Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 खनिज और शक्ति संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 खनिज और शक्ति संसाधन
HBSE 8th Class Geography खनिज और शक्ति संसाधन Textbook Questions and Answers
आओ कुछ करके सीखें
खनिज और शक्ति संसाधन कक्षा 8 HBSE प्रश्न 1.
विश्व के रूपरेखा मानचित्र में कनाडियन शील्ड, अप्लेशियन पर्वत, ग्रेट लेक तथा पश्चिमी कार्डीलेरा पर्वत श्रृंखला को मानचित्रावली की सहायता से चिह्नित कीजिए।
खनिज और शक्ति संसाधन प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 2.
किन्हीं पाँच खनिजों के उपयोग की सूची बनाइए।
उत्तर:
(i) लौह अयस्क: इसका उपयोग इस्पात तथा उपकरण बनाने में किया जाता है।
(ii) ताँबा: इसका उपयोग बर्तन, बिजली के उपकरण आदि में किया जाता है।
(ii) बॉक्साइड: इसका उपयोग एलुमिनियम बनाने में किया जाता है।
(iv) सोना: इससे आभूषण तैयार किये जाते है।
(v) अभ्रक: विद्युत उपकरणों में उपयोग किया जाता है।
अभ्यास
खनिज और शक्ति संसाधन HBSE 8th Class प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(i) प्रतिदिन आपके उपयोग में आने वाले तीन सामान्य खनिजों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रतिदिन उपयोग में आने वाले तीन सामान्य खनिज
1. लोहा
2. ताँबा
3. बॉक्साइट।
(ii) अयस्क क्या है ? धात्विक खनिजों के अयस्क सामान्यतः कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर:
शैल जिनसे खनिजों का खनन किया जाता है अयस्क कहे जाते हैं। धात्विक खनिज अयस्क आग्नेय और कार्यांतरित शैल समूह जिनसे पठारों का निर्माण होता में पाये जाते हैं।
(iii) प्राकृतिक गैस संसाधनों में संपन्न दो प्रदेशों के नाम बताइए।
उत्तर:
(क) उत्तरी यूरोप तथा
(ख) एशिया के अपतटीय प्रदेश।
(iv) निम्न के लिए आप ऊर्जा के किन स्रोतों का सुझाव देंगे –
(क) ग्रामीण क्षेत्रों (Rural areas),
(ख) तटीय क्षेत्रों (Coastal areas),
(ग) शुष्क प्रदेशों (Ardi regions)।
उत्तर:
(क) ग्रामीण क्षेत्रों के लिये जैव ऊर्जा
(ख) तटीय क्षेत्रों के लिये पवन ऊर्जा
(ग) शुष्क क्षेत्रों के लिये सौर ऊर्जा उपयुक्तं होगी
(v) पाँच तरीके दीजिये जिनसे कि आप घर पर ऊर्जा बचा सकते हैं।
उत्तर:
घर पर ऊर्जा की बचत करने के पाँच तरीके निम्नलिखित हैं:
1. आवश्यकता न होने पर उपकरणों को बंद रखना।
2. आवश्यकतानुसार कम से कम ऊर्जा का उपभोग करना।
3. खिड़कियों को खुला रखकर प्राकृतिक समीर का अधिकतम उपयोग जिसमें विद्युत पंखों का उपयोग न करके ऊर्जा बचाई जा सकती है।
4. सी. एफ. एस. बल्ब का उपयोग करके तथा उन्हें धूलरहित रख कर।
5. सभी विद्युत उपकरणों की समय पर देखभाल रखना और उचित उपयोग करना।
Mineral And Power Resources Map Work Class 8 HBSE प्रश्न 2.
सही उत्तर को चिह्नित कीजिए:
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी एक खनिजों की विशेषता नहीं है?
(क) वे प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं।
(ख) उनका एक निश्चित रासायनिक संघटन होता है।
(ग) वे असमाप्य होते हैं ।
(घ) उनका वितरण असमान होता है।
उत्तर:
(ग) वे असमाप्य होते हैं
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा अभ्रक का उत्पादक नहीं है ?
(क) झारखंड
(ख) राजस्थान
(ग) कर्नाटक
(घ) आंध्र प्रदेश
उत्तर:
(ग) कर्नाटक।
(iii) निम्नलिखित में से कौन विश्व में ताँबे का अग्रणी उत्पादक है?
