HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्नलिखित में से किस प्रकार की जीवाणु कोशिका के दोनों सिरों पर कशाभ उपस्थित होते हैं ?
(A) एक कशाभीय
(B) उभय कशाभीय
(C) गुच्छ कशाभीय
(D) परिरोमी
उत्तर:
(A) एक कशाभीय

2. नील हरित शैवाल होते हैं-
(A) प्रोकैरियोटिक
(B) यूकैरियोटिक
(C) एकबीजपत्री
(D) द्विबीजपत्री।
उत्तर:
(A) प्रोकैरियोटिक

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3. निम्नलिखित में से किसमें झिल्लीबद्ध कोशिकांग अनुपस्थित होते हैं –
(A) सैकेरोमाइसिस
(B) स्ट्रेप्टोकोकस
(C) क्लेमाइडोमोनास
(D) प्लाज्मोडियम।
उत्तर:
(B) स्ट्रेप्टोकोकस

4. विषाणु का आवरण कहलाता है –
(A) कैप्सिड
(B) विरियॉन
(C) न्यूक्लियोप्रोटीन
(D) कोर।
उत्तर:
(A) कैप्सिड

5. नाइट्रीकारी जीवाणु है –
(A) स्वयं पोषी
(B) रसायन स्वपोषी
(C) परपोषी
(D) प्रकाश पोषी।
उत्तर:
(B) रसायन स्वपोषी

6. पाँच जगत वाले वर्गीकरण में –
(A) मोनेरा के अन्तर्गत
(B) प्रोटिस्टा के अन्तर्गत
(C) कवकों के अन्तर्गत
(D) एनीमेलिया के अन्तर्गत।
उत्तर:
(B) प्रोटिस्टा के अन्तर्गत

7. हेटरोसिस्ट पायी जाती है –
(A) रिक्सिया में
(B) यूलोथ्रिक्स में
(C) एल्ब्यूगो में
(D) नॉस्टोक में।
उत्तर:
(D) नॉस्टोक में।

8. गर्म पानी के स्रोतों में अनेक नील हरित शैवाल पाए जाते हैं। इन शैवालों में ताप सहने की शक्ति निम्नलिखित कारण से होती है-
(A) कोशिका भित्ति की संरचना
(B) आधुनिक कोशिकीय संगठन
(C) माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना
(D) प्रोटीनों में होमोपॉलीमर बन्धों की उपस्थिति।
उत्तर:
(D) प्रोटीनों में होमोपॉलीमर बन्धों की उपस्थिति।

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9. कवक तंतुओं के शीर्ष पर बाह्य रूप से उत्पन्न कवक बीजाणु कहलाते
(A) कोनीडिया
(C) एप्लानोबीजाणु
(B) ऑइडिया
(D) बीजाणुधानीधर।
उत्तर:
(A) कोनीडिया

10. पाँच जगत वाले वर्गीकरण के अनुसार, डायएटम्स को वर्गीकृत किया गया है –
(A) मोनेरा में
(B) प्रोटिस्टा में
(C) कवक में
(D) पादप (प्लांटी) में।
उत्तर:
(B) प्रोटिस्टा में

11. सायनो बैक्टिरिया को कहा जाता है-
(A) प्रोटिस्ट्स
(B) सुनहरी शैवाल
(C) स्लाइम मोल्डस
(D) नीली हरी शैवाल।
उत्तर:
(D) नीली हरी शैवाल।

12. धान के खेतों में एजोला के साथ पाप्य जाने वाले नाइट्रोजन स्थिरीकारक सूक्ष्मजीव है-
(A) स्पाइरूलिना
(B) एनाबीना
(C) फ्रेंकिया
(D) टॉलियोथ्रिक्स
उत्तर:
(B) एनाबीना

13. नील हरित शैवाल (सायनो बैक्टीरिया) धान के खेतों के अलावा किसके कायिक भाग के अन्दर भी पाये जाते हैं ?
(A) पाइनस
(B) साइकस
(C) इक्वीसीटम
(D) साइलोटम।
उत्तर:
(B) साइकस

14. साइनोबैक्टीरिया के कुछ झिल्लीदार प्रसार वाले वर्णक क्या हैं ?
(A) हेटेऐसिस्ट
(B) आधारकाय
(C) श्वसनमूल
(D) वर्णकी लवक।
उत्तर:
(D) वर्णकी लवक।

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15. निम्नलिखित में से किसकी गहरे समुद्र जल में पाये जाने की सम्भावना है?
(A) आर्कीबैक्टीरिया
(B) यूबैक्टीरिया
(C) नीलहरित शैवाल
(D) मृतजीवी कवक।
उत्तर:
(A) आर्कीबैक्टीरिया

16. अधिकतम पोषण विविधता किस समूह में पायी जाती है ?
(A) कवक
(B) ऐनीमेलिया
(C) मोनेरा
(D) प्लाण्टी
उत्तर:
(C) मोनेरा

17. यूवैक्टीरिया में उपस्थित कोशिकीय अवयव जो यूकैरियोटिक कोशिकाओं के समान होता है-
(A) केन्द्रक
(B) राइबोसोम
(C) कोशिका भित्ति
(D) जीवद्रव्य कला।
उत्तर:
(D) जीवद्रव्य कला।

18. निम्नलिखित में से कौन गहरे समुद्र में पाया जाता है ?
(A) आर्किसैनटीरिया
(B) यूवैक्टीरिया
(C) नील हरित शैवाल
(D) मृतोपजीवी कवक।
उत्तर:
(A) आर्किसैनटीरिया

19. निम्न में से कौन वलयित RNA रज्जुक तथा कैप्सोमीयर्स प्रदर्शित करता है ?
(A) पोलियो विषाणु
(B) टोवेको मोजेक विषाणु (TMV)
(C) चेचक विषाणु
(D) रिट्रोविषाणु
उत्तर:
(B) टोवेको मोजेक विषाणु (TMV)

