Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण
वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
प्रेरित वि.वा. बल की दिशा ज्ञात की जाती है:
(अ) ऐम्पियर के नियम द्वारा
(ब) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से
(स) फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से
(द) लेन्ज के नियम से
उत्तर:
(द) लेन्ज के नियम से
प्रश्न 2.
लेन्ज का नियम देता है:
(अ) प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण
(ब) प्रेरित धारा की दिशा
(स) प्रेरित धारा का परिमाण व दिशा दोनों
(द) प्रेरित धारा का परिमाण
उत्तर:
(ब) प्रेरित धारा की दिशा
प्रश्न 3.
लेन्ज का नियम जिस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित होता है, वह है:
(अ) आवेश
(ब) संवेग
(स) द्रव्यमान
(द) ऊर्जा
उत्तर:
(द) ऊर्जा
प्रश्न 4.
एक क्षेत्रीय रेखाचित्र में प्रदर्शित है। यह क्षेत्र प्रदर्शित नहीं करता:
(अ) चुम्बकीय क्षेत्र
(ब) स्थिर-वैद्युत क्षेत्र
(स) प्रेरित विद्युत क्षेत्र
(द) गुरुत्वीय क्षेत्र
(संकेत-स्थिर-वैद्युत तथा गुरुत्वीय क्षेत्र बन्द लूप नहीं बनाते।)
उत्तर:
(ब) स्थिर-वैद्युत क्षेत्र
प्रश्न 5.
किसी क्षण ‘ t’ पर एक कुण्डली से सम्बन्धित फ्लक्स दिया गया है ¢ = 10t2 – 50t + 250 तो t= 3 ऊपर प्रेरित वि. वा. बल
(अ) 190 V
(ब) -190 V
(स) 10V
(द) 10V
उत्तर:
(स) 10V
प्रश्न 6.
ताँबे के तार की कुण्डली व एक तार AB चित्रानुसार तार में प्रवाहित धारा I का कागज के तल में स्थित है।
मान यदि बढ़ रहा हो तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा होगी:
(अ) वामावर्त
(ब) दक्षिणावर्त
(स) प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) दक्षिणावर्त
प्रश्न 7.
संलग्न चित्र में चालक छड़ AB को धारावाही तार MN के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय में धारा के समान्तर दिशा में चलाया जा रहा है। छड़ AB में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा होगी:
(अ) A → B
(ब) B → A
(स) प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) A → B
प्रश्न 8.
संलग्न चित्र में जब कुंजी k को बन्द किया जाता है तो कुण्डली B में प्रेरित धारा की दिशा होगी:
(अ) वामावर्त तथा क्षणिक
(ब) दक्षिणावर्त तथा क्षणिक
(स) वामावर्त तथा लगातार
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) वामावर्त तथा क्षणिक
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से किसके द्वारा अधिकतम वि.वा. बल उत्पन्न होगा:
(अ) 50A dc
(ब) 50A 50Hz ac
(स) 50 A 500 Hz ac
(द) 100 A dc.
उत्तर:
(स) 50 A 500 Hz ac
प्रश्न 10.
एक 2 मीटर लम्बा तार 0.5 वेबर/ मी2 के चुम्बकीय क्षेत्र लम्बवत 1 मीटर / से. के वेग से के गतिमान है। उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) 0.5 वोल्ट
(ब) 2 वोल्ट
(स) 0.1 वोल्ट
(द) 1 वोल्ट
उत्तर:
(द) 1 वोल्ट
प्रश्न 11.
L भुजा व R प्रतिरोध का वर्गाकार चालक लूप अपनी एक भुजा के लम्बवत एकसमान वेग से अपने तल में गति कर रहा है, जहाँ चुम्बकीय प्रेरण B है जो आकाश व समय में नियत है तथा लूप के तल के लम्बवत अन्दर की ओर है लूप में प्रेरित धारा है:
(अ) \(\frac{\mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) दक्षिणावर्त
(ब) \(\frac{\mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) वामावर्त
(स) \(\frac{2 \mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) वामावर्त
(द) शून्य
उत्तर:
(द) शून्य
प्रश्न 12.
एक ताँबे की वलय को क्षैतिज रखा जाता है तथा एक छड़ चुम्बक को वलय की अक्ष की दिशा में गिराया जाता है। गिरते हुए चुम्बक का त्वरण होगा:
(अ) गुरुत्वीय त्वरण के बराबर
(ब) गुरुत्वीय त्वरण से कम
(स) गुरुत्वीय त्वरण से अधिक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) गुरुत्वीय त्वरण से कम
प्रश्न 13.
चित्रानुसार एक चालक छड़ AB नियत वेग v से एकसमान चुम्बकीय नियत वेग क्षेत्र में गतिशील है:
(अ) छड़ विद्युत आवेशित हो जायेगी
(ब) छड़ जूल ऊष्मा के कारण गर्म हो जायेगी
(स) छड़ का सिरा A धनावेशित होगा
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) छड़ का सिरा A धनावेशित होगा
प्रश्न 14.
एक चालक लूप को एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाता है कि इसका तल चुम्बकीय क्षेत्र के प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होगा यदि:
(अ) लूप की क्षेत्र में गति स्थानान्तरीय हो
(ब) लूप अपनी अक्ष पर घूर्णन करे
(स) लूप अपने व्यास के सापेक्ष घूर्णन करे
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) लूप अपने व्यास के सापेक्ष घूर्णन करे
प्रश्न 15.
चित्रानुसार एक चालक तार AB (लम्बाई l) दो समान्तर पटरियों P तथा Q पर वेग से गतिशील है। पटरियों के तल के लम्बवत् नीचे की ओर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया लम्बवत् है, लूप में
गया है। छड़ का वेग नियत बनाये रखने के लिए आवश्यक बल का मान होगा:
(अ) शून्य
(ब) I/B
(स) I/B sin θ
(द) इनमें से
उत्तर:
(अ) शून्य
प्रश्न 16.
