Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Practical Work in Geography Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के स्थलाकृतिक मानचित्रों की संख्या कितनी है?
(A) 2,222
(B) 1,822
(C) 2,144
(D) 2,488
उत्तर:
(A) 2,222
2. सर्वे ऑफ इण्डिया का स्थापना वर्ष है-
(A) सन् 1744
(B) सन् 1755
(C) सन् 1764
(D) सन् 1767
उत्तर:
(D) सन् 1767
3. सर्वे ऑफ इण्डिया का मुख्यालय कहाँ पर स्थित है?
(A) देहरादून में
(B) कोलकाता में
(C) मुम्बई में
(D) इलाहाबाद में
उत्तर:
(A) देहरादून में
4. कृषिकृत भूमि उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए किस रंग का प्रयोग किया जाता है?
(A) पीला
(B) हल्का हरा
(C) भूरा
(D) लाल
उत्तर:
(A) पीला
5. मानचित्र पर उच्चावच प्रदर्शित करने की प्रचलित विधि है-
(A) हैश्यूर
(B) पहाड़ी छायाकरण
(C) समोच्च रेखाएँ
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या होते हैं?
उत्तर:
स्थलाकृतिक मानचित्र वृहत् पैमाने पर बने बहु-उद्देशीय मानचित्र होते हैं जिन पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक लक्षणों के विवरण को देखा जा सकता है।
प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के मानचित्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस श्रृंखला के मानचित्रों को 1:1000000 अथवा 1:250000 के मापक पर बनाया जाता है। इनका विस्तार 4° अक्षांश तथा 6° देशान्तर होता है। इन मानचित्रों को वन-टू-वन मिलियन शीट भी कहा जाता है।
प्रश्न 3.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर कौन-कौन से विवरण अंकित होते हैं?
उत्तर:
इन मानचित्रों पर भौतिक और सांस्कृतिक विवरण दिखाए जाते हैं; जैसे उच्चावच, अपवाह तन्त्र, जलीय स्वरूप, प्राकृतिक वनस्पति, बस्तियाँ (गाँव, नगर), मार्ग, सड़कें, रेलमार्ग, भवन, स्मारक, संचार-साधन, सीमाएँ, पूजा-स्थल इत्यादि।
प्रश्न 4.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर भौतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों को किस तरीके (विधि) से दिखाया जाता है?
उत्तर:
रूढ़ चिह्नों द्वारा।
प्रश्न 5.
रूढ़ चिह्न क्या होते हैं?
उत्तर:
वे संकेत व प्रतीक जिनके माध्यम से मानचित्रों पर विभिन्न लक्षण प्रदर्शित किए जाते हैं, रूढ़ चिह्न कहलाते हैं।
प्रश्न 6.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर कौन-से प्रमुख भौगोलिक लक्षण नहीं दिखाए जाते हैं?
उत्तर:
जलवायु, तापमान, वर्षा, मिट्टी के प्रकार, चट्टानें, भू-गर्भ, फसलों के अन्तर्गत भूमि, जनसंख्या इत्यादि तत्त्व स्थलाकृतिक मानचित्रों पर नहीं दिखाए जाते।
प्रश्न 7.
स्थलाकृतिक मानचित्रों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यह सर्वेक्षण के समय की भू-तल की आकृति को हू बहू मानचित्र पर उतार देता है। अतः इसका उपयोग क्षेत्रीय विकास (Regional Development) के लिए खूब किया जाता है।
प्रश्न 8.
सर्वे ऑफ इण्डिया की स्थापना कब हुई थी? इसका मुख्य कार्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर:
इस विभाग की स्थापना सन् 1767 में हुई थी। इसका मुख्य कार्यालय देहरादून में है।
प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय शृंखला के मानचित्रों की कुल संख्या कितनी है?
उत्तर:
2,2221
प्रश्न 10.
अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के मानचित्रों का मापक क्या होता है?
उत्तर:
1:1,000,000; इन्हें एक मिलियन मानचित्र कहते हैं।
प्रश्न 11.
भारत एवं निकटवर्ती देशों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये 4° दक्षिण से 40° उत्तर अक्षांश तथा 44° पूर्व से 104° पूर्व देशान्तर के बीच स्थित क्षेत्र के 106 मानचित्र हैं। इनका मापक 1:1,000,000 (मिलियन) है। इनका विस्तार 4° अक्षांश x 4° देशांतर है।
प्रश्न 12.