20. कुछ जीवाणुओं में पायी जाने वाली संरचना जो उन्हें चट्टानों / पोषक कोशिकाओं से चिपकने में सहायता प्रदान करती है-
(A) राइजोप्रड्स
(B) फिम्बी
(C) मीसोसोम
(D) होल्डफास्ट।
उत्तर:
(B) फिम्बी

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21. मेथेनोजेन किस वर्ग से सम्बन्धित है ?
(A) यूबैक्टीरिया
(B) आर्किवैक्टीरिया
(C) डाइनोफ्लेजिलेट्स
(D) स्लाइम गोल्ड
उत्तर:
(B) आर्किवैक्टीरिया

22. निम्न में से कौन-सा कथन गलत है ?
(A) गोल्डन शैवाल डेस्मिड्स भी कहलाते हैं।
(B) यूवैक्टीरिया कूटवैक्टीरिया भी कहलाते हैं।
(C) फाइकोमाइसिटीज शैवाल कवक भी कहलाते हैं।
(D) सायनोवैक्टीरिया नील हरित शैवाल भी कहलाते हैं।
उत्तर:
(B) यूवैक्टीरिया कूटवैक्टीरिया भी कहलाते हैं।

23. वाइरोइड्स के सम्बन्ध में कौन-सा कथन गलत है ?
(A) ये विषाणुओं से होते होते हैं
(B) ये संक्रमण उत्पन्न करते हैं।
(C) इनका RNA उच्च अणुभार युक्त होता है।
(D) इनमें प्रोटीन आवरण का अभाव होता है।
उत्तर:
(C) इनका RNA उच्च अणुभार युक्त होता है।

24. निम्नलिखित में से कौन अत्यधिक क्षारीय परिस्थितिओं में पाया जाता है?
(A) आर्किबैक्टीरिया
(B) यूवैक्टीरिया
(C) सायनोबैक्टीरिया
(D) माइकोबैक्टीरिया।
उत्तर:
(A) आर्किबैक्टीरिया

25. वाइरोइड्स विषाणुओं से किसमें भिन्न होते हैं ?
(A) प्रोटीन आवरण युक्त DNA अणु
(B) प्रोटीन आवरण रहित DNA अणु
(C) प्रोटीन आवरण युक्त RNA अणु
(D) प्रोटीन आवरण रहित RNA अणु ।
उत्तर:
(D) प्रोटीन आवरण रहित RNA अणु ।

(B) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर सर्वप्रथम कौनसे जीव उत्पन्न हुए ?
उत्तर:
नील हरित शैवाल (Blue green algae)।

प्रश्न 2.
कौनसा जीवाणु दूध से दही बनाने में सहायक है ?
उत्तर:
लैक्टोबैसीलस (Lactobacillus )।

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प्रश्न 3.
प्रोटिस्टा भी मोनेरा की तरह एक कोशिकीय होते हैं, फिर भी इन्हें एक अलग जगत में रखा गया है। क्यों ?
उत्तर:
प्रोटिस्टा में वास्तविक केन्द्रक ( true nucleus ) होता है।

प्रश्न 4.
कैप्सिड क्या है ? यह किस पदार्थ का बना होता है ?
उत्तर:
विषाणु का बाह्य आवरण कैप्सिड कहलाता है। यह प्रोटीन इकाइयों कैप्सोमीयर्स का बना होता है।

प्रश्न 5.
किसी आंशिक परजीवी पादप का नाम लिखिए।
उत्तर:
चन्दन (Santalum ) ।

प्रश्न 6.
जन्तुओं में किस प्रकार का पोषण पाया जाता है ?
उत्तर:
जन्तुसम या होलोजोइक (holozoic)।

प्रश्न 7.
प्रिओन्स क्या हैं ?
उत्तर:
संक्रामक प्रोटीन्स (infectious proteins)।

प्रश्न 8.
गेहूँ का काला किट्ट रोग का कारक क्या है ?
उत्तर:
पक्सीनिया प्रेमिनिस ट्रिटिसाई (Puccinia graminis tritici) कवक ।

प्रश्न 9.
दो खाद्य कवकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मोर्केला (Morchella), एगेरिकस (Agaricus) ।

प्रश्न 10.
उस कवक का नाम लिखिए जिसका जैवरासायनिकी तथा आनुवंशिकी में व्यापक प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
न्यूरोस्पोरा ((Neurospora ) ।

प्रश्न 11.
दो चल अथवा अचल युग्मकों के प्रोटोप्लाज्म के संलयन को. क्या कहते हैं ?
उत्तर:
प्लाज्मोगेमी (Plasmogamy)।

प्रश्न 12.
पैनीसिलियम से कौन-सा प्रतिजैविक प्राप्त होता है ?
उत्तर:
पैनिसिलीन (penicillin)

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प्रश्न 13.
एनाबीना तथा नोस्टोक किस रचना की सहायता से नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं ?
उत्तर:
हिटरोसिस्ट द्वारा (by heterocyst)।

प्रश्न 14.
मटरकुल के पौधों की जड़ों में कौन-सा जीवाणु पाया जाता
उत्तर:
राइजोबियम (Rhizobium)।

प्रश्न 15.
डायनोफ्लैजिलेट किस समूह का जीव
उत्तर:
जगत – प्रोटिस्टा (protista) का ।

प्रश्न 16.
उस जीव का नाम बताइए जिसमें जन्तु तथा पादप दोनों के लक्षण होते हैं।
उत्तर:
युग्लीना (Euglena)

प्रश्न 17.
निद्रालु रोग किसके द्वारा होता है ?
उत्तर:
ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma) द्वारा।