(क) वोलीविया
(ख) चिली
(ग) घाना
(घ) जिम्बाब्वे
उत्तर:
(ख) चिली।
(iv) निम्नलिखित प्रक्रियाओं में से कौन-सी आपके रसोईघर में द्रवित पेट्रोलियम गैस (एल.पी.जी.) को संरक्षित नहीं करेगी
(क) पकाने से पहले दाल को कुछ समय के लिये भिगोना।
(ख) प्रेशर कुकर में खाना पकाना।
(ग) पकाने के लिये गैस जलाने से पूर्व सब्जी को काट लेना!
(घ) खुली कढ़ाई में कम ज्वाला पर भोजन पकाना।
उत्तर:
(घ) खुली कढ़ाई में कम ज्वाला पर भोजन पकाना।
खनिज और शक्ति संसाधन के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 3.
कारण बताइए
Give reasons:
(i) बड़े बाँधों के निर्माण के पूर्व पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए।
उत्तर:
बड़े बाँधों के निर्माण से पहले पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिये क्योंकि पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। बाँधों के निर्माण से प्रायः स्थानीय भूकंप, भू-स्खलन, निर्वनीकरण आदि होता है इसलिये पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाता है।
(ii) अधिकांश उद्योग कोयला खानों के पास केंद्रित होते
उत्तर: अधिकांश उद्योगों को चलाने के लिये शक्ति के खनिज ईंधन है जिसके परिवहन में अधिक समय तथा अधिक खर्च लगता है। इसलिए इस प्रकार के उद्योग कोयला खानों के समीप ही स्थापित होते हैं।
(iii) पेट्रोलियम को ‘काला सोना’ कहा जाता है।
उत्तर:
पेट्रोलियम को काला सोना कहा जाता है क्योंकि पेट्रोलियम और इससे बने उत्पादों जैसे डीजल, पैट्रोल मिट्टी का तेल, मोम, प्लास्टिक और स्नेरक आदि की भारी मांग है तथा ये बहुत मूल्यवान हैं।
(iv) आखनन पर्यावरणीय चिंता का विषय हो सकता
उत्तर:
आखनन पर्यावरणीय चिंता का विषय हो सकता है । क्योंकि आखनन खुले गर्त वाली खानों में किया जाता है। इससे भूमि प्रदूषण होता है। धूल पर्यावरण को प्रदूषित करती है तथा वनस्पति आवरण को क्षति पहुंचती है। इसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाता है।
Minerals And Power Resources Class 8 Extra Questions And Answers HBSE प्रश्न 4.
निम्नलिखित अंतर स्पष्ट कीजिए:
(i) परंपरागत और गैर-परंपरागत ऊर्जा के स्रोत
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत साधन (Conventional sources of energy) | ऊर्जा के गैर-परंपरागत साधन (Non-conventional sources of energy) |
1. कर्जा के परंपरागत साधन हैं: कोयला, खनिज तेल प्राकृतिक गैस, जल शक्ति और अणु शक्ति। | 1. पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा आदि। |
2. ये साधन समाप्य साधन हैं। इनका प्रयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है। | 2. ये असमाप्य साधन हैं। इनका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है। |
3 इनका प्रयोग आदिकाल से हो रहा है। | 3. इनका प्रयोग हाल के समय में ही शुरू हुआ है। |
4. इनसे प्रदूषण होता है। | 4. ये प्रदूषणमुक्त साधन हैं। |
(ii) बायो गैस और प्राकृतिक गैस
उत्तर:
बायो गैस (Bio gas) | प्राकृतिक गैस (Natural Gas) |
1. यह कार्यनिक अपशिष्ट जैसे मृत पौधे और जंतुओं के अवशेष, पशुओं का गोबर आदि से तैयार की जाती है। | 1. प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम के साथ पाई जाती है। तेल निकालने पर यह उससे अलग होती है। |
2. यह खाना पकाने तथा विद्युत उत्पादन का घरेलू ऊर्जा सोत | 2 इसका प्रयोग घरेलू और वाणिज्यिक ईधनों के रूप में किया जाता है। |
3. इससे प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में जैव खाद का उत्पादन होता है। | 3. यह समाप्य संसाधन है। |
(iii) लौह और अलौह खनिज
उत्तर:
लौह खनिज (Ferrous Minerals) | अलौह खनिज (Non- Ferrous Minerals) |
