Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन
HBSE 8th Class Geography भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Textbook Questions and Answers
आओ कुछ करके सीखें
भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
जिस प्रदेश में आप रहते हैं उस प्रदेश में भूमि, मदा के प्रकार तथा जल उपलब्धता का प्रेक्षण करें। अपनी कक्षा में परिचर्चा करें कि किस प्रकार लोगों की जीवन शैली इन के द्वारा प्रभावित हुई है।
उत्तर:
भूमि तथा मृदा के प्रकार और जल की उपलब्धता मनुष्य की जीवन शैली को प्रभावित करती है। मनुष्य का पर्यावरण जिस प्रकार का होता है मानव जीवन भी उसी प्रकार ढल जाता है। उदाहरण के लिये माम्बा का परिवार पर्यावरण के अनुकूल ही जीवन निर्वाह करता है। माम्बा का पिता चट्टानी भूमि पर कठिन परिश्रम करके मक्का उत्पन्न करता है। इसी प्रकार पीटर का परिवार भेड़ पालन करके ऊन प्रक्रमण करने का कारखाना चलाता है।
भूमि, मृदा एवं जल संसाधन HBSE 8th Class प्रश्न 2.
पिछले कुछ वर्षों की भूमि उपयोग परिवर्तन के विषय में सूचना एकत्र करिये। प्राप्त जानकारी को सूचनापट्ट पर प्रदर्शित करें।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों से भूमि उपयोग में परिवर्तन आया है। वनों की भूमि कृषि के लिये उपयोग में आ रही है। इस प्रकार वनों का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है कृषि भूमि का भी उपयोग घर आदि बनाने में किया जा रहा है अत: उसका क्षेत्रफल भी घट रहा है।
भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन HBSE 8th Class प्रश्न 3.
एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक (पेज नं. 10) की सारिणी 2.1 का अध्ययन करें और दिये गये प्रश्नों का उत्तर दें:
(i) उन देशों के नाम बतायें जिनमें फसल भूमि, वन, चरागाह और अन्य उपयोगों के लिये भूमि का प्रतिशत सबसे अधिक है।
उत्तर:
चीन, फ्रांस, भारत, यू. के., सं. रा. अमेरिका तथा जापान।
(ii) इन देशों के भूमि उपयोग प्रतिरूपों और संभावित आर्थिक क्रियाओं में आप किस प्रकार संबंध स्थापित करेंगे।
उत्तर:
इन देशों में फसल भूमि का प्रतिशत चरागाह, वन आदि के प्रतिशत से अधिक है क्योंकि जनसंख्या के पालन के लिये कृषि भूमि अधिक चाहिये।
क्रियाकलाप
भूमि मृदा जल प्राकृतिक वनस्पति HBSE 8th Class प्रश्न 4.