प्रश्न 18.
दो लाभदायक तथा दो हानिकारक कवकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लाभदायक कवक –
(i) मोर्केला,
(ii) यीस्ट । हानिकारक
कवक –
(i) पक्सीनिया,
(ii) एल्ब्यूगो ।

प्रश्न 19.
ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma) का कौन-सा अवलोकनीय लक्षण आपको इसे प्रोटिस्टा में वर्गीकृत करने के लिए कहता है ?
उत्तर:
ट्रिपेनोसोमा एक यूकैरियोटिक तथा एककोशिकीय जीव है। सभी यूकैरियोटिक एककोशिकीय जीवों को प्रोटिस्टा में वर्गीकृत किया गया है।

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न – 1

प्रश्न 1.
जन्तुओं को उपभोक्ता क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
जन्तु अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। ये अपने भोजन के लिये प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर रहते हैं । इसीलिए जन्तुओं को उपभोक्ता (consumers) कहते हैं।

प्रश्न 2.
कुछ कवकों को अपूर्ण कवक क्यों कहते हैं ? इन्हें किस समूह में रखा जाता है ?
उत्तर:
कुछ कवकों में कायिक तथा अलैंगिक अवस्था का ही पता लगा है। लैंगिक अवस्था को जीव की पूर्ण (perfect) अवस्था माना जाता है चूँकि इनमें लैंगिक अवस्था का ज्ञान नहीं है अतः इन्हें अपूर्ण कवक या फंजाई इम्परफैक्टाई कहते हैं और ये वर्ग ड्यूटेरोमाइसिटीज में रखे गये हैं।

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प्रश्न 3.
पादपों को उत्पादक क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
सभी हरे पौधे स्वपोषी होते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। साथ ही धरा के अन्य सभी जीवधारी प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से इन्हीं हरे पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं। इसीलिए इन्हें उत्पादक (producers) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
पादपों के दो विषाणु रोगों तथा दो जीवाणु रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पादपों के विषाणु रोग –

  • बैंगन का लघु पर्ण रोग
  • टमाटर का पर्ण बेल्लन रोग ।

प्रश्न 5.
खेती में फसल सुधार हेतु सानोबैक्टीरिया के प्रयोग का क्या
उत्तर:
साएनोबैक्टीरिया जैसे नास्टॉक एनाबीना की हेटेरोसिस्ट में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता होती है। खेत में लगे हरे पौधे स्वयं ऐसा नहीं कर पाते। अतः इनके प्रयोग में नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाने के कारण उत्पादन बढ़ जाता है

प्रश्न 6.
डायटम्स को समुद्र के मोती (Pearls of ocean) कहा जाता है, क्यों ? डायटोमेसियस का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
डायटम्स की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज के साथ सिलिका की उपस्थिति के कारण दृढ़ होती है। इसकी बाह्य सतह पर अत्याधिक सुन्दर डिजाइन व पैटर्न बने होते हैं। सिलिका के कारण इनकी भित्ति समय के साथ खराब नहीं होती तथा सूक्ष्मदर्शी से देखने पर यह डिजाइन आकर्षक दिखाई देते हैं। इसी कारण इन्हें समुद्र का मोती कहा जाता है। सिलिका इन्हें नष्ट होने से बचाती है। इस प्रकार मृत डायटम्स अपने परिवेश में कोशिका भित्ति के असंख्य अवशेष छोड़ जाते हैं। लाखों में जमा हुए इस अवशेष को डायटोसयिस (diatomaceous) कहा जाता है।

प्रश्न 7.
किसी प्रोटोजोआन प्राणी का नामांकित रेखाचित्र खींचिए ।
उत्तर:
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 1

प्रश्न 8.
किसी ऐसे जीव का नाम लिखिये जिसमें पौधों एवं जन्तुओं दोनों के लक्षण पाये जाते हैं ? एक-एक लक्षण लिखिए।
उत्तर:
युग्लीना (Euglena)। इसमें पौधों व जन्तुओं दोनों के लक्षण पाये जाते हैं। हरितलवक की उपस्थिति पादप लक्षण है तथा सूक्ष्म कीटों का भक्षण, कोशिका भित्ति का अभाव जन्तु लक्षण है।

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(D) लघु उत्तरीय प्रश्न-II

प्रश्न 1.
जीवाणु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 2

प्रश्न 2.
माइकोप्लाज्मा क्या है ?
उत्तर:
माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) ये बहुआकृतिक (polymorphic), प्रोकैरियोटिक, सूक्ष्मदर्शीय, कोशिका भित्ति रहित जीव है। यह सबसे छोटी कोशिका है। इनका आकार 0.1 से 0.54 होता है माइकोप्लाज्मा कोशिका के चारों ओर लाइपोप्रोटीन से बनी कोशिका कला पायी जाती है। कोशिका द्रव्य में कलाबद्ध कोशिकांगों का अभाव होता है।

इनमें आद्य केन्द्रक (incipient nucleus) पाया जाता है। यह पशुओं में निमोनिया रोग उत्पन्न करता है। मनुष्य में यह तन्त्रिकीय रोग, श्वसन रोग तथा मूत्रल रोग उत्पन्न करता है । माइकोप्लाज्मा को प्लूरो निमोनिया लाइक ऑर्गेनिज्म (Pleuro Pneumonia Like Organism; PPLO) भी कहते हैं ।

प्रश्न 3.
जीवाणुओं की दो लाभदायक तथा दो हानिकारक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
लाभदायक क्रियाएँ –

  • जीवाणुओं का प्रयोग दूध से दही बनाने में किया जाता है, जैसे- लैक्टोबैसीलस।
  • कुछ जीवाणु भूमि की उर्वरता बढ़ाते हैं । जैसे-एजोटोबैक्टर।

