HBSE 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव

Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव

HBSE 6th Class Civics विविधता एवं भेदभाव Textbook Questions and Answers

विविधता की समझ प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों का मेल कराइए। रूढिबद्ध धारणाओं को कैसे चुनौती दी जा रही है, इस पर चर्चा कीजिए :

स्तंभ “क” स्तंभ “ब”
(क) दो डॉक्टर खाना खाने बैठे थे और उनमें से एक ने मोबाइल पर फोन करके 1. दमा का पुराना मरीज है।
(ख) जिस बच्चे ने चित्रकला प्रतियोगिता जीती, वह मंच पर 2. एक अन्तरिक्ष यात्री बनने का सपना अंततः पूरा हुआ।
(ग) संसार के सबसे तेज धावकों में से एक 3. अपनी बेटी से बात की जो उसी समय स्कूल से लौटी थी।
(घ) वह बहुत अमीर नहीं थी, लेकिन उसका 4. पुरस्कार लेने के लिए एक पहियोंवाली कुर्सी पर गया।

उत्तर:
(क) – 3
(ख) – 4
(ग) – 1
(घ) – 2

विविधता की समझ class 6 HBSE Social Science प्रश्न 2.
लड़कियाँ माँ-बाप के लिए बोझ हैं, यह रूढिबद्ध धारणा एक लड़की के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती है? उसके अलग-अलग पाँच प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
“बालिकाएँ अपने माता-पिता पर भार स्वरूप हैं” रूढ़ि का पुत्रियों (बालिकाओं) के व्यक्तित्व पर प्रभाव:
1. यह भ्रमित धारणा माता-पिता और समाज द्वारा दुहराई जाती है। बालिकाएँ जब कई लोगों के मुंह से ऐसा सुनेंगी तो उनका सरल मन सबसे पहले ‘भार’ का अर्थ खोजने लगेगा और जब यह पता लगेगा कि भार से व्यक्ति को मानसिक बेचैनी, अनिद्रा जैसी पीड़ाएँ होती हैं तो वे बचपन से ही अपने को माता-पिता के अहसान से दबी महसूस करेंगी और “कुलदीपक” कहे जाने वाले अपने भाईयों से अपने को तुच्छ मानने लगेंगी।

2. बालिकाओं का व्यक्तित्व अन्तर्मुखी बनने लगेगा। वे अल्पायु में ही अपनी बालसुलभ चेष्टाओं को भूल जाएँगी और -धीरे-धीरे आत्म-विश्वास खोने लगेंगी।

3. वे अपने को किसी भार (गठरी) की तरह निर्जीव समझेंगी तथा घर-परिवार, समाज तथा सार्वजनिक स्थलों से पूर्णत: दूर केवल एक कमरे के दायरे में समेट लेगी और मानसिक-वेदना बढ़ने से उनके शरीर की सहज वृद्धि भी रूक जाएगी।

4. उनमें आत्म-रक्षा का बल और इच्छा-शक्ति क्षीण होने लगेगी। इसकी अनुपस्थिति में हमेशा भय और संशय की भावना घर करने लगेगी। इसका उनके शरीर को स्वाभाविक वृद्धि, मानसिक शक्तियों के विकास और भावात्मक शुद्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

5.”ओह! बेचारे की फिर से पुत्री हो गई-बस अब तो भार से दबकर मर जाएगा।” तथा “आह! बड़ी खुशी की बात है कि आपके घर पुत्र-रत्न का जन्म हुआ है” जैसी भ्रांत-धारणाओं का बखान-जो हमारे समाज में किसी न किसी रूप में आज भी होता रहता है-पालने (हिडोले) से ही पुत्रियों को कायर, अस्थिर, अबला और निरूपाय बनने का पाठ पढ़ाने लगता है।

