Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आरंभिक नगर Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आरंभिक नगर
HBSE 6th Class History आरंभिक नगर Textbook Questions and Answers
कल्पना करो:
तुम अपने माता-पिता के साथ 4000 साल पहले लोथल से मोहनजोदड़ों की यात्रा कर रहे हो। यह बताओ कि तुम यात्रा कैसे करोगे, तुम्हारे माता-पिता यात्रा के लिए अपने साथ क्या-क्या ले जाएँगे? और मोहनजोदड़ों में तुम क्या देखोगे?
उत्तर:
लोथल से मोहनजोदड़ों की यात्रा:
लोथल के बंदरगाह से हम एक नाव/जलपोत में बैठेंगे और अरब सागर के रास्ते सोत्वाकोह पहुंचेंगे। यहाँ पर हमारा जलपोत एक घंटा रुकेगा और हम भोजन आदि से निवृत्त होंगे। इसके पश्चात हम चहुँदड़ों के लिए सिन्धु नदी के रास्ते नाव पर जाएंगे और अंतत: मोहनजोदड़ों पहुँचकर विश्राम करेंगे।
यात्रा में साथ ले जाने योग्य सामान:
लोथल में यज्ञ-मण्डप हैं और देवी-देवताओं की पत्थर की मूर्तियाँ यहाँ बहुत सुन्दर हैं। काले रंग से चित्रित लाल मिट्टी के बर्तन, माला के मनके ताँबे के औजार और पत्थर की लंबी धारदार पत्तियाँ, पट्टियाँ आदि सामान को हम लोथल से खरीद कर ले जाएंगे।
मोहनजोदड़ों की वर्शनीय चीजें:
मैं मोहनजोदड़ों में अपने माता-पिता के साथ पहुँच कर पूरे सात दिन वहाँ की सुन्दर चीजों को मैं देखना चाहूँगा। यहाँ का महान स्नानगार देखने लायक हैं। यहाँ के भवन, गली और सड़के बहुत सुंदर है। नालियाँ ढकी हुई हैं और जगह-जगह पर जल की रुकावट को दूर करने के लिए मेन-होल बने हुए हैं। यहाँ माला के बहुमूल्य पत्थरों के मनके और सोने-चांदी के आभूषण भी बहुत सुन्दर हैं। मेरी माताजी ने यहाँ से अपने सभी जेवर खरीदे है। अपने सहपाठियों को दिखाने के लिए मैं यहाँ मोहरे भी खरीद कर ला रहा
आओ याद करें:
आरंभिक नगर प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 1.
पुरातत्वविदों को कैसे ज्ञात हुआ कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान कपड़े का उपयोग होता था?
उत्तर:
(i) उन्होंने एक प्रस्तर मूर्ति को कड़ाईदार वस्त्र के पहरावे में तराशा हुआ देखा।
(ii) उन्हें इस बात के प्रमाण मिले कि आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व मेहरगढ़ (पाकिस्तान) में कपास का उत्पादन होता था।
(iii) उन्हें कातने में प्रयुक्त तकली, तकुए, अटेरन आदि जैसे उपकरणों के अवशेष भी मिले।
(iv) चाँदी के एक कलश के ढक्कन से लिपटे हुए कपड़े के टुकड़े दिखाई दिए।
उक्त आधारों पर ही उन्होंने यह निष्कर्ष लिया कि हड़प्पा सभ्यता में वेश-भूषा का प्रचलन था। लोग वस्त्र धारण करना सीख चुके थे।
Bhojan Sangrah Se Utpadan Tak HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 2.
निम्नलिखित का सुमेल कीजिए:
(i) तांबा – (अ) गुजरात
(ii) सोना – (ब) अफगानिस्तान
(ii) टिन – (स) राजस्थान
(iv) बहुमूल्य पत्थर – (द) कर्नाटक
उत्तर:
(i) – (स)
(ii) – (द)
(iii) – (ब)
(iv) – (अ).
