HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भोजन : संग्रह से उत्पादन तक

Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भोजन : संग्रह से उत्पादन तक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भोजन : संग्रह से उत्पादन तक

HBSE 6th Class History भोजन : संग्रह से उत्पादन तक Textbook Questions and Answers

कल्पना करो:

अगर तुम्हारे पास जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा हो तो तुम उसमें कौन-सी फसल उगाओगी। बीज कहाँ से मिलेंगे? और तुम उन्हें कैसे बोओगी? अपने पौधों की देखभाल तुम कैसे करोगी? और कैसे यह समझोगी कि अब फ़सल काटने लायक हो गई है?
उत्तर:
संकेत –
छात्र सबसे पहले यह देखें कि वे कौन-से क्षेत्र में निवास करते हैं। वहाँ की जलवायु, तापमान, ऋतु-परिवर्तन प्रभाव आदि को झेलने में सक्षम या अनुकूलन सामर्थ्य रखने वाली फसलें कौन सी हैं? कृषि विज्ञान से हमें यह जानकारी प्राप्त होगी। आप दिल्ली में हैं तो मुखजन के साथ पूसा रोड स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान में जाएँ तथा वहाँ के संबंधित प्राधिकारी से अपनी जिज्ञासाएँ शांत करवाएँ। टेलीफोन डायरेक्टरी के हरेपन्ने प्राधिकारियों के विशेष फोन नम्बर रखते हैं। इसलिए व्यष्टि संपर्क साध कर भी अपनी जिज्ञासा का शमन कराया जा सकता है। इस जानकारी के पश्चात् प्रयोग करें-अपने पिछवाड़े बगीचे में/पार्क में अनुमति लेकर विद्यालय प्रांगण की क्यारियों में। उदाहरणार्थ-रबी की फसलें नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह में बोई जाती हैं तथा मई माह में काटी जाती हैं। खरीफ की फसलें (मोटे अनाज की फसलें) मई माह के अंत में बोई और सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में काटी जाती हैं।

रखवाली करने के लिए किलों के चारों ओर ऊंची दीवार, जाली-आवरण, रखवाले की नियुक्ति/प्रतिदिन स्वनिरीक्षण तथा कृषि विज्ञान में वर्णित साधनों का समय-समय पर अनुप्रयोग करते हुए पौधों के पोषण और वर्धन की दिशा में प्रयास।

आओ याद करें:

भोजन संग्रह से उत्पादन तक प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 1.
खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे?
उत्तर:
फसलों को उगाने की एक निश्चित ऋतु होती है। ऋतु आधार पर फसलों को खरीफ, जायद और रबी की फसल ऋतु में बाँटा गया है। बागवानी के वृक्ष यथा-सेब, आडू, आम, अमरूद, अनार आदि को उगाने के लिए कई वर्ष तक केवल परिश्रम करना पड़ता है और फिर लगातार प्रतिवर्ष, छ: माह, चार माह आदि के क्रम में बीसियों वर्ष तक फल देते रहते हैं। इन्हीं कारणों से फसल उगाने वाले लोगों या कृषकों को व्यवस्थित जीवन जीना पड़ता है। अब वे इधर-उधर घूम नहीं सकते थे।

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bhojan sangrah se utpadan tak HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 2.
एन.सी.ई.आर.टी.की पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 की तालिका को देखो। नुओ अगर चावल खाना चाहती है, तो उसे किन स्थानों पर जाना चाहिए।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में स्थित महागड़ नामक स्थानों में से किसी एक में।

HBSE 6th Class Social Science भोजन संग्रह से उत्पादन तक प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
पुरातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे, और बाद में उनके लिए पशुपालन ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया?
उत्तर:
पुरातत्व स्थलों में से एक स्थल मेहरगढ़ वर्तमान ।पाकिस्तान में पड़ता है। यह बोलन दर के पास है। तीन स्तरों में प्राप्त सामग्री में पहले स्तर पर जंगली पशुओं (हिरन और सूअर) – की हड्डियाँ पाई गई हैं और बाद में भेड़ और बकरी की हड्डियाँ पाई गई हैं। इससे पता लगता है कि आदिमानव ने सबसे पहले शिकार करके पेट भरा होगा और बाद में पशुपालक बना होगा। खोदते समय सबसे नीचे जो चीजें प्राप्त होती थीं उन्हें पुरा-पाषाण काल की चीजें माना गया और क्रमशः ऊपरी पत्तों की चीजें अनुवर्ती समय की मानी गईं।

