Class 12

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें


वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का मुख्य स्रोत है:
(अ) स्थिर आवेश
(ब) एक समान वेग से चलता आवेश
(स) त्वरित आवेश
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(स) त्वरित आवेश

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौनसी किरण विद्युत चुम्बकीय है:
(अ) धन किरणें
(ब) α-किरणें
(स) β-किरणें
(द) γ -किरणें तरंगदैर्घ्य होती है
उत्तर:
(द) γ -किरणें तरंगदैर्घ्य होती है

प्रश्न 3.
दृश्य प्रकाश की
(अ) 7800 Å से 1500 Å
(ब) 1 Å से 100 Å
(स) 4000 Å से 8000 Å
(द) 5000 Å से 1200 Å
उत्तर:
(स) 4000 Å से 8000 Å

प्रश्न 4.
सूर्य की निम्नलिखित तरंगों में से कौनसी तरंग अन्ततः विद्युत ऊर्जा के रूप में प्रयुक्त की जाती है:
(अ) रेडियो तरंगें
(ब) अवरक्त किरणें
(स) दृश्य प्रकाश
(द) माइक्रो तरंगें
उत्तर:
(ब) अवरक्त किरणें

प्रश्न 5.
I ( वाट/मी.2) तीव्रता की विद्युत चुम्बकीय तरंग द्वारा एक परावर्तक तल पर आरोपित दाब है:
(अ) Ic
(ब) Ic2
(स) I/c
(द) I/c2
उत्तर:
(स) I/c

प्रश्न 6.
क्रिस्टल संरचना का अध्ययन किया जाता है:
(अ) पराबैंगनी किरणों द्वारा
(ब) X – किरणों द्वारा
(स) अवरक्त विकिरणों द्वारा
(द) सूक्ष्म तरंगों द्वारा
उत्तर:
(ब) X – किरणों द्वारा

प्रश्न 7.
यदि λv,λx तथा λm क्रमशः दृश्य प्रकाश, X- किरणों तथा माइक्रो तरंगों की तरंगदैर्घ्य को व्यक्त करती है, तो
(ब) λm > λv > λx
(ब) λv > λm > λx
(स)) λm > λx > Av
(द) λv> λx > λm
उत्तर:
(ब) λv > λm > λx

प्रश्न 8.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की प्रकृति होती है:
(अ) अनुदैर्घ्य
(ब) अनुप्रस्थ
(स) यांत्रिक
(द) अनुप्रस्थ व अनुदैर्ध्य
उत्तर:
(ब) अनुप्रस्थ

प्रश्न 9.
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में निम्न में से कौनसे घटक की तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होती है?
(अ) गामा किरणों की
(ब) X-किरणों की
(स) रेडियो तरंगों की
(द) सूक्ष्म तरंगों की
उत्तर:
(अ) गामा किरणों की

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प्रश्न 10.
निम्न में से किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य, पीले रंग के प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से अधिक होता है?
(अ) हरा
(ब) नीला
(स) लाल
(द) बैंगनी
उत्तर:
(स) लाल

प्रश्न 11.
निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का वेग होता है:
(अ) 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
(ब) 3 x 107 मीटर/सेकण्ड
(स) 3 x 106 मीटर/सेकण्ड
(द) 3 x 1010 मीटर/सेकण्ड
उत्तर:
(अ) 3 x 108 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 12.
वायुमण्डल में स्थित ओजोन परत सूर्य से आने वाले किन हानिकारक विकिरणों से हमारी रक्षा करती है?
(अ) X-किरणों से
(ब) गामा किरणों से
(स) पराबैंगनी किरणों से
(द) सूक्ष्म किरणों से
उत्तर:
(स) पराबैंगनी किरणों से

प्रश्न 13.
निम्न में से किस आवृत्ति की तरंगें आयनमण्डल को भेदित कर सकती हैं:
(अ) 5 हर्ट्ज से अधिक
(ब) 10 मेगा हर्ट्ज से अधिक
(स) 20 मेगा हर्ट्ज से अधिक
(द) 15 मेगा हर्ट्ज से अधिक
उत्तर:
(स) 20 मेगा हर्ट्ज से अधिक

प्रश्न 14.
निम्न में से कौनसी तरंगें विद्युतचुम्बकीय तरंगें नहीं हैं:
(अ) रेडियो तरंगें
(ब) ध्वनि तरंगें
(स) अवरक्त तरंगें
(द) सूक्ष्म तरंगें
उत्तर:
(ब) ध्वनि तरंगें

प्रश्न 15.
विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम का वह घटक जिसका उपयोग क्रिस्टल संरचना के अध्ययन के लिये किया जाता है, निम्न में से है:
(अ) सूक्ष्म तरंगें
(ब) रेडियो तरंगें
(स) X -किरणें
(द) अवरक्त तरंगें
उत्तर:
(स) X -किरणें

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व का सिद्धान्त दिया था:
(अ) न्यूटन ने
(ब) मैक्सवेल ने
(स) हर्ट्ज ने
(द) हाइगेन ने
उत्तर:
(ब) मैक्सवेल ने

प्रश्न 17.
प्रकाश तरंगें होती हैं:
(अ) अनुदैर्घ्य यांत्रिक तरंगें
(ब) अनुप्रस्थ प्रत्यास्थ तरंगें
(स) अनुदैर्ध्य प्रत्यास्थ तरंगें
(द) अनुप्रस्थ विद्युत चुम्बकीय तरंगे
उत्तर:
(द) अनुप्रस्थ विद्युत चुम्बकीय तरंगे

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प्रश्न 18.
यदि μ0 तथा eo क्रमशः निर्वात की पारगम्यता तथा विद्युत- शीलता हो तो निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का वेग होगा:
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उत्तर:
\(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\)

प्रश्न 19.
किसी माध्यम के लिये अपवर्तनांक का मान होता है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 2
उत्तर:
\(\sqrt{u_r \epsilon_r}\)

प्रश्न 20.
विद्युत चुम्बकीय तरंग प्रकृति प्रदर्शित करेगी:
(अ) प्रकाश एवं ध्वनि
(ब) प्रकाश एवं एक्स-किरणें
(स) एक्स-किरणें व इलेक्ट्रॉन
(द) प्रकाश एवं फोटोन
उत्तर:
(ब) प्रकाश एवं एक्स-किरणें

प्रश्न 21.
विद्युत चुम्बकीय तरंगें:
(अ) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।
(ब) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन नहीं करती हैं।
(स) केवल अध्यारोपण दर्शाती हैं।
(द) केवल व्यतिकरण दर्शाती हैं।
उत्तर:
(अ) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।

प्रश्न 22.
E ऊर्जा का विकिरण एक पूर्णतः परावर्तक तल पर आपतित होता है। तल का स्थानान्तरित संवेग है:
(अ) E/c
(ब) 2E/c
(स) Ec
(द) E/c2
उत्तर:
(ब) 2E/c

प्रश्न 23.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?
(अ) वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र वेक्टर दोनों एक ही स्थान पर एक ही क्षण अधिकतम तथा न्यूनतम मान को प्राप्त होते हैं।
(ब) विद्युत चुम्बकीय तरंगों में ऊर्जा वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टरों में बराबर-बराबर बँट जाती है।
(स) वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टर दोनों एक-दूसरे के समान्तर होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं।
(द) इन तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तर:
(स) वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टर दोनों एक-दूसरे के समान्तर होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं।

प्रश्न 24.
X- किरणों की तरंगदैर्ध्य का परास कौनसा है?
(अ) 10-4m से 10-8 m
(ब) 10-8m से 10-13m
(स) 108m से 1013m
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 10-8m से 10-13m

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प्रश्न 25.
निम्न में से किसकी आवृत्ति निम्नतम है:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(द) y-किरणें
(स) UV-किरणें
उत्तर:
(अ) अवरक्त किरणें

प्रश्न 26.
निम्न में से कौनसी तरंग दूरसंचार में उपयुक्त होती है:
(अ) दृश्य प्रकाश
(ब) सूक्ष्म तरंगें
(स) पराबैंगनी प्रकाश
(द) अवरक्त
उत्तर:
(ब) सूक्ष्म तरंगें

प्रश्न 27.
विस्थापन धारा उतनी होती है जितनी-
(अ) r.m.s. धारा
(ब) चालन धारा
(स) शीर्ष धारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) चालन धारा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
विस्थापन धारा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र अथवा विद्युत अभिवाह परिवर्तन से उत्पन्न धारा को विस्थापन धारा कहते हैं।

प्रश्न 2.
विस्थापन धारा किसके कारण उत्पन्न होती है?
उत्तर:
विस्थापन धारा विद्युत क्षेत्र में समय के साथ परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है और इसे इस प्रकार लिखते हैं
Id = ∈\(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)

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प्रश्न 3.
मैक्सवेल के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
मैक्सवेल के समीकरण:
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प्रश्न 4.
संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच परिवर्ती विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।
उत्तर:
विस्थापन धारा, चुम्बकीय क्षेत्र।

प्रश्न 5.
……………उसी प्रकार चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जैसे चालन धारा।
उत्तर:
विस्थापन धारा।

प्रश्न 6.
क्या विद्युत चुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
विद्युत चुम्बकीय तरंगें निर्वात में किस वेग से गमन करती है?
उत्तर:
प्रकाश के वेग से।

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प्रश्न 8.
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस घटक का उपयोग क्रिस्टल संरचना के अध्ययन के लिये किया जाता है?
उत्तर:
एक्स किरणों का।

प्रश्न 9.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की प्रायोगिक पुष्टि सर्वप्रथम किसने की थी?
उत्तर:
हर्ट्ज ने।

प्रश्न 10.
विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम में किसकी आवृत्ति सबसे अधिक होती है?
उत्तर:
गामा किरणें।

प्रश्न 11.
विद्युत चुम्बकीय तरंग में निर्वात में कुल ऊर्जा घनत्व कितना होता है?
उत्तर:
∈0 E2
जहाँ ∈0 पर निर्वात की विद्युतशीलता तथा E विद्युत क्षेत्र की तीव्रता।

प्रश्न 12.
क्या प्रकाश तरंगें निर्वात में भी गमन कर सकती हैं? उत्तर की पुष्टि कारण बतलाकर कीजिए।
उत्तर:
चूँकि प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिन्हें परिगमन हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय तरंगों का नाम बतलाइए जो:
(a) माँसपेशियों के खिंचाव को दूर करने में सहायक हैं।
(b) वायुमण्डल में ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर ली जाती
उत्तर:
(a) अवरक्त तरंगें / अवरक्त क्षेत्र
(b) पराबैंगनी तरंगें / पराबैंगनी क्षेत्र।

प्रश्न 14.
विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के मूल स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के समय के साथ परिवर्तन से विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) उत्पन्न होता है तथा विद्युत क्षेत्र के समय के साथ परिवर्तन से चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) उत्पन्न होता है। इस प्रकार इन क्षेत्र सदिशों का समय के साथ परिवर्तन एक-दूसरे के लिए स्रोत का कार्य करता है। अतः चुम्बकीय तरंगों के मूल स्रोत चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) और विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) हैं।

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प्रश्न 15.
एक समतल विद्युत चुम्बकीय तरंग निर्वात में Z-अक्ष के अनुदिश संचरित होती है। आप वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों के विषय में क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) विद्युत चुम्बकीय तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तथा परस्पर भी लम्बवत् होती है। चूँकि यहाँ पर तरंग संचरण की दिशा Z-अक्ष के अनुदिश है । अतः \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) सदिश X Y तल में परस्पर लम्बवत् दिशाओं में होंगी।

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के संचरण वेग की वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के शिखर मानों के पदों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
c = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)

प्रश्न 17.
किसी विद्युत चुम्बकीय तरंग के वैद्युत क्षेत्र सदिश के कम्पन की आवृत्ति 5 x 1014 Hz है। संगत चुम्बकीय क्षेत्र सदिश के कम्पन की आवृत्ति क्या होगी? यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग से सम्बन्धित होगी?
उत्तर:
5 x 1014 Hz, दृश्य भाग।

प्रश्न 18.
विद्युत चुम्बकीय रेडियो तरंगों का उत्पादन किससे होता है?
उत्तर:
विद्युत दोलित्रों से।

प्रश्न 19.
दूर संचार में कौनसी तरंगें प्रयुक्त होती हैं? इनकी तरंग परास लिखिये।
उत्तर:
रेडियो तरंगें 1 से 10 मीटर

प्रश्न 20.
निम्नलिखित विकिरणों को तरंगदैर्घ्य के घटते हुये क्रम में लिखिये-
एक्स किरणें, रेडियो किरणें पराबैंगनी तरंगें, गामा किरणें।
उत्तर:
रेडियो किरणें, पराबैंगनी तरंगें एक्स किरणें, गामा किरणें।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विकिरणों में किसकी आवृत्ति सबसे कम है? गामा किरणें अवरक्त विकिरण, X-किरणें, नीला प्रकाश।
उत्तर:
अवरक्त विकिरण।

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प्रश्न 22.
सूक्ष्म तरंगों की लगभग तरंगदैर्ध्य परास बताइये।
उत्तर:
1 मिमी. से 30 सेमी.

प्रश्न 23.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्पादन हर्ट्ज ने किसके द्वारा किया?
उत्तर:
स्फुर्लिंग विसर्जन द्वारा।

प्रश्न 24.
किसी माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वेग का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
V = \(\frac{1}{\sqrt{\mu \epsilon}}\)

प्रश्न 25.
हर्ट्ज के प्रयोग से उत्पादित तरंगें कौनसी विद्युत- चुम्बकीय तरंगें होती हैं तथा इनकी तरंगदैर्ध्य किस कोटि की थीं?
उत्तर:
हर्ट्ज के प्रयोग से उत्पादित तरंगें लघु रेडियो तरंगें (Short radio waves) होती हैं। इन तरंगों की तरंगदैर्घ्य 1 मीटर की कोटि की थीं।

प्रश्न 26.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के किस गुण के कारण यह माना जाता है कि प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं?
उत्तर:
प्रकाश तरंगों का वेग, विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वेग के बराबर होता है।

प्रश्न 27.
किसी धातु के लक्ष्य पर उच्च ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों के टकराने से विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों का नाम बताइए।
उत्तर:
X – किरणें।

प्रश्न 28.
ठोस की क्रिस्टल संरचना का अध्ययन करने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
X – किरणें ( 1016 से 1020 Hz)

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प्रश्न 29.
उस विद्युत चुम्बकीय विकिरण का नाम लिखिए जिसकी तरंगदैर्ध्य 102 की परास में है। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के इस भाग का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
माइक्रो तरंगें (दूरसंचार में)।

प्रश्न 30.
सूर्य के प्रकाश से विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है?
उत्तर:
पराबैंगनी किरणें।

प्रश्न 31.
सबसे अधिक वेधन क्षमता वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण का नाम लिखिए।
उत्तर:
गामा किरणें।

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से किसकी तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होगी- माइक्रो तरंगें, पराबैंगनी विकिरण तथा X – किरणें।
उत्तर:
X – किरणें।

प्रश्न 33.
निम्न को तरंगदैर्घ्य के घटते क्रम में लिखिए- X-किरणें, रेडियो तरंगें, आसमानी प्रकाश, अवरक्त प्रकाश।
उत्तर:
रेडियो तरंगें, माइक्रो तरंगें, पराबैंगनी तरंगें X – किरणें।

प्रश्न 34.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के लिये किसी माध्यम की प्रतिबाधा Z, चुम्बकशीलता एवं विद्युतशीलता है, तो इनमें सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
Z = \(\sqrt{\frac{\mu}{\epsilon}}\) ओम

प्रश्न 35.
विद्युत चुम्बकीय तरंग की कोई चार विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
(i) विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(ii) विद्युत चुम्बकीय तरंगें सरल रेखा में संचरण करती हैं।
(iii) विद्युत चुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैं।
(iv) जिस माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंगें संचरित होती हैं, उसके गुण अपरिवर्तित रहते हैं।

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प्रश्न 36.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग उपग्रह संचार में प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
सूक्ष्म तरंगें।

प्रश्न 37.
लम्बे परास (रेडियो तरंगों के ) प्रसारण में संकेतों की सूक्ष्म तरंगें रेडियो तरंगों की अपेक्षा क्यों अच्छी वाहक हैं?
उत्तर:
रेडियो तरंगों की अपेक्षा लम्बे प्रसारण में सूक्ष्म तरंगें अधिक अच्छी वाहक होती हैं क्योंकि रेडियो तरंगों की अपेक्षा इनका तरंगदैर्घ्य बहुत कम होता है। इस प्रकार वे अवरोध के कारण न्यूनतम विचलन प्राप्त करती हैं और निशाने पर सीधे भेजी जा सकती हैं।

प्रश्न 38.
तरंगदैर्ध्य 5000 Å और 8000 Å वाली प्रकाश तरंगों का निर्वात में वेग अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अनुपात 1 है क्योंकि निर्वात में प्रकाश का वेग तरंगदैर्ध्य से स्वतन्त्र होता है।

प्रश्न 39.
वैद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग राडार को चलाने के काम आता है?
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के अति सूक्ष्म तरंग क्षेत्र में राडार को चलाया जाता है। इसका तरंगदैर्घ्य 10-3 m से 0.3m तक है।

प्रश्न 40.
दोलित्र वैद्युत परिपथों से उत्पन्न वैद्युत चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति क्या है ?
उत्तर:
रेडियो तरंगें (3 x 109 Hz 3 x 104 Hz)

प्रश्न 41.
विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के उस भाग का नाम लिखिए जिसकी तरंगदैर्घ्य 10-2 मी. है तथा इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
माइक्रो तरंग – इसका प्रयोग माइक्रोवेव ओवन में तथा संचार निकाय में होता है।

प्रश्न 42.
(a) चुम्बकत्व के लिए गाऊस नियम को मैक्सवेल समीकरण के रूप में लिखिए।
(b) \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\) का मान लिखिए।
उत्तर:
(a) \(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~A}}\) = 0
(b) c या 3 x 108 m/s.

प्रश्न 43.
‘ऐम्पियर मैक्सवेल के नियम का गणितीय समीकरण लिखिए।
उत्तर:
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~l}}\) = μo (lC + Id)
जहाँ विस्थापन धारा imm
तथा I. = चालन धारा

प्रश्न 44.
निर्वात नलिका मेग्नेट्रॉन द्वारा उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय तरंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
सूक्ष्म तरंगें (Micro Waves)

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि h = od (he) जबकि चिन्हों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर:
हम जानते हैं:
ID = 1 …..(1)
और
I = dq/dt ……(2)
गाउस के नियमानुसार
E = \(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
या
q = E ∈0A
समीकरण (2) में मान रखने पर
I = d/DT(E ∈0A)
समीकरण (1) से
I = ID
= \(\epsilon_0 \mathrm{~A} \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}(\mathrm{E})\)
= \(\epsilon_0 \mathrm{~A} \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) \(\frac{\phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{A}}\)
= \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~A}} \frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
या
ID = \(\epsilon_0 \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (ΦE) इतिसिद्धम्

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प्रश्न 2.
आप विस्थापन धारा और चालन धारा के विषय में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
(1) विस्थापन धारा और चालन धारा अलग-अलग असतत हैं, लेकिन एक साथ दोनों धाराएँ बन्द मार्ग पर सतत होती हैं।
(2) विस्थापन धारा चालन धारा की तरह चुम्बकीय क्षेत्र का एक स्रोत है।
(3) दोनों धाराएँ सदैव एक-दूसरे के बराबर होती हैं।
(4) विस्थापन धारा सदैव संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत अभिवाह अथवा विद्युत क्षेत्र के परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है।
(5) I धारा संधारित्र की प्लेटों के बीच स्थित होती है जबकि IE (चालन धारा) प्लेटों को जोड़ने वाले तार और वि.वा. बल के स्रोत में होती है।

प्रश्न 3.
चालन धारा को मैक्सवेल ने विस्थापन धारा की परिभाषित करते हुए समझाइए कि संकल्पना क्यों की?
उत्तर:
चालन धारा- किसी परिपथ में जोड़ने वाले तारों द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा को चालन धारा कहते हैं। एक बैटरी द्वारा धारा से एक संधारित्र को आवेशित हुआ लेते हैं। चित्र से यह स्पष्ट है कि आवेशन के समय चालन धारा संधारित्र की प्लेटों के बाहर चित्रानुसार बाएं ओर से दाईं ओर प्रवाहित हो रही है और संधारित्र की प्लेटों के बीच कोई चालन धारा प्रवाहित नहीं है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 4
इस विरोधाभास को दूर करने के लिए मैक्सवेल ने एक नई संकल्पना विस्थापन धारा (ID) को लगाया और इसका उद्गम संधारित्र की पट्टिकाओं अर्थात् प्लेटों के बीच परिवर्ती विद्युत क्षेत्र को बताया। इसको यह दिखाने के लिए लगाया गया है कि संधारित्र के बाहर प्रवाहित धारा (IC) सदैव संधारित्र में से प्रवाहित धारा ID के तुल्य होती है। मैक्सवेल की शर्त के अनुसार चालन धारा IC संधारित्र की बायीं प्लेट में प्रवाहित होती है और विस्थापन धारा (ID) दाहिनी प्लेट की ओर प्रवाहित होती है।
संधारित्र के भीतर

प्रश्न 4.
कब एक आवेश विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है? विद्युत चुम्बकीय तरंगों में वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर तथा तरंग संचरण की दिशा से किस प्रकार सम्बन्धित होते हैं? वह कौन-सी भौतिक राशि है जो विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के सभी भागों की तरंगों के लिए समान हो?
उत्तर:
त्वरित वैद्युत आवेश ही विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है विद्युत चुम्बकीय तरंगों में वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के भी लम्बवत् होते हैं। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की तरंगों का वायु या निर्वात में वेग सभी के लिए एकसमान c = 3 x 108 मी./से होता है।

प्रश्न 5.
मैक्सवेल द्वारा ऐम्पियर सर्किटल नियम को कैसे संशोधित किया गया? समझाइए।
उत्तर:
ऐम्पियर सर्किटल नियम में विवाद इसलिए उत्पन्न हुआ कि संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच धारा असतत होने की परिकल्पना की गई है। मैक्सवेल ने विस्थापन धारा की संकल्पना ID दी जिसके अनुसार कोई चालन धारा IC प्रवाहित नहीं होती, केवल ID ही प्रवाहित है। जैसे संधारित्र आवेशित होता है, यह संधारित्र की प्लेटों के बीच विस्थापन धारा प्रवाह को जन्म देता है क्योंकि संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र बढ़ जाता है। इस प्रकार ऐम्पियर सर्किटल नियम
(\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{di}}\) = μIC) संशोधित रूप में \(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{di}}\) = μ (IC + ID) के रूप में लिखा गया।

प्रश्न 6.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की क्या प्रकृति होती है?
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की प्रकृति “यह एक त्रिविमीय तरंग है जो कि दोलित विद्युत परिपथ से उत्सर्जित होती है। उसमें विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् दोलित होते हैं।” इन तरंगों के संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तथा ये निर्वात में भी गति कर सकती हैं अतः ये यांत्रिक तरंगों से भिन्न होती हैं। इनका वेग निर्वात में सर्वाधिक तथा प्रकाश के वेग के बराबर होता है ये तरंगें अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैं एवं ये जिस माध्यम से संचरित होती हैं उसके गुण अपरिवर्तित रहते हैं।

प्रश्न 7.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों को उत्पन्न करने का सिद्धान्त लिखिए
उत्तर:
त्वरित आवेश विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो समय और स्थान दोनों में बदलते हैं ये परिवर्तनशील चुम्बकीय एवं वैद्युत क्षेत्र, वैद्युत चुम्बकीय तरंगों को जन्म देते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 8.
वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के कुछ गुण लिखिए।
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के निम्नलिखित गुण होते हैं:
(i) ये प्रकृति में अनुप्रस्थ होती हैं।
(ii) ये तरंगें निर्वात में प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s के बराबर चलती हैं।
(iii) इनके गमन के लिए किसी द्रव्य माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(iv) ये त्वरित अथवा कम्पनशील आवेश द्वारा उत्पन्न होती हैं।
(v) ये आपस में लम्बवत् परिवर्तनशील वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों की होती हैं।
(vi) विद्युत चुम्बकीय तरंगों की ऊर्जा वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों में समान रूप में बँटी हुई होती है।
(vii) तरंगें अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।
(viii) दोनों E और B अधिकतम एवं न्यूनतम मान एक ही स्थान और एक ही समय में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न तरंगों का एक-एक उपयोग बताइये:
(i) सूक्ष्म तरंगें
(ii) अवरक्त तरंगें
(iii) पराबैंगनी तरंगें
(iv) रेडियो तरंगें।
उत्तर:
(i) सूक्ष्म तरंगें टेलीविजन या रेडियो प्रसारण के लिये वाहक तरंगों के रूप में।
(ii) अवरक्त तरंगें-उपग्रहों को सौलर सेल द्वारा विद्युत ऊर्जा प्रदान करना।
(iii) पराबैंगनी तरंगें इन तरंगों की सहायता से दूसरे के हस्ताक्षर बनाने तथा लिखावट को पहचानने में सहायता मिलती है। इन तरंगों से मनुष्यों की त्वचा में विटामिन D का निर्माण होता है।
(iv) रेडियो तरंगें इन तरंगों का उपयोग टेलीविजन तथा रेडियो संकेतों के प्रसारण में किया जाता है।

प्रश्न 10.
किसी आवृत्ति से कम्पन करता हुआ कोई आवेश किस प्रकार विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न करता है? Z-अक्ष के
अनुदिश संचरित विद्युत चुम्बकीय तरंग के लिए वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र दर्शाते हुए एक व्यवस्थित आरेख (schematic diagram) बनाइए।
उत्तर:
जब कोई आवेश किसी आवृत्ति से कम्पन करता है तो यह दिक् स्थान से दोलन करते हुए वैद्युत क्षेत्र को उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र दोलन करता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। दोलन करता हुआ
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 5
चुम्बकीय क्षेत्र दोलन करते हुए वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करने का स्रोत बन जाता है। इस प्रकार से यह बारी-बारी से क्रम चलता रहता है। इस प्रकार एक- दूसरे को बार-बार उत्पादित करने वाले वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र वेक्टर परस्पर लम्बवत् दिशाओं में तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं। Z-अक्ष के अनुदिश संचरित विद्युत चुम्बकीय तरंग के व्यवस्थित आरेख को ऊपर दर्शाया गया है।

प्रश्न 11.
एक समतल विद्युत-चुम्बकीय तरंग निर्वात में Y-दिशा में संचरित हो रही है। विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के (i) परिमाण का अनुपात, (ii) दिशाओं के विषय में लिखिए।
उत्तर:
(i) E/B = c; जहाँ E = |\( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) | B = | \( \overrightarrow{\mathrm{B}}\) | तथा c = प्रकाश की चाल।
(ii) वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिश \( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा \( \overrightarrow{\mathrm{B}}\) क्रमशः Z- अक्ष तथा X- अक्ष के अनुदिश होंगे। ये विद्युत चुम्बकीय तरंग संचरण दिशा के लम्बवत् होंगे।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 12.
निर्वात में 4 x 109 हर्ट्ज आवृत्ति की विद्युत-चुम्बकीय तरंग की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
= HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 6
= 0.075 मीटर।
यह तरंगदैर्घ्य माइक्रो तरंगों की है। अतः इनके दो उपयोग निम्नलिखित हैं
(i) राडार निकाय में
(ii) माइक्रोवेव ओवेन में।

प्रश्न 13.
भू-तरंग एवं आकाश तरंगों को समझाइये।
उत्तर:
भू-तरंग – ये तरंगें कम आवृत्ति की रेडियो तरंगें होती हैं। जो पृथ्वी की सतह के सहारे चलकर पृथ्वी की सतह के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक पहुँचती हैं लेकिन ये ज्यादा दूरी तक नहीं जा पाती हैं। इनके सहारे ही रेडियो के कार्यक्रम जो एक सीमित क्षेत्र में ही प्रसारित किये जाते हैं, उनके लिये इन तरंगों का उपयोग किया जाता है और इनको भू-तरंग कहा जाता है।
आकाश तरंगें – रेडियो तरंगें सीधी रेखा में चलती हैं। इसलिये जहाँ से ये प्रसारित की जाती हैं (जैसे- रेडियो स्टेशन से प्रेषित तरंगें ) वहाँ से पृथ्वी की गोलाई के कारण ज्यादा दूर तक नहीं जा पाती हैं। यदि कम आवृत्ति की तरंगें हैं तो ये पृथ्वी की सतह के सहारे चलती हैं लेकिन आवृत्ति अधिक होने पर दूर तक नहीं जा पाती हैं। ज्यादा आवृत्ति वाली तरंगें प्रकाश की ओर जाकर आयनमण्डल की निचली सतह से टकराकर पृथ्वी की ओर लौटकर दूर स्थान तक पहुँच जाती हैं। चूँकि ये आकाश से लौटकर किसी स्थान पर पहुँचती हैं, इसलिये इनको आकाश तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 14
विद्युत चुम्बकीय तरंगें कौनसी तरंगें होती हैं ? इनका उत्पादन किन किन कारणों से संभव होता है?
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय तरंग की परिभाषा – “यह एक त्रिविमीय तरंग है जो कि दोलित विद्युत परिपथ से उत्सर्जित होती है। उसमें विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् दोलित होते हैं।” इन तरंगों के संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्पादन के कारण:
(1) दोलित विद्युत परिपथ में दोलन करने वाले आवेश की यांत्रिक ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय तरंगों में परिवर्तित हो जाती है।
(2) आवेश के दोलन से आवेश की गतिज ऊर्जा विद्युत- चुम्बकीय तरंगों में बदल जाती है।

प्रश्न 15
X किरणों के उपयोग बताइये।
उत्तर:
उपयोग:
(1) रेडियो एस्ट्रोनोमी में ऐन्टेना से प्राप्त अत्यन्त क्षीण सूक्ष्म तरंग संकेतों को मेसर द्वारा प्रवर्धित करते हैं।
(2) अंतरिक्ष संचार, अधिक दूरियों के लिये रेडियो संचार आदि में प्रवर्धक के रूप में इनका उपयोग करते हैं।
(3) औषध विज्ञान चिकित्सा विज्ञान, सूक्ष्म सर्जरी में इनका अत्यधिक उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंग स्पैक्ट्रम को आवृत्ति एवं तरंगदैर्घ्य के रूप में बताइये।
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम रेडियो तरंगें, सूक्ष्म तरंगें, अवरक्त दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी, X- किरणें, गामा किरणें आदि सभी
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 7
तरंगों के गुण विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुणों जैसे ही होने के कारण मूलतः ये सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं अन्तर केवल इतना है कि इनकी तरंगदैर्घ्य भिन्न-भिन्न होती है। स्पष्ट है कि विद्युत चुम्बकीय तरंगों की तरंगदैर्ध्य का विस्तार काफी अधिक होता है इसलिये उपर्युक्त सभी तरंगों को तरंगदैर्घ्य के आधार पर एक क्रम में रखा जा सकता है, जिसे विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम या वर्णक्रम कहते हैं।

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प्रश्न 17.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय विकिरणों को उनकी आवृत्ति के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए। इनमें से किसी एक के उपयोग लिखिए- माइक्रो तरंगें, रेडियो तरंगें, X-किरणें, गामा किरणें।
उत्तर:
रेडियो तरंगें, माइक्रो तरंगें X – किरणें गामा किरणें।
उपयोग – माइक्रो तरंगें- रेडार में उपग्रहों तथा लम्बी दूरी वाले बेतार संचार में माइक्रोवेव ओवन में।
रेडियो तरंगें – रेडियो तथा टी.वी. के संचारण में।
X – किरणें- चिकित्सा निदान व उपचार में।
गामा किरणें – नाभिकीय संरचना की जानकारी, चिकित्सा उपचार आदि।

प्रश्न 18.
(a) निम्नलिखित में से कौन विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है? कारण दीजिए।
(i) नियत वेग से गतिमान आवेश,
(ii) वृत्तीय गति करता हुआ आवेश,
(iii) स्थिर आवेश।
(b) विद्युत-चुम्बकीय वर्णक्रम का वह भाग बताइए जिससे
(i) 1020 Hz,
(ii) 109 Hz आवृत्ति की तरंगें सम्बन्धित हों।
उत्तर:
(a) (i) नियत वेग से गतिमान आवेश में कोई भी त्वरण नहीं होता है। अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत नहीं हो सकता है।
(ii) वृत्तीय गति करते हुए आवेश की गति त्वरित गति होगी. अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है।
(iii) स्थिर आवेश में भी त्वरण नहीं होता है अतः यह भी विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत नहीं हो सकता है।
(b) (i) y-किरणें (ii) माइक्रो तरंगें।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगें:
(a) λ1: माँसपेशीय तनाव उपचार में प्रयुक्त की जाती है।
(b) λ2 : रेडियो ब्रॉडकास्टिंग में प्रयुक्त की जाती है।
(c) λ3 : हड्डियों के टूटने का पता लगाने में प्रयुक्त की जाती है।
(d) λ4: वायुमण्डल की ओजोन पर्त द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के उप भाग का नाम ये सम्बन्धित हैं। इनको तरंगदैर्घ्य के घटते क्रम में
उत्तर:
(a) λ1 → अवरक्त विकिरण
(b) λ2 → रेडियो तरंगें
(c) λ3 → X किरणें
(d) λ4 → पराबैंगनी विकिरण
λ2 > λ1 > λ4 > λ3
लिखिए जिससे लिखिए।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय विकिरणों की आवृत्ति परास लिखकर प्रत्येक का एक उपयोग लिखिए:
(i) माइक्रो तरंग,
(ii) पराबैंगनी विकिरण,
(iii) गामा किरणें।
उत्तर:
(i) 1 x 109 Hz से 3 x 1011 Hz ( राडार में):
(ii) 8 x 1014 Hz से 1 x 1116 Hz (खाद्य संरक्षण) में;
(iii) 3 x 1018 Hz से 3 x 1022 Hz (रेडियो थैरेपी चिकित्सा में)।

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प्रश्न 21
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उन विकिरणों के नाम लिखिए जो:
(i) उपग्रह संचार में प्रयुक्त होती हैं।
(ii) क्रिस्टल संरचना ज्ञात करने में प्रयुक्त होती हैं।
(iii) जो रेडियोऐक्टिव नाभिक के क्षय में उत्पन्न होती हैं।
(iv) जिनकी तरंगदैर्ध्य 350 nm तथा 770 nm के बीच होती है।
(v) सूर्य के प्रकाश से ओजोन पर्त द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं।
(vi) तीव्र ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न करती हैं।
उत्तर:
(i) माइक्रो तरंगें
(ii) X – किरणें
(iii) y-किरणें,
(iv) दृश्य प्रकाश,
(v) पराबैंगनी विकिरण,
(vi) अवरक्त विकिरण।

प्रश्न 22.
(a) दिक्काल (मुक्त आकाश) में किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र सदिश (E) का परिमाण 9.3 V/m है। इस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र सदिश (B) का परिमाण ज्ञात कीजिए।
(b) पराबैंगनी, अवरक्त तथा X-किरणों में से किसकी तरंगदैर्ध्य अधिकतम होती है?
उत्तर:
(a) c = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)
या B0 = \(\frac{\mathbf{E}_0}{\mathrm{c}}\)
B0 = \(\frac{9.3}{3 \times 10^8}\)
= 3.1 × 108 T

(b) अवरक्त।

प्रश्न 23.
एक रेखीय धुवित विद्युतचुम्बकीय तरंग का संचरण चित्र बनाइये तथा विद्युत चुम्बकीय तरंग के कोई दो गुण लिखिए। निर्वात में एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम B0 = 50 x 108 टेसला है। तरंग से सम्बद्ध वैद्युत क्षेत्र के आयाम का मान वोल्ट / मीटर में लिखिए।
उत्तर:
रेखीय धुवित विद्युतचुम्बकीय तरंग का संचरण चित्र-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 8
विद्युत चुम्बकीय तरंग के गुण:
(1) यह एक प्रकाश तरंग है जिसकी प्रकृति अनुप्रस्थ होती है।
(2) विद्युतचुम्बकीय तरंगें निर्वात में प्रकाश के वेग C से गमन करती हैं। जहाँ
C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\)
= 3 × 108m/s
नोट: छात्र और भी गुण लिख सकते हैं।
दिया गया है:
निर्वात में चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम
B0 = 50 x 10-8 टेसला
निर्वात में तरंग का वेग C = 3 x 108 मी/से.
निर्वात में तरंग के विद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम = E0 = ?
हम जानते हैं कि वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिये
C = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)
या
Eg = C Bo
मान रखने पर
Eg = 3 x 108 × 50 x 108
= 150 वोल्ट / मीटर

प्रश्न 24.
विद्युत् चुम्बकीय तरंगें किस प्रकार उत्पन्न होती हैं? संचरण करने वाली किसी विद्युत् चुम्बकीय तरंग द्वारा वहन की जाने वाली ऊर्जा का स्रोत क्या होता है?
(i) घरेलू इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के सुदूर स्विचों में
(ii) चिकित्सा में नैदानिक साधन के रूप में।
उत्तर:
त्वरित आवेश विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो समय और स्थान दोनों में बदलते हैं। ये परिवर्तनशील चुम्बकीय एवं वैद्युत क्षेत्र, वैद्युत चुम्बकीय तरंगों को जन्म देते हैं। वृत्तीय गति करते हुए आवेश की गति त्वरित गति होगी, अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है।
विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का उपयोग होता है।
(i) Infrared विकिरणों में
(ii) X-किरणों में।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक समतल e.m. तरंग में विद्युत क्षेत्र 2 x 1010 s-1 आवृत्ति और 40 Vm-1 आयाम से दोलन करता है। (a) तरंग का तरंगदैर्घ्य (b) विद्युत क्षेत्र से सन्नद्ध ऊर्जा घनत्व का आकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
आवृत्ति v = 2 x 1010 s-l
यह E की दोलन आवृत्ति है।
C = प्रकाश की चाल = 3 x 108 m/s
E0 = विद्युत क्षेत्र का आयाम = 40V/m.
∴ Emax = \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)
= \(\frac{E_0}{\sqrt{2}}\)
= \(\frac{\sqrt{2} \times 40}{2}\)
= 20√2 V/m.
(a) तरंग का तरंगदैर्ध्य = λ = ?
λ = c/v = HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 9
= \(\frac{3 \times 10^8}{2 \times 10^{10}}\)
= 1.50 × 102 m.

(b) विद्युत क्षेत्र का ऊर्जा घनत्व = UE = ?
UE = \(\frac{1}{2}\) ∈0 E2r.m.s
= \(\frac{1}{2}\) × 8.85 × 10-12 × (20√2)2
= \(\frac{1}{2}\) × 8.85 × 10-12 × 400 × 2
= 35.416 × 10-10 jm-3
= 3.54 × 10-9jm-3
= 3.54 n Jm-3

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प्रश्न 2.
संधारित्र की प्लेटों के बीच क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र परिवर्तन की दर 1.5 x 1012 Vm-1 s-1 है। यदि संधारित्र की वृत्तीय प्लेट की त्रिज्या 55 mm है, विस्थापन धारा कितनी होगी?
उत्तर:
दिया गया है:
r = 55 mm = 55 x 10-3 m
= 5.5 × 10-2 m
A = πr2 = \(\frac{22}{7}\) x (5.5 × 10-2)2
= \(\frac{22}{7}\) × 5.5 × 5.5 × 10-4
= 95.07 × 10-4 m-2
और
\(\frac{dE}{dt}\) = 1.5 x 1012 Vm-1s-1
विस्थापन धारा Id = ?
हम जानते हैं
विस्थापन धारा Id = ∈0 \(\frac{dE}{dt}\) (ΦE)
लेकिन
ΦE = EA
∴ Id = ∈0 \(\frac{dE}{dt}\)(EA)
= ∈0 \(\frac{dE}{dt}\)
मान रखने पर
= 8.85 × 10-12 × 95.07 × 10-4 × 1.5 x 1012
= 8.85 × 95.07 x 1.5 x 10-4
= 1262.05 × 10-4
= 126.205 × 10-3 A
= 126 mA

प्रश्न 3.
x- अक्ष के अनुदिश प्रगामी एक प्रकाश पुंज को विद्युत क्षेत्र Ey = 600 Vm-1 sin ω(t – x/c) से व्यक्त करते हैं y-अक्ष के अनुदिश 3.0 x 107 ms-1 चाल से प्रगामी एक आवेश q = 2e पर वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों के अधिकतम बल का आकलन कीजिए जहाँ e = 1.6 x 10-19 C है।
उत्तर:
दिया गया है:
E = 600Vm-1 sinω(1 – x/c)
Eg = 600Vm-1
q = 2e
= 2 × 1.6 × 10-19 C
प्रकाश की चाल = 3 x 108 m/s
v = 3.0 × 107 m/s
B0 = E0/c = \(\frac{600}{3 \times 10^8}\)
= 2 × 10-6 T
जो z-अक्ष के अनुदिश कार्य करता है।
इस प्रकार अधिकतम वैद्युत बल
Fo = qEo
= 2e E0
= 2 × 1.6 × 10-19 x 600
= 1.92 × 10-16 N से दिया जाता है।
अधिकतम चुम्बकीय बल
Fmax
= qvBo = 2evBo
= 2 × 1.6 × 10-19 x 3 x 107 x 2 x 10-6 N
= 1.92 x 10-17 N

प्रश्न 4.
एक संधारित्र की पट्टिकाओं पर आवेषण धारा 0.5 A है। इसकी प्लेटों पर विस्थापन धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
I = 0.5 A
Id = ?
हम जानते हैं:
Id = ∈0 \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
लेकिन
\(\phi_E\) = EA
∴ Id = ∈0 \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\) (EA)
= ∈0 A \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
लेकिन
E = \(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
Id = ∈0 A \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)\(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
= \(\frac{\epsilon_0 A}{\epsilon_0 A}\) \(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\) =
\(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\)
= 0.5 A (\(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\) = 1 = 0.5A)

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प्रश्न 5.
6 μF धारिता आप 6 A की विस्थापन धारा के संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच कैसे स्थापित करेंगे?
उत्तर:
दिया गया है:
C = 6 μF = 6 × 106F
ld = 6 A
हम जानते हैं
ld = ∈0 A \(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dt}}\)
= ∈0 A \(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dt}}\) \(\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{d}}\right)\)
∴ E = \(\frac{V}{d}\)
= \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\) \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\)
ld = C. \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\)
∴ \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\) = \(\frac{I_d}{\mathrm{C}}\) = \(\frac{6}{6 \times 10^{-6}}\)
106 Vs-1
अतः संधारित्र की पट्टिकाओं पर विभवान्तर को 106 Vs-1 की दर से परिवर्तित करके उसकी पट्टिकाओं पर 6A की विस्थापन धारा स्थापित की जा सकती है।

प्रश्न 6.
निर्वात के लिये \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\) तथा \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) के मान क्रमशः 9 x 109 न्यूटन / मी. 2 तथा 10-7वेबर / ऐम्पियर भी होते हैं। निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंग का वेग ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
प्रश्नानुसार = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\)
= 9 x 109
= \(\frac{1}{4 \pi \times 9 \times 10^9}\) = \(\frac{1}{36 \pi \times 10^9}\)
तथा
\(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) = 10-7
= 4 x 10-7
किसी माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंग का वेग V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\)
निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंग के वेग के लिये V = C,
μ = μo तथा ∈ = ∈o
C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\) = \(\frac{1}{\sqrt{4 \pi \times 10^{-7} \times \frac{1}{36 \pi \times 10^9}}}\)
या
C = √9 x 1016 = 3 x 108 मी./से.

प्रश्न 7.
एक समान्तर बद्ध संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल A तथा इनके बीच की दूरी d है। इसको स्थिर धारा I द्वारा आवेशित किया गया है। एक A/2 क्षेत्रफल का कोई तत्व इसकी प्लेटों के ठीक बीच में समरूपता से प्लेटों के समान्तर रखा गया है। इस क्षेत्रफल से प्रवाहित धारा क्या होगी?
उत्तर:
माना किसी क्षण t पर प्लेटों पर आवेश q है। प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र
E = \(\frac{\sigma}{\epsilon_0}\) = \(\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0 A}\)
प्लेटों के बीच स्थित क्षेत्रफल A/2 से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स
= E × \(\frac{A}{2}\) = \(\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0 A}\) × \(\frac{A}{2}\)
= \(\frac{\mathrm{q}}{2 \epsilon_0}\)
इस तल से गुजरने वाली विस्थापन धारा
Id = ∈0 \(\frac{d}{d t}\) (ΦE)
= ∈0 \(\frac{d}{d t}\) \(\frac{\mathrm{q}}{2 \epsilon_0}\)
= \(\frac{1}{2}\) \(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\)
= \(\frac{1}{2}\)

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक P-N संधि के अवक्षय क्षेत्र में होते हैं:
(अ) केवल इलेक्ट्रॉन
(ब) केवल होल
(स) इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों
(द) निश्चल आयन
उत्तर:
(द) निश्चल आयन

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 2.
एक NPN ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक की तरह उपयोग में लाया जा रहा है तो:
(अ) इलेक्ट्रॉन आधार से संग्राहक की ओर चलते हैं
(ब) होल उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं
(स) होल आधार से उत्सर्जक की ओर चलते हैं
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।
उत्तर:
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।

प्रश्न 3.
परम शून्य ताप पर नैज जर्मेनियम तथा नैज सिलिकॉन होते
(अ) अतिचालक
(ब) अच्छे अर्धचालक
(स) आदर्श कुचालक
(द) चालक
उत्तर:
(स) आदर्श कुचालक

प्रश्न 4.
एक कुचालक में संयोजकता बैण्ड और चालन बैण्ड के मध्य वर्जित ऊर्जा अन्तराल निम्नलिखित कोटि का होता है:
(अ) 1 ev
(ब) 6 ev
(स) 20 ev
(द) 0.01 ev
उत्तर:
(ब) 6 ev

प्रश्न 5.
वे पदार्थ जिनके संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड लगभग अतिव्यापन की स्थिति में होते हैं, वे होते हैं:
(अ) चालक
(ब) विद्युतरोधी
(स) अर्धचालक
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) चालक

प्रश्न 6.
P प्रकार के अर्धचालक बनाने के लिए सिलिकॉन में-
(अ) पंचम समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(स) चतुर्थ समूह का पदार्थ मिलाते हैं।
(द) किसी भी समूह का पदार्थ मिला सकते
उत्तर:
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं

प्रश्न 7.
P-N संधि पर अग्र बायस स्थापित करने पर इसका व्यवहार होगा:
(अ) चालक की तरह
(ब) अर्धचालक की तरह
(स) यांत्रिक वाल्व की तरह
(द) अतिचालक की तरह
उत्तर:
(अ) चालक की तरह

प्रश्न 8.
दिष्टकारी का कार्य है:
(अ) धारा का प्रवर्धन करना
(ब) वोल्टता का प्रवर्धन् करना
(स) दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में बदलना
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना
उत्तर:
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना

प्रश्न 9.
जीनर डायोड का उपयोग किया जाता है:
(अ) दोलित्र के रूप में
(ब) प्रवर्धक के रूप में
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में
(द) प्रकाश उत्सर्जन के लिए
उत्तर:
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में

प्रश्न 10.
ट्रान्जिस्टर प्रचालन के लिए आवश्यक है:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर
(ब) उत्सर्जक संधि उपक्रम तथा संग्राहक संधि अग्र बायस पर
(स) उत्सर्जक तथा संग्राही दोनों संधियाँ अग्र बायस पर
(द) उत्सर्जक तथा संग्राहक दोनों संधियाँ उत्क्रम बायस पर
उत्तर:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर

प्रश्न 11.
निम्न में से गलत कथन है:
(अ) अपद्रव्य अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं
(ब) होल व इलेक्ट्रॉन दोनों ही आवेश वाहक हैं
(स) P प्रकार के अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
उत्तर:
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं

प्रश्न 12.
एक N टाइप अर्द्धचालक होता है:
(अ) ऋणावेशित
(ब) धनावेशित
(स) उदासीन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) उदासीन

प्रश्न 13.
तापमान बढ़ाने पर एक अर्द्धचालक का विशिष्ट प्रतिरोध:
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) अपरिवर्तित रहता है
(द) पहले घटता है और बाद में बढ़ता है
उत्तर:
(ब) घटता है

प्रश्न 14.
शुद्ध अर्द्धचालक जरमेनियम में आर्सेनिक की अशुद्धि मिलाने पर उपस्थित होगा:
(अ) P प्रकार का अर्द्धचालक
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक
(स) चालक
(द) P-N संधि
उत्तर:
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 15.
आदर्श P-N संधि को प्रयुक्त किया जा सकता है:
(अ) प्रवर्धक के रूप में
(ब) दिष्टकारी के रूप में
(स) दोलित्र के रूप में
(द) मोड्यूलेटर के रूप में
उत्तर:
(ब) दिष्टकारी के रूप में

प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) अर्ध चालक का प्रतिरोध ताप के बढ़ने पर कम होता है
(ब) विद्युत क्षेत्र में होल का विस्थापन इलेक्ट्रॉन के विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है
(द) सभी प्रकार के अर्ध चालक अनावेशित होते हैं
उत्तर:
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है

प्रश्न 17.
अर्धचालकों की चालकता:
(अ) ताप पर निर्भर नहीं करती
(ब) ताप वृद्धि से घटती है
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है
उत्तर:
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है

प्रश्न 18.
अर्धचालकों में आबन्ध होते हैं:
(अ) आयनिक
(ब) धात्विक
(स) वान्डरवाल
(द) सहसंयोजी
उत्तर:
(द) सहसंयोजी

प्रश्न 19.
ताप वृद्धि से अर्धचालकों की चालकता:
(अ) अपरिवर्तित रहती है
(ब) घटती है
(स) बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है।
उत्तर:
(ब) घटती है

प्रश्न 20.
नैज अर्धचालकों में सामान्य ताप पर इलेक्ट्रॉन व होल की संख्या का अनुपात है:
(अ) 1 : 2
(ब) 2 : 1
(स) 1 : 1
(द) 1 : 3
उत्तर:
(स) 1 : 1

प्रश्न 21.
P प्रकार के अर्धचालकों के लिये अशुद्धि तत्त्व के रूप में उपयोग करते हैं:
(अ) आर्सेनिक
(ब) फॉस्फोरस
(स) बोरोन
(द) बिस्मथ
उत्तर:
(स) बोरोन

प्रश्न 22.
P-N संधि डायोड में अग्र तथा उत्क्रम बायस व्यवस्थाओं में प्रतिरोधों का अनुपात होता है:
(अ) 102 : 1
(ब) 10-2 : 1
(स) 1 : 104
(द) 1 : 10-4
उत्तर:
(स) 1 : 104

प्रश्न 23.
P-N डायोड है:
(अ) रेखीय युक्ति
(ब) अरेखीय युक्ति
(स) तापीय युक्ति
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अरेखीय युक्ति

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में से कौनसा परमाणु दाता अशुद्धि है:
(अ) Al
(ब) B
(स) Ga
(द) P
उत्तर:
(द) P

प्रश्न 25.
अर्धचालकों में चालन होता है:
(अ) एकल ध्रुवीय
(ब) द्विध्रुवीय
(स) त्रिध्रुवीय
(द) अध्रुवीय
उत्तर:
(ब) द्विध्रुवीय

प्रश्न 26.
संलग्न चित्र में दिये गये परिपथ के लिये बूलीय समीकरण होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 1
(अ) Y = A + \(\overline{\mathrm{B}}\)
(ब) Y = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
(द) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) B
उत्तर:
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B

प्रश्न 27.
किसी एन्ड द्वार’ के लिये तीन निवेशी क्रमश: A, B व C हैं तो इसका निर्गत Y होगा:
(अ) Y = A.B + C
(ब) Y = A + B + C
(स) Y = A + B.C
(द) Y = A. B. C
उत्तर:
(द) Y = A. B. C

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 28.
NOR गेट किन दो गेटों से मिलकर बनता है?
(अ) NOT + AND गेट
(ब) OR + NOT गेट
(स) OR + AND गेट
(द) NOR + AND गेट।
उत्तर:
(ब) OR + NOT गेट

प्रश्न 29.
XOR गेट के लिए कौनसा समीकरण प्रयोग में लिया जाता है?
(अ) Y = A B
(ब) Y = A + B
(स) Y = AB
(द) Y = A – B
उत्तर:
(स) Y = AB

प्रश्न 30.
(A + B). (RS) समीकरण के लिये परिपथ में कम से कम कितने गेट की आवश्यकता होगी?
(अ) दो
(ब) चार
(स) छः
(द) एक।
उत्तर:
(द) एक।

प्रश्न 31.
निम्न परिपथ का आउटपुट होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 2
(अ) 0
(ब) 1
(स) 2
(द) 10
उत्तर:
(ब) 1

प्रश्न 32.
लोजिक समीकरण A. (B + C) का क्या मान होगा, यदि A = 1, B = 1, C = 1
(अ) 0
(ब) 2
(स) 11
(द) 1
उत्तर:
(द) 1

प्रश्न 33.
यदि A = 1, B = 0, C = 1 हो तो AB का मान होगा:
(अ) 1
(ब) 0
(स) 2
(द) 11
उत्तर:
(अ) 1

प्रश्न 34.
निम्न में से किस चित्र में डायोड उत्क्रम अभिनति में है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 4

प्रश्न 35.
निम्न चित्र में दिखाये गये तार्किक द्वार का नाम है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 5
(अ) ऐण्ड (AND) द्वार
(ब) नौर (NOR) द्वार
(स) ओर (OR) द्वार
(द) नेण्ड (NAND) द्वार
उत्तर:
(ब) नौर (NOR) द्वार

प्रश्न 36.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निवेश तरंग रूप A तथा B भी इसके साथ इसी चित्र में प्रदर्शित हैं। सही निर्गम का चयन कीजिए।

उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 8

प्रश्न 37.
चित्र में प्रदर्शित विभवान्तर V का वर्ग माध्य मूल मान है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 9
(अ) Vo√3
(ब) Vo
(स) V1√2
(द) Vo/2
उत्तर:
(स) V1√2

प्रश्न 38.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निर्गम के लिए बुलियन व्यंजक होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 10
(अ) A (B + C)
(ब) A • (B • C)
(स) (A+B) • (A+C)
(द) A + B + C
उत्तर:
(स) (A+B) • (A+C)

प्रश्न 39.
चित्र में दिये गये परिपथ से निर्गम Y = 1 प्राप्त करने के लिए निवेश होना चाहिए-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 11

ABC
(अ) 010
(ब)  001
(स) 101
(द) 100

उत्तर:

ABC
010
001
101
100

प्रश्न 40.
एक डायोड दिष्टकारी के रूप में बदलता है:
(अ) दिष्टधारा की प्रत्यावर्ती धारा में
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में
(स) उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता या निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में
(द) परिवर्ती दिष्टधारा को नियत दिष्टधारा में
उत्तर:
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में

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प्रश्न 41.
यदि A = 1 तथा B = 0 हो, तो बुलियन बीजगणित के अनुसार AA + B का मान होगा-
(अ) A
(ब) B
(स) A2 + B
(द) A + B
उत्तर:
(अ) A

प्रश्न 42.
डायोड में जब संतृप्त धारा प्रवाहित होती है तब प्लेट प्रतिरोध rp:
(अ) शून्य
(ब) अनन्त
(स) एक निश्चित संख्या
(द) आँकड़े अपर्याप्त हैं
उत्तर:
(ब) अनन्त

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड व जेनर डायोड के प्रतीक चिन्ह बनाइये।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 12

प्रश्न 2.
ट्रांजिस्टर के लिये धारा प्रवर्धन गुणांकों α व β में सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
β = \(\frac{\alpha}{1-\alpha}\)

प्रश्न 3.
क्या किसी अनअभिनत P-N संधि पर उपस्थित रोधिका विभव को संधि के सिरों के मध्य वोल्टमीटर जोड़कर नापा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 4.
ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक के रूप में काम लाने के लिये कौनसी संधि पश्च बायसित की जाती है?
उत्तर:
आधार संग्राहक संधि।

प्रश्न 5.
उस ट्रांजिस्टर के लिये α का मान क्या होगा जिसके लिये β = 19 है।
उत्तर:
α = \(\frac{\beta}{1+\beta}\) = \(\frac{19}{1+19}\) = 0.95

प्रश्न 6.
चित्र में प्रदर्शित डायोड किस अभिनति में है ?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 13
उत्तर:
पश्च अभिनति।

प्रश्न 7.
P तथा N प्रकार के अर्धचालकों में बहुसंख्यक आवेश वाहक होते हैं-
(i) …………………
(ii) ………………………
उत्तर:
(i) होल (ii) इलेक्ट्रॉन

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प्रश्न 8.
निम्न में से कौनसा अर्धचालक है:
(i) तांबा
(ii) गैलियम आर्सेनाइड
(iii) गन्धक?
उत्तर:
गैलियम आर्सेनाइड (Ga As)

प्रश्न 9.
फोटोडायोड के दो उपयोग लिखिये।
उत्तर:
(i) प्रकाश के संसूचन में
(ii) प्रकाश चलित स्विच में

प्रश्न 10.
दो संधियों वाली अर्धचालक युक्ति को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ट्रांजिस्टर

प्रश्न 11.
जरमेनियम में गैलियम की अशुद्धि मिलाने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है?
उत्तर:
P प्रकार का।

प्रश्न 12.
नैज अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों तथा होल्स की संख्या का अनुपात लिखिये।
उत्तर:
1 : 1

प्रश्न 13.
नैज अर्धचालक किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक रूप से प्राप्त अर्धचालकों को नैज अर्धचालक कहते हैं।

प्रश्न 14.
नैज अर्धचालक के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
जर्मेनियम (Ge), सिलिकॉन (Si )।

प्रश्न 15.
किन्हीं दो अर्धचालक मिश्र धातुओं के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) गैलियम फॉस्फाइड (Ga P)
(2) गैलियम आर्सेनाइड फॉस्फाइड (Ga As P )

प्रश्न 16.
होल पर आवेश का मान व प्रकृति बताइये।
उत्तर:
1.6 x 10-19, धनावेश।

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प्रश्न 17.
डोपिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
नैज अर्धचालक के वैफर में अशुद्धि परमाणु मिलाने की क्रिया डोपिंग कहलाती है।

प्रश्न 18.
N प्रकार का अर्धचालक प्राप्त करने हेतु अशुद्धि परमाणु आवर्त सारणी के किस वर्ग से संबंधित है?
उत्तर:
पंचम वर्ग से।

प्रश्न 19.
P प्रकार का अर्धचालक बनाने हेतु अशुद्धि परमाणु किस वर्ग से लिये जाते हैं?
उत्तर:
तृतीय वर्ग से।

प्रश्न 20.
शुद्ध Si क्रिस्टल को इण्डियम (In) से मांदित (डोपिंग) कराने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होगा?
उत्तर:
P प्रकार का।

प्रश्न 21.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को P से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में बहुसंख्यक आवेश वाहक कौन है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 22.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को Al से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में अल्पसंख्यक आवेश वाहक कौन होते हैं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन।

प्रश्न 23.
अवक्षय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
P-N संधि के निकट स्थित आवेश वाहकहीन क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 24.
P-N संधि में संधि तल के पास P- भाग में कौनसा विभव होता है?
उत्तर:
ऋणात्मक विभव।

प्रश्न 25.
अग्र अभिनति की अवस्था में एक P-N संधि डायोड का P सिरा बैटरी के किस टर्मिनल से जोड़ा जाता है?
उत्तर:
धनात्मक

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प्रश्न 26.
उत्क्रम बायस की अवस्था में संधि तल क्या व्यवहार करता है?
उत्तर:
विद्युतरोधी की तरह।

प्रश्न 27.
अर्धचालक डायोड के परिपथ संकेत में तीर का चिन्ह किससे, किसकी ओर होता है?
उत्तर:
P से N की ओर।

प्रश्न 28.
जीनर प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
निश्चित उत्क्रम वोल्टता के बाद उत्क्रम धारा में अचानक वृद्धि के प्रभाव को जीनर प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 29.
गतिज उत्क्रम बायस प्रतिरोध का मान जीनर वोल्टता के बाद क्या होता है?
उत्तर:
बहुत कम।

प्रश्न 30.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड क्या होता है?
उत्तर:
यह P-N जंक्शन (Junction ) डायोड होता है। जिसमें अग्र अभिनति विद्युत धारा प्रवाहित होने पर विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होकर उत्सर्जित होती है।

प्रश्न 31.
नैज अर्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
Si (सिलिकॉन), Ge ( जरमेनियम )।

प्रश्न 32.
फोटो डायोड के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
फोटो डायोड के उपयोग:
(1) फिल्मों में ध्वनि के पुनः उत्पादन में
(2) प्रकाश चलित स्विचों में

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प्रश्न 33.
ओर द्वार के लिये सत्यता सारणी बनाइये।
उत्तर:

ABY = A + B
000
101
011
111

प्रश्न 34.
उस तर्क द्वार का नाम लिखिये जिसमें निर्गत तब ही 1 होता है जब सभी निवेशी 1 होते हैं।
उत्तर:
AND द्वार।

प्रश्न 35.
दी गई सत्यता सारणी से संबंधित तार्किक द्वार का नाम लिखिए:

निवेशीनिर्गत
Y
AB
000
101
011
111

उत्तर:
ओर अथवा अपि द्वार

प्रश्न 36.
किन्हीं दो यौगिक (कार्बनिक ) अर्धचालक के नाम लिखिए।
अथवा
कोई दो कार्बनिक यौगिक अर्द्धचालकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) एंथ्रासीन (ii) मांदित (Doped) थैलोस्यानीस।

प्रश्न 37.
डायोड को अग्र बायस एवं उत्क्रम बायस स्थिति में जोड़ने पर अक्षय परत पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
(i) अग्र बायस में अवक्षय परत की मोटाई घटती है।
(ii) उत्क्रम बायस स्थिति में अवक्षय परत की मोटाई बढ़ती है।

प्रश्न 38.
नीचे दिये गये चित्र में निवेश तरंग रूप को किसी युक्ति ‘X’ द्वारा निर्गत तरंग रूप में परिवर्तित किया गया है। इस युक्ति का नाम लिखिए और इसका परिपथ आरेख बनाइए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 14
उत्तर:
(i) पूर्णतरंग दिष्टकारी
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प्रश्न 39.
चित्र में दिखाये गये लॉजिक गेट का नाम लिखिए और इसके लिए सत्यमान सारणी बनाइए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 16
उत्तर:
(i) AND GATE
(ii)

INPUTOUTPUT
ABY
000
010
100
111

प्रश्न 40.
जीनर डायोड में भंजन वोल्टता समझाइए।
उत्तर:
भंजन वोल्टता – एक P-N सन्धि डायोड जब पश्च बायसित अवस्था में हो तो निश्चित मान की वोल्टता पर धारा के मान में एक उच्च मान तक अचानक वृद्धि दर्शाई जाती है, इस विभव को भंजन वोल्टता अथवा जीनर वोल्टता कहा जाता है। यह उच्च मान की धारा साधारण P-N सन्धि को नष्ट कर सकती है।

प्रश्न 41.
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ABYY
0001
0110
1010
1110

चित्र P एवं सारणी Q से सम्बन्धित तार्किक द्वारों के नाम
उत्तर:
(P) AND
(Q) NOR

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प्रश्न 42.
NOR गेट का तार्किक प्रतीक दीजिए।
उत्तर:
NOR का तार्किक प्रतीक निम्न होता है:
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प्रश्न 43.
P-N संधि की अवक्षय परत की चौड़ाई का क्या होता है जब इसे
(i) अग्रदिशिक बायसित
(ii) पश्चदिशिक बायसित किया जाता है?
उत्तर:
(i) P-N संधि के अग्रदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई कम हो जाती है।
(ii) P-N संधि के पश्चदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई बढ़ जाती है।

प्रश्न 44.
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्यों? कारण बताइए।
उत्तर:
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसका अवशोषण गुणांक अपेक्षाकृत अधिक होने से यह आपतित सौर विकिरण से अपेक्षाकृत अधिक मात्रा की ऊर्जा अवशोषित करता है।