निम्न में से किसकी विमा [M1 L2T-3 A-1] नहीं है:
(अ) \(\int \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{d} l}\)
(ब) VBl
(स) \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\)
(द) \(\phi_{\mathrm{B}}\)
उत्तर:
(द) \(\phi_{\mathrm{B}}\)
प्रश्न 17.
दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान 2.5 H है। यदि एक कुण्डली में धारा का मान 1 A/s की दर से परिवर्तित होता हो तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान होगा-
(अ) 2.5 mV
(ब) 2.5 V
(स) 2.5 m
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) 2.5 V
प्रश्न 18.
संलग्न चित्र में तार AB में एक नियत मान की धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली A में प्रवाहित प्रेरित धारा की दिशा होगी:
(अ) वामावर्त
(ब) दक्षिणावर्त
(स) प्रेरित धारा प्रवाहित नहीं होगी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) प्रेरित धारा प्रवाहित नहीं होगी
प्रश्न 19.
प्रेरकत्व का कौन-सा मात्रक त्रुटिपूर्ण है:
(अ) \(\frac{\mathrm{Wb}}{\mathrm{A}}\)
(ब) \(\frac{V-s}{A^2}\)
(स) \(\frac{\mathrm{J}}{\mathrm{A}^2}\)
(द) Ω – s
उत्तर:
(ब) \(\frac{V-s}{A^2}\)
प्रश्न 20.
संलग्न चित्र में एक इलेक्ट्रॉन A से B की ओर गतिशील हो तो लूप में प्रेरित धारा की दिशा होगी-
(अ) पहले वामावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् दक्षिणावर्त
(ब) पहले दक्षिणावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् वामावर्त
(स) वामावर्त
(द) दक्षिणावर्त
उत्तर:
(अ) पहले वामावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् दक्षिणावर्त
प्रश्न 21.
5 ओम प्रतिरोध वाले बन्द परिपथ से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का तात्क्षणिक मान निम्न सम्बन्ध से व्यक्त किया जाता है:
¢B = 6t2 – 5t + 1
तो t = 0.25 सेकण्ड पर परिपथ में प्रेरित धारा का मान ऐम्पियर में होगा:
(अ) 2.4
(ब) 1.6
(स) 0.4
(द) 1.2
उत्तर:
(स) 0.4
प्रश्न 22.
दो कुण्डलियों को एक-दूसरे निकट रखा है, तो कुण्डली के युग्म का अन्योन्य प्रेरण गुणांक निर्भर करता है:
(अ) दोनों कुण्डलियों में धारा परिवर्तन की दर
(ब) दोनों कुण्डलियों की आपेक्षिक स्थिति पर
(स) दोनों कुण्डलियों के तारों के पदार्थ पर
(द) दोनों कुण्डलियों में धारा पर
उत्तर:
(ब) दोनों कुण्डलियों की आपेक्षिक स्थिति पर
प्रश्न 23.
l लम्बाई की धातु की छड़ को चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रखकर f आवृत्ति से वृत्ताकार पथ पर घूर्णन कराने पर छड़ के किनारों के बीच विभवान्तर होगा:
(अ) \(\frac{B}{f}\)
(ब) \(\frac{\pi l^2 \mathrm{~B}}{\mathrm{f}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{B} l}{\mathrm{f}}\)
(द) πl2Bf
उत्तर:
(द) πl2Bf
प्रश्न 24.
स्वप्रेरण गुणांक की विमा होती है:
(अ) ML2T-3A-2
(ब) M2LT-2A-2
(स) M0L2T-3 A-2
(द) ML2T-2A-2
उत्तर:
(द) ML2T-2A-2
प्रश्न 25.
समीपवर्ती दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व 4.0 H (हेनरी) है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा 5 ऐम्पियर से 102 सैकण्ड में शून्य हो जाती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान होगा:
(अ) 0.20 वोल्ट
(ब) – 2000 वोल्ट
(स) 2000 वोल्ट
(द) -0.20 वोल्ट
उत्तर:
(ब) – 2000 वोल्ट
प्रश्न 26.
l भुजा का एक वर्गाकार लूप समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् नियत वेग से चलाया जाता है। प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) VBI
(ब) \(\frac{\mathrm{B} l}{\mathrm{v}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{v} l}{\mathrm{B}}\)
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) VBI
प्रश्न 27.
चुम्बकीय ध्रुवों के बीच एक आयताकार कुण्डली समान कोणीय वेग से घूर्णन गति कर रही है, तो कुण्डली में से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स व प्रेरित विद्युत वाहक बल (e) का समय (t) के साथ परिवर्तन का सही ग्राफ है:
उत्तर:
प्रश्न 28.
भँवर धाराओं का प्रयोग निम्नलिखित में से किसमें नहीं होता है:
(अ) चल कुण्डल धारामापी
(ब) विद्युत ब्रेक
(स) प्रेरण मोटर
(द) डायनामो
उत्तर:
(द) डायनामो
प्रश्न 29.
विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है
(अ) विद्युत मोटर से
(ब) विद्युत इस्तरी से
(स) विद्युत जनित्र से
(द) सीसा संचायक सेल से
उत्तर:
(अ) विद्युत मोटर से
प्रश्न 30.
लम्बाई L की एक तांबे की छड़ एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B में कोणीय वेग से घुमाई जाती है। घूर्णन अक्ष B के समानान्तर व छड़ के एक सिरे से पारित है। छड़ के सिरों के मध्य उत्पन्न वि. वा. बल होगा:
(अ) BπL2
(ब) 1⁄2- BoL2
(स) 1⁄2-BOL
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) 1⁄2- BoL2
प्रश्न 31.
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व M है। यदि पहली कुण्डली मेंt समय में धारा के मान में परिवर्तन I हो तो दूसरी कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा:
(अ) MIt
(ब) \(\frac{\mathrm{MI}}{\mathrm{t}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{Mt}}{\mathrm{I}}\)
(द) \(\frac{\mathrm{i}}{\mathrm{MIt}}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{\mathrm{MI}}{\mathrm{t}}\)
प्रश्न 32.