प्रश्न 4.
सही या गलत बताओ।
(अ) हल्लूर में ज्वार-बाजरा मिला है।
(ब) बुर्जाहोम में लोग आयताकार घरों में रहते थे।
(स) चिरौंद कश्मीर का एक पुरास्थल है।
(द) जेडाइट, जो दाओजली हेडिंग में मिला है.चीन से लाया गया होगा।
उत्तर:
(अ) सत्य
(ब) असत्य
(स) असत्य
(द) सत्य

आओ चर्चा करें:

प्रश्न 5.
कृषकों-पशुपालकों का जीवन शिकारी-खाद्य संग्राहकों के जीवन से कितना भिन्न था, तीन अंतर बताओ।
उत्तर:
कृषकों-पशुपालको और शिकारी-खाद्य संग्राहकों के जीवन में विभेद:
(i) आखेटक-संग्राहक जीवन भ्रमणशील था जबकि कृषक-पशुपालक जीवन व्यवस्थित था।
(ii) आखेटक-संग्राहक जीवन में मनुष्य असुरक्षा रहित, प्रकृति के प्रकोप से पीड़ित और छोटे-छोटे समुदायों में भटकता रहता था जबकि कृषक-पशुपालक जीवन के उपरांत परिवार, समुदाय, समाजश् संगठन आदि बनने लगे।
(iii) खेटकसंग्राहक जीवन व्यक्ति-जीवन को प्रत्येक आदिमानव सभी क्रियाओं के लिए स्वयं ही उत्तरदायी था। जबकि कृषक-पशुपालक जीवन में कार्यों का विकेन्द्रीकरण या विभाजन एवं जिम्मेदारियों का हस्तांतरण होने लगा था। व्यष्टि प्रबंधन की परिगति सामूहिक प्रबंधन में तब्दील हो गई थी।

प्रश्न 6.
एन.सी.आर.टी.की पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 25 की तालिका में दिए गए जानवरों की एक सूची बनाओ और यह भी बताओ कि इनका उपयोग किस रूप में किया जाता था।
उत्तर:
चौपाए पशु: हाथी, घोड़ा, गाय, बैल, बकरी, कुत्ता, भैंस, ऊँट, भेड़। । हाथी, ऊँट तथा घोड़ा: भार-वहन और जुताई आदि करने, प्रामान ढोने में। गाय, बैल: बैलों का प्रयोग हल जोतने, अनाज की मैड़ाई करने, सामान ढोने में। गाय का उपयोग दूध प्राप्त करने, गोबर से खाद बनाने आदि में।
बकरी और भेड़: दूध दुहने और गोश्त खाने में।
भैंस: दुध-दुहने, हल जोतने और उनके चमड़े से कृषि एवं बर के बहुत से उपकरण एवं पैरों के जूते तैयार करने में।
कुत्ता: घर की रखवाली के लिए।

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आओ करके देखें:

प्रश्न 7.
तुम जिन अनाजों को खाते हो उनकी एक सूची बनाओ।
उत्तर:
खाद्यान्नों का वर्गीकरण:
(i) अनाज
(ii) दालें
(iii) तिलहन
(iv) मसाले
(v) मेवे आदि में किया जाता है।

(i) अनाज: अनाज भी दो प्रकार के होते हैं:

  • मोटे अनाज: मक्का, ज्वार, बाजरा, कोदो , जई, जौ आदि।
  • अन्य पौष्टिक अनाज: चावल, गेहूँ आदि।

(ii) दालें: मसूर, अरहर, उड़द, मूंग, मल्का , चना, कुल्पी आदि।
(iii) तिलहन: सरसों, तिल, मूंगफली, सूर्यमुखी, कमल-बीज, कुसुम्भा
(iv) मसाले: काली मिर्च, लौंग, इलायची, धनिया, सौंफ, जौरा, राई, दालचीनी, अदरक, लहसुन, हींग, अजवाइन आदि।
(v) मेवे: काजू, किशमिश, बादाम, छुहारे, खजूर, मुनक्का आदि।

