
FeSO4, MnCl2, ZnCl2 एवं CdCl2
हल:
प्रश्नानुसार
सल्फाइड (S2-) आयनों की सान्द्रता
= 1.0 × 10-19M
M = 1.0 × 10-19M
M2 = ?
V1 = 10mL
V2 = 15ml
M1 V1 = M2V2
1.0 × 10-19 × 10 = M2 × 15
M2 = \(\frac{1.0 \times 10^{-19} \times 10}{15}\)
= 0.67 × 10-19
= 6.7 × 10-20
धातु आयनों [M2-] की सान्द्रता
= 5 × 0.04 × 103- mol L-1
= 2 × 10-4 mol L-1
M1V1 = M2V2
M1 = 2 × 10-4 M
M2 = ?
V1 = 5 mL
V1 = 15 ml
M1V1 = M2V2
2 × 10-4 × 5 = M2 × 15
M2 = \(\frac { 5 }{ 15 }\) x 2 x 104-
= 6.7 x 10-5 mol L-1
आयनिक गुणनफल
= [M2+] [S2-]
= 6.7 × 10-5 × 6.7 x 10-20
= 44.89 × 10-25
= 4.5 × 10-24
चूँकि Zn S का Ksp 2.0 x 10-23 है जो आयनिक गुणनफल से अधिक है, अत: यह अवक्षेपित नहीं होगा। FeS का Ksp 6.3 x 10-18 है, MnS का Ksp 2.5 × 10-3 तथा Cds का Ksp 8.0 x 10-27 है। चूंकि Cds का Ksp आयनिक गुणनफल से कम है इसलिये CdCl2 में अवक्षेपण हो जायेगा।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

सही उत्तर चुनिए-

प्रश्न 1.
ऊष्मागतिकी अवस्था फलन एक राशि है-
(i) जो ऊष्मा परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त होती है।
(ii) जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है।
(iii) जो दाब – आयतन कार्य की गणना करने में प्रयुक्त होती है।
(iv) जिसका मान केवल ताप पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(ii) जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 2.
एक प्रक्रम के रूद्धोष्म परिस्थितियों के होने के लिए-
(i) ∆T = 0
(ii) ∆P = 0
(iii) q = 0
(iv) W = 0
उत्तर:
(iii) q = 0

प्रश्न 3.
सभी तत्वों की एन्थैल्पी उनकी सन्दर्भ – अवस्था में होती है-
(i) इकाई
(ii) शून्य
(iii) < 0
(iv) सभी तत्वों के लिए भिन्न होती है
उत्तर:
(iii) शून्य।

प्रश्न 4.
मेथेन के दहन के लिये ∆U° का मान – X kJ mol-1 है, इसके लिये ∆H° का मान होगा-
(i) = ∆U°
(ii) > ∆U°
(iii) < ∆U°
(iv) = 0
उत्तर:
(iii) < ∆U°
मेथेन के दहन को निम्न अभिक्रिया द्वारा प्रदर्शित करते हैं-
CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l)
∆ng = 1 – 3 = – 2
अतः
∆HΘ = ∆U° + ∆ng RT से
∆HΘ < ∆U° (∵ ∆ng = – 3)

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 5.
मेथेन, ग्रेफाइट एवं डाई हाइड्रोजन के लिए 298 K पर एन्थैल्पी के मान क्रमश: – 890 kJ mol-1 393.5 kJ mol-1 एवं – 285.8 kJ mol-1 है। CH4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्या होगी?
(i) – 74.8 kJ mol-1
(ii) – 52.27 kJ mol-1
(iii) – 74.8 kJ mol-1
(iv) + 52.26 kJ mol-1
उत्तर:
(i) – 74.8 kJ mol-1
fHΘ(CH4) = 2 ∆cHΘ (H2) + ∆cHΘ(C) – ∆cHΘ (CH4)
= 2 + (- 285.8) + (- 293.5) – (- 890.3)
= – 74 kJ mol-1

प्रश्न 6.
एक अभिक्रिया A + B → C + D + q के लिए एन्ट्रॉपी परिवर्तन धनात्मक पाया गया है। यह अभिक्रिया सम्भव होगी-
(i) उच्च ताप
(ii) केवल निम्न ताप पर
(iii) किसी भी ताप पर नहीं
(iv) किसी भी ताप पर।
उत्तर:
(iv) किसी भी ताप पर।
क्योंकि अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है जिसके लिये (∆H < 0) तथा (AS > 0) इसलिये यह अभिक्रिया सभी तापों पर स्वतः प्रवर्तित होगी।

प्रश्न 7.
एक प्रक्रम में निकाय द्वारा 70 J ऊष्मा अवशोषित होती है एवं 394 J कार्य किया जाता है। इस प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा ?
उत्तर:
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा (q) = 701 J
निकाय द्वारा किया गया कार्य (W) = 394 J
अतः आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन (∆U) = g + w
= 701 + (- 394)
= 701394 = 307 J
इस प्रक्रम की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन 307 जूल होता है।

प्रश्न 8.
एक बम कैलोरीमीटर में NH4CN (s) की अभिक्रिया डाई ऑक्सीजन के साथ की गई एवं ∆U का मान 742.7 kJ mol-1 पाया गया (298K पर)। इस अभिक्रिया के लिए 298K पर एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए-
NH2 CN(s) + \(\frac { 3 }{ 2 }\) O2 (g) → N2 (g) + CO2 (g) + H2O(l)
उत्तर:
अभिक्रिया NH2 CN (s) + 2 O2 (8) → N2(g) + CO2(g) + H2O (l) के लिए
∆U = – 742.7 kJ mol-1
∆ng = 2 – \(\frac { 3 }{ 2 }\) = + \(\frac { 1 }{ 2 }\)
R = 8.314 × 10-3 KJ K-1 mol-1
T = 298 K
∆H = ∆U + ∆ngRT मान रखने पर
∆H = (- 742.7) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) (8.314 × 10-3) × 298
= – 741 kJ mol-1
अभिक्रिया के दौरान होने वाला परिवर्तन – 741 kJ mol-1 है।

प्रश्न 9.
60.0 ग्राम एलुमिनियम का ताप 35°C से 55°C करने के लिये कितने kJ ऊष्मा की आवश्यकता होगी ? AI की मोलर ऊष्माधारिता 24 J moll K-1 है।
उत्तर:
Al का द्रव्यमान = 60.0 ग्राम
ताप में वृद्धि ∆T = T2 – T1
= 55 – 35
= 20°C
या T2 = 55 + 273
= 328K
T1 = 35 + 273
= 308K
T2 – T1 = 328 – 308
= 20K
Al की मोलर ऊष्माधारिता = 24 J mol K-1
Al का मोलर द्रव्यमान = 27g mol-1
Al की विशिष्ट ऊष्माधारिता =\(\frac { 24 }{ 27 }\) Jg-1 K-1
आवश्यक ऊष्मा (q) = C x m + ∆T
= \(\frac { 24 }{ 27 }\) x 60.0 × 20
= 1065.6 J
= 1.067 kJ
1.067 kJ ऊष्मा की आवश्यकता होती है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 10.
10-0°C पर 1 मोल जल की बर्फ जमाने पर एन्थैल्पी रिवर्तन की गणना कीजिए-
∆Hfus = 6.03 kJ mol-1 0°C पर
Cp [H2O (l)] = 75.3 mol-1 K-1
Cp [H2O (s) = 360 J mol-1 K-1
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 1
हैस के नियमानुसार,
ΔΗ = ΔH1 + ΔH2 + ΔH3
∆H1 = Cp [H2O (l) ] × ΔT
= 75.3 J mol-1 K-1 ( 10K)
= 753 J mol
∆H2 (ठोसीकरण) = – 6.03 kJ mol-1
(चिन्ह परिवर्तित) = – 6030 J mol-1
∆H3 = Cp [H2O (s)] × ∆T
= 36.8 J mol-1 K-1 (-10K )
= – 368 J mol-1
∆H = (753 – 6030 – 368) J mol-1
∆H = – 5635J mol-1
= – 5.645 kJ mol-1

प्रश्न 11.
CO2 की दहन एन्थैल्पी 393.5 kJ mol-1 हैं। कार्बन एवं ऑक्सीजन से 35.2 g CO2 बनने पर उत्सर्जित ऊष्मा की गणना कीजिए।
उत्तर:
C(s) + O2 (g) ⇒ CO2 (g); ∆H° = 393 kJ mol-1
∵ 44g CO2 के निर्माण में मुक्त ऊर्जा = 393.5 kJ
∴ 35.2g CO2 के निर्माण में मुक्त होने वाली ऊर्जा = \(\frac { 393.5×35.2 }{ 44 }\)
= 314.8 kJ
35.2g CO2 के बनने में 314.8 kJ ऊर्जा मुक्त होती है।

प्रश्न 12.
CO(g), CO2 (g), N2O(g) एवं N2O4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्रमश: – 110, – 393,81 एवं 9.7 kJ हैं। अभिक्रिया, N2O4(g) + 3CO(g) → N2O(g) + 3CO2(g) के लिये ∆rHΘ का मान ज्ञात करें।
उत्तर:
N2O4(g) + 3CO(g) → N2O(g) + 3CO2(g)
rHΘ = (∆fHΘ (N2O) + 3 × ∆fHΘ (CO2)
– (∆fHΘN2O4 + 3 × ∆fHΘ (CO)]
= [81 + (3 x 393)] – 9.7 + (3 x – 110)]
= [81 – 1179][9.7 – 330]
= – 777.7 kJ mol-1

प्रश्न 13.
N2 (g) + 3H2(g) → 2NH3 (g) ; ∆rHΘ = – 92.4 kJ mol-1
गैस की विरचन एन्थैल्पी का मान क्या होगा?
उत्तर:
NH3 गैस की मानक विरचन एन्थैल्पी
fHΘ (NH3(g)) = \(\frac { -92.4 }{ 2 }\)
= – 46.2 kJ mol-1
NH3 की मानक विरचन एन्थैल्पी का मान – 46.2 kJ mol-1 है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आँकड़ों से CH3 OH (l) की मानक विरचन एन्थैल्पी ज्ञात कीजिए-
CH3 OH (l) + \(\frac { 3 }{ 2 }\) O2 (g) → CO2 (g) + 2H2O (l)
rHΘ = – 726 kJ mol-1
C (s) + O2 (g) → CO2 (g),
cHΘ = – 393 kJ mol-1
H2 (g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) H2O (l)
fHΘ = – 286 kJ mol-1
उत्तर:
CH3OH (g) की मानक विरचन एन्थैल्पी निम्नलिखित समीकरण से ज्ञात की जा सकती है-
C(s) + 3H2 (g) + O2 (g) ⇒ CH3OH (l) ∆fH° = ?
दी गई समीकरण निम्न प्रकार है-
CH3OH (l) + \(\frac { 3 }{ 2 }\) O2 (g) ⇒ CO2(g) + 2H2O (l),
rHΘ = 726 kJ mol-1 … (1)
C(s) + O2 (g) = CO2 (g),
cHΘ = 393 kJ mol-1 … (2)
H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) ⇒ H2O (l),
rHΘ= – 286 kJ mol-1 … (3)
समीकरण (3) को (2) से गुणा करके समीकरण (2) में जोड़ने पर,
C(s) + 2H2 (g) + 2O2 (g) ⇒ CO2 (g) + 2H2O (l),
rHΘ = (- 393 – 572)
= – 965 kJ mol-1 … (4)
CH3OH (l) + \(\frac { 3 }{ 2 }\) O2 (g) ⇒ CO2(g) + 2H2O (l),
rHΘ = 726 kJ mol-1
समीकरण (4) में समीकरण (1) घटाने पर,
C(s) + 2H2 (g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) ⇒ CH3OH (l),
fHΘ = – 239 kJ mol-1
CH3OH की मानक विरचन एन्थैल्पी का मान – 239 kJ mol-1

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 15.
CCl4(g) → C(g) + 4Cl(g) अभिक्रिया के लिये एन्थैपी परिवर्तन ज्ञात कीजिए एवं CCl4 में C – Cl की आबंध एन्थैल्पी की गणना कीजिए।
∆VapHΘ (CCl4) = 30.5 kJ mol-1
fHΘ (CCl4) = 135.5 kJ mol-1
aHΘ (C) = 715.0 kJ mol-1)
यहाँ ∆aHΘ कन एन्थैल्पी है।
aHΘ(Cl2) = 242 kJ mol-1
उत्तर:
दिये गये मानों के लिये ऊष्मीय रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) CCl4(g) → CCl4 (g) ∆H1 = 30.5kJ mol-1
(ii) C(s) + 2Cl2 (g) → CCl4 (l) ; ∆H2 = 135.5kJ mol-1
(iii) C(s) → C(g) ; ∆H3 = 715.0kJ mol-1
(iv) Cl2(g) → 2Cl(g) ; ∆H4 = 242 kJ mol-1
प्रश्नानुसार, CCl4(g) → C(g) +4Cl(g) ; ∆H = ?
समी. (iii) + 2 x समी. (iv) – समी. (i) समी. (ii)
∆H = ∆H3 + 2∆H4 – ∆H1 – ∆H2
∆H = 715.0 + 2 (242) 30.5 – ( – 135.5 ) kJ mol-1
= 1304 kJ mol-1
CCl4 में C – CI की बन्ध एन्थैल्पी ( औसत मान )
= \(\frac { 1304 }{ 4 }\)
= 326 kJ mol-1
C – Cl की बन्ध एन्थैल्पी का मान 326 kJmol-1 है।

प्रश्न 16.
एक विलगित निकाय के लिए ∆U = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
∆S शून्य से अधिक होगा क्योंकि विलगित निकाय में यदि दो गैसों को मिश्रित किया जाता है तो ∆U = 0 परन्तु एन्ट्रॉपी बढ़ती है । अत: ∆S शून्य से अधिक होगा।

प्रश्न 17.
298 K पर अभिक्रिया 2A + B → C के लिए ∆H = 400kl mol-1 एवं ∆S = 0.2kJK-1 mor ∆H एवं ∆S को ताप विस्तार में स्थिर मानते हुए बताइए कि किस ताप पर अभिक्रिया स्वतः होगी?
उत्तर:
2A + B → C
∆H = 400kJ mol-1
AS = 0.2kJmol-1
∆G = ∆H – T ∆ S
0 = 400 2.0 X T (∵ ∆G = 0 साम्यावस्था)
0.2T = 400
T = \(\frac { 400 }{ 0.2 }\) = 2000K
2000 K से अधिक ताप पर अभिक्रिया स्वतः होगी।

प्रश्न 18.
अभिक्रिया 2Cl (g) →Cl2 (g) के लिए ∆H एवं ∆S के चिन्ह क्या होंगे ?
उत्तर:
∆H = – ve
AS = – ve
अभिक्रिया में आबन्धों का निर्माण होने से यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है। Cl परमाणु के 2 क्लोरीन, क्लोरीन अणु के एक मोल की तुलना में अधिक एन्ट्रॉपी रखते हैं।

प्रश्न 19.
अभिक्रिया 2A (g) + B (g) → 2D (g) के लिए AU° = – 10.5 kJ उवं ∆S° = 44.1 JK-1 अभिक्रिया के लिए ∆G° की गणना कीजिए और बताइए कि क्या अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित हो सकती है?
उत्तर:
2A (g) + B (g) → 2D(g)
∆H° = ∆U° + ∆ng RT
∆U° = – 10.5 kJ mol-1
∆ng = 2 – 3 = -1
R = 8.314 × 10-3 kJ K-1 mol-1
T = 298K
∴ ∆H° = (- 10.5 kJ mol-1) + [(- 1) × (8.314 × 10-3 kJ mol-1 K-1 x (298K)]
= – 10.5 kJ mol-1 – 2.478 kJmol-1
= – 12.978 kJ mol-1
गिब्स हैल्महोल्ट्ज समीकरण के अनुसार,
∆G° = ∆H° – T∆S°
∆G° = (- 12.978 kJ mol-1 ) – ( 298K) × (- 0.44K JK-1 mol-1)
= – 12.978 + 13.112
= + 0.134 kJ mol-1
चूँकि ∆G° धनात्मक है अतः अभिक्रिया की प्रकृति स्वतः प्रवर्तित नहीं होगी।

प्रश्न 20.
300K पर एक अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक 10 है। ∆G° का मान क्या होगा?
(R = 8.314 JK-1 mol’)
उत्तर”
∆G° = – RT In K = 2.303 RT log Kp
R = 8.314 JK-1 mol-1
T = 300K
Kp = 10
∆G° = – 2.303 × (8.314 JK-1 mol-1 ) x (300K ) log 10
= – 5744.14 J mol-1
= – 5.744 kJ mol-1

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO (g) तथा NO2 (g) की ऊष्मागतिकी पर टिप्पणी कीजिए-
(i) \(\frac { 1 }{ 2 }\) N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) → NO(g); ∆rHΘ = 90 kJ mol-1
(ii) NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2 (g) → NO2(g); ∆rHΘ = – 74 kJ mol-1
उत्तर:
(i) \(\frac { 1 }{ 2 }\) N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 (g) → NO(g); ∆rHΘ = 90 kJ mol-1
चूँकि यहाँ ∆rHΘ धनात्मक है अत: NO ऊष्मागतिक रूप से स्थायी नहीं है। अतः इसका निर्माण एक ऊष्माशोषी प्रक्रम है।

(ii) NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2 (g) → NO2(g); ∆rHΘ = – 74 kJ mol-1
NO का NO2 में ऑक्सीकरण एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है क्योंकि ∆Hr° – ऋणात्मक है इसलिए NO2 ऊष्मागतिक रूप से स्थायी है।

प्रश्न 22.
जब 1.00 mol H2O (1) को मानक परिस्थितियों में विरचित किया जाता है तब परिवेश के एन्ट्रॉपी परिवर्तन की गणना कीजिए। ∆fHΘ = – 286kJ mol-1
उत्तर:
H2O(l) की ∆fHΘ = – 268 kJ mol-1
जो कि परिवेश में ऊष्मा उत्सर्जन को बताता है,
q(surr) = H2O के लिए – ∆fHΘ
= – (- 268 kJ mol-1 )
= + 286 kJ mol-1
∆Ssurr = \(\frac{q_{\text {(surr) }}}{\mathrm{T}}\)
= \(\frac{286 \times 10^3\left(\mathrm{~J} \mathrm{~mol}^{-1}\right)}{298 \cdot 15(\mathrm{~K})}\)
= 959.24 JK-1 mol-1

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
कौन-सा कथन अशुद्ध है-
(a) द्रव के ऊपरी मुक्त तल पर द्रव का दाब शून्य होता है।
(b) किसी बर्तन में भरे द्रव का दाब सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।
(c) किसी क्षैतिज तल में द्रव का दाब सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।
(d) किसी तल पर द्रव का दाब क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
उत्तर:
(b) किसी बर्तन में भरे द्रव का दाब सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।

प्रश्न 2.
द्रव दाब निर्भर करता है-
(a) केवल गहराई पर
(b) केवल घनत्व पर
(c) केवल गुरुत्वीय त्वरण पर
(d) गहराई, घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण तीनों पर।
उत्तर:
(d) गहराई, घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण तीनों पर।

प्रश्न 3.
किसी बाह्य बल के कार्य न करने पर एक छोटी बूँद की आकृति निर्धारित होती है-
(a) द्रव के पृष्ठ तनाव से
(b) द्रव के घनत्व से
(c) द्रव की श्यानता से
(d) वायु के ताप से केवल ।
उत्तर:
(a) द्रव के पृष्ठ तनाव से

प्रश्न 4.
द्रव का पृष्ठ तनाव-
(a) क्षेत्रफल के साथ बढ़ता है
(b) क्षेत्रफल के साथ घटता है
(c) ताप के साथ बढ़ता है
(d) ताप के साथ घटता है।
उत्तर:
(d) ताप के साथ घटता है।

प्रश्न 5.
जल की बड़ी बूँद को छोटी-छोटी बूंदों में फुहारने की क्रिया में-
(a) ताप बढ़ता है
(b) ताप घटता है
(c) पृष्ठीय ऊर्जा घटती है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) ताप घटता है

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 6.
पेन्ट गन आधारित है-
(a) बरनौली के सिद्धान्त पर
(b) बॉयल के नियम पर
(c) आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर
(d) न्यूटन के नियमों पर ।
उत्तर:
(a) बरनौली के सिद्धान्त पर

प्रश्न 7.
सीसे की गोली किसी श्यान द्रव में मुक्त रूप से गिर रही है। गोली का वेग-
(a) बढ़ जाता है
(b) घट जाता है
(c) सदैव समान रहता है
(d) बढ़ता है फिर गोली एक निश्चित वेग से गिरती रहती है।
उत्तर:
(d) बढ़ता है फिर गोली एक निश्चित वेग से गिरती रहती है।

प्रश्न 8.
त्रिज्या की एक छोटी गोली द्रव में गिर रही है। इसका सीमान्त वेग अनुक्रमानुपाती है-
(a) 1/r²
(b) 1/r
(c) r²
(d) r
उत्तर:
(c) r²

प्रश्न 9.
ताप बढ़ने पर गैस की श्यानता-
(a) बढ़ती हैं
(b) घटती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) बढ़ती हैं

प्रश्न 10.
बरनौली प्रमेय आधारित है-
(a) संवेग संरक्षण पर
(b) ऊर्जा संरक्षण पर
(c) द्रव्यमान संरक्षण पर
(d) इनमें से किसी पर नहीं।
उत्तर:
(b) ऊर्जा संरक्षण पर

प्रश्न 11.
किसी असमान त्रिज्या वाली नली में जल बह रहा है नली के प्रविष्टि तथा निकासी सिरों पर त्रिज्याओं का अनुपात 5:7 है। नली में प्रविष्ट करने वाले तथा बाहर निकलने वाले जल के वेगों का अनुपात होगा-
(a) 25 : 49
(b) 125 : 343
(c) 49 : 25
(d) 1 : 1.
उत्तर:
(c) 49 : 25

प्रश्न 12.
श्यान द्रव में सीमान्त वेग से गिरने वाले पिण्ड का त्वरण है-
(a) शून्य
(b) g
(c) g से अधिक
(d) g से कम।
उत्तर:
(a) शून्य

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 13.
असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षैतिज पाइप में जल बह रहा है। पाइप में संकरे स्थान पर होगा-
(a) वेग अधिक दाब अधिक
(b) वेग कम दाब अधिक
(c) वेग अधिक दाब कम
(d) वेग कम दाब कम ।
उत्तर:
(c) वेग अधिक दाब कम

प्रश्न 14.
दो गोलों की त्रिज्याओं का अनुपात 1:2 है। वे एक श्यान दव में नीचे गिर रहे हैं। इनके सीमान्त वेगों का अनुपात होगा-
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1.
उत्तर:
(c) 1 : 4

प्रश्न 15.
जल से भरे बर्तन में मुक्त तल से 3-2 मीटर गहराई पर एक छिद्र हो, तो जल का बहिःस्राव वेग है। यदि गुरुत्वीय त्वरण 10 ms-2 होगा-
(a) 5.7 m/s
(b) 7.5 m/s
(c) 8 m/s
(d) 32 m/s.
उत्तर:
(c) 8 m/s

प्रश्न 16.
मोम युक्त केशनली को जल में डुबाने पर उसमें जल-
(a) ऊपर चढ़ेगा
(b) नीचे गिरेगा
(c) ऊपर चढ़कर फब्बारों के रूप में गिरेगा
(d) पहले चढ़ेगा फिर गिरेगा ।
उत्तर:
(b) नीचे गिरेगा

प्रश्न 17.
एक द्रव ठोस की सतह को नहीं भिगोएगा, यदि स्पर्श कोण है-
(a) 0°
(b) अधिक कोण
(c) 450
(d) 60°
उत्तर:
(b) अधिक कोण

प्रश्न 18.
किसी केशिका में चड़े हुए पानी की ऊँचाई होगी-
(a) 4°C पर अधिकतम
(b) 2°C पर अधिकतम
(c) 4°C पर न्यनतम
(d) 0°C पर न्यूनतम ।
उत्तर:
(c) 4°C पर न्यनतम

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 19.
पृष्ठ तनाव के कारण गोलाकार मुड़े हुए पृष्ठ के भीतर दाब आधिक्य होता है-
(a) \(\frac{2T}{r}\)
(b) \(\frac{T}{2r}\)
(c) \(\frac{T}{r_1}+\frac{T}{r_2}\)
(d) \(\frac{T}{r_1}-\frac{T}{r_2}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{T}{r_1}+\frac{T}{r_2}\)

प्रश्न 20.
जब पानी की सतह पर तेल डाल दिया जाये तो मच्छर प्रजनन नहीं कर सकते, क्योंकि-
(a) उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिलती है
(b) पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।
(c) श्यानता बढ़ जाती है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।

प्रश्न 21.
ताप कम करने पर पृष्ठ तनाव होता है-
(a) बढ़ता है
(b) कम होता है
(c) अपरिवर्तित रहता है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) बढ़ता है

प्रश्न 22.
रेनॉल्ड्स संख्या का विमीय सूत्र है-
(a) [M0L0T0]
(b) [M-1L0T1]
(c) [ML0T0]
(d) [MLT-2]
उत्तर:
(a) [M0L0T0]

प्रश्न 23.
वायु में अधिक ऊँचाई से जल की बूंद गिरती है। यदि बूँद h ऊँचाई से गिरे तो सीमान्त वेग है-
(a) h के समानुपाती
(b) √h के समानुपाती
(c) \(\frac{1}{h}\) के समानुपाती
(d) h पर निर्भर नहीं करता।
उत्तर:
(d) h पर निर्भर नहीं करता।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 24.
पृथ्वी पर एक केश नली में द्रव स्तम्भ की ऊँचाई h है। चन्द्रमा पर जहाँ गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी का है, यह ऊँचाई है-
(a) \(\frac{h}{6}\)
(b) 6 h
(c) h
(d) शून्य ।
उत्तर:
(b) 6 h

प्रश्न 25.
क्रान्तिक ताप पर पृष्ठ तनाव हो जाता है-
(a) अनन्त
(b) शून्य
(c) ऋणात्मक एवं निश्चित
(d) धनात्मक एवं निश्चित ।
उत्तर:
(b) शून्य

प्रश्न 26.
ताप बढ़ने पर द्रवों तथा गैंसों में श्यानता-
(a) दोनों में बढ़ती है
(b) दोनों में घटती है
(c) द्रवों में बढ़ती है तथा गैसों में घटती है।
(d) द्रवों में घटती है तथा गैसों में बढ़ती है।
उत्तर:
(d) द्रवों में घटती है तथा गैसों में बढ़ती है।

प्रश्न 27.
यदि एक काँच की छड़ को पारे में डुबोकर निकालें तो पारा छड़ से नहीं चिपकता है, क्योंकि-
(a) स्पर्श कोण बहुत छोटा होता है
(b) ससंजक बल अधिक है
(c) आसंजक बल अधिक है।
(d) पारे का घनत्व अधिक है।
उत्तर:
(b) ससंजक बल अधिक है

प्रश्न 28.
पृष्ठ तनाव के कारण बेलनाकार मुड़े हुए पृष्ठ के भीतर दाब आधिक्य होता है-
(a) \(\frac{2T}{r}\)
(b) \(\frac{T}{r}\)
(c) \(2T {\frac{T}{r_1}+\frac{T}{r_2}}\)
(d) \(4T {\frac{T}{r_1}-\frac{T}{r_2}}\)
उत्तर:
(b) \(\frac{T}{r}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 29.
चॉक द्वारा श्यामपट्ट पर लिखना किस गुण के कारण सम्भव है-
(a) ससंजक बल
(b) आसंजक बल
(c) पृष्ठ तनाव
(d) श्यानता।
उत्तर:
(b) आसंजक बल

प्रश्न 30.
बैरोमीटर को पहाड़ से खान में ले जाने पर पारे का तल-
(a) गिरेगा
(b) ऊपर उठेगा
(c) उतना ही रहेगा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) ऊपर उठेगा

प्रश्न 31.
वायुमण्डलीय दाब में अचानक कमी का संकेत मिलता
(a) तूफान
(b) वर्षा
(c) साफ मौसम
(d) शीत लहर
उत्तर:
(a) तूफान

प्रश्न 32.
संकीर्ण नली के लिये रेनॉल्ड्स संख्या का मान होता है-
(a) 10
(b) 100
(c) 1000
(d) 10000.
उत्तर:
(c) 1000

प्रश्न 33.
एक नली में दाब P पर प्रवाहित जल की दर Q है। यदि नली की त्रिज्या पहले से आधी कर दी जाये तथा दाब को 2P कर दिया जाये तो प्रवाह दर होगी-
(a) 4Q
(b) \(\frac{Q^2}{4}\)
(c) \(\frac{Q}{4}\)
(d) \(\frac{Q}{8}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{Q}{8}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions)

प्रश्न 1.
वायुमण्डलीय दाब के अचानक कम हो जाने पर क्या सूचना प्राप्त होती है ?
उत्तर:
तूफान आने की सूचना प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
सूटकेस के हत्थे चौड़े क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर: हत्थे चौड़े बनाने से क्षेत्रफल बढ़ जाता है जिससे दाव घट जाता है। यदि ऐसा न किया जाए तो हत्थे हाथ पर अधिक दबाव डालेंगे |

प्रश्न 3.
स्वस्थ मनुष्य का प्रकुंचन रक्त दाब कितना होता है ?
उत्तर:
स्वस्थ मनुष्य का प्रकुंचन रक्त दाब 120mm ऊँचाई वाले पारे के स्तम्भ के दाब के बराबर (120 टॉर) होता है।

प्रश्न 4.
क्या बहते हुए द्रव में दो धारा रेखाएँ एक-दूसरे को काट सकती हैं ?
उत्तर:
नहीं, दो धारा रेखाएँ एक-दूसरे को काटेंगी तो कटान बिन्दु पर द्रव के वेग की दो दिशाएँ होंगी जो कि असम्भव है।

प्रश्न 5.
द्रवों तथा गैसों की श्यानता पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
द्रवों की श्यानता ताप बढ़ाने पर घटती है जबकि गैसों की श्यानता ताप के बढ़ने पर बढ़ जाती है।

प्रश्न 6.
क्रिकेट तथा टेनिस के खेल में चक्रण करती हुई गेंद अपने मार्ग से घूम जाती है। इसकी व्याख्या किस सिद्धान्त या प्रमेव के आधार पर की जा सकती है ?
उत्तर:
क्रिकेट तथा टेनिस के खेल में चक्रण करती हुई गेंद के अपने मार्ग से घूम जाने की व्याख्या बरनौली प्रमेय के आधार पर की जा सकती है।

प्रश्न 7.
जल, वायु, रक्त तथा शहद को श्यानता के बढ़ते क्रम में लिखिए।
उत्तर:
वायु, जल, रक्त, शहद।

प्रश्न 8.
वर्षा की छोटी बूँदें जमीन पर नियत वेग से पहुँचती हैं, अथवा नियत त्वरण से।
उत्तर:
वायुमण्डल की श्यानता के कारण वर्षा की छोटी बूँदें नियत वेग से गिरती हैं।

प्रश्न 9.
नली में प्रवाहित द्रव की कौन-सी पर्त का वेग सबसे अधिक होता है ?
उत्तर:
नली के अक्ष पर स्थित पर्त का वेग सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 10.
किस द्रव में पिण्ड का सीमान्त वेग कम होगा-जल में या ग्लिसरीन में ?
उत्तर:
ग्लिसरीन में, क्योंकि ग्लिसरीन की श्यानता अधिक होती है।

प्रश्न 11.
क्या बरनौली की प्रमेय विक्षुब्ध प्रवाह के लिए भी सत्य है ?
उत्तर:
नहीं, वरनौली की प्रमेय केवल धारा रेखीय प्रवाह के लिए ही सत्य है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 12.
यदि टंकी में ताजे जल के स्थान पर मिट्टी का तेल भर दें तो क्या मिट्टी के तेल का बाहर निकलने का वेग बदल जायेगा ?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि बहिःस्राव वेग द्रव के घनत्व पर निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 13.
यदि हम धागे की रील के छेद में ऊपर से फूँक मारें तो उसके निचले सिरे पर रखा गत्ते का टुकड़ा नीचे नहीं गिरता, क्या कारण है ?
उत्तर:
रील व गत्ते के टुकड़े के बीच वायु वेग अधिक हो जाने से दाब वायुमण्डलीय दाब से कम हो जाता है।

प्रश्न 14.
जल के पृष्ठ तनाव को कैसे कम कर सकते हैं ?
उत्तर:
गर्म करके, तेल अथवा साबुन का घोल डालकर ।

प्रश्न 15.
कपड़े पर मोम रगड़ देने पर कपड़ा ‘वाटर प्रूफ’ हो जाता है, क्यों ?
उत्तर:
कपड़े के धागों में बनी केशनलियाँ समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 16.
थर्मामीटर की नली (काँच) में पारे का भरना कठिन होता है, क्यों ?
उत्तर:
पारे तथा काँच का स्पर्श कोण अधिककोण है, अतः जब थर्मामीटर की नली के एक सिरे को पारे में डुबोते हैं तो उसमें पारे का तल नीचे गिरता है।

प्रश्न 17.
क्या वर्षा की सभी बूँदें (बड़ी और छोटी) एक ही अन्तिम वेग से पृथ्वी पर पहुँचती हैं ?
उत्तर:
नहीं, चूँकि vt ∝ r², अतः बड़ी बूंद का अन्तिम वेग अधिक होता है।

प्रश्न 18.
समान आकार की लोहे की गेंद और टेनिस की गेंद एक ऊँची मीनार की चोटी से गिराई जाती हैं वायु का अक्षेप तथा श्यानता को ध्यान में रखते हुए यह बताइए कि कौन सी गेंद पृथ्वी पर पहले पहुँचेगी ?
उत्तर:
पहले लोहे की गेंद पहुँचेगी।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 19.
एक बर्तन की तली में एक क्षैतिज केशनली जुड़ी है जिससे प्रति सेकण्ड प्रवाहित द्रव का आयतन Q है। अब यदि इस केशनली के साथ एक अन्य समान लम्बाई व समान त्रिज्या की केशनली को श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाये तो द्रव की प्रवाह दर क्या होगी ?
उत्तर:
\(Q=\frac{πpr^4}{8ηl}\), अत: लम्बाई दुगनी होने पर प्रवाह दर आधी अर्थात् \(\frac{Q}{2}\) रह जायेगी।

प्रश्न 20.
एक छोटी ठोस गोल गेंद किसी श्यान द्रव में छोड़ी जाती है। द्रव में इसके गमन के लिए वेग तथा चली दूरी में अनुमानित ग्राफ खींचिए ।
उत्तर:
वेग तथा चली दूरी के बीच ग्राफ चित्र के अनुसार होगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -1

प्रश्न 21.
पॉस्कल नियम के दो अनुप्रयोग लिखिये ।
उत्तर:
द्रवचालिक ब्रेक, द्रवचालित लिफ्ट

प्रश्न 22.
जल के पृष्ठ तनाव को कैसे कम कर सकते हैं ?
उत्तर:
गर्म करके, तेल अथवा साबुन का घोल डालकर ।

प्रश्न 23.
खेतों में बरसात के तुरन्त बाद जुताई कर दी जाती है, क्यों ?
उत्तर:
जुताई करने से मिट्टी में बनी केशनलियों टूट जाती हैं, जिससे मिट्टी के अन्दर का पानी ऊपर चढ़कर वाष्पित नहीं हो पाता है।

प्रश्न 24.
गर्म सूप ठण्डे सूप की अपेक्षा स्वादिष्ट क्यों लगता है ?
उत्तर:
गर्म सूप का पृष्ठ तनाव कम होने से वह जीभ के अधिक पृष्ठ क्षेत्रफल पर फैल जाता है और स्वादिष्ट लगता है।

प्रश्न 25.
तापवृद्धि से स्पर्श कोण के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
स्पर्श कोण कम हो जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 26.
क्षैतिज नली के लिए बर्नूली सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर:
(P1 – P2) = \(\frac{1}{2}\) ρ(v2² – v1²)

प्रश्न 27.
जल का पृष्ठ तनाव किस ताप पर अधिक होगा ?
उत्तर:
4°C पर ।

प्रश्न 28.
किस पदार्थ की केशनली में जल का नवचन्द्रक समतल होगा ?
उत्तर:
चाँदी की केशनली में।

प्रश्न 29.
पृष्ठ तनाव व पृष्ठ ऊर्जा में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
W = T.∆A

प्रश्न 30.
द्रव का पृष्ठ तनाव किस ताप पर शून्य हो जायेगा ?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप पर ।

प्रश्न 31.
पृष्ठ तनाव की व्याख्या किन बलों के आधार पर करते
उत्तर:
अंतराणविक बलों के आधार पर।

प्रश्न 32.
फाउन्टेन पेन से अखबार के कागज की लिखावट अस्पष्ट हो जाती है क्या कारण है ?
उत्तर:
अखबार के कागज की केशनलियों से स्याही फैल जाती है।

प्रश्न 33.
श्यानता का CGS मात्रक लिखिए।
उत्तर:
प्वाइज या डाइन- से / सेमी²

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 34.
रेनॉल्डस संख्या से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
यह शुद्ध संख्या है जो पाइप में तरल के प्रवाह की प्रकृति को बताती है।

प्रश्न 35.
पृष्ठ तनाव के लिए उत्तरदायी बल कौन-सा है ?
उत्तर:
ससंजक बल ।

प्रश्न 36.
गर्मियों में सूती कपड़े अधिक आरामदायक होते हैं ?
उत्तर:
सूती कपड़ों में धागों के मध्य केशनलियाँ होती हैं जिनसे पसीना उनमें प्रवेश कर जाता है और वाष्प बनकर उड़ जाता है अतः शरीर को ठण्डक का अनुभव होता है।

प्रश्न 37.
द्रव में हवा का बुलबुला ऊपर क्यों उठता है ?
उत्तर:
क्योंकि हवा के बुलबुले का सीमान्त वेग ऋणात्मक होता है अतः वह ऊपर उठता है।

प्रश्न 38.
बहते हुए द्रव के वेग शीर्ष एवं दाब शीर्ष के सूत्र लिखिए।
उत्तर:
वेग शीर्ष- \(\frac{v^2}{2g}\)
दाब शीर्ष – \(\frac{ρ}{ρg}\)

प्रश्न 39.
भारहीनता की स्थिति में यदि केशनली को पानी में डुबोया जाये तो क्या होगा ?
उत्तर:
भारहीनता की स्थिति में द्रव नली की पूरी लम्बाई तक चढ़ जायेगा।

प्रश्न 40.
एक सुई साफ पानी में तैरती है, लेकिन साबुन के पानी में ‘डूब जाती है। क्यों ?
उत्तर:
साफ पानी का पृष्ठ तनाव साबुन मिले पानी से अधिक होता है, अतः साफ पानी का पृष्ठ तनाव सुई के भार को सन्तुलित कर सकता है।

प्रश्न 41.
किसी बेलनाकार नली में बहते हुए द्रव में किस पर्त का वेग सर्वाधिक होता है ?
उत्तर:
नली की अक्ष के अनुदिश पर्त का।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 42.
केशनली में पारा भरना कठिन क्यों है ?
उत्तर:
काँच के लिए पारे का स्पर्श कोण 135° है अतः यह केशनली में अवनमन दिखाता है।

प्रश्न 43.
यदि टंकी में ताजे जल के स्थान पर समुद्री जल भर दें तो क्या छिद्र से निकलने वाले जल का वेग बदल जाएगा ?
उत्तर:
नहीं, बहिस्राव वेग घनत्व पर निर्भर नहीं करता।

लघुत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions)

प्रश्न 1.
लालटेन की बत्ती में मिट्टी का तेल बराबर कैसे चढ़ता रहता है ?
उत्तर:
लालटेन की बत्ती के धागों के बीच में असंख्य केशनलियाँ होती हैं। जब मिट्टी के तेल में डुबोया जाता है तो मिट्टी का तेल इन केशनलियों में से ऊपर चढ़ जाता है।

प्रश्न 2.
दाबमापी में पारे का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
इसके निम्न कारण हैं-
(1) पारा केशनली की दीवारों से चिपकता नहीं है।
(2) पारे का घनत्व अधिक होने के कारण प्रयुक्त केशनली की लम्बाई कम होती है।
(3) पारे का वाष्प दाब कम होता है।

प्रश्न 3.
समुद्र की लहरों को शान्त करने के लिए लहरों पर तेल डाल देते हैं, क्यों ?.
उत्तर:
तेल डाल देने पर तेज हवा तेल को जल के पृष्ठ पर हवा की दिशा में दूर तक फैला देती है, बिना तेल वाले जल का पृष्ठ तनाव तेल वाले जल से अधिक होता है, अतः बिना तेल वाला जल, तेल वाले जल को वायु की विपरीत दिशा में खींचता है, जिससे समुद्र की लहरें शान्त हो जाती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 4.
वायुयान लगभग 10 km की ऊंचाई पर ही उड़ाये जाते हैं जबकि इतनी ऊँचाई तक ले जाने में काफी ईंधन (Fuel) खर्च होता है, क्यों ?
उत्तर:
10 km से कम ऊँचाई पर वायुमण्डल सघन है, इसलिए 10 km से कम ऊँचाई पर वायु की श्यानता प्रभावी होती है। वायु की श्यानता के कारण वायुयान पर पीछे की ओर एक श्यान बल लगेगा, जो वायुवान के वेग के अनुक्रमानुपाती होगा। वायुयान का वेग अधिक होने के कारण श्यान बल भी अधिक होगा। इससे वायुवान गर्म हो जायेगा तथा ईंधन भी अधिक खर्च होगा, यही कारण है कि वायुयान 10 km से कम ऊँचाई पर नहीं उड़ाये जाते ।

प्रश्न 5.
एक असमान परिच्छेद वाले क्षैतिज पाइप में जल बह रहा है। जल का किसी बिन्दु P पर वेग एक अन्य बिन्दु Q पर जल के वेग का चार गुना है। बिन्दु P पर पाइप का व्यास बिन्दु Q के सापेक्ष कितना होगा ?
उत्तर:
सातत्य समीकरण से,
A1v1 = A2v2
πr1².v1 = πr2².v2
या \(\frac{\mathrm{D}_1^2}{4} \cdot v_1=\frac{\mathrm{D}_2^2}{4} \cdot v_2\)
या \(\mathrm{D}_1^2 \cdot 4 v_2=\mathrm{D}_2^2 v_2\)
या \(2 \mathrm{D}_1=\mathrm{D}_2 \Rightarrow \mathrm{D}_1=\mathrm{D}_2 / 2\)
अतः व्यास आधा होगा।

प्रश्न 6.
बरसात के बाद किसान भूमि की जुताई करते हैं, क्या कारण है ?
उत्तर:
खेत की जुताई कर देने से मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जाती हैं, फलस्वरूप नीचे का जल पौधों के काम आता है। जुताई न करने पर मिट्टी में बनी केशनलियों में चढ़कर जल भूमि की सतह पर ऊपर आ जायेगा तथा वाष्प बन कर उड़ जायेगा।

प्रश्न 7.
यदि किसी द्रव व ठोस के बीच स्पर्श कोण 90° से कम हो तो क्या वह द्रव ठोस को भिगोयेगा ? उस ठोस से बनी केशनली में इसका पृष्ठ कैसा होगा ? क्या वह केशनली में चढ़ेगा ?
उत्तर:
भिगोयेगा, अवतल चढ़ेगा।

प्रश्न 8.
किसी ठोस के पृष्ठ और द्रव के बीच ‘स्पर्श कोण’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
स्पर्श कोण – “द्रव व ठोस के किसी स्पर्श विन्दु से द्रव के तल पर खींची गई स्पर्श रेखा तथा ठोस के तल पर द्रव के अन्दर की ओर खींची गई स्पर्श रेखा के बीच बने कोण को उस द्रव एवं ठोस के लिए स्पर्श कोण कहते हैं।

प्रश्न 9.
तेल में छोड़ी गई पानी की बूंद क्यों सिकुड़ जाती है?
उत्तर:
जल के अणुओं के बीच ससंजक बल, जल व तेल के अणुओं के बीच आसंजक बल की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है जब जल की बूँद तेल की सतह पर डाली जाती है तो जल के अणु ससंजक बलों के कारण परस्पर चिपके रहकर गोल आकृति ग्रहण किए रहते हैं तथा सतह पर नहीं फैलते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 10.
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Surface Tension):

  • ताप का प्रभाव (Effect of temperature): ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव रेखीय रूप से घटता है।
    लेकिन पिघले ताँबे तथा कैडमियम के लिए ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव बढ़ता है।
  • संदूषण पर (On Contamination): जल की सतह पर मिट्टी के कण या चिकनाई युक्त पदार्थ उपस्थित होने पर जल का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
  • विद्युतीकरण पर (On electrification): विद्युतीकरण के कारण द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है क्योंकि इसके कारण द्रव के मुक्त पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की तरफ बल लगता है।
  • विलेय पदार्थ का प्रभाव (Effect of solute): सामान्यतः किसी द्रव में विलेय पदार्थ घुला हो तो उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। जल में साबुन या फीनॉल डालने पर उसका पृष्ठ तनाव घट जाता है, परन्तु यदि विलेय पदार्थ बहुत घुलनशील है तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है।

प्रश्न 11.
चक्रण गति करती हुई गेंद के पथ में परिवर्तन का कारण समझाइए है ?
उत्तर:
मैगनस प्रभाव (Magnus Effect):
टेनिस या क्रिकेट के खिलाड़ी जब गेंद को स्पिन (spin) करते हुए फेंकते हैं तो गेंद वायु में एक सरल रेखा पर न चलकर एक वक्राकार पथ पर चलती है जिसे गेंद का स्विंग (swing) करना कहते हैं। इसका कारण यह है कि जब गेंद स्पिन करती है तो उसके साथ-साथ उसके चारों ओर की वायु भी v वेग से घूमती है । स्पिन करती हुई गेंद जब आगे बढ़ती है तो गेंद के आगे की वायु गेंद द्वारा छोड़े गए खाली स्थान को भरने के लिए u वेग से पीछे की ओर दौड़ती है। गेंद के ऊपर वायु की धारा रेखाओं की दिशा गेंद की स्पिन गति के विपरीत है, अतः गेंद के ऊपर वायु का परिणामी वेग (u – v) हो जाता है। गेंद के नीचे वायु की धारा रेखाओं की दिशा गेंद की स्पिन गति की दिशा में है, अतः गेंद के नीचे वायु का परिणामी वेग (u + v) हो जाता है ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -2

इस प्रकार गेंद के ऊपर वायु का वेग घट जाता है तथा नीचे बढ़ जाता है, अतः बर्नूली की प्रमेय के अनुसार गेंद के ऊपर वायुदाब अधिक तथा गेंद के नीचे वायुदाब कम हो जाता है। इस दाबान्तर के कारण गेंद सरल रेखा में न चलकर नीचे की ओर झुकते हुए वक्राकार पथ पर चलती है, इसे मैगनस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 12.
जल की छोटी बूँदें फुहारने से ठण्डक क्यों उत्पन्न होती
उत्तर:
पृष्ठ तनाव पर आधारित दैनिक घटनाएँ (Events in Daily Life Based on Surface Tension):
(i) सीसे के छर्रे बनाना-सीसे के गोल छर्रे बनाने के लिए पिघलते हुए सीसे को धीरे: धीरे ऊँचाई से पानी पर गिराते हैं। पृष्ठ तनाव के कारण गिरते समय पिघला हुआ सीसा न्यूनतम पृष्ठ क्षेत्रफल घेरता हुआ गोलीय आकृति धारण कर लेता है तथा पानी में पहुँचने पर ठोस बन जाता है। इस प्रकार सीसे के छोटे-छोटे गोल छर्डे बन जाते हैं। छर्रा जितना अधिक बड़ा होगा, गुरुत्व बल उतना ही अधिक प्रभावी होगा तथा छर्रा भी उतना ही अधिक चपटा हो जायेगा।

(ii) जल की अपेक्षा साबुन के घोल के अधिक बड़े बुलबुले बनाए जा सकते हैं: साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव शुद्ध जल की अपेक्षा कम होता है। पृष्ठ तनाव कम होने का अर्थ है कि द्रव के पृष्ठ की न्यूनतम क्षेत्रफल घेरने की प्रवृत्ति कम हो जाती है, अतः साबुन के घोल के अधिक बड़े बुलबुले बनाए जा सकते हैं जबकि जल के बड़े बुलबुले अधिक पृष्ठ तनाव के कारण टूट जाते हैं।

(iii) साबुन मिले हुए गरम जल से शुद्ध जल की अपेक्षा कपड़ों की धुलाई अधिक साफ होती है: साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव शुद्ध जल की अपेक्षा काफी कम होता है, अतः साबुन के घोल की एक बूँद शुद्ध जल की एक बूँद की अपेक्षा कपड़े के अधिक क्षेत्रफल को भिगोती है।
इस प्रकार साबुन का घोल कपड़े के बारीक छिद्रों में घुसकर, वहाँ जमे मैल को अपने साथ चिपकाकर बाहर निकाल लाता है (क्योंकि घोल व मैल के बीच आसंजक बल का मान, घोल के अपने ससंजक बल के मान से अधिक होता है); यदि घोल को गरम कर दिया जाए तो उसका पृष्ठ तनाव और भी कम हो जाता है। इस प्रकार साबुन मिले हुए गरम जल से शुद्ध जल की अपेक्षा कपड़ों की धुलाई अधिक साफ होती है।

(iv) काँच की नली के सिरों का गर्म होने पर गोल हो जाना: जब काँच की एक नली को बर्नर की ज्वाला में गर्म करते हैं तो काँच पिघलकर द्रव बन जाता है। इस द्रव का पृष्ठ कम-से-कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयत्न करता है। चूँकि दिए हुए आयतन के लिए गोले का क्षेत्रफल न्यूनतम होता है, अतः पिघला हुआ काँच गोले की आकृति लेने का प्रयत्न करता है जिससे नली के सिरे गोल हो जाते हैं।

(v) फुहारने से ठण्डक उत्पन्न होती है: जब किसी द्रव को फुहारा जाता है तो उसकी असंख्य छोटी-छोटी बूँदें बन जाती हैं। जिससे द्रव का पृष्ठीय क्षेत्रफल बहुत बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव के भीतर के अणु ऊपर उठकर बूँदों के पृष्ठ पर पहुँचते हैं जिसके लिए उन्हें ससंजक बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। इससे द्रव की आन्तरिक ऊर्जा कम हो जाती है और बूँदों का ताप गिर जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 13.
यदि कोई वस्तु असमरूपी होती है तो वस्तु तरल में घूमने क्यों लग जाती है ?
उत्तर:
यह इसलिए होता है क्योंकि गुरुत्व केन्द्र, उत्प्लावन केन्द्र के सम्पाती नहीं होता है। इस कारण वस्तु का भार तथा द्रव का उत्प्लावक बल एक बल युग्म का निर्माण करते हैं। इस बल युग्म का आघूर्ण ही वस्तु को घूर्णन गति कराने के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 14.
दोनों सिरों पर खुली केशनली को जल में डुबाने पर केशनली में जल कुछ ऊपर तक क्यों चढ़ जाता है ?
उत्तर:
केशनली के भीतर, अवतल जल पृष्ठ के नीचे दाब, पृष्ठ के ऊपर वाले दाब से 2T / R कम होता है,
अतः केशनली के बाहर जल का आधिक्य दाब, केशनली में अतिरिक्त जल भेजकर जल को कुछ ऊपर तक चढ़ा देता है।

प्रश्न 15.
वह कपास जिसमें चर्बी तथा चिकनाई अलग कर दी जाती है, अधिक जल अवशोषित करती है, क्यों ?
उत्तर:
जब कपास को जल में डुबाते हैं तो उसमें बनी केशिकाओं में पृष्ठ तनाव के कारण जल चढ़ता है जिसकी ऊँचाई पृष्ठ तनाव पर निर्भर करती है। चिकनी कपास के सम्पर्क में जल का पृष्ठ तनाव घट जाता है जिससे जल कम ऊपर चढ़ता है।

प्रश्न 16.
भारहीनता की अवस्था में (जैसे कृत्रिम उपग्रह में) यदि किसी केशनली को जल में डुबोया जाये तो उसमें जल का चढ़ना सामान्य अवस्था में जल के चढ़ने से किस प्रकार भिन्न होगा ?
उत्तर:
सामान्य अवस्था में पृष्ठ तनाव का बल (जिसके कारण जल केशनली में चढ़ता है) जब नली में चढ़े जल-स्तम्भ के भार के बराबर हो जाता है तो जल का चढ़ना रुक जाता है। भारहीनता की अवस्था में (g = 0) नली में चढ़ने वाले जल-स्तम्भ का प्रभावी भार शून्य होगा। अतः जल केशनली के दूसरे सिरे पर पहुँच जायेगा चाहे केशनली कितनी ही लम्बी क्यों न हो ?

