Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 3 वनस्पति जगत Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 3 वनस्पति जगत
(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर देने के लिए चार विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए -.
1. आवतबीजियों में क्रियात्मक गुरुबीजाणु निम्नलिखित में से किसके रूप में विकसित होता है-
(A) भ्रूणकोश
(B) बीजाण्ड
(C) भ्रूणपोष
(D) परागकोष
उत्तर:
(A) भ्रूणकोश
2. ब्रायोफाइट्स के युग्मकोदभिद की तुलना में संवहनी पादपों के युग्मकोदभिद होते हैं-
(A) बड़े युग्मकोद्भिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(B) बड़े युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
(C) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(D) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
उत्तर:
(C) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
3. निम्नलिखित में से किसमें युग्मकोदभिद एक स्वतंत्रजीवी स्वावलम्बी पीढ़ी
नहीं है ?
(A) एडिएन्टम
(B) मार्केन्शिया
(C) पाइनस
(D) पॉलीट्राइकम
उत्तर:
(C) पाइनस
4. स्त्रीधानीधर उपस्थित होता है-
(A) कारा में
(B) एडिएण्टम में
(C) फ्यूनेरिया में
(D) मार्केन्शिया में
उत्तर:
(D) मार्केन्शिया में
5. निम्नलिखित में से किसमें बीजाणुदचिद एक आत्मनिर्भर पीढ़ी नहीं है ?
(A) ब्रायोफाइटस में
(B) टेरिडोफाइट्स में
(C) अनावृतबीजियों में
(D) आवृतबीजियों में
उत्तर:
(A) ब्रायोफाइटस में
6. टेरिडोफाइट्स तथा अनावृतबीजी दोनों में पाये जाते हैं- (RPMT)
(A) बीज
(B) आत्मनिर्भर युग्मकोदभिद
(C) स्त्रीधानी
(D) बीजाण्ड
उत्तर:
(C) स्त्रीधानी
7. साइकस में परागण का प्रकार है- (UPCPMT)
(A) कीट परागण
(B) जल परागण
(C) वायु परागण
(D) शंबुक परागण
उत्तर:
(C) वायु परागण
8. फ्यूनेरिया में कायिक जनन होता है- (UPCPMT)
(A) प्राथमिक प्रोटोनीमा द्वारा
(B) जेमी द्वारा
(C) द्वितीयक प्रोटोनीमा द्वारा
(D) उपरोक्त सभी में
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी में
9. अनावृतबीजियों में फल नहीं पाया जाता क्योंकि-
(A) ये बीजरहित होते हैं।
(B) इनमें परागण नहीं होता है
(C) इनमें अण्डाशय नहीं होता है
(D) इनमें निषेचन नहीं होता है। है
उत्तर:
(C) इनमें अण्डाशय नहीं होता है
10. टेरिडोफाइटस में प्रभावी पीढ़ी होती है-
(A) बीजाणुदभिद
(B) युग्मकोदभिद
(C) युग्मनजी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) युग्मनजी
11. साइकस तथा एडिएण्टम निम्नलिखित की उपस्थिति में समानता प्रदर्शित करते हैं-
(A) बीज
(B) गतिशील शुक्राणु
(C) एधा
(D) वाहिकाएँ
उत्तर:
(B) गतिशील शुक्राणु
12. बहुकोशिकीय कवकों, तन्तुमय शैवालों एवं मॉस के प्रोटोनीमा तीनों के सम्बन्ध में एक समान है-
(A) डिप्लॉन्टिक जीवन-चक्र
(B) पादप जगत की सदस्यता
(D) खण्डन द्वारा गुणन
(C) पोषण विधि
उत्तर:
(D) खण्डन द्वारा गुणन
13. प्रोटोनीमा का निर्माण होता है-
(A) मॉस में
(C) फर्न में
(B) लिवरवर्ट में
(D) साइकेड्स में
उत्तर:
(A) मॉस में
14. हृदय की आकृति का प्रोथैलस दर्शाता है-
(A) एक लिंगाश्रयी युग्मकोद्भिद्
(B) उभयलिंगाश्रयी बीजाणु भट
(C) उभयलिंगाश्रयी युग्मकोद्भिद्
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(C) उभयलिंगाश्रयी युग्मकोद्भिद्
15. समयुग्मक अवस्था के साथ अवशाभी युग्मक किसमें पाये जाते है ?
(A) क्लेमिडोमोनास
(B) स्पाइरोगाइटा
(D) फ्यूकस
(C) वॉलवाक्स
उत्तर:
(B) स्पाइरोगाइटा
16. गुरुबीजाणुधानी किसके समतुल्य है-
(A) भ्रूणकोष के
(B) फल के
(C) बीजाण्डकाय के
(D) बीजाण्ड के
उत्तर:
(D) बीजाण्ड के
17. निम्नलिखित चनों (1)- (v) को पढ़िए और उसके बाद दिए गये प्रश्न उत्तर दीजिए-
(i) लिवरबर्ट (यकृत कार्य) मॉस और फर्न में युग्मकोदभिद स्वतन्त्राजीवी होता है
(ii) अनावृत्तबीजी और कुछ फर्म विषमबीजाणुक होते हैं
(iii) फ़्यूक्स, वालवाक्स और एस्क्यूगो में लिंगी प्रजनन अण्डयुग्मन होता है
(iv) लिवरपर्ट (यकृत कार्य का बीजानुद्भिद माँस के बीजागुउद्भिद् से अधिक विस्तृत होता है
(v) पाइनस और मार्केन्शिया एक लिंगाश्रयी होते हैं उपरोक्त में कितने कथन सही है-
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार।
उत्तर:
(C) तीन
(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्राम 1.
यॉरपॉक्स किस शैवाल वर्ग का सदस्य है ?
उत्तर:
क्लोरोपाइसी (Chlorophyceae) वर्ग का
प्रश्न 2.
लाल शैवालों का लाल रंग किस वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है ?
उत्त:
पाइकोपरिचिन (Phycoerythrin)।
प्रश्न 3.
उन दो टेरिडोफाइट पौधों के नाम लिखिए जिनमें विषम बीजाणुकता पायी जाती है।
उत्तर:
सिलेजिनेला साल्वीनिया ।
प्रश्न 4.
इन नामक औषधि इफेड़ा पीछे से प्राप्त की जाती है. इसे क्यों प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
खांसी-जुकाम के उपचार के लिए।
प्रश्न 5.
किसी राजीवी आपका नाम लिखिए।
उत्तर:
बक्सबोमिया एफिल्ला ।
प्रश्न 6.
समुद्री सलाद किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अस्या (Ulva) को।
प्रश्न 7.
कौन से समूह के पौधे संवहनी क्रिप्टोगेम्स कहते है ?
उत्तर:
टेरीडोफाइटा (Pteridophyta) समूह के
प्रश्न 8.
लाल शैवालों का संचित भोज्य पदार्थ क्या है ?
उत्तर:
फ्लोरिडियन स्टार्च
प्रश्न 9.
भूरे शैवालों का संचित भोजन क्या है ?
उत्तर:
लैमिनेरिन एवं मेनीटॉल।
प्रश्न 10.
सबसे बड़े ब्रायोफाइटा का नाम लिखिए।
उत्तर:
डाउसोनिया (Dawsonia)।
प्रश्न 11.
दा निर्माण में कौन-सा ब्रायो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता
उत्तर:
स्फैगनम (Sphaguum)।
प्रश्न 12.
सबसे बड़े लैवाल का नाम लिखिए।
उत्तर:
मैक्रोसिस्टस पायरीफेरा (Macrocyetis pyrifera)।
प्राय 13.
एजोला किस समूह का पौधा है ?
उत्तर:
टेरीडोफाइटा समूह का।
प्रश्न 14.
आयोडीन, ब्रोमीन उत्पादित करने वाले शैवाल कौन से है ?
उत्तर:
पूरे सेवाल
प्रश्न 15.
किसी जलीय फर्म का नाम लिखिए।
उत्तर:
मासीलिया, साल्वीनिया ।
प्रश्न 16.
किसी परजीवी शैवाल का
उत्तर:
सिफेल्यूरोस (Cephalurge) नाम लिखिए।
प्रश्न 17.
वैज्ञानिक अनुसन्धानों में सर्वाधिक प्रयुक्त किये जाने वाले शैवाल का नाम लिखिए।
उत्तर:
क्लोरेला (Chlorella) ।
प्रश्न 18.