हानिकारक क्रियाएँ –

  • अनेक जीवाणु खाद्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं। जैसे–क्लॉस्ट्रीडियम ।
  • अनेक जीवाणु मवेशियों एवं मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे – क्षय रोग – माइकोबैक्टीरियम ।

प्रश्न 4.
जगत् प्रोटिस्टा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए तथा इसके कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर:
प्रोटिस्टा की विशेषताएँ (Characteristics of Protista) –

  • ये एककोशिकीय तथा सुकेन्द्रकीय जीव होते हैं ।
  • अधिकांश सदस्य जलीय, परन्तु कुछ स्थलीय, नम आवासों में पाये जाते हैं। कुछ सदस्य परजीवी होते हैं।
  • अधिकांश सदस्य प्रकाश-संश्लेषी होते हैं, कुछ सदस्य परजीवी भी होते हैं।
  • कोशिकाओं में संगठित केन्द्रक एवं कलाबद्ध कोशिकांग (membrane bounded cell organelles) पाये जाते हैं।
  • कुछ सदस्यों में कशाभ (flagella ), पक्ष्माभ (cilia ) या कूटपाद ( pseudopodia) पाये जाते हैं जो प्रचलन एवं पोषण में सहायक होते हैं
  • ये अलैंगिक या लैंगिक प्रजनन करते हैं।

    उदाहरण:
    डाएटम्स (Diatoms), डेस्मिड्स ( Dasmids), युग्लीना (Euglena), अमीबा (Amoeba), पैरामीशियम (Paramaecium) आदि।

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प्रश्न 5.
मोनेरा जगत के प्रमुख लक्षण तथा कुछ उदाहरण लिखिए । उत्तर – मोनेरा जगत् के प्रमुख लक्षण (Characteristic features of kingdom Monera)

  • ये सूक्ष्मदर्शीय (microscopic ), सामान्यतया एककोशिकीय जीव होते हैं, परन्तु कुछ सदस्य कोशिकाओं के आपस में जुड़ जाने के कारण बहुकोशिकीय होते हैं।
  • इनकी कोशिका में सुसंगठित ( well organised) केन्द्रक का अभाव होता है, अर्थात् केन्द्रक कला एवं केन्द्रिका अनुपस्थित होते हैं। अतः ये प्रोकैरियोटिक (prokaryotic) कहलाते हैं।
  • इनमें विकसित एवं कलाबद्ध कोशिकांग जैसे गॉल्जीकाय. माइटोकॉण्ड्रिया, अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (endoplasmic reticulum) आदि नहीं पाये जाते हैं।
  • कोशिकाभित्ति पायी जाती है, परन्तु इसमें सेल्युलोस का अभाव होता
  • अधिकांश सदस्य विषमपोषी किन्तु कुछ स्वपोषी होते हैं। उदाहरण-जीवाणु (bacteria), आद्यबैक्टीरिया (Archaebacteria), सायनोबैक्टीरिया (नीले हरे शैवाल : Blue green algae)।

प्रश्न 6.
सायनोबैक्टीरिया क्या होते हैं ? किसी तन्तुमय सायनोबैक्टीरिया का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) – इन्हें नीले-हरे शैवाल (Blue-green algae) भी कहा जाता था। ये स्वपोषी, एककोशिकीय, निवही ( colonial) या तन्तुरूपी ( filamentous ), जलीय या स्थलीय शैवाल होते हैं। इन्हें जगत् मोनेरा में रखा गया है।
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उदाहरण:
नॉस्टोक (Nostoc), एनाबीना ( Anabaena) आदि ।

प्रश्न 7.
किसी पक्ष्माभी प्रोटोजोआ का नामांकित चित्र बनाइए तथा यह बताइए कि इस जीव में पक्ष्माभ क्या कार्य करते हैं ?
उत्तर:
पक्ष्माथ के कार्य –
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  • इनकी लयबद्ध गति से प्रचलन होता है।
  • इनकी गति से भोजन कण कोशिका मुख में खींचे जाते हैं।
  • इनके द्वारा लैंगिक कोशिकाएँ आपस में चिपकती हैं।

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प्रश्न 8.
जीवाणु कोशिका किस प्रकार विभाजित होती है ? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर:
जीवाणु कोशिका में द्विखण्डन (Binary fission in bacterial cell) – अनुकूल वातावरणीय दशाओं में जीवाणु कोशिका एक अनुप्रस्थ भित्ति (transverse wall) द्वारा दो संतति कोशिकाओं में (daughter cells) विभाजित हो जाती है। इस क्रिया को द्विखण्डन (binary fissions) कहते हैं। विखण्डन से पूर्व जीवाणु कोशिका लम्बाई में वृद्धि करती है। कोशिका का केन्द्रक एवं अन्तर्वस्तुएँ दो भागों में बँटने लगते हैं। इसके पश्चात् कोशिका के मध्य संकीर्णन (Constriction) होता है जो धीरे-धीरे गहरा प्रारम्भ होकर मातृ कोशिका को दो संतति कोशिकाओं में बाँट देता है।
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प्रश्न 9.
पोषण के आधार पर जीवाणुओं का वर्गीकरण कीजिये।
जीवाणु कोशिका द्विखण्डन (Binary Fission )
उत्तर:
पोषण के आधार पर जीवाणु दो प्रकार के होते हैं –
I. स्वपोषी जीवाणु, तथा II. परपोषी जीवाणु।

  • स्वपोषी जीवाणु (Autotrophic Bacteria) – ये अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं-
  • प्रकाश संश्लेषी जीवाणु (Photosynthetic bacteria) – इनमें विभिन्न वर्णक पाये जाते हैं जो प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके भोजन बनाते है; जैसे – क्लोरोबियम।
  • रसायन संश्लेषी जीवाणु ( Chemosynthetic bacteria) – ये विभिन्न रासायनिक क्रियाओं द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं । जैसे-बैगिआटोआ।