प्रश्न 17.
गर्म सूप ठण्डे सूप की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है, क्यों ?
उत्तर:
द्रव का ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है जिस कारण गर्म सूप का पृष्ठ तनाव ठण्डे सूप की अपेक्षा कम हो जाता है पृष्ठ तनाव कम होने के कारण द्रव का क्षेत्रफल अधिक हो जाता है जिससे गर्म सूप जीभ के अधिक क्षेत्रफल में फैल जाता है और अधिक स्वादिष्ट लगता है।

प्रश्न 18.
आकाश में बादल तैरते क्यों दिखाई देते हैं ?
उत्तर:
जब वायु में उपस्थित जल की वाप्य धूल, धुएँ आदि के कणों पर संघनित होती है तो प्रारम्भ में बहुत छोटी बूँदें बनती हैं। जब ये बूँदें नीचे गिरती हैं तो वायु द्वारा इन पर ऊपर की ओर श्यान बल लगाया जाता है, अतः कुछ समय बाद ये बूँदें सीमान्त वेग से नीचे गिरने लगती हैं। चूँकि बूँदें बहुत ही छोटी होती हैं, अतः इनका सीमान्त वेग बहुत कम होता है। जिससे ये नीचे गिरने की बजाय आकाश में तैरती प्रतीत होती हैं, ऐसी अवस्था में इन्हें ‘बादल’ (clouds) कहते हैं।

प्रश्न 19.
फब्बारे के ऊपर हल्की गेंद क्यों टिकी रहती है ? नीचे क्यों नहीं गिर जाती ?
उत्तर:
गेंद फब्बारे की जल धारा पर ऊपर-नीचे नाचती रहती है, जल धारा से अलग होकर गिरती नहीं है, क्योंकि बरनौली प्रमेय के अनुसार जल फुहार का वेग अधिक होने के कारण वहाँ दाब कम रहता है, अतः जब भी गेंद जल धारा से बाहर आने की कोशिश करती है तो के दाब से जल धारा के भीतर कम दाब की ओर पुनः खिंच जाती है।

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प्रश्न 20.
आँधी में टीन की छतें क्यों उड़ जाती हैं ?
उत्तर:
आँधी में टीन की ऊपरी सतह पर से वायु का वेग अधिक होने के कारण बरनौली प्रमेय के अनुसार वायु की गतिज ऊर्जा बढ़ जाने से इसकी सतह पर वायु दाब टीन की निचली सतह पर वायु दाब की तुलना में कम हो जाता है। अतः टीन की नीचे की सतह के अधिक दाब के कारण टीन की छतें आँधी में उड़ जाती हैं।

प्रश्न 21.
वर्षां की बूंदें अन्त में नियत वेग से क्यों गिरती हैं ?
उत्तर:
जब वर्षा की बूँदें अपने भार के कारण पृथ्वी की ओर गिरती हैं तो वायु की श्यानता इनके गिरने का विरोध करती है। गुरुत्व के कारण जैसे-जैसे बूँदों के नीचे गिरने का वेग बढ़ता है, स्टोक्स के नियमानुसार वैसे-वैसे इसके विरुद्ध वायु का श्यान बल भी बढ़ता जाता है। एक विशेष स्थिति में विरोधी श्वान बल नीचे की ओर कार्य करने वाले प्रभावी गुरुत्व बल के बराबर हो जाता है। इस दशा में अन्त में बूँदें एक निश्चित सीमान्त वेग से गिरती हैं।

प्रश्न 22.
गहरा जल सदैव शान्त बहता है, कारण बताइए।
उत्तर:
बरनौली प्रमेय के अनुसार किसी द्रव के क्षैतिज प्रवाह के लिए P+ +2pv2 = नियतांक; अत: गहरे जल का दाब (P) अधिक होने से वेग ” का मान कम होता है।

प्रश्न 23.
जल की एक बड़ी बूँद को अनेक छोटी-छोटी बूँदों में विभाजित करने पर पृष्ठीय ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर:
एक बड़ी बूँद को अनेक छोटी बूंदों में विभाजित करने पर, जल का मुक्त पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ेगा। अतः पृष्ठीय ऊर्जा भी बढ़ेगी।

प्रश्न 24.
वर्षा की बूँदे अनन्त से नियत वेग से क्यों गिरती है ?
उत्तर:
जब बूँद वायु में नीचे गिरती है तो उस पर 40 लगने वाले बल चित्र में दर्शाए हैं। इन बलों में दो बल नियत रहते हैं- (i) बूँद का भार mg एवं बूँद पर ऊपर उछाल U; लेकिन स्टोक्स बल F = 6πnrv का मान बूँद का वेग बढ़ने के साथ बढ़ता हैं एक स्थिति ऐसी आती है जब बूंद का भार ऊपर की ओर लगने वाले बलों के योग के बराबर हो जाता है तो परिणामी बल शून्य हो जाने के कारण बूँद नियत वेग से गिरने लगती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 25.
हिमखण्ड जल पर क्यों तैरता है ?
उत्तर:
हिमखण्ड का घनत्व जल के घनत्व से कम होता है, जिससे हिमखण्ड के आयतन के बराबर जल का mig उत्क्षेप-बल हिमखण्ड के भार से अधिक हो जाता है और हिमखण्ड जल पर तैरता रहता है। तैरते समय हिमखण्ड का केवल उतना आयतन ही जल में डूबता है, जितने आयतन के द्वारा हटाये गये जल का भार हिमखण्ड के भार के बराबर होता है।

प्रश्न 26.
काँच की छड़ के सिरे को उच्च ताप पर गर्म करने पर सिरा गोल क्यों हो जाता है ?
उत्तर:
जब काँच को गर्म करते हैं तो वह पिघलकर द्रव बन जाता है। इस द्रव का पृष्ठ कम-से-कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयत्न करता है। हम जानते हैं कि दिये हुए आयतन के लिये गोले के पृष्ठ का क्षेत्रफल सबसे कम होता है। अतः पिघला हुआ काँच गोले का रूप लेने का प्रयत्न करता है जिससे कि नली के किनारे गोल हो जाते हैं।

प्रश्न 27.
चिपकन रहित खाना पकाने के लिए बर्तन पर टेफ्लॉन की परत क्यों चढ़ाई जाती है ?
उत्तर:
बर्तनों पर टेफ्लॉन की परत चढ़ाई जाती है, क्योंकि टेफ्लॉन की परत तथा तेल आदि के बीच का स्पर्श कोण 90° से अधिक होता है। इसके कारण वर्तन चिपकन रहित हो जाता है।

प्रश्न 28.
पास-पास लटकी दो हल्की गेंदों के मध्य फूँक मारने पर वे एक-दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं क्यों ?
उत्तर:
फूँक मारने पर गेंदों के बीच का वायु वेग बढ़ जाता है, अतः बरनौली के प्रमेय से इसका दाब कम हो जाता है। इसीलिए गेंद परस्परं आकर्षण बल का अनुभव करती है।

प्रश्न 29.
भारी वाहनों के पहियों के टायर अधिक चौड़े क्यों बनाये जाते हैं ?
उत्तर:
भारी वाहनों के पहियों के टायर चौड़े होने से सड़क अथवा जमीन पर लगने वाला दाब कम हो जाता है क्योंकि वाहन का भार अधिक क्षेत्रफल पर लगता है। इसलिये वाहन के पहिये सड़क पर भैंसने से बच जाते हैं।

प्रश्न 30.
धमनियों में बनूंली सिद्धान्त से रक्त के प्रवाहको समझने में किस प्रकार सहायता मिलती है ?
उत्तर:
धमनी की भीतरी दीवार पर प्लाक (Plaque) का जमाव होने के कारण धमनी भीतर से संकीर्ण हो जाती है इन संकरी धमनियों से रक्त प्रवाहित कराने के लिए हृदय की गतिविधि पर अधिक बोझ पड़ जाता है। इस क्षेत्र में रक्त के प्रवाह की चाल बढ़ जाती है और आन्तरिक दाब घट जाता है। बाहरी दाब के कारण धमनी दब जाती है। हृदय इस धमनी को खोलने के लिए रक्त को धक्का देता है। जैसे ही रक्त इसे खोलकर बाहर की ओर तीव्र गति से प्रवाहित होता है, आंतरिक दाब पुनः गिर जाता है और धमनी पुनः दब जाती है, इससे हार्ट अटैक हो सकता है।

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प्रश्न 31.
चाय की केतली के ढ़क्कन में सुराख होता है, क्यों ?
उत्तर:
चाय की केतली के दक्कन में सुराख न होने पर चाय से भरी केतली के अन्दर का दाब वायुमण्डलीय दाब से कम होगा। स्पष्ट है, केतली को टेढ़ा करने पर उसकी टोंटी से चाय सरलता से नहीं निकलेगी क्योंकि बाहर का दाब केतली के अन्दर के दाब से अधिक होगा।

प्रश्न 32.
धारा रेखीय प्रवाह तथा विक्षुब्ध प्रवाह में अन्तर बताइये।
उत्तर:
धारा रेखीय प्रवाह व विक्षुब्ध प्रवाह में निम्नलिखित अन्तर हैं-

धारा रेखीय प्रवाह विक्षुब्ध प्रवाह
(1) यह द्रव का व्यवस्थित और नियमित रूप से प्रवाह है। यह द्रव का अव्यवस्थित व अनियमित प्रवाह है।
(2) धारा रेखीय प्रवाह में द्रव का वेग क्रांतिक वेग से कम होता है। इस प्रवाह में द्रव का वेग क्रान्तिक वेग से अधिक होता है।
(3) इस प्रवाह में द्रव के अन्दर भंवर धाराएँ उत्पन्न नहीं होती है। इस प्रवाह में द्रव के अन्दर भंवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं।
(4) किसी बिन्दु से गुजरने वाले कणों के वेग की दिशा नियत रहती है। इस प्रवाह में किसी बिन्दु से गुजरने वाले कणों के वेग की दिशा परिवर्तित होती रहती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

प्रश्न 1.
बर्नूली प्रमेय का कथन लिखते हुए इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
बर्नूली का सिद्धान्त (Bernoulli’s Theorem)
बर्नूली के सिद्धान्त के अनुसार, “जब कोई आदर्श द्रव (अश्यान एवं असंपीड्य) धारा रेखीय प्रवाह में बहता है तो प्रवाह के प्रत्येक स्थान पर द्रव की सम्पूर्ण ऊर्जा नियत रहती है अर्थात् द्वव की गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा तथा दाब ऊर्जा का योग नियत रहता है।” अर्थात्
दाब ऊर्जा + गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = नियतांक
अतः एकांक आयतन के लिए,
P + \(\frac{1}{2}\)ρv² + ρgh = नियतांक
अथवा एकांक द्रव्यमान के लिए
\(\frac{{P}}{\rho}+\frac{1}{2} v^2+g h\) = नियतांक
अथवा
\(\frac{{P}}{\rho g}+\frac{v^2}{2 g}+h\) = नियतांक
जहाँ \(\frac{{P}}{\rho g}\) दाब शीर्ष, \(\frac{v^2}{2 g}\) वेग शीर्ष व h गुरुत्वीय शीर्ष है।

उपपत्ति (Derivation)
माना असमान परिच्छेद के क्षैतिज पाइप में एक आदर्श तरल का धारा रेखीय प्रवाह हो रहा है। पाइप के दो स्थानों {X} व {Y} पर पाइप का परिच्छेद क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 है और इन स्थानों पर द्रव के वेग क्रमशः v1 व v2 हैं और इन स्थानों के गुरुत्वीय तल क्रमशः h1 व h2 हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -3
यदि एकांक समय में प्रवाहित द्रव का द्रव्यमान m हो तो अविरतता के सिद्धान्त से-
m = A1v1ρ = A2v2ρ
\(\frac{m}{ρ}\) = A1v1 = A2v2 …………..(11)
अतः विस्थापित द्रव पर किया गया कुल कार्य
\({W}={W}_1+{W}_2={P}_1 {~A}_1 v_1-{P}_2 {~A}_2 v_2\)
\({~W}=\frac{{P}_1 m}{\rho}-\frac{{P}_2 m}{\rho}\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -4
इस प्रकार बर्नूली के सिद्धान्त में ऊर्जा संरक्षण के नियम का उपयोग किया गया और यह माना गया है कि घर्षण के कारण कोई ऊर्जा क्षति नहीं होती। परन्तु वास्तव में, जब तरल प्रवाह करता है तो आन्तरिक घर्षण के कारण कुछ ऊर्जा की हानि हो जाती है। इसी व्युत्पत्ति तरल की विभिन्न परतों के भिन्न-भिन्न वेगों के कारण होती है। यह सतें एक-दूसरे पर घर्षण बल लगाती हैं और परिणामस्वरूप ऊर्जा का ह्रस होता है। अतः बर्नूली का समीकरण शून्य श्यानता पर लागू होता है। बर्नूली प्रमेय पर एक और प्रतिबन्ध है कि यह असंपीड्य तरलों पर ही लागू होता है, क्योंकि तरलों की प्रत्यास्थ ऊर्जा को नहीं लिया गया है। अस्थिर अथवा विक्षोभ प्रवाह में भी बर्नूली समीकरण काम नहीं आता क्योंकि इसमें वेग तथा दाब समय में लगातार अस्थिर रहते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 2.
किसी टंकी में पानी के धरातल से मीटर नीचे छिद्र से बहिःस्राव वेग का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए। टॉरिसेली सिद्धान्त को भी समझाइये।
उत्तर:
टॉरिसेली प्रमेय : बहिःस्राव वेग (Torricelli’s Theorem : Velocity of Efflux) :
कथन (Statement): इसके अनुसार द्रव से भरे किसी टैंक में किसी गहराई पर बने छिद्र से निकलने वाले द्रव का वेग अर्थात् बहिःस्त्राव वेग उस वेंग के बराबर होता है जो द्रव अपने स्वतन्त्र तल से छिद्र तक स्वतन्त्रतापूर्वक गिरने में प्राप्त कर लेता है। इसे बर्नूली-प्रमेय के आधार पर सिद्ध किया जा सकता है।

उपपत्ति (Proof): चित्र में एक बर्तन दर्शाया गया है जिसमें H ऊँचाई तक कोई द्रव भरा है। इसका घनत्व माना ρ है। बर्तन में द्रव के स्वतन्त्र तल से h गहराई पर एक छिद्र A है। माना A से निकलने वाले द्रव का बहि:स्राव वेग v है। द्रव के स्वतन्त्र तल पर गतिज ऊर्जा शून्य है, केवल स्थितिज ऊर्जा है। परन्तु A से निकलने वाले द्रव में स्थितिज
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -5
तथा गतिज दोनों ही प्रकार की ऊर्जाएँ हैं। द्रव के स्वतन्त्र तल तथा छ्दिध्र से बाहर निकलते द्रव जैट दोनों पर वायुमण्डलीय दांब P होगा। माना छिद्र से निकलने वाले द्रव का बहिःसाव वेग v है। बर्नूली प्रमेय के अनुसार, द्रव के स्वतन्त्र तल पर तथा छिद्र के प्रत्येक बिन्दु पर दाब तथा द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा का योग बराबर होना चाहिए। अतः
\({P}+0+\rho g {H}={P}+\frac{1}{2} \rho v^2+\rho g({H}-h)\)
अथवा \(\frac{1}{2} \rho v^2=\rho g h\) अथवा \(v=\sqrt{(2 g h)}\)
इस सूत्र की स्थापना सर्वप्रथम सन् 1644 ई. में टॉरिसली ने की थी।

द्रव की परास (Range of Liquid): छिद्र से निकलने वाले द्रव द्वारा तय की गयी क्षैतिज दूरी को द्रव की परास कहते हैं।”
छिद्र से निकलने वाले द्रव का वेग क्षैतिज होता है जबकि वह (H-h) ऊर्ध्व ऊँचाई गुरुत्वीय त्वरण के अन्तर्गत गिरता है, अतः द्रव का मार्ग परवलयाकार हो जाता है।
माना (H-h) ऊँचाई तय करने में द्रव को लगा समय t हो तो u = 0, a = +g तथा s = H – h
s = ut + \(\frac{1}{2}\)at²
(H – h) = 0 + \(\frac{1}{2}\)gt²
\(t=\sqrt{\frac{2(H-h)}{g}}\) …………..(2)
चूँकि क्षैतिज दिशा में कोई बल कार्य नहीं करता है अतः उसका क्षैतिज वेग v ही रहता है।
अतः
R = v.t
= \(\sqrt{2 g h} \cdot \sqrt{\frac{2({H}-h)}{g}}\)
= \(2 \sqrt{h({H}-h)}\) ………..(3)
अतः इस सूत्र द्वारा स्पष्ट होता है कि h तथा (H-h) को आपस में बदल देने पर द्रव की परास में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसलिए क्षैतिज परास R समान रहता है।
अधिकतम परास के लिए,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -6

प्रश्न 3.
बेन्चयूरी प्रवाह मापी द्वारा नली में प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव की मात्रा के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
(ii) वैंटुरीमापी (Venturimeter):
यह बर्नूली प्रमेय पर आधारित वह युक्ति है, जिसकी सहायता से किसी नली में बहने वाले द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जा सकती है।

उपकरण का वर्णन-इसमें एक क्षैतिज नली RST होती है जिसका बीच का भाग (S) संकरा है। R व S भागों पर दो ऊर्ध्वाधर नलियाँ E तथा F जुड़ी रहती हैं। दोनों ऊर्ध्वाधर नलियाँ R व S स्थानों पर द्रव दाब नापने के लिए काम में लायी जाती हैं। इसे वैंटुरीमीटर कहते हैं। इसे उस नली के साथ जोड़ देते हैं, जिससे द्रव दाब की गणना करनी है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -7
कार्यविधि (Working): जब द्रव नली RST में प्रवाह करता है तो अविरतता के सिद्धान्त से नली के चौड़े भाग {R} की अपेक्षा संकरे भाग (S) पर वेग अधिक होता है, अतः बरनौली प्रमेय से चौड़े भाग की अपेक्षा संकरे भाग ({S}) पर दाब कम होता है। इस दाबान्तर को नलियों {E} तथा {F} में चढ़े द्रव के अन्तर को पढ़कर ज्ञात किया जा सकता है।
माना नली में आदर्श द्रव का प्रवाह धारा रेखीय है, नली के {R} से {S} स्थानों पर क्रमशः नली के परिच्छेद क्षेत्रफल A1 व A2 हैं, द्रव के प्रवाह वेग v1 व v2 तथा दाब P1 व P2 हैं।
चूँकि नली क्षैतिज है, अतः बर्नूली प्रमेय से,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -8
इस प्रकार द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जाती है।
इस सिद्धान्त पर मोटर वाहनों में काबुरिटर में नोजल काम करती है जिसमें तीव्र गति से वायु प्रवाहित होती है। संकरी गर्दन पर दाब कम होता है इसलिए पेट्रोल भीतर की ओर चैम्बर में चूस लिया जाता है ताकि दहन के लिए वायु तथा ईंधन का सही मिश्रण प्राप्त हो सके।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 4.
केशिकत्व क्या है ? केशनली में चढ़े जल स्तम्भ की ऊँचाई के लिए सूत्र प्रतिपादित कीजिए ।
उत्तर:
केशनली में द्रव के उन्नयन के लिए सूत्र (Formula For Capillary Rise of Liquid):
माना ρ घनत्व का कोई द्रव r त्रिज्या की केशनली में भरा है, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। द्रव का पृष्ठ तनाव T है। नली के अन्दर द्रव के वक्र तल की त्रिज्या R व स्पर्श कोण θ है। चढ़े हुए द्रव स्तम्भ की ऊँचाई h है। द्रव स्तम्भ के दाब में कमी \(\frac{2T}{R}\) है, अत:
द्रव स्तम्भ का दाब = दाब आधिक्य
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -9
स्पष्ट है कि r का मान जितना कम होगा अर्थात् नली जितनी संकीर्ण होगा, h का मान उतना ही अधिक होगा अर्थात् केशनली में द्रव का उन्नयन उतना ही अधिक होगा।

प्रश्न 5.
आन्तरिक बलों के आधार पर पृष्ठ तनाव की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव की आण्विक बलों के आधार पर व्याख्या (Explanation of Surface Tension Based on Molecular Forces);
लाप्लास (Laplace) ने पृष्ठ तनाव को अन्तराण्विक बलों के आधार पर समझाया। हम पढ़ चुके हैं कि जब अणुओं के बीच की दूरी आण्विक परास (≈ 10-9. मीटर) से अधिक होती है तो उनके बीच लगने वाला ससंजक बल नगण्य होता है तथा जब अणुओं के बीच की दूरी आण्विक परास से कम होती है तो उनके बीच ससंजक बल कार्य करता है। किसी अणु को केन्द्र मानकर आण्विक परास की त्रिज्या के बराबर खींचा गया गोला, ‘आण्विक सक्रियता का गोला’ कहलाता है।

चित्र में बर्तन में भरे किसी द्रव में तीन अणु A, B व C दिखाए गए हैं। इन अणुओं के चारों ओर आण्विक सक्रियता के गोले खींचे गए हैं। अणु A पूर्णतः द्रव के अन्दर, अणु B द्रव के पृष्ठ के ठीक नीचे तथा अणु C द्रव के पृष्ठ पर स्थित है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -10
अणु A के आण्विक सक्रियता का गोला पूर्णतः द्रव के भीतर है, अतः यह अणु अपने चारों ओर के अणुओं द्वारा सभी दिशाओं में समान बल से आकर्षित होता है। इस प्रकार इस अणु पर परिणामी ससंजक बल का मान शून्य होता है। अणु B के आण्विक सक्रियता के गोले का कुछ भाग द्रव के पृष्ठ के बाहर है। इस स्थिति में इस अणु के नीचे स्थित अणुओं की संख्या, ऊपर स्थित अणुओं की संख्या से अधिक होती है जिससे यह अणु नीचे की ओर अधिक आकर्षित होता है, अतः अणु B पर द्रव के भीतर की ओर परिणामी बल कार्य करता है। अणु C के आण्विक सक्रियता के गोले का आधा भाग द्रव के पृष्ठ के बाहर तथा आधा भाग द्रव के अन्दर है, इस गोले के निचले अर्धभाग में ही द्रव के अणु हैं, अतः अणु C पर एक परिणामी ससंजक बल द्रव के पृष्ठ के लम्बवत् नीचे की ओर कार्य करता है जिसका मान अधिकतम होता है (पृष्ठ के द्रव वाष्प के अणुओं के कारण आकर्षण बल को नगण्य माना जा सकता है।)

इस प्रकार द्रव के पृष्ठ पर स्थित प्रत्येक अणु पर नीचे की ओर अधिकतम आकर्षण बल कार्य करता है। द्रव के पृष्ठ नीचे जाने पर इस आकर्षण बल का मान कम हो जाता है। द्रव के पृष्ठ से आण्विक परास की दूरी से अधिक दूरी पर इस परिणामी बल का मान शून्य हो जाता है। अतः द्रव के स्वतन्त्र पृष्ठ से आण्विक परास ( 10 m ) की गहराई तक द्रव का भाग पृष्ठीय झिल्ली (surface film) कहलाता है। पृष्ठीय झिल्ली में स्थित सभी अणु द्रव के अन्दर की ओर आकर्षण बल का अनुभव करते हैं।

जब किसी अणु को द्रव के अन्दर से पृष्ठीय झिल्ली में लाया जाता है, तो द्रव के अन्दर की ओर लगने वाले आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह कार्य अणु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। स्पष्ट है कि पृष्ठीय झिल्ली में स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा द्रव के भीतर स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा से अधिक होती है। इस प्रकार द्रव के स्वतन्त्र पृष्ठ पर स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। यदि स्वतन्त्र पृष्ठ का क्षेत्रफल अधिक है तो उसमें स्थित अणुओं की संख्या भी अधिक होगी, अतः उसकी स्थितिज ऊर्जा भी अधिक होगी, परन्तु हम जानते हैं कि कोई भी निकाय (system) उस समय स्थायी साम्यावस्था में होता है जब उसकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होती है, अतः द्रव के पृष्ठ पर स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होने के लिए पृष्ठ का क्षेत्रफल कम-से-कम होना चाहिए। इस प्रकार द्रव का स्वतन्त्र पृष्ठ एक तनी हुई झिल्ली की भाँति कार्य करता है। द्रव की इस प्रवृत्ति को पृष्ठ तनाव कहते हैं।

प्रश्न 6.
एक अनन्त विस्तार के श्यान द्रव में गिर रहे गोले के लिए अन्तिम वेग का सूत्र प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त वेग (Terminal Velocity):
जब कोई गोलाकार वस्तु किसी श्यान माध्यम में स्वतन्त्रतापूर्वक गिरने दी जाती है तो वस्तु का वेग उसके भार (W) के कारण पहले बढ़ता है लेकिन वेग बढ़ने के साथ-साथ माध्यम द्वारा उस पर आरोपित घर्षण बल भी बढ़ता है जो गति के विपरीत दिशा में कार्य करता है। वस्तु के घर्षण बल का कारण यह है कि वस्तु के सम्पर्क में आने वाली परत वस्तु के साथ गति करना चाहती है अबकि दूर की अन्य परतें स्थिर रहती हैं। द्रव की परतों में इस आपेक्षिक गति के कारण परतों के मध्य आन्तरिक घर्षण बल उत्पन्न हो जाता है। यही श्यान बल होता है। एक स्थिति ऐसी आती है जब वस्तु का भार उस पर ऊपर की ओर लगने वाले उत्प्लावन बल एवं स्टोक्स बल के योग के बराबर हो जाता है तो वस्तु पर परिणामी बल शून्य हो जाता है और वह नियत वेग से गिरने लगती है। इसी नियत वेग को ‘सीमान्ते वेग’ या ‘ चरम वेग’ या ‘अधिकतम वेग’ या ‘अन्तिम वेग’ कहते हैं।

सीमान्त वेग के लिए सूत्र-माना r त्रिज्या एवं ρ घनत्व की एक गोलाकार वस्तु σ घनत्व एवं η श्यानता गुणांक वाले द्रव में स्वतन्त्रतापूर्वक गिर रही है। वस्तु पर लगने वाले बर्लों को चित्र में दिखाया गया है। इन बलों में केवल स्टोक्स बल वस्तु के वेग पर निर्भर करता है। अतः चरम वेग (vt) की अवस्था में,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -11
स्पष्ट है कि गोली का सीमान्त वेग (vt), गोली की त्रिज्या (r), गोली के घनत्व (ρ), माध्यम के घनत्व (σ) तथा माध्यम की श्यानता (η) पर निर्भर करता है।
यदि द्रव में गिरती हुई वस्तु के वेग एवं समय के मध्य ग्राफ खींचा जाये तो ग्राफ की भाँति मिलेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -12

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 7.
कोशिका उन्नयन विधि द्वारा पृष्ठ तनाव ज्ञात करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका उन्नयन विधि द्वारा जल का पृष्ठ तनाव ज्ञात करना
(Determination Of Surface Tensionof Liquid By Capillary Rise Method):
आवश्यक उपकरण-द्रत्र भरा बीकर, स्टैण्ड, एक समान व्यास की साफ केशनली तथा चल सूक्ष्मदर्शी।
आवश्यक सूत्र-द्रव का पृष्ठ तनाव \(\mathrm{T}=\frac{r h \rho g}{\cos \theta}\)
जहाँ r → केशनली की त्रिज्या
h → केशनली में चढ़े स्तम्भ की ऊँचाई
ρ → द्रव का घनत्व, g → गुरुत्वीय त्वरण
θ → स्पर्श कोण
प्रयोग विधि-प्रयोग के लिए काँच की केशनली को तनु नाइट्रिक अम्ल एवं कॉस्टिक सोडा के विलयन से साफ करके शुद्ध जल से धोकर सुखा लेते हैं। अब इस स्वच्छ नली को एक स्टैण्ड की सहायता से जल
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -13
से भरे बीकर में इस प्रकार डुबोया जाता है कि केशनली ऊर्ध्वाधर रहे । ऐसा करने पर केशनली में पृष्ठ तनाव के कारण (केशिकत्व) द्रव चढ़ने लगता है। जिस समय द्रव का चढ़ना बन्द हो जाए, केशनली में द्रव स्तम्भ की ऊँचाई चलायमान सूक्ष्मदर्शी की सहायता से नाप ली जाती है। नली की त्रिज्या भी सूक्ष्मदर्शी की सहायता से व्यास ज्ञात करके ज्ञात करते हैं। अब सूत्र में h व r के मान रखकर द्रव का पृष्ठ ज्ञात कर लेते हैं।

प्रायोगिक सावधानियाँ:

  • केशनली, बीकर, पैमाना सब बिल्कुल साफ होने चाहिए। जल भी स्वच्छ होना चाहिए। आसुत जल (distilled water) का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ-न-कुछ चिकनाई अवश्य मिली रहती है। थोड़ी-सी धूल अथवा चिकनाई पृष्ठ तनाव के मान को काफी बदल देती है।
  • केशनली की आन्तरिक त्रिज्या उसी स्थान पर नापनी चाहिए जहाँ तक द्रव नली में चढ़ा था। इसके लिए नली को उसी स्थान पर तोड़ लेना चाहिए।
  • प्रयोग में समस्त द्रव के ताप को अवश्य लिखना चाहिए क्योंकि पृष्ठ तनाव पर ताप का प्रभाव पड़ता है।
  • केशनली एकदम ऊर्ध्वाधर होनी चाहिए जिससे द्रव (पानी) के स्तम्भ की ऊँचाई ठीक-ठीक नापी जा सके।

प्रश्न 8.
किसी द्रव का क्षेत्रफल बढ़ाने में आवश्यक कार्य का पृष्ठ तनाव से सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव तथा पृष्ठीय ऊर्जा में सम्बन्ध (Relation between Surface Tension and Surface Energy):
माना PQRS एक तार का आयताकार छल्ला है, जिसकी भुजा QR अपने सम्पर्क वाली भुजाओं पर गति करने के लिए स्वतन्त्र है। यदि इस छल्ले में किसी द्रव की कोई फिल्म बनायी जाये तो पृष्ठ तनाव के कारण फिल्म के प्रत्येक भुजा पर अन्दर की ओर बल आरोपित करेगी। भुजा Q, R की लम्बाई यदि $l$ हो तो इस भुजा पर F = 2T. l बल लगेगा। चूँकि फिल्म में दो पृष्ठ होते हैं। अतः तार की प्रति एकांक लम्बाई पर दोनों पृष्ठ एक ही दिशा में T पृष्ठ तनाव बल लगायेंगी। इस प्रकार प्रति एकांक लम्बाई पर 2T बल लगेगा। इस बल F के प्रभाव में भुजा QR अन्दर की ओर गति करने लगेगी। अतः इसे अपने स्थान पर बनाये रखने के लिए इस पर बाहर की ओर इतना ही बल F’ लगाना होगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -14
यदि F’ को थोड़ा बढ़ाकर QR भुजा को ∆x विस्थापन देकर Q’R’ स्थिति में पहुँचा दे तो इस क्रिया में पृष्ठ तनाव बल के विरुद्ध कृत कार्य

W =F . ∆x = 2T.l.∆x
W = F.2l.x
W = T.∆A
जहाँ ∆A = 2.l.∆x क्षेत्रफल में प्रभावी वृद्धि
यही कार्य बढ़े हुए पृष्ठ की पृष्ठीय ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगा। अतः पृष्ठीय ऊर्जा
Es = T.∆A
यदि ∆A =1 m² तो Es = T
“अर्थात् किसी द्रव के एकांक क्षेत्र की पृष्ठीय ऊर्जा उसके पृष्ठ तनाव के तुल्य होती है।”
\(\mathrm{T}=\frac{\mathrm{E}_s}{\Delta \mathrm{A}}=\frac{\mathrm{W}}{\Delta \mathrm{A}}\)

T का मात्रक- जूल / मी²
T का विमीय सूत्र- [M1L0T-2]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 9.
पॉस्कल का नियम लिखिये और इसका सत्यापन कीजिये। इसके आधार पर कार्य करने वाले दो उपकरणों का नाम लिखिये । और उनका वर्णन कीजिये।
उत्तर:
पास्कल का नियम (Pascal’s Law)
इस नियम के अनुसार, “यदि गुरुत्व के प्रभाव को नगण्य मान लें तो किसी द्रव के किसी भाग पर लगाया गया दाब बिना क्षय हुए सम्पूर्ण द्रव में सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित हो जाता है। इसे द्रव के दाब का संचरण नियम भी कहते हैं।”

नोट-इस नियम का प्रतिपादन करने वाले वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल थे। ब्लेज पास्कल के नाम पर इस नियम को जाना जाता है पास्कल के सम्मान में दाब का S.I. मात्रक ‘पास्कल’ (Pa) लिया जाता है।

व्युत्पत्ति (Derivation): चित्र में विराम स्थिति के किसी तरल के भीतर कोई अवयव दिखाया गया है यह ABC-DEF एक समकोण प्रिज्म के रूप में है। इस अवयव पर आरोपित बल शेष तरल के कारण हैं। तरल के कारण बल पृष्ठों के अभिलम्बवत् कार्य करते हैं। अवयव के फलकों BEFC, ADFC तथा ADEB पर बल क्रमशः Fa, Fb, Fc तथा दाब क्रमशः Pa, Pb, Pc हैं तथा इन फलकों के क्षेत्रफल क्रमशः Aa, Ab व Ac हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -15
चित्र में प्रदर्शित अवयव (ABC-DEF) अत्यन्त छोटा है ताकि गुरुत्व के प्रभाव की उपेक्षा की जा सके, लेकिन स्पष्टता के दृष्टिकोण से इसे बड़ा दिखाया गया है।
साम्यावस्था में बलों में निम्न सम्बन्ध होंगे-
Fb sin θ = Fc; Fb cos θ = Fa
तथा ज्यामिति से,
Ab sin θ = Ac; Ab cos θ = Aa
अतः भाग देने पर
\(\frac{F_b}{A_b}=\frac{F_c}{A_c}\) तथा \(\frac{F_b}{A_b}=\frac{F_a}{A_a}\)
या Pa = Pc तथा Pb = Pa
या Pa = Pb = Pc
अतः विरामावस्था में द्रव के अन्दर सभी दिशाओं में दाब समान रूप से कार्य करता है। यही पास्कल का नियम है।

प्रश्न 10.
द्रव के भीतर स्थित किसी बिन्दु पर दाब के व्यंजक को ज्ञात कीजिये और सिद्ध कीजिये कि P ∝ h होता है यदि द्रव के मुक्त पृष्ठ पर वायुमण्डलीय दाब Po हो तो द्रव के मुक्त पृष्ठ से / गहराई पर कुल दाब ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दाब (Pressure):
किसी क्षेत्रफल पर लगने वाले बल का प्रभाव क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। क्षेत्रफल बदल जाने पर बल का प्रभाव भिन्न हो जाता है। उदाहरण के लिए यदि सुई पर थोड़ा भी बल लगाया जाये तो वह हमारी त्वचा में धँस जाती है जबकि चम्मच पर अधिक बल लगाने पर भी वह त्वचा में नर्ही धँसती है। इन दोनों घटनाओं में अन्तर क्षेत्रफल के कारण है। सुई की नोंक का सम्पर्क क्षेत्रफल अति अल्प जबकि चम्मच का सम्पर्क क्षेत्रफल अधिक होता है। स्पष्ट है क्षेत्रफल बढ़ाने पर बल का प्रभाव कम हो जाता है।

इन अनुभवों से स्पष्ट है कि बल के साथ-साथ वह क्षेत्रफल भी महत्त्वपूर्ण होता है जिस पर बल कार्य करता है। जब कोई पिण्ड किसी तरल में डूबा रहता है तो तरल द्वारा इस पिण्ड पर उसके पृष्ठ के लम्बवत् बल आरोपित किया जाता है। “एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित बल को दाब कहते हैं।” यदि पृष्ठ का क्षेत्रफल A एवं इस पर आरोपित अभिलम्बवत् बल F हो तो दाब
\(P=\frac{F}{A}\).
सैद्धान्तिक रूप में पिण्ड के क्षेत्रफल को अत्यन्त सूक्ष्म ले सकते है। तब
\(\mathrm{P}=\lim _{\Delta \mathrm{A} \rightarrow 0} \frac{\Delta \mathrm{F}}{\Delta \mathrm{A}}=\frac{d \mathrm{~F}}{d \mathrm{~A}}\)
यदि समान परिमाण का बल भिन्न-भिन्न क्षेत्रफलों के पृष्ठ पर आरोपित किया जाये तो कम क्षेत्रफल वाले पृष्ठ पर कार्यरत दाब अधिक होगा। दाब एक अदिश राशि है।
मात्रक एवं विमीय सूत्र
मात्रक- MKS मात्रक न्यूटन / मी² \left(N-m-2) या पॉस्कल CGS मात्रक- डाइन/सेमी²
दाब के अन्य मात्रक-
(i) वायुमण्डलीय दाब: 76 सेमी पारा स्तम्भ का दाबं 1 वायुमण्डलीय दाब (1 atm दाब) कहलाता है।
1 वायुमण्डलीय दाब = 0.76 × 13.6 × 103 × 9.8
& =1.013 × 105 N-m-2

(ii) बार-मौसम विज्ञान में दाब को बार या मिलीबार में व्यक्त
1 बार (bar)=105 Pa
विमीय सूत्र – [M1L-1T-2]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 11.
पानी की बड़ी बूँद को छोटी बूंदों में फुहारने पर पृष्ठ ऊर्जा में वृद्धि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
जल की एक बड़ी बूँद को m छोटी बूँदों में फुहारने पर पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि (Increase in Surface Energy on Spraying a Big Water Drop):
पानी की बड़ी बूँद को छोटी बूँदों में फुहारने पर पृष्ठ क्षेत्रफल का मान बढ़ता है, अतः पृष्ठ ऊर्जा में वृद्धि होती है। लेकिन इस कार्य में आन्तरिक ऊर्जा में कमी होती है। अतः ताप गिरने से ठण्डक उत्पन्न होती है जिसे हम दैनिक जीवन में फब्वारे के नीचे नहते समय अनुभव करते हैं।
माना R त्रिज्या की एक बड़ी बूँद है जिसे r त्रिज्या की n छोटी समान बूँदों में फुहारा जाता है। इस क्रिया में आयतन नियत रहता है। अत:
बड़ी बूँद का आयतन = n × छोटी बूँदों का आयतन
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण -16

प्रश्न 12.
गोलीय बूंद के लिए दाब आधिक्य Pex = \(\frac{2T}{R}\) का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठीय ऊर्जा (Surface Energy):
यदि किसी द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाया जाये तो कुछ अणु द्रव के अन्दर से द्रव के पृष्ठ पर आ जाते हैं। इन अणुओं को द्रव के पृष्ठ के ठीक नीचें वाले अणुओं के आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यही कार्य नये पृष्ठ में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। इस प्रकार द्रव के पृष्ठ पर स्थित अणुओं के पास कुछ अतिरिक्त ऊर्जा को ही पृष्ठ ऊर्जा कहते हैं।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक व्यक्ति का भार 60 kg है तथा उसके प्रत्येक पैर का क्षेत्रफल 30 cm है। बताइए व्यक्ति द्वारा पृथ्वी पर कितना दाब डाला जायेगा यदि (i) वह एक पैर पर खड़ा है, (ii) दोनों पैरों पर खड़ा है।
उत्तर:
(i) 19.6 × 104 N/m²
(ii) 9.8 × 104 N/m²

प्रश्न 2.
एक बेलनाकार जार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 50 cm² है। यह 20 cm ऊँचाई तक जल से भरा हुआ है। इसके पिस्टन का द्रव्यमान नगण्य है। जब इसके पिस्टन पर 1 kg द्रव्यमान रखा जाता है तो जार की तली में दाब की गणना कीजिए। वायुमण्डलीय दाब को नगण्य मानिए।
उत्तर:
3.92 × 10³ N/m²

आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर आधारित

प्रश्न 3.
एक ठोस गेंद जिसका घनत्व जल के घनत्व का आधा है, 19.6m की ऊँचाई से गुरुत्वीय क्षेत्र में स्वतन्त्रता पूर्वक गिरकर जल के अन्दर प्रवेश करती है गेंद जल में कितनी गहराई तक जायेगी ? जल की सतह पर फिर दुबारा आने में इसे कितना समय लगेगा ? (g = 9.8 m/sec²) जल की श्यानता तथा वायु के अवरोध को नगण्य मान लीजिए।
उत्तर:
19.6 m, 4 sec

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 4.
समुद्र में एक हिम शैल स्थित है, (i) जल की सतह के नीचे हिम शैल का प्रभाग ज्ञात कीजिए, (ii) जल की सतह के ऊपर हिम शैल का प्रभाग ज्ञात कीजिए। दिया है, बर्फ का घनत्व = 917 kg/m³ और समुद्री जल का घनत्व 1.024 × 103 kg/m³
उत्तर:
(i) 89.7% (ii) 10.3%

प्रश्न 5.
अन्दर से खोखली एक ताँबे की गेंद का वायु में धार 264 ग्राम तथा जल में डुबाने पर भार 221 ग्राम है यदि ताँबे का घनत्व 8.8 ग्राम / सेमी हो, तो गेंद के खोखले भाग का आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
13 सेमी³

श्यानता पर आधारित

प्रश्न 6.
10 cm × 10 cm की एक समतल प्लेट तथा बड़ी प्लेट के बीच 1 mm मोटी ग्लिसरीन की तह है। यदि ग्लिसरीन का श्यानता गुणांक 1.0 kg/m sec हो, तो प्लेट को 10 cm/sec के वेग से चलाने के लिए कितना बल चाहिए।
उत्तर:
1.0 न्यूटन

प्रश्न 7.
100 cm² क्षेत्रफल की एक समतल प्लेट तथा एक बड़ी प्लेट के बीच ग्लिसरीन की 1.0mm मोटी तह है, यदि ग्लिसरीन का श्यानता गुणांक 1.0 kg/m sec हो, तो प्लेट को 7.0 cm/sec के वेग से चलाने के लिए कितना बल चाहिए।
उत्तर:
0.70 न्यूटन

प्रश्न 8.
5 cm² क्षेत्रफल की एक चौरस प्लेट तथा एक बड़ी प्लेट के बीच ग्लिसरीन की 1 mm मोटी पर्त है यदि ग्लिसरीन का n = 10 प्वॉइज हो तो प्लेट को 7 cm/see के वेग से चलाने के लिए कितना बल चाहिए ?
उत्तर:
0.035 न्यूटन

प्रश्न 9.
पानी की दो समान्तर परतों में आपेक्षिक वेग 18.0 cms-1 है। यदि परतों के बीच की लम्बवत् दूरी 0.1 cm हो तो वेग प्रवणता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
180 s-1

सीमान्त वेग पर आधारित

प्रश्न 10.
जल की एक बूँद का व्यास 0.003 mm है। यह वायु से गिर रही है, बूंद का सीमान्त वेग ज्ञात कीजिए।
वायु का श्यानता गुणांक 1.8 × 10-5 kg/m see वायु का घनत्व उपेक्षणीय है।
उत्तर:
2.72 × 10 m/sec

प्रश्न 11.
यदि बूँद का अन्तिम वेग 12 cm/sec हो तो वायु में गिरती हुई पानी की बूंदों की त्रिज्या ज्ञात कीजिए, वायु की श्यानता 1.8× 10-4 वॉइज है तथा वायु का घनत्व 1.21 × 10-3 ग्राम / सेमी है।
उत्तर:
3.15 × 10³ cm

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 12.
समान त्रिज्या की दो बूँदें वायु में गिर रही हैं। उनके क्रान्तिक वेग 10 cm/sec हैं। यदि बूँदें संयुक्त हो जाए तो क्रान्तिक वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
15.9 cm / sec

प्रश्न 13.
तेल की एक बूंद का वायु में सीमान्त वेग 5.0 × 10-4 m/sec है। बूँद की त्रिज्या क्या है ? यदि ऐसी ही दो बूँदें परस्पर मिल जायें तो परिणामी बूँद का सीमान्त वेग कितना होगा ? तेल का श्यानता गुणांक 1.8 × 10-3 kg/m-sec तथा घनत्व 9 × 10² kg/m² है। वायु का घनत्व तेल के सापेक्ष नगण्य है तथा (2)2/3 = 1.59, g = 9.8 m/sec²
उत्तर:
2.14 × 10-5m, 7.95 × 10-4 m / sec

अविरतता के समीकरण पर आधारित

प्रश्न 14.
8 × 10-3 m आन्तरिक व्यास वाली एक टोंटी से पानी सततः 4 × 10-1 m/sec के प्रारम्भिक वेग से बह रहा है। टोंटी के नीचे 2 × 10-1 m की दूरी पर पानी की धारा के व्यास की गणना कीजिए।
उत्तर:
3.56 × 10 m