1. जिन धात्विक खनिज पदार्थों में लौह अंश पाया जाता है उन्हें लौह खनिज के नाम से जाना जाता है। जैसे-लौह अयस्क। | 1. जिन धात्विक खनिजों में लौह अंश नहीं होता उन्हें अलौह खनिज के नाम से जाना जाता है। जैसे सोना, चाँदी आदि। |
2. भारत में लौह खनिजों के विशाल भंडार हैं। | 2 भारत में अलौह खनिज के भंडार सीमित हैं। |
3. ये भूरे रंग के होते हैं। | 3. ये भिन्न रंग के होते हैं। |
4. रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं। | 4. ये प्रत्येक प्रकार की चट्टानों में पाये जाते हैं। |
5. इनका उपयोग इस्पात उद्योग में होता है। | 5. इनका प्रयोग विभिन्न कामों में होता है। |
(iv) धात्विक और अधात्विक खनिज
उत्तर:
धात्विक खनिज (Metalled Minerals) | अधात्विक खनिज (Non-Metalled Minerals) |
1. ये वे खनिज हैं जिनसे हमें धातुएँ प्राप्त होती हैं। जैसे लोह अयस्क, बाक्साइट आदि। | 1. इन खनिजों से धातुएँ से नहीं प्राप्त होतीं। जैसे चूना पत्थर, अभ्रक आदि। |
2. इनमें चमक होती है। | 2. इनमें चमक नहीं होती। |
3. इनको पीट पर पतली चादरों का रूप दिया जा सकता है। | 3. ये पीटने से टूट जाते हैं और इनके तार नहीं खीचे जा सकते। |
4. सोना, लोहा, चाँदी इसके उदाहरण हैं। | 4. संगमरमर, कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक इसके उदाहरण हैं। |
5. ये खनिज आग्नेय और कार्यांतरित शैलों से प्राप्त होते हैं। | 5. ये खनिज हमें अवसादी शैलों से प्राप्त होते है। |
प्रश्न 5.
क्रियाकलाप
(i) हमारे जीवन में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ईंधनों को प्रदर्शित करने के लिए पुरानी पत्रिकाओं से चित्रों का प्रयोग करें और उन्हें अपने सूचनापट्ट पर प्रदर्शित करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ii) ऊर्जा संरक्षण की युक्तियाँ जिन्हें आप अपने विद्यालय में अपनाएंगे पर प्रकाश डालते हुए एक चार्ट बनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
(iii) सलमा की कक्षा ने विद्युत उपभोग सर्वेक्षण के द्वारा अपने विद्यालय का ऊर्जा लेखा परीक्षण करने के लिए एक कार्य अभियान चलाया। उन्होंने विद्यालय के छात्रों के लिए सर्वेक्षण पत्रक तैयार किए।
विद्युत लेखा
उपकरण (यदि है) | मात्रा (प्रयुक्त हो रही संख्या) | उपयोग समय (कार्य घंटों की अनुमानित संख्या) | मात्रा (वास्तविक आवश्यक संख्या) | क्या उपयोग न किए जाने पर भी रहते हैं (हाँ या नहीं) |
1. प्रतिदीप्ति नलिका 40 वॉट | ||||
2. तापदीप्त बल्ब 40 वॉट/60 वॉट | ||||
3. सह-प्रभाव प्रतिदीप्ति लैंप (सी.एफ.एल.) | ||||
4. पंखें | ||||
5. निर्वात पंखे | ||||
6. विद्युत घंटी/गुंजक | ||||
7. दूरदर्शन | ||||
8. कम्प्यूटर | ||||
9. वातानुकूलक | ||||
10. रेफ्रिजरेटर | ||||
11. बंदचूल्हा/गरम रखने का डिब्बा | ||||
12. ध्वनि प्रवर्धक यंत्रावली | ||||
13. जल पंप/ जलीय शीतल यंत्र | ||||
14. अधि-ऊर्धव प्रक्षेपित्र | ||||
15. फोटोस्टेट मशीन | ||||
16. अन्य |
सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों का प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों ने एक माह में उपभोग की गई इकाइयों एवं अनुमानित व्यय की गणना की और पिछले माह के विद्युत बिल से इसकी तुलना की। उन्होंने पंखों, बत्तियों और बंद न किए गए अन्य उपकरणों द्वारा उपभोग की गई विद्युत के अनुमानित मूल्य की भी गणना की। इस प्रकार, उन्होंने उस यात्रा पर प्रकाश डाला जो बचाई जा सकती थी औश्र ऊर्जा संरक्षण के लिए सामान्य आवतों के सुझाव दिए, जैसे –
- आवश्यकता न होने पर उपकरणों को बंद कर देना।
- आवश्यकतानुसार न्यूनतम उपयोग।
- खिड़कियों को खुली रखकर प्राकृतिक हवा और प्रकाश का अधिकतम उपयोग करना।
- बत्तियों को धूलरहित रखना। दिए गए निर्देशों के अनुसार उपकरणों की उचित देखभाल और उपयोग करना। क्या आप इस सूची में कुछ और युक्तियाँ जोड़ सकते हैं?