भारत में पाई जाने वाली जलोढ़, काली, लाल, लैटराइट, मरुस्थलीय और पर्वतीय मृदाएँ हो सकती हैं। विभिन्न प्रकार की मृदाओं की एक-एक मुट्ठी एकत्रित कीजिए और निरीक्षण कीजिए कि वे किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है। ।
उत्तर:
जलोढ़ मृदा: यह नदियों द्वारा लाई गई है। यह बहुत उपजाऊ होती है।
काली मृदा: इसका निर्माण लावा से हुआ है यह रंग में काली होती है। यह भी उपजाऊ होती है।
लैटराइट मृदा: इसका निर्माण अधिक वर्षा वाले प्रदेशों में होता है। यह अपेक्षाकृत कम उपजाऊ होती है। इसमें आयरन आक्साइड और लवण अधिक होता है।
मरुस्थलीय मृदा: यह शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। इसमें नमी नहीं होती तथा ह्यूमस साधारण रूप में पाया जाता है।
लाल मृदा: इसका निर्माण आग्नेय चट्टानों के टूटने से हुआ है। अनुपजाऊ लौह अंश की अधिक मात्रा से इसका रंग लाल होता है। यह कम उपजाऊ होती है।
पर्वतीय मृदा: यह मृदा पतली और अनुपजाऊ होती है। यह पर्वतीय ढालों पर पाई जाती हैं।
अभ्यास
भूमि, मृदा एवं जल संसाधन Class 8 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(i) मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी दो मुख्य जलवायु कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी जलवायु के दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं-तापमान तथा वर्षा।
(ii) भूमि निम्नीकरण के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
भूमि क्षरण के दो कारण हैं-भवन-निर्माण तथा सड़क-निर्माण आदि।
(iii) भूमि को महत्त्वपूर्ण संसाधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अधिकतर उत्पाद भूमि से प्राप्त करता है। उदाहरण के लिये मनुष्य के लिये भोजन की 95% से भी अधिक की आवश्यकता भूमि से पूरी की जाती है। इसके अतिरिक्त वस्त्र, मकान और इमारती लकड़ी की आवश्यकतायें भी भूमि से ही पूरी होती हैं।
(iv) किन्हीं दो सोपानों के नाम बताइए जिन्हें सरकार ने पौधों और प्राणियों के संरक्षण के लिए आरंभ किया है।
उत्तर:
पौधों और प्राणियों के संरक्षण के लिए उठाये गये दो कदम निम्नलिखित हैं:
1. जैव मंडल तथा राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना
2. अवैध कटाई तथा शिकार आदि पर रोक।
(v) जल संरक्षण के तीन तरीके बताइए।
उत्तर:
जल संरक्षण के तरीके निम्नलिखित हैं:
1. वृक्षारोपणः वन या वनस्पति आवरण धरातलीय जल प्रवाह को मंद करता है जिससे जल को पुनः पूरित या रिसने का समय मिल जाता है।
2. वर्षा जल संग्रहण: इसके अंतर्गत वर्षा के जल का संग्रह किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर कभी भी प्रयोग किया जा सकता है।
3. जल के रिसाव को कम किया जाए। इसके लिये नहरों को पक्का करना चाहिये। रिसाव और वाष्पीकरण से होने वाली क्षति को रोकने के लिए स्प्रिंकलरों से सिचाई करना अधिक उपयोगी है।
Land Soil Water Natural Vegetation And Wildlife Extra Questions HBSE प्रश्न 2.
सही उत्तर को चिह्नित कीजिए:
(i) निम्नलिखित में कौन-सा कारक मृदा निर्माण का नहीं है?
(क) समय
(ख) मृदा का गठन
(ग) जैव पदार्थ
उत्तर:
(ख) मृदा का गठन।
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सी विधि तीन ढालों पर मृदा अपरदन को रोकने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है?
(क) रक्षक मेखला
(ख) मलचिंग
(ग) वेदिका कृषि
उत्तर:
(ग) वेदिका कृषि।
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकृति के संरक्षण के अनुकूल नहीं है?
(क) बल्ब को बंद कर देना चाहिए जब आवश्यकता न
(ख) नल को उपयोग के बाद तुरंत बंद कर देना चाहिए।
(ग) खरीददारी के बाद पॉली पैक को नष्ट कर देना चाहिए।
उत्तर:
(ग) खरीददारी के बाद पॉली पैक को नष्ट कर देना चाहिए।
Land Soil And Water Resources Class 8 Extra Questions HBSE प्रश्न 3.