एक प्रेरण कुण्डली में जब धारा 1 मिली. सेकण्ड में 3 ऐम्पियर से 2 ऐम्पियर तक परिवर्तित होती है तो उसमें 5 वोल्ट का विद्युत वाष्प है। कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व होगा:
(अ) शून्य
(ब) 5 मिली. हेनरी
(स) 5 किलो हेनरी
(द) 5 हेनरी
उत्तर:
(ब) 5 मिली. हेनरी
प्रश्न 33.
किसी कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व कम होगा, जबकि:
(अ) कुण्डली में प्रवाहित धारा कम हो
(ब) चुम्बकीय क्षेत्र बहुत दुर्बल हो
(स) कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश हो
(द) कुण्डली को प्रतिचुम्बकीय पदार्थ पर लपेटा जाये
उत्तर:
(द) कुण्डली को प्रतिचुम्बकीय पदार्थ पर लपेटा जाये
प्रश्न 34.
ट्रान्सफॉर्मर किस सिद्धान्त पर आधारित है:
(अ) चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर
(ब) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर
(स) स्वप्रेरण के सिद्धान्त पर
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 35.
यदि एक कुण्डली में तात्कालिक चुम्बकीय फ्लक्स का मान BA cosωt हो, तो उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) sinωt
(ब) B ω/A sinωt
(स) BA sin ωt
(द) BA cos ωt
उत्तर:
(स) BA sin ωt
प्रश्न 36.
किसी पदार्थ में भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं जब उसे:
(अ) गर्म किया जाता है
(ब) विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है
(स) एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है
(द) समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है।
उत्तर:
(द) समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
जब किसी कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो क्या सदैव प्रेरित (i) विद्युत वाहक बल (ii) धारा उत्पन्न होती है?
उत्तर:
प्रेरित विद्युत वाहक बल सदैव उत्पन्न होता है, लेकिन प्रेरित विद्युत धारा तब ही उत्पन्न होती है जब कुण्डली का परिपथ बन्द होगा।
प्रश्न 2.
चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक और विमा सूत्र लिखिये।
उत्तर:
SI मात्रक वेबर और विमा सूत्र = ML2T-2A-1
प्रश्न 3.
किसी कुण्डली में प्रेरित धारा किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
यह निम्न बातों पर निर्भर करती है:
(i) कुण्डली में फेरों की संख्या,
(ii) कुण्डली का प्रतिरोध,
(iii) कुण्डली में फ्लक्स परिवर्तन की दर।
प्रश्न 4.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखी किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
जब कोई कुण्डली किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखी जाती है, तो उससे संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
∵ ΦB = NBA cos θ
(i) कुण्ड के तल के क्षेत्रफल A पर
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B पर
(iii) कुण्डली की अक्ष द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से बनाये गये कोण 6 पर
(iv) N फेरों की संख्या।
प्रश्न 5.
यदि किसी लूप का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर रखा गया हो तो लूप से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य चूँकि ΦB = BdA cos 90° = 0
प्रश्न 6.
किसी कुण्डली में संग्रहित ऊर्जा का क्या रूप होता है?
उत्तर:
चुम्बकीय ऊर्जा।
प्रश्न 7.
क्या किसी कुण्डली में प्रेरित वि.वा. बल का मान परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर करता है?
उत्तर:
नहीं। (चूँकि प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान सिर्फ चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर पर निर्भर करता है। )
प्रश्न 8.
लेंज का नियम किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित होता है?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण
प्रश्न 9.
प्रेरित वि. वा. बल की दिशा किस नियम से ज्ञात की जाती है?
उत्तर:
लेंज के नियम से।
प्रश्न 10.
किसी धातु को परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्या भँवर धारायें उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
हाँ, भँवर धारायें उत्पन्न होंगी।
प्रश्न 11.
किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व या स्वप्रेरण गुणांक 1 H है। इससे आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ε = -Ldl/dt
यहाँ पर L = 1 है।
∵ ε = -Ldl/dt
अर्थात् 1 ऐम्पियर / से की दर से धारा परिवर्तन होने पर । वोल्ट का विद्युत वाहक बल प्रेरित होगा।
प्रश्न 12.
दो एकसमान समाक्षीय वृत्ताकार कुण्डलियों में समान धारायें एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। यदि दोनों कुण्डलियों को एक-दूसरे की ओर लाया जाये तो धाराओं में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
प्रत्येक कुण्डली में धारा घटेगी (लेंज के नियम से)।
प्रश्न 13.
एक धातु का सिक्का तथा एक अधातु का सिक्का एक ही ऊँचाई से पृथ्वी तल के समीप छोड़े गये हैं। कौन-सा पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा?
उत्तर:
गिरते हुए धातु के सिक्के में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण उत्पन्न भंवर धारायें टुकड़े की गति का विरोध करती हैं। अतः धातु का टुकड़ा (गुरुत्वीय त्वरण के सापेक्ष) कम त्वरण से गिरता है. परन्तु अधातु के टुकड़े में भँवर धारायें नहीं होंगी, अतः वह गुरुत्वीय त्वरण से गिरता है अतः अधातु का सिक्का पृथ्वी पर पहले पहुँचेगा।
प्रश्न 14.
एक ऋजुरेखीय चालक तार में विद्युत वाहक बल के एक स्रोत के कारण एक नियत धारा बायीं से दायीं ओर बह रही है। जब स्रोत का स्विच बन्द कर देते हैं, तो तार में प्रेरित धारा की दिशा होगी-
उत्तर:
बायीं से दायीं ओर (स्विच बन्द करने पर उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल की दिशा वही होती है जिस दिशा में धारा बहती है)।
प्रश्न 15.
प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त प्रतिरोध तार दुहरा मोड़ कर कुण्डली के रूप में लगाये जाते हैं क्यों?