आप घर पर इसी प्रकार का सर्वेक्षण कर सकते हैं और तब इसका विस्तार अपने पड़ोस तक कर सकते हैं और अपने पड़ोसियों को भी ऊर्जा के प्रति जागरूक कर सकते हैं।
उत्तरी:
विद्यार्थी स्वयं करें।
विद्युत लेखा
उपकरण (यदि है) | मात्रा (प्रयुक्त हो रही संख्या) | उपयोग समय (कार्य घंटों की अनुमानित संख्या) | मात्रा (वास्तविक आवश्यक संख्या) | क्या उपयोग न किए जाने पर भी रहते हैं (हाँ या नहीं) |
1. प्रतिदीप्ति नलिका 40 वॉट | 5 | 8 | 5 | नहीं |
2. तापदीप्त बल्ब 40 वॉट/60 वॉट | 5 | 4 | 5 | नहीं |
3. सह-प्रभाव प्रतिदीप्ति लैंप (सी.एफ.एल.) | – | – | – | नहीं |
4. पंखें | 4 | 4 | 4 | नहीं |
5. निर्वात पंखे | 1 | 1 | 1 | नहीं |
6. विद्युत घंटी/गुंजक | 1 | 1 | 1 | नहीं |
7. दूरदर्शन | 1 | 2 | 1 | नहीं |
8. कम्प्यूटर | 1 | 1 | 1 | नहीं |
9. वातानुकूलक | 1 | 1 | 1 | नहीं |
10. रेफ्रिजरेटर | 1 | 8 | 1 | नहीं |
11. बंदचूल्हा/गरम रखने का डिब्बा | – | – | – | नहीं |
12. ध्वनि प्रवर्धक यंत्रावली | – | – | – | नहीं |
13. जल पंप/ जलीय शीतल यंत्र | 1 | 2 | 1 | नहीं |
14. अधि-ऊर्धव प्रक्षेपित्र | – | – | – | – |
15. फोटोस्टेट मशीन | – | – | – | – |
16. अन्य | – | – | – | – |
HBSE 8th Class Geography खनिज और शक्ति संसाधन Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
खनिज किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक या एक से अधिक तत्वों वाले अजैव प्राकृतिक पदार्थ को खनिज कहते हैं। इनका निश्चित रासायनिक संगठन होता है।
प्रश्न 2.
भारत के तीन प्रसिद्ध अभ्रक उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:
अभ्रक उत्पादक राज्य हैं:
1. झारखंड
2. बिहार
3. आंध्र प्रदेश
प्रश्न 3.
वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के वाणिज्यिक स्रोत हैं- कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जल, विद्युत और परमाणु ऊर्जा।
प्रश्न 4.
परंपरागत ऊर्जा के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं: कोयला, खनिज, तेल. प्राकृतिक गैस तथा जल विद्युत।
प्रश्न 5.
कोयला, खनिज, तेल तथा प्राकृतिक गैस को जीवाश्म ईंधन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
कोयला. खनिज, तेल और प्राकृतिक गैस का निर्माण महीन कणों वाली अवसादी चट्टानों से हुआ है। लाखों वर्षों तक जमीन में दबे पत्थर जैसे बने अपघटित समुद्री जीव, सूक्ष्म पौधे और जीव-जंतुओं को जीवाश्म कहते हैं। ऊपर बिछी हुई चट्टानों के दबाव से तेल और प्राकृतिक गैस स्रोत चट्टानों से रिसकर एकत्र हो गये थे। इसलिये इनको जीवाश्म ईधन कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अंतर पर पष्ट करो।
उत्तर:
धात्विक खनिज (Metalled Minerals) | अधात्विक खनिज (Non-Metalled Minerals) |
1. ये वे खनिज हैं जिनसे हमें धातुएँ प्राप्त होती हैं। | 1. इन खनिजों से धातुएँ से नहीं प्राप्त होती। |
2 इनमें चमक होती है। | 2. इनमें चमक नहीं होती। |
3. इनको पीट कर पतली चादरों का रूप दिया जा सकता है। | 3. ये पीटने से टूट जाते हैं और इनके तार नहीं खीचे जा सकते। |
4. सोना, लोहा, चाँदी इसके उदाहरण हैं। | 4. संगमरमर, कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक इसके उदाहरण हैं। |
5. ये खनिज आग्नेय और कार्यातरित शैलों से प्राप्त होते हैं। | 5. ये खनिज हमें अवसादी शैलों से प्राप्त होते है। |
प्रश्न 2.