स्थलाकृतिक मानचित्र किस मापक पर बना होता है?
उत्तर:
वृहत् मापक पर।
प्रश्न 13.
स्थलाकृतिक मानचित्र किस विभाग द्वारा बनाए जाते हैं?
उत्तर:
भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा।
प्रश्न 14.
भारतीय सर्वेक्षण विभाग का मुख्यालय कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
देहरादून (उत्तराखंड)।
प्रश्न 15.
भारत के स्थलाकृतिक मानचित्रों की सूची संख्या बताओ।
उत्तर:
40 से 92 तक।
प्रश्न 16.
रूढ़ चिह्नों को मापक के अनुसार क्यों नहीं बनाया जाता?
उत्तर:
मापक के अनुसार बनाने पर अधिकतर लक्षण बहुत छोटे हो जाते हैं।
प्रश्न 17.
स्थलाकृतिक मानचित्रों में किसी क्षेत्र के ढाल का अनुमान कैसे लगता है?
उत्तर:
नदियों की प्रकट दिशा तथा समोच्च रेखाओं से।
प्रश्न 18.
मौसमी नदियों को किस रंग द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर:
काले रंग से।
प्रश्न 19.
सड़कों तथा रेलमार्गों के साथ-साथ मिलने वाली बस्तियों का प्रतिरूप कैसा होता है?
उत्तर:
रेखीय प्रतिरूप।
प्रश्न 20.
भू-पत्रकों पर बस्तियों को किस रंग द्वारा दिखाया जाता है?
उत्तर:
लाल रंग से।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या होता है?
उत्तर:
स्थलाकृतिक मानचित्र समतल और भूगणितीय सर्वेक्षणों पर आधारित ऐसे बहु-उद्देशीय मानचित्र होते हैं जिन्हें वृहत् मापक (Large Scale) पर बनाया जाता है। इन पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक विवरण देखे जा सकते हैं; जैसे धरातल, जल-प्रवाह, वनस्पति, गाँव, नगर, सड़कें, नहरें, रेल लाइनें, पूजा स्थल इत्यादि विस्तारपूर्वक रूढ़ चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं।
प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक मानचित्रों की उपयोगिता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यदि भू-तल पर वितरित विभिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक स्वरूपों में पाए जाने वाले अंतर्संबन्धों (Inter-relationships) का विश्लेषण और व्याख्या करनी हो तो स्थलाकृतिक मानचित्रों से बढ़िया और कोई साधन नहीं है। भौगोलिक अध्ययन के अतिरिक्त ये मानचित्र सैनिक गतिविधियों, प्रशासन, नियोजन, शोध, यात्रा तथा अन्वेषण के लिए भी उपयोगी होते हैं। रक्षा विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि युद्ध की सफलता सेना अधिकारियों द्वारा उस क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्रों के गहन अध्ययन पर निर्भर करती है क्योंकि ये मानचित्र भूमि के चप्पे-चप्पे की जानकारी देते हैं। इससे सम्भावित आक्रमण और सुरक्षित स्थानों का अन्दाजा हो जाता है।
प्रश्न 3.
भारत और निकटवर्ती देशों की मानचित्र शृंखला का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत और निकटवर्ती देशों के मानचित्र निम्नलिखित प्रणालियों में तैयार किए गए हैं-
1. एक मिलियन शीट या डिग्री शीट-इस शृंखला के मानचित्रों को 1:1,000,000 के मापक पर बनाया जाता है तथा इनका विस्तार 4° अक्षांश तथा 4° देशान्तर होता है।
2. चौथाई इंच प्रति मील शृंखला-इनका मापक \(\frac { 1 }{ 4 }\) इंच : 1 मील अथवा 1″ : 4 मील या 1:253440 होता है। इसलिए इनको चौथाई इंच शीट या डिग्री शीट भी कहा जाता है। इनका विस्तार 1° अक्षांश से 1° देशान्तर होता है।
3. आधा इंच प्रति मील श्रृंखला-इनका मापक 1/2″ : 1 मील या 1″ : 2 मील या 1:126720 होता है। इनका अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार आधा डिग्री या 30′ होता है।
4. एक इंच प्रति मील शृंखला-इन मानचित्रों का मापक 1 इंच : 1 मील अथवा 1:63360 होता है तथा इनका अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार 15′ होता है।
5. 1:25,000 मापक की शृंखला-इन्हें चौथाई डिग्री शीट वाले मानचित्र भी कहा जाता है। इनका मापक 1:50,000 होता है। इनका अक्षांशीय विस्तार 5′ तथा देशान्तरीय विस्तार 7V’ होता है।
प्रश्न 4.
