Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीव जगत Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीव जगत
(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. पादप वर्गीकरण की लीनियस पद्धति आधारित है-
(A) आकारिकी एवं शारीरिकी लक्षणों पर
(B) विकास के प्रकार पर
(C) पुष्पीय लक्षणों पर
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(A) आकारिकी एवं शारीरिकी लक्षणों पर
2. ICBN का अर्थ है-
(A) इंटरनेशनल कोड ऑफ बोटेनिकल नोमेनक्लेचर
(B) इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ बोटेनीकल नेम्ज
(C) इंडियन कोड ऑफ बोटेनिकल नोमेक्लेचर
(D) इंडियन कॉमेस ऑफ बायोलॉजीकल मेम्ज
उत्तर:
(A) इंटरनेशनल कोड ऑफ बोटेनिकल नोमेनक्लेचर
3. वर्गिकी पदानुक्रम में प्रजाति से जगत की और जाने पर समान लक्षणों
की संख्या-
(A) घटेगी
(B) बढ़ेगी
(C) सम्मान रहेगी
(D) बढ़ भी सकती है व घट भी सकती है।
उत्तर:
(C) सम्मान रहेगी
4. पाँच जगत् वर्गीकरण पद्धति प्रतिपादित की थी-
(A) आर. एच. व्हीटेकर ने
(C) कार्ल बी ने
(B) कोपलैण्ड ने
(D) ई. हेकल ने।
उत्तर:
(A) आर. एच. व्हीटेकर ने
5. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही नहीं है-
(A) पादफलय में शुष्पीकृत, प्रेस किए गए परिरक्षित पादप नमूने होते है।
(B) वानस्पतिक उद्यान, सन्दर्भ के लिए जीवित पादपों का संग्रहण है
(C) संग्रहालय, पादपों और जन्तुओं की तस्वीरों का संग्रहण है
(D) कुंजी नमूनों को पहचानने के लिए एक वर्गिकी सहायक है।
उत्तर:
(C) संग्रहालय, पादपों और जन्तुओं की तस्वीरों का संग्रहण है
6. वैश्विक जैवविविधता में किसकी जातियों की अधिकतम संख्या है ?
(A) सेवाल
(B) लाइकेन
(C) कपक
(D) मॉस एवं फर्न (NEET)
उत्तर:
(C) कपक
7. नीचे दिए गए चार कथनों (I, IV) का अध्ययन कीजिए तथा निम्न स दो सही कथनों का चयन कीजिए-
I. जैविक स्पीशीज की परिभाषा अर्नेस्ट मायर ने दी थी।
II. दीप्तिकाल पौधों में जनन को प्रभावित नहीं करता है।
III. नामकरण की द्विनाम पद्धति आर. एच. विटेकर ने दी थी।
IV. एककोशिकीय जीवों में जनन वृद्धि का पर्याय है ।
(A) II तथा III
(C) I तथा IV
(B) III तथा IV
(D) I तथा II.
उत्तर:
(C) I तथा IV
8. हरवेरियम शीत पर क्या अंकित नहीं होता है ?
(A) संग्रहण की तिथि
(B) संग्रहकर्ता का नाम
(C) स्थानीय नाम
(D) पौधे की ऊँचाई ।
उत्तर:
(D) पौधे की ऊँचाई ।
9. नामकरण कुछ सार्वत्रिक नियमों पर आधारित है। निम्न में से कौन
नामकरण नियमों के विपरीत है-
(A) जैविक नाम का प्रथम शब्द जीनम को तथा द्वितीय शब्द स्पीशीज को प्रदर्शित करता है ।
(B) नाम तिरछे लिखे जाते हैं ।
(C) हाथ से लिखने पर नाम के नीचे रेखा खींची जाती है।
(D) जैविक नाम किसी भी भाषा में लिखे जा सकते हैं।
उत्तर:
(D) जैविक नाम किसी भी भाषा में लिखे जा सकते हैं।
10. निम्न से कौन घोले का गण दर्शाता है-
(A) रस
(B) एक्विटी
(C) पेरिसोक्टाइल
(D) बैलस।
उत्तर:
(C) पेरिसोक्टाइल
(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ICZN का पूरा नाम क्या है ? (Exemplar Question NCERT)
उत्तर:
इण्टरनेशनल कोड ऑफ जूलॉजिकल नोमेनक्लेचर (International Code of Zoological Nomenclature)
प्रश्न 2.