निम्नलिखित का मिलान कीजिए
(क) भूमि उपयोग | (i) मृदा अपरदन को रोकना |
(ख) ह्यूमस | (ii) कृषि के लिये उपयुक्त भूमि |
(ग) चट्टान बाँध | (ii) भूमि का उत्पादनकारी उपयोग |
(घ) कृषि योग्य भूमि | (iv) ऊपरी मृदा पर निक्षेपित जैव पदार्थ |
उत्तर:
(क)-(i), (ख)-(iv), (ग)-(iii), (घ)-(ii)
भूमि मृदा जल प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में से सत्य अथवा असत्य बताइए। यदि सत्य है तो उसके कारण लिखिए
(i) भारत का गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान अत्यधिक आबाद प्रदेश है।
(ii) भारत में प्रतिव्यक्ति जल की उपलब्धता कम हो रही है।
(iii) तटीय क्षेत्रों में पवन गति रोकने के लिए वृक्ष कतार में लगाए जाते हैं, जिसे बीच की फसल उगाना कहते हैं।
(iv) मानवीय हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन पारितंत्र को व्यवस्थित रख सकते हैं।
उत्तर:
(i) और
(ii) सत्य हैं क्योंकि
(iii) गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान अत्यधिक उपजाऊ है इसलिये जनसंख्या अधिक है। यहाँ जलोढ़ मृदा पाई जाती है अत: भूमिगत जल से सिंचाई तथा पेय जल की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
(iv) भारत में प्रतिव्यक्ति जल की कमी होती जा रही है क्योंकि भारत में वर्षा असमान और अपर्याप्त है। प्रदूषण के कारण जल स्रोत दूषित हो रहे हैं अत: पेय जल की भारी कमी है।
क्रियाकलाप
Land, Soil, Water, Natural Vegetation And Wildlife Resources Notes HBSE प्रश्न 5.
भूमि उपयोग प्रतिरूप के परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कुछ और कारणों की चर्चा कीजिए। क्या आपके स्थान पर भूमि उपयोग प्रतिरूप में कोई परिवर्तन हुआ है? अपने माता-पिता और बड़े लोगों से पता कीजिए। आप निम्नलिखित प्रश्नों को पूछकर एक साक्षात्कार ले सकते हैं-
स्थान | जब आपके दादा-दादी 30 वर्ष की आयु में थे। | जब आपके माता-पिता 30 वर्ष की आयु में थे। | आप क्या कि ऐसा हो रहा है? | क्या सामान्य क्षेत्र और खुले क्षेत्र विस्तृत हो रहे हैं? |
ग्रामीण | ||||
पशु और मुर्गी पालन उद्योग की संख्या | ||||
गाँव में पेड़ों और तालाबों की संख्या | ||||
परिवार के मुखिया का व्यवसाय | ||||
नगरीय | ||||
कारों की संख्या | ||||
घर में कमरों की संख्या | ||||
पक्की सड़कों की संख्या | ||||
पाक और खेल के मैदानों की संख्या |
आपने जो तालिका पूरी की है उसके आधार पर भूमि प्रतिरूपों का एक चित्र बनाइए जिन्हें आप 20 वर्ष बाद अपने पड़ोस में देखने की कल्पना करते हैं। आप क्या सोचते हैं कि वर्षों बाद भूमि उपयोग प्रतिरूप बदल जाता है।
उत्तर:
यह कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।
संकेतः
सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि भूमि उपयोग सदैव बदलता रहा है। आज जहाँ नगर अथवा गाँव हैं वहाँ कभी वन होते थे। कृषि योग्य भूमि की मात्रा भी कभी बढ़ी है तो कभी घटी है। हमारे स्थान पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ। भूमि उपयोग में परिवर्तन का प्रमुख कारक बढ़ती जनसंख्या तथा उसकी बढ़ती मांग रही है।
HBSE 8th Class Geography भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
भूमि मृदा जल प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन HBSE 8th Class प्रश्न 1.
मृदा निर्माण को नियमित करने वाले पाँच
उत्तर:
मृदा निर्माण को नियंत्रित करने वाले पाँच कारक हैं:
1 जनक शैल
2. जलवायु
3. जैविक पदार्थ
4. समय
5. स्थलाकृति।
प्रश्न 2.