सकस के फ्लोएम में क्या नहीं पायी जाती हैं ?
उत्तर:
सहकोशिकाएँ (Companian cells) ।
प्रश्न 19
उत्तर:
रिक्सिया में।
के किस सदस्य में सबसे सरल स्पोरोफाइट मिलता
प्रश्न 20.
किसी समबीजाणुक टेरिडोफाइट का उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
लाइकोपोडियम (Lycopodium), ड्रायोप्टेरिस (Dryopteris)।
प्रश्न 21.
फर्म का भूमिगत भाग जो तना बनाता है क्या कहलाता है ?
उत्तर:
राइजोम (Rhizome) ।
प्रश्न 22.
साबूदाना किस पौधे से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
साइकस रिवोल्यूटा (Cycas revoluta) से। ग्राम
प्रश्न 23.
नाम किस पौधे से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
एमीज बालसेमिया (Abies balsamia) से।
प्रश्न 24.
किसी जलीय का नाम लिखिए।
उत्तर:
हाइहिला (Hydrilla), सिंघाड़ा (Thapa) |
(C) लघु उत्तरीय प्रश्न -1
प्रश्न 1.
साइकस के पौधों में फलों का निर्माण क्यों नहीं होता है ?
उत्तर:
फलों का विकास अण्डाशय भित्ति से होता है। साइकस में अण्डाशय (ovary) का अभाव होता है, जो कि फल का निर्माण करती है। इनमें भीज सीधे ही बीजाणु पर्ण पर उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 2.
शैवाल तथा कवक में एक प्रमुख अन्तर लिखिए।
उत्तर:
शेवालों में पर्णहरिम उपस्थित होने के कारण ये स्वपोषी होते हैं किन्तु कमकों में पर्णहरिम न होने के कारण ये विवमपोची होते हैं।
प्रश्न 3.
ग्रायोफाइट समूह के चार पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- मार्केन्शिया,
- एन्योसिरोस,
- पेलिया
- फ्यूनेरिया
प्रश्न 4.
जिम्नोस्पर्म के संवहन उतक की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
जिम्नोस्पर्म के संवहन ऊतकों के जाइलम में वाहिकाएं (trachea ) तथा फ्लोएम में सखि कोशिकाओं (companion cells) का अभाव होता है।
प्रश्न 5.
बायोफाइट को पादप उभयचर क्यों कहते है ?
(Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
बायोफाइट स्थलीय पौधे है लेकिन इनमें निवेचन केवल बाह्य जल की उपस्थिति में ही होता है एन्यीरोवाइड्स पानी की उपस्थिति में ही आर्कीगोनिया तक पहुँच पाते हैं इसलिए इन्हें पादप उभयचर माना जाता है।
प्रश्न 6.
अगर अगर क्या है ?
उत्तर:
अगर-अगर (Agar-Agar) एक श्लेष्मीय कार्बोहाइड्रेट है जिसे समुद्री शैवाल जिलेडियम, मेसीलेरिया आदि को उबालकर प्राप्त किया जा सकता है। इसका प्रयोग संवर्धन माध्यम बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 7.
टैरीडोफाइटा को कितने वर्गों में बाँटा गया है ?
उत्तर;
चार वर्गों में-
- साइलोप्सिडा (Psilopsida),
- लाइकोप्सिडा (Lycopsida),
- स्फीनोप्सिडा,
- टेरोप्सिडा (Pteropsida)।
प्रश्न 8.
मॉस के पौधे झुण्डों में क्यों उगते हैं ?
उत्तर:
मॉस में बीजाणुओं के अंकुरण से तन्तुरूपी, अत्यधिक शाखित, हरे रंग की रचना प्रोटीनीमा बनती है। यह उस स्थान पर एक जाल सा बना लेती है। इससे ही पास पास ऊर्ध्वाधर (vertical) पर्णिल पादपों का निर्माण होता है। जिनसे बहुत-सी कलिकाएं उत्पन्न होकर अनेक मॉस पादपों का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित किन-किन पौधों में मिलते हैं ?
- सीढ़ीनुमा संयुग्मन
- चल बीजाणु
- समयुग्मक,
- पाइरीनॉइड ।
उत्तर:
- स्पाइरोगाइरा
- यूलोथ्रिक्स,
- स्पाइरोगाइरा ।
प्रश्न 10.
पेरीगोनियम क्या है ?
उत्तर;
फ्यूनेरिया की पुंधानी (antheridium) तथा पैराफाइसिस (paraphysis) कुछ बड़ी पत्तियों से घिरे होते हैं। पत्तियों सहित पुंधानियों का झुं४ पेरीगोनियम (perigonium) कहलाता है।
प्रश्न 11.
पेरीकीटियम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
फ्यूनेरिया की स्त्रीधानियाँ समूह में उत्पन्न होती हैं। स्त्रीधानियों के बीच-बीच में पैराफाइसिस पाये जाते हैं। स्त्रीधानियाँ एवं पैराफाइसिस पत्तियों से घिरे रहते हैं। इस सम्पूर्ण झुण्ड को पेरीकीटियम (perichaetium) कहते हैं।
(D) लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1.
शैवालों के प्रमुख तीन वर्गों की प्रमुख विशेषताओं के लिए एक तालिका बनाइए ।
उत्तर:
वर्ग (Class) | सामान्य नाम (Common name) | प्रमुख वर्णक (Main Pigment) | संचित भोजन (Reserve Food) | कोशिका भित्ति (Cell wall) | कशाभों की संख्या तथा उनकी निवेशन की स्थिति | आवास (Habitat) |
1. क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae) | हरे शैवाल | क्लोरोफिल a व b | मण्ड (Starch) | सेल्युलोस युक्त (Cellulogic) | 2-8, समान शीर्षस्थ | अलवण जल, लवणीय जल वै खारा जल |
2. फियोफाइसी (Pheophyceae) | भूरे शैवाल | क्लोरोफिल a व b फ्यूकोजैन्थिन | मैनीटोल (Mannitol) लैमीनेरिन (Laminarin) | सेल्युलोस एल्जिन युक्त | 2, असमान | अलवण जल (बहुतकम), खारा जल, लवणीय जल |
3. रोडोफाइसी (Rhodophyceae) | लाल शैवाल | क्लोरोफिल a व b फाइकोएरिथ्रिन | फ्लोरिडियन स्टार्च (Floridian Starch) | सेल्युलोस | पार्व्वीय | अलवण जल (कुछ), खारा जल, लवण जल (अधिकांश) |
प्रश्न 2.
कवक तथा शैवाल में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
कवक तथा शैवाल में अन्तर (Differences between Fungi and Algae)
कवक (Fungl) | तैवाल (Algae) |
1. पर्णहरिम के अभाव के कारण विषमपोषी अवशोषी (absorptive) होते हैं। | 1. पर्णहरिम की उपस्थिति के कारण स्वपोषी होते हैं। |
2. इनमें कोशाभित्ति काइटिन या फंगल सेल्युलोस की बनी होती है । | 2. कोशाभित्ति सेल्युलोस की बनी होती है। |
3. खाद्य पदार्थ, वसा, तेल या ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता है। | 3. इनमें खाद्य पदार्थ मण्ड (starch) के रूप में संचित होता है। |
4. इनमें जनन अंग विभिन्न प्रकार के होते हैं। विकसित तथा उच्च वर्ग के सदस्यों में जननांग अस्पष्ट या लुप्त हो जाते हैं। | 4. निम्न श्रेणी के शैवालों में जननांग अविकसित किन्तु विकसित वर्गों में इनकी जटिलता बढ़ जाती है। |
प्रश्न 3.