उत्तर:
स्वप्रेरण प्रभाव के निराकरण के लिये।
प्रश्न 16.
जब किसी कुण्डली के पास छड़ चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लाया जाता है तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी ? कारण सहित समझाओ।
उत्तर:
दक्षिणावर्त होगी, क्योंकि इससे कुण्डली के सिरों पर दक्षिण ध्रुव बनेगा जो लेंज के नियम के अनुसार चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव के आगे बढ़ने की गति का विरोध करेगा।
प्रश्न 17.
ट्रान्सफॉर्मर, डायनेमो इत्यादि की क्रोड पटलित क्यों होती है?
उत्तर:
क्रोड में भंवर धाराओं के कारण ऊर्जा का हास कम हो जाता है।
प्रश्न 18.
यदि किसी प्रेरकत्व में धारा का मान दुगुना कर दिया जाता है तो संग्रहित ऊर्जा कितने गुना हो जायेगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि किसी कुण्डली में संग्रहित चुम्बकीय ऊर्जा
U = \(\frac{1}{2}\) LI2θ
यदि धारा का मान दुगुना करने पर
U = \(\frac{1}{2}\) LI2I0 = 4 x \(\frac{1}{2}\) LI2
U’= 4U
अतः संग्रहित ऊर्जा का मान चार गुना होगा।
प्रश्न 19.
धारामापी के क्रोड में भँवर धाराओं के प्रभाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है?
उत्तर:
क्रोड को पटलित लेकर।
प्रश्न 20.
क्या कारण है कि दोलन करती हुई चुम्बकीय सूई के ठीक नीचे ताँबे की प्लेट रखने पर चुम्बकीय सूई शीघ्रता से रुक जाती है, जबकि काँच की प्लेट नीचे रखने पर चुम्बकीय सूई नहीं रुकती है?
उत्तर:
इसका मुख्य कारण यह है कि ताँबे की प्लेट में भँवर धारायें प्रेरित होती हैं जो चुम्बकीय सूई के दोलनों का विरोध करती हैं, जबकि काँच की प्लेट में भँवर धारायें उत्पन्न नहीं होती हैं।
प्रश्न 21.
एक कुण्डली के मध्य में लोहे का क्रोड लगाने की स्थिति में उसके स्वप्रेरकत्व के मान पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
स्वप्रेरकत्व का मान बढ़ जायेगा।
प्रश्न 22.
तीन कारकों (factors) के नाम लिखिये जिन पर किसी कुण्डली का स्व-प्रेरण गुणांक निर्भर करता है।
उत्तर:
(i) कुण्डली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल,
(ii) कुण्डली में फेरों की संख्या,
(iii) कुण्डली के अन्दर रखी क्रोड की चुम्बकशीलता।
प्रश्न 23.
स्व-प्रेरकत्व पर क्रोड का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बढ़ जाता है।
प्रश्न 24.
भँवर धाराओं का कोई एक उपयोग लिखिये।
उत्तर:
रुद्ध दोलन (dead beat ) चल कुण्डली धारामापी।
प्रश्न 25.
स्व-प्रेरण को विद्युत का जड़त्व क्यों कहते हैं?
उत्तर:
स्व-प्रेरण किसी कुण्डली का वह गुण है जिसके कारण यह इसके बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहती है अर्थात् फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करती है। यह गुण यान्त्रिकी में जड़त्व के अनुरूप है अतः स्व-प्रेरण को विद्युत का जड़त्व कहते हैं।
प्रश्न 26.
दो कुण्डलियों को किस प्रकार लपेटना चाहिये कि प्रेरित वि. वा. बल का मान अधिकतम हो।
उत्तर:
एक कुण्डली के ऊपर दूसरी कुण्डली को लपेट लेना चाहिये जिससे प्रेरित वि.वा. बल अधिकतम हो जायेगा।
प्रश्न 27.
क्या रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति के द्वारा रेलगाड़ी की धुरी में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल का मापन सम्भव है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि यात्री के सापेक्ष गाड़ी स्थिर है। = 0 होने से प्रेरित वि. वा. बल शून्य होगा।
प्रश्न 28.
यदि किसी चालक को चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गतिशील किया जाये तो क्या इसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होगी?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि इस स्थिति में चालक से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स का मान नहीं बदलता है।
प्रश्न 29.
किसी कुण्डली के स्व-प्रेरकत्व गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर:
L = \(\frac{\mu_0 \pi \mathrm{N}^2 \mathrm{R}}{2}\) हेनरी
प्रश्न 30.
वोल्ट सेकण्ड किस भौतिक राशि का मात्रक है? समझाइये
उत्तर:
ε = \(\frac{\Delta \phi}{\Delta t}\)
से ∆Φ = ε x At
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक = प्रेरित विद्युत वाहक बल ६ का मात्रक x समय का मात्रक = वोल्ट सेकण्ड
प्रश्न 31.
फैराडे का वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम लिखिए।
उत्तर:
फैराडे ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना पर आधारित दो महत्त्वपूर्ण नियम दिये:
I. फैराडे का प्रथम नियम – “इस नियम के अनुसार जब किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है तो कुण्डली में प्रेरित वि.वा. बल तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।” उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल तब तक ही उत्पन्न होता है जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।
II. फैराडे का द्वितीय नियम- इस नियम के अनुसार कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।”
प्रश्न 32.
निम्न चित्र में दो कुंडली AB व CD के बीच एक छड़ चुम्बक NS को तीर की दिशा में चलाने पर किस कुंडली में प्रेरित धारा बायीं ओर से देखने पर वामावर्ती होगी?
उत्तर:
AB ↑↓ वामावर्त्त।
लघुत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ा दी जाये?
(ii) कुण्डली के तल का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाये?
(iii) कुण्डली के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ा दी जाये?