प्रश्न 8.
प्रश्न 7 के उत्तर में लिखे अनाजों को क्या तुम स्वयं उगाते हो? अगर हाँ, तो एक तालिका बनाकर उसकी खेती की विभिन्न अवस्थाओं को दिखाओ। अगर नहीं, तो एक तालिका बनाकर दिखाओ कि ये अनाज किसान से लेकर तुम्हारे पास तक कैसे पहुँचे।
उत्तर:
प्रश्न 7 में वर्णित सभी खाद्यान्न एक ही स्थल पर उगाए जाने असंभव हैं क्योंकि उनके लिए उपयुक्त भूमि, तापमान, जल एवं वायु एक ही स्थान पर मिल पाना असंभव है। उदाहरणार्थ: इलायची को नीलगिरि की पहाड़ियों (इलायची की पहाड़ियों) में उगाया जाता है, जहाँ का तापमान, वर्षा, मिट्टी आदि उत्तर प्रदेश के उस मैदानी भाग से एकदम भिन्न है जहाँ गेहूँ और चावल उगाए जाते हैं। यहाँ पर हम केवल गेहूँ उगाने की अवस्थाओं वाली तालिका को नमूने के रूप में दे सकते हैं:
(अ) गेहूँ उगाने की अवस्थाएँ:
1. खेतों की जुताई कम से कम दो बार करना और उसमें कंपोस्ट खाद मिलाना।
2. तीसरी जुताई में छिटककर बीज बोना।
3. तीन सप्ताह पश्चात् पहली सिंचाई करना और पोटेशियम फास्फेट का छिड़काव करना।
4. अंकुरण पश्चात दो माह के भीतर निराई करना एवं खरपतवार को हटाना।
5. आवश्यकतानुसार फाल्गुन मास में वर्षा न होने पर दूसरी सिंचाई करना।
6. मई मास में फसल को काटना और माँड़ना।

(ब) खाद्यान्नों का किसानों से हम तक पहुँचना:
(i) गेहूँ की सहकारी समिति द्वारा किसानों के पास जाकर कोठारों से गेहूँ का (Procurement) करना और उन्हें निश्चित मुल्य का भुगतान करना। अथवा-किसान द्वारा स्वयं मंडी में जाकर भाव-ताव तय करना और आढ़ती को गेहूँ आदि बेचना।
(ii) ट्रक, ट्राली आदि में खाद्यान्न का बाजार पहुँचना।
(iii) बाजार से खाद्यान्नों की उन स्थानों के लिए डुलाई करना जहाँ उन्हें नहीं उगाया जाता है। ढुलाई के साधन रेल, सड़क परिवहन आदि हैं।

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HBSE 6th Class History भोजन : संग्रह से उत्पादन तक Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारा आधुनिक भोजन कहाँ से आता है?
उत्तर:
सुदूर गाँवों से जहाँ व्यवस्थित कृषि की जाती है और पशु पाले जाते हैं।

प्रश्न 2.
कृषक वर्ग से भिन्न द्वितीयक, ततीयक और चतुर्थक कार्य करने वाले लोगों को भोजन कैसे मिल पाता है?
उत्तर:
देश में एक व्यवस्थित विनियम दर रहने, मुद्रा में प्रत्येक उत्पादन इकाई की कीमत के पारदर्शी नियमन रहने और घरेलू बाजार तथा परिवहन व्यवस्था अत्यधिक त्वरित रहने के कारण। श्रम मूल्य में खाद्यान्नों को खरीदने की सामर्थ्य निहित रहती

प्रश्न 3.
खाद्यान्नों की एक फसल स्थानविशेष में ही क्यों होती है?
उत्तर:
तापमान, जलवायु, वर्षा, सूर्य के प्रकाश, वाय-विक्षोभ एवं दाब आदि के भिन्न-भिन्न रहने के कारण।

प्रश्न 4.
पहाड़ों की सूखी और उबड़-खाबड़ चोटियों के आस-पास केवल भेड़-बकरी ही अधिक क्यों पाए जाते हैं?
उत्तर:
ये पशु शरीर से कम भारी रहने और अत्यधिक फुर्तीले रहने के कारण ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों पर चढ़कर वहाँ की घास खाने में कुशल होते हैं। बड़े पशुओं के लिए अधिक घास अपेक्षित रहती है और वे ऊबड़-खाबड़ भूमि पर अपने भारी शरीर को लेकर चढ़ भी नहीं पाते हैं।

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प्रश्न 5.
कृषि करने से पहले आदिमानव ने क्या-क्या जानकारियाँ हासिल की?
उत्तर:
(i) स्थानविशेष पर उगने वाली खाद्यान्न-फसल का चयन
(ii) उगने और परिपक्व होने के समय (ऋतु)
(iii) जल, सूर्य के प्रकाश, मिट्टी, खाद आदि की जाँच
(iv) फसल बोने और काटने के तरीके
(v) मोड़ने और उनका भंडारण करने के तरीके।

प्रश्न 6.
आदिमानव ने सबसे पहले कौन से पशु को पाला?
उत्तर:
कुत्ते को।

प्रश्न 7.
कुत्ते के पश्चात् कौन-कौन से पशु पाले गए?
उत्तर:
भेड़, बकरी, गाय, बैल, भैंस आदि सभी पशु जो घास खाकर जीवित रहने वाले तथा स्वभाव से कुछ शांत थे।