वर्ग क्लोरोफाइसी का संक्षिप्त विवरण दीजिये ।
उत्तर:
वर्ग- क्लोरोफाइसी (Class- Chlorophyceae ) – ये हरे शैवाल होते हैं। इस वर्ग के अधिकांश सदस्य स्वच्छ या अलवण जलीय ( Fresh water) होते हैं, परन्तु कुछ जातियाँ समुद्र में भी पायी जाती हैं। कुछ सदस्य गीली मिट्टी पर भी उगते हैं। जूक्लोरेला (Zoochlorella) सहजीवी शैवाल है जो हाइड्रा (Hydra) के अन्दर उगता है। प्रोटोमी (Protodema) कछुओं की पीठ पर तथा क्लैडोफोरा (Cladophora ) घोंघे के ऊपर उगता है। इनमें क्लोरोफिल ‘a’ तथा ‘b’ प्रकाश संश्लेषी वर्णक पाये जाते हैं।
ये प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं अतः स्वपोषी हैं। हरे शैवाल एक कोशिकी चल या अचल, बहुकोशिकीय, निवही (colonial), शाखाविहीन या शाखामय तन्तुरूपी होते हैं। एसीटाबुलेरिया (Acetabularia) एककोशिकीय सबसे बड़ा शैवाल है। हरे शैवालों में कायिक, अलैंगिक या लैंगिक प्रकार का जनन पाया जाता है।
अलैंगिक जनन, चल बीजाणु (zoospores), अचल बीजाणु सुप्तबीजाणु (hypnospores) एकाइनीट्स या पामेला अवस्था द्वारा होता है। लैंगिक जनन समयुग्मकी, विषमयुग्मकी या असमयुग्मकी प्रकार का होता है। कायिक जनन प्रायः विखण्डन द्वारा होता है। उदाहरण : क्लेमाइडोमोनास, वॉल्वॉक्स क्लोरेला, यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा कारा आदि ।
प्रश्न 4.
फियोफाइसी वर्ग के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
वर्ग फिओफाइसी (Class – Pheophyceae ) – इस वर्ग के सदस्य भूरे शैवाल (Brown sea weed or kelp) कहलाते हैं। इनके प्रमुख लक्षण निम्न प्रकार हैं-
- इनमें मुख्य वर्णक क्लोरोफिल ‘a’ क्लोरोफिल c जैन्थोफिल व फ्यूकोजैन्थिन आदि पाये जाते हैं ।
- कोशिका भित्ति में सेल्युलोस के अतिरिक्त एल्जिनिक तथा फ्यूसिनिक अम्ल भी पाया जाता है।
- इनमें पायरीनाइड नग्न एवं उभरे होते हैं।
- कशाभिकाएँ दो तथा असमान होती हैं तथा पार्श्व स्थिति पर होती
- संचित भोजन लैमिनेरिन अथवा मेनीटॉल के रूप में पाया जाता है।
- जनन लैंगिक तथा अलैंगिक विधियों से होता है। उदाहरण: एक्ोकार्पस, फ्यूकस, सरगासम, डिक्टियोटा आदि ।
प्रश्न 5.
वर्ग रोडोफाइसी के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
वर्ग रोडोफाइसी (Class Rhodophyceae ) – इस वर्ग के शैवाल लाल शैवाल कहलाते हैं इनके प्रमुख लक्षण अग्रलिखित हैं-
- मुख्य वर्णक क्लोरोफिल ‘a’ तथा १ ४ एवं फाइकोरिविन (phycoerythrin ) आदि हैं।
- थायलेकॉइड लवक में बिखरे रहते हैं तथा पायरीनॉइड अनुपस्थित होते हैं।
- संचित भोजन फ्लोरिडियन स्टार्च होता है।
- किसी भी अवस्था में कशाभिकाएँ अनुपस्थित होती हैं।
- कोशाभित्ति पॉलीसैकेराइड्स की बनी होती है।
- अलवणीय तथा लवणीय जल में पाये जाते हैं। उदाहरण : जैलीडियम, कोन्ड्रेस, पोरफाइरा, रोडीमेनिया आदि ।
प्रश्न 6.
स्पाइरोगाइरा की कोशिका संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्पाइरोगाइरा (Spirogyra) – स्पाइरोगाइरा एक तन्तुवत् -शाखाविहीन हरा शैवाल है जो प्रायः स्वच्छ जल के तालाबों, झीलों आदि में पाया जाता है। यह पानी की सतह पर पाया जाता है। अतः इसे पांड स्कम (pond scum) कहा जाता है। तन्तु की सभी कोशिकाएँ समरूपी होती हैं। कोशिकाओं की लम्बाई इसकी चौड़ाई से 3-4 गुनी होती हैं। कोशिका भित्ति द्विस्तरीय होती है।
भीतरी स्तर सेल्युलोस का तथा बाह्य स्तर पैक्टिन का बना होता है । बाह्य स्तर जल में घुलकर एक लसलसा पदार्थ बनाता है, इसी कारण स्पाइरोगाइरा चिकने होते हैं। कोशिका में एक केन्द्रीय रिक्तिका होती है। केन्द्रक रिक्तिका के मध्य कोशिकाद्रव्यी तन्तुओं की सहायता से लटका होता है। कोशिका में फीतेनुमा ( ribbon-shaped ) तथा सर्पिलाकार क्लोरोप्लास्ट होते हैं। क्लोरोप्लास्ट पर अनेक पायरीनाइड पाये जाते हैं।
प्रश्न 7.
अनेक टेरिडोफाइटा व अनावृतबीजियों के नर व मादा जनन अंगों की तुलना आवृतबीजियों की पुष्पीय संरचनाओं से की जा सकती है। टेरिडोफाइटा व अनावृत्तबीजियों के जनन अंगों की तुलना आवृत्तबीजियों के जनन अंगों से करने का प्रयास कीजिए (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
टेरिडोफाइट | अनावृतबीजी | आवृतबीजी |
1. सूक्ष्मबीजाणुपर्ण (Microsporophyll) | सूक्ष्मबीजाणुपर्ण (Microsporophyll) | पुंकेसर (Stamen) |
2. सूक्ष्मबीजाणुधानी (Microsporangium) | सूक्ष्मबीजाणुधानी (Microsporangium) | पराग कोष Anther / Poll en Sac) |
3. सूक्ष्मबीजाणु (Microspore) | सूक्ष्मबीजाणु (Microspore) | परागकण; नरयुग्मक |
4. गुरुबीजाणुपर्ण | (Megasporophyll) | नरयुग्मक गुरुबीजाणुपर्ण (Megasporophyll) | अण्डप (Carpel) |
5. गुरुबीजाणुधानी (Megasporangium) | गुरुबीजाणुधानी (Megasporangium) | बीजाण्ड (Ovule) |
6. गुरु बीजाणु (Megaspora) | बीजाणु गुरु (Megaspore) | भ्रूण कोष (Embryo sac) |
7. अण्ड कोशिका (egg cell) | अण्ड कोशिका (egg (cell) | अण्ड कोशिका (egg cell) |
8. अनुपस्थित | अनुपस्थित | फल (परिपक्व अण्डाशय) |
प्रश्न 8.
जूस्पोर तथा जाइगोस्पोर में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
जूस्पोर तथा जाइगोस्पोर में अन्तर (Differences between Zoospore and Zygospore)
जूस्पोर (Zoospore) | जाइगोस्पोर (Zygospore) |
1. ये नग्न बीजाणु होते हैं, इनका निर्माण चलबीजाणुधानी में होता है । | ये मोटी भित्ति वाले निष्क्रिय बीजाणु होते हैं। |
2. इनका निर्माण अनुकूल परिस्थितियों में अलैंगिक जनन के समय होता है। | इनका निर्माण लैंगिक जनन के समय नर व मादा समयुग्मकों के मिलने से होता है। |
3. ये अगुणित होते हैं। | ये द्विगुणित (2n) होते हैं। |
4. इनमें 2 या अधिक कशाभिकाएँ होती हैं। | कशाभिकाएँ नहीं पायी जाती हैं। |
5. ये अंकुरित होकर सीधे नया तन्तु बनाते हैं। | पहले चल या अचल बीजाणु बनाते हैं जो अगुणित होते हैं अगुणित बीजाणु अंकुरित होकर नया तन्तु बनाते हैं। |
प्रश्न 9.
यूलोथ्रिक्स एवं स्पाइरोगाइरा के हरितलवकों में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
यूलोजिक्स एवं स्पाइरोगाइरा के हरितलवकों में अन्तर (Differences between Chloroplast of Ulothrix and Spirogyra)
लोक्स का हरितलवक | स्पाइरोगाइरा का हरितलवक |
1. इसकी प्रत्येक कोशिका में केवल एक क्लोरोप्लास्ट कोशिका दृति | (primordial utricle) में पाया जाता है। | 1. इसमें 1-16 तक क्लोरोप्लास्ट कोशिका दृति में पाये जाते हैं। |
2. क्लोरोप्लास्ट मेखलाकर (girdle shaped ) होते हैं। | 2. क्लोरोप्लास्ट फीताकार तथा सर्पिल रूप से कुण्डलित होते हैं। |
3. एक क्लोरोप्लास्ट में केवल एक पायरीनाइड पाया जाता है। | 3. एक क्लोरोप्लास्ट में अनेक पायरीनॉइड होते हैं। |
प्रश्न 10.