उच्चावच को प्रदर्शित करने की विधियों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानचित्र पर भू-तल के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों का चित्रण भूगोल का एक अभिन्न अंग है। धरातल पर कहीं पर्वत, पठार, समतल मैदान तथा घाटियाँ हैं। अतः धरातलीय उच्चावच को प्रदर्शित करना भूगोलवेत्ता का महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसको प्रदर्शित करने की निम्नलिखित विधियाँ हैं-
- हैश्यूर (Hachures)
- स्थानिक ऊँचाइयाँ, तल चिह्न एवं त्रिकोणमितीय स्टेशन (Spot Heights, Bench Marks and Trigonometrical Stations)
- पहाड़ी छायाकरण (Hill Shading)
- स्तर वर्ण (Layer Tints)
- भू-आकृति चिह्न (Physiographic Symbols)
- समोच्च रेखाएँ (Contours)
- खंडित रेखाएँ (Form lines)
- मिश्रित विधियाँ (Mixed Methods) आदि।
प्रश्न 5.
समोच्च रेखाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समोच्च रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो समुद्र-तल से ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती है। (A Contour is an imaginary line which joins place of equal altitude above the sea level.) अतः 200 मीटर वाली समोच्च रेखा का तात्पर्य इस समोच्च रेखा से है जो समुद्र की सतह से 200 मीटर वाले स्थानों को मिलाकर खींची जाती है। इन्हें एक निश्चित अन्तराल पर खींचा जाता है।
प्रश्न 6.
समोच्च रेखाओं की क्या विशेषताएँ (लक्षण) हैं?
उत्तर:
समोच्च रेखाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ (लक्षण) हैं-
- समोच्च रेखाएँ मानचित्र में वक्राकार होती हैं।
- ये समुद्र-तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती हैं।
- ये रेखाएँ तो मिल जाती हैं परन्तु एक-दूसरे को काटती नहीं हैं। ये रेखाएँ जल-प्रपात के स्थान पर मिल जाती हैं, केवल प्रलम्बी भृगु (Over hanging clif) की समोच्च रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं।
- किसी स्थान का उच्चावच इन रेखाओं की सहायता से किया जाता है।
- ये निश्चित उर्ध्वाकार अन्तराल पर खींची जाती हैं। इनके द्वारा दो स्थानों के बीच ऊँचाई का स्पष्ट एवं सही ज्ञान हो जाता है।
- जब समोच्च रेखाएँ पास-पास हों तो ढाल तीव्र तथा जब इनकी आपसी दूरी अधिक हो तो ढाल मन्द होती है।
प्रश्न 7.
समोच्च रेखाओं के गुण और दोष क्या हैं?
उत्तर:
गुण समोच्च रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं-
- इस विधि द्वारा विभिन्न भू-आकृतियाँ सरलता से दिखाई जा सकती हैं।
- इस उच्चावच को दर्शाने की सर्वोत्तम विधि है।
- समोच्च रेखाओं द्वारा किसी भी क्षेत्र की ऊँचाई तथा ढाल ज्ञात की जा सकती है।
- यह एक शुद्ध विधि है।
दोष समोच्च रेखाओं के दोष निम्नलिखित हैं-
- ऊर्ध्वाधर अन्तराल अधिक होने पर छोटी-छोटी भू-आकृतियों को इस विधि द्वारा मानचित्र पर नहीं दर्शाया जा सकता।
- इस विधि द्वारा पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों को साथ-साथ दिखाने में कठिनाई होती है।
प्रश्न 8.
ऊर्ध्वाधर अन्तराल किसे कहते हैं?
उत्तर:
किन्हीं दो समोच्च रेखाओं के मध्य ऊँचाई का जो अन्तर होता है, उसे ऊर्ध्वाधर अन्तराल कहते हैं। (Vertical interval is the difference of height between any two successive contours.) इसे संक्षेप में V.I. कहते हैं। यह हमेशा स्थिर रहता है तथा इसे मीटर तथा फुट में दिखाया जाता है। मानचित्र पर समोच्च रेखाएँ भूरे रंग से 20, 50, 100 तथा 200 मीटर अथवा फुट के अन्तर पर खींची जाती हैं।
प्रश्न 9.