प्रश्न 15.
हौज पाइप जिसका आन्तरिक व्यास 2.1 cm है, से जल 1.1m/sec की चाल से प्रवाहित हो रहा है नोजल का व्यास क्या होना चाहिए यदि इससे जल 4 m/sec की चाल से निकल रहा है ?
उत्तर:
1.1 cm

प्रश्न 16.
एक क्षैतिज पाइप लाइन के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल असमान है। इसमें जल 0.2m³/sec की दर से प्रवाहित हो रहा है उस बिन्दु पर जल के वेग की गणना कीजिए जहाँ पाइप के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 0.02 m² हो ।
उत्तर:
10 m/sec

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

बरनौली के प्रमेय तथा इसके अनुप्रयोगों (वेन्दुरीमीटर तथा बहिःस्राव वेग) पर आधारित

प्रश्न 17.
4 × 104 न्यूटन /मी दाब का जल 2 मीटर / सेकण्ड वेग से 0.02 मीटर² अनुप्रस्थ-परिच्छेद के पाइप से प्रवाहित होता है जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद घटकर 0.01 मी हो जाता है। पाइप के छोटे अनुप्रस्थ- परिच्छेद में कितना दाब है ?
उत्तर:
3.4 × 104 न्यूटन / मी²

प्रश्न 18.
हृदय से रुधिर को सिरे के शीर्ष (ऊर्ध्वाधर दूरी = 50 cm) तक पहुँचाने के लिए आवश्यक न्यूनतम दाब की गणना कीजिए। रुधिर का घनत्व 1.04 ग्रा. सेमी-3 है। घर्षण नगण्य है।
उत्तर:
5.096 × 104 डाइन / सेमी²

प्रश्न 19.
एक क्षैतिज पाइप जिसमें जल बह रहा है, उसके दो बिन्दुओं पर जल के दावों का अन्तर 1.4 cm पारे के स्तम्भ के बराबर है, यदि असमान परिच्छेद के कारण अधिक परिच्छेद वाले बिन्दु पर जल की चाल 60 cm/sec है, तो दूसरे बिन्दु पर जल की चाल की गणना कीजिए पारे का घनत्व 13.6 × 10 kg/m. तथा g = 9.8N/kg.
उत्तर:
2.02 m/sec

प्रश्न 20.
एक क्षैतिज नली के दो बिन्दुओं A व B पर अनुप्रस्थ क्षेत्रफल भिन्न-भिन्न हैं। A पर व्यास 4 cm तथा B पर 2 cm है। A तथा B पर दो मैनोमीटर भुजाएँ लगी हैं। जब 0.8 ग्राम / सेमी घनत्व का द्रव नली में से होकर बहता है तो मैनोमीटर की भुजाओं के बीच दावान्तर 8 cm है। नली में बहने वाले द्रव के प्रवाह की दर की गणना कीजिए। (g = 980 cm/sec²)
उत्तर:
406 cm³/sec

प्रश्न 21.
एक क्षैतिज सिरिंज में, जमीन से 1.25m की ऊँचाई पर, जल भरा है। प्लंजर का व्यास 8 mm एवं नोजिल का व्यास 2 mm है। प्लंजर को एक नियत चाल 0.25 m/sec से दबाया जाता है। जमीन पर सिरिंज से निकलने वाली जल धारा का क्षैतिज परास ज्ञात कीजिए। (g = 10 m/sec²)
उत्तर:
2m

प्रश्न 22.
35m ऊँचाई तक भरे जल की एक टंकी में जल पृष्ठ से 7m नीचे टंकी की दीवार में 1 cm त्रिज्या का एक छेद है। ज्ञात कीजिए – (i) बहि:स्राव वेग, (ii) छेद से जल प्रवाह की दर, (iii) जल का परास, (iv) जल पृष्ठ से वह गहराई जहाँ टंकी में छेद करने पर परास का मान वही हो जो 7m गहराई पर है, (v) वह गहराई जहाँ छेद पर परास का मान अधिकतम हो, (vi) अधिकतम परास ।
उत्तर:
(i) 11.7m/sec.
(ii) 3.67 10m / sec
(iii) 28 m.
(iv) 28 m
(v) 17.5 m
(vi) 35 m

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्वाइजली सूत्र पर आधारित

प्रश्न 23.
एक केशिकानली का व्यास 1 mm व लम्बाई 15 cm है। इसे एक क्षैतिज विधि से किसी पात्र से जोड़ दिया जाता है जो ऐल्कोहॉल से भरा हुआ है जिसका घनत्व 0.8 ग्राम/सेमी³ है। केशिकानली के केन्द्र की गहराई ऐल्कोहॉल के मुक्त पृष्ठ से 25 cm नीचे है। यदि ऐल्कोहॉल की श्यानता 0.12 प्वॉइज हो तो 5 min में बहने वाले द्रव की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
6,408 ग्राम

पृष्ठ तनाव तथा पृष्ठीय ऊर्जा पर आधारित

प्रश्न 24.
एक पतला तार 3.0 cm व्यास की रिंग के रूप में मोड़ा गया है। इस रिंग को साबुन के घोल में क्षैतिज स्थिति में रखकर, धीरे-धीरे ऊपर उठाया जाता है रिंग व घोल के बीच बनी फिल्म को तोड़ने के लिए कितना उपरिमुखी (upward) बल चाहिए ? साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव = 3.0 × 10-2 N/m
उत्तर:
5.652 × 10-3 N

प्रश्न 25.
जल की R त्रिज्या की एक बड़ी बूँद को 8000 समान आयतन की छोटी बूँदों में विभाजित करने में 5.582 πR² जूल कार्य करना पड़ता है जल का पृष्ठ तनाव ज्ञात कीजिए
उत्तर:
7.3 × 10-2 N/m

प्रश्न 26.
दो सीधे 10 cm लम्बाई वाले समान्तर तारों के बीच जो 0.5 cm दूर हैं, जल की एक फिल्म बनाई जाती है। यदि तारों के बीच की दूरी 1 mm बढ़ाई जाये, तो कितना कार्य करना पड़ेगा ? जल का पृष्ठ तनाव 72 × 10-3 N/m
उत्तर:
1.44 × 10-5 जूल

प्रश्न 27.
जल की 1000 छोटी बूँदों को जिनमें से प्रत्येक की त्रिज्या 10-7 m है, आपस में मिलाकर एक बुड़ी बूँद बनाने पर मुक्त ऊर्जा ज्ञात कीजिए। जल का पृष्ठ तनाव 7 × 10-2 N/m.
उत्तर:
7,92 × 10-12 Joule

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

दाब आधिक्य तथा केशिकत्व पर आधारित

प्रश्न 28.
साबुन के दो बुलबुलों की त्रिज्याएँ क्रमश: 0.5 cm व 1.0 cm है। इनके अन्दर दाबों का अन्तर 14 N/m² है। साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.035 N/m

प्रश्न 29.
1 mm व्यास की काँच की केशनली पारा भरे बीकर में ऊर्ध्वाधर खड़ी की जाती है। केशनली का निचला सिरा बीकर में पारे के पृष्ठ से 1 coin नीचे है। केशनली के निचले सिरे पर वायु का अर्द्धगोलीय बुलबुला . बनाने के लिए केशनली में वायु का गेज दाब क्या होना चाहिए ? पारे का पृष्ठ तनाव (0.465 N/m, तथा बुलबुले का व्यास केशनली के व्यास के बराबर मान लें।
उत्तर:
3193 N/m²

प्रश्न 30.
पारे के एक बैरोमीटर की नली का व्यास 3 mm है। पृष्ठ तनाव के कारण पाठ में क्या त्रुटि आयेगी ? स्पर्श कोण = 135° पारे का घनत्व = 13.5 × 10³ kg/m³ H T = 465 × 10-3 N/m.
उत्तर:
3.3 mm गिर जायेगा

प्रश्न 31.
एक U-नली की दोनों ऊर्ध्वाधर नलियों के व्यास क्रमश: 5.0 mm तथा 2.0 mm है। इसमें जल भरा है, नलियों में जल स्तम्भ की ऊँचाइयों में कितना अन्तर है ? जल का पृष्ठ तनाव = 7.3 × 10-2 N/ml
उत्तर:
8.94 mm

प्रश्न 32.
एक केशनली की लम्बाई 0.10 m है, जब इसे ऊर्ध्वाधर स्थिति में जल में रखा जाता है तो जल 0.06 m ऊँचाई तक चढ़ जाता है। यदि केशनली को ऊर्ध्वाधर स्थिति में 30° पर झुका दिया जाये तो केशनली में जल-स्तम्भ की लम्बाई क्या होगी ? यदि केशनली को बीचों-बीच से काट दिया जाये, तो केशनली में जल के पृष्ठ की स्थिति क्या होगी ? क्या जल फब्बारे के रूप में निकलने लगेगा ?
उत्तर:
6.94 cm, 0.05 m, जल पृष्ठ की वक्रता कम हो जायेगी।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

प्रश्न 1.
हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 होता है। आवर्त सारणी में इसकी स्थिति अनिश्चित है क्योंक यह क्षार धातुओं तथा हैलोजन दोनों के साथ समानताएँ प्रदर्शित करती है।
क्षार धातु से समानता – हाइड्रोजन तथा क्षार धातुओं दोनों के बाह्यतम कोश में एक s इलेक्ट्रॉन होता है।
H – 1s1
Li – 1s2, 2s1
Na – 1s2, 2s2 2p6, 3s1
K – 1s2, 2s2 2p6, 3s23p6, 4s1
हैलोजन से समानता – अक्रिय गैस की स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन तथा हैलोजन दोनों को ही एक-एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है।
H – 1s1
F – 1s2, 2s2, 2p5
Cl – 1s2, 2s22p6, 3s23p5
निष्कर्ष – इलेक्ट्रॉंनिक विन्यास के आधार पर हम सिद्ध कर सकते हैं कि यह ‘हाइड्रोजन’ क्षार धातुओं तथा हैलोजन दोनों के साथ समानता प्रदर्शित करती है अतः इसे क्षार धातुओं के साथ ‘IA’ ग्रुप में रखना तर्क संगत नहीं है।

प्रश्न 2. हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात क्या है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं।
(i) प्रोटियम (1H1)
(ii) ड्यूटीरियम (1H2)
(iii) ट्राइटियम (1H3)
इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात निम्नवत् है।

प्रश्न 3.
सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एकल परमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है ?
उत्तर:
एकल परमाण्विक रूप में हाइड्रोजन परमाणु के K-कोश में केवल 1 इलेक्ट्रॉन होता है क्योंकि इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s1) होता है। जबकि द्विपरमाण्विक रूप में इसका K-कोश पूर्ण रूप से भर जाता है, इसका तात्पर्य H2 के रूप में यह उत्कृष्ट गैस (हीलियम) का विन्यास प्राप्त कर लेती है इसलिए द्विपरमाण्विक रूप स्थायी होता है जबकि एकल परमाण्विक रूप अस्थायी होता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

प्रश्न 4.
‘कोल गैसीकरण’ से प्राप्त हाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर:
कोल से ‘संश्लेषण गैस’ या ‘सिन्नैस’ का उत्पादन करने की प्रक्रिया को ‘कोलगैसीकरण’ (coalgasification) कहते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 1
सिन्गैस में उपस्थित कार्बन मोनोक्साइड को आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिकृत कराने पर हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 2
यह भाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया कहलाती है।

प्रश्न 5.
विद्युत-अपघटन विधि द्वारा हाइड्रोजन वृहद् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है ? इस प्रक्रम में विद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
विद्युत-अपघटन विधि द्वारा हाइड्रोजन का निर्माण (Formation of Dihydrogen by electrolytic process)-सर्वप्रथम शुद्ध जल में अम्ल तथा क्षारक की कुछ बूँदें मिलाकर इसे विद्युत का सुचालक बना लेते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 3
अब इसका विद्युत-अपघटन ( वोल्टामीटर में) करते हैं। जल के विद्युत-अपघटन से ऋणोद (कैथोड) पर हाइड्रोजन और धनोद (ऐनोड) पर ऑक्सीजन (सह-उत्पाद के रूप में) एकत्रित होती है। ऐनोड तथा कैथोड को एक ऐस्बेस्टस डायफ्राम की सहायता से पृथक्कृत कर दिया जाता है जो मुक्त होने वाली हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को मिश्रित नहीं होने देता।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 4
इस प्रकार प्राप्त डाई-हाइड्रोजन पर्याप्त रूप से शुद्ध होती है। विद्युत-अपघट्य की भूमिका (Role of electrolyte) – शुद्ध जल विद्युत-अपघट्य नहीं होता और न ही विद्युत का चालक होता है। शुद्ध जल में अम्ल या क्षार की कुछ मात्रा मिलाकर इसे विद्युत-अपघट्य बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 5
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 6

प्रश्न 7.
डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशंलता के पदों में H – H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए ?
उत्तर:
डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H – H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना निम्न प्रकार की जा सकती है। H – H बन्ध की बन्ध एन्थैल्पी काफी उच्च होती है जो किसी भी तत्व के दो परमाणुओं के एकल बन्ध के लिए अधिकतम है। इस उच्च बन्ध एन्थैल्पी का कारण हाइड्रोजन का लघु परमाण्वीय आकार तथा लघु बन्ध लम्बाई है। इस कारण से हाइड्रोजन का इसके परमाणुओं में वियोजन केवल 2000K के ऊपर लगभग 0.081% ही होता है जो 5000K पर बढ़कर 95.5% तक हो जाता है। अत: उच्च H – H बन्ध एन्थैल्पी के कारण कक्ष ताप पर H2 अपेक्षाकृत निष्क्रिय हैं। यह केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही रासायनिक संयोग करता है।

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन के (i) इलेक्ट्रॉन न्यून (ii) इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा (iii) इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिकों से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक-ये सह-संयोजक हाइड्राइड का प्रकार है। इस प्रकार के हाइड्राइड में, लुइस संरचना लिखने के लिए इलेक्ट्रॉनों की संख्या अपर्याप्त होती है। ये आवर्त सारणी के 13 वें वर्ग के सभी तत्वों द्वारा बनाये जाते हैं। ये लुइस अम्ल की भाँति कार्य करते है। ये इलेक्ट्रॉन ग्राही होते हैं।
उदाहरण- BH3, AlH3 आदि। ये अधिकतर बहुलक के रूप में पाये जाते हैं। जैसे B2H6, B4 H10, (AlH3)n आदि।

(ii) इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध यौगिक-इस प्रकार के हाइड्राइड में परम्परागत लुइस संरचना के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉन की संख्या होती है। आवर्त सारणी के 14 वें वर्ग के सभी तत्व इस प्रकार के यौगिक बनाते हैं। इनकी ज्यामिती चतुष्फलकीय होती है।
उदाहरण- CH4, SiH4, GeH4 आदि ।

(iii) इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिक-इस प्रकार के हाइड्राइड में इलेक्ट्रॉन आधिक्य एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के रूप में उपस्थित रहते हैं। आवर्त सारणी में 15 वें से 17 वें वर्ग तक के सभी तत्व इस प्रकार के यौगिक बनाते हैं।
उदाहरण-
NH3, PH3, AsH3 एक एकाकी इलेक्ट्रान युग्म होता हैं।
H2O, H2S, H2Se दो एकाकी इलेक्ट्रान युग्म होते हैं।
HF, HCl, HBr, HI तीन एकाकी इलेक्ट्रान युग्म होते हैं।

ये लुइस क्षार की भाँति कार्य करते हैं। ये इलेक्ट्रॉन दाता होते हैं। उच्च विद्युत ऋणात्मकता वाले परमाणु जैसे- N,O तथा F के हाइड्राइड पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण अणुओं में हाइड्रोजन बंध बनता है जिसके कारण अणुओं में संगुणन होता है।

प्रश्न 9.
संरचना एवं रासायनिक अभिक्रियाओं के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं ?
उत्तर:
(i) वे आण्विक-हाइड्राइड जिनमें केन्द्रीय परमाणु पर अष्टक नहीं होता है, इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड कहलाते हैं। वर्ग 13 के तत्वों के हाइड्राइड; जैसे – B2H6, (AlH3)n आदि, इलेक्ट्रॉन न्यून अणु होते हैं तथा इसलिए किसी दाता अणु; जैसे- NH3, PF3, CO आदि से इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा योगात्मक यौगिक बनाते हैं। इन योगात्मक यौगिकों के निर्माण में इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड लुइस अम्लों की भाँति तथा दाता अणु लुइस क्षारकों की भाँति व्यवहार करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 7
(ii) बोरोंन के हाइड्राइड पाना के साथ क्रिया करक हाइड्राजन मुक्त करते हैं।
B2H6 + 6H2O → B(OH)3 + 6H2

(iii) क्योंकि इनमें सामान्यतः सहसंयोजक बन्ध बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं अतः ये संगुणन करते हैं और बहुलक के रूप में पाये जाते हैं। जैसे- B2H6, B4H10, (AlH3)n आदि।

(iv) इलेक्ट्रॉन न्यून होने के कारण इसकी क्रियाशीलता अधिक होती है क्योंकि ये अपनी इलेक्ट्रॉन न्यूनता को दूर करने के लिए जल्द से जल्द अन्य यौगिक के साथ अभिक्रिया कर लेते हैं।
उदाहरण –
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 8

प्रश्न 10.
क्या आप आशा करते हैं कि (CnH2n + 2) कार्बनिक हाइड्राइड लुइस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे ? अपने उत्तर को युक्ति संगत ठहराइए।
उत्तर:
CnH2n + 2 कार्बनिक हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध प्रकार के हाइड्राइड होते हैं अर्थात् इनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या उतनी ही होती है जितनी कि इन्हें सह-संयोजक बन्ध बनाने के लिए चाहिए होती है। अतः ये न तो इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करते हैं और न ही उन्हें त्यागते हैं। अर्थात ये न तो लुइस अम्ल की तरह न ही लुइस क्षार की भाँति कार्य करते हैं।

प्रश्न 11.
अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड से आप क्या समझते हैं ? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं ? अपने उत्तर को न्याय संगत ठहराइए।
उत्तर:
अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड-संक्रमण तथा अन्त: संक्रमण धातुएँ हाइड्रोजन को अपने जालक के अन्तराकोश में अवशोषित करके इस प्रकार के हाइड्राइड बनाती है। इनमें धातु और हाइड्रोजन का अनुपात समानुपात न होकर भिन्नात्मक होता है। इनका भिन्नात्मक अनुपात ताप तथा दाब के साथ बदलता रहता है।

क्षार धातुएँ प्रबल अपचायक होती हैं। ये अपने इलेक्ट्रॉन को हाइड्रोजन परमाणु को देकर H आयन बनाती हैं। क्षार धातुओं के हाइड्राइड आयनिक होते हैं। क्योंकि ये क्षार धातुओं से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके उस आयन के साथ आयनिक बन्ध बनाते हैं। अर्थात् क्षार धातुएँ अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड नहीं बनातीं। ये आयनिक हाइड्राइड अर्थात् रससमीकरणमितीय यौगिक बनाती हैं।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी हैं ? समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के उच्च ज्वलनशील होने के कारण इसका भण्डारण करना एक कठिनाई का विषय है। इस कठिनाई का एक हल यह है कि हाइड्रोजन का भण्डारण इसके मैग्नीशियम, मैग्नीशियम-निकिल तथा आयरन-टाइटेनियम मिश्र-धातु के साथ बने यौगिक के टैंक (tank) के रूप में किया जाए। ये धातु मिश्र-धातु छिद्रों की भाँति हाइड्रोजन की वृहद् मात्रा को अवशोषित कर लेती हैं तथा धात्विक हाइड्राइड बनाती हैं।

धात्विक हाइड्राइड तन्त्र को जलाना अथवा इसका विस्फोट होना सम्भव नहीं होता; अतः इसे हाइड्रोजन भण्डारण की सुरक्षित युक्ति माना जा सकता है। चूँकि हाइड्रोजन इन धातुओं से रासायनिक रूप से जुड़ी रहती है तथा यह धातु में तब तक भण्डारित रहती है जब तक कि इसे अतिरिक्त ऊर्जा न दी जाए। अतः हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड अत्यन्त उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 13.
कर्तन और वेल्डिंग में परमाणवीय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है ? समझाइए।
उत्तर:
परमाण्विक हाइड्रोजन या ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च का उपयोग कर्तन तथा वेल्डिंग में होता है। परमाण्विक हाइड्रोजन, परमाणु (जो विद्युत आर्क की सहायता से डाइहाइड्रोजन के वियोजन से बनते हैं) का पुनर्संयोग वेल्डिंग की जानी वाली धातुओं की सतह पर लगभग 4000K तक ताप उत्पन्न कर देता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 9
ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च की ज्वाला अत्यन्त उच्च ताप (3000K से भी अधिक) उत्पन्न करती है जो वेल्डिंग कार्य में प्रयोग किया जाता है। उपरोक्त कार्य में होने वाली अभिक्रिया निम्न है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 10
उपरोक्त अभिक्रिया से बनने वाली परमाण्विक हाइड्रोजन का जीवन 0.3 sec होता है। अतः यह तुरन्त आण्विक हाइड्रोजन में परिवर्तित हो जाती है और साथ-साथ अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करती है जो वेल्डिंग तथा कर्तन में प्रयोग होती है।

प्रश्न 14.
NH3, H2O तथा HF में से किसका हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों ?
उत्तर:
उच्च इलेक्ट्रॉन ऋणात्मकता होने के कारण N, O तथा F हाइड्रोजन बन्ध बनाते हैं। HF अणु में हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है; क्योंकि फ्लुओरीन आवर्त सारणी का सर्वाधिक विद्युत ऋणी तत्व (4.0) है परिणामस्वरूप H-F बन्ध प्रबल ध्रुवीय होने के कारण प्रबल अन्तर-आण्विक हाइड्रोजन बन्ध प्रदर्शित करता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 11

प्रश्न 15.
लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अगिनशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड जैसे- NaH, CaH2 आदि जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न करते हैं। यह हाइड्रोजन आग पकड़ लेती है तथा अभिक्रिया अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती है।
NaH(s) + H2O(l) → NaOH(aq) + H2(g) + ऊष्मा
CaH2(s) + 2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g) + ऊष्मा
इस अभिक्रिया में उत्पन्न आग के लिए हम CO2 को अग्निशामक की तरह प्रयोग नहीं कर सकते हैं। क्योंकि इसमें बने हाइड्रॉक्साइड से CO2 क्रिया करके कार्बोनेट बना लेती है।

2NaOH(aq) + CO2(g) → Na2CO3(aq) + H2O(aq)

इसके साथ-साथ CO2 धातु हाइड्राइड से अभिक्रिया करके अपचयित हो जाती है।

NaH + CO2 → HCOONa

अत: अभिक्रिया में उत्पन्न आग को रेत से बुझाया जा सकता है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए-
(i) CaH2, BeH2 तथा TiH2 को उनकी बढ़ती हुई विद्युत्चालकता के क्रम में।
(ii) LiH, NaH तथा CsH को आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में।
(iii) H-H, D-D तथा F-F को उनके बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में।
(iv) NaH, MgH2 तथा H2O को बढ़ते हुए अपचायक गुण के क्रम में।
उत्तर:
(i) BeH2 <TiH2 < CaH2 : विद्युत् चालकता का बढ़ता क्रम।
(ii) LiH < NaH < CsH : आयनिक गुण का बढ़ता क्रम।
(iii) F-F (iv) H2O < MgH2 < NaH: अपचायक गुण का बढ़ता क्रम।

प्रश्न 17.
H2O तथा H2O2 की संरचनाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल-अणु की संरचना:
गैस-प्रावस्था में जल एक बंकित (bent) अणु है तथा आबन्ध कोण एवं O-H आबन्ध दूरी के मान क्रमशः 104.5° तथा 95.7 pm हैं, जैसा चित्र (क) में प्रदर्शित किया गया है अत्यधिक ध्रुवित अणु चित्र- (ख) में तथा चित्र-(ग) में जल के अणु में ऑर्बिटल अतिव्यापन दर्शाया गया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 12

हाइड्रोजन परॉवसाइड अणु की संरचना:
हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना असमतलीय (खुली पुस्तक के समान ) होती है। गैसीय प्रावस्था तथा ठोस प्रावस्था में इसकी आण्विक संरचना को निम्न चित्र में दर्शाया गया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 13

प्रश्न 18.
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
जल का स्वतः प्रोटोनीकरण (Auto-protolysis of water)-एक जल-अणु किसी दूसरे जल-अणु से प्रोटॉन ग्रहण करके H3O+ तथा OH+ बनाता है। यह प्रक्रिया जल का स्वतः प्रोटोनीकरण कहलाती है।

H2O(l) + H2O(l) → H3O+(aq) + OH(aq)

प्रोटॉनीकरण का महत्त्व यह है कि जल अम्ल तथा क्षारक दोनों की भाँति कार्य कर सकता है अर्थात् इसकी प्रवृत्ति उभयधर्मी होती है। उपर्युक्त अभिक्रिया को एक साम्य स्थिरांक, ‘आयनिक गुणनफल’ (Kw) द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसका मान निम्नवत् दर्शाया जा सकता है-
Kw = [H3O+] [OH]
298K पर Kw = 1.0 × 10-14 mol2 L-2
अतः जल के स्वतः प्रोटोनीकरण का अम्ल-क्षारक रसायन में अत्यधिक महत्त्व होता है।

प्रश्न 19.
F2 के साथ जल की अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/अपचयित होती है ?
उत्तर:
फ्लुओरीन की जल के साथ अभिक्रिया निम्नवत् है
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 14
ऑक्सीकरण संख्या में कमी (अपचयन)
अतः स्पष्ट है कि-
F2 ऑक्सीकारक है तथा H2O अपचायक है।
H2O का ऑक्सीकरण O2 में होता है।
F2 का अपचयन HF में होता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
(i) PbS(s) + 4H2O2(aq) →
(ii) 2MnO4(aq) + 3H2O2(aq) →
(iii) CaO(s) + H2O(g) →
(iv) AlCl3(g) + 3H2O(l) →
(v) Ca3N2(s) + 6H2O(l) →
उपर्युक्त को (क) जल-अपघटन, (ख) अपचयोपचय (redox) तथा (ग) जलयोजन अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
(i) PbS(s) + 4H2O2(aq) → PbSO4(s) + 4H2O(aq) (अपचयोपचय अभिक्रिया)

(ii) 2MnO4(aq) + 3H2O2(aq) → 2MnO2(aq) + 3O2(aq) + 2H2O(l) + 2OH(aq) (अपचयोपचय अभिक्रिया)

(iii) CaO(s) + H2O(g) → Ca(OH)2(s) ( जलयोजन अभिक्रिया)

(iv) AlCl3(g) + 3H2O(l) → Al(OH)3(s) + 3HCl(l) (जल अपघटन अभिक्रिया)

(v) Ca3N2(s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2(aq) + 2NH3(g) ( जल-अपघटन अभिक्रिया)

प्रश्न 21.
बर्फ के साधारण रूप की संरचना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बर्फ की संरचना
(Structure of Ice)
बर्फ एक अतिव्यवस्थित, त्रिविम, हाइड्रोजन आबन्धित संरचना है जिसे निम्नांकित चित्र में दर्शाया गया है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 15
X-किरणों द्वारा परीक्षण से पता चला है कि बर्फ क्रिस्टल में ऑक्सीजन परमाणु चार अन्य हाइड्रोजन परमाणुओं से 276 pm दूरी पर चतुष्फलकीय रूप से घिरा रहता है। हाइड्रोजन आबन्ध बर्फ में वृहद् छिद्र (एक प्रकार की खुली संरचना) बनाते हैं। ये छिद्र उपयुक्त आकार के कुछ दूसरे अणुओं को अन्तराकोश में ग्रहण कर सकते हैं।

उपर्युक्त चित्र में दर्शाई गयी बर्फ की संरचना से स्पष्ट है कि प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणुओं से घिरा हुआ है जिनमें दो प्रबल सहसंयोजी आबन्ध (ठोस रेखा द्वारा प्रदर्शित) से तथा दो दुर्बल हाइड्रोजन आबन्धों (बिन्दुदार रेखा से प्रदशित) से जुड़े हुए हैं। चूँकि हाइड्रोजन बन्ध (177 pm) सहसंयोजी आबन्धों (95.7 pm) से लम्बे हैं; अतः जल-अणु क्रिस्टल जालक में निविड़-संकुलित (closely packed) नहीं होते। यही कारण है कि जल के घनत्व से बर्फ का घनत्व कम होता है तथा यह (बर्फ) जल की सतह पर तैरती है।

प्रश्न 22.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अस्थायी कठोरता (Temporary hardness) अस्थायी कठोरता जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के हाइड्रोजन कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है। इसे उबालकर दूर किया जा सकता है।
स्थायी कठोरता (Permanent hardness)-स्थायी कठोरता जल में विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के रूप में घुले रहने के कारण होती है। यह उबालने से दूर नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 23.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि-यह दो प्रकार की होती है-
1. अकार्बनिक आयन विनिमयक विधि
2. कार्बनिक आयन विनिमयक विधि

1. अकार्बनिक आयन विनिमयक विधि-इसे जियोलाइट या परम्यूटिट विधि भी कहते हैं। यह कठोर जल को मृदु जल में परिवर्तित करती है। इसमें सोडियम जियोलाइट प्रयुक्त होता है जोकि सोडियम ऐल्युमिनियम सिलिकेट होता है जिसका सूत्र Na2Al2Si2O8 या NaAlSiO4. 3H2O होता है। सरलता के लिए इसे Na2Z लिख सकते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 16

परम्यूटिट विधि में हम दोनों प्रकार की कठोरता दूर कर सकते ? क्योंकि सोडियम जियोलाइट में उपस्थित सोडियम लवणों का यह गुण है कि ये अन्य आयनों द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। कठोर जल को जियोलाइट की परत के ऊपर से प्रवाहित करने पर जल में उपस्थित कैल्सियम तथा मैग्नीशियम आयन इसमें उपस्थित सोडियम आयनों द्वारा विस्थापित हो जाते हैं और यहं मैग्नीशियम या कैल्सियम जियोलाइट में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 17
अब प्राप्त जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के आयन नहीं होते हैं और वह मृदु जल बन जाता है।

परम्यूटिट का पुन: निर्माण-जब Na2Z पूर्णत: CaZ व MgZ में परिवर्तित हो जाता है तो इसके पुनः निर्माण के लिए इसमें कठोर जल के प्रवेश को रोककर इसके स्थान पर 10% NaCl विलयन प्रवाहित करते हैं तब Ca2+ तथा Mg2+ आयन Na+ आयनों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं जिससे परम्यूटिट का पुनः निर्माण हो जाता है और उसे हम पुनः प्रयोग कर सकते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 18

2. काबनिके आयन विनिमयक विध या संश्लाषित रीजन विधि-यह अत्यधिक आधुनिक विधि है। परम्यूटिट केवल Ca2+ तथा Mg2+ आयनों को जल से हटाता है जबकि कार्बनिक रेजिन जल में उपस्थित सभी आयनों को (H+ तथा OH को छोड़कर) हटाता है। इस प्रकार इस विधि से प्राप्त जल पूर्णतः आयनों रहित होता है। इस विधि में दो प्रकार के रेजिन प्रयोग में आते हैं।
(i) ऋणायन विनिमयक रेजिन
(ii) धनायन विनिमयक रेजिन

(i) ऋणायन विनिमयक रेजिन-इनमें हाइड्रोकार्बन समूह के साथ क्षारीय समूह -OH अथवा -NH2 जुड़े रहते हैं जिन्हें -OH रेजिन के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। ये जल में उपस्थित ऋणायन जैसे-Cl, HCO3, SO42- आदि का विनिमय OH के साथ करता है। इस प्रकार जल में उपस्थित सभी ऋणायन कठोर जल से मुक्त हो जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 19
जब ऋणायन विनिमयक रेजिन में से सभी OH आयन ऋणायनों के द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते है तब इस टैंक में NaOH का छिड़काव करते हैं जो कि -OH रेजिन को पुननिर्मित कर देता है।
RNH3+X + NaOH → RNH3+OH + NaX

(ii) धनायन विनिमयक रेजिन – ये हाइड्रोजन समूह ही है जिनके साथ अम्लीय समूह जैसे- COOH या -SO3H समूह जुड़े रहते हैं। इन्हें H रेजन भी कहते हैं। जब जल में उपस्थित सभी ऋणायनों का प्रतिस्थापन हो जाता है तब उस जल को धनायन विनिमयक रेजिन के टैंक में प्रवाहित करते हैं। जहाँ जल में उपस्थित सभी धनायन H+ आयनों के साथ प्रतिस्थापित हो जाते हैं। ये H+ आयन OH के साथ जल का निर्माण करते हैं। इनका पुनर्जनन NaCl/HCl विलयन से होता है।

2 RNa + M2+ → R2M + 2Na+(M = Ca,Mg)
R2M + 2Na+ → 2RNa + M2+ (पुनर्जनन)
या 2RH + M2+ → MR2 + 2H+ (M2+ → Ca2+, Mg2+)
MR2 + 2H+ → 2RH + M2+

अतः इस विधि द्वारा सभी धनायनों तथा ऋणायनों का प्रतिस्थापन क्रमशः H+ तथा OH द्वारा हो जाता है एवं हमें शुद्ध विखनिजित (demineralized) तथा विआयनित (deionised) जल प्राप्त होता है।

प्रश्न 24.
जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल की उभयधर्मी प्रकृति (Amphoteric nature of water)—जल अम्ल तथा क्षारक दोनों रूपों में व्यवहार करता है। अतः यह उभयधर्मी है। ब्रॉन्स्टेड अवधारणा के सन्दर्भ में जल NH3 के साथ अम्ल के रूप में तथा H2S के साथ क्षारक के रूप में कार्य करता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 20
जल अपने से प्रबल अम्लों के साथ क्षारक की भाँति व्यवहार करता है; जैसे-उपर्युक्त अभिक्रिया (ii) में दर्शाया गया है। इसमें जल-अणु H2S से एक प्रोटॉन ग्रहण करके H3O+आयन बनाता है। अभिक्रिया (i) में जल-अणु एक प्रोटॉन का त्याग करता है। NH3 अणु इस प्रोटॉन को ग्रहण करके NH4+ आयन बनाता है। यहाँ जल एक अम्ल की भाँति कार्य करता है।

प्रश्न 25.
हाइड्रोजन परॉक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक रूप को अभिक्रियाओं द्वारा समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन परॉक्साइड के अपघटन के दौरान ऑक्सीकरण-अवस्था परिवर्तन निम्नवत् दर्शाया जा सकता हैऑक्सीकरण-संख्या में वृद्धि = ऑक्सीकरण
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 21
चूँकि H2O2 में उपस्थित ऑक्सीजन परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि तथा कमी दोनों होती हैं; इसलिए यह अपचायक तथा ऑक्सीकारक दोनों की भाँति कार्य कर सकता है। इसे निम्नलिखित अभिक्रियाओं द्वारा समझा जा सकता है-

(i) अम्लीय माध्यम में H2O2 ऑक्सीकारक के रूप में-

2Fe2+(aq) + 2H+(aq) + H2O2(aq) → 2Fe3+(aq) + 2H2O(l)
PbS(s) + 4H2O2(aq) → PbSO4(s) + 4H2O(l)

(ii) अम्लीय माध्यम में H2O2 अपचायक के रूप में-

2MnO4(aq) + 6H+(aq) + 5H2O2 → 2Mn2+(aq) + 8H2O(l) + 5O2(g)
HOCl + H2O2 → H3O+ + Cl + O2(g)

(iii) क्षारीय माध्यम में H2O2 ऑक्सीकारक के रूप में-
2Fe2+ + H2O2 → 2Fe3+ + 2OH
Mn2+ + H2O2 → Mn4+ + 2OH

(iv) क्षारीय माध्यम में H2O2 अपचायक के रूप में-
I2 + H2O2 + 2OH → 2I + 2H2O + O2
2MnO4 + 3H2O2 → 2MnO2 + 3O2 ↑+ 2H2O + 2OH

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

प्रश्न 26.
विखनिजित जल से क्या अभिप्राय है ? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
वह जल जो सभी विलेयशील खनिज अशुद्धियों से पूर्णतया मुक्त हो, विखनिजित जल (demineralized water) कहलाता है। दूसरे शब्दों में धनायनों (Ca2+, Mg2+ आदि) तथा ऋणायनों (Cl, SO42-, HCO3 आदि) से पूर्णतया विमुक्त जल विखजनित जल कहलाता है। विखनिजित जल को आयन-विनिमयक रेजिन विधि से प्राप्त किया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत आयन-विनिमयक रेजिनों द्वारा जल में उपस्थित सभी धनायनों तथा ऋणायनों को हटा दिया जाता है।

इसके लिए सर्वप्रथम कठोर जल को H+ रेजिन के टैंक से प्रवाहित करते हैं। जहाँ Na+, Ca2+, Mg2+ आदि सभी धनायन H+ आयनों से प्रतिस्थापित हो जाते हैं उसके बाद इस जल को -OH रेजिन के टैंक से प्रवाहित करते हैं जहाँ सभी ऋणायन जैसे- Cl, SO42-, HCO3, आदि OH से प्रतिस्थापित हो जाते हैं। इस प्रकार सभी ऋणायन तथा धनायन OH तथा H+ द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं और हमें विखनिजित जल प्राप्त होता है।

प्रश्न 27.
क्या विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी है यदि नहीं तो इसे उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर:
नही, विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी नहीं है क्योंकि यह स्वादहीन होता है। यदि कुछ आयन जैसे- Na+, K+, Mg+, Li+ आदि जो हमारे शरीर के लिए उपयोगी होते हैं, को इन विखनिजित जल में डाल दें तो यह पेय-प्रयोजनों में प्रयुक्त हो सकता है। ऐसा करने के लिए हम इसमें लवण जैसे- NaCl, KCl आदि मिला देते हैं ।

प्रश्न 28.
जीवमण्डल एवं जैव-प्रणालियों में जल की उपयोगिता को समझाइए।
उत्तर:
जीवमण्डल एवं जैव-प्रणालियों में जल की उपयोगिता सभी सजीवों का एक वृहद् भाग जल द्वारा निर्मित है। मानव शरीर में लगभग 65 प्रतिशत एवं कुछ पौधों में लगभग 95 प्रतिशत जल होता है। जीवों को जीवित रखने के लिए जल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। संघनित प्राबस्था (द्रव तथा टोस अवस्था) में जल के आयामान्य गुणों का कारण तथा अन्य तत्वों के हाइड्राइड H2S तथा H2Se की नुलना में जल का उच्व हिमांक, उच्च क्वधनांक, उच्च वाण्यन कप्मा उच्च संलयन ऊष्मा का कारण इसमें हाहड्रोजन-बन्ध का उपस्थित होनो है अन्य द्रवों की जुलना में जल की विशिष्ट कप्मा, तापीय नालकता. पृष्ठ-तनाव, द्विध्रुव आघर्ण तथा पराविद्युतांक के मान उच्च होते है।

इन्तीं गुणों के कारण जीवमण्डल में जल की महत्वमूण भृमिका है। शरीर तथा जलवायु के सामान्य ताप को बनाए रख्बने के लिए उत्तरदायी है। वनस्पतियों एवं प्राणियों के उपापचय (metabolism) में अणुओं के अभिगमन के लिए जल एक उत्तम विलायक का कार्य करता है। अल ध्रुवीय अणुओं के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाता है जिससे सहसंयोजक यौगिक; जैसे-ऐल्कोहॉल तथा काबॉहाइट्ट्रेट यौगिक जल में चिलेय होते हैं। अतः जैव-प्रणालियों के लिए भी यह आवश्यक होता दै।

प्रश्न 29.
जाल का कौन-सा गुण इसे विलायक के क्रष में उपयोगी बनाता है ? बह किस प्रकार के घौगिक-
(i) घोल सकता है। और
(ii) जल-अपघटन कर सकता हैं ?
उत्तर:
जल के गुण
जल के निम्नलिखित गुण हसे विलायक के रुप में ज्यतिमहत्वपयर्ण बनाते हैं-
(i) इसकी वाष्पन एन्धैल्पी तथा कप्मा-धारिता उच्च होती है।
(ii) यंह ताप की एक दीर्घ परास (0°C से 100°C तक ) के अन्तमंत द्रव-अवस्था में होता है।
(iii) यह ध्रुवी प्रकृति का होता है तथा इसका पराचित्रितांक उक्च (78-39) होता है।
(iv) अन्य यौगिकौं के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना सकता है।

जल विलायक के मूप में:
(i) यह हाइड्रोजन बन्ध के कारण श्रुवी पदाधों तथा कछ कर्वंनिक यौगिकों को घोल सकता है। यह आयनिक पदार्थों तथा उन याँगिकों को घोल सकता है जो इसके साथ H-बन्ध बनाते हैं।
(ii) इसमें उपस्थित ऑक्सीजन की अनेक तस्चों से अत्यधिक वन्थूता के कारण यह सहसंयोजी यौगिकों को जल-अपधटित कर देता है। गह ऑक्साइडों, हैलाइडों, फॉस्फाइडों, नाहट्राइड्टों आदि को जल-अप्टित कर देता है।

प्रश्न 30.
H2O एवं D2O के गुणों को जानते हुए क्या आय मानते हैं कि D2O का उपयोग पेय-प्रयोजनों के रूप में किया जा सकता है ?
उत्तर:
D2O का उपयोग हम पेय-प्रयोजनों में नहीं कर सकते हैं। इसके निम्न कारण हैं-
(i) D2O की बन्ध ऊर्जा H2O की अपेक्षा अधिक होती है।
(ii) भारी अणु होने के कारण D2O का आयनन H2O की तुलना में एक तिहाई ही होता है।
(iii) कम पराविद्युतांक के कारण इसमें आयनिक पदार्थ जल की तुलना में कम विलेय होता है।
भारी जल शंरीर में होने वाली अपचयोपचयी अभिक्रियाओं को साधारण जल की तुलना में अति मन्द गति से करता है। जिससे ये असन्तुलित हो जाती है अतः यह जीवन के लिए हानिकारक होता है। यह पेड़-पौधों का विकास रोक देता है, बीजों का अंकुरण रोकता है, जल में रहने वाले जीवों को मार देता है।

प्रश्न 31.
जल-अपघटन तथा जलयोजन पदों में क्या अन्तर है ?
उत्तर:

जल-अपघटन जलयोजन
1. जल अपघटन अभिक्रिया में एक पदार्थ उदासीन, अम्लीय अथवा क्षारीय माध्यमों में जल से अभिक्रिया करता है।

उदाहरण-

AlCl3 + 3H2O → Al(OH)3 + 3HCl

1. किसी रासायनिक पदार्थ का वह गुण जिसमें वह क्रिस्टलन जल के अणु ग्रहण करके जलयोजित हो जाता है, जल योजन कहलाता है।

उदाहरण – निर्जलीय CuSO4 का रंग सफेद होता है तथा H2O के पाँच अणु ग्रहण करके यह CuSO4.5H2O बनाता है जो नीले रंग का होता है।

2. अभिक्रिया के दौरान pH परिवर्तित होता है। 2. pH परिवर्तित नहीं होता है।
3. सह-संयोजी यौगिक प्रदर्शित करते हैं। 3. आयनिक यौगिक प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 32.
लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं ?
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइडों में H2O के लिए अत्यधिक बन्धुता होती है। लवणीय हाइड्राइड; जैसे- NaH, H आयनों को मुक्त करता है जो प्रबल ब्रॉ्स्टेड क्षारकों की भाँति कार्य करते हैं (H2O एक दुर्बल ब्रॉन्स्टेड अम्ल होता है) । NaH जल से संयुक्त होकर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है। लवणीय हाइड्राइडों का यह गुण कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटाने में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 33.
परमाणु क्रमांक 15,19,23 तथा 44 वाले तत्व यदि डाइहाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे ? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक 15 वाला तत्व फॉस्फोरस (P) है। इसका हाइड्राइड (PH3) सहसंयोजी होता है।
परमाणु क्रमांक 19 वाला तत्व पोटैशियम (K) है। इसका हाइड्राइड (KH) आयनिक होता है।
परमाणु, क्रमांक 23 वाला तत्व वैनेडियम (V) है इसका हाइड्राइड अन्तराकाशी या धात्विक होगा।
परमाणु क्रमांक 44 वाला तत्व रूथेनियम (Ru) है। इसका हाइड्राइड अन्तराकाशी या धात्विक होगा।

जल के प्रति व्यवहार:
(i) परमाणु क्रमांक 15 वाला तत्व (P) सहसंयोजी हाइड्राइड (PH3) बनाता है जो जल में अल्प-विलेय होता है।
(ii) परमाणु क्रमांक 19 वाला तत्व (K) आयनिक हाइड्राइड (KH) बनाता है जो जल के साथ विस्फोटक रूप से अभिक्रिया करके डाइहाइड्रोजन गैस देता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 22
(iii) परमाणु क्रमांक 23 तथा 44 वाले तत्व V तथा Ru अन्तराकाशी या धात्विक हाइड्राइड बनाते हैं जो जल को संगुणित कर लेते हैं।

प्रश्न 34.
जब ऐलुमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग (i) सामान्य जल, (ii) अम्लीय जल एवं (iii) क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा तो आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे ? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(i) सामान्य जल में-सामान्य जल में ऐलुमिनियम (III) क्लोराइड निम्नवत् जल-अपघटित होगा-
AlCl2 + 3H2O → Al(OH)3 + 3HCl
KCl जल में विलेय होगा तथा इसके आयन जलयोजित हो जायेंगे।
KCl(s) + H2O (आधिक्य) → K+(aq) + Cl(aq)

(ii) अम्लीय जल में-अम्लीय जल में ऐलुमिनियम (III) क्लोराइड जल-अपघटित हो जाएगा, परन्तु समआयन प्रभाव के कारण जल-अपघटन धीमी दर से होगा तथा यह HCl से अभिक्रिया करके AlCl3 बना लेगा जो Al3+ तथा Cl के रूप में उपस्थित होंगे।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 23
पोटैशियम क्लोराइड पर अम्लीय जल का कोई प्रभाव नहीं होगा।

(iii) क्षारीय जल में-क्षारीय जल में AlCl3 तीव्रता से जल-अपघटित होकर विलेय टेट्राहाइड्रॉक्सो-ऐलुमिनेट बनाता है।
AlCl3 + 3NaOH → Al(OH)3 + 3NaCl
Al(OH)3 + OH → [Al(OH4]
पोटैशियम क्लोराइड पर क्षारीय जल का कोई प्रभाव नहीं होगा।

प्रश्न 35.
H2O2 विरंजन कारक के रूप में कैसे व्यवहार करता है ? लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) निम्नलिखित अभिक्रिया के आधार पर विरंजन कारक के रूप में व्यवहार करता है-
H2O2 → H2O + [O] नवजात ऑक्सीजन
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ ( विरंजित)
दैनिक जीवन में इसका उपयोग बालो, ऊन, सिल्क, हाथा-दात आदि के विरंजन में किया जाता है।

प्रश्न 36.
निम्नलिखित पदों से आप क्या समझते हैं ?
(i) हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था,
(ii) हाइड्रोजनीकरण,
(iii) सिन्नैस,
(iv) भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया तथा
(v) ईंघन सेल।
उत्तर:
(i) हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था:
हम सभी जानते हैं कि कोयला तथा पेट्रोलियम सर्वाधिंक प्रयुक्त होने वाले ईंधन हैं, परन्तु ये संसाधन अत्यन्त तीव्र दर से समाप्त होते जा रहे हैं तथा आगामी भविष्य में उद्योग तथा परिवहन इससे बहुत अधिक प्रभावित हो सकते है। इसके अंतिरिक्त ये संसाधन मानव-स्वास्थ्य के प्रति भी अत्यन्त हानिकारक हैं: क्यौंकि ये वायु प्रदूषण के प्रमुख्य कारक हैं।

इनके दहन के फलस्वरूप उत्पन्न अनेक विपाक्त गैसे-कार्वन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड वायुमण्डल में मिल जाते हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए वैकल्पिक हैधनों की ख्रोज सदैव होती रही है। इस सन्दर्भ में भावी विकल्प ‘हाड़्रोजन अर्थव्यवस्था’ है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मूल सिद्धान्त ऊर्जा का द्रव हाइड्रोजन अथवा गैसीय हाइड्रोजन के रूप में अभिगमन तथा भण्डारण है।

हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मुख्य ध्येय तथा लाभ-ऊर्जा का संचरण विद्युत्-ऊर्जा के रूप में न होकर हाइड्रोजन के रूप में होना है। हमारे देश में पहली बार अक्श्बर, 2005 में आरम्भ परियोजना में डाइहाइड्रोजन स्बचालित वाहनों के हैधन के रूप में प्रयुक्त किया गया। प्रारम्भ में चौपढिया बाहन के लिए 5 प्रतिशत हाइहाइड्रोजन मिश्रित CNG का प्रयोग किया गया।