भू-क्षरण क्या है? – कारकों के नाम बतायें।
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक कारणों के अतिरिक्त वनों की कटाई, पशुओं द्वारा अति चराई आदि कारणों से भूमि का क्षरण हो जाता है।
प्रश्न 3.
भूमि उपयोग प्रारूप को प्रभावित करने वाले मानव कारकों अथवा कार्यकलापों का नाम बतायें।
उत्तर:
भूमि उपयोग प्रारूप को प्रभावित करने वाले मानव कारकों में भवन, सड़क, रेल आदि के निर्माण के लिये भूमि का अधिग्रहण शामिल है।
प्रश्न 4.
पौधों की वृद्धि को प्रभावित करने वाले दो कारकों के नाम बतायें।
उत्तर:
आर्द्रता और तापमान।
प्रश्न 5.
उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों के दो प्रकार बतायें।
उत्तर:
1. सदाहरित वन
2. अर्ध-सदाहरित वन
प्रश्न 6.
पर्णपाती वनों के मुख्य वृक्ष कौन से हैं?
उत्तर:
साल, सागौन, चंदन, रोजवुड, एबोनी, शीशम, महुआ आदि।
प्रश्न 7.
कोणधारी वनों के प्रमुख वृक्षों के नाम बतायें।
उत्तर:
पाइन, सिडर, सिल्वरफ तथा देवदार।
प्रश्न 8.
वर्षा जल संग्रहण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण जल के संरक्षण की एक विधि है जिसके अंतर्गत वर्षा का जल मकानों की छतों पर इकट्ठा करके एक गड़े में एकत्र किया जाता है तथा बाद में आवश्यकता के समय इसका उपयोग किया जाता है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वन संसाधनों के कुछ प्रत्यक्ष लाभों का स्पष्टीकरण दीजिये।
उत्तर:
वन संसाधनों के प्रत्यक्ष लाभ हैं:
1. वनों से इमारती लकड़ी, कागज, लुग्दी, गोंद तथा रबर प्राप्त होती है।
2. वनों से उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
3. वन मृदा अपरदन रोकने में सहायक हैं।
4. वन पारिस्थितिक संतुलन को बनाते हैं।
5. वनों से जानवरों को आश्रय तथा भोजन (चारा) मिलता है।
6. अभयारण्य तथा पक्षी विहार पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
7. वनों से जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं।
प्रश्न 2.
हमारे देश में बहुत से जीवों की प्रजातियाँ नष्ट क्यों हो रही हैं? बन्य प्राणियों के संरक्षण के लिये क्या किया जा रहा है?
उत्तर:
भारत के वनों में अनेक प्रकार के जीव-जंतु पाये जाते हैं। परंतु देश में वन्य प्राणियों की अनेक प्रजातियाँ अंधाधुंध शिकार के कारण विलुप्त हो गई है। गैंडा, चीता, शेर, कस्तूरी मृग आदि बहुत ही कम संख्या में पाये जाते हैं। इनकी सुरक्षा के लिये भारत सरकार ने राष्ट्रीय पार्क और अभयारण्य स्थापित किये हैं जहाँ उन्हें अपने प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रखा जाता है। राष्ट्रीय पार्क प्राकृतिक सुन्दरता को सुरक्षित रखने के लिये आरक्षित क्षेत्र हैं। अभयारण्य वे आरक्षित क्षेत्र हैं जहाँ वन्य प्राणियों की विलुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण और विकास किया जाता है। वर्तमान में भारत 83 में राष्ट्रीय पार्क तथा 447 अभयारण्य हैं जो देश के 4.5 प्रतिशत भाग में फैले हैं। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाता है।
प्रश्न 3.
मृदा का संरक्षण किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर:
मृदा संरक्षण निम्न प्रकार से किया जाता है:
1. पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाकर।
2. समोच्चरेखीय जुताई करके।
3. निवनीकरण तथा स्थानांतरी कृषि पर रोक लगाकर।
4. अधिक वन लगाकर।
5. चट्टान बाँध बनाकर।।
प्रश्न 4.
संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
संरक्षण से तात्पर्य है कि प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए जिससे मानव जाति के आर्थिक व सामाजिक कल्याण से उनका जीवन स्तर ऊँचा उठ जाये। वर्तमान युग में संसाधनों का उचित उपयोग हो तथा भविष्य के लिये भी सुरक्षित रह सके। संसाधनों का संरक्षण मानव जीवन का संरक्षण है। अत: मानव का परम कर्तव्य है कि वह इन संसाधनों को विनाश से सुरक्षित करें।
संरक्षण की आवश्यकता (Need of Conservation):
1. संसाधनों की उपलब्धता मानव के लिये बहुत उपयोगी है।
2. प्राकृतिक संसाधन भूमि की सुंदरता तथा उपजाऊपन बढ़ाते हैं जैसे वन।
3. ये वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन देते हैं।
4. मानव जीवन, वायु, जल, मृदा आदि के उपयोग पर निर्भर करता है। अत: इनका संरक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 5.
मानव के लिये वन किस प्रकार उपयोगी हैं?
उत्तर:
वन मनुष्य के लिये अनेक प्रकार से लायक हैं जिनका आर्थिक रूप से उपयोग होता है। वनों से हमें फथर के लिये लकड़ी प्राप्त होती है। जलाने के लकड़ी प्राप्त होती है। अनेक तरह के बहुमूल्य उत्पाद, जड़ी बूटियाँ आदि वनों से ही प्राप्त होती हैं। पर्यावरण स्थिरता तथा परिस्थितिक संतुलन बनाये रखना भी वनों से होता है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जल संसाधनों का महत्त्व तथा संरक्षण का वर्णन करो।
उत्तर:
जल संसाधन का महत्त्व-संसार के लगभग तीन-चौथाई भाग में महासागरों, नदियों और झीलों के कारण जल के विशाल भंडार मिलते हैं। मानवीय क्रियाओं के लिए जल एक आर्थिक संपत्ति है।
(i) मानव, जीव-जंतुओं, वनस्पति को जीवित रखने हेतु जल आवश्यक है।
(ii) कृषि के लिए सिंचाई के साधनों के लिए जल की आवश्यकता होती है।
(iii) जल-विद्युत उत्पन्न करने के लिए अधिक मात्रा में जल प्राप्त होना चाहिए।
(iv) यातायात के साधनों में जल यातायात सबसे सस्ता व महत्त्वपूर्ण साधन है।
(v) नदियों के निक्षेप से संसार के उपजाऊ मैदानों तथा डेल्टाओं का निर्माण होता है।
जल का संरक्षण:
मानव जीवन में जल के महत्त्व तथा बढ़ते हुए प्रयोग के कारण जल-साधनों का संरक्षण अति आवश्यक है। शुद्ध जल ही किसी राष्ट्र के लोगों के स्वास्थ्य को ठीक रख सकता है। इसलिए सागरों, नदियों और झीलों आदि के जल को दुषित होने से बचाया जाना चाहिए। इन्हें कूड़ा-करकट, रासायनिक अशुद्धियों और गंदगी से साफ रखा जाए। पानी को शुद्ध करके दोबारा प्रयोग किया जाए। भूमिगत जल की खोज करके उसे अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए। नदियों पर बाँध बनाकर झीलों में पानी के भंडार जमा किए जाएँ।
प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण क्या है तथा इसके क्या लाभ
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण एक विधि है जिसके द्वारा मकानों की छतों पर वर्षा जल को एकत्र किया जाता है। फिर इसे पाइप द्वारा गड्ढे में एकत्र कर लिया जाता है। यह जल आवश्यकता के समय बाद में उपयोग किया जाता है।
1. यह एक पारिस्थितिक और वित्तीय ज्ञान कराता है जिससे शुद्ध प्राकृतिक जल को व्यर्थ न जाने दिया जाए।
2. यह जल संरक्षण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
3. यह एक सामान्य बात है कि जल की गुणवत्ता नष्ट नहीं होती यदि इसे लंबे समय के लिये सुरक्षित रखा जाए। यदि जल में कोई जैविक पदार्थ न हो तो यह लंबे समय तक प्रदूषित नहीं होगा।
4. यह भूमिगत जल को प्रदूषित नही होने देता तथा उसकी माता में बढ़ोत्तरी करता है।
प्रश्न 3.