ऐसी रूढिबद्ध धारणाओं के रहने पर भी भारत की बालिकाओ ने विगत दशक में 2001 की जनगणना के अनुसार 53.60 प्रतिशत के स्तर तक साक्षरता प्राप्त की है अर्थात् भारत की बाईस करोड़
इकतालीस लाख महिलाएँ साक्षर हो चुकी हैं। 1981-1991 के दशक और 1991-2001 के दशक की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि महिलाओं का साक्षरता वृद्धि प्रतिशत पुरुषों से आगे बढ़ा है। हालांकि इसमें कुछ प्रभाव लिंग-अनुपात में कमी आने के कारण भी पड़ा है।

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विविधता की समझ प्रश्न उत्तर कक्षा 6 HBSE Social Science प्रश्न 3.
भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता है? आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होना जरूरी है?
उत्तर:
संविधान कहता है कि धर्म, जाति, वर्ग, या लिंग पर आधारित किसी तरह का विशेषाधिकार नहीं हैं और न इस आधार पर किसी तरह का भेदभाव किया ही जाता है। सरकारी नौकरियों के मामले में अन्य दृष्टि से योग्य रहने पर राज्य सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करता है। अस्पृश्यता निवारण करके सामाजिक समानता को सुरक्षित किया गया है। आर्थिक समानता समान कार्य के लिए समान वेतन नियत करके लाई गई है।

सभी लोगों का समान रहने से तात्पर्य केवल एक ही जाति, वंश, लिंग या योग्यता का रहना नहीं है बल्कि इन विविधताओं के बाद भी देश में राजकीय स्तर पर किसी तरह का भेदभाव न किया जाना ही समानता है। उदाहरणार्थ-कार्य/संचालन आदि की योग्यता रहने पर किसी भी नागरिक को अपनी जाति, धर्म, लिंग या वर्ण के आधार पर उसके पद/स्थान से हटाया नहीं जा सकता है या नियुक्ति के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।

एसी समानता के रहने से लोगों में-
1. देश प्रेम
2. नियम और मर्यादाओं का पालन करने की प्रवृत्ति
3. सबके हित में ही अपना हित समझने की बुद्धि
4. सहानुभूति और
5. धार्मिक सहिष्णुता की भावना जागेगी। इस भावना और बुद्धि से सींची गई भूमि पर ही अखंड संप्रभुता संपन्न राष्ट्र रूपी वृक्ष चिरंजीवी रह सकता है।

विविधता की समझ HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 4.
कई बार लोग हमारी उपस्थिति में ही पूर्वाग्रह से भरा आचरण करते हैं। ऐसे में अक्सर हम कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं रहते, क्योंकि मुंह पर तुरंत कुछ कहना मुश्किल जान पड़ता है। अपनी कक्षा को दो समूहों में बाँटिए और प्रत्येक समूह इस पर चर्चा करे कि दी गई परिस्थिति में वे क्या करेंगे:
(क) गरीब होने के कारण एक सहपाठी को आपका दोस्त चिड़ा रहा है।
(ख) आप अपने परिवार के साथ टी.वी. देख रहे हैं और उनमें से कोई सदस्य किसी खास धार्मिक समुदाय पर पूर्वाग्रहग्रस्त टिप्पणी करता है।
(ग) आपकी कक्षा के बच्चे एक लड़की के साथ मिलकर खाना खाने से इंकार कर देते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि वह गंदी है।
(घ) किसी समुदाय के खास उच्चारण का मजाक उड़ाते हुए कोई आपको चुटकुला सुनाता है।
(ङ) लड़के लड़कियों पर टिप्पणी कर रहे हैं कि लड़कियाँ उनकी तरह नहीं खेल सकतीं।
उत्तर:
इन दशाओं पर प्रत्येक समूह का अपना अलग विचार रहेगा और कक्षा में वार्ता के समय भी प्रत्येक समूह अपने विचार को महत्त्व देगा। यह प्रश्न छात्र के नितांत वैयक्तित्व विचार और कक्षा में प्रस्तावित एक कार्यक्रम की प्रवृत्ति का है। अतः दस-दस छात्रों के समूह बनाकर प्रश्नानुसार कार्य-विधि का पालन कीजिए और अन्त में निष्कर्ष लीजिए। निष्कर्ष संकेत इस तरह दिया जा सकता है:

(क) उसी समय प्रतिक्रिया करके दोस्त को समझाना कठिन रहेगा क्योंकि आप दोस्त को खो देंगे। किसी अन्य समय एकांत में उसको समझाना होगा कि ऐसा करना अपराध की कोटि में आता है। “सहपाठी” शब्द उसको हम सभी को बराबर में खड़ा करता है अत: निर्धन होने के कारण उस सहपाठी को छेड़ना विधि-विरुद्ध

(ख) इस स्थिति में भी तुरंत प्रतिक्रिया करना उचित नहीं है। टिप्पणी करने वाला हमारा बड़ा भाई, पिता या माता भी हो सकता है अत: किसी अन्य उचित समय को चुनकर उनके साथ विस्तार से इस विषय पर बात करनी उचित रहेगी। यह सर्वधर्म समभाव वाली सांविधिक प्रतिष्ठा का अवमान है। यदि परिवार के सभी सदस्य एकमत से टिप्पणी करने लगें और अपने समुदाय में भी उन्होंने इस रूढिबद्ध धारणा को जमाने की कोशिश की तो निश्चित है कि कभी न कभी सांप्रदायिक हिंसा का परिणाम भुगतना पड़ेगा।

(ग) इस दशा में बच्चों को समझाया जाता है कि ऐसे व्यवहार से उन बच्चों के मन में ठस लगेगी और समाज के प्रति घृणा का भाव जगने पर आगे चलकर वह बनाया समाजिक अशांति और उपद्रव का कारण बन सकता है।

(घ) किसी समुदाय विशेष का उपहास करने के प्रयोजन से गढ़ा गया चुटकुला आगे चलकर समुदायों के बीच कलह और अशांति का कारण बन सकता है। यह किसी समुदाय के तौर-तरीकों पर सीधा प्रहार है अतः अनुचित है। ..

(ङ) यह स्थिति लड़कियों के मन में लड़कों के प्रति घृणा की भावना जगाती है। संभव है कि आगे चलकर व्यंग करने वाले लड़कों को उन लड़कियों के क्रोध का शिकार बनना पड़े। खेल में प्रवीणता अभ्यास से आती है और ऐसे अपवाद भी सामने हैं जिनमें लड़कियों ने खेलों में लड़कों से अधिक प्रवीणता दिखाई है।

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HBSE 6th Class Civics विविधता की समझ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

विविधता की समझ प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 1.
द्वेष या पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अपने धर्म, जाति और वर्ग को दूसरों से श्रेष्ठ समझने की मिथ्या-धारणा।

प्रश्न 2.
“दलित” शब्द को संविधान में क्या प्रभाव दिया गया है?
उत्तर:
अनुसूचित जाति या जनजाति।

प्रश्न 3.
भिन्नता और पूर्वाग्रह में क्या अन्तर है?
उत्तर:
भिन्नता सर्वव्यापी है जबकि पूर्वाग्रह अज्ञान और संकीर्ण मनोवृत्ति का परिचायक है।

प्रश्न 4.
द्वेष को मिथ्या धारणा क्यों कहते हैं?
उत्तर:
द्वेष एक आम-जनसमूह द्वारा बनाई गई धारणा है जो वास्तविक परीक्षा और जाँच करने पर आधारहीन पाई जाती है। उदाहरणार्थ-शहरी लोगों को भ्रष्ट और ठग मानना। वास्तविकता यह है कि सभी शहरी ऐसे नहीं होते और कुछ भ्रष्ट और ठग तथा कुछ सज्जन और विश्वसनीय लोग सर्वत्र पाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
ऊँच-नीच या द्वेष की धारणा क्या परिणाम लाती है?
उत्तर:
समाज का विघटन, आंतरिक अशांति और बाहरी शक्तियों की “फूट डालो और राज्य करो” नीति के लिए खुला स्थान।

