Author name: Bhagya

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. बॉक्साइट निम्नलिखित में से किस धातु का अयस्क है ?
(1) जिंक
(2) कॉपर
(3) एलुमिनियम
(4) आयरन।
उत्तर:
(3) एलुमिनियम

2. बोरेक्स बीड परीक्षण में नीली बीड बनाएगा-
(1) Cr3+
(2) Co2+
(3) Ni2+
(4) Cd2+
उत्तर:
(2) Co2+

3. बोरेक्स का रासायनिक नाम है-
(1) सोडियम मेटा बोरेट
(2) सोडियम टेट्राबोरेट डेकाहाइड्रेट
(3) सोडियम टेट्राबोरेट
(4) सोडियम आर्थोबोरेट।
उत्तर:
(2) सोडियम टेट्राबोरेट डेकाहाइड्रेट

4. B2O3 है-
(1) अम्लीय
(2) उभयधर्मी
(3) भास्मिक
(4) आयनिक।
उत्तर:
(1) अम्लीय

5. लीथियम एलम नहीं बना सकता है, क्योंकि-
(1) यह उच्च वैद्युत धनात्मक है
(2) इसका आकार छोटा होता है
(3) इसकी आयनन ऊर्जा अधिक होती है
(4) यह क्रियाशील धातु है।
उत्तर:
(2) इसका आकार छोटा होता है

6. गीली हवा में AlCl3 धुआँ देता है क्योंकि यह है-
(1) सहसंयोजी है
(2) वाष्पशील है
(3) जलग्राही है
(4) गीली हवा में HCl बनाता है।
उत्तर:
(4) गीली हवा में HCl बनाता है।

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7. थर्माइट एक मिश्रण है, आयरन ऑक्साइड तथा-
(1) Al चूर्ण
(2) Zn चूण
(3) Mg चूर्ण
(4) Cd चूर्ण।
उत्तर:
(1) Al चूर्ण

8. एलुमिनियम क्लोराइड है-
(1) ब्रांस्टेड-लॉरी अम्ल
(2) आर्हीनियस अम्ल
(3) लूइस अम्ल
(4) लूइस क्षार।
उत्तर:
(3) लूइस अम्ल

9. हॉल विधि में, मुख्य अभिकर्मक के साथ मिश्रित किया जाता है-
(1) NaF
(2) Na3AlF6
(3) AlF3
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) Na3AlF6

10. कीचड़युक्त (mudy) जल में एलम मिलाया जाता है-
(1) यह रोगाणुनाशक का कार्य करता है
(2) यह मिट्टी तथा बालू का स्कन्दन कर देता है
(3) मिट्टी एलम में विलेय है। अतः यह इन्हें प्रथक् कर देता है
(4) यह जल को क्षारीय कर देता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
उत्तर:
(2) यह मिट्टी तथा बालू का स्कन्दन कर देता है

11. क्रोमियम (Cr) क पेरेक्स बीड परीक्षण है-
(1) हरा
(2) नीला
(3) बैंगनी
(4) भूरा।
उत्तर:
(1) हरा

12. AlCl3 के डाइमर में बन्ध होते हैं-
(1) आयनिक
(2) सहसंयोजक
(3) आयनिक तथा सहसंयोजक
(4) सहसंयोजक तथा उप-सहसंयोजक।
उत्तर:
(4) सहसंयोजक तथा उप-सहसंयोजक।

13. बोरेक्स तैयार किया जाता है, कोलेमेनाइट की क्रिया कराकर-
(1) NaNO3 से
(2) NaCl से
(3) Na2CO3 से
(4) NaHCO3 से ।
उत्तर:
(3) Na2CO3 से

14. निम्न में कौन-सा तत्त्व भू-पर्पर्टी में बहुतायत में पाया जाता है-
(1) B
(2) Al
(3) Ga
(4) In
उत्तर:
(2) Al

15. Al की क्रियाशीलता आयरन से अधिक है लेकिन यह आयरन से कम संक्षारित होता है क्योंकि-
(1) Al उत्कृष्ट धातु है
(2) Al के ऊपर ऑक्सीजन की एक परिरक्षी ऑक्साइड की परत बनती है
(3) Fe जल के साथ सरलता से क्रिया करता है
(4) Fe एक संयोजी तथा द्वि-संयोजी आयन बनाता है।
उत्तर:
(2) Al के ऊपर ऑक्सीजन की एक परिरक्षी ऑक्साइड की परत बनती है

16. एलुमिनियम अनेक धातु ऑक्साइडों को अपचयित करता है क्योंकि इसकी अधिक बन्धुता होती है-
(1) ऑक्सीजन के लिए
(2) धातुओं के लिए
(3) इलेक्ट्रॉनों के लिए
(4) हाइड्रोजन के लिए।
उत्तर:
(2) धातुओं के लिए

17. ड्यूरेलुमिन मिश्र धातु में ऐलुमिनियम के साथ होता है-
(1) निकिल
(2) मैग्नीशियम तथा निकिल
(3) मैग्नीशियम, मैगनीज तथा कॉपर
(4) मैग्नीशियम, निकिल तथा मैगनीज।
उत्तर:
(3) मैग्नीशियम, मैगनीज तथा कॉपर

18. आयरन ऑक्साइड की अशुद्धि वाले बॉक्साइट खनिज की शोधन विधि को कहते हैं-
(1) हूप विधि
(2) सर्पेक विधि
(3) बेयर प्रक्रम
(4) विद्युत अपघटन प्रक्रम।
उत्तर:
(3) बेयर प्रक्रम

19. कपड़ा रंगने वाले फिटकरी का प्रयोग करते हैं-
(1) कपड़ों को अग्निरोधक बनाने के लिए
(2) कटे हुए पर प्राथमिक उपचार के लिए
(3) कठोर जल को मृदु बनाने के लिए
(4) रंग-बन्धक की तरह।
उत्तर:
(4) रंग-बन्धक की तरह।

20. निम्न में से कौन गर्म करने पर ऊर्ध्वपातित होता है-
(1) AlF3
(2) AlBr3
(3) Al2Cl6
(4) AlI3
उत्तर:
(2) AlBr3

21. थर्माइट वेल्डिंग प्रक्रम में, हम प्रयुक्त करते हैं-
(1) Al चूर्ण
(2) Fe चूर्ण
(3) Ca चूर्ण
(4) Al + Fe चूर्ण।
उत्तर:
(4) Al + Fe चूर्ण।

22. निम्न में से कौन III-A समूह से सम्बन्धित नहीं है-
(1) B
(2) Al
(3) Ge
(4) In
उत्तर:
(3) Ge

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23. ऐलुमिनियम का प्रमुख अयस्क है-
(1) बॉक्साइट
(2) डोलोमाइट
(3) गैलेना
(4) फेलस्पार।
उत्तर:
(1) बॉक्साइट

24. निम्न में से कौन-सा ऐलुमिनियम का खनिज नहीं है-
(1) ऐनहाइड्राइड
(2) बॉक्साइट
(3) कोरण्डम
(4) डायस्पोर।
उत्तर:
(1) ऐनहाइड्राइड

25. बोरेक्स का सूत्र है-
(1) Na2B4O7
(2) Na2B4O7.4H2O
(3) Na2B4O7.7H2O
(4) Na2B4O7.10H2O
उत्तर:
(4) Na2B4O7.10H2O

26. बोरॉन एक
(1) धातु है
(2) अधातु है
(3) उप-धातु है
(4) यौगिक है।
उत्तर:
(3) उप-धातु है

27. निम्न में से कौन-सा तत्व अक्रिय युग्म प्रभाव दिखाता है-
(1) B
(2) Al
(3) Tl
(4) Sc
उत्तर:
(3) Tl

28. कौन-सी धातु अपने ऑक्साइड की परत द्वारा रक्षित होती है ?
(1) Al
(2) Au
(3) Fe
(4) Ag
उत्तर:
(1) Al

29. क्रायोलाइट अयस्क है-
(1) Fe का
(2) Al का
(3) Cu का
(4) Ag का।
उत्तर:
(2) Al का

30. ऑर्थो-बोरिक अम्ल में बोरॉन का संकरण, कौन-से संकरित ऑर्बिटल देता है ?
(1) sp
(2) sp2
(3) sp3
(4) sp3d
उत्तर:
(2) sp2

31. बोरेक्स का जलीय विलयन होता है-
(1) अम्लीय
(2) क्षारीय
(3) उदासीन
(4) विरंजक।
उत्तर:
(2) क्षारीय

32. डादबोरेन से B का संकरण है-
(1) sp
(2) sp2
(3) sp3
(4) sp3d
उत्तर:
(3) sp3

33. कौन-सा मेटाबोरिक अम्ल है-
(1) HBO2
(2) H2B4O7
(3) B(OH)3
(4) H3BO3
उत्तर:
(1) HBO2

34. ऐल्युमीनियम उपस्थित है-
(1) अल्ट्रामैराइन में
(2) लापिस लाजुली में
(3) रूबी में
(4) इन सभी में।
उत्तर:
(4) इन सभी में।

35. निम्न में लूईस अम्ल है-
(1) PCl3
(2) AlCl3
(3) NCl3
(4) AsCl3
उत्तर:
(2) AlCl3

36. ऐलुमिना है-
(1) अम्लीय
(2) उभयधर्मी
(3) क्षारीय
(4) उदासीन।
उत्तर:
(2) उभयधर्मी

37. वर्ग संख्या-13 का अधात्विक तत्व. है-
(1) B
(2) Al
(3) Ga
(4) In.
उत्तर:
(1) B

38. निम्न में से कौन रोगग्रस्त आँखों को धोने में प्रयुक्त होता है-
(1) Na2CO3
(2) Na2B4O7. 10H2O
(3) NaHCO3
(4) NaCl
उत्तर:
(2) Na2B4O7. 10H2O

39. बोरेक्स प्राप्त करने हेतु कोलेमेनाइट को उबालते हैं-
(1) Na2CO3 के साथ
(2) Na2SO4 के साथ
(3) NaCl के साथ
(4) NaOH के साथ।
उत्तर:
(1) Na2CO3 के साथ

40. बोरेक्स या सुहागा का रासायनिक संगठन है-
(1) CaSO4.B4O7.H2O
(2) MgSO4.B2O4.2H2O
(3) Na2B4O7.10H2O
(4) MgCl2.B4O10.10H2O
उत्तर:
(3) Na2B4O7.10H2O

41. रॉकेट में ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं-
(1) बोरॉन के हाइड्राइड्स
(2) एल्यूमीनियम के हाइड्राइड्स
(3) गैलियम के हाइड्राइड्स
(4) इण्डियम के हाइड्राइड्स।
उत्तर:
(1) बोरॉन के हाइड्राइड्स

42. ऊष्मा और विद्युत का अच्छा चालक है-
(1) एस्थ्रेसाइट
(2) हीरा
(3) चारकोल
(4) श्रेफाइ्त।
उत्तर:
(4) श्रेफाइ्त।

43. हीरा तथा ग्रेफाइट हैं-
(1) समाबयवी
(2) समस्थानिक
(3) अपररूप
(4) बहुलक।
उत्तर:
(3) अपररूप

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44. निम्न में सबसे अधिक आयनिक यौगिक है-
(1) PbCl2
(2) PbCl4
(3) CCl4
(4) SiCl4
उत्तर:
(1) PbCl2

45. निम्न में कौन-सा अल में अघुलनशील है ?
(1) CuSO4
(2) CdSO4
(3) PbSO4
(4) Bi2(SO4)3
उत्तर:
(3) PbSO4

46. सौर-सेल में किस पदार्थ का उपयोग होता है ?
(1) Cs
(2) Si
(3) Sn
(4) Ti
उत्तर:
(2) Si

47. कोल गैस के प्रमुख अवयव हैं-
(1) CO + N2
(2) CO + H2
(3) CH4 + H2
(4) CH4 + N2
उत्तर:
(3) CH4 + H2

48. निम्नलिखित में किसका कैलोरीमान अधिकतम है ?
(1) कोल गैस
(2) जल गैस
(3) प्रोइ्यूसर गैस
(4) कार्बन द्वाइ-औक्साइड।
उत्तर:
(1) कोल गैस

49. काँच क्या है ?
(1) द्रव
(2) ठोस
(3) अविशीतित द्रव
(4) पारदर्शक कार्बनिक बहुलक।
उत्तर:
(3) अविशीतित द्रव

50. काँच के औद्योगिक निर्माण में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ हैं-
(1) रेत, लाइम स्टोन तथा Na2CO3
(2) रेत, लाइम स्योन तथा NaCl
(3) रेत, जिप्सम तथा Na2CO3
(4) रेत, कास्टिक सोड्या तथा लाइम स्टोन।
उत्तर:
(3) रेत, जिप्सम तथा Na2CO3

51. प्रोड्यूसर गैस मिश्रण है-
(1) CO + N2
(2) CO + H2
(3) CO + जलबाष्प
(4) N2 + CH4
उत्तर:
(1) CO + N2

52. रेड लेड है-
(1) PbO
(2) Pb2O3
(3) Pb3O4
(4) Pb
उत्तर:
(3) Pb3O4

53. सफेद लेड है-
(1) PbSO4
(2) Pb(OH)2
(3) PbO
(4) 2PbCO3.Pb(OH)2
उत्तर:
(3) PbO

54. गैलना एक अयस्क है, इससे प्राप्त धातु है-
(1) गैलियम
(2) लेड
(3) टिन
(4) जर्मेनियम।
उत्तर:
(2) लेड

55. निम्न में कौन-सी धातु बन्दूक की गोली बनाने के काम आती है-
(1) Pb
(2) Sn
(3) Fe
(4) Cu
उत्तर:
(1) Pb

56. एक पदार्थ का जलीय विलयन तनु HCl से क्रिया कराने पर सफेद अवक्षेप देता है जो गर्म करने पर विलेय हो जाता है। इस गर्म अम्लीय विलयन में जब H2S प्रवाहित की जाती है तो काला अवक्षेप प्राप्त होता है। पदार्थ है-
(1) Hg22+ लवण
(2) Cu2+ लवण
(3) Ag2+ लवण
(4) Pb2+ लवण।
उत्तर:
(4) Pb2+ लवण।

57. नवीनतम खोजा गया कार्बन का अपररूप है-
(1) C16
(2) C60
(3) C26
(4) C56
उत्तर:
(2) C60

58. बकमिन्स्टर फुलरीन है-
(1) C60 का खोजकर्ता
(2) कार्बन का एक अपररूप
(3) टिन का एक अयस्क
(4) लेड का एक यौगिक।
उत्तर:
(2) कार्बन का एक अपररूप

59. C, N, P और Si तत्त्वों की विद्युत ऋणात्मकता के बढ़ने का क्रम है-
(1) C, N, Si, P
(2) N, Si, C, P
(3) Si, P, C, N
(4) P, Si, N, C
उत्तर:
(3) Si, P, C, N

60. अक्रिय युग्म प्रभाव प्रदर्शित करता है-
(1) कार्बन
(2) सिलिकन
(3) लेड
(4) ऐलुमिनियम।
उत्तर:
(3) लेड

61. एक आदर्श अर्द्ध-चालक बनाया जाता है-
(1) ग्रेफाइट से
(2) कार्बन से
(3) सिलिकॉन से
(4) सीसे से।
उत्तर:
(3) सिलिकॉन से

62. निम्न में अत्यधिक कठोर पदार्थ है-
(1) हीरा
(2) ग्रेफाइट
(3) फुलेरीन
(4) कार्बेरिण्डम।
उत्तर:
(1) हीरा

63. समूह- 4 का तत्व जो बहुबन्ध नहीं बना सकता है, वह है-
(1) C
(2) Si
(3) Sn
(4) Pb
उत्तर:
(2) Si

64. निम्न में से कौन चूने के पानी को दूधिया कर देता है-
(1) CO2
(2) CO
(3) NO2
(4) Cl2
उत्तर:
(1) CO2

65. फॉस्जीन गैस का रासायनिक नाम है-
(1) फॉस्फीन
(2) कार्बोनिल क्लोराइड
(3) फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड
(4) फॉस्फोरस ऑक्सी क्लोराइड।
उत्तर:
(2) कार्बोनिल क्लोराइड

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66. प्रयोगशाला के बर्नरों में हम प्रयुक्त करते हैं-
(1) प्रोड्यूसर गैस
(2) तेल गैस
(3) कोल गैस
(4) गोबर गैस।
उत्तर:
(2) तेल गैस।

67. संश्लेषित गैस किसका मिश्रण है-
(1) भाप + CO
(2) CO + N2
(3) H2 + CO
(4) H2 + CH4
उत्तर:
(3) H2 + CO

68. निम्न में से किसका गलनांक सर्वाधिक है ?
(1) लैड
(2) हीरा
(3) लोहा
(4) सोडियम।
उत्तर:
(2) हीरा

69. निम्न में से कौन-सा तत्व मुक्त अवस्था में पाया जाता है-
(1) C
(2) Si
(3) Ge
(4) Sn
उत्तर:
(1) C

70. उदासीन ऑक्साइड है-
(1) ZnO
(2) CO
(3) SO
(4) SnO
उत्तर:
(2) CO

71. सिलिकॉन निम्न में से किसका महत्त्वपूर्ण अवयव है-
(1) क्लोरोफिल
(2) चट्टान
(3) हीमोग्लोबिन
(4) अमलगम।
उत्तर:
(2) चट्टान

72. बेल मेटल किसकी मिश्र धातु है-
(1) Cu + Sn
(2) Cu + Ni
(3) Cu + Zn
(4) Cu + Pb
उत्तर:
(1) Cu + Sn

73. कौन शुष्क बर्फ है-
(1) बिना जल की ठोस बर्फ
(2) ठोस SO2
(3) ठोस CO2
(4) ठोस C6H6
उत्तर:
(2) ठोस SO2

74. CO जो कि एक विषैली गैस है, CO का प्रतिरोधी है-
(1) कार्बोरण्डम
(2) शुद्ध CO2
(3) कार्बोजन
(4) COCl2
उत्तर:
(3) कार्बोजन

75. चारकोल है-
(1) क्रिस्टलीय अपररूप
(2) अक्रिस्टलीय अपररूप
(3) आर्द्रताग्राही अपररूप
(4) उत्फुल्ल अपररूप।
उत्तर:
(2) अक्रिस्टलीय अपररूप

76. निम्न में कौन-सा तत्व अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है-
(1) C
(2) Si
(3) Sn
(4) Pb
उत्तर:
(4) Pb

77. निम्न में से कार्बन का सर्वाधिक शुद्ध अपररूप है-
(1) काष्ठ चारकोल
(2) जन्तु चारकोल
(3) लैम्प कालिख
(4) ग्रेफाइट।
उत्तर:
(4) ग्रेफाइट।

78. लैड शर्करा है-
(1) 2PbSO4.PbO
(2) (CH3COO)2Pb
(3) Pb3O4
(4) PbCO3.Pb(OH)2
उत्तर:
(2) (CH3COO)2Pb

79. रासायनिक रूप से लिथार्ज है-
(1) PbO
(2) PbO2
(3) Pb3O4
(4) Pb(CH3COO)2
उत्तर:
(1) PbO

80. किसी पदार्थ के दो या अधिक क्रिस्टलीय रूपों में अस्तित्व में रहने का गुण कहलाता है-
(1) समावयवता
(2) बहुसमाकृतिकता
(3) समाकृतिकता
(4) असमाकृतिकता।
उत्तर:
(2) बहुसमाकृतिकता

81. हीरे में कार्बन परमाणुओं को परस्पर बाँधने वाला बल होता है-
(1) आयनिक
(2) सहसंयोजी
(3) द्विध्रुवीय
(3) वाण्डरवाल।
उत्तर:
(2) सहसंयोजी

82. छद्म ठोस है-
(1) हीरा
(2) काँच
(3) चट्टानी लवण
(4) संगमरमर।
उत्तर:
(2) काँच

83. ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉन-
(1) प्रत्येक तीसरे कार्बन पर स्थानीकृत होते हैं
(2) प्रतिआबन्धन कक्षकों में होते हैं
(3) प्रत्येक कार्बन परमाणु पर स्थानीकृत होते हैं
(4) संरचना के बीच फैले होते हैं।
उत्तर:
(4) संरचना के बीच फैले होते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
बोरॉन के दो महत्त्वपूर्ण अयस्क बताइए।
उत्तर:

  1. बोरेक्स Na2B4O7.10H2O
  2. कारनाइट Na2B4O7.2H2O

प्रश्न 2.
बोरॉन के दो समस्थानिकों के नाम बताइए।
उत्तर:
5B10 तथा 5B11 बोरॉन के दो समस्थानिक हैं।

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प्रश्न 3.
एक सेतु आबन्ध के द्वारा कितने परमाणु परस्पर जुड़ते हैं?
उत्तर:
तीन परमाणु।

प्रश्न 4.
बोरॉन के दो अपररूपों के नाम बताइए।
उत्तर:
सरन्ध्र तथा क्रिस्टलीय बोरॉन।

प्रश्न 5.
क्रिस्टलीय बोरॉन कठोर ठोस क्यों होता है ?
उत्तर:
प्रबल सहसंयोजक बन्धों के कारण क्रिस्टलीय बोरॉन कठोर होता है।

प्रश्न 6.
बोरॉन को नाभिकीय रिऐक्टर में प्रयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
बोरॉन न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर सकता है; अतः इसका प्रयोग नाभिकीय रिऐक्टर में किया जाता है।

प्रश्न 7.
टिंकल क्या है ? इसका रासायनिक सूत्र दीजिए।
उत्तर:
टिंकल (अथवा बोरेक्स) बोरॉन का एक अयस्क है। इसका सूत्र Na2B4O7.10H2O है।

प्रश्न 8.
बोरॉन Si से समानता क्यों दर्शाता है ?
उत्तर:
दोनों में आवेश/त्रिज्या का अनुपात समान होता है अर्थात् समान ध्रुवण-क्षमता होती है; इसीलिए दोनों समानता दर्शाते हैं।

प्रश्न 9.
बोरॉन स्थायी इलेक्ट्रॉन-न्यून यौगिक क्यों बनाता है ?
उत्तर:
बोरॉन में तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह अन्य तत्वों से तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करके इलेक्ट्रॉन-न्यून यौगिक बनाता हैं जो स्थायी होते हैं।

प्रश्न 10.
बोरिक अम्ल (H3BO3) एकल क्षारकीय अम्ल क्यों होता है ?
उत्तर:
यह H2O के OH आयन से इलेक्ट्रॉनों का एक युग्म ग्रहण करता है; इसलिए यह एकलक्षारकीय अम्ल होता है।

प्रश्न 11.
किस प्रकार का काँच प्राप्त होता है जब बोरेक्स मिलाया जाता है ?
उत्तर:
पाइरेक्स काँच। यह ऊष्मीय प्रतिरोधक होता है तथा उच्च ताप सह सकता है।

प्रश्न 12.
BH3 डाइबोरेन के रूप में क्यों उपस्थित होता है
उत्तर:
BH3 डाइबोरेन के रूप में उपस्थित होता है; क्योंकि यह सरलतापूर्वक इलेक्ट्रॉन त्याग अथवा ग्रहण कर सकता है। अतः दो BH3 अणु आपस में संयोजन B2H6 करके बनाता है।

प्रश्न 13.
बोरॉन द्वारा किंस प्रकार के बन्ध बनाए जाते हैं तथा क्यों ?
उत्तर:
बोरॉन सह-संयोजक बन्ध बनाता है क्योंकि यह न तो इलेक्ट्रॉन त्याग सकता है और न ही उसे ग्रहण कर सकता है।

प्रश्न 14.
ऑर्थोबोरिक अम्ल की मूल संरचनात्मक इकाई क्या है ? इनमें उपस्थित बन्ध के प्रकार का नाम बताइए।
उत्तर:
ऑर्थोबोरिक अम्ल की मूल संरचनात्मक इकाई \(\mathrm{BO}_3{ }^{3-}\) है। इनमें सहसंयोजी बन्ध उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 15.
औद्योगिक प्रक्रमों में BF3 उत्प्रेरक के रूप में किस प्रकार का कार्य करता है ?
उत्तर:
BF3 इलेक्ट्रॉन न्यून होता है; इसलिए औद्योगिक प्रक्रमों में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 16.
BCl3 की तुलना में BF3 दुर्बल लूइस अम्ल क्यों होता है ?
उत्तर:
BCl3 की तुलना में BF3 दुर्बल लूइस अम्ल होता है; क्योंकि Cl की तुलना में F के छोटे आकार के कारण F की स्थिति में अधिक प्रभावी पश्चगामी बन्ध (back bonding) बनता है।

प्रश्न 17.
बोरेन में उपस्थित तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बोरेन, बोरॉन तथा हाइड्रोजन तत्वों से मिलकर बना होता है।

प्रश्न 18.
BF3 में B की संकरण-अवस्था लिखिए।
उत्तर:
BF3 में B की संकरण-अवस्था sp2 होती है।

प्रश्न 19.
बोरिक अम्ल लूइस अम्ल के समान व्यवहार क्यों करता है ?
उत्तर:
क्योंकि बोरिक अम्ल में, बोरॉन का अष्टक पूर्ण नहीं होता। यह जलीय विलयन में H2O से OH आयन ग्रहण कर लेता है।

प्रश्न 20.
आवर्त सारणी के वर्ग 13 में बोरॉन के असंगत व्यवहार का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
इसका मुख्य कारण बोरॉन परमाणुं का छेटा आकार तथा उच्च आयनन ऊर्जा तथा उच्च आवेश/आकार अनुपात होता है।

प्रश्न 21.
बोरॉन हैलाइड अमोनिया तथा ऐमीन के साथ योगात्पक यौगिक क्यों बनाते हैं ?
उत्तर:
बोरॉन हैलाइड इलेक्ट्रॉन न्यून होते हैं; इसलिए ये अमोनिया तथा ऐमीन के साथ योगात्मक यौगिक बनाते हैं।

प्रश्न 22.
\(\mathrm{BH}_4^{-}\) में B की संकरण-अवस्था एवं ऑक्सीकरण अवस्था बताइये।
उत्तर:
sp3, + 3

प्रश्न 23.
AlF3 तथा ACCl3 के मध्य किसका गलनांक उच्च होता है ?
उत्तर:
AlF3 अधिक आयनिक होता है, इसलिए इसका गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित तत्वों में कौन-सा +1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शिंत करता है ?
Al, B, Ca, TL, Be
उत्तर:
Tl,+1 ऑकसीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 25.
निर्जलीय AlCl3 का कौन-सा गुण इसे कार्बनिक रसायन में एक अच्छा निर्माण अभिकर्मक बनाता है ?
उत्तर:
यह लूइस अम्ल के समान व्यवहार करता है।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित को लूइस अम्ल गुण के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
BF3, BCl3, BBr3 तथा BI3
उत्तर:
BF3 < BCl3 < BBr3 < BI3

प्रश्न 27.
बोरॉन ट्राई ब्रोमाइड से शुद्ध क्रिस्टलीय बोरॉन प्राप्त करने की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
2BBr3 + 3H2 → 2B + 6HBr

प्रश्न 28.
बोरिक अम्ल के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:

  1. पूतिरोधी (संक्रमण रोधी) के रूप में।
  2. इनैमल और पॉटरी को चमकीला बनाने में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 29.
बोरॉन का एक उपयोग दीजिए।
उत्तर:
5B10 समसंथानिक का नाभिकीय रिएक्टर में नियन्त्रण छड़ों के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 30.
डाई बोरेन कैसे प्राप्त करते हैं ?
उत्तर:
सोड्डियम बोरो हाइड्राइड पर आयोडीन की क्रिया द्वारा दाइ बोरेन प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 31.
बोरॉन के दो अयस्कों के नाम बताओ ?
उत्तर:

  1. बोरेक्स (Na2B4O7.10H2O)
  2. करनाइट (Na2B4O7. 2H2O)

प्रश्न 32.
बोरॉन के दो आइसोटोप के नाम लिखो ?
उत्तर:
5B10 तथा 5B11 बोरॉन के दो आइसोटोप हैं।

प्रश्न 33.
बोरॉन के दो अपररूपों के नाम लिखो ?
उत्तर:

  1. क्रिस्टलीय,
  2. अक्रिस्टलीय

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प्रश्न 34.
बोरॉन B3+ आयन क्यों नहीं बनाता ?
उत्तर:
बोरॉन B3+ आयन नहीं बनाता क्योंकि इसके आयनन विभव का मान अत्यधिक उच्च एवं परमाणु आकार काफी छोटा होता है।

प्रश्न 35.
क्रिस्टलीय बोरॉन एक कठोर ठोस है क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि इसमें अत्यधिक प्रबल सह-संयोजी बंध पाये जाते हैं।

प्रश्न 36.
निम्न को पूर्ण करें-
(i) B + O2
उत्तर:
4B + 3O2 →2B2O3 (बोरॉन ऑक्साइड)

(ii) B + N2
उत्तर:
2B + N2 → 2BN (बोरॉन नाइट्राइड)

(iii) B + Cl2
उत्तर:
2B + 3Cl2 → 2BCl3 (बोरॉन ट्राइ-क्लोराइड)

(iv) BF3 + NH3
उत्तर:
BF3 + : NH3 →[F3B ← : NH3]

(v) Na2B4O7 + H2O →
उत्तर:
Na2B4O7 + H2O → 2NaOH + 4H3BO3 बोरिक अम्ल

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प्रश्न 37.
डाइ-बोरॉन की संरचना बनाइए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 2

प्रश्न 38.
डाइ-बोरॉन अमोनिया तथा एमीन के साथ योगोत्पाद क्यों बनाता है ?
उत्तर:
क्योंकि यह एक इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है।

प्रश्न 39.
विद्युत अपघटन से पूर्व Al2O3 का निर्जल होना आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि जल की उपस्थिति में Al3+ का कैथोड पर विसर्जन न होकर H+ का विसर्जन होगा क्योंकि Al3+ का विसर्जन विभव H+ से अधिक होता है।

प्रश्न 40.
फिटकरी का सामान्य सूत्र क्या है ?
उत्तर:
इसका सामान्य सूत्र-
M2SO4.M2(SO4)3. 24H2O होता है।
यहाँ पर M = एक-संयोजी क्षारीय धातु या मूलक
M = त्रि-संयोजी क्षारीय धातु या मूलक।

प्रश्न 41.
बोरॉन का गलनांक सामान्य से अधिक होता है। क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि यह ठोस तथा द्रव दोनों ही अवस्थाओं में एक बड़े सह-संयोजक बहुलक के रूप में रहता है।

प्रश्न 42.
BF3 के जल-अपघटन की अभिक्रिया लिखें।
उत्तर:
BF3 के जल-अपघटन की अभिक्रिया निम्न है-
BF3 + H2O → H+[BF3OH]

प्रश्न 43.
एलुमीनियम का प्रयोग उन ऑक्साइडों को अपचयित करने में किया जाता है, जिनका अपचयन कार्बन नहीं कर पाता है। कारण स्पष्ट करो।
उत्तर:
क्योंकि एलुमीनियम कार्बन से प्रबल धनविद्युती तत्व व प्रबल अपचायक होता है।

प्रश्न 44.
AlCl3.6H2O को गर्म करके निर्जल AlCl3 को नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि ?
उत्तर:
AlCl3.6H2O गर्म करने पर निर्जल AlCl3 नहीं Al2O3 देता है।

प्रश्न 45.
क्या होता है जब BF3 की जल से अभिक्रिया होती है ?
उत्तर:
BF3 की जल से अभिक्रिया पर फ्लुओरोबोरिक अम्ल एवं ऑर्थोबोरिक अम्ल प्राप्त होता है।
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प्रश्न 46.
B2H6 की HCl से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 4

प्रश्न 47.
ड्यूरेलूमिन का प्रयोग हवाई जहाज बनाने में किया जाता है, क्यों ?
उत्तर:
यह Al, Cu, Mg तथा Mn की मिश्र धातु है जो हल्की परन्तु मजबूत होती है जिसके कारण इसका प्रयोग हवाई जहाज बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 48.
बोरॉन के समस्थानिक बताएँ।
उत्तर:
बोरॉन के दो समस्थानिक होते हैं-
\(20 \%{ }_5^{10} \mathrm{~B}\) तथा \(80 \%{ }_5^{11} \mathrm{~B}\)

प्रश्न 49.
हीरे से कम कठोर अधात्विक तत्व का नाम बताएँ।
उत्तर:
बोरॉन \(\left({ }_5^{10} \mathrm{~B}\right)\)

प्रश्न 50.
बोरेक्स कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
कोलेमेनाइट पर जब Na2CO3 की क्रिया कराते हैं, तो बोरेक्स का निर्माण होता है।

प्रश्न 51.
ऐलुमिनियम के उस खनिज का नाम बताएँ जो कि साधारण फिटकरी बनाने में प्रयुक्त होता है।
उत्तर:
ऐलुनाइट का प्रयोग साधारण फिटकरी बनाने में करते हैं।

प्रश्न 52.
गैलियम का गलनांक बहुत कम होता है, क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि गैलियम Ga2 अणु के रूप में होता है।

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प्रश्न 53.
बोरेन क्या हैं ? इसका सामान्य सूत्र क्या होता है ?
उत्तर:
बोरॉन तथा हाइड्रोजन आपस में क्रिया करके वाष्पशील हाइड्राइड बनाते हैं। जिन्हें बोरेन (Boranes) कहते हैं। इनका सामान्य सूत्र BnHn+4 व BnHn+4 है।

प्रश्न 54.
एलेन से क्या समझते हो ?
उत्तर:
एलमीनियम के हाइड़ाइड को एलेन कहते हैं।

प्रश्न 55.
ऐलुमिना के वैद्युत-अपथटन में प्रयोग होने वाले गालक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
ऐलुमिना के बैद्युत-अपषटन में क्रायोलाइट (Na3AlF6) तथा फ्लुओरस्पार (CaF2) का प्रयोग होता है।

प्रश्न 56.
बोरॉन की भू-पर्पटी में उपलब्तता कितने प्रतिशत है ?
उत्तर:
0.0001%

प्रश्न 57.
Al की भू-पर्पटी में उपलक्धता कितने प्रतिशत है ?
उत्तर:
8.3%

प्रश्न 58.
निम्न के सूत्र लिखें-
(i) और्थो बोरिक अम्ल,
(ii) बोरेक्स,
(iii) करनाइट,
(iv) बॉक्साइट,
(v) कायोलाइट।
उत्तर:
(i) और्थो बोरिक अम्ल – H3BO3
(ii) बोरेक्स – Na2B4O7.10H2O
(iii) करनाइट – Na2B4O7.4H2O
(iv) बॉक्साइ्ट – Al2O3. 2H2O
(v) क्रायोलाइट – Na3AlF6

प्रश्न 59.
Ga, In व TI तत्वों में +1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने की बङुती प्रवृत्ति दीजिए।
उत्तर:
Ga < ln < TI.

प्रश्न 60.
समूह- 13 के तत्वों में +3 ऑक्सीकरण अवस्था किसमें अधिकतम है ?
उत्तर:
बोरॉन (B) में ।

प्रश्न 61.
निर्जल AlCl3 की प्रकृति सहसंयोजी होती है जबकि जलयोजित AlCl3 वैद्युत संयोजी होता है, क्यों ?
उत्तर:
निर्जल लवप एक द्विलक (Al2Cl6) के रूप में होता है तथा यह सहसंयोजी प्रकृति का होता है। जब AlCl3 जल के सम्पर्क में आता है तो यह जलयोजित हो जाता है तथा जलयोजित लवप [Al(H3O)6]Cl3 को बनाता है। यह जल में आयनीकृत होकर [Al(H2O)6]3+ तथा 3Cl आयन देता है।

प्रश्न 62.
क्या H3BO3 त्रिक्षारकीय है ?
उत्तर:
नहीं, यह एक क्षारीय है।

प्रश्न 63.
बोरिक अम्ल में BO3 की इकाइयाँ किस बन्ध के द्वारा आबन्धित रहती हैं ?
उत्तर:
बोरिक अम्ल में BO3 की इकाइयाँ हाइड्रोजन बन्ध के द्वारा आबन्धित रहती हैं।

प्रश्न 64.
बोरेक्स मनका परीक्षण के द्वारा किस प्रकार के धनायनों का परीक्षण करते हैं ?
उत्तर:
बोरेक्स मनका परीक्षण के द्वारा ऐसे धनायनौ का परीक्षण करते हैं जो कि रंगीन होते हैं।

प्रश्न 65.
समीकरण को पूर्ण करो-
Na2B4O7 + H2SO4 + 5H2O →… + Na2SO4
उत्तर:
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प्रश्न 66.
प्रकृति में कार्बन किस रूप में शुद्ध पाया जाता है ?
उत्तर:
फुलरीन।

प्रश्न 67.
हीरे में कार्बन का संकरण क्या होता है ?
उत्तर:
sp3

प्रश्न 68.
CO2 की संरचना दीजिए।
उत्तर:
O = C = O, इसकी रेखीय संरचना होती है।

प्रश्न 69.
क्या कार्बन डाइ-ऑक्साइड विषैली है ?
उत्तर:
नहीं, कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) विषैली नहीं होती।

प्रश्न 70.
प्रोड्यूसर गैस क्या है ?
उत्तर:
प्रोड्यूसर गैस CO तथा N2 का 1: 2 के अनुपात में भिश्रण है।

प्रश्न 71.
बकमिन्सटर फुलरीन किस तत्व का क्रिस्टलीय अपररूप होता है ?
उत्तर:
बकमिन्सटर फुलरीन कार्बन का क्रिस्टलीय अपररूप होता है।

प्रश्न 72.
\(\mathrm{CO}_3^{2-}\) की संकरण-अवस्था क्या है ?
उत्तर:
\(\mathrm{CO}_3^{2-}\) में C की संकरण-अवस्था sp2 होती है।

प्रश्न 73.
\(\mathrm{SiF}_5{ }^{2-}\) आयन में सिलिकन के संकर कक्षकों का प्रकार बताइए।
उत्तर:
sp3d2

प्रश्न 74.
किसी अन्य तत्व की तुलना में कार्बन सर्वाधिक श्रृंखलन क्यों दर्शाता है ?
उत्तर:
कार्बन सर्वाधिक श्रृंखलन प्रदर्शित करता है क्योंकि इसका परमाणु आकार छोटा होता है। यह अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ स्थायी सहसंयोजक बन्ध बना सकता है।

प्रश्न 75.
कमरे के ताप पर CO2 गैस होती है, जबकि SiO2 ठोस। इसका एक कारण बताइए।
उत्तर:
CO2 एक विविक्त (discrete) अणु के रूप में होती है; इसलिए इसमें दुर्बल वाण्डरवाल्स आकर्षण बल होते हैं, जबकि SiO2 त्रिविमीय सहसंयोजी ठोस होता है। यही कारण है कि कमरे के ताप पर CO2 गैस व SiO2 ठोस है।

प्रश्न 76.
कार्बन तथा सिलिकन मुख्यतः चतुःसंयोजी होते हैं परन्तु Ge, Sn तथा Pb द्विसंयोजकता प्रदर्शित करते हैं। कारण दीजिए।
उत्तर:
Ge, Sn तथा Pb अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण द्विसंयोजी होते हैं जो कि कार्बन तथा सिलिकन में नहीं होता।

प्रश्न 77.
सिलिकॉन का सामान्य सूत्र क्या है ?
उत्तर:
R2SiO.

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प्रश्न 78.
सिलिकेट क्या हैं ?
उत्तर:
सिलिकेट खनिज होते हैं जिनमें \(\mathrm{SiO}_4{ }^{4-}\) इकाइयाँ विभिन्न क्रमों में व्यवस्थित रहती हैं।

प्रश्न 79.
समूह-14 में से उन सदस्य (या सदस्यों) को चुनिए, जो
(i) सबसे अधिक अम्लीय डाइऑक्साइड बनाते हैं;
(ii) सामान्यत: +2 ऑक्सीकरण अवस्था में मिलते हैं;
(iii) अर्द्धचालक (या अर्द्धचालकों) के रूप में प्रयोग में आते हैं।
उत्तर:
(i) कार्बन, (ii) सिलिकन तथा (iii) जर्मेनियम।

प्रश्न 80.
मेथेन किस से प्राप्त की जाती है ?
उत्तर:
एल्युमीनियम कार्बाइड से मेथेन प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 81.
\(\left[\mathrm{SFF}_6\right]^{2-}\) ज्ञात है, जबकि \(\left[\left.\mathrm{SiCl}_6\right|^{2-}\right.\) अज्ञात है। इसके सम्भावित कारण दीजिए।
उत्तर:
इसके मुख्य सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं-

  1. सिलिकन परमाणु का आकार छोटा होने के कारण इसके चारों ओर क्लोरीन के छः बड़े आकार वाले परमाणु व्यवस्थित नहीं हो पाते हैं।
  2. क्लोरीन परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा सिलिकन परमाणु के मध्य अन्योन्यक्रिया अधिक प्रबल नहीं होती है।

प्रश्न 82.
कार्बन डाइऑक्साइड दहन में सहायता नहीं करती है, परन्तु मैग्नीशियम का जलता हुआ तार CO2 के वातावरण में जलता रहता है। क्यों ?
उत्तर:
मैग्नीशियम CO2 को कार्बन में अपचयित कर देता है तथा अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है। चूँकि मैग्नीशियम का ज्वलन-ताप बहुत अधिक होता है; अतः यह CO2 के वातावरण में जलता रहता है।

प्रश्न 83.
ग्रेफाइट विद्युत चालक क्यों होता है ?
उत्तर:
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2 संकरित होता है तथा तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से एकल संयोजी बन्धों द्वारा जुड़ा रहता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का एक इलेक्ट्रॉन मुक्त रहता है जिसके कारण ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।

प्रश्न 84.
कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त के साथ क्रिया कर कौन-सा यौगिक बनाती है ?
उत्तर:
कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन।

प्रश्न 85.
कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ‘मौत का फन्दा’ है; समझाइए।
उत्तर:
कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस (CO) रक्त के हीमोग्लोबिन से संयुक्त होकर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाती है जिससे हीमोग्लोबिन ऑक्सीवाहक का कार्य करना बन्द कर देता है एवं मनुष्य दम घुटने के कारण मर जाता है। अतः CO गैस ‘मौत का फन्दा’ है।

प्रश्न 86.
कार्बन के अपररूप कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
कार्बन के दो अपररूप हैं-
(i) क्रिस्टलीय कार्बन-यह तीन रूपों में पाया जाता है-
(अ) हीरा, (ब) ग्रेफाइट, (स) फुलरीन।
(ii) अक्रिस्टलीय रूप-यह तीन रूपों में पाया जाता है-
(अ) चारकोल, (ब) काजल, (स) खनिज कोयला।

प्रश्न 87.
कार्बन कौन-से ऑक्साइड बनाता है ?
उत्तर:

  • कार्बन सबऑक्साइड (C3O2),
  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO),
  • कार्बन डाईऑक्साइड (CO2)।

प्रश्न 88.
कार्बन मोनो-ऑक्साइड का औद्योगिक उपयोग बताइए।
उत्तर:
प्रोड्यूसर गैस (CO + N2) तथा भाप अंगार गैस (CO + H2) के रूप में ईंधन में प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 89.
CO2 का प्रकृति में क्या उपयोग है ?
उत्तर:
क्लोरोफिल की उपस्थिति में पौधे CO2 को ग्रहण कर सूर्य के प्रकाश में ग्लूकोस, स्टार्च, सेल्यूलोस आदि बनाते हैं।
\(6 \mathrm{CO}_2+6 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow \mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{12} \mathrm{O}_6+6 \mathrm{O}_2\)

प्रश्न 90.
कार्बन के मिश्रित हैलाइडों को समझाइए।
उत्तर:
कार्बन के साथ फ्लोरीन तथा क्लोरीन दो भिन्न तत्वों के जुड़े होने पर प्राप्त यौगिक क्लोरो-फ्लुओरो यौगिक कहलाते हैं। इन्हें मिश्रित हैलाइड कहते हैं। जैसे-फ्रेऑन-11 (CFCl3)$, फ्रेमीन- 12 (CF2Cl2) ये प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

प्रश्न 91.
कार्बन परमाणु का विशिष्ट गुण क्या है ?
उत्तर:
कार्बन परमाणु का विशिष्ट गुण भृंबला बनाने की प्रवृत्ति है।

प्रश्न 92.
कुछ वर्षों पूर्व खोजे गए कार्बन के नए रूप का नाम लिखिए।
उत्तर:
C60 या बकमिन्सटर फुलरीन।

प्रश्न 93.
डायमण्ड में C—C लम्बाई बताइए।
उत्तर:
डायमण्ड में प्रत्येक C—C बंध की दूरी 1.54 Å होती है।

प्रश्न 94.
डायमण्ड में क्राबंन परमाणु पर कौन-सा संकरण होता है ?
उत्तर:
डायमण्ड में प्रत्येक कार्बन परमाणु पर sp3 संकरण होता है।

प्रश्न 95.
गेफाइट में प्रत्येक कावंन परमाणु पर कौन-सा संकरण होता है ?
उत्तर:
ग्रेफाइट में प्रत्येक कावन परमाणु पर sp2 संकरण होता है।

प्रश्न 96.
ऐ्रेफाइट विद्युत का सुचालक क्यों है ?
उत्तर:
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु पर p-उपकोश में एक इलेक्ट्रॉन शेष रहता है यह π-इलेक्ट्रॉन कहलाता है। इन्ही π-इ्लेक्ट्रॉनों के गतिशील होने के कारण ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक है।

प्रश्न 97.
ग्रेफाइट में C—C बंध की दूरी क्या है ?
उत्तर:
प्रत्येक C—C बंध की दूरी 1.42 Å होती है।

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प्रश्न 98.
फुलरीन की खोज कब हुई ?
उत्तर:
1985 में।

प्रश्न 99.
C60 का नाम किसके नाम पर रखा गया ?
उत्तर:
अमरीकी वास्तु स्थापत्य बकमिन्सटर फुलरीन के नाम पर रखा गया।

प्रश्न 100.
C60 में कौन-सा संकरण होता है ?
उत्तर:
C60 में कार्बन परमाणु पर sp2 संकरण होता है।

प्रश्न 101.
प्रकृति में कार्बन किस शुद्ध अवस्था में पाया जाता है ?
उत्तर:
फुलरीन।

प्रश्न 102.
ड्वायमण्ड में कौन-सा संकरण होता है ?
उत्तर:
sp3

प्रश्न 103.
\(\mathrm{SiF}_6{ }^{2-}\) में C संकरण कौन-सा है ?
उत्तर:
sp2 संकरण।

प्रश्न 104.
\(\mathrm{SiF}_6{ }^{2-}\) में Si का संकरण क्या है ?
उत्तर:
sp3d2

प्रश्न 105.
SiCl4 का जल अपघटन हो सकता है परन्तु CCl4 का नहीं; क्यों ?
उत्तर:
Si में रिक्त d-कक्षक पाये जाते हैं जिसके कारण SiCl4 का जल अपघटन हो सकता है, परन्तु CCl4 का नहीं।

प्रश्न 106.
गैसीय ईंधन अत्यधिक उपयोगी क्यों होते हैं ?
उत्तर:
गैसीय ईंधनों का दहन पूर्ण रूप से हो जाता है तथा इसका कोई भी अवशेष नहीं बचता है, इस कारण गैसीय ईंधन अत्यधिक उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 107.
सिन्दूर का रासायनिक नाम व सूत्र क्या है?
उत्तर:
ट्राइप्लम्बिक टेट्रॉऑक्साइड (Pb3O4)

प्रश्न 108.
कार्बन के दो क्रिस्टलीय अपररूपों के उदाहरण लिखें।
उत्तर:
डायमण्ड व ग्रेफाइट कार्बन के दो क्रिस्टलीय अपररूप हैं।

प्रश्न 109.
किन्हीं चार ईंधनों के उदाहरण लिखें।
उत्तर:

  1. भाप-अंगार गैस,
  2. पेट्रोल गैस,
  3. तेल गैस,
  4. प्रोड्यूसर गैस।

प्रश्न 110.
कार्बन परिवार का वह कौन-सा तत्व है जो कि अपररूपता को प्रदर्शिन नहीं करता है ?
उत्तर:
लेड (Pb).

प्रश्न 111.
कार्बन का उदासीन ऑक्साइड कौन-सा है ?
उत्तर:
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO).

प्रश्न 112.
प्रयोगशाला में बर्नरों में प्रयोग की जाने वाली गैस कौन-सी है ?
उत्तर:
तेल गैस या पेट्रोल गैस, परन्तु आजकल प्रयोगशाला में L.P.G. प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 113.
वाटर ग्लास का सूत्र लिखें।
उत्तर:
Na2SiO3

प्रश्न 114.
ठण्डे देशों में पैकिंग के लिये टिन धातु की पन्नी का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर:
कम ताप पर टिन, ग्रे-टिन में परिवर्तित हो जाता है। यह ग्रे टिन भंगुर प्रकृति का होता है तथा पाउडर में बदल जाता है। इसको टिन-प्लेग (tin plague) या टिन की बीमारी (tin disease) भी कहते हैं।

प्रश्न 115.
CH4 व SiH4 के गुणों में भिन्नता क्यों होती है ?
उत्तर:
Si-H की बन्ध ऊर्जा का मान C-H की बन्ध ऊर्जा से कम होता है।

प्रश्न 116.
MgCl2 की आकृति अधुवीय रेखीय है जबकि SnCl2 कोणीय ध्रुवीय होता है। कारण बताओ।
उत्तर:
MgCl2 में Mg पर sp संकरण पाया जाता है जो कि रेखीय आकृति देता है, जबकि SnCl2 में Sn, sp2 संकरण (समतलीय त्रिकोणीय) प्रकृति प्रदर्शित करता है। Sn पर एक अनाबन्धित या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म इसका आकार कोणीय कर देता है।

प्रश्न 117.
SnCl2ठोस है, जबकि SnCl4 दव है। क्यों ?
उत्तर:
SnCl2 की आयनिक प्रकृति अधिक (Sn2+) होती है अत: इसका गलनांक भी अधिक होता है और इस कारण यह ठोस अवस्था में पाया जाता है। SnCl4 में sp3संकरण होता है, जिसके कारण इसकी प्रवृत्ति सह-संयोजक होती है और यह द्रव अवस्था में होता है।

प्रश्न 118.
अपररूपता को परिभाषित करें।
उत्तर:
जब कोई तत्व दो या दो से अधिक रूपो में पाया जाता है, जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न ब रासायनिक गुण समान होते हैं तो इन रूपों को अपररूप व इस गुण को अपररूपता कहते हैं।

प्रश्न 119.
शृंखलित होने का गुण (Catenation) क्या है?
उत्तर:
समान परमाणुओं के आपस में जुड़कर एक लम्बी विवृत भंख्रला अथवा संबृत भृंखला बनाने की प्रवृत्ति को मृंखलित होने का गुण (Catenation) कहते हैं।

प्रश्न 120.
समूह-14 में +2 ऑक्सीकरण अवस्था बनाने की प्रयृत्ति समूह में नीचे जाने पर बक़ी जाती है, क्यों ?
उत्तर:
चूँकि समूह में नीचे जाने पर अक्रिय युग्म प्रभाव (Inert pair effect) बढ़ा जाता है, इसके कारण +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति भी बह़ जाती है।

प्रश्न 121.
टिन व लेड क्रमशः Sn2+ तथा Pb2+ आयन बनाते हैं। क्यों ?
उत्तर:
अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) के कारण टिन व लेड क्रमशः Sn2+ तथा Pb2+ आयनों को बनाते हैं।

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प्रश्न 122.
समूह-14 में ऊपर से नीचे जाने पर श्रृंखलित होने का गुण घटता जाता है। क्यों ?
उत्तर:
समूह-14 में ऊपर से नीचे जाने पर भृंखलित होने का गुण घटता जाता है क्यॉकि बन्ध ऊर्जा (Bond energy) का मान कार्बन से लेड की और जाने पर घटता जाता है।

प्रश्न 123.
कार्बन की अधिकतम संयोजकता का मान 4 है जबकि सिलिकन की संयोजकता का मान 6 है, क्यों ?
उत्तर:
सिलिकन के वाद्य कोश में रिक्त d-उपकोश उपस्थित होता है जिसके कारण सिलिकन की संयोजकला का मान 6 हो जाता है।

प्रश्न 124.
कार्बन व सिलिकन दोनों एक ही समूह में होते हुए भी अपने यौगिकों के गुणों में भिन्नता प्रदर्शित करते हैं, क्यों ?
उत्तर:
कार्बन व सिलिकन एक ही समूह में उपस्थित हैं परन्तु इन दोनों तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता में काफी अन्तर होता है। इस कारण इनके यौगिकों के गुर्णों में काफी भिन्नता होती है।

प्रश्न 125.
ऐसे CO2 को शुष्क वर्फ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि टेस CO2 के ऊर्ध्वपातन होने से सतह पर किसी भी प्रकार का कोई अवशेष नहीं रहता है, इस को कारण इसे शुष्क बर्फ कहते है।

प्रश्न 126.
रेडियोएक्टिव पदार्थों को लेड के बक्सों में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर:
क्योंकि रेडियोएक्टिब पदार्थों से निकलने वाली रेडियोएक्टिव किरणों में लेड धातु को पार करने की क्षमता बहुत कम होती है। इस कारण रेडियोएक्टिव पदायों को लेड वॉक्स में रखते हैं।

प्रश्न 127.
डायमण्ड विद्युत का चालक नहीं होता है, क्यों ?
उत्तर:
डायमण्ड विद्युत का कुचालक है, क्योंकि इसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु के चारों संयोजी इलेक्ट्रॉन चार एकल सह-संयोजक बन्ध बनाने में प्रयुक्त हो जाते हैं जिसके कारण डायमण्ड विद्युत् का कुचालक होता है।

प्रश्न 128.
CO2 ऑक्सीजन की उपस्थिति में क्यों नहीं जलती है ?
उत्तर:
CO2 में कार्बन की अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था होती है
अतः CO2 का पुनः ऑक्सीकरण होना सम्भव नहीं होता है। यही कारण है कि CO2 ऑक्सीजन की उपस्थिति में नहीं जलती है।

प्रश्न 129.
कार्बन मोनोऑक्साइड के अम्लीय होने को प्रदर्शित करने वाला एक समीकरण लिखें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 6

प्रश्न 130.
समूह्न 14 के तत्वों के टेट्राहैलाइडों के स्थायित्व का घटता हुआ क्रम लिखें।
उत्तर:
CX4 > SiX4 > GeX4 > SnX4 > PbX4

प्रश्न 131.
निम्न अभिक्रियाओं को पूर्ण करें-
(i) Pb + 4HNO3
(ii) SiCl4 + 4H2O→
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 7

प्रश्न 132.
समूह-14 में सबसे अधिक अम्लीय डाइऑक्साइड कौन बनाता है ?
उत्तर:
कार्बन सबसे अधिक अम्लीय डाइऑक्साइड बनाता है।

प्रश्न 133.
समूह-14 में वह कौन-सा तत्व है जो कि सामान्यता +2 ऑक्सीकरण अवस्था में प्राप्त होता है ?
उत्तर:
समूह-14 में लैड (Pb) सामान्यतः + 2 ऑक्सीकरण अवस्था में पांया जाता है।

प्रश्न 134.
समूह-14 में कौन से तत्व अर्द्ध-चालकों के रूप में प्रयुक्त होते हैं ?
उत्तर:
समूह- 14 में सिलिकन तथा जर्मेनियम अर्द्ध-चालकों के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

प्रश्न 135.
क्या कारण है कि हीरे में सहसंयोजन होने के उपरान्त भी गलनांक काफी उच्च होता है ?
उत्तर:
हीरे के अणु में C-C परमाणु के मध्य त्रिविम संरचना होती है। इस चतुष्फलक जालक को तोड़ना काफी कठिन होता है। अत: हीरे का गलनांक काफी उच्च होता है। यद्यपि इसमें सहसंयोजक बन्ध पाया जाता है।

प्रश्न 136.
सिलिकॉन्स की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर:
सिलिकॉन्स जलरोधी एवं जल-अपकर्षक प्रकृति के होते हैं।

प्रश्न 137.
पृथ्वी अथवा मृदा की ऊपरी परत किस रासायनिक पदार्थ से बनी होती है ?
उत्तर:
पृथ्वी अथवा मृदा की ऊपरी परत सिलिकेट्स की बनी होती है।

प्रश्न 138.
अन्नराकाशी काब्बांइक के उदाइरण दें। क्यादरण है।
उत्तर:
Cr3C2, Fe3C, Mn3C, WC आदि अन्तराकाशी कार्बाइड के उदाहरण हैं।

प्रश्न 139.
सहुसंयोजक कार्बाइड के उदलण दें।
उत्तर:
B4C3 तथा SiC सहसंवोनक काबादह के ददाहय है।

प्रश्न 140.
आयनिक कार्बाइड के उदाइरण बें।
उत्तर:
Li2C3, CaC2 तथा Al4C3 अदि अरणनिक्ष का बाइड के उदाइरण है।

प्रश्न 141.
सिलिकन कार्बांइड (SiC) का मुख्य उप्पयोग क्या है ?
उत्तर:
सितिकन कबोद्ड का मुख्य उन्योग काँच को काटने में तथा अम्स-भार को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 142.
बोरॉन कार्जाइड का उबयोग दें।
उत्तर:
बौरौन कार्बांश्ड को प्रकृजी कठोर सेने के दारण बह Drilling में तथा उन्तु बनामे में प्रयुक किवा जाता है।

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प्रश्न 143.
पढ्रो सिलिकेट में कौन-सा क्रणायन मिलनता है ?
उत्तर:
\(\mathrm{Si}_2 \mathrm{O}_7^{6-}\)

प्रश्न 144.
कार्बों रण्डम (carborandum) किसे कहते है?
उत्तर:
SiC (सिलिकन कार्बाइड) को कार्बोरण्डम कहते हैं।

प्रश्न 145.
क्या होता है जब CO को ZnO के साघ गार्म करते हैं ?
उत्तर:
CO एक प्रबत अपवायक है। यह ZnO को लिक (Zn) में अपवावित कर देत्ता है।
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प्रश्न 146.
त्रिबिम मिलिकेट के उद्वाहरण दें।
उत्तर:
क्वारंब तथा रिश्रोलाएट शिविम सिलिकेट के उदाशरण है।

प्रश्न 147.
शिद सिलिकेट के उदाहरण दें। ज्वाहरण है।
उत्तर:
टैल्क, केओलीन तथा मस्क्कोलाइट आदि शिट सिलिकेट के उदाहरण हैं।

प्रश्न 148.
चक्रीय सिलिकेट के उदाहरण दें।
उत्तर:
बेनीटोआइट तथा बोरेल चक्रीय सिलिकेट के उदाहरण हैं।

प्रश्न 149.
श्रृंखला सिलिकेट के उदाहरण दें।
उत्तर:
स्पॉड्यूमीन तथा एन्स्टेटाइट शृंखला सिलिकेट के उदाहरण हैं।

प्रश्न 150.
पायरो सिलिके के उदाइरण दें।
उत्तर:
थौट्टीवीटाइट तथा हेगीमोरफाइर पाबरो सिलिकेट के उदाहरण है।

प्रश्न 151.
औधॉंतिलिकेट के उदाहरण वें ।
उत्नर:
फिनेसदट तथा जिरकॉन और्था सिलिकेट के द्वासण है।

प्रश्न 152.
सिलिका में Si ऑक्सीजन के साथ π-बन्ध क्यों नहीं बना पाता ?
उत्तर:
Si का आकार ऑक्सीजन से बड़ा होता है जिसके कारण यह ऑक्सीजन के साथ π-बन्ध नहीं बना पाता है।

प्रश्न 153.
ऊष्मा भट्टियों में किन इंटों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
ऊष्मा भद्टियों में सिलिका हटं का प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 154.
क्या होता है जब HCOOH को सान्द्र H2SO4 के साथ 373 K पर गर्म करते हैं ?
उत्तर:”
HCOOH को सान्द्र H2SO4 के साथ 373 K पर गर्म करने पर CO प्राप्त होती है।
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प्रश्न 155.
CO की क्रिया निम्न के साथ प्रदर्शित करें –
(i) ZnO
(ii) Fe2O3
(iii) Ni
(iv) Cl2
उत्तर:
(i) CO की क्रिया ZnO के साथ कराने पर Zn प्राप्त होती है।
\(\mathrm{CO}+\mathrm{ZnO} \longrightarrow \mathrm{Zn}+\mathrm{CO}_2\)

(ii) CO की क्रिया Fe2O3 से कराने पर आयरन व कार्बन डाईंक्साइड बनता है।
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(iii) CO की क्रिया Ni से कराने पर कार्बोनिल प्राप्त होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 11

(iv) CO की क्रिया Cl2 से कराने पर एक विर्घली गैस फॉस्जीन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 156.
प्रकाश संश्लेषण पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर:
प्रकाश एवं क्लोरोफिल (पर्णरहित) की उपस्थिति में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं तथा ऑक्सीजन निकालते हैं। इस अभिक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
\(6 \mathrm{CO}_2+6 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow \mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{12} \mathrm{O}_6+6 \mathrm{O}_2\)

प्रश्न 157.
रात्रि में बड़े वृक्षों के नीचे नहीं सोना चाहिए। क्यों ?
उत्तर:
रात्रि में पेड्ट व पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं करने रात्रि में ये श्वसन की क्रिया करते हैं, जिससे CO2 गैस निकलती है। अतः रात्रि में वृक्ष्र के नीचे नहीं सोना चाहिए।

प्रश्न 158.
C60 की क्रिया पोटैशियम से कराने पर क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर:
C60 की क्रिया पोटैशियम के साथ कराने पर K3C60 प्राप्त होता है।

प्रश्न 159.
कार्बन की परमाणवीय त्रिज्या का मान क्या होता है ?
उत्तर:
कार्बन की परमाण्वीय त्रिज्या 77 Å होती है।

प्रश्न 160.
वर्ग-14 के तत्व बताएँ।
उत्तर:
C, Si, Ge, Sn, Pb.

प्रश्न 161.
निम्न के सूत्र लिखें-
(i) केसिटेराइट,
(ii) गैलेना।
उत्तर:
(i) केसिटेराइट- SnO2
(ii) गैलेना-PbS.

प्रश्न 162.
वर्ग-14 के तत्वों को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
Pb < Sn < Ge < Si < C

प्रश्न 163.
स्थायी रूप से अतिशीतित (super cooled) द्रव क्या कहलाता है ?
उत्तर:
स्थायी रूप से अतिशीतित (super cooled) द्रव को अक्रिस्टलीय ठोस (amorphous solid) कहते हैं।

प्रश्न 164.
क्या होता है जब लेड सल्फाइड को वायु में गर्म किया जाता है ?
उत्तर:
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प्रश्न 165.
हानिकारक U.V. rays को सोखने वाले काँच का नाम बताओ।
उत्तर:
क्रुक्स काँच (Crookes glass)।

प्रश्न 166.
सफेदा का सूत्र लिखें।
उत्तर:
2PbCO3.Pb(OH)2

प्रश्न 167.
CO2 एक अम्लीय एनहाइड्राइड है जबकि PbO2 एक क्षारीय एनहाइड्राइड है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
C एक अधातु है, अतः इसका ऑक्साइड (CO2) अम्लीय है जबकि Pb एक धातु है अतः इसका ऑक्साइड (PbO2) क्षारीय है।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
बोरिक अम्ल, B(OH)3 में तीन OH समूह होते हैं परन्तु फिर भी यह दुर्बल क्षारकीय अम्ल होता है। समझाइए।
उत्तर:
बोरिक अम्ल में बोरॉन परमाणु इलेक्ट्रॉन न्यून होता है तथा H2O अणु के परमाणु से इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर लेता है। इसके परिणामस्वरूप एक उपसहसंयोजक बन्ध बनता है। अतः यह जलयोजित हो जाता है। जलयोजित अणु में ऑक्सीजन परमाणु जो इलेक्ट्रॉन अपूर्ण हो चुका है, OH बन्ध से इलेक्ट्रॉन युग्म को खींचता है जिससे प्रोटॉन निकल जाता है। अतः यह अम्ल एक क्षारकीय अम्ल (monobasic acid) की भाँति कार्य करता है।
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प्रश्न 2.
BX3 में B-X बन्ध लम्बाई अपेक्षा से कम मानी जाती है, क्यों ?
उत्तर:
pπ-pπ पश्च बन्धन के कारण BX3 में B-X बन्ध आंशिक द्विबन्ध गुण धारण कर लेता है। इसके परिणामस्वरूप B-X बन्ध लम्बाई, अपेक्षित एकल संयोजक B-X बन्ध लम्बाई से कम हो जाती है।

प्रश्न 3.
सुहागा-मनका परीक्षण क्या है ? समीकरण सहित समझाइए।
उत्तर:
सुहागा-मनका परीक्षण (Borax-Bead Test)
यह परीक्षण उन बेसिक मूलकों के परीक्षण में काम आता है जिनके लवण रंगीन होते हैं या जो सुहागा के साथ गर्म किए जाने पर रंगीन पदार्थ बनाते हैं। सबसे पहले प्लैटिनम के तार के छल्ले (ring) पर बोरेक्स का चूर्ण लेकर ज्वाला में खूब गर्म किया जाता है। शुरू में यह फूलता है तथा बाद में काँच के समान गोली बन जाती है।
\(\mathrm{Na}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7 \cdot 10 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow \mathrm{Na}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7+10 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\) सोडियम टेट्राबोरेट
\(\mathrm{Na}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7 \longrightarrow 2 \mathrm{NaBO}_2+\mathrm{B}_2 \mathrm{O}_3\) काँच के समान गोली

अब मनके पर थोड़ा-सा दिया हुआ पदार्थ रखकर ज्वाला पर रखते हैं। इस काँच के समान गोली का एक विशिष्ट रंग आता है जिसके आधार पर इसके मूलकों का ज्ञान होता है; जैसे-कॉपर के साथ एक नीला मनका बनता है।
\(\mathrm{CuSO}_4 \longrightarrow \mathrm{CuO}+\mathrm{SO}_4 \uparrow\)
\(\mathrm{CuO}+\mathrm{B}_2 \mathrm{O}_3 \longrightarrow \mathrm{Cu}\left(\mathrm{BO}_2\right)_2\)
\(\mathrm{CuSO}_4+\mathrm{B}_2 \mathrm{O}_3 \longrightarrow \mathrm{Cu}\left(\mathrm{BO}_2\right)_2+\mathrm{SO}_3 \uparrow\)
कॉपर मेटाबोरेट (नीला रंग)

इसी प्रकार कुछ अन्य बेसिक मूलकों में उत्पन्न रंगों को नीचे दिया गया है-
Co2+ (गहरा नीला), Ni2+ (भूरा), Mn2+ (बैंगनी), Cr3+ ( हरा) तथा Fe3+ (पीला)। इस प्रकार केवल मनके का रंग देखकर ही मिश्रण में विद्यमान कुछ बेसिक मूलकों का पता लगाया जा सकता है।

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प्रश्न 4.
बोरिक अम्ल से प्रारम्भ करके निम्नलिखित यौगिकों को कैसे प्राप्त करोगे ?
(i) बोरॉन ऐनहाइड्राइड
(ii) बोरॉन ट्राइक्लोराइड
(iii) बोरॉन हाइड्राइड
(iv) बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड।
उत्तर:
(i) बोरिक अम्ल से बोरॉन ऐनहाइड्राइड में परिवर्तनबोरिक अम्ल को रक्त तप्त करने पर बोरॉन ऐनहाइड्राइड प्राप्त होता है।
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(ii) बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइक्लोराइड में परिवर्तन-उपर्युक्त विधि से सबसे पहले बोरॉन ऐनहाइड्राइड को प्राप्त कर लिया जाता है। बोरॉन ऐनहाइड्राइड को कार्बन के साथ मिलाकर रक्त तप्त करके, क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है तो बोरॉन ट्राइक्लोराइड प्राप्त हो जाता है।
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(iii) बोरिक अम्ल से बोरॉन ऐनहाइड्राइड में परिवर्तन-उपर्युक्त विधि से प्राप्त बोरॉन ऐनहाइड्राइड को मैग्नीशियम चूर्ण के साथ गर्म करके मैग्नीशियम बोराइड प्राप्त कर लिया जाता है। मैग्नीशियम बोराइड तनु HCl से प्रक्रिया करके वाष्पशील हाइड्राइडों का मिश्रण देता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 18

(iv) बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड में परिवर्तन-जब बोरिक अम्ल को सान्द्र H2SO4 और CaF2 के साथ गर्म किया जाता है तो बोरॉन ट्राइफ्लओओराइड की वाष्प प्राप्त हो जाती है।
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प्रश्न 5.
बोरेक्स से बोरॉन प्राप्त करने की विधि को समझाइए। उत्तर-बोरेक्स को सान्द्र HCl के साथ अभिक्रिया कराने पर बोरिक अम्ल प्राप्त होता है जो तेज गर्म करने पर बोरिक एनहाइड्राइड देता है।
\(\mathrm{Na}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7+2 \mathrm{HCl} \longrightarrow 2 \mathrm{NaCl}+\mathrm{H}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7\)
\(\mathrm{H}_2 \mathrm{~B}_4 \mathrm{O}_7+5 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow 4 \mathrm{H}_3 \mathrm{BO}_3\) बोरिक अम्ल
\(4 \mathrm{H}_3 \mathrm{BO}_3 \longrightarrow \mathrm{B}_2 \mathrm{O}_3+3 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\)

बोरिक एनहाइड्राइड को पोटैशियम के साथ गर्म करने पर बोरॉन प्राप्त होता है।
\(\mathrm{B}_2 \mathrm{O}_3+6 \mathrm{~K} \longrightarrow 2 \mathrm{~B}+3 \mathrm{~K}_2 \mathrm{O}\)

प्रश्न 6.
बोरिक अम्ल कैसे बनाया जाता है ? इसका एक रासायनिक गुण तथा प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
बनाने की विधि-कोलेमेनाइट को उबलते हुए जल में डालकर SO2 गैस प्रवाहित करने पर बोरिक अम्ल प्राप्त होता है।
\(\mathrm{Ca}_2 \mathrm{~B}_6 \mathrm{O}_{11}+2 \mathrm{SO}_2+9 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow 6 \mathrm{H}_3 \mathrm{BO}_3+6 \mathrm{CaSO}_3\)
गर्म करने पर बोरिक अम्ल अपघटित होकर बोरिक एनहाइड्राइड देता है।
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बोरिक अम्ल का उपयोग इनैमल और पोटरी को चमकयुक्त बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 7.
BCl3 एकलक के रूप में पाया जाता है जबकि BH3 द्विलक अर्थात् B2H6 बनाता है। क्यों ?
उत्तर:
BCl3 में पश्च आबन्ध (Back bonding) पायी जाती है अर्थात् एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म Cl के द्वारा B को दिया जाता है। जिस कारण बोरॉन की इलेक्ट्रॉन न्यूनता कम हो जाती है। जबकि BH3 में पश्च आबन्ध (Back bonding) नहीं पायी जाती है लेकिन यहाँ दो सेतुबन्ध (B-H-B) पाये जाते हैं। इसलिए यह द्विलक के रूप में पाया जाता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित को रासायनिक समीकरणों द्वारा सिद्ध करें-
(i) Sn (II) एक अपचायक है जबकि pb (II) नहीं। क्यों ?
(ii) Ga (I) असमानुपातन अभिक्रियायें प्रदर्शित करता है, क्यों ?
उत्तर:
(i) Sn (II) एक अपचायक है जबकि Pb (II) नहीं क्योंकि Pb2+, Pb4+ से ज्यादा स्थायी होता है। ऐसा अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण होता है तथा Sn4+, Sn2+ से ज्यादा स्थायी होता है अत: Sn2+ एक अपचायक का कार्य करता है।
\(\mathrm{Sn}^{2+}+\mathrm{Pb}^{4+} \longrightarrow \mathrm{Sn}^{4+}+\mathrm{Pb}^{2+}\)
या \(\mathrm{SnCl}_2+\mathrm{PbCl}_4 \longrightarrow \mathrm{SnCl}_4+\mathrm{PbCl}_2\)

(ii) क्योंकि Ga+1 से ज्यादा स्थायी Ga3+ होता है।
\(3 \mathrm{Ga}^{+} \longrightarrow 2 \mathrm{Ga}+\mathrm{Ga}^{3+}\)

प्रश्न 9.
निम्न को +3 ऑक्सीकरण अवस्था के स्थायित्व के आधार पर बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें ?
BCl3, AlCl3, GaCl3, InCl3, TICl3
उत्तर:
TlCl3 < InCl3 < GaCl3 < AlCl3 < BCl3 ( अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण यह क्रम पाया जाता है।)

प्रश्न 10.
निम्न को पूर्ण करें।
(i) NaBH4 + I2
उत्तर:
2NaBH4 + I2→ 2Nal + B2H6 + H2 डाइ-बोरॉन

(ii) B2H6 + NaH→
उत्तर:
B2H6 + 2NaH→ 2Na BH4 सोडियम बोरो-हाइड्राइड

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(iv) B2H6 + H2O→
उत्तर:
B2H6 + 6H2O→ 2B(OH)3 + 6H2 बोरिक अम्ल

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(vi) Al + NaOH→
उत्तर:
Al + 3NaOH →Al(OH)3 + 3Na एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड

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प्रश्न 11.
BF3 की जल से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व Img 24

प्रश्न 12.
B2H6 की HCl से अभिक्रिया लिखें ।
उत्तर:
B2H6 + HCl → B2H5Cl + H2 क्लोरो डाइ-बोरॉन

प्रश्न 13.
कोबाल्ट (II) ऑक्साइड के बोरेक्स बीड परीक्षण की रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 14.
क्या होगा जब एल्यूमिनियम नाइट्राइड गर्म जल से क्रिया करता है।
उत्तर:
अमोनिया गैस प्राप्त होती है।
\(\mathrm{AlN}+3 \mathrm{H}_2 \mathrm{O} \longrightarrow \mathrm{Al}(\mathrm{OH})_3+\mathrm{NH}_3\) वाष्प अमोनिया

प्रश्न 15.
कार्बन के गुणों को समझाइए।
उत्तर:
(1) कार्बन की परमाणु त्रिज्या 0.77 Å है।
(2) कार्बन की विद्युत-ऋणात्मकता 2.5 है।
(3) कार्बन अधातु तत्व है। इसकी प्रथम आयनन ऊर्जा 1086 किलो जूल प्रति मोल है।
(4) कार्बन का गलनांक 3727°C (4000 K) है। इसका क्वथनांक 5100 K है।
(5) कार्बन परमाणुओं में शृंखलित होने का गुण बहुत अधिक है, अतः ये परस्पर जुड़कर एकल (Single), द्विक् (Double) तथा त्रिक (Triple) बंध बना लेते हैं। कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर व ऑक्सीजन के साथ एक से अधिक बंध बनाता है।
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प्रश्न 16.
कार्बाइड किसे कहते हैं ? कार्बाइड कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए। कार्बाइड के प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
कार्बाइड-कार्बन अपने से कम विद्युत-ऋणता वाले तत्वों से अभिक्रिया करके द्विअंगी यौगिक बनाता है। ये यौगिक कार्बाइड कहलाते हैं। जैसे-केल्सियम कार्बाइड (CaC2), सिलिकन-कार्बाइड (SiC), लीधियम कार्बाइड (Li2C2), एल्युमिनियम कार्बाइड (Al4C3) ।

कार्बाइडों के प्रकार-कार्बाइड चार प्रकार के होते हैं-
(i) आयनिक कार्बाइड-प्रथम, द्वितीय तथा तेरहवें वर्ग में (बोरॉन को छोड़कर) अन्य तत्वों के साथ कार्बन संयुक्त होकर आयनिक कार्बाइड बनाता है। उदाहरणार्थ- Li2C2, CaC2, Al4C3 आदि।

(ii) सहसंयोजी कार्बाइड-सिलिकन-कार्बाइड (SiC) तथा बोरॉन कार्बाइड (B4C3) सहसंयोजी कार्बाइड हैं। जैसे-टंगस्टन कार्बाइड (WC तथा W2C) ।

(iii) धात्विक कार्बाइड-चतुर्थ, पंचम, षष्ठम वर्ग की धातुओं के कार्बाइड धात्विक कार्बाइड कहलाते हैं। इनमें सहसंयोजी बंध होता है।

(iv) अन्तराली कार्बाइड- Fe3C, Cr3C, Mn3C आदि कार्बाइड अन्तराली कार्बाइड कहलाते हैं। इन धातुओं के जालकों में रिक्त स्थानों में कार्बन प्रवेश कर लेता है। इसीलिए ये अन्तराली कार्बाइड कहलाते है।

कार्बाइडों के उपयोग-

  • कैल्सियम कार्बाइड का उपयोग ऐसीटिलीन बनाने के लिए होता है।
  • सिलिकन कार्बाइड को कोरण्डम कहते हैं। इसकी कठोरता के कारण इसका उपयोग पीसने के पत्थर तथा धातुओं में धार बनाने के लिए होता है।
  • बोरॉन कार्बाइड का उपयोग हीरे को काटने, तरासने, रॉकेट में छेद बनाने, इलेक्ट्रॉन बनाने तथा लैम्प फिलामेण्ट बनाने में होता है।
  • ऐल्युमिनियम कार्बाइड से मेथेन प्राप्त की जाती है।

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प्रश्न 17.
CO2 तथा SiO2 की संरचना में अन्तर बताइये।
उत्तर:

CO2SiO2
1. यह एक रेखीय यौगिक है तथा एकलक के रूप में पाया जाता है। यह एक गैस है।1 . SiO2 कक्ष ताप पर ठोस अवस्था में पाया जाता है क्योंकि इसकी संरचना त्रिविमीय होती है जिसमें Si परमापु चार ऑक्सीजन परमाणु के साथ चतुष्फलकीय सह-संयोजक बंध बनाते हैं।
2. CO2 में कार्बन sp संकरण प्रदर्शित करता है।2. SiO2 में Si का संकरण sp3 होता है।

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन अम्लीय ऑक्साइड है और क्यों ?
SiO2, Al2O3, PbO2, SnO2
उत्तर:
SiO2 अम्लीय ऑक्साइड है क्योंकि Si एक अधातु है।

प्रश्न 19.
निम्न को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें-
उत्तर:
CH4 < SiH4 < GeH4 < SnH4 समूह में नीचे जाने पर पृष्ठीय क्षेत्रफल (Surface area) बढ़ने के कारण वाण्डरवाल बल का आकर्षण बल बढ़ जाता है जिसके कारण क्वथनांक भी बढ़ जाता है।

प्रश्न 20.
कार्बन एलुमीनियम ऑक्साइड का अपचयन नहीं कर सकता, क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि Al एक प्रबल अपचायक है। इसकी अपचायक प्रकृति कार्बन से अधिक होती है।

प्रश्न 21.
निम्न के लिए रासायनिक समीकरण लिखें-
(अ) CO2 बनाने की विधि।
(ब) Na2CO3 का क्षारीय गुण।
(स) एसीटिलीन बनाने की विधि।
उत्तर:
(अ) CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O
(ब) Na2CO3 + 2H2O → 2 NaOH + H2CO3
(स) CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + C2H2

प्रश्न 22.
क्या होता है जब-
(अ) CaO की क्रिया कोक के साथ करायी जाती है।
(ब) CO की क्रिया Cl2 के साथ होती है।
(स) पौधे CO2 का अवशोषण करते हैं।
उत्तर:
(अ) CaO + 3C → CaC2 + CO कैल्सियम कार्बाइड
(ब) CO + Cl2 → COCl2 (फॉस्जीन)
(स) 6CO2 + 6H2O→C6H12O6 + 6O2 ग्लकोज

प्रश्न 23.
सिलिकॉन कार्बाइड कैसे प्राप्त किया जाता है। इसके गुण समझाइये।
उत्तर:
सिलिकान कार्बाइड, SiC-सिलिकॉन कार्बाइड को सिलिका का कार्बन के द्वारा 2273 K पर विद्युत भट्टी में अपचयन करने पर प्राप्त किया जा सकता है।
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गर्म सिलिकॉन पर C2H2 की क्रिया द्वारा भी इसे प्राप्त किया जा सकता है।
\(2 \mathrm{Si}+\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_2 \longrightarrow 2 \mathrm{SiC}+\mathrm{H}_2 \uparrow\)
SiC के गुण-
(i) शुद्ध अवस्था में SiC रंगहीन होता है परन्तु व्यावसायिक रूप से काम में आने वाले SiC में अशुद्धियों के कारण पीला, हरा या नीला रंग आ जाता है।
(ii) यह लगभग हीरे जितना कठोर होता है। 2473 K तक इसका विघटन नहीं होता।
(iii) सामान्य अवस्था में प्रबल अम्लों एवं क्षारों से भी यह क्रिया नहीं करता। गलित NaOH के साथ ऑक्सीजन की उपस्थिति में इसका विघटन होता है।
\(\mathrm{SiC}+4 \mathrm{NaOH}+2 \mathrm{O}_2 \longrightarrow \mathrm{Na}_2 \mathrm{CO}_3+\mathrm{Na}_2 \mathrm{SiO}_3+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\)

प्रश्न 24.
सिलिकेटों पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
ऐसे यौगिक जो कि सिलिकॉन व ऑक्सीजन के मध्य बन्ध बनने के कारण बनते हैं तथा जिसमें \(\mathrm{SiO}_4^{4-}\) संरचनात्मक इकाई होती है। सिलिकेट (silicates) कहलाते हैं। भू-पर्पटी का एक बहुत बड़ा भाग सिलिकेट खनिजों का बना होता है उदाहरण-क्वार्ट्ज, ऐस्बेस्टॉस, फेल्सपार, जिओलाइट आदि।
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HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. प्रयोगशाला में प्रथम कार्बनिक यौगिक का निर्माण करने वाले वैज्ञानिक हैं-
(1) कैकुले
(2) व्होलर
(3) लैवाशिए
(4) लीबिंग
उत्तर:
(2) व्होलर

2. सर्वप्रथम किस कार्बनिक यौगिक का संश्लेषण प्रयोगशाला में हुआ था-
(1) यूरिया
(2) एथेनॉल
(3) मेथेन
(4) एसीटिक एसिड
उत्तर:
(1) यूरिया

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

3. रासायनिक पदार्थों का सर्वप्रथम वर्गीकरण किसने किया-
(1) निकालेस लीमरी
(2) बर्जीलियस
(3) क्होलर
(4) फैराडे
उत्तर:
(1) निकालेस लीमरी

4. कार्बनिक यौगिकों में यह तत्त्व उपस्थित होना चाहिए-
(1) ऑक्सीजन
(2) कार्बन
(3) नाइट्रोजन
(4) हाइड्रोजन
उत्तर:
(2) कार्बन

5. कार्बनिक यौगिकों के सम्बन्ध में कौन-सा कथन असत्य है-
(1) सभी कार्बनिक यौगिक प्राकृति में पाये जाते हैं।
(2) कार्बनिक यौगिक सहसंयोजी होते हैं।
(3) C—C बंध अन्य तत्त्वों के परमाणुओं के मध्य बने एकल बन्धों से प्रबल होता है।
(4) कार्बन में शृंखलन का गुण सबसे अधिक होता है।
उत्तर:
(1) सभी कार्बनिक यौगिक प्राकृति में पाये जाते हैं।

6. 2-मेथिल-2-ब्यूटीन को व्यक्त किया जाता है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 1
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 2

7. निम्नलिखित यौगिक का सही I.U.P.A.C नाम चुनिए।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 3
(1) ब्यूटेन-2-ऐल्डिहाइड
(2) 3-मेथिल ब्यूटेनेल
(3) 2-मेथिल आइसो ब्यूटायरल्डिहाइड
(4) 2-मेथिल ब्यूटैनैल।
उत्तर:
(4) 2-मेथिल ब्यूटैनैल।

8. CH3OC2H5 ईथर का I.U.P.A.C नाम है-
(1) ऐथॉक्सी मेथेन
(2) मेथॉक्सी ऐथेन
(3) मेथिल ऐथिल ईथर
(4) ऐथिल मेथिल ईथर
उत्तर:
(2) मेथॉक्सी ऐथेन

9. (CH3)2CHCH2OH का I.U.P.A.C नाम है-
(1) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(2) प्राथमिक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(3) 3-मेथिल ब्यूटेनॉल
(4) 3-मेथिल प्रोपेन-1-ऑल
उत्तर:
(4) 3-मेथिल प्रोपेन-1-ऑल

10. यौगिक HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 4 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 1, 1-डाई मेथिल-3-साइक्लोहैक्सेनॉल
(2) 1, 1 -डाई मेथिल-3-हाइड्रॉक्सी हैक्सेन
(3) 3, 3-डाई मेथिल-1-साइक्लोहैक्सेनॉल
(4) 3, 3-डाई मेथिल-1-हाइड्रॉक्सी साइक्लो-हैक्सेनॉल
उत्तर:
(3) 3, 3-डाई मेथिल-1-साइक्लोहैक्सेनॉल

11. CH3—CH = CH—C ≡ CH का I.U.P.A.C नाम है-
(1) पेण्ट-2-ईन-4आइन
(2) पेण्ट-3-ईन-1आइन
(3) 3-आइन-4ईन-पेण्टेन
(4) पेण्ट-4-ईन-2आइन
उत्तर:
(2) पेण्ट-3-ईन-1आइन

12. CH3—C(CH3) (OH) CH2—CH(CH3)CH3 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 2, 4-डाइ मेथिल पेन्टेनॉल-2-ऑल
(2) 2, 4-डाइ मेथिल पेण्टेन-4-ऑल
(3) 2, 2-डाइ मेथिल
(4) ब्यूटेनॉल-2-ऑन।
उत्तर:
(1) 2, 4-डाइ मेथिल पेन्टेनॉल-2-ऑल

13. निम्नलिखित यौगिक का I.U.P.A.C नाम है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 5
(1) 1, 2, 3-ट्राइ सायनोप्रोपेन
(2) 3-सायनोपेण्टेन-1, 5 डाइ नाइट्राइल
(3) 1, 2, 3-ट्राइ साइनोप्रोपेन
(4) प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइ कार्बोनाइट्राइल।
उत्तर:
(4) प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइ कार्बोनाइट्राइल।

14. (CH3)2.CH.CH2CH2Br का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 1-ब्रोमो पेण्टेन
(2) 2-मेथिल-4-ब्रोमो पेण्टेन
(3) 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन
(4) 2-मेथिल-3-ब्रोमो ब्यूटेन
उत्तर:
(3) 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन

15. (CH3)3C—CH = CH2 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 3, 3,3-ट्राइमेथिल-1-प्रोपीन
(2) 1, 1, 1-ट्राइमेथिल-2-प्रोपीन
(3) 3, 3-डाइ-मेथिल-1-ब्यूटीन
(4) 2, 2-डाइ-मेथिल-3-ब्यूटीन
उत्तर:
(3) 3, 3-डाइ-मेथिल-1-ब्यूटीन

16. निम्न I.U.P.A.C नामों में कौन-सा सही है-
(1) 2-ऐथिल-3-मेथिल पेण्टेन
(2) 3-ऐथिल-2-मेथिल पेण्टेन
(3) 3-मेथिल-2-एथिल पेण्टेन
उत्तर:
(2) 3-ऐथिल-2-मेथिल पेण्टेन

17. यदि कार्बोनिल समूह की शेष दो संयोजकताएँ दो ऐल्किल समूहों द्वारा सन्तुष्ट होती हैं तो यौगिक है-
(1) ऐल्डिहाइड
(2) कीटोन
(3) अम्ल
(4) अम्ल ऐनहाइड्राइड
उत्तर:
(2) कीटोन

18. निम्न यौगिक का I.U.P.A.C नाम है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 6
(1) 3, 3, 3-ट्राइमेथिल-1-प्रोपेन
(2) 1, 1, 1-ट्राइमेथिल-2-प्रोपेन
(3) 3, 3-डाईमेथिल-1-ब्यूटेन
(4) 2, 2-डाईमेथिल-3-ब्यूटेन
उत्तर:
(3) 3, 3-डाईमेथिल-1-ब्यूटेन

19. कार्बन के अधिकतम यौगिक होने के कारण हैं-
(1) बहु संयोजकता
(2) मृंखलन का गुण
(3) रासायनिक बन्धुता
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(2) मृंखलन का गुण

20. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 7 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 2-ऐथिल-ब्यूटेनामाइड
(2) 2-मेथिल ब्यूटेनामाइड
(3) 1-ऐमीनो-2-मेथिल प्रोपेन
(4) 1-ऐमीनो-3-मेथिल प्रोपेन
उत्तर:
(2) 2-मेथिल ब्यूटेनामाइड

21. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 8 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) एसीटल
(2) मेथेनैल
(3) एथेनैल
(4) ऐसिटल्डिहाइड
उत्तर:
(3) एथेनैल

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22. यौगिक CH2 = CHCH2Cl का I.U.P.A.C नाम क्या है?
(1) एलिल क्लोराइड
(2) 1-क्लोरो प्रोप-3-ईन
(3) 3-क्लोरो प्रोपाइलीन
(4) 3-क्लोरो-1-प्रोपीन
उत्तर:
(4) 3-क्लोरो-1-प्रोपीन

23. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 9
(1) 2-हाइड्रॉक्सी-1, 3, 6-ट्राई ब्रोमोबेंजीन
(2) 1 -हाइड्रॉक्सी-2, 4, 6-ट्राई ब्रोमोबेंजीन
(3) 2, 4, 6-ट्राई ब्रोमोफीनॉल
(4) ट्राई ब्रोमोफीनॉल
उत्तर:
(3) 2, 4, 6-ट्राई ब्रोमोफीनॉल

24. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 10 का I.U.P.A.C नाम है-
(1) 1-क्लोरो-2-ऐथिल प्रोपेनॉन
(2) 1-क्लोरो-3-मेथिल ब्यूटेनॉन
(3) 2-मेथिल ब्यूटेनॉयल क्लोराइड
(4) 2, 3-डाइ मेथिल-प्रोपेनॉयल क्लोराइड
उत्तर:
(3) 2-मेथिल ब्यूटेनॉयल क्लोराइड

25. निम्नलिखित संरचना वाले यौगिक का I.U.P.A.C नाम है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 11
(1) 3-ऐमीनो-2-हाइड्रॉक्सी प्रोपियोनिक अम्ल
(2) 2-ऐमीनो-प्रोपेन-3-ऑल-1-ओइक अम्ल
(3) ऐमीनो हाइड्रॉक्सी प्रोपेनॉइक अम्ल
(4) 2-ऐमीनो-3-हाइड्रॉक्सी प्रोपेनॉइक अम्ल।
उत्तर:
(4) 2-ऐमीनो-3-हाइड्रॉक्सी प्रोपेनॉइक अम्ल।

26. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 12 का I.U.P.A.C का नाम है-
(1) 4-मेथिल-1-पेण्टेन डाइऑल
(2) 2-मेथिल-2, 3-पेण्टेन डाइऑल
(3) 2-मेथिल-1, 2-हैक्सेन डाइऑल
(4) आइसो-हैक्सेन-ग्लाइकॉल
उत्तर:
(2) 2-मेथिल-2, 3-पेण्टेन डाइऑल

27. C2H2—O—C2H5 तथा CH3—O—C3H7 प्रदर्शित करते हैं-
(1) चलावयवता
(2) मध्यावयवता
(3) शृंखला समावयवता
(4) प्रकाशिक समावयवता ।
उत्तर:
(2) मध्यावयवता

28. ऐल्केन प्रदर्शित करते हैं-
(1) मेसोमेरिज्म
(2) शृंखला समावयवता
(3) ज्यामितीय समावयवता
(4) स्थित समावयवता ।
उत्तर:
(2) शृंखला समावयवता

29. सूत्र C4H14N से कितने प्राथमिक ऐमीन संभव है-
(1) 1
(2) 2
(3) 3
(4) 4
उत्तर:
(4) 4

30. C6H14 के समावयवियों की संख्या है-
(1) 4
(2) 6
(3) 5
(2) 7
उत्तर:
(3) 5

31. मेथिल ब्यूटेन के मोनोक्लोरीनीकरण से प्राप्त हो सकने वाली सम्भावित प्रतिविम समावयवी युगलों की संख्या है—
(1) 2
(2) 3
(3) 4
(4) 1
उत्तर:
(1) 2

32. ब्यूटेन 2, 3-डाइ-ऑल के कितने प्रकाशीय सक्रिय त्रिविम समावयवी सम्भव है-
(1) 1
(2) 2
(3) 3
(4) 4
उत्तर:
(2) 2

33. यौगिक C2BrClFI के समावयवियों की कुल संख्या है-
(1) 3
(2) 4
(3) 5
(4) 6
उत्तर:
(4) 6

34. ऐसीटोन के ईनोल रूप में पाए जाते हैं-
(1) 9σ बंध, 1π बंध तथा 2 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
(2) 8σ बंध, 2π बंध तथा 2 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
(3) 10σ बंध, 1π बंध तथा 1 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
(4) 9σ बंध, 27 बंध तथा 1 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
उत्तर:
(1) 9σ बंध, 1π बंध तथा 2 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म

35. क्रियात्मक समावयवी हैं—
(1) C2H5OH तथा CH3—O—CH3
(2) C2H5OH तथा CH3COOH
(3) CH3—O—CH3 तथा CH3CHO
(4) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(1) C2H5OH तथा CH3—O—CH3

36. डाइमेथिल ईथर और ऐथिल एल्कोहॉल है-
(1) श्रृंखला समावयवी
(2) स्थान समावयवी
(3) क्रियात्मक समावयवी
(4) मध्यावयवी ।
उत्तर:
(3) क्रियात्मक समावयवी

37. निम्नलिखित में से कौन सा युगल श्रृंखला समावयवता प्रदर्शित करता है-
(1) α- ब्यूटिलीन तथा β-ब्यूटिलीन
(2) β- ब्यूटिलीन तथा आइसो ब्यूटिलीन
(3) आइसो ब्यूटिलीन तथा साइक्लो ब्यूटेन
(4) साइक्लो ब्यूटेन तथा α- ब्यूटिलीन ।
उत्तर:
(2) β- ब्यूटिलीन तथा आइसो ब्यूटिलीन

38. निम्नलिखित में से कौन सा युगल स्थिति समावयवता का उदाहरण नहीं है ?
(1) n-पेण्टेन तथा आइसो पेण्टेन
( 2 ) n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल तथा आइसो प्रोपिल ऐल्कोहॉल
(3) ऐथिलीन डाइ-क्लोराइड तथा ऐथिलिडीन डाइ-क्लोराइड
(4) o-क्लोरो टॉलुइन तथा p-क्लोरो टॉलुइन ।
उत्तर:
(1) n-पेण्टेन तथा आइसो पेण्टेन

39. निम्नलिखित में से कौन-से युगल के यौगिक शेष तीनों में भिन्न प्रकार की समावयवता दर्शाते हैं-
(1) मैथिल सायनाइड तथा मेथिल आइसो सायनाइड
(2) मैथिल नाइट्राइट तथा नाइट्रो मेथेन
(3) ऐथिल मेथेनोएट तथा मेथिल ऐथेनोएट
(4) 2- ब्यूटाइन तथा 1, 3- ब्यूटाडाइईन ।
उत्तर:
(3) ऐथिल मेथेनोएट तथा मेथिल ऐथेनोएट

40. निम्नलिखित में से कौन-से युगल के यौगिक स्थिति समावयवता और मध्यावयवता दोनों प्रदर्शित करते हैं ?
(1) डाइ – ऐथिलेमीन तथा आइसो प्रोपिल मेथिलेमीन
(2) प्रोपिल ऐथेनोएट तथा आइसो प्रोपिल ऐथेनोएट
(3) ऐथॉक्सी ऐथेन तथा 2-मेथॉक्सी प्रोपेन
(4) डाई – ऐथिल कीटोन तथा 2-मेथिल, n-प्रोपिल कीटोन |
उत्तर:
(4) डाई – ऐथिल कीटोन तथा 2-मेथिल, n-प्रोपिल कीटोन |

41. ऐथिल ऐथेनोएट का मध्यावयवी है—
(1) ऐथिल मेथेनोएट
(2) मैथिल प्रोपेनोएट
(3) मेथिल ब्यूटिरेट
(4) मेथिल ऐसीटेट |
उत्तर:
(2) मैथिल प्रोपेनोएट

42. डाइ-मेथिलेमीन और ऐथिलेमीन किस प्रकार के समावयवी हैं ?
(1) मध्यावयवी
(2) श्रृंखला
(3) स्थिति
(4) क्रियात्मक समूह |
उत्तर:
(4) क्रियात्मक समूह |

43. ऐलिल ऐल्कोहॉल तथा ऐसीटोन एक-दूसरे के कौन-से समावयवी हैं ?
(1) स्थिति
(2) क्रियात्मक समूह
(3) श्रृंखला
(4) मध्यावयवी ।
उत्तर:
(2) क्रियात्मक समूह

44. C4H8O2 से सम्भावित अम्ल प्रदर्शित कर सकते हैं-
(1) केवल श्रृंखला समावयवता
(2) केवल मध्यावयवता
(3) मध्यावयवता तथा श्रृंखला समावयवता
(4) केवल स्थिति समावयवता
उत्तर:
(1) केवल श्रृंखला समावयवता

45. C7H8O सूत्र वाले ऐरोमैटिक यौगिकों के समावयवियों की संख्या है
(1) 2
(2) 3
(3) 4
(4) 5
उत्तर:
(4) 5

46. C4H8O के कितने समावयवी होते हैं ?
(1) 3
(2) 4
(3) 5
(4) 6
उत्तर:
(2) 4

47. मध्यावयवता पायी जाती है-
(1) अम्ल में
(2) ऐल्कोहॉल में
(3) ईथर में
(4) ऐल्डिहाइड में।
उत्तर:
(2) ऐल्कोहॉल में

48. C6H14 के समावयवियों की संख्या है
(1) 4
(2) 5
(3) 6
(4) 7.
उत्तर:
(3) 6

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49. निम्न में समावयवी युग्म है
(1) मेथिल मेथेन और ऐथेन
(2) डाइमेथिल मेथेन और प्रोपेन
(3) आइसो पेण्टेन तथा 2 2 – डाइ ऐथिल प्रोपेन
(4) ऐथिल एल्कोहॉल और डाइऐथिल ईथर ।
उत्तर:
(2) डाइमेथिल मेथेन और प्रोपेन

50. C7H7Cl कितने समावयवी प्रदर्शित करता है?
(1) 2
(2) 3
(3) 4
(4) 5.
उत्तर:
(3) 4

51. निम्न में से कौन-सा जोड़ा त्रिविम समावयवता को प्रदर्शित करता है ?
(1) संरचनात्मक समावयवता तथा ज्यामिति समावयवता
(2) बन्ध समावयवता तथा ज्यामिति समावयवता
(3) श्रृंखला समावयवता तथा घूर्णन समावयवता
(4) प्रकाशिक समावयवता तथा ज्यामिति समावयवता ।
उत्तर:
(3) श्रृंखला समावयवता तथा घूर्णन समावयवता

52. कार्बोधनायन हैं-
(1) sp संकरित
(2) sp3 संकरित
(3) sp2 संकरित
(4) sp3d संकरित
उत्तर:
(3) sp2 संकरित

53. निम्नलिखित में से कौन स्थायी कार्बेनायन है ?
(1) C6H5CH2
(2) p—NO2.C6H4CH2
(3)p—CH3—O—C6H4CH2
(4) p—CH3C6CH2
उत्तर:
(2) p—NO2.C6H4CH2

54. कौन-सा सबसे अधिक नाभिक स्नेही है ?
(1) —OCOCH3
(2) —OCH3
(3) Cl
(4) —CH3
उत्तर:
(2) —OCH3

55. निम्नलिखित में से किस श्रेणी में केवल नाभिक स्नेही हैं ?
(1) NH3, H2O, AlCl3
(2) NH3, ROH, H2O
(3) H2O, H3O+, SO3
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) NH3, ROH, H2O

56. निम्नलिखित कार्बोनियम आयनों में सबसे अधिक स्थायी है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 13
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 14

57. इनमें से सबसे अधिक स्थायी कार्बेनायन है-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 15
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 16

58. इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक है-
(1) कार्बेनियम आयन
(2) क्लोराइड आयन
(3) ऐल्कोहॉल
(4) फेरिक क्लोराइड ।
उत्तर:
(4) फेरिक क्लोराइड ।

59. कार्बेनायनों के स्थायित्व का क्रम है-
(1) मैथिल > ऐथिल > आइसोप्रोपिल > टर्शियरी ब्यूटिल
(2) टर्शियरी ब्यूटिल > आइसो प्रोपिल > ऐथिल > मैथिल
(3) ऐथिल > मेथिल > आइसोप्रोपिल > टर्शियरी ब्यूटिल
(4) आइसो प्रोपिल > ऐथिल > मैथिल > टर्शियरी ब्यूटिल ।
उत्तर:
(1) मैथिल > ऐथिल > आइसोप्रोपिल > टर्शियरी ब्यूटिल

60. सर्वाधिक स्थायी कार्बोनियम आयन हैं-
(1) मेथिल कार्बोनियम आयन
(2) प्राथमिक कार्बोनियम आयन
(3) द्वितीयक कार्बोनियम आयन
(4) तृतीयक कार्बोनियम आयन ।
उत्तर:
(4) तृतीयक कार्बोनियम आयन ।

61. सह संयोजक बंध का होमोलिटिक विखण्डन देता है-
(1) कार्बोनियम आयन
(2) कार्बेनायन
(3) मुक्त मूलक
(4) एक धनायन तथा एक ऋणायन।
उत्तर:
(3) मुक्त मूलक

62. निम्नलिखित में से कौन इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक है-
(1) RO
(2) BF3
(3) NH3
(4) R—O—H
उत्तर:
(2) BF3

63. इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक होते हैं-
(1) इलेक्ट्रॉन युग्म दाता
(2) लुईस अम्ल
(3) विषम इलेक्ट्रॉन युग्म
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) लुईस अम्ल

64. अभिक्रिया C2H5Cl+KOH(aq) → C2H5OH + KCl हैं-
(1) इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक
(2) नाभिक स्नेही योगात्मक
(3) इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन
(4) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन ।
उत्तर:
(4) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन ।

65. इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक है-
(1) BF3
(2) NH3
(3) H2O
(4)R—OH.
उत्तर:
(1) BF3

66. नाभिक स्नेही अभिकर्मक हैं-
(1) R3N
(2) SO3
(3) BF3
(4) NO2
उत्तर:
(1) R3N

67. निम्नलिखित में से कौन-सा मुक्त मूलक का लक्षण नहीं है ?
(1) अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति
(2) विद्युत उदासीनता
(3) सम विदलन से बनना
(4) प्रतिचुम्बकीय गुण |
उत्तर:
(4) प्रतिचुम्बकीय गुण |

68. निम्न में से कौन-सा कार्बन परमाणु सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक है ?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 17
(1) I
(2) II
(3) III
(4) सभी समान विद्युत ऋणात्मक हैं।
उत्तर:
(1) I

69. इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रिया करने वाले यौगिक हैं-
(1) ऐल्कीन
(2) कीटोन
(3) बेंजीन
(4) ऐल्केन ।
उत्तर:
(1) ऐल्कीन

70. एक सजातीय श्रेणी में-
(1) आण्विक सूत्र समान होते हैं
(2) संरचनात्मक सूत्र समान होते हैं
(3) भौतिक गुण समान होते हैं
(4) सामान्य सूत्र समान होते हैं।
उत्तर:
(4) सामान्य सूत्र समान होते हैं।

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71. पुनर्विन्यास अभिक्रिया के कारण कोई यौगिक बदल जाता है-
(1) उच्च सजात में
(2) निम्न सजात में
(3) समावयवी में
(4) अनिश्चित ।
उत्तर:
(3) समावयवी में

72. दुर्बलतम लूईस क्षारक है-
(1) H+
(2) OH
(3) Cl
(4) HCO3
उत्तर:
(1) H+

73. बेन्जीन में समान कार्बन कार्बन बन्धों की बन्धन श्रेणी है-
(1) 1
(2) 2
(3) 1 तथा 2 के मध्य
(4) क्रमागत 1 तथा 2.
उत्तर:
(3) 1 तथा 2 के मध्य

74. NH3 अणु है-
(1) इलेक्ट्रोफाइल
(2) लूईस अम्ल
(3) लूइस क्षार
(4) होमोलिटिक अभिकर्मक |
उत्तर:
(3) लूइस क्षार

75. निम्न में से कौन-सा अम्ल उत्प्रेरित ऐल्कोहॉल के निर्जलन में सम्भावित मध्यवर्ती है?
(1) मुक्त मूलक
(2) कार्बेनायन
(3) कार्बोनियम आयन
(4) ऐल्कॉक्साइड आयन।
उत्तर:
(3) कार्बोनियम आयन

76. परिशोधित स्पिरिट से परिशुद्ध ऐल्कोहॉल निम्न में से किस विधि से प्राप्त किया जाता है-
(1) प्रभाजी आसवन
(2) भाप आसवन
(3) स्थिर क्वाथी
(4) निर्वात् आसवन।
उत्तर:
(3) स्थिर क्वाथी

77. दो कार्बनिक ठोस जिनकी विलेयता भिन्न है, इस विधि द्वारा पृथक् किये जाते हैं-
(1) प्रभाजी क्रिस्टलन
(2) ऊध्र्वपातन
(3) साधारण क्रिस्टलन
(4) विलायकों द्वारा निष्कर्षण।
उत्तर:
(1) प्रभाजी क्रिस्टलन

78. किसी कार्बनिक ठोस की शुद्धता का लक्षण है-
(1) गलनांक
(2) क्वथनांक
(3) विशिष्ट घनत्व
(4) क्रिस्टलीय संरचना।
उत्तर:
(1) गलनांक

79. नैफ्थलीन और बेन्जोइक ऐसिड का पृथक्करण इस विधि से करं। हैं-
(1) ऊर्ध्वपातन
(2) विलायक द्वारा निष्कर्षण
(3) प्रभावी क्रिस्टलन
(4) रासायनिक विधि।
उत्तर:
(4) रासायनिक विधि।

80. ऐनिलीन का उच्च क्वथनांक, उच्च वाष्प दाब 100°C पर है और जल में नहीं घुलती है। अतः ऐनिलीन अलग होती है-
(1) साधारण आसवन से
(2) भाप आसवन से
(3) निर्वात् आसवन से
(4) ऐल्कली विवेचन से।
उत्तर:
(2) भाप आसवन से

81. समुद्री जल के एक प्रतिदर्श में उपस्थित लवणों से जल को पृथक करने के लिए किस विधि का उपयोग करेंगे?
(1) फिल्टरेशन
(2) आसवन
(3) क्रिस्टलन
(4) प्रभावी आसवन।
उत्तर:
(4) प्रभावी आसवन।

82. बेंजीन और टॉलूर्हन के क्वथनांक क्रमशः 80°C और 110°C हैं। बेंजीन और टॉलूईन के मिश्रण से उनका पृषक्करण कराने में कौन-सी विधि अधिक उपयुक्त रहेगी
(1) आसवन
(2) निर्वात् आसवन
(3) भाप आसवन
(4) प्रभाजी आसवन।
उत्तर:
(2) निर्वात् आसवन

83. पुर्म्मों और पौधों से सुगन्धित तेलों का निष्कर्षण निम्न में से किस विधि द्वारा किया जाता है-
(1) प्रभाजी आसवन
(2) भाप आसबन
(3) निर्वात् आसवन
(4) वर्णलेखन।
उत्तर:
(3) निर्वात् आसवन

84. गिलसरीन अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाती है। गिलसरीन के शोधन के लिए निम्न में से कौन-सी विधि ठीक हैं?
(1) प्रभाजी आसवन
(2) भाप आसवन
(3) साधारण आसवन
(4) निर्वात् आसवन।
उत्तर:
(2) भाप आसवन

85. दो पदार्थं को पृथक् करने की प्रभावी क्रिस्टलन विधि इसके अन्तर पर निर्भर करती है-
(1) घनत्व
(2) वाध्यशीलता
(3) विलेयता
(4) क्रिस्टलीय आकार।
उत्तर:
(1) घनत्व

86. एक बोतल है जिसमें दों अमिश्रणीय द्रव है। इनको इससे पृथक् किया जा सकता है-
(1) प्रभाजक स्तम्भ
(2) साधारण आसवन
(3) प्रभाजक आसबन
(4) भाप आसवन।
उत्तर:
(3) प्रभाजक आसबन

87. ऐनिलीन को साधारणतया इस विधि से शुद्ध किया जाता है-
(1) भाप आसबन
(2) साधारण आसवन
(3) कम दाब पर आसवन
(4) छर्ध्वपातन।
उत्तर:
(1) भाप आसबन

88. निम्न में से किस मिश्रण को प्रभाजी आसवन द्वारा उसके घटकों में अलग किया जा सकता है ?
(1) बेंजीन-टॉलूईन
(2) जल-एंथिल ऐल्कोहॉल
(3) जल-नाद्रिक अम्ल
(4) जल-हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर:
(1) बेंजीन-टॉलूईन

89. कार्बनिक यौगिकों की शुद्धता के बहुत-से सक्षण है। निम्न में से कौन-सा सर्वोत्तम माना जाता है ?
(1) गलनांक
(2) मिश्रित गलनांक
(3) सूक्षदर्शी द्वारा निरीक्षण
(4) रंग।
उत्तर:
(1) गलनांक

90. शक्करों को पृथक् करने की सर्वोत्तम विधि है-
(1) प्रभाजी क्रिस्टलन
(2) ऊर्ध्वपातन
(3) क्रोमिटोग्राफी
(4) बेनेडिक्र अभिकर्मक।
उत्तर:
(3) क्रोमिटोग्राफी

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

91. कुछ पदार्थ शुद्ध अवस्था में रंगहीन होते हैं। हल्की-सी अशुद्धि के कारण ये रंगीन हो जाते हैं। इन पदार्थों में से रंग की अशुद्धियों को दूर करने के लिए सक्रियल चारकोल (activated charcoal) का प्रयोग किया जाता है। क्रियाशील चारकोल की क्रिया इस प्रकार होती है-
(1) विरंजन
(2) ऑक्सीकरण
(3) अपचयन
(4) अधिशोषण।
उत्तर:
(2) ऑक्सीकरण

92. किसी कार्बनिक यौगिक का मिश्रित गलनांक किसलिए निर्धारित किया जाता है ?
(1) यौगिक की शुद्धता ज्ञात करने के लिए
(2) यौगिक की शुद्धता शीघ्रता से ज्ञात करने के लिए
(3) यौगिक का गलनांक सुस्पष्ट करने के लिए
(4) यौगिक को केशिका नली में आसानी से भरने के लिए।
उत्तर:
(4) यौगिक को केशिका नली में आसानी से भरने के लिए।

93. दो अविलेय द्रवों को उनके मिश्रण से पृथक करने की सबसे उपयुक्त विधि है-
(1) भाप आसवन
(2) निर्वात् आसवन
(3) पृथक्कारी
(4) वर्णलेखन।
उत्तर:
(1) भाप आसवन

94. नैफ्थेलीन व बैन्जोइक अम्ल को इनके मिश्रण में से पृथक करने की सबसे उपयुक्त विधि है-
(1) क्रिस्टलन
(2) आसवन
(3) वर्णलेखन
(4) ऊर्ध्वपातन।
उत्तर:
(3) वर्णलेखन

95. ऐनिलीन का शोधन इस विधि द्वारा किया जाता है-
(1) वाष्प आसवन
(2) साधारण आसवन
(3) कम दाब पर आसवन
(4) क्रिस्टलीय आकार।
उत्तर:
(3) कम दाब पर आसवन

96. निम्न का शोधन ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा करते हैं-
(1) बैन्जोइक
(2) नाइट्रोबेन्जीन
(3) ईथर
(4) नैफ्थलीन।
उत्तर:
(1) बैन्जोइक

97. नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक को सोडियम धातु के साथ संगलित करने पर बना सोडियम लवण है-
(1) NaNO3
(2) NaCN
(3) NaCNO
(4) NaCN3
उत्तर:
(4) NaCN3

98. कार्बनिक यौगिक में नाइट्रोजन के आंकलन की ड्यूमा विधि में अन्तिम एकत्रित होने वाली गैस है-
(1) N2
(2) NO1
(3) NH3
(4) NO2
उत्तर:
(2) NO1

99. कागज वर्ण लेखन में-
(1) स्थिर प्रावस्था ठोस, गतिमान प्रावस्था द्रव है
(2) स्थिर प्रावस्था द्रव व गतिमान प्रावस्था ठोस
(3) दोनों प्रावस्थाएँ ठोस
(4) दोनों प्रावस्थाएँ द्रव।
उत्तर:
(1) स्थिर प्रावस्था ठोस, गतिमान प्रावस्था द्रव है

100. एक यौगिक के 60 g के विश्ले पा पर उसमें 24 g C, 4 g H, तथा 32 g O पाए गए। इसका सरलतम सूत्र है-
(1) C2H4O2
(2) CH2O
(3) C2H2O
(4) CH2O2
उत्तर:
(1) C2H4O2

101. एक कार्बनिक द्रव का आसवन होता है-
(1) उसके क्वथनांक पर
(2) उसके गलनांक पर
(3) उसके क्वथनांक से कम ताप पर
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) उसके गलनांक पर

102. दो पदार्थों को पृथक करने की प्रभाजी क्रिस्टलन विधि किसके अन्तर पर निर्भर करती है-
(1) घनत्व
(2) वाष्पशीलता
(3) विलेयता
(4) क्रिस्टलीय आकार।
उत्तर:
(1) घनत्व

103. ऐनिलीन का शोधन किया जाता है-
(1) आसवन द्वारा
(2) भाप आसवन द्वारा
(3) निर्वात् आसवन द्वारा
(4) प्रभाजी आसवन द्वारा।
उत्तर:
(1) आसवन द्वारा

104. नैफ्थेलीन का शोधन किया जाता है-
(1) आसवन द्वारा
(2) ऊर्ध्वपातन द्वारा
(3) भाप आसवन द्वारा
(4) निर्वात् आसवन द्वारा।
उत्तर:
(2) ऊर्ध्वपातन द्वारा

105. ग्लिसरॉल का शोधन किया जाता है-
(1) आसवन द्वारा
(2) भाप आसवन द्वारा
(3) निर्वात् आसवन द्वारा
(4) प्रभाजी आसवन द्वारा।
उत्तर:
(2) भाप आसवन द्वारा

106. कागज वर्णलेखिकी में-
(1) स्थिर प्रावस्था ठोस तथा गतिमान प्रावस्था द्रव है
(2) स्थिर प्रावस्था द्रव तथा गतिमान प्रावस्था ठोस है
(3) दोनों प्रावस्थाएँ द्रव हैं
(4) दोनों प्रावस्थाएँ ठोस हैं।
उत्तर:
(3) दोनों प्रावस्थाएँ द्रव हैं

107. 110° तथा 80° क्वथनांक वाले दो द्रवों के मिश्रण के पृथक्करण की उपयुक्त विधि है-
(1) कम दाब पर आसवन
(2) प्रभाजी आसवन
(3) भापीय आसवन
(4) सरल आसवन।
उत्तर:
(3) भापीय आसवन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
कार्बनिक यौगिकों के प्राकृतिक स्रोत क्या है ?
उत्तर:
जीवधारी ।

प्रश्न 2.
कार्बन में श्रृंखलन का प्रबल गुण क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि C—C बन्ध ऊर्जा अत्यधिक होती है।

प्रश्न 3.
जैवशक्ति सिद्धान्त किसने दिया था ?
उत्तर:
बर्जीलियस ने।

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प्रश्न 4.
क्या होता है जब अमोनियम सायनेट गर्म किया जाता है ?
उत्तर:
यूरिया बनता है।
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प्रश्न 5.
सर्वप्रथम किसने रासायनिक पदार्थों का वर्गीकरण किया था ?
उत्तर:
निकोलस लीमरी ।

प्रश्न 6.
जिलेटिन एवं सूक्रोज के मुख्य स्रोत क्या हैं ?
उत्तर:
जिलेटिन – जन्तु जगत से ।
सूक्रोज – वनस्पति जगत से ।

प्रश्न 7.
कार्बनिक पदार्थों में किस तत्व की उपस्थिति अनिवार्य
उत्तर:
कार्बन की ।

प्रश्न 8.
पोटैशियम सायनेट से यूरिया कैसे प्राप्त करेंगे ? केवल रासायनिक समीकरण दें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 19

प्रश्न 9.
निम्नलिखित यौगिकों के बन्ध रेखाचित्रण दीजिए।
(i) 2-मेथिल पेण्टेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 20
(ii) प्रोपेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 21
(iii) 2,3-डाइमेथिल ब्यूटेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 22
(iv) 3-मेथिल पेण्टेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 23
(v) 2, 2-डाइ मेथिल प्रोपेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 24

प्रश्न 10.
निम्नलिखित बंध रेखा चित्रण के कार्बन यौगिकों के
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 25

प्रश्न 11.
द्वितीयक तथा तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का सूत्र लिखें तथा इसका I. U.P.A.C पद्धति में नाम बताइए ।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 26

प्रश्न 12.
आइसो पेन्टेन तथा निओ पेन्टेन का सूत्र तथा I.U.P.A.C. पद्धति में नाम लिखें-
उत्तर:
आइसो पेण्टेन
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 27

प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C. पद्धति में नाम लिखो।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 28
उत्तर:
4-क्लोरो पेण्टेन-2-आइन

(ii) CH3CHO
उत्तर:
ऐथेनैल

(iii) (CH3)2 CH—O—CH3
उत्तर:
2 – मेथॉक्सी प्रोपेन या
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HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 30
उत्तर- ब्यूट- 3-ईन-2-ओन

प्रश्न 14.
निम्न के I. U.P.A. C. नाम लिखें।
(i) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 31
उत्तर:
3-3 – डाइमेथिल पेण्टेन 1 ईन 4- आइन

(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 32
उत्तर:
मेथिल प्रोपेनोएट

(iii) CH3—NH—CH3
उत्तर:
N – मेथिल मेथेनेमाइन

(iv) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 33
उत्तर:
3-ऐमीनो पेण्टेन-2-ऑल

(v) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 34
उत्तर:
4-क्लोरो-3-आइडो-2-मेथिल पेण्टेनॉइल क्लोराइड

(vi) CH3CH2NH2
उत्तर:
ऐथेनैमाइन

(vii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 35
उत्तर:
4-हाइड्रॉक्सी-4-मेथिल पेण्टेन-2-ऑन

प्रश्न 15.
(अ) ऐथिल ऐसीटेट तथा ऐथिल सायनाइड के I.U.P.A.C नाम लिखिए ।
(ब) डाइऐथिलेमीन का I.U.P.A.C नाम लिखें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 36

प्रश्न 16.
निम्नलिखित संरचना सूत्र वाले यौगिकों का I.U.P.A.C पद्धति में नाम लिखिए।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 37
उत्तर:
2,2-डाइमेथिल

(2) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 202
उत्तर:
2-क्लोरो-3-ऐथिल-4-मोथिल हेक्सेन

(3) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 38
उत्तर:
3-मेथिल हेक्सेन

(4) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 39
उत्तर:
3-ब्रोमो-5-ऐथिल हेप्टेन

(5) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 40
उत्तर:
2, 3 डाइमेथिल पेण्टेन

प्रश्न 17.
निम्नलिखित यौगिकों के I. U. P.A. C नाम लिखिए-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 41
उत्तर:
2, 3, 5 ट्राइमेथिल हेक्सेन

2. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 42
उत्तर:
4-आइडो-3-मेथिल पेण्टेन-2-ऑल
3. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 43
उत्तर:
1-ब्रोमो-1-क्लोरो-1-आयोडो मेथेन
4. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 45
उत्तर:
4,5,5-ट्राइमेथिल-2-हेक्सेमीन
5. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 46
उत्तर:
3-ब्रोमो-2-क्लोरो-4-आयोडो हेक्सेन

6. CH3—CH = CH—CH3
उत्तर:
2-ब्यूटीन या ब्यूट-2-ईन

7. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 47
उत्तर:
2-मेथिल प्रोप-1-ईन

8. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 48
उत्तर:
3-क्लोरो-3-मेथिल पेण्ट-1-ईन

9. CH2 = CH—CH ≡ CH
उत्तर:
ब्यूट-1-ईन-3-आइन

10. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 49
उत्तर:
3,3-डाइमेथिल पेन्ट-1-ईन-4-आइन

11. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 50
उत्तर:
3-नाइट्रो-2-मेथिल ब्यूटीन-1 या 3-नाइट्रो-2-मेथिल ब्यूट-1-ईन

12. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 51
उत्तर:
प्रोपेनॉल

13. HO—CH2–CH=CH2
उत्तर:
प्रोप-2 ईन-1-ऑल

14. CH3–CH=CH–CH2OH
उत्तर:
ब्यूट-2 ईन-1-ऑल

15. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 52
उत्तर:
3-मेथिल ब्यूटेन-1-ऑल

16. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 53
उत्तर:
2,3-डाइमेथिल ब्यूटेन-1-ऑल

17. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 54
उत्तर:
2-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल

18. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 55
उत्तर:
1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल

19. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 56
उत्तर:
3-मेथिल पेण्ट-1-आइन

20. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 57
उत्तर:
हेक्स-2, 4-डाईआइन

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

21. CH3—CH = CH—CH = CH—CH3
उत्तर:
हेक्स-2, 4-डाइईन

22. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 58
उत्तर:
3-नाइट्रो प्रोप-1-ईन

23. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 59
उत्तर:
2, 3-हाइव्रोमो-1-क्लोरो-4-नाइट्रो ब्यूट-2-ई

24. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 60
उत्तर:
3-सेषिल पेण्टेन-2-ऑल

25. HOCH2—CH2OH
उत्तर:
एथेन-1, 2-डाइ ऑल

26. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 61
उत्तर:
2-मेघिल प्रोपेन-2-ऑल

27. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 62
उत्तर:
3-ब्रोमो ख्यूटेन-2-औल

28. CH3CHO
उत्तर:
एथेनेल

29. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 63
उत्तर:
2-मेधिल ब्यूटेनैल

30. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 64
उत्तर:
2-ब्रोमो-3-मेशिल ब्यूटैनैल

31. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 65
उत्तर:
3, 3-डाइमेथिल ब्यूटेनैल

32. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 66
उत्तर:
ब्यूट-2-ईनल

33. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 67
उत्तर:
प्रोपेन-1, 3-डाइअल

34. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 68
उत्तर:
3-हाइड्रॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेनैल

35. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 69
उत्तर:
4-मेथिल पेण्टेन-2-ओन

36. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 70
उत्तर:
5-ब्रोमो-6-आयोडो-7-मेथिल ऑक्टेन-2-ओन

37. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 71
उत्तर:
3-हाइड्रॉक्सी-4-मेथिल पेण्टेन-2-ओन

38. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 72
उत्तर:
4-मेथिल पेण्टेन-2-ऑन

39. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 73
उत्तर:
3-(1-क्लोरो एथिल)-4-मेथिल-4-क्लोरो-2-पेण्टेनोन

40. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 74
उत्तर:
3-मेथिल-ब्यूटेनोइक अम्ल

41. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 75
उत्तर:
4-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेनोइक अम्ल

42. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 76
उत्तर:
3-हाइड्रॉक्सी ब्यूटेनोइक अम्ल

43. HCOC.CH2.CH2COOH
उत्तर:
ब्यटटे-1, 4-हाइअध्रक अम्ल

44. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 77
उत्तर:
3-खौफ्तो-फेट्टेनाइक अम्ल

45. CH3—NH—CH3
उत्तर:
N-मेथिल मेथेनेमीन

46. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 78
उत्तर:
N, N-डाईमेथिल मेथेनेमीन

47. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 79
उत्तर:
N-मेधिक्त पेष्ट्रन-2-ऐमीने

48. CH3—CH2—CH2—CH2—CH2—CH2—CH2—Br
उत्तर:
1-क्रोमोहेप्टेन

49. HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 80
उत्तर:
5-क्रोमो हेप्टेनेझक अन्त

50. CH3CH2COCl
अत्तर:
प्रोमनःल क्लोपाइड

51. CH3CH2CN
अत्तर:
प्रोजेन नाद्टाइल

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

52. CH3CH2CONH2
उत्तर:
पोपेनेमाइड

53. CH3CH2CONHBr
उत्तर:
N-ब्रोमो प्रोपेनेमाइड

प्रश्न 18.
निम्नलिखित खौगिको के संधना सुत्र लिखिए-
(1) 4-मेबिल घैन्टीन-2
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 81
(2) 3,3,5-द्टेत्टेयिल भंक्टेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 82

(3) 3-ब्रोमो-2-क्नोरो-4-आचोड़ोहेक्सेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 83

(4) 1,3-ख्यूटाड़ाइ
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 84

(5) 3-एधिल-1, 4-हेक्साडाइ़न
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 85

(6) 2- मेधिन ब्यूटेनोइक अम्ल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 86

(7) ब्यूटेनोन
उत्तर:
CH3COCH2CH3

(8) प्रोपेन नाइट्राइल
उत्तर:
—CH3—CH2—CN

(9) 2, 2-डाइमेथिल पेण्टेन-1-अल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 87

(10) 4-मेथिल पेण्टेन-1-ऑल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 88

(11) 5-क्लोरो-3-छाइड्रॉक्सी केवसेनैल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 89

(12) 2, 3-डाइमेथिल ब्यूटेन 2-ऑल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 90

(13) 2-मेच्यिल पेण्टेन-1-अॉल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 91

(14) 2-मेघिल पेन्टेनॉल-1
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 92

(15) 1-क्लोरो-2-पेण्टेनोन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 93

(16) ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 94

(17) 3-मेथिल हेक्सीन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 95

(18) 1-क्लोरो-1-पेण्टीन-4-आइन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 96

(19) 2-ब्रोमो प्रोपेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 97

(20) 4, 4-डाइऐथिल-2-ऐमीनो हेक्सेन
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 98

(21) 2, 2-डाइमेथिल पेण्टेनैल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 99

(22) 3-आयोडो ब्यूटेनोइक अम्ल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 100

(23) 2, 4-डाइऐथिल हेक्सेनॉइक अम्ल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 101

(24) 2, 4-डाइमेथिल पेण्टेन नाइट्राइल
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 102

(25) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 103
उत्तर:
3-सायनो ब्यूटेनॉइक अम्ल

प्रश्न 19.
निम्न के IUPAC नाम लिखें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 104
5-क्लोरो-4-आयोडो-3-मेथिल पेण्टेनॉयल क्लोराइड
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 105

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आबन्ध रेखा सूत्रों के IUPAC नाम लिखें

(1) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 106
उत्तर:
3-मेधिल-1-सादक्लो हैक्साइन

(2) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 107
उत्तर:
3,4-दाइ प्रौषिल-1, 3, 5 हेष ट्राइईन

(3) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 108
उत्तर:
शियल-2-क्लोरो प्रोपेनोएट

(4) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 109
उत्तर:
3.ऐधिल-1,1-द्धाइमेयिल साइक्लो हैवसेन

(5) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 110
उत्तर:
1-मेथिल-3-प्रोपिल साइक्लोहेक्सेन

(6) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 111
उत्तर:
2, 3-द्वाइ्रोमो-1-फेनिल पेच्टेन

(7) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 112
उत्तर:
व्यूटनल

(8) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 113
उत्तर:
3-बोमो-3-क्लोरो हेप्टेन

(9) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 114
उत्तर:
3-मेधिल घेण्टेन-1-नाइट्राइल

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(10) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 115
उत्तर:
3-प्रीपिल हैस-1-अइन

(11) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 116
उत्तर:
पेण्टेन-2,3-डाइऑल

(12) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 117
उत्तर:
पेण्ट-3-ईन-1-ऐल

(13) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 118
उत्तर:
ऑक्ट-1-ईन-3-आइन

(14) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 119
उत्तर:
2-ऐथिल-4-मेथिलंहेप्ट- 5 ईन-2-ओन

(15) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 120
उत्तर:
3-ऐथिल पेण्ट- 1, 3-डाइईन

(16) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 121
उत्तर:
3-नाइट्रोसाइक्लो हेक्स-1-ईन

(17) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 122
उत्तर:
हेप्ट-2-आइन

(18) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 123
उत्तर:
पेण्ट-2-ईन-2-ऑल

प्रश्न 21.
निम्न के IUPAC नाम लिखें।
(1) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 124
उत्तर:
1-क्लोरो-2-मेथिल साइक्लोहेक्सेन

(2) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 125
उत्तर:
3,7-डाइमेथिल ऑक्ट-2,6- डाइईन-1-एल

(3) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 126
उत्तर:
5,6-डाइऐथिल-3-मेथिल डेक-4-ईन

(4) (CH3)3 C—CH = CH—CH2OH
उत्तर:
4, 4-डाइमेथिल पेन्ट-2 ईन-1-ऑल

(5) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 127
उत्तर:
2, 3-डाइहाइड्रॉक्सी ब्यूटेन-1, 4-डाइ ओइक अम्ल

(6) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 128
उत्तर:
3-ब्रोमो-3-क्लोरो-2 मेथिल ब्यूटेनोइक अम्ल

(7) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 129
उत्तर:
2-क्लोरो प्रोपेनोइक अम्ल

(8) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 130
उत्तर:
4-फॉर्मिल 2-मेथिल हेक्स-3-ईनोइक अम्ल

(9) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 131
उत्तर:
2, 3 एपॉक्सी प्रोपेन-1-ऑल

प्रश्न 22.
कोई एक रासायनिक अभिक्रिया बताइए, जिसमें क्रिया के दौरान मुक्त मूलक बनते हैं।
उत्तर:
मुक्त मूलकों का बनना
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प्रश्न 23.
निम्नलिखित में नाभिक स्नेही केन्द्र बताइए-
(अ) मेथिल क्लोराइड
(ब) ऐसीटोन
(स) मेथिल सायनाइड ।
उत्तर:
(अ) मेथिल क्लोराइड CH3Cl में नाभिक स्नेही (Cl) क्लोराइड आयन है।
(ब) ऐसीटोन—CH3—O—CH3 में नाभिक स्नेही केन्द्र (OCH3) मैथॉक्साइड आयन है।
(स) मेथिल सायनाइड – CH3CN में नाभिक स्नेही केन्द्र (CN) सायनाइड आयन है।

प्रश्न 24.
कार्बऐनायन में ऋणावेशित कार्बन की संकरण अवस्था कौन-सी है ?
उत्तर:
कार्बऐनायन में ऋणावेशित कार्बन sp3 संकरित होता है।

प्रश्न 25.
विषमांशी विखण्डन में कौन-सी स्पीशीज बनती है?
उत्तर:
आयन बनते हैं।

प्रश्न 26.
हेटेरोलिटिक विखण्डन में कितने प्रकार के आयन बनते हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के विखण्डन में दो प्रकार के आयन बनते हैं। धनावेशित आयन को कार्बोनियम आयन तथा ऋणावेशित आयन को कार्बऐनायन कहते हैं।

प्रश्न 27.
कार्बोनियम आयन के केन्द्र के कार्बन परमाणु का बाह्य कक्षा की क्या इलेक्ट्रॉनिक संरचना होती है?
उत्तर:
इनकी बाह्य कक्षा में इलेक्ट्रॉनों का षष्टक होता है।

प्रश्न 28.
कार्बऐनायन के केन्द्र के कार्बन परमाणु की बाह्य कक्षा की क्या इलेक्ट्रॉनिक संरचना होती है ?
उत्तर:
इनकी बाह्य कक्षा में इलेक्ट्रॉनों का अष्टक होता है।

प्रश्न 29.
प्रेरणिक प्रभाव कितने कार्बन पर समाप्त हो जाता है?
उत्तर:
पाँचवें कार्बन पर समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 30.
-I प्रभाव दर्शाने वाले धनावेशित समूहों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
NH+ तथा N+R3

प्रश्न 31.
+I प्रभाव दर्शाने वाले ऋणावेशित समूहों के उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
–COO—S तथा—O फीनॉलिक ।

प्रश्न 32.
बन्ध ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऊर्जा की वह मात्रा जो किसी बन्ध के बनने या टूटने पर उत्सर्जित या अवशोषित होती है, बन्ध ऊर्जा कहलाती है।

प्रश्न 33.
इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 133

प्रश्न 34.
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 134 की बन्ध लम्बाई बताइए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 135

प्रश्न 35.
सहसंयोजक बन्ध में ध्रुवता किस कारण होती है?
उत्तर:
दोनों संयोजी परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकताओं के अन्तर के कारण ।

प्रश्न 36.
बन्ध लम्बाई की इकाई क्या है?
उत्तर:
Å ऐंग्स्ट्रॉम इकाई होती है।

प्रश्न 37.
अतिव्यापन कौन-कौन-से कक्षकों के बीच होता है?
उत्तर:
S, P तथा d-कक्षकों के बीच होता है।

प्रश्न 38.
निम्न को – I प्रभाव के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
उत्तर:
वे परमाणु जो कार्बन शृंखला से जुड़े होते हैं एवं जो हाइड्रोजन की तुलना में अधिक क्षमता से इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित कर सकते हैं। उन्हें 1 प्रभाव दर्शाने वाला कहते हैं।
-I प्रभाव दर्शाने वाले यौगिकों का बढ़ता हुआ क्रम निम्न प्रकार है
—OH< —Cl< —F< —CN < —NO2

प्रश्न 39.
निम्न को स्थायित्व के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए ।
CH3CH2CH2CH2+, (CH3)3C+, CH3+, CH (CH2CH3)2
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 136

प्रश्न 40.
दो ऐसे इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक लिखिए जो क्रमशः धनावेशित एवं उदासीन हों।
उत्तर:
Cl+ तथा AlCl3

प्रश्न 41.
दो ऐसे नाभिकस्नेही अभिकर्मक लिखिए जो क्रमशः ऋणावेशित एवं उदासीन हों।
उत्तर:
Cl-, NH3.