प्रश्न 8.
क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि सबसे पहले कुत्ते को ही क्यों पाला गया होगा?
उत्तर:
(i) शिकार करते समय कुत्तों के स्वभाव से परिचित होने के कारण उदाहरणार्थ-हिरन के गोश्त का टुकड़ा फेंकने के बाद कुत्तों का आक्रमण न करना।
(ii) कुत्ता का आदिमानव की गुफाओं के आस-पास अधिकतर मँडराते रहना और उनके साथ संगत बैठाने की चेष्टा में रहना।
(iii) कुत्तों की रखवाली करने की बुद्धि को देख एवं परख करके।
(iv) शिकार करते समय मग, बकरी आदि का पीछा करने में सहायक होने के कारण।

प्रश्न 9.
आविमानव ने जिन पौधों को उगाने की पहल की-वे अन्य जंगली वनस्पतियों से भिन्न कैसे थे?
उत्तर:
(i) सर्वथा स्वस्थ पौधों का चयन करने के कारण
(ii) अधिक अन्न उत्पादन में समर्थ पौधों की जाँच करके
(iii) मजबूत इंठल वाले और पवनों व बीजों का भार झेलने में सक्षम पौधों को चुनने में
(iv) इन फसलों के बीजों का संग्रह और सही ऋत में पुन: बयन (बुआई) करने से।

प्रश्न 10.
आदिमानव ने छोटे दाँत और सींग वाले पशु ही क्यों पाले होंगे?
उत्तर:
अपने बचाव के लिए मनुष्य हमेशा सजग रहता है। लंबी दाढ़ी और सींगों वाले पशु स्वभाव से निर्दय होंगे-इस बात को आदिमानव ने समझ लिया था। यही कारण है कि उसने अपने सहज नियंत्रण और सेवा-शुश्रूषा से प्रसन्न होने वाले पशुओं को ही पालना आरंभ किया।

प्रश्न 11.
पशु-पालन उद्योग कब से शुरू हुआ?
उत्तर:
आज से लगभग 12000 वर्ष पूर्व नव-पाषाण काल

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प्रश्न 12.
कृषि ने मनुष्य को व्यवस्थित जीवन कैसे दिया?
उत्तर:
कृषि के अंतर्गत खाद्यान्न-फसलों का उगाना सम्मिलित है। फसल उगाने के लिए उसको बोने, गुड़ाई करने, माँड़ने, काटने के साथ ही उचित रखवाली करने, खाद् देने, जुताई करने आदि की आवश्यकता निश्चित समय पर महसूस होती रहती है। किसी एक बात का ध्यान न रखने पर फसल खराब हो जाती है। शायद यही कारण था कि आदि-मानव ने घुमंतू जीवन का त्याग कर एक ही स्थान पर स्थाई तौर पर रहना आरंभ किया।

प्रश्न 13.
आविमानव अपनी फसलों का भंडारण कैसे करता था?
उत्तर:
ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार आदि ।मानव मिट्टी के बड़े-बड़े बर्तनों, टोकरियों (कोठारों) अथवा भूमि में गड्ढा खोदकर उसमें अनाज का भंडार करता था।

प्रश्न 14.
क्या आप यह समझते हैं कि आखेटक-संग्राहक जीवन व्यतीत करते समय भी आदिमानव को भाँडे-बर्तनों की आवश्यकता महसूस हुई होगी?
उत्तर:
नहीं। क्योंकि उसका आहार-क्रम अस्थाई किस्म का था। उसको आग जलाना नहीं आता था। अत: कच्चा माँस ही खाता था। वनस्पतियों को भी वह कच्चे रूप में ही ग्रहण करता था। यदि उसके पास बर्तन होते भी तो इधर-उधर भ्रमण करने में वे असुविधा ही उत्पन्न करते। असल में चलता-फिरता खान-पान रहने की वजह से उसके मन में बर्तनों के अभाव का विचार ही नहीं आया होगा।

प्रश्न 15.
पालतू पशुओं को खाद्य-भंडार क्यों कहा जा सकता है?
उत्तर:
पालतू पशुओं की वंश-वृद्धि प्राकृतिक व्यवस्था से स्वतः होती रहती है। उचित चारा, दाना, आश्रय की दशा में उनसे पर्याप्त मात्रा में अण्डे एवं माँस मिलता है एवं कई तरह के कृषि कार्यों में उनका प्रयोग किया जाता है। वस्तुत: पकाई जाने वाली वस्तुएँ देर तक रहने के बाद सड़ने लगती हैं, दुर्गध देती हैं लेकिन पशु-धन के भंडार में ऐसा कुछ नहीं होता। विलम्ब से काटने की दशा में इनसे अधिक माँस ही प्राप्त होता है। इसके अलावा गोबर आदि एकत्रित कराने में पशु-धन का भंडार एक द्वितीयक उत्पादक भूमिका भी निभाता है। इस आधार पर पशुधन एक तरह से खाद्य भंडार ही है।