प्रश्न 45.
किसी तार्किक गेट की सत्यमान सारणी नीचे दी गई है। इस गेट का नाम बताइए तथा इसकी प्रतीक बनाइए।

ABY
001
010
100
110

उत्तर:
तार्किक गेट NOR गेट है तथा उसकी प्रतीक निम्न है:
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प्रश्न 46.
नैज अर्द्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम
उत्तर:
समचतुष्फलकीय।

प्रश्न 47.
निम्न में से एक दाता अशुद्धि छाँटिए- बोरॉन (B), ऐलुमिनियम (Al) एवं आर्सेनिक (As)
उत्तर:
आर्सेनिक (As)

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
धातुओं, चालकों तथा अर्धचालकों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
चालकता के आधार पर विद्युत चालकता (σ) अथवा प्रतिरोधकता (p = 1/σ) के सापेक्ष मान के आधार पर ठोस पदार्थों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है
(i) धातु इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम (अथवा चालकता बहुत अधिक) होती है।
P- 10-2 – 10-8 Ωm
σ – 10-2 – 108 Sm
(ii) अर्धचालक – इनकी प्रतिरोधकता या चालकता धातुओं तथा विद्युतरोधी पदार्थों के बीच की होती है।
P 10-5 – 10-6 Ωm
σ – 105 10-6 Sm-1
(iii) विद्युतरोधी – इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक (अथवा चालकता बहुत कम होती है।
P 1011 – 1019 Ωm
σ – 10-11 – 10-19 Sm-1
ऊपर दिए गए p तथा σ के मान केवल कोटि मान के सूचक हैं और दिए गए परिसर के बाहर भी जा सकते हैं।

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प्रश्न 2.
तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconduc- tor) और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
तात्विक अर्धचालक और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण निम्न हैं:
(i) तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconductors)- Si और Ge
(ii) यौगिक अर्धचालक:
उदाहरण हैं
अकार्बनिक – Cas, GaAs, CdSe, InP आदि।
कार्बनिक – एंथ्रासीन, मांदित (Doped) थैलोस्यानीस आदि।
कार्बनिक बहुलक (Organic polymers ) – पॉलीपाइरोल, पॉलीऐनिलीन, पॉलीथायोफीन आदि।

प्रश्न 3.
C, Si तथा Ge की जालक (Lattice) संरचना समान होती है फिर भी क्यों C विद्युतरोधी है जबकि Si व Ge नैज अर्धचालक (intrinsic semiconductor) हैं?
उत्तर:
C, Si तथा Ge के परमाणुओं के चार बंधित इलेक्ट्रॉन क्रमशः द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ कक्षा में होते हैं अतः इन परमाणुओं से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा (आयनिक ऊर्जा Eg) सबसे कम Ge के लिए इससे अधिक Si के लिए और सबसे अधिक C के लिए होगी। इस प्रकार Ge व Si में विद्युत चालन के लिए स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या सार्थक होती है जबकि C में यह नगण्य होती है।

प्रश्न 4.
क्या P-N संधि बनाने के लिए हम P प्रकार के अर्धचालक की एक पट्टी को N प्रकार के अर्धचालक से भौतिक रूप से संयोजित कर P-N संधि प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं! कोई भी पट्टी, चाहे कितनी ही समतल हो, अंतर- परमाण्वीय क्रिस्टल अंतराल (~ 2 से 3 Ā) से कहीं ज्यादा खुरदरी होगी और इसलिए परमाण्वीय स्तर पर अविच्छिन्न संपर्क (अथवा संतत संपर्क) संभव नहीं होगा प्रवाहित होने वाले आवेश वाहकों के लिए संधि एक विच्छिन्नता की तरह व्यवहार करेगी।

प्रश्न 5.
यह ज्ञात है कि पश्चदिशिक बायस की धारा (माइक्रो ऐम्पियर) की तुलना में अग्रदिशिक बायस की धारा (मिली ऐम्पियर) अधिक होती है तो फिर फोटोडायोड को पश्चदिशिक बायस में प्रचालित करने का क्या कारण है?
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक पर विचार करें। स्पष्टतया बहुसंख्यक वाहकों का घनत्व (n) अल्पांश होल घनत्व p से बहुत अधिक है (n >> p)। मान लीजिए प्रदीप्त करने पर दोनों प्रकार के वाहकों की संख्या में वृद्धि क्रमश: ∆n तथा ∆p है, तब
n’ = n + ∆n
p’ = p + ∆p
यहाँ पर n’ तथा p’ क्रमशः किसी विशिष्ट प्रदीप्त पर इलेक्ट्रॉन तथा होल सांद्रताएँ हैं तथा n व p उस समय की वाहक सांद्रताएँ हैं जब कोई प्रदीप्त नहीं है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा बैण्ड की अवधारणा को चित्र सहित समझाइये
उत्तर:
ऊर्जा बैण्ड- जब किसी ठोस के दो परमाणु पास-पास आते हैं तो अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक ऊर्जा स्तर दो भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाता है जिनमें से एक स्तर की ऊर्जा मूल ऊर्जा स्तर से अधिक व दूसरे ऊर्जा स्तर की ऊर्जा मूल स्तर से कम होती है। इनमें ऊर्जा अंतर बहुत कम होता है। इसी तरह N परमाणुओं के निकाय में अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक परमाणु के ऊर्जा स्तर N-भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाते हैं। इन ऊर्जा स्तरों में ऊर्जा स्तर अत्यंत अल्प होने के कारण इनमें विभेदन संभव नहीं है। अतः ऊर्जा बैण्ड का निर्माण हो जाता है, इस प्रकार प्रत्येक ऊर्जा स्तर के संगत ऊर्जा बैण्ड बन जाता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 20

प्रश्न 7.
संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड क्या होते हैं? वर्जित ऊर्जा अन्तराल की परिभाषा बताइये।
उत्तर:
संयोजी बैण्ड-ठोस की साम्यावस्था में परमाणुओं के मध्य निश्चित संतुलित दूरी होती है। इस दूरी पर बाह्य ऊर्जा स्तर बैण्ड का रूप धारण कर लेते हैं। ठोस के परमाणुओं की संयोजी कक्षा से बने बैण्ड को संयोजी बैण्ड कहते हैं। चालन बैण्ड-संयोजी बैण्ड के ऊपर एक ओर अनुमत बैण्ड होता है, जिसे चालन बैण्ड कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 21

वर्जित ऊर्जा अन्तराल संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य ऊर्जा अन्तराल को वर्जित ऊर्जा अन्तराल कहते हैं। इस वर्जित ऊर्जा बैण्ड में इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकता है। वर्जित ऊर्जा अन्तराल (∆E) चालन बैण्ड के निम्नतम स्तर की ऊर्जा E व संयोजी बैण्ड के उच्चतम स्तर की ऊर्जा E के अंतर के बराबर होता है।
∆Eg = Ec – Ev

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 8.
ऊर्जा बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर अर्धचालकों को परिभाषित कीजिये अर्धचालक में आवेश वाहक कौन-कौनसे होते हैं? परम शून्य ताप पर अर्धचालक किसकी तरह व्यवहार करने लग जाते हैं?
उत्तर:
अर्धचालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान लगभग 1eV होता है, उन्हें अर्धचालक कहते हैं। उदाहरण के लिये, Si के लिये यह अन्तराल 1.1 eV, Ge के लिये 0.7 eV तथा गैलियम आर्सेनाइड के लिये 1.3 eV होता है। अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन तथा होल आवेशवाहक का कार्य करते हैं। अर्धचालकों की प्रतिरोधकता व चालकता चालकों व कुचालकों के मध्य होती है। कक्ष ताप पर कुछ इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में चले जाते हैं व विद्युत धारा का निश्चित मात्रा में चालन करते हैं। परम शून्य ताप पर इलेक्ट्रॉन की तापीय ऊर्जा शून्य होती हैं, अतः इनकी गति अवरुद्ध हो जाती है। अतः अर्धचालक बाह्मीय विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में धारा चालन नहीं कर पाता है एवं कुचालक की तरह व्यवहार करता है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 9
बाहरी वि. क्षेत्र की उपस्थिति में अर्धचालकों में धारा प्रवाह को सचित्र समझाइये।
उत्तर:
कक्ष ताप पर अर्ध चालकों के कुछ इलेक्ट्रॉन सह- संयोजी आबन्ध तोड़कर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 22
जाते हैं। सहसंयोजी बन्ध के टूटने से वहाँ रिक्त स्थान हो जाता है, इसे होल कहते हैं। इलेक्ट्रॉन के संक्रमण के कारण उत्पन्न यह होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है। इस तरह होल धनावेशित धारावाहक का कार्य करता है। सहसंयोजी आबंध स्थल से मुक्त इलेक्ट्रॉन के स्थान पर उत्पन्न होल की तरफ अन्य किसी सह- संयोजी आबंध स्थल से इलेक्ट्रॉन संक्रमण करता है व होल द्वितीय सहसंयोजी आबंध स्थल की ओर गति करता है। इस प्रकार होल व इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से विपरीत दिशा में यादृच्छिक गति करते हैं। बाह्य वि. क्षे. आरोपित करने पर इनकी गति नियमित हो जाती है। जिसमें इसे वि. क्षे. की दिशा में व होल वि. क्षे. के विपरीत दिशा में गति करते हैं व धारा का चालन करते हैं।

प्रश्न 10.
अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन व होल एक-दूसरे से विपरीत दिशा में गति करते हैं कैसे? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
अर्धचालक में कुछ इलेक्ट्रॉन कक्ष ताप पर तापीय ऊर्जा प्राप्त कर उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाते हैं। इलेक्ट्रॉन के चले जाने के कारण उत्पन्न रिक्त स्थान को ‘होल’ कहते हैं। होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है।
(i) सहसंयोजी आबंध स्थल A से इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर – जाने पर उत्पन्न होल की तरफ किसी अन्य सह-संयोजी आबंध स्थल B पर स्थित इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा ग्रहण करके संक्रमण करता है। इससे होल A से B पर पहुँच जाता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 23
(ii) B स्थल पर किसी अन्य स्थल C पर स्थित इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर जाने पर होल C पर पहुँच जाता है अतः इस तरह इलेक्ट्रॉन CBA दिशा में व होल ABC दिशा में संक्रमण करता है।
इस तरह होल व इलेक्ट्रॉन परस्पर विपरीत दिशा में गति करते हैं।

प्रश्न 11.
बाह्य अर्धचालक किसे कहते हैं? डोपिंग क्रिया को समझाइये।
उत्तर:
बाह्य अर्धचालक कक्ष ताप पर नैज अर्धचालकों की चालकता बहुत कम होती है अतः चालकता बढ़ाने के लिये नैज अर्धचालक में अल्प मात्रा में तीसरे या पांचवें ग्रुप का निश्चित तत्त्व मिलाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त अर्धचालक को अपद्रव्य अर्धचालक या बाह्य अर्धचालक कहते हैं। डोपिंग नै अर्धचालक में अशुद्धि परमाणु मिलने की क्रिया को मांदन या डोपिंग कहते हैं। बाह्य अर्धचालक प्राप्त करने के लिये नैज अर्धचालक में लगभग (10) से (10) 10 परमाणुओं में एक परमाणु अशुद्धि तत्त्व का होता है।

प्रश्न 12.
N प्रकार के अर्धचालक किन्हें कहते हैं? इनकी चालकता नैज अर्धचालकों से अधिक होती है क्यों? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक नैज अर्धचालक में पंचम वर्ग के तत्त्व, जैसे – As, Sb P आदि अपद्रव्य परमाणु के रूप में मिला देने पर प्राप्त अर्धचालक को N प्रकार का अर्धचालक कहते हैं। फॉस्फोरस, आर्सेनिक या एन्टीमनी की संयोजकता कक्षा में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः जब एक पंच संयोजी अशुद्धि का परमाणु चतुःसंयोजी Ge या Si को प्रस्थापित करता है तो इसके चार संयोजकता इलेक्ट्रॉन तो निकटवर्ती चार परमाणुओं के साथ सह-संयोजी आबंध बना लेते हैं, परन्तु एक संयोजकता इलेक्ट्रॉन शेष रह जाता है। इस पर अशुद्धि परमाणु से बंधन अत्यन्त दुर्बल होने के कारण यह लगभग मुक्त रहता है। अतः सामान्य ताप पर ही यह मुक्त इलेक्ट्रॉन चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाता है। इस प्रकार पंचम वर्ग के अशुद्धि तत्त्व का प्रत्येक परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्रॉन, आवेश वाहक के रूप में प्रदान करता है। इस कारण से आवेश वाहकों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप चालकता भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 13.
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की चालकता कैसे बढ़ती है?
उत्तर:
अर्धचालकों पर ताप का प्रभाव – अर्धचालकों का ताप बढ़ाने पर तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर अधिक मात्रा में इलेक्ट्रॉन संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण करते हैं। अतः अधिक मात्रा में होल उत्पन्न होते हैं इस तरह ताप बढ़ाने पर आवेश वाहकों की संख्या बढ़ जाने से चालकता बढ़ती है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है परम शून्य ताप पर अर्धचालक कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.
अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर कौन-कौनसी धारायें उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
जब किसी अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तो आवेश वाहक दो तरह की धारायें उत्पन्न करते हैं
(1) अपवाह धारा – यह धारा आवेश वाहकों की बाह्य वि. क्षे. के अनुदिश गति के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
(2) विसरण धारा- यह धारा अर्धचालक में मुक्त आवेश वाहकों की उच्च सान्द्रता क्षेत्र से निम्न सान्द्रता क्षेत्र की ओर गति के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
N तथा P प्रकार के अर्धचालकों में धारा प्रवाह समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालकों में क्रिस्टल के अन्दर तथा बाह्य परिपथ दोनों में धारा इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 24
P- प्रकार के अर्धचालकों में अर्धचालक क्रिस्टल के अन्दर धारा होल्स के माध्यम से तथा बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।

प्रश्न 16.
P-N संधि किसे कहते हैं ? P-N संधि बनाने की विधियों का नाम लिखिये P-N संधि बनाने की विसरण विधि को समझाइये
उत्तर:
P-N संधि-P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं। P-N संधि बनाने की तीन विधियाँ हैं:
(1) वर्धन (2) विसरण (3) धातु मिश्रण
P-N संधि बनाने की विसरण विधि इसमें उच्च ताप पर मफल भट्टी में नैज अर्धचालक के वैफर को उचित अशुद्धि को वाष्प के सम्पर्क में लाकर अपद्रव्य अर्धचालक का निर्माण किया जाता है।
इस प्रकार से प्राप्त अपद्रव्य अर्धचालक को अब विपरीत अशुद्धि परमाणुओं (P-प्रकार के अर्धचालक को V वर्ग के तत्त्व से तथा N- प्रकार के अर्धचालक को III वर्ग के तत्त्व से) के सम्पर्क में लाकर विसरण कराया जाता है। विसरण की मात्रा गहराई के साथ कम होती जाती है। फलस्वरूप क्रिस्टल में जहाँ तक अशुद्धि होती है, वहाँ तक संधि उपस्थित हो जाती है।

प्रश्न 17.
आदर्श P-N संधि डायोड के लिये सम्पूर्ण I-V अभिलाक्षणिक वक्र बनाइये। अग्र बायस अवस्था में गतिक प्रतिरोध परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
एक अग्रदिशिक अभिनत P-N संधि डायोड के VI अभिलाक्षणिक प्राप्त किये जाने के लिये प्रायोगिक परिपथ व्यवस्था को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 25

यहाँ पर विभव भाजक व्यवस्था के द्वारा डायोड पर आरोपित विभवान्तर V को परिवर्तित किया जाता है जिसे डायोड के समान्तर क्रम में लगे वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। विभव के अलग- अलग मानों के संगत डायोड में बहने वाली धारा को मिली. अमीटर द्वारा नोट किया जाता है। इस प्रकार से V तथा I के मानों में खींचा गया वक्र चित्रानुसार प्राप्त होता है।
अग्र गतिक प्रतिरोध: परिभाषा से अग्र गतिक प्रतिरोध
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 26
चित्र में बिन्दु C के निकट अग्र प्रतिरोध की गणना के लिये. ∆V तथा I को दर्शाया गया है। यदि ∆V व ∆I अत्यल्प हैं तो बिन्दु C पर गतिक प्रतिरोध इस बिन्दु पर वक्र पर खींची गयी स्पर्श रेखा (tangent ) के बाल (slope ) के मान का व्युत्क्रम होगा। अग्र गतिक प्रतिरोध का मान सामान्यतः अल्प (1 से 100 ओम) का होता है।

प्रश्न 18.
सौर सेलों के लिए Si और GaAs अधिक पसंद वाले पदार्थ क्यों हैं?
उत्तर:
हमें प्राप्त होने वाला सौर विकिरण स्पेक्ट्रम नीचे चित्र में दिखाया गया है। अधिकतम तीव्रता 1.5 इलेक्ट्रॉन बोल्ट के पास है। प्रकाश- उत्तेजन के लिए hu> Eg इसलिए ऐसे अर्धचालकों जिनका बैंड अंतराल 1.5 इलेक्ट्रॉन वोल्ट या उससे कम हो, के लिए सौर ऊर्जा के रूपांतरण की दक्षता अच्छी होने की संभावना है। सिलिकॉन के लिए Eg ~ 1.1 eV (इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जबकि GaAs के लिए यह इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। वास्तव में अपेक्षाकृत अधिक अवशोषण गुणांक के कारण GaAs (अधिक बैंड अंतराल होने पर भी) Si से ज्यादा अच्छा है। यदि हम Cds या Cd Se (Eg 2.4 eV) जैसे पदार्थों को चुनें तो प्रकाश रूपांतरण के लिए हम सौर ऊर्जा के केवल उच्च ऊर्जा घटक का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऊर्जा के एक सार्थक भाग का कोई उपयोग नहीं हो पाएगा प्रश्न यह उठता है कि हम PbS (Eg 0.4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जैसे पदार्थ क्यों नहीं उपयोग करते, जो सौर विकिरण के स्पेक्ट्रम के तदनुरूपी उच्चिष्ठ के लिए ho> Eg का प्रतिबंध संतुष्ट करते हैं? यदि हम ऐसा करेंगे तो सौर विकिरण का अधिकांश भाग सौर सेल की ऊपरी परत पर ही अवशोषित हो जाएगा और हासी क्षेत्र में या उसके पास नहीं पहुँचेगा। संधि क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन होल के प्रभावी पृथकन के लिए हम चाहते हैं कि प्रकाश जनन केवल संधि क्षेत्र में ही हो।
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प्रश्न 19.
LED से उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता का निर्धारण करने वाले कारक क्या हैं?
उत्तर:
(i) LED से उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्ध-चालक पदार्थ पर निर्भर करती है, जैसे GaP सन्धि पर अधिकांश ऊर्जा लाल तथा हरे प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। GaAsP सन्धि नीला तथा पीला प्रकाश उत्सर्जित करती है।
(ii) LED से उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता प्रयुक्त अर्द्धचालक के वर्जित ऊर्जा बैण्ड अन्तराल पर निर्भर करती है।

प्रश्न 20.
तर्क द्वार से आप क्या समझते हैं? AND द्वार का प्रतीक चिन्ह बनाते हुये इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
तर्क द्वार – तार्किक या लोजिक गेट अंकीय इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के आधारभूत भाग हैं। एक तार्किक द्वार ऐसा तर्कसंगत परिपथ होता है जिसमें एक या अधिक निवेशी टर्मिनल किन्तु केवल एक निर्गत टर्मिनल होता है। निर्गत टर्मिनल पर केवल उसी समय निर्गत संकेत प्राप्त होता है जब निवेशी टर्मिनल पर कुछ प्रतिबंध संतुष्ट हो रहे होते हैं अर्थात् निवेशी संकेत ( या संकेतों) के मध्य एक तर्कसंगत सम्बन्ध होता है। मूल तार्किक द्वार निम्न होते हैं-
(i) ओर द्वार (OR Gate)
(ii) एन्ड द्वार (AND Gate)
(iii) नॉट द्वार (NOT Gate)
AND द्वार का प्रतीक चिन्ह:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 28
सत्य सारणी:

निवेशी(Input)निर्गत
Y
AB
000
101
011
111

जब कोई भी निवेश (Input) A या B या दोनों O अवस्था में होते हैं तो निर्गत X भी ‘O’ अवस्था में होता है, परन्तु जब निवेश A और B दोनों ‘1’ अवस्था में होते हैं तो निर्गत Y भी ‘1’ अवस्था में होता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 21.
दो संधि डायोड काम लेते हुये बनाये जाने वाले OR द्वार का परिपथ चित्र बनाइये तथा इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
OR द्वार का परिपथ चित्र:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 29

सत्य सारणी:

निवेशी(Input)निर्गत
Y
AB
000
101
011
111

प्रश्न 22.
चित्र में दिये गये तार्किक परिपथ के लिये बूलीय व्यंजक लिखिये। इस परिपथ के लिए सत्यता सारणी भी बनाइये।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 30
उत्तर:

AB\(\overline{\mathrm{A}}\)\(\overline{\mathrm{B}}\)\(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
00111
10011
01101
11000

प्रश्न 23.
किसी P-N संधि में हासी स्तर (अवक्षय परत) के बनने की व्याख्या कीजिए।
अथवा
एक परिपथ आरेख की सहायता से किसी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक को दोलित्र के रूप में उपयोग करने के कार्यकारी सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवक्षय परत: जब P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं।
P-N संधि तल पर क्रिया: P-N संधि में P की ओर होल सांद्रता व N की ओर इलेक्ट्रॉन सांद्रता अधिक होने के कारण सांद्रता प्रवणता तथा होल- इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता के प्रभाव से N भाग से कुछ इलेक्ट्रॉन P की ओर तथा P भाग से कुछ होल N भाग की ओर विसरित होते हैं। विपरीत ध्रुवीय होल व इलेक्ट्रॉन आपस में संयोग कर उदासीन हो जाने से संधि से N के निकटस्थ क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन तथा P के निकटस्थ क्षेत्र में होल्स की कमी हो जाती है।

इस मुक्त धारावाहक रहित क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र तथा मुक्त आवेशरहित इस परत को अवक्षय परत कहते हैं। इसकी मोटाई 10 m से 10m तक होती है। अवक्षय परत के N की ओर के स्थिर धन आयन P की ओर से आने वाले होल्स को तथा P की ओर के स्थिर ऋण आयन N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। अतः संधि तल के पास P भाग में ऋण आवेश की अधिकता से ऋण विभव तथा N भाग में धन आवेश की अधिकता से धन विभव उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार से अवक्षय परत के सिरों पर उत्पन्न वि. वा. बल को अवरोधी या सम्पर्क विभव कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 31
यदि अवरोधी विभव (Vcont.) हो तथा अवक्षय क्षेत्र की मोटाई d हो तो अवरोधी विभव से उत्पन्न विद्युत् क्षेत्र EB का मान होगा
EB = Vcont/d
यह विद्युत् क्षेत्र गतिशील होल व इलेक्ट्रॉन को अवक्षय परत पर P की ओर से आने वाले होलों को पुनः P क्षेत्र में तथा N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को पुनः N क्षेत्र में लौटाता है। अवक्षय परत को रुकावट क्षेत्र भी कहते हैं। इस क्षेत्र की प्रतिरोधकता शेष N व P क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक होती है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 32
कार्यविधि – चित्र में ट्रांजिस्टर के दोलित्र के रूप में उपयोग का परिपथ चित्र प्रदर्शित किया गया है। जब कुंजी बन्द करते हैं तो क्षीण मान की संग्राहक धारा I बहती है और इस कारण L से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे उत्पन्न प्रेरित वोल्टता उत्सर्जक आधार सन्धि को अग्रबायस प्रदान करती है। इस प्रकार बढ़ी हुई उत्सर्जक धारा, संग्राहक धारा को बढ़ा देती है। जिससे L’ से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि होती है और वह संग्राहक धारा में और वृद्धि कर उसे संतृप्त धारा की स्थिति में ला देती है। जब संतृप्त अवस्था में धारा एवं चुम्बकीय फ्लक्स की अवस्था में परिवर्तन होते हैं तो उत्सर्जक धारा घटती है जो संग्राहक धारा का मान कम कर देती है। घटी हुई संग्राहक धारा विपरीत दिशा में प्रेरित वोल्टता उत्पन्न करती है, जब तक कि उसका मान न्यूनतम न हो जावे। इस तरह से इस चक्र की पुनरावृत्ति होने से उत्पन्न अवमंदित दोलन की आवृत्ति निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
V = \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)

प्रश्न 24.
दो निवेशी तर्क द्वार की निम्नांकित सत्यमान सारणी में निर्गत संकेत दिया गया है:
(i) दिये गये द्वार की पहचान कर प्रतीक चित्र खींचिये।
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार का नाम बताइए।

निवेशनिर्गम
ABY
001
101
011
110

उत्तर:
(i) दिया गया द्वार NAND है। इसका प्रतीक चित्र निम्न
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 33
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार AND द्वार में परिवर्तित हो जाता है।

InputOutput
10
10
10
01

प्रश्न 25.
ठोसों में ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध चालक के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध- चालक के मध्य अन्तर को निम्न प्रकार से बाँटा गया है
(i) चालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg प्रायः शून्य होता है, चालक पदार्थ कहलाते हैं। इनमें संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड परस्पर अतिव्यापित रहते हैं।
(ii) कुचालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल ∆Eg का मान 6eV या इससे अधिक होता है, इन्हें कुचालक या विद्युतरोधी पदार्थ कहते हैं।
(iii) अर्ध-चालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान 1eV के लगभग होता है, उन्हें अर्द्धचालक पदार्थ कहते हैं।

प्रश्न 26.
LED का विस्तृत अर्थ बताइए। उन कारकों को बताइए जो LED द्वारा उत्सर्जित प्रकार की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता को निर्धारित करते हैं।
उत्तर:
LED का विस्तृत रूप Light Emitting Diode है, जिसका अर्थ है प्रकाश उत्सर्जक डायोड इसके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्धचालक की ऊर्जा बैण्ड रिक्ति पर निर्भर करती है। (ii) तीव्रता अर्द्धचालक के मादन स्तर पर निर्भर करती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 27.
सामान्य ट्रांजिस्टर की तुलना में यदि इसका आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो इससे निम्न पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (i) संग्राहक धारा (ii) धारा लब्धि
उत्तर:
यदि आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो उत्सर्जक से आने वाले अधिकांश आवेश वाहक आधार में उदासीन हो जायेंगे (इलेक्ट्रॉन – कोटर संयोग प्रक्रिया द्वारा) अतः इसके परिणामस्वरूप (i) संग्राहक धारा घट जायेगी, (ii) अतः धारा लब्धि भी घट जायेगी।

प्रश्न 28.
P-N संधि डायोड के अग्रदिशिक बायस (अभिनति) में V- I अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने की कार्यविधि का वर्णन कीजिए। प्रायोगिक व्यवस्था का परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर:
किसी डायोड के V – I अभिलाक्षणिक (अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता के फलन के रूप में धारा का विचरण) का अध्ययन करने के लिए आरेख चित्र (a) में दिखाया गया है। डायोड से वोल्टता को एक पोटेंशियोमीटर (या धारा नियंत्रक) से होकर जोड़ा जाता है जिससे डायोड पर अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता को परिवर्तित किया जा सकता है। वोल्टता के विभिन्न मानों के लिए धारा का मान नोट किया जाता है। V तथा I के बीच एक ग्राफ चित्र (b) में दिखाया गया है।

यहाँ पर अग्रदिशिक बायस मापन के लिए हम मिलीमीटर का उपयोग करते हैं क्योंकि अपेक्षित धारा अधिक है। जैसा कि चित्र में देख सकते हैं कि अग्रदिशिक बायस में आरम्भ में धारा उस समय तक बहुत धीरे-धीरे लगभग नगण्य बढ़ती जब तक कि डायोड पर वोल्टता एक निश्चित मान से अधिक न हो जाये। इस अभिलाक्षणिक वोल्टता के बाद डायोड बायस वोल्टता में बहुत थोड़ी-सी ही वृद्धि करने से डायोड धारा में सार्थक (चरघातांकी) वृद्धि हो जाती है। यह वोल्टता देहली वोल्टता (Threshold Voltage) या कट इन वोल्टता कहलाती है। इस वोल्टता का मान जरमेनियम डायोड के लिए 0.2 वोल्ट तथा सिलिकॉन डायोड के लिए 0.7 वोल्ट है।
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प्रश्न 29.
दिये गये परिपथ चित्र में प्रयुक्त युक्ति D का नाम बताइए जो कि एक वोल्टता नियामक के रूप में प्रयुक्त की गई है। इसका संकेत भी दीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 35
उत्तर:
जीनर डायोड इसका संकेत चित्र-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 36

प्रश्न 30.
p-n संधि के निर्माण के लिए दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के नाम लिखिए। इसमें हासी क्षेत्र (अवक्षय क्षेत्र) एवं रोधिका विभव को परिभाषित कीजिए।
अथवा
दो सार्वत्रिक तार्किक द्वारों के नाम लिखिए। एकीकृत परिपथ किसे कहते हैं? इसके दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
किसी संधि के निर्माण के समय दो महत्वपूर्ण
प्रक्रियायें होती हैं-
(1) विसरण (Diffusion)
(2) अपवाह
हासी क्षेत्र (Depletion Region): जब कोई होल सान्द्रता प्रवणता के कारण pn की ओर विसरित होता है तो वह अपने पीछे एक आयनित ग्राही (ऋणात्मक आवेश) छोड़ देता है जो निश्चल होता है। जैसे-जैसे होल विसरित होते हैं, ऋणात्मक आवेश (ऋणात्मक स्पेस चार्ज क्षेत्र) की एक परत संधि के p-फलक पर विकसित होती जाती है। संधि के दोनों फलकों पर विकसित इस स्पेस चार्ज क्षेत्र को हासी क्षेत्र (Depletion Region ) कहते हैं।
रोधिका विभव (Barrier Potential)-n क्षेत्र से इलेक्ट्रॉनों की हानि तथा p-क्षेत्र में होलों की प्राप्ति के कारण दोनों क्षेत्रों की सन्धि के आर-पार एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है। इस विभव की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि यह आवेश वाहकों की ओर प्रवाह का विरोध करता है जिसके फलस्वरूप साम्यावस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसमें n पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन खोए हैं तथा p-पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन अर्जित किये हैं। इस प्रकार p-पदार्थ के सापेक्ष n पदार्थ धनात्मक है। चूँकि विभव n-क्षेत्र से p-क्षेत्र की ओर इलेक्ट्रॉन की गति को रोकने का प्रयास करता है, अतः इस विभव को प्रायः रोधिका विभव (Barrier Potential ) कहते हैं।
अथवा
(1) NAND gate
(2) NOR gate
एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) – आधुनिक युग के परिपथ में कई तर्कसंगत गेट अथवा परिपथों को एक एकल चिप’ में एकीकृत करते हैं, जिन्हें एकीकृत परिपथ (IC) कहते हैं।
लाभ:
(1) यह बहुत ज्यादा मात्रा (Bulk) में बनते हैं इसलिये ये सस्ते पड़ते हैं।
(2) इनमें ऊर्जा की खपत कम होती है चूँकि इनका आकार छोटा होता है।

प्रश्न 31.
(a) NAND गेट को सार्वत्रिक गेट (सार्व प्रायोजक गेट) भी कहते हैं, क्यों?
(b) OR गेट का तर्क प्रतीक बनाइए।
(c) दिए गये परिपथ में निर्गत y का मान लिखिए:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 37
(d) वोल्टता नियमन में प्रयुक्त डायोड का नाम लिखिए।
उत्तर:
(a) NAND गेटों को सार्वत्रिक गेट या सार्व प्रायोजक गेट भी कहते हैं, क्योंकि इन गेटों के प्रयोग से आप अन्य मूलभूत गेट जैसे OR, AND तथा NOT प्राप्त कर सकते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 38
(c) यहाँ NAND गेट के दोनों निवेशी टर्मिनल एक साथ जोड़ दिये गये हैं। इस प्रकार एक निवेश के लिये एक ही निर्गत Y है। अतः दिये गये परिपथ की सत्यापन सारणी के द्वारा लिखा जा सकता है:

AB = AA.BY = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\)
1110

अतः Y = 0 होगा।
(d) जेनर डायोड

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 32.
दो NOT गेटों के निर्गतों से किसी NOR गेट का भरण किया जाता है। इन गेटों के संयोजन का लॉजिक (तर्क) परिपथ चिए। इसकी सत्यमान सारणी लिखिए। इस परिपथ के तुल्य गेट की पहचान कीजिए।
उत्तर:
G1 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A}}\)
G2 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{B}}\)
गेट G3, NOR गेट है, इसका इनपुट \(\overline{\mathrm{A}}\) और \(\overline{\mathrm{B}}\) है।
इसलिए G3 का आउटपुट Y = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}+\overline{\mathrm{B}}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}} \cdot \overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = AB
यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 39

प्रश्न 33.
आपको आरेख में दर्शाए अनुसार दो परिपथ (a) और (b) दिए गए हैं जो NAND गेटों के बने हैं। इन दोनों के द्वारा कार्यान्वित लॉजिक (तर्क) प्रचालन पहचानिए। प्रत्येक के लिए सत्यमान सारणी लिखिए। इन दोनों परिपथों के तुल्य गेटों को पहचानिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 40
उत्तर:
परिपथ (a)
प्रथम गेट C का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
Y का आउटपुट = \(\overline{\text { C.C C }}\) = \(\overline{\mathrm{C}}\) = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\) = AB

ABY
000
100
010
111

यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।

परिपथ (b)
आउटपुट C= \(\overline{\mathrm{A}}\), आउटपुट D = \(\overline{\mathrm{B}}\)
आउटपुट Y = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}}+\overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = A + B

ABY
000
101
011
110

यह ओर गेट के लिए बूलन व्यंजक है।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी नैज अर्धचालक के लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg इलेक्ट्रॉन वोल्ट है तो इस अर्धचालक द्वारा किस अधिकतम तरंगदैर्ध्य के आपतित प्रकाश का अवशोषण किया जा सकता है?
उत्तर:
यदि आपतित प्रकाश के फोटॉन की आवृत्ति v है तो इन फोटॉन की ऊर्जा hu होगी। यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा का मान अर्धचालक के वर्जित ऊर्जा अन्तराल से अधिक है तो अर्धचालक के संयोजकता बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉन इन फोटॉनों को अवशोषित कर चालन बैण्ड में पहुँच सकेंगे। (यह प्रक्रिया प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पादन कहलाती है।) अतः फोटॉन की अवशोषण योग्य न्यूनतम आवृत्ति vmin सूत्र
hvmin = Eg
द्वारा दी जायेगी। यदि फोटॉन की अवशोषण योग्य अधिकतम तरंगदैर्घ्य λmax है तो
\(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_{\max }}\) = Eg या λmax = \(\frac{\mathrm{hc}}{\mathrm{E}_{\mathrm{g}}}\)
hc = 12400 eV Å तथा Eg को eV मात्रक में लेने पर
λmax = \(\frac{12400}{E_g}\)

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प्रश्न 2.
किसी संधि डायोड में अग्रिम बायस में विभव के मान में 1.5 वोल्ट से 2.0 वोल्ट का परिवर्तन करने से धारा का मान 6.0 मिली ऐम्पियर 16.0 मिली ऐम्पियर हो जाता है इसी डायोड पर उत्क्रम बायस का मान 10 वोल्ट से 15 वोल्ट किया जाता है तो धारा का मान 25.0 माइक्रोऐम्पियर से 50.0 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है संधि डायोड का दोनों स्थितियों में गतिज प्रतिरोध ज्ञात करो।
उत्तर:
अग्रिम बायस पर
तथा
∆Vf = 2.0 – 1.5 = 0.5 वोल्ट
∆lf = ( 16.0 – 6.0) x 10-3 ऐम्पियर
= 10 x 10-3 ऐम्पियर
अतः अग्रिम बायस प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{10 \times 10^{-3}}\)
= 50 ओम
उत्क्रम बायस पर
∆Vr = 15 – 10 = 5 वोल्ट
∆L = 50 x 106 – 25 x 106 = 25 x 10-6 ऐम्पियर
उत्क्रम बायस प्रतिरोध
R,= \(\frac{\Delta V_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{25 \times 10^{-6}}\) ओम
= 2 × 105 ओम

प्रश्न 3.
किसी P-N संधि डायोड की अग्रदशिक अभिनति को 1.0 वोल्ट से बढ़ाकर 1.5 वोल्ट करने पर अग्र धारा का मान 6.5 मिली ऐम्पियर से 16.5 मिली ऐम्पियर हो जाता है। इसी डायोड की उत्क्रम अभिनति का मान 5 वोल्ट से 10 वोल्ट करने पर उत्क्रम धारा का मान 25 माइक्रोऐम्पियर से बढ़कर 50 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है। इस डायोड का दोनों स्थितियों में गतिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) प्रश्नानुसार, अग्र अभिनति में
∆Vf = 1.5 – 1.0 = 0.5 V
तथा अग्रदिशिक धारा में परिवर्तन
∆lf = 16.5 – 6.5 = 10mA
अतः अग्रदिशिक गतिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \mathrm{~mA}}\)
= \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \times 10^{-3}}\)
= 0.5 × 102
= 50 ओम
(ii) उत्क्रमित अभिनति के लिए
∆Vr = 10 – 5 = 5V
तथा संगत धारा परिवर्तन
∆I = 50 – 25 = 25 PA
अतः उत्क्रमित गतिक प्रतिरोध
Rr = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{r}}}\)
= \(\frac{5 \mathrm{~V}}{25 \mu \mathrm{A}}\) = \(\frac{5}{25 \times 10^{-6}}\) = \(\frac{1}{5}\) x 106
= 0.2 x 106 ओम
= 0.2 मेगा ओम

प्रश्न 4.
किसी P-N संधि डायोड का अग्रअभिनति की स्थिति में गतिक प्रतिरोध 25 ओम है अग्र अभिनत विभव में कितना परिवर्तन किया जाये कि अप्रदिशिक धारा में 2 मिली ऐम्पियर का परिवर्तन हो जाये?
उत्तर:
अग्रदिशिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\)
और
∆Vf = Rf. ∆lf
= (25) × (2 × 103)
∵ ∆lf = 2 mA = 2 × 10-3 A
Rf = 25 ओम
= 50 x 10-3 v
= 50 मिली वोल्ट
अतः 50 mV का परिवर्तन करना होगा।

प्रश्न 5.
यदि बूलियन व्यंजक \((\overline{\mathbf{A}+\mathbf{B}})(\overline{\mathbf{A} . \mathbf{B}})\) = 1 तो निवेश A व B के मान क्या होंगे?
उत्तर:
माना \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = y1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = y2
अतः (A + B). (A.B) = y1. Y2 = 1
या y1 .y2 = 1
यह तभी सम्भव होगा जब
Y1 = 1 एवं y2 = 1
या \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = 1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = 1
या A + B = 0 एवं AB = 0
यह तभी सम्भव होगा जब
A = 0, B = 0

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
हाइड्रोजन परमाणु की लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्ध्य हाइड्रोजन समान आयन की बामर श्रेणी की द्वितीय रेखा की तरंगदैर्घ्य के बराबर है। हाइड्रोजन समान आयन का परमाणु क्रमांक 2 है:
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 1
उत्तर:
(अ) 2

प्रश्न 2.
उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु में यदि बोर के सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग (2h/2π) हो तो उसकी ऊर्जा होगी:
(अ) – 3.4 ev
(ब) + 3.4 eV
(स) – 13.6 ev
(द) + 13.6 ev
उत्तर:
(अ) – 3.4 ev

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन परमाणु में स्पेक्ट्रम में किस श्रेणी में रेखायें दृश्य भाग में मिलती हैं:
(अ) लाइमन
(ब) बामर
(स) पाश्चन
(द) ब्रेकेट
उत्तर:
(ब) बामर

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 4.
प्रमुख क्वाण्टम संख्या 1 एवं बोर कक्षा की त्रिज्या rn में निम्न निर्भरता होती है:
(अ) rn α n1/2
(ब) rn α n2
(स) rn α n1/3
(द) rn α n
उत्तर:
(ब) rn α n2

प्रश्न 5.
हाइड्रोजन परमाणु में यदि इलेक्ट्रॉन तीसरी कक्षा से दूसरी कक्षा में संक्रमण करता है, तो उत्सर्जित हिरण की तरंगदैर्ध्य होगी:
(अ) \( \frac{5 R}{6}\)
(ब) \( \frac{R}{6}\)
(स) \( \frac{R}{36}\)
(द) \( \frac{5}{R}\)
उत्तर:
(स) \( \frac{R}{36}\)

प्रश्न 6.
लाइमैन तथा बामर श्रेणी की न्यूनतम तरंगदैर्घ्य का अनुपात होगा:
(अ) 1.25
(ब) 0.25
(स) 5
(द) 10
उत्तर:
(ब) 0.25

प्रश्न 7.
एक उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 3.4 eV है। बोर के सिद्धान्त के अनुसार उसका कोणीय संवेग होगा:
(अ) \(\frac{h}{2 \pi}\)
(ब) \(\frac{2h}{2 \pi}\)
(स) \(\frac{3h}{2 \pi}\)
(द) \(\frac{4h}{2 \pi}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{2h}{2 \pi}\)

प्रश्न 8.
बोर के अनुसार केवल वे कक्ष स्थायी होती हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का मान होगा:
(अ)\(\frac{nh}{2 \pi}\)
(ब) \(\frac{nh}{\pi}\)
(स) \(\frac{2nh}{\pi}\)
(द) \(\frac{n}{2 \pi h}\)
उत्तर:
(अ)\(\frac{nh}{2 \pi}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में जब इलेक्ट्रॉन किसी बाह्य कक्ष से तीसरी कक्षा में संक्रमण करता है, तब स्पेक्ट्रम की श्रेणी होगी:
(अ) लाइमैन श्रेणी
(ब) बॉमर श्रेणी
(स) पाश्चन श्रेणी
(द) ब्रेकेट श्रेणी।
उत्तर:
(स) पाश्चन श्रेणी

प्रश्न 10.
यदि बोर के प्रथम कक्ष की त्रिज्या है तो दूसरे कक्ष की त्रिज्या होगी:
(अ) r/2
(ब) √2r
(स) 2r
(द) 4r
उत्तर:
(द) 4r

प्रश्न 11.
सोडियम की पीली रेखा की तरंगदैर्ध्य 5896 À है। इसकी तरंग संख्या होगी:
(अ) 50883 x 1010 प्रति सेकण्ड
(ब) 16961 प्रति सेमी.
(स) 17581 प्रति सेमी.
(द) 5.883 प्रति सेमी.
उत्तर:
(ब) 16961 प्रति सेमी.

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की कौनसी श्रेणी पूर्ण तथा पराबैंगनी क्षेत्र में उपस्थित होती है:
(अ) लाइमन
(ब) बामर
(स) ब्रेकेट
(द) पाश्चन
उत्तर:
(अ) लाइमन

प्रश्न 13.
10 गुने आयनित सोडियम परमाणु की आयनन ऊर्जा होगी:
(अ) \(\frac{13.6}{11} \mathrm{eV}\)
(ब) \(\frac{13.6}{12} \mathrm{eV}\)
(स) 13.6 x (11)2 ev
(द) 13.6 ev
उत्तर:
(स) 13.6 x (11)2 ev

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प्रश्न 14.
उत्सर्जित आवृत्ति का मान का संक्रमण होता है:
(अ) n = 5 से n = 3
(ब) n = 6 से n = 2
(स) n = 2 से n = 0
(द) n = 0 से n = 2
उत्तर:
(स) n = 2 से n = 0

प्रश्न 15.
बोहर कक्षा की त्रिज्या r पूर्णांक n तथा नियतांक K में सम्बन्ध:
(अ) r = n2K
(ब) r = nK
(स) r = n/k2
(द) r = n/K
उत्तर:
(अ) r = n2K

प्रश्न 16.
हाइड्रोजन परमाणु के प्रथम कक्षा की त्रिज्या 0.53 À है तो उसकी चतुर्थ कक्षा की त्रिज्या होगी:
(अ) 0.193 A°
(ब) 4.24 A°
(स) 2.12 A°
(द) 8.48 A°
उत्तर:
(द) 8.48 A°

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन परमाणु में त्रिज्या की कक्षा में चक्कर काट रहे इलेक्ट्रॉन के लिए गतिज ऊर्जा होगी:
(अ) \(\frac{e^2}{2 r}\)
(ब) \(\frac{e^2}{r^2}\)
(स) \(\frac{e^2}{r}\)
(द) \(\frac{\mathrm{e}^2}{2 \mathrm{r}^2}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{e^2}{2 r}\)

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प्रश्न 18.
एक उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु तरंगदैर्ध्य 2 के फोटोन को उत्सर्जित करने के पश्चात् मूल अवस्था में आ जाता है। उत्तेजित अवस्था की क्वाण्टम संख्या है-
(अ) \(\sqrt{\frac{\lambda R}{\lambda R-1}}\)
(ब) \(\sqrt{\frac{\lambda R-1}{\lambda R}}\)
(स) \(\sqrt{\lambda R-1}\)
(द) \(\sqrt{\frac{1}{\lambda R-1}}\)
उत्तर:
(अ) \(\sqrt{\frac{\lambda R}{\lambda R-1}}\)

प्रश्न 19.
यदि हाइड्रोजन परमाणु का आयनन विभव 13.6V है तो n = 3 पर इसकी लगभग ऊर्जा है:
(अ) – 1.14 ev
(ब) – 1.51 ev
(स) – 3.4 ev
(द) – 4.53 ev
उत्तर:
(ब) – 1.51 ev

प्रश्न 20.
बामर श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य 6563 À है लाइमन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य होगी:
(अ) 1215.4 A°
(ब) 2500 A°
(स) 7500 A°
(द) 600 A°
उत्तर:
(अ) 1215.4 A°

प्रश्न 21.
बामर श्रेणी की सीमा 3646 A है। इस श्रेणी के प्रथम सदस्य की तरंगदैर्घ्य होगी:
(अ) 6563 A°
(स) 7200 A°
(ब) 3646 A°
(द) 1000 A°
उत्तर:
(अ) 6563 A°

प्रश्न 22.
किसी हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा में ऊर्जा En है। एकल आयनित हीलियम परमाणु की ऊर्जा होगी:
(अ) 4 En
(ब) \(\frac{E_n}{4}\)
(स) 2 En
(द) \(\frac{E_n}{2}\)
उत्तर:
(अ) 4 En

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प्रश्न 23.
हाइड्रोजन परमाणु के बोहर प्रतिरूप में इलेक्ट्रॉन की क्वान्टम में गतिज ऊर्जा तथा कुल ऊर्जा का अनुपात होगा:
(अ) 1
(ब) -1
(स) 2
(द) -2
उत्तर:
(ब) -1

प्रश्न 24.
हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन n = 4 ऊर्जा स्तर से n = 1 स्तर तक संक्रमण करता है। उत्सर्जित हो सकने वाले फोटॉनों की अधिकतम संख्या होगी:
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 6
उत्तर:
(द) 6

प्रश्न 25.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में चामर श्रेणी की अधिकतम तरंगदैर्घ्य का मान 6652 À है, इस श्रेणी की न्यूनतम तरंगदैर्ध्य है:
(अ) 304 Å
(ब) 3645 Å
(स) 1070 Å
(द) 10760 Å
उत्तर:
(ब) 3645 Å

प्रश्न 26.
बोर के सिद्धान्तानुसार इलेक्ट्रॉन की 1वीं कक्षा में कुल ऊर्जा होती है:
(अ) En = -13.6/n2ev
(ब) En = 13.6 n2 eV
(स) 136 ev
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) En = -13.6/n2ev

प्रश्न 27.
लाइमैन व बामर श्रेणी, हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में क्रमशः प्राप्त होती
(अ) पराबैंगनी व दृश्य क्षेत्र में
(ब) दृश्य व दृश्य क्षेत्र में
(स) पराबैंगनी व पराबैंगनी क्षेत्र में
(द) दोनों अवरक्त क्षेत्र में
उत्तर:
(अ) पराबैंगनी व दृश्य क्षेत्र में

प्रश्न 28.
जब बामर श्रेणी के लिए न्यूनतम और अधिकतम तरंगदैर्घ्य प्राप्त होते हैं, तब 12 के मान क्रमशः होंगे:
(अ) अनन्त व तीन
(ब) तीन व शून्य
(स) शून्य व तीन
(द) शून्य व शून्य
उत्तर:
(अ) अनन्त व तीन

प्रश्न 29.
रदरफोर्ड के कणों के प्रकीर्णन प्रयोग में धातुओं के पतली पन्नी से नाभिक का परमाणु क्रमांक बढ़ने पर प्रकीर्णन कोण का पथ होता है:
(अ) अपरिवर्तित रहता है
(ब) घटता है
(स) बढ़ता है
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) बढ़ता है

प्रश्न 30.
चिरसम्मत सिद्धान्त के अनुसार रदरफोर्ड मॉडल में इलेक्ट्रॉन
(अ) वृत्ताकार
(ब) सीधी रेखा में
(स) परवलय में
(द) सर्पिल वक्र में
उत्तर:
(द) सर्पिल वक्र में

प्रश्न 31.
H परमाणु में इलेक्ट्रॉन के प्रथम कक्ष की त्रिज्या A में होती है:
(अ) 0.529
(ब) 1.046
(स) 2.052
(द) 2.068
उत्तर:
(अ) 0.529

प्रश्न 32.
प्रकीर्णन प्रयोग में Q-कण कौनसे बल के कारण प्रकीर्णित होते हैं?
(अ) नाभिकीय बल
(ब) कूलॉम बल
(स) (अ) और (ब) दोनों
(द) गुरुत्वाकर्षण बल
उत्तर:
(ब) कूलॉम बल

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 33.
यदि हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में आयनन ऊर्जा 13.6 eV हो तो प्रथम उत्तेजित अवस्था की आयनन ऊर्जा होगी:
(अ) शून्य
(ब) 6.8 ev
(स) 10.2 ev
(द) 3.4 ev
उत्तर:
(द) 3.4 ev

प्रश्न 34.
निम्न में से कौन-सी एक बोहर मॉडल के अनुसार हाइड्रोजन परमाणु द्वारा उत्सर्जित फोटॉन की ऊर्जा सम्भव नहीं है?
(अ) 1.9 eV
(ब) 11.1 ev
(स) 13.6 ev
(द) 0.65 ev
उत्तर:
(ब) 11.1 ev

प्रश्न 35.
किसी अचल हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रॉन पाँचवें ऊर्जा स्तर से न्यूनतम स्तर को गमन करता है, तो फोटॉन उत्सर्जन के परिणामस्वरूप परमाणु द्वारा प्राप्त वेग होगा:
(अ) \(\frac{24hR}{25m}\)
(ब) \(\frac{25hR}{24m}\)
(स) \(\frac{24hR}{24m}\)
(द) \(\frac{25hR}{25m}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{24hR}{25m}\)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
परमाणु संरचना से सम्बन्धित रदरफोर्ड प्रयोग की कोई दो मुख्य कमियाँ लिखिए।
उत्तर:
(1) रेखीय वर्णक्रम की व्याख्या करने में असफल।
(2) परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल। नोट – (अन्य उचित कमियाँ भी मान्य)

प्रश्न 2.
α कण प्रकीर्णन प्रयोग में स्वर्ण-पत्र ही क्यों प्रयुक्त किये गये?
उत्तर:
सोने का नाभिक भारी होने के कारण Q-कण का विक्षेप अधिक होता है तथा इसके अत्यधिक बारीक पत्र बनाये जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
रदरफोर्ड के ca-प्रकीर्णन प्रयोग से प्राप्त दो मुख्य निष्कर्ष लिखिए।
उत्तर:
(i) परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान तथा सम्पूर्ण आवेश परमाणु के अति सूक्ष्म स्थान में निहित है जिसे नाभिक कहते हैं।
(ii) नाभिक की त्रिज्या परमाणु की त्रिज्या का लगभग (1/ 10000) वाँ भाग है।

प्रश्न 4.
हाइड्रोजन परमाणु में बोर कक्षा की त्रिज्या का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
rn = \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~h}^2}{\pi \mathrm{mZe}}\)
n2, जहाँ n = कक्षा की संख्या है और सभी शेष प्रतीकों के सामान्य अर्थ हैं।

प्रश्न 5.
प्लम पुडिंग मॉडल किसे कहा गया था?
उत्तर:
जे. जे. टॉमसन के पहले परमाणु मॉडल को कहा गया था। इसके अनुसार परमाणु का धन आवेश परमाणु में पूर्णतया एकसमान रूप से वितरित है तथा ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन इसमें ठीक उसी प्रकार अंतःस्थापित है जैसे किसी तरबूज में बीज इस मॉडल को चित्रमय रूप में प्लम पुडिंग मॉडल कहा गया।

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प्रश्न 6.
नाभिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी परमाणु का कुल धनावेश तथा अधिकांश द्रव्यमान एक सूक्ष्म आयतन में संकेन्द्रित होता है, जिसे नाभिक कहते हैं और इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन उसी प्रकार परिक्रमा करते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर ग्रह परिक्रमा करते हैं।

प्रश्न 7.
बोर की आवृत्ति का सूत्र लिखिए
उत्तर:
बाह्य कक्षा से आन्तरिक कक्षा में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन के कूदने से उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति E = hv = E2 – E1
यहाँ पर E = इलेक्ट्रॉन की आंतरिक कक्षा में कुल ऊर्जा और E = बाह्य कक्षा में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा।

प्रश्न 8.
निकटतम पहुँच की दूरी को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वह न्यूनतम दूरी जहाँ तक नाभिक की दिशा में सीधा गतिशील एक ऊर्जायुक्त a कण तब तक आ सके जब तक कि वह अपने पथ पर पुनः न लौट जाये, निकटतम पहुँच की दूरी कहलाती है।
F = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{(2 \mathrm{e})(\mathrm{Ze})}{\mathrm{r}^2}\)
जहाँ ऐल्फा कण की नाभिक से दूरी है।

प्रश्न 9.
संघट्ट प्राचल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
a- कण के वेग सदिश की नाभिक से अभिलम्ब दूरी जब यह परमाणु से बहुत दूर है, को संघट्ट प्राचल कहते हैं। इसे b से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 10.
किसी परमाणु के इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग के लिए बोर की क्वांटीकरण शर्त क्या है?
उत्तर:
mvr = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\) पूर्ण संख्या है।

प्रश्न 11.
निम्न घटना का कारण लिखिए अधिकांश -कण स्वर्ण पत्र के आर-पार बिना प्रभावित हुए सीधे ही निकल जाते हैं।
उत्तर:
क्योंकि परमाणु का अधिकांश भाग अन्दर से खोखला होता है।

प्रश्न 12.
a कणों के बड़े कोण से प्रकीर्णन के लिए परमाणु का नाभिक ही उत्तरदायी है, इलेक्ट्रॉन क्यों नहीं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन Q-कण की तुलना में बहुत हल्का होता है इसलिए संवेग संरक्षण के सिद्धान्तानुसार वह Q-कण को बड़े कोण पर प्रकीर्णित नहीं कर सकता।

प्रश्न 13.
परमाणु की त्रिज्या तथा नाभिक की त्रिज्या की कोटि को लिखिए।
उत्तर:
क्रमशः 10-10 m 10-15 m

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु का व्यास लगभग कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु में एक प्रोटोन युक्त नाभिक केन्द्र में तथा एक इलेक्ट्रॉन 0.53 À त्रिज्या की कक्षा में गति करता है अतः परमाणु का व्यास 1.06 À के लगभग होगा।

प्रश्न 15
अवशोषण तथा उत्सर्जन संक्रमण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
निम्नतम ऊर्जा स्तर से किसी भी उच्च ऊर्जा-स्तर में जाना अवशोषण संक्रमण तथा किसी उच्च ऊर्जा स्तर से किसी भी निम्न ऊर्जा स्तर में आना उत्सर्जन संक्रमण कहलाता है।

प्रश्न 16.
ऊर्जा स्तर क्या है? इसे कैसे प्रदर्शित करेंगे?
उत्तर:
किसी परमाणु की स्थायी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा को क्षैतिज रेखा से प्रदर्शित किया जा सकता है, जिसे ऊर्जा स्तर कहते हैं। इसे उचित ऊर्जा पैमाने के अनुसार क्षैतिज रेखा से प्रदर्शित कर सकते हैं।

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की उस श्रेणी का नाम लिखिए जो कि पराबैंगनी दृश्य क्षेत्र में स्थित है।
उत्तर:
लाइमन श्रेणी।

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प्रश्न 18.
हाइड्रोजन के रेखीय वर्णक्रम में पाई जाने वाली किन्हीं दो श्रेणियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लाइमन तथा बामर श्रेणी।

प्रश्न 19.
क्या कोई हाइड्रोजन परमाणु उस फोटॉन जिसकी ऊर्जा बंधन ऊर्जा से अधिक हो, अवशोषित कर सकता है?
उत्तर:
हाँ, परन्तु परमाणु आयनीकृत हो जायेगा।

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन परमाणु की ब्रेकेट श्रेणी की रेखाओं का अनुभूतिमूलक व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V = RC \(\left(\frac{1}{4^2}-\frac{1}{n^2}\right)\) ; n = 5,6,7,

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉन की कक्षाओं में कक्षा त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन वेग में सम्बन्ध को लिखिए।
उत्तर:
r = \(\frac{e^2}{4 \pi \epsilon_0 m v^2}\)

प्रश्न 22.
हाइड्रोजन के परमाणु में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा (K) और स्थितिज ऊर्जा U के मान लिखिए।
उत्तर:
k = \(\frac{e^2}{8 \pi \epsilon_0 r}\) तथा \(\frac{-e^2}{4 \pi \epsilon_0 r}\)

प्रश्न 23.
इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है। यह तथ्य क्या दर्शाता है? यदि धनात्मक होती तो यह क्या दर्शाता?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा का मान E = K + U = \(\frac{-\mathrm{e}^2}{8 \pi \epsilon_0 \mathrm{r}}\)
यहाँ पर ऋणात्मक तथ्य यह दर्शाता है कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से परिबद्ध है। यदि E का मान धनात्मक होता तो इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर बन्द कक्ष में नहीं घूमता।

प्रश्न 24.
हाइड्रोजन के लिए स्पेक्ट्रम श्रेणी लाइमैन तथा पाश्चन के सूत्रों को लिखिए।
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी \(\frac{1}{\lambda}\) = \(\frac{r1}{\lambda}\)
n = 2, 3, 4…..
पाश्चन श्रेणी \(\frac{1}{\lambda}\) = R
n = 4, 5, 6…..