उत्तर:
(i) चुम्बकीय फ्लक्स पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि चुम्बकीय फ्लक्स फेरों की संख्या पर निर्भर नहीं करता है।
(ii) चुम्बकीय फ्लक्स का मान बढ़ जायेगा क्योंकि
(iii) चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ जायेगा
Φ α A
Φ α B
प्रश्न 2.
किसी कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित आवेश तथा प्रेरित धारा संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन तेजी पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब इससे से किया जाये अथवा धीरे-धीरे किया जाये?
उत्तर:
प्रेरित आवेश
q = \(\frac{\mathrm{N} \Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{R}}\)
तथा प्रेरित धारा I = \(\frac{N \Delta \phi_B}{\mathrm{R} \Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{N\left(\Delta \phi_{\mathrm{B}} / \Delta t\right)}{\mathrm{R}}\)
इन सूत्रों से स्पष्ट है कि प्रेरित आवेश केवल कुल फ्लक्स- परिवर्तन ∆ΦB पर निर्भर करता है, जबकि प्रेरित धारा फ्लक्स परिवर्तन की दर \(\left(\Delta \phi_{\mathrm{B}} / \Delta \mathrm{t}\right)\) पर निर्भर करती है अतः पलक्स परिवर्तन तेजी से अथवा धीरे से करने पर प्रेरित आवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि धारा बदल जायेगी। फ्लक्स तेजी से करने पर धारा बढ़ेगी तथा धीरे से करने पर धारा घटेगी।
प्रश्न 3.
फैराडे एवं हेनरी के प्रयोग संख्या दो में विचार करके बताइए:
(a) धारामापी में अधिक विक्षेप प्राप्त करने के लिए आप क्या करेंगे?
(b) धारामापी की अनुपस्थिति में आप प्रेरित धारा की उपस्थिति किस प्रकार दर्शाएँगे?
उत्तर:
(a) अधिक विक्षेप प्राप्त करने के लिए निम्न में से एक या अधिक उपाय किए जा सकते हैं-
(i) कुण्डली C2 के अन्दर नर्म लोहे की छड़ का उपयोग करेंगे,
(ii) कुण्डली को एक उच्च शक्ति की बैटरी से जोड़ेंगे,
(iii) परीक्षण कुण्डली C1 की ओर संयोजन को अधिक तेजी से ले जाएंगे।
(b) धारामापी को टॉर्च में उपयोग किए जाने वाले छोटे बल्ब से बदल देंगे। दोनों कुण्डलियों के बीच सापेक्ष गति से बल्ब क्षणिक अवधि के लिए चमकेगा जो प्रेरित धारा के उत्पन्न होने का द्योतक है।
प्रश्न 4.
लेन्ज के नियम में ऋणात्मक चिन्ह का क्या अर्थ है?
उत्तर:
लेन्ज का नियम: “विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत वा बल एवं धारा की दिशा सदैव इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है, जिससे उसकी उत्पत्ति हुई है।” फैराडे एवं लेंज के नियम से परिपथ में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा
ε α – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
ε = – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
यहाँ पर K एक समानुपाती स्थिरांक है जिसका मान होता है। ऋण चिन्ह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित वि.वा. बल सदैव फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है।
प्रश्न 5.
एक आयताकार लूप तथा एक वृत्ताकार लूप एक समरूप (uniform) चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर की ओर नियत वेग से सामने दिये गये चित्र की भाँति गति कर रहे हैं:
चुम्बकीय क्षेत्र लूपों के तल के लम्बवत् है। समझाइए कि चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर निकलते हुए किस लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल नियत रहेगा?
उत्तर:
आयताकार लूप को चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर नियत वेग v से गति कराते समय इसके क्षेत्रफल परिवर्तन की दर \(\frac{\mathrm{dA}}{\mathrm{dt}}\) नियत
होगी जबकि यह वृत्ताकार लूप के लिये नियत नहीं रहेगी, अतः सूत्र
∈ = – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
= \(\frac{-\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (BA)
= – B \(\left(\frac{\mathrm{dA}}{\mathrm{dt}}\right)\)
के आधार पर नियत B के लिये आयताकार लूप में प्रेरित विद्युत बल नियत रहेगा।
प्रश्न 6.
एक संधारित्र C के आर-पार जुड़े एक धात्विक लूप की ओर दो दण्ड चुम्बक तेजी से चित्र की भाँति गति कराये जाते हैं। संधारित्र की धुवता बताइए।
उत्तर:
लूप का चुम्बक (1) के N ध्रुव की ओर वाला तल N ध्रुव की भाँति तथा चुम्बक (2) के S ध्रुव की ओर वाला तल S ध्रुव की भाँति व्यवहार करना चाहिए जिससे कि लेन्ज के नियमानुसार लूप में प्रेरित धारा चुम्बकों की इसकी ओर गति का विरोध प्रतिकर्षण बल लगाकर कर सके।
अतः चुम्बक (1) की ओर से देखने पर लूप में धारा A से B की ओर (वामावर्त) प्रवाहित होनी चाहिए तथा चुम्बक (2) की ओर से देखने पर धारा दक्षिणावर्त प्रवाहित होगी। अतः संधारित्र C की A प्लेट B प्लेट की अपेक्षा धनात्मक विभव पर होगी। इसलिए A धनात्मक तथा B ऋणात्मक विभव पर होंगे।
प्रश्न 7.
सामने दिये गये चित्र में दो कुण्डलियाँ P Q प्रदर्शित हैं। कुण्डली Q में क्षणिक प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी जबकि (i) स्विच K को बन्द किया जाता है। (ii) स्विच
K को कुछ देर बाद पुनः खोला जाता है।
उत्तर:
(i) वामावर्त (ii) दक्षिणावर्त।
प्रश्न 8.
एक साइकिल में लगा लैम्प, डायनेमो से जलता है। साइकिल को तेज चलाने पर लैम्प तेज प्रकाश से जलता है तथा धीरे चलाने पर धीमे प्रकाश से जलता है, क्यों?