वन्य प्राणी हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं? अपने देश के वन्य प्राणियों की सुरक्षा में हम किस प्रकार सहायता दे सकते हैं?
उत्तर:
वन्य प्राणी हमारी राष्ट्रीय संपत्ति हैं। अत: इस संपत्ति को सुरक्षित रखना आवश्यक है। देश-विदेश के लोग वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने के लिए पर्यटन (यात्रा) करते हैं। वन्य प्राणियों से अनेक लाभ हैं। इनके चमड़े, सींग, फर, बाल आदि की विश्व बाजार में भारी माँग है। इनकी देश के लिए भारी उपयोगिता है। वन्य प्राणी संतुलन में सहायक हैं। अत: आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें सुरक्षित रखना चाहिए।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के उपाय:
(i) वनों की अंधाधुंध कटाई वन्य प्राणियों के लिए हानिकारक है। अत: वन काटने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
(ii) बाघ, गैंडा, चीता, आदि कम होते जा रहे हैं। इनके मारने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
(iii) वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए जनता को सरकार का भरपूर सहयोग करना चाहिए।
(iv) भारत में अक्टूबर मास के प्रथम सप्ताह में वन्य प्राणी सप्ताह मनाते हैं और वन्य प्राणियों को सुरक्षित रखने का प्रण करते हैं।
भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Class 8 HBSE Definitions in Hindi
1. भूमि (Land): पृथ्वी का वह भाग जिस पर मनुष्य रहते हैं तथा विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ की जाती हैं, भूमि कहलाती है।
2. भूमि उपयोग (Land Use): कृषि, वन, खनन, भवन, सड़क आदि के लिए भूमि का प्रयोग करना।
3. मृदा संसाधन (Soil Resources): ऐसा प्राकृतिक संसाधन जिसमें सभी वनस्पति उगती है जिससे मनुष्य तथा जीवों को भोजन मिलता है।
4. साझा संपत्ति संसाधन (Common Property Resources): जो भूमि एक समुदाय के अंतर्गत हो उसे सामुदायिक भूमि या साझा संपत्ति संसाधन कहते हैं।
5. मृदा अपरदन (Soil Erosion): वायु और जल (वर्षा) द्वारा ऊपरी मृदा का क्षरण होना मृदा अपरदन कहलाता है।
6. मस (Humus): एक गहरा भूरा पदार्थ जो सड़े-गले पदार्थों तथा मरे हुए जीवों से बनता है। यह एक जैविक पदार्थ है जो मृदा की उर्वरता बढ़ाता है।
7. संसाधन (Resources): संसाधन मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा कने वाले उपाय हैं। ये प्राकृतिक संसाधन हवा, पानी, भूमि, खनिज, कृषि और ऊर्जा आदि हैं।
8. जैवमंडल निचय (Biosphere Reserves): संरक्षित क्षेत्रों की एक श्रृंखला जो वैश्विक नेटवर्क से जुड़ी है और प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीवन संरक्षण व विकास में संलग्न है।
भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Class 8 HBSE Notes in Hindi
1. भूमि (Land):
भूमि सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। यह पृथ्वी के धरातल का 30 प्रतिशत भाग घेरे हुये है। विश्व की 90% जनसंख्या केवल 30% भूमि पर निवास करती है। विश्व में जनसंख्या का असमान वितरण भूमि और जलवायु के कारण
2. भूमि उपयोग (Land Use):