प्रश्न 25.
बोर की कक्षा को ‘स्थायी कक्षा’ क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी किसी कक्षा में चक्कर काटते हुए इलेक्ट्रॉन न तो ऊर्जा उत्सर्जित करता है और न ही अवशोषित। अतः इन कक्षाओं को ‘स्थायी कक्षा’ कहते हैं।

प्रश्न 26.
रदरफोर्ड के प्रयोग में नाभिक के द्रव्यमान का महत्व क्यों नहीं है?
उत्तर:
रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग में नाभिक का आवेश प्रकीर्णन का कारण है। नाभिक के आवेश का वैद्युत क्षेत्र प्रकीर्णन का कारण है। अतः नाभिक के द्रव्यमान से प्रकीर्णन स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 27.
कोणीय संवेग की बोर के क्वांटमीकरण के प्रतिबंध का उल्लेख कीजिए। द्वितीय कक्षा में इलेक्ट्रॉन के लिए इसका क्या मान है?
उत्तर:
इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग का
पूर्णांक गुणक है।
अर्थात् L=n. 2r 22 जहाँ n = 1, 2, 3,
द्वितीय क्रम की कक्षा के लिए n = 2,
∴ L = \(\frac{2 \mathrm{~h}}{2 \pi}\) = \(\frac{\mathrm{h}}{\pi}\) = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{3.14}\)
= 2.11 × 10-34

प्रश्न 28.
हाइड्रोजन परमाणु के उत्सर्जन स्पेक्ट्रम की विभिन्न श्रेणियों के नाम लिखिए। बताइए कि ये विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किन-किन क्षेत्रों में पाई जाती हैं?
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी- पराबैंगनी क्षेत्र में, बामर श्रेणी- दृश्य क्षेत्र में,
पाश्चन, ब्रेकेट तथा फुंट श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में।

प्रश्न 29.
एक स्थायी कक्षा में घूमते इलेक्ट्रॉन की चाल मुख्य क्वांटम संख्या से कैसे संबंधित है?
उत्तर:
nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन की चाल
अर्थात्
Vn = K.2πe2/nh से दिया जा 1

अर्थात् चाल मुख्य क्वांटम संख्या के व्युत्क्रमानुपाती है।

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प्रश्न 30.
विभिन्न स्थायी कक्षाओं की त्रिज्यायें मुख्य क्वांटम संख्या से कैसे संबंधित हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं:
अर्थात्
rn = \(\frac{n^2 h^2}{\mathrm{Ke}^2 4 \pi^2 \mathrm{~m}}\)
एक कक्षा की त्रिज्या मुख्य क्वांटम संख्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती

प्रश्न 31.
यदि एक इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा शून्य हो, तो आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
शून्य ऊर्जा का अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से अनन्त दूरी पर है या यह केवल स्वतंत्र है।

प्रश्न 32.
कुछ कणों के 90° से अधिक कोण पर प्रकीर्णन से क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
(i) धनआवेशित a कणों के 90° से अधिक कोणों पर प्रकीर्णन के लिए आवश्यक है कि स्वर्ण पत्र के परमाणुओं में सूक्ष्म क्षेत्र में धनावेशित केन्द्रित है।
(ii) यह एक परमाणु के स्पेक्ट्रम को नहीं समझा सकता।

प्रश्न 33.
रिडबर्ग नियतांक R का मान ज्ञात करने का सूत्र लिखिए और इस नियतांक का मान कितना होता है?
उत्तर:
R = \(\frac{m e^4}{8 \in_0^2 h^3 c}\)
विभिन्न नियतांकों के मान प्रतिस्थापित करने पर R का मान होगा:
R = 1.03 x 107 m-1

प्रश्न 34.
परमाणु की सामान्य अवस्था के लिए क्वांटम संख्या n = 1 है आयनित अवस्था के लिए n का मान क्या है?
उत्तर:
n = ∞

प्रश्न 35.
उत्सर्जन स्पेक्ट्रम क्या है?
उत्तर:
जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है तो उत्सर्जित प्रकाश से प्राप्त स्पेक्ट्रम को उत्सर्जन स्पेक्ट्रम कहते हैं।

प्रश्न 36.
रेखीय स्पेक्ट्रम पदार्थ की किस अवस्था में प्राप्त होता
उत्तर:
परमाण्वीय अवस्था में।

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प्रश्न 37.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की कौन-सी श्रेणी पराबैंगनीं क्षेत्र में पड़ती है?
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी

प्रश्न 38.
आयनन ऊर्जा को परिभाषित कीजिए। हाइड्रोजन परमाणु के लिए इसका मान क्या होता है?
उत्तर:
आयनन ऊर्जा- किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन को दी गई वह न्यूनतम ऊर्जा जिससे वह संक्रमण के द्वारा परमाणु से बाहर चला जाये, इस आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। हाइड्रोजन परमाणु के आयनन ऊर्जा का मान 13.6 eV होता है।

प्रश्न 39.
हाइड्रोजन परमाणु के सबसे आन्तरिक कक्षा की त्रिज्या 5.3 x 1011m है। द्वितीय उत्तेजित स्तर की कक्षा की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा की त्रिज्या
प्रश्नानुसार
rn = n2r1
r1 = 5.3 x 1011 m
∴ द्वितीय उत्तेजित स्तर के
लिए n = 3 होता है।
r3 = (3)2 × 5.3 x 1011
यहाँ दिया गया है- n= 3
इसलिए
= 9 × 5.3 × 1011
= 47.7 × 1011 m

प्रश्न 40.
α-कण के बड़े कोण के प्रकीर्णन के लिए परमाणु का नाभिक ही उत्तरदायी है, इलेक्ट्रॉन क्यों नहीं?
उत्तर:
क्योंकि इलेक्ट्रॉन Q-कण की अपेक्षा बहुत हल्का होता है, इसलिए संवेग संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार यह a कण को बड़े कोण पर प्रकीर्णित नहीं कर सकता।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
α- प्रकीर्णन प्रयोग से गाइगर और उसके साथियों ने क्या प्रेक्षण किया?
उत्तर:
α- कण प्रकीर्णन प्रयोग से निम्न प्रेक्षण निकाले गये:
(i) अधिकांश a कण अविचलित सोने की पन्नी में से निकल जाते हैं।
(ii) कुछ a कण छोटे कोण पर निक्षेपित होते हैं।
(iii) कुछ a कण अधिक कोण ( > 90° ) पर विचलित होते हैं।
(iv) अत्यन्त अल्प मात्रा में Q-कण 180° से विक्षेपित होते हैं।
(v) पर्दे पर 6 कोण के अन्दर पहुँचने वाले प्रति एकांक क्षेत्रफल पर α- कणों की संख्या N(θ) = 1/sin4(θ/2) होती है।

प्रश्न 2.
किसी दिए हुए समयांतराल में विभिन्न कोणों पर प्रकीर्णित कुछ ऐल्फा- कणों की संख्या के प्रारूपिक आलेख को दर्शाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
बोर परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा का ऋणात्मक होना क्या प्रकट करता है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा ऋणात्मक तथा गतिज ऊर्जा धनात्मक होती है स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा से अधिक होती है अतः कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है जो परमाणु के स्थायित्व को दर्शाती है तथा इससे इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए बाहर से ऊर्जा देनी पड़ेगी।

प्रश्न 4.
स्वर्ण-पत्र पर आपतित कणों में से कुछ ऐसे भी हैं जो प्रकीर्णित होकर वापस अपने ही मार्ग पर लौट आते हैं। (कारण दीजिए)
उत्तर:
किसी भी परमाणु के भीतर एक अत्यन्त सूक्ष्म स्थान में धनावेश केन्द्रित रहता है जो a-कण पर इतना अधिक प्रतिकर्षण बल लगाता है कि a कण अपने ही मार्ग से वापस लौटता है।

प्रश्न 5.
पदार्थों के परमाण्वीय स्पेक्ट्रम की कुछ सुनिश्चित रेखायें ही प्राप्त होती हैं, क्यों?
उत्तर:
परमाणु की केवल सुनिश्चित तथा विविक्त ऊर्जा अवस्थायें ही होती हैं अतः परमाणु के संक्रमणों द्वारा उत्सर्जित विकिरणों की कुछ सुनिश्चित आवृत्तियाँ ही सम्भव हैं।

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प्रश्न 6.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा निम्नांकित सूत्र से व्यक्त की जाती है
En = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\)
जहाँ n = 1, 2, 3,
इस सूत्र का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि-
(a) हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 6.8 eV नहीं हो सकती। (b) हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम में संलग्न रेखाओं के बीच की दूरी n के बढ़ने के साथ-साथ घटती जाती है।
उत्तर:
सूत्र En = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\) में n = 1, 2, 3, …..∞
रखकर सरल करने पर,
E1 = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\) = -13.6eV
E2 = \(-\left(\frac{13.6}{2^2}\right)\)eV = \(\frac{-13.6}{4}\) = -3.4ev
E3 = \(-\left(\frac{13.6}{3^2}\right)\)ev = \(-\left(\frac{13.6}{9}\right)\) = -1.51ev
E4 = \(-\left(\frac{13.6}{3^4}\right)\) = \(-\left(\frac{13.6}{81}\right)\) = – 0.85ev
(a) अतः स्पष्ट है कि हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 6.8 eV नहीं हो सकती।
(b) यह भी स्पष्ट है कि n में वृद्धि के साथ दो संलग्न रेखाओं (ऊर्जा स्तरों) का ऊर्जा अन्तर घटता जाता है। अतः उनके बीच की दूरी भी घटती जाती है।

प्रश्न 7.
बोर के सिद्धान्त में कोणीय संवेग के क्वाण्टीकरण से सम्बन्धित परिकल्पना का उल्लेख कीजिये।
अथवा
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के लिए बोर का क्वाण्टम प्रतिबन्ध बताइए।
उत्तर:
बोर की द्वितीय परिकल्पना – इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूम सकता है जिनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग
(L = mvr), का पूर्ण गुणक हो।
बोर की इस परिकल्पना के अनुसार
या
L = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\)
mvr = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\)
यहाँ पर 1 एक पूर्णांक है जिसके मान क्रमश: 1, 2, 3, हैं n को मुख्य क्वाण्टम संख्या एवं इस प्रतिबन्ध को बोर का क्वाण्टम प्रतिबन्ध कहते हैं। यह प्रतिबन्ध इलेक्ट्रॉन की गति को निश्चित सम्भव कक्षाओं में सीमित करता है। n को निर्धारित विभिन्न मान देने पर इलेक्ट्रॉन की विभिन्न त्रिज्या वाली स्थायी कक्षायें प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 8.
रदरफोर्ड परमाणु प्रतिरूप के दोषों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
रदरफोर्ड परमाणु प्रतिरूप की कमियाँ- रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में दो कमियाँ पायी गई-
(i) परमाणु के स्थायित्व के सम्बन्ध में नाभिक के चारों ओर घूमते इलेक्ट्रॉन में अभिकेन्द्र त्वरण होता है। विद्युत गति विज्ञान के अनुसार त्वरित आवेशित कण ऊर्जा उत्सर्जित करता है। अतः नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते इलेक्ट्रॉनों से विद्युत चुम्बकीय तरंगें लगातार उत्सर्जित होनी चाहिये। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा का हास होने के कारण उनके वृत्तीय पथ की त्रिज्या लगातार कम होती जानी चाहिये और अन्त में वे नाभिक में गिर जाने चाहिये। इस प्रकार परमाणु स्थायी (stable) ही नहीं रह सकता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 2

(ii) रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या के सम्बन्ध में रदरफोर्ड मॉडल में इलेक्ट्रॉनों के वृत्तीय पथ की त्रिज्या के लगातार बदलते रहने से उनके घूमने की आवृत्ति भी बदलती रहेगी। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रॉन सभी आवृत्तियों की विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्सर्जित करेंगे अर्थात् इन तरंगों का स्पेक्ट्रम संतत (continuous) होगा, परन्तु वास्तव में परमाणुओं के स्पेक्ट्रम संतत न होकर रेखीय होते हैं अर्थात् उनमें बहुत-सी बारीक रेखायें होती हैं तथा प्रत्येक स्पेक्ट्रम रेखा की एक निश्चित आवृत्ति होती है अतः परमाणु से केवल कुछ निश्चित आवृत्तियों की ही तरंगें उत्सर्जित होनी चाहिये सभी आवृत्तियों की नहीं इस प्रकार रदरफोर्ड मॉडल रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में असक्षम रहा।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में कौनसी श्रेणी दृश्य स्पेक्ट्रम क्षेत्र में होती है? इस श्रेणी की विभिन्न रेखाओं की तरंग संख्यायें ज्ञात करने के लिये सूत्र लिखिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में बामर श्रेणी दृश्य स्पेक्ट्रम क्षेत्र में होती है। बामर श्रेणी, हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन जब किसी ऊँचे स्तरों n2 = 3, 4, 5….. से द्वितीय ऊर्जा स्तर n = 2 में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित विकिरण की श्रृंखला को बामर श्रेणी कहते हैं।
\(\frac{1}{\lambda}\) = \(\mathrm{R}\left[\frac{1}{2^2}-\frac{1}{\mathrm{n}_2^2}\right]\)
जहाँ पर n 2 = 3, 4, 5 ……….. ∞ है इस श्रेणी की सबसे बड़ी तरंगदैर्ध्य 6563 Å तथा सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य 3646 À है।

प्रश्न 10.
रदरफोर्ड के Q-कण के प्रयोग में यह देखने में आता है कि (i) अधिकतर a-कण लगभग बिना प्रकीर्णित हुए सीधे निकल जाते हैं, (ii) जबकि उनमें कुछ बड़ा कोण बनाते हुए प्रकीर्णित होते हैं तथा कुछ कण ऐसे भी हैं जो प्रकीर्णित होकर वापस अपने ही मार्ग पर लौट आते हैं। परमाणु की संरचना के विषय में इससे क्या सूचना प्राप्त होती है?
उत्तर:
(i) परमाणु के भीतर अधिकांश भाग खोखला है तथा
(ii) में धनावेश एक अत्यन्त सूक्ष्म स्थान (नाभिक) में संकेन्द्रित है।

प्रश्न 11.
एक α-कण V वोल्ट विभवान्तर से गुजरकर एक नाभिक से टकराता है। सिद्ध कीजिए कि यदि परमाणु संख्या Z हो, तो कण की नाभिक के पास पहुँचने की निकटतम दूरी 14.4 (Z/V) Å होगी।
(दिया है : 1/4r πE0 = 9.0 x 109 न्यूटन मीटर / कूलॉम’; तथा e = 1.6 x 10-19कूलॉम)
उत्तर:
α-कण की नाभिक के निकटतम पहुँचने की स्थिति में α-कण की गतिज ऊर्जा = α-कण नाभिक निकाय की वैद्युत
स्थितिज ऊर्जा
⇒ 2e x v = 1/4πE0(2e x Ze/r0)
⇒ 9 x 109(2e x Ze/r0)
⇒ 2ev = \(\frac{2 \times 9 \times 10^9 \times \mathrm{Ze}^2}{\mathrm{r}_0}\)
⇒ r0 = \(\frac{9 \times 10^9 \mathrm{Ze}}{\mathrm{V}}\) मीटर
मान रखने पर
9 x 109 1.6 x 10-19 मीटर
= 14.4 x 1010

प्रश्न 12.
किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम उत्तेजित स्तर तथा मूल स्तर के संगत कक्षाओं की त्रिज्याओं का अनुपात क्या होता है?
उत्तर;
हम जानते हैं rn α nn
मूल स्तर के लिए n = 1 तथा प्रथम उत्तेजित स्तर के लिए n = 2 होता है।
प्रथम उत्तेजित स्तर की त्रिज्या (5) मूल स्तर की त्रिज्या (i)
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\(\frac{r_2}{r_1}\) = \(\frac{4}{1}\)
r2 : r1 = 4 : 1

प्रश्न 13.
क्या कारण है कि किसी परमाणु के अवशोषण संक्रमणों की संख्या उत्सर्जन संक्रमणों से कम होती है?
उत्तर:
इसका कारण है कि उत्सर्जन संक्रमण किसी भी उच्च ऊर्जा स्तर से प्रारम्भ होकर उससे किसी भी निम्न ऊर्जा स्तर पर समाप्त हो सकते हैं, जबकि अवशोषण संक्रमण सदैव मूल ऊर्जा स्तर से ही प्रारम्भ होकर किसी भी उच्च ऊर्जा स्तर पर समाप्त होते हैं।

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक ही इलेक्ट्रॉन है, परन्त उसके उत्सर्जन वर्णक्रम में कई रेखाएँ होती हैं। ऐसा कैसे होता है? कारण सहित समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक परमाणु के कुछ सुनिश्चित ऊर्जा स्तर होते हैं। सामान्य अवस्था में हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन निम्नतम ऊर्जा- स्तर में रहता है। जब परमाणु को बाहर से पर्याप्त ऊर्जा मिलती है तो इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर को छोड़कर किसी ऊँचे ऊर्जा स्तर में चला जाता है, अर्थात् उत्तेजित हो जाता है। लगभग 10 सेकण्ड में ही इलेक्ट्रॉन ऊँचे ऊर्जा स्तर को छोड़ देता है। अब यह सीधे निम्नतम ऊर्जा स्तर में भी लौट सकता है अथवा नीचे ऊर्जा स्तरों से होते हुए भी निम्नतम ऊर्जा स्तर में लौट सकता है। चूँकि किसी प्रकाश स्रोत (हाइड्रोजन लैम्प में असंख्य परमाणु हैं, अतः स्रोत में सभी सम्भव संक्रमण होने लगते हैं तथा स्पेक्ट्रम में अनेक रेखाएँ दिखाई पड़ती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 15.
सतत परास की आवृत्ति वाले फोटॉन विरलित (rarefied) हाइड्रोजन नमूने में से गुजारे जाते हैं। चित्र में तीन अवशोषित रेखाएँ दर्शाई गई हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 4
(i) ये रेखाएँ हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की किस श्रेणी से सम्बन्धित
(ii) इनमें से किसकी तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होगी?
उत्तर:
(i) I = लाइमैन श्रेणी II = बामर श्रेणी III = पाश्चन श्रेणी।
(ii) ∵ λ = hc/ΔΕ अधिकतम तरंगदैर्घ्य के लिए AE न्यूनतम होनी चाहिए। यह III रेखा के लिए है। अतः इसकी तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होगी।

प्रश्न 16.
H2 परमाणु में पहली बोहर कक्षा की त्रिज्या ro है। दूसरी कक्षा की त्रिज्या कितनी होगी? एकल आयनित हीलियम परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या कितनी होगी?
उत्तर:
H2 परमाणु के लिए r α n2; इसलिए इसकी दूसरी
कक्षा की त्रिज्या
r2 = 22r1 = 22 x ro = 4ro
H2 सदृश परमाणु के लिए r α (n2/Z) तथा एकल आयनित हीलियम परमाणु के लिए Z = 2
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 5
= \(\frac{2^2 / 2}{2^2}\)
अतः एकल आयनित He परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या
= H2 परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या / 2
= 4r/2 = 2ro

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन परमाणु को उत्तेजित करने वाले इलेक्ट्रॉन की न्यूनतम ऊर्जा कितनी हो कि हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ प्राप्त हों?
उत्तर:
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि परमाणु को उत्तेजित करने वाले इलेक्ट्रॉन में इतनी ऊर्जा हो कि उसको n = 1 से n = 3 में उत्तेजित कर सकें जिससे तीन उत्सर्जन संक्रमण = (3 → 2, 3 → 1, 2 → 1) प्राप्त हो जायेंगे।
इस स्थिति में सूत्र En = ( 13.6/n 2 ) eV. से.
अतः
E1 = -(13.6/12)ev = -13.6ev
E3 = -(13.6/32)ev = -1.5ev
आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा = E3 – E1
= – 1.5 eV – (- 13.6 eV)
= – 1.5 eV + 13.6 eV = 12.1 ev
यद्यपि परमाणु के अवशोषण स्पेक्ट्रम में तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ : (1 → 2, 1 → 3, 1 → 4) प्राप्त करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा (E4 – E1) = 12.75 ev चाहिए।

प्रश्न 18.
बोर के सिद्धान्त की कमियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
बोर प्रतिरूप की कमियाँ
(1) बोर का सिद्धान्त एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु, जैसे- हाइड्रोजन या आयनित हीलियम के लिये ही उपयुक्त है। इसके द्वारा अन्य परमाणुओं के स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं की जा सकी।
(2) इस सिद्धान्त में नाभिक को स्थिर माना गया है, परन्तु यह तभी सम्भव है जब नाभिक का द्रव्यमान अनन्त हो।
(3) इसमें इलेक्ट्रॉन की कक्षायें वृत्ताकार मानी गयी हैं, जबकि यह अधिकतर दीर्घ वृत्ताकार होती हैं।
(4) इसके आधार पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की तीव्रता की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
(5) कोणीय संवेग के क्वांटीकरण का कोई तर्कसंगत आधार नहीं दिया गया।
(6) इसके आधार पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की सूक्ष्म संरचना की व्याख्या नहीं की जा सकती।
(7) चुम्बकीय क्षेत्र प्रयुक्त करने पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं में विपाटन (Splitting ) होता है, यह प्रभाव जेमान प्रभाव कहलाता है जिसकी व्याख्या बोर सिद्धान्त से नहीं हो सकी। इस तरह विद्युत क्षेत्र में स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विपाटन प्रेक्षित होता है जिसे स्टार्क प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 19.
बोर के अभिगृहीतों के आधार पर हाइड्रोजन परमाणु की nवीं स्थाई कक्षा में इलेक्ट्रॉन के कक्षीय वेग के व्यंजक की व्युत्पत्ति कीजिए।
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा (-) Xev है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर:
बोर की प्रथम परिकल्पना – परमाणु में इलेक्ट्रॉन नामिक के चारों ओर विभिन्न स्थायी वृत्ताकार कक्षों में घूमते हैं। इलेक्ट्रॉन एवं नाभिक के आवेश के बीच कार्य करने वाला कूलॉम बल, इलेक्ट्रॉन की वृत्तीय कक्षा में घूमने के लिये आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है। अतः बोर की प्रथम परिकल्पना से
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 6
बोर की द्वितीय परिकल्पना: इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूम सकता है जिनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग ( L = mvr), h/2π का पूर्ण गुणक हो। बोर की इस परिकल्पना के अनुसार
L = nh/2π
या
mvr = n(h/2π) ….(2)
जहाँ h = प्लांक नियतांक तथा n = 1. 2. 3…. मुख्य क्वाण्टम
संख्यायें हैं।
समीकरण (1) से
mv2r = \(\frac{\mathrm{Ze}^2}{4 \pi \epsilon_0}\)
या mvrv = \(\frac{\mathrm{Ze}^2}{4 \pi \epsilon_0}\) ………(3)
समीकरण (2) से mvr का मान रखने पर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 7
(जहाँ n = 1. 2. 3….. )
समीकरण (4) स्थायी कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन के वेग का सामान्य व्यंजक है। इस सूत्र में e, E0 तथा h सार्वत्रिक नियतांक हैं। परमाणु
विशेष के लिये Z भी नियतांक है अतः v α 1/n
अर्थात् “स्थायी कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन का वेग कक्षा की संख्या अर्थात् मुख्य क्वाण्टम संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। ” इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा का मान
K =- (-) X ev
K = XeV

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प्रश्न 20.
एक ऐल्फा कण, जिसकी गतिज ऊर्जा 4.5 Mev है, Z = 80 के किसी नाभिक से टकराता है, रुकता है और अपनी दिशा उत्क्रमित करता है, तो निकटतम उपगमन की दूरी निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
माना निकटतम उपगमन की दूरी है।
था
K = 4.5Mev
= 4.5 x 106 ev
Z = 80
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 8

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
गांइगर मार्सडन प्रयोग में Z = 80 नाभिक से निकटतम पहुँच की दूरी ज्ञात कीजिए जब 8 Mev ऊर्जा का Q-कण उसकी ओर प्रेक्षित किया जाता है जो क्षणभर के लिए विरामावस्था में आने से पहले उसकी दिशा प्रतिलोम हो जाती है। जब Q-कण की गतिज ऊर्जा दुगुनी कर दी जाये तो निकटतम पहुँच की दूरी कैसे प्रभावित होगी?
उत्तर:
निकटतम पहुँच की दूरी का सूत्र
r0 = K2Ze2/Ek
दिया है:
z = 80, E = 8 Mev
= 8 × 106 × 1.6 x 10-19 J
e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
मान रखने पर
ro = \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 80 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{8 \times 10^6 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{2304 \times 10^{-10}}{8 \times 10^6}\)
= 288 ×10-16
जब
= 28.8 × 10-15m
Ek = 2 × 8 MeV = 16 Mev
= 16 × 100 × 1.6 × 10-16J
तब
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 80 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{16 \times 10^6 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{2304 \times 10^{-10}}{16 \times 10^6}\)
= 144 x 10-16
= 14.4 × 10-15m
यदि अल्फा कण की ऊर्जा दुगुनी कर दी जाये तो निकटतम पहुँच दूरी आधी हो जायेगी।

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प्रश्न 2.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम व द्वितीय बोर कक्षों की त्रिज्याएँ, वेग व ऊर्जा स्तरों की गणना कीजिए दिया है h = 6.6 x 10-14 जूल- सेकण्ड;
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m = 9.1 x 10-31 किलोग्रामः
e = 1.6 × 10-19 कूलॉम;
Eo = 8.85 × 10-12 कूलॉम / न्यूटन मीटर
उत्तर:
(i) कक्षा की त्रिज्या rn =\(\frac{\epsilon_0 n^2 h^2}{\pi m e^2}\)
अतः प्रथम कक्षा की त्रिज्या के लिए n = 1
∴ r1 = \(\frac{\epsilon_0 h^2}{\pi \mathrm{me}^2}\)
= \(\frac{8.85 \times 10^{-12} \times\left(6.6 \times 10^{-34}\right)^2}{3.14 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}\) मीटर
= 5.29 × 10-11 मीटर
= 0.529 ऐंग्स्ट्रम
(ii) द्वितीय कक्षा n = 2 के लिए r2 = n2r1
= 4 × 0.529 Å = 2.116 ऐंग्स्ट्रम

(iii) यदि प्रथम कक्षा में वेग V1 है, तो
= \(\frac{\mathrm{e}^2}{2 \epsilon_{\mathrm{o}} \mathrm{nh}}\)
= \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-16}\right)^2}{2 \times 8.85 \times 10^{-12} \times 6.6 \times 10^{-34}}\)
= 2.2 × 106 मीटर/सेकण्ड

(iv) द्वितीय कक्षा में वेग V2
Vn = V1/n यहाँ n = 2
∴ V2 = \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-16}\right)^2}{2 \times 8.85 \times 10^{-12} \times 6.6 \times 10^{-34}}\)
= 1.1 x 106मीटर / सेकण्ड

(v) nवीं कक्षा की ऊर्जा En = \(\frac{-m e^4}{8 \epsilon_0^2 h^2 n^2}\)
n = 1 रखने पर प्रथम कक्षा ( मूल स्तर) की ऊर्जा
E1 = \(\frac{-m e^4}{8 \epsilon_0^2 h^2}\)
= \(\frac{9.1 \times 10^{-31} \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^4}{8 \times\left(8.85 \times 10^{-12}\right)^2 \times\left(6.6 \times 10^{-34}\right)^2}\)
= – 2.179 × 1018 जूल
= \(\frac{-2.179 \times 10^{-18}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= – 13.6 इलेक्ट्रॉन वोल्ट

(vi) दूसरे कक्षा की ऊर्जा En = E1/n2
(यहाँ n = 2)
∴ E2 = -13.6eV/4 = -3.4
इलेक्ट्रॉन वोल्ट

प्रश्न 3.
एक परमाणु का ऊर्जा स्तर आरेख चित्र में प्रदर्शित किया गया है। संक्रमण B तथा D से प्राप्त फोटॉनों के तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 9
उत्तर:
संक्रमण B के लिए
E1 = – 4.5 eV तथा E2 = 0 ev
E = E2 – E1 = 0 + 4.5 = 4.5 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन की तरंगदैर्ध्य )
λ = hc/E
∴ λ = hc/4.5ev
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{4.5 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
λ = \(\frac{6.62 \times 3 \times 10^{-34} \times 10^{27}}{4.5 \times 1.6}\)
= \(\frac{19.8 \times 10^{-7}}{7.2}\)
= 2.75 x 107 m
= 2750 × 10-10m = 2750 A
संक्रमण D के लिए
E1 = – 10 eV तथा E2 =- 2e V.
E = E2 – E से
= -2eV + 10 eV = 8 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन की तरंगदैर्ध्य )
∴ λ = hc/E = hc/8ev
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{8 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.547 × 107 m
= 1547 x 10-10 m
= 1547 A

प्रश्न 4.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा – 3.4 V है। मूल अवस्था प्राप्त करने पर उत्सर्जित फोटॉन का तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज एवं गतिज ऊर्जाओं की गणना भी कीजिये।
उत्तर:
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की गतिज एवं स्थितिज ऊर्जायें क्रमशः हैं (H-परमाणु के लिये )
है।
गतिज ऊर्जा Kn = 13.6/n2ev
और स्थितिज ऊर्जा Un = -27.2/n2 ev
n = 2, द्वितीय कक्षा जिसे हम प्रथम उत्तेजित अवस्था भी कहते
∴ n = 2 रखने पर K2 = 13.6/22eV = 3.4ev
U2 = -27.2/22ev = -6.8eV
हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन के प्रथम उत्तेजित अवस्था से मूल अवस्था में लौटने पर उसकी ऊर्जा में हुआ हास
13.6 + 3.4 = -10.2 ev
प्रश्नानुसार इसमें 3 तरंगदैर्घ्य का फोटॉन उत्सर्जित होता है।
hc/λ = 10.2 x 1.6 x 10-19
λ = \(\frac{h c}{10.2 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{10.2 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.217 x 107 m
= 1217 A

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 5.
(i) चित्रानुसार जब कोई इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर 2E से ऊर्जा स्तर E में संक्रमण करता है तो तरंगदैर्ध्य का फोटॉन उत्सर्जित होता है। यदि यह इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर स्तर E में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित फोटॉन ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 11
(ii) हाइड्रोजन परमाणु के प्रथम कक्ष की त्रिज्या 0.53है तो इसके दूसरे कक्ष की त्रिज्या कितनी होगी?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 10
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_1}{\lambda}\) = \(\frac{3 R}{4 E^2}\) \(\frac{25 \mathrm{E}^2}{9 R}\)
\(\frac{\lambda_1}{\lambda}\) = \(\frac{25}{12}\)
λ = \(\frac{25}{12}\)

(ii) सूत्र rn = 0.53n2/Z
हाइड्रोजन के लिए Z = 1
∴ rn = 0.53n2 A
दूसरे कक्ष के लिए
n = 2
r2 = 0.53 × 22
= 0.53 × 4
= 2.12A

प्रश्न 6.
किसी परमाणु में ऊर्जा स्तर A से C में संक्रमण से 1000 ऐंग्स्ट्रम तथा संक्रमण B से C में 5000 ऐंग्स्ट्रम तरंगदैर्ध्य के विकिरण उत्सर्जित होते हैं, ऊर्जा स्तर A से B में संक्रमण के लिए उत्सर्जित विकिरण की तरंगदैर्ध्य कितनी होगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
\(E_{n_2}-E_{n_1}=\frac{h c}{\lambda}\)
प्रश्नानुसार
EA – EC = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda}\) यहाँ λ1 = 1000 Å
अतः
EA – EC = \(\frac{h c}{1000 Å}\) ……(1)
इसी प्रकार EB – EC = \(\frac{h c}{5000 Å}\) …..(2)
यदि A से B में संक्रमण से उत्सर्जित विकिरण (फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य λ3 हो तो
EB – EC = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_3}\) …….(3)
समीकरण (1) में से समीकरण (2) घटाने पर
EA – EC = \(\frac{h c}{1000 Å}\) – \(\frac{h c}{5000 Å}\)
= \(\mathrm{hc}\left[\frac{(5000-1000) Å}{1000 \times 5000 Å \times Å}\right]\) ……(4)
समीकरण (4) में समीकरण (3) से मान रखने पर
\(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_3}\) = \(\frac{h c 4000}{1000 \times 5000} \frac{1}{Å}\)
या
λ3 = \(\frac{5000 Å}{4}\) = 1250 ऐंग्स्ट्रम

प्रश्न 7.
किसी तत्व का ऊर्जा स्तर आरेख नीचे चित्र में दिया गया है, आवश्यक गणना करके यह पहचानें कि कौनसा संक्रमण उत्सर्जन की स्पेक्ट्रमी रेखा का तरंगदैर्घ्य 102.7 nm के संगत है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 12
उत्तर:
संक्रमण A के लिए
E1 = – 1.5 eV और E2 = – 0.85 eV
∴ E = E2 – E1
= -0.85 (-1.5)
= – 0.85 + 1.5
E = 0.65 eV
= 0.65 x 1.6 x 10-19 J
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) सूत्र से ज्ञात करेंगे
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{0.65 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86 \times 10^{-7}}{1.04}\) = 19.1 × 10-7
= 1910 nm
संक्रमण B के लिए
E1 = – 3.4 eV और E2 = – 0.85 ev
E = E2 – E1 = – 0.85 – (-3.4)
= – 0.85 + 3.4
E = 2.55 eV = 2.55 x 1.6 x 10-19 J
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2.55 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
19.86/4.08 x 10-7m
= 4.87 × 10-7m
= 487 nm
संक्रमण C के लिए
E1 = – 3.4 eV तथा E2 = -1.5 ev
E = E2 – E1 = – 1.5 – (-3.4)
= – 1.5 + 3.4
= 1.9 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगैदर्घ्य का सूत्र
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{1.9 \times 1.6 \times 10^{-19}}\) मीटर
= 19.86/3.04 ×10-7 = 6.533 x 10-7 m
= 653.3 nm
संक्रमण D के लिए
E1 = – 13.6 eV और E2 = -1.5 ev
E = E2 – E1
= – 1.5 (- 13.6)
= 1.5+ 13.6
E= 12.1 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
λ = \(\frac{h c}{E}\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{12.1 \times 1.6 \times 10^{-19}}m\)
λ = \(\frac{19.86}{13.6}\) x 10-7m
= 1.026 × 10-7 m
λ = 102.6nm
उपर्युक्त गणनाओं से यह ज्ञात होता है कि संक्रमण D से उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 102.6nm के संगत है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में ऊर्जा -13.6 ev है, यदि एक इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर 0.85 ev से -3.4 eV ऊर्जा स्तर में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए यह तरंगदैर्घ्य हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम के किस श्रेणी में स्थित होती है?
उत्तर:
उत्सर्जित फोटॉन की ऊर्जा
E = – 0.85 – (-3.4) = 0.85 + 3.4
E = 2.55 ev
= 2.55 × 1.6 x 10-19 J
उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्घ्य
λ = hc/E से ज्ञात करेंगे।
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2.55 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86}{4.08}\) x 10-7 m
= 4.8676 × 10-7m
= 486.76nm
= 4867.6 A
यह तरंगदैर्घ्य हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम के बामर श्रेणी में स्थित होती है।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था ऊर्जा 13.6ev है तो
(i) द्वितीय उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा क्या है?
(ii) यदि इलेक्ट्रॉन द्वितीय उत्तेजित अवस्था से मूल अवस्था में कूदता है तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु में nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा होगी
En = \(\frac{-13.6}{n^2} e V\) …..(1)
(i) द्वितीय उत्तेजित अवस्था के लिए n = 3 लेने पर
∴ E3 = \(\frac{-13.6}{3^2} \mathrm{eV}\) = \(\frac{-13.6}{9}\) = -1.510V
(ii) द्वितीय उत्तेजित अवस्था (n = 3) से मूल अवस्था (n = 1) में इलेक्ट्रॉन के कूदने पर उत्सर्जित ऊर्जा
E = E3 – E1
= – 1.51 – (-13.6)
= – 1.51 + 13.6 = 12.09 ev
उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य का मान होगा
λ = \(\frac{h c}{E}\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{12.09 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86}{19.344}\)
= 1.027 × 10-7m
= 102.7 nm = 1027 A

प्रश्न 10.
किसी परमाणु के ऊर्जा स्तर A, B व C की ऊर्जाएँ क्रमशः EA, EB, Ec हैं तथा EA < EB < EC हैं। यदि C से B में, B से A में तथा C से A में इलेक्ट्रॉन के संक्रमण से प्राप्त फोटॉनों की तरंगदैर्ध्य क्रमशः λ1, λ2 λ3 हैं, तो सिद्ध कीजिए कि λ3 = \(\frac{\lambda_1 \lambda_2}{\lambda_1+\lambda_2}\)
उत्तर:
हम जानते हैं कि
∆E = hv = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda}\)
अतः EC – EB= \(\frac{h c}{\lambda_1}\) …..(1)
EB – EA = \(\frac{h c}{\lambda_2}\) …..(2)
तथा EC – EA = \(\frac{h c}{\lambda_3}\) …..(3)
समीकरण ( 1 ) एवं समीकरण (2) के योग से
EC – EA = hc(\(\frac{1}{\lambda_1}\) + \(\frac{1}{\lambda_2}\)) ……..(4)
समीकरण (3) व समीकरण (4) से
\(\frac{h c}{\lambda_3}\) = hc\([\frac{1}{\lambda_1}+\frac{1}{\lambda_2}]\)
या \(\frac{1}{\lambda_3}\) = \(\frac{1}{\lambda_1}\) + \(\frac{1}{\lambda_2}\)
अतः
λ3 = \(\frac{\lambda_1 \lambda_2}{\lambda_1+\lambda_2}\)
यही सिद्ध करना था।

प्रश्न 11.
हाइड्रोजन परमाणु की बामर श्रेणी की दूसरी रेखा की तरंगदैर्घ्य का मान 4861 ऐंग्स्ट्रम है। इस श्रेणी की चौथी रेखा के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोज़न स्पेक्ट्रम की किसी भी रेखा के लिए n2 = n1+ P(P रेखा की संख्या है)। अतः इस श्रेणी की दूसरी रेखा के लिए n2 = 2 + 2 = 4 तथा चौथी रेखा के लिए n2= 2 + 4 = 6। इन रेखाओं की तरंगदैर्घ्य क्रमशः λ2 व λ4 हों तो
\(\frac{1}{\lambda_2}\) = R\(\frac{1}{2^2}-\frac{1}{4^2}\)
\(\frac{1}{\lambda_2}\) = \(\frac{3}{16} R\) …….(1)
\(\frac{1}{\lambda_4}\) = R\(\frac{1}{2^2}-\frac{1}{6^2}\)
इसी प्रकार \(\frac{1}{\lambda_4}\) = \(\frac{8R}{36}\) ………..(2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_4}{\lambda_2}\) = \(\frac{3 R}{16}\) \(\frac{36}{8 R}\) = \(\frac{27}{32}\)
∴ λ4 = \(\frac{27}{32}\) × λ2
= \(\frac{27}{32}\) × 4861A = 41015A

प्रश्न 12.
एक हाइड्रोजन परमाणु प्रारम्भ में मूल अवस्था में एक फोटॉन अवशोषित करता है, जिससे वह n = 4 स्तर तक उत्तेजित होता है। फोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि फोटॉन की तरंगदैर्घ्य
\(\frac{1}{\lambda}\) = R\(\frac{1}{n_1^2}-\frac{1}{n_2^2}\)
\(\frac{1}{\lambda}\) = 1.09 × 107 \(\frac{1}{1_1^2}-\frac{1}{4_2^2}\)
\(\frac{1}{\lambda}\) = 1.09 × 107 \(1-\frac{1}{16}\)
= \(\frac{15}{16}\) 1.09 × 107m
था λ = = 980 × 10-10m
था λ = 980 × 10-10 = 980
इसलिए आवृत्ति
v = \(\frac{\mathbf{c}}{\lambda}\) = \(\frac{3 \times 10^8}{9.8 \times 10^{-8}}\)
= 3.06 × 10-15 per second

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 13.
यदि लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य 1216 है तो बामर व पाश्चन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λL बामर श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λB तथा पाश्चन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λp हो तो हम तरंगदैर्घ्य के समीकरण से जानते हैं
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 13

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था की ऊर्जा -13.6eV है, इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जायें क्या हैं?
उत्तर:
प्रश्नानुसार दिया है:
E1 = – 13.6ev
∵ Ek1 = \(\) तथा E1 = \(\)
∵Ek1 = -E1 = -(-13.6) = 13.6 ev
∵ Ek1 तथा E1 = \(\)
∵EP1 = 2E1 = 2 × (-13.6) = -27.2ev
अतः मूल अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
Ek1 = 13.6ev
तथा स्थितिज ऊर्जा EP1 = -27.2ev

प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था मे ऊर्जा -13.6eV है। इस दशा में इलेक्ट्रॉन की गतिज़ ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करें।
उत्तर:
यहाँ E1 = -13.6ev
इसलिये गतिज ऊर्जा k = -(E1) = -(-13.6ev)
k = 13.6ev
स्थितिज ऊर्जा U = 2E1 = 2 ×(-13.6ev)
= -27.2ev

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन घटित होता है केवल जबकि आपतित प्रकाश निम्न में से किसके न्यूनतम मान से कुछ अधिक मान रखता है:
(अ) शक्ति
(ब) तरंगदैर्ध्य
(स) तीव्रता
(द) आवृत्ति
उत्तर:
(द) आवृत्ति

प्रश्न 2.
एक प्रकाश सुग्राही धातु के लिए देहली आवृत्ति 3.3 × 1014 Hz है। यदि इस धातु पर 8.2 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश आपतित होता है तो प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन के लिए संस्तम्भ विभव होगा (लगभग)
(अ) 1V
(ब) 2V
(स) 3V
(द) 5V
उत्तर:
(ब) 2V

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 3.
किसी धातु का कार्यफलन निर्भर करता है:
(अ) प्रकाश स्रोत व धातु के मध्य दूरी पर
(ब) आपतित प्रकाश की तीव्रता पर
(स) धातु एवं उसके पृष्ठ की प्रकृति पर
(द) आपतित प्रकाश की तीव्रता पर
उत्तर:
(स) धातु एवं उसके पृष्ठ की प्रकृति पर

प्रश्न 4.
30 ev ऊर्जा का एक फोटॉन धातु के पृष्ठ पर आपतित होता है इसके कारण 27.5 eV गतिज ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। धातु के पृष्ठ का कार्यफलन होगा:
(अ) 2.5 ev
(ब) 57.5 ev
(स) 5.0 ev
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) 2.5 ev

प्रश्न 5.
प्रकाश विद्युत धारा का मान निर्भर करता है:
(अ) केवल प्रकाश की तीव्रता पर
(ब) प्रकाश की आवृत्ति तथा स्रोत व धातु के मध्य दूरी दोनों पर के कार्यफलन पर
(स) धातु कार्यफलन पर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) प्रकाश की आवृत्ति तथा स्रोत व धातु के मध्य दूरी दोनों पर के कार्यफलन पर

प्रश्न 6.
फोटॉन का संवेग होता है:
(अ) hu
(ब) hc
(स) hv/c
(द) c/hv
उत्तर:
(स) hv/c

प्रश्न 7.
एक धातु से हरे रंग के प्रकाश के आपतन पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन प्रारम्भ होता है निम्न रंगों के समूह में से किस समूह के प्रकाश के कारण इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन संभव होगा?
(अ) पीला, नीला, लाल
(ब) बैंगनी, लाल, पीला
(स) बैंगनी, नीला, पीला
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी
उत्तर:
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी

प्रश्न 8.
प्रकाश स्रोत एवं प्रकाश विद्युत सेल के मध्य दूरी में वृद्धि करने पर निरोधी विभव के मान में:
(अ) वृद्धि होती है।
(ब) कमी होती है।
(स) कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 9.
निरोधी विभव से कम विभव होने पर प्रकाश विद्युत धारा का मान:
(अ) शून्य होता है।
(ब) अधिक परन्तु 00 से कम होता है।
(स) कम परन्तु शून्य से अधिक होता है
(द) ∞ होता है।
उत्तर:
(अ) शून्य होता है।

प्रश्न 10.
इलेक्ट्रॉन गन से निर्गत इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे – बाग्ली तरंगदैर्ध्य 0.1227 À है। गन पर आरोपित त्वरक वोल्टता का मान होगा:
(अ) 20 kV
(ब) 10 kV
(स) 30kV
(द) 40kv
उत्तर:
(ब) 10 kV

प्रश्न 11.
धातु के पृष्ठ पर आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर:
(अ) प्रकाश विद्युत धारा बढ़ जायेगी।
(ब) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
(स) इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा तथा संख्या दोनों में वृद्धि होती है।
(द) प्रकाश विद्युत धारा नियत रहती है।
उत्तर:
(अ) प्रकाश विद्युत धारा बढ़ जायेगी।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 12.
यदि Φ कार्यफलन है तो देहली तरंगदैर्घ्य का सूत्र होता है:
(अ) hΦ/c
(ब) c/hΦ
(स) Φ/hc
(द) hc/Φ
उत्तर:
(द) hc/Φ

प्रश्न 13.
निरोधी विभव निर्भर होता है:
(अ) केवल आपतित फोटोन की ऊर्जा पर।
(ब) केवल पदार्थ के कार्यफलन पर।
(स) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के अन्तर पर।
(द) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के योग पर
उत्तर:
(स) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के अन्तर पर।

प्रश्न 14.
इलेक्ट्रॉन गन पर आरोपित त्वरक वोल्टता 10,000 वोल्ट हो तो गन से प्राप्त इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्राग्ली तरंगदैर्ध्य होगा:
(अ) 1.27 A
(ब) 12.27 À
(स) 1227 Å
(द) 0.1227 Å
उत्तर:
(द) 0.1227 Å

प्रश्न 15.
जब प्रकाश विद्युत प्रभाव उत्पन्न करने वाली सतह पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता दुगुनी कर दी जावे तो:
(अ) उत्सर्जित फोटोन की आवृत्ति दुगुनी हो जायेगी
(ब) दुगुने फोटोन निकलेंगे
(स) फोटोन पहले की अपेक्षा चार गुणा अधिक निकलेंगे
(द) कोई प्रभाव नहीं होगा।
उत्तर:
(ब) दुगुने फोटोन निकलेंगे

प्रश्न 16.
धात्विक सतह से निकलने वाले फोटो इलेक्ट्रॉनों की अवस्था हो सकती है:
(अ) विरामावस्था
(ब) समान ऊर्जा अवस्था
(स) इनकी ऊर्जा शून्य से अनन्त तक हो सकती है।
(द) इनकी ऊर्जा शून्य से एक निश्चित मान तक हो सकती है।
उत्तर:
(द) इनकी ऊर्जा शून्य से एक निश्चित मान तक हो सकती है।

प्रश्न 17.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग निर्भर करता है:
(अ) केवल आपतित फोटोनों की आवृत्ति पर
(ब) केवल आपतित फोटोनों की तीव्रता पर
(स) धातु के कार्यफलन तथा आपतित फोटोनों की तीव्रता पर
(द) आपतित फोटोनों की आवृत्ति तथा धातु के कार्यफलन पर।
उत्तर:
(द) आपतित फोटोनों की आवृत्ति तथा धातु के कार्यफलन पर।

प्रश्न 18.
जब पराबैंगनी किरणें किसी धातु की सतह पर आपतित होती हैं. प्रकाश विद्युत प्रभाव नहीं हो पाता है परन्तु निम्न के आपतित होगा:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(स) रेडियो तरंगें
(द) प्रकाश तरंगें
उत्तर:
(ब) X-किरणें

प्रश्न 19.
तीन धातुओं A, B और C के कार्यफलन क्रमानुसार 1.92eV, 2eveV हैं। आइन्सटीन समीकरण के आधार पर 4100 Å तरंगदैर्ध्य विकिरण का प्रयोग करने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होगा:
(अ) किसी धातु से भी नहीं
(ब) केवल A से
(स) केवल A व B से
(द) सभी तीनों धातुओं से
उत्तर:
(स) केवल A व B से

प्रश्न 20.
कार्यफलन कहलाता है:
(अ) आवश्यक ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन को उसकी कक्षा से बाहर निकाल दे।
(ब) एकांक क्षेत्रफल पर आपतित आवश्यक ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन को धातु से बाहर निकाल दे।
(स) प्रति इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉनों को धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।
(द) इलेक्ट्रॉन को धातु से मुक्त कराने के लिए आपतित ऊर्जा।
उत्तर:
(स) प्रति इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉनों को धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।

प्रश्न 21.
फोटो- सेल में प्रकाश-विद्युत धारा का मान निर्भर करता है:
(अ) केवल आपतित विकिरण की तीव्रता पर
(ब) आपतित विकिरण की आवृत्ति तथा तीव्रता पर
(स) केवल ऐनोड तथा कैथोड के बीच विभवान्तर पर
(द) विकिरण की तीव्रता तथा विभवान्तर
उत्तर:
(द) विकिरण की तीव्रता तथा विभवान्तर

प्रश्न 22.
देहली आवृत्ति वह आवृत्ति होती है:
(अ) इससे कम आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा का मान स्थिर रहता है।
(ब) इससे कम आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा विभवान्तर के साथ बढ़ती है।
(स) इससे अधिक आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा संतृप्त हो जाती है।
(द) इससे कम आवृत्ति पर फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नहीं होता है।
उत्तर:
(द) इससे कम आवृत्ति पर फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नहीं होता है।

प्रश्न 23.
प्रकाश विद्युत सेल:
(अ) विद्युत को प्रकाश में बदलता है।
(ब) प्रकाश को विद्युत में बदलता है।
(स) प्रकाश का संचय करता है
(द) विद्युत का संचय करता है।
उत्तर:
(ब) प्रकाश को विद्युत में बदलता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 24.
जब ho ऊर्जा के फोटॉन ऐलुमिनियम की प्लेट (कार्यफलन = E0) पर आपतित होते हैं तो उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन्स की अधिकतम गतिज ऊर्जा K होती है। यदि विकिरण की आवृत्ति को दुगुना कर दिया जाए तो उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन्स की अधिकतम गतिज ऊर्जा होगी:
(अ) 2K
(ब) K
(स) K + hv
(द) K + E
उत्तर:
(स) K + hv

प्रश्न 25.
फोटो सेल में प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रयोग होता है:
(अ) प्रदीपन तीव्रता में बदलाव को प्रकाश विद्युत धारा में बदलाव में बदलने के लिए
(ब) प्रदीपन तीव्रता में बदलाव को फोटो कैथोड के कार्यफलन में बदलाव में बदलने के लिए
(स) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत धारा बदलाव में बदलने के लिए
(द) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत वोल्टता में बदलाव में बदलने के लिए
उत्तर:
(स) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत धारा बदलाव में बदलने के लिए

प्रश्न 26.
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग में क्रिस्टल का कार्य क्या है?
(अ) धुवण
(ब) व्यतिकरण
(स) विवर्तन
(द) अपवर्तन
[ संकेत- डेविसन – जरमर प्रयोग में क्रिस्टल एक ग्रेटिंग की भाँति कार्य करता है व इसके द्वारा इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन होता है। उत्तर (स) होगा।]
उत्तर:
(स) विवर्तन

प्रश्न 27.
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य A कण की गतिज ऊर्जा E पर निर्भर करता है:
(अ) λ α E
(ब) λ α √E
(स) λ α 1/E
(द) λ α 1/√E
उत्तर:
(द) λ α 1/√E

प्रश्न 28.
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या की:
(अ) न्यूटन ने
(ब) आइन्सटाइन ने।
(स) प्लांक ने।
(द) बोर ने।
उत्तर:
(ब) आइन्सटाइन ने।

प्रश्न 29.
प्रकाश – विद्युत प्रभाव सिद्ध करता है कि प्रकाश में:
(अ) अनुप्रस्थीय तरंगें होती हैं
(ब) क्वान्टम प्रकृति होती है
(स) द्वैत प्रकृति होती है
(द) विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं।
उत्तर:
(ब) क्वान्टम प्रकृति होती है

प्रश्न 30.
V वोल्ट से त्वरित प्रोटोन पुंज की डी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य A में होगी:
(अ) \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\)
(ब) \(\frac{0.286}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)
(स) \(\frac{0.101}{\sqrt{V}}\)
(द) \(\frac{0.028}{\sqrt{V}}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{0.286}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)

प्रश्न 31.
किसी धातु की सतह पर प्रकाश डालने से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं जब आपतित प्रकाश की आवृत्ति:
(अ) देहली आवृत्ति से अधिक होती है।
(ब) देहली आवृत्ति से कम होती है।
(स) की तीव्रता एक निश्चित मान से अधिक होती है।
(द) की तीव्रता एक निश्चित मान से कम होती है।
उत्तर:
(अ) देहली आवृत्ति से अधिक होती है।

प्रश्न 32.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आवृत्ति एवं निरोधी विभव V का ग्राफ सामने दिया गया है। धातु का कार्यफलन होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 1
(अ) OB
(ब) AB
(स) OA
(द) OA + AB
उत्तर:
(अ) OB

प्रश्न 33.
डी-ब्रॉग्ली के अनुसार किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन के लिए डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य 10-9 मीटर है, तो इलेक्ट्रॉन के लिए मुख्य क्वान्टम संख्या का मान क्या होगा?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
उत्तर:
(स) 3

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 34.
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 1 तथा प्रोटॉन का द्रव्यमान Mp है, इन्हें समान विभवान्तर से त्वरित करने पर इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन से सम्बन्धित डी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य का अनुपात Ae : Ap होगा:
(अ) 1
(ब) me : mp
(स) \(\sqrt{\frac{m_p}{m_e}}\)
(द) \(\sqrt{\frac{m_e}{m_p}}\)
उत्तर:
(स) \(\sqrt{\frac{m_p}{m_e}}\)

प्रश्न 35.
प्रोटॉन तथा एल्फा कण की डी ब्रोगली तरंगदैर्घ्य समान है। इनके वेगों का अनुपात होगा:
(अ) 12
(ब) 21
(स) 14
(द) 21
उत्तर:
(द) 21

प्रश्न 36.
समान वेग से गतिमान कणों में से डी ब्रोगली तरंगदैर्घ्य अधिकतम होगी:
(अ) इलेक्ट्रॉन की
(ब) प्रोटॉन की
(स) न्यूट्रॉन की
(द) फोटोन की।
उत्तर:
(अ) इलेक्ट्रॉन की

प्रश्न 37.
धातु के कार्यफलन से दुगुनी ऊर्जा वाला एक फोटोन धातु के पृष्ठ पर आपतित होता है। अधिकतम गतिज ऊर्जा का उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉन की मान होगा:
(अ) कार्यफलन का तिगुना
(ब) कार्यफलन का दुगुना
(स) कार्यफलन के बराबर
(द) कार्यफलन का आधा।
उत्तर:
(स) कार्यफलन के बराबर

प्रश्न 38.
अनिश्चितता सिद्धान्त के अनुसार किसी कण की स्थिति का शत-प्रतिशत शुद्धता से मापन कर लिया जाये तो उसके संवेग में अनिश्चितता होगी:
(अ) शून्य
(ब) 0%
(स) 10%
(द) 30%
उत्तर:
(ब) 0%

प्रश्न 39.
इलेक्ट्रॉनों का तरंगों से सम्बद्ध कौनसा गुण डेविसन एवं जरमर के प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया:
(अ) अपवर्तन
(ब) ध्रुवण
(स) व्यतिकरण
(द) विवर्तन
उत्तर:
(द) विवर्तन

प्रश्न 40.
जब पराबैंगनी किरणें किसी धातु की सतह पर आपतित होती हैं, तो प्रकाश विद्युत प्रभाव नहीं हो पाता है परन्तु निम्न के आपतित होने से होगा:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(स) रेडियो तरंगें
(द) प्रकाश तरंगें
उत्तर:
(ब) X-किरणें

प्रश्न 41.
यदि धातु की सतह पर आपतित फोटोनों की आवृत्ति दुगुनी कर दी जाये तो उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा हो जायेगी:
(अ) दुगुनी
(ब) दुगुनी से कुछ कम
(स) दुगुनी से अधिक
(द) कुछ कह नहीं सकते
उत्तर:
(स) दुगुनी से अधिक

प्रश्न 42.
प्रकाश विद्युत सेल में एनोड तथा कैथोड के बीच विभवान्तर बढ़ाने पर प्रकाश विद्युत धारा का मान:
(अ) कम होता है।
(ब) पहले बढ़ता है फिर कम होता है।
(स) पहले बढ़ता है फिर स्थिर होता है।
(द) अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर:
(स) पहले बढ़ता है फिर स्थिर होता है।

प्रश्न 43.
फोटो सेल का उपयोग होता है:
(अ) फैक्ट्री में मजदूरों की संख्या जानने में
(ब) स्वतः संचालित दरवाजों में
(स) गलियों की लाइट में स्वतः स्विचन के लिए
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 44.
एक आवेशित कण की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य विभवान्तर से त्वरित किया गया है V में सम्बन्ध है:
(अ) λ α v
(ब) λ α 1/√ v
(स) λ α √ v
(द) λ α 1/v
उत्तर:
(ब) λ α 1/√ v

प्रश्न 45.
समान ऊर्जा के एक प्रोटॉन तथा एक कण से सम्बद्ध दे- ब्रॉग्ली तरंगदैघ्यों का अनुपात होगा:
(अ) 1 : 4
(ब) 1 : 2
(स) 4 : 1
(द) 2 : 1
उत्तर:
(द) 2 : 1

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 46.
अनिश्चितता का सिद्धान्त प्रतिपादित किया-
(अ) प्लांक ने
(ब) आइन्स्टाइन ने
(स) हाइजेनबर्ग ने
(द) दे-ब्रॉग्ली ने
उत्तर:
(स) हाइजेनबर्ग ने

प्रश्न 47.
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?
(अ) द्रव्य तरंग सिद्धान्त पर
(ब) कणिका सिद्धान्त पर
(स) अनिश्चितता सिद्धान्त पर
(द) उपरोक्त सभी पर
उत्तर:
(अ) द्रव्य तरंग सिद्धान्त पर

प्रश्न 48.
डेविसन तथा जर्मर के प्रयोग में 54 वोल्ट से त्वरित इलेक्ट्रॉन पुंज निकिल क्रिस्टल से 50° से विवर्तित होता है तथा प्रथम विवर्तन उच्चिष्ठ उत्पन्न करता है। निकिल क्रिस्टल में परमाण्विक दूरी होती है:
(अ) 1 A
(ब) 2 A
(स) 2.15 A
(द) 3.12 A
उत्तर:
(स) 2.15 A

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश विद्युत प्रभाव में आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य को कम करने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ जायेगा।

प्रश्न 2.
कण की तरंग प्रकृति का समर्थन करने वाले प्रयोग का नाम दीजिए।
उत्तर:
डेविसन तथा जर्मर का प्रयोग।

प्रश्न 3.
100 वोल्ट के विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की दे- ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
त्वरक विभव = 100 वोल्ट
ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ होगी
हम जानते हैं:
λ = h/p = \(\frac{1.227}{\sqrt{V}}\)
λ = \(\frac{1.227}{\sqrt{100}}\) = \(\frac{1.227}{10}\)
λ = 0.123nm

प्रश्न 4.
किसी आवेशित कण का द्रव्यमान ‘m’ है और इस पर ‘q’ आवेश है। इस कण को यदि V विभवान्तर से त्वरित किया जाये, तो इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V विभवान्तर से त्वरित q आवेश युक्त कण की ऊर्जा
K = qV
कण का संवेग P = √2mK
= √2mqV
दे- ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/p
= h/√2mqV

प्रश्न 5.
किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ पर आपतित विकिरण की तरंगदैर्ध्य घटाने से प्रकाश वैद्युत धारा किस प्रकार परिवर्तित होगी?
उत्तर:
प्रकाश वैद्युत धारा आपतित विकिरण की तीव्रता पर निर्भर करती है, उसकी ऊर्जा (तरंगदैर्घ्य) पर नहीं। अतः यह परिवर्तित नहीं होगी।

प्रश्न 6.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आपतित प्रकाश की आवृत्ति (v) एवं निरोधी विभव के मध्य ग्राफ बनाइये।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 2

प्रश्न 7.
m द्रव्यमान के गतिशील कण की डी ब्रोगली तरंग लम्बाई 2 है तो उसकी गतिज ऊर्जा का मान बताइये।
उत्तर:
K = h2/2mλ2

प्रश्न 8.
एक फोटोन की ऊर्जा E = hv तथा फोटोन का संवेग P = h/λ है, तो फोटोन का वेग होगा।
उत्तर:
फोटोन का वेग v = E/P

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 9.
नियत आवृत्ति पर प्रकाश विद्युत धारा का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आपतित प्रकाश की तीव्रता पर।

प्रश्न 10.
देहली आवृत्ति तथा कार्यफलन में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
hV0 = Φ0 या v0 = Φ0/h

प्रश्न 11.
आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण किस संरक्षण नियम पर आधारित होता है?
उत्तर:
ऊर्जा के संरक्षण नियम पर

प्रश्न 12.
पदार्थ के कार्यफलन का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
पदार्थ के कार्यफलन का मान उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 13.
धातुओं में प्रकाश विद्युत प्रभाव किन विकिरणों से उत्पन्न नहीं होता है?
उत्तर:
रेडियो तरंग से।

प्रश्न 14.
किसी धातु का सतह से प्रकाश विद्युत प्रभाव तभी होगा जबकि आपाती प्रकाश की आवृत्ति किस आवृत्ति से अधिक होती है?
उत्तर:
देहली।

प्रश्न 15.
किसी धातु पर आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर उसकी उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 16.
प्रकाशीय ऊर्जा को विद्युतीय ऊर्जा में रूपान्तरित करने के लिये किस युक्ति का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
फोटो सेल।

प्रश्न 17.
निरोधी विभव का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर।

प्रश्न 18.
1 ev ऊर्जा कितने जूल के तुल्य होती है?
उत्तर:
1.6 x 10-19 जूल।

प्रश्न 19.
सीजियम, जिंक आदि पदार्थों का उपयोग फोटो सेल में किस रूप में किया जाता है?
उत्तर:
प्रकाश सुग्राही पदार्थ के रूप में।

प्रश्न 20.
एक दिये गये प्रकाश सुग्राही पदार्थ तथा नियत आवृत्ति के आपतित विकिरण के एक स्रोत के लिए प्रकाश-विद्युत धारा आपतित प्रकाश की तीव्रता के साथ किस प्रकार विघटित होती है?
उत्तर:
प्रकाश वैद्युत धारा आपतित विकिरण की तीव्रता के बढ़ने के साथ बढ़ती है। इसके ग्राफीय विचरण को चित्र में दर्शाया गया है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 3

प्रश्न 21.
प्रकाश वैद्युत प्रभाव के सन्दर्भ में निरोधी विभव का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रकाश-वैद्युत प्रभाव में धन प्लेट पर लगाया गया वह न्यूनतम ऋणात्मक विभव जिस पर प्रकाश वैद्युत धारा शून्य हो जाये निरोधी विभव या संस्तब्ध विभव कहलाता है।

प्रश्न 22.
यदि किसी प्रकाश वैद्युत सेल में आपतित विकिरण की तीव्रता बढ़ा दी जाये तो निरोधी विभव किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:
निरोधी विभव आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता है, अतः यह नहीं बदलेगा।

प्रश्न 23.
प्रकाश विद्युत प्रभाव को प्रेक्षित करने के लिये आपतित प्रकाश की आवृत्ति किस आवृत्ति से अधिक होनी चाहिये?
उत्तर:
प्रकाश सुग्राही पदार्थ की देहली आवृत्ति से।

प्रश्न 24.
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के पैकेट को क्या कहते हैं?
उत्तर:
फोटॉन।

प्रश्न 25.
दे ब्रॉग्ली के अनुसार द्रव्य तरंग के तरंगदैर्घ्य का सूत्र लिखिये।
उत्तर:
λ = h/mv

प्रश्न 26.
किसी धातु का कार्यफलन 2 eV है। इसके मतलब को समझाइये।
उत्तर:
धातु से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिये उन्हें प्रति इलेक्ट्रॉन न्यूनतम 2ev ऊर्जा देनी होगी।

प्रश्न 27.
किसी धातु की सतह पर एकवर्णीय प्रकाश डालने पर भी उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा भिन्न-भिन्न होती है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि धातु में स्थित सब मुक्त इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा समान नहीं होती, उनमें असमान ऊर्जा वितरण होता है।

प्रश्न 28.
किसी पदार्थ के लिये निरोधी विभव तथा आपतित प्रकाश की आवृत्ति के बीच ग्राफ कैसा होता है?
उत्तर:
सीधी रेखा में जो मूल बिन्दु से नहीं गुजरता है।

प्रश्न 29.
आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण लिखिये।
उत्तर:
1/2 mv2 = h (v – Ug) mv2

प्रश्न 30.
दो धातु A तथा B के कार्यफलन क्रमश: 2 ev तथा 4 eV हैं। प्रकाश वैद्युत प्रभाव के लिए किसकी देहली तरंगदैर्ध्य कम होगी?
उत्तर:
Φ0 = hc/λ0 = λ0 = hc/Φ0 = λ0 α 1/ Φ0
Φ0 धातु B के लिए अधिक है। अतः इसके लिए देहली तरंगदैर्ध्य कम होगी।

प्रश्न 31.
दो धातु X तथा Y पर जब उचित आवृत्ति का प्रकाश डाला जाता है तो इनसे प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। X का कार्यफलन Y के कार्यफलन से अधिक है। किस धातु के लिए देहली आवृत्ति अधिक होगी और क्यों?
उत्तर:
Φ0 = hv0
v0 = Φ/p
∵ X का कार्यफलन अधिक है, अतः इसी के लिए देहली आवृत्ति अधिक होगी।

प्रश्न 32.
एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य समान है। इनकी गतिज ऊर्जा परस्पर किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा K = \(\frac{\mathrm{h}^2}{2 \mathrm{~m} \lambda^2}\)
k α 1/m ⇒ Kc/Kp = mp/mc
∵ λ समान है )

प्रश्न 33.
कितने वोल्ट तथा कितने कोण पर तीव्रता का मान अधिकतम होता है?
उत्तर:
54 वोल्ट तथा 50° के प्रकीर्णन कोण पर

प्रश्न 34.
प्रकाश सुग्राही पदार्थ कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
सीजियम, लीथियम, सोडियम, पोटेशियम आदि क्षारीय धातुयें।

प्रश्न 35.
प्रकाश-विद्युत सेल में कैथोड को परवलयाकार क्यों बनाया जाता है?
उत्तर:
जिससे अधिक से अधिक इलेक्ट्रॉन ऐनोड पर जा सकें।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 36.
प्रकाश विद्युत सेल में प्रयुक्त कैथोड का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक तथा सीजियम लेपित क्यों होते हैं?
उत्तर:
प्रयुक्त कैथोड का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक इसलिए होता है जिससे कि इलेक्ट्रॉन ज्यादा से ज्यादा निकले और लेपित इसलिए किया जाता है चूँकि यह एक प्रकाश सुग्राही पदार्थ है।

प्रश्न 37.
देहली आवृत्ति को परिभाषित कीजिये धातु के कार्यफलन के साथ यह किस प्रकार परिवर्तित होती है?
उत्तर:
वह न्यूनतम आवृत्ति (v0) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में समक्ष नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको (v0) से प्रदर्शित करते हैं। धातु के कार्यफलन के साथ यह समानुपाती रूप में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 38
विभिन्न तीव्रता तथा समान तरंगदैर्घ्य के दो प्रकाश पुंजों के लिए प्रकाश वैद्युत धारा तथा एनोड विभव के बीच ग्राफ खींचिये।
उत्तर:
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प्रश्न 39.
एक इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा समान है। इन दोनों में से किसकी डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य बड़ी होगी? कारण भी दीजिए।
उत्तर:
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\) ⇒ \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{m}}}\)( h तथा K नियतांक है।)
परन्तु mc < mp अतः इलेक्ट्रॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य बड़ी होगी।

प्रश्न 40.
V विभवान्तर पर त्वरित इलेक्ट्रॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य है। यदि त्वरक विभव 4V कर दिया जाये तो तरंगदैर्घ्य कितनी होगी?
उत्तर:
डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
λ = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\)
⇒ λ α \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{V}}}\) = λ/λ = \(\sqrt{\frac{\mathrm{V}}{4 \mathrm{~V}}}\)
= λ = 1/2v

प्रश्न 41.
एक इलेक्ट्रॉन तथा α-कण की गतिज ऊर्जा समान है। उनसे बद्ध तरंगदैर्घ्य किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा K = P2
K = (h/λ)2/2m = h2/2mλ2
⇒ λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\)
λ α \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)
∴ \(\frac{\lambda_{\mathrm{c}}}{\lambda_\alpha}\) = \(\sqrt{\frac{\mathrm{m}_\alpha}{\mathrm{m}_{\mathrm{e}}}}\)

प्रश्न 42.
किसी एक प्रयोग का नाम लिखिये जिससे दे-ब्रॉग्ली के तरंग सिद्धान्त की पुष्टि होती हो।
उत्तर:
डेविसन एवं जरमर का प्रयोग।