शैल और अयस्क में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
शैल (Rocks) | अयस्क (Ores) |
1. वे ठोस पदार्थ जिनसे भूपपर्टी का निर्माण हुआ है, उन्हें शैल कहते हैं। शैल तीन प्रकार के होते हैं-आग्नेय, कार्यातरित तथा अवसादी। | 1. जब किसी चट्टान के अंदर किसी खनिज विशेष का उच्च अनपात पाया जाता है तो उसे उस खनिज का अयस्क कहते |
2 चट्टान एक या अनेक खनिजों का मिश्रण है। | 2. प्रत्येक खनिज अयस्क अशुद्ध धातुओं तथा अन्य खनिजों से मिश्रित रहता है, अतः शुद्ध करना पड़ता है। |
प्रश्न 3.
ऊर्जा के परंपरागत तथा गैर-परंपरागत साधनों में अंतर बताओ।
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत साधन (Conventional sources of energy) | ऊर्जा के गैर-परंपरागत साधन (Non-conventional sources of energy) |
1. ऊर्जा के परंपरागत साधन है: कोयला,खनिज, तेल प्राकृतिक गैस, जल शक्ति और अणु शक्ति। | 1. पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा आदि। |
2. ये साधन समाप्य साधन हैं। इनका प्रयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है। | 2. ये असमाप्य साधन हैं। इनका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है। |
3. इनका प्रयोग आदिकाल से हो रहा है। | 3. इनका प्रयोग हाल के समय में ही शुरू हुआ है। |
4. इनसे प्रदूषण होता है। | 4. ये प्रदूषणमुक्त साधन हैं। |
प्रश्न 4.
लौह खनिज और अलौह खनिज में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर:
लौह खनिज (Ferrous Minerals) | अलौह खनिज (Non- Ferrous Minerals) |
1. जिन धात्विक खनिज पदार्थों में लौह अंश पाया जाता है उन्हें लौह खनिज के नाम से जाना जाता है। जैसे-लौह अयस्क। | 1. जिन धात्विक खनिजों में लौह अंश नहीं होता उन्हें अलौह खनिज के नाम से जाना जाता है। |
2 भारत में लौह खनिजों के विशाल भंडार हैं। | 2 भारत में अलौह खनिज के भंडार सीमित हैं। |
3. ये भूरे रंग के होते हैं। | 3. ये भिन्न रंग के होते हैं। |
4. रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं। | 4. ये प्रत्येक प्रकार की चट्टानों में पाये जाते हैं। |
5. इनका उपयोग इस्पात उद्योग में होता है। | 5. इनका प्रयोग विभिन्न कामों में होता है। |
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोयले और खनिज तेल के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:
कोयले के कुल भंडारों का एक-तिहाई भाग रूस में और लगभग चौथाई भाग संयुक्त राज्य अमेरिका में पाया जाता है। विश्व में कोयले के अग्रणी उत्पादक चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, दक्षिण अफ्रीका और फ्रांस हैं। इसके अतिरिक्त कोयले का उत्पादन भारत में रानीगंज (पश्चिम बंगाल), झरिया, धनबाद और बोकारो (झारखंड) में होता है।
खनिज तेल (Mineral oil):
खनिज तेल के दो तिहाई मंडार फारस की खाड़ी और उसके आस-पास के क्षेत्र में हैं। इनमें इराक, ईरान, सउदी अरब और कतर प्रमुख हैं। अन्य प्रमुख उत्पादक है-रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, वेनेजुएला और अल्जीरिया। भारत में डिगबोई (असम), बंबई हाई तथा कृष्णा और गोदावरी डेल्टा प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है ?
उत्तर:
यह सत्य है कि भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल हैं क्योंकिः
1. भारत उष्णकटिबंध में आता है इसलिए इन क्षेत्रों में धूप पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होती है जो सौर ऊर्जा का आवश्यक तत्व है।
2. भारत ने सौर ऊर्जा की तकनीक का विकास कर लिया है। सौर ऊर्जा खाना पकाने, पानी गर्म करने तथा अन्य कार्यों में प्रयोग की जाने लगी है।
3. सौर ऊर्जा एक सार्वभौमिक तथा आपूर्ति संसाधन है।
प्रश्न 3.