अधीक्षा में समसूत्री विभाजन द्वारा गुणन होता है। यह घटना वृद्धि है या प्रजनन ? स्पष्ट कीजिए (Exemplar Question NCERT)
उत्तर:
अजनन व वृद्धि दोनों विभाजन के बाद प्रजनन से बने अमीबा आकार में जनक अमीबा से छोटे होते हैं जो वृद्धि द्वारा सामान्य आकार ग्रहण करते हैं।
प्रश्न 3.
मुख्य वर्गकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जगत संघ, वर्ग, गण, कुल, वंश तथा जाति।
प्रश्न 4.
जनुओं को सर्वप्रथम किसने वर्गीकृत किया ?
उत्तर:
अरस्तू (Aristotle) ने।
प्रश्न 5.
द्विनाम पद्धति के प्रतिपादक कौन थे ?
अथवा
वर्गिकी का पितामह (Father of Taxonomy) कहा किसे जाता है ?
उत्तर:
कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus)।
प्रश्न 6.
प्रोटिस्टा शब्द किसने दिया ?
उत्तर:
अर्नस्ट हेकल ने।
प्रश्न 7.
टैक्सोनॉमी शब्द किसने और कब दिया ?
उत्तर:
डी केण्डोले (D. Candole) ने 1813 में
प्रश्न 8.
तुलनात्मक संरचनाओं के बीच सम्बन्ध क्या कहलाता है ?
उत्तर:
होमोलॉजी (Homology) ।
प्रश्न 9.
एक वंश के अन्दर जातियों के सामान्य गुण किस लक्षण से जाने जाते हैं ?
उत्तर:
सह-सम्बन्धी लक्षण ।
प्रश्न 10.
NBRI का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Botanical Research Institute) I
प्रश्न 11.
ICBN का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
इंटरनेशनल कोड ऑफ बोटेनिकल नॉमिनक्लेचर (International Code of Botanical Nomenclature)!
प्रश्न 12.
लीनियस द्वारा लिखी गयीं दो पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्पीशीज प्लान्टेम (Species Plantarum), सिस्टेमा नेचुरी (Systema Naturae)
प्रश्न 13.
वर्गीकरण का कोई एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
विभिन्न स्तरों के समान या सम्बन्धित लक्षणों को दर्शाना।
प्रश्न 14.
मनुष्य किस संघ का प्राणी है ?
उत्तर:
संघ कोटा (Chordata) का।
प्रश्न 15.
पदानुक्रमिक प्रणाली का एक लाभ लिखिए।
उत्तर:
यह टैक्सॉन को तुरन्त पहचानने में सहायता करती है।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित कहाँ स्थित हैं ?
(I) इंडियन बोटेनिकल गार्डन
(II) नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इस्टीट्यूट
उत्तर:
(i) हावड़ा (कोलकाता) भारत,
(ii) लखनऊ (उ.म.) भारत
प्रश्न 17.
न्तु संरक्षित स्थानों को प्राप्य किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
चिड़ियाघर (Zoological Park) ।
प्रश्न 18.
(I) घरेलू मक्खी तथा
(II) गेहूं का वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) मस्का होमेस्टिका (Musca domestica),
(ii) ट्रिटिकंम एइस्टीयम (Thricum astivum)।
प्रश्न 19.
हरबेरियम का क्या लाभ है ?
उत्तर:
हरबेरियम वर्गिकी अध्ययन के लिए तत्काल सन्दर्भ तन्त्र उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 20.
पादप तथा जन्तुओं की कितनी जातियों का ज्ञान हो चुका है ?
उत्तर:
1-7 से 1.8 मिलियन ।
प्रश्न 21.
किसे वनस्पति विज्ञान का पितामह कहा जाता है ?
उत्तर:
थियोफ्रास्टस (Theophrastus) को।
(C) लघु उत्तरीय प्रश्न-1
प्रश्न 1.
उस वैज्ञानिक का नाम लिखिए जिसने जीवधारियों का वर्गीकरण करने का सर्वप्रथम प्रयत्न किया तथा इनके द्वारा जन्तुओं का वर्गीकरण किन दो भागों में किया गया ?
उत्तर:
अरस्तू (Aristotle) ने जीवधारियों को सर्वप्रथम वर्गीकृत करने का प्रयत्न किया। इन्होंने जन्तुओं को हनेहमा (Enaima) तथा एनेइमा (Anaima) में वर्गीकृत किया।
प्रश्न 2.
हिस्टोरिया प्लेटेरम तथा जेनेरा सेन्टेरम पुस्तकों के लेखकों का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिस्टोरिया प्लेन्टेरम-वियोफ्रास्टस (Theophrastus)
जेनेश प्लेन्टेरन कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus)
प्रश्न 3.