प्रश्न 42.
(CH3)3 C—Cl में बन्ध का विषम विदलन समीकरण द्वारा समझाइए |
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 137

प्रश्न 43.
वाइनिल क्लोराइड के निम्नलिखित अनुनाद के कारण इसके द्विध्रुव आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
CH2 = CH—Cl ←→CH2—CH = Cl+ आवेश का पृथक्करण बढ़ जाने के कारण द्विध्रुव आघूर्ण बढ़ जायेगा।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 44.
निम्न यौगिकों में विषम विदलन समीकरण द्वारा व्यक्त कीजिए-
(i) C2H2
(ii) R—OH.
उत्तर:
(i) CH3—CH2—H →CH3—CH2 + H+. क्योंकि C-परमाणु H-परमाणु से अधिक विद्युत ऋणात्मक है।

(ii) R—O—H →R—O- + H+ क्योंकि O-परमाणु H-परमाणु से अधिक विद्युत ऋणात्मक है।

प्रश्न 45.
किसी कार्बनिक अभिक्रिया की क्रियाविधि का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के उन पदों को क्रियाविधि कहते हैं जिनसे आधार के बन्धों का टूटना तथा नये बन्धों का बनना व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 46.
क्रिया से क्या समझते हैं?
उत्तर:
एक अभिकारक जिसमें कुछ कार्बन परमाणुओं के बन्ध टूटते हैं और कुछ के नये बन्ध बनते हैं, क्रिया कहलाती है।

प्रश्न 47.
सम विदलन से उत्पन्न खण्डों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
सम विदलन से उत्पन्न खण्डों को मुक्त मूलक कहते हैं । ये विद्युत उदासीन होते हैं। ये अत्यधिक अभिक्रियाशील होते हैं और गैसीय अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं।

प्रश्न 48.
Br2 के विषम विदलन से प्राप्त भागों के नाम बताइए तथा समीकरण दें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 138

प्रश्न 49.
निम्न हैट्रोलिटिक विखण्डन में कौन-सा खण्ड कार्बोधनायन व कौन-सा कार्बेधनायन कहलायेगा ?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 139
उत्तर:
खण्ड को कार्बोधनायन तथा खण्ड II को कार्बेनायन कहते हैं।

प्रश्न 50.
विषम विदलन में कितने प्रकार के आयन बनते हैं और उनके नाम क्या हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के विदलन में दो प्रकार के आयन बनते हैं। धन आवेशित कार्बन आयन को कार्बोधनायन तथा ऋण आवेशित कार्बन आयन को कार्बेनायन कहते हैं।

प्रश्न 51.
फॉर्मिक अम्ल के जलीय विलयन से आसवन विधि द्वारा शुद्ध फॉर्मिक अम्ल क्यों नहीं प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
दोनों के क्वथनांकों में बहुत कम अन्तर है (फॉर्मिक अम्ल (101.5°C) तथा जल (100°C) अतः प्रभाजी आसवन विधि द्वारा भी दोनों अलग-अलग नहीं होते हैं।

प्रश्न 52.
ऐथिल ऐल्कोहॉल के जलीय विलयन से आसवन विधि द्वारा शुद्ध ऐथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त क्यों नहीं किया जा सकता ?
उत्तर:
दोनों स्थिर क्वथनांकी मिश्रण बनाते हैं जो एक निश्चित तापक्रम (78.1°C) पर उबलता है तथा इसमें दोनों अवयवों का संघटन निश्चित रहता है। (95.6% ऐथिल ऐल्कोहॉल)।

प्रश्न 53.
मेथिल एल्कोहॉल तथा ऐसीटोन मिले विलयन से ऐल्कोहॉल और एसीटोन अलग करने की विधि कौन-सी है?
उत्तर:
प्रभाजी आसवन करने पर ऐसीटोन 56°C पर तथा मेथिल ऐल्कोहॉल 64.6°C पर पृथक होते हैं।

प्रश्न 54.
किस विधि से फूलों, फलों, पत्तियों, छालों, छिलकों, जड़ों आदि से सुगन्धित तेलों का निष्कर्षण होता है?
उत्तर:
भाप आसवन विधि से हम फूलों, फलों, छालों आदि से सुगन्धित तेल भाप के साथ वाष्पशील होने के कारण अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 55.
जल में कुछ क्लोरोफॉर्म मिलाने पर उसके क्वथनांक पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
उत्तर:
जल (क्वथनांक 100°) तथा क्लोरोफॉर्म (क्वथनांक 61°C) दोनों परस्पर अभिश्रणीय द्रव है। मिश्रण का क्वथनांक 61°C से कुछ कम होगा।

प्रश्न 56.
प्रभाजी आसवन विधि में प्रभाजक स्तम्भ का उपयोग कब करते हैं?
उत्तर:
दो द्रवों के क्वथनांकों में 30°C से कम अन्तर होने पर इसका उपयोग करते हैं।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 57.
अकार्बनिक तथा कार्बनिक अभिक्रियाओं के वेग में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अकार्बनिक अभिक्रियाएँ आयनिक होने के कारण तीव्र गति से होती हैं जबकि कार्बनिक अभिक्रियाएँ आण्विक होने के कारण मन्द गति से होती हैं।

प्रश्न 58.
कार्बनिक यौगिकों का शोधन क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों में अन्य यौगिकों की अशुद्धियाँ होती हैं, अतः इन्हें शुद्ध करना आवश्यक है।

प्रश्न 59.
निस्यंदन से क्या समझते हो ?
उत्तर:
निस्यंदन में अवक्षेप को मातृद्रव से पृथक करके विजातीय आयनों को निष्कासित करते हैं।

प्रश्न 60.
गुणात्मक विश्लेषण में कौन-सा फिल्टर पत्र प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
क्हाटमेन फिल्टर पत्र।

प्रश्न 61.
कार्बनिक यौगिकों में से रंगीन तथा गन्धयुक्त अपद्रव्यों को किस प्रकार दूर किया जाता है?
उत्तर:
यौगिक में जन्तु कोयला मिलाकर रंगीन तथा गन्धयुक्त अपद्रव्यों को दूर किया जाता है।

प्रश्न 62.
क्रिस्टलन के लिए कौन-कौन से विलायकों का उपयोग होता है?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल, बेंजीन, क्लोरोफॉर्म, ईथर आदि विलायकों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 63.
ऊध्र्वपातन से शुद्ध होने वाले किसी यौगिक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नैफ्थेलीन।

प्रश्न 64.
कार्बन तथा हाइड्रोजन का निर्धारण किस विधि से करते हैं?
उत्तर:
लीबिंग विधि द्वारा।

प्रश्न 65.
कार्बन के निर्धारण के लिए प्रयुक्त सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कार्बन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 140

प्रश्न 66.
हाइड्रोजन के निर्धारण के लिए प्रयुक्त सूत्र लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 141

प्रश्न 67.
नाइट्रोजन का निर्धारण किन-किन विधियों से किया जाता है?
उत्तर:
नाइट्रोजन का निर्धारण निम्नलिखित दो विधियों द्वारा किया जाता है। (i) ड्यूमा की विधि, (ii) कैल्डाल की विधि।

प्रश्न 68.
नाइट्रोजन के निर्धारण में ड्यूमा विधि द्वारा प्रयुक्त सूत्र दीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 142

प्रश्न 69.
नाइट्रोजन के निर्धारण में कैल्डाल विधि द्वारा प्रयुक्त सूत्र दीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन की प्रतिशतता = \(\frac { 1.4NV }{ w }\)

प्रश्न 70.
हैलोजनों का निर्धारण किस विधि से करते हैं?
उत्तर:
कैरियस विधि द्वारा।

प्रश्न 71.
क्लोरीन की प्रतिशतता किस सूत्र से ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
क्लोरीन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 143

प्रश्न 72.
ब्रोमीन की प्रतिशतता किस सूत्र से ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
ब्रोमीन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 144

प्रश्न 73.
आयोडीन की प्रतिशतता किस सूत्र से ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
आयोडीन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 145

प्रश्न 74.
सल्फर का निर्धारण किस विधि से करते हैं?
उत्तर:
कैरियस विधि द्वारा।

प्रश्न 75.
कार्बनिक यौगिक में सल्फर की प्रतिशतता ज्ञात करने का सूत्र दीजिए।
उत्तर:
सल्फर की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 146

प्रश्न 76.
फॉस्फोरस का निर्धारण कैसे करते हैं?
उत्तर:
फॉस्फोरस का निर्धारण कैरियस विधि से किया जाता है।

प्रश्न 77.
क्रिस्टलन क्रिया क्या है?
उत्तर:
किसी पदार्थ के संतृप्त विलयन को धीरे-धीरे ठण्डा करने पर कम विलयशील पदार्थ के टुकड़े बनने लगते हैं। जिन्हें क्रिस्टल कहते हैं। अतः किसी विलयन से विलेयशील पदार्थ के क्रिस्टल प्राप्त करने की क्रिया को क्रिस्टलन कहते हैं।

प्रश्न 78.
आसवन का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
किसी द्रव को उबालकर वाष्प में परिवर्तित करके प्राप्त वाष्पों को संघनित करने की क्रिया को आसवन कहते हैं।

प्रश्न 79.
प्रभाजी स्तम्भ का उपयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
जब अशुद्धियाँ वाष्पशील प्रकृति की हों तथा दो द्रवों के क्वथनांकों का अन्तर 10°C का हो तब प्रभाजी स्तम्भ का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 80.
कम दाब पर आसवन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब कम करने पर पदार्थ का क्वथनांक कम हो जाता है अतः वे पदार्थ जो अपने क्वथनांक पर विघटित हो जाते हैं, उन्हें इस विधि से शुद्ध करते हैं।

प्रश्न 81.
वर्णलेखन किस सिद्धान्त पर आधारित है?
उत्तर:
किसी मिश्रण के अवयवों की दो प्रावस्थाओं के मध्य वर्णात्मक वितरण के सिद्धान्त पर वर्णलेखन आधारित है।

प्रश्न 82.
निस्यंदन किसे कहते हैं?
उत्तर:
निस्यंदन में किसी विलायक में एक ठोस अविलेय घटक को उसमें विलेय घटक से पृथक किया जाता है।

प्रश्न 83.
कार्बनिक यौगिक क्या होते हैं?
उत्तर:
कार्बन तथा हाइड्रोजन के यौगिक तथा उनके व्युत्पन्नों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं।

प्रश्न 84.
जैव शक्ति सिद्धान्त किसने तथा कब दिया था ?
उत्तर:
बर्जीलियस ने 1808 में दिया था।

प्रश्न 85.
जैव शक्ति सिद्धान्त क्या था ?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक जीवों में एक रहस्यमयी शक्ति से बनते हैं।

प्रश्न 86.
जैव शक्ति सिद्धान्त का अन्त क्यों हुआ ?
उत्तर:
अकार्बनिक यौगिक अमोनियम सल्फेट तथा पोटैशियम सायनेट के मिश्रण से यूरिया के संश्लेषण होने से जैव शक्ति सिद्धान्त का अन्त हुआ।

प्रश्न 87.
कोल्बे ने किस यौगिक का संश्लेषण किया था ?
उत्तर:
कोल्बे ने कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से ऐसीटिक अम्ल का संश्लेषण किया था।

प्रश्न 88.
कार्बनिक यौगिकों में कौन-कौन से तत्व विद्यमान रहते हैं?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों में C,H,O,N,S तत्व होते हैं। कार्बन तथा हाइड्रोजन सभी कार्बनिक यौगिकों में होते हैं।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 89.
किसी यौगिक के मूलानुपाती सूत्र तथा अणुसूत्र में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किसी यौगिक के एक अणु में उपस्थित उसके विभिन्न परमाणुओं का अनुपात दर्शाने वाला सूत्र उस यौगिक का मूलानुपाती सूत्र कहलाता है।
किसी यौगिक के एक अणु में उपस्थित विभिन्न परमाणुओं की वास्तविक संख्या को उसका अणुसूत्र कहते हैं।
अणुसूत्र = मूलानुपाती सूत्र × n

प्रश्न 90.
ऐसे दो कार्बनिक यौगिकों के नाम बताइए जो ऊर्ध्वपातित होते हैं।
उत्तर:
कपूर एवं नैफ्थेलीन।

प्रश्न 91.
भाप आसवन विधि द्वारा किस प्रकार के यौगिकों का शोधन किया जाता है?
उत्तर:
जल में अविलेय तथा भाप में वाष्पशील यौगिकों का भाप आसवन विधि द्वारा शोधन किया जाता है।

प्रश्न 92.
ऐसे दो पदार्थों के नाम बताइए जो वर्णलेखन विधि में अधिशोषक के रूप में काम में लिए जाते हैं।
उत्तर:
सक्रिय ऐल्यूमिना तथा सिलिका।

प्रश्न 93.
केरियस विधि में क्लोरीन का आंकलन किस रूप में अवक्षेपित करके किया जाता है ?
उत्तर:
AgCl के रूप में।

प्रश्न 94.
गलन मिश्रण किन यौगिकों का मिश्रण है?
उत्तर:
KNO3 + Na2CO3

प्रश्न 95.
किसी द्रव के क्वथनांक पर दाब का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
क्वथनांक कम हो जाता है।

प्रश्न 96.
ऐसीटोन और ऐथिल ऐल्कोहॉल के मिश्रण को कैसे पृथक करोगे?
उत्तर:
प्रभाजी आसवन के द्वारा।

प्रश्न 97.
बैन्जोइक अम्ल का प्रतिदर्शन जिसमें सोडियम क्लोराइड अशुद्धि के रूप में हो कैसे शुद्धिकृत करते हैं?
उत्तर:
ऊर्ध्वपातन द्वारा।

प्रश्न 98.
सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड का रासायनिक सूत्र क्या है?
उत्तर:
Na2[Fe(CN)5NO]

प्रश्न 99.
किसी यौगिक में सल्फर का परीक्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
लैसग्ने विलयन में 1-2 बूँद सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड मिलाने पर बैंगनी रंग का विलयन प्राप्त होता है।
\(\mathrm{Na}_2 \mathrm{~S}+\mathrm{Na}_2\left[\mathrm{Fe}(\mathrm{CN})_5 \mathrm{NO}\right] \longrightarrow \mathrm{Na}_4\left[\mathrm{Fe}(\mathrm{CN})_5 \mathrm{NOS}\right]\)

प्रश्न 100.
किसी यौगिक में ब्रोमीन की पहचान कैसे करोगे ?
उत्तर:
लैसग्ने विलयन में AgNO3 विलयन डालने पर हल्का पीला अवक्षेप आता है।
NaBr + AgNO3 → AgBr + NaNO3

प्रश्न 101.
द्रव्यमान स्पैक्ट्रोमिति की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
इस तकनीकी से अणु द्रव्यमान ज्ञात करने के साथ-साथ कार्बनिक यौगिक का अणुसूत्र तथा अणु संरचना को भी निर्धारित किया जाता है।

प्रश्न 102.
प्रभाजी आसवन का उपयोग दो द्रव कार्बनिक पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने में किस दशा में होता है?
उत्तर:
दो कार्बनिक पदार्थों के मिश्रण को पृथक् करने में प्रभाजी आसवन का उपयोग तब किया जाता है, जब उनके क्वथनांक में अन्तर 10°C से उच्च तथा 50°C से कम हो।

प्रश्न 103.
साधारण आसवन का उपयोग दो द्रव पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने में किस दशा में होता है ?
उत्तर:
दो द्रव पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने में साधारण आसवन का उपयोग तब होता है, जब उनके क्वथनांकों में अन्तर 50°C से उच्च होता है।

प्रश्न 104.
भाप आसवन विधि का उपयोग कौन से कार्बनिक पदार्थों के शोधन में किया जाता है?
उत्तर:
भाप आसवन विधि का उपयोग उन कार्बनिक पदार्थों के शोधन में किया जाता है, जो वाष्पशील हों तथा जल में अविलेय हों।

प्रश्न 105.
वर्णालेखन क्या है?
उत्तर:
वह प्रक्रम जिनके द्वारा किसी मिश्रण के कुछ या सभी अवयवों को सान्द्रित क्षेत्रों में या विभिन्न प्रावस्थाओं में ( जिनमें वे पहले उपस्थित थे), पृथक्करण किया जाता है, वर्णलेख्यन कहलाता है।

प्रश्न 106.
निम्नलिखित मिश्रण के अवययों को पृथक करने की विधि के नाम लिखिए-
(अ) नमक एवं नौसादर
(ब) ऐथिल ऐल्कोहॉल एवं जल
(स) स्पेणट लाई एवं ग्लिसरीन
(द) ऐमीनो अम्ल का मिश्रण
(य) फूलों से सुगच्धित तेल
(र) साधारण नमक एवं जल।
उत्तर:
(अ) प्रभाजी क्रिस्टलन द्वारा
(ब) चूने द्वारा
(स) बेसिक फेरिक सस्फेट मिलाकर
(द) हिन्सबर्ग विधि द्वारा या हौफमैन विधि द्वारा
(य) प्रभाजी आसवन द्वारा
(र) क्रिस्टलीकरण द्वारा।

प्रश्न 107.
उध्रवपातन (Sublimation) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जो ठौस पदार्थ गर्म करने पर बिना द्रव में बदले सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं तो उनके इस गुण को उुर्धवपातन कहते है। उदाहरण-आयोडीन, बेन्जोइक अम्ल आदि।

प्रश्न 108.
कम दाब पर आसयन का उपयोग किन पदार्थों के शोधन में किया जाता है? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जो पदार्थ अपने क्यथनांक से पूर्व ताप पर सीधे गर्म करने पर अपघटित हो जाते हैं, उनका शोधन कम दाब पर आसवन या निर्वात आसबन विधि से किया जाना है; जैसे – गिलसरीन।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रेशन 1.
C4H10O में पाये जाने वाले विभिन्न समावयवियों के नाम तथा संरचना सूत्र लिखें ?
उत्तर:
(i) C4H10O अणुसूत्र में-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 147

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के मध्य किस प्रकार की समावयवता उपस्थित है, और क्यों ? समझाइए।
(i) CH3—CH2—COOH एवं H—COOC2H2
(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 148
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 149
में भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह होने के कारण क्रियात्मक समावध्रवता (functional isomerism) उपस्थित हैं।

(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 150
में कार्बन भृंबला की संरचनाएँ भिन्न होने से भृंखला समावयवता (chain isomerism) उपस्थित है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित युग्मों में किस प्रकार की संमांवयकता है ? व्याखाया कीजिए।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 151
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 152
युग्म में मध्यावयवता (Metamerism) उपस्थित है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 153
युग्म में भी मध्यावयवता (Metomerism) उपस्थित है। एक ही क्रियात्मक समूह से भिन्न ऐल्किल समूह जुहे हैं।

प्रश्न 4.
C4H10 के शृंखला समावयवियों की संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
(i) CH3—CH2—CH2—CH3 (n-क्यूटेन)
(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 154

प्रश्न 5.
निम्नलिखित यौगिकों के समावयवियों के नाम ओर संरचना सूत्र लिखिए।
(i) CH3—CH2—CH2—Cl
(ii) CH3—CO—CH3
उत्तर:
(i) इसमें स्थिति समावयवता (Position isomerism) पाई जाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 155
(ii) इसमें क्रियात्मक समूहसमावयक्ता (Functional group isomerism) पाई जाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 156

प्रश्न 6.
उन सभी समावयबी ऐल्कोहोलों की संख्या दीजिए जिनका अणुसूत्र C5H12O है।
उत्तर:
C5H12O अणुसूत्र में निम्न तीन समावपवी ऐेल्कोहॉल सम्भव हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 157

प्रश्न 7.
C6H6O में पायी जाने वाली समावघक्ता बताये तथा सूत्र भी लिखें ।
उत्तर:
इसमें क्रियात्मक समाबयवता (functional isomerism) पायी जाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 158

प्रश्न 8.
C4H610O के क्रियात्पक समाबयवी लिखें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 203

प्रश्न 9.
निम्नलिखित युगल किस प्रकार की समावस्यता प्रदर्शित करते हैं।
(i) CH3—CH2—CHO तथा CH3—CO—CH3
(ii) CH3—CH2—CH = CH2 तथा CH3—CH = CH—CH3
उत्तर:
(i) क्रियात्मक समूह समावयवता
(ii) स्थिति समावयवता।

प्रश्न 10.
CH3CH2OH एवं CH3—O—CH3 में कौन-सी समावयवता है?
उत्तर:
क्रियात्मक समूह समावयवता।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित यौगिकों के समावयवियों के नाम और संरचना सूत्र लिखिए।
(i) CH3—CH2—CH2—Cl
(ii) CH3—CO—CH3
उत्तर:
(i) इसमें स्थिति समाबयवता पाई जाती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 159
(ii) इसमें क्रियात्मक समूह समावयवता पाई जाती है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 12.
CH3.CH2.CO.CH2.CH3 तथा CH3CO.CH2CH2.CH3 किस प्रकार की समावचयता को प्रदर्शित करते हैं?
अधवा
पेण्टेन-2-ओन और पेण्टेन-3-ओन में किस प्रकार की समावयवता है और क्यों ?
उत्तर:
दी गई संरचनाएँ C5H10O के दो कौटेन समाबयघी है और ये दोनों मध्याबयवता (metamerism) प्रदर्शित करते है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 160

प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिक कौन-सी समायखवता प्रदशित करते हैं?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 161

प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिक कौन-सी समावचवता प्रदश्शित करते है ?
(i) CH3—CH2—CH2—OH तथा CH3—CHOH—CH3
(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 162
उत्तर:
(i) इनमें स्थिति समाबयखता है।
(ii) इसमें अध्यावयवता है।

प्रश्न 15.
C3H6O2 के सभी समावयवी प्रदश्रित कीजिए।
उत्तर:
C3H6O2 के निम्नलिखित तीन समाबयवी है-
(i) C2H5COOH प्रोपेनोद्रक अम्ल
(ii) HCOOC2H5 ऐैचिल फॉर्मेट
(iii) CH3COOCH3 मेथिल ऐसीटेट

प्रश्न 16.
निम्नलिखित समावयवी यौगिकों के संरचना सूत्र दिए गए हैं, इनमें पाई जाने वाली समावयंवता का नाम लिखिए–

(i) CH3.CHOH.CH3 तथा CH3.CH2.CH2OH
(ii) CH3.O.C3H7 तथा C2H5.O.C2H5
(iii) CH3.CH2. CHO तथा CH3.CO.CH3
(iv) CH3.CH2.OH तथा CH3.O.CH3
उत्तर:
(i) स्थिति समावयवता,
(ii) मध्यावयवता,
(iii) क्रियात्मक समूह समावयवता,
(iv) क्रियात्मक समूह समावयवता ।

प्रश्न 17.
C6H4Cl2 सूत्र वाले ऐरोमैटिक यौगिक के सम्भावित समावयवियों के संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
C6H4Cl2 सूत्र वाले ऐरोमैटिक यौगिक के सम्भावित समावयवी निम्नलिखित हैं। ये स्थान समावयवता प्रदर्शित करते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 163

प्रश्न 18.
C4H10O में पाये जाने वाले विभिन्न समावयवियों के नाम, सूत्र एवं समावयवताओं के नाम लिखें।
उत्तर:
C4H10O अणुसूत्र में-
(a) C2H5OC2H5 ऐथॉक्सी ऐथेन
(b) CH3OCH2CH2CH3 मेथॉक्सी प्रोपेन
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 164
(i) यहाँ (a) तथा (b) में मध्यावयवता पायी जाती है।
(ii) (b) तथा (c) में स्थिति समावयवता है। इसके अलावा (d) व (c) में भी स्थान समावयवता है।
(iii) (a) तथा (d) में क्रियात्मक समूह समावयवता है।
(iv) (f) तथा (g) में श्रृंखला समावयवता है।

प्रश्न 19.
C3H9N में पायी जाने वाली समावयवता, उनके समावयवियों के नाम व सूत्र लिखें।
उत्तर:
C3H9N अणुसूत्र में-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 165
(i) (a) तथा (b) के मध्य स्थिति समावयवता है।
(ii) (a), (c) तथा (d) में क्रियात्मक समूह समावयवता है।

प्रश्न 20.
C5H12 में पाये जाने वाले समावयवियों के नाम, सूत्र व समावयवता बताएँ ।
उत्तर:
C5H12 अणुसूत्र में-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 166
2, 2 – डाइमेथिल प्रोपेन (नियो पेण्टेन)
यहाँ (a), (b) तथा (c) में श्रृंखला समावयवता है।

प्रश्न 21.
C5H10O में पायी जाने वाली समावयवता, समावयवियों के नाम व सूत्र लिखें।
उत्तर:
C5H10O अणुसूत्र में-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 167
(i) (a) तथा (b) में मध्यावयवता है।
(ii) (b) तथा (c) में शृंखला समावयवता है।

प्रश्न 22.
C4H11N के विभिन्न समावयवी लिखें।
उत्तर:
C4H11N अणुसूत्र में
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 168

प्रश्न 23.
पेन्टेन के एक शृंखला समावयवी का नाम व संरचनात्मक सूत्र लिखें।
उत्तर:
(1) CH3–CH2–CH2–CH2–CH3; n- पेण्टेन
(2) (CH3)2CH–CH2–CH3; 2- मेथिल ब्यूटेन

प्रश्न 24.
निम्नलिखित युग्मों में पायी जाने वाली समावयवता के नाम लिखें-
(i) n – ब्यूटिल ऐल्कोहॉल तथा आइसो ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
शृंखला समावयवता ।

(ii) n – ब्यूटिल ऐल्कोहॉल और sec- ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
स्थान समावयवता ।

(iii) sec ब्यूटिल ऐल्कोहॉल और / ब्यूटिल ऐल्कोहॉल |
उत्तर:
स्थान व श्रृंखला समावयवता ।

(iv) n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल और / ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
शृंखला तथा स्थिति समावयवता ।

(v) n प्रोपिल ऐल्कोहॉल और आइसो प्रोपिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
स्थिति समावयवता ।

(vi) मैलेइक अम्ल फ्यूमेरिक अम्ल ।
उत्तर:
ज्यामितीय समावयवता ।

(vii) ऐथिल ऐसीटो ऐसीटेट (कीटो) एवं ऐथिल ऐसीटोएसीटेट (इनोल) ।
उत्तर:
चलावयवता ।

(viii) दक्षिण एवं वाम घूर्णक लैक्टिक अम्ल ।
उत्तर:
प्रकाश समावयवता ।

(ix) पेण्टेन-2-ऑन और पेण्टेन – 3-ओन ।
उत्तर:
मध्यावयवता ।

(x) प्रोपेनॉइक अम्ल और मेथिल ऐसीटेट ।
उत्तर:
क्रियात्मक समावयवता ।

(xi) o-हाइड्रॉक्सी टॉलूईन और बेन्जिल ऐल्कोहॉल |
उत्तर:
क्रियात्मक समावयवता।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित प्रत्येक यौगिक के एक समावयवी का नाम एवं उसका संरचना सूत्र लिखें-
(i) CH2 = CHCH2CH3
उत्तर:
इसका समावयवी CH3—CH = CH—CH3 है। यह यौगिक CH2 – CHCH2CH के साथ-साथ समावयता प्रदर्शित करते हैं।

(ii) (CH3)2CHOH
उत्तर:
इसका समावयवी CH3—CH2CH2OH है। यह (CH3)2CHOH के साथ स्थिति मध्यावयवता प्रदर्शित करता है।

(iii) CH3COOH
उत्तर:
इसका समावयवी HCOOCH3 है यह CH3COOH के साथ क्रियात्मक समूह समावयवता प्रदर्शित करता है।

(iv) CH3OCH2CH2CH3
उत्तर:
इसका समावयवी CH3CH2OCH2CH3 है। यह CH3OCH2CH2CH3 के साथ मध्यावयवता प्रदर्शित करता है।

(v) CH3CHCICH3
उत्तर:
इसका समावयवी CH3CH2CH2Cl है। यह CH3CHClCH3 के साथ स्थिति समावयवता प्रदर्शित करता है।

(vi) CH3CH2CHO
उत्तर:
इसका समावयवी CH3COCH3 है। यह CH3CH2CHO के साथ क्रियात्मक समूह समावयवता प्रदर्शित करता है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 26.
यौगिक के निम्नलिखित युग्मों में कौन-सी समावयवता है?
(1)CH3CH2CHO तथा CH3COCH3
उत्तर:
इस युग्म में क्रियात्मक समूह समावयवता है।

(2) C2H5OC2H5 तथा CH3OC3H7
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में मध्यावयवता है।

(3) CH3CH2OH तथा CH3OCH3
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में क्रियात्मक समूह समावयवता है।

(4) CH3CH2CH2OH तथा CH3CH(OH)CH3
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में स्थिति समावयवता है।

(5) CH3CH2—NH–CH2CH3 तथा CH3—NH—CH2CH2CH3
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में मध्यावयवता होती है।

(6) CH3CHO तथा CH2 = CHOH
उत्तर:
इसमें चल समावयवता है।

(7) CH3CH2CH = CH2 तथा CH3CH = CHCH3
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में स्थिति समावयवता है।

(8) CH3CH2CH2CH3 तथा (CH3)3CH
उत्तर:
उपरोक्त युग्म में श्रृंखला समावयवता है।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित के संरचनात्मक सूत्र दीजिए-
(1) दो प्रतिबिम्ब रूप
(2) दो ज्यामितीय समावयवी
(3) दो समजातीय।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 169

प्रश्न 28.
निम्न संरचनाओं ( I से VII) को ध्यान से देखकर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दें-
(i)CH3—CH2—CH2—CH2—OH
(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 170

(i) उपरोक्त संरचनाओं में से कौन मध्यावयता प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
V तथा VI एवं V तथा VII मध्यावयवता प्रदर्शित करते हैं। क्योंकि इनमें ईथर से जुड़ने वाली कार्बन शृंखलाओं में कार्बन की संख्या में अन्तर है।

(ii) उपरोक्त संरचनाओं में से कौन क्रियात्मक समूह समावयवता को प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
I तथा V, I तथा VI, I तथा VII, II तथा V, II तथा VI, II तथा VII, III तथा V, III तथा VI, III तथा VII, IV तथा V, IV तथा VI और IV तथा VII क्रियात्मक समूह समावयवता को प्रदर्शित करते हैं।

(iii) उपरोक्त संरचनाओं में से कौन स्थान समावयवता को प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
I तथा II, III तथा IV और VI तथा VII

(iv) उपरोक्त संरचनाओं में से कौन श्रृंखला समावयवता प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
I तथा III, I तथा IV. II तथा III और II तथा IV

प्रश्न 29.
कार्बोकेटायन एवं कार्बोऐनायन की संरचना में अन्तर स्पष्ट कीजिए एवं उनके मुख्य लक्षण बताइए।
उत्तर:
कार्बोकेटायन—वह धनावेशित कार्बनिक समूह (R+) जिसमें कार्बन परमाणु के बाह्यतम कोश में केवल 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं, कार्बोकेटावन कहलाता है।
उदाहरणार्थHBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 171 मैथिल HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 172 एथिल कार्बोकेटायन की संरचना समतल त्रिकोणीय होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 173

कार्बोऐनायन – वह ऋणावेशित कार्बनिक समूह R जिसमें कार्बन परमाणु के बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बोऐनायन कहलाता है। उदाहरणार्थ-
\(\mathrm{CH}_3\) (मेथिल कार्बोऐनायन) \(\mathrm{CH}_3 \mathrm{CH}_2^{-}\) एथिल कार्बोऐनायन
कार्बोऐनायन की आकृति पिरामिडीय होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 174

प्रश्न 30.
नाभिक स्नेही अभिकर्मक की विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएँ बताइए ।
उत्तर:
नाभिक स्नेही अभिकर्मक दो प्रकार से अभिक्रिया करते हैं-

(अ) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया इन अभिक्रियाओं में आक्रमणकारी अभिकर्मक नाभिक स्नेही होता है। ऐल्किल हैलाइड की अधिकतर प्रतिस्थापन अभिक्रियाँ नाभिक स्नेही होती हैं। उदाहरणार्थ – CH3—CH2Cl + KOH (जलीय) → CH3—CH2—OH + KCl इस अभिक्रिया में KOH जो कि एक क्षार है, OH- आयन देता है जो कि नाभिक स्नेही होता है और इस अभिक्रिया में आक्रमणकारी अभिकर्मक का कार्य करता है।

(ब) नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया – ये अभिक्रियाएँ अधिकतर असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों में होने वाली अभिक्रियाएँ हैं।
उदाहरण-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 175
इस अभिक्रिया में प्रथम पद में CN का योग होता है तथा बनने वाला मध्यवर्ती यौगिक अपेक्षाकृत अधिक स्थायी होती है।

प्रश्न 31.
निम्नलिखित यौगिकों में हेटेरोलिटिक विदलन समीकरण द्वारा समझाइए-
(i) (CH3)3 C—Cl,
(ii) R—OH,
(iii) (CH3)2CO.
उत्तर:
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प्रश्न 32.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए-
CH2 = CH2 + HBr → CH3.CH3
अथवा
इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया को एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
ऐथिलीन HBr के साथ इलेक्ट्रोफिलिक योगात्मक क्रिया देता है अर्थात् इसमें योगशील अभिकर्मक का इलेक्ट्रोफाइल (H+) पहले संयुक्त होता है तथा फिर न्यूक्लिओफाइल (Br-) संयुक्त होता है। यह है क्रियाविधि निम्नलिखित पदों में व्यक्त कर सकते हैं-
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प्रश्न 33.
निम्न में क्या अन्तर हैं
(i) समांग व विषमांग विखण्डन
(ii) इलेक्ट्रोफाइल एवं न्यूक्लिओफाइल |
उत्तर:
(i) समांग विखण्डन एवं विषमांग विखण्डन में अन्तर निम्नलिखित हैं-

समांग विखण्डनविषमांग विखण्डन
1. इसमें दोनों परमाणु एक-एक इलेक्ट्रॉन लेकर अलग हो जाते हैं।1. इसमें इलेक्ट्रॉन युग्म किसी एक परमाणु के पास आ जाते हैं।
2. इसमें बने उत्पाद विद्युत उदासीन होते हैं-
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2. इसमें विपरीत आवेश वाले आयन बनते हैं-

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 205

(ii) इलेक्ट्रोफाइल तथा न्यूक्लिओफाइल में निम्नलिखित अन्तर हैं-

इलेक्ट्रोफाइलन्यूक्लिओफाइल
1. वे अभिकर्मक जो इलेक्ट्रॉन ग्राही होते हैं, इलेक्ट्रोफाइल कहलाते हैं।1. वे अभिकर्मक जो इलेक्ट्रॉन के धनी होते हैं, न्यूक्लिओफाइल कहलाते हैं।
2. ये उदासीन या न्यून धनावेशित होते हैं।2. ये ऋणावेशित या उदासीन होते हैं।

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प्रश्न 34.
कार्बोनियम आयन व कार्बेनायन में उपस्थित प्राथमिक (1°), द्वितीयक (2°) तथा तृतीयक (3°) के स्थायित्व का क्रम बताइए।
उत्तर:
(i) कार्बोनियम आयन में प्राथमिक (1°), द्वितीयक (2°) तथा तृतीयक (3°) कार्बन पर स्थायित्व का क्रम-
यदि धनावेश क्रमशः प्राथमिक (1°) द्वितीयक (2°) तथा तृतीयक (3°) कार्बन पर विद्यमान हो, तो कार्बोनियम आयन भी 1°, 2°, 3° होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 178
इनके स्थायित्व का क्रम निम्न प्रकार हैं-
3° > 2° > 1°
(ii) कार्बऐनायन में प्राथमिक (1°), द्वितीयक (2°) तथा तृतीयक (3°) कार्बन पर स्थायित्व का क्रम-
यदि ऋणावेश क्रमश: प्राथमिक (1°) द्वितीयक (2°) तथा तृतीयक (3°) कार्बन पर विद्यमान हो, तो कार्बेऐनायन भी 1°, 2°, 3° होते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 179
इनके स्थायित्व का क्रम निम्न प्रकार है-
1° > 2° > 3°

प्रश्न 35.
आयन तथा मुक्त मूलक में क्या अन्तर है ?
उत्तर:

आयनमुक्त मूलक
1. ये जल अथवा अन्य आयनीकारक विलायक में विलेय करने पर (सहसंयोजक बन्ध के हेटेरोलिटिक विखण्डन पर) बनते हैं।1. ये साधारणतया होमोलिटिक विखण्डन (ऊष्मा या प्रकाश की उपस्थिति में) द्वारा उत्पन्न होते हैं।
2. ये प्रायः विलयन अवस्था में बनते हैं।2. ये प्राय: गैसीय अवस्था में बनते हैं।
3. ये विद्युत आवेशित होते हैं; क्यौ कि ये इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान के फलस्वरूप बनते हैं।3. ये साधारणतया विद्युत उदासीन होते हैं; क्योंकि विषम इलेक्ट्रॉन, उदासीन परमाणु का वह इलेक्ट्रॉन होता है, जो सहसंयोजक बन्ध बनाने के काम आता है।
4. ये प्रतिचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।4. ये अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।
5. ये स्थायी होते हैं।5. ये प्रायः अस्थायी होते हैं।

प्रश्न 36.
ऐसीटिलीन पर HBr की अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए ।
उत्तर:
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प्रश्न 37.
ऐल्कीन में इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव दिखाइये।
उत्तर:
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प्रश्न 38.
(CH3)3C—Cl में बन्ध का विषम विदलन समीकरण द्वारा समझाइये |
उत्तर:
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प्रश्न 39.
निम्नलिखित को निर्देशानुसार व्यवस्थित करें-
(क) ClCH2COOH, CH3CH2COOH, ClCH2CH2COOH(CH3)2CHCOOH तथा CH3COOH को अम्ल प्रबलता के बढ़ते हुए क्रम में ।
उत्तर:
(CH3)2CHCOOH < CH3CH2COOH < CH3COOH< ClCH2CH2COOH< ClCH2COOH

(ख) C6H5OH, C2H5OH, HCOOH तथा CH3COOH को अम्ल प्रबलता के घटते हुए क्रम में ।
उत्तर:
HCOOH>CH3COOH>C6H5OH> C2H5OH

(ग) मेथिलेमीन, डाइमेथिलेमीन, ऐनिलीन तथा N – मेथिल ऐनीलीन को क्षारीय प्रबलता के बढ़ते हुए क्रम में ।
उत्तर:
ऐनिलीन

प्रश्न 40.
यौगिक CH3CH = CHCH2CH3 में 2, 3 C—C बन्ध में इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव किस प्रकार होगा ? कारण सहित बताइए।
उत्तर:
CH3CH = CHCH2CH3 → CH3CH—CHCH2CH3 बड़े ऐल्किल समूह का प्रेरणिक प्रभाव अधिक होता है ।

प्रश्न 41.
निम्न में से कौन इलेक्ट्रॉन स्नेही तथा नाभिक स्नेही होते हैं?
(1) FeCl3
(2) AlCl3
(3) H2O
(4) C2H5OH
(5) BF3
(6) (C2H5)2O
(7) NH3
(8) RSH
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन स्नेही – FeCl3 , AlCl3 , BF3
नाभिक स्नेही – H2 O, C2 H5 OH, (C2H5 )2 O, RSH

प्रश्न 42.
निम्न यौगिकों में विषम विदलन समीकरण द्वारा व्यक्त कीजिए-
(a) C2H6
(b) R—OH
उत्तर:
(a) \(\mathrm{CH}_3-\mathrm{CH}_2-\mathrm{H} \longrightarrow \mathrm{CH}_3-\mathrm{CH}_2^{-}+\mathrm{H}^{+}\) क्योंकि O-परमाणु H-परमाणु से अधिक विद्युत ऋणात्मक है।

प्रश्न 43.
प्रत्येक कार्बन पर संकरण बतायें ?
उत्तर:
CH2 = C =H2
उत्तर:
sp2 – sp – sp2

प्रश्न 44.
बताइये कि किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों में संकरण कार्बन परमाणु की विद्युत ऋणात्मकता से सम्बन्धित है।
उत्तर:
जैसे-जैसे कार्बन परमाणु पर संकरण का s-गुण बढ़ता है। विद्युत ऋणात्मकता भी बढ़ जाती है। अतः विद्युत ऋणात्मकता का क्रम है-
sp3 < sp2 < sp

प्रश्न 45.
निम्न की अनुनादी संरचना बनायें-
(i) CH2 = CH—:Cl:
(ii) CH2 = CH—CH = CH2
(iii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 183
उत्तर:
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प्रश्न 46.
दिये गये समूहों में से सबसे स्थायी स्पीशीज छाँटे-
(i) CH3,+CH2Br, CHBr2, CBr2
(ii) CH3,-CH2Cl,-CHCl2, CCl3
उत्तर:
(i) CH3 सबसे अधिक स्थायी है क्योंकि जैसे-जैसे Br हाइड्रोजन को विस्थापित करता जाता है वैसे-वैसे कार्बन पर +ve आवेश बढ़ता जाता है, क्योंकि Br हाइड्रोजन की तुलना में अधिक विद्युत ऋणात्मक है। जिसके कारण +CBr3 सबसे कम स्थायी स्पीशीज हो जाती है।

(ii) Cl—Cl3 सर्वाधिक स्थायी स्पीशीज है क्योंकि Cl, हाइड्रोजन की तुलना में अधिक विद्युत ऋणात्मक है। जैसे-जैसे Cl की संख्या बढ़ती जाती है वैसे-वैसे स्थायित्व भी बढ़ता जाता है।

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प्रश्न 47.
निम्न में से कौन अनुनादी संकर नहीं बनाता है?
(i) CH3OH
(ii) R—CONH2
(iii) CH3CH=CHCH2NH2
उत्तर:
(i) CH3OH- यह अनुनादी संकर नहीं बनाता है क्योंकि इनके पास ग-इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं। इस कारण यह अनुनादी संकर नहीं बना पाता है।
(ii) R-CONH2 यह अनुनादी संकर बनाता है।
(iii) CH3CH = CHCH2NH2-यह अनुनादी संकर नहीं बनाता है क्योंकि इसके पास (conjugate) एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं है।

प्रश्न 48.
SO3 इलेक्ट्रॉन स्नेही की तरह कार्य क्यों करता है?
उत्तर:
-s- परमाणु से तीन अत्यधिक विद्युत ऋणी ऑक्सीजन परमाणु जुड़े हुये हैं। जिसके कारण s-परमाणु न्यून हो जाता है। अनुनाद के कारण भी s-परमाणु पर +ve आवेश आ जाता है, इन दोनों कारकों के कारण ही SO3 इलेक्ट्रॉन स्नेही की तरह व्यवहार करता है ।
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प्रश्न 49.
निम्न में से किस अनुनादी संरचना का स्थायित्व अधिक है?
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प्रश्न 50.
किसी कार्बनिक यौगिक की शुद्धता की जाँच आप किस प्रकार करेंगे ?
उत्तर:
किसी भी कार्बनिक यौगिक की शुद्धता की जाँच उसके भौतिक स्थिरांकों तथा स्पेक्ट्रमी गुणों की सहायता से की जाती है। आधुनिक समय में कार्बनिक यौगिकों की शुद्धता से जाँच करने के लिए गैस वर्णलेखन (Gas chromotography) का प्रयोग बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। गैस वर्ण लेखन द्वारा उन यौरिकों की शुद्धता की जाँच भी की जा सकती है, जिनके भौतिक स्थिरांकों, स्पेक्ट्रमी गुणों, संघटन आदि का ज्ञान पहले से न हो।

कार्बनिक यौगिकों के भौतिक स्थिरांक विशिष्ट क्रिस्टलीय रूप, अपवर्तनांक (Refractive index), आपेक्षित गुरुत्व (specific gravity), गलनांक तथा क्लथनांक आदि हैं। ठोस कार्बनिक यौगिकों की शुद्धता की जाँच उनके गलनांक तथा मिश्रित गलनांक से की जाती है। द्रव कार्बत औा गेकों की शुद्धता की जाँच उनके क्नथनांक से की जाती है।

प्रश्न 51.
किसी उपयुक्त विलायक में क्या-क्या विशेषताएँ होनी वाहिए ?
उत्तर:
किसी उपयुक्त विलायक में निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-
(i) किसी पदार्थ एवं अशुद्धियों की विलायक में विलेयताओं का अंतर अधिक होना चाहिए।
(ii) विलायक में अशुद्धि कमरे के ताप पर लगभग विलेय होनी चाहिए अथका अशुद्ध की विलेयता, पदार्थ की विलेयता से बहुत अधिक होनी चाहिए।
(iii) विलायक का क्वथनांक कम होना चाहिए।
(iv) विलायक में अत्यधिक दहनशीलता का गुण नहीं होना चाहिए।
(v) विलायक में कार्बनिक ठोस कम तापमान पर कम विलेय एवं उच्ब तापमान पर अधिक विलेय होना चाहिए।

प्रश्न 52.
ऊर्ध्वपातन से क्या समझते हैं?
उत्तर:
छर्ध्वपातन (Sublimation) कुछ छोस पदार्थ गम्म करने पर बिना द्रव अवस्था में आए सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जाते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 187
ऐसे ठोस पदार्थ को ऊर्धवपातज (Sublimate) कहते हैं। ठोस पदार्थ के सीधे वाप्य में परिवर्तित होने की क्रिया को ऊर्ध्वपातन (Sublimation) कहते हैं। ऊर्व्वपातन विधि का प्रयोग ऐसे यौगिकों के शोधन में होता है जो स्वयं तो ऊर्ध्वपातित होते हैं परन्तु उसमें उपस्थित अशुद्धियों का ऊर्ध्यपातन नहीं होता। उदाहरण-कपूर, बैंजोइक अम्ल तथा नैफ्थेलीन का शोधन।

प्रश्न 53.
बन्नोरोबैंजीन जाल में अविलेय है तथा भाप में वाध्यशील है इसके शोधन की विधि को संक्षेप में समझाइए।
उसंर:
धेंप आसवन विधि में अंशुद्ध कार्थनिक ड्रव क्लोरोबेंजीन को आसवन फुल्लास्क में लेकर गर्म करते हैं। इसमें साथ ही भाए प्रवाहित करते हैं। भाप के साथ क्लोरोबें ।न का वाष्पन होता है। ग्रीमी पात्र में आसुत जल तथा क्लोरोबेंजीन होते हैं, जिनें पथक्कारौ काण दारा अलग कर लिया जाता है।

प्रश्न 54.
कम दाब : आसवन विधि को समझाइए।
उत्तर:
ऐसे द्रव जो उप्ते क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं, उन्हें कम दाब पर शोधित किया जाता है। क्लेजन फ्लास्क में रत्ते हुए द्रव को गर्म करने पर यह अपने सामान्य क्वथनांक से कम तंप उ उदलने लगता है तथा इसकी वाष्प संधनित होकर ग्राही में एकत्रिर जाती है, जिसे अलग कर लिया जाता है।

प्रश्न 55.
वर्णलेखन क्या है? इसका वर्गीकरण समझाइए।
उत्तर:
वर्णलेखन वह तकनीक है जिसके द्वारा किसी मिश्रण के अवयवों का सान्द्रित क्षेत्रों में या विभिन्न प्रावस्थाओं में जिनमें पहले उपस्थित थे, पृथक्करण किया जाता है। इसे दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
(i) अधिशोषण वर्णलेखन
(ii) वितरण वर्णलेखन

प्रश्न 56.
लैसग्ने विलयन कैसे बनाते हैं?
उत्तर:
किसी यौगिक को उच्च ताप पर सोडियम धातु के साथ संगलित करने पर उसमें उपस्थित N,S,Cl,Br, I तत्व सोडियम से क्रिया करके सोडियम लवण बनाते हैं जो जल में आयनित हो जाते हैं। सोडियम धातु का सूखा टुकड़ा लेकर यौगिक के साथ ज्वलन नली में गर्म करते हैं। लाल गर्म हो जाने पर इसे आसुत जल में भरी प्याली में डाल देते हैं। विलयन को उबालकर छान लेते हैं। प्राप्त विलयन लैसग्ने विलयन कहलाता है।

प्रश्न 57.
किसी कार्बनिक यौगिक का मूलानुपाती सूत्र कैसे ज्ञात करोगे ?
उत्तर:
(i) यौगिक में उपस्थित तत्वों की प्रतिशतताओं को उनके परमाणु भारों से भाग देकर तत्वों के परमाणुओं की आपेक्षित संख्याएँ ज्ञात करते हैं।
(ii) आपेक्षित संख्याओं को सबसे छोटी आपेक्षित संख्या से भाग देकर परमाणुओं का सरल अनुपात ज्ञात करते हैं।
(iii) यदि प्राप्त अनुपात पूर्णांक या पूर्णांक के निकट होता है, तो किसी उचित समगुणक से गुणा करके पूर्णांकों में बदलते हैं। इस प्रकार कार्बनिक यौगिक का मूलानुपाती सूत्र ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 58.
किसी कार्बनिक यौगिक में आयोडीन की उपस्थिति किसी प्रकार ज्ञात करेंगे ?
उत्तर:
लैसग्ने विलयन में तनु HNO3 डालकर सिल्वर नाइट्रेट की कुछ बूँदें डालने पर गहरे पीले रंग का अवक्षेप आता है जो अमोनियम डाइड्रॉक्साइड विलयन में अघुलनशील होता है। इससे आयोडीन की उपस्थिति ज्ञात होती है।

प्रश्न 59.
किसी यौगिक के मूलानुपाती सूत्र तथा अणुसूत्र में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किसी यौगिक के एक अणु में उपस्थित उसके विभिन्न परमाणुओं का अनुपात दर्शाने वाला सूत्र उस यौगिक का मूलानुपाती सूत्र कहलाता है। एक यौगिक के एक अणु में उपस्थित विभिन्न परमाणुओं की वास्तविक संख्या को उसका अणुसूत्र कहते हैं।
अणसूत्र = मूलानुपाँती सूत्र × n

प्रश्न 60.
C6H5N2Cl में नाइट्रोजन होने के बाद भी यह यौगिक नाइट्रोजन का लैसेगने परीक्षण नहीं देता है क्यों ?
उत्तर:
सोडियम के साथ बेन्जीन डायजोनियम लवण को गर्म करने पर सोडियम के प्रगलन से पूर्व ही लवण वियोजित हो जाता है तथा N2 गैस सोडियम से क्रिया करने से पूर्व बाहर निकल जाती है और NaCN नहीं बनता। इसी कारण यह लैसेग्ने परीक्षण नहीं देता।

आंकिक प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक कार्बनिक यौगिक के 2.390 g का दहन करने पर 0.88 g CO2 और 0.18 g जल प्राप्त हुआ । यौगिक में कार्बन तथा हाइड्रोजन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
यौगिक का भार = 2.390 g
CO2 की मात्रा = 0.88 g
जल की मात्रा = 0.18 g
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= \(\frac { 12 }{ 44 }\) × \(\frac { 0.88 }{ 2.390 }\) × 100
= 10.04%

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= \(\frac { 12 }{ 18 }\) × \(\frac { 0.88 }{ 2.390 }\) × 100
= 0.84%

प्रश्न 2.
0.25 g क्लोरीनयुक्त एक यौगिक से केरियस विधि से 0.18 g सिल्वर क्लोराइड प्राप्त हुआ । यौगिक में क्लोरीन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
क्लोरीन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 190
= 17.81%

प्रश्न 3.
एक द्विक्षारकीय कार्बनिक अम्ल के 0.41 g सिल्वर लवण को गर्म करने पर 0.216 g सिल्वर अवशेष बचता है। अम्ल का अणुभार ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 191
\(\frac { 0.41 }{ 0.216 }\) = \(\frac { E+107 }{ 108 }\)
कार्बनिक अम्ल का तुल्यांकी भार
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 192
कार्बनिक अम्ल का अणुभार
= भास्मिकता × तुल्यांकी भार = 2 × 98 = 196

प्रश्न 4.
एक कार्बनिक यौगिक (अणुभार = 73) में C = 49.32%, H = 9.59% है। यौगिक के 0-365 ग्राम की जैल्डाल क्रिया करवाने पर उत्पन्न अमोनिया के पूर्ण उदासीनीकरण में 50 ml प्राप्त हुए। यौगिक का अणुसूत्र निकालिए ।
उत्तर:
N की प्रतिशतता = \(\frac { 1.4NV }{ W }\) = \(\frac { 1.4×1×50}{ 0.365 }\) = 19.17%

तत्व की प्रतिशततापरमाणु भारपरमाणु की आपेक्षिक संख्यापरमाणुओं का सरल अनुपातसरल पूर्णांक अनुपात
C = 49.321224.114.11/1333
H = 9.5919.599.59/1.337
N = 19.10141.361.36/1.331
O = 22161.331.33/1.331

यौगिक का अणुसूत्र = C3H7NO

प्रश्न 5.
एक कार्बनिक यौगिक का मूलानुपाती सूत्र CH2O हैं इसका अणुभार 60 है। यौगिक का अणुसूत्र क्या है ?
उत्तर:
मूलानुपाती सूत्र = CH2O
मूलानुपाती सूत्र भार = 12 + 2 +16 = 30
अणुभार = 60
n = \(\frac { 60 }{ 30 }\) = 2
अणुसूत्र = 2 × CH2O
= C2H4O2

प्रश्न 6.
एक कार्बनिक यौगिक में 68.86% कार्बन, 4.96% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक के सरलतम सूत्र की गणना करो ।
उत्तर:

तत्व की प्रतिशततापरमाणुओं की आपेक्षिक संख्यापरमाणुओं का सरल अनुपात
C = 68.8668.86/12 = 5.735.73/1.63 = 3.5 × 2 = 7
H = 4.964.96/1 = 4.964.96/1.63=3 × 2 = 6
O = 26.7826.18/16 = 1.631.63/1.63 = 1 × 2 = 2

सरलतम सूत्र = C7H6O2

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 7.
एक प्राथमिक ऐमीन के 0.60 ग्राम के पूर्ण दहन पर 1.17 g CO2 तथा 0.84 g H2O प्राप्त हुए। पदार्थ का अणुभार 45 है, तो इसका अणुसूत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
C की प्रतिशतता = \(\frac { 12 }{ 44 }\) × \(\frac { 1.17 }{ 0.60 }\) × 100
=53.18%
H की प्रतिशतता = \(\frac { 2 }{ 18 }\) × \(\frac { 0.84 }{ 0.60 }\) × 100
= 15.55%
शेष N की प्रतिशतता 100-(53.18+15.55) = 31.27%

तत्व की प्रतिशततापरमाणुओं की आपेक्षिक संख्यापरमाणुओं का सरल अनपात
C = 53.18\(\frac { 53.18 }{ 12 }\) = 4.43\(\frac { 4.43 }{ 2.23 }\) = 2
H = 15.55\(\frac { 15.55 }{ 1 }\) = 15.55\(\frac { 15.55 }{ 2.23 }\) = 7
N = 31.27\(\frac { 31.27 }{ 14 }\) = 2.23\(\frac { 2.23 }{ 2.23 }\) = 1

यौगिक का अणुसूत्र = C2H7N

प्रश्न 8.
ड्यूमा के एक प्रयोग में किसी कार्बनिक यौगिक के 0.204 g से 17°C ताप तथा 756 mm दाब पर 18.6 mL नम नाइट्रोजन प्राप्त हुई । यदि 17°C ताप पर जल वाष्प दाब 14.5 mm हो, तो यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात करो ।
उत्तर:
P1 = 756 – 14.5 = 741.5mm, P2 = 760
V1 = 18.6mL, T2 = 273
T1 = 273 + 17 = 290K, V2 = ?
\(\frac{P_1 V_1}{T_1}\) = \(\frac{P_2 V_2}{T_2}\)
\(\frac{741.5 \times 18.6}{290}\) = \(\frac{760 \times V_2}{273}\)
V2 = \(\frac{741.5 \times 18.6 \times 273}{290 \times 760}\) = 17.1
N2 की प्रतिशतता = \(\frac { 28 }{ 22400 }\) × \(\frac { 17.1 }{ 0.204 }\) ×100
= 10.47%

प्रश्न 9.
एक यौगिक को मूलानुपाती सूत्र CH3O है तथा इस अणुभार 62 है | यौगिक का अणुसूत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
यौगिक का मूलानुपाती सूत्र भार = 12 + 3 × 1 + 16 = 31
∴ n = \(\frac { 62 }{ 31 }\) = 2
अत: यौगिक का अणुसूत्र (CH3O)2 अर्थात् C2H6O3 है।

प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक में कार्बन 48.66% और हाइड्रोजन 8.11% है । यदि यौगिक का वाष्प घनत्व 37 है तो उसका अणुसूत्र ज्ञात करो ।
उत्तर:
कार्बन व हाइड्रोजन की प्रतिशतताओं का योग 100 से कम है, अतः शेष मात्रा ऑक्सीजन की होगी ।

तत्वप्रतिशततापरमाणु भारआपेक्षिक अनुपातसरलतम अनुपात
C48.6612\(\frac { 48.66 }{ 12 }\) = 4.05\(\frac { 4.05 }{ 2.70 }\) = 1.5 × 2 = 3
H8.111\(\frac { 8.11 }{ 1 }\) = 8.11\(\frac { 8.11 }{ 2.70 }\) = 3 × 2 = 6
O43.22316\(\frac { 43.23 }{ 26 }\) = 2.70\(\frac { 2.70 }{ 2.70 }\) = 1 × 2 = 2

अतः मूलानुपाती सूत्र = C3H6O2
मूलानुपाती सूत्र भार= (12 × 3) + (6 × 1) + (16 × 2) = 72
अणुभार = 2 × वाष्प घनत्व
= 2 × 37 = 74
क्योंकि यौगिक का अणु सूत्र व मूलानुपाती सूत्र समान हैं।
अतः यौगिक का अणु सूत्र = C3H6O2

प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक में C, H, N तथा O उपस्थित हैं। C = 20%, H = 6.66%, N = 46.66% है। इस यौगिक का वाष्प घनत्व 30 है | यौगिक का अणुसूत्र बताइए ।
उत्तर:

तत्वप्रतिशततापरमाणु भारआपेक्षिक अनुपातसरलतम अनुपात
C20%12\(\frac { 20 }{ 12 }\) = 1.66\(\frac { 1.66 }{ 1.66 }\) = 1
H6.66 %1\(\frac { 6.66 }{ 1 }\) = 6.66\(\frac { 1.66 }{ 1.66 }\) = 4
N46.66%14\(\frac { 46.66 }{ 14 }\) = 3.33\(\frac { 3.33 }{ 1.66 }\) = 2
O26.68%16\(\frac { 26.68 }{ 16 }\) = 1.66\(\frac { 1.66 }{ 1.66 }\) = 1

मूलानुपाती सूत्र = CH4N2O
मूलानुपाती सूत्र भार = 12 + 4 + 28 + 16 = 60
अणुभार = 2 × वाष्प घनत्व = 2 × 30 = 60
अतः अणु सूत्र = CH4N2O

प्रश्न 12.
C, H तथा N के कार्बनिक यौगिक ने विश्लेषण पर निम्नलिखित आँकड़ें दिए- C = 65.73%, H = 15.06%, N = 19.21%। यदि इसका वाष्प घनत्व 37 है, तो यौगिक का अणुसूत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:

तत्वप्रतिशततापरमाणु भारआपेक्षिक अनुपातसरलतम अनुपात
C65.7312\(\frac { 65.73 }{ 12 }\) = 5.47\(\frac { 5.47 }{ 1.37 }\) = 4
H15.061\(\frac { 15.06 }{ 1 }\) = 15.06\(\frac { 15.06 }{ 1.37 }\) = 11
N19.2114\(\frac { 19.21 }{ 14 }\) = 13.7\(\frac { 1.37 }{ 1.37 }\) = 1

मूलानुपाती सूत्र = C4H11N
मूलानुपाती सूत्र भार = 4 × 12 + 1 × 11 + 1 × 14 = 73
अणुभार = 2 × वाष्प घनत्व = 2 × 37 = 74
अणुसूत्र = n × (मूलानुपाती सूत्र )
1 × (C4H11N) = C4H11N

प्रश्न 13.
0.2127 g कार्बनिक यौगिक में C, H और O हैं, को दहन करने पर 0.4862 g CO2 और 0.1989 g H2O प्राप्त हुआ। कार्बन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा की गणना कीजिए ।
उत्तर:
हल: यौगिक में C की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 193
= \(\frac { 12 }{ 44 }\) × \(\frac { 0.4862 }{ 0.2127 }\) = 10 = 63.34%
यौगिक में हाइड्रोजन की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 194
= \(\frac { 2 }{ 18 }\) × \(\frac { 0.1989 }{ 0.2127 }\) × 100 = 10.39%
ऑक्सीजन की प्रतिशतता =100 – [62.34 + 10.39] = 27.27%

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें

प्रश्न 14.
0.70 ग्राम कार्बनिक यौगिक का कैल्डाल विधि द्वारा विश्लेषण किया गया। विश्लेषण में उत्पन्न NH3 को 100 mL \(\frac { N }{ 10 }\) H2SO4 में अवशोषित किया गया। बचे हुए अम्ल को उदासीन करने के लिए 10 mL \(\frac { N }{ 5 }\) NaOH की आवश्यकता हुई । यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
10 mL \(\frac { N }{ 5 }\)NaOH = 10 mL \(\frac { N }{ 10 }\)H2SO4
N1V1 = N2V2
\(\frac { N }{ 5 }\) × 10 = \(\frac { N }{ 10 }\) × V2
V2 = \(\frac { 10×10 }{ 5 }\) = 20
= 20mL \(\frac { N }{ 10 }\)H2SO4
अतः बचे हुए अम्ल का आयतन = 20 mL \(\frac { N }{ 10 }\)H2SO4
∴ प्रयुक्त अम्ल = (100-20)
= 80 मिली \(\frac { N }{ 10 }\)H2SO4
नाइट्रोजन की प्रतिशतता = \(\frac { 1.4NV }{ w }\) = \(\frac { 1.4×1/10×80 }{ 0.70 }\) = 16%

प्रश्न 15.
कैरियस विधि द्वारा एक कार्बनिक यौगिक के 0.1890 g से 0-2870 g सिल्वर क्लोराइड प्राप्त हुआ। कार्बनिक यौगिक में क्लोरीन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात करो ।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक का भार = 0.1890 g
सिल्वर क्लोराइड का भार = 0.2870g
क्लोरीन की प्रतिशतता HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 194
= \(\frac { 35.5 }{ 143.5 }\) × \(\frac { 0.2870 }{ 0.1890 }\) × 10 = 37.5%

प्रश्न 16.
एक कार्बनिक यौगिक के मात्रात्मक विश्लेषण 0.1254 g यौगिक से 0.1292 g बेरियम सल्फेट प्राप्त हुआ । यौगिक में गन्धक की प्रतिशत मात्रा की गणना कीजिए ।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक का भार = 0.1254 g
बेरियम सल्फेट का भार = 0-1292 g
गन्धक की प्रतिशतता = HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 196
= \(\frac { 32 }{ 233 }\) × \(\frac { 0.1292 }{ 0.1254 }\) × 100 = 14.15%

प्रश्न 17.
किसी एक अम्लीय क्षार के 0.40 g प्लैटिनम क्लोराइड दहन करने पर 0.125 g प्लैटिनम प्राप्त हुआ। क्षार का अणुभार ज्ञात करो ।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 197
\(\frac { 2B+410 }{ 195 }\) = \(\frac { 0.4 }{ 0.125 }\)
2B = \(\frac { 0.4×195 }{ 0.125 }\) – 410
= \(\frac { 0.4×195 }{ 0.125×2 }\) – 205
= 107
क्षार का तुल्यांकी भार =107
क्षार का अणुभार = क्षार का तुल्यांकी भार × अम्लता
=1 × 107 =107

प्रश्न 18.
किसी मोनोबेसिक कार्बनिक अम्ल के 0.122 g के उदासीनीकरण में 10 mL \(\frac { N }{ 10 }\) दाहक सोडा विलयन लगा। उस अम्ल का अणुभार ज्ञात करो ।
उत्तर:
10 mL \(\frac { N }{ 10 }\)NaOH विलयन = 0.122 g अम्ल
100 mL N NaOH विलयन = 122 g अम्ल
अतः अम्ल का तुल्यांकी भार = 122 g
अम्ल का अणु भार = क्षारकता × तुल्यांकी भार
= 1 × 122 = 122

प्रश्न 19.
एक कार्बनिक यौगिक (A) जिसका वाष्प घनत्व 15 है, में C = 40.0%, H = 6.67% तथा शेष ऑक्सीजन है। यह फेहलिंग विलयन का अपचयन करता है । NaOH से क्रिया करने पर यह एक ऐल्कोहॉल (B) तथा अम्ल (C) का सोडियम लवण देता है। यौगिक (A) के अपचयन से भी (B) प्राप्त हो सकता है। A, B तथा C के संरचना सूत्र लिखिए। [C = 12; H = 1; O = 16]
उत्तर:
ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा
= 100 – ( %C + % H )
= 100 – (40.0 + 6.67) = 53.33%
सरल सूत्र की गणना-

तत्वप्रतिशततापरमाणु भारपरमाणुओं की आपेक्षिक संख्यासरल अनुपात
C40.012\(\frac { 40.0 }{ 12 }\) = 3.33\(\frac { 3.33 }{ 3.33 }\) = 1
H6.671\(\frac { 6.67 }{ 1 }\) = 6.67\(\frac { 6.67 }{ 3.33 }\) = 2
O53.3316\(\frac { 53.33 }{ 16 }\) = 3.33\(\frac { 3.33 }{ 3.33 }\) = 1

∴ A का सरल सूत्र = CH2O
मान लिया यौगिक का अणुसूत्र = n × सरल सूत्र
तथा A का सरल सूत्र भार = 12 + 2 + 16 = 30

A का वाष्प घनत्व =15
अनुभार = 15 × 2 = 30
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 198
= \(\frac { 30 }{ 30 }\) = 1
∴ यौगिक A का अणुसूत्र = n × = 1 × CH2O = CH2O

चूँकि यौगिक A फेहलिंग विलयन का अपचयन करता है तथा NaOH के साथ क्रिया करने से एक ऐल्कोहॉल B तथा अम्ल C का सोडियम लवण देता है और B को A के अपचयन से भी प्राप्त किया जा सकता है; अतः यह एक ऐल्डिहाइड है। अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण निम्नलिखित हैं-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 199

प्रश्न 20.
ड्यूमा विधि द्वारा नाइट्रोजन के अनुमापन में 0.3 g कार्बनिक यौगिक 300 K ताप तथा 715 दाब पर 50 mL नाइट्रोजन देता है। नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिए। (300K पर जलीय तनाव = 15 mm ) ।
उत्तर:
300 K ताप तथा 715 mm दाब पर एकत्र नाइट्रोजन का आयतन = 50mL
वास्तविक दाब = 715 – 15 = 700 mm
STP नाइट्रोजन का आयतन = \(\frac{273 \times 700 \times 50}{300 \times 760}\) = 41.9 mL
22400 mL नाइट्रोजन का भार = 28 g
41.9 mL = \(\frac { 28×41.9 }{ 22400 }\) g
नाइट्रोजन की प्रतिशतता = \(\frac{28 \times 41.9 \times 100}{22400 \times 0.3}\) = 17.46%

प्रश्न 21.
एक कार्बनिक यौगिक में C = 49.32% और H = 9.59% है। 0.365 g कार्बनिक यौगिक की कैल्डाल प्रक्रिया कराने पर उत्पन्न अमोनिया (NH3) के पूर्ण उदासीनीकरण में H2SO4 के 50 mL प्रयुक्त हुए। यदि यौगिक का अणुभार 73 हो तो यौगिक का अणुसूत्र लिखिए।
उत्तर:
कैल्डाल विधि से N की प्रतिशतता
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 200

तत्वप्रतिशततापरमाणु भारपरमाणुओं की आपेक्षिक संख्यासरल अनुपात
C49.3212\(\frac { 49.32 }{ 12 }\) = 4.11\(\frac { 4.11 }{ 1.37 }\) = 3
H9.591\(\frac { 9.59 }{ 1 }\) = 9.59\(\frac { 9.59 }{ 1.37 }\) = 7
N19.1714\(\frac { 19.17 }{ 14 }\) = 1.37\(\frac { 1.37 }{ 1.37 }\) = 1
O21.9216\(\frac { 21.92 }{ 16 }\) = 1.37\(\frac { 1.37 }{ 1.37 }\) = 1

अत: यौगिक का मूलानुपाती सूत्र = C3H7NO
मूलानुपाती सूत्र का भार = 3 × 12 + 7 × 1 + 14 + 16 = 73
मान लिया यौगिक का अणुसूत्र = n × C3H7NO
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 कार्बनिक रसायन कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें Img 201 = \(\frac { 73 }{ 73 }\) = 1
अत: यौगिक का अणुसूत्र =C3H7NO

प्रश्न 22.
नाइट्रोजन आकलन की कैल्डाल विधि में 0.5 g यौगिक में मुक्त अमोनिया 10 mL 1 M-H2SO4 को उदासीन करती है। यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
1 M 10 mL H2SO4 = 1 M 20 mL NH3 1000 mL 1 M अमोनिया में उपस्थित नाइट्रोजन = 14 g
अत: 20 mL 1 M अमोनिया में उपस्थित नाइट्रोजन = \(\frac { 14×20 }{ 1000 }\) g नाइट्रोजन
अत: नाइट्रोजन की प्रतिशतता = \(\frac { 14×20×100 }{ 1000×0.5 }\) = 56.0%

प्रश्न 23.
हैलोजेन के आकलन की केरियस विधि 0.15g कार्बनिक यौगिक 0.12 g AgBr देता है । यौगिक में ब्रोमीन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
AgBr का आण्विक द्रव्यमान = 108 + 80 = 188 g mol-1
188 g AgBr में उपस्थित ब्रोमीन = 80 g
0.12 g AgBr में उपस्थित ब्रोमीन = \(\frac { 80×0.12×100 }{ 188×0.15 }\) = 34.04%

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HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. कौन-सी अभिक्रिया CO2(g) की सम्भवन ऊष्मा को प्रदर्शित करती है-
(1) CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l)
(2) CO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CO2(g)
(3) C(ग्रेफाइट) + O2(g) → CO2(g)
(4) CO(g) + H2O(g) → CO2(g) + H(g)
उत्तर:
(3) C(ग्रेफाइट) + O2(g) → CO2(g)

2. सही क्रम चुनिये-
(1) 1 cal > 1 Joule > 1 erg
(2) 1 erg > 1 Joule > 1 cal
(3) 1 erg > 1 cal > 1 Joule
(4) 1 Joule > 1 cal > 1 erg.
उत्तर:
(1) 1 cal > 1 Joule > 1 erg

3. एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया –
(1) होती है, केवल गरम करने पर
(2) ऊष्मा के अवशोषण से सम्पन्न होती है
(3) ज्वाला द्वारा सम्पन्न होती है
(4) ऊष्मा के उत्सर्जित होने से सम्पन्न होती है।
उत्तर:
(4) ऊष्मा के उत्सर्जित होने से सम्पन्न होती है।

4. मानक अवस्थाओं की स्थितियाँ हैं-
(1) 0°C तथा 1 atm
(2) 20°C तथा 1 atm
(3) 25°C तथा 1 atm
(4) 0°K तथा 1 atm.
उत्तर:

5. Cl(g) + e → Cl(q) के लिये ∆H का मान है-
(1) धनात्मक
(2) ऋणात्मक
(3) शून्य
(3) अनन्त।
उत्तर:
(2) ऋणात्मक

6. जब निकाय को उष्मा (q) दी जाये तथा निकाय के द्वारा w कार्य किया जाये तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय रूप होता है-
(1) ∆E = q + w
(2) ∆E = q – w
(3) ∆E = q + w
(4) ∆E = – q – w.
उत्तर:
(2) ∆E = q – w

7. अभिक्रिया CO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) के लिये कौन-सा कथन है-
(1) ∆H = ∆E
(2) ∆H < ∆E
(3) ∆H > ∆E
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) ∆H < ∆E

8. अभिक्रिया S + O2 → SO2 का एन्थैल्पी परिवर्तन है-
(1) धनात्मक
(2) ऋणात्मक
(3) शून्य
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(2) ऋणात्मक

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

9. निम्न में से कौन-सा कथन गलत है-
(1) कार्य एक अवस्था फलन है
(2) तापमान एक अवस्था फलन है
(3) अवस्था परिवर्तन पूर्ण रूप से निश्चित होता है यदि प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्था निर्दिष्ट है
(4) कार्य निकाय की सीमा पर प्रतीत होता है।
उत्तर:
(1) कार्य एक अवस्था फलन है

10. CO2 की मानक मोलर सम्भवन एन्थैल्पी-
(1) शून्य के बराबर है
(2) गैसीय कार्बन की मानक मोलर दहन एन्थैल्पी के बराबर है।
(3) CO तथा O2 की मानक मोलर सम्भवन एन्थैल्पियों के योग के बराबर है।
(4) कार्बन (ग्रेफाइट) की मानक मोलर दहन एन्थैली के बराबर है।
उत्तर:
(4) कार्बन (ग्रेफाइट) की मानक मोलर दहन एन्थैली के बराबर है।

11. किसी अभिक्रिया की एन्थैल्पी परिवर्तन निर्भर नहीं करती है-
(1) अभिकारकों एवं उत्पादों की अवस्था पर
(2) अभिकारकों एवं उत्पादों की प्रकृति पर
(3) विभिन्न इण्टरमीडिएट अभिक्रियाओं पर
(4) अभिक्रिया की प्रारम्भिक एवं अन्तिम अवस्था की एन्थैल्पी परिवर्तन पर ।
उत्तर:
(3) विभिन्न इण्टरमीडिएट अभिक्रियाओं पर

12. किसी प्रक्रम को ऊष्मागतिकी रूप से उत्क्रमणीय समझा जाता है यदि –
(1) परिवेश और निकाय का एक-दूसरे में परिवर्तन हो
(2) परिवेश और निकाय ‘बीच कोई परिसीमा न हो
(3) परिवेश सदा निकाय में सन्तुलन में हो
(4) निकाय परिवेश में स्वतः परिवर्तित होता हो।
उत्तर:
(3) परिवेश सदा निकाय में सन्तुलन में हो

13. ऊर्जा की बड़ी मात्रा कौन प्रदर्शित करती है-
(1) कैलोरी
(2) जूल
(3) अर्ग
(4) इलैक्ट्रॉन वोल्ट।
उत्तर:
(1) कैलोरी

14. हेस का नियम सम्बन्धित है-
(1) अभिक्रिया होने पर ऊष्मा परिवर्तन से
(2) अभिक्रिया वेग से
(3) साम्य स्थिरांक से
(4) गैस के आयतन पर दाब के प्रभाव से।
उत्तर:
(1) अभिक्रिया होने पर ऊष्मा परिवर्तन से

15. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम स्पष्ट करता है-
(1) भार का संरक्षण
(2) ऊर्जा का संरक्षण
(3) भार एवं ऊर्जा दोनों के संरक्षण को
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(2) ऊर्जा का संरक्षण

16. बन्द निकाय के लिये कौन-सा कथन सही है-
(1) निकाय अपने परिवेश के साथ ऊर्जा का विनिमय कर सकता है, द्रव्य का नहीं
(2) निकाय अपने परिवेश के साथ द्रव्य एवं ऊर्जा दोनों का विनियम कर सकता है
(3) निकाय अपने परिवेश के साथ न ऊर्जा का और न द्रव्य का विनिमय कर सकता है।
(4) निकाय अपने परिवेश के साथ द्रव्य का विनिमय कर सकता है, ऊर्जा का नहीं।
उत्तर:
(1) निकाय अपने परिवेश के साथ ऊर्जा का विनिमय कर सकता है, द्रव्य का नहीं

17. रुद्धोष्म परिवर्तन में विनिमय का ताप-
(1) स्थिर रहता है
(2) घटता है
(3) बढ़ता है
(4) घटता है या बढ़ता है।
उत्तर:
(4) घटता है या बढ़ता है।

18. हेस के नियम से गणना होती है-
(1) अभिक्रिया की एन्थैल्पी
(2) अभिक्रिया की एन्ट्रॉपी
(3) अभिक्रिया में किये गये कार्य की
(4) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(1) अभिक्रिया की एन्थैल्पी

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

19. अभिक्रिया N2 + 3H2 → 2NH3 निश्चित ताप एवं दाब पर होती है। यदि ∆H एवं ∆U अभिक्रिया की एन्बैल्पी तथा आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन हैं तो निम्न में से कौन सही है-
(1) ∆H > ∆U
(2) ∆H < ∆U
(3) ∆H = ∆U
(4) ∆H = 0.
उत्तर:
(2) ∆H < ∆U

20. वह निकाय जिसमें पदार्थ तथा ऊर्जा दोनों का अपने परिवेश से विनिमय होता है, कहलाता है-
(1) खुला तंत्र
(2) बंद तंत्र
(3) विलगित तंत्र
(4) समांगी तंत्र।
उत्तर:
(1) खुला तंत्र

21. एक ऊष्मागतिक मात्रा में है-
(1) ऊष्मीय परिवर्तनों के माप में प्रयुक्त की जाने वाली मात्रा
(2) वह मात्रा जिसका मान तंत्र की अवस्था पर निर्भर करता है
(3) वह मात्रा जो ऊष्मागतिकी में प्रयुक्त होती है
(4) वह मात्रा जो ऊष्मागतिकी नियमों का पालन करती है।
उत्तर:
(1) ऊष्मीय परिवर्तनों के माप में प्रयुक्त की जाने वाली मात्रा

22. एक निश्चित दाब पर किसी तंत्र द्वारा ऊष्मा Q अवशोषित की जाती है। ऊष्मा Q का मान निम्नलिखित में से किस के बराबर होगा-
(1) तंत्र के ऊर्जा परिवर्तन (U) के
(2) तंत्र के ऊर्जा एन्थल्पी परिवर्तन (∆H) के
(3) तंत्र के आयतन परिवर्तन (∆H) के
(4) उपर्युक्त में से किसी के नहीं।
उत्तर:
(2) तंत्र के ऊर्जा एन्थल्पी परिवर्तन (∆H) के

23. ऐसा परिवर्तन जिसमें निकाय का तापमान अपरिवर्तित रहता है, वह है-
(1) रुद्धोष्म परिवर्तन
(2) समतापी परिवर्तन
(3) उत्क्रमणीय परिवर्तन
(4) अनुत्क्रमणीय परिवर्तन।
उत्तर:
(2) समतापी परिवर्तन

24. किसी रासायनिक अभिक्रिया की स्थिर दाब पर ऊष्मा (Q) का मान किस के बराबर होता है-
(1) क्रियाफलों की आंतरिक ऊर्जा- क्रियाकारकों की आंतरिक ऊर्जा
(2) क्रियाकारकों की आंतरिक ऊर्जा- क्रियाफलों की आंतरिक ऊर्जा
(3) क्रियाफलों की एन्थेल्पी क्रियाकारकों की एन्यल्पी
(4) क्रियाकारकों की एन्थैल्पी क्रियाफलों की एन्थैल्पी।
उत्तर:
(3) क्रियाफलों की एन्थेल्पी क्रियाकारकों की एन्यल्पी

25. निश्चित आयतन पर एक रासायनिक अभिक्रिया में ऊष्मा परिवर्तन है-
(1) ∆H
(2) ∆P
(3) ∆E
(4) ∆V
उत्तर:
(3) ∆E

26. एन्थैल्पी को परिभाषित करते हैं-
(1) H + U/PV
(2) H = U + PV
(3) H = U(P + V)
(4) H = U – PV
उत्तर:
(2) H = U + PV

27. एक भारहीन पिस्टन द्वारा स्थिर ताप पर प्रसार ∆V है। यदि पिस्टन का दाब चरांक (variable) हो तो पिस्टन द्वारा किया गया कार्य निम्नलिखित होगा-
(1) W = PV
(2) W = ∆PAV
(3) W = शून्य
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(4) इनमें से कोई नहीं।

28. स्वतः प्रक्रम के लिए कौन-सा कथन असत्य है-
(1) स्वतः प्रक्रम एक ही दिशा में होते हैं
(2) स्वतः प्रक्रम सदैव तेज गति से सम्पन्न होते हैं
(3) स्वतः प्रक्रम एक अनुत्क्रमणीय प्रक्रिया है
(4) स्वतः परिवर्तन पर तंत्र की आंतरिक ऊर्जा कम होती है।
उत्तर:
(2) स्वतः प्रक्रम सदैव तेज गति से सम्पन्न होते हैं

29. एक तन्त्र की एन्थैल्पी में परिवर्तन (∆H) निर्भर करता है-
(1) प्रारम्भिक अवस्था पर
(2) अन्तिम अवस्था पर
(3) प्रारम्भिक एवं अन्तिम दोनों अवस्थाओं पर
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(3) प्रारम्भिक एवं अन्तिम दोनों अवस्थाओं पर

30. रासायनिक अभिक्रियाएँ स्वतः ही उस दिशा में सम्पन्न हो जाती
(1) जिस दिशा में मुक्त ऊर्जा की कमी होती है
(2) जिस दिशा में कोई उपयोगी कार्य नहीं हो
(3) जिस दिशा में मुक्त ऊर्जा में वृद्धि होती है
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(1) जिस दिशा में मुक्त ऊर्जा की कमी होती है

31. स्थिर ताप एवं दाब पर रासायनिक अभिक्रिया में होने वाले ऊष्मा विनिमय को कहते हैं-
(1) आन्तरिक ऊर्जा
(2) ए-थैल्पी
(3) एन्ट्रॉपी
(4) मुक्त ऊर्जा।
उत्तर:
(2) ए-थैल्पी

32. एक अभिक्रिया में एन्थैल्पी परिवर्तन निर्भर नहीं करता है-
(1) अभिकारकों एवं उत्पादों की अवस्थाओं पर
(2) अभिकारकों एवं उत्पादों की प्रकृति पर
(3) अभिक्रिया के विभिन्न मध्यवर्ती चरणों पर
(4) अभिक्रिया की प्राथमिक एवं अंतिम एन्थैल्पी पर
उत्तर:
(3) अभिक्रिया के विभिन्न मध्यवर्ती चरणों पर

33. एक अच्छी तरह से बंद थर्मस फ्लास्क में कुछ बर्फ के टुकड़े (ice cube) रखे हुये हैं, यह उदाहरण है-
(1) बंद निकाय का
(2) खुले निकाय का
(3) विलगित निकाय का
(4) गैर- ऊष्मागतिकीय निकाय का।
उत्तर:
(3) विलगित निकाय का

34. स्थिर ताप एवं दाब पर एक रासायनिक अभिक्रिया में होने वाले ऊष्मा विनिमय को कहते हैं-
(1) आन्तरिक ऊर्जा
(2) एन्थैल्पी
(3) एन्ट्रॉपी
(4) मुक्त ऊर्जा।
उत्तर:
(2) एन्थैल्पी

35. मोलर एन्थैल्पी परिवर्तन में मानक (standard) शब्द इंगित करता है।
(1) 298 K ताप को
(2) 1 वायुमण्डलीय दाब को
(3) 298 K ताप एवं 1 वायुमण्डलीय दाब को
(4) सभी ताप व दाब को।
उत्तर:
(3) 298 K ताप एवं 1 वायुमण्डलीय दाब को

36. C-A, C-B, C-D और C-E बंधो की बंध वियोजन ऊर्जा क्रमश: 240, 382, 276 तथा 486 kJ mol-1 है। सबसे छोटा परमाणु कौन-सा होगा-
(1) A
(2) B
(3) D
(4) E.
उत्तर:
(4) E.

37. अभिक्रिया की एन्थैल्पी ∆H निम्न प्रकार प्रदर्शित की जा सकती है-
(1) ∆H = ∑Hp – ∑HR
(2) ∆H = dHp – dHR
(3) ∆H = \(\frac{\mathrm{dH}_{\mathrm{P}}}{\mathrm{dH}_{\mathrm{R}}}\)
(4) ∆H = \(\frac{\Sigma \mathrm{H}_{\mathrm{P}}}{\Sigma \mathrm{H}_{\mathrm{R}}}\)
उत्तर:
(1) ∆H = ∑Hp – ∑HR

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

38. निम्न में से किसके लिये ∆S° शून्य से अधिक है।
(1) CaO(s) + CO2(g) → CaCO3(s).
(2) NaCl(aq) → NaCl(s)
(3) NaNO3(s) → Na+(aq) + NO3(aq)
(4) N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g)
उत्तर:
(3) NaNO3(s) → Na+(aq) + NO3(aq)

39. एन्ट्रॉपी को ऊष्मागतिक प्राचल मानने पर यह किस प्रक्रम की स्वतः प्रवर्तिता का निर्धारक है-
(1) ∆S(निकाय) + ∆S(परिवेश) > 0
(2) ∆S(निकाय) – ∆S(परिवेश) > 0
(3) ∆S(निकाय) > 0
(4) ∆S(निकाय) > 0.
उत्तर:
(1) ∆S(निकाय) + ∆S(परिवेश) > 0

40. ऊष्माधारिता है-
(1) \(\frac { dq }{ dT }\)
(2) dq x dT
(3) ∑q x \(\frac { 1 }{ dT }\)
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(1) \(\frac { dq }{ dT }\)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस शर्त पर ΔH का मान ΔE के बराबर होगा?
उत्तर:
स्थिर ताप व आयतन पर।

प्रश्न 2.
Cl2 की विरचन एन्थैल्पी क्या है?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 3.
एन्ट्रॉपी, मुक्त ऊर्जा को किससे व्यक्त करते हैं?
उत्तर:
एन्ट्रॉपी को 5 से तथा मुक्त ऊर्जा को G अथवा A से व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 4.
Cv, Cp से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
Cv स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता है तथा Cp स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता है।

प्रश्न 5.
थैल्पी एवं आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तनों के बीच सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
∆H = ∆E + P∆V या ∆H = ∆E + ∆ngRT।

प्रश्न 6.
हैस के नियम को प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध किया जा सकता है या नहीं?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा संरक्षण का नियम क्या है?
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ही ऊर्जा संरक्षण का नियम है।

प्रश्न 8.
बम कैलोरीमीटर क्या है?
उत्तर:
वह पात्र जिसमें रासायनिक अभिक्रिया में उत्पन्न या अवशोषित ऊष्मा की मात्रा को मापा जाता है, उसे बम कैलोरीमीटर कहते हैं।

प्रश्न 9.
निकाय कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
निकाय पाँच प्रकार के होते हैं-
समांगी निकाय, विषमांगी निकाय, खुला निकाय, बन्द निकाय, विलगित निकाय।

प्रश्न 10.
ऊर्जा किसे कहते ‘तथा यह कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। यह दो प्रकार की होती है –

  1. बाहरी ऊर्जा एवं
  2. आन्तरिक ऊर्जा।

प्रश्न 11.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
∆E = q + w
या
∆E = q – P∆V

प्रश्न 12.
खुला निकाय को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वह निकाय जो परिवेश से ऊर्जा और द्रव्य दोनों का विलय कर सके, खला निकाय कहलाता है।

प्रश्न 13.
किसी निकाय की एन्बैल्पी उसकी आन्तरिक ऊर्जा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
∆H = ∆E + P∆V, जहाँ ∆H, ∆E और ∆V निकाय के एन्थल्पी, आन्तरिक ऊर्जा और आयतन में परिवर्तन है।

प्रश्न 14.
∆H को परिभाषित कीजिए तथा बताइए कि ∆H का चिह्न ऊष्माक्षेपी तथा उष्माशोषी अभिक्रिया में क्या होगा?
उत्तर:
∆H निकाय की एन्थल्पी में परिवर्तन है। स्थिर दाब पर निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा को निकाय का एन्थैल्पी परिवर्तन कहते हैं। ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के लिए ∆H का मान ऋणात्मक तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं के लिए धनात्मक होता है।

प्रश्न 15.
समतापीय प्रक्रम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समतापीय प्रक्रम- स्थिर ताप पर किया जाने वाला प्रक्रम समतापीय प्रक्रम कहलाता है।

प्रश्न 16.
उस चरांक को बताइए जिसे समदाबीय प्रक्रम में स्थिर रखा जाता है।
उत्तर:
दाब।

प्रश्न 17.
किस प्रकार ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी, गलन का वाष्पन की एन्थैल्पी से सम्बन्धित है।
उत्तर:
ऊर्ध्वपातन की एन्थेल्पी वाष्पन की ऊष्मा और गलन की ऊष्मा का योग होती है।
∆H(s) = ∆H(l) + ∆H(v)

प्रश्न 18.
उत्क्रमणीय प्रक्रम से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
उत्क्रमणीय प्रक्रम-यदि किसी प्रक्रम में प्रक्रम को चलाने वाले बल की मात्रा विरोधी बल मात्रा से अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा में अधिक तो विरोधी बल की मात्रा अत्यन्त सूक्ष्म बढ़ा देने से प्रक्रम उत्क्रमणीय हो जाता है, ऐसे प्रक्रम को उत्क्रमणीय प्रक्रम कहते हैं।

प्रश्न 19.
ऊष्माधारिता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी निकाय या द्रव्य के ताप को K बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे उस निकाय की ऊष्माधारिता कहते हैं।

प्रश्न 20.
एक मोल ऐसीटोन को एक मोल जल की तुलना वाष्पीकृत होने के लिये कम ऊष्मा की आवश्यकता होती है, निम्न में से किस द्रव की वाष्पीकरण की ऊष्मा अधिक है?
उत्तर:
जिस द्रव के एक मोल को वाष्पीकृत होने के लिये कम ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसके वाष्पीकरण की ऊष्मा भी कम होती है, अतः जल की वाष्पीकरण की ऊष्मा का मान अधिक होता है।

प्रश्न 21.
चक्रीय प्रक्रमं पद को समझाइए।
उत्तर:
चक्रीय प्रक्रम वह प्रक्रम जिसमें निकाय विभिन्न परिवर्तनों से गुजरता हुआ पुनः अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाये तो ऐसे प्रक्रम को चक्रीय प्रक्रम कहते हैं।

प्रश्न 22.
हेस का नियम क्या है?
उत्तर:
हेस का नियम – इस नियम के अनुसार यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया या परिवर्तन को एक या अनेक पदों में दो या दो से अधिक विधियों द्वारा सम्पन्न किया जाये तो सम्पूर्ण परिवर्तन में उत्पन्न या अवशोषित ऊष्मा की मात्राएँ समान रहेंगी, चाहे परिवर्तन किसी भी ढंग से किया जाये।

प्रश्न 23.
तन्त्र पर कार्य किया जाता है तो तन्त्र की आन्तरिक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
बढ़ेगी

प्रश्न 24.
बन्दूक से छूटी गोली लक्ष्य से टकराने के बाद गर्म क्यों हो जाती है?
उत्तर:
लक्ष्य से टकराने पर गोली की गतिज ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में बदल जाने के कारण गोली इस ऊष्मा को अवशोषित करके गर्म हो जाती है।

प्रश्न 25.
किन परिस्थितियों में गैस की विशिष्ट ऊष्मा का मान शून्य तथा अनन्त होगा?
उत्तर:
रूद्धोष्म प्रक्रम में गैस की विशिष्ट ऊष्मा शून्य होती है तथा समतापी प्रक्रम में गैस की विशिष्ट ऊष्मा अनन्त होती है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 26.
किसी ऊष्मागतिक निकाय की आन्तरिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी गैस के अणुओं की स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा, घूर्णीय गतिज ऊर्जा, कम्पनिक गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग उस गैस के ऊष्मागतिक निकाय की आन्तरिक ऊर्जा कहलाती है।

प्रश्न 27.
एक आदर्श गैस को स्थिर ताप पर सम्पीडित किया जाता है। इसकी आन्तरिक ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा केवल ताप पर निर्भर करती है अतः इसकी आन्तरिक ऊर्जा में कुछ भी परिवर्तन नहीं होगा।

प्रश्न 28.
बर्फ को छूने से ठण्डा क्यों लगता है?
उत्तर:
क्योंकि बर्फ हमारे हाथ से ऊष्मा को ग्रहण कर लेती है।

प्रश्न 29.
बन्ध बनने में सदैव ऊष्मा का उत्सर्जन होता है, क्यों?
उत्तर:
बन्ध बनाते समय परमाणुओं में प्रबल आकर्षण के कारण सदैव ऊष्मा का उत्सर्जन होता है।

प्रश्न 30.
ब्रह्माण्ड की एन्ट्रॉपी लगातार बढ़ रही है, क्यों?
उत्तर:
बह्माण्ड में स्वतः प्रवर्तित अभिक्रियायें अधिक होती रहती हैं, अतः एन्ट्रॉपी का मान बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 31.
ऊर्जा में क्या परिवर्तन होता है जब कोई तेज गति करती हुयी कार लाल सिग्नल पर एकाएक रुकती है?
उत्तर:
कार की कुछ गतिज ऊर्जा, टायरों एवं ब्रेक पैड पर ऊष्मा में परिवर्तित होती है तथा कुछ कार को रोकने में कार्य करने में प्रयुक्त हो जाती है।

प्रश्न 32.
अभिक्रिया SO2 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2 → SO3 में एन्बैल्पी परिवर्तन की प्रकृति क्या होगी?
उत्तर:
कम होगी, दहन ऊष्मा सदैव उत्सर्जित होती है।

प्रश्न 33.
एन्थल्पी एक विस्तीर्ण अथवा बाह्य गुण है। माना कि एक अभिक्रिया A → B की एक पथ की एन्थैल्पी का मान ∆rH1 है जबकि इसके दूसरे पथ की विभिन्न इन्टरमीडिएट पथों की एन्थेल्पी का मान ∆rH1, ∆rH2, ∆rH3 …. इत्यादि है तो बतायें कि ∆rH व ∆rH, ∆rH2 …….. इत्यादि के मध्य क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
हँस के नियमानुसार, ∆rH = ∆rH1 + ∆rH2 + ∆rH3 ….

प्रश्न 34.
जल के जमने की ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया किस तापक्रम पर स्वतः अग्रसरित नहीं होगी।
उत्तर:
0°C से ऊपर।

प्रश्न 35.
ऊष्मागतिकी साम्यावस्था पर कौन-कौन सी साम्य अवस्थाएँ होती हैं।
उत्तर:

  1. तापीय साम्यावस्था
  2. रासायनिक साम्यावस्था
  3. यांत्रिक साम्यावस्था।

प्रश्न 36.
स्थिर दाब एवं स्थिर आयतन पर होने वाली अभिक्रियाओं में उत्सर्जित होने वाली ऊष्माओं को किन परिवर्तनों के द्वारा व्यक्त करते हैं?
उत्तर:
स्थिर दाब पर : ∆H
स्थिर आयतन पर :  ∆U

प्रश्न 37.
Cp व Cv के मध्य अन्तर को एक सूत्र H = U + PV के द्वारा बताया जा सकता है 10 मोल आदर्श गैस के लिये Cp तथा Cv के मध्य अन्तर के मान को बतायें?
उत्तर:
Cp – Cv = nR
= 10 x 8.314 J
= 83.14 J

प्रश्न 38.
साम्यावस्था पर मुक्त ऊर्जा परिवर्तन (∆G) का मान क्या होगा?
उत्तर:
∆G = 0.

