Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक P-N संधि के अवक्षय क्षेत्र में होते हैं:
(अ) केवल इलेक्ट्रॉन
(ब) केवल होल
(स) इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों
(द) निश्चल आयन
उत्तर:
(द) निश्चल आयन
प्रश्न 2.
एक NPN ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक की तरह उपयोग में लाया जा रहा है तो:
(अ) इलेक्ट्रॉन आधार से संग्राहक की ओर चलते हैं
(ब) होल उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं
(स) होल आधार से उत्सर्जक की ओर चलते हैं
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।
उत्तर:
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।
प्रश्न 3.
परम शून्य ताप पर नैज जर्मेनियम तथा नैज सिलिकॉन होते
(अ) अतिचालक
(ब) अच्छे अर्धचालक
(स) आदर्श कुचालक
(द) चालक
उत्तर:
(स) आदर्श कुचालक
प्रश्न 4.
एक कुचालक में संयोजकता बैण्ड और चालन बैण्ड के मध्य वर्जित ऊर्जा अन्तराल निम्नलिखित कोटि का होता है:
(अ) 1 ev
(ब) 6 ev
(स) 20 ev
(द) 0.01 ev
उत्तर:
(ब) 6 ev
प्रश्न 5.
वे पदार्थ जिनके संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड लगभग अतिव्यापन की स्थिति में होते हैं, वे होते हैं:
(अ) चालक
(ब) विद्युतरोधी
(स) अर्धचालक
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) चालक
प्रश्न 6.
P प्रकार के अर्धचालक बनाने के लिए सिलिकॉन में-
(अ) पंचम समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(स) चतुर्थ समूह का पदार्थ मिलाते हैं।
(द) किसी भी समूह का पदार्थ मिला सकते
उत्तर:
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं
प्रश्न 7.
P-N संधि पर अग्र बायस स्थापित करने पर इसका व्यवहार होगा:
(अ) चालक की तरह
(ब) अर्धचालक की तरह
(स) यांत्रिक वाल्व की तरह
(द) अतिचालक की तरह
उत्तर:
(अ) चालक की तरह
प्रश्न 8.
दिष्टकारी का कार्य है:
(अ) धारा का प्रवर्धन करना
(ब) वोल्टता का प्रवर्धन् करना
(स) दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में बदलना
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना
उत्तर:
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना
प्रश्न 9.
जीनर डायोड का उपयोग किया जाता है:
(अ) दोलित्र के रूप में
(ब) प्रवर्धक के रूप में
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में
(द) प्रकाश उत्सर्जन के लिए
उत्तर:
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में
प्रश्न 10.
ट्रान्जिस्टर प्रचालन के लिए आवश्यक है:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर
(ब) उत्सर्जक संधि उपक्रम तथा संग्राहक संधि अग्र बायस पर
(स) उत्सर्जक तथा संग्राही दोनों संधियाँ अग्र बायस पर
(द) उत्सर्जक तथा संग्राहक दोनों संधियाँ उत्क्रम बायस पर
उत्तर:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर
प्रश्न 11.
निम्न में से गलत कथन है:
(अ) अपद्रव्य अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं
(ब) होल व इलेक्ट्रॉन दोनों ही आवेश वाहक हैं
(स) P प्रकार के अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
उत्तर:
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
प्रश्न 12.
एक N टाइप अर्द्धचालक होता है:
(अ) ऋणावेशित
(ब) धनावेशित
(स) उदासीन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) उदासीन
प्रश्न 13.
तापमान बढ़ाने पर एक अर्द्धचालक का विशिष्ट प्रतिरोध:
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) अपरिवर्तित रहता है
(द) पहले घटता है और बाद में बढ़ता है
उत्तर:
(ब) घटता है
प्रश्न 14.
शुद्ध अर्द्धचालक जरमेनियम में आर्सेनिक की अशुद्धि मिलाने पर उपस्थित होगा:
(अ) P प्रकार का अर्द्धचालक
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक
(स) चालक
(द) P-N संधि
उत्तर:
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक
प्रश्न 15.
आदर्श P-N संधि को प्रयुक्त किया जा सकता है:
(अ) प्रवर्धक के रूप में
(ब) दिष्टकारी के रूप में
(स) दोलित्र के रूप में
(द) मोड्यूलेटर के रूप में
उत्तर:
(ब) दिष्टकारी के रूप में
प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) अर्ध चालक का प्रतिरोध ताप के बढ़ने पर कम होता है
(ब) विद्युत क्षेत्र में होल का विस्थापन इलेक्ट्रॉन के विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है
(द) सभी प्रकार के अर्ध चालक अनावेशित होते हैं
उत्तर:
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है
प्रश्न 17.
अर्धचालकों की चालकता:
(अ) ताप पर निर्भर नहीं करती
(ब) ताप वृद्धि से घटती है
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है
उत्तर:
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है
प्रश्न 18.
अर्धचालकों में आबन्ध होते हैं:
(अ) आयनिक
(ब) धात्विक
(स) वान्डरवाल
(द) सहसंयोजी
उत्तर:
(द) सहसंयोजी
प्रश्न 19.
ताप वृद्धि से अर्धचालकों की चालकता:
(अ) अपरिवर्तित रहती है
(ब) घटती है
(स) बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है।
उत्तर:
(ब) घटती है
प्रश्न 20.
नैज अर्धचालकों में सामान्य ताप पर इलेक्ट्रॉन व होल की संख्या का अनुपात है:
(अ) 1 : 2
(ब) 2 : 1
(स) 1 : 1
(द) 1 : 3
उत्तर:
(स) 1 : 1
प्रश्न 21.
P प्रकार के अर्धचालकों के लिये अशुद्धि तत्त्व के रूप में उपयोग करते हैं:
(अ) आर्सेनिक
(ब) फॉस्फोरस
(स) बोरोन
(द) बिस्मथ
उत्तर:
(स) बोरोन
प्रश्न 22.
P-N संधि डायोड में अग्र तथा उत्क्रम बायस व्यवस्थाओं में प्रतिरोधों का अनुपात होता है:
(अ) 102 : 1
(ब) 10-2 : 1
(स) 1 : 104
(द) 1 : 10-4
उत्तर:
(स) 1 : 104
प्रश्न 23.
P-N डायोड है:
(अ) रेखीय युक्ति
(ब) अरेखीय युक्ति
(स) तापीय युक्ति
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अरेखीय युक्ति
प्रश्न 24.
निम्नलिखित में से कौनसा परमाणु दाता अशुद्धि है:
(अ) Al
(ब) B
(स) Ga
(द) P
उत्तर:
(द) P
प्रश्न 25.
अर्धचालकों में चालन होता है:
(अ) एकल ध्रुवीय
(ब) द्विध्रुवीय
(स) त्रिध्रुवीय
(द) अध्रुवीय
उत्तर:
(ब) द्विध्रुवीय
प्रश्न 26.
संलग्न चित्र में दिये गये परिपथ के लिये बूलीय समीकरण होगा:
(अ) Y = A + \(\overline{\mathrm{B}}\)
(ब) Y = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
(द) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) B
उत्तर:
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
प्रश्न 27.
किसी एन्ड द्वार’ के लिये तीन निवेशी क्रमश: A, B व C हैं तो इसका निर्गत Y होगा:
(अ) Y = A.B + C
(ब) Y = A + B + C
(स) Y = A + B.C
(द) Y = A. B. C
उत्तर:
(द) Y = A. B. C
प्रश्न 28.
NOR गेट किन दो गेटों से मिलकर बनता है?
(अ) NOT + AND गेट
(ब) OR + NOT गेट
(स) OR + AND गेट
(द) NOR + AND गेट।
उत्तर:
(ब) OR + NOT गेट
प्रश्न 29.