लोहा, ताँबा और बॉक्साइट के विश्व वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
लोहा (Iron):
लोहा अपने महत्त्व के कारण आधुनिक सभ्यता का प्रतीक बन गया है। संसार में लोहा मुख्य रूप से यूक्रेन, कजाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया और भारत में पाया जाता है। यूरोप में सर्वोत्तम कोटि का लोहा स्वीडन में पाया जाता है। फ्रांस तथा जर्मनी में भी लौह अयस्क पाया जाता है। अफ्रीका में लाइबेरिया और दक्षिण अफ्रीका में भी लौह निक्षेप हैं। भारत में झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, कर्नाटक प्रमुख राज्य हैं।
ताँबा (Copper): चिली, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, पोलैंड, रूस, जार्जिया, कांगो और जाबिया में ताँबा पाया जाता है। भारत में थोड़ी मात्रा में ताँबा राजस्थान की खेतड़ी खानों में पाया जाता है।
बॉक्साइट (Bauxite): आस्ट्रेलिया, गिनी, जमैका और ब्राजील संसार के प्रमुख बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र हैं।
खनिज और शक्ति संसाधन Class 8 HBSE Definitions in Hindi
1. अलौह धातुयें (Non-Ferrous Metals): जिनमें लोहे का अंश नहीं होता। सोना, चाँदी, सीसा, जस्ता आदि अलौह धातुएँ कही जाती हैं।
2. धात्विक खनिज (Metallic Minerals): जिन खनिजों में धातु पाई जाती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं। जैसे लौह अयस्क, निकेल, तांबा आदि।
3. अयस्क (Ore): शैल जिनसे खजिनों का खनन किया जाता है।
4. खनिकूप अथवा शैफ्ट माइन (Shah Mines): भूपर्पटी में गहरा छेद करके खनिज निकाला जाता है जिसे खनि कूष कहते हैं।
5. शैल (Rock): एक या एक से अधिक अवस्क जो अनिश्चित यौगिक के होते हैं शैल कहलाते हैं।
6. काला सोना (Black Gold): पेट्रोलियम की बड़ती उपयोगिता तथा महत्त्व के कारण इसे काला सोना कहा जाता है।
खनिज और शक्ति संसाधन Class 8 HBSE Notes in Hindi
1. खनिज (Minerals): प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पदार्थ जिसका निश्चित रासायनिक संघटन को खनिज कहते हैं। खनिजों का निर्माण विभिन्न दशाओं में विभिन्न भू-गर्भीय पर्यावरण में होता है। खनिजों की पहचान उनके भौतिक गुण जैसे रंग, घनत्व, कठोरता और रासायनिक गुणों के आधार पर की जाती है।
2. खनिजों के प्रकार (Types of Minerals): संरचना के आधार, पर खनिज दो प्रकार के वर्गीकृत किये जाते हैं-धात्विक खनिज तथा अधात्विक खनिज। धात्विक खनिज को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-लौह खनिज और अलौह खनिज। लौह खनिज हैं-लोहा, कोबाल्ट और मैंगनीज आदि। अलौह खनिज हैं-ताँबा, सोना, चाँदी, टिन, सीसा तथा बॉक्साइट।
अधात्विक खनिजों में धातु नहीं होती। चूना पत्थर, सल्फर, पोटाश, अभ्रक और जिप्सम अधात्विक खनिज हैं। जैविक ईंधन जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम भी अधात्विक खनिज हैं।
खनिजों को खनन, बेधन और आखनन द्वारा निकाला जाता है। खनन तीन प्रकार के होते हैं। जब खनिजों को कम गहराई से निकाला जाता है तो इसे खुली गर्त वाली खान या विवृत खनन कहते हैं। यदि खनिजों को गहरी खानों से निकाला जाता है तो उन्हें खनिकूप खान कहते हैं। यदि खनिजों को अधिक गहराई से निकाला जाता है तो उसे प्रवेधन कहते हैं।
3. खनिजों का वितरण (Distribution of Minerals):
खनिज अधिकतर आग्नेय तथा कायांतरित शैलों में पाये जाते हैं। कुछ ही खनिज अवसादी चट्टानों में पाये जाते हैं। लौह अयस्क उत्तरी स्वीडन, ताँबा तथा निकेल ओन्टौरियो, लौह, निकेल, क्रोमाइट, प्लेटिनम दक्षिण अफ्रीका में आग्नेय और कायांतरित चट्टानों में पाये जाते हैं। अवसादी चट्टानों में अधात्विक खनिज जैसे चूना पत्थर पाया जाता है। यह फ्रांस के काकेशस प्रदेश में मैगनीज, जार्जिया और यूक्रेन में मैंगनीज तथा फासफेट नाइजीरिया में पाया जाता हैं। खनिज ईंधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम भी अवसादी शैलों में पाये जाते हैं।