II. विषमपोषी जीवाणु (Heterotrophic Bacteria) – ये निम्न प्रकार के होते हैं-

  • परजीवी जीवाणु (Parasitic bacteria) – ये दूसरे जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं और परजीवी कहलाते हैं। जैसे-माइकोबैक्टीरियम।
  • मृतोपजीवी जीवाणु (Saprobiotic bacteria) – ये सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे-बैसिलस माइकोइडिस।
  • सहजीवी जीवाणु (Symbiotic bacteria) – ये उच्च पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध बनाते हैं। जैसे-राइजोबियम।

प्रश्न 10.
सहजीवन किसे कहते हैं ? एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
सहजीवन (Symbiosis) – सहजीवन दो विभिन्न जीवधारियों का ऐसा सम्बन्ध है जिसमें दोनों जीवधारी एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हैं।
उदाहरण:
लैग्युमिनोसी कुल (मटर कुल) के पौधों की जड़ों में मूल गुलिकाएँ (Root nodules) पायी जाती हैं। इन गुलिकाओं में राइजोबियम लैग्युमिनोसेरम (Rhizobium leguminoserum) नामक जीवाणु पाये जाते हैं। पौधा इन जीवाणुओं को आश्रय एवं भोजन उपलब्ध कराता है, जबकि जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण करके पौधे को नाइट्रोजनी पदार्थ उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार ये एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हैं।

प्रश्न 11.
डायनोफ्लैजिलेट्स क्या होते हैं ?
उत्तर:
डायनोफ्लैजिलेट्स ( Dianoflagellates ) – ये मुख्यतः समुद्री और प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्ट होते हैं। ये एककोशिकीय तथा प्रौकेरियोटिक संरचना वाले जीव होते हैं। वर्णकों की उपस्थिति के आधार पर ये पीले, हरे, भूरे, नीले या लाल दिखाई देते हैं। इनकी कोशिका भित्ति पर सेल्युलोस की कठोर पट्टियाँ पायी जाती हैं। अधिकांश डायनोफ्लैजिलेट्स में दो कशाभिकाएँ होती हैं जो एक-दूसरे के लम्बवत् होती हैं। उदाहरण-गोनियालैक्स।

प्रश्न 12.
कक्कों के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
कवकों के लक्षण (Characteristics of Fungi)

  • कवक सर्वव्यापी हैं जो जल, स्थल एवं वायु में पाये जाते हैं।
  • कवकों का शरीर (थैलस) शाखित एवं तन्तुमय कवक-तन्तुओं (hyphae) से बना होता है। कवक तन्तुओं की सघन वृद्धि से एक जाल जैसी रचना बनती है जिसे कवक जाल (mycelium) कहते हैं।
  • इनमें कोशिकाभित्ति सेल्युलोस एवं काइटिन की बनी होती हैं।
  • इनमें पर्णहरिम (chlorophyll) का अभाव होता है ।
  • कवक परजीवी (parasite) या मृतोपजीवी (saprophyte) होते हैं।
  • कोशिकीय संरचना यूकैरियोटिक होती है।
  • संग्रहीत भोजन ग्लाइकोजन ( glycogen) होता है।
  • प्रजनन, वर्धी, अलिंगी एवं लिंगी विधियों से होता है।

उदाहरण:
यीस्ट (Yeast), छत्रक (मशरूम), कुकुरमुत्ता (टोडस्टूल ) पैनीसिलियम, पक्सीनिया आदि ।

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प्रश्न 13.
फाइकोमाइसिटीज वर्ग के कवकों के लक्षण लिखिए। म्यूकर के कवक जाल का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
फाइकोमाइसिटीज वर्ग के लक्षण-

  • ये कवक जलीय आवासों, सड़ी-गली लकड़ी, नम तथा सीलन वाले स्थानों अथवा पौधों पर अविकल्पी परजीवी के रूप में पाये जाते हैं।
  • कवक जाल पट्टरहित ( aseptate) तथा बहुकेन्द्रकी (multinucleate) होता है ।
  • अलैंगिक जनन चल बीजाणु (zoospores) बीजाणु या अचल (Aplanospores) द्वारा होता है। इनका निर्माण अन्तर्जातीय (endo- genous) होता है।
  • दो युग्मकों (gametes) के संलयन से युग्माणु (zygospore) बनते
  • युग्मकी आकारिकी समयुग्मकी, असमयुग्मकी अथवा विषमयुग्मकी हो सकती हैं।
  • उदाहरण-म्यूकर (Mucor), राइजोपस (Rhizopus)।

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प्रश्न 14.
ऐस्कोमाइसिटीज वर्ग के सदस्यों के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
ऐस्कोमाइसिटीज के प्रमुख लक्षण characteristics of Ascomyates):

  • इन्हें थैली या सैक (sac) कवक भी कहते हैं।
  • अधिकांश सदस्य स्थलीय किन्तु कुछ जलीय होते हैं।
  • ये मृतजीवी, अपघटक, परजीवी (caprophilous) होते हैं। (Important) अथवा शंमलरागी हैं।
  • यीस्ट (एककोशिकीय) को छोड़कर सभी सदस्य बहुकोशिकीय कवक जाल बनाते हैं।
  • कवक जाल पटयुक्त होते हैं। प्रायः एक कोशिका में केवल एक केन्द्रक पाया जाता है।
  • कोशिका भित्तिकाइटिन की बनी होती है। इसमें सेल्युलोस भी पाया जाता है।
  • वर्धी, अलैंगिक तथा लैंगिक प्रजनन होता है।
  • अलैंगिक प्रजनन कोनीडिया, क्लेमाइडोस्पोर या ओइडिया द्वारा होता है।
  • लैंगिक जनन युग्मक धानियों के सम्पर्क ( gametangial contact) द्वारा होता है।
  • फलन काय (fruting body) एस्कस (ascus) कहलाते हैं जिनमें एस्कोस्पोर बनते हैं।