XOR गेट के लिए कौनसा समीकरण प्रयोग में लिया जाता है?
(अ) Y = A B
(ब) Y = A + B
(स) Y = AB
(द) Y = A – B
उत्तर:
(स) Y = AB
प्रश्न 30.
(A + B). (RS) समीकरण के लिये परिपथ में कम से कम कितने गेट की आवश्यकता होगी?
(अ) दो
(ब) चार
(स) छः
(द) एक।
उत्तर:
(द) एक।
प्रश्न 31.
निम्न परिपथ का आउटपुट होगा:
(अ) 0
(ब) 1
(स) 2
(द) 10
उत्तर:
(ब) 1
प्रश्न 32.
लोजिक समीकरण A. (B + C) का क्या मान होगा, यदि A = 1, B = 1, C = 1
(अ) 0
(ब) 2
(स) 11
(द) 1
उत्तर:
(द) 1
प्रश्न 33.
यदि A = 1, B = 0, C = 1 हो तो AB का मान होगा:
(अ) 1
(ब) 0
(स) 2
(द) 11
उत्तर:
(अ) 1
प्रश्न 34.
निम्न में से किस चित्र में डायोड उत्क्रम अभिनति में है?
उत्तर:
प्रश्न 35.
निम्न चित्र में दिखाये गये तार्किक द्वार का नाम है:
(अ) ऐण्ड (AND) द्वार
(ब) नौर (NOR) द्वार
(स) ओर (OR) द्वार
(द) नेण्ड (NAND) द्वार
उत्तर:
(ब) नौर (NOR) द्वार
प्रश्न 36.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निवेश तरंग रूप A तथा B भी इसके साथ इसी चित्र में प्रदर्शित हैं। सही निर्गम का चयन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 37.
चित्र में प्रदर्शित विभवान्तर V का वर्ग माध्य मूल मान है:
(अ) Vo√3
(ब) Vo
(स) V1√2
(द) Vo/2
उत्तर:
(स) V1√2
प्रश्न 38.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निर्गम के लिए बुलियन व्यंजक होगा-
(अ) A (B + C)
(ब) A • (B • C)
(स) (A+B) • (A+C)
(द) A + B + C
उत्तर:
(स) (A+B) • (A+C)
प्रश्न 39.
चित्र में दिये गये परिपथ से निर्गम Y = 1 प्राप्त करने के लिए निवेश होना चाहिए-
A | B | C |
(अ) 0 | 1 | 0 |
(ब) 0 | 0 | 1 |
(स) 1 | 0 | 1 |
(द) 1 | 0 | 0 |
उत्तर:
A | B | C |
0 | 1 | 0 |
0 | 0 | 1 |
1 | 0 | 1 |
1 | 0 | 0 |
प्रश्न 40.
एक डायोड दिष्टकारी के रूप में बदलता है:
(अ) दिष्टधारा की प्रत्यावर्ती धारा में
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में
(स) उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता या निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में
(द) परिवर्ती दिष्टधारा को नियत दिष्टधारा में
उत्तर:
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में
प्रश्न 41.
यदि A = 1 तथा B = 0 हो, तो बुलियन बीजगणित के अनुसार AA + B का मान होगा-
(अ) A
(ब) B
(स) A2 + B
(द) A + B
उत्तर:
(अ) A
प्रश्न 42.
डायोड में जब संतृप्त धारा प्रवाहित होती है तब प्लेट प्रतिरोध rp:
(अ) शून्य
(ब) अनन्त
(स) एक निश्चित संख्या
(द) आँकड़े अपर्याप्त हैं
उत्तर:
(ब) अनन्त
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड व जेनर डायोड के प्रतीक चिन्ह बनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 2.
ट्रांजिस्टर के लिये धारा प्रवर्धन गुणांकों α व β में सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
β = \(\frac{\alpha}{1-\alpha}\)
प्रश्न 3.
क्या किसी अनअभिनत P-N संधि पर उपस्थित रोधिका विभव को संधि के सिरों के मध्य वोल्टमीटर जोड़कर नापा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 4.
ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक के रूप में काम लाने के लिये कौनसी संधि पश्च बायसित की जाती है?
उत्तर:
आधार संग्राहक संधि।
प्रश्न 5.
उस ट्रांजिस्टर के लिये α का मान क्या होगा जिसके लिये β = 19 है।
उत्तर:
α = \(\frac{\beta}{1+\beta}\) = \(\frac{19}{1+19}\) = 0.95
प्रश्न 6.
चित्र में प्रदर्शित डायोड किस अभिनति में है ?
उत्तर:
पश्च अभिनति।
प्रश्न 7.
P तथा N प्रकार के अर्धचालकों में बहुसंख्यक आवेश वाहक होते हैं-
(i) …………………
(ii) ………………………
उत्तर:
(i) होल (ii) इलेक्ट्रॉन
प्रश्न 8.
निम्न में से कौनसा अर्धचालक है:
(i) तांबा
(ii) गैलियम आर्सेनाइड
(iii) गन्धक?
उत्तर:
गैलियम आर्सेनाइड (Ga As)
प्रश्न 9.
फोटोडायोड के दो उपयोग लिखिये।
उत्तर:
(i) प्रकाश के संसूचन में
(ii) प्रकाश चलित स्विच में
प्रश्न 10.
दो संधियों वाली अर्धचालक युक्ति को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ट्रांजिस्टर
प्रश्न 11.
जरमेनियम में गैलियम की अशुद्धि मिलाने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है?
उत्तर:
P प्रकार का।
प्रश्न 12.
नैज अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों तथा होल्स की संख्या का अनुपात लिखिये।
उत्तर:
1 : 1
प्रश्न 13.
नैज अर्धचालक किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक रूप से प्राप्त अर्धचालकों को नैज अर्धचालक कहते हैं।
प्रश्न 14.
नैज अर्धचालक के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
जर्मेनियम (Ge), सिलिकॉन (Si )।
प्रश्न 15.
किन्हीं दो अर्धचालक मिश्र धातुओं के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) गैलियम फॉस्फाइड (Ga P)
(2) गैलियम आर्सेनाइड फॉस्फाइड (Ga As P )
प्रश्न 16.
होल पर आवेश का मान व प्रकृति बताइये।
उत्तर:
1.6 x 10-19, धनावेश।
प्रश्न 17.
डोपिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
नैज अर्धचालक के वैफर में अशुद्धि परमाणु मिलाने की क्रिया डोपिंग कहलाती है।
प्रश्न 18.
N प्रकार का अर्धचालक प्राप्त करने हेतु अशुद्धि परमाणु आवर्त सारणी के किस वर्ग से संबंधित है?
उत्तर:
पंचम वर्ग से।
प्रश्न 19.
P प्रकार का अर्धचालक बनाने हेतु अशुद्धि परमाणु किस वर्ग से लिये जाते हैं?
उत्तर:
तृतीय वर्ग से।
प्रश्न 20.
शुद्ध Si क्रिस्टल को इण्डियम (In) से मांदित (डोपिंग) कराने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होगा?
उत्तर:
P प्रकार का।
प्रश्न 21.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को P से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में बहुसंख्यक आवेश वाहक कौन है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन
प्रश्न 22.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को Al से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में अल्पसंख्यक आवेश वाहक कौन होते हैं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन।
प्रश्न 23.
अवक्षय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
P-N संधि के निकट स्थित आवेश वाहकहीन क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 24.
P-N संधि में संधि तल के पास P- भाग में कौनसा विभव होता है?
उत्तर:
ऋणात्मक विभव।
प्रश्न 25.