द्विनाम पद्धति क्या है ? इसे कितने प्रतिपादित किया ?
उत्तर:
प्रत्येक जीवधारी के नाम में प्रथम नाम वंश तथा दूसरा नाम जाति का होता है, इसे द्विनाम पद्धति कहते हैं। इसे लीनियस ने प्रतिपादित किया।
प्रश्न 4.
वर्गीकरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों को उनकी समानता तथा विभिन्नताओं के आधार पर विभिन्न समूहों एवं वर्गों में रखने की विधि को वर्गीकरण (Classification) कहते हैं।
प्रश्न 5.
जैव विविधता क्या है ?
उत्तर:
पृथ्वी पर 1.7 से 1.8 मिलियन जीवों की खोज हो चुकी है। इसमें सूक्ष्म जीवाणु (Bacteria) से लेकर सिकोया (Cocoya) जैसे बड़े वृक्ष तथा अमीबा (Amoeba) से लेकर हेल (Whoale) मछली तथा विशाल जन्तु सम्मिलित हैं। इन सभी में स्वभाव, आकार, लक्षणों आदि में बहुत अन्तर होते हैं, इसे जैव विविधता कहते हैं।
प्रश्न 6.
वर्गिकी एवं वर्गीकरण विज्ञान में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
जीवधारी को उनकी भिन्नता एवं समानता के आधार पर विभिन्न समूहों में रखा जाना वर्गीकरण कहलाता है, जबकि जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है, वर्गीकरण विज्ञान कहलाती है।
प्रश्न 7.
आए आलू शेर तथा मनुष्य के वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
आम-मैनीफेरा इंडिका, आलू सोलेनम ट्यूबरोसम, शेर-पैन्वेरा लियो, मनुष्य होमो सैपियन्स ।
प्रश्न 8.
जाति शब्द किसने दिया ? मायर ने जाति को किस प्रकार परिभाषित किया ?
उत्तर:
शब्द जॉन रे ने दिया मायर के अनुसार, “जाति जीवधारियों का वह समूह है जो परस्पर जनन करके प्रजनन योग्य सन्तानें उत्पन्न कर सके।”
प्रश्न 9.
वर्गीकरण के दो प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
(i) वर्गीकरण की मूल इकाई या जाति को पहचानकर उसका यथासम्भव वर्णन करना ।
(ii) इन इकाइयों को समानता एवं सम्बन्धों के आधार पर समूहों में रखना ।
प्रश्न 10.
जाति की तीनों धारणाओं के नाम लिखकर इनमें से किसी एक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
- आकारिकीय जाति अवधारणा,
- जैव वैज्ञानिक जाति अवधारणा तथा
- जीनिक जाति अवधारणा ।
आकारिकीय जाति अवधारणा को लीनियस तथा समकालीन वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किया। इसके अनुसार जीवों के एक समान समूह को जाति कहते हैं।
(D) लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1.
वर्गिकी तथा वर्गीकरण विज्ञान में दो अन्तर लिखिए। उत्तर-वर्गिकी तथा वर्गीकरण में निम्नलिखित अन्तर हैं-
वर्गिकी (Taxonomy) | वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) |
विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों की पहचान व नामकरण वर्गीकरण | विज्ञान की वह पद्धति जिसमें जीवों |
के नियमों के आधार पर किया जाता है। | की विविधता व उनके मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। |
यह वर्गीकरण के नियमों एवं सिद्धान्तों से सम्बन्धित होता है। | यह वर्गीकरण के प्रत्येक स्तर पर विभेदक गुणों को दर्शाता है । |
इन शब्दों को पर्यायवाची ( Synonym) के रुप में भी प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
बैंगन व आलू दोनों एक ही वंश सोलेनम (Solanum ) लेकिन दो अलग-अलग प्रजातियों में रखे गये हैं। इनको क्या अलग-अलग प्रजाति के रूप में परिभाषित करता है ? (Exemplar Question NCERT)
उत्तर:
बैंगन व आलू के पौधों में आकारिकीय विभिन्नताएँ तो हैं ही साथ में वह अलग-अलग प्रजाति में इसलिए रखे गये हैं, क्योंकि-
- इनमें प्राकृतिक रूप से आपस में प्रजनन नहीं होता अर्थात् यह प्रजननीय पृथक्कृत (Reproductively isolated) है।
- उनके आनुवंशिक पदार्थ में भिन्नताएँ हैं।
- वह समान पूर्वजों की संतति नहीं हैं।
प्रश्न 3.