प्रश्न 43.
डेविसन व जर्मर के प्रयोग में आयनीकरण प्रकोष्ठ का क्या कार्य है?
उत्तर:
विवर्तित इलेक्ट्रॉन की तीव्रता नापने के लिये।

प्रश्न 44.
डेविसन जर्मर के प्रयोग में क्रिस्टल का क्या कार्य है?
उत्तर:
विवर्तन ग्रेटिंग।

प्रश्न 45.
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग का उद्देश्य बतलाइये।
उत्तर:
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य यह था कि इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन सम्भव है। चूँकि विवर्तन तरंगों का गुण है अतः इससे यह सिद्ध होता है कि इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध तरंग होती है अर्थात् दे-ब्रॉग्ली की द्रव्य तरंगों की परिकल्पना सही है।

प्रश्न 46.
कण की स्थिति एवं सम्बन्धित संवेग में अनिश्चितताओं के लिये हाइजनबर्ग का सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
∆x ∆P ≥ h/p

प्रश्न 47.
किसी आवेशित कण का द्रव्यमान ‘m’ है और इस पर ‘q’ आवेश है इस कण को यदि V विभवान्तर से त्वरित किया जाये तो इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V विभवान्तर से त्वरित q आवेश युक्त कण की ऊर्जा
E = qV
कण का संवेग p = √2mE = √2mqV
इसलिए दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/p = h/√2mqV

प्रश्न 48.
0.12 किग्रा. द्रव्यमान की गेंद 20 मी/से की चाल से गतिमान है। इसकी दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। (प्लांक नियतांक h = 6.62 x 10-4 जूल. से)
उत्तर:
दिया है
m = 0.12 किग्रा v=20 मी/से λ = ?
h = 6.62 × 10-4 जूल. से
डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ = h/p = h/mv
मान रखने पर
λ = h/p = h/mv
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{0.12 \times 20}\)
= 2.758 × 10-34 मीटर

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 49.
दो धातु की प्लेटों P तथा Q के लिए अंतक विभव के बीच वक्र दर्शाए गये हैं। इनमें से किस धातु Vo तथा आवृत्ति v की देहली तरंगदैर्घ्य एवं कार्यफलन अधिक होगा?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 5
उत्तर:
प्लेट P की आवृत्ति कम है। इस कारण से देहली तरंगदैर्घ्य का मान अधिक होगा। चूँकि
λ = c/v
अतः P प्लेट की देहली तरंगदैर्घ्य अधिक होगी।
प्लेट Q की आवृत्ति (v) का मान अधिक है तथा ( कार्यफलन
= h x देहली आवृत्ति )
अतः प्लेट Q का कार्यफलन अधिक होगा

प्रश्न 50.
एक धातु पर 5eV के फोटोन डालने पर उत्सर्जित फोटो-इलेक्ट्रॉन के निरोधी विभव का मान 3.2 वोल्ट है। धातु का कार्यफलन क्या है?
उत्तर:
धातु का कार्यफलन
Φo = 5 ev – 3.2 eV = 1.8 eV

प्रश्न 51.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के सन्दर्भ में निरोधी विभव (अंतक विभव) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
“निरोधी विभव (V), कैथोड के सापेक्ष एनोड को दिया गया वह ऋणात्मक विभव होता है जिस पर प्रकाश विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है।”

प्रश्न 52.
किसी धातु का कार्यफलन 3.31 × 1.6 × 10-19 जूल है तो उसकी देहली आवृत्ति की गणना हर्ट्ज में कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं:
दिया है
कार्यफल 4g = hvo
4g = 3.31 × 1.6 x 10-19 जूल h = 6.63 × 10-34 जूल सेकण्ड
देहली आवृत्ति V =
\(\frac{3.31 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
Vo = 7.99 × 1014 Hz

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
देहली आवृत्ति एवं अन्तक विभव को परिभाषित कीजिए।
अथवा
प्रकाश विद्युत प्रभाव की घटना में अग्र को परिभाषित कीजिए।
(i) कार्यफलन
(ii) निरोधी विभव (अन्तक विभव)।
उत्तर:
देहली आवृत्ति – वह न्यूनतम आवृत्ति (vo) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में सक्षम नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको 00 से प्रदर्शित करते हैं।
अन्तक विभव आपतित विकिरण की एक निश्चित आवृत्ति के लिए पट्टिका पर दिया गया निम्नतम ऋण (मंदक) विभव Vo जिस पर प्रकाशिक धारा शून्य हो जाती है, अंतक (cut-off) अथवा निरोधी विभव (stopping potential) कहलाता है। इस स्थिति में Kmax = eVo
कार्यफलन – “वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी धातु के प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक होती है, उस धातु का प्रकाश-वैद्युत कार्यफलन ( work function) कहलाती है।” सामान्यतः इसको W या po से व्यक्त करते हैं इसको जूल तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग में वे प्रेक्षण बताइए जो:
(i) इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति को प्रदर्शित करते हैं।
(ii) डी- बॉली सम्बन्ध की पुष्टि करते हैं।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन जिसमें विवर्तित इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता विवर्तन कोण पर निर्भर करती है तथा Φ = 50° एक उभार दिखाता है।
(ii) इस प्रयोग द्वारा ज्ञात की गई डी-बॉग्ली तरंगदैर्ध्य का सूत्र \(\frac{h}{\mathrm{P}}\) = \(\frac{12.27}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)द्वारा निकाले गये मान के लगभग बराबर आता है। यही डी-ब्रॉग्ली सम्बन्ध की पुष्टि करता है।

प्रश्न 3.
कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से जिस विभवान्तर V तक त्वरित किया गया है, उसके साथ डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का विचरण ग्राफ द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)
λ α \(\frac{1}{\sqrt{V}}\)
λ का V के साथ विचरण नीचे चित्र में दर्शाया गया है।
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प्रश्न 4.
एक प्रकाश-वैद्युत सेल में आपतित विकिरण की आवृत्ति v देहली आवृत्ति v0 से अधिक है। यदि आवृत्ति बढ़ाई जाये, तो दूसरे कारकों को स्थिर रखते हुए निरोधी विभव किस प्रकार परिवर्तित होगा?
उत्तर:
निरोधी विभव
v0 = (hv/e) -(hv0/e)
अतः जब आवृत्ति v बढ़ाई जाती है, तो निरोधी विभव Vo भी बढ़ेगा।

प्रश्न 5.
धातु के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉनों को न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा किन-किन भौतिक विधि द्वारा दी जाती है? उन्हें लिखिए।
उत्तर:
न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा निम्न किसी भी एक भौतिक विधि के द्वारा दी जा सकती है:
(i) तापायनिक उत्सर्जन
(ii) क्षेत्र उत्सर्जन
(iii) प्रकाश विद्युत उत्सर्जन।
(i) तापायनिक उत्सर्जन: तापायनिक उत्सर्जन के द्वारा मुक्त इलेक्ट्रॉनों को पर्याप्त तापीय ऊर्जा दी जा सकती है, जिससे कि वे धातु से बाहर आ सकें।
(ii) क्षेत्र उत्सर्जन- किसी धातु पर लगाया गया एक प्रबल विद्युत क्षेत्र 108 V/m की कोटि का इलेक्ट्रॉनों को धातु पृष्ठ ला सकता है। जैसा कि किसी स्पार्क प्लग में होता है।
(iii) प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन उपयुक्त आवृत्ति का प्रकाश जब किसी धातु पृष्ठ पर पड़ता है तो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है। ये प्रकाश जनित इलेक्ट्रॉन प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
प्रकाश सुग्राही पदार्थ किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा पदार्थ जिस पर एक विशिष्ट आवृत्ति या उससे अधिक आवृत्ति का प्रकाश डाला जाये और उसमें से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन हो सके ऐसा पदार्थ प्रकाश सुग्राही पदार्थ कहलाता है।
X – किरणों के लिये भारी धातु जबकि प्रकाश एवं पराबैंगनी किरणों के लिये क्षारीय धातु प्रकाश सुग्राही होते हैं।

प्रश्न 7.
प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या होता है?
उत्तर:
प्रकाश विद्युत प्रभाव जब किसी धातु की प्लेट पर विशिष्ट तरंगदैर्ध्य (आवृत्ति) का प्रकाश डाला जाता है तो उसमें से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की इस घटना को ‘प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं। प्रकाश द्वारा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को ‘फोटो इलेक्ट्रॉन’ कहते हैं। फोटो इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण परिपथ में उत्पन्न धारा प्रकाश विद्युत धारा कहलाती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 8.
दो प्रकाश पुंज एक लाल तथा दूसरा नीला समान तीव्रता के हैं जो एक धात्विक पृष्ठ पर आपतित किये जाते हैं। इनमें से कौनसा पुंज अधिक गतिज ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगा?
उत्तर:
K = ho – Φ चूँकि नीले रंग की आवृत्ति लाल रंग की आवृत्ति से अधिक होती है, अतः नीला प्रकाश अधिक ऊर्जा के प्रकाश- इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगा।

प्रश्न 9.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम लिखिये।
उत्तर:
वैज्ञानिक लेनार्ड के द्वारा किये गये प्रकाश वैद्युत प्रभाव के प्रयोगों के आधार पर कुछ महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गये जिन्हें प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम से जाना जाता है। ये निम्न होते हैं
(1) किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर धातु की सतह पर आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
(2) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का मान आपतित प्रकाश के आवृत्ति के समानुपाती या तरंगदैर्घ्य के विलोमानुपाती होता है।
(3) धातु की सतह से फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन आपतित प्रकाश की एक निश्चित न्यूनतम आवृत्ति (अधिकतम तरंगदैर्घ्य ) तक ही सम्भव होता है। इस न्यूनतम आवृत्ति के देहली आवृत्ति तथा संगत तरंगदैर्ध्य को देहली तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
(4) देहली आवृत्ति या तरंगदैर्घ्य का मान फोटो सुग्राही पदार्थ की प्रकृति या धातु की सतह की प्रकृति पर निर्भर करता है।
(5) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गति तथा गजित ऊर्जा का मान आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता है
(6) आपतित प्रकाश तथा उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों के बीच कोई समयान्तराल नहीं होता है।

प्रश्न 10.
किसी धातु का कार्यफलन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कार्यफलन का मान ताप पर निर्भर होता है परन्तु यह निर्भरता उपेक्षणीय होने से इसे पदार्थ के लिये नियत माना जा सकता है। कार्यफलन को Wo या Φo से निरूपित किया जाता है। भिन्न पदार्थों के लिये इसका मान भिन्न-भिन्न होता है। टंग्स्टन के लिये इसका मान 4.5 eV के लगभग होता है। क्षारीय धातुओं के लिये इसका मान कम होता है। सोडियम के लिये इसका मान 1.5 ev है।

प्रश्न 11.
प्रकाश विद्युत सेल से प्लांक नियतांक का मान ज्ञात करने का नामांकित चित्र तथा निरोधी विभव एवं आपतित प्रकाश की आवृत्ति के मध्य चक्र बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 12.
प्रकाश के द्वैत-सिद्धांत को संक्षिप्त में लिखिये।
उत्तर:
प्रकाश की द्वैत प्रकृति के आधार पर डी-ब्रोगली ने परिकल्पना प्रस्तुत की। डी ब्रोगली के अनुसार द्रवित अवस्था में द्रव्य- कण जैसे प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन आदि भी तरंग की भाँति व्यवहार करते हैं इन्हें द्रव्य तरंगें या डी ब्रोगली तरंगें कहते हैं। इन द्रव्य तरंगों में जो राशि कम्पित होती है उसे तरंग फलन कहते हैं जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों को सम्बद्ध करना आवश्यक होता है, उसी प्रकार गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध करने चाहिए। अतः द्वैतीकरण प्रकृति न केवल प्रकाश में ही होती है वरन् द्रव्य कणों में भी होती है।

प्रश्न 13.
प्रकाश विद्युत प्रभाव में निरोधी विभव को परिभाषित कीजिये। प्रकाश विद्युत सेल में कैथोड पर लेपित पदार्थ का नाम दीजिये। प्रकाश विद्युत सेल के कोई चार उपयोग भी लिखिये।
उत्तर:
निरोधी विभव – प्लेट P के सापेक्ष प्लेट P2 उस ऋण विभव को जिस पर प्रकाश विद्युत धारा का मान परिपथ में शून्य हो जाता है, उसे निरोधी विभव Vn कहते हैं। फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
Kmax = 1/2mwanax = eVo
यहाँ पर
इलेक्ट्रॉन का आवेश है।
प्रकाश विद्युत सेल में कैथोड पर लेपित प्रकाश सुग्राही पदार्थ (K/Cs/Na) में से कोई एक पदार्थ हो सकता है।
प्रकाश विद्युत सेल के उपयोग:
(i) प्रकाश विद्युत सेलों का सबसे महत्त्वपूर्ण उपयोग सिनेमाओं में ध्वनि के पुनरोत्पादन (Reproduction of sound) में टेलीविजन में तथा फोटोटेलीग्राफ में किया जाता है।
(ii) इनसे द्रवों तथा ठोसों की अपारदर्शिता ज्ञात की जाती है।
(iii) इनके द्वारा आकाशीय पिंडों के ताप मापे जाते हैं तथा उनके स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जाता है।
(iv) ये भट्टियों तथा रासायनिक प्रक्रिया ओं में ताप नियंत्रण में काम आती हैं।

प्रश्न 14.
दे ब्रोगली की परिकल्पना के अनुसार वेग से गतिशील, m द्रव्यमान के कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य A हो तो सिद्ध कीजिये कि-
λ = h/√2mK
उत्तर:
हम जानते हैं कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य
λ = h/mv = h/P ………….(1)
यदि कण की गतिज ऊर्जा K हो तो
1/2mv2 = 2K
या
या
m2v2 = 2mK
या
mv = √2mK
p = √2mK ….(2)
समी (2) का मान समी (1) में रखने पर
λ = h/√2mK

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 15
समान विभवान्तर से त्वरित कण व प्रोटॉन से सम्बद्ध दे- ब्रोगली तरंगदैर्घ्य का अनुपात ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
हम जानते हैं α-कण के लिये दे ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 11 प्रोटॉन के लिये

प्रश्न 16
सिद्ध कीजिये कि समान विभवान्तर से त्वरित प्रोटॉन एवं α-कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों के तरंगदैर्घ्य का अनुपात 2√2:1 होता है।
अथवा
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग की क्या महत्ता है? एक Q-कण तथा एक प्रोटॉन को समान विभवान्तर √ पर त्वरित किया जाता है। इनसे बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का अनुपात ज्ञात कीजिए।
अथवा
समान विभवान्तर से त्वरित प्रोटोन एवं -कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों की तरंगदैयों का अनुपात ज्ञात कीजिये।
उत्तर;
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग इलेक्ट्रॉन की पदार्थिक तरंगों की उपस्थिति को प्रदर्शित करता है।
हम जानते हैं:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 10

प्रश्न 17.
प्रोटोन व एल्फा कणों की ऊर्जायें समान हों तो उनकी तरंग का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि यदि K ऊर्जा और m द्रव्यमान हो तो
तरंगदैर्घ्य,
λ = h/√2K.m
चूंकि दिया गया है कि ऊर्जायें समान हैं लेकिन द्रव्यमान और तरंगदैर्ध्य अलग-अलग हैं।
प्रोटोन के लिये,
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{~K} m_p}}\) ……(1)
a. कण के लिये
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{~K} m_\alpha}}\) ………….(2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) = \(\sqrt{\frac{m_\alpha}{m_p}}\)
लेकिन हम जानते हैं:
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) =\(\sqrt{\frac{4 m_p}{m_p}}\)
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) = 2/1
λp : λa = 2 : 1

प्रश्न 18.
यदि एक प्रोटॉन तथा एक कण समान वेग से गतिशील हों, तो उनसे सम्बद्ध दे-ब्रोगली तरंगदैयों का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
λ1 = h/mpvp …….(1)
λ2 = h/mαvα ………(2)
समीकरण (1) में समी (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_1}{\lambda_2}\) = \(\frac{h}{m_p v_p}\) × \(\frac{m_\alpha v_\alpha}{h}\)
लेकिन
Vp = Va तथा mα = 4mp
∴λ1/λ2 = mα/mp = 4mp/mp
λ1 : λ2 = 4 : 1

प्रश्न 19.
फोटॉन का विराम द्रव्यमान शून्य होता है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
प्लांक ने यह माना कि विकिरण ऊर्जा का उत्सर्जन अथवा अवशोषण संतत अविच्छिन्न नहीं होकर विविक्त (discrete) बण्डलों (bundles ) के रूप में होता है। फोटॉन एक द्रव्य कण नहीं होता है अपितु यह एक विकिरण ऊर्जा से सम्बद्ध कण होता है। इसे ऊर्जा का क्वाण्टम भी कहते हैं। फोटॉन विद्युत उदासीन होते हैं एवं इनका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।

प्रश्न 20.
द्रव्य तरंगों की द्वैती प्रकृति से सम्बन्धित दे-ब्रोग्ली की परिकल्पना लिखिये।
अथवा
दे-बोली परिकल्पना लिखिये।
उत्तर:
डी ब्रोग्ली की द्रव्य तरंगों की परिकल्पना- डी ब्रोग्ली ने एक परिकल्पना प्रस्तुत की कि जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों का सम्बद्ध होना पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध होने चाहिये अर्थात् गतिशील द्रव्य कणों को तरंगों की भाँति भी व्यवहार करना चाहिये। गतिशील द्रव्य कण से सम्बद्ध तरंगों को द्रव्य तरंगें कहते हैं।
डी-ब्रॉली ने यह माना कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य कण के संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होती है और इसे निम्न सूत्र से दिया जाता है-
λ = h/mv = h/p
यहाँ h प्लांक नियतांक है। m कण का द्रव्यमान v वेग तथा p संवेग है।

प्रश्न 21.
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अनिश्चितता सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी एक क्षण (समय) पर एक कण की स्थिति और संवेग दोनों का एक साथ एक ही दिशा में पूर्ण रूप से यथार्थ निर्धारण नहीं किया जा सकता। इनमें से किसी एक के सही नापने के लिये अभिकल्पना की जाये तो दूसरे का निर्धारण पूर्णरूपेण अनिश्चित हो जायेगा। यदि d.kdh fir eav fuf prrkar ∆x तथा संवेग में अनिश्चितता ∆pr हो तो ∆r एवं ∆px का गुणनफल कभी भी से कम नहीं हो सकता। गणितीय रूप से ∆x∆px > h/2
यहाँ h = 2/5 = 1.054 × 10-34 जूल-सेकण्ड होता है।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त सूक्ष्म तथा स्थूल दोनों प्रकार के कणों के लिये होता है। वस्तुओं का आकार बड़ा होने के कारण इनकी स्थिति में अनिश्चितता नगण्य होती है। अतः स्थूल कणों में अनिश्चितता का सिद्धान्त प्रेक्षित नहीं होता है।

प्रश्न 22.
दे ब्रोग्ली की परिकल्पना कीजिए। कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से विभव V वोल्ट द्वारा त्वरित किया जाता है तो इलेक्ट्रॉन की दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
देब्रोग्ली की परिकल्पना (De Broglie hypothesis) “प्रत्येक गतिशील द्रव्यकण से सम्बद्ध (associated) एक तरंग होती है जिसे द्रव्य तरंग (matter wave) या दे ब्रोग्ली तरंग कहते हैं।”
समीकरण
λ = hc/E = hc/mc2 = h/mc = h/p
के अनुसार प्रकाशीय
फोटॉन का तरंगदैर्ध्य उसके संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस तथ्य की तुल्यता के आधार पर दे ब्रोग्ली ने यह माना कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्घ्य कण के संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होती है एवं इसे निम्न सूत्र से दिया जाता है-
λ = h/mv = h/p
यहाँ b प्लांक नियतांक है। m कण का द्रव्यमान v वेग तथा p संवेग है।
त्वरित इलेक्ट्रॉन की तरंगदैर्ध्य की गणना-
हम जानते हैं-
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m. = 9.1 x 10-31 kg
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
प्लांक स्थिरांक h = 6.63 x 10-31 जूल x सेकण्ड
सूत्र
λc = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)
मान रखने पर
\(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.6 \times 10^{-19} \times \mathrm{V}}}\)
= \(\frac{12.27 \times 10^{-10}}{\sqrt{\mathrm{V}}}\) मीटर
(:. 1A° = 10-10 मीटर)

प्रश्न 23.
हाइड्रोजन परमाणु में अपनी निम्नतम अवस्था में परिक्रमण करने वाला इलेक्ट्रॉन जब तृतीय उत्तेजित अवस्था में गमन करता है, तब इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
हम जानते हैं:
दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = h/p = h/mv
∴ p = mv
जबकि
λ α 1/v
v α 1/n होता है।
∴ λ α n
इसलिए दे ब्रॉग्ली तरंग दैर्ध्य का मान बढ़ेगा

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 24.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के सम्बन्ध में ‘निरोधी विभव’ और ‘देहली आवृत्ति’ पदों की परिभाषा लिखिए। आइंस्टीन समीकरण का उपयोग करके इन भौतिक राशियों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
निरोधी विभव आपतित विकिरण की एक निश्चित आवृत्ति के लिए पट्टिका पर दिया गया निम्नतम ऋण (मंदक) विभव V0 जिस पर प्रकाशिक धारा शून्य हो जाती है, अंतक (cut-off) अथवा निरोधी विभव (stopping potential) कहलाता है। इस स्थिति में K “max = evo
देहली आवृत्ति: वह न्यूनतम आवृत्ति (V) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में सक्षम नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको V से प्रदर्शित करते हैं।
आइंस्टीन समीकरण से
evo = hv – Φ0
दी गई आवृत्ति के लिए v > v0, v0 का मान ज्ञात किया जा सकता है।
निरोधी विभव,
v0 = (h/e)v – Φ/e
Φo = hvo
देहली आवृत्ति
vo = Φo/h

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
20 वाट के बल्ब से 5 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश उत्सर्जित हो रहा है। बल्ब से एक सेकण्ड में उत्सर्जित होने वाले फोटॉनों की संख्या ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया गया है:
आवृत्ति v = 5 x 1014 Hz
5 x 1014 Hz आवृत्ति के फोटॉन की ऊर्जा
E = hu
E = 6.62 × 10-34 x 5 × 1014
= 33.1 x 1020 जूल
20 वाट के बल्ब द्वारा 1 सेकण्ड में उत्सर्जित ऊर्जा = 20 जूल बल्ब द्वारा 1 सेकण्ड में उत्सर्जित फोटॉन की संख्या
(N) = \(\frac{20}{33.1 \times 10^{-20}}\)
(N) = 6.04 × 1019
(N) ≈ 6 × 1019

प्रश्न 2.
3.31 À तरंगदैर्घ्य के फोटॉन की ऊर्जा की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
λ = 3.31 A
= 3.31 × 10-10
हम जानते हैं-
E = hc/λ
मान रखने पर E = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{3.31 \times 10^{-10}}\)
= 6 × 10-16 J
= \(\frac{6 \times 10^{-16}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 3.75 × 103 eV
= 3.75 KeV

प्रश्न 3.
एक धातु के लिए कार्यफलन 2.2 इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। इस पर 5000 ऐंग्स्ट्रम तरंगदैर्ध्य का फोटॉन आपतित है। उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ज्ञात करो प्लांक नियतांक h = 6.63 x 10-14 जूल सेकण्ड एवं प्रकाश का वेग c = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड।
उत्तर:
हम जानते हैं आइन्सटीन की प्रकाश विद्युत समीकरण के अनुसार फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा निम्न होती है-
1/2mv2max = h(v – v0)
या 1/2mv2max = hc/λ – Φ0
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{5000 \times 10^{-10}}\) – 2.2 × 1.6 × 10-19 J
= 3.52 × 10-19
(3.97 – 3.52) 10-19
= 0.46 × 10-19 J

प्रश्न 4.
किसी धातु से प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन करने वाली प्रकाश किरण की देहली तरंगदैर्घ्य 5800 ऐंग्स्ट्रम है। यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 4500 ऐंग्स्ट्रम हो तो प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि आइन्सटीन के प्रकाश विद्युत समीकरण से फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा निम्न होती है:
Kऊर्जा = hv – Φ0
या Kऊर्जा = hv – hv0
या Kऊर्जा = hc/λ – hc/λ0
या Kऊर्जा = hc(1/λ – 1/λ0)
या Kऊर्जा = hc \(\left(\frac{\lambda_0-\lambda}{\lambda \times \lambda_0}\right)\)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 9

प्रश्न 5.
एक टंग्स्टन से बने कैथोड जिसकी क्रान्तिक तरंगदैर्घ्य 2300 À है, पर पराबैंगनी किरणें जिनकी तरंगदैर्ध्य 1800 À आपतित होती है तदानुसार निम्न गणनाएँ कीजिए:
(i) फोटोइलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा (eV में)
(ii) टंग्स्टन का कार्यफलन (eV में)।
उत्तर:
(i) Kऊर्जा = 1⁄2mv2 = h(v – vo)
जहाँ v आपतित विकिरण की आवृत्ति एवं 0 क्रान्तिक आवृत्ति हैं। यदि λ एवं λ0 इनकी क्रमशः तरंगदैर्घ्य हो तो
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 8
(ii) टंग्स्टन का कार्यफलन Φo = hv0 = hc/λ0
= 8.608 x 10-19 जूल
= \(\frac{8.608 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 5.38eV

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प्रश्न 6.
100 V के समान विभवान्तर से त्वरित एक इलेक्ट्रॉन तथा cc-कण से सम्बन्धित दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिये।
उत्तर:
दिया है V = 100 वोल्ट
इलेक्ट्रॉन के लिये
λc = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\) A°
= \(\frac{12.27}{\sqrt{100}}\) A° = \(\frac{12.27}{10}\) A°
λc = 1.227 A
तथा α-कण के लिये
λα = \(\frac{0.101}{\sqrt{V}}\) A°
λα = \(\frac{0.101}{\sqrt{100}}\) A° = 0.101/10
λα = 0.010 A°

प्रश्न 7.
127°C ताप वाले न्यूट्रॉनों से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
तापीय न्यूट्रॉन के लिये तरंगदैर्घ्य का सूत्र
λm = \(\frac{30.835}{\sqrt{T}}\)A°
λm = \(\frac{30.835}{\sqrt{400}}\)A°
∵ T = 127 + 273 = 400K
∴ λm = \(\frac{30.835}{20}\)A°
= 1.54 A°

प्रश्न 8.
400 विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है- V = 400 v
हम जानते हैं:
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)A° = \(\frac{12.27 \times 10^{-10}}{\sqrt{V}} \mathrm{~m}\)A°
मान रखने पर
λ = \(\frac{12.27 \times 10^{-10} \mathrm{~m}}{\sqrt{400}}\)A° = \(\frac{12.27}{20}\)A°
= 0.61 A°

प्रश्न 9.
6 × 1014 हर्ट्ज आवृत्ति का एकवर्णीय प्रकाश स्रोत प्रति सेकण्ड 2 x 103 जूल / सेकण्ड ऊर्जा उत्सर्जित करता है स्रोत द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटानों की संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है आवृत्ति V = 6 × 10-14
और एकवर्णीय प्रकाश स्रोत प्रति सेकण्ड 2 x 10-3 जूल / सेकण्ड ऊर्जा उत्सर्जित करता है इसलिये प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा होगी
E = hv
मान रखने पर
E = (6.63 × 10-34) × 6 × 10-14 = 3.978 × 10-19 जूल
यदि स्रोत के द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉन की संख्या N है तो किरण पुंज में संचरित क्षमता P प्रति फोटॉन ऊर्जा E के N गुना होगी जिससे कि
P = NE तब
N = P/E
= \(\frac{2.0 \times 10^{-3} \text {}}{3.978 \times 10^{-19}}\)
= 5.03 x 105 फोटॉन प्रति सेकण्ड

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
हाइगेंस के सिद्धान्त में समान अवस्था में कम्पन कर रहे कणों का तल कहलाता है:
(अ) तरंगाग्र
(ब) अर्द्धावर्ती कटिबंध
(स) अर्द्ध तरंग कटिबंध
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) तरंगाग्र

प्रश्न 2.
हाइगेंस का सिद्धान्त लागू होता है:
(अ) केवल प्रकाश तरंगों के लिये
(ब) केवल ध्वनि तरंगों के लिये
(स) केवल यांत्रिक तरंगों के लिये
(द) उपर्युक्त सभी तरंगों के लिये।
उत्तर:
(ब) केवल ध्वनि तरंगों के लिये

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प्रश्न 3.
हाइगेंस तरंग सिद्धान्त द्वारा निम्नलिखित में से किस घटना की व्याख्या नहीं हो सकती है:
(अ) अपवर्तन
(ब) डॉप्लर प्रभाव
(स) व्यतिकरण
(द) प्रकाश-विद्युत प्रभाव।
उत्तर:
(ब) डॉप्लर प्रभाव

प्रश्न 4.
हाइगेंस के द्वितीयक तरंगिकाओं के सिद्धान्त में पीछे की ओर लौटने वाली तरंग की अनुपस्थिति साबित की:
(अ) हाइगेंस ने
(ब) न्यूटन ने
(स) स्टोक ने
(द) फ्रेनल ने।
उत्तर:
(स) स्टोक ने

प्रश्न 5.
जब प्रकाश की किरण ऐसे माध्यम में से गुजरती है जिसमें वेग कम होता है तो उसकी तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति का मान क्रमश:
(अ) बढ़ेगा, बढ़ेगा
(ब) घटेगा, अपरिवर्तित
(स) बढ़ेगा, अपरिवर्तित
(द) घंटेगा, घटेगा
उत्तर:
(ब) घटेगा, अपरिवर्तित

प्रश्न 6.
वायु में संचरित एक प्रकाश किरण की तरंगदैर्ध्य λ, आवृत्ति v, वेग तथा तीव्रता I है । यदि यह किरण जल में प्रवेश कर जाती है, तो इन राशियों के मान क्रमशः λ,v,I तथा I’ हो जाते हैं। निम्नलिखित में से कौनसा सम्बन्ध सही है:
(अ) λ = λ
(ब) v = v’
(स) v = v’
(द) I = I’
उत्तर:
(ब) v = v’

प्रश्न 7.
यंग के द्विक रेखा छिद्र प्रयोग में एक स्थिर बिन्दु पर जहाँ पथान्तर = λ/6 (λ = प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्घ्य) है, तीव्रता I है। यदि I0 अधिकतम तीव्रता होत बराबर है:
(अ) 3/4
(ब) 1/√2
(स) √3/2
(द) 1/2
उत्तर:
(अ) 3/4

प्रश्न 8.
दो तरंगें कला सम्बद्ध कहलाती हैं यदि उनके-
(अ) आयाम समान हों
(ब) केवल तरंग समान हों
(स) आयाम व तरंगदैर्ध्य समान हों
(द) बीच कलान्तर स्थिर रहे तथा तरंगदैर्घ्य समान हो।
उत्तर:
(द) बीच कलान्तर स्थिर रहे तथा तरंगदैर्घ्य समान हो।

प्रश्न 9.
यंग के द्विछिद्र रेखा प्रयोग में श्वेत प्रकाश प्रयुक्त करने पर:
(अ) केवल श्वेत व काली फ्रिंजें प्राप्त होंगी
(ब) श्वेत फ्रिंजें प्राप्त होंगी
(स) केन्द्रीय फ्रिंज श्वेत लेकिन दो-तीन फ्रिंजें रंगीन काली दिखाई देंगी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) केन्द्रीय फ्रिंज श्वेत लेकिन दो-तीन फ्रिंजें रंगीन काली दिखाई देंगी

प्रश्न 10.
द्विप्रिज्म के प्रयोग में कला सम्बद्ध स्रोत प्राप्त किये जाते हैं:
(अ) परावर्तन द्वारा
(ब) अपवर्तन द्वारा
(स) व्यतिकरण द्वारा
(द) विवर्तन द्वारा
उत्तर:
(ब) अपवर्तन द्वारा

प्रश्न 11.
यह प्रकाश स्रोत से उत्सर्जित दो प्रकाश तरंगों द्वारा P बिन्दु पर विस्थापन क्रमश: Y = 5sinor तथा Y2 = 3cosot है, तो दोनों तरंगें होंगी:
(अ) कला असम्बद्ध
(ब) कला सम्बद्ध
(स) आंशिक कला सम्बद्ध
(द) कुछ नहीं कह सकते हैं।
उत्तर:
(ब) कला सम्बद्ध

प्रश्न 12.
समान आयाम व समान तरंगदैर्घ्य की दो तरंगें विभिन्न कलाओं में अध्यारोपित की जाती हैं परिणामी तरंग का आयाम अधिकतम होगा जब उनके बीच कलान्तर है:
(अ) शून्य
(ब) π/2
(स) π
(द) 3π/2
उत्तर:
(अ) शून्य

प्रश्न 13.
प्रकाश स्रोत कला सम्बद्ध होगा, यदि:
(अ) उनके उद्गम स्थान पर कलान्तर नियत रहता है।
(ब) उनके आयाम समान हों।
(स) उनकी आवृत्ति समान हो।
(द) उपर्युक्त सभी बातें उपस्थित हों।
उत्तर:
(अ) उनके उद्गम स्थान पर कलान्तर नियत रहता है।

प्रश्न 14.
यंग के प्रयोग से यदि d को नियम रखते हुये रेखा छिद्र की चौड़ाई बढ़ाई जाये:
(अ) फ्रिज चौड़ाई बढ़ेगी
(ब) फ्रिज चौड़ाई घटेगी
(स) फ्रिज चौड़ाई अपरिवर्तित रहेगी
(द) धीरे-धीरे फ्रिंजें ही लुप्त हो जायेंगी।
उत्तर:
(द) धीरे-धीरे फ्रिंजें ही लुप्त हो जायेंगी।

प्रश्न 15.
एक व्यतिकरण प्रतिरूप में महत्तम तथा न्यूनतम तीव्रताओं का अनुपात 25 : 1 है। व्यतिकरण उत्पन्न करने वाली तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात है:
(अ) 25 : 1
(ब) 5 : 1
(स) 9 : 4
(द) 625 : 1
उत्तर:
(स) 9 : 4

प्रश्न 16.
प्रकाश के कला सम्बद्ध स्रोत हैं संपोषी व्यतिकरण उत्पन्न करते जबकि उनके मध्य कलान्तर होता है:
(अ) π
(ब) π/2
(स) 3π/2
(द) 2π
उत्तर:
(द) 2π

प्रश्न 17.
श्वेत प्रकाश से उत्पन्न व्यतिकरण प्रतिरूप में प्राप्त केन्द्रीय श्वेत दीप्त फ्रिंज के समीप चमकीली फ्रिंज का रंग होगा:
(अ) लाल
(ब) पीला
(स) हरा
(द) बैंगनी।
उत्तर:
(द) बैंगनी।

प्रश्न 18.
यदि यंग के द्वि-स्लिट व्यतिकरण प्रयोग में स्लिटों के बीच की दूरी तीन गुनी कर दी जाये तो फ्रिजों की चौड़ाई हो जाती है:
(अ) \(\frac{1}{3}\) गुनी
(ब) \(\frac{1}{9}\)गुनी
(स) 3 गुनी
(द) 9 गुनी
उत्तर:
(अ) \(\frac{1}{3}\) गुनी

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 19.
यंग के द्वि- स्लिट प्रयोग में सोडियम लैम्प को नीले प्रकाश लैम्प से बदल दिया जाता है, तब:
(अ) फ्रिंजें चमकीली हो जायेंगी
(ब) फ्रिंजें हल्की पड़ जायेंगी
(स) फ्रिज-चौड़ाई बढ़ जायेगी
(द) फ्रिंज-चौड़ाई कम हो जायेगी।
उत्तर:
(अ) \(\frac{1}{3}\) गुनी

प्रश्न 20.
यंग के प्रयोग को पानी में ले जाकर पूरा किया जाये तो फ्रिज चौड़ाई:
(अ) अपरिवर्तित रहेगी
(ब) घट जायेगी
(द) आँकड़े अपर्याप्त हैं।
(स) बढ़ जायेगी
उत्तर:
(ब) घट जायेगी

प्रश्न 21.
यंग के किसी द्वि-झिरी प्रयोग में से एकवर्णी प्रकाश स्रोत का उपयोग किया जाता है। पर्दे पर बनी व्यतिकरण फ्रिजों की आकृति है:
(अ) सरल रेखा
(ब) परवलय
(स) अतिपरवलय
(द) वृत्त।
उत्तर:
(स) अतिपरवलय

प्रश्न 22.
यंग के द्विक रेखा छिद्र प्रयोग में दोनों स्लिटों को एकवर्णी प्रकाश से प्रकाशित करके व्यतिकरण प्रारूप पर्दे पर प्राप्त किया गया है। जब व्यतिकारी पुंजों में से किसी एक के मार्ग में एक माइका की पतली पट्टी रख दी जाती है, तो-
(अ) फ्रिज चौड़ाई बढ़ जाती है
(ब) फ्रिज चौड़ाई घट जाती है।
(स) फ्रिज चौड़ाई समान रहती है, परन्तु व्यतिकरण प्रारूप विस्थापित हो जाता है
(द) व्यतिकरण प्रारूप अदृश्य हो जाता है।
उत्तर:
(स) फ्रिज चौड़ाई समान रहती है, परन्तु व्यतिकरण प्रारूप विस्थापित हो जाता है

प्रश्न 23.
यंग के द्विक रेखा – छिद्र प्रयोग में d, D तथा λ क्रमश: स्लिटों के बीच की दूरी, स्लिटों से पर्दे की दूरी तथा प्रकाश तरंगदैर्ध्य को व्यक्त करते हैं। फ्रिज चौड़ाई β के लिये निम्नलिखित में से कौन सत्य है/हैं:
(अ) β α D
(ब) β α d
(स) β α λ
(द) β α \(\frac{1}{d}\)
उत्तर:
(अ) β α D

प्रश्न 24.
साबुन के बुलबुले श्वेत प्रकाश में देखने पर रंगीन दिखाई देते हैं। इस घटना का कारण है:
(अ) प्रकीर्णन
(ब) व्यतिकरण
(स) विक्षेपण
(द) विवर्तन
उत्तर:
(ब) व्यतिकरण

प्रश्न 25.
I तथा 4I तीव्रताओं की दो प्रकाश तरंगें व्यतिकरण द्वारा पर्दे पर फ्रिंजें बनाती हैं पर्दे के बिन्दु A पर तरंगों के बीच कलान्तर तथा बिन्दु B पर है। तब A तथा B पर परिणामी तीव्रताओं के बीच अन्तर है:
(अ) 2I
(ब) 4I
(स) 5I
(द) I
उत्तर:
(ब) 4I

प्रश्न 26.
यंग के द्विरेखा छिद्र प्रयोग में तरंगदैर्ध्य 6000 À है, पर्दा रेखा- छिद्रों से 40 सेमी की दूरी पर है तथा फ्रिंजों की परस्पर दूरी 0.012 सेमी. है। रेखा छिद्रों के बीच अन्तराल है:
(अ) 0.24 मिमी.
(ब) 0.024 मिमी.
(स) 0.2 मिमी.
(द) 2.0 मिमी.।
उत्तर:
(द) 2.0 मिमी.।

प्रश्न 27.
यंग के द्विस्लिट प्रयोग में दो स्लिटों S1 व S2 के बीच की दूरी 1 मिमी. है। प्रत्येक स्लिट की चौड़ाई कितनी हो कि द्विस्लिट का 10वाँ उच्चिष्ठ स्लिट के केन्द्रीय उच्चिष्ठ पर प्राप्त हो?
(अ) 0.1mm
(ब) 0.2mm
(स) 0.3mm
(द) 0.4mm
उत्तर:
(ब) 0.2mm

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प्रश्न 28.
एकल छिद्र के फ्रॉनहॉफर विवर्तन प्रयोग में n कोटि के द्वितीयक उच्चिष्ठ के लिए पथान्तर (4) की शर्त है:
(अ) ∆ = (2n+1)λ/2
(ब) ∆ = n λ
(स) ∆ = (2n + 1)λ
(द) ∆ = n λ/2
उत्तर:
(अ) ∆ = (2n+1)λ/2

प्रश्न 29.
फ्रॉनहॉफर विवर्तन विवर्तन प्रतिरूप का केन्द्र होता है:
(अ) सदैव दीप्त
(ब) सदैव अदीप्त
(स) कभी दीप्त और
(द) उच्च तरंगदैर्घ्य के लिये दीप्त, लघु तरंगदैर्घ्य के लिये अदीप्त।
उत्तर:
(अ) सदैव दीप्त

प्रश्न 30.
फ्रेनल के द्विप्रिज्म से प्राप्त कला सम्बद्ध स्रोतों के बीच की दूरी बढ़ जाने पर:
(अ) फ्रिंज की चौड़ाई बढ़ जाती है।
(ब) फ्रिंजें स्पष्टतः अपरिवर्तित रहती हैं।
(स) फ्रिंज की चौड़ाई कम हो जाती है, फ्रिंज प्रतिरूप अस्पष्ट हो जाता है।
(द) फ्रिजों की चौड़ाई अपरिवर्तित रहती है।
उत्तर:
(स) फ्रिंज की चौड़ाई कम हो जाती है, फ्रिंज प्रतिरूप अस्पष्ट हो जाता है।

प्रश्न 31.
यंग द्वि- स्लिट प्रयोग को तीन बार क्रमशः हरा लाल और नीला प्रकाश प्रयुक्त करके किया गया एक बार में एक ही प्रयोग किया गया है। तीन फ्रिज चौड़ाई क्रमश: βG. βR और βB पाई गई है, तब:
(अ) βG > βB > βR
(स) βR > βB > βa
(ब) βB > βG > βR
(द) βR > βG > βB
उत्तर:
(द) βR > βG > βB

प्रश्न 32.
समान तीव्रता 1 के दो कला सम्बद्ध स्रोत से प्राप्त व्यतिकरण प्रतिरूप में माध्य तीव्रता होगी:
(अ) Io
(ब) 2Io
(स) 4Io
(द) 0
उत्तर:
(स) 4Io

प्रश्न 33.
प्रकाश के विवर्तन के लिये आवश्यक है कि अवरोधक का आकार प्रकाश तरंगों की तरंगदैर्घ्य से होना चाहिये-
(अ) बहुत बड़ा
(ब) लगभग बराबर
(स) बहुत छोटा
(द) किसी भी आकार का
उत्तर:
(ब) लगभग बराबर

प्रश्न 34.
प्रकाश के विवर्तन की व्याख्या निम्न से संभव है:
(अ) प्रकाश की क्वाण्टम प्रकृति
(ब) प्रकाश की तरंग प्रकृति
(स) प्रकाश के लिये न्यूटन का कणिका सिद्धान्त
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) प्रकाश की तरंग प्रकृति

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प्रश्न 35.
किसी पारदर्शी पदार्थ पर प्रकाश की किरण का आपतन कोण 60° है। परावर्तित किरण पूर्णतया ध्रुवित है। पदार्थ का अपवर्तनांक
(अ) √3
(ब) 1/√3
(स) 1
(द) 1/√2
उत्तर:
(अ) √3

प्रश्न 36.
प्रकाश के ध्रुवण से पुष्टि होती है:
(अ) प्रकाश की अनुदैर्घ्य तरंग प्रकृति की
(ब) प्रकाश की अनुप्रस्थ तरंग प्रकृति की
(स) प्रकाश की कणीय प्रकृति
(द) प्रकाश की क्वांटम प्रकृति की।
उत्तर:
(ब) प्रकाश की अनुप्रस्थ तरंग प्रकृति की

प्रश्न 37.
प्रकाश तरंगों के अनुप्रस्थ होने की पुष्टि करता है:
(अ) परावर्तन
(ब) व्यतिकरण
(स) विवर्तन
(द) ध्रुवण।
उत्तर:
(द) ध्रुवण।

प्रश्न 38.
अधुवित प्रकाश ध्रुवक तथा विश्लेषक जिनके अक्षों के बीच 6 कोण है, से गुजरता है तो पारगमित प्रकाश की तीव्रता अनुक्रमानुपाती होगी:
(अ) sin θ
(ब) cos θ
(स) cos 2 θ
(द) sin 2 θ
उत्तर:
(स) cos 2 θ

प्रश्न 39.
एकल स्लिट के विवर्तन प्रतिरूप में प्राप्त केन्द्रीय फ्रिंज होती है:
(अ) न्यूनतम तीव्रता की
(ब) अधिकतम तीव्रता की
(स) तीव्रता स्लिट की चौड़ाई पर निर्भर करती है
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) अधिकतम तीव्रता की

प्रश्न 40.
स्रोत प्रकाश सफेद होने की दशा में केन्द्रीय अधिकतम के निकटतम व्यतिकरण फ्रिज का रंग क्या है?
(अ) पीला
(ब) लाल
(स) नीला
(द) बैंगनी।
उत्तर:
(द) बैंगनी।

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प्रश्न 41.
दो कला सम्बद्ध स्रोत जिनकी आवृत्ति का अनुपात 100 1 है, को व्यतिकरण फ्रिंजें उत्पन्न करने के लिये उपयोग किया जाता है। फ्रिजों में अधिकतम व न्यूनतम तीव्रता का अनुपात:
(अ) 100 : 1
(ब) 121 : 81
(स) 1 : 1
(द) 5 : 1
उत्तर:
(ब) 121 : 81

प्रश्न 42.
एक प्रकाशिक यन्त्र में प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्घ्य λ1 = 4000À तथा λ2 = 5000Å है। इनके संगत विभेदन क्षमताओं का अनुपात होगा:
(अ) 16 : 25
(ब) 9 : 1
(स) 4 : 5
(द) 5 : 4
उत्तर:
(द) 5 : 4

प्रश्न 43.
किसी पारदर्शी माध्यम में ध्रुवण कोण है तथा उस माध्यम में प्रकाश की चाल है। यदि निर्वात में प्रकाश की चाल c हो तो ip का मान है:
(अ) sin-1 (C/V)
(ब) cos-1 (V/C)
(स) tan-1 (C/V)
(द) cot-1 (V/C)
उत्तर:
(स) tan-1 (C/V)

प्रश्न 44.
प्रकाश के प्रकीर्णन पर विस्तृत अध्ययन के लिये नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था:
(अ) हाइगेन्स को
(ब) यंग को
(स) फ्रेनेल
(द) सी.वी. रमन को।
उत्तर:
(द) सी.वी. रमन को।

प्रश्न 45.
जब किसी ध्रुवण शीट पर 1 होता है तो उस प्रकाश की तीव्रता का अध्रुवित प्रकाश आपतित तीव्रता, जो पारगमित नहीं होता है, यह है:
(अ) 1/4I0
(ब) 1/2I0
(स) Io
(द) शून्य।
उत्तर:
(ब) 1/2I0

प्रश्न 46.
वह आपतन कोण जिस पर परावर्तित प्रकाश वायु से काँच ( अपवर्तनांक 1 ) में परावर्तन के लिये पूर्व ध्रुवित हो जाता है,
(अ) sin-1 (n)
(ब) tan-1 (n)
(स) tan-1(1/n)
(द) sin-1(1/n)
उत्तर:
(ब) tan-1 (n)

प्रश्न 47.
रेखीय ध्रुवित प्रकाश की स्थिति में विद्युत क्षेत्र सदिश का परिमाण-
(अ) समय के साथ परिवर्तित नहीं होता है।
(ब) समय के साथ आवर्ती रूप से बदलता है।
(स) समय के साथ रैखिक रूप से बढ़ता या घटता है।
(द) संचरण की दिशा के समान्तर होता है।
उत्तर:
(ब) समय के साथ आवर्ती रूप से बदलता है।

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प्रश्न 48.
किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रकाश किरण के लिये क्रांतिक कोण 45° है। इस पदार्थ के लिये ध्रुवण कोण का मान होगा
(अ) tan-1 \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)
(ब) tan-1 \(\sqrt{2}\)
(स) tan-1 \(\frac{1}{2}\)
(द) tan-1(1)
उत्तर:
(ब) tan-1 \(\sqrt{2}\)

प्रश्न 49.
यदि कोई प्रकाश किरण ध्रुवण कोण iB पर किसी अपवर्तनांक n के माध्यम पर आपतित है, तो ब्रस्टर के नियमानसार:
(अ) n = sin iB
(ब) n = tan iB
(स) n = cos iB
(द) n = iB/2
उत्तर:
(ब) n = tan iB

प्रश्न 50.
एक पृष्ठ पर प्रकाश 50° के ध्रुवण कोण पर आधारित होता है, प्रकाश किरण के लिये अपवर्तन कोण होगा:
(अ) 50°
(ब) 40°
(स) 140°
(द) 90°
उत्तर:
(ब) 40°

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
यदि एकल स्लिट विवर्तन प्रयोग में स्लिट की चौड़ाई दो गुनी कर दी जाये तो केन्द्रीय उच्चिष्ठ पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि स्लिट चौड़ाई (a) दोगुनी हो जाये तो केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई (λ/a) आधी रह जायेगी, तीव्रता चार गुनी हो जायेगी क्योंकि क्षेत्रफल (1/4th) रह जायेगा।

प्रश्न 2.
दो तरंगों के आयामों का अनुपात 2 है तो इनकी तीव्रताओं का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
तीव्रता I α [ आयाम (a)]2
अर्थात्
अतः
I α a2
I1: I2 = a12: a22

प्रश्न 3.
तरंगाग्र की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
“किसी एक माध्यम में जिसमें कोई तरंग संचरित हो रही हो, यदि हम कोई ऐसा पृष्ठ (surface) खींचें जिस पर स्थित सभी कण कम्पन की समान कला में हों, तो ऐसे पृष्ठ को ‘तरंगाग्र’ कहते हैं। समांग माध्यम में किसी तरंग का तरंगाग्र सदैव तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होता है।

प्रश्न 4
तरंगाग्र कितने प्रकार के होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
तरंगाग्र तीन प्रकार के होते हैं:
(a) गोलीय तरंगाग्र
(b) बेलनाकार तरंगाग्र
(c) समतल तरंगाग्र।

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प्रश्न 5.
हाइगेन्स के सिद्धान्त का उपयोग किसको ज्ञात करने में किया जाता है?
उत्तर:
हाइगेन्स के सिद्धान्त का उपयोग किसी माध्यम में संचरित होने वाली समतल रंग के तरंगाग्र की आकृति ज्ञात करने के लिए कर सकते हैं

प्रश्न 6.
हाइगेंस सिद्धान्त का उपयोग करते हुए समतल तरंगों का अपवर्तन सम्बन्धी स्नैल नियम को लिखिए।
उत्तर:
n sin i = n2 sin r
n1 तथा n2 क्रमशः माध्यम 1 तथा माध्यम 2 के अपवर्तनांक हैं।

प्रश्न 7.
डॉप्लर प्रभाव को लिखिए।
उत्तर:
दो उत्तरोत्तर तरंगाओं के प्रेक्षक तक पहुँचने में लगने वाला समय स्रोत तक उनके पहुँचने में लगने वाले समय की अपेक्षा अधिक होता है। अतः जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाता है तो प्रेक्षक द्वारा मापी जाने वाली आवृत्ति में कमी होगी। यह डॉप्लर प्रभाव कहलाता है।

प्रश्न 8.
एक बिन्दु स्रोत से निकले प्रकाश की तरंगाग्र की आकृति क्या होगी?
उत्तर:
गोलीय।

प्रश्न 9.
एक संकीर्ण स्लिट के रूप में प्रकाश स्रोत द्वारा उत्सर्जित तरंगा की आकृति कैसी होगी?
उत्तर:
बेलनाकार

प्रश्न 10.
किसी तरंगाग्र पर स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच कलान्तर कितना होता है?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 11.
डॉप्लर विस्थापन को व्यक्त करने वाला समीकरण लिखिए।
उत्तर:
-∆v/v = -v/c

प्रश्न 12.
तरंगाग्र के लम्बवत् रेखा किसकी दिशा को व्यक्त करती है?
उत्तर:
तरंग संचरण की दिशा को।

प्रश्न 13.
प्रकाश के परावर्तन का प्रथम नियम बताइये।
उत्तर:
हाइगेन्स के सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश के परावर्तन की व्याख्या इस प्रकार की गई है कि-
आपतन कोण Z i = परावर्तन कोण Zr इसमें आपतित तरंगाग्र, परावर्तित तरंगाग्र और अभिलम्ब तीनों एक ही तल में स्थित होते हैं।

प्रश्न 14.
एक्स किरणें ध्वनि तरंगों व रेडियो तरंगों में किन-किन तरंगों का ध्रुवण संभव है?
उत्तर:
X – किरणें व रेडियो तरंगें। X – किरणों का ध्रुवण सम्भव इसलिये होता है, चूँकि ये किरणें अनुप्रस्थ होती हैं जबकि ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य होने के कारण ध्रुवित नहीं की जा सकती हैं।

प्रश्न 15.
व्यतिकरण में प्रकाश तरंगों की ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर:
व्यतिकरण में ऊर्जा का विनाश नहीं होता है। ऊर्जा का केवल पुनर्वितरण होता है। विनाशी व्यतिकरण के स्थानों पर ऊर्जा जितनी कम हो जाती है तथा संपोषी व्यतिकरण के स्थानों पर उतनी ही ऊर्जा बढ़ जाती है

प्रश्न 16.
ध्रुवित प्रकाश के विश्लेषण में ध्रुवक एवं विश्लेषक की किस व्यवस्था के लिये पारगमित प्रकाश की तीव्रता न्यूनतम होती है?
उत्तर:
ध्रुवक एवं विश्लेषक के अक्ष परस्पर लम्बवत् होने पर।

प्रश्न 17.
यदि प्रकाश की कला सम्बद्ध तरंगें विनाशी व्यतिकरण उत्पन्न करती हैं, तो उनके मध्य कलान्तर क्या होगा?
उत्तर:
कलान्तर का मान Φ = 1, 2, 3,……..

प्रश्न 18.
यंग के प्रयोग में द्वि-स्लिट को (अ) लाल (ब) नीले पारदर्शी कागज से ढककर प्रयोग किया जाये, तो फ्रिज की चौड़ाई में क्या अंतर दिखाई देगा? कारण बताइये।
उत्तर:
लाल रंग में फ्रिंज की चौड़ाई अधिक तथा नीले रंग में कम होगी। इसका मुख्य कारण यह है कि लाल रंग के लिए तरंगदैर्ध्य का मान अधिक और नीले रंग के लिए तरंगदैर्घ्य का मान कम होता है।

प्रश्न 19.
कला सम्बद्ध स्रोत क्या है?
उत्तर:
वे दो स्रोत जिनसे समान आवृत्ति या समान तरंगदैर्घ्य की तरंगें उत्सर्जित हों तथा उनके बीच का कलान्तर समय के साथ नियत रहे कला सम्बद्ध स्रोत कहलाता है।

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प्रश्न 20.
विवर्तन की घटना ध्वनि तरंगों में सामान्यतः देखी जाती है, परन्तु प्रकाश तरंगों में सामान्यतः नहीं, क्यों?
उत्तर:
सामान्यतः अवरोधों तथा द्वारकों का आकार ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होता है, प्रकाश तरंगों की तरंगदैर्घ्य की कोटि का नहीं, इसलिये ध्वनि का विवर्तन सामान्यतः देखा जा सकता है। परन्तु प्रकाश तरंगों का नहीं। प्रकाश के विवर्तन के लिये अन्य व्यवस्था करनी पड़ती है जिसमें अवरोध या रेखा छिद्र या आकार उसकी तरंगदैर्ध्य की कोटि का लिया जाता है।

प्रश्न 21.
6000 À तरंगदैर्घ्य का प्रकाश 24 x 105 सेमी. चौड़ाई की स्लिट पर अभिलम्बवत् आपतित है। केन्द्रीय उच्चिष्ठ से द्वितीय निम्निष्ठ की कोणीय चौड़ाई की गणना कीजिये।
उत्तर:
अतः केन्द्रीय उच्चिष्ठ से द्वितीय निम्निष्ठ की कोणीय चौड़ाई
= \(\frac{6000 \times 10^{-8}}{24 \times 10^{-5}}\) = \(\frac{6}{24}\) = 0.25

प्रश्न 22.
बिल्कुल एकसमान 15 वाट के दो बल्ब परस्पर अति निकट रखे गये हैं। क्या इनसे व्यतिकरण प्रभाव उत्पन्न होगा?
उत्तर:
दो बल्ब पृथक् स्रोत हैं, जो कभी भी कला सम्बद्ध नहीं हो सकते, अतः व्यतिकरण प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होगा।

प्रश्न 23.
यदि यंग के द्विरेखा छिद्र प्रयोग में रेखा छिद्रों के मध्य दूरी 1 मिमी पर्दे की रेखा छिद्रों से दूरी 1 मी. तथा प्रकाश तरंगदैर्घ्य 5890 A हो तो फ्रिज की चौड़ाई क्या होगी?
उत्तर:
B = λD/d
= \(\frac{5890 \times 10^{-10} \times 1}{10^{-3}}\)
β = 0.589 मिमी.
∵ दिया है:
D = 1 मीटर
d = 1 मिमी.
= 1 x 103 मीटर
= 103 मीटर
λ = 5890À = 5890
x 10-10 मीटर

प्रश्न 24.
जब साधारण प्रकाश पोलेराइड से गुजरता है तो निर्गत ध्रुवित प्रकाश की तीव्रता पोलेराइड पर आपतित प्रकाश की तीव्रता की आधी होती है, क्यों?
उत्तर:
मैलस के नियम से पोलेराइड से निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = Io cos2θ जब आपतित प्रकाश साधारण तथा अध्रुवित होता है तो इसमें विद्युत सदिश प्रकाश के संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में सभी दिशाओं में अनियमित रूप से कम्पन करते हैं, अतः उपर्युक्त समीकरण में cos2θ का औसत मान लेना होगा जो कि 1/2 होता है। अतः I = 20

प्रश्न 25.
साधारण काँच की बजाय पोलेराइड द्वारा निर्मित धूप के चश्मों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
साधारण रंगीन काँच प्रकाश का अवशोषण कर लेता है। इससे वस्तुएँ धुंधली दिखाई पड़ती हैं। इसके विपरीत पोलेराइड केवल आँखों में चकाचौंध उत्पन्न करने वाले धुवित प्रकाश को ही अवशोषित करता है।

प्रश्न 26.
मैलस का नियम बताओ।
उत्तर:
मैलस का नियम “जब अधुवित प्रकाश ध्रुवक एवं विश्लेषक दोनों से पारगमित होता है, तब निर्गत प्रकाश की तीव्रता ध्रुवक तथा विश्लेषक दोनों से पारगमित होती है, तब निर्गत प्रकाश की तीव्रता ध्रुवक तथा विश्लेषक के अक्षों के बीच के कोण के कोज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।” अर्थात् I α ccos2θ
यहाँ पर
I0 = I 2θ
I0 = आपतित ध्रुवित प्रकाश की तीव्रता है।

प्रश्न 27.
व्यतिकरण की घटना में जिन स्थानों पर संपोषी तथा विनाशी व्यतिकरण होता है, उन स्थानों पर अध्यारोपित तरंगों के पथान्तर का मान लिखिये।
उत्तर:
संपोषी व्यतिकरण के लिये पथान्तर nλ व विनाशी व्यतिकरण के लिये (2n – 1)λ/d
होता है। यहाँ पर
n = 0, 1, 2, 3……..