अग्र अभिनति की अवस्था में एक P-N संधि डायोड का P सिरा बैटरी के किस टर्मिनल से जोड़ा जाता है?
उत्तर:
धनात्मक
प्रश्न 26.
उत्क्रम बायस की अवस्था में संधि तल क्या व्यवहार करता है?
उत्तर:
विद्युतरोधी की तरह।
प्रश्न 27.
अर्धचालक डायोड के परिपथ संकेत में तीर का चिन्ह किससे, किसकी ओर होता है?
उत्तर:
P से N की ओर।
प्रश्न 28.
जीनर प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
निश्चित उत्क्रम वोल्टता के बाद उत्क्रम धारा में अचानक वृद्धि के प्रभाव को जीनर प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 29.
गतिज उत्क्रम बायस प्रतिरोध का मान जीनर वोल्टता के बाद क्या होता है?
उत्तर:
बहुत कम।
प्रश्न 30.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड क्या होता है?
उत्तर:
यह P-N जंक्शन (Junction ) डायोड होता है। जिसमें अग्र अभिनति विद्युत धारा प्रवाहित होने पर विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होकर उत्सर्जित होती है।
प्रश्न 31.
नैज अर्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
Si (सिलिकॉन), Ge ( जरमेनियम )।
प्रश्न 32.
फोटो डायोड के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
फोटो डायोड के उपयोग:
(1) फिल्मों में ध्वनि के पुनः उत्पादन में
(2) प्रकाश चलित स्विचों में
प्रश्न 33.
ओर द्वार के लिये सत्यता सारणी बनाइये।
उत्तर:
A | B | Y = A + B |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 1 |
प्रश्न 34.
उस तर्क द्वार का नाम लिखिये जिसमें निर्गत तब ही 1 होता है जब सभी निवेशी 1 होते हैं।
उत्तर:
AND द्वार।
प्रश्न 35.
दी गई सत्यता सारणी से संबंधित तार्किक द्वार का नाम लिखिए:
निवेशी | निर्गत Y |
|
A | B | |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 1 |
उत्तर:
ओर अथवा अपि द्वार
प्रश्न 36.
किन्हीं दो यौगिक (कार्बनिक ) अर्धचालक के नाम लिखिए।
अथवा
कोई दो कार्बनिक यौगिक अर्द्धचालकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) एंथ्रासीन (ii) मांदित (Doped) थैलोस्यानीस।
प्रश्न 37.
डायोड को अग्र बायस एवं उत्क्रम बायस स्थिति में जोड़ने पर अक्षय परत पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
(i) अग्र बायस में अवक्षय परत की मोटाई घटती है।
(ii) उत्क्रम बायस स्थिति में अवक्षय परत की मोटाई बढ़ती है।
प्रश्न 38.
नीचे दिये गये चित्र में निवेश तरंग रूप को किसी युक्ति ‘X’ द्वारा निर्गत तरंग रूप में परिवर्तित किया गया है। इस युक्ति का नाम लिखिए और इसका परिपथ आरेख बनाइए।
उत्तर:
(i) पूर्णतरंग दिष्टकारी
प्रश्न 39.
चित्र में दिखाये गये लॉजिक गेट का नाम लिखिए और इसके लिए सत्यमान सारणी बनाइए।
उत्तर:
(i) AND GATE
(ii)
INPUT | OUTPUT | |
A | B | Y |
0 | 0 | 0 |
0 | 1 | 0 |
1 | 0 | 0 |
1 | 1 | 1 |
प्रश्न 40.
जीनर डायोड में भंजन वोल्टता समझाइए।
उत्तर:
भंजन वोल्टता – एक P-N सन्धि डायोड जब पश्च बायसित अवस्था में हो तो निश्चित मान की वोल्टता पर धारा के मान में एक उच्च मान तक अचानक वृद्धि दर्शाई जाती है, इस विभव को भंजन वोल्टता अथवा जीनर वोल्टता कहा जाता है। यह उच्च मान की धारा साधारण P-N सन्धि को नष्ट कर सकती है।
प्रश्न 41.
A | B | Y | Y | |
0 | 0 | 0 | 1 | |
0 | 1 | 1 | 0 | |
1 | 0 | 1 | 0 | |
1 | 1 | 1 | 0 |
चित्र P एवं सारणी Q से सम्बन्धित तार्किक द्वारों के नाम
उत्तर:
(P) AND
(Q) NOR
प्रश्न 42.
NOR गेट का तार्किक प्रतीक दीजिए।
उत्तर:
NOR का तार्किक प्रतीक निम्न होता है:
प्रश्न 43.
P-N संधि की अवक्षय परत की चौड़ाई का क्या होता है जब इसे
(i) अग्रदिशिक बायसित
(ii) पश्चदिशिक बायसित किया जाता है?
उत्तर:
(i) P-N संधि के अग्रदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई कम हो जाती है।
(ii) P-N संधि के पश्चदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई बढ़ जाती है।
प्रश्न 44.
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्यों? कारण बताइए।
उत्तर:
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसका अवशोषण गुणांक अपेक्षाकृत अधिक होने से यह आपतित सौर विकिरण से अपेक्षाकृत अधिक मात्रा की ऊर्जा अवशोषित करता है।
प्रश्न 45.
किसी तार्किक गेट की सत्यमान सारणी नीचे दी गई है। इस गेट का नाम बताइए तथा इसकी प्रतीक बनाइए।
A | B | Y |
0 | 0 | 1 |
0 | 1 | 0 |
1 | 0 | 0 |
1 | 1 | 0 |
उत्तर:
तार्किक गेट NOR गेट है तथा उसकी प्रतीक निम्न है:
प्रश्न 46.
नैज अर्द्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम
उत्तर:
समचतुष्फलकीय।
प्रश्न 47.
निम्न में से एक दाता अशुद्धि छाँटिए- बोरॉन (B), ऐलुमिनियम (Al) एवं आर्सेनिक (As)
उत्तर:
आर्सेनिक (As)
लघुत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
धातुओं, चालकों तथा अर्धचालकों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
चालकता के आधार पर विद्युत चालकता (σ) अथवा प्रतिरोधकता (p = 1/σ) के सापेक्ष मान के आधार पर ठोस पदार्थों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है
(i) धातु इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम (अथवा चालकता बहुत अधिक) होती है।
P- 10-2 – 10-8 Ωm
σ – 10-2 – 108 Sm
(ii) अर्धचालक – इनकी प्रतिरोधकता या चालकता धातुओं तथा विद्युतरोधी पदार्थों के बीच की होती है।
P 10-5 – 10-6 Ωm
σ – 105 10-6 Sm-1
(iii) विद्युतरोधी – इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक (अथवा चालकता बहुत कम होती है।
P 1011 – 1019 Ωm
σ – 10-11 – 10-19 Sm-1
ऊपर दिए गए p तथा σ के मान केवल कोटि मान के सूचक हैं और दिए गए परिसर के बाहर भी जा सकते हैं।
प्रश्न 2.
तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconduc- tor) और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
तात्विक अर्धचालक और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण निम्न हैं:
(i) तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconductors)- Si और Ge
(ii) यौगिक अर्धचालक:
उदाहरण हैं
अकार्बनिक – Cas, GaAs, CdSe, InP आदि।
कार्बनिक – एंथ्रासीन, मांदित (Doped) थैलोस्यानीस आदि।
कार्बनिक बहुलक (Organic polymers ) – पॉलीपाइरोल, पॉलीऐनिलीन, पॉलीथायोफीन आदि।
प्रश्न 3.
C, Si तथा Ge की जालक (Lattice) संरचना समान होती है फिर भी क्यों C विद्युतरोधी है जबकि Si व Ge नैज अर्धचालक (intrinsic semiconductor) हैं?