HBSE 6th Class Social Science आरंभिक नगर प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
हड़प्पा के लोगों के लिए धातुएँ, लेखन, पहिया और हल क्यों महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर:
(क) धातुओं का उपयोग: हड़प्पा के लोग अपने औजार, हथियार, आभूषण और भाँडे-बर्तन बनाने में ताँबे और काँसे का प्रयोग करते थे। चाँदी, लाल पत्थर, रत्न और सोने से वे माला, कर्णफूल, चूड़ियाँ और छोटी-छोटी उपयोग की वस्तुएं बनाते
(ख) लिखना: हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो, लोथल, मेहरगढ़, चहुंदडों, कालीबंगन, गणवेरीवाला, ढोलबीरा, सुरकोटड़ा, सोतकाकोह आदि में पाइ गई मोहरों, मुद्रांकन आदि के अवशेष दर्शाते हैं कि लिखने का कार्य हड़प्पा सभ्यता वालों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण था। चीजों के ऊपर उनकी शुद्धता के प्रमाणन हेतु मोहर लगाई जाती थी और पैक करने के बाद उसके ऊपर ताजी लाल मिट्टी रखकर मुद्रांकन किया जाता था। कई तरह की मोहरें इस काल में बनाई गई।
(ग) चक्र का उपयोग: इस नगर सभ्यता की बुनियाद ही चक्र के अविष्कार पश्चात् पड़ी। हाथगाड़ियाँ, बैलगाड़ियाँ आदि बनाने में इसका उपयोग किया गया। तकली से लेकर भवनों की गोलाकार मेहराब्वें चक्र ज्ञान पर ही आधारित थी।
(घ) हल: हड़प्पा सभ्यता वस्तुतः कृषि सभ्यता थी। इसमें कृषक वर्ग को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था। गेहूँ, जौ, कई दालें, मटर, चावल, तिल, अलसी और सरसों जैसी खाद्यान्न, तिलहन
और दलहन की फसलें उगाई जाती थीं। कपास की खेती भी इस काल में प्रारंभ हो गई थी क्योंकि मनुष्य वस्त्र विनिर्माण सीख चुका था। इन सभी कार्यों के लिए हल की प्रमुख भूमिका थी।
आओ चर्चा करें:
प्रश्न 4.
इस अध्याय में पक्की मिट्टी (टेराकोटा) से बने सभी खिलौनों की सूची बनाओ। इनमें से कौन-से खिलौने बच्चों को ज्यादा पसंद आए होंगे? .
उत्तर:
1. रीछ
2. मैंस
3. बैल
4. सूअर
5. गुड़िया
6. याक
7. बैलगाड़ी।
इनमें बच्चों ने सर्वाधिक गुड़िया को पसंद किया होगा। वह नृत्य मुद्रा में दिखाई गई है तथा उसके वस्त्रों को भी विशेष आलेखनों से अलंकृत किया गया है। उसके सिर पर घड़े जैसी कोई चीज है। संभवतः टोपी हो इस आकार की हो।
प्रश्न 5.
हड़प्पा के लोगों की भोजन सामग्री की सूची बनाओ। आज इनमें से तुम क्या-क्या खाते हो? निशान लगाकर बताओ।
उत्तर:
हड़प्यावासियों के खाद्य पदार्थ:
(अ) अनाज: गेहूँ, जौ, चावल, रागी, कोदो, साँवा और ज्वार।
(ब) दालें: कई किस्म की दालें, मटर, सेम।
(स) तिलहन: अलसी और सरसों।
उक्त से स्पष्ट होता है कि हड़प्पावासी लगभग उन्हीं चीजों को अपने भोजन में लेते थे जिन्हें हम आज भी लेते हैं।
प्रश्न 6.
हड़प्पा के किसानों और पशुपालकों का जीवन क्या उन किसानों से भिन्न था, जिनके बारे में तुमने पिछले अध्याय में पढ़ा है? अपने उत्तर में इसका कारण बताओ।
उत्तर:
नव-पाषाणकाल और हड़प्पा की नगरीय सभ्यता के किसानों तथा पशुपालकों की स्थिति में बहुत भिन्नता थी क्योंकि:
1. नव-पाषाणकाल में पहिए का आविष्कार न होने के कारण खाद्यान्नों की आपूर्ति दूरस्थ स्थानों में करना कठिन था। जलयान और नावों का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
2. नव-पाषाणकाल में केवल दो या तीन पीढ़ियों के लोगों जन-जाति कहलाता था। इससे बड़ा सामाजिक संगठन नहीं था जबकि हड़प्पा की नगर सभ्यता के अवशेष दर्शाते हैं कि इस काल में समाज का विकास शासक और राज्य व्यवस्था तक हो गया था।
3. हड़प्पा की नगरीय सभ्यता में किसान विविध फसलों को उगाकर उन्हें अन्न-कोठारों में रखते थे तथा विपणन व्यवस्था रहने के कारण नगरों में निवास करने वाले शासक, प्रशासक, दस्तकार, शिल्पी. पुरोहित आदि वर्ग की सेवाएँ अनाज के बदले प्राप्त करते थे। वस्तुओं की पैकिंग के बाद भी उन पर गीली मिट्टी से मुद्रांकन (मोहर लगाना) की पद्धति इस तथ्य को स्पष्ट करती है।
4. नव पाषाणकाल के किसान और पशुपालक सभ्यता की प्राथमिक पाठशाला से आगे बढ़ रहे थे जबकि हड़प्पा नगर का सभ्यता काल उन्हें चरम विकास की पाठशाला में दर्शाता है। उदाहरणार्थ-नव-पाषाण काल के गड्डेनुमा घर (मतगृह) जबकि हड़प्पा के महल, स्थापत्य कला, नाली-प्रबंध, सड़कें, पक्के मकान आदि पाए गए हैं।
आओ करके देखें:
प्रश्न 7.
अपने शहर या गाँव की तीन महत्वपूर्ण इमारतों का ब्यौरा दो। क्या वे बस्ती के महत्वपूर्ण इलाके में बनी हैं। इन इमारतों का उपयोग किसलिए किया जाता है?