नामकरण की अन्तर्राष्ट्रीय संहिता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वैज्ञानिकों द्वारा सन् 1898 ई. में जीवधारियों के नामकरण के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय आयोग का गठन किया। सन् 1901 ई. में इस आयोग ने नामकरण के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय सिद्धान्त को स्वीकृत किया तथा 1904 ई. में इसे प्रकाशित किया गया। इसमें नामकरण के अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को मान्यता दी गई। इसके प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
- पौधों या जन्तुओं के नाम लैटिन भाषा में या इससे व्युत्पन्न होने चाहिए।
- जीवधारियों का नामकरण द्विनाम पद्धति (Binomial system) के अनुसार होना चाहिए।
- द्विनाम पद्धति में प्रथम शब्द वंश का तथा द्वितीय शब्द जाति का होना चाहिए तथा दोनों नाम टेढ़े छपे होने चाहिए।
- उपजाति (Sub-species) का नाम जाति के ठीक पश्चात् आना चाहिए।
प्रश्न 4.
जाति तथा व्यष्टि में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
जाति तथा व्यष्टि में अन्तर-
जाति (Species) जीवधारियों का ऐसा समूह जो | व्यष्टि (Individual) |
1. प्रकृति में परस्पर संकरण (Cross) द्वारा जनन या सन्तान उत्पन्न कर सकता है, जाति कहलाता है। | 1. एक ही जाति का वह समूह जो किसी निश्चित क्षेत्र या वातावरण में रहता है उसे समष्टि (Population) कहते हैं। |
2. जाति में जीवों की संख्या प्राकृतिक रूप से लगभग निश्चित रहती है। | 2. समष्टि में जीवों की संख्या अस्थिर रहती है। |
प्रश्न 5.
संवर्ग तथा वंश पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संवर्ग (Taxon: Plural = Taxa) जीवों के वर्गीकरण में युक्त विभिन्न समूहों को वर्गक कहते हैं चाहे वर्गीकरण में इनका स्थान था कोई भी क्यों न हो। शैवाल, कवक कीट, मछली इत्यादि वर्गकों के उदाहरण ३ एक या कई छोटे-छोटे वर्गक मिलकर बड़े वर्गक और फिर ये मिलकर और बड़े वर्गक और अन्त में जगत का निर्माण करते हैं। वंश (Genus) विभिन्न सम्बन्धित जातियों (Species) के समूहों को कहते हैं। जैसे-आलू, बैंगन, मकोय आदि अलग-अलग जातियाँ हैं किन्तु सभी का एक ही वंश सोलेनम (Solanum) है।
प्रश्न 6.
संग्रहालय की भूमिका का वर्गीकरण में महत्व तथा दो भारतीय संग्रहालयों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संघहालय (Museum) का वर्गीकरण में महत्य संग्रहालय में आणियों तथा पादपों के नमूने संग्रह किये जाते हैं। इन नमूनों का उपयोग वर्गिकी अध्ययन के सन्दर्भ (References) के रूप में किया जाता है। ये वर्गिकी -अध्ययन के प्रमुख केन्द्र होते हैं ये स्थानीय तथा अन्य स्थानों के जन्तुजार तथा वनस्पतिजात (Fauna and Flora) के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनाएँ उपलब्ध कराते हैं। प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय म्यूजियम, नई दिल्ली तथा मुम्बई प्राकृतिक इतिहास संस्था का म्यूजियम, प्रमुख भारतीय म्यूजियम हैं।
प्रश्न 7.
कृत्रिम तथा प्राकृतिक वर्गीकरण क्या है ?
उत्तर:
जीवधारियों के कृत्रिम वर्गीकरण में केवल एक ही लक्षण के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है। इसमें वर्गीकृत करते समय जीवों के उद्विकासीय सम्बन्धों (Evolutionary relationship) का भी ध्यान रखा जाता है। प्राकृतिक वर्गीकरण में जन्तुओं को उनकी मूल प्रवृत्तियों (Fundamental characters) के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रणाली में जातियों की के उत्पत्ति तथा जैवविकासीय सम्बन्धों पर भी प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 8.
वर्गिकी सहायता साधन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जातियों के अध्ययन एवं सही पहचान के लिए प्रायोगिक एवं क्षेत्र अध्ययन दोनों ही आवश्यक होते हैं। एक बार एकत्रित की गई सूचनाओं को भविष्य के अध्ययन के लिए संचित करना तथा नमूने (Specimens) एकत्रित संरक्षित व स्पष्टीकरण के लिए संचित करना चाहिए। जैव वैज्ञानिकों के पास सूचना व नमूनों के संचय स्थान जो जीवधारियों की एकरूपता एवं वर्गीकरण में सहायता करते हैं, वर्गिकी सहायक साधन (Taxonomic aids) कहलाते हैं। इसके प्रमुख घटक वनस्पति उद्यान, हरबेरियम, म्यूजियम एवं जन्तु पार्क है।
प्रश्न 9.