उत्तर:
C, Si तथा Ge के परमाणुओं के चार बंधित इलेक्ट्रॉन क्रमशः द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ कक्षा में होते हैं अतः इन परमाणुओं से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा (आयनिक ऊर्जा Eg) सबसे कम Ge के लिए इससे अधिक Si के लिए और सबसे अधिक C के लिए होगी। इस प्रकार Ge व Si में विद्युत चालन के लिए स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या सार्थक होती है जबकि C में यह नगण्य होती है।
प्रश्न 4.
क्या P-N संधि बनाने के लिए हम P प्रकार के अर्धचालक की एक पट्टी को N प्रकार के अर्धचालक से भौतिक रूप से संयोजित कर P-N संधि प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं! कोई भी पट्टी, चाहे कितनी ही समतल हो, अंतर- परमाण्वीय क्रिस्टल अंतराल (~ 2 से 3 Ā) से कहीं ज्यादा खुरदरी होगी और इसलिए परमाण्वीय स्तर पर अविच्छिन्न संपर्क (अथवा संतत संपर्क) संभव नहीं होगा प्रवाहित होने वाले आवेश वाहकों के लिए संधि एक विच्छिन्नता की तरह व्यवहार करेगी।
प्रश्न 5.
यह ज्ञात है कि पश्चदिशिक बायस की धारा (माइक्रो ऐम्पियर) की तुलना में अग्रदिशिक बायस की धारा (मिली ऐम्पियर) अधिक होती है तो फिर फोटोडायोड को पश्चदिशिक बायस में प्रचालित करने का क्या कारण है?
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक पर विचार करें। स्पष्टतया बहुसंख्यक वाहकों का घनत्व (n) अल्पांश होल घनत्व p से बहुत अधिक है (n >> p)। मान लीजिए प्रदीप्त करने पर दोनों प्रकार के वाहकों की संख्या में वृद्धि क्रमश: ∆n तथा ∆p है, तब
n’ = n + ∆n
p’ = p + ∆p
यहाँ पर n’ तथा p’ क्रमशः किसी विशिष्ट प्रदीप्त पर इलेक्ट्रॉन तथा होल सांद्रताएँ हैं तथा n व p उस समय की वाहक सांद्रताएँ हैं जब कोई प्रदीप्त नहीं है।
प्रश्न 6.
ऊर्जा बैण्ड की अवधारणा को चित्र सहित समझाइये
उत्तर:
ऊर्जा बैण्ड- जब किसी ठोस के दो परमाणु पास-पास आते हैं तो अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक ऊर्जा स्तर दो भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाता है जिनमें से एक स्तर की ऊर्जा मूल ऊर्जा स्तर से अधिक व दूसरे ऊर्जा स्तर की ऊर्जा मूल स्तर से कम होती है। इनमें ऊर्जा अंतर बहुत कम होता है। इसी तरह N परमाणुओं के निकाय में अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक परमाणु के ऊर्जा स्तर N-भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाते हैं। इन ऊर्जा स्तरों में ऊर्जा स्तर अत्यंत अल्प होने के कारण इनमें विभेदन संभव नहीं है। अतः ऊर्जा बैण्ड का निर्माण हो जाता है, इस प्रकार प्रत्येक ऊर्जा स्तर के संगत ऊर्जा बैण्ड बन जाता है।
प्रश्न 7.
संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड क्या होते हैं? वर्जित ऊर्जा अन्तराल की परिभाषा बताइये।
उत्तर:
संयोजी बैण्ड-ठोस की साम्यावस्था में परमाणुओं के मध्य निश्चित संतुलित दूरी होती है। इस दूरी पर बाह्य ऊर्जा स्तर बैण्ड का रूप धारण कर लेते हैं। ठोस के परमाणुओं की संयोजी कक्षा से बने बैण्ड को संयोजी बैण्ड कहते हैं। चालन बैण्ड-संयोजी बैण्ड के ऊपर एक ओर अनुमत बैण्ड होता है, जिसे चालन बैण्ड कहते हैं।
वर्जित ऊर्जा अन्तराल संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य ऊर्जा अन्तराल को वर्जित ऊर्जा अन्तराल कहते हैं। इस वर्जित ऊर्जा बैण्ड में इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकता है। वर्जित ऊर्जा अन्तराल (∆E) चालन बैण्ड के निम्नतम स्तर की ऊर्जा E व संयोजी बैण्ड के उच्चतम स्तर की ऊर्जा E के अंतर के बराबर होता है।
∆Eg = Ec – Ev
प्रश्न 8.
ऊर्जा बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर अर्धचालकों को परिभाषित कीजिये अर्धचालक में आवेश वाहक कौन-कौनसे होते हैं? परम शून्य ताप पर अर्धचालक किसकी तरह व्यवहार करने लग जाते हैं?
उत्तर:
अर्धचालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान लगभग 1eV होता है, उन्हें अर्धचालक कहते हैं। उदाहरण के लिये, Si के लिये यह अन्तराल 1.1 eV, Ge के लिये 0.7 eV तथा गैलियम आर्सेनाइड के लिये 1.3 eV होता है। अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन तथा होल आवेशवाहक का कार्य करते हैं। अर्धचालकों की प्रतिरोधकता व चालकता चालकों व कुचालकों के मध्य होती है। कक्ष ताप पर कुछ इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में चले जाते हैं व विद्युत धारा का निश्चित मात्रा में चालन करते हैं। परम शून्य ताप पर इलेक्ट्रॉन की तापीय ऊर्जा शून्य होती हैं, अतः इनकी गति अवरुद्ध हो जाती है। अतः अर्धचालक बाह्मीय विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में धारा चालन नहीं कर पाता है एवं कुचालक की तरह व्यवहार करता है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 9
बाहरी वि. क्षेत्र की उपस्थिति में अर्धचालकों में धारा प्रवाह को सचित्र समझाइये।
उत्तर:
कक्ष ताप पर अर्ध चालकों के कुछ इलेक्ट्रॉन सह- संयोजी आबन्ध तोड़कर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर
जाते हैं। सहसंयोजी बन्ध के टूटने से वहाँ रिक्त स्थान हो जाता है, इसे होल कहते हैं। इलेक्ट्रॉन के संक्रमण के कारण उत्पन्न यह होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है। इस तरह होल धनावेशित धारावाहक का कार्य करता है। सहसंयोजी आबंध स्थल से मुक्त इलेक्ट्रॉन के स्थान पर उत्पन्न होल की तरफ अन्य किसी सह- संयोजी आबंध स्थल से इलेक्ट्रॉन संक्रमण करता है व होल द्वितीय सहसंयोजी आबंध स्थल की ओर गति करता है। इस प्रकार होल व इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से विपरीत दिशा में यादृच्छिक गति करते हैं। बाह्य वि. क्षे. आरोपित करने पर इनकी गति नियमित हो जाती है। जिसमें इसे वि. क्षे. की दिशा में व होल वि. क्षे. के विपरीत दिशा में गति करते हैं व धारा का चालन करते हैं।
प्रश्न 10.
अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन व होल एक-दूसरे से विपरीत दिशा में गति करते हैं कैसे? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
अर्धचालक में कुछ इलेक्ट्रॉन कक्ष ताप पर तापीय ऊर्जा प्राप्त कर उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाते हैं। इलेक्ट्रॉन के चले जाने के कारण उत्पन्न रिक्त स्थान को ‘होल’ कहते हैं। होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है।
(i) सहसंयोजी आबंध स्थल A से इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर – जाने पर उत्पन्न होल की तरफ किसी अन्य सह-संयोजी आबंध स्थल B पर स्थित इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा ग्रहण करके संक्रमण करता है। इससे होल A से B पर पहुँच जाता है।
(ii) B स्थल पर किसी अन्य स्थल C पर स्थित इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर जाने पर होल C पर पहुँच जाता है अतः इस तरह इलेक्ट्रॉन CBA दिशा में व होल ABC दिशा में संक्रमण करता है।
इस तरह होल व इलेक्ट्रॉन परस्पर विपरीत दिशा में गति करते हैं।
प्रश्न 11.