प्रश्न 16.
पुरातत्वविद् यह निष्कर्ष कैसे लेते हैं कि अमुक स्थान पर आदि मानव ने कृषक और पशु पालक का जीवन व्यतीत किया होगा?
उत्तर:
(i) पेड़-पौधे की किस्में
(ii) बीज आदि के अवशेष (उदाहरणार्थ- जले हुए बीजों की पहचान)
(iii) पशुओं की हड्डियाँ (जिनसे उनके पालतू होने के प्रमाण मिलते हैं)।

प्रश्न 17.
आदि मानव कैसे घर बनाता था?
उत्तर:
प्राप्त प्रमाणों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि बुर्जाहोम (कश्मीर) नामक पुरातत्व स्थल में भू-गुहा वाले घरों के अवशेष हैं। ये भूमि में गहरे खोदे गए गड्ढे हैं जिन्हें ऊपर से बासफूस से ढका जाता था और भूतल में बने इन घरों तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इनके पार्श्व भाग में चूल्हे भी बने हैं।

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प्रश्न 18.
पुरातत्ववेत्ताओं ने औजारों के अवशेष देखकर क्या अनुमान लगाया होगा?
उत्तर:
उन्होंने देखा कि कृषक और पशुपालक की अवस्था में आने पर आदिमानव के औजारों में बहुत सी तब्दीलियाँ आ गई थीं। वे अब बेहतर तराशे हुए, नोक और धारदार, हड्डी या काष्ठ की मूठों वाले थे। इस आधार पर इस अवस्था के आदिमानव का जीवन-काल नवपाषाणकाल की अवधि में सम्मिलित किया गया।

प्रश्न 19.
नवपाषाणकाल के आदिमानव की किन विशेषताओं का बोध होता है?
उत्तर:
नवपाषाणकाल का आदिमानव:
(i) कृषि के औजार, गत्रुओं के रक्षा के अस्त्र-शस्त्र और भाँडे-बर्तन बनाने में कुशल था।
(ii) उसको इनका विविध तरह से उपयोग करना आता था।
(iii) वह वस्त्र भी पहनने लगा था (सूती कपड़े के टुकड़े प्रमाणित करते हैं)।
(iv) ललित कला यथा-चित्रकला की ओर भी रुचि लेने लगा था (मटका एवं अन्य बर्तनों पर की गई चित्रकारी)।

प्रश्न 20.
आदिमानव के समाज को जन-जाति की श्रेणी क्यों दी गई होगी?
उत्तर:
दो या तीन पीढ़ियों का एक बस्ती में मिल-जुल कर रहना। समाज की यह अवस्था प्रारंभिक है और राजनैतिक, प्रशासनिक व्यवस्थाओं से रहित है। संभवतः पुरातत्ववेत्ताओं ने उनके समाज को जन-जाति इसीलिए कहा होगा।

प्रश्न 21.
आदिमानव के बच्चे क्या काम करते थे?
उत्तर:
पेड़-पौधों की देख-रेख करना, इनको पशु-पक्षियों द्वारा होने वाली क्षति से बचाना तथा गाय, बकरी आदि को चराना व उनकी रखवाली करना।

प्रश्न 22.
इस काल की महिलाएँ क्या काम करती थीं?
उत्तर:
खेतों की निराई, गुड़ाई, बुआई, सिंचाई और कटाई करना, अनाज के कूटने और पीसने का काम भी करती थीं।

प्रश्न 23.
महिला और पुरुष मिल-जुलकर किन कार्यों को करते थे?
उत्तर:
भाँडे-बर्तन, औजार, यंत्र बनाने, टोकरियाँ बुनने, पशुओं को नहलाने-धुलाने, दुध-दुहने, झोपड़ी बनाने, उन्हें सजाने के आजीविका और जीवन-रक्षक कार्य तथा संगीत, गायन एवं नृत्य जैसे मनोरंजन/मनोविनोद मिल-जुलकर ही होते थे।

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प्रश्न 24.
नव पाषाणकाल के पुरुष क्या कार्य करते थे?
उत्तर:
पशुओं के झुंड की व्यवस्था एवं निरीक्षण तथा नए चरागाहों की खोज।