प्रश्न 39.
जल के हिमांक पर मुक्त ऊर्जा परिवर्तन का मान क्या होगा?
उत्तर:
∆G = 0 क्योंकि हिमांक साम्यावस्था (बर्फ जल) होती है।

प्रश्न 40.
किसी तत्व की उसकी मानक अवस्था में मानक एन्थैल्पी मान क्या होता है?
उत्तर:
किसी तत्व की उसकी मानक अवस्था में मानक एन्थैल्पी मान शून्य होता है।

प्रश्न 41.
किसी ईंधन की उच्च गुणवत्ता होने के लिये प्राथमिक आवश्यकता क्या है?
उत्तर:
किसी ईंधन की उच्च गुणवत्ता होने के लिये उसका ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिये। ऊष्मा उत्सर्जित होगी अथवा अवशोषित ।

प्रश्न 42.
फ्लुओरीन का ऑक्सीजन में दहन होने पर अभिक्रिया
उत्तर:
यहाँ अभिक्रिया में ऊष्मा अवशोषित होती है।

प्रश्न 43.
उदासीनीकरण में निर्मुक्त ऊष्मा का प्रयोगात्मक मान, दुर्बल अम्लों एवं दुर्बल क्षारों में 13.7 kcal से कम आता है, क्यों?
उत्तर:
उदासीनीकरण में निर्मुक्त ऊष्मा का प्रयोगात्मक मान, दुर्बल अम्लों एवं दुर्बल क्षारों में 13.7 kcal से कम आता है क्योंकि उत्सर्जित ऊष्मा का कुछ भाग दुर्बल अम्ल का दुर्बल क्षार या दोनों के वियोजन में खर्च हो जाता है।

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प्रश्न 44.
जल की एन्ट्रॉपी बर्फ से अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
जल की एन्ट्रॉपी बर्फ से अधिक होती है क्योंकि जल के अणुओं की मुक्त गति के कारण यहाँ पर अव्यवस्था अधिक होती है। बर्फ में अणु ठोस अवस्था में रहने के कारण अधिक व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 45.
NaCl के विलयन की ऊष्मा का मान धनात्मक होता है, क्यों?
उत्तर:
∆Hक्लिन = ∆Hआवन + ∆Hजलयोजन
∵ ∆Hजलयोजन का मान ऋणात्मक तथा ∆Hआयन का मान धनात्मक होता है तथा NaCl के ∆Hआयन का मान ∆Hजलयोजन से अधिक होता है अतः ∆Hविलयन का मान धनात्मक होता है।

प्रश्न 46.
सीसे के एक टुकड़े को हथौड़े से पीटा जाता है। क्या इससे सीसे की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ेगी? क्या सीसे को बाहर से ऊष्मा दी गई?
उत्तर:
सीसे के टुकड़े पर बाहर से कार्य किया गया है अतः इसकी आन्तरिक ऊर्जा बढ़ेगी। सीसे को बाहर से कोई भी ऊष्मा नहीं दी गयी।

प्रश्न 47.
ठण्डे जल की बाल्टी में गर्म लोहे के टुकड़े को डालने से क्या जल की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ेगी? क्या लोहे के टुकड़े ने कुछ कार्य किया?
उत्तर:
ठण्डे जल की बाल्टी में गर्म लोहे के टुकड़े को डालने पर ठण्डे जल के ताप में वृद्धि होगी, क्योंकि जल की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ जाती है जल की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि ऊष्मास्थानान्तरण के कारण होती है, कार्य के द्वारा नहीं अतः लोहे ने कुछ भी कार्य नहीं किया।

प्रश्न 48.
किन परिस्थितियों में गैस की विशिष्ट ऊष्मा का मान शून्य तथा अनन्त होता है।
उत्तर:
रुद्धोष्म प्रक्रम में गैस की विशिष्ट ऊष्मा शून्य होती है तथा समतापी प्रक्रम में गैस की विशिष्ट ऊष्मा अनन्त होती है।

प्रश्न 49.
एक आदर्श गैस को स्थिर ताप पर सम्पीडित किया जाता है। इसकी आन्तरिक ऊर्जा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर:
आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा केवल ताप पर निर्भर करती है अतः इसकी आन्तरिक ऊर्जा में कुछ भी परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 50.
चक्रीय प्रक्रम क्या है?
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें कोई निकाय विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता हुआ अपनी प्रारम्भिक अवस्था में लौट जाता है, चक्रीय प्रक्रम कहलाता है (यहाँ ∆H0, ∆U = 0)।

प्रश्न 51.
क्या एक विलगित निकाय का ताप स्थिर रहता है?
उत्तर:
विलगित निकाय का ताप स्थिर रहता है, जबकि निकाय के भीतर कोई रासायनिक अथवा भौतिक क्रिया न हो रही हो।

प्रश्न 52.
वायुमण्डल की वायु ऊपर जाने पर ठण्डी क्यों हो जाती है?
उत्तर:
ऊपरी वायुमण्डल में दाब कम होता है अतः ऊपर जाने वाली हवा का प्रसार हो जाता है और इस प्रसार के दौरान वायु आन्तरिक ऊर्जा व्यय करके कार्य करती है जिससे इसका ताप गिर जाता है और वह ठण्डी हो जाती है।

प्रश्न 53.
साइकिल ट्यूब में हवा भरते समय पम्प गर्म क्यों हो जाती है?
उत्तर:
साइकिल ट्यूब में हवा भरते समय वायु का रूद्धोष्म सम्पीडन होता है और इस दौरान वायु पर किया गया सम्पूर्ण कार्य वायु की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करता है जिससे वायु व पम्प का ताप बढ़ जाता है।

प्रश्न 54.
उच्च दाब पर भरी गैस का एकाएक प्रसार होने पर उसका ताप कम क्यों हो जाता है?
उत्तर:
क्योंकि बाह्य कार्य करने में गैस की आन्तरिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 55.
जब एक आदर्श गैस का निर्वात में प्रसार होता है तो ऊष्मा न तो अवशोषित होती है और न ही निर्मुक्त, ऐसा क्यों?
उत्तर:
एक आदर्श गैस में उतरा अणुक बल अनुपस्थित होता है।
अत: जब गैस के आयतन प्रसार होता है तो कर्जा न तो अवशोषित होती है और न ही निर्मुक्त होती है।

प्रश्न 56.
किसी प्रक्रम के स्वतः प्रवर्तित होने के लिये ऊष्मागतिक शर्त बताइये।
उत्तर:
किसी प्रक्रम स्वतः प्रवर्तित होने के लिये,
∆G < 0 (-v e)
अर्थात् ∆H < 0 (- ve), ∆S > 0 (+ ve)

प्रश्न 57.
आन्तरिक ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा यदि कार्य निकाय द्वारा किया गया हो।
उत्तर:
यदि कार्य निकाय द्वारा किया गया हो तो आयतन में वृद्धि के कारण आन्तरिक ऊर्जा कम हो जायेगी।

प्रश्न 58.
आबन्ध ऊर्जा तथा आबन्ध वियोजन ऊर्जा कब बराबर होती है?
उत्तर:
आबन्ध ऊर्जा, द्विपरमाणुक अणु के लिये आबन्ध वियोजन ऊर्जा के बराबर होती है।
उदाहरण – H-H(g), Cl-Cl(g), O = O(g) आदि।

प्रश्न 59.
क्या बह्माण्ड की एन्ट्रॉपी स्थिर है।
उत्तर:
नहीं ब्रह्माण्ड की एन्ट्रॉपी स्थिर नहीं है यह लगातार बढ़ रही है।

प्रश्न 60.
ऊष्मागतिकी के प्रथम व द्वितीय नियम की संयुक्त परिभाषा लिखें।
उत्तर:
ब्रह्माण्ड की आन्तरिक ऊर्जा स्थिर है जबकि इसकी एन्ट्रॉपी लगातार बढ़ रही है।

प्रश्न 61.
हीरा व ग्रेफाइट में से किसकी एन्ट्रॉपी अधिक है?
उत्तर:
ग्रेफाइट की एन्ट्रॉपी अधिक है क्योंकि इसमें परतें उपस्थित हैं जो हीरे की अपेक्षा शिथिलता से बंधी होती हैं।

प्रश्न 62.
सभी सजीव निकाय खुले निकायों की तरह व्यवहार करते हैं, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि इनको परिवेश के साथ द्रव्यमान और ऊर्जा दोनों का विनिमय करना पड़ता है।

प्रश्न 63.
ΔS = \(\frac { ΔH }{ T }\) कब वैध होता है।
उत्तर:
यह सम्बन्ध तभी वैध होता है जब निकाय साम्यावस्था में हो अर्थात् (ΔG = 0)।

प्रश्न 64.
आदर्श गैस के समतापी प्रसरण के लिये ΔU = 0 क्यों होता है?
उत्तर:
आन्तरिक ऊर्जा एवं आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन दोनों ही ताप का कार्य हैं। चूँकि समतापी प्रक्रम में ताप नियत होता है अत: ΔU = 0 हो जाता है।

प्रश्न 65.
ऐसीटोन की मोलर वाष्पीकरण की ऊष्मा का मान जल की तुलना में कम होता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि जल में प्रबल हाइड्रोजन आबन्ध पाये जाते हैं।

प्रश्न 66.
आन्तरिक ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा? यदि कार्य निकाय द्वारा किया गया हो?
उत्तर:
यदि कार्य निकाय द्वारा किया गया है तो आयतन प्रसरण होगा। इस प्रसरण के कारण आन्तरिक ऊर्जा कम हो जाती है।

प्रश्न 67.
हेस का नियम ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का पूरक है, कैसे?
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम कहता है कि ऊष्मा न तो उत्पन्न की जा सकती है तथा न ही नष्ट हेस के नियम के अनुसार किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रक्रिया के दौरान ऊष्मा ऊर्जा समान रहता है।

प्रश्न 68.
यदि किसी अभिक्रिया के लिये मानक मुक्त ऊर्जा में परिवर्तन शून्य हो तो अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि,
∆GΘ = – 2.303 RT log K
यदि ∆GΘ = 0 है तो
– 2.303 RT log K = 0
log K = 0
K = 1 होगा।

प्रश्न 69.
निम्नलिखित क्रियाओं में ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियायें छाँटिये।
(1) माचिस का जलना।
(2) बर्फ का पिघलना।
(3) पिघली धातु का ठोस आकार ग्रहण करना।
(4) पोटैशियम की पानी से क्रिया।
(5) ईथर का वाष्पित होना।
उत्तर:
(1) माचिस का जलना ऊष्माक्षेपी
(2) बर्फ का पिघलना – ऊष्माशोषी
(3) पिघली धातु का ठोस आकार ग्रहण करना – ऊष्माक्षेपी
(4) पोटैशियम की पानी से क्रिया – ऊष्माक्षेपी
(5) ईथर का वाष्पित होना – ऊष्माशोषी

प्रश्न 70.
स्थिर दाब एवं स्थिर आयतन पर मोलर ऊष्मा धारिताओं का अन्तर कितना होता है?
उत्तर:
Cp – Cv = R
यह गैस नियतांक (R) के बराबर होता है।

प्रश्न 71.
‘निकाय द्वारा किये गये कार्य’ की प्रकृति क्या होती है?
उत्तर:
निकाय द्वारा किये गये कार्य की प्रकृति ऋणात्मक (- ve) होती है।

प्रश्न 72.
‘निकाय पर किये गये कार्य की प्रकृति’ क्या होती है?
उत्तर:
निकाय पर किये गए कार्य की प्रकृति धनात्मक (+ve) होती है।

प्रश्न 73.
निकाय द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा की प्रकृति क्या होती है?
उत्तर:
निकाय द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा की प्रकृति ऋणात्मक (-ve) होती है।

प्रश्न 74.
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा की प्रकृति क्या होती है?
उत्तर:
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा की प्रकृति धनात्मक (+ve) होती है।

प्रश्न 75.
कार्बन की सबसे स्थायी अवस्था कौन-सी होती है?
उत्तर:
कार्बन की सबसे स्थायी अवस्था ग्रेफाइट होती है।

प्रश्न 76.
12 ग्राम कार्बन, डायमण्ड तथा ग्रेफाइट अवस्थाओं में दहन करने पर अलग-अलग ऊष्मा उत्सर्जित करता है, क्यों?
उत्तर:
इनसे उत्सर्जित ऊष्माओं में अन्तर इस कारण होता है क्योंकि अभिक्रिया ऊष्माओं का मान क्रियाकारकों की भौतिक अवस्थाओं पर निर्भर करता है।

प्रश्न 77.
क्या कारण है कि स्थिर दाब पर होने वाली अभिक्रियाओं का अध्ययन, स्थिर आयतन की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
उत्तर:
क्योंकि स्वतः प्रवर्तित अभिक्रियाएँ वायुमण्डलीय दाब पर सम्पन्न होती हैं।

प्रश्न 78.
निकाय एवं परिवेश के बीच होने वाले लेन-देन कौन-कौन से हैं।
उत्तर:
निकाय एवं परिवेश के मध्य कार्य एवं ऊष्मा दोनों का लेन-देन होता है।

प्रश्न 79.
ठोस से द्रव बनते समय एन्ट्रॉपी में वृद्धि, द्रव से गैस बनते समय एन्ट्रॉपी में वृद्धि से कम क्यों होती है?
उत्तर:
गैस अवस्था में अणुओं के मध्य अव्यवस्था द्रव अवस्था के अणुओं के मध्य पायी जाने वाली अव्यवस्था (disorderness) की तुलना में अधिक होती है। इसी कारण ठोस से द्रव बनते समय एन्ट्रॉपी में वृद्धि, द्रव से गैस बनते समय एन्ट्रॉपी में वृद्धि से कम होती है।

प्रश्न 80.
क्या एन्थल्पी में कमी अर्थात् ऋणात्मक एन्बैल्पी सभी अभिक्रियाओं की स्वतः प्रवर्तिता का एकमात्र मापदण्ड है।
उत्तर:
नहीं बहुत सी ऐसी अभिक्रिया भी हैं जिसमें ∆H का मान धनात्मक होता है फिर भी वह स्वतः प्रवर्तित होती हैं, जैसे कि जल का वाष्पन, NaCl, NH4Cl आदि का ऊष्माशोषी अभिक्रिया के साथ जल में घुलना।

प्रश्न 81.
एक विलगित निकाय में माना कि दो आदर्श गैसों को समान ताप पर मिश्रित कर दिया जाता है। एन्ट्रॉपी में परिवर्तन का चिन्ह क्या होगा?
उत्तर:
गैसों को मिश्रित करने का अर्थ है कि दोनों के आयतन में वृद्धि हो रही है। इसके साथ-साथ गैसों के अणुओं के मध्य अव्यवस्था भी बढ़ रही है। इसका अर्थ है कि एन्ट्रॉपी बढ़ रही है। अर्थात् ∆S का मान धनात्मक हो जायेगा।

प्रश्न 82.
क्या यह सम्भव है कि किसी पदार्थ को ऊष्मा देने पर भी उसके ताप में वृद्धि न हो। उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
हाँ, पदार्थ के अवस्था परिवर्तन के समय (जैसे-बर्फ के गलते समय या जल के उबलते समय) निकाय ऊष्मा लेता है परन्तु उसका ताप नहीं बदलता, केवल स्थितिज ऊर्जा बदलती है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 83.
क्या यह सम्भव है कि किसी निकाय को बिना ऊष्मा दिये अथवा उससे बिना ऊष्मा लिये ताप परिवर्तित हो जाये।
उत्तर:
हाँ, रूद्धोष्म परिवर्तन में बिना ऊष्मा दिये अथवा लिये ताप परिवर्तन हो जाता है। रूद्धोष्म सम्पीडन में ताप बढ़ता है, जबकि रुद्धोष्म प्रसार में ताप घटता है।

प्रश्न 84.
भाप का अति तप्त होना समदाबी प्रक्रम है अथवा समतापी प्रक्रम और क्यों?
उत्तर:
भाप का अतितप्त होना समदाबी प्रक्रम है, क्योंकि ऊष्मा लेकर अतितप्त होते समय तक ताप का दाब तो नियत रहता है, परन्तु भाप का ताप नियत नहीं रहता है।

प्रश्न 85.
0°C ताप की बर्फ को गरम करके 100°C ताप की भाप में परिवर्तित किया जाता है। बर्फ को भाप में बदलने की इस प्रक्रिया में होने वाले समतापीय परिवर्तनों को बताइये।
उत्तर:
0°C पर बर्फ से जल बनना तथा 100°C पर जल से भाष का बनना समतापीय परिवर्तन है।

प्रश्न 86.
किसी गैस की दो विशिष्ट ऊष्माएँ कौन-सी हैं और वे भिन्न-भिन्न क्यों हैं?
उत्तर:
गैस की दो विशिष्ट ऊष्मायें Cp तथा Cv हैं। Cp वायुमण्डलीय दाब के विरुद्ध कार्य करने तथा वृद्धि दोनों में प्रयुक्त होती है। जबकि Cv केवल ताप वृद्धि में प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 87.
भाप की एन्ट्रॉपी जल से अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
क्वथनांक पर जल तथा भाप दोनों एक साथ उपस्थित होते हैं तथा साम्यावस्था में रहते हैं। यद्यपि भाप की एन्ट्रॉपी अधिक होती है, क्योंकि इस अवस्था में H2O अणुओं की अव्यवस्था बढ़ जाती है तथा यह द्रव अवस्था से अधिक होती है।

प्रश्न 88.
निम्न में से अवस्था फलन एवं पथ फलन को छाँटिए।
एन्थल्पी, एन्ट्रॉपी, ताप, ऊष्मा, कार्य, मुक्त ऊर्जा
उत्तर:
अवस्था फलन-एन्थल्पी एन्ट्रॉपी, ताप, मुक्त ऊर्जा।
पथ फलन-ऊष्मा कार्य

प्रश्न 89.
298 K ताप पर अभिक्रिया N2O4(g) ⇌ 2NO2(g) के Kp का मान 0.98 है, बताइये कि अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित है या नहीं।
उत्तर:
rGΘ = – RT In Kp चूँकि Kp = 0.98 अत: ∆rGΘ का मान – ve होगा अतः अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित (spontaneous) है।

प्रश्न 90.
परिवेश की एन्बैल्पी के मान में बढ़त (increase) निकाय की एन्थैल्पी के मान में घटत (decrease) के बराबर होती है, बताइये कि क्या परिवेश व निकाय का ताप समान होगा यदि ये दोनों तापीय साम्य में हों।
उत्तर:
हाँ, यदि परिवेश व निकाय दोनों तापीय साम्यावस्था में है तो इन दोनों का ताप भी समान होगा।

प्रश्न 91.
दिया गया है कि दो गैसों को मिलाने पर ∆H = 0 हो जाता है। बताइये कि क्या इन गैसों का एक-दूसरे में विसरण एक बन्द पात्र में स्वतः होगा या नहीं।
उत्तर:
यह एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम है क्योंकि, चाहे एन्थैल्पी में परिवर्तन शून्य (∆H = 0) ही क्यों न हो, यहाँ अव्यवस्था (disorderness) बढ़ रही है अर्थात् कारक एन्ट्रॉपी के मान में बढ़त प्रक्रम को स्वतः प्रवर्तित बना रही है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समांगी और विषमांगी निकाय में क्या अन्तर है?
उत्तर:
समांगी निकाय जब किसी निकाय में उपस्थित सभी द्रव्य समान प्रावस्था में हों या रासायनिक संगठन एक सा हो, तो वह निकाय समांगी निकाय कहलाता है।
उदाहरण-नमक का जलीय विलयन।

विषमांगी निकाय – यदि किसी निकाय में दो या दो अधिक प्रावस्थाएँ हों, तो वह निकाय विषमांगी निकाय कहलाता है।
उदाहरण-बर्फ व जल का मिश्रण।

प्रश्न 2.
एक परमाणुक आदर्श गैस के एक मोल सेम्पल (sample) को compression तथा expansion के एक चक्रीय प्रक्रम में लिया जाता है जिसे निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है। पूरे चक्र के लिये
∆H का मान क्या होगा?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 1
उत्तर:
चक्रीय प्रक्रम के लिए कुल एन्थैल्पी परिवर्तन का मान शून्य होता है अर्थात् ∆H(चक्रीय) = 0 ।

प्रश्न 3.
q तथा W से क्या समझते हो? इनमें क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
q तथा W दोनों ही बीजीय राशियाँ हैं। q निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा है। W निकाय द्वारा परिवेश पर किया गया कार्य है।
अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा = निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि निकाय द्वारा किया गया कार्य।

प्रश्न 4.
q तथा W के चिह्न किस प्रकार होते हैं?
उत्तर:
q तथा W के चिन्ह निम्न नियमानुसार होते हैं-

  1. यदि निकाय ऊष्मा अवशोषित करता है, तो q का मान धनात्मक (+) होता है और यदि निकाय ऊष्मा उत्सर्जित करता है, तो q का मान ऋणात्मक (-) होता है।
  2. यदि निकाय द्वारा वातावरण पर कार्य किया जाता है तो W का मानधनात्मक (+) होता है और यदि निकाय पर परिवेश (वातावरण) द्वारा कार्य किया जाता है, तो W का मान ऋणात्मक (-) होता है।

प्रश्न 5.
ऊष्माधारिता किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी निकाय या द्रव के ताप को 1 K बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे उस निकाय की ऊष्माधारिता कहते हैं।
C = \(\frac{q}{\mathrm{~T}_2-\mathrm{T}_1}=\frac{q}{\Delta \mathrm{T}}\)

प्रश्न 6.
स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता (Cv) तथा स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता (Cp) का सूत्र दर्शाइये।
उत्तर:
स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता
Cv = \(\left[\frac{q_v}{\mathrm{~T}_2-\mathrm{T}_1}\right]_{\mathrm{V}}=\left[\frac{q_v}{\Delta \mathrm{T}}\right]_{\mathrm{V}}\)
स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता
Cp = \(\left[\frac{q_p}{\mathrm{~T}_2-\mathrm{T}_1}\right]_{\mathrm{V}}=\left[\frac{q_p}{\Delta \mathrm{T}}\right]_{\mathrm{P}}\)

प्रश्न 7.
एक सिलेण्डर में बन्द एक आदर्श गैस पर किया गया कार्य क्या होगा जब इसे एक constant बाह्य दाब Pext के द्वारा एक पद में सम्पीडित किया जाये। इसे निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 2
उत्तर:
जैसा कि बताया गया है कि Pext constant है यह एक अनुत्क्रमणीय सम्पीडन है।
Wirv – Pext ∆V
= Pext (V1 – V2)
यह P – V के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है यहाँ किया गया कार्य ABV2V1 का क्षेत्रफल है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 3

प्रश्न 8.
खुले व बन्द निकायों अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खुला निकाय – वह निकाय जो परिवेश से ऊर्जा व द्रव्य दोनों का ही विनिमय कर सके, वह खुला निकाय कहलाता है।
बन्द निकाय – वह निकाय जो अपने परिवेश से केवल ऊर्जा का ही आदान-प्रदान कर सके, पदार्थ का नहीं, वह बन्द निकाय कहलाता है।

प्रश्न 9.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, किन्तु एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है अर्थात् ब्रह्माण्ड की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।

इस नियम से यह स्पष्ट है कि जब एक प्रकार की ऊर्जा की कोई मात्रा मुक्त होती है, तो उसके तुल्य दूसरे प्रकार की ऊर्जा अवश्य प्रकट हो जाती है।

प्रश्न 10.
तन्त्र की आन्तरिक ऊर्जा क्या प्रभाव होगा यदि
(क) तन्त्र पर कार्य किया जाता है।
(ख) तन्त्र द्वारा कार्य किया जाता है।
उत्तर:
(क) जब किसी तन्त्र पर कार्य किया जाता है तो किसी तन्त्र की आन्तरिक ऊर्जा में कमी आती है। किसी तन्त्र की आन्तरिक ऊर्जा उस तन्त्र की भौतिक अवस्थाओं दाब, ताप आदि पर भी निर्भर करती है। आन्तरिक ऊर्जा उसके द्वारा परिवेश पर किये गये कार्य के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।

(ख) जब किसी तन्त्र द्वारा कार्य किया जाता है तो तन्त्र की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि तभी सम्भव है जब ऊर्जा परिवर्तन ऊष्मा में रूपान्तरित न हुआ हो।

प्रश्न 11.
समतापीय तथा रुद्धोष्म प्रक्रम में क्या अन्तर है?
उत्तर:
समतापीय प्रक्रम – स्थिर ताप पर किया जाने वाला प्रक्रम समतापीय प्रक्रम कहलाता है। इस प्रक्रम में ताप स्थिर रखने के लिए तन्त्र अपने परिवेश से ऊष्मा का आदान-प्रदान करता है। यदि प्रक्रम ऊष्माक्षेपी है, तो मुक्त हुई ऊष्मा परिवेश को दे दी जाती है। यदि प्रक्रम ऊष्माशोषी हैं, तो परिवेश से ऊष्मा ले ली जाती है।

रुद्धोष्म प्रक्रम – इस प्रक्रम में निकाय अपने परिवेश से ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं करता है। इस प्रक्रम में निकाय के ताप में परिवर्तन सम्भव है। यदि प्रक्रम ऊष्माक्षेपी हैं, तो ताप में वृद्धि होगी तथा यदि प्रक्रम ऊष्माशोषी है, तो ताप में कमी हो जायेगी।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में ऊर्जा किस स्वरूप से किस स्वरूप में बदलती है।
(1) जुगनु का चमकना।
उत्तर:
रासायनिक ऊर्जा से प्रकाश ऊर्जा।

(2) रेडियो का बजना।
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा।

(3) प्रकाश संश्लेषण।
उत्तर:
प्रकाश ऊर्जा से रासायनिक ऊर्जा।

(4) कोयले का जलना।
उत्तर:
रासायनिक ऊर्जा से प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मा

(5) मेज को धकेलना।
उत्तर:
यान्त्रिक ऊर्जा से गतिज ऊर्जा।

(6) बल्ब का जलना।
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा से प्रकाश ऊर्जा।

(7) विद्युत इंजन का चलना।
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा से कार्य एवं ऊष्मा।

प्रश्न 13.
बहते जल में डूबे प्रतिरोधक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। प्रतिरोधक को निकाय मानते हुये बताएँ।
(1) क्या प्रतिरोधक में बाहर से ऊष्मा प्रवेश करती है?
(2) क्या जल में ऊष्मा प्रवेश करती है?
(3) क्या कार्य हुआ?
(4) यह मानकर कि प्रतिरोधक की अवस्था अपवर्तित रहती है।
इस प्रक्रम के लिये प्रथम नियम लागू कीजिये।
उत्तर:
(1) नहीं प्रतिरोधक में बाहर से ऊष्मा प्रवेश नहीं करती है।
(2) हाँ, जल में ऊष्मा प्रवेश करती है।
(3) हाँ, प्रतिरोधक (निकाय) पर कार्य हुआ।
(4) प्रथम नियमानुसार,
∆U = q + w
यहाँ पर
q = 0 (प्रतिरोधक के लिये)
w = + ve अत:
∆U = 0 + w
∆U = w
जल के लिये,
w = 0 अत: ∆U = q
अत: w = q
इससे सिद्ध होता है कि कार्य, जल की स्थानान्तरित ऊष्मा के बराबर है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 14.
निकाय के मुक्त प्रसार से आप क्या समझते हैं? क्या मुक्त प्रसार के दौरान निकाय की आन्तरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है?
उत्तर:
यदि किसी निकाय जैसे-गैस का प्रसार प्रकार हो कि निकाय से बाहर जा सके न ही बाहर से निकाय में आ सके अर्थात् प्रसार रूद्धोष्म प्रकार का हो। यदि निकाय द्वारा या निकाय पर कोई माना दृढ़ दीवारों के द्वारा कार्य भी न हो तो इसे मुक्त प्रसार (Free expansion) कहते हैं।

माना दृढ़ दीवारों के द्वारा निर्मित तथा ऐस्बेस्टॉस से ढका एक बर्तन दो भागों में विभक्त है, एक में गैस भरी है तथा एक भाग निर्वातित है। जब विभाजक को अचानक जोड़ देते हैं तो गैस तेजी से निर्वस् में प्रवेश करती है तथा मुक्त रूप से फैलती है। यदि गैस की प्रारम्भिक तथा अन्तिम आन्तरिक ऊर्जाएँ Ui तथा Uf हों तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार,
Uf – Ui = q + W
चूँकि पात्र ऊष्मा-रोधी है तथा प्रक्रम अचानक (sudden) होता है; अतः निकाय में न तो ऊष्मा प्रवेश करती है और न ही उससे बाहर निकलती है (q = 0)। इसके अतिरिक्त चूँकि गैस का प्रसार निर्वात् में होता है; अतः कोई कार्य भी नहीं होगा (W = 0)। इस प्रकार
Uf – Ui = 0
या Uf = Ui
अत: मुक्त प्रसार में प्रारम्भिक तथा अन्तिम आन्तरिक ऊर्जाएँ बराबर होती हैं अर्थात् आन्तरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है।

प्रश्न 15.
आन्तरिक ऊर्जा एक अवस्था फलन है इस कथन को स्पष्ट करें अथवा कथन ∆U = q + w में q तथा w अवस्था फलन नहीं है। परन्तु AU एक अवस्था फलन है। कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
हम जानते हैं कि स्थिर आयतन पर अवशोषित ऊष्मा आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन के तुल्य, अर्थात् ∆U = q, होती है परन्तु अधिकांश रासायनिक अभिक्रियांए स्थिर आयतन पर न होकर फ्लास्क, परखनली आदि में स्थिर वायुमण्डलीय दाब पर होती हैं।

इस स्थिति में निकाय पर होने वाले ऊष्मा परिवर्तन स्थिर आयतन से भिन्न होंगे। अतः स्थिर दाब. पर निकाय में होने वाले ऊष्मा परिवर्तन को

व्यक्त करने के लिए एक नया ऊष्मागतिक फलन एन्थैल्पी (H) की आवश्यकता होगी।
ऊष्मागतिकी समीकरण से,
व्यक्त करने के लिए एक नया ऊष्मागतिक फलन एन्थैल्पी (H) की आवश्यकता होगी।
ऊष्मागतिकी समीकरण से,
∆U = q – Pdv
स्थिर दाब पर,
∆U = q – Pdv
जहाँ
qp = निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा
– Pdv = निकाय द्वारा किया गया प्रसरण कार्य
प्रारम्भिक अवस्था को 1 से एवं अंतिम अवस्था को 2 से प्रदर्शित करते हैं।
हम उपरोक्त समीकरण को इस प्रकार लिख सकते हैं-
U2 – U1 = qp – P (V2 – V1)
पुनः व्यवस्थित करने पर
qp = (U2 + PV2) – (U1 + PV1) … (i)
एक नया ऊष्मागतिकी फलन को परिभाषित कर सकते हैं, जिसे एन्थल्पी (ग्रीक शब्द ‘एन्थेल्पियन’, जिसका अर्थ ‘गरम करना’ या ‘अंतर्निहित ऊष्मा’ होता है) कहते हैं।
H = U + PV
अत: समीकरण (i) से,
q2 = H2 – H1 = ∆H
यद्यपि एक पथ आश्रित फलन है, तथापि qp पथ से स्वतंत्र है। स्पष्टत: H एक अवस्था फलन है (H.U. P एवं V का फलन है। ये सभी अवस्था फलन है)। इस प्रकार ∆H पथ स्वतंत्र राशि है।
स्थिर दाब पर परिमित परिवर्तनों के लिए इस प्रकार लिखा जा सकता है।
∆H = ∆U + ∆PV क्योंकि P स्थिरांक है, अतः हम लिख सकते हैं-
∆H = ∆U + P∆V … (ii)
उल्लेखनीय है कि जब स्थिर दाब पर ऊष्मा अवशोषित होती है, तो यथार्थ में हम एन्थैल्पी में परिवर्तन माप रहे होते हैं।
याद रखें कि ∆H = qp स्थिर दाब पर अवशोषित ऊष्मा है।
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के लिए ∆H ऋणात्मक होता है, जहाँ अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा उत्सर्जित होती है एवं ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं के लिए ∆H धनात्मक होता है, जहाँ परिवेश से ऊष्मा का अवशोषण होता है।

वे निकाय, जिसमें केवल ठोस या द्रव प्रावस्थाएँ होती हैं में ∆H एवं ∆U के मध्य अंतर सार्थक नहीं होता, क्योंकि ठोस एवं द्रवों में गरम करने पर आयतन में कोई विशेष परिवर्तन नही होता। यदि गैयीय अवस्था हो, तो इनमें अंतर सार्थक हो जाता है। हम एक ऐसी अभिक्रिया पर विचार करते हैं, जिसमें गैसें शामिल हैं। स्थिर दाब एवं ताप पर VA गैसीय अभिक्रियकों का एवं VB गैसीय उत्पादों का कुल आयतन हो तथा nA गैसीय अभिक्रियकों एवं गैसीय उत्पादों के मोलों की संख्या हो, तो आदर्श गैस समीकरण के अनुसार-
pVA = nA RT
इस प्रकार
pVB = nB RT
PVB – PVA = nB RT – nA RT
P(VB – VA) = (nB – nA) RT
P∆V = ∆ngRT
यह ∆ng गैसीय उत्पादों के मोलों की संख्या एंव गैसीय अभिक्रियकों के मोलों की संख्या का अंतर है। समीकरण (iii) से P∆V का मान समीकरण (ii) में रखने पर
∆H = ∆U + ∆ng RT … (iv)
उपरोक्त समीकरण (iv) का उपयोग ∆H से ∆U या ∆U से AH का मान ज्ञात करने में किया जाता है।

प्रश्न 16.
निम्न प्रक्रम में एन्थैल्पी परिवर्तन को वक्र के द्वारा प्रदर्शित करें
(i) जमीन से छत तक एक पत्थर को फेंकना।
(ii) \(\frac { 1 }{ 2 }\) H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2(g) ⇌ HClg
rHΘ = – 92.32 kJ mol-1
किस प्रक्रम में एन्थैल्पी परिवर्तन यह प्रदर्शित करता है कि प्रक्रम स्वतः प्रदर्शित है।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 4
प्रक्रम (i) में ऊर्जा बढ़ रही है जबकि प्रक्रम (ii) में ऊर्जा घट रही है।
अतः प्रक्रम (ii) में एन्थैल्पी परिवर्तन स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम सिद्ध करता है।

प्रश्न 17.
हीलियम तथा ऑक्सीजन गैसों के समान द्रव्यमानों को ऊष्मा की समान मात्राएँ दी जाती हैं, किसके ताप में अधिक वृद्धि होगी और क्यों?
उत्तर:
हीलियम एक परमाणुक जबकि ऑक्सीजन द्विपरमाणुक गैस है। इस कारण दी गई ऊष्मा हीलियम अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि करेगी जबकि ऑक्सीजन गैस को दी गयी ऊष्मा अणुओं की गतिज ऊर्जा की वृद्धि करने में एवं घूर्णीय व कम्पनिक गतिज ऊर्जा बढ़ाने में प्रयुक्त होगी। अर्थात् दी गयी ऊष्मा का प्रयोग कई जगह होगा। इस कारण हीलियम के ताप में अधिक वृद्धि होगी, जबकि ऑक्सीजन गैस के ताप में कम वृद्धि होगी।

प्रश्न 18.
ऊष्मागतिकी में बाह्य कार्य तथा आन्तरिक कार्य में क्या अन्तर है? इनमें से कौन-सा महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
जब कोई निकाय एक बल के अन्तर्गत विस्थापित होता है तो कुछ कार्य सम्पन्न होता है। इस कार्य का परिमाण बल तथा बल की दिशा में विस्थापन के घटक की गुणा के बराबर होता है। यदि सम्पूर्ण निकाय अपने परिवेश के विरुद्ध बल आरोपित करके विस्थापित होता है, तब निकाय द्वारा किया गया कार्य ‘बाह्य कार्य’ कहलाता है। उदाहरण के लिए-जब किसी सिलिण्डर में भरी गैस फैलती है तो वह बाह्य वातावरण के विरुद्ध पिस्टन को धकेलती है, तब गैस द्वारा पिस्टन पर ‘बाह्य कार्य’ किया जाता है।

इसके विपरीत जब निकाय के किसी एक भाग द्वारा उसी निकाय के दूसरे भाग पर कार्य किया जाता है, तब इसे ‘आन्तरिक कार्य’ कहते हैं। उदाहरण के लिए-जब कोई गैस फैलती है तो उसके अणुओं के बीच पारस्परिक आकर्षण के विरुद्ध कार्य किया जाता है। यह ‘आन्तरिक कार्य’ कहलाता है।

ऊष्मागतिकी में आन्तरिक कार्य का कोई महत्त्व नहीं है। केवल बाह्य कार्य जो निकाय तथा उसके परिवेश के बीच पारस्परिक क्रिया से सम्बन्ध रखता है, ऊष्मागतिकी में महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 19.
क्या किसी निकाय द्वारा अधिकतम अव्यवस्था प्राप्त करना, स्वतः प्रवर्तिता की कसौटी है? एक प्रयोग द्वारा पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक अभिक्रियाओं में अभिकारकों तथा उत्पादों की भौतिक अवस्था में परिवर्तन आने से इनके अणुओं की गति में अनियमितता अथवा अव्यवस्था आ जाती है। ऊष्माशोषी प्रक्रमों में ऊष्माशोषित ऊष्मा उत्पादों की गतिज ऊर्जा को अभिकारकों की तुलना में बढ़ा देती है। इससे इनकी मुक्त गति अथवा अनियमितता में वृद्धि हो जाती है। अतः निकाय द्वारा अधिकतम अव्यवस्था प्राप्त करना स्वतः प्रवर्तिता की कसौटी है। इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

प्रयोग द्वारा पुष्टि (Verification through an Experiment) – माना स्टॉप कॉर्क से सम्बद्ध दो समान क्षमता के पात्रों में ब्रोमीन (लाल-भूरी) तथा नाइट्रोजन (रंगहीन) गैसों की समान मात्राएँ भरी जाती हैं। जब स्टॉप कॉर्क बन्द होता है, दोनों गैसों के अणु अपने-अपने पात्रों में ही रहते हैं।

स्टॉप कार्क को खोलते ही दोनों पात्रों के अणु परस्पर मिल जाते हैं तथा दोनों पात्रों का रंग एकसमान हो जाता हैं यहाँ ऊर्जा-परिवर्तन लगभग उपेक्षणीय है, परन्तु अणुओं की गति के लिए उपलब्ध स्थान में वृद्धि होना निश्चित है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि एक पात्र में उपस्थित गैस के अणुओं का दूसरे पात्र में जाना इनकी मुक्त गति अथवा अव्यवस्था में वृद्धि लाता हैं अतः एक निश्चित दिशा में स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम हो सकता है, जबकि परिवर्तन के परिणामस्वरूप स्पीशीज की अव्यवस्था में वृद्धि हो।

प्रश्न 20.
एक निश्चित अभिक्रिया के लिये एन्थैल्पी वक्र को निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है। क्या इस चित्र के द्वारा स्वतः प्रवर्तिता का निर्धारण करना सम्भव है?
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 5
उत्तर:
नहीं, केवल एन्थैल्पी ही किसी अभिक्रिया की स्वतः प्रवर्तिता के लिये उत्तरदायी नहीं होती है क्योंकि यह अभिक्रिया ऊष्माशोषी है अर्थात् ऊर्जा का मान बढ़ रहा है। अन्य कारक जैसे एन्ट्रॉपी इत्यादि भी स्वतः प्रवर्तिता को बताने के लिये सम्मिलित किये जाते हैं।

प्रश्न 21.
एक एकल परमाण्विक गैस के एक मोल state (1) से state (2) तक expand हो रहे हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। 298K ताप पर गैस के expansion में (state 1 और state 2 तक) किये गये कार्य की गणना करें।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 6
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 7

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को कथन देकर स्पष्ट कीजिए और इसके गणितीय व्यंजक की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, लेकिन ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” इस नियम को ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम या ऊर्जा का संरक्षण नियम भी कहते हैं।

ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय रूप जब किसी निकाय द्वारा ऊष्मा के रूप में ऊर्जा अवशोषित होती है तो उसका कुछ भाग निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में तथा शेष भाग निकाय द्वारा अपने वातावरण पर कार्य करने में व्यय हो जाता है। यह कार्य, प्रसारण का यान्त्रिक कार्य आदि हो सकता है।

माना कि किसी गैसीय निकाय की अवस्था A में आन्तरिक ऊर्जा UA है। यह निकाय ऊष्मा की कुछ मात्रा 9 अवशोषित कर अवस्था B में चला जाता है। अवस्था B में इसकी आन्तरिक ऊर्जा UB है। अत: निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
∆U = UB – UA
इस अवस्था परिवर्तन में निकाय द्वारा परिवेश पर किया गया कार्य W हो, तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है यद्यपि इसे एक दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। अतः
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि + निकाय द्वारा किया गया कार्य (कार्य करने में व्यय ऊर्जा)
अर्थात्
q = AU + W
∆U = 9 – W … (i)
या q = AU + W
उपर्युक्त समीकरण किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा, ऊष्मा एवं कार्य के मध्य सम्बन्ध को प्रदर्शित करती है तथा यह ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय रूप है।

अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि किसी प्रक्रम में निकाय की ऊर्जा में कुल परिवर्तन U, निकाय द्वारा जब अवशोषित ऊष्मा q और निकाय द्वारा किये गये कार्य W के अन्तर के बराबर होता है।

जब निकाय में अनन्त सूक्ष्म परिवर्तन हो, तो उपर्युक्त समीकरण को निम्न रूप में लिखा जा सकता है।
dU = dq – dW
या dq = dU + dW
q तथा W के चिह्न-चूँकि q तथा W दो ही बीजीय राशियाँ हैं। अतः इनके चिन्ह निम्न प्रकार होते हैं।
1. यदि निकाय द्वारा ऊष्मा का अवशोषण होता है तो निकाय की ऊष्मा बढ़ जायेगी। अतः q का मान धनात्मक (+ ve) होता है तथा यदि निकाय द्वारा ऊष्मा उत्सर्जित (मुक्त) होती है, तो q का मान ऋणात्मक (- ve) होता है।

2. यदि निकाय पर परिवेश द्वारा कार्य किया जाता है, तो W का मान ॠणात्मक (-ve) होता है और यदि निकाय द्वारा परिवेश पर कार्य किया जाता है, तो W का मान धनात्मक (+ve) होता हैं।

प्रश्न 2.
(अ) ऊष्मागतिकी के उत्क्रमणीय तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रमों को समझाइए।
(ब) सिद्ध कीजिए कि स्थिर आयतन पर तन्त्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा उसकी आन्तरिक ऊर्जा की वृद्धि के बराबर होती है।
उत्तर:
(अ) उत्क्रमणीय प्रक्रम-जब किसी निकाय का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तन होता है, तब उस निकाय के किसी भी भाग में हुए समस्त परिवर्तनों की दिशा उलटने से निकाय पुन: अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाता है और परिवेश भी अपनी मूल अवस्था में आ जाता है।

यदि किसी प्रक्रम में प्रेरक बल की मात्रा विरोधी बल की मात्रा से अत्यन्त सूक्ष्म अधिक हो और विरोधी बल की मात्रा अत्यन्त सूक्ष्म बढ़ा देने से प्रक्रम उत्क्रमित हो जाये तो उस प्रक्रम को उत्क्रमणीय प्रक्रम कहते हैं।

अनुत्क्रमणीय प्रक्रम-वे प्रक्रम जो बहुत तीव्र वेग से होते हैं अतः स्वतः हों तो वे प्रक्रम अनुत्क्रमणीय प्रक्रम कहलाते हैं। उदाहरण-गैसों का आपस में मिश्रित होना, पदार्थ का किसी निकाय में घुल्लना, दूध से दही बनना आदि अनुत्क्रमणीय प्रक्रम हैं।

(ब) ∆U = 9 – W (ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार)
एक चक्रीय प्रक्रम में जहाँ निकाय की प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थाएँ समान होती हैं U1 = U2 के होता है अत: ∆U का मान शून्य होगा।
∆U = 0
∆U का यह मान उपर्युक्त समीकरण में रखने पर,
q – W = 0
या
q =W
इस स्थिति में हम तन्त्र को जितनी ऊर्जा देंगे वह उतना ही कार्य करेगा। यदि कोई परिवर्तन स्थिर आयतन पर सम्पन्न कराया जाये तो उस प्रक्रम में कोई कार्य नहीं होता है। अतः उस स्थिति में W = 0 होगा। तब
∆U = qv
(जहाँ qv = स्थिर आयतन पर तन्त्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा है।)
अतः स्थिर आयतन पर किसी तन्त्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होती है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 3.
आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन व एन्थैल्पी परिवर्तन क्या है? ये आपस में किस प्रकार सम्बन्धित हैं? किस स्थिति में दोनों समान होते हैं?
उत्तर:
यदि कोई निकाय प्रारम्भिक अवस्था A से अन्तिम अवस्था B में परिवर्तित होता है तो उसकी आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ∆E निकाय की प्रारम्भिक और अन्तिम अवस्थाओं की आन्तरिक ऊर्जाओं पर
निर्भर करता है-
A → B
∆U = UB – UA
जहाँ UB और UA क्रमशः निकाय की प्रारम्भिक और आन्तरिक अवस्थाओं की आन्तरिक ऊजाएँ हैं तथा ∆U निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन है।

किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा U और उसकी ऊर्जा PV का योग एन्थैल्पी या पूर्ण ऊष्मा H कहलाता है।
H = U + PV

जहाँ P बाह्य दाब और V निकाय का आयतन है। किसी निकाय की एन्थैल्पी उसकी अवस्था पर निर्भर करती है।

यदि स्थिर दाब P की परिस्थितियों में कोई निकाय अवस्था। से अवस्था 2 में बदलता है, तो उसकी एन्थैल्पी में परिवर्तन ΔH होगा-
ΔH = H2 – H1 = (U2 + PV2) – (U1 + PV1)
ΔH = (U2 – U1) + P (V2 – V1)
ΔH = ΔU + PΔV
जहाँ ΔH2, ΔU और ΔV निकाय के क्रमशः एन्थैल्पी, आन्तरिक ऊर्जा और आयतन में परिवर्तन हैं तथा P बाह्य दाब है। अतः किसी निकाय की एन्थैल्पी में परिवर्तन उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि तथा निकाय द्वारा दाब, आयतन तथा कार्य के योग के बराबर होता है।

प्रश्न 4.
कारण देते हुए समझाइए कि जिस अभिक्रिया में अभिकारक और उत्पाद ठोस अवस्था में हों, तो ΔH = ΔU होती है।
उत्तर:
जिस अभिक्रिया में अभिकारक और उत्पाद ठोस अवस्था में हों, वहाँ पर आयतन में परिवर्तन ΔV नगण्य होता है।
अतः स्थिर दाब व स्थिर आयतन पर अभिक्रिया ऊष्मा
ΔΗ = U + PAV
या
qp = qv + PΔV
गैस समीकरण के अनुसार
PV = nRT
यदि ताप व दाब स्थिर हो, तो
PΔV = Δng RT
Δng = np – nr
जहाँ Δng = उत्पाद के मोलों की संख्या – अभिकारक के मोलों की संख्या
अतः ΔH = ΔU + Δng RT
जहाँ
Δng = 0
ΔΗ = ΔU
अतः इस प्रकार की अभिक्रियाएँ, जिनमें अभिकारक तथा उत्पाद ठोस होते हैं, के लिए ΔH और ΔU के मान लगभग बराबर होते हैं।

प्रश्न 5.
अवस्था फलन पद को समझाइए।
उत्तर:
अवस्था फलन – निकाय के गुण जिनके मान निकाय की अवस्था पर निर्भर करते हैं, अवस्था फलन कहलाते हैं। ताप (T), दाब (P), आयतन (V), एन्थैल्पी (H), एन्ट्रॉपी (S), आन्तरिक ऊर्जा (U), मुक्त ऊर्जा (G अथवा A), मोलों की संख्या आदि ऊष्मागतिक फलन या अवस्था फलन हैं। अवस्था के किसी फलन में परिवर्तन केवल उसके प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्था के फलन के मानों पर निर्भर करता है जो इस प्रकार हैं-
Δx अवस्था फलन = अन्तिम अवस्था फलन (x2) – प्रारम्भिक अवस्था फलन (x1)
Δx = x2 – x1
जहाँ x कोई अवस्था फलन है तथा x1 प्रारम्भिक अवस्था या अवस्था 1 में तथा x2 अन्तिम अवस्था या अवस्था 2 में अवस्था फलन है।

प्रश्न 6.
हैस का नियम क्या है? इसके दो अनुप्रयोग दीजिए।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया या परिवर्तन को एक या अनेक पदों में दो या दो से अधिक विधियों द्वारा सम्पन्न किया जाये तो सम्पूर्ण परिवर्तन में उत्पन्न या अवशोषित ऊष्मा की मात्राएँ समान रहेंगी चाहे परिवर्तन किसी भी ढंग से किया जाये।
हंस के नियम के अनुप्रयोग

  • अभिक्रिया ऊष्मा का निर्धारण करने में,
  • यौगिकों की दहन ऊष्मा की गणना करने में।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी निकाय को 100 J ऊष्मा देने पर निकाय द्वारा किया गया कार्य 40 J है। निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि ज्ञात करें।
हल:
दिया गया है,
q = 100 J (ऊष्मा दी गयी है। )
w = – 40 J (कार्य किया गया है। )
∆U = q + w
= 100 + (- 40)
= 100 – 40
∆U = 60 J

प्रश्न 2.
प्रारम्भिक रूप से कक्ष ताप पर स्थित एक गैस के आयतन में स्थिर ताप पर 4.0 L से 12.0 L तक का प्रसरण (Expansion) होता है। गैस द्वारा किया गया कार्य ज्ञात कीजिये। यदि इसका प्रसार
(1) निर्वात् के विरुद्ध
(2) 1.2 atm नियत दाब के विरुद्ध हो।
हल:
(1) निर्वात् के विरुद्ध प्रसरण में किया कार्य,
W = – P∆V
निर्वात् में दाब ‘P’ = 0
तथा V2 = 12.0 L
V1 = 4.0L
W = – P∆V
= – 0 (12 – 4)
W = शून्य (निर्वात् के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य है।)

(2) 1.2 atm नियत दाब के विरुद्ध कार्य,
P = 1.2 atm
W = – P∆V
= – P (V2 – V1)
= – 1.2 (12.0 – 4.0)
= – 9.6 L atm
= – 9.6 × 101.3 J
= – 973 J

प्रश्न 3.
स्थिर दाब और 300 K ताप पर मेथेन के विरचन की एन्थैल्पी – 78.84 kJ है। स्थिर आयतन पर विरचन की एन्थैल्पी क्या होगी ?
हल:
मेथेन के विरचन का समीकरण,
C(s) + 2H2(g) → CH4(g)fH = – 78.84 kJ
∆ng = 1 – 2 = – 1 mol
R = 8.314 × 10-3 kJ mol-1 K-1
∆H = – 78.84 kJ
∆U = ?
∆H = ∆U + ∆ng RT
– 78.84 = ∆U + (- 1 x 8.314 x 10-3 x 300)
∆U = (- 78.84) – (- 1 x 8.314 x 10-3 x 300)
∆U = (- 78.84) + (2.494)
∆U = – 76.346 kJ
उत्तर-आन्तरिक ऊर्जा – 76.346 kiJ

प्रश्न 4.
जल वाष्प को आदर्श गैस मानने पर 100°C एवं 1 bar दाब पर 1 mol जल के वाष्पीकरण में परिवर्तन 41 kJ mol-1 पाया गया। आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन गणना कीजिये। जब,
(i) 1 mol जल को 1 bar दाब एवं 100°C पर वाष्पीकृत किया
(ii) 1 mol जल को बर्फ में परिवर्तित किया जाये।
हल:
(i) H2O(l) → H2O(g)
परिवर्तन के लिये,
∆H = ∆U + ∆ng RT
∆U = ∆H – ∆ng RT
मान रखने पर,
∆U = 41.00 – (1 x 8.314 x 10-3 x 373)
= 41 – 3.1011
= 37.898 kJ mol-1

(ii) H2O(l) → H2O(s)
यहाँ परिवर्तन के लिये आयतन में परिवर्तन अति न्यून है।
अत: हम
P∆V = ∆ng RT = 0
इस स्थिति में,
∆H ≅ ∆U
∆U = 41.00 kJ mol-1

प्रश्न 5.
27°C पर 2 मोल आदर्श गैस जिसका दाब 5 वायुमण्डल है का समतापी उत्क्रमणीय प्रसार दाब 1 वायुमण्डल होने तक किया जाता है। गैस द्वारा किये गये कार्य की गणना कीजिये।
हल:
दिया गया है-
T = 27 + 273 = 300 K
n = 2 mol
R = 8.314 JK-1 mol-1
P1 = 5 atm
P2 = 1 atm
W = – 2.303 nRT log \(\frac{P_1}{P_2}\)
= – 2.303 × 2 × 8.314 x 300 x log 5
= – 2.303 × 2 × 8.314 x 300 x 0.699
= – 8030.3 J या – 8.03 kJ

प्रश्न 6.
25°C ताप पर 5 मोल आदर्श गैस जो एक वायुमण्डलीय दाब पर है को उत्क्रमणीय रूप से आधे आयतन तक सम्पीडित किया जाता है किये गये कार्य और ऊष्मा की गणना कीजिये।
हल:
दिया गया है-
T = 25 + 273 = 298 K
n = 5 मोल
R = 8.314 JK-1 mol-1
V2 = \(\frac{V_1}{2}\)
W = – 2.303 × n × R x T x log \(\frac{V_2}{V_1}\)
= – 2.303 × 5 × 8.314 × 298 × log \(\frac{\frac{V_1}{2}}{V_1}\)
= – 2.303 × 5 × 8.314 × 298 × log \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 2.303 × 5 × 8.314 x 298 x log 2
= 2.303 × 5 × 8.314 x 298 x 0.3010
= 8587.3 J
W = 8.59 kJ
∴ प्रक्रम समतापी है इसलिये ∆U = 0
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से,
∆U = q + w
q = – w
q = – 8.59 kJ

प्रश्न 7.
एक गैस का समतापी प्रसरण 1 वायुमण्डल दाब के विरुद्ध 5 dm³ से 10 dm³ तक होता है। इस प्रक्रम में गैस 500 J ऊष्मा ग्रहण करती है। आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन की गणना कीजिये।
हल:
दिया गया है-
P = 1 atm
∆V = (V2 – V1)
= (10 – 5) dm³
= 5 dm³
= 5L
w = – P∆V
w = – 1 × 5 L-atm
w = – 5 × 101.3 J
w = – 506.5 J
q = + 500 J
∆U = – q + w
∆U = 500 – 506.5
∆U = – 6.5 J

प्रश्न 8.
5 मोल आदर्श गैस को स्थिर दाब पर 27°C से 127°C तक गर्म किया जाता है।
(i) प्रसरण में किये गये कार्य की गणना कीजिये।
(ii) यदि गैस को उत्क्रमणीय रूप से 30°C ताप पर 2 atm से 1.4 atm तक प्रसारित किया जाये तो किये गये कार्य की गणना कीजिये।
हल:
(i) माना कि स्थिर दाब P है।
अत:
w = – P(V2 – V1)
गैस, आदर्श गैस है अतः
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 8

(ii) समतापी उत्क्रमणीय रूप से प्रसरण में किया गया कार्य-
w = – 2.303nRTlog\(\frac{P_1}{P_2}\)
= – 2.303 × 5 × 8.314 × 303 x log\(\frac{2}{1 \cdot 4}\)
= – 2.303 × 5 × 8.314 x 303 x log\(\frac { 20 }{ 14 }\)
= – 2.303 × 5 × 8.314 × 303 x log 1.4286
= – 2.303 x 5 x 8.314 x 303 x 0.1549
= – 4493.6 J
= – 4.4936 kJ

प्रश्न 9.
एक स्विमिंग पूल में 1 x 105 L जल भरा हुआ है। जल का ताप 20°C से 25°C करने के लिये कितने जूल ऊष्मा की आवश्यकता पड़ेगी। जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता 4.184 J°C है।
हल:
आवश्यक ऊष्मा = द्रव्यमान x विशिष्ट ऊष्माधारिता x ताप में वृद्धि
जल का द्रव्यमान w = घनत्व x आयतन
= \(\frac { 1g }{ cm³ }\) x 10 x 10 cm³
w = 108 g
विशिष्ट ऊष्माधारिता (C) = 4.184 J°C g
∆T = 25 – 20 = 5°C
q = M x s = ∆T
आवश्यक ऊष्मा = 108 x 4.184 × 5
= 2.092 × 109 J
= 2092 × 109 J

प्रश्न 10.
नियत आयतन पर एक प्रारम्भिक गैस की विशिष्ट ऊष्मा 0.321 Jg-1 है। यदि गैस का मोलर द्रव्यमान 45g mol-1 है तो गैस की परमाणुकता क्या होगी?
हल:
Cv = Cs x मोलर द्रव्यमा
= 0.321 × 45
Cv = 14.445 J mol-1
R = 8.314 J mol-1
Cp = Cv + R
= 14.445 + 8.314
= 22.759 J mol-1
परमाणुकता = \(\frac{\mathrm{C}_p}{\mathrm{C}_v}\)
परमाणुकता = \(\frac{\mathrm{C}_p}{\mathrm{C}_v}\)
= \(\frac{22 \cdot 759}{14 \cdot 445}\) g mol-1
= 1.6
अतः गैस की परमाणुकता = 1

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 11.
निम्नलिखित समीकरण के अनुसार 1g ऑक्सीजन की अधिकता में 1 atm दाब एवं 298 K पर बम कैलोरीमीटर में दहन कराया जाता है।
C (ग्रेफाइट) + O2 (g) → CO2 (g)
अभिक्रिया के दौरान ताप 298 K से 299K तक बढ़ता है। यदि बम कैलोरीमीटर की ऊष्माधारिता 20.7 kJ/K हो तो उपर्युक्त अभिक्रिया के लिए 1 atm दाब एवं 298 K पर एन्यैल्पी परिवर्तन
क्या होगा?
हल:
माना अभिक्रिया से प्राप्त ऊष्मा 9 एवं कैलोरीमीटर की ऊष्माधारिता Cv है, तब कैलोरीमीटर द्वारा अवशोषित ऊष्मा,
q = Cv x ∆T
अभिक्रिया से प्राप्त ऊष्मा का मान समान होगा, परन्तु चिन्ह ऋणात्मक होगा क्योंकि निकाय (अभिक्रिया – मिश्रण) द्वारा प्रदत्त ऊष्मा कैलोरीमीटर द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा के तुल्य होगी।
q = – Cv x ∆T
= – 20.7 kJ/K × (299 – 298) k
= – 20.7 kJ
(यहाँ ऋणात्मक चिन्ह अभिक्रिया के ऊष्माक्षेपी होने को इंगित करता है)।
अत: 1g ग्रेफाइट के दहन के लिए ∆U = – 20.7 kJ
1 mol (12 g) ग्रेफाइट के दहन के लिए = \(\frac{\left(12 \cdot 0 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}\right) \times(-20 \cdot 7 \mathrm{~kJ})}{1 g}\)
= – 2.48 x 10² kJ mol-1

प्रश्न 12.
5g पदार्थ जिसका मोलर द्रव्यमान 24 gmol-1 है, का बम कैलोरीमीटर में 25°C ताप पर पूर्ण दहन किया जाता है। दहन के पश्चात् ताप में डिग्री की वृद्धि प्रेक्षित की गयी। यदि कैलोरीमीटर और जल की ऊष्माधारिता 20.7 kJ/K-1 हो तो ∆U की गणना करें।
हल:
qv = (- C.∆T)
5g पदार्थ के लिये ∆T = 1°
qv = – 20.7 x 1
= – 20.7 kJ
पदार्थ का मोलर द्रव्यमान
= 24 gmol-1 है
5g से उत्पन्न ऊष्मा = – 20.7 kJ
1 g से उत्पन्न ऊष्मा = \(\frac { -20.7 }{ 5 }\)
24g से उत्पन्न ऊष्मा =\(\frac { -20.7×24 }{ 5 }\)
∆U = – 99.36 kJ mol-1

प्रश्न 13.
बम कैलोरीमीटर में 2.5 g ऑक्टेन का ऑक्सीजन के आधिक्य में पूर्ण दहन किया जाता है। कैलोरीमीटर के ताप में 6.75K की वृद्धि प्रेक्षित की गई। यदि कैलोरीमीटर की ऊष्माधारिता 8.93 kJ K-1 हो तो विनियम की गई ऊष्मा और आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन की गणना कीजिये।
हल:
कैलोरीमीटर द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा
qv = (- C.∆T)
= 8.93 × 6.75
qv = 60.2775 kJ
(C8H18) ऑक्टेन का मोलर द्रव्यमान
= 8 × 12 + 18 × 1
= 96 + 18
= 114 g mol-1
– ∆U = Cv, ∆T \(\frac { M }{ m }\)
– ∆U = 8.93 × 6.75 × \(\frac { 114 }{ 2.5 }\)
∆U = – 2748.654 kJ mol-1

प्रश्न 14.
298 K से तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर एक मोल बेन्जीन के पूर्ण ऑक्सीकृत होने पर 781 कि. कैलोरी ऊष्मा मुक्त होती है। स्थिर आयतन पर इस अभिक्रिया की ऊष्मा की गणना कीजिए।
हल:
बेन्जीन का ऑक्सीकरण निम्न समीकरण के अनुसार होता है।
\(\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{6(l)}+\frac{15}{2} \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow 6 \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})}+3 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}\)
∆H = – 781 कि. कैलोरी
गैसीय अभिकारक के मोलों की संख्या = \(\frac { 15 }{ 2 }\)
गैसीय उत्पाद के मोलों की संख्या = 6
∆n(g) = 6 – \(\frac { 15 }{ 2 }\) = – 1.5
∆H = – 781 कि. कैलोरी
= – 781000 कैलोरी
T = 298K
R = 1.987 Cal K-1 mol-1
∆U = ?
∆U = ∆H – ∆n(g)RT
= – 781000 – (1.5) × 1.987 × 208
= – 780.11 कि. कैलोरी

प्रश्न 15.
300 K तथा निश्चित आयतन पर 7.8 ग्राम बेन्जीन के पूर्ण दहन पर 327 कि. जूल ऊष्मा निकलती है। बेन्जीन की स्थिर दाब पर दहन ऊष्मा की गणना कीजिए।
हल:
7.8 ग्राम बेन्जीन के पूर्ण दहन की ऊष्मा
= – 327 kJ
1 ग्राम बेन्जीन द्वारा निकली ऊष्मा = \(\frac{327 \times 78}{7.8}\)
= 3270 kJ
\(\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{6(\mathrm{~g})}+\frac{15}{2} \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow 6 \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})}+3 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(\mathrm{l})}\)
∆U = – 3270 kJ, ∆ng = 6 – 7.5 = (-1.5)
R = 8.314 × 10-3 kJ K-1 mol-1 T = 300K
∆H = ∆U + ∆ng RT
= – 3270 + (- 1.5 × 8.314 x 10-3 x 300)
= – 3270 – 3.7413
∆H = – 3273.741 kJ

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आँकड़ों से C (डायमण्ड) → C ग्रेफाइट में संक्रमण की ऊष्मा की गणना कीजिए।
C डायमण्ड + O2(g) → CO2(g); ∆H = – 94.5 कि. कैलोरी
C ग्रेफाइट + O2(g) → CO2(g); ∆H = – 94.0 कि. कैलोरी
हल:
एक मोल C (डायमण्ड) C (ग्रेफाइट) में बदलने के लिए आवश्यक संक्रमण ऊष्मा
= – 94.5 – (- 94.0)
= – 94.5 + 94.0
= 0.5 कि. कैलोरी

प्रश्न 17.
निम्न अभिक्रिया के लिए 25° से. पर स्थिर दाब पर अभिक्रिया ऊष्मा तथा स्थिर आयतन पर अभिक्रिया ऊष्मा में अन्तर गणना कीजिए।
\(2 \mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{6(\mathrm{~g})}+15 \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow 12 \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})}+6 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(\mathrm{l})}\)
हल:
\(2 \mathrm{C}_6 \mathrm{H}_{6(\mathrm{~g})}+15 \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow 12 \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})}+6 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(\mathrm{l})}\)
∆H – ∆V = P∆V
P∆V = ∆n(g) RT
∆n = 12 – 15 = (- 3)
R = 8.314 x 10³ कि. जूल डिग्री-1 मोल-1
T = 273 + 25 = 298
∆H – ∆V = (- 3) x 8.314 x 10-3 x 298
= – 7.432 कि. जूल
= – 7.432 kJ

प्रश्न 18.
निम्न अभिक्रिया के लिये मानक आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन की गणना करो:
OF2(g) + H2O(g) → O2(g) + 2HF(g) 298K ताप पर OF2(g) + H2O(g) और HF(g) की सम्भवन की एन्थैल्पी क्रमशः + 20, – 250 और – 270 kJ mol हैं।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 9

प्रश्न 19.
Fe2O3 (s) के सम्भवन (विरचन) की ऊष्मा – 824.2 kJ mol है। अभिक्रिया की ऊष्मा के परिवर्तन की गणना कीजिए।
हल:
4Fe (s) + 3O2 (g) → 2Fe2O3 (s)
rHΘ = ∑∆fHΘ(उत्पाद) – ∑∆fHΘ(अधिकारक)
= [2 × ∆fHΘ(Fe2O3)] – [ 4 × 4fHΘ Fe(s) + 3 × ∆fHΘO2(g)]
= (2 × – 824.2) – (4 × 0 + 3 × 0]
rHΘ = – 1648.4 kJ

प्रश्न 20.
ग्लूकोस का दहन निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है-
C6H12O6(s) + 6O2(g) → 6CO2 (g) + 6H2O(l);
cHΘ = – 2900kJ mol-1
1.8 g ग्लूकोस के दहन में कितनी ऊष्मा निर्मुक्त होगी ?
हल:
C6H12O6(s) + 6O2(g) → 6CO2 (g) + 6H2O(l);
1 mol (180 g) ∆cHΘ = – 2900kJ mol-1
1 mol (180 g) ग्लूकोस के दहन में निर्मुक्त ऊष्मा = 2900 kJ
अत: 1.8 g ग्लूकोस के दहन में निर्मुक्त ऊष्मा
= \(\frac{2900}{180} \times 1.8\)
= 29 kaJ

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 21.
यदि एक व्यक्ति अपने भोजन से प्रतिदिन 9000 kJ ऊर्जा प्राप्त करता है व सभी प्रकार से 11000kJ ऊर्जा प्रतिदिन खर्च करता है तो आन्तरिक ऊर्जा में प्रतिदिन कितना परिवर्तन होगा ? यदि खर्च ऊर्जा सुक्रोज (1500kJ प्रति 100 ग्राम) के रूप में संग्रहीत हो तो एक kg खर्च होने में कितने दिन लगेंगे। (जल हानि नगण्य मानें)।
हल:
आन्तरिक ऊर्जा में प्रतिदिन परिवर्तन
= 11000 – 9000
= 2000 kJ
ऊर्जा की हानि होगी क्योंकि ऊर्जा अधिक खर्च हुयी है।
100 ग्राम सुक्रोज से ऊर्जा
= 1500 kJ हानि
1000 ग्राम सुक्रोज से ऊर्जा
= \(\frac{1500 \times 1000}{100}\) हानि
= 15000 kJ हानि
15000 kJ ऊर्जा या 1000 ग्राम भार को खर्च करने के लिये
दिनों की संख्या = \(\frac { 15000 }{ 2000 }\) = 7.5 दिन

प्रश्न 22.
यदि मेथिल ऐल्कोहॉल की सम्भवन ऊष्मा 2041.2 कि. जूल तथा C H एवं OH बंधों की बन्ध ऊर्जाएँ क्रमशः 415.3 एवं 466.2 कि. जूल हों, तो CO बन्ध की बन्ध ऊर्जा की गणना करो।
हल:
मेथिल ऐल्कोहॉल की संरचना में तीन C-H बन्ध, एक O – H बन्ध है।
मैथिल ऐल्कोहॉल की सम्भवन ऊष्मा
∆H° = 2041.2 कि. जूल
अत: ∆HC – 0
= ∆H°(3∆HC – H + ∆HO – H)
=2041.2 – (3 × 415.8 + 466.2)
= 2041·2 (1713.6 – 327.6 कि. जूल उत्तर

प्रश्न 23.
298K पर CCl4(g) + H2O(g), CO2(g), HCl(g) की मानक सम्भवन ऊष्माएँ क्रमश: 25.5, 578, – 94.1 और – 22.1 kcal mol-1 हैं। निम्न अभिक्रिया के लिये ∆rHΘ की गणना कीजिये।
CCl4(g) + 2H2O(g) → CO2(g)(g) + 4HCl(g)
हल:
rHΘ = ∑∆fHΘ(उत्पाद) – ∑∆rHΘ(अभिकारक)
= [4 x ∆fHΘ(HCl) + ∆fHΘ(CO2)] – [∆fHΘ(CCl4) + 2 x ∆fHΘ H2O]
= [(4 × – 22.1) + (- 94.1)] – [25.5 + 2 × 57.8]
= [- 88.4 – 94·1] – [25.5 + 115.6]
= – 182.5 – 141.1
= – 323.6 kcalmol-1

प्रश्न 24.
\(\mathrm{C}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})} ; \quad \Delta \mathrm{H}=-94 \cdot 3 \mathrm{k} \text { Cal }\)
\(\mathrm{CO}(\mathrm{g})+\frac{1}{2} \mathrm{O}_2(\mathrm{~g}) \longrightarrow \mathrm{CO}_{2(\mathrm{~g})} ; \quad \Delta \mathrm{H}=-68 \cdot 0 \mathrm{k} \mathrm{Cal}\)
निम्नांकित अभिक्रिया में ∆H का मान बताएँ-
C(s) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CO(g)
हल:
दिया गया है,
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 10
उत्तर – दी गयी अभिक्रिया के ∆H का मान – 26.3 kCal है।

प्रश्न 25.
नीचे दिये गये आँकड़ों से Cl – Cl की बन्ध एन्थैल्पी ज्ञात कीजिये,
\(\mathrm{CH}_{4(\mathrm{~g})}+\mathrm{Cl}_{2(\mathrm{~g})} \longrightarrow \mathrm{CH}_3 \mathrm{Cl}_{(\mathrm{g})}+\mathrm{HCl}_{(\mathrm{g})}\)
rH = – 100.3 k J mol-1
C – H, C – Cl, H – Cl बन्धों की आबन्ध ऊर्जा क्रमशः 413, 326 तथा 431 kJ mol-1 है।
हल:
दी गयी समीकरण-
CH4(g) + Cl2(g) → CH3Cl(g) + HCl(g)
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 11

प्रश्न 26.
अभिक्रिया
HCN(g) + 2H2(g) → CH3 NH2(g)
की ∆rH° का मान – 150kJ है। C ≡N की बन्ध एन्बैल्पी ज्ञात करें। यदि (C – H, H – H, N – H तथा C – N बन्धों की मानक बन्ध एन्थैल्पी क्रमशः 414, 435, 369 और 293 kJ mol-1 है।
हल:
अभिक्रिया
HCN(g) + 2H2(g) → CH3NH2(g)
को बन्धों के रूप में निम्न प्रकार लिख सकते हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 12

प्रश्न 27.
शुष्क ऐलुमिनियम क्लोराइड (Al2Cl6) की सम्भवन की एन्बैल्पी निम्न आँकड़ों से ज्ञात करो-
(i) 2Al(s) + 6HCl(aq) → Al2Cl6(aq) + 3H2(g); ∆H = – 1004.0 kJ
(ii) HCl(g) + Cl2(g) → 2 HCl(g); ∆H = – 183.9 kJ
(iii) HCl(g) + aq → HCl(aq); ∆H = – 73.2 kJ
(iv) Al2Cl6(s) + aq → Al2Cl6(aq); ∆H = 643.0 kJ.
हल:
ज्ञात करना है-
2Al(s) + 3H2(g) → Al2Cl6(s) ; ∆H = ?
समीकरण (ii) में 3 की गुणा करने पर तथा समीकरण (i) से जोड़ने
3H2(g) + 3Cl2(g) → 6HCl(g); ∆H = – 183.9 x 3 = – 551.7 kJ
2 Al(s) + 6HCl(aq) → Al2Cl6(aq) + 3H2(g); ∆H = – 1004.0 kJ
(जोड़ने पर )
2Al(s) + 6HCl(aq) + 3H2(g) + 3Cl2(g) → 6HCl(g) + Al2 Cl6(aq) + 3H2(g)
∆H = (- 551.7) + (- 1004.0)
= – 1555.7 kJ … (v)
समीकरण (iii) को 6 से गुणा करने पर तथा समीकरण (v) से जोड़ने पर
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 13

प्रश्न 28.
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से N2O की अनुनादी ऊर्जा ज्ञात कीजिये-
fHΘ(N2O) = 82 kJ mol-1
N ≡ N, N = N, O = O, N ≡ O की बन्ध एन्बैल्पी क्रमश: 946, 418, 498 तथा 607 kJ mol-1 है।
हल:
अनुनादी ऊर्जा परिकलित ∆fH° प्रेक्षित ∆fH° प्रेक्षित ∆fH° (N2O) = 82 kJ mol-1
आँकड़ों से परिकलित ∆fH° ज्ञात करना है।
अभिक्रिया,
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 14

प्रश्न 29.
निम्न उत्क्रमणीय प्रक्रम हेतु एन्ट्रॉपी परिवर्तन ज्ञात करो। 1 atm दाब पर 100°C ताप पर 1 मोल द्रव जलवाष्प में बाष्पित होता है।
(H2O हेतु ∆Hvap = 2257 Jg-1)
हल:
∆Hvap = 2257 Jgl-1 = 2257 x 18
= 40626 J mol-1
क्योंकि H2O का मोलर द्रव्यमान = 18 g mol
Tb = 100°C + 273 = 373K
∆Hvap = \(\frac{\Delta \mathrm{H}_{\text {vap }}}{\mathrm{T}_{\mathrm{b}}}\)
= \(\frac { 40626 }{ 373 }\)
∆Hvap = 108.9 JK-1 mol-1

प्रश्न 30.
MgSO4 के सम्बन्ध में निम्न आँकड़े ज्ञात हैं;
∆H = 7.80 kJ mol-1 और ∆S = 70 J K-1 mol-1 इसका गलनांक ज्ञात करें।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 15

प्रश्न 31.
निम्न अभिक्रियाओं हेतु प्रति मोल मुक्त ऊर्जा परिवर्तन ज्ञात करो।
(i) CaCO3 (s) → CaO(s) + CO2(g) 298K ताप पर
∆H = + 177.9 kJ, ∆S = 160.4 JK-1
हल:
दिया गया है.
∆H = 177.9 × 10³ J
∆S = 160.4 JK-1
T = 298K
∆G = ∆H – T∆S
= 177900 – 298 x 160.4
= 177900 – 47799.2
= 130100.8 J
= 130.1 kJ

(ii) 2NO2 (g) → N2O4 (g) 298K ताप पर
∆H = – 57.2 kJ
∆S = – 175.6 JK-1
हल:
दिया गया है,
∆H = – 57.2 × 10³ J
∆S = – 175.6 JK-1
T = 298K
∆G = ∆H – T∆S
= – 57200-(- 175.6 × 298)
= – 57200 + 52328.8
= – 4871.2 J
= – 4.871 kJ

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 32.
अभिक्रिया,
2NO(g) + O2(g) → 2NO2(g) के लिये एन्थेल्पी तथा एन्ट्रॉपी परिवर्तन क्रमशः – 113.0 kJ mol-1 एवं 145 JK-1 mol-1 है। वह ताप ज्ञात कीजिये जिस पर
अभिक्रिया स्वतः प्रेरित हो।
हल:
हम साम्यावस्था का ताप ज्ञात कर सकते हैं
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 ऊष्मागतिकी 16
अग्र दिशा में या अभिक्रिया स्वतः प्रेरित हो इसके लिये तापमान अवश्य ही 779.3K से कम होना चाहिये।

प्रश्न 33.
400 K ताप पर निम्नलिखित अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक Kc क्या होगा ?
2NOCl(g) ⇌ 2NO(g) + Cl2(g)
दिया गया है 400 K ताप पर
∆H = 77.2 kJ mol-1
= 77.2 x 10³ J mol-1
और ∆S = 122 JK-1 mol-1 है।
हल:
∆G = ∆H T∆S
∆G = 77200 – 400 × 122
= (77200-48800)
∆G = 28400 J mol-1
अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक = ?
∆G = – 2.303 RT log Kc
∆G = 28.4 × 10³ J mol-1
R = 8.314 JK-1 mol-1
T = 400K
∆G = – 2.303 RT log Kc
log Kc = \(\frac{-\Delta \mathrm{G}}{2 \cdot 303 \mathrm{RT}}\)
= \(\frac{-28.4 \times 10^3}{2.303 \times 8.314 \times 400}\)
log Kc = 3.7081
Kc = Antilog (- 3.7081)
= Antilog [- 4 + 0.2919]
= Antilog (\(\bar{4}\).2919)
Kc = 1.958 × 10-4

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. देश के किस शहर में वायु प्रदूषण स्तर सबसे अधिक है?
(अ) दिल्ली
(ब) अहमदाबाद
(स) जयपुर
(द) बॉम्बे
उत्तर:
(अ) दिल्ली

2. कितने डेसिबल स्तर की ध्वानि को सुनने से कर्ण-पट्ट (eardrum) क्षतिग्रस्त हो सकता है?
(अ) 50 डेसिबल
(ब) 100 डेसिबल
(स) 150 डेसिबल या इससे अधिक
(द) 30 डेसिबल
उत्तर:
(स) 150 डेसिबल या इससे अधिक

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

3. जल प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम कब पारित किया गया?
(अ) 1971 में
(ब) 1972 में
(स) 1973 में
(द) 1974 में
उत्तर:
(द) 1974 में

4. जलाशयों में काफी मात्रा में पोषकों की उपस्थिति के कारण प्लवकीय शैवाल की अतिशय वृद्धि होती है। इसे कहा जाता है-
(अ) शैवाल प्रस्फुटन
(ब) कवक प्रस्फुटन
(स) ऐस्चुएरी
(द) बी.ओ.डी.
उत्तर:
(अ) शैवाल प्रस्फुटन

5. बंगाल का आतंक किसे कहा जाता है?
(अ) आइकोर्निया केसिपीज
(ब) वेलसनेरीया
(स) नीलाशोण
(द) क्लेमाइडोमोनास
उत्तर:
(अ) आइकोर्निया केसिपीज

6. अस्पतालों के वाहित मल में पाये जाने वाले अबंधित रोगजनक सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले रोग हैं-
(अ) पेचिश
(ब) पीलिया
(स) हैजा
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

7. ‘इकौसेन’ किसे कहते हैं?
(अ) शौचालय
(ब) पालनाघर
(स) विश्वविद्यालय
(द) अभ्यारण्य
उत्तर:
(अ) शौचालय

8. बंगलोर में प्लास्टिक की बोरी के उत्पादनकर्ता हैं-
(अ) ओम बिड़ला
(ब) मुकेश अम्बानी
(स) राम जी दास मोदानी
(द) अहमद् खान
उत्तर:
(द) अहमद् खान

9. ऐसे कम्म्यूटर और इलेक्टॉनिक सामान जो मरम्मत के लायक नहीं रह जाते हैं। वे कहलाते हैं-
(अ) ई-वेस्ट्स
(ब) वी-वेस्ट्स
(स) यू-वेस्ट्स
(द) सी-वेस्ट्स
उत्तर:
(अ) ई-वेस्ट्स

10. हरियाणा किसान कल्याण क्लब का निर्माता है-
(अ) रमेश चंद्र डागर
(ब) सुरेश चंद्र नागर
(स) रमेश चंद्र डांगी
(द) दिनेश चंद्र मोगर
उत्तर:
(अ) रमेश चंद्र डागर

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

11. ग्रीन हाउस प्रभाव यदि नहीं होता तो आज पृथ्वी की सतह का औसतन तापमान 15 डिग्री सेन्टीग्रेड रहने के बजाय कितना रहता है?
(अ) -18 (शून्य से नीचे) डिग्री सेंटीग्रेड
(ब) 12 डिग्री सेंटीग्रेड
(स) 8 डिग्री सेंटीग्रेड
(द) कोई परिवर्तन नहीं होता
उत्तर:
(अ) -18 (शून्य से नीचे) डिग्री सेंटीग्रेड

12. विश्वव्यापी उष्यता को किस प्रकार नियंत्रित कर सकते हैं?
(अ) जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करना
(ब) ऊर्जा दक्षता में सुधार करना
(स) वनोन्मूलन को कम करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

13. ओजोन की मोटाई किसमें नापी जाती है?
(अ) डॉबसन यूनिट में
(ब) डी.बी. यूनिट में
(स) डॉयसन यूनिट में
(द) डी.सी. यूनिट में
उत्तर:
(अ) डॉबसन यूनिट में

14. बड़े क्षेत्र में ओजोन की परत काफी पतली हो गई है जिसे सामान्यतः कहा जाता है-
(अ) नाइट्रोजन छिद्र
(ब) हिम अंधता
(स) ऑक्सीज छिद्र
(द) ओजोन छिद्र
उत्तर:
(द) ओजोन छिद्र

15. एक ऐसे क्षेत्र में जिसमें DDT को बड़े व्यापक रूप में इस्तेमाल किया गया था, जहाँ के पक्षियों की आबादी बहुत ज्यादा गिर गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि-
(अ) पक्षियों ने अण्डे देना बंद कर दिया
(ब) उस क्षेत्र में केंचुओं की समाति हो गई
(स) नाग-सांप सिर्फ पक्षियों का ही भोजन करते थे
(द) पक्षियों द्वारा दिये गये बहुत से अण्डों से बच्चे बाहर नहीं निकले।
उत्तर:
(द) पक्षियों द्वारा दिये गये बहुत से अण्डों से बच्चे बाहर नहीं निकले।

16. जलीय निकायों की यूट्रोफिकेशन जिसके कारण मछलियाँ मरने लगती हैं, किसकी उपलब्धता न होने के कारण होता है-
(अ) प्रकाश
(ब) आवश्यक खनिज
(स) ऑक्सीजन
(द) भोजन
उत्तर:
(स) ऑक्सीजन

17. किसी स्थान पर वृक्षों पर लाइकेनों की प्रचुर मात्रा में वृद्धि क्या संकेत देती है?
(अ) वृक्ष अत्यधिक स्वस्थ हैं
(ब) वृक्ष भारी पीड़ा से ग्रस्त हैं
(स) वह स्थान अत्यधिक प्रदूषित है
(द) वह स्थान प्रदूषित नहीं है
उत्तर:
(द) वह स्थान प्रदूषित नहीं है

18. चिपको आंदोलन किससे सम्बन्धित है?
(अ) वृक्षों की रक्षा के लिए
(ब) बाघों की रक्षा के लिए
(स) नील गाय की रक्षा के लिए
(द) मोर की रक्षा के लिए
उत्तर:
(अ) वृक्षों की रक्षा के लिए

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19. वन्यजीवों की रक्षा के लिए अद्भुत साहस और समर्पण दिखाने वाले ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्ति को कौनसा पुरस्कार दिया जाता है?
(अ) अमृता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार
(ब) सीता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार
(स) गीता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार
(द) नम्रता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार
उत्तर:
(अ) अमृता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार

20. आनुवंशिक दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं-
(अ) वायु प्रदूषण से
(ब) मृदा प्रदूषण से
(स) ध्वनि प्रदूषण से
(द) रेडियोएक्टिव प्रदूषण से
उत्तर:
(द) रेडियोएक्टिव प्रदूषण से

21. ठोस अपशिष्ट है-
(अ) खनन अपशिष्ट
(ब) प्लास्टिक
(स) उपरोक्त दोनों
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) उपरोक्त दोनों

22. ओजोन परत कौनसी हानिकारक विकिरणों को अवशोषित कर लेती है?
(अ) एक्स-किरणें
(ब) गामा-किरणें
(स) अल्ट्रा वॉयलेट विकिरण
(द) अल्ट्रा विकिरण
उत्तर:
(स) अल्ट्रा वॉयलेट विकिरण

23. पुनःचक्रण (Recycle) में किया जाता है-
(अ) अनुपयोगी से उपयोगी
(ब) उपयोगी से अनुपयोगी
(स) उपरोक्त दोनों
(द) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(अ) अनुपयोगी से उपयोगी

24. जैवचिकित्सकीय अवशिष्ट है-
(अ) प्रयोगशाला अवशिष्ट
(ब) फार्मास्यूटीकल अवशिष्ट
(स) सुईयां व सीरिंज
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

25. विषाक (Toxic) अवशिष्ट होते हैं-
(अ) Pb
(ब) Hg
(स) Cd
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

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26. किस देश में मिनीमाटा रोग के कारण सैकड़ों जानें गई थी-
(अ) भारत में
(ब) चीन में
(स) जापान में
(द) अफगानिस्तान में
उत्तर:
(स) जापान में

27. मिनीमाटा रोग किस प्रदूषक के कारण होता है-
(अ) लेड के संक्रमण से
(ब) मर्करी के संक्रमण से
(स) ताम्बे के संक्रमण से
(द) लोहे के संक्रमण से
उत्तर:
(ब) मर्करी के संक्रमण से

28. भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाये गये सभी कानूनों की छतरी कानून (Umbrella Act) कौनसा है-
(अ) भारतीय वन कानून, 19327
(ब) जल प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) कानून, 1974
(स) कीटनाशक कानून, 1968
(द) पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986
उत्तर:
(द) पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
ओजोन परत को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
इसे ‘सुरक्षा छतरी’ (Umbrella Layer) भी कहते हैं।

प्रश्न 2.
कौनसे विकसित देश CFCs का सर्वाधिक उपयोग करते हैं?
उत्तर:
अमेरिका तथा यूरोपीय देश।

प्रश्न 3.
ग्लोबल वार्मिंग हेतु कौनसी गैसें उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
CO2, CH4, CFCs, N2O इत्यादि।

प्रश्न 4.
ताप के बढ़ने से पृथ्वी पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
र्ध्रुवीय बर्फ पिघलेगी, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जायेगा।

प्रश्न 5.
पृथ्वी का तापमान बढ़ने से जैव विविधता पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
र्जैव विविधता में तेजी से कमी आयेगी।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन को समझाइये।
उत्तर:
पारा (मर्करी) एक संचयी विष है, शरीर इसका उत्सर्जन करने में असमर्थ होता है तथा उच्च पोष स्तर पर इसका सर्वाधिक सांद्रण होता है। ऐसी परिघटना को जैविक-आवर्धन कहते हैं।

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प्रश्न 7.
ध्वनि प्रदूषण से होने वाले दो दुष्प्रभाव बताइये।
उत्तर:
इससे श्रवण शक्ति कमजोर तथा आंखों की पुतली फैल जाती है जिससे दृष्टि कमजोर हो जाती है।

प्रश्न 8.
प्रदूषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्रदूषण वायु, भूमि, जल तथा मृदा के भौतिक, रासायनिक या जैवीय अभिलक्षणों का एक अवांछनीय परिवर्तन है।

प्रश्न 9.
वायु प्रदूषण में कणिकीय पदार्थों को निकालने हेतु व्यापक रूप से किसका प्रयोग होता है?
उत्तर:
स्थिर वैद्युत अवक्षेपित्र (Electrostatic Precipitator)।

प्रश्न 10.
भारत में वायु प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम कब बना?
उत्तर:
1981 में लागू हुआ, परंतु 1987 में संशोधन कर शोर को भी वायु प्रदूषण के रूप में सम्मिलित किया गया।

प्रश्न 11.
अनिद्रा व हार्ट बीटिंग किससे बढ़ती है?
उत्तर:
शोर प्रदूषण से।

प्रश्न 12.
जल प्रदूषण निरेध एवं नियंत्रण अधिनियम कब पारित हुआ?
उत्तर:
सन् 1974 में।

प्रश्न 13.
घरेलू मल में मुख्यतः क्या होता है?
उत्तर:
घरेलू मल में मुख्य रूप से जैव निम्नीकरणीय कार्बनिक पदार्थ होते हैं।

प्रश्न 14.
कोई जलीय पादप का उदाहरण दो जो सुपोषी जलाशयों में अधिक वृद्धि कर पारितंत्र गति को असंतुलित करता है।
उत्तर:
जल कुम्भी (Eichhornia crassipes), इसे बंगाल का आतंक भी कहते हैं।

प्रश्न 15.
प्रदूषित जल से होने वाले रोग बताइये।
उत्तर:
पेचिश (अतिसार), टाइफाइड, पीलिया (जांडिस), हैजा (कोलेरा) आदि।

प्रश्न 16.
बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना क्या कहलाता है?
उत्तर:
बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना बायोपाइरेसी (Biopiracy) कहलाता है।

प्रश्न 17.
सी.एन.जी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सी.एन.जी. का पूरा नाम संपीडित प्राकृतिक गैस (कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस) है।

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प्रश्न 18.
शैवाल प्रस्फुटन क्या है?
उत्तर:
जलाशयों में काफी मात्रा में पोषकों की उपस्थिति के कारण प्लवकीय (मुक्त-प्लावी) शैवाल की अतिशय वृद्धि होती है, इसे शैवाल प्रस्फुटन (अल्गल ब्लूम) कहा जाता है।

प्रश्न 19.
वायुमण्डल के किस भाग में ‘अच्छा’ ओजोन पाया जाता है? वायुस्तम्भ में ओजोन की मोटाई मापन की इकाई का नाम लिखिए।
उत्तर:
समताप मण्डल, डॉबसन यूनिट (DU)।

प्रश्न 20.
वाहनों में डीजल के स्थान पर संपीडित प्राकृतिक गैस (सी एन जी) का उपयोग बेहतर क्यों है? कोई दो कारण बताइये।
उत्तर:

  • सी एन जी सबसे अच्छी तरह जलती है और बहुत ही कम मात्रा में जलने से बच जाती है।
  • यह पेट्रोल या डीजल से सस्ती है, इसकी चोरी नहीं हो सकती व इसे अपमिश्रित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 21.
स्वचालित वाहनों में सीसा रहित पेट्रोल या डीजल का उपयोग क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
सीसा रहित पेट्रोल या डीजल का प्रयोग होने से उत्सर्जित प्रदूषकों की मात्रा कम होती है।

प्रश्न 22.
जल के उचित निकास के बिना सिंचाई, फसल की वृद्धि के लिए नुकसानदेह है। क्यों?
उत्तर:
जल के उचित निकास के बिना सिंचाई के कारण मृदा में जलाक्रांति (water logging) होती है। फसल को प्रभावित करने के साथ-साथ इससे मृदा की सतह पर लवण आ जाता है। तब यह लवण भूमि की सतह पर एक पर्पटी (crust) के रूप में जमा हो जाता है। या पौधों की जड़ों पर एकत्रित होने लगता है। लवण की बढ़ी हुई मात्रा फसल की वृद्धि के लिये नुकसानदेह है और कृषि के लिये बेहद हानिकर है। जलाक्रांति और लवणता कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जो हरित क्रान्ति के कारण आई हैं।

प्रश्न 23.
पर्यावरण पर वनोन्मूलन से पड़ने वाला एक कुप्रभाव बताइए।
उत्तर:
वायुमण्डल में CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है। मृदा अपरदन तथा मरुस्थलीकरण होता है।

प्रश्न 24.
स्वचालित वाहनों में उत्प्रेरक परिवर्तक का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
ये परिवर्तक स्वचालित वाहनों में लगे होते हैं जो विषैले गैसों के उत्सर्जन को कम करते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक एवं ताप प्रदूषण पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर- इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण (Electronic Pollution ) – इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों जैसे टेलीविजन, कंप्यूटर व वीडियो गेम्स तथा मोबाइल, टेलीफोन से निकलने वाली अदृश्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों के प्रदूषण को इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण कहते हैं।

इलेक्ट्रॉन उपकरणों से निकलने वाली अदृश्य किरणों से आँख पर ही नहीं वरन् संपूर्ण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन विकिरणों से नेत्र पटल के साथ-साथ मस्तिष्क तंतुओं की भी क्षति होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार कंप्यूटर पर काम करने वाली महिलाओं में गर्भपात की घटनाएँ कंप्यूटर पर कार्य न करने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक होती हैं।

ताप प्रदूषण (Thermal Pollution ) – ताप विद्युत गृहों के यंत्रों को ठंडा करने के लिए नदी, तालाबों के जल का प्रयोग किया जाता है। शीतलन की इस प्रक्रिया के लिए प्रयुक्त जल अपने में बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा एकत्र करके नदियों के जल क्षेत्र में जल के तापक्रम को बढ़ाता है जिससे जलीय प्राणियों एवं वनस्पतियों के प्रजनन एवं वृद्धि पर सीधा प्रभाव पड़ता है ।

प्रश्न 2.
‘इकोसैन’ (Ecosan) शौचालयों के विषय पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रायः यह धारणा है कि शौचालयों में मानव अपशिष्ट, उत्सर्ग (Excreta) यानी मलमूत्र के निपटान हेतु जल जरूरी है। इसमें अधिक मात्रा में जल खर्च होता है। अतः मलमूत्र के निपटान हेतु शुष्क टॉयलेट कम्पोस्टिंग का प्रयोग प्रारंभ किया गया है। मानव अपशिष्ट निपटान के लिए यह व्यावहारिक, स्वास्थ्यकर व कम लागत की विधि है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

कम्पोस्ट की इस विधि से मानव मलमूत्र (उत्सर्ग = Excreta) का पुनश्चक्रण कर संसाधन (प्राकृतिक उर्वरक ) के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इससे रासायनिक खाद की आवश्यकता कम हो जाती है। केरल के कई भागों और श्रीलंका में ‘इकोसैन’ (Ecosan) शौचालयों (Toilets) का प्रयोग किया जा रहा है।

प्रश्न 3.
रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग से कई पर्यावरणीय समस्याएँ जुड़ी हैं, इनके रोकथाम हेतु एक किसान को आप क्या सुझाव देंगे? तर्क सहित समझाइये।
उत्तर:
रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग भूमि को हानि पहुँचा रहा है। भूमि प्रदूषित हो रही है क्योंकि अधिकतर रसायन बिना नष्ट हुए बहुत लम्बे समय तक मिट्टी में रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पौधों के द्वारा और जल के द्वारा हमारी खाद्य श्रृंखला (food chain) में प्रवेश कर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं। इससे बचने के लिए किसानों. को रासायनिक उर्वरकों का कम उपयोग करना चाहिये।

रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरक का उपयोग करना चाहिये । जैव उर्वरक पर्यावरण के किसी भाग को प्रदूषित नहीं करते हैं। ये रासायनिक उर्वरकों से उत्पन्न पार्श्व प्रभावों को भी उत्पन्न नहीं होने देते हैं। इनके लिए किसानों को अधिक व्यय भी नहीं करना पड़ता, इसलिये ये रासायनिक उर्वरकों की तुलना में अधिक उपयोगी व प्रभावशाली होते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण के स्रोत, प्रकार एवं प्रभावों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु गुणवत्ता का अपघटन एवं प्राकृतिक वायुमण्डलीय
परिस्थिति से मिलकर वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषक गैस या कणिकीय पदार्थ हो सकते हैं (जैसे हवा में तैरता हुआ ऐरोसोल जो कि ठोस तथा तरल से बना होता है) । वायुमंडलीय प्रदूषकों की सांद्रता वायुमंडल में उत्सर्जित कुल द्रव्यमान पर निर्भर करती है। हवा जिसमें हम सांस लेते हैं, उसमें अधिक मात्रा में O2 व N2 गैस होती है। इसमें लगभग 1 प्रतिशत में CO2 व जल वाष्प होती है।

इस 1 प्रतिशत भाग में कणिकीय पदार्थ व गैसों सहित वायु प्रदूषक हो सकते हैं। वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों में परागकण, धूल तथा धुआँ होते हैं, जो कि वायुमंडल में उत्सर्जित होते हैं। मानवोद्भवी वायु प्रदूषक वायुमंडल में अचल तथा सक्रिय स्रोतों से प्रवेश करते हैं। अचल स्रोतों में बड़ी फैक्ट्रियाँ, विद्युत शक्ति संयंत्र, खनिज प्रगालक तथा अन्य प्रकार के लघु उद्योग होते हैं तथा सक्रिय स्रोतों में यातायात वाहनों का सड़क पर घूमना, रेल व हवा इत्यादि होते हैं।

वायु प्रदूषक दो श्रेणियों के होते हैं- प्राथमिक तथा द्वितीयक प्राथमिक प्रदूषक वायुमंडल में विविध स्रोतों के द्वारा सीधे प्रवेश करते हैं जबकि द्वितीयक प्रदूषक प्राथमिक वायु प्रदूषकों तथा अन्य वायुमंडलीय अवयवों, जैसे जल वाष्प के आपस में रासायनिक प्रतिक्रिया होने के उपरांत उत्पन्न होते हैं। प्रायः यह प्रतिक्रिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होती है।

I. प्राथमिक वायु प्रदूषक तथा उनके प्रभाव (Primary Air Pollutants and their Effects)-
प्राथमिक वायु प्रदूषकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कणकीय पदार्थ, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)2 हाइड्रोकार्बन (HCs)2 सल्फर डाइऑक्साइड (SO2 +) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) होते हैं। कणकीय पदार्थ ठोस कणों या तरल बूंदों (एरोसोल) के बने होते हैं, ये आकार में बहुत ही छोटे होते हैं तथा सदैव वायु में तैरते रहते हैं, जैसे- कालिख, धुआँ, धूल, ऐस्बेस्टस तंतु, कीटनाशक, कुछ धातु (Hg, Pb, Cu तथा Fe), परागकण इत्यादि ।

ये मानव के श्वसन तंत्र को उत्तेजित कर देते हैं जिससे दमा, श्वसनी शोथ आदि बीमारियाँ हो जाती हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जीवाश्मी ईंधन के पूर्ण रूप से नहीं जलने पर बनता है। 50 प्रतिशत CO का उत्सर्जन ऑटोमोबाइल से होता है। वैसे CO वायुमंडल में कम समय रहती है तथा इसका ऑक्सीकरण होकर CO2 बन जाती है।

CO हानिकर होती है, श्वसन के साथ अंदर जाकर यह रक्त की ऑक्सीजन ढोने की क्षमता को घटाती है। हाइड्रोकार्बन (HCs) या वाष्पशील जैविक कार्बन (VOCs ) संयुक्त हाइड्रोजन तथा कार्बन के बने होते हैं। HCs प्राकृतिक रूप से कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के समय एवं खास प्रकार के पौधे से उत्पन्न होते हैं (जैसे चीड़ के वृक्ष )।

मिथेन (CH4) वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में भूमि से निकला हाइड्रोकार्बन है। यह बाढ़ वाले धान के खेतों तथा दलदल से उत्पन्न होता है। हाइड्रोकार्बन जीवाश्मी ईंधन के जलने (पेट्रोलियम तथा कोयला) से भी उत्पन्न होता है। सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) सल्फर युक्त कोयला जलाने पर, अयस्क प्रगालक तथा तेल शोधकों से उत्सर्जित होते हैं। SO2 की वायुमंडल में उच्च सांद्रता गंभीर श्वसन समस्या पैदा करती है तथा पौधों के लिए भी अधिक हानिकर होती है।

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नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) मुख्यत: जीवाश्मी ईंधन के उच्च ताप पर ऑटोमोबाइल इंजन में जलने पर N2 व O2 से बनता है। NO तथा NO2 के अनिश्चित मिश्रण का नाम NOx है। NOx लाल भूरे रंग की धुंध (भूरी हवा) भीड़-भाड़ वाले शहरी क्षेत्र के यातायात की वायु में रहती है जो हृदय तथा फेफड़े की समस्या को बढ़ाती है। यह कारसिनोजनिक भी हो सकती है। NOx अम्ल वर्षा को बढ़ाती है।

II. द्वितीयक वायु प्रदूषक तथा उनके प्रभाव (Secondary Air Pollutants and their Effects)- प्रकाशरासायनिक धूम कोहरा – जहाँ अधिक यातायात रहता है। वहाँ गर्म परिस्थितियों तथा तेज सूर्य विकिरण से प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा का निर्माण होता है। इसका निर्माण ओजोन (O3), पेरोक्सिएसिटाइल नाइट्रेट (PAN) तथा NOx से होता है। ओटोमोबाइल निर्वातक में HC तथा NO रहता है एवं ये शहरी पर्यावरण में O3 तथा PAN के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं। धूम कोहरे के निर्माण को निम्न क्रियाओं द्वारा बताया जा रहा है-
इंजन के अंदर की प्रतिक्रियाएं-
N2 + O → 2NO2
वायुमंडल में होने वाली प्रतिक्रियाएं-
2NO + O2 → 2NO2
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे 1

धूम कुहरा ओजोन पौधों व जंतु जीवन को हानि पहुँचाता है। पौधों की पत्तियों को हानि पहुँचाता है। ओजोन मनुष्यों में फेफड़े के रोग उत्पन्न करती है। O3 एक प्रभावकारी ऑक्सीकारक है। यह पुरानी इमारतों-स्मारकों, संगमरमर की मूर्तियों को संक्षारित कर सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुँचाता है। PAN के प्रभाव से क्लोरोप्लास्ट नष्ट हो जाता है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्षमता कम होकर पौधों का विकास बाधित होता है। PAN से मानव नेत्र में उत्तेजना पैदा हो जाती है।

अम्ल वर्षा (Acid Rains) नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), VOCS तथा SO2 का उत्पादन कोयला (उद्योगों में) तथा पेट्रोलियम (ऑटोमोबाइल में) के जलने से होता है। आसमान में प्रकाश होने से NO2 का प्राकृतिक रूप से उत्पादन होता है। ये गैसें हवा में अतिप्रतिक्रियात्मक होती हैं व शीघ्र ही अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाती हैं (सल्फ्यूरिक अम्ल व नाइट्रिक अम्ल) ।

ये आसानी से जल में घुलनशील होते हैं तथा पृथ्वी पर घुलकर अम्ल वर्षा के रूप में आ जाते हैं। साधारणतः वर्षा का जल थोड़ा अम्लीय होता है ( pH 5.6-6.5), क्योंकि जल तथा CO2 वायु में मिलकर कमजोर अम्ल का निर्माण करते हैं। अम्ल वर्षा का pH 5.6 से भी कम हो सकता है। अम्ल वर्षा ऐतिहासिक इमारतों, धरोहर स्मारकों (आगरा का ताजमहल) का संरक्षण कर हानि पहुँचाती है।

अम्ल वर्षा का ‘उष्णकटिबंधीय तथा जलीय वनस्पतियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अधिकतर मोलस्का तथा मछलियाँ 50 pH से कम वाले जल को सहन नहीं कर सकतीं। कम pH मृदा के जीवाणु समुदाय को नष्ट कर देती है।

प्रश्न 2.
मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण के प्रकार एवं नियंत्रण के उपाय बताइये ।
उत्तर:
(1) मृदा प्रदूषण (Soil Pollution ) – वस्तुतः मृदा या भूमि प्रदूषण मनुष्यों की विभिन्न क्रियाओं जैसे अपशिष्टों का जमाव, कृषि रसायनों का उपयोग, खनन कार्य तथा शहरीकरण का परिणाम है। इसे निम्न बिंदुओं के अंतर्गत समझाया जा रहा है-

(i) अपशिष्ट (Waste Dumps ) – औद्योगिक अपशिष्ट जल, नगरीय, मेडिकल एवं अस्पतालों के अपशिष्टों को फेंकने से भूमि प्रदूषित हो जाती है। इन अपशिष्टों में विद्यमान कार्बनिक, अकार्बनिक रासायनिक मिश्रण एवं भारी धातु मृदा प्रदूषण करती हैं। औद्योगिक उत्सर्जन के गिरने से तथा ताप ऊर्जा संयंत्र से निकलने वाला फ्लाई ऐश (राख) आस-पास के पर्यावरण को दूषित करता है। औद्योगिक उत्सर्जन के लिए लगाए गए ऊँची चिमनी से निकले कणकीय पदार्थ जल्दी से पृथ्वी की सतह पर आकर बैठ जाते हैं।

नाभिकीय परीक्षण प्रयोगशालाओं, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र तथा नाभिकीय विस्फोट से निकले अपशिष्ट विकिरण मृदा को संक्रमित करते हैं। रेडियो विकिरण पदार्थ भूमि में लंबे अंतराल तक रह सकते हैं, क्योंकि उनका आधा जीवन साधारणतः लंबा होता है। उदाहरणार्थ स्ट्रान्शयम – 90 का आधा जीवन 28 वर्ष का तथा केसियम 137 ( Cacsium) का 30 वर्षों का होता है।

(ii) नगरीय अपशिष्ट (Municipal Wastes ) – इसके अंतर्गत घरेलू तथा रसोई, बाजार के अस्पताल के, पशुओं व पोल्ट्री के एवं कसाईखानों के अपशिष्ट आते हैं। इनमें से कुछ अपशिष्टों का जैविक अपघटन नहीं होता है जैसे पोलिथीन बैग, अपशिष्ट प्लास्टिक शीट, बोतलें आदि । अस्पताल के अपशिष्टों में कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, धातु की सुइयाँ, प्लास्टिक तथा शीशे की बोतलें आदि होते हैं। घरेलू सीवेज तथा अस्पताल के कार्बनिक अपशिष्टों के गिराने से पर्यावरण संक्रमित हो जाता है तथा रोगाणु मनुष्य के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।

(iii) कृषि रसायन (Agro-chemicals) – वर्तमान में कृषि प्रणाली में कीट एवं खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिये अत्यधिक कीटनाशक व खरपतवार नाशक रसायनों का उपयोग किया जाता है। अत्यधिक अकार्बनिक उर्वरकों तथा जैवनाशकों के अवशेष, भूमि एवं भूमिगत जल संसाधनों को संक्रमित कर देते हैं।

अकार्बनिक पोषकों, जैसे-फॉस्फेट तथा नाइट्रेट घुलकर जलीय पारिस्थितिक तंत्र में आ जाते हैं तथा सुपोषण को बढ़ाते हैं। नाइट्रेट पेयजल को भी प्रदूषित करता है। अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा मृदा जीवों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

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(iv) खनन ऑपरेशन (Mining Operations ) – विवृत खनन (एक प्रक्रिया जहां धरती की सतह का खनन कर भूमिगत जमा पदार्थ को निकाला जाता है) से ऊपरी भूमि का पूरी तरह नुकसान होता है। तथा संपूर्ण क्षेत्र जहरीली धातु एवं रसायन से संक्रमित हो जाता है।

मृदा प्रदूषण का नियंत्रण (Control of soil pollution) – मृदा या भूमि प्रदूषण के नियंत्रण के अंतर्गत सुरक्षित भूमि उपयोग, योजनाबद्ध, शहरीकरण, नियंत्रित विकास कार्यक्रम, सुरक्षित डिस्पोजल (disposal) तथा मानव आवास स्थल एवं उद्योगों के ठोस अपशिष्टों का प्रबंधन किया जाता है। ठोस अपशिष्टों के प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं-

  • अपशिष्टों को एकत्र करना तथा उनका वर्गीकरण करना।
  • खराब धातुओं तथा प्लास्टिकों जैसे संसाधनों को एकत्र कर उसे पुनः चक्रण के पश्चात् फिर से उपयोग करना तथा
  • पर्यावरण को कम से कम हानि पहुँचाते हुए उसे फेंकना।

मल जल तथा औद्योगिक ठोस अपशिष्ट का उपयोग भूमिभरण के लिए किया जाता है। विषैले रसायन तथा हानिकारक धातु जिसमें अपशिष्ट रहते हैं, सड़क बनाने में बिछाने वाली सामग्री के रूप में उपयोग कर लिया जाता है। फ्लाई राख का उपयोग भी इसी उद्देश्य हेतु किया जाता है।

फ्लाई राख से ईंट बनाकर भवन निर्माण में उपयोग करते हैं। ठोस अपशिष्टों से छुटकारा पाने का अन्य महत्वपूर्ण तरीका भस्मीकरण (O2, की उपस्थिति में दहन ) एवं ताप अपघटन (O2) की अनुपस्थिति में दहन) है। नगरीय ठोस अपशिष्ट को कृषि के कार्बनिक खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।

(2) ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution ) – तेज विक्षोभी ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि तरंगों में चलती है तथा हमारे कर्ण पटल को प्रभावित करती है। ध्वनि तरंग की तीव्रता औसत दर प्रति इकाई क्षेत्र, जिस पर ऊर्जा तरंगें स्थानान्तरित होकर सतह पर आती हैं, पर निर्भर करती है। ध्वनि की मापन इकाई डेसीबल (Decibel = dB) होती है, इसे यह नाम एलेक्जेंडर ग्राहम बेल के कार्य की सराहना पर दिया गया।

मानव द्वारा उत्पन्न शोर, औद्योगिक मशीनों, यातायात वाहनों, ध्वनि प्रवर्धक पटाखों को जलाने, औद्योगिक तथा लघु स्थानों पर अधिस्फोटन से होता है। जेट एयरक्राफ्ट के उतरने या उड़ान भरने के समय बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण हवाई अड्डे के आस-पास होती है। शोर के अनेक दुष्प्रभाव मानव की शरीर क्रिया पर पड़ते हैं।

शोर दिल की धड़कन, पेरीफरल संवहन तथा श्वसन तरीकों पर गहन प्रभाव डालते हैं। निरंतर शोरगुल वाले पर्यावरण से गुस्सा, उत्तेजनशीलता, सिरदर्द एवं अनिद्रा तथा मनुष्य की कार्यक्षमता पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा क्षेत्र के अनुसार परिवेशीय शोर का स्तर निम्न सारणी में दिया गया जा रहा है-

सारणी- क्षेत्रानुसार परिवेश शोर स्तर की अनुमति

क्षेत्रदिन (6.00-21.00 hr.)रात्रि (21.00-6.00hr.)
उद्योग70 bB70 bB
व्यापारिक65 bB55 bB
आवास स्थल55 bB45 bB
शांत क्षेत्र00 bB40 bB

ध्वनि प्रदूषण का नियंत्रण (Control of Noise Pollution ) – ध्वनिरोधी इंसुलेटिंग जैकेट या छन्ना का उपयोग मशीन से होने वाली ध्वनि को कम कर सकता है। औद्योगिक कर्मचारियों एवं रनवे ट्रैफिक कर्मचारियों को कर्णमफ (Ear Muff) का उपयोग करना चाहिए। अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले यंत्रों, लाउडस्पीकर तथा विवाह पर डी. जे. पार्टी पर उचित ध्वनि तक के उपयोग हेतु कानूनी सहायता से नियंत्रण करना आवश्यक है।

प्रश्न 3.
ओजोन छिद्र व ओजोन ह्रास के प्रभाव को समझाइये ।
उत्तर:
सन् 1956-1970 के दौरान अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत की मोटाई 280 से 325 डोबसन इकाई थी। [1 डोबसन इकाई (DU) = 1 ppb]। 1979 में यह 136 DU थी व 1994 में 94 DU रह गई।
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इस ह्रास को ओजोन छिद्र कहा गया, इसकी खोज 1985 में अंटार्कटिका के ऊपर की गई थी। CFCs, N2O व CH2 का बिखरना O3 को नष्ट करता है। ध्रुवीय समतापमंडल बादल कम तापमान पर क्लोरीन को स्वतंत्र क्रिया करने के लिए सतह प्रदान करते हैं। ओजोन ह्रास क्रियाएं बहुत तेज होती हैं।

सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में तथा अंटार्कटिक में बसंत की शुरुआत में बर्फ जमने के समय क्लोरीन ओजोन अणुओं पर आक्रमण करती है। फलस्वरूप अंटार्कटिका में O3 घटना शुरू हो जाता है। आर्कटिक समतापमंडल बसंत में जल्दी गर्म तथा ठंडा होता है तथा सूर्य प्रकाश के क्रांतिक अति व्याप्ति का समय कम हो जाता है जो कि O3 ह्रास हेतु आवश्यक है।

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ओजोन ह्रास का प्रभाव- समतापमंडलीय O3 परत पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित कर लेती है, इससे इन विकिरणों की मात्रा पृथ्वी सतह पर आने से कम हो जाती है। मनुष्यों में पराबैंगनी के बढ़ने से मोतियाबिंद, त्वचा कैंसर, मेलानोमा आदि की घटना बढ़ जाती है। पराबैंगनी – बी (UV-B) विकिरणों के संपर्क में ज्यादा आने से मानव के भीतर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

UV- B की मात्रा बढ़ने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है। व सजीवों में न्यूक्लियक अम्ल नष्ट हो जाते हैं। UV-B विकिरणों से पादप प्लवकों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अवरोधित होती है, जिससे उत्पादकता घट जाती है अर्थात् पूरी जैव आहार श्रृंखला प्रभावित होती है, उदाहरण जूप्लैंकटोन, क्रील, ऐस्क्पीड, मछली तथा व्हेल इत्यादि।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. अंटर्कटिक क्षेत्र में हिम-अंधता किस कारण होती है? (NEET-2020)
(अ) UV-B विकिरण की उच्च मात्रा के कारण कॉर्निया का शोध
(ब) हिम से प्रकाश का उच्च परावर्तन
(स) अवरक्त किरणों द्वारा रेटीना में क्षति
(द) निम्न ताप द्वारा आँख में द्रव के जमने के कारण
उत्तर:
(अ) UV-B विकिरण की उच्च मात्रा के कारण कॉर्निया का शोध

2. सन् 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल किस पर नियंत्रण के लिए हस्ताक्षरित किया गया था? (NEET-2020)
(अ) ओजोन को क्षति पहुँचाने वाले पदार्थों का उत्सर्जन
(ब) हरित गृह गैसों का छेड़ना
(स) e-वेस्ट (c कृड़ा करकट) का निययन
(द) एक देश से दूसरे देश में आनुव्वंशिकतः रूपान्तरित जीवों के परिवहन के लिए
उत्तर:
(अ) ओजोन को क्षति पहुँचाने वाले पदार्थों का उत्सर्जन

3. पॉलिब्लेंड पुनश्चक्रित रूपान्तरित प्लास्टिक का महीन पाठडर है जो निम्नलिखित में से किसके लिए एक सुयोग्य पदार्थ के रूप में पुष्टिकृत हुई है- (NEET-2019)
(अ) नलियाँ और पाइप बनाने में
(ब) प्लास्टिक की थैलियाँ बनाने में
(स) उर्वरक के रूप में
(द) सड़क के निमांण में
उत्तर:
(द) सड़क के निमांण में

4. निम्नलिखित में से गैसों का कौनसा युग्म हरित गृह प्रभाव के लिए मुख्य रूप में उत्तरदायी है- (NEET-2019)
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड और मिथेन
(ब) ओजोन और अमोनिया
(स) ऑक्सीजन और नाइट्रोजन
(द) नाइट्रोजन और सल्फरडाइऑक्साइड
उत्तर:
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड और मिथेन

5. निम्न में से कौनसी विधि नाभिकीय अपरिश्षों के निपटान के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है ? (NEET-2019)
(अ) अपशिष्ट को पृथ्वी की सतह के नीचे गहरी चट्ट्यनों में दबा कर
(ब) अपशिष्ट को अंतरिक्ष में दाग देना
(स) अपशिष्ट को अंटार्काटिक में हिम आच्छादन में दबा देना
(द) अपशिष्ट को गहरे महासागर के नीचे चट्टानों में डाल देना
उत्तर:
(अ) अपशिष्ट को पृथ्वी की सतह के नीचे गहरी चट्ट्यनों में दबा कर

6. निम्नलिखित में से कौनसा एक द्वितीयक प्रदूपक है? (DUMET-2009, NEET-2018)
(अ) SO2
(ब) CO2
(स) CO
(द) O3
उत्तर:
(द) O3

7. समताप मंडल में, ओजोन के विकृतिकरण और आप्किक ऑक्सीजन की विमुक्ति में निम्नलिखित में से कौनसा तत्व उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है? (NEET-2018)
(अ) Fe
(ब) Cl
(स) कार्बन
(द) ऑक्सीजन
उत्तर:
(ब) Cl

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8. विश्व ओजोन दिवस कब मनाया जाता है? (NEET-2018)
(अ) 16 सितम्बर
(ब) 21 अप्रैल
(स) 5 जून
(द) 22 अप्रैल
उत्तर:
(अ) 16 सितम्बर

9. निम्नलिखित में से किसमें बहिः इसावों के कारण प्रदुषित होने वाले जल निकायों में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) प्रदूषण के लिए एक अच्छा सूचक नहीं है? (NEET-2016)
(अ) पेट्रोलियम उद्योग
(ब) शर्करा उद्योग
(स) घरेलू वाहित मल
(द) दुग्ध उद्योग
उत्तर:
(अ) पेट्रोलियम उद्योग

10. एक नदी में जब कार्बनिक अपशिष्ट से भरपूर घरेलू वाहित मल बह्कर गिरता हो, ते उसका परिणाम क्या होगा? (NEET I-2016)
(अ) बायोडिग्रेडेबल पोषण के कारण मछली का उत्पादन बढ़ जएगा
(ब) ऑक्सीजन की कमी के कारण मह्हलियाँ मर जाएंगी
(स) शैवाल प्रस्कुटन के कारण नदी जल्दी ही सूख जाएगी
(द) जलीख भोजन की समम्टि में वृद्धि हो जाएगी
उत्तर:
(ब) ऑक्सीजन की कमी के कारण मह्हलियाँ मर जाएंगी

11. अम्लीय वर्षा वात्तावरण में किसकी सान्द्रता की अधिकता के कारण होती है? (Orissa JEE-2011, WB JEE-2011, NEET-2015)
(अ) SO3 और CO
(ब) CO2 और CO
(स) O3 और धूल
(द) SO2 और NO2
उत्तर:
(द) SO2 और NO2

12. निम्नलिखित में से कौन एक पर्यावरण में SO2 प्रदूषण का योग्य संकेतक है ? (NEET-2015)
(अ) शंकुधारी
(ब) शैवाल
(स) कवक
(द) लाइकेन
उत्तर:
(द) लाइकेन

13. वायुमण्डल का वह क्षेत्र जिसमें ओजोन परत उपस्थित है, उसे क्या कहा जाता है? [CBSE PMT (Mains)-2011, NEET-2014]
(अ) आयनमंडल
(ब) मध्यमंडल
(स) समतापमंडल
(द) क्षोभमंडल
उत्तर:
(स) समतापमंडल

14. एक रासायनिक प्रौद्योगिक संस्थान के निकास में लगा हुआ स्क्रबर क्या हटाता है? (NEET-2014)
(अ) सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैस
(ब) 5 माइक्रोमीटर के या इससे बड़े कणिकीय पदार्थ
(स) ओजोन और मीथेन जैसी गैस
(द) 2.5 माइक्रोमीटर के या इससे छोटे कणिकीय पदार्थ
उत्तर:
(अ) सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैस

15. वैस्किक उष्प का नियंत्रण किया जा सकता है- (NEET-2013)
(अ) वनोन्मूलन को कम करके, जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करके
(ब) पेड़ें को लगाना कम करके, जीवाश्म ईंचन का उपयोग बढ़ करके
(स) वनोन्मूलन में वृद्धि करके, जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करके
(द) वनोन्मूलन में वृद्धि करके, ऊर्जा के उपयोग की कारगरता को कम करके
उत्तर:
(अ) वनोन्मूलन को कम करके, जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करके

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16. जल सुपोषण होना प्रायः किसमें देखा जाता है? [PMT-2005, NEET-2011, CBSE PMT (Pre)-2011]
(अ) मरुस्थलों में
(ब) अलवणीय झीलों में
(स) महासागर में
(द) पहाड़ों में
उत्तर:
(ब) अलवणीय झीलों में

17. भोपाल ग्रासदी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन गलत है? [CBSE PMT (Pre)-2011, NEET-2011]
(अ) मेथिल आइसो सायनेट गैस का रिसाव हुआ था
(ब) हजारों लोग मर गए थे
(स) पूरे भोपाल पर रेंडियोएक्टिव अवपात छा गया था
(द) यह दिसम्बर 2/3/1984 की रात हुआ था
उत्तर:
(स) पूरे भोपाल पर रेंडियोएक्टिव अवपात छा गया था

18. dB एक मानक संकेताक्षर है जिसका उपयोग निम्नलिखित में से किस एक का मात्रात्मक अभिव्यकि के लिए किया जाता है? [NEET-2010, CBSE PMT (Pre)-2010]
(अ) एक विशिष्ट पीड़काशी की
(ब) किसी माध्यम में बैक्टीरिया के घनत्व की
(स) एक विशिष्ट प्रदूषक की
(द) किसी संवर्धन में प्रभावी बेसिलस की
उत्तर:
(स) एक विशिष्ट प्रदूषक की

19. द्वितीयक प्रदूषक जो हिल अभिक्रिया को रोकता है, वह है- (Kerala CET-2002, CPMT-2010)
(अ) गंधक का अम्ल
(ब) नाइट्रिक अम्ल
(स) परऑॅक्सीऐसेटाइल नाइट्रेट (PAN)
(द) एल्डिहाइडस
उत्तर:
(स) परऑॅक्सीऐसेटाइल नाइट्रेट (PAN)

20. किसी नदी के जल की BOD के संबंध में क्या सही है- (AIIMS-2008; CBSE PMT-2009)
(अ) इसके जल के अंदर साल्मोनेला के माप का पता चलता है
(ब) यह तब एक समान बनी रहती है जब ऐल्गाल ब्लूम (शैवाल प्रस्फुटन) होता है
(स) यह तब बढ़ जाती है जब नदी के जल में मल-जल मिल जाता है
(द) इसके जल के अंदर की ऑक्सीजन-सांद्रता से कोई संबंध नहीं है
उत्तर:
(स) यह तब बढ़ जाती है जब नदी के जल में मल-जल मिल जाता है