बाह्य अर्धचालक किसे कहते हैं? डोपिंग क्रिया को समझाइये।
उत्तर:
बाह्य अर्धचालक कक्ष ताप पर नैज अर्धचालकों की चालकता बहुत कम होती है अतः चालकता बढ़ाने के लिये नैज अर्धचालक में अल्प मात्रा में तीसरे या पांचवें ग्रुप का निश्चित तत्त्व मिलाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त अर्धचालक को अपद्रव्य अर्धचालक या बाह्य अर्धचालक कहते हैं। डोपिंग नै अर्धचालक में अशुद्धि परमाणु मिलने की क्रिया को मांदन या डोपिंग कहते हैं। बाह्य अर्धचालक प्राप्त करने के लिये नैज अर्धचालक में लगभग (10) से (10) 10 परमाणुओं में एक परमाणु अशुद्धि तत्त्व का होता है।
प्रश्न 12.
N प्रकार के अर्धचालक किन्हें कहते हैं? इनकी चालकता नैज अर्धचालकों से अधिक होती है क्यों? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक नैज अर्धचालक में पंचम वर्ग के तत्त्व, जैसे – As, Sb P आदि अपद्रव्य परमाणु के रूप में मिला देने पर प्राप्त अर्धचालक को N प्रकार का अर्धचालक कहते हैं। फॉस्फोरस, आर्सेनिक या एन्टीमनी की संयोजकता कक्षा में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः जब एक पंच संयोजी अशुद्धि का परमाणु चतुःसंयोजी Ge या Si को प्रस्थापित करता है तो इसके चार संयोजकता इलेक्ट्रॉन तो निकटवर्ती चार परमाणुओं के साथ सह-संयोजी आबंध बना लेते हैं, परन्तु एक संयोजकता इलेक्ट्रॉन शेष रह जाता है। इस पर अशुद्धि परमाणु से बंधन अत्यन्त दुर्बल होने के कारण यह लगभग मुक्त रहता है। अतः सामान्य ताप पर ही यह मुक्त इलेक्ट्रॉन चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाता है। इस प्रकार पंचम वर्ग के अशुद्धि तत्त्व का प्रत्येक परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्रॉन, आवेश वाहक के रूप में प्रदान करता है। इस कारण से आवेश वाहकों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप चालकता भी बढ़ जाती है।
प्रश्न 13.
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की चालकता कैसे बढ़ती है?
उत्तर:
अर्धचालकों पर ताप का प्रभाव – अर्धचालकों का ताप बढ़ाने पर तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर अधिक मात्रा में इलेक्ट्रॉन संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण करते हैं। अतः अधिक मात्रा में होल उत्पन्न होते हैं इस तरह ताप बढ़ाने पर आवेश वाहकों की संख्या बढ़ जाने से चालकता बढ़ती है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है परम शून्य ताप पर अर्धचालक कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं।
प्रश्न 14.
अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर कौन-कौनसी धारायें उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
जब किसी अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तो आवेश वाहक दो तरह की धारायें उत्पन्न करते हैं
(1) अपवाह धारा – यह धारा आवेश वाहकों की बाह्य वि. क्षे. के अनुदिश गति के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
(2) विसरण धारा- यह धारा अर्धचालक में मुक्त आवेश वाहकों की उच्च सान्द्रता क्षेत्र से निम्न सान्द्रता क्षेत्र की ओर गति के कारण उत्पन्न होती है।
प्रश्न 15.
N तथा P प्रकार के अर्धचालकों में धारा प्रवाह समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालकों में क्रिस्टल के अन्दर तथा बाह्य परिपथ दोनों में धारा इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।
P- प्रकार के अर्धचालकों में अर्धचालक क्रिस्टल के अन्दर धारा होल्स के माध्यम से तथा बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।
प्रश्न 16.
P-N संधि किसे कहते हैं ? P-N संधि बनाने की विधियों का नाम लिखिये P-N संधि बनाने की विसरण विधि को समझाइये
उत्तर:
P-N संधि-P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं। P-N संधि बनाने की तीन विधियाँ हैं:
(1) वर्धन (2) विसरण (3) धातु मिश्रण
P-N संधि बनाने की विसरण विधि इसमें उच्च ताप पर मफल भट्टी में नैज अर्धचालक के वैफर को उचित अशुद्धि को वाष्प के सम्पर्क में लाकर अपद्रव्य अर्धचालक का निर्माण किया जाता है।
इस प्रकार से प्राप्त अपद्रव्य अर्धचालक को अब विपरीत अशुद्धि परमाणुओं (P-प्रकार के अर्धचालक को V वर्ग के तत्त्व से तथा N- प्रकार के अर्धचालक को III वर्ग के तत्त्व से) के सम्पर्क में लाकर विसरण कराया जाता है। विसरण की मात्रा गहराई के साथ कम होती जाती है। फलस्वरूप क्रिस्टल में जहाँ तक अशुद्धि होती है, वहाँ तक संधि उपस्थित हो जाती है।
प्रश्न 17.
आदर्श P-N संधि डायोड के लिये सम्पूर्ण I-V अभिलाक्षणिक वक्र बनाइये। अग्र बायस अवस्था में गतिक प्रतिरोध परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
एक अग्रदिशिक अभिनत P-N संधि डायोड के VI अभिलाक्षणिक प्राप्त किये जाने के लिये प्रायोगिक परिपथ व्यवस्था को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
यहाँ पर विभव भाजक व्यवस्था के द्वारा डायोड पर आरोपित विभवान्तर V को परिवर्तित किया जाता है जिसे डायोड के समान्तर क्रम में लगे वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। विभव के अलग- अलग मानों के संगत डायोड में बहने वाली धारा को मिली. अमीटर द्वारा नोट किया जाता है। इस प्रकार से V तथा I के मानों में खींचा गया वक्र चित्रानुसार प्राप्त होता है।
अग्र गतिक प्रतिरोध: परिभाषा से अग्र गतिक प्रतिरोध
चित्र में बिन्दु C के निकट अग्र प्रतिरोध की गणना के लिये. ∆V तथा I को दर्शाया गया है। यदि ∆V व ∆I अत्यल्प हैं तो बिन्दु C पर गतिक प्रतिरोध इस बिन्दु पर वक्र पर खींची गयी स्पर्श रेखा (tangent ) के बाल (slope ) के मान का व्युत्क्रम होगा। अग्र गतिक प्रतिरोध का मान सामान्यतः अल्प (1 से 100 ओम) का होता है।
प्रश्न 18.
सौर सेलों के लिए Si और GaAs अधिक पसंद वाले पदार्थ क्यों हैं?