(i) एशिया (Asia): एशिया में चीन और भारत में सबसे अधिक लौह अयस्क के भंडार हैं। चीन, मलेशिया और इंडोनेशिया, में टिन के सबसे अधिक भंडार हैं। चीन में सीसा, एन्टीमनी और टंगस्टन भी पाया जाता है। एशिया में मैंगनीज, बॉक्साइट निकेल, जिंक तथा ताँबे के भंडार हैं।
(ii) यूरोप (Europe) यूरोप लौह अयस्क के उत्पादन में सबसे अग्रणी है। लौह खनिज रूस, यूक्रेन, स्वीडन और फ्रांस में पाया जाता है। ताँबा, सीसा, जिंक, मैंगनीज और निकेल पूर्वी यूरोप और यूरोपीय रूस में पाये जाते हैं।
(iii) उत्तर अमेरिका (North America): उत्तर अमेरिका में खनिज तीन क्षेत्रों में पाये जाते हैं- कनाडियन शील्ड प्रदेश, अप्लेशियन प्रदेश तथा पश्चिम के पर्वतीय प्रदेश। कनाडियन शील्ड में लौह अयस्क, निकेल, सोना, यूरेनियम और तांबा पाये जाते हैं। कोयला अप्लेशियन प्रदेश में पाया जाता है। पश्चिमी कार्डीलेरा में ताँबा, सीसा, जिंक, सोना और चाँदी के विशाल निक्षेप हैं।
(iv) दक्षिण अमेरिका (South America): ब्राजील विश्व में उच्च श्रेणी के लोहे का सबसे बड़ा उत्पादक है। चिली और पेरू ताँबे में अग्रणी हैं। ब्राजील और बोलीविया टिन के सबसे बड़े उत्पादक हैं। दक्षिण अमेरिका में सोना, चाँदी, जिंक, क्रोमियम, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक, प्लेटिनम, एसबेस्टस और हीरे के विशाल भंडार हैं। खनिज तेल, वनेजुएला, अजेटीना, चिली, पिरू और कोलम्बिया में पाया जाता है।
(v) अफ्रीका (Africa): अफ्रीका भी खनिज संसाधनों में धनी है। यह विश्व का सबसे बड़ा हीरा, सोना और प्लेटिनम का उत्पादक है। दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाम्बे और जायरे विश्व के सोने का एक बड़ा उत्पादित करते हैं। अन्य खनिज जो अफ्रीका में पाये जाते हैं वे हैं-ताँबा, लौह अयस्क, क्रोमियम. यूरेनियम, कोबाल्ट और बॉक्साइट तेल नाइजीरिया, लीबिया और अंगोला में पाया जाता है।
(vi) आस्ट्रेलिया (Australia): आस्ट्रेलिया विश्व में बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह सोना, हीरा, लौह अयस्क और निकेल का अग्रणी उत्पादक है। यह ताँबा, सौसा, जिंक और मैंगनौज में भी धनी है। कालगूी और कूलगार्डी में सोने के सबसे बड़े भंडार हैं।
(vii) अंटार्कटिका (Antarctica): अंटार्कटिका में कोयले के बड़े भंडारों का अनुमान किया गया है। प्रिंस चार्ल्स पर्वत के समीप लौह अयस्क भंडार का अनुमान है। यहाँ लौह अयस्क, सोना, चाँदी तथा तेल भी विद्यमान है।
4. भारत में खनिजों का वितरण (Distribution of Minerals in India):
(i) लोहा (Iron): भारत में उच्च श्रेणी का लोहा पाया जाता है। यह झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गोआ, महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रमुख रूप से पाया जाता है।
(ii) बॉक्साइट (Bauxite): प्रमुख बॉक्साइट उत्पादक झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु है।
(iii) अभ्रक (Mica): अभ्रक के भंडार प्रमुख रूप से झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में हैं। भारत विश्व में अप्रक का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
(iv) ताँबा (Copper): यह राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाया जाता है।
(v) मैंगनीज (Manganese): भारत के मैंगनीज भंडार महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में हैं।
(vi) सोना (Gold): भारत में सोना कर्नाटक में कोलार की खानों में पाया जाता है।
(vii) चूना पत्थर (Limestone): प्रमुख उत्पादक राज्य है-बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु।
(viii) नमक (Salt): यह झील और समुद्र तथा चट्टानों से भी प्राप्त किया जाता है। भारत नमक का सबसे बड़ा उत्पादक तथा निर्यातक है।
5. खनिजों का उपयोग (Uses of Minerals): खनिजों का उपयोग बहुत से उद्योगों में किया जाता है। इनका उपयोग ज्वैलरी और आभूषण में किया जाता है। धातुओं जैसे ताँबे के सिक्के बनाये जाते हैं। बॉक्साइट से एलुमिनियम बनाया जाता है।
6. खनिजों का संरक्षण (Conservation of Minerals): खनिज अनवीकरणीय संसाधन हैं इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है। इनका दुरुपयोग रोकना चाहिये। पुनश्चक्रण एक विधि है जिससे खनिजों का संरक्षण किया जा सकता है।