21. अधिक समता मुक्त उपकरण जो कि औचोगिक उत्सर्जित पदार्थों (Emission) से पार्टोकुलेर मैटर को हटाता है- (Kerala PMT-2009)
(अ) साइक्लोनिंग सेप्रेटर
(ब) ट्रेजेक्टरी सेप्रेटर
(स) पाइरोलिसिस
(द) इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर
उत्तर:
(द) इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर

22. वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों में सम्मिलित है- (NEET-2009, CBSE PMT-2009)
(अ) पेट्रोल में 20% इथाइल एल्कोहॉल और डीजल में 20% बायोडीजल अनिवार्य रूप से मिलाया जाना।
(ब) पेट्रोल चलित वाहनों का अनिवार्य PUC (Pollution Under Control) प्रमाण पत्र दिया जाना जिसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रो कार्बनों का परीक्षण होता है।
(स) वाहनों के लिए ईंधन के रूप में केवल ऐसे शुद्ध डीजल के उपयोग की अनुमति देना जिसमें अधिकतम सल्फर 500 PPM तक हो।
(द) समस्त बसों और ट्रकों द्वारा केवल अप्रदूषणकारी सम्पीडित प्राकृतिक गैसों (CNG) का उपयोग किया जाना।
उत्तर:
(द) समस्त बसों और ट्रकों द्वारा केवल अप्रदूषणकारी सम्पीडित प्राकृतिक गैसों (CNG) का उपयोग किया जाना।

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23. आटोमोबाइल निष्कासन में सबसे हानिकारक धात्विक प्रदूषक है- (Pb PMT-2000; MP PMT-2002; BHU-2008)
(अ) पारा (Hg)
(ब) लैड (Pb)
(स) कैडमियम (Cd)
(द) कॉपर (Cu)
उत्तर:
(ब) लैड (Pb)

24. ऊर्जा के विकिरण से तापक्रम का बढ़ना जिसे ओजोन CO2 एवं जलवाष्प से निर्धाति किया जाता है, कहलाता है- (J\&K CET-2008)
(अ) रेडियो सक्रियता
(ब) ओजोन प्रभाव
(स) सौर अभिक्रिया
(द) ग्रीन हाउस प्रभाव
उत्तर:
(द) ग्रीन हाउस प्रभाव

25. कोयला ईंधन वाले बिजली संयंत्र में विद्युत स्थैतिक प्रेसिपिटेटर्स किसके निष्कासन को रोकने के लिए लगाए जाते हैं? (CBSE PMT-2007, NEET-2007)
(अ) CO
(ब) SO2
(स) NOx
(द) SPM
उत्तर:
(द) SPM

26. वायुमण्डल में O3 की परत किससे नष्ट होती है या कौनसा रासायनिक पदार्थ वायुमण्डल में ओजोन की मात्रा को कम करने के लिये उत्तरदायी है- (CPMT-2009; MP PMT-2006: DPMT-2006)
(अ) HCl अम्ल
(ब) फोटोकेमिकल स्रोत
(स) क्लोरोफ्लोरो कार्बन
(द) SO2
उत्तर:
(स) क्लोरोफ्लोरो कार्बन

27. गैसें जिन्हें ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं, वे हैं- (BHU-2003; CPMT-2003; RPMT-2006)
(अ) CO2, O2, NO2, NH2
(ब) CFC, CO2, NH3, N2
(स) CH4, N2, CO2, NH3
(द) CFC, CO2, CH4, NO2
उत्तर:
(द) CFC, CO2, CH4, NO2

28. माँट्रियल प्रोटेकॉल जिसमें ओजोन परत को मानव क्रियाक्लापों से सुरक्षित बचाए रखने के लिये कार्यवाही करने को कहा गया है, किस वर्ष में पारित किया गया था- (NEET-2006; CBSE PMT-2006)
(अ) 1985
(ब) 1986
(स) 1987
(द) 1988
उत्तर:
(स) 1987

29. निम्न में से कौनसी रणनीति ग्लोबल वार्मिंग के लिये उपयोगी नहीं है- (AMU-2005)
(अ) जीवाश्म ईंधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करना
(ब) वनों में वृद्धि
(स) नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि
(द) CFC के स्थान पर अन्य विकल्पों का उपयोग करना
उत्तर:
(स) नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि

30. वह प्रक्रम जिसमें जल के पोषण की प्रचुरता के कारण एक या कुछ जीवों में अत्यधिक वृद्धि का होना तथा साथ ही जाति विविधता में कमी कहलाती है- (AMU-2005)
(अ) जैवीय आवर्धन (Biological magnification)
(ब) जाति प्रमोशन (Species promotion)
(स) सुपोषण (Eutrophication)
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) सुपोषण (Eutrophication)

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31. DDT होता है- (MP PMT-2004; AIIMS-2005)
(अ) विघटित न होने वाला प्रदूषक
(ब) विघटित होने वाला प्रदूषक
(स) एन्टीबायोटिक
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) विघटित न होने वाला प्रदूषक

32. CFC फ्रीजों में उपयोग हेतु अनुमोदित नहीं किये जाते हैं क्योंकि वे- (DPMT-2003; BVP-2004)
(अ) तापक्रम बढ़ाते हैं
(ब) ओजोन को कम करते हैं
(स) पर्यावरण प्रभावित करते हैं
(द) मानव शरीर को प्रभावित करते हैं
उत्तर:
(ब) ओजोन को कम करते हैं

33. ग्रीन हाउस प्रभाव संबंधित है- (CPMT-2004)
(अ) पृथ्वी के शीतलन से
(ब) पृथ्वी के गरम होने से
(स) UV को ग्रहण करने से
(द) अनाज उत्पादन से
उत्तर:
(ब) पृथ्वी के गरम होने से

34. सुपोषण निम्न के कारण होता है- (MHCET-2004)
(अ) अम्ल वर्षा
(ब) नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स
(स) सल्फेट्स और कार्बोनेट्स
(द) CO2 और CO
उत्तर:
(ब) नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स

35. ‘जैविक आवर्धन’ प्रदर्शित करता है- (Kerala PMT-2004)
(अ) भोजन के उपयोग के कारण जीवों में वृद्धि
(ब) समष्टि के परिणाम में वृद्धि
(स) मनुष्य द्वारा वायुमण्डलीय मुद्दों को बढ़ाना
(द) अनिम्नीकरणीय प्रदूषक की बढ़ती हुई मात्रा खाद्य शृंखला द्वारा स्थानान्तरित होती है।
उत्तर:
(द) अनिम्नीकरणीय प्रदूषक की बढ़ती हुई मात्रा खाद्य शृंखला द्वारा स्थानान्तरित होती है।

36. पैट्रोल एवं डीजल से चलने वाले स्वचालित वाहनों के रेचन (exhaust) से युक्त किस प्रदूषक की मात्रा अधिक होती है- (BVP-2004)
(अ) CO
(ब) CO2
(स) NO2, SO2 एवं Pb
(द) हाइड्रोकार्बन
उत्तर:
(अ) CO

37. दफ्तरों में उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण का स्तर सामान्यतः होता है- (AIIMS-2004)
(अ) 20 dB
(ब) 30 dB
(स) 40 dB
(द) 60 dB
उत्तर:
(स) 40 dB

38. यह कहा जाता है कि ताज नष्ट हो रहा है- (CPMT-2004)
(अ) यमुना नदी की बाढ़ के कारण
(ब) उच्च ताफ्क्रम के कारण संगमरमर के विघटन के कारण
(स) मथुरा के तेल शोधक कारखाने से निकले वायु प्रदूषकों के कारण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) मथुरा के तेल शोधक कारखाने से निकले वायु प्रदूषकों के कारण

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39. SO2 एवं इसके रूपातंरित उत्पादों के कुछ प्रभाव पौधों में होते हैं, जैसे- (BHU-2004)
(अ) क्लोरोफिल का अपघटन
(ब) प्लाज्मोलाइसिस (Plasmolysis)
(स) गॉल्जी काय का विनिष्ट होना
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) क्लोरोफिल का अपघटन

40. BOD का क्या अर्थ है- (Kerala PMT-2004)
(अ) बायोलोजिक आर्गेनिज्म डेथ
(ब) बायोकेमिकल आर्गोनिक मेटर डिके
(स) बायोटिक ऑक्सीजन डिमांड
(द) बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमान्ड
उत्तर:
(द) बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमान्ड

41. लाइकेन सामान्यतः शहरों में नहीं उगते- (AFMC-2004)
(अ) सही प्रकार के शैवाल व कवकों की अनुपस्थिति के कारण
(ब) नमी की कमी के कारण
(स) SO2 प्रदूषण के कारण
(द) प्राकृतिक आवास न मिलने के कारण
उत्तर:
(स) SO2 प्रदूषण के कारण

42. कभी-कभी झील में वाटर ब्लूम्स (Water blooms) का पाया जाना प्रदर्शित करता है- (AIEEE-2003)
(अ) पोषण की कमी
(ब) ऑक्सीजन की कमी
(स) अत्यधिक पोषण की उपलब्धता
(द) झील में शाकाहारियों की अनुपस्थिति
उत्तर:
(ब) ऑक्सीजन की कमी

43. 70 से 90 डेसीबल प्रबलता की औसत ध्वनि होती है- (AIEEE-2003)
(अ) अधिक प्रबल
(ब) असहज
(स) कष्टदायक
(द) शांत
उत्तर:
(अ) अधिक प्रबल

44. घने शहरों में पाया जाने वाला प्रकाश रासायनिक धूम्र कोहरे में मुख्यतः सम्मिलित होता है-(AIIMS-2003)
(अ) ओजोन, परऑक्सीएसीटायल नाइट्रेट और NOx
(ब) धुआँ, पसऑक्सीएसीटायल नाइट्रेट और SO2
(स) हाइड्रोकार्बन्स, SO2 और CO2
(द) हाइड्रोकार्बन्स, O3 और SO2
उत्तर:
(ब) धुआँ, पसऑक्सीएसीटायल नाइट्रेट और SO2

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45. डीफोरेस्टेशन प्रदर्शित करता है- (MHCET-2003)
(अ) मृदा क्षरण
(ब) ग्लोबल वार्मिंग
(स) मृदा संरक्षण
(द) दोनों ‘अ’ व ‘ब’
उत्तर:
(द) दोनों ‘अ’ व ‘ब’

46. वनों द्वारा भूमि का आच्छादित भाग है अथवा भारतीय वन नीति के अनुसार वनाच्छादित भूमि क्षेत्र का प्रतिशत है- (AIEEE-2003)
(अ) 11%
(ब) 22%
(स) 33%
(द) 60%
उत्तर:
(स) 33

47. किससे प्रदूषण नहीं होता- (CPMT-2002)
(अ) हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्कीम
(ब) ऑटोमोबाइल
(स) न्यूक्लियर ऊर्जा प्रोजेक्ट
(द) थर्मल पावर प्रोजेक्ट
उत्तर:
(अ) हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्कीम

48. निम्न में से कौनसा देश वायुमण्डल में सर्वाधिक ग्रीन हाउस गैसें मुक्त करने के लिये उत्तरदायी है- (CBSE PMT-2002; BVP-2002)
(अ) रूस
(ब) जर्मनी
(स) ब्राजील
(द) अमेरिका (USA)
उत्तर:
(द) अमेरिका (USA)

49. जल प्रदूषण से- (BHU-2002)
(अ) ऑक्सीजन में वृद्धि होती है
(ब) गंदलेपन में कमी होती है
(स) गंदलेपन और विऑक्सीजनीकरण में वृद्धि होती है
(द) प्रकाश-संश्लेषण में वृद्धि होती है
उत्तर:
(स) गंदलेपन और विऑक्सीजनीकरण में वृद्धि होती है

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50. जैविक अपघटन वाले प्रदूषक हैं- (Pb. PMT-2000)
(अ) प्लास्टिक
(ब) जल प्रदूषण
(स) भूमि प्रदूषण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) जल प्रदूषण

51. जल प्रदूषण कारक कौन है- (MP PMT-2000)
(अ) धुआँ
(ब) औद्योगिक वर्ज्य पदार्थ
(स) डिटरजेन्ट
(द) अमोनिया
उत्तर:
(ब) औद्योगिक वर्ज्य पदार्थ

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. जैव विविधता शब्द किस जीव वैज्ञानिक द्वारा प्रचलित किया गया?
(अ) एडवर्ड विलसन
(ब) रॉबर्ट मेह
(स) टिल मैन
(द) पाल एहरालिक
उत्तर:
(अ) एडवर्ड विलसन

2. राइवोल्फीया वोमिटोरिया द्वारा प्रतिपादित रसायन का नाम है-
(अ) केसरपिन
(ब) रेसरपिन
(स) मेसरपिन
(द) जेसरपिन
उत्तर:
(ब) रेसरपिन
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3. भारत का भूमि क्षेत्र विश्व का केवल कितने प्रतिशत है?
(अ) 1.8 प्रतिशत
(ब) 2 प्रतिशत
(स) 2.2 प्रतिशत
(द) 2.4 प्रतिशत
उत्तर:
(द) 2.4 प्रतिशत

4. जाति समृद्धि और वर्गकों की व्यापक किस्मों के क्षेत्र के बीच सम्बन्ध होता है।
(अ) वर्गाकार अतिपरवलय
(ब) आयताकार अतिपरवलय
(स) त्रिकोणाकार अतिपरवलय
(द) चतुर्भुजाकार अतिपरवलय
उत्तर:
(ब) आयताकार अतिपरवलय

5. विभिन्न महाद्वीपों के उष्ण बटिबंध वनों के फलाहारी पक्षी तथा स्तनधारियों की रेखा की ढलान है ?
(अ) 1.15
(ब) 2.15
(स) 3.15
(द) 4.15
उत्तर:
(अ) 1.15

6. “विविधता में वृद्धि उत्पादकता बढ़ती है” यह किस वैज्ञानिक का कथन है?
(अ) डेविड टिलमैन
(ब) रॉबर्ट मेह
(स) रॉबर्ट हुक
(द) डेविड मिडिलमेन
उत्तर:
(अ) डेविड टिलमैन

7. पॉल एहरलिक द्वारा उपयोग की गई परिकल्पना है-
(अ) पोपर परिकल्पना
(ब) सोपर परिकल्पना
(स) सिवेट पोपर परिकल्पना
(द) रिबेट पोपर परिकल्पना
उत्तर:
(द) रिबेट पोपर परिकल्पना

8. निम्न में से वर्तमान में कितने प्रतिशत जातियाँ विलुसि के कगार पर हैं?
(अ) 12 प्रतिशत पक्षी
(ब) 23 प्रतिशत स्तनधारी
(स) 31 प्रतिशत आवृतबीजी की जातियाँ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

9. किसी क्षेत्र की जैव विविधता की हानि से होने वाला प्रभाव है-
(अ) पादप उत्पादकता घटती है
(ब) पर्यावरणीय समस्याओं, जैसे सूखा आदि के प्रति प्रतिरोध में कमी आती है
(स) कुछ पारितंत्र की प्रक्रियाओं जैसे पादप उत्पादकता, जल उपयोग, पीडक और रोग चक्रों की परिवर्तनशीलता बढ़ जाती है
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

10. पृथ्वी का फेफड़ा किसे कहा जाता है?
(अ) विशाल अमेजन वर्षा वन
(ब) सुन्दर वन
(स) काजीरंगा वन
(द) नागार्जुन उद्यान
उत्तर:
(अ) विशाल अमेजन वर्षा वन

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11. किस वन को सोयाबीन की खेती तथा जानवरों के चारागाहों के लिए काटकर साफ कर दिया गया-
(अ) सुन्दर वन
(ब) अमेजन वन
(स) नागार्जुन वन
(द) काजीरंगा वन
उत्तर:
(ब) अमेजन वन

12. बिहार राज्य में किस वृक्ष की पूजा की जाती है?
(अ) इमली
(ब) महुआ
(स) कदम्ब
(द) ढाक
उत्तर:
(ब) महुआ

13. वनों की सघनता जैव विविधता में करती है-
(अ) कमी
(ब) वृद्धि
(स) स्थिरता
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) वृद्धि

14. 2002 में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन द्वितीय कहाँ हुआ?
(अ) रियो-दि-जेनेरो
(ब) ब्राजील
(स) जोहान्सबर्ग
(द) दक्षिण अमेरिका
उत्तर:
(स) जोहान्सबर्ग

15. मानव द्वारा अति दोहन से पिछले 500 वर्षों निम्न में से कौनसी जातियाँ विलुप्त हुई हैं-
(अ) स्टीलर समुद्री गाय
(ब) पैसेंजर कबूतर
(स) मोर
(द) (अ) एवं (ब)
उत्तर:
(द) (अ) एवं (ब)

16. सिचलिड मछलियों की 200 से अधिक जातियों के विलुप्त होने का कारण है-
(अ) नाईल पर्च
(ब) समुद्री गाय
(स) लेटाना
(द) हायसिंथ
उत्तर:
(अ) नाईल पर्च

17. कैट फिश जाति की मछलियों को विदेशी कौनसी मछली से खतरा है-
(अ) अफ्रीकन कलैरियस गैरीपाइनस
(ब) ऑस्ट्रेलियन स्कोलिओडोन
(स) अमरीकन एनाबास
(द) जापानी एक्सोसीटस
उत्तर:
(अ) अफ्रीकन कलैरियस गैरीपाइनस

18. अमेजन वन पृथ्वी के वायुमण्डल को लगभग कितने प्रतिशत ऑक्सीजन प्रकाश संश्लेषण द्वारा प्रदान करता है-
(अ) 5 प्रतिशत
(ब) 10 प्रतिशत
(स) 15 प्रतिशत
(द) 20 प्रतिशत
उत्तर:
(द) 20 प्रतिशत

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19. भारत का कौनसा भाग जैव विविधता की दृष्टि से अधिक समृद्ध है?
(अ) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र
(ब) उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र
(स) दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र
(द) दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र
उत्तर:
(अ) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र

20. वृहद् वनस्पति विविधता के साथ-साथ वृहद् प्राणी विविधता वाला राष्ट्र कौनसा है?
(अ) चीन
(ब) नेपाल
(स) भारत
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(स) भारत

21. सार्वभौमिक विविधता किसे कहा जाता है?
(अ) जातीय विविधता
(ब) आनुवंशिक विविधता
(स) गामा विविधता
(द) जैव विविधता
उत्तर:
(ब) आनुवंशिक विविधता

22. प्रकृति में सन्तुलन की प्रक्रिया होती है।
(अ) नियंत्रित
(ब) स्वतः नियंत्रित
(स) अनियंत्रित
(द) नष्ट
उत्तर:
(ब) स्वतः नियंत्रित

23. एक बाघ को सुरक्षित रखने के लिए सारे जंगल को सुरक्षित रखना होता है। इसे कहते हैं-
(अ) स्वस्थाने (इन सिटू) संरक्षण
(ब) बाह्यस्थाने (एम्स सिटू) संरक्षण
(स) हॉट-स्पॉट
(द) स्थानिकता एडेमिज्म
उत्तर:
(अ) स्वस्थाने (इन सिटू) संरक्षण

24. जैव विविधता को जीवधारियों के पारिस्थितकीय संबंधों के आधार पर कितने भागों में वगीकृत किया जाता है?
(अ) पाँच
(ब) दो
(स) तीन
(द) सात
उत्तर:
(स) तीन

25. संसार में पायी जाने वाली सम्पूर्ण जैव विविधता का लगभग कितना प्रतिशत भाग भारत में विद्यमान है?
(अ) 12
(ब) 15
(स) 7
(द) 8
उत्तर:
(द) 8

26. निम्न में सर्वाधिक जैव विविधता किस देश में पायी जाती है?
(अ) ब्राजील
(ब) भारत
(स) दक्षिण अफ्रीका
(द) जर्मनी
उत्तर:
(अ) ब्राजील

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27. जैव विविधता की संकल्पना में मुख्यतः किसकी निर्णायक भूमिका होती है?
(अ) वंश
(ब) गण
(स) जाति
(द) कुल
उत्तर:
(स) जाति

28. किसमें अधिकतम जैव विविधता मिलती है?
(अ) बन प्रदेश
(ब) प्रवाल भित्तियाँ
(स) मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र
(द) उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र
उत्तर:
(ब) प्रवाल भित्तियाँ

29. संसार में कुल जैव विविधता हॉट-स्पॉट हैं-
(अ) 25
(ब) 9
(स) 34
(द) 33
उत्तर:
(स) 34

30. हॉट-स्पॉट को विशेष सुरक्षा द्वारा विलोपन की दर को कितने प्रतिशत कम किया जा सकता है?
(अ) 10 प्रतिशत
(ब) 20 प्रतिशत
(स) 30 प्रतिशत
(द) 40 प्रतिशत
उत्तर:
(स) 30 प्रतिशत

31. मेघालय के कौनसे उपवन बहुत-सी दुर्लभ व संकटोत्पन्न पादपों की अन्तिम शरणास्थली है-
(अ) पवित्र उपवन
(ब) अपवित्र उपवन
(स) सुन्दर उपवन
(द) नागार्जुन उपवन
उत्तर:
(अ) पवित्र उपवन

32. 1992 में जैव विविधता का ऐतिहासिक सम्मेलन कहाँ हुआ था?
(अ) जोहान्सबर्ग में
(ब) रियोडिजिनरियो में
(स) जकार्ता में
(द) इण्डोनेशिया में
उत्तर:
(ब) रियोडिजिनरियो में

33. लघुगणक पैमाने पर संबंध एक सीधी रेखा दर्शाता है देखिए चित्र में जो निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जाता है-
(अ) logS = log C + ZlogA
(ब) logS = log A + ZlogA
(स) S = CAZ + Zlog A
(द) logS =Zlog C + log C
उत्तर:
(अ) logS = log C + ZlogA

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जैव विविधता को परिभाषित कीजिये ।
उत्तर:
किसी प्राकृतिक प्रदेश में पाये जाने वाले जीवधारियों (पादप, जीव-जन्तु) में उपस्थित विभिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिक जटिलता ही जैव विविधता कहलाती है।

प्रश्न 2.
जैव विविधता की संकल्पना विकसित होने का क्या आधार है?
उत्तर:
पर्यावरण ह्रास के कारण ही जैव विविधता की संकल्पना विकसित हुई है।

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प्रश्न 3.
जैव विविधता का अन्य नाम लिखिए।
उत्तर:
जैव विविधता का अन्य नाम जैविक विविधता है।

प्रश्न 4.
विश्व में न्यूनतम जैव विविधता कहाँ पर पायी जाती है?
उत्तर:
ध्रुवों पर न्यूनतम जैव विविधता होती है।

प्रश्न 5.
जैव मण्डल की जैव विविधता का मूलभूत आधार क्या है?
उत्तर:
जीन ।

प्रश्न 6.
मेडागास्कर पेरिविंकल पौधे से प्राप्त दो कैंसर रोधी औषधियों के नाम लिखो ।
उत्तर:
विनब्लास्टीन तथा विन्क्रिस्टीन ।

प्रश्न 7.
किन्हीं दो प्रान्तों में पूजे जाने वाले पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • राजस्थान में कदम्ब,
  • उड़ीसा में आम ।

प्रश्न 8.
विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता कहाँ होती है?
उत्तर:
ब्राजील में ।

प्रश्न 9.
वनों की सघनता किसमें वृद्धि करती है?
उत्तर:
जैव विविधता में।

प्रश्न 10.
भारत के दो सघन जैव विविधता वाले क्षेत्रों के नाम लिखिये ।
उत्तर:

  • मेघालय,
  • अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह ।

प्रश्न 11.
एक ही जाति विशेष में मिलने वाली जीनों की विभिन्नता क्या कहलाती है?
उत्तर:
आनुवंशिक विविधता ।

प्रश्न 12.
आनुवंशिक विविधता का मापन किस स्तर पर होता है?
उत्तर:
जीन स्तर पर ।

प्रश्न 13.
प्रकृति संतुलन में महत्त्वपूर्ण योगदान कौन करते हैं?
उत्तर:
वन्य जीव ।

प्रश्न 14.
हमारे देश में अवरोधक प्रकार की प्रवाल भित्तियाँ कहाँ मिलती हैं?
उत्तर:
हमारे देश में अवरोधक प्रकार की प्रवाल भित्तियाँ केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पाई जाती हैं।

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प्रश्न 15.
विश्व की आशंकित जातियों का विवरण किस पुस्तक में प्रकाशित किया गया है?
उत्तर:
Red Data Book या लाल आंकड़ों की पुस्तक में ।

प्रश्न 16.
IUCN का पूर्ण शब्द विस्तार लिखिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संगठन (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) ।

प्रश्न 17.
उत्स्थाने संरक्षण विधि का मुख्य प्रयोजन क्या है ?
उत्तर:
उत्स्थाने संरक्षण विधि का मुख्य प्रयोजन प्राणी एवं पादप जाति का विकास करके उन्हें पुनः उनके मूल वासस्थान में स्थापित करना है ।

प्रश्न 18.
‘ग्रीन बुक’ में किसका समावेश किया जाता है?
उत्तर:
संकटग्रस्त पादप जातियों, जिनका अस्तित्व वानस्पतिक उद्यानों में पाया जाता है, उसका लेखा-जोखा ‘ग्रीन बुक’ में समावेशित किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
विशेषक (Traits) तथा जीन कोश (Gene pool) को समझाइए ।
उत्तर:
विशेषक- विशेषक, जाति विशेष को जीवित रखने हेतु उत्तरदायी होते हैं। ये किसी भी समष्टि में जीन कोश संबंधित जाति के प्रतिनिधि होते हैं। जीन कोश- ” किसी भी समष्टि के जीवधारियों के जीनों का साथ- साथ जुड़ना जीन कोश कहलाता है” ताकि उनको संरक्षित कर इनका भविष्य में उपयोग कर सकें।

प्रश्न 2.
विश्व में जैव विविधता कहाँ कम एवं कहाँ अधिक है? बताइए ।
उत्तर:
विश्व में ब्राजील देश के भूमध्यरेखीय वनों में जीव-जन्तुओं व पशु-पक्षियों की सर्वाधिक जातियाँ पाई जाती हैं। इस प्रकार ब्राजील के पश्चात् विश्व में हमारा देश भारत ही ऐसा भाग्यशाली देश है, जहाँ पर सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है। विश्व में सबसे अधिक जैव विविधता अक्षांश के दोनों ओर तथा ध्रुवों पर सबसे कम जैव विविधता होती है।

प्रश्न 3.
जैव विविधता के औषधीय मूल्य पर टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर:
मेडागास्कर पेरेविंकल या सदाबहार के पौधे से विनब्लास्टीन एवं विन्क्रिस्टीन नामक कैंसर रोधी औषधियाँ निर्मित की जाती हैं। इन औषधियों से बाल्यकाल में होने वाले रक्त कैंसर ‘ल्यूकेमिया’ (Leukemia) पर 99 प्रतिशत नियंत्रण कर लेने में सफलता अर्जित हुई है। कवक द्वारा पैनीसिलीन, सिनकोना, पेड़ की छाल से कुनैन, बैक्टीरिया से एरिथ्रोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन नामक प्रतिजैविक औषधियाँ निर्मित की जाती हैं।

प्रश्न 4.
वनस्पतियों के सामाजिक मूल्य को सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
वनस्पति का सामाजिक मूल्य प्राचीन काल से ही मनुष्य के जीवन का अंग रहा है। वनस्पति मानव के जीवन में आने वाले सभी शुभ-अशुभ अवसर पर मानव के साथ रहती है क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा जीवन की विविधता विभिन्न रूपों में सामाजिक मान को प्रतिबिम्बित करती है।

उदाहरण- केला, तुलसी, पीपल, आम आदि ऐसे पौधे हैं जो हमारे घरों में आयोजित प्रत्येक धार्मिक समारोह का अविभाज्य अंग होते हैं। आम, अशोक ऐसे वृक्ष हैं, जिनकी पत्तियों की ‘बन्दनवार’ यज्ञ, विवाह, धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान अनिवार्य रूप से लगाई जाती है। नि:संदेह मनुष्य की इस प्रकार की मनोवृत्ति प्रकृति की वानस्पतिक सम्पदा को सुरक्षित रखती है।

प्रश्न 5
पारितंत्र में जैव विविधता का क्या महत्त्व है? समझाइए ।
उत्तर:
पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र अजैविक एवं जैविक घटक की वह व्यवस्था है, जिसमें ये दोनों एक-दूसरे से अन्योन्यक्रिया करते हैं। अलग-अलग पारिस्थितिक तन्त्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जीवनयापन करते हैं। उदाहरणार्थ – अलवणीय जल (मीठे पानी ) के जीवधारी लवणीय जल (खारे पानी) के जीवधारियों से सर्वथा भिन्न होते हैं।

किसी भी स्थान विशेष के जीवधारियों के वासस्थान तथा निकेत में जितनी ज्यादा विविधता विद्यमान होगी, उसकी पारिस्थितिकी तंत्र में विविधता भी उसी के अनुरूप निश्चित तौर पर ज्यादा होगी। उदाहरणार्थ- उष्णकटिबंधीय द्वीप के व्यापक क्षेत्र में व्यापक वर्षा होती है, फलस्वरूप वहां पर पारिस्थितिक तंत्र का फैलाव भी ज्यादा होता है। तट पर दलदली (मैंग्रोव ) पारितंत्र का तथा तट के निकट जलमग्न प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं। किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में जितनी ज्यादा जैव विविधता होती है, वह उतना ही ज्यादा स्थिर होता है।

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प्रश्न 6.
आनुवंशिक विविधता प्रधानतः कितने रूपों में दृष्टिगोचर हो सकती है ? उदाहरण सहित अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
आनुवंशिक विविधता दो रूपों में दृष्टिगोचर हो सकती है-

  • एक ही जाति की अलग-अलग समष्टियों में। उदाहरणार्थ- धान की विभिन्न किस्मों की उत्पत्ति ।
  • एक ही समष्टि की आनुवंशिक विभिन्नताओं के अन्तर्गत ।

उदाहरणार्थ- दो बच्चों के रंग, गुण, कद, बाल आदि कभी एक जैसे नहीं होते हैं। प्रत्येक जीवधारी के विशिष्ट गुणों हेतु उसकी कोशिका में उपस्थित विशिष्ट जीन प्रमुख तौर पर उत्तरदायी होते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिस जीवधारी में जीनों की विभिन्नता जितनी ज्यादा व्यापक होगी, उसमें तथा उसकी आने वाली संतान में विशिष्ट गुणों की संख्या भी उसी के अनुरूप अधिकतम होगी। इस प्रकार जातीय विविधता में आनुवंशिक विविधता की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रश्न 7.
आधुनिक काल में जैव विविधता का महत्त्व बताइये ।
उत्तर:
आधुनिक काल में जैव विविधता शब्द का प्रयोग विस्तृत हो गया है तथा इसका अनुप्रयोग जीन, जाति, समुदाय, पारिस्थितिक विविधता इत्यादि के लिए किया जाने लगा है। आनुवंशिक विविधता में उत्पत्ति पर्यावरण से जीवधारियों को अनुकूलित करने तथा जीवनयापन हेतु जरूरी है।

यदि किसी भी कारणवश जीवधारियों के प्राकृतिक आवास समाप्त हो जाएं तो उनके जीनों का अभाव जैव विविधता को कम करेगा, उनके अनुकूलन में रिक्तता पैदा होगी; फलस्वरूप संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन अस्थिर हो जाएगा अर्थात् दूसरे शब्दों में पारिस्थितिक तंत्र में अस्थिरता उत्पन्न हो जाएगी।

जिन जीवों में आनुवंशिक विभिन्नता जितनी अल्प होगी, उनके विलुप्त (Extinct ) होने का खतरा उसी के अनुरूप उतना ही समग्र रूप से ज्यादा होगा क्योंकि वे ऐसी परिस्थिति में अपने आपको वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सर्वथा असमर्थ रहेंगे।

प्रश्न 8.
प्रवाल भित्तियों पर टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर:
प्रवाल भित्तियाँ वृहद् आकार की चूनायुक्त संरचनाएँ हैं, जिनकी ऊपरी सतह, समुद्र की सतह के पास स्थित होती है। ये कैल्सियम कार्बोनेट की बनी होती हैं तथा ये अकशेरुकी प्राणियों के संघ सीलेनट्रेटा के वर्ग एन्थोजोआ के प्राणियों के पॉलिप द्वारा उत्पन्न होती हैं । प्रवाल भित्तियाँ, विश्व में पाए जाने वाले पारितंत्रों के अन्तर्गत सर्वाधिक उपजाऊ पारितंत्र हैं।

ये गर्म, छिछले पर्यावरण में विकसित होती हैं तथा ये जीवधारियों की काल्पनिक विविधता को समर्थन प्रदान करती हैं। इसके अलावा ये अनेक मत्स्यकी की नर्सरी (जीवशाला ) भी हैं, जिन पर कि मनुष्य खाद्य हेतु निर्भर है। हमारे देश में प्रवाल भित्तियाँ पूर्वी-पश्चिमी समुद्री तटीय क्षेत्रों में एवं अण्डमान-निकोबार द्वीप समूहों में पायी जाती हैं। अवरोधक प्रकार की प्रवाल भित्तियाँ केन्द्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में पाई जाती हैं।

प्रश्न 9.
विलुप्त जातियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इस श्रेणी के अन्तर्गत ऐसी जैविक जातियाँ सम्मिलित की जाती हैं जो निकट अतीत में जीवित थीं, किन्तु अब अपने वासस्थानों में नहीं हैं तथा अन्य दूसरे वासस्थानों में भी इनका अस्तित्व शेष नहीं रहा है अर्थात् ये जैवमण्डल से विलुप्त हो चुकी हैं। एक बार विलुप्त होने पर किसी जाति के विशिष्ट जीन कभी प्राप्त नहीं हो सकते हैं।

मनुष्य बड़े पैमाने पर विभिन्न स्थलीय जलीय तथा वायव प्राणियों का शिकार करता रहा है, जिसके फलस्वरूप अनेक जीव जातियाँ मानवीय गतिविधियों के कारण सदा-सदा के लिए जैवमण्डल से विलुप्त हो गई हैं। IUCN की लाल सूची (2004) के अनुसार पिछले 500 वर्षों में 784 जातियाँ (338 कशेरुकी, 359 अकशेरुकी तथा 87 पादप) लुप्त हो गयी हैं।

नयी विलुप्त जातियों में मॉरीशस की डोडो, अफ्रीका की क्वैगा, आस्ट्रेलिया की थाइलेसिन, रूस की स्टेलर समुद्री गाय एवं बाली, जावा तथा केस्पियन के बाघ की तीन उपजातियाँ शामिल हैं। भारत में भी भारतीय मगर, गोडावन, भारतीय सारस, हार्न बिल्स, महान भारतीय गैंडा, स्लोथ भालू व सोन कुत्ता विलुप्तप्रायः जातियाँ हैं । पूर्वी हिमालय क्षेत्र में विरल वनस्पति Sapria himaliyana पाई जाती है जो भी विलुप्तप्राय है।

प्रश्न 10.
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संसाधन संरक्षण संगठन की भूमिका को विवेचित कीजिए ।
उत्तर:
विश्व में तीव्र गति से घटती जा रही जैव विविधता की दर को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संगठन का गठन 1948 में किया गया। इस संगठन के निर्देशानुसार उसके उत्तरजीविता आयोग ने विश्व की आशंकित जातियों को खोज करके उन्हें एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है, जिसे लाल आंकड़ों की पुस्तक कहते हैं।

इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन 1 जनवरी, 1972 को हुआ था। इस पुस्तक के अब तक कुल पाँच संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इस पुस्तक में अलग-अलग प्रकार के रंगीन पृष्ठों के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाती है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 11.
लाल आंकड़ों की पुस्तक के बारे में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
लाल आंकड़ों की पुस्तक वह पुस्तक है जिसमें विश्व की विलुप्तप्रायः हो रही जातियाँ, जिनके बचाव का समग्र रूप से ध्यान रखना आवश्यक है, की जानकारी लाल पृष्ठों पर मुद्रित होती है। इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन 1 जनवरी, 1972 को हुआ था। लाल आंकड़ों की पुस्तक के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 25,000 जैविक जातियाँ संकटग्रस्त हैं। इस पुस्तक के अनुसार मछलियों की 193, उभयचरों तथा सरीसृपों की 138, पक्षियों की 400 तथा स्तनधारी प्राणियों की 305 जातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

प्रश्न 12.
संकटाधीन दृष्टिकोण के आधार पर आशंकित जैविक जातियों को कितनी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- संकटाधीन दृष्टिकोण के आधार पर आशंकित जैविक जातियों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किया है-

  1. विलुप्तप्रायः जातियाँ (Threatened Species = T) – ऐसी जैविक जातियाँ जिनके सदस्यों की संख्या कम होने की आशंका
    है।
  2. संकटग्रस्त जातियाँ (Endangered Species = E) – ऐसी जैविक जातियाँ जिनकी आबादी बहुत कम है एवं निकट भविष्य में इनके विलुप्त होने का खतरा है।
  3. सुमेघ जातियाँ (Vulnerable Species = V) – ऐसी जैविक जातियाँ जिनकी संख्या तेजी से घटती जा रही है तथा जिनके अतिशीघ्र ही संकटग्रस्त श्रेणी में आने की संभावना है।
  4. विरल जातियाँ (Rare Species =R) – ऐसी जैविक जातियाँ जो सीमित भौगोलिक क्षेत्रों में आबाद हैं या बहुत कम जनसंख्या में होने के कारण अकेले सदस्यों के रूप में रह गई हैं। इनके और भी विरल होने का डर है तथा ऐसी स्थिति में ये सुमेघ श्रेणी में आ सकती हैं।
  5. विलुप्त जातियाँ (Extinct Species = E) – ऐसी जातियाँ जिनका निकट अतीत में अस्तित्व था लेकिन अब ये अपने वासस्थानों के साथ-साथ अन्य वासस्थानों में भी पूर्णरूपेण समाप्त हो गई हैं।

प्रश्न 13.
जैव विविधता संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
मानव वैदिककाल से ही अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रकृति से कुछ न कुछ प्राप्त करता ही रहा है। परन्तु विगत कुछ वर्षों में मनुष्य ने प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग किया है जिससे पर्यावरणीय संतुलन असंतुलित हो गया है, जिसके फलस्वरूप अनेक जातियाँ विलुप्त हो गई हैं तथा अनेक विलुप्ति के कगार पर खड़ी हैं। यही स्थिति यदि भविष्य में जारी रहती है तो मनुष्य जाति का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, अतः वर्तमान में जैव विविधता के संरक्षण की ओर ध्यान केन्द्रित किया जाना परम आवश्यक है।

प्रश्न 14.
स्वस्थाने संरक्षण तथा उत्स्थाने संरक्षण में क्या मूलभूत अन्तर है?
अथवा
स्वस्थाने संरक्षण और बाह्य संरक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
‘स्वस्थाने संरक्षण’, जैव विविधता, विशिष्ट तौर पर ‘आनुवंशिक विविधता’ के संरक्षण की आदर्श विधि है। इस विधि में प्राणियों अथवा पादपों का संरक्षण मुख्यतः उनके प्राकृतिक वासस्थान में ही किया जाता है, जहाँ पर कि प्रचुर जैव विविधता का वास होता है। जबकि उत्स्थाने संरक्षण विधि के अन्तर्गत वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास से हटाकर, कृत्रिम आवास में जैसे – आनुवंशिक संसाधन केन्द्रों पर, मानव निर्मित स्थलों अथवा आवासों में संरक्षण प्रदान किया जाता है। यह जीन विविधता को संरक्षित करने का सबसे अधिक सुरक्षित तरीका है।

प्रश्न 15
जैव विविधता के विभिन्न प्रकारों का सारगर्भित शब्दों में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
जैव विविधता को जीवधारियों के पारिस्थितिकीय संबंधों के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(1) जातीय विविधता ( Species Diversity) – एक वंश की विभिन्न जातियों के बीच उपस्थित विविधता को जाति स्तर की जैव विविधता कहते हैं तथा एक समान जातियों का समूह वंश कहलाता है। उदाहरण – सिट्श वंश। इस वंश के अन्तर्गत नींबू, संतरा, भौसमी आदि की विभिन्न जातियाँ सम्मिलित की जाती हैं। जातीय विविधता को विवेचित रूप में निम्नलिखित तीन स्तरों में परिभाषित किया जा सकता है-

  • अल्फा विविधता (Alpha Diversity) – यह किसी भी स्थान में जाति समानता एवं जाति सम्पन्नता पर निर्भर करती है।
  • बीटा विविधता (Bita Diversity) इकाई आवास में हुए परिवर्तन के कारण जाति की संख्या में होने वाले बदलाव की दर को बीटा विविधता कहते हैं।
  • गामा विविधता (Gamma Diversity) – इसे सार्वभौमिक (Universal) विविधता कहा जाता है।

(2) पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity) – जैविक समुदायों की जटिलता एवं विविधता ही पारिस्थितिक तंत्र की विविधता होती है। अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जीवन यापन करते हैं।

(3) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) एक ही जाति विशेष में मिलने वाली जीनों की विभिन्नता आनुवंशिक विविधता कहलाती है। यह दो रूपों में दृष्टिगोचर होती है-

  • एक ही जाति की अलग-अलग समष्टियों में। उदाहरण-धान की विभिन्न किस्मों की उत्पत्ति ।
  • एक ही समष्टि की आनुवंशिक विभिन्नताओं के अंतर्गत । उदाहरण- दो बच्चों के रंग, गुण, कद, बाल इत्यादि कभी भी एक जैसे नहीं होते हैं।

प्रश्न 16.
सन् 1992 एवं 2002 में हुए चिन्तन के विषय में लिखिये ।
उत्तर:
जैव विविधता के लिए कोई राजनैतिक परिसीमा नहीं है। इसलिए इसका संरक्षण सभी राष्ट्रों का सामूहिक उत्तरदायित्व है। वर्ष 1992 में ब्राजील के रियोडिजिनरियो में हुई ‘जैवविविधता’ पर ऐतिहासिक सम्मेलन (पृथ्वी) में सभी राष्ट्रों का आवाहन किया गया कि वे जैव विविधता संरक्षण के लिए उचित उपाय करें, उनसे मिलने वाले लाभों का इस प्रकार उपयोग करें कि वे लाभ दीर्घकाल तक मिलते रहें । इसी क्रम में सन् 2002 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सतत विश्वशिखर- सम्मेलन हुआ, जिसमें विश्व के 190 देशों ने शपथ ली कि वे सन् 2010 तक जैवविविधता की जारी क्षति दर में वैश्विक, प्रादेशिक व स्थानीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण कमी लायेंगे।

प्रश्न 17.
जैव विविधता के तप्त स्थल (Hot Spot of Biodiversity) पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी के सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जैव विविधता समान रूप से वितरित नहीं होती। विश्व के कुछ निश्चित क्षेत्र, महाविविधता (Megadiversity) वाले होते हैं। हाल के उष्णकटिबंधीय वनों ने अपनी अधिक जैव विविधता आवासों के द्रुत विनाश के कारण सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। पृथ्वी के मात्र 7 प्रतिशत भू-भाग में फैले इन वनों में विश्व के कुल जीवों की 70 प्रतिशत से अधिक जातियाँ हैं।

ब्रिटेन के पारिस्थितिक विज्ञानी नार्मन मायर्स ने 1988 में स्वस्थाने संरक्षण हेतु क्षेत्रों की प्राथमिकता नामित करने हेतु तप्त स्थल (Hot Spot) की संकल्पना विकसित की। विश्वभर में जैव विविधता के संरक्षण हेतु स्थलीय तप्त स्थलों की पहचान की गई। अब तक पृथ्वी के 1.4 प्रतिशत भू-क्षेत्र को ये तप्त स्थल घेरे हुए हैं।

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इनमें से उष्ण कटिबंधी वन 15 तप्त स्थलों में, भूमध्य सागरीय प्रकार के क्षेत्र 5 क्षेत्रों में और 9 तप्त स्थल द्वीपों में हैं। विश्व के इन 25 तप्त स्थलों में से दो (पश्चिमी घाट एवं पूर्वी हिमालय) भारत में पाये जाते हैं। अब इस सूची में 9 तप्त स्थल और सम्मिलित किये गये हैं, अतः संसार में अब कुल 34 जैव विविधता के हॉट स्पॉट हैं। ये हॉट स्पॉट त्वरित आवासीय क्षति के क्षेत्र भी हैं। इसमें से 3 हॉट स्पॉट पश्चिमी घाट और श्रीलंका, इंडो- बर्मा व हिमालय हैं जो हमारे देश की उच्च जैवविविधता को दर्शाते हैं।

प्रश्न 18.
यदि पृथ्वी पर 20 हजार चींटी जातियों के स्थान पर केवल 10 हजार चींटी जातियाँ ही रहें, तब हमारा जीवन किस प्रकार प्रभावित होगा?
उत्तर:
चींटियां सर्वाहारी (Omnivorous) प्राणी होती हैं। चींटियाँ खाद्य पदार्थ, मृत जीव-जन्तुओं आदि का भक्षण कर सफाईकर्मी की तरह कार्य करती हैं। यदि चींटियों की जातियाँ 20000 से 10000 रह जायेंगी तो उन पदार्थों की मात्रा अधिक हो जायेगी जो वे खाती हैं। साथ ही चींटियों को खाने वाले प्राणी भूखे रह जायेंगे, चूँकि उनको पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिलेगा और वे मृत्यु को प्राप्त होंगे। अर्थात् खाद्य श्रृंखला में बाधा उत्पन्न हो जायेगी। पारितन्त्र असंतुलित हो जायेगा जिससे हमारा जीवन प्रभावित होगा।

प्रश्न 19.
यदि उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों का विस्तार पृथ्वी के वर्तमान के 6% क्षेत्र के स्थान पर 12% कर दिया जाये तो जैव विविधता किस प्रकार प्रभावित होगी? सकारण समझाइए ।
उत्तर:
जब वर्षा वनों का पृथ्वी पर विस्तार होगा तो इससे जैव- विविधता में बढ़ोतरी होगी। वर्षा वनों में करोड़ों जातियाँ निवास करती हैं। जीव-जन्तुओं को अच्छा आश्रय व भोजन प्राप्त होगा तथा पर्याप्त सुरक्षा रहेगी। स्तनधारियों व पक्षियों की संख्या तथा समस्त प्रकार के जंगली जीवों की संख्या बढ़ेगी।

प्रश्न 20.
” जातीय विलोपन की बढ़ती हुई दर मानव क्रियाकलापों के कारण है।” कथन को कारण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
मानव ने अपनी आवश्यकता के लिये जन्तु व पौधों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट किया है। बड़े आवासों को छोटे-छोटे खण्डों में विभक्त कर दिया है। मानव भोजन तथा आवास के लिये प्रकृति पर निर्भर रहा है। उसने प्राकृतिक संपदा का अधिक दोहन किया है। उसने खाने के लिये जीव-जन्तुओं का अधिक शिकार किया है। अतः मानव क्रियाकलापों के कारण ही अनेक जातियों का विलोपन हुआ है।

प्रश्न 21.
जैवविविधता की क्षति के कोई दो कारणों को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
वर्तमान में जातीय विलोपन की दर बढ़ती जा रही है। यह विलोपन मुख्य रूप से मानव क्रियाकलापों के कारण है। जाति क्षति के मुख्य दो कारण निम्न प्रकार से हैं-
(1) आवास विनाश (Habitat Destruction) – यह जंतु व पौधे के विलुप्तीकरण का मुख्य कारण है। उष्ण कटिबंधीय वर्षावनों में होने वाली आवासीय क्षति का सबसे अच्छा उदाहरण है। एक समय वर्षा- वन पृथ्वी के 14 प्रतिशत क्षेत्र में फैले थे, परन्तु अब 6 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में नहीं हैं। ये अधिक तेजी से नष्ट होते जा रहे हैं।

विशाल अमेजन वर्षा – वन (जिसे विशाल होने के कारण ‘पृथ्वी का फेफड़ा’ कहा जाता है) उसमें सम्भवत: करोड़ों जातियाँ निवास करती हैं। इस वन को सोयाबीन की खेती तथा जानवरों के चरागाहों के लिये काटकर साफ कर दिया गया है। अनेक घटनाओं में आवास विनाश करने वाले कारक बड़ी औद्योगिक और व्यावसायिक क्रियाएँ, भूमण्डलीय अर्थव्यवस्था जैसे खनन (Mining), पशु रैंचन (Cattle Ranching), व्यावसायिक मत्स्यन (Commercial Fishing), वानिकी (Forestry), रोपण (Plantation), कृषि, निर्माण कार्य व बाँध निर्माण, जो लाभ के उद्देश्य से शुरू हुए हैं। आवास की बड़ी मात्रा प्रतिवर्ष लुप्त हो रही है क्योंकि विश्व के वन कट रहे हैं। वर्षा वन, उष्णकटिबंधीय शुष्क वन, आर्द्रभूमियाँ (Wetlands), मैन्यूव (Mangrooves) और घास भूमियाँ ऐसे आवास हैं जिनका विलोपन हो रहा है और इनमें मरुस्थलीकरण हो रहा है।

(2) आवास खण्डन (Habitat Fragmentation) – आवास जो पूर्व में बड़े क्षेत्र घेरते थे ये प्रायः सड़कों, खेतों, कस्बों, नालों, पावर लाइन आदि द्वारा अब खंडों में विभाजित हो गए हैं। आवास खंडन वह प्रक्रम है जहाँ आवास के बड़े, सतत क्षेत्र, क्षेत्रफल में कम हो गए हैं और दो या अधिक खंडों में विभाजित हो गए हैं।

जब आवास क्षतिग्रस्त होते हैं वहाँ प्रायः आवास खंड छोटा भाग (Patch Work) शेष रह जाता है। ये खंड प्रायः एक-दूसरे से अधिक रूपांतरित या निम्नीकृत दृश्य भूमि (Degraded Landscape) द्वारा विलग होते हैं। आवास खंडन स्पीशीज के सामर्थ्य को परिक्षेपण (Dispersal) और उपनिवेशन (Colonisation) के लिए सीमित करता है।

प्रदूषण के कारण भी आवास में खंडन हुआ है, जिससे अनेक जातियों के जीवन को खतरा उत्पन्न हुआ है। जब मानव क्रियाकलापों द्वारा बड़े आवासों को छोटे-छोटे खण्डों में विभक्त कर दिया जाता है तब जिन स्तनधारियों और पक्षियों को अधिक आवास चाहिए, वे प्रभावित हो रहे हैं तथा प्रवासी (Migratory) स्वभाव वाले कुछ प्राणी भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं जिससे समष्टि (Population) में कमी होती है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जैव विविधता के विभिन्न स्तरों को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर:
प्रकृति में विभिन्न प्रकार के जीव होते हैं। इन जीवों में आपसी एक जटिल पारिस्थितिक संबंध होता है, जातियों में आनुवंशिक विविधता होती है व पारिस्थितिक प्रणालियों में भी विविधता मिलती है। जैव विविधता के संरक्षण की विधियों को विकसित करने से पूर्व हमें जैव विविधता की धारणा को समझना अतिआवश्यक है। जैविक विविधता के तीन स्तर होते हैं जैव विविधता के ये तीनों स्तर आपस में सम्बन्धित हैं, फिर भी ये इतने अस्पष्ट हैं। पृथ्वी पर जीवन यापन करते हुए इनके आपसी सम्बन्धों को समझने के लिए इन सबका अलग से अध्ययन करना जरूरी है।

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(1) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) – हम जानते हैं कि प्रत्येक जाति, जीवाणु से लेकर उच्च श्रेणी पादपों में प्रचुर मात्रा के अन्दर आनुवंशिक सूचनाएँ भरी होती हैं। उदाहणार्थ माइकोप्लाज्मा में 450-700 जीन संख्या, ई. कोलाई में 4000, ड्रोसोफिला में 13000, चावल में 32000-50000 व मानव में 35000 से 45000 तक जीन होती हैं।

आनुवंशिक विविधता जाति में जीनों की विभिन्नता को दर्शाती है। यह भिन्नता एलील (Allcles एक ही जीन के भिन्न प्ररूप) की या गुणसूत्रों की संरचना की हो सकती है। आनुवंशिक विविधता किसी समष्टि को इसके पर्यावरण के अनुकूल होने और प्राकृतिक चयन के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित करने के योग्य बनाती है।

आनुवंशिक विविधता जाति में जीनों की विभिन्नता को दर्शाती है । यह भिन्नता एलील (Alleles = एक ही जीन के भिन्न प्ररूप) की या गुणसूत्रों की संरचना की हो सकती है। आनुवंशिक विविधता किसी समष्टि को इसके पर्यावरण के अनुकूल होने और प्राकृतिक चयन के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित करने के योग्य बनाती है ।

आनुवंशिक भिन्नता की माप जाति उद्भवन (Speciation) अर्थात् नवीन जाति के विकास का आधार है। उच्च स्तर पर विविधता बनाए रखने में इसकी प्रमुख भूमिका है। किसी समुदाय की आनुवंशिक विविधता मात्र कुछ जातियां होने की तुलना में अधिक जातियाँ होने पर अधिक होगी। जाति में पर्यावरणीय भिन्नता के साथ आनुवंशिक विविधता प्रायः बढ़ जाती है, इससे विविधता समुदायों में जातियों की भिन्नता के साथ बढ़ती है। एक जाति या इसकी एक समष्टि में कुल आनुवंशिक विविधता को जीन कोश (Gene Pool) कहते हैं। यदि किसी जाति में आनुवंशिक

विविधता अधिक है तो यह बदली हुई पर्यावरणीय दशाओं में अपेक्षाकृत सभी प्रकार से अनुकूलन कर सकती है। किसी जाति में अपेक्षाकृत कम विविधता से एकरूपता उत्पन्न होती है। जैसा कि आनुवंशिक रूप से समान फसली पौधों के एकधान्य कृषि की स्थिति में होता है। इसका लाभ तब है, जब फसल उत्पादन में वृद्धि का विचार हो । लेकिन यह एक समस्या बन जाती है। जब कीट अथवा फफूंदी रोग खेत को संक्रमित करता है और इसकी सभी फसल को संकट उत्पन्न करता है।

(2) जाति विविधता (Species Diversity) – जातियाँ विविधता की स्पष्ट इकाई हैं, प्रत्येक की एक विशिष्ट भूमिका होती है। अतः जातियों का ह्रास संपूर्ण पारितंत्र के लिए होता है। जाति विविधता का आशय एक क्षेत्र में जातियों की किस्म से होता है। जातियों की संख्या में परिवर्तन पारितंत्र के स्वास्थ्य का एक अच्छा सूचक हो सकता है। किसी स्थान या समुदाय विशेष में जातियों की संख्या स्थान के क्षेत्रफल के साथ बहुत बढ़ती है।

सामान्यतः जातियों की संख्या अधिक होने पर जाति विविधता भी अधिक होती है। फिर भी, जातियों के मध्य प्रत्येक की संख्या में भिन्नता हो सकती है, जिसके कारण समरूपता (Evenness) या समतुल्यता (Equitability) में अंतर होता है। कल्पना कीजिए कि हमारे पास तीन क्षेत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपने अनुसार विविधता है। प्रारूप क्षेत्र एक में पक्षियों की तीन जातियाँ हैं। दो जातियों का प्रतिनिधित्व प्रत्येक के एक पृथक् जन्तु द्वारा है, जबकि तीसरी जाति के चार अलग हैं।
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दूसरे प्रारूप क्षेत्र में भी ये ही तीन जातियाँ हैं, प्रत्येक जाति का प्रतिनिधित्व प्रत्येक के एक पृथक् जंतु करते हैं । यह प्रारूप क्षेत्र अपेक्षाकृत अधिक सम या एकरूपता प्रदर्शित करता है। इस प्रारूप क्षेत्र को पहले की तुलना में अधिक विविध माना जाएगा। तीसरे प्रारूप क्षेत्र में जातियों का प्रतिनिधित्व एक कीट, एक स्तनधारी एवं एक पक्षी द्वारा किया जा रहा है। यह प्रारूप क्षेत्र सबसे अधिक विविध है। क्योंकि इसमें वर्गों की दृष्टि से असंबंधित जातियाँ हैं। इस उदाहरण में जातियों की प्रकृति में, जातियों की संख्या एवं प्रति जाति व्यक्ति की संख्या दोनों भिन्न होती हैं जिसमें परिणामस्वरूप अपेक्षाकृत अधिक विविधता होती है।

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(3) समुदाय एवं पारितंत्र विविधता (Community and Ecosystem Diversity) – एक समुदाय की जैविक अधिकता इसकी जाति विविधता द्वारा बताई जाती है। जाति अधिकता एवं समरूपता के संयोग का उपयोग समुदाय आवास में विविधता या अल्फा विविधता को समान हिस्सों में करने वाले जीवों की विविधता से है।

जब आवास या समुदाय में परिवर्तन होता है तो जातियाँ भी बहुधा परिवर्तित हो जाती हैं। आवासों या समुदायों के एक प्रवणता के साथ जातियों के विस्थापित होने की दर बीटा विविधता (समुदाय विविधता के बीच) कहलाती है। समुदायों के जाति संघटन में पर्यावरणीय अनुपात के साथ अंतर होते हैं, उदाहरणार्थ – अक्षांश, ढाल, आर्द्रता आदि। किसी क्षेत्र में आवासों में विषमांगता अधिक होने या समुदायों के आवासों या भौगोलिक क्षेत्र की विविधता को गामा विविधता कहते हैं।
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पारितंत्र की विविधता निकेतों (Niche), पोषज स्तरों एवं विभिन्न पारिस्थितिक प्रक्रियाओं की संख्या बताती है जो ऊर्जा प्रवाह, आहार जाल. एवं पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण को संभालते हैं। इसका केन्द्र विभिन्न जीवीय पारस्परिक क्रियाओं तथा कुंजीशिला जातियों (Keystone Species) की भूमिका एवं अर्थ पर होता है । शीतोष्ण घासस्थलों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि विविध समुदाय, पर्यावरणीय तनाव जैसी दीर्घ स्थितियों में भी कार्य की दृष्टि से अधिक उत्पादक एवं स्थिर होते हैं।

जैसाकि हम जानते हैं कि एक क्षेत्र में कई आवास या पारिस्थितिक तंत्र हो सकते हैं। सवाना, वर्षा जल, मरुस्थल, गीले एवं नम भूमि और महासागर बड़े पारितंत्र हैं जहाँ जातियाँ निवास करती हैं और विकास करती हैं। एक क्षेत्र में उपस्थित आवासों व पारितंत्रों की संख्या भी जैव विविधता का एक भाग है। भारतीय जैव विविधता की स्थानिकता बहुत अधिक है, हमारे देश में मुख्यत: उत्तर-पूर्व, पश्चिमी घाट, उत्तर-पश्चिम हिमालय एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूहों में स्थानिक है।

अत्यधिक संख्या में उभयचर जातियाँ पश्चिमी घाट में स्थानिक हैं। भारत में अनेक पारितंत्रों की जैविक विविधता अभी भी अल्प आवेशित है। इन पारितंत्रों के गहरे महासागर, नमभूमि एवं झीलें तथा उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों के वृक्ष एवं मृदा सम्मिलित हैं। अनुमानित कशेरुकी जन्तुओं का 33 प्रतिशत मृदुल मछली, 60 प्रतिशत उभयचरी, 36 प्रतिशत सरीसृप एवं 10 प्रतिशत स्तनधारी जन्तु स्थानिक हैं। इनमें से अधिकतर उत्तर-पूर्व, पश्चिमी घाट, उत्तर-पश्चिम हिमालय एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों में पाए गए हैं।

प्रश्न 2.
जातियों के विलोपन का इसकी सुग्रहिता एवं IUCN की लाल सूची के अनुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विलोपन एक प्राकृतिक प्रकिया है। पृथ्वी के दीर्घ भौगोलिक इतिहास में अनेक जातियाँ विलुप्त व अनेक नई जातियाँ विकसित हुई हैं। विलोपन प्रक्रिया तीन प्रकार से होती है-
(1) प्राकृतिक विलोपन (Natural Extinction) – पर्यावरणीय दशाओं में परिवर्तन के साथ कुछ जातियाँ अदृश्य हो जाती हैं व अन्य, जो परिवर्तित हुई दशाओं हेतु अधिक अनुकूलित होती हैं, वे उनका स्थान ले लेती हैं। जातियों का इस प्रकार का विलोपन जो भूगर्भी अतीत में अत्यधिक धीमी दर से हुआ, इसे प्राकृतिक विलोपन कहते हैं।

(2) समूह विलोपन (Mass Extinction) – पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास में ऐसे अनेक समय आये हैं, जब जातियों की एक बड़ी संख्या प्राकृतिक विपदाओं के कारण विलुप्त हो गई । यद्यपि समूह विलोपन की घटनाएँ करोड़ों वर्षों में होती हैं।

(3) मानवोद्भवी विलोपन (Anthropogenic Extinction) – मानव क्रियाकलापों द्वारा पृथ्वी की सतह से अधिक जातियाँ विलोपित हो रही हैं। ऊपर दी गई प्रक्रियाओं की तुलना में मानवोद्भवी प्रक्रियाएँ अधिक खतरनाक हैं। यह विलोपन अल्प समय में ही हो रहा है। विश्व संरक्षण मॉनीटरिंग केन्द्र के अनुसार 533 जन्तु जातियों (अधिकांश कशेरुक) एवं 384 पादप जातियों (अधिकांश पुष्पी पादप) का पिछले 400 वर्षों में विलोपन हुआ है। द्वीप समूहों पर विलोपन दर अधिक है। पूर्व विलोपन की दर की तुलना में विलोपन की वर्तमान दर 1,000 से 10,000 गुना अधिक है। उष्णकटिबंध में और संपूर्ण पृथ्वी पर जातियों के वर्तमान ह्रास के बारे में कुछ रोचक तथ्य निम्न प्रकार से हैं-

  • उष्णकटिबंधीय वनों में दस उच्च विविधता वाले स्थानों से भविष्य में लगभग 17,000 स्थानिक विशेष क्षेत्रीय पादप जातियाँ एवं 3,50,000 स्थानिक जन्तु जातियों का ह्रास हो सकता है।
  • उष्णकटिबंधीय वनों से 14,000 40,000 जातियाँ प्रतिवर्ष की दर से अदृश्य हो रही हैं।
  • यदि विलोपन की वर्तमान दर चलती रहे तो आगामी 100 वर्षो में पृथ्वी से 50 प्रतिशत जातियाँ कम हो सकती हैं।

विलोपन के प्रति सुग्रहिता (Susceptibility to Extinction)-
विलोपन के प्रति विशेषतः सुग्रह जातियों के लक्षण निम्न प्रकार से होते हैं-

  • विशालकाय शरीर रचना जैसे-बंगाल बाघ, सिंह एवं हाथी ।
  • छोटा समष्टि आमाप एवं कम प्रजनन दर जैसे- नीली व्हेल एवं विशाल पांडा ।
  • खाद्य कड़ी में उच्च पोषण स्तर पर भोजन, जैसे- बंगाल बाघ एवं गंजी चील (Eagle)।
  • निश्चित प्रवास मार्ग (Migratory Route) व आवास, जैसे- नीली व्हेल एवं हूपिंग सारस (Crane) ।
  • सानिगत (Localised) एवं संकीर्ण परिसर वितरण (Narrow Range of Distribution), जैसे- वुडलैंड केरिबा (Caribou) एवं अनेक द्वीपीय जातियाँ ।

आई.यू.सी.एन. की लाल सूची (I.U.C.N. Red List) – लाल सूची ऐसी जातियों की सूची है जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। इस सूची से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  • सकंटग्रस्त जैव विविधता के महत्त्व के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना ।
  • संकटापन्न प्रजातियों की पहचान करना व उनका अभिलेखन करना ।
  • जैव विविधता के ह्रास की लिखित सूची तैयार करना ।
  • स्थानीय स्तर पर संरक्षण की प्राथमिकताओं को परिभाषित करना तथा संरक्षण कार्यों को निर्देशित करना ।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

आई.यू.सी.एन. जिसे अब विश्व संरक्षण संघ के नाम से जाना जाता है, की लाल सूची के अनुसार जातियों की आठ श्रेणियाँ हैं- विलुप्त, वन्य रूप में विलुप्त, गंभीर रूप से संकटापन्न, नष्ट होने योग्य, नाजुक, कम जोखिम, अपूर्ण आंकड़े एवं मूल्यांकित नहीं विलोपन के लिए संकटग्रस्त जातियों की श्रेणियों में सुभेद्य संकटान्नुपादन एवं गंभीर रूप से संकटग्रस्त सम्मिलित हैं।

सारणी : आई.यू.सी.एन. की संकटग्रस्त श्रेणियाँ

विलुप्त (Extinct)जाति के अंतिम सदस्य की समाप्ति (मृत्यु) पर जब कोई शंका न रहे।
वन्यरूप में विलुप्त (Extinct in the wild)जाति के सभी सदस्यों का किसी निश्चित आवास से पूर्ण रूप से समाप्ति।
गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically endangered)जब जाति के सभी सदस्य किसी उच्च जोखिम की वजह से एक आवास में शीघ्र ही लुप्त होने के कगार पर।
नष्ट होने योग्य (Endangered)जाति के सदस्य किसी जोखिम की वजह से भविष्य में लुप्त होने के कगार पर।
नाजुक (Vulnerable)जाति के आने वाले समय में समाप्त होने की आशा।
कम जोखिम (Lower risk)जाति जो समाप्त होने जैसी प्रतीत होती हो।
अपूर्ण सामग्री (Deficient data)जाति लुप्त होने के बारे में अपूर्ण अध्ययन एवं सामग्री।
मूल्यांकित नहीं (Not evaluated)जाति एवं उसके लुप्त होने के बारे में कोई भी अध्ययन या सामग्री न होना।

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वर्ग जिनकी विश्व में समष्टि कम है और जो वर्तमान में संकटापन्न या संकटग्रस्त नहीं हैं लेकिन उनके ऐसा होने का खतरा विरल कहलाता है। ये स्पीशीज सामान्यतः सीमित भौगोलिक क्षेत्रों या आवासों में स्थापित होती हैं या एक अधिक विस्तृत विस्तार में यहाँ-वहाँ बिखरी होती हैं। आई.यू.सी.एन. की लाल सूची प्रणाली 1963 में शुरू की गई थी तब से सभी जातियों एवं प्रजातियों का संरक्षण स्तर विश्व स्तर पर जारी है।

संकटग्रस्त जातियों का स्थान-वर्ष 2000 की लाल सूची में 11,096 जातियाँ (5485 जंतु एवं 5611 पादप) संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध हैं। उनमें से 1939 क्रांतिक संकटग्रस्त (925 जंतु एवं 1014 पादप) के रूप में सूचीबद्ध हैं। लाल सूची अनुसार, भारत में 44 पादप जातियाँ क्रांतिक संकटापन्न हैं, 113 संकटापन्न एवं 87 सुमेघ (Vulnerable) अर्थात् नाजुक हैं। जन्तुओं में 18 क्रांतिक संकटापन्न एवं 143 नाजुक हैं।

श्रेणीपादपजन्तु
1. क्रांतिक संकटापन्न (Critical endangered)बारबेरिस निलघिरेंसिस (Barberis nilghiriensis)पिग्मी हाग (Sus salvanius)
2. संकटग्रस्त (Endangered)बेंटिंकिया निकोबारिका (Bentinckia nicobarica)लाल पांडा (Ailurus fulgeus)
3. नाजुक (Vulnerable)क्यूप्रेसस कासमेरीआना (Cupressus cashmeriana)कृष्ण मृग (Antilope cervicapre)

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प्रश्न 3.
जैव विविधता के संरक्षण के उपायों पर विस्तृत लेख लिखिये ।
उत्तर:
हम जानते हैं कि प्रदूषण, आक्रमणकारी जातियाँ, मानव द्वारा अधिशोषण एवं जलवायु परिवर्तन के कारण पारितंत्रों में बदलाव हो रहा है। प्रायः अब सभी व्यक्ति यह भी जानने लगे हैं कि जीन कोश, जाति एवं जैव समुदाय सभी स्तरों पर विविधता महत्त्वपूर्ण है, जिसका संरक्षण आवश्यक है। इस ग्रह पर मानव ही इसका प्रबंधन व संरक्षण करने वाला है।

अतः यह नैतिक कर्तव्य है कि हमारे पारितंत्र को सुव्यवस्थित व जाति विविधता को संरक्षित करें जिससे आने वाली पीढ़ी को आर्थिक व सौंदर्य लाभ मिल सके। हमें आवासों के विनाश एवं निम्नीकरण को रोकना होगा। जैव विविधता संरक्षण के लिए स्वस्थाने (In-Situ) व परस्थाने या बाह्यस्थाने (Ex-situ) दोनों विधियाँ जरूरी हैं।

स्व-स्थाने संरक्षण (In-situ Conservation) – इस विधि में जीवों का संरक्षण मुख्यतः उनके प्राकृतिक वासस्थान में ही किया जाता है। जहाँ प्रचुर जैव विविधता का वास होता है। संरक्षण की दृष्टि से इन वासस्थानों को सुरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया जाता है। जैसे प्राकृतिक आरक्षित क्षेत्र, राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण, जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र आदि।

रक्षित क्षेत्र (Protected Areas) – ये स्थल एवं समुद्र के ऐसे क्षेत्र हैं जो जैविक विविधता की तथा प्राकृतिक एवं संबद्ध सांस्कृतिक स्रोतों की सुरक्षा एवं निर्वहन के लिए विशेष रूप से समर्पित हैं और जिनका प्रबंधन कानूनी या अन्य प्रभावी माध्यमों से किया जाता है। सुरक्षित क्षेत्रों में उदाहरण राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीवाश्रम स्थल (Sanctuaries) हैं।

सबसे पहले राष्ट्रीय उद्यान अमेरिका में यैलोस्टोन एवं सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) के समीप रॉयल हैं जिन्हें इनके दृश्य सौन्दर्य एवं मनोरंजन मूल्य के लिए चुना गया। भारत में 581 रक्षित क्षेत्र (89 उद्यान एवं 492 वन्य आश्रय स्थल) हैं। उत्तराखण्ड स्थित जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत में स्थापित प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है।

सुरक्षित क्षेत्रों के कुछ मुख्य लाभ हैं-

  • सभी मूल निवासी जातियों एवं उपजातियों की जीवन क्षय समष्टियों को संभालना।
  • समुदायों एवं आवासों की संख्या एवं वितरण को संभालना एवं सभी वर्तमान जातियों की आनुवंशिक विविधता को रक्षित रखना।
  • विदेशी जातियों की मानव जनित पुनःस्थापना को रोकना।

जैवमण्डल निचय (Biosphere Reserves) – मानव एवं जैव मण्डल (Man and Biosphere) कार्यक्रम के अन्तर्गत जैव मण्डल रिजर्व की संकल्पना यूनेस्को (UNESCO) द्वारा 1975 में प्रारम्भ की गई। जैविक विविधता के संरक्षण के आर्टिकल 08 के अनुसार स्वस्थाने संरक्षण के माध्यम से इस प्रकार के सुरक्षित क्षेत्र अनिवार्यतः बनाये जाने चाहिए, जहाँ पर कि उनमें उपस्थित प्रत्येक प्रकार की जैव सम्पदा जैव

विविधता पूर्णतः सुरक्षित रूप में, भयमुक्त जीवनयापन कर सके। इसी अवधारणा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय उद्यानों व वन्यजीव अभयारण्यों की नींव रखी गई। आरक्षित जैवमंडल क्षेत्रों में विभिन्न अनुक्षेत्रों का सीमांकन करके, उनमें कई प्रकार के भूमि उपयोग की अनुमति दी जाती है।

इस आरक्षित भाग में मुख्यतः तीन अनुक्षेत्र बनाये जाते हैं-

  • कोर अनुक्षेत्र (Core Zone) – इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मानव क्रियाओं की अनुमति नहीं दी जाती है,
  • बफर अनुक्षेत्र (Buffer Zone)-इसमें सीमित मानव क्रिया की अनुमति दे दी जाती है तथा
  • कुशल योजना अनुक्षेत्र (Manipulation Zone) – इसमें पारितंत्र हेतु लाभकारी अनेक मानव क्रियाओं हेतु अनुमति दे दी जाती है।

ऐसे आरक्षित जैवमंडलीय भागों में वन्य आबादी, उस क्षेत्र की मूल मानव जातियाँ और विभिन्न घरेलू पशु व पादप एक साथ रहते हैं। मई, 2000 तक 94 देशों में 408 जैवमंडल रिजर्व थे। भारत में 13 जैवमंडल निचय हैं।

जैवमंडल निचय के निम्न मुख्य कार्य हैं-

  • संरक्षण – पारितंत्रों, जातियों एवं आनुवंशिक स्रोतों के संरक्षण को सुनिश्चित करना। यह संसाधनों के पारंपरिक उपयोग को भी प्रोत्साहित करता है।

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  • विकास आर्थिक विकास जो सांस्कृतिक, सामाजिक एवं पारिस्थितिकीय दृष्टि से निर्वहनीय हो, का उन्नयन करना ।
  • वैज्ञानिक शोधक मॉनीटरिंग एवं शिक्षा – इसका उद्देश्य शोध, बोधन शिक्षा एवं संरक्षण तथा विकास के स्थानीय राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों से संबंधित सूचना का आदान-प्रदान है।

पवित्र झीलें व वन (Sacred Lakes and Forests) – भारत तथा कुछ अन्य एशियाई देशों में जैव विविधता के संरक्षण की सुरक्षा के लिए एक पारंपरिक नीति अपनाई जाती रही है। ये विभिन्न आमापों के वन खंड हैं जो जनजातीय समुदायों द्वारा धार्मिक पवित्रता प्रदान किए जाने से सुरक्षित हैं। पवित्र वन सबसे अधिक निर्विघ्न वन हैं जहाँ मानव का कोई प्रभाव नहीं है।

ये द्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं और सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्त हैं। यद्यपि ये बहुधा अत्यधिक निम्नीकृत भू- दृश्य द्वारा घिरे होते हैं। भारत में पवित्र वन कई भागों में स्थित हैं, उदाहरणार्थ- कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, मेघालय आदि और कई भाग दुर्लभ, संकटापन्न एवं स्थानिक वर्गकों की शरणस्थली के रूप में कार्यरत हैं। इसी प्रकार सिक्किम की केचियोपालरी झील पवित्र मानी जाती है। एवं उसका संरक्षण जनता द्वारा किया जाता है।

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पर-स्थाने संरक्षण (Ex-situ Conservation) – इसमें वनस्पति उद्यान, चिड़ियाघर, संरक्षण स्थल एवं जीन, परागकण, बीज, पौधे ऊतक संवर्धन एवं डी. एन. ए. बैंक सम्मिलित हैं। बीज, जीन बैंक, वन्य एवं खेतीय पौधों के जर्मप्लाज्म को कम तापमान तथा शीत प्रकोष्ठों में संग्रहित करने का सरलतम उपाय हैं। आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण सामान्य वृद्धि दशाओं में क्षेत्रीय जीन बैंकों में किया जाता है।

अलैंगिक प्रजनन से उत्पन्न की गई जातियाँ एवं वृक्षों के लिए क्षेत्रीय जीन बैंक विशेष रूप से प्रयोग किए जाते हैं। प्रयोगशाला में संरक्षण, विशेष रूप से द्रवीय नाइट्रोजन में 196°C तापमान पर हिमांकमितीय संरक्षण (Cryopreservation) कायिक जनन द्वारा उगाई गई फसलों, जैसे आलू के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

हिमांकमितीय संरक्षण पदार्थ का अत्यंत कम तापमान पर या तो अति तीव्र शीतीकरण (बीजों के संग्रह के लिए प्रयुक्त) या शनै: शनैः शीतीकरण एवं साथ ही कम तापमान पर शुष्कन (ऊतक संवर्धन में प्रयुक्त) है। अनेक अलिंगी प्रजनित फसलों जैसे आलू, केसावा, शकरकंद, गन्ना, वनीला एवं केला के प्रयोगशालाओं में जर्मप्लाज्म बैंक हैं। इनकी सामग्री को कम निर्वहन शीतकरण इकाइयों में लम्बे समय के लिए संग्रहित रखा जा सकता है।

जैविक विविधता का वानस्पतिक उद्यानों में संरक्षण पहले से प्रचलन में है। विश्व में 1500 से अधिक वानस्पतिक उद्यान एवं वृक्ष उद्यान (Arboreta) हैं, जिनमें 80,000 से अधिक जातियाँ हैं। इनमें से अनेक में अब बीज बैंक, ऊतक संवर्धन सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसी प्रकार पूरे विश्व में 800 से अधिक व्यावसायिक रूप से प्रबंधित चिड़ियाघर हैं जिनमें स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों एवं उभयचरों की लगभग 3000 जातियाँ उपलब्ध हैं।

इनमें से अधिकांश चिडियाघर में अति संरक्षित प्रजनन सुविधाएं हैं। शस्यपादपों के संबंधित वनीय पादप के संरक्षण और शस्य उपजातियों तथा सूक्ष्मजीवों के संवर्धन, प्रजनन विज्ञानी एवं आनुवंशिक इंजीनियरों को आनुवंशिक पदार्थ का त्वरित स्रोत प्रदान करते हैं । स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों एवं उभयचरों की 3,000 से अधिक जातियाँ हैं।

इनमें से अनेक के लिए चिड़ियाघरों में सुविकसित प्रजनन कार्यक्रम हैं। फसली पौधों के वन्य संबंधियों के संरक्षण एवं फसल की किस्मों या सूक्ष्मजीवों के संवर्धन का संरक्षण प्रजनकों एवं आनुवंशिक इंजीनियरों को आनुवंशिक पदार्थ का एक सहज प्राप्य स्रोत प्रदान करता है। वानस्पतिक उद्यानों, वृक्षोद्यानों एवं चिड़ियाघरों में संरक्षित पादपों एवं जंतुओं का उपयोग निम्नीकृत भू-भाग को सुधारने, पूर्व स्थिति में लाने, जाति को वन्य अवस्था में पुनः स्थापित करने एवं कम हो गई समष्टियों को पुनः संचित करने में किया जा सकता है।

जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। जैसे IBP (International Biological Programme), MAB (Man and Biosphere) आदि। इन कार्यक्रमों के लिये आर्थिक सहायता विश्व वन्य जीव कोष (World Wild Life Fund = WWF) द्वारा प्रदत्त की जाती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. विश्व के निम्नलिखित में से कौनसा क्षेत्र अधिकतम जाति विविधता दर्शाता है- (NEET-2020)
(अ) मेडागास्कूर
(ब) हिमालय
(स) एमेजॉन के जंगल
(द) भारत का पश्चिमी घाट
उत्तर:
(स) एमेजॉन के जंगल

2. रॉबर्ट मेए के अनुसार विश्व में जाति विविधता लगभग कितनी है? (NEET-2020)
(अ) 20 मिलियन
(ब) 50 मिलियन
(स) 7 मिलियन
(द) 15 मिलियन
उत्तर:
(स) 7 मिलियन

3. पादपों और जन्तुओं को विलोपन के कगार पर लाने के लिए निम्नलिखित में से कौनसा सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है? (KCET-2009, NEET I-2016, 2019)
(अ) विदेशी जातियों का आक्रमण
(ब) आवासीय क्षति व विखण्डन
(स) सूखा और बाढ़
(द) आर्थिक दोहन
उत्तर:
(ब) आवासीय क्षति व विखण्डन

4. निम्नलिखित में से कौन एक जैव विविधता के स्वस्थाने संरक्षण की विधि नहीं है- (NEET-2019)
(अ) पवित्र वन
(ब) जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र
(स) वन्यजीव अभ्यारण्य
(द) वानस्पतिक उद्यान
उत्तर:
(द) वानस्पतिक उद्यान

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5. निम्नलिखित में से कौनसा ‘बाह्यस्थाने संरक्षण’ में नहीं आता? (NEET-2018)
(अ) वानस्पतिक उद्यान
(ब) पवित्र उपवन
(स) वन्य जीव सफारी पार्क
(द) बीज बैंक
उत्तर:
(ब) पवित्र उपवन

6. एलैक्जैंडर वॉन हमबोल्ट ने सर्वप्रथम क्या वर्णित किया? (NEET-2017)
(अ) पारिस्थितिक जैव विविधता
(ब) सीमाकारी कारकों के नियम
(स) जाति क्षेत्र संबंध
(द) समष्टि वृद्धि समीकरण
उत्तर:
(स) जाति क्षेत्र संबंध

7. जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र का वह भाग, जो कानूनी रूप से सुरक्षित है और जहाँ मानव की किसी भी गतिविधि की आज्ञा नहीं होती, वह क्या कहलाता है- (NEET-2017)
(अ) क्रोड क्षेत्र
(ब) बफर क्षेत्र
(स) पारगमन क्षेत्र
(द) पुनः स्थापना क्षेत्र
उत्तर:
(अ) क्रोड क्षेत्र

8. लाल सूची किसके आंकड़े या सूचना उपलब्ध कराती है? (Kerala CET-2006, BHU-2008, NEET-2016)
(अ) संकटापन्न जातियाँ
(ब) केवल समुद्री कशेरुकी प्राणि
(स) आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण सभी पादप
(द) वे पादप जिनके उत्पाद अन्तर्रोष्ट्रीय व्यापार में हैं
उत्तर:
(अ) संकटापन्न जातियाँ

9. भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणि कौनसा है? (NEET I-2016)
(अ) ब्लू ह्रेल
(ब) समुद्री घोड़ा
(स) गंगा की शार्क
(द) नदी की डॉल्फिन
उत्तर:
(द) नदी की डॉल्फिन

10. बाह्यस्थाने संरक्षण का एक उदाहरण कौनसा है? (NEET-2014)
(अ) राष्ट्रीय उद्यान
(ब) बीज बैंक
(स) वन्य प्राणि अभ्यारण्य
(द) पवित्र उपवन
उत्तर:
(ब) बीज बैंक

11. एक जाति जो निकट भविष्य में विलोपन के उच्च जोखिम की चरमता का सामना कर रही है, उसे क्या कहा जाता है? (NEET-2014)
(अ) सुमेघ
(ब) स्थानिक
(स) क्रान्तिक संकटापन्न
(द) विलोप
उत्तर:
(स) क्रान्तिक संकटापन्न

12. कौनसा संगठन जातियों की रेड सूची प्रकाशित करता है- (NEET-2014)
(अ) आई.सी.एफ.आर.आई.
(स) यू.एन.ई.पी.
(ब) आई.यू.सी.एन.
(द) डब्न्यू.डब्ल्यू.एफ
उत्तर:
(ब) आई.यू.सी.एन.

13. वैश्विक जैव विविधता में किसकी जातियों की अधिकतम संख्या है? (NEET-2011, 12, 13)
(अ) शैवाल
(ब) लाइकेन
(स) कवक
(द) मॉस एवं फर्न
उत्तर:
(स) कवक

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14. भारत में निम्नलिखित में कौनसा एक क्षेत्र जैव विविधता का ‘हॉट-स्पॉट’ है ? (Mains NEET-2012)
(अ) पूर्वी घाट
(ब) गंगा का मैदान
(स) सुन्दर वन
(द) पश्चिमी घाट
उत्तर:
(द) पश्चिमी घाट

15. प्रकृति में सबसे अधिक संख्या में प्रजातियाँ किसकी होती हैं? (NEET-2011)
(अ) कवकों की
(ब) कीटों की
(स) पक्षियों की
(द) आवृतबीजियों की
उत्तर:
(ब) कीटों की

16. भारतवर्ष में सबसे अधिक आनुवंशिक विविधता निम्नलिखित में से किस एक में होती है? (CBSE PMT (Pre)-2011, NEET-2011)
(अ) मूँगफली
(ब) चावल
(स) मक्का
(द) आम
उत्तर:
(ब) चावल

17. जैव विविधता के हॉट-स्पॉट का अर्थ है-(DUMET-2010)
(अ) पृथ्वी का ऐसा क्षेत्र जिसमें बहुत-सी एडेमिक जातियाँ पाई जाती हैं
(ब) विशिष्ट क्षेत्र में सम्मूर्ण समुदाय के लिए जातियाँ प्रतिनिधि का कार्य करती हैं
(स) विशेष क्षेत्र/निकेत में जातियाँ
(द) विशेष क्षेत्र में जातिय विभित्रता
उत्तर:
(अ) पृथ्वी का ऐसा क्षेत्र जिसमें बहुत-सी एडेमिक जातियाँ पाई जाती हैं

18. पृथ्वी पर पौधों की जातीय विविधता है- (Kerala PMT-2010)
(अ) 24%
(ब) 22%
(स) 31%
(द) 85%
उत्तर:
(ब) 22%

19. कौनसा जन्तु भारत में अभी हाल में ही विलुस हुआ है? (Orissa JEE-2010)
(अ) भेड़िया
(ब) गैंडा
(स) दरयाई घोड़ा
(द) चीता
उत्तर:
(द) चीता

20. भारत में निम्न में से किसमें अत्यधिक जेनेटिक विविधता पायी जाती है- (CBSE AIPMT-2009)
(अ) टीक
(ब) आम
(स) गेहूँ
(द) चाय
उत्तर:
(ब) आम

21. निम्नलिखित में से किस एक राष्ट्रीय उपवन में बाघ एक निवासी नहीं है- (CBSE PMT-2009)
(अ) रणथम्भौर
(ब) सुंदरवन
(स) गिर
(द) जिम कार्बेट
उत्तर:
(स) गिर

22. निम्न में से किस एक को स्व-स्थाने संरक्षण में सम्मिलित नहीं किया गया है- (CBSE PMT-2006; KCET-2009)
(अ) बायोस्फीयर
(ब) राष्ट्रीय उद्यान
(स) अभयारण्य
(द) वनस्पति उद्यान
उत्तर:
(द) वनस्पति उद्यान

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23. निम्नलिखित में से कौनसी संरक्षण की स्व-स्थाने (in-situ) विधि है- (Kerala CET-2008)
(अ) वानस्पतिक उद्यान
(ब) राष्ट्रीय उद्यान
(स) ऊतक संवर्धन
(द) क्रायो-परिरक्षण
उत्तर:
(ब) राष्ट्रीय उद्यान

24. किसी भौगोलिक क्षेत्र की जैव विविधता से क्या निरूपित होता है? (CBSE PMT Mains-2008)
(अ) उस क्षेत्र की प्रभावी प्रजातियों में मौजूद आनुवंशिक विविधता
(ब) उस क्षेत्र की स्थानिक प्रजातियाँ
(स) उस क्षेत्र में पायी जाने वाली संकटापन्न प्रजातियाँ
(द) उस क्षेत्र में रह रहे जीवों की विविधता
उत्तर:
(द) उस क्षेत्र में रह रहे जीवों की विविधता

25. रेड डाटा बुक किसके आंकड़े उपलब्ध करती है- (Kerala CET-2006; BHU-2008)
(अ) लाल पुष्पीय पौधों के
(ब) लाल रंग की मछलियों के
(स) विलुसप्राय पौधों व जंतुओं के
(द) लाल आँख के पक्षियों के
उत्तर:
(स) विलुसप्राय पौधों व जंतुओं के

26. भारत के दो हॉट स्पॉट उत्तर-पूर्व हिमालय तथा पश्चिम घाट पाये जाते हैं। इनमें अधिकता होती है- (AMU-2006)
(अ) उभयचर (Amphibians)
(ब) सरीसृप (Reptiles)
(स) तितली
(द) उभयचर, सरीसृप, कुछ स्तनधारी, तितली तथा पुष्पीय पादप
उत्तर:
(द) उभयचर, सरीसृप, कुछ स्तनधारी, तितली तथा पुष्पीय पादप

27. वन्य जीव अभयारण्य में निम्न में से क्या नहीं होता है- (BHU-2005)
(अ) फोना का संरक्षण
(ब) फ्लोरा का संरक्षण
(स) मृदा एवं फ्लोरा का उपयोग
(द) अन्वेषण (hunting) का निषेध
उत्तर:
(स) मृदा एवं फ्लोरा का उपयोग

28. वानस्पतिक उद्यानों का प्रमुख कार्य है- (CBSE PMT-2005)
(अ) ये पुनर्निर्माण हेतु सुंदर क्षेत्र उपलब्ध कराते हैं
(ब) यहाँ उष्णकटिबंधीय (tropical) पौधे पाये जा सकते हैं
(स) ये जर्मप्लाज्म का बाह्य-स्थाने (ex-situ) संरक्षण करते हैं
(द) ये वन्य जीव के लिये प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराते हैं
उत्तर:
(स) ये जर्मप्लाज्म का बाह्य-स्थाने (ex-situ) संरक्षण करते हैं

29. भारत में अत्यधिक जैव विविधता का धनी क्षेत्र है- (MP PMT-2005)
(अ) गंगा के क्षेत्र
(ब) ट्रांस हिमालय
(स) पश्चिमी घाट
(द) मध्य भारत
उत्तर:
(स) पश्चिमी घाट

30. संकटग्रस्त प्रजातियों (स्पीशीज) के बाह्य स्थाने (ex-situ) संरक्षण विधियों में से एक विधि है- (AIIMS-2005)
(अ) वन्य जीव अभयारण्य
(ब) जैव मण्डल आरक्षक (reserve)
(स) निम्नतापी परिरक्षण (Cryopreservation)
(द) राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर:
(स) निम्नतापी परिरक्षण (Cryopreservation)

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31. कृषि फसलों में आनुवंशिक विविधता को किससे खतरा है- (AIIMS-2005)
(अ) उच्च उत्पादन किस्मों का प्रवेश
(ब) उर्वरकों का गहन उपयोग
(स) व्यापक अंतरासस्यन
(द) जैवपीड़कनाशियों का गहन उपयोग
उत्तर:
(अ) उच्च उत्पादन किस्मों का प्रवेश

32. वन्य जीवन है- (Orissa JEE-2005)
(अ) मनुष्य, पालतू जानवर तथा फसलों के अतिरिक्त संपूर्ण बायोटा
(ब) संरक्षित वनों के सभी कशेरुकी (Vertebrates)
(स) संरक्षित वनों के सभी जंतु
(द) संरक्षित वनों के सभी जंतु तथा पादप
उत्तर:
(अ) मनुष्य, पालतू जानवर तथा फसलों के अतिरिक्त संपूर्ण बायोटा

33. रेड डाटा बुक की सूची में जातियां होती हैं- (Orissa-2004)
(अ) सुमेघ
(ब) संकटापत्र
(स) विलुसप्राय
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

34. क्षेत्र की पादप विविधता के संरक्षण की अत्यधिक प्रभावशाली पद्धति क्या होती है- (CBSE PMT-2004)
(अ) ऊतक संवर्धन
(ब) वानस्पतिक उद्यान
(स) जैव मण्डल आरक्षण
(द) बीज बैंक
उत्तर:
(द) बीज बैंक

35. यदि अत्यधिक ऊँचाई पर पक्षी दुर्लभ हो तो कौनसे पौधे अदृश्य हो जायेंगे- (AIIMS-2004)
(अ) पाइन
(ब) ऑर्किड्स
(स) ऑक
(द) रोडोडेन्ड्रोन
उत्तर:
(द) रोडोडेन्ड्रोन

36. वन्य संरक्षण में निम्न में से किसकी सुरक्षा एवं संरक्षण किया जाता है- (BHU-2004)
(अ) केवल डरावने जंतुओं का
(ब) केवल वन्य पौधों का
(स) अपरिष्कृत पौधों एवं अपालतूकृत जंतुओं का
(द) सभी जीवों का जो कि अपने प्राकृतिक आवास में रहते हैं
उत्तर:
(द) सभी जीवों का जो कि अपने प्राकृतिक आवास में रहते हैं

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

37. राष्ट्रीय उद्यान हेतु क्या सत्य है- (Orissa JEE-2004)
(अ) पर्यटकों की तटस्थ क्षेत्रों (Buffer Zone) में स्वीकृति
(ब) मानव क्रियाकलाप की अस्वीकृति
(स) शिकार की केन्द्रीय क्षेत्र में स्वीकृति
(द) चरने वाले मवेशियों की तटस्थ क्षेत्र में स्वीकृति
उत्तर:
(ब) मानव क्रियाकलाप की अस्वीकृति

38. वह टैक्सॉन जो कि भविष्य में विलुप्तायः श्रेणी में सम्मिलित होंगे, वह है- (Kerala-2003)
(अ) लुस
(ब) दुर्लभ
(स) सुमेघ (Vulnerable)
(द) जीवित जीवाश्म
उत्तर:
(स) सुमेघ (Vulnerable)

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. जड़ी बूटियाँ एवं घास कौनसे स्तर पर निवास करते हैं-
(अ) उर्ध्वाधर स्तर
(ब) तिरछा स्तर
(स) धरातलीय स्तर
(द) ऊपरी स्तर
उत्तर:
(स) धरातलीय स्तर

2. जैव मात्रा के उत्पादन की दर को कहते हैं-
(अ) उत्पादकता
(ब) पोषण चक्र
(स) ऊर्जा प्रवाह
(द) अपघटन
उत्तर:
(अ) उत्पादकता

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

3. सकल प्राथमिक उत्पादकता से श्वसन के दौरान हुई क्षति को घटाने पर प्रास्त होती है-
(अ) द्वितीयक उत्प्पादकता
(ब) प्राथमिक उत्पादकता
(स) तृतीयक उत्पादकता
(द) नेट प्राथमिक उत्पादकता
उत्तर:
(द) नेट प्राथमिक उत्पादकता

4. अपरद (डेट्राइटस) किससे मिलकर बने होते हैं?
(अ) फूल तथा प्राणियों (पशुओं) के मृत अवशेष
(ब) पत्तियाँ
(स) छाल एवं मलादि
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

5. बैक्टीरिया एवं कवकीय एंजाइम्स अपरदों को सरल अकार्बनिक तत्वों में तोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया को कहते हैं-
(अ) अपचय
(ब) खनिजीकरण
(स) ह्यूमीफिकेशन
(द) निक्षालन
उत्तर:
(अ) अपचय

6. ह्यूमीफिकेशन के द्वारा एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित तत्व का निर्माण होता है, जिसे कहते हैं-
(अ) अपरद
(ब) ह्यूमस
(स) खनिज भवन
(द) निक्षालन
उत्तर:
(ब) ह्यूमस

7. अपघटन की प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण चरण है-
(अ) खंडन
(ब) निक्षालन
(स) ह्यूस भवन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

8. एक विशिष्ट समय पर प्रत्येक पोषण स्तर का जीवित पदार्थ की कुछ खास मात्रा होती है, जिसे कहा जाता है-
(अ) खड़ी फसल
(ब) आहार जाल
(स) जैव मात्रा
(द) पूर्तिजीवी
उत्तर:
(अ) खड़ी फसल

9. पारिस्थितिक पिरैमिड जिसका आमतौर पर अध्ययन किया जाता है, वह है-
(अ) संख्या का पिरैमिड
(ब) जैवमात्रा का पिरैमिड
(स) ऊर्जा का पिरेमिड
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:

10. एक गैरैया जब बीज, फल व मटर खाती है तो वह कहलाती है-
(अ) प्राथमिक उपभोक्ता
(ब) द्वितीयक उपभोक्ता
(स) तृतीयक उपभोक्ता
(द) प्राथमिक उत्पादक
उत्तर:
(अ) प्राथमिक उपभोक्ता

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

11. पारिस्थितिक तंत्र में किसी निश्चित समय में, तंत्र में उपस्थित, अजैव पदार्थों की मात्रा को कहते हैं-
(अ) म्लानी अवस्था
(ब) स्थायी उपभोक्ता
(स) पोष रीति
(द) समस्थापन
उत्तर:
(ब) स्थायी उपभोक्ता

12. पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक व जैविक घटकों के मध्य की योजक कड़ी है-
(अ) अकार्बनिक पदार्थ
(ब) खाद्य जाल
(स) कार्बनिक पदार्थ
(द) पोष रीति
उत्तर:
(स) कार्बनिक पदार्थ

13. जीवों या सफल पादप समुदायों द्वारा पर्यावरण और परिवर्तित करने की क्रिया को कहते हैं-
(अ) प्रतिस्पर्धा
(ब) समुच्चयन
(स) प्रतिक्रिया
(द) चरम समुदाय
उत्तर:
(स) प्रतिक्रिया

14. निम्न में से शुष्कतारम्भी (Xerarch) है-
(अ) शैल अनुक्रमक
(ब) बालुकानुक्रमक
(स) लवणक्रमक
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

15. एक सुनिश्चित क्षेत्र की प्रजाति संरचना में उचित रूप से आकलित परिवर्तन को कहते हैं-
(अ) पारिस्थितिक अनुक्रमण
(ब) शुष्कतारंभी अनुक्रमण
(स) जलारंभी अनुक्रमण
(द) चरम सीमा अनुक्रमण
उत्तर:
(अ) पारिस्थितिक अनुक्रमण

16. एक पारितंत्र के विभिन्न घटकों के माध्यम से पोषक तत्वों की गतिशीलता को कहते हैं-
(अ) पोषक चक्र
(ब) परपोषी चक्र
(स) स्वयं पोषक चक्र
(द) परजीवी पोषक चक्र
उत्तर:
(अ) पोषक चक्र

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

17. जैवमण्डल में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष कितने कार्बन का स्थिरीकरण होता है?
(अ) 3 × 1013 किग्रा.
(ब) 4 × 1013 किग्रा.
(स) 5 × 1013 किग्रा.
(द) 6 × 1012 किग्रा.
उत्तर:
(ब) 4 × 1013 किग्रा.

18. ऊर्जा के प्रवाह के वैकल्पिक परिपथ किनमें पाये जाते हैं?
(अ) खाद्य जाल
(ब) खाद्य भृंखला
(स) पारिस्थितिक स्तूप
(द) जैव-भू-रासायनिक चक्र
उत्तर:
(अ) खाद्य जाल

19. मांसाहारियों द्वारा स्वांगीकृत ऊर्जा का लगभग कितना भाग श्वसन में उपयोग होता है?
(अ) 10%
(ब) 20%
(स) 90%
(द) 60%
उत्तर:
(स) 90%

20. मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है-
(अ) वन पारिस्थितिक तंत्र
(ब) फसल पारिस्थितिक तंत्र
(स) घास स्थल पारिस्थितिक तंत्र
(द) अलवणीय जल पारिस्थितिक तंत्र
उत्तर:
(ब) फसल पारिस्थितिक तंत्र

21. मृत पाद्प व जन्तु अंशों से अपना भोजन प्रास करते हैं-
(अ) परजीवी
(ब) सहजीवी
(स) मृतोपजीवी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) मृतोपजीवी

22. खाद्य-जाल में ऊर्जा का प्रवाह होता है-
(अ) एक-दिशीय
(ब) द्वि-दिशीय
(स) चतुर्दिशीय
(द) त्रि-दिशीय
उत्तर:
(अ) एक-दिशीय

23. पोषक चक्र को और किस नाम से जाना जाता है?
(अ) अजैव भू रसायन चक्र
(ब) जैव भू रसायन चक्र
(स) जैव भू कार्बन चक्र
(द) जैव भू फास्फोरस चक्र
उत्तर:
(ब) जैव भू रसायन चक्र

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

24. उत्पादकता को निम्न में से किस रूप में व्यक्त किया जा सकता है?
(अ) g2yr1 या (Kcal m2) yr-1
(ब) g3yr2 या (Kcal m3) yr-1
(स) g2yr1 या (Kcal m2) yr-1
(द) g2yr-1 या (Kcal m3) yr+1
उत्तर:
(अ) g2yr1 या (Kcal m2) yr-1

25. जी.पी.पी. – आर = एन.पी.पी. यह किसको प्रदर्शित करती है-
(अ) प्राथमिक उत्पादकता
(ब) सरल प्राथमिक उत्पादकता
(स) द्वितीयक उत्पादकता
(द) नेट प्राथमिक उत्पादकता
उत्तर:
(द) नेट प्राथमिक उत्पादकता

26. परितंत्र प्रक्रिया के उत्पादों को किस नाम से जाना जाता है?
(अ) पारितंत्र सेवाएँ
(ब) जैव भू रसायन चक्र
(स) अवसादी सेवाएँ
(द) पोषक चक्र
उत्तर:
(अ) पारितंत्र सेवाएँ

27. निम्न में से पारितंत्र सेवाएँ हैं-
(अ) सूखा एवं बाढ़ को घटाना
(ब) वायु एवं जल को शुद्ध बनाना
(स) भूमि को उर्वर बनाना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

28. प्रकृति के जीवन समर्थक (आधारीय) सेवाओं की एक कीमत निर्धारित करने का प्रयास किसने किया?
(अ) रॉबर्ट कोसटैजा एवं उनके साथी
(ब) रॉबर्ट ब्राउन एवं उनके साथी
(स) रॉबर्ट हुक एवं उनके साथी
(द) रॉबर्ट डिसोजा एवं उनके साथी
उत्तर:
(अ) रॉबर्ट कोसटैजा एवं उनके साथी

29. वह प्रजाति, जो खाली एवं नग्न क्षेत्र पर आक्रमण करती है, उसे कहते हैं-
(अ) मूल अन्वेषक जाति
(ब) परमूल अन्वेष जाति
(स) अन्वेषक जाति
(द) जलारंभी
उत्तर:
(अ) मूल अन्वेषक जाति

30. चट्टानों को पिघलाने के लिए निम्न में किसके द्वारा अम्ल का स्राव किया जाता है-
(अ) वैलिसेनरिया
(ब) जलकुम्भी
(स) लाइकेन
(द) माइकोराइजा
उत्तर:
(स) लाइकेन

31. जल में प्राथमिक अनुक्रमण में मूल अन्वेषक होते हैं-
(अ) लघु पादपप्लवक
(ब) जड़ वाले प्लावी पादप
(स) दलदली घास
(द) दलदली नरकुल
उत्तर:
(अ) लघु पादपप्लवक

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

32. द्वितीयक अनुक्रमण में प्रजाति का आक्रमण निम्न में से किस पर निर्भर करती है-
(अ) मृदा की स्थिति
(ब) जल की स्थिति
(स) पर्यावरण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

33. निम्न में से कौनसा अनुक्रमण है जिसे चरमावस्था तक पहुँचने में शायद हजारों वर्ष लगते हैं-
(अ) प्राथमिक अनुक्रमण
(ब) द्वितीयक अनुक्रमण
(स) तृतीयक अनुक्रमण
(द) चतुर्थक अनुक्रमण
उत्तर:
(अ) प्राथमिक अनुक्रमण

34. सभी अनुक्रमण चाहे पानी में हों या भूमि पर एक ही प्रकार से चरम समुदाय किस की ओर अग्रसर होते हैं-
(अ) सीजिक
(ब) मीजिक
(स) पीजिक
(द) धीजिक
उत्तर:
(ब) मीजिक

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
खाद्य स्तर तथा खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रकृति में प्रत्येक जीव खाद्य प्राप्ति हेतु एक-दूसरे से संबंधित रहते हैं। एक जीव दूसरे जीव पर निर्भर करता है। सभी जीव खाद्य के स्रोत हैं। जिस स्तर या जीव में खाद्य है, वह खाद्य स्तर है। एक जीव दूसरे जीव को खाता है अर्थात् एक श्रृंखला होती है, इसे खाद्य श्रृंखला तथा इसके प्रत्येक स्तर को खाद्य स्तर कहते हैं ।

प्रश्न 2.
पारिस्थितिक तंत्र के कार्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कार्य से अभिप्राय पारिस्थितिक तंत्र में जैव ऊर्जा का प्रवाह तथा पोषक खनिज पदार्थों के परिसंचरण से है ।

प्रश्न 3.
पादप अनुक्रमण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी एक ही स्थान पर होने वाले दीर्घकालीन, एकदिशीय क्रमिक समुदाय परिवर्तनों को पादप अनुक्रमण कहते हैं।

प्रश्न 4.
पादप अनुक्रमण में कौनसी अवस्थायें आती हैं?
उत्तर:
अनाच्छादान, आक्रमण, आस्थापन, उपनिवेशन, समूहन, प्रतिस्पर्धा ।

प्रश्न 5.
भू – रासायनिक चक्र क्या है?
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र में आवश्यक खनिजों एवं पोषक पदार्थों की पूर्ति हेतु जो चक्र चलते हैं, उन्हें भू-रासायनिक चक्र कहते हैं।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तक किसे व क्यों कहते हैं?
उत्तर:
स्वपोषी या उत्पादक को कोरोमेन्डी ने परिवर्तक या पारक्रमी कहा है क्योंकि ये सौर ऊर्जा को रासायनिक स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित कर कार्बनिक पदार्थों के रूप में संचित करते हैं।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

प्रश्न 7.
परभक्षी या शाकवर्ती खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं ? इसका एक उपयुक्त उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला हरे पादपों से आरंभ होकर अनुक्रम में मांसाहारी जंतुओं से होती हुई चरम मांसाहारी जंतुओं या उपभोक्ताओं पर समाप्त होती है अर्थात् छोटे जीवों से प्रारंभ होकर बड़े जीवों पर समाप्त होती है। उपयुक्त उदाहरण घास स्थलीय खाद्य श्रृंखला का है-
घास → टिड्डा → मेंढक → साँप → मोर

प्रश्न 8.
अपरद खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह आहार श्रृंखला मृत सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्रारंभ होती है और मृदा में स्थित अपरदभक्षी जीवों से होकर उन जीवों तक जाती है, जो अपरदहारी जीवों का भक्षण करते हैं।
उदाहरण- अपरद → केंचुआ → मेंढक → साँप → चील

प्रश्न 9.
खाद्य जाल किसे कहते हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र में पायी जाने वाली खाद्य श्रृंखलाएं संबद्ध होकर अन्तर्ग्रथित प्रतिरूप बनाती हैं जिसे खाद्य जाल कहते हैं।

प्रश्न 10.
सबसे स्थिर पारिस्थितिक तंत्र कौनसा है ?
उत्तर:
महासागर ( Ocean )

प्रश्न 11.
अपरद खाद्य श्रृंखला का आरंभक बिंदु क्या होता है?
उत्तर:
पादपों के मृत अवशेष जैसे-पत्तियाँ, छाल, फूल तथा प्राणियों के मृत अवशेष, मलादि सहित अपरद

प्रश्न 12.
द्वितीयक उत्पादकता क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता के द्वारा निर्मित नवीन कार्बनिक पदार्थों तथा उनके स्वांगीकरण की दर द्वितीयक उत्पादकता कहलाती है।

प्रश्न 13.
तालाब पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य श्रृंखला को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 1

प्रश्न 14.
कौनसा स्थलीय जीवोम वानस्पतिक विकास व जैव समुदाय के दृष्टिकोण से सबसे अधिक उन्नत है?
उत्तर:
उष्ण सदाबहार कटिबंधीय वन क्षेत्र वानस्पतिक विकास की दृष्टि में सबसे अधिक उन्नत है।

प्रश्न 15
पारितंत्र सेवाएँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
पारितंत्र प्रक्रिया के उत्पादों को पारितंत्र सेवाओं के नाम से जाना जाता है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
गैसीय चक्र तथा अवसादी चक्र में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
गैसीय चक्र व अवसादी चक्र में अंतर-

गैसीय चक्रअवसादी चक्र
1. इनका निचय कुण्ड (Reservoir pool) वायु- मण्डल या जल-मण्डल होता है।इनका निचय कुण्ड स्थलमण्डल होता है।
2. इनके चक्र पूर्ण होते हैं।इनके चक्र अपूर्ण होते हैं।
3. बार-बार चक्रीय प्रवाह के दौरान इनकी मात्रा कम नहीं होती है।मात्रा कम होती है क्योंकि कुछ मात्रा समुद्र, भूमि या अन्य जलाशयों की तलहटी में समाहित हो जाती है।
4. उदाहरण-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन चक्र।उ दाह र ण-सल्फ र, फॉस्फोरस चक्र।

प्रश्न 2.
फसल पारिस्थितिक तन्त्र को समझाइये |
उत्तर:
फसल पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक हरे पौधे (फसल) होते हैं। टिड्डियाँ, तितलियाँ, चींटे, बकरी, गाय, खरगोश, हिरण, गिलहरी, तोते, मानव सभी प्राथमिक उपभोक्ता होते हैं। लोमड़ी व अन्य मांसाहारी द्वितीयक उपभोक्ता तथा बाज, चीता, शेर व यहाँ तक कि मानव तृतीयक उपभोक्ता होते हैं। अजैविक घटक में मृदा व वायुमण्डल के अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ होते हैं इस तंत्र में जीव संख्या का तथा जीव भार का स्तूप सीधा होता है तथा ऊर्जा का स्तूप भी सीधा होता है।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिक तंत्रों के प्रकार बताइये ।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र दो प्रकार के होते हैं –
I. प्राकृतिक तथा
II. कृत्रिम ।
I. प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र प्राकृतिक रूप से जो पृथ्वी पर पाये जाते हैं, वे निम्न प्रकार के होते हैं-
1. स्थलीय भूमि पर विद्यमान पारिस्थितिक तंत्र, जैसे – वन, घास स्थल, मरुस्थल आदि ।

2. जलीय- यह दो प्रकार के होते हैं-
(क) अलवण जलीय (Fresh Water) – जिसमें

  • सरित (Lotic, बहता पानी) जैसे झरना, नदी, सरिता आदि तथा
  • स्थिर जलीय (Lentic, रुका हुआ जल) जैसे- झील, तालाब, पोखर, अनूप आदि ।

(ख) समुद्रीय या लवण जलीय (Marine Water ) – जैसे- समुद्र, ज्वारनद्मुख, लवण झीलें आदि।

II. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र- यह मानव द्वारा सुनियोजित ढंग से बनाये जाते हैं, जैसे-फसलों के खेत, उद्यान, सामाजिक वन ।

प्रश्न 4.
खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की खाद्य श्रृंखलाओं को बताइये ।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों से खाद्य ऊर्जा का स्थानान्तरण जीवों के द्वारा होता है जिसमें बार-बार खाते हैं व बार-बार खाये जाते हैं। इस श्रृंखला में शाकाहारी, मांसाहारी व अपघटक होते हैं। ऐसी श्रृंखला को खाद्य श्रृंखला कहते हैं।

प्रकृति में तीन प्रकार की खाद्य श्रृंखलायें होती हैं –
1. परभक्षी या शाकवर्ती खाद्य श्रृंखला (Predator or Grazing Food Chain) – इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला प्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा पर आधारित होती है, जो हरे पादपों से आरम्भ होकर अनुक्रम में मांसाहारी जन्तुओं से होती हुई चरम मांसाहारी जन्तुओं या उपभोक्ताओं पर समाप्त होती है। सामान्यतः यह छोटे जीवों से प्रारम्भ होकर बड़े जीवों पर समाप्त होती है। उदाहरण- घास स्थलीय खाद्य श्रृंखला ।

2. परजीवी खाद्य श्रृंखला (Parasitic Food Chain) – यह बड़े जन्तुओं से प्रारम्भ होकर छोटे जीवों (परजीवी) पर समाप्त होती है। बड़े शाकाहारी जीवों को पोषिता (Host) या परपोषी (Heterotrophs) या आतिथेय कहते हैं।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 2

3. अपरदी या मृतोपजीवी खाद्य श्रृंखला (Detritus or Saprophytic Food Chain) – यह आहार श्रृंखला मृत सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्रारम्भ होती है और मृदा में स्थित अपरदभक्षी जीवों से होकर उन जीवों तक जाती है, जो अपरदहारी जीवों का भक्षण करते हैं।
उदाहरण-
अपरद → केंचुआ → मेंढक → साँप → चील

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

प्रश्न 5.
पारिस्थितिक दक्षता किसे कहते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र में जीव अपना भोजन प्राप्त करते हैं तथा आहार को जैवभार में परिवर्तित कर दूसरे उच्च पोषण स्तर को उपलब्ध कराते हैं। खाद्य शृंखला के विभिन्न पोष स्तरों के मध्य प्रवाहित होने वाली ऊर्जा की मात्रा के अनुपात को यदि प्रतिशत में व्यक्त किया जावे तो इसे पारिस्थितिक दक्षता (Ecological Efficiency) कहते हैं।

ऊर्जा की मात्रा को किलो कैलोरी प्रतिवर्ग मीटर प्रतिवर्ष (Kcal/m2/yr) इकाई में नापा जाता है। उत्पादक स्तर पर प्रकाश संश्लेषी दक्षता तथा वास्तविक उत्पादन दक्षता महत्त्वपूर्ण होती है। उत्पादक द्वारा सौर विकिरण ऊर्जा को उपयोग करने की दक्षता का मापन प्रकाश- संश्लेषी दक्षता द्वारा किया जाता है।
प्रकाश-संश्लेषी दक्षता (उत्पादक स्तर)
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 3

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा के पिरामिड समझाइये ।
अथवा
पारिस्थितिक पिरामिड से क्या तात्पर्य है? ऊर्जा के एक आदर्श पिरामिड का चित्र सहित वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
पारिस्थितिक पिरामिड चार्ल्स एल्टन ने 1927 में पारिस्थितिक पिरामिड की अवधारणा दी। प्रत्येक पारितन्त्र में पाये जाने वाले सभी पोषक स्तर एक के बाद एक सोपानों में व्यवस्थित रहते हैं। प्रथम पोषक स्तर को आधार मानकर उत्तरोत्तर पोषक स्तरों को चित्र द्वारा निरूपित किया जाये तो पिरामिड बनता है, जिसे पारिस्थितिक पिरामिड कहते हैं।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 4

ऊर्जा के पिरामिड पूर्ण रूप से पारिस्थितिक तंत्र की प्रकृति का स्पष्ट चित्रण करते हैं। भोजन श्रृंखला में भोजन उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक जाता है अर्थात् भोजन एक स्तर से दूसरे स्तर में जाता रहता है या यों कहा जा सकता है कि ऊर्जा एक स्तर से दूसरे स्तर की ओर प्रवाहित होती है। यह सुनिश्चित है कि ऊर्जा एक पोष स्तर से दूसरे पोष स्तर पर जाने पर कम होती जाती है।

यह देखा गया है कि एक पोष स्तर से संचित ऊर्जा जब दूसरे पोष स्तर में जाती है तो कुल ऊर्जा का केवल 10 प्रतिशत ही जीवभार के रूप में रूपान्तरित होता है। अतः उत्पादकों में ऊर्जा सर्वाधिक तथा प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक और उच्चतम उपभोक्ता में ऊर्जा धीरे- धीरे कम होती जाती है इसलिए ऊर्जा के आधार पर चित्रण किये जाने से पिरामिड सदैव सीधे बनते हैं।

ऊर्जा के आधार पर बनने वाले पिरामिड का आधार सदैव बड़ा तथा शीर्ष छोटा होता है। यद्यपि इस पर जीवों के आकार और उपापचय दर का प्रभाव नहीं होता परन्तु इस प्रकार के पिरामिड बनाने में समय तथा क्षेत्र अधिक महत्त्वपूर्ण है। ऊर्जा के आधार पर जीवों का अध्ययन एक इकाई क्षेत्र तथा समय के आधार पर किया जाता है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

प्रश्न 7.
पुरोगामी समुदाय तथा चरम समुदाय में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
पुरोगामी समुदाय तथा चरम समुदाय में अन्तर-

पुरोगामी समुदाय (Pioneer Community)चरम समुदाय (Climax Community)
1. यह अनुक्रम की प्रथम अवस्था है।यह अन्तिम अवस्था होती है।
2. पुरोगामी अन्य स्थानों से आकर नये आवास में उगते हैं।ये उसी स्थान पर उगते हैं।
3. पुरोगामी नये आवास के कारकों को सहन करते हैं। वहाँ का पर्यावरण उनके अधिक अनुकूल नहीं होता है।समस्त कारक उनके अनुकूल होते हैं।
4. पुरोगामी पादप छोटे होते हैं।चरम अवस्था में पादप बहुत बड़े होते हैं।
5. इनमें स्थायित्व नहीं होता, जैवभार कम होता है तथा सहजीवन क्रियायें नहीं पाई जाती हैं।इनमें सर्वाधिक स्थायित्व, अधिक जैवभार तथा सहजीवन क्रियायें मिलती हैं।

प्रश्न 8.
प्राथमिक अनुक्रमण तथा द्वितीयक अनुक्रमण में विभेद कीजिए ।
उत्तर:
प्राथमिक अनुक्रमण वनस्पतिरहित स्थलों पर होने वाला अनुक्रमण होता है। भू-स्खलन, ज्वालामुखी के फटने, कोरल शैलों के निर्माण, रेतीले टीले, नग्न चट्टानें आदि इसकी श्रेणी में आते हैं। द्वितीयक अनुक्रमण को गौण अनुक्रमण भी कहते हैं। वे स्थान जहाँ पूर्व में वनस्पति थी परन्तु किन्हीं कारणों से वह वनस्पति नष्ट हो गई, ऐसे स्थलों पर होने वाला अनुक्रमण द्वितीयक होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र में विद्यमान खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल पर विस्तार से लिखिये ।
उत्तर:
खाद्य शृंखला व खाद्य जाल (Food Chain and Food Web) प्रकृति में पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न जीव जैसे उत्पादक, उपभोक्ता व अपघटक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भोजन के लिये एकदूसरे पर निर्भर होते हैं। हरे पौधे क्लोरोफिल, सौर विकिरण ऊर्जा, कार्बन डाइऑक्साइड आदि की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं (स्वपोषी या प्राथमिक उत्पादक), जिसका उपयोग प्राथमिक उपभोक्ता (मांसाहारी) करते हैं।