उत्तर:
हमें प्राप्त होने वाला सौर विकिरण स्पेक्ट्रम नीचे चित्र में दिखाया गया है। अधिकतम तीव्रता 1.5 इलेक्ट्रॉन बोल्ट के पास है। प्रकाश- उत्तेजन के लिए hu> Eg इसलिए ऐसे अर्धचालकों जिनका बैंड अंतराल 1.5 इलेक्ट्रॉन वोल्ट या उससे कम हो, के लिए सौर ऊर्जा के रूपांतरण की दक्षता अच्छी होने की संभावना है। सिलिकॉन के लिए Eg ~ 1.1 eV (इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जबकि GaAs के लिए यह इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। वास्तव में अपेक्षाकृत अधिक अवशोषण गुणांक के कारण GaAs (अधिक बैंड अंतराल होने पर भी) Si से ज्यादा अच्छा है। यदि हम Cds या Cd Se (Eg 2.4 eV) जैसे पदार्थों को चुनें तो प्रकाश रूपांतरण के लिए हम सौर ऊर्जा के केवल उच्च ऊर्जा घटक का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऊर्जा के एक सार्थक भाग का कोई उपयोग नहीं हो पाएगा प्रश्न यह उठता है कि हम PbS (Eg 0.4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जैसे पदार्थ क्यों नहीं उपयोग करते, जो सौर विकिरण के स्पेक्ट्रम के तदनुरूपी उच्चिष्ठ के लिए ho> Eg का प्रतिबंध संतुष्ट करते हैं? यदि हम ऐसा करेंगे तो सौर विकिरण का अधिकांश भाग सौर सेल की ऊपरी परत पर ही अवशोषित हो जाएगा और हासी क्षेत्र में या उसके पास नहीं पहुँचेगा। संधि क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन होल के प्रभावी पृथकन के लिए हम चाहते हैं कि प्रकाश जनन केवल संधि क्षेत्र में ही हो।
प्रश्न 19.
LED से उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता का निर्धारण करने वाले कारक क्या हैं?
उत्तर:
(i) LED से उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्ध-चालक पदार्थ पर निर्भर करती है, जैसे GaP सन्धि पर अधिकांश ऊर्जा लाल तथा हरे प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। GaAsP सन्धि नीला तथा पीला प्रकाश उत्सर्जित करती है।
(ii) LED से उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता प्रयुक्त अर्द्धचालक के वर्जित ऊर्जा बैण्ड अन्तराल पर निर्भर करती है।
प्रश्न 20.
तर्क द्वार से आप क्या समझते हैं? AND द्वार का प्रतीक चिन्ह बनाते हुये इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
तर्क द्वार – तार्किक या लोजिक गेट अंकीय इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के आधारभूत भाग हैं। एक तार्किक द्वार ऐसा तर्कसंगत परिपथ होता है जिसमें एक या अधिक निवेशी टर्मिनल किन्तु केवल एक निर्गत टर्मिनल होता है। निर्गत टर्मिनल पर केवल उसी समय निर्गत संकेत प्राप्त होता है जब निवेशी टर्मिनल पर कुछ प्रतिबंध संतुष्ट हो रहे होते हैं अर्थात् निवेशी संकेत ( या संकेतों) के मध्य एक तर्कसंगत सम्बन्ध होता है। मूल तार्किक द्वार निम्न होते हैं-
(i) ओर द्वार (OR Gate)
(ii) एन्ड द्वार (AND Gate)
(iii) नॉट द्वार (NOT Gate)
AND द्वार का प्रतीक चिन्ह:
सत्य सारणी:
निवेशी(Input) | निर्गत Y |
|
A | B | |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 1 |
जब कोई भी निवेश (Input) A या B या दोनों O अवस्था में होते हैं तो निर्गत X भी ‘O’ अवस्था में होता है, परन्तु जब निवेश A और B दोनों ‘1’ अवस्था में होते हैं तो निर्गत Y भी ‘1’ अवस्था में होता है।
प्रश्न 21.
दो संधि डायोड काम लेते हुये बनाये जाने वाले OR द्वार का परिपथ चित्र बनाइये तथा इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
OR द्वार का परिपथ चित्र:
सत्य सारणी:
निवेशी(Input) | निर्गत Y |
|
A | B | |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 1 |
प्रश्न 22.
चित्र में दिये गये तार्किक परिपथ के लिये बूलीय व्यंजक लिखिये। इस परिपथ के लिए सत्यता सारणी भी बनाइये।
उत्तर:
A | B | \(\overline{\mathrm{A}}\) | \(\overline{\mathrm{B}}\) | \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\) |
0 | 0 | 1 | 1 | 1 |
1 | 0 | 0 | 1 | 1 |
0 | 1 | 1 | 0 | 1 |
1 | 1 | 0 | 0 | 0 |
प्रश्न 23.
किसी P-N संधि में हासी स्तर (अवक्षय परत) के बनने की व्याख्या कीजिए।
अथवा
एक परिपथ आरेख की सहायता से किसी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक को दोलित्र के रूप में उपयोग करने के कार्यकारी सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवक्षय परत: जब P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं।
P-N संधि तल पर क्रिया: P-N संधि में P की ओर होल सांद्रता व N की ओर इलेक्ट्रॉन सांद्रता अधिक होने के कारण सांद्रता प्रवणता तथा होल- इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता के प्रभाव से N भाग से कुछ इलेक्ट्रॉन P की ओर तथा P भाग से कुछ होल N भाग की ओर विसरित होते हैं। विपरीत ध्रुवीय होल व इलेक्ट्रॉन आपस में संयोग कर उदासीन हो जाने से संधि से N के निकटस्थ क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन तथा P के निकटस्थ क्षेत्र में होल्स की कमी हो जाती है।
इस मुक्त धारावाहक रहित क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र तथा मुक्त आवेशरहित इस परत को अवक्षय परत कहते हैं। इसकी मोटाई 10 m से 10m तक होती है। अवक्षय परत के N की ओर के स्थिर धन आयन P की ओर से आने वाले होल्स को तथा P की ओर के स्थिर ऋण आयन N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। अतः संधि तल के पास P भाग में ऋण आवेश की अधिकता से ऋण विभव तथा N भाग में धन आवेश की अधिकता से धन विभव उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार से अवक्षय परत के सिरों पर उत्पन्न वि. वा. बल को अवरोधी या सम्पर्क विभव कहते हैं।
यदि अवरोधी विभव (Vcont.) हो तथा अवक्षय क्षेत्र की मोटाई d हो तो अवरोधी विभव से उत्पन्न विद्युत् क्षेत्र EB का मान होगा
EB = Vcont/d
यह विद्युत् क्षेत्र गतिशील होल व इलेक्ट्रॉन को अवक्षय परत पर P की ओर से आने वाले होलों को पुनः P क्षेत्र में तथा N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को पुनः N क्षेत्र में लौटाता है। अवक्षय परत को रुकावट क्षेत्र भी कहते हैं। इस क्षेत्र की प्रतिरोधकता शेष N व P क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक होती है।
कार्यविधि – चित्र में ट्रांजिस्टर के दोलित्र के रूप में उपयोग का परिपथ चित्र प्रदर्शित किया गया है। जब कुंजी बन्द करते हैं तो क्षीण मान की संग्राहक धारा I बहती है और इस कारण L से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे उत्पन्न प्रेरित वोल्टता उत्सर्जक आधार सन्धि को अग्रबायस प्रदान करती है। इस प्रकार बढ़ी हुई उत्सर्जक धारा, संग्राहक धारा को बढ़ा देती है। जिससे L’ से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि होती है और वह संग्राहक धारा में और वृद्धि कर उसे संतृप्त धारा की स्थिति में ला देती है। जब संतृप्त अवस्था में धारा एवं चुम्बकीय फ्लक्स की अवस्था में परिवर्तन होते हैं तो उत्सर्जक धारा घटती है जो संग्राहक धारा का मान कम कर देती है। घटी हुई संग्राहक धारा विपरीत दिशा में प्रेरित वोल्टता उत्पन्न करती है, जब तक कि उसका मान न्यूनतम न हो जावे। इस तरह से इस चक्र की पुनरावृत्ति होने से उत्पन्न अवमंदित दोलन की आवृत्ति निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
V = \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)
प्रश्न 24.