इस प्रश्न का सीधा संबंध छात्र से है। वे स्वयं ही अपने गाँव या शहर के भवनों का वर्णन कर सकते हैं। यहाँ पर कुछ संकेत
संकेत:
(क) गाँव के महत्त्वपूर्ण भवन: विद्यालय, डाकघर, पंचायत घर, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, ग्राम सभापति का कार्यालय, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर, सहकारी समिति का क्रय केन्द्र, धर्मशाला, बारातघर आदि।
(ख) शहर के महत्त्वपूर्ण भवन: नगरपालिका कार्यालय, अस्पताल, निदान-गृह, स्कूल एवं कॉलेज, प्राविधिक और प्रौद्योगिक शिक्षा संस्थानों के भवन, बाजार, दुकानें, क्रय-विक्रय केन्द्र, सामुदायिक भवन, विविध सरकारी कार्यालया।
वस्तुतः ये सभी भवन सार्वजनिक अर्थात् आम नागरिकों के इच्छानुसार विहार और उपयोग करने वाले भवन तथा स्थान हैं। इनका आबादी के बीचों-बीच रहना ही जनता के लिए सुविधाजनक होता है। इसीलिए ये गाँव या शहर के मध्य बनाए जाते हैं। ये आम घरों जैसे नहीं होते हैं बल्कि कार्य अनुसार इनकी बनावट और स्थापत्य कला अथवा भवन शिल्प अलग-अलग होता है। । उदाहरणार्थ-मंदिर, गुरुद्वारा, कार्यालय, स्कूल आदि भवन एक-दूसरे से आकार, बनावट, क्षेत्रफल आदि में कार्य या मूल भावना आस्थानुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। उक्त में से किन्हीं तीन भवनों को लेकर उनके कार्यों के बारे में लिखा जा सकता है।
प्रश्न 8.
तुम्हारे इलाके में क्या कोई पुरानी इमारत है? यह पता करो कि वह कितनी पुरानी है और उनकी देखभाल -कौन करता है।
उत्तर:
यह प्रश्न भी छात्र के साथ सीधा संबंध रखता है। प्रत्येक प्रांत, जिले, शहर में कई ऐतिहासिक भवन स्थित हैं। छात्र जिस जिले या प्रांत अथवा शहर में रहता है, उसमें विद्यमान ऐसे भवनों की जानकारी पुस्तकालय, ग्राम-पंचायत के कार्यालय, नगर-निगम, सामान्य ज्ञान की पुस्तक आदि से प्राप्त करके उनके निर्माण किए जाने की तिथि एवं अवधि का भी पता लगाया जा सकता है। उदाहरणार्थ-दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद आदि भवन मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाए। इनके निर्माण की अवधि लगभग 356 वर्ष पूर्व की है क्योंकि शाहजहाँ का शासनकाल 1627 से आरंभ होकर 1659 ई. तक था। . ऐसे सभी प्राचीन भवनों का संरक्षण और परिरक्षण का दायित्व हमारे देश के पुरातत्व विभाग का रहता है।
HBSE 6th Class History आरंभिक नगर Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक जीर्ण-शीर्ण भवन को बच्चे भूतहा घर क्यों कहते हैं?
उत्तर:
समाज में प्रचारित अफवाह, माता-पिता द्वारा डराने के लिए उनका ऐसा परिचय दिया जाना आदि ही पुराने भवन को भूतहा घर कहने की प्रेरणा देते हैं।
प्रश्न 2.
यदि आपको कोई बहुत प्राचीन भवन, मंदिर या कोई स्तंभ दिखाई देगा तो आप क्या करेंगे?
उत्तर:
अपने जिले या शहर में स्थापित पुरातत्व विभाग के शाखा-कार्यालय में जाकर सूचना देंगे अथवा समाचार पत्रों में चित्र देकर उसका विवरण प्रसारित करायेंगे।
प्रश्न 3.
प्राचीन भवनों को ऐतिहासिक और पुरातत्व स्थल क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
इन ढाँचों के भीतर किसी युग या काल विशेष में किए जाने वाले सभी मानवीय क्रियाकलापों, तौर-तरीकों, रहन-सहन आदि के अवशेष प्राप्त होते हैं अथवा इनकी दीवारों के चित्र, स्थापत्य और भवन-निर्माण शिल्प इनकी निश्चित काल-गणना करने में सहायक बनते हैं। इसीलिए ये पुरानी या पूर्व युग की बातों को जानने के स्थल समझे जाते हैं।
प्रश्न 4.
हड़प्पा कहाँ है और इसकी खोज कब हुई?
उत्तर:
हड़प्पा नामक नगरीय सभ्यता का पुरातत्व स्थल (नगर) पाकिस्तान के राज्य क्षेत्र (पंजाब) में स्थित है। आज से 150 वर्ष पूर्व रेल की लाइन बिछाते समय इसका पता लगा लेकिन पुरातत्व विभाग की जाँच आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व ही शुरू हुई।
प्रश्न 5.
हड़प्पा नगर आज से कितने वर्ष पूर्व बसा होगा?