प्रश्न 28.
धुवित तथा अधुवित प्रकाश की अलग-अलग पहचान कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
प्रकाश के आगे पोलेराइड या टूरमैलीन क्रिस्टल को रखकर उसे अक्ष के सापेक्ष घुमाकर देखते हैं। यदि निर्गत प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन नहीं होता है तो आपतित प्रकाश अधुवित होगा तथा यदि तीव्रता दो बार न्यूनतम तथा दो बार अधिकतम होती है, तो अधुवित होगा

प्रश्न 29.
आपतित प्रकाश की तीव्रता को आधा करने के लिये ध्रुवक तथा विश्लेषक के मध्य कितना कोण होगा?
उत्तर:
पारगमित प्रकाश की तीव्रता I
= Iqcos2θ
∴ 21⁄2 16 = 1 cos2θ या cos2θ = 1⁄2
या cosθ = – √2
∴ θ = 45°

प्रश्न 30.
प्रकाश के विवर्तन के लिये आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर:
अवरोध या रेखा छिद्र (द्वारक) का आकार प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिये।

प्रश्न 31.
पोलेराइड के कोई दो प्रयोग लिखिये।
उत्तर:
(1) धूप के चश्मों में (2) रेलगाड़ी तथा वायुयान की खिड़कियों में

प्रश्न 32.
तरंगाग्र तथा किरण में अन्तर बताइये।
उत्तर:
समान कला में कम्पन करने वाले कणों का बिन्दुपथ तरंगाग्र कहलाता है। तरंगाग्र पर खींची गयी लम्बवत् रेखा तरंग संचरण की दिशा व्यक्त करती है। इसी को किरण कहते हैं।

प्रश्न 33.
फ्रेनेल दूरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
विवर्तन प्रकाश किरणों की संकल्पना की सीमा निर्धारित करता है। इससे पहले कि विवर्तन के कारण प्रकाश प्रसारित होना प्रारम्भ करे चौड़ाई a2/λ का एक किरण पुंज एक दूरी फ्रेनेल दूरी कहलाती है।

प्रश्न 34.
ध्रुवण की घटना से प्रकाश के किस गुण की पुष्टि होती है?
उत्तर:
ध्रुवण की घटना से प्रकाश की अनुप्रस्थ तरंग प्रकृति की पुष्टि होती है।

प्रश्न 35.
प्रकाश के ध्रुवण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रकाश सम्बन्धी वह घटना जिसमें प्रकाश के वैद्युत सदिश के कम्पन तरंग संचरण की दिशा के में न होकर किसी एक दिशा में लम्बवत् तल में सभी सम्भव दिशाओं सीमित कर दिये जाते हैं, प्रकाश का ध्रुवण कहलाता है तथा प्रकाश ध्रुवित प्रकाश कहलाता है।

प्रश्न 36.
जब अधुवित प्रकाश वायु से किसी पारदर्शी माध्यम में से गुजरता है तो किस दिशा में परावर्तित प्रकाश ध्रुवित होगा?
उत्तर:
जब वायु-पारदर्शी माध्यम अन्तरापृष्ठ पर प्रकाश का आपतन कोण ध्रुवण कोण के बराबर होगा।

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प्रश्न 37
व्यतिकरण में श्वेत प्रकाश की फ्रिंजें बन सकती हैं या नहीं ? यदि हाँ, तो किन परिस्थितियों में?
उत्तर:
हाँ, यदि द्विप्रिज्म या यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग में एकवर्णीय प्रकाश के स्थान पर श्वेत प्रकाश का प्रयोग किया जाये तो केन्द्रीय फ्रिंजें श्वेत होंगी और शेष फ्रिंजें रंगीन होंगी।

प्रश्न 38.
दो तरंगों के मध्य पथान्तर (x) तथा कलान्तर (p) में सम्बन्ध बताने वाला व्यंजक लिखिये।
उत्तर:
पथान्तर (x) = λ/2π x (कलान्तर)
या
x = λ/2πΦ

प्रश्न 39.
ब्रूस्टर कोण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब परावर्तित तरंग अपवर्तित तरंग पर परावर्तित तरंग एक पूर्ण ध्रुवित तरंग है इस अवस्था में लंबवत् है तो आपतन कोण को ब्रूस्टर कोण कहते हैं तथा इसे iB से निरूपित करते हैं।

प्रश्न 40.
ब्रूस्टर नियम किसे कहते हैं?
उत्तर:
ब्रूस्टर कोण iB सघन माध्यम के अपवर्तनांक से संबंधित
है क्योंकि iB + r = π/2 है।
स्मैल नियम से
n = \(\frac{\sin \mathrm{i}_B}{\sin r}\) = \(\frac{\sin i_B}{\sin \left(\frac{\pi}{2}-i_B\right)}\)
n = \(\frac{\sin i_B}{\cos i_B}\) = taniB
इसे ब्रूस्टर का नियम कहते हैं।

प्रश्न 41.
विवर्तन प्रभावों के कारण, किरण पुंज लगभग किस मान की त्रिज्या के धब्बे के रूप में फोकसित हो जाती है?
उत्तर:
ro = \(\frac{1.22 \lambda f}{2 a}\) = \(\frac{0.61 \lambda f}{a}\)
की त्रिज्या के धब्बे के रूप में फोकसित हो जाती है, जहाँ पर f लेंस की फोकस दूरी तथा 2a वृत्ताकार द्वारक के व्यास अथवा लेंस के व्यास में जो भी कम हो, वही है।

प्रश्न 42.
क्या कारण है कि एक अच्छे विभेदन के लिए दूरदर्शक के अभिदृश्यक का व्यास अधिक होना चाहिए?
उत्तर:
हम जानते हैं कि ∆θ = 0.612 होता है। इससे स्पष्ट है कि यदि अभिदृश्यक का व्यास अधिक है तो 46 छोटा होगा। इससे पता चलता है कि यदि का मान अधिक है तो दूरदर्शी की विभेदन क्षमता अधिक होगी। यही कारण है कि अच्छे विभेदन के लिए दूरदर्शक के अभिदृश्यक का व्यास अधिक होना चाहिए।

प्रश्न 43.
एकल झिर्री द्वारा उत्पन्न विवर्तन पेटर्न के केन्द्रीय उच्च की चौड़ाई का व्यंजक लिखिए। यह झिरी की चौड़ाई से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर:
केन्द्रीय उच्च की चौड़ाई = 2λD/d
स्पष्टतः यह झिर्री की चौड़ाई d के व्युत्क्रमानुपाती है।

प्रश्न 44.
अनुदैर्घ्य तरंगें ध्रुवित क्यों नहीं की जा सकतीं?
उत्तर:
अनुदैर्घ्य तरंग में कण के दोलन की दिशा माध्यम में तरंग के गमन की दिशा में होती है, इसलिए संपीडन और विरलन प्रकाश तरंगों के गमन में झिर्री में से निकल जायेंगे।

प्रश्न 45.
यदि किसी द्रव (अपवर्तनांक n = √3) की सतह से परावर्तित प्रकाश पूर्णतया समतल ध्रुवित हो जाता है तो ध्रुवण कोण कितना होगा?
उत्तर:
ब्रूस्टर नियम से
n = tan iB
ध्रुवण कोण iB = tan-1 (n)
iB = tan-1 (√3) = 60°

प्रश्न 46.
किस प्रकार का तरंगाग्र निकलेगा:
(i) बिन्दुवत् प्रकाश स्रोत से
(ii) दूरस्थ प्रकाश स्रोत से।
उत्तर:
(i) बिन्दुवत् प्रकाश स्रोत से गोलाकार तरंगाग्र निकलेगा।
(ii) दूरस्थ प्रकाश स्रोत से समतल तरंगाग्र प्राप्त होगा।

प्रश्न 47.
क्रॉस पोलेराइड की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिन दो पोलेराइड के ध्रुवण तल एक-दूसरे के अभिलम्ब होते हैं, उन्हें क्रॉस पोलेराइड कहते हैं।

प्रश्न 48.
प्रकाशिक यंत्र की विभेदन सीमा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
वह न्यूनतम दूरी है जिससे दो बिन्दु वस्तुएँ पृथक्कीकृत हैं जिससे उनके बिम्बों को केवल अलग-अलग करके प्रकाशिक यंत्र से देख सकें।

प्रश्न 49.
विवर्तन किन-किन घटकों पर निर्भर होता है?
उत्तर:
यह निम्न दो घटकों पर निर्भर होता है:
(i) द्वारक (बिन्दु) के आकार तथा
(ii) तरंगदैर्ध्य।

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प्रश्न 50.
आकाशगंगा के स्पेक्ट्रम में लाल विस्थापन क्या इंगित करता है?
उत्तर:
आकाशगंगा के स्पेक्ट्रम में लाल विस्थापन डॉप्लर प्रभाव के अनुसार इस बात को इंगित करता है कि आभासी तरंगदैर्घ्य बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि आकाशगंगा पृथ्वी से दूर जा रही है। अर्थात् ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।

प्रश्न 51.
एकल झिर्री विवर्तन प्रतिरूप में यदि केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता I है तो झिर्री की चौड़ाई दोगुनी करने पर तीव्रता का मान कितना होगा?
उत्तर:
झिर्री की चौड़ाई दोगुनी करने पर तीव्रता चार गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 52.
एकल स्लिट विवर्तन प्रयोग में फिन्जों के बीच का कोणीय अन्तराल कैसे परिवर्तित होता है जब स्लिट तथा पर्दे के बीच की दूरी को दुगुनी कर दिया जाये?
उत्तर:
केन्द्रीय विवर्तन बैण्ड की कोणीय चौड़ाई β = 2 λD/a
या β α 1/a β α D तथा β α λ
यदि स्लिट तथा पर्दे के बीच दूरी (D) को दुगुना कर दिया जाये तो केन्द्रीय विवर्तन बैण्ड की कोणीय चौड़ाई दोगुनी हो जायेगी।

प्रश्न 53.
एकल स्लिट विवर्तन प्रयोग में स्लिट की चौड़ाई प्रारम्भिक चौड़ाई की दुगुनी कर दी जाये तो केन्द्रीय विवर्तन बैण्ड का आकार तथा तीव्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
केन्द्रीय विवर्तन बैण्ड की कोणीय चौड़ाई
β = 2 λD/a
अर्थात्
β α 1/a
जब स्लिट की चौड़ाई (a) को दुगुना कर दिया जाये तो केन्द्रीय बैण्ड की चौड़ाई प्रारम्भिक चौड़ाई की आधी हो जायेगी। चूँकि केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता 2 के अनुक्रमानुपाती होती है अतः स्लिट चौड़ाई को दुगुना करने पर केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता पहले की चार गुनी हो जायेगी।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
हाइगेंस सिद्धान्त का महत्त्व लिखिए। इस सिद्धान्त की दो धारणाएँ क्या हैं?
उत्तर:
किसी समय दत्त स्थिति से किसी बाद के समय के ज्यामितीय रचना तथा तरंगाग्र की स्थिति के निर्धारण को हाइगेंस सिद्धान्त की महत्ता कहते हैं।
धारणाएँ:
(i) दत्त तरंगा पर जिसे प्रारम्भिक तरंगाग्र कहते हैं, प्रत्येक बिन्दु द्वितीयक तरंगों का स्रोत होता है और सभी सम्भव दिशाओं में एक ही चाल से एक ही प्रकार मूल प्रकाश स्रोत का विक्षोभ प्रसारित करती है।
(ii) किसी समय तरंगाग्र की नई स्थिति उस समय द्वितीयक तरंगिकाओं पर स्पर्शजा खींचने से प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
डॉप्लर प्रभाव को समझाइए और अभिरक्त विस्थापन और नीला विस्थापन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दो उत्तरोत्तर तरंगाग्रों के प्रेक्षक तक पहुँचने में लगने वाला समय स्रोत तक उनके पहुँचने में लगने वाले समय की अपेक्षा अधिक होता है। अतः जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाता है तो प्रेक्षक द्वारा मापी जाने वाली आवृत्ति में कमी होगी। यह डॉप्लर प्रभाव कहलाता है। खगोलज्ञ, तरंगदैर्घ्य में डॉप्लर प्रभाव के कारण होने वाली इस वृद्धि को अभिरक्त विस्थापन (red shift) कहते हैं, क्योंकि स्पेक्ट्रम के दृश्य क्षेत्र की मध्यवर्ती तरंगदैर्ध्य लाल छोर की ओर खिसक जाती है। जब स्रोत प्रेक्षक की ओर चलता है तो उससे प्राप्त की जाने वाली तरंगों की तरंगदैर्ध्य में आभासी कमी हो जाती है तरंगदैर्ध्य की इस कमी को नीला विस्थापन ( blue shift) कहते हैं।

आवृत्ति में भिन्नात्मक परिवर्तन 40 को जाता है, जहाँ त्रिज्य प्रेक्षक के सापेक्ष स्रोत वेग
Δυ/v = vत्रिज्य/c के द्वारा दिया का प्रेक्षक को स्रोत से जोड़ने वाली रेखा की दिशा में घटक है जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाता है, त्रिज्य को धनात्मक मानते हैं। इस प्रकार डॉप्लर विस्थापन को व्यक्त कर सकते हैं-
Δυ/v = vत्रिज्य/c
उपर्युक्त सूत्र तभी मान्य है जब स्रोत का वेग प्रकाश के वेग की तुलना में कम होता है।

प्रश्न 3.
व्यतिकरण के उच्च तथा न्यून प्रतिबन्ध पथांतर के पदों में लिखिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि
कलान्तर = 2π/λ x पथान्तर
या Φ = 2π/λy ….(i)
हम यह भी जानते हैं कि रचनात्मक व्यतिकरण के लिए
Φ = 2n2π ………(ii
समीकरण (i) तथा (ii) से
2π/λy = 2n2π
या
y = 2n. λ/2
nth उच्च के लिए माना y = Yn
yn = 2n . λ/2
अर्थात् रचनात्मक व्यतिकरण हो इसके लिए पथान्तर λ/2 समगुणज होना चाहिए।
न्यून तीव्रता के लिए
Φ = (2n + 1)π
या
2π/λy = (2n + 1) π
y = (2n + 1)λ/2
nth निम्निष्ठ के लिए
y = Yn
Yn = (2n + 1)λ/2
इस प्रकार विनाशी व्यतिकरण के लिए पथान्तर λ/2 का विषम गुणज होना चाहिए।

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प्रश्न 4.
दो समरूप कला सम्बद्ध तरंगें जिनमें प्रत्येक की तीव्रता I0 है, व्यतिकरण प्रारूप उत्पन्न कर रही है। (i) संपोषी व्यतिकरण, (ii) विनाशी व्यतिकरण वाले स्थानों पर परिणामी तीव्रता का मान लिखिये।
उत्तर:
I = I1 + I2 + 2 √I1I2 cos Φ
यहाँ पर I1 = I2 = Io
(i) संपोषी व्यतिकरण वाले स्थान पर
( जहाँ n = 0, 1, 2, …..)
Φ = 2nπ
अतः
cos Φ = 1
1 = Io + Io + 2 √IoIo
= I + Io + 2I0 = 4Io

(ii) विनाशी व्यतिकरण वाले स्थान पर
अतः
Φ = (2n – 1)π
( जहाँ n = 1, 2, ….)
cos Φ = – 1
I = Io + Io + 2 √IoIo(-1)
= 2I0 – 2I0 = 0(शून्य)

प्रश्न 5.
दो प्रकाश तरंगें y1 = a1 sin ωt तथा y2 = a2 cos (ωt + Φ) के मध्य पथान्तर कितना होगा?
उत्तर:
पहली तरंग का समीकरण
y1 = a1 sin ωt
दूसरी तरंग का समीकरण
या
y2 = a2 cos (ωt + Φ)
y2 = a2cos (ωt + Φ + π/2)
पहली तरंग तथा दूसरी तरंग के मध्य कलान्तर
∆Φ = Φ2 – Φ1
(ωt + Φ + π/2) – ωt
या
∆Φ = Φ + π/2
∵ पथान्तर के कारण कलान्तर
∆Φ = 2π/ λ × ∆x
∴ पथान्तर ∆x = \(\frac{\Delta \phi \times \lambda}{2 \pi}\)
दी गई तरंगें पहली तथा दूसरी के मध्य पथान्तर
∴ ∆x = λ/2π ( Φ + π/2)

प्रश्न 6.
व्यतिकरण एवं विवर्तन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:

व्यतिकरणविवर्तन
  1. दो या दो से अधिक समान आवृत्ति की कला सम्बद्ध तरंगों के अध्यारोपण से व्यतिकरण की घटना होती है।
एक ही तरंगाग्र से उत्सर्जित द्वितीयक तरंगिकाओं के अध्यारोपण से विवर्तन की घटना होती है।
2. व्यतिकरण प्रतिरूप में सभी प्रदीप्त फ्रिंजों की तीव्रता समान होती है।विवर्तन प्रतिरूप में केन्द्रीय प्रदीप्त फ्रिंज की तीव्रता अधिकतम होती है और अन्य प्रदीप्त फ्रिंजों की तीव्रता घटते क्रम में होती है।
3. समान आयाम के तरंगों के व्यतिकरण प्रतिरूप में अदीप्त फ्रिंज की तीव्रता शून्य होती है।विवर्तन प्रतिरूप में अदीप्त फ्रिंजें शून्य तीव्रता की नहीं होती हैं।
4. व्यतिकरण प्रतिरूप में फ्रिंजें सामान्यतः समान चौड़ाई की होती हैं।विवर्तन प्रतिरूप में फ्रिंजें सदैव असमान चौड़ाई की होती हैं।
5. दीप्त या अदीप्त फ्रिंजों के बीच अच्छा विपर्यास (good contrast) होता है।दीप्त या अदीप्त फ्रिंजों में मंद विपर्यास (poor contrast) होता है।

प्रश्न 7.
एकवर्णी प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो इसकी तरंगदैर्घ्य परिवर्तित हो जाती है। परन्तु आवृत्ति नहीं बदलती है, व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
जब एकवर्णी प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश का वेग बदल जाता है। तरंग उत्पादक स्रोत एक ही रहने के कारण उसकी आवृत्ति 1 नहीं बदलती है। अतः
सूत्र λ = v/u के आधार पर तरंगदैर्ध्य λ परिवर्तित हो जाती है।

प्रश्न 8.
यंग के द्विक रेखा छिद्र प्रयोग में प्राप्त व्यतिकरण प्रारूप किस प्रकार प्रभावित होगा? जबकि (a) S1 व S2 रेखा- छिद्रों के बीच की दूरी कम कर दी जाये तथा (b) सम्पूर्ण उपकरण जल में डुबो दिया जाये।
उत्तर:
व्यतिकरण प्रारूप में फ्रिंज की चौड़ाई
β = λD/d
(a) जबकि S1 तथा S2 रेखा – छिद्रों के बीच की दूरी d कम कर से फ्रिज की चौड़ाई दी जाये तो उपर्युक्त सूत्र के आधार पर β α 1/d का मान बढ़ जायेगा, अर्थात् व्यतिकरण फ्रिंजें परस्पर फैल जायेंगी।
(b) सम्पूर्ण उपकरण को जल में डुबोने पर सूत्र λω = λ/n के आधार पर तरंगदैर्घ्य 1 का मान बढ़ जायेगा। अतः फ्रिंज की चौड़ाई β का मान घट जायेगा चूँकि उपर्युक्त सूत्र में β α A है, अर्थात् व्यतिकरण फ्रिंजें परस्पर निकट हो जायेंगी।

प्रश्न 9.
फ्रॉनहॉफर एवं फ्रेनेल विवर्तन में मुख्य अन्तर बताइये।
उत्तर:

फ्रॉनहॉफर व्यतिकरणफ्रेनेल विवर्तन
(1) विवर्तन प्रतिरूप का केन्द्र हमेशा दीप्त ही होता है।विवर्तन प्रतिरूप का केन्द्र कभी दीप्त, कभी अदीप्त होता है। स्रोत एवं पर्दा दोनों विवर्तक से सीमित दूरी पर होते हैं।
(2) स्रोत एवं पर्दा दोनों विवर्तक से प्रभावी रूप से या वास्तव में अनन्त दूरी पर स्थित होते हैं।तरंगाग्र गोलीय या बेलनाकार होते हैं।
(3) तरंगाग्र समतल होते हैं।इसमें उत्तल लेंस का उपयोग नहीं करते हैं।
(4) इसमें उत्तल लेंस का उपयोग करते हैं।इसमें केवल एक विवर्तक का विवर्तन प्रभाव होता है।
(5) इसमें एक से अधिक विवर्तकों के विवर्तन का सम्मिलित प्रभाव हो सकता है।इसकी सैद्धान्तिक विवेचना जटिल एवं केवल सन्निकट मान देती है।
(6) इसकी सैद्धान्तिक विवेचना काफी एवं परिशुद्ध गणित की सहायता से होती है।इस विवर्तन में स्रोत एवं पर्दे की विवर्तक से दूरियाँ महत्वपूर्ण होती हैं।
(7) इस प्रकार के विवर्तन में तरंगाग्रों का विवर्तक पर झुकाव महत्वपूर्ण होता है।विवर्तन प्रतिरूप का केन्द्र कभी दीप्त, कभी अदीप्त होता है। स्रोत एवं पर्दा दोनों विवर्तक से सीमित दूरी पर होते हैं।

प्रश्न 10.
यंग के द्विझिरी प्रयोग में झिरियों के बीच द्विगुनित कर दिया जाये और झिरियों तथा पर्दे के बीच दूरी आधी रखी जाये तो फ्रिज चौड़ाई का क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं:
β = λD/d
जहाँ
d = झिरियों के बीच पृथक्कीकरण
D = पर्दे की झिरियों से दूरी
β = फ्रिज की चौड़ाई
अब माना d D’ तथा β’ नई विमा है।
d’ = 2d.
D’ = 1⁄2D
β = λ.D/d
= \(\frac{\lambda \times \frac{D}{2}}{2 d}\)
= \(\frac{1}{4}\) \(\frac{\lambda \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\) = \(\frac{1}{4}\) β
फ्रिन्ज चौड़ाई मूल फ्रिन्ज चौड़ाई का हो जाती है।

प्रश्न 11.
एकल झिरी विवर्तन पैटर्न के केन्द्रीय चमकीले उच्चतम की कोणीय चौड़ाई किस प्रकार बदली जाती है, जब (a) झिरी की चौड़ाई कम कर दी जाये (b) झिरी और पर्दे के बीच की दूरी बढ़ा दी जाये (c) कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का उपयोग किया जाये।
उत्तर:
हम जानते हैं कि केन्द्रीय उच्चिष्ठ θ = 2/d द्वारा दिया जाता है।
(a) जब झिरी की चौड़ाई d कम होगी, θ बढ़ेगा।
(b) सूत्र में झिरी और पर्दे के बीच दूरी नहीं आती, अतः कोणीय चौड़ाई अप्रभावित रहती है।
(c) कोणीय चौड़ाई तरंगदैर्ध्य के अनुक्रमानुपाती है अतः छोटी प्रकाश तरंगदैर्ध्य का उपयोग करने पर कोणीय चौड़ाई घट जायेगी।

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प्रश्न 12.
फ्रेनेल दूरी का व्यंजक निकालिये।
उत्तर:
माना, झिरी की चौड़ाई = a
उपयुक्त प्रकाश का तरंग = λ
द्वितीयक निम्निष्ठ की कोणीय स्थिति जिसे केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई का आधा कहा जाता है।
θ = λ/a से दिया जाता है।
माना झिरी और पर्दे के बीच दूरी = D तब केन्द्रीय उच्चिष्ठ का रैखिक प्रसार
y = Dθ
= D x λ/a
परिभाषा से जब D = Zf, y1 = a
या
a = Zp x λ/a
ZF = a2

प्रश्न 13.
ध्रुवण तल एवं कम्पन तल में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
ध्रुवण तल-जब किसी प्रकाश स्रोत S प्राप्त प्रकाश को टर्मलीन क्रिस्टल से निकाला जाता है तो क्रिस्टल से निकलने वाला प्रकाश ध्रुवित होता है। अर्थात् इस स्थिति में प्रकाश सदिश के कम्पन एक दिशा में, अर्थात् प्रकाश संचरण की दिशा के अभिलम्ब होते हैं। ध्रुवण तल वह तल है जिसमें प्रकाश सदिश E के कम्पन का घटक शून्य होता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 1
कम्पन तल- समतल ध्रुवित प्रकाश में वह तल जिसमें विद्युत क्षेत्र सदिश तथा तरंग के संचरण की दिशा दोनों स्थित होते हैं, वह कम्पन तल कहलाता है।

प्रश्न 14.
धुवित प्रकाश किन-किन विधियों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
करने की निम्न विधियाँ हैं:
(i) परावर्तन द्वारा
(ii) अपवर्तन द्वारा
(iii) द्विअपवर्तन द्वारा
(iv) द्विवर्णता द्वारा
(v) प्रकीर्णन द्वारा।

प्रश्न 15.
“प्रकाश तरंगों का ध्रुवण होता है परन्तु ध्वनि तरंगों का नहीं।” उपर्युक्त कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ हैं तथा ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य हैं। तरंग के ध्रुवण का अर्थ है तरंग के चलने की दिशा में लम्बवत् तल में विभिन्न दिशाओं में होने वाले कम्पनों में से किसी एक दिशा में होने वाले कम्पनों को अलग कर देना। अनुदैर्घ्य तरंग में कम्पन तरंग चलने की दिशा में ही होते हैं। अतः ध्वनि तरंगों का ध्रुवण नहीं हो सकता है।

प्रश्न 16.
दो तरंगों के आयामों का अनुपात ay 82 है तो इनकी तीव्रताओं का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
तीव्रता α (आयाम (a)) 2 अर्थात् I (a)2
अतः I1 : I2 = a12 : a22

प्रश्न 17.
पोलेराइड की बनावट को समझाइये
उत्तर:
पोलेराइड की बनावट समतल ध्रुवित प्रकाश उत्पन्न करने के लिये पोलेराइड एक सस्ती व्यापारिक युक्ति है। यह एक विशेष प्रक्रिया से बनी एक फिल्म होती है जिसे दो काँच की प्लेटों के मध्य में रखते हैं। इस फिल्म को बनाने के लिये एक कार्बनिक यौगिक, हरपेथाइट या कुनैन के आयोडोसल्फेट के अति सूक्ष्म आकार के क्रिस्टल नाइट्रोसेलूलोज की पतली चादर पर इस प्रकार फैला दिये जाते हैं कि समस्त क्रिस्टलों के अक्ष अनुदिश हो जायें। ये सूक्ष्म क्रिस्टल उच्च कोटि के द्विवर्णक होते हैं जो द्वि-अपवर्तित किरणों में से एक को पूर्णतया अवशोषित कर लेते हैं।

प्रश्न 18.
पोलेराइड के उपयोग बताइये।
उत्तर:
पोलेराइड के उपयोग:
1. चकाचौंध को दूर करने में पोलेराइड का उपयोग अत्यधिक श्वेत अथवा चमकीले तलों या गीली सड़कों से प्रकाश के परावर्तन द्वारा उत्पन्न चकाचौंध अथवा सूर्य की चिलचिलाती धूप को कम करने में किया जाता है। चकाचौंध में आंशिक धुवित प्रकाश होता है। यदि आँखों पर पोलेराइड का चश्मा लगा लिया जाये तो यह आंशिक धुवित प्रकाश क्षैतिज कम्पनों को काट देगा। अतः चकाचौंध समाप्त हो जायेगी।
2. दुर्घटना को बचाने में मोटरकारों तथा ट्रकों की हैडलाइट से निकला प्रकाश जब दूसरी ओर से आती मोटरकार या ट्रक हुड पर पड़ता है तो परावर्तित प्रकाश आँख में पहुँचकर चकाचौंध उत्पन्न करता है। इससे आँखों को कष्ट तो होता ही है, साथ ही दुर्घटना होने की सम्भावना भी रहती है। इसको दूर करने के लिये हैडलाइट के कवर ग्लास तथा विण्डस्क्रीन पोलेराइड के बनाते हैं।
3. पोलेराइड कैमरा या फोटोग्राफी में पोलेराइड कैमरा के लेन्स के आगे एक पोलेराइड लगाते हैं जिससे उसकी पृष्ठभूमि में आये ध्रुवित प्रकाश को पोलेराइड रोक लेता है।
4. शक्कर की सान्द्रता ज्ञात करने में शक्कर की सांद्रता पोलेरी मीटर द्वारा ज्ञात की जाती है पोलेरी मीटर में समतल ध्रुवित प्रकाश के उत्पादन एवं विश्लेषण के लिये पोलेराइड का प्रयोग करते हैं।
5. धातुओं के प्रकाशीय गुणों के अध्ययन में।
6. प्रतिबलों के प्रभाव का अध्ययन करने में।

प्रश्न 19.
पोलेराइड की समान्तर व क्रॉसित व्यवस्था क्या होती है?
उत्तर:
पोलेराइड की व्यवस्था: जब अधुवित प्रकाश पोलेराइड में से गुजरता है, तब निर्गत प्रकाश ध्रुवित होता है। इसके विश्लेषक के लिये दूसरे पोलेराइड का उपयोग किया जाता है जब दोनों पोलेराइड परस्पर समान्तर होते हैं तो निर्गत प्रकाश की तीव्रता अधिकतम होती है जैसाकि चित्र (अ) में दिखाया गया है। यदि द्वितीय पोलेराइड को 90° से घुमाकर प्रकाश को देखा जाता है तो निर्गत प्रकाश की तीव्रता शून्य होती है। पोलेराइडों की इस व्यवस्था को क्रॉसित व्यवस्था कहते हैं। इस व्यवस्था में दोनों पोलेराइडों की अक्ष एक-दूसरे के लम्बवत् रहती है। जैसा चित्र (ब) में दिखाया गया है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 2

प्रश्न 20.
वृत्त और दीर्घवृत्त धुवित प्रकाश क्या होते हैं?
उत्तर:
वृत्तीय ध्रुवित प्रकाश जब दो समतल ध्रुवित प्रकाश किरणें विशेष परिस्थितियों में एक-दूसरे पर इस प्रकार अध्यारोपित हों कि परिणामी प्रकाश सदिश एक निश्चित परिमाण से तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में घूर्णन करने लगे तब प्रकाश सदिश में कम्पन का विस्थापन एक वृत्त के रूप में होता है। ऐसे प्रकाश को वृत्तीय ध्रुवित प्रकाश कहते हैं। इसमें विद्युत सदिश का परिमाण नियत रहता है परन्तु उसकी दिशा नियमित रूप से बदलती रहती है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 3
दीर्घवृत्तीय ध्रुवित प्रकाश- जब दो समतल ध्रुवित प्रकाश किरणें विशेष परिस्थितियों में एक-दूसरे पर इस प्रकार अध्यारोपित हों कि परिणामी प्रकाश सदिश एक परिवर्तित परिमाण से तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में घूर्णन करने लगे तब प्रकाश सदिश में कम्पन का विस्थापन एक दीर्घवृत्त में होता है। ऐसे प्रकाश को दीर्घवृत्तीय ध्रुवित प्रकाश कहते हैं।

प्रश्न 21.
क्या किसी पारदर्शी माध्यम के लिये, ध्रुवण कोण का मान प्रकाश के तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है?
उत्तर:
हाँ, ब्रूस्टर के नियमानुसार n = tan ig होता है, माध्यम का अपवर्तनांक (n) प्रकाश के तरंगदैर्घ्य (A) पर निर्भर करता है। इसलिये ध्रुवण कोण (ig) का मान भी तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है।

प्रश्न 22.
अनुदैर्घ्य तरंग का ध्रुवण क्यों नहीं होता?
उत्तर:
किसी तरंग के ध्रुवण से हमारा तात्पर्य तरंग की चलने की दिशा के लम्बवत् तल में विभिन्न दिशाओं में होने वाले कम्पनों में से किसी एक दिशा में होने वाले कम्पनों को पृथक करने से है। अनुदैर्घ्य तरंग में कम्पन तरंग के चलने की दिशा में ही होते हैं। फलतः ध्रुवण नहीं हो सकता।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 23.
पोलेराइड से ट्रकों या कारों की हैडलाइट बनाना क्यों लाभदायक होता है?
उत्तर:
मोटरकारों तथा ट्रकों की हैडलाइट की चकाचौंध तथा इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिये इनके हैडलाइट व वातरोधी पद (wind screen ) में पोलेराइडों को (इनकी अक्ष क्षैतिज से 45° का कोण बनाते हुये ) लगा दिया जाता है जिसके कारण किसी भी ड्राइवर को सामने से आने वाले ट्रक या कार की हैडलाइट के प्रकाश की तीव्रता पोलेराइड होने के कारण कम हो जाती है जबकि अन्य वस्तुयें स्पष्ट दिखाई देती हैं।

प्रश्न 24.
किसी पारदर्शी माध्यम पर ध्रुवण कोण पर आपतित प्रकाश किरण के लिये आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण में क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
र- चूँकि ध्रुवण कोण in पर आपतित प्रकाश किरण के लिये परावर्तित तथा अपवर्तित किरणें परस्पर लम्बवत् होती हैं, अतः आपतन कोण + अपवर्तन कोण = 90° अथवा ig + r = 90°

प्रश्न 25.
रंगीन काँच से बने धूप के चश्मे की तुलना में पोलेराइडों से युक्त काँच के बने धूप के चश्मे क्यों अच्छे होते हैं?
उत्तर:
साधारण रंगीन काँच कुछ प्रकाश अवशोषित कर लेता है जिससे वस्तु धुंधली दिखायी पड़ती है, जबकि पोलेराइड केवल उस ध्रुवित प्रकाश को अवशोषित करता है जो ऑंख में चौंध उत्पन्न करता है, अतः पोलेराइड से बने चश्मे में से वस्तुयें स्पष्ट दिखायी पड़ती हैं।

प्रश्न 26.
A और B दो पोलेराइडों को इस प्रकार व्यवस्थित किया गया है कि A से निर्गत ध्रुवित प्रकाश B से नहीं गुजर पाता। क्या अन्य पोलेराइड C को इस प्रकार A और B के बीच व्यवस्थित कर सकते हैं कि कुछ प्रकाश B से गुजरने लगे?
उत्तर:
हाँ, A और B परस्पर ‘क्रॉसित’ हैं। अब इनके मध्य पोलेराइड C को रखकर इतना घुमाते हैं कि A से निर्गत प्रकाश का कुछ भाग C से गुजर सके। इस स्थिति में A और C न तो परस्पर क्रॉसित होते हैं और न ही परस्पर समान्तर स्पष्टतः C और B के भी परस्पर क्रॉसित न होने के कारण C से भाग B निर्गत प्रकाश का कुछ में से होकर गुजरने लगेगा।

प्रश्न 27.
प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव क्या है? इसमें लाल विस्थापन तथा नीले विस्थापन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दो उत्तरोत्तर तरंगाग्रों के प्रेक्षक तक पहुँचने में लगने वाला समय स्रोत तक उनके पहुँचने में लगने वाले समय की अपेक्षा अधिक होता है अतः जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाता है तो प्रेक्षक द्वारा मापी जाने वाली आवृत्ति में कमी होगी। यह डॉप्लर प्रभाव कहलाता है खगोलज्ञ, तरंगदैर्ध्य में डॉप्लर प्रभाव के कारण होने वाली इस वृद्धि को अभिरक्त विस्थापन (red shift ) कहते हैं, क्योंकि स्पेक्ट्रम दृश्य क्षेत्र की मध्यवर्ती तरंगदैर्ध्य लाल छोर की ओर खिसक जाती है जब स्रोत प्रेक्षक की ओर चलता है तो उससे प्राप्त की जाने वाली तरंगों की तरंगदैर्ध्य में आभासी कमी हो जाती है, तरंगदैर्घ्य की इस कमी को नीला विस्थापन (blue shift ) कहते हैं।

प्रश्न 28.
किसी पोलेराइड पर अधुवित प्रकाश आपतित है। इस पोलेराइड को घुमाने पर पारगमित प्रकाश की तीव्रता में किस प्रकार परिवर्तन होगा?
उत्तर:
आपतित अधुवित प्रकाश में विद्युत क्षेत्र वेक्टर संचरण की दिशा के लम्बवत् सभी सम्भव दिशाओं में होते हैं। पोलेराइड से गुजरने पर एक निश्चित दिशा में धुवित प्रकाश प्राप्त होता है, जिसकी तीव्रता आपतित प्रकाश की तीव्रता की आधी होती है. निर्गत ध्रुवित प्रकाश की तीव्रता पोलेराइड की अक्ष की दिशा पर निर्भर नहीं होती। पोलेराइड को घुमाने पर पारगमित प्रकाश की ध्रुवण की दिशा परिवर्तित होगी लेकिन तीव्रता अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 29.
सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता को परिभाषित कीजिए। इसका सूत्र लिखिए। यह किस प्रकार प्रभावित होती है, जब:
(a) आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य घटती है?
(b) अभिदृश्यक लेंस का द्वारक घटता है?
उत्तर:
सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता-किसी सूक्ष्मदर्शी की विभेदन सीमा उन दो बिन्दुवत् वस्तुओं के बीच की न्यूनतम दूरी से नापी जाती है जिनके प्रतिबिम्ब सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक द्वारा ठीक विभेदित होते हैं।”
सूक्ष्मदर्शी की विभेदन सीमा प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 1 के अनुक्रमानुपाती तथा सूक्ष्मदर्शी में प्रवेश करने वाली किरणों के शंकु (Cone) कोण के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
विभेदन सीमा
= 1.22λ/2nsinα
अतः विभेदन क्षमता = 1/विभेदन सीमा = 2nsinα/ 1.22λ
(a) आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य घटती है तो सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता बढ़ जाती है।
(b) अभिदृश्यक लेंस का द्वारक घटने से अर्द्ध-शंकु कोण (a) का मान घटेगा, अतः विभेदन क्षमता भी घटेगी।

प्रश्न 30.
एक प्रकाश किरण पारदर्शी माध्यम पर बूस्टर कोण पर आपतित होती है तो स्नैल नियम का उपयोग करते हुए ब्रूस्टर नियम की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
परावर्तन द्वारा प्रकाश का ध्रुवण बूस्टर का नियम (Polarisation by Reflection: Brewester’s Law)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 4
परावर्तन द्वारा प्रकाश का ध्रुवण- जब अधुवित प्रकाश किसी माध्यम जैसे काँच, पानी इत्यादि के पृष्ठ से परावर्तित होता तो वह आंशिक रूप से समतल ध्रुवित हो जाता है। वैज्ञानिक ब्रूस्टर ने यह देखा कि परावर्तित प्रकाश में ध्रुवण की मात्रा आपतन कोण पर निर्भर करती है परन्तु जब प्रकाश माध्यम के पृष्ठ पर एक विशेष आपतन कोण in पर आपतित होता है तो परावर्तित प्रकाश पूर्णतया धुवित होता है। इस आपतन कोण को ध्रुवण कोण (ig) कहते हैं।
ब्रूस्टर ने यह सिद्ध किया कि जब कोई प्रकाश किरण किसी पारदर्शी माध्यम पर ध्रुवण कोण (ig) पर आपतित होती है तो परावर्तित प्रकाश किरण समतल धुवित होती है और परावर्तित किरण तथा अपवर्तित किरण एक-दूसरे के लम्बवत् होती हैं।
IB + r = 90°
स्नेल के नियम से
n = siniB/sin r
अर्थात्
∴ sin iB = n sin r
sin iB = n sin (90° – iB)
sin iB = n cos iB
∵ IB + r = 90°
sin iB = n cos iB
sin iB/cos iB = n
यही ब्रूस्टर नियम है।’

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
यंग के प्रयोग में स्लिटों के बीच अन्तराल 0.4 मिमी. है। 800 मिली. माइक्रॉन तरंगदैर्घ्य के प्रकाश के लिये व्यतिकरण फ्रिंजें 80 सेमी. दूर पर्दे पर बनती हैं। ज्ञात कीजिये – (i) केन्द्रीय फ्रिज से द्वितीय अदीप्त फ्रिंज की दूरी, तथा तृतीय दीप्त फ्रिंज की दूरी
उत्तर:
दिया गया है:
स्लिटों के बीच का अन्तराल
d = 0.4 मिमी
= 0.4 x 10-3 मीटर
प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
λ = 800 मिली माइक्रॉन
= 800 × 10-3 माइक्रॉन
= 800 × 10-3 x 10-6 मी.
= 8 × 10-7 मी.
स्लिटों से पर्दे की दूरी
D = 80 सेमी = 0.80 मी.

(i) केन्द्रीय फ्रिंज से n वीं अदीप्त फ्रिंज की दूरी
x = \(\frac{(2 \mathrm{n}-1) \mathrm{D} \lambda}{2 \mathrm{~d}}\)
जहाँ n = 1, 2, 3….
यहाँ द्वितीय अदीप्त फ्रिंज के लिये n = 2
अतः
x = \(\frac{(2 \times 2-1) D \lambda}{2 \mathrm{~d}}\) = 3/2
= 2.4 x 10-3 मी.
= 2.4 मिमी.

(ii) केन्द्रीय फ्रिंज से nवीं दीप्त फ्रिंज की दूरी
x = nDλ/d
जहाँ पर n = 0, 1, 2,
यहाँ पर तृतीय दीप्त फ्रिंज के लिये n = 3
= HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 4
= 4.8 × 10-3
= 4.8

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 2.
यंग के कोणीय चौड़ाई 1° है। प्रयोग में दूरस्थ पर्दे पर बनी फ्रिजों की प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 6000Å है। स्लिटों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया है:
फ्रिंजों की कोणीय चौड़ाई
θ = 1° = 1 × π/180 रेडियन
θ = 3.14/180 रेडियन
प्रयुक्त प्रकाश का तरंगदैर्ध्य
λ = 6000 A
λ = 6000 x 10-10 मी.
= 6 × 10-7 मी.
परन्तु फ्रिंजों की कोणीय चौड़ाई
θ = λ/d
जहाँ d = स्लिटों के बीच की दूरी
d = \(\frac{\lambda}{\theta}\) = \(\frac{6 \times 10^{-7} \text { }}{3.14 / 180}\)
\(\left(\frac{6 \times 10^{-7} \times 180}{3.14}\right)\)
= 0.03 x 10-3 मी.

प्रश्न 3.
यंग के द्विक रेखा छिद्र प्रयोग में 0.03 मिमी. दोनों स्लिटों के दूरी 140 सेमी. प्रकाशित किया बीच की दूरी 2 मिमी. तथा इनके तल से पर्दे की है, रेखा छिद्रों को 600 nm तरंगदैर्घ्य के प्रकाश से गया है। पर्दे पर प्राप्त व्यतिकरण प्रारूप में केन्द्रीय दीप्त फ्रिंज से तीसरी दीप्त फ्रिंज की दूरी ज्ञात कीजिये। यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य बदलकर 480 nm कर दी जाये तो केन्द्रीय उच्चिष्ठ से तीसरी दीप्त फ्रिंज की स्थिति में विस्थापन ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया है:
d = 2 मिमी = 2 x 103 मी.. D = 140 सेमी.
λ = 600nm
= 600 x 10-9 मी.
केन्द्रीय उच्चिष्ठ से nवीं दीप्त फ्रिंज की दूरी
X =\(\frac{\mathrm{nD} \lambda}{\mathrm{d}}\)

यहाँ पर तीसरी दीप्त फ्रिज के लिये n = 3
X3 = \(\frac{3 D \lambda}{\mathrm{d}}\)
= \(\frac{3 \times 1.40 \times 600 \times 10^{-9}}{2 \times 10^{-3}}\)
X3 = 1.26 × 10-3 मी.
= 1.26 मिमी.
बाद में
d = 2 × 10-3 मी.
D = 1.40 मी.
λ = 480 x 10-9 मी. तो
= \(\frac{3 \times 1.40 \times 600 \times 10^{-9}}{2 \times 10^{-3}}\)
= 1.01 x 10-3 मी.
= 1.01 मिमी.
अतः तीसरी दीप्त फ्रिज का विस्थापन
= x3 – x3
= (1.26 – 1.01) मिमी.
= 0.25 मिमी. (केन्द्रीय उच्चिष्ठ की ओर)

प्रश्न 4.
यंग के द्विक रेखा छिद्र प्रयोग में स्लिटों से D दूरी पर रखे पर्दे पर व्यतिकरण फ्रिंजें प्राप्त की जाती हैं। यदि पर्दे को स्लिटों की ओर 5 x 10-2 मी. दूरी पर विस्थापित कर दिया जाता है तो फ्रिज चौड़ाई में 3 x 10-5 मी. का परिवर्तन पाया जाता है। यदि स्लिटों के बीच की दूरी 10-3 मी. है, तो प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
प्रारम्भ में फ्रिंज चौड़ाई β = \(\frac{\mathrm{D} \lambda}{\mathrm{d}}\)
तथा बाद में फ्रिज चौड़ाई β = \(\frac{\mathrm{D} \lambda}{\mathrm{d}}\)
β – β = \(\frac{\left(D-D^{\prime}\right) \lambda}{d} \)
\(\frac{\left(\beta-\beta^{\prime}\right) \times d}{\left(D-D^{\prime}\right)}\)
दिया गया है:
D – D’ = 5 × 102 मी.
तथा
β – β = 3 x 105 मी.
d = 10-3 मी.
अतः तरंगदैर्ध्य
= \( \frac{3 \times 10^{-5}}{5 \times 10^{-2}}\) x 103 मी.
= 3/5 x 106 मी.
= \( \frac{30000 \times 10^{-10}}{5}\)
मी. = 6000A

प्रश्न 5.
दो तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात 16 : 9 है। उनके आयामों का अनुपात क्या है? यदि दोनों तरंगें व्यतिकरण करें तो महत्तम तथा न्यूनतम तीव्रताओं का अनुपात भी ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
माना कि तरंगों के आयाम a1 व a2 हैं तथा तीव्रतायें
I1 व I2 हैं।
\(\frac{I_1}{I_2}\) = \(\frac{a_1^2}{a_2^2}\) = \(\frac{16}{9}\)
\(\frac{a_1}{a_2}\) = \(\frac{4}{3}\)
अथवा
a1 : a2 = 4 : 3
चूँकि व्यतिकरण में महत्तम तथा न्यूनतम परिणामी आयाम क्रमश: (a1 + a2) तथा (a1 – a2) होते हैं, अतः
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 6
अथवा Imax : Imin = 49 1

प्रश्न 6.
चित्र में S1 व S2 दो पतले छिद्र हैं, जिनके बीच का मध्य-बिन्दु C है जब इन छिद्रों पर 6000 À का एकवर्णी प्रकाश लम्बवत् आपतित होता है तो पर्दे के बिन्दु P पर द्वितीय अदीप्त फ्रिज बनती है। यदि OP = 0.0036 D हो तो S1 व S2 के बीच दूरी ज्ञात कीजिये।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 7
उत्तर:
माना कि दो रेखाछिद्रों S1 व S2 के बीच की दूरी = d यदि CP और CO के बीच कोण θ है तब रेखाछिद्रों S1 व S2 से P पर पहुँचने वाली प्रकाश तरंगों में पथान्तर = d sin θ = d tan θ
(यहाँ पर θ का मान बहुत छोटा है।)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 8
∴ OP = 0.0036 D और CO = D
∴ tan θ = 0.0036/D = 0.0036
∴ पथान्तर = d x 0.0036 = 0.0036 d
आगे, चूँकि P पर द्वितीय अदीप्त फ्रिज बनती है
∴ पथान्तर = 3/2λ
= 3/2 x 6000 x 10-10 m
( यहाँ पर λ = 6000 x 10-10 भी दिया हुआ है।)

प्रश्न 7.
यंग के प्रयोग में लाल प्रकाश (λ = 6600 Å ) प्रयुक्त करने पर दृष्टि क्षेत्र में 60 फ्रिंजें दिखाई देती हैं बैंगनी प्रकाश (λ = 4400 A ) प्रयुक्त करने पर कितनी फ्रिंजें दिखाई देंगी?
उत्तर:
यंग के प्रयोग में रेखाछिद्रों की दूरी d हो, और रेखाछिद्रों- के तल से पर्दे की दूरी D हो, तब λ1 व λ2 तरंग लम्बाई के प्रकाश के कारण फ्रिजों की चौड़ाई क्रमश: β1 व β2 हो तब
β1 = \(\frac{\mathrm{D} \lambda_1}{\mathrm{~d}}\) …………(1)
β2 = \(\frac{\mathrm{D} \lambda_2}{\mathrm{~d}}\) ………….(2)
λ1 = 6600 À व λ2 = 4400 À हो तब

माना कि जितनी दूरी में 6600 À तरंग लम्बाई के प्रकाश के कारण 60 फ्रिंजें बनती हैं उसकी जगह 4400 A का प्रकाश प्रयुक्त करने पर x फ्रिंजें बनती हैं।
∴ xβ2 = 60β1
या
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 10

प्रश्न 8.
यंग के द्विस्लिट प्रयोग में फ्रिजों की चौड़ाई 1 x 10-4 मीटर है। यदि परदे की स्लिट से दूरी दुगुनी कर दी जाये और स्लिटों का अन्तराल आधा कर दिया जाये तथा तरंगदैर्ध्य 6.4 x 10-7 मीटर से 4 x 10-7 मीटर बदल दी जाये तो फ्रिज की नई चौड़ाई क्या होगी?
उत्तर:
दिया गया है:
λ = 6.4 x 10-7 मीटर, B = 1 x 10-4 मीटर
हम जानते हैं:
β =\(\frac{\lambda \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\)
प्रारम्भ में
β = \(\frac{6.4 \times 10^{-7} \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\)
…..(1)
बाद में
β = \(\frac{4.0 \times 10^{-7} \times 2 \mathrm{D}}{\mathrm{d} / 2}\) …….(2)
β/β = \(\frac{16 \times 10^{-7}}{6.4 \times 10^{-7}}\)
β = 2.5β
= 2.5 x 1 x 10-4 मीटर
= 2.5 x 10-4 मीटर

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 9.
द्वि- स्लिट प्रयोग में सोडियम प्रकाश (λ = 5890 A) के लिये व्यतिकरण फ्रिजों की कोणीय चौड़ाई 0.20 À है। तरंगदैर्ध्य के किस मान के लिये यह चौड़ाई 10% अधिक होगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि फ्रिंज की चौड़ाई
β = D/dλ
जहाँ D व d, स्लिट के तल से पर्दे की दूरी व दो स्लिटों के बीच की दूरी है।
और λ द्वि-स्लिट के प्रयोग में प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की लम्बाई है।
यदि D व d को स्थिर रखकर प्रकाश की तरंग लम्बाई में परिवर्तन किया जाये तब
β = kλ यहाँ K एक स्थिरांक है।
∴ ∆β/ β = ∆λ/λ
या
∆β/ β × 100 = ∆λ/λ × 100
फ्रिंज की चौड़ाई में 10% वृद्धि के लिये
∆β/ β × 100 = 10
∆λ/λ × 100 = 10
या
∆λ = 10/100λ
∵ λ में परिवर्तन करने से पहले λ = 5890Å
∆λ = 10/100 x 5890 A = 589A
फ्रिंज की चौड़ाई 10% से बढ़ाने के लिये प्रयुक्त प्रकाश की
तरंग लम्बाई
= λ + ∆λ
= 5890+ 589 = 6479 Å

प्रश्न 10.
दो पोलेराइड इस प्रकार रखे हैं कि उनसे निर्गत प्रकाश की तीव्रता महत्तम है। यदि एक पोलेराइड को दूसरे के सापेक्ष 300, 90° से घुमा दिया जाये तो नवीन स्थिति में निर्गत प्रकाश की तीव्रता अधिकतम तीव्रता का कौनसा भाग होगी?
उत्तर:
मैलस के नियम के अनुसार
I = I0 cos2θ
जहाँ पर I निर्गत प्रकाश की अधिकतम तीव्रता है और 6 ध्रुवक तथा विश्लेषक की अक्षों के बीच का कोण है।
लेकिन दिया गया है-
θ = 30°, 90°
I = Io cos230°
= 3/4Io
= 0.75 Io
अतः नवीन स्थिति में निर्गत प्रकाश की तीव्रता अधिकतम का 0.75 भाग होगी।
यदि
θ = 90°
I = Io cos2 90
I = Ig x 0 = 0
: cos 90° = 0
अतः I = 0 न्यूनतम मान (यह क्रॉसित व्यवस्था होगी)

प्रश्न 11.
600nm तरंगदैर्घ्य की एक समान्तर प्रकाश किरण पुंज एक पतली झिरी पर आपतित होती है और परिणामी विवर्तन पैटर्न का 1.2m दूर स्थित पर्दे पर अवलोकन किया जाता है। यह प्रेक्षित किया जाता है कि प्रथम निम्निष्ठ पर्दे के केन्द्र से 3 mm दूरी पर है। झिरी की चौड़ाई का परिकलन कीजिये।
उत्तर:
हल दिया गया है:
λ = 600nm = 600 x 109 मी.
= 6 × 107 मी.
D = 1.2 मी.
x = 3 मिमी. = 3 x 10-3 मी.
चौड़ाई a के एकल रेखाछिद्र से उत्पन्न विवर्तन पैटर्न में केन्द्र से प्रथम निम्निष्ठ की कोणीय स्थिति के लिये
sin θ = λ/a ……….(1)
जब θ अल्प हो, तब
sin θ = tan θ = x/D = 3 x 10-3/1.2
समीकरण (1) में मान रखने पर
= \(\frac{3 \times 10^{-3}}{1.2}\) = \(\frac{6 \times 10^{-7}}{a}\)
= 2.4 x 10-4 मी.
a = 0.24 मिमी.
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 11

प्रश्न 12.
यंग के द्विझिर्री प्रयोग में झिर्रियों के बीच की दूरी 0.28mm तथा पर्दे की दूरी 14m है। यदि केन्द्रीय दीप्त फ्रिंज से चौथी दीप्त फ्रिज की दूरी 1.2 cm हो तो प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है
d = 0.28 मिमी. = 0.28 x 10-3 मी.
D = 1.4 मी.
nवीं दीप्त फ्रिज की केन्द्रीय दीप्त फ्रिंज दूरी
xn = \(\frac{\mathrm{nD} \lambda}{\mathrm{d}}\)
यहाँ n = 4 के लिये = 1.2 सेमी = 1.2 x 10-2 मी.
x4 = \(\frac{4 \times D \lambda}{\mathrm{d}}\) से
तरंगदैर्ध्य  = \(\frac{4 \times D \lambda}{\mathrm{d}}\)
मान रखने पर
= \(\frac{\left(1.2 \times 10^{-2} \text {  }\right) \times\left(0.28 \times 10^{-3} \text {  }\right)}{4 \times 1.4 \text {  }}\)
= 600 x 10-9 मी.
= 6000 A

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प्रश्न 13.
यंग के द्विझिर्री प्रयोग में, दो झिरियों के बीच पृथक्कन 1.5 mm और झिर्रियों के तल से पर्दे के बीच की दूरी 1m है। व्यतिकरण फिन्जों को प्राप्त करने के लिए 650nm और 520 nm दो तरंगदैयों से बने प्रकाश पुंज का उपयोग किया गया है।
(a) λ = 520nm के लिए पर्दे पर केन्द्रीय उच्चिष्ठ से तीसरी चमकीली फ्रिज की दूरी ज्ञात कीजिए।
(b) केन्द्रीय उच्चिष्ठ से वह कम से कम दूरी ज्ञात कीजिए जहाँ पर इन दोनों तरंगदैयों के कारण बनी दीप्त फ्रिन्ज एक-दूसरे के संपाती होंगी।
उत्तर:
दिया है
λι = 650 nm = 650 x 10-9 m
λ2 = 520 nm = 520 x 10-9 m
(i) yn = \(\frac{\mathrm{nDy}_1}{\mathrm{~d}}\) = \(\frac{3 \times 1 \times 520 \times 10^{-9}}{1.5 \times 10^{-3}}\)
y3 = 1.04 × 103 m

(ii) केन्द्रीय उच्चिष्ठ से वह कम से कम दूरी ज्ञात करना, जहाँ पर इन दोनों तरंगदैयों के कारण बनी दीप्त फ्रिव्ज एक-दूसरे के संपाती होगी।
यदि
λι > λ2
n1 < n2
n1 = n2
n2 + n + 1
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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
वस्तु का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिम्ब बनाता है:
(अ) उत्तल दर्पण में
(ब) अवतल दर्पण में
(स) समतल दर्पण में
(द) इनमें से किसी में नहीं
उत्तर:
(ब) अवतल दर्पण में

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 2.
प्रायः मोटर ड्राइवर की सीट के आगे लगा दर्पण होता है-
(अ) समतल
(ब) उत्तल
(स) अवतल
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) उत्तल

प्रश्न 3.
जब प्रकाश हवा से काँच में प्रवेश करता है तो किस रंग के लिए विचलन कोण अधिकतम है?
(अ) लाल
(ब) पीला
(स) नीला
(द) बैंगनी
उत्तर:
(द) बैंगनी

प्रश्न 4.
प्रकाश का अपवर्तन होता है:
(अ) प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण
(ब) प्रकाश की चाल में परिवर्तन न होने के कारण
(स) प्रकाश के रंग में परिवर्तन के कारण
(द) इनमें से किसी के भी कारण नहीं
उत्तर:
(अ) प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण

प्रश्न 5.
एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 80 सेमी है, इसकी फोकस दूरी मीटर में होगी:
(अ) 0.40 मीटर
(ब) 0.20 मीटर
(स) 0.80 मीटर
(द) 0.10 मीटर
उत्तर:
(अ) 0.40 मीटर

प्रश्न 6.
सर्चलाइट में निम्न में से कौनसा दर्पण प्रयुक्त करते हैं:
(अ) अवतल
(ब) समतल
(स) उत्तल
(द) बेलनाकार
उत्तर:
(अ) अवतल

प्रश्न 7.
निम्न में से कौनसा दर्पण सदैव आभासी तथा छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है:
(अ) समतल दर्पण
(ब) अवतल दर्पण
(स) समतल व अवतल दर्पण
(द) उत्तल दर्पण
उत्तर:
(द) उत्तल दर्पण

प्रश्न 8.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी. है। दर्पण के सामने 10 सेमी. पर एक वस्तु रखने पर उसका प्रतिबिम्ब बनेगा:
(अ) अनन्त पर
(स) फोकस पर
(ब) वक्रता त्रिज्या पर
(द) ध्रुव पर
उत्तर:
(अ) अनन्त पर

प्रश्न 9.
गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब निर्माण में केवल अक्ष समानान्तर किरणें ही प्रयुक्त की जाती हैं; क्योंकि ये
(अ) ज्यामिति को आसान बना देती हैं।
(ब) न्यूनतम विक्षेपण दर्शाती हैं।
(स) अधिकतम तीव्रता दर्शाती हैं।
(द) एक बिन्दु बिम्ब का बिन्दु प्रतिबिम्ब निर्मित करती हैं।
उत्तर:
(द) एक बिन्दु बिम्ब का बिन्दु प्रतिबिम्ब निर्मित करती हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 10.
किसी समतल दर्पण पर प्रकाश की किरण अभिलम्बवत् आपतित होती है तो परावर्तन कोण का मान होता है-
(अ) 90°
(ब) 180°
(स) 0°
(द) 45°
उत्तर:
(स) 0°

प्रश्न 11.
f फोकस दूरी वाला एक अवतल दर्पण यदि किसी वस्तु का m आवर्धन का प्रतिबिम्ब बनाता है तो वस्तु की दर्पण से दूरी है:
(अ) \(\frac{(m-1) f}{m}\)
(ब) \(\frac{(m+1) f}{m}\)
(स) (m – 1)f
(द) (m + 1)f
उत्तर:
(अ) \(\frac{(m-1) f}{m}\)

प्रश्न 12.
किसी माध्यम से निर्वात में पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए क्रान्तिक कोण 30° है। माध्यम में प्रकाश की चाल होगी:
(अ) 3 x 108 m/s
(ब) 1.5 x 108 m/s
(स) 6 × 108 m/s
(द) √3 x 108 m/s
उत्तर:
(ब) 1.5 x 108 m/s

प्रश्न 13.
एक 1 अपवर्तनांक के पारदर्शी माध्यम में चलती हुई प्रकाश किरण एक पृष्ठ पर आपतित होती है, जो इस माध्यम को वायु से पृथक कर रही है। आपतन कोण 45° है। n के किस मान आन्तरिक परावर्तन हो सकता है ?
के लिए इस किरण का पूर्ण
(अ) n = 1.33
(ब) n = 1.40
(स) n = 1.50
(द) n = 1.25
उत्तर:
(स) n = 1.50

प्रश्न 14.
हीरे के चमकने का प्रमुख कारण है:
(अ) परावर्तन
(ब) विवर्तन
(स) पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(द) विसरण
उत्तर:
(स) पूर्ण आंतरिक परावर्तन

प्रश्न 15.
यदि ∠i = 60° तथा ∠r = 90° हो तो अपवर्तनांक n2 होगा:
(अ) \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
(ब) \(\frac{2}{\sqrt{3}}\)
(स) \(\sqrt{3}\)
(द) \(\frac{1}{\sqrt{3}}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)

प्रश्न 16.
धुएँ के आर-पार किसी दूर स्थित प्रकाश स्रोत को देखने पर उसके झिलमिल करते हुए दिखाई देने का कारण है:
(अ) परावर्तन
(ब) अपवर्तन
(स) विवर्तन
(द) वर्ण विक्षेपण
उत्तर:
(ब) अपवर्तन

प्रश्न 17.
किसी गोलीय लेन्स के लिए निम्न में से कौनसा सूत्र सही है:
(अ) \(\frac{1}{f}\) = \(\frac{1}{u}\) + \(\frac{1}{v}\)
(ब) \(\frac{1}{f}\) = \(\frac{1}{v}\) – \(\frac{1}{u}\)
(स) \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{v}\) + \(\frac{1}{f}\)
(द) f = \(\frac{u v}{u+v}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{1}{f}\) = \(\frac{1}{v}\) – \(\frac{1}{u}\)

प्रश्न 18.
+ 2.50 D और – 3.75 D क्षमता वाले लेन्सों को मिलाकर एक संयुक्त लेन्स निर्मित किया गया है। इसकी फोकस दूरी का मान सेमी. में होगा:
(अ) 40
(ब) 40
(स) 80
(द) 160
उत्तर:
(स) 80

प्रश्न 19.
उत्तल लेन्स की शक्ति होती है:
(अ) ऋणात्मक
(ब) धनात्मक
(स) शून्य
(द) काल्पनिक
उत्तर:
(ब) धनात्मक

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प्रश्न 20.
किसी लेन्स का आधा भाग काले कपड़े में लपटने पर लेन्स द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(अ) प्रतिबिम्ब लुप्त हो जाएगा
(ब) कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
(स) प्रतिबिम्ब पहले से नाप में आधा हो जाएगा
(द) प्रतिबिम्ब की चमक कम हो जाएगी
उत्तर:
(द) प्रतिबिम्ब की चमक कम हो जाएगी

प्रश्न 21.
प्रकाश की एक किरण √2 अपवर्तनांक वाले प्रिज्म से इस प्रकार गुजरती है कि उसका आपतन कोण, अपवर्तन कोण का दो गुना है तथा किरण में न्यूनतम विचलन होता है। प्रिज्म का कोण होगा:
(अ) 45°
(ब) 90°
(स) 0°
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 90°

प्रश्न 22.
एक उत्तल लेन्स की वक्रता त्रिज्यायें क्रमशः 15 सेमी तथा 30 सेमी हैं। इसका अपवर्तनांक 1.5 है लेन्स की फोकस दूरी होगी:
(अ) 20 सेमी.
(ब) -20 सेमी.
(स) 60 सेमी.
(द) – 60 सेमी.
उत्तर:
(अ) 20 सेमी.