प्रश्न 6.
अंग्रेजी को श्रेष्ठ और अन्य भाषाओं को नेष्ट मानना क्या है?
उत्तर:
अन्य भाषाओं की उपेक्षा (अज्ञानता के कारण) और पूर्वाग्रह (अंग्रेजों का श्रेष्ठ होना) के साथ चिपकी हुई क्षीण बुद्धि। भाषा, विचार-विमर्श का माध्यम है अत: न श्रेष्ठ है और न नेष्ट।

प्रश्न 7.
किसी के बात करने के ढंग का उपहास करना क्या है?
उत्तर:
पूर्वाग्रह से ग्रसित मानसिकता।

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प्रश्न 8.
पूर्वाग्रह और तथ्य के बीच क्या अंतर है?
उत्तर:
पूर्वाग्रह किसी जन-समूह द्वारा किसी अन्य समूह या स्थान के लिए बनाई गई मिथ्या धारणा अथवा द्वेष की भावना है क्योंकि तथ्य का अर्थ-किसी निश्चित बात या सत्य को व्यक्त करना है। उदाहरणार्थ-2001 में भारत की जनसंख्या एक अरब तीन करोड़ तक पहुंच गई थी-एक तथ्य है जिसको एक वैज्ञानिक जनानिकी पद्धति का अनुसरण करके ज्ञात किया गया है।

प्रश्न 9.
पूर्वाग्रह या द्वेष की भावना कैसे बनती है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति या स्थान के बारे में एक व्यक्ति के कटु-अनुभव या बुरी भावना जब उसके संपर्कगत लोगों के बीच व्यक्त होती है तो वे इसको जाँच किए बिना ही अपने मन में अंकित कर लेते हैं तथा उस व्यक्ति या समूह की बात उठते ही तुरंत इस द्वेष भावना को व्यक्त करने लग जाते हैं।

प्रश्न 10.
हमारे संविधान में समाज के कौन-से वर्ग को विशेष संरक्षण दिया गया है?
उत्तर:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का वर्णन संविधान की अनुसूची में होने के कारण यह नाम दिया गया है अन्यथा इन्हें “दलित” एवं “हरिजन” कहा जाता है।

प्रश्न 11.
संविधान में नागरिकों को कितने मूल अधिकार दिए गए हैं?
उत्तर:
छः अधिकार।

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प्रश्न 12.
संविधान क्या है?
उत्तर:
देश की व्यवस्था चलाने के लिए आवश्यक नियमों का एक संकलन अथवा पुस्तक।

प्रश्न 13.
हमारे संविधान में राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों को प्रविष्ट करने का लक्ष्य क्या था?
उत्तर:
भारत के नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक न्याय प्रदान करना।

प्रश्न 14.
संविधान में मूल कर्त्तव्यों को क्यों सम्मिलित किया गया है?
उत्तर:
नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग होने के साथ ही उन कार्यों की जानकारी भी प्राप्त कर सकें जिनके करने पर ही उन्हें संविधान में वर्णित अधिकार स्वतः मिलते रहते हैं। ये संख्या में हैं और अनुच्छेद 51 (ए) के “4-अ” भाग में वर्णित हैं।

प्रश्न 15.
हमारे संविधान निर्माताओं ने नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कहाँ से उद्धृत किया?
उत्तर:
आयरलैंड के संविधान से।

प्रश्न 16.
किन्हीं पाँच मूल कर्तव्यों को लिखिए।
उत्तर:
1. आवश्यकता पड़ने पर देश की प्रतिरक्षा के लिए प्राण-न्यौछावर करने को तत्पर रहना।
2. लोगों में समन्वय तथा भाईचारा बढ़ाना।
3. सार्वजनिक संपत्ति की परिरक्षा करना।
4. आदर्श (श्रेष्ठ) विचारों का अनुसरण करना।
5. भारत की एकता और अखंडता को कायम रखना।