उत्तर:
डायनेमो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। साइकिल को तेज चलाने से डायनेमो में चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर \(\left(\frac{\Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\Delta t}\right)\) बढ़ जाती है ε α \(\left(\frac{\Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\Delta t}\right)\) जिससे प्रेरित वि. वा. बल का मान बढ़ जाता अतः बल्ब तेज प्रकाश से जलता है।
(डायनेमो में प्रेरित विद्युत वाहक बल का सूत्र e = (NBAω) sin ωt है। साइकिल तेज चलने से ७ का मान बढ़ता है तथा धीमे चलने से 60 का मान कम होता है ।)
प्रश्न 9.
चित्र त्रिज्या के वृत्ताकार लूप KLMN में प्रेरित धारा का परिमाण क्या होगा यदि सीधे तार PQ में 1 ऐम्पियर परिमाण की स्थायी धारा प्रवाहित की जाती है?
उत्तर:
शून्य, क्योंकि PQ में धारा स्थायी होने से इसके निकट रखे लूप से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में कोई परिवर्तन नहीं होगा अतः कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी।
प्रश्न 10.
संलग्न चित्र में वृद्धि हो प्रदर्शित तार xy में x से y की ओर वैद्युत धारा के परिमाण में रही है। तार के समीप रखे लूप में क्या कोई धारा प्रेरित होगी?
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होगी। दायें हाथ के अँगूठे के नियमानुसार तार xy में धारा के कारण लूप से गुजरने वाला चुम्बकीय क्षेत्र लूप के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगा और लेंज के नियमानुसार लूप में धारा की दिशा ऐसी होगी जो इस क्षेत्र में धारा को बढ़ने (अर्थात् तार xy में धारा के बढ़ने का विरोध करे।
प्रश्न 11.
चुम्बकीय फ्लक्स Φ तथा वैद्युत धारा I के बीच ग्राफ दो प्रेरकों (Inductors) A तथा B के लिए चित्र में दिये गये हैं। किसके लिए स्व-प्रेरकत्व का मान अधिक होगा?
उत्तर:
चूँकि ¢ = LI⇒ L = ¢/I
तथा ¢ = LI ⇒ ó ∝ I, अतः तथा
I के बीच ग्राफ सरल रेखा है तथा इसका ढाल 0/1 प्रेरक के स्व- प्रेरकत्व को प्रदर्शित करेगा। चूँकि A के लिए B की अपेक्षा ग्राफ का ढाल अधिक है। अतः A का स्व-प्रेरकत्व अधिक होगा।
प्रश्न 12.
भँवर धाराओं के कोई दो अनुप्रयोग समझाइए।
उत्तर:
भँवर धाराओं के दो अनुप्रयोग:
(1) अवमंदन में भँवर धाराओं के उपयोग से चल कुण्डली धारामापी को रुद्ध दोल बना दिया जाता है। ऐसा करने के लिए चल- कुण्डली धारामापी की कुण्डली को हल्की धातु (जैसे ऐलुमिनियम) की क्रोड पर लपेटा जाता है। जब कुण्डली स्थायी चुम्बक के क्षेत्र में घूमती है तो कुण्डली की क्रोड में भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं ये भँवर धारायें लेंज के नियम का पालन करते हुए कुण्डली की घूर्णन गति का विरोध करती हैं जिससे कुण्डली शीघ्र ही विरामावस्था प्राप्त कर लेती है।
(2) प्रेरण भट्टी में प्रेरण भट्टी में जिस धातु को गरम करना या पिघलाना होता है, उसे तीव्र गति से परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में क्रूसिबल में रख दिया जाता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा से उत्पन्न किया जाता है। इस विधि से जो भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं. उनसे धातु इतनी गरम हो जाती है कि वह पिघल जाये। यह विधि अयस्क में से धातु निष्कर्षण के लिए काम में ली जाती है।
प्रश्न 13.
L1 व L2 स्वप्रेरकत्व वाली कुण्डलियों के मध्य महत्तम अन्योन्य प्रेरकत्व क्या होगा ?
उत्तर:
जब एक कुण्डली पर दूसरी कुण्डली को लपेटा जाता है। तो दोनों कुण्डलियों के पूर्ण रूप से युग्मित होने के कारण अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान अधिकतम होता है। फलस्वरूप प्रेरित वि. वा. बल का मान भी अधिकतम होता है। जब दोनों कुण्डलियों को किसी अन्य प्रकार से लपेटने पर अन्योन्य प्रेरण गुणांक व प्रेरित वि.वा. बल अधिकतम नहीं हो पाते क्योंकि दोनों कुण्डलियों में फ्लक्स की सम्बद्धता पूर्ण रूप से नहीं होती है। दो कुण्डली जिनके प्रेरकत्व L1 तथा L2 हैं और उनका अन्योन्य प्रेरण M है। तब L1, L2 और M में सम्बन्ध
M = = K√L1L2
जहाँ K कुण्डलियों
(परिनालिकाओं) का युग्मन गुणांक है। आदर्श स्थिति में K = 1
इसलिये M का अधिकतम मान \(\sqrt{\mathrm{L}_1 \mathrm{~L}_2}\) होगा।
प्रश्न 14.
दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक किन- किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक जिन कारकों पर निर्भर करता है वे हैं:
(i) कुण्डलियों की ज्यामिति पर जैसे आकार, आकृति, उनके फेरों की संख्या, उनके अनुप्रस्थ काट आदि।
(ii) दो कुण्डलियों के बीच की दूरी।
(iii) दो कुण्डलियों की सापेक्ष दिशाओं पर
(iv) दो कुण्डलियों के क्रोडों के पदार्थ पर
प्रश्न 15.