उदाहरण:
यीस्ट (Saccharonysis), पैनीसिलियम (penicillium). एस्परजिलस ((Aspergillus ) आदि ।

प्रश्न 15.
शैवाल और कवक में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
शैवाल तथा कवक में अन्तर (Differences between Algae and Fungi)

शैवाल (Algae) कवक (Fungi)
ये पर्णहरिम युक्त होते हैं। ये पर्णहरिम रहित होते हैं।
ये प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। अतः स्वपोषी हैं। ये अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते। अतः ये विषमपोषी न अवशोषी (heterotrophic and absorptive) हैं।
कोशिका भित्ति सैल्युलोज (cellulose) की बनी होती है। कोशिका भित्ति कवक काइटिन (chitin) की बनी होती है।
भोजन मण्ड (starch) के रूप में संचित होता है। भोजन ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता है।
जल या गीली भूमि पर पाये जाते हैं। ये सड़े-गले पदार्थों अथवा जीवित जीवों पर पाये जाते हैं।

प्रश्न 16.
लाइकेन क्या है ? इनके प्रकारों को उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
लाइकेन (Lichen ) – लाइकेन कवक तथा शैवाल का सहजीवी संगठन है। इनमें कवक तथा शैवाल साथ-साथ रहकर एक विशिष्ट पादप संरचना बनाते हैं। कवकांश (mycobiont) लाइकेन को जल व खनिज उपलब्ध कराता है, जबकि शैवालांश (phycobiont) लाइकेन को भोजन उपलब्ध कराता है।

लाइकेन के प्रकार-ये दो प्रकार के होते हैं –

  • ऐस्कोलाइकेन (Ascolichens) – इनमें कवकांश (mycobiont ) ऐस्कोमाइसिटीज वर्ग के सदस्य होते हैं। जैसे-पारमेलिया।
  • बैसीडियोलाइकेन कवकांश (mycobiont) – बैसीडियोमाइसिटीज वर्ग के सदस्य होते हैं। जैसे-कोरेला ।

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प्रश्न 17.
ह्रीटेकर ने जीवों को कौन-कौन से जगतों में बाँटा ? इनके वर्गीकरण के प्रमुख मानदण्ड क्या थे ?
उत्तर:
ह्रीटेकर ने जीवधारियों को पाँच जगतों में बाँटा-

  • मोनेरा (Monera)
  • प्रोटिस्टा (Protista)
  • फंजाई (Fungi)
  • प्लांटी (Plantae)
  • एनीमेलिया ( Anemalia)

ह्रीटेकर द्वारा अपनाये गये मानदण्ड निम्न प्रकार हैं-

  • कोशिका संरचना
  • शारीरिक संगठन
  • कोशिका भित्ति
  • पोषण विधि
  • प्रचलन
  • पारिस्थितिक भूमिका
  • प्रजनन तथा
  • जातिवृत्तीय सम्बन्ध

प्रश्न 18.
क्लासीकल टैक्सोनॉमी तथा मॉर्डन टैक्सोनोमी में भेद कीजिये।
उत्तर:
‘पुराना वर्गीकरण एवं आधुनिक वर्गीकरण में भेद (Differences between classical classification and modern classification)

पुराना वर्गीकरण (Classical Classification) आधुनिक वर्गीकरण (Modern Classification)
एक जाति की व्याख्या करने के लिये उस जाति के एक या कुछ जीवों का अध्ययन किया गया। अनगिनत जीवधारियों का अध्ययन किया गया।
यह उपजातियों पर अधिक प्रकाश नहीं डालता है। यह विभिन्न जनसंख्याओं, विभिन्न प्रकारों, उपजातियों आदि का अध्ययन करता है।
जातियों का स्थिरीकरण केवल बाह्य आकारिकीय लक्षणों पर आधारित होता है। यह जातियों का स्थिरीकरण करने के लिये अध्ययन के सभी क्षेत्रों से सूचनाएँ एकत्र करता है।
जाति अचल या स्थिर एन्टिटी जानी जाती है। जाति उद्विकास का उत्पाद मानी जाती है।

प्रश्न 19.
विषाणु तथा जीवाणु में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
विषाणु तथा जीवाणु में अन्तर (Differences between Virus and Bacteria)

विषाणु (Virus) जीवाणु (Bacteria)
ये प्राय: 10 से 300 μ आकार के होते हैं। ये प्राय 2 μ से 10 μ आकार के होते हैं।
इनमें सजीव तथा निर्जीव के लक्षण होते हैं। ये सजीवों के लक्षण दर्शाते हैं।
इनमें कोशिकीय संरचना नहीं होती है। इनमें कोशिकीय संरचना होती है।
इनमें जीवद्रव्य एवं अन्य कोशिकांग नहीं होते हैं। इनमें जीवद्रव्य एवं अन्य कोशिकांग होते हैं।
इनमें आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है। इनमें DNA तथा RNA दोनों होते हैं।
ये सदैव रोगकारी होते हैं। ये लाभदायक व हानिकारक दोनों होते हैं।
ये केवल जीवित कोशिका में ही सक्रिय रहते हैं। ये स्वतन्त्रजीवी, परजीवी या मृतोपजीवी होते हैं।

(E) विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (निबन्धात्मक प्रश्न)

