Class 11

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 12 ऊष्मागतिकी

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 12 ऊष्मागतिकी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 12 ऊष्मागतिकी

प्रश्न 1.
कोई गीजर 3.0 लीटर प्रति मिनट की दर से बहते हुए जल को 27°C से 77°C तक गर्म करता है। यदि गीजर का परिचालन गैस बर्नर द्वारा किया जाए तो ईंधन के व्यय की क्या दर होगी? बर्नर के ईंधन की दहन ऊष्मा 4.0 x 102 Jg है।
उत्तर:
दिया है:
प्रति मिनट प्रवाहित जल की मात्रा = 3.0 ली
∴ जल का द्रव्यमान m = 3 किग्रा = 3 × 103 g
T = 27°C; T2 = 77°C
जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता S = 4.18 J/g°C
∴ व्यय ऊष्मा की दर Q = ms∆T प्रति मिनट
= 3 × 103 × 4.18 × (77 – 27)
= 3 × 50 × 4.18 × 103
ईंधन के व्यय की दर = \(\frac{3 \times 50 \times 4 \cdot 18 \times 10^3}{4 \times 10^4}\)
= 16g/min

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प्रश्न 2.
स्थिर दाब पर 2.0 × 10-2 kg नाइट्रोजन (कमरे के ताप पर) के ताप में 45°C वृद्धि करने के लिए कितनी ऊष्मा की आपूर्ति की जानी चाहिए?
(N2 का अणुभार 28; R = 8.3Jmol-1 K-1)
उत्तर:
दिया है:
नाइट्रोजन की मात्रा
m = 2.0 × 10-2 kg
= 20 gm
N2 का अणुभार = 28
T1 = 25° (कमरे का ताप)
T2 = 45°C
R = 8.3Jmol-1 K-1
मोलों की संख्या
μ = \(\frac{m}{\mathrm{M}} = \frac{20}{28}\)
= \(\frac{5}{7}\)
N2 का नियत दाब पर विशिष्ट ऊष्मा Cp = \(\frac{7}{2}R\)
= \(\frac{7}{2}R\) × 8.3
व्यय कुल ऊष्मा की मात्रा
∆Q = nCP∆T
= \(\frac{5}{2}R\) × \(\frac{7}{2}R\) × 8.3 × 45
∆Q = 933.38 J

प्रश्न 3.
व्याख्या कीजिए कि ऐसा क्यों होता है?
(a) भिन्न-भिन्न तापों T1 व T2 के दो पिण्डों को यदि ऊष्मीय सम्पर्क में लाया जाए तो यह आवश्यक नहीं कि उनका अन्तिम ताप \(\frac{\mathrm{T}_1+\mathrm{T}_2}{2}\) ही हो।
(b) रासायनिक या नाभिकीय संयन्त्रों में शीतलक (अर्थात् द्रव के संयन्त्र के भिन्न-भिन्न भागों को अधिक गर्म होने से रोकता है) की विशिष्ट ऊष्मा अधिक होनी चाहिए।
(c) कार को चलाते चलाते उसके टायरों में वायुदाब बढ़ जाता है।
(d) किसी बन्दरगाह के समीप के शहर की जलवायु समान अक्षांश के किसी रेगिस्तानी शहर की जलवायु से अधिक शीतोष्ण होती है।
उत्तर:
(a) जब T1 व T2 ताप की वस्तुओं को ऊष्मीय सम्पर्क में लाया जाता है तो ऊष्मा उच्च ताप के निकाय से निम्न ताप के निकाय को स्थानान्तरित होती है और दोनों निकायों के ताप समान हो जाते हैं। जब दोनों निकार्यों की ऊष्मा धारिता समान होती है तो उनके समान ताप \(\frac{\mathrm{T}_1+\mathrm{T}_2}{2}\) के ‘तुल्य होगा।
(b) रासायनिक या नाभिकीय संयन्त्रों में शीतलक उच्च विशिष्ट ऊष्मा के होते हैं। शीतलक के उच्च विशिष्ट ऊष्मा के होने के कारण, इनकी उच्च ऊष्मा अवशोषकता होती है। इस प्रकार जो द्रव उच्च विशिष्ट ऊष्मा का होता है उसका उपयोग नाभिकीय संयन्त्रों में शीतलक के रूप में किया जाता है। यह संयन्त्रों के किसी भी भाग को ज्यादा गर्म होने से रोकते हैं।
(c) जब कार गतिशील होती है तो वायु के अणुओं की गति के कारण टायरों में भरी हवा का ताप बढ़ जाता है चार्ल्स के नियमानुसार दाब ताप के समानुपाती होता है। अर्थात् P α T1 इस प्रकार यदि टायर के अन्दर ताप में वृद्धि होती है तब टायर के अन्दर वायुदाब भी बढ़ जाता है।
(d) किसी बन्दरगाह के समीप के शहर की जलवायु समान अक्षांश के किसी रेगिस्तानी शहर की जलवायु से अधिक शीतोष्ण होती है। इसका कारण यह है कि बन्दरगाह के समीप के शहर की आर्द्रता रेगिस्तानी शहर की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न 4.
गतिशील पिस्टन लगे किसी सिलेण्डर में मानक ताप व दाब पर 3 मोल हाइड्रोजन भरी है। सिलेण्डर की दीवारे ऊष्मारोधी पदार्थ की बनी हैं तथा पिस्टन को उस पर बालू की परत लगाकर ऊष्मारोधी बनाया गया है। यदि गैस को उसके आरम्भिक आयतन के आधे आयतन तक संपीडित किया जाये तो गैस का दाब कितना बढ़ेगा?
उत्तर:
सिलेण्डर अपने परिवेश के पूर्णतः विलगित है। इस कारण निकाय और परिवेश के मध्य ऊष्मा का कोई आदान-प्रदान नहीं होता। इस प्रकार प्रक्रम रुद्धोष्म है।
सिलेण्डर के अन्दर प्रारम्भिक दाब P1
सिलेण्डर के अन्दर अन्तिम दाब = p2
सिलेण्डर में प्रारम्भिक आयतन = V1
अन्तिम आयतन V2 = \(\mathrm{V} / 2\)
विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात γ = 1.4
रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए
P1V1γ = P2V2γ
P1V1γ = P2 \(\mathrm{V} / 2\) γ
\(\frac{P_2}{P_1}\) = 2γ
=21.4
लघुगुणक लेने पर
10g10 \(\frac{P_2}{P_1}\) = 1.4 log102
= 1.4 × 0.3010
10g10 \(\frac{P_2}{P_1}\) = 0.4214
प्रतिलघुगुणक लेने पर
\(\frac{P_2}{P_1}\) = 2.639

प्रश्न 5.
रुद्धोष्म विधि द्वारा किसी गैस की अवस्था परिवर्तन करते समय उसकी एक साम्यावस्था A से दूसरी साम्यावस्था B तक ले जाने में निकाय पर 22.3J कार्य किया जाता है। यदि गैस को दूसरी प्रक्रिया द्वारा अवस्था A से अवस्था B में लाने में निकाय द्वारा अवशोषित नेट ऊष्मा 9.35 cal है तो बाद के प्रकरण में निकाय द्वारा किया गया नेट कार्य कितना है? (1 cal = 4.19 J)
उत्तर:
निकाय द्वारा किया गया कार्य (W) 22.3 जूल है जब गैस अवस्था A से अवस्था B में परिवर्तन करती है। यह एक रुद्धोष्म प्रक्रम है। इस प्रकार, ऊष्मा में परिवर्तन शून्य होगी।
∴ ∆Q = 0
∆W = -22.3J (निकाय द्वारा किया गया कार्य)
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से,
∆Q = ∆U + ∆W
∆U = गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन
∴ ∆U = ∆Q – ∆W = – (22.3J)
∆U = + 22.3J
जब गैस अवस्था A से अवस्था B में संक्रमण करती है तो निकाय द्वारा अवशोषित कुल ऊष्मा
∆Q = 9.35 cal = 9.35 × 4.19
= 39.1765 J
अवशोषित ऊष्मा ∆Q = ∆U + ∆W
∆W = ∆Q – ∆U
= 39.1765 – 22.3 = 16.8765 J

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प्रश्न 6.
समान धारिता वाले दो सिलेण्डर A तथा B एक-दूसरे से स्टॉप कॉक के द्वारा जुड़े हैं A में मानक ताप व दाब पर गैस भरी है जबकि B पूर्णतः निर्वातित है। स्टॉप कॉक यकायक खोल दी जाती है। निम्नलिखित का उत्तर दीजिए:
(a) सिलेण्डर A तथा B में अन्तिम दाब क्या होगा?
(b) गैस के आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
(c) गैस के ताप में क्या परिवर्तन होगा ?
(d) क्या निकाय की माध्यमिक अवस्थाएँ (अन्तिम साम्यावस्था प्राप्त करने के पूर्व इसके PVT पृष्ठ पर होगी?
उत्तर:
(a) जब स्टॉप कॉक को अचानक खोला जाता है, तो गैस का आयतन एक वायुमण्डलीय पर दो गुना हो जायेगा। जैसाकि आयतन दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है, दाब मूल मान आधा हो जायेगा। गैस का प्रारम्भिक दाब यदि वायुमण्डलीय दाब है तो प्रत्येक सिलेण्डर में दाब 0.5 वायुमण्डलीय दाब होगा।
(b) गैस की आन्तरिक ऊर्जा केवल तभी परिवर्तित हो सकती है, जब गैस द्वारा कार्य किया जाता या गैस पर कार्य किया जाता है। इस . आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(c) गैस के प्रसार के समय गैस द्वारा कोई कार्य नहीं होता है अतः गैस के ताप में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(d) नहीं, क्योंकि प्रक्रम मुक्त प्रसार कहलाता है, जो त्वरित होता है। और नियन्त्रित नहीं किया जा सकता है। माध्यमिक अवस्थाएँ साम्य में नहीं होती है और गैस समीकरण का पालन नहीं करती है। इस कारण गैस एक साम्यावस्था में लौट आती है।

प्रश्न 7.
एक वाष्प इंजन अपने बॉयलर से प्रति मिनट 3.6 × 109 J ऊर्जा प्रदान करता है जो प्रति मिनट 5.4 × 108 J कार्य देता है। इंजन की दक्षता कितनी है ? प्रति मिनट कितनी ऊष्मा अपशिष्ट होगी?
उत्तर:
भाप के इंजन द्वारा प्रति मिनट कृत कार्य
W = 5.4 × 108 J
बॉयलर से आपूर्ति ऊष्मा H = 3.6 × 109 J
इंजन की दक्षता =
\(\eta=\frac{W}{H}=\frac{5.4 \times 10^8}{3.6 \times 10^9}\) = 0.15
इस प्रकार, इंजन की प्रतिशत दक्षता 15% होगी।
अपशिष्ट की मात्रा = 3.6 × 109 – 5.4 × 108
= 30.6 × 108
= 3.06 × 109 J
इस प्रकार प्रति मिनट अपशिष्ट ऊष्मा 3.06 × 109 J होगी।

प्रश्न 8.
एक हीटर किसी निकाय को 100W की दर से ऊष्मा प्रदान करता है। यदि निकाय 75 Js-1 की दर से कार्य करता है, तो आन्तरिक ऊर्जा की वृद्धि किस दर से होगी?
उत्तर:
निकाय को दी गई ऊष्मा ∆Q = 100W
कार्य ∆W = 75W
आन्तरिक ऊर्जा ∆U = ∆Q – ∆W
= 100 – 75 = 25W

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प्रश्न 9.
किसी ऊष्मागतिकीय निकाय को मूल अवस्था से मध्यवर्ती अवस्था तक चित्र में दर्शाए अनुसार एक रेखीय प्रक्रम द्वारा ले जाया गया है।

एक समदाबी प्रक्रम द्वारा इसके आयतन को E से F तक ले जाकर मूल मान तक कम कर देते हैं। गैस द्वारा D से E तथा वहाँ से F तक कुल किए गए कार्य का आकलन कीजिए।
होगा।
उत्तर:
D से E तथा E सेF के मध्य कुल कार्य ADEF का क्षेत्रफल
∆DEF का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) DE × EF
जहाँ DE दाब में परिवर्तन
= 600 N-m2 – 300 N-m2
= 300 N-m2
FE = आयतन में परिवर्तन
= 5.0m3 – 20m3
= 3.0m3
∆DEF का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × 300 × 3
= \(\frac{1}{2}\) × 900J = 450J
अत: D से E से F के मध्य गैस द्वारा किया गया कुल कार्य 450 जूल

प्रश्न 10.
खाद्य पदार्थ को एक प्रशीतक के अन्दर रखने पर वह उसे 9°C पर बनाए रखता है। यदि कमरे का ताप 36°C है तो प्रशीतक के निष्पादन गुणांक का आकलन कीजिए।
उत्तर:
रेफ्रीजरेटर का ताप T1 = 9°C = 273 + 9 = 282K
कमरे का ताप T2 = 36°C = 273 + 36 = 309K
निष्पादन गुणांक
= \(\frac{\mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_2-\mathrm{T}_1}\)
= \(\frac{282}{309-282}\)
= \(\frac{282}{27}\)
= 10.48

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 1.
Ne तथा CO2 के त्रिक बिन्दु क्रमशः 24.57 K तथा 216.55K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
केल्विन का सेल्सियस पैमाने में निम्नलिखित सम्बन्ध है:
tc = TK – 273.15
तथा
∴ tNe = 24.57 – 273.15 = -248.58°C
tCO2 = 216.55 – 273.1 = – 556.6°C
फारनेहाइट तथा सेल्सियस पैमाने में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है:
\(\frac{t_{\mathrm{F}}-32}{9}=\frac{t_{\mathrm{C}}}{5}\)
∴ \(t_{\mathrm{F}}=\frac{9}{5} t_{\mathrm{C}}+32\)
अतः
tF(Ne) = \(\frac{9}{5}\) × (-248.58) 32
= -447.44 + 32 = -415.44°F
तथा
tF(CO2) = \(\frac{9}{5}\) × (-56.6) + 32
= 101.88 + 32 = -69.88°F

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प्रश्न 2.
दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200 A तथा 300 B द्वारा परिभाषित किया गया है। TA तथा TB में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
यदि T त्रिक बिन्दु है, TA व TB परम स्केलों पर ताप हों,

प्रश्न 3.
किसी तापमापी का ओम में विद्युत् प्रतिरोध ताप के साथ सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है:
R = R0 [ 1 + α (T – To))]
यदि तापमापी के जल के त्रिक बिन्दु 273.16 K पर प्रतिरोध 101.65Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5 K) पर प्रतिरोध 165.55Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.45Ω है।
उत्तर:
दिया है R = R0 [ 1 + α (T – To))]
उपर्युक्त समीकरण से,
R1 = R0 [ 1 + α (T1 – T0))] ……..(1)
तथा
R2 = R0 [ 1 + α (T2 – T0)) ……….(2)
समी० (2) में से (1) को घटाने पर,
R2 – R1 = Roα(T2 – T1) ………….(3)
इसी प्रकार
R3 – R1 = Roα(T3 – T1) ………….(4)
समी० (4) में समी. (3) से भाग देने पर,
\(\frac{R_3-R_1}{R_2-R_1}=\frac{T_3-T_1}{T_2-T_1}\)
दिया है,
T1 = 273.16K
T2 = 600.5K.
R1 = 101.60Ω
R2 = 165.5Ω
R3 = 123.45Ω
T3 = ?
अत: समी० (5) में उपर्युक्त मान रखने पर,
\(\frac{123 \cdot 4-101 \cdot 6}{165 \cdot 5-101 \cdot 6}=\frac{T_3-273 \cdot 16}{600 \cdot 5-273 \cdot 16}\)
या
\(\frac{21 \cdot 8}{63 \cdot 9}=\frac{T_3-273 \cdot 16}{327.34}\)
या
111.67 = T3 – 273.16
∴ T3 = 384.83 = 384.8K

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था) क्या दोष है?
(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्दु थे जिनको क्रमश: 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप) पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?
(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रमं पर ताप tc में सम्बन्ध इस प्रकार है
tc = T – 273.15
इस सम्बन्ध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस परम ताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अन्तराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अन्तराल के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
उत्तर:
(a) क्योंकि जल का त्रिक बिन्दु 273.16K एक अद्वितीय बिन्दु हैं जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है इसे तापमिति में मानक ताप के रूप में उपयोग करते हैं तथा जिसके दाब 0.46 मिमी (पारा) निश्चित है, जबकि हिम का गलनांक व जल का क्वथनांक व आयतन दाब बदलने पर बदल जाते हैं। हिमांक तथा पानी के क्वथनांक को प्राप्त करना कठिन होता है क्योंकि ये पानी की अशुद्धियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
(b) केल्विन ताप पर अन्य नियत बिन्दु परम शून्य ताप है जिस पर सभी गैसों का आयतन व दाब शून्य हो जाता है।
(c) सम्बन्ध । रूपान्तरण समीकरण है tc = T – 273.15; सेल्सियस व केल्विन पैमानों का 273.15 केल्विन स्केल पर सेल्सियस पैमाने के 0°C के संगत ताप हैं जबकि 273,16K जल का त्रिक बिन्दु है जो सेल्सियस पैमाने पर 0.01°C (°C) के बराबर है।
(d) हम जानते हैं:
\(\frac{T_F-32}{180}=\frac{T_K-273}{100}\) ………..(1)
किसी अन्य ताप पर
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{F}}^{\prime}-32}{180}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{K}}^{\prime}-32}{180}\) ………(2)
समी० (2) में से समी० (1) को घटाने पर
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{F}}^{\prime}-\mathrm{T}_{\mathrm{F}}}{180}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{K}}^{\prime}-\mathrm{T}_{\mathrm{K}}}{100}\)
TF – TF = \(\frac{180}{100}\) (TK – TK)
TF – TF = \(\frac{9}{5}\) (TK – TK)
यदि
TF – TF = 1K
TF – TF = \(\frac{9}{5}\)
त्रिक बिन्दु तापक्रम 273.16 के लिए
नये पैमाने का तापक्रम – 273.16 × \(\frac{9}{5}\) =491.69

प्रश्न 5.
दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमश: ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं

तापतापमापी A में दाबतापमापी B में दाब
जल का त्रिक बिन्दु1.250 × 105 Pa1.797 × 105 Pa
सल्फर का सामान्य0.200 × 105 Pa0.287 × 105 Pa

(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?
(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अन्तर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है।) दो पाठयांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
उत्तर:
तापमापी A के लिए,
तथा
त्रिक बिन्दु पर Ptr = 1.250 x 105 Pa
Ttr = 273.16K
सल्फर के लिए P = 1.797 × 105 Pa, T = ?
∵ गैस तापमापी द्वारा ताप मापन नियत आयतन पर किया जाता है,
अतः तापमापी A के लिए,
\(\frac{P}{T}\) = नियतांक या \(\frac{\mathrm{P}_{t r}}{\mathrm{~T}_{t r}}\) = \(\frac{P}{T}\)
∴ सल्फर का गलनांक
T = Ttr × \(\frac{\mathrm{P}_{t r}}{\mathrm{~T}_{t r}}\)
= 273.16 × \(\frac{1.797 \times 10^5}{1.250 \times 10^5}\)
= 392.69 K
जबकि इसी प्रकार तापमापी B द्वारा मापा गया सल्फर का गलनांक
T = \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{P}_{t r}}\) x Tr
= \(\frac{0.287 \times 10^5}{0.200 \times 10^5}\) × 243.16
= 391.18K
(b) दोनों तापमापियों के पाठयांकों में अन्तर इसलिए है क्योंकि प्रयोग की जाने वाली गैसें आदर्श गैस नहीं है। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए, जिससे कि गैसें आदर्श गैस की तरह व्यवहार करें।

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प्रश्न 6.
किसी 1m लम्बे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लम्बाई 63 cm मानी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई क्या थी? जिस दिन ताप 27°C होगा। उस दिन इसी छड़ की लम्बाई क्या होगी?
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक 1.20 x 105 K-1
उत्तर:
t1 = 27°C, l1 = 63 cm t2 = 45°C, l2 = ?
α = 1.20 × 105 K-1
l2 = l1 [l + α(t2 – t1)]
= 63 [1 + 1.20 × 10-5(45 – 27)]
=63[1 + 21.6 × 10-5]
= 63.013608
= 63 cm
अतः 27°C वाले दिन छड़ की लम्बाई = 63.cm
t2 = 45° पर फीते की लम्बाई = 100cm
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक α = 1.2 × 10-5K-1
45°C पर फीते की लम्बाई में वृद्धि
∆L = Lα∆t
∆L = 100 × 1.2 × 10-5 x (45 – 27)
= 0.0216cm.
∵ 100 cm लम्बाई में वृद्धि = 0.0216am
∴ 1 cm लम्बाई में वृद्धि = \(\frac{0.0216}{100}\)
∴ 63 cm लम्बाई में वृद्धि = \(\frac{0.0216}{100}\) × 0.63
= 0.0136 cm
अत : 45°C पर स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63cm + 0.0136cm
= 63.0136cm = 63 cm
जिस दिन ताप 27°C पर होगा, तब 1 सेमी० फीते का साइज स्टील के फीते पर ठीक 1 cm पर होगा क्योंकि स्टील के फीते का अंशांकन 27° पर हुआ है।

प्रश्न 7.
किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.7 cm तथा पहिये के केन्द्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ द्वारा धुरी को ठण्डा किया गया है धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक नियत रहता है।
αस्टील = 1.2 × 10-5K-1
उत्तर:
दिया है:
D27 = 8.7cm, Dt = 8.69cm,
Dt = D0(1 + α∆t)
8.69 = 8.70 (1 + α∆t)
∆t = \(\frac{8.69-8.70}{8.70 \times 1.2 \times 10^{-5}}\)
= -95.8°
t2 – t1 = 95.80
t2 = t1 – 95.8°
= 27 – 95.8°
= -68.8°C
= -69°C
अतः पहिए को धुरी पर चढ़ाने के लिए धुरी को -69°C तक ठण्डा करना होगा।

प्रश्न 8.
ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.7 × 105 K-1
उत्तर:
तापान्तर ∆t = 227 – 27 = 200°C. ∆T = 200K
व्यास में परिवर्तन ∆D = D.α.∆T
= 4.24 × 1.7 x 10-5 × 200
= 0.0144 cm
= 1.44 ×102 cm ( वृद्धि )

प्रश्न 9.
27°C पर 1.8 cm लम्बे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेंकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को -39°C ताप तक शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0mm है। पीतल का रेखीय प्रसार गुणांक = 2 × 10-5 K-1, पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 x 1011 Pa
उत्तर:
दिया है:
Y = 0.91 × 1011 Pa
तार की त्रिज्या
= \(\frac{2}{2}\)
= 1mm = 103m
क्षेत्रफल A = πr2 = 3.14 × (103)2
= 3.14 × 10-6m2
तथा ताप में कमी ∆t = t1 – t2 = 27 – (-39 ) = 66°C
ठण्डा करने पर तार में उत्पन्न बल
F = YAα∆t
= 0.91 × 1011 × 3.14× 10-6 × 2 × 10-5 × 66
= 377N
= 3.8 × 102N

प्रश्न 10.
50 cm लम्बी तथा 3 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लम्बाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लम्बाईयाँ 40°C पर हैं तो 250°C पर संयुक्त छड़
की लम्बाई में क्या परिवर्तन होगा ? क्या संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है। (ताँबे तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमशः 2 x 105 K-1 तथा 1.2 × 10-5 K-1)
उत्तर:
तापान्तर ∆t = t2 – t1 = 250 – 40
= 210°C,
dT = dt = 210K
पीतल की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
∆L1 = L1α1∆T
= 50 × 2 × 10-5 × 210
= 0.21 Cm
तथा स्टील की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
∆L2 = L2α2∆T
= 50 × 1.2 × 105 ×210
= 0.126am – 0.13 cm
अतः संयुक्त छड़ की लम्बाई में वृद्धि
= ∆L1 + ∆L2
= 0.21 + 0.13
= 0.34cm.
छड़ के सिरे प्रसार के लिए मुक्त हैं अतः संधि पर कोई तापी प्रतिबल उत्पन्न नहीं होगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 11.
ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 x 10-3 K-1 है। ताप में 30°C का वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
उत्तर:
माना ग्लिसरीन का द्रव्यमान m तथा आयतन V है।
∴ घनत्व p = \(\frac{m}{\mathrm{~V}}\)
यहाँ आयतन प्रसार गुणांक γ = 49 × 10-5K-1
ताप वृद्धि ∆t = 30°C तथा ∆T = 30K
आयतन में वृद्धि ∆V = Vγ. ∆T = V × 49 × 10-5 × 30
∆V = 0.0147V या \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) = 0.0147
नया आयतन V + ∆V होगा अतः नया घनत्व
\(\rho^{\prime}=\frac{m}{V+\Delta V}\)
अतः
\(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}=\frac{V}{V+\Delta V}=\frac{1}{1+\frac{\Delta V}{V}}\)
= \(-\left(1+\frac{\Delta V}{V}\right)^{-1}\)
या
\(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}\) = (1 + 0.0147)-1 = 1 – 0.0147 ( द्विपद प्रमेय से)
या
1 – \(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}\) = 0.0147
या
= 0.0147

प्रश्न 12.
8kg द्रव्यमान के किसी ऐलुमिनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10kW की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी? यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती हैं ऐलुमिनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 Jg-1 K-1 है।
उत्तर:
दिया है:
P = 10 kW = 104w,
t = 2.5min = 150s ऐलुमिनियम ब्लॉक का द्रव्यमान = 8 kg
विशिष्ट ऊष्मा
s = 0.91 Jg-1 K-1
= 9.1 × 102 Jkg-1 K-1
बरमी द्वारा ली गई कुल ऊर्जा
Wकुल = Pt = 104 × 150
= 1.5 × 106 जूल
गुटके को दी गई ऊर्जा W = \(\frac{50}{100}\) Wजूल
= 0.5 × 1.5 × 106 जूल
यदि ताप वृद्धि ∆Q हो, तो W = ms ∆Q
∆Q = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{ms}}\)
= \(\frac{0.5 \times 1.5 \times 10^6}{8 \times 9.1 \times 10^2}\)
= 103.02 °C

प्रश्न 13.
2.5kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम- ब्लॉक पर दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता 0.39 Jg-1K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा = 335 Jg-1
उत्तर:
दिया है:
m = 2.5 kgs = 0.39 Jg-1 K-1
= 3.9 × 102 Jkg-1 K-1
∆t = (500 – 0 ) = 500°C (∵ ∆t = ∆T)
∴ ∆T = 500, K, L = 335Jg-1 = 335 × 103 Jkg-1
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
गुटके द्वारा दी गई ऊष्मा = बर्फ द्वारा ली गई ऊष्मा
ms∆T = mबर्फL

= 1.45 kg = 1.5 kg
धातु

प्रश्न 14.
किसी की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक 0.025 kg), जिसमें 27°C का 150 cm जल भरा है, में गिराया जाता है। अंतिम ताप 40°C है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
उत्तर:
दिया है:
Vजल = 150 cm3 = 150 × 10-6 m3
Mजल = Vजल × P जल
= 150 × 10-6 × 103 = 0.15kg
Mधातु = 0.2kg
Sजान = 1 किलो कैलोरी / किग्रा K
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
धातु द्वारा दी गई ऊष्मा = (ऊष्मामापी + जल) द्वारा ली गई ऊष्मा
Mधातु × Sधातु × ∆t1) = (Mजल × Sजल + W ) x ∆t2

= \(\frac{(0.15 \times 1+0.025) \times(40-27)}{0.20(150-40)}\)
= \(\frac{0.175 \times 13}{0.20 \times 110}\)
= 0.103kcal kg-1
= 0.103 × 4.2 × 103 Jkg-1 K-1
(∵ ∆t = ∆T)
= 0.43 × 103 Jkg-1 K-1
= 0.43 Jg-1 K-1
यदि परिवेश में ऊष्मा क्षय को नगण्य न मानकर परिकलित किया जाए तो उपर्युक्त उत्तर वास्तविक विशिष्ट ऊष्मा धारिता से कम मान दर्शाएगा।

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प्रश्न 15.
कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं:

गैसमोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता (C) (cal mol2 K2)
हाइड्रोजन4.87
नाइट्रोजन4.97
ऑक्सीजन5.02
नाइट्रिक ऑक्साइड4.99
कार्बन मोनोक्साइड5.01
क्लोरीन6.17

इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप से किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/molK होती है। इस अन्तर का स्पष्टीकरण कीजिए क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है जबकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के साथ-साथ घूर्णीय गतिज ऊर्जा भी सन्निहित होती है। किसी गैस को ऊष्मा देने पर यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की ऊर्जाओं की समान वृद्धियाँ करती है। अब चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं। अत: इनकी मोलर विशिष्ट धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता का अधिक होना यह प्रदर्शित करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय, घूर्णीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त कम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।

प्रश्न 16.
101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्माधारिता जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g है।
उत्तर:
बच्चे का द्रव्यमान M = 30kg
ताप में कमी = 101° F – 98° F = 3°
F = 3 × \(\frac{5}{9}\) °c = 3°c
शरीर की विशिष्ट ऊष्माधारिता
s = जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता = 103 cal kg-1 °C-1
बच्चे के शरीर से ऊष्मा ह्रास
Q = Ms 40 = 30 × 103 × 3
= 50 × 103 cal
यदि t = 20 मिनट में वाष्पित जल का द्रव्यमान 1 हो, तो
m = \(\frac{Q}{\mathrm{I}}=\frac{50 \times 10^3}{580 \times 10^3}=\frac{5}{58} \mathrm{~kg}\)
अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर
= \(\frac{m}{t}\) = \(\frac{(5 / 58) \mathrm{kg}}{20 \mathrm{~min}}\)
= \(\frac{5 \times 1000}{58 \times 20}\)gmin-1
= 4.31gmin-1

प्रश्न 17.
थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स’ विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भण्डारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6h के पश्चात् बचे हिम की मात्रा का आकलन कीजिए। बाहरी ताप 45° C है तथा थर्मोकोल की ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1 m-1 K-1 है।
(हिम की संगलन ऊष्मा 335 × 103 Jkg-1)
उत्तर:
बॉक्स की प्रत्येक भुजा की लम्बाई
a = 30 cm = 0.30m
घन के 6 पृष्ठ हैं; प्रत्येक का क्षेत्रफल a2 है अतः घन का पृष्ठीय
क्षेत्रफल = 6a2 = 6 × (0.3)2 = 0.54m2
बॉक्स की मोटाई 5 cm = 5 × 10-2m = 0.05m
समय अन्तराल t = 6h = 6 × 3600s
हिम बॉक्स में प्रवेश करने वाली कुल ऊष्मा
\(\mathrm{Q}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right) t}{d}\)
= \(\frac{0.01 \times 0.54 \times(45-0) \times(6 \times 3600)}{005}\)
= 1.05 × 105 J
माना t समय अन्तराल में पिघली हिम का द्रव्यमान m kg है।
सूत्र Q = mL से, m = \(\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{L}}=\frac{1.05 \times 10^5}{335 \times 10^3}\)
= 0.3kg
बॉक्स में हिम की प्रारंभिक मात्रा अतः 6 घण्टे पश्चात् बॉक्स में शेष हिम = 4 kg
= M – m
= 4.0 – 0.3
= 3.7 kg