क्षैतिज तुल्यमान किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो समोच्च रेखाओं के बीच क्षैतिज दूरी को क्षैतिज तुल्यमान कहते हैं। (Horizontal equivalent is the horizontal distance between any two successive contours.) इसे H.E. से पुकारा जाता है। यह ढाल के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। यदि ढाल अधिक है तो समोच्च रेखाओं के मध्य की दूरी कम होगी और यदि ढाल कम है तो इनके बीच की दूरी अधिक होगी। पर्वतीय क्षेत्रों की समोच्च रेखाएँ पास-पास होती हैं। इसलिए ऐसे क्षेत्रों की समोच्च रेखाओं का क्षैतिज तुल्यमान कम तथा मैदानी क्षेत्रों में यह अधिक होता है।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
परिच्छेदिका किसे कहते हैं? परिच्छेदिका खींचने की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परिच्छेदिका अथवा अनुप्रस्थ काट (Profile or Cross-Section)-“समोच्च रेखा मानचित्र पर किसी दी गई पार्श्व रेखा के सहारे भू-तल की बाहरी रूपरेखा को परिच्छेदिका कहते हैं।” इसे अनुप्रस्थ काट अथवा पार्श्व चित्र भी कहते हैं। परिच्छेदिका समझ सकते हैं। मान लीजिए धरातल पर किसी स्थलरूप को एक सरल रेखा के सहारे खड़े तल में ऊपर से नीचे काटकर उसके एक भाग को हटा दिया जाए तो बचे हुए भाग का ऊपरी किनारा या सीमा रेखा उस स्थल की परिच्छेदिका को प्रकट करेगा। जिस सरल रेखा के सहारे स्थलरूप को काटा गया है वह उस परिच्छेदिका की काट-रेखा (Line of Section) कहलाती है। काट-रेखा के बारे में उल्लेखनीय है कि इसे सरल रेखा के रूप में सीधा या तिरछा किसी भी दिशा में खींचा जा सकता है।
परिच्छेदिका खींचना – मान लो एक समोच्च रेखा मानचित्र में AB, CD, EF तथा GH चार समोच्च रेखाएं दी हुई हैं। (चित्र 6.1) तथा AB रेखा के साथ इसकी परिच्छेदिका खींचनी है।
- सर्वप्रथम A तथा B बिंदुओं को मिलाते हुए एक सरल रेखा इस प्रकार खींचो कि वह समोच्च रेखाओं को C, D, E, F, G तथा H बिंदुओं पर काटे।
- मानचित्र के नीचे एक अन्य रेखा A B लो जिसकी लंबाई AB रेखा के बराबर हो। यह रेखा परिच्छेदिका की आधार रेखा होगी।
A तथा B बिंदुओं से नीचे की ओर AA’ तथा BB’ दो लंब गिराओ। - इन लंबवत रेखाओं के सहारे आधार रेखा से ऊपर की ओर समान दूरी पर किसी मापनी के अनुसार 200, 300, 400, 500 व 600 मीटर की ऊंचाई दिखाने वाली रेखाएं खींचो जो A B के समानांतर हों। ये रेखाएं ऊर्ध्वाधर अंतराल V.I. को प्रकट करती हैं।
- अब A व B,C व D, E व F तथा G व H से AA’ व BB’, CC’ व DD’, EE’ व FF’ तथा GG’ व HH क्रमशः 200, 300, 400 तथा 500 मीटर वाली रेखाओं पर लंब गिराओ।
- A, C, E’,G’, H’, F’, D’ तथा B’ को मिलाने वाली वक्र रेखा परिच्छेदिका का निर्माण करेगी।
परिच्छेदिका खींचते समय क्षैतिज मापक (Horizontal Scale) की तुलना में ऊर्ध्वाधर मापक (Vertical Scale) का 5 से 10 गुना तक परिवर्धन कर लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि परिच्छेदिका द्वारा ढाल और भू-आकृति की रूपरेखा स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से उभरकर सामने आए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित भू-आकृतियों को समोच्च रेखाओं द्वारा प्रदर्शित करो तथा इनकी परिच्छेदिका भी खींचो :
(1) समढाल (Uniform Slope)
(2) नतोदर ढाल (Concave Slope)
(3) उन्नतोदर ढाल (Convex Slope)
(4) सीढ़ीनुमा ढाल (Terraced Slope)
(5) विषम ढाल (Undulating Slope)।
उत्तर:
1. समढाल (Uniform Slope)-जिन प्रदेशों में ढाल में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता, ढाल सभी जगह एक जैसा
ही रहता है अथवा ढाल में शनैःशनैः परिवर्तन आता है, उसे समढाल (Uniform Slope) कहते हैं। इसमें समोच्च रेखाओं के बीच की दूरी बराबर रहती है। (चित्र 6.2)