प्राथमिक उपभोक्ताओं को द्वितीयक उपभोक्ता (मांसाहारी) एवं द्वितीयक उपभोक्ता को तृतीयक श्रेणी के उपभोक्ता भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक से उपभोक्ता श्रेणी के सभी जीव एक क्रम या शृंखला में व्यवस्थित रहते हैं। इस शृंखला में प्रत्येक स्तर या कड़ी या जीव को पोषण स्तर (trophic level) या ऊर्जा स्तर (energy level) कहते हैं। अन्योन्याश्रित (interdependent) जीवों की एक श्रृंखला को जिसमें खाने और खाये जाने की पुनरावृत्ति द्वारा ऊर्जा का प्रवाह होता है, खाद्य शृंखला (Food chain) कहलाती है। जैसे –

(i) घास स्थल में खाद्य शृंखला
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 5

(ii) जलीय पारिस्थितिक तंत्र में खाद्य शृंखला
पादप प्लवक → जन्तु प्लवक → छोटी मछली → बड़ी मछली → मनुष्य

(iii) वन पारिस्थितिक तंत्र में खाद्य शृंखला
पादप → हिरन → भेड़िया → शेर
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 6

प्रकृति में सामान्यतः एक खाद्य शृंखला में पांच-छः से अधिक कड़ियाँ (links) या जीव नहीं होते हैं क्योंकि खाद्य ऊर्जा के एक पोष स्तर से दूसरे पोष स्तर में जाने पर 90% ऊर्जा का ऊष्मा के रूप में अपव्यय (श्वसन क्रिया में) हो जाता है तथा सबसे ऊँचे पोष स्तर को बहुत कम ऊर्जा उपलब्ध होती है। प्रकृति में तीन प्रकार की खाद्य शृंखलाएं होती हैं-

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(i) परभक्षी या शाकवर्ती खाद्य शृंखला (Predator or grazing food chain) – इस प्रकार की खाद्य शृंखला सौर ऊर्जा पर आधारित होती है जो हरे पौधों से प्रारंभ होकर मांसाहारी जंतुओं से होती हुई सर्वोच्च मांसाहारी जंतुओं या उपभोक्ताओं पर समाप्त होती है। अतः यह छोटे जीवों से प्रारंभ होकर बड़े जीवों पर समाप्त होती है। उदा. घास स्थलीय खाद्य शृंखला।

(ii) परजीवी खाद्य शृंखला (Parasitic food chain)-यह बड़े जंतुओं (शाकाहारी) से प्रारंभ होकर छोटे जीवों (परजीवी) पर समाप्त होती है अर्थात् परपोषी से परजीवी की ओर अग्रसर होती है। उदाहरण-
जड़ें → निमेटोड → जीवाणु

(iii) अपरदी या मृतोपजीवी खाद्य शृंखला (Detritus or Saprophytic food chain)-यह आहार शृंखला मृत सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्रारंभ होती है और मृदा में स्थित अपरदभक्षी जीवों से होकर उन जीवों तक जाती है, जो अपरदहारी जीवों का भक्षण करते हैं।
उदाहरण-
अपरद → केंचुआ → मेंढक → साँप → चील
इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला वनों व घास स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों में बहुत महत्व की है।

खाद्य जाल (Food web)
उपरोक्त खाद्य श्रृंखलाओं में एक स्तर से अन्य स्तर पर ऊर्जा का प्रवाह होता है। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में चारण खाद्य शृंखला (Grazing food chain = GFC) ऊर्जा प्रवाह का महत्वपूर्ण साधन है परंतु स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में चारण खाद्य शृंखला की तुलना में अपरद खाद्य शृंखला (Detritus food chain = DFC) द्वारा अधिक ऊर्जा प्रवाहित होती है।

पारिस्थितिक तंत्र में सभी जीव एक समुदाय में अन्य जीवों के साथ रहते हैं। सभी जीव अपने पोषण या आहार के स्रोत के आधार पर खाद्य श्रृंखला में एक विशेष स्थान ग्रहण करते हैं, जिसे पोषण स्तर (trophic level) कहा जाता है (चित्र 14.3)। एक विशिष्ट समय पर प्रत्येक पोषण स्तर के जीवित पदार्थ की कुछ खास मात्रा होती है, जिसे स्थित शस्य या खड़ी फसल (Standing crop) कहते हैं।

इसे इकाई क्षेत्र में उपस्थित जीवों की संख्या या जैवभार (biomass) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। वस्तुतः प्रकृति में उपरोक्त वर्णित सरल खाद्य शृंखलायें नहीं पायी जाती हैं अपितु विभिन्न खाद्य शृंखलाएँ आपस में किसी न किसी पोष स्तर से जुड़कर एक अत्यन्त जटिल खाद्य जाल (food web) का निर्माण करती हैं। इसका कारण यह है कि एक ही प्राणी कई प्रकार के प्राणियों को अपना भोजन बना सकता है।

उदाहरणार्थ, एक घास स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में प्राथमिक उत्पादकों को टिड्डी एवं चूहों के अतिरिक्त खरगोश, गाय, बकरी या अन्य शाकाहारी द्वारा भी खाया जा सकता है। इसी प्रकार चूहों को सर्प तथा सर्पों को गिद्ध खाते हैं परंतु इन्हें सर्पों व गिद्ध के अतिरिक्त अन्य जंतुओं द्वारा भी खाया जा सकता है।
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किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में खाद्य जाल जितना जटिल और विशाल होगा उतना ही वह पारिस्थितिक तंत्र स्थिरता व संतुलन लिये होगा क्योंकि इसमें उपभोक्ता के लिये अनेक प्रकार के जीव उपयोग हेतु उपलब्ध रहेंगे। किसी जीव के किसी कारणवश नष्ट हो जाने पर खाद्य जाल के स्थायित्व (stability) पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि खाद्य जाल में वैकल्पिक व्यवस्था (alternative arrangement) होती है, जिससे उस जीव के स्थान की पूर्ति अन्य किसी जीव द्वारा हो जाती है तथा ऊर्जा का प्रवाह वैकल्पिक परिपथों से होने लगता है।

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इस प्रकार की व्यवस्था खाद्य शृंखलाओं में नहीं होती है। खाद्य जाल, समुदाय में जीवों के बहुदिशीय संबंधों को प्रकट करता है। खाद्य जाल में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होते हुए भी अनेक वैकल्पिक परिपथों से होकर होता है। खाद्य शृंखला में एक पोष स्तर से दूसरे पोष स्तर में केवल 10% ऊर्जा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 2.
पारितन्त्र क्या है? इसके जैविक घटकों का उल्लेख कीजिए। एक घास वन पारितन्त्र की चार पोष स्तर वाली खाद्य श्रृंखला का आरेख बनाइए।
उत्तर:
सर्वप्रथम इकोसिस्टम (Ecosystem) शब्द का प्रयोग ए.जी. टैन्सले (A.G. Tansley, 1935) ने किया था। ‘Eco’ शब्द का तात्पर्य पर्यावरण से है तथा ‘system’ का बोध अन्योन्य क्रियाओं (Interactions) से है। टेन्सले ने इकोसिस्टम को परिभाषित करते हुए कहा कि “इकोसिस्टम वह तंत्र है जो पर्यावरण के सम्पूर्ण सजीव व निर्जीव कारकों के पारस्परिक सम्बन्धों तथा प्रक्रियाओं द्वारा प्रकट होता है ” या इकोसिस्टम प्रकृति का वह तंत्र है जिसमें जीवीय व अजीवीय घटकों की संरचना व कार्यों का पारिस्थितिक सम्बन्ध निश्चित नियमों के अुनसार गतिज संतुलन में रहता है तथा ऊर्जा व पदार्थों का प्रवाह सुनियोजित मार्गों से होता रहता है।

पारिस्थितिक तंत्र की संरचना (Structure of Ecosystem)पारिस्थितिक तंत्र की संरचना के दो मुख्य घटक होते हैं-
I. जीवीय घटक (Biotic Component) तथा
II. अजीवीय घटक (Abiotic Component)

I. जीवीय घटक (Biotic Component)-पारिस्थितिक तंत्र में जीवीय घटक का प्रथम स्थान होता है। इस तंत्र में नाना प्रकार के प्राणियों व वनस्पति की समष्टि (Population) के समुदाय होते हैं तथा ये सभी जीव आपस में किसी न किसी प्रकार से सम्बन्धित होते हैं। पारिस्थितिक तंत्र के प्रकार्य या इन विभिन्न जीवों के भोजन प्राप्त करने के प्रकार के अनुसार इस जीवीय घटक को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है-

(क) स्वपोषी या उत्पादक (Autotrophs or Producers)-पारिस्थितिक तंत्र के वे सजीव सदस्य, जो साधारण अकार्बनिक पदार्थों को प्राप्त कर, सूर्य प्रकाशीय ऊर्जा को ग्रहण कर जटिल पदार्थों अर्थात् प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया कर भोजन का संश्लेषण करते हैं। अपने पोषण हेतु स्वयं भोजन का निर्माण करने में सक्षम होते हैं। ऐसे सजीव सदस्य स्वपोषी घटक (Autotrophic Component) कहलाते हैं।

यह अद्भुत क्षमता प्राय: क्लोरोफिल युक्त हरे पौधों में तथा विशेष प्रकार के रसायन संश्लेषी जीवाणुओं में होती है। स्वपोषी घटक को प्राथमिक उत्पादक भी कहते हैं, क्योंकि हरे पौधे भोजन का निर्माण कर उन्हें संचित करते हैं तथा यह संचित खाद्य पदार्थ ही अन्य समस्त प्रकार के जीवों हेतु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भोजन के रूप में प्रयुक्त होता है।

स्थल पर उगने वाले समस्त पौधे तथा जलीय माध्यम (तालाब, झील व समुद्र) में विद्यमान जलोद्भिद पादप शैवाल व सूक्ष्मदर्शी पौधे उत्पादक की श्रेणी में आते हैं। समस्त पौधे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं न कि ऊर्जा का। वास्तविक रूप से उत्पादक पौधे प्रकाशीय ऊर्जा को जटिल कार्बनिक पदार्थ की रासायनिक स्थितिज ऊर्जा (Potential Chemical Energy) में परिवर्तित करते हैं। इसी कारण कोरोमेन्डी (Koromondy) ने इन्हें उत्पादक के स्थान पर परिवर्तक या पारक्रमी (Converter or Transducer) कहा है।

(ख) विषमपोषी या उपभोक्ता (Heterotrophs or Consumers) – पारिस्थितिक तंत्र के वे जीव जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादकों द्वारा निर्मित भोजन पर निर्भर रहते हैं। इन सजीव सदस्यों में भोजन सृजन की क्षमता नहीं होती है। इस प्रकार के जीवों को विषमपोषी कहते हैं। वस्तुतः ये उत्पादकों द्वारा संश्लेषित भोजन का उपयोग करते. हैं। इसलिए इन्हें उपभोक्ता (Consumers) भी कहते हैं। इन परपोषित या उपभोक्ता जीवों को पुनः दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है-

1. वृहद् या गुरु उपभोक्ता या भक्षपोषी या जीवभक्षी (Macroconsumers or Phagotrophs) – वे जीव उपभोक्ता जो अपना भोजन जीवित पौधों या जन्तुओं से प्राप्त करते हैं उन्हें वृहद् उपभोक्ता या भक्षपोषी या जीवभक्षी (Phagotroph, Phago = to eat) कहते हैं। इस प्रकार के उपभोक्ता भोजन को ग्रहण कर अपने शरीर के अन्दर उसका पाचन करते हैं। शाक या पादप भक्षी शाकाहारी (Herbivores), जन्तुभक्षी मांसाहारी (Carnivores) तथा शाक व मांस दोनों को खाने वाले को सर्वाहारी (Omnivores) कह सकते हैं।

उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों में विभेदित किया गया है –
(i) प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers)-वे जीव जो भोजन की प्राप्ति हेतु प्रत्यक्ष रूप से हरे पौधों अर्थात् उत्पादकों पर निर्भर होते हैं। ऐसे प्राथमिक उपभोक्ता मुख्य रूप से शाकाहारी (Herbivores) जन्तु होते हैं। जैसे-कीट, गाय, भैंस, बकरी, खरगोश, भेड़, हिरण, चूहा इत्यादि। स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के सामान्यतः शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ता होते हैं।

(ii) द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumers)-इस श्रेणी के उपभोक्ता अपना भोजन प्रथम श्रेणी के शाकाहारी उपभोक्ताओं से प्राप्त करते हैं। इस श्रेणी के उपभोक्ता प्रायः मांसाहारी (Carnivores) होते हैं, जैसे-मेंढक, लोमड़ी, कुत्ता, बिल्ली, चीता इत्यादि।

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(iii) तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers)-इस श्रेणी के उपभोक्ता अपना भोजन द्वितीयक श्रेणी के मांसाहारी उपभोक्ताओं से प्राप्त करते हैं और यही नहीं, यहाँ तक सर्वाहारी व शाकाहारी का भी भक्षण कर लेते हैं। कुछ उपभोक्ता उच्च मांसाहारी (Top Carnivores) होते हैं, जो स्वयं तो अन्य मांसाहारी जन्तुओं को खा जाते हैं किन्तु उन्हें कोई प्राणी नहीं खा सकता। इस प्रकार के उपभोक्ताओं को शीर्ष या उच्च उपभोक्ता (Top Consumers) कहा जाता है; जैसे-शेर, चीता, बाज व गिद्ध इत्यादि।

अतः उपर्युक्त उपभोक्ताओं की श्रेणियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भोजन उत्पादकों से होता हुआ उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों से गुजर कर उच्य उपभोक्ताओं तक पहुँच जाता है। अतः भोजन या खाद्य की इस शृंखला को खाद्य शृंखला (Food Chain) कहते हैं।

2. सूक्ष्म या लघु उपभोक्ता या अपघटक जीव (Microconsumers or Decomposers)-लघु उपभोक्ता भी पारिस्थितिक तंत्र के महत्त्वपूर्ण सजीव घटक हैं। इस श्रेणी के जीव विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थो को उनके अवयवों में विघटित कर देते हैं। इस क्रिया में यह जीव पाचन विकर का स्रवण कर भोजन को सरल पदार्थों में तोड़कर इस पचित भोजन को अवशोषित करते हैं। इनमें मुख्यत: कवक, जीवाणु, एक्टिनोमाइसीटिज तथा मृतोपजीवी होते हैं।

इन्हें अपघटक या मृतोपजीवी (Saprotrophs) या परासरणजीवी (Osmotrophs) कहते हैं। इस प्रकार के जीव उत्पादक तथा उपभोक्ता के मृत शरीरों पर क्रिया कर जटिल कार्बनिक पदार्थों को साधारण पदार्थों में परिवर्तित करते हैं। इन साधारण कार्बनिक पदार्थ पर अन्य प्रकार के जीवाणु क्रिया कर अन्त में इन्हें अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।
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बह प्राणी क्रिया करते समय अपघटन से निर्मित उत्पादों का स्वयं अवशोषण कर अपने पोषण में उपयोग कर लेते हैं व अन्य पदार्थों को बातावरण में मुक्त कर देते है। अपघटक व परिवर्तक क्रिया से निर्मित अकार्बनिक पदार्थ पुनः उत्पादकों या हरे पौधों द्वारा उपयोग में ले लिये जाते हैं। इस प्रकार से हरे पौधों में जिसमें भोजन का निर्माण या संचय हुआ था उसका उपयोग उपभोक्ताओं ने किया तथा उपभोक्ताओं व उत्पादकों के मृत होने पर ये सुक्ष्म उपभोक्ता अपघटन क्रिया कर अकार्बनिक पदार्थों को पर्यावरण में वापस लौटाने का कार्य करते है। अतः अपघटनकर्ता तथा परिवर्तक पारिस्थितिक तंत्र के अस्तित्व को बनाये रखने में महत्तपपर्ण कार्य करते हैं।

II. अजीवीय घटक (Abiotic Component)-ये पारिस्थितिक तंत्र के अजीवीय घटक हैं। तंत्र के प्रथम भाग में जीवीय घटक का उल्लेख करते हुए उसके महत्त्व पर प्रकाश ड्डाला गया है। उसी प्रकार अजीवीय घटक जो कि भौतिक पर्यावरण से बनता है, यह भी उतना ही महत्तपपर्ण है।

इस भौतिक पर्यावरण को तीन भागों में विभाजित किया गया है –
(क) अकार्बनिक पदार्थ (Inorganic Substances)-जैसेमृदा, जल, कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, कैल्सियम काबोनेट ब फॉस्फेट इत्यादि जो पारिस्थितिक तंत्र में चक्रीय पर्थों से गुजरते हैं, जिसे जैव-भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycle) कहते हैं।

(ख) कार्बनिक पदार्ध (Organic Substances)-इसमें वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हूमस, क्लोरोफिल, लिपिड इत्यादि होते हैं तथा ये पारिस्थितिक तंत्र के अजीवीय और जीवीय घटकों को जोड़ने का सम्बन्ध स्थापित करने में प्रयुक्त होते हैं।

(ग) जलवायवीय कारक (Climatic Factors)-जैसे-प्रकाश, तापक्रम, आर्द्रता, पवन, वर्षा इत्यादि भौतिक कारक हैं। इन सभी भौतिक कारकों में से सूर्य की विकिरण ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र के ऊर्जा स्रोत के लिए महत्चपूर्ण होती है। किसी पारिस्थितिक-तंज्र में नियत समय में उपस्थित अजैव पदार्थों की मात्रा को स्थायी अवस्था (Standing State) या स्थायी गुणता (Standing Quality) कहा जाता है, जबकि जैविक पदार्थों या कार्बनिक पदार्थों की कुल मात्रा को खड़ी फसल या स्थित शस्य (Standing Crop) कहते हैं। इसे इकाई क्षेत्र में उपस्थित जीवों की संख्या या जैवभार (Biomass) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

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उपर्युक्त अजीवीय घटक पारिस्थितिक तंत्र की प्रकृति को सुनिश्चित कर इसमें जीवों को सीमित रखते हुए इस तंत्र के प्रकार्यों को नियंत्रित करते हैं। मृदा में पाये जाने वाले खनिजों को पौधे अवशोषित कर शरीर निर्माण में उपयोग लेते हैं तथा सूर्य के प्रकाश में उपस्थित ऊर्जा के सहयोग से भोजन का निर्माण करते हैं।

इन सभी खनिजों में से विशेषत: C,H, N, P इत्यादि पौधों तथा जन्तुओं के शरीर निर्माण हेतु परम आवश्यक हैं। जीवों की मृत्यु पश्चात् इनके शरीर अपघटित कर दिये जाते हैं। इस क्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में वापस चली जाती है तथा खजिन लवण पुन: भूमि में मिल जाते हैं तथा इस भूमि से पौधे उनका पुनः अवशोषण करते रहते हैं।

अतः इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र में खानिज लवणों का चक्र चलता रहता है। इसे खनिज प्रवाह कहा जाता है। इस खनिज प्रवाह को चलायमान रखने हेतु जीवीय तथा अजीवीय दोनों घटक निरन्तर क्रियाशील रहते हैं। इसलिए इसे खनिज प्रवाह के साथ-साथ जैवभूरासायनिक चक्र (Bio-geochemical cycle) भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
(i) पारिस्थितिक अनुक्रमण किसे कहते हैं?
(ii) प्राथमिक व द्वितीयक अनुक्रमण में प्रमुख अन्तर बताइए।
(iii) खाली एवं नग्न क्षेत्र में पादपों का अनुक्रमण समझाइए।
(iv) कुंज चरण का चित्र बनाइए।
उत्तर:
(i) किसी एक ही स्थान पर होने वाले दीर्घकालीन एकदिशीय (unidirectional) समुदाय परिवर्तनों को या समुदाय के विकासीय प्रक्रम को पारिस्थितिक अनुक्रमण कहते हैं।

प्राथमिक अनुक्रमणद्वितीयक अनुक्रमण
वनस्पति रहित स्थलों (प्राथमिक अनाच्छादित क्षेत्र) पर होने वाला अनुक्रमण प्राथमिक अनुक्रमण क ह लाता है। भू-स्खलन, ज्वालामुखी के फटने, कोरल शैलों (Coral reef) के निर्माण, रेतीले टीले, नग्न चट्टानें आदि क्षेत्र इसी श्रेणी में आते हैं।ऐसे स्थल जहाँ पूर्व में वनस्पति हो, लेकिन बाढ़, अग्नि, काष्ठ कर्तन (Wood Cutting), कृषि या अन्य कारणों से नष्ट हो गई हो तथा नई प्रकार की वनस्पति पुनः स्थापित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो तो उसे द्वितीयक अनुक्रमण कहते हैं।

(iii) नग्न चट्टानों पर सर्वप्रथम उगने वाले अर्थात् पुरोगामी पौधे प्रायः नील हरित शैवाल व पर्पटी लाइकेन उगते हैं। ये चट्टानों का संक्षारण कर मृदा की एक पतली परत बना देते हैं। अनुक्रमण के द्वितीय चरण में इस परिवर्तित आवास में अनेक मॉस जातियाँ उगने लगती हैं जो वायु में उपस्थित मृदा कणों को संग्रहित कर मृदा संचयन की प्रक्रिया को बढ़ाती हैं तथा अम्लीय स्थिति उत्पन्न कर खनिजों के जल अपघटन करती हैं।

अब मृदा में जल धारण क्षमता, कार्बनिक पदार्थ व खनिज पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ने से यह स्थान इनके लिए उपयुक्त नहीं रहता। अनुक्रमण के तृतीय चरण में अब एकवर्षीय तत्पश्चात् द्विवर्षीय व बाद में बहुवर्षीय शाकीय पौधे उगने लगते हैं। इन सभी पौधों की जड़ें शैल विघटन की क्रिया को बढ़ाती हैं।

अंतत: अनुक्रमण के चतुर्थ चरण में मरुद्भिद क्षुप आदि प्रकट होने लगते हैं जो शाकीय पौधों को प्रतिस्थापित करते हैं। ये चट्टानों का अधिक विघटन करते हैं तथा इनके सूखे गिरे पत्ते व टहनियाँ मृदा को अधिक उर्वर बनाते हैं। अब कुछ वर्षों बाद इनके स्थान पर मरुद्भिद वृक्ष उगने लगते हैं।
(iv) कुंज चरण का चित्र –
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प्रश्न 4.
(i) पोषण चक्र किसे कहते हैं?
(ii) गैसीय तथा अवसादी पोषक चक्र में प्रमुख अन्तर बताइए।
(iii) पारितंत्र में कार्बन चक्र को संक्षेप में समझाइए।
(iv) भूमण्डल में कार्बन चक्र के सरलीकृत मॉडल का चित्र बनाइए।
उत्तर:
(i) पोषण चक्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों के माध्यम से पोषक तत्वों की गतिशीलता को पोषण चक्रण (nutrient cycle) कहते हैं।

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(ii) गैसीय तथा अवसादी पोषक चक्र में प्रमुख अन्तर बताइए ।
उत्तर:

गैसीय चक्रअवसादी चक्र
1. इनका निचय कुण्ड (Reservoir pool) वायु- मण्डल या जल-मण्डल होता है।इनका निचय कुण्ड स्थलमण्डल होता है।
2. इनके चक्र पूर्ण होते हैं।इनके चक्र अपूर्ण होते हैं।
3. बार-बार चक्रीय प्रवाह के दौरान इनकी मात्रा कम नहीं होती है।मात्रा कम होती है क्योंकि कुछ मात्रा समुद्र, भूमि या अन्य जलाशयों की तलहटी में समाहित हो जाती है।
4. उदाहरण-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन चक्र।उ दाह र ण-सल्फ र, फॉस्फोरस चक्र।

(iii) पारितंत्र में कार्बन चक्र को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
पारितंत्र-कार्बन चक्र (Ecosystem-Carbon cycle) सजीवों की संरचना का अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि जीवों के शुष्क भार का 49 प्रतिशत भाग कार्बन से बना होता है। जल के पश्चात् सर्वाधिक मात्रा कार्बन की ही होती है। यदि भूमण्डलीय कार्बन की कुल मात्रा का ध्यान करें तो हम यह पाते हैं कि समुद्र में 71 प्रतिशत कार्बन विलेय के रूप में विद्यमान है।

यह सागरीय कार्बन भंडार वायुमण्डल में CO2 की मात्रा को नियमित करता है (चित्र 14.9)। कुल भूमण्डलीय कार्बन का केवल एक प्रतिशत भाग ही वायुमण्डल में समाहित है। जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के भंडार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन चक्र वायुमण्डल, सागर तथा जीवित व मृतजीवों द्वारा सम्पन्न होता है।

अनुमानानुसार जैव मण्डल में प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4 × 1013 कि.ग्रा. कार्बन का स्थिरीकरण होता है। एक महत्वपूर्ण कार्बन की मात्रा CO2 के रूप में उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमण्डल में वापस आती है। इसके साथ ही भूमि एवं सागरों की कचरा सामग्री एवं मृत कार्बनिक सामग्री की अपघटन प्रक्रियाओं के द्वारा भी CO2 की काफी मात्रा अपघटकों द्वारा छोड़ी जाती है।
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पोषक और पादप पोषक में जुड़ते हैं। जब कुल प्राथमिक उत्पादन, श्वसन से अधिक होता है तब पारिस्थितिक तंत्र में कार्बन-समृद्ध जैविक पदार्थ संचित होता है। प्राचीन समय में इस प्रकार का संचयन जीवाष्मी ईंधन, कोयला और तेल के रूप में होता था। यौगिकीकृत कार्बन की कुछ मात्रा अवसादों में नष्ट होती है और संचरण द्वारा निकाली जाती है।

लकड़ी के जलाने, जंगली आग एवं जीवाश्मी ईंधन के जलने के कारण, कार्बनिक सामग्री, ज्वालामुखीय क्रियाओं आदि के अतिरिक्त स्रोतों द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त किया जाता है। कार्बन चक्र में मानवीय क्रियाकलापों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। तेजी से जंगलों का विनाश तथा परिवहन एवं ऊर्जा के लिए जीवाश्मी ईंधनों को जलाने आदि से महत्वपूर्ण रूप से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने की दर बढ़ी है।

(iv) भूमण्डल में कार्बन चक्र के सरलीकृत मॉडल का चित्र बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 5.
अपघटन किसे कहते हैं? एक स्थलीय पारितंत्र में अपघटन चक्र का वर्णन कीजिए। इसका आरेखीय निरूपण बनाइए ।
उत्तर:
अपघटक जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्त्वों जैसे CO2, जल एवं पोषक पदार्थों में खण्डित करने में सहायता करते हैं। इस प्रक्रिया को अपघटन (decomposition) कहते हैं । इस प्रक्रिया में कवक, जीवाणुओं, अन्य सूक्ष्म जीवों के अतिरिक्त छोटे प्राणियों जैसे निमेटोड, कीट, केंचुए आदि का मुख्य योगदान रहता है। पौधों तथा जन्तुओं के मृत अवशेषों को अपरद (detritus) कहते हैं।
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अपघटन की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण चरण खंडन निक्षालन, अपचयन, ह्यूमस बनना (humification) व खनिजीकरण (mineralisation ) हैं। अपरदहारी (जैसे कि केंचुए) अपरद को छोटे-छोटे कणों में खंडित कर देते हैं। इसे खंडन कहते हैं। निक्षालन प्रक्रिया के अन्तर्गत जल – विलेय अकार्बनिक पोषक भूमि मृदासंस्तर में प्रविष्ट कर जाते हैं और अनुपलब्ध लवण के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं।

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‘जीवाणुवीय एवं कवकीय एन्जाइम्स अपरदों को सरल अकार्बनिक तत्त्वों में तोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया को अपचयन कहते हैं। अपघटन की सभी क्रियायें अपरद पर समानांतर रूप से निरंतर चलती रहती हैं (चित्र को देखिए)। ह्यूमीफिकेशन (humification) और खनिजीकरण (mineralisation) की प्रक्रिया अपघटन के दौरान मृदा में सम्पन्न होती है।

ह्यूमीफिकेशन के द्वारा एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित तत्त्व का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस (humus) कहते हैं। इसका अपघटन बहुत ही धीमी गति से चलता रहता है। इसकी प्रकृति कोलाइडल होने से यह पोषक के भंडार का कार्य करता है। ह्यूमस पुन: कुछ सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होता है और खनिजीकरण प्रक्रिया द्वारा अकार्बनिक पोषक उत्पन्न होते हैं।
अथवा
(i) पोषक चक्र क्या है?
(ii) भूमण्डल में कार्बन चक्र का आरेखित चित्र बनाकर समझाइये |
उत्तर:
(i) पोषक चक्र (Nutrient Cycle) – एक पारितंत्र के विभिन्न घटकों के माध्यम से पोषक तत्त्वों की गतिशीलता को पोषक चक्र कहा जाता है। पोषक चक्र का एक अन्य नाम जैव भू रसायन चक्र (Biogeochemical cycle) भी है।

(ii) कार्बन चक्र (Carbon Cycle) – जीवों के शुष्क भार का 49% भाग कार्बन से बना होता है। समुद्र में 71% कार्बन विलेय के रूप में होती है। यह सागरीय कार्बन भंडार वायुमंडल में CO2 की मात्रा को नियमित करता है। कुल भूमंडलीय कार्बन का केवल एक प्रतिशत भाग वायुमंडल में समाहित है।

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जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के भंडार हैं। कार्बन चक्र वायुमंडल, सागर तथा जीवित एवं मृतजीवों द्वारा सम्पन्न होता है। अनुमानानुसार जैव मंडल में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4 × 103 किग्रा. कार्बन का स्थिरीकरण होता है । उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमंडल में महत्त्वपूर्ण कार्बन की मात्रा CO2 के रूप में वापस आती है। इसी के साथ भूमि एवं सागरों के कचरा सामग्री व मृत कार्बनिक सामग्री की अपघटन प्रक्रियाओं के द्वारा भी CO2 की काफी ।

प्रश्न 6
पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह से आप क्या समझते हैं? विभिन्न पोषण स्तरों में से होते हुए ऊर्जा प्रवाह को समझाइए । एक खाद्य श्रृंखला का आरेखी चित्र बनाइए ।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवेश, स्थानान्तरण, रूपान्तरण एवं वितरण ऊष्मागतिकी के दो मूल नियमों (Law of thermodynamics) के अनुरूप होता है। कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। प्रत्येक जीव को अपनी जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकमात्र एवं अन्तिम मुख्य स्रोत सूर्य है। पृथ्वी पर पहुँचने वाली कुल प्रकाश ऊर्जा का केवल 1% भाग प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य ऊर्जा या रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित हो पाता है।

वन वृक्षों में यह दक्षता 5% तक हो सकती है। शेष ऊर्जा का ऊष्मा के रूप में ह्रास हो जाता है। पृथ्वी पर कुल प्रकाश संश्लेषण का लगभग 90% भाग जलीय पौधों विशेषत: समुद्रीय डायटमों (Diatoms) शैवालों द्वारा सम्पन्न होता है। और शेष भाग स्थलीय पौधों द्वारा होता है। इनमें भी वन वृक्ष सबसे अधिक प्रकाश संश्लेषण करते हैं। इसके बाद कृष्य ( cultivated ) पौधे तथा घास जातियाँ आती हैं।

कोई भी जीव प्राप्त की गई ऊर्जा के औसतन 10% से अधिक ऊर्जा अपने शरीर निर्माण में प्रयोग नहीं कर पाता है तथा शेष 90% ऊर्जा का ऊष्मा के रूप में श्वसन आदि क्रियाओं में ह्रास हो जाता है अर्थात् खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा के स्थानान्तरण में एक पोष स्तर पर लगभग 10% ऊर्जा ही संग्रहित होती है। इसे पारिस्थितिक दशांश का नियम (Rule of ecological tenthe) कहते हैं।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

इस प्रकार यदि किसी स्थान पर सौर ऊर्जा की मात्रा 100 कैलोरी हो तो पादपों (प्राथमिक उत्पादक) को 10 कैलोरी, उन पादपों का चारण करके शाकभक्षी को केवल 1 कैलोरी और उस शाकाहारी (प्राथमिक उपभोक्ता) को खाकर मांसाहारी (द्वितीयक उपभोक्ता) में केवल 0.1 कैलोरी ऊर्जा संग्रहित होगी तथा अपघटक तक यह बहुत न्यून मात्रा में पहुँचेगी । वास्तव में ऊर्जा संकल्पना में ऊर्जा का एक पोष स्तर से दूसरे पोष स्तर में स्थानान्तरण एवं रूपान्तरण है।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 14

पादप प्लवक → जन्तु प्लवक → छोटी मछली → बड़ी → मछली → मनुष्य

प्रश्न 7.
पारिस्थितिक पिरैमिड से आप क्या समझते हैं? घास मैदान में जैवमात्रा पिरैमिड का वर्णन चित्र की सहायता से कीजिए ।
उत्तर:
यदि पारितंत्र के प्रथम पोष स्तर को आधार मानकर क्रमशः उत्तरोत्तर विभिन्न पोष स्तरों को चित्र में दिखाया जावे तो इससे स्तूपाकार (Pyramid ) लेखाचित्र प्रदर्शित होता है तथा इन्हें ही पारिस्थितिक स्तूप या पिरैमिड कहते हैं। जीवभार के पिरामिड (Pyramid of Biomass ) – पारिस्थितिक तंत्र में भोजन श्रृंखला तथा प्रत्येक भोजन स्तर के जीवों के पारस्परिक सम्बन्ध दर्शाने का अन्य पारिस्थितिक पिरामिड जीवभार पिरामिड है ।

एक पारिस्थितिक तंत्र के जीवों का जो इकाई क्षेत्र में शुष्क भार (Dry Weight) होता है उसे जीवभार (Biomass) कहते हैं। इसमें भी यदि प्रत्येक भोजन स्तर के जीवों के जीवभार के आधार पर लेखाचित्र बनाया जावे तो यह ठीक स्तूप जैसा बनता है। जीवभार या जैवभार के आधार पर जो पिरैमिड बनते हैं उनसे यह ज्ञात होता है कि प्रायः उत्पादक स्तर का जीवभार सर्वाधिक होता है तथा धीरे-धीरे अन्य स्तरों में यह जीवभार क्रमशः कम होता है। जीवभार के आधार पर स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के पिरैमिड सीधे बनते हैं; जैसे- घास के जैवमात्रा के पिरैमिड इसमें उत्पादक से उपभोक्ता की ओर क्रमश: जैवमात्रा की निरन्तर कमी होती जाती है।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र 15

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. एक पारितंत्र में सकल प्राथमिक उत्पादकता और नेट प्राथमिक उत्पादकता के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है? (NEET-2020)
(अ) सकल प्राथमिक उत्पादकता सदैव नेट प्राथमिक उत्पादकता से अधिक होती है।
(ब) सकल प्राथमिक उत्पादकता और नेट प्राथमिक उत्पादकता एक ही हैं और अभिन्न हैं।
(स) सकल प्राथमिक उत्पादकता और नेट प्राथमिक उत्पादकता के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है।
(द) सकल प्राथमिक उत्पादकता सदैव नेट प्राथमिक उत्पादकता से कम होती है।
उत्तर:
(अ) सकल प्राथमिक उत्पादकता सदैव नेट प्राथमिक उत्पादकता से अधिक होती है।

2. घास भूमि पारितंत्र में पोषी स्तरों के साथ जातियों के सही उदाहरण को सुमेलित कीजिए- (NEET-2020)

1. चतुर्थ पोषी स्तर(i) कौआ
2. द्वितीय पोषी स्तर(ii) गिद्ध
3. प्रथम पोषी स्तर(iii) खरगोश
4. तृतीय पोषी स्तर(iv) घास
(1)(2)(3)(4)
(अ)(iii)(ii)(i)(iv)
(ब)(iv)(iii)(ii)(i)
(स)(i)(ii)(iii)(iv)
(द)(ii)(iii)(iv)(i)

उत्तर:

(द)(ii)(iii)(iv)(i)

3. निम्नलिखित में से कौनसा पारिस्थितिकी पिरैमिड सामान्यतः उल्टा होता है? (MHCET-2003, Mains-2005, NEET-2019)
(अ) एक समुद्र में जैवभार का पिरैमिड
(ब) घास भूमि में संख्या का पिरैमिड
(स) ऊर्जा का पिरैमिड
(द) एक वन में जैवभार का पिरैमिड
उत्तर:
(अ) एक समुद्र में जैवभार का पिरैमिड

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

4. किस पारितंत्र में अधिकतम जैवभार होता है? (NEET-2017)
(अ) वन पारितंत्र
(ब) घास स्थल पारितंत्र
(स) ताल पारितंत्र
(द) झील पारितंत्र
उत्तर:
(अ) वन पारितंत्र

5. एक नग्न चट्टान पर एक अग्रगामी जीव के रूप में निम्नलिखित में से कौन आयेगा? (NEET I-2016)
(अ) मॉस
(ब) हरित शैवाल
(स) लाइकेन
(द) लिवरवर्ट
उत्तर:
(स) लाइकेन

6. इकोसिस्टम (पारितंत्र) शब्द सबसे पहले किसने बनाया था? (RPMT-2005, NEET-2016)
(अ) ई. हेकल
(ब) ई. वार्मिग
(स) ई.पी. ओडम
(द) ए.जी. टेन्सले
उत्तर:
(द) ए.जी. टेन्सले

7. ज्यादातर जन्तु जो गहरे समुद्र में रहते हैं, वे होते हैं- (NEET-2015)
(अ) द्वितीयक उपभोक्ता
(ब) तृतीयक उपभोक्ता
(स) अपरद भोजी
(द) प्राथमिक उपभोक्ता
उत्तर:
(स) अपरद भोजी

8. निम्नलिखित में से दोनों युग्मकों में सही संयोजन है- (NEET-2015)

(अ) गैसीय पोषण चक्र अवसादी पोषण चक्र– कार्बन और सल्फर नाइट्रोजन और फास्फोरस
(ब) गैसीय पोषण चक्र अवसादी पोषण चक्र– नाइट्रोजन और सल्फर कार्बन और फास्फोरस
(स) गैसीय पोषण चक्र अवसादी पोषण चक्र– सल्फर और फास्फोरस कार्बन और नाइट्रोजन
(द) गैसीय पोष्ण चक्त अवसादी पोषण चक्र– कार्बन और नाइट्रोजन् सल्फर और फास्फोरस

उत्तर:

(द) गैसीय पोष्ण चक्त अवसादी पोषण चक्र– कार्बन और नाइट्रोजन् सल्फर और फास्फोरस

9. फास्फोरस का प्राकृतिक भण्डार कौनसा है- (NEET-2013)
(अ) समुद्री जल
(ब) प्राणी अस्थियाँ
(स) शैल
(द) जीवाश्म
उत्तर:
(स) शैल

10. द्वितीयक उत्पादकता किसके द्वारा नये कार्बनिक पदार्थ बनाने की दर है- (NEET-2013)
(अ) उत्पादक
(ब) परजीवी
(स) उपभोक्ता
(द) अपघटक
उत्तर:
(स) उपभोक्ता

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11. निम्नलिखित में वह कौन एक है जो पारिस्थितिक तंत्र की कोई कार्यात्मक इकाई नहीं है? [CBSE PMT (Pre), NEET-2012]
(अ) ऊर्जा प्रवाह
(ब) अपघटन
(स) उत्पादकता
(द) स्तरीकरण (स्ट्रैटीफिकेशन)
उत्तर:
(द) स्तरीकरण (स्ट्रैटीफिकेशन)

12. संख्या का सीधा पिरामिड किसमें नहीं होता है? [NEET-2012, CBSE PMT (Pre) 2012]
(अ) ताल
(ब) वन
(स) झील
(द) घास स्थल
उत्तर:
(ब) वन

13. निम्नलिखित खाद्य शृंखला में संभावित कड़ी ‘A’ क्या हो सकती है, पहचानिए-
पौधा→ कीट→ मेंढ़क→ ‘A ‘→ गिद्ध [CBSE PMT (Pre)-2012]
(अ) खरगश
(ब) भेड़िया
(स) नाग
(द) तोता
उत्तर:
(स) नाग

14. निम्नलिखित में से वह कौनसा एक प्राणी है जो एक ही पारितंत्र के भीतर एक ही समय पर एक से अधिक पोषक स्तरों को ग्रहण कर सकता है- [NEET 2009, CBSE PMT (Mains)-2011]
(अ) बकरी
(ब) मेंढ़क
(स) गाँरैया
(द) शेर
उत्तर:
(स) गाँरैया

15. चरना (grazing) खाद्य श्शृंखला में, मांसाहारी को कहा जाता है- (Kerala PMT-2011)
(अ) प्राथमिक उत्पादक
(ब) द्वितीयक उत्पादक
(स) प्राथमिक उपभोक्ता
(द) द्वितीयक उपभोक्ता
उत्तर:
(द) द्वितीयक उपभोक्ता

16. केंचुए द्वारा अपशिष्ट को छोटे टुकड़ों में तोड़ने की प्रक्रिया को कहते हैं- (Mains-2011)
(अ) अपचयन
(ब) ह्यूमिकरण
(स) विखण्डन
(द) खनिजीकरण
उत्तर:
(स) विखण्डन

17. ऊर्जा का पिरामिड होता- [RPMT-2005, AMU (Med)-2010, AFMC-2010]
(अ) सीधा
(स) तिरछा
(ब) उल्टा
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) सीधा

18. प्रत्येक ट्रेफिक स्तर के जीव द्वारा ऊर्जा का कितना प्रतिशत उपभोग होता है- (BHU-2005, 2008, DUMET-2010)
(अ) 20%
(ब) 30%
(स) 90%
(द) 10%
उत्तर:
(द) 10%

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19. एक पारिस्थिनिकी तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत है- (CPMT-2002, RPMT-2005, Orissa-2010)
(अ) सर्यू
(ब) ATP
(स) पौधों द्वारा निर्मित शर्करा
(द) हरे पौधे
उत्तर:
(अ) सर्यू

20. इकोसिस्टम की प्राथमिक उत्पादकता की प्राय: सीमा क्या होती है? (Orissa JEE-2009)
(अ) सोलर विकिरण
(ब) ऑक्सीजन
(स) उपभोक्ता
(द) नाइट्रोजन
उत्तर:
(अ) सोलर विकिरण

21. सही खाद्य श्रृंखला को पहचानिए- (WB JEE-2009)
मृत जानवर → मैगट फ्लाइ का प्रवाह → सामान्य मेंढ़क → सांप
(अ) चरण खाद्य शृंखला
(ब) मृत खाद्य श्रृंखला
(स) अपघटन खाद्य शृंखला
(द) परभक्षी खाद्य श्रृंखला
उत्तर:
(ब) मृत खाद्य श्रृंखला

22. निम्न में से कौन मनुष्य निर्मित इकोसिस्टम है- (WB JEE-2009)
(अ) हरबेरियम
(ब) एक्यूरेयिम
(स) ऊतक संवर्धन
(द) वन
उत्तर:
(ब) एक्यूरेयिम

23. तालाब के पारितंत्र में कौनसा जीव एक से अधिक पोषक स्तर पर स्थान ग्रहण करता है- (CBSE AIPMT-2009)
(अ) पादपप्लवक
(ब) जन्तुप्लवक
(स) मछली
(द) मेंढक
उत्तर:
(स) मछली

24. निम्न में से कौन अपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण है- (WB JEE-2008)
(अ) घास मैदान
(ब) गुफा
(स) नदी
(द) वेट लैण्ड
उत्तर:
(ब) गुफा

25. लघु जीव क्या है? (J&K CET-2008)
(अ) प्रारम्भिक उपभोका
(ब) द्वितीयक उपभोक्ता
(स) तृतीयक उपभोक्ता
(द) अपघटक
उत्तर:
(द) अपघटक

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26. पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा है- (MP PMT-2006)
(अ) पौधे का वह समूह जो ऊर्जा आपूर्ति करता है
(ब) पौधों का वह समूह जो जनसंख्या बनाता है
(स) पारिस्थितिक अध्ययन की कार्यिकी इकाई है
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) पारिस्थितिक अध्ययन की कार्यिकी इकाई है

27. अपघटक होते हैं- (BHU-2006)
(अ) स्वपोषी
(ब) ऑर्गेनोट्रॉप्स
(स) स्वतः विषमपोषी
(द) विषमपोषी
उत्तर:
(द) विषमपोषी

28. पारितंत्र होता है- (MP PMT-2002; Orissa JEE-2005)
(अ) खुला
(ब) बंद
(स) दोनों खुला और बंद
(द) न ही खुला न बंद
उत्तर:
(अ) खुला

29. झील पारितंत्र में जैवभार का पिरैमिड होता है- (Bihar-2005)
(अ) सीधा
(ब) उल्टा
(स) कोई भी संभव है
(द) कोई भी सत्य नहीं है
उत्तर:
(ब) उल्टा

30. स्थाई पारितंत्र में पिरैमिड जो उल्टा नहीं हो सकता, वह पिरैमिड है- (HP PMT-2005; ORISSA JEE-2005)
(अ) संख्या का
(ब) ऊर्जा का
(स) जैव भार (Biomass) का
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) ऊर्जा का

31. यदि पारितंत्र को बनाये रखा जाये तो निम्न में से क्या परिरक्षित रह पायेगा- (Kerala PMT-2004)
(अ) उत्पादक तथा मांसाहारी
(ब) उत्पादक तथा अपघटक
(स) मांसाहारी तथा अपघटक
(द) शाकाहारी तथा मांसाहारी
उत्तर:
(ब) उत्पादक तथा अपघटक

32. शाकाहारी से मांसाहारी स्तर में ऊर्जा स्थानान्तरण में कितनी कमी आती है- (AIEEE-2004)
(अ) 5%
(ब) 10%
(स) 20%
(द) 30%
उत्तर:
(ब) 10%

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33. खाद्य शृंखला के समय सर्वाधिक ऊर्जा संचित होती है- (MHCET-2001; Pb. PMT-2004)
(अ) उत्पादक
(ब) अपघटक
(स) शाकाहारी
(द) मांसाहारी
उत्तर:
(अ) उत्पादक

34. ये प्राथमिक उपभोक्ता की श्रेणी से संबंधित होते हैं- (KCET-2004)
(अ) सर्प और मेंढक
(ब) जलीय कीट
(स) बाज और सर्प
(द) कीट और मवेशी
उत्तर:
(द) कीट और मवेशी

35. खाद्य श्रृंखला का प्रारम्भ होता है- (BVP-2002; MP PMT-2004)
(अ) नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवों से
(ब) प्रकाश-संश्लेषण से
(स) श्वसन से
(द) अपघटकों से
उत्तर:
(ब) प्रकाश-संश्लेषण से

36. खाद्य शृंखला में जीवित पदार्थों की कुल मात्रा को किसके द्वारा प्रदर्शित किया जाता है- (Pb. PMT-2004)
(अ) जैवभार के पिरैमिड
(ब) ऊर्जा का पिरैमिड
(स) संख्या का पिरैमिड
(द) पोषक स्तर
उत्तर:
(अ) जैवभार के पिरैमिड

37. निम्न में से किस पारितंत्र की सकल (Gross) प्राथमिक उत्पादकता उच्चतम है- (CBSE PMT-2004)
(अ) घास के मैदान
(ब) कोरल रीफ
(स) मैन्यूव
(द) वर्षा वन
उत्तर:
(ब) कोरल रीफ

38. पादप अनुक्रमण में अंतिम स्थिर समुदाय कहलाता है- (DPMT-2004)
(अ) क्रमक समुदाय
(ब) अग्रणी समुदाय
(स) इकोस्फीयर
(द) चरम समुदाय
उत्तर:
(द) चरम समुदाय

39. निम्नलिखित में से कौनसा सर्वाधिक स्थाई पारितंत्र है- (RPMT-2004)
(अ) वन का
(ब) पर्वतों का
(स) मरुस्थल का
(द) सागर का
उत्तर:
(द) सागर का

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40. निम्नलिखित में से किस पारितंत्र में उच्च सकल प्राथमिक उत्पादकता होती है- (DPMT-2003)
(अ) मैंग्रूव
(ब) वर्षा वन
(स) कोरल रीफ्स
(द) घास स्थल
उत्तर:
(ब) वर्षा वन

41. यदि अपघटनकर्ताओं को हटा दिया जाये तो पारिस्थितिक तंत्र का क्या होगा? (BHU-2003)
(अ) ऊर्जा का चक्रीकरण रुक जायेगा
(ब) खनिजों का चक्रीकरण रूक जायेगा
(स) उपभोक्ता सौर ऊर्जा को अवशोषित नहीं कर पायेंगे
(द) खनिजों के विखंडन की दर बढ़ जायेगी।
उत्तर:
(ब) खनिजों का चक्रीकरण रूक जायेगा

42. जैव संतुलन किसमें पाया जाता है- (MHCET-2003)
(अ) केवल उत्पादक
(ब) उपभोक्ता एवं उत्पादक
(स) अपघटक
(द) उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटक
उत्तर:
(द) उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटक

43. किसी पारितंत्र में प्रकाश ऊर्जा का कार्बनिक अणुओं की रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन की दर कहलाती है- (Kerala CET-2003)
(अ) नेट प्राथमिक उत्पाद्कता
(ब) सकल द्वितीयक उत्पादकता
(स) नेट द्वितीयक उत्पादकता
(द) सकल (Gross) प्राथमिक उत्पादकता
उत्तर:
(द) सकल (Gross) प्राथमिक उत्पादकता

44. खाद्य शृंखला में सम्मिलित है- (MP PMT-2000, 03)
(अ) उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटनकर्त्ता
(ब) उत्पादक, मांसाहारी एवं अपघटनकर्त्ता
(स) उत्पादक एवं प्राथमिक उपभोक्ता
(द) उत्पादक, शाकाहारी एवं मांसाहारी
उत्तर:
(अ) उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटनकर्त्ता

45. खाद्य भृंखला में शेर है एक- (MHCET-2003)
(अ) द्वितीयक उपभोक्ता
(ब) प्राथमिक उपभोक्ता
(स) तृतीयक उपभोक्ता
(द) द्वितीयक उत्पादक
उत्तर:
(स) तृतीयक उपभोक्ता

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 14 पारितंत्र

46. पारितंत्र में होते है- (PB PMT-2003)
(अ) उत्पादक
(ब) उपभोक्ता
(स) अपघटक
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

47. फॉस्फोरस चक्र में अपक्षरण द्वारा उत्पन्न फॉस्फेट सर्वप्रथम उपलब्ध होती है- (AMU-2002)
(अ) उत्पादकों को
(ब) अपघटकों को
(स) उपभोक्ताओं को
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) उत्पादकों को

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HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. एक अज्ञात गैस तथा ऑक्सीजन गैस की विसरण गतियों का अनुपात 8: 10 है। अज्ञात गैस का अणुभार है-
(1) 64
(2) 25
(3) 32
(4) 50
उत्तर:
(4) 50

2. अणुओं की न्यूनतम संख्या निम्न में से किसमें होगी-
(1) 0.1 मोल SO2 में
(2) 11 लीटर SO2 में
(3) 22 ग्राम CO2 में
(4) 22.4 × 103 मिली SO2 में।
उत्तर:
(1) 0.1 मोल SO2 में

3. निम्नलिखित गैस में किसकी विसरण गति अधिकतम होगी?
(1) O2
(2) CO2
(3) NH3
(4) N2
उत्तर:
(3) NH3

4. 27°C पर एक गैस का दाब 90 सेमी है। स्थिर आयतन व – 173°C ताप पर गैस का दाब होगा-
(1) 30 सेमी
(2) 40 सेमी
(3) 60 सेमी
(4) 68 सेमी।
उत्तर:
(1) 30 सेमी

5. गैस A, गैस B से चार गुना भारी है। A तथा B के विसरण की दरों का अनुपात होगा-
(1) 4:1
(2) 1:4
(3) 2:1
(4) 1:2
उत्तर:
(4) 1:2

6. अणुओं की अधिकतम संख्या होगी-
(1) 16 g O2 में
(2) 16 g NO2 में
(3) 7 g N2 में
(4) 2 g H2 में।
उत्तर:
(4) 2 g H2 में।

7. 27°C पर 2 मोल N2 की गतिज ऊर्जा होगी—
(1) 5491.6 J
(2) 6491.6 J
(3) 7491°6 J
(4) 8882·4 J.
उत्तर:
(3) 7491°6 J

8. वान्डर वाल वास्तविक गैस आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है, किस शर्त पर –
(1) उच्च ताप, निम्न दाब पर
(2) निम्न ताप, उच्च दाब पर
(3) उच्च ताप, उच्च दाब पर
(4) निम्न ताप, निम्न दाब पर
उत्तर:
(1) उच्च ताप, निम्न दाब पर

9. CO2 के 1 मोल में निम्न में से क्या उपस्थित होता है-
(1) 6.02 x 1023 कार्बन परमाणु
(2) 6.02 x 1023 ऑक्सीजन परमाणु
(3) 18.1 × 1023 कार्बन डाई ऑक्साइड अणु
(4) कार्बन डाई ऑक्साइड के 5 ग्राम परमाणु।
उत्तर:
(1) 6.02 x 1023 कार्बन परमाणु

10. 0°C पर 1 लीटर के बल्ब में भरे 4 ग्राम O2 तथा 2 ग्राम H2 के मिश्रण का दाब है-
(1) 25.215 atm
(2) 31.205 atm
(3) 45.215 atm
(4) 15.210 atm.
उत्तर:
(1) 25.215 atm

11. गैस स्थिरांक ‘R’ निर्भर करता है-
(1) गैस के ताप पर
(2) गैस के आयतन पर
(3) गैस के मोलों की संख्या पर
(4) इनमें से किसी पर नहीं।
उत्तर:
(4) इनमें से किसी पर नहीं।

12. यदि गैस ‘A’ के विसरण की दर ‘B’ अपेक्षा पाँच गुंनी है तो A और B के घनत्व का अनुपात होगा-
(1) 1/25
(2) 1/5
(3) 25
(4) 5
उत्तर:
(1) 1/25

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

13. आदर्श गैस का सम्पीड्यता गुणांक होता है-
(1) 0
(2) 1
(3) 2
(4) 4.
उत्तर:
(2) 1

14. समान ताप और दाब पर निम्न गैसों में से किसकी सबसे अधिक प्रति मोल गतिज ऊर्जा होगी-
(1) H2
(2) O2
(3) CH4
(4) सबकी समान।
उत्तर:
(4) सबकी समान।

15. 300 K पर H2 की गतिज ऊर्जा X है। इस ताप पर D2 की गतिज ऊर्जा होगी-
(1) X
(2) X/2
(3) 2X
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(1) X

16. गैसें आदर्श गैस व्यवहार से विचलित होती है क्योंकि उनके अण-‘
(1) नगण्य आयतन के होते हैं।
(2) उनमें आकर्षण बल होता हैं
(3) वे बहु- अणुक होते हैं
(4) एक-दूसरे से जुड़े नहीं होते।
उत्तर:
(2) उनमें आकर्षण बल होता हैं

17. निश्चित आयतन पर गैसों के निश्चित मोलों की संख्या के लिये, ताप में वृद्धि के साथ गैस के दाब में वृद्धि का कारण है-
(1) अणुओं के औसत वेग में वृद्धि
(2) मोलों की संख्या में वृद्धि
(3) अणुओं के आकर्षण में वृद्धि
(4) औसत मुक्त पक्ष में कमी।
उत्तर:
(1) अणुओं के औसत वेग में वृद्धि

18. निम्न में से गैस समीकरण है-
(1) \(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}=\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_2}\)
(2) \(\frac{\mathrm{V}_1 \mathrm{~T}_2}{\mathrm{P}_1}=\frac{\mathrm{V}_2 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{P}_2}\)
(3) \(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{~V}_1}=\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~T}_2}{\mathrm{~V}_2}\)
(4) \(\frac{\mathrm{V}_1 \mathrm{~T}_2}{\mathrm{~T}_1 \mathrm{~V}_2}=\mathrm{P}_1 \mathrm{P}_2\)
उत्तर:
(1) \(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}=\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_2}\)

19. एक गैस आदर्श व्यवहार की तरफ बढ़ती है-
(1) कम T एवं उच्च P पर
(2) उच्च T एवं कम P पर
(3) कम T एवं कम P पर
(4) उच्च T एवं उच्च P पर।
उत्तर:
(2) उच्च T एवं कम P पर

20. 5 लीटर के एक बंद फ्लास्क में 10 ग्राम हाइड्रोजन को 300 से 600K तक गर्म किया जाता है, कौन सा कथन सत्य है-
(1) टक्करों की दर बढ़ती है
(2) गैसीय अणुओं की ऊर्जा बढती है
(3) गैसों के मोलों की संख्या बढ़ती है।
(4) गैस का दाब बढ़ता है।
उत्तर:
(3) गैसों के मोलों की संख्या बढ़ती है।

21. स्थिर आयतन पर एक गैस के निश्चित मोलों की संख्या के लिये गैस का दाब, ताप वृद्धि के साथ बढ़ता है। इसका कारण है-
(1) औसत आण्विक गति में वृद्धि
(2) अणुओं के टक्करों की दर में वृद्धि
(3) आण्विक आकर्षण में वृद्धि
(4) माध्य मुक्त पथ में वृद्धि।
उत्तर:
(1) औसत आण्विक गति में वृद्धि

22. निम्न में से कौन सा कथन आदर्श गैस के सन्दर्भ में सत्यं नहीं है-
(1) यह द्रव में परिवर्तित नहीं की जा सकती है
(2) गैस के सभी अणु समान गति से चलते है
(3) अणुओं के बीच कोई पारस्परिक क्रिया नहीं होती है
(4) दिये गये ताप पर PV, गैस की मात्रा के समानुपाती होता है।
उत्तर:
(2) गैस के सभी अणु समान गति से चलते है

23. यदि P, V, M, T तथा R क्रमशः दाब, आयतन, मोलर द्रव्यमान, ताप तथा गैस स्थिरांक हैं तो एक आदर्श गैस का घनत्व होगा-
(1) \(\frac { RT }{ PM }\)
(2) \(\frac { P }{ RT }\)
(3) \(\frac { PM }{ RT }\)
(4) \(\frac { M }{ V }\)
उत्तर:
(3) \(\frac { PM }{ RT }\)

24. निम्न में से कौन सा सूत्र स्थिर दाब पर चार्ल्स के नियम का पालन करता है-
(1) V ∝ \(\frac { 1 }{ T }\)
(2) V ∝ \(\frac { 1 }{ T² }\)
(3) V ∝ T
(4) V = d
उत्तर:
(3) V ∝ T

25. स्थिर ताप पर आदर्श गैस के निश्चित द्रव्यमान में-
(1) दाब व आयतन का गुणनफल सदैव स्थिर रहता है
(2) दाब व आयतन का अनुपात सदैव स्थिर रहता है
(3) आयतन सदैव स्थिर रहता है
(4) दाब सदैव स्थिर रहता है।
उत्तर:
(1) दाब व आयतन का गुणनफल सदैव स्थिर रहता है

26. एक आदर्श गैस के एक मोल की आन्तरिक ऊर्जा है-
(1) \(\frac { 3 }{ 2 }\) RT
(2) \(\frac { 3 }{ 2 }\)
(3) \(\frac { 1 }{ 2 }\) RT
(4) \(\frac { 1 }{ 2 }\) KT
उत्तर:
(1) \(\frac { 3 }{ 2 }\) RT

27. निम्न में से कौन-सा गैस मिश्रण डाल्टन के आशिंक दाब नियम का पालन नहीं करता है-
(1) HCl तथा NH3
(2) N2 तथा O2
(3) O2 तथा CO2
(4) CO2 तथा He.
उत्तर:
(1) HCl तथा NH3

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

28. स्थिर ताप पर गैस को प्रसारित करने पर –
(1) दाब घटता है
(2) अणु की गतिज ऊर्जा स्थिर रहती है
(3) अणु की गतिज ऊर्जा घटती है
(4) गैस के अणुओं की संख्या बढ़ती है।
उत्तर:
(1) दाब घटता है

29. गैस स्थिरांक R तथा बोल्ट्जमैन स्थिरांक K में क्या सम्बन्ध है- यदि (NA = आवोगाद्रो संख्या)
(1) R = KNA
(2) RK = NA
(3) R + K = NA
(4) K = RNA
उत्तर:
(1) R = KNA

30. किस ताप को परम शून्य ताप कहते हैं।
(1 ) – 273°C
(2) – 273.15°C
(3) 0°C
(4) 1/273°C.
उत्तर:
(2) – 273.15°C

31. जल का क्वथनांक अपेक्षाकृत अधिक होता है। इसका कारण है-
(1) जल का आयनिक होना
(2) जल का सह-संयोजक होना
(3) जल में हाइड्रोजन बन्ध की उपस्थिति
(4) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(3) जल में हाइड्रोजन बन्ध की उपस्थिति

32. अणुओं के मध्य सबसे अधिक आकर्षण बल पाया जाता है-
(1) ठोस अवस्था में
(2) द्रव अवस्था में
(3) गैस अवस्था में
(4) कोलॉइडी अवस्था में।
उत्तर:
(1) ठोस अवस्था में

33. अणुओं के मध्य सर्वाधिक दूरी पायी जाती है-
(1) ठोस अवस्था में
(2) द्रव अवस्था में
(3) गैस अवस्था में
(4) कोलॉइडी अवस्था में।
उत्तर:
(3) गैस अवस्था में

34. यदि स्थिर ताप पर किसी गैस का आयतन बढ़ जाये तो यह क्या दर्शाती है-
(1) अणुओं की गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता
(2) गैस के अणुओं की संख्या बढ़ जाती है।
(3) अणुओं की गतिज ऊर्जा में कमी आ जाती है
(4) गैस का दाब बढ़ जाता है।
उत्तर:
(1) अणुओं की गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता

35. निम्न में से किसका पृष्ठ तनाव सर्वाधिक है-
(1) ऐथेनॉल
(2) मेथेनॉल
(3) जल
(4) बेन्जीन।
उत्तर:
(3) जल

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दाब का मात्रक क्या है?
उत्तर:
पास्कल (Pa)

प्रश्न 2.
वायुमण्डलीय दाब पास्कल में व्यक्त दाब से किस प्रकार सम्बन्धित है।
उत्तर:
1 atm = 1.013 x 105 Pa

प्रश्न 3.
ताप का केल्विन पैमाना सेल्सियस पैमाने से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
K = t° C + 273

प्रश्न 4.
किसी गैस का परमशून्य ताप क्यों प्राप्त नहीं किया जा सकता है?
उत्तर:
इस ताप पर आने से पहले ही गैस द्रवीत हो जाती है।

प्रश्न 5.
R का मान क्या हैं?
उत्तर:
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1

प्रश्न 6.
वायु दाब क्या है? इसकी SI इकाई लिखें।
उत्तर:
बर्तन के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर गैस अणुओं द्वारा उत्पन्न बल वायु दाब – कहलाता है। इसकी SI इकाई पास्कल (Pa) है।

प्रश्न 7.
SI इकाई में गैस स्थिरांक R का मान बताइये।
उत्तर:
8.314 J K-1 mol-1

प्रश्न 8.
संपीड्यता गुणांक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
Z = \(\frac { PV }{ RT }\)

प्रश्न 9.
वान डर वाल्स समीकरण लिखिये।
उत्तर:
\(\left[\mathrm{P}+\frac{a}{\mathrm{~V}_2}\right]\) (V – b) = 1 मोल के लिए
a तथा b वाण्डर वाल्स स्थिरांक हैं।

प्रश्न 10.
गैस मिश्रण के आंशिक दाब का गैस मिश्रण के कुल दाब से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
P (कुल दाब) = P + P2 + P3 + ……..
इसका आंशिक दाब P1 = मोल अंश x कुल दाब।

प्रश्न 11.
वान डर वाल्स स्थिरांक तथा 6 का क्या महत्व है?
उत्तर:
स्थिरांक a की प्रबलता अन्तर- अणुक आकर्षण को बताती है। जबकि स्थिरांक 6 की प्रबलता गैस के अणुओं का आकार बताती है।

प्रश्न 12.
ऊँचाई के साथ (वायुमण्डल में) गुब्बारे का आकार क्यों बढ़ता है?
उत्तर:
ऊँचाई के बढ़ने पर वायुमण्डलीय दाब कम हो जाता है। अतः गुब्बारे की भीतरी वायु के आयतन प्रसार के कारण उसका आकार बढ़ जाता है।

प्रश्न 13.
कमरे के ताप पर He और हाइड्रोजन द्रवित नहीं होतीं, क्यों?
उत्तर:
इन गैसों का क्रान्तिक ताप कमरे के ताप से कम होता है।

प्रश्न 14.
क्रान्तिक ताप क्या है?
उत्तर:
वह ताप जिससे अधिक ताप पर कोई गैस द्रवित नहीं हो सकती दाब कितना भी अधिक हो, क्रान्तिक ताप कहलाता है।

प्रश्न 15.
क्रान्तिक दाब से क्या समझते हो?
उत्तर:
किसी गैस को उसके क्रान्तिक ताप पर द्रवित करने के लिये आवश्यक न्यूनतम दाब उस गैस का क्रान्तिक दाब कहलाता है।

प्रश्न 16.
क्रान्तिक आयतन से क्या समझते हो?
उत्तर:
क्रान्तिक दाब व क्रान्तिक ताप पर किसी गैस के 1 मोल का आयतन उस गैस का क्रान्तिक आयतन (V) कहलाता है।

प्रश्न 17.
श्यानता क्या है?
उत्तर:
द्रवों में होने वाले प्रवाह के विरूद्ध कार्यरत आवश्यक आन्तरिक प्रतिरोध द्रव की श्यानता कहलाती है।

प्रश्न 18.
जलीय तनाव क्या होता है?
उत्तर:
जल क्रिया न करने वाली गैसें (H2, O2, CH4) को जल के ऊपर संग्रहीत करने पर जार में वाष्प दाब भी उपस्थित रहता है। अतः हम शुष्क गैस का दाब ज्ञात नहीं करते हैं। बल्कि नम गैस का वाष्प दाब ज्ञात करते हैं। इस प्रकार जल वाष्प द्वारा लगाया गया दाब जलीय तनाव (aquous tension) कहलाता है।

प्रश्न 19.
आवोगाद्रो संख्या क्या है?
उत्तर:
समान ताप व दाब पर गैसों के समान आयतनों में उनके अणुओं की संख्या समान होती है। इसे NA से व्यक्त करते हैं। इसका मान 6.023 x 1023 होता है।

प्रश्न 20.
वास्तविक गैस का व्यवहार आदर्श गैस के समान कब होता है।
उत्तर:
कम वायु मण्डलीय दाब व उच्च तापमान पर।

प्रश्न 21.
त्रिक बिन्दु से क्या समझते हो?
उत्तर:
वह ताप जिस पर ठोस, द्रव तथा गैस एक साथ पाये जाते हैं, त्रिक बिन्दु कहलाता है।

प्रश्न 22.
किसी द्रव्य के गलनांक पर दाब का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
दाब बढ़ाने पर गलनांक बढ़ता है।

प्रश्न 23.
किस शर्त पर कोई गैस आदर्श व्यवहार में विचलन दर्शाती है?
उत्तर:
आदर्श गैस के व्यवहार विचलन कम ताप व उच्च दाब पर होता है।

प्रश्न 24.
H2 तथा He का द्रवीकरण बहुत जटिल है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि इनका क्रान्तिक ताप बहुत कम होता है।

प्रश्न 25.
ताप का कैल्विन पैमाना क्या होता है?
उत्तर:
T(K) = (t°C) + 273

प्रश्न 26.
आदर्श गैस के लिये संपीडक गुणांक कितना होता है?
उत्तर:
Z = \(\frac { PV }{ RT }\)
आदर्श गैस के लिये PV= RT अत: Z = 1

प्रश्न 27.
किस परिस्थिति में वास्तविक गैसें से आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती हैं।
उत्तर:
कम दाब व उच्च ताप पर।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 28.
NH3, O2, CO2 तथा SO2 में किसकी विसरण दर अधिकतम होगी?
उत्तर:
NH3 की, क्योंकि इसका अणुभार सबसे कम है।

प्रश्न 29.
CO2 तथा N2O की विसरण गतियों में क्या अनुपात है?
उत्तर:
दोनों की विसरण गति समान होगी, क्योंकि दोनों का अणुभार समान है।

प्रश्न 30.
SO2, NH3, H2O तथा CO2 को द्रवीकरण की आसानी के घटते क्रम में लिखो?
उत्तर:
SO2 > NH3 > H2O > CO2

प्रश्न 31.
समताप रेखाएँ क्या हैं?
उत्तर:
स्थिर ताप पर P तथा V के बीच खींची गयी रेखायें।

प्रश्न 32.
मोलर आयतन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी ताप तथा दाब पर एक मोल गैस का आयतन मोलर आयतन कहलाता है। S. T.P पर इसका मान 22.4 लीटर होता है।

प्रश्न 33.
परम ताप पर गैसों का आयतन शून्य नहीं होता है, क्यों?
उत्तर:
परम ताप आने से पूर्व ही प्रत्येक गैस द्रवित हो जाती है। अत: गैसों के लिये PV = RT समीकरण परम ताप पर लागू नहीं होती है। इसके मान से कम होता है, क्यों?

प्रश्न 34.
अधिक दाब पर PV/RT का मान आदर्श गैसों के लिये
उत्तर:
क्षीण अन्तराणुक बलों के कारण।

प्रश्न 35.
CO तथा N2 की विसरण की दर समान होती है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि दोनों के अणुभार समान हैं।

प्रश्न 36.
ऑक्सीजन अणुओं के मध्य लगने वाले वाण्डर वाल्स बल को कौन-सा वान डर वाल्स बल कहेंगे?
उत्तर:
ऑक्सीजन अणु अध्रुवीय है, अतः इनके मध्य लगने वाले बल प्रकीर्णन बल अथवा लंडन बल कहलाते हैं।

प्रश्न 37.
दो स्थायी द्विध्रुव रखने वाले अणुओं के मध्य आकर्षण बलों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
स्थायी द्विध्रुव रखने वाले अणुओं के मध्य आकर्षण बलों को द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण बल कहते हैं।

प्रश्न 38.
Cl2, Br2 तथा I2 अणुओं के मध्य लगने वाले वान डर वाल्स बलों का घटता क्रम है।
उत्तर:
जिन अणुओं का अणुभार ज्यादा होता है उन पर लगने वाले वान्डर वाल्स बलों का मान भी अधिक होता है अतः बलों का घटता क्रम है।
I2 > Br2 > Cl2.

प्रश्न 39.
Ne, Ar तथा Kr में किसका क्वथनांक सबसे कम होगा एवं क्यों?
उत्तर:
इन तीनों में Ne का क्वथनांक सबसे कम होगा क्योंकि इसका अणुभार सबसे कम है जिस कारण इस पर लगने वाले वान डर वाल्स बल के मान भी कम होंगे अतः क्वथनांक भी सबसे कम होगा।

प्रश्न 40.
दो शून्य द्विध्रुव रखने वाले अणुओं के मध्य आकर्षण बल कौन सा होगा?
उत्तर:
शून्य द्विध्रुव आघूर्ण रखने वाले अणुओं के मध्य लगने वाला आकर्षण बल लंडन बल या प्रकीर्णन बल कहलाता है।

प्रश्न 41.
वान डर वाल्स बलों में उत्पन्न ऊर्जा अणुओं के मध्य दूरी से किस प्रकार सम्बंधित है?
उत्तर:
माना कि ऊर्जा ‘E’ तथा अणुओं के मध्य दूरी यदि ‘r’ है तो E ∝ \(\frac{1}{r^6}\)

प्रश्न 42.
बॉयल नियम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
बॉयल का नियम स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का दाब उसके आयतन के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
Ρ α \(\frac { 1 }{ V }\) (स्थिर T व n पर)

प्रश्न 43.
आयोगाद्रो संख्या क्या है? इसका मान लिखिए।
उत्तर:
किसी पदार्थ के एक मोल में उपस्थित पदार्थ के कणों की संख्या को आवोगाद्रो संख्या कहते हैं।
NA = 6.02 × 1023

प्रश्न 44.
आदर्श गैस समीकरण लिखें।
उत्तर:
PV = nRT

प्रश्न 45.
गैसों का अणु गति समीकरण लिखिए।
उत्तर:
गैसों का अण गति समीकरण
PV = \(\frac { 1 }{ 3 }\)mN\(\bar{u}\)²
यहाँ P = गैस का दाब
V= गैस का आयतन
m = गैस के अणु का द्रव्यमान
N = गैस के अणुओं की संख्या
\(\bar{u}\) = वर्ग माध्य मूल वेग।

प्रश्न 46.
वान्डर वाल्स समीकरण जो कि वास्तविक गैसों के लिये है, लिखें।
उत्तर:
\(\left(\mathrm{P}+\frac{a n^2}{\mathrm{~V}^2}\right)\) (V – nb) = nRT

प्रश्न 47.
वान डर वाल्स नियतांक ‘a’ तथा ‘b’ पर टिप्पणी दीजिए।
उत्तर:
‘a’ का मान गैस के अणुओं में अन्तराणुक आकर्षण का परिमाण है। ‘b’ का मान अपवर्जित आयतन को प्रदर्शित करता है जो कि गैस अणुओं के वास्तविक आयतन का चार गुना होता है।

प्रश्न 48.
गैसों के द्रवण में क्रान्तिक ताप का क्या महत्व है, समझाइये?
उत्तर:
वह ताप जिस पर या जिसके नीचे ताप पर किसी गैस को केवल दाब लगा कर द्रवित किया जा सकता हो, उसे गैस का क्रान्तिक ताप कहते हैं।
उदाहरण – CO2 का क्रान्तिक ताप 31°C है।

प्रश्न 49.
वाहनों के पहियों में गर्मियों में हवा का दबाव कम रख जाता है। क्यों?
उत्तर”
क्योंकि ताप अधिक होने पर गैस का दाब भी बढ़ जाता है।

प्रश्न 50.
जूल थॉमसन प्रभाव में आदर्श गैसों के ताप में कोई परिवर्तन नहीं होता, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि आदर्श गैस के अणुओं के मध्य कोई भी आकर्षण बल नहीं होता है। इस कारण जूल थॉमसन प्रभाव में आदर्श गैसों के ताप में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 51.
क्या सभी गैसीय अणुओं की चाल समान होती है?
उत्तर:
नहीं, अणुओं की चाल अणुओं के अणुभार पर निर्भर करती है।

प्रश्न 52.
‘R’ का मान J K-1 mol-1 में क्या होता है?
उत्तर:
‘R’ का मान 8.314 J K-1 mol-1 होता है।

प्रश्न 53.
आण्विक टक्करों की प्रकृति क्या होती है?
उत्तर:
आण्विक टक्करों की प्रकृति पूर्णतः प्रत्यास्थ होती है।

प्रश्न 54.
द्रव के पृष्ठ तनाव पर ताप का प्रभाव बताइये?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है।

प्रश्न 55.
द्रव के क्वथनांक पर दाब का प्रभाव बताइये?
उत्तर:
दाब बढ़ाने पर द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है।

प्रश्न 56.
द्रव की श्यानता पर ताप का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर द्रव की श्यानता घट जाती है।

प्रश्न 57.
R का मान cm³ bar K-1 mol-1 में बताएँ।
उत्तर:
R = 82.1 cm³ bar K-1 mol-1 होता है।

प्रश्न 58.
वास्तविक गैस क्या होती है?
उत्तर:
वे गैसें जो ताप एवं दाब की सभी परिस्थितियों में आदर्श गैस के व्यवहार को नहीं दर्शाती हैं, वास्तविक गैसें कहलाती हैं।

प्रश्न 59.
क्वथनांक को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
वह ताप जिस पर द्रव की सतह का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है। क्वथनांक कहलाता है।

प्रश्न 60.
विभिन्न तापों पर आदर्श गैसों के P व V का गुणनफल समान होता है या नहीं।
उत्तर:
भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 61.
बॉयल ताप को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वह ताप, जिस पर कोई वास्तविक गैस दाब की अधिकतम परास में आदर्श गैस के समान व्यवहार करती है, बॉयल ताप कहलाता है।

प्रश्न 62.
क्या क्वथन वाष्पीकरण के समान है?
उत्तर:
नहीं, क्वथन व वाष्पीकरण समान नहीं होते हैं।

प्रश्न 63.
किस प्रकार के गैसीय मिश्रण के लिये डाल्टन का नियम उपयुक्त होता है?
उत्तर
अक्रियाशील गैसीय मिश्रण के लिए डाल्टन का नियम उपयुक्त होता है।

प्रश्न 64.
किन परिस्थितियों में बॉयल का नियम लागू होता है।
उत्तर:
गैस का ताप निश्चित होने पर बॉयल का नियम लागू होता है।

प्रश्न 65.
क्या CO एवं O2, के मिश्रण पर डाल्टन का आंशिक दाब नियम लगा सकते हैं?
उत्तर:
नहीं यह नियम उन गैसों पर लागू नहीं होता है जो आपस में क्रिया कर लेती हैं। CO तथा O2 क्रिया करके CO2 बनाती हैं।

प्रश्न 66.
CO2, ऑक्सीजन व नाइट्रोजन दोनों से भारी होती है फिर भी यह वायुमण्डल की निचली परत में नहीं होती है, क्यों?
उत्तर:
गैसों का विसरण पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल से स्वतन्त्र होता है। CO2 के अणु पूरे वायुमण्डल में फैले हुए होते हैं। अत: CO2 की निचली परत नहीं बना पाते हैं।

प्रश्न 67.
यदि आण्विक टक्करें प्रत्यास्थ नहीं होती तो गैस की आण्विक गति पर क्या प्रभाव पड़ता?
उत्तर:
यदि गैस के अणुओं के मध्य टक्करें अप्रत्यास्थ होती तो प्रत्येक टक्कर के दौरान अणुओं की गतिज ऊर्जा में कमी आ जाती तथा बार-बार टक्करों से गतिज ऊर्जा लगातार कम होती रहती और अन्त में अणुगति रुक जाती।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 68.
गर्म चाय या कॉफी को प्लेट में डालकर पिया जाता है, क्यों?
उत्तर:
वाष्पीकरण से ठंडक प्राप्त होती है। किसी भी द्रव का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। चूँकि ‘प्लेट का क्षेत्रफल अधिक होता है अतः चाय या कॉफी का वाष्पीकरण भी तेजी से होगा और चाय या कॉफी जल्द ठण्डी हो जायेगी।

प्रश्न 69.
द्रव की बूँद गोल आकार की क्यों होती है?
उत्तर:
द्रव की प्रकृति न्यूनतम पृष्ठ क्षेत्रफल रखने की प्रवृत्ति होती है। चूँकि दिये हुए आयतन के लिये गोल बूँद का पृष्ठ क्षेत्रफल निम्नतम होता है अतः द्रव की बूँद गोल आकार की होती है।

प्रश्न 70.
ग्लिसरीन तथा जल में कौन अधिक श्यान है?
उत्तर:
ग्लिसरीन व जल में ग्लिसरीन अधिक श्यान है क्योंकि इसके अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबंधों की संख्या, जल के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबन्धों की संख्या से काफी अधिक है।

प्रश्न 71.
H2, N2, O2, F2, He, Ne आदि गैसों को विसरण गति के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
F2 < O2 < N2 < Ne < He <H2 (विसरण गति का बढ़ता क्रम)

प्रश्न 72.
ताप का केल्विन पैमाना सेल्सियस पैमाने की अपेक्षा अधिक बेहतर क्यों होता है?
उत्तर:
ताप का केल्विन पैमाना सेल्सियस पैमाने की अपेक्षा अधिक बेहतर है क्योंकि केल्विन पैमाने पर कोई भी ऋणात्मक ताप नहीं होता है।

प्रश्न 73.
मोल संख्या से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
गैस के मोलों की संख्या
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 1

प्रश्न 74.
NH3 तथा N2 में से किसमें ‘a’ का मान अधिक होगा एवं किसमें ‘b’ का मान अधिक होगा?
उत्तर:
(1) NH3 में ‘a’ का मान अधिक होगा क्योंकि NH3 अणुओं में अन्योन्य क्रिया इनकी ध्रुवीय प्रकृति और अणुओं में उपस्थित अन्तरा – आण्विक हाइड्रोजन बन्ध के कारण अधिक उच्च होगी।

(2) N2 में ‘b’ का मान अधिक होगा क्योंकि N2 अणुओं का आकार NH3 अणुओं की अपेक्षा अधिक होता है।

प्रश्न 75.
सामान्य ताप तथा दाब की दशाओं में आदर्श गैस का मोलर आयतन क्या होगा?
उत्तर:
सामान्य ताप तथा दाब की दशाओं में आदर्श गैस का मोलर आयतन 22.4 dm³ होता है।

प्रश्न 76.
क्या किसी गैस को परम शून्य ताप तक ठण्डा करना सम्भव है?
उत्तर:
किसी भी गैस को परम शून्य ताप तक ठण्डा करना असम्भव है। क्योंकि इस ताप को प्राप्त करने से पहले ही गैस द्रव में बदल जायेगी।

प्रश्न 77.
निम्न युग्मों में से उच्च वाष्प दाब वाला द्रव कौन सा है?
(1) ऐल्कोहॉल तथा ग्लिसरीन
(2) पेट्रोल तथा कैरोसीन
(3) पारा, जल
(4) जल, शहद
(5) ईथर, ऐल्कोहॉल
उत्तर:
द्रव का वाष्प दाब अणुओं के मध्य अन्तरा आण्विक आकर्षण बल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अतः उच्च वाष्प दाब वाला पदार्थ है-
(1) ऐल्कोहॉल
(2) पेट्रोल
(3) जल
(4) जल
(5) ईथर।

प्रश्न 78.
किस परिस्थिती में वास्तविक गैस आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है?
उत्तर:
उच्च ताप व कम दाब पर वास्तविक गैस आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है।

प्रश्न 79.
बर्फ, जल तथा भाप के भौतिक गुणों में बहुत अधिक भिन्नता होती है। इन तीनों अवस्थाओं में जल का रासायनिक संघटन क्या है?
उत्तर:
जल का रासायनिक संघटन सभी में समान होगा अर्थात् H2O होगा।

प्रश्न 80.
द्रव्य की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं को विभिन्न भौतिक नियमों द्वारा समझा जा सकता है। आपके अनुसार, द्रव्य की अवस्थाओं को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं।
उत्तर:
दाब, ताप, द्रव्यमान तथा आयतन।

प्रश्न 81.
नाइट्रोजन तथा आर्गन का मोलर आयतन 273.15K तथा 1 atm दाब पर क्या होगा?
उत्तर:
22.4 L

प्रश्न 82.
दो भिन्न-भिन्न गैसें A तथा B को समान धारिता वाले दो भिन्न पात्रों में समान ताप तथा दाब पर भरा गया है। दाब को थोड़ा सा अधिक बढ़ाने पर गैस ‘A’ का द्रवीकरण हो जाता है परन्तु गैस B उच्च दाब लगाने पर भी द्रवित नहीं होती है। परन्तु यह ठंडी हो जाती है। इस प्रक्रम को समझायें
उत्तर:
गैस ‘A’ अपने क्रान्तिक ताप पर या उससे कम ताप पर है। परन्तु गैस ‘B’ अपने क्रान्तिक ताप से अधिक ताप पर उपस्थित है।

प्रश्न 83.
गैसों के अणु गतिक सिद्धान्त में एक तथ्य यह है कि गैसों के अणुओं के मध्य कोई भी आकर्षण बल नहीं होता है। यह तथ्य कहाँ तक सही है। क्या इस तथ्य के अनुसार आदर्श गैस का द्रवीकरण सम्भव है।
उत्तर:
यदि गैसों के अणुओं के मध्य कोई भी आकर्षण बल नहीं है तो आदर्श गैस का द्रवीकरण किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है।

प्रश्न 84.
निम्न को उनके पृष्ठ तनाव के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें ।
जल, एल्कोहॉल, हेक्सेन
उत्तर:
हेक्सेन < एल्कोहॉल < जल

प्रश्न 85.
जलीय तनाव तथा सूखी गैस के दाब में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
Pसूखी गैस = Pकुल – जलीय तनाव

प्रश्न 86.
उस ऊर्जा का नाम लिखें जो पदार्थ के अणु या परमाणुओं की गति के कारण उत्पन्न होती है? इस ऊर्जा पर ताप बढ़ाने पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ऊष्मीय ऊर्जा, ताप बढ़ाने पर ऊष्मीय ऊर्जा बढ़ जाती है।

प्रश्न 87.
उन दो अन्तराआण्विक बलों के नाम लिखें जो कि HF की द्रव अवस्था में अणुओं के मध्य उत्पन्न होते हैं।
उत्तर:

  1. द्विध्रुव – द्विध्रुव अन्योन्य क्रिया
  2. हाइड्रोजन आबन्ध।

प्रश्न 88.
किसी गैस का संपीड्यता गुणांक ‘Z’ = \(\frac { PV }{ nRT }\) होता है,
(i) आदर्श गैस के लिये Z का मान क्या होगा।
(ii) बॉयल ताप से ऊपर का मान वास्तविक गैस के लिये क्या है?
उत्तर:
(i) Z = 1 (आदर्श गैस के लिये)
(ii) बॉयल ताप से ऊपर Z > 1 (वास्तविक गैस के लिये)

प्रश्न 89.
CO2 का क्रान्तिक ताप व क्रान्तिक दाब क्रमशः 30.98°C तथा 73 atm है। क्या 32°C ताप तथा 80 atm दाब पर CO2 गैस का द्रवीकरण सम्भव है।
उत्तर:
32°C ताप पर CO2 गैस का द्रवीकरण सम्भव नहीं है चाहे दाब 80 atm की क्यों न हो क्योंकि यह ताप क्रान्तिक ताप से बड़ा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृष्ठ तनाव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव (Surface tension) – “किसी द्रव की सतह पर एकांक लम्बाई में लगने वाला लम्बवत् बल पृष्ठ तनाव कहलाता है,” इसे ग्रीक अक्षर (γ) गामा से प्रदर्शित करते हैं।
S. I. पद्धति में पृष्ठ तनाव की इकाई न्यूटन प्रति मीटर (Nm-1) है।

प्रश्न 2.
श्यानता गुणांक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्यानता गुणांक (Viscosity coefficient) – किसी द्रव का श्यानता गुणांक उसके प्रवाह के बीच उत्पन्न होने वाले अवरोध को कहते हैं।
यदि परतों का क्षेत्रफल A तथा वेग प्रवणता \(\frac { dV }{ dx }\), तो घर्षण बल F. ∝ A. \(\frac { dV }{ dx }\),
F = ηA. \(\frac { dV }{ dx }\),
η = समानुपातिक स्थिरांक है जिसे श्यानता गुणांक कहते हैं।

प्रश्न 3.
अक्रिस्टलीय ठोसों को अतिशीतित (Super cooled) द्रव मानते हैं। समझाइये।
उत्तर:
अक्रिस्टलीय ठोसों के अवयवी कण की कोई निश्चित आन्तरिक व्यवस्था या रचना न होने के कारण अक्रिस्टलीय ठोसों के अवयवी कण द्रवों की भाँति मन्द गति से बहते हैं रहते हैं। यही कारण है कि इन अक्रिस्टलीय ठोसों को अत्यधिक श्यानता वाला अतिशीतित (Super cooled) द्रव माना जाता है।

प्रश्न 4.
PV = nRT गैस समीकरण की व्युत्पति कीजिए।
उत्तर:
माना कि किसी ताप T तथा दाब P पर किसी गैस का आयतन V है।
बॉयल के नियम के अनुसार – स्थिर ताप पर
V ∝ \(\frac { 1 }{ P }\) या V = \(\frac { K }{ P }\)
यहाँ K = स्थिरांक
या PV = K … (i)
चार्ल्स के नियम के अनुसार – स्थिर दाब पर
V ∝ T V = KT
K = स्थिरांक
\(\frac { V }{ T }\) = K … (ii)
आवागाद्रो के नियम के अनुसार स्थिर ताप व दाब पर
V ∝ n
या \(\frac { V }{ n }\) = K स्थिरांक … (iii)
समीकरण (i), (ii) व (iii) को मिलाने पर
\(\frac { PV }{ nT }\) = स्थिरांक
तो \(\frac { PV }{ T }\) = nR
PV = RT यही समीकरण आदर्श गैस समीकरण है।
यहाँ R = स्थिरांक (गैस स्थिरांक या मोलर गैस स्थिरांक)

प्रश्न 5.
डाल्टन के आंशिक दाब नियम पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
डाल्टन का आंशिक दाब नियम (Dalton’s Law of Partial Pressure) – सन् 1801 में डाल्टन ने पारस्परिक रासायनिक अभिक्रिया न करने वाली गैसों को एक बन्द पात्र में लेकर गैसों के कुल दाब एवं उनके आंशिक दाबों में एक सम्बन्ध दिया जिसे डाल्टन का आंशिक दाब नियम कहा गया।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 2
इस नियम के अनुसार, “जब दो या अधिक गैसों को (पारस्परिक अभिक्रिया न करने वाली) स्थिर ताप पर एक बन्द पात्र में लिया जाता है, तो गैसों के मिश्रण का कुल दाब उन घटक गैसों के आंशिक दाबों के योग के बराबर होता है।
डाल्टन के नियम अनुसार – स्थिर ताप व आयतन पर
P = PA + PB + PC
डाल्टन का आंशिक दाब नियम केवल आदर्श गैसों पर पूर्ण रूप से लागू होता है।

प्रश्न 6.
गैस के क्रान्तिक स्थिरांकों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
क्रान्तिक स्थिरांक – क्रान्तिक ताप, क्रान्तिक दाब एवं क्रान्तिक आयतन सामूहिक रूप से गैस के क्रान्तिक स्थिरांक कहलाते हैं। इन्हें क्रमश: TC, PC, VC से प्रदर्शित करते हैं।

क्रान्तिक ताप (Critical temperature)-वह निश्चित ताप जिसके ऊपर किसी गैस को द्रव में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है चाहे दाब कितना भी बढ़ा दिया जाये क्रान्तिक ताप कहलाता है।
उदाहरण – CO2 का क्रान्तिक ताप 31°C है।

क्रांतिक दाब (Critical Pressure) – क्रान्तिक ताप पर गैस जिस कम से कम दाब पर द्रवित हो जाती है, क्रान्तिक दाब कहलाता है। इसे PC से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण – CO2 गैस का 31.1°C पर क्रान्तिक दाब 7.29 वायुमण्डल होता है।

क्रान्तिक आयतन (Critical volume) – क्रान्तिक ताप एवं दाब पर किसी गैस के एक मोल का आयतन क्रान्तिक आयतन कहलाता है। इसे VC से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण – CO2 का क्रान्तिक आयतन 94 मि. लि. है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 7.
वाष्प दाब का क्वथनांक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वाष्प दाब का क्वथनांक पर प्रभाव – वाष्प दाब किसी भी द्रव के क्वथनांक पर प्रभाव डालता है।
उदाहरण – जल के सामान्य क्वथनांक पर जल का वाष्प दाब एक वायुमण्डलीय दाब के बराबर होता है। अगर बाहरी दाब एक वायुमण्डल दाब से कम है तो जल कम तापमान पर उबलेगा। यही कारण है कि पहाड़ों पर भोज्य पदार्थ कठिनाई से गलते हैं। प्रेशर कुकर में निकास पर वजन रखकर दाब को वायुमण्डलीय दाब से अधिक करके जल का क्वथनांक बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 8.
समझाइये कि किसी द्रव की श्यानता ताप के साथ क्यों घटती है?
उत्तर:
द्रव की श्यानता ताप बढ़ने के साथ घटती है, क्योंकि ताप बढ़ने के साथ अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक हो जाती है। गतिज ऊर्जा अधिक होने के कारण द्रव वेग अवरोधों को पार करके असानी से बहने लगते हैं। आर्हीनियस एवं गुजमान (Guzman) ने प्रयोगों के आधार पर द्रवों की श्यानता पर ताप के प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिये समीकरण दिये हैं-
η = AeEa/RT
या \(\log \frac{\eta_1}{\eta_2}=\frac{E a}{2.303 R}\left[\frac{T_2-T_1}{T_1 T_2}\right]\)

प्रश्न 9.
जल काँच की सतह को गीला करता है, जबकि पारा नहीं करता समझाइये।
उत्तर:
पारा काँच की सतह को गीला नहीं करता क्योंकि पारे के अणुओं के मध्य लगने वाला अन्तराण्विक बल काँच की दीवार एवं पारे की सतह के मध्य लगने वाले आकर्षण बल से अधिक होता है। ऐसी दशा में पारा पात्र की दीवारों से दूर रहने की कोशिश करता है तथा केशिका नली में पारा नीचे गिरता है, इस प्रकार द्रव यानि पारा पात्र की दीवारों से नहीं चिपकता है।

प्रश्न 10.
द्रवित गैसों का उपयोग लिखिए।
उत्तर:
द्रवित गैसों का उपयोग (Uses of liquified gases) – द्रवित गैसों के उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • प्रयोगशाला में न्यून ताप उत्पन्न करने के लिए द्रवित गैसों का उपयोग करते हैं।
  • द्रव फ्रीऑन (CCl2F2) आदि का उपयोग वातानुकूलन में प्रशीतक के रूप में किया जाता है।
  • द्रव वायु का उपयोग रॉकेट व जैट वायुयान में ऑक्सीजन के मुख्य स्रोत के रूप में होता है।
  • वेल्डिंग में द्रव ऑक्सीजन का उपयोग होता है।
  • Cl2 का उपयोग जल में कीटनाशक के रूप में होता है।
  • कुछ गैसों को मिश्रण से अलग करने के लिए द्रवण की सहायता ली जाती है।
    उदाहरण – Ne तथा Ar को वायु से अलग करते हैं।

प्रश्न 11.
जब केशनलिका को पारे में डुबोया जाता है तो बाहर की तुलना में अन्दर पारे का स्तर कम होता है। क्यों ?
उत्तर:
पारे के स्तर के कम होने का कारण हम ससंजक (Cohesive) एवं आसंजक (Adhesive) बलों के आधार पर समझा सकते हैं। समान अणुओं के मध्य लगने वाला बल ससंजक जबर्कि असमान अणुओं के मध्य लगने वाला बल आसंजक कहलाता है। पारे में आसंजक बल ससंजक बलों की तुलना में कम होते हैं। इस कारण पारा काँच की सतह से अलग हो जाता है। तथा इसका स्तर कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
काँच की केशनली में पानी का स्तर (maniscus) अवतल (Convcave) जबकि पारे का उत्तल (Convex) होता है, क्यों?
उत्तर:
जैसा कि हम जानते हैं कि अन्तरा-आण्विक बल अणुओं को पास-पास रखता है, परन्तु ऊष्मीय ऊर्जा अणुओं को एक-दूसरे से दूर रखती है। द्रव्य की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव व गैस अणुओं के इस अन्तरा-आण्विक बलों तथा ऊष्मीय ऊर्जा के मध्य संतुलन का परिणाम हैं।

यदि ठोस को ऊष्मीय ऊर्जा दी जाती है तो यह ऊर्जा अणुओं को एक दूसरे से दूर करती है। अर्थात् उनके मध्य आकर्षण बल घट जाता है, इस प्रकार ठोस द्रव में परिवर्तित हो जाता है। अर्थात् इससे सिद्ध होता है कि ठोस और द्रव अवस्थायें एवं ऊष्मीय ऊर्जा का सन्तुलन अणुओं के मध्य अन्तरा-अणुक आकर्षण बल का परिणाम है। इसी प्रकार द्रव को हम ठोस में परिवर्तित कर सकते हैं इसके लिये ताप को कम किया जाता है जिससे ऊष्मीय ऊर्जा कम हो जाती है और अन्तरा-आण्विक आकर्षण बल बढ़ जाता है और द्रव ठोस में बदल जाता है।

गैसों को केवल दाब लगाकर अर्थात् संपीडित करके द्रव में नहीं बदला जा सकता है। गैस पर दाब लगाने पर अणु निकट तो आ जाते हैं परन्तु उनको इसी स्थिति में बनाये रखने के लिये ताप को कम किया जाता है अर्थात् ऊष्मीय ऊर्जा को कम करते हैं। किसी भी गैस के लिये एक निश्चित ताप होता है जिसके ऊपर वह गैस द्रवित नहीं हो सकती, चाहे दाब कितना ही अधिक हो। गैसों का यह ताप क्रान्तिक ताप (Critical Temperature) कहलाता है।
गैस, द्रव व ठोस का एक-दूसरे में परिवर्तन निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
गैस अवस्था → द्रव अवस्था → ठोस अवस्था
अन्तरा-आण्विक आकर्षण बल को बढ़ने पर उपरोक्त परिवर्तन होता है।
गैस अवस्था ← द्रव अवस्था ← ठोस अवस्था
ऊष्मीय ऊर्जा घटाने पर उपरोक्त परिवर्तन होता है।

प्रश्न 13.
ईथर व एल्कोहॉल को ठण्डी जगह पर रखा जाता है क्यों ?
उत्तर:
ईथर व एल्कोहॉल दोनों द्रव प्रकृति में वाष्पशील होते हैं। इस कारण इनका क्वथनांक काफी कम होता है। ये उच्च ताप पर आसानी से वाष्पीकृत हो जाते हैं। अतः इनके वाष्पन को कम करने के लिये इन्हें ठण्डी जगह पर रखते हैं।

प्रश्न 14.
द्रव अमोनिया की बोतल को खोलने से पहले ठण्डा किया जाता है। क्यों ?
उत्तर:
द्रव अमोनिया की बोलल में अमोनिया को उच्च दाव लगाकर भरा जाता है। यदि बोतस को बिना उण्डा किए ही खोल दिया आये तो दाब में अचानक कमी होने के कारण गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा बहु जायेगी एवं वे अचानक तेजी के साथ बोतल से बाहर निकल आयेंगे। परिणामस्वरूप बोतल फट सकती है तथा कोई भी दुर्घंटा घटित हो सकती है। यदि बोतल को ठण्डा कर दें तो अणुओं की गतिज ऊर्जा नहीं बढ़ेगी तथा गैस धींरे-धीरे बाहर आयेगी व दुर्घटना की सम्भावना कम हो जायेगी।

प्रश्न 15.
ऊँची पहाड़ियों पर जल का क्वथनांक घट जाता है, क्यों?
उत्तर:
जैसे-जैसे हम ऊँचाई की ओर जाते है, वायुमण्डलीय दाब कम हो जाता है। अतः जल के वाष्पदाब को वायुमण्डलीय दाब (जो कि ऊँचाई पर कम हो जाता है) के समान लाने के लिये कम ताप की आवश्यकता होगी तथा जल का क्वथनांक भी कम हो जायेगा।

प्रश्न 16.
प्रेशर कुकर में खाना शीच्र पकता है, क्यों ?
उत्तर:
प्रेशर कुकर में वाष्पदाय अत्यधिक होता है अतः जल का क्वथनांक अधिक हो जाता है। अथात् जल अधिक ताप ग्रहण कर सकता है और प्रेशर कुकर का ताप अधिक हो जाता है, परिणामस्वरूप अन्दर रखे खाइ पदार्थ भी शीच्र पक जाते है।

ब्रुले पात्र में दाल या सख्जी बनाते समय ताप किसी भी स्तिति में 100°C से अधिक नहीं हो पाता है। जबकि प्रेशर कुकर में ताप 100°C से काफी ऊँचा हो जाता है।

प्रश्न 17.
सोडा वाटर की बोतलों को गर्मीं में फ्रिज में ही रखा जाता क्यों ?
उत्तर:
सोडा वाटर, CO2 गैस का पानी में विलयन होता है। विलयन बनाने के लिए गैस को उच्छ दाब पर पानी में प्रवाहित किया जाता है। चूँंक गैस जल में अघुलनशील है अतः उच्च दाब पर गैस आसानी से घुल जाती है। गर्मियों में जल में गैस की घुलनशीलता कम हो जाती हैं क्योंकि ताप में अधिकता घुलनशीलता को कम कर देती है। अतः गर्मियों में काँच की बोतल की सतह पर अधिक गैस उपस्थित होती है। द्रससे बोतल के अन्दर का दाब बढ़ जाता है तथा यह दाब बोताल सहन नहीं कर सकती और फट सकती है। इससे बचाने के लिये इन बोतलौं को या तो फ्रिज में रखते हैं या फिर पानी के अन्दर रखते हैं। ऐसा करने पर ताप घट ज्ञाता है व गैस की घुलनशीलता जल में बढ़ जाती है।

प्रश्न 18.
शुष्क एवं आर्द्र वायु में से कौन-सी भारी होती है?
उत्तर:
शुष्क वायु मुख्यत्तया नाइट्रोजन व ऑकसीकन तथा कुछ अन्य मात्रा में गैसों के द्वारा बनी होती है। शुष्क वायु में कुछ मात्रा जल वाध्य की भी होती है। जल वाष्प का वाण्प घनत्व N2 तथा O2 से कम होता है क्योंकि N2 का अर्विक द्रव्यमान 28, O2 का 32 तथा जल का 18 होता है। आर्द्र वायु में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन के भारी अणु जल वाध्य के द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते है। अतः शुष्क वायु, आद्र वायु से भारी होती है।

प्रश्न 19.
बॉयल के नियम का प्रायोगिक महत्व लिखें। अधवा बॉयल के नियम से बताइये कि दाब तथा घनत्व में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मात्रात्मक रूप से बॉयल का प्रयोग यह सिद्ध करता है कि गैस अत्यधिक संपीडित होती है, गैसों के अणुओं के मध्य अन्तरा-आणिवक स्थान अधिक होता है अतः इनके दिये गये द्रव्यमान को संपीडित करना अत्यधिक सरल होता है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि उच्च दाब पर गैस अधिक सघन हो जाती है तथा कम दाब पर इसकी सघनता काफी कम होती है।

ऊँचाई पर अर्थात् पहाड़ों पर दाब कम हो जाता है। इस कारण वायु भी सघन हो जाती है तथा साँस लेने में कठिनाई होती है।
बॉयल के नियम की सहायता से दाब तथा घनत्व के मध्य निम्न सम्बन्ध स्थापित होता है।
d = \(\frac { M }{ V }\), V = \(\frac { m }{ d }\)
बॉल नियम से,
PV = K
P x \(\frac { m }{ d }\) = K = स्थिरांक
यदि गैस का दाब P1 पर घनत्व d1, तथा दाब P2 पर घनत्व d2 है तो
P1V1 = P2 V2 से
P1\(\frac{m_1}{d_1}\) = P2\(\frac{m_2}{d_2}\) = K
\(\frac{p_1}{d_1}=\frac{p_2}{d_2}\) = K
या \(\frac { P }{ d }\) = K या P ∝ d
“स्थिर ताप पर किसी एक गैस की निश्चित मात्रा का दाब उसके घनत्व के समानुपाती होता है।”

प्रश्न 20.
गैसीय अणुओं के आण्विक वेग बन्दूक की गोली के वेग के तुल्य होते हैं, परन्तु गैसीय अणुओं की गन्ध शीघ्रता से प्राप्त नहीं होती है, क्यों?
उत्तर:
यह सत्य है कि गैसीय अवस्था में अणुओं का वेग अत्यधिक होता है जो कि बन्दूक की गोली के वेग से गतिमान रहते हैं। परन्तु इनकी गति सीधी रेखा में नहीं होती है। ये अणु आड़े-तिरछे (Zig- Zag) पथ पर गति करते हैं तथा एक-दूसरे से टकराते रहते हैं। इसी कारण गैसीय अणुओं की वास्तविक गति पर इनका हम तक पहुँचना सम्भव नहीं होता है। इस कारण इनकी गन्ध हम तक देर में पहुँचती है।

प्रश्न 21.
कारण स्पष्ट करें-
(1) द्रव की बूँद का आकार गोल होता है।
(2) केशिका नली को द्रव तल के सम्पर्क में लाने पर केशिका नली में द्रव चढ़ता अथवा उतरता है।
उत्तर:
(1) वर्षा की बूदों तथा मर्करी की बूदों का गोल आकार-बूँद का गोल आकार पृष्ठ तनाव (Surface Tension) के कारण ही होता है। यह तनाव द्रव पृष्ठीय क्षेत्रफल को कम करने की कोशिश करता है। तब द्रव का ऊर्जा स्तर निम्नतम होता है। यही कारण है कि वर्षा की बूँदे तथा मर्करी की बूँदे गोलाकार होती है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 3

(ii) केशनलिका में द्रव का चढ़ना-किसी द्रव को केशनलिका में भरने पर नली की दीवार तथा द्रव के मध्य लगने वाला आसंजक बल द्रव के सतही क्षेत्रफल को बढ़ाने का प्रयास करता है। जबकि पृष्ठ तनाव सतही क्षेत्रफल को कम करने की कोशिश करता है। इसी कारण नली में द्रव चढ़ता है। किसी भी नली में द्रव तब तक ऊपर चढ़ता है जब तक कि आसंजक एवं ससंजक बल पर लग रहा गुरूत्वाकर्षण बल सन्तुलित न हो जाये।

प्रश्न 22.
सार्वत्रिक गैस नियतांक का मान विभिन्न इकाइयों में लिखें।
उत्तर:
(i) सार्वत्रिक गैस नियतांक (R) का मान लीटर वायुमण्डल प्रति केल्विन प्रति मोल में
= 0.0821 L-atm K-1 mol-1

(ii) (R) का मान अर्ग प्रति केल्विन प्रति मोल में
= 8.314 × 107 erg K-1 mol-1

(iii) (R) का मान जूल प्रति केल्विन प्रति मोल में = 8·314 J K-1 mol-1

(iv) (R) का मान घन सेमी- बार प्रति केल्विन प्रति मोल में = 82.1 cm³ bar K-1 mol-1

(v) (R) का मान ली. बार प्रति केल्विन प्रति मोल में = 0.0831 L-bar.K-1 mol-1

(vi) (R) का मान कैलोरी प्रति केल्विन प्रति मोल में = 2 Cal K-1 mol-1

प्रश्न 23.
अणु गति सिद्धान्त के कुछ मुख्य अभिग्रहितों में निहित तथ्यों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
(1) अणु सीधे पथ पर गति नहीं करते
व्याख्या-अभिग्रहित के अनुसार गैसों के अणु निरन्तर गतिमान होते हैं। एक अणु सरल रेखा में गति करता हुआ दूसरे अणु के साथ टकराता है इससे पथ विचलित हो जाता है, चूँकि ये संघट्ट् बार-बार होते हैं; अतः अणु अपना मार्ग बदल देते हैं। इस कारण अणु सीधे पथ पर गति नहीं करते हैं।

(2) गैसों के अणुओं के मध्य प्रत्यास्थ संघट्ट होता है।
व्याख्या-प्रत्यास्थ संघट्ट का अर्थ होता है कि संघट्ट के पूर्व तथा पश्चात् अणुओं की ऊर्जा समान रहती है। संघट्ट में अणुओं के मध्य ऊर्जा का विनिमय (exchange) हो सकता है अर्थात् विशिष्ट अणु की ऊर्जा में परिवर्तन हो सकता है, परन्तु कुल ऊर्जा स्थिर बनी रहती है।

(3) गैसों के अणुओं के मध्य कोई अन्योन्य क्रिया नहीं होती है। व्याख्या कीजिए।
व्याख्या-सामान्य ताप एवं दाब पर गैस-कणों के मध्य कोई अन्योन्य क्रिया नहीं होती अर्थात् कणों के मध्य कोई आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल उपस्थित नहीं होता है। जब गैस का दाब और घटाया जाता है तथा ताप को स्थिर रखते हैं तो वह प्रसारित होती है। यह तभी सम्भव है जब अणुओं के मध्य आकर्षण एवं प्रतिकर्षण बल न हों। अत: गैसों के अणुओं के मध्य अन्योन्य क्रिया नहीं होती है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
25°C पर एक गैस का आयतन 400 ml है। दाब स्थिर रखने पर किस ताप पर उसका आयतन 600 ml हो जायेगा।
हल:
दिया गया है,
चार्ल्स के नियम से,
T1 = 25 + 273 = 298 K
T2 = ?
V1 = 400 ml
V2 = 600 ml
\(\frac{\mathrm{V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{V}_2}{\mathrm{~T}_2}\) (स्थिर दाब पर)
\(\frac{400}{298}=\frac{600}{T_2}\)
T2 = \(\frac { 600×298}{ 400 }\)
T2 = 447 K
T2 = 447 – 273 = 174°C

प्रश्न 2.
किसी गैस का आयतन 100 cm³ है और इसे 30% बढ़ाना हो तो स्थिर दाब पर गैस को कितना गर्म करना पड़ेगा, यदि प्रारम्भिक ताप 20°C है।
हल:
आयतन में वृद्धि = 30%
प्रारम्भिक आयतन (V1) = 100 cm³
प्रारम्भिक आयतन में आवश्यक वृद्धि
= \(\frac { 100×30 }{ 100 }\) = 30 cm³
अन्तिम आयतन (V) = 100 + 30 = 130 cm³
V1 = 100 cm³
T1 = 20 + 273 = 293 K
V1 = 130 cm³
T2 = ?
चार्ल्स के नियमानुसार,
\(\frac{\mathrm{V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{V}_2}{\mathrm{~T}_2}\) (स्थिर दाब पर)
\(\frac{100}{293}=\frac{130}{T_2}\)
T2 = \(\frac{130 \times 293}{100}\)
= 380.9 K

प्रश्न 3.
यदि किसी गैस के गुब्बारे में लगभग 5 लीटर हाइड्रोजन गैस 22°C ताप पर भरी गयी। यदि ताप बढ़ाकर 25°C कर दिया गया तो गुब्बारे का आयतन कितना हो जायेगा।
हल:
दिया गया है,
V1 = 5 लीटर, V2 = ?
T1 = 22 + 273
= 295 K
T2 = 25 + 273
= 298 K
चार्ल्स के नियमानुसार,
\(\frac{\mathrm{V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{V}_2}{\mathrm{~T}_2}\) (स्थिर दाब पर)
\(\frac{5}{295}=\frac{V_2}{298}\)
V2 = \(\frac{5 \times 298}{295}\)
= 5.051 L

प्रश्न 4.
एक गैस का नमूना 298 K ताप और 1 bar दाब 75 dm³ आयतन घेरता है। यदि समान ताप पर गैस के आयतन को 10dm³ तक कम कर दिया जाये तो कितना अतिरिक्त दाब लगाना पड़ेगा। हल:
दिया गया है,
P1 = 1 bar
P2 = ?
V1 = 75 dm³
V2 = 10 dm³
बॉयल नियम से,
PV1 = P2V2 (स्थिर ताप पर )
1 × 75 = P2 × 10
P2 = \(\frac{1 \times 75}{10}\)
P2 = 7.5 bar
अतिरिक्त दाब = 7.5 – 1
= 6.5 bar

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 5.
रसोई गैस के एक सिलिण्डर में भरी गैस का दाब 25°C पर 11 bar है। यदि गैस सिलिण्डर की दाब वहन क्षमता 16 bar हो तो बताइये किस ताप पर सिलिण्डर फट जायेगा?
हल:
सिलिण्डर में गैस भरी है अतः गैस का आयतन स्थिर रहता है।
दिया गया है.
अधिकतम दाब ‘P1‘ = 16 bar
ताप ‘T1‘ = ?
गैस का दाब (P2) = 11 bar
ताप (T2) = 25 + 273 = 298 K
गै-लुसेक नियम से,
\(\frac{\mathrm{P}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{P}_2}{\mathrm{~T}_2}\) (स्थिर ताप पर)
\(\frac{16}{T_1}=\frac{11}{298}\)
T1 = \(\frac{16 \times 298}{11}\)
T1 = 433.45 K
= 433.45 – 273
T1 = 160.45°C

प्रश्न 6.
गैस के किसी दिये हुए नमूने पर कितना दाब लगाया जाये कि वह अपने मूल आयतन के तीन चौथाई भाग तक दब जाये।
हल:
दिया गया है,
V1 = V
P1 = P
V2 = \(\frac { 3 }{ 4 }\)V
P2 = ?
बॉयल नियम से, P1V1 = P2V2 (स्थिर ताप पर )
P x V = P2 = P2 = \(\frac { 3 }{ 4 }\)V
P2 = \(\frac { 4 }{ 3 }\)P
अर्थात् लगने वाला दाब मूल दाब \(\frac { 4 }{ 3 }\) गुना होता है।

प्रश्न 7.
एक गैस 0.92 bar दाब पर 0.6 dm³ आयतन घेरती है। उस दाब की गणना कीजिये जिस पर उस गैस का आयतन अपने मूल आयतन के 20 प्रतिशत तक घटेगा, जबकि ताप स्थिर है।
हल:
दिया गया है,
P1 = 0.92 bar
P2 = ?
V1 = 0.6 dm³
V2 = मूल आयतन का 20% घट जाये
20% घटाव = \(\frac{0.6 \times 20}{100}\)
V2 = मूल आयतन – 20% आयतन
= 0.6 – 0.12
= 0.48 dm³
बॉयल के अनुसार,
P1V1 = P2V2 (स्थिर ताप पर)
0.92 × 0.6 = P2 x 0.48
P2 = \(\frac{0.92 \times 0.6}{0.48}\)
= 1.15 bar

प्रश्न 8.
नाइट्रोजन की एक निश्चित मात्रा का 0.99 bar दाब और 25°C ताप पर आयतन 250 cm है उस ताप की गणना कीजिए जिस पर आयतन 150 cm³ और दाब 2 bar हो ।
हल:
दिया गया है.
P1 = 0.99 bar
P2 = 2 bar
V1 = 150 cm³
V1 = 250 cm³
T1 = 25+ 273
= 298K
T2 = ?
गैस समीकरण से,
\(\frac{P_1 V_1}{T_1}=\frac{P_2 V_2}{T_2}\)
\(\frac{0.99 \times 250}{298}=\frac{2 \times 150}{T_2}\)
T2 = \(\frac{2 \times 150 \times 298}{0.99 \times 250}\)
T2 = 361.21 K
T2 =361.21 – 273
= 88.21 °C
उत्तर-ताप 88.21 °C होगा।

प्रश्न 9.
423 K ताप तथा 0.987 bar दाब पर ऑक्सीजन गैस का आयतन 12.0 dm³ पाया गया है। ऑक्सीजन के द्रव्यमान की गणना कीजिये।
हल:
दिया गया है.
P = 0.987 bar
V = 12.0 dm³
R = 0.0831 bar dm³ K-1 mol-1
T = 423K
n = ?
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
n = \(\frac { PV }{ RT }\)
= \(\frac{0.987 \times 12.0}{0.0831 \times 423}\)
n = 0.336 mol
ऑक्सीजन गैस का मोलर द्रव्यमान = 32 g mol-1
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 4
उत्तर-ऑक्सीजन गैस का द्रव्यमान 10.782 है।

प्रश्न 10.
PV= nRT सूत्र से 1 g हाइड्रोजन दाब पर आयतन की गणना कीजिए (R = 0.0821 L-atm K-1 mol-1)
हल:
प्रश्नानुसार, मानक दाब (P) = 1 atm
मान परमताप (T) = 273 K
मानक ताप और
R = 0.821 L-atm K-1 mol-1
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 5
∴ मा. ता. दाब पर 1g हाइड्रोजन का आयतन = 11.22 L

प्रश्न 11.
11 g कार्बन डाइऑक्साइड का मा. ता. दा. पर कितना आयतन होगा?
(R = 0.0821 L-atm K-1 mol-1)
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 6
∵ मानक दाब (P) = 1 atm
मानक ताप (T) = 273 K
अब आदर्श गैस समीकरण PV = RT से,
V = \(\frac { nRT }{ P }\)
= \(\frac{0.25 \times 0.821 \times 273}{1}\)
∴ मा. ता. दा. पर 11g कार्बन डाइऑक्साइड का आयतन = 5.6 L

प्रश्न 12.
एक लीटर के फ्लास्क में 7.6 x 10-10 mm (Hg) के दाब पर ऑक्सीजन गैस उपस्थित है। फ्लास्क में 0°C ताप पर ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
आदर्श गैस समीकरण PV = nRT के लिए प्रश्नानुसार,
P = 7.6 x 10-10 mm (Hg)
= \(\frac{7 \cdot 6 \times 10^{-10} \mathrm{~mm}(\mathrm{Hg})}{760 \mathrm{~mm}(\mathrm{Hg})} \times 1 \mathrm{~atm}\)
= 1 × 10-12 atm
V = 1 L, R = 0.0821 L-atm K-1 mol-1
T = 0 + 273 = 273 K
∴ n = \(\frac { PV }{ RT }\)
= \(\frac{1 \times 10^{-12} \mathrm{~atm} \times 1 \mathrm{~L}}{0.0821 \mathrm{~L}-\mathrm{atm} \mathrm{K}^{-1} \mathrm{~mol}^{-1} \times 273 \mathrm{~K}}\)
= \(\frac{1 \times 10^{-12}}{0.0821 \times 273}\)
आवोगाद्रो के नियम के अनुसार 1 mol में अणुओं की संख्या = 6.022 x 1023
∴ ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या
= n × 6.022 x 1023
= \(\frac{1 \times 10^{-12} \times 6.022 \times 10^{23}}{0.0821 \times 273}\)
= 2.69 x 1010
∴ ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या = 2.69 × 1010