वनस्पति उद्यानों को जीवित हरबेरियम क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
हरबेरियम तथा वानस्पतिक उद्यान दोनों ही वर्गिकी अध्ययन के लिए सन्दर्भ तन्त्र उपलब्ध कराते हैं। वनस्पति उद्यानों में पौधों का संग्रहण उनकी जीवित अवस्था में किया जाता है। चूंकि हरबेरियम में प्रतिदर्श शुष्क रूप में परिरक्षित होते हैं तथा वानस्पतिक स्थान में जीवित रूप में अतः वानस्पतिक उद्यानों को जीवित हरबेरियम कहा जाता है।
प्रश्न 10.
जन्तु पार्कों का क्या महत्व है ?
उत्तर:
जन्तु पार्क (Zoological parks) पृथ्वी की अमूल्य धरोहर हैं। इनका व्यापक महत्व है, जैसे-
- व्यक्तियों मुख्यतः छात्रों को जंगली जन्तुओं से परिचित कराना।
- शोधकर्ताओं द्वारा सजीव जन्तुओं का अध्ययन ।
- पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र
- विलुप्त होने जा रही जातियों को प्रयोगशाला के बाहर संरक्षण देना।
प्रश्न 11.
उदाहरण सहित वर्गिकी कुंजी के दो प्रकार सम
उत्तर:
वर्गिकी कुंजियाँ दो प्रकार की होती हैं बैंकेटेड (Bracketed) तथा इन्डेन्टेड (Indented) घिरी हुई या बैकेटेड कुंजी में एकान्तरित लक्षण कोष्ठकों में संख्याओं में दिये जाते हैं इन्डेन्टेड या योक्ड (Yolked) कुंजी में दो या ज्यादा एकान्तरित लक्षण का क्रम होता है जिससे चयन व विलगन होता है। उदाहरण के लिए कहीं पर छः कशेरुकी जन्तु पहचाने गये-मछली, मेड़, पक्षी, चमगादड़, साँप तथा बिल्ली।
विभेदित लक्षण प्रत्येक समूह के लिए निर्धारित होते है-कर्म की उपस्थिति या अनुपस्थिति (स्तनधारी या स्तनधारी विहीन लक्षण), उड़ने की योग्यता या अयोग्यता (पक्षी व चमगादड़ दोनों का लक्षण उड़ना है), पादों की उपस्थिति या अनुपस्थिति (चतुष्पादीय शिवाय साँपों के व अचतुष्पादीय जैसे-मछली), क्लोमों को उपस्थिति व अनुपस्थिति (मयों के लक्षण) अन्य के युवा सदस्यों में अनुपस्थित ।
प्रश्न 12.
विभिन्न जाति संकल्पनाओं को समझाइये।
उत्तर:
जाति संकल्पनाएँ तीन होती है-
(A) प्रारूप विज्ञानीय जाति संकल्पना यह प्राचीनतम संकल्पना है। इसके अनुसार एक समान दिखाई देने वाले जीवों के समूह को जाति कहते हैं। यह संकल्पना सदस्यों के प्रारूप पर आधारित है। इसकी कमियों निम्नलिखित
- कई जातियों जैसे-मधुमक्खी, दीमक, तितली आदि में बहुरूपता पायी जाती है।
- समाभासी जातियाँ (Sibling species) ये जातियाँ हैं जो प्रारूप में समान है परन्तु इनमें परस्पर लैंगिक जनन नहीं होता।
(B) अवास्तविक जाति संकल्पना- इस मान्यता के अनुसार जाति जैसा कोई पृथक समूह नहीं होता है यह मानव की कल्पना मात्र है। अतः यह संकल्पना मान्य नहीं है।
(C) जैव जाति संकल्पना उपरोक्त दोनों संकल्पनाएँ पूर्ण नहीं हैं। अतः एक अन्य संकल्पना जिसे आधुनिक संकल्पना भी कहा जाता है, जाति को व्यापक आधार पर परिभाषित करती है। इसमें जॉन रे मेयर व अन्य आधुनिक संकल्पनाएँ आती हैं। इस संकल्पना के अनुसार किसी भी एक जन्तु जाति के निम्नलिखित लक्षण होते है-
- यह प्राकृतिक रूप से अन्न (interbreeding) करने वाले जन्तुओं की आबादी होती है।
- प्रत्येक जाति में एक सामान्य जीन समूह (Gene pool) होता है जिसमें जीन का स्वतन्त्र अपव्यूहन (Independent assortment) होता है।
- प्रत्येक जाति में अनुकूलन व प्राकृतिक चयन की प्रक्रियाएँ सदैव चलती रहती हैं।
- इस प्रकार इसमें उद्विकास द्वारा नयी जातियों की उत्पत्ति करने की मूल क्षमता पायी जाती है
(E) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (निवन्धात्मक प्रश्न)
प्रश्न 1.