2. नतोदर ढाल (Concave Slope) पर्वतीय क्षेत्रों में शिखर के तीव्र ढाल तथा गिरीपद क्षेत्र में मन्द ढाल होते हैं। इसलिए शिखर के पास समोच्च रेखाएँ पास-पास तथा गिरीपद के निकट ये दूर-दूर होती हैं। (चित्र 6.3)
3. उन्नतोदर ढाल (Convex Slope)-इसमें ढाल का क्रम नतोदर के ठीक विपरीत होता है। शिखर के निकट ढाल मन्द तथा गिरीपद के निकट तीव्र ढाल होता है। शिखर के निकट समोच्च रेखाएँ दूर-दूर तथा गिरीपद के निकट ये रेखाएँ पास-पास होती हैं। (चित्र 6.4)
4. सीढ़ीनुमा ढाल (Terraced Slope)-इसमें समोच्च रेखाएँ जोड़ों में होती हैं। इसमें कहीं पर ढाल समतल तथा कहीं सीढ़ीनुमा या सोपानी होता है। इसलिए इसमें दो रेखाएँ एक युग्म के रूप में पास-पास होती हैं। (चित्र 6.5)
5. विषम ढाल (Undulating Slope)-इसे तरंगित ढाल भी कहते हैं। इसमें ढाल कहीं तीव्र तथा कहीं मन्द होता है, कहीं पर ढाल नतोदर तथा कहीं उन्नतोदर होता है। एक लहर या तरंग की भाँति विषम ढाल असमान होता है, उसे विषम ढाल कहते हैं। (चित्र 6.6)
प्रश्न 3.
समोच्च रेखाओं द्वारा निम्नलिखित भू-आकृतियों का प्रदर्शन करें।
(1) पठार (Plateau)
(2) शंक्वाकार पहाड़ी (Conical Hill)
(3) कटक (Ridge)
(4) स्कन्ध (Spur)
(5) V-आकार की घाटी (V-Shaped Valley)
(6) जलप्रपात (Waterfall)
(7) समुद्री भृगु (Sea Cliff)।
उत्तर:
1. पठार (Plateau)-पठार भू-तल का एक मेजनुमा भू-भाग है, जिसके पार्श्व खड़े ढाल वाले होते हैं। इसीलिए किनारों पर समोच्च रेखाएँ पास-पास तथा मध्यवर्ती भाग समतल होने के कारण नहीं पाई जाती हैं। (चित्र 6.7)
2. शंक्वाकार पहाड़ी (Conical Hill)-यह एक पहाड़ी भू-आकृति है, जिसमें चारों ओर ढाल प्रायः एक समान होता है। समोच्च रेखाएँ समान दूरी पर होती हैं। पहाड़ी त्रिभुजाकार शिखर संकरे तथा आधार चौड़े होते हैं। (चित्र 6.8)
3. कटक (Ridge)-एक ऊँची पहाड़ी जो श्रृंखला के रूप में लम्बाई में विस्तृत हो कटक कहलाती है। यह प्रायः संकरी होती है। इनको प्रायः अण्डाकार समोच्च रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है। इसके किनारों के ढाल तीव्र होते हैं तथा दीर्घवृत्तों वाली समोच्च रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। (चित्र 6.9)
4. स्कन्ध (Spur) उच्च प्रदेशों में निम्न प्रदेशों की ओर एक जिह्वा की भाँति निकली स्थलाकृति को स्कन्ध कहते हैं। इसकी समोच्च रेखाएँ अंग्रेजी के अक्षर V की तरह होती हैं। (चित्र 6.10)
5. V-आकार की घाटी (V-Shaped Valley)-यह नदी द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में बनने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलाकृति है, इससे प्रदर्शित समोच्च रेखाओं का आकार V की तरह होता है तथा बाहर से अन्दर को उनका मान कम होता जाता है। नदी की तलहटी के कटाव के कारण घाटी निरन्तर गहरी होती चली जाती है तथा पार्श्व खड़े रहते हैं। (चित्र 6.11)
6. जलप्रपात (Waterfall)-जलप्रपात भी नदी के अपरदन के कारण नदी द्वारा प्रारम्भिक अवस्था में बनने वाली आकर्षक स्थलाकृति है। जब नदी के अपरदन द्वारा कोमल चट्टान कटकर निम्न हो जाती है तो जलप्रपात का निर्माण होता है। जहाँ पर पानी गिरता है वहाँ दो या दो से अधिक समोच्च रेखाएँ आकर मिल जाती हैं क्योंकि ढाल लगभग 90° के आस-पास होता है। (चित्र 6.12)
7. समुद्री भृगु (Sea Cliff)-सागरीय तट के खड़े ढाल वाली चट्टान, जो मुख्य रूप से किसी सागर तट में ऊर्ध्वाधर दिशा में होती है, को भृगु कहते हैं। इसमें कम ऊँचाई दिखाने वाली समोच्च रेखाएँ मिली होती हैं। ये खड़े ढाल को प्रदर्शित करती हैं। उच्च भूमि की समोच्च रेखाएँ दूर-दूर होती हैं। ये मन्द ढाल दर्शाती हैं। (चित्र 6.13)
प्रश्न 4.