प्रश्न 13.
एक गैस 298 K ताप तथा 2 atm दाब पर 120 L आयतन घेरती है। जब इस गैस को 175 L निर्वातित कक्ष में स्थानान्तरित दें तो इस गैस के ताप की गणना कीजिये, यदि दाब प्रारम्भिक दाब का एक चौथाई हो जाता है।
हल:
दिया गया है,
T1 = 298 K
T2 = ?
P1 = 2 atm
P2 = 2 x \(\frac { 1 }{ 4 }\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\) atm
V1 = 120 L
V2 = 175 L
गैस समीकरण से,
\(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{~T}_2}\)
T2 = \(\frac{\mathrm{P}_2 \times \mathrm{V}_2 \times \mathrm{T}_1}{\mathrm{P}_1 \times \mathrm{V}_1}\)
= \(\frac{1 \times 175 \times 298}{2 \times 2 \times 120}\)
T2 = 108.64 K
T2 = 108.64 – 273
= – 164.35°C
उत्तर ताप 164.35 °C हो जायेगा।

प्रश्न 14.
27°C ताप पर 2.0 लीटर क्षमता के पात्र में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के 1022 अणु भरे हुए हैं। पात्र में दाब की गणना कीजिये।
हल:
दिया गया है, T = 27 + 273 = 300 K
V = 2.0 L
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
P = ?
NO2 के मोलों की संख्या = \(\frac{10^{22}}{6.02 \times 10^{23}}\)
= \(\frac { 1 }{ 60.2 }\)
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
P = \(\frac { nRT }{ V }\)
= \(\frac{1 \times 0.0821 \times 300}{60 \cdot 2 \times 2}\)
= 0.205 atm
उत्तर-पात्र में दाब 0.205 atm होगा।

प्रश्न 15.
एक गैस सिलेण्डर में शीतलक गैस भरी है। यह सिलेप्र 15 atm दाब सहन करने की क्षमता रखता है। इसका दाब मापक यन्त्र 27°C पर 12 atm दाब प्रदर्शित कर रहा है। भवन में अचानक आग
लग जाने से सिलेण्डर का ताप बढ़ने लगता है, किस ताप पर सिलेण्डर का विस्फोट हो जायेगा?
हल:
दिया गया है।
P1 = सिलेण्डर की क्षमता =15 atm
T1 = ? (वह ताप जिस पर सिलेण्डर फटेगा )
P2 = 12 atm
T2 = 27 + 273 = 300 K
हम जानते हैं।
\(\frac{P_1}{T_1}=\frac{P_2}{T_2}\)
\(\frac{15}{T_1}=\frac{12}{300}\)
T1 = \(\frac{300 \times 15}{12}\)
= 375 K
T1 = 375 – 273
= 102°C
उत्तर-विस्फोट का ताप 102°C

प्रश्न 16.
(i) किसी गैस के 3.8g ने 25°C ताप पर उतना ही आयतन ग्रहण किया जितना कि 0.18 g हाइड्रोजन ने 20°C ताप पर उसी दाब पर ग्रहण किया। उस गैस का अणुभार क्या है?
(ii) 27°C तथा 780cm दाब पर किसी गैस का आयतन 100 mL है तो N. T.P पर गैस का आयतन कितना होगा?
(iii) S. T.P पर किसी गैस के 0.2g का आयतन 55mL है तो इसका अणुभार बताएँ।
हल:
(i) दिया गया है,
w1 = 3.8 g
T1 = 25 + 273
= 298 K
W2 = 0.18g
T2 = 20 + 273
= 298 K
M2 = 2 g mol-1
हम जानते हैं कि,
PV = \(\frac { w }{ M }\)RT
यदि दाब व आयतन स्थिर है तो,
\(\frac{\mathrm{PV}}{\mathrm{R}}=\frac{w \mathrm{~T}}{\mathrm{M}}\) = स्थिरांक
अर्थात
\(\frac{w_1 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{M}_1}=\frac{w_2 \mathrm{~T}_2}{\mathrm{M}_2}\)
\(\frac{3.8 \times 298}{\mathrm{M}_1}=\frac{0.18 \times 293}{2}\)
M1 = \(\frac{3.8 \times 298 \times 2}{0.18 \times 293}\)
M1 = 42.94 g mol-1
उत्तर-गैस का अणुभार 42.94g mol-1 है।

(ii) गैस समीकरण,
\(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{~T}_2}\)
दिया गया है,
P1 = 780mm
P2 = 760 mm
T1 = 27 + 273 = 300 K
T2 = 273 K
V1 = 100ml
V2 = ?
V2 = \(\frac{\mathrm{P}_1 \times \mathrm{V}_1 \times \mathrm{T}_2}{\mathrm{P}_2 \times \mathrm{T}_1}\)
= \(\frac{780 \times 100 \times 273}{760 \times 300}\)
= 93.39 ml.
उत्तर-गैस का आयतन 93.39 ml होगा।

(iii) गैस के 55 ml का भार
= 0.2 g
S. T. P. पर गैस के 22400 ml का भार
= \(\frac{0 \cdot 2 \times 22400}{55}\)
= 81.45 g
S.T.P. पर 22400 mL गैस का भार = 1 ग्राम अणु भार
उत्तर-गैस का अणुभार = 81.45 g

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

प्रश्न 17.
एक गैस का ताप t K है किस ताप पर गैस का आयतन तथा दाब दोनों आधे हो जायेंगे। गणना कीजिये।
हल:
गैस समीकरण से,
\(\frac{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}{\mathrm{~T}_1}=\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{~T}_2}\)
दिया गया
T1 = tK
T2 = ?
P1 = Pmm
P2 = P/2
V1 = VmL
V2 = V/2
मान रखने पर,
\(\frac{P_1 V_1}{T_1}=\frac{P_2 V_2}{T_2}\)
T2 = \(\frac{\mathrm{P}_2 \mathrm{~V}_2 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{P}_1 \mathrm{~V}_1}\)
T2 = \(\frac{\mathrm{P} \times \mathrm{V} \times \mathrm{t}}{2 \times 2 \times \mathrm{P} \times \mathrm{V}}\)
T2 = \(\frac { t }{ 4 }\)
T2 = 0.25/K

प्रश्न 18.
एक गुब्बारे में 600 mL गैस भरी हुई है। गुब्बारे में पंक्चर हो जाने के कारण 2.5 घण्टे के बाद इसमें 155ml गैस शेष बची जिसका दाब 745mm पाया गया। पंक्चर होने से पूर्व गुब्बारे में गैस का दाब ज्ञात कीजिये।
हल:
दिया गया है,
पंक्चर के बाद P1 = 745mm V1 = 155mL.
पंक्चर के पूर्व P2 = ? V2 = 600mL.
बॉयल के नियम से,
P1V1 = P2V2(स्थिर ताप पर )
745 x 155 = P2 × 600
P2 = \(\frac{745 \times 155}{600}\)
= 192.46 mm
उत्तर-पंक्चर से पूर्व गुब्बारे का दाब 192.46 mm है।

प्रश्न 19.
एक बर्तन जिसका आयतन 2.461 लीटर है में 27°C पर 0.3 मोल N2, 0.5 मोल He तथा 6.2 मोल O2 है। मिश्रण में गैसों का आशिक दाब ज्ञात करो।
हल:
प्रथम विधि
आदर्श गैस समीकरण से,
P = \(\frac { nRT }{ V }\) = 27 + 273300K,
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
V = 2.461 L
नाइट्रोजन गैस का आंशिक दाब,
PN2 = \(\frac{0.3 \times 0.0821 \times 300}{2.461}\)
= 3.002 atm
हीलियम गैस का आंशिक दाब,
P’He = \(\frac{0.5 \times 0.0821 \times 300}{2.461}\)
= 5.004 atm
ऑक्सीजन गैस का आंशिक दाब
P’O2 = \(\frac{6.2 \times 0.0821 \times 300}{2.461}\)
= 62.050 atm
द्वितीय विधि
मिश्रण उपस्थित कुल मोलों की संख्या
= 0.3 + 0.5 + 6.2
= 7 मोल
कुल दाब ‘PT‘ = \(\frac{n \times \mathrm{R} \times \mathrm{T}}{\mathrm{V}}\)
= \(\frac{7 \times 0.0821 \times 300}{2.461}\)
= 70.06 atm
आंशिक दाब = कुल दाब x मोल प्रभाज
नाइट्रोजन गैस का आंशिक दाब
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 7
हीलियम गैसे का आंशिक दाब
P’He = \(\frac{70 \cdot 06 \times 0.5}{7}\)
= 5.004 atm
ऑक्सीजन गैस का आंशिक दाब
P’O2 = \(\frac{70.06 \times 6.2}{7}\)
= 62.050 atm

प्रश्न 20.
एक पात्र में भरी हुयी H2 और N2 गैस के मिश्रण का दाब 750 bar है। यदि मिश्रण में N2 का आंशिक दाब 150 bar हो तो मिश्रण में H2 और N2 के अणुओं का अनुपात क्या होगा ?’
उत्तर:
मिश्रण का कुल दाब – 750 bar
N2 का आंशिक दाब (PN2) = 150 bar
H2 का आंशिक दाब (PH2) = 750 – 150 = 600 bar
आदर्श गैस समीकरण के अनुसार,
PN2 = \(\frac{n_{\mathrm{N}_2} \mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\) = 150 bar
PH2 = \(\frac{n_{\mathrm{H}_2} \mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\) = 600 bar
चूँकि आयतन V तथा ताप T समान हैं।
\(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{H}_2}}{\mathrm{P}_{\mathrm{N}_2}}=\frac{n_{\mathrm{H}_2}}{n_{\mathrm{N}_2}}\)
\(\frac{600}{150}=\frac{n_{\mathrm{H}_2}}{n_{\mathrm{N}_2}}\)
\(\frac{4}{1}=\frac{n_{\mathrm{H}_2}}{n_{\mathrm{N}_2}}\)
nH2 : nN2 = 4 : 1

प्रश्न 21.
एक मिश्रण में गैस A के 20g और गैस B के 1.4 g मिश्रित किये गये हैं। यदि A तथा B के मोलर द्रव्यमान क्रमशः 120 और 90 हैं तथा मिश्रण का कुल दाब 0.921 bar हो तो A तथा B का आशिक दाब ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 8

प्रश्न 22.
पोटैशियम क्लोरेट (KClO3) की वह मात्रा ज्ञात कीजिये जिसे 28°C ताप तथा 750 mm of Hg दाब पर 2.5 लीटर ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु गर्म किया जाना चाहिये।
हल:
N.T.P. पर मुक्त ऑक्सीजन के आयतन की गणना।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 9
67.2 L O2 मुक्त करने के लिये आवश्यक KClO3 की
मात्रा = 245 g
1.0 L O2 मुक्त करने के लिये आवश्यक
KClO3 की मात्रा = \(\frac { 245 }{ 67.2 }\)g
2.34 L O2 मुक्त करने के लिये आवश्यक KClO3 की मात्रा
= \(\frac{245 \times 2.34}{67 \cdot 2}\)
= 8.53g

प्रश्न 23.
जब 0.5 g जिंक चूर्ण (जो कि ZnO तथा Zn) से बना हुआ है, को तनु H2SO4 में घोला जाता है तो N. T. P. पर 150ml H2 गैस मुक्त होती है। जिंक चूर्ण में जिंक की प्रतिशतता ज्ञात कीजिये।
(जिंक का परमाणु द्रव्यमान = 65 g mol-1)
हल:
जिंक चूर्ण में उपस्थित Zn तथा ZnO दोनों ही तनु H2SO4 के साथ क्रिया करते हैं। परन्तु केवल Zn ही H2 गैस को मुक्त करती।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 10
22400 mL H2 मुक्त करने ठीक करे लिये आवश्यक Zn = 65 g 150 mL
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 11

प्रश्न 24.
10.0 g शुद्ध मार्बल को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ उपचारित करने पर 30°C ताप और 800mm पर CO2 का कितना आयतन प्राप्त होगा। यदि 30°C ताप पर जलीय तनाव 26.7 mm है।
हल:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 12
100 g CaCO3 गर्म करने पर देता है
= 22400 mL CO2
10.0 g CaCO3 गर्म करने पर देगा
= \(\frac{22400 \mathrm{~mL} \times 10}{100}\) = 2240 ml
CO2 के आयतन की गणना-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 13

प्रश्न 25.
वान्डर वाल स्थिराकों तथा के मान क्रमश: 1.32 dm6 bar mol-2 तथा 0.0312 dm³ mol-1 हों तो ऑक्सीजन के लिये क्रान्तिक ताप तथा क्रान्तिक दाब का मान ज्ञात करें।
हल:
a = 1.32 dm6 bar mol-2
b = 0.0312 dm³ mol-1
R = 0.0821 dm³ bar mol-1 K-1
ऑक्सीजन का क्रान्तिक ताप
(TC) = \(\frac{8 a}{27 \mathrm{R} b}\)
= \(\frac{8 \times 1.32}{27 \times 0.0821 \times 0.312}\)
= 152.69 K
ऑक्सीजन का क्रान्तिक दाव
(PC) = \(\frac{a}{27 b^2}\)
= \(\frac{1.32}{27 \times(0.0312)^2}\)
= 50.22 bar

प्रश्न 26.
एक मोल वान्डर वाल गैस का °C तथा 100 atm दाब पर संपीडक गुणांक 0.5 है। गैस के अणुओं का आयतन नगण्य मानते हुए वान्डर बाल स्थिरांक ‘a’ की गणना कीजिए।
हल:
संपीडक गुणांक (Z) = \(\frac { PV }{ RT }\)
0.5 = \(\frac{100 \times V}{0.0821 \times 273}\)
V = 0.112 लीटर
वान्डर वाल समीकरण के अनुसार,
\(\left(\mathrm{P}+\frac{a}{\mathrm{~V}^2}\right)\) (V – b) = RT
यदि b नगण्य है तो,
\(\left[100+\frac{a}{(0 \cdot 112)^2}\right]\) [0.112 – 0] = 0.0821 × 273
a = 1.253 ली.² मोल-2 वायुमण्डल

प्रश्न 27.
किसी गैस के 2 मोल 4 लीटर के फ्लास्क में 300 K पर 11 atm दाब दिखाते हैं। यदि ‘b’ का मान 0.05 लीटर / मोल है तो वान्डर वाल स्थिरांक ‘a’ का मान बताएँ।
हल:
दिया है,
P = 11 atm, V = 4, b = 0.05 L/mol, n = 2, T = 300 K
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ 14

प्रश्न 28.
300 K तथा 40 atm दाब पर 1 मोल CO2, 0.4 लीटर आयतन घेरती है। इसका संपीडक गुणांक ज्ञात कीजिये ।
हल:
संपीडक गुणांक (Z) = \(\frac{\mathrm{PV}}{n \mathrm{RT}}\)
= \(\frac{40 \times 0 \cdot 4}{1 \times 0 \cdot 0821 \times 300}\)
Z = 0.65

प्रश्न 29.
एक निऑन-डाइऑक्सीजन मिश्रण में 70.6g डाइ-ऑक्सीजन तथा 167.5g निऑन है। यदि गैसों के मिश्रण का कुल दाब 25 bar हो तो मिश्रण में निऑन तथा डाइऑक्सीजन का आंशिक दाब क्या होगा ?
हल:
= \(\frac{70 \cdot 6 \mathrm{~g}}{32 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}\)
= 2.21 mol
निऑन के मोलों की संख्या
= \(\frac{167 \cdot 5 \mathrm{~g}}{20 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}\) = 8.375 mol
डाइऑक्सीजन के मोल अंश
= \(\frac{2 \cdot 21}{2 \cdot 21+8 \cdot 375}=\frac{2 \cdot 21}{10 \cdot 585}=0 \cdot 21\)
निऑन के मोल अंश
= \(\frac { 8.375 }{ 10.585 }\) = 0.79
(अन्य रूप में निऑन के मोल अंश = 1 – 0.21 = 0.79)
गैस का आंशिक दाब = मोल अंश x कुल दाब
ऑक्सीजन का आंशिक दाब
= 0.21× 25 bar = 5.25 bar
निऑन का आंशिक दाब
= 0.79 × 25 bar = 1975 bar

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. ठंडी जलवायु वाले स्तनधारियों के कान व पाद प्रायः छोटे होते हैं ताकि उष्मा की हानि कम से कम होती है, यह किसका नियम है?
(अ) ऐलन का नियम
(ब) बेलन का नियम
(स) हेलन का नियम
(द) डेलन का नियम
उत्तर:
(अ) ऐलन का नियम

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

2. तुंगता बीमारी का लक्षण है-
(अ) मिचली आना
(ब) थकान आना
(स) हृदय स्पंदन में वृद्धि
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

3. समष्टि का दूसरा विशिष्ट गुण है-
(अ) लिंग अनुपात
(ब) जन्म दर
(स) मृत्यु दर
(द) यूरीथर्मल
उत्तर:
(अ) लिंग अनुपात

4. ध्रुवीय समुद्रों में सील जैसे जलीय स्तनधारियों में उनकी त्वचा के नीचे वसा (तिमिवसा/बलबर) की मोटी परत होती है। इसका क्या कार्य है?
(अ) उष्माशोषी
(ब) उष्मारोध (इंसुलेटर)
(स) अस्टिवेशन
(द) डॉरमेसी
उत्तर:
(ब) उष्मारोध (इंसुलेटर)

5. नागफनी (ओपंशिया) का कौनसा भाग प्रकाश संश्लेषण का प्रकार्य करता है?
(अ) चपटा तना
(ब) पत्ती
(स) पुष्प
(द) कांटों द्वारा
उत्तर:
(अ) चपटा तना

6. डायापॉज (Diapause) की परिघटना सम्बन्धित है-
(अ) निम्न ताप के प्रति अनुकूलन
(ब) उच्च ताप के प्रति अनुकूलन
(स) विषम ताप के प्रति अनुकूलन
(द) रंग प्रतिरूप
उत्तर:
(अ) निम्न ताप के प्रति अनुकूलन

7. ‘स्पर्धी” अपवर्जन नियम (Competitive exclusion principle) को देने वाले थे-
(अ) प्रो. रामदेव मिश्र
(स) ऐलन
(ब) गॉसे
(द) स्वामीनाथन
उत्तर:
(ब) गॉसे

8. चारघातांकी वृद्धि के अन्तर्गत जब ग्राफ बनाया जाता है तो यह किस प्रकार का बनता है?
(अ) S-आकार का
(ब) J-आकार का
(स) L-आकार का
(द) M-आकार का
उत्तर:
(ब) J-आकार का

9. शीतनिष्क्रियता (hibernation) ग्रीष्मनिष्क्रियता (aestivation) व उपरति (diapause) किससे सम्बन्धित है?
(अ) प्रवास करने से
(ब) समष्टि से
(स) अनुकूलन से
(द) नियमन से
उत्तर:
(स) अनुकूलन से

10. पृथ्वी की सतह के स्वरूप और व्यवहार से सम्बन्धित कारक कहलाता है-
(अ) मृदीय
(ब) स्थलाकृतिक
(स) जलवायवीय
(द) जैविक
उत्तर:
(ब) स्थलाकृतिक

11. निम्न तापक्रम पर पौधे मर जाते हैं क्योंकि-
(अ) धानीयुक्त जीवद्रव्य (Vacuolated Protoplasm) से जल निकल जाता है और पौधे सूख जाते हैं
(ब) बर्फ के यांत्रिक दबाव (Mechanical Pressure) के कारण कोशिकाएँ फट जाती हैं
(स) कोशिकीय प्रोटीनों का अवक्षेपण हो जाता है
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

12. पादप वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त है-
(अ) बलुई मृदा
(ब) दोमट मृदा
(स) मृण्मय मृदा
(द) बजरी
उत्तर:
(ब) दोमट मृदा

13. निम्नलिखित में से कौनसा कारक प्रथमतः किसी स्थान की वनस्पति को निर्धारित करता है?
(अ) जलवायवीय
(ब) स्थलाकृतिक
(स) जैविक
(द) मृदीय
उत्तर:
(अ) जलवायवीय

14. समष्टि घनत्व बढ़ता है-
(अ) तीव्र मृत्युदर से
(ब) स्वदेश त्याग से
(स) देशान्तरवास
(द) उपरोक्त किसी से नहीं
उत्तर:
(स) देशान्तरवास

15. जलीय तल में सबसे नीचे का स्तर है-
(अ) एपिलिम्निओन (Epilimnion)
(ब) थर्मोक्लीन (Thermocline)
(स) हाइपोलिम्निओन (Hypolimnion)
(द) मीजोलिम्निओन (Mesolimnion)
उत्तर:
(स) हाइपोलिम्निओन (Hypolimnion)

16. प्राणी जो तापक्रम की वृहद परास को सहन कर सकते हैं, कहते हैं-
(अ) यूरीथर्मल (Eurythermal)
(ब) स्टीनोथर्मल (Stenothermal)
(स) पेरीथर्मल (Perithermal)
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) यूरीथर्मल (Eurythermal)

17. निम्न में से एक्टोथर्मिक प्राणी होते हैं-
(अ) शीतरूधिरधारी प्राणी (Poikilothermic animals)
(ब) गर्मरुधिर प्राणी (Homeothermic animals)
(स) विषमजातीय प्राणी (Heterothermic animals)
(द) (ब) व (स) दोनों
उत्तर:
(अ) शीतरूधिरधारी प्राणी (Poikilothermic animals)

18. भू-आकृतिक या स्थलाकृतिक (topographic) कारक है-
(अ) ऊँचाई, वर्षा व वायु की आर्द्रता
(ब) ढलानों की प्रवणता, वर्षा व ऊँचाई
(स) वर्षा, प्रकाश व वायुमण्डल का तापक्रम
(द) ढलानों की प्रवणता, ऊँचाई व घाटियाँ
उत्तर:
(द) ढलानों की प्रवणता, ऊँचाई व घाटियाँ

19. जैविक कारक के अन्तर्गत विभिन्न जातियों के मध्य वह सहयोग जिसमें एक को लाभ परन्तु हानि दोनों में से किसी को नहीं होगी-
(अ) प्राक्-सहयोग
(ब) सहोपकारिता
(स) सहभोजिता
(द) परजीविता
उत्तर:
(ब) सहोपकारिता

20. परजीविता और परभक्षण में होता है-
(अ) दोनों जातियों को लाभ
(ब) दोनों जातियों को हानि
(स) एक जाति को लाभ व दूसरी जाति को हानि
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) एक जाति को लाभ व दूसरी जाति को हानि

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

21. जैविक कारक में जब दोनों सहयोगी जातियाँ लाभान्वित होती हैं तो इस प्रकार के सम्बन्ध को कहते हैं-
(अ) प्राक्-सहयोग
(ब) सहोपकारिता
(स) सहयोजिता
(द) परजीविता
उत्तर:
(ब) सहोपकारिता

22. मृदा में उपस्थित अपक्षयित होते कार्बनिक पदार्थों को कहते हैं-
(अ) ह्यूमस
(ब) ह्यूमिक-सम्मिश्र
(स) डफ
(द) करकट
उत्तर:
(अ) ह्यूमस

23. अजैविक कारकों के प्रति अनुक्रियाओं के अन्तर्गत नियमन (regulate) करने वाले प्राणी हैं-
(अ) सभी पक्षी
(ब) स्तनधारी
(स) कुछ निम्न कशेरुकी (Vertebrates) व कुछ अकशेरूकी जातियाँ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

24. राजस्थान के केवलादेव राप्र्रीय उद्यान में प्रवासी पक्षी कहाँ से आते हैं?
(अ) आस्ट्रेलिया
(ब) नाइजीरिया
(स) साइबेरिया
(द) इथोपिया
उत्तर:
(स) साइबेरिया

25. मरूद्भिदी प्रवृत्तियाँ तथा सजीवप्रजकता किन पादपों में पाई जाती है?
(अ) मरूद्भिदों में
(ब) अम्लोद्भिदों में
(स) लवणमृदोद्भिदों में
(द) दरारोद्धिभों में
उत्तर:
(स) लवणमृदोद्भिदों में

26. एक जीव वैज्ञानिक ने खलिहान में चूहों की समष्टि का अध्ययन किया। उसने पाया कि औसत जन्म दर 250 है, औसत मृत्यु दर 240 है, अप्रवासन दर 20 है और उत्प्रवासन दर 30 है। समएि की शुद्ध वृद्धि कितनी है ?
(अ) 10
(ब) 15
(स) 05
(द) शून्य
उत्तर:
(द) शून्य

27. यदि ‘+’ चिह्न को लाभदायी परस्पर क्रिया के लिए,’-‘ चिन्द को हानिकारक के लिए और ‘O’ चिह्न को उदासीन परस्पर क्रिया के लिए दिया जाता है, तो ‘+’ ‘-‘ द्वारा प्रदर्शित समष्टि परस्पर क्रिया किसे संदर्भित करती है?
(अ) सहयोजिता
(ब) परजीविता
(स) सहपरोपकारिता
(द) अंतरजातीय परजीविता
उत्तर:
(ब) परजीविता

28. ऑफ्रिस (Ophrys) नामक भूमध्य सागरीय मेडिटेरिनियन आर्मिड की एक जाति परागण कराने के लिए किसका सहारा लेती है-
(अ) लैंगिक कपट
(ब) अलैंगिक कपट
(स) कायिक कपट
(द) असूत्री कपट
उत्तर:
(अ) लैंगिक कपट

29. किसके पुष्प के साथ मक्षिका कूट मैथुन (Pseudo Copulates) करती है?
(अ) ऑंक्रिस आर्मिड
(ब) सरसों
(स) एल्थेरोजिया
(द) अंजीर
उत्तर:
(अ) ऑंक्रिस आर्मिड

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30. आमडा (Calotropis) में पाये जाने वाला विषैला पदार्थ होता है-
(अ) ग्लाइकोसाइड
(ब) निकोटीन
(स) कैफीन
(द) क्वीनीन
उत्तर:
(अ) ग्लाइकोसाइड

31. नीचे दिये जा रहे चित्र में जीवधारियों की अजैविक कारकों के प्रति अनुक्रिया का एक आरेखीय निरूपण दिया गया है। इसमें रेखायें (i), (ii) तथा (iii) क्रमशः किनके प्रतिदर्श हैं-
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(i)(ii)(iii)
(अ) नियामकआंशिक नियामकसंरूपक
(ब) आंशिक नियामकनियामकसंरूपक
(स) नियामकसंरूपकआंशिक नियामक
(द) संरूपकनियामकआंशिक नियामक

उत्तर:

(स) नियामकसंरूपकआंशिक नियामक

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
सहोपकारिता व सहभोजिता में अंतर बताइये।
उत्तर:
सहोपकारिता में संपर्क में रहने वाले जीवों को आपस में लाभ होता है जबकि सहभोजिता में केवल एक जीव को ही लाभ तथा दूसरे को न लाभ न हानि होती है।

प्रश्न 2.
ऐलन का नियम क्या बताता है?
उत्तर:
ठंडी जलवायु वाले स्तनधारियों के कान व पाद प्रायः छोटे होते हैं ताकि ऊष्मा की हानि कम से कम होती है।

प्रश्न 3.
छोटे आकार के गुंजन पक्षियों के लिये ध्रुवीय प्रदेश एक उपयुक्त आवास क्यों नहीं है?
उत्तर:
गुंजन पक्षी ध्रुवीय प्रदेश की सर्दी को सहन नहीं कर पाने के कारण यह आवास इनके उपयुक्त नहीं होता है।

प्रश्न 4.
प्रकृति में परभक्षण द्वारा निभायी जाने वाली कोई दो महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ बताइये।
उत्तर:
परभक्षण द्वारा भक्षों की संख्या को नियंत्रित करना तथा खाद्य श्रृंखला का क्रियान्वयन करना है।

प्रश्न 5.
किसी जीव के पारिस्थितिक निकेत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जैवीय पर्यावरण में प्राणी का स्थान तथा पारितंत्र में इसकी भूमिका को पारिस्थितिकी निकेत कहते हैं।

प्रश्न 6.
कीट पीड़कों (pest/ insect) के प्रबंध के लिये जैव- नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है ?
उत्तर:
कीट पीड़कों को उनके शिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
शरीर की ऊष्मा हानि को कम करने के अनुकूलन का उदाहरण दें।
उत्तर:
ध्रुवीय समुद्रों में सील जैसे जलीय स्तनधारियों में उनकी त्वचा के नीचे बसा की मोटी परत होती है जो ऊष्मारोधी (insulator) का कार्य करती है व शरीर की ऊष्मा हानि को कम करती है।

प्रश्न 8.
प्राणियों में प्रवास क्रिया का उदाहरण दीजिये, यह क्यों होता है?
उत्तर:
प्रत्येक शीत ऋतु में साइबेरिया व अन्य अधिक ठण्डे उत्तरी क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों का तांता राजस्थान स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर में लगा रहता है। अनुकूलता आते ही ये पक्षी वापस लौट जाते हैं। प्रतिकूलता से बचने के लिये ये पक्षी वहाँ से यहाँ आते हैं। इसे प्रवास करना कहते हैं।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँb

प्रश्न 9.
पृथुलवणी व तनुलवणी क्या होते हैं?
उत्तर:
जो जीव लवणता की व्यापक परास के प्रति सहनशील होते हैं, उन्हें पृथुलवणी (Eurohaline) तथा कम परास में रहने वालों को तनुलवणी ( Stenohaline) कहते हैं।

प्रश्न 10.
अनुकूलनों का विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
एक लम्बे समय में प्राकृतिक वरण द्वारा अपने आवास में उत्तरजीविता (survival) व जनन को इष्टतम बनाने के लिये जीव ने अनुकूलनों का विकास किया है।

प्रश्न 11.
तुंगता बीमारी का समाधान हमारा शरीर किस प्रकार करता है?
उत्तर:
यह बीमारी उच्च तुंगता वाले स्थानों पर होती है। हमारा शरीर कम O2 उपलब्ध होने की क्षतिपूर्ति लाल रुधिर कोशिका का उत्पादन बढ़ाकर, हीमोग्लोबिन की बंधनकारी क्षमता पटाकर और श्वसन दर बढ़ाकर करता है।

प्रश्न 12.
किन स्थानों के व्यक्तियों में लाल रुधिर कोशिकाओं की संख्या व कुल हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है?
उत्तर:
जो व्यक्ति उच्च तुंगता वाले स्थलों पर रहते हैं उनके अन्दर लाल रुधिर कोशिकाओं की संख्या व कुल हीमोग्लोबिन की मात्रा मैदानी क्षेत्रों वाले व्यक्तियों से अधिक होती है।

प्रश्न 13.
आयु पिरैमिड क्या दर्शाता है?
उत्तर:
पिरैमिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है क्या यह बढ़ रहा है, स्थिर है या घट रहा है?

प्रश्न 14.
समष्टि साइज का मापन किस विधि से अधिक उपयुक्त है?
उत्तर:
समष्टि साइज के माप के लिये प्रतिशत आवरण अथवा जीव भार (Biomass) अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न 15.
आप्रवासन ( immigration) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी जाति के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समय अवधि के दौरान आवास में कहीं और से आये हैं।

प्रश्न 16.
उत्प्रवासन (emigration) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समष्टि के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समयावधि के दौरान आवास छोड़कर कहीं और चले गये हैं।

प्रश्न 17.
यदि समय पर समष्टि घनत्व N है तो समय + पर इसका घनत्व क्या होगा?
उत्तर:
Nt+1 = N1 + [(B + 1) (D +E)]
B + 1 = जन्म लेने वालों की संख्या जमा आप्रवासियों की संख्या ।
D + E – मरने वाले की संख्या जमा उत्प्रवासियों की संख्या ।

प्रश्न 18.
डार्विन योग्यता किसे कहते हैं?
उत्तर:
समष्टियाँ जिस आवास में रहती हैं, उसमें अपनी जनन योग्यता को डार्विन योग्यता कहते हैं।

प्रश्न 19.
कुछ जीव अपने जीवन काल में केवल एक बार प्रजनन करते हैं, इसके दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
प्रशांत महासागरीय सामन मछली (Salmon Fish) तथा बाँस (Bamboo)।

प्रश्न 20.
ऐसे कोई दो उदाहरण दीजिये जो कुछ छोटी साइज की संतति बहुत बड़ी संख्या में उत्पन्न करती है।
उत्तर:
ऑयस्टर (Oysters) और पैलेजीक मछलियाँ ( Pelagic Fishes)।

प्रश्न 21.
कोई दो उदाहरण बताइये जिसमें बड़ी साइज की संतति कम संख्या में उत्पन्न करती है ।
उत्तर:
पक्षी और स्तनधारी ।

प्रश्न 22.
परजीविता व परभक्षण में किसको लाभ व हानि होती है?
उत्तर:
परजीवी व परभक्षी को लाभ होता है तथा परपोषी व शिकार को हानि होती है।

प्रश्न 23.
परभक्षी किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
ये शिकार समष्टि को नियंत्रण में रखते हैं। यदि परभक्षी नहीं होते तो शिकार जातियों का समष्टि घनत्व बहुत ज्यादा हो जाता और परितंत्र में अस्थिरता आ जाती।

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प्रश्न 24.
मैंग्रोव (Mangrove) वनस्पति क्या है?
उत्तर:
उष्ण व उपोष्ण कटिबन्धों के समुद्रतटों पर मैंग्रोव वन पाये जाते हैं। इनकी मूलों को न्यूमेटोफोर कहते हैं तथा इनमें सजीव प्रजक बीजांकुरण पाया जाता है। जैसे- राइजोफोरा ।

प्रश्न 25.
मरुस्थलीय पौधों में वाष्पोत्सर्जन को कम करने हेतु पाये जाने वाले कोई चार अनुकूलन लिखिए।
उत्तर:
चार अनुकूलन निम्न हैं-

  • पर्ण तथा स्तम्भ की अधिचर्म मोटी क्यूटिकल युक्त होती है।
  • रन्ध्र (Stomata) गहरे गर्त में अर्थात् गर्ती रन्ध्र होते हैं, जैसे- कनेर ।
  • पत्तियाँ कांटों में रूपान्तरित हो जाती हैं।
  • तने व पत्तियों में मोम के समान आवरण पाया जाता है जो वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
किसी कार्यिकीय अनुकूलन को उदाहरण सहित समझाइये |
उत्तर:
कुछ जीवों के अनुकूलन कार्यिकीय होते हैं जिसकी वजह से वे दबावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति शीघ्र अनुक्रिया करते हैं। यदि हमें कभी उच्च तुंगता वाले क्षेत्र में जाने का मौका मिले (3,500 मी. से अधिक, मनाली के पास रोहतांग दर्रा, तिब्बत में मानसरोवर) तो वहाँ ‘तुंगता बीमारी’ का अवश्य अनुभव होता है। इस ‘बीमारी’ के लक्षण हैं- मिचली, थकान और हृदय स्पंदन में वृद्धि ।

इसका कारण यह है कि उच्च तुंगता वाले क्षेत्र में वायुमंडलीय दाब कम होता है इसलिए शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। लेकिन धीरे-धीरे पर्यानुकूलित (एक्लेमिटाइज्ड) हो जाते हैं और फिर हमें तुंगता बीमारी का अनुभव नहीं होता। इस समस्या का समाधान हमारा शरीर स्वयं करता है।

हमारा शरीर कम ऑक्सीजन उपलब्ध होने की क्षतिपूर्ति लाल रुधिर कोशिका का उत्पादन बढ़ाकर, हीमोग्लोबिन की बंधनकारी क्षमता घटाकर और श्वसन दर बढ़ाकर करता है। हिमालय के ऊँचे क्षेत्रों में अनेक जनजातियाँ रहती हैं जिसमें मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की तुलना में सामान्यतया लाल रुधिर कोशिकाओं की संख्या (या कुल हीमोग्लोबिन) ज्यादा होती है।

प्रश्न 2.
जलवायु तथा मौसम में भेद कीजिये ।
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष की जलवायु से तात्पर्य उस क्षेत्र के जलवायवीय कारकों (प्रकाश, तापमान, वर्षण, पवन, वायुमण्डलीय गैसें, आर्द्रता आदि) की मात्रा के वर्षभर के औसत से होता है। जब इन्हीं कारकों की मात्रा का निर्धारण अल्पावधि के लिये नियत जगह पर किया जाये तो मौसम कहलाता है। इस प्रकार मौसम में साप्ताहिक, दैनिक परिवर्तन होते हैं, जबकि जलवायु का निर्धारण दीर्घकालिक ऋतुओं और वर्षों के आधार पर होता है।

प्रश्न 3.
सजीव प्रजकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अधिकांश लवणोद्भिद् में सजीवप्रजक बीजांकुरण पाया जाता है। इसमें बीज का अंकुरण फल के भीतर मातृ पौधे पर ही हो जाता है, इसे ही सजीवप्रजकता कहते हैं। मैंग्रोव वनस्पति में इस प्रकार का बीजांकुरण पाया जाता है। इनके बीजों में विश्रामी अवस्था नहीं होती है। जैसे ही फल का भार बढ़ता है तो वह टूटकर नीचे दलदली भूमि पर गिरता है तथा इससे नये पौधे का विकास हो जाता है।

प्रश्न 4.
आतपोद्भिद तथा छायोद्भिद में अन्तर लिखिये ।
उत्तर:
आतपोद्भिद और छायोद्भिद पादपों में अन्तर-

आतपोद्भिद (Heliophytes)छायोद्भिद (Sciophytes)
1. जड़ें विकसित, संख्या में अधिक तथा पूर्ण शाखित होती हैं।जड़ें छोटी, संख्या में कम और अल्प शाखित होती हैं।
2. तना सुदृढ़ तथा जाइलम पूर्ण विकसित होता है।तना पतला, दुर्बल तथा जाइलम अल्प विकसित होता है।
3. पत्तियाँ छोटी, हल्की हरी तथा मोटी होती हैं।पत्तियाँ बड़ी, गहरी हरी तथा पतली होती हैं।
4. पर्णरंध्रों (Stomata) की संख्या अधिक होती है। पर्णरंध्र निचली सतह पर ऊपरी सतह की अपेक्षा अधिक होते हैं।पर्णरंध्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है तथा दोनों सतहों पर समान रूप से वितरित होते हैं।
5. पर्णमध्योतक (Mesophyll tissue) में खंभ ऊतक (Palisade tissue) अधिक विकसित तथा अन्तराकोशिकीय अवकाश काफी छोटे होते हैं।पर्णमध्योतक में स्पंजी ऊतक (Spongy tissue) अधिक विकसित तथा अन्तराकोशिकीय अवकाश (Inter-cellular space) अपेक्षाकृत अधिक होते हैं।
6. यांत्रिक ऊतक (Mechanical tissues) पूर्ण विकसित होते हैं।यांत्रिकी ऊतक अल्प विकसित या अनुपस्थित होते हैं।
7. पुष्प एवं फल उत्पन्न करने की क्षमता अधिक होती है।पुष्प एवं फल उत्पन्न करने की क्षमता अपेक्षाकृत बहुत कम होती है।
8. खनिज लवणों की मात्रा अधिक होती है। इस कारण कोशिकाओं का परासरण दाब अधिक होता है।खनिज लवणों की मात्रा कम होती है। कोशिकाओं का परासरण दाब कम होता है।

प्रश्न 5.
ह्यूमस के प्रकार और निर्माण को समझाइये।
उत्तर:
मृदा के मृत अपघटित कार्बनिक अवशेषों को ह्यूमस कहते हैं। यह मृदा की उर्वरकता के लिये अति आवश्यक है। यह मुख्य रूप से पौधों तथा जन्तुओं के अवशेषों तथा उनके उत्सर्जी पदार्थों के अपघटन से बनता है। केंचुए ह्यूमस निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। मृत कार्बनिक पदार्थों का अपघटन मृदा सूक्ष्म जीवों, जैसे- जीवाणुओं, कवकों आदि द्वारा होता है। ह्यूमस निर्माण प्रक्रिया को ह्यूमीफिकेशन (Humification) कहते हैं तथा ह्यूमस का खनिज लवणों में परिवर्तन खनिजीकरण (Mineralization) कहलाता है।

ह्यूमस दो प्रकार के होते हैं-

  • मोर ह्यूमस (Mor Humus) – यह ह्यूमस अपरिपक्व अवस्था में होता है। इसमें खनिज लवण अपेक्षाकृत कम होते हैं। मृदा में केंचुओं का अभाव होता है। इसकी pH 3.8 4.0 होती है। अपघटन धीरे-धीरे होता है।
  • मल ह्यूमस (Mull Humus) – यह परिपक्व ह्यूमस होता है। इसमें केंचुओं की बाहुल्यता होती है। मृदा की pH 5.0 होती है। अपघटन तेजी से होता है।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये-
(i) वसन्तीकरण
(ii) दीप्तिकालिकता ।
उत्तर:
(i) वसन्तीकरण (Vernalization) – कुछ पौधों में पुष्पीकरण न्यूनताप मिलने पर होता है। बीज पर न्यून तापक्रम प्रयोग द्वारा पुष्पीकरण शीघ्र प्राप्त करने की क्रिया को वसन्तीकरण कहते हैं । इसके लिये ऑक्सीजन की उपस्थिति आवश्यक होती है। वसन्तीकरण में वर्नेलिन (Vernalin) नामक पदार्थ बनता है जो फ्लोरीजन (Florigen ) या जिबरेलिन में परिवर्तित हो जाता है तथा यह पुष्पीकरण को समय से पूर्व प्रारम्भ करने के लिए उत्तरदायी होता है।

(ii) दीप्तिकालिकता (Photoperiodism)- पौधों के पुष्पीकरण तथा फलन क्रियाओं पर दैनिक प्रकाश की अवधि का प्रभाव पड़ता है, इसे दीप्तिकालिकता कहते हैं। दैनिक प्रकाश अवधि के प्रभाव के अनुसार पुष्पी पादपों को तीन वर्गों में बांटा गया है-

  • दीर्घ – प्रकाशीय (दीप्तिकाली) पौधे
  • अल्प- प्रकाशीय (दीप्तिकाली) पौधे
  • प्रकाश या दिवस निरपेक्ष पौधे ।

तापमान दीप्तिकालिकता को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसके अलावा पौधे की आयु और उसका प्रकार (श्यान या ऊर्ध्ववर्ती) भी दीप्तिकालिकता को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 7.
शुष्कतारोधी पादपों में पाये जाने वाले चार आकारिकी व शरीर क्रियात्मक अनुकूलन बताइये ।
उत्तर:
आकारिकी अनुकूलन-

  • मूलतंत्र सुविकसित, शाखित, गहरा तथा प्रसारित मूल रोम व मूल गोप पूर्ण विकसित होते हैं।
  • तना चपटा व मांसल हो जाता है तथा पर्ण व स्तम्भ दोनों का कार्य करता है, जिसे पर्णाभ स्तम्भ कहते हैं, जैसे-नागफनी, कोकोलाबा ।
  • पत्तियाँ बहुकोशिकीय रोमों से ढँकी होती हैं जिससे वाष्पोत्सर्जन कम होता है, जिसे रोम पर्ण पादप (Trichophyllous Plants) कहते हैं, जैसे- केलोट्रापिस ।
  • इनमें हाइड्रोकेसी या आर्द्रता स्फुटन का लक्षण पाया जाता है।

शारीरिकीय अनुकूलन-

  1. पर्ण तथा स्तम्भ की अधिचर्म मोटी क्यूटिकल युक्त होती है।
  2. रंध्र गहरे गर्त में अर्थात् गर्ती रंध्र होते हैं, जैसे- कनेर ।
  3. यांत्रिक व संवहन ऊतक सुविकसित होती है।
  4. अधिचर्म तथा अधश्चर्म में क्यूटीन, लिग्निन, सूबेरिन का निक्षेपण होता है।

प्रश्न 8.
पहाड़ियों के तीव्र ढलानों पर वनस्पति क्यों नहीं पायी जाती है? कारण सहित समझाइये |
उत्तर:
ढलान प्रवणता जितनी अधिक होगी वर्षाजल उतने ही वेग से नीचे की ओर प्रवाहित होगा। यह ढलानों की मृदा के गुणों को बदलता है। तीव्र ढलानों पर भूमि को जल अवशोषित करने का अवसर नहीं मिल पाता है, अतः अधिक ढलान वाले भागों पर कम वनस्पति, कम प्रवणता के ढलानों पर अपेक्षाकृत सघन वनस्पति पायी जाती है। अधिक प्रवणता वाले ढलानों पर वर्षा व वायु द्वारा होने वाला मृदा अपरदन भी अधिक होता है और ऐसे ढलानों पर पादप नहीं पाये जाते हैं।

प्रश्न 9.
पारिस्थितिकी में वनस्पति को ताप आधारित संवर्गों में वगीकृत किया गया है। इन संवर्गों के नाम दीजिये तथा प्रत्येक की ताप स्थिति व वनस्पति प्रकार का वर्णन कीजिये ।
उत्तर:
संवर्गों के नाम-

  1. उच्चतापी – ये वे पौधे हैं, जिन्हें वृद्धि व विकास के लिए निरन्तर उच्च तापक्रम चाहिए। उदाहरण- मरुस्थल, घास वन आदि ।
  2. मध्यतापी – पौधे निम्न तापक्रम को कुछ समय सह सकते हैं। उच्च एवं न्यून तापक्रम एकान्तर क्रम में पाया जाता है। उदाहरण- उष्णकटिबन्ध वन ।
  3. निम्नतापी- इनमें न्यून तापक्रम पर वृद्धि एवं विकास होता है। उदाहरण- शीतोष्ण वन ।
  4. अतिनिम्नतापी या हैकिस्टोथर्म- ये अधिकांशत: न्यून तापक्रम पर वृद्धि एवं विकास करते हैं, अल्पाइन वनस्पति ।

प्रश्न 10.
पर्यावरण से क्या तात्पर्य है? इनके विभिन्न कारकों के शीर्षक लिखिये ।
उत्तर:
पर्यावरण से तात्पर्य है ‘चारों ओर से घेरे हुये। पर्यावरण अनेक कारकों का मिला-जुला एक जटिल सम्मिश्र है जो जीव को चारों ओर से घेरे हुए है। कोई पदार्थ या परिस्थिति या बाहरी बल जो जीव के जीवन को किसी भी प्रकार से प्रभावित करे, वह पर्यावरण कारक होता है। इन्हें पर्यावरण कारक या पारिस्थितिकी कारक कहते हैं। ये कारक जैविक या अजैविक हो सकते हैं। अजैविक व जैविक कारकों का जटिल सम्मिश्र ही जीव का पर्यावरण बनता है। पर्यावरणी कारकों को निम्न चार वर्गों में वगीकृत किया गया है-

1. जलवायवी या वायुव कारक – इसमें
(अ) प्रकाश,
(ब) तापमान,
(स) वर्षा,
(द) पवन,
(य) वायुमण्डलीय आर्द्रता तथा
(र) वायुमण्डलीय गैसें होती हैं।

2. भू-आकृतिक या स्थलाकृतिक कारक – यह कारक पृथ्वी के भौतिक भूगोल से सम्बन्धित है। इसमें
(अ) ऊँचाई,
(ब) पर्वत श्रृंखलाओं की दिशा व घाटियां तथा
(स) ढलानों की प्रवणता आती है।

3. मृदीय कारक – इसमें मृदा का संगठन व उसके गुण आते हैं।

4. जैविक कारक विभिन्न प्रकार के जीवों की अन्तर्क्रियाएँ।

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प्रश्न 11.
जलवायवीय कारकों के अन्तर्गत पवन से होने वाले पादप प्रभाव को समझाइए ।
उत्तर:
बहती वायु को पवन कहते हैं। पवन का पौधों पर प्रत्यक्ष तथा परोक्ष दोनों प्रकार का प्रभाव होता है। पवन की गति पादपों की आकृति, वाष्पोत्सर्जन, आन्तरिक संरचना, परागण, प्रजनन, फल एवं बीजों के प्रकीर्णन इत्यादि पर प्रभाव डालती है। यही नहीं, पवन का तापमान, वर्षण व वायुदाब पर भी प्रभाव पड़ता है। पवन के कारण पौधों में अनेक कार्यिकी एवं आन्तरिक संरचना में परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं।

समुद्रतट व ऊँचे पर्वतों के पादपों में तेज हवाओं के एक दिशा में गति के कारण स्थायी वक्रता उत्पन्न हो जाती है तथा इन पौधों की शाखाएँ भी एक ही ओर से निकलती हैं। शुष्क वायु के प्रभाव से पौधों में निर्जलीकरण हो जाता है तथा उनकी स्फीति कम हो जाती है। फलस्वरूप पौधे वामन या बौने रह जाते हैं। समुद्रतटों तथा ऊँचे पर्वतों की वनस्पति प्रायः बौनी होती है।

प्रश्न 12.
ऑर्किड में पाये जाने वाले लैंगिक कपट (Sexual Deceit) को समझाइये।
अथवा
मेडिटेरेनियन ऑर्किड पुष्प की एक पंखुड़ी का आकार, रंग तथा चिह्नों का मादा भक्षिका से मिलता-जुलता होने का क्या कारण है ? समझाइए ।
उत्तर:
ऑर्किड पुष्प प्रतिरूपों में आश्चर्यचकित करने वाली विविधता पाई जाती है। इनके पुष्पों में पुष्पीय संरचना परागणकारी कीट भ्रमरों व गुंज मक्षिकाओं (Bees and Bumblebees) को आकर्षित करने के लिये ही विकसित हुए हैं ताकि इसके द्वारा निश्चित रूप से परागण हो सके । यद्यपि यह प्रवृत्ति सभी ऑर्किड पुष्पों में नहीं पायी जाती है। परन्तु ऑफिस (Ophrys) नामक भूमध्य सागरीय मेडिटेरिनियन ऑर्किड मक्षिका (Boc) की एक जाति परागण कराने के लिए लैंगिक कपट (Sexual Doceit) का सहारा लेता है।

इस पुष्प की एक पंखुड़ी (petal) साइज, रंग और चिन्हों में मादा मक्षिका (Bee) से मिलती-जुलती होती है। नर मक्षिका इसे मादा समझकर इसकी ओर आकर्षित होती है तथा पुष्प के साथ कूट मैथुन (Pseudo copulates ) करती है। इस क्रिया के दौरान इस पर पुष्प से पराग झड़कर उस पर गिर जाते हैं।

जब यही मक्षिका अन्य पुष्प से कूट मैथुन करती है तो इसके शरीर पर लगे परागकण उस पुष्प पर गिर जाते हैं जिससे पुष्प को परागित करती है। परन्तु विकास के दौरान यदि किसी भी कारण से मादा मक्षिका का रंग-प्रतिरूप (Colour-pattern) जरा सा भी बदल जाता है तो परागण की सफलता कम रहेगी अतः इस कारण से ऑर्किड पुष्प अपनी पंखुड़ी को मादा मक्षिका के सदृश बनाए रखते हैं ।

प्रश्न 13.
बताइये कि दी गई अवधि के दौरान दिये गये आवास में समष्टि का घनत्व किन मूलभूत प्रक्रमों (Processes) में घटता-बढ़ता है?
उत्तर:
जन्मदर तथा आप्रवासन समष्टि घनत्व को बढ़ाते हैं तो मृत्युदर व उत्प्रवासन इसे घटाते हैं। इन प्रक्रमों को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा रहा है-

  • जन्मदर (Natality )-जन्मदर से तात्पर्य समष्टि में जन्मी उस संख्या से है जो दी गई अवधि के दौरान आरंभिक घनत्व में जुड़ती है।
  • मृत्युदर (Mortality )-यह दी गई अवधि समष्टि में होने वाली मृत्यु की संख्या है।
  • आप्रवासन (Immigration )-उसी जाति के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समय अवधि के दौरान आवास में कहीं और आए हैं।
  • उत्प्रवासन (Emigration )-समष्टि के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समयावधि के दौरान आवास छोड़कर कहीं और चले गए हैं।

प्रश्न 14.
समष्टि पारस्परिक क्रियाओं को संक्षेप में बताइये ।
उत्तर:
समष्टि पारस्परिक क्रियाएँ (Population Interactions)
पृथ्वी के किसी भी आवास पर किसी एक ही जाति का वास नहीं होता। विभिन्न प्रकार की जातियाँ एक दूसर पर निर्भर होती हैं। पौधे भले ही अपना भोजन स्वयं बनाते हैं परन्तु वे अकेले जीवित नंहीं रह सकते। जैसे मृदा के कार्बनिक पदार्थ को तोड़ने और अकार्बनिक पोषकों को इसके अवशोषण के लिये लौटने के लिये मृदा के सूक्ष्मजीवों की आवश्यकता पड़ती है।

इसके अतिरिक्त प्राणी एजेन्ट (agent) पादप परागण की व्यवस्था बनाते हैं। अतः कोई भी जीव पृथक् नहीं रहता जब वे साथ रहते हैं तो उनमें पारस्परिक क्रियायें होती हैं। अंतराजातीय (interspecific) पारस्परिक क्रियायें (दो भिन्न जातियों की समष्टियों के बीच) एक जाति या दोनों जातियों के लिये हितकारी, हानिकारक या उदासीन (न हानिकारक न लाभदायक) हो सकती हैं।

लाभदायक पारस्परिक क्रियाओं के लिये ‘ + ‘ चिन्ह तथा हानिकारक के लिये ‘-‘ चिन्ह तथा उदासीन के लिये ‘ 0 ‘ चिन्ह का उपयोग करते हैं। अंतराजातीय पारस्परिक क्रियाओं को निम्न सारणी में दर्शाया जा रहा है-

सारणी-समष्टियों की पारस्परिक क्रिया

जाति ‘अ’जाति ‘ब’पारस्परिक क्रिया का नाम
++सहोपकारिता (Mutualism)
स्पर्धा (Competition)
+परभक्षण (Predation)
+परजीविता (Parasitism)
+0सहभोजिता (Commensalism)
0अंतराजातीय परजीविता (Amensalism)

सहोपकारिता में दोनों जातियों को लाभ होता है और स्पर्धा में दोनों को हानि होती है। परजीविता और परभक्षण दोनों में केवल एक जाति को लाभ होता है (क्रमशः परजीवी और परभक्षी को) और पारस्परिक क्रिया दूसरी जाति (क्रमशः परपोषी और शिकार) के लिये हानिकारक है।

वह पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न लाभ व न हानि होती है, उसे सहभोजिता कहते हैं। दूसरी ओर, अंतरजातीय परजीविता में एक जाति को हानि होती है जबकि दूसरी जाति अप्रभावित रहती है।

(क) परभक्षण (Predation) – यदि किसी समुदाय में पौधों को खाने वाले प्राणी न हों तो स्वपोषी जीवों द्वारा स्थिर की गई संपूर्ण ऊर्जा व्यर्थ होगी। प्राणियों के द्वारा पौधे खाये जाते हैं तथा ऊर्जा को उच्चतर पोषी स्तरों में स्थानांतरित करते हैं। परभक्षण वे होते हैं जो अन्य जीवों का भक्षण या खाते हैं। यद्यपि पौधों को खाने वाले जीवों को शाकाहारी कहते हैं परंतु सामान्य पारिस्थितिक संदर्भ में वे भी परभक्षी जैसे होते हैं।

परभक्षी पोषी स्तर तक ऊर्जा स्थानांतरण के लिये संनाल (Conduits) का कार्य करने के अतिरिक्त वे शिकार समष्टि को नियंत्रित रखते हैं। यदि प्रकृति में परभक्षी नहीं होते तो शिकार जातियों का समष्टि घनत्व बहुत अधिक हो जाता और परितंत्र में अस्थिरता आ जाती। जब भी किसी भौगोलिक क्षेत्र में कुछ विदेशज जातियाँ लाई जाती हैं तो वे आक्रामक होकर तेजी से फैलने लगती हैं क्योंकि उन स्थानों पर उसके प्राकृतिक परभक्षी नहीं होते हैं।

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सन् 1920 के आरंभ में आस्ट्रेलिया में लाई गई नागफनी ने वहाँ लाखों हेक्टेयर भूमि में तेजी से फैलकर तबाही मचा दी। अंत में नागफनी को खाने वाले परभक्षी (एक प्रकार का शलभ) को लाकर आक्रामक नागफनी को नियंत्रित किया जा सका। परभक्षी, स्पर्धी शिकार जातियों के बीच स्पर्धा की तीव्रता कम करके किसी समुदाय में जातियों की विविधता (diversity) बनाए रखने में भी सहायता करता है।

उदाहरणार्थ, अमेरिकी प्रशांत तट की चट्टानी अंतराज्वारीय (intertidal) समुदायों में पाइसैस्टर तारामीन एक महत्त्वपूर्ण परभक्षी है। प्रयोग में जब एक बंद अंतराज्वारीय क्षेत्र से सभी तारामीन को हटा दिया गया तो अंतराजातीय स्पर्धा के कारण एक वर्ष में ही अकशेरुकियों की 10 से अधिक जातियाँ विलुप्त हो गईं।

यदि परभक्षी ज्यादा ही दक्ष है तो वह अपने शिकार का अतिदोहन करता है जिससे शिकार विलुप्त हो जायेगा परंतु जब शिकार का अभाव हो जायेगा तो परभक्षी भी शिकार न मिलने के कारण विलुप्त हो जायेगा। प्रकृति में शिकारी जातियों ने परभक्षण के प्रभाव को कम करने के लिये विभिन्न रक्षा विधियाँ विकसित कर ली हैं। कीटों और मेढ़कों की कुछ जातियों ने परभक्षी से बचने के लिये गुप्त रूप से रंगीन (छद्मावरण) हो जाती हैं, जिससे परभक्षी उन्हें पहचान नहीं पाता।

कुछ शिकार जातियाँ विषैली होती हैं, इसके कारण परभक्षी उनका भक्षण नहीं करते। मॉनार्क तितली के शरीर में विशेष रसायन होने के कारण स्वाद में खराब होती है, इस कारण परभक्षी उन्हें नहीं खाते हैं। यह तितली इस रसायन को अपनी इल्ली अवस्था में विषैली खरपतवार खाकर प्राप्त करती है।

पौधों के लिये शाकाहारी प्राणी परभक्षी होते हैं। लगभग 25% कीट पादपभक्षी (phytophagous) होते हैं अर्थात् वे पादप रस या पादपों के अन्य भाग खाते हैं। पादपों के लिये परभक्षी से बचने के लिये एक समस्या है क्योंकि वे प्राणियों की जैसे भाग नहीं सकते। इस कारण पौधों ने शाकाहारियों से बचने के लिये आकारिकीय और रासायनिक रक्षाविधियाँ विकसित कर ली हैं।

आकारिकीय रक्षाविधियों का उदाहरण एकेशिया (Acacia) व कैक्टस (Cactus) में कांटे हैं। रासायनिक रक्षाविधियों में अनेक पादप ऐसे रसायन उत्पन्न कर एकत्रित कर लेते हैं जो कि शाकाहारी द्वारा खाये जाने पर, उन्हें बीमार कर देते हैं, पाचन का संदमन करते हैं, उनके जनन को भंग कर देते हैं या मार देते हैं।

प्रायः खाली खेतों में आकड़ा या मदार (Calotropis) की खरपतवार उगी रहती है, उसे कोई भी पशु नहीं खाता है क्योंकि इस पौधे में विषैला ग्लाइकोसाइड (glycoside) उत्पन्न होता है। विविध प्रकार के पौधों से अनेक प्रकार के व्यापारिक स्तर पर रासायनिक पदार्थ जैसे-निकोटीन, कैफीन, क्वीनीन, स्ट्रिकनीन, अफीम इत्यादि प्राप्त करते हैं। इन रसायनों के कारण पशु इन्हें नहीं खाते हैं तथा पौधे शाकाहारी प्राणियों से अपनी रक्षा करते हैं।

(ख) स्पर्धा (Competition)-डार्विन ने प्रकृति में जीवनसंघर्ष और योग्यतम की उत्तरजीविता के विषय में बताते हुये कहा कि जैव-विकास में अंतरजातीय स्पर्धा (interspecific competition) एक शक्तिशाली कारक है। वस्तुतः स्पर्धा प्रायः तब होती है जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उन्हीं संसाधनों के लिये स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं।

किन्तु यह सत्य नहीं है कि एक ही जाति के जीव आपस में प्रतिस्पर्धा रखें। डार्विन के अनुसार भोजन व स्थान के लिये विभिन्न समष्टियों के जीव भी स्पर्धा रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, दक्षिण़ी अमेरिका की कुछ उथली (कम गहरी) झीलों में आगुंतक फ्लेमिंगो और वहीं क्री रहने वाली मछलियां दोनों ही झील में मिलने वाले प्राणिप्लवक (Zooplankton) के लिये प्रतिस्पर्धा करते हैं।

स्थान व खाद्य सामग्री पर्याप्त होने पर भी यह देखा गया है कि स्पर्धा में एक समष्टि के प्राणी बाधित हो जाते हैं क्योंकि दूसरी समष्टि के जीव अधिक आक्रामक होते हैं जिससे वे पहली जाति के जीवों को उपलब्ध स्थान व भोजन का उपयोग नहीं करने देते हैं। प्रकृति में यह देखा गया है कि एक जाति की योग्यता अधिक बढ़ने पर वह दूसरी जाति के जीवों को कम कर सकती है परन्तु उन्हें विलुप्त नहीं कर पाती।

यद्यपि प्रकृति में ऐसे उदाहरण हैं कि योग्य जाति दूसरी जाति को समाप्त कर देती है। गैलापेगो द्वीप में एबिंगडन (Abingdon) कहुए अधिक संख्या में पाये जाते थे परंतु जब बकरियाँ पहुँचीं तो उन्होंने अधिक चरने के कारण सारे पौधे समाप्त कर दिये जिससे 10 साल में ही कछुए समाप्त हो गये।

प्रतिस्पर्धा का एक अन्य प्रमाण स्पर्धी मोचन (competitive release) है। यदि एक योग्य जाति है जिसने अपने से कम योग्य जाति को स्थान विशेष में सीमित कर रखा है व किसी भी कारण से यदि योग्य जाति नष्ट हो जाती है व उस स्थान से प्रवास कर जाती है तो दूसरी जाति स्पर्धा के अभाव में उस पूरे क्षेत्र में फैल कर समष्टि घनत्व बढ़ा सकती है।

गॉसे (Gause) का स्पर्धी अपवर्जन नियम (Competitive exclusion principle) यह बताता है कि एक ही प्रकार के संसाधनों के लिये स्पर्धा करने वाली दो निकटतम संबंधित जातियाँ लंबे समय तक साथ-साथ नहीं रह सकतीं और स्पर्धी रूप से कमजोर जाति बाद में समाप्त हो जाती है। गॉसे का यह नियम केवल तब ही लागू होगा जब स्थान या भोजन सीमाकारी (limiting) हो जायेंगे अन्यथा स्पर्धा

का यह नियम लागू नहीं होगा। आधुनिक अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ है कि जब दो जातियाँ स्पर्धा करती हैं तब एक विलुप्त नहीं होती वरन् यह इस प्रकार के अनुकूलन विकसित कर लेती है जिससे दोनों का एक साथ अस्तित्व बना रहता है। इस प्रकार की क्रियाविधि को ‘संसाधन विभाजन’ कहते हैं।

यदि दो जातियां एक ही संसाधन के लिये स्पर्धा करती हैं तो वे आहार के लिये भिन्न समय या भिन्न चारण प्रतिरूप चुनकर स्पर्धा से बच सकती हैं। मैक आर्थर (Mac Arthur) ने बताया कि एक ही पेड़ पर रह रही फुदकी (Warblers) की पांच जातियां स्पर्धा से बचने में सफल रहीं और पेड़ की शाखाओं और वितान पर कीट शिकार के लिये तलाशने की अपनी चारण गतिविधियों में व्यावहारिक भिन्नताओं के कारण साथ-साथ रह सकीं।

(ग) परजीविता (Parasitism) – परजीविता में रहने व भोजन की मुफ्त व्यवस्था होती है। एक जीव दूसरे जीव पर भोजन या आश्रय के लिये उस पर निर्भर होता है। जो जीव दूसरे जीव पर निर्भर होता है उसे परजीवी (parasite) तथा जिसके ऊपर यह आश्रित होता है उसे परपोषी (host) कहते हैं। इसमें परजीवी को तो लाभ होता है परन्तु परपोषी का शोषण होता है।

परजीविता पादपों से लेकर उच्च कोटि के कशेरुकियों तक पाई जाती है। ऐसे परजीवी जो एक निश्चित परपोषी के साथ ही रहते हैं, यदि उनको अपना निश्चित परपोषी उपलब्ध नहीं होता है तो उनकी मृत्यु हो जाती है, ऐसे परजीवियों को अविकल्पी परजीवी (obligate parasite) कहते हैं।

परजीविता में परजीवियों ने विशेष अनुकूलन विकसित किये हैं, जैसे-आसंजी अंगों या चूषकांगों (haustoria) की उपस्थिति, पाचन तंत्र का लोप तथा उच्च जनन क्षमता आदि। परजीवियों का जीवन चक्र प्रायः जटिल होता है। जिसमें एक या दो मध्यस्थ पोषक अथवा रोगवाहक होते हैं।

उदाहरणस्वरूप मानव यकृत पर्णाभ (liver fluke) अपने जीवन चक्र को पूर्ण करने के लिये दो मध्यस्थ पोषकों जैसेघोंघा और मछली पर निर्भर करता है। मलेरिया परजीवी को दूसरे परपोषियों पर फैलने के लिये रोगवाहक (मच्छर) की आवश्यकता पड़ती है। अधिकांश परजीवी, परपोषी को हानि पहुँचाते हैं, परपोषी की उत्तरजीविता, वृद्धि और जनन को कम कर सकते हैं तथा उसके समष्टि घनत्व को घटा सकते हैं।

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परजीवी परपोषी को कमजोर बनाकर, उसे परभक्षण के लिये अधिक सुरक्षित बना देते हैं। परजीवी दो प्रकार के होते हैं-बाह्य परजीवी (Ecto-parasite) तथा अन्तः परजीवी (Endo-parasite)। वे परपोषी जो अपना पोषण परपोषी की बाहरी सतह से प्राप्त करते हैं, उन्हें बाह्य परजीवी कहते हैं, उदाहरण-जूँ मानव पर, कुत्तों पर चिंचिड़ियाँ (Tricks) तथा प्राणियों में कई मछलियों पर कोपीपॉड्स (copepods) इनके शरीर पर निवास करते हैं।

अमरबेल या आकाश बेल (Cuscuta) एक स्तम्भ परजीवी है जिसमें पत्तियों व पर्णहरित (chlorophyll) का अभाव होता है। इसमें केवल पीले रंग का दुर्बल तना होता है। इसके तने से अनेक चूषकांग (haustoria) निकलकर, परपोषी के अंदर घुसकर उसके संवहन ऊतक (जाइलम व फ्लोयम) से अपना संबंध स्थापित कर लेते हैं।

ये पूर्णतः तैयार भोजन अपने परपोषी से प्राप्त करते हैं। अंतःपरजीवी (endoparasite) वे हैं जो परपोषी के शरीर में भिन्न स्थलों जैसे यकृत, वृक्क, फुफ्फुस, लाल रुधिर कोशिका आदि में रहते हैं। पक्षियों में अंड परजीविता (egg or brood parasitism) का अच्छा उदाहरण है जिसमें परजीवी पक्षी अपने अंडे परपोषी के घोंसले में देता है और परपोषी को उन अंडों को सेने (incubate) देता है।

आगे जाकर परजीवी पक्षी के अंडे साइज और रंगों में परपोषी के अंडों की भांति विकसित हो जाते हैं। इससे परपोषी इन अंडों को अपना समझकर बाहर नहीं निकालता। कोयल में भी अंड परजीविता पाई जाती है।

(घ) सहभोजिता (Commensalism) – इस प्रक्रिया में एक जाति को लाभ और दूसरी जाति को न तो लाभ होता है व न हानि होती है। उदाहरणार्थ, ऑर्किड (Orchid) आम की शाखा पर अधिपाद्प (epiphyte) के रूप में उगता है, ठीक इसी प्रकार व्हेल (whale) की पीठ पर बार्नेकल (Barnacle) निवास करता है। इस संबंध में ऑर्किड व बार्नेकल को तो लाभ होता है परंतु आम व क्लेल को न तो इनसे लाभ व न हानि होती है।

इसी प्रकार अन्य उदाहरणों में पक्षी बगुला और चरने वाले पशु आपस में साहचर्य में रहते हैं जो कि सहभोजिता का एक अच्छा उदाहरण है। खेत में पशु चरते रहते हैं और उनके पास ही बगुला भोजन प्राप्त करता रहता है। वस्तुत: खेत में पशु चरते हुये वनस्पति को हिलाते रहते हैं जिससे कीट बाहर निकलते रहते हैं तथा बगुला उन कीटों को खा जाता है।

सहभोजिता का एक अन्य उदाहरण समुद्री ऐनीमोन (Sea anemons) की दंशन स्पर्शक (stinging tantacles) का है। इन समुद्री ऐनीमोन के बीच रहने वाली क्लाउन मछली को परभक्षियों से दंशक स्पर्शक द्वारा सुरक्षा मिल जाती है क्योंकि परभक्षी इन दंशन स्पर्शकों से दूर रहते हैं यद्यपि समुद्री ऐनीमोन को क्लाउन मछली से कोई लाभ नहीं मिलता है।

(ङ) सहोपकारिता (Mutualism)-इस प्रक्रिया में दोनों जीवों को लाभ होता है। इसे प्रकाश-संश्लेषी शैवाल या सायनोबैक्टीरिया व लाइकेन के मध्य देखा जा सकता है। यहां शैवाल प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा अपने तथा कवक सहभागी के लिये खाद्य पदार्थों का निर्माण करता है।

इसके बदले में कवक अपने तथा शैवाल सहभागी के लिये वर्षा का जल, नमी आदि एकत्र करके उसका जीवन आसान बनाता है। इसमें कवक व शैवाल दोनों को लाभ होता है। इसी प्रकार का संबंध कवकों और उच्च कोटि के पादपों की जड़ों के बीच कवकमूल (Mycorrhiza) संबंध होता है।

कवक, मृदा से आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण में पादपों की सहायता करते हैं जबकि बदले में पादप, कवकों को ऊर्जा-उत्पादी कार्बोहाइड्रेट देते हैं। विकास की दृष्टि से सहोपकारिता के अच्छे उदाहरण पादपप्राणी संबंध में मिलते हैं। पादपों को अपने पुष्प परागित करने और बीजों के प्रकीर्णन के लिये प्राणियों की सहायता जरूरी है।

अनेक जंतु एवं पक्षी फलों व बीजों को खाकर अन्य स्थानों पर अपना मल विसर्जित करते हैं। इनके मल के साथ फलों के बीज भी बाहर आ जाते हैं, जिससे बीजों के प्रकीर्णन में सहायता मिलती है। विभिन्न पादपों में कुछ प्राणियों जैसे मधुमक्खी तथा तितलियों व अन्य पक्षियों की अहम भूमिका होती है।

ये पुष्पों पर मकरन्द प्राप्त करने के लिये जाते हैं तथा इसके बदले में परागकणों को एक पुष्प से अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित करके परागण क्रिया संपन्न कराते हैं। इस प्रकार पादप- प्राणी पारस्परिक क्रिया में सहोपकारिता होती है या यों कहा जा सकता है कि पुष्य व इसके परागणकारी जातियों के विकास एक-दूसरे से मजबूती से जुड़े हुए हैं।

अंजीर के वृक्षों की अनेक जातियों में बर्र की परागणकारी जातियों के बीच अगाढ़ संबंध है। अंजीर की जाति केवल इसके ‘साथी’ बर्र की जाति से ही परागित हो सकती है, यह किसी बर्र की दूसरी जाति से परागित नहीं हो सकती। मादा बर्र फल को केवल अंड निक्षेपण (ovipositor) के लिये ही उपयोग में नहीं लेती, बल्कि फल के अंदर वृद्धि कर रहे बीजों के डिंबकों (larvae) के पोषण के लिये उपयोग करती है।

अंडे देने के लिये उपयुक्त स्थान की तलाश करते हुए बर्र अंजीर पुष्पक्रम को परागित करती है। इसके बदले में अंजीर अपने कुछ परिवर्धनशील बीज, परिवर्धनशील बर्र के डिंबकों को आहार के रूप में देती है। अ पुष्प प्रतिरूपों में अ श चर्य चकि त करने वाली विविधता पाई जाती है।
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इनके पुष्पों में पुष्पीय संरचना परागणकारी कीट भ्रमरों व गुंज मक्षिकाओं (Bees and Bumblebees) को आकर्षित करने के लिये ही विकसित हुए हैं ताकि इसके द्वारा निश्चित रूप से परागण हो सके। यद्यपि यह प्रवृत्ति सभी ऑर्किड पुष्पों में नहीं पायी जाती है परन्तु ऑफ्रिस (Ophrys) नामक भूमध्यसागरीय मेडिटेरिनियन ऑर्किड की एक जाति परागण कराने के लिए लैंगिक कपट (Sexual deceit) का सहारा लेती है।

इस पुष्प की एक पंखुड़ी (petal) साइज, रंग और चिन्हों में मादा मक्षिका (Bee) से मिलती-जुलती होती है। नर मक्षिका इसे मादा समझकर इसकी ओर आकर्षित होती है तथा पुष्प के साथ कूट मैथुन (Pseudo copulates) करती है। इस क्रिया के दौरान इस पर पुष्प से पराग झड़कर उस पर गिर जाते हैं।

जब यही मक्षिका अन्य पुष्प से कूट मैथुन करती है तो इसके शरीर पर लगे परागकण उस पुष्प पर गिर जाते हैं जिससे पुष्प को परागित करती है। परन्तु विकास के दौरान यदि किसी भी कारण से मादा मक्षिका का रंग-प तिरूप (Colourpattern) जरा-सा भी बदल जाता है तो परागण की सफलता कम रहेगी अतः इस कारण से ऑर्किड पुष्प अपनी पंखुड़ी को मादा मक्षिका के सदृश बनाए रखते हैं
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प्रश्न 15.
जीवोम से क्या समझते हैं? ये विभिन्न प्रकार के क्यों होते हैं? पाये जाने वाले जीवोम को सचित्र बताइये ।
उत्तर:
विश्व के मुख्य पादप समुदायों को जीवोम (Biomes ) कहते हैं । जीवोम में विभिन्नता तापक्रम, वर्षण व विभिन्न ऋतुओं के कारण होती है। प्रत्येक जीवोम के अंदर ही क्षेत्रीय और स्थलीय विभिन्नताओं के कारण आवास में व्यापक विभिन्नता होती है। भारत के प्रमुख जीवोम निम्न प्रकार से हैं-

  • मरुथल जीवोम (Desert Biome )
  • घास स्थल जीवोम (Grassland Biome)
  • उष्णकटिबंध वन जीवोम (Tropical Forest Biome)
  • शीतोष्ण वन जीवोम (Temperate Forest Biome)
  • शंकुधारी वन जीवोम (Coniferous Forest Biome)
  • उत्तरी ध्रुवीय और अल्पाइन टुंड्रा जीवोम (Arctic and Alpine Tundra Biome)

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प्रश्न 16.
जैविक अनुक्रिया के अन्तर्गत नियमन करने (Regulate) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कुछ जीव समस्थापन (Homeostasis) कार्यिकीय साधनों द्वारा बनाए रखते हैं जिसके कारण शरीर का तापमान, परासरणी सांद्रता इत्यादि स्थिर रहती है। सभी पक्षी और स्तनधारी तथा बहुत कम निम्न कशेरुकी (Lower vertebrates ) व अकशेरुकी ( invertebrates ) जातियाँ वास्तव में ताप व परासरण नियमन (Thermoregulation and Osmoregulation) बनाए रखने में सक्षम होते हैं।

विकासवादी जीव वैज्ञानिकों का यह विश्वास है कि स्तनधारियों की सफलता का मुख्य कारण यही है कि वे अपने शरीर का तापमान स्थिर बनाये रखने में सक्षम होते हैं, भले वे अंटार्कटिका में रहें या सहारा के मरुस्थल में । प्रायः स्तनधारी अपने शरीर के तापमान का नियमन उसी प्रकार करते हैं जैसे मानव करते हैं। हम शरीर का तापमान 37°C स्थिर रखते हैं।

गर्मियों के समय में जब बाहर का तापमान शरीर से अधिक हो जाता है तब हमें अधिक पसीना आता है। यह पसीना वाष्प बनकर उड़ता है उससे शरीर के तापमान का नियमन हो जाता है। सर्दियों में पर्यावरण में जब तापक्रम कम हो जाता है तब हम काँपने लगते हैं। काँपने से जो व्यायाम होता है उससे ऊष्मा पैदा होकर शरीर के ताप का नियमन होता है । परन्तु पादपों में नियमन करने का कोई तरीका नहीं होता है।

प्रश्न 17.
संरूपण रखना भी जैविक अनुक्रिया का तरीका है, इसे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
लगभग 99% प्राणी व सभी पौधे स्थिर आंतरिक पर्यावरण बनाये रखने में सक्षम नहीं होते हैं। उनके शरीर का तापमान पर्यावरण तापमान के अनुसार बदलता रहता है। जलीय प्राणियों में तो शरीर के द्रव की परासरण सांद्रता बाहरी जल की परासरण सांद्रता के अनुसार बदलती रहती है। ये प्राणी और पौधे संरूपी (Conform ) कहलाते हैं।

संरूपी या संरूपण जैविक अनुक्रिया की विधि है। अनेक जीवों के लिये ताप नियमन ( Thermoregulation) ऊर्जा की दृष्टि से महँगा है। यह तर्क मंजोरु ( Shrews ) व गुंजन पक्षी (Humming Birds) जैसे छोटे प्राणियों के विषय में सही है। ताप हानि या ताप लाभ पृष्ठीय क्षेत्रफल ( Surface Area) का प्रकार्य है।

चूंकि छोटे प्राणियों का पृष्ठीय क्षेत्रफल उनके आयतन की अपेक्षा ज्यादा होता है, इसलिए जब बाहर ठंड होती है तो उनके शरीर की ऊष्मा बहुत तेजी से कम होती है। ऐसी स्थिति में उन्हें उपापचय (Metabolism) द्वारा शरीर की ऊष्मा पैदा करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।

यह मुख्य कारण है कि बहुत छोटे प्राणी बिरले ही ध्रुवीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। विकास के दौरान कुछ जातियों में नियमन करने की क्षमता उत्पन्न हो गई है ( केवल सीमित परास वाले पर्यावरण परिस्थितियों में ) । यदि पर्यावरण परास ज्यादा होता है तो वे केवल संरूपण (Conform ) करते हैं।

प्रश्न 18.
जीवों में प्रवास करने (Migration) को समझाइये।
उत्तर:
जीव दबावपूर्ण आवास से अस्थायी रूप से अधिक अनुकूल क्षेत्र में चला जाए और जब दबावभरी अवधि बीत जाये तो वापस लौट आए। मानव सादृश्य में, यह नीति ऐसी है जैसे गरमी की अवधि में व्यक्ति दिल्ली से शिमला चला जाए। अनेक प्राणी, विशेषत: पक्षी, शीतऋतु के दौरान लंबी दूरी का प्रवास करके अधिक अतिथि अनुकूली क्षेत्रों में चले जाते हैं।

प्रत्येक शीतकाल में राजस्थान स्थित प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) साइबेरिया और अन्य अत्यधिक ठंडे उत्तरी क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों को अतिथि के रूप में स्वागत करता है। इस प्रकार जीवों के एक स्थान से अन्य स्थान पर जाने की प्रक्रिया को प्रवास करना कहते हैं।

प्रश्न 19
गाँसे (Gauses) के स्पर्धी अपवर्जन नियम (Competitive Exclusion Principle) को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
गाँसे ‘स्पर्धी अपवर्जन नियम’ यह बतलाता है कि एक ही तरह के संसाधनों के लिए स्पर्धा करने वाली दो निकटतम से संबंधित जातियाँ अनंतकाल तक साथ-साथ नहीं रह सकतीं और स्पर्धी रूप से घटिया जाति अंततः विलुप्त कर दी जाती है। ऐसा तभी होगा जब संसाधन सीमाकारी होंगे अन्यथा नहीं।

अधिक वर्तमान अध्ययन स्पर्धा के ऐसे घोर सामान्यीकरण की पुष्टि नहीं करते। वे प्रकृति में अंतरजातीय स्पर्धा होने को नकारते तो नहीं पर वे इस ओर ध्यान दिलाते हैं स्पर्धा का सामना करने वाली जातियाँ ऐसी क्रियाविधि विकसित कर सकती हैं जो बहिष्कार की बजाय सह अस्तित्व को बढ़ावा दे। ऐसी क्रियाविधि ‘संसाधन विभाजन है।

अगर दो जातियाँ एक ही संसाधन के लिए स्पर्धा करती हैं तो उदाहरण के लिए वे आहार के लिए भिन्न समय अथवा भिन्न चारण प्रतिरूप चुनकर स्पर्धा से बच सकती हैं। मैकआर्थर ने दिखाया कि एक ही पेड़ पर रह रहीं फुदकी (वार्बलर) की पाँच निकटत: संबंधित जातियाँ स्पर्धा से बचने में सफल रहीं और पेड़ की शाखाओं और वितान पर कीट शिकार के लिए तलाशने की अपनी चारण गतिविधियों में व्यावहारिक भिन्नताओं के कारण साथ- साथ रह सकीं।

प्रश्न 20.
सहोपकारिता के अन्तर्गत पुष्पीय पादपों में पुष्प व इसके परागणकारी जातियों के विकास एक-दूसरे से मजबूती से जुड़े होते हैं, इस कथन की पुष्टि अंजीर (Fig) पादप से कीजिए ।
उत्तर:
अंजीर के पेड़ों की अनेक जातियों में बर्र की परागणकारी जातियों के बीच मजबूत संबंध है। इसका अर्थ यह है कि कोई दी गई अंजीर जाति केवल इसके ‘साथी’ बर्र की जाति से ही परागित हो सकती है, बर्र की दूसरी जाति से नहीं। मादा बर्र फल को न केवल अंडनिक्षेपण (अंडे देने) के लिए काम में लेती है; बल्कि फल के भीतर ही वृद्धि कर रहे बीजों को डिंबकों (लार्वी) के पोषण के लिए प्रयोग करती है। अंडे देने के लिए उपयुक्त स्थल की तलाश करते हुए बर्र अंजीर पुष्पक्रम (इनफ्लोरेसेंस) को परागित करती है। इसके बदले में अंजीर अपने कुछ परिवर्धनशील बीज, परिवर्धनशील बर्र के डिंबकों को आहार के रूप में देती है।

प्रश्न 21.
सहभोजिता एवं सहपरोपकारिता में अन्तर स्पष्ट कीजिए । प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सहभोजिता (Commensalism) – इस साहचर्य में दोनों में से केवल एक को लाभ होता है लेकिन हानि किसी को नहीं होती है। अधिपादप तथा कंठलताएँ इसका उपयुक्त उदाहरण हैं। अधिपादप स्वपोषी होते हुए भी अन्य पौधों पर उगते हैं। ये वेलामेन (Velamen) मूल द्वारा आर्द्रता को ग्रहण करते हैं तथा प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं।

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उदा – वैन्डा तथा आर्किड्स । हरित शैवाल बेसीक्लेडिया (Basicladia) अलवणीय जल में पाये जाने वाले कछुए के कवच पर उगता है, यह अधिजन्तु का उदाहरण है। कंठलताएँ काष्ठीय आरोही पौधे हैं जो पृथ्वी पर उगकर अन्य पेड़ों का सहारा लेकर ऊपर चढ़ते हैं तथा उनके शीर्ष भागों पर फैल जाते हैं ताकि उन्हें उचित प्रकाश प्राप्त हो।

उदाहरण- टीनोस्पोरा, बिग्नोनिया, बोगेनविलिया आदि । सहोपकारिता (Mutualism) – इसमें दोनों जातियों को लाभ पहुँचता है तथा जीवनयापन हेतु दोनों का साथ आवश्यक है। उदाहरण-शैक, सहजीवी नाइट्रोजन स्थिर कारक, कवकमूल साहचर्य आदि । कुछ उच्च श्रेणी के पौधों की मूलों व कवक में साहचर्य होता है, इसे कवकमूल साहचर्य कहते हैं।

उदाहरण-पाइनस, ओक, हिकरी, बीच आदि। इनमें कवक जल व खनिज लवणों का अवशोषण कर पौधे को उपलब्ध करवाता है तथा मूल कवक को भोजन प्रदान करते हैं। इस प्रकार के पौधों की मूल में मूलरोमों का अभाव होता है ।

प्रश्न 22.
रेगिस्तानी पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले चार अनुकूलन लिखिए।
उत्तर:

  • रंध्र (stomata) गहरे गर्त में व्यवस्थित होते हैं, ताकि वाष्पोत्सर्जन (transpiration) द्वारा जल की न्यूनतम हानि हो।
  • प्रकाश संश्लेषी (सी ए एम) मार्ग भी विशेष प्रकार के होते हैं जिसके कारण वे अपने रंध्र दिन के समय में बन्द रख सकते हैं।
  • कुछ पौधों जैसे-नागफनी, कैक्टस आदि में पत्तियाँ नहीं होतीं बल्कि वे काँटे के रूप में रूपान्तरित हो जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण का प्रकार्य चपटे तनों द्वारा होता है।

प्रश्न 23.
जीवाणु, कवक और निम्न पादप प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे जीवित रहते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
जीवाणुओं, कवकों और निम्न पादपों में विभिन्न प्रकार के मोटी भित्ति वाले बीजाणु बन जाते हैं, जिससे उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित बचे रहने में सहायता मिलती है। उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध होने पर ये अंकुरित हो जाते हैं।

प्रश्न 24.
जहाँ पशु चरते हैं, उसके पास ही बगुले भोजन प्राप्ति के लिए रहते हैं । इस पारस्परिक क्रिया को क्या कहते हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
पक्षी बगुला और चारण पशु निकट साहचर्य में रहते हैं। यह सहभोजिता (Commensalism) का अच्छा उदाहरण है। इसका कारण यह है कि जब पशु चलते हैं तो उनके खुरों से जमीन से पौधों के हिलने से कीड़े बाहर निकलते हैं। बगुले उन कीटों को आसानी से पकड़कर खा लेते हैं।

प्रश्न 25.
परभक्षण तथा परजीविता में अन्तर स्पष्ट कीजिए । उत्तर- परभक्षण व परजीविता दोनों ऋणात्मक पारस्परिक सम्बन्ध हैं क्योंकि इन दोनों परस्पर सम्बन्धों में एक जाति को लाभ होता है तो दूसरी जाति को हानि होती है। परभक्षण प्रक्रिया में एक जीव दूसरे जीव को खाता है, जैसे बाघ हिरण को खाता है, जन्तु पौधों को खाते हैं। यहाँ बाघ शिकारी है व हिरण शिकार है।

परभक्षित जीव शिकार समष्टि को नियंत्रित करते हैं। परजीविता में छोटे आकार की जाति (परजीवी) बड़ी जातियों ( पोषक) के अन्दर या उन पर जीवित रहते हैं जिससे कि वह भोजन और आश्रय ग्रहण करते हैं। परजीवी पोषक के शारीरिक द्रव्य से भोजन लेते हैं। परजीवी, परभक्षक की तरह पोषक जातियों की संख्या को सीमित करते हैं।

परजीवी पोषक विशिष्ट होते हैं, उनके पास परभक्षियों की जैसे कोई विकल्प नहीं होता। परजीवी आकार में छोटे होते हैं और इनमें परभक्षक की तुलना में उच्च जैविक/ प्रजनन सामर्थ्य होता है। परजीवियों में प्रकीर्णन के लिए विशिष्ट संरचनाओं की आवश्यकता पोषक तक पहुँचने और उन पर आक्रमण करने के लिए होती है। परभक्षक चलनशील होते हैं और शिकार को पकड़ने के लिए समर्थ होते हैं।

प्रश्न 26.
किसी आवास में समष्टि के घनत्व के घटने-बढ़ने के चार मूलभूत प्रक्रमों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि के घनत्व के घटने-बढ़ने के चार मूलभूत प्रक्रम निम्न प्रकार से हैं-

  • जन्मदर – जन्म दर से तात्पर्य समष्टि में जन्मी उस संख्या से है जो दी गई अवधि के दौरान आरम्भिक घनत्व में जुड़ती है।
  • मृत्युदर – यह दी गई अवधि समष्टि में होने वाली मौतों की संख्या है।
  • आप्रवासन – उसी जाति के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समय अवधि के दौरान आवास में कहीं और से आये हैं।
  • उत्प्रवासन – समष्टि के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समयावधि के दौरान आवास छोड़कर कहीं और चले गये हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए-
(क) परभक्षण
(ख) स्पर्धा
(ग) मृदा ।
उत्तर:
(क) परभक्षण (Predation) – यदि किसी समुदाय में पौधों को खाने वाले प्राणी न हों तो स्वपोषी जीवों द्वारा स्थिर की गई संपूर्ण ऊर्जा व्यर्थ होगी। प्राणियों के द्वारा पौधे खाये जाते हैं तथा ऊर्जा को उच्चतर पोषी स्तरों में स्थानांतरित करते हैं। परभक्षण वे होते हैं जो अन्य जीवों का भक्षण या खाते हैं।

यद्यपि पौधों को खाने वाले जीवों को शाकाहारी कहते हैं परंतु सामान्य पारिस्थितिक संदर्भ में वे भी परभक्षी जैसे होते हैं। परभक्षी पोषी स्तर तक ऊर्जा स्थानांतरण के लिये संनाल (Conduits) का कार्य करने के अतिरिक्त वे शिकार समष्टि को नियंत्रित रखते हैं। यदि प्रकृति में परभक्षी नहीं होते तो शिकार जातियों का समष्टि घनत्व बहुत अधिक हो जाता और परितंत्र में अस्थिरता आ जाती।

जब भी किसी भौगोलिक क्षेत्र में कुछ विदेशज जातियाँ लाई जाती हैं तो वे आक्रामक होकर तेजी से फैलने लगती हैं क्योंकि उन स्थानों पर उसके प्राकृतिक परभक्षी नहीं होते हैं। सन् 1920 के आरंभ में आस्ट्रेलिया में लाई गई नागफनी ने वहाँ लाखों हेक्टेयर भूमि में तेजी से फैलकर तबाही मचा दी।

अंत में नागफनी को खाने वाले परभक्षी (एक प्रकार का शलभ) को लाकर आक्रामक नागफनी को नियंत्रित किया जा सका। परभक्षी, स्पर्धी शिकार जातियों के बीच स्पर्धा की तीव्रता कम करके किसी समुदाय में जातियों की विविधता (diversity) बनाए रखने में भी सहायता करता है।

उदाहरणार्थ, अमेरिकी प्रशांत तट की चट्टानी अंतराज्वारीय (intertidal) समुदायों में पाइसैस्टर तारामीन एक महत्त्वपूर्ण परभक्षी है। प्रयोग में जब एक बंद अंतराज्वारीय क्षेत्र से सभी तारामीन को हटा दिया गया तो अंतराजातीय स्पर्धा के कारण एक वर्ष में ही अकशेरुकियों की 10 से अधिक जातियाँ विलुप्त हो गईं।

यदि परभक्षी ज्यादा ही दक्ष है तो वह अपने शिकार का अतिदोहन करता है जिससे शिकार विलुप्त हो जायेगा परंतु जब शिकार का अभाव हो जायेगा तो परभक्षी भी शिकार न मिलने के कारण विलुप्त हो जायेगा। प्रकृति में शिकारी जातियों ने परभक्षण के प्रभाव को कम करने के लिये विभिन्न रक्षा विधियाँ विकसित कर ली हैं।

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कीटों और मेढ़कों की कुछ जातियों ने परभक्षी से बचने के लिये गुप्त रूप से रंगीन (छद्मावरण) हो जाती हैं, जिससे परभक्षी उन्हें पहचान नहीं पाता। कुछ शिकार जातियाँ विषैली होती हैं, इसके कारण परभक्षी उनका भक्षण नहीं करते। मॉनार्क तितली के शरीर में विशेष रसायन होने के कारण स्वाद में खराब होती है, इस कारण परभक्षी उन्हें नहीं खाते हैं।

यह तितली इस रसायन को अपनी इल्ली अवस्था में विषैली खरपतवार खाकर प्राप्त करती है। पौधों के लिये शाकाहारी प्राणी परभक्षी होते हैं। लगभग 25% कीट पादपभक्षी (phytophagous) होते हैं अर्थात् वे पादप रस या पादपों के अन्य भाग खाते हैं। पादपों के लिये परभक्षी से बचने के लिये एक समस्या है क्योंकि वे प्राणियों की जैसे भाग नहीं सकते। इस कारण पौधों ने शाकाहारियों से बचने के लिये आकारिकीय और रासायनिक रक्षाविधियाँ विकसित कर ली हैं।

आकारिकीय रक्षाविधियों का उदाहरण एकेशिया (Acacia) व कैक्टस (Cactus) में कांटे हैं। रासायनिक रक्षाविधियों में अनेक पादप ऐसे रसायन उत्पन्न कर एकत्रित कर लेते हैं जो कि शाकाहारी द्वारा खाये जाने पर, उन्हें बीमार कर देते हैं, पाचन का संदमन करते हैं, उनके जनन को भंग कर देते हैं या मार देते हैं।

प्रायः खाली खेतों में आकड़ा या मदार (Calotropis) की खरपतवार उगी रहती है, उसे कोई भी पशु नहीं खाता है क्योंकि इस पौधे में विषैला ग्लाइकोसाइड (glycoside) उत्पन्न होता है। विविध प्रकार के पौधों से अनेक प्रकार के व्यापारिक स्तर पर रासायनिक पदार्थ जैसे-निकोटीन, कैफीन, क्वीनीन, स्ट्रिकनीन, अफीम इत्यादि प्राप्त करते हैं। इन रसायनों के कारण पशु इन्हें नहीं खाते हैं तथा पौधे शाकाहारी प्राणियों से अपनी रक्षा करते हैं।

(ख) स्पर्धा (Competition)-डार्विन ने प्रकृति में जीवनसंघर्ष और योग्यतम की उत्तरजीविता के विषय में बताते हुये कहा कि जैव-विकास में अंतरजातीय स्पर्धा (interspecific competition) एक शक्तिशाली कारक है। वस्तुतः स्पर्धा प्रायः तब होती है जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उन्हीं संसाधनों के लिये स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं।

किन्तु यह सत्य नहीं है कि एक ही जाति के जीव आपस में प्रतिस्पर्धा रखें। डार्विन के अनुसार भोजन व स्थान के लिये विभिन्न समष्टियों के जीव भी स्पर्धा रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, दक्षिण़ी अमेरिका की कुछ उथली (कम गहरी) झीलों में आगुंतक फ्लेमिंगो और वहीं क्री रहने वाली मछलियां दोनों ही झील में मिलने वाले प्राणिप्लवक (Zooplankton) के लिये प्रतिस्पर्धा करते हैं।

स्थान व खाद्य सामग्री पर्याप्त होने पर भी यह देखा गया है कि स्पर्धा में एक समष्टि के प्राणी बाधित हो जाते हैं क्योंकि दूसरी समष्टि के जीव अधिक आक्रामक होते हैं जिससे वे पहली जाति के जीवों को उपलब्ध स्थान व भोजन का उपयोग नहीं करने देते हैं। प्रकृति में यह देखा गया है कि एक जाति की योग्यता अधिक बढ़ने पर वह दूसरी जाति के जीवों को कम कर सकती है परन्तु उन्हें विलुप्त नहीं कर पाती।

यद्यपि प्रकृति में ऐसे उदाहरण हैं कि योग्य जाति दूसरी जाति को समाप्त कर देती है। गैलापेगो द्वीप में एबिंगडन (Abingdon) कहुए अधिक संख्या में पाये जाते थे परंतु जब बकरियाँ पहुँचीं तो उन्होंने अधिक चरने के कारण सारे पौधे समाप्त कर दिये जिससे 10 साल में ही कछुए समाप्त हो गये। प्रतिस्पर्धा का एक अन्य प्रमाण स्पर्धी मोचन (competitive release) है।

यदि एक योग्य जाति है जिसने अपने से कम योग्य जाति को स्थान विशेष में सीमित कर रखा है व किसी भी कारण से यदि योग्य जाति नष्ट हो जाती है व उस स्थान से प्रवास कर जाती है तो दूसरी जाति स्पर्धा के अभाव में उस पूरे क्षेत्र में फैल कर समष्टि घनत्व बढ़ा सकती है। गॉसे (Gause) का स्पर्धी अपवर्जन नियम (Competitive exclusion principle) यह बताता है कि एक ही प्रकार के संसाधनों के लिये

स्पर्धा करने वाली दो निकटतम संबंधित जातियाँ लंबे समय तक साथ-साथ नहीं रह सकतीं और स्पर्धी रूप से कमजोर जाति बाद में समाप्त हो जाती है। गॉसे का यह नियम केवल तब ही लागू होगा जब स्थान या भोजन सीमाकारी (limiting) हो जायेंगे अन्यथा स्पर्धा  का यह नियम लागू नहीं होगा।

आधुनिक अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ है कि जब दो जातियाँ स्पर्धा करती हैं तब एक विलुप्त नहीं होती वरन् यह इस प्रकार के अनुकूलन विकसित कर लेती है जिससे दोनों का एक साथ अस्तित्व बना रहता है। इस प्रकार की क्रियाविधि को ‘संसाधन विभाजन’ कहते हैं। यदि दो जातियां एक ही संसाधन के लिये स्पर्धा करती हैं तो वे आहार के लिये भिन्न समय या भिन्न चारण प्रतिरूप चुनकर स्पर्धा से बच सकती हैं।

मैक आर्थर (Mac Arthur) ने बताया कि एक ही पेड़ पर रह रही फुदकी (Warblers) की पांच जातियां स्पर्धा से बचने में सफल रहीं और पेड़ की शाखाओं और वितान पर कीट शिकार के लिये तलाशने की अपनी चारण गतिविधियों में व्यावहारिक भिन्नताओं के कारण साथ-साथ रह सकीं।

मृदा (Soil)-भूमि की ऊपरी उपजाऊ सतह को मृदा कहते हैं। पौधों तथा जंतुओं के लिए मृदा प्राकृतिक आवास होता है। जीवधारियों को मृदा से जल एवं खनिज लवण प्राप्त होते हैं। विभिन्न स्थानों की मृदा की प्रकृति और गुण में भिन्नता होती है। मृदा का निर्माण कठोर चट्टानों के अपक्षय (weathering) के कारण होता है। यह अपक्षय प्रक्रिया भौतिक, रासायनिक व जैविक प्रकार की होती है।

इन अपक्षयित पदार्थों से मृदा का निर्माण होता है जिसे मृदाजनन (Pedogenesis) कहते हैं। इन कणों में अनेक जीवधारी व पादपों के भाग (पत्तियां, जड़ें, भूमिगत भाग इत्यादि) मृत्यु के पश्चात् कार्बनिक पदार्थों में रूपातंरित होकर मिल जाते हैं जिससे वास्तविक मृदा या उर्वर मृदा का निर्माण होता है। निर्माण के आधार पर मृदा दो प्रकार की होती-
(i) अवशिष्ट मृदा (Residual soil) – जिन चट्टानों के अपक्षय से मृदा कण बनते हैं, यदि वह मृदा उसी स्थान पर रहती है तो उसे अवशिष्ट मृदा कहते हैं।

(ii) वाहित मृदा (Transported soil) – निर्माण स्थल से जब मृदा किन्हीं कारकों द्वारा अन्य स्थानों पर पहुंच जाती है तो उसे वाहित मृदा कहते हैं। हवा द्वारा लायी गयी मृदा इओलियन मृदा (Eolian soil), गुरुत्व द्वारा लायी गई मृदा कोल्युवियल मृदा (Colluvial soil), जल द्वारा बहाकर लायी गई मृदा को एल्युवियल मृदा (Alluvial soil) तथा ग्लेशियरों के पिघलने से लायी गयी मृदा ग्लेसियल मृदा (Glacial soil) कहते हैं।

मृदा का अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा में किया जाता है उसे मृदा विज्ञान (Pedology) कहते हैं। मृदा के तीन संस्तर (horizon) होते हैं-

  • शीर्ष मृदा (Top soil or ‘A’-horizon)-यह मृदा की सबसे ऊपरी परत है जिसमें बालू (sand) और ह्यूमस (humus) होता है। पौधों की जड़ें प्राय: इसी संस्तर में रहती हैं।
  • उपमृदा (Subsoil or ‘B’-horizon)-शीर्ष मृदा के नीचे वाले स्तर को उपमृदा कहते हैं, इसमें चिकनी मिट्टी होती है। वर्षा का जल रिसकर इस स्तर में एकत्रित होता रहता है। इसमें ह्यूमस व वायु की मात्रा कम होती है तथा इस संस्तरण में जीव भी नहीं पाये जाते हैं।
  • ‘C’ संस्तर (C’-horizon) – यह संस्तर ‘B’ के नीचे होता है। इसमें अपूर्ण क्षरित चट्टानें होती हैं तथा ह्यूमस एवं सूक्ष्मजीवों का अभाव होता है। इस संस्तर के नीचे बिना अपक्षयित मातृ चट्टानें होती हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को समझाइये-
(क) समतापीय प्राणियों में उच्चताप के प्रति होने वाली अनुक्रियायें ।
(ख) चारघातांकी वृद्धि को सचित्र बताइये ।
उत्तर:
(क) समजात प्राणियों में उच्च ताप के प्रति होने वाली अनुक्रियाएँ – समतापीय प्राणियों में उच्च ताप के प्रति होने वाली अनुक्रियाएँ ( responses ) निम्न प्रकार से होती हैं-
(1) कम उपत्वचीय वसा (Less subcutaneous fat) – वे प्राणी जो प्रायः अधिक ताप वाले क्षेत्रों में रहते हैं, उनमें त्वचा में संचित वसा की मात्रा कम होती है। इसी कारण रेगिस्तानी प्राणियों में वसा कूबड़ (hump) में उपस्थित होती है।

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(2) लोमचर्म का झुकना (Lowerdown of pelage) – उत्थापक पेशी के शिथिलन के कारण, लोमचर्म पुनः सामान्य हो जाता है जिससे रोम के मध्य कोई वायु नहीं रहती है। इस कारण ऊष्मा का ह्रास विकिरणों के रूप में हो जाता है परन्तु ताप के और अधिक बढ़ जाने के कारण ऊष्मा का ह्रास विकिरणों के रूप में नहीं होता है बल्कि त्वचा अवरोधक का कार्य करती है।

(3) पृष्ठीय रक्तवाहिनियों का प्रसारित होना (Dialation of superficial blood vessels) – पृष्ठीय रक्तवाहिनियों के प्रसारित होने से रक्त समूह के निकट आ जाता है, जिससे वातावरण में ऊष्मा का ह्रास हो जाता है, सेतु वाहिनियाँ संकुचित हो जाती हैं, जिससे कुल रक्त का आयतन बढ़ जाता है। इस कारण भी सतह पर रक्त का प्रभाव बढ़ जाता है।

(4) पसीने का स्राव ( Secretion of Sweat ) – शरीर का ताप बढ़ने के साथ ही स्वेद ग्रंथियों द्वारा पसीने का स्राव होता है, जिसके वाष्पीकरण से शरीर का तापमान कम हो जाता है। वाष्पीकरण की दर प्रवाहित वायु के द्वारा भी प्रभावित होती है। इस क्रिया में ऊष्मा का ह्रास फेफड़ों से वाष्पीकरण द्वारा होता है, साथ ही रक्त के फुफ्फुसीय कोशिकाओं (pulmonary capillary) में प्रवाहित होने के कारण, ऊष्मा का कुछ ह्रास रक्त के द्वारा भी होता है।

(5) उपापचय का मंद होना (Fall of metabolism) – तापमान अधिक होने से प्राणियों में उपापचय दर कम हो जाती है व कम ऊष्मा का उत्पादन होता है। अतः ये प्राणी कम सक्रिय रहते हैं। स्तनधारियों में ताप का नियमन हाइपोथेलेमस द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त इन प्राणियों में लम्बे कान होते हैं, जो एक रेडियेटर का कार्य करते हैं व ये रात्रिचर आवास के होते हैं।

(ख) चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth) को सचित्र बताइये –
समष्टि में व्यष्टियों की संख्या का बढ़ना समष्टि वृद्धि (Population growth) कहलाता है। वैसे किसी भी जाति के लिये समष्टि का आकार स्थितिक (static) नहीं होता है। यह समय-समय पर बदलता रहता है जो विभिन्न कारकों जैसे आहार उपलब्घता, परभक्षण दाब और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

यदि उपरोक्त दशाएँ अनुकूल होती हैं तो समष्टि की वृद्धि होती है परंतु प्रतिकूल दराओं के होने पर समध्टि की हानि होती है। किसी आवास में समष्टि का घनत्व चार मूलभूत प्रक्रमों में घटता व बढ़ता है। इन चारों में से जन्म दर व आप्रवासन (migration) समष्टि घनत्व को बढ़ाते है अरकि मृत्युदर तथा उत्प्रवासन (Emigration) इसे घटाते हैं।
(i) जन्म दर (Natality) समस्त जीव प्रजनन क्रिया द्वारा अपनी संतति में वृद्धि करके समष्टि में वृद्धि करते हैं अतः एक निश्चित अवधि में किसी समष्टि द्वारा उत्पन्न नये जोवों की औसत संख्या को उस समष्टि की जन्म दर कहते हैं।

(ii) मृत्यु दर (Death rate or Mortality)—समष्टि में सभी जीव एक निश्चित समय उपरांत मरते हैं अतः एक निश्चित अव्वि में समष्टि में मरने वाले जीवों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं। इससे समष्टि में कमी आती है।

(iii) आप्रवासन या अन्तःप्रवास (Immigration)- किसी स्थान पर एक जाति के जीवों का आगमन अन्तःप्रवास कहलाता है। इस प्रकार के प्रवास में किसी क्षेत्र में अंदर की ओर केवल एक तरफ गति होती है। इस प्रक्रिया फलस्वरूप आये हुये जीव वापस न तो लौटते हैं व न ही इरादा रखते हैं।

(iv) उत्प्रवासन या बहि:प्रवास (Emigration)-इस प्रक्रिया में जीवों का गमन आवास को छोड़कर अन्य स्थान की ओर होता है या एक देश से दूसरे देश की ओर होता है। अतः एक क्षेत्र से जाति के निकास को उत्प्रवासन कहते हैं। यह निकास स्थायी होता है क्योंकि ये जीव वापस पूर्व स्थान की और नहीं लौटते हैं।

इसलिये यदि समय t पर समष्टि धनत्व N है तो समय t+I पर इसका घनत्व
Nt+I = N1 + [(B+I) -(D+E)]
N1 = एक समय पर समष्टि घनत्व, B = जन्म दर (Birth rate), I = आप्रवासन (Immigration), D = मृत्यु दर (Death rate), E = उत्त्रवासन (Emigration) है।

उपरोक्त समीकरण को देखने पर हम यह कह सकते है कि यदि जन्मदर व आप्रवासन अधिक हो रहा है तब समष्टि घनत्व बढ़ जायेगा परंतु मृत्युदर व उत्त्रवासन अधिक होने पर समष्टि घनत्व घट जायेगा। सामान्यतः समष्टि घनत्व को जन्म दर व मृत्यु दर ही प्रभावित करते हैं। उत्प्रवासन व आप्रवासन इसे कम प्रभावित करते हैं परंत ऐसे समय में जब कहीं नया आवास बना हो तब वहाँ का समष्टि घनत्व जन्म दर से न बढ़कर बल्कि आप्रवासन से बढ़ेगा।
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वृद्धि मॉडल (Growth Model)-वृद्धि मॉडल के दो प्रारूप होते हैं-चरघातांकी वृद्धि तथा संभार तंत्र वृद्धि।

(अ) चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth)-किसी भी समष्टि की निरंतर वृद्धि के लिये पर्याप्त संसाधन (आहार और स्थान) उपलब्ध होना आवश्यक है। यदि यह दोनों उपलब्ध हैं तब समष्टि की वृद्धि अबाधित रूप से चलती रहेगी। इसे डार्विन ने अपने प्राकृतिक वरण के सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुये बताया था। ऐसी स्थिति में समष्टि चरघातांकी या ज्यामितीय (geometrical) शैली में वृद्धि करती है। यदि समष्टि घनत्व N में प्रति व्यक्ति जन्म दर को b से व प्रति व्यक्ति मृत्यु दर को d से दर्शाएं तब दिये गये समय t में वृद्धि की कमी या अधिकता को निम्न समीकरण द्वारा दर्शा सकते हैं-
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r = प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर (intrinsic rate of natural increase) कहते हैं।
N = समष्टि का आकार
r का मान अलग-अलग समष्टियों के लिये अलग-अलग होता है, जैसे नार्वे चूहे के लिये r 0.015, आटा भृंग (floor betel) के लिये 0.12 तथा मानव आबादी के लिये 0.0205 होता है (1981 की गणना के अनुसार)। उपरोक्त दी गई समीकरण समष्टि के चरघातांकी था ज्यामितीय वृद्धि को बताता है।
और जबN को समय के संदर्भ में आरेखित करते हैं तो इससेJ-आकार का वक्र बनता है। अतः हम चरघातांकी समीकरण समाकलीय रूप से निम्न प्रकार से बता सकते हैं-
Nt = Noert
Nt  = समय t में समष्टि घनत्व
No = समय शून्य में समष्टि घनत्व

r = प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर (आंतरिक दर)
e = प्राकृतिक लघुगणकों (logarithms) का आधार (2.71828)
असीमित संसाधन परिस्थितियों में चरघातांकी रूप से वृद्धि करने वाली कोई भी जाति कुछ ही समय में विशाल समष्टि घनत्वों तक पहुंच सकती है। डार्विन ने बताया कि हाथी जैसा धीमे बढ़ने वाला प्राणी, किसी प्रकार की रोक न होने पर विशाल संख्या तक पहुँच सकता है।
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(ब) संभार तंत्र (Logistic growth)-प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित संसाधन नहीं होते जिससे कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसके कारण सीमित संसाधनों के लिये व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। प्रतिस्पर्धा के कारण अन्त में ‘योग्यतम’ व्यष्टि जीवित रह पाती है और जनन करती रहती है। इस प्रकार के वृद्धि प्रारूप में समष्टि की सजीव संख्या में प्रारम्भ में तो धीरे-धीरे वृद्धि होती है, इसे पश्चता प्रावस्था (Lag Phase) कहते हैं।

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परन्तु इसके पश्चात् वृद्धि की दर तेजी से बढ़ती है। समष्टि की तेजी से वृद्धि होने पर वातावरणीय प्रतिरोध बढ़ जाने के कारण एक संतुलन स्तर या स्थिर अवस्था (Stationary Phase) स्थापित हो जाती है। यदि इस प्रकार की वृद्धि प्रदर्शित कर रही समष्टि एवं समय के मध्य एक आरेख बनाया जावे तो एक S – आकार का वक्र बनता है। इस वक्र को सिग्माइड वक्र (Sigmoid curve) कहते हैं। इस प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हुस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि (Verhulst-Pearl logistic growth) कहलाती है। इसे निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है-
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अधिकतर प्राणियों की समष्टियों में वृद्धि हेतु संसाधन सीमित होते हैं और धीरे-धीरे और अधिक सीमित होते जायेंगे। इस कारण से लॉजिस्टिक वृद्धि मॉडल को अधिक यथार्थपूर्ण माना जाता है।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिकी के जैविक कारकों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
सजीवों के समस्त जैविक क्रियाओं तथा अन्योन्यक्रियाओं के प्रभाव को जैविक कारक कहते हैं। ओडम ने समस्त जैविक सम्बन्धों को धनात्मक तथा ऋणात्मक अन्योन्यक्रियाओं में बाँटा है।
I. धनात्मक अन्योन्यक्रियाएँ (Positive interactions ) – इस प्रकार की क्रियाओं में एक या दोनों जातियों को लाभ पहुँचता है। ये तीन प्रकार की होती हैं-
(अ) सहोपकारिता (Mutualism) – इसमें दोनों जातियों को लाभ पहुँचता है तथा जीवनयापन हेतु दोनों का साथ आवश्यक है। उदा. – शैक, सहजीवी नाइट्रोजन स्थिर कारक, कवकमूल साहचर्य आदि । कुछ उच्च श्रेणी के पौधों की मूलों व कवक में साहचर्य होता है, इसे कवकमूल साहचर्य कहते हैं। उदा. पाइनस, ओक, हिकरी, बीच · आदि। इनमें कवक जल व खनिज लवणों का अवशोषण कर पौधे को उपलब्ध करवाता है तथा मूल कवक को भोजन प्रदान करते हैं। इस प्रकार के पौधों की मूल में मूलरोमों का अभाव होता है।

(ब ) प्राक् सहयोगिता (Protocooperation)-इसमें दोनों समष्टियों को लाभ होता है परंतु जीवनयापन हेतु साथ रहना आवश्यक नहीं होता है। उदा. समुद्री एनिमोन तथा हर्मिट केंकड़े के बीच इसी प्रकार का सम्बन्ध होता है। समुद्री एनिमोन केंकड़े के कवच से चिपका रहता है जो इसे भोजन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है तथा समुद्री एनिमोन अपनी दंश कोशिकाओं के हर्मिट केंकड़े को शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
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(स) सहभोजिता (Commensalism) – इस साहचर्य में दोनों में से केवल एक को लाभ होता है लेकिन हानि किसी को नहीं होती है। अधिपादप तथा कंठलताएँ इसका उपयुक्त उदाहरण हैं। अधिपादप स्वपोषी होते हुए भी अन्य पौधों पर उगते हैं। ये वेलामेन (Velamen) मूल द्वारा आर्द्रता को ग्रहण करते हैं तथा प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं।

उदा.- वैन्डा तथा आर्किड्स । हरित शैवाल बेक्लेडिया (Basicladia) अलवणीय जल में पाये जाने वाले कछुए के कवच पर उगता है, यह अधिजन्तु का उदाहरण है। कंठलताएँ काष्ठीय आरोही पौधे हैं जो पृथ्वी पर उगकर अन्य पेड़ों का सहारा लेकर ऊपर चढ़ते हैं तथा उनके शीर्ष भागों पर फैल जाते हैं ताकि उन्हें उचित प्रकाश प्राप्त हो उदा. टीनोस्पोरा, बिग्नोनिया, बोगेनविलिया आदि ।

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II. ऋणात्मक अन्योन्यक्रियाएँ (Negative interactions) – इस प्रकार का सहजीवन जिसमें एक या दोनों जीव को हानि पहुँचती है। इन्हें ऋणात्मक अन्योन्यक्रियाएँ या विरोध ( antagonism) कहते हैं। ऐसे सम्बन्धों को तीन वर्गों में विभक्त किया गया है –
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(अ) शोषण (Exploitation) – इसमें एक जीव अन्य जीव को आधार, आश्रय या भोजन हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपभोग करके हानि पहुँचाता है। भोजन के लिए शोषण दो प्रकार का होता है-
(i) परजीविता (Parasitism) – वे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीव पर निर्भर रहते हैं, उन्हें परजीवी कहते हैं तथा जिससे भोजन प्राप्त करते हैं उसे परपोषी (host) कहते हैं। परजीवी, परपोषी से चूषकांग (haustoria) की सहायता से भोजन चूसते हैं।

परजीवी दो प्रकार के होते हैं- बाह्य परजीवी (Ectoparasite) – ऐसे परजीवी, परपोषी के बाहर रहते हैं किन्तु चूषकांगों को परपोषी की कोशिका में प्रवेश करा देते हैं। उदा. – अमरबेल, कसाईथा (Cassytha) आदि । ऐसे परजीवी जब परपोषी की मूलों से भोजन प्राप्त करते हैं तो मूल परजीवी कहलाते हैं।

ये आंशिक या पूर्ण मूल परजीवी हो सकते हैं, जैसे चंदन, शीशम, सीरस की जड़ों पर आंशिक परजीवी होता है। स्ट्राइगा घासों पर तथा ऑरोबैंकी, सोलेनेसी व क्रूसीफेरी कुल के पादपों की जड़ों पर पूर्ण मूल परजीवी होते हैं। वे परजीवी जो परपोषी के स्तम्भ से अपना भोजन प्राप्त करते हैं, जैसे अमरबेल, बेर, आक आदि पर पूर्ण स्तम्भ परजीवी होता है ।

कसाई था नीम पर पूर्ण स्तम्भ परजीवी तथा लोरेन्थस व विस्कम क्रमशः बोसविलीया (Boswellia) व पाइनस पर आंशिक स्तम्भ परजीवी होता है। अन्त: परजीवी (Endoparasite ) – इसमें परजीवी, परपोषी की कोशिकाओं के अन्दर रहते हैं, जैसे विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाज्मा आदि।