ब्रायोफाइटा के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
ब्रायोफाइटा संवहन ऊतक विहीन एम्ब्रियोफाइट्स (non-vascular embryophytes) होते हैं। ये स्वतन्त्र युग्मकोदभिद (gametophytic) तथा पराश्रयी बीजाणुद्भिद (sporophytic) अवस्थाओं को प्रदर्शित करते हैं। ब्बायोफाइटा समूह के विभेदक लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1. आवास (Habitat)-ब्रायोफाइट्स को पादप जगत के उभयचर (amphibians of plant kingdom) कहा जाता है, क्योंकि यह भूमि पर जीवित रह सकते हैं लेकिन लैंगिक जनन के लिए बाह्य जल की उपस्थिति अनिवार्य होती है। ब्रायोफाइटा नम एवं छायादार स्थान पर, गीली मिट्टी, चड्टानों, पेड़-पौधों के तनों पर पाये जाते हैं। रिक्सिया फ्लूटेस जलीय ब्रायोफाइट्स हैं।
2. युग्मकोद्धि (Gametophyte) – यह पौधे के मुख्य काय को प्रदर्शित करती है। यह स्वपोषी (autotraphic) अवस्था है।
3. आकार (Size) – ये छोटे आकार के प्रथम स्थलीय पौधे होते हैं। सबसे छोटा ब्रायोफाइट जूपिस अर्जेन्टस (4-5) mm तथा सबसे बड़ा बायोफाइट डोसोनिया (60-70 cm}) होता है।
4. संवहन ऊतक (Vascular tissue) – इनमें संवहन ऊतकों जैसे जाइलम व फ्लोएम का अभाव होता है।
5. संरचना (Structure)-पादप शरीर या तो थैलाभ (thalloid) या पर्णाभ (foliose) होता है। थैलस शैवालों की अपेक्षा अधिक विकसित होता है तथा शयान (prostate) अर्थात् लेटा हुआ या सीधा (erect) हो सकता है। मुख्यकाय अगुणित (haploid) होता है। फोलिओज ब्रायोकाइट मे पत्ती सदृश उपागों वाले पौधे में अक्ष सदृश तना होता है। वास्तविक पत्तियाँ, तने एवं जड़ें अनुपस्थित होती हैं।
6. मूलाभास (Rhizoids) – पौधों के आधार भाग में एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय तन्तुवत् संरचनाएँ मूलाभास (rhizoids) होती हैं। ये पौधों को भूमि में स्थिर रखने तथा जल अवशोषण (absorption) का कार्य करती हैं।
7. वर्धी प्रजनन (Vegetative reproduction) – यह सर्वाधिक रूप से पायी जाने वाली प्रजनन विधि है। वर्धी प्रजनन विखण्डन, अपस्थानिक कलिकाओं, ट्यूबर, अपस्थानिक शाखाओं, प्रोटोनीमा अथवा जैमी द्वारा होता है।
8. अलैंगिक प्रजनन (Asexual reproduction) – ब्रायोफाइट्स में अर्लैंगिक प्रजनन का प्रायः अभाव होता है।
9. लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction) – लैंगिक प्रजनन अण्डयुग्मकी (oogamous) प्रकार का होता है। नर जननांग एन्थीरीडियम (antheridium) तथा मादा जननांग आर्कीगोनियम (archegonium) कहलाते हैं जो बहुकोशिकीय संरचनाएं हैं। एन्थीरीडियम (antheridium) तथा आर्कीगोनियम (archigonium) का निर्माण एक ही थैलस पर अथवा अलग-अलग थैलसों पर होता है।
10. पुंधानी (Antheridium) – यह छोटी वृन्तयुक्त गोलाकार या गदाकार (club-shaped) संरचना है। इसके चारों ओर बन्ध्य कोशिकाओं (sterile cells) का जैकेट पाया जाता है। इसमें पुमणु मातृ कोशिकाओं से पुमपुओं (antherozoids) का निर्माण होता है। पुमणु द्विकशाभिकायुक्त चल संरचनाएँ होती हैं।
11. सीधानी (Archegonium) – यह फ्लास्क के आकार की संरचना है जो नलिकाकार प्रीवा तथा फूले हुए वेन्टर (venter) में विभेदित की जा सकती है। वेन्टर में एक अण्ड (oosphere) उपस्थित होता है।
12. निषेचन (Fertilization) – निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु (antherozoids) जल में वैरकर अण्डधानी के मुख तक पहुँचते हैं। केवल एक पुमणु स्त्रीधानी (archegonium) में प्रवेश करके अण्ड से संयुजन करता है। इससे युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है।
13. श्रूण (Embryo) – भूण का निर्माण स्त्रीधानी (archegonium) के अन्दर होता है। यह विकसित होकर बीजाणुदभिद (sporophytc) को जन्म देता है।
14. बीजाणुद्भिद् (Sporophyte)-द्विगुणित (diploid) कोशिकाओं से बना बीजाणुद्भिद् पूर्ण या आंशिक रूप से युग्मकोद्भिद् (gametophyte) पर आंत्रित होता है। बीजाणुद्भिद् (sporophyte) प्राय: फुट, सीटा तथा संपुट (foot, seta and capsule) में विभेदित होता है। फुट एक अवशोषक रचना है। सीटा अवशोषित जल व पोषकों को संपुट तक पहुँचाता है तथा संपुट में बीजाणुओं का निर्माण होता है। बीजीणुओं का निर्माण स्पोरोफाइट की कोशिकाओं में न्यन्वरण विभाजन या मीओसिस (meiosis) द्वारा होता है।
प्रश्न 11.
फ्यूनेरिया के पौधे की बाह्य आकारिकी समझाइए ।
उत्तर:
फ्यूनेरिया (Fun- aria ) – फ्यूनेरिया अथवा मॉस एक छोटा सीधा पत्तीयुक्त 1-3 सेमी. ऊँचाई का ब्रायोफाइट है। यह सामान्यतः एक बार शाखान्वित होता है। शाखा निर्माण पार्श्व व एक्स्ट्रा एक्सीलरी (extra axillary) होता है। माँस का पौधा अक्ष, पत्ती सदृश्य रचनाएं तथा राइजोइड में विभेदित होता है। पत्ती सदृश्य रचनाएं अक्ष पर सर्पिल क्रम में व्यवस्थित रहती है। शाखाओं के सिरों पर एंथीरिडिया (anthiridia) व आर्कीगोनिया (archegonia) का विकास होता है। निषेचन के बाद आर्कीगोनिया स्थित युग्मनज (Zygote) से बीजाणुद्भिद का निर्माण होता है जो युग्मकोद्भिद् पर निर्भर होता है। यह फुट (foot), सीटा (seta) व सम्पुट (capsule) में विभाजित होता है।
प्रश्न 12.