उत्तर:
4700 वर्ष पूर्व।
प्रश्न 6.
हड़प्पा की नगर सभ्यता और सिंधु-घाटी की सभ्यता में क्या भिन्नता है?
उत्तर:
दोनों एक ही हैं क्योंकि सिन्धु घाटी की सभ्यता हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चहुँदडो, लोथल आदि नगरों की सभ्यता ही थी।
प्रश्न 7.
कई बार पुराने भवन जीर्ण-शीर्ण होकर ढह जाते हैं। आपके विचार से इनका जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए या नहीं?
उत्तर:
अवश्य। क्योंकि ये हमारे अतीत के स्मारक हैं और इतिहास के ज्वलंत एवं दृश्यमान साक्ष्य हैं। संक्षेप में, हमारी पुरातात्विक विरासत हैं।
प्रश्न 8.
हड़प्पा नगर के दो भाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पश्चिम की ओर का हिस्सा गढ़ या दुर्ग था। यह ऊँचाई वाली भूमि पर बनाया गया था। दूसरा हिस्सा निम्नतर नगर था। यह क्षेत्रफल में बड़ा परंतु कम ऊंचाई वाली भूमि पर निर्मित था।
प्रश्न 9.
विशेष भवन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ऐसे भवन जिनमें व्यष्टि-स्तर पर ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उपयोग करने योग्य सुविधाएँ रहें यथा-मोहनजोदड़ो में पाया गया विशाल स्नानागार।
प्रश्न 10.
भवनों को जल-प्रतिरोधी कैसे बनाया जाता था?
उत्तर:
भवनों की दीवारों को चिनते समय ईंटों के बीच में – प्राकृतिक डामर (तारकोल) की एक परत चुपड़ दी जाती थी।
प्रश्न 11.
विशाल या सार्वजनिक स्नानागार में पानी की आपूर्ति कहाँ से होती थी?
उत्तर:
आस-पास में स्थित कुंओं से कुल्या खोदकर इस स्थान तक जल पहुंचाया जाता था।
प्रश्न 12.
हवन कुंड कहाँ मिले हैं?
उत्तर:
कालीबंगन (द. प्र. और लोथल (गुजरात) में।
प्रश्न 13.
हवन-कुंडों से किस बात की जानकारी मिलती
उत्तर:
नगरीय सभ्यता के ये लोग वैदिक अनुष्ठान एवं देवी-देवताओं की उपासना करने में अग्रणी थे।
प्रश्न 14.
हड़प्या की सभ्यता के जल-निकास प्रबंध की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
1. नगर के सभी घर और भवन नालियों के जाल से आवृत्त थे।
2. नालियाँ भू-गत और हल्का ढलान लिए हुए थौं।
3. स्थान-स्थान पर बड़े छिद्र छोड़े गए थे जो कि ढके हुए थे। इनसे नाली के अवरुद्ध होने पर सफाई की जा सकती थी।
4. समूचे नगर को घेरती हुई नालियाँ अन्तत: नगर सीमा से दूर एक नाले में मल-जल का विर्सजन करती थीं।।
प्रश्न 15.
हड़प्पा के नगरों में क्या-क्या कार्य होते थे?
उत्तर:
वस्तुओं का आयात-निर्यात, क्रय-विक्रय, मुद्रांकन, भवन निर्माण की योजना, शहरी सुधार कार्यक्रम, कारीगर और विविध शिल्प कार्य।
प्रश्न 16.
हड़प्पा के नगरों में खिलौने किस चीज के बनते थे?
उत्तर:
पक्की मिट्टी या टेराकोटा के।
प्रश्न 17.
क्या मेहरगढ़ जैसे गाँवों में भी दस्तकार, कारीगर और शिल्पी थे?
उत्तर:
नहीं। वे सभी साधारण लोग के और अपनी जरूरतों को जोड़-तोड़ लगाकर पूरा करते थे।
प्रश्न 18.
आप यह कैसे जानते हैं कि हड़प्पा के नगरों में चित्रलिपि प्रचलित थी?
उत्तर:
यहाँ से प्राप्त मुहरों के ऊपर पशुओं के चित्र और विशेष संकेतों का उत्कीर्ण रहना।
प्रश्न 19.
हड़प्पा के नगरों की चीजें कौन सी कच्ची सामग्री से बनती थीं?
उत्तर:
पत्थर, कौड़ी, सीप तथा ताँबा, काँसा, सोना और चाँदी जैसी धातुओं से।
प्रश्न 20.
हड़प्पा के नगरों की दर्शनीय चीजें क्या हैं?
उत्तर:
माला के मनके, पत्थर के बाँट और छुरियाँ। बाँट चकमक पत्थर जैसे स्फटिक के बने पाए गए।
प्रश्न 21.
बाँटों का किस काम में उपयोग होता था?
उत्तर:
धातुओं तथा कीमती रत्नों को तोलने के लिए।
प्रश्न 22.
हड़प्पा से पाई गई मोहरें किस चीज की बनी
उत्तर:
आयताकार पत्थर की। इन पर पशुओं के चित्र उकेरे गए हैं।
प्रश्न 23.