(ii) परभक्षिता (Predation ) – कुछ जीव अन्य जीवों को भोजन के लिए उपयोग करते हैं। प्रायः परभक्षी जन्तु होते हैं जो शाकाहारी या मांसाहारी हो सकते हैं। कवक डेक्टिलेला तथा जुफेगस आदि कीटों, गोलकृमि आदि को खाते हैं। कुछ कीटभक्षी पादप जैसे नेपेन्थीज, ड्रोसेरा, यूट्रीकुलेरिया, डायोनिया आदि प्रायः नाइट्रोजन की कमी व जलाक्रांत मृदा में उगते हैं। ये पौधे अपने विशेष अंगों की सहायता से कीटों को खाते हैं।

(ब) प्रतिजीविता (Antibiosis ) – इसमें एक जीव द्वारा कुछ रासायनिक पदार्थों का स्रवण किया जाता है जिससे दूसरे जीव की वृद्धि पूर्ण या आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है या उसकी मृत्यु हो जाती है, इसे प्रतिजीविता कहते हैं। कुछ उच्च श्रेणी पादपों की जड़ों से ऐसे रसायनों का स्रवण होता है जिससे दूसरे जाति के पौधों के बीजों के अंकुरण संदमित हो जाते हैं, इसे एलीलोपैथी (allelopathy) कहते हैं। उदा.- एरिस्टिडा घास फीनोल जैसे पदार्थों का स्रवण कर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु व शैवालों की वृद्धि को रोक देती है ।
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(स) स्पर्धा (Competition ) – पर्यावरण की समान आवश्यकताओं को प्राप्त करने के लिए जीवों में स्पर्धा उत्पन्न होती है। यह स्पर्धा मुख्यतः जल, प्रकाश, पोषक तत्वों व आश्रय के लिए होती है। यह स्पर्धा जब एक ही जाति के पादपों के बीच होती है तो उसे अन्तरजातीय स्पर्धा कहते हैं। दो भिन्न जातियों के बीच होने वाली स्पर्धा को अन्तरजातीय स्पर्धा कहा जाता है।

प्रश्न 4.
तापमान पौधों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः पौधे 0° से. से 52° से. तापमान परिसर में अपनी समस्त जैविक क्रियाओं को संचालित करते हैं किन्तु 20° से. से 30° से. का तापमान पादप वृद्धि हेतु अनुकूल होता है। तापमान पौधों को अग्र प्रकार से प्रभावित करता है-
1. उपापचयी क्रियाएँ (Metabolic activities) – जीवों की समस्त उपापचयी क्रियायें तापमान की एक निश्चित परास के अन्दर एन्जाइमों की सहायता से होती हैं। प्रत्येक 10° से. तापमान बढ़ने पर रासायनिक क्रिया दुगुनी हो जाती है। इसे Q10 या तापमान गुणांक कहते हैं। अधिक ताप पर एन्जाइम विकृत हो जाते हैं।

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2. वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)- अधिक तापमान पर वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है तथा कम तापमान पर वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

3. अवशोषण (Absorption ) – स्थलीय पौधों में जड़ों द्वारा अवशोषण 20° से. से 30° से. के बीच सबसे अधिक होता है। 0° से. के आसपास अवशोषण प्रायः रुक जाता है। 0° से. पर जल बर्फ में बदल जाता है। इस प्रकार के आवास स्थल कार्यिकी शुष्क होते हैं।

4. प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis ) – प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्राय: 5° से. ताप पर आरम्भ हो जाती है किन्तु इस क्रिया के लिए अनुकूलतम तापमान 10° से. से 30° से. है। एक सीमा तक ताप वृद्धि के पश्चात् प्रकाश संश्लेषण क्रिया में भारी गिरावट आती है क्योंकि अधिक ताप पर प्रकाश संश्लेषणीय एन्जाइम्स विकृत हो जाते हैं।

5. श्वसन (Respiration ) – श्वसन क्रिया पर तापमान का प्रभाव 0° से. से 40° से. के मध्य होता है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जाता है श्वसन दर कम हो जाती है। इसमें भी उच्च ताप पर श्वसनीय एन्जाइम नष्ट हो जाते हैं।

6. गति ( Movement ) – पौधों में तापानुचलनी (thermotactic) व तापानुकुंचनी ( thermonastic ) गतियाँ ताप के उद्दीपन के कारण होती हैं।

7. तापकालिता (Thermoperiodism ) – पौधों की कुछ कार्यिक क्रियायें तापमान के दैनिक चक्र द्वारा प्रभावित व नियंत्रित होती हैं। उदाहरण के लिए, टमाटर में पुष्पन तभी होता है जब तापमान परास (range) 18° से. से 26° से. के बीच की होती है। इस प्रकार के तापक्रम को तापकालिता कहते हैं।
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8. बसन्तीकरण (Vernalisation)- कुछ पौधों में पुष्पों का निर्माण न्यून ताप पर होता है। बीज पर शीत या न्यून ताप का प्रयोग द्वारा पुष्पीकरण शीघ्र प्राप्त करने की क्रिया को बसन्तीकरण कहते हैं, किन्तु इसके लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति आवश्यक है। वैज्ञानिकों के अनुसार बसन्तीकरण में वर्नेलिन नामक पदार्थ बनता है जो फ्लोरीजन (florigen ) या जिबरेलिन (gibberellin) में परिवर्तित हो जाता है। यह पुष्पीकरण को समय से पूर्व प्रारम्भ करने के लिए उत्तरदायी होता है।

9. पादप वृद्धि पर प्रभाव (Effect on plant growth) – अधिक व कम ताप दोनों ही पादप वृद्धि को अधिक प्रभावित करते हैं। न्यून या कम ताप से पौधों में तीन प्रकार की शीत क्षति (cold injury) हो सकती है-

  • निर्जलीकरण (dessication),
  • द्रुतशीतलन क्षति (chilling injury) तथा
  • प्रशीतलन क्षति ( freezing injury)

प्राय: 40° से. ताप पर जीवद्रव्य न्यूनतम क्रिया करने लगता है तथा 90° से. पर निष्क्रिय या मृत हो जाता है। इसे ऊष्मा क्षति (heat injury) कहते हैं। अतः न्यून या उच्च तापक्रम पर पौधे या तो प्रसुप्त रहते हैं या फिर मृत हो जाते हैं। अनेक मरुस्थलीय पौधे आकारिकीय, शारीरिकीय व कार्यिकीय अनुकूलन उत्पन्न कर 66° से. ताप पर भी जीवित रहते हैं। इन पौधों को ऊष्मा प्रतिरोध (heat resistant) कहते हैं। यद्यपि हवा में सूखी यीस्ट कोशिकाएँ 114° से. तथा जीवाणु 120° से. से 130° से. तक कार्यशील बने रह सकते हैं। कुछ कवक तो 89° से. ताप पर भी जीवित रहते हैं।

10. वनस्पति के विस्तार पर प्रभाव (Effect on distribution of vegetation) – तापक्रम का वनस्पति के विस्तारण पर भी प्रभाव पड़ता है । ताप के आधार पर समस्त वनस्पति को उच्चतापी, मध्यतापी, निम्नतापी तथा अतिनिम्नतापी या हैकिस्टोथर्म में विभक्त किया गया है। भूमध्य रेखा से उत्तरी या दक्षिणी ध्रुवों की ओर जैसे-जैसे अक्षांश बढ़ते जाते हैं त्यों- त्यों तापमान कम होता जाता है। इसी प्रकार समुद्र से पहाड़ों की ओर ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान कम होता जाता है। दोनों ओर लगभग समान प्रकार की वनस्पति समूह मिलते हैं जैसे उष्णकटिबन्धीय वर्षा सदाबहार वन, उष्णकटिबन्धीय वन, शंकुधारी वन, अल्पाइन वनस्पति आदि ।

प्रश्न 5.
पौधों पर प्रकाश के प्रभाव बताइए।
उत्तर:
प्रकाश का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य विकिरण का केवल 390nm से 760nm तक का दृश्यमान वर्णक्रम ही दृश्य प्रकाश (visible light) कहलाता है तथा इसे ही प्रकाश संश्लेषी सक्रिय विकिरण (PAR) कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश के नीले (430 से 470 nm) और लाल (650 से 760 nm ) भाग में अधिकतम होती है। प्रकाश की तीव्रता तथा अवधि का भी विशेष महत्त्व होता है। पादपों पर प्रकाश के निम्न प्रभाव होते हैं-
1. प्रकाश संश्लेषण पर प्रभाव (Effect on Photosynthesis) – पौधों में पर्णहरिम का निर्माण प्रकाश की उपस्थिति में होता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रकाशीय क्रिया में प्रकाश का महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्रकाशीय ऊर्जा के आधार पर ही फोटोफोस्फोराइलेशन क्रिया द्वारा ATP अणुओं का निर्माण होता है तथा जल का प्रकाश अपघटन द्वारा सह एन्जाइम NADPH बनता है। प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशी अभिक्रिया में CO2 के स्थिरीकरण हेतु NADPH, महत्त्वपूर्ण होते हैं।

2. वाष्पोत्सर्जन पर प्रभाव (Effect on transpiration) – पौधों में रंध्रों का खुलना व बन्द होना प्रकाश पर आधारित है। रंध्र के द्वारा गैसों तथा जलवाष्प का विनिमय होता है। तीव्र प्रकाश में पर्णरंध्र खुल जाते हैं तथा वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर पर ही अवशोषण तथा रसारोहरण की दर निर्भर करती है।

3. श्वसन व पादप वृद्धि पर प्रभाव (Effect on respiration and plant growth) – अनेक पौधों में प्रकाश की तीव्रता में श्वसन दर बढ़ जाती है। श्वसन में वृद्धि प्रकाश के कोशिका झिल्ली का पारगम्यता तथा जीवद्रव्य की श्यानता ( viscocity) पर प्रभाव के फलस्वरूप होती है।

पौधों की अनेक क्रियायें जैसे बीजों का अंकुरण, नवोद्भिद की वृद्धि, कलियों का खिलना, प्ररोह की शीर्ष वृद्धि आदि क्रियायें प्रकाश द्वारा प्रभावित होती हैं। प्रकाश की अनुपस्थिति में नवोद्भिद पीला रहकर पाण्डुरित (etiolated) रह जाता है, इसे पाण्डुरिता (etiolation ) कहते हैं। पादप वृद्धि हार्मोन्स तथा फ्लोरीजन (पुष्पीय हार्मोन) के निर्माण में भी प्रकाश महत्त्वपूर्ण है।

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4. पादप वितरण पर प्रकाश का प्रभाव (Effect of light on plant distribution ) – पौधों के वितरण तथा वनस्पति के स्तरीकरण में प्रकाश एक महत्त्वपूर्ण कारक है। जलीय तंत्र में भी पादप वितरण प्रकाश की उपस्थिति व तीव्रता से नियंत्रित होता है। फलस्वरूप जल में वनस्पति के भिन्न-भिन्न क्षेत्र (जैसे- वेलांचल, सरोवरी तथा गंभीर क्षेत्र) बन जाते हैं।

5. प्रकाश का पौधों की आन्तरिक रचना पर प्रभाव (Effect of light on internal structure of plants) प्रकाश के आधार पर पौधों की आन्तरिक संरचना में अन्तर आता है। द्विबीजपत्री पौधों की पृष्ठाधारी पत्तियों में पर्णमध्योतक का खम्भ ऊतक तथा स्पंजी मृदूतक में विभेदन दोनों सतह पर प्रकाश के असंगत वितरण के कारण होता है।

एकबीजपत्री पौधों की पत्तियों को दोनों पार्श्व सतह को बराबर सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है अतः उनके पर्णमध्योतक में इस प्रकार का विभेदन नहीं पाया जाता है। जलीय तंत्र में प्रकाश एक सीमाकारक है। इसमें प्रकाश की उपलब्धता अधिकांश जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करती है।

झील, समुद्र तथा गहरे जलीय तंत्र में प्रकाश की उपलब्धता तथा इसकी मात्रा उत्पादक व उपभोक्ता जीवों के प्रकार व जीव संख्या को निर्धारित करती है। जैसे अधिकतर पादप्लवक ( phytoplankton ) जल की सतह पर रहते हैं जहाँ उन्हें प्रकाश प्राप्त होता है जबकि नितलस्थ (benthic ) जन्तु झील के तलछट पर या तलछट के भीतर रहते हैं।
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प्रश्न 6.
स्थलाकृतिक कारक क्या होते हैं? पौधों को प्रभावित करने वाले स्थलाकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूमि या स्थल की आकृति जैसे तुंगता, घाटियाँ, पर्वतों की दिशायें आदि स्थलाकृतिक कारक होते हैं। अक्षांश, समुद्रतल से ऊँचाई या तुंगता ( altitude) भूमध्यरेखा से दूरी तथा ढाल एवं पर्वतों की. दिशा, घाटियाँ आदि का पौधों के प्रकार व उनके वितरण पर प्रभाव होता है। स्थलाकृतिक कारक मुख्यरूप से चार प्रकार के होते हैं-
1. तुंगता या ऊँचाई ( Altitude) – प्राय: किसी स्थान की समुद्रतल से ऊँचाई बढ़ने पर ताप कम हो जाता है। यह देखा गया है कि समुद्रतल से प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1° से. गिर जाता है। इस प्रकार प्रत्येक 1000 मीटर की ऊँचाई पर लगभग 6-7° से. तक तापमान कम हो जाता है परन्तु वर्षा अधिक होती है।

प्रत्येक 1000 से 1500 मीटर की ऊँचाई पर वनस्पति में सुस्पष्ट परिवर्तन आते हैं। पश्चिमी हिमालय के ढलान के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्रथम 1200 मीटर की ऊँचाई पर मिश्रित पर्णपाती वन, 1200-3300 मीटर तक शंकुधारी वन तथा ऊँचाई के साथ-साथ रोडोडेन्ड्रोन पौधे पाये जाते हैं। 3600 मीटर पर वन समाप्त हो जाते हैं। 4200 मीटर की ऊँचाई पर अल्पाइन क्षेत्र होता है जिसके नीचे कुछ मॉस, शैक आदि पाये जाते हैं। सबसे अधिक ऊँचाई पर अल्पाइन किस्म की वनस्पतियाँ मिलती हैं तथा इससे भी अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र वनस्पति रहित होते हैं।

2. ढाल (Slope) – पर्वतों पर ढाल होती है। वर्षा के समय इन ढलानों पर जल बहकर नीचे आ जाता है तथा मृदा में इसका रिसाव नहीं हो पाता है । फलस्वरूप इन ढलानों पर वनस्पति का पूर्ण अभाव रहता है या कुछ झाड़ीनुमा मरुद्भिद् वनस्पति मिलती है, जैसे अगेव, यूफोर्बिया आदि।

3. ढाल का अनावरण (Exposure of slope ) – पर्वतों के दक्षिण अभिमुखी ढालों पर उत्तर अभिमुख ढालों की अपेक्षा अधिक धूप तथा गर्मी पड़ती है। इसी कारण दक्षिणी ढलानों पर मरुद्भिद् वनस्पति तथा उत्तरी ढलानों पर वन तथा सतही वनस्पति अधिक संख्या में होती है।
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4. पर्वतों की दिशा (Direction of mountains) – पर्वत दिशाओं का जलवायु तथा वनस्पति दोनों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। ये हवाओं को निश्चित दिशा में मोड़कर वात उत्पन्न करते हैं। दिशा के अनुसार पर्वतों को प्राप्त होने वाली प्रकाश की मात्रा, वायु तथा वायुमण्डलीय आर्द्रता में परिवर्तन आते हैं। ऊँचे पर्वतों से जैसे ही मानसूनी हवाएँ टकराती हैं, उससे वर्षा होती है।

यही कारण है कि बाहरी हिमालय सघन वनों से ढँका हुआ है ताकि यहाँ समोद्भिद् प्रकार की वनस्पति की बाहुल्यता होती है। मध्य व केन्द्रवर्ती हिमालय तुलनात्मक शुष्क है तथा यहाँ मरुद्भिद् प्रकार की वनस्पति मिलती है। यही कारण है कि ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं को जलवायु अवरोध (climatic barriers) कहते हैं।
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. निम्नलिखित में से कौन एक जीव संख्या का एक गुण नहीं है? (NEET-2020)
(अ) जन्म दर
(ब) मृत्यु दर
(स) जाति परस्पर क्रिया
(द) लिंग अनुपात
उत्तर:
(स) जाति परस्पर क्रिया

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2. निम्नलिखित में से कौनसा पादप शलभ की एक जाति के साथ ऐसा निकट सम्बन्ध दर्शाता है, जिसमें कोई भी एक-दूसरे के बिना अपना जीवन चक्र पूरा नहीं कर सकता? (NEET-2018)
(अ) केला
(ब) भुक्का
(स) हाइड्रिला
(द) वायोला
उत्तर:
(ब) भुक्का

3. श्वसन मूल किससे होते हैं? (NEET-2018)
(अ) माँसाहारी पादपों में
(ब) स्वतंत्र-अल्पलावक जलोद्भिद् में
(स) लवणमृदोद्भिद् में
(द) जलमान जलोद्भिद् में
उत्तर:
(स) लवणमृदोद्भिद् में

4. निकेत क्या है? (NEET-2018)
(अ) तापमान का वह परास जो जीव को रहने के लिए चाहिए
(ब) वह भौतिक स्थान जहाँ एक जीवधारी रहता है
(स) जीव के पर्यावरण में सभी जैविक कारक
(द) एक जीव द्वारा निभाई गई कार्यात्मक भूमिका, जहाँ वह रहता है।
उत्तर:
(द) एक जीव द्वारा निभाई गई कार्यात्मक भूमिका, जहाँ वह रहता है।

5. निम्नलिखित में से चिकित्सा विज्ञान में प्रतिजैविक के उत्पादन के लिए समष्टि की कौनसी पारस्परिक क्रिया बहुदा प्रयोग की जाती है? (NEET-2018)
(अ) परजीविता
(ब) सहोपकारिता
(स) सहभोजिता
(द) अंतराजातीय परजीविता (एमेन्सेलिज्म)
उत्तर:
(द) अंतराजातीय परजीविता (एमेन्सेलिज्म)

6. कवकमूल किसके उदाहरण हैं? (NEET-2017)
(अ) कवकरोधन
(ब) अंतराजातीय परजीविता
(स) प्रतिजीविता
(द) सहपरोपकारिका
उत्तर:
(द) सहपरोपकारिका

7. लॉजिस्टिक वृद्धि (संभार तंत्र) में अनंतस्पर्शी कब प्रास होता है? जब- (NEET-2017)
(अ) ‘r’ की मान शून्य की तरफ अग्रसर होता है
(ब) K=N
(स) K>N
(द) K<N
उत्तर:
(ब) K=N

8. सुस्पष्ट उध्ध्वाधर स्तरों में व्यवस्थित पादपों की अपनी लम्बाई के अनुसार उपस्थिति सबसे अच्छी कहाँ देखी जा सकती है? (NEET-2017)
(अ) उष्णकटिबन्धीय सवाना
(स) घास भूमि
(ब) उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन
(द) शीतोष्ण वन
उत्तर:
(ब) उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन

9. स्पर्धी अपवर्जन के नियम का प्रतिपादन किसने किया था? (NEET II-2016)
(अ) मैक्आर्थर
(ब) वरहुल्स्ट और पर्ल
(स) सी. डार्बिन
(द) जी.एफ. गॉसे
उत्तर:
(द) जी.एफ. गॉसे

10. स्पर्धी अपवर्जन का गॉसे नियम कहता है कि- (NEET-2016)
(अ) कोई भी दो स्पीशीज एक ही निकेत में असीमित अवधि के लिए नहीं रह सकती क्योंकि सीमाकारी संसाधान समान ही होते हैं।
(ब) अपेक्षाकृत बड़े आकार के जीव स्पर्धा द्वारा छोटे जन्तुओं को बाहर निकाल देते हैं।
(स) अधिक संख्या में पाए जाने वाली स्पीशीज स्पर्धा द्वारा कम संख्या में पाये जाने वाली स्पेशीज को अपवर्जित कर देगी।
(द) समान संसाधनों के लिए स्पर्धा उस स्पीशीज को अपवर्जित कर देगी जो भिन्न प्रकार के भोजन पर भी जीवित रह सकती है।
उत्तर:
(अ) कोई भी दो स्पीशीज एक ही निकेत में असीमित अवधि के लिए नहीं रह सकती क्योंकि सीमाकारी संसाधान समान ही होते हैं।

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11. निम्नलिखित में से किस पारस्परिक क्रिया में दो सभी प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं? (NEET-2015)
(अ) परभक्षण
(ब) परजीविता
(स) सहोपकारिता
(द) स्पर्धा
उत्तर:
(द) स्पर्धा

12. एक ही पर्यावरण में रह रही विभिन्न स्पीशीजों की व्यट्टियों का पारस्परिक सम्बन्ध और क्रियात्मक क्रिया करना है- (NEET-2015)
(अ) जीवीय समुदाय
(ब) पारितंत्र
(स) समष्टि
(द) पारिस्थितिक निकेत
उत्तर:
(अ) जीवीय समुदाय

13. जिस प्रकार एक व्यक्ति गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए दिल्ली से शिमला जाता है उसी प्रकार साइबेरिया और अन्य अत्यधिक ठंडे उत्तरी प्रदेशों से हजारों प्रवासी पक्षी किस ओर जाते हैं? (NEET-2014)
(अ) पश्चिमी घाट
(ब) मेघालय
(स) कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(द) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर:
(द) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

14. एक स्थानबद्ध समुद्री एनीमोन केकड़े के कवच के अस्तर पर चिपक गया। यह सम्बन्ध क्या कहलाता है? (NEET-2013)
(अ) बाह्य परजीविता
(ब) सहजीविता
(स) सहयोजिता
(द) ऐमेन्सेलिज्म
उत्तर:
(ब) सहजीविता

15. नीलहरित शैवाल (सायनोबैक्टिरिया) धान के खेतों के अलावा किसके कायिक भाग के अन्दर भी पाये जाते हैं? (NEET-2013)
(अ) पाइनस
(ब) सायकस
(स) इम्वीसीटम
(द) साइलोटम
उत्तर:
(ब) सायकस

16. अमरबेल (कस्कुटा) किस एक का उदाहरण है? (Mains-2012)
(अ) बाह्य परजीविता
(ब) प्रजनन परजीविता
(स) परभक्षण
(द) अन्तःपरजीविता
उत्तर:
(अ) बाह्य परजीविता

17. नीचे दिये जा रहे आयुपिरामिड में किस प्रकार की मानव समष्टि प्रदर्शित की गई है? [CBSE PMT (Pre)-2011, NEET-2011]
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(अ) गायब होती समष्टि
(ब) स्थिर समष्टि
(स) घटती समष्टि
(द) बढ़ती समष्टि
उत्तर:
(स) घटती समष्टि

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18. लघुगणक समष्टि वृद्धि (लॉजिस्टिक जनसंख्या वृद्धि) को किस समीकरण से अभिव्यक्त किया जाता है? [CBSE PMT (Mains)-2011, NEET-2011]
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उत्तर:
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19. चारघातांकी जनसंख्या वृद्धि का सूत्र कौनसा है? (NEET-2006, Kerala PMT-2010)
(अ) rN/dN = dt
(ब) dN/dt = rN
(स) dt/dN = rN
(द) dN/rN = dt
उत्तर:
(ब) dN/dt = rN

20. निश्चित वहन क्षमता के द्वारा सीमित जनसंख्या वाली लॉजिस्टिक वृद्धि का आकार किस अक्षर के समान होगा? (DUMET-2010)
(अ) J
(ब) L
(स) M
(द) S
उत्तर:
(द) S

21. निम्नलिखित में से किस एक में क्वेरकस की जातियाँ एक प्रभावी घटक होती हैं? (NEET-2008)
(अ) स्क्रब वन
(ब) उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
(स) शीतोष्ण पर्णपाती वन
(द) ऐल्पाइन वन
उत्तर:
(स) शीतोष्ण पर्णपाती वन

22. किसी क्षेत्र में हाथियों की समष्टि की अधिक सघनता का नतीजा क्या हो सकता है? (NEET-2007)
(अ) एक-दूसरे का परभक्षण
(ब) सहोपकारिता
(स) अन्तरजातीय प्रतिस्पर्धा
(द) अन्तर्जातीय प्रतिस्पर्धा
उत्तर:
(अ) एक-दूसरे का परभक्षण

23. आयु संरचना का ज्यामितीय प्रदर्शन क्या दर्शाता है? (NEET-2007, CBSE PMT-2007)
(अ) जैविक समुदाय
(ब) जनसंख्या
(स) भूस्खलन
(द) परिस्थितिकी
उत्तर:
(ब) जनसंख्या

24. गर्तीय रंध्र (sunken stomata) पाये जाते हैं- (Orissa JEE 2006)
(अ) मरुद्भिदों में
(ब) जलोद्भिदों में
(स) समोद्भिदों में
(द) लवणोद्भिदों में
उत्तर:
(अ) मरुद्भिदों में

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25. इ.पी. ओडम है- (HP PMT 2005)
(अ) ब्रायोलोजिस्ट
(ब) फिजियोलोजिस्ट
(स) इकोलोजिस्ट
(द) माइकोलोजिस्ट
उत्तर:
(स) इकोलोजिस्ट

26. छोटी मछली शार्क के निचले तल के पास चिपक जाती है और पोषण प्राप्त करती है, तो ऐसा संबंध कहलाता है- (BHU 2005)
(अ) सहजीविता
(ब) सहभोजिता
(स) परभक्षण
(द) परजीविता
उत्तर:
(ब) सहभोजिता

27. प्राणियों में शिकारियों से बचने की स्वाभाविक क्षमता होती है, गलत उदाहरण को चुनिये- (CBSE, 2005)
(अ) केमीलोन में रंग परिवर्तन
(ब) पफर मछली में हवा खींचकर बड़ा आकार
(स) सर्पों का विष
(द) माँस में मेलेनिन
उत्तर:
(स) सर्पों का विष

28. दो जातियाँ जिनमें दोनों साथी एक-दूसरे के लाभकारी होते हैं तो ऐसा संबंध कहलाता है- (HP PMT 2005)
(अ) परजीविता
(ब) सहजीविता
(स) सहभोजिता (Commensalism)
(द) परभक्षण (Predation)
उत्तर:
(ब) सहजीविता

29. निम्न में से कौनसा, वातावरण का भाग नहीं है- (MP PMT 2005)
(अ) प्रकाश
(ब) तापमान
(स) मृदीय कारक
(द) अवक्षेपण
उत्तर:
(स) मृदीय कारक

30. शब्द ‘पारिस्थितिकी’ किसने प्रस्तावित किया- (M.P. PMT, 2003; KCET 2004)
(अ) हेकल
(ब) ओडम
(स) रीटर
(द) डोबेनमायर
उत्तर:
(स) रीटर

31. सहभोजिता होती है- (MP PMT 2004)
(अ) जब दोनों सहभागी लाभान्वित होते हैं।
(ब) जब दोनों सहभागियों को हानि होती है।
(स) कमजोर लाभान्वित होते हैं अपेक्षाकृत शक्तिशाली हानिकारक होते हैं।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कमजोर लाभान्वित होते हैं अपेक्षाकृत शक्तिशाली हानिकारक होते हैं।

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32. चरने वाले जंतुओं से संभवतः क्या लाभ है- (BVP 2003)
(अ) वन्य जीवधारियों को हटाना
(ब) खरपतवारों का नाश करना
(स) वन्य पौधों को हटाना
(द) उनके उत्सर्जी पदार्थों का मृदा में मिलना
उत्तर:
(द) उनके उत्सर्जी पदार्थों का मृदा में मिलना

33. पौधों की वृद्धि के लिये ह्यूमस आवश्यक है क्योंकि- (BVP 2003)
(अ) यह आंशिक अपघटित होती है
(ब) यह पत्तियों से व्युत्पन्नित होती है
(स) इसमें पोषक तत्वों की अधिकता एवं जल धारण करने की क्षमता भी अधिक होती है
(द) यह मृत कार्बनिक पदार्थों की बनी होती है
उत्तर:
(स) इसमें पोषक तत्वों की अधिकता एवं जल धारण करने की क्षमता भी अधिक होती है

34. निम्न में से कौनसा सही चयनित युग्म है- (AIIMS 2003)
(अ) शार्क एवं सकर मछलियाँ-असहभोजिता (Amensalism)
(ब) शैवाल एवं कवक का लाइकेन्स से-सहोपकारिता (Mutualism)
(स) आर्किड्स का वृक्षों पर उगना-परपोषिता
(द) परपोषिता (डोडर) का दूसरे पुष्पीय पौधों पर उगनाअधिपादपता
उत्तर:
(ब) शैवाल एवं कवक का लाइकेन्स से-सहोपकारिता (Mutualism)

35. झील के सतही जल में किसकी अधिकता होती है- (AFMC 2003)
(अ) कार्बनिक पदार्थ
(ब) खनिजों
(स) अकार्बनिक पदार्थ
(द) प्रदूषकों
उत्तर:
(अ) कार्बनिक पदार्थ

36. अधिकतर ह्यूमस की मात्रा पायी जाती है- (CPMT 2003)
(अ) सबसे निचली परत में
(ब) ऊपरी परत में
(स) मध्य परत में
(द) सभी जगह समान
उत्तर:
(ब) ऊपरी परत में

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

37. जलधारण क्षमता अधिकतम होती है- (CMC Ludhiana 2003)
(अ) मृत्तिका (Clay) या चिकनी मिट्टी में
(ब) बालू में
(स) गाद (silt) में
(द) बजरी (gravel) में
उत्तर:
(अ) मृत्तिका (Clay) या चिकनी मिट्टी में

38. किसी समष्टि में अबाधिकजनन की क्षमता को क्या कहते हैं? (NEET-2002)
(अ) जैव विभव
(ब) उपजाऊता
(स) वहन क्षमता
(द) जन्म दर
उत्तर:
(अ) जैव विभव

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HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions )

प्रश्न 1.
ध्वनि तीव्रतम चलती है-
(a) वायु में
(b) जल में
(c) निर्वात में
(d) स्टील में
उत्तर:
(d) स्टील में

प्रश्न 2.
न्यूटन द्वारा दिये गये ध्वनि की चाल के सूत्र में लाप्लास संशोधन की आवश्यकता पड़ी क्योंकि गैस में ध्वनि तरंगें-
(a) अनुदैर्घ्य हैं
(b) समतापीय रूप में चलती हैं।
(c) रुद्धोष्म रूप में चलती हैं।
(d) अधिक तरंगदैर्घ्य की हैं।
उत्तर:
(c) रुद्धोष्म रूप में चलती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 3.
समान ताप पर गैस में ध्वनि की चाल अधिकतम होगी-
(a) H में
(b) N में
(c) O में
(d) सभी में बराबर ।
उत्तर:
(a) H में

प्रश्न 4.
ध्वनि की चाल निर्भर नहीं करती है-
(a) आर्द्रता पर
(b) ताप पर
(c) दाब पर
(d) इनमें से किसी पर नहीं।
उत्तर:
(c) दाब पर

प्रश्न 5.
एक तनी हुई डोरी का तनाव बढ़ाकर चार गुना कर देने पर उसमें अनुप्रस्थ तरंग की चाल हो जाएगी-
(a) चार गुनी
(b) आठ गुनी
(c) दो गुनी
(d) आधी
उत्तर:
(c) दो गुनी

प्रश्न 6.
किसी गैस में उत्पन्न ध्वनि तरंगें होती हैं-
(a) अनुप्रस्थ
(b) अनुदैर्घ्य
(c) अप्रगामी
(d) विद्युत् चुम्बकीय।
उत्तर:
(b) अनुदैर्घ्य

प्रश्न 7.
सितार के तार में किस प्रकार के कम्पन्न उत्पन्न होते हैं-
(a) प्रगामी अनुप्रस्थ
(b) प्रगामी अनुदैर्घ्य
(c) अप्रगामी अनुप्रस्थ
(d) अप्रगामी अनुदैर्घ्य
उत्तर:
(c) अप्रगामी अनुप्रस्थ

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प्रश्न 8.
श्रोता, किस वेग से ध्वनि स्रोत की ओर चले कि उसकी आभासी आवृत्ति दुगुनी हो जाये, ध्वनि का वेग है-
(a) v
(b) v/2
(c) 2v
(d) 3v
उत्तर:
(a) v

प्रश्न 9.
अप्रगामी तरंगों में प्रस्पन्दों पर घनत्व –
(a) अधिकतम
(b) न्यूनतम
(c) अधिकतम परावर्तन
(d) न्यूनतम परिवर्तन।
उत्तर:
(d) न्यूनतम परिवर्तन।

प्रश्न 10.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग का वेग निर्भर नहीं करता है-
(a) घनत्व
(b) त्रिज्या
(c) तनाव
(d) लम्बाई
उत्तर:
(d) लम्बाई

प्रश्न 11.
ध्वनि की चाल किसमें अधिकतम होगी-
(a) पानी में
(b) लोहे में
(c) हवा में
(d) निर्वात में
उत्तर:
(d) निर्वात में

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 12.
जब ताप बढ़ता है तो आर्गन पाइप की आवृत्ति
(a) घट जाती है
(b) बढ़ जाती है
(c) स्थिर रहती है
(d) शून्य हो जाती है।
उत्तर:
(b) बढ़ जाती है

प्रश्न 13.
डॉप्लर प्रभाव लागू नहीं होता है-
(a) श्रव्य तरंगों के लिये
(b) पराश्रव्य तरंगों के लिए
(c) विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिए
(d) प्रघाती तरंगों के लिए।
उत्तर:
(d) प्रघाती तरंगों के लिए।

प्रश्न 14.
जब किसी स्वरित्र को कम्पित किया जाता है तो इसकी दोनों भुजाओं के कम्पनों में कलान्तर-
(a) शून्य
(b) π
(c) \(\frac{π}{2}\)
(d) \(\frac{π}{4}\)
उत्तर:
(b) π

प्रश्न 15.
एक 4 मीटर लम्बा तार अपने सिरे पर लगे 300 Hz के कम्पित के द्वारा कम्पनशील है तार चार खण्डों में कम्पन कर रहा है। तार में अनुप्रस्थ तरंगों की चाल है-
(a) 150 ms-1
(b) 300 ms-1
(c) 600 ms-1
(d) 200 ms-1
उत्तर:
(c) 600 ms-1

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प्रश्न 16.
l तथा 2l लम्बाइयों वाले एक ही पदार्थ के बने समान त्रिज्या के दो तार क्रमशः 100 Hz तथा 150 Hz आवृत्ति के कम्पन करते हैं, उन पर लगे तनावों का अनुपात है-
(a) 1:9
(b) 3:2
(c) 2:3
(d) 1:3
उत्तर:
(a) 1:9

प्रश्न 17.
450 हर्ट्ज की ध्वनि देने वाली एक सीटी एक स्थिर श्रोता की ओर 33 मी/से की चाल से आ रही है। वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है श्रोता द्वारा सुनी गई आवृत्ति हज में है-
(a) 409
(b) 429
(c) 517
(d) 500
उत्तर:
(c) 517

प्रश्न 18.
ध्वनि के डॉप्लर प्रभाव लागू होने की प्रमुख शर्त है-
(a) vs > v
(b) vs = v
(c) vs < V
(d) vs = ∞
उत्तर:
(b) vs = v

प्रश्न 19.
यदि आवृत्ति का ध्वनि स्रोत किसी स्थिर श्रोता से दूर v वेग से जा रहा हो तो श्रोता को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति होगी-
(a) \(\text { n. } \frac{\left(v-v_s\right)}{v}\)
(b) \(\text { n. } \frac{\left(v+v_s\right)}{2}\)
(c) \(\text { n. } \frac{\left(v-v_s\right)}{2}\)
(d) \(\text { n. } \frac{v}{\left(v+v_s\right)}\)
उत्तर:
(d) \(\text { n. } \frac{v}{\left(v+v_s\right)}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 20.
एक गतिमान ध्वनि स्रोत के पीछे खड़े एक स्थिर श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति सुनाई देगी-
(a) मूल आवृत्ति से अधिक
(b) मूल आवृत्ति के बराबर
(c) मूल आवृत्ति से कम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) मूल आवृत्ति से कम

प्रश्न 21.
एक स्थिर ध्वनि खोत की ओर एक श्रोता एकसमान वेग से गति कर रहा है। श्रोता द्वारा सुनी गई आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति के सापेक्ष होगी-
(a) कम
(b) अधिक
(c) समान
(d) कुछ भी हो सकती है।
उत्तर:
(b) अधिक

प्रश्न 22.
एक तारा पृथ्वी से दूर जा रहा है पृथ्वी पर प्रेक्षक को तारे की तरंगदैर्घ्य प्रतीत होगी-
(a) घटी हुई
(b) बढ़ी हुई
(c) अपरिवर्तित
(d) गिरती हुई।
उत्तर:
(d) गिरती हुई।

प्रश्न 23.
यदि आवृत्ति का एक ध्वनि स्रोत v/4 वेग से प्रेक्षक की तरफ गति करे तथा प्रेक्षक v/5 वेग से स्रोत की ओर गति करे तो आभासी आवृत्ति होगी-
(a) \(\frac{5}{8}\) n
(b) \(\frac{8}{5}\) n
(c) \(\frac{7}{5}\) n
(d) \(\frac{5}{7}\) n
उत्तर:
(b) \(\frac{8}{5}\) n

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी गैस में ध्वनि की चाल का न्यूटन का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए ।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{P}{d}}\) जहाँ P→ दाब, d → घनत्व

प्रश्न 2.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1.0 किमी की दूरी पर कान लगाकर बैठे एक दूसरे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। कारण बताइए।
उत्तर:
एक ध्वनि तरंग वायु में संचरित होकर तथा दूसरी ध्वनि तरंग रेल की पटरी से होकर श्रोता के कानों तक पहुँचती है। इसलिए दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।

प्रश्न 3.
किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के प्रत्यास्थता गुणांक E तथा घनत्व पर निर्भर करती है। ध्वनि की चाल का सूत्र E तथा d के पदों में लिखिए ।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{E}{d}}\)

प्रश्न 4.
वायु का ताप 1°C बढ़ाने पर उसमें ध्वनि का वेग कितना बढ़ जाता है?
उत्तर:
वायु का ताप 1°C पर बढ़ाने से वायु में ध्वनि की चाल का मान 0.61 मी/सेकण्ड बढ़ जाता है।

प्रश्न 5.
तरंग गति में किसका स्थानान्तरण होता है ?
उत्तर:
तरंग गति में माध्यम के कम्पित कणों द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।

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प्रश्न 6.
एक तनी हुई डोरी की लम्बाई दुगुनी तथा तनाव चार गुना कर दें तो नई आवृत्ति व पूर्व आवृत्ति में क्या सम्बन्ध होगा ?
उत्तर:
n1 = \(\frac{1}{2l} \sqrt{\frac{T}{m}}\) तथा n2 = \(\frac{1}{2 \times 2 l} \sqrt{\frac{4 \mathrm{~T}}{m}}=\frac{2}{2} \times \frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
या n2 = n1

प्रश्न 7.
कोणीय आवृत्ति, कोणीय तरंग संख्या तथा तरंग वेग में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
ω = 2πn ⇒ n = \(\frac{ω}{2π}\)
संचरण वेग k = \(\frac{2π}{λ}\) ⇒ λ = \(\frac{2π}{k}\)
तरंग वेग v = nλ = \(\frac{ω}{2π} \times \frac{2π}{k}\)
या v = \(\frac{ω}{k}\)

प्रश्न 8.
माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकण्ड में किये गये कम्पनों की संख्या को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
आवृत्ति ।

प्रश्न 9.
एक कम्पन करने में लिया गया समय क्या कहलाता है?
उत्तर:
आवर्तकाल ।

प्रश्न 10.
तरंग वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
तरंग वेग v = nλ, जहाँ n = आवृत्ति λ = तरंगदैर्घ्य है।

प्रश्न 11.
वायु में मानक ताप व दाब पर ध्वनि का वेग कितना होता है ?
उत्तर:
मानक ताप व दाब पर वायु में ध्वनि का वेग = 332 ms-1.

प्रश्न 12.
किसी तरंग का आयाम यदि आधा कर दिया जाये तो उसकी तीव्रता में क्या परिवर्तन आएगा ?
उत्तर:
तरंग की तीव्रता I ∝ (आयाम)²
या I ∝ a² या I = ka²
जब आयाम = \(\frac{a}{2}\) तीव्रता
I’ ∝ \(\frac{a^2}{2}\) या I’ = \(\frac{1}{4}\) ka² = \(\frac{1}{4}\)
I’ = \(\frac{I}{4}\) अर्थात् तीव्रता पहले की चौथाई रह जायेगी।
∴ \(\frac{P}{d}=\frac{RT}{M}\) = नियतांक |

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प्रश्न 13.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल की सूत्र लिखिए ।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
जहाँ T डोरी का तनाव एवं m = डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान ।

प्रश्न 14.
एक पूर्णतः दृढ़ छड़ में ध्वनि का वेग कितना होता है ?
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) जहाँ Y = यंग प्रत्यास्थता गुणांक
तथा d = छड़ कर घनत्व ।

प्रश्न 15.
स्थिर ताप पर वायु का दाब चार गुना कर देने पर वायु में ध्वनि की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
कोई प्रभाव नहीं क्योंकि v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\) जिसमें दाब नहीं है।

प्रश्न 16.
ध्वनि तरंगों तथा ऊष्मीय तरंगों में क्या अन्तर है ?
उत्तर;
ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें’ हैं जबकि ऊष्मीय तरंगें ‘विद्युत् चुम्बकीय तरंगें’ हैं।

प्रश्न 17.
गैस, द्रव एवं ठोस माध्यमों में ध्वनि की चाल किसमें सबसे अधिक होगी ?
उत्तर:
ठोस माध्यम में; क्योंकि ठोसों के लिए v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) और Y का मान सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 18.
किसी गैस के अणुओं की वर्गमाध्य मूल चाल ” एवं उसी में ध्वनि की चाल के मध्य क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
\(\frac{v}{v_{r m s}}=\frac{\sqrt{\frac{\gamma \mathrm{RT}}{\mathrm{M}}}}{\sqrt{\frac{3 \mathrm{RT}}{\mathrm{M}}}}=\sqrt{\frac{\gamma}{3}}\)
∴ \(v=v_{r m s} \cdot \sqrt{\frac{\gamma}{3}}\)

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प्रश्न 19.
समान लम्बाई की रबर तथा स्टील की दो डोरियों में एक सिरे पर ध्वनि उत्पन्न की जाये तो किस डोरी से दूसरे सिरे पर ध्वनि खुले पहुँचेगी ?
उत्तर:
स्टील की डोरी में।

प्रश्न 20.
किसी बिन्दु पर तरंग की तीव्रता और उसके आयाम तथा आवृत्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
I = 2π²n²a²ρv
जहाँ I = तरंग की तीव्रता; n = आवत्ति; a = आयाम; ρ = माध्यम का घनत्व; v = तरंग की चाल ।

प्रश्न 21.
किसी प्रगामी तरंग का समीकरण y(x,t) = A sin (ωt – kx) है। इसका वेग कितना होगा ?
उत्तर:
दिया है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -1

प्रश्न 22.
कम्पन्न करते हुए किसी कण के कलान्तर तथा पथान्तर के बीच सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
पथान्तर के कारण कलान्तर
∆ϕ = \(\frac{2π}{λ}\) × ∆x
जहाँ ∆x = पथान्तर ।

प्रश्न 23.
समतल प्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
X- अक्ष की धनात्मक दिशा में प्रगामी तरंग का समीकरण
y = asin \(\frac{2π}{λ}\) (vt – x)
जहाँ a = आयाम; λ = तरंगदैर्घ्य; v = तरंग वेग

प्रश्न 24.
कलान्तर एवं समयान्तर में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
∆ϕ = \(\frac{2π}{λ}\) × ∆t
जहाँ T = आवर्तकाल; ∆t = समयान्तर।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 25.
गैसों में उत्पन्न तरंगें किस प्रकार की होती हैं ?
उत्तर:
अनुदैर्घ्य तरंगें।

प्रश्न 26.
क्या द्रवों में अनुप्रस्थ तरंगें सम्भव हैं ?
उत्तर:
हीं; केवल द्रव के तल पर ।

प्रश्न 27.
गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें क्यों उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं ?
उत्तर:
क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है।

प्रश्न 28.
एक समतल प्रगामी तरंग का आयाम A मीटर, v वेग मीटर / सेकण्ड तथा आवृत्ति vHz है। इस तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
y = A sin2π (t – \(\frac{x}{t}\))

प्रश्न 29.
किस माध्यम से परावर्तित होने पर परावर्तित तरंग की कला परिवर्तित हो जाती है ?
उत्तर:
जब तरंग सघन माध्यम से परावर्तित होती है तो तरंग की कला में का परिवर्तन हो जाता है।

प्रश्न 30.
400 व 402 आवृत्ति के स्वरित्र एक साथ कम्पित कराने पर विस्पन्द की आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
विस्पन्द आवृत्ति n = n1 ~ n2 = 400 ~ 402
या n = 2 विस्पन्द / सेकण्ड ।

प्रश्न 31.
समान लम्बाई के खुले व बन्द ऑर्गन पाइपों की मूल आवृत्तियों का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर- खुले पाइप की मूल आवृत्ति n = \(\frac{v}{2l}\)
बन्द पाइप की मूल आवृत्ति n’ = \(\frac{v}{4l}\)
या n’ = \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{v}{2l}\) = \(\frac{1}{2}\)n
∴ \(\frac{n^{\prime}}{n}=\frac{1}{2}\) या \(\frac{n}{n^{\prime}}=\frac{2}{1}\)
∴ n : n’ = 2 : 1

प्रश्न 32.
खुले या बन्द ऑर्गन पाइप में से किसमें केवल विषम सनादी ही उत्पन्न हो सकती है ?
उत्तर:
बन्द आर्गन पाइप में।

प्रश्न 33.
माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
आयाम।

प्रश्न 34.
क्या अप्रगामी तरंगों के माध्यम से ऊर्जा स्थानान्तरण होता है ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 35.
अनुनादित वायु स्तम्भ में कौन-सी तरंगें उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर;
अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें ।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 36.
एक प्रस्पन्द व उसके क्रमिक निस्पन्द के मध्य कितनी दूरी होती है?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -2
उत्तर:
एक प्रस्पन्द व उसके क्रमिक निस्पन्द के मध्य दूरी = \(\frac{λ}{4}\)

प्रश्न 37.
ध्वनि के वेग पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
v ∝ √T अर्थात् ताप बढ़ने पर ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। ताप के साथ परिवर्तन निम्न सूत्र से प्राप्त होता है-
vt = vo + 0.61t

प्रश्न 38.
कहा जाता है कि ध्वनि कम्पनों के कारण उत्पन्न होती है फिर सरल लोलक दोलनों की ध्वनि क्यों नहीं सुनाई देती है ?
उत्तर:
दोलनों की आवृत्ति कम (अपश्रव्य क्षेत्र में) होने के कारण सरल लोलक के दोलनों की ध्वनि सुनाई नहीं देती है।

प्रश्न 39.
अप्रगामी तरंगें बनने के लिए क्या बद्ध माध्यम होना आवश्यक है ?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 40.
अपग्रामी तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
y = 2a sin(\(\frac{2πx}{λ}\) cos (2πnt)
जहाँ a = अध्यारोपण करने वाली तरंगों के आयाम; λ = तरंगदैर्घ्य; n = आवृत्ति ।

प्रश्न 41.
आर्द्रता बढ़ने पर ऑर्गन पाइप से उत्पन्न स्वर की आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
आर्द्रता बढ़ने से वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है अतः पाइप की आवृत्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 42.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की मूल आवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
n = \(\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{T}{m}}\), जहाँ T = डोरी का तनाव l = डोरी की लम्बाई तथा m = डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान ।

प्रश्न 43.
अप्रगामी तरंग में किसी निस्पन्द एवं उसके तुरन्त बाद वाले प्रस्पन्द के बीच कितना कलान्तर होता है ?
उत्तर:
π/2

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 44.
सोनोमीटर से किसी स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात करने के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर:
\(\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{Mg}}{\pi r^2 \cdot d}}\)
जहाँ l = तार की लम्बाई; M = सोनोमीटर तार में तनाव लगाने के लिए लटकाया गया द्रव्यमान; r = तार की त्रिज्या; d = तार का घनत्व ।

प्रश्न 45.
किसी तार के तनाव को नौ गुना कर देने पर तरंग की चाल कितने गुना हो जायेगी ?
उत्तर:
∵ v a √T
∴ \(\frac{1}{2}\)
∴ v2 = 3v1

प्रश्न 46.
कम्पित स्वरित्र के प्रस्पन्दों एवं निस्पन्दों की स्थिति चित्र में प्रदर्शित कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -3
उत्तर:
कम्पित स्वरित्र के प्रस्यन्द एवं निस्पन्द संलग्न चित्र में दिखाए गये हैं।

प्रश्न 47.
स्वरित्र द्विभुज की पिच किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
पिच आवृत्ति पर निर्भर करती है और आवृत्ति स्वरित्र की लम्बाई के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती तथा मोटाई के अनुक्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 48.
सितार में भिन्न-भिन्न आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न होते हैं क्यों ?
उत्तर:
उत्पन्न अधिस्वरकों की भिन्नता के कारण।

प्रश्न 49.
डॉप्लर का प्रभाव ध्वनि तारत्व परिवर्तन के बारे में बताता है अथवा तीव्रता परिवर्तन के बारे में?
उत्तर:
तारत्व परिवर्तन के बारे में।

प्रश्न 50.
ध्वनि स्रोत तथा श्रोता एक-दूसरे के सापेक्ष स्थिर हैं। यदि ध्वनि की चाल बदल जाये तो श्रोता द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य में किसमें परिवर्तन नहीं होगा ?
उत्तर:
आवृत्ति में परिवर्तन नहीं होगा।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 51.
एक ही दिशा में ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता समान वेग से चल रहे हैं। ध्वनि-स्रोत की आवृत्ति और श्रोता द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति का अनुपात बताइये।
उत्तर:
1:1 क्योंकि स्रोत एवं श्रोता के मध्य सापेक्ष गति नहीं होती है अतः आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति के बराबर होगी।

प्रश्न 52.
कम्पित स्वरित्र को यदि दीवार की ओर तेजी से ले जायें तो क्या श्रोता को विस्पन्द सुनाई देंगे ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर:
हाँ क्योंकि दीवार से परावर्तित ध्वनि की आभासी आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति से अधिक होगी।

प्रश्न 53.
यदि आप सड़क पर जा रहे हैं और कार पीछे से हॉर्न बजाती हुई आती है और क्रॉस करके निकल जाये तो आपको आवृत्ति में क्या परिवर्तन प्रतीत होगा ?
उत्तर:
कार के पास आते समय आवृत्ति बढ़ती हुई एवं क्रॉस करने बाद घटती हुई प्रतीत होगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अनुप्रस्थ एवं अनुदैर्घ्य तरंगों में क्या अन्तर है? लिखिये ।
उत्तर:

अनुदैर्घ्य तरंगेंअनुप्रस्थ तरंगें
1. जिन तरंगों के संचरण के समय माध्यम के कण संचरण दिशा के अनुदिश गति करते हैं, उन तरंगों को अनुदैर्घ्य तरंगें कहते हैं।1. जब माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् गति करते हैं, उन तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं।
2. अनुदैर्घ्य तरंगें सम्पीडन एवं विरलन के रूप में गमन करती हैं।2. अनुप्रस्थ तरंगें श्रंग एवं गर्त के रूप में आगे बढ़ती हैं।
3. अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण के लिए माध्यम सम्पीडन होना चाहिए।3. अनुप्रस्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम दृढ़ अथवा असंपीड्य होना चाहिए।

प्रश्न 2.
तरंग के दक्षतापूर्ण संचरण हेतु माध्यम में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
उत्तर:
माध्यम में तरंग के दक्षतापूर्वक संचरण के लिए निम्न गुण देने चाहिए-

  1. माध्यम प्रत्यास्थ होना चाहिए ताकि विस्थापित कण अपनी माध्य स्थिति में लौट सके।
  2. माध्यम में जड़त्व का गुण होना चाहिए ताकि वह ऊर्जा को एकत्र कर सके।
  3. माध्यम का प्रतिरोध अल्प होना चाहिए ताकि कम्पित कण की ऊर्जा में क्षय न हो सके।

प्रश्न 3.
प्रत्यास्थ तरंगें किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
वे तरंगें जो प्रत्यास्थ माध्यम में उत्पन्न होती हैं, प्रत्यास्थ तरंगें कहलाती हैं। सभी यांत्रिक तरंगें प्रत्यास्थ तरंगों की श्रेणी में आती हैं क्योंकि इनके बनने एवं संचरण के लिए प्रत्यास्थ माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगों की परिभाषा बताइये और उनमें अन्तर लिखो ।
उत्तर:
प्रगामी तरंगें : वे तरंगें जिनके द्वारा ऊर्जा का संचरण होता हैं, प्रगामी तरंगें कहलाती है।
अप्रगामी तरंगें : वे तरंगें जिनके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है, बल्कि ये अपने ही स्थान पर बनती और बिगड़ती रहती हैं, उन्हें अप्रगामी तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 5.
तरंगों के अध्यारोपण से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

प्रश्न 6.
गैस में तरंग वेग व्यंजक हेतु लाप्लास संशोधन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र
(Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग $v$ घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8.1
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 7.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ कम्पन के नियम लिखिए।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल
(Velocity Of Transverse Wave In A Stretched String):
तनी हुई डोरी में विक्षोभ से अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है। अतः अनुप्रस्थ तरंग का वेग ज्ञात करने हेतु माना एक डोरी, जिसकी एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m है तथा तनाव T है, में एक विक्षोभ बायीं ओर से दायीं ओर वेग से गतिशील है। हम यह मान सकते हैं कि प्रेक्षक विक्षोभ की दिशा में समान वेग v से गतिशील है तो प्रेक्षक को स्पन्द स्थिर प्रतीत होगा तथा डोरी विपरीत दिशा में गति करती हुई प्रतीत होगी।

अब डोरी के अल्पांश ∆l पर विचार करें तो विक्षोभ के कारण यदि डोरी में अल्प विस्थापन हो तो इस अल्पांश ∆l को चित्र की भाँति R त्रिज्या के वृत्तीय चाप के रूप में ले सकते हैं।
इस चाप का द्रव्यमान M = m. ∆l
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -14.1
इस अल्पांश पर केन्द्र की ओर लगने वाला कुल तनाव बल 2T sin θ ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -15
अर्थात् तरंग वेग डोरी के तनाव एवं डोरी की एकांक लम्बाई के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह तरंग वेग आयाम व तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं करता है। इस सूत्र की उपपत्ति में डोरी को आदर्श (पूर्णत: प्रत्यास्थ, समान घनत्व) माना गया है तथा कम्पन करते समय इसकी लम्बाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।

प्रश्न 8.
सोनोमीटर में अप्रगामी तरंगों का निर्माण किस प्रकार होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सोनोमीटर तार में तनाव उत्पन्न करके जब एक कम्पित स्वरित्र की मूँठ को सोनोमीटर के तख्ते पर ऊर्ध्वाधर खड़ा किया जाता है। तो तख्ते में प्रणोदित कम्पन (स्वरित्र की आवृत्ति से) प्रारम्भ होते हैं। ये कम्पन सेतुओं द्वारा तार में पहुँचते हैं, फलवरूप सेतुओं से समान आवृत्ति की एवं समान आयाम की दो तरंगें परस्पर विपरीत दिशाओं में चलकर अध्यारोपित होती हैं और तार में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न हो जाती

प्रश्न 9.
ध्वनि के वेग पर ताप, दाब एवं आर्द्रता का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
दाब का प्रभाव v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\) में दाब P नहीं आता है, अतः यदि ताप नियत हो दाब P का ध्वनि के वेग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
ताप का प्रभाव : v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
एक ही माध्यम के लिए व M के मान नियत रहते हैं।
अतः v ∝ √T
अर्थात् किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के परम ताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् ताप बढ़ने पर ध्वनि का वेग बढ़ जाता है।

आर्द्रता का प्रभाव : v = \(\sqrt{\frac{γP}{d}}\)
अर्थात् ν ∝ \(\frac{1}{\sqrt{d}}\)
शुष्क वायु एवं जल वाष्य के घनत्वों का अनुपात 8 : 5 में होता है। अतः जिस वायु में जलवाष्प मिली होती है। उसका घनत्व शुष्क वायु से कम होता है अतः आर्द्रवायु में ध्वनि का वेग अधिक होता है।

प्रश्न 10.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1.0 km दूर कान लगाकर बैठे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। कारण बताइये ।
उत्तर:
रेल की पटरी में ध्वनि की चाल v = \(\sqrt{\frac{Y}{d}}\) वायु में ध्वनि की चाल v = \(\sqrt{\frac{γP}{d}}\) से अधिक होती है। इसलिए श्रोता को पटरी से हो Vd कर जाने वाली ध्वनि पहले एवं वायु से होकर आने वाली ध्वनि बाद में सुनाई देती है अर्थात् उसे दो ध्वनियाँ सुनाई देती है।

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प्रश्न 11.
सामान्य ताप व दाब पर वायु में ध्वनि की चाल 330 ms है। ताप स्थिर रखते हुए दाब को दोगुना करने पर ध्वनि की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? कारण बताइये।
v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
उत्तर:
इस सूत्र में दाब P नहीं है, अतः यदि ताप I नियत है तो ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अतः दाब को नियत ताप पर दो गुना कर देने पर चाल अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 12.
किसी गैस में ध्वनि तरंग की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यदि गैस का परम ताप पहले का चार गुना कर दिया जाये ?
उत्तर:
ν ∝ √ T
∴ \(\frac{v_2}{v_1}=\sqrt{\frac{\mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}}=\sqrt{\frac{4 \mathrm{~T}_1}{\mathrm{~T}_1}}=\sqrt{4}=2\)
या v2 = 2v1

प्रश्न 13.
समान ताप पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन गैसों में ध्वनि तरंगों के वेगों का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर- :
v = \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
यदि ताप नियत रहे तो v ∝ \(\frac{1}{\sqrt{M}}\)
∴ \(\frac{v_{\mathrm{H}}}{v_{\mathrm{O}}}=\sqrt{\frac{\mathrm{M}_{\mathrm{O}}}{\mathrm{M}_{\mathrm{H}}}}=\sqrt{\frac{32}{2}}=\sqrt{\frac{16}{1}}=\frac{4}{1}\)
∴ vH : vO = 4 : 1

प्रश्न 14.
किसी तार के तनाव को चार गुना कर दें तो तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\), ∴ V ∝ √T
∴ \(\sqrt{\frac{γRT}{M}}\)
∴ v2 = 2v1

प्रश्न 15.
वायु की अपेक्षा कार्बन डाई ऑक्साइड में ध्वनि अधिक तीव्र सुनाई देती है, क्यों ?
उत्तर:
ध्वनि की तीव्रता (I =2π²n²a²ρv) माध्यम के घनत्व ρ के अनुक्रमानुपाती होती है। CO2 का घनत्व वायु के घनत्व से अधिक होता है इसीलिए CO2 में ध्वनि की तीव्रता व प्रबलता वायु की अपेक्षा अधिक रहती है।

प्रश्न 16.
चन्द्रमा पर एक व्यक्ति दूसरे की आवाज नहीं सुन सकता ? आवाज को सुनने के लिए किस प्रकार के सहायक यंत्र चाहिए ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के चरण के लिए माध्यम की आवश्यकता रहती है और चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है इसीलिए चन्द्रमा पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की आवाज नहीं सुन सकता है। वहाँ पर आवाज सुनने के लिए ऐसे यंत्र की आवश्यकता होगी जिससे विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का सूचन एवं प्रसारण हो सके।

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प्रश्न 17.
आकाश में बिजली की कड़क तथा दमक एक साथ सम्पन्न होती हैं, परन्तु बिजली की दमक पहले दिखाई देती है एवं कड़क बाद में सुनाई देती है क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि ध्वनि की चाल 332 ms-1 प्रकाश की चाल 108 ms-1 से कम होती है। इसीलिए बिजली की चमक पहले दिखाई देती है और कड़क बाद में सुनाई देती है।

प्रश्न 18.
वर्षां के मौसम में मेढकों के बोलने की आवाज दूर-दूर तक स्पष्ट सुनी जाती है क्यों ?
उत्तर:
वर्षा के मौसम में वायु में आर्द्रता अधिक होती है और आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है इसलिए मेड़कों के बोलने की आवाज दूर-दूर तक सुनी जाती है।

प्रश्न 19.
यदि हम दूर स्थित किसी फैक्ट्री के साइरन से अपनी घड़ी मिलाते हैं तो घड़ी सुस्त हो जाती है क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि साइरन की ध्वनि को फैक्ट्री से हमारे पास तक आने कुछ समय लग जाता है, अतः घड़ी सुस्त हो जाती है।

प्रश्न 20.
सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों में कौन-सा गुण सर्वनिष्ठ है ?
उत्तर:
तरंगें माध्यम के कणों की सहायता से आगे बढ़ती हैं परन्तु माध्यम तरंग के साथ आगे नहीं बढ़ता है।

प्रश्न 21.
बद्ध माध्यम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
बद्ध माध्यम से अभिप्राय एक निश्चित परिसीमा तथा उसकी सीमाएँ अन्य माध्यमों से स्पष्ट पृष्ठों द्वारा अलग होना है।

प्रश्न 22.
सन्नादी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
वे स्वर जिनकी आवृत्तियाँ मूल स्वरक की पूर्ण गुणज होती. हैं, सन्नादी कहलाते हैं। सम गुणज को सम सन्नादी एवं विषम गुणज का विषम सन्नादी कहते हैं।

प्रश्न 23.
अप्रगामी तरंगों से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब समान आवृत्ति एवं समान आयाम की दो तरंगें किसी बद्ध माध्यम में एक ही रेखा में विपरीत दिशाओं से आकर अध्यारोपण करती है, तो उत्पन्न हुई नई तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है, अत: इसे ‘स्थावर तरंग’ (Standing wave ) या ‘अप्रगामी तरंग’ (Stationary wave) कहते हैं ये तरंगें अनुप्रस्थ व अनुदैर्घ्य दोनों प्रकार की होती हैं।
डोरियों में ‘अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें’ जबकि वायु स्तम्भों में अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें’ उत्पन्न होती हैं।

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प्रश्न 24.
क्या कारण है कि खुले पाइप का स्वर बन्द पाइप की अपेक्षा अधिक मधुर होता है ?
उत्तर:
किसी स्वर में सन्नादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतना ही अधिक मधुर होता है। चूँकि बन्द पाइप में केवल विषम सन्नादी एवं खुले पाइप में सम और विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं अतः खुले पाइप का स्वर अधिक मधुर होता है।

प्रश्न 25.
एक ध्वनि स्त्रोत की मूल आवृत्ति 200 Hz है तथा इससे सभी सन्नादी उत्पन्न होते हैं। बताइये कि यह ध्वनि स्रोत निम्न आवृत्तियों में से किस-किस के साथ अनुनाद कर सकता है ?
उत्तर:
अनुनाद के लिए प्रणोदित दोलनों की आवृत्ति कम्पित वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति या इसके पूर्व गुणज के बराबर होनी चाहिए। अतः अनुनादी आवृत्तियाँ 200 व 6000 Hz होगी।

प्रश्न 26.
व्यतिकरण तथा विस्पन्द में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यतिकरण तथा विस्पन्द में निम्न अन्तर हैं-
1. व्यतिकरण में दोनों तरंगों की आवृत्ति समान होती है, जबकि विस्पन्दों में आवृत्तियाँ लगभग समान होती हैं।
2. व्यतिकरण में एक स्थान पर तीव्रता समय के साथ नियत रहती है जबकि विस्पन्दों में एक ही स्थान पर तीव्रता समय के साथ बदलती रहती है।

प्रश्न 27.
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक शर्त बताइये।
उत्तर:
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक शर्तें निम्नलिखित

  • दोनों तरंगों की आवृत्तियाँ लगभग समान होनी चाहिए।
  • दोनों तरंगों के आयाम समान होने चाहिए।
  • दोनों तरंगें एक ही दिशा में तथा एक ही सरल रेखा में गति करनी चाहिए।
  • दोनों तरंगों के कम्पन तल समान होने चाहिए।

प्रश्न 28.
एक ध्वनि स्त्रोत ध्वनि के वेग से एक स्थिर श्रोता की ओर गतिमान है। श्रोता द्वारा सुनी गई आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
ध्वनि स्रोत पास आ रहा है, तो आभासी आवृत्ति –
n’ = \(\frac{v}{\left(v-v_s\right)}\).n
दिया है- स्रोत का वेग vs = v
n’ = \(\frac{v}{v-v}=\frac{v}{0}\) = ∞ (अनन्त)
या n’ = ∞ अनन्त
यह श्रोता की श्रव्य परास से अधिक है, अतः श्रोता को ध्वनि सुनाई। नहीं देगी।

प्रश्न 29.
ध्वनि तरंगों में डॉप्लर प्रभाव किन-किन पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव निम्न बातों पर निर्भर करता है-
1. श्रोता एवं स्रोत के मध्य आपेक्षिक वेग पर।
2. श्रोता एवं श्रोता के वेगों पर।
3. इस बात पर कि खोत एवं श्रोता में कौन गतिशील है ?
4. माध्यम (वायु) के प्रवाह वेग पर ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तरंग गति से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए। प्रगामी तरंग समीकरण हेतु व्यंजक एवं तरंग का एक विमीय अवकल समीकरण प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंग गति (Wave Motion):
यदि हम तालाब में एक पत्थर का टुकड़ा डालें, तो हम देखेंगे कि जल में पत्थर के गिरने के स्थान पर विक्षोभ (Disturbance) उत्पन्न हो जाता है। यह विक्षोभ उसी रूप में व निश्चित चाल से आगे बढ़ता है और तालाब के किनारे पर पहुँच जाता है। इसी प्रकार यदि हम किसी रस्सी का एक सिरा किसी हुक से बाँधकर तथा दूसरे सिरे को हाथ में पकड़कर ऊपर-नीचे हिलायें, तो रस्सी में भी एक प्रकार का विक्षोभ उत्पन्न हो जाता है, जो एक निश्चित चाल से आगे बढ़ता है तथा दूसरे सिरे तक पहुँच जाता है।
इस प्रकार, “तरंग माध्यम में उत्पन्न वह विक्षोभ (Disturbance) है, जिसमें माध्यम के कण अपनी साम्यावस्था के इर्द-गिर्द दोलन करते रहते हैं और माध्यम के स्थानान्तरण के बिना ही ऊर्जा स्थानान्तरित हो जाती है।
तरंग गति में माध्यम में ऊर्जा तथा संवेग में परिवर्तन होता है व माध्यम के कणों की कला सतत रूप से परिवर्तित होती रहती है। • तरंग के संचरण के लिए माध्यम के आवश्यक गुण

  • तरंग संचरण के लिए माध्यम में अवस्था परिवर्तन का विरोध करने वाला अर्थात् जड़त्व का गुण होना चाहिए।
  • माध्यम में बल लगाने पर विस्थापित होने तथा बल हटाने पर प्रारम्भिक अवस्था में आ जाने का अर्थात् प्रत्यास्थता का गुण होना चाहिए।
  • तरंग संचरण के लिए माध्यम का प्रतिरोध कम-से कम होना चाहिए।

प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 2.
वायु में ध्वनि की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए। लाप्लास ने इसमें क्या संशोधन किया और क्यों ?
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र
(Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7.1
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग v घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8.2
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 3.
किसी गैस में ध्वनि की चाल पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल : न्यूटन सूत्र (Velocity Of Sound In A medium : Newton’s Formula)
ध्वनि तरंगों या अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण को समझने एवं उनका वेग ज्ञात करने के लिए हम एक पिस्टन नली पर विचार करते हैं, जिसमें कोई सम्पीड्य तरल भरा हैं चित्र में समान्तर रेखाओं द्वारा तरल की परतों को प्रदर्शित किया गया है। सम्पीडन की स्थिति में ये समान्तर रेखाएँ सघन (पास-पास) हैं । यहाँ पर तरल का दाब एवं घनत्व दोनों अधिक हैं। जब दूर-दूर रेखाओं द्वारा व्यक्त विरलन की स्थिति में दाब एवं घनत्व दोनों कम हैं। यहाँ हम तरल को सतत् माध्यम मानेंगे और इस बात की अपेक्षा करेंगे कि वास्तव में यह अणुओं से मिलकर बना है जो भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न वेगों से गतिशील हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -7.2
यदि पिस्टन को नली के अन्दर की ओर धक्का दें तो इसके सम्पर्क से तरल का सम्पीडन होगा तथा इसका दाब एवं घनत्व बढ़ेगा। सम्पीडित तरल की यह परत आगे की ओर गति करेगी तथा अगली परत में सम्पीडन उत्पन्न करेगी। यदि पुनः पिस्टन को बाहर की ओर खींचे तो इसके सम्पर्क से तरल फैलेगा जिससे उसका दाब एवं घनत्व कम होगा। यही विरलन की स्थिति होती है। इस प्रकार यदि पिस्टन की सतत् रूप से अन्दर-बाहर गति दी जाये तो विक्षोभ नली में सम्पीडन एवं विरलन के रूप में आगे बढ़ता जायेगा और यह अनुदैर्घ्य तरंग की तरह व्यवहार करेगा।

माना पिस्टन को अन्दर की ओर धक्का देकर एक विक्षोभ उत्पन्न किया जाता है, जो सम्पीडन के रूप में होता है तथा दायीं ओर वेग से गतिशील है। सरलता के लिए यह माना जाता है कि इस सम्पीडन क्षेत्र के अन्दर तरल का दाब व घनत्व एक समान है। अब यदि प्रेक्षक भी सम्पीडन की दिशा में समान वेग से गतिशील माना जाये तो तरल मध्यम ” वेग से सम्पीडन की विपरीत दिशा में गति करता हुआ प्रतीत होगा एवं प्रेक्षक के सापेक्ष सम्पीडन स्थिर होगा। इस स्थिति में जब तरल वेग से सम्पीडन क्षेत्र की ओर गति करता हुआ सम्पीडन क्षेत्र से टकराता है, तब इसके आगे के किनारे पर पीछे के किनारे से दाब कुछ अधिक होगा। माना इन दोनों किनारों पर दाबान्तर ∆P है। इस कारण इस क्षेत्र B में यह अल्पांश (तरल माध्यम) संपीडित होगा तथा इस क्षेत्र में इसका वेग कुछ कम (v – ∆v) होगा तथा जब यह अल्पांश इस सम्पीडन क्षेत्र से बाहर निकलेगा तो पुनः अपने प्रारम्भिक आयतन को प्राप्त कर लेगा तथा दावान्तर ∆P के कारण पीछे की ओर दाब आधिक्य होने के कारण त्वरित होगा अतः इसका वेग पुनः हो जायेगा।
इस प्रकार अल्पांश C स्थिति में पहुँच जायेगा।
जब तरल अल्पांश सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस पर दाय और कार्यरत् परिणामी बल
बल = दाब × क्षेत्रफल
परिणामी बल,
F = (P + ∆P) A – PA = PA + ∆P.A – P.A
या F = ∆P.A ……….(1)
जहाँ A, नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
सम्पीडन क्षेत्र के बाहर इस अल्पांश की लम्बाई v.Δt है जहाँ Δt अल्पांश को किसी बिन्दु से गुजरने में लगा समय है। अतः अल्पांश का आयतन (v.Δt × A) व द्रव्यमान v.Δt.A.ρ होगा जहाँ ρ तरल का सम्पीडन क्षेत्र से बाहर घनत्व है। जब यह सम्पीडन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया त्वरण
\(a=-\frac{\Delta v}{\Delta t}\) (यहाँ ऋणात्मक चिह्न का प्रयोग $v$ घटने के कारण किया गया है।)
न्यूटन के द्वितीय नियम से
बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -8
स्पष्ट है कि तरंग का वेग माध्यम के गुणों प्रत्यास्थता गुणांक तथा घनत्व पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
कोणीय आवृत्ति एवं तरंग संरचण नियतांक तथा तरंग बेग की परिभाषाएँ लिखिए और इनमें संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
तरंग से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ (Definition Related To Waves):
तरंग गति से सम्बन्धित विभिन्न परिभाषाओं को समझने के लिए हमें विक्षोभ के कारण उत्पन्न कम्पन के कारण विस्थापन का अध्ययन करना होगा जिसके माध्यम से विक्षोभ या तरंग आगे बढ़ती है।

संलग्न चित्र में कणों की माध्य स्थिति से विस्थापन दर्शाए गये हैं। माना किसी कण की माध्य अवस्था में स्थिति A पर है तो विक्षोभ के कारण कम्पन करने के साथ इसका विस्थापन विक्षोभ (तरंग) की दिशा में बढ़ता है व अधिकतम विस्थापन की स्थिति में B बिन्दु पर जाकर पुनः माध्य स्थिति की ओर गति करता है। अतः विस्थापन पुनः कम होता है तथा C स्थिति पर कण माध्य स्थिति में आकार पुनः पूर्व गति की दिशा के विपरीत दिशा में विस्थापित होता है व अधिकतम विपरीत विस्थापन की स्थिति में D पर जाकर पुनः माध्य स्थिति की ओर गति करता है तथा स्थिति E पर पहुँचता है। इस प्रकार कम्पन्न गति का एक चक्र पूर्ण होता है व उत्तरोत्तर समय के साथ कण इस प्रकार की आवर्ती गति करता है।

1. आयाम (Amplitude) (A): “माध्य स्थिति के कण के अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं।” इसे सामान्यत: A से प्रदर्शित करते हैं। चित्र 15.3 (a) में BB’, DD, FF’ आदि द्वारा दर्शाया गया है। इसका मात्रक मीटर है।

2. आवृत्ति (Frequency) (n) : प्रगामी तरंग के संचरण के दौरान, “माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकण्ड में किये गये कम्पनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।” इसे ” से व्यक्त करते हैं। आवृत्ति माध्यम के किसी बिन्दु से एक सेकण्ड में गुजरने वाली तरंगों की संख्या को बताती है। इसका मात्रक कम्पन / सेकण्ड या हर्ट्ज (Hz) है।

3. आवर्त काल (Time Period) (T) : प्रगामी तरंग संचरण के दौरान, “कण द्वारा एक कम्पन पूरा करने में लिया गया समय आवर्त काल कहलाता है ।” इसे T से व्यक्त करते हैं और इसका मात्रक सेकण्ड है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -9
यदि कम्पित कण की आवृत्ति ” एवं आवर्त काल T हो, तो इन दोनों में निम्न सम्बन्ध होता है-
T = \(\frac{1}{n}\) या n = \(\frac{1}{T}\)

4. तरंगदैर्घ्य (Wavelength) (λ): “एक आवर्तकाल में कण द्वारा तय की गई दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।” इसे λ से व्यक्त करते हैं इसका मात्रक है। तरंगदैर्घ्य की परिभाषा इस प्रकार भी कर सकते हैं। “समान कला के दो निकटतम बिन्दुओं के मध्य दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।” चित्र 15.3 में समान कला के दो निकटतम बिन्दुओं A व E अथवा B’ व F’ अथवा D व H आदि के मध्य दूरी तरंगदैर्घ्य λ के बराबर होगी।

अनुप्रस्थ तरंगों में दो क्रमागत शीर्षो (श्रंगों) अथवा दो क्रमागत गर्त के मध्य दूरी एवं अनुदैर्ध्य तरंगों में दो क्रमागत सम्पीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के मध्य दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। अतः
∵ λ = एक आवर्त काल में तरंग द्वारा तय की गई दूरी
या λ = v.T
या λ = v.\(\frac{1}{n}\)
या v = nλ

5. तरंग संख्या (Wave Number) (\(\bar{v}\)) : “तरंगदैर्घ्य का व्युत्क्रम तरंग संख्या कहलाता है अर्थात् एकांक दूरी में तरंगों की संख्या को तरंग संख्या कहते हैं।” इसे से व्यक्त करते हैं।
∴ \(\bar{v}=\frac{1}{λ}\)

6. तरंगाग्र (Wavefront) : “समान कला में दोलन करने वाले कणों की निधि (Locus) तरंगाग्र कहलाती है अर्थात् वह तल, जिसमें मौजूद प्रत्येक कण समान कला में कम्पन करता है, तरंगाग्र कहलाता है।
तरंगाय निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

  • समतल तरंगा (Plane Wavefront)
  • गोलाकार तरंगा (Spherical wavefront)
  • बेलनाकार तरंगा (Cylindrical Wavefront)

7. पथान्तर (Path Difference) : दो कम्पित कर्णो के साम्यावस्था से विस्थापन के अन्तर को पथान्तर कहते हैं।

8. कला (Phase) : प्रगामी तरंग में किसी क्षण कम्पन करते हुए कण की कला उस क्षण कण की स्थिति तथा गति की दिशा को प्रदर्शित करती है इसे प्रायः कोण के रूप में व्यक्त करते हैं। यदि माध्यम के दो कण किसी क्षण साम्य स्थिति से एक ही दिशा में समान दूरियों पर स्थित हों वे दोनों समान कला में कहलाते हैं तथा यदि दो कण साम्य स्थिति से बराबर दूरी पर परस्पर विपरीत दिशा में गतिशील हो तो वे विपरीत कला में होते हैं। कम्पित कण की साम्यावस्था एवं प्रारम्भिक स्थिति के मध्य कण को प्रारम्भिक कला कहते हैं। चित्र में बिन्दु A व E, B व F, C व G, D व H समान कला में होंगे।
इसी प्रकार A व C, B व D आदि विपरीत कला में होंगे।

9. कलान्तर (Phase Difference) : दो कणों अथवा एक ही कण की दो भिन्न स्थितियों के बीच कला के अन्तर को कलान्तर कहते हैं।
समान कला में कलान्तर 0, 2π, 4π, ….. होता है तथा विपरीत कला में कलान्तर = π, 3π, 5π, …..

10. कोणीय आवृत्ति (Angular Frequency) (ω) – समय के साथ कला कोण में परिवर्तन की दर कोणीय आवृत्ति कहलाती है। इसका मात्रक रेडियन सेकण्ड होता है।
चूँकि एक आवर्त काल (T) में कला में परिवर्तन 2π होता है अतः कोणीय आवृत्ति
ω = \(\frac{2π}{T}\) या ω = 2πn

11. तरंग संचरण नियतांक (Wave Propagation Constant ) (k) : कम्पन करते हुए कणों में एकांक दूरी पर स्थित कणों के मध्य कलान्तर को तरंग संचरण नियतांक कहते हैं।” इसे कोणीय तरंग संख्या भी जाता है। चूँकि λ दूरी पर स्थित कणों के मध्य कलान्तर 2π होता है अतः एकांक दूरी पर कलान्तर $\frac{2 \pi}{\lambda}$ होगा।
∴ \(k=\frac{2 \pi}{λ}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 5.
अनुदैर्घ्य तरंगों का संचरण समझाइये एवं उनके वेग के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के प्रकार (Types Of Waves):
तरंगें निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है-

  1. यांत्रिक तरंगें (Mechanical Waves)
  2. विद्युत् चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic Waves)
  3. द्रव्य तरंगें (Matter Waves)

(1) यांत्रिक तरंगें (Mechanical Waves) : यांत्रिक तरंग वह आवर्ती विक्षोभ है जिसमें संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है एवं जो बिना आकृति बदले माध्यम में एक नियत चाल से बढ़ती है। यह माध्यम के प्रत्यास्थ गुणों पर निर्भर करता है। उदाहरण- जल तरंगें, वायु में ध्वनि तरंगें तथा द्रवों में उत्पन्न तरंगें।

यांत्रिक तरंगों के प्रकार :
यांत्रिक तरंगें दो प्रकार की होती है-
(a) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves): जब किसी माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् दोलन करते हैं तो इस तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।
उदाहरण के लिए – तनी हुई डोरी में उत्पन्न कोई विक्षोभ डोरी की लम्बाई के अनुदिश गति करता है लेकिन डोरी के कण लम्बाई के लम्बवत् कम्पन करते हैं। अनुप्रस्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम का संपीड्य होना आवश्यक है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -10
अनुप्रस्थ तरंग में ऊपर की ओर अधिकतम विस्थापन की स्थिति को श्रृंग व नीचे की ओर अधिकतम विस्थापन की स्थिति को गर्त कहा जाता है तथा श्रृंग एवं गर्त के रूप में आगे बढ़ती है। इसमें भी दो क्रमागत शृंगों अथवा दो क्रमागत गर्तों के मध्य दूरी अनुप्रस्थ तरंग की तरंगदैर्घ्य (2) कहलाती है।

(b) अनुदैर्घ्य तरंगें ( Longitudinal Waves) : “यदि माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के अनुदिश गति करते हैं तो इस तरंग को अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं।” उदाहरण के लिए वायु में ध्वनि तरंगें ठोस में अनुदैर्घ्य कम्पनों से उत्पन्न तरंगें स्प्रिंग में उत्पन्न संपीडन एवं विरलन आदि अनुदैर्घ्य तरंगों के संचरण के लिए माध्यम का संपीड्य होना आवश्यक है, क्योंकि इन तरंगों का संचरण संपीड़न एवं विरलन के रूप में ही होता है। माध्यम का घनत्व व दाव सम्पीडन के स्थान पर अधिक (कणों के पास आने के कारण) तथा विरलन पर दाब व घनत्व कम (कणों के दूर जाने के कारण होता है दो क्रमागत विरलनों अथवा सम्पीडनों के बीच की दूरी को अनुदैर्घ्य तरंग की तरंगदैर्घ्य (A.) कहते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -11
उपरोक्त तरंगों में माध्यम की प्रत्यास्थता अधिक होने पर तरंग की चाल बढ़ जाती है व जड़त्व अधिक होने पर तरंग की चाल कम हो जाती है।

2. विद्युत् चुम्बकीय तरंगें (Electro Magnetic Waves) : ये वे तरंगें हैं, जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इन तरंगों का संचरण निर्वात में सम्भव है। ये तरंगें प्रकाश के वेग अर्थात् 3 × 10<sup>8</sup> मी./से. की चाल से गति करती है। ऊष्मा विकिरण, दृश्य प्रकाश X किरणें, सूक्ष्म तरंगें पराबैंगनी किरणें इत्यादि सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं इनकी अनुप्रस्थ प्रकृति होती है।

3. द्रव्य तरंगें (Matter Waves) : डी ब्रॉली परिकल्पना के आधार पर गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के अभिलाक्षणिक गुण सम्बद्ध होते हैं अर्थात् उनके साथ तरंगों का सम्बद्ध होना पाया जाता है। इन्हीं तरंगों को ‘द्रव्य तरंगें’ कहते हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों का उपयोग किया जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 6.
समतल प्रगामी तरंग का समीकरण स्थापित कीजिए एवं इसे दो स्वरूपों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5.1
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6.1
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 7.
समतल प्रगामी तरंग के लिए विस्थापन- दूरी ग्राफ खींचकर आयाम, तरंगदैर्घ्य एवं कलान्तर प्रदर्शित करते हुए इनकी परिभाषाएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रगामी तरंग समीकरण (Progressive wave Equation):
वह तरंग जिसके द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, प्रगामी तरंग कहलाती है। जब माध्यम में कोई प्रगामी तरंग संचरित होती है तो माध्यम के कण अपने स्थान पर सरल आवर्त गति करने लगते हैं। ये कण समान व अलग-अलग कलाओं में कम्पन करते रहते हैं।

माना कोई विक्षोभ बिन्दु O पर उत्पन्न होता है, जो प्रगामी तरंग के रूप में +X दिशा में आगे बढ़ता है। सबसे पहले O पर स्थित कण कम्पन आरम्भ करता है और उसके पश्चात् क्रमशः माध्यम के आगे वाले कण कम्पन आरम्भ करते जाते हैं। यदि O से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर कोई कण स्थित है, जो O पर स्थित कण की कला से ϕ पीछे होगा। अतः यदि किसी क्षण t पर कण O का विस्थापन समीकरण
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -5.2
y = a sin ωt
हो तो इसी क्षण कण P का विस्थापन समीकरण
y = a sin (ωt – ϕ) ……………….. (1)
होगा। यहाँ ϕ, बिन्दुओं O व P के मध्य कलान्तर है।
∵ पथान्तर के कारण
कलान्तर = \(\frac{2 \pi}{\lambda}[latex] × पथान्तर
∴ [latex]\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} x\)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -6.2
समी (2), (3) व (4) धनात्मक X-दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग समीकरण हैं। यदि तरंग X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में गतिशील है तो उक्त समीकरण
y = a sin (ωt + kx)
से व्यक्त होगा। समी (3) व (4) में भी (-x) के स्थान पर (+x) का प्रयोग करना होगा।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 8.
अप्रगामी तरंगों से क्या अभिप्राय है ? किसी बद्ध माध्यम में इनका बनना चित्र द्वारा समझाइये।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगें (Stationary Waves):
जब समान आवृत्ति एवं समान आयाम की दो प्रगामी तरंगें किसी बद्ध माध्यम में समान बाल से, एक ही रेखा में, परस्पर विपरीत दिशाओं से आकर अध्यारोपित होती हैं तो उत्पन्न हुई नई तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है, अतः इस तरंग को प्रगामी स्थावर तरंग (standing waves) कहते हैं। इन तरंगों द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है अतः इन तरंगों को अप्रगामी तरंग कहते हैं।

अप्रगामी तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
(i) अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें,
(ii) अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें।
(i) अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें : जब दो समान आवृत्ति एवं समान आयाम की अनुदैर्घ्य तरंगें एक ही सरल रेखा पर विपरीत दिशा में गति र करती हुई अध्यारोपित होती हैं तो माध्यम में इनके अध्यारोपण से अनुदैर्घ्य J अप्रगामी तरंगें बनाती हैं वायु स्तम्भों पर आधारित वाद्य यंत्रों जैसे बिगुल, बांसुरी, बीन आदि में अनुदैर्घ्य अप्रगामी तरंगें बनाती हैं।

(ii) अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें : जब दो समान आवृत्ति एवं समान आयाम की अनुप्रस्थ तरंगें एक सरल रेखा पर विपरीत दिशा में गति करती हुई अध्यारोपित होती है तो माध्यम में इनके अध्यारोपण से अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं। तनी हुई डोरी पर आधारित वाद्य यंत्रों जैसे सितार, वॉयलिन, इकतारा आदि की डोरियों में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं।

अप्रगामी तरंगें बनने की आवश्यक शर्ते :
अप्रगामी तरंगें बनने के लिए माध्यम सीमित होना चाहिए अर्थात् माध्यम बद्ध होना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के माध्यम में संचरित कोई प्रगामी तरंग माध्यम की परिसीमा पर परावर्तित होकर अपने ही अनुरूप तथा विपरीत दिशा में संचरित तरंग उत्पन्न करती है। इन आपतित एवं परावर्तित तरंगों के अध्यारोपण के फलस्वरूप ही अप्रगामी तरंग बनती है। “इस प्रकार अप्रगामी तरंगों के बनने के लिए बद्ध माध्यम होना एक आवश्यक शर्त है।”

प्रश्न 9.
अप्रगामी तरंग के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगों का गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis of Standing Waves)
माना धनात्मक X- अक्ष की दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग का समीकरण –
y1 = a sin (ωt – kx) ……..(1)
जब यह तरंग बद्ध माध्यम की परिसीमा से परावर्तित होती है तो परावर्तित तरंग का समीकरण-
y2 = ±a sin (ωt + kx) ……..(2)
इस समीकरण (+) चिह्न का प्रयोग तब होगा जब तरंग का परावर्तन मुक्त परिसीमा मुक्त है अर्थात् परावर्तन विरल माध्यम से हो रहा हो ओर दृढ़ परिसीमा अर्थात् सघन माध्यम से परावर्तन होने पर (-) चिह्न का प्रयोग होगा क्योंकि इस स्थिति में परावर्तित तरंग में का कलान्तर और उत्पन्न हो जायेगा। परावर्तित तरंग की दिशा X- अक्ष की ऋणात्मक दिशा में होगी अतः kx से पूर्व (+) चिह्न का ही प्रयोग होगा।

अब हम यह मानकर गणितीय विवेचना में आगे बढ़ते हैं कि परावर्तन सघन माध्यम से हो रहा है।
अध्यारोपण के सिद्धान्त से-
y = y1 + y2 ………..(3)
या y = a sin (ωt – kx) – asin(ωt + kx)
= a [sin (ωt – kx) – sin(ωt + kx)]
= a [{sin ωt cos kx – cos ωt sin kx} – {sin ωt cos kx + cos ωt sin kx}]
= a[sin ωt cos kx – cos ωt sin kx – sin ωt cos kx – cos ωt sin kx]
[ क्योंकि sin (A ± B) = sin Acos B ± cosA sinB]
या y = -2a cos ωt sin kx
या y = -2a sin kx cos ωt ………(4)
या y = A cos ωt ……….(5)
जहाँ y = A sin kx तरंग का आयाम है। ……….(6)
समी (4) एवं (5) परिणामी तरंग का समीकरण व्यक्त करते हैं। स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी आवर्ती तरंग है जिसकी कोणीय आवृत्ति (ω) अध्यारोपित होने वाली तरंगों की कोणीय आवृत्ति के समान है लेकिन इसका आयाम (A) नियत नहीं है बल्कि यह समी. (6) के अनुसार परिवर्तित होता है।
अब समी. ( 4 ) का अवकलन करने पर कणों का वेग
v = \(v=\frac{d y}{d t}=\frac{d}{d t}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\)
या v = 2aω sinkx win ωt …………(7)
तथा विकृति
\(\frac{d y}{d x}=\frac{d}{d x}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\) …………(8)
या \(\frac{d y}{d x}=2 a k \cos k x \cos \omega t\)

प्रश्न 10.
अप्रगामी तरंगों के सूत्र लिखिए और इसकी सहायता से प्रस्पन्दों एवं निस्पन्दों की स्थितियाँ प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अप्रगामी तरंगों का निर्माण (Formation of Standing Waves):
अप्रगामी तरंगों के बनने की प्रक्रिया निम्न चित्र में प्रदर्शित हैं-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -11.1
प्रगामी तरंगों की भाँति अप्रगामी तरंगें भी अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार की होती हैं। तनी हुई डोरियों में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें एवं वायु स्तम्भों में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं। सभी वाद्य यंत्रों से संगीत अप्रगामी तरंगों के बनने से ही उत्पनन होता है। सितार वायलिन, पियानो, गिटार, इकतारा आदि में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें तथा बाँसुरी, विगुल, सीटी, तबला आदि में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं।

वह माध्यम जिसमें तरंग एक नियत रेखा के अनुदिश गति करती है, रेखीय माध्यम कहलाता है तथा यदि रेखीय माध्यम की लम्बाई अनन्त नहीं है अर्थात् निश्चित है तो माध्यम ‘बद्ध माध्यम’ कहलाता है। रेखीय बद्ध माध्यम में प्रायः सीमा पर एक तरंग आपतित होती है एवं दूसरी तरंग पहली तरंग के परावर्तन से प्राप्त है (क्योंकि समान आवृत्ति व समान आयाम की दो तरंगों को दो भिन्न स्रोतो से प्राप्त करना काफी कठिन है)। इन दोनों तरंगों के अध्यारोपण से अप्रगामी तरंगें बनती हैं। इन तरंगों का बनना समझने के लिए चित्र का अध्ययन करते हैं।

यहाँ दो समान आवृत्ति तथा समान आयाम की तरंगों की दिशा में संचरित होते हुए दिखाया गया है। एक तरंग को बायीं ओर से तथा दूसरी को दायीं ओर से बायीं ओर क्रमशः सतत् रेखा तथा कित रेखा द्वारा दर्शाया गया है। सतत रेखा वाली तरंग बद्धमाध्यम परिसीमा पर आपतित तरंग है एवं बिन्दुकित रेखा से व्यक्त तरंग पर तरंग है ।

(i) प्रारम्भ में (t = 0) पर) दोनों तरंगें विपरीत कला में अध्यारोपित रही हैं अतः माध्यम के सभी कण माध्यस्थिति में है ।
(ii) t = \(\frac{T}{4}\) (जहाँ T दोनों तरंगों का आवर्तकाल है) समय के बाद दोनों तरंगें विपरीत दिशाओं में λ/4 दूरी से आगे बढ़ जाती हैं। अतिरिक्त λ/2 का पथान्तर (λ/4 + λ/4) या का उत्पन्न हो जाता है। अतः दोनों तरंगें समान कला में मिलता परिणामी के चित्र से स्पष्ट है इस स्थिति में कूछ [A1, A2, A3, A4, A5] का विस्थापन अधिकतम है जबकि कण [N1, N2, N3, N4] अभी भी माध्यम स्थिति में हैं।
(iii) t = \(\frac{T}{2}\) समय के पश्चात् पुनः तरंगें विपरीत कला में अध्यारोपित होती हैं अत: माध्यम के सभी कण पुनः अपनी माध्य स्थिति आ जाते हैं।
(iv) t = \(\frac{3T}{4}\) समय के पश्चात् पुनः तरंगें समान कला में हो जाती हैं और माध्यम के कणों A1, A2, A3, A4 व A5 का विस्थापन फिर अधिकतम हो जाता है लेकिन इनकी कला विपरीत हो जाती है। N1, N2, N3 व N4 अब माध्य स्थिति में ही रहते हैं ।
(v) t = T समय पश्चात् पुनः प्रारंभिक स्थिति प्राप्त हो जाती है।

उपरोक्त विवेचना से निम्नलिखित निष्कर्ण निकलते हैं-
1. माध्यम के कूछ कण (A1, A2, A3, A4, A5) सदैव अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर अधिकतम आयाम से कम्पन करते हैं, उन्हें ‘प्रस्पन्द’ (Antinodes ) कहते हैं। प्रस्पन्दों पर कणों का वेग (\(\frac{d y}{d t}\)) अधिकतम होता है तथा दाब या घनत्व परिवर्तन शून्य होता है (क्योंकि \(\frac{d y}{d x}=0\))

2. क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच के कण (N1, N2, N3, N4) सदैव स्थिर रहते हैं। इन्हें ‘निस्पन्द’ (Nodes) कहते हैं। ये समान दूरियों पर स्थिर रहते हैं । निस्पन्दों पर कणों का वेग (\(\frac{d y}{d t}\)) शून्य होता है तथा दाब तथा घनत्व परिवर्तन अधिकतम होता है।

3. दो क्रमागत प्रस्पन्दों या दो क्रमागत निस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है तथा एक निस्पन्द व उसके समीपस्थ प्रस्पन्द के बीच की दूरी λ/4 होती, जहाँ λ तरंग की तरंगदैर्ध्य है।

4. प्रस्पन्दों की ऊर्जा दोनों ओर के निस्पन्दों को स्थानान्तरित नहीं होती है अर्थात् इन तरंगों के द्वारा ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता है तथा तरंगें माध्यम में भी आगे नहीं बढ़ती हैं बल्कि अपने ही स्थान पर माध्यम की परिसीमाओं के बीच स्थिर रहकर फैलती व सिकूड़ती रहती है। इन्हीं गुणों के कारण इन तरंगों को अप्रगामी या स्थावर तरंगें कहा जाता है।

5. अप्रगामी तरंगों में प्रत्येक कण का आवर्तकाल (T) समान होता है परन्तु दो निस्पन्दों के मध्य प्रत्येक कण का आयाम भिन्न होता है। इसी प्रकार दो निस्पन्दों के मध्य सभी कण समान कला में दोलन करते हैं।

6. एक निस्पन्द के दोनों ओर के कण परस्पर विपरीत कला में दोलन करते हैं।

7. एक आवर्तकाल में दो बार माध्यम के कण एक साथ अपनी साम्यावस्था में आते हैं अर्थात् एक आवर्तकाल में दो बार सभी कणों का विस्थापन शून्य होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 11.
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त क्या है ? इसका उपयोग करते हुए दो तरंगों के अध्यारोपण से परिणामों तरंग के आयाम के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]:
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.1
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.2
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि तनी हुई डोरियों में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अप्रगामी तरंगें एवं कम्पन की विधाएँ तथा कम्पन के नियम
(STANDING WAVES IN STRETCHED STRING AND MODES OF VIBRATION AND LAWS OF VIBRATIONS)
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें बनती हैं। इसके लिए हम के मध्य तनी हुई डोरी में उत्पन्न अप्रग्रामी तरंगों पर विचार यदि डोरी में तनाव T, डोरी की लम्बाई / तथा डोरी की एकांक का द्रव्यमान यदि । हो तो डोरी में उत्पन्न तरंगों का वेग
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) ……….(1)
जब डोरी की लम्बवत् दिशा में थोड़ा खींचकर छोड़ा जाता है, तो इसके सिरों की ओर अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगें चलने लगती हैं। ये तरंगें डोरी के दृढ़ सिरों से परावर्तित हो जाती हैं और आपतित तथा परावर्तित तरंगें अध्यारोपण करके अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न करते हैं। ये तरंगें तब तक रहती हैं जब तक कि घर्षण इत्यादि कारणों से उनकी ऊर्जा नष्ट नहीं हो जाती है। डोरी के कसे हुए सिरों पर दोलन की स्वतन्त्रता न होने के कारण सदैव इन सिरों पर निस्पन्द बनते हैं। जब डोरी को मध्य बिन्दु से थोड़ा खींचकर छोड़ दिया जाता है तो डोरी एक खण्ड में कम्पन करती है। डोरी के दोनों सिरों पर निस्पन्द एवं मध्य बिन्दु पर प्रस्पन्द बनता है। यह तनी हुई डोरी में अप्रगामी तरंग की सबसे सरल विधा है जिसमें डोरी एक लूप में कम्पन्न करती है। इस अवस्था में डोरी न्यूनतम आवृत्ति का स्वर उत्पन्न करती है जिसे ‘मूल स्वरक’ कहते हैं। इस स्थिति में यदि
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -12
उत्पन्न, अप्रगामी तरंगों की तरंगदैर्ध्य λ1 हो तो
\(\frac{\lambda_1}{2}=l \Rightarrow \lambda_1=2 l\)
अतः मूल स्वर की आवृत्ति
\(n_1=\frac{v}{\lambda_1}=\frac{v}{2 l}\)
v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
∴ \(n_1=\frac{1}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
यदि डोरी के मध्य बिन्दु के पास B बिन्दु (एक सिरे से λ/ 4 दूरी पर स्थित बिन्दु) से थोड़ा खींचकर छोड़ दें तो डोरी चित्र अनुसार दो खण्डों में कम्पन करती है। इस स्थिति में λ2 = l, अतः उत्पन्न अप्रगामी तरंगों की आवृत्ति
\(n_2=\frac{v}{\lambda_2}=\frac{v}{t}=\frac{2 v}{2 l}\)
या n2 = 2n1 ……………….(3)
या \(n_2=\frac{2}{2 l} \sqrt{\frac{\mathrm{T}}{m}}\)
इसी प्रकार चित्र के अनुसार जब C बिन्दु पर डोरी को थोड़ा खींचकर छोड़ा जाता है तो डोरी तीन खण्डों में कम्पन करने लगती है। इन तरंगों की तरंगदैर्ध्य यदि λ3 हो तो
\(\lambda_3+\frac{\lambda_3}{2}=l \Rightarrow \frac{3 \lambda_3}{2}=l\)
या \(\lambda_3=\frac{2 l}{3}\)
इन तरंगों की आवृत्ति
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -13
मूल आवृत्ति से अधिक आवृत्तियों के स्वरकों को ‘अधिस्वरक’ (over tone) कहते हैं। आवृत्तियों n2, n3, n4 … आदि के स्वर क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय …… अधिस्वरक कहलाते हैं।

जिन अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ मूल स्वरक की आवृत्ति की पूर्ण गुणज होती हैं उन्हें ‘सन्नादी’ (harmonics) कहते हैं। जिन स्वरकों को आवृत्ति मूलस्वरक की आवृत्ति की विषम गुणज होती है उन्हें ‘विषम सन्नादी’ (odd harmonic) कहते हैं और जिनकी आवृत्ति सम गुणज होती है उन्हें ‘सम सन्नादी’ (even harmonics) कहते हैं। समी. (2), (3), (5) आदि स्पष्ट है कि तनी हुई डोरियों में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 13.
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ कम्पनों के नियमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल (Velocity Of Transverse Wave In A Stretched String):
तनी हुई डोरी में विक्षोभ से अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है। अतः अनुप्रस्थ तरंग का वेग ज्ञात करने हेतु माना एक डोरी, जिसकी एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m है तथा तनाव T है, में एक विक्षोभ बायीं ओर से दायीं ओर वेग से गतिशील है। हम यह मान सकते हैं कि प्रेक्षक विक्षोभ की दिशा में समान वेग v से गतिशील है तो प्रेक्षक को स्पन्द स्थिर प्रतीत होगा तथा डोरी विपरीत दिशा में गति करती हुई प्रतीत होगी।

अब डोरी के अल्पांश ∆l पर विचार करें तो विक्षोभ के कारण यदि डोरी में अल्प विस्थापन हो तो इस अल्पांश ∆l को चित्र की भाँति R त्रिज्या के वृत्तीय चाप के रूप में ले सकते हैं।
इस चाप का द्रव्यमान M = m. ∆l
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -14
इस अल्पांश पर केन्द्र की ओर लगने वाला कुल तनाव बल 2T sin θ ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करेगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -15.1
अर्थात् तरंग वेग डोरी के तनाव एवं डोरी की एकांक लम्बाई के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह तरंग वेग आयाम व तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं करता है। इस सूत्र की उपपत्ति में डोरी को आदर्श (पूर्णत: प्रत्यास्थ, समान घनत्व) माना गया है तथा कम्पन करते समय इसकी लम्बाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 14.
बन्द वायु स्तम्भों में कम्पन की विधाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वायु स्तम्भों में अप्रगामी तरंगें एवं कम्पन की विधाएँ
(Standing Waves In Air Columns And Mode Of Vibrations):
वायु स्तम्भों में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें बनती हैं। जब कोई कम्पित ध्वनि स्रोत जैसे स्वरित्र वायु स्तम्भ के पास लाया जाता है तो वायु स्तम्भ में सम्पीडन एवं विरलन उत्पन्न होते हैं और ये अनुदैर्ध्य प्रगामी तरंगें वायु स्तम्भ के दूसरे सिरे से परावर्तित होकर आपतित तरंगों के साथ अध्यारोपण हो जाती हैं। फलस्वरूप वायु स्तम्भ में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें उत्पन्न होती है। वायु स्तम्भ दो प्रकार के होते हैं-
1. बन्द वायु स्तम्भ – वे वायु स्तम्भ एक सिरे पर खुले एवं दूसरे सिरे पर बन्द होते हैं।
2. खुले वायु स्तम्भ – ये वायु स्तम्भ दोनों सिरों पर खुले होते हैं।
वायु स्तम्भों में कम्पन की विधाओं का अध्ययन करने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखने चाहिए-
(i) पाइप के बन्द सिरे पर दोलन की स्वतन्त्रता नहीं होती है, अतः इस सिरे पर सदैव निस्पन्द बनता है।
(ii) वायु स्तम्भ का खुला सिरा वायुमण्डल के सम्पर्क में होता है इसलिए इस सिरे पर घनत्व परिवर्तन लगभग शून्य होता है अर्थात् यहाँ विकृति शून्य होनी चाहिए और पाइप के खुले सिरे पर प्रस्पन्द होना चाहिए।
(iii) दो निस्पन्दों के मध्य एक प्रस्पन्द और दो प्रस्पन्दों के मध्य एक निस्पन्द होना चाहिए।

बन्द वायु स्तम्भ में कम्पन की विधाएँ (Modes of Vibrations in Closed Organ Pipes):
(i) मूलस्वरक (Fundamental Tone):
बन्द वायु के कम्पन की सरलतम विधा संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। इसमें बन्द सिरे पर निस्पन्द एवं खुले सिरे पर प्रस्पन्द बनता है। इस स्थिति में उत्पन्न स्वरक को मूल स्वरक कहते हैं। चित्र से
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -16
\(\frac{\lambda_1}{4}=l \Rightarrow \lambda_1=4 l\)
अतः मूल स्वरक की आवृत्ति,
\(n_1=\frac{v}{\lambda_1}\)
या \(n_1=\frac{v}{4 l}\) ………(1)
यह आवृत्ति मूल आवृत्ति की एक गुनी है। अत: इसे प्रथम सन्नादी (first harmonic) भी कहते हैं।

(ii) प्रथम अधिस्वरक (First Overtone ): यदि कम्पन संलग्न चित्र की भाँति हो रहे हैं अर्थात् पाइप के सिरों पर प्रस्पन्द एवं निस्पन्द के अलावा मध्य में एक प्रस्पन्द व एक निस्पन्द और बनता है तो उत्पन्न स्वरक को ‘प्रथम अधिस्वरक’ कहते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -17
∵ n2 का मान n1 का तीन गुना है अतः इसे तृतीय सन्नादी (Third harmonic) कहते हैं।

(iii) द्वितीय अधिस्वरक (Second Overtone): द्वितीय अधिस्वरक की स्थिति में वायु स्तम्भ में कम्पन की विधा चित्र में प्रदर्शित है।
इस स्थिति में;
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -18
अतः बन्द वायु स्तम्भों में केवल विषम सन्नादी ही उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 15.
सिद्ध कीजिए कि खुले ऑर्गन पाइप में सम एवं विषम दोनों प्रकार के सन्नादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर;
अप्रगामी तरंगों का गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis of Standing Waves)
माना धनात्मक X- अक्ष की दिशा में गतिशील प्रगामी तरंग का समीकरण –
y1 = a sin (ωt – kx) ……..(1)
जब यह तरंग बद्ध माध्यम की परिसीमा से परावर्तित होती है तो परावर्तित तरंग का समीकरण-
y2 = ±a sin (ωt + kx) ……..(2)
इस समीकरण (+) चिह्न का प्रयोग तब होगा जब तरंग का परावर्तन मुक्त परिसीमा मुक्त है अर्थात् परावर्तन विरल माध्यम से हो रहा हो ओर दृढ़ परिसीमा अर्थात् सघन माध्यम से परावर्तन होने पर (-) चिह्न का प्रयोग होगा क्योंकि इस स्थिति में परावर्तित तरंग में का कलान्तर और उत्पन्न हो जायेगा। परावर्तित तरंग की दिशा X- अक्ष की ऋणात्मक दिशा में होगी अतः kx से पूर्व (+) चिह्न का ही प्रयोग होगा।

अब हम यह मानकर गणितीय विवेचना में आगे बढ़ते हैं कि परावर्तन सघन माध्यम से हो रहा है।
अध्यारोपण के सिद्धान्त से-
y = y1 + y2 ………..(3)
या y = a sin (ωt – kx) – asin(ωt + kx)
= a [sin (ωt – kx) – sin(ωt + kx)]
= a [{sin ωt cos kx – cos ωt sin kx} – {sin ωt cos kx + cos ωt sin kx}]
= a[sin ωt cos kx – cos ωt sin kx – sin ωt cos kx – cos ωt sin kx]
[ क्योंकि sin (A ± B) = sin Acos B ± cosA sinB]
या y = -2a cos ωt sin kx
या y = -2a sin kx cos ωt ………(4)
या y = A cos ωt ……….(5)
जहाँ y = A sin kx तरंग का आयाम है। ……….(6)
समी (4) एवं (5) परिणामी तरंग का समीकरण व्यक्त करते हैं। स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी आवर्ती तरंग है जिसकी कोणीय आवृत्ति (ω) अध्यारोपित होने वाली तरंगों की कोणीय आवृत्ति के समान है लेकिन इसका आयाम (A) नियत नहीं है बल्कि यह समी. (6) के अनुसार परिवर्तित होता है।
अब समी. ( 4 ) का अवकलन करने पर कणों का वेग
v = \(v=\frac{d y}{d t}=\frac{d}{d t}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\)
या v = 2aω sinkx win ωt …………(7)
तथा विकृति
\(\frac{d y}{d x}=\frac{d}{d x}[-2 a \sin k x \cos \omega t]\) …………(8)
या \(\frac{d y}{d x}=2 a k \cos k x \cos \omega t\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 16.
सोनोमीटर किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ? इसकी सहायता से स्वरित्र की अज्ञात आवृत्ति किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?
उत्तर:
स्वरमापी (Sonometer)
तनी हुई डोरियों में अप्रगगमी तरंगों एवं अनुनाद के सिद्धान्त पर यह ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात की जा सकती है।

इसमें बढ़िया किस्म की मुलायम लकड़ी का बना एक आयताकार खोखला बक्सा है जिसे ‘ध्वनि बॉक्स’ (Sound Box) कहते हैं और इसे चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें दो बड़े छेद होते हैं जिससे बॉक्स के अन्दर उत्पन्न ध्वनि बाहर सुनी जा सके। इसे ‘अनुनाद बॉक्स’ (Resonancl Box) भी कहते हैं। ध्वनि बॉक्स को दो ऊर्ध्वाधर स्टेण्डों पर रख दिया जाता है तथा इसकी ऊपरी सतह पर एक तार हुक से बंधा होता है जो सतुओं A, B, C के ऊपर से होता हुआ ध्वनि बॉक्स के दूसरे सिरे घिरनी पर होकर गुजरता है तार के दूसरे सिरे पर एक हैंगर लगा जिस पर चॉट चढ़ाकर तार में तनाव उत्पन्न किया जाता है। सेतुओं के दूरी ज्ञात करने के लिए बॉक्स के एक किनारे पर एक मीटर स्केल भी रहता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -19

जब तार को कर्षित (Plucked) किया जाता है तो उसमें अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगे उत्पन्न होती हैं जो कर्षण बिन्दु के दोनों ओर तार के अनुदिश गति करती हैं और सेतुओं से परावर्तित होकर अध्यारोपण करती है। जिससे तार में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें उत्पन्न होती हैं ये तरंगें सेतुओं के माध्यम से ध्वनि बॉक्स में जाकर वायु को कम्पित करती हैं। अनुनाद की स्थिति में ध्वनि बॉक्स के छिद्रों से होकर तीव्र ध्वनि सुनाई देती है।

जब कोई तना हुआ तार मूल स्वर में (एक खण्ड) कम्पन करता है तो उसकी आवृत्ति निम्न सूत्र से दी जाती है।
n = \(\frac{1}{2} \sqrt{\frac{T}{m}}\) जहाँ T = Mg
m = तार की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान
l = कम्पित तार की लम्बाई
g = गुरुत्वीय त्वरण
M = हँगर सहित उस पर लटकाया गया द्रव्यमान
यदि स्वरमापी पर एक कम्पित स्वरित्र की मूठ रखी जाती है तो ता कम्पन करने लगता है जो सेतुओं के माध्यम से तार में पहुँचकर अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगे उत्पन्न करते हैं यदि सेतुओं के मध्य दूरी को समायोजित करके अनुनाद की स्थिति ज्ञात कर ली जाये तो-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -20

प्रश्न 17.
विस्पन्द विधि द्वारा स्वरित्र द्विभुज की अज्ञात आवृत्ति किस प्रकार ज्ञात की जा सकती है ?
उत्तर:
विस्पन्दों के अनुप्रयोग (Applications of Beats)
(i) विस्पंदों विधि द्वारा स्वरित्र की अज्ञात आवृत्ति ज्ञात करना
किसी दिये हुए स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात करने के लिए एक लगभग समान किन्तु ज्ञात आवृत्ति का स्वरित्र लिया जाता है, क्योंकि ध्वनि तरंगों के विस्पन्दों को प्रेक्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि दोनों तरंगों की आवृत्ति में अन्तर अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा विस्पन्द इतनी शीघ्रता से बनेंगे कि उनका सुनना सम्भव न होगा। दोनों स्वरित्रों को एक साथ कम्पित करवाकर प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या ज्ञात की जाती है माना स्वरित्र की आवृत्ति n व उत्पन्न विस्पन्द आवृत्ति ∆n हो, तो अज्ञात स्वरित्र की आवृत्ति (n + ∆n) या (n – ∆n) होगी।

यह निर्धारित करने के लिए अज्ञात स्वरित्र की आवृत्ति (n + ∆n) या (n – ∆n) है, अज्ञात आवृत्ति वाले स्वरित्र की भुजा पर थोड़ा मोम लगा देते हैं, जिससे भुजा का भार बढ़ जाने से उसकी आवृत्ति कम हो जायेगी। पुनः दोनों स्वरित्रों को एक साथ कम्पित कराकर विस्पन्दों की संख्या ज्ञात करते हैं। यदि विस्पन्द आवृत्ति पहले से अधिक मिलती है, आवृत्ति (n – ∆n) और विस्पन्द आवृत्ति कम होने पर अज्ञात आवृत्ति (n + ∆n) होगी।

(ii) वाद्ययंत्रों का स्वर मिलाना संगीतज्ञ दो वाद्य यंत्रों के मिलाने के लिए अर्थात् उनकी आवृत्तियों को समान करने के लिए विस्पन्द का उपयोग करते हैं। यदि दोनों की आवृत्तियों में थोड़ा-सा अन्तर हैं तो उन्हें अलग-अलग बजाकर समस्वरित नहीं किया जा सकता, परन्तु यदि दोनों वाद्य यन्त्रों को साथ-साथ बजाया जाए तो उनकी आवृत्तियों में थोड़ा-सा अन्तर होने पर विस्पन्द सुनाई देंगे। इस स्थिति में एक वाद्य यंत्र को इस प्रकार समायोजित करते हैं कि विस्पन्दों की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगे तथा अन्त में विस्पन्द सुनाई देने बन्द हो जाएँ। इस प्रकार वाद्य यंत्र समस्वरित हो जाते हैं।

(iii) खानों में खतरनाक गैसों का पता लगाना- इसके लिए एक विशेष प्रकार का यंत्र प्रयोग में लाया जाता है। इसमें बिल्कूल समान आकार के दो छोटे पाइप होते हैं। एक पाइप में शुद्ध हवा तथा दूसरे पाइप में खान की हवा प्रवाहित की जाती है। यदि खान की हवा शुद्ध है तो दोनों पाइप समस्वरित (Tuned) होंगे अर्थात् दोनों पाइपों में एक ही आवृत्ति का स्वर निकलेगा, अतः विस्पन्द सुनाई नहीं देंगे। यदि खान की हवा में खतरनाक गैस का वेग बढ़ जाता है। इससे उत्पन्न ध्वनि स्वर की आवृत्ति बदल जाती है, अतः विस्पन्द सुनाई देने लगेंगे।

(iv) संकरण विधि से ध्वनि उत्पन्न करना इसके लिए दो विद्युत परिपथ तैयार किये जाते हैं। इनमें प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न की जाती है। ये धाराएँ दो लाउडस्पीकरों को दी जाती है। इनमें से एक धारा की आवृत्ति को समायोजित करके इच्छित आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न किए जा सकते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 18.
डॉप्लर प्रभाव से आप क्या समझते हैं ? किस परिस्थिति में यह लागू नहीं होता है ?
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.3
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 19.
यदि ध्वनि स्त्रोत एवं श्रोता दोनों गतिमान है, तो आभासी आवृत्ति के लिए विभिन्न स्थितियों में सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.4
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें

प्रश्न 20.
डॉप्लर प्रभाव के उपयोग से पनडुब्बी का वेग किस प्रकार ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर:
तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त [Principle Of Superposition Of Waves]
इस अनुच्छेद में हम इस बात पर विचार करेंगे कि यदि कई प्रगामी तरंगें समान दिशा में या विपरीत दिशा में गति करती हों तो इस स्थिति में क्या होगा ? इस परिस्थिति में कण के विस्थापन का अध्ययन करने हेतु हम निम्न चित्र के अनुसार एक तनी हुई डोरी में एक ही समय पर विपरीत दिशा में गतिशील दो विक्षोभों की गति पर विचार करते हैं। स्थिति (a) के अनुरूप दो विक्षोभ (समान कला में ) ।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 15 तरंगें -4.5
विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की ओर गतिशील हैं तथा इनके मिलने के स्थान पर कण का विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा तरंगों के समान कला में होने के कारण यह बढ़ जाता है और विक्षोभों के पुनः अपनी दिशाओं में आगे बढ़ने पर अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार स्थिति (b) के अनुसार विक्षोभों के विपरीत कला में अध्यारोपित होने पर भी परिणामी विस्थापन पूर्व विस्थापन से भिन्न है तथा जब समय के साथ विक्षोभ आगे बढ़ जाते हैं तो ‘पुन: विस्थापन अपनी पूर्व स्थिति को प्राप्त कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जब किसी कण पर एक ही समय पर दो या अधिक तरंगे अध्यारोपित हों तो वे कण के विस्थापन को प्रभावित करती हैं अत: “किसी कण पर एक ही समय पर एक से अधिक तरंगों के आरोपित होने को तरंगों का अध्यारोपण कहा जाता है।”

तरंगों के अध्यारोपण के परिणाम स्वरूप तात्क्षणिक रूप से उस पर प्रभावित सभी तरंगों के संयुक्त परिणामी प्रभाव के अन्तर्गत गति करता है। तो परिणामी विस्थापन अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार दिया जाता है।

अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of Superposition ):
“जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगें एक साथ जाती हैं अर्थात् वे अध्यारोपण करती हैं तो माध्यम के प्रत्येक कण का किसी समय परिणामी विस्थापन उन विस्थापनों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है जो वे तरंगे एक-दूसरे की अनुपस्थिति में अलग-अलग उत्पन्न करती हैं।” अर्थात्
y = y1 + y2 + …
यह योग अलग-अलग विस्थापनों के बीजीय योग के बराबर होता है।

दो सरल आवर्त गतियों का अध्यारोपण:
इस गति के दौरान माध्यम के कण सरल आवर्त गति करते हैं तथा विस्थापन में माना कोई दो समान आवृत्ति की तरंगें जिनके कारण कण का विस्थापन एक ही दिशा में हो तो कण का विस्थापन निम्न प्रकार दिया जाता है-
y1 = a sin (ωt + α) ……….(1)
y2 = b sin(ωt + ß) ……….(2)
जहाँ α व ß उन तरंगों की प्रारम्भिक कला है एवं a व b उनके आयाम हैं।
अतः अध्यारोपण के सिद्धान्त से परिणामी विस्थापन
y = y1 + y2
या y = a sin (ωt + α) + b sin(ωt + ß)
= a sin ωt cos α + a cos ωt sin α + b sin ωt cos ß + b cos ωt sin ß

सूत्र sin (A + B) = sin A cos B + cos A sin B का प्रयोग करने पर
या y = sin ωt (a cos α + b cos ß) + cos ωt (a sin α + b sin ß)
माना a cos α + b cos ß = r cos θ …………(3)
एवं a sin α + b sin ß = r sin θ ………..(4)
अतः y = r sin ωt cos θ + r cos ωt sin θ
या y = r sin(ωt + θ) ………(5)
यह परिणामी तरंग का समीकरण है जिसका आयाम है। इस समीकरण से स्पष्ट है कि परिणामी तरंग भी उसी आवृत्ति से गति करेगी जिससे अध्यारोपित होने वाली तरंगे करती है। समी (5) में θ परिणामी तरंग की प्रारम्भिक कला है।

परिणामी तरंग का आयाम : समी (3) व (4) के वर्गों को जोड़ने पर
r² cos² θ + r² sin² θ = (a cos α + b cos ß)² + (a sin α + b sin ß)²
या r²(cos² θ + sin² θ) = a² cos α + b² cos ß+ 2ab cos α cos ß + a² sin² α + b² sin² ß + 2ab sin α sin ß
या r² = a² (cos² α + sin² α) + b² (cos² ß + sin² ß) + 2ab(cos α cos ß + sin α sin ß)
या r² = a² + b² + 2ab cos (ß – α) ………..(6)
[क्योंकि cos (A – B) = cosA cosB + sinA sinB]
∴ r = \(\sqrt{a^2+b^2+2ab cos(ß-α)}\) …………(7)

परिणामी तरंग का कला कोण : समी (4) में (3) का भाग देने पर-
\(\tan \theta=\frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)
\(\theta=\tan ^{-1} \frac{a \sin \alpha+b \sin \beta}{a \cos \alpha+b \cos \beta}\)

आंकिक प्रश्न (Numerical Problems )

तरंगदैर्ध्य व तरंग गति पर आधारित

प्रश्न 1.
एक रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति 60 MHz है। केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। (प्रकाश की चाल = 3 × 108 ms-1)
उत्तर:
5 m

प्रश्न 2.
एक दर्शक समुद्र के किनारे खड़ा होकर देखता है कि 1 मिनट में 70 तरंगें किनारे तक पहुंचती हैं। यदि तरंगदैर्घ्य 12m हो तो उनका वेग बताइये।
उत्तर:
14 ms-1

प्रश्न 3.
समुद्र की तरंगों में दो शृंगों के बीच की दूरी 12m है और प्रति मिनट 20 श्रृंग बनते हैं तो तरंगों की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4 ms-1

तनी डोरी में तरंग की चाल

प्रश्न 4.
4.0m लम्बे तार का द्रव्यमान 0.01 kg है, इसे 400N बल से खींचा जाता है। तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल कितनी है ?
उत्तर:
400 ms-1

यांत्रिक तरंगों की चाल पर आधारित

प्रश्न 5.
इस्पात के लिए प्रत्यास्थता गुणांक 2.9 × 1011 Nm-2 है एवं घनत्व 8 × 103 kg.m-3 है इस्पात में अनुदैर्घ्य तरंगों का वेग बताइये।
उत्तर:
6.02 × 103 ms-1

प्रश्न 6.
105 Nm-2 वायुमण्डलीय दाब पर वायु का घनत्व 1.29 kg. m-3 है। यदि वायु के लिए = 1.41 है तो वायु में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
330.6 ms-1

प्रश्न 7.
जल में ध्वनि की चाल 1346 ms-1 है तथा जल का घनत्व 1.0 × 103 kg.m-3 है। जल के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
1.81 × 109 N.m-2

प्रश्न 8.
105 Nm-2 दाब पर जल की आयतन विकृति 5 × 10-5 है। यदि जल का घनत्व 1 × 103 kg.m-3 हो, तो जल में ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
उत्तर:
1414.2 ms-1

गैसों में ध्वनि की चाल पर आधारित

प्रश्न 9.
0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 330 ms-1 है। किस ताप पर ध्वनि की चाल 495 ms-1 होगी ?
उत्तर:
341.25°C

प्रश्न 10,
0°C व 1092K ताप पर ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
1 : 2

प्रश्न 11.
किसी ताप पर वायु में ध्वनि की चाल 25°C ताप पर वायु में ध्वनि की चाल की 1.6 गुनी हो जायेगी ?
उत्तर:
489.9°C

प्रश्न 12.
किस ताप पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही होगी जो कि 28°C पर नाइट्रोजन में है ? ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के अणुभार क्रमशः 32 व 28 है।
उत्तर:
71°C

प्रगामी तरंगों पर आधारित

प्रश्न 13.
किसी तरंग का समीकरण y = 0.5 sin π (100x – 3t) है। इसमें y व x मीटर में तथा t सेकण्ड में है। इस तरंग का प्रसारण वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
300 ms-1

प्रश्न 14.
निम्नलिखित तरंग समीकरण से तरंगदैर्घ्यं ज्ञात कीजिए-
y = 0.4 sin (120πt – \(\frac{4π}{5}\)), जहाँ दूरी m में तथा समय सेकण्ड में दिया गया है।
उत्तर:
2.5m

प्रश्न 15.
एक प्रगामी तरंग का आयाम 0.05m; चाल 330 ms-1 तथा आवृत्ति 110 Hz है। इस तरंग का समीकरण लिखिए।
उत्तर :
y = 0.05 sin 2π (110t – \(\frac{x}{3}]/latex])।

प्रश्न 16.
एक माध्यम के दो कणों के बीच की दूरी 5 cm है। यदि इनका कलान्तर [latex]\frac{π}{3}\) हो तो तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.3 m

प्रश्न 17.
एक प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.04 sin (157 t – 3.14 x) है जहाँ दूरियाँ m में तथा t सेकण्ड में हैं। तरंग आयाम, आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए इसी प्रकार यदि किसी अन्य तरंग का समीकरण y’ = 0.30 sin (157t – 3.14 x + 3.14) हो तो उपर्युक्त दोनों तरंगों के मध्य कलान्तर ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.04 m; 25 Hz; 2m; π rad. या 180°

प्रश्न 18.
दो तरंगों के आयामों का अनुपात 2:3 है तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4 : 9

प्रश्न 19.
एक समतल प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.4sin 8π (t – \(\frac{x}{20}\)) है। यदि तरंग किसी तल से परावर्तित होती है एवं परावर्तित तरंग का आयाम पहले का आधा रह जाता है तो परावर्तित तरंग का समीकरण ज्ञात कीजिए यदि तरंग किसी (i) दृढ़ तल से (ii) मुक्त तल से परावर्तित हो।
उत्तर:
(i) y’ = 0.2 sin 8π (t + \(\frac{x}{20}\))
(ii) y” = 0.2 sin 8π (t + \(\frac{x}{20}\))

प्रश्न 20.
अप्रगामी तरंग का समीकरण y = 12 cos \(\frac{πx}{5}\) sin 20πt जहाँ x व y सेमी में तथा t सेकण्ड में है ज्ञात कीजिए-
(i) प्रगामी तरंगों की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति (ii) वेग तथा आयाम ।
उत्तर:
(i) 10 cm; 10 Hz
(ii) 100 cms; 6 cm

प्रश्न 21.
किसी बन्द ऑगंन नली में बनी अप्रगामी तरंग का समीकरण है y = 7 cos (\(\frac{πx}{6}\)) sin (30 πt) जिसमें x एवं y, cm में तथा t, s में है। है। इस तरंग को उत्पन्न करने वाली प्रगामी तरंगों की आवृत्ति, चाल, आयाम तथा तरंगदैर्घ्यं ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
15 Hz; 180 cms; 3.5 cm 12 cm

प्रश्न 22.
एक सिरे पर बन्द नली में मूल स्वर की आवृत्ति 200 Hz है। इसी प्रकार की इसी लम्बाई की, परन्तु दोनों सिरों पर खुली नली के मूल स्वर की आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर:
400 Hz

प्रश्न 23.
एक बन्द आर्गन पाइप के मूल अधिस्वरक की आवृत्ति एवं एक खुले पाइप के मूल अधिस्वरक की आवृत्ति समान हैं उनकी लम्बाइयों में क्या अनुपात है ?
उत्तर:
1 : 2

प्रश्न 24.
दो स्वरित्र A व B एक साथ कम्पन करने पर क्षय विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करते हैं। 32 cm लम्बे बन्द ऑर्गन पाइप के साथ A तथा 33 cm लम्बे बन्द ऑर्गन पाइप के साथ B अनुनाद करता है। स्वरित्रों की आवृत्तियाँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
264 Hz; 256 Hz

प्रश्न 25.
341 Hz आवृत्ति के एक स्वरित्र को 1m लम्बी नली के ठीक ऊपर कम्पित कराया जाता है। नली में धीरे-धीरे जल भरा जा रहा है। जल की कितनी ऊँचाई अनुनाद के लिए आवश्यक होगी ? (वायु में ध्वनि की चाल = 341 ms2 )
उत्तर:
75cm; 25cm

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HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. सोडियम क्लोराइड के क्रिस्टल में हैं-
(1) सोडियम क्लोराइड अणु
(2) सोडियम और क्लोरीन परमाणु
(3) सोडियम आयन और क्लोराइड आयन
(4) (1) और (2) दोनों।
उत्तर:
(3) सोडियम आयन और क्लोराइड आयन

2. निम्न यौगिकों में वैद्युत संयोजक यौगिक कौन-सा है?
(1) HCl
(2) NH4Cl
(3) BCl3
(4) AlCl3 (निर्जल)।
उत्तर:
(2) NH4Cl

3. निम्न में से कौन-सा यौगिक अष्टक नियम का पालन नहीं करता है-
(1) कार्बन टेट्राक्लोराइड
(2) फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड
(3) कैल्सियम ऑक्साइड
(4) बेरियम नाइट्रेट
उत्तर:
(2) फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड

4. निम्न अणुओं में लुइस अम्ल कौन-सा है-
(1) CCl4
(2) BCl3
(3) PCl5
(4) NCl3
उत्तर:
(2) BCl3.