प्रश्न 17.
मूल-अधिकारों को लिखिए।
उत्तर:
1. समानता का अधिकार
2. स्वतंत्रता का अधिकार
3. शोषण के विरूद्ध अधिकार
4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
5. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार तथा
6. संवैधानिक उपचार का अधिकार।

प्रश्न 18.
विविधता विभेद का स्रोत कैसे बनती है?
उत्तर:
जब रूड़ि और द्वेष की भावना विविधता के साथ जुड़ती है अर्थात् स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ मानने की भ्रांत धारणा।

प्रश्न 19.
विभेद क्या है?
उत्तर:
धर्म, जाति, वर्ण, कुल आदि आधार पर स्वयं को श्रेष्ठ तथा दूसरे को तुच्छ मानकर रूढ़ियाँ बनाने तथा झगड़ा करने की प्रवृत्ति।

प्रश्न 20.
“विभेद” किन-किन आधारों पर उत्पन्न हो सकता है?
उत्तर:
भाषा, क्षेत्र, धर्म, जाति, परंपरा, रहन-सहन, जीवन-स्तर आदि के आधार पर।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान की उद्देशिका में किन-किन बातों का उल्लेख है? इससे क्या पता लगता है?
उत्तर:
भारत का संविधान वस्तुतः नियमों की एक पुस्तक है जिसके प्राक्कथन रूप में उद्देशिका को दिया गया है। यह उद्देशिका संपूर्ण विषय-वस्तु का सार व्यक्त करती है। इसमें भारत एक संप्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणतंत्र होने, नागरिकों को मूल कर्त्तव्य और अधिकार देने तथा केन्द्र के साथ ही राज्यों में भी संसदीय शासन व्यवस्था को अंगीकार किए जाने की बात की गई है। इसमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर विशेष बल दिया गया है।

प्रश्न 2.
मूल अधिकारों का क्या महत्त्व है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मूल अधिकारों का महत्त्व:
1. मानव के सहज विकास हेतु ऐसे अधिकारों का रहना आवश्यक है। ये मनुष्य की भौतिक/शारीरिक वृद्धि और बौद्धिक एवं नैतिक विकास सुनिश्चित करते हैं।वातावरण प्रदान करते हैं।
2. इन अधिकारों के बिना हम अपने जीवन को सुखी तथा समृद्ध नहीं बना पाते हैं।
3. भारत के संविधान द्वारा इन अधिकारों को कानूनी बल दिया जाता है। इससे भी इनकी महत्ता स्वयं प्रकट हो जाती है।

प्रश्न 3.
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
नीति-निर्देशक सिद्धांतों का महत्त्व:
1. भारत के सभी नागरिकों के लिए आर्थिक और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करते हैं।
2. सभी लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक स्तरों पर समानता लाने के लिए चेष्टावान हैं।
3. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को प्रोन्नत करने का लक्ष्य रखते हैं।
4. भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करने के लक्ष्य की ओर उन्मुख करते हैं।

प्रश्न 4. राज्य के अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित नीति-निर्देशक सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. राज्य अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सचेष्ट रहेगा।
2. राष्ट्रों देशों के बीच न्यायपूर्ण और सौहार्दमय संबंध को कायम रखेगा।
3. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को माध्यस्थम विधि (मध्यस्थता) से परस्पर परिचर्चा करके, निपटाने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करेगा।
4. अन्तर्राष्ट्रीय विधि के लिए सम्मान की भावना जगाएगा।

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प्रश्न 5.
राज्य के संविधान में वर्णित महत्त्वपूर्ण नीति-निर्देशक सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रमुख नीति-निर्देशक सिद्धांत:
1. धन का समान वितरण (आर्थिक समानता) तथा महिला और पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
2. चौदह वर्ष की आयु तक सभी बच्चों को निःशुल्क बुनियादी शिक्षा दी जाए।
3. कृषि और पशुपालन को आधुनिक तथा वैज्ञानिक पद्धति से संचालित उद्योग बनाया जाए।
4. मादक पेय और औषधियों के सेवन को प्रतिषिद्ध किया जाए।
5. सभी को रोजगार देने वाली सक्षम व्यवस्था की जाए।
6. सभी नागरिकों को आजीविका के समुचित साधन उपलब्ध कराने वाली व्यवस्था बनाई जाए।
7. समाज के कमजोर वर्ग को विशेष संरक्षण देते हुए स्वास्थ्य उपचार की समुचित सुविधाएँ सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था की जाए।
8. ग्राम पंचायत को समुचित शक्ति सौंपी जाए।