प्रश्न 18.
किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/ min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के सम्पर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1 m-1 K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा 2256 × 103 kg-1 है।
उत्तर:
पेंदी का क्षेत्रफल A = 0.15m2,
मोटाई l = 1 cm = 10-2 m
पीतल की ऊष्मा चालकता K = 109Js-1 m-1 K-1
जल के उबलने की दर = 6 kg/min
= \(\frac{6}{60}\) Kg/s
= 0.1 kgs-1
जल की वाष्पन ऊष्मा L = 2256 × 103 kg-1
बॉयलर के आधार से बॉयलर में प्रवाहित ऊष्मा कीदर
\(\mathrm{H}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
\(\frac{\mathrm{Q}}{t}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
यदि बॉयलर में kg जल वाष्प में बदलता है, तो
Q = mL
अतः
\(\frac{m \mathrm{~L}}{t}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
0.1 × 2256 × 103 = \(\frac{109 \times 0.15\left(\theta_1-100\right)}{10^{-2}}\)
अतः
θ1 – 100 = 138 (138)
या
θ1 = 138 + 100 = 238°C

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प्रश्न 19.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों:
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कंपकपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्ठी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
उत्तर:
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं अर्थात् वे अल्प अवशोषक होते हैं। इस कारण वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं।

(b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है, जबकि पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक है। पीतल की चालकता अत्यधिक होने के कारण जब ठण्ड के दिनों पीतल के गिलास को स्पर्श करते हैं तो हमारे हाथ से ऊष्मा गिलास में चली जाती है अतः पीतल का गिलास अत्यधिक ठण्डा प्रतीत होता है। लकड़ी की ऊष्मा चालकता बहुत कम होने के कारण यदि हम लकड़ी की ट्रे को छूते हैं, तो हमारे शरीर से लकड़ी में ऊष्मा का प्रवाह नगण्य होता है, अतः हमें ठण्डक का आभास नहीं होता।

(c) खुले में रखे तप्त लोहे से वातावरण में ऊष्मा चारों ओर फैलती है जिसके कारण उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण नहीं मिल पाता है। इसके विपरीत भट्ठी में रखने पर गोले का ताप स्थिर बना रहता है और वह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता रहता है तथा विकिरण का अधिकांश भाग उत्तापमापी तक पहुँचता है तथा उत्तापमापी ताप का सही मान पढ़ता है।

(d) पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित कर देता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे ही अन्तरिक्ष में चले जाएँगे तथा पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।

(e) जल वाष्प में उबलते जल की अपेक्षा ऊष्मा की मात्रा बहुत अधिक होती है; इससे जल वाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से अधिक दक्ष है।

प्रश्न 20.
किसी पिण्ड का ताप 5 मिनट में 80° C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20° C हो, तो उस समय का परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
उत्तर:
समीकरण = K × (तापान्तर) से,
80° C तथा 50° C का माध्य 65°C है अतः परिवेश ताप से अन्तर (65 – 20) = 45°C होगा
प्रथम स्थिति में,
\(\frac{(80-50)^{\circ} \mathrm{C}}{5}\)
= K (45°C)
या 6°C /min = K (45″C) ……..(1)
द्वितीय स्थिति में, 60° C व 30°C का माध्य 45°C है जिसका परिवेश
ताप से अन्तर (45 – 20)°C = 25°C है।
\(\frac{(60-30)^{\circ} \mathrm{C}}{t_{\min }}\) = K (25°C) ……..(2)
समी (1) में समी (2) से भाग देने पर,
6°C/min × \(\frac{t}{30^{\circ} \mathrm{C}}=\frac{\mathrm{K}\left(45^{\circ} \mathrm{C}\right)}{\mathrm{K}\left(25^{\circ} \mathrm{C}\right)}\)
t = \(\frac{45}{25} \times \frac{30}{6}\) =9 min
अत: 60°C से 30°C तक ठण्डा होने में 9 min का समय लगेगा।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 21.
CO2 के P-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(a) किस ताप व दाब पर CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती हैं?
(b) CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) CO2 के लिए क्रांतिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनका क्या महत्त्व है ?
(d) (i) – 70°C ताप व 1 atm दाब, (ii) 60°C ताप व 10 atm दाब, (iii) 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 ठोस, द्रव अथवा गैस में से किस अवस्था में होती है?
उत्तर:
(a) CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती त्रिक बिन्दु पर हो सकती हैं जिनके संगत
त्रिक बिन्दु पर ताप
तथा
= – 56.6″C
दाब = 5.11 atm
(b) वाष्पन वक्र (1) तथा गलन वक्र (II) के द्वारा दाब घटने पर CO2 का क्वथनांक तथा गलनांक दोनों घट जाते हैं।
(c) CO2 के क्रान्तिक ताप एवं दाब क्रमश: 31.1°C तथा 73.0 atm हैं। इससे उच्च ताप पर CO2 द्रवित नहीं होगी, चाहे उस पर कितना भी अधिक दाब आरोपित किया जाए।
(d) (i) – 70°C तथा 1atm दाब पर CO2 वाष्प होगी क्योंकि यह बिन्दु वाष्प क्षेत्र में हैं।
(ii) -60°C तथा 10 atm दाब पर CO2 ठोस होगी क्योंकि यह बिन्दु ठोस क्षेत्र में है।
(iii) 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 द्रव होगी क्योंकि यह बिन्दु द्रव क्षेत्र में है।

प्रश्न 22.
CO2 के P-T प्रावस्था आरेख (प्रश्न 16 के चित्र ) पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) 1 atm दाब तथा 60°C ताप पर CO2 का समतापी संम्पीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब पर CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतलन किया जाता है?
(c) 10 atm दाब तथा 65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समपाती सम्पीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अन्तर की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
(a) 1 atm दाब तथा 60°C ताप पर CO2 वाष्प है। यदि इसका समतापी संपीडन किया जाता है तो यह द्रव अवस्था में नहीं जायेगी, बल्कि वाष्प सीधे ही ठोस में संघनित हो जायेगा।
(b) यदि हम 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं तो यह रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है।
(c) ठोस CO2 को 10 वायुमंडलीय दाब पर गर्म करने पर पहले वह द्रव अवस्था में फिर वाष्प अवस्था में बदल जाती है। 10 वायुमण्डलीय दाब पर ताप अक्ष के समान्तर खींची गई रेखा गलन वक्र को Q तथा वाष्प वक्र को R पर काटती है। Q व R के संगत ताप क्रमश: CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक हैं।
(d) 70°C ताप CO2 के क्रांतिक ताप (31.1°C) से अधिक है, अत: 70°C ताप पर CO2 गैसीय अवस्था में है, यह द्रव अवस्था में नहीं बदलेगी भले ही दाब कितना भी अधिक कर दिया जाए।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
शैवाल के वर्गीकरण का क्या आधार है ?
उत्तर:
शैवालों (Algae) को मुख्य रूप से प्रकाशसंश्लेषी वर्णक ( photosynthetic pigments), संचित खाद्य पदार्थ ( reserved food material), कोशिकाभित्ति की संरचना तथा कशाभिकाओं की उपस्थिति, अनुपस्थिति तथा संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। शैवालों को तीन प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है- क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae) फिओफाइसी (Phacophyceae), तथा रोडोफाइसी ( Rhodophyceae)

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प्रश्न 2.
लिवरवर्ट, मॉस, फर्न, जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म के जीवन चक्र में कहाँ और कब निम्नीकरण विभाजन होता है ?
उत्तर:
(i) लिवरवर्ट (Liverwort ) – ये ब्रायोफाइटा समूह के पौधे हैं। इनमें बीजाणुद्भिद (Sporophyte) के संपुट (capsule) में बीजाणु मातृ कोशिकाओं (spore mother cells) में निम्नीकरण विभाजन ( reduction division ) से बीजाणु बनते हैं।

(ii) मॉस (Moss) – ये उच्च ब्रायोफाइट हैं इनमे बीजाणुद्भिद् (sporophyte ) के सम्पुट में बीजाणु मातृ कोशिकाओं में निम्नीकरण विभाजन (meiosis) होता है जिससे अगुणित बीजाणु बनते हैं।

(iii) फर्न (Fern) – ये टेरिडोफाइट सनूह के पौधे हैं। इनमें स्पोरोफाइट की बीजाणुधानी के अन्दर बीजाणु मातृ कोशिकाओं में निम्नीकरण विभाजन ( meiosis) होता है।

(iv) जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms) – लघुबीजाणुधानी (microsporangium) में परागकण बनते समय लघुबीजाणु मातृ कोशिका में निम्नीकरण विभाजन होता है। बीजाण्ड (ovule) के बीजाण्डकाय (nucellus) की गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में निम्नीकरण विभाजन होता है। इससे अगुणित गुरुबीजाणु बनते हैं । एक गुरुबीजाणु वृद्धि करके मादा युग्मकोद्भिद् अथवा भ्रूणपोष बनाता है ।

(v) एन्जियोस्पर्म (Angiosperms) – परागकोष (Anther) की पराग मातृ कोशिकाओं (pollen mother cells) में निम्नीकरण विभाजन से परागकणों (Pollen grains) का निर्माण होता है। बीजाण्डकाय (nucellus) की गुरुबीजाणु मातृ कोशिका (megaspore mother cell) में निम्नीकरण विभाजन ( reduction division or meiosis) होता है जिसके फलस्वरूप चार अगुणित गुरुबीजाणु केन्द्रक बनते हैं जिनमें से तीन नष्ट हो जाते हैं केवल एक सक्रिय रहता है। यह अगुणित भ्रूणकोष बनाता है।

प्रश्न 3.
पौधे के तीन वर्गों के नाम लिखिए, जिनमें स्त्रीधानी होती है। इनमें से किसी एक के जीवन चक्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा तथा जिम्नोस्पर्म वर्ग के पौधों में स्त्रीधानी ( archegonium) पायी जाती है।

मॉस (ब्रायोफाइट पादप) का जीवन चक्र
(Life-cycle of Moss: A Bryophyte)

मॉस (फ्यूनेरिया) में युग्मकोद्भिद् तथा बीजाणुद्भिद् ( gametophyte and sporophyte ) दो स्पष्ट अवस्थाएँ पायी जाती हैं। युग्मकोद्भिद् (gametophyte ) अवस्था पादप की प्रमुख अवस्था है जो एक पर्णिल प्ररोह (foliage shoot) के रूप में होता है। यह स्वतन्त्र स्वपोषी होती है। इसके जननांग अलग-अलग शाखाओं के शिखानों पर पत्तियों से घिरे हुए होते हैं। मॉस का पौधा पूर्वी (protandrous) होता है।

मॉस में नर युग्मक पुंधानी (antheridium) तथा मादा युग्मक स्त्रीधानी (archegonium) में बनते हैं। नर युग्मक पुमणु (antherozoids) तथा मादा युग्मक अण्ड (egg) कहलाते हैं । निषेचन के लिए बाह्य जल आवश्यक होता है। नर तथा मादा युग्मकों के संलयन (fusion) से द्विगुणित ( diploid, 2n) युग्मनज (zygote) बनता है।

इससे बीजाणुद्भिद् पीढ़ी का आरम्भ होता है। युग्मनज (zygote) विभाजित होकर बहुकोशिकीय भ्रूण ( embryo) बनाता है। यह आंशिक परजीवी बीजाणुद्भिद् (sporophyte) में विकसित हो जाता है जो फुट, सीटा व कैप्सूल में विभाजित होता है। इसके सम्पुटिका वाले भाग में बीजाणु मातृ कोशिकाएँ होती हैं जो अर्द्धसूत्री विभाजन करके अगुणित (haploid) बीजाणु बनाती है। अगुणित बीजाणु अंकुरण द्वारा तन्तुवत प्रोटोनीमा (protonema) बनाते हैं। यह बाद में पार्णिल प्ररोह अर्थात् युग्मकोद्भिद को जन्म देते हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत 1

प्रश्न 4.
निम्नलिखित की सूत्रगुणता बताइए –
(i) मॉस की प्रथम तन्तु कोशिका
(ii) द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक,
(iii) मॉस की पत्तियों की कोशिका,
(iv) फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ,
(v) मारकेंशिया की जेमा कोशिका,
(vi) एकबीजपत्री की मैरिस्टैम कोशिका,
(vii) लिवरवर्ट के अण्डाशय तथा
(viii) फर्न के युग्मनज 1
उत्तर:
(i) मॉस की प्रथम तन्तु कोशिका (Protonemal cell of moss ) – इनका निर्माण सम्पुट ( capsule) की बीजाणु मातृकोशिकाओं (spore mother cell) में अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis) से बने बीजाणुओं (spores) से होता है। अतः ये अगुणित (haploid; n) होती है।

(ii) द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक (Primary endosperm nucleus of dicots ) – द्विबीजपत्रियों में भ्रूणपोष (End… perm) का निर्माण, दो ध्रुवीय केन्द्रकों तथा एक नरयुग्मक के संलयन से होता है। अतः यह त्रिगुणित ( triploid; 3n) होता है ।

(ii) मॉस की पत्तियों की कोशिका (Leaf cell of moss) – मॉस की प्रमुख अवस्था युग्मकोद्भिद ( gametophyte ) होती है जो अगुणित (n) होती है। पत्तियाँ इसी अवस्था में होती है। अतः इनकी सूत्रगुणता, अगुणित (n) होती है।

(iv) फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ (Prothallus cells of a Fern ) – फर्न का प्रोथैलस अगुणित बीजाणुओं के अंकुरण से बनता है । अतः इसकी कोशिकाओं की सूत्रगुणिता अगुणित (n) होती है।

(v) मारकेंशिया की जैमा कोशिका (Gemma cell of Marchantia) – मार्केन्शिया में जैमा युग्मकोद्भिद् अवस्था पर होते हैं। अतः जैमा की कोशिका की सूत्रगुणता अगुणित (x) होती है।

(vi) एकबीजपत्री की मैरिस्टेम कोशिका (Meristem cell of monocot) – एकबीजपत्री का मुख्य पौधा बीजाणुद्भिद् (2n) होता है। मैरिस्टेम बीजाणुद्भिद का ही एक वर्षी ऊतक ( somatic tissue) है। अतः मैरिस्टेम कोशिका की सूत्रगुणता द्विगुणित ( diploid; 2n) होती है।

(vii) लिवरवर्ट के अण्डाशय (Ovum of Liverwort ) – लिवरवर्ट में अण्डप युग्मकोद्भिद् ( gametophyte ) पर बनता है । अतः इसकी सूत्रगुणता अगुणित (n) होती है।

(viii) फर्न का युग्मनज (Zygote of Fern) – फर्न में युग्मनज का निर्माण दो अगुणित युग्मकों के संलयन से होता है। अतः इसकी सूत्रगुणता द्विगुणित (2n) है।

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प्रश्न 5.
शैवाल तथा जिम्नोस्पर्म के आर्थिक महत्व पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शैवाल का आर्थिक महत्व (Economic importance of algae)
शैवाल वातावरण में अमूल्य ऑक्सीजन मुक्त कर महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक सेवा प्रदान करते हैं।
1. शैवाल खाद्य के रूप में (Algae as Food) – शैवालों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। विटामिन A, C, D, E आदि मुख्य रूप से होते हैं। अल्वा (Utva), फ्यूकस (Fucus), पोरफाइरा (Porphyra), अलेरिया (Alaria), लैमिनेरिया (Laminaria), सरगासम (Sargassum) आदि को खाद्य पदार्थ व पशु खाद्य (animal feed) प्राप्त करने में उपयोग किया जाता है। क्लोरेला (Chlorella) नामक शैवाल में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे भविष्य के भोजन के रूप में पहचाना जा रहा है। इसे एकल कोशिका प्रोटीन (single cell protein) कहा जाता है।

2. शैवाल उद्योगों में (Algae in industry ) – भूरे तथा लाल शैवाल व्यवसाय की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। समुद्री घास (kelp) की राख से आयोडीन तथा पोटैशियम निकाला जाता है। कुछ लाल शैवालों जैसे- जिलीडियम (Gelidium), प्रेसीलेरिया (Gracilaria) से एक श्लेष्मीय पदार्थ अगर (Agar) निकलता है इसका प्रयोग प्रयोगशाला तथा कॉस्मेटिक उद्योगों में किया जाता है।

अलेरिया, लैमिनेरिया नामक शैवालों से एल्जिन (algin) नामक पदार्थ निकाला जाता है जिसका प्रयोग अज्वलनशील फिल्मों तथा कृत्रिम रेशे बनाने में किया जाता है। कोन्ड्रस (Chondnis) तथा यूक्यिमा (Eucheuma) से कैराजीनिन (carrageenin) नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इसका प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है। डायटम्स (Diatoms) की मृत्यु होने पर अपघटन द्वारा डायटमी मृदा बनती है जिसका प्रयोग अग्निसह ईंटें (fire bricks) बनाने में किया जाता है।

3. शैवाल का औषधीय महत्व (Medicinal use of algae ) क्लोरेला (Chlorella) नामक शैवाल से क्लोरेलिन नामक प्रतिजैविक पदार्थ प्राप्त होता है। जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्व (Economic Importance of Gymnosperms

(i) सजावटी पौधे (Ornamental Plants) – साइकस (Cycas), पाइनस (Pinus ), ऐरोकेरिया (Araucaria), गिन्गो (Ginkgo), थूजा (Thuja), क्रिप्टोमेरिया (Cryptomeria) आदि जिम्नोस्पर्म्स को उद्यानों एवं घरों में सजावट के लिया लगाया जाता है।

(ii) भोज्य पदार्थों के लिए (For Food) – साइकस रिवोल्यूटा तथा जैमिया पिग्मिया से साबूदाना (sago ) प्राप्त होता है। पाइनस जिरार्डियाना (Pinus girardiana) से चिलगोजा प्राप्त होता है। नीटम (Gnetum), गिन्गो (Ginkgo) व साइकस के बीजों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

(iii) टिम्बर (Timber) – चीड़ (Pinus ), देवदार (Cedrus) कैल (Pinus walichiana), फर (Abies) आदि से प्राप्त लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर निर्माण में किया जाता है।

(iv) औषधियों के लिए (For medicines) – साइकस के बीज, छाल व गुरुबीजाणुपणों को पीसकर, पुल्टिस बनायी जाती हैं। एफिड्रा से एफिड्रीन औषधि बनाई जाती है। टेक्सस ब्रेबफोलिया से टैक्सॉल औषधि प्राप्त होती है। थूजा (Thuja) की पत्तियों का काढ़ा खाँसी, बुखार एवं गठिया में लाभदायक है।

(v) एवीज बालसेमिया से कनाडा बालसम, जूनीपेरस से सिडर वुड आयल तथा चीड़ (Pinus) से तारपीन का तेल प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म दोनों में बीज होते हैं फिर भी इनका वर्गीकरण अलग-अलग क्यों है ?
उत्तर:
अनावृत्तबीजी या जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms) ऐसे पौधों का समूह है, जिनमें बीजों का निर्माण तो होता है किन्तु ये बीज किसी आवरण द्वारा ढके नहीं होते हैं अर्थात् बीजाण्ड अथवा उनसे विकसित बीज नग्न रूप से पौधों पर लगे होते हैं। जिम्नोस्पर्म (Gr. Gymno = naked, Sperma Seeds) में अण्डाशय और फल का अभाव होता है।

आवृत्तबीजी या एन्जियोस्पर्म (Angiosperms) ऐसे विकसित पौधों का समूह है जिनमें बीज फलावरण के अन्दर स्थित होते हैं। बीजाण्ड अण्डाशय में स्थित होते हैं। निषेचन (fertilization) के पश्चात् अण्डाशय (ovary) से फलावरण (fruit wall) अर्थात पेरीकार्प (pericarp) तथा बीजाण्ड (ovule) से बीज बनता है। फलावरण तथा बीज मिलकर फल (fruit) बनाते हैं। यही कारण है कि जिम्नोस्पर्म एवं एन्जियोस्पर्म को अलग-अलग समूहों में रखा जाता है।

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प्रश्न 7.
विषम बीजाणुकता क्या है ? इसकी सार्थकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। इसके दो उदाहरण दो ।
उत्तर:
विषम बीजाणुकता (Heterospory) – टेरीडोफाइटा समूह के ऐसे पौधे जिनमें केवल एक ही प्रकार के बीजाणु उत्पन्न होते हैं, समबीजाणुक (homosporous) कहलाते हैं और यह दशा समबीजाणुकता (homospory) कहलाती है। परन्तु कुछ जातियों में एक ही पौधे में दो प्रकार के बीजाणु बनते हैं जो एक-दूसरे से आमाप (size) में भिन्न होते हैं।

छोटे आमाप के बीजाणु लघु बीजाणु (Microspores) कहलाते हैं तथा जिन बीजाणुधानियों (sporangia) में ये उत्पन्न होते हैं उन्हें लघुवीजाणु धानियाँ (microsporangia) कहते हैं। दूसरे प्रकार के बीजाणु जिनका आमाप लघु बीजाणुओं की तुलना में बड़ा होता है. गुरुबीजाणु (Megaspores) कहलाते हैं और इन्हें उत्पन्न करने वाली बीजाणुधानी, गुरुबीजाणुधानी ( megasporangium) कहलाती है।

उपरोक्त दोनों प्रकार के बीजाणुओं के कार्य भिन्न होते हैं। लघुबीजाणुओं के अंकुरण से नर युग्मकोद्भिद् तथा गुरुबीजाणुओं के अंकुरण से मादा युग्मकोद्भिद का निर्माण होता है। अतः पौधों में दो भिन्न आमाप, संरचना तथा कार्य वाले बीजाणुओं का बनना विषम बीजाणुकता कहलाता है। मादा युग्मकोद्भिद् अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीजाणुद्भिद (sporophyte ) से जुड़ा रहता है।

मादा युग्मकोद्भिद से ही युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है जो बाद में भ्रूण ( embryo) के रूप में विकसित होता है। यह घटना विकासीय (evolutionary) दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण समझी जाती है। इससे धीरे-धीरे निषेचन हेतु बाह्य जल की आवश्यकता समाप्त हो जाती है जो कि स्थलीय पौधों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

इसी से बीजी प्रवृत्ति (seed habit) का विकास होता है। विषमबीजाणुकता टेरिडोफाइटा से सिलैजिनेला आइसोटीज, साल्वीनिया आदि में पायी जाती है। साबूदाना मुख्यतः कसाना या टेपिओका नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 8.
उदाहरण सहित निम्न शब्दावली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-
(i) प्रथम तन्तु
(ii) पुंधानी,
(iii) स्त्रीधानी,
(iv) द्विगुणितक,
(v) बीजाणुपर्ण,
(vi) समयुग्मकी।
उत्तर:
(i) प्रथम तन्तु (Protonema) – यह मॉस के युग्मकोद्भिद की प्राथमिक अवस्था है। बीजाणु (spore) अंकुरित होकर शाखामय, तन्तुरूपी हरे रंग की स्वपोषी रचना प्रथम तन्तु बनाते हैं। प्रथम तन्तुओं पर कलिकाएँ विकसित होकर पत्तीमय अवस्था में विकसित हो जाती हैं। इनके द्वारा वर्धी प्रजनन भी होता है।

(ii) पुंघानी (Antheridium)- ब्रायोफाइट्स तथा टैरिडोफाइट्स में नर जननांग पुंधानी कहलाते हैं। ये युग्मकोदुभिद् पर विकसित होती हैं। ये नाशपाती के आकार की या गोलाकार संरचनाएँ होती हैं। इनके चारों ओर एक स्तरीय बन्ध्य (sterile) जैकेट (jacket) पाया जाता है। पुंधानी के अन्दर पुमणु मातृकोशिकाओं (antherozoid mother cells) से माइटोसिस द्वारा पुमणुओं (antherozoids) का विकास होता है। ये नर युग्मक (male gametes) कहलाते हैं। मॉस के पुमणु द्विकशाभिक तथा फर्न के पुमणु बहुकशाभिक होते हैं।

(iii) स्त्रीधानी (Archegonium ) – यह ब्रायोफाइट तथा टेरिडोफाइट का स्त्री जननांग (Female reproductive part) है। यह फ्लास्क सदृश संरचना है। इसका आधारीय चौड़ा भाग अण्डधा (Venter) तथा ऊपरी संकरा भाग ग्रीवा (Neck) कहलाता हैं। अण्डधा में एक अण्डाणु (egg cell) बनता है। स्त्रीधानियों का निर्माण युग्मकोद्भिद पर होता है। जिम्नोस्पर्म में भी स्त्रीधानी पायी जाती है।

(iv) द्विगुणितक (Diplontic) – पौधों में युग्मकोदभिद अवस्था अगुणित (n) तथा बीजाणुदभिद् अवस्था द्विगुणित (2n) होती है । जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्मस में द्विगुणित अवस्था प्रभावी होती है। इस अवस्था का विकास नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संलयन से बने युग्मनज (zygote) से होता है ।

युग्मनज (zygote) विकसित होकर लम्बी बीजाणुद्भिद अवस्था को जन्म देता है। बीजाणुद्भिद से अर्धसूत्री विभाजन के बाद अगुणित युग्मको द्भिद् अवस्था बनती है जो अल्पकालीन व बीजाणुद्भिद पर निर्भर होती है। इससे बने युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं। ऐसे जीवन चक्र को द्विगुणितक ( diplontic) कहते हैं।

(v) बीजाणुपर्ण (Sporophyll) बीजाणुद्भिद अवस्था जैसे फर्न में, जड़, तना तथा पत्तियों में विभेदित होती है। इनकी परिपक्व पत्तियों पर बीजाणुधानियों (sporangia) का निर्माण होता है जिनमें बीजाणु बनते हैं, बीजाणुधानियों के समूह को सोराई (Sori), एकवचन सोरस (sorus) कहते हैं।

बीजाणुधानियाँ (sporangia) धारण करने वाली पत्तियों को बीजाणुपर्ण (sporophylls) कहते हैं। जिम्नोस्पर्म में ये लघु बीजाणुपर्ण तथा गुरुबीजाणुपर्ण (microsporophylls and megasporophylls) कहलाते हैं। आवृत्तबीजियों में पुंकेसर रूपान्तरित लघुबीजाणु पर्ण तथा अण्डप (carpel) रूपान्तरित गुरुबीजाणुपर्ण ही है।

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(vi) समयुग्मन (Isogamy) – यह एक प्रकार का संलयन है जिसमें भाग लेने वाले युग्मक आकार एवं आकृति में समान होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अन्तर कीजिए-
(i) लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल
(ii) लिवरवर्ट तथा मॉस
(iii) विषम बीजाणुक तथा सम बीजाणुक टैरीडोफाइट
(iv) युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन।
उत्तर:
(i) लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल में अन्तर (Differences between Red algae and Brown algae)

लाल शैवाल (Red algae)भूरे शैवाल (Brown algae)
1. ये सूक्ष्म, एककोशिकीय, कुछ बड़े एवं जटिल संरचना वाले शैवाल हैं।1. ये सरल तन्तुरूपी, सघन, शाखित व अपेक्षाकृत बड़े शैवाल हैं।
2. इनमें क्लोरोफिल ‘a’ तथा ‘d’ पाया जाता है।2. इनमें क्लोरोफिल ‘a’ व क्लोरोफिल c’ पाया जाता है।
3. ये आर-फाइकोएरिथ्रिन (r-phycoerythrin ) वर्णक की उपस्थिति के कारण लाल होते हैं।3. जैन्थोफिल, फ्यूकोजैन्वन के कारण भूरे रंग के होते हैं।
4. संचित भोजन फ्लोरिडियन स्टार्च (floridian starch) होता है।4. संचित भोजन लैमिनेरिन या मैनीटॉल होता है।
5. चल कोशिकाओं (motile cells) का अभाव होता है।5. युग्मक चल बीजाणु आदि कोशिकाओं में कशाभिका उपस्थित होते हैं।
उदाहरण: पोरफाइरा, जिलीडियम, मेसीलेरिया ।उदाहरण: सरगासम, फ्यूकस, लैमिनेरिया ।

(ii) लिवरवर्ट तथा मॉस में अन्तर (Differences between Liverwort and Moss)

लिवरवर्ट (Liverwort)मॉस (Moss)
1. पादपकाय पृष्ठाधर चपटा सूकाय (thallus ) होता है।1. पादपकाय ऊर्ध्व, मूलाभास, तना तथा पत्ती सदृश रचनाओं में विभेदित होता है।
2. मूलाभास (rhizoids) अशाखित तथा एककोशिकीय होते हैं।2. मूलाभास बहुकोशिकीय तथा शाखित होते हैं।
3. थैलस की अधर सतह पर शल्क (scales) पाये जाते हैं।3. शल्क (scales) अनुपस्थित होते हैं।
4. बीजाणुद्भिद्, युग्मकोद्भिद् पर पूर्ण आश्रित होता है।4. बीजाणुद्भिद्, युग्मकोद्भिद पर आंशिक रूप से आश्रित होता है।
5. इलेटर्स (elaters) बीजाणुओं के प्रकीर्णन में भाग लेते हैं।5. परिमुखदन्त (peristomial teeth) बीजाणुओं के प्रकीर्णन में भाग लेते हैं ।
6. कैप्सूल में स्तम्भिका (collumella) अनुपस्थित होता है।6. कैप्सूल में कॉल्यूमेला (collumella) पाया जाता है।
7. बीजाणु अंकुरित होकर युग्मकोद्भिद ( gametophyte) बनाते हैं।7. बीजाणु पहले प्रोटोनीमा बनाते हैं, बाद में युग्मकोद्भिद् बनता

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(iii) विषम बीजाणुक तथा सम बीजाणुक टेरिडोफाइट्स में अन्तर (Differences between Homosporous and Heterosporous Pteridophytes )

सम बीजाणुक (Homosporous)विषम बीजाणुक (Heterosporous)
1. ऐसे टेरीडोफाइट जिनमें सभी बीजाणु एक ही प्रकार के होते हैं, सम बीजाणुक (homosporous) कहलाते हैं।1. ऐसे टेरीडोफाइट जिनमें एक पौधे में दो प्रकार के बीजाणु बनते हैं विषम | बीजाणुक (heterosporous) कहलाते हैं।
2. समबीजाणु (homosporous) से विकसित युग्मकोद्भिद् उभयलिंगी होता है।2. इनमें लघु बीजाणु तथा गुरुबीजाणु बनते हैं। जो क्रमशः नर युग्मकोदभिद तथा मादा युग्मकोद्भिद का निर्माण करते हैं।
उदाहरण : ड्रायोप्टेरिस, टेरिस, लाइकोपोडियम आदि ।उदाहरण: मासीलिया, सिलैजिनेला, साल्वीनिया आदि ।