7. शक्ति संसाधन (Power Resources): जीवन में ऊर्जा का बड़ा महत्त्व है। ऊर्जा की आवश्यकता उद्योग, कृषि, परिवहन, संचार और रक्षा आदि में होती है। ऊर्जा अथवा शक्ति संसाधनों को दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-परंपरागत और गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधन।
(i) परंपरागत साधन (Comentional Sources): लकड़ी और जीवाश्म ईधन दो परंपरागत साधन हैं।
→ कोयला (Coal): कोयला सबसे अधिक पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। यह घरेलू ईंधन के रूप में भी प्रयोग किया
→ जाता है। यह उद्योग जैसे लोहा-इस्पात उद्योग तथा विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।
→ कोयले के प्रमुख उत्पादक चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, दक्षिण अफ्रीका और फ्रांस हैं। भारत में कोयला उत्पादक प्रमुख क्षेत्र रानीगंज, झरिया, धनबाद और बोकारो (झारखंड) हैं।
→ पेट्रोलियम (Petroleum): प्रमुख तेल उत्पादक देश हैं-ईरान, इराक, सउदी अरब और कतार। अन्य देश हैं संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, वेनेजुएला और अल्जीरिया। भारत में डिगबोई (असम), बोम्बे हाई (मुंबई) तथा कृष्णा और गोदावरी नदियों के डेल्टाई भाग प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
→ प्राकृतिक गैस (Natural Gas): रूस, नावे, यू. के. तथा नीदरलैंड प्रमुख उत्पादक हैं।
→ भारत में जैसलमेर, कृष्णा-गोदावरी, डेल्टा, त्रिपुरा तथा कुछ अपतट भाग मुंबई में हैं।
(ii) गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधन (Non-Conventional Sources of Energy):
गैर-परंपरागत संसाधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि सम्मिलित हैं।
→ सौर ऊर्जा (Solar Energer): इस तकनीक के अंतर्गत सूर्य से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। यह उष्ण कटिबन्धीय देशों में अधिक प्रयोग में आती है। इसका उपयोग सौर तापक. सौर कुकर, सोलर ड्रायर आदि में किया जाता है।
→ पवन ऊर्जा (Wind Energy): पवन ऊर्जा भी एक असमाप्य संसाधन है। पवन चक्कियों में इस ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। पवन फार्म नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, यू. के. स. रा. अमेरिका में पाये जाते हैं।
→ ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy): ज्वारभाटे से जो ऊर्जा प्राप्त की जाती है, उसे ज्वारीय ऊर्जा कहते हैं। रूस, फ्रांस तथा भारत में कच्छ की खाड़ी से इस प्रकार की ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
→ जल विद्युत (THydel Power): जल शक्ति नदी पर बाँध बना कर तथा ऊँचाई से पानी गिराकर उत्पन्न की जाती है। विश्व की एक-चौथाई विद्युत जल से ही तैयार की जाती है। विश्व में प्रमुख उत्पादक देश हैं-पराग्वे, नावे. बाजील और चीन। भारत में कुछ महत्त्वपूर्ण स्टेशन हैं-भाखड़ा नांगल, गाँधीसागर, नार्गाजुन सागर और दामोदर घाटी परियोजना।
→ परमाणु ऊर्जा (Atomic Power): यह ऊर्जा अणु के विस्फोट से प्राप्त की जाती है। इसके लिये खनिज यूरेनियम और थोरियम उपयोग में आते हैं। परमाणु ऊर्जा के सबसे बड़े उत्पादक संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप हैं। भारत में राजस्थान तथा झारखंड में यूरेनियम के सबसे अधिक भंडार हैं। भारत में परमाणु ऊर्जा केन्द्र तमिलनाडु में कल्पक्कम, महाराष्ट्र में तारापुर, राजस्थान में कोटा के समीप, उत्तर प्रदेश राणा प्रताप सागर और कर्नाटक में कैगा में हैं।
→ भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy): यह ऊर्जा भूमि से प्राप्त की जाती है जिसे भूतापीय ऊर्जा कहते हैं। संयक्त राज्य अमेरिका सबसे अधिक भू-तापीय ऊर्जा उत्पादक देश है। इसके बाद न्यूजीलैंड, आइसलैंड, फिलीपाइन तथा मध्य अमेरिका हैं। भारत में यह मनीकरन तथा लद्दाख में पूंगा घाटी है।
→ बायोगैस (Biogas): यह जैविक पदार्थों और कचरा से प्राप्त की जाती है। इसमें जानवरों का गोबर तथा कूड़ा-कचरा . प्रयुक्त होता है। यह एक प्रदूषण मुक्त घरेलू ईधन है।