दो निवेशी तर्क द्वार की निम्नांकित सत्यमान सारणी में निर्गत संकेत दिया गया है:
(i) दिये गये द्वार की पहचान कर प्रतीक चित्र खींचिये।
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार का नाम बताइए।
निवेश | निर्गम | |
A | B | Y |
0 | 0 | 1 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 0 |
उत्तर:
(i) दिया गया द्वार NAND है। इसका प्रतीक चित्र निम्न
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार AND द्वार में परिवर्तित हो जाता है।
Input | Output |
1 | 0 |
1 | 0 |
1 | 0 |
0 | 1 |
प्रश्न 25.
ठोसों में ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध चालक के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध- चालक के मध्य अन्तर को निम्न प्रकार से बाँटा गया है
(i) चालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg प्रायः शून्य होता है, चालक पदार्थ कहलाते हैं। इनमें संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड परस्पर अतिव्यापित रहते हैं।
(ii) कुचालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल ∆Eg का मान 6eV या इससे अधिक होता है, इन्हें कुचालक या विद्युतरोधी पदार्थ कहते हैं।
(iii) अर्ध-चालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान 1eV के लगभग होता है, उन्हें अर्द्धचालक पदार्थ कहते हैं।
प्रश्न 26.
LED का विस्तृत अर्थ बताइए। उन कारकों को बताइए जो LED द्वारा उत्सर्जित प्रकार की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता को निर्धारित करते हैं।
उत्तर:
LED का विस्तृत रूप Light Emitting Diode है, जिसका अर्थ है प्रकाश उत्सर्जक डायोड इसके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्धचालक की ऊर्जा बैण्ड रिक्ति पर निर्भर करती है। (ii) तीव्रता अर्द्धचालक के मादन स्तर पर निर्भर करती है।
प्रश्न 27.
सामान्य ट्रांजिस्टर की तुलना में यदि इसका आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो इससे निम्न पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (i) संग्राहक धारा (ii) धारा लब्धि
उत्तर:
यदि आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो उत्सर्जक से आने वाले अधिकांश आवेश वाहक आधार में उदासीन हो जायेंगे (इलेक्ट्रॉन – कोटर संयोग प्रक्रिया द्वारा) अतः इसके परिणामस्वरूप (i) संग्राहक धारा घट जायेगी, (ii) अतः धारा लब्धि भी घट जायेगी।
प्रश्न 28.
P-N संधि डायोड के अग्रदिशिक बायस (अभिनति) में V- I अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने की कार्यविधि का वर्णन कीजिए। प्रायोगिक व्यवस्था का परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर:
किसी डायोड के V – I अभिलाक्षणिक (अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता के फलन के रूप में धारा का विचरण) का अध्ययन करने के लिए आरेख चित्र (a) में दिखाया गया है। डायोड से वोल्टता को एक पोटेंशियोमीटर (या धारा नियंत्रक) से होकर जोड़ा जाता है जिससे डायोड पर अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता को परिवर्तित किया जा सकता है। वोल्टता के विभिन्न मानों के लिए धारा का मान नोट किया जाता है। V तथा I के बीच एक ग्राफ चित्र (b) में दिखाया गया है।
यहाँ पर अग्रदिशिक बायस मापन के लिए हम मिलीमीटर का उपयोग करते हैं क्योंकि अपेक्षित धारा अधिक है। जैसा कि चित्र में देख सकते हैं कि अग्रदिशिक बायस में आरम्भ में धारा उस समय तक बहुत धीरे-धीरे लगभग नगण्य बढ़ती जब तक कि डायोड पर वोल्टता एक निश्चित मान से अधिक न हो जाये। इस अभिलाक्षणिक वोल्टता के बाद डायोड बायस वोल्टता में बहुत थोड़ी-सी ही वृद्धि करने से डायोड धारा में सार्थक (चरघातांकी) वृद्धि हो जाती है। यह वोल्टता देहली वोल्टता (Threshold Voltage) या कट इन वोल्टता कहलाती है। इस वोल्टता का मान जरमेनियम डायोड के लिए 0.2 वोल्ट तथा सिलिकॉन डायोड के लिए 0.7 वोल्ट है।
प्रश्न 29.
दिये गये परिपथ चित्र में प्रयुक्त युक्ति D का नाम बताइए जो कि एक वोल्टता नियामक के रूप में प्रयुक्त की गई है। इसका संकेत भी दीजिए।
उत्तर:
जीनर डायोड इसका संकेत चित्र-
प्रश्न 30.
p-n संधि के निर्माण के लिए दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के नाम लिखिए। इसमें हासी क्षेत्र (अवक्षय क्षेत्र) एवं रोधिका विभव को परिभाषित कीजिए।
अथवा
दो सार्वत्रिक तार्किक द्वारों के नाम लिखिए। एकीकृत परिपथ किसे कहते हैं? इसके दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
किसी संधि के निर्माण के समय दो महत्वपूर्ण
प्रक्रियायें होती हैं-
(1) विसरण (Diffusion)
(2) अपवाह
हासी क्षेत्र (Depletion Region): जब कोई होल सान्द्रता प्रवणता के कारण pn की ओर विसरित होता है तो वह अपने पीछे एक आयनित ग्राही (ऋणात्मक आवेश) छोड़ देता है जो निश्चल होता है। जैसे-जैसे होल विसरित होते हैं, ऋणात्मक आवेश (ऋणात्मक स्पेस चार्ज क्षेत्र) की एक परत संधि के p-फलक पर विकसित होती जाती है। संधि के दोनों फलकों पर विकसित इस स्पेस चार्ज क्षेत्र को हासी क्षेत्र (Depletion Region ) कहते हैं।
रोधिका विभव (Barrier Potential)-n क्षेत्र से इलेक्ट्रॉनों की हानि तथा p-क्षेत्र में होलों की प्राप्ति के कारण दोनों क्षेत्रों की सन्धि के आर-पार एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है। इस विभव की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि यह आवेश वाहकों की ओर प्रवाह का विरोध करता है जिसके फलस्वरूप साम्यावस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसमें n पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन खोए हैं तथा p-पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन अर्जित किये हैं। इस प्रकार p-पदार्थ के सापेक्ष n पदार्थ धनात्मक है। चूँकि विभव n-क्षेत्र से p-क्षेत्र की ओर इलेक्ट्रॉन की गति को रोकने का प्रयास करता है, अतः इस विभव को प्रायः रोधिका विभव (Barrier Potential ) कहते हैं।
अथवा
(1) NAND gate
(2) NOR gate
एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) – आधुनिक युग के परिपथ में कई तर्कसंगत गेट अथवा परिपथों को एक एकल चिप’ में एकीकृत करते हैं, जिन्हें एकीकृत परिपथ (IC) कहते हैं।
लाभ:
(1) यह बहुत ज्यादा मात्रा (Bulk) में बनते हैं इसलिये ये सस्ते पड़ते हैं।
(2) इनमें ऊर्जा की खपत कम होती है चूँकि इनका आकार छोटा होता है।
प्रश्न 31.
(a) NAND गेट को सार्वत्रिक गेट (सार्व प्रायोजक गेट) भी कहते हैं, क्यों?