क्या आदिमानव की जनजातियाँ भी धातु का प्रयोग करती थीं?
उत्तर:
चूंकि यह नव पाषाण काल था अतः जन-जातियों को धातुओं की जानकारी नहीं थी।
प्रश्न 24.
हड़प्पा के वासी अपने बर्तनों को कैसे चमकाते
उत्तर:
रेगमाल से । रेत या बिल्लौर के चूरे को गोंद से चिपकाकर धातु की किसी पत्ती पर जमाया जाता था और फिर इससे बर्तनों को रगड़ा जाता था।
प्रश्न 25.
हड़प्पा नगरवासी कौन-कौन सी चीजों का आयात करते थे?
उत्तर:
ताँबा, टिन, सोना, चाँदी और कीमती रत्नों का।
प्रश्न 26.
ताँबा, सोना, टिन और कीमती रत्नों को कहाँ से मँगाया जाता था?
उत्तर:
ताँबे को राजस्थान और पश्चिम एशिया के ओमान देश से, टिन और कीमती रत्नों को अफगानिस्तान और ईरान से और सोने को कर्नाटक प्रदेश से।
प्रश्न 27.
हल का प्रयोग किस उद्देश्य से किया जाता था?
उत्तर:
मिट्टी की सतह को खोदकर पलटने और बीज बोने के लिए।
प्रश्न 28.
हड़प्पावासियों के प्रमुख पालतू पशु कौन-कौन से थे?
उत्तर:
चौपाए पशु, भेड़, बकरी और भैंस।
प्रश्न 29.
ढोलवीरा नामक नगर कौन-कौन से भागों में बँटा था?
उत्तर:
तीन भागों में:
(i) दुर्ग
(ii) बाजार क्षेत्र और
(iii) सामान्य लोगों की बस्तियों वाला क्षेत्र।
ये तीनों भाग चारदीवारी से घिरे थे और प्रत्येक में केवल फाटकों से ही प्रवेश किया जा सकता
प्रश्न 30.
हड़प्पा नगर की लिपि और ढोलवीरा (गुजरात) के पुरातत्व स्थल की लिपि में क्या अंतर था?
उत्तर:
हड़प्पा नगर की लिपि छोटे अक्षरों की थी जबकि ढोलाबीरा में पाई गई लिपि के अक्षर बड़े और साथ-साथ थे। हड़प्पा की लिपि, मोहर जैसी छोटी चीजों पर उत्कीर्ण थी जबकि ढोलवीरा में लिपि को श्वेत-पत्थर और लकड़ी के तख्तों पर उकेरा गया था।
प्रश्न 31.
जहाजी माल-घाट कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
खंभात की खाड़ी के निकट गुजरात राज्य के लोथल नगर में।
प्रश्न 32.
हड़प्पा की नगर सभ्यता का विनाश कैसे हुआ?
उत्तर:
इसके बारे में पुरातत्वविद् सुस्पष्ट नहीं हुए हैं। कुछ विद्वान् नदियों के सूख जाने को इसका कारण मानते हैं, जबकि कुछ अन्य कहते हैं कि हड़प्पावासियों ने ईटों की भट्टी के आस-पास का पूरा वन क्षेत्र झोंक दिया था। बाढ़, पशुओं के अति चरने और ताँबे के अयस्क से ताँबा निकालने के लिए गलन भट्टी में ईंधन की अत्यधिक जरूरत के कारण वन-विनाश भी शायद इस सभ्यता के विनाश के लिए जिम्मेदार थे।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नव पाषाण काल के लोगों और हड़प्पा सभ्यता कालीन लोगों के घरों में क्या अंतर था?
उत्तर:
नव-पाषाण काल
(i) इस काल के घर भू-गत या गर्तगृह थे।
(ii) इन घरों में वायु एवं जल निकास के कोई साधन नहीं थे।
(iii) यह गृह-निर्माण का आरंभिक काल था।
(iv) यह गृह-निर्माण का विकसित काल था।
(v) इन घरों के चारों ओर दीवार और आगे तथा पीछे आंगन और प्रांगण थे।
(v) इन घरों में स्नानगृह थे।
(vi) ये घर पक्की ईंटों की दुहरी चिनाई के बने थे।
प्रश्न 2.
नील नदी की घाटी वाली सभ्यता कौन सी है? सुस्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह मिन की आज से 5000 वर्ष पूर्व की सभ्यता है। यहाँ के राजाओं ने सोने, चाँदी, हाथी दाँत का सामान, इमारती लकड़ी तथा वेशकीमती रत्नों को सुदूर स्थानों से एकत्रित करवाने के लिए अपनी सेना भेजी। इन्होंने पिरामिड कहे जाने वाले विशाल गुंबदों का निर्माण भी कराया। इन पिरामिडों में वे भली-भाँति परिरक्षित शव को खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ, वस्त्र, आभूषण, भाँडे बर्तन, संगीत वाद्य,हथियार और पशुओं तथा दास-दासियों के साथ गाड़ देते थे। यहाँ पर पिरामिडों से प्राप्त बहुत से पश और पनुष्यों के कंकाल इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं।
प्रश्न 3.