प्रश्न 25.
आदि मानव के प्रमुख व्यवसाय क्या थे?
उत्तर:
शिकार करना, भोजन इकट्ठा करना, खेती करना, पशुपालन और मछली मारना।

प्रश्न 26.
जन-जातियों की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
अपनी भिन्न-भाषा, संगीत, कहानी और चित्रकारी तथा चित्र परम्परा उनके देवी-देवता भी जनजाति क्रम में भिन्न-भिन्न थे।

प्रश्न 27.
आदि मानव के गाँव की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
गाँव के समस्त निवासी खाद्यान्नों के उत्पादन में लगे रहते थे। भूमि, वन, घास के मैदान और जलाशय ही उनकी संपत्ति

प्रश्न 28.
मेहरगढ़ (पाकिस्तान) के पुरातत्व स्थल में घर कैसे बनाए गए हैं?
उत्तर:
अवशेषों से यह पता चलता है कि वहाँ आयताकार – या वर्गाकार घर बने थे। प्रत्येक घर में चार या इससे अधिक कमरे थे। कुछ कमरे खाद्यान्न आदि के भंडारण में प्रयोग किए जाते थे।

प्रश्न 29.
कैसे पता लगता है कि आदि मानव पुनर्जन्म ।में विश्वास करता था?
उत्तर:
मेहरगढ़ से प्राप्त कब्रों में मनुष्य-कंकाल के साथ ही ।बकरियों के कंकाल भी मिले हैं। शायद लोग मृतात्मा के पुनः जन्म लेकर भोजन करने के लिए ऐसी खाद्य सामग्री रखी जाती थी।

प्रश्न 30.
सिल-बट्टा कौन से पुरातत्व स्थल पर मिला
उत्तर:
ब्रहमपुत्र घाटी के निकट की चीन तथा म्यांमार की ओर जाने वाले मार्ग की पहाड़ी पर स्थित दाउजली हेडिंग नामक पुरातत्व स्थल में।

प्रश्न 31.
दाउजली हेडिंग में कौन सा पत्थर मिला है?
उत्तर:
संगयशब पत्थर, इसको यहाँ चीन से लाया गया है।

प्रश्न 32.
केटल हुयूक नामक टर्की के पुरातत्वस्थल में क्या मिला है?
उत्तर:
सीरिया का चकमक पत्थर, लाल सागर की कौडियाँ तथा भूमध्य सागर की सीपियाँ आदि।

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प्रश्न 33.
कौड़ियाँ और सीपियाँ किस उपयोग में लाई जाती रही होंगी?
उत्तर:
आभूषण बनाने, गिनती करने और घरों की सजावट में।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दाउजली हेंडिग कहाँ हैं और यहाँ कौन सी विशेष चीजें मिली हैं?
उत्तर:
चीन और म्यांमार जाने के रास्ते पर ब्रहमपुत्र घाटी के पास की पहाड़ियों पर। यहाँ-सिल-बट्टा, संगयशब पत्थर, जीवाश्म (किसी युग के वृक्ष भूमि में दबने के कारण रासायनिक क्रिया के बाद कठोर बने हुए पेड़-पौधे), निर्मित औजार आदि मिले हैं। इससे संकेत मिलता है कि लोग यहाँ खेती करते थे और अनाज को सिल पर पीस कर भोजन पकाते थे वे लोग संगयशव पत्थर के आभूषण पहनने के शौकीन भी थे।

प्रश्न 2.
खुदाई करते समय पुरातत्ववेत्ता इस बात का पता कैसे लगाते होंगे कि कौन सी चीज प्राचीनतम-प्राचीनतर और कौन-सी प्राचीन है?
उत्तर:
पुरातत्ववेत्ता यह धारणा बनाते हैं कि पहले सतह पर लोग रहते होगें, उनके द्वारा भूमि पर कुडा-करकट फेंके जाने.पत्थर आदि इकट्ठा किये जाने से पृथ्वी की सतह ऊँची उठी होगी। दूसरे काल में लोगों ने इस पर घरों का पुनर्निर्माण किया और अन्तत: यह स्थान एक टीले का रूप ले चुका होगा। इस पर पुनः घरों का निर्माण कराया गया होगा। इस प्रकार खुदाई के समय जो चीज सबसे नीचे के तल पर मिलती है उसको पुरा-पाषाणकाल, दूसरे सतह पर मिलने वाली चीज को मध्य-पाषाणकाल एवं सबसे ऊपरी सतह पर सबसे पहले प्राप्त चीज को नव-पाषाणकाल की चीज मान लिया गया है।