(iv) युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन में अन्तर (Differences between Syngamy and Triple fusion )

युग्मक संलयन (Syngamy)त्रिसंलयन (Triple fusion )
1. युग्मक संलयन की क्रिया में अगुणित नर तथा मादा युग्मकों (पुमणु तथा अण्डाणु) का परस्पर मिलन होता है, फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज (zygote) बनता है।1. इसमें एक नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों के संयुजन से बने द्वितीयक केन्द्रक से मिलता है जिससे त्रिगुणित भ्रूणपोष बनता है। इस क्रिया को त्रिगुणिन (triple fusion) कहते हैं।
2. यह क्रिया सभी श्रेणी के पौधों में पायी जाती है।2. यह केवल आवृत्तबीजी में पाया जाता

प्रश्न 10
एकबीजपत्री को द्विबीजपत्री से किस प्रकार विमेदित करोगे ?
उत्तर:
एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में विभिन्नताएँ (Differences between Monocots and Dicots)
एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री को अग्र लक्षणों के आधार पर विभेदित किया जा सकता है-

लक्षणएकबीजपत्री (Monocotyledons)द्विबीजपत्री (Dicotyledons )
1. जड़ का प्रकारइनमें अपस्थानिक जड़ें पायी जाती हैं।इनमें प्रायः मूसला जड़ें पायी जाती हैं।
2. तनाप्रायः शाकीय तथा कोमल होता है।शाकीय या काष्ठीय होता है।
3. पत्तियों में शिरा-विन्याससमानान्तर शिरा विन्यास (parallel venation) पाया जाता है।जालिकावत् शिरा विन्यास ( reticulate venation) पाया जाता है।
4. संवहन पूल (Vascular Bundle)अवर्षी (closed) होते हैं। तने में संयुक्त (conjoint) समपार्श्व (collateral) पूल छितरे हुए (scattered) होते हैं।वर्षी (open) होते हैं। तने में एक वलय के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।
5. पुष्प (Flowers)त्रिअरीय (trimerous )।प्रायः पंचतयी ( pentamerous) या चतुष्तयी (Tetramerous )।
6. बीज (Seeds)भ्रूणपोषी (endospermic)अभ्रूण पोषी या भ्रूणपोषी (non- endospermic or endospermic)।
7. बीजपत्र (Cotyledons)एक अप्रस्थ बीजपत्र (cotyledons)दो पाश्र्वय बीजपत्र (cotyledons)

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प्रश्न 11.
स्तम्भ में दिये गये पादपों का स्तम्भ II में दिये गये पादप वर्गों से मिलान कीजिए-

स्तम्भ Iस्तम्भ II
(अ) क्लेमाइडोमोनास(i) मॉस
(ब) साइकस(ii) टेरिडोफाइटा
(स) सिलेजिनेला(iii) शैवाल
(द) स्फैगनम(iv) जिम्नोस्पर्म

उत्तर:

स्तम्भ Iस्तम्भ II
(अ) क्लेमाइडोमोनास(iii) शैवाल
(ब) साइकस(iv) जिम्नोस्पर्म
(स) सिलेजिनेला(ii) टेरिडोफाइटा
(द) स्फैगनम(i) मॉस

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प्रश्न 12.
जिम्नोस्पर्म के महत्वपूर्ण अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जिम्नोस्पर्म के विभेदक लक्षण (Distinguishing Features of Gymnosperms)

  1. अण्डाशय की अनुपस्थिति के कारण फल नहीं बनते। अतः इनमें बीज अनावृत होते हैं। इसीलिए इन्हें नग्नबीजी या अनावृत्तबीजी कहा जाता है।
  2. जिम्नोस्पर्म मुख्यतः बहुवर्षीय, काष्ठीय (Woody) तथा सदाहरित (Evergreen) वृक्ष या झाड़ियाँ (Shrubs) होते हैं।
  3. पादपकाय बीजाणुद्भिद होता है जो जड़, तना तथा पत्तियों में विभेदित होता है
  4. जड़ें मूसला तथा डाई आर्क से पॉलीआर्क होती हैं।
  5. पत्तियाँ प्रायः दो प्रकार की होती हैं, सत्य-पत्र (Foliage leaves) हरे रंग की तथा शल्क पत्र (Scale leaves) भूरे रंग की होती हैं।
  6. तने में संवहन पूल कन्जोइन्ट (Conjoint), कोलेट्रल (Collateral), खुले (Open) तथा एण्डार्क (endarch) होते हैं।
  7. जाइलम में प्रायः वाहिनकाएँ (Vessels) तथा फ्लोएम में सखि कोशिकाओं (Companian cells) का अभाव होता है।
  8. पुष्प नहीं होते हैं, जननांग धारण करने वाली संरचनाओं को शंकु (Cone) कहते हैं। नर तथा मादा शंकु अलग-अलग होते हैं।
  9. नर शंकुओं का निर्माण लघुबीजाणुपण (Microsporophylls) पर तथा मादा शंकुओं का निर्माण गुरुबीजाणुपणों (Megasporophylls) से होता है।
  10. नर युग्मकोद्भिद् (Male gametophyte ) अत्यन्त हासित होता है। परागनलिका (Pollen tube) बनती है।
  11. मादा युग्मकोद्भिद एक गुरुबीजाणु (Megaspore) से बनता है। यह बहुकोशिकीय होता है। यह पोषण के लिए पूर्णतः बीजाणुद्भिद पर आश्रित होता है।
  12. परागण वायु द्वारा होता है। द्विनिषेचन का अभाव होता है तथा अगुणित भूणपोष का निर्माण निषेचन से पूर्व होता है।
  13. प्रायः बहुभ्रूणता (Polyembryony) पायी जाती है।
  14. भूणपोष अगुणित होता है।
  15. स्पष्ट पीढ़ी एकान्तरण पाया जाता है।

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए क्यों
(a) मस्तिष्क की अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्त चाप अधिक होता है।
(b) 6 km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 km से भी अधिक ऊँचाई तक है।
(c) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रवस्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
उत्तर:
(a) द्रव स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब P = hpg होता है जो गहराई पर निर्भर करता है। मनुष्य में रक्त के स्तम्भ की ऊँचाई मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों पर अधिक होती है, इस कारण मनुष्य के पैरों पर रक्त दाब मस्तिष्क की अपेक्षा अधिक होता है।
(b) हम जानते हैं कि वायुमण्डल दाब पृथ्वी के पृष्ठ के निकट अधिकतम होता है, जो ऊँचाई के साथ-साथ तीव्रता से कम होता है और 6km की ऊँचाई पर इसका मान समुद्रतल के मान से आधा हो जाता है। वायु का घनत्व 6 km ऊँचाई के बाद बहुत धीरे-धीरे कम होता है। इस कारण से 6km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब इसके समुद्रतल पर मान का आधा हो जाता है।
(c) द्रव पर बल लगने के कारण पास्कल के नियम से दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचारित होता है। इस प्रकार से द्रव में दाब के लिए कोई निश्चित दिशा नहीं है। अतः द्रव स्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।

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प्रश्न 2.
स्पष्ट कीजिए, क्यों?
(a) पारे का काँच के साथ स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल का काँच के साथ स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है।
(b) काँच के स्वच्छ समतल पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है जबकि पारा उसी पृष्ठ पर बूँदें बनाने का प्रयास करता है। (दूसरे शब्दों में जल काँच को गीला कर देता है जबकि पारा ऐसा नहीं करता है ।)
(c) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(d) जल में घुले अपमार्जकों के स्पर्श कोणों का मान कम होना चाहिए।
(e) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो द्रव बूँद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर:
(a) जब काँच पर द्रव जाता है तो द्रव वायु, ठोस – वायु और ठोस – द्रव में अन्तरापृष्ठ बन जाता है। इन तीनों अंतरापृष्ठों के संगत पृष्ठ तनाव अर्थात् Tla Tsa और Tsl क्रमश: द्रव का ठोस के साथ सम्पर्क कोण
से सम्बन्ध
cos θ = \(\frac{{T}_{s a}-{T}_{s l}}{{~T}_{l a}}\)
पारे और काँच की स्थिति Tsa < Tsl
∴ cos θ का मान ऋणात्मक होगा अर्थात् θ > 90° होगा।
∴ cos θ का मान धनात्मक होगा अर्थात् θ < 90° होगा।

(b) पारे और काँच के लिए सम्पर्क कोण अधिक कोण है अर्थात् θ > 90° । सम्पर्क कोण का मान अधिक कोण हो इसके लिए पारा बूँद का रूप धारण करने का प्रयत्न करता है परन्तु पानी-काँच के सन्दर्भ में सम्पर्क कोण न्यून कोण है अर्थात् θ < 90° इस कारण पानी फैलने का प्रयत्न करता है और काँच को गीला कर देता है।
(c) चूँकि बल द्रव पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतन्त्र है, अतः पृष्ठ तनाव भी द्रव पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतन्त्र है।
(d) कपड़ों में महीन कोशिकाओं के रूप में छोटे-छोटे स्थान होते हैं। जिससे स्पर्श कोण θ का मान बहुत अल्प होगा तो cosθ का मान बड़ा होगा और अपमार्जक कपड़े में छोटे-छोटे स्थानों से अधिक ऊपर उठेगा। चूँकि अपमार्जक का सम्पर्क कोण छोटा होता है, इसलिए वह कपड़ों में आसानी से प्रवेश करके मैल को बाहर निकाल देगा।
(e) बाह्य बलों की अनुपस्थिति में बूँद की आकृति केवल पृष्ठ तनाव द्वारा ही निर्धारित होती है। पृष्ठ तनाव के गुण के कारण बूँद न्यूनतम मुक्त क्षेत्रफल की आकृति में होना चाहती है। चूँकि किसी दिए गए आयतन के लिए गोले का मुक्त पृष्ठ न्यूनतम होता है, अत: बूँद की आकृति पूर्ण गोलाकार हो जाती है।

प्रश्न 3.
प्रत्येक प्रकथन के साथ संलग्न सूची में से उपयुक्त शब्द. छाँटकर उस प्रकथन के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
(a) व्यापक रूप में द्रवों का पृष्ठ तनाव ताप बढ़ने पर ……………. है। (बढ़ता / घटता)
(b) गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर ……………….. है, जबकि दवों की श्यानता ताप बढ़ने पर ……………. है। (बढ़ती / घटती)
(c) दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक वाले ठोसों के लिए अपरूपण प्रतिबल …………….. के अनुक्रमानुपाती होता है, जबकि द्रवों के लिए वह ………………….. के अनुक्रमानुपाती होता है। (अपरूपण विकृति / अपरूपण विकृति की दर )
(d) किसी तरल के अपरिवर्ती प्रवाह में आए किसी संकीर्णन पर प्रवाह की चाल में वृद्धि में ……………….. का अनुसरण होता है। ( संहति का संरक्षण / बरनौली सिद्धान्त)
(e) किसी वायु सुरंग में किसी वायुयान के मॉडल में प्रक्षोभ की चाल वास्तविक वायुयान के प्रक्षोभ के लिए क्रान्तिक चाल की तुलना में …………………. होती है।(अधिक / कम)
उत्तर:
(a) घटता,
(b) बढ़ती घटती,
(c) अपरूपण विकृति, अपरूपण विकृति की दर
(d) संहति का संरक्षण,
(e) अधिक।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए:
(a) किसी कागज की पट्टी को क्षैतिज रखने के लिए आपको उस कागज पर ऊपर की ओर हवा फूँकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल टोंटी को अपनी उँगलियों द्वारा बन्द करने का प्रयास करते हैं तो उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं।
(c) इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर के अँगूठे द्वारा आरोपित दाब की अपेक्षा सुई का आकार दवाई की बहिः प्रवाही धारा को अधिक अच्छा नियंत्रित करता है।
(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तरल उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है।
(e) कोई प्रचक्रमान क्रिकेट की गेंद वायु में परवलीय पथ का अनुसरण नहीं करती।
उत्तर:
(b) अविरतता के सिद्धान्त से जहाँ पर अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम होता है, वहाँ जल का वेग बढ़ जाता है। टोंटी को अंगुलियों से बन्द करने पर जल अंगुलियों के बीच खाली जगह जिसका कि क्षेत्रफल अत्यन्त कम है, तीव्र वेग से निकलने लगता है जिससे वहाँ से तीव्र जल धाराएँ फूट उठती हैं।
(c) बरनौली के प्रमेय के अनुसार इंजेक्शन की सुई में बहने वाली दवाई की कुल ऊर्जा वेग पर अधिक निर्भर करती है।
∵ P + \(\frac{1}{2}\) pv 2 = नियतांक
अतः डॉक्टर दवाई के प्रवाह की दर को अंगूठे द्वारा अधिक दाब आरोपित करने की अपेक्षा सुई के उचित परिच्छेद क्षेत्रफल का चयन करके नियंत्रित करता है।
(d) तरल बारीक छिद्र से बाहर आने पर उच्च बहिःस्राव वेग अर्जित कर लेता है जिससे आगे की दिशा में संवेग उत्पन्न होता है। बाह्य बल की अनुपस्थिति में पात्र व तरल दोनों का संयुक्त संवेग संरक्षित रहता है अतः पात्र विपरीत दिशा में संवेग प्राप्त करता है जिससे बाहर निकलता हुआ द्रव पात्र पर विपरीत दिशा में प्रणोद आरोपित करता है।
(e) घूमती हुई गेंद के ऊपर तथा नीचे की वायु के वेग में अन्तर आ जाता है जिससे दाबों में भी अन्तर होता है। इसके कारण गेंद पर भार के अतिरिक्त एक अन्य बल भी लगने लगता है तथा गेंद परवलयाकार पथ से विचलित हो जाती है। इसे मैगनस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 5.
ऊची एड़ी के जूते पहने 50kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0cm व्यास की एक ही वृत्ताकार एड़ी पर सन्तुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
बालिका का द्रव्यमान m = 50kg
एड़ी की त्रिज्या = 0.5cm = 0.5 × 10-2m
∵ फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब

\( =\frac{50 \times 9.8}{3.14 \times\left(0.5 \times 10^{-2}\right)^2}\)
∴ p = 6.24 × 106Nm-2

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प्रश्न 6.
टॉरिसेली के वायुदाबमापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायु दाबमापी 984kg m-3 घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमण्डलीय दाब के लिए शराब स्तम्भ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
P = 1.013 × 105 Pa,
ρ = 984 kg m-3
g = 9.8 ms2,
h = ?
दाब P = hρg सूत्र से,
\(h=\frac{\mathrm{P}}{\rho g}=\frac{1.013 \times 10^5}{984 \times 9.8}\)
= 1.05

प्रश्न 7.
समुद्र तट से दूर कोई ऊर्ध्वाधर संरचना 109Pa के अधिकतम प्रतिबल को सहन करने के लिए बनाई गई है। क्या यह संरचना किसी महासागर के भीतर किसी तेल कूप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त है ? महासागर की गहराई लगभग 3km है। समुद्री धाराओं की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
सागर की गहराई h = 3 km = 3000m
जल का घनत्व p = 1.03 × 103 kg m-3
अतः महासागर में अधिकतम दाब सागर की तली में होगा। सागर की तली में दाब
Pmax = Pa + hpg
= 1.01 × 105 + 3000 × 1.03 × 103 × 9.8
= 1.01 × 105 + 3.02 × 107
= 303.01 × 105 Pa
∵ महासागर में महत्तम दाब संरचना अधिकतम प्रतिबल 109 Pa से कम है, अत: यह संरचना महासागर के भीतर तेल कूप के शिखर पर रखी जा सकती है।

प्रश्न 8.
किसी द्रवचालित ऑटोमोबाइल लिफ्ट की संरचना अधिकतम 3000 kg संहति की कारों को उठाने के लिए की गई है। बोझ को उठाने वाले पिस्टन की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 425 cm है। छोटे पिस्टन को कितना अधिकतम दाब सहन करना होगा?
उत्तर:
पास्कल के नियमानुसार दाब बिना हानि के पूरे द्रव में संचरित होता है।
अतः छोटे पिस्टन पर दाब बड़े पिस्टन पर दाब
= \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{A}}=\frac{m g}{\mathrm{~A}}=\frac{3000 \times 9.8}{0.0425}\)
= 6.92 × 105 Pa

प्रश्न 9.
किसी नली की दोनों भुजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक-दूसरे से पृथक् करता है। जब जल तथा पारे के स्तम्भ क्रमश: 10cm तथा 12.5cm ऊँचे हैं, तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है। स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ दोनों भुजाओं में पारे के तल समान हैं अतः इस तल पर दोनों भुजाओं में खड़े स्तम्भों के दाब समान होंगे।
अतः
P1 = P2
या
huPwg = hspsg
(w’ जल के लिए वs स्पिरिट के लिए प्रयुक्त किया गया है।)
या स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व
\(\frac{\rho_s}{\rho_w}=\frac{h_w}{h_s}\)
= \(\frac{10.0}{12.5}\)
= 0.8

प्रश्न 10.
यदि प्रश्न 9 की समस्या में, U-नली की दोनों भुजाओं में इन्हीं दोनों द्रवों को और उड़ेल कर दोनों द्रवों के स्तम्भों की ऊंचाई 15 cm और बढ़ा दी जाए, तो दोनों भुजाओं में पारे के स्तरों में क्या अन्तर होगा ? (पारे का आपेक्षिक घनत्व 13.6)।
उत्तर:
U-नली के तल पर दोनों भुजाओं में द्रव स्तम्भों के दाब बराबर होंगे। तली पर
P1 = P2
∴ (15 + 10) ρwg + h1ρHg
= (15 + 12.5)ρsg + h2ρHg

= 1.838 – 1.617 = 0.22 सेमी

प्रश्न 11.
क्या बरनौली समीकरण का उपयोग किसी नदी की किसी क्षिप्रिका के जल प्रवाह का विवरण देने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नहीं, क्योंकि नदी की क्षिप्रिका का जल-प्रवाह विक्षुब्ध होता है जबकि बरनौली का समीकरण धारा रेखीय प्रवाह के लिए ही लागू होता है।

प्रश्न 12.
बरनौली समीकरण के अनुप्रयोग में यदि निरपेक्ष दाब के स्थान पर प्रमापी दाब (गेज दाब) का प्रयोग करें तो क्या इससे कोई अन्तर पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बरनौली समीकरण से,
p1 + \(\frac{1}{2}\) pv12 = p2 + \(\frac{1}{2}\) pv22
या
p1 – p2 = \(\frac{1}{2}\) p(v22 – v12)
इससे स्पष्ट है कि बरनौली समीकरण में नली के दो सिरों का दावान्तर है।
∵ गेज दाब, निरपेक्ष दाब एवं वायुमण्डलीय दाब का अन्तर होता है अतः
(P1)गेज = P1 – Pa तथा (P2)गेज = P2 – Pa
∴ (P1)गेज – (P2) गेज = P1 – P2
अतः दाबान्तर इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम गेज दावान्तर लें या निरपेक्ष दाबान्तर, परन्तु दोनों बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय दाब समान होना चाहिए।

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प्रश्न 13.
किसी 1.5 m लम्बी 1.0 cm त्रिज्या की क्षैतिज नली से ग्लिसरीन का अपरिवर्ती प्रवाहहो रहा है। यदि नली के एक सिरे पर प्रति सेकण्ड एकत्र होने वाली ग्लिसरीन का परिमाण 4-0 x 10-3 kgs है, तो नली के दोनों सिरों के बीच दाबान्तर ज्ञात कीजिए। (ग्लिसरीन का घनत्व = 1.3 x 10 kg m तथा ग्लिसरीन की श्यानता = 0.83 Pas) [ आप यह भी जाँच करना चाहेंगे कि क्या इस नली में स्तरीय प्रवाह की परिकल्पना सही है।]
उत्तर:
धारा रेखीय प्रवाह मानते हुए प्वाइजली के सूत्र से नली में प्रवाह की दर V = \(\frac{\pi p r^4}{8 \eta l}\)
यदि 1 सेकण्ड में प्रवाहित द्रव का द्रव्यमान M तथा घनत्व हो, तो
∴ दाबान्तर p = \(\frac{8 \eta / \mathrm{M}}{\pi r^4 \rho}\)
यहाँ M = 4 × 10-3 kgs-1 l = 1.5m, r = 1 cm = 10-2m
∴ \(p=\frac{8 \times 0.83 \times 1.5 \times 4 \times 10^{-3}}{3.14 \times\left(10^{-2}\right)^4 \times 1.3 \times 10^3}\)
= 9.76 × 102 Pa
धारा रेखीय प्रवाह की जाँच:
क्रान्तिक वेग \(v_c=\frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}\)
यदि V प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव का आयतन हो तब
\(\frac{\mathrm{V}}{\pi r^2}=\frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}\)
या रेनॉल्ड संख्या
\(\mathrm{R}_e=\frac{\mathrm{V} \rho \mathrm{D}}{\pi r^2 \eta}=\frac{\mathrm{V} \rho(2 r)}{\pi r^2 \eta}\)
या
\(\mathrm{R}_e=\frac{2 \mathrm{~V} \rho}{\pi r \eta}=\frac{2 \mathrm{M}}{\pi r \eta}=\frac{2 \times 4 \times 10^{-3}}{3.14 \times 10^{-2} \times 0.83}\)
∴ Re = 0.3
यह संख्या धारा रेखीय प्रवाह के लिए रेनॉल्ड संख्या 2000 से अत्यन्त कम है अतः नली में प्रवाह धारा रेखीय है।

प्रश्न 14.
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वायु- सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु प्रवाह की गतियाँ क्रमश: 70 ms-1 तथा 63 ms-1 हैं। यदि पंखे का क्षेत्रफल 2.5m-2 है, तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए। वायु का घनत्व 1.3 kg m-3 लीजिए।
उत्तर:
बरनौली की प्रमेय से,
p1 + \(\frac{1}{2}\)pv12= p2 + \(\frac{1}{2}\)pv22
दाबान्तर
p2 – p1 = \(\frac{1}{2}\)p(v12 – v22)
उत्थापक बल
F = (p2 – p1)A = \(\frac{1}{2}\)P(V12 – V22)
= \(\frac{1}{2}\) × 1.3 [(70)2 – (63)2] × 2.5
उत्थापक बल F = 1.5 × 103 N

प्रश्न 15.
चित्र में (a) तथा (b) किसी द्रव (श्यानताहीन) का अपरिवर्ती प्रवाह दर्शाते हैं। इन दोनों चित्रों में से कौन सही नहीं है ? कारण स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर:
चित्र (a) सही नहीं है क्योंकि अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल कम होने पर वहाँ द्रव का वेग अधिक होगा तथा द्रव का वेग जहाँ अधिक होता है वहाँ पर दाब कम होना चाहिए जबकि (a) में जल का दाब संकरे स्थान पर अधिक दर्शाया गया है।

प्रश्न 16.
किसी स्प्रे पम्प की बेलनाकार नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 8.0 cm2 है। इस नली के एक सिरे पर 1.0mm व्यास के 40 सूक्ष्म छिद्र हैं। यदि इस नली के भीतर द्रव के प्रवाहित होने की दर 1.5mmin-1 है, तो छिद्रों से होकर जाने वाले द्रव की निष्कासन चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
gy %दिया है: A1 = 8 cm2 = 8 × 104 m2
प्रत्येक छिद्र की त्रिज्या r2 = 0.5mm = 0.5 × 10-3 m
छिद्रों का कुल क्षेत्रफल A2 = 40 × 3.14 × (0.5 × 10-3)2
= 3.14 x 102m2
तथा v1 = 1.5 m min-1 = \(\frac{1.5}{60}\)
= 0.025 ms-1, v2 = ?
अविरतता के समीकरण से, A2v2 = A1v1
अतः
\(v_2=\frac{\mathrm{A}_1}{\mathrm{~A}_2} v_1=\frac{8 \times 10^{-4}}{3.14 \times 10^{-5}} \times 0 \cdot 025\)
= 0.64ms-1
छिद्रों से होकर द्रव की निष्कासन चाल 0.64 ms-1 है।

प्रश्न 17.
U-आकार के किसी तार को साबुन के विलयन में डुबो कर बाहर निकाला गया जिससे उस पर एक पतली साबुन की फिल्म बन गई। इस तार के दूसरे सिरे पर फिल्म के सम्पर्क में एक फिसलने वाला हल्का तार लगा है जो 1.5 x 102N भार (जिसमें इसका अपना भार भी सम्मिलित है) सँभालता है। फिसलने वाले तार की लम्बाई 30 cm है। साबुन की फिल्म का पृष्ठ तनाव कितना है?
उत्तर:
दिया है तार की लम्बाई
l = 30 cm = 0.3m
तार पर लटका भार W = 1.5 x 10-2 N
∵ फिल्म में दो पृष्ठ होते हैं अतः
F = 2F1 = 2(T × l)
यह बल भार को सन्तुलित करता है अतः
2Tl = W
या पृष्ठ तनाव
T = \(\frac{\mathrm{W}}{2 l}=\frac{1.5 \times 10^{-2}}{2 \times 0 \cdot 3}\)
= 2.5 x 10-2 Nm-1

प्रश्न 18.
निम्नांकित चित्र (a) में किसी पतली द्रव फिल्म को 4-5 x 10-2N का छोटा भार सँभाले दर्शाया गया है। चित्र (b) तथा (c) में बनी इसी द्रव की फिल्में इसी ताप पर कितना भार सँभाल सकती हैं? अपने उत्तर को प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
(a), (b) व (c) प्रत्येक में फिल्म के निचले किनारे की लम्बाई. 40 cm (एकसमान है। इस किनारे पर फिल्म के पृष्ठ तनाव के कारण समान बल F = Tx 2l लगेगा।
यही बल लटके हुए भार को सन्तुलित करता है।
चूँकि साधने वाला बल प्रत्येक दशा में समान है अतः चित्र (b) व (c) में भी वही भार 4.5 x 10-2N सन्तुलित किया जा सकता है।

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प्रश्न 19.
3 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूँद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 x 10-1 Nm-1 है। यदि वायुमण्डलीय दाब 1.01 x 105 Pa है, तो पारे की बूँद के भीतर दाब आधिक्य भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है त्रिज्या r = 3mm = 3 x 10-3 m
Pa = 1.01 × 105 Pa
20°C पर पृष्ठ तनाव T = 4.65 × 10-1 Nm-1
∴ पारे की बूँद के भीतर आधिक्य दाब
P आधिक्य = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{r}=\frac{2 \times 4.65 \times 10^{-1}}{3 \times 10^{-3}}\)
= 3.1 x 102pa
अतः बूँद के भीतर दाब
P = Pa + Pआधिक्य
= 1.01 × 105 + 3.1 × 102 = 1.013 x 105 Pa

प्रश्न 20.
5mm त्रिज्या के किसी साबुन के विलयन के बुलबुले के भीतर दाब आधिक्य क्या है? 20°C ताप पर साबुन के विलयन का पृष्ठ तनाव 2.5 x 10-2 Nm है। यदि इसी विमा का कोई वायु का बुलबुला 1.2 आपेक्षिक घनत्व के साबुन के विलयन से भरे किसी पात्र में 40.0 cm गहराई पर बनता, तो इस बुलबुले के भीतर क्या दाब होता, ज्ञात कीजिए। (1 वायुमण्डलीय दाब 1.01 × 105 Pa)
उत्तर:
दिया है:
बुलबुले की त्रिज्या r = 5mm = 5 × 10-3m
विलयन का पृष्ठ तनाव T = 2.5 × 10-2 Nm-1
∵ बुलबुले के भीतर आधिक्य दाब
P आधिक्य = \(\frac{4 \mathrm{~T}}{r}\)
= \(\frac{4 \times 2 \cdot 5 \times 10^{-2}}{5 \times 10^{-3}}\)
विलयन का आपेक्षिक घनत्व = 1.2
विलयन का घनत्व ρ = 1.20 × 103 kg m3
तथा बुलबुले की विलयन के मुक्त तल से गहराई
h = 40 cm = 0.40m
अब बुलबुले का केवल एक तल होगा अतः इसके अन्दर दाब
आधिक्य P आधिक्य = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{r}\) = 10 Pa
जबकि बुलबुले की गहराई पर, उसके बाहर दाब Po = वायुमण्डलीय दाब द्रव + स्तम्भ का दाव
= P0 + hpg
= 1.01 × 105 + 0.4 × 1.2 x 103 x 9.8
= 1.01 x 105 + 0.047 x 105
= 1.057 × 105
= 1.06 x 105
अतः बुलबुले के भीतर दाब
Pi = Po + P आधिक्य
= (1.06 × 105 + 10)
= 1.06 x 105

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 21.
1 ml क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार में नीचे 20 cm क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 4.0 m ऊँचाई तक भरे गए. हैं। दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल परिकलित कीजिए।
उत्तर:
आवश्यक बल F = दोनों ओर का दाबान्तर x क्षेत्रफल
= (Pअम्ल – Pजल) A
= (Hρअम्ल g – Hρजल g) A
= HgA (ρअम्ल – जल )
F = HgAρ

∵ दिया है:
H = 4 मी,
= 1.7.
ρजल = 103 kgm3,
A = 20 cm2 = 20 × 10-4 m2
g = 9.8ms-2
∴ F = 4 × 9.8 × 20 × 10-4 × 103 (1.7 – 1)
= 5.5 N

प्रश्न 22.
चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यांक लेता है। पम्प द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात् मैनोमीटर चित्र (b) में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमण्डलीय दाब का मान 76 cm (Hg) है।

(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6cm ऊँचाई तक जल (पारे के साथ अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण (b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा ? (गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब P0 = 76 cm (Hg)
(i) चित्र (a) में दाब शीर्ष = 20 cm (Hg)
निरपेक्ष दाब
P = Po + 20 cm (Hg)
= 76 + 20 = 96 cm (Hg)
गेज दाब = P – Po = 20 cm (Hg)
चित्र (b) मैं दाब शीर्ष
= – 18 cm (Hg)
∴ निरपेक्ष दाब P2
= Po – 18 cm (Hg)
= 76 – 18 = 58cm (Hg)
गेज दाब P2 – Po = – 18 cm (Hg)
गैस का दाब वायुमण्डलीय दाब से कम होने के कारण ऋणात्मक चिह्न आ रहा है।
(ii) 13.6 cm जल दाहिनी भुजा में डालने पर दाहिनी भुजा में पारा नीचे गिरता है एवं बायीं भुजा में ऊपर उठता है ताकि नली में दोनों ओर के दाब समान हो जाएँ।
यदि दाहिनी भुजा से बायीं भुजा में पारे का विस्थापनxcm है, दोनों भुजाओं में पारे के स्तम्भ का अन्तर 2x cm होगा।
अत: (2x)ρHg = 13.6ρW × g
2x(13.6pw) g = 13.6ρWg
∴ x = 0.5 cm
∴ दोनों भुजाओं में पारे के तलों का अन्तर
= 18 + 2x
= 18 + 2 × 0.5
= 19 cm ( दाहिनी भुजा में नीचा)