बाद में डाहहाइड्रोजन की प्रतिशतता धरि-धीरे अनुकूलतम स्तर तक बढ़ाई जाएगी। आजकल डाहाइड्रोजन का उपयोग ईद्रन सेलों में विद्युत्-उत्पादन के लिए किया जाता है। ऐसी आशा की जाती है कि आर्थिक रूप से व्यवत्तार्य तथा दाइहाइड्रोजन के सुरक्षित स्रोत का पता आने वाले वष्षों में लग सकेगा तथा उसका उपयोग ऊर्जा के रूप में हो सकेगा।

(ii) हाइड्रोजनीकरण:
असंतृप्त कार्वनिक यौगिक हाइड्रोजन से सीधे संयोग करके संतृप्त यौगिक बनाते हैं, यह अभिक्रिया हाइड्रोजनीकरण कहलाती है। यह अभिक्रिया उत्र्रेरक की उपस्थिति में होती है तथा इन अभिक्रियाओं से अनेक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक हाइड्रोजनीकृत उत्पाद प्राप्त होते हैं। वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation of Vegetable Oils)- 473K पर निकिल उत्त्रेरक की उपस्थिति में वनस्पति तेलों; जैसे – मूँगफली के तेल, बिनौले के तेल में हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर तेल ठोस वसाओं, जिन्हें वनस्पति घी कहा जाता है, में

परिवर्तित हो जाते हैं। वास्तव में तेल HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 24 बन्ध की उपस्थिति के कारण असंतृप्त होते हैं। हाइड्रोजनीकरण पर ये बन्ध HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 25 बन्ध में परिवर्तित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप असंतृप्त तेल संतृप्त वसा में परिवर्तित हो जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 26
ओलिफिन का हाइड्रोफॉर्मिलीकरण (Hydrofor-mylation of Olefins) – ओलिफिन का हाइड्रोफॉर्मिलीकरण कराने पर ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है, जो ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है।
RCH = CH2 + CO + H2 → RCH2CH2CHO
RCH2CH2CHO + H2 → RCH2CH2CH2OH
उपर्युक्त के अतिरिक्त कोयले का हाइड्रोजनीकरण करने पर द्रव हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे आसुत करने पर कृत्रिम पेट्रोल प्राप्त होता है।

(iii) सिन्गैस:
हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर डाइहाइड्रोजन प्राप्त होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 27
CO एवं H2 के मिश्रण को वाटर गैस कहते हैं। CO एवं H2 का यह मिश्रण मेथेनॉल तथा अन्य कई हाइड्रोकार्बनों के संश्लेषण में काम आता है। अतः इसे ‘संश्लेषण गैस’ या ‘सिन्ञैस’ (syngas) भी कहते हैं। आजकल सिन्गैस वाहितमल (sewage waste), अखबार, लकड़ी का बुरादा, लकड़ी की छीलन आदि से प्राप्त की जाती है। कोल से सिन्गैस का उत्पादन करने की प्रक्रिया को ‘कोलगैसीकरण’ (coalgasification) कहते हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 28

(iv) भाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया:
सिन्गैस में उपस्थित कार्बन मोनोक्साइड की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराने पर हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 29

यह ‘भाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया’ (water gas shift reaction) कहलाती है। वर्तमान में लगभग 77 प्रतिशत डाइहाइड्रोजन का औद्योगिक उत्पादन शैल रसायनों (petro-chemicals), 18 प्रतिशत कोल, 4 प्रतिशत जलीय विलयनों के विद्युत्-अपघटन तथा 1 प्रतिशत उत्पादन अन्य स्रोतों से होता है।

(v) ईंधन सेल:
वह युक्ति जो ईंधन की रासायनिक ऊर्ग को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करती है, ईंधन सेल कहलाती है। कल डाइहाइड्रोजन का प्रयोग ईंधन सेलों में विद्युत्-उत्पादन के लिए किया जाता है। ये प्राथमिक सेलों की तरह ही होते हैं। इसमें ईंधन का दहन होता है तथा उसमें से उत्पन्न रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इन सेलों को इस प्रकार बनाया जाता है कि इनमें ईंधन लगातार भरा जा सके जिससे कि विद्युत् धारा निरन्तर प्राप्त होती रहे।

इस सेल में ईंधन के रूप में H2, CO, CH4, C3H8, C2H5OH आदि को प्रयुक्त करते हैं। सर्वप्रथम बैकोन ने एक सेल बनाया जिसमें उन्होंने ईंधन के रूप में H2-O2 लिया था। इसे बैकोन सैल भी कहते हैं।

इस सेल में कार्बन के सरन्ध्र (Porous) इलेक्ट्रोड होते हैं जो Pt, Ag या CuO आदि के द्वारा संसेचित(impregnated) होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 9 Img 30
यहाँ विद्युत्- अपघट्य इलेक्ट्रोडों के मध्य भरा होता है। विद्युत् -अपघट्य KOH या NaOH का विलयन होता है। H2 तथा O2 गैसों के सरन्ध्र इलेक्ट्रोडों में से विद्युत्-अपघट्य विलयन में भेजा जाता है।
अभिक्रियाएँ, इलेक्ट्रोडों पर निम्न प्रकार होती हैं-
ऐनोड : 2H2(g) + 4OH(aq) → 4H2O(l) + 4e
कैथोड : O2(g) + 2H2O(l) + 4e → 4OH(aq)
सम्पूर्ण अभिक्रिया-
2H2(g) + O2(g) → 2H2O(l)
नोट – चूँकि अभिक्रिया के दौरान ईंधन खर्च होता रहता है अतः इसे बार-बार भरते रहना चाहिए।

ईंधन सेल की विशेषताएँ-

  • ईंधन की लगातार पूर्ति करने पर लगातार विद्युत् धारा प्राप्त होती है इसलिए सेल की आयु लम्बी होती है।
  • ये सेल प्रदूषण रहित होते हैं।
  • इनकी दक्षता उच्च लगभग 75-80% होती है।

नोट – इस ईंधन सेल का प्रयोग सर्वप्रथम अन्तरिक्ष कार्यक्रम में अपोलो यान को विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया गया था। यहाँ H2 तथा O2 परस्पर द्रव H2O बनाते हैं। इस जल वाष्प को संघनित कर उसका प्रयोग अन्तरिक्ष यात्रियों के पेयजल के रूप में किया जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
प्रत्यास्थता का विमीय सूत्र है-
(a) [MLT-2]
(b) [ML2T-2]
(c) [ML-1T-2]
(d) [M-1L-1T-2]
उत्तर:
(b) [ML2T-2]

प्रश्न 2.
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का सही सूत्र है-
(a) \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{Mg} \Delta \mathrm{L}}{\pi r^2 \mathrm{~L}}\)
(b) \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{Mg}}{\pi r^2 \mathrm{~L}}\)
(c) \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 \Delta \mathrm{L}}\)
(d) \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{Mgr^2}}{\pi \mathrm{L} \dot \Delta \mathrm{L}}\)
उत्तर:
(b) \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{Mg}}{\pi r^2 \mathrm{~L}}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 3.
निम्न में से सबसे अधिक प्रत्यास्थ पदार्थ है-
(a) स्टील
(b) क्वार्ट्ज
(c) काँच
(d) रबर ।
उत्तर:
(b) क्वार्ट्ज

प्रश्न 4.
पदार्थ का प्रत्यास्थता गुणांक ताप बढ़ाने पर –
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) निर्भर नहीं करता घटने लगता है।
(d) एक सीमा तक बढ़ता है फिर
उत्तर:
(b) घटता है

प्रश्न 5.
जब तार को संपीडित किया जाये तो उसके अणुओं की स्थितिज ऊर्जा-
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) निश्चित नहीं ।
उत्तर:
(b) बढ़ती है

प्रश्न 6.
वे ठोस, जो प्रत्यास्थता सीमा के आगे टूट जाते हैं, कहलाते
(a) तन्य
(b) आघातवर्धनीय
(c) भंगुर
(d) प्रत्यास्थ
उत्तर:
(c) भंगुर

प्रश्न 7.
दो अणुओं के मध्य अन्तर- आण्विक बल-
(a) सदा आकर्षण का बल होता है।
(b) सदा प्रतिकर्षण का बल होता है।
(c) अधिक दूरी पर नगण्य उससे कम दूरी पर आकर्षण व बहुत कम दूरी पर प्रतिकर्षण बल हो जाता है
(d) अधिक दूरी पर प्रतिकर्षण बल होता है व कम दूरी पर आकर्षण बल होता है।
उत्तर:
(c) अधिक दूरी पर नगण्य उससे कम दूरी पर आकर्षण व बहुत कम दूरी पर प्रतिकर्षण बल हो जाता है

प्रश्न 8.
रबर स्टील, काँच को प्रत्यास्थता के बढ़ते हुए क्रम में लिखने पर सही क्रम होगा-
(a) स्टील, रबर, काँच
(b) रवर, काँच, स्टील
(c) काँच, स्टील, रबर
(d) काँच, रबर स्टील ।
उत्तर:
(b) रवर, काँच, स्टील

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 9.
किसी खिंचे हुए तार की प्रति एकांक आयतन की स्थितिज ऊर्जा होती है-
(a) \(\frac{1}{2}\) × प्रतिबल x विकृति
(b) \(\frac{1}{2}\) \(\frac{\text { प्रतिबल }}{\text { विकृति }}\)
(c) \(\frac{1}{2}\) × बंग प्रत्यास्थता गुणांक × विकृति
(d) \(\frac{1}{2}\) × बंग प्रत्यास्थता गुणांक × विकृति ।
उत्तर:
(c) \(\frac{1}{2}\) × बंग प्रत्यास्थता गुणांक × विकृति

प्रश्न 10.
एक ही पदार्थ तथा समान परिच्छेद क्षेत्रफल के दो तारों को लम्बाइयाँ 1 व 21 हैं। इन्हें लम्बाई के अनुदिश समान बल F लगाकर खींचा जाता है। तारों में उत्पन्न तनावों का अनुपात होगा-
(a) 1 : 1
(b) 1 : 2
(c) 2 : 1
(d) 4 : 1.
उत्तर:
(a) 1 : 1

प्रश्न 11.
एक ही पदार्थ के दो तारों पर जिनकी लम्बाईयाँ क्रमश: L तथा 2L और त्रिज्याएँ क्रमश: 2r तथा r हैं, समान भार लटकाया गया है। तारों की लम्बाई में वृद्धि का अनुपात होगा-
(a) 1 : 4
(b) 1 : 8
(c) 4 : 1
(d) 8 : 1.
उत्तर:
(b) 1 : 8

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 12.
एक तार से Mg भार लटकाने पर, तार की लम्बाई में वृद्धि l हो जाती है। इस प्रक्रिया में कृत कार्य होगा-
(a) Mgl
(b) 2mgl
(c) \(\frac{Mgl}{2}\)
(d) शून्य ।
उत्तर:
(c) \(\frac{Mgl}{2}\)

प्रश्न 13.
यदि किसी तार को खींचकर उसकी लम्बाई दोगुनी कर दी जाये, तो इसका यंग प्रत्यास्थता गुणांक होगा-
(a) आधा
(b) अपरिवर्तित
(c) दोगुना
(d) चार गुना।
उत्तर:
(b) अपरिवर्तित

प्रश्न 14.
एक आदर्श दृढ़ पिण्ड के लिए यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मान-
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) 1
(d) 100.
उत्तर:
(b) अनन्त

प्रश्न 15.
अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A व लम्बाई L का एक तार एक दृढ़ आधार से लटका है जिस पर M भार आरोपित है। इसकी लम्बाई में वृद्धि –
(a) L के व्युत्क्रमानुपाती होती है
(b) M के समानुपाती होती है
(c) यंग प्रत्यास्थता के समानुपाती होती है
(d) A के समानुपाती होती है।
उत्तर:
(b) M के समानुपाती होती है

प्रश्न 16.
रबर स्टील, काँच की प्रत्यास्थता के घटते क्रम में सही क्रम है-
(a) स्टील, रबर, काँच
(b) रबर, काँच, स्टील
(c) स्टील, काँच, रबर
(d) काँच, रबर, स्टील।
उत्तर:
(c) स्टील, काँच, रबर

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 17.
किसी पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक उस प्रतिबल के बराबर है, जो-
(a) तार की लम्बाई दोगुनी कर दें
(b) तार की लम्बाई अपरिवर्तित रहे
(c) तार की लम्बाई 50% बढ़ा दें
(d) तार की लम्बाई 25% बढ़ा दें।
उत्तर:
(a) तार की लम्बाई दोगुनी कर दें

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Questions)

प्रश्न 1.
प्रतिबल का मात्रक लिखिए।
उत्तर:
प्रतिबल = \(\frac{F}{A}\)
प्रतिबल का मात्रक = \(\frac{N}{m^2}\) = Nm-2.

प्रश्न 2.
वह गुण जिससे बाह्य बल हटा लिए जाने पर वस्तु अपने प्रारम्भिक स्वरूप को प्राप्त कर लेती है, क्या कहलाता है ?
उत्तर:
प्रत्यास्थता ।

प्रश्न 3.
प्रत्यास्थता सीमा में प्रतिबल एवं विकृति का अनुपात क्या कहलाता है ?
उत्तर:
प्रत्यास्थता गुणांक ।

प्रश्न 4.
अनुप्रस्थ विकृति एवं अनुदैर्घ्य विकृति का अनुपात क्या कहलाता है ?
उत्तर:
पॉयसन अनुपात ।

प्रश्न 5.
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मात्रक लिखो ।
उत्तर:
न्यूटन / मी² या पॉस्कल ।

प्रश्न 6.
किसी द्रव का अपरूपण व बंग गुणांक कितना होता है?
उत्तर:
दोनों शून्य होते हैं।

प्रश्न 7.
किसी ठोस के यंग प्रत्यास्थता गुणांक पर ताप वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
ताप वृद्धि के साथ यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मान घटता है।

प्रश्न 8.
मशीनों को घूर्णी गति देने के लिए शाफ्ट कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
खोखली तथा छोटी ताकि बलयुग्म अधिक उत्पन्न हो सके।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 9.
प्रतिबल तथा विकृति के बीच खिंचे ग्राफ का ढलान क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर:
प्रत्यास्थता गुणांक ।

प्रश्न 10.
एक पूर्ण दृढ़ पिण्ड का दृढ़ता गुणांक कितना होता है?
उत्तर:
अनन्त (00)।

प्रश्न 11.
जब एक ठोस को दबाया जाता है, तो उसके अणुओं की स्थितिज ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? यदि ठोस खींचा जाये, तब ?
उत्तर:
दोनों स्थितियों में स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है।

प्रश्न 12.
ठोस, द्रव तथा गैस में से किसकी संपीड्यता सबसे अधिक होती है ?
उत्तर:
गैस ।

प्रश्न 13.
क्या प्रतिबल सदिश राशि है ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 14.
सुग्राही उपकरणों में निलम्बन तार प्रायः क्वार्ट्ज या फॉस्कर ब्रॉन्ज के ही क्यों बनाये जाते हैं ?
उत्तर:
क्योंकि इन दोनों में प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव नगण्य होता है।

प्रश्न 15.
भंजन प्रतिबल किस पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
तार के पदार्थ पर।

प्रश्न 16.
गर्डर की आकृति के रूप में बनाने का क्या कारण है ?
उत्तर:
भार के कारण अवनमन कम से कम हो।

प्रश्न 17.
आयतन प्रत्यास्थता गुणांक के व्युत्क्रम को क्या कहते हैं?
उत्तर:
संपीड्यता ।

प्रश्न 18.
सर्वाधिक प्रबल अन्तर- परमाण्विक बल कौन-सा है ?
उत्तर:
आयनी आबन्ध

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 19.
अन्तर- आण्विक व अन्तर- परमाण्विक बल किस प्रकृति के होते हैं ?
उत्तर:
वैद्युत् चुम्बकीय प्रकृति के

प्रश्न 20.
किसी ठोस को संपीडित करने पर परमाणुओं की स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी या घटेगी ?
उत्तर:
बढ़ेगी।

प्रश्न 21.
वे वस्तुएँ क्या कहलाती हैं जो अपना प्रारम्भिक आकार प्राप्त करने की प्रवृत्ति नहीं होती है और स्थायी रूप से विकृत हो जाते हैं ?
उत्तर:
सुघट्य या प्लास्टिक ।

प्रश्न 22.
जब प्रतिबल शून्य होने पर भी विकृति शून्य नहीं होती तब द्रव्य में स्थायी विरूपण हो जाता है। ऐसे विरूपण को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
प्लास्टिक विरूपण ।

प्रश्न 23.
प्रत्यास्थालक (इलास्टोमर्स) के दो उदाहरण लिखो ।
उत्तर:
महाधमनी व रबड़ ।

प्रश्न 24.
किसी प्रारूपिक चट्टान की प्रत्यास्थता सीमा कितनी होती है ?
उत्तर:
30 × 107 Nm-2

प्रश्न 25.
दृढ़ता गुणांक का विमीय सूत्र क्या है ?
उत्तर:
[M1L-1T-2],

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 26.
अन्तर- परमाण्विक बल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभिन्न परमाणुओं के मध्य लगने वाले बलों को अन्तर- परमाण्विक बल कहते हैं।

प्रश्न 27.
मशीनों को घूर्णी गति देने के लिए शॉफ्ट कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर:
खोखली तथा छोटी ताकि अधिक बलयुग्म संचरित हो सके।

प्रश्न 28.
यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y तथा अनुदैर्घ्य विकृति a के पदों में खिंचे तार के एकांक आयतन की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
U= \(\frac{1}{2}\)Yσ²

प्रश्न 29.
जब किसी तार को खींचते हैं तो हमें कार्य क्यों करना पड़ता है ?
उत्तर:
आन्तरिक प्रतिक्रिया बलों के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है।

प्रश्न 30.
विकृति की विमा लिखिए।
उत्तर:
विकृति विमाहीन राशि है।

प्रश्न 31.
क्या द्रवों में दृढ़ता का गुण पाया जाता है ?
उत्तर:
नहीं, द्रवों में दृढ़ता का गुण नहीं पाया जाता है, क्योंकि द्रवों की कोई आकृति नहीं होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

तो
प्रश्न 1.
प्रत्यानयन बल क्या होते हैं ?
उत्तर:
जब विकृतकारी बल के प्रभाव में कोई वस्तु विकृत होती है। वस्तु के अन्दर प्रतिक्रियात्मक बल उत्पन्न होते हैं जो विकृतकारी का विरोध करते हैं और इन्हीं बलों के कारण बाध्य बल हटाने पर वस्तु अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाती है। इसीलिए इन बलों को प्रत्यानयन बल (Restoring Forces) कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रतिबल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वस्तु के अनुप्रस्थ काट के एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रत्यानयन बल को प्रतिबल कहते हैं। अतः
प्रतिबल = \(\frac{\text { प्रत्यानयन बल }}{\text { क्षेत्रफल }}=\frac{F}{A}\)
∴ प्रतिबल का मात्रक – N/m².

प्रश्न 3.
प्रत्यास्थता की सीमा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
विकृतकारी बल की वह सीमा जहाँ तक वस्तु पूर्ण प्रत्यास्थ रहती है ओर इससे अधिक बल लगाने पर वस्तु में स्थायी विकृति उत्पन्न हो जाती है, प्रत्यास्थता सीमा कहलाती है।

प्रश्न 4.
यदि हाथी दाँत तथा गीली मिट्टी की एक जैसी ठोस गोलियाँ एक ही ऊँचाई से फर्श पर गिरायी जाती हैं तो फर्श से टकराने के बाद कौन सी गोली अधिक ऊँचाई तक उठेगी और क्यों ?
उत्तर:
यदि विभिन्न पदार्थों से बनी दो ठोस गोलियाँ फर्श पर एक ही ऊँचाई से गिरायी जायें तो अधिक ऊँचाई तक उठने वाली गोली अधिक प्रत्यास्थ होगी। हाथी दाँत की प्रत्यास्थता गीली मिट्टी से अधिक है, अतः हाथी दाँत की गोली अधिक ऊँचाई तक उठेगी।

प्रश्न 5.
साइकिल खोखले पाइप की क्यों बनायी जाती है ?
उत्तर:
यदि बेलनाकार छड़ है तो उसके अवनमन का सूत्र होता है-
\(\delta=\frac{\mathrm{W} l^3}{12 \mathrm{Y} \pi \mathrm{R}^4}\)
जहाँ R छड़ के काट की त्रिज्या है।
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि समान द्रव्यमान की खोखली बेलनाकार छड़ ठोस छड़ से अधिक मजबूत होगी क्योंकि उसी द्रव्यमान की खोखली छड़ की त्रिज्या अधिक होगी। यही कारण है कि साइकिलों में ठोस छड़ की अपेक्षा खोखला पाइप प्रयोग करते हैं जिससे पाइप की सामर्थ्य भी बढ़े तथा धातु की बचत होने पर कम खर्च आये ।

प्रश्न 6.
पीतल, स्टील व रबर के प्रतिबल – विकृति वक्र चित्र में प्रदर्शित हैं।
रेखा A, B और C क्रमशः किन-किन वक़ों पर प्रदर्शित करती हैं?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -1
उत्तर:
प्रदर्शित ग्राफ में-
वक्र का ढलान = \(\frac{\text { y-अक्ष }}{\text { x-अक्ष }}=\frac{\text { प्रतिबल }}{\text { विकृति }}\) = यंग प्रत्यास्थता गुणांक
θA > θB > θC
अत: YA > YB > YC (ग्राफ द्वारा)
लेकिन तालिका से Yखुर < Yपीतल < Yस्टील
वक्र A = स्टील = 20 × 1010 M/m²
वक्र B = पीतल = 9 × 1010 M/m²
वक्र C = रबर = 0.05 × 1010 M/m²

प्रश्न 7.
चित्रानुसार ग्राफ तार की लम्बाई के व्यवहार को, तार के पदार्थ के लिए उस क्षेत्र को प्रदर्शित करता है जहाँ हुक के नियम का पालन होता है। A तथा B क्या प्रदर्शित करते हैं?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -2
उत्तर:
प्रत्यास्थता की सीमा के अन्दर
प्रतिबल ∝ विकृति (हुक के नियम से)
ग्राफ की प्रकृति = एक सरल रेखा
जो ग्राफ में प्रदर्शित नहीं है।
तार में संचित ऊर्जा के लिए-
U = \(\frac{1}{2}\)kx² या U ∝ x²
ग्राफ की प्रकृति = परवलयाकार
जो ग्राफ में प्रदर्शित है।
अत: A तथा B, ऊर्जा तथा लम्बाई में वृद्धि को प्रदर्शित करते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 8.
छोटी खोखली शाफ्ट लम्बी ठोस शाफ्ट से अधिक मजबूत होती है, क्यों?
उत्तर:
शाफ्ट एक ऐसी बेलनाकार छड़ है जो अन्य मशीनों को घूर्णन गति प्रदान करने में प्रयोग की जाती है। यदि शाफ्ट का एक सिरा दृढ़ता से कसकर दूसरे सिरे पर मरोड़ देने वाला बल लगायें तब छड़ में अपरूपण विकृति उत्पन्न हो जायेगी किसी ऐंठन कोण θ के लिए लगाये जाने वाले बल आघूर्ण का मान निम्न होता है-
\(\tau=\frac{\eta \pi r^4 \theta}{2 l}\)
जहाँ l = लम्बाई, r = शाफ्ट की त्रिज्या तथा η = शाफ्ट के पदार्थ का अपरूपण गुणांक है।
ठोस शाफ्ट में एकांक ऐंठन उत्पन्न करने के लिए आवश्यक बलयुग्म आघूर्ण –
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -3
अर्थात् समान द्रव्यमान व पदार्थ की खोखली व ठोस शाफ्टों में, खोखली शाफ्ट को ऐंठने में ठोस शाफ्ट को ऐंठने की अपेक्षा अधिक कार्य करना होगा, अतः छोटी खोखली शाफ्ट लम्बी ठोस शाफ्ट से अधिक मजबूत होती है।

प्रश्न 9.
रेल की पटरी आकार की क्यों बनाई जाती है?
उत्तर:
रेल की पटरी के ऊपरी तथा नीचे के भागों में अधिक विकृति उत्पन्न होती है, जबकि बीच के भाग में कम विकृति होती है, इस कारण से ऊपरी व निचले भागों का क्षेत्रफल अधिक रखा जाता है जिससे कि इन भागों पर अभिलम्ब प्रतिबल (PA) कम लगे। बीच के भागों की विकृति कम होने के कारण ये भाग कम चौड़ाई के बनाए जाते हैं। इससे लोहे की भी बचत होती है तथा पटरी की मजबूती भी उसी प्रकार की बनी रहती है।

प्रश्न 10.
L लम्बाई तथा A परिच्छेद क्षेत्रफल वाले एक ऊर्ध्वाधर तार के निचले सिरे से M द्रव्यमान का एक गोला लटकाया जाता है। यदि तार का यंग प्रत्यास्थता गुणांक ४ हो तो ऊर्ध्वाधर तल में पिण्ड के दोलन करने की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना किसी तार में खिंचाव हैं तथा तार में प्रत्यानयन बल F है-
सूत्र-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -4

प्रश्न 11.
त्रिज्या की तार दो बिन्दुओं A व B के बीच बंधी है। सामान्य अवस्था में इसमें तनाव नहीं है। जब इसे खींचकर ACB के रूप का कर दिया जाता है तो तार में कितना तनाव है?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -5
उत्तर:
प्रारम्भिक लम्बाई AB = 2l
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -6

प्रश्न 12.
विभिन्न पदार्थों के तीन तारों के लिए प्रतिबल – विकृति ग्राफ चित्र में प्रदर्शित हैं A,B व C तारों की प्रत्यास्थता की सीमाएँ हैं। चित्र से A, B C के बारे में क्या निष्कर्ष निकलते हैं?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -7

उत्तर:
ग्राफ में प्रतिबल, X- अक्ष व विकृति Y-अक्ष पर प्रदर्शित है,
अतः ग्राफ से, Y = cot θ = \(\frac{1}{tan θ}\) ∝ \(\frac{1}{θ}\)
[जहाँ θ = प्रतिबल अक्ष से कोण है]
अर्थात् A की प्रत्यास्थता न्यूनतम व की अधिकतम है।

प्रश्न 13.
जब किसी तार को (i) खींचा जाता है तथा (ii) सम्पीडित किया जाता है तो प्रत्यानयन प्रतिबल किस कारण उत्पन्न होता है?
उत्तर:
जब किसी तार को खींचा जाता है तो अन्तर- परमाण्विक आकर्षण बलों के कारण प्रत्यानयन प्रतिबल उत्पन्न होता है तथा जब तार को सम्पीडित किया जाता है तो अन्तरपरमाण्विक प्रतिकर्षण के कारण प्रत्यानयन प्रतिबल उत्पन्न होता है।

प्रश्न 14,
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मात्रक प्राप्त कीजिए। पीतल का बंग प्रत्यास्थता गुणांक लोहे से आधा है, पीतल के एक तार की लम्बाई लोहे के एक अन्य तार की लम्बाई के बराबर है। दोनों तारों पर एक-सा प्रतिबल लगा है। इन दोनों तारों की लम्बाई में वृद्धि के अनुपात की गणना कीजिए।
उत्तर:
Y का मात्रक = \(\frac{\text { प्रतिबल का मात्रक }}{\text { विकृति का मात्रक }}\)
= न्यूटन / मीर²
किसी पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -8

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 15.
समान पदार्थ के चार तारों (P, Q, R व S) के भारों का उनकी लम्बाई वृद्धि के साथ ग्राफ प्रदर्शित है। अधिकतम मोटाई का तार किस रेखा द्वारा प्रदर्शित होगा ?
उत्तर:
यंग प्रत्यास्थता गुणांक
Y = \(\frac{FL}{Al}\) ∴ l ∝ \(\frac{F}{A}\)
(∵ Y, L व F नियत हैं)
ग्राफ से स्पष्ट है कि समान भार के लिए न्यूनतम लम्बाई वृद्धि OS से प्रदर्शित है,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -9

∵ लम्बाई वृद्धि (l) न्यूनतम होने पर अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A अधिकतम है।
अतः अधिकतम मोटाई का तार OS से प्रदर्शित है।

प्रश्न 16.
इस्पात तथा तांबे की समान आकारों की स्प्रिंगों को समान वृद्धि तक खींचा जाता है किस पर अधिक कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर:
इस्पात का यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Y) ताँबे की तुलना में अधिक होता है अतः यदि स्प्रिंगें समान प्रकार की हैं (A. L बराबर हैं) तो बराबर-बराबर खींचने ( वृद्धि x) के लिए इस्पात की स्प्रिंग पर अधिक कार्य करना पड़ेगा।
चूँकि W = \(\frac{1}{2}\) \(\frac{YA}{L}\)x² ∴ W ∝ Y

प्रश्न 17.
यदि इन्हीं स्प्रिंगों को बराबर बल लगाकर खींचा जाये तब ?
उत्तर:
इस्पात की स्प्रिंग कम खिंचेगी। अतः अब की बार ताँबे की स्प्रिंग पर अधिक कार्य करना पड़ेगा।

प्रश्न 18.
पॉयसन अनुपात क्या होता है ?
उत्तर:
प्रत्यास्थता की सीमा के अन्दर अनुप्रस्थ (पार्श्व) विकृति एवं अनुदैर्घ्य विकृति का अनुपात पदार्थ का पॉयसन अनुपात कहलाता है। इसे σ से व्यक्त करते हैं।
पॉयसन अनुपात σ = \(\frac{\text { पार्श्व विकृति}}{\text { अनुदैर्ध्य विकृति }}\)

प्रश्न 19.
हुक का नियम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर, प्रतिबल विकृति के समानुपाती होता है।
अर्थात् प्रतिवल ∝ विकृति

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 20.
स्प्रिंगें इसपात की ही क्यों बनायी जाती हैं ?
उत्तर:
इस्पात का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अन्य धातुओं जैसे- ताँबा, ऐल्यूमिनियम आदि से अधिक होता है इसीलिए स्प्रिंगें इस्पात की बनायी जाती है ताकि बाहरी बल हटाने पर स्प्रिंग शीघ्र अपनी पूर्वावस्था में आ जाये।

प्रश्न 21.
हम तार को बार-बार मोड़कर उसे तोड़ने में सफल क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर:
जब किसी पदार्थ को बार बार विकृत किया जाता है तो पदार्थ का प्रत्यास्थ गुण तेजी से घटने लगता है, इसी को प्रत्यास्थता श्रांति कहते हैं। इसलिए तार को बार-बार मोड़कर हम उसे तोड़ने में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 22.
अनुदैर्घ्य विकृति तथा अनुदैर्घ्य प्रतिबल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनुदैर्घ्य विकृति : लम्बाई में परिवर्तन तथा आरम्भिक लम्बाई के अनुपात को अनुदैर्ध्य विकृति कहते हैं। तनन प्रतिबल के कारण, तार या छड़ की प्रारम्भिक लम्बाई L में ∆L वृद्धि हो तो,
अनुदैर्घ्य विकृति = \(\frac{∆L}{L}\)
अनुदैर्घ्य प्रतिबल : जब किसी तार पर बल आरोपित किया जाये तो वस्तु के प्रति एकांक काट क्षेत्र पर उत्पन्न प्रत्यानयन बल को अनुदैर्घ्य प्रतिबल कहते हैं।
अनुदैर्घ्यं प्रतिबल = \(\frac{F}{A}\)

प्रश्न 23.
पूर्ण प्रत्यास्थ, प्लास्टिक एवं दृढ़ पिण्ड किन्हें कहते हैं ? इनकी सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो वस्तुएँ विरूपक बल हटाने से अपनी पूर्व अवस्था में लौट आती है। उन्हें पूर्ण प्रत्यास्थ कहते हैं जैसे- क्वार्ट्ज, फॉस्फर ब्रांज ।
जो वस्तुएँ विरूपक बल हटाने पर अपनी पूर्व अवस्था में नहीं लौटती हैं, बल्कि सदैव के लिए विरूपित हो जाती हैं, उन्हें प्लास्टिक या पूर्ण सुघट्य कहते हैं; जैसे – मोम, गीली मिट्टी।
यदि किसी पदार्थ में अणु या परमाणुओं के मध्य दूरी निश्चित हो एवं बाह्य बल के प्रभाव में भी अपरिवर्तित हो तो वह दृढ़ पिण्ड कहलाता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

प्रश्न 1.
यंग प्रत्यास्थता गुणांक को परिभाषित कीजिए। यंग प्रत्यास्थता गुणांक ज्ञात करने की सल की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young’s Modulus of Elasticity):
“प्रत्यास्थता सीमा में अनुदैर्घ्य प्रतिबल एवं अनुदैर्घ्य विकृति के अनुपात को यंग प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं।” इसे Y से व्यक्त करते हैं।
यंग प्रत्यास्थता गुणांक \(Y=\frac{\text { अनुदैर्घ्य प्रतिबल }}{\text { अनुद्र्घ्य विकृति }}=\frac{\sigma}{\varepsilon}\)
यदि L लम्बाई एवं A अनुप्रस्थ परिच्छेद के तार पर F बल लगाने पर उसकी लम्बाई में वृद्धि $\Delta \mathrm{L}$ हो जाती है तो
अनुदुर्घ्य प्रतिबल \(\sigma=\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{A}}\)
तथा अनुदैर्घ्य विकृति \(\varepsilon=\frac{\Delta \mathrm{L}}{\mathrm{L}}\)
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{F} / \mathrm{A}}{\Delta \mathrm{L} / \mathrm{L}}\)
या \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{F} \cdot \mathrm{L}}{\Delta \mathrm{L} \cdot \mathrm{A}}\)
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मात्रक न्यूटन / मीटर² \(\left(\mathrm{~N}-\mathrm{m}^{-2}\right)\) या पॉस्कल (Pa) तथा विमीय सूत्र \(\left[\mathrm{M}^1 \mathrm{~L}^{-1} \cdot \mathrm{T}^{-2}\right]\) है। यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y केवल ठोस पदार्थों के लिए ही होता है।

यदि तार के परिच्छेद की त्रिज्या r तथा Mg भार लटकाकर विरूपक बल लगाया गया हो तो
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 \Delta \mathrm{L}}\)
यदि तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल \(\mathrm{A}=\pi r^2=1 \mathrm{~m}^2\) तथा लम्बाई में वृद्धि ∆L = L हो तो Y = F
“अर्थात् किसी पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक उस बल के तुल्य होता है जो प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर उस पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद के तार की लम्बाई को दोगुना कर दे।”

किसी तार के पदार्थ का यंग गुणांक का मापन (Measurement of Young’s Modulus of Elasticity of Material of a Wire):
किसी तार के पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक ज्ञात करने की सर्ल विधि (Searl Method) के लिए प्रयुक्त उपकरण चित्र में दर्शाया है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -10
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -11

इसमें समान लम्बाई एवं समान त्रिज्या के दो ऊर्ध्वाधर पास-पास दृढ़ आधार से लटके होते हैं। इनमें तार A को सन्दर्भ तार (Reference wire) कहते हैं। इस निचले सिरे पर मिलीमीटर में अंकित प्रधान स्केल (Main Scale) M लगी होती है और एक स्थिर भार लटकाया जाता है, ताकि तार तना रहकर अपनी मूल लम्बाई में रहे। दूसरा तार B प्रायोगिक तार (Experimental Wire) होता है। जिसके निचले सिरे पर एक वर्नियर स्केल V लगी होती है जिसका सम्बन्ध मुख्य स्केल से रहता है और तार पर भार लटकाने के लिए एक हैंगर लगा होता है।

स्क्रूगेज की सहायता से तार B का व्यास कई स्थानों पर ज्ञात करके उसका औसत लेकर तार की त्रिज्या r ज्ञात कर लेते हैं। मीटर स्केल की सहायता से इस तार की प्रारम्भिक लम्बाई L ज्ञात कर लेते हैं। अब लम्बाई में वृद्धि ∆L ज्ञात करने के लिए मुख्य स्केल का पाठ पहले ज्ञात कर लेते हैं। इसके पश्चात् तार B के हैंगर पर क्रमशः वजन रखकर वर्नियर स्केल की सहायता से विभिन्न भारों के लिए लम्बाई में वृद्धि के मान ज्ञात कर लेते हैं। लम्बाई में वृद्धि एवं आरोपित भार के साथ ग्राफ खींचते हैं जो चित्र की भाँति सरल रेखा प्राप्त होती है। ग्राफीय रेखा के किसी एक बिन्दु के संगत M व ∆l के मान नोट कर लेते हैं। इसके मान को निम्न सूत्र में रखकर तार के पदार्थ का यंग गुणांक का मान ज्ञात कर लेते हैं-
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 \Delta \mathrm{L}}\)

पदार्थ यंग गुणांक (×109 Nm-2))
एल्युमिनियम 70
ताँबा 110
लोहा 190
इस्पात 200
काँच 65
कक्रीट 30
लकड़ी 13
अस्थि 9
पॉलीस्टीरीन 3

प्रश्न 2.
बढ़ते भार के अन्तर्गत खिंचे तार के व्यवहार को प्रतिबल – विकृति ग्राफ की सहायता से समझाइए पराभव सामर्थ्य तथा चरम तनन सामर्थ्यं भी स्पष्ट कीजिए।
उतर:
प्रतिबल – विकृति वक्र (Stress-Strain Curve):
तनन प्रतिबल के प्रभाव में किसी दिए गए द्रव्य के लिए प्रतिबल तथा विकृति के मध्य सम्बन्ध एक प्रयोग द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। किसी बेलन या तार को एक प्रत्यारोपित बल (भार) द्वारा विस्तारित किया जाता है। लम्बाई में भिन्नात्मक परिवर्तन (विकृति) तथा इस विकृति के लिए आवश्यक विरूपक बल को नोट कर लेते हैं प्रत्यारोपित बल (या भार) को धीरे-धीरे बढ़ाते हैं और लम्बाई में वृद्धि के मान को नोट कर लेते हैं। अब सभी प्रेक्षणों के लिए प्रतिबल (\(\frac{F}{A}\)) तथा विकृति (\(\frac{∆l}{L}\)) के मान ज्ञात कर लेते हैं। प्रतिबल तथा विकृति के बीच ग्राफ खींचते हैं। किसी दी गई धातु के लिए एक प्रारूपिक प्रतिबल – विकृति ग्राफ चित्र में दर्शाया है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -12

प्रतिबल-विकृति ग्राफ के अध्ययन से निम्न निष्कर्ष प्राप्त होते हैं-
(1) O से A तक वक्र रैखिक है अर्थात् इस क्षेत्र में हुक के नियम का पालन होता है। जब विरूपक बल हटा लिया जाता है तो तार पुनः अपनी प्रारम्भिक स्थिति में आ जाता है इस क्षेत्र में ठोस एक प्रत्यास्थ वस्तु जैसा आचरण करता है। A विन्दु को अनुक्रमानुपातीय सीमा- (Proportionality Limit) कहते हैं।

(2) A से B तक के क्षेत्र में प्रतिबल तथा विकृति अनुक्रमानुपाती नहीं है फिर भी भार हटा लेने पर तार अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाता है। बिन्दु B को पराभव बिन्दु अथवा प्रत्यास्थता सीमा कहते हैं तथा उसके संगत प्रतिबल को द्रव्य की पराभव सामर्थ्य (S) कहते हैं।

(3) भार को और अधिक बढ़ाने पर विकृति का मान बढ़ते प्रतिबल की तुलना में शीघ्रता से बढ़ता है तथा वक्र का B से D तक का भाग प्राप्त होता है। यदि B व D के मध्य कोई बिन्दु C माना जाये तो इस बिन्दु के संगत भार हटा लेने पर तार अपनी प्रारम्भिक स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाता है। अर्थात् तार का प्रत्यास्थ गुणं समाप्त हो जाता है। इस स्थिति में प्रतिबल को शून्य कर देने पर भी विकृति का मान शून्य नहीं होता है। अर्थात् तार में स्थायी विरूपण हो जाता है। स्थायी विरूपण को ‘प्लास्टिक विरूपण’ कहते हैं। ग्राफ पर बिन्दु D को द्रव्य की चरम तनन सामर्थ्य कहते हैं और इसे S से प्रदर्शित करते हैं। बिन्दु D पर प्रतिबल अपने अधिकतम सम्भव मान पर होता है इसे भंजक प्रतिबल (Breaking Stress) कहते हैं। बिन्दु D पर लगाये गये भार को विच्छेदन भार (Breaking Load) कहते हैं।

(4) बिन्दु D से आगे यदि आरोपित बल को घटाया भी जाये तब भी अतिरिक्त विकृति उत्पन्न हो जाती है तथा बिन्दु E पर तार टूट जाता है। यदि D और E पास-पास है तो पदार्थ भंगुर है तथा D व E अधिक दूरी पर होने पर द्रव्य को ‘तन्य’ पदार्थ कहते हैं।

(5) कुछ पदार्थों जैसे रबड़ के लिए ग्राफ का OA भाग सरल रेखा में नहीं होता क्योंकि ऐसे पदार्थों की प्रत्यास्थता की सीमा बहुत अधिक होती है, लेकिन हुक के नियम का पालन नहीं करते। इन्हें प्रत्यास्थक (Elastomer) कहते हैं।

प्रत्यास्थता से सम्बन्धित महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (Important Definition Related to Elasticity):
प्रत्यास्थता की सीमा (Limit of Elasticity) : विरूपक बल के उस अधिकतम मान को जिसके परे पदार्थ की प्रत्यास्थता का गुण समाप्त हो जाता है, उस पदार्थ की प्रत्यास्थता की सीमा कहते हैं।

प्रत्यास्थता भ्रांति (Elastic Fatigue) : जब किसी वस्तु पर प्रत्यास्थता की सीमा के अन्दर एक विरूपक बल अधिक समय तक लगाये रखा जाता है, तो वस्तु में उत्पन्न विकृति का मान समय के साथ धीरे-धीरे कम होता जाता है। ऐसा लगता है कि वस्तु थक गई। यदि कुछ समय के लिए वस्तु पर से विरूपक बल हटा लिया जाए, तो उसमें पुनः नियमित विकृति होने लगती है। इसे प्रत्यास्थता श्रांति कहते हैं।

प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव (Elastic After Effect) : जब किसी वस्तु पर प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर विरूपक बल लगाया जाता है तो विकृति उत्पन्न होती है। विरूपक बल हटा लेने पर वस्तु तुरन्त ही अपनी पूर्वावस्था ग्रहण नहीं कर पाती, बल्कि कुछ समय लगता है। इसे प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव कहते हैं।
धारामापी जैसे सुग्राही यंत्रों में निलम्बन तार फॉस्फर ब्रॉज तथा क्वार्टज के बनाने का कारण इन पदार्थों की नगण्य प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव ही है।

प्रत्यास्थ शैथिल्य (Elastic Hysteresis) : “विकृति को प्रतिलोमत करने पर प्रतिबल – विकृति वक्र का अपने मार्ग की पुनरावृत्ति न करना प्रत्यास्थ शैथिल्य कहलाता है।” सभी प्रत्यास्थकों जैसे रबड़, हृदय से रक्त ले जाने वाली महाधमनी में प्रत्यास्थ शैथिल्य पाया जाता है। रबड़ के एक नमूने के लिए प्रतिबल – विकृति वक्र चित्र 9.8 में प्रदर्शित है जिनमें भार बढ़ाते समय का वक्र OAB एवं भार घटाते समय का वक्र BCO है। स्पष्ट है कि उक्त दोनों वक्र भिन्न हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -13

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 3.
ठोसों के प्रत्यास्थ व्यवहार को स्प्रिंग गेंद मॉडल की सहायता से समझाइए ।
उत्तर:
ठोसों का प्रत्यास्थ व्यवहार (Elastic Behaviour Of Solids)
ठोसों के प्रत्यास्थ व्यवहार को परमाणवीय मॉडल के आधार पर भली प्रकार समझा जा सकता है। प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है। एक ठोस क्रिस्टल में ये परमाणु एक निश्चित व्यूह में वैद्युत आकर्षण बलों के द्वारा बँधे रहते हैं। इन वैद्युत बलों को अंतरा परमाणुक बल या अंतरा आणविक बल कहते हैं।

परमाणुओं के मध्य एक निश्चित दूरी पर आण्विक बल शून्य होता है अर्थात् वैद्युत आकर्षण बल एवं प्रतिकर्षण बल परिमाण में समान होता है। जब अन्तर परमाण्विक दूरी का मान से अधिक बढ़ता है तो To आकर्षण बल पहले बढ़ता है परन्तु एक सीमा से अधिक दूरी बढ़ाने पर आकर्षण बल घटने लगता है। बल की इस सीमा को प्रत्यास्थता सीमा कहते हैं। इसके बाद भी यदि बाह्य बल बढ़ाया जाता है तो आकर्षण बल घटते घटते शून्य हो जाता है और विच्छेद / भंजन (Breaking) की स्थिति आ जाती है ।

यदि अन्तर परमाण्विक दूरी का मान से कम हो जाता है तो इस दशा में परमाणुओं के बीच आवेश का वितरण इस प्रकार बदल जाता है। कि उनके बीच एक नेट प्रतिकर्षण बल लगने लगता है। बाह्य विरूपक बल हटा लेने पर परमाणु इसी प्रतिकर्षण बल के कारण एक-दूसरे से दूर हट कर अपनी पूर्व प्रारम्भिक स्थिति में लौटता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -14
उक्त विवेचना में प्रत्यानयन बल की क्रियाविधि को समझने के लिए चित्र पर विचार करें, इसमें गेंद स्प्रिंग मॉडल में गेंद परमाणुओं को तथा स्प्रिंग अंतरा परमाण्विक बलों को निरूपित करती है। यदि किसी गेंद को अपनी स्थिति से विस्थापित करने का प्रयास करते हैं तो स्प्रिंग तन्त्र उस गेंद को वापस लाने का प्रयास करेगा। इस प्रकार ठोसों का प्रत्यास्थ व्यवहार ठोस की सूक्ष्मीय प्रकृति के आधार पर समझाया जा सकता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -15

प्रश्न 4.
किसी तार को खींचने में किये गये कार्य का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
खिंचे हुए तार में स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy in Astretching Wire)
जब किसी तार पर बाह्य बल लगाकर उसे खींचा जाता है तो तार में विकृति उत्पन्न होने पर उसके अन्दर प्रत्यानयन बल उत्पन्न होता है।
इसी प्रत्यानयन बल के विरुद्ध तार की लम्बाई बढ़ाने में जो कार्य करना पड़ता है, वह खिचे हुए तार में उसकी ‘प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा’ के रूप में निहित हो जाता है। इसका मान निम्न प्रकार ज्ञात करते हैं-
माना तार पर P बल लगाने पर इसकी लम्बाई में वृद्धि हो जाती है। चूँकि जो प्रत्यानयन बल उत्पन्न होते हैं, उनका प्रारम्भिक मान शून्य होता है जो अन्त में F हो जाता है अतः
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -16

आंकिक प्रश्न

यंग प्रत्यास्थता गुणांक पर आधारित

प्रश्न 1.
4 मीटर लम्बे तथा 1.2 सेमी² अनुप्रस्थ काट वाले ताँबे के तार को 4.8 × 10³ न्यूटन कल द्वारा खींचा जाता है। यदि ताँबे के लिए यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y = 1.2 × 1011 न्यूटन / मी हो तो ज्ञात कीजिए- (i) प्रतिबल (ii) विकृति
उत्तर:
(i) 4 × 107 न्यूटन /मी²
(ii) 3.3 × 10-4

प्रश्न 2.
ताँबे के तार की लम्बाई 10 मीटर है तथा इसका द्रव्यमान 50 ग्राम/मी है। यदि इस तार पर 2 किग्रा का भार लटकाया जाता है, तो लम्बाई में वृद्धि की गणना कीजिए ताँबे का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 1.2 × 1011 न्यूटन / मी तथा ताँबे का घनत्व p = 8.9 × 10³ kg/m³ है।
उत्तर:
10.29 मिमी

प्रश्न 3.
2 मीटर लम्बी एक हल्की छड़ समान लम्बाई के दो ऊर्ध्वाधर तारों से क्षैतिज लटकाई गई है। एक तार स्टील का है जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद 0.1 सेमी² है दूसरा तार पीतल का है जिसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 0.2 सेमी² है। दोनों तारों में (i) समान प्रतिबल (ii) समान विकृति उत्पन्न करने के लिए किसी भार को छड़ पर कहाँ लटकाना चाहिए? (स्टील के लिए Y = 2.0 ×1011 N/m² तथा पीतल के लिए Y = 10× 1011 N/m²)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण -17
उत्तर:
(i) स्टील के तार से 4/3m दूर
(ii) स्टील के तार से 1 m दूर