किन प्रमाणों के आधार पर पुरातत्वविद् इस निष्कर्ष पर पहुँचे होंगे कि हड़प्पा नगर सभ्यता में लोग बस्व धारण करने लगे थे?
उत्तर:
पुरातत्वविदों को प्राप्त अवशेष:
1. मेहरगढ़ में खुदाई के दौरान उन्होंने यह पाया कि यहाँ पर कपास की खेती आज से 7000 वर्ष पूर्व होती थी।
2. मोहनजोदड़ो में उन्हें चाँदी के कलश के ऊपर लिपटे हुए कपड़े के टुकड़े मिले।
3. उन्हें तकली के चक्र भी मिले हैं। ये पक्की मिट्टी (टेराकोटा) और बिल्लौर (रेगमाल) से बने हुए हैं। इनसे ही कपास का धागा काता गया होगा।
4. मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक व्यक्ति के बुत पर कढ़ाईदार वस्त्र की डिजाइन का रहना।।
उपुर्यक्त प्रमाणों (अवशेषों) के आधार पर पुरातत्वविदों ने यह निष्कर्ष लिया कि इस सभ्यता के लोग वस्त्र धारण करते थेऔर उन्हें कढ़ाईदार वस्त्रों के विनिर्माण की दक्षता भी प्राप्त थी।
प्रश्न 4.
किन प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष लिया पाया होगा कि हड़प्पा नगर वासी स्वच्छता- प्रिय, प्रकृति-प्रेमी, वेशभूषा के शौकीन, आभूषण-प्रिय और दूरदर्शी थे?
उत्तर:
निष्कर्ष के प्रमुख आधार:
(i) स्वच्छता-प्रिय: मोहनजोदड़ों में विशाल स्नानागार के अवशेष, प्रत्येक घर में एक कमरा स्नान के लिए पृथक दिखाई पड़ना, भू- गत नालियों की विशेष योजना एवं प्रबंध, नगरों का दुर्ग और निम्नतर शहर (कस्या) में सुचारु विभाजन।
(ii) प्रकृति प्रेमी: विविध मोहरों पर सूर्य, चन्द्रमा, वृक्ष, पशु आदि के चित्रों का रहना, विविध किस्म के पक्की मिट्टी के खिलौनों की बनावट।
(iii) वेशभूषा के शौकीन: मोहनजोदड़ो से प्राप्त प्रस्तर मूर्ति के शरीर भाग में सुंदर एवं आकर्षक कढ़ाईदार वस्त्रों की चित्रकारी।
(iv) आभूषण प्रिय: रेगमाल से माला के मनकों को चमकाना, सोने, चाँदी, ताँबे, काँसे के मनके मिले हैं। चूड़ियाँ, कर्णफूल आदि का प्राप्त होना।
(v) दूरदर्शी: अफगानिस्तान, ईरान, ओमान आदि देशों की घातुओं और वेशकीमती पत्थरों (रत्नों) का यहाँ मिलना। नगर योजना, नाली-प्रबंधन, ताँबे की गलन भट्टियाँ और ईटों की भट्टियों के अवशेष, विशाल स्नानागार की दीवारों में ईट की प्रत्येक तह के ऊपर तारकोल का पुता रहना (जल प्रतिरोधक दीवार)।
प्रश्न 5.
किन बातों से यह पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग वणिकवृत्ति करने वाले या व्यापारी रहे होंगे?
उत्तर:
1. स्फटिक जैसे पत्थर (कट) के आयताकार या वर्गाकार बाँटों का मिलना।
2. गाँव (निचले कस्बे वाला भाग) से खाद्यान्न और पेय पदार्थों की आपूर्ति दुर्ग कहे जाने वाले नगर के हिस्से को होना।
3. मोहरें ओर मोहरबंदी (मुद्रांकण) की कार्यविधि का दिखाई पड़ना। प्रत्येक माल के आंतरिक आवरण पर मुहर या बाह्य आवरण पर गीली लाल मिट्टी रखकर उसके ऊपर प्रामाणिकता का मुद्रांकन रहना।
4. अफगानिस्तान, ईरान और ओमान जैसे देशों के वेशकीमती पत्थरों, टिन, ताँबे आदि धातुओं का यहाँ पाया जाना।
प्रश्न 6.
पुरातत्ववेत्ताओं ने राखीगढ़ी, कालीबंगन, गाँवेडीवाला, मोहनजोदड़ो, सोतकाकोह जैसे कई नगरों को खोजा परंतु इस सभ्यता को केवल हड़प्या नगरीय सभ्यता कहा। ऐसा क्यों?