प्रश्न 3.
आदिमानव के कृषक समुदाय का डाँचा कैसा था? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आदि मानव का कृषक समुदाय-“जनजाति” की परिभाषा के अन्तर्गत आता है। प्रत्येक समुदाय (जिसमें दो से लेकर तीन पीढ़ियों तक जन्मे सदस्य थे) के सदस्य अपनी भिन्न भाषा, संस्कृति, खान-पान, आचार-व्यवहार, रीति-रिवाज, चित्रकारी, संगीत, कथाओं आदि के जानकार थे। भाषा एवं रीति-रिवाज भेद के आधार पर ही उन्हें जनजाति माना गया है। समुदाय का मुखिया-उसका बुजुर्ग, अनुभवी, युवा योद्धा या पुरोहित होता था। वृद्ध महिलाओं को भी उनकी बुद्धि और अनुभव के आधार पर सम्मान प्राप्त था। भूमि, वन, घास के मैदान और जल को जनजाति अपना धन मानते थे। वे मिलकर इन संसाधनों का उपयोग करते

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प्रश्न 4.
आदिमानव के रीति-रिवाज और आचार-व्यवहार के विषय में पुरातत्वविदों ने निष्कर्ष कैसे लिया होगा?
उत्तर:
पुरातत्वविदों ने इसके लिए वर्तमान में कुछ ऐसे किसानों के आचार-व्यवहार और रीति-रिवाजों का अध्ययन किया जो सहज ढंग से कृषि कार्य करते हैं। इस गहन अध्ययन के पश्चात् उन्होंने उत्खनन से प्राप्त चीजों, घरों की बनावट, चित्रकारी के बंग आदि का प्रेक्षण किया और इससे उन्हें यह निष्कर्ष लेने में कठिनाई नहीं हुई कि आदिमानव के समुदायों में कौन से रीति-रिवाज प्रचलित रहे होंगे। उदाहरणार्थ-आज भी कई आदिवासी किसान अपने मृतकों के साथ भेड़ और बकरियाँ तथा भाँडे-बर्तन एवं अनाज को भी कब्र में गाड़ देते हैं। उत्खनन में कलें भी प्राप्त हुई और उनमें नर-कंकाल के साथ ही पशु-कंकाल भी मिले। इससे स्पष्ट हो गया कि आदिमानव की आस्था पुनर्जन्म में रही होगी तथा वे मृतकों को कब्र में दफनाते होंगे।

प्रश्न 5.
आदि-मानव मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किन-किन कार्यों में करता होगा?
उत्तर:
पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार मिट्टी के बड़े-बड़े बड़े मिले हैं जिनमें यह निष्कर्ष लिया जाता है कि आदि मानव इनमें खाद्यान्नों का भंडारण करता था। छोटे बर्तन भोजन आदि पकाने के काम आते थे क्योंकि चावल, गेहूँ, मसूर आदि अनाजों के अवशेष यह सिद्ध करते हैं कि आदि मानव का समुदाय बहुधा इन्हीं अनाजों को उगाता और खाता था। छोटे बर्तन इन्हें पकाने में ही प्रयोग किए गए होंगे।

प्रश्न 6.
आग की खोज ने आदिमानव की किस प्रकार मदद की?
उत्तर:
आग के उपयोग:
(1) जंगली पशुओं से रक्षा: गुफा के दरवाजे पर जलती हुई आग को देखकर हिंसक पशु भाग जाते थे और आदि मानव पर आक्रमण करने का साहस नहीं कर पाते थे। वह निर्भीक होकर गुफा के अन्दर विश्राम कर सकता था।
(ii) सर्दी से बचाव: जाड़े की ठंडी तथा तूफानी रातों में आग ही उसके आराम और रक्षा का साधन थी। वह आग जलाकर अपने शरीर को गर्म करके सुख का अनुभव करता था।
(iii) भोजन की सुविधा: आदिमानव पहले कच्चा माँस खाता था। आग की खोज के पश्चात् वह माँस को भूनकर खाने लगा।
(iv) प्रकाश की प्राप्ति: रात के अंधकार को दूर करने के लिए गुफा में प्रकाश का साधन केवल आग ही थी।

प्रश्न 7.
आदिमानव ने औजारों का प्रयोग कौन कौन से उद्देश्यों को पूरा करने में किया?
उत्तर:
(i) जंगली पशुओं से बचाव करने
(ii) वन्य पशुओं का शिकार करने
(iii) पेड़ों को बहाकर जमीन खोदने
(iv) फलों, पत्तियों, डंठलों आदि को छीलने, काटने आदि में
(v) पत्थरों को धारदार और नुकीला बनाने में।