प्रश्न 4.
एक तार A पर kg भार लटकाने से उसकी लम्बाई में 1 mm की वृद्धि होती है, इसी धातु के दूसरे तार B के लिए 1.5 kg का भार लटकाने पर लम्बाई में वृद्धि का परिकलन कीजिए जबकि तार B की लम्बाई A की लम्बाई की 4/5 तथा उसका व्यास A के व्यास का 5/2 गुना है,
उत्तर:
0.192mm

प्रश्न 5.
एक पीतल की छड़ का व्यास 4.00 मिमी है। पीतल का बंग प्रत्यास्थता गुणांक 9.2 × 1010 न्यूटन / मी² है। (i) पीतल की छड़ की लम्बाई में 0.25% की वृद्धि करने पर प्रतिबल एवं विकृति की गणना कीजिए। (ii) आरोपित बल का मान क्या होगा ?
उत्तर:
2.3 × 108 Nm², 2.5 × 10-3, 2889 न्यूटन

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 6.
1 मीटर लम्बे स्टील के एक खम्भे को 5000 किग्रा की इमारत को सँभालना है। यदि खम्भे की लम्बाई में अधिक-से-अधिक 2 मिमी का परिवर्तन सम्भव हो, तो खम्भे के न्यूनतम अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल की गणना कीजिए। स्टील का यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y = 2.2 × 1011 न्यूटन / मी²
उत्तर:
1.114 × 10-4 मीटर²

प्रश्न 7.
एक लिफ्ट का द्रव्यमान 3200 किग्रा है तथा लोहे के मोटे तारों से बंधा है। यदि लिफ्ट का महत्तम त्वरण 1.2 मी/से² हो राधा तार का अधिकतम सुरक्षित प्रतिबल 2.8 × 108 न्यूटन / मी² हो, तो तार का न्यूनतम व्यास क्या होना चाहिए ?
उत्तर:
1.27 मिमी

प्रश्न 8.
लोहे की एक छड़ जिसकी लम्बाई 2 मी है दो दृढ़ आधारों के मध्य बंधी है। यदि छड़ को 100°C तक गर्म किया जाये तो छड़ की विकृति ऊर्जा की गणना कीजिए। यदि रेखीय प्रसार गुणांक = 18 × 10-6/°C तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A- 1 cm² |
उत्तर:
64.8 जूल

भंजक प्रतिबल तथा भंजक बल पर आधारित

प्रश्न 9.
स्टील के लिए भंजक प्रतिबल 8.5 × 106 Nm-2 है इसका घनत्व 8.5 × 10³ किग्रा / मी³ है इसके लिए किसी तार की वह अधिकतम लम्बाई ज्ञात कीजिए जिससे वह अपने ही भार के अन्तर्गत बिना टूटे लटकाया जा सके। (g = 10m / sec²)
उत्तर:
100 मी

प्रश्न 10.
ऐलुमिनियम का भंजक प्रतिबल 7.5 × 108 डाइन / सेमी² है। ऐलुमिनियम के तार की वह अधिकतम लम्बाई ज्ञात कीजिए जिसे तार टूटे बिना प्राप्त किया जा सकता है ऐलुमिनियम का घनत्व 2.7 ग्राम / सेमी³ है।
उत्तर:
2.834 किमी

तार में संचित ऊर्जा पर आधारित

प्रश्न 11.
एक तार (Y = 2 × 1011 N/m²) जिसकी लम्बाई 2 m तथा काट क्षेत्रफल 10-6 m² है तो 0.1mm खींचने में कितना कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर:
5 × 10-4 J

आयतन प्रत्यास्थता गुणांक पर आधारित

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 12.
रबर की एक गेंद को किसी झील की तली में 300 m गहराई पर ले जाने से उसके आयतन में 0.15% की कमी हो जाती है। रबर के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए। झील के जल का घनत्व 1.0 × 103 kg/m3 है तथा g 10m/sec2|
उत्तर:
2.0 × 109 N/m²

प्रश्न 13.
जब 1 cm त्रिज्या के एक वायु के बुलबुले को पारे के एक पात्र में । m की गहराई तक डुबोया जाता है तो बुलबुले की त्रिज्या में परिवर्तन क्या होगा ? पारे की सम्पीड्यता 3.7 × 10-11N-1m² तथा पारे का घनत्व 13.6 ग्राम / सेमी’ दिया गया है।
उत्तर:
0.162 mm

प्रश्न 14.
हिन्द महासागर की औसत गहराई लगभग 3 km है महासागर की तली में पानी के भिन्नात्मक संपीडन \(\frac{∆V}{V}\) की गणना कीजिए। दिया है कि पानी का आयतन गुणांक 2.2 × 109 N-m² है। g = 10 ms-2)
उत्तर:
1.36%

दृढ़ता गुणांक पर आधारित

प्रश्न 15.
एक 7 cm भुजा वाले रबर के घन का एक फलक स्थिर है जबकि 200 kg भार का एक स्पर्शरेखीय बल विपरीत फलक पर आरोपित किया गया है। उत्पन्न अपरूपण विकृति और विकृत भुजा द्वारा तय दूरी ज्ञात कीजिए। रबर के लिए η = 2 × 107 डाइन/सेमी
उत्तर:
0.2 रेडियन, 1.4cm

प्रश्न 16.
किसी 5 cm भुजा वाले रबर के घन का एक फलक स्थिर है जबकि इसके विपरीत फलक पर एक 180 kg का स्पर्शरेखीय बल आरोपित किया गया है, इसके द्वारा अपरूपण विकृति तथा धन की विकृत भुजा का पाश्र्व विस्थापन ज्ञात कीजिए। रबर का दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक 2.4 × 106 न्यूटन मी दिया गया है।
उत्तर:
0.294 रेडियन, 0.0147 मी

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 1.
क्षारीय धातुओं के सामान्य भौतिक तथा रासायनिक गुण क्या हैं ?
उत्तर:
क्षार धातुओं के भौतिक गुण:
(1) क्षार धातुएँ बहुत ही नरम तथा चाँदी के समान श्वेत होती है।

(2) घनत्व (Density) – क्षार धातुओं का बड़ा आकार होने के कारण इनका घनत्व कम होता है, जो लीथियम से सीजियम की ओर नीचे जाने पर कम होता जाता है, यद्यपि पोटैशियम धातु सोडियम की तुलना में हल्की होती है।

(3) क्वथनांक एवं गलनांक (Boiling and melting point) – क्षार धातुओं के क्वथनांक एवं गलनांक बहुत कम होते हैं क्योंकि क्षार धातुओं का परमाण्विक आकार अधिक होता है। इस कारण क्रिस्टल जालक में इनकी आबन्धन ऊर्जा का मान भी कम होता है। वर्ग में नीचे जाने पर परमाणुओं का आकार बढ़ता जाता है फलस्वरूप इनके क्वथनांक एवं गलनांक के मान भी कम होते जाते हैं।

Li > Na > K > Rb > Cs > Fr (क्वथनांक एवं गलनांक)

(4) ज्वाला परीक्षण (Flame test) – जब क्षार धातुओं के लवण ज्वाला में गर्म किये जाते हैं तो ये एक विशेष प्रकार के रंग देते हैं। ज्वाला की ऊष्मा से बाह्यतम् कक्ष का इलेक्ट्रॉन उत्तेजित हो जाता है तथा निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में पहुँच जाता है। जब यह उत्तेजित इलेक्ट्रॉन वापस अपने कक्ष में पहुँचता है तो ऊर्जा को प्रकाश के रूप में निकालता है तथा ज्वाला में एक विशेष रंग दिखाई देता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 1
क्षार धातुओं में लीथियम का आकार सबसे छोटा होता है। इस कारण इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करने के लिये अधिकतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है जबकि सोडियम के लिये इस ऊर्जा का मान लीथियम से कम होता है। इस प्रकार वर्ग में नीचे जाने पर उत्तेजन के लिए आवश्यक ऊर्जा के मान में कमी आती जाती है। यही कारण है कि तत्वों की ज्वाला का रंग भिन्न-भिन्न होता है।

(5) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) – समूह-1 के तत्व संयोजी कोश में एक इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति होने के कारण +1 ऑक्सीकरण अवस्था को प्रदर्शित करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 2
(6) धन विद्युती गुण (Electropositive Property) – किसी भी तत्व की इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की प्रवृत्ति धन विद्युती गुण (Electropositive Property) कहलाती है। क्षार धातुओं के धन विद्युती गुण का मान आवर्त सारणी में अधिकतम होता है क्योंकि इनकी आयनन एन्थैल्पी काफी कम होती है। इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की प्रवत्ति वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर अधिक होती जाती है क्योंकि क्षार धातुओं का परमाण्विक आकार बढ़ता जाता है इसके साथ-साथ आयनन विभव भी कम होता जाता है।

Li < Na < K < Rb < Cs < Fr (धन विद्युती गुण)

नोट – आवर्त सारणी में ‘Fr’ सबसे अधिक धन विद्युती होता है।
क्षार धातुएँ एक इलेक्ट्रॉन को त्याग कर एकल संयोजी धनायन बनाती हैं।
M → M+ + e

(7) वैद्युत ॠणात्मकता (Electro negativity) – किसी भी तत्व की वैद्युत ऋणात्मकता उस तत्व द्वारा किसी यौगिक में आबन्धित इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर खींचने की प्रवृत्ति होती है। क्षार धातुओं की वैद्युत ऋणात्मकता सबसे कम होती है। समूह में ऊपर से नीचे आने पर विद्युत ऋणात्मकता का मान घटता जाता है क्योंकि परमाण्विक त्रिज्या का मान बढ़ता जाता है।

Li > Na > K > Rb > Cs > Fr ( वैद्युत ऋणात्मकता)

(8) अपचायक गुण (Reducing property) – क्षार धातुओं के आयनन विभव निम्न होते हैं। इसलिये ये आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग देते हैं, अत: ये प्रबल अपचायक हैं। ऊपर से नीचे आने पर अपचायक गुण बढ़ता जाता है।
Na < K < Rb < Cs < Li
अपवाद – Li क्षार धातुओं में सबसं प्रबलतम अपचायक है। इसके इस अपवाद को हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में तीन तरह की ऊर्जा मुख्य रूप से उत्तरदायी होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 3
इस पूरी प्रक्रिया में तीन तरह की ऊर्जा मुख्य रूप से उत्तरदायी होरी है।

  • ऊर्ध्वपातन ऊर्जा (Sublimation energy)
  • आयनन ऊर्जा (Ionisation energy)
  • जलयोजन ऊर्जा (Hydration energy)

इन सभी ऊर्जाओं में से ऊर्ध्वपातन एवं आयनन ऊर्जा हमारे द्वारा प्रदान की जाती है जबकि जलयोजन ऊर्जा अभिक्रिया से निकलती है। अत: यह ऊष्माक्षेपी ऊर्जा है। Li में जलयोजन ऊर्जा का मान ऊर्ध्वपातन तथा आयनन ऊर्जा की अपेक्षा बहुत अधिक होता है जिससे पूर्ण अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी हो जाती है तथा Li सबसे प्रबल अपचायक बन जाता है।

(9) प्रकाश वैद्युत प्रभाव (Photo electric effect) – Li के अतिरिक्त सभी क्षार धातुएँ प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रदर्शित करती हैं। “जब किसी धातु की सतह पर निश्चित आवृत्ति की किरणें टकराती हैं तो धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होकर निकलते हैं, इसे प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं।”
या
“धातु की सतह पर फोटॉन के प्रहार से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन प्रकाश विद्युत प्रभाव कहलाता है।” प्रकाश विद्युत प्रभाव का कारण क्षार धातुओं की न्यूनतम आयनन ऊर्जा है। लीथियम यह प्रभाव नहीं दिखाता क्योंकि इसकी आयनन ऊर्जा का मानु अधिक होता है। क्षार धातुओं के भौतिक गुणों को हम सारणी 10.1 में सूचीबद्ध कर सकते हैं।

क्षार धातुओं के रासायनिक गुण:
क्षार धातुएँ बहुत अधिक क्रियाशील होती हैं क्योकि इनकी आयनन ऊर्जा का मान बहुत कम होता है। क्षार धातुओं के रासायनिक गुण निम्न हैं-

(1) डाई हाइड्रोजन से अभिक्रिया (Reaction with dihydrogen) – लगभग 673K (लीथियम के लिए 1073K) पर क्षार धातुएँ डाइहाइड्रोजन से अभिक्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं। सभी क्षार धातुओं के हाइड्राइड रंगहीन, क्रिस्टलीय एवं आयनिक होते हैं। इन हाइड्राइडों के गलनांक उच्च होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 4
क्षार धातुओं के हाइड्राइडों की अपचायक क्षमता नीचे जाने पर बढ़ती जाती है क्योंकि बन्ध ऊर्जा का मान कम होता जाता है जिसके कारण धातु तथा हाइड्रोजन के मध्य का बन्ध आसानी से टूट जाता है।

LiH < NaH < KH < RbH < CsH (अपचायक गुण)

क्षार धातुओं के हाइड्राइड कार्बनिक यौगिकों के लिये प्रबल अपचायक का कार्य करते हैं। एक प्रबल अपचायक लीथियम एल्युमीनियम हाइड्राइड को निम्न प्रकार बनाया जा सकता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 5
क्षार धातुओं के हाइड्राइड जल से अभिक्रिया करने पर डाइहाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 6
क्षार धातुओं के हाइड्राइडों का आयनिक अभिलक्षण Li से Cs तक बढ़ता जाता है।

LiH < NaH < KH < RbH < CsH (आयनिक अभिलक्षण)

इसका कारण कम आयनन ऊर्जा है। कम आयनन ऊर्जा के कारण क्षार धातुओं के परमाणु संयोजी इलेक्ट्रॉनों को आसानी से मुक्त कर हाइड्रोजन परमाणु को दे देते हैं जिसके कारण आयनिक हाइड्राइड (MH) बनता है।

(2) द्रव अमोनिया में विलेयता (Solubility in liquid ammonia)-क्षार धातुएँ द्रव अमोनिया में घुलनशील होती हैं। ये अमोनिया के साथ गहरे नीले रंग का विलयन बनाती हैं जो कि विद्युत का सुचालक होता है। क्षार धातुएँ कम आयनन ऊर्जा के कारण द्रव अमोनिया में आयनीकृत हो जाती हैं तथा अमोनीकृत धनायन एवं अमोनीकृत ऋणायन बनाती हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 7
क्षार धातुओं का अमोनिया में नीले रंग के विलयन के बनने का कारण अमोनीकृत इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि दृश्य प्रकाश क्षेत्र की संगत ऊर्जा का अवशोषण करके विलयन को नीला रंग प्रदान करते हैं। अमोनीकृत विलयन अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होता है, जो कुछ समय पड़े रहने पर हाइड्रोजन को मुक्त करता है। फलस्वरूप विलयन में ऐमाइड बनता है।

M+(am) + e + NH3(l) → MNH2(am) + 1/2H2(g)

जहाँ ‘am’ अमोनीकृत विलयन दर्शाता है। सान्द्र विलयन में नीला रंग ब्रॉन्ज रंग में बदल जाता है और विलयन प्रतिचुम्बकीय (diamagnetic) हो जाता है।

(3) वायु के साथ अभिक्रियाशीलता (Reactivity with air) – क्षार धातुएँ वायु की उपस्थिति में मलिन (exposed) हो जाती हैं; क्योंकि वायु की उपस्थिति में इन पर ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड की पर्त बन जाती है। ये ऑक्सीजन में तीव्रता से जलकर ऑक्साइड बनाती हैं। लीथियम और सोडियम क्रमशः मोनोऑक्साइड तथा परॉक्साइड का निर्माण करती हैं, जबकि अन्य धातुओं द्वारा सुपर ऑक्साइड आयन का निर्माण होता है। सुपर ऑक्साइड \(\mathrm{O}_2^{-}\) बड़े धनायनों; जैसे K+, Rb+ तथा Cs+ की उपस्थिति में स्थायी होता है।

4Li + O2 → 2Li2O (ऑक्साइड)
2Na +O2 → Na2O2 (परॉक्साइड)
M + O2 → MO2 (सुपर ऑक्साइड) (M = K, Rb, Cs)

इन सभी ऑक्साइडो में क्षार की ऑक्सीकरण अवस्था +1 होती है। लीथियम अपवाद स्वरूप वायु में उपस्थित नाइट्रोजन से अभिक्रिया करके नाइट्राइड, Li3N बना लेता है। इस प्रकार लीथियम भिन्न स्वभाव प्रदरित करता है। क्षार धातुओं की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता Li से Cs तक बढ़ती जाती है क्योंकि आयनन ऊर्जा का मान कम होता जाता है।

क्षार धातुओं के ऑक्साइडों का स्थायित्व अभिक्रिया में भाग लेने वाले धनायनों एवं ऋणायनों के आकार एवं इन पर उपस्थित आवेशों पर निर्भर करता है। एक बड़े आकार का धनायन सदैव बड़े आकार के ऋणायन को स्थायी करेगा जबकि एक छोटे आकार का धनायन, एक छोटे आकार के ऋणायन को स्थायी करेगा। यही कारण है कि लीथियम आयन (Li+) आकार में छोटा होने के कारण एक छोटे ऋणायन जैसे ऑक्साइड आयन (O2-) के साथ संयोजन कर ऑक्साइड बनाता है। इसी प्रकार सोडियम आयन (Na+) का आकार बड़ा होता है।

इस कारण यह बड़े “आकार के परॉक्साइड आयन (\(\mathrm{O}_2{ }^{2-}\)) के साथ संयोजन करके परॉक्साइड बनाता है जबकि K+, Rb+, Cs+ अधिक बड़े आकार के होने के कारण सुपर ऑक्साइड आयन (\(\mathrm{O}_2^{-}\)) से क्रिया कर सुपर ऑक्साइड बनाते हैं।
ऑक्साइड, परऑक्साइड एवं सुपर ऑक्साइड आयनों की संरचना निम्न है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 8
ऑक्साइड एवं परॉक्साइड आयन अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण प्रतिचुम्बकीय प्रकृति के होते हैं जबकि सुपर ऑक्साइड आयन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण अनुचुम्बकीय प्रकृति का होता है।

(4) हैलोजनों से अभिक्रियाशीलता (Reactivity with halogens)-क्षार धातुएँ हैलोजन से प्रबल अभिक्रिया करके आयनिक हैलाइड बनाती हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 9
(M = Li, Na, K, Rb, Cs)
धातु की क्रियाशीलता का क्रम :
Li < Na < K < Rb <Cs
आयनन ऊर्जा कम होने के कारण क्रियाशीलता समूह में नीचे जाने पर बढ़ती है।
हैलोजनों की क्रियाशीलता का क्रम :
F2 > Cl2 > Br2 > I2
विद्युत ऋणात्मकता का मान वर्ग में नीचे जाने पर घटता जाता है अतः क्रियाशीलता कम होती जाती है।

यद्यपि लीथियम के हैलाइड आंशिक रूप से सहसंयोजक होते हैं। इसका कारण लीथियम की उच्च ध्रुवण-क्षमता है। (धनायन के कारण ऋणायन के इलेक्ट्रॉन अभ्र का विकृत होना ‘ध्रुवणता’ (polarisation) कहलाता है।) लीथियम आयन का आकार छोटा होता है; अतः यह हैलाइड आयन के इलेक्ट्रॉन अभ्र को विकृत करने की अधिक क्षमता दर्शाता है।

चूँकि बड़े आकार का ऋणायन आसानी से विकृत हो जाता है, इसलिए लीथियम आयोडाइड सहसंयोजक प्रकृति सबसे अधिक दर्शां हैं। अन्य क्षार धातुएँ आयनिक प्रवृत्ति की होती हैं। इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं। गलित हैलाइड विद्युत के सुचालक होते है। इनका प्रयोग क्षार धातुएँ बनाने में किया जाता है।

ध्रुवणता को हम फर्जॉन के नियम (Fajan’s Rule) द्वारा समझ सकते हैं। इसके अनुसार जिन यौगिको में निम्न प्रकृति होती है वे अधिक ध्रुवणता को प्रदर्शित करते हैं अर्थात् उनमें सहसंयोजक प्रकृति अधिकत। में पायी जाती है।

  • धनायन का आकार छोटा होना चाहिये।
  • ऋणायन का आकार बड़ा होना चाहिये।
  • धनायन एवं ऋणायन पर आवेश अधिक होना चाहिये।

उपरोक्त नियम के आधार पर हम हैलाइडों में उपस्थित आयनिक प्रवृत्ति को आसानी से समझ सकते हैं।

आयनिक प्रवृत्ति-
LiCl < NaCl < KCl < RbCl < CsCl < FrCl सहसंयोजक प्रवत्ति- LiCl > NaCl > KCl > RbCl > CsCl > FrCl

(5) जल से अभिक्रिया (Reaction with water) – क्षार धातुओं के ऑक्साइड, परॉक्साइड तथा सुपर ऑक्साइड जल में विलेय होकर घुलनशील हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं, जिन्हें क्षारक (Alkalies) कहा जाता है। उदाहरणार्थ-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 10
यद्यपि लीथियम के मानक इलेक्ट्रोड विभव (EΘ) का मान अधिकतम ऋणात्मक होता है, परन्तु जल के साथ इसकी अभिक्रियाशीलता सोडियम की तुलना में कम है, लीथियम के इस व्यवहार का कारण इसका छोटा आकार तथा अत्यधिक जलयोजन ऊर्जा का होना है। अन्य क्षार धातुएँ जल के साथ विस्फोटक अभिक्रिया करती हैं।

चूँकि अभिक्रिया उच्च ऊष्माक्षेपी होती है तथा विमुक्त होने वाली हाइड्रोजन आग पकड़ लेती है, इसलिए क्षार धातुओं को जल के सम्पर्क में नहीं रखते। यही कारण है कि लीथियम को छोड़कर सभी क्षार धातुओं को मिट्टी के तेल में रखते है। चूँक लीथियम का घनत्व कम होता है जिसके कारण यह मिट्टी के तेल की सतह पर तैरने लगता है, इस कारण इसे पैराफीन मोम में रखा जाता है।

क्षार धातुओं के हाइड्रॉक्साइड प्रबल क्षारीय प्रकृति के होते हैं। क्योंकि इनकी आयनन ऊर्जा कम होती है।
LiOH < NaOH < KOH < RbOH < CsOH (क्षारीय प्रकृति)

(6) क्षार धातुओं के अपचायक गुण (Reducing properties of slkali metals) – क्षार धातुएँ प्र बल अपचायक होती हैं क्योंकि जो तत्व जितनी आसानी से इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है वह उतना १े अच्छा अपचायक होता है। क्षार धातुओं की आयनन ऊर्जा का मान कम होता है अतः ये अच्छी अपचायक होती हैं।

उदाहरणार्थ-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 11

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 2.
क्षारीय मृदा धातुओं के सामान्य अभिलक्षण एवं गुणों में आवर्तिता की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
क्षारीय मृदा धातुओं के यौगिकों के सामान्य अभिलक्षण निम्न प्रकार होते हैं।

(1) ऑक्साइड (Oxides)-ऑक्साइडों में BeO, जोकि सहसंयोजी है को छोड़ शेष सभी धातुओं के ऑक्साइड सफेद क्रिस्टलीय आयनिक ठोस हैं। ऑक्साइडों की क्षारीय प्रबलता समूह से नीचे जाने पर बढ़ती है। BeO < MgO < CaO < SrO < BaO ( क्षारीय प्रबलता)
ऑक्साइड जल से क्रिया कर अल्प विलेय हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं।
MO + H2O → M(OH)2
यहाँ (M = Mg, Ca, Sr, Ba, Ra)

(2) हाइड्रॉक्साइड (Hydroxides) – इनके हाइड्रॉक्साइड प्रबल क्षारीय होते हैं। ये जल में विलेय होते हैं। क्षारीय मृदा धातुओं के हाइड्रॉक्साइडों को गर्म करने पर ये धातु ऑक्साइड एवं जल में अपघटित हो जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 12
क्षारीय मृदा धातुओं के हाइड्रांक्साइडों के जलीय विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करने से उनके कार्बोनेट अवक्षेपित हो जाते हैं। CO2 गैस की अधिकता में प्रवाहित करने से उनके कार्बोनेट जल में विलेय बाई कार्बोनेटों में बदल जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 13
क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइड धातुओं के संगत हाइड्रॉक्साइडों की तुलना में कम स्थायी होते हैं। हाइड्रॉक्साइडों का तापीय स्थायित्व, क्षारीय गुण, पानी में विलेयता ग्रुप में नीचे जाने पर बढ़ती जाती है क्योंकि धनायन का आकार नीचे बढ़ने पर बढ़ता जाता है जिससे M-OH बन्ध क्षीण होता जाता है और क्षारीय गुण बढ़ जाता है।

Be(OH)2 < Mg(OH)2 < Ca(OH)2 < Sr(OH)2 < Ba(OH)2

समूह में नीचे जाने पर आयनिक प्रवृति बढ़ती जाती है अतः जालक ऊर्जा बढ़ती है और तापीय स्थायित्व भी बढ़ जाता है।

(3) हैलाइड (Halide) – बेरीलियम हैलाइड के अतिरिक्त अन्य धातुओं के हैलाइडों की प्रकृति आयनिक होती है। बेरीलियम के हैलाइड सह संयोजक होते हैं। एवं कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं। ठोस अवस्था में बेरीलियम क्लोराइड की शृखला संरचना होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 14
वाष्प अवस्था में BeCl2 क्लोरो-सेतु द्विलक बनाता है जो 1200K के उच्च ताप पर रेखीय एकलक में वियोजित हो जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 15
हैलाइडों की हाइड्रेट बनाने की प्रवृति नीचे जाने पर कम होती जाती है क्योंकि जलयोजन ऊर्जा का मान कम हो जाता है।
MgCl2 . 8H2O
CaCl2 . 6H2O
SrCl2 . 6H2O
BaCl2 . 2H2O
हैलाइडों की विलेयता पानी में नीचे जाने पर घटती जाती है क्योंकि जलयोजन ऊर्जा घटती है तथा जालक ऊर्जा बढ़ती है। यही कारण है कि फ्लुओराइड क्लोराइड की तुलना में कम विलेय होते हैं।

(4) ऑक्सी अम्लों के लवण (Salts of oxyacids) – ऑक्सी अम्लों के लवण निम्न हैं-

(A) कार्बोनेट (Carbonates) – क्षारीय मृदा धातुओं के कार्बोनेट जल में अविलेय होते हैं जिन्हें इन तत्वों के विलेय लवणों के विलयन में सोडियम या अमोनियम कार्बोनेट विलयन मिलाकर अवक्षेपित किया जा सकता है। कार्बोनेट की विलेयता पानी में नीचे समूह में जाने पर घटती जाती है क्योंकि जालक ऊर्जा बढ़ती है परन्तु जलयोजन ऊर्जा घटती है।

BeCO3 > MgCO3 > CaCO3 > SrCO3 > BaCO3 (घुलनशीलता)

जल में कार्बोनेटों की घुलनशीलता CO2 को प्रवाहित करने पर बढ़ जाती है क्योंक कार्बोनेट बाइकार्बोनेट में परिवर्तित हो जाते हैं।

MCO3 + H2O + CO2 → M(HCO3)2 (बाइकार्बोनेट)

कार्बोनेटों का तापीय स्थायित्व BeCO3 से BaCO3 तक बढ़ता है। BeCO3 इतना अधिक अस्थायी होता है कि अग्र अभिक्रिया को न्यूनतम करने हेतु इसे CO2 के वातावरण में रखना पड़ता है।

BeCO3 < MgCO3 < CaCO3 < SrCO3 < BaCO3 (तापीय स्थायित्व)

इसका कारण यह है कि ऑक्साइडों का स्थायित्व जितना अधिक होगा, कार्बोनेटों की ऑक्साइड बनाने की प्रवृत्ति भी उतनी ही अधिक होगी अर्थात् BeO अधिकतम एवं BaO न्यूनतम स्थायो होता है।

(B) सल्फेट (Sulphate) – क्षारीय मृदा धातुओं के सल्फेट श्वेत एवं ठोस होते हैं तथा ताप के प्रति स्थायी होते हैं। यद्यपि उच्च ताप पर ये अपघटित होकर SO2 तथा O2 दे सकते हैं।
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BeSO4 एवं MgSO4 शीघ्रता से जल में विलेय हो जाते हैं। CaSO4 से BaSO4 तक विलेयता कम होती जाती है। Be2+ तथा Mg2+ आयनों की जलयोजन एन्थैल्पी इनकी जालक एन्थैल्पी की तुलना में अधिक होती है। अतः इनके सल्फेट जल में विलेय होते हैं।
BeSO4 > MgO > CaSO4 > SrSO4 > BaSO4
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 17
BeSO4 < MgSO4 < CaSO4 > SrSO4 > BaSO4 (तापीय स्थायित्व )

(C) नाइट्रेट (Nitrate) – इन धातुओं के कार्बोनेटों को तनु नाइट्रिक अम्ल में घोलकर इनके नाइट्रेट प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरणार्थ-

MCO3 + 2HNO3 → M(NO3)2 + H2O + CO2 ↑(M = Be, Mg, Ca, Sr, Ba)

मैग्नीशियम नाइट्रेट जल के छह अणुओं के साथ क्रिस्टलित होता है, जबकि बेरियम नाइट्रेट निर्जल लवण के रूप में क्रिस्टलित होता है। यह फिर बढ़ते आकार के साथ घटती जलयोजन एन्थैल्पी के कारण कम जलयोजित लवण बनाने की प्रवृत्ति को पुन: दर्शाता है। लीथियम नाइट्रेट के समान सभी नाइट्रेट गर्म करने पर अपघटित होकर ऑक्साइड बनाते है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 18
इनकी विलेयता नीचे जाने पर घटती जाती है क्योंकि जालक ऊर्जा बढ़ती है तथा जलयोजन ऊर्जा घटती है।

Be(NO3)2 > Mg(NO3)2 > Ca(NO3)2 >Sr(NO3)2 > Ba(NO3)2 (विलेयता)

Be(NO3)2 < Mg(NO3)2 < Ca(NO3)2 < Sr(NO3)2 < Ba(NO3)2 (तापीय स्थायित्व)

आवर्त सारणी में s-ब्लॉक के तत्वों का द्वितीय समूह क्षारीय मृदा धातुएँ (Alkaline earth metals) कहलाता है क्योंकि इस समूह के सभी तत्वों के ऑक्साइड क्षारीय एवं मृदा की तरह अगलनीय होते हैं एवं ये . सामान्यतः भू-पर्पटी (earth crust) में पाये जाते हैं। क्षारीय मृदा धातुएँ अत्यधिक क्रियाशील होती हैं अतः इस कारण ये स्वतन्त्र अवस्था में नहीं पायी जाती हैं। द्वितीय समूह में कुल छः क्षारीय मृदा धातुएँ होती हैं जो कि इस प्रकार हैं-

  1. बेरीलियम (Be)
  2. मैग्नीशियम (Mg)
  3. कैल्सियम (Ca)
  4. स्ट्रॉन्शियम (Sr)
  5. बेरियम (Ba)
  6. रेडियम (Ra)

इन सभी क्षारीय मृदा धातुओं में भू-पर्पटी में उपस्थिति के आधार पर कैल्सियम व मैग्नीशियम का स्थान क्रमशः पाँचवाँ व छठवाँ है। स्ट्रॉन्शियम एवं बेरियम की उपलब्धता बहुत कम है। बेरीलियम एक दुर्लभ धातु है जबकि रेडियम की मात्रा आग्नेय शैल में केवल 10-10% है।

इलेक्ट्रानिक विन्यास: क्षारीय मृदा धातुओं का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (उत्कृष्ट गैस) ns2 होता है। क्षारीय मृदा धातुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार होता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 19
4Be – 1s2, 2s2
12Mg – 1s2, 2s22p6, 3s2
20Ca – 1s2, 2s22p6, 3s23p6, 4s2
38Sr – 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10, 4s24p6, 5s2
56Ba – 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10, 4s24p6,4d10, 5s25p6, 6s2
88Ra – 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10, 4s24p6,4d10, 5s25p6, 6s26p6, 7s1

(1) परमाण्विक त्रिज्या (Atomic Radius) – क्षारीय मृदा धातुओं की परमाण्विक त्रिज्याएँ समूह में ऊपर से नीचे आने पर बढ़ती हैं क्योंकि कक्षकों की संख्या बढ़ जाती है।
Be < Mg < Ca < Sr Ba Ra (परमाण्विक त्रिज्याएँ)
क्षारीय मृदा धातुओं की त्रिज्याएँ अधिक होती हैं परन्तु ये समान आवर्त में उपस्थित क्षार धातुओं से कम होती हैं। चूँकि इन तत्वों के परमाणुओं में मात्र दो संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा नाभिकीय आकर्षण बल काफी कम होता है अतः क्षारीय मृदा धातुओं का परमाण्विक आकार पर्याप्त रूप से अधिक होता है।

(2) आयनिक त्रिज्या (lonic Radius) – ये सभी तत्व दो इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर द्वि-संयोजी धनायन (M2+ ) बनाते हैं। आयनिक त्रिज्या का मान समूह में नीचे जाने पर बढ़ता जाता है पर आयनिक त्रिज्याएँ परमाण्विक त्रिज्याओं से छोटी होती हैं।
Be2+ < Mg2+ < Ca2+ < Sr2+ < Ba2+

(3) आयनन एन्थैल्पी (lonisation Enthelpy ) – क्षारीय मृदा धातुओं के प्रथम आयनन विभव (I1) क्षार धातुओं से ऊँचे होते हैं क्योंकि क्षारीय मृदा धातुओं के तत्वों का आकार क्षार धातुओं के तत्वों के आकार से छोटा होता है। इनके आयनन विभव के मान वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घटते जाते हैं क्योंकि परमाण्विक आकार बढ़ता जाता है।

M + I.E. (1) → M+(g) + e
M(g) + I.E. (1) → M++(g) + e
Be > Mg > Ca > Sr> Ba (आयनन ऊर्जा )

इन तत्वों के प्रथम द्वितीय व तृतीय आयनन विभवों के मान निम्न

धातु Be Mg Ca Sr Ba
IE (1) (eV) 9.32 7-64 6.11 5.70 5-2
IE (2) (eV) 18.21 15.03 11-87 11-0 10-0
IE (3) (eV) 153-85 80-12 51.21 43-6 35.5

जैसा कि उपरोक्त मानों से स्पष्ट है कि क्षारीय मृदा धातुओं के प्रथम और द्वितीय आयनन विभवों के मानों में अन्तर कम है और उनके द्वि-संयोजक यौगिकों की जालक ऊर्जा एक संयोजक यौगिकों से उच्च है। अतः क्षारीय मृदा धातुएँ M+ प्रकार के धनायनों का निर्माण न करके M2+ प्रकार के धनायन बनाती हैं। क्षारीय मृदा धातुओं के IE 2 व IE 3 का अन्तर बहुत अधिक होने के कारण क्षारीय मृदा धातुएँ M3+ आयन नहीं बनाती हैं।

(4) जलयोजन ऊर्जा (Hydration Energy ) – ऊपर से नीचे आने पर आकार बड़ा होता जाता है। अतः जलयोजन एन्थैल्पी का मान घटता जाता है। क्षारीय मृदा धातुओं की जलयोजन ऊर्जा क्षार धातुओं की तुलना में ज्यादा होती है। इसलिये मृदा धातुओं के यौगिक क्षार धातुओं की तुलना में अधिक जलयोजित होते हैं।
Be2+ > Mg2+ > Ca2+ > Sr2+ > Ba2+ > Ra2+
क्षारीय मृदा धातुओं के गुणों को सारणी 10-2 में प्रदर्शित किया गया है।

क्षारीय मृदा धातुओं के परमाण्विक एवं भौतिक

गुण बेरीलियम Be मैग्नीशियम Mg कैल्सियम Ca स्ट्रॉन्शियम Sr बेरियम Ba रेडियम Ra
परमाणु क्रमांक 4 12 20 38 56 88
परमाणु द्रव्यमान /g mol-1 9.01 24.31 40.08 87.62 137.33 226.03
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He]2s2 [Ne]3s2 [Ar]4s2 [Kr]5s2 [Xe]6s2 [Rn]7s2
आयनन एन्थैल्पी (I) kJ mol-1 899 737 590 549 503 509
आयनन एन्थैल्पी (II) kJ mol-1 1757 1450 1145 1064 965 979
जलयोजन एन्थैपी (kJ mol-1) -2494 -1921 -1577 -1443 -1305
धात्विक त्रिज्या/pm 112 160 197 215 222
आयनी त्रिज्या M2+/pm 31 72 100 118 135 148
गलनांक/K 1560 924 1124 1062 1002 973
क्वथनांक/K 2745 1363 1767 1655 2078 (1973)
घनत्व / g cm-3 1.84 1.74 1.55 2.63 3.59 (5.5)
मानक विभव EΘ/V (M2+/M) -1.97 -2.36 -2.84 -2.89 -2.92 -2.92
स्थलमण्डल में प्राप्ति 2* 2.76** 4.6** 384* 390* 10-6

मृदा धातुओं के भौतिक गुण –

(1) क्षारीय मृदा धातुएँ सामान्यतया चाँदी की भाँति सफेद, चमकदार एवं गरम, परन्तु अन्य धातुओं की तुलना में कठोर होती हैं।

(2) बेरीलियम तथा मैग्नीशियम लगभग धूसर रंग (Greyish) के होते हैं।

(3) क्वथनांक एवं गलनांक (Boiling and Melting Point)- क्षारीय मृदा धातुओं के क्वथनांक एवं गलनांक क्षार धातुओं से अधिक होते हैं क्योंकि इनका आकार छोटा होता है।

(4) घनत्व (Density) – क्षारीय मृदा धातुओं का घनत्व उसी आवर्त मैं उपस्थित क्षार धातुओं से अधिक होता है। घनत्व पहले Be से Ca तक बढ़ता है और बाद में Ca से Ba तक घटता है। घनत्व की यह अनियमित प्रकृति उनकी क्रिस्टलीय संरचना के कारण होती है।

(5) ज्वाला परीक्षण (Flame test) – Be तथा Mg को छोड़कर अन्य सभी तत्व ज्वाला में रंग देते हैं। Be तथा Mg ज्वाला में कोई भी रंग नहीं देते हैं क्योंकि इनकी आयनन ऊर्जा का मान बहुत अधिक होता है। अन्य सभी तत्व निम्न रंग देते हैं-

Ca Sr Ba
ईंट जैसा किरमिजी हरा
लाल लाल

ज्वाला में उच्च ताप पर वाष्प अवस्था में क्षारीय मृदा धातुओं के बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं। ये उत्तेजित इलेक्ट्रॉन जब पुनः अपनी तलस्थ अवस्था में लौटते हैं, तब दृश्य प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं, जिससे ज्वाला रंगीन दिखायी देती है।

(6) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) – समूह दो के तत्व संयोजी कोश में दो इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण +2 ऑक्सीकरण अवस्था को प्रदर्शित करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 20
(7) विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity) – क्षारीय मृदा धातुओं की विद्युत ऋणात्मकताओं के मान कम होते हैं। विद्युत ऋणात्मकता समुह में नीचे जाने पर घटती जाती है।

तत्व Be Mg Ca Sr Ba
विद्युत ऋणात्मकता 1.5 1.2 1.0 1.0 0.9

प्रश्न 3.
क्षार धातुएँ प्रकृति में क्यों नहीं पायी जाती हैं ?
उत्तर:
क्षार धातुएँ कम आयनन एन्थैल्पी तथा प्रबल धन-विद्युती गुण के कारण उच्च क्रियाशील होती हैं। ये प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाई जार्ती तथा सदैव अन्य तत्वों के साथ संयुक्त रहती हैं। इसलिए सामान्यतया क्षार धातुएँ प्रकृति में नहीं पाई जाती हैं।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 4.
Na2O2 में सोडियम की ऑक्सीकरण अवस्था ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना Na2O2 में सोडियम की ऑक्सीकरण अवस्था x है। तब
x – 1
Na2O2
2 x+2(-1) & =0
x =+1
अत: Na2O2 में सोडियम की ऑक्सीकरण अवस्था + 1 है।

प्रश्न 5.
पोटैशियम की तुलना में सोडियम कम अभिक्रियाशील क्यों है ? बताइये ।
उत्तर:
सोडियम कम अभिक्रियाशील होता है क्योंकि इसकी आयनन एन्थैल्पी पोटैशियम की तुलना में कम हैं। तथा पोटैशियम सोडियम की तुलना में अधिक धन-विद्युती तथा प्रबल अपचायक होता है। यह सोडियम की तुलना में जल से अधिक तीव्रता के साथ अभिक्रिया करता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के सन्दर्भ में क्षार धातुओं एवं क्षारीय मृदा धातुओं की तुलना कीजिए-
(क) आयनन एन्थैल्पी,
(ख) ऑक्साइडों की क्षारकता,
(ग) हाइड्रॉक्साइडों की विलेयता।
उत्तर:
(क) आयनन एन्थैल्पी-क्षारीय मृदा धातुओं (वर्ग 2) की आयनन एन्थैल्पी समान आवर्त में उपस्थित क्षार धातुओं (वर्ग 1) की तुलना में अधिक होती है। इसका कारण क्षारीय मृदा धातुओं के परमाणुओं का छोटा आकार तथा अधिक सममिताकार विन्यास है। उदाहरणार्थ-
सोडियम (Na) की प्रथम आयनन एन्थैल्पी = 496 kJ mol-1
मैग्नीशियम (Mg) की प्रथम आयनन एन्थैल्पी = 737 kJ mol-1

(ख) ऑक्साइडों की क्षारकता-क्षार धातुओं के ऑक्साइड समान आवर्त में उपस्थित क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइडों की तुलना में प्रबल क्षारक होते हैं। उदाहरणार्थ- जब Na2O को जल में घोला जाता है, NaOH प्राप्त होता है जो एक प्रबल क्षारक है, जबकि MgO को जल में घोलने पर दुर्बल क्षारक, Mg(OH)2 प्राप्त होता है।

(ग) हाइड्रॉक्साइडों की विलेयता- क्षार धातु हाइड्रॉक्साइड समान आवर्त में उपस्थित क्षारीय मृदा धातु हाइड्रॉक्साइडों की तुलना में जल में अधिक विलेय होते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि क्षारीय मृदा धातुओं के हाइड्रॉक्साइडों की जालक ऊर्जा (Lattice energy) क्षार धातुओं के हाइड्रॉक्साइडों की तुलना में उच्च होती है।

प्रश्न 7.
लीथियम किस प्रकार मैग्नीशियम से रासायनिक गुणों में समानताएँ दर्शाता है ?
उत्तर:
लीथियम एवं मैग्नीशियम के रासायनिक गुणों में समानता के प्रमुख बिन्दु निम्नवत् हैं-
(1) लीथियम एवं मैग्नीशियम जल के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करते हैं। इनके ऑक्साइड एवं हाइड्रॉक्साइड बहुत कम घुलनशील हैं। हाइड्रॉक्साइड गर्म करने पर विघटित हो जाते हैं। दोनों ही नाइट्रोजन से सीधे संयोग करके क्रमश: Li3N एवं Mg3N2 नाइट्राइड बनाते हैं।

(2) Li2O एवं MgO औक्सीजन के आधिक्य से अभिक्रिया करके सुपर ऑक्साइड नहीं बनाते हैं।

(3) लीथियम एवं वैग्नीशियम धातुओं के कार्बोनेट गम करने पर सरलतापूर्वंक बिघटित के का उनके आक्साद्ड एवं CO2 बनाते हैं। दोनों

(4) LiCl एवं MgCl2 एहधन में विलेय हैं।

(5) LiCl एवं MgCl2 दोनों ही प्रस्वेद्य (deliquescent) यौगिक हैं। ये जलीय विलयन से LiCl.2H2O एवं MgCl2.8H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत होते हैं। नोट-अधिक जानकारी के लिए कृपया अनुच्छेद संख्या 10.6 को पृष्ठ संख्या 153 पर देखें।

प्रश्न 8.
क्षार धातुएँ तथा क्षारीय मृदा धातुएँ रासायनिक अपचयन विधि से क्यों नहीं प्राप्त की जा सकती हैं ? समझाइए।
उत्तर:
क्षार धातु तथा क्षारीय मृदा धतु परिवार के सदस्य अत्यन्त प्रबल अपचायक होते हैं। इसलिए इनके ऑक्साइडों को साधारण अपचायकों; जैसे-कार्बन (कोक), जिंक आदि की अभिक्रिया द्वारा अपचयित करना सम्भव नहीं है। इन्हें सामान्यतया इनके लवणों का गलित अवस्था में विद्युत-अपघटन कराने पर पृथक्कृत किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
प्रकाश-विद्युत सेल में लीथियम के स्थान पर पोटैशियम एवं सीजियम क्यों प्रयुक्त किए जाते हैं ?
उत्तर:
लीथियम की आयनन एन्थैल्पी अत्यन्त उच्च होती है। इस कारण प्रकाश के फोटॉन लीथियम धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन निष्कासित नहीं कर पाते हैं। अतः लीथियम धातु को प्रयोग करने पर प्रकाश-विद्युत प्रभाव नहीं देखा जाता है। पोटैशियम तथा सीजियम की आयनन एन्थैल्पी अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए जब निश्चित न्यूनतम आवृत्ति के फोटॉन इन धातुओं की सतह से टकराते हैं तो इन धातुओं की सतह से इलेक्ट्रॉन सरलता से उत्सर्जित हो जाते हैं।

प्रश्न 10.
जब एक क्षार धातु को द्रव अमोनिया में घोला जाता है, तब विलयन विभिन्न रंग प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार के रंग-परिवर्तन का कारण बताइए।
उत्तर:
क्षार धातुएँ द्रव अमोनिया में घुलनशील हैं। अमोनिया में इनके विलयन का रंग गहरा नीला होता है एवं विलयन प्रकृति में विद्युत का सुचालक होता है-

M + (x + y) NH3 → [M(NH3)x]+ + [e(NH3)y]

विलयन का नीला रंग अमोनीकृत इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है, जो दृश्य प्रकाश क्षेत्र की संगत ऊर्जा का अवशोषण करके विलयन को नीला रंग प्रदान करते हैं। अमोनीकृत विलयन अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होता है, जो कुछ समय पड़े रहने पर हाइड्रोजन को मुक्त करता है। फलस्वरूप विलयन में ऐमाइड बनता है।

M+(am) + e + NH3(l) → MNH2(am) + 1/2H2(g)
(यहाँ ‘am’ अमोनीकृत विलयन दर्शाता है।)
सान्द्र विलयन का नीला रंग ब्रॉन्ज में बदल जाता है और विलयन प्रतिचुम्बकीय हो जाता है।

प्रश्न 11.
ज्वाला को बेरिलियम एवं मैग्नीशियम कोई रंग नहीं प्रदान करते हैं, जबकि अन्य क्षारीय मृदा धातुएँ ऐसा करती हैं। क्यों ?
उत्तर:
बेरिलियम एवं मैग्नीशियम के परमाणुओं में इनके छोटे आकार के कारण बाह्यतम कोशों के इलेक्ट्रॉन इतनी प्रबलता से बँधे रहते हैं कि यदाला की ऊर्जा द्वारा इनका उत्तेजित होना कठिन हो जाता है। अतः ज्वाला में इन दोनों धातुओं का अपना कोई अभिलाक्षणिक रंग नहीं होता है। इन दोनों तत्वों के अतिरिक्त क्षारीय मृदा धातु परिवार के अन्य सदस्य, कैल्सियम, स्ट्रॉन्शियम एवं बेरियम ज्वाला को क्रमशः ईंट जैसा लाल (brick red) रंग, किरमिजी लाल (Crimson red) एवं हरा (apple green) रंग प्रदान करते हैं।

ज्वाला में उच्च ताप पर वाष्प-अवस्था में क्षारीय मृदा धातुओं के बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते हैं। ये उत्तेजित इलेक्ट्रॉन जब पुन: अपनी तलस्थ अवस्था में लौटते हैं, तब दृश्य प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है। फलस्वरूप ज्वाला रंगीन दिखाई देने लगती है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 12.
सॉल्वे प्रक्रम में होने वाली विभित्र अभिक्रियाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
साधारणतया सोडियम कार्बोनेट ‘सॉल्वे विधि’ द्वारा बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में लाभ यह है कि सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट जो अमोनियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एवं सोडियम क्लोराइड के संयोग से अवक्षेपित होता है, अल्प विलेय होता है। अमोनियम हाइड्रोजनकार्बोनेट CO2 गैस को सोडियम क्लोराइड के अमोनिया से संतृप्त सान्द्र विलयन में प्रवाहित कर बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में पहले अमोनियम कार्बोनेट और फिर अमोनियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनता है। सम्पूर्ण प्रक्रम की अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