प्रश्न 23.
दो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परन्तु आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। पहले पात्र को दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ..ऊँचाई तक भरने पर दो गुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं। यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं?
उत्तर:
माना दोनों पात्रों में जल स्तम्भ की ऊँचाई h तथा आधार का क्षेत्रफल A है, तब
आधार पर बल = जल स्तम्भ का दाब × A
F = hpg × A = Ahpg ………(i)
उपर्युक्त समीकरण में A व h अचर राशियाँ हैं अतः दोनों पात्रों के दोनों के लिए समान हैं तथा वg आधारों पर समान बल आरोपित होंगे।

भार मापने वाली मशीन, पात्र के आधार पर आरोपित बल को मापने की बजाय पात्र व जल का भार मापती है।
∵ एक पात्र में दूसरे की अपेक्षा दो गुना जल है अतः भार मापने की मशीन के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न होंगे।

प्रश्न 24.
रुधिर – आधान के समय किसी शिरा में, जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धँसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक-ठीक प्रवेश कर सके। (सम्पूर्ण रुधिर का घनत्व = 1.06 x 103 kg m3)
उत्तर:
H ऊँचाई के द्रव स्तम्भ द्वारा तली पर आरोपित दाब
P = Hpg अत:
H = \(\frac{\mathrm{P}}{\rho g}\)
दिया है : P = 2000 P = 1.06 × 103kgm-3,
g = 9.8ms-2
H = \(\frac{2000}{1 \cdot 06 \times 10^3 \times 9 \cdot 8}\)
= 0.19m = 0.2m

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प्रश्न 25.
बरनौली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल उपस्थित है, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
(a) क्षयकारी बलों के उपस्थित होने पर द्रव दाब तरल की गति की दिशा में अधिक तेजी से घटता है, इसका कारण यह है कि नली में उपस्थित द्रव को प्रवाहित कराने के लिए दाब ऊर्जा को क्षयकारी बलों के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है।
(b) हाँ, क्योंकि प्रायः क्षयकारी बल प्रवाह के वेग के अनुक्रमानुपाती होते हैं, अतः क्षयकारी बल (श्यान बल) बढ़ जाते हैं।
जैसा कि न्यूटन के नियम से स्पष्ट है
F = -ηA dv/dx

प्रश्न 26.
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो 2 x 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर – प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए? (b) तद्नुरूपी प्रवाह दर क्या है? (रुधिर की श्यानता 2.084 x 10-2 Pas s लीजिए, रक्त का घनत्व = 1.06 × 10-3 kgm-3)
उत्तर:
(b) क्रान्तिक वेग vc = \frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}
जिसमें रेनॉल्ड संख्या Re = 2000
(धारा रेखीय प्रवाह का अधिकतम मान )
p = 1.06 × 103 kg m3
व्यास D = 2r = 2 × 2 × 103 m = 4 × 10-3m
Ve = \(\frac{2000 \times 2 \cdot 084 \times 10^{-3}}{1 \cdot 06 \times 10^3 \times 4 \times 10^{-3}}\)
= 0.98 ms-1

(b) प्रवाह दर V = Av
= (πr2).v
= 3.14 × (2 × 10-3)2 × 0.98
= 1.23 x 10-5 m3 s-1

प्रश्न 27.
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊंचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा उसके दोनों पंखों में से प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 km h-1 है, तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1kg m-3 लीजिए)
उत्तर:
दिया है: पंख के निचले पृष्ठ पर वायु की चाल
v1 = 180 km h-1 = 180 x \(\frac{5}{18}\)
पंख के ऊपरी पृष्ठ पर वायु की चाल
V2 = 234 km h-1
= 234 × \(\frac{5}{18}\) = 65ms-1
∴ A = 2 × 25 = 50 m2 (दोनों पंखों के लिए)
वायु का घनत्व = 1 kg m-3 g = 9.81 ms-2
बरनौली प्रमेय से,
p1 + \(\frac{1}{2}\)ρv12 = p2 + \(\frac{1}{2}\)ρv22
या P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\)ρ(v22 – v12) ………(1)
∵ आकाश में उड़ रहे वायुयान के साम्य के लिए
Mg = (P1 – P2)A ………(2)
समी (1) व (2) से,
Mg = \(\frac{1}{2}\)ρ(v22 – v12) A
∴ M = \(\frac{\rho\left(v_2^2-v_1^2\right) \mathrm{A}}{2 g}\)
= \(\frac{1 \times\left\{(65)^2-(50)^2\right\} \times 50}{2 \times 9.8}\)
= 4400.5 kg

प्रश्न 28.
मिलिकन तेल बूँद प्रयोग में 2.0 x 10-5 m त्रिज्या तथा 1.2 × 103 kg m-3 घनत्व की किसी बूंद की सीमान्त चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 x 105 Pas लीजिए। इस चाल पर बूँद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
दिया है: बूँद की त्रिज्या r = 2 x 10-5 m,
p = 1.2 x 103 kg m-3
वायु की श्यानता n = 1.8 × 10-5 Pas; σ = 0
∴ वायु में गिरती त्रिज्या की बूँद का सीमान्त वेग
v = \(\frac{2(\rho-\sigma) r^2 g}{9 \eta}\)
= \(\frac{2\left(1 \cdot 2 \times 10^3-0\right) \times\left(2 \times 10^{-5}\right)^{2 \times 9 \cdot 8}}{9 \times 1 \cdot 8 \times 10^{-5}}\)
= 0.058ms = 5·8 cms-1
तथा बूँद पर श्यान बल F = 6myv.
F = 6 × 3.14 × 1.8 × 105 × 2 × 105 × 0.058
= 3.9 × 10-10 N

प्रश्न 29.
सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 100 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है, तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता है? (पारे का घनत्व = 13.6 x 103 kg m-3)
उत्तर:
दिया है: केशनली की त्रिज्या
r = 1mm = 10-3 m
स्पर्श कोण θ = 140°
पारे का घनत्व p = 13.6 x 103 kgm-3
पृष्ठ तनाव T = 0.4355 Nm-1
माना पारे का स्तर केशनली में / ऊँचाई ऊपर उठता है, तो
h = \(\frac{2 \mathrm{~T} \cos \theta}{r \rho g}\)
= \(\frac{2 \times 0.4355 \cos 140^{\circ}}{10^{-3} \times 13.6 \times 10^3 \times 9.8}\)
∴ h = \(\frac{0.871 \times(-0.77)}{133.28}\)
= – 0.00534m
= – 5.34mm
अतः केशनली में पारे का स्तर 5.34 mm नीचे गिरेगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

प्रश्न 30.
3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U-आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अन्तर है? प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ तनाव 7.3 × 102 Nm-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 1.0 × 103 kg m-3 लीजिए। (g = 98ms-2)
उत्तर:
माना पृष्ठ तनाव के कारण जल दोनों ओर क्रमश: h1 व h2 ऊँचाई तक चढ़ता है, तो
दोनों नलिकाओं में जल के तल का अन्तर
h1 – h2 = \(\frac{2 \mathrm{~T} \cos 0^{\circ}}{r_1 \rho g}-\frac{2 \mathrm{~T} \cos 0^{\circ}}{r_2 \rho g}\)
या
h1 – h2 = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{\rho g}\)
दिया है:
r1 = 1.5 x 10-3 m r2 = 3 x 10-3 m,
T = 7.3 × 10-2 Nm-1
p = 103 kgm-3 g = 9.8ms-2

मान रखने पर,
∴ h1 – h2

= 0.496m × 10-2m = 4.96mm
परिकलित्र / कम्प्यूटर आधारित प्रश्न

प्रश्न 31.
(a) यह ज्ञात है कि वायु का घनत्व ρ ऊँचाई y (मीटर में) के साथ इस सम्बन्ध के अनुसार घटता है:
P = ρ0e-y/yo
यहाँ समुद्र तल पर वायु का घनत्व ρ0 = 1.25kgm-3 तथा एक नियतांक है। घनत्व में इस परिवर्तन को वायुमण्डल का नियम कहते हैं। यह संकल्पना करते हुए कि वायुमण्डल का ताप नियत रहता है (समतापी अवस्था) इस नियम को प्राप्त कीजिए। यह भी मानिए कि g का मान नियत रहता है।
(b) 1425 m-3 आयतन का हीलियम से भरा कोई बड़ा गुब्बारा 400 kg के किसी पेलोड को उठाने के काम में लाया जाता है। यह मानते हुए कि ऊपर उठते समय गुब्बारे की त्रिज्या नियत रहती है, गुब्बारा कितनी अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर उठेगा?
[y0 = 8000 m तथा ρHe = 0.18 kg m-3 लीजिए।
उत्तर:
(a) समुद्र तल से ऊँचाई पर वायु के एक काल्पनिक बेलन पर विचार करते हैं, माना इसकी ऊँचाई dy है तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है। बेलन के निचले तथा ऊपर वाले सिरों पर वायु दाब क्रमश: P तथा P + dP है।
माना इस स्थान पर वायु का ρ घनत्व है।
तब बेलन का भारद्रव्यमान x g
= A x dy x ρ x g
बेलन के सन्तुलन की स्थिति में,
PA = A x dy x ρ x g + (P + dP)A
या
– AdP = Aρgdy
-dP = pgdy

वातावरण का ताप स्थिर रहने पर यह एक समतापी प्रक्रम है जिसके लिए गैसें बॉयल के नियम का पालन करती हैं अतः
PV = नियतांक
या
\(p\mathrm{P} \frac{m}{\rho}\) = K1
[∵ v = \(\frac{m}{\rho}\) ]
अतः
\(\frac{\mathrm{P}}{\rho}\) = k
या
P = Kop ∵ dP = Kdp ……..(2)
समी. (1) व (2) से,
-Kdp = p.g.dy या \(\frac{-d \rho}{\rho}=\frac{g}{\mathrm{~K}}\) d y
समाकलन करने पर – logp = \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) y + c
c के मान के लिए समुद्र तल पर y = 0, p = p0
अतः
– log p0 = \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) 0 + c c = – log p0
c का मान समी. (3) में रखने पर
log p – log A = – \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) ylm
या
\(\log \left(\frac{\rho}{\rho_0}\right)=-\frac{y}{(\mathrm{~K} / g)}\)
रखने पर \(\log \left(\frac{\rho}{\rho_0}\right)=-\frac{y}{y_0}\)
या
\(\frac{\rho}{\rho_0}=e^{-y / y_0}\)
अतः
p = p = p0e-y/y0

(b) दिया है गुब्बारे का आयतन 1425m ; हीलियम का घनत्व pHe = 0.18 kgm-3, y0 = 8000 m पेलोड का द्रव्यमान = 400 kg, समुद्र तल पर p0 = 1.25 kg m-3
यदि गुब्बारा y ऊँचाई तक ऊपर उठे, तब
y ऊँचाई पर वायु का उत्क्षेप = गुब्बारे का भार + पेलोड का भार
pVg = pHe Vg + 400 g
या
p = PHe + 400/V = 0.18 + \(\frac{400}{1425}\)
= 0.46 kg m-3
अतः Y ऊँचाई पर वायु का घनत्व = 0.46 kg m-3
सूत्र
P = Poe-y/y0
0.46 = 1.25 e-y/800
अतः
e-y/800 = \(\frac{0 \cdot 46}{1 \cdot 25}\)
= 0.368
दोनों पक्षों का प्राकृतिक लघुगणक लेने पर,
loge-y/800 = loge(0.368)
⇒ \(\frac{-y}{8000}\) = 0.997
⇒ y = 0.997 × 8000m
∴ y = 7976 m
अतः गुब्बारा 7976m की अधिकतम ऊँचाई तक ऊपर उठेगा।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

प्रश्न 1.
वर्गीकरण की पद्धतियों में समय के साथ आये परिवर्तनों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
अरस्तू (Aristotle) ने जीवधारियों को जन्तु तथा पादप में वर्गीकृत किया। इन्होंने जन्तुओं को पुनः इनैइमा (Enaima) तथा ऐनैइमा ( Anaima) में तथा पादपों को शाक, झाड़ी एवं वृक्ष में विभाजित किया। लीनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी में जीवधारियों को दो जगतों प्लांटी तथा एनीमेलिया में बाँटा । इनकी इस प्रणाली को द्विजगत प्रणाली कहते हैं। इनके द्वारा प्रतिपादित जन्तु जगत में एककोशिकीय प्रोटोजोआ एवं बहुकोशिकीय जन्तुओं को सम्मिलित किया गया। पादप जगत में सभी हरे पौधे मॉस, समुद्री घास, मशरूम, लाइकेन, कवक तथा जीवाणु को रखा गया है।

द्विजगत पद्धति में प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक जीवों को एक साथ रखा गया है। इसमें हरे पादपों एवं कवकों को एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीवों को तथा प्रकाशसंश्लेषी एवं अप्रकाशसंश्लेषी जीवों को एक साथ रखा गया। युग्लीना, माइकोप्लाज्मा आदि को कुछ वैज्ञानिक जन्तु जगत में और कुछ पादप जगत में मानते हैं। इसलिए जीव वैज्ञानिक हैकल (Hacckel; 1886) ने एक तीसरे जगत प्रोटिस्टा की स्थापना की। इसमें जीवाणु कवक, शैवाल तथा प्रोटोजोआ को रखा गया। आर. एच. डीटेकर (R. H. Whittaker) ने दो जगत एवं तीन जगत पद्धतियों को दोषमुक्त करने के लिये पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली स्थापित की। इन्होंने जीवधारियों को पाँच जगतों –
(i) मोनेरा
(ii) प्रोटिस्टा
(ii) फंजाई
(iv) प्लान्टी तथा
(v) एनीमेलिया में वर्गीकृत किया। यह वर्गीकरण कोशिका के प्रकार, कोशिकीय या शारीरिक संगठन, पोषण, पारिस्थितिक भूमिका (coological role ) एवं जातिवृत्तीय सम्बन्धों पर आधारित है।

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rRNA के क्रमों (sequences) में समानता के आधार पर कार्ल वीज (Corl Woese) ने तीन डोमेन वर्गीकरण दिया है जिसमें सभी जीवों को डोमेन वैक्टीरिया, डोमेन आर्किया तथा डोमेन यूकैरिया में विभाजित किया है। पाँच जगत वर्गीकरण के जगत् प्रोटिस्टा, फंजाई प्लाण्टी व एनीमेलिया जगत से बड़े संवर्ग डोमेन में सम्मिलित किए गए हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के बारे में आर्थिक दृष्टि से दो महत्वपूर्ण उपयोगों को लिखिए-
(क) परपोषी बैक्टीरिया (Heterotrophic bacteria)
(ख) आद्य बैक्टीरिया (Archebacteria)
उत्तर:
(क) परपोषी बैक्टीरिया (Heterotrophic Bacteria) – इसके आर्थिक उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) लैक्टोबेसीलस दूध से दही बनाने में तथा अन्य दुग्ध उत्पाद बनाने में प्रयुक्त होते हैं स्ट्रेप्टोमाइसिस से एंटीबायोटिक्स बनती हैं।
(ii) बेसीलस यूरिन्जिएंसिस से प्राप्त जीन को कीटनाशक प्रतिरोधकता हेतु प्रयोग किया जाता है।

(ख) आद्य बैक्टीरिया (Archebacteria) ये विशिष्ट प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं। मीथेनोजन जुगाली करने वाले पशुओं (जैसे- गाय, भैंस) की आन्त्र में पाये जाते हैं, तथा
(i) मेथेन गैस (बायोगैस का उत्पादन होता है।
(ii) वाहितमल उपचार (sewage treatment) में प्रयोग किए जाते हैं।

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प्रश्न 3.
डाएटम की कोशिका भित्ति के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर:
डाएटम्स (Diatoms) एककोशिकीय प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्ट होते हैं। इनमें कोशिका भित्ति (cell wall) साबुनदानी की भाँति दो अतिछादित कवच (overlapped shell) बनाती है। कोशिका भिति में सेल्यूलोस के साथ अत्यधिक मात्रा में सिलिका कण पाये जाते हैं सिलिका की उपस्थिति के कारण इनका अपघटन आसानी से नहीं होता है। इस प्रकार मृत डाएटम्स अपने वातावरण में कोशिका भित्तियों के अवशेष बड़ी संख्या में छोड़ जाते हैं। लाखों वर्षों में जमा हुए इस अवशेष को डाएटमी भृदा कहते हैं। इस मृदा का प्रयोग अग्निसह ईंटें (fire resistant bricks) तथा सौन्दर्य प्रसाधन, पॉलीशिंग बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 4.
‘शैवाल पुष्पन’ (Algal bloom) तथा ‘लाल तरंगें’ (Red-tides) क्या दर्शाती हैं ?
उत्तर:
शैवाल पुष्पन (Algal blooms) जलाशयों एवं पोखरों में जब पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो इन पर आश्रित शैवालों की संख्या में भी अपार वृद्धि होती है, इसे शैवाल पुष्पन (algal bloom) कहते हैं। यह शैवाल जल की सतह पर तैरते हैं। इनकी मृत्यु व इनके कार्बनिक पदार्थों पर जीवाणुओं की वृद्धि से जल दुर्गन्धयुक्त हो जाता है तथा यह स्थिति जलाशय के सुपोषीकरण (eutrophication) को जन्म देती है। इससे मछलियों की मृत्यु हो जाती है तथा यह जलाशय में जहरीले पदार्थ भी मुक्त करते हैं 1

लाल तरंगें (Red-tides) – प्रोटिस्ट डाएनोफ्लैजेलेट की संख्या में कभी इतनी वृद्धि होती है कि इन एककोशिकीय जीवों की संख्या एक मिमी. में 30000 तक हो जाती है। ऐसे ही डाएनोफ्लैजेलेट, गोनी आलेक्स (Goryantax) तथा जिम्नोडिनियम ब्रेक्सि (Gymnodinium brevis) के घनत्व में वृद्धि के कारण समुद्र के पानी का रंग लाल हो जाता है, जिसे रेड टाइड (Red tide) कहते हैं। यह एक न्यूरो ऑक्सिन भी बनाता है जिससे मछलियाँ मर जाती हैं।

प्रश्न 5.
वाइरस से वाइरॉइड किस प्रकार भिन्न होते हैं ?
उत्तर:
वाइरस तथा वाइरॉइड में अन्तर (Differences between virus and viroids) –

‘विषाणु (Virus)
1. वाइरस नाभिकीय अम्ल व प्रोटीन कोट के बने होते हैं।
2. इनमें आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है।

वाइरॉइड (Viroid)
ये वाइरस से छोटे होते हैं। इनमें प्रोटीन कोट नहीं होता ।
इनमें आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है।

प्रश्न 6.
प्रोटोजोआ के चार प्रमुख समूहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रोटोजोआ (Protozoans ) –
ये जगत प्रोटिस्टा (Kingdom Protista) के अन्तर्गत आने वाले सुकेन्द्रकीय (eukaryotic), सूक्ष्मदर्शीय, एककोशिकीय, परपोषी तथा सरलतम जन्तुओं का समूह है। इनके चार समूह निम्न प्रकार हैं-

1. अमीबीय प्रोटोजोआ (Amoebic Protozoa) – ये स्वच्छजलीय या समुद्री प्रोटोजोअन्स हैं। इसके कुछ सदस्य गीली मृदा में भी पाये जाते हैं। समुद्री या लवणीय प्रोटोजोअन्स की सतह पर सिलिका का कवच पाया जाता है। प्रचलन कूटपादों (pseudopodia) की सहायता से होता है। एन्टअमीबा हिस्टोलाइटिका (Entamoeba histolytica) परजीवी प्रोटोजोआ है जो अमीबिक पेचिश (amoebic dysentery) रोग उत्पन्न करता है। उदाहरण- अमीबा (Amoeba) ।

2. कशाभी प्रोटोजोआ (Flagellate या Zooflagellates ) – इस समूह के सदस्य प्रायः परजीवी होते हैं। प्रचलन कशाभिकाओं (flagella) द्वारा होता है। ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma), कशाभी प्रोटोजोआ परजीवी होता है और अफ्रीकी निद्रालु रोग (african sleeping sickness) उत्पन्न करता है। लीशमानिया (Leishmania) से काला अजार रोग होता है।

3. पक्ष्माभी प्रोटोजोआ (Ciliate protozoans ) – इस समूह के सदस्य जलीय होते हैं। इनके सम्पूर्ण शरीर पर पक्ष्माभ (cilia) पाये जाते हैं। शरीर पर प्रोटीन का बना एक दृढ़ मगर लचीला आवरण होता है जिसे पेलिकल कहते हैं। पक्ष्माभों की तालबद्ध ( rythmic) गति के कारण भोजन कोशिका मुख में पहुँचता है। उदाहरण- पैरामीशियम (Paramecium)

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4. स्पोरोजोआ प्रोटोजोआ (Sporozoa Protozoa)- ये अन्तःपरजीवी होते हैं जो अन्य जीवों की कोशिका या ऊतकों में पाये जाते हैं। इनमें प्रचलन अंगों का अभाव होता है। इनका जीवन वृत्त जटिल अलैंगिक जनन बहुविभाजन द्वारा होता है। इनमें प्रायः बीजाणु जनन होता है। मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम (Plasmodium) इस समूह का प्रमुख सदस्य है जो मलेरिया (malaria) रोग उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
पादप स्वपोषी हैं। क्या आप ऐसे कुछ पादपों को बता सकते हैं जो आंशिक रूप से परपोषित हैं ?
उत्तर:
परजीवी पौधे (Parasitic plants) – ये पौधे पूर्ण या आंशिक परजीवी होते हैं जो दूसरे पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं। अमरबेल (Cuscata), रैपलीशिया (Rafflesia), गठवा (Orobanche) पूर्ण परजीवी पौधे हैं। चन्दन (Santalum ), विस्कम (Viscum), अपूर्ण या आंशिक परजीवी हैं। निओशिया (Neotia), मोनोट्रोपा (Monotropa) मृतोपजीवी पौधे हैं। नेपेन्थीज (Nepenthes), ड्रासेरा (Drosera), यूटीकुलेरिया (Utricularia) कीटाहारी पौधे हैं।

प्रश्न 8.
शैवालांश तथा कवकांश शब्दों से क्या पता चलता है ?
उत्तर:
शैवालांश ( Phycobionts) तथा कवकांश (Mycobionts), लाइकेन्स (Lichens) के दो जैविक घटक हैं। शैवाल तथा कवक दोनों घटक मिलकर एक सहजीवी संरचना लाइकेन बनाते हैं। लाइकेन का शैवालांश या शैवाल घटक, प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करता है और स्वपोषी भाग कहलाता है। कवकोश, शैवाल घटक को सुरक्षा प्रदान करता है तथा खनिज एवं जल अवशोषण करके शैवाल को उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 9.
कवक (फंजाई) जगत के वर्गों का तुलनात्मक विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं पर कीजिए-
(क) पोषण की विधि,
(ख) जनन की विधि
उत्तर:
कवक (फंजाई) जगत के प्रमुख वर्गों का तुलनात्मक विवरण –

फाइकोमाइसिटी (Phycomycetes) वर्गएस्कोमाइसिटीज (Ascomycetes) वर्गबेसीडियोमाइसिटीज (Basidiomycetes) वर्ग 

ड्यूटेरोमाइसिटीज (Deuteromycetes) वर्ग

(क) पोषण विधि के आधार पर
1. इस वर्ग के सदस्य उच्च पादपों पर अविकल्पी परजीवी (obligate parasite) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी- राइजोपस परजीवी – एल्ब्यूगोइस वर्ग के सदस्य मृतजीवी, अपघटक, परजीवी या शमलरागी (coprophilous) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी- मौर्केला, परजीवी क्लेवीसेप्स परप्युरियाइस वर्ग के सभी सदस्य मृतजीवी (Saprabiotic) या (Parasitic ) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी – एगेरिकस परजीवी-सक्सीनिआइस वर्ग के सदस्य भी मृतजीवी या परजीवी होते हैं।

उदाहरण परजीवी – अल्टरनेरिया

(ख) जनन की विधि के आधार पर
2. इनमें अलैंगिक जनन चल बीजाणुओं (zoospores) द्वारा होता है। ये बीजाणुधानी में अन्तर्जातीय उत्पन्न होते हैं।इनमें अलैंगिक जनन कोनीडिया (conidia) द्वारा होता है।इनमें लैंगिक बीजाणुओं का निर्माण प्रायः नहीं होता है।इनमें कोनिडिया द्वारा केवल अलैंगिक जनन होता है।
3. लैंगिक जनन (plasmogamy) समयुग्मकी असमयुग्मकी अथवा विषमयुग्मकी हो सकता है।लैंगिक अवस्था के बीजाणु एस्कोस्पोर कहलाते हैं जो एस्कस में अन्तर्जात (endogenously) रुप से बनते हैं। n +n अवस्था पाई जाती है।लैंगिक जनन के बीजाणु बैसिडियोस्पोर कहलाते हैं जो बैसीडियम पर बहिर्जात ( exogenously) रुप से बनते हैं। अवस्था (द्विकेन्द्रक प्रावस्था) n + n पाई जाती है।लैंगिक जनन ज्ञात नहीं है।
4. युग्मक संलयन करके युग्माणु बनाते हैं।‘ऐस्कोकार्प (फलनकाय) बनते हैं।इसके फलनकाय को बैसीडियोकार्प कहते हैं।इनमें फलनकाय का निर्माण नहीं होता है।

प्रश्न 10.
युग्लीनॉइड के विशिष्ट चारित्रिक लक्षण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
युग्लीनॉइड के चारित्रिक लक्षण (Characteristic Features of Euglenoids) –
1. इनके अधिकांश सदस्य स्वच्छ तथा स्थिर जल ( stagnant water) में पाये जाते हैं।
2. इनमें कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती किन्तु शरीर पर लचीला, प्रोटीनयुक्त रक्षात्मक आवरण पेलीकल (pellicle) पाया जाता है।
3. इनमें एक चाबुक के समान कशाभ पाया जाता है।
4. उच्च पादपों के समान प्रकाश संश्लेषी वर्णक (pigments) पाये जाते हैं।
5. ये स्वपोषी या जन्तु समभोजी होते हैं। यह इनका एक अनूठा व विशिष्ट गुण है। अतः इन्हें जन्तु एवं पादप के बीच एक कड़ी के रूप में माना जाता है।
उदाहरण: युग्लीना (Euglena)

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प्रश्न 11.
संरचना तथा आनुवंशिक पदार्थ की प्रकृति के सन्दर्भ में वाइरस का संक्षिप्त विवरण दीजिये। वाइरस से होने वाले चार रोगों के नाम भी लिखिए।
उत्तर:
विषाणु (Virus):
ये अतिसूक्ष्म जीवित कण हैं, जो केवल नाभिकीय अम्ल तथा प्रोटीन के बने होते हैं। प्रत्येक वाइरल कण में DNA या RNA का बना एक केन्द्रीय कोर (Core) होता है जो प्रोटीन के एक खोल कैप्सिड (capsid) द्वारा घिरा होता है। किसी भी वाइरस में DNA तथा RNA दोनों एक साथ नहीं पाये जाते हैं। प्रोटीन आवरण छोटी-छोटी उप इकाइयों से बना होता है जिन्हें कैप्सोमीअर कहते हैं। यह गोल, बहुभुजी, छड़ाकार, टैडपोल के आकार के हो सकते हैं।

सभी पादप विषाणुओं में एकरज्जुकी (single stranded ) RNA तथा सभी जन्तु विषाणुओं में एक अथवा द्विरज्जुकी RNA अथवा DNA होता है। जीवाणुभोजी (Bacteriophage) में द्विरज्जुकी (double stranded) DNA होता है। विषाणुओं से होने वाले रोग (Disease caused by virus) – मनुष्य में विषाणुओं द्वारा – एड्स (AIDS), इन्फ्लुएंजा (influenza), मम्प्स (mumps ), हिपेटाइटिस (hepatitis) आदि तथा पादपों में पौधों का मोजैक टमाटर का पूर्ण वेलन, केला का बन्ची टॉप पर्ण कुंचन आदि रोग होते हैं।

विषाणुओं से होने वाले रोग (Disease caused by virus) – मनुष्य में विषाणुओं द्वारा – एड्स (AIDS), इन्फ्लुएंजा (influenza ), मम्प्स (mumps), हिपेटाइटिस ( hepatitis) आदि तथा पादपों में पौधों का मोजैक टमाटर का पर्ण वेलन, केला का बन्ची टॉप, पर्ण कुंचन आदि रोग होते हैं।

प्रश्न 12.
अपनी कक्षा में इस शीर्षक ‘क्या वाइरस सजीव है अथवा निर्जीव पर चर्चा करें।
उत्तर:
विषाणुओं को सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी माना जाता है। निर्जीव पदार्थ की तरह क्रिस्टलीकृत किए जा सकने योग्य विषाणुओं में जीवाधारियों के विभेदक लक्षण जैसे – कोशिकीय संरचना, उपापचय आदि नहीं पाये जाते हैं। अतः इस दृष्टि से यह जीवों की श्रेणी में सम्मिलित नहीं किए जा सकते हैं लेकिन चूंकि इनमें पोषक कोशिकीओं के अन्दर गुणन (Multiplication) प्रजनन की क्षमता होती है अतः इन्हें जीव मानना उचित प्रतीत होता है। कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि विषाणु अत्यधिक विकसित जीव हैं जिनमें अनेक जैविक गुणों का ह्रास हो गया है। यह पोषक कोशिका के आनुवंशिक पदार्थ पर नियन्त्रण कर उसके उपापचय को अपने हित में प्रयोग करते हैं।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

प्रश्न 1.
जीवों को वर्गीकृत क्यों करते हैं ?
उत्तर:
हमारी पृथ्वी पर जीवधारियों की 17 से 18 लाख जातियाँ ज्ञात हैं। अनेक नयी जीव जातियों की खोज प्रतिवर्ष कर ली जाती है। जीवधारियों की इस विशाल संख्या का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करना असम्भव है। इसलिए हमें इनकी समानताओं, असमानताओं एवं लक्षणों के आधार पर छोटे-छोटे समूहों दिया जाता है। किसी भी समूह के एक सदस्य का अध्ययन उस समूह के सम्पूर्ण सदस्यों का प्रतिनिधिक अध्ययन होता है।
अतः वर्गीकरण जीवधारियों की पहचान व उनके सुव्यवस्थित अध्ययन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 2.
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार क्यों बदलते हैं ?
उत्तर:
विज्ञान के क्षेत्र में हुई उन्नति से जीवधारियों से सम्बन्धित नये तथ्यों की खोज होती है जिससे उनके बीच के सम्बन्धों को पुनः परिभाषित किया जाता है। नये जीव व जीवाश्मों की खोज से भी नई जानकारी प्राप्त होती है। कोशिका की परारचना के ज्ञान के बाद ही प्रोकैरियोटिक नील हरित शैवाल (साएनोबैक्टीरिया) को शैवालों से अलग वर्गीकृत किया गया। वर्गीकरण का आधार अब अधिक व्यापक व वैज्ञानिक है।