प्रश्न 23.
किसी उत्तल लेन्स की फोकस दूरी 2.5 सेमी है इसकी अधिकतम आवर्धन क्षमता का मान होगा:
(अ) 25
(ब) 52
(स) 11
(द) 1.1
उत्तर:
(स) 11

प्रश्न 24.
एक प्रिज्म का अपवर्तनांक √2 तथा अपवर्तन कोण 60° है तो इसका न्यूनतम विचलन कोण होगा:
(अ) 15°
(ब) 30°
(स) 450
(द) 60°
उत्तर:
(ब) 30°

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प्रश्न 25.
जब 1.47 अपवर्तनांक वाले काँच के उभयोत्तल लेन्स को किसी द्रव में डुबाया जाता है, तब यह एक काँच की समतल शीट की भाँति व्यवहार करता है, इसका तात्पर्य है कि द्रव का अपवर्तनांक है:
(अ) काँच के अपवर्तनांक के बराबर
(ब) एक से कम
(स) काँच के अपवर्तनांक से अधिक
(द) काँच के अपवर्तनांक से कम
उत्तर:
(अ) काँच के अपवर्तनांक के बराबर

प्रश्न 26.
एक दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता M है। यदि अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी दो गुनी कर दी जाये तब आवर्धन क्षमता होगी:
(अ) 2M
(ब) 1/2M
(स) √2M
(द) 3M
उत्तर:
(ब) 1/2M

प्रश्न 27.
एक सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक और नेत्र लेन्स की फोकस दूरियाँ क्रमशः 4 सेमी और 8 सेमी हैं तथा वस्तु की अभिदृश्यक से दूरी 4.5 सेमी है, तो आवर्धन क्षमता होगी:
(अ) 18
(ब) 32
(स) 64
(द) 20
उत्तर:
(ब) 32

प्रश्न 28.
एक व्यक्ति के चश्मे के लेन्स की क्षमता 2D है। वह निम्न में से किस दोष से पीड़ित है:
(अ) दूर दृष्टिदोष से
(ब) निकट दृष्टिदोष से
(स) वर्णान्धता से
(द) जरा दूर दृष्टिदोष से
उत्तर:
(अ) दूर दृष्टिदोष से

प्रश्न 29.
एक निकट दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति स्पष्ट नहीं देख सकता:
(अ) निकट की वस्तुओं को
(ब) दूर की वस्तुओं को
(स) न निकट तथा न ही दूर की वस्तुओं को
(द) क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर रेखाओं को
उत्तर:
(ब) दूर की वस्तुओं को

प्रश्न 30.
एक सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक और नेत्र लेन्स की फोकस दूरियाँ क्रमशः 4 सेमी और 8 सेमी हैं तथा वस्तु की अभिदृश्यक से दूरी 4.5 सेमी है, तो आवर्धन क्षमता होगी:
(अ) 18
(ब) 32
(स) 64
(द) 20
उत्तर:
(ब) 32

प्रश्न 31.
जब किसी सूक्ष्मदर्शी के नलिका की लम्बाई बढ़ाई जाती है तो आवर्धन क्षमता:
(अ) घटती है
(ब) बढ़ती है
(स) अपरिवर्तित रहती है।
(द) कम व अधिक हो सकती है
उत्तर:
(अ) घटती है

प्रश्न 32.
प्रकाश की एक किरण काँच (अपवर्तनांक = 3/2) से पानी (अपवर्तनांक = 4/3) में संचरण करती है। क्रान्तिक कोण का मान होगा:
(अ) sin-1(1/2)
(ब) sin-1\(\left(\sqrt{\frac{8}{9}}\right)\)
(स) sin-1(8/9)
(द) sin-1(5/7)
उत्तर:
(स) sin-1(8/9)

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प्रश्न 33.
एक दूरदर्शक के अभिदृश्यक लेन्स तथा अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरियाँ क्रमश: f तथा हैं। इसकी आवर्धन क्षमता लगभग है:
(अ) f0/fc
(ब) fo – fe
(स) fofe
(द) fc + fc/2
उत्तर:
(अ) f0/fc

प्रश्न 34.
एक सूक्ष्मदर्शी में अभिदृश्यक लेन्स की फोकस दूरी, अभिनेत्रक लेन्स की फोकस दूरी से होती है:
(अ) कम
(ब) अधिक
(स) बराबर
(द) कुछ कहा नहीं जा सकता
उत्तर:
(अ) कम

प्रश्न 35.
परावर्तक दूरदर्शी में अभिदृश्यक के रूप में प्रयोग किया जाता है:
(अ) समतल दर्पण
(ब) अवतल दर्पण
(स) उत्तल लेन्स
(द) प्रिज्म
उत्तर:
(ब) अवतल दर्पण

प्रश्न 36.
दूरस्थ वस्तु को खगोलीय दूरदर्शी द्वारा देखने पर इसका प्रतिबिम्ब होता है:
(अ) सीधा
(ब) उल्टा
(स) विकृत
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) उल्टा

प्रश्न 37.
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में अन्तिम प्रतिबिम्ब बनता है:
(अ) वास्तविक एवं सीधा
(ब) आभासी एवं उल्टा
(स) आभासी एवं सीधा
(द) वास्तविक एवं उल्टा
उत्तर:
(ब) आभासी एवं उल्टा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक प्रकाश किरण समतल दर्पण पर लम्बवत् आपतित होती है। आपतन कोण तथा परावर्तन कोण के मान क्या होंगे?
उत्तर:
आपतन कोण = 90° तथा परावर्तन कोण r = 0°

प्रश्न 2.
समतल दर्पण की फोकस दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 3.
उत्तल दर्पण का प्रयोग कारों में पीछे की साइड देखने के दर्पण बनाने में क्यों किया जाता है?
उत्तर:
इसका दृष्टि क्षेत्र विस्तृत होने तथा इसके द्वारा सीधा प्रतिबिम्ब बनने के कारण।

प्रश्न 4.
प्रकाश का परावर्तन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब कोई किरण किसी सतह पर आपतित होकर उसी माध्यम में पुनः वापस लौटती है, तो इस परिघटना को परावर्तन कहते हैं। सघनता से पॉलिश किया हुआ सतह या दर्पण प्रकाश का परावर्तन करता है।

प्रश्न 5
परावर्तन के नियम को लिखिए।
उत्तर:
(i) आपतित किरण परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही समतल में होते हैं।
(ii) नियमित परावर्तन में आपतन कोण Zi सदैव परावर्तन कोण Zr के बराबर होता है।

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प्रश्न 6.
दर्पण तथा उसके प्रकार लिखिए।
उत्तर:
दर्पण – उच्च पॉलिश की हुई परावर्तक सतह को दर्पण कहते हैं। दर्पण तीन प्रकार के होते हैं:
(i) समतल दर्पण
(ii) अवतल दर्पण
(iii) उत्तल दर्पण|

प्रश्न 7.
अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण-यदि बाहरी भाग को कलई किया जाये और भीतरी भाग से प्रकाश का परावर्तन हो तो उसे अवतल दर्पण कहते हैं।
उत्तल दर्पण – यदि किसी गोलीय दर्पण का आन्तरिक भाग कलई कर दिया जाये और बाहरी भाग से प्रकाश का परावर्तन हो तो उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।

प्रश्न 8.
गोलीय दर्पण का सूत्र लिखिए और उसे समझाइए।
उत्तर:
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{u}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{v}}\) जहाँ f, v तथा u क्रमशः फोकस दूरी, प्रतिबिम् की दूरी और वस्तु की दूरी है f, वक्रता त्रिज्या R की आधी होती है। अवतल दर्पण के लिए ऋणात्मक तथा उत्तल दर्पण के लिए f धनात्मक होता है।

प्रश्न 9.
किसी गोलीय दर्पण की आवर्धन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आवर्धन (m) – प्रतिबिम्ब का आकार (h) और बिम्ब के आकार (h) के अनुपात को गोलीय दर्पण का आवर्धन कहते हैं अर्थात्
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प्रश्न 10.
न्यूनतम विचलन की अवस्था में प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक ज्ञात करने का सूत्र लिखो।
उत्तर:
n2 = \(\frac{\sin \left(\frac{A+D_m}{2}\right)}{\sin \frac{A}{2}}\)
जहाँ n2 = हवा के सापेक्ष प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
A = प्रिज्म कोण
Dm = न्यूनतम विचलन कोण

प्रश्न 11.
अपवर्तन का मूल कारण क्या है?
उत्तर:
भिन्न-भिन्न माध्यमों में प्रकाश के वेग का भिन्न-भिन्न होना अपवर्तन का मूल कारण है।

प्रश्न 12.
उत्तल दर्पण में आवर्धन (m) का मान वास्तविक प्रतिबिम्ब और आभासी प्रतिबिम्ब के लिए कैसा होता है?
उत्तर:
वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए ऋणात्मक और आभासी प्रतिबिम्ब के लिए धनात्मक होता है।

प्रश्न 13.
अवतल दर्पण में आवर्धन (m) का मान किस पर निर्भर करता है और उत्तल दर्पण में (m) का मान सदैव किस तरह का होता है?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब की स्थिति पर निर्भर करता है और आवर्धन (m) उत्तल दर्पण के लिए हमेशा +ve होता है।

प्रश्न 14.
एक समतल दर्पण पर प्रकाश की किरण 45° कोण पर आपतित होती है तो परावर्तित एवं आपतित किरण के मध्य कोण कितना होगा?
उत्तर:
90°।

प्रश्न 15.
प्रकाश का अपवर्तन परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो उसका पथ विचलित हो जाता है। इस परिघटना को अपवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 16.
अपवर्तन के नियम लिखिए।
उत्तर:
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को अलग करने वाले पृष्ठ पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।
(ii) किन्हीं दो माध्यमों के लिए तथा एक निश्चित रंग (तरंगदैर्ध्य ) के प्रकाश के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या की निष्पत्ति एक नियतांक होती है।
यदि आपतन कोण व अपवर्तन कोण है, तो sini/sin r = नियतांक

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प्रश्न 17.
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की घटना को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
र-पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection ): जब सघन माध्यम में आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से आगे थोड़ा-सा ही बढ़ाया जाता है, तो सम्पूर्ण आपतित प्रकाश, परावर्तन के नियमों के अनुसार परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही वापस लौट आता है। इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं।

प्रश्न 18.
क्रान्तिक कोण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण जिसके लिए विरल माध्यम में बना अपवर्तन कोण समकोण अर्थात 90° होता है, दोनों माध्यमों के अन्तरापृष्ठ के लिए क्रान्तिक कोण कहलाता है।

प्रश्न 19.
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए कोई दो शर्तें लिखिए।
उत्तर:
(i) प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर गतिमान होना चाहिए।
(ii) आपतन कोण का मान दिए गए माध्यम में क्रान्तिक कोण से अधिक होना चाहिए।

प्रश्न 20.
किसी गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर:
n2/v – n1/v = n2 – n1/R

प्रश्न 21.
किसी लेन्स द्वारा अपवर्तन के लिए सूत्र को लिखिए।
उत्तर:
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = n21 – 1 (\(\frac{1}{\mathrm{R1}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{R2}}\))

प्रश्न 22.
लेन्स को परिभाषित करते हुए इसके लिए सूत्र
उत्तर:
दो पृष्ठ से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हैं, लेन्स कहलाता है लेन्स दो प्रकार के होते हैं:
(1) उत्तल लेन्स
(2) अवतल लेन्स
वस्तु की दूरी, प्रतिबिम्ब की दूरी और लेन्स की फोकस दूरी के मध्य सम्बन्ध लेन्स सूत्र कहलाता है।
अर्थात् –\(\frac{1}{\mathrm{u}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{v}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\)

प्रश्न 23.
उत्तल अथवा अवतल लेन्स द्वारा बने सीधे (तथा आभासी) प्रतिबिम्ब के लिए m का मान कैसा होता है?
उत्तर:
धनात्मक

प्रश्न 24.
उत्तल अथवा अवतल लेन्स द्वारा बने किसी उलटे (तथा वास्तविक) प्रतिबिम्ब के लिए m का मान किस तरह का होता है?
उत्तर:
m का मान ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 25.
एक 1.45 अपवर्तनांक वाला काँच का लेन्स जब किसी द्रव में डुबोया जाता है, तो वह दिखाई नहीं देता है। द्रव का अपवर्तनांक क्या होगा?
उत्तर:
लेन्स के पदार्थ (काँच) के अपवर्तनांक के बराबर अर्थात्

प्रश्न 26.
एक अपवर्तनांक वाला एक उत्तल लेन्स एक ऐसे माध्यम में रखा जाता है, जिसका अपवर्तनांक लेन्स के अपवर्तनांक के बराबर है। इस माध्यम में लेन्स की फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
इस दशा में लेन्स काँच की समतल प्लेट की भाँति व्यवहार करेगा अतः इसकी फोकस दूरी अनन्त होगी।

प्रश्न 27.
अभिसारी लेन्सों की क्षमता लेन्स की क्षमता होती “होती है और अपसारी है।
उत्तर:
धनात्मक, ऋणात्मक।

प्रश्न 28.
लेन्स की क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी लेन्स की क्षमता को लेन्स की फोकस दूरी के व्युत्क्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है।
अर्थात् P = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) (m)

प्रश्न 29.
यदि f1. f2 f3 …… फोकस दूरियों के बहुत से लेन्स एक-दूसरे के सम्पर्क में रखे हैं, तो इस संयोजन की प्रभावी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f1}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{f2}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{f3}}\) + …………..
क्षमता के पदों में P = P1 + P2 + P3 + …………

प्रश्न 30.
किसी दिए हुए प्रिज्म के लिए विचलन कोण का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी दिए हुए प्रिज्म के लिए विचलन कोण का मान प्रिज्म पर आपतित प्रकाश किरण के आपतन कोण पर निर्भर करता है।

प्रश्न 31.
किस रंग के लिए विचलन कोण का मान अधिकतम और न्यूनतम होता है?
उत्तर:
बैंगनी रंग के लिए अधिकतम और लाल रंग के लिए न्यूनतम होता है

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प्रश्न 32.
न्यूनतम विचलन कोण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक विशेष आपतन कोण पर विचलन कोण का मान न्यूनतम होता है। उसे न्यूनतम विचलन कोण कहते हैं।

प्रश्न 33.
वर्ण विक्षेपण (Dispersion) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्रिज्म के द्वारा श्वेत प्रकाश की किरण का सात रंगों में विभाजित होना वर्ण विक्षेपण कहलाता है

प्रश्न 34.
वर्ण विक्षेपण का क्या कारण है?
उत्तर:
वर्ण विक्षेपण का कारण पारदर्शी माध्यम में भिन्न-भिन्न रंगों के लिए प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होना है।

प्रश्न 35.
वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के विक्षेपण के कारण प्राप्त रंगों की पट्टिकाओं (Bands) को वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम कहते हैं। इस स्पेक्ट्रम में रंगों का क्रम VIBGYOR या बैंनी आहपीनाला होता है।

प्रश्न 36.
प्रिज्म की विक्षेपण क्षमता को लिखिए।
उत्तर:
किसी प्रिज्म की वर्ण विक्षेपण क्षमता जितनी अधिक होगी, उस पदार्थ से निर्मित प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम उतना ही विस्तृत होगा।

प्रश्न 37.
किसी प्रिज्म की वर्ण विक्षेपण क्षमता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
प्रिज्म की वर्ण विक्षेपण क्षमता उसके पदार्थ पर निर्भर करती है अपवर्तन कोण पर नहीं।

प्रश्न 38.
किसी त्रिभुजाकार प्रिज्म के लिए आपतन कोण (i) तथा विचलन कोण (8) के बीच ग्राफ को खींचिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 2
(i) तथा विचलण कोण (8) के बीच एक ग्राफ।

प्रश्न 39.
एक उत्तल लेन्स जिसका अपवर्तनांक n2. है. को एक तरल जिसका अपवर्तनांक 11 है, में डुबोया जाता है (n2 > n1 )। लेन्स की कार्य- शैली में क्या अन्तर आयेगा ?
उत्तर;
यह लेन्स अवतल लेन्स की भाँति कार्य करेगा।

प्रश्न 40.
एक उत्तल लेन्स (n = 1.5) की फोकस दूरी पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब इसको जल में डुबोया जाता है?
उत्तर:
∴ Whg < ang, अतः जल में लेन्स की फोकस दूरी बढ़ जायेगी परन्तु प्रकृति नहीं बदलेगी।

प्रश्न 41.
क्राउन काँच की विक्षेपण क्षमता फ्लिन्ट काँच से कम होती है या अधिक? लिखिए।
उत्तर:
कम होती है।

प्रश्न 42
प्रकाशीय उपकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे उपकरण जो मानव को समीप तथा दूर की वस्तुओं को देखने में सहायता करते हैं, प्रकाशीय उपकरण या यंत्र कहलाते हैं।

प्रश्न 43.
अभिदृश्यक लेन्स की आवर्धन क्षमता को लिखिए।
उत्तर:
अभिदृश्य लेन्स की आवर्धन क्षमता का मान mo =v/u से ज्ञात करते हैं।

प्रश्न 44.
अभिकेन्द्र लेन्स की आवर्धन क्षमता का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
me = D/VC[1 + Ve/fe]

प्रश्न 45.
एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी तथा एक दूरदर्शी की रचना को देखकर आप कैसे भेद करेंगे कि कौन किस प्रकार का प्रकाशिक यन्त्र है?
उत्तर:
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक का द्वारक बहुत छोटा तथा दूरदर्शी लेन्स का द्वारक बहुत बड़ा होता है। अतः अभिदृश्यक के द्वारकों को देखकर दोनों प्रकार के प्रकाशिक यन्त्रों में भेद किया जा सकता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 46.
सामान्य समायोजन में दूरदर्शी की लम्बाई कितनी होती है?
उत्तर:
(fo + fe)

प्रश्न 47.
मोटर वाहनों में पीछे के ट्रैफिक को देखने हेतु चालक किस दर्पण को उपयोग में लेता है और क्यों ?
उत्तर:
चालक उत्तल दर्पण का उपयोग लेता है। चूँकि इससे बनने वाला प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी एवं छोटा होता है, जिसके फलस्वरूप पश्च दृश्य क्षेत्र बड़ा हो जाता है।

प्रश्न 48.
दो पतले लेंस, जिनकी क्षमता + 5D एवं 3D है, परस्पर सम्पर्क में रखे हैं। संयोजन की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार
P1 = + 5D
P2= – 3D
∴ P = P1 + P2
= + 5D – 3D = + 2D
फोकस दूरी
f = \(\frac{1}{\mathrm{p}}\) (मीटर में)
= \(\frac{1}{\mathrm{2}}\) मीटर = \(\frac{1}{\mathrm{2}}\) x 100 = 50 सेमी.

प्रश्न 49.
खगोलीय दूरदर्शी का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 50.
प्राथमिक इन्द्रधनुष तथा द्वितीयक इन्द्रधनुष में बूँद के अन्दर कितनी बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है?
उत्तर:
प्राथमिक इन्द्रधनुष का निर्माण पानी की बूँदों पर सूर्य की किरणों के दो अपवर्तन तथा एक पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से होता है, जबकि द्वितीयक इन्द्रधनुष का निर्माण पानी की बूँदों पर प्रकाश के दो अपवर्तन तथा दो पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से होता है।

प्रश्न 51.
अवतल दर्पण के लिए बिंब दूरी u, प्रतिबिंब दूरी (v) एवं फोकस दूरी (f) में संबंध लिखिए।
उत्तर:
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{u}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{v}}\)

प्रश्न 52.
जब प्रकाश किसी प्रकाशतः सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करता है, तब आपतन का क्रांतिक कोण प्रकाश के वर्ण (रंग) पर निर्भर क्यों करता है?
उत्तर:
भिन्न-भिन्न रंग की तरंगदैर्ध्य के लिये अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होते हैं। u = a + b/λ2 होता है, इसलिये क्रान्तिक कोण sin ic = 1/μ का मान भी भिन्न-भिन्न रंग के लिये भिन्न-भिन्न होता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए n12 = 1/n21
उत्तर:
सामने के चित्र में यदि n21 माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक है तब स्नेल नियम से
n21 = sini/sin r1 …..(i)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 4
इसी तरह से यदि n12 माध्यम 1 का माध्यम 2 के सापेक्ष अपवर्तनांक है तब स्नेल नियम से
n12 = sini2/sin r2 ……….. (ii)
समीकरण (i) तथा (ii) का गुणा करने पर
n21 × n12 = \(\frac{\sin i_1}{\sin r_1}\) × \(\frac{\sin i_2}{\sin r_2}\)
चित्र से ∠r1 = ∠i2
और ∠i1 = ∠r2
∴ n1 x n12 = sini/sin r1 x sini2/sin r2
या
n21 x n12 = 1
या
n12 = 1/n21 इतिसिद्धम्

प्रश्न 2.
जब कोई प्रकाश किरण वायुमण्डल (a) से दो माध्यमों जल (b) तथा काँच (c) के संयोजन से होकर जाती है, तो तीन माध्यमों के अपवर्तनांकों में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
बिन्दुओं A, B तथा C पर स्नेल का नियम को लगाने पर:
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प्रश्न 3.
एक प्रकाश किरण माध्यम (1) से माध्यम (2) में अपवर्तित होती है। इनके अपवर्तनांक क्रमश: n1 तथा n2 हैं तथा n2 < n1 क्रान्तिक आपतन कोण के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
जब आपतन कोण = क्रान्तिक कोण c तो इसके लिए
अपवर्तन कोण r = 90°
परन्तु स्नेल के नियम से n sini = n2 sin r
∴ n1 sin c = n2. sin 90° = n2 x 1 = n2
या sin c = (n2/n1) c = sin-1(n2/n1)

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प्रश्न 4.
क्या किसी माध्यम का दूसरे माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक 1 से कम हो सकता है?
उत्तर:
हाँ।
उदाहरणार्थ-काँच के सापेक्ष जल का अपवर्तनांक
gnw = nw/ng = 4/3/3/2 = 8/9
जो कि एक से कम है।

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि n12 = 1/sin ic जहाँ पर Ic क्रान्तिक कोण है।
उत्तर:
वह आपतन कोण जिसका तदनुरूपी अपवर्तन कोण 90° होता है, वह दिए हुए माध्यमों के युगल के लिए क्रान्तिक कोण ic कहलाता है। स्नेल के नियम n21 = sini/sinr से हम देखते हैं कि यदि आपेक्षिक अपवर्तनांक एक से कम है, तो क्योंकि sinr का अधिकतम मान एक होता है अतः sini के मान की कोई ऊपरी सीमा है जिस तक यह नियम लागू किया जा सकता है। यह है i = ic इस प्रकार
sinic = n21
i के ic से अधिक मानों के स्नेल के अपवर्तन के नियम को लागू नहीं किया जा सकता है अतः कोई अपवर्तन संभव नहीं होता। सघन माध्यम 2 का विरल माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक होगा।
n12 = 1/sinic

प्रश्न 6.
क्या कारण है कि सूर्य वास्तविक सूर्योदय से कुछ पहले दृष्टिगोचर होने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के कुछ समय पश्चात् तक दृष्टिगोचर होता है? समझाइए।
उत्तर:
इसका मुख्य कारण प्रकाश का अपवर्तन है। वास्तविक सूर्योदय से हमारा तात्पर्य है क्षितिज से सूर्य का ऊपर उठना चित्र में क्षितिज के सापेक्ष सूर्य की वास्तविक एवं आभासी स्थितियाँ दर्शायी गई हैं। चित्र में इस प्रभाव को समझने की दृष्टि से आवर्धित करके दर्शाया गया है। निर्वात के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक 1.00029 है। इसके कारण सूर्य की दिशा में लगभग आधे डिग्री ( 1/2°) का आभासी विस्थापन होता है जिसका वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त में तदनुरूपी अंतर लगभग 2 मिनट है। सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय सूर्य का आभासी चपटापन (अंडाकार आकृति) भी इसी परिघटना के कारण ही है।
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प्रश्न 7.
किसी उत्तल लेन्स के पदार्थ का अपवर्तनांक 1.5 है तथा इसकी दोनों सतहों की वक्रता त्रिज्यायें बराबर हैं सिद्ध कीजिए कि उसकी फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या के बराबर है।
उत्तर:
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = (n – 1)(\(\frac{1}{\mathrm{R1}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{R2}}\))
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = (1.5 – 1)(\(\frac{1}{\mathrm{R}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{R}}\))
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = 0.5 × (\(\frac{2}{\mathrm{R}}\)) = \(\frac{1}{\mathrm{R}}\)
अथवा f = R

प्रश्न 8.
वायु का बुलबुला जल में किस प्रकार के लेन्स की भाँति व्यवहार करेगा?
उत्तर:
वायु के बुलबुले के दोनों पृष्ठ उत्तल होते हैं। अतः यह एक उत्तल लेन्स की भाँति व्यवहार करता है लेकिन जल का अपवर्तनांक वायु के अपवर्तनांक से अधिक होता है। अतः जल की टंकी में स्थित वायु के बुलबुले की प्रकृति बदल जाने के कारण यह अवतल लेन्स की भाँति कार्य करेगा।

प्रश्न 9.
एक उत्तल लेन्स की फोकस दूरी किस प्रकार परिवर्तित होगी यदि बैंगनी प्रकाश के स्थान पर लाल प्रकाश प्रयुक्त किया जाये?
उत्तर:
∵ f α \(\frac{1}{(n-1)}\)
तथा nv > nR, अतः बैंगनी प्रकाश के स्थान पर लाल प्रकाश प्रयुक्त करने से लेन्स की फोकस दूरी बढ़ जायेगी।

प्रश्न 10.
प्रकाशिक तंतुओं के बंडल का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है? समझाइए
उत्तर:
प्रकाशिक तंतुओं के बंडल (गुच्छ) का कई प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। प्रकाशिक तंतुओं का बड़े पैमाने पर वैद्युत संकेतों, जिन्हें उचित ट्रांसड्यूसरों द्वारा प्रकाश में परिवर्तित कर लेते हैं, के प्रेषण तथा अभिग्रहण में उपयोग किया जाता है। स्पष्ट है कि प्रकाशिक तंतुओं का उपयोग प्रकाशिक संकेत प्रेषण के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इन्हें आंतरिक अंगों जैसे ग्रसिका आमाशय तथा आंत्रों के दृश्य अवलोकन के लिए ‘लाइट पाइप’ के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
यदि हम किसी अवतल दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के नीचे का आधा भाग किसी अपारदर्शी (अपरावर्ती) पदार्थ से ढक देते हैं तब दर्पण के सामने स्थित किसी बिंब के दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
आप सोच सकते हैं कि प्रतिबिंब में बिंब का आधा भाग दिखाई देगा। परंतु यह मानते हुए कि परावर्तन के नियम दर्पण के शेष भाग पर भी लागू होते हैं, अतः दर्पण द्वारा बिंब का पूर्ण प्रतिबिंब बनेगा। तथापि, क्योंकि परावर्ती पृष्ठ का क्षेत्रफल कम हो गया है इसलिए प्रतिबिंब की तीव्रता कम हो जाएगी अर्थात् आधी हो जाएगी।

प्रश्न 12.
किसी अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर एक मोबाइल फोन रखा है। उचित किरण आरेख द्वारा प्रतिबिंब की रचना दर्शाइए। व्याख्या कीजिए कि आवर्धन एकसमान क्यों नहीं है क्या प्रतिबिंब की विकृति दर्पण के सापेक्ष फोन की स्थिति पर निर्भर करती है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 7
चित्र में फोन के प्रतिबिंब की रचना का प्रकाश-किरण आरेख दर्शाया गया है। मुख्य अक्ष के लंबवत् समतल में स्थित भाग का प्रतिबिंब उसी समतल में होगा। यह उसी साइज का होगा, अर्थात् BC = BC।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 13.
उत्तल लेन्स तथा अवतल लेन्स से गुजरने वाली प्रकाश किरणों का अनुरेखन कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 14.
लेन्स की क्षमता से क्या तात्पर्य है? इसे समझाइए।
उत्तर:
लेन्स की क्षमता किसी लेन्स की क्षमता P को उस कोण की स्पर्शज्या से परिभाषित करते हैं, जिससे यह किसी प्रकाश पुंज को जो प्रकाशिक केंद्र से एकांक दूरी पर आकर गिरता है, अभिसरित या अपसरित करता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
tanδ = h/f; यदि h = 1 tanδ = 1/f
δ = 1⁄2 (δ के लघु मान के लिए)।
अथवा
अतः
p = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) यहाँ पर f को मीटर में लिया गया है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 9
लेन्स की क्षमता का SI मात्रक डाइऑप्टर (D) = 1D=1m-1 है।
अतः 1m फोकस दूरी के लेन्स की क्षमता एक डाइऑप्टर है। अभिसारी लेसों की क्षमता धनात्मक तथा अपसारी लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है। इस प्रकार जब कोई नेत्र चिकित्सक + 2.5 D क्षमता का संशोधक लेन्स निर्धारित करता है, तब + 40 cm फोकस दूरी के उत्तल लेन्स की आवश्यकता होती है। 4.0 D क्षमता के लेन्स से तात्पर्य – 25 cm फोकस दूरी का अवतल लेन्स होता है।

प्रश्न 15.
शुद्ध एवं अशुद्ध स्पैक्ट्रम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शुद्ध स्पैक्ट्रम – जब श्वेत प्रकाश की किरणें किसी प्रिज्म में से गुजरती हैं तो प्रत्येक किरण पर्दे पर स्पैक्ट्रम बनाती है। यदि स्पैक्ट्रम में प्रत्येक रंग अलग-अलग रूप से दिखाई दे तो इस प्रकार के स्पैक्ट्रम को ‘शुद्ध स्पैक्ट्रम’ कहते हैं शुद्ध स्पैक्ट्रम प्राप्त करने की निम्न शर्तें होती हैं:
(i) रेखा छिद्र संकरा तथा अभिसारी लेन्स के फोकस पर स्थित होना चाहिये।
(ii) प्रिज्म न्यूनतम विचलन की स्थिति में होना चाहिए।
(iii) प्रिज्म से निर्गत एक ही रंग की किरणें अभिसारी लेन्स द्वारा एक ही स्थान पर फोकसित होनी चाहिये।
(iv) आपतित किरणें समान्तर होनी चाहिये।
अशुद्ध स्पैक्ट्रम जब श्वेत प्रकाश की किरणें किसी प्रिज्म में से गुजरती हैं तो प्रत्येक किरण पर्दे पर स्पैक्ट्रम बनाती है। भिन्न-भिन्न रंगों के अतिव्यापन के कारण पर्दे पर ये रंग पृथक् पृथक् दिखाई नहीं देते हैं, इस प्रकार के स्पैक्ट्रम को ‘अशुद्ध स्पैक्ट्रम’ कहते हैं।

प्रश्न 16.
प्रकाश के प्रकीर्णन से क्या अभिप्राय है? इसका दैनिक जीवन में उपयोग बताइये।
उत्तर:
प्रकाश का प्रकीर्णन जब प्रकाश किसी माध्यम में से संचरित होता है तो वह उस माध्यम के कणों के साथ अन्योन्य क्रिया करता है। ये कण आपतित प्रकाश से कुछ ऊर्जा ले लेते हैं तथा उसे पुनः उत्सर्जित कर देते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन कहते हैं। प्रकाश के प्रकीर्णन का उपयोग प्रकाश के प्रकीर्णन से हमें वस्तुएँ दिखाई देती हैं। जब प्रकाश की किरणें किसी खुरदरे पृष्ठ पर गिरती हैं तो परावर्तित किरणें विभिन्न दिशाओं में बिखर जाती हैं। इस बिखरे प्रकाश या प्रकीर्णन प्रकाश के कारण ही हमें अपने कमरे में जबकि सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष नहीं आती हैं फिर भी सभी वस्तुयें दिखाई देती हैं। आकाश का रंग नीला दिखाई देना, सूर्योदय एवं सूर्यास्त पर सूर्य का लाल दिखाई देना भी प्रकाश प्रकीर्णन की घटना के कारण हैं।

प्रश्न 17.
समान फोकस दूरी का एक अभिसारी लेन्स तथा एक अपसारी लेन्स समाक्षीय रूप से परस्पर सम्पर्क में रखे गये हैं। संयोजन की फोकस दूरी तथा क्षमता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
र-संयोजन की फोकस दूरी F हो, तो
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f1}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{f2}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{f}}\)
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = 0
अतः
F = \(\frac{1}{\mathrm{0}}\) = ∞ अर्थात्
F= अनन्त अतः क्षमता P = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\)
P = 1/∞ = 0
अतः संयोजन लेन्स की फोकस दूरी अनन्त होगी और संयोजन लेन्स की क्षमता P = शून्य होगी।

प्रश्न 18.
सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता किस रंग के प्रकाश के लिए अधिकतम तथा किस रंग के प्रकाश के लिए न्यूनतम होगी?
उत्तर:
fv < fgRअतः सूत्र m = (1 + D/f) स्पष्ट है कि बैंगनी रंग के लिए आवर्धन क्षमता अधिकतम तथा लाल रंग के लिए न्यूनतम होगी।

प्रश्न 19.
दूरदर्शी द्वारा अन्तिम प्रतिबिम्ब जब अनन्त पर बन रहा हो तब उसकी नली की लम्बाई कितनी होती है? यदि प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने तब लम्बाई पहले से कम होगी अथवा अधिक?
उत्तर:
जब प्रतिबिम्ब अनन्तता पर बनेगा तो नली की लम्बाई (fo + fe) होगी। यहाँ fo अभिदृश्यक लेन्स की फोकस दूरी है तथा fe नेत्रिका की फोकस दूरी है परन्तु यदि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है तब नली की लम्बाई (fo + ue) होगी, जहाँ u अभिदृश्यक लेन्स से बने प्रतिबिम्ब की नेत्रिका से दूरी है। यह लम्बाई (fo + fe) से कम होगी।

प्रश्न 20.
दूरदर्शी का अभिदृश्यक बड़ा और नेत्रिका छोटा है, जबकि सूक्ष्मदर्शी का अभिदृश्यक छोटा तथा नेत्रिका बड़ा होता है। यदि किसी दूरदर्शी को उलट दें, तो क्या वह सूक्ष्मदर्शी की भाँति प्रयुक्त की जा सकती है? क्या इसी प्रकार सूक्ष्मदर्शी को दूरदर्शी की तरह प्रयुक्त कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं। क्योंकि दूरदर्शी के लेन्सों की फोकस – दूरियों में अन्तर सूक्ष्मदर्शी के लेन्सों की फोकस दूरियों में अन्तर की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। इस प्रकार दूरदर्शी को उलटकर सूक्ष्मदर्शी की भाँति प्रयुक्त करने पर उसकी आवर्धन क्षमता बहुत कम होगी। इसी तरह सूक्ष्मदर्शी को उलटकर दूरदर्शी की भाँति प्रयुक्त करने पर उसकी आवर्धन क्षमता कम हो जायेगी।

प्रश्न 21.
(a) बहुत दूर स्थित तारे जिन्हें नेत्र द्वारा नहीं देखा जा सकता, वे दूरदर्शी द्वारा देखे जा सकते हैं। क्यों?
(b) दो दूरदर्शियों की आवर्धन क्षमता समान है लेकिन इनके अभिदृश्यक लेन्सों के द्वारक अलग-अलग हैं। इनके द्वारा बनने वाले अंतिम प्रतिबिम्बों में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) नेत्र के लेन्स का द्वारक बहुत छोटा होता है तथा बहुत अधिक दूर स्थित तारे से आने वाला प्रकाश बहुत कम होता है तथा हमारे नेत्र के रेटिना को उत्तेजित करने में असमर्थ होता है परन्तु दूरदर्शी का द्वारक, नेत्र की तुलना में बहुत बड़ा होता है। इस कारण यह दूरस्थ तारे से उचित प्रकाश प्राप्त कर सकता है तथा तारे का चमकीला प्रतिबिम्ब बनाता है, जिसे देखा जा सकता है।
(b) प्रतिबिम्बों की चमक अलग-अलग होगी; क्योंकि यह द्वारक के व्यास पर निर्भर करती है। बड़े द्वारक के अभिदृश्यक लेन्स युक्त दूरदर्शी द्वारा बना प्रतिबिम्ब अधिक चमकीला होगा। साथ ही इस दूरदर्शी की विभेदन क्षमता (1.222) भी छोटे द्वारक के अभिदृश्यक लेन्स युक्त दूरदर्शी की तुलना में अधिक होगी।

प्रश्न 22.
(a) किसी दूरदर्शी को उलटकर अभिदृश्यक की ओर देखने पर बहुत छोटी प्रतीत होती है, क्यों?
(b) सूक्ष्मदर्शी में ऐसा क्यों नहीं होता है?
उत्तर:
(a) दूरदर्शी में अभिदृश्यक लेन्स की फोकस दूरी (f0) नेत्रिका की फोकस दूरी (fc) से कहीं अधिक होती है तथा इसकी आवर्धन क्षमता f0/fc होती है। पलटकर देखने पर आवर्धन क्षमता fc/f0 हो जाएगी क्योंकि fo << fc अतः अब वस्तु बहुत ही छोटी दिखाई देगी।
क्योंकि
(b) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आर्धन क्षमता का सूत्र v0/u0 × D/fe है; क्योंकि v0 का मान सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक की फोकस दूरी f0 से थोड़ा सा ही अधिक होता है, अतः आवर्धन v0/f0 × D/fe माना जा सकता है; fo तथा दोनों के ही मान कम होते हैं। अतः सूक्ष्मदर्शी को उलटने पर भी vo के मान में कोई विशेष अन्तर न होने से आवर्धन क्षमता लगभग अपरिवर्तित रहती है।

प्रश्न 23.
“सूक्ष्मदर्शी एवं दूरदर्शी में उच्च आवर्धन क्षमता के साथ-साथ पर्याप्त विभेदन क्षमता भी होनी चाहिए।” उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आवर्धन क्षमता अधिक होने से वस्तु बड़ी एवं स्पष्ट दिखाई देती है, किन्तु यदि विभेदन क्षमता कम है तो उसकी संरचना को स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है।

प्रश्न 24.
सुमेलित कीजिए:

कॉलम Iकॉलम II
A μ  = tanipP स्नैल का नियम
B μ = 1/sinicQ ब्रुस्टर का नियम प्रिज्म
C μ = sini/sinrR पूर्ण
D μ =  \(\frac{\sin \left(\frac{A+D_m}{2}\right)}{\sin \frac{A}{2}}\)S आन्तरिक परावर्तन

उत्तर:

AQ
BS
CP
DR

प्रश्न 25.
निम्न को परिभाषित कीजिए:
(a) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(b) प्रकाश का विवर्तन
(c) प्रकाश का अपवर्तन।
उत्तर:
(a) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection): जब सघन माध्यम में आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से आगे थोड़ा-सा ही बढ़ाया जाता है, तो सम्पूर्ण आपतित प्रकाश, परावर्तन नियमों के अनुसार परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही वापस लौट आता है जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 10
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्तें:
(1) प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए।
(2) सघन माध्यम में आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से बड़ा होना चाहिए।

(b) प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light): विवर्तन तरंगों का एक अभिलाक्षणिक गुण है। जब तरंगों के मार्ग में कोई अवरोध आता है अथवा तरंगें किसी सूक्ष्म छिद्र से गुजरती हैं तो वे अवरोध या छिद्र के किनारे पर ‘आंशिक रूप से मुड़ जाती हैं। इस घटना को विवर्तन कहते हैं। विवर्तन की घटना सभी प्रकार की तरंगों, जैसे प्रकाश तरंगें, ध्वनि तरंगें इत्यादि में देखने को मिलती है। तरंगों का विवर्तन होने के लिये अवरोध का आकार तरंगों की तरंगदैर्घ्य की कोटि का होना चाहिये।

(c) प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light): प्रकाश की किरणें किसी समांगी (homogeneous ) एवं पारदर्शी माध्यम में सीधी रेखाओं में चलती हैं, परन्तु जब प्रकाश की कोई किरण इस प्रकार के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाती है तो किरण का कुछ भाग माध्यमों के सीमा पृष्ठ (boundary surface) पर परावर्तित होकर पहले माध्यम में ही लौट आता है और शेष भाग दूसरे माध्यम में चला जाता है। दूसरे माध्यम में जाने पर प्रायः किरण की दिशा बदल जाती है अर्थात् प्रकाश की किरण अपने प्रारम्भिक मार्ग से विचलित (deviate) हो जाती है। “प्रकाश किरण का एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाने पर अपने पथ से विचलित हो जाना प्रकाश का अपवर्तन (Refraction) कहलाता है।”

प्रश्न 26.
तरंगाय की परिभाषा लिखिए। हाइगेन्स के सिद्धान्त का उपयोग करके किसी उत्तल लेंस पर आपतित समतल तरंग के अपवर्तित तरंगाय की आकृति खींचिए।
अथवा
(a) जब कोई तरंग किसी विरल माध्यम से किसी सघन माध्यम संचरण करती है, तब उस तरंग का कौन-सा अभिलक्षण परिवर्तित नहीं होता और क्यों?
(b) दो माध्यमों के अपवर्तनांक μ1 और μ2 हैं, उनमें तरंग के वेगों का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
जब किसी माध्यम में स्थित तरंग स्रोत से तरंगें निकलती हैं तो इसके चारों ओर स्थित माध्यम के कण कम्पन करने लगते हैं। माध्यम में वह पृष्ठ जिसमें स्थित सभी कण कम्पन की समान कला में हों, तरंगाग्र कहलाता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 11
(a) आवृत्ति स्थिर रहती है क्योंकि दो माध्यमों में प्रति सेकण्ड प्रवेश करते समय तरंगों की संख्या समान होती है।
(b) भिन्न-भिन्न माध्यमों में वेग का मान इस प्रकार दिया जा सकता है और इस प्रकार से प्रकाश की चाल अपवर्तनांक के माध्यम के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 27.
(a) प्रकाश की एक किरण अपवर्तनांक aμg = 1.5 के काँच के समकोणिक प्रिज्म के फलक AB पर अभिलम्बवत आपतित है। यह प्रिज्म किसी अज्ञात अपवर्तनांक के द्रव में आंशिक डूबा है। द्रव के अपवर्तनांक का मान ज्ञात कीजिए ताकि प्रिज्म से अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरण फलक BC के अनुदिश पृष्ठसर्पी हो।

(b) उस प्रकरण में किरण का पथ खींचिये जब यह किरण फलक AC पर अभिलम्बवत आपतन करती है।
उत्तर:
(a) स्नेल के नियम से
aμg sinic = aμ1 sin90°
1.5 × 60° =aμ1
aμ1 = 1.5 × 3/2
= 1.3
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(b) आपतित किरण 30° के कोण पर टकराती है जो कि ic से कम है। इस कारण से प्रकाश किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है।
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आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 36 सेमी. हो तो इसकी वक्रता त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार
f = 36 सेमी.
हम जानते हैं-फोकस दूरी और वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध
f = 1⁄2R
∴ R = 2f
या
R = 2 × 36 = 72 सेमी.

प्रश्न 2.
3 सेमी. ऊँची एक वस्तु 30 सेमी. फोकस दूरी के उत्तल दर्पण के सम्मुख इससे 60 सेमी. की दूरी पर रखी है। प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति तथा आकार ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
वस्तु की ऊँचाई h = 3 सेमी.
उत्तल दर्पण की फोकस दूरी f = 30 सेमी.
दर्पण से वस्तु की दूरी u = – 60 सेमी.
दर्पण के सूत्र से
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{U}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{V}}\)
या
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{U}}\)
= \(\frac{1}{\mathrm{30}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{-60}}\)
= \(\frac{1}{\mathrm{30}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{60}}\)
⇒ v = 20 सेमी. 20
अतः प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा बनेगा अतः दर्पण के पीछे अर्थात्
वस्तु की विपरीत दिशा में दर्पण से 20 सेमी. दूरी पर बनेगा
आवर्धन m = h/n = v/u
h/3 = – (20 सेमी/−60 सेमी) = 1/3
h’ = 1 सेमी.
अतः प्रतिबिम्ब की ऊँचाई 1 सेमी. होगी।

प्रश्न 3.
एक उत्तल लेन्स द्वारा एक वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनता है तथा इसकी लम्बाई वस्तु की लम्बाई की चार गुनी है। यदि लेन्स की फोकस दूरी 20 सेमी. है तो वस्तु के प्रतिबिम्ब की दूरियाँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
f = 20 सेमी. तथा m = 4
∵h’ = 4h दिया
u तथा f के पदों में m का सूत्र
m = f/u+f
⇒ 4 = 20 सेमी/u + 20 सेमी.
4u + 80 = 20
4u = (20 – 80) सेमी.
4u = – 60 सेमी.
लेन्स से वस्तु की दूरी = -15 सेमी.
v तथा f के पदों में m का सूत्र
m = f – v/f
⇒ 4 = 20 सेमी – v/20 सेमी.
80 = 20 – v
v = ( 20 – 80 ) सेमी.
= 60 सेमी.
∴ लेन्स से प्रतिबिम्ब की दूरी v = – 60 सेमी.

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 4.
10 सेमी. फोकस दूरी वाला एक उत्तल लेन्स समाक्षीय रूप से एक 10 सेमी. फोकस दूरी वाले अवतल लेन्स से 5 सेमी. दूरी पर रखा है। यदि एक वस्तु उत्तल लेन्स के सम्मुख 30 सेमी. दूरी पर रखी है तो संयुक्त निकाय द्वारा बने अन्तिम प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ पर उत्तल लेन्स के लिए
f= + 10 सेमी. तथा u = – 30 सेमी.
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{U}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) से,
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{U}}\)
= \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{-30}}\)
= \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{-30}}\)
= 3-\(\frac{1}{\mathrm{30}}\)
= \(\frac{2}{\mathrm{30}}\)
= \(\frac{1}{\mathrm{15}}\)
v = 15 सेमी.
नीचे चित्र में उत्तल लेन्स द्वारा वस्तु O का बना प्रतिबिम्ब I’ अवतल लेन्स के लिए आभासी वस्तु का कार्य करेगा जिसकी अवतल लेन्स से दूरी u = (15 – 5) सेमी = 10 सेमी.
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 15
इसकी फोकस दूरी f = -10 सेमी.
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{U}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) से
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{U}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-10}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) = 0
अतः संयुक्त निकाय द्वारा बना अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर होगा।

प्रश्न 5.
खगोलीय दूरदर्शक के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका लेन्सों की फोकस दूरियाँ क्रमशः 2 मीटर तथा 0.05 मीटर हैं। अन्तिम प्रतिबिम्ब यदि (i) स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर (ii) अनन्तता पर बने तो प्रत्येक दशा में दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता तथा लम्बाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है, तो
आवर्धन क्षमता m = – \(\left[\frac{\mathrm{f}_{\mathrm{o}}}{\mathrm{f}_{\mathrm{e}}}\left(1+\frac{\mathrm{f}_{\mathrm{e}}}{\mathrm{D}}\right)\right]\)
यहाँ अभिदृश्यक की फोकस दूरी f = 2 मीटर = 200 सेमी. तथा नेत्रिका की फोकस दूरी = 0.05 मीटर = 5 सेमी एवं स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी D = 25 सेमी.
m = – 200/5(1 + 5/25) = -48
नेत्रिका के लिए fe = 5 सेमी. तथा Ve = 25 सेमी.
∴ \(\frac{1}{\mathrm{fe}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{ve}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{ue}}\)
\(\frac{1}{\mathrm{ue}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{v}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{fe}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-2.5}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{5}}\)
= \(\frac{-1}{\mathrm{25}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{5}}\) = -(\(\frac{6}{\mathrm{-25}}\))
∴ u = (25/6) सेमी. 4.167 सेमी.
दूरदर्शी की लम्बाई L = fo + ue
= (200 सेमी. + 4.167 सेमी.) = 204.167 सेमी.
(यहाँ ue का मान चिन्ह छोड़कर रखना होता है)

(ii) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्तता पर बनता है, तो
आवर्धन क्षमता m = -(f0/fe) = -(\(\frac{200}{\mathrm{5}}\))
= -40
इस दशा में
दूरदर्शी की लम्बाई L = f0 + fe = (200 + 5) सेमी.
= 205 सेमी.

प्रश्न 6.
एक सरल सूक्ष्मदर्शी में प्रयुक्त लेन्स की फोकस दूरी 5 सेमी है। स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी. है। इसकी आवर्धन क्षमता ज्ञात कीजिए:
(i) जबकि अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने,
(ii) स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
उत्तर:
यहाँ f = 5 सेमी. D = 25 सेमी.
(i) आवर्धन क्षमता m = D/f = 25 सेमी/5 सेमी. = 5

(ii) आवर्धन क्षमता m = 1+ D/f 1 + 25 सेमी/5 सेमी. = 6

प्रश्न 7.
एक यौगिक सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका की फोकस दूरियाँ क्रमशः 1.0 सेमी. तथा 5.0 सेमी हैं। एक वस्तु अभिदृश्यक से 1.1 सेमी. की दूरी पर रखी जाती है। सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता तथा लम्बाई ज्ञात कीजिए, जबकि अन्तिम प्रतिबिम्ब (i) अनन्त पर बन रहा हो, (ii) स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बन रहा हो।
उत्तर:
(i) यहाँ fo = 1.0 सेमी. fe = 5.0 सेमी. तथा g = -1.1 सेमी. D = 25 सेमी.
सूत्र \(\frac{1}{\mathrm{v0}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{u0}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f0}}\) से,
\(\frac{1}{\mathrm{v0}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f0}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{u0}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{1.0}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{-1.1}}\) = 1 – \(\frac{10}{\mathrm{11}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{11}}\)
Vo = 11 सेमी.
अतः आवर्धन क्षमता m
= –\(\left[\frac{v_o}{u_o}\left(1+\frac{D}{f_e}\right)\right]\) = –\(\left[\frac{11}{1.1}\left(1+\frac{25}{5}\right)\right]\) = -60
सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई L = Vo + f = (11 + 5) सेमी.
= 16 सेमी

(ii) नेत्रिका के लिए f = 5 सेमी. तथा Ve = -25सेमी.
∴ \(\frac{1}{\mathrm{fe}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{ve}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{ue}}\) से,
\(\frac{1}{\mathrm{ue}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{ve}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{fe}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-25}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{5}}\) = \(\frac{-6}{\mathrm{5}}\)
अतः आवर्धन क्षमता m =
= \(-\left[\frac{v_0}{u_o}\left(\frac{D}{f_e}\right)\right]\) = \(\left[\frac{11}{1.1}\left(\frac{25}{5}\right)\right]\) = -50
सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई L = Vo + ue
= (11 + 4.167) सेमी.
= 15.167 सेमी.

प्रश्न 8.
एक उत्तल लैंस जिसकी वक्रता त्रिज्या R1 = R2 = 24 cm है एवं जिसके पदार्थ का अपवर्तनांक 1.6 है।
(a) वायु में इस लेंस की फोकस दूरी की गणना करो।
(b) यदि इस लैंस को दो समान ऊर्ध्वाधर भागों में बाँट लिया जाये तो प्रत्येक भाग की फोकस दूरी की गणना करिये।
उत्तर:
दिया गया है:
R1 = 24 cm
R2 = – 24 cm
n2 = 1.6, n1 = 1.0
(a) वायु में इस लैंस की फोकस दूरी f का मान निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = (n2 – n1/n1)[\(\frac{1}{\mathrm{R1}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{R2}}\)]
मान रखने पर-
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = (1.6 – 1)/1 [\(\frac{1}{\mathrm{24}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{24}}\)]
= 0.6 × 2/24 = 24 = 240
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{20}}\)
∴ f = 20 cm
(b) n2 = 1.6, n1 = 1.0
मान रखने पर
R1 = 24 cm, R2 = ∞
\(\frac{1}{\mathrm{f1}}\) = (n2 – \(\frac{n1}{\mathrm{n2}}\))[\(\frac{1}{\mathrm{R1}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{R2}}\)]
मान रखने पर
\(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = (1.6 – 1)/1 [\(\frac{1}{\mathrm{24}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{∞}}\)]
= 0.6 × \(\frac{1}{\mathrm{24}}\) = \(\frac{6}{\mathrm{240}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{40}}\)
f1 = 40cm

प्रश्न 9.
निम्न चित्र में दर्शाये लैंस के लिए
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 16
(i) प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
(ii) प्रतिबिम्ब की स्थिति को लेंस से और दूर करने हेतु एक अन्य लैंस उपर्युक्त लैंस के सम्पर्क में रखा जाता है। इस द्वितीय लैंस की प्रकृति क्या होगी?
उत्तर:
(i) दिया गया है:
f = 10 cm, U = 30 cm, v = ?
सूत्र \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{u}}\) से
मान रखने पर
\(\frac{1}{\mathrm{10}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – (\(\frac{-1}{\mathrm{30}}\))
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{30}}\)
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{10}}\)– \(\frac{1}{\mathrm{30}}\) = \(\frac{2}{\mathrm{30}}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{15}}\)
∴ v = 15 cm
अतः प्रतिबिम्ब की स्थिति 15 cm की दूरी पर है।
(ii) प्रतिबिम्ब की स्थिति को लेंस से दूर करने हेतु अवतल

प्रश्न 10.
कोई वस्तु 15 सेमी. वक्रता त्रिज्या के अवतल दर्पण से (i) 10 cm तथा (ii) 5 cm दूरी पर रखी है। प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति तथा आवर्धन परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
वक्रता त्रिज्या = 15 cm.
फोकस दूरी f = 15/2 = -7.5 cm.
(i) बिम्ब की दूरी दर्पण के सूत्र
u = – 10 cm.
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{u}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\)
मान रखने पर
∴ \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{-10}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-5}}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) = \(\frac{-10}{\mathrm{75}}\) = \(\frac{-2}{\mathrm{15}}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{-2}{\mathrm{15}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{10}}\) = \(\frac{-4+3}{30}\) = \(\frac{-1}{\mathrm{30}}\)
या v = – 30cm.
प्रतिबिम्ब बिम्ब की दिशा में दर्पण से 30 cm. दूरी पर बनेगा।
आवर्धन m = v/u = \(\frac{-30}{\mathrm{10}}\)
m =-3
प्रतिबिम्ब आवर्धित वास्तविक तथा उल्टा है।
(ii) बिम्ब दूरी u = -5cm. तब दर्पण सूत्र से
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{-5}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-7.5}}\)
या
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) – \(\frac{1}{\mathrm{5}}\) = \(\frac{-1}{\mathrm{10}}\) = \(\frac{-2}{\mathrm{15}}\)
या
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{-2}{\mathrm{15}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{5}}\)
या
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{-2+3}{15}\) = \(\frac{1}{\mathrm{15}}\)
v = 15 cm.
प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 15 cm दूरी पर बनता है। यह प्रतिबिम्ब आभासी है।
आवर्धन m = \(\frac{-v}{\mathrm{u}}\) = \(\frac{-15}{\mathrm{5}}\) = 3
यह प्रतिबिम्ब आवर्धित, आभासी तथा सीधा है

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 11.
3 सेमी आकार की कोई वस्तु 40 सेमी वक्रता त्रिज्या के किसी अवतल दर्पण से 30 सेमी दूरी पर स्थित है। दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी व आकार ज्ञात करें एवं प्रतिबिम्ब की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
यहाँ पर वस्तु का आकार h = 3 सेमी
अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = 40 सेमी
अतः दर्पण की फोकस दूरी f = 1\(\frac{1}{\mathrm{2r}}\)
R = \(\frac{-40}{\mathrm{20}}\)
= – 20 सेमी
दर्पण से वस्तु की दूरी u = – 30 सेमी
अतः दर्पण के सूत्र
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{U}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{F}}\) में ज्ञात मान रखने पर
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{-30}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{-20}}\)
\(\frac{1}{\mathrm{V}}\) = \(\frac{-1}{\mathrm{20}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{30}}\) = \(\frac{-3+2}{60}\) = \(\frac{-1}{\mathrm{60}}\)
v = 60 सेमी
इसलिये दर्पण से वस्तु के प्रतिबिम्ब की दूरी v = – 60 सेमी अतः प्रतिबिम्ब दर्पण से 60 सेमी वस्तु की ओर (अर्थात् दर्पण के सामने) बनेगा।
प्रतिबिम्ब के आवर्धन के लिये m = h/h = -(\(\frac{V}{\mathrm{U}}\))
इसलिये प्रतिबिम्ब का आकार h’ = – (\(\frac{V}{\mathrm{U}}\)) h
= \(-\left[\frac{-60}{-30}\right]\) × 3
h’ = – 6 सेमी
अर्थात् प्रतिबिम्ब उल्टा ( वास्तविक ) तथा 6 सेमी ऊँचा बनेगा, जो कि वस्तु से बड़ा होगा।

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HBSE 12th Class Physics Important Questions and Answers

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HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी Textbook Exercise  Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-
(i) स्थानिक आंकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं-
(क) अवस्थितिक
(ग) क्षेत्रीय
(ख) रैखिक
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में
उत्तर:
(ग) क्षेत्रीय।

(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक
प्रचालन आवश्यक है?
(क) आंकड़ा संग्रहण
(ग) आंकड़ा निष्कर्षण
(ख) आंकड़ा प्रदर्शन
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(ख) आंकड़ा प्रदर्शन।

(iii) चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) आंकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है?
(क) सरल आंकड़ा संरचना
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिंब के लिए सक्षम
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
उत्तर:
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।

(iv) संदिश ( वेक्टर) आंकड़ा फॉरमेट का एक गुण क्या है?
(क) समिश्र आंकड़ा संरचना
(ख) कठिन उपरिशायी प्रचालन
(ग) सुदूर संवेदन आंकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता
(घ) सघन आंकड़ा संरचना |
उत्तर:
(क) समिश्र आंकड़ा संरचना।

(v) भौगोलिक सूचना तंत्र कीट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है-
(क) उपरिशायी प्रचालन
(ख) सामीप्य विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(घ) बफरिंग।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) चित्ररेखापुंज एवं सदिश ( वेक्टर) आंकड़ा मॉडल के मध्य अंतर-
उत्तर:
चित्ररेखापुंज आंकड़ा मॉडल: चित्ररेखापुंज आंकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आंकड़ों का ग्राफी प्रदर्शन करते हैं। एक चित्र लेखापुंज फाइल एक प्रतिबिंब का प्रदर्शन कागज की उपविभाजित कर छोटी आयतों के आथूह जिन्हें सेल कहते हैं के रूप में करेगी, एक ग्राफ पेपर की शीट की तरह आंकड़ा फाइल में प्रत्येक सेल के स्थान के रूप में बिल्कुल एक ग्राफ पेपर की सीट की तरह आंकड़ा फाइल में हर एक सेल का एक स्थान दिया जाता है।

सदिश आंकड़ा मॉडल: सदिश आंकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिंदुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं। हर एक बिंदु की अभिव्यक्ति दो तथा तीन संख्याओं के रूप में होती है। एक सदिश आंकड़ा मॉडल अपने यथार्थ निर्देशांकों द्वारा भंडारित बिंदुओं का प्रयोग करता है।

(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
उपरिशायी विश्लेषण GIS का हॉलमार्क है। इसका प्रयोग करके मानचित्रों के बहुगुणी स्तरों का समन्वय एक महत्त्वपूर्ण विश्लेषण क्रिया है। अन्य शब्दों में भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) उसी क्षेत्र के मानचित्रों के दो तथा अधिक विषयक स्तरों का अधिचित्रण करके नया मानचित्र स्तर प्राप्त करने को संभव बनाता है। इसके द्वारा प्रकाशीय पेज पर मानचित्रों के अनुरेखाणों का अधिचित्रण किया जाता है।

(iii) भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तचलित विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तचलित विधि के गुण इस प्रकार हैं-

  1. भौगोलिक सूचना तंत्र की सहायता से संचित भौगोलिक आँकड़ों, आवश्यकता के अनुरूप बने मानचित्रों एवं चयनित आँकड़ा आधार प्राप्त करने की सुविधा मिल जाती है।
  2. मानचित्रीय सूचना एक विशेष ढंग से प्रक्रमित और प्रदर्शित की गई होती है।
  3. एक मानचित्र एक तथा एक से अधिक पूर्व निर्धारित विषय वस्तुओं को दर्शाता है।
  4. स्थानिक प्रचालकों का समन्वित सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नए समुच्चय उत्पन्न किए जा सकते हैं।
  5. विशेष आंकड़ों के विभिन्न आइटम एक-दूसरे के साथ अंश अवस्थिति कोड की सहायता से जोड़े जा सकते हैं।

(iv) भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्त्वपूर्ण घटक क्या हैं? उत्तर-भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्त्वपूर्ण घटक हैं-

  1. हार्डवेयर,
  2. सॉफ्टवेयर
  3. आंकड़े,
  4. लोग,
  5. प्रक्रिया।

(v) भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक सूचना तंत्र बनाने की विधि इस प्रकार हैं-

  1. स्थानिक आंकड़ा निवेश
  2. गुण न्यास की प्रविष्टि
  3. आंकड़ों का सत्यापन और संपादन
  4. स्थानिक और गुण न्यास आंकड़ों की सहलग्नता
  5. स्थानिक विश्लेषण।

(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर:
स्थानिक शब्द अंतरिक्ष से उत्पन्न हुआ है। इसका अर्थ भौगोलिक रूप से परिभाषित क्षेत्र जिसके भौतिक रूप से नाप योग्य आयास हैं पर लक्षणों और परिघटनाओं के वितरण से है। अधिकांश आँकड़े जिनका आज हम उपयोग करते हैं, वह स्थानिक घटक होते हैं, जैसे कि किसी नगरपालिका का पता तथा कृषि जोत की सीमाएँ इत्यादि। इस प्रकार स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी का संबंध स्थानिक सूचना के संग्रहण, भंडारण, प्रदर्शन, हेरफेर, प्रबंधन और विश्लेषण में प्रौद्योगिक निवेश के प्रयोग से होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए-
(i) चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) एवं सदिश ( वेक्टर) आंकड़ा फॉरमेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आंकड़े वर्गों के जाल के रूप में आंकड़ों का ग्राफी प्रदर्शन करते हैं जबकि सदिश ( वेक्टर) आंकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिंदुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में किया जाता है। कागज के एक पुर्जे पर तिरछी खींची हुई एक रेखा पर ध्यान दीजिए।

एक चित्रलेखापुंज फाइल इस प्रतिबिंब का प्रदर्शन कागज की उपविभाजित करकर छोटी आयतों के आधूह जिन्हें सेल कहते हैं के स्वरूप में करेगी, जैसे ही एक ग्राफ पेपर की सीट की तरह आंकड़ा फाइल में हर एक सेल को एक स्थान दिया जाएगा। इसी प्रकार एक ग्राफ पेपर की शीट की तरह आंकड़ा फाइल में हर एक सेल का एक स्थान होता है तो उस स्थान के गुणों के आधार पर मूल्य पाती हैं इसकी पंक्तियों तथा स्तंभों के निर्देशांक किसी भी व्यक्तिगत पिक्सेल की पहचान करते हैं।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी 1
सदिश आंकड़ा फॉमेटः तिरछी रेख का सदिश प्रदर्शन सिर्फ निर्देशकों के आरंभिक एवं अंतिम बिंदुओं की दर्ज कर रेखा की स्थिति की दर्ज करके होगा। हर एक बिंदु की अभिव्यक्ति दो तथा तीन संख्याओं के रूप में होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रदर्शन 2D तथा 3D, जिसे X, Y तथा X, YZ निर्देशांकों द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी 2

(ii) भौगोलिक सूचना तंत्र से संबंधित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत
कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र से संबंधित कार्यों को इस प्रकार क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करते हैं-
(1) स्थानिक आंकड़ा निवेश-
इन्हें निम्नलिखित दो वर्गों में संक्षेपित किया जा सकता है-
(a) आंकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक आंकड़ा समुच्चय का प्रगहण वर्तमान में आंकड़ा आपूर्तिदाता आंकिक आंकड़ों को तैयार रूप में उपलब्ध कराते हैं, जो लघु-मापनी मानचित्रों से लेकर बृहत् मापनी प्लान करती है।

(b) क्रियात्मक स्तर पर यह निश्चित करने के लिए कि आंकड़े अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं, प्रयोक्ता की उनकी निम्नलिखित विशेषताओं का ध्यान रखिए।

  • आंकड़ों की मापनी
  • प्रयोग में लाई गई भौगोलिक संदर्भ प्रणाली
  • प्रयोग में लाई गई आंकड़े संग्रहण की तकनीकें और निर्देशन सामरिकी
  • आंकड़ा निवेश की हस्तेन विधियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं। कि क्या सूचनाधार की संस्थिति सदिश हैं।

(2) गुणन्यास की प्रविष्टि यह मूल न्यास स्थानिक सत्ता की विशेषताओं जिनका निपटान भौगोलिक सूचना का वर्णन करता है। प्रकाशित रिकार्डों, सरकारी जनगणनाओं इत्यादि से उपर्जित गुणन्यास को GIS सूचनाधार में या तो हस्तेन अथवा मानक स्थानांतरण फॉर्मेट का प्रयोग करते हुए आंकड़ों का आयात करके निवेश किया जाता है।

(3) आंकड़ों का सत्यापन तथा संपादन आंकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित करने हेतु त्रुटियों की पहचान और संशोधन के लिए भौगोलिक सूचना तंत्र में प्रग्रहित आंकड़ों की सत्यापन की आवश्यकता होती है।

(4) स्थानिक विश्लेषण भौगोलिक सूचना तंत्र की प्रबलता उसकी विश्लेषणात्मक सामर्थ्य में निहित हैं जो चीज भौगोलिक सूचना तंत्र को अन्य सूचना तंत्रों से अलग करती है वह हैं उसकी स्थानिक विश्लेषण की क्रियाएँ।

अतिरिक्त प्रश्न (Other Questions)

प्रश्न 1.
संगणक से क्या अभिप्राय है? इसकी क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर:
आधुनिक युग संगणक (Computer) का युग है। Computer शब्द अंग्रेज़ी भाषा के शब्द Compute से लिया गया है। जिसका अर्थ गणना है। अतः संगणक एक वैद्युत् यंत्रीय युक्ति (Electronic Device) है जो सूचनाओं की बड़ी तीव्रता एवं शुद्धता के साथ गणना करता है। संगणक द्वारा अरबों गणनाएं संपन्न की जा सकती हैं। यह अंकगणितीय संक्रियाएं (जैसे-जोड़ना, घटाना, गुणा तथा भाग करना) करने की क्षमता रखता है। एक संगणक सूचनाओं को वहन करने के लिए विद्युत् का उपयोग करता है।

संगणक की विशेषताएं-

  1. गति (Speed)-कंप्यूटर तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता रखता है।
  2. संग्रहण क्षमता (Storage Capacity ) कंप्यूटर की संग्रहण क्षमता बहुत अधिक है। डिस्क तथा टेप के प्रयोग से बड़ी मात्रा में आँकड़ों का भंडारण किया जा सकता है।
  3. शुद्धता (Accuracy)- कंप्यूटर अपनी शुद्धता के कारण बहुत महत्त्वपूर्ण है। कोई अशुद्धि आने पर भी कंप्यूटर ग़लती को सुधारने का कार्य करेगा।
  4. कार्यों की विविधता (Variety of Jobs)-कंप्यूटर कई प्रकार के कार्य करने में सक्षम है, जैसे आँकड़ों का संग्रहण, पुनः प्राप्ति, विभिन्न डिज़ाइन बनाना, खेल आदि कार्य किए जा सकते हैं।
  5. स्वचालन (Automation )-कंप्यूटर अधिकतर कार्य स्वचालित रूप से करता है। कंप्यूटर विभिन्न कार्य विस्तारपूर्वक कर सकता है।

प्रश्न 2.
संगणक के दो आधारभूत अंग बताओ। यंत्र सामग्री की विभिन्न इकाइयों का वर्णन करो।
उत्तर:
संगणक प्रणाली के भाग (Parts of Computer System)
एक संगणक प्रणाली के दो आधारभूत अंग होते हैं-
1. यंत्र सामग्री (हार्डवेयर) (Hardware)
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी 3

2. प्रक्रिया सामग्री ( सॉफ्टवेयर) (Software)
1. यंत्र सामग्री (हार्डवेयर) (Hardware)-
यह संगणक प्रणाली का भौतिक भाग है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक, चुंबकीय तथा यांत्रिक उपकरण लगे होते हैं। एक संगणक प्रणाली में निम्नलिखित मुख्य हार्डवेयर इकाइयां होती हैं-
(1) केंद्रीय प्रक्रम इकाई (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट-सी० पी० यू० ) ( Central Processing Unit-CPU) यह किसी डिजिटल (आंकिक ) कंप्यूटर प्रणाली (Digital System) का तंत्रिका केंद्र (Nerve Centre) होता है। यह सभी अन्य इकाइयों की क्रियाओं का समन्वय एवं नियंत्रण करता है तथा प्रयोग किये जाने वाले आँकड़ों के लिए सभी अंकगणितीय एवं तार्किक प्रक्रमों को संपादित करता है। सी०पी०यू० में तीन पृथक् हार्डवेयर खंड होते हैं-

  • आंतरिक स्मृति (मेमोरी) (Internal Memory),
  • अंकगणितीय इकाई (Arithmetic Unit),
  • एक नियंत्रक खंड ( चिप ) ( Chip) (A Control Section)

एक पतली सिल्किन की पत्ती, जो समन्वित वैद्युत् परिपथ के वृहत् जाल को धारण करती है) संगणक को निर्मित करने वाला ब्लाक होता है तथा विभिन्न कार्यों का संपादन करता है, जैसे- गणितीय संक्रिया करना, संगणक की स्मृति (मेमोरी) के रूप में सहयोग करना या दूसरे चिपों पर नियंत्रण करना।

(2) दृश्य-प्रदर्शक इकाई (विजुअल डिसप्ले यूनिट वी० डी० यू० या टर्मिनल) (Visual Display Unit (VDU) or Terminal)-टेलीविजन की भाँति दृश्य इकाई में एक केथोड-
रे ट्यूब (छोटा पर्दा) लगा होता है जिस पर आँकड़ों को प्रदर्शित करने वाले रेखाचित्रों या विशेषताओं को संगणक की मुख्य स्मृति से पढ़कर प्रदर्शित किया जाता है।

3. निवेश एवं निर्गत उपकरण (Input and Output Devices)- निवेश उपकरण, जैसे ‘की बोर्ड’ (कुंजी-पटल) (Key Board) का प्रयोग आँकड़ों तथा कार्यक्रमों (प्रोग्रामों) को संगणक- स्मृति (मेमोरी) में भरने के लिए किया जाता है। इसी प्रकार चूंकि एक कंप्यूटर के भीतर सभी आँकड़ों कार्यक्रमों को कोड ( कूट) स्वरूप में वैद्युत्-धारा के रूप में संचित किया जाता है, निर्गत- उपकरणों जैसे प्रिंटर, प्लाटर आदि का प्रयोग इन आँकड़ों को सूचनाओं के रूप में (जैसे–विशेषताएं, ड्राइंग या ग्राफिक) बदलने के लिए किया जाता है जिनका मानव द्वारा उपयोग किया जा सके।

4. संग्रहक उपकरण (Storage Device )-एक कंप्यूटर में कई संग्राहक इकाइयाँ जैसे हार्डडिस्क, फ्लापी, टेप, मैगनेटों, आप्टिकल डिस्क, कांपेक्ट डिस्क (सीडी), कार्टिज आदि लगे होते हैं जिनका प्रयोग आँकड़ों तथा कार्यक्रम निर्देशों को संचित करने के लिए होता है। इन युक्तियों की आँकड़ा संग्रहण करने की क्षमता मेगाबाइट (MB) से जीगावाइट (GB) तक होती है।

प्रश्न 3.
संगणक के उपयोग के प्रमुख लाभ क्या हैं?
उत्तर:

  1. संगणक एक वैदयुत् यंत्रीय युक्ति है, जो सूचनाओं की बड़ी तीव्रता एवं शुद्धता के साथ गणना करता है।
  2. अत्यधिक शक्तिशाली संगणकों द्वारा कुछ पलों में, अरबों | गणनाएँ अथवा अंकगणितीय संक्रियाएँ संपन्न की जा सकती हैं।
  3. यह उपकरण समस्याओं के समाधान अथवा आँकड़ों की गणना प्रत्यक्ष प्राप्त कर अंकगणितीय संक्रियाएँ करके (गणितीय निर्देशों का प्रयोग करके जैसे जोड़ना, घटाना, गुणा तथा भाग करना) इन संक्रियाओं के परिणामों की आपूर्ति करने की क्षमता रखता है।
  4. सामान्यतः संगणक विभिन्न संख्याओं, शब्दों, स्थिर बों चलचित्रों एवं ध्वनियों (आवाज़ों) की प्रक्रियायें संपन्न कर सकता है।
  5. एक संगणक सूचनाओं को वहन करने के लिए विदमुत् का उपयोग करता है।
  6. अंक विहीन सूचनाओं जैसे शब्दों, चित्रों या ध्वनियों को एक संगणक में प्रयोग के योग्य बनाने के लिए सूचनाओं का आंकिक परिवर्तन आवश्यक है।

प्रश्न 4.
संगणक के उपयोग की क्या सीमाएं हैं?
उत्तर:
हमारे लिए यहाँ यह समझना आवश्यक है कि संगणक क्या नहीं कर सकता?