2NH3 + H2O + CO2 → (NH4)2 CO3
(NH4)2 CO3 + H2O + CO2 → 2NH4HCO3 अमोनियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
NH4HCO3 + NaCl → NH4Cl + NaHCO3 सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट

इस प्रकार सोडियम बाइकार्बोनेट के क्रिस्टल पृथक् हो जाते हैं जिन्हें गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है-

2NaHCO3 → Na2CO3 + CO2 ↑ + H2O

इस प्रक्रम में NH4Cl युक्त विलयन की Ca(OH)2 से अभिक्रिया पर NH3 को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। कैल्सियम क्लोराइड सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है-

2NH4Cl + Ca(OH)2 → 2NH3 ↑ + CaCl2 + 2H2O

प्रश्न 13.
पोटैशियम कार्बोनेट सॉल्वे विधि द्वारा नहीं बनाया जा सकता है। क्यों ?
उत्तर:
सॉल्वे विधि का उपयोग पोटैशियम कार्बोनेट के निर्माण में नहीं किया जा सकता है; क्योंकि पोटैशियम हाइड्रोजन कार्बोनेट की अधिक विलेयता के कारण इसे पोटैशियम क्लोराइड के संतृप्त विलयन में अमोनियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के संयोग द्वारा अवक्षेपित करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 14.
LI2CO3 कम ताप पर एवं Na2CO3 उच्च ताप पर क्यों विघटित होता है?
उत्तर:
गर्म करने पर, Li2CO3 विघटित होकर Li2O तथा CO2 बनाता है। Li+ आयन का छोटा आकार Li2O के जालक को Li2CO3 के जालक से अधिक स्थायी बना देता है क्योंकि यहाँ पर Li+ तथा O2- दोनों ही छोटे आकार के होते हैं, परन्तु Na+ आयन का बड़ा आकार Na2O के जालक को Na2CO3 के जालक से कम स्थायी कर देता है क्योंकि Na+ तथा \(\mathrm{CO}_3^{2-}\) दोनों ही बड़े आकार के हैं। फलस्वरूप Na2CO3 उच्च ताप पर भी विघटित नहीं होता है, जबकि Li2CO3 कम ताप पर ही विघटित हो जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 21

प्रश्न 15.
क्षार धातुओं के निम्नलिखित यौगिकों की तुलना क्षारीय मृदा धातुओं के संगत यौगिकों से विलेयता एवं तापीय स्थायित्व के आधार पर कीजिए-(क) नाइट्रेट (ख) कार्बोनेट (ग) सल्फेट।
उत्तर:
विलेयता एवं तापीय स्थायित्व के आधार पर क्षार धातुओं के यौगिकों की तुलना क्षारीय मृदा धातुओं के संगत यौगिकों से अग्रलिखित प्रकार की जा सकती है-

क्षार धातुओं के यौगिक
(क) नाइट्रेट-
(i) विलेयता-आयनिक प्रकृति के कारण ये यौगिक जल में विलेय होते हैं। इनकी विलेयता ग्रुप में नीचे जाने पर बढ़ती जाती है क्योंकि जालक ऊर्जा घटती जाती है तथा जलयोजन ऊर्जा बढ़ती जाती है।

LiNO3 < NaNO3 <KNO3 < RbNO3 < CsNO3 <FrNO3

(ii) तापीय स्थायित्व – गर्म करने पर ये नाइट्रेट में विघटित हो जाते है तथा ऑक्साइड एवं ऑक्सीजन देते हैं।

4LiNO3 → 2Li2O + 4NO2 ↑+ O2
2NaNO3 → 2NaNO2 + O2

(ख) कार्बोनेट-
(i) विलेयता-ये जल में विलेय होते है तथा समूह में नीचे जाने पर विलेयता बढ़ती जाती है।
Li2CO3 < Na2CO3 < K2CO3 <Rb2CO3 < Cs2CO3 < Fr2CO3

(ii) तापीय स्थायित्व-गर्म करने पर कार्बोनेट विघटित नहीं होते हैं। ये ऊष्मा के प्रति उच्च स्थायी होते हैं अर्थात् तापीय रूप से स्थायी होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 22
(M = Na, K, Rb, Cs, Fr)

(ग) सल्फेट-
(i) विलेयता-ये जल में अल्प विलेय होते हैं। सोडियम तथा पोटैशियम के लवण जल में तीव्र विलेय होते हैं।
(ii) तापीय स्थायित्व-लीथियम को छोड़कर क्षार धातुओं के अन्य सभी तत्वों के सल्फेट तापीय रूप से स्थायी होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 23

क्षारीय मृदा धातुओं के यौगिक
(क) नाइट्रेट-
(i) विलेयता-सभी क्षारीय मृदा धातुओं के नाइट्रेट जल में विलेय होते हैं। उनकी विलेयता समूह में नीचे जाने पर कम होती जाती है। क्योंकि जलयोजन ऊर्जा घटती है तथा जालक ऊर्जा बढ़ती है।
Be(NO3)2 < Mg(NO3)2 < Ca(NO3)2 < Sr(NO3)2 < Ba(NO3)2

(ii) तापीय स्थायित्व-गरम करने पर ये विघटित होकर ऑक्साइड देते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 24

(ख) कार्बोनेट-
(i) विलेयता- \(\mathrm{CO}_3^{2-}\) ॠणायन का आकार धनायन की अपेक्षा बहुत बड़ा होता है अत: इसकी जालक ऊर्जा समूह में नीचे जाने पर लगभग समान होती है। जबकि जलयोजन ऊर्जा का मान नीचे जाने पर पर घटता जाता है। अतः इनकी विलेयता नीचे जाने पर घटती जाती है।
BeCO3 > MgCO3 > CaCO3 > SrCO3 > BaCO3

(ii) तापीय स्थायित्व-गर्म करने पर ये विधटित हो जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 25
नीचे जाने पर इनका स्थायित्व बढ़ता जाता है क्योंकि इनका धन विद्युती गुण नीचे जाने पर बढ़ता जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 26

(ग) सल्फेट-
(i) विलेयता-इनकी विलेयता समूह में नीचे जाने पर घटती जाती है। Be तथा Mg के सल्फेट जल में विलेय होते हैं। Ca तथा Sr के सल्फेट जल में अल्प विलेय होते हैं जबकि BaSO4 अविलेय होता है।

BeSO4 > MgSO4 > CaSO4 > SrSO4 > BaSO3(विलेयता)

(ii) तापीय स्थायित्व-नीचे जाने पर इनका तापीय स्थायित्व बढ़ता जाता है क्योंकि इनका घन विद्युती गुण बढता जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 27

प्रश्न 16.
सोडियम क्लोराइड से प्रारम्भ करके निम्नलिखित को आप किस प्रकार बनाएँगे ?
(i) सोडियम धातु (ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड (iii) सोडियम पर्रॉक्साइड (vi) सोडियम कार्बोनेट।
उत्तर:
(i) सोडियम क्लोराइड से सोडियम धातु प्राप्त करना-सोडियम क्लोराइड लवण का गलित अवस्था में विद्युत-अपघटनी अपचयन कराने पर सोडियम धातु प्राप्त होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 28

(ii) सोडियम क्लोराइड से सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त करना-सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का नेलसन सेल अथवा कॉस्टनर-कैलनर सेल में विद्युत-अपघटन करने पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 29

(iii) सोडियम क्लोराइड से सोडियम परॉक्साइड प्राप्त करनापहले सोडियम क्लोराइड के विद्युत-अपघटनी अपचयन द्वारा सोडियम प्राप्त करते हैं, इसके बाद धातु को 573K पर ऑक्सीजन के आधिक्य के साथ नमी तथा CO2 से मुक्त वायुमण्डल में गर्म करने पर सोडियम परॉक्साइड बनता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 30

(iv) सोडियम क्लोराइड से सोडियम कार्बोनेट प्राप्त करना-सोडियम क्लोराइड से सोडियम कार्बोनेट बनाने के लिए सॉल्वे-अमोनिया प्रक्रम का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रम में सोडियम क्लोराइड अथवा ब्राइन के सान्द्र विलयन (लगभग 30%), जिसे अमोनिया द्वारा संतृप्त कर लिया जाता है, में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 31
विलयन में Na+ आयनों की उपस्थिति में सोडियम बाइकार्बोनेट अवक्षेपित जाता है। अवक्षेप को छानकर अलग करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है।
2NaHCO3 → Na2CO3 + CO2 ↑ + H2O

प्रश्न 17.
क्या होता है, जब-

  1. मैग्नीशियम को हवा में जलाया जाता है।
  2. बिना बुझे चूने को सिलिका के साथ गर्म किया जाता है।
  3. क्लोरीन बुझे चूने से अभिक्रिया करती है।
  4. कैल्सियम नाइट्रेट को गर्म किया जाता है।

उत्तर:
(i) मैग्नीशियम ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम नाइट्राइड का मिश्रण बनता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 32

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में प्रत्येक के दो-दो उपयोग लिखिए-

  1. कॉस्टिक सोडा,
  2. सोडियम कार्बोनेट
  3. बिना बुझा चूना।

उत्तर:
1. कॉस्टिक सोडा के उपयोग (Uses of caustic soda)-

  • साबुन, कागज, कृत्रिम रेशम तथा कई अन्य रसायनों के निर्माण में।
  • पेट्रोलियम के परिष्करण में।

2. सोडियम कार्बोनेट के उपयोग (Uses of sodium carbonate) –

  • जल के मृदुकरण, धुलाई एवं निर्मलन में।
  • पेट्रोलियम के परिष्करण में।
  • काँच, साबुन, बोरेक्स एवं कॉस्टिक सोडा के निर्माण में।

3. बिना बुझा चूना के उपयोग (Uses of Quick lime) –

  • सीमेन्ट के निर्माण के लिए प्राथमिक पदार्थ के रूप में तथा क्षारक के सबसे सस्ते रूप में।
  • शर्करा के शुद्धिकरण में रंजकों (dye stuffs) के निर्माण में।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित की संरचना बताइए-

  • BeCl2 (वाष्प),
  • BeCl2 (ठोस) ।

उत्तर:
1. वाष्प अवस्था में (In vapour state) – वाष्प अवस्था में यह यौगिक द्विलक (dimer) के रूप में पाया जाता है। (Be परमाणु sp2- संकरित होता है) जो लगभग 1000K ताप पर अपघटित होकर एक एकलक (monomer) देता है जिसमें Be परमाणु sp-संकरण अवस्था में होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 33

2. ठोस अवस्था में (In solid state)-ठोस अवस्था में बेरिलियम क्लोराइड की शृंखला संरचना (बहुलक) होती है जिसमें समीपवर्ती अणुओं पर उपस्थित क्लोरीन परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन-युग्म इलेक्ट्रॉन न्यून Be परमाणु को दान करके उपसहसंयोजी बन्ध निम्नवत् बनता है-
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 34
उपर्युक्त शृंखला संरचना में Be परमाणु sp3- संकरित होता है, परन्तु Cl-Be-Cl बन्ध कोण सामान्य चतुष्फलकीय बन्ध कोण (109.5°) से अत्यधिक कम (98°) होता है।

प्रश्न 20.
सोडियम एवं पोटैशियम के हाइड्रॉक्साइड एवं कार्बोनेट जल में विलेय हैं, जबकि मैग्नीशियम एवं कैल्सियम के संगत लवण जल में अल्प विलेय हैं, समझाइए।
उत्तर:
दिए गए सभी यौगिक क्रिस्टलीय ठोस हैं तथा इनकी जल में विलेयता जालक एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी दोनों के द्वारा निर्धारित होती है। सोडियम तथा पोटैशियम यौगिकों की स्थिति में जालक एन्थैल्पी का परिमाण जलयोजन एन्थैल्पी की तुलना में अत्यन्त कम होता है। चूँकि धनायनों का आकार बड़ा होता है, इसलिए सोडियम तथा पोटैशियम के यौगिक जल में तुरन्त विलेय हो जाते हैं।

यद्रपि संगत मैग्नीशियम तथा कैल्सियम यौगिकों की स्थिति में धनायनों का आकार कम होता है तथा धनावेश का परिमाण अधिक होता है। इसका अर्थ है कि इनकी जालक ऊर्जा (एन्थैल्पी) सोडियम तथा पोटैशियम के यौगिकों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए इन धातुओं के हाइड्रॉक्साइड तथा कार्बोनेट जल में अल्प विलेय होते हैं।

सोडियम तथा पोटेशियम के हाइड्रॉक्साइड एवं कार्बोनेट जल में विलेय हैं क्योंकि,
जलयोजन ऊर्जा > जालक ऊर्जा

मैग्नीशियम तथा कैल्शियम के हाइड्रॉक्साइड एवं कार्बोनेट जल में अल्पविलेय हैं क्योंकि,
जलयोजन ऊर्जा ≤ जालक ऊर्जा

प्रश्न 21.
निम्नलिखित की महत्ता बताइए-

  1. चूना पत्थर,
  2. सीमेन्ट,
  3. प्लास्टर ऑफ पेरिस

उत्तर:
1. चूना पत्थर की महत्ता (Importance of Limestone)

  • संगमरमर के रूप में भवन-निर्माण में।
  • बुझे हुए चूने के निर्माण में।
  • कैल्सियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट के साथ लोहे जैसी धातुओं के निष्कर्षण में फ्लक्स (flux) के रूप में।
  • विशेष रूप से अवक्षेपित CaCO3 के प्रयोग से वृहद् रूप में उच्च गुणवत्ता वाले कागज के निर्माण में।
  • एन्टासिड, टूथपेस्ट में अपघर्षक के रूप में, चूइंगम के संघटक एवं सौन्दर्य प्रसाधनों में पूरक के रूप में।

2. सीमेन्ट की महत्ता: लोहा तथा स्टील के अतिरिक्त सीमेन्ट भी एक ऐसा ही पदार्थ है जो किसी राष्ट्र की उपयोगी वस्तुओं की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसका उपयोग कंक्रीट, प्रबलित कंक्रीट, प्लास्टरिंग, पुल-निर्माण आदि में किया जाता है।

3. प्लास्टर ऑफ पेरिस की महत्ता: ग्लास्टर ऑफ पेरिस का वृहत्तर उपयोग भवन-निर्माण उद्योग के साथ-साथ टूटी हुई हड्डियों के प्लास्टर में भी होता है। इसका उपयोग दन्त-चिकित्सा, अलंकरण-कार्य एवं मूर्तियों तथा मूर्तियों के साँचे बनाने में भी होता है।

प्रश्न 22.
लीथियम के लवण साधारणतया जलयोजित होते हैं, जबकि अन्य क्षार धातुओं के लवण साधारणतया निर्जलीय होते हैं। क्यों?
उत्तर:
लीथियम लवणों में लीथियम आयन (Li+) अपने छोटे आकार के कारण नमी अथवा जल के सम्पर्क में आने पर तुरन्त जलयोजित हो जाता है। इसलिए लीथियम के लवण साधारणतया जलयोजित होते हैं, जबकि अन्य क्षार धातु आयन अपेक्षाकृत बड़े आकार के होने के कारण जलयोजित नहीं होते। अतः ये निर्जलीय होते हैं।

प्रश्न 23.
LiF जल में लगभग अविलेय होता है, जबकि LiCl न सिर्फ जल में, बल्कि ऐसीटोन में भी विलेय होता है। कारण बताइए।
उत्तर:
LiF की जल में अल्प विलेयता इसकी उच्च जालक एन्थैल्पी के कारण होती है (F आकार में अत्यन्त छोटा होता है )। दूसरी ओर लीथियम क्लोराइड (LiCl) में जालक एन्थैल्पी अपेक्षाकृत कम होती है। इसका अर्थ है कि जलयोजन ऊर्जा का परिमाण अधिक है। इसलिए लीथियम क्लोराइड द्विध्रुवी आकर्षण के कारण न केवल जल में, अपितु ऐसीटोन में भी विलेय होता है (ऐसीटोन प्रवृत्ति में ध्रुवीय होता है)।

प्रश्न 24.
जैव द्रवों में सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम एवं कैल्सियम की सार्थकता बताइए।
उत्तर:
सोडियम एवं पोटैशियम की जैव उपयोगिता : सोडियम आयन मुख्यतः अंतराकाशीय द्रव में उपस्थित रक्त प्लाज्मा, जो कोशिकाओं को घेरे रहता है, में पाया जाता है। यह आयन शिरा संकेतों के संचरण में भाग लेते है, जो कोशिका झिल्ली में जल प्रवाह को नियमित करते हैं तथा कोशिकाओं में शर्करा और एमीनो अम्लों के प्रवाह को भी नियन्त्रित करते हैं। Na और K रासायनिक रूप से समान होते हुए भी कोशिका झिल्ली को पार करने की क्षमता एवं एन्जाइम को सक्रिय करने में मात्रात्मक रूप से भिन्न हैं।

इसलिये कोशिका द्रव में पोटैशियम धनायन बहुतायत में होते हैं, जहाँ ये एन्जाइम को सक्रिय करते हैं एवं ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से ATP बनने में भाग लेते है। सोडियम आयन शिरा-संकेतों के संचरण के लिये उत्तरदायी हैं । कोशिका झिल्ली के अन्य हिस्सों में पाये जाने वाले Na एवं K आयनों की सांद्रता में उल्लेखनीय भिन्नता पाई जाती है।

उदाहरण – रक्त प्लाज्मा में लाल रक्त कोशिकाओं में Na की मात्रा 143 m mol L-1 जबकि K का स्तर केवल 5 m mol L-1 है। यह सान्द्रता 10 m mol L-1(Na+) एवं 105 mmolL-1(K+) तक परिवर्तित होती है। इसी असाधारण उतार चढ़ाव को सोडियम पोटैशियम पम्प कहते हैं । सेल झिल्ली पर कार्य करता है, जो मनुष्य की विश्रामावस्था के कुल उपभोगिता की एक-तिहाई के ज्यादा का उपयोग कर लेता है, जो मात्रा लगभग 15 किलो प्रति 24 घंटे तक हो सकती है।

मैग्नीशियम और कैल्सियम का जैविक महत्व: एक वयस्क व्यक्ति में लगभग 25 ग्राम मैग्नीशियम एवं 1200 ग्राम कैल्सियम होता है, जबकि लोहा मात्र 5 ग्राम एवं ताँबा 0.06 ग्राम होता है। मानव-शरीर में इनकी दैनिक आवश्यकता 200-300 मिलीग्राम अनुमानित की गई हैं। समस्त एन्जाइम, जो फॉस्फेट के संचरण में ATP का उपयोग करते हैं, मैग्नीशियम का उपयोग सह-घटक के रूप में करते हैं। पौधों में प्रकाश-संश्लेषण के लिए मुख्य रंजक (pigment) क्लोरोफिल में भी मैग्नीशियम होता है। शरीर में कैल्सियम का 99% दाँतों तथा हड्डियों में होता है।

यह अन्तरतांत्रिकीय पेशीय कार्यप्रणाली, अन्तरतांत्रिकीय प्रेषण कोशिका झिल्ली अखण्डता (cell membrane integrity) तथा रक्त-स्कन्दन (blood-coagulation)में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लाज्मा में कैल्सियम की सान्द्रता लगभग 100 mg L-1 होती है। दो हॉमाकैल्सिटोनिन एवं पैराथायरॉइड इसे बनाए रखते हैं। चूँकि हड्डु अक्रिय तथा अपरिवर्तनशील पदार्थ नहीं है, यह किसी मनुष्य में लगभग 400 मिग्रा प्रतिदिन के अनुसार विलेयित और निक्षेपित होती है। इसका सारा कैल्सियम रक्त प्लाज्मा में ही गुजरता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 s-ब्लॉक तत्त्व

प्रश्न 25.
क्या होता है जब-

  1. सोडियम धातु को जल में डाला जाता है।
  2. सोडियम धातु को हवा की अधिकता में गर्म किया जाता है।
  3. सोडियम परॉक्साइड को जल में घोला जाता है।

उत्तर:
1. सोडियम धातु को जल में डालने पर उच्च ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है तथा हाइड्रोजन मुक्त होती है जो आग पकड़ लेती है।
2 Na + 2H2O → 2NaOH + H2

2. सोडियम धातु को वायु की अधिकता में गर्म करने पर सोडियम परॉक्साइड बनता है।
2Na + O2 → Na2O2

3. सोडियम परॉक्साइड को जल में घोलने पर ऑक्सीजन मुक्त होता है।
2Na2O2 + 2H2O → 4NaOH + O2

प्रश्न 26.
निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रेक्षण पर टिप्पणी लिखिए-
(क) जलीय विलयनों में क्षार धातु आयनों की गतिशीलता Li+ <Na+ <K+ <Rb+ <Cs+ क्रम में होती है।
(ख) लीथियम ऐसी एकमात्र क्षार धातु है, जो नाइट्राइड बनाती है।
(ग) M2+(aq) + 2e → M(s) हेतु EΘ (जहाँ M = Ca, Sr या Ba) लगभग स्थिरांक है।
उत्तर:
(क) जलीय विलयनों में क्षार धातु आयनों की गतिशीलता निम्नलिखित क्रम में होती हैं-
Li+ < Na+ < K+ < Rb+ < Cs+
इसे धनायनों के जल में जलयोजित होने के आधार पर समझाया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप धनायन का आकार बढ़ने पर इसकी गतिशीलता घटती है। Li+ आयन छोटे आकर के कारण अधिकतम जलयोजित होता है तथा न्यूनतम गतिशीलता रखता है, जबकि Cs+ न्यूनतम जलयोजन के कारण अधिकतम गतिशीलता रखता है।

(ख) लीथियम एक प्रबल अपचायक है; अतः यह नाइट्रोजन से सीधे संयोग करके नाइट्राइड (Li3N) बनाता है।
6Li + N2 → 2Li3N लीथियम नाइटाइड

(ग) क्षार धातुओं के इलेक्ट्रोड विभव (EΘ), जो M(s) से M+(aq) तक सभी परिवर्तनों में अन्य धातुओं द्वारा प्रदर्शित अपचायक क्षमता को मापते हैं, तीन कारकों पर निर्भर करते हैं-(a) ऊर्ध्वपातन, (b) आयनन एन्थैल्पी तथा (c) जलयोजन एन्थैल्पी। क्योंकि Ca, Sr तथा Ba के लिये इन तीनों कारकों का सामूहिक प्रभाव लगभग समान होता है अतः इनका इलेक्ट्रोड विभव भी लगभग स्थिरांक होता है।

प्रश्न 27.
समझाइए कि क्यों-
(क) Na2CO3 का विलयन क्षारीय होता है।
(ख) क्षार धातुएँ उनके संगलित क्लोराइडों के विद्युत-अपघटन से प्राप्त की जाती हैं।
(ग) पोटैशियम की तुलना में सोडियम अधिक उपयोगी है।
उत्तर:
(क) सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3), जो प्रबल क्षार (NaOH) तथा दुर्बल अम्ल (H2CO3) का एक लवण है जल-अपघटन करने पर पर क्षारीय विलयन बनाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 10 Img 35
(ख) क्षार धातुएँ उच्च अभिक्रियाशील तथा प्रबल अपचायक होती हैं; अतः इन्हें साधारण विधियों द्वारा निष्कर्षित नहीं किया जा सकता है। इन्हें जलीय विलयनों के विद्युत-अपघटन द्वारा निष्कर्षित नहीं किया जा सकता है; क्योंकि तब बनने वाली धातुएँ जल से अभिक्रिया करके हाइड्रॉक्साइड बना लेंगी। इसलिए इन धातुओं को सामान्यता इनके संगलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन द्वारा प्राप्त किया जाता है।

(ग) पोटैशियम की तुलना में सोडियम अधिक उपयोगी है। इसे निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. सोडियम का उपयोग Na/Pb मिश्रधातुओं में होता है जो PbEt4 तथा PbMe4 के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। इन कार्बलेड यौगिकों का उपयोग पेट्रोल में अपस्फोटरोधी के रूप में होता है।
  2. यह प्रबल अपचायक सोडियम अमलगम के रूप में प्रयुक्त होता है।
  3. सोडियम धातु का उपयोग सोडियम यौगिकों; जैसे-परॉक्साइड, ऐमाइड तथा सोडियम सायनाइड बनाने में किया जाता है।
  4. यह रंजक उद्योग में प्रयोग किया जाता है।
  5. द्रव सोडियम धातु का उपयोग नाभिकीय रिऐक्टर में शीतलक (coolant) के रूप में होता है।
  6. इसका उपयोग कार्बनिक यौगिकों में नाइट्रोजन, सल्फर तथा हैलोजेनों की उपस्थिति निर्धारित करने में किया जाता है।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित के मध्य क्रियाओं के सन्तुलित समीकरण लिखिए-
(क) Na2CO3 एवं जल
(ख) KO2 एवं जल
(ग) Na2O एवं CO2.
उत्तर –
(ख) 2KO2 + 2H2O → 2KOH + H2O2 + O2
(ग) Na2O + CO2 → Na2CO3

प्रश्न 29.
आप निम्नलिखित तथ्यों को कैसे समझाएँगे-
(क) BeO जल में अविलेय है, जबकि BeSO4 विलेय है।
(ख) BaO जल में विलेय है, जबकि BaSO4 अविलेय है।
(ग) एथेनॉल में LiI, KI की तुलना में अधिक विलेय है।
उत्तर:
(क) छोटे आकार, उच्च आयनन विभव तथा उच्च इलैक्ट्रॉन ऋणात्मकता के कारण BeO अत्यधिक संहसयोजक गुण रखता है इसी कारण यह जल में अविलेय होता है जबकि BeSO4 आयनिक होता है एवं Be2+ आयन अत्यधिक छोटे आकार का होता है जिसके कारण इसकी जलयोजन ऊर्जा का मान अधिक होता है तथा जालक ऊर्जा का मान काफी कम। यही कारण है कि BeSO4 जल में विलेय होता है।

(ख) BaO तथा BaSO4 दोनों ही आयनिक यौगिक होते हैं। बेरियम ऑक्साइड (BaO) जल में विलेय होता है; क्योंकि इसकी जलयोजन ऊर्जा इसकी जालक ऊर्जा से अधिक होती है। दूसरी ओर BaSO4 की जालक ऊर्जा इसके द्विसंयोजी आवेशों के कारण उच्च होती है; इसलिए मुक्त होने वाली जलयोजन ऊर्जा जालक ऊर्जा से अधिक नहीं हो पाती तथा बन्ध टूट नहीं पाते हैं। इस कारण BaSO4 अविलेय होता है।

(ग) लीथियम आयोडाइड प्रवृत्ति में थोड़ा सहसंयोजी होता है। इसका कारण इसकी ध्रुवणता है (Li+ छोटे आकार के कारण सर्वाधिक ध्रुवण-क्षमता रखता है तथा आयोडाइड आयन बड़े आकार के कारण अधिकतम ध्रुवित किया जा सकता है) Li+ आयन की जलयोजन ऊर्जा K+ आयन से अधिक होती है; अत: Li+ आयन K+ आयन से बहुत अधिक जलयोजित हो जाते हैं। इसलिए Lil, KI की तुलना में अधिक विलेय है।

प्रश्न 30.
इनमें से किस क्षार धातु का गलनांक न्यूनतम है?
(क) Na
(ख) K
(ग) Rb
(घ) Cs.
उत्तर:
(घ) Cs.

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में से कौन-सी क्षार धातु जलयोजित लवण देती है?
(क) Li
(ख) Na
(ग) K
(घ) Cs.
उत्तर:
(क) Li

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से कौन-सी क्षारीय मृदा धातु कार्बोनेट ताप के प्रति सबसे अधिक स्थायी है ?
(क) MgCO3
(ख) CaCO3
(ग) SrCO3
(घ) BaCO3
उत्तर:
(घ) BaCO3

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 1.
30°C तथा 1 bar दाब पर वायु के 500dm आयतन 200 dm³ तक संपीडित करने के लिये कितने न्यूनतम दाब की आवश्यकता होगी ?
हल:
P1 = 1 bar, P2 =?
V1 = 500 dm³
V2 = 200 dm³
स्थिर ताप 30°C है अतः
P1V1 = P2V2 (बॉयल का नियम)
1 × 500 = P2 × 200
P2 = \(\frac{1 \times 500}{200}\) = 2.5 bar

प्रश्न 2.
35°C ताप तथा 1.2 bar दाब पर 120 ml धारिता वाले पात्र में गैस की निश्चित मात्रा भरी है। यदि 35°C पर गैस को 180 ml धारिता वाले फ्लास्क में स्थानान्तरित किया जाता है तो गैस का दाब क्या होगा?
हल:
P1 = 1.2 bar, P2 = ?
V1 = 120 ml, V2 = 180ml
चूँकि ताप स्थिर है अतः
P1 V1 = P2 V2 (बॉयल का नियम)
P2 = \(\frac{1.2 \mathrm{bar} \times 120 \mathrm{ml}}{180 \mathrm{ml}}\)
= 0.8 bar

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 3.
आदर्श गैस समीकरण PV = nR T का उपयोग करते हुए स्पष्ट कीजिए कि दिये गये ताप पर गैस का घनत्व गैस के दाब के समानुपाती होता है?
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 1

प्रश्न 4.
0°C पर तथा 2 bar दाब पर किसी गैस के ऑक्साइड का घनत्व 5 bar दाब पर डाई नाइट्रोजन के घनत्व के समान है तो ऑक्साइड का अणुभार क्या है?
हल:
गैस का घनत्व (घ) = \(\frac { PM }{ RT }\) (R तथा T स्थिरांक हैं)
नाइट्रोजन के लिए P = 5 bar M = 28g mol-1
dN2 = \(\frac { PM }{ RT }\) = \(\frac { 5×28 }{ RT }\)
गैसीय ऑक्साइड के लिए P = 2 bar, M = ?
\(\frac { PM }{ RT }\) = \(\frac { 2×M }{ RT }\)
प्रश्न के अनुसार dN2 = d ऑक्साइड
\(\frac { 5×28 }{ RT }\) = \(\frac { 2×M }{ RT }\)
5 × 28 = \(\frac { 2 × M × R × T }{ RT }\)
5 x 28 = 2 × M
M = \(\frac { 5×28 }{ 2 }\)
= 70g mol-1

प्रश्न 5.
27°C पर 1g आदर्श गैस का दाब 2 bar है। जब समान ताप एवं दाब पर उसमें 2g आदर्श गैस मिलायी जाती है तो दाब 3 bar हो जाता है। इन गैसों के अणुभार में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
हल:
माना दोनों गैसों A तथा B के मोलर द्रव्यमान क्रमश: MA तथा MB हैं।
गैस A के मोलों की संख्या (nA)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 2
गैस A का दाब (PA = 2 bar)
गैस A तथा B का दाब (PA + PB) = 3 bar
PB = (3 – 2) = 1 bar
PAV = nA RT (आदर्श गैस समीकरण)
PBV = nB RT (आदर्श गैस समीकरण)
\(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{B}}}=\frac{n_{\mathrm{A}}}{n_{\mathrm{B}}}=\frac{(2 \mathrm{bar})}{(1 \mathrm{bar})}=\frac{2}{1}\) … (2)
समीकरण (1) तथा (2) से,
\(\frac{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}}{2 \mathrm{M}_{\mathrm{A}}}=\frac{n_{\mathrm{A}}}{n_{\mathrm{B}}}=\frac{2}{1}\)
या \(\frac{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}}{2 \mathrm{M}_{\mathrm{A}}}=\frac{2}{1}\)
MB = 4MA

प्रश्न 6.
नाली साफ करने वाले ड्रेनेक्स में सूक्ष्म मात्रा में एलुमिनियम होता है। यह कास्टिक सोडा से क्रिया कर डाई हाइड्रोजन गैस देता है। यदि 1 bar तथा 20°C ताप पर 0.15 g एलुमिनियम अभिक्रिया करेगा तो निर्गमित डाइ हाइड्रोजन का आयतन क्या होगा?
हल:
2 Al + 2 NaOH + 2H2O → 2Na AlO2 + 3H2
2 × 27 = 54g
NTP पर 54 g Al द्वारा प्राप्त हाइड्रोजन = 3 x 22400 ml
NTP पर 0.15 g Al द्वारा प्राप्त हाइड्रोजन
= \(\frac{(3 \times 22400) \times(0.15 \mathrm{~g})}{(54 \mathrm{~g})}\) = 186.67 ml
V1 = 186.67 ml, V2 = ?
P1 = 1.013 bar, P2 = 1 bar
T1 = 0 + 273 = 273 K, T2 = 20 + 273 = 293 K
\(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{~T}_2}\)
V2 = \(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1 \mathrm{~T}_2}{\mathrm{P}_2 \mathrm{~T}_1}=\frac{1.013 \times 186.67 \times 293}{273}\)
= 203 ml
निर्गमित डाईहाइड्रोजन का आयतन 200.35ml होगा।

प्रश्न 7.
यदि 27°C पर 9dm धारिता वाले फ्लास्क में 3.21 मेथेन तथा 4.4g कार्बन डाइ ऑक्साइड का मिश्रण हो तो इसका दाव क्या होगा?
हल:
मेथेन के मोलों की संख्या (n1)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 3
गैसीय मिश्रण का कुल दाब P = PCH4 + PCO2
= 5.543 × 104 Pa + 2.771 × 104 Pa
= 8.314 × 104 Pa

प्रश्न 8.
27°C ताप पर जब 1L के फ्लास्क में 0.7bar पर 2.0 L ऑक्सीजन तथा 0.8 bar पर 0.5 L डाइ हाइड्रोजन को भरा जाता है तो गैसीय मिश्रण का दाब क्या होगा?
हल:
डाइऑक्सीजन के मोलों की संख्या
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 4

प्रश्न 9.
यदि 27°C ताप तथा 2 bar दाब पर एक गैस का घनत्व 5.46 g/dm³ है तो STP पर इसका घनत्व क्या होगा?
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 5
प्रश्नानुसार
d1 = 5.46g/dm³ d2 = ?
T1 = 27 + 273 = 300K, T2 = 0 + 273 = 273 K
P1 = 2 bar P2 = 1.01325 bar
d2 = \(\frac{5.46 \times 1.01325 \times 300}{2 \times 273}\)
= 3.04 g/dm³

प्रश्न 10.
यदि 546°C तथा 0.1 bar दाब पर 34.05 ml फॉस्फोरस वाष्प का भार 0.0625 g है तो फॉस्फोरस का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
हल:
PV = nRT (आदर्श गैस समीकरण)
PV = \(\frac { w }{ M }\)RT
M = \(\frac { wRT }{ PV }\)
फॉस्फोरस वाष्पों का द्रव्यमान (w) = 0.0625g
वाष्पों का आयतन (V) = 34.05 × 10-3 L
वाष्पों का दाब (P) = 0.1 bar
ताप (T) = 819 K
मान रखने पर
M = \(\frac { wRT }{ PV }\)
= \(\frac{(0.0625 \mathrm{~g})\left(0.083 \mathrm{bar} \mathrm{L} K^{-1} \mathrm{~mol}^{-1}\right) \times(819 K)}{(0.1 \text { bar }) \times\left(34.05 \times 10^{-3} \mathrm{~L}\right)}\)
= 1.248 × 103 g mol-1

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 11.
एक विद्यार्थी 27°C पर गोल पेंदे के फ्लास्क में अभिक्रिया मिश्रण डालना भूल गया तथा उस फ्लास्क को ज्वाला पर रख दिया। कुछ समय पश्चात् उसे अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने उत्तापमापी की सहायता से फ्लास्क का ताप 477°C पाया। आप बताइये कि वायु का कितना भाग फ्लास्क से बाहर निकला।
हल:
प्रयोगशाला में कार्य करते समय दाब में कोई परिवर्तन नहीं हुआ अत: चार्ल्स के नियमानुसार
\(\frac{\mathrm{V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{V}_2}{\mathrm{~T}_2}\)
V2 = \(\frac{\mathrm{V}_1 \times \mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}\)
V1 = VL (माना) V2 = ?
T1 = 27 + 273 = 300K
T2 = 477 + 273 = 750K
V2 = \(\frac{\mathrm{VL} \times(750 \mathrm{~K})}{(300 \mathrm{~K})}\) = 2.5 V
बाहर निकलने वाली वायु का आयतन = 2.5 V – V
= 1.5 V
बाहर निकलने वाली वायु का भाग = \(\frac { 1.5V }{ 2.5V }\) = \(\frac { 3 }{ 5 }\)

प्रश्न 12.
3.32 bar पर 5dm³ का आयतन घेरने वाली 4.0 mol गैस के ताप की गणना कीजिए। (R = 0.083 bar dm 3 K-1 mol-1 )
हल:
गैस के मोलों की संख्या (n) = 4.0
मोल गैस का आयतन (V) = 5 dm³
गैस का दाब (P) = 3.32 bar
गैस स्थिरांक (R) = 0.083 bar dm³ K-1 mol-1
PV = nRT
T = \(\frac { PV }{ nR }\)
T = \(\frac{3.32 \times 5}{4.0 \times 0.083}\)
= 50K

प्रश्न 13.
1.4 ग्राम डाई नाइट्रोजन गैस में उपस्थित कुल इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए।
हल:
N2 का आण्विक द्रव्यमान = 28g
∵ 28g N2 में अणुओं की संख्या = 6.022 × 1023
∴ 1.4g N2 में अणुओं की संख्या
= \(\frac{6.022 \times 10^{23} \times 1.4 g}{28 g}\)
= 3.011 × 1022
नाइट्रोजन का परमाणुक्रमांक = 7
डाई नाइट्रोजन के एक अणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2 × 7 = 14
N2 के 3.011 × 1022 अणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= 14 × 3.011 × 1022
= 4.215 x 1023 इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 14.
यदि एक सेकेण्ड में 1010 गेहूँ के दाने वितरित किये जायें तो आवोगाद्रो की संख्या के बराबर दाने वितरित करने में कितना समय लगेगा।
हल:
1010 दानों को वितरित करने में लगने वाला समय = 1s
6.022 x 1023 दानों को वितरित करने में लगने वाला समय
= \(\frac{(1 s) \times 6.022 \times 10^{23}}{10^{10}}\)
= \(\frac{6.022 \times 10^{13}}{60 \times 60 \times 24 \times 365}\)
= 1.91 x 106 वर्ष

प्रश्न 15.
27°C ताप पर 1dm³ आयतन वाले फ्लास्क में 8g डाइ ऑक्सीजन तथा 4g डाइ हाइड्रोजन के मिश्रण का कुल दाब कितना होगा?
हल:
ऑक्सीजन के मोलों की सख्या (n1)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 6
गैसीय मिश्रण का कुल दाब P = PO2 + PH2
= 6.225 + 49.8 = 56.025 bar

प्रश्न 16.
गुब्बारे के भार तथा विस्थापित वायु के भार के अन्तर को पेलोड कहते हैं। यदि 27°C पर 10m त्रिज्या वाले गुब्बारे में 1.66 bar पर 100 kg हीलियम भरी जाये तो पेलोड की गणना कीजिए। (वायु का घनत्व d = 1.2 kgm-3 तथा R = 0.08bar dm³ K-1 mol-1)।
हल:
विस्थापित वायु के द्रव्यमान की गणना-
गुब्बारे की त्रिज्या = 10m
गुब्बारे का आयतन V = \(\frac { 4 }{ 3 }\)πr³
= \(\frac{4}{3} \times \frac{22}{7}\) x (10)³
= 4190.5 m³
विस्थापित वायु का द्रव्यमान-
= गुब्बारे का आयतन वायु का घनत्व
= 4190.5 × 12
= 5028.6 kg
गुब्बारे का द्रव्यमान ज्ञात करना-
= \(\frac{1.66 \times 4190.5 \times 10^3}{0.083 \times 300}\)
= 279.37 x 10³ मोल
He का द्रव्यमान = He के मोल He का द्रव्यमान
= 279.37 × 10³ × 4
= 1117.48 × 10³ = 1117.48 kg
भरे हुए गुब्बारे का द्रव्यमान = 100 + 1117.48
= 1217.48 kg
पेलोड की गणना –
पेलोड = विस्थापित वायु का द्रव्यमान – भरे हुए गुब्बारे का द्रव्यमान
= 5028.6 – 1217.48
= 3811.12 kg

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प्रश्न 17.
31.1°C तथा 1 bar दाब पर 8.8g CO2 द्वारा घेरे गये आयतन की गणना कीजिए। (R= 0.083 bar L mol-1)।
हल:
CO2 के मोलों की संख्या (n)
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 7
= \(\frac { 8.8 }{ 44 }\)
= 0.2 mol
CO2 का दाब P = 1 bar
गैस स्थिरांक R = 0.083 bar LK-1 mol-1
ताप T = 31.1 + 273 = 304.1 K
PV = nRT
V = \(\frac{n \mathrm{RT}}{\mathrm{P}}=\frac{0.2 \times 0.083 \times 304.1}{1}\)
= 5.048 L

प्रश्न 18.
समान दाब पर किसी गैस के 2.9 g द्रव्यमान का 95°C तथा 0.184 g हाइड्रोजन का 17°C पर आयतन समान है। बताइये गैस का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
हल:
गैस के मोलों की संख्या
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 8
गैस का ताप T1 = 95 + 273 = 368 K
हाइड्रोजन का ताप T2 = 17 + 273 = 290K
PV = n RT
दोनों गैसों के लिए PV तथा R स्थिरांक हैं।
n(g) × T1 = n(H2) × T2
n(g) = \(\frac{n_{\left(\mathrm{H}_2\right)} \times \mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}\)
\(\frac{2.9 g}{M}=\frac{(0.092 \mathrm{~mol})(290 \mathrm{~K})}{(368 \mathrm{~K})}\)
M = \(\frac{(2.9 \mathrm{~g})(368 \mathrm{~K})}{(0.092 \mathrm{~mol})(290 \mathrm{~K})}\)
= 40 g mol-1

प्रश्न 19.
1 bar दाब पर डाइ हाइड्रोजन तथा डाइ ऑक्सीजन को मिश्रण में 20% डाइ हाइड्रोजन (भार से) रखा जाता है तो डाइ हाइड्रोजन का आंशिक दाब क्या होगा?
हल:
माना कि मिश्रण में हाइड्रोजन का द्रव्यमान = 20 g मिश्रण में ऑक्सीजन का द्रव्यमान = 80 g
H2 के मोलों की संख्या (NH2) = \(\frac{20 \mathrm{~g}}{2 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}\)
= 10 mol
O2 के मोलों की संख्या (nO2) = \(\frac{80 \mathrm{~g}}{32 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}\) = 2.5 mol
गैसीय मिश्रण का कुल दाब = 1 bar
समान परिस्थितियों में गैसों के आंशिक दाबों का अनुपात इनके मोलों की संख्या के अनुपात के बराबर होगा।
अत : H2 का आंशिक दाब (PH2)
= \(\frac{10 \mathrm{~mol}}{12.5 \mathrm{~mol}}\) x (1 bar)
= 0.8 bar

प्रश्न 20.
\(\frac{\mathbf{P V}^2 \mathbf{T}^2}{n}\) राशि की SI इकाई क्या होगी?
हल:
\(\frac{\mathrm{PV}^2 \mathrm{~T}^2}{n}=\frac{\left(\mathrm{Nm}^{-2}\right)\left(\mathrm{m}^3\right)^2(\mathrm{~K})^2}{\mathrm{~mol}}\)
= Nm4K² mol-1

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प्रश्न 21.
चार्ल्स के नियम के आधार पर समझाइये कि न्यूनतम सम्भव ताप – 273°C होता है।
हल:
चार्ल्स के नियमानुसार
Vt = V0[1 + \(\frac { t }{ 273 }\)]
यदि t = 273°C हो तो
Vt = V0[1 + \(\frac { 1 }{ 273 }\) x – 273]
= V0(1 – 1)
Vt = 0
अतः – 273°C पर किसी गैस का आयतन शून्य हो जाता है। इस ताप को परम शून्य ताप कहते हैं परन्तु वास्तव में यह सम्भव नहीं है, क्योंकि सभी गैसें – 273°C ताप पर पहुँचने से पहले ही द्रव में परिवर्तित हो जाती हैं।

प्रश्न 22.
कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथेन का क्रान्तिक ताप क्रमशः 31.1.C एवं – 81.9 °C है। इनमें से किसमें प्रबल अन्तराआण्विक बल है, तथा क्यों ?
उत्तर:
क्रान्तिक तापों के मान से ज्ञात होता है कि CO2 के अणुओं में आकर्षण बल अधिक है दोनों ही गैसें अध्रुवीय हैं, परन्तु CO2 के अणुओं में वान्डर वाल बल अधिक होते हैं क्योंकि इसका आण्विक आकार बड़ा है।

प्रश्न 23.
वान्डर वाल प्राचल की भौतिक सार्थकता को समझाइये।
उत्तर:
(i) वान्डर वाल प्राचल (a) – इसका मान गैसों के अणुओं में उपस्थित आकर्षण बलों के परिमाण की माप होती है। अतः a का मान अधिक होने पर अन्तराआण्विक आकर्षण बलों का मान भी बढ़ जाता है।

(ii) वान्डर वाल प्रचल (b) – इसका मान गैस अणुओं के प्रभावी आकार की माप है। इसका मान गैस अणुओं के वास्तविक आयतन का चार गुना होता है। यह अपवर्जित आयतन कहलाता है।

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 1.
रासायनिक आबन्ध के बनने की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परमाणुओं के संयोग से अणु का बनना उनके बाहरी कक्ष में स्थित इलेक्ट्रॉनों पर निर्भर करता है। जब परमाणु आपस में संयोग करते हैं तो वे पास-पास आते हैं। संयोग करने के बाद उनकी निकाय की ऊर्जा धारिता सबसे कम हो जाती है और निकाय का स्थायित्व बढ़ जाता है।

अतः एक अणु के दो परमाणुओं को एक साथ बाँधे रह सकने की आकर्षण बल क्षमता को रासायनिक आबन्धन कहते हैं।
कॉसेल-लुइस के अनुसार एक परमाणु के बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन दूसरे परमाणु के बाह्य कोश में स्थानान्तरित होकर अपना अष्टक पूरा करते हैं। जिससे वैद्युत संयोजक बंध बन जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्वों के परमाणुओं के लूइस बिन्दु प्रतीक लिखिए।
Mg, Na, B, O, N, Br
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित परमाणुओं तथा आयनों के लूइस बिन्दु प्रतीक लिखिए।
S और S2-, Al तथा Al3+ H और H
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 2

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अणुओं तथा आयनों की लुइस संरचना लिखिए।
H2S, SiCl4, BeF2, CO32-, HCOOH
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 3

प्रश्न 5.
अष्टक नियम परिभाषित कीजिए। इस नियम का महत्त्व तथा सीमाएँ बताइ।
उत्तर:
परमाणुओं के बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण या सहभाजन द्वारा अष्टक पूरा करने को अष्टक नियम कहते हैं।
अष्टक नियम का महत्व –

  • कार्बनिक यौगिकों की संरचना समझने में अष्टक नियम महत्त्वपूर्ण है।
  • अधिकांश अणु बनने में अष्टक नियम का पालन करते हैं।

अष्टक नियम की सीमाएँ –

  • कुछ यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु के चारों ओर उपस्थित इलेक्ट्रॉन 8 से कम होते हैं। जैसे – BH3, BCl3
  • संक्रमण तत्वों में केन्द्रीय परमाणु के चारों ओर 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः ऐसे यौगिकों पर अष्टक नियम लागू नहीं होता है। जैसे SF6, PCl5 आदि।

अष्टक नियम की कुछ अन्य कमियाँ Some Other Demerits of Octel Rule:-
(1) जीनॉन के यौगिक (Compounds of xenone)-अष्टक नियम के अनुसार उत्कृष्ट गैसें यौगिक नहीं बनाती हैं, परन्तु Xe ऑक्सीजन तथा फ्लुओरीन के साथ यौगिक बनाती है जो कि काफी स्थायी होते हैं। उदाहरण- XeF2, XeF4, XeF6, XeOF2, XeOF4 आदि।

(2) अणुओं की आकृति (Shapes of molecules)-अणुओं की आकृति के सम्बन्ध में अष्टक नियम किसी भी प्रकार की व्याख्या नहीं करता है।

प्रश्न 6.
आयनिक बंध बनाने के लिए अनुकूल कारकों को लिखिये।
उत्तर:
निम्न कारक अनुकूल होते हैं –

  • आयनन एन्थैल्पी का मान कम से कम होना चाहिए ।
  • इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक ऋणात्मक होना चाहिए।
  • जालक ऊर्जा का परिमाण अधिक होने पर आयनिक बंध का स्थायित्व अधिक होगा।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित अणुओं की आकृति की व्याख्या VSEPR सिद्धान्त के अनुरूप करें।
BeCl2, BCl3, SiCl4, AsF5, H2S, PH3
उत्तर:
(1) BeCl2 में दो आबन्धी युग्म हैं, अतः आकृति = रेखीय