प्रश्न 3.
जिन लोगों से आप प्राय मिलते रहते हैं आप उनको किस आधार पर वर्गीकृत करना पसन्द करेंगे ?
(संकेत ड्रेस मातृभाषा, प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, आर्थिक स्तर आदि)
उत्तर:
यह वर्गीकरण वैज्ञानिक आधार वाला नहीं होगा। फिर भी आस-पास के व्यक्तियों को उनकी मातृभाषा के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, क्योंकि पहनावा तथा आर्थिक स्तर बदला जा सकता है। चूंकि प्रश्न में आस-पास के लोगों की बात कही गयी है अतः सभी उसी प्रदेश के होंगे। दूसरे शब्दों में हम अपने आस-पास के लोगों का वर्गीकरण प्रश्न में दिये गये लक्षणों के आधार पर कर सकते हैं हमारे देश के विभिन्न राज्यों की वेशभूषा में काफी अन्तर देखने को मिलता है जैसे कश्मीरी लिबास, बंगाली लिबास आदि विभिन्न राज्यों एवं सूबों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती है जैसे-बंगाली, पंजाबी, मराठी आदि प्रदेशों के आधार पर भी लोगों को वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे-पहाड़ी क्षेत्र के लोग, मैदानी क्षेत्र के लोग आर्थिक स्तर पर लोगों का वर्गीकरण धनी, मध्यम एवं निर्धन के रूप में किया जा सकता है। यदि लोगों को उपरोक्त लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत करना पड़े तो इन्हें प्रदेश के आधार पर वर्गीकृत करना अधिक उचित होगा, क्योंकि ड्रेस, भाषाएँ एवं आर्थिक स्तर प्रवसन (migration) होने पर बदल सकते हैं।

प्रश्न 4.
व्यट्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
व्यष्टि (Individual) तथा समष्टि (poulation)- जीवधारियों का वह समूह जो प्रकृति में परस्पर जनन करके प्रजनन सक्षम सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं, प्रजाति (Species) कहलाता है। जब एक ही जाति के सदस्य विभिन्न भौगोलिक आवासों तथा पर्यावरण में रहते हैं तो इनके रंग, रूप, आकार एवं व्यवहार में बदलाव आ जाते हैं, ऐसे समूह को समष्टि या आबादी (population) कहते हैं। व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें उस प्रजाति विशेष के लक्षणों के अध्ययन का अवसर मिलता है।

प्रश्न 5.
आम का वैज्ञानिक नाम निम्नलिखित है ? इसमें से कौन-सा सही है ?
(i) मैजीफेरा इंडिका (Mangifera Indica )
(ii) मैजीफेरा इंडिका (Mangifera indica)
उत्तर:
आम का सही वैज्ञानिक नाम मैजीफेरा इंडिका (Mangifera indica) है। वंश का प्रथमाक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर (Capital letter) तथा जाति का प्रथमाक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे तथा शेष सभी अधर वर्णमाला के छोटे अक्षरों (Small letters) में लिखे जाते हैं। दोनों ही शब्दों को टेड़ा छापा जाता है।

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प्रश्न 6.
टैक्सान की परिभाषा दीजिए। विभिन्न पदानुक्रम स्तर पर टैक्सा के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वर्गक (Taxon) वर्गीकरण की श्रेणियों (categories) अर्थात् संवर्गों जैसे- वंश, कुल वर्ग आदि से प्रत्यक्ष जीव का ज्ञान नहीं होता, लेकिन वर्गक (Taxon) किसी जीव जीव समूह का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करते हैं। यह किसी भी श्रेणी या संवर्ग के हो सकते हैं। जैसे-बिल्ली (cat) एक वर्गक (Taxon) है व इसका स्तर कुल हैं। यह किसी श्रेणी या संवर्ग के हो सकते हैं। जैसे-बिल्ली (cat) एक वर्गक (Taxon) है व इसका कुल है। इसी प्रकार स्तनधारी (Mammal) एक वर्ग श्रेणी का वर्गक है। अर्थात् एक वर्गक जीवों का एक समूह है जो किसी श्रेणी या संवर्ग में पाया जाता है उसे भरता है।

प्रश्न 7.
क्या आप वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम पहचान सकते हैं ?
(अ) जाति (स्पीशीज) → गण (आर्डर) → संघ (फाइलम) → जगत (किंगडम)
(ब) वंश (जीनस) → गण → जागत
(स) जाति →वंश गण → संघ
उत्तर:
सही वर्गिकी संवर्ग है-
जाति (Species) वंश (Genus) कुल (Family) गण (Order) वर्ग (Class) संघ (Phylum) (Kingdom)।
चूंकि वैज्ञानिक नाम में प्रजाति तथा वंश दोनों का नाम शामिल होना जरुरी है अतः उपर्युक्त विकल्पों में से ‘स’ को सही माना जा सकता है। ‘अ’ विकल्प में वंश का नाम नहीं दिया है।

प्रश्न 8.
जाति शब्द के सभी मानवीय वर्तमान कालिक अर्थों को एकत्र कीजिये क्या आप अपने शिक्षक से उच्चकोटि के पौधों तथा प्राणियों तथा बैक्टीरिया की स्पीशीज का अर्थ जानने के लिए चर्चा कर सकते हैं ?
उत्तर:
जाति की अवधारणा (Concept of Species) जीवधारियों के लिए जाति (Species) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जॉन रे (John Ray) ने किया। जाति वर्गीकरण एवं जैव विकास दोनों की ही मूलभूत इकाई (basic unit) है अतः जाति ऐसे जीवों का समूह है जिनकी संरचना एवं कार्यों में अत्यधिक समानता होती है। जाति के सदस्य आपस में प्राकृतिक रूप से प्रजनन करने में सफल होते हैं तथा इनका विकास एक ही पूर्वज (ancestor) से होता है। मायर (Mayr 1942) के अनुसार, “जाति आपस में प्रजनन करने वाले एक समान जीवों का समूह

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों को समझिए तथा परिभाषित कीजिये-
(i) संघ
(ii) वर्ग
(iii) कुल
(iv) गण
(v) वंश
उत्तर:
(i) संघ (Phylum) आपस में सम्बन्धित विभिन्न वर्गों का समूह संघ कहलाता है। जैसे—मत्स्य उभयचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी वर्ग को उच्च संवर्ग संघ-कोटा (Phylum chordata) में रखते हैं।

(ii) वर्ग (Class) अनेक आपस में सम्बन्ध रखने वाले गण (Orders) का समूह वर्ग (Class) कहलाता है। उदाहरणार्थ कृन्तक जन्तुओं का गण रोडेशिया (Rodentia), समुद्री स्तनधारियों का गण सिटेसिया (Cetacea), उड़ने वाले स्तनधारियों का गण काइरोप्टेरा (Chiroptera), माँसाहारी शक्तिशाली स्तनधारियों का गण कार्निवोरा (Carnivora) बुद्धिमान स्तनधारियों का गम प्राइमेट्स (Primates) आदि सभी वर्ग स्तनधारी (Class-mammalia) में सम्मिलित हैं।

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(iii) कुल (Family) – यह अनेक सम्बन्धित वंशों (Genera) का समूह है। उदाहरणार्थ, सोलेनम (Solanum), पिटूनिया (Petunia) तथा क्रा (Datura) वंशों को कुल सोलेनेसी (Solanaceae) में सम्मिलित किया गया है।

(iv) गण (Order) आपस में कुछ समानताएँ रखने वाले विभिन्न कुलों के सदस्यों को एक गण ( Order) में सम्मिलित किया जाता है अर्थात गण समानता प्रदर्शित करने वाले अनेक कुलों का समूह है। जैसे—कार्नियोरा (Carnivora) गण में फैलिडी (Felidae) तथा कैनिडी (Canidae) कुलों को रखा गया है। गण, कुल की अपेक्षा कम समानता दर्शाते हैं।

(v) वंश (Genus) – यह सम्बन्धित जातियों का संवर्ग (Category) है। उदाहरणार्थ- बैंगन, आलू, मकोय आदि अलग-अलग जातियाँ हैं किन्तु इन सभी को एक ही वंश सोलेनम (Solanum) में रखा गया है।

प्रश्न 10.
जीव के वर्गीकरण तथा पहचान में कुंजी किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
कुंजी (key) वर्गिकी सहायता साधनों में एक अन्य साधन सामग्री है। इसका प्रयोग समानताओं तथा असमानताओं पर आधारित होकर पौधों तथा जन्तुओं की पहचान में किया जाता है यह तुलनात्मक लक्षणों पर आधारित होती है वर्गिकी संवर्ग प्रत्येक श्रेणी, जैसे—जाति, वंश, कुल, गण, वर्ग, संघ के लिए अलग-अलग कुंजियों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
पौधों व प्राणियों के उचित उदाहरण देते हुए वर्गिकी पदानुक्रम का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति जगत का उदाहरण
तुलसी (Holy basil)
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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 1.
4.7m लम्बे व 3.0 x 10-5 m2 अनुप्रस्थ काट के स्टील के तार तथा 3.5 m लम्बे व 4.0 x 10-5 m2 अनुप्रस्थ काट के ताँबे के तार पर दिए गए समान परिमाण के भारों को लटकाने पर उनकी लम्बाइयों में समान वृद्धि होती है। स्टील तथा ताँबे के यंग प्रत्यास्थता गुणांकों में क्या अनुपात है?
उत्तर:
यंग प्रत्यास्थता गुणांक
Y = \(\frac{\mathrm{F} / \mathrm{A}}{\Delta \mathrm{L} / \mathrm{L}}=\frac{\mathrm{FL}}{\mathrm{A} \Delta \mathrm{L}}\)
समान भार F तथा समान वृद्धि (∆L) के लिए
Y α \(\frac{\mathrm{L}}{\mathrm{A}}\)
अतः
\(\frac{\mathrm{Y}_s}{\mathrm{Y}_c}=\frac{\mathrm{L}_s}{\mathrm{~L}_c} \times \frac{\mathrm{A}_c}{\mathrm{~A}_s}\)
∵ L, = 4.7m, A = 3.0 x 10-5 m2
L = 3.5m,
Ac = 4.0 x 10-5 m2
∴ \(\frac{Y_s}{Y_c}=\frac{4 \cdot 7}{3 \cdot 5} \times \frac{4 \cdot 0 \times 10^{-5}}{3.0 \times 10^{-5}}=1.8\)
अत:
Ys : Yc = 1.8 : 1

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प्रश्न 2.
चित्र में किसी दिए गए पदार्थ के लिए प्रतिबल विकृति वक्र दर्शाया गया है। इस पदार्थ के लिए (a) यंग प्रत्यास्थता गुणांक, तथा (b) सन्निकट पराभव सामर्थ्य क्या है?

उत्तर:
(a) ग्राफ पर स्थित बिन्दु A पर,
i cy a = 150 x 106 Nm2
तथा
विकृति e = 0.002
∴ यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y = \(\frac{\sigma}{\varepsilon}\)
= \(\frac{150 \times 10^6 \mathrm{Nm}^{-2}}{0.002}\)
= 7.5 x 10 1010 Nm2

(b) पराभव सामर्थ्य = ग्राफ के उच्चतम बिन्दु के संगत
प्रतिबल = 300 × 106 Nm2 लगभग

प्रश्न 3.
दो पदार्थों A और B के लिए प्रतिबल – विकृति ग्राफ चित्र 9.20 में दर्शाए गए हैं।

इन ग्राफों को एक ही पैमाना मानकर खींचा गया है।
(a) किस पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अधिक है?
(b) दोनों पदार्थों में कौन अधिक मजबूत है?
उत्तर:
(a) ग्राफ A के सरल रेखीय भाग का ढाल, B की अपेक्षा अधिक है। चूँकि सरल रेखीय भाग का ढाल प्रतिबल/विकृति = Y को प्रकट करता है। अतः A का यंग प्रत्यास्थता गुणांक, B की अपेक्षा अधिक है।
(b) पदार्थ A अधिक मजबूत है क्योंकि इसका प्रत्यास्थता गुणांक पदार्थ B से अधिक है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित दो कथनों को ध्यान से पढ़िए और कारण सहित बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य:
(a) इस्पात की अपेक्षा रबर का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अधिक है;
(b) किसी कुण्डली का तनन उसके अपरूपण गुणांक से निर्धारित होता है।
उत्तर:
(a) माना स्टील व रबर के दो तार समान लम्बाई L व समान त्रिज्या r के हैं। माना इन पर Mg भार लटकाने से स्टील के तार में वृद्धि
ls व रबर की डोरी की लम्बाई में वृद्धि lR है। यदि स्टील व रबर के यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्रमश: Ys व Ypहैं, तो
\(\mathrm{Y}_{\mathrm{S}}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 l_{\mathrm{S}}}\)
तथा
\(\mathrm{Y}_{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 l_{\mathrm{R}}}\)
\(\frac{\mathrm{Y}_{\mathrm{R}}}{\mathrm{Y}_{\mathrm{S}}}=\frac{\mathrm{MgL} / \pi r^2 l_{\mathrm{R}}}{\mathrm{MgL} / \pi r^2 l_{\mathrm{S}}}=\frac{l_{\mathrm{S}}}{l_{\mathrm{R}}}\)
चूँकि रबर की डोरी स्टील के तार के तुलना में समान भार के लिए लम्बाई में अधिक खिंचता है अर्थात् lR > ls अतः स्पष्ट है Ys > YR अर्थात् रबर की अपेक्षा स्टील अधिक प्रत्यास्थ है अतः यह कथन असत्य है।
(b) सत्य; क्योंकि कुण्डली का तनन करने पर न तो लम्बाई में वृद्धि होती है और न ही आयतन में परिवर्तन होता है। चूँकि कुण्डली की आकृति में परिवर्तन होता है।

प्रश्न 5.
0.25cm व्यास के दो तार, जिनमें एक इस्पात का तथा दूसरा पीतल का है चित्र 9.21 के अनुसार भारित हैं। बिना भार लटकाये इस्पात तथा पीतल के तारों की लम्बाइयाँ क्रमश: 1.5m तथा 1.0m हैं। यदि इस्पात तथा पीतल के यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्रमशः 2.0 x 1011 Pa तथा 0.91 ×1011 Pa हों, तो इस्पात तथा पीतल के तारों में विस्तार की गणना कीजिए।
उत्तर:
∴ इस्पात के तार के लिए
E = 1.5m,
M = (4.0 + 6.0)
= 10.0kg
r = \(\frac{0 \cdot 25}{2}\) Cm
= 0.125 × 10-2m,
Y1 = 2.0 × 10-2 Pa
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 \Delta \mathrm{L}}\)
\(\Delta \mathrm{L}_1=\frac{10.0 \times 9.8 \times 1.5}{3.14 \times\left(0.125 \times 10^{-2}\right)^2 \times 2.0 \times 10^{11}}\)
= 1.5 x 10-4m
तथा पीतल के तार के लिए,
L = 10m, M = 6.0 kg,
Y2 = 0.91 × 1011Pa

= 1.3 × 10-4 m

प्रश्न 6.
ऐलुमिनियम के किसी घन के किनारे 10 cm लम्बे हैं। इसकी एक फलक किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से कसकर जुड़ी हुई है। इस के सम्मुख फलक से 100 kg का एक द्रव्यमान जोड़ दिया गया है। ऐलुमिनियम का अपरूपण गुणांक 25 GPa है। इस फलक का ऊर्ध्वाधर विस्थापन कितना होगा?
उत्तर:
दिया है : अपरूपण गुणांक η = 25 GPa
= 25 × 109 Nm-2
आरोपित बल का क्षेत्रफल
A = 10 cm x 10 cm
= 100 cm2 = 100 × 10-4m2
आरोपित बल F = 100 kg x 9.8N/kg = 980 N

माना फलक का ऊर्ध्वं विस्थापन = ∆x
जबकि L = 10cm = 0.1m
∴ सूत्र η = \(\frac{(\mathrm{F} / \mathrm{A})}{(\Delta x / \mathrm{L})}\)
फलक का विस्थापन
\(\Delta x=\frac{\mathrm{FL}}{\eta \mathrm{A}}\)
= \(\frac{980 \times 0.1}{25 \times 10^9 \times 100 \times 10^{-4}}\)
= 3.92 × 10-7m
= 4 x 10-7 m

प्रश्न 7.
मृदु इस्पात के चार समरूप खोखले बेलनाकार स्तम्भ 50000 kg द्रव्यमान के किसी बड़े ढाँचे को आधार दिये हुए हैं। प्रत्येक स्तम्भ की भीतरी तथा बाहरी त्रिज्याएँ क्रमशः 30 तथा 60 cm हैं। भार वितरण को एकसमान मानते हुए प्रत्येक स्तम्भ की सम्पीडन विकृति की गणना कीजिए।
उत्तर:
ढाँचे का कुल भार F = 50000 kg x 9.8Nkg-1
= 4.9 x 105N
∵ ढाँचे का भार चारों स्तम्भों पर एकसमान पड़ता है अतः प्रत्येक
स्तम्भ पर पड़ने वाला भार
F1 = \( \frac{F}{4}\)
= \(\frac{4.9 \times 10^5}{4}\)
= 1-225 × 105 N
तथा प्रत्येक स्तम्भ का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
A = π
= 3.14[(0.6)2 – (0.3)2]
= 0.8478 m2 = 0.85m2
सूत्र \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{FL}}{\mathrm{A \Delta L}}\) से,
सम्पीडन विकृति (% में) \(\frac{\Delta \mathrm{L}}{\mathrm{L}} \times 100=\frac{\mathrm{F}_1}{\mathrm{AY}} \times 100\)
= \(\frac{1.225 \times 10^5}{0.85 \times 2 \times 10^{11}} \times 100\)
[ ∵ Y = 2 × 1011 Nm2]
सम्पीडन विकृति % = 7.2 x 10-5 x 4
अतः सभी स्तंभों की संपीडन विकृति %
= 7.2 x 10-5 x 4
= 2.88 x 10-5 %

प्रश्न 8.
ताँबे का एक टुकड़ा, जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद 15.2 mm x 19.1 mm का है, 44500 N बल के तनाव से खींचा जाता है, जिससे केवल प्रत्यास्थ विरूपण उत्पन्न हो । उत्पन्न विकृति की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है F = 44500N,
A = 15.2mm x 19.1mm
= 15.2 × 10-3m × 19.1 × 10-3 m
= 2.90 × 10-4 m2
ताँबे के लिए Y = 1.1 × 1011 Nm-2,
विकृति = ?
सूत्र \(Y=\frac{(F / A)}{(\Delta L / L)}\)
∴ विकृति
= \(\frac{44500}{2.9 \times 10^{-4} \times 1 \cdot 1 \times 10^{11}}\)
= 0.00139
प्रतिशत विकृति \(\frac{\Delta \mathrm{L}}{\mathrm{L}}\) x 100
= 0.00139 x 100 = 0.139%

प्रश्न 9.
1.5 cm त्रिज्या का एक इस्पात का केबिल भार उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यदि इस्पात के लिए अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल 108 Nm-2 है तो उस अधिकतम भार की गणना कीजिए जिसे केबिल उठा सकता है।
उत्तर:
दिया है
अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल = 108 Nm-2
त्रिज्या r = 1.5 cm
= 1.5 x 10-2 m
लटकाया गया अधिकतम भार= ?
अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल =
= अनुज्ञेय प्रतिबल x A
∴ अधिकतम भार (Mg)
= 108 x πr2
= 108 × 3.14 × (1-5 × 10-2)2
= 7.07 × 104 N

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प्रश्न 10.
15 kg द्रव्यमान की एक दृढ़ पट्टी को तीन तारों, जिनमें प्रत्येक की लम्बाई 2 m है, से सममित लटकाया गया है। सिरों के दोनों तार ताँबे के हैं तथा बीच वाला लोहे का है। तारों के व्यासों के अनुपात निकालिए, प्रत्येक पर तनाव उतना ही रहना चाहिए।
उत्तर:
पट्टी, तारों से सममिति से लटकी है अतः प्रत्येक पट्टी के भार का एक तिहाई भार का वहन करेगा।
माना एक तार का व्यास D है, तब त्रिज्या r = \(\frac{\mathrm{D}}{2}\)

प्रश्न 11.
एक मीटर अतानित लम्बाई के इस्पात के तार के एक सिरे से 14.5 kg का द्रव्यमान बाँधकर उसे एक ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है, वृत्त की तली पर उसका कोणीय वेग 2 rev/s है। तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.065 cm2 है। तार में विस्तार की गणना कीजिए जब द्रव्यमान अपने पथ के निम्नतम बिन्दु पर है।
उत्तर:
दिया है
M = 14.5 kg, L = 1 m
A = 0.065 cm2 = 6.5 x 10-6 m2
वृत्त की त्रिज्या R = 1m, AL = ?
ω = 2π x 2 = 4π rad/s; Y = 2 x 1011 Nm-2

माना वृत्त के निम्नतम बिन्दु पर तनाव T है, तब
T – Mg = MRω2
या
T = M(g + Rω2)
परन्तु
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{T} / \mathrm{A}}{\Delta \mathrm{L} / \mathrm{L}}\) से,
तार में विस्तार

= 1.86 x 10-3 मी = 0.186 सेमी

प्रश्न 12.
नीचे दिए गए आँकड़ों से जल के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए:
प्रारम्भिक आयतन 100.00 लीटर, दाब में वृद्धि 100.0atm (1 atm = 1.013 × 105 Pa) अन्तिम आयतन 100.5 लीटर। नियत ताप पर जल तथा वायु के आयतन प्रत्यास्थता गुणांकों की तुलना कीजिए। सरल शब्दों में समझाइए कि यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
दिया है:
∆P = 100 वायुमण्डलीय दाब
= 100 × 1.013 × 105 Pa
= 1.013 × 107 Pa
V1 = 100 लीटर,
V2 = 100.5 लीटर

आयतन में परिवर्तन ∆V = V2 – V1
= 100.5 – 100 = 0.5 लीटर
= 0.5 × 10-3 m3
∴ जल का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
= \(\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}=\frac{\mathrm{V} \Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V}}\)
Bजल =
B. = 2.206 × 109 Pa
तथा वायु का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
Bवायु = 1.0 × 105 Nm2

इतना अधिक अनुपात होने का कारण यह है कि गैसों में अन्तराष्विक बल, द्रवों की तुलना में नगण्य होते हैं।

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प्रश्न 13.
जल का घनत्व उस गहराई पर जहाँ दाब 80.0 atm हो, कितना होगा? दिया गया है कि पृष्ठ पर जल का घनत्व 1.03 x 103 kg m-3, जल की सम्पीड्यता 45.8 x 10-11 Pa-1 (1 Pa = 1 Nm-2)
उत्तर:
आयतन प्रत्यास्थता गुणांक B =
∴ B = 2.18 x 109 Pa
माना जल का द्रव्यमान M, आयतन V तथा घनत्व p है, तब
द्रव्यमान = आयतन घनत्व
M= Vp = नियत
अवकलित करने पर, V∆p + p∆v = 0
अतः आयतन विकृति \(\frac{\Delta V}{V}=-\frac{\Delta \rho}{\rho}\) ….(1)
तथा आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
\(\mathrm{B}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\mathrm{B}}\) ……….(2)
समी (1) व (2) से,
\(\frac{\Delta \rho}{\rho}=\frac{\Delta P}{B}\)
या
\(\Delta \rho=\frac{\Delta P \rho}{B}\)
∴ ∆p = दाब में परिवर्तन
= गहराई में दाब – सतह पर दाब
= 80 – 1
∆p = 79 वायुमण्डल
= 79 × 1.013 × 105 Nm2
अतः
\(\Delta \rho=\frac{\left(79 \times 1.013 \times 10^5\right) \times 1.03 \times 10^3}{2.18 \times 10^9}\)
∆p = 4kgm-3
= 0.004 x 103 kg m-3
∴ गहराई पर जल का घनत्व
p = p + ∆p
= 1.03 × 103 + 0.004 × 103
= 1.034 x 103 kg m-3

प्रश्न 14.
काँच के स्लैब पर 10 atm का जलीय दाब लगाने पर उसके आयतन के भिन्नात्मक अन्तर की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है
∆p = 10 atm = 10 x 105 Pa
काँच की आयतन प्रत्यास्थता B = 37 x 109 Nm-2
आयतन प्रत्यास्थता B = \(\frac{-\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
अतः
∴ स्लैब के आयतन में भिन्नात्मक अन्तर
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}=\frac{10 \times 10^5}{37 \times 10^9}\) = 2.70 × 10-5
अथवा
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) × 100 = 2.7 × 105 × 100%
= 0.0027%

प्रश्न 15.
ताँबे के एक ठोस घन का एक किनारा 10 cm का है। इस पर 7.0 x 106 Pa का जलीय दाब लगाने पर इसके आयतन में संकुचन निकालिए।
उत्तर:
दिया है घन की भुजा a = 10 cm = 0.1m
∴ घन का आयतन V = a = (0.1)3 = 103 m3
जलीय दाब P = 7 x 106 Pa
तथा
ताँबे के लिए B = 140 x 109 Pa
सूत्र
B = \(\frac{{ }^{\prime} \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\) से,
आयतन में संकुचन
∆v = \(\frac{\Delta \mathrm{PV}}{\mathrm{B}}=\frac{7 \times 10^6 \mathrm{~Pa} \times 10^{-3} \mathrm{~m}^3}{140 \times 10^9 \mathrm{~Pa}}\)
= 5 × 108 m3
= 0.05 cm3

प्रश्न 16.
1 लीटर जल पर दाब में कितना अन्तर किया जाए कि वह 0.10% से सम्पीडित हो जाए?
उत्तर:
दिया है:
V = 1 लीटर,
B = 2.2 x 109 Nm-2
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) x 100 = 0.10 या ∆V = \(\frac{0 \cdot 10}{100}\) × 1
= \(\frac{1}{1000}\) लीटर
∵ \(B=\frac{\Delta P}{\Delta V / V}\)
∴ \(\Delta P=B \frac{\Delta V}{V}\)
= 2.2 × 109 × \(\frac{1}{1000}\)
∆P = 2.2 × 106 Pa

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 17.
हीरे के एकल क्रिस्टलों से बनी निहाइयों जिनकी आकृति चित्र 9.24 में दिखाई गई है, का उपयोग अति उच्च दाब के अन्तर्गत द्रव्यों के व्यवहार की जाँच के लिए किया जाता है। निहाई के संकीर्ण सिरों पर सपाट फलकों का व्यास 0.50mm है। यदि निहाई के चौड़े सिरों पर 50000 N का बल लगाया गया हो तो उसकी नोंक पर दाब ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
सपाट फलक की त्रिज्या
R = \(\frac{D}{2}=\frac{0.50}{2}\) = 0.25 mm
= 2.5 × 10-4 m
∴ नोंक पर दाब P = \(\frac{F}{A}=\frac{F}{πr^2}=\frac{50000 \mathrm{~N}}{3.14 \times\left(2.5 \times 10^{-4}\right)^2}\)
= 2.55 × 1011 Pa

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 18.
1.05m लम्बाई तथा नगण्य द्रव्यमान की एक छड़ को बराबर लम्बाई के दो तारों, एक इस्पात का (तार A) तथा दूसरा ऐल्युमिनियम का तार (तार B) द्वारा सिरों से लटका दिया गया है, जैसा कि निम्न चित्र में दिखाया गया है। A तथा B के तारों के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल क्रमश: 1.0 mm और 2.0 mm हैं। छड़ के किस बिन्दु से एक द्रव्यमान m को लटका दिया जाए ताकि इस्पात तथा ऐलुमिनियम के तारों में
(a) समान प्रतिबल तथा
(b) समान विकृति उत्पन्न हो।

उत्तर:
तारों के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल
AA = 1.0 mm2 , AB = 2.0 mm2
तथा YA = 2 × 1011 Nm-2,
YB = 0.7 × 1011 Nm-2
माना द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से, x दूरी पर बिन्दु P से लटकाया गया है तब इसकी दूसरे सिरे से दूरी (1.05 – x ) m होगी।
माना इस भार के कारण तारों में T तथा T तनाव उत्पन्न होते हैं। तब P के परितः बलों के आघूर्णी का बीजीय योग साम्यावस्था में शून्य होना चाहिए, अतः
TA . x = TB(1.05 – x) …………(1)
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}=\frac{1 \cdot 05-x}{x}\)

(a) तारों में समान प्रतिबल है अतः
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}\)
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}=\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}\) …………(2)
समीकरण (1) व (2) की तुलना करने पर
\(\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}=\frac{1 \cdot 05-x}{x}\)
\(\frac{1 \cdot 05-x}{x}=\frac{1 \mathrm{~mm}^2}{2 \mathrm{~mm}^2}\)
x = 2 ( 1.05 – x)
या x = 2.10 – 2x
3x = 2.10
x = 0.70 = 70 cm
अतः द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से 70 cm की दूरी पर लटकाना चाहिए।

(b) सूत्र Y = \(\frac {FL}{A∆L}\) से, \(\frac { ∆L }{ L }\) = \(\frac {F}{AY}\)
दोनों तारों में समान विकृति उत्पन्न होती है
अतः
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}} \mathrm{Y}_{\mathrm{A}}}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}} \mathrm{Y}_{\mathrm{B}}}\)
समी (1) में समी (3) से भाग देने पर,
AAYA x = (1.05 – x ) ABYB
या \(\frac{x}{1 \cdot 05-x}=\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}} \times \frac{\mathrm{Y}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{Y}_{\mathrm{A}}}\)
या \(\frac{x}{1.05-x}=\frac{2 \mathrm{~mm}^2}{1 \mathrm{~mm}^2} \times \frac{0.7 \times 10^{11} \mathrm{Nm}^{-2}}{2.0 \times 10^{11} \mathrm{Nm}^{-2}}\)
या \(\frac{x}{1 \cdot 05-x}=\frac{7}{10}\)
या 10x = 1.05 × 7 – 7x
या 17x = 7.35
⇒ x = \(\frac {7.35}{17}\) = 0.43m = 43 cm
अतः द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से 43 cm की दूरी पर लटकाना चाहिए।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 19.
मृदु इस्पात के एक तार, जिसकी लम्बाई 1.0 m तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.50 × 102 cm2 है, को दो खम्बों के बीच क्षैतिज दिशा में प्रत्यास्थ सीमा के अन्दर ही तनित किया जाता है। तार के मध्य बिन्दु से 100g का एक द्रव्यमान लटका दिया जाता है। मध्य- बिन्दु पर अवनमन की गणना कीजिए ।
उत्तर:

दिया है
L = 1m
A = 0.5 × 102 cm2
A = \(0.50 \times 10^{-2} \mathrm{~cm}^2=5 \times 10^{-7} \mathrm{~m}^2\)
m = 100gm = 0.1 kg
Y = 2 × 1011 Nm-2
सन्तुलन की स्थिति में तार के दोनों भागों में तनाव समान होगा, जो कि T है तब,
2T cos θ = mg
(C तार का मध्य- बिन्दु है जो भार लटकाने पर P तक विस्थापित हो जाता है।)
तब
l =AC = BC = \(\frac {1}{2}\) = 0.5 m
माना अवनमन PC है, जो कि अत्यन्त कम है
AP = \(\sqrt{\mathrm{AC}^2+\mathrm{PC}^2}=\sqrt{l^2+x^2}\)
भाग AC की लम्बाई में वृद्धि

= 0.5 × 2.13 × 10-6 m
∴ x = 0.01 m

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प्रश्न 20.
धातु के दो पहियों के सिरों को चार रिवेट से आपस में जोड़ दिया गया है। प्रत्येक रिवेट का व्यास 6 mm है। यदि रिवेट पर अपरूपण प्रतिबल 6.9 x 107 Pa से अधिक नहीं बढ़ना हो तो रिवेट की हुई पट्टी द्वारा आरोपित तनाव का अधिकतम मान कितना होगा? मान लीजिए कि प्रत्येक रिवेट एक चौथाई भार वहन करता है।
उत्तर:
प्रत्येक रिवेट पर अधिकतम प्रतिबल
Smax = 6.9 × 107 Pa
रिवेट का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
A = πr2
= 3.14 × (3 × 10-3 m)2
= 28.26 × 10-6 m2
. प्रत्येक रिवेट पर अधिकतम तनाव बल
= Smax × अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
= 6-9 × 107 × 28.26 × 10-6
= 1.95 × 103 N
तथा रिवेट की गई पट्टी द्वारा आरोपित अधिकतम तनाव
= 4 × 1.95 × 103
= 7.8 × 103 N

प्रश्न 21.
प्रशांत महासागर में स्थित मैरिना खाई एक स्थान पर पानी की सतह से 11 km नीचे चली जाती है और उस खाई में नीचे तक 0.32 m3 आयतन का इस्पात का एक गोला गिराया जाता है तो गोले के आयतन में परिवर्तन की गणना करें। खाई के तल पर जल का दाब 1.1 x 108 Pa है और इस्पात का आयतन गुणांक 160 GPaहै
उत्तर:
दाब में परिवर्तन ∆P तली पर जल का दाब
= 1.1 × 108 Pa
गोले का आयतन V = 0.32m3,
इस्पात के लिए B = 160 GPa
= 160 × 109 Pa
परिभाषा से, \(\mathrm{B}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
अतः आयतन में कमी
\(\Delta V=\frac{\Delta P V}{B}\)
= \(\frac{1.1 \times 10^8 \mathrm{~Pa} \times 0.32 \mathrm{~m}^3}{160 \times 10^9 \mathrm{~Pa}}\)
= 2.2 × 10-4 m3

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.1.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों के द्वारा कर सकते हैं।
(b) पृथ्वी के परित: परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है।
(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें। तो आप यह पायेंगे कि
सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिये गये आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं।) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
उत्तर:
(a) नहीं, वस्तु का गुरुत्वीय प्रभाव से परिरक्षण नहीं किया जा सकता क्योंकि गुरुत्वीय बल पर मध्यवर्ती माध्यम का कोई प्रभाव नहीं होता है।
(b) हाँ, यदि अन्तरिक्षयान पर्याप्त रूप से बड़ा है तो यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्व बल का अनुभव करेगा।
(c) किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अतः सूर्य की पृथ्वी से दूरी की तुलना में, चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी कम है। अतः चन्द्रमा के कारण ज्वारीय प्रभाव अधिक होता है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.2.
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(b) बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व का गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(c) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) पृथ्वी के केन्द्र r2 से r1 तथा स्थितिज ऊर्जा अन्तर के लिए GMm(\(1 / r_2-1 / r_1\)) सूत्र mg(r2 – r2) से अधिक/कम यथार्थ है।
दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच GMm (r2 – r1) सूत्र
उत्तर:
(a) घटता है,
(b) घटता है।
(c) g का मान पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, जबकि पृथ्वी के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
(d) सूत्र \(G M m\left[\frac{1}{r_2}-\frac{1}{r_1}\right]\) अधिक यथार्थ है।

प्रश्न 8.3.
मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दो गुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
उत्तर:
माना पृथ्वी का परिक्रमण काल Te
∴ ग्रह का परिक्रमण काल Tp
[∵ ग्रह की चाल पृथ्वी से दो गुनी है।]
∵ केप्लर के नियम से,
T2 α R3
\(\frac{R_p^3}{R_e^3}=\frac{T_p^2}{T_e^2}\)
या
\(R_p=R_e\left[\frac{T_p}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
= \(R_e\left[\frac{T_e / 2}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
या
\(R_p=\left[\frac{1}{2}\right]^{2 / 3}\)
Re = 0.63Re
अतः ग्रह की आमाप पृथ्वी से 0.63 गुना छोटी है।

प्रश्न 8.4.
बृहस्पति के एक उपग्रह आयो (I0) की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22 x 106 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।
उत्तर:
∵ \(T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} \cdot R^3\)
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T2 = 365 दिन
∴ \(T_e^2=\frac{4 \pi^2 R_1^3}{G M_s}\) ………(1)
यहाँ पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या R1 = 1AU
त्रिज्या R = 1.5 x 1011 m
उपग्रह (I0) के लिए
\(T_{I_o}^2=\frac{4 \pi^2}{G m_i} R_2^3\)
R2 = उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या
= 4.22 × 108 m
∴ समीकरण (1) व (2) से,
\(\frac{T_e^2}{T_{I_o}^2}=\left(\frac{T_1}{R_2}\right)^3 \times \frac{M_i}{M_s}\)
\(\left(\frac{365}{1769}\right)=\left(\frac{15 \times 10^{11}}{4.22 \times 10^8}\right) \times \frac{M_j}{M_e}\)
∴ \(M_j=\left(\frac{1}{1000}\right) M_e\)
अतः बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।

प्रश्न 8. 5.
मान लीजिए कि हमारी आकाश गंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 x 1011 तारे है। मन्दाकिनीय केन्द्र से 50000/y दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाश गंगा का व्यास 105ly लीजिए।
उत्तर:
∵ \( T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} R^3\)
∴ R = 50,0001y
T = \(2 \pi \sqrt{\frac{R^2}{G M}}\)
∵ 11y = 9.46 x 1011 m ( प्रकाश वर्ष )
R = 50,000 x 9.46 x 1011m
= 4.75 x 1020m
∵ 1 सौर द्रव्यमान = 2 x 1020 kg
∴ M = 25 x 1011 × 2 × 1030
= 5 x 1041 kg
∴ T = 2 x 3.14, \(\sqrt[4]{\frac{\left(4.75 \times 10^{20}\right)^3}{6.67 \times 10^{-11} \times 5 \times 10^{41}}}\)
= 1.12 × 1016 s

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.6
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिण्ड को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक / कम होती है।
उत्तर:
(a) गतिज ऊर्जा [ ∵ कुल ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)]
गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)

(b) कम [∵ कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह को मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)
जबकि पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक = \(\frac{G M m}{r}\)

प्रश्न 8.7.
क्या किसी पिण्ड की पृथ्वी से पलायन चाल
(a) पिण्ड के द्रव्यमान
(b) प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति
(c) प्रक्षेपण की दिशा
(d) पिण्ड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती ना है।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) नहीं, (d) हाँ, ऊँचाई बढ़ाने से. पलायन चाल घटती है।

प्रश्न 8.8.
कोई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक (a) रैखिक चाल, (b) कोणीय चाल, (2) कोणीय संवेग, (d) गतिज ऊर्जा, (e) स्थितिज ऊर्जा (1) कुल ऊर्जा, नियत रहती है? सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिए।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) हाँ, कोणीय संवेग संरक्षित रहता है। (d) नहीं, (e) नहीं, (f) हाँ, ऊर्जा नियत रहती है।

प्रश्न 8.9.
निम्नलिखित में से कौन-से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन, (b) चेहरे पर सूजन, (c) सिर दर्द, (d) दिक्विन्यास समस्या।
उत्तर:
(a) पैरो में सूजन गुरुत्कार्षण बल के कारण उत्पन्न होती है। अन्तरिक्ष में भारहीनता के कारण पैरों में सूजन की समस्या नहीं होती है।
(b), (c), (d) ये सभी समस्याएँ सम्भव हैं क्योंकि भारहीनता के कारण मस्तिष्क में अधिक खून की आपूर्ति होती है, तनाव से सिरदर्द हो सकता है। भारहीनता के कारण ही ऊर्ध्वाधर दिशा का ज्ञान नहीं होता है, अतः दिविन्यास की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 8.10.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व की अर्द्ध गोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा चित्रानुसार (i) a, (ii) b, (iii) c (iv) o, में किस तीर द्वारा दर्शाई जायेगी।

उत्तर:
गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा g की दिशा में ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होगी। अतः (iii) C

प्रश्न 8.11.
उपर्युक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर (i) d, (ii) e, (iii) f (iv) g द्वारा व्यक्त की जायेगी।
उत्तर:
(ii) e दिशा में।

प्रश्न 8.12.
पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 किग्रा, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा । अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए। (कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 मी)।
उत्तर:
माना, रॉकेट का द्रव्यमान M है तथा पृथ्वी के केन्द्र से सूर्य की ओर x दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है। इस क्षण रॉकेट. की सूर्य से दूरी (x) मी रॉकेट = (r – x) भी

जहाँ r = सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी अर्थात् पृथ्वी की कक्षीय त्रिज्या = 15 x 1011 मी यह तब भी सम्भव है जबकि
पृथ्वी द्वारा रकिट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल = सूर्य द्वारा किट
पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल
अर्थात् \(\frac{G M_e m}{x^2}=\frac{G M_s m}{(r-x)^2}\)
जहाँ m = रॉकेट का द्रव्यमान Mc = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा
तथा
Ms = सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 किग्रा
अत:
\(\left(\frac{r-x}{x}\right)^2=\frac{M_s}{M_e}=\frac{2 \times 10^{24}}{6 \times 10^{24}}=\frac{1}{3} \times 10^6\)
∴ \(\left(\frac{r-x}{x}\right)=\sqrt{\frac{1}{3} \times 10^6}=\frac{10^3}{\sqrt{3}}=\frac{10^3}{1732}\)
अथवा
r = x = 57737x
या 57837x = r
∴ x = \(\left(\frac{r}{578.37}\right)=\frac{1.5 \times 10^{11}}{578.37}\) मी
= 2593 × 108 मी = 26 x 108 मी

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.13.
आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 1.5 x 108 किमी है।
उत्तर:
पृथ्वी के परित: उपग्रह के परिक्रमण काल सूत्र \(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\) के अनुरूप सूर्य के परितः पृथ्वी का परिक्रमण काल
\(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\)
जहाँ Me = सूर्य का द्रव्यमान
∴ \(T^2=\frac{4 \pi^2 r^3}{G M_s}\)
अतः सूर्य का द्रव्यमान Ms = \(\frac{4 \pi^2 r^3}{T^2 G}\) ……(1)
यहाँ, पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या r = 15 x 108 किमी = 15 x 1011
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T = 1 वर्ष = 3.15 x 107
सेकण्ड
∴ \(M_s=\left[\frac{4 \times(3.14)^2\left(1.5 \times 10^{11}\right)^3}{\left(3.15 \times 10^7\right)^2\left(6.67 \times 10^{-11}\right)}\right]\)
= 20 x 1030 किग्रा

प्रश्न 8.14.
एक शनि – वर्ष एक पृथ्वी वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 1.5 x 108 किग्रा दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
पृथ्वी की सूर्य से दूरी RSE = 1.5 x 108
किमी माना पृथ्वी का परिक्रमण काल = TE
तब शनि का परिक्रमण काल Ts = 29.5TE
शनि की सूर्य से दूरी Rss = ?
परिक्रमण कालों के नियम से,

= 1.5 ×108 x (29.5)2/3 किमी
= 1.5 x 108 x 9.55 किमी
= 1.43 x 109 किमी
अतः शनि की सूर्य से दूरी 1.43 x 109 किमी है।

प्रश्न 8.15.
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63 N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
उत्तर:
यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण g हो, तो पृथ्वी तल से ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2\)
यदि वस्तु का द्रव्यमान हो तो दोनों पक्षों में m से गुणा करने पर,
\(m g^I=\frac{m g}{\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
यहाँ mg = पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार = 63N
mg’ पृथ्वी तल से ऊँचाई पर वस्तु का भार अर्थात् पृथ्वी के कारण वस्तु पर गुरुत्वीय बल Fg तथा \(h=\frac{R_e}{2}\)
∴ \(F_g=\frac{63 \mathrm{~N}}{\left(1+\frac{R_e / 2}{R_e}\right)^2}\)
\(=\frac{63 N}{\left(\frac{9}{4}\right)}=\left(\frac{63 \times 4}{9}\right) N\)
N = 28 N

प्रश्न 8.16.
यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250 N है, यह ज्ञात कीजिये कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
उत्तर:
पृथ्वी तल से h गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1-\frac{h}{R_e}\right)\) (जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
अथवा
\(m g^{\prime}=m g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)\)
यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार mg = 250N
h = \(\frac{R_e}{2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
mg’ = इस गहराई पर वस्तु का भार w
∴ \(W^I=250 \mathrm{~N}\left(1-\frac{\frac{R_e}{2}}{R_e}\right)=\left(250 \times \frac{1}{2}\right) \mathrm{N}\)
N = 125 N

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.17.
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 kms-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा?
पृथ्वी का द्रव्यमान = 60 × 1024 किग्रा,
पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 64 x 106 मी तथा G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मी-2/ किग्रा-2
उत्तर:
माना रॉकेट का द्रव्यमान = m,
पृथ्वी से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर रॉकेट का प्रक्षेप्य वेग = 5
किमी से-1 = 5 x 103 मी से-1
माना रॉकेट पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व पृथ्वी से अधिकतम दूरी ऊँचाई तक जाता है। अतः इस ऊँचाई पर रॉकेट का वेग शून्य हो जाता है। ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से पृथ्वी तल से महत्तम ऊंचाई पर पहुँचने पर
वृद्धि
रॉकेट की गतिज ऊर्जा में कमी उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में

= 1.6 x 106 मी
= 1600 × 103 मी 1600 किमी
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left(g=\frac{1}{2} \frac{v^2}{R_4}\right)\)
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left[\frac{2 g R_4=\mu^3}{4 \mu_g}\right]\)
या
\(h=\frac{v^3 R_g}{2 g h_g=v^3}\)
∴\(h=\frac{\left(3 \times 10^4\right)^3 \times 6.4 \times 10^6}{\left(2 \times 9.8 \times 6.4 \times 10^8\right)=\left(5 \times 10^3\right)^2}\)
∴ h = 5km /s
= 5 x 103 m/s
H4 = 6.4 x 108 m
पृथ्वी से दूरी h = 1.6 x 106 m
∴ पृथ्वी के केन्द्र से दूरी
= R4 + h = 64 × 108 + 1.6 x 108
= 8.0 × 106 m

प्रश्न 8.18.
पृथ्वी के पृष्ठ पर प्रक्षेप की पलायन चाल 11.2 kmg-1 है। किसी वस्तु को इस चाल पर तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वी से अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
उदाहरण 3 के अनुसार,
vf = Ve\(\sqrt{n^2-1}\)
vf = 11.2√9-1
= 11.2 × 2√2
= 112 × 2 × 1.41
= 31.6km/s
{n = 3 ve = 11.2km/s)

प्रश्न 8.19.
कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1044 kg पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 x 106 m, तथा G = 6.67 x 10-11 Nm82 kg-1
उत्तर:
हम जानतें हैं कि उपग्रह की कुल ऊर्जा
= \(-\frac{1}{2} \frac{G M_e^m}{\left(R_e+h\right)}\)
उपग्रह को मुक्त करने के लिए बन्धन ऊर्जा
= \(+\frac{1}{2} \frac{G M_e m}{\left(R_e+h\right)}\)
= \(\frac{1}{2} \times \frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6.0 \times 10^{24} \times 200}{\left(64 \times 10^6+0.4 \times 10^8\right)}\)
= 5.89 × 109 J

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.20.
दो तारें जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 x 1030 kg) के बराबर है, एक-दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 10 km दूरी पर है तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएँगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने से पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता। G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
तारों का द्रव्यमान m1 = m2
सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
दूरी R = 109 km = 1012 m
प्रारम्भ में निकाय की कुल ऊर्जा E1 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_1}\)
माना टकराते समय उनकी चाल v है।
टकराते समय उनके बीच की दूरी = 2 x त्रिज्या
R2 = 2 x 104 km
= 2 x 107 m
अन्तिम ऊर्जा
= \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_2 v^2\)
∵ m1 = m2
∴ E2 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+m_1 v^2\)
∴ ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
E1 = E2

= 6.67 x 1012
टकराते समय प्रत्येक तारे का वेग
v = \(\sqrt{667 \times 10^{12}}\)
= 2.58 x 106m/s

प्रश्न 8.21.
दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg तथा त्रिज्या 0.10m है। किसी क्षैतिज मेज पर एक-दूसरे से 1.0m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा को मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या हैं? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिण्ड सन्तुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
उत्तर:
माना केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा AB X- अक्ष के अनुदिश है तथा इसका मध्य- बिन्दु C मूलबिन्दु के साथ सम्पाती है।
माना बिन्दु C पर एक बिन्दु द्रव्यमान m रखा हैं, तब इस द्रव्यमान
पर गोले B के कारण बल

= -2.7 x 10-8 J/kg
बिन्दु C पर परिणामी बल शून्य है अतः पिण्ड सन्तुलन में रहेगा।
यदि यह पिण्ड किसी दिशा में विस्थापित हो तो पिण्ड वापस उस बिन्दु पर नहीं लौटेगा। अतः यह अस्थायी सन्तुलन अवस्था है।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 8.22.
जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग 36000km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शून्य लीजिए) पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1024 kg, पृथ्वी की त्रिज्या
उत्तर:
दिया है।
M = 6.0 x 1024kg
Re = 6400km = 64 x 106 m
पृथ्वी की सतह से ऊँचाई पर गुरुत्वीय विभव
\(V=-\frac{G M}{\left(R_e+h\right)}=-\frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6 \times 10^{24}}{\left(64 \times 10^6+36 \times 10^6\right)}\)
= -94 × 106 J/kg.

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.23.
सूर्य के द्रव्यमान से 2.5 गुने द्रव्यमान का कोई तारा 12 km आमाप से निपात होकर 1.2 परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है। (इसी प्रकार के सहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं। कुछ प्रेक्षित तारकीय पिण्ड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।) इसके विषुवत् वृत्त पर रखा कोई पिण्ड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030kg)
उत्तर:
ल-तारे का द्रव्यमान M
2.5 x सूर्य का द्रव्यमान
= 25 × 2 ×1030 kg.
तारे की त्रिज्या R = 12km = 12 x 103 m
घूर्णन आवृत्ति n = 1.2 rev/sec
कोणीय वेग ω = 2πn
= 2 x 2.14 x 12
= 7.54 rad/s
तारे के विषुवत् वृत्त पर गुरुत्वीय त्वरण g = \(\frac{G m}{R^2}\)
∴ g = \(\frac{667 \times 10^{-11} \times 2.5 \times 2 \times 10^{30}}{\left(12 \times 10^3\right)^2}\)
= 23 x 1012 ms-2
विषुवत् वृत्त पर चिपके रहने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र
त्वरण a = Rω2 = 12 x 103 x ( 7.54 )2 682 x 105 ms2
∵ g >> a अतः विषुवत् पर रखा पिण्ड, तारे के पृष्ठ से चिपका रहेगा।

प्रश्न 8.24.
कोई अन्तरिक्ष यान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाये कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान 1000 kg, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg,
मंगल की त्रिज्या = 3395km
मंगल की कक्षा की त्रिज्या = 2.28 x 108 km
तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
यान का द्रव्यमान m = 1000kg = 103 kg
सूर्य का द्रव्यमान Mx = 2 x 1030 kg
मंगल की कक्षा की त्रिज्या Rm = 2.28 x 1011 m
Mm = 6.4 x 1023 kg
मंगल की त्रिज्या R = 3395km
= 3.395 × 106m
सूर्य के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= – \(\frac{G M_5 m}{R m}\)
मंगल के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-G M_m m}{R}\)
यान की कुल ऊर्जा
= \(-G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
∴ मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= \(G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
= 667 × 1011 × 103
= 667 × 108 × 1017 (87.72 + 188)
= 5.97 × 1011 J

प्रश्न 8.25.
किसी रॉकेट को मंगल के पृष्ठ से 2 kms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी 20% आरम्भिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। तो मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg, मंगल की त्रिज्या = 3395 m तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg
उत्तर:
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)mv2
स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R}\)
∵ 20% आरंभिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
शेष गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} m v^2 \times \frac{80}{100}\)
= 0.4mv2
∴ कुल प्रारम्भिक बची हुई ऊर्जा
E1 = 0.4 mv2 – \(\frac{G M m}{R}\)
h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∴ h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा E2 = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∵ ऊर्जा संरक्षण के नियम से

= 495 × 103m = 495 km

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.1.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की अवस्थिति लिखिए:
(a) गोला,
(b) सिलिण्डर,
(c) छल्ला तथा
(d) घन।
क्या किसी पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप में उस पिण्ड के भीतर स्थित होता है?
उत्तर:
उपर्युक्त चारों पिण्ड सममित हैं अतः उनका ज्यामितीय केन्द्र ही द्रव्यमान केन्द्र होगा। द्रव्यमान केन्द्र पिण्ड के भीतर होना आवश्यक नहीं है, जैसे छल्ले में द्रव्यमान केन्द्र उस स्थानपर होता है जहाँ कोई द्रव्यमान नहीं है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.2.
HCl अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 A (1 A = 10-10m) है। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किस परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता
उत्तर:
माना H परमाणु का द्रव्यमान = m
∴ Cl परमाणु का द्रव्यमान = 35.5m

माना द्रव्यमान केन्द्र (CM) मूलबिन्दु पर है।
∴ m x x = (1.27 – x ) x 35.5m
x = 1. 27 x 35.5 – x x 35.5
या 36.5x = 1.27 x 35.5
या
∴ x = \(\frac{1.27 \times 35.5}{365}\)
= 1.24 A
अतः H सिरे से 1.24 À दूरी पर द्रव्यमान केन्द्र है।

प्रश्न 7.3.
कोई बच्चा किसी चिकने फर्श पर एकसमान चाल से गतिमान किसी लम्बी ट्रॉली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्रॉली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्रॉली + बच्चा) के द्रव्यमान केन्द्र की चाल क्या है?
उत्तर:
इस क्रिया में आरोपित बल आन्तरिक बल है। अतः बाह्य बल नहीं होने के कारण, निकाय में द्रव्यमान केन्द्र की चाल नियत रहगी।

प्रश्न 7.4.
दर्शाइए कि \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) है के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल \(\vec{a} \times \vec{b}\) के परिणाम का आधा है।
उत्तर:
माना \(\overrightarrow{A B}=\vec{a}\)
तब \(\overrightarrow{A D}=\vec{b}\)
इनके मध्य त्रिभुज ABD प्राप्त होता है।
HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 2
इसके ABCD समान्तर चतुर्भुज बनाया।
∵\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = absinθ = (AB) (AD)sinθ
∆ AND में,
sin θ = \( \frac{D N}{A D}\)
∴ AD = \(\frac{D N}{\sin \theta}\)
∴ \( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × \(\frac{D N}{\sin \theta}\) × sinθ
\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × DN
= समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल
= 2 x ∆ABD का क्षेत्रफल
∴ ∆ABD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\)\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) यही सिद्ध करना है।

प्रश्न 7.5.
दर्शाइए कि \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) का परिमाण तीनों सदिशों \(\vec{a}, \vec{b}\) तथा \(\vec{c}\) से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।
उत्तर:
माना \(\vec{a}=\overrightarrow{O X}\)
\(\vec{b}=\overrightarrow{O Y}\)
\(\vec{z}=\overrightarrow{O Z}\)
\(\vec{b} \times \vec{c}\) = bcsin90°
HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 3
\(\hat{n}\) की दिशा b व c के लम्बवत् अर्थात् दिशा में होगी।
∴ \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = \(\vec{a}\) bc. \(\hat{n}\) = abccos0° = abc
\(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = समान्तर षट्फलक का आयतन

प्रश्न 7.6.
एक कण जिसके स्थिति सदिश \(\overrightarrow{\boldsymbol{r}}\) के X, Y Z अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x,y,z हैं और रेखीय संवेग सदिश \(\vec{p}\) के अवयव Px. Py. Pz हैं। कोणीय संवेग L के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइए कि यदि कण केवल x-y तल में ही गतिमान हो तो कोणीय संवेग का केवल :-अवयव ही होता है।
उत्तर:
\(\vec{r}=x \hat{i}+y \hat{j}+z \hat{k}\)
\(\vec{p}=p_x \hat{i}+p_y \hat{j}+p_z \hat{k}\)
कोणीय संवेग
L = (yPz – zpy)\( \hat{i}\) + (px – xpz ) j + (xpy – yPx) k
∴ Lx = (ypz – zpy)
Ly = (2px – xpz)
Lz = (xpy – yPx)
= 0, Ly = 0, Lg = (xpy – yPx)
अर्थात् कोणीय संवेग में केवल z अवयव होगा।

प्रश्न 7.7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल है 4 दूरी पर, समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइए इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर:
माना दो कण समान्तर रेखाओं AB व CD के अनुदिश परस्पर विपरीत दिशाओं में चाल से गति कर रहे हैं।
बिन्दु P के सापेक्ष कोणीय संवेग

इसी प्रकार Q के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_Q}=m \vec{v} \times d \times m \vec{v} \times 0\)
= \(m \vec{v} d\)
एक अन्य बिन्दु 0 माना कण P से दूरी पर है। इसी प्रकार 0 के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} x+m \vec{v}(d-x)\)
= \(m \vec{v} x+\vec{m} v d-m \vec{v} x\)
∴ \(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} d\)
स्पष्ट है कि \(\overrightarrow{L_P}=\overrightarrow{L_B}=\overrightarrow{L_O}\) यही सिद्ध करना है।
अतः द्विकण निकाय का किस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग समान रहता है।

प्रश्न 7.8.
1 भार की एक असमांग छड़ को, उपेक्षणीय भार वाली दो डोरियों से चित्र में दर्शाए अनुसार लटकाकर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊर्ध्वाधर से बने कोण क्रमश: 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
चित्र में θ1 = 369° θ2 = 53.1° यदि डोरी से लगे तनाव T1 व T2 को क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर में वियोजित करें, तो
T1 sinθ1 = T2 sinθ2
या

माना द्रव्यमान केन्द्र एक सिरे से d दूरी पर है।
अत: C के सापेक्ष घूर्णन सन्तुलन के लिए,
या
T1 cosθ1 x d = T2 cosθ2 x (2 – d)
T1 cos 36.9°x d = T2 cos 53.1 x ( 2 – d )
या T1 x 0.8366 x d = T2 x 0.6718 x (2 – d)
∵ T1 = 1.352372
∴ 1.3523 T2 × 0.8366d = 2T2 ×0.6718 -T2 x 0.6718 x d
या (1.1313 + 0.6718) d = 1.3436
1.8d = 1.3
या
d = \(\frac{1.3}{1.8}\) = 0.72 m
अतः बाएँ सिरे से गुरुत्व केन्द्र की दूरी 72 cm

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.9.
एक कार का भार 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8m है। इसका गुरुत्व केन्द्र अगली धुरी से 1.05m पीछे है। समतल धरती द्वारा इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
m = 1800kg
द्रव्यमान केन्द्र की अगली धुरी से दूरी = 1.05m
दोनों धुरी के मध्य दूरी = 1.8m
माना R1 व R2 पहियो पर धरती द्वारा लगा प्रतिक्रिया बल है।

गाड़ी सन्तुलन अवस्था में है, अतः ऊर्ध्वाधर दिशामें लगे बलों का सदिश योग शून्य होगा।
R1 + R2 – mg = 0
या
R1 + R2 = mg
या R1 + R2 = 1800× 9 8 = 17640 …….(1)
बिन्दु C के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
R1 × 1.05 = R2 (1.8 – 1.05 ) = R2 x 0.75
या
\(\frac{R_1}{R_2}=\frac{5}{7}\)
R1 का मान समी० (1) में मान रखने पर,
\(\frac{5}{7}\)R2 + R2 = 1800 x 9.8
या
\(\frac{12}{7}\)R2 = 1800 x 9.8
∴ \(R_2=\frac{1800 \times 9.8 \times 7}{12}\)
= 10290 N
R2 का मान समी० (1) में रखने पर,
R1 + 10290 = 17640
R1 = 17640 – 10290 = 7350 N

प्रश्न 7.10.
(a) किसी गोले का, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{2}{5}\)MR2 है। यहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{M R^2}{4}\) है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) गोले का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण
= \(\frac{2}{5}\)MR2
समान्तर अक्षों की प्रमेय से स्पर्श रेखा के परितः जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या
\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{2}{5}\)2 + MR2

∵ समान्तर अक्षों के मध्य दूरी: = a = R
=\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{7}{5}\)2 + MR2
(b) डिस्क का व्यास के परित: जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{M R^2}{4}\)
इसलिए चकती के केन्द्र से गुजरने वाली व तल के लम्बवत् अक्ष के
सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{y^{\prime}}\) (लम्ब अक्ष की प्रमेय से)
∵ दोनों व्यास समान हैं,
अत:
\(I_{x^{\prime}}\) = \(I_{y^{\prime}}\)
या
∴ \(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{x^{\prime}}\) = 2\(I_{x^{\prime}}\)
या \(I_{z^{\prime}}\) = 2 × \(\frac{M R^2}{4}\) = \(\frac{M R^2}{2}\)
∴ डिस्क के लम्बवत् कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या

\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{M R^2}{2}\) + MR2

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल आघूर्ण लगाये गये हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और अपने केन्द्र में गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः एक दिये गये मय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर:
खोखले बेलन का अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I1 = MR2
τ = I1α1
∴ α1 = \(\frac{\tau}{I_1}=\frac{\tau}{M R^2}\)
∴ कोणीय चाल ω1 = ω0 + α1t
ω1 = 0 + \(\frac{\tau}{M R^2}\) t = \(\frac{\tau}{M R^2}\) t …(1)
इसी प्रकार ठोस गोले का केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
I1 = MR2,
τ = l2α2
∴ \(\alpha_2=\frac{\tau}{I_2}=\frac{\tau}{2 M R^2} \times 5\)
कोणीय चाल ω2 = \(\frac{5 \tau}{2 M R^2}\)
\(\frac{\omega_1}{\omega_2}=\frac{2}{5}\) अर्थात् ω2 > ω1
अतः गोले की कोणीय चाल अधिक होगी।