ब्रायोफाइटा के आर्थिक महत्व को समझाइए ।
उत्तर:
ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
ब्रायोफाइटा संवहन ऊतक विहीन एम्ब्रियोफाइट्स (non-vascular embryophytes) होते हैं। ये स्वतन्त्र युग्मकोदभिद (gametophytic) तथा पराश्रयी बीजाणुद्भिद (sporophytic) अवस्थाओं को प्रदर्शित करते हैं। ब्बायोफाइटा समूह के विभेदक लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1. आवास (Habitat)-ब्रायोफाइट्स को पादप जगत के उभयचर (amphibians of plant kingdom) कहा जाता है, क्योंकि यह भूमि पर जीवित रह सकते हैं लेकिन लैंगिक जनन के लिए बाह्य जल की उपस्थिति अनिवार्य होती है। ब्रायोफाइटा नम एवं छायादार स्थान पर, गीली मिट्टी, चड्टानों, पेड़-पौधों के तनों पर पाये जाते हैं। रिक्सिया फ्लूटेस जलीय ब्रायोफाइट्स हैं।
2. युग्मकोद्धि (Gametophyte) – यह पौधे के मुख्य काय को प्रदर्शित करती है। यह स्वपोषी (autotraphic) अवस्था है।
3. आकार (Size) – ये छोटे आकार के प्रथम स्थलीय पौधे होते हैं। सबसे छोटा ब्रायोफाइट जूपिस अर्जेन्टस (4-5) mm तथा सबसे बड़ा बायोफाइट डोसोनिया (60-70 cm}) होता है।
4. संवहन ऊतक (Vascular tissue) – इनमें संवहन ऊतकों जैसे जाइलम व फ्लोएम का अभाव होता है।
5. संरचना (Structure)-पादप शरीर या तो थैलाभ (thalloid) या पर्णाभ (foliose) होता है। थैलस शैवालों की अपेक्षा अधिक विकसित होता है तथा शयान (prostate) अर्थात् लेटा हुआ या सीधा (erect) हो सकता है। मुख्यकाय अगुणित (haploid) होता है। फोलिओज ब्रायोकाइट मे पत्ती सदृश उपागों वाले पौधे में अक्ष सदृश तना होता है। वास्तविक पत्तियाँ, तने एवं जड़ें अनुपस्थित होती हैं।
6. मूलाभास (Rhizoids) – पौधों के आधार भाग में एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय तन्तुवत् संरचनाएँ मूलाभास (rhizoids) होती हैं। ये पौधों को भूमि में स्थिर रखने तथा जल अवशोषण (absorption) का कार्य करती हैं।
7. वर्धी प्रजनन (Vegetative reproduction) – यह सर्वाधिक रूप से पायी जाने वाली प्रजनन विधि है। वर्धी प्रजनन विखण्डन, अपस्थानिक कलिकाओं, ट्यूबर, अपस्थानिक शाखाओं, प्रोटोनीमा अथवा जैमी द्वारा होता है।
8. अलैंगिक प्रजनन (Asexual reproduction) – ब्रायोफाइट्स में अर्लैंगिक प्रजनन का प्रायः अभाव होता है।
9. लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction) – लैंगिक प्रजनन अण्डयुग्मकी (oogamous) प्रकार का होता है। नर जननांग एन्थीरीडियम (antheridium) तथा मादा जननांग आर्कीगोनियम (archegonium) कहलाते हैं जो बहुकोशिकीय संरचनाएं हैं। एन्थीरीडियम (antheridium) तथा आर्कीगोनियम (archigonium) का निर्माण एक ही थैलस पर अथवा अलग-अलग थैलसों पर होता है।
10. पुंधानी (Antheridium) – यह छोटी वृन्तयुक्त गोलाकार या गदाकार (club-shaped) संरचना है। इसके चारों ओर बन्ध्य कोशिकाओं (sterile cells) का जैकेट पाया जाता है। इसमें पुमणु मातृ कोशिकाओं से पुमपुओं (antherozoids) का निर्माण होता है। पुमणु द्विकशाभिकायुक्त चल संरचनाएँ होती हैं।
11. सीधानी (Archegonium) – यह फ्लास्क के आकार की संरचना है जो नलिकाकार प्रीवा तथा फूले हुए वेन्टर (venter) में विभेदित की जा सकती है। वेन्टर में एक अण्ड (oosphere) उपस्थित होता है।
12. निषेचन (Fertilization) – निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु (antherozoids) जल में वैरकर अण्डधानी के मुख तक पहुँचते हैं। केवल एक पुमणु स्त्रीधानी (archegonium) में प्रवेश करके अण्ड से संयुजन करता है। इससे युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है।
13. श्रूण (Embryo) – भूण का निर्माण स्त्रीधानी (archegonium) के अन्दर होता है। यह विकसित होकर बीजाणुदभिद (sporophytc) को जन्म देता है।
14. बीजाणुद्भिद् (Sporophyte)-द्विगुणित (diploid) कोशिकाओं से बना बीजाणुद्भिद् पूर्ण या आंशिक रूप से युग्मकोद्भिद् (gametophyte) पर आंत्रित होता है। बीजाणुद्भिद् (sporophyte) प्राय: फुट, सीटा तथा संपुट (foot, seta and capsule) में विभेदित होता है। फुट एक अवशोषक रचना है। सीटा अवशोषित जल व पोषकों को संपुट तक पहुँचाता है तथा संपुट में बीजाणुओं का निर्माण होता है। बीजीणुओं का निर्माण स्पोरोफाइट की कोशिकाओं में न्यन्वरण विभाजन या मीओसिस (meiosis) द्वारा होता है।
15. बीजाणु (Spores)- बीजाणु अगुणित संरचना है। बीजाणुघानी के फटने पर इनका प्रकीर्णन होता है। बायोफाइट्स के कुछ वंशों में बीजाणु सीधे ही अंकुरण करके युग्मकोद्भिद्ध (gametophyte) बनाते हैं किन्तु कुछ वंशों में अंकुरण करके प्रोटोनीमा बनाते हैं जिनसे युग्मकोदभभिद का निर्माण होता है।
16. पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) – बायोफाइटस के जीवनकाल में दो अवस्थाएँ युग्मकोदभिद्ध तथा बीजाणुदभिद होती है। ये दोनों एक-दूसरे का एकान्तरण करती हैं अर्थात् गेमीटोफाइट से स्पोरोफाइट व स्पोरोफाइट से गैमीटोफाइट बनता है। युग्मकोद्धिभ् स्वतन्तजीवी तथा अगुणित अवस्था को प्रदर्शित करती है जबकि बीजाणुद्धभिद् पराश्रयी एवं द्विगुणित अवस्था है। इसी को पीढ़ी एकान्तकरण कहते हैं। यह पारिस्थितिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण है तथा अनुक्रमण (succession) में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 13.
टेरीडोफाइटा समूह के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
टेरीडोफाइटा (Pteridophyta)
जीवाश्मों (fossils) के अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि टेरिडोफाइट 350 मिलियन वर्ष पूर्व प्रभावी वनस्पति थे। उस समय के टेरिडोफाइटा बड़े वायवीय तनों वाले अर्थात् वृक्ष सदृश थे। सजावटी पौछे फर्न जैसे-टेरिस (Pteris), एडिएन्टम (Adiantium) तथा हासटेल (ferse tail) टेरिडोफाइट के सामान्य उदाहरण हैं। टेरीडोफाइटा प्राथमिक बीजविहीन संवहनी पौधे होते हैं जो स्पष्ट बीजाणुद्भिद् पादप काय तथा अस्पष्ट स्वतन्त्र युग्मकोद्भिद् (gamctophyte) में विभेदित होते हैं। इन्हें संकहनी क्रिप्टोगेम्स (vascular cryptogames) भी कहते हैं। टेरिडोफाइटस के निम्नलिखित विभेदक लक्षण हैं-
1. आवास (Habitat)-अधिकांश टेरीडोफाइटा स्थलीय होते हैं जो नम छायादार स्थानों, चट्टानों, पेड़ों के तनों पर उगते हैं। कुछ पादप जलीय तथा मरुस्थलीय आवासों में भी पाये जाते हैं। इक्वीसीटम (Equisetum) की कुछ जातियाँ मरूस्थलीय हैं जबकि एजोला (Azolla), साल्विनिया (Salvina) जलीय जातियाँ हैं। मासीलिया (Marsilia) उभयचर पादप होता है।
2. पादफ्काय (Plant body) – यह बीजाणुद्भिद् द्वारा निरूपित होते हैं अर्थात् मुग्य पौधा स्पोरोफाइट होता है। बीजाणुद्भिद् स्पष्ट जड़, तना तथा पत्तियों में विभेदित होता है।