(2) BCl3 में तीन आबन्धी युग्म हैं, अतः आकृति = त्रिकोणीय समतलीय

(3) SiCl4 में चार आबन्धी युग्म हैं, अतः आकृति = चतुष्फलकीय

(4) AsF5 में पाँच आबन्धी युग्म हैं, अतः आकृति = त्रिकोणीय द्विपिरामिडीय

(5) H2S में दो आबन्धी युग्म तथा दो एकाकी युग्म हैं।
अतः आकृति = बंकित अणु या मुड़ी हुयी

(6) PH3 में तीन आबन्धी युग्म तथा एक एकाकी युग्म
है, अत: आकृति = पिरामिडी

प्रश्न 8.
यद्यपि NH3 तथा H2O दोनों अणुओं की ज्यामिती विकृत चतुष्फलकीय होती है। तथापि जल में आबन्ध कोण अमोनिया की अपेक्षा कम होता है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
NH3 तथा H2O में sp³ संकरण होता है। अतः इन अणुओं की आकृति चतुष्फलकीय होनी चाहिए। परन्तु NH3 में एक एकाकी युग्म N पर होता है जबकि H2O अणु में 0 पर दो एकाकी युग्म उपस्थित रहते हैं। VSEPR सिद्धान्त के अनुसार H2O में एकाकी युग्मों में प्रतिकर्षण अधिक होता है। अत: NH3 में आबन्ध कोण (107°) H2O के आबन्ध कोण (104.5) से अधिक होता है।

प्रश्न 9.
आबन्ध प्रबलता को आबन्ध कोटि के रूप में किस प्रकार व्यक्त करेंगे?
उत्तर:
आबन्ध प्रबलता ∝ आबन्ध कोटि
अर्थात् आबन्ध कोटि जितना अधिक होगी, आबन्ध स्थायित्व उतना ही अधिक होगा।
उदाहरण-

अणु आबन्ध कोटि या आबन्ध क्रम आबन्ध स्थायित्व या आबन्ध वियोजन ऊर्जा (kJ/mol)
(1) नाइट्रोजन अणु (N2) 3 945
(2) ऑक्सीजन (O2) 2 498
(3) फ्लुओरीन अणु (F2) 1 158

प्रश्न 10.
आबन्ध लम्बाई की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
किसी अणु में आबन्धित परमाणुओं के नाभिकों के बीच साम्यावस्था दूरी आबन्ध लम्बाई कहलाती है। इसे पिकोमीटर (1 pm = 10-12 m) में व्यक्त करते हैं।

‘आबन्ध लम्बाई’ कहलाती है। आबन्ध लम्बाई या सहसंयोजक आबन्ध की लम्बाई को स्पेक्ट्रमी, एक्स-किरण विवर्तन तथा इलेक्ट्रॉन विवर्तन (Electron Diffraction) आदि विधियों के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

आबन्धित युग्म का प्रत्येक परमाणु आबन्ध की लम्बाई में योगदान करता है। सहसंयोजी आबन्ध में प्रत्येक परमाणु का योगदान उस परमाणु की सहसंयोजी त्रिज्या कहलाती है। वास्तव में सहसंयोजक आबन्ध आबन्धित परमाणुओं की सहसंयोजक त्रिज्या का योग होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 4
R = rA + rB
यहाँ R = आबन्ध लम्बाई है तथा rA एवं rB क्रमश: A व B परमाणुओं की सहसंयोजी त्रिज्यायें है । वाण्डर वाल त्रिज्या अनाबन्धित अवस्था में संयोजी कोश सहित परमाणु का समग्र आकार निरूपित करती है । वाण्डर वाल त्रिज्या ठोस अवस्था में विभिन्न अणुओं के दो समरूप परमाणुओं के बीच की दूरी की आधी होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 5
आबन्ध लम्बाई का मान सामान्यतया पिकोमीटर (1 pm = 10-12 m) में व्यक्त करते हैं। आबन्ध लम्बाई को प्रभावित करने वाले कारक निम्न प्रकार हैं-
(1) परमाणु का आकार (Size of Atom) – आबन्ध लम्बाई परमाणु के आकार से सीधे सम्बन्धित होती है।
आबन्ध लम्बाई ∝ परमाणु का आकार
उदाहरण – H – F < H – Cl < H – Br < H – I (आबन्ध लम्बाई) 2. आबन्धों की बहुलता (Multiplicity of Bonds) – आबन्धों की बहुलता बढ़ने पर आबन्ध लम्बाई कम हो जाती है क्योंकि परमाणु एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 6
उदाहरण – C – C > C = C > C ≡ C

3. संकरण का प्रकार (Type of Hybridisation) – आबन्ध लम्बाई संकरण के द्वारा भी प्रभावित होती है। अणु में s-अभिलक्षण बढ़ने पर आबन्ध लम्बाई कम हो जाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 7
उदाहरण – sp³ (C-H आबन्ध ( 111pm) > sp² C – H आबन्ध ( 110 pm ) > sp² – C – H आबन्ध (108 pm)
कुछ सामान्य तत्वों की आबन्ध लम्बाई निम्न सारणी में दी गयी है।
सारणी 4.1 : कुछ एकल, द्वि तथा त्रि आबन्धों की औसत लम्बाई

आबन्ध का प्रकार सहसंयोजी आबन्ध लम्बाई (pm)
1. H – H 74
2. O – H 96
3. C – H 107
4. N – O 136
5. C – O 143
6. C – N 143
7. C – C 154
8. C = O 121
9. N = O 122
10. C = C 133
11. C = N 138
12. C ≡ N 116
13. C ≡ C 120

सारणी 4-2 : कुछ सामान्य अणुओं की आबन्ध लम्बाई

अणु आबन्ध लम्बाई (pm)
1. H2 (H-H) 74
2. F2 (FF) 144
3. Cl2 (Cl-CI) 199
4. Br2 (Br – Br) 228
5. I2 (I – I) 267
6. N2 (N = N) 109
7. O2 (0 = 0) 121
8. HF (H – F) 92
9. HCl(H – Cl) 127
10. HBr (H-Br) 141
11.  HI (H-I) 160

सारणी 4.3 सहसंयोजी त्रिज्याएँ rcov(pm)

तत्व (आबन्ध प्रकृति) सहसंयोजी त्रिज्या rcov (pm)
1. H (एकल आबन्ध) 37
2. C (एकल आबन्ध) 77
3. C (द्विआबन्ध) 67
4. C (त्रिआबन्ध) 60
5. N (एकल आबन्ध) 74
6. N (द्वि आबन्ध) 65
7. N (त्रि आबन्ध) 55
8. P (एकल आबन्ध) 110
9. As (एकल आबन्ध) 121
10. Sb (एकल आबन्ध) 141
11. O (एकल आबन्ध) 66
12. O (द्वि आबन्ध) 57
13. S (द्वि एकल आबन्ध) 104
14. S (द्वि आबन्ध) 95
15. Se (एकल आबन्ध) 104
16. Te (एकल आबन्ध) 137
17. F (एकल आबन्ध) 64
18. Cl (एकल आबन्ध) 99
19. Br (एकल आबन्ध) 114
20. I (एकल आबन्ध) 133

HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 11.
CO32- आयन के संदर्भ में अनुनाद के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लूइस संरचना के अनुसार तीन कार्बन-ऑक्सीजन आबन्धों की लम्बाई भिन्न होनी चाहिए, परन्तु CO32- आयन के तीनों कार्बन – ऑक्सीजन आबन्धों की लम्बाई समान होती है। अतः कार्बोनेट आयन को तीन विहित संरचनाओं (I II III) का अनुनादी संकर माना जाता है।
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प्रश्न 12.
नीचे दी गई संरचनाओं (I) और (II) द्वारा H3PO3 को प्रदर्शित किया जा सकता है। क्या ये दो संरचनाएँ H3PO3 के अनुनाद संकर के विहित (केनॉनीकल) रूप माने जा सकते हैं? यदि नहीं तो उसका कारण बताइये।
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उत्तर:
उपरोक्त संरचनायें (I) व (II) अनुनादी संरचनायें नहीं हैं क्योंकि अनुनाद के लिये सामान्य नियम है कि अनुनादी संरचनाओं में इलेक्ट्रॉन युग्मों की व्यवस्था में भिन्नता होनी चाहिये न कि परमाणुओं की। संरचनायें (I) तथा (II) विहित (Canonical ) संरचनायें नहीं है क्योंकि संरचना (I) में फॉस्फोरस परमाणु H (PH आबन्ध) से जुड़ा होता है जबकि संरचना (II) में यह OH समूह ( P – OH आबन्ध) से जुड़ा है।

प्रश्न 13.
SO3, NO2 तथा NO3 की अनुनाद संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
SO3 की अनुनादी संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 10
NO2 की अनुनादी संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 11
NO3 की अनुनादी संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 12

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण द्वारा धनायनों तथा ऋणायनों में विरचन को लूइस बिन्दु प्रतीकों की सहायता से दर्शाइये
(क) K तथा S
(ख) Ca तथा O
(ग) AI तथा N
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 13

प्रश्न 15.
हालांकि CO2 तथा H2O दोनों त्रिपरमाणुक अणु हैं। परन्तु H2O अणु की आकृति बंकित होती है जबकि CO2 की रैखिक आकृति होती है। द्विध्रुव आघूर्ण के आधार पर इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
CO2 तथा H2O दोनों त्रिपरमाणुक अणु हैं। CO2 की आकृति रेखीय होती है। जबकि H2O की आकृति बंकित होती है। CO2 अणु में दो C = O आबन्ध ध्रुवित प्रकृति के होते हैं लेकिन दोनों का प्रभाव समान व विपरीत दिशा में होने के कारण निष्क्रिय हो जाता है। अतः CO2 का अणु रेखीय अणु है।
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H2O-H अणु में दो OH आबन्ध होते हैं। इनकी प्रकृति भी ध्रुवीय होती है। लेकिन आबन्ध रैखिक न होने के कारण द्विध्रुव आघूर्ण दर्शाते हैं इसलिये आकृति बंकित होती है।
H2O अणु का द्विध्रुव आघूर्ण मान
μ = 1.84D होता है।
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प्रश्न 16.
द्विध्रुव आघूर्ण के महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग बताएँ-
उत्तर:
(i) आबन्ध की घूर्णता ज्ञात करने में।

(ii) अणुओं की आण्विक संरचना ज्ञात करने में।

(iii) अणुओं की प्रकृति ज्ञात करने में।

(iv) आबन्धों की आयनिक प्रतिशतता ज्ञात करने में।
(1) द्विपरमाणुक अणु (Diatomic molecules) – द्विपरमाणुक अणुओं में आबन्ध की ध्रुवणता द्विध्रुब आघूर्ण के मान से सीधे सम्बन्धि होती है। यदि अणु का द्विध्रुव आघूर्ण मान अधिक है तो आबन्ध की ध्रुवणता भी उच्च होगी।
उदाहरण-
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(2) बहुपरमाणुक अणु (Polyatomic molecules) बहुपरमाणुक अणुओं में एक से अधिक सहसंयोजक बन्ध होते हैं तथा द्विध्रुव आघूर्ण का मान विभिन्न आबन्धों की ध्रुवता तथा उनके संगत आबन्ध कोणों पर निर्भर करता है।
(A) त्रिपरमाणुक अणु (Triatomic molecules) – ऐसे त्रिपरमाणुक अणु जिनमें द्विध्रुव आघूर्ण उपस्थित होता है उनमें एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म पाया जाता है। यहाँ पर आबन्ध ध्रुवता को निरस्त नहीं कर पाता है। ऐसे अणुओं की ज्यामिति मुड़ी हुयी या V-आकृति की होती है परन्तु ऐसे त्रिपरमाणुक अणु जिनमें एकाकी युग्म उपस्थित नहीं होता है।

ऐसे अणु में दो समान आबंध द्विध्रुव विपरीत दिशा में होते हैं तथा एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त (Cancel) कर देते हैं। इनका द्विध्रुव आघूर्ण का मान शून्य होता है एवं ज्यामितीय रेखीय होती है।
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(B) चतुष्परमाणुक अणु (Tetraatomic molecule) – ऐसे अणु जिनमें द्विध्रुव आघूर्ण उपस्थित होता है तथा उनमें एकाकी युग्म होता है। यहाँ पर आबन्ध ध्रुवता को निरस्त नहीं कर पाते। इन अणुओं की ज्यामिति पिरामिडीय होती है।

जबकि शून्य द्विध्रुव आघूर्ण वाले अणुओं की ज्यामिति त्रिकोणीय होती है।
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NH3 तथा NF3 अणुओं के द्विध्रुव-आघूर्ण की तुलना :
NH3 तथा NF3 दोनों अणुओं की आकृति पिरामिडीय होती है। . जबकि दोनों अणुओं में नाइट्रोजनं परमाणु पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होता है। हालाँकि फ्लुओरीन की विद्युत ऋणात्मकता नाइट्रोजन की अपेक्षा अधिक होती है परन्तु NH3 का परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण (4.9 × 10-30 cm) NF3 के द्विध्रुव आघूर्ण (0.80 x 10-30 cm) की अपेक्षा अधिक होता है। इसका कारण यह है कि NH3 में नाइट्रोजन पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का कक्षक द्विध्रुव आघूर्ण तीन N – F आबन्धों के द्विध्रुव आघूर्णों के परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण की विपरीत दिशा में होता है। कक्षक का द्विध्रुव आघूर्ण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के कारण N – F आबन्ध आघूर्णो के परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण को कम कर देता है। अतः NF3 के अणु का द्विध्रुव आघूर्ण कम होता है।
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कुछ अणुओं के द्विध्रुव आघूर्ण तथा आकृति के नीचे दी गई सारणी में दर्शाया गया है-
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(3) प्रतिशत आयनिक गुण ज्ञात करने में (In determining the percentage ionic character) – किसी सहसंयोजक यौगिक में हम प्रतिशत आयनिक गुण को निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं।
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उदाहरण-HCI का प्रतिशत आयनिक लक्षण ज्ञात करो यदि HCI के द्विध्रुव आघूर्ण का प्रायोगिक मान 1.03D है तथा बन्ध लम्बाई 1-275 है।
हल:
यदि इलेक्ट्रॉन पूर्ण रूप से स्थानान्तरित हो रहा है। अर्थात् 100 प्रतिशत आयनिक अभिलक्षण के लिये H+ व Cl आयनों पर आवेश एक इकाई (4.8 x 10-10 esu) के बराबर होता है। यहाँ H-CI आबन्ध लम्बाई =1.275 A
= 1.275 x 10-8 cm
µ (आयनिक या सैद्धान्तिक )
= q x d
= 4.8 x 10-10 x 1.275 x 108 esu cm
= 6.12 × 10-18 esu cm
= 6.12D
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प्रश्न 17.
विद्युत ऋणात्मकता को परिभाषित कीजिए। यह इलेक्ट्रॉन बन्धुता से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर:
किसी तत्व की विद्युत ऋणात्मकता अणु में उपस्थित साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता है। इसकी इकाई नहीं होती है। विद्युत ऋणात्मकता परमाणु की साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म को आकर्षित करने की प्रवृत्ति है।

विद्युत ऋणात्मकता तथा इलेक्ट्रॉन बन्धुता में अन्तर

विद्युत ऋणात्मकता इलेक्ट्रॉन बन्धुता
1. यह सहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की किसी परमाणु की प्रवृत्ति होती है। 1. यह किसी विलगित गैसीय परमाणु द्वारा बाहय इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने पर मुक्त होने वाली ऊर्जा है।
2. यह परमाणु की सापेक्ष इलेक्ट्रॉन आकर्षण की प्रवत्ति है। 2. यह परमाणु की परिशुद्ध आकर्षण प्रवृत्ति है।
3. यह आबंधित परमाणु का गुणधर्म है। 3. यह विलगित परमाणु का गुणधर्म है।
4. इसकी कोई इकाई नहीं होती। यह केवल तुलनात्मक पैमाने द्वारा व्यक्त की जाती है। 4. इसकी इकाई होती है। इसकी इकाई KJ या eV/परमाणु है।

प्रश्न 18.
ध्रुवीय सहसंयोजी आबन्ध से आप क्या समझते हो? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विषम परमाणुक अणु में सहसंयोजक बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म अधिक ऋणात्मक परमाणु की ओर आकर्षित होकर विस्थापित हो जाते हैं। जिससे एक परमाणु पर धनावेश तथा दूसरे परमाणु पर ऋणावेश आ जाता है। अत: सह-संयोजक बंध ध्रुवीय हो जाता है। ऐसे बंध को ध्रुवीय सहसंयोजक बंध कहते हैं। उदाहरणार्थ-
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प्रश्न 19.
निम्नलिखित अणुओं को आबन्धों की बढ़ती आयनिक प्रकृति के क्रम में लिखिए-
LIF, K2O, N2, SO2 तथा CIF3
उत्तर:
अणुओं में आबन्धों की बढ़ती आयनिक प्रकृति का क्रम निम्न प्रकार है-
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प्रश्न 20.
CH3COOH की नीचे दी गई ढाँचा संरचना सही हैं परन्तु कुछ आबन्ध त्रुटि पूर्ण दर्शाए गए हैं। ऐसीटिक अम्ल की लूइस संरचना लिखिए-
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उत्तर:
उपरोक्त प्रश्न में दी गयी संरचना में केवल ढाँचा संरचना सही है, परन्तु यह लूइस संकल्पना के साथ-साथ कार्बन की चतुसंयोजी प्रकृति के अनुसार नहीं है। ऐसीटिक अम्ल की लूइस संरचना निम्नवत् होगी-
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प्रश्न 21.
चतुष्फलकीय ज्यामिति के अलावा CH4 अणु की एक और संभव ज्यामिति वर्ग समतली है जिसमें हाइड्रोजन के चार परमाणु एक वर्ग के चारों कोनों पर होते हैं। व्याख्या कीजिए कि CH4 का अणु वर्ग समतली नहीं होता है।
उत्तर:
CH4 की चतुष्फलकीय एवं वर्ग समतली संरचनायें निम्न प्रकार हैं-
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VSEPR सिद्धान्त के अनुसार, केन्द्रीय परमाणु पर स्थित इलेक्ट्रॉन युग्मों में प्रतिकर्षण कम करने के लिये उनके मध्य दूरी अधिक होनी चाहिये। CH4 की वर्ग समतली संरचना में चार C-H आबन्ध युग्म 90° कोण पर होते हैं। जबकि चतुष्फलकीय संरचना में C-H बन्ध युग्म 109.5° पर होते हैं। अतः चतुष्फलकीय संरचना में बन्ध कोण अधिक होने के कारण C-H आबन्ध युग्मों के मध्य प्रतिकर्षण भी कम होगा। अतः CH4 की ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है न कि वर्ग समतलीय।

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प्रश्न 22.
यद्यपि Be-H आबन्ध ध्रुवीय है तथा BeH2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है, स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
BeH2 अणु में sp संकरण होता है जिससे अणु की आकृति रेखीय है। Be-H आबन्ध में Be तथा H की विद्युत ऋणात्मकता का अन्तर अधिक है। लेकिन BeH2 में द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। क्योंकि दोनों आबन्ध एक-दूसरे के घूर्णन को समाप्त कर देते हैं।
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प्रश्न 23.
NH3 तथा NF3 में किस अणु का द्विध्रुव आघूर्ण अधिक है और क्यों?
उत्तर:
NH3 अणु का द्विध्रुव आघूर्ण (1.46D) NF3 के द्विध्रुव आघूर्ण (0-24 D) से बहुत अधिक है । N और F परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकताओं का अन्तर (4.0-3.0 = 10 ) है जोकि N, और H परमाणु के अन्तर ( 3.0 – 2.1 = 09) के बराबर है। NH3 में N – H
आबन्ध घूर्णता समान दिशा में है जबकि NF3 में आबन्ध घूर्णता विपरीत दिशा में है । अत: NH3 अणु में द्विध्रुव आघूर्ण अधिक है।
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प्रश्न 24.
परमाणु कक्षकों के संकरण से आप क्या समझते हैं? sp, sp², sp³ संकर कक्षकों की आकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संकरण समान ऊर्जा वाले कक्षकों के आपस में मिलकर ऊर्जा के पुनर्वितरण द्वारा समान ऊर्जा तथा आकार के कक्षकों के बनने की प्रक्रिया को संकरण कहते हैं।
(i) sp संकरण – एक s तथा एक p कक्षक संकरित होकर दो सम sp संकरित कक्षक बनाते हैं। यहाँ संकरित कक्षक में 50% s – लक्षण तथा 50% p-लक्षण होता है।
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(ii) sp² संकरण – एक s तथा दो कक्षक संकरित होकर तीन सम sp² संकरित कक्षक बनाते हैं। इस sp² संकरित कक्षक में 33.34% s – लक्षण तथा 66.66% p- लक्षण होते हैं।
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(iii) sp³ संकरण – एक s तथा तीन p कक्षक संकरित होकर चार sp³ संकरित कक्षक बनाते हैं। sp³ संकरित कक्षक में 25% s- लक्षण तथा 75% p-लक्षण पाये जाते हैं।
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प्रश्न 25.
निम्नलिखित अभिक्रिया में Al परमाणु की संकरण अवस्था में परिवर्तन (यदि होता है तो) को समझाइये-
AlCl3 + Cl → [AlCl4]
उत्तर:
AlCl3 में, केन्द्रीय Al परमाणु sp² संकरित होता है। जबकि [AlCl4] आयन में यह sp³ संकरित होता है।
AlCl3 में संकरण = 3 + 3 × 7 = \(\frac { 24 }{ 8 }\) = 3 (sp² संकरण)
[AlCl4] में संकरण = 3 + 4 × 7 + 1
= \(\frac { 32 }{ 8 }\) = 4 (sp³ संकरण)

प्रश्न 26.
क्या निम्नलिखित अभिक्रिया के फलस्वरूप B और N परमाणुओं के संकरण में कोई परिवर्तन होता है?
BF3 + NH3 → [F3B.NH3]
उत्तर:
BF3 में B परमाणु sp² संकरित होता है जबकि NH3 में N परमाणु sp³ संकरित होता है | BF3 तथा NH, दोनों ही आपस में संयोग करके योगात्मक यौगिक बनाते हैं। योगात्मक यौगिक में NH3 एक इलेक्ट्रॉन युग्म BF3 को देता है, इस प्रकार B परमाणु का संकरण sp² से sp³ में परिवर्तित हो जाता है। जबकि N परमाणु के संकरण में कोई अन्तर नहीं होता है।
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प्रश्न 27.
C2H4 तथा C2H4 अणुओं में कार्बन परमाणुओं के बीच क्रमशः द्वि-आबन्ध तथा त्रिआबन्ध के निर्माण को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
C2H4
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प्रश्न 28.
निम्नलिखित अणुओं में सिग्मा (σ) तथा पाई (π) आबन्धों की कुल संख्या कितनी है-
(क) C2H2
(ख) C2H4
उत्तर:
(क) C2H2
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कुल तीन सिग्मा (σ) तथा दो पाई (π) बन्ध यहाँ उपस्थित हैं।

(ख) C2H4
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यहाँ कुल 5 सिग्मा (σ) तथा 1 पाई (π) बन्ध उपस्थित हैं।

प्रश्न 29.
X- अक्ष को अन्तरनाभिकीय अक्ष मानते हुए बताइए कि निम्नलिखित में कौन से कक्षक सिग्मा (σ) आबन्ध नहीं बनाएँगे और क्यों? (क) 1s तथा 1s (ख) 1s तथा 2px (ग) 2py तथा 2py (घ) 1s तथा 2s.
उत्तर:
(क) 1s तथा 1s
(ख) 1s तथा 2px
(घ) 1s तथा 2s, σ आबन्ध बनाएँगे क्योंकि ये अक्षीय अतिव्यापन से बनते हैं। परन्तु
(ग) 2py तथा 2py सिग्मा आबन्ध नहीं बनायेगा।

प्रश्न 30.
निम्नलिखित अणुओं में कार्बन परमाणु कौन-से संकर कक्षक प्रयुक्त करते हैं।
(क) CH3 – CH3
(ख) CH3CH=CH3
(ग) CH3-CH2-OH
(घ) CH3CHO
(ङ) CH3COOH
उत्तर:
इन अणुओं में कार्बन परमाणुओं द्वारा प्रयुक्त संकर कक्षक इस प्रकार हैं –
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प्रश्न 31.
इलेक्ट्रॉनों के आबन्धी युग्म तथा एकाकी युग्म से आप क्या समझते हैं। प्रत्येक को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
आबन्धी युग्म (Bond pair) तत्वों के परमाणुओं के मध्य उपस्थित इलेक्ट्रॉन का साझा युग्म आबन्धी युग्म कहलाता है।

एकाकी युग्म (Lone pair) – ये इलेक्ट्रॉन युग्म बन्ध निर्माण में प्रयुक्त नहीं होते हैं। उदाहरणार्थ – NH3
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 38

प्रश्न 32.
सिग्मा तथा पाई आबन्ध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

सिग्मा बन्ध पाई बन्ध
(1) सिग्मा आबन्ध परमाण्विक कक्षकों के अक्ष्रीय अतिव्यापन के कारण बनता है। (1) पाई आबन्ध परमाण्विक कक्षकों वे पाशर्व अतिव्यापन के कारण बनता है।
(2) यह s-s, s-p, p-p इत्यादि के अतिव्यापन द्वारा बन सकता है। (2) यह केवल p-कक्षकों के अतिव्यापन से बनता है।
(3) इस प्रकार के आबन्ध में अतिव्यापन अधिक होने के कारण आबन्ध प्रबल होता है। (3) इस प्रकार के आबन्ध में अतिव्यापन कम होता है। अतः यह आबन्ध तुलनात्मक रूप से थोड़ा दुर्बल होता है।
(4) इसमें कोई भी नोडल तल नहीं होता है। (4) इसमें एक नोडल तल पाया जाता है।
(5) σ-आबन्ध के चारों ओर परमाणुओं का मुक्त घूर्णन सम्भव होता है। (5) π-आबन्ध के चारों ओर परमाणुओं का मुक्त घूर्णन सम्भव नहीं हैं।
(6) यह कम क्रियाशील होता है। (6) यह अधिक क्रियाशील होता है।
(7) अन्तरानाभिकीय अक्ष के चारों ओर आण्विक कक्षक का इलेक्ट्रॉन अभ्र सममित होता है। (7) इलेक्ट्रॉन अभ्र असममित होता है।
(8) यह आबन्ध π-आबन्ध की अनुपस्थिति में भी बन सकता है। (8) यह आबन्ध σ आबन्ध की अनुपस्थिति में नहीं बनता है।
(9) यह अणु की आकृति निर्धारित करता है। (9) इसका अणुओं की आकृति पर कोई प्रभाव नहीं होता। यह बन्ध कोण को प्रभावित करता है।

प्रश्न 33.
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के आधार पर H2 अणु के विरचन की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त:
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन सर्वप्रथम हाइटलर और लण्डन (Heitler and London) ने सन् 1927 में किया था। बाद में इस सिद्धान्त का संशोधन पॉलिंग और उसके सहकर्मियों (Pauling and co-workers) ने किया था।

इस सिद्धान्त का विवेचन परमाणु कक्षकों, तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, कक्षकों के अतिव्यापन और संकरण तथा विचरण (Variation) एवं अध्यारोपण (Superposition) के सिद्धान्तों के ज्ञान पर आधारित है। इस सिद्धान्त के आधार पर हाइड्रोजन अणु के निर्माण की व्याख्या इस प्रकार है।

माना कि हाइड्रोजन के दो परमाणु A व B जिनके नाभिक क्रमशः NA व NB हैं तथा इनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉन eA और और हैं। जब ये दोनों हाइड्रोजन परमाणु HA तथा HB एक दूसरे की तरफ बन्ध बनाने के लिए बढ़ते हैं तो इन पर आकर्षण व प्रतिकर्षण दोनों प्रकार के बल कार्य करते हैं।

जब ये दोनों परमाणु एक-दूसरे से अत्यधिक दूरी पर होते हैं तब उनके बीच कोई भी अन्योन्य क्रिया नहीं होती है ज्यों-ज्यों वे एक-दूसरे के समीप आते जाते हैं त्यों-त्यों उनके मध्य आकर्षण व प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है।

दोनों परमाणुओं के मध्य लगने वाला आकर्षण बल निम्न प्रकार उत्पन्न होता है-

  • एक परमाणु के नाभिक तथा उसके इलेक्ट्रॉनों के मध्य NA– eA, NB – eB
  • एक परमाणु के नाभिक तथा दूसरे परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के मध्य NA – eB, NB – eA

इसी प्रकार प्रतिकर्षण बल निम्न कारण से उत्पन्न होता है।
(1) दोनों परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के बीच eA – eB

(2) दोनों परमाणुओं के नाभिकों के बीच NA – NB
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 39
दोनों परमाणुओं के मध्य उत्पन्न आकर्षण बल दोनों को एक-दूसरे के पास लाते हैं। जबकि प्रतिकर्षण बल एक-दूसरे को दूर करने का प्रयास करते हैं। प्रयोग के द्वारा यह पाया गया है कि हाइड्रोजन अणु के बनने के दौरान नये आकर्षण बलों के मान, नये प्रतिकर्षण बलों के मान की तुलना में अधिक होते हैं। इसके परिणामस्वरूप दोनों परमाणु एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं। इससे उनकी स्थितिज ऊर्जा के मान में कमी आ जाती है।

अंत में एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि कुल आकर्षण बल तथा कुल प्रतिकर्षण बल आपस में बराबर हो जाते हैं और निकाय की ऊर्जा निम्न स्तर पर पहुँच जाती है।

इस अवस्था में हाइड्रोजन के परमाणु आबन्ध बनाते हैं और एक स्थायी अ में परिवर्तित हो जाते हैं। यहाँ H2 अणु की आबन्ध लम्बाई का मान 74pm होता है।

हाइड्रोजन के परमाणुओं के मध्य आबन्ध बनने से ऊर्जा मुक्त होती है। इस कारण हाइड्रोजन अणु दो पृथक हाइड्रोजन परमाणुओं की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है। इस प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुयी ऊर्जा को आबन्ध एन्थैल्पी (Bond enthalpy) के रूप में जाना जाता है।

हाइड्रोजन परमाणुओं से हाइड्रोजन अणु बनने का क्रम निम्न ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 40
H2 अणु के सम्बन्ध में आरेख से यह निष्कर्ष निकलता है कि इसकी आबन्ध लम्बाई 74 pm तथा आबन्धन ऊर्जा का मान 435.8kJ/mol है। यह ऊर्जा या ऐन्थैल्पी ऊपर दिए गये आरेख में न्यूनतम के संगत होती है।

वहीं यदि H2 के एक मोल अणुओं के वियोजन के लिये इतनी ही ऊर्जा 435.8 kJ /mol की आवश्यकता होती है।
H2 (g) + 4358kJ /mol = H (g) + H (g)
ध्यान देने योग्य बात यह है कि किसी रासायनिक बन्ध का स्थायित्व बन्ध ऊर्जा से सम्बन्धित होता है । बन्ध ऊर्जा का मान जितना अधिक होता है आबन्ध का स्थायित्व उतना ही अधिक होगा।

उदाहरण के लिये, Cl – Cl(g) आबन्ध की आबन्ध ऊर्जा 239 kJ / mol है। जबकि H – H(g) आबन्ध की आबन्ध ऊर्जा 433kJ/mol है। इसका तात्पर्य यह है कि हाइड्रोजन परमाणुओं के मध्य आबन्ध क्लोरीन परमाणुओं के मध्य आबन्ध की अपेक्षा अधिक स्थायी है।

प्रश्न 34.
परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग से आण्विक कक्षक बनने के लिए आवश्यक शर्तों को लिखिए।
उत्तर:

  • संयोजी कक्षक समान ऊर्जा के होने चाहिये।
  • संयोजक कक्षक आण्विक कक्षक के साथ दिशात्मक गुण रखता है।
  • संयोग करने वाले कक्षक अधिक दूरी तक विरचन अतिव्यापन करें।

आण्विक कक्षक भाग लेने वाले परमाण्विक कक्षकों के तरंग फलनों (wave functions) के रेखीय संयोजन के फलस्वरूप बनते हैं । परमाण्वीय कक्षक योग (Addition ) या अन्तर (Subtraction) द्वारा संयोजित होते हैं।

माना कि संयोजन में भाग लेने वाले दो परमाण्विक कक्षक A व B के तरंग फलन या आयाम (Wave function or Amplitude) क्रमश: ψA व ψB हैं तो,
गणितीय रूप से आण्विक कक्षकों को परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग व्यक्तिगत परमाणु कक्षकों के तरंग फलनों WA तथा WB के योग या अन्तर द्वारा किया जाता है, जैसा नीचे दर्शाया गया है।
ψMO = ψA ± ψB
इस प्रकार दो आण्विक कक्षक ० तथा * प्राप्त होते हैं।
σ = ψA + ψB
σ* = ψA – ψB
परमाणु कक्षकों के योग से बनने वाले आण्विक कक्षक σ को आबंधन आण्विक कक्षक तथा परमाणु कक्षकों के अन्तर से बनने वाले आण्विक कक्षक σ* को प्रतिआबंधन (विपरीत बन्धी) आण्विक कक्षक कहते हैं।

बन्धी अणु कक्षक की ऊर्जा हमेशा कम जबकि विपरीत बन्धी अणु कक्षक की ऊर्जा सदैव अधिक होती है। आबन्धी तथा विपरीत बन्धी आण्विक कक्षकों का परमाण्वीय कक्षकों से बनना निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 41
यहाँ पर (+) और (-) चिन्ह इलेक्ट्रॉन तरंग के शिखर (Crest) और गर्त (troughs) को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 35.
आण्विक कक्षक सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि Be2 अणु का अस्तित्व क्यों नहीं होता।
उत्तर:
Be का परमाणु क्रमांक 4 है। इसके आण्विक कक्षक में 8 इलेक्ट्रॉन भरे जाएँगे । इसका आण्विक कक्षक विन्यास निम्न प्रकार है-
KK (σ2s)² (σ*2s)²
आबन्ध कोटि =\(\frac { 1 }{ 2 }\)(2 – 2) = 0
बन्ध कोटि शून्य होने से Be2 का अणु अस्तित्व में नहीं होता है।

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प्रश्न 36.
निम्नलिखित स्पीशीज के आपेक्षिक स्थायित्व की तुलना कीजिए तथा उनके चुम्बकीय गुण इंगित कीजिए।
O2, O2+, O2– (सुपर ऑक्साइड) तथा O22- (परऑक्साइड)
उत्तर:
इन स्पीशीज की आबन्ध कोटि निम्न है।

स्पीशीज इलेक्ट्रॉनों की संख्या आबंध कोटि
(1) O2 16 2.0
(2) O2+ 15 2.5
(3) O2 17 1.5
(4) O22- 18 1.0

इनका स्थायित्व का क्रम निम्न है-
O2+ > O2 > O2 > O22-
(i) O2 अनुचुम्बकीय है
(ii) O2+ अनुचुम्बकीय है
(iii) O2 अनुचुम्बकीय है
(iv) O22- प्रति चुम्बकीय है

प्रश्न 37.
कक्षकों के निरूपण में उपयुक्त धन (+) तथा ऋण (-) चिन्हों का क्या महत्त्व होता है।
उत्तर:
जब संयोजित होने वाले परमाणु कक्षकों की पालियों के चिन्ह समान (+ तथा + या तथा) होते हैं तब आबन्धी आण्विक कक्षक बनते हैं।

जब संयोजित होने वाले परमाणु कक्षकों की पालियों के चिन्ह (+ तथा -) होते हैं तब प्रतिआबन्धी आण्विक कक्षक बनते हैं। इसके अतिरिक्त + और चिन्ह को इलेक्ट्रॉन तरंगों की प्रकृति ज्ञात करने में उपयोग किया जाता है। धन (+ve) चिन्ह श्रृंग (crest ) को जबकि ऋण (-ve) चिन्ह गर्त (trough) को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 38.
PCl5 अणु में संकरण का वर्णन कीजिए। इसमें अक्षीय आबन्ध विषुवतीय आबन्धों की अपेक्षा अधिक लम्बे क्यों होते हैं?
उत्तर:
PCl5 में P का परमाणु क्रमांक 15 है। तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s² 2s² 2p6 3s² 3p³ है। यहाँ पर एक 3s कक्षक तीन 3p कक्षक व एक 3d कक्षक के इलेक्ट्रॉन तीन 3p कक्षक व एक 3d कक्षक के इलेक्ट्रॉन संकरण से sp³d संकरित कक्षक बनता है।
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 42
VSEPR सिद्धान्त के अनुसार संकरित आर्बिटल त्रिकोणीय द्वि-पिरामिडी के शीर्षों की ओर दिष्ट होती है। इसके एक तल के तीन-तीन आबन्धों के परस्पर बंध कोण में से प्रत्येक 120° तथा शेष दो में से प्रत्येक उस तल के लम्बवत् 90° का कोण बनाते हैं।

चूँकि अक्षीय आबन्ध इलेक्ट्रॉन युग्मों में विषुवतीय आबन्धी युग्मों से अधिक प्रतिकर्षण अन्योन्य क्रियायें होती है अतः ये आबन्ध विषुवतीय आबन्धों से लम्बाई में कुछ अधिक तथा प्रबलता में कुछ कम होते हैं। इसलिये PCl5 अधिक क्रियाशील है।

प्रश्न 39.
हाइड्रोजन आबन्ध की परिभाषा दीजिए। ये वान डर वाल्स बलों की अपेक्षा प्रबल होते हैं या दुर्बल।
उत्तर:
हाइड्रोजन आबन्ध को उस आकर्षण बल के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जोकि एक अणु के H-परमाणु को दूसरे अणु के विद्युत ऋणात्मक परमाणु (F,O,N) से बाँधता है। हाइड्रोजन आबन्ध वान डर वाल्स बलों की अपेक्षा अधिक प्रबल- होता है क्योंकि यह प्रबल द्विध्रुवीय अन्तः क्रिया को निरूपित करता है।

प्रश्न 40.
आबन्ध कोटि से आप क्या समझते हैं। निम्नलिखित आबन्ध कोटि का परिकलन कीजिए – N2, O2, O2+ तथा O2
उत्तर:
किसी अणु या आयन में दो परमाणुओं के बीच आबन्धों की संख्या आबन्ध कोटि कहलाती है।
आबन्ध कोटि =\(\frac { 1 }{ 2 }\) = (Nb – Na)
N2(14) : (σ1s)²(σ*1s)²(σ2s)²(σ*2s)² (π2px)²(π2py)²(σ2pz)²
आबन्ध कोटि =\(\frac { 1 }{ 2 }\)(10-4) = 6/23 = 3
O2 (16) : (σ 1s)² (σ*1s)² (σ*2s)² (π 2px)² (π 2py)² (π* 2px)1 (π* 2py)1
आबन्ध कोटि = \(\frac { 1 }{ 2 }\)(10 – 6) = 4/2 = 2
O2+(15) : (σ1s)² (σ*1s)² (σ2s)² (σ*2s)² (σ2pz)² (π2px)² (π2py)² (π*2px)1
आबन्ध कोटि = \(\frac { 1 }{ 2 }\)(10 – 5) = 5/2 = 2.5
O2 – ( 17 ) : (σ1s)² (σ*1s)² (σ2s)² (σ*2s)² (σ2pz)² (π2px)² (πpy)² (π 2px)² (π 2py)1
आबन्ध कोटि = 1/2 (10 – 7) = 3/2 = 1.5

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि हल्का ग्रह भारी तारे के परितः R त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गति कर रहा है तथा इसका परिक्रमण काल 7 है। भारी ग्रह व तारे के बीच गुरुत्वाकर्षण बल R-5/2 के अनुक्रमानुपाती हो तो-
(a) T² ∝ R³
(b) T² ∝ R7/2
(c) T² ∝ R3/2
(d) T² ∝ R3.75
उत्तर:
(b) T² ∝ R7/2

प्रश्न 2.
m द्रव्यमान के एक पिण्ड को पृथ्वी तल से h = R/5 ऊँचाई पर ले जाया जाता है, जहाँ R पृथ्वी की त्रिज्या है। यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण (g) हो तो पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -1
(a) mgh
(b) \(\frac{4}{5}\)mgh
(c) \(\frac{5}{6}\)mgh
(d) \(\frac{6}{7}\)migh
उत्तर:
(b) \(\frac{4}{5}\)mgh

प्रश्न 3.
सोने के दो एकसमान ठोस गोले एक-दूसरे को स्पर्श कर रहे हैं। इनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल होगा-
(a) त्रिज्या के वर्ग के समानुपाती ।
(b) त्रिज्या के घन के समानुपाती ।
(c) त्रिज्या के चतुर्थ घात के समानुपाती ।
(d) त्रिज्या के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती ।
उत्तर:
(c) त्रिज्या के चतुर्थ घात के समानुपाती ।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 4.
चन्द्रमा पर वायुमण्डल की अनुपस्थिति का निम्न कारण है-
(a) चन्द्रमा काफी हल्का है।
(b) चन्द्रमा पृथ्वी के परितः परिक्रमण करता है।
(c) गैसों के अणुओं की वर्ग माध्य मूल वेग पलायन वेग से अधिक है।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) गैसों के अणुओं की वर्ग माध्य मूल वेग पलायन वेग से अधिक है।

प्रश्न 5.
सूर्य के चारों ओर घूमते ग्रह की माध्य त्रिज्या दी जाती है-
(a) दीर्घवृत्त की अर्ध दीर्घ अक्ष (a) के बराबर ।
(b) दीर्घवृत्त की अर्ध लघु अक्ष (b) के बराबर ।
(c) अर्घ दीर्घ व अर्थ लघु अक्ष का माध्य \(\frac{a+b}{2}\)।
(d) अर्ध दीर्घ व अर्ध लघु अक्ष का गुणोत्तर माध्य \(\sqrt{ab}\)।
उत्तर:
(a) दीर्घवृत्त की अर्ध दीर्घ अक्ष (a) के बराबर ।

प्रश्न 6.
पृथ्वी तल से \(\sqrt{gR_e}\), वेग से फेंके गये प्रक्षेप्य की ऊर्जा क्या होगी? (Re पृथ्वी की त्रिज्या है)।
(a) 2Re
(b) Re / 2
(c) Re
(d) अनन्त
उत्तर:
(c) Re

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 7.
गुरुत्वीय त्वरण का मान अधिकतम होता है-
(a) पृथ्वी की भूमध्य रेखा पर
(b) पृथ्वी के ध्रुवों पर
(c) किसी पहाड़ की चोटी पर
(d) पृथ्वी के अन्दर गहरी खान में
उत्तर:
(b) पृथ्वी के ध्रुवों पर

प्रश्न 8.
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की विमा है-
(a) [ML2T-2]
(b) [M-1LT-2]
(c) [M-1L3T-2]
(d) [M-1L3T-1]
उत्तर:
(c) [M-1L3T-2]

प्रश्न 9.
यदि पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ जाये तो अक्षांश पर स्थित किसी वस्तु का भार-
(a) बढ़ जायेगा
(b) घट जायेगा
(c) अपरिवर्तित रहेगा
(d) कुछ निश्चित नहीं है
उत्तर:
(b) घट जायेगा

प्रश्न 10.
पृथ्वी की सतह के निकट चक्कर लगा है। उपग्रह का कक्षीय वेग लगभग होगा-
(a) 8km/s
(c) 4 km/s
(b) 11.2 km/s
(d) 6km/s
उत्तर:
(a) 8km/s

प्रश्न 11.
चन्द्रमा पर पलायन वेग है (लगभग).
(a) 11.2 km/s
(b) 5 km/s
(c) 10 km/s
(d) 2.4 km/s
उत्तर:
(d) 2.4 km/s

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 12.
पृथ्वी व चन्द्रमा के द्रव्यमान तथा त्रिज्या क्रमशः M1,R1 व M2,R2 हैं। उनके केन्द्रों के बीच की दूरी d है। उनके बीच मध्य- बिन्दु से m द्रव्यमान के कण को किस न्यूनतम वेग से प्रक्षेपित किया जाना चाहिए जिससे वह अनन्त पर पहुँच जाए?
(a) \(2 \sqrt{\frac{G}{d}\left(M_1+M_2\right)}\)
(b) \(2 \sqrt{\frac{2G}{d}\left(M_1+M_2\right)}\)
(c) \(2 \sqrt{\frac{2G}{d}\left(M_1+M_2\right)}\)
(d) \(2 \sqrt{\frac{GM(M_1+M_2)}{d(M_1+M_2)}}\)
उत्तर:
(a) \(2 \sqrt{\frac{G}{d}\left(M_1+M_2\right)}\)

प्रश्न 13.
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम सार्वत्रिक होता है क्योंकि-
(a) वह सदैव आकर्षण होता है।
(b) वह सौरमण्डल के सभी सदस्यों एवं कणों पर लागू होता है।
(c) यह सभी द्रव्यमान पर दूरियों के लिए लागू होता है तथा माध्यम से प्रभावित नहीं होता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) यह सभी द्रव्यमान पर दूरियों के लिए लागू होता है तथा माध्यम से प्रभावित नहीं होता है।

प्रश्न 14.
पृथ्वी तल के निकट परिक्रमा करने वाले कृत्रिम उपग्रह का परिक्रमण काल होता है-
(a) 24 घण्टा
(b) 84 मिनट
(c) 48 मिनट
(d) 12 घण्टा
उत्तर:
(b) 84 मिनट

प्रश्न 15.
किसी खोखले गोले के केन्द्र पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता होती है-
(a) \(\frac{GM}{r^2}\)
(b) g
(c) 0
(d) \(\frac{2GM}{r^2}\)
उत्तर:
(c) 0

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions)

प्रश्न 1.
धूमकेतु की पूँछ सूर्य से दूर होने का क्या कारण है?
उत्तर:
सूर्य द्वारा उत्सर्जित विकिरणों के दाव के कारण इस पर उपस्थित गैसें सूर्य से दूर की ओर पूँछ बना लेती हैं।

प्रश्न 2.
किसी उपग्रह का वेग उसके द्रव्यमान पर किस प्रकार निर्भर करता है?
उत्तर:
उपग्रह का वेग उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 3.
समुद्र में उत्पन्न ज्वार भाटे का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
चन्द्रमा का पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण प्रभाव ज्वार भाटे का प्रमुख कारण है।

प्रश्न 4.
तुल्यकाली उपग्रह क्या होता है?
उत्तर:
ऐसा उपग्रह जो पृथ्वी के किसी निश्चित भू-भाग के ऊपर सदैव देखा जा सकता है तुल्यकाली उपग्रह कहलाता है। इसका आवर्तकाल 24 घंटे होता है।

प्रश्न 5.
चन्द्रमा पर 10°C पर पानी से भरी बोतल का ढक्कन खोलने पर क्या होगा?
उत्तर:
पानी उबलने लगेगा क्योंकि चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण क्वथनांक काफी घट जाता है और पानी उबलने लगता है।

प्रश्न 6.
पृथ्वी के अन्दर केन्द्र की ओर जाने पर g का मान दूरी के साथ कैसे बदलता है?
उत्तर:
पृथ्वी अन्दर की ओर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण का परिवर्तन चित्र की भाँति रेखीय रूप से होता है।

प्रश्न 7.
समुद्र में ज्वार भाटा क्यों उत्पन्न होता है?
उत्तर:
चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण ज्वार भाटा उत्पन्न होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.
पृथ्वी ध्रुवों पर चपटी क्यों है?
उत्तर:
अपनी अक्ष पर घूर्णन के कारण पृथ्वी ध्रुवों पर चपटी होती

प्रश्न 9.
यदि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में घूमती है, तो गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य क्या होगा?
उत्तर:
शून्य; क्योंकि पृथ्वी पर सूर्य का आकर्षण बल (अभिकेन्द्रीय बल) सदैव पृथ्वी की गति के लम्बवत् होता है।

प्रश्न 10.
1 kg wt (किग्रा भार ) में कितने न्यूटन होते हैं?
उत्तर:
1kg wt = 1kg द्रव्यमान का भार = mg
= 1 × 9.8 न्यूटन
1kg wt = 9.8 न्यूटन

प्रश्न 11.
एक उपग्रह को ग्रह के परितः घूमने के लिए अभिकेन्द्रीय बल कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
ग्रह एवं उपग्रह के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है।

प्रश्न 12.
किसी उपग्रह की बन्धन ऊर्जा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊर्जा की वह मात्रा जो उपग्रह को देने पर उपग्रह पलायन कर जाये, उपग्रह की बन्धन ऊर्जा कहलाती है। इसका मान,
\(E_b=\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)