वर्गीकरण क्या है ? वर्गीकरण की आवश्यकता एवं उद्देश्यों को समझाइये।
उत्तर:
जीवधारियों को उनके लक्षणों में समानता एवं विभिन्नता के आधार पर समूहों एवं उप-समूहों के जातिवृत्तीय श्रेणी (phylogenetic series) में व्यवस्थित करने वाली व्यवस्था को जैविक वर्गीकरण (biological classification) कहते हैं।
वर्गीकरण की आवश्यकता (Need of Classification)
- वर्गीकरण किसी भी जीवधारी को पहचानने के लिए अति आवश्यक है।
- प्रत्येक वर्ष सैकड़ों नये जीवों की खोज होती रहती है। इन्हें इनकी सही स्थिति में वर्गीकरण प्रणाली (classification system) द्वारा ही रखा जा सकता 1
- जीवाश्मों के अध्ययन के लिए वर्गीकरण की एक निश्चित प्रणाली की आवश्यकता होती है।
- यह उद्विकासीय (evolutionary) मार्ग को बनाने में सहायता करता है ।
- वर्गीकरण भावी संयोजी या छूटने वाली कड़ी को बताने में उपयोगी होता है जिसके द्वारा एक समूह का उद्विकास दूसरे से होता है।
- यह अन्य स्थानों या देशों के जीवधारियों को जानने के लिए आवश्यक होता है ।
- समूह में लक्षणों की समानताओं के कारण, समूह के एक या दो जीवधारियों के अध्ययन के द्वारा सम्पूर्ण समूह के बारे में जानना सरल होता है। वर्गीकरण के उद्देश्य व कार्य
(Objectives and Function of Classification) – वर्गीकरण के दो प्रमुख कार्य हैं। पहला वर्गीकरण की इकाई अर्थात् प्रजातियों की पहचान तथा इनसे सम्बन्धित अधिक से अधिक विवरण जुटाना तथा दूसरा ऐसा तरीका विकसित करना जिससे इन वर्गीकरण इकाइयों (प्रजातियों) को उनकी समानताओं (similarities) तथा सम्बन्धों (relationship) के आधार पर विकासोन्मुख समूहों में बाँटा जा सके ।
- विभिन्न जातियों को पहचानना एवं उनका पूर्ण विवरण प्राप्त करना ।
- ज्ञात व अज्ञात, दोनों जातियों को आसानी से पहचानने के लिए एक प्रणाली का विकास करना ।
- विभिन्न स्तरों के समान या सम्बन्धित लक्षणों को दर्शाना।
- जीवधारियों को उनके सम्बन्धित लक्षणों के आधार पर, जातियों को वंशानुगत समूहों ( inheritable group) में व्यवस्थित करना ।
- जीवधारियों की समानताओं व सम्बन्धों के आधार पर वर्गीकरण की विकासोन्मुखी प्रणाली (evolutionary system) को स्थापित करना एवं प्राकृतिक सम्बन्धों को प्रदर्शित करना। इन्हें विस्तृत रुप में निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
वर्गिकी (Taxonomy)
वर्गिकी, जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें जीवों की पहचान व नामकरण, वर्गीकरण के नियमों के आधार पर किया जाता है।
वर्गीकरण विज्ञान या वर्गीकरण पद्धति (Systematics) – विज्ञान की वह पद्धति जिसमें जीवों की विविधता एवं उनके मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है वह वर्गीकरण विज्ञान कहलाता है।
वर्गीकरण पद्धति में जीवों के विकासीय सम्बन्ध (Evolutionary relations) का भी ध्यान रखा जाता है। सिस्टेमैटिक्स अर्थ का शब्द है जीवों की नियमित व्यवस्था । टेक्सोनॉमी तथा सिस्टेमेटिक्स एक-दूसरे के पूरक (compimentary) हैं। इसलिए कभी-कभी इन्हें पर्यावाची ( synonyms) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
सजीवों के लक्षण लिखिए।
उत्तर:
1. वृद्धि ( Growth) – वृद्धि सजीवों का एक महत्वपूर्ण गुण है। सजीवों में वृद्धि आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार की होती है और यह उपापचयी क्रियाओं का परिणाम है। इसके फलस्वरूप जीव के ताजे एवं शुष्क भार में वृद्धि होती है। जन्तुओं एवं एककोशिकीय (Unicellular) जीवों में वृद्धि एक निश्चित समय तक होती है। किन्तु पौधों में वृद्धि जीवनपर्यन्त होती रहती है।