5. HE, HCl, HBr और HI के क्वथनांकों का सही क्रम है..
(1) HF > HCl > HBr > HI
(2) HI > HBr > HCl > HF
(3) HF >HI > HBr > HCl
(4) HCl > HBr > HI > HF
उत्तर:
(3) HF >HI > HBr > HCl

6. कार्बन, सिलिकन, मैग्नीशियम और ऐलुमिनियम के क्लोराइडों में उच्चतम गलनांक किस तत्व के क्लोराइड का है-
(1) C
(2) Si
(3) Mg
(4) Al
उत्तर:
(3) Mg

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

7. निम्न अणुओं में विषम इलेक्ट्रॉन अणु चुनिए-
(1) B2H6
(2) O2
(3) CO
(4) NO
उत्तर:
(4) NO

8. निम्न में से कौन-सा अणु अनुचुम्बकीय है-
(1) N2
(2) O2
(3) F2
(4) D2
उत्तर:
(2) O2

9. निम्न में से नाइट्रोजन अणु का सम इलेक्ट्रॉनी अणु कौन-सा है-
(1) NO
(2) CO
(3) H2O
(4) HCl
उत्तर:
(2) CO

10. निम्नलिखित में से किसमें आयनिक बन्ध है-
(1) CHCl3
(2) O2
(3) BaCl2
(4) CCl4
उत्तर:
(3) BaCl2

11. किस यौगिक में द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है-
(1) CIF
(2) PCl3
(3) SiCl4
(4) CHCl3
उत्तर:
(3) SiCl4

12. वह यौगिक जिसमें ऋणायन आकार तथा धनायन आकार अनुपात न्यूनतम है।
(1) CsI
(2) Lil
(3) LiF
(4) CsF
उत्तर:
(4) CsF

13. वह अणु जिसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है-
(1) CO
(2) NO
(3) O2
(4) CsF.
उत्तर:
(2) NO

14. निम्नलिखित में से सर्वाधिक आयनिक गुणों से युक्त यौगिक है-
(1) HCl
(2) HBr
(3) HF
(4) HI.
उत्तर:
(3) HF

15. निम्नलिखित में से किस अणु पर अष्टक का नियम लागू नहीं होता-
(1) CO2
(2) H2O
(3) O2
(4) CO.
उत्तर:
(2) H2O

16. किस यौगिक में सर्वाधिक द्विध्रुव आघूर्ण होता है-
(1) CH3Cl
(2) CCl4
(3) CHCl3
(4) CH2Cl2
उत्तर:
(1) CH3Cl

17. कौन-सा बन्ध सबसे अधिक ध्रुवीय है
(1) Cl – F
(2) Br – F
(3) 1 – F
(4) F – F
उत्तर:
(3) 1 – F

18. किस बन्ध की बन्ध ऊर्जा अधिकतम होगी-
(1) आयनिक बन्ध
(2) सहसंयोजी बन्ध
(3) धात्विक बन्ध
(4) हाइड्रोजन बन्ध
उत्तर:
(1) आयनिक बन्ध

19. सह-संयोजक अणुओं का क्रिस्टल संरचना में होने का कारण है-
(1) द्विध्रुव द्विध्रुव आकर्षण
(2) स्थिर वैद्युत आकर्षण
(3) हाइड्रोजन
(4) वाण्डर वाल्स आकर्षण।
उत्तर:
(4) वाण्डर वाल्स आकर्षण।

20. निम्नलिखित में से कौन परिवर्तित संयोजकता दिखाता है-
(1) H
(2) Na
(3) Fe
(4) O.
उत्तर:
(3) Fe

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

21. सहसंयोजक बन्ध में ध्रुवता का कारण है-
(1) इलेक्ट्रॉन बन्धुता
(2) आयनन विभव
(3) विद्युत ऋणात्मकता
(4) परमाण्वीय आकार।
उत्तर:
(3) विद्युत ऋणात्मकता

22. BCl3 अणु समतलीय है क्योंकि इस अणु में बोरॉन है-
(1) sp³ – संकरित
(2) sp² – संकरित
(3) sp – संकरित
(4) संकरित नहीं है।
उत्तर:
(2) sp² – संकरित

23. निम्न में से कौन-सा अणु मुडी हुई आकृति का है-
(1) CO2
(2) O3
(3) N2O
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(2) O3

24. PCl5 अणु निम्नलिखित संकरण का परिणाम है-
(1) sp²d²
(2) sp³d
(3) spd³
(4) sp²d³
उत्तर:
(2) sp³d

25. किस अणु में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है-
(1) NO
(2) CN
(3) O2
(4) CO
उत्तर:
(1) NO

26. निम्न में से किसकी संरचना रेखीय नहीं है–
(1) BeCl2
(2) SO2
(3) C2H2
(4) CO2.
उत्तर:
(2) SO2

27. NH3 का क्वथनांक PH3 की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि
(1) NH3 का अणु भार अधिक है।
(2) NH3 में छाता प्रतिलोमन होता है।
(3) NH3 में आयनिक बन्ध है जबकि PH3 में सहसंयोजक बन्ध है।
(4) NH3 हाइड्रोजन बन्ध बनाता है।
उत्तर:
(4) NH3 हाइड्रोजन बन्ध बनाता है।

28. नाइट्रोजन अणु (N ≡ N) में नाइट्रोजन परमाणुओं के मध्य स्थित त्रिबन्ध में होते हैं-
(1) तीन σ-बन्ध
(2) दो σ-बन्ध तथा एक π बन्ध
(3) एक σ-बन्ध तथा दो π- बन्ध
(4) दो π-प्रबन्ध
उत्तर:
(3) एक σ-बन्ध तथा दो π- बन्ध

29. p – p कक्षक का अतिव्यापन निम्न में से किस अणु में उपस्थित हैं-
(1) हाइड्रोजन
(2) क्लोरीन
(3) हाइड्रोजन क्लोराइड
(4) हाइड्रोजन ब्रोमाइड।
उत्तर:
(2) क्लोरीन

30. बर्फ में एक जल के अणु द्वारा बनने वाले अधिकतम हाइड्रोजन बन्धों की संख्या है-
(1) 4
(2) 3
(3) 2
(4) 1.
उत्तर:
(1) 4

31. H – C ≡ C – CH = CH2 में C – C एकल बन्ध के कार्बन परमाणुओं का संकरण है-
(1) sp³ – sp³
(2) sp² – sp²
(3) sp – sp²
(4) sp³ – sp.
उत्तर:
(3) sp – sp²

32. BF3 में केन्द्रीय परमाणु की ज्यामिति व ऑर्बिटल के संकरण का प्रकार है-
(1) रेखीय, sp
(2) समतल त्रिकोणीय, sp²
(3) चतुष्फलीय, sp³
(4) पिरैमिडी, sp³.
उत्तर:
(2) समतल त्रिकोणीय, sp²

33. निम्न में से कौन-से अणु के केन्द्रीय परमाणु में sp²- संकरण होता है-
(1) BeF2
(2) BCl3
(3) C2H2
(4) NH3
उत्तर:
(2) BCl3

34. NO2 में नाइट्रोजन ऑक्सीजन बन्ध कोटि है-
(1) 1
(2) 1.33
(3) 1.5
(4) 2.
उत्तर:
(3) 1.5

35. CH3CHCCH2 अणु में क्रमश: C – 1 और C – 2 कार्बन परमाणुओं पर किस प्रकार का संकरण है?
(1) sp², sp
(2) sp³, sp²
(3) sp², sp²
(4) sp², sp³.
उत्तर:
(1) sp², sp

36. निम्न अणुओं में से किस अणु के केन्द्रीय परमाणु पर sp³ संकरण है-
(1) CO2
(2) SO2
(3) H2O
(4) N2O.
उत्तर:
(3) H2O

37. निम्न में से कौन-सा लूइस क्षारक है-
(1) BF3
(2) CH4
(3) H2O
(4) SiCl4.
उत्तर:
(3) H2O

38. SF में सल्फर पर संकरण है-
(1) sp
(2) sp²
(3) sp³d
(4) dsp².
उत्तर:
(3) sp³d

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
NaCl अथवा KCl विद्युत संयोजी हैं, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि क्षार धातुओं (Na अथवा K) तथा Cl की विद्युत ऋणात्मकता में आयनिक बन्ध बनने के लिये पर्याप्त अन्तर होता है।

प्रश्न 2.
उस यौगिक का सूत्र लिखो जिसमें अष्टक प्रसार होता है।
उत्तर:
PCl5

प्रश्न 3.
BeCl2, MgCl2, CaCl2 को सहसंयोजक गुणों में वृद्धि के क्रम में लिखो-
उत्तर:
CaCl2 < MgCl2 < BeCl2

प्रश्न 4.
अमोनिया एक सह-संयोजी यौगिक है, इसे जल में घोलने पर प्राप्त विलयन विद्युत का सुचालक है। क्यों?
उत्तर:
NH3+ H2O → NH4OH
NH4OH → NH4+ + OH
अमोनिया के जलीय विलयन में NH4 तथा OH आयन प्राप्त होने से यह विलयन विद्युत का सुचालक है।

प्रश्न 5.
PF5 होता है NF5 नहीं होता है, क्यों?
उत्तर:
N में रिक्त d कक्षक अनुपस्थित होने के कारण इसमें अष्टक का प्रसार नहीं हो पाता है अत: NF नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 6.
उन दो अणुओं के सूत्र लिखिये जिनमें अष्टक प्रसार होता है।
उत्तर:
PCI5 तथा SF6

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 7.
H2S रेखीय नहीं है जबकि BeH2 रेखीय है क्यों?
उत्तर:
H2S में s-परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थि के कारण इसकी संरचना रेखीय नहीं होती है जबकि BeH2 में Be-परमाणु पर कोई एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता है अतः इसकी संरचना रेखीय होती है।

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन तथा क्लोरीन की सहसंयोजक त्रिज्यायें क्रमशः 0.37Å तथा 0.99Å हैं। गैसीय HCl की आबन्ध लम्बाई बताएँ।
उत्तर:
बन्ध लम्बाई (0.37 + 0.99)/2
= 0.68 Å

प्रश्न 9.
BeCl2 का गलनांक BaCl2 से कम क्यों है?
उत्तर:
BeCl2 सहसंयोजक यौगिक है जबकि BaCl2 यौगिक आयनिक है। अतः BeCl2 का गलनांक कम होता है।

प्रश्न 10.
द्विध्रुव आघूर्ण क्या होता है?
उत्तर:
किसी ध्रुवित सहसंयोजक यौगिकों के दोनों ध्रुवों के मध्य की दूरी का एक ध्रुव के आवेश से गुणा करने पर प्राप्त मान द्विध्रुव आघूर्ण कहलाता है। यह एक सदिश राशि है।
द्विध्रुव आघूर्ण (μ) = d x q यहाँ d = दूरी, q = आवेश

प्रश्न 11.
दो धनायन तथा दो ऋणायन बताइये जिनकी इलेक्ट्रॉनिक संरचनाएँ Ne के समान हों।
उत्तर:
धनायन – Na+ तथा Mg2+
ऋणायन – F तथा O2-

प्रश्न 12.
ठोस NaCl विद्युत का अचालक क्यों है?
उत्तर:
ठोस NaCl में Na+ तथा Cl गतिमान नहीं हो पाते हैं। जिससे इनमें विद्युत का प्रवाह नहीं हो पाता है।

प्रश्न 13.
संयोजकता इलेक्ट्रॉन क्या है?
उत्तर:
तत्व के परमाणु के बाह्य कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को उस परमाणु के संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहते हैं। ये संयोजन अभिक्रिया में भाग लेते हैं।

प्रश्न 14.
आयनिक तथा सहसंयोजी यौगिकों में किसके गलनांक व क्वथनांक ऊँचे होते हैं तथा क्यों ?
उत्तर:
आयनिक यौगिकों के क्योंकि आयनिक यौगिकों में आयनों के बीच शक्तिशाली विद्युत स्थैतिक बल कार्य करते हैं।

प्रश्न 15.
विद्युत संयोजी यौगिक अवाष्पशील क्रिस्टलीय ठोस होते हैं क्यों?
उत्तर:
क्योंकि विद्युत संयोजी यौगिकों में आयनों के बीच शक्तिशाली विद्युत संयोजी बल होते हैं।

प्रश्न 16.
एकल बन्ध यौगिकों की अपेक्षा द्विबन्ध के यौगिक अधिक क्रियाशील होते हैं, क्यों?
उत्तर:
द्विबन्ध में π – बन्ध होता है जिसकी बन्धन ऊर्जा कम होती है, अतः यह अधिक क्रियाशील होते हैं।

प्रश्न 17.
ठोस सोडियम धातु में विद्युत प्रवाहित हो जाती है जबकि ठोस NaCl विद्युत कुचालक है, क्यों?
उत्तर:-
सोडियम धातु में गतिशील इलेक्ट्रॉन (mobile electrons) होते हैं जबकि ठोस NaCl में आयन गतिशील नहीं होते अतः यह विद्युत कुचालक है।

प्रश्न 18.
वैद्युत संयोजी यौगिकों का आयनन शीघ्र होता है क्यों?
उत्तर:
वैद्युत संयोजी यौगिकों के आयन वैद्युत स्थैतिक बलों के द्वारा बँधे रहते हैं। ध्रुवीय विलायक जब आयनों के बीच में आ जाता है तो विद्युत संयोजी बल क्षीण हो जाते हैं जिससे ये यौगिक आयनित हो जाते हैं।

प्रश्न 19.
निर्जल HCl विद्युत का कुचालक होता है जबकि जलीय HCl विद्युत का सुचालक होता है, क्यों ?
उत्तर:
जल की उपस्थिति में HCl का वियोजन H+ व Cl में हो जाता है जबकि निर्जल HCl सहसंयोजी यौगिक है।

प्रश्न 20.
BaO तथा MgO में से किसका गलनांक उच्च होता है।
उत्तर:
BaO का गलनांक उच्च होता है क्योंकि BaO अधिक आयनिक है।

प्रश्न 21.
जल आयनिक यौगिकों के लिये एक अच्छा विलायक है, क्यों?
उत्तर:
जल का परावैद्युत स्थिरांक उच्च (81) होता है।

प्रश्न 22.
CHF का द्विध्रुव आघूर्ण CH3Cl` से ज्यादा होता है, क्यों?
उत्तर:
C-F बन्ध का द्विध्रुव आघूर्ण C-Cl बंध से अधिक होता है क्योंकि F की विद्युत ऋणात्मकता Cl से अधिक है।

प्रश्न 23.
LiCl कार्बनिक विलायकों में विलेय है, क्यों?
उत्तर:
LiCl में सहसंयोजी गुण होते हैं इसलिये यह कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है।

प्रश्न 24.
Mg+ आयन नहीं बनता है जबकि Mg 2+ आयन बनता है, क्यों ?
उत्तर:
Mg+ की तुलना में Mg2+ स्थायी है क्योंकि इसका विन्यास उत्कृष्ट गैसों के समान होता है तथा इसके बाह्य कोश में आठ इलेक्ट्रॉन (स्थायी विन्यास) होते हैं।

प्रश्न 25.
MgCl2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है जबकि SnCl2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य नहीं होता है क्यों?
उत्तर:
MgCl2 में कोई भी एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता है। इस कारण इसकी आकृति रेखीय होती है। यहाँ पर कुल द्विध्रुव आघूर्ण शून्य हो जाता है। जबकि SnCl2 में एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण आकृति मुड़ी हुयी होती है तथा इस कारण कुल द्विध्रुव आघूर्ण शून्य नहीं हो पाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 1

प्रश्न 26.
AlCl3 सह संयोजी होता है, जबकि AlF3 आयनिक होता है क्यों?
उत्तर:
Cl आयन F से बड़ा है अतः फैजान के नियमानुसार बड़े ऋणायन की आकृति धनायन के प्रभाव में अधिक विकृत होती है अतः इसमें सहसंयोजी गुण आ जाता है। इस कारण AlCl3 सहसंयोजी जबकि AlF3, आयनिक होते हैं।

प्रश्न 27.
BeCl2 सहसंयोजी है जबकि BaCl2 आयनिक, क्यों?
उत्तर:
Ba+ आयन Be2+ आयन से बड़ा है। अतः फौजान के ‘नियमानुसार छोटे धनयन की आकृति ऋणायन के प्रभाव में अधिक विकृत होती है। अतः सहसंयोजी गुण आ जाता है। इस कारण BeCl2 सहसंयोजी जबकि BaCl2 आयनिक है।

प्रश्न 28.
H परमाणु H2 अणु बनाता है जबकि He2 ज्ञात नहीं है, क्यों?
उत्तर:
H-परमाणु का बाह्य कक्षक अपूर्ण (1 इलेक्ट्रॉन) होता है जबकि He – परमाणु का बाह्य कक्षक पूर्ण (2 इलेक्ट्रॉन) होता है। इस कारण H2 ज्ञात है He2 नहीं।

प्रश्न 29.
MgCl2, AlCl3, BeCl2 तथा CCl4 को बढ़ते आयनिक लक्षण के क्रम में लिखें।
उत्तर:
CCl4 < AlCl3 < BeCl2 < MgCl2 (आयनिक लक्षण)

प्रश्न 30.
सूखी बर्फ (dry Ice) क्या है। यह किस प्रकार का ठोस है।
उत्तर:
सूखी बर्फ CO2(s) को कहते हैं। यह एक आण्विक ठोस है।

प्रश्न 31.
त्रिकेन्द्रीय द्वि-इलेक्ट्रॉन बन्ध रखने वाले अणु का सूत्र लिखो।
उत्तर:
B2H6(बोरेन)

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 32.
NaCl तथा CuCl में कौन अधिक सहसंयोजी है।
उत्तर:
CuCl अधिक सहसंयोजी है। यद्यपि Na+, Cu+ आयन से छोटा है किन्तु Cu+ की बाह्य कक्षा में 18 इलेक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 33.
क्षारीय मृदा धातुओं के हैलाइडों को घटते गलनांक के क्रम में लिखो।
उत्तर:
BaX2 > SrX2 > CaX2 > MgX2 > BeX2 (गलनांक)

प्रश्न 34.
NO2+, NO2 तथा NO3, N-O बन्ध को लम्बाई के बढ़ते क्रम में लिखो।
उत्तर:
NO2+ < NO2 < NO3 (बन्ध लम्बाई)

प्रश्न 35.
उस बन्ध का नाम लिखें जो कि H2SO4 में तो है परन्तु H2O में नहीं है।
उत्तर:
उपसहसंयोजक बन्ध

प्रश्न 36.
NaCl, MgCl2 व AlCl3 को गलनांक के बढ़ते क्रम में लिखो।
उत्तर:
AlCl3 < MgCl2 < NaCl (गलनांक)

प्रश्न 37.
NaCl व CuCl में से जल में अधिक विलेय कौन है?
उत्तर:
NaCl जल में अधिक विलेय है क्योंकि यह आयनिक प्रकृति का है जबकि CuCl सहसंयोजक प्रकृति का है।

प्रश्न 38.
LiCl, LiBr, Lil, LiF को घटते सह संयोजी क्रम में लिखें।
उत्तर:
Lil > LiBr > LiCl > LiF (घटता सहसंयोजी क्रम)

प्रश्न 39.
LiCl, NaCl, KCl, RbCl, CsCl का घटता सहसंयोजी क्रम लिखें।
उत्तर:
LiCl > NaCl > KCl > RbCl > CsCl ( घटता सहसंयोजी क्रम)

प्रश्न 40.
SnCl3 व SnCl4 में से कौन अधिक सहसंयोजी है?
उत्तर:
फौजान के नियमानुसार जिस धनायन पर अधिक धनावेश होता है वह अधिक सहसंयोजी होगा। अत: SnCl4 अधिक सहसंयोजी है।

प्रश्न 41.
एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s² 2s² 2p6 3s² है। इसकी संयोजकता तथा इसके क्लोराइड का सूत्र लिखें।
उत्तर:
इस तत्व की संयोजकता = 2
क्लोराइड का सूत्र = MCl2

प्रश्न 42.
एक तत्व के उदासीन परमाणु में 17 इलेक्ट्रॉन व 18 न्यूट्रॉन होते हैं। इस परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा संयोजकता लिखिये।
उत्तर:
1s² 2s² 2p6 3s² 3p5 तथा इसकी संयोजकता 1 होगी।

प्रश्न 43.
निम्नलिखित अणुओं में से आयनिक व सहसंयोजी अणुओं को छाँटिये।
(a) MgF2
(b) ClBr
(c) CBr4
(d) Cus
(e) C2H4
(f) PH3
उत्तर:
आयनिक यौगिक – MgF2, CuS
सहसंयोजी यौगिक – ClBr, CBr4, C2H2, PH3

प्रश्न 44.
HCl, H2O, NH3 में किसका क्वथनांक सर्वाधिक होता है?
उत्तर:
H2O, क्योंकि O की विद्युत ऋणात्मकता N से उच्च होती है। अत: H2O में बना Hबन्ध, NH3 में बने H-बन्ध से शक्तिशाली होता जबकि HCl में H-बन्ध नहीं बनता है।

प्रश्न 45.
अष्टक का प्रसार किस यौगिक में होता है?
उत्तर:
PF5, SF6, IF7 आदि में अष्टक का प्रसार होता है।

प्रश्न 46.
अपूर्ण अष्टक वाले यौगिकों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. BF3 (6 es)
  2. MgCl2 (4 es)
  3. BH3(6 es)

प्रश्न 47.
एक संयोजी तथा द्विसंयोजी धनायनों वाले तत्वों को बताएँ ?
उत्तर:
एक संयोजी = Na+, K+
द्विसंयोजी = O2-, S2-.

प्रश्न 48.
सहसंयोजक आबन्ध का सिद्धान्त किस वैज्ञानिक ने दिया था?
उत्तर:
लैंग्म्यूर ने सहसंयोजक आबन्ध का सिद्धान्त दिया।

प्रश्न 49.
फॉर्मल आवेश ज्ञात करने का सूत्र लिखें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 2

प्रश्न 50.
विषम इलेक्ट्रॉन युक्त अणुओं के उदाहरण लिखें।
उत्तर:
विषम इलेक्ट्रॉन युक्त अणु-
NO, NO2, ClO2, O2

प्रश्न 51.
निम्न की आबन्ध कोटि बताएँ-
(1) H2 अणु में
(2) O2 अणु में
(3) N2 अणु में
(4) Cl2 अणु में
(5) CO अणु में
उत्तर:
आबन्ध कोटि बन्ध पर आधारित होती है। यह अणु में उपस्थित बन्धों की संख्या बताती है।
(1) H2 अणु में एकल बन्ध होता है। (H-H) इस कारण इसकी बन्ध कोटि एक होती है।

(2) O2 अणु में द्विबन्ध होता है। (O = O) इस कारण इसकी बन्ध कोटि दो होती है।

(3) N2 अणु में त्रि आबन्ध होता है। (N ≡ N) इस कारण इसकी बन्ध कोटि तीन होती है।

(4) Cl2 अणु में एकल आबन्ध होता है। (Cl – Cl) इस कारण इसकी बन्ध कोटि एक होती है।

(5) CO अणु को \(\mathrm{C} \stackrel{\leftarrow}{=}\)O से प्रदर्शित करते हैं। इस कारण इसमें बन्ध कोटि तीन होती हैं।

प्रश्न 52.
निम्नलिखित यौगिकों की लूइस संरचना बनाइये।
उत्तर:
MgCl2 की लूइस संरचना
(1) MgCl2 (मैग्नीशियम क्लोराइड)
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 3

(2) MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइंड)
उत्तर:
MgO की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 4

(3) Na2S (सोडियम सल्फाइड)
उत्तर:
Na2S की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 4a

(4) AlF3 (एल्यूमिनियम फ्लोराइड)
उत्तर:
AlF3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 5

(5) KCN (पोटैशियम सायनाइड)
उत्तर:
KCN की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 6

(6) NH4Cl (अमोनियम क्लोराइड)
उत्तर:
NH4Cl की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 7

(7) HCN (हाइड्रोजन सायनाइड)
उत्तर:
HCN की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 8

(8) H2O (जल)
उत्तर:
H2O की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 9

(9) O3 (ओजोन)
उत्तर:
O3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 10

(10) H2O2 (हाइड्रोजन परॉक्साइड)
उत्तर:
H2O2 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 11

(11) PCl3 (फॉस्फोरस ट्राईक्लोराइड)
उत्तर:
PCl3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 12

(12) CO (कार्बन मोनो ऑक्साइड)
उत्तर:
CO की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 13

(13) CO2 (कार्बन डाईऑक्साइड)
उत्तर:
CO2 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 14

(14) N2O (नाइट्रोजन (I) ऑक्साइड)
उत्तर:
N2O की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 15

(15) N2O3 (नाइट्रोजन (III) ऑक्साइड)
उत्तर:
N2O3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 16

(16) SO2 (सल्फर डाईऑक्साइड)
उत्तर:
SO2 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 17

(17) SO3 (सल्फर ट्राई ऑक्साइड)
उत्तर:
SO3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 18

(18) SO2Cl2 (सल्फ्यूरिल क्लोराइड)
उत्तर:
SO2Cl2 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 19

(19) H2 CO3 (कार्बोनिक अम्ल)
उत्तर:
H2CO3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 20

(20) HNO3 (नाइट्रिक अम्ल)
उत्तर:
HNO3 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 21

(21) H2 SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल)
उत्तर:
H2SO4 की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 22

(22) CO32- (कार्बोनेट आयन)
उत्तर:
CO32- की लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 23

(23) NO2+ (नाइट्रिल आयन)
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 24

(24) NO2 (नाइट्राइट आयन)
उत्तर:
लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 25

(25) NO3(नाइट्रेट आयन)
उत्तर:
लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 26

(26) SO42- (सल्फेट आयन)
उत्तर:
लूइस संरचना
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 27

प्रश्न 53.
तत्व की विद्युत संयोजकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह संयोजकता जिसमें किसी यौगिक के निर्माण में दो असमान परमाणुओं में से एक परमाणु बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन त्यागकर दूसरे परमाणु के बाह्यतम कोश को दे देता है जिससे कि दोनों परमाणुओं का निकटतम अक्रिय गैस विन्यास प्राप्त हो जाता है।

उदाहरण – NaCl में वैद्युत संयोजकता 1 है।

प्रश्न 54.
सोडियम धातु की तुलना में NaCl कठोर होता है, क्यों ?
उत्तर:
NaCl में Na+ तथा CH आयनों के मध्य प्रबल आयनिक बन्ध उपस्थित होते हैं, जबकि सोडियम धातु में Na परमाणु के बीच दुर्बल धात्विक बल होते हैं। अत: NaCl कठोर होता है जबकि सोडियम धातु मुलायम उच्च होता है।

प्रश्न 55.
NaCl तथा MgO में किसकी जालक ऊर्जा का मान होती है।
उत्तर:
MgO की जालक ऊर्जा का मान उच्च होता है।

प्रश्न 56.
सहसंयोजी यौगिकों में होने वाली अभिक्रियायें सामान्यतः धीमी क्यों होती हैं ?
उत्तर:
सहसंयोजी यौगिकों की आबन्ध वियोजन ऊर्जा का मान उच्च होता है, इस कारण ये अभिक्रियायें धीमी होती हैं।

प्रश्न 57.
कार्बन – कार्बन आबन्ध में आबन्ध लम्बाई का क्या क्रम होता है ?
उत्तर:
C = C < C = C < C – C (आबन्ध लम्बाई)
1.20 Å     1.33 Å   1.54 Å

प्रश्न 58.
निम्न अभिक्रिया में आबंध कोटि (Bond order) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(i) N2 → N2+ + e
(ii) O2 → O2+ + e
उत्तर:
(i) N2 → N2+ + e
इसमें N2 की बंध कोटि 3 तथा N+2 की बंध कोटि 2.5 है।

(ii) O2 → O2+ + e
यहाँ O2 की बंध कोटि 2 तथा O+2 की बंध कोटि 2.5 है।

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 59.
SO2 अणु में द्विध्रुव आघूर्ण होता है, क्या यह अणु रेखीय है ? कारण दें।
उत्तर:
नहीं यह अणु रेखीय नहीं हो सकता है क्योंकि यदि इसकी आकृति रेखीय होती तो इसके द्विध्रुव आघूर्ण का मान शून्य होता, जो कि नहीं है। अतः यह अणु रेखीय नहीं बंकित या मुड़ा हुआ होता है।

प्रश्न 60.
PCl5 तथा CH3+ में प्रत्येक पर फॉर्मल आवेश ज्ञात करो ?
उत्तर:
PCl5 में फॉर्मल आवेश
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28
= 5 – 0 – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10
= 5 – 5
= 0
प्रत्येक Cl परमाणु पर फॉर्मल आवेश
= 7 – 6 – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 2
= 7 – 6 – 1
= 0
CH3+ में फॉर्मल आवेश
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28a
C-परमाणु पर फॉर्मल आवेश
= – 4 – 0 – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 6
= 4 – 3
= 1
प्रत्येक H-परमाणु पर फॉर्मल आवेश
= 1 – 0 – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 2
= 1 – 1
= 0

प्रश्न 61.
N2 गैस को प्रायः अक्रिय वातावरण के रूप में उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर:
N2 गैस में त्रिबन्ध उपस्थित होता है जिस कारण इसकी बन्ध वियोजन ऊर्जा का मान भी अधिक होता है। चूँकि यह एक अति स्थायी गैस है अतः इसका उपयोग अक्रिय गैस के रूप में करते हैं।

प्रश्न 62.
NaCl, AgNO3 के साथ अवक्षेप देता है परन्तु CCl4 नहीं क्यों?
उत्तर:
NaCl एक आयनिक यौगिक है जबकि CCl4, एक सहसंयोजी यौगिक है। NaCl तथा AgNO3 को जल में घोलने पर दोनों ही आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं जिसके कारण AgCl का श्वेत अवक्षेप आ जाता है परन्तु CCl4 जल में आयनीकृत नहीं होता अतः यह AgNO3 के साथ अवक्षेप नहीं देता है।

प्रश्न 63.
BaSO4 जल में अघुलनशील है यद्यपि यह एक आयनिक यौगिक है।
उत्तर:
BaSO4 की जालक ऊर्जा, जलयोजन ऊर्जा से अधिक होती है, इस कारण BaSO4 जल में आयनीकृत नहीं होता है और अघुलनशील है।

प्रश्न 64.
PCl5 में तीन P – Cl बन्ध की बन्ध वियोजन ऊर्जा अधिक है जबकि दो की कम क्यों ?
उत्तर:
PCl5 की आकृति त्रिभुजीय द्विपिरामिडी होती है। इसमें तीन P-Cl आबन्ध विषुवतीय तथा दो अक्षीय बन्ध होते हैं। अक्षीय आबन्ध विषुवतीय बन्धों की तुलना में लम्बे होते हैं। इस कारण दो अक्षीय आबन्धों की बन्ध ऊर्जा कम होती है।

प्रश्न 65.
N2, O2, Cl2, F2 को बढ़ती बन्ध ऊर्जा के क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
F2 < Cl2 < O2 < N2 (बन्ध वियोजन ऊर्जा )

प्रश्न 66.
दो परमाणु आपस में मिलकर बन्ध क्यों बनाते हैं ?
उत्तर:
स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिये दो परमाणु आपस में मिलकर बन्ध बनाते हैं।

प्रश्न 67.
निम्न में प्रभावी आण्विक बलों को लिखें-
(i) KCIO3
(ii) हीरा
(iii) शुष्क बर्फ
(iv) ऐलुमिनियम
उत्तर:
(i) KClO3 – आयनिक बन्ध
(ii) हीरा – सहसंयोजक बन्ध
(iii) शुष्क बर्फ – वान डर वाल्स बल
(iv) ऐलुमिनियम – धात्विक बल ।

प्रश्न 68.
निम्न यौगिक में कुल σ तथा π बन्धों की संख्या बतायें-
(i) बेन्जीन (C6H6), (ii) C(CN)4, (iii) CH3COOH
उत्तर:
(i) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28b
कुल सिग्मा बन्ध = 12
कुल पाई बन्ध = 3

(ii) HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28c
कुल सिग्मा बन्ध = 8
कुल पाई बन्ध = 8

(iii) CH3COOH
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28d
कुल सिग्मा बन्ध = 7
कुल पाई बन्ध = 1

प्रश्न 69.
निम्नलिखित को बढ़ते स्थायित्व के क्रम में, बन्ध वियोजन ऊर्जा के क्रम में तथा आबन्ध लम्बाई के क्रम में व्यवस्थित करें।
O2, O2+, O2, O22-
उत्तर:
उपरोक्त अणुओं की बन्ध कोटि निम्न प्रकार है।
O2 = 2.0, O22- = 0.5, O2 = 1, O2+ = 25 अतः
(i) स्थायित्वका क्रम
O2+ > O2 > O2 > O22-
क्योंकि बन्ध कोटि α स्थायित्व

(ii) बन्ध वियोजन ऊर्जा का क्रम-
O2+ > O2 > O2 > O22-
क्योंकि बन्ध कोटि α बन्ध वियोजन ऊर्जा

(iii) आबन्ध लम्बाई का क्रम-
O22- > O2 > O2 > O2+
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 28e
बन्ध कोटि α \(\frac{1}{\text { आबन्ध लम्बाई }}\)

प्रश्न 70.
VSEPR सिद्धान्त के आधार पर निम्न अणुओं की आकृति बताइये तथा केन्द्रीय परमाणु का संकरण लिखिये-
(1) H2O
2 आबन्धी युग्म तथा 2 एकाकी युग्म,
अतः आकृति = v-आकृति या मुड़ी हुयी आकृति
संकरण (H2O) = 2 + 6 = \(\frac { 8 }{ 2 }\) = 4 (sp³ संकरण)

(2) NH3
तीन आबन्धी युग्म तथा एक एकाकी युग्म, अतः आकृति पिरामिडी
संकरण (NH3) = 5 + 3 = \(\frac { 8 }{ 2 }\) = 4 (sp³ संकरण)

(3) BF3
तीन आबन्धी युग्म, अतः आकृति त्रिकोणीय समतलीय
संकरण BF3 = 3 + 3 x 7 = \(\frac { 24 }{ 8 }\) = 3 (sp² संकरण)

(4) BeF2
दो आबन्धी युग्म अतः आकृति = रेखीय
संकरण BeF2 = 2 + 2 × 7 = \(\frac { 16 }{ 8 }\) = 2 (sp संकरण)

(5) SF4
4 आबन्धी युग्म तथा । एकाकी युग्म, अतः आकृति ढेकुली या सी सॉ आकृति
संकरण SF4 = 6 + 4 × 7 = \(\frac { 34 }{ 8 }\)
= (4 + \(\frac { 2 }{ 2 }\) = 1)
= 5 (sp³d संकरण)

प्रश्न 71.
हीरा तथा ग्रेफाइट (कार्बन के अपररूप) में संकरण क्या होता है ?
उत्तर:
हीरा-sp³ संकरण
ग्रेफाइट-sp² संकरण

प्रश्न 72.
CH4, C2H6 व C2H6 की ज्यामिति आकृति क्या है ?
उत्तर:
CH4 व C2H6 की आकृति चतुष्फलकीय है जबकि C2H4 समतलीय त्रिकोणीय होता है।

प्रश्न 73.
BeCl3, BF3 व CH4 के अणुओं का आबन्ध कोण बतायें।
उत्तर:
(1) BeCl2 – रेखीय आकृति, अतः 180° कोण
(2) BF3 – त्रिकोणीय समतलीय, अतः 120° कोण
(3) CH4 – चतुष्फलकीय, अतः 109.5° कोण या 109° 28′ कोण

प्रश्न 74.
निम्नलिखित में कौन-से धातु आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उत्कृष्ट गैस के समान नहीं होता?
(i) CuCl, (ii) CdO, (iii) TiO2, (iv) NaF
उत्तर:
(i) CuCl तथा
(ii) Cdo

प्रश्न 75.
कमरे के ताप पर H2O द्रव है, क्यों ?
उत्तर:
अन्तराअणुक H-बन्ध के कारण H2O द्रव है।

प्रश्न 76.
N2 तथा N2+ का आण्विक कक्षक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बताएँ तथा दोनों की ऊर्जा, लम्बाई व स्थायित्व की तुलना करें।
उत्तर:
N2 का आण्विक कक्षक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (N2 में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या 14 है)।
(σ1s)² (σ*1s)² (σ2s)² (σ*2s)² (π2px)² (π2py)² (σ2pz)2
N2+ का आण्विक कक्षक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (N2+ में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या 13 है)।
(σ1s)² (σ*1s)² (σ2s)² (σ*2s)² (π2px)² (π2py)² (σ2pz)1
N2 की आबन्ध कोटि = \(\frac { 10-4 }{ 2 }\)
= \(\frac { 6 }{ 2 }\) = 3
N2+ की आबन्ध कोटि = \(\frac { 9-4 }{ 2 }\)
= \(\frac { 5 }{ 2 }\) = 2.5
स्थायित्व का क्रम N2 > N2+
बन्ध वियोजन कर्जा N2 > N2+
आबन्ध दूरी N2+ > N2

प्रश्न 77.
क्या σ-आबन्ध की अनुपस्थिति में आबन्ध बन सकता है ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 78.
निम्नलिखित आयनन प्रक्रम का C में आबन्ध कोटि पर क्या प्रभाव पड़ता है?
C2 → C2+ + e
उत्तर:
C2 से C2+ होने पर आबन्ध कोटि का मान घटता है क्योंकि C2 की आबन्ध कोटि 2 है जबकि C2+ की आबन्ध कोटि 1.5 है।

प्रश्न 79.
H2+, H2 व H2 सदस्यों को स्थायित्व के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
स्थायित्व का बढ़ता क्रम H2 > H2+ > H2

प्रश्न 80.
Na2, N2, N22- तथा N2+ सदस्यों को स्थायित्व के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
N2 > N22-> N2 > N22- (बढ़ता स्थायित्व क्रम)

प्रश्न 81.
हाइड्रोजन बन्ध के बनने में लगभग कितनी ऊर्जा प्राप्त होती है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन बन्ध बनने में लगभग 6 से 10 kcal मोल ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रश्न 82.
हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता तत्व की विद्युत ऋणात्मकता पर निर्भर करती है।

प्रश्न 83.
NH3 का क्वथनांक PH3 से अधिक है, क्यों?
उत्तर:
NH3 का क्वथनांक PH3 से अधिक होता है क्योंकि NH3हाइड्रोजन बन्ध बनाता है, परन्तु PH3 नहीं।

प्रश्न 84.
H2O द्रव है, जबकि H2S गैस है।
उत्तर:
H2O हाइड्रोजन बन्ध के द्वारा संगुणन करता है अतः यह कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है।

प्रश्न 85.
वर्ग 14 के तत्वों के हाइड्राइडों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
CH4 < SiH4 < GeH4 < SnH4

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 86.
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर:
NH3 >> PH3 < AsH3 < SbH3 (क्वथनांकों का बढ़ता क्रम)

प्रश्न 87.
वर्ग 16 के तत्वों के हाइड्राइडों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करे?
उत्तर:
H2O >> H2S < H2Se < H2Te

प्रश्न 88.
H2O की तुलना में HF में हाइड्रोजन बन्ध अधिक प्रबल होते हैं परन्तु फिर भी H2O का क्वथनांक (100°C), HF (19.5°C) से अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
HF में प्रत्येक F – परमाणु दो H – परमाणु से जुड़ता है परन्तु H2O में प्रत्येक O-परमाणु चार H-परमाणुओं से जुड़ता है। जिनमें दो हाइड्रोजन सहसंयोजक बन्ध द्वारा जबकि दो हाइड्रोजन H-बन्ध द्वारा जुड़ते हैं।

अत: H-F कम अणु जबकि H2O अधिक अणुओं द्वारा संगुणित होता है अत: H2O का क्वथनांक अधिक तथा HF का क्वथनांक कम होता है।

प्रश्न 89.
मेटा- जाइलीन में कितने सिग्मा तथा पाई बन्ध उपस्थित हैं।
उत्तर:
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प्रश्न 90.
H2 एक स्थायी अणु है जबकि He2 एक अस्थायी अणु, क्यों?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 व हीलियम का 1s² होता है जबकि H2 अणु में कुल दो इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि (σ1s) आण्विक कक्षक में भरते हैं, इस कारण इसकी बन्ध कोटि एक होती है।

हीलियम अणु में कुल चार इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि (σ1s) व (σ*1s) आण्विक कक्ष में प्रवेश करते हैं। इसकी बन्ध कोटि शून्य होती है। शून्य बन्ध कोटि यह बताती है कि He2 एक स्थाई अणु नहीं है।

प्रश्न 91.
निम्न में उस यौगिक को छाँटिये जिसके गुण (कोष्ठक में दिखाये गये) का मान अधिक है।
(1) NF3, NH3 (द्विध्रुव आघूर्ण)
(2) CO2, SiO2 (बन्ध कोण)
(3) NaCl, LiCl (आयनिक गुण)
(4) MgO, CaO (कठोरता)
(5) HF, HCl ( क्वथनांक)
उत्तर:
(i) NH3 > NF3 (द्विध्रुव आघूर्ण )
(ii) CO2 > SiO2 (बन्ध कोण)
(iii) NaCl > LiCI (आयनिक कोण)
(iv) MgO > CaO (कठोरता )
(v) HF > HCl ( क्वथनांक)

प्रश्न 92.
क्या π-बन्ध को घुमाना सम्भव है?
उत्तर:
π-बन्ध को घुमाना सम्भव नहीं है क्योंकि घुमाने पर बन्ध टूट जाता है।

प्रश्न 93.
निम्नलिखित दिये गये यौगिकों को उनके सही बन्ध क्रम के साथ जोड़िये।

यौगिकबन्ध कोण
BeCl2, H2O, BCl3, AlCl3, NH3, CCl4, SF6180°, 109°28’, 104.5°, 107°, 120°, 90°

उत्तर:
BeCl2 – 180°
H2O – 104.5°
BCl3 – 120°
AlCl3 – 120°
NH3 – 107°
CCl4 – 109°28′
SF6 – 90°

प्रश्न 94.
I2 गर्म करने पर ऊर्ध्वपातित हो जाती है क्यों?
उत्तर:
आयोडीन एक उच्च सहसंयोजी अध्रुवी यौगिक है, इसलिये इसका क्वथनांक तथा गलनांक बहुम कम होता है। इसलिये I2 गर्म करने पर ऊर्ध्वपातित हो जाती है।

प्रश्न 95.
H-बन्ध कितने प्रकार के होते हैं? इनमें से प्रबल हाइड्रोजन बन्ध कौन-सा है।
उत्तर:
H-बन्ध दो प्रकार के होते हैं।

  • अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध
  • अन्त: अणुक हाइड्रोजन आबन्ध

इनमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध अधिक प्रबल होते हैं।

प्रश्न 96.
निम्नलिखित में किसका द्विध्रुव आघूर्ण उच्च होगा तथा क्यों?
1- ब्यूटीन अथवा 1- ब्यूटाइन
उत्तर:
1- ब्यूटाइन का द्विध्रुव आघूर्ण उच्च होगा, क्योंकि यह
अधिक ध्रुवी है, इसमें sp-संकरित कार्बन परमाणु होता है जो कि अत्यधिक विद्युत ऋणात्मक है।

प्रश्न 97.
निम्नलिखित में कौन-सा बन्ध अधिक ध्रुवीय होगा ?
(a) B – Cl अथवा C – CI
(b) PF अथवा P – Cl
उत्तर:
(a) B – CI बन्ध अधिक ध्रुवीय है।
(b) P – F बन्ध अधिक ध्रुवीय है।

प्रश्न 98.
C6H4Br2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है। इसकी संरचना लिखें।
उत्तर:
C6H4Br2 एक p-समावयवी है। इसकी संरचना निम्न है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 30

प्रश्न 99.
HF, HCl, HBr को विद्युत संयोजी लक्षणों के घटते क्रम में लिखें। इनकी विद्युत ऋणात्मकतायें निम्न हैं।
H = 2.1, F = 4.0, Cl = 3.0, Br = 2.8
उत्तर:
(i) बन्ध H – F के लिये
विद्युत ऋणात्मकता में अन्तर (XF – XH)
= 4.0 – 2.11.9
प्रतिशत आयनिक गुण = [16 (1.9) + 3.5 (1.9)²]

(ii) बन्ध HCl के लिये
= 43%
विद्युत ऋणात्मकता में अन्तर (XCl – XH)
= 3.0 – 2.10 = 0.9

प्रतिशत आयनिक गुण = [16(0.9) + 3.5(0.9)²]
= 17·2%

(iii) बन्ध HBr के लिये
विद्युत ऋणात्मकता में अन्तर XBr – XH = 2.8 – 2.1 = 0.7
प्रतिशत आयनिक गुण = [(16 x 0.7) + 3.5 × (0.7)²] = 12.9%
अतः विद्युत संयोजी या आयनी गुण का घटता क्रम
HF > HCl > HBr (आयनी गुण)

प्रश्न 100.
H2SO4 की अधिक श्यानता का कारण क्या है?
उत्तर:
H2SO4 की श्यानता H-बन्ध होने के कारण अधिक होती है।

प्रश्न 101.
शहद गाढ़ा क्यों होता है?
उत्तर:
शहद के गाढ़ा होने का कारण H-बन्ध है।

प्रश्न 102.
Cl – Cl बन्ध, Br – Br बन्ध से शक्तिशाली होता है, क्यों ?
उत्तर:
Cl – Cl बन्ध 3p – 3p कक्षकों के बीच अतिव्यापन होने के कारण बनता है, जबकि Br – Br बन्ध 4p – 4p कक्षकों के बीच अतिव्यापन से बनता है। 4p – कक्षकों के इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दूर होते हैं जिसके कारण बन्ध प्रबल नहीं बन पाते। यही कारण है कि Cl – CI बन्ध शक्तिशाली होते हैं।

प्रश्न 103.
O-नाइट्रोफीनॉल की अपेक्षा p-नाइट्रोफीनॉल कम वाष्पशील है, क्यों?
उत्तर:
O-नाइट्रोफीनॉल में अन्तः अणुक H-बन्ध होता हैं जबकि p-नाइट्रोफीनॉल में अन्तराअणुक H-बन्ध होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आयनिक बंध क्या है?
उत्तर:
आयनिक बंध विपरीत आवेशित आयनों के मध्य परस्पर लगने वाले आकर्षण बल के फलस्वरूप बने बन्ध को आयनिक बन्ध कहते हैं। आयनिक बंध को वैद्युत संयोजक बन्ध भी कहते हैं।

उदाहरण – मैग्नीशियम क्लोराइड का बनना।

जब मैग्नीशियम एवं क्लोरीन एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो धनविद्युती तत्व मैग्नीशियम दो ऋण विद्युती तत्वों क्लोरीन को इलेक्ट्रॉन देकर धनायन एवं ऋणायन बनाता है इस प्रकार दोनों (धनायन एवं ऋणायन) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निकटतम उत्कृष्ट गैस के स्थायी विन्यास के समान हो जाता है।
Mg → Mg2+ + 2e1
(2, 8, 2)   (2,8)
Cl + e →Cl
(2, 8, 7) (2, 8, 8)
Mg2+ + 2Cl → MgCl2
अतः मैग्नीशियम एवं क्लोरीन आयन स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा बंधित हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
जालक ऊर्जा किसे कहते हैं? जालक ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जालक ऊर्जा (Lattice Energy) – ऊर्जा की वह मात्रा जो अनन्त दूरी पर स्थित धनावन एवं ऋणायन गैसीय अवस्था से एक मोल ठोस में बदलने पर निकलती है, जालक ऊर्जा कहलाती है।
A+(g) + Be+(g) + AB(s) + U (जालक ऊर्जा)
मेडुलंग समीकरण के द्वारा जालक ऊर्जा का मान ज्ञात कर सकते है-
U = \(\frac{N_A Z_1 Z_2 e^2}{r_1}(1-1 / n)\)
यहाँ NA – आवागाद्रो संख्या
A = मेडुलंग स्थिरांक
Z1.Z2 = आयनिक आवेश
n = बोर्न घातांक
r = आयनों के मध्य दूरी
e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश
जालक ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारण निम्नलिखित हैं-

  • आयनों का आकार
  • क्रिस्टल संरचना
  • आयनों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  • आयनिक आवेश
  • क्रिस्टल के सहसंयोजी गुण।

प्रश्न 3.
उपसहसंयोजक बंध से क्या समझते हो?
उत्तर:
उपसहसंयोजक बंध (Co-ordination Bond) – उपसहसंयोजक बंध में दो परमाणु साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म द्वारा आपस में बंधे रहते हैं, लेकिन साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म केवल एक परमाणु द्वारा ही दिया जाता है। इलेक्ट्रॉन युग्म देने वाले परमाणु को दाता परमाणु कहते हैं। इसी कारण उपसहंयोजक बंध को अर्द्धध्रुवीय या दाता बंध (Dative bond) भी कहते हैं।
उपसहसंयोजक बर्ष को तीर (→) से प्रदर्शित करते हैं।
(इलेक्ट्रॉन युग्म दाता) + (इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही) → उपसहसंयोजक यौगिक

HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 4.
बंधों के ध्रुवण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बंधों का ध्रुवण (Polarisation of bonds) – समान आवेश वाले आयन एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, परन्तु विपरीत आवेश वाले आयन एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसी कारण आयनों का आकार पूरी तरह गोलाकार न होकर विकृत हो जाता है अतः
“धनायन एवं ऋणायन के पारस्परिक आकर्षण एवं प्रतिकर्षण के कारण उनके आकार में होने वाली विकृति ध्रुवण कहलाती है।”
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 31
धनायन की त्रिज्या कम एवं नाभिकीय आवेश अधिक होने के कारण उसका इलेक्ट्रॉन अभ्र, नाभिक की ओर प्रबल रूप से आकर्षित अवस्था में होने के कारण ऋणायन को आसानी से ध्रुवित कर देता है।

प्रश्न 5.
ध्रुवण को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ध्रुवण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. धनायन का आकार ऋणायन की विकृति धनायन के आकार पर निर्भर करती है। धनायन जितना छोटा होगा उतना ही अधिक प्रभावी ढंग से ऋणायन को विकृत करेगा।
उदाहरण-
BeCl2 < MgCl2 < CaCl < SrCl2 < BaCl2
गलनांक 405°C > 702°C > 772°C > 872°C < 960°C
धनायन का आकार कम होगा तो गलनांक भी कम होगा।

2. ऋणायन का आकार ऋणायन का आकार जितना छोटा होगा उसका ध्रुवण उतना ही कम होगा। ऋणायन का आकार छोटा होने पर गलनांक अधिक होता है।
उदाहरण-
CaF2 > CaCl2 > CaBr2 > Cal2
1372°C > 772°C > 730°C > 575°C

3. आयनों पर आवेश किसी भी आयन पर अधिक आवेश होने के कारण ध्रुवण अधिक होता है। यही कारण है कि Mg2+, Na+ से अधिक सहसंयोजक है।

4. आयनों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास धनायन का विन्यास उत्कृष्ट गैस के तुल्य होने के कारण यह नाभिक के आकर्षण बल का प्रभावी ढंग से परिरक्षण कर सकता है जिसके कारण धनायन आकार में छोटा हो जायेगा, अतः ध्रुवण अधिक होगा।

प्रश्न 6.
CO32- में एवं आक्सीजन (O2) अणु में अनुनादी संरचनाएँ बनाइये।
उत्तर:
CO32- में
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प्रश्न 7.
आयनिक एवं सह-संयोजक यौगिकों की तुलना कीजिए।
उत्तर:

आयनिक यौगिकसहसंयोजक यौगिक
1. आयनिक यौगिक प्राय: ठोस होते हैं।ये ठोस द्रव एवं गैस तीनों हो सकते हैं।
2. यह आयनों से मिलकर बना होता है।यह अणुओं से मिलकर बना होता है।
3. आयनिक बंध दिशात्मक नहीं होते हैं।सहसंयोजक बंध में दिशात्मक गुण पाये जाते हैं।
4. आयनिक यौगिक समांवयवता प्रदर्शित नहीं करते।सह-संयोजक यौगिक समावयवता प्रदर्शित करते हैं।
5. आयनिक यौगिक कठोर एवं भंगुर प्रकृति के होते हैं।ये अपेक्षाकृत कमजोर, मृदु एवं गलनीय होते हैं।
6. इनके गलनांक एवं क्वथनांक उत्व होते हैं।इनके गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं।
7. ये ध्रुवीय विलायकों में विलेय होते हैं।ये अध्रुवीय विलायकों में विलेय होते हैं।
8. इनकी अभिंक्रियाएँ तीव्र गति से होती हैं।इनकी अभिक्रियाएँ मन्द गति से होती हैं।

प्रश्न 8.
SiCl4 का जल अपघटन होता है CCl4 का नहीं। समझाइए।
उत्तर:
CCl4 का जल अपघटन नहीं होता है, जबकि SiCl4 जल में अपघटित हो जाता है, क्योंकि Si के परमाणु में रिक्त कक्षक होता है एवं Si की अधिकतम सहसंयोजकता 6 होती है। इस कारण Si जल के अणुओं से अतिरिक्त बंध बनाता है जिससे SiCl4 एवं जल के अणु के मध्य दूरी कम हो जाती है एवं HCl का अणु आसानी से बन जाता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 33
जबकि CCl4 के C के पास d कक्षक उपलब्ध नहीं रहते जिसके कारण C जल के साथ अतिरिक्त बंध नहीं बना सकता। इसलिए CCl4
जल में अविलेय रहता है।

प्रश्न 9.
ग्रेफाइट सहसंयोजक होते हुए भी विद्युत का सुचालक है, क्यों ?
उत्तर:
ग्रेफाइट की परतदार संरचना होती है। ग्रेफाइट की परत में प्रत्येक कार्बन परमाणु सहसंयोजक बंधों के द्वारा पास के तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा रहता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु पर एक इलेक्ट्रॉन स्वतन्त्र रहता है। यह इलेक्ट्रॉन गतिशील (Mobile) होता है। इस गतिशील इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण ही ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक है।

प्रश्न 10.
BF3 की संरचना समतल त्रिभुजीय है जबकि NH3 की पिरामिडीय है क्यों?
उत्तर:
BF3 की संरचना समतल त्रिभुजीय होती है, क्योकि BF3 में एक s – कक्षक एवं दो p-कक्षक संकरित होकर तीन नये sp² संकरित कक्षक बनाते हैं। अणु में बंध कोण का मान 120° होता है। BF3 में B के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के अनुसार-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 34
जबकि NH3में sp³ संकरण पाया जाता है। एक संकरित कक्षक में एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म से प्रतिकर्षण बढ़ जाता है जिसके कारण बंध कोण 109°28′ के बजाय 106° 45′ हो जाता है।
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प्रश्न 11.
CO2 अध्रुवीय है, जबकि SO2 ध्रुवीय है, क्यों?
उत्तर:
CO2 ध्रुवीय बंध उपस्थित होने के बावजूद भी अध्रुवीय है, क्योंकि CO2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है जो यह प्रदर्शित करता है कि बंधों में ध्रुवणता होने के बावजूद भी सदिश योग के कारण एक द्विध्रुव, दूसरे द्विध्रुव को समाप्त कर देता है, जबकि SO2 में ऐसा नहीं होता है।
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प्रश्न 12.
MgSO4 जल में विलेय है, जबकि BaSO4 अविलेय है, क्यों?
उत्तर:
MgSO4 की जल में विलेयता – MgSO4 के Mg 2+ आयन अपेक्षाकृत आकार में छोटे होते हैं जिसके कारण Mg2+ आयन प्रभावी क्रिस्टलन संकुचन के लिए जल के अणुओं से घिरा रहता है। जल के. अणुओं से घिरे होने कारण Mg2+ और SO42- के बीच लगने वाला आकर्षण बल अपेक्षाकृत कम हो जाता है। आकर्षण बल कम होने के कारण MgSO4 की जालक ऊर्जा, विलायक ऊर्जा से कम हो जाती है। अत: MgSO4 जल में विलेय होता है।

BaSO4 की अविलेयता – जब BaSO4 को जल में मिलाया जाता है तो जल की विलायक ऊर्जा, BaSO4 की जालक ऊर्जा की अपेक्षा कम होती है। इसी कारण BaSO4 जल में अविलेय है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित परमाणुओं के बीच बनने वाले बन्धों के प्रकार को स्पष्ट करें-
(1) दो परमाणु जिनकी विद्युत ऋणात्मकता समान है।
(2) दो परमाणु जिनकी विद्युत ऋणात्मकता में सूक्ष्म अन्तर है ।
(3) दो परमाणु जिनकी विद्युत ऋणात्मकता में अधिक अन्तर है।
उत्तर:
(1) जब दो परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकता समान होती है तो उनमें 100% सहसंयोजी बन्ध बनते हैं।

(2) जब दो परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकता में सूक्ष्म अन्तर होता है तो ध्रुवीय सहसंयोजक बन्ध बनते हैं जिनमें कुछ आयनिक लक्षण भी होते हैं।

(3) जब दो परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकता में अधिक अन्तर होता है तो विद्युत संयोजी बन्ध बनते है जिसमें कुछ सहसंयोजी लक्षण भी होते हैं।

प्रश्न 14.
NH3 में आबन्ध कोण PH3 से अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
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NH3 तथा PH3 दोनों ही वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइड हैं। नाइट्रोजन की विद्युत ऋणात्मकता फॉस्फोरस से अधिक होती है। परिणामस्वरूप साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म NH आबन्ध में नाइट्रोजन तत्व की ओर ज्यादा है। जबकि P-H आबंध में यह फॉस्फोरस तत्व की ओर कम है। अधिक विद्युत ऋणात्मकता होने के कारण नाइट्रोजन तत्व के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। इस कारण प्रतिकर्षण भी बढ़ जाता है।

अत: NH3 में H – N – H में बन्ध 107° जबकि H – PH में यह 91° होता है।

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प्रश्न 15.
एथेन का क्वथनांक मेथेन के क्वथनांक से अधिक होता है, क्यों ?
उत्तर:
एथेन अणुओं का आण्विक भार मेथेन से अधिक होता है। जिसका आण्विक भार अधिक होता है उसमें वाण्डर वाल आकर्षण बल भी अधिक होता है। इस कारण एथेन का क्वथनांक मेथेन से अधिक होता है।

प्रश्न 16.
निम्न युग्मों में से कौन अधिक सहसंयोजक है और क्यों ?
(1) CuO तथा Cus
(2) AgCl तथा AgI
(3) PbCl2 तथा PbCl4
(4) BeCl2 तथा MgCl2
उत्तर:
(1) CuS > CuO ; CuS अधिक सहसंयोजक है, S2- के बड़े आकार के कारण
(2) AgI > AgCl ; AgI अधिक सहसंयोजक है, I के बड़े आकार के कारण
(3) PbCl4 > PbCl2; PbCl4 अधिक सहसंयोजक है, Pb4+- के छोटे आकार के कारण
(4) BeCl2 > MgCl2; BeCl2 अधिक सहसंयोजक है, Be2+ के छोटे आकार के कारण

प्रश्न 17.
KCl का द्विध्रुव आघूर्ण 3.336 × 10-29कूलॉम – मीटर (C-m) है जो व्यक्त करता है कि यह एक उच्च ध्रुवी अणु है। इस अणु में K+ तथा Cl के बीच अन्तरपरमाण्विक दूरी 2.6 x 10-10m है। द्विध्रुव आघूर्ण की गणना कीजिए यदि प्रत्येक नाभिक पर एक मूलभूत इकाई के विपरीत आवेश स्थित हों। KCl की आयनिक प्रतिशतता का परिकलन भी कीजिए।
हल:
μ सैद्धान्तिक = q x d = 2.6 × 10-10 m × 1.602 × 10-19 C
= 4.1652 × 10-29 C-m
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 38

प्रश्न 18.
HF का द्विध्रुव आघूर्ण (1.98D), HCl के द्विध्रुव आघूर्ण (1.03D) से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
HCl की अपेक्षा HF अधिक ध्रुवी है; क्योंकि CI की अपेक्षा F अधिक विद्युत ऋणात्मक होता है। हम जानते हैं कि विद्युत ऋणात्मकता में अन्तर अधिक होने पर ध्रुवणता अधिक होती है अर्थात् द्विध्रुव आघूर्ण अधिक होता है।

प्रश्न 19.
LiH का द्विध्रुव आघूर्ण 1964 x 10-29Cm है तथा अणु में Li व H की अन्तरपरमाण्विक दूरी 1.596 Å है। LiH में आयनिक प्रतिशतता ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है,
= q x d
d = 1·596 Å = 1.596 × 10-10 m
q = 1.602 x 10-19 C
सैद्धान्तिक द्विध्रुव आघूर्ण = q x d
µ = 1.602 × 10-19 × 1.596 × 10-10
µ = 2.557 x 110-29C-m
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प्रश्न 20.
निम्नलिखित में प्रत्येक की ठोस अवस्था पर विचार कीजिए –
(i) मेथेन
(ii) सीजियम क्लोराइड
(iii) जर्मेनियम
(iv) लीथियम
(v) आर्गन
(vi) बर्फ।
इनमें से कौन-सा निम्नलिखित का एक उदाहरण होगा-
(क) उच्च गलनांक, संजाल ठोस
(ख) अचालक ठोस जो गलित अवस्था में अच्छा चालक बन जाता है
(ग) उच्च विद्युत तथा ऊष्मीय चालकता का ठोस
(घ) वाण्डर वाल्स बलों द्वारा जुड़ा एक निम्न गलनांक वाला ठोस
(ङ) हाइड्रोजन युक्त ठोस।
उत्तर:
(क) जर्मेनियम
(ख) सीजियम क्लोराइड
(ग) लीथियम
(घ) आर्गन
(ङ) बर्फ।

प्रश्न 21.
BF3 में संकरण बताइये व संरचना दीजिए।
उत्तर:
sp² संकरण होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 40

प्रश्न 22.
NH3 का विद्युत आघूर्ण NF3 से अधिक होता है, समझाइए।
उत्तर:
NH3 का विद्युत आघूर्ण NF3 से अधिक होता है, क्योंकि NH3 में N की विद्युत ऋणात्मकता अधिक होने के कारण N – H बंध का आघूर्ण N की ओर होता है एवं एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का आघूर्ण तीनों N – H बंधों के परिणामी आघूर्ण की तरफ होता है। जिसके कारण NH3 का द्विध्रुव अधिक होता है, परन्तु NF3 में N की विद्युत ऋणता F से कम है जिस कारण N – F का बंध आघूर्ण F की तरफ होता है। इसलिए एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का आघूर्ण N – F बंध आघूर्ण के विपरीत दिशा में होता है, जिसके कारण NF3 का द्विआघूर्ण कम होता है।

प्रश्न 23.
H2O द्रव है, जबकि HS गैस है तथा CO2 रेखीय एवं SO2 कोणीय हैं, क्यों?
उत्तर:
H2O के केन्द्रीय परमाणु पर उपस्थित बंधी इलेक्ट्रॉन युग्मों प्रतिकर्षण कम होता है। H2O में बंध कोण का मान 104°3′ होता है, जबकि H2S में बंधित इलेक्ट्रॉन युग्मों के मध्य अधिक प्रतिकर्षण होता है।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 41
CO2 रेखीय है, क्योंकि CO2 के केन्द्रीय परमाणु C के चारों ओर बंध क्रम अधिकतम होता है, परन्तु SO2 में केन्द्रीय परमाणु S पर इलेक्ट्रॉन युग्मों की उपस्थिति के कारण उसकी संरचना कोणीय होती है।

प्रश्न 24.
निम्न को समझाइए।
(1) He2 अज्ञात है पर He2+ ज्ञात है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
हम जानते हैं कि हीलियम परमाणु को 2He4 से प्रदर्शित करते हैं। He2+ का ज्ञात होने का तात्पर्य है कि हीलियम से दो इलेक्ट्रॉन निकलकर दूसरे किसी ग्राही तत्व के पास गये जबकि He2 का कोई तात्पर्य नहीं है।

(2) VSEPR में PCl5, ICl2 तथा NO3 की ज्यामिति का निर्धारण करो।
उत्तर:
VSEPR के अनुसार PCl5, ICl2 तथा NO3 की ज्यामिति निम्नलिखित है-
(i) PCl5, फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड अणु में एक फॉस्फोरस परमाणु व पाँच क्लोरीन परमाणु सामान्य सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़े हुए हैं।
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 42
PCl5 की ज्यामिति पंचभुजीय द्विपिरामिडीय होगी एवं बंध कोण का मान 72° तथा 90° होगा।

(ii) ICl2 की ज्यामिति
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ICl2 का ज्यामिती रेखीय होगी।

(iii) NO3 की ज्यामिति-
HBSE 11th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना 44
अत: NO3 की ज्यामिति समतल त्रिभुजाकार होगी।

प्रश्न 25.
SO2 में S की संकरण अवस्था तथा SO22- आयन की आकृति क्या होगी ?
उत्तर:
SO2 में सल्फर की संकरण अवस्था sp³ होगी एवं SO42- की ज्यामिति चतुष्फलकीय (tetrahedral) होगी।
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प्रश्न 26.
SF4 अणु की ज्यामिति ज्ञात कीजिए तथा इसमें एकाकी युग्म की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
SF4 अणु की ज्यामिति – S में संयोजकता कोश आंशिक रूप से भरा रहता है (3s², 3p², 3d0)। अत: पर उपस्थित एकाकी
इलेक्ट्रॉन युग्म पर प्रतिकर्षण कम होने के कारण इलेक्ट्रॉन युग्म में प्रतिकर्षण कम होगा। जिससे बंध कोण प्रभावित रहता है।

S की परिवर्ती संयोजकता + 4 व + 6 हैं। अतः SF4 अणु की ज्यामिति इस प्रकार होगी-
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एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म केवल एक परमाणु से सम्बन्धित होता है। इलेक्ट्रॉन युग्म त्रिविम में फैला रहता है। SF4 अणु में केन्द्रीय परमाणु S के पास इलेक्ट्रॉन युग्म की संख्या एक होगी।

अतः प्रतिकर्षण के कारण इस अणु के बंध कोण में कमी आ जाती है। SF4 में sp³d संकरण पाया जाता है।

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. जैव प्रोद्योगिकी का उपयोग निम्न में से किस में हो रहा है?
(अ) चिकित्सा शास्त्र में
(ब) निदान सूचक में
(स) जैब सुधार में
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

2. ऐसे पौधे, जीवाणु, कवक व जन्तु जिनके जीस हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किए जा चुके हैं, कहलाते हैं-
(अ) आनुवंशिकतः रूपान्तरित जीव
(ब) कीटनाशक
(स) मिल्वाडेगाइन इनकोगनीशिया
(द) रुपेटवाएड संधिशोथ
उत्तर:
(अ) आनुवंशिकतः रूपान्तरित जीव

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

3. क्राइ 1 एबी निम्न में से किसे नियंत्रित करता है?
(अ) कपास छेदक
(ब) सुनहरा चावल छेदक
(स) मक्षा छेदक
(द) तम्बाकू छेदक
उत्तर:
(स) मक्षा छेदक

4. बच्चों में एडीए की कमी का उपचार किसके प्रत्यारोपण से होता है-
(अ) वृक्क
(ब) यकृत
(स) फुफ्फुस
(द) अस्थिमज्जा
उत्तर:
(द) अस्थिमज्जा

5. निम्न में से पारजीवी जन्तु है-
(अ) चूहे
(ब) खरगोश
(स) सूअर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

6. कम्प्यूटर की तर्ज पर निम्न में से किस तकनीक का विकास हुआ है-
(अ) जीन चिकित्सा
(ब) जीन चिप
(स) DNA अंगुली छापन
(द) हाइब्रिडोमा तकनीक
उत्तर:
(ब) जीन चिप

7. आनुवंशिक रोग में रोगकारी जीन को पहचान कर उसको स्वस्थ जीन द्वारा विस्थापित करने को कहते हैं-
(अ) जीन स्थानान्तरण
(ब) जीन रूपान्तरण
(स) जीन हेर-फेर
(द) जीन थेरेपी
उत्तर:.
(द) उपरोक्त सभी

8. ह्यूमिलिन है-
(अ) एंजाइम
(ब) प्रतिजैविक
(स) इन्सुलिन
(द) वृद्धि हार्मोन
उत्तर:
(स) इन्सुलिन

9. जीन में हेर-फेर से तात्पर्य है-
(अ) आनुवंशिक पदार्थ को जोड़ना
(ब) आनुवंशिक पदार्थ को हटाना
(स) आनुवंशिक पदार्थ को ठीक करना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

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10. ट्रांसजैनिक पौधे विकसित किए जाते हैं-
(अ) जीन स्थानान्तरण द्वारा
(ब) रूपान्तरण द्वारा
(स) कलम द्वारा
(द) मुकुलन द्वारा
उत्तर:
(अ) जीन स्थानान्तरण द्वारा

11. बी टी विष (Bt Toxin) में होता है-
(अ) एन्जाइम
(ब) एल्केलाइड
(स) लिपिड
(द) क्राइ प्रोटीन
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

12. बी टी (Bt) जीन युक्त कपास को कहा जाता है-
(अ) किलर कॉटन
(ब) इजिपियन कॉटन
(स) रोमिल कॉटन
(द) देशी कॉटन
उत्तर:
(अ) किलर कॉटन

13. सबसे अधिक ट्रांसजेनिक पादप कहाँ निर्मित हो रहे हैं?
(अ) न्यूजीलैण्ड
(ब) इंग्लैण्ड
(स) स्कॉटलैण्ड
(द) फिनलैण्ड
उत्तर:
(अ) न्यूजीलैण्ड

14. कौनसा जीव प्राकृतिक आनुवंशिक इंजीनियर के नाम से जाना जाता है?
(अ) सूडोमोनास
(ब) एग्रोबेक्टिसिम ह्यूमिफेसिएन्स
(स) ई.कोलाई
(द) एजोटे बेक्टर
उत्तर:
(ब) एग्रोबेक्टिसिम ह्यूमिफेसिएन्स

15. खनिज तेलों के विघटक के रूप में जैव प्रौद्योगिकीय उपयोगिता का उदाहरण है-
(अ) बायोसेन्सर
(ब) बायोचिप
(स) बायोफिल्म
(द) सुपर बग
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

16. कीटों के लिए प्रतिरोधी जीन निम्न में से किसमें पाया जाता है?
(अ) बैसीलस थूरिजिन्जएन्सिस
(ब) बैसीलस सबटिलिस
(स) बैसीलस एन्थ्रेसिस
(द) सूडोमोनास पूटिडा
उत्तर:
(अ) बैसीलस थूरिजिन्जएन्सिस

17. निम्न में से किसका जीनोम इन्टरनेट पर जारी हो चुका है?
(अ) गोल्डन राइस
(ब) एरेकिस हाइपोजिया
(स) सोलेनम ट्यूबरोसम
(द) एलियम सिपा
उत्तर:
(अ) गोल्डन राइस

18. बैसिल थूरीनजिएंसीस से निर्मित प्रोटीन कौनसे विशिष्ट कीटों को मारने में सहायक है-
(अ) लीथोडोप्टेशन
(ब) कोलियोप्टेरान
(स) डीप्टेशन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

19. आनुर्वंशिक रोग के समय पैदा हुए व्यक्ति का किस विधि से उपचार सम्भव है?
(अ) जीन चिप
(ब) जीन चिकित्सा
(स) आणविक निदान
(द) बायोसेन्सर
उत्तर:
(ब) जीन चिकित्सा

20. मानव प्रोटीन (अल्फा-1 एंट्रीट्रिप्सीन) का उपयोग किसके निदान में होता है-
(अ) सिस्टिक फाइब्रोसिस
(ब) कैंसर
(स) इंफासीमा
(द) एड्स
उत्तर:
(स) इंफासीमा

21. मानव में बौनेपन के उपचार हेतु किस वृद्धि हॉर्मोन का निर्माण किया गया है?
(अ) एन्डोर्फिन
(ब) ह्यमिलिन
(स) प्रोटोपिन
(द) कोकीन
उत्तर:
(स) प्रोटोपिन

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22. जैव प्रौद्योगिकी की तकनीकी का सबसे अधिक उपयोग किस क्षेत्र में किया गया है?
(अ) उद्योगों में
(ब) कृषि में
(स) बायो गैस निर्माण में
(द) औषध क्षेत्र में
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

23. भारतीय मूल का फसली पौधा जिसका अमेरिका ने पेटेन्ट करवा लिया है-
(अ) ज्वार
(ब) बाजरा
(स) बासमती चावल
(द) गेहुं
उत्तर:
(स) बासमती चावल

24. किन देशों द्वारा जैव अनैतिकता की जा रही है-
(अ) औद्योगिक सम्पन्न देश
(ब) प्रौद्योगिकी सम्पन्न देश
(स) वित्तीय सम्पन्न देश
(द) उपरोक्त सभी के द्वारा
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

25. सुनहरा चावल एक बहुत ही सम्भावनापूर्ण पारजीनी फसल है। कृषि में उतारने पर यह किस चीज में सहायक होगा?
(अ) विटामिन A का अभाव दूर करने में
(ब) पीड़क प्रतिरोध में
(स) शाकनाशी सहनता से
(द) चावल से एक पेट्रोल-ईंधन बनाने में
उत्तर:
(अ) विटामिन A का अभाव दूर करने में

26. 1977 में सर्वप्रथम किस गाय से मानव सम्पन्न दुग्ध (2.4 ग्राम प्रति लीटर) प्रास किया गया?
(अ) पारजीवी गाय रोजी
(ब) पारजीवी गाय सोजी
(स) पारजीवी गाय जर्सी
(द) पारजीवी गाय पीजी
उत्तर:
(अ) पारजीवी गाय रोजी

27. रोजी गाय के दूध में क्या मिलता है जो साधारण गाय के दूध में नहीं मिलता है?
(अ) मानव एल्फा-लेक्टएल्बुमिन
(ब) मानव बीटा-लेक्टएल्बुमिन
(स) मानव डेल्य-लेकटएल्खुमिन
(द) मानव गामा-लेक्टएल्बुमिन
उत्तर:
(अ) मानव एल्फा-लेक्टएल्बुमिन

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28. निम्न में पीड़क प्रतिरोधी फसल है-
(अ) Bt कपास
(ब) Bt मक्का
(स) टमाटर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

29. बासमती धान अपनी सुगंध व स्वाद के लिए मशहूर है। इसकी कितनी किस्में भारत में उगाई जाती हैं?
(अ) 25 किस्में
(ब) 26 किस्में
(स) 27 किस्में
(द) 28 किस्में
उत्तर:
(स) 27 किस्में

30. ऐसे जन्तुओं जिनके डी.एन.ए, में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यर्वस्थित होता है जो अपना लक्षण व्यक्त करता है उसे कहते हैं-
(अ) पारजीवी पादप
(ब) पारजीवी जन्तु
(स) पारजीवी कवक
(द) पारजीवी शैवाल
उत्तर:
(ब) पारजीवी जन्तु

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग किसमें हो रहा है ?
उत्तर:
इसका उपयोग चिकित्साशास्त्र, निदानसूचक (diagnostics), कृषि में आनुवंशिकतः रूपांतरित फसलें, संसाधित खाद्य (processed food), जैव सुधार (bioremediation), अपशिष्ट प्रतिपादन व ऊर्जा उत्पादन में हो रहा है।

प्रश्न 2.
खाद्य उत्पादन में वृद्धि के लिये किन तीन संभावनाओं के विषय में सोचा जा सकता है ?
उत्तर:

  • कृषि रसायन आधारित कृषि,
  • कार्बनिक कृषि और
  • आनुवंशिकतः निर्मित फसल आधारित कृषि।

प्रश्न 3.
वे जीव जिनके जींस हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किये जा चुके हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव (Genetically modified organism=(GMO) ।

प्रश्न 4.
जी एम ओ का व्यवहार किस पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
इनका व्यवहार स्थानांतरित जीन की प्रकृति, परपोषी पौधों, जंतुओं या जीवाणुओं की प्रकृति व खाद्य जाल पर निर्भर करता है।

प्रश्न 5.
जैव प्रौद्योगिकी के सहयोग से तैयार की गई पीड़क फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बी टी कपास, बी टी मक्का, धान, टमाटर व आलू तथा सोयाबीन।

प्रश्न 6.
बी टी विष (BT toxin) प्रोटीन किसके द्वारा उत्पन्न होता है?
उत्तर:
बैसीलस थूरीनजिएंसिस (Bacillus thuringiensis) द्वारा।

प्रश्न 7.
बी टी विष किस जीन द्वारा कूटबद्ध होता है ?
उत्तर:
जींस को क्राई (cry) कहते हैं।

प्रश्न 8.
RNi का पूर्ण नाम लिखिए, यह क्या है?
उत्तर:
आर एन ए अंतरक्षेप (RNA interference) पूर्ण नाम है, यह सभी ससीमकेन्द्रकी (eukaryotes) जीनों में कोशिकीय सुरक्षा की एक विधि है।

प्रश्न 9.
वर्तमान में कितनी पुनर्योगज चिकित्सीय औषधियाँ विश्व में मानव प्रयोग हेतु स्वीकृत हो चुकी हैं व भारत में कितनी विपणित हो रही हैं?
उत्तर:
वर्तमान में लगभग 30 पुनर्योगज चिकित्सीय औषधियाँ विश्व में मानव के प्रयोग हेतु स्वीकृत हो चुकी हैं। वर्तमान में इनमें से 12 भारत में विपणित हो रही हैं।

प्रश्न 10.
आणविक निदान के लिये जब रोग के लक्षण स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं तो इसकी पहचान किसके द्वारा करते हैं?
उत्तर:
इसकी पहचान PCR द्वारा उनके न्यूक्लिक अम्ल के प्रवर्धन (amplification) द्वारा की जाती है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

प्रश्न 11.
जीन चिकित्सा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीन चिकित्सा वह पद्धति है जिसके द्वारा आनुवंशिक रोग के साथ पैदा होने वाले जातकों का उपचार किया जाता है।

प्रश्न 12.
बायोपाइरेसी किसे कहते हैं?
उत्तर:
मल्टीनेशनल कम्पनियों व दूसरे संगठनों द्वारा किसी राष्ट्र या उससे सम्बन्धित लोगों से बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना बायोपाइरेसी कहलाता है।

प्रश्न 13.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी द्वारा रूपान्तरित जीवाणु उत्पाद का नाम लिखिए जिसका हृदयाघात के अग्रग मायोकार्डियल संक्रमण से गुजरे रोगी की रक्त वाहिकाओं से थक्का हटाने यानि ‘थक्का स्फोटन’, में उपयोग किया जाता है।
उत्तर:
स्ट्रैप्टोकाइनेज।

प्रश्न 14.
आनुवंशिक रोग से ग्रसित शिशु के रोगोपचार के लिए उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था का नाम लिखिए।
उत्तर:
जीन चिकित्सा।

प्रश्न 15.
आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऐसे पौधे, जीवाणु, कवक व जंतु जिनके जींस (genes) हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किये जा चुके हैं, आनुवंशिकतः रूपांतरित जीव (genetically modified organism) कहलाते हैं।

प्रश्न 16.
रोग जनकों के द्वारा उत्पन्न संक्रमण की पहचान कैसे की जाती है?
उत्तर:
रोग जनकों के द्वारा उत्पन्न संक्रमण की पहचान प्रतिजनों (प्रोटीनजन, ग्लाइकोप्रोटीस आदि) की उपस्थिति या रोग जनकों के विरुद्ध संश्लेषित प्रतिरक्षी की पहचान के आधार पर की जाती है।

प्रश्न 17.
उस जीवाणु का वैज्ञानिक नाम लिखिए जिससे Bt जीव विष निर्मित होता है।
उत्तर:
बैसीलस थुरीनजिएंसीस।

प्रश्न 18.
चिकित्सा के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी का एक उपयोग बताइए।
उत्तर:
आनुवंशिकतः निर्मित इन्सुलिन।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जैव प्रौद्योगिकी के तीन विवेचनात्मक अनुसंधान क्षेत्र बताइये।
उत्तर:
इसके तीन विवेचनात्मक अनुसंधान क्षेत्र निम्न हैं-

  • उन्नत जीवों जैसे-सूक्ष्मजीवों या शुद्ध एंजाइम के रूप में सर्वोत्तम उत्प्रेरक का निर्माण करना।
  • उत्प्रेरक के कार्य हेतु अभियांत्रिकी द्वारा सर्वोत्तम परिस्थितियों का निर्माण करना।
  • अनुप्रवाह प्रक्रमण तकनीक का प्रोटीन/कार्बनिक यौगिक के शुद्धीकरण में उपयोग करना।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के बावजूद कोई इस प्रकार का वैकल्पिक रास्ता है जिससे खादों व रसायनों का न्यूनतम उपयोग कर सर्वाधिक उत्पादन लिया जा सकता है?
उत्तर:
यद्यपि हरित क्रांति से खाद्य आपूर्ति को बढ़ाकर खाद्य समस्या को हल किया गया है। उत्पादन में यह वृद्धि उन्नत किस्मों का उपयोग, उत्तम प्रबंधकीय व्यवस्था और कृषि रसायनों (खादों तथा पीड़कनाशकों) के प्रयोगों के कारण हुआ है। परन्तु रसायन व खादों का उपयोग एक मंहगी प्रक्रिया है तथा पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।

अतः अब किसान आनुवंशिकतः रूपांतरित फसलों का उपयोग कर अधिक उत्पादन ले सकेंगे। ये फसलें कम खाद व रसायन का उपयोग चाहने वाली होती हैं तथा इससे पर्यावरण पर भी कम हानिकारक प्रभाव होते हैं।

प्रश्न 3.
जीन चिकित्सा (Gene therapy) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यदि एक व्यक्ति आनुवंशिक रोग के साथ पैदा हुआ है, क्या इस रोग के उपचार हेतु कोई चिकित्सा व्यवस्था है? जीन चिकित्सा ऐसा ही एक प्रयास है। जीन चिकित्सा में उन विधियों का सहयोग लेते हैं जिनके द्वारा किसी बच्चे या भूरण में चिह्नित किए गए जीन दोषों का सुधार किया जाता है।

उसमें रोग के उपचार हेतु जीनों को व्यक्ति की कोशिकाओं या उतकों में प्रवेश कराया जाता है। आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार हेतु सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित करते हैं जो निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को संपन्न करते हैं।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

प्रश्न 4.
जैव अनैतिकता या अपहरण (Biopiracy) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ व दूसरे संगठनों द्वारा किसी राष्ट्र या उससे सम्बन्धित व्यक्तियों से बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना जैव अनैतिकता या अपहरण कहलाता है। अनेक औद्योगिक राष्ट्र जो आर्थिक रूप से अत्यधिक सम्पन्न हैं परन्तु उनके पास जैव विविधता व परंपरागत ज्ञान की कमी है।

ठीक इसके विपरीत विकसित व अविकसित देश जैव विविधता व जैव संसाधनों से सम्बंधित परंपरागत ज्ञान से सम्पन्न हैं। ऐसे देशों से आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ राष्ट्र जैव अनैतिकता या अपहरण का कार्य करते हैं। इसी कारण विकसित व विकासशील राष्ट्रों के बीच अन्याय, अपर्याप्त क्षतिपूर्ति व लाभों की भागीदारी के प्रति भावना विकसित हो रही है।

प्रश्न 5.
जैव अनैतिकता (Biopiracy) को किसी उपयुक्त उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैविक अनैतिकता या अपहरण को स्पष्ट करने के लिये एक उदाहरण दिया जा रहा है। पशिमी अफ्रीका में एक पौधा पेन्टाडिप्लेन्ड्रा ब्रेजीइयाना (Pentadiplandra brazzeana) पाया जाता है। इस पौधे से ब्रेजीन (brazzein) नामक एक प्रोटीन का उत्पादन होता है जो कि शर्करा की तुलना में 2000 गुना मीठा होता है।

प. अफ्रीका के लोग इसके उपयोग के विषय में जानते हैं। इससे शक्कर का निर्यात करने वाले देशों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः इस प्रकार परंपरागत उपयोग का ज्ञान अर्जित कर वाणिज्यिक क्षेत्र में प्रवेश करा, लाभ अर्जित की दृष्टि रखकर जैव स्रोतों का अपहरण करते हैं, इसे जैव अपहरण या अनैतिकता कहते हैं।

प्रश्न 6.
” कुछ जीवाणुओं द्वारा संश्लेषित बी टी (Bt) आविष प्रोटीन के रवे कीटों को तो मार देते हैं परन्तु स्वयं को नहीं।” कथन को कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वास्तव में बी टी जीव-विष प्रोटीन, प्राक्जीव विष निष्क्रिय रूप में होता है, ज्यों ही कीट इस निष्क्रिय जीव-विष को खाता है, इसके रवे आँत में क्षारीय पी.एच. के कारण घुलनशील होकर सक्रिय रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। सक्रिय जीव विष मध्य आँत के उपकलीय कोशिकाओं की सतह से बँधकर उसमें छिद्रों का निर्माण करते हैं, जिस कारण से कोशिकाएँ फूलकर फट जाती हैं और परिणामस्वरूप कीट की मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 7.
जी.एम. पौधों के उपयोग से होने वाले कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकतः रूपान्तरित फसलों (GM Crops) का उपयोग लाभदायक है क्योंकि आनुवंशिक रूपांतरण द्वारा-

  • अजैव प्रतिबलों (ठंडा, सूखा, लवण, ताप) के प्रति अधिक सहिष्णु फसलों का निर्माण
  • रासायनिक पीड़कनाशकों पर कम निर्भरता करना (पीड़कनाशी-प्रतिरोधी फसल)
  • कटाई के पश्चात् होने वाले (अन्नादि) नुकसानों को कम करने में सहायक”
  • पौधों द्वारा खानिज उपयोग क्षमता में वृद्धि (यह शीघ्र मृदा उर्वरता समापन को रोकता है)
  • खाद्य पदार्थों के पोषणिक स्तर में वृद्धि; उदाहरणार्थविटामिन ए समृद्ध धान।

उपरोक्त उपयोगों के साथ-साथ जी एम का उपयोग तदनुकूल पौधों के निर्माण में सहायक है, जिनसे वैकल्पिक संसाधनों के रूप में उद्योगों में वसा, ईंधन व भेषजीय पदार्थों की आपूर्ति की जाती है।

प्रश्न 8.
किसी बच्चे या भ्रूण में चिह्नित किये गए जीन दोषों का उपचार किस तकनीक द्वारा किया जाता है? उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
जीन चिकित्सा द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिद्धित किए गए जीन दोषों का सुधार किया जाता है। इसमें रोग के उपचार हेतु जीनों को व्यक्ति की कोशिकाओं या ऊतकों में प्रवेश कराया जाता है। आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार के लिये सामान्य जीन को व्यक्ति या भूर्ण में स्थानांतरित करते हैं जो निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को सम्पन्न करते हैं।

सर्वप्रथम जीन चिकित्सा का प्रयोग वर्ष 1990 में एक चार वर्षीय लड़की में एडीनोसीन डिएमीनेज (ADA) की कमी को दूर करने के लिये किया गया था। यह एन्जाइम प्रतिरक्षातंत्र के कार्य के लिये अति आवश्यक होता है। यह कमी इसलिए हो जाती है क्योंकि एडीनोसीन डिएमीनेज के लिये जिम्मेदार जीन लुप्त हो जाती है।

जीन चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के रक्त में से लसीकाणु (Lymphocytes) को निकालकर शरीर से बाहर संवर्धन किया जाता है। सक्रिय ADA का cDNA (पश्च विषाणु संवाहक का प्रयोग कर) लसीकाणु में प्रवेश कराकर अंत में रोगी के शरीर में वापस कर दिया जाता है। ये कोशिकाएँ मृतप्राय: होती हैं, इसलिये आनुवंशिक निर्मित लसीकाणुओं को समयसमय पर रोगी के शरीर से अलग करने की आवश्यकता होती है। यदि मज्जा कोशिकाओं (bone marrow) से विलगित अच्छे जीनों को प्रारम्भिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित ADA में प्रवेश करा दिया जाए तो यह एक स्थायी उपचार हो सकता है।

प्रश्न 9.
मधुमेह रोगियों को यदि असंसाधित प्राक् इन्सुलिन दिया जाए तो क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
मानव सहित स्तनधारियों में इन्सुलिन प्राक्-हार्मोन (प्राक् एन्जाइम की जैसे प्राक्-हार्मोन को पूर्ण परिपक्व व क्रियाशील हार्मोन बनने से पूर्व संसाधित होने की आवश्यकता होती है) संश्लेषित होता है; जिसमें एक अतिरिक्त फैलाव होता है जिसे पेप्टाइड ‘सी’ कहते हैं। यह ‘सी’ पेप्टाइड परिपक्व इन्सुलिन में नहीं होता, जो परिपक्वता के दौरान इन्सुलिन से पृथक् हो जाता है। अतः मधुमेह रोगियों को संसाधित प्राक् इन्सुलिन देने पर नियंत्रण पाया जाता है। असंसाधित प्राक् इन्सुलिन से नियंत्रण नहीं किया जा सकता।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. Bt कपास की किस्म जो बैसिलस थुर्रिजनिसिस के विष जीन को समाविष्ट करके बनाई गयी प्रतिरोधी है- (NEET-2020)
(अ) कवकीय रोगों से
(ब) पादप सूत्रकृमि से
(स) कीट परभक्षी से
(द) कीट पीड़कों से
उत्तर:
(द) कीट पीड़कों से

2. निम्न स्तम्भों का,मिलान कर सही विकल्प का चयन करो- (NEET-2020)

स्तम्भ-Iस्तम्भ-II
1. बीटी कपास(i) जीन चिकित्सा
2. एडीनोसीन डिएमीनेज(ii) कोशिकीय सुरक्षा
3. आर.एल.ए. आई.(iii) HIV संक्रमण का पता लगाना
4. पी.सी.आर.(iv) वैसिलस थुरिजिनिसिस
कूट(1)(2)(3)(4)
(अ)(iii)(ii)(i)(iv)
(ब)(ii)(iii)(iv)(i)
(स)(i)(ii)(iii)(iv)
(द)(iv)(i)(ii)(iii)
(द)(iv)(i)(ii)(iii)

3. निम्न में कौनसा कथन सही नहीं है- (NEET-2020)
(अ) प्राक्-इन्सुलिन में एक अतिरित्क पेप्टाइड, जिसे सी-पेप्यइड कहते हैं, होती है
(ब) कार्यांत्मक इंसुलिन में A एवं B शृंखलाएँ होती है जो हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ी होती है
(स) आनुवंशिक इंजीनियरी इंसुलिन ई-कोलाई द्वारा उत्पादित होता है
(द) मनुष्य में इंसुलिन प्राक्-इंसुलिन से संश्लेषित होता है।
उत्तर:
(ब) कार्यांत्मक इंसुलिन में A एवं B शृंखलाएँ होती है जो हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ी होती है

4. जीव को उनके जैव प्रौद्योगिंकी में उपयोग के लिए सुमेलित कीजिए। (NEET-2020)

(अ) बैसिलस धुरिनाजिनिसिस(i) क्लोसिक वेक्टर
(ब) थर्मस एक्वेटिकस(ii) प्रथम rDNA अपु का निर्माय
(स) एग्रोयैक्टिसियम ट्यूसिफेसिएंस(iii) डी.एन.ए, पॉलिमरेज
(द) साल्मोनेला(iv) Cry प्रोटीन
कूट(1)(2)(3)(4)
(अ)(iv)(iii)(i)(ii)
(ब)(iii)(ii)(iv)(i)
(स)(iii)(iv)(i)(ii)
(द)(ii)(iv)(iii)(i)

उत्तर:

(अ)(iv)(iii)(i)(ii)

5. गोल्डन चावल के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है- (NEET-2019)
(अ) चावल की एक आध किस्म से जीन निवेशन के कारण इसके दाने पीले हैं।
(ब) यह डैफोडिल के जीन वाला विटामिन-ए प्रचुरित है।
(स) यह वैसिलस थुर्रिजिएसिस के जीन वाला पीड़क प्रतिरोधी है।
(द) एग्रोबैक्टीरियम वेक्टर का उपयोग कर विकसित किया गया है।
उत्तर:
(ब) यह डैफोडिल के जीन वाला विटामिन-ए प्रचुरित है।

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6. गोलभ शरलभ कृमि में वैसिलस धुर्रिजिएसिस के Bt आविष को सक्रिय करने के लिए प्रोटोक्सीन की सक्रियता किससे प्रेरित होती है? (NEET-2019)
(अ) आमाशय की अम्लीय pH
(ब) शरीर का तापमान
(स) मध्य आंत की नमी वाली सतह
(द) आंत की क्षारीय pH
उत्तर:
(द) आंत की क्षारीय pH

7. एक विदेशी कम्पनी द्वारा चावल की एक नई किस्म को पेटेन्ट किया गया था, यद्यपि ऐसी किस्में भारत में लम्बे समय से विद्यमान हैं। यह किससे सम्यन्धित है? (NEET-2018)
(अ) लेमो रोजो
(ब) शर्बती सोनोरा
(स) Co-667
(द) बासमती
उत्तर:
(द) बासमती

8. मानव लसिकाणुओं मे डी.एन.ए. के एक टुकड़े के निवेशन के लिए निम्नलिखित में से कौनसा वेक्टर सामान्यतः प्रयुक्त किया जाता है? (NEET-2018)
(अ) λ फाज
(ब) Ti प्लाज्मिड
(स) रेट्रोबाइरस
(द) pBR322
उत्तर:
(स) रेट्रोबाइरस

9. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और संगठनों द्वारा किसी देश या उसके लोगों की बिना अनुज्ञति के जैव संसाधनों के उपयोग को क्या कहा जाता है? (NEET-2018)
(अ) जैव अपघटन
(ब) बायोपाइरेसी
(स) जैब-उल्लंघन
(द) जैव शोषण
उत्तर:
(ब) बायोपाइरेसी

10. तम्बाकू के पौधे का कौनसा भाग मिलेइड्डोगाइन इन्कोग्रिटा द्वारा संक्रमित होता है? (NEET-2016)
(अ) तना
(ब) जड़
(स) पुष्प
(द) पत्ती
उत्तर:
(ब) जड़

11. वर्ष 1990 में एडिनोसीन डीऐमिनेज (ADA) की कमी से पीड़ित चार वर्ष की बालिका को निम्नलिखित से कौनसी चिकिल्सा दी गई? (NEET II-2016)
(अ) प्रतिरक्षा चिकिल्सा
(ब) विकिरण चिकिल्सा
(स) जीन चिकिल्सा
(द) रसायन चिकित्सा
उत्तर:
(स) जीन चिकिल्सा

12. सुनहरे (गोल्डन) चावल एक आनुवंशिक रूपान्तरित फसल पादप है। इसमें निवेशित जीन किसके जैविक संश्लेषण के लिए हैं? (NEET-2015)
(अ) विटामिन C
(ब) ओमेगा
(स) विटामिन A
(द) विटामिन B
उत्तर:
(स) विटामिन A

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13. पादर्पों में t.DNA (tDNA) के प्रवेश से क्या होता है? (NEET-2015)
(अ) मृदा के pH में बदलाव आता है और पादप में प्रघात होता है।
(ब) पादर्पों को थोड़े अल्पकाल के लिए शीत में उद्भासित करना पड़ता है।
(स) पादप मूलों को जल में खड़े रहने देता है।
(द) पादप में एग्रोबेक्टिरियम ट्यूमिफेशिएन्स द्वारा संक्रमित होता है।
उत्तर:
(द) पादप में एग्रोबेक्टिरियम ट्यूमिफेशिएन्स द्वारा संक्रमित होता है।

14. पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पादित पहला मानव हॉमोंन कौनसा है? (NEET-2014)
(अ) इंसुलिन
(ब) एस्ट्रोजन
(स) धॉयरॉक्सिन
(द) प्रोजेस्ट्रान
उत्तर:
(अ) इंसुलिन

15. निम्नलिखित Bt फसलों में से कौनसी फसल भारत में किसानों द्वारा उगाई जा रही है? (NEET-2013)
(अ) मक्का
(ब) कपास
(स) बैंगन
(द) सोयाबीन
उत्तर:
(ब) कपास

16. सबसे पहले नैदनिक जीन चिकित्सा किसके उपचार के लिए दी गई थी? (Mains-2012)
(अ) मधुमेह
(ब) छोटी माता
(स) रुमेठी गठिया
(द) एडीनोसीन डीएमीनेज अल्पता
उत्तर:
(द) एडीनोसीन डीएमीनेज अल्पता

17. विटामिन ‘A’ की कमी से आने वाला अंधापन किसके उपयोग से रोका जा सकता है? (CBSE PMT-2008, 2012, Mains-2012)
(अ) फ्लेवर सैवर टमाटर
(ब) कैनोला
(स) गोल्डन चावल
(द) Bt बैंगन
उत्तर:
(स) गोल्डन चावल

18. तम्बाकू के सूत्रकृमि-प्रतिरोधी पौधे बनाने के लिए उनमें DNA प्रवेश कराया गया जिससे (परपोषी कोशिकाओं के भीतर) किसका बनना संभव हुआ? (NEET-2012)
(अ) अर्थ तथा प्रति-अर्थ दोनों प्रकार का RNA
(ब) एक विशिष्ट हॉर्मोन
(स) एक एन्टीफीडेन्ट (प्रति भोज्य)
(द) एक विषाक्त प्रोटीन
उत्तर:
(अ) अर्थ तथा प्रति-अर्थ दोनों प्रकार का RNA

19. वर्तमान पारजीनी जन्तुओं में से इस समय सबसे अधिक संख्या किसकी है? (NEET-2011)
(अ) मछली
(ब) मूषक
(स) गाय
(द) सूअर
उत्तर:
(ब) मूषक

20. m.RNA की साइलेंसिग किसके प्रतिरोधी ट्रांसजैनिक पादप उत्पादन में उपयुक्त है? (NEET-2011)
(अ) बैक्टोरियल ब्नाइटस
(ब) बालवर्स
(स) नीमेटोद्धस
(द) काइट रस्ट
उत्तर:
(ब) बालवर्स

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21. पौधों में RVA इन्टरफिरेन्स प्रक्रिया (RVAI) का उपयोग किसके विरद्ध प्रतिरोध विकास करने के लिए किया गया है? (NEET-2011)
(अ) सूत्रकृमियों के
(ब) कवकों के
(स) वाइरसों के
(द) कीटों के
उत्तर:
(अ) सूत्रकृमियों के

22. बंसिलस थुरिजिएंसिस प्रोटीन क्रिस्टल बनाते हैं, जो कीट प्रतिरोधी प्रोटीन होती है, यह प्रोटीन- (NEET-2011)
(अ) वाहक जीवाणु को नहीं मारते क्योंकि वह स्वयं में विष के प्रति प्रतिरोधी होता है
(ब) कीट की मध्य-आहार नली की उपकलीय कोशिका द्वारा जुड़ी रहती है। अंततः इसे मार देते हैं।
(स) क्राई जीन सहित कई जीनों द्वारा कोडिल होती है।
(द) कीट की अग्र आहार नली अम्लीय pH द्वारा सक्रिय होती है।
उत्तर:
(ब) कीट की मध्य-आहार नली की उपकलीय कोशिका द्वारा जुड़ी रहती है। अंततः इसे मार देते हैं।

23. भारत में आनुवंशिकतः रूपान्तरित (GM) बैंगन किसके लिए विकसित किया गया है? (NEET-2010)
(अ) शेल्फ लाइफ (ताजा बनाए रखने) की अवधि बढ़ाना
(ब) खनिज तत्वों की मात्रा बढ़ाना
(स) सूखा प्रतिरोधी
(द) कीट प्रतिरोधी
उत्तर:
(द) कीट प्रतिरोधी

24. निम्नलिखित में से किस एक का जैव प्रौद्योगिकी विधि द्वारा व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है? (Mains-2010)
(अ) मोर्फीन
(ब) कुनैन
(स) इंसुलिन
(द) निकोटिन
उत्तर:
(स) इंसुलिन

25. बी टी (Bt) आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाये जाते हैं परन्तु जीवाणु स्वयं को नहीं मारते हैं क्योंकि- (NCERT-2009)
(अ) आविष अपरिपक्व है
(ब) जीवाणु आविष के लिये प्रतिरोधी है
(स) आविष निष्क्रिय होता है
(द) आविष जीवाणु की विशेष थैली में मिलता है
उत्तर:
(द) आविष जीवाणु की विशेष थैली में मिलता है

26. प्लाज्मिड्स उपस्थित होते हैं- (RPMT-2009)
(अ) विषाणुओं में
(ब) जीवाणुओं में
(स) कवकों में
(द) वायरॉंड्डस में
उत्तर:
(ब) जीवाणुओं में

27. भारतीय पौर्धों में विदेशी DNA स्थानांतरण में सामान्यत: प्रयोग की जाती है- (CBSE AIPMT-2009)
(अ) ट्राइकोडर्मा हाजीएवम
(ब) मेलोइडोगाइन इन्कोंग्नीटा
(स) एल्रोबैक्टिरियम ट्यूमीफेसिएन्स
(द) पेनीसीलिखन एक्सपेन्सम
उत्तर:
(स) एल्रोबैक्टिरियम ट्यूमीफेसिएन्स

28. निम्नलिखित में से किस एक की पारजीनी स्पीशीज से मानव इंसुलिन का व्यापरिक स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है ? (NEET-2008)
(अ) राइकोषियम
(ब) सेकैरामाइसीज
(स) एशरिश्चिया
(द) माइक्रोबैक्टौरियम
उत्तर:
(स) एशरिश्चिया

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29. धैसिलस धुर्रिर्जिएसिस से प्रात काई I एंडोटौंज्सिन किसके प्रति कारगार होते हैं? (NEET-2008)
(अ) नीमेयेक
(ब) वॉलवर्म
(स) मच्छ
(द) मखिख्यां
उत्तर:
(ब) वॉलवर्म

30. बायोपाइरेसौ सम्बन्धित है- (Maharashtra-2008)
(अ) मैव अणु तथा जौन्स की खोज से
(ब) परम्परागात ज्ञान से
(स) जैव अनुसंधान से
(द) उपरोक्त सभी से
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी से

31. गोल अधिप्लाव (छलकन) के गैषोपयार में सफलतापूर्वक उपयोग की जाने वाली आनुर्बशिकता इंजीनियरिंग सूक्ष्मजौब स्पौशीज किसकी है? (NEET-2007)
(अ) बेसिलस
(ब) स्यूडोमोन्तास
(स) ट्राइकोडमां
(द) जै घोमोनास
उत्तर:
(ब) स्यूडोमोन्तास

32. वाहल परीक्षण किसके निदान से सम्बन्धित है- (RPMT-2006)
(अ) यइ्फाइड
(ब) कोलेरा
(स) मलेरिया
(द) पीत ज्वर
उत्तर:
(अ) यइ्फाइड

33. लींच (जॉंक) कौन-सा प्रतिथक्कारी (anticoagulant) प्दार्थ युक्ति करता है- (AIIMS-2005)
(अ) हिपेरिन
(ब) हिराडिन
(स) हिस्ट्यमीन
(द) सीरोट्रोनिन
उत्तर:
(ब) हिराडिन

34. Bt टोंक्सिन है- (Wardha-2005)
(अ) अंतःकोशिकीय लिपिड
(ब) अन्तःकोशिकीय श्रिस्टलित प्रोटीन
(स) घाछ्म कोशिकीय क्रिस्टलित प्रोटीन
(द) लिपिक्ध किया जाता है-
उत्तर:
(स) घाछ्म कोशिकीय क्रिस्टलित प्रोटीन

35. बैसीलस थूरिनजिएन्सिस (Bt) विभेद अपूर्व कार्य के लिये प्रयोग किया जाता है- (CBSE-2005)
(अ) बायोमेटलर्जिक तकनीक
(ब) बायोइन्सेक्टीसाइड्स पौधे
(स) जैव उर्वरक
(द) बायोमिनरेलाइजेशन प्रक्रम
उत्तर:
(ब) बायोइन्सेक्टीसाइड्स पौधे

36. Ti प्लाज्मिड जो आनुवंशिक इंजीनियरिंग में प्रयुक्त होता है, प्राप्त होता है- (UP CPMT-2004)
(अ) ईश्चेरिचिया कोलाई से
(ब) बैसीलस थूरिनजिएन्सिस से
(स) एग्रोबैक्टीरियम राइजोजीन्स से
(द) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेशिएन्स से
उत्तर:
(द) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेशिएन्स से

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37. जीन थैरेपी का उदाहरण है- (AIMS-2004)
(अ) प्रविष्ट योग्य हिपेटाइटिस B वेक्सीन का उत्पादन
(ब) भोज्य फसलों में वेक्सीन का उत्पादन
(स) सीवियर कम्बाइन इम्यूनोडेफिफियन्सी से ग्रसित मनुष्यों में एडीनोसीन डीएमीनेज के लिए जीन्स का प्रवेश
(द) निषेचित अण्डों के प्रत्यारोपण और कृत्रिम इन्सेमिनेशन के द्वारा टेस्ट ट्यूब बेबी का उत्पादन
उत्तर:
(स) सीवियर कम्बाइन इम्यूनोडेफिफियन्सी से ग्रसित मनुष्यों में एडीनोसीन डीएमीनेज के लिए जीन्स का प्रवेश

38. एलिसा को विषाणुओं की पहचान में उपयोग किया जाता है जिसमें मुख्य अभिकर्मक होता है- (NEET-2003)
(अ) क्षारीय फास्फेटेज
(ब) कैटेलेज
(स) DNA प्रोब
(द) RNase
उत्तर:
(अ) क्षारीय फास्फेटेज

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