प्रश्न 13.
सरल लोलक पर आधारित घड़ी उपग्रह पर काम में नहीं ली जाती है, क्यों?
उत्तर:
उपग्रह में वस्तुएँ भारहीनता की स्थिति में होती हैं अतः g = 0 होता है इसलिए सरल लोलक पर आधारित घड़ी \(\left(T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}\right)\) कार्य नहीं करती है।

प्रश्न 14.
पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर g का मान किस प्रकार बदलता है? ग्राफ बनाइये।
उत्तर:
पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर g का मान घटता है व निम्न चित्र के अनुसार बदलता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -2

प्रश्न 15.
कृत्रिम उपग्रह में चलने कूदने तथा पानी पीने में कठिनाई महसूस होती है, क्यों?
उत्तर:
भारहीनता के कारण।

प्रश्न 16.
किसी वस्तु को पृथ्वी तल से अनन्त तक ले जाने में कितना कार्य करना पड़ता है?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा \(\frac{GMm}{R}\) के बराबर कार्य करना पड़ता है।

प्रश्न 17.
यदि दो वस्तुओं के मध्य दूरी % घटा दी जाये तो उनके मध्य लगने वाला बल कितने प्रतिशत बढ़ जायेगा ?
उत्तर:
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -3

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 18.
पृथ्वी के केन्द्र पर ४ का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य ।

प्रश्न 19.
संचार उपग्रह पृथ्वी सतह से कितनी ऊँचाई पर परिक्रमा करते हैं?
उत्तर:
36000km की ऊँचाई पर

प्रश्न 20.
ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे कृत्रिम उपग्रह जिनकी कक्षा का तल पृथ्वी के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के पास से गुजरता है, ध्रुवीय उपग्रह कहलाते हैं। इनकी कक्षा पश्च गतिक होती है।

प्रश्न 21.
समस्त पृथ्वी पर एक साथ संचार लिंक करने की दृष्टि से न्यूनतम कितने भू-स्थाई उपग्रह आवश्यक हैं?
उत्तर:
तीन

प्रश्न 22.
पार्किंग कक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर;
उपग्रह की वह कक्षा जिसका केन्द्र पृथ्वी के केन्द्र से सम्पाती होता है, पार्किंग कक्षा कहलाती है।

प्रश्न 23.
ठोस गोले के केन्द्र पर गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मान क्या होता है? यह मान सतह पर गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के मान का कितने प्रतिशत होता है?
उत्तर:
गोले के केन्द्र पर स्थितिज ऊर्जा \(U_0=\frac{3}{2} \frac{G M m}{R}\)
सतह पर गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा \(U_s=-\frac{G M m}{R}\)
∴ \(\frac{U_0}{U_s} \times 100=\frac{3}{2} \times 100=\mathbf{1 5 0} \%\)

प्रश्न 24.
चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण का कौन-सा भाग है?
उत्तर:
चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण का \(\frac{1}{6}\) भाग होता है अर्थात्
\(g_m=\frac{g_e}{6}\)

प्रश्न 25.
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं? इसकी विमा लिखिए।
उत्तर:
किसी वस्तु को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है उसे उस बिन्दु पर उस वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इसका विमीय सूत्र = [M1L2T-2]

प्रश्न 26.
पृथ्वी तल से किसी वस्तु के लिए पलायन वेग का मान 11.2 km / s है। जब वस्तु क्षैतिज से 30° पर फेंकी जाये तो पलायन वेग का मान क्या होगा?
उत्तर:
पलायन वेग प्रक्षेपण कोण पर निर्भर नहीं करता है अतः 30° के कोण पर प्रक्षेपित करने पर भी पलायन वेग 11.2 kms-1 ही होगा।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 27.
चन्द्रमा पृथ्वी की तुलना में बहुत हल्का है, फिर ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण द्वारा गिरता क्यों नहीं?
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी के परितः वृत्तीय कक्षा में परिक्रमा करता है। अतः पृथ्वी द्वारा आरोपित समस्त गुरुत्वाकर्षण बल अभिकेन्द्र बल के रूप में व्यय हो जाता है इसीलिए हल्का होने पर भी चन्द्रमा गिरता नहीं है।

प्रश्न 28.
10g सोने का भार ध्रुवों पर भूमध्य रेखा की तुलना में अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
किसी स्थान पर किसी वस्तु का भार mg
स्पष्ट है कि भार का मान 8 पर निर्भर करता है, और ध्रुवों पर गुरुत्वीय त्वरण अधिकतम तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है। इसीलिए 10g सोने का भार ध्रुवों पर भूमध्य रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।

प्रश्न 29.
भारत द्वारा छोड़े गये प्रथम उपग्रह का नाम बताइये।
उत्तर:
आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 ।

प्रश्न 30.
गुरुत्वीय क्षेत्र की विमा लिखिए।
उत्तर:
गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता,
\(E_g=\frac{F}{M}\)
∴ Eg का विमीय सूत्र = \(\frac{\left[M^1 L^1 T^{-2}\right]}{\left[M^1\right]}=\left[M^0 L^1 T^{-2}\right]\)

प्रश्न 31 –
केप्लर का द्वितीय नियम किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित है?
उत्तर:
कोणीय संवेग संरक्षण के सिद्धान्त पर

प्रश्न 32.
पृथ्वी की परिक्रमा करते उपग्रह में बैठा अंतरिक्ष यात्री एक गेंद उपग्रह के बाहर छोड़ देता है। क्या गेंद पृथ्वी तल पर पहुँचेगी?
उत्तर:
नहीं गेंद भी उपग्रह के साथ-साथ पृथ्वी की परिक्रमा करेगी।

प्रश्न 33.
जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है तो क्या पृथ्वी भी उस वस्तु की ओर गिरती है? यदि हाँ तो पृथ्वी का गिरना हमें दिखाई क्यों नहीं देता?
उत्तर:
क्योंकि पृथ्वी का द्रव्यमान बहुत अधिक होने के कारण, पृथ्वी का वस्तु की ओर त्वरण नगण्य होता है।

प्रश्न 34.
पृथ्वी के केन्द्र से R दूरी पर गुरुत्वीय विभव कितना होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र से R दूरी पर गुरुत्वीय विभव
\(V_G=- \frac{GM}{R}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 35.
केप्लर के तीसरे नियम का गणितीय स्वरूप क्या है?
उत्तर:
T² = K r³ ;
जहाँ T = ग्रह का आवर्तकाल
r = सूर्य एवं पृथ्वी के मध्य औसत दूरी;
K = नियतांक

प्रश्न 36.
चन्द्रमा पर उतरने से पहले अंतरिक्ष यात्री अपनी पीठ पर भारी वजन क्यों बाँध लेते हैं?
उत्तर:
चन्द्रमा पर 8 का मान कम होने के कारण।

प्रश्न 37.
किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा शुक्र ग्रह पर.7.5 × 106 J है। पिण्ड को ग्रह से बाहर फेंकने के लिए आवश्यक ऊर्जा का मान बताइये।
उत्तर:
आवश्यक ऊर्जा =.0. (-7.5 × 106) J
= 7.5 × 105 J

प्रश्न 38.
पृथ्वी तल पर पलायन वेग का मान कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर पलायन वेग 11.2 km.s-1 है।

प्रश्न 39.
किसी प्रक्षेप्य द्वारा प्राप्त महत्तम ऊँचाई का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
\(h=\frac{v^2 R}{2 g R-v^2}\)

प्रश्न 40.
एक कमानीदार तुला एक कृत्रिम उपग्रह में टंगी है जिससे 11 द्रव्यमान का एक पिण्ड लटका है। तुला का पाठ्यांक कितना होगा?
उत्तर:
शून्या

प्रश्न 41 –
गुरुत्वाकर्षण नियतांक 6 को सार्वत्रिक नियतांक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
क्योंकि G का मान समय स्थिति अथवा पिण्डों की प्रकृति व अवस्था पर निर्भर नहीं होता है, अतः इसे सार्वत्रिक नियतांक कहते हैं।

प्रश्न 42 –
क्या घर्षण बल गुरुत्वाकर्षण से बढ़ता है?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि घर्षण बल की उत्पत्ति विद्युतीय प्रकृति की है।

प्रश्न 43.
किस वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम G का प्रायोगिक मान ज्ञात किया?
उत्तर:
कैवेन्डिश

प्रश्न 44.
कृत्रिम उपग्रह की कक्षा को वायुमण्डल से बाहर क्यों रखा जाता है?
उत्तर:
ताकि वायु के घर्षण के कारण उपग्रह की ऊर्जा कम न हो जाये।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भार व द्रव्यमान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भार व द्रव्यमान में अन्तर

भार द्रव्यमान
1. पृथ्वी द्वारा पिण्ड पर आरोपित आकर्षण बल पिण्ड का भार कहलाता है। 1. किसी पिण्ड में उपस्थित द्रव्य की मात्रा को उसका द्रव्यमान कहते हैं।
2. इसका मात्रक न्यूटन या किग्रा-भार है। 2. इसका मात्रक किग्रा है।
3. यह सदिश राशि है। 3. यह अदिश राशि है।
4. इसका मान g के साथ परिवर्तित होता हैं। 4. इसका मान g के साथ परिवर्तित नहीं होता है।

प्रश्न 2.
यदि कोई पिण्ड पृथ्वी तल से v(v > ve) वेग से फेंका जाता है तो पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र के बाहर इसका वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर कुल ऊर्जा = अनन्त पर कुल ऊर्जा
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -4

प्रश्न 3.
दो पिण्डों A व B के बीच की दूरी है। गुरुत्वाकर्षण की पारस्परिक क्रिया में बल को दूरी के व्युत्क्रम वर्ग के नियम के अनुसार लेने पर पिण्ड 1 का त्वरण है। यदि पारस्परिक क्रिया दूरी के व्युत्क्रम चतुर्थ घात के नियम का पालन करे, तो पिण्ड का त्वरण क्या होगा ?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -5
उत्तर:
A पर B के कारण गुरुत्वीय बल
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -6

प्रश्न 4.
किसी ग्रह से सूर्य की औसत दूरी पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी की नौ गुनी है। ग्रह कितने वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करेगा?
उत्तर:
केप्लर के तृतीय नियम से
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -7

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 5.
दो पिण्डों के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल F है। यदि उनके बीच की दूरी 2 गुनी कर दें, तो उनके मध्य आकर्षण बल कितना होगा?
उत्तर:
r दूरी पर बल F = \(\frac{G m_1 m_2}{r^2}\)
और 2r दूरी पर बल F’ = \(\frac{G m_1 m_2}{(2 r)^2}=\frac{1}{4} \frac{G m_1 m_2}{r^2}=\frac{1}{4} F\)
या F’ = \(\frac{F}{4}\)

प्रश्न 6.
बृहस्पति पर वातावरण हल्की गैसों (सामान्यतः हाइड्रोजन) से युक्त है, जबकि पृथ्वी के वातावरण में बहुत कम हाइड्रोजन गैस है, क्यों?
उत्तर:
बृहस्पति ग्रह पर पलायन वेग पृथ्वी पर पलायन वेग से काफी अधिक है। इसलिए वहाँ से वस्तुओं को पलायन के लिए काफी अधिक वेग की आवश्यकता होती है। ऊष्मीय वेग इस पलायन वेग से कम होता है; अतः वहाँ से हल्की गैसें पलायन नहीं कर पाती हैं। इसीलिए हाइड्रोजन गैस बृहस्पति ग्रह के वातावरण में अधिक पायी जाती है।

प्रश्न 7.
रेडियन प्रति घंटा में भूस्थिर उपग्रह का कोणीय वेग कितना होगा?
उत्तर:
भूस्थिर उपग्रह का आवर्तकाल
T = पृथ्वी के घूर्णन का आवर्तकाल = 24 घंटे
∴ कोणीय वेग ω = \(\frac{2π}{T}=\frac{2π}{24}\) रेडियन प्रति घंटा
या w = \(\frac{π}{12}\) रेडियन / घंटा

प्रश्न 8.
जब कोई उपग्रह गिरता हुआ पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है तो वह गर्म हो जाता है, अर्थात् उसकी यान्त्रिक ऊर्जा में ह्रास होता है। परन्तु उपग्रह बढ़ती हुई चाल से कुण्डलिनी के रूप में नीचे गिरता है, क्यों?
उत्तर:
अपनी कक्षा में घूमते हुए उपग्रह की कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है जब उपग्रह पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है तो उसकी यांत्रिक ऊर्जा में (जोकि ऋणात्मक होती है) हास होता है अतः यह और ऋणात्मक हो जाती है परन्तु कक्षीय चाल vo = \(\frac{GM_e}{R_e+h}\) तभी बढ़ेगी जब ऊँचाई घटेगी। अतः उपग्रह कुण्डलिनी के रूप में बढ़ती हुई चाल से नीचे गिरता है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी पर कोई पिण्ड आपस में गुरुत्वीय बल के कारण एक दूसरे की तरफ गति नहीं करते; क्यों?
उत्तर:
दो पिण्डों के मध्य आकर्षण बल, पृथ्वी की तुलना में उनके कम द्रव्यमानों के कारण नगण्य होता है अतः इनसे निर्मित त्वरण भी बहुत कम (शून्य) होता है इसीलिए वे एक दूसरे की ओर गति नहीं करते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -8

प्रश्न 10.
पृथ्वी के परितः गतिशील उपग्रह पर एक बल लगता है। इस बल के कारण पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर कितना कार्य किया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल उपग्रह को आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करने में व्यय हो जाता है। चूंकि अभिकेन्द्र बल एवं उपग्रह की कक्षीय चाल vo परस्पर लम्बवत् होते हैं। अतः इस बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 11.
चन्द्रमा के खिंचाव के कारण ज्वार भाटा अधिक तथा सूर्य के खिंचाव के कारण ज्वार भाटा कम प्रभावी होता है जबकि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा की अपेक्षा अधिक होता है। समझाइये क्यों?
उत्तर:
जिस प्रकार गुरुत्वाकर्षण बल दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है उसी प्रकार ज्वार भाटा दूरी की तृतीय घात के व्युत्क्रमानुपाती है। चूँकि पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी सूर्य की तुलना में काफी कम है, इसीलिए चन्द्रमा के खिचाव के कारण ज्वार भाटा अधिक आता है।

प्रश्न 12.
एक हाथी एवं एक चींटी में से किसका पलायन वेग अधिक होगा और किसकी पलायन ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
पलायन वेग के सूत्र ve = \(\sqrt{\frac{2GM}{R}}\) में वस्तु का द्रव्यमान (m) नहीं है। अतः हाथी एवं चीटी दोनों के लिए पलायन वेग समान होगा। परन्तु पलायन ऊर्जा Ee = \(\frac{1}{2}\)mve² द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होती है अतः हाथी के लिए पलायन ऊर्जा काफी अधिक होगी।

प्रश्न 13.
समझाइये कि टेनिस की गेंद पहाड़ी पर अधिक एवं मैदान पर कम क्यों उछलती है?
उत्तर;
गुरुत्वीय त्वरण g का मान मैदान की अपेक्षा पहाड़ी पर कम होता है अतः टेनिस की गेंद का भार (mg) पहाड़ी पर कम एवं मैदान पर अधिक होता है भार जितना कम होता है गेंद उतनी ही अधिक उछलती है। इसीलिए मैदान की अपेक्षा पहाड़ी पर टेनिस की गेंद अधिक उछलती है।

प्रश्न 14.
मध्य रात्रि में सूर्य हमें पृथ्वी की दिशा में खींचता है। परन्तु मध्य दिन में पृथ्वी की विपरीत दिशा में खींचता है। क्या हमारा भार रात को अधिक एवं दिन में कम होता है? समझाइये |
उत्तर:
नहीं; क्योंकि गुरुत्वाकर्षण खिंचाव पिण्ड को निश्चित अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है जिससे वह अपनी कक्षा में घूर्णन कर सके। वह पिण्ड के भार में परिवर्तन नहीं करता है।

प्रश्न 15.
m द्रव्यमान का एक कण, त्रिज्या के क्षैतिज वृत्त में एक अभिकेन्द्रीय बल \(\frac{k}{r^2}\) के अन्तर्गत् घूम रहा है, जहाँ k नियतांक है। कण में कुल कितनी ऊर्जा है ?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा K = \(\frac{1}{2}\)mv²
दिया है –
F = \(\frac{k}{r^2}=frac{mv^2}{r^2}\) ⇒ mv² = \(\frac{k}{r}\)
∴ K = \(\frac{1}{2}\)mv² = \(\frac{k}{2r}\)
स्थितिज ऊर्जा U = -F.r = –\(\frac{k}{r^2}\).r = \(– \frac{k}{r}\)
कुल ऊर्जा,
Et = K + U = \(\frac{k}{2r}-\frac{k}{r}=- \frac{k}{2r}\)
या Et = \(– \frac{k}{2r}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 16.
अपनी अक्ष पर पृथ्वी के घूमने की वह चाल ज्ञात कीजिए ताकि भूमध्य रेखा पर किसी वस्तु का भार इस समय के भार का 3/5 हो जाये। भूमध्य रेखा की त्रिज्या 6400 km मान लीजिए।
उत्तर:
दिया है- g’ = \(\frac{3}{5}\)g
जहाँ g = पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण
भूमध्य रेखा के लिए-
∵ g’ = g – R ω²
∴ \(\frac{3}{5}\)g = g – R ω²
या R ω² = g – \(\frac{3}{5}\)g = \(\frac{2}{5}\)g
या ω² = \(\frac{2g}{5R}\) ⇒ ω = \(\sqrt{\frac{2g}{5R}}=\sqrt{\frac{2 \times 9.8}{5 \times 6.4 \times 10^6}}\)
या ω = 7.8 × 10-4 rad.s-1

प्रश्न 17.
पृथ्वी के परितः वृत्तीय पथ पर परिक्रमा करते उपग्रह पर अभिकेन्द्र बल है। इस पर पृथ्वी का गुरुत्वीय बल कितना है? तथा इस पर परिणामी बल कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी के परितः वृत्तीय पथ पर परिक्रमा करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल गुरुत्वीय बल ही प्रदान करता है। अतः गुरुत्वीय बल ही परिणामी बल F है।

प्रश्न 18.
क्या घर्षण बल व अन्य सम्पर्क बल गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
नहीं; घर्षण अथवा अन्य सम्पर्क बलों की उत्पत्ति विद्युत बलों के कारण होती है।

प्रश्न 19.
यदि दो ग्रहों की त्रिज्याएं R1 व R2 हों तथा माध्य घनत्व ρ1 व ρ2 हों तो सिद्ध कीजिए कि दोनों ग्रहों पर गुरुत्वीय त्वरणों का अनुपात R1ρ1 : R2ρ2 होगा।
उत्तर:
गुरुत्वीय त्वरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -9

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 20.
यदि किसी उपग्रह की घूर्णन आवृत्ति N हो तो सिद्ध कीजिए कि (R+h)³ ∝ \(\frac{1}{N^2}\)
उत्तर:
उपग्रह का आवर्तकाल
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -10

प्रश्न 21.
यदि पृथ्वी के समीप परिक्रमा कर रहे उपग्रह की गतिज ऊर्जा दो गुनी हो जाये तो क्या उपग्रह अपनी कक्षा को छोड़कर पलायन कर जायेगा? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा दो गुनी हो जाती है अतः
K’ = 2K
या \(\frac{1}{2}\)mv’² = \(\frac{1}{2}\)mv² × 2
या v’ = vo√2
पृथ्वी के समीप परिक्रमा करने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल vo एवं पलायन वेग में निम्न सम्बन्ध होता है-
∵ ve = vo√2
∴ v’ = ve (पलायन वेग )
अतः उपग्रह अपनी कक्षा छोड़कर पलायन कर जायेगा।

प्रश्न 22.
साधारणतः पृथ्वी से फेंके गये प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है परन्तु अधिक ऊँचाई तक फेंके गये प्रक्षेप्यों का पथ दीर्घ वृत्ताकार होता है, क्यों?
उत्तर;
साधारण ऊँचाई तक g का मान लगभग नियत रहता है। अतः प्रक्षेप्य लगभग नियत त्वरण के अन्तर्गत गति करता है जिससे इसका पथ परवलयाकार हो जाता है परन्तु अत्यधिक ऊंचाई पर गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के केन्द्र से दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती g ∝ \(\frac{1}{r^2}\) होता है, फलस्वरूप g का मान घटता चला जाता है अतः परिवर्ती गुरुत्वीय त्वरण के कारण प्रक्षेप्य पथ दीर्घ वृत्ताकार हो जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -11

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 23.
किसी धातु के दो समान आकार के गोले (ठोस) एक-दूसरे को स्पर्श करते हुए रखे हैं। उनके बीच कार्य करने वाला बल उनकी त्रिज्या से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
गोलों के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल,
\(F=G \frac{m_1 m_2}{r^2}\)
गोले समान धातु के हैं अतः इनके घनत्व (ρ) भी समान होंगे अतः
= \(\frac{G m_1 m_2}{(2 r)^2}=\frac{G \frac{4}{3} \pi r^3 \rho \frac{4}{3} \pi r^3 \rho}{4 r^2}\)
\(F=\frac{4}{9} \pi^2 G \rho^2 r^4\)
या F ∝ r4

प्रश्न 24.
एक पिण्ड को पृथ्वी के केन्द्र से ऊपर उठाते हुए चन्द्रमा तक ले जाते हैं। पिण्ड के भार में क्या परिवर्तन होंगे?
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र पर g= 0, अतः पिण्ड का भार भी शून्य होता है। पृथ्वी के केन्द्र से ऊपर जाने पर g का मान भी बढ़ता है और पृथ्वी सतह पर अधिकतम हो जाता है पुनः पृथ्वी सतह से ऊपर जाने पर g का मान दूरी घटने के साथ-साथ घटता है और जहाँ पर पृथ्वी व चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण सीमाएं मिलती है, वहाँ पर भार शून्य हो जाता है। इसके बाद चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण भार पुनः बढ़ता जायेगा।

प्रश्न 25.
पृथ्वी सतह से h ऊँचाई पर जाने पर यदि वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल आधा रह जाता है तो h व R में सम्बन्ध बताइये।
उत्तर:
∵ Fh = \(\frac{1}{2}\)Fs
∴ \(\frac{G M \cdot m}{(R+h)^2}=\frac{1}{2} \frac{G M m}{R^2} \Rightarrow \frac{1}{(R+h)^2}=\frac{1}{2 R^2}\)
या (R+h )² = 2R²
या (R+h) = R√2
या h = R√2 – R = R(√2 – 1)
या h = R(1.414 – 1)
या h = 0.414 R

प्रश्न 26.
एक उपग्रह किसी ग्रह के समीप परिक्रमा करता है। यदि उपग्रह का आवर्तकाल T एवं ग्रह का माध्य घनत्व d हो, तो सिद्ध कीजिए कि T × √d एक सार्वत्रिक नियतांक है।
उत्तर:
किसी ग्रह के उपग्रह का आवर्तकाल,
\(T=2 \pi \sqrt{\frac{(R+h)^3}{G M}}\)
∵ उपग्रह ग्रह के समीप परिक्रमा करता है अतः h << R
∴ h को छोड़ने पर
\(2 \pi \sqrt{\frac{R^3}{G \cdot \frac{4}{3} \pi R^3 \cdot d}}=\sqrt{\frac{4 \pi^2 \times 3}{4 \pi G d}}=\sqrt{\frac{3 \pi}{G d}}\)
या T × √d = \(\sqrt{\frac{3 \pi}{G d}}\) = एक सार्वत्रिक नियतांक
या T . √d = सार्वत्रिक नियतांक

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प्रश्न 27.
एक ग्रह की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या से दो गुनी है तथा ग्रह तथा पृथ्वी दोनों के औसत घनत्व समान हैं। यदि ग्रह एवं पृथ्वी पर पलायन वेग क्रमशः vp तथा ve हों, तो सिद्ध कीजिए कि vp = 2ve.
उत्तर:
दिया है-
Rp = 2Re
ρp = ρe = ρ
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -12

प्रश्न 28.
कोई ग्रह सूर्य के परितः v ms-1 की चाल से Ts में एक पूरा चक्कर लगाता है। दिखाइये कि इस ग्रह पर सूर्य की ओर दिष्ट
त्वरण का मान \(\frac{2πv}{T}\) होता है।
उत्तर:
अभिकेन्द्रीय त्वरण,
ac = \(\frac{v^2}{r}\)
= \(\frac{v}{r}\) v = ω v = \(\frac{2π}{T}\) v
या ac = \(\frac{2πv}{r}\)

प्रश्न 29.
यदि हम अपनी छोटी अंगुली भी हिलाते हैं तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को छोड़ना पड़ता है, क्यों?
उत्तर:
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम से इस ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण दूसरे कणों को आकर्षित करता है और यह आकर्षण बल दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है अतः जब हम अपनी अंगुली उठाते हैं तो कणों के मध्य दूरी बदलती है जिससे आकर्षण बदलता है यह ब्रह्माण्ड को विचलित कर देता है।

प्रश्न 30.
कृत्रिम उपग्रह में कोई ईंधन नहीं होता फिर भी यह पृथ्वी के चारों ओर घूमता है क्यों?
उत्तर:
पृथ्वी तथा उपग्रह के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल उपग्रह को पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है। इसीलिए उपग्रह पृथ्वी के परितः घूमता रहता है।

प्रश्न 31.
अंतरिक्ष यान में भारहीनता के कारण एक यात्री को क्या-क्या परेशानियाँ अनुभव होती हैं? इनका समाधान क्या है?
उत्तर:
भारहीनता के कारण अंतरिक्ष यात्री गिलास से पानी नहीं पी सकता है और न ही गिलास से पानी डाल सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए अंतरिक्ष यान इस तरह बनाया जाता है कि इसमें खोखले रिम वाले बड़े-बड़े पहिए बनाये जाते हैं, पहियों को घुमा दिया जाता है। इस रिम में बने कैबिन में बैठा यात्री अभिकेन्द्र बल के कारण भार अनुभव करता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions )

प्रश्न 1.
केप्लर के ग्रहीय गति के नियम लिखिए एवं केप्लर के तृतीय नियम से गुरुत्वाकर्षण नियम का सत्यापन कीजिए।
उत्तर:
केप्लर के नियम (Kepler’s Laws)
केप्लर (1571-1630) ने टायको ब्रेह (1546-1601) के द्वारा किये गये प्रहीय प्रेक्षणों का कई वर्षों तक अध्ययन किया और निम्नलिखित तीन नियम प्रस्तुत किये-

प्रथम नियम : प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घ-वृत्ताकार कक्षा (elliptical orbit) में परिक्रमण करता है और सूर्य कक्षा की एक नाभि (focus) पर स्थित होता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -13
द्वितीय नियम : ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है अर्थात् ग्रह की क्षेत्रीय चाल (Areal Speed) नियत रहती है।
माना ग्रह dt समय में dA क्षेत्रफल प्रस्थार्पित करता है, तो क्षेत्रीय चाल \(\frac{d A}{d t}\) = नियतांक। चित्र में ग्रह को B से A तक जाने में जितना समय लगता है, उतना ही समय B’ से A’ तक जाने में लगता है। अत: क्षेत्रफल SAB = क्षेत्रफल SA’B’ । दोनों क्षेत्रफल समान होने का अर्थ है कि ग्रह की कक्षीय चाल बदलती है। सूर्य से दूर जाने पर कक्षीय चाल घटती है और पास आने पर बढ़ती है। अतः क्षेत्रीय चाल कोणीय संवेग के रूप में लिखने पर घूमते हुए ग्रह का कोणीय संवेग नियत रहता है। अर्थात्
\(\frac{d A}{d t}=\frac{L}{2m}\)
यहाँ L कोणीय संवेग है तथा m ग्रह का द्रव्यमान है।
तृतीय नियम-ग्रह के आवर्त काल का वर्ग ग्रह एवं सूर्य के बीच औसत दूरी के घन के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्
T² ∝ r³
या T² = k r³
जहाँ k, एक नियतांक है एवं r, सूर्य एवं ग्रह के मध्य औसत दूरी है।

केप्लर के नियम से न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम (Derivation of Newton’s Law of Gravitation from Kepler’s Law) :
न्यूटन ने पाया कि अधिकांश ग्रह सूर्य के परित: लगभग वृत्ताकार कक्षाओं में गति करते हैं। केप्लर के द्वितीय नियम के अनुसार, ग्रह के त्रिज्यीय सदिश की क्षेत्रफलीय चाल नियत रहती है। अत: वृत्ताकार कक्षा में त्रिज्य सदिश की तथा स्वयं ग्रह की रेखीय चाल क्रमशः v तथा ω नियत रहेगी।
माना r त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर गतिशील होने के कारण ग्रह के द्रव्यमान m पर केन्द्र की ओर लगने वाला अभिकेन्द्र बल F लगता है, तो
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -14
इस प्रकार केप्लर के नियमों के आधार पर न्यूटन ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले-

  • ग्रहों पर अभिकेन्द्र बल आरोपित होता है जिसकी दिशा सूर्य की ओर होती है।
  • इस बल का परिमाण, ग्रह तथा सूर्य के बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है। (F ∝ \(\frac{1}{r^2}\))
  • यह बल ग्रह के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती है,
    (F ∝ m)

प्रश्न 2.
गुरुत्वीय विभव से क्या तात्पर्य है? बिन्दु द्रव्यमान के लिए सूत्र निगमित कीजिए ।
उत्तर:
गुरुत्वीय विभव (Gravitational Potential) :
एकांक द्रव्यमान को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है, उसे उस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव कहते हैं।” ये सदैव ऋणात्मक होता है और अनन्त पर इसका मान शून्य मानते हैं। इसे V से व्यक्त करते हैं। इसका मात्रक Jkg-1 एवं विमीय सूत्र [M0 L2 T-2] है।

किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य गुरुत्वीय विभवान्तर उस कार्य के बराबर है जो एकांक द्रव्यमान को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में करना पड़ता है। अत: A व B दो बिन्दुओं के बीच गुरुत्वीय विभवान्तर
\(V_B-V_A=\left(\frac{U_B-U_A}{m}\right)\) …………..(1)

बिन्दु द्रव्यमान के कारण विभव (Potential due to Point Mass) :
माना M द्रव्यमान का कण स्थिति A पर रखा है। कण के केन्द्र से r दूरी पर बिन्दु P है जिस पर हमें कण के कारण गुरुत्वीय विभव ज्ञात करना है। बिन्दु P की स्थिति r का फलन है अत: इस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव भी r का फलन होगा। अत: P पर गुरुत्वीय विभव-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -15

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 3.
गुरुत्वीय विभव से क्या तात्पर्य है? किसी ठोस गोलाकार पिण्ड के कारण विभिन्न स्थितियों में गुरुत्वीय विभव के लिए सूत्र निगमित कीजिए ।
उत्तर:
गुरुत्वीय विभव (Gravitational Potential) :
एकांक द्रव्यमान को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है, उसे उस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव कहते हैं।” ये सदैव ऋणात्मक होता है और अनन्त पर इसका मान शून्य मानते हैं। इसे V से व्यक्त करते हैं। इसका मात्रक Jkg-1 एवं विमीय सूत्र [M0 L2 T-2] है।

किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य गुरुत्वीय विभवान्तर उस कार्य के बराबर है जो एकांक द्रव्यमान को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में करना पड़ता है। अत: A व B दो बिन्दुओं के बीच गुरुत्वीय विभवान्तर
\(V_B-V_A=\left(\frac{U_B-U_A}{m}\right)\) …………..(1)

किसी ठोस गोलाकार पिण्ड के कारण गुरुत्वीय विभव (Gravitational Potential Due to Solid Sphere) :
माना M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या का एक ठोस गोला है जिसका केन्द्र O है। किसी बाहरी बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव ज्ञात करने के लिए गोले को बिन्दु द्रव्यमान माना जा सकता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -16
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -17

प्रश्न 4.
खोखले गोले के कारण उसके बाहर पृष्ठ पर एवं उसके अन्दर गुरुत्वीय विभव के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए ।
उत्तर:
गोलीय कोश के कारण गुरुत्वीय विभव (Gravitational Potential due to Hollow Sphere):
1. बाह्य बिन्दु A पर (r > R) गुरुत्वीय विभव
\(V_{\text {out }}=-\frac{G M}{r}\) ………..(7)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -18
2. पृष्ठ पर स्थित बिन्दु (r = R) पर गुरुत्वीय विभव-
\(V_s=-\frac{G M}{R}\) ………….(8)

3. गोले के आन्तरिक बिन्दु C(r < R) पर विभव-
गोले के अन्दर गुरुत्वीय क्षेत्र का मान शून्य होता है। अत: एकांक द्रव्यमान को पृष्ठ के अन्दर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में कोई अतिरिक्त कार्य नहीं करना पड़ता है। अतः अन्दर किसी बिन्दु पर गुरुत्वीय वभव वही होगा जो उसके पृष्ठ पर होता है।
∴ \(V_{\text {in }}=-\frac{G M}{R}\) ……….(9)
खोखले गोले के कारण दूरी के साथ गुरुत्वीय विभव में परिवर्तन निम्न चित्र (8.23) में प्रदर्शित है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -19

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 5.
एक कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के निकट निश्चित वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगा रहा है। सिद्ध कीजिए कि इसका परिक्रमण काल \(T=\sqrt{\frac{3π}{ρG}}\) होगा, जहाँ ρ पृथ्वी का घनत्व एवं G गुरुत्वाकर्षण नियतांक है।
उत्तर:
उपग्रह का परिक्रमण काल (Revolution Period of Satellite):
उपग्रह अपने ग्रह के चारों ओर एक चक्कर लगाने में जितना समय लेता है, उसे उपग्रह का परिक्रमण काल कहते हैं।
यदि उपग्रह का परिक्रमण काल T हो, तो
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -20
\(T=2π \sqrt{\frac{(R+h)^3}{GM}}\)
उपग्रह पृथ्वी के अति निकट परिक्रमा करता है अत: h<< R
h को R की तुलना में छोड़ने पर-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -21

प्रश्न 6.
उपग्रह की ऊर्जा एवं बन्धन ऊर्जा से क्या अभिप्राय है?
इनके लिए सूत्र प्राप्त कीजिए ।
उत्तर:
उपग्रह की ऊर्जा (Energy of Satellite)
अपनी कक्षा में परिक्रमण करते समय उपग्रह की कक्ष्पिय चाल के कारण उसमें गतिज ऊर्जा होती है और उसकी स्थिति के कारण स्थितिज ऊर्जा होती है। इन दोनों प्रकार की ऊर्जाओं का योग उपग्रह की कुल ऊर्जा होती है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -22
स्पष्ट है कि कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है जिसका अभिप्राय है कि उपग्रह ग्रह के साथ बद्ध निकाय है। इसे मुक्त करने के लिए बाह्य ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

उपग्रह की बन्धन ऊर्जा (Binding Energy of Satellite) :
“ऊर्जा की वह न्यूनतम मात्रा जो किसी उपग्रह को दे देने पर उपग्रह सदैव के लिए अपनी कक्षा छोड़कर चला जाये अर्थात् पलायन कर जाये, उपग्रह की बन्धन ऊर्जा कहलाती है।’ इसे Eb से व्यक्त करते हैं।
उपग्रह की कुल ऊर्जा, E_t=-\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}
उपग्रह जब पलायन कर जायेगा तो अनन्त पर उसकी ऊर्जा शून्य हो जायेगी। अत: उपग्रह की बन्धन ऊर्जा
\(E_b=E_{\infty}-E_t=0-\left[-\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\right]\)
या \(E_b=\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि पलायन वेग पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
उत्तर:
पलायन वेग (Escape Velocity) :
“वह न्यूनतम वेग जिससे फेंके जाने पर कोई वस्तु पलायन कर जाये अर्थात् पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण सीमा के बाहर चली जाये और लौटकर वापस न आ सके, पलायन वेग कहलाता है।’ इसकी कोई निश्चित दिशा नहीं होती है। अत: इसे पलायन वेग न कहकर पलायन चाल कहना अधिक यथार्थ होगा। आदतन हम इसे पलायन वेग कह देते हैं।

(i) पृथ्वी सतह से पलायन वेग के लिए सूत्र-हम जानते हैं कि जब किसी वस्तु को पृथ्वी सतह से दूर की ओर फेंका जाता है तो उसकी गतिज ऊर्जा गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में बदलने लगती है और जहाँ पर सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है, वहीं से वस्तु वापस लौट आती है। इस आधार पर स्पष्ट है कि यदि वस्तु को पृथ्वी सतह से उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के बराबर गतिज ऊर्जा दे दी जाये तो वह अनन्त पर पहुँच जायेगी अर्थात पलायन कर जायेगी। अत:
पलायन ऊर्जा = गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का परिमाण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -23

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम लिखिए एवं सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) की परिभाषा, मात्रक एवं विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर;
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम (Universal Law of Gravitation) इस नियम के अनुसार, “बह्माण्ड में प्रत्येक द्रव्य कण किसी भी अन्य द्रव्य कण को अपनी ओर एक बल द्वारा आकर्षित करता है जिसका मान (परिमाण) दोनों कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती एवं उनके द्रव्यमान केन्द्रों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।” इस बल की दिशा दोनों कण्णों को मिलाने वाली रेखा की सीध में होती है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -24
माना m1 व m2 द्रव्यमान के दो कण परस्पर r दूरी पर चित्र के अनुसार हैं।
यदि इन दोनों के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल F हो तो उक्त गुरुत्वाकर्षण बल के नियमानुसार
एवं \(F \propto m_1 m_2\)
\(F \propto \frac{1}{r^2}\)
दोनों नियमों को मिलाने पर
या \(F \propto \frac{m_1 m_2}{r^2}\)
या \(F=G \frac{m_1 m_2}{r^2}\) ……….(1)
जहाँ G एक नियतांक है जिसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Universal Constant of Gravity) कहते हैं। खगोलीय पिण्डों या पृथ्वी व सूर्य के मध्य दूरी इनके व्यास की तुलना में अत्यधिक होने के कारण इन्हें कण माना जा सकता है। अतः समीकरण (1) ऐसी समस्याओं पर भी लागू होता है।

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G):
1. परिभाषा-
∵ गुरुत्वाकर्षण बल, \(F=G \frac{m_1 m_2}{r^2}\)
यदि m1 = m2 = 1, r = 1 तो F = G
अर्थात् “सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक उस गुरुत्व बल के तुल्य है जो एकांक द्रव्यमान के दो कणो के मध्य एकांक दूरी पर कार्य करता है।”
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -25

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 9.
पृथ्वी का उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर क्यों घूमता है? इसके आवर्तकाल एवं कक्षीय चाल के लिए सूत्रों का निगमन कीजिए।
उत्तर;
उपग्रह की कक्षीय चाल, परिक्रमण काल एवं कुल ऊर्जा (Orbital Speed, Period of Revolution and Total Energy):
उपग्रह (Satellite):
वे आकाशीय पिण्ड जो ग्रहों की परिक्रमा करते हैं, उपग्रह कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
(1) प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellites)
उदाहरण-चन्द्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है।
(2) कृत्रिम उपग्रह (Artificial Satellites)
उदाहरण-सभी मानव निर्मित उपग्रह कृत्रिम उपग्रह की श्रेणी में आते हैं; जैसे-INSAT-1A, IB; EDUSAT; G-SAT आदि।

उपग्रह का कक्षीय वेग (Orbital Velocity of Satellite) :
माना m द्रव्यमान का उपग्रह पृथ्वी (द्रव्यमान M ) सतह से h ऊँचाई पर vo कक्षीय चाल से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या,
r = (R + h)
पृथ्वी एवं उपग्रह के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण -26

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

आंकिक प्रश्न (Numerical Questions) :

गुरुत्वाकर्षण नियम पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 1,.
M, 2M, 3M, 4M द्रव्यमान के चार कण a भुजा वाले वर्ग के शीर्षों पर रखे गये हैं तो वर्ग केन्द्र पर रखे M द्रव्यमान वाले कण पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर;
\(\frac{4 \sqrt{2} G M^2}{a^2}\)

प्रश्न 2.
दो गोलों के द्रव्यमान 60 kg तथा 50 kg हैं। इनके गुरुत्व केन्द्रों के बीच की दूरी 0.50m है। इनके बीच कितना गुरुत्वाकर्षण बल होगा?
उत्तर:
8.0 × 10-7 N

प्रश्न 3.
M द्रव्यमान का एक समरूप गोला तथा m द्रव्यमान और L लम्बाई की एक समरूप छड़ इस प्रकार रखे गये हैं कि छड़ का पास वाला सिरा गोले के केन्द्र से r दूरी पर स्थित हो तो गोले व छड़ के मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
\(\frac{GMm}{r(r+L)}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वीय त्वरण पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 4.
एक व्यक्ति का पृथ्वी तल पर भार 80 kg है। इस व्यक्ति का चन्द्रमा पर भार क्या होगा? दिया है, चन्द्रमा का द्रव्यमान 7.34 × 1022 kg त्रिज्या = 1.75 × 106 m; गुरुत्वीय नियतांक = 6.67 × 10-11 Nm.kg-2 व्यक्ति का चन्द्रमा पर द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर:
128 N; 80 kg

प्रश्न 5.
यदि पृथ्वी का व्यास उसके वर्तमान व्यास का आधा हो जाये तथा घनत्व वही रहे तो इस आहे आकार की पृथ्वी की सतह पर ‘8 का मान कितना होगा?
उत्तर:
4.90 ms

प्रश्न 6.
किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर भार 490 N है। पृथ्वी पर . गुरुत्वीय त्वरण g 9.8 Nkg है। चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय त्वरण & है। ज्ञात कीजिए-
(i) चन्द्रमा की सतह पर व्यक्ति का भार ।
(ii) पृथ्वी व चन्द्रमा पर व्यक्ति का द्रव्यमान ।
(iii) यदि व्यक्ति पृथ्वी सतह पर 1 min में 150 m चलता है तो चन्द्रमा पर मिनट में कितना चलेगा?
(iv) यदि व्यक्ति पृथ्वी तल पर 2 mm कूद सकता हो चन्द्रमा पर कितना कूदेगा?
उत्तर:
(i) 81.67 N;
(ii) पृथ्वी व चन्द्रमा दोनों पर द्रव्यमान
(iii) 150m;
(iv) 12m ]

गुरुत्वीय त्वरण में परिवर्तन पर आधारित

प्रश्न 7.
पृथ्वी की सतह से / ऊंचाई तक जाने पर किसी वस्तु के भार में 1% कमी आती है। यदि वस्तु के सतह से / गहराई नीचे ले जाया जाये तो भार में परिवर्तन कितना होगा?
जिससे
उत्तर:
0.5%

प्रश्न 8.
अपनी अक्ष पर पृथ्वी के घूर्णन की चाल ज्ञात कीजिए। ‘भूमध्य रेखा पर किसी व्यक्ति का भार इस समय के भार का
जाये। भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की त्रिज्या 6400 किमी है।
उत्तर:
5.53 x 104 रेडियन / से०

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 9.
किस ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी की के मान का (i) 4% तथा (ii) 50% होगा? पृथ्वी की त्रिज्या 6400 km है।
उत्तर:
(i) 25600 km;
(ii) 2649.6 km

प्रश्न 10.
पृथ्वी तल से कितना नीचे जाने पर गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण का (i) आधा रह जायेगा (ii) एक चौथाई रह जायेगा ? (पृथ्वी की त्रिज्या = 6400km )
उत्तर:
(i) 3200 km
(ii) 4800km

गुरुत्वीय क्षेत्र तथा गुरुत्वीय विभव पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 11.
चन्द्रमा तथा पृथ्वी के बीच की औसत दूरी 3.85 × 108 m है। दोनों के मध्य किस स्थान पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी?
(दिया है- पृथ्वी का द्रव्यमान = 5.96 × 1024 kg: चन्द्रमा का द्रव्यमान 7.36 ×1022 kg)
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र से 3.465 × 108 m

प्रश्न 12.
2 किग्रा द्रव्यमान का एक कण 1.0 मी त्रिज्या तथा 100 किग्रा द्रव्यमान के एक समान गोले पर रखा है। गोले के पृष्ठ पर गुरुत्वीय विभव ज्ञात करो तथा कण को दूर करने में गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
V = 6.67 × 10-9 J/kg, W = 1.3340 × 10-8 J

प्रश्न 13.
(i) चन्द्रमा तथा पृथ्वी के बीच की दूरी 3.85 × 108 m है। दोनों के मध्य किस बिन्दु पर गुरुत्वीय बल क्षेत्र शून्य होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg; चन्द्रमा का द्रव्यमान = 7.5 × 1022 kg)
(ii) इस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव कितना होगा?
उत्तर:
(i) पृथ्वी के केन्द्र से 3.46 × 108 cm;
(ii) -1.30 × 106 J.kg-1

गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा पर आधारित प्रश्नं

प्रश्न 14.
पृथ्वी का द्रव्यमान 6.0 × 1024 kg तथा त्रिज्या 6.4 × 106 m है।
(i) 4 kg के एक पिण्ड को पृथ्वी तल से अनन्त तक ले जाने में कितना कार्य करना होगा?
(ii) 4kg के पिण्ड की पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी?
(iii) पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय विभव कितना होगा?
(iv) यदि पिण्ड अनन्त से पृथ्वी तल पर गिरे तो पृथ्वी तल से टकराते समय पिण्ड का वेग क्या होगा?
(G = 6.67 × 10-11 N.m²kg-2)
उत्तर:
(i) 2.5 × 108 J;
(ii) -2.5 × 108 J;
(iii) -6.25 × 107 J.kg-1;
(iv) 11.18 × 10³ ms-1

प्रश्न 15.
200g द्रव्यमान के तीन कण अनन्त से लाकर किसी समबाहु त्रिभुज के शीर्षो पर रखे जाते हैं। यदि त्रिभुज की प्रत्येक भुजा 40 cm हो तो किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
2.0 × 10-11 J

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उपग्रह की कक्षीय चाल, पलायन वेग तथा परिक्रमण काल पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 16.
यदि पृथ्वी का द्रव्यमान और त्रिज्या किसी ग्रह की क्रमशः 9 गुनी तथा दुगुनी है तो रॉकेट को इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम वेग की गणना कीजिए। पृथ्वी की सतह पर पलायन वेग 11.2 km.s-1 लीजिए।
उत्तर:
5.28k.ms-1

प्रश्न 17.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी की सतह से 4R ऊंचाई पर स्थित है, जहाँ R पृथ्वी की त्रिज्या है। पिण्ड को कितना न्यूनतम वेग दिया जाये कि वह पलायन कर जाये?
उत्तर:

प्रश्न 18.
पृथ्वी के समीप उसकी परिक्रमा करने वाले उपग्रह के कक्षीय वेग की गणना कीजिए। यदि पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 × 106 m तथा गुरुत्वीय त्वरण 10 ms-2 हो। यदि उपग्रह पृथ्वी तल से 2000 km की ऊँचाई पर रहे तब कक्षीय वेग कितना होगा?
उत्तर:
8 km.s-1; 6.98 kms-1

उपग्रह द्वारा प्राप्त ऊँचाई पर ऊर्जा पर आधारित

प्रश्न 19.
500g के पिण्ड को पृथ्वी से पलायन करने के लिए कितनी आवश्यक ऊर्जा ज्ञात कीजिए। (g = 10 ms-2 तथा पृथ्वी की from Re = 6400 km)
उत्तर:
3.2 × 107 J

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 20.
किसी पिण्ड को पृथ्वी तल से किस वेग से फेंका जाये कि वह (i) 2Re; (ii) 4Re ऊँचाई तक पहुँच जाये? (पृथ्वी त्रिज्या R = 6400km; g = 10 ms-1)
उत्तर:
(i) 9.24 km.s-1;
(ii) 10.11 km.s-1

प्रश्न 21.
500kg का एक कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी से 1800 km की ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है। उपग्रह की (i) स्थितिज ऊर्जा, (ii) गतिज ऊर्जा, (iii) कुल ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है- पृथ्वी की त्रिज्या 6400 km तथा g = 10 ms-1
(i) 2.5 × 1010 J;
(ii) 1.25 × 1010 J;
(iii) -1.25 × 1010 J

केप्लर के नियमों पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 22.
नेप्चून ग्रह की सूर्य से दूरी पृथ्वी से सूर्य की दूरी की 30 गुनी है। पृथ्वी का परिक्रमण काल 1 वर्ष है। नेप्चून के परिक्रमण काल की गणना कीजिए।
उत्तर:
164.3 वर्ष

प्रश्न 23.
बृहस्पति ग्रह की सूर्य से दूरी पृथ्वी की सूर्य से दूरी की 5.2 गुनी है तो बृहस्पति के घूर्णन का आवर्त्तकाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
11.86 वर्ष