भारत में प्रकाशित होने वाले स्थलाकृतिक मानचित्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रकाशित स्थलाकृतिक मानचित्र-
1. अन्तर्राष्ट्रीय शृंखला (International Series)-इस श्रृंखला के मानचित्र 1:1,000,000 मापक पर बनाए गए हैं। 60° उत्तरी व 60° दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित क्षेत्रों के प्रत्येक मानचित्र का विस्तार 4° अक्षांश तथा 6° देशान्तर है। इस श्रृंखला में पूरे विश्व के 2,222 मानचित्र बनने हैं। इन मानचित्रों को 1/IM या one-to-one million sheets भी कहा जाता है। इनमें ऊँचाई मीटरों में दर्शायी जाती है। यह शृंखला अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के अन्तर्गत बनाई गई है।
2. भारत एवं निकटवर्ती देशों की श्रृंखला (India and Adjacent Countries Series) इस श्रृंखला के मानचित्रों का मापक भी 1:1,000,000 है, परन्तु इसमें प्रत्येक मानचित्र का विस्तार 4° अक्षांश तथा 4° देशान्तर है। इनकी संख्या 1 से 106 तक है जिनके अन्तर्गत भारतीय उपमहाद्वीप के अतिरिक्त ईरान, अफगानिस्तान, म्याँमार, तिब्बत व चीन के कुछ भाग शामिल होते हैं। भारतीय क्षेत्र के मानचित्रों की संख्या 38 है जो क्रम संख्या 40 से 92 के बीच पाए जाते हैं।
इन संख्याओं को सूचक संख्याएँ (Index Number) कहा जाता है। वर्तमान में इस श्रृंखला का प्रकाशन बन्द हो चुका है। इसके बावजूद भी यह श्रृंखला भारत में छपने वाली अन्य सभी शृंखलाओं का आधार है। इस शृंखला के प्रत्येक मानचित्र को 4 डिग्री शीट या एक मिलियन शीट कहते हैं।
3. चौथाई इंच प्रति मील शृंखला (Quarter Inch or Degree Sheets)- 4°x4° शीट जब किसी 4°x 4° शीट अर्थात् एक मिलियन शीट (जैसे 55 या 57 या 73 कोई 24° भी जो भारत व निकटवर्ती देशों की श्रृंखला में आती है) को 16 बराबर स्थलाकृतिक मानचित्रों में बाँटेंगे तो प्रत्येक मानचित्र 1° अक्षांश x1° देशान्तर द्वारा घेरे हुए क्षेत्र को दिखाएगा। अतः ऐसी प्रत्येक शीट को डिग्री शीट या चौथाई इंच शीट कहा जाता है।
इनका मापक \(\frac { 1 }{ 4 }\) इंच : 1 मील अथवा 1 इंच : 4 मील अर्थात् 1:253,440 होता है। (63,360 x 4 = 253,440)। इन मानचित्रों में समोच्च रेखाओं का अन्तराल 250 फुट होता है। इन डिग्री शीटों का अंकन करने के लिए अंग्रेजी A के P से 16 है। तक अक्षरों का प्रयोग किया जाता है; जैसे 55A, 55B, 55C तथा 55D आदि 76° (चित्र 6.14)।
इन मानचित्रों का नवीन संस्करण मीट्रिक प्रणाली में छापा गया है जिनका मापक 1:250,000 तथा समोच्च रेखाओं का अन्तराल 100 मीटर होता है।