वास्तविक ट्रान्सफॉर्मर में अल्प ऊर्जा क्षय के कोई दो कारण समझाइए।
उत्तर:
ट्रांसफार्मरों में निम्नलिखित कारणों से अल्प मात्रा में ऊर्जा क्षय होता है:
(i) फ्लक्स क्षरण कुछ फ्लक्स हमेशा क्षरित होता ही रहता है। अर्थात् क्रोड के खराब अभिकल्पन या इसमें रही वायु रिक्ति के कारण प्राथमिक कुण्डली का पूरा फ्लक्स द्वितीयक कुण्डली से नहीं गुजरता है। प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों को एक-दूसरे के ऊपर लपेटकर फ्लक्स क्षरण को कम किया जाता है।
(ii) कुण्डलनों का प्रतिरोध- कुण्डलियाँ बनाने में लगे हुए तारों का कुछ न कुछ प्रतिरोध होता ही है और इसलिए इन तारों में उत्पन्न ऊष्मा (I2R) के कारण ऊर्जा क्षय होता है। उच्च धारा, निम्न वोल्टता कुण्डलनों में मोटे तार का उपयोग करके इनमें होने वाली ऊर्जा क्षय को कम किया जा सकता है।
(iii) भँवर धाराएँ – प्रत्यावर्ती चुम्बकीय फ्लक्स लौह क्रोड में भँवर धाराएँ प्रेरित करके इसे गर्म कर देता है। स्तरित क्रोड का उपयोग करके इस प्रभाव को कम किया जाता है।
(iv) शैथिल्य क्षय-प्रत्यावर्ती चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा क्रोड का चुम्बकन बार-बार उत्क्रमित होता है। इस प्रक्रिया में व्यय होने वाली ऊर्जा क्रोड में ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है। कम शैथिल्य क्षय वाले पदार्थ का क्रोड में उपयोग करके इस प्रभाव को कम रखा जाता है। (नोट – छात्र यहाँ पर अल्प ऊर्जा क्षय के कोई भी दो कारण दे सकते हैं।)
प्रश्न 16.
विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के लेंज नियम का कथन लिखिए। पूर्व से पश्चिम दिशा में स्थित कोई 2 मी. लम्बा सीधा क्षैतिज चालक तार 0.3 x 104 टेसला के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के लम्बवत 5 मी/से की चाल से गिर रहा है। तार के सिरों के मध्य प्रेरित विद्युत वाहक बल के तात्क्षणिक मान की गणना कीजिए।
उत्तर:
लेंज का नियम:
“विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि इससे उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा द्वारा परिपथ में स्थापित चुम्बकीय फ्लक्स अपने कारण
का विरोध करता है या मूल चुम्बकीय फ्लक्स के उस परिवर्तन का विरोध करता है, जिसके कारण प्रेरित वि.वा. बल उत्पन्न होता है।”
E α – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
या
E = – \(\frac{\mathrm{kd} \phi}{\mathrm{dt}}\)
यहाँ पर k एक समानुपाती स्थिरांक है जिसका मान 1 होता है। ऋण चिन्ह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित वि. वा. बल सदैव फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है।
दिया गया है:
l = 2 मी.
BE = 0.3 x 104 टेसला
v = 5 मी/से
माना तार में प्रेरित तात्क्षणिक विद्युत वाहक बल का मान = E
= B/v sin 6 का प्रयोग करने पर
E = BElv sin 90°
मान रखने पर
E= (0.3 × 104) × 2 × 5 × 1
∴ sin 90° = 1
= 3 x 104 वोल्ट उत्तर
आंकिक प्रश्न:
प्रश्न 1.
जब किसी कुण्डली में 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसमें 40 मिली वेबर का चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है। कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व क्या है?
उत्तर:
L = \(\frac{N \phi}{I}\) =
= 20 x 10-3 वेबर प्रति ऐम्पियर
= 20 x 10-3 हेनरी
= 20 मिली. हेनरी
प्रश्न 2.
यदि किसी परिनालिका में धारा परिवर्तन की दर 4 ऐम्पियर सेकण्ड होने पर उसमें 20 मिली वोल्ट का विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, तो परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व क्या होगा?
उत्तर:
| ε | = L \(\frac{\Delta \mathrm{I}}{\Delta \mathrm{t}}\)
⇒ L = \(\frac{\frac{|\varepsilon|}{\Delta I}}{\frac{\Delta t}{\Delta t}}\)
L =
= 5 × 10-3
=
= 5 x 10-3 हेनरी = 5 मिली. हेनरी
प्रश्न 3.
2 हेनरी की एक चोक कुण्डली से प्रवाहित होने वाली धारा 5 ऐम्पियर प्रति सेकण्ड की दर से घट रही है। कुण्डली के सिरों के बीच उत्पन्न विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
यहाँ कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक L = 2 हेनरी तथा कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर (\(\Delta \mathrm{I} / \Delta \mathrm{t}\)) = 5 ऐम्पियर/सेकण्ड (यहाँ. ऋण चिह्न धारा घटने का प्रतीक है)। अतः कुण्डली के सिरों के बीच उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल
ε = – L(\(\Delta \mathrm{I} / \Delta \mathrm{t}\))
= -2 x (-5) वोल्ट
= 10 वोल्ट
प्रश्न 4.
R त्रिज्या की एक बड़ी कुण्डली तथा r त्रिज्या की छोटी कुण्डली एक-दूसरे के निकट रखी हैं। यदि इस युग्म के लिये अन्योन्य प्रेरण गुणांक 1 मिली. हेनरी हो तो बड़ी कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स क्या होगा जबकि छोटी कुण्डली में 0.5A की धारा प्रवाहित होती है? जब छोटी कुण्डली में धारा शून्य हो तो बड़ी कुण्डली पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
दिया है:
M = 1 मिली. हेनरी I, = 0.5 A
= 10-3 हेनरी
∴ बड़ी कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φ2 = MI1 = 105 x 0.5
= 5.0 x 104 वेबर
जब छोटी कुण्डली में फ्लक्स में कमी के कारण बड़ी उत्पन्न होगा। धारा शून्य हो जाती है तो चुम्बकीय कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल
प्रश्न 5.