प्रश्न 6.
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में गाँधीजी के कौन से सिद्धांतों का सार समाया है?
उत्तर:
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में गाँधी जी के सिद्धांतों का सार:
1. स्थानीय स्व-शासन को एक इकाई के रूप में ग्राम पंचायत का गठन करना।
2. कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना।
3. समुदाय के कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों के बढ़ावा देना।
4. मादक पेय और औषधियों के सेवन को निषिद्ध प्रतिषिद्ध करवाना।
5. पशुओं का परिरक्षण और वंश-संवर्धन करना तथा उसके वध को प्रतिषिद्ध ठहराना।
6. कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक पद्धति से संगठित करना।

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प्रश्न 7.
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत का संविधान विश्व के सभी देशों से आकार और पृष्ठों की दृष्टि से बड़ा और लिखित संविधान है। यहाँ के नागरिक ही अपनी सरकार बनाते हैं। यहाँ पर ऐतिहासिक गण/संघ पद्धति से शासन व्यवस्था सुस्थापित है। केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण संघ सूची और राज्य सूची में सुस्पष्ट किया गया है।

इसमें न्यायापालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप में मुक्त रखा गया है। न्यायपालिका को कार्यपालिका पर अंकुश रखने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। तात्पर्य यह है कि एक स्वतंत्र और संप्रभु न्यायपालिका है। इसमें राज्य के किसी अपने धर्म की बात नहीं की गई है अर्थात् भारत को धर्म निरपेक्ष राज्य बनाया गया है। अट्ठारह वर्ष की आयु को प्राप्त समस्त नागरिकों को मताधिकार दिया गया है। नागरिक के व्यष्टि अधिकारों का किसी तरह का हनन न हो-इसके लिए छ: मूल अधिकारों में से एक साविधिक उपचार का अधिकार भी दिया गया है।

प्रश्न 8.
कुछ अधिकारों को मूल अधिकार क्यों कहते
उत्तर:
“मूल” का अर्थ है- जड़। वनस्पति (जीव) की जड़ भूमि की सतह से भी अधिक गहरी जाकर ठोस आधार बनाती है और इसके उपरांत ही तना और पत्ते बनते हैं-यह सार्वभौमिक सत्य है। अत: मानव के यथार्थ आधार को ले पाने का वातावरण तैयार करने के लिए समानता, स्वतंत्रता, शोषण विरूद्ध अधिकार, सांविधिक उपचार जैसे अधिकार दिए जाने-एक वृक्ष की जड़ों जैसे आवश्यक अंग हैं। इसीलिए ये मूल अधिकार हैं अर्थात् मानव व्यक्तित्व के ऐसे निर्माणी अधिकार लोकतंत्र में रहने आवश्यक हैं।

प्रश्न 9.
‘अस्पृश्यता’ की उत्पत्ति कहाँ से हुई? इसके मूल हेतुकों को बताइए।
उत्तर:
उत्तर वैदिक काल में तत्समय आवश्यक समाज व्यवस्था के अनुसार कार्य संघ बनाए गए और कार्य संघ अलग-अलग स्थानों पर समुदाय बनाकर रहने लगे। कालांतर में कार्यों का विश्लेषण किया गया और योग्यताओं के आधार पर बने हुए कार्य-संघों को चार वर्गों में बाँटा गया जो ब्राह्मण (अध्ययन, अध्यापन, वेद-पाठ, धर्म प्रचार, समाजोपयोगी विचारों का प्रचार-प्रसार), क्षत्रिय (तीक्ष्ण बुद्धि, साहसी, पराक्रमी, रणनीति विशेषज्ञ), वैश्य (कृषि, व्यापार, संचार, कारोबार, वणिकवृत्ति) और शूद्र (भौतिक दृष्टि से निरूपयोगी चीजों को भी उपयोगी पाने में सक्षम सभी शिल्पी, वास्तुकार, अभियंता, चर्मकार, लोहार, सुनार, स्वच्छक, केशकर्त्तक आदि) के।