भूमि का उपयोग भिन्न कार्यो के लिये जैसे कृषि, उद्योग, खनन, मकान, सड़क आदि के लिये किया जाता है। भूमि का उपयोग भौतिक कारकों जैसे धरातल की बनावट, मृदा, जलवायु, खनिज और जल की उपलब्धता पर निर्भर करता है। कुछ देशों में भूमि का उपयोग निम्न प्रकार से है:
देश | भूमि उपयोगों के अनुसार क्षेत्रफल का प्रतिशत | |||
फसल भूमि | चरागाह | वन | अन्य उपयोग | |
आस्ट्रेलिया | 4 | 56 | 14 | 24 |
ब्राजील | 9 | 20 | 66 | 5 |
कनाडा | 5 | 4 | 39 | 52 |
चीन | 10 | 34 | 14 | 42 |
फ्रांस | 35 | 21 | 27 | 17 |
भारत | 57 | 4 | 22 | 17 |
जापान | 12 | 2 | 67 | 19 |
रूस | 8 | 5 | 14 | 44 |
यू. के. | 29 | 46 | 10 | 16 |
स. रा. अमेरिका | 21 | 26 | 32 | 21 |
विश्व | 11 | 26 | 31 | 32 |
भूमि को निजी भूमि और सामुदायिक भूमि के आधार पर विभाजित किया जा सकता है। व्यक्तिगत भूमि निजी भूमि कहलाती है जबकि समुदाय के अधीन भूमि को सामुदायिक भूमि कहते हैं।
3. भूमि संसाधन का संरक्षण (Conservation of Land Resource):
बढ़ती हुई जनसंख्या तथा उसकी बढ़ती मांग के कारण कृषि भूमि का क्षरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस प्राकृतिक संसाधन के समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। विनाश की गति को रोकना आवश्यक है। वृक्षारोपण, भूमि सुधार, रासायनिक कीटनाशकों पर नियंत्रण तथा अति चराई पर नियंत्रण आदि भूमि संरक्षण के उपाय हैं।
4. मृदा (Soil):
पृथ्वी के भूपृष्ठ पर मिट्टी की ऊपरी परत को मृदा कहते हैं। मृदा का निर्माण खनिज और चट्टानों के जैविक पदार्थों के मिश्रण से होता है। यह चट्टानों के अपक्षरण से होता है। ये पदार्थ मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाते हैं। मृदा अपरदन से फसल भूमि का विनाश होता है। मृदा अपरदन और क्षरण मृदा के लिये एक समस्या है। मृदा क्षरण के कारण हैं: निर्वनीकरण, अति चराई, रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अति उपयोग, भूस्खलन तथा बाढ़ आदि।
5. मृदा संरक्षण के उपाय: समोच्चरोधक (Contour barriers):
कृषि वानिकी (Agroforestry), चट्टान बाँध (Rock dam), सीढ़ीदार (Terraces), मिश्रित फसली (Inter-cropping), समोच्च रेखीय जुताई, रक्षक मेखलाएँ (Shelter belts) आदि।
6. जल (Water):
जल विशाल नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है। पृथ्वी के तीन-चौथाई भाग पर जल पाया जाता है इसलिये पृथ्वी को नीला ग्रह कहते हैं। महासागरों में ही 3.5 अरब वर्ष पहले जीवन आरंभ हुआ था। महासागरों का जल खारा होता है। जल को न तो बढ़ाया जा सकता है और न ही घटाया जा सकता है। इसका आयतन समान रहता है। जल का उपयोग पीने के लिये, सिचाई, उद्योग, विद्युत निर्माण आदि में किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती भोजन की मांग, फसलों के लिये बढ़ती मांग तथा बढ़ता नगरीकरण आदि कारक जल की अल्पता के कारण हैं।
7. जल उपलब्धता की समस्यायें (Problems of water availability):
विश्व में जल की अल्पता कई देशों में पाई जाती है। जैसे अफ्रीका, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिमी संयुक्त अमेरिका, उत्तर-पश्चिमी मैक्सिको, दक्षिण अमेरिका के कुछ भाग तथा संपूर्ण आस्ट्रेलिया।
8. जल संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Water Resources):