किसी कुण्डली के तल से लम्बवत् गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स निम्नलिखित सम्बन्ध के अनुसार समय के साथ बदल रहा है Φ = (5t3 + 4t2 + 2t – 5) वेबर = 2 सेकण्ड पर कुण्डली में प्रेरित धारा का मान ज्ञात कीजिये, जबकि कुण्डली का प्रतिरोध 5 ओम है।
उत्तर:
कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण
ε = \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\) = \(\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (5t3 + 4t2 + 2t5)
= 5 × 3t2 + 4 × 2t + 2 × 1 – 0 = ( 15t2 + 8t + 2) वोल्ट
t = 2 सेकण्ड पर ε = 60 + 16 + 2 = 78 वोल्ट
वोल्टकुण्डली का प्रतिरोध R = 52
अतः कुण्डली में प्रेरित धारा I = \(\frac{\varepsilon}{\mathrm{R}}\)
= 15.6 ऐम्पियर
प्रश्न 6.
ताँबे की एक वृत्ताकार चकती की त्रिज्या 10 सेमी. है। यह इसके केन्द्र से गुजरने वाली तथा इसके तल के लम्बवत् अक्ष के परितः 20 रेडियन/सेकण्ड की दर से घूम रही है। 0.2 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र चकती के लम्बवत् कार्य कर रहा है। (i) चकती की अक्ष तथा परिधि के बीच उत्पन्न विभवान्तर ज्ञात कीजिए। (ii) यदि चकती का प्रतिरोध 202 हो तो प्रेरितं धारा क्या होगी?
उत्तर:
यहाँ चकती की त्रिज्या R = 10 सेमी
= 0.10 मीटर,
चकती का कोणीय वेग = 20π रे/से,
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.2 टेस्ला, चकती का प्रतिरोध R = 2Ω है।
(i) चकती द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र को काटते हुए एक चक्कर पूरा करने का समय ∆t = 2πω तथा एक चक्कर पूरा करने में तय किया गया क्षेत्रफल ∆A = πr2 होगा अतः इससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के कारण इसकी अक्ष तथा परिधि के बीच उत्पन्न विभवान्तर
(गतिक विद्युत वाहक बल)
V= | ε | = \(\frac{\Delta \phi}{\Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{\Delta(\mathbf{B A})}{\Delta \mathrm{t}}\) = B.\(\frac{\Delta(\mathbf{B A})}{\Delta \mathrm{t}}\)
= \(\frac{\mathrm{B} \times \pi r^2}{2 \pi / \omega}\) = 1/2Br2ω
ज्ञात मान रखने पर,
V = 1⁄2(0.2)(0.10)ω x 20 वोल्ट
= 0.1 x (0.10)ω × 20 x 3.14 वोल्ट = 0.0628 वोल्ट
(ii) प्रेरित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) =
=
= 0.0314 ऐम्पियर
प्रश्न 7.
10 सेमी. भुजा का धातु तार का एक वर्गाकार लूप जिसका प्रतिरोध 1 ओम है, एक चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग Vg 200 वेबर / मीटर2 के एकसमान से चित्र की भाँति चलाया जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर है। यह लूप 362 मान के प्रतिरोधकों के एक नेटवर्क से जुड़ा है तार OS तथा तार PQ के प्रतिरोध नगण्य हैं। लूप में 1 ऐम्पियर की स्थायी धारा प्रवाहित होने के लिए लूप की चाल का मान क्या होना चाहिए? लूप में धारा की दिशा भी बताइए।
उत्तर:
चित्र से स्पष्ट है कि प्रतिरोधों का नेटवर्क एक सन्तुलित व्हीटस्टोन सेतु है। अतः AC भुजा (विकर्ण) में लगा 302 प्रतिरोध प्रभावहीन होगा। QA व AS आपस में श्रेणीक्रम में हैं। इसलिये श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध माना R1 है
∴ R1 = 3 + 3 = 62
और QC व CS के श्रेणीक्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R2 (माना) = 3 + 3 = 6Ω
अब R1 व R2 समान्तर क्रम में होंगे जिसका तुल्य प्रतिरोध
R = 3.002
अर्थात् लूप का प्रतिरोध 152 है।
अतः सम्पूर्ण परिपथ (नेटवर्क सहित लूप) का कुल प्रतिरोध R = R’ + 1 = 32 + 12 = 42
चुम्बकीय क्षेत्र में लूप की गति के कारण परिपथ में उत्पन्न
प्रेरित विद्युत वाहक बल ε = Bv0l
अतः
लूप में धारा I = ε/R = \(\frac{\mathrm{B} v_0 l}{\mathrm{R}}\)
∴ लूप की चाल Vo = \(\frac{\mathrm{I} \times \mathrm{R}}{\mathrm{B} \times l}\) …………(1)
यहाँ I = 1 मिली. ऐम्पियर = 10-3 ऐम्पियर, R = 4Ω, B = 2 वेबर/मीटर2 तथा l = 0.1 मीटर
ये सभी मान समीकरण (1) में रखने पर
v = \(\left(\frac{10^{-3} \times 4}{2 \times 0.1}\right)\) मी./से.
= 2.0 x 10-2
= 2 सेमी / से.
प्रश्न 8.
50/π वर्ग सेमी. आकार की 200 फेरों की वर्गाकार कुण्डली 2.0 वेबर / मीटर2 के चुम्बकीय क्षेत्र में 1200 चक्कर प्रति मिनट की दर से घुमायी जा रही है। कुण्डली में प्रेरित अधिकतम वि. वा. बल का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
A = 50\(\frac{50}{\pi}\) वर्ग सेमी.
A = \(\frac{50}{\pi}\) x 104 वर्ग मीटर
N = 200 फेरे
B = 2.0 वेबर/मीटर2
f = \(\frac{1200}{60}\) चक्कर/से.
= 20 चक्कर/से.
अतः ω = 2πf = 2 x π x 20 = 40π रेडियन / से.
वि.वा. बल का अधिकतम मान ε0 = NBAω
∴ ε0 = 200 × 2 × \(\frac{50}{\pi}\) x 104 x 40
= 80 वोल्ट