प्रश्न 7.12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिण्डर अपने अक्ष के परितः 100 rads-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिण्डर की त्रिज्या 0.25m है। सिलिण्डर के घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिण्डर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान
M = 20kg
ω = 100 rad s-1
त्रिज्या R = 0.25m
अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\tau}{M R^2}\)
= \(\frac{1}{2}\) x 20 x (0.25)2
= 0.625kgm2
घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा K = \(\frac{1}{2}\)Iω2
= \(\frac{1}{2}\) x 0625 x (100)2
= 3.125 × 103 J
कोणीय संवेग का परिमाण L = Iω = 0.625 × 100
= 62.5 kgm2 S-1

प्रश्न 7.13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णी मंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़कर अपना जड़त्व आघूर्ण अपने आरम्भिक जड़त्व आघूर्ण का-गुना कर लेता है। तो इस स्थिति में उनकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।
(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरम्भिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(a) प्रारम्भ में निकाय का जड़त्व आघूर्ण l1 = I
हाथों को सिकोड़ने पर जड़त्व आघूर्ण l2 = \(\frac{2}{5}\)I
ω1 = 40 rev/min, ω2 = ?
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
∴ ω2 = \(\frac{I_1 \omega_1}{I_2}=\frac{I \times 40}{2 / 5 I}=\frac{40 \times 5}{2}\)
= 100 rev/min.
(b) प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा K1 = \(\frac{1}{2}\)Iω12
अन्तिम गतिज ऊर्जा K2 = \(\frac{1}{2}\)I2ω12
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{2}{5}\) × \(\left(\frac{5 \omega_1}{2}\right)\)2
= \(\frac{5}{2}\) \(\frac{1}{2}\)Iω12
∴ K2 = \(\frac{5}{2}\)K1 = 2.5 K1
अर्थात् अन्तिम गतिज ऊर्जा, प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा की 2.5 गुनी है। व्याख्या-बच्चा हाथ सिकोड़ने में अपनी पेशियों की आन्तरिक ऊर्जा खर्च करता है जिससे गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिण्डर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाये तो सिलिण्डर का कोणीय त्वरण क्या होगा? रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है?
यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है।
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान M = 3kg
त्रिज्या R = 0.4m
खोखले सिलिण्डर का जड़त्व आघूर्ण
1 = MR2 = 3 x (0.4)2
= 0.48 kgm2
रस्सी पर आरोपित बल F = 30N
τ = rF
= 0.4 × 30 = 12Nm
∴ कोणीय त्वरण α = \(\frac{\tau}{I}=\frac{12}{0.48}\)
= 25 rad s-1
रस्सी का रेखीय त्वरण a = rα
= 04 x 25 = 10ms-2

प्रश्न 7.15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rad s-1 की एकसमान कोणीय चाल बनाये रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 Nm का बल-आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट: घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल-आघूर्ण शून्य है। व्यवहार में लगाये गये बल की आवश्यकता घर्षणी बल-आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
उत्तर:
दिया है = 200 rads-1 (नियत है)
r = 180Nm
इंजन के लिए आवश्यक शक्ति
P = इंजन द्वारा घूर्णक को दी गई शक्ति
[∵ n = 100%]
= τω = 180Nm x 200rad s
= 36 × 103W = 36 kW

प्रश्न 7.16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से \(\frac{R}{2}\) त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से \(\frac{R}{2}\)
दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना दिये हुए वृत्ताकार पटल का केन्द्र O और व्यास AB है।
OA =OB = R = त्रिज्या

इस पटल से, व्यास OB का वृत्त काटकर निकाल दिया जाता है।
माना इकाई क्षेत्रफल का द्रव्यमान = m
मूल डिस्क का द्रव्यमान M = m x πR2
हटाई गई चकती का द्रव्यमान M = m x π\(\frac{R}{2}\)2
= m x \(\frac{\pi R^2}{4}\) = \(\frac{M}{4}\)
∴ शेष चकती का द्रव्यमान M2 = M – \(\frac{M}{4}\)
= \(\frac{3M}{4}\)
∴ सन्तुलन के लिए गुरुत्व केन्द्र बिन्दु G पर है जो O से x दूरी पर है। माना O मूलबिन्दु है।
∴ M1\(\left(\frac{R}{2}\right)\) + M2x = 0
या
\(\frac{M}{4} \times \frac{R}{2}+\frac{3 M}{4} \times x\)
या
\(\frac{R}{2}\) = -3x
x = –\(\frac{R}{6}\)
अतः गुरुत्व केन्द्र O से \(\frac{R}{6}\) दूरी पर बायीं ओर है।

प्रश्न 7.17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर सन्तुलित हो जाती है। जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0cm चिह्न पर सन्तुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
माना मीटर छड़ का द्रव्यमान M है।
छड़ के G पर 455 cm दूर सन्तुलन की स्थिति में
10g x (45 – 12) = mg (50 – 45)
या
10g × 33 = mg x 5
∴ m = \(\frac{10 \times 33}{5}\) = 66g

प्रश्न 7.18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।
(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?
उत्तर:
गोले के लिए, वेग \(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+K^2 / r^2}}\)
ठोस गोले के लिए, I = MK2 = \(\frac{2}{5}\)M
\(\frac{k^2}{r^2}=\frac{2}{5}\)
\(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+\frac{2}{5}}}\)
= \(\sqrt{\frac{10}{7} g h}\)
अतः सूत्र से स्पष्ट है वेग झुकाव कोण θ पर निर्भर नहीं है। अतः दोनों तलों पर एक ही वेग से नीचे पहुँचेगा।
(b) समय \(t=\sqrt{\frac{2 s\left(1+K^2 / r^2\right)}{g \sin \theta}}\)
(c) अतः समय झुकाव कोण पर निर्भर करता है। झुकाव कोण जितना कम होगा, गोलों को लुढ़कने में उतना ही अधिक समय लगेगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.19
2m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
वलय की गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{1}{2}\)Iω2 + \(\frac{1}{2}\)Mv2cm
∴ वलय का जड़त्व आघूर्ण
I = MR2
{∵ M = 100kg, R = 2 m}
= 100x (2)2 = 400kgm2
Vcm = 20cms-1
= 0.2ms-1
ω = \(\frac{v_{c m}}{R}\) = \(\frac{0.2}{2}\)
= 0.1 rads-1
∴ K = \(\frac{1}{2}\) x 400 x (0.1)2 + \(\frac{1}{2}\) x 100 x (0.2)2
= 2 + 2 =4J
कार्य ऊर्जा प्रमेय से गतिज ऊर्जा ही रोकने के लिए किये गये कार्य के तुल्य होगी।
∴ किया गया कार्य W = ∆K
= 4 – 0 = 4J

प्रश्न 7.20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 x 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 1.94 × 10-46 kgm2 है। मान लीजिए किसी गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा, की गतिज ऊर्जा की दो-तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
m = 5.3 x 10-26 kg
I = 1.94 × 10-46 kgm2
v = 500ms-1
स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा
Kt = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\) × 5.3 × 10-26 × (500)2
= 6.625 × 10-21J
घूर्णन गतिज ऊर्ज Kr = \(\frac{2}{3}\)Kt
\(\frac{1}{2}\)Iω2 = \(\frac{2}{3}\) × 6.625 × 10-21
या
ω2 = \(\frac{2}{3} \times \frac{6.625 \times 10^{-21} \times 2}{1.94 \times 10^{-46}}\)
या
ω2 = 4.45 × 1024
या
∴ ω = \(\sqrt{45.5 \times 10^{24}}\)
= 6.75 × 1012 rad s-1

प्रश्न 7.21.
एक बेलन 30° कोण बनाते हुए आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5m/s है।
(a) आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जायेगा?
(b) वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?
उत्तर:
(a) θ = 30°;
Vcm = 5ms-1
mgh = \(\frac{1}{2}\) mv2cm \(\left[1+\frac{K^2}{R^2}\right]\)
∵ बेलन के लिए, I = MK2 = MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)

gh = \(\frac{1}{2}\)v2cm\(\left[1+\frac{1}{2}\right]\)
= \(\frac{3}{4}\)v2cm
h = \(\frac{3 v_{c m}^2}{4 g}\)
= \(\frac{3 \times(5)^2}{4 \times 9.8}\)
= 1.91 cm
∵ sinθ = \(\frac{h}{s}\)
∴ s = \(\frac{h}{\sin \theta}=\frac{1.91}{\sin 30^{\circ}}\)
= 1.91 × 2 = 3.82m

प्रश्न 7.22.
जैसा चित्र में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढ़ी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6m है और इनको 4 पर कब्जा लगाकर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के अनुदिश B से 1.2m की दूरी पर स्थित बिन्दु से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षणरहित है और सीढ़ी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीढ़ी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।
(g = 9.8 m/s2 लीजिए)।

[संकेत-सीढ़ी के दोनों ओर के सन्तुलन पर अलग-अलग विचार कीजिए।]
उत्तर:
माना रस्सी DG में तनाव T है।
N1 व N2 क्रमश: B व C पर प्रतिक्रिया बल हैं।

∵ दिया है: BA – CA = 1.6m, DE = 0.5m,
m = 40kg BF = 1.2m, DE = 0.5m
∴ DG = 0.25 m
∴ BC = 0.5 x 2 = 1.0m
∴ BK = 0.5 = CK,
FH = \(\frac{1}{2}\) DG
= \(\frac{1}{2}\) x 0.25 = 0.125 m
AD = 0.8m
AG = \(\sqrt{A D^2-D G^2}\)
= \(\sqrt{(0.8)^2-(0.25)^2}\)
= 0.76m
सन्तुलन की स्थिति में N1 + N2 = mg = 40 x 9.8
N1 + N2 = 392
बिन्दु A के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
– N1 × BK + mg X FH + N2 × CK + T × AG – T× AG = 0
-N1 x 0.5 + 40 × 9.8 × 0.125 + N2 x 0.5 = 0
या
(N1 – N2) 0.5 = 40 x 9.8 x 0.125
या
N1 – N2 = 392 × 0.125 x 2
या
N1 – N2 = 98
समी० (1) व (2) को जोड़ने पर 2N1 = 490
या
N1 = 245 N
N2 = 392 – 245
= 147N
AB सीढ़ी का घूर्णी सन्तुलन, A के सापेक्ष लेने पर,
mg x FH – N1 x BH +T X AG = 0
या
40 × 9.8 × 0.125 – 245 x 0.5 + 7 x 0.76=0
Tx 0.76 = 245 x 0.5 – 40 x 9.8 x 0.125
122.5 – 49 = 73.5
∴ T = \(\frac{73.5}{0.76}\)
= 96.7N

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प्रश्न 7.23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफार्म पर खड़ा है, उसने अपनी दोनों बाँहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफार्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाँहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन पथ से प्रत्येक भार की दूरी 90cm से बदलकर 20 cm हो जाती है। प्लेटफार्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg m2 ले सकते हैं।
(a) उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)।
(b) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है, यदि नहीं तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति का जड़त्व आघूर्ण I = 7.6kgm2
ω2 = 30 rev/min; ω2 = ?
गोलों का द्रव्यमान = m2 =5kg;
अक्ष से दूरी r2 = r3 = 0.9m
I1 = I + m2r22 + m3r32
= 7.6 + 5 x (0.9) + 5 x (0.9)
= 15.7 kg m2
बाँहों को सिकोड़ने पर दूरी r2 = r3 = 0.2m
I2 = I + m2r2 + m3r32
= 7.6 + 5 × (0.2)2 + 5 × (0.2)2 = 8 kgm2
(a) कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
नया कोणीय वेग = 59 rev/min.
(b) इस क्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती है बल्कि हाथों को मोड़ने पर कार्य करने से गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.24.
10g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र से टकराकर उसमें अन्तः स्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.00m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनमें गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है। गोली के दरवाजे में अन्तः स्थापन के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
[संकेत- एक सिरे से गुजरती ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{\mathrm{Ml}^2}{3}\)2
उत्तर:
जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\mathrm{ML}^2}{3}\) = \(\frac{1}{3}\) × 12 × (1.0)2
= 4.0kgm2
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से, संघट्ट के पूर्व गोली का कोणीय संवेग
= संघट्ट के बाद दरवाजे का कोणीय संवेग
mvr = lw या 0.01 x 500 x \(\frac{1}{2}\) = 4 x ω
∴ ω = \(\frac{2.5}{4}\) = 0.625 rad s-1
अतः गोली धँसने के तुरन्त बाद दरवाजा 0.625 rad s-1 कोणीय वेग से घूमना प्रारम्भ करेगा।

प्रश्न 7.25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने-अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलम्बवत् तथा चक्रिका के केन्द्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व आघूर्ण I1 तथा I2 हैं और जो ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही हैं, को उनके घूर्णन अक्ष सम्पाती करके आमने-सामने (सम्पर्क में) लाया जाता है। (a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है? (b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω12 लीजिए।
उत्तर:
माना सम्पर्क में आने के पश्चात् दोनों चक्रिकाएँ उभयनिष्ठ कोणीय वेग ω से घूर्णन करती हैं।
∵ निकाय पर बाह्य बल आघूर्ण शून्य है। अतः निकाय का कोणीय संवेग संक्षित रहेगा।
∴ I1ω1 + I2ω2 = (I1 + I2
∴ निकाय की नई कोणीय चाल ω = \(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\)
निकाय की नई गतिज ऊर्जा
K2 = \(\frac{1}{2}\)(I1 + I22
= \(\frac{1}{2}\)(I1 + I2)\(\left(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\right)^2\)
= \(\frac{1}{2}\)\(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
जबकि प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
K1 = \(\frac{1}{2}\)I1ω12 + \(\frac{1}{2}\)I2ω22
∴ ∆K = K1 – K2
= \(\frac{1}{2}\)(I1ω12 + I2ω22) – \(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
= \(\frac{1}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [I12ω12 + I22ω22 + I1I212 + ω22) – I12ω12 – I22ω22 – 2I1I2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [ ω12 + ω22 – 2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\)(ω1 – ω2)2
अतः एक चक्रिका में ऊर्जा हानि होती है। यह हानि चक्रिका की सम्पर्क सतह पर घर्षण बल के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 7.26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
(b) समान्तर अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
उत्तर:
(a) लम्बवत् अक्षों की प्रमेय की उत्पत्ति अनुच्छेद (Perpendicular Axes):
इस प्रमेय के अनुसार, ” किसी समतल पटल (plane lamina) का इसके तल के लम्बवत् अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण पटल के तल में स्थित दो पारस्परिक लम्बवत् अक्षों के सापेक्ष जड़त्व-आघूर्णों के योग के तुल्य होता है जबकि अभीष्ट अक्ष दोनों लम्बवत् अक्षों के कटान बिन्दु से होकर गुजरती है।”
यदि समपटल के तल में स्थित दो लम्बवत अक्षों OX तथा OY के परित: पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः IX तथा IY तथा इन अक्षों के कटान बिन्दु से जाने वाली तथा तल के लम्बवत् अक्ष OZ के परित: समपटल का जड़त्व आघूर्ण IZ हो तो
IZ = IX + IY
उपपत्ति (Proof):
माना X व Y पटल के तल में स्थित दो लम्बवत् अ क्षें हैं, जो O पर मिलती हैं और O से ही पटल के तल के लम्बवत् अभीष्ट अक्ष गुजरती है। माना बिन्दु P(x, y) पर स्थित द्रव्यमान कण का द्रव्यमान m है तथा यह Z अक्ष से r दूरी पर स्थित है।

∴ Z-अक्ष के सापेक्ष पटल का जड़त्व आघूर्ण
IZ = ∑mr2 ……..(1)
इसी प्रकार X व Y अक्ष के सापेक्ष पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः
IX = ∑my2
तथा IY = ∑mx2
r2 = x2 + y2
अत: समी० (1) से
IZ = ∑m(x2 + y2)
= ∑mx2 + ∑my2
= IY + IX
था
IZ = IX + IY ………..(2)
प्रत्येक पिण्ड घूर्णन अक्ष के लम्बवत् अनेक समतल पटलों में विभाजित किया जा सकता है। अतः उपरोक्त प्रमेय सभी द्विविमीय पिण्डों के लिए यथार्थ होती है।

(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय:
उपपत्ति-माना पिण्ड के भीतर स्थित m द्रव्यमान के किसी कण पर द्रव्यमान केन्द्र से दूरी x है।
कण का AB अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I = m(x + a)2
∴ सम्पूर्ण पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण (AB अक्ष के सापेक्ष)
I = Em(x + a)2
या
= Em(x2 + a2 + 2ax)
= Emx2 + Ema2 + 2a∑mx
I = I + a2∑m+0
(∴ ∑mx = 0 द्रव्यमान केन्द्र के परितः कणों के द्रव्यमान आघूणों का योग शून्य होता है।)
या
I = Ic + Ma2

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प्रश्न 7.27.
सूत्र को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल आघूर्णो के विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ लोटनिक गति करते पिण्ड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है। आनत तल पर वह ऊँचाई है जहाँ से पिण्ड गति प्रारम्भ करता है। K सममित अक्ष के परितः पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिण्ड की त्रिज्या है।
उत्तर:
चित्र में m द्रव्यमान व R त्रिज्या का कोई गोलीय पिण्ड, जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है, ऐसे आनत तल पर लुढ़कता है। जो क्षैतिज से θ कोण पर झुका है। इस स्थिति में लगने वाले बल

(i) mg (भार) नीचे
(ii) आनत तल की प्रतिक्रिया N ( लम्बवत् ऊपर की ओर )
(iii) स्पर्श रेखीय स्थैतिक घर्षण बल fs (आनत तल के समान्तर ऊपर की ओर)
∴ mg sinθ – f = ma …(1)
N = mg cosθ …(2)
यदि बल आघूर्ण τ = Rfs
∵ τ = Iα
∴ Rfs = Iα = I.\(\frac{a}{R}\)
[∵ a = αR ,α = \(\frac{a}{R}\)]
fs = \(\frac{I a}{R^2}\) का मान समीकरण (1) में रखने पर,
mg sinθ – \(\frac{I a}{R^2}\) = ma

प्रश्न 7.28.
अपने अक्ष पर ω कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिये बिना) किसी पूर्णत: घर्षण रहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R है। चित्र में दर्शाई गई चक्रिका के बिन्दुओं A, B तथा C पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यह चक्रिका चित्र में दर्शाई गई दिशा में लोटनिक गति करेंगी?

उत्तर:
वेग v = rω
बिन्दु A पर, vA = Rω0(A X के अनुदिश)
बिन्दु B पर, vB = Rω0(BX) के अनुदिश
बिन्दु C पर, vC = \(\frac{R}{2}\)ω0 (AX के समान्तर)
यहाँ घर्षण बल नहीं है अत: चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

प्रश्न 7.29.
स्पष्ट कीजिए कि 7.28 में दिए गए चित्र में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने के पूर्व घर्षणी बल आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?
उत्तर:
(a) B पर घर्षण बल, B के वेग का विरोध करता है। अत: घर्षण बल तथा तीर की दिशा समान है। घर्षण बल आघूर्ण के कार्य करने की दिशा इस प्रकार है कि यह कोणीय गति का विरोध करता है।
इसमें ω कागज के पृष्ठ के अन्तर्मुखी तथा τ कागज के पृष्ठ के बहिर्मुखी है।
(b) लोटनिक गति के लिए आवश्यक है कि B बिन्दु पर वेग शून्य है। इस समय घर्षण बल का मान भी शून्य हो जाता है।

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प्रश्न 7.30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षैतिज मेज पर एक ही क्षण 10π rad s-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरम्भ कर देगा? गतिज घर्षण गुणांक, μs = 0.21
उत्तर:
समय में द्रव्यमान केन्द्र द्वारा प्राप्त वेग
v = u + at
v = at …(1)
द्रव्यमान केन्द्र की स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ के लिए आवश्यक बल घर्षण से मिलता है।
∴ F = ma = μkmg
या
a = μkmg
∴ समी० (1) से,
v = μkgt …(2)
घर्षण के कारण बल आघूर्ण कोणीय वेग ω0 में मन्दन उत्पन्न करता है।
∴ τ = -Iα = RF = Rμkmg
∴ α = \(\frac{-\mu_k m g R}{I}\)
∴ ω = ω0 + αt = ω0 – \(\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\) …..(3)
लोटनिक गति प्रारम्भ होने की शर्त v = Rω
समी० (2) व (3) से,
μkgt = \(R\left[\omega_0-\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\right]\)
या
μkgt = Rω0 – \(\frac{\mu_k m g R^2}{I}\) × t
या
μkgt \(\left[1+\frac{m R^2}{I}\right]\) = Rω0
वलय में,
I = mR2
या
∴ μkgt[1 + 1] = Rω0
या
t = \(\frac{\omega_0 R}{2 \mu_k g}\) ……..(4)
चक्रिका में,
\(I=\frac{M R^2}{2}\)
…(4)
∴ μkgtd \(\left[1+\frac{m R^2 \times 2}{m R^2}\right]\) = Rω0
समी० (4) व (5) से स्पष्ट है कि
tR > td
स्पष्ट है कि td का मान कम है। अतः चक्रिका पहले लोटनिक गति प्रारम्भ करेगी।
tR = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 2}\)
= 0.25 s
तथा
td = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 3}\) …(6)
= 0.17s

प्रश्न 7.31
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिण्डर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धतः लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक μs = 0.25 है।
(a) सिलिण्डर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
(b) लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
(c) यदि समतल के झुकाव 8 में वृद्धि कर दी जाये तो θ के किस मान पर सिलिण्डर परिशुद्धता लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरम्भ कर देगा?

उत्तर:
लोटनिक गति में द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण
a = \(\frac{g \sin \theta}{1+K^2 / R^2}\)
सिलिण्डर के लिए
gsine 1+K2/R2
I = MK2 = \(\frac{1}{2}\) MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)
⇒ a = \(\frac{g \sin \theta}{1+\frac{1}{2}}=\frac{2}{3} g \sin \theta\)
∴ a = \(\frac{2}{3}\) × 9.8sin30°
= \(\frac{2}{3}\) × 9.8 × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{9.8}{3}\)m/s2
(a) चित्र में, mg sinθ – f = ma
सिलिण्डर पर घर्षण बल f = mg sinθ – ma
f = m (g sinθ – a)
= 10[9.8 × sin 30° – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 10 [ 9.8 x \(\frac{1}{2}\) – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 16.4 N

(b) लोटन की अवधि में सम्पर्क पिण्ड विरामावस्था में होता है।
अतः घर्षण के लिए किया गया कार्य W = 0

(c) τ = Iα = \(\frac{I a}{R}\)
a का मान रखने पर, RF = \(\frac{I a}{R}\)
∴ F = \(\frac{I a}{R^2}=\frac{I \times \frac{2}{3} g \sin \theta}{R^2}\)
∵ सिलिण्डर में,
I = \(\frac{m R^2}{2}\)
∴ F = \(\frac{m R^2}{2} \times \frac{2}{3} \frac{g \sin \theta}{R^2}\)
∵ F = μsR,
F = \(\frac{1}{3}\)mg sinθ
∵ चित्र में Rmg cosθ
s = tanθ
{∵ μs = 0.25}
या
3 x 0.25 = tantanθ
या
tanθ = 0.75
∴ θ = 37°

प्रश्न 7.32.
नीचे दिये गये प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन-सा सत्य है और कौन-सा असत्य?
(a) लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र गति करता है।
(b) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(e) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
(d) परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) किसी पूर्णत: घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिये की गति फिसलन गति ( लोटनिक गति नहीं ) होगी।
उत्तर:
(a) सत्य, घर्षण, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की विपरीत दिशा में कार्य करता है अर्थात् द्रव्यमान केन्द्र की दिशा में गति करता है।
(b) सत्य, लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर तात्क्षणिक चाल शून्य है।
(c) असत्य, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की दिशा बदलने से त्वरण शून्य नहीं होती है।
(d) सत्य, सम्पर्क बिन्दु पर घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।”
(e) सत्य, घर्षण बल ही लोटनिक गति के लिए आवश्यक बल आघूर्ण उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग-अलग करके विचार करना।
दर्शाइए कि – (a) \(\overrightarrow{p_i}=\overrightarrow{p_i^{\prime}}+m_i \overrightarrow{v_i}\)
जहाँ \(\vec{p}_i \) (m) द्रव्यमान वाले)/ वें कण का संवेग और
\(\overrightarrow{p_i^{\prime}}=m_i \overrightarrow{v_i^{\prime}}\)
ध्यान दें कि \(\overrightarrow{v_i^{\prime}}\) द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष वें कण का वेग है। द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि \(\Sigma \overrightarrow{p_i^{\prime}}=0\)

(b) K = K’+ \(\frac{1}{2}\) Mv2
K कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, K’ निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाए। Mv2/2 सम्पूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है।

(c) \(\text { (c) } \vec{L}=\overrightarrow{L^{\prime}}+\vec{R} \times M \vec{v}\)
जहाँ \(L^{\prime}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \overrightarrow{p_i^{\prime}}\) द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गये हैं। याद कीजिए \(\overrightarrow{r_i^{\prime}}=\overrightarrow{r_i}-\vec{R}\) शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि \(\overrightarrow{\boldsymbol{L}}\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं \(\overrightarrow{M R} \times \vec{v}\) इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

(d) \(\frac{d \overrightarrow{L^{\prime}}}{d t}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \frac{d \overrightarrow{p^{\prime}}}{d t}\)
यह भी दर्शाइए कि \(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)
(जहाँ \(\tau \text { ext }\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत: द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्हीं दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]
उत्तर:
माना दृढ़ पिण्ड के कणों के द्रव्यमान क्रमश: m1 m2 हैं जिनकी मूलबिन्दु 0 के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमश: r1r2 हैं। दृढ़ पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र G है जिसका मूलबिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश तथा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कणों की स्थिति क्रमशः
r1r2 …………हैं।
सदिश से,

(c) समी० (1) में \(\vec{p}_i=m_i \overrightarrow{v_i}+p_1^{\prime}\)
बाईं ओर से का सदिश गुणा करने पर

यहाँ I सम्पूर्ण पिण्ड का मूलबिन्दु के परितः कोणीय संवेग है तथा \(\vec{R} \times M \vec{v}\) द्रव्यमान केन्द्र का मूलबिन्दु के सापेक्ष कोणीय संवेग तथा \(\Sigma r_i^{\prime} \times p_i^{\prime}=L_i^{\prime}\) पिण्ड का द्रव्यमान के सापेक्ष कोणीय संवेग है।

यहाँ \(\frac{d \overrightarrow{p_i^{\prime}}}{d t}=\vec{F}_i\) वें कण पर कार्यरत् नेट बल है।
माना इस कण पर अन्य कणों द्वारा आरोपित बलों का परिणामी \(\vec{F}_i\)(int) है तथा बाह्य आरोपित बल \(\vec{F}_i\)(text) है।
\(\vec{F}_i=\vec{F}_{i \text { int }}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
\(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\Sigma r_i^{\prime} \times F_{i \text { int }}+\Sigma r_i^{\prime}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
परन्तु सभी कणों के आरोपित आन्तरिक क्रिया-प्रतिक्रिया बल सन्तुलन में होते हैं तथा द्रव्यमान केन्द्र के परितः इन बलों के आघूर्णो का सदिश योग शून्य होता है।
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times \vec{F}_{i(\text { int })}=0\)
जबकि
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times F_{i \mathrm{ext}}=\vec{\tau}_{\mathrm{ext}}\)
यहाँ \(\vec{\tau}_{\text {ext }}\) पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल का द्रव्यमान केन्द्र के परित: आघूर्ण है।
\(\frac{d \vec{L}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.1.
किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किये गये कार्य का चिह्न समझना महत्त्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक बताइए कि निम्नलिखित राशियाँ धनात्मक हैं या ऋणात्मक:
(a) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।
(b) उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।
(c) किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।
(d) किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एक समान वेग से गतिमान किसी वस्तु पर लगाये गये बल द्वारा किया गया कार्य।
(e) किसी दोलायमान लोलक को विरामावस्था में लाने के लिए वायु के प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य।
उत्तर:
(a) धनात्मक, क्योंकि व्यक्ति द्वारा बाल्टी पर लगाया गया बल व विस्थापन दोनों ऊपर की ओर समान दिशा में अर्थात् θ = 0
(b) ऋणात्मक, इस स्थिति में गुरुत्वीय बल नीचे की ओर कार्य करता है, अत: θ = 180°.
(c) ऋणात्मक वस्तु नीचे की ओर विस्थापित होगी, जबकि घर्षण विपरीत दिशा में कार्य करेगा, अतः θ = 180°.
(d) धनात्मक, वस्तु पर लगाया गया बल व विस्थापन एक ही दिशा में हैं, θ = 80.
(e) ऋणात्मक, वस्तु का प्रतिरोध बल गति को रोकने को प्रयास करता है, अत: θ = 180°

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.2.
2 kg द्रव्यमान की कोई वस्तु जो आरम्भ में विरामावस्था में है, 7N के किसी क्षैतिज बल के प्रभाव से एक मेज पर गति करती है। मेज का गतिज घर्षण गुणांक 0.1 है। निम्नलिखित का परिकलन कीजिए और अपने परिणामों की व्याख्या कीजिए:
(a) लगाए गये बल द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(b) घर्षण द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(c) वस्तु पर कुल बल द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(d) वस्तु की गतिज ऊर्जा में 10s में परिवर्तन।
उत्तर:
m = 2kg; u = 0; F = 7N; μ = 0.1; t = 10s
बल द्वारा उत्पन्न त्वरण
a1 = F /m = 7 /2 = 3.5ms-2
घर्षण बल
ff= μR = μmg = 0.1 x 2 x 9.8 = 1.96 N
घर्षण बल द्वारा उत्पन्न त्वरण
a2 = -ff/m = – \(\frac{1.96}{2}\)
∴ वस्तु पर परिणामी त्वरण
a = a1 + a2 = 3.5 – 0.98 = 2.52 ms-2
∴ वस्तु द्वारा 10s में तय की गयी दूरी
s = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
= 0 +\(\frac{1}{2}\) × 2.52 × (10)2
= 126m
(a) 10s में बल द्वारा किया गया कार्य W1 = Fscosθ
= 7 x 126 = +882J
(b) घर्षण द्वारा 10s में किया गया कार्य W2 = f1scos180°
= 1.96 × 126 × (- 1) = – 247J
(c) कुल बल द्वारा किया गया कार्य
W = W1 + W2
= 882 – 247 = 635 J
(d) कार्य ऊर्जा प्रमेय से,
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ∆K = किया गया कुल कार्य
= 635 J

प्रश्न 6.3.
चित्र में कुछ एकविमीय स्थितिज ऊर्जा फलनों के उदाहरण दिये गये हैं। कण की कुल ऊर्जा कोटि-कक्ष पर क्रॉस द्वारा निर्देशित की गई है। प्रत्येक स्थिति में, कोई ऐसे क्षेत्र बताइए, यदि कोई हैं तो, जिनमें दी गई ऊर्जा के लिए, कण को नहीं पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा भी निर्देशित कीजिए। कुछ ऐसे भौतिक सन्दर्भों के विषय में सोचिए जिनके लिए ये स्थितिज ऊर्जा आकृतियाँ प्रासंगिक हों।

उत्तर:
कण की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक नहीं हो सकत है अतः जिस स्थिति में कण की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी, कण नहीं पाया जा सकता है।
(a) x > a में Vo > E
∵ K = E – V
अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी।
अतः
कण > a में नहीं पाया जा सकता।
कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा E = 0
(b) सम्पूर्ण मान में > E, अतः कहीं नहीं जायेगा। की कुल न्यूनतम
ऊर्जा E = V1
(c) x < a तथा x > b के मध्य Vo < E
अतः कण इस क्षेत्र में रहेगा। कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा
E = -V1
(d) \(-\frac{d}{2}\) < x < \(-\frac{a}{2}\) तथा \(\frac{a}{2}\) < x < \(\frac{b}{2}\) में कण नहीं रहेगा, कण की
कुल न्यूनतम ऊर्जा E = -V1

प्रश्न 6.4.
रेखीय सरल आवर्त गति कर रहे किसी कण का स्थितिज ऊर्जा फलन v(x) = \(\frac{k x^2}{2}\) है, जहाँ दोलक का बल नियतांक है। k = 0.5 Nm-1 के लिए V(x) व x के मध्य ग्राफ चित्र में दिखाया गया है। यह दिखाइए कि इस विभव के अन्तर्गत गतिमान कुल 1J ऊर्जा वाले कण को अवश्य ही ‘वापस आना चाहिए जब यह x = +2m पर पहुँचता है।

उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा फलन V(x) = \(\frac{k x^2}{2}\)
सरल आवर्त गति में कुल ऊर्जा E = \(\frac{1}{2}\)mv2 + \(\frac{1}{2}\)kx2
परन्तु कण उस स्थिति से वापस लौटेगा जब उसकी गतिज ऊर्जा शून्य हो जायेगी।
अत:
E = \(\frac{1}{2 k x^2}\)
या
1 = \(\frac{1}{2}\) x 0.5 x x2m
या
x2m = \(\frac{2}{0.5}\) = 4
xm = ±2m
अतः कण 2m से वापस आयेगा।
∵ E = 1J, 1 = 0.5 Nm2

प्रश्न 6.5.
निम्नलिखित का उत्तर दीजिए:
(a) किसी रॉकेट का बाह्य आवरण उड़ान के दौरान घर्षण के कारण जल जाता है। जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा किसके व्यय पर प्राप्त की गई रॉकेट या वातावरण?
(b) धूमकेतु सूर्य के चारों ओर बहुत ही दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं। साधारणतः धूमकेतु पर सूर्य का गुरुत्वीय बल धूमकेतु के लम्बवत् नहीं होता। फिर भी धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। क्यों?
(c) पृथ्वी के चारों ओर बहुत ही क्षीण वायुमण्डल में घूमते हुए किसी कृत्रिम उपग्रह की ऊर्जा धीरे-धीरे वायुमण्डलीय प्रतिरोध (चाहे यह कितना ही कम क्यों न हो) के विरुद्ध क्षय के कारण कम होती जाती है फिर भी जैसे-जैसे कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है तो उसकी चाल में लगातार वृद्धि क्यों होती है?
(d) चित्र (i) में एक व्यक्ति अपने हाथों में 15 kg का कोई द्रव्यमान लेकर 2m चलता है। चित्र (ii) में वह उतनी ही दूरी अपने पीछे रस्सी को खींचते हुए चलता है। रस्सी घिरनी पर चढ़ी हुई है और उसके दूसरे सिरे पर 15 kg का द्रव्यमान लटका हुआ है। परिकलन कीजिए कि किस स्थिति में किया गया कार्य अधिक है?