उत्तर:
इसके निम्नलिखित कारण थे:
1. हड़प्पा नगर का सबसे पहले खोजा जाना।
2. इस नगर में अन्य सभी नगरों के संपूर्ण नमूनों का मिलना। उदाहरणार्थ यहाँ खाद्यान्नों, वस्त्र, कपास, औजार, आभूषण, भवन-निर्माण, मूर्ति शिल्प, आभूषण, कीमती पत्थर आदि सभी मिले हैं। तात्पर्य यह है कि यह नगर सभ्यता के सभी अवशेषों को समेटे हुए है।
3. सभी नगरों से प्राप्त अवशेष एक ही सभ्यता का संकेत देते हैं। चूँकि सभी नगरों के नाम एक साथ देना उपयुक्त नहीं है इसलिए केवल एक नगर के नाम से ही इस सभ्यता को अभिव्यक्त करना पुरातत्वविदों ने उचित समझा होगा।
प्रश्न 7.
विशाल स्नानागार (मोहनजोदड़ो) के भग्नावशेषों से किन-किन बातों का पता चलता है?
उत्तर:
1. यहाँ के लोग स्वच्छतापसंद थे।
2. इन लोगों द्वारा कुछ त्योहार आदि उत्सव और सामूहिक जौर पर मनाए जाते थे।
3. लोगों में परस्पर बन्धुत्व, एकता और अपनत्व के भाव
4. किन्हीं विशेष अवसरों पर ये लोग सामूहिक स्नानादिक कार्य करते थे।
5. जल संसाधन के बेहतर उपयोग की जानकारी रखते थे।
प्रश्न 8.
किसी एक चीज के मिलने पर पुरातत्वविद् अन्य चीजों की उपस्थिति का अनुमान कैसे लगा लेते हैं? सुस्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य के उपयोग की चीजें स्वयं में सर्वाग नहीं होती बल्कि कई अवयवों में विभाजित रहती हैं। अर्थात् एक कार्य के पूरा होने के लिए बहुत से साधन, युक्ति, पदार्थ आदि की अनिवार्य आवश्यकता रहती है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस चीज के एक अंश की जानकारी मिली है उसके सभी अंश उस समय विशेष में अवश्य रहे होंगे। उदाहरणार्थ-जब पुरातत्ववेत्ताओं ने एक पत्थर की मूर्ति पर कढ़ाईदार वस्त्रों की चित्रकारी को देखा तो उन्होंने यह अनुमान लगा लिया कि यहाँ के लोग वस्त्र विनिर्माण की जानकारी रखते थे। मेहरगढ़ में कपास उगाने के प्रमाण मिलने पर यह अनुमान और अधिक पुष्ट हो गया था। इस मूर्ति में दाढ़ी, मुखाकृति आदि की चित्रकारी से उन्होंने यह अनुमान लगाया कि इस काल के लोग मूर्ति शिल्प और चित्रकारी में निपुण थे। तथ्यों का संकलन, अन्वेषण करने और निष्कर्ष लेने की यह आसान विधि है जिसके आधार पर सामान्यीकरण तक पहुंचा जाता है।
प्रश्न 9.
पुरातत्वविदों को कैसे ज्ञात हुआ कि हड़प्प सभ्यता के दौरान कपड़े का उपयोग होता था?
उत्तर:
इस जलयान माध्यम की यात्रा को हम मोहनजोदड़ो से लोथल स्थित बंदरगाह (गोदी) तक करते। हमारे माता-पिता मोहनजोदड़ो के विशाल भंडारगृहों से हड़प्पाकालीन ताँचे, काँसे, सोने, चाँदी निर्मित सजावट की बहुत सी चीजों को अपने साथ ले जाते। पक्की मिट्टी (टेरीकोटा) से निर्मित खिलौने, नक्काशीदार -वर्तन, कीमती रत्न, माला के मनके (लाल पत्थर), कढ़ाईदार वस्त्र, तकलियाँ और पत्थर की मानक मूर्तियाँ भी वहाँ से लाई जा सकती हैं।
मोहनजोदड़ो में हम कढ़ाईदार वस्त्र पहने हुए पत्थर की मूर्तियाँ, कई तरह के आभूषण, नक्काशीदार चीजें, भाँडे-बर्तन, मोहरें, चित्रकारी, पक्की ईंटों से निर्मित सुन्दर घरों, नालियों के जल निकास और गलियों की व्यवस्था को देखते। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि हम मोहनजोदड़ो नगर की सुन्दर योजना, वस्तुशिल्प, मूर्तिशिल्प, कलाकृति, चित्रकारी, आभूषण विनिर्माण, शिल्प और वस्त्र विनिर्माण का दर्शन करते।
प्रश्न 10.