3. उड़ (Roots) – प्राथमिक जड़ें अल्पकालिक (ephimeral) होती हैं जो अपस्थानिक जड़ों (adventitious roots) द्वारा प्रतिस्थापित कर दी जाती हैं।
4. तना (Stem)-यह शाकीय होता है। अधिकांश फर्न में तना भूमिगत राइजोम (rhizome) होता है।
5. पत्तियाँ (Leaves) – पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं लघुपर्णी तथा गुरुपर्णी (microphyllous and megaphyllous)। सिलैजिनेला में पतियाँ छोटी तथा फर्न में बड़े आकार की होती हैं।
6. संबहलन ऊ्तक (Vascular Tissue)-संवहन ऊतक उपस्थित होता है तथा दो प्रकार के ऊतकों, जाइलम तथा फ्लोएम का बना होता है।
7. जनन (Reproduction) – जनन कायिक तथा लैंगिक प्रकार का होता है। कायिक प्रजनन अपस्थानिक कलिकाओं, पत्र प्रकलिकाओं (bulbils) या अपस्थानिक शाखाओं द्वारा होता है। लैंगिक जनन विशिष्ट संरचनाओं द्वारा होता है।
8. बीजाणुपर्ण (Sporophyll) – बीजाणु बीजाणुधानियों (sporangia) में बनते हैं तथा बीजाणुधानी धारण करने वाली पत्तियां बीजाणुपर्ण कहलाती हैं। बीजाणु धानियाँ (sporangium) पत्ती की सतह पर उत्पन्न होती हैं।
9. बीजाणुधानियों का वितरण (Distribution of Sporangia)-फर्र्स में बीजाणुधानियाँ बीजाणु पर्णों (sporophylls) की निचली सतह पर समूहों या सोराई (sori) में पायी जाती हैं। एक सोरस (sorus) में 5-6 या अधिक बीजाणुधानी होती हैं।
कुछ टेरिडोफाइट में बीजाणुपर्ण (Sporophylls) सघन होकर शंकु (cone) जैसी सुस्पष्ट रचना बनाते हैं। सिलेजिनेला व इक्वीसीटम में यही रचना जाती है। इन्हुं स्ट्रोविलस (strobilus) कहा जाता है।
10. बीजाणुघानी (Sporangia) – स्पोरोफाइट होने के कारण बीजाणुधानी द्विगुणित (diploid) होती है। यह मोटी भित्चि वाली कोशिकाओं से घिरी रहती है तथा इसके केन्द्र में स्थित बीजाणु मातृ कोशिकाओं (spore mother cells) में हुए अर्धसूत्र विभाजन (meiosis) द्वारा बीजाणुओं का निर्माण होता है।
11. बीज्ञाणु (Spores) – बीजाणुधानी के फटने पर अगुणित बीजाणु हवा द्वारा दूर्दूर वक प्रकीर्णित कर दिए जाते हैं जो अंकुरण कर युग्मकोदभिद् (gametophyte) का निर्माण करते हैं।
12. युग्मकोद्भि्द् (Gametophyte) – यह स्वतन्त्रजीवी छोटी थैलाभ संरचना है जिसे प्रोथैलस (prothallus) कहते हैं। प्रोथेलस बहुकोशिकीय होता है तथा ठण्डे, गीले व छायादार स्थानों पर उगता है। निषेचन के लिए जल की आवश्यकता तथा इसकी अन्य विशिष्ट, सीमित आवश्यकताओं के कारण टेरिडोफाइट भौगोलिक रूप से सीमित क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इसी प्रोथैलस पर नर व मादा जनन अंगों का विकास होता है। अधिकांश फर्न में यह हरा व स्वपोषी (autotrophic) होता है। विषमपोषी (heterotrophic) फर्न में, मादा युग्मकोद्भिद् (gametophyte), सामान्यतः दीर्घबीजाणु (megaspore) द्वारा संचित भोजन पर निर्भर करता है।
13. जनन अंग (Sex organs) – नर जनन अंग पुंधानी (Antheridium) तथा मादा जनन अंग रीधानी (Archegonium) कहलाते हैं। समबीजाणुक (homosporous) वंशों में बीजाणु अंकुरण से बनी हरी एवं स्वतन्त्र रचना प्रोथैलस पर जनन अंगों का निर्माण होता है।
14. पुंधानी (Antheridium) – यह वृन्तहीन मुग्दराकार (club-shaped) संरचना है जो एक स्तरीय जैकेट द्वारा घिरी होती है। पुंधानी के अन्दर द्विकशााभक पुमणुओं (biflagellate antherozoids) का निर्माण होता है। इक्वीसीटम तथा सायलोटम में पुमणु (multiflagellate) बहुकशाभिकीय होते हैं।
15. सीधानी (archegonium)-यह फ्लास्कनुमा रचना होती है। यह आंशिक रूप से प्रोथैलस में धँसी होती है। ग्रीवा वायवीय होती है। सीधानी (archegonium) के आधारीय भाग में एक अण्डगोल (oosphere) या अण्ड होता है।
16. निषेचन (Fertilization) – निषेचन बाहा जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु अपने कशाभों द्वारा तैरकर स्त्रीधानी (archegonium) के मुख तक पहुँचते हैं। केवल एक पुमणु स्त्रीधानी (archegonium) में प्रवेश करके अण्ड को निषेचित करता है। निषेचित अण्ड प्रूण का निर्माण करता है।
17. भूण (Embryo)-निषेचन के फलस्वरूप बना युग्मनज (zytoge) विभाजन करके प्रूण (embryo) का निर्माण करता है जो वृद्धि करके प्रोधैलस के ऊतकों को फाड़कर भूमि में स्थापित हो जाता है और नये द्विगुणित पौधे अर्थात् स्पोरोफाइट का निर्माण करता है।
18. पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of Generation) – सभी टेरीडोफाइट्स के जीवन चक्र में बीजाणुद्भिद (sporophyte) तथा युग्मकोद्भिद् (gametophyte) पीढ़ियों का एकान्तरण होता है। इसे पीढ़ी एकान्तरण (alternation of generation) कहते हैं।
प्रश्न 14.
फर्न के प्रोथैलस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
फर्न का प्रोथैलस (Prothallus of Fern) – फर्न में बीजाणुधानी से प्रकीर्णित होने के बाद बीजाणु स्वतन्त्र रूप से अंकुरण करके, हृदयाकार हरे रंग की स्वपोषी संरचना का निर्माण करते हैं जिसे प्रोथैलस कहते हैं। यह फर्न की युग्मकोद्भिद् अवस्था को प्रदर्शित करता है। प्रोथैलस पतली, चपटी हृदयाकार संरचना है जो बीच में मोटी तथा किनारों पर पतली होती है। फर्न का प्रोथैल उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होता है अर्थात् नर तथा मादा जननांग धारण करता है।
प्रोथैलस का मध्य भाग एक गद्दी जैसी संरचना होता है जिसके नीचे से दोनों ओर को मूलाभास ( rhizoids) निकले होते हैं। पुंधानी पहले विकसित होती है इनका निर्माण मूलभासों के बीच होता है। प्रोथैलस के ऊपरी भाग में शीर्ष खाँच के निकट स्त्रीधानियाँ (Archegonia) विकसित होती हैं। फर्न में पुंपूर्वी दशा (Protandrous) पायी जाती है अर्थात् एन्थीरोजाइड्स आर्कीगोनियम के परिपक्व होने से पहले ही तैयार (परिपक्व हो जाते हैं। अतः स्वनिषेचन नहीं होता है।
प्रश्न 15.
मॉस तथा फर्न बीजाणुद्भिदों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
मॉस तथा फर्न के बीजाणुद्भिदों की तुलना (Comparison between Sporophytes of Moss and Fern)
मॉस बीजाणुद्भिद् | फर्न वीजाद्भिद् |
1. बीजाणुद्भिद् लगभग 2 सेमी लम्बा स्पोरोगोनियम होता है। | 1. बीजाणुद्भिद् एक पूर्ण विकसित पौधे के रूप में होता है। |
2. यह फुट, सीटा तथा कैप्सूल में विभेदित होता है। | 2. यह जड़, भूमिगत तना तथा हरी पत्तियों में विभेदित होता है। |
3. संवहन ऊतकों का अभाव होता है। | 3. संवहन ऊतक जाइलम व फ्लोएम | का बना होता है। |
4. यह युग्मको पर पूर्ण परजीवी होता है। | 4. प्रारम्भिक अवस्था में परजीवी किन्तु बाद में स्वतन्त्र जीवी होता है |
5. बीजाणु निर्माण कैप्सूल में होता है । | 5. बीजाणु निर्माण बीजाणुधानी में होता है। |
प्रश्न 16.