आरंभ में कार्य-आधार पर समाज में स्वीकृत यह व्यवस्था आगे की पीढ़ियों में जन्म का आधार पकड़ गई जैसा कि शिक्षित, अच्छे स्कूल का छात्र आदि योग्यताओं के रहने पर भी स्टेशन मास्टर की रूढ़ि ने डा. अम्बेडकर को कटु अनुभव कराया। यात्रियों के प्रति अपने प्रशासकीय कर्तव्य को भी उसने तिलांजलि दे दी थी। रूढ़ियों के कारण ही संविधान में भी इन्हें अनुसूची में आबद्ध करना पड़ा है अर्थात् विशेष सरकारी संरक्षण प्रदान किया गया है।

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विविधता एवं भेदभाव Class 6 HBSE Notes in Hindi

1. विविध धर्म, स्वभाव के लोग आपस में उपहास, व्यंग्य क्यों करते हैं?: अपने धर्म को दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ समझने का अज्ञान रहने के कारण।
2. विश्व में कुल कितने धर्म हैं?: आठ
3. लघु-संसार (जगत) भारत में कितनी भाषाएं प्रचलित हैं? 1600
4. भारत के संविधान में संशोधन करके वर्ष 2003 से कौन सी भाषाओं को अधिसूचित किया गया है?: थोड़ो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाएँ।
5. वर्ष 2003 के संशोधन पश्चात् भारत के संविधान में अनुसूचित भाषाएँ कितनी है? बाईस ।
6. कुछ लोगों को हम अजनबी और अपरिचित क्यों लगते हैं?: तौर-तरीकों और आचार-विचार में भिन्नता के कारण।
7. आत्म-ज्ञान क्या है? अपने आहार, आश्रय-स्थल, जीवन स्तर, भाषा और बोली, मनो-विनोद, खेल-कूद, त्योहार आदि से भली-भांति परिचित होना।
8. हम अपने को सुरक्षित किन लोगों के बीच पाते हैं?: जिनकी कद-काठी, विचार-बातें, पहनावा और मुख मुद्रा हमारी जैसी होती है।
9. पिछड़ा, गंदा, भ्रष्ट, धूर्त, धनलोलुप जैसे शब्दों के स्थान पर अग्रणी, स्वच्छ, सच्चरित्र, विद्वान, उदार जैसे शब्दों का प्रयोग करना सधार लाएगा या नहीं?: अवश्य लाएगा। ये सभी शब्द गहन जाँच करने के बाद ही विशेष प्राधिकारी (भाषाविद्) द्वारा प्रयोग किए जाने वाले शब्द हैं।
10. यदि किसी वस्ती का एक व्यक्ति सच्चरित्र नहीं है तो क्या समूची बस्ती और उसके लोगों को भ्रष्ट मानना उचित है?: कदापि नहीं। ऐसी धारणा विघटनकारी है।
11, पूर्वाग्रह क्या है?: किसी घटना की पूर्ण जाँच किए बिना ही भीड़ का एक अंग बनकर किसी व्यक्ति या समाज के प्रति अच्छी/बुरी धारणा बना लेना।