अधिकांश उच्च कोटि के प्राणियों तथा पादपों (higher animals and plants) में वृद्धि तथा जनन पारस्परिक विशिष्ट घटनाएँ हैं। यद्यपि निर्जीव पदार्थों के भार में भी वृद्धि होती है जैसे-पर्वत, रेत के टीले, तूतिये का टुकड़ा आदि भी वृद्धि करते हैं किन्तु यह वृद्धि उन पर बाहरी पदार्थों के जमाव के कारण होती है।
2. उपापचय (Metabolism) – जीव एक जीवित मशीन है। जीवधारियों के शरीर में विभिन्न जैव रासायनिक क्रियाएँ होती रहती हैं इन जैव रासायनिक क्रियाओं को सामूहिक रूप से उपापचय कहते हैं । ये दो प्रकार की होती हैं-उपचय (anabolism) जो संश्लेषण (synthesis) क्रियाएँ हैं तथा अपचय ( catabolism) जो विघटनात्मक क्रियाएँ हैं।
3. प्रजनन (Reproduction) सभी जीव अपनी जाति के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रजनन क्रिया के द्वारा अपनी संतति (progeny) उत्पन्न करते हैं। प्रजनन क्रिया लैंगिक, अलैंगिक व कायिक (sexual, asexual and vegetative ) प्रकार की होती है।
4. समस्थापन (Homeostasis) – सजीवों में समस्थापन पर्यावरण में परिवर्तन के बावजूद एक अनुकूल अंतः वातावरण बनाये रखने की योग्यता है।
5. उत्तेजनशीलता (Irritability) प्रत्येक जीवधारी में बाह्य व आन्तरिक उद्दीपनों (Stimuli) को पहचानने तथा वातावरण में हुए बदलाव के प्रति प्रतिक्रिया करने तथा स्वयं अनुकूलित (adapt) होने की क्षमता होती है। बाह्य उद्दीपनों के प्रति संवेदनशीलता (sensitivity) को उत्तेजनशीलता कहते हैं।
6. जैव विकास प्रदर्शित करने की क्षमता (Ability to Show Organic Evolution ) –
जीवधारी में समय के साथ जैव विकास की क्षमता (Ability to evolve in time) होती है।
बीमारियों के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं-
1. निश्चित आकृति एवं आकार (Definite shape and size) – प्रत्येक जीवधारी की एक निश्चित आकृति एवं आकार होता है जिसके द्वारा एक पौधे एवं एक जन्तु या मानव तथा पशु में अन्तर किया जाता है। निर्जीव (non-living beings) की कोई एक निश्चित आकृति नहीं होती है, जैसे-पत्थर का टुकड़ा छोटा या बड़ा तथा विभिन्न आकार का हो सकता है जबकि नीम, आम, पपीता आदि सभी पौधे तथा कुत्ता, बिल्ली, बन्दर, मनुष्य आदि सभी जन्तुओं की एक निश्चित आकृति एवं आकार होता है।
2. शारीरिक संगठन (Body organization) – एककोशिकीय (Unicellular) जीवों का शरीर केवल एक कोशिका का बना होता है लेकिन बहुकोशिकीय (Multicellular) जीवों के शरीर का संगठन जटिल होता है। इनमें छोटे-छोटे भाग मिलकर बड़ी संरचना बनाते हैं, जैसे-कोशिकाएँ मिलकर ऊतक, ऊतक मिलकर अंग, अंग मिलकर अंगतन्त्र तथा अंगतन्त्र मिलकर एक सम्पूर्ण शरीर बनाते हैं।
इस प्रकार का संगठन केवल सजीवों में पाया जाता है। कोशिकीय संरचना (Cellular structure ) – प्रत्येक जीवधारी का शरीर एक या अनेक कोशिकाओं का बना होता है। कोशिका शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई (structural and functional unit) कहलाती है। इसके कुछ अपवाद भी हैं। जैसे – विषाणु ।
3. पोषण (Nutrition ) – प्रत्येक जीवधारी को जीवन की समस्त प्रक्रियाओं के संचालन के लिए ऊर्जा (energy) की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा इन्हें भोज्य पदार्थों से प्राप्त होती है।