अनावृतबीजी (साइकस) तथा टेरीडोफाइटा (फर्न) में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अनावृतबीजी (साइकस) तथा टेरीडोफाइटा (फर्न) में अन्तर
अनावृतबीजी-साइकस | टेरीडोफाइटा-फर्न |
1. शुष्क आवासों में पाये जाते हैं। | 1. प्रायः नम वातावरण में तथा कुछ जल में पाये जाते हैं। |
2. युग्मकोद्भिद् ( gametophyte ) पूर्ण रूप से बीजाणुद्भिद् पर आश्रित होता है। | 2. युग्मकोद्भिद् ( gametophyte ) स्वपोषी होता है। |
3. विषम बीजाणुक ( heterosporous) होते हैं। | 3. प्रायः समबीजाणु (homosporous) होते हैं। |
4. युग्मकोद्भिद् एकलिंगाश्रयी (dioecious) होता है। | 4. उभयलिंगाश्रयी (monoccious) होता है। |
5. बीजों का निर्माण होता है। | 5. बीजों का निर्माण नहीं होता है। |
प्रश्न 17.
जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म में अन्तर लिखिए ।
उत्तर;
जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म में अन्तर (Differences between Gymnosperms and Angiosperms)
जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms) | एन्जियोस्पर्म (Angiosperms) |
1. पौधे शुष्कोद्भिद्, वृक्ष तथा झाड़ी होते हैं। | 1. पौधे, शाक, झाड़ी व वृक्ष होते हैं। ये जलोद्भिद मरुद्भिद्, समोद्- भिद् एवं लवणोद्भिद होते हैं। |
2. बीज किसी आवरण में बन्द नहीं होते । | 2. बीज फल के अन्दर बन्द होते हैं। |
3. संवहन बण्डल के जाइलम में वाहिकाएँ तथा फ्लोएम में सखिकोशिकाएँ नहीं पायी जाती हैं। | 3. वाहिकाएँ तथा सहकोशिकाएँ पायी जाती हैं। |
4. ये प्रायः एकलिंगी होते हैं। | 4. ये एकलिंगी या द्विलिंगी होते हैं। |
5. परागण वायु द्वारा होता है। | 5. परागण, वायु, जल, कीट व जन्तुओं द्वारा होता है। |
6. द्विनिषेचन (double fertilization) नहीं पाया जाता है । | 6. द्विनिषेचन आवृतबीजियों का विशिष्ट लक्षण है। |
7. भ्रूणपोष अगुणित होता है। | 7. भ्रूण पोष त्रिगुणित होता है। |
8. फलों का निर्माण नहीं होता। | 8. फलों का निर्माण होता है। |
(E) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (निबन्धात्मक)
प्रश्न 1.
मॉस (फ्यूनेरिया) के जीवन चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए। इसमें पीढ़ी एकान्तर भी समझाइए ।
उत्तर:
मॉस (फ्यूनेरिया) का जीवन चक्र प्रश्नोत्तर देखें प्रश्न 3, पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 2.
फर्न (ड्रायोप्टेरिस) के जीवन चक्र तथा पीढ़ी एकान्तरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
फर्न के जीवन-चक्र का प्राफीय निरूपण कीजिए।
उत्तर:
फर्न का जीवन चक्र (Life cycle of Fern Dryopteris) – फर्न का जीवन-चक्र दो अवस्थाओं में पूर्ण होता है- बीजाद्भिद (sporophyte) तथा युग्मकोद्भिद ( gametophyte )। ये दोनों अवस्थाएँ एक के बाद एक आती है। बीजाणुद्भिद् (Sporophyte ) – यह फर्न की प्रमुख अवस्था है जो भूमिगत प्रकन्द ( rhizome), अपस्थानिक जड़ों ( Adventitious roots), वायवीय प्ररोह (arial shoot) तथा पत्तियों (leaves) में विभेदित होती है।
सामान्य पत्तियों में से ही कुछ पत्तियाँ बीजाणुपर्ण का कार्य करती हैं जिन पर बीजाणुधानियों (Sporangia) के समूह इनकी निचली सतह पर उत्पन्न होते हैं। बीजाणुधानियों के समूह सोराई (sori) कहलाते हैं। फर्न समबीजाणुक (homosporous) होते हैं। प्रत्येक बीजाणुधानी में 12-16 तक बीजाणु मातृ कोशिकाएँ होती हैं।
प्रत्येक बीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन करके अगुणित बीजाणुओं (haploid spores) का निर्माण करती है। बीजाणु प्रकीर्णित होकर तथा अंकुरण करके युग्मकोद्भिद पीढ़ी को जन्म देते हैं। युग्मकोद्भिद (Gametophyte ) – बीजाणु इस पीढ़ी की प्रारम्भिक अवस्था को प्रदर्शित करते हैं। बीजाणुओं के अंकुरण से हृदयाकार (heart shaped), हरे रंग की चपटी संरचना का निर्माण होता है जिसे प्रोथैलस (prothallus ) कहते हैं। यह स्वपोषी होता है और अपने मूलाभासों द्वारा जमीन में सधा रहता है।
प्रोथैलस की अधर सतह पर पुंधानी तथा स्त्रीधानियों का विकास होता है। पुंधानी गोलाकार अवृन्त संरचनाएँ हैं जो प्रोथैलस पर मूलाभासों के बीच-बीच में उत्पन्न होती हैं। इनमें बहुपक्ष्मीय तथा कुण्डलित पुमणुओं (Antherozoids) का निर्माण होता है। प्रत्येक स्त्रीधानी फ्लास्क के आकार की संरचना है, इनका निर्माण प्रोथैलस की शीर्ष खाँच के समीप समूहों में होता है । प्रत्येक स्त्रीधानी में एक अगुणित अण्ड पाया जाता है।
फर्न में निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु तैरकर स्त्रीधानी के मुँह तक आ जाते हैं तथा स्त्रीधानी का मुख खुलने पर अनेक पुमणु स्त्रीधानी में प्रवेश कर जाते हैं। केवल एक पुमणु अण्ड से संयुजन कर द्विगुणित युग्मनज (zygote) बनाता है। यह अपने ऊपर एक मोटी भित्ति स्रावित कर लेता है। और निषिक्ताण्ड (oosphere) कहलाता है।
निषिक्ताण्ड (oosphere) अंकुरण करके भ्रूण ( embryo) बनाता है। भ्रूण के परिवर्धन से पुनः बीजाणुद्भिद अवस्था स्थापित होती है। फर्न में पीढ़ी एकान्तरण ( alternation of generations ) – फर्न में बीजाणुद्भिद् तथा युग्मकोद्भिद् अवस्थाओं का एकान्तरण होता है। बीजाणुद्भिद् अवस्था प्रमुख होती है जिस पर बीजाणुधानियाँ होती हैं।
इसमें अगुणित बीजाणुओं का निर्माण होता है, जो अंकुरण करके प्रोथैलस बनाते हैं। प्रोथैलस युग्मकोद्भिद् अवस्था को प्रकट करता है। इस पर नर व स्त्री जननांग होते हैं। इसमें युग्मकों के संलयन से जाइगोट बनता है जो पुनः बीजाणुद्भिद् अवस्था को स्थापित करता है।
प्रश्न 3.
साइकस के जीवन चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साइकस का जीवन चक्र (Life cycle of Cycas) -साइकस का पौधा बीजाणुद्भिद होता है जिसमें नर तथा मादा जनन अंग अलग-अलग पौधों पर विकसित होते हैं अर्थात् साइकस एक लिंगाश्रयी (dioecious) होता है। नर पौधे पर नर शंकुओं (Male cones) का निर्माण होता है। प्रत्येक नर शंकु में अनके लघुबीजाणुपर्ण (microsporophylls) होते हैं।
प्रत्येक लघुबीजाणुपर्ण के आधारीय भाग में लघुबीजाणु धानियाँ (microsporangia) होती हैं। इनमें बीजाणु मातृ कोशिकाएँ (microspore mother cells) अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा असंख्य अगुणित लघु बीजाणु या परागकण (microspore or pollen grains) बनाती हैं।मादा पौधों में गुरुबीजापर्ण (Megasporophylls) पाये जाते हैं जिन पर बीजाण्ड (Ovules) लगे होते हैं।
साइकस में गुरुबीजाणुपर्ण शंकु के रुप में व्यवस्थित नहीं होते व शीर्ष पर पत्तियों के बीच में लगे रहते हैं। बीजाण्ड के अन्दर गुरुबीजाणु मातृ कोशिका (Megaspore mother cell) में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु बनते हैं जिनमें से तीन नष्ट हो जाते हैं और केवल एक सक्रिय रहता है। नर युग्मकोद्भिद या परागकण दो नर युग्मकों का निर्माण करता है, मादा युग्मकोद्भिद एक या अधिक स्त्रीधानी बनाता है जिनमें एक-एक मादा युग्मक या अण्ड (egg) होता है। साइकस में वायु द्वारा परागण होता है।
नर युग्मको द्भिद तीन कोशिकीय अवस्था में बीजाणु तक पहुँचता है और परागकोष्ठ (pollen chamber) में पहुँच जाता है। यहाँ नर युग्मकोद्भिद् से एक पराग नलिका (pollen tube) बनती है जिसमें दो नर युग्मक होते हैं। स्त्रीधानी तक पहुँचकर एक नर युग्मक एक स्त्रीधानी में प्रवेश करता है।
प्रायः एक से अधिक स्त्रीधानियाँ निषेचित होती हैं किन्तु पूर्ण रूप से किसी एक का ही विकास होता है। निषेचन के पश्चात् द्विगुणित युग्मनज (zygote) बनता है, जो भ्रूण का निर्माण करता है। भ्रूण बीज में बन्द रहता है। बीजों के अंकुरण से पुनः बीजाणुद्भिद पौधे बनते हैं।
प्रश्न 4.