भोजन : संग्रह से उत्पादन तक Class 6 HBSE Notes in Hindi

1.भिन-भिन पौधे भिन्न-भिन्न दशाओं में क्यों उगते हैं?: पौधों की विशिष्ट प्रजाति में अद्वितीय जीनी गुण रहने के कारण।
2.घर के पिछवाड़े की लौकी का साग “नैनुओ” को सैर-सपाटे के दौरान प्राप्त लौकी के साग से भिन्न क्यों लगा होगा?: व्यष्टि स्तर पर स्वयं की प्रकृति के अनुसार पोषित लौकी व्यवसाय भावना से उगाई गई लौकी के अन्तनिहित गुणों (instincts) का अनुकूलन (adaptation) नहीं कर पाती।
3.बकरी और भेड़ जैसे चौपाए पशु शुष्क क्षेत्र (अवर्षण क्षेत्र) में जीवित क्यों नहीं रहते?: शुष्क क्षेत्रों में उनके भोजन और उपापचय का पूरक साधन ‘हरी घास’ न रहने और पेय जल का अभाव रहने के कारण।
4.लगभग 12000 वर्ष पूर्व जलवायु के उष्णकटिबंधी बनने के समय कौन से प्रमख परिवर्तन दृष्टिगोचर हए?: वनस्पति और जन्तु जगत दोनों की नई प्रजातियों ने पृथ्वी के नग्न आँचल को ढक दिया और सर्वत्र हरियाली छा गई।
5.आदिमानव ने कृषक बनने से पहले प्रकृति का कौन सा चमत्कार देखा?: खाद्य पेड़-पौधों के पुष्पित, फलित होने, बीज में परिपुष्ट और फलों चटक कर भूमि पर दानों की वर्षा का चमत्कार।
6.आरंभ में भेड़, बकरी, गाय, हिरन आदि पशु ही क्यों पाले गए होंगे? इन पशुओं का स्वभाव झुंड में रहने और आदि मानव की झोपड़ी के आस-पास घूमने लगे थे और मनुष्य के साथ अनुकूलन शीघ्र करने को लालायित दिखाई दिए।
7.दाँतों की कौन सी श्रेणी जंगली सूअर और कौन सी श्रेणी कुत्ते के दाँतों जैसी है?: कृन्तक (सामने के दाँत) और खदंत (किनारे के दाँत)।
8.जंगली पशुओं की तुलना में पालतू पशुओं के कौन से अंग भिन्न होते हैं?: दाँत और सींग।
9.पशु-पालन की चेतना आदिमानव को कब मिली?: आज से लगभग बारह हजार वर्ष पूर्व नव पाषाण काल में।

HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भोजन : संग्रह से उत्पादन तक

10.पालतू पशुओं के दाँत और सींग कैसे होते हैं?: इनके सींग तथा दाँतों का आकार जंगली पशुओं से छोटा और भिन्न बनावट का रहता है।
11.घुमंतू आदिमानव को व्यवस्थित जीवन जीने के लिए किसने प्रेरित किया?: वनस्पति ने, क्योंकि वृक्षों के लगाने। तरुणावस्था प्राप्त करने और फल एवं फूल प्रदान करने की अवधि लंबी होती है, अत: वह अपने लगाए फल खाने के लिए एक ही स्थान पर स्थाई रूप से रखा गया।
12.सबसे पहले कौन से पशु पाले गए?: भेड़ और बकरी।
13.कौन से स्थलों पर पुरातत्ववेत्ताओं को आदिमानव के कृषि कर्म के प्रमाण मिले?: कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान आदि।
14.पुरातत्ववेत्ताओं को आदि मानव द्वारा बोई जाने वाली फसल के बीज किस रूप में मिले?: जली हुई अवस्था में (कार्बनीकृत)।
15.मेहरगढ़ (पाकिस्तान ) में कौन-कौन से अनाज और किन पशुओं की हड्डियाँ प्राप्त हुई हैं?: अनाज-गेहूँ, जौ, .जीवाश्म-भेड़, बकरी और चौपाए पशुओं की हड्डियाँ
16.पेयमपल्ली (आंध्र प्रदेश) नामक पुरातत्वीय स्थल से क्या प्राप्त हुआ है?: अनाज-काला चना, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज। जीवाश्म पशु-चौपाए, पशु, भेड़ और सूअर की हड्डियाँ।
17.बुर्जाहोम कहाँ है और पुरातत्वीय स्थल क्यों है?: आधुनिक कश्मीर ही पाषाणयुग का बुर्जाहोम था। यहाँ पुरातत्ववेत्ताओं को गेहूँ और मसूर के जले हुए बीज तथा चौपाए पशुओं, भेड़, बकरी तथा भैस की हड्डियाँ प्राप्त हुई हैं।

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