प्रश्न 1.
पाँच जगत् वर्गीकरण के गुणों एवं कमियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
पाँच जगत् वर्गीकरण के गुण (Merits of Five Kingdom System):
द्विजगत वर्गीकरण में प्रोकैरियोटिक जीवाणुओं को यूकैरियोटिक पादपों के साथ ही रखा गया था। साथ ही विषमपोषी, अवशोषी (heterotrophic absorptive) कवकों को स्वपोषी पादपों के साथ रखा गया था। एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीवों को एक साथ या तो जन्तु जगत या पादपं जगत में रखा गया था। इन सभी कमियों को ह्विटेकर का पाँच जगत वर्गीकरण दूर करता है। इसमें जातिवृत्तीयता ( phylogeny ) भी परिलक्षित होती है। यूग्लीना जैसे जीवों की स्थिति भी विवादास्पद है।

  • इस वर्गीकरण में प्रोकैरियोट्स को अलग जगत् मोनेरा में रखा गया है, क्योंकि ये यूकैरियोटिक से, संरचना, कार्यिकी तथा प्रजनन विधियों में भिन्न होते हैं। इस प्रकार यह द्विजगत वर्गीकरण की इस कमी को समाप्त कर देता है।
  • यह वर्गीकरण अंग संगठन के स्तरों एवं पोषण की विधि पर आधारित है और बाद में उद्विकास के दौरान जल्दी स्थापित हो जाता है।
  • यह जैविक संसार में जातिवृत्तीयता (phylogeny ) स्थापित करता है।
  • अधिकांश यूकैरियोटिक एककोशिकीय जीवों को बहुकोशिकीय जीवों से पृथक् करके जगत् प्रोटिस्टा में रखा गया है।
  • कवकों को पादप जगत् से पृथक् करके नये जगत् फंजाई (fungi) में रखा गया है।

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पाँच जगत् वर्गीकरण की कमियाँ या दोष (Demerits of Five Kingdom System):

  • मोनेरा तथा प्रोटिस्टा जगतों में स्वपोषी तथा परपोषी दोनों प्रकार के जीवधारियों को सम्मिलित किया गया है।
  • निम्न कोटि के जीवधारियों में जातिवृत्तीय सम्बन्ध स्पष्ट नहीं होता है। 3. एक समान लक्षणों वाले अनेक जीवधारी समूह विभिन्न जगतों में शामिल हुए हैं। जैसे-एक कोशिकीय शैवाल प्रोटिस्टा में और बहुकोशिकीय शैवालों को प्लान्टी जगत् में रखा गया है।
  • प्रोस्टिस्टा जगत् में बहुत अधिक विविधता होने के कारण यह एक स्वाभाविक समूह न होकर कृत्रिम प्रतीत होता है।
  • एककोशिकीय कवक (Yeast) को बहुकोशिकीय परपोषी – अवशोषी कवक जगत् में रखा गया है।
  • लाइकेन (Lichens) को कहीं वर्गीकृत नहीं किया गया है।
  • आधुनिक अध्ययनों से ज्ञात होता है कि प्रोकैरियोट आर्किया, यूकैरियोट्स के अधिक निकट हैं न कि वैक्टीरिया के।

प्रश्न 2.
आकार एवं कशाभिकाओं के आधार पर जीवाणुओं के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
आकार के आधार पर कोहन (Cohn ) ने जीवाणुओं को निम्न प्रकारों में बाँटा –
1. कोकस या गोलाणु ( Spherical or coccus) ये गोलाकार या दीर्घवृत्तीय जीवाणु होते हैं। ये शूक रहित (atrichrous) रहित तथा अचल होते हैं, ये निम्न प्रकार के होते हैं।
(a) डिप्लोकोकस (Diplococcus) – जब कोकस जोड़े में पाये जाते हैं। तो डिप्लोकोकस कहलाते हैं। जैसे- डिप्लोकोकस निमोनी।
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(b) स्रैप्टोकोकस (Streptococcus) – जब कोकस एक-दूसरे से जुडकर एक लड़ी जैसी रचना बनाते हैं, स्ट्रेप्टोकोकस कहलाते हैं। जैसे-स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस।

(c) टैट्टाकोकस (Tetracoccus)-जब कोकस चार-चार के समूह में पाये जाते हैं तो टेट्राकोकाई कहलाते हैं। जैसे-नीसेरिया।

(d) स्टैफाइलोकोकस (Staphylococcus)- जब कोकस गुच्छे के रूप में पाये जाते हैं, स्टैफाइलोकोकस कहलाते हैं। जैसे-स्टैफाइलोकोकस।

(e) सासनी (Sarcinae ) – जब कोकस घनाभ के रूप में होते हैं। जैसे- सार्सीना।

2. बैसीलस (Bacillus ) – ये जीवाणु छड़नुमा, बेलनाकार तथा चल होते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं-
(a) डिप्लोबैसीलस (Diplob – acillus ) – जब बैसीलस जोड़े में पाये जाते हैं, डिप्लोबैसीलस कहलाते हैं। जैसे- कोरीनेबैक्टीरियम डिफ्थीरी।
(b) स्ट्रेप्टोबैसीलस (Streptobacillus ) – जब बैसीलस एक लड़ी के रूप में पाये जाते हैं, स्ट्रेप्टोबैसीलस कहलाते हैं। जैसे-स्ट्रेप्टोबैसीलस।

3. कुण्डलित या सर्पिल जीवाणु (Helical or Spiral Bacteria) – ये जीवाणु कुण्डलित या सर्पिलाकार होते हैं। जैसे-विब्रियो, स्पाइरिलम आदि। कशाभिकाओं के आधार पर जीवाणु निम्न प्रकार के होते हैं-