समझाइए क्यों आवृत्तबीजियों में लैंगिक जनन को द्विनेषेचन व त्रिसंलयन द्वारा होना बताया जाता है। इस परिघटना को स्पष्ट करने के लिए भ्रूणपोष का चित्र भी बनाइए ।
उत्तर:
परागनलिका में दो नर युग्मक (male gametes) होते हैं। परागनलिका वर्तिका (style) से होती हुई भ्रूणकोष में प्रवेश करके अपने दोनों न युग्मक भ्रूणकोष में छोड़ देती हैं। दोनों नर युग्मकों में से एक अण्ड कोशिका से तथा दूसरा द्वितीयक केन्द्रक से संलयन करता है। पहले संलयन को निषेचन (fertilization) तथा दूसरे को त्रिसंलयन (triple fusion) कहा जाता है। चूंकि निषेचन दो बार होता है अर्थात् पहला नर केन्द्रक अण्ड से तथा दूसरा नर केन्द्रक द्वितीयक केन्द्रक से, अतः इस पूरी प्रक्रिया को द्विनिषेचन (double fertilization) कहा जाता।
प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (Primary enbryosac nucleus ) निषेचन के पश्चात् अण्ड कोशिका द्विगुणित युग्मनज (Diploid zygote; 2n) तथा द्वितीयक केन्द्रक त्रिगुणित भ्रूणपोष (triploid endosperm; 3n) बनाते हैं। अब सम्पूर्ण बीजाणु बीज की संरचना करता है। बीजों के अंकुरण से पुनः बीजाणुद्भिद पीढ़ी का निर्माण होता है।
प्रश्न 5.
किसी अनावृत्तबीजी तथा आवृत्तबीजी के जीवन चक्र का केवल ग्राफीय निरूपण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
पौधों के जीवनचक्र में अगुणितक, द्विगुणितक तथा मिश्रित प्रकार के जीवन- पैटर्न की संक्षिप्त व्याख्या रेखाचित्रों द्वारा कीजिए।
उत्तर:
पादप जीवन चक्र तथा संतति या पीड़ी-एकान्तरण (Life Cycle of Plant and Alternation of Generation) पादप में अगुणित तथा द्विगुणित कोशिकाएँ माइटोसिस द्वारा विभक्त होती हैं। इसके कारण विभिन्न काय, अगुणित तथा द्विगुणित बनते हैं।
1. अगुणित पादपकाय माइटोसिस द्वारा युग्मक (gametes) बनाते हैं। इसमें पादपकाय युग्मकोद्भिद् (gametophyte) होता है। निषेचन के बाद युग्मनज भी माइडोसिस द्वारा विभक्त होता है जिसके कारण ह्विगुणित स्पोरोफाइट पादपकाय बनाता है।
2. पादपकाय में मिऑसिस द्वारा अगुणित बीजाणु बनते हैं।
3. ये अगुणित बीजाणु माइटोसिस विभाजन द्वारा पुनः अगुणित पादपकाय बनाते हैं। इस प्रकार किसी भी लैंगिक जनन करने वाले पौरों के जीवन चक्र के दौरान युग्मकों, जो अगुणित युग्मकोद्धिद् (haploid gametophyte) बनाते हैं और बीजाणु जो द्विगुणित स्पोरोफाइट बनाते है, के बीच संतति या पीक़ी-एकान्तरण होता है। विभिन्न पादप वर्गों में निम्नलिखित प्रकार का जीवन चक्र पाया जाता है-
(अ) अगुणितक (Haplontic)
(ब) स्रिणुणितक (Diplontic)
(स) अगुणितक द्विगुणित (Haplo-diplontic)
(अ) अभुजिति (Haplontic)-बीजाणुद्धिद् (sporophyte)- संतति में केवल एक कोशिका वाला युग्मनज होता है। स्योरोफाइट मुक्तजीवी नहीं होता है। युग्मनज में मिओसिस विभाजन होता है विससे अगुणित बीजाणु बनते है। अगुणित बीजाणु में माइटोटिक विभाजन द्वारा युग्मकोदिभद् (gametophyte) बनते हैं। ऐसे पौधों में प्रभावी, प्रकाश संश्लेषी अवस्था मुक्त जीवी युग्मकोदुिद्ध होती है। इस प्रकार के जीवन चक्र को अगुणितक (haplontic) कहते हैं। बहुत से शैवाल, जैसे वरणंक्ता साइोलाखरा तथा क्समाइड्दोमोनोंत की कुछ स्पीशीज में इस प्रकार जीवन चक्र पाया जाता है।
(ब) लिणिंक्ज (Diplontic)-कुछ पादपों में बीजाणुदभिद्ध (sporophyte) प्रभावी प्रकाश संश्लेषी व मुक्त होते है। युग्मकोद्भिद् एक कोशिकीय अथवा कुछ कोशिकीय होते हैं। इस तरह के जीवन चक्र को ऐंयस्पर्म में इस तरह का जीवन चक छोता है। (चित्र 3.7 घ)। बायोफाइट व टैरिडोफाइट समूहों में मिश्रित अवस्था अर्थात् दोनों प्रकार की अवस्थाएँ पायी जाती हैं। दोनों ही अवस्थाएँ बहुकोशिकीय होती हैं, लेकिन उनकी प्रभावी अवस्था में भिन्नता होती है।
(स) अगुणित्र-हिणुणित्क (Haplo-Diplo- ntic)-पादपों के ब्रायोफाइट व टैरिडोफाइट समूहों में मिश्रित अवस्था अर्थात् दोनों प्रकार की अवस्थाएँ पायी जाती हैं। दोनों ही अवस्थाएँ बहुकोशिकीय होती हैं, लेकिन उनकी प्रभावी अवस्था में भिन्नता होती है।
(i) बायोफाइटा (bryophtes) में प्रभावी, मुक्त व प्रकाश संश्लेषी अवस्था अगुणित युग्मकोद्भिद् होती है। यह अल्प आयु की बहुकोशिकीय, द्विगुणित बीजाणुद्धिद् (sporophyte) के साथ पीढ़ी एकान्तरण करती है।
(ii) बीजाणुद्धिद (sporophyte) पूर्ण या आंशिक रूप से जुड़े रहने या पोषण प्राप्त करने के लिये युग्मकोद्धिद्ध पर निर्भर करते हैं।
(iii) टेरिडोफाद्स्स व कुछ शैवालों जैसे-एक्टोकार्पस, पारिंयु कोनिध कैल्प आदि में अगुणितक-द्विगुणितक जीवन चक्र
(Haplo-Diplontic Life Cycle) पाया जाता है। इनमें द्विगुणित बीजाणुदभिद्र प्रभावी, मुक्त, प्रकाशसंश्लेषी, संवहनो पादपकाय होता है जो कि बहुकीशिक, स्वपोषी मुक्त लेकिन अल्पायु अगुणित युग्मकोद्भिद् से पीड़ी एकान्तरण करता है।
(iv) अधिकांश शैवाल में अगुणितक (haplontic) जीवन चक्र होता है। फाइकस एक ऐसे शैवाल का उदाहरण है जिसमें द्विगुणितक (diplontic) जीवन