HBSE 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव

12. वर्ण-भेद (काला-गोरा) क्या है?: शरीर की चमड़ी के आधार पर घृणा या प्रेम की धारणा बनाना।
13. पूर्वाग्रह क्यों बनते हैं?: किसी एक व्यक्ति के अच्छा या बुरा होने पर उसके समूचे परिवार, समुदाय और बस्ती को वैसा ही मान लेने की भ्रामक धारणा।
14. रूढ़ियाँ/कुंठा ग्रंथियाँ कैसे बनती हैं?: किसी एक वर्ग, वंश, लिंग आदि को दूसरे से श्रेष्ठ समझने, व्यक्त करने और समय-समय पर उच्चारित करने से।
15. रूढ़ियाँ उत्पन्न न हों-इसके लिए भाषा/ बोली पर नियंत्रण किस इकाई द्वारा लगाया जाना चाहिए?: परिवार नामक इकाई द्वारा उदाहरणार्थ-माता-पिता द्वारा लड़के को “बहादुर” और लड़की को “डरपोक” (कायर) न कहें।
16, क्या लड़कियाँ जन्म से ही कमजोर परन्तु अच्छे व्यवहार की होती हैं और लड़के शक्तिशाली और निर्दयी होते हैं? नहीं, यह समाज ही उनको ऐसा बनाता है क्योंकि इसके अपवाद भी हैं। उदाहरणार्थ-कहीं-कहीं लड़कियाँ बहादुरी का जबरदस्त प्रदर्शन करती देखी गई हैं।
17. रूढ़ियाँ कौन सी परिस्थिति में नहीं बनेंगी?: जब प्रत्येक विषय का तर्कपूर्ण विचार करने की प्रवृत्ति का जन्म होगा।
18. रूढ़िवादी कौन है?: ऐसे व्यक्ति या समुदाय जो किसी एक व्यक्ति के दोषी या गुणी होने से उसके संपूर्ण समूह, परिवार, संघ आदि को आरोपित या सम्मानित करते हैं।
19. असमानता क्या है?: आर्थिक असमानता, जाति और सामाजिक असमानता आदि। अर्थात् भौतिक और मानसिक स्तर की भिन्नता।
20. विभेद क्या है?: मिथ्या धारणा या रूढ़ि अथवा पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर कार्य करना।
21. धोबी; नाई, कबाड़ी अपने को अस्पृश्य के स्थान पर “दलित”शब्द से क्यों संबोधित करते हैं?: उनका भी यह अपने प्रति पूर्वाग्रह है और संवैधानिक संरक्षण चाहने की एक तृष्णा है।
22. स्तंभ (21) के लोगों को संविधान में किस शब्द से संबोधित किया गया है?: ‘अनुसूचित जाति’ से।
23. कक्षा में निम्न जाति के बच्चों को अलग बैठाना क्या है?: पूर्वाग्रह के कारण जाति-भेद।
24. भेदभाव से पीड़ित व्यक्ति अपने को क्या सोचता होगा?: आत्महीन एवं निरर्थक और निरूद्देश्य जीवन जीने वाला।
25. डा. अम्बेडकर के प्रति स्टेशन मास्टर और बैलगाड़ी वालों की घोर उपेक्षा क्या दर्शाती है? मानव-अधिकार का घोर दमन और समाज की संकीर्ण मनोवृति।
26. स्टेशन मास्टर की प्रतिक्रिया का बालक भीमराव के मन पर क्या प्रभाव पड़ा होगा?: उन्हें लगा होगा कि “जाति-नाम” एक ऐसा गंदा आरोप है कि सभी लोग कतराने लगते हैं।
27. स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले दलित, महिलाओं, आदिवासियों और किसानों का मूल-प्रेरक क्या था?: असमानता की स्थिति से संघर्ष करना और समानता लाना।
28. समानता के अधिकार और संविधानिक उपचारों के अधिकार देने के बाद भी इसमें अनुसूचियों को उपरिका प्रभाव देना क्या दर्शाता है?: संविधान निर्माताओं का पूर्वाग्रह अथवा रूढ़ि।
29. हमारा देश एक “धर्म निरपेक्ष” कैसे है?: भारत सरकार/संघ का अपना कोई विशेष धर्म नहीं है। संविधान में “सर्व-धर्म-समभाव” की भावना का प्रतिरूपण किया गया है।

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