विश्व स्वच्छ और पर्याप्त जल की कमी का सामना कर रहा है। इस संसाधन को बचाने के उपाय करने चाहिये। यद्यपि जल एक नवीकरणीय संसाधन है और प्रदूषण ने इसे उपयोग के लिये अयोग्य कर दिया है। अनुपचारित अथवा अर्ध-उपचारित जल का नदियों में जाना, कृषि रसायनों का विसर्जन और औद्योगिक गंदे जल की निकासी जल के प्रमुख प्रदूषित कारक हैं। इस जल में नाइट्रेट धातु और कीटनाशक आदि मिले होते हैं। इनमें से कुछ रसायन नष्ट नहीं होने वाले होते हैं। जल प्रदूषण पर नियंत्रण इसे उपचारित करके जल को नदी में जाने देने से किया जा सकता है।
9. प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन (Natural Vegetation and Wildlife):
प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीव जैवमंडल में पाये जाते हैं जो स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के मध्य पाया जाता है। जैवमंडल में प्राणी एक दूसरे से संबंधित हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। इस जीवन प्रणाली को पारिस्थितिकी कहते हैं। वनस्पति और वन्य जीव बहुमूल्य संसाधन हैं। पौधों – से हमें लकड़ी प्राप्त होती है। जानवरों को आश्रय मिलता है तथा सांस लेने के लिये ऑक्सीजन मिलती है। वन्य प्राणियों में जानवर, पक्षी, कीड़े-मकोड़े आदि सम्मिलित हैं। जानवरों से दूध, ऊन, मांस, खाल आदि प्राप्त होते हैं।
10. प्राकृतिक वनस्पति का वितरण (Distribution of Natural Vegetation):
वनस्पति तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करती है। भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में अधिक वनस्पति पाई जाती है। वर्षा की मात्रा घटने पर वृक्षों की संख्या तथा आकार भी घटता जाता है। मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे आकार के वृक्ष तथा घास पाई जाती है। विश्व के अधिकांश कम वर्षा वाले क्षेत्रों में झाड़ियाँ उगती हैं। शीत क्षेत्रों में टुंड्रा प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सदाहरित वन तथा मानसून जलवायु वाले क्षेत्रों में पर्णपाती वन पाये जाते हैं। पर्णपाती वन विशेष समय पर अपनी पत्तियाँ गिराते हैं परंतु सदाहरित वन सदैव हरे-भरे बने रहते हैं।
11. प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीवन का संरक्षण (conservation of Natural Viegetation and Wildlife):
वन हमारी अमूल्य सम्पदा हैं। वन जानवरों के निवास स्थान हैं। दोनों मिलकर पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखते हैं। जलवायु में परिवर्तन और मानव का हस्तक्षेप इनके विनाश का कारण बन जाता है। बहुत से जानवरं लुप्त होने के कगार पर हैं। निर्वनीकरण, मृदा अपरदन, निर्माण कार्य, वन में लगी आग तथा भूस्खलन आदि वन संसाधन की समाप्ति के कारक हैं।
राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य तथा जैव आरक्षित क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीव के संरक्षण के लिये बनाये गये हैं। झील और आई भूमि का संरक्षण इस मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन को बचाने के लिये आवश्यक है। लोगों में जागरुकता जैसे सामाजिक वानिकी और वन महोत्सव को प्रादेशिक स्तर पर प्रोत्साहित करना चाहिये। छात्रों को भी प्रोत्साहित करना चाहिये।