  1. एक संगणक हमारे लिए सोचने का कार्य नहीं कर सकता।
  2. संगणक मात्र हमारे द्वारा भरी गई सूचना पर आधारित निश्चित तार्किक चरणों का ही अनुसरण करता है।
  3. एक संगणक सिर्फ वही कार्य करता है जो उससे या तो निर्देशों के एक समूह (प्रोग्राम) द्वारा अथवा एक मानव संचालक द्वारा करवाया जाता है।

प्रश्न 5.
संगणक के मुख्य अंग बताओ।
उत्तर:
एक संगणक प्रणाली के दो आधारभूत अंग होते हैं-

  1. यंत्र सामग्री (हार्डवेयर)
  2. प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर)

यंत्र सामग्री (हार्डवेयर)-
यह संगणक प्रणाली का भौतिक भाग है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक, चुंबकीय तथा यांत्रिक उपकरण लगे होते हैं। एक संगणक प्रभाव में निम्नलिखित मुख्य हार्डवेयर इकाइयाँ होती हैं-

  1. केंद्रीय प्रक्रम इकाई (CPU)
  2. दृश्य प्रदर्शक इकाई (VDU)
  3. निवेश एवम् निर्गत उपकरण
  4. संग्रहक उपकरण।

प्रश्न 6.
केंद्रीय प्रक्रम इकाई (CPU) पर नोट लिखो।
[T.B.Q. 1 (3)]
उत्तर:
केंद्रीय प्रक्रम इकाई (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट-सी० पी० यू० )-यह किसी आंकिक (डिजिटल) संगणक प्रणाली का तंत्रिका केंद्र होता है। यह सभी अन्य इकाइयों की क्रियाओं का समन्वय एवं नियंत्रण करता है तथा प्रयोग किये जाने वाले आँकड़ों के लिए सभी अंकगणितीय एवं तार्किक प्रक्रमों को संपादित करता है। सी०पी०यू० में तीन पृथक हार्डवेयर खंड होते हैं-

  1. अतिरिक स्मृति (मेमोरी),
  2. अंकगणितीय इकाई एवं
  3. एक नियंत्रक खंड (चिप एक पतली सिल्किन की पत्ती, जो समन्वित वैद्युत परिपथ के वृहत् जाल को धारण करती है।)

संगणक को निर्मित करने वाला ब्लॉक होता है तथा विभिन्न कार्यों का संपादन करता है, जैसे- गणितीय संक्रिया करना, संगणक की स्मृति (मेमोरी) के रूप में सहयोग करना या दूसरे चियों पर नियंत्रण करना।

प्रश्न 7.
संगणक में कौन-कौन सी संग्रह युक्तियां होती हैं?
उत्तर:
संग्रहक उपकरण-एक संगणक में कई संग्राहक इकाइयाँ जैसे हार्ड डिस्क, फ्लापी, टेप, मैगनेटोआप्टिकल डिस्क, कांपेक्ट डिस्क (सीडी), कार्टिज आदि लगे होते हैं जिनका प्रयोग आँकड़ों तथा कार्यक्रम निर्देशों को संचित करने के लिए होता है। इन युक्तियों की आँकड़ा संग्रहण करने की क्षमता मेगाबाइट (MB) से गीगाबाइट (GB) तक होती है।

प्रश्न 8.
अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (Application Software) पर नोट लिखो।
उत्तर:
अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (एप्लीकेशन
सॉफ्टवेयर)-

अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री के भी दो प्रकार होते हैं-
(1) प्रथम प्रकार का अनुप्रयोग सॉफ्टवेटर आँकड़ा आधार या आँकड़ा संचय (डेटाबेस) प्रबंधन, लेखाचित्रों (ग्राफिक्स) तथा शब्दों के प्रक्रम से संबद्ध होता है जिसमें अधिकांश व्यावसायिक संस्थानों तथा व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त कार्यों का बृहत् समूहन होता है।

(2) द्वितीय प्रकार का अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री विशिष्ट, पेशेवर अथवा तकनीकी अनुप्रयोगों द्वारा विशिष्ट कार्यों हेतु प्रयोग करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया प्रक्रिया सामग्री होती है। उदाहरण के लिए, चिकित्सकों, दंत रोग विशेषज्ञों, वास्तु शिल्पियों तथा अभियंताओं द्वारा विशिष्ट कार्यों हेतु प्रयोग करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर)। विस्तृत परिसर वाली अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री श्रेणी में व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक प्रयोग के लिए निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है-

  1. लेखा संबंधी सामान्य बही, वेतन बही, बीजक, रसीदें आदि।
  2. संचार संबंधी केंद्रीय कार्यालय के मुख्य संगणक से इलेक्ट्रॉनिक -डाक का वाणिज्यिक डेटा बैंकों तथा सूचना-सुविधाओं द्वारा प्रदत्त सेवाओं से अंतसंबधन।
  3. आँकड़ा संजय प्रबंधन ( डेटाबेस )-केंद्रीय पहुँच के लिए.. इसमें डेटा फाइलों की छटाई तथा नवीनीकरण, सांख्यिकी का संचय गणना, प्लाट-दिशा एवं बाजार विश्लेषणों हेतु प्रबंधन किया जाता है।
  4. शैक्षिक कार्यक्रम (प्रोग्राम )-खेलों, ट्यूटोरियल्स, अनुकरणों (सिमूलेशन्स) आदि द्वारा सीखने से संबंधित
  5. लेखाचित्रों (ग्राफिक्स)-रंगीन लेखाचित्रों तथा चार्टों के प्रदर्शन, रंगीन स्लाइड एवं अन्य दृश्य सहायक उपकरणों का निर्माण।
  6. कार्यक्रम निर्माण (प्रोग्रामिंग ) किसी एक समस्या (निर्मेय) को उसके भौतिक पर्यावरण से कंप्यूटर के समझने तथा आदेश पालन करने वाली भाषा में अनुवादित करना।

प्रश्न 9.
तंत्रात्मक प्रक्रिया सामग्री क्या है?
उत्तर:
तंत्रात्मक प्रक्रिया सामग्री ( सिस्टम सॉफ्टवेयर) यह उन प्रोग्रामों में महत्त्वपूर्ण है जो संगणक प्रणाली को चलाते हैं तथा प्रयोगकर्ता (प्रोग्रामर) को अपने कार्य को संपन्न करने में सहायता प्रदान करती हैं। तंत्रात्मक प्रक्रिया प्रणाली में निम्नलिखित समाहित होते हैं- क्रियात्मक प्रणाली (आपरेटिंग सिस्टम )-वह प्रक्रिया सामग्री जो संगणक प्रोग्राम के कार्य को नियंत्रित करती है और अनुसूचीकरण, डीबगिंग, निवेश तथा निर्गत के नियंत्रण, संचयीकरण, आँकड़ा प्रबंधन तथा उससे संबंधित सेवाएँ प्रदान करती है। प्रचलित प्रकार की ऑपरेटिंग प्रणाली में डॉस (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम), यूनिक्स तथा इसके विभिन्न प्रकार, वी० एम० एस० (वर्चुअल मेमोरी सिस्टम) माइक्रोसाफ्ट विण्डोस आदि सम्मिलित हैं।

प्रश्न 10.
रैम (RAM) तथा रोम (ROM) पर नोट लिखो।
उत्तर:
यादृच्छिक अभिगम स्मृति- रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी )-वह स्मृति (मेमोरी) जिसमें आँकड़ों को लिखा तथा पढ़ा जा सके। केवल पठन स्मृति-रोम ( रीड ओनली मेमोरी )-सूचना धारण करने वाली स्मृति जो विद्यमान तथा स्थायी रूप से उपलब्ध है और जिसे लिखा नहीं जा सकता है, किंतु प्रोग्राम के माध्यम से मात्र पढ़ा जा सकता है।

प्रश्न 11.
रैस्टर के भू-संदर्भपरक तथा भू-कूट पर नोट लिखो।-रेखापुंजों (रैस्टर) चित्रों के भू-संदर्भपरक भू-कूट (जियोकोडिंग) बनाना
उत्तर:
क्रमवीक्षण (स्कैन किये गए रेखापुंज (रैस्टर) चित्रों तथा उपग्रह- चित्रों को एक चित्र में पड़ने वाले भू-नियंत्रक बिंदु (जी० सी० पी० ) से मिलाकर, उनकी विकृतियों में सुधार किया जाता है। भूनियंत्रक बिंदु ज्ञात धरातलीय अवस्थितियों के स्वरूप हैं जिन्हें हवाई-चित्रों अथवा उपग्रह चित्रों पर सही-सही अवस्थित किया जा सकता है। भूनियंत्रक बिंदु निर्देशांक विकृत चित्रों पर दोनों ही रूपों चित्र के रूप (कालम तथा पंक्ति संख्या)

में तथा उनके धरातलीय निर्देशांकों के रूप में अवस्थित होता है (मानचित्रों से मापित अथवा किसी निश्चित प्रक्षेप प्रणाली, जैसे बहु-शंकु प्रक्षेप पर अक्षांश-देशांतर के संदर्भ में धरातल पर निर्धारित) एक न्यून वर्ग प्रतिक्रमण विश्लेषण की सहायता से ज्यामितीय संशोधित (मानचित्र) निर्देशांकों एवं विकृत चित्र निर्देशांकों को अंतर्संबंधित किया जाता है। उसके बाद चित्र का सही ज्यामितीय संबंध प्राप्त करने के लिए संगत धरातलीय स्थिति के संदर्भ में इसका परिवेष्ठन किया जाता है।

प्रश्न 12.
आंकिक मानचित्रण क्या है?
उत्तर:
आंकिक स्पष्ट (फेयर) मानचित्रण भू-कूट वाले रेखापुंज चित्रों का प्रयोग, बिंदु, भू-स्वरूप रेखीय स्वरूपों एवं हवाई भू-दृश्यों की पृष्ठभूमि के रूप में आरेखित तथा समुचित चिह्नों एवं पठन सामग्री से सुसज्जित करने के लिए किया जाता है। विकल्प के रूप में, इन ऊपरी भूदृश्यों तथा रेखापुंज चित्रों को चिह्नों का प्रयोग किये बिना ही मानचित्रात्मक बनाने के लिए सीधे आंकिक किया जा सकता है। आंकिक मानचित्र स्वतः ही स्वचालित मानचित्रीय प्रक्रियाओं, जैसे सामान्यीकरण, वर्गीकरण आदि के अनुरूप हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
मानचित्र विज्ञान के आधारभूत तत्व क्या हैं?
उत्तर:
संगणक और दूरसंचार के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास द्वारा मूल रूप से संचालित मानचित्र कला में तीव्रगामी परिवर्तन हुए हैं।
आधुनिक मानचित्र विज्ञान को एक त्रिभुज द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। इस त्रिभुज की तीनों भुजाएँ तीन प्राथमिक तत्वों के महत्त्व को दर्शाती हैं-

  1. नियमन
  2. ज्ञान एवं विश्लेषण
  3. संचार

नियमन त्रिभुज का आधार है। यह मानचित्र उत्पादन के पक्ष को प्रदर्शित करता है। ज्ञान तथा विश्लेषण व संचार अन्य दो भुजाएं हैं। आजकल संगणक, बहुमाध्यम (मल्टीमीडिया) और दूरसंचार के क्षेत्र में तीव्र अभिनव विकास से मानचित्रकला को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानिक आँकड़ों के प्रक्रमण के लिए मानचित्रकार को अब संगणक और बहुमाध्यम का उपयोग करने के अधिक अवसर उपलब्ध हैं।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी 4
प्रतिवर्ष बहुत सी नई प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर) विकसित की जा रही है। भौगोलिक सूचना तंत्र तथा मानचित्रण के कुछ मुख्य सॉफ्टवेयर हैं- एप्पल, ऑर्क इन्फो, ऑटोकैड मैपइन्फो, ग्राम आदि।

प्रश्न 14.
मानचित्र विज्ञान में संगणक का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
मानचित्र विज्ञान में संगणक का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से सहायता करता है-

  1. मानचित्रों का निर्माण शीघ्र होता है।
  2. उपयोग की आवश्यकता अनुसार मानचित्रों का निर्माण संभव।
  3. दक्ष मानचित्रकार के उपलब्ध न होने पर भी मानचित्र निर्माण सम्भव है।
  4. मानचित्रों के निर्माण में कम खर्च आता है।
  5. मानचित्रों को अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है।
  6. मानचित्रों की अनेक प्रतियां तुरंत बनाई जा सकती हैं।
  7. यदि आँकड़े आंकिक (डिजिटल) स्वरूप में उपलब्ध हैं तो मानचित्र में संशोधन किये जा सकते हैं।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रभाव-
मानचित्र में कई प्रकार से परिवर्तन किए हैं। सॉफ्टकापी चित्रों ने अनेक प्रयोगों के लिए प्रकाशित मानचित्रों का स्थान ले लिया है। उत्पादन समय में अत्यधिक कमी आई है। सैन्य गुप्तचरी तथा विज्ञान के लिए सूक्ष्म नियोजन की आवश्यकता होने पर उच्च विभेदन वाले उपग्रह चित्र तुरन्त प्राप्त किए जा सकते हैं।

इसके लिए निकटवर्ती उपग्रह को प्रस्तावित स्थल के ऊपर नई कक्षा में लाना पड़ता है। मानचित्र में दिखाई जा सकने वाली सूचनाओं की गुणवत्ता और विविधता में स्वचालन से भी परिवर्तन आ रहा है। यही नहीं, भौगोलिक सूचना तंत्र स्थानिक मानचित्रण और निर्णय लेने में विश्लेषण की भूमिका का विस्तार कर रहा है।

प्रश्न 15.
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी पर नोट लिखो।
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी किसी प्रदेश का संसाधन प्रबंधन या तो।

  1. हाथ से बने मानचित्रों को अध्यारोपित करके अथवा
  2. संगणक प्रौद्योगिकी द्वारा किया जा सकता है।

इस संगणक प्रौद्योगिकी में संख्यात्मक स्थानिक आँकड़ों के समूह या भू-आधारित फाइलों का उपयोग किया जाता है। पारदर्शी मानचित्रों को हाथ से अध्यारोपित करके बनाए गए बहुकालिक मानचित्रों की अपनी कुछ कमियाँ होती हैं। केवल कुछ ही मानचित्रों को एक साथ अध्यारोपित कर दृश्य विश्लेषण हो सकता है। संगणक सहायक विधि में सूचनाएँ आंकिक स्वरूप में प्राप्त होनी आवश्यक होती हैं। इस पद्धति में संसाधन स्वरूपों का ( गुण या कारक) अंतसंबंध संख्यात्मक रूपांतरण द्वारा संपन्न होता है।

आधुनिक आँकड़ा संग्रह तकनीकों तथा संगणक सहायक मानचित्रकला ने स्थानिक आँकड़ों के संग्रह एवं विनिमय को प्रोत्साहन दिया है। इसके साथ ही भौगोलिक सूचना तंत्र तथा आंकिक चित्र प्रक्रमण (डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग DIP) के सम्मिलित प्रयोग से भौगोलिक जाँच एवं पूर्वानुमान विस्तृत क्षेत्र पर सीमित समय में बेहतर तरीके से करते हैं। आगे आने वाले वर्षों में प्रभावकारी सार्वजनिक नीतियों के लिए पूर्वकथन मॉडल निर्धारण की क्षमता को विकसित करना सरल होगा।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी 5

प्रश्न 20.
भूमि उपयुक्तता विश्लेषण में भौगोलिक सूचना तंत्र के अनुप्रयोग पर नोट लिखो।
उत्तर-भौगोलिक सूचना तंत्र का अनुप्रयोग भूमि तथा वनाच्छादित क्षेत्रों में परिवर्तन, जल तथा वायु की गुणवत्ता का मूल्यांकन, मृदा अपरदन के खतरों का विश्लेषण, प्राकृतिक विपदाओं पर नजर रखना, वनीकरण योग्य क्षेत्रों का चुनाव, भूमि क्षमता एवं उपयुक्तता विश्लेषण एवं आँकड़ा विवरणिका अध्ययन जैसी समस्याओं के समाधान में भौगोलिक सूचना तंत्र का उपयोग करते हैं। विश्वस्तरीय अनुभवों से यह प्रदर्शित होता है कि सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना तंत्र संसाधन प्रबंधन के लिए अत्यंत ही प्रभावकारी युक्तियाँ हैं।

भौगोलिक सूचना तंत्र का एक निर्णय देने वाली प्रणाली के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इसके द्वारा प्राकृतिक आपदाओं की पहचान, समन्वय, निगरानी और भविष्यवाणी करना संभव है। प्राकृतिक आपदाएं, भारत में अनुभव किए जाने वाले प्रमुख पर्यावरणीय खतरे हैं। समन्वित जल संभर प्रबंधन योजनाएं, हमें आशंकित करने वाले संकटों के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकती हैं।

1. भूमि उपयोग परिवर्तन की निगरानी (Land use change Monitoring ) किसी प्रदेश के ग्रामीण तथा नगरीय संसाधनों की भौगोलिक निगरानी में भू-उपयोग एक महत्त्वपूर्ण निवेश होता है। सामान्य भू-आच्छादन, वर्गीकरण का निर्धारण, भूतकाल में भूमि उपयोग में हुए परिवर्तन द्वारा सामान्य रूप में तथा वनाच्छादन के रूप में विशेष रूप से किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, हिमाचल क्षेत्र में निर्वनीकरण एक गंभीर पारिस्थितिक समस्या है। दो समयों के वन वितरण मानचित्रों द्वारा वनाच्छादन में परिवर्तन की सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं। उपग्रही सुदूर संवेदन का भूमि उपयोग मानचित्रण और देश के भीतर वन ह्रास की प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रभावशाली ढंग से उपयोग किया जा सकता है। अत्यधिक तीव्रगति से परिवर्तन के कारण, परंपरागत विधियों से एकत्रित सूचनाएं शीघ्र ही पुरानी हो जाती हैं।

2. सामाजिक-आर्थिक नियोजन हेतु भूमि उपयुक्तता विश्लेषण (Land Suitability Analaysis) भूमि उपयोग उपयुक्तता विश्लेषण से भूमि विकास से संबंधित विभिन्न निर्णय लेने में सहायता मिलती है। भौगोलिक सूचना तंत्र विश्लेषण निम्नलिखित तीन प्रकार के मानचित्रों के निर्माण के लिए विभिन्न प्राकृतिक, मानवकृत एवं अंतर्क्रियात्मक कारकों को समन्वित करता है-
(i) पर्यावरणीय पर्यावरणीय प्रक्रियाओं में कम से कम परिवर्तन करने वाले भूमि उपयोग को दिखाने वाला मानचित्र।

(ii) किसी प्रस्तावित विकास की योजना के पर्यावरणीय प्रभावों के गुणात्मक- पूर्वानुमान को प्रदर्शित करने वाला मानचित्र-यह चलाई जाने वाली कुछ निश्चित परियोजनाओं तथा नियंत्रण हेतु विशेष पर्यावरणीय कार्ययोजना भी प्रदान करता है; और

(iii) इन कार्य योजनाओं के लिए सर्वोत्तम तथा सबसे कम उपयुक्त अवस्थिति को प्रदर्शित करने वाला मानचित्र-सीमांत प्रदेशों, जैसे हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मरुस्थल में भूमि उपयोग नियोजन हेतु ऐसे मानचित्रों की आवश्यकता पड़ती है। कृषि हेतु, उच्चभूमि के क्षेत्रों में कृषि के लिए भूमि उपयुक्ता विश्लेषण में मृदा- अपरदन, ढाल, ऊँचाई, जल उपलब्धता तथा पोषक तत्वों की उपलब्धता आदि से संबंधित सूचना तथा मानचित्रों का निर्माण।

अनेक देशों तथा राज्य सरकारों द्वारा नगरपालिका के कार्यों के लिए भूमि तथा अन्य भौगोलिक सूचनाओं के संगणकीकरण का प्रयास किया गया है। विभिन्न विभागों द्वारा उपखंडीय मानचित्रों के स्वचालन का प्रयास किया है। पर्यावरणीय नियोजकों द्वारा भूमि उपयुक्तता क्षमता हेतु पर्यावरणीय कारकों के अध्यारोपण का प्रयास किया गया है।

ऐसी सूचनाओं में आधार मानचित्र पर्यावरणीय अभियांत्रिकी, मानचित्र (प्लान) पारिवका, अपवाह, फसलें, मार्ग या गली का पता संबंधी सारणीय आँकड़े, क्षेत्र सारणी आँकड़े, सड़क, मार्गतंत्र तथा सीमा क्षेत्र आदि सम्मिलित हैं। भौगोलिक सूचना तंत्र प्रक्रिया सामग्री उपकरण विभिन्न आँकड़ा समूहों को मानचित्र या सारणी रूप में प्रस्तुत कर, सुधार करने, अंतसंबंधित करने एवं अनेक प्रकार से वर्णन करने के योग्य बनाता है।

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HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण Textbook Exercise  Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चुनाव कीजिए-
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण की योजना के लिए नीचे दी गई विधियों में कौन-सी विधि सहायक है?
(क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ग) मापन
(घ) प्रयोग
उत्तर:
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के निष्कर्ष के लिए क्या किया जाना चाहिए?
(क) आंकड़ा प्रवेश एवं सारणीयन
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(ग) सूचकांकों का अभिकलन
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) प्रतिवेदन लेखन।

(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रारंभिक स्तर पर अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्या है?
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना
(ख) द्वितीयक आंकड़ों का संग्रहण
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना (घ) निर्देशन अभिकल्पना।
उत्तर:
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना

(iv) क्षेत्र सर्वेक्षण के समय किस स्तर की सूचनाओं को प्राप्त
करना चाहिए?
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ
(ख) मध्यम स्तर की सूचनाएँ
(ग) लघु स्तर की सूचनाएँ
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ।
उत्तर:
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण विधि से किसी क्षेत्र के स्थानीय भूगोल के बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होता है। इस विधि से विद्यार्थियों में आपसी सहयोग तथा नेतृत्व की भावना जागृत होती है। क्षेत्रीय कार्य से भूगोलवेत्ता स्वयं आँकड़े एकत्र करके मानचित्र बनाने का कार्य कर सकते हैं।

(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है जिसके लिए अलग-अलग किस्मों की विधियों की जरूरत होती है। इनमें मानचित्रों एवं अन्य आंकड़ों सहित द्वितीयक सूचनाएँ, क्षेत्रीय पर्यवेक्षण। लोगों के साक्षात्कार हेतु प्रश्नावलियों से आंकड़ा उत्पाद इत्यादि को शामिल किया जाता है।

(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव से पहले किस प्रकार के व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
जाँच करने वाला खुद यह तय करेगा कि सर्वेक्षण सारी जनसंख्या के लिए जनगणना रूप में संचालित करना है या फिर कुछ चुनिन्दा सैम्पल पर आधारित होगा। अगर सर्वेक्षण का क्षेत्र ज्यादा विशाल न हो पर इसकी रचना विविध तत्वों की है तो अपेक्षा में सारी जनसंख्या का सर्वेक्षण होना चाहिए।

(iv) सर्वेक्षण अभिकल्पना को संक्षिप्त में समझाएँ।
उत्तर:
सैम्पल सर्वेक्षण की संरचना में हम इसके नाप तथा उसके अध्ययन के ढंग को शामिल करते हैं। ऐसे अध्ययन स्थितियों और प्रक्रियाओं की उनकी संपूर्णता और उनके घटना स्थल के परिप्रेक्ष्य में समझने में अन्वेषक को समर्थ बनाते हैं। यह सर्वेक्षण स्थानीय स्तर पर स्थानिक वितरण के प्रारूपों, उनके साहचर्य और संबंधों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाते हैं।

(v) क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रश्नों की अच्छी संरचना आवश्यक है।
इससे हम पहले बनाए प्रश्न उस व्यक्ति से पूछ सकते हैं जिससे साक्षात्कार चलता है। यह प्रश्नावली सुरक्षित है। यह प्रश्न आर्थिक स्थिति से संबंधित होने चाहिए। ताकि उनकी मुश्किलों के उत्तर मिल सकें। यह बहुत जरूरी है कि उनसे उनकी स्थिति की सही जानकारी ले ली जाए। इस प्रकार एक अच्छी प्रश्नावली बहुत आवश्यक है।

अतिरिक्त प्रश्न (Other Questions)

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय कार्य से क्या अभिप्राय है? भूगोल में क्षेत्रीय कार्य की क्या आवश्यकता है? इसके महत्त्व तथा उद्देश्य का वर्णन करो।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है या क्षेत्र परक (field oriented) है जिसमें किसी क्षेत्र के विभिन्न भागों में प्राकृतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक तत्वों में विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन मानचित्रों की सहायता से किया जा सकता है, परंतु किसी क्षेत्र का विस्तारपूर्वक तथा व्यावहारिक ज्ञान अमुक क्षेत्र में स्वयं जाकर ही प्राप्त किया जा सकता है। क्षेत्रीय अध्ययन से हमें स्थाई जानकारी प्राप्त होती है। जैसे- प्रो० फेयरग्रीव ( Fairgrieve) के अनुसार-

‘भूगोल का ज्ञान व्यक्ति अपने जूतों के तले घिसकर प्राप्त करता है।” (Geography comes through the soles of one’s shoes.) प्रो० ई० ए० फ्रीमेन के अनुसार, “भूगोल यात्रा करने तथा स्वयं अपनी आँखों से देखने का विषय है।” (Geography is a matter of travel, a matter of seeing things with our own eyes.)

क्षेत्रीय अध्ययन (Field Work )-
क्षेत्रीय अध्ययन वह क्रिया है। जिसमें किसी क्षेत्र में घूम-फिर कर प्रेक्षण किया जाता है। विशेष रूप से बनाई गई प्रश्नमाला (Questionnaire) द्वारा लोगों से पूछताछ की जाती है तथा एकत्र किए आँकड़ों को मानचित्रों द्वारा व्यक्त किया जाता है।

आवश्यकता (Necessity )-
किसी क्षेत्र के बारे में सरकार द्वारा मुद्रित आँकड़े इतने पर्याप्त नहीं होते कि उनकी मदद से भौगोलिक अध्ययन किया जा सके। इसलिए मानवीय जीवन के विभिन्न तत्वों की प्रत्यक्ष जानकारी तथा विश्लेषण केवल क्षेत्रीय अध्ययन द्वारा ही संभव है। इस प्रकार क्षेत्रीय अध्ययन किसी क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए आवश्यक है। इसलिए वातावरण के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों का अध्ययन करने के लिए क्षेत्रीय कार्य भूगोल में आवश्यक है। क्षेत्र सर्वेक्षण के दो मौलिक चरण हैं-

  1. आँकड़ों का संग्रहण (Collection of Data)
  2. आँकड़ों का प्रसंस्करण (Processing of Data)

उपग्रह चित्र भौगोलिक अध्ययन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं। परंतु क्षेत्र सर्वेक्षण नवीनतम सूचनाएं प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

महत्त्व तथा उद्देश्य (Importance and Objectives) –

  1. क्षेत्रीय अध्ययन से मानवीय क्रियाओं पर प्रभाव डालने वाले वातावरण के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तत्वों के संबंध का ज्ञान होता है।
  2. इस विधि से किसी क्षेत्र के स्थानीय भूगोल (Local Geography) के बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होता है।
  3. इस विधि से विद्यार्थियों में आपसी सहयोग (Team Spirit) तथा नेतृत्व (Leadership) की भावना जागृत होती है।
  4. इस विधि से लोगों के साथ साक्षात्कार करने का एक सुअवसर प्रदान होता है तथा निकट संबंध स्थापित होता है।
  5. क्षेत्रीय कार्य से भूगोलवेत्ता स्वयं आँकड़े एकत्र करके मानचित्र बनाने का कार्य कर सकता है।
  6. इस विधि से किसी क्षेत्र का व्यावहारिक ज्ञान (Practical knowledge) प्राप्त होता है जिससे यह कार्य सरल और रुचिकर हो जाता है।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

प्रश्न 2.
क्षेत्रीय कार्य की विभिन्न क्रियाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
क्षेत्रीय कार्य की विभिन्न क्रियाएं क्षेत्र का निरीक्षण करने, आँकड़े एकत्र करने, विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करने तथा उसे मानचित्रों पर व्यक्त करने पर निर्भर करती हैं। ये सभी कार्य विभिन्न अवस्थाओं में बांटकर एक क्रमबद्ध ढंग से किए जाते हैं। क्षेत्रीय अध्ययन की विभिन्न विधियां क्षेत्रीय अध्ययन के उद्देश्य तथा विषय पर निर्भर करती हैं। इस कार्य को निम्नलिखित चरणों (Stages) में बांटा जाता है-
1. प्रारंभिक अवस्था (Preliminary Stage )- इस चरण में क्षेत्रीय कार्य की योजना तैयार करके निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-

  1. अध्ययन क्षेत्र का चुनाव।
  2. विषय का चुनाव।
  3. क्षेत्र का एक आधार मानचित्र (Base Map) तैयार करना।
  4. आधार मानचित्र की कई प्रतिलिपियां तैयार करना।
  5. क्षेत्र का एक स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Map)-प्राप्त करना। स्थलाकृतिक मानचित्र से हमें धरातल, जलप्रवाह, भूमि उपयोग, बस्ती प्रतिरूप परिवहन आदि का पता चलता है।

2. क्रियान्वयन अवस्था (Operational Stage )- इस अवस्था में निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-

  1. क्षेत्र में जाकर स्वयं निरीक्षण करना।
  2. विषय से संबंधित प्रश्नावली (Questionnaire) तैयार करना।
  3. नवीनतम आँकड़े एकत्रित करना।
  4. क्षेत्र से कुछ चुने हुए ( लगभग 20%) भागों के नमूने का सर्वेक्षण (Sample Survey) करना।
  5. स्थलाकृतिक मानचित्र से क्षेत्र की पूरी जानकारी प्राप्त करना।

3. परिकलन अवस्था (Tabulation Stage )- इस अवस्था में प्राप्त आँकड़ों को तालिकाओं (Tables) के रूप में लिखा जाता है। इन आँकड़ों की संख्या कम करके कुछ निष्कर्ष तथा औसत आँकड़े प्राप्ता किए जाते हैं।

4. मानचित्रण अवस्था ( Mapping Stage )-

  • आँकड़ों को विभिन्न आरेखों द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • आँकड़ों की सहायता से विभिन्न मानचित्र तैयार किए जाते

5. रिपोर्ट विवरण चरण (Reporting Stage ) – सर्वेक्षण पूरा होने पर उस क्षेत्र का पूरा विवरण लिखा जाता है। उसके आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं तथा उद्देश्यों की पूर्ति संबंधी विवरण दिया जाता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रीय कार्य के लिए प्रश्नमाला तैयार करते समय किन- किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
उत्तर:
आँकड़े एकत्र करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्रश्नमाला तैयार करना आवश्यक है। इस प्रश्नमाला द्वारा लोगों से पूछताछ की जाती है। यह प्रश्नमाला ही वास्तव में क्षेत्रीय कार्य का आधार है। प्रश्नमाला बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  1. सर्वेक्षण का स्वयं निरीक्षण करके ही प्रश्नमाला बनानी चाहिए।
  2. सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य सदा ध्यान में रखना चाहिए।
  3. प्रश्न संक्षिप्त तथा सीधे होने चाहिए।
  4. प्रश्न सरल होने चाहिए ताकि उत्तर देने में कोई कठिनाई न हो।
  5. प्रश्न क्रमबद्ध तथा क्षेत्रीय कार्य से संबंधित हों।
  6. ऐसे प्रश्न नहीं होने चाहिएं जो निजी या धार्मिक हों, जिससे उत्तर देने वाले की भावना को ठेस पहुंचे।

सावधानियां (Precautions)

  1. सर्वेक्षक को उत्तर देने वाले लोगों से अच्छे संबंध स्थापित करने चाहिए।
  2. उत्तर संक्षिप्त लिखने चाहिए।
  3. प्रश्नमाला की प्रत्येक सूची का उत्तर लिखना चाहिए।
  4. अपने निजी विचार नहीं लिखने चाहिए।
  5. उत्तर देने वाले लोगों की सुविधा के अनुसार प्रश्नमाला भरने का समय निश्चित करना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रश्नावली से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकार बताएं।
उत्तर:
प्रश्नावली (Questionnaire )
प्रश्नावली विधि में पहले से तैयार किए गए प्रश्नों को कुछ चुने हुए लोगों के समक्ष रखा जाता है। प्रश्नावली संरचनात्मक अथवा असंरचनात्मक हो सकती है जब एक संरचनात्मक प्रश्नावली का प्रयोग किया जाता है तो शोधकर्ता के लिए फेरबदल की कम गुंजाइश होती है, उसे यांत्रिक तरीकों से प्रश्नों को रखते हुए उनके उत्तर लिखने पड़ते हैं। संरचना विहीन प्रश्नावलियों में, सर्वेक्षण की आवश्यकतानुसार प्रश्नों के क्रम को बदला जा सकता है। उत्तर लिखने के साथ एक मानचित्र या रेखाचित्र बनाया जा सकता है। प्रत्येक प्रश्न के साथ कोष्ठक में कुछ टिप्पणियां दी जाती हैं जो उत्तरों को संशोधित करने में प्रेक्षक को मदद देती हैं। प्रश्नों के अनेक प्रकार होते हैं किस प्रकार के प्रश्न बनाए जाएं यह वांछित आँकड़ों की प्रकृति तथा प्रश्नोत्तर देने वाले लोगों की अपनी पृष्ठभूमि पर निर्भर करता है।

प्रश्नावलियों के प्रकार (Types of Questionnaire)-

  1. सरल चयन (Simple Choice Questions)
  2. बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
  3. क्रममापक उत्तर का प्रश्न (Semantic Scale Questions)
  4. मुक्तांत उत्तर का प्रश्न (Open ended Questions)

1. सरल चयन के प्रश्न (Simple Choice Questions ) सरल चयन वाले प्रश्नों के संदर्भ में, ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में हो सकता है। उदाहरण के लिए इस प्रश्न- ‘क्या आप खेती करते हैं?’ का उत्तर ‘हाँ’ या ‘नहीं’ होगा। यह प्रश्न लोगों के व्यवसाय की जानकारी देता है।

2. बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions ) – बहुविकल्प वाले प्रश्नों के उत्तर में, कुछ विकल्प दिए जाते हैं, किन्तु उनमें से केवल एक विकल्प ही सही उत्तर होता है। उदाहरण – X प्रदेश में A स्थान पर ही चीनी मिल क्यों स्थित है? इसका संभव्य उत्तर है-

  1. भूमि की उपलब्धता
  2. श्रम की उपलब्धता
  3. पूँजी की उपलब्धता
  4. बाजार की सुगमता
  5. मालिकों अथवा उभयकर्ता की स्थान के लिए अपनी व्यक्तिगत पसन्द।
  6. कोई अन्य कारण उपरोक्त उत्तरों में से केवल एक ही उत्तर सही है।

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3. क्रममापक उत्तर का प्रश्न (Semantic Scale Questions)-
यहां पर उत्तरदाता को सोचने की श्रेणी को बिंदुमापक पर अंकित किया जाता है उत्तरदाता की सोच पक्ष अथवा विपक्ष में कितनी शक्तिशाली है, इसलिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए गरीबी हटाओ कार्यक्रम को सरकार द्वारा कैसे लागू किया जाता है?

  1. बहुत अच्छा
  2. अच्छा
  3. संतोषजनक
  4. खराब
  5. बहुत खराब यहां पर उत्तरदाता के कामों को लिख लिया जाता है।

4. मुक्तांत उत्तर का प्रश्न (Open Ended Questions )-
इस संदर्भ में, प्रश्नों को पूछा जाता है तथा उत्तरदाता के उत्तर को लिख लिया जाता है।
उदाहरण के लिए-ग़रीबी उन्मूलन हेतु सरकार को क्या कदम उठाने चाहिएं?
इस प्रश्न का उत्तर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच उनकी व्यक्तिगत, सामाजिक तथा आर्थिक पृष्ठभूमि के अनुसार अलग-अलग होगा।

प्रश्न 5.
क्षेत्र सर्वेक्षण संबंधी उपकरणों का वर्णन करें।
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण हेतु आवश्यक व्यवस्था तथा उपकरण (Equipment)-सर्वेक्षण करने के लिए क्षेत्र में जाने से पहले, उससे संबंधित पुस्तकालयों में प्रकाशित जानकारी का अध्ययन आवश्यक होता है। इस प्रकार एकत्रित सूचनाएं, अध्ययन के आधार के रूप में कार्य करती हैं। यह क्षेत्र में मिलने वाले संभावित लक्षणों की पूर्व जानकारी प्रदान करता है। क्षेत्र में ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था करना नहीं भूलना चाहिए।

क्षेत्र में जाते समय निम्न उपकरणों को ले जाना चाहिए-

  1. आवश्यक ड्राइंग सामग्री सहित एक लेखन पुस्तिका (Field Book)।
  2. कार्य की प्रकृति तथा शिक्षक द्वारा निर्देश अनुसार सर्वेक्षण- उपकरण (Survey Instruments)।
  3. मानचित्र पर प्रदर्शित लक्षणों का क्षेत्र के लक्षणों से तुलना करने के लिए क्षेत्र का स्थलाकृतिक सर्वेक्षण मानचित्र (Topographical Maps )
  4. विशिष्ट लक्षणों का फोटोचित्र प्राप्त करने के लिए कैमरा (Camera)।
  5. दूर से भूदृश्यों को सरलतापूर्वक देखने के लिए दूरबीन (Birnoculars)।
  6. शैल नमूने तोड़ने के लिए हथौड़ा (Hammer)।
  7. मिट्टी के नमूने लेने के लिए मृदा प्रतिदर्श (Rock Specimens)
  8. शैलों के नमूने रखने के लिए बैग (Bag)
  9. अन्य सामग्रियां।

प्रश्न 6.
किसी गांव का भूमि उपयोग सर्वेक्षण कैसे किया जाता है? इस सर्वेक्षण में प्रयोग की जाने वाली प्रश्नावली तैयार करो।
उत्तर:
भूमि उपयोग सर्वेक्षण (Land Use Survey)
1. परिचय (Introduction )-भारत एक कृषि प्रधान देश है। किसी क्षेत्र में कृषि की विशेषताएं प्रकार तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी एक गांव को इकाई मान कर भूमि उपयोग सर्वेक्षण किया जाता है।
2. उद्देश्य (Aims )-

  1. कृषि क्षेत्र में भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करना।
  2. भूमि उपयोग को मानचित्र पर दिखाना।
  3. बोई जाने वाली फ़सलों की जानकारी प्राप्त करना।
  4. मिट्टी की किस्में तथा उत्पादकता ज्ञात करना।
  5. सिंचित क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करना।

3. विधि (Method)-
(क) प्रारंभिक अवस्था सबसे पहले पटवारी से गांव का भूकर मानचित्र (Cadastral Map) प्राप्त किया जाता है जिस पर प्रत्येक खेत की सीमा तथा खसरा नंबर लिखा जाता है। इस मानचित्र की कई प्रतिलिपियां तैयार की जाती हैं। गांव की स्थिति निर्धारित की जाती है।

(ख) क्रियान्वयन अवस्था इसके पश्चात् गांव के पटवारी के रिकॉर्ड से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त की जाती है-

क्रम संख्याभूमि का आकार
1.गांव की कुल भूमि
2.कृषि के लिए प्राप्त न होने वाली भूमि
3.अन्य अकृषित भूमि
4.कृषिकृत भूमि
5.कुल सिंचित भूमि
6.कुल असिंचित भूमि
7.खेतों की कुल संख्या
8.खेतों का औसत आकार

किसानों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची तैयार की जाती है। क्षेत्रीय कार्य की तिथि तथा समय निश्चित किया जाता है। खेतों को विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है।
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(ग) क्षेत्रीय कार्य – गांव के खेतों का क्रमवार निरीक्षण किया जाता है। प्रत्येक किसान से खेतों के आकार, उनका उपयोग तथा फ़सलों की जानकारी प्राप्त की जाती है। इस जानकारी को प्रश्नमाला में लिख लिया जाता है। मुख्यतः आषाढ़ी (Rabi) तथा सावनी (Kharif) दो प्रकार की फ़सलें बोई जाती हैं। भूमि उपयोग तथा मिट्टियों को दिखाने के लिए विभिन्न रंगों तथा आभाओं का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न फ़सलों को दिखाने के लिए चिह्नों तथा अक्षर प्रयोग किये जाते हैं।

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(घ) मानचित्र – आँकड़ों की सहायता से भूमि उपयोग दिखाने के लिए मानचित्र बनाए जाते हैं जिनमें विभिन्न प्रविधियां प्रयोग की जाती हैं। फ़सलों के लिए विभिन्न रंगों तथा आभाओं का प्रयोग किया जाता है।

(ङ) रिपोर्ट – इन मानचित्रों का विश्लेषण करके कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं जिससे कई प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। जैसे-

  1. गांव में कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल
  2. खेतों की कुल संख्या
  3. मिट्टी के मुख्य प्रकार
  4. आषाढ़ी तथा सावनी की मुख्य फ़सलें
  5. कृषिकृत क्षेत्रफल
  6. भूमि उपयोग की सघनता की त्रुटियां
  7. भूमि उपयोग में सुधार तथा अधिक विकास की संभावनाएं (8) कुल सिंचित क्षेत्र।

प्रश्न 7.
कृषि क्षेत्र में मृदा प्रदूषण, औद्योगिक क्षेत्र में वायु प्रदूषण तथा यातायात वाहनों द्वारा नगरीय क्षेत्र में प्रदूषण सर्वेक्षण का वर्णन करो।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का सर्वेक्षण (Survey of Environmental Pollution )-पर्यावरण प्रदूषण में मृदा प्रदूषण, जलप्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा शोर प्रदूषण सम्मिलित किए जाते हैं।
(क) सर्वेक्षण विधि –

  1. प्रदूषण के कारणों तथा प्रदूषित करने वाले ठोस अपशिष्ट पदार्थों के बारे में जानकारी क्षेत्र के निवासियों से बातचीत द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
  2. प्रदूषण फैलाने वाले कारक, आस-पास के क्षेत्रों पर प्रदूषण का प्रभाव लोगों के द्वारा झेली गई कठिनाइयां तथा
  3. मिट्टी के अनुपजाऊ होने के बारे में भी बता सकते हैं।
  4. क्षेत्र सर्वेक्षण को अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन में प्रयुक्त तकनीकों, विभिन्न लाभान्वित होने वाले लोगों की भूमिका, समस्या के समाधान के लिए किए गए प्रयासों एवं अभी तक के परिणामी विकास को भी देखना चाहिए।

1. औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण – औद्योगिक क्षेत्र में ईंधन तथा रसायनों द्वारा प्रदूषण होता है।

उद्योगों द्वारा पर्यावरण के प्रदूषण की अनुसूची
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2. यातायात के साधनों द्वारा प्रदूषण – विभिन्न वाहन, जैसे- बसें, ट्रक, कारें, तिपहिया व दुपहिया वाहन आदि पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। यह समस्या नगरीय इलाकों में अधिक होती है।
वाहनों द्वारा प्रदूषण की प्रश्नावली
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3. कृषि क्षेत्र में रासायनिक पदार्थों से प्रदूषण – कृषि | रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इससे पर्यावरण का प्रदूषण क्षेत्र में कृषि की उपज को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के होता है।
मृदा प्रदूषण की प्रश्नावली
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प्रश्न 8.
किसी क्षेत्र में ग़रीबी का क्षेत्र सर्वेक्षण करने की विधि तथा उद्देश्य बताओ।
उत्तर:
गरीबी का क्षेत्र सर्वेक्षण (Field Study of Poverty )-गरीबी के मुख्य कारण बेरोजगारी तथा अशिक्षा हैं। गरीबी का सामाजिक अध्ययन किसी मलिन बस्तियों के प्रत्येक परिवार का अध्ययन हो सकता है।
गरीबी का मापदंड-

  1. लोगों की औसत आमदनी,
  2. उन को प्राप्त कैलोरी की मात्रा
  3. चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता
  4. व्यवसाय आदि
  5. क्षेत्र में जनसंख्या का वितरण
  6. मानव निवास-स्थान,
  7. भोजन, वस्त्र एवं सामाजिक- सांस्कृतिक संबंध।

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उद्देश्य –

  1. सरकार द्वारा विभिन्न गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों द्वारा किए जा रहे प्रयासों, उनका क्षेत्र के लोगों पर प्रभावों का भी प्रभावी प्रश्नावलियों के माध्यम से निश्चय किया जा सकता है।
  2. आँकड़ों का विश्लेषण तथा अध्ययन से क्षेत्र में गरीबी के स्तर का पता लगाया जा सकता है।
  3. गरीबी के मुख्य कारणों का पता लग सकता है।

गरीबी सर्वेक्षण की प्रश्नावली
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प्रश्न 9.
किसी क्षेत्र में मृदा ह्रास, सूखा तथा बाढ़ व ऊर्जा संबंधी अध्ययन की सर्वेक्षण विधि बताओ।
उत्तर:
मृदा ह्रास का अध्ययन (Soil Degradation ) -मृदा पर कृषि उपज तथा उत्पादकता निर्भर करती है। इसलिए मृदा ह्रास सर्वेक्षण आवश्यक है-
ऐसा अध्ययन संपन्न करने के लिए मिट्टी की विभिन्न सतहों पर मिट्टी के प्रतिदर्श (Sample) प्राप्त करने के लिए मृदा नमूना प्राप्त करने वाले उपकरण का प्रयोग किया जा सकता है। क्षेत्र के विभिन्न खेतों से मृदा-प्रतिदर्श प्राप्त किये जा सकते हैं प्रतिदर्शो के विभिन्न थैलों (Bags) में अथवा शीशे की नलियों (Glass Tubes) में रखकर स्थान का नाम तथा क्रमांक लिख देते हैं। ऊपरी मिट्टी (Top Soil), मध्यवर्ती मिट्टी ( Sub Soil), कड़ी तह एवं मूल शैलों (Parent Rocks) आदि को अलग-अलग प्रदर्शित करने के लिए उनकी आरेखीय परिच्छेदिकाएं बनानी चाहिए। मृद्रा ह्रास के मापदंड के लिए तत्व-

  1. क्षेत्र के फसल प्रारूप,
  2. भूमि उपयोग प्रतिरूप,
  3. सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता,
  4. अपवाह,
  5. जल भराव,
  6. खारापन तथा क्षारीय स्तर
  7. वनस्पतियों का अंकन करना। इनका मानचित्र, कटाव के स्तर के आधार पर किया जाता है। परिणाम का विवेचन करते समय क्षेत्र में मिट्टी की दशा के सुधार हेतु विभिन्न रणनीतियों का सुझाव भी देना होता है।

सूखा तथा बाढ़ का अध्ययन (Study of Droughts and Floods)-
सूखा तथा बाढ़ अक्सर आते रहते हैं। इनमें भी मात्रा में जन-धन की हानि होती है। बाढ़ क्षेत्रों तथा सूखाग्रस्त क्षेत्रों के मानचित्र तथा इनके प्रभावों को कम करने वाली योजनाओं को तैयार करना आज का महत्त्वपूर्ण कार्य हो गया है।

मुख्य पक्ष (Main Aspects )-
इन योजनाओं के तीन मुख्य पक्ष होने चाहिए

  1. दिये गए मानक स्तर पर आधारित अधिकतम सीमा तक खतरों में कमी करना (Reduction of Risk),
  2. सीमाओं के भीतर खतरों में अनुकूलतम कमी (Optimum Risk Reduction),
  3. जीवन तथा सम्पत्ति की रक्षा (Saving lives and property)।

मापदंड-

  1. किसी प्राकृतिक (Disaster) विपदा द्वारा की जा सकने वाली अधिकतम क्षति का मात्रात्मक तथा गुणात्मक दोनों ही रूपों में आकलन किया जाना।
  2. किसी प्रदेश की अनुकूलतम वहन क्षमता (Carrying Capacity) का भी आकलन तथा गणना।
  3. उन क्रिया-कलापों का जिनसे आपदाएँ उत्पन्न हो सकती हैं, उनकी सीमाओं को भी निर्धारित किया जाना चाहिए।
  4. नियंत्रक तरीकों को भी विकसित किया जाना चाहिए जिससे आपदाओं में प्रभावशाली तरीके से कमी भी की जा सके।
  5. लोगों की सक्रिय भागीदारी महत्त्वपूर्ण है।
  6. तकनीकी तथा अतकनीकी उपायों दोनों पर ही बल दिया जाना चाहिए।
  7. आपदा प्रवण क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा सांख्यिकीय एवं आंकिक विधियों का कंप्यूटर की सहायता से बने सूक्ष्म मानचित्रों के द्वारा पूर्वानुमान करना चाहिए।

ऊर्जा संबंधी अध्ययन (Study of Energy Issues )-
विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण तथा नगरीय ऊर्जा उपभोग प्रारूप की निगरानी करने वाले सर्वेक्षण किए जा सकते हैं। अनेक पारिस्थितिकी दृष्टि से कमजोर क्षेत्रों में तथा पर्वतीय क्षेत्रों, पहाड़ियों तथा वन क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी (Fire Wood) ईंधन का अभी भी महत्त्वपूर्ण साधन है। बहुत-से शोधकार्य का निष्कर्ष है कि ग्रामीण ईंधन उपभोग निर्वनीकरण का (Deforestation) महत्त्वपूर्ण कारण नहीं था, बल्कि यह बहुत कुछ शाखाओं तथा टहनियों को तोड़ने तक सीमित था।

किंतु नगरीय लकड़ी जलाऊ लट्ठों के रूप में प्राप्त की जाती थी जिसने सीधे जंगलों पर दबाव डाला ऐसा भारत में वर्तमान स्थिति के बाद विशेषज्ञों की राय में ग्रामीण ईंधन उपभोग की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के बाद कहा गया जो एक नई रोचक जानकारी है। ऐसे नए मुद्दों पर लगातार सर्वेक्षण किया जा सकता है तथा लोगों के वृक्षारोपण संबंधी कार्य का नियमित सर्वेक्षण किया जा सकता है। सर्वेक्षण का एक अति महत्त्वपूर्ण क्षेत्र ईंधन के मूल्यों से संबंधित भी होगा।

मौखिक परीक्षा के प्रश्न
(Questions For Viva-Voce)

प्रश्न 1.
क्षेत्र सर्वेक्षण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब हम स्वयं किसी क्षेत्र में जाकर अध्ययन करते हैं तो उसे क्षेत्र सर्वेक्षण कहते हैं।

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प्रश्न 2.
क्षेत्र सर्वेक्षण के दो चरण बताओ।
उत्तर:
आँकड़ों का संग्रहण तथा प्रसंस्करण |

प्रश्न 3.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या है?
उत्तर:
वे मानचित्र जो किसी क्षेत्र के धरातल, अपवाह तथा मानवीय लक्षणों को दिखाते हैं।

प्रश्न 4.
सैंपल सर्वेक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब सारे क्षेत्र का सर्वेक्षण करने की बजाय उसके एक भाग का ही सर्वेक्षण करें, तो उसे सैंपल सर्वेक्षण कहते हैं।

प्रश्न 5.
मानचित्र दिक् विन्यास किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की प्रमुख दिशाओं के अनुरूप मानचित्र सैट करना।

प्रश्न 6.
पर्यावरण के प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
जल, स्थल, वायु, जीव-जंतु।

प्रश्न 7.
प्रदूषण के प्रमुख कारण बताओ।
उत्तर:
उद्योग, परिवहन, रसायन तथा अपशिष्ट पदार्थ।

प्रश्न 8.
मानचित्र दिक् विन्यास की तीन विधियां बताओ।
उत्तर:

  1. सूर्य की सहायता से
  2. ट्रफ कंपास की सहायता से
  3. वस्तुओं की सापेक्षिक तुलना से।

प्रश्न 9.
क्षेत्र सर्वेक्षण हेतु तीन उपकरण बताओ।
उत्तर

  1. नोट बुक
  2. स्थलाकृतिक मानचित्र
  3. कैमरा।

प्रश्न 10.
स्थिर तत्व के तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
इमारतें, खेत, नहरें।

प्रश्न 11.
प्रश्नावलियों के चार प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. सरल प्रश्न
  2. बहुविकल्पी प्रश्न
  3. क्रममापक प्रश्न
  4. मुक्तांत प्रश्न।

प्रश्न 12.
आँकड़े निर्धारित करने की विधि बताओ।
उत्तर:
मिलान चिह्न।

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प्रश्न 13.
भू-उपयोग में विभिन्न फसलें किस प्रकार दिखाई जाती हैं?
उत्तर:
रंगों तथा आभाओं द्वारा।

प्रश्न 14.
भौमजल स्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूमिगत जल की ऊपरी सतह।

प्रश्न 15.
प्राकृतिक आपदाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
सूखा तथा बाढ़।

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HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 4 आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 4 आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग Textbook Exercise  Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 4 आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(i) निम्नलिखित आंकड़ों के प्रदर्शन के लिए आप किस प्रकार के ग्राफ का उपयोग करेंगे?