4. श्वसन (Respiration) – इस क्रिया में खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण (oxidation) से ऊर्जा उत्पन्न होती है जो विभिन्न कार्यों के निष्पादन में काम आती है।
5. उत्सर्जन (Excretion) – प्रत्येक जीवधारी अपने शरीर के अन्दर उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है, इसे उत्सर्जन (excretion) कहते हैं।
6. गति (Locomotion ) – कुछ निम्न श्रेणी के पौधों एवं सभी जन्तुओं (कुछ समुद्री जन्तुओं को छोड़कर) में अपनी आवश्यकताओं के लिए प्रचलन की क्षमता होती है।
7. मृत्यु (Death) – समय के एक अन्तराल के पश्चात् प्रत्येक सजीव अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होता है। मृत्यु प्राकृतिक रूप से कार्य करते रहने के कारण होने वाले क्षय से हो जाती है।
8. जीवन चक्र (Life cycle ) – प्रत्येक जीवधारी अपने जन्म से लेकर विभिन्न क्रियाएँ करता हुआ एक निश्चित समयान्तराल बाद मृत्यु को प्राप्त होता है। उसके जन्म से मृत्यु तक की सभी क्रियाओं को उसका जीवन चक्र कहते हैं। वह अवधि जितने समय तक उसका जीवन चलता है, जीव की जीवन अवधि (Life-span) कहलाती है। जैसे-कछुए की जीवन-अवधि लगभग 200 वर्ष है व पीपल की जीवन-अवधि लगभग 2000 वर्ष है।
प्रश्न 3.
हरबेरियम से आप क्या समझाते हैं ? कोई हरबेरियम प्रतिदर्श बनाने के लिए विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हरबेरियम (Herbarium) – पादपों को मोटे कागज की शीट्स अथवा पत्थर पर सुखाकर दबाकर और संरक्षित करके एकत्रित करना हरबरियम (herbarium) कहलाता है। इसे पादप संग्रहण भी कहते हैं और जहाँ पर इन्हें सुरक्षित रखा जाता है, उस स्थान को पादप संग्रहालय (plants museums कहा जाता है।
पादप संग्रहण के औजार (Tools for Plant Collection and Preservation)
हरबेरियम निर्माण- हरबेरियम निर्माण के निम्नलिखित चरण हैं-
- नमूनों को एकत्र करने के लिए नियमित क्षेत्रीय भ्रमण द्वारा क्षेत्र, आवास, ऋतु एवं संग्रह काल सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
- जड़ों को जमीन से खोदने के लिए खुरपी की आवश्यकता होती है, कैंची एवं चाकू से हम शाखाएँ एवं काष्ठिल उपशाखाएँ काटते हैं।
- संग्राहक (vasculum) नामक एक छोटे लोहे के बक्से में इन प्रदर्शों को नमी के ह्रास से रोकने अथवा सूखने और सिकुड़कर मुड़ने से बचाने के लिए रखा जाता है।
- वर्गिकी विद्यार्थी विविध संरचनाओं के अभिलेखन के लिए अपने साथ एक क्षेत्र पुस्तिका भी रखते हैं ।
- नमूनों को शीघ्र से शीघ्र फैलाया जाता है और सूखने के लिए उन्हें पुराने अखबारों में रखा जाता है। समय-समय पर इन अखबारों को बदलना आवश्यक होता है, ताकि अधिकाधिक नमी को सोखा जा सके।
- सभी नमूनों (specimen) को समतल कार्ड बोर्डों के बीच रखकर सुखाया जाता है।
- सूखे हुए नमूने मानक आकार की हरबेरियम शीट्स (herbarium sheets) (29×41 सेमी या 30 x 45 सेमी) पर चिपकाए जाते हैं। पूर्व में पहचानी गई जातियों के सन्दर्भ में कुल एवं वंश का नाम भी दिया जाता है।
- पौधों के सूखने के बाद इन्हें कवकरोधी रसायन (0.1% मरक्यूरिक क्लोराइड, ऐल्कोहॉल के मिश्रण) से उपचारित किया जाता है।
- निर्मित शीट्स को धातु की बनी अलमारी में निर्धारित रैक में रखा जाता है।
- रैकों पर भी सूचक लेबल लगा दिये जाते हैं।
- अलमारियों को भी एक निश्चित क्रम में रखा जाता है।