4. आधा इंच प्रति मील श्रृंखला (Half Inch or Half Degree Sheets) जब किसी चौथाई इंच शीट या डिग्री शीट को चार बराबर भागों में बाँटेगें तो इनमें से प्रत्येक आधा डिग्री शीट होगी अर्थात् अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार आधा डिग्री या 30 होगा। इसका मापक \(\frac { 1″ }{ 2 }\) : 1 मील या 1″ : 2 मील अर्थात् 1:126,720 होता है। (63,360 x 2 = 126,720)। इन पत्रकों में समोच्च रेखाओं का अन्तराल 100 फुट होता है। इन चार भागों में प्रत्येक को उसकी दिशानुसार अंकित किया जाता है; जैसे 55\(\frac { P }{ MW }\), 55\(\frac { P }{ NE }\)इत्यादि (चित्र 6.15)। मेट्रिक प्रणाली के अन्तर्गत इन मानचित्रों का मापक 1 : 100,000 रखा गया है।
इन मानचित्रों का प्रकाशन अब बन्द हो गया है।
5. एक इंच प्रति मील शृंखला (One Inch or Quarter Degree Sheets)-जब किसी चौथाई इंच या डिग्री शीट (जैसे 55P) को 16 बराबर भागों में बाँटते हैं तो प्रत्येक मानचित्र का 45° अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार 15′ होगा। इन 16 मानचित्रों को 1 से 16 तक संख्याओं द्वारा 30 अंकित किया जाता है; जैसे 55 P/1, 55 P/2, 55 P/3 …… 55 P/16 इत्यादि। इन मानचित्रों का मापक 1 इंच : 1 मील अथवा 1:63,360 तथा समोच्च रेखाओं का अन्तराल 50 फुट होता है। मौद्रिक प्रणाली में बने इस श्रृंखला के नए मानचित्रों का मापक 1:50,000 तथा समोच्च -0761530 4577 रेखाओं का अन्तराल 20 मीटर होता है। (चित्र 6.16)
6. 1 : 25,000 मापक की श्रृंखला (Series of 1:25000 scale)- स्थलाकृतिक मानचित्रों की यह एक नई श्रृंखला है जिसमें एक इंच या चौथाई डिग्री शीट या 1 : 50,000 मापक वाली शीट (जैसे 55 P/7) को छः बराबर भागों में बाँटा जाता है।
इसका प्रत्येक भाग 5′ अक्षांशीय तथा 7 – देशान्तीय विस्तार वाला होता है। इन 6 मानचित्रों पर क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5 व 6 इस प्रकार लिखा जाता है-55 P/7/1, 55 P/7/2, 55 P/7/6 इत्यादि। इन मानचित्रों को 1:25,000 मानचित्र भी कहा जाता है (चित्र 6.17)।
रूढ़ चिहन एवं प्रतीक [Conventional Signs and Symbols]
स्थलाकृतिक मानचित्र HBSE 11th Class Geography Notes
→ स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps) यह एक दीर्घमापक पर बनाया गया बहुउद्देशीय मानचित्र है।
→ रूढ़ चिहन (Conventional Signs)-स्थलाकृतिक मानचित्रों पर विभिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को जिन सर्वमान्य और परम्परागत चिह्नों, संकेतों व प्रतीकों की सहायता से प्रदर्शित किया जाता है, उन्हें रूढ़ चिह्न कहते हैं। समोच्च रेखाएँ (Contours)-समोच्च रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो माध्य समुद्र-तल से समान ऊँचाई वाले समीपस्थ स्थानों को मिलाती हैं।
→ ऊर्ध्वाधर अन्तराल (Vertical Interval) किन्हीं दो उत्तरोत्तर समोच्च रेखाओं के बीच लम्बवत् ऊँचाई के अंतर को ऊर्ध्वाधर अन्तराल कहा जाता है।
→ क्षैतिज तुल्यमान (Horizontal Equivalent)-किन्हीं दो उत्तरोत्तर समोच्च रेखाओं के बीच क्षैतिज दूरी को क्षतिज तुल्यमान कहा जाता है।