  • अशूकी (Atrichous) – ये कशाभिक रहित एवं अचल होते हैं। जैसे- लैक्टोबैसीलस।
  • मोनोट्राइकस (Monotrichous) – इनमें केवल एक सिरे पर केवल एक ही कशाभिका होती है। जैसे-बिब्रियो कॉलेरी।
  • एम्फीट्राइकस (Amphitrichous ) – जब जीवाणु कोशिका के दोनों सिरों पर कम-से-कम एक कशाभिका अवश्य होती है। जैसे-नाइट्रोसोमोनास।
  • लोफोट्राइकस या सिफेलोट्राइकस (Lophotrichous or Cephalotrichous)-इन जीवाणुओं के एक सिरे पर अनेक कशाभिकाओं का गुच्छा होता है। जैसे-स्यूडोमोनास ।
  • पेरीट्राइकस (Peritrichous)-इनमें जीवाणु की सम्पूर्ण सतह पर कशाभिकाएँ पायी जाती हैं। जैसे-बैसीलस टाइफोसस।

प्रश्न 3.
जीवाणुभोजी की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
जीवाणुभोजी (Bacteriophage)-ऐसे विषाणु जो जीवाणुओं के ऊपर परजीवी होते हैं, जीवाणुभोजी कहलाते हैं। एफ. ट्आर्ट (F. Twart 1915) तथा एफ. डी. हेरेल (F. D. Herelle 1917) ने जीवाणुभोजी की खोज की थी। जीवाणुभोजी की आकृति टेडपोल (tadpole) के समान होती है जो सिर (head), प्रीवा (neck) तथा पूँछ ( Tail) में विभक्त होता है।

सिर बहुभुजी 90-95 mu लम्बा तथा 60-65 mu चौड़ा होता है। पूँछ बेलनाकार लगभग 100mpa लम्बी तथा 20-25 mu चौड़ी होती है। सिर एवं पूँछ के बीच बहुत छोटी ग्रीवा (neck) होती है। सिर का खोल प्रोटीन का बना होता है जिसमें DNA का एक केन्द्रीय कोड ( central code) होता है।

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पूँछ के अन्तिम भाग में एक प्लेट होती है जिसे पुच्छ प्लेट या आधार प्लेट (basal plate) कहते हैं । इस प्लेट से नीचे की ओर छः पुच्छ-तन्तु जुड़े होते हैं। पुच्छ तन्तु जीवाणुभोजी को पोषक कोशिका से चिपकाने तथा लयनकारी विकरों (Lytic enzymes ) के त्रावण में भाग लेते हैं।
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प्रश्न 4.
कवकों में लैंगिक जनन किस प्रकार होता है ? सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
कवकों में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Fungi) – कवकों में लैंगिक प्रजनन निम्न पदों में पूर्ण होता है –
(A) कोशिका द्रव्य संलयन (Plasmogamy) – इसमें विपरीत विभेद (strain) के युग्मकों या जनन संरचनाओं का कोशिका द्रव्य परस्पर संलयित (fuse) होता है।
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(B) केन्द्रक संलयन (Karyogamy) – इसमें कोशिकाद्रव्य संलयन द्वारा समीप लाये गये केन्द्रक मिलकर द्विगुणित युग्मनज ( diploid zygote) बनाते हैं।

(C) अर्द्धसूत्रण (Meiosis) – इसमें युग्मनज में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है जिससे अगुणित अवस्था स्थापित होती है।

कवकों में लैंगिक प्रजनन निम्नलिखित प्रकार से होता है –
(A) चलयुग्मकी संयुग्मन (Planogametic Conjugation) – इसमें चल युग्मकों का संयोजन (fusion) होता है। चलयुग्मकों की संरचना एवं कार्यिकी के आधार पर संयुग्मन तीन प्रकार का होता है –
(i) समयुग्मकी ( Isogamous ) – इसमें संयुजन करने वाले युग्मक आकार एवं आकृति में समान किन्तु कार्यिकी में भिन्न होते हैं जैसे – सिनकाइट्रियम (Synchytrium) में।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 11
(ii) असमयुग्मकी (Anisogamous) – इसमें संयुजन करने वाले युग्मक आकृति में समान किन्तु आकार एवं कार्यिकी में भिन्न होते हैं । जैसे- एलोमाइसिस (Allomyces) ।

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(iii) विषमयुग्मकी (Oogamous) – इसमें युग्मक, आकृति, आकार एवं कार्यिकी में भिन्न होते हैं। नर युग्मक छोटा व चल तथा मादा युग्मक बड़ा तथा अचल होता है। जैसे – मोनोब्लीफेरस (Monoblepharis)

(B) युग्मकधानीय सम्पर्क ( Gametangial contact ) – इसमें नर युग्मकधानी से नर युग्मक सीधे ही मादा युग्मकधानी में चला जाता है, जैसे – सिस्टोपस (Cystopus) ।

(C) युग्मकधानीय संयुग्मन ( Gametangial conjugation) – इसमें युग्मकधानी के युग्मकों का सम्पूर्ण रूप से संयोजन होता है। जैसे—म्यूकर (Mucor), राइजोपस (Rhizopus)।
तथा

(D) काययुग्मन (Somatogamy) – ऐस्कोमाइसिटीज बैसडरोमाइसिटीज वर्ग के सदस्यों में लैंगिक जनन सामान्य कोशिकाओं के केन्द्रकों से संयोजन से होता है। इसे काय युग्मन (sematogamy) कहते हैं।

(E) अचल पुमणु युग्मन ( Spermatization ) – एस्कोमाइसिटीज तथा बेसीडियोमाइसिटीज वर्ग के सदस्यों में नर जननांग से अचल पुमणु बनते हैं जो ग्राही सूत्र (receptive hyphae) द्वारा मादा युग्मकधानी के सम्पर्क में आते हैं। इसे अचल पुमणु युग्मन (spermatization) कहते हैं। जैसे- पक्सीनिया (Puccinia) |

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