हड़प्पा के नगरों में रहने वाले लोगों की एक सूची बनाइए और बताइए कि वर्तमान नगरों में रहने वाले लोग इनसे कितने भिन्न हैं।
उत्तर:
हड़प्पा में रहने वाले लोग:
1. वास्तुविद
2. अभियंता
3. चिकित्सक, वैद्य
4. स्वच्छक
5. कई संस्थाएँ
6. व्यापारी
7.शासक
8. पुरोहित
9. लेखक
10. स्वर्णकार
11. आभूषणकार
12. उद्योगपति/उद्यमी
13. जुलाहे
14. चित्रकार
15. संगीतज्ञ
16. ठठेरे आदि।
आधुनिक नगरों में भी कमोवेश ऐसे ही लोग रहते हैं। सूचना, प्रौद्योगिकी विज्ञान, प्राविधि आदि में अत्यधिक विकास होने के कारण औद्योगीकरण, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग इसमें जुड़ गए हैं। संक्षेप में हड़प्पा की सभ्यता स्वयं में पूर्णतम निखार प्राप्त नगरीय सभ्यता है। उनकी नालियों से जल-निकास एवं भवन योजना आधुनिक काल से भी बेहतर थी।
आरंभिक नगर Class 6 HBSE Notes in Hindi
1. पुराने और खंडहर भवनों की मरम्मत और जीर्णोद्धार क्यों करते हैं?: ये हमारी विरासत हैं तथा इनसे हमें अतीत के शिल्प और अन्य भी बहुत सी बातों की जानकारी मिलती है।
2. पुराने भवनों की देखरेख और संरक्षण करने वाला विभाग कौन सा है?: पुरातत्व विभाग।
3. हड़या नामक पुरातत्व स्थल का पता कब लगा?: लगभग 150 वर्ष पूर्व पंजाब (पाकिस्तान) में रेल की लाइनें बिछाने के समय।
4. पुरातत्ववेत्ताओं को हड़प्या स्थल का पता कब लगा?: आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व।
5. लोथल, मोहनजोदड़ो आदि सभी नगरों से प्राप्त अवशेषों को हड़प्पा संस्कृति के अवशेष क्यों कहते हैं?: सबसे पहले हड़प्पा नामक स्थल का पता लगने के कारण।
6. हड़प्पा के नगर कब बसे?: लगभग 4700 वर्ष पूर्व।
7. नगर का पश्चिमी बुर्ज जैसा छोटा हिस्सा क्या कहा गया?: दुर्ग।
8. ईंटों की चिनाई कैसे की गई है?: अन्त:पाशन विधि से (दोहरी चिनाई)।
9. दुर्ग में निर्मित विशेष चीज क्या है?: विशाल स्नानागार।
10. हवनकुंड कहाँ पाए गए?: कालीबंगन और लोथल में।
11. विशाल भंडार-गृह कहाँ पाए गए?: मोहनजोदड़ो और लोथल में।
12. जल-निकास की कैसी व्यवस्था थी?: बंद नालियों का जाल सा बिछा हुआ था जो अन्ततः-शहर से दूर नाले में खुलती थीं।
13. हडप्पा नगर के भवन क्या दर्शाते हैं?: यहाँ राजधानी रही होगी।
14. हड़प्पा में कौन-कौन से शिल्पकार रहते थे?: चित्रकार, मूर्ति-शिल्पी, भवन-शिल्पी, लेखक, मोहरें (मुद्रा) बनाने वाले।
15. क्या हड़प्पा से प्राप्त लिपि का अर्थ लगा लिया गया है?: नहीं, अभी तक नहीं लगाया जा सका है।
16. इन नगरों में पाई गई वस्तुएँ किन चीजों से बनी हैं?: पत्थर, सीप, धातु, ताँबा, काँसा, सोना और चाँदी से।
17. पत्थर की मोहरें कैसी हैं?: आयताकार।
18. कपास कहाँ उगाया जाता था?: मेहरगढ़ (पाकिस्तान)में आज से 5000 वर्ष पूर्व।
19. लोग रेगमाल को कैसे तैयार करते थे?: रेत या बिल्लौर के बारीक चूर्ण को वस्तु की सतह पर गोंद के साथ मिलाकर।
20. चमकाई गई चीज का रंग कैसा दिखाई पड़ता था?: नीला या समुद्री हरा।
21. रेगमाल का प्रयोग किन चीजों को चमकाने में होता था?: माला के मोती, चूड़ियाँ, कान की बालियाँ और छोटे-छोटे वर्तनों को।
22. हड़प्या वासी ताँबे को कहाँ से आयात करते थे?: राजस्थान और पश्चिमी एशिया के देश ओमान से।
23. टिन का आयात कहाँ से होता था?: अफगानिस्तान से।
24. ढोलबीरा स्थल कहाँ है?: कच्छ की खाड़ी स्थित खादिर वेयट (गुजरात) में
25. लोथल नगर कहाँ है?: गुजरात में (खंभात की खाड़ी के पास)।
26. लोचल में क्या है?: शिल्पिों की कार्यशाला और विशाल भंडार गृह के अवशेष।
27. मिन के पिरामिड क्यों बनाए गए थे?: मृतकों को गाड़ने और उनकी स्मृति को लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए।
29. मिन के पिरामिडों में किन-किन चीजों के अवशेष मिले हैं?: खाद्य सामग्री, वस्त्र, आभूषण, भाँडे-बर्तन, संगीत वाद्य, अस्त्र-शस्त्र, पशु, शवों के कंकाल जिनमें शासक और उसके सेवादारों के कंकाल भी एक साथ हैं।