(b) OR गेट का तर्क प्रतीक बनाइए।
(c) दिए गये परिपथ में निर्गत y का मान लिखिए:
(d) वोल्टता नियमन में प्रयुक्त डायोड का नाम लिखिए।
उत्तर:
(a) NAND गेटों को सार्वत्रिक गेट या सार्व प्रायोजक गेट भी कहते हैं, क्योंकि इन गेटों के प्रयोग से आप अन्य मूलभूत गेट जैसे OR, AND तथा NOT प्राप्त कर सकते हैं।
(c) यहाँ NAND गेट के दोनों निवेशी टर्मिनल एक साथ जोड़ दिये गये हैं। इस प्रकार एक निवेश के लिये एक ही निर्गत Y है। अतः दिये गये परिपथ की सत्यापन सारणी के द्वारा लिखा जा सकता है:
A | B = A | A.B | Y = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) |
1 | 1 | 1 | 0 |
अतः Y = 0 होगा।
(d) जेनर डायोड
प्रश्न 32.
दो NOT गेटों के निर्गतों से किसी NOR गेट का भरण किया जाता है। इन गेटों के संयोजन का लॉजिक (तर्क) परिपथ चिए। इसकी सत्यमान सारणी लिखिए। इस परिपथ के तुल्य गेट की पहचान कीजिए।
उत्तर:
G1 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A}}\)
G2 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{B}}\)
गेट G3, NOR गेट है, इसका इनपुट \(\overline{\mathrm{A}}\) और \(\overline{\mathrm{B}}\) है।
इसलिए G3 का आउटपुट Y = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}+\overline{\mathrm{B}}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}} \cdot \overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = AB
यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।
प्रश्न 33.
आपको आरेख में दर्शाए अनुसार दो परिपथ (a) और (b) दिए गए हैं जो NAND गेटों के बने हैं। इन दोनों के द्वारा कार्यान्वित लॉजिक (तर्क) प्रचालन पहचानिए। प्रत्येक के लिए सत्यमान सारणी लिखिए। इन दोनों परिपथों के तुल्य गेटों को पहचानिए।
उत्तर:
परिपथ (a)
प्रथम गेट C का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
Y का आउटपुट = \(\overline{\text { C.C C }}\) = \(\overline{\mathrm{C}}\) = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\) = AB
A | B | Y |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 0 |
0 | 1 | 0 |
1 | 1 | 1 |
यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।
परिपथ (b)
आउटपुट C= \(\overline{\mathrm{A}}\), आउटपुट D = \(\overline{\mathrm{B}}\)
आउटपुट Y = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}}+\overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = A + B
A | B | Y |
0 | 0 | 0 |
1 | 0 | 1 |
0 | 1 | 1 |
1 | 1 | 0 |
यह ओर गेट के लिए बूलन व्यंजक है।
आंकिक प्रश्न:
प्रश्न 1.
किसी नैज अर्धचालक के लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg इलेक्ट्रॉन वोल्ट है तो इस अर्धचालक द्वारा किस अधिकतम तरंगदैर्ध्य के आपतित प्रकाश का अवशोषण किया जा सकता है?
उत्तर:
यदि आपतित प्रकाश के फोटॉन की आवृत्ति v है तो इन फोटॉन की ऊर्जा hu होगी। यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा का मान अर्धचालक के वर्जित ऊर्जा अन्तराल से अधिक है तो अर्धचालक के संयोजकता बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉन इन फोटॉनों को अवशोषित कर चालन बैण्ड में पहुँच सकेंगे। (यह प्रक्रिया प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पादन कहलाती है।) अतः फोटॉन की अवशोषण योग्य न्यूनतम आवृत्ति vmin सूत्र
hvmin = Eg
द्वारा दी जायेगी। यदि फोटॉन की अवशोषण योग्य अधिकतम तरंगदैर्घ्य λmax है तो
\(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_{\max }}\) = Eg या λmax = \(\frac{\mathrm{hc}}{\mathrm{E}_{\mathrm{g}}}\)
hc = 12400 eV Å तथा Eg को eV मात्रक में लेने पर
λmax = \(\frac{12400}{E_g}\)
प्रश्न 2.
किसी संधि डायोड में अग्रिम बायस में विभव के मान में 1.5 वोल्ट से 2.0 वोल्ट का परिवर्तन करने से धारा का मान 6.0 मिली ऐम्पियर 16.0 मिली ऐम्पियर हो जाता है इसी डायोड पर उत्क्रम बायस का मान 10 वोल्ट से 15 वोल्ट किया जाता है तो धारा का मान 25.0 माइक्रोऐम्पियर से 50.0 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है संधि डायोड का दोनों स्थितियों में गतिज प्रतिरोध ज्ञात करो।
उत्तर:
अग्रिम बायस पर
तथा
∆Vf = 2.0 – 1.5 = 0.5 वोल्ट
∆lf = ( 16.0 – 6.0) x 10-3 ऐम्पियर
= 10 x 10-3 ऐम्पियर
अतः अग्रिम बायस प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{10 \times 10^{-3}}\)
= 50 ओम
उत्क्रम बायस पर
∆Vr = 15 – 10 = 5 वोल्ट
∆L = 50 x 106 – 25 x 106 = 25 x 10-6 ऐम्पियर
उत्क्रम बायस प्रतिरोध
R,= \(\frac{\Delta V_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{25 \times 10^{-6}}\) ओम
= 2 × 105 ओम
प्रश्न 3.
किसी P-N संधि डायोड की अग्रदशिक अभिनति को 1.0 वोल्ट से बढ़ाकर 1.5 वोल्ट करने पर अग्र धारा का मान 6.5 मिली ऐम्पियर से 16.5 मिली ऐम्पियर हो जाता है। इसी डायोड की उत्क्रम अभिनति का मान 5 वोल्ट से 10 वोल्ट करने पर उत्क्रम धारा का मान 25 माइक्रोऐम्पियर से बढ़कर 50 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है। इस डायोड का दोनों स्थितियों में गतिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) प्रश्नानुसार, अग्र अभिनति में
∆Vf = 1.5 – 1.0 = 0.5 V
तथा अग्रदिशिक धारा में परिवर्तन
∆lf = 16.5 – 6.5 = 10mA
अतः अग्रदिशिक गतिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \mathrm{~mA}}\)
= \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \times 10^{-3}}\)
= 0.5 × 102
= 50 ओम
(ii) उत्क्रमित अभिनति के लिए
∆Vr = 10 – 5 = 5V
तथा संगत धारा परिवर्तन
∆I = 50 – 25 = 25 PA
अतः उत्क्रमित गतिक प्रतिरोध
Rr = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{r}}}\)
= \(\frac{5 \mathrm{~V}}{25 \mu \mathrm{A}}\) = \(\frac{5}{25 \times 10^{-6}}\) = \(\frac{1}{5}\) x 106
= 0.2 x 106 ओम
= 0.2 मेगा ओम
प्रश्न 4.
किसी P-N संधि डायोड का अग्रअभिनति की स्थिति में गतिक प्रतिरोध 25 ओम है अग्र अभिनत विभव में कितना परिवर्तन किया जाये कि अप्रदिशिक धारा में 2 मिली ऐम्पियर का परिवर्तन हो जाये?
उत्तर:
अग्रदिशिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\)
और
∆Vf = Rf. ∆lf
= (25) × (2 × 103)
∵ ∆lf = 2 mA = 2 × 10-3 A
Rf = 25 ओम
= 50 x 10-3 v
= 50 मिली वोल्ट
अतः 50 mV का परिवर्तन करना होगा।
प्रश्न 5.
यदि बूलियन व्यंजक \((\overline{\mathbf{A}+\mathbf{B}})(\overline{\mathbf{A} . \mathbf{B}})\) = 1 तो निवेश A व B के मान क्या होंगे?
उत्तर:
माना \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = y1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = y2
अतः (A + B). (A.B) = y1. Y2 = 1
या y1 .y2 = 1
यह तभी सम्भव होगा जब
Y1 = 1 एवं y2 = 1
या \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = 1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = 1
या A + B = 0 एवं AB = 0
यह तभी सम्भव होगा जब
A = 0, B = 0