राल्यलौह अयस्क उपादन का आंश (प्रतिशत में)
मध्य प्रदेश23.44
मोवा21.82
कर्नाटक20.95
बिहार16.98
ओडिशा16.30
आंध्र प्रदेश0.45
महाराष्ट्र0.04

(क) रेखा
(ख) बहुदंड आलेख
(ग) वृत्त आरेख
(घ) उपयुक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) वृत्त आरेख।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 4 आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग

(ii) राज्य के अंतर्गत जिलों का प्रदर्शन किस प्रकार के स्थानिक आंकड़ों द्वारा होगा?
(क) बिंदु
(ख) रेखाएँ
(ग) बहुभुज
(घ) उपयुक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) बिंदु।

(iii) एक वर्कशीट के सेल में दिए गए सूत्र में वह कौन-सा प्रचालक है जिसका पहले परिकलन किया जाता है?
(क) +
(ख) –
(ग) /
(घ) ×
उत्तर:
(घ) ×

(iv) एक सेल में विजार्ड पंक्शन आपको समर्थ बनाता है-
(क) ग्राफ रचना में
(ख) गणितीय और सांख्यिकीय क्रियाओं को करने में
(ग) मानचित्र आलेखन में
(घ) उपयुक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) ग्राफ रचना में।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) एक्सेल में विजार्ड फंक्शन आपको समर्थ बनाता है।
उत्तर:
एक्सेल विजार्ड फंक्शन हमें वर्कशीट की संख्या चयनित आंकड़ा परिसर और दंड आरेख का पूर्व दर्शन प्रकट करता है क्योंकि आंकड़ों में वर्ग पंक्ति अनुसार व्यवस्थित होते हैं, इसलिए इसे पंक्ति- अनुसार चार्ट निर्माण कहा जाता है।

(ii) एक कंप्यूटर के विभिन्न भागों की हस्तेन विधियों की तुलना में कंप्यूटर के प्रयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कंप्यूटर एक तीव्र तथा सर्वतोमुखी मशीन है जो जोड़ना, घटाना, गुणा अथवा भाग जैसे साधारण अंकगणितीय संक्रियाएँ कर सकता है तथा जटिल गणितीय सूत्रों को भी हल कर सकता है। यह आंकड़ों के प्रक्रमक है जो चलने पर मानव प्रचालक के हस्तक्षेप के बिना अलग-अलग गणितीय अभिकलन कर सकता है।

(iii) आंकड़ा प्रक्रमण और प्रदर्शन की हस्तेन विधियों की तुलना में कंप्यूटर के प्रयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कंप्यूटर के प्रयोग से हम आंकड़ों का समूहन और विश्लेषण अत्यधिक सरलता से कर पाते हैं। कंप्यूटर तुलनात्मक विश्लेषण को मानचित्रों के आरेखन अथवा आलेखन द्वारा अत्यंत सरल बना देता है। यह आसानी से आंकड़ों को प्रमाणीकरण, पड़ताल और सशुद्धि के योग्य बना देता है। कंप्यूटर आंकड़ों की विशाल मात्रा का निपटान कर सकता हैं जो सामान्यतः हाथों द्वारा संभव नहीं है। कंप्यूटर आंकड़ों की प्रतिलिपि बना सकता है, आंकड़ों का संपादन कर सकता है, उन्हें सुरक्षित कर सकता है।

(iv) वर्कशीट क्या होती हैं?
उत्तर:
एम एस एक्सेल को स्प्रैड शीट प्रोग्राम भी कहते है। स्प्रैडशीट एक आयतकार पेज होती है जो सूचना का भंडारण करती है। और यह स्प्रैडशीट वर्कबुक्स और एक्सेल फाइलों में होती है। एक्सेल वर्कशीट में 16384 कतारें तथा 256 कॉलम होते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों से अधिक न दें
(i) स्थानिक व गैर-स्थानिक आंकड़ों में क्या अंतर है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थानिक आंकड़े: स्थानिक आंकड़े भौगोलिक दिक् स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिंदु आंकड़े मानचित्र पर प्रदर्शित विद्यालय, अस्पताल, कुएँ, कस्बे तथा गाँव जैसे कुछ भौगोलिक लक्षणों की अवस्थिति संबंधी विशेषताओं का प्रदर्शन करते हैं। इसी प्रकार रेखाएँ सड़कों, रेलवे लाइनों, नहरों, नदियों, शक्ति और संचार पथों जैसे रैखिक लक्षणों को चित्रित करती हैं।

गैर स्थानिक आंकड़े: स्थानिक आंकड़ों का वर्णन करने वाले आंकड़े गैर-स्थानिक आंकड़े तथा गुण न्यास कहलाते हैं। अगर आपके पास आपके विद्यालय की स्थिति दर्शाने वाला मानचित्र है तो आप विद्यालय का नाम, इसके द्वारा प्रदूत विषय – धारा, हर एक कक्षा में विद्यार्थियों की अनुसूची, पुस्तकालय इत्यादि की सुविधा जैसी सूचनाओं को संलग्न कर सकते हैं।

(ii) भौगोलिक आंकड़ों के तीन प्रकार कौन से हैं?
उत्तर:
भौगोलिक आंकड़े अंकीय तथा रेखीय रूप में उपलब्ध होते हैं।
कंप्यूटर के प्रयोगः मानचित्रण सॉफ्टवेयर – मानचित्रण सॉफ्टवेयर स्थानिक तथा गुण न्यास निवेश के माध्यम से स्क्रीन पर क्रमवीक्षित मानचित्रों के अंकीकरण, मापनी के रूपांतरण और प्रक्षेपण, आंकड़ा समन्वय, मानचित्र डिजाइन, प्रदर्शन तथा विश्लेषण की क्रियाएँ प्रदान करता है। एक अंकरूपीय मानचित्र में तीन प्रकार की फाइलें होती है। इन फाइलों के विस्तारण shpishx तथा dbf हैं। डी बेस फाइल हैं जिसमें गुण न्यास होता है तथा यह shx तथा shp से जुड़ी होती हैं।

अतिरिक्त प्रश्न (Other Questions)

लघु उत्तरीय प्रश्न 
(Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर हार्डवेयर के मुख्य भाग कौन से है?
उत्तर:
कम्प्यूटर हार्डवेयर के मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:-
(i) केंद्रीय प्रक्रमण (CPU) और भंडारण तंत्र
(ii) आलेखी प्रदर्शन तंत्र और मॉनीटर
(iii) निवेश उपकरण
(iv) बहिर्वेश उपकरण

प्रश्न 2.
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकताएँ स्पष्ट रूप में बताएँ।
उत्तर:
कम्प्यूटर में हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर दोनों ही आंकड़ों के प्रक्रमण तथा मानचित्र के सहायक के रूप में समाविष्ट होते हैं। कम्प्यूटर के हार्डवेयर में भंडारण, प्रदर्शन तथा निवेशी तथा बहिर्वेशी उपतंत्र को शामिल किया जाता है और इसके उलट सॉफ्टवेयर इलैक्ट्रॉनिक संकेतों के द्वारा बनाए गए क्रमादेश को शामिल किया जाता है। कम्प्यूटर सहायता प्राप्त आंकड़ों के प्रक्रमण तथा मानचित्रण में हार्डवेयर घटर तथा संबंधित अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर दोनों की ही आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 3.
स्प्रैड शीट क्या होती हैं?
उत्तर:
स्प्रैड शीट एक पेज है जो आयताकार आकार में होता है और यह सूचना का भंडारण भी करती है। वर्कबुक्स तथा एक्सेल फाइलों में भी स्प्रैडशीट अवस्थित होती हैं। एक्सेल स्प्रैडशीट में 16384 कतारें तथा 256 कॉलम होते हैं।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 4 आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग

प्रश्न 4.
कम्प्यूटर क्या कर सकता है?
उत्तर:
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण है। इसके अपने कई हिस्से होते हैं जिनमें कुछ हैं, मैमोरी, माइक्रो प्रोसैसर, निवेश एवं निर्गत उपकरण। कम्प्यूटर के यह सारे हिस्से मिलकर बहुत ही अधिक प्रभावशाली उपकरण मतलब कम्प्यूटर का निर्माण करते हैं। इसके द्वारा आंकड़ा पेशकारी प्रक्रिया तथा संचालन का काम अच्छे ढंग के साथ किया जा सकता है। कम्प्यूटर की सहायता के साथ जोड़ तथा घटाव से लेकर तर्क से हल करने वाले सारे साधारण तथा जटिल प्रश्न हल किये जा सकते हैं।

प्रश्न 5.
स्थानीय आंकड़े कौन-से होते हैं?
उत्तर:
जो आंकड़े किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति को दर्शाते हैं उनको स्थानीय आंकड़े कहते हैं। इसे आमतौर पर बिन्दु रेखाओं तथा बहुर्भुज के रूप में मिलते हैं। इसमें ट्यूवबैल, कस्बे, गाँव, अस्पताल इत्यादि बिन्दुओं की सहायता के साथ रेल की लाइनों, नदियों इत्यादि रेखाओं की सहायता के साथ भूमि, तालाब, झीलों, जंगल, जिले इत्यादि बहुभुजों की सहायता से दिखाये जाते हैं।

निबंधात्मक प्रश्न
(Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर के अलग-अलग हिस्सों के क्या काम हैं?
उत्तर:
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण है। आमतौर पर हम इस प्रणाली को दो हिस्सों में विभाजित करते हैं:-
(i) यंत्र सामग्री (Hardware)- सारे कम्प्यूटर के भाग जिनकों हाथ से छुआ जा सके।
(ii) प्रक्रिया सामग्री ( Software) कम्प्यूटर के जिस हिस्से को हाथ से हुआ न जा सके।
(i) यंत्र सामग्री (Hardware)
कम्प्यूटर के भौतिक हिस्से जिनको हम देख या छू सकते हैं, वह हार्डवेयर कहलाते हैं। यह भाग मशीनी, इलैक्ट्रॉनिक या इलैक्ट्रीकल हो सकते हैं वह कम्प्यूटर के यंत्र सामग्री कहलाते हैं। हर कम्प्यूटर की यंत्र सामग्री अलग-अलग हो सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि संगठक किस उद्देश्य के लिए प्रयोग में लाया जा सके तथा व्यक्ति की आवश्यकता क्या है एक कम्प्यूटर में विभिन्न तरह के हार्डवेयर होते हैं जैसे कि सी. पी. .यू.. हार्ड डिस्क, रैम, प्रोसैसर, मॉनीटर, मदरबोर्ड, फ्लापी ड्राइव इत्यादि। कम्प्यूटर के सिर्फ पावर सप्लाई यूनिट की-बोर्ड, माऊस इत्यादि भी यंत्र सामग्री के अंतर्गत आते हैं।

(ii) प्रक्रिया सामग्री (Software) कम्प्यूटर हमारी तरह हिन्दी या अंग्रेजी भाषा नहीं समझता। हम कम्प्यूटर को जो निर्देश देते हैं वह एक नियत भाषा होती है इसको मशीनी लँगवेज ( भाषा) या मशीन की भाषा कहते हैं। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर लिखित प्रोग्रामों का एक समूह है। जो कि कम्प्यूटर की भंडार शाखा में जमा हो जाता है। आजकल कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें कम्प्यूटर का उपयोग नहीं होता। आज कम्प्यूटर का प्रयोग हर कार्यालय में किया जाता है।

कम्प्यूटर के भाग हैं-
(1) निवेश एवं निर्गत उपकरण (Input output Device)- इन उपकरणों का प्रयोग कम्प्यूटर में निवेश करने के लिए तथा कम्प्यूटर द्वारा निर्गत दिखाने के लिए किया जाता है। निवेश उपकरण जैसे की-बोर्ड का प्रयोग, आंकड़ों तथा प्रोग्रामों को कम्प्यूटर स्मृति में भरने के लिए किया जाता है। दूसरी प्रकार चूंकि एक कम्प्यूटर के भीतर सभी आँकड़ों कार्यक्रमों को कोड स्वरूप में वैद्युत धारा में संचित किया जाता है, निर्गत उपकरणों जैसे प्रिंटर, प्लाटर इत्यादि का प्रयोग इन आंकड़ों की सूचनाओं के रूप में बदलने के लिए किया जाता है जिनका मानव द्वारा उपयोग किया जा सके।

(2) सिस्टम यूनिट (System Unit)- सिस्टम यूनिट को सिस्टम कैबिनेट भी कहा जाता है। कम्प्यूटर के इस भाग के कई हिस्से हैं जैसे मदरबोर्ड, रैम तथा प्रोसैसर सिस्टम यूनिट के अंदर ही आते हैं।

(3) मैमोरी (Memory) कम्प्यूटर में मैमोरी का प्रयोग प्रोग्राम तथा डाटा को संग्रहित करने के लिए होता है, ताकि बाद में जरूरत के अनुसार उसका प्रयोग किया जा सके। मैमोरी किसी भी कम्प्यूटर का एक काफी महत्त्वपूर्ण अंग होता है। मैमोरी का उपयोग परिणामों को संग्रहित करने के लिए भी किया जाता है। मैमोरी दो प्रकार की होती हैं-
(A) रोम (Rom)- इसको Read only Memory कहते हैं। इसमें जो जानकारी होती है उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता बस सिर्फ उसे पढ़ा जा सकता है।
(B) रैम (Ram)-Random Access Memory इसका प्रयोग तब होता है जब कम्प्यूटर पर काम करते हैं। यह जानकारी सिर्फ तब तक रहती है जब तक आपका कम्प्यूटर काम कर रहा होता है। कम्प्यूटर को बंद करते ही रैम की जानकारी नष्ट हो जाती है।

(4) संग्राहक उपकरण (Storage Unit) एक कम्प्यूटर में कई संग्राहक इकाइयाँ जैसे हार्ड डिस्क, फ्लापी, टेप, मैगनेट, आप्टिकल डिस्क, कांपेकट डिस्क (सीडी), कार्टिज इत्यादि लगे होते हैं जिनका प्रयोग आंकड़ों तथा कार्यक्रम-निर्देशों को संचित करने के लिए होता है। इन युक्तियों की आंकड़ा संग्रहण करने की क्षमता मेगाबाइड (MB) से गीगाबाइड (GB) तक होती है।

(5) संचार (Communication)- संचार के लिए काफी उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इन यंत्रों का उपयोग एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर के साथ जोड़ने के लिए तथा इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए किया जाता है। वाई फाई रिसीवर, मोड्स इत्यादि इस वर्ग में शामिल हैं।

(6) सॉफ्टवेयर का एक हिस्सा आँकड़ा प्रक्रिया की पेशकारी के लिए प्रयोग के लिए तथा कम्प्यूटर के माध्यम से तालमेल बिठाता है। तत्वों को क्रमवार करने के लिए अशुद्धियों को हटाने के लिए, आंकड़ों के जोड़-तोड़ तथा संभाल इत्यादि काम सॉफ्टवेयर द्वारा किये जाते हैं। प्रमुख सॉफ्टवेयर हैं- MS Excel Spreadsheet, Lotus-1,2,3 तथा D Base, Arc-view, Are GIS Geomedia इत्यादि। इनके द्वारा सॉफ्टवेयर नक्शे बनाने के लिए अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
स्थानिक तथा गैर स्थानिक आंकड़ों में क्या अन्तर है? उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर:
स्थानिक तथा गैर-स्थानिक आंकड़ों में अंतर निम्नलिखित
स्थानिक आंकड़े

  1. स्थानीय आंकड़े किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति को दर्शाते। यह धरती पर किसी स्थान को दर्शाता है।
  2. स्थानीय आंकड़ों में किसी क्षेत्र जैसे अस्पताल, स्कूल इत्यादि क्षेत्रों की भौगोलिक विशेषताओं के बारे में दिखाया जाता है।
  3. इनको तैयार करना थोड़ा मुश्किल होता है।
  4. इसमें लकीरों की सहायता के साथ नदियों, रेलवे लाइन इत्यादि दिखाये जाते हैं।
  5. जब नक्शे के ऊपर केवल स्कूल को दिखाया जाता है उसको स्थानीय आँकड़े कहते हैं।
  6. Shx तथा Shq फाइलों में स्थानिक आंकड़े होते हैं।

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गैर-स्थानिक आंकड़े

  1. जब कोई डाटा / आंकड़ा हमें धरती की किसी जगह के बारे में ज्ञान करवाए वह गैर-स्थानिक आंकड़े कहलाते हैं।
  2. गैर-स्थानिक आंकड़े में नम्बर, अंक, व्यक्ति या श्रेणियों की संख्या इत्यादि को दिखाया जाता है।
  3. गैर स्थानीय आंकड़े तैयार करने आसान होते हैं।
  4. गैर-स्थानीय आंकड़ों की सहायता के साथ आंकड़ों की विशेषता के बारे में दिखाया जाता है।
  5. अगर स्कूल का नाम, कक्षा कक्षों तथा विद्यार्थियों की संख्या के बारे में बताया जाए। तब वह गैर-स्थानीय आंकड़े कहलाते हैं।
  6. dbf एक dbase फाइल होती है कि shx तथा shp फाइलों से जुड़े होते हैं।

उदाहरण- जब हम किसी स्कूल, कस्बे, गाँव इत्यादि की भौगोलिक विशेषता को बिन्दुओं, बहुभुजों या लकीरों की सहायता से नक्शे पर दिखाते हैं, तो उसे स्थानीय आंकड़े कहते हैं। तथा अगर हम स्कूल का नाम, कक्षा, बच्चों की संख्या, गाँव, कस्बे में घर, घरों में व्यक्तियों की संख्या का अध्ययन करते हैं तब वह गैर-स्थानीय आंकड़ों की उदाहरण मानी जाती है।

प्रश्न 3.
वर्कशीट (कार्यपत्रक) क्या है?
उत्तर:
वर्कशीट (कार्यपत्रक) आमतौर पर एक कागज की शीट होती है जिस पर विद्यार्थियों के लिए कुछ प्रश्न लिखे होते हैं तथा उत्तर लिए जाते हैं। एक्सल वर्कशीट एकहरी स्प्रैडशीट होती है जिसका प्रयोग आंकड़ा प्रक्रिया, नक्शे तथा रेखाचित्र इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है। वर्कशीट टर्म का प्रयोग एक स्प्रैडशीट सॉफ्टवेयर के तौर पर भी किया जाता है तथा एक एकाऊंटैंट की तरफ से प्रयोग किए गये एक पेपर जिस पर कोई रिकार्ड लिखा है, को वर्कशीट का नाम दिया जाता है। वर्कशीट शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1900 में की गयी।

एक कक्षा के कमरे में वर्कशीट से भाव उन कागज़ों की शीटों से है, जिन पर प्रश्न तथा कुछ अभ्यास योग्य प्रश्न विद्यार्थी के लिए पूरा करने तथा जवाब रिकॉर्ड करने के लिए बनाई गई होती है। एकाऊंट में वर्कशीट का अर्थ है, एक खुले पन्ने होते हैं जिसमें वर्क शैड्यूल, काम का समय, खास हिदायतों इत्यादि का रिकॉर्ड रखा जाता है तथा कम्प्यूटर में एक्सल वर्कशीट में आंकड़े बहुत ही सरल तरीके के साथ दाखिल तथा जमा किये जा सकते हैं।

आंकड़ों की नकल की जा सकती है या एक सैल से दूसरे सैल में भेजे जाते हैं। इसके द्वारा आंकड़े मिटाये जा सकते हैं। इस वर्कशीट द्वारा काम के आंकड़े स्थाई तौर पर संभाले जा सकते हैं। इस तरह आंकड़े सरलता से दाखिल किये जाते हैं। कालम बनाकर आंकड़े दाखिल करने के समय नम्बर- पैड के साथ ऐंटर की क्रिया या डाऊन चिह्नित का प्रयोग किया जाता है। स्तरों में आंकड़ों को दाखिल करते समय नम्बर पैड के साथ राइट चिह्नित का भी प्रयोग किया जाता है।

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HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए –
(i) केंद्रीय प्रवृत्ति का जो माप चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होता है वह है ?
(क) माध्य
(ख) माध्य तथा बहुलक
(ग) बहुलक
(घ) माध्यिका
उत्तर:
(क) माध्य।

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(ii) केंद्रीय प्रवृत्ति का वह माप जो किसी वितरण के उभरे भाग से हमेशा संपाती होगा वह है –
(क) माध्यिका
(ग) माध्य
(ख) माध्य तथा बहुलक
(घ) बहुलक।
उत्तर:’
(ख) माध्य तथा बहुलक।

(iii) ऋणात्मक सहसंबंध वाले प्रकीर्ण अंकन में अंकित मानी के वितरण की दिशा होगी –
(क) ऊपर बाएँ से नीचे दाएँ
(ख) नीचे बाएँ से ऊपर दाएँ
(ग) बाएँ से दाएँ
(घ) ऊपर दाएँ से नीचे बाएँ।
उत्तर:
(क) ऊपर बाएँ से नीचे दाएँ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) माध्य को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
माध्य इसे औसत मान भी कहा जाता है। यह एक औसत कई मात्राओं के योग का निरूपक होता है। यह एक ऐसी संख्या होती है जो न्यूनाधिक रूप में संख्याओं की श्रृंखला को निरूपित या प्रदर्शित करती हैं। अतः औसत को कुल जनसंख्या के एक मध्यवर्ती मान या प्रवृत्ति के रूप में लिया जा सकता है इसका मूल्य अधिकतम तथा न्यूनतम मूल्य के बीच होता है।

(ii) बहुलक के उपयोग के क्या लाभ हैं? उत्तर – बहुलक के उपयोग के लाभ इस प्रकार हैं –
1. बहुलक की गणना सरलता से निरीक्षण विधि द्वारा की जा सकती है।
2. बहुलक पर श्रृंखला के चरम मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता।
3. किसी श्रृंखला में सबसे अधिक बार आने के कारण, यह उसका सर्वोत्तम प्रतिनिधि होता है।
4. अंकों के प्रभाव की हालत में भी बहुलक ज्ञात किया जा सकता
5. बहुलक की व्यावहारिक उपयोगिता अधिक है किसी वस्तु की अधिक मात्रा के कारण उसका उत्पादन अधिक होता है।
6. बहुलक को रेखाचित्र द्वारा भी प्रदर्शित करके इसे सरल रूप दिया जा सकता है।

(iii) अपकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अपकिरण केंद्रीय प्रवृत्तियों के अंकों के बिखराव के मापन से संबंधित है अपरिकण किसी हदों के मापन के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है जो किसी व्यक्तिगत विषय तथा संख्यात्मक आंकड़ों की प्रवृत्ति के बदलाव अथवा औसत मूल्य के फैलाव से संबंधित है। इसलिए हम कह सकते हैं कि अपकिरण एक डिग्री है। जो फैलाव या प्रकीर्ण अथवा केंद्रीय मानक मापन के फेरबदल से संबंधित है।

(iv) सहसंबंध किसे कहते हैं?
उत्तर:
सहसंबंध (Correlation ) –
दो भिन्न प्रकार के चरों के एक बंटन को दविचरीय वितरण कहते हैं, ये दोनों चर उस अवस्था में आपस में सह-संबंधित कहलाते हैं जब एक चर में परिवर्तन दूसरे चर में संगती परिवर्तन उत्पन्न होता है। प्रथम चर जिसके कारण दूसरे चर में परिवर्तन होता है स्वतंत्र (x) कहलाता है जबकि दूसरा चर आश्रित चर (v) के रूप में जाना जाता है। दो चरों के मध्य साहचर्य की मात्रा तथा दिशा का आंकलन सरल अथवा द्विचर सह संबंध कहलाता है सह संबंध की माप का सर्वाधिक प्रचलित स्वरूप पियर्सन का गुणन आघूर्ण सह संबंध गुणांक (r) है। का मूल्य +1 से 1 के बीच प्रसारित होता है।

(v) पूर्ण सहसंबंध किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूर्ण सहसंबंध दो चरों के मध्य विशिष्ट साहचार्य को दर्शाने के लिए प्रयोग होता है यह दो मानों के बिखराव अथवा प्रकीर्णन दर्शाते हैं। इसे प्रकीर्ण आरेख अथवा प्रकीर्ण अंकन भी कहते हैं जब एक सरल रेखा प्रकीर्ण आरेख के निचले बाएँ से ऊपरी दाएँ भाग की ओर जाती है तो वह पूर्ण धनात्मक सहसंबंध कहलाता है। सहसंबंध को अधिकतम सीमाएँ 1 (एक) होती है। यह 1 से ज्यादा कभी भी नहीं हो सकती। सहसंबंध 1 को पूर्ण सहसंबंध कहते हैं।

(vi) सहसंबंध की अधिकतम सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
सहसंबंध की अधिकतम सीमाएँ (एक) होती है। यह 1 से ज्यादा कभी भी नहीं हो सकती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए –
(i) आरेखों की सहायता से सामान्य तथा विषम वितरणों में माध्य, माध्यिका तथा बहुलक की सापेक्षिक स्थितियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
केन्द्रीय प्रवृत्ति के तीनों मापों की तुलना सामान्य वितरण वक्र की सहायता से आसानी से की जा सकती है। यह इस प्रकार है –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 2
सामान्य वितरण की एक विशेषता होती है। इसमें माध्य, माध्यिका तथा बहुलक का मान समान होता है क्योंकि वितरण सामान्य सममित होता है। ज्यादातर इकाइयाँ वितरण के माध्य में अथवा माध्य के निकट होती है। ज्यादा उच्च तथा ज्यादा निम्न मूल्यों की बारंबारता अधिक नहीं होता तथा विरले ही होते हैं। अगर आंकड़े किसी प्रकार विषम और विकृत हो तो माध्य, माध्यिका और बहुलक संपाती नहीं होंगे और विषम आंकड़ों के प्रभाव पर विचार करने की जरूरत है।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 3
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 1

(ii) माध्य, माध्यिका तथा बहुलक की उपयोगिता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
माध्य, माध्यिका तथा बहुलक काफी उपयोगी हैं इनकी विशेषता इस प्रकार है-

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

माध्य –
1. सरलता – समांतर माध्य सभी केंद्रीय प्रवृत्तियों में से उत्तम है जिसे समझना सरल है।
2. प्रतिनिधि मूल्य- माध्य सभी मूल्यों का प्रतिनिधि मूल्य है।
3. निश्चित मूल्य – समांतर माध्य सदा एक ही रहता है जिसका निश्चित मूल्य होता है।
4. स्थिर मूल्य- माध्यम का स्थिर मूल्य होता है। किसी श्रेणी के निर्देशन में परिवर्तन से प्रभाव नहीं पड़ता। यह संतुलित मूल्य है।

माध्यिका –
1. माध्यिका ज्ञात करना एक सरल विधि है।
2. माध्यिका चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होती है।
3. अपूर्ण आँकड़ों के बावजूद इसकी गणना की जा सकती है।4. खुले सिरे वाली श्रृंखला में माध्यिका का मूल्य सुगमता से प्राप्त हो जाता है।
5. माध्यिका का मूल्य ग्राफ की सहायता से भी ज्ञात किया जा सकता है।
6. माध्यिका का मूल्य सदैव निश्चित होता है।

बहुलक –
1. बहुलक की गणना सरलता से निरीक्षण विधि द्वारा की जा सकती है।
2. बहुलक पर श्रृंखला के चरम मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता।
3. किसी शृंखला में सबसे अधिक बार आने के कारण, यह उसका सर्वोत्तम प्रतिनिधि होता है।
4. अंकों के अभाव की हालत में भी बहुलक ज्ञात किया जा सकता है।
5. बहुलक की व्यावहारिक उपयोगिता अधिक है। किसी वस्तु की अधिक मात्रा के कारण उसका उत्पादन अधिक होता है।

(iii) एक काल्पनिक उदाहरण की सहायता से मानक विचलन के गणना की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
विचलन के माप की दूसरी विधि, जो औसत माध्य का प्रयोग कर प्राप्त की जाती है मानक विचलन कहलाती है। इसे वर्ग माध्य-मूल विचलन भी कहते हैं। मानक विचलन किसी श्रेणी के | विभिन्न मूल्यों के समांतर माध्य से निकाले गए विचलनों के वर्गों के माध्य का वर्गमूल होता है। इसे ग्रीक भाषा के अक्षर (σ) सिगमा से प्रकट किया जाता है।

(σ) सिगमा
मानक विचलन की गणना की प्रक्रिया। निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से मानक विचलन की गणना की जाती है –
(सिगमा) σ = \(\sqrt{\frac{\sum(x-\bar{x})^2}{N}}\) यहाँ σ = मानक विचलक (S.D)
\(\sum(x-\bar{x})^2\) = Sum total of squares of Deviation
N = Numbers of items.
उपरोक्त विधि अधिक उबाऊ बन जाती है अगर x की कीमत दशमलव पाइंट में तथा प्रेक्षणों की संख्या बहुत बड़ी हो। इस हालात में हम निम्नलिखित shortcut method का प्रयोग कर सकते हैं-
\(\sqrt{\frac{\sum x^2}{N}-\left(\frac{\sum \bar{x}}{N}\right)^2}\)

उदाहरण:
निम्नलिखित तालिका हमें वर्षा के पिछले दस सालों के आंकड़े पेश करता है। मानक विचलक की गणना –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 4

(iv) प्रकीर्णक का कौन-सा माप सबसे अधिक अस्थिर है तथा क्यों ?
उत्तर:
यह देखा जाता है कि माध्य दो आंकड़ों के समूहों से प्राप्त किया जाता है। जैसे कि इन तालिकाओं में दिखाया गया है –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 5
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 6

इन तालिकाओं में माध्य एकसमान है जो 50 है। तालिका में उच्चतम व निम्नतम मान क्रमशः 55 तथा 45 हैं। तालिका में दिए गए वितरण में ये अधिकतम तथा न्यूनतम मान क्रमश: 98 तथा 00 हैं। यहां पर दोनों ही वितरणों का माध्य एकसमान है। तथा द्वितीय वितरण जो कि अधिक अस्थिर तथा विषम है कि अपेक्षा प्रथम वितरण स्थिर और समरूप हैं। इससे हमें वितरण या श्रेणी के संघटन की प्रकृति का ज्ञान होता है तथा इसकी सहायता से दिए हुए वितरण की तुलना स्थिरता अथवा समरूपता के आधार पर हो जाती है।

(v) सहसंबंध की गहनता पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जब सहसंबंध की दिशा ऋणात्मक तथा धनात्मक के विषय में संदर्भ आ जाता है तो स्वाभाविक तौर पर यह जानने के लिए जिज्ञासा जागृत होती है कि दोनों चरों में अनुरूपता तथा साहचर्य की गहनता की मात्रा कितनी है। इस साहचर्य की गहनता की मात्रा गणितीय दृष्टि से अधिकतम 1 (एक) तक होती हैं। इस मात्रा में सहसंबंध की दिशा का पहलू जोड़ने पर इसका अधिकतम विस्तार – 1 से शून्य की ओर होते हुए +1 तक होता है। इसका मान किसी भी स्थिति में एक से ज्यादा नहीं हो सकता।

(vi) कोटि सहसंबंध की गणना से विभिन्न चरण कौन-से हैं ?
उत्तर:
निम्नलिखित चरणों के द्वारा कोटि सहसंबंध की गणना की जा सकती है –
(1) आंकड़े के अनुकरण से संबंधित X-Y परिवर्ती या जो कि अभ्यास में दी गयी है अथवा उनकी पहले तथा दूसरे कॉलम में रखकर तालिका बना ली।
(2) दोनों परिवर्तीयों की अलग-अलग दर्जों में दो-दो । X – दर्जी की परिवर्ती को तीसरे चरण में रिकार्ड कर XR (Rank dx ) शीर्षक दिया जाए। इसी प्रकार रैंक Y- परिवर्ती (YR) को चौथे चरण में रखा जाए।
(3) अब दोनों XR अथवा YR को प्राप्त करने के बाद दोनों ही सैटों के रैंक का रिकार्ड करके पांचवें चरण में रखा जाए।
(4) इस प्रकार के हर मतभेद के चौकोर और अन्य कॉलमों को प्राप्त किया जाए और इनके मान को छठवें कॉलम में लिखा जाए।
(5) इसके बाद रैंक सहसंबंध की संगणना की जाए, निम्नलिखित समता का प्रयोग करके –
\(\mathrm{P}=1-\frac{6 \sum \mathrm{D}^2}{\mathrm{~N}\left(\mathrm{~N}^2-1\right)}\) यहाँ पर P = Rank Correlation
ED2 = Sura of the squares of the difference between two sets of Ranks
N = The number of pairs of X-Y.

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

अतिरिक्त प्रश्न (Other Questions)

प्रश्न 1.
केंद्रीय प्रवृत्तियों के माप से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
केंद्रीय प्रवृत्तियों के माप – ‘केंद्रीय प्रवृत्ति के माप’ सांख्यिकी विश्लेषण की एक महत्त्वपूर्ण तकनीक है। कई बार संपूर्ण आँकड़ों के लिए एक प्रतिनिधि मान को प्राप्त करना आवश्यक हो जाता है। यह मान विभिन्न आँकड़ों के बीच तुलना करने में सहायक होते हैं। यह माप सभी आँकड़ों के मध्य या केंद्र में होता है, इसलिए इसे केंद्रीय प्रवृत्ति के माप कहते हैं। ऐसे सारांश मान जो विभिन्न बंटन – निरूपकों को दर्शाते हैं, उनको केंद्रीय प्रवृत्ति के मापक कहते हैं। (The summary values that are representative of the various distributions are known as measures of central tendency.) इन मापों में प्रमुख निम्नलिखित माप हैं –
(i) माध्य अथवा औसत (Average or Mean)
(2) माध्यिका (Median)
(3) बहुलक (Mode)

प्रश्न 2.
माध्य किसे कहते हैं ? इसके प्रकार बताओ।
उत्तर:
माध्य (Mean ):
इसे औसत मान भी कहा जाता है। माध्य या औसत कई मात्राओं के योग का निरूपक होता है। यह एक ऐसी संख्या होती है जो न्यूनाधिक रूप में संख्याओं की श्रृंखला को निरूपित या प्रदर्शित करती है। अतः औसत को कुल जनसंख्या के एक मध्यवर्ती मान या प्रवृत्ति के रूप में लिया जा सकता है। इसका मूल्य अधिकतम तथा न्यूनतम मूल्य के बीच होता है।

माध्य तीन प्रकार के होते हैं –
(1) अंकगणितीय माध्य
(2) ज्यामितीय माध्य
(3) हरात्मक (हारमोनिक) माध्य।

प्रश्न 3.
अंकगणितीय माध्य (Arithmetic Mean) से क्या अभिप्राय है ? यह किस प्रकार ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर;
अंकगणितीय माध्य (Arithmetic Mean ):
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप का सबसे सरल रूप माध्य है, सभी भिन्न-भिन्न मानों के योग की कुल संख्या से भाग देने पर माध्य ज्ञात होता है।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 7
उदाहरण – किसी गांव के पांच विभिन्न परिवारों की मासिक आय ₹100, ₹80, ₹120, ₹90 और ₹60 हैं तो इन परिवारों की माध्य आय =
(1) यह एक सरल विधि है।
(2) श्रेणी के सभी मदों को जोड़ कर ज्ञात करें।
(3) सभी मदों की गिनती ज्ञात करें।
\(\bar{X}=\frac{100+80+120+90+60}{5}=\frac{450}{5}=₹ 90\)
माध्य = \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\sum x}{n}\)

1. अवर्गीकृत आँकड़ों के लिए (For Ungrouped Data) –
किसी भी क्षेत्र में कृषक परिवारों की संख्या तथा X1, X2, X3,………… Xn क्रमश: पहले, दूसरे, तीसरे और वें किसान परिवार की आय को प्रकट करें तो माध्य
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\mathrm{X}_1+\mathrm{X}_2+\mathrm{X}_3 \ldots \ldots \ldots \mathrm{X}_n}{n}\) = \(\frac{\Sigma X}{n}\)
(जबकि \(\overline{\mathrm{x}}\) = माध्य ∑X = प्रेक्षणों का योग n = संख्या)

2. वर्गीकृत आँकड़ों के लिए (For Grouped Data):
इस अवस्था में माध्य निकालने की दो विधियां हैं –
(1) प्रत्यक्ष विधि (Direct Method)
(2) लघु विधि (Short-cut Method)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तालिका में दिए गए आँकड़ों के आधार पर माध्य निकालो-
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 8
उत्तर:
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method):
(1) यह एक सरल विधि है। इसमें मदों के साथ आवृत्ति (x) भी दी जाती है।
(2) प्रत्येक मद का मध्यमान (x) ज्ञात करो। इसे आवृत्ति (f) से गुणा करके f (x) ज्ञात करो।
(3) सभी मदों के f (x) का योग ज्ञात करो तथा इसे मदों की संख्या से भाग दें।
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\sum f(x)}{n}\)
माध्य = \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f x}{n}=\frac{390}{30}\) = 13 acres.

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

2. लघु विधि (Short-cut Method):
(1) प्रत्येक मद (वर्ग) का माध्य मूल्य (x) ज्ञात करो।
(2) एक मद को कल्पित माध्य (अस्थायी माध्य) मान लो (A)
(3) प्रत्येक माध्य मूल्य (x) से कल्पित मूल्य (A) घटा कर विचलन (dx) ज्ञात करो ।
(4) प्रत्येक मद की आवृत्ति (f) को विचलन से गुणा करो तथा इनका योग ∑f (dx) ज्ञात करें।
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d \overline{\mathrm{X}}}{n}\)

अस्थायी माध्य A =12.5 acres
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 9
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{n}\) = 12.5 + \(\frac {15}{30}\) = 13acres

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तालिका में दिए गए आँकड़ों का माध्य निकालो।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 10
उत्तर:
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method):
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 11
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f x}{n}=\frac{3000}{100}\) = 30 Marks

2. लघु विधि (Short-cut Method) –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 12
माध्य = \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\sum f d x}{n}\) = 25 + \(\frac {500}{100}\) = 30 marks.

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका में किसी स्थान की वर्षा के आँकड़े दिए गए हैं। माध्य ज्ञात करो ।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 13
उत्तर:
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method)
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 14
माध्य = \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f \cdot x}{n}=\frac{4595}{90}\) = 51.06m.m

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2. अप्रत्यक्ष विधि (Indirect method):
अस्थायी (कल्पित) माध्य = A = 50
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 15
माध्य = \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f \cdot x}{n}=\frac{4595}{90}\)
= 50 + \(\frac {95}{90}\)
= 50 + 1.06 = 51.06 m. m

प्रश्न 7.
50 छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों का प्रतिशत निम्नलिखित है। माध्य ज्ञात करो।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 16
उत्तर:
अंकगणितीय माध्यम की गणना निम्न चरणों में की जाएगी –
चरण (Step):
1. न्यूनतम मान (L) और अधिकतम मान (H) की प्राप्ति।
(यहां L = 46 तथा H = 96)

चरण (Step) 2.
परिसर की गणना करने के लिए अधिकतम से न्यूनतम को घटाएं।
परिसर R = अधिकतम न्यूनतम (R =H – L) = 96 – 46 = 50

चरण (Step) 3.
परिसर को इच्छित संख्या के वर्गों (N) से विभाजित कर वर्ग अंतराल (C. I.) निर्धारित करें।
वर्ग अंतराल C. I. = \(\frac {परिसर}{वर्ग N}\)
5 वर्ग (N) लेने पर अंतराल = \(\frac {50}{5}\) = 10
वर्गों की यह संख्या न तो बहुत अधिक होनी चाहिए और नही बहुत कम।

चरण (Step) 4.
वर्ग सीमा का निर्धारण करें। (निचली तथा ऊपरी सीमा) इसके लिए वर्ग अंतराल को न्यूनतम मान (L) के साथ उतनी बार जोड़ें जब तक कि अधिकतम मान (H) प्राप्त न हो जाए।
इस प्रकार न्यूनतम सीमा अगली सीमा अगली सीमा
इस प्रकार न्यूनतम सीमा = 46 (निम्नतम मान L )
अगली सीमा = 46 + (10 × 1 ) = 56
अगली सीमा = 46 + (10 × 2) = 66
अगली सीमा = 46 + (10 × 3 ) = 76
अगली सीमा = 46 + (10 × 4 ) = 86
और अधिकतम सीमा = 46 + (10 × 5 ) = 96 (अधिकतम मान H )
अतः
प्रथम I वर्ग होगा – 46 से 56
II वर्ग होगा – 56 से 66
III वर्ग होगा – 66 से 76
IV वर्ग होगा – 76 से 86
वर्ग होगा – 86 से 96

चरण (Step) 5.
आँकड़ों को बारंबारता सारणी में 5 वर्गों सहित मिलान चिह्नों की सहायता से व्यवस्थित करें।
सारणी-अंकों का बारंबारता बंटन
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 17

चरण (Step) 6.
अब बारंबारता को उनके संगत मानों से गुणा करें, उन्हें जोड़कर प्राप्त करते हैं। ∑fxm

चरण (Step) 7.
अंकगणितीय माध्य की गणना सूत्र का प्रयोग करें,
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f x m}{\Sigma f}\) = \(\frac{3750}{50}\) = 75
नोट – बारंबारता की संकल्पना का प्रयोग अन्य प्रकार के औसतों/ माध्यों की गणना से भी किया जाता है।

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प्रश्न 8.
समांतर माध्य के गुण-दोष बताओ।
उत्तर:
समांतर माध्य (Arithmatic Mean) के गुण (Merits) –
1. सरल (Simple)-समांतर माध्य सभी केंद्रीय प्रवृत्तियों में से सरल है जिसे समझना बहुत सरल है।
2. प्रतिनिधि मूल्य (Representative Value )-माध्य सभी मूल्यों का प्रतिनिधि मूल्य है।
3. निश्चित मूल्य (Certain Value )-समांतर माध्य सदा एक ही रहता है जिसका निश्चित मूल्य होता है।
4. स्थिर मूल्य (Stable Value )-माध्यम का स्थिर मूल्य होता है। किसी श्रेणी के निर्देशन ( Sample) में परिवर्तन से प्रभाव नहीं पड़ता। यह संतुलित मूल्य है।
5. समूह की तुलना (Comparison )-माध्य की सहायता से अंकों के समूहों की तुलना करना आसान है।
n = 90 ∑f.dx = 95

दोष (Demerits) –
1. चरम मूल्यों का माध्य पर प्रभाव (Effect of Extreme Values)-बहुत बड़ी या बहुत छोटी संख्या माध्य पर प्रभाव डालती है।
उदाहरण:
एक कम्पनी के मैनेजर का मासिक वेतन ₹50,000 है तथा अन्य तीन क्लर्कों का वेतन ₹3,500, 1,500, 1,000 है।
औसत वेतन = \(\frac{50,000+3,500+1,500+1,000}{4}\) = ₹14,000 यह वेतन प्रतिनिधि मूल्य नहीं है।
2. अप्रतिनिधि तथा अवास्तविक – समांतर माध्य श्रेणी में उपस्थित नहीं होता।
3. हास्यप्रद परिणाम – समांतर माध्य से कई बार हास्यप्रद तथा असंगत परिणाम निकलते हैं।
4. भ्रमात्मक निष्कर्ष कई बार समांतर माध्य की सहायता से प्राप्त निष्कर्ष भ्रमात्मक होते हैं।

प्रश्न 9.
गुणोत्तर माध्य किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
गुणोत्तर माध्य (Geometric Mean):
n मानों का गुणोत्तर माध्य उदाहरणतः x1,x2,x3,x4, ……………. xn मानों के भागफल के वें वर्गमूल के रूप में परिभाषित किया जाता है। अतः इसे गणितीय रूप में निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
गुणोत्तर माध्य = \(\left(x_1, x_2, x_3, x_4, \ldots \ldots \ldots x_n\right)^{\frac{1}{n}}\)
= \(\left(x_1 x_2 x_3 \ldots \ldots \ldots x_n\right)^{\frac{1}{n}}\) निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से गुणोत्तर माध्य की गणना की जा सकती है।
उदाहरण:
अर्थव्यवस्था में चार वर्षों की वृद्धि दर को क्रमशः 4, 8, 8 तथा 16 प्रतिशत दिया गया है।
अतः गुणोत्तर माध्य = \((4 \times 8 \times 8 \times 16)^{\frac{1}{4}}\)
यहां n = 4 है क्योंकि मदों की संख्या 4 है।
= 4 × 8 × 8 × 16 = 4096
= 4096 का चतुर्थ मूल 8 प्रतिशत।

गुणोत्तर माध्य के उपयोग-गुणोत्तर माध्य अधिक उपयोगी औसत होता है अगर आँकड़े अनुपात के रूप में हों। अगर आँकड़े परिवर्तन के रूप में हो तो असंगत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

प्रश्न 10.
माध्यिका किसे कहते हैं ? इसे किस प्रकार ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर:
माध्यिका (Median ) – यह केंद्रीय प्रवृत्ति का एक मुख्य माप है। इसका अर्थ है-मध्य मूल। किसी भी श्रेणी की माध्यिका वह मूल्य है जो श्रेणी को दो बराबर भागों में बांटता है। एक भाग में वे मूल्य होते हैं, जो माध्यिका से अधिक होते हैं तथा दूसरे भाग में वे मूल्य होते हैं, जो माध्यिका से कम होते हैं। उदाहरण के लिए 40, 42, 38, 45, 50, 52, 55 की माध्यिका 45 है। माध्यिका किसी दी हुई श्रृंखला के मानों का औसत होता है। इस पर श्रृंखला की चरम सीमाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है।

माध्यिका ज्ञात करना –
अवर्गीकृत आँकड़ों के लिए (For Ungrouped Data):
(1) माध्यिका प्राप्त करने के लिए हम पहले आँकड़ों को आरोही तथा अवरोही क्रम में रखते हैं।
(2) इस प्रकार श्रृंखला के मध्य में जो मूल्य आता है, वहा माध्य कहलाता है।
(3) जब आँकड़ों की संख्या विषय ( odd ) हो तो माध्यिका ज्ञात करने का सूत्र –
M = \(\text { Size of }\left(\frac{N+1}{2}\right) \text { th item }\)
M = माध्यिका
N = मदों की संख्या

(4) जब आँकड़ों की संख्या सम (Even) हो तो माध्यिका ज्ञात करने का सूत्र
M = \(\frac{1}{2}\left(\frac{\mathrm{N}}{2} \text { th Item }+\frac{\mathrm{N}}{2}+1 \text { th item }\right)\)
मान लो किसी श्रेणी में 8 संख्याएं हैं तो \(\frac {N}{2}\) संख्या 4th संख्या होगी तथा \(\frac {N}{2}\) + 1 संख्या 5th संख्या होगी। इस प्रकार चौथी तथा पाँचवीं संख्या का औसत ही माध्यिका होगी।

माध्यिका वह मान है जो श्रृंखला को दो बराबर भागों में इस प्रकार बाँटता है कि माध्यिका के चरों के सही-सही केंद्रीय स्थान या स्थिति वाले मान के रूप में लगभग आधे मान इससे नीचे या कम और शेष आधे इसके ऊपर या अधिक होते हैं।
उदाहरण:
पाँच व्यक्तियों, अ ब स द य जिनकी आयु क्रमश: 20, 21, 19, 23 तथा 22 वर्ष दी गई है, के लिए माध्यिका की गणना कीजिए, माध्यिका की गणना निम्नलिखित चरणों में होगी –

चरण 1.
आँकड़ों को एक आरोही या अवरोही क्रम में सारणीबद्ध कीजिए।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 18

चरण 2.
मध्यवर्ती संख्या का मान ही माध्यिका है।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

प्रश्न 11.
किसी बस्ती के 12 परिवारों की मासिक आय नीचे दी गई है, इसकी माध्यिका ज्ञात करो –
परिवारों की आय (₹ में)
140, 150, 130, 135, 170, 190, 500, 210, 205, 195, 290, 200
उत्तर:
आँकड़ों को आरोही क्रम में लिखने पर –
130, 135, 140, 150, 170, 190, 195, 200, 205, 210, 290, 500

आँकड़ों को अवरोही क्रम में लिखो
500, 290, 210, 205, 200, 195, 190, 170, 150, 140, 135, 130
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 22
माध्यिका (M) =
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 20

प्रश्न 12.
निम्नलिखित सारणी में दिल्ली के मासिक तापमान के आँकड़े दिए गए हैं। दिल्ली के तापमान की माध्यिका ज्ञात करें।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 21
उत्तर:
तापमान के आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 19
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 23
माध्यिका (M) = \(\frac {N+1}{2}\) वीं मद = \(\frac {12+1}{2}\) = 6.5 वीं मद
6.5 वीं मद का आकार = \(\frac {6वीं मद + 7वीं मद}{2}\) = \(\frac{26+28}{2}=\frac{54}{2}\) = 27°C

प्रश्न 13.
माध्यिका के गुण-दोष बताओ।
उत्तर:
माध्यिका के गुण (Merits) –
1. सरल विधि-माध्यिका ज्ञात करना एक सरल विधि है।
2. चरम मूल्यों का निम्नतम प्रभाव-माध्यिका चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होती है।
3. आँकड़ों के अभाव में प्रयोग-अपूर्ण आँकड़ों के बावजूद इसकी गणना की जा सकती है।
4. खुले सिरे वाली शृंखला में उपयोग-खुले सिरे वाली शृंखला में माध्यिका का मूल्य सुगमता से प्राप्त हो जाता है।
5. ग्राफिक विधि-माध्यिका का मूल्य ग्राफ की सहायता से भी ज्ञात किया जा सकता है।
6. निश्चित मूल्य-माध्यिका का मूल्य सदैव निश्चित होता है।
7. माध्यिका शृंखला के मूल्यों का प्रतिनिधि होता है। यह संपूर्ण बंटन के लिए गुरुत्व का केन्द्र होता है। यह गुणात्मक तथ्यों (सुन्दरता, ईमानदारी आदि) का अध्ययन करने के लिए सर्वोत्तम है।

माध्यिका के दोष (Demerits) –
(1) समंकों को आरोही तथा अवरोही क्रम में रखना आवश्यक है जिस पर अधिक समय लगता है।
(2) माध्यिका श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होती। यह केवल अनुमानित तथा स्थिति संबंधी माध्य है।
(3) यह एक उपयुक्त माध्य नहीं है क्योंकि यह चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होती।
(4) सम संख्याओं की दशा में यह दो संख्याओं के मध्य एक अनुमानित संख्या होती है।
(5) यह अनियमित आँकड़ों के लिए उपयुक्त विधि नहीं है।
(6) अधिक आँकड़े होने पर माध्यिका ज्ञात करना कठिन होता है।

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प्रश्न 14.
बहुलक (Mode) किसे कहते हैं ? इसे किस प्रकार ज्ञात किया जाता है ? उसके गुण-दोष बताओ।
उत्तर:
बहुलक (Mode) – आँकड़ों का वह मूल्य है जो सबसे अधिक बार आता है, बहुलक कहलाता है। इस विशेष मान के चारों ओर आँकड़ों का सबसे अधिक संकेंद्रण होता है। यह मूल्य श्रेणी का प्रतिनिधि मूल्य है तथा सबसे अधिक लोकप्रिय होता है। निरीक्षण विधि (Inspection Method) द्वारा बहुलक ज्ञात करने की विधि-इस विधि में यह निश्चित करना पड़ता है कि कौन-सा मद सबसे अधिक बार आ रहा है अर्थात् जिस मूल्य की आवृत्ति सबसे अधिक होती है उसे बहुलक कहते हैं। जब खंडित श्रेणी की आवृत्तियां नियमित रूप से बढ़ती या घटती हैं तो अधिकतम आवृत्ति बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है।

उदाहरण:
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 24
उपर्युक्त श्रृंखला से स्पष्ट है कि ₹ 40 की आवृत्ति 8 है जो सबसे अधिक है। इसलिए बहुलक (Z = ₹ 40) है।
उदाहरण:
निम्नलिखित बंटन से बहुलक ज्ञात करें। 2,10,5,7,9,2,7,11,17,7,8 बहुलक का मान निम्नलिखित चरणों में प्राप्त किया जा सकता है –

चरण 1.
आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करके सारणीबद्ध करो।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 25

चरण 2.
आरोही एवं अवरोही दोनों ही क्रमों में ‘ 7 ‘ का मान सबसे अधिक बार अर्थात् 3 बार आता है।
अत: बहुलक =7
बहुलक के गुण (Merits) –
(1) बहुलक की गणना सरलता से निरीक्षण विधि द्वारा की जा सकती है।
(2) बहुलक पर शृंखला के चरम मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता।
(3) किसी शृंखला में सबसे अधिक बार आने के कारण, यह उसका सर्वोत्तम प्रतिनिधि होता है।
(4) अंकों के अभाव की हालत में भी बहुलक ज्ञात किया जा सकता है।
(5) बहुलक की व्यावहारिक उपयोगिता अधिक है। किसी वस्तु की अधिक मात्रा के कारण उसका उत्पादन अधिक होता है।
(6) बहुलक को रेखाचित्र द्वारा भी प्रदर्शित करके इसे सरल रूप दिया जा सकता है।

बहुलक के दोष (Demerits) –
(1) दो से अधिक समंकों की बारंबारता समान होने के कारण, बहुलक एक अनिश्चित व अस्पष्ट माध्य है।
(2) बहुलक सभी मदों पर आधारित नहीं होता।
(3) बहुलक कभी-कभी असत्य और भ्रमात्मक भी हो सकता है।
(4) बहुलक ज्ञात करने में चरम मूल्यों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
(5) अधिक संख्याएं न होने पर बहुलक एक महत्त्वपूर्ण माप नहीं है।
(6) वर्ग विस्तार बदलने पर बहुलक भी बदल जाता है।

प्रश्न 15.
विचलन की माप क्या है ? इसके प्रकार बताओ।
उत्तर:
विचलन की माप (Measures of Deviation) –
विचलन या विक्षेपण का सामान्य अर्थ चरों का एक केंद्रीय मान से बिखराव या विभिन्नता होता है। विचलन के चार वैकल्पिक मानों को हम लेंगे –
(1) परिसर (Range)
(2) माध्य विचलन (Mean Deviation)
(3) मानक विचलन (Standard Deviation)
(4) चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation)

प्रश्न 16.
परिसर से क्या भाव है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो कि माध्य विचलन कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर:
परिसर (Range) –
परिवर्तनशीलता का सबसे सरल माप परिसर है। यह माप किसी शृंखला में अधिकतम $(\mathrm{H})$ एवं न्यूनतम $(\mathrm{L})$ मानों में अंतर के रूप में परिभाषित किया जाता है।
Range = Highest – Lowest

उदाहरण:
निम्नलिखित 5 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त प्रतिशत अंकों के आधार पर परिसर ज्ञात कीजिए। पांच विद्यार्थियों द्वारा प्राप्तांक क्रमशः $83,96,72,46$ और 68 है। परिसर की गणना निम्नवत् होगी –
चरण 1. (Step 1) –
दिए ग़ए उदाहरण में अधिकतम (H) एवं न्यूनतम (L) को ज्ञात करें।
H = 96
L = 46

चरण 2. (Step 2) –
निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग कर हम परिसर की गणना करेंगे-
R = H – L
R = 96 – 46 = 50%
परिसर विचलन की माप का अपरिष्कृत (Crude) मापन है क्योंकि इसमें परिसर के अंतर्गत मानों के वितरण (बंटन) के स्वरूप की कोई सूचना उपलब्ध नहीं होती। परिसर ज्ञात करना आसान है क्योंकि यह केवल दो चरम अंकों पर आधारित है।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

माध्य विचलन एवं निरपेक्ष वितरण (Mean Deviation) –
माध्य विचलन (MD) माध्य (X) से निरपेक्ष विचलन (उनके चिह्नों ±) पर ध्यान दिए बिना) होता है। गणितीय सूत्र के रूप में माध्य विचलन (MD) को निम्नवत लिखा जा सकता है –
M.D = \(\frac{\sum|x-\bar{x}|}{N}\)
जहां
x = जनसंख्या का कोई मान
\(\bar{x}\) = जनसंख्या का माध्य
N = जनसंख्या की कुल संख्या

माध्य विचलन एक वैज्ञानिक माप है क्योंकि यह समांतर माध्य से विभिन्न मानों के बीच विचलनों का औसत है। उदाहरण-निम्नलिखित जनसंख्या के लिए माध्य विचलन की गणना कीजिए –
6,8,4,12,5
माध्य विचलन की गणना निम्नवत करते हैं –
(1) सभी मदों को (X) मान लो।
(2) समांतर माध्य \(((\overline{\mathrm{X}})\) ज्ञात करो।
(3) प्रत्येक मद में से \(\overline{\mathrm{X}}\) घटाओ। \((\mathrm{X}-\overline{\mathrm{X}}=d)\)
(4) प्रत्येक विचलन को जोड़ कर ∑d ज्ञात करें।
(5) विचलनों के योग को मदों की संख्या (N) से भाग दो।

चरण (Step) 1.
औसत माध्य \(((\overline{\mathrm{X}})\) की गणना कीजिए –
\(((\overline{\mathrm{X}})\) (अंकिक माध्य) = \(\frac{6+8+4+12+5}{5}\) = \(\frac{35}{5}\)= 7

चरण (Step) 2.
सारणी स्वरूप में प्रत्येक चर अंक में से माध्य मान को घटाइए –
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 26
चरण (Step) 3. अत: निरपेक्ष माध्य विचलन होगा
= \(\frac{1}{N} \Sigma|X \pm \bar{X}|=\frac{12}{5}\) = \(\frac{\sum|X-\bar{X}|}{N}=\frac{12}{5}\) = 2.4

प्रश्न 17.
मानक विचलन तथा चतुर्थक विचलन से क्या अभिप्राय है ? इन्हें ज्ञात करने की विधि बताओ।
उत्तर:
मानक विचलन (Standard Deviation) –
विचलन के माप की दूसरी विधि, जो औसत माध्य [(A.M. (7)] का प्रयोग कर प्राप्त की जाती है मानक विचलन (σ) कहलाती है। इसे वर्ग माध्य-मूल विचलन भी कहते हैं। मानक विचलन किसी श्रेणी के विभिन्न मूल्यों के समांतर माध्य से निकाले गए विचलनों के वर्गों के माध्य का वर्गमूल होता है। इसे ग्रीक भाषा के अक्षर (σ) सिग्मा से प्रकट किया जाता है। गणितीय सूत्र में इसे निम्नवत रखा जाता है –
\(\left.\underset{(\text { सिग्मा) }}{\sigma}=\sqrt{\left[\Sigma{ }^{(\mathrm{X}-\overline{\mathrm{X}})^2}\right.}\right]\)

उदाहरण:
निम्नलिखित बंटन का मानक विचलन ज्ञात करें।
6,8,4,2,5
मानक विचलन की गणना निम्न चरणों में होगी –

चरण (Step) 1.
औसत माध्य A.M. \((\overline{\mathrm{X}})\) ज्ञात करें –
\((\overline{\mathrm{X}})\) = \(\frac{6+8+4+2+5}{5}\) = \(\frac{25}{5}\) = 5

चरण (Step) 2.
सारणी स्वरूप में A.M. से वर्ग विचलन का निर्धारण करें।
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 27
इसलिए
σ = \(\sqrt{\frac{20}{5}}\) = \(\sqrt{4}\) = 2
इस प्रकार उपरोक्त बंटन का मानक विचलन σ = 2 होगा।

चतुर्थक विचलन (Q.D.) (Quartile Deviation) –
माध्यिका द्वारा संपूर्ण बंटन दो बराबर भागों में विभक्त होता है किंतु चतुर्थक द्वारा संपूर्ण बंटक चार बराबर भागों में विभक्त करता है। चतुर्थक वह मूल्य है जो किसी श्रेणी को चार समान भागों में बांटता है इसे विभाजन मूल्य (Partition Value) कहते हैं। किसी भी श्रेणी में तीन चतुर्थक होते हैं।
(1) Q1 = पहला चतुर्थक या न्यून चतुर्थक (The Lower Quartile)
(2) Q2 = दूसरा चतुर्थक या मध्य चतुर्थक (The Middle Quartile)
(3) Q3 = तीसरा चतुर्थक या ऊपरी चतुर्थक (The Upper Quartile)

(i) न्यून चतुर्थक (Q1) –
यह कुल बंटन का \(\frac{1}{4}\) या एक चौथाई भाग इससे कम होगा जबकि कुल बंटन का \(\frac{3}{4}\) भाग इसके ऊपर या अधिक होगा।

(ii) मध्य चतुर्थक (Q2) – इस प्रकार कुल बंटन का \(\frac{1}{2}\) होगा जिसमें आधा भाग इसके नीचे व शेष आधा इसके ऊपर या अधिक होगा। इस प्रकार मध्य चतुर्थक (Q2) – कुछ नहीं बल्कि माध्यिका ही होता है।

(iii) ऊपरी चतुर्थक (Q3) – शृंखला को इस प्रकार बांटता है कि \(\frac{3}{4}\) भाग इससे नीचे तथा केवल \(\frac{1}{4}\) भाग इसके ऊपर या अधिक होता है। चतुर्थक विचलन Q.D. को अन्तचतुर्थक का परिसर भी कहा जाता है, जिसे निम्नवत प्रदर्शित करते हैं-
Q.D = \(\frac{\mathrm{Q}_3-\mathrm{Q}_1}{2}\)
उदाहरण:
उदाहरण-निम्नलिखित बंटन के लिए चतुर्थक विचलन का निर्धारण कीजिए –
46,32,25,50,72,35,75,65 तथा 58

चतुर्थक विचलन को निम्नवत निर्धारित किया जाता है –

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

चरण (Step) 1.
बंटन को आरोही क्रम में व्यवस्थित करें तथा उन्हें क्रमानुसार कोटि प्रदान करें जैसा कि नीचे दिया गया है- 25
32,35,46,50,58,65,72,75
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 28

चरण (Step) 2.
मध्य चतुर्थक (Q2) अथवा माध्यिका (Mc) सही-सही माध्य की संख्या है। जैसे-
\(\frac{n+1}{2}=\frac{9+1}{2}\) = 5वीं (चूंकि n = 9)

चरण (Step) 3.
निम्न चतुर्थक (Q3) निम्न आद्धर्ध (Mc) का आधा होता है, जैसे कि
\(\frac{5}{2}\) = 2.5 वीं संख्या
∴ Q1 = \(\frac{32+35}{2}=\frac{67}{2}\) = 33.5

चरण (Step) 4.
ऊपरी चतुर्थक Q3 उत्तरार्ध का आधा होता है। जैसे कि
\(\frac{7+8}{2}\) = 7.5 वीं संख्या
∴ Q3 = \(\frac{65+72}{2}=\frac{137}{2}\) = 68.5

चरण (Step) 5.
चतुर्थक विचलन की गणना निम्नसूत्र Q.D. द्वारा की जाती है।
Q.D = \(\frac{\mathrm{Q}_3-\mathrm{Q}_1}{2}\) = \(\frac{68.5-33.5}{2}\) = \(\frac{35}{2}\) = 17.5

प्रश्न 18.
सह-संबंध से क्या अभिप्राय है ? सह-संबंध गुणांक की गणना कैसे की जाती है ?
उत्तर:
सहसंबंध (Correlation) –
दो भिन्न प्रकार के चरों के एक बंटन को द्विचरीय वितरण कहते हैं, ये दोनों चर उस अवस्था में आपस में सह-संबंधित कहलाते हैं जब एक चर में परिवर्तन दूसरे चर में संगती परिवर्तन उत्पन्न होता है। प्रथम चर जिसके कारण दूसरे चर में परिवर्तन होता है स्वतंत्र (x) कहलाता है जबकि दूसरा चर आश्रित चर (y) के रूप में जाना जाता है। दो चरों के मध्य साहचर्य की मात्रा तथा दिशा का आंकलन सरल अथवा द्विचर सह-संबंध कहलाता है। सह-संबंध की माप का सर्वाधिक प्रचलित स्वरूप पियर्सन का गुणन आघूर्ण सह-संबंध गुणांक (r) है। r का मूल्य +1 से -1 के बीच प्रसारित होता है।

इस प्रकार जब –
(i) r +1 हो तो सहसंबंध पूर्ण तथा धनात्मक होता है,
(ii) r = 0 हो तो कोई सह-संबंध नहीं या शून्य सहसंबंध, तथा
(iii) r = -1 हो तो सह-संबंध ऋणात्मक होता है।
गुणन आघूर्ण सह-सम्बन्ध गुणांक (r) को गणितीय सूत्र में निम्नवत लिखा जाता है –
r = \(\frac{N \Sigma x y-\Sigma x, \Sigma y}{\sqrt{\left[N \Sigma x^2-(\Sigma x)^2\right]}\left[N \Sigma y^2-(\Sigma y)^2\right]}\)

जिसमें
x = स्वतंत्र चर
y = आश्रित चर
N = बंटन की कुल संख्या है

उदाहरण:
निम्नलिखित आँकड़ों “खखेत का आकार और विक्रय मूल्य” के आधार पर पियर्सन सह-संबंध गुणांक की गणना करें।
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अग्रवत सारणी रूप में पियर्सन के सह-संबंध गुणांक की गणना की जा सकती है।
चरण (Step) 1.
दोनों चरों को अलग-अलग प्रदर्शित करते हुए आँकड़ों को क्रमानुसार व्यवस्थित करें व फिर उन्हें अलग-अलग जोड़ें।
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चरण (Step) 2.
x को y से गुणा करें व फिर उन्हें जोड़ें, इस प्रकार, ∑x = 95, ∑y = 380, ∑x y = 7895 होगा तथा ∑x-2 = 1985 व ∑y2 = 31700 होगा

चरण (Step) 3.
सूत्र का प्रयोग कर पियर्सन के गुणक आघूर्ण सहसंबंध गुणांक की गणना करते हैं।
r = \(\frac{N \Sigma x y-\Sigma x \Sigma y}{\sqrt{\left[N \Sigma x^2-(\Sigma x)^2\right]\left[N \Sigma y^2-(\Sigma y)^2\right]}}\)
r = \(\frac{5 \times 7895-95 \times 380}{\sqrt{\left[5 \times 1985-(95)^2\right]\left[5 \times 31700-(380)^2\right]}}\)
r = \(\frac{39475-36100}{\sqrt{(9925-9325)(158900-144400)}}\)
= \(\frac{3375}{356230}\) = + 0.95
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि “भूमि का मूल्य खेत के आकार के सशक्त एवं प्रत्यक्ष रूप से सहसंबंधित हैं।” सारणी स्वरूप में और माध्य से वर्ग विचलन ज्ञात करें-
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HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण

प्रश्न 19.
दिए गए आँकड़ों की सहायता से मानक विचलन की गणना कीजिए।
15,18,20,12,10,12,11
उत्तर:
औसत माध्य \((\overline{\mathrm{X}})\)
ज्ञात करो – \((\overline{\mathrm{X}})\) = \(\frac{\sum x}{N}\)
\((\overline{\mathrm{X}})\) = \(\frac{15+18+20+12+10+12+11}{7}\)= \(\frac{98}{7}\) = 14m
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 33

मानक विचलन
(S.D) (σ) = \(\sqrt{\frac{\Sigma(x-\bar{x})^2}{N}}\) = \(\sqrt{\frac{86}{7}}=\sqrt{12.28}\) = 3.5

प्रश्न 20.
निम्न सारणी में शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के बीच संबंध को दर्शाया गया है। शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच सहसंबंध प्रकृति ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
चरण 1-दोनों चरों को अलग-अलग प्रदर्शित करते हुए X को Y से गुणा करें।
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सहसंबंध गुणांक
HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण - 36

मौखिक परीक्षा के प्रश्न (Questions For Viva-Voce)

प्रश्न 1.
आँकड़ों का प्रयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जाता है ?
उत्तर:
मानचित्र, प्रतिवेदन, वैज्ञानिक लेखों तथा पुस्तकें तैयार करने के लिए।

प्रश्न 2.
आँकड़ों के प्रक्रमण के दो महत्त्वपूर्ण घटक बताओ।
उत्तर:
सारणीयन तथा विश्लेषण।

प्रश्न 3.
आँकड़ों के सारणीयन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
सारणीयन आँकड़ों को एक व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करने की विधि है।

प्रश्न 4.
एक अच्छी सारणी के क्या गुण होते हैं ?
उत्तर:
सरल, सघन, पूर्ण तथा स्वयं विश्लेषणात्मक होना।

प्रश्न 5.
एक सारणी के प्रमुख क्रियात्मक अंग बताओ।
उत्तर:
सांख्यिकीय सारणी के 8 अंग होते हैं –
(1) संख्या
(2) शीर्षक
(3) शीर्ष-टिप्पणी
(4) प्रतिपर्ण
(5) कक्ष-शीर्ष
(6) मुख्य भाग
(7) पाद-टिप्पणी
(8) स्रोत-टिप्पणी।

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प्रश्न 6.
आवृत्ति क्या होती है ?
उत्तर:
किसी शृंखला-श्रेणी में कोई मद कितनी बार आती है, उसे उस पद की आवृत्ति कहते हैं।

प्रश्न 7.
वर्ग अंतराल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आँकड़ों को वर्ग में बांट देने के पश्चात् उनकी ऊपरी तथा निम्न सीमा के अंतर को वर्ग अंतराल कहते हैं-जैसे 30-40 वर्ग में 40-30 =10 वर्ग अंतराल है।

प्रश्न 8.
केंद्रीय प्रवृत्ति के 3 प्रमुख माप बताओ।
उत्तर:
(1) माध्य
(2) माध्यिका
(3) बहुलक।

प्रश्न 9.
समांतर माध्य ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
माध्य \(=\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma \mathrm{x}}{\mathrm{N}}\) जबकि \(\Sigma \mathrm{x}=\) कुल मानों का योग तथा N = मानों की संख्या

प्रश्न 10.
माध्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कई संख्याओं के योग का औसत ही माध्य है।

प्रश्न 11.
माध्यिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
माध्यिका वह संख्या है जो किसी शृंखला को दो बराबर भागों में बांटती है।

प्रश्न 12.
माध्यिका ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
माध्यिका = M = N Size Of \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{2}\right)\) th item जबकि N = मदों की संख्या।

प्रश्न 13.
बहुलक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बहुलक चरों का वह मान होता है जो शृंखला में सबसे अधिक बार आता है।

प्रश्न 14.
माध्य विचलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
माध्य विचलन माध्य से निरपेक्ष विचलन होता है।

प्रश्न 15.
माध्य विचलन ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
माध्य विचलन = M.D. = \(\frac{\Sigma(\mathrm{x}-\overline{\mathrm{x}})}{\mathrm{N}}\)
X = संख्या
X = माध्य
N = मदों की संख्या।

प्रश्न 16.
मानक विचलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विचलनों के वर्गों के माध्य के वर्ग मूल को मानक विचलन कहते हैं।

प्रश्न 17.
चतुर्थक विचलन (Q.D.) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब संपूर्ण बंटन को चार बराबर भागों में विभक्त करते हैं तो उसे चतुर्थक विचलन कहते हैं।

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प्रश्न 18.
सहसंबंध से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
विभिन्न चरों के बीच संख्यात्मक संबंध को सहसंबंध कहते हैं।

प्रश्न 19.
सह-संबंध के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
धनात्मक तथा ऋणात्मक।

प्रश्न 20.
सहसंबंध ज्ञात करने की विधि किस वैज्ञानिक ने बनाई ?
उत्तर:
कार्ल पियर्सन ने।

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