उत्तर:
(a) रॉकेट की कुल ऊर्जा = mgh + \(\frac{1}{2}\) mv2 जलने पर द्रव्यमान घटने से कुल ऊर्जा भी घटेगी अतः जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा रॉकेट की ऊर्जा से ही प्राप्त होगी।
(b) धूमकेतु द्वारा सूर्य पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल संरक्षी बल है। तथा संरक्षी बल द्वारा बन्द पथ में किया गया परिणामी कार्य शून्य होता है। अतः धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
(c) जब उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा घटती है जबकि गतिज ऊर्जा बढ़ती है, अतः उसकी चाल में वृद्धि होगी।
(d) प्रथम स्थिति (i) में द्रव्यमान को उठाये रखने के लिए भार के विरुद्ध ऊपर की ओर बल लगता है जबकि विस्थापन क्षैतिज दिशा में है।
∴ θ = 90°
किया गया कार्य W = Fdcos 90°
= 0
∴ द्वितीय स्थिति (ii) में व्यक्ति द्वारा लगाया गया बल क्षैतिज दिशा में है व विस्थापन भी क्षैतिज दिशा में है।
θ = 0°
W = Fdcos 0° = mgdcos 0°
= 15 × 98 x 2 x 1
= 294 J
अतः दूसरी स्थिति में कार्य अधिक है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.6.
सही विकल्प को रेखांकित कीजिए:
(a) जब कोई संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है/ घटती है/ अपरिवर्ती रहती है।
(b) किसी वस्तु द्वारा घर्षण के विरुद्ध किये गये कार्य का परिणाम हमेशा इसकी गतिज स्थिति ऊर्जा में क्षय होता है।
(c) किसी बहुकण निकाय के कुल संवेग परिवर्तन की दर निकाय के बाह्य बल / आन्तरिक बलों के जोड़ के अनुक्रमानुपाती होती है।
(d) किन्हीं दो पिण्डों के अप्रत्यास्थ संघट्ट में वे राशियाँ, जो संघट्ट के बाद नहीं बदलती हैं, निकाय की कुल गतिज ऊर्जा / कुल रेखीय संवेग / कुल ऊर्जा हैं।
उत्तर:
(a) घटती है, क्योंकि धनात्मक कार्य के कारण वस्तु, बल की दिशा में विस्थापित होकर बल केन्द्र की ओर विस्थापित होती है। अतः इस स्थिति में x कम होगा तथा स्थितिज ऊर्जा kr2 घटेगी।
(b) गतिज घर्षण, वस्तु की गति में ही कार्य करता है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा में क्षय होता है।
(c) बाह्य बल, क्योंकि आन्तरिक बल संवेग में परिवर्तन नहीं करते हैं।
(d) कुल रेखीय संवेग, प्रत्येक संघट्ट में कुल रेखीय संवेग सदैव संरक्षित रहता है। प्रत्यास्थ संघट्ट में गतिज ऊर्जा भी संरक्षित रहती है।

प्रश्न 6.7.
बतलाइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य। अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए:
(a) किन्हीं दो पिण्डों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, प्रत्येक पिण्ड का संवेग व ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(b) किसी पिण्ड पर चाहे कोई भी आन्तरिक व बाह्य बल क्यों न लग रहा हो, निकाय की कुल ऊर्जा सर्वदा संरक्षित रहती है।
(c) प्रकृति में प्रत्येक बल के लिए किसी बन्द लूप में, किसी पिण्ड की गति में किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट में, किसी निकाय की अन्तिम गतिज ऊर्जा, आरम्भिक गतिज ऊर्जा से हमेशा कम होती है।
उत्तर:
(a) असत्य, टक्कर से पूर्व व टक्कर के पश्चात् निकाय का संवेग व गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है न कि प्रत्येक पिण्ड की।
(b) असत्य, कुल ऊर्जा सदैव संरक्षित है परन्तु बाह्य बल वस्तु की ऊर्जा परिवर्तित कर सकते हैं।
(c) असत्य, केवल संरक्षी बलों में बन्द लूप में किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) असत्य, प्रत्यास्थ टक्कर में सामान्यतः ऊर्जा की हानि होती है परन्तु विशेष परिस्थिति में ऊर्जा बढ़ भी सकती है।

प्रश्न 6.8.
निम्नलिखित का उत्तर ध्यानपूर्वक, कारण सहित दीजिए:
(a) किन्हीं दो बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, क्या गेंदों के संघट्टकी अल्पावधि में (जब वे सम्पर्क में होती हैं) कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है?
(b) दो गेंदों के किसी प्रत्यास्थ संघट्ट की लघु अवधि में क्या कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है?
(c) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट के लिए प्रश्न (a) व (b) के लिए आपके उत्तर क्या हैं?
(d) यदि दो बिलियर्ड गेंदों की स्थितिज ऊर्जा केवल उनके केन्द्रों के मध्य, पृथक्करण दूरी पर निर्भर करती है तो संघट्ट प्रत्यास्थ होगा या अप्रत्यास्थ? ( ध्यान दीजिए कि यहाँ हम संघट्ट के दौरान बल के संगत स्थितिज ऊर्जा की बात कर रहे हैं, न कि गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा की )।
उत्तर:
(a) नहीं, संघट्ट के समय गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
(b) हाँ, रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।
(c) अप्रत्यास्थ टक्कर होने पर भी समान उत्तर होंगे।
(d) प्रत्यास्थ, चूँकि स्थितिज ऊर्जा दूरी पर निर्भर करती है, अतः पिण्डों के बीच लगने वाला बल संरक्षी बल है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.9.
कोई पिण्ड जो विरामावस्था में है, अचर त्वरण से एकविमीय गति करता है। इसको किसी समय पर दी गई शक्ति अनुक्रमानुपाती है।
(i) t1/2
(ii) t
(iii) t3/2
(iv) t2
उत्तर:
त्वरण अचर है, u = 0,
v = at से,
बल F = ma (अचर)
शक्ति P = F.v = ma.at = ma2t
P ∝t

प्रश्न 6.10.
एक पिण्ड अचर शक्ति के स्रोत के प्रभाव में एक ही दिशा में गतिमान है। इसका समय में विस्थापन, अनुक्रमानुपाती है।
(i) t1/2
(ii) t
(iii) t3/2
(iv) t2
उत्तर:
P = F.v
शक्ति की विमा, [ML2T-3 ] नियत
∴ L2T-3 = नियत
या L2 ∝ T3
या L ∝ T3/2
उत्तर: (iii)
∴ विस्थापन x ∝ t3/2

प्रश्न 6.11.
किसी पिण्ड पर नियत बल लगाकर उसे किसी निर्देशांक प्रणाली के अनुसार Z-अक्ष के अनुदिश गति करने के लिए बाध्य किया गया है, जो इस प्रकार है।
\(\vec{F}=(-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \mathrm{N}\)
जहाँ, \(\hat{i}\) तथा \(\hat{j}\) क्रमश: X, Y एवं Z – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश हैं। इस वस्तु को Z-अक्ष के अनुदिश 4m की दूरी तक गति कराने के लिए आरोपित बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
\(\vec{F}=(-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \mathrm{N}\)
\(\vec{d}=4 \hat{k}\)
(वस्तु Z – अक्ष के अनुदिश गति करती है।)
W = \(\vec{F} \cdot \vec{d}\) = \((-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \cdot(4 \hat{k})\)
= 12 J

प्रश्न 6.12.
किसी अन्तरिक्ष किरण प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन का संसूचन होता है जिसमें पहले कण की गतिज ऊर्जा 10 keV है और दूसरे कण की गतिज ऊर्जा 100 keV है। इनमें कौन-सा तीव्रगामी है – इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन? इनकी चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए (इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.11 x 10-31 kg. प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.67 x 10-27 kg, 1eV = 1.60 x 10-19 J
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
E1 = \(\frac{1}{2}\)meve2
= 10 kev
= 10 x 16 × 10-16 J
प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा
E2 = \(\frac{1}{2}\)mpv2p
= 100 kev
= 100× 1.6 × 10-16 J

Ve = 13.5vp
अर्थात् इलेक्ट्रॉन तीव्रगामी है

प्रश्न 6.13.
2mm त्रिज्या की वर्षा की कोई बूँद 500m की ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरती है। यह अपनी आरम्भिक ऊँचाई के आधे हिस्से तक (वायु के श्यान प्रतिरोध के कारण) घटते त्वरण के साथ गिरती है और अपनी अधिकतम (सीमान्त) चाल प्राप्त कर लेती है और उसके बाद एकसमान चाल से गति करती है। वर्षा की बूँद पर उसकी यात्रा के पहले व दूसरे अर्ध भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? यदि बूँद की चाल पृथ्वी तक पहुँचने पर 10ms-1 हो तो सम्पूर्ण यात्रा में प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
r = 2 mm = 2 x 10-3
g = 9.8ms-2
h = 500mm
∴ अर्ध भाग की लम्बाई h1 = h2 = 250m
पानी का घनत्व p= 103 kg m-3
बूँद का द्रव्यमान m = \(\frac{4}{3}\)πr3 × p
= \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (2 × 10-3)3 x 103
= 3.35 × 10-5 kg
बूँद पर भार (गुरुत्वीय बल)
F1 = mg
= 3,35 × 10-5 × 9.8
= 3,35 × 10-4 N
कार्य: W = mg x h1 = 3.35 × 10-4 x 250 = 0.082J
गुरुत्वीय बल द्वारा दोनों स्थितियों में किया गया कार्य समान ही होगा।
कुल कार्य W = 2 x W1 = 2 × 0.082 = 0.164J
गतिज ऊर्जा E = mv2
बूँद की चाल = 10ms-1
= \(\frac{1}{2}\) × 3.35 × 10-1 x (10)2
= 1.675 × 10-3 J = 0.001675
∴ सम्पूर्ण भाग में प्रतिरोध बल द्वारा किया गया कार्य
= E – W
= 0.001675 – 0.164
= – 1.63 J

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.14.
किसी गैस पात्र में कोई अणु 200ms-1 की चाल से अभिलम्ब के साथ 30° का कोण बनाता हुआ क्षैतिज दीवार से टकराकर पुन: उसी चाल से वापस लौट जाता है। क्या इस संघट्ट में संवेग संरक्षित है? यह संघट्ट प्रत्यास्थ है या अप्रत्यास्थ?
उत्तर:
v = 200 ms-1
u = 200ms-1: θ = 30°
प्रत्येक टक्कर में संवेग सदैव संरक्षित रहता है।
टक्कर से पूर्व गतिज ऊर्जा E1 = \(\frac{1}{2}\)mu2
= \(\frac{1}{2}\)m × (200)2
टक्कर के पश्चात् गतिज ऊर्जा Ex = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\)m(200)2
स्पष्ट है कि गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है। अतः टक्कर प्रत्यास्थ है।

प्रश्न 6.15.
किसी भवन के भूतल पर लगा कोई पम्प 30m3 आयतन की पानी की टंकी को 15 मिनट में भर देता है। यदि टंकी पृथ्वी तल से 40m ऊपर हो और पम्प की दक्षता 30% हो तो पम्प द्वारा कितनी विद्युत् शक्ति का उपयोग किया गया?
उत्तर:

पानी का द्रव्यमान = आयतन x घनत्व
= 30 x 103 kg
समय t = 15 मिनट 15 x 60 सेकण्ड = 900s;
निर्गत शक्ति

= 44443W
= 44.443 kW
= 44.4kW

प्रश्न 6.16.
दो समरूपी बॉल-बियरिंग एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं और किसी घर्षणरहित मेज पर विरामावस्था में हैं। इनके साथ समान द्रव्यमान का कोई दूसरा बॉल-बियरिंग, जो आरम्भ में v चाल से गतिमान है, सम्मुख संघट्ट करता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ है तो संघट्ट के पश्चात् निम्नलिखित चित्र में से कौन-सा परिणाम सम्भव है?

उत्तर:
(i) माना प्रत्येक बॉल-बियरिंग का द्रव्यमान m है। संघट्ट से पूर्व निकाय की गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2}\)mV2 + 0 + 0
(ii) स्थिति में गतिज ऊर्जा
= 0 + 0 + \(\frac{1}{2}\)mV2 = 2mv2
अर्थात् गतिज ऊर्जा समान प्राप्त होती है।
अन्य सभी स्थितियों में गतिज ऊर्जा कम हो रही है।

प्रश्न 6.17.
किसी लोलक के गोलक 1 को, जो ऊर्ध्वाधर से 30° का कोण बनाता है, छोड़े जाने पर मेज पर, विरामावस्था में रखे दूसरे गोलक 8 से टकराता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। ज्ञात कीजिए कि संघट्ट के पश्चात् गोलक 4 कितना ऊँचा उठता है? गोलकों के आकारों की उपेक्षा कीजिए और मान लीजिए कि संघट्ट प्रत्यास्थ है।

उत्तर:
समान द्रव्यमान के पिण्डों की प्रत्यास्थ टक्कर में टक्कर के पश्चात् पिण्डों के वेग परिवर्तित हो जाते हैं अतः टक्कर के पश्चात् 4 पिण्ड स्थिर हो जायेगा व B पिण्ड, A के वेग से ऊपर उठेगा।

प्रश्न 6.18.
किसी लोलक के गोलक को क्षैतिज अवस्था में छोड़ा गया है। यदि लोलक की लम्बाई 1.5 m है तो निम्नतम बिन्दु पर आने पर गोलक की चाल क्या होगी? यह दिया गया, कि इसकी आरम्भिक ऊर्जा का 5% अंश वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाता है।
उत्तर:
h = 1.5m u = 0
बिन्दु A पर गोलक की कुल ऊर्जा = mgh
= m x 9.8 × 1.5
= 14.7 mJ
∵ 5% ऊर्जा क्षय हो जाती है
∴ शेष ऊर्जा = 95%
= \(\frac{95}{100}\) x 14.7m

माना बिन्दु B पर वेग हो तो ऊर्जा संरक्षण से,
\(\frac{1}{2}\)mV2 = \(\frac{95}{100}\) × 14.7cm
v = \(\\sqrt{\frac{95}{100} \times 14.7 \times 2}\) = \(\\sqrt{27.93}\)
v = 5.285ms-1

प्रश्न 6.19.
300 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली, 25 kg रेत का बोरा लिये हुए किसी घर्षणरहित पथ पर 27 kmh की एकसमान चाल से गतिमान है। कुछ समय पश्चात् बोरे में किसी छिद्र से रेत 0.05 kgs-1 की दर से निकलकर ट्रॉली के फर्श पर रिसने लगती है। रेत का बोरा खाली होने के पश्चात् ट्रॉली की चाल क्या होगी?
उत्तर:
ट्रॉली एकसमान चाल से चल रही है। अतः बाह्य बल F = 0 अतः निकास का रेखीय संवेग नियत रहेगा। अतः ट्रॉली की चाल 27 kmh-1 ही रहेगी।

प्रश्न 6.20
0.5 kg द्रव्यमान का एक कण v = ax3/2 सरल रेखीय गति करता है। जहाँ a = 5m1/2g-1 है। x = 0 से x = 2m तक इसके विस्थापन में कुल बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
x = 0 पर, V1 = 0
x = 2 पर, V2 = 5 x (2)3/2
कार्य = गतिज ऊर्जा में वृद्धि = \(\frac{1}{2}\)mv22 – \(\frac{1}{2}\)m12
= 2m2v7
= \(\frac{1}{2}\)m22 [∵ V1 = 0]
= 2 × 0.5 × 25 × (2)3
= 50J

प्रश्न 6.21.
किसी पवनचक्की के ब्लेड, क्षेत्रफल 4 के वृत्त जितना क्षेत्रफल प्रसर्प करते हैं:
(a) यदि हवा, वेग से वृत्त के लम्बवत् दिशा में बहती है तो समय में इससे गुजरने वाली वायु का द्रव्यमान क्या होगा? (b) वायु की गतिज ऊर्जा क्या होगी? (c) मान लीजिए कि पवनचक्की हवा की 25% ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित कर देती है। यदि A = 30m2, और V = 36kmh-1 और वायु का घनत्व 1.2kgm-3 ‘है तो उत्पन्न विद्युत् शक्ति का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
A = 30m2;
v = 36kmh-1
= 10ms-1
वायु का घनत्व p = 1.2kgm-3
(a) t समय में वृत्त से गुजरी वायु का आयतन = Avt
(आयतन = क्षेत्रफल x दूरी)
∴ वायु का द्रव्यमान ( t समय में) = Avtp
(b) वायु की गतिज ऊर्जा
K = 2m2 = 2 Avtpv2 = Aptv2
(c) t समय में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा
E = \(\frac{25}{100}\) × \(\frac{1}{8}\) Apv3t
विद्युत शक्ति P = \(\frac{E}{t}\) = \(\frac{1}{8}\)Aptv3
P = \(\frac{1}{8}\) × 30 × 1.2 × (10)3
= 4500W
= 4.5 kW

प्रश्न 6.22.
कोई व्यक्ति वजन कम करने के लिए 10 kg द्रव्यमान को 0.5m की ऊँचाई तक 1000 बार उठाता है। मान लीजिए कि प्रत्येक बार द्रव्यमान को नीचे लाने में खोई हुई ऊर्जा क्षयित हो जाती है। (a) वह गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कितना कार्य करता है? (b) यदि वसा 3.8 x 107 J ऊर्जा प्रति किलोग्राम आपूर्ति करती हो जो कि 20% दक्षता की दर से यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तो वह कितनी वसा खर्च कर डालेगा?
उत्तर:
m = 10kg; h = 0.5m n = 1000
(a) मनुष्य द्वारा 1000 बार ऊपर उठाने में किया गया कार्य
W = n (mgh)
= 1000 x 10 x 9.8 x 0.5 = 49000 J
(b) 1 kg वसा द्वारा प्रदान की गई यान्त्रिक ऊर्जा
= 3.8 x 107J का 20%
= 3.8 × 107 x \(\frac{20}{100}\)
= 3.8 × 107 (J)
= \(\frac{3.8 \times 10^7}{5}\) (J)
= \(\frac{3.8 \times 10^7}{5}\) J ऊर्जा प्राप्त होगी = 1 kg वसा से
∴ 49000J ऊर्जा प्राप्त होगी
= \(\frac{5}{3.8 \times 10^7}\) x 49000kg वसा से
= 6.45 × 10-3 kg वसा से
अतः व्यक्ति 6.45 x 10-3 kg वसा खर्च कर देगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.23.
कोई परिवार 8 kW विद्युत शक्ति का उपभोग करता है। (a) किसी क्षैतिज सतह पर सीधे आपतित होने वाले सौर ऊर्जा की औसत दर 200 Wm-2 है। यदि इस ऊर्जा का 20% भाग लाभदायक विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित किया जा सकता है तो 8KW की विद्युत् आपूर्ति के लिए कितने क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी? (b) इस क्षेत्रफल की तुलना किसी विशिष्ट भवन की छत के क्षेत्रफल से कीजिए।
उत्तर:
(a) शक्ति P = 8kW = 8000W,
सौर ऊर्जा की औसत दर = 200Wm-2
इसका 20% भाग विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित होता है।
= 200 x \(\frac{20}{100}\) = 40W
∴ 40W उपयोगी शक्ति प्राप्त होगी
= 1m2 क्षेत्रफल से
IW शक्ति प्राप्त होगी = \(\frac{1}{40}\) m2 क्षेत्रफल से
8000 W शक्ति प्राप्त होगी
= \(\frac{1}{40}\) x 8000m2 क्षेत्रफल से
= 200m2 क्षेत्रफल
अतः 8kW शक्ति प्राप्त करने के लिए 200m2 क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी।
(b) इसके लिए लगभग 15m x 14m आकार का भवन उपयुक्त होगी।

अतिरिक्त अभ्यास (Additional Exercise):

प्रश्न 6.24
0.012 kg द्रव्यमान की कोई गोली 70ms-1 की क्षैतिज चाल से चलते हुए 0.4 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से टकराकर गुटके के सापेक्ष तुरन्त ही विरामावस्था में आ जाती है। गुटके को छत से पतली तारों द्वारा लटकाया गया है। परिकलन कीजिए कि गुटका किस ऊँचाई तक ऊपर उठता है? गुटके में पैदा ऊष्मा की मात्रा का भी अनुमान लगाइए।
उत्तर:
m1 = 0.012kg m2 = 0.4kg v = ?
u1 = 70ms-1; u2 = 0
या
v= \(\frac{m_1 u_1+m_2 u_2}{\left(m_1+m_2\right)}=\frac{0.012 \times 70+0}{(0.012+0.4)}\)
= \(\frac{0.012 \times 70}{0.412}\)
= 2.04ms-1
माना गुटका ऊँचाई तक ऊपर जाता है।
∴ v2 = 2gh
या
h = \(\frac{v^2}{2 g}\)
= \(\frac{2.04 \times 2.04}{2 \times 9.8}\)
= 0.212m = 21.2cm
इस क्रिया में ऊर्जा हानि ऊष्मा में परिवर्तित होगी।
अतः
W = \(\frac{1}{2}\) m1u12 – \(\frac{1}{2}\)(m1 + m2)v2
= \(\frac{1}{2}\) × 0.012 × (70)2 – \(\frac{1}{2}\) × (0.412) × (2.04)2
= 29.4 – 0.86
= 28.52 जूल

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प्रश्न 6.25.
दो घर्षण रहित आनत पथ, जिनमें से एक की ढाल अधिक है और दूसरे की ढाल कम है, बिन्दु पर मिलते हैं। बिन्दु से प्रत्येक पथ पर एक-एक पत्थर को विरामावस्था से नीचे सरकाया जाता है। चित्रानुसार क्या ये पत्थर एक ही समय पर नीचे पहुँचेंगे? क्या वे वहाँ एक ही चाल से पहुँचेंगे? व्याख्या कीजिए। यदि θ1 = 30°, θ2 = 60° और h = 10m दिया है तो दोनों पत्थरों की चाल एवं उनके द्वारा नीचे पहुँचने में लिए गये समय क्या हैं?

उत्तर:
चूँकि दोनों आनत पथ की ऊँचाई समान है। अतः दोनों वस्तुएँ एक ही चाल से नीचे पहुंचेंगी।
त्वरण a1 = g sinθ1 तथा a2 = gsinθ2
∵ θ1 < θ2
∴ a1 < a2
∴ v = u + at से u = 0 हो तो t =
t1 < t2 या t2 < t1
अतः दूसरा पत्थर पहले की तुलना में पहले नीचे आयेगा।
h = 10m हो, तो वेग v = √2gh
= \(\sqrt{2 \times 9.8 \times 10}\) = 14 ms1
θ1 = 30° के लिए समय
v = u + at, v = gsinθ1t1

प्रश्न 6.26.
किसी रूक्ष आनत तल पर रखा हुआ 1kg द्रव्यमान का गुटका किसी 100Nm स्प्रिंग नियतांक वाले स्प्रिंग से दिये गये चित्र के अनुसार जुड़ा है। गुटके को स्प्रिंग की बिना खिंची स्थिति में, विरामावस्था से छोड़ा जाता है। गुटका विरामावस्था में आने से पहले आनत तल पर 10 cm नीचे खिसक जाता है। गुटके और आनत तल के म घर्षण गुणांक ज्ञात कीजिए। मान लीजिए कि स्प्रिंग का द्रव्यमान उपेक्षणीय है और घिरनी घर्षणरहित है।

उत्तर:
चित्र में गुटके पर लगने वाले बल प्रदर्शित हैं।
प्रतिक्रिया R = mg cos 37
∴ घर्षण f = μR = μmg cos 37° गुटके पर नीचे की ओर परिणामी बल
= mg sin 37° – μmg cos 37°
= mg [sin 37°- μcos 37°]
x विस्थापन में किया गया कार्य
W = mg (sin 37° – μcos 37° ) x x ……..(1)
इस स्थिति में स्प्रिंग 10cm विस्थापित होती है। अतः स्प्रिंग द्वारा किया गया कार्य
∵ x = 10cm = 0.1m; ∴ k = 10Nm-1
समी० (1) व (2) से,
\(\frac{1}{2}\)kx2 = mg [sin 37° – μcoscos 37°) x x
या \(\frac{1}{2}\) x 100 x (0.1) = 1 x 10 x [0.601 – μ0.798]
[∵ sin 37° = 0.6017 cos 37° = 0.798]
या
\(\frac{1}{2}\) = [0.601 – μ × 0.798]
या μ × 0.798 = [ 0.601 – 0.5]
∴ μ = \(\frac{0.101}{0.798}\)
= 0.126

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प्रश्न 6.27
0.3 kg द्रव्यमान का कोई बोल्ट 7ms-1 की एकसमान चाल से नीचे आ रही किसी लिफ्ट की छत से गिरता है। यह लिफ्ट के फर्श से टकराता है (लिफ्ट की लम्बाई 3m) और वापस नहीं लौटता है। टक्कर द्वारा कितनी ऊष्मा उत्पन्न हुई? यदि लिफ्ट स्थिर होती तो क्या आपका उत्तर इससे भिन्न होता?
उत्तर:
m = 0.4 kg; μ = 7ms-1; h = 3m
लिफ्ट की छतपर बोल्ट की स्थितिज ऊर्जा
= mgh
= 0.3 × 9.8 × 3
= 8.82 J
टक्कर के पश्चात् वोल्ट वापस नहीं लौटता है, अतः सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा, ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है = 8.82J
लिफ्ट एकसमान चाल से गति कर रही है। अतः त्वरण a = 0, अतः लिफ्ट स्थिर होने पर भली उत्तर अपरिवर्तित रहेगा। लिफ्ट जड़त्वीय निर्देश तन्त्र की भाँति व्यवहार करेगा।

प्रश्न 6.28.
200 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली किसी घर्षणरहित पर 36 kmh की एकसमान चाल से गतिमान है। 20 kg द्रव्यमान का कोई बच्चा ट्रॉली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक (10m दूर) ट्रॉली के सापेक्ष 4ms-1 चाल से ट्रॉली की गति की विपरीत दिशा में दौड़ता है और ट्रॉली से बाहर कूद जाता है। ट्रॉली की अन्तिम चाल क्या है? बच्चे के दौड़ना आरम्भ करने के समय से ट्रॉली ने कितनी दूरी तय की?
उत्तर:
ट्रॉली का द्रव्यमान
m1 = 200kg
चाल u1 = 36km h
= 36 x \(\frac{5}{18}\)
= 10ms-1
बच्चे का द्रव्यमान
m2 = 20kg
माना बच्चे की चाल = x
ट्रॉली के सापेक्ष बच्चे की चाल
V2 = 4ms-1
V2 = V1 – x
माना ट्रॉली की अन्तिम चाल
∴ बच्चे की वास्तविक चाल x = V1 – V2
संवेग संरक्षण से,
बच्चे के दौड़ना प्रारम्भ करने से पूर्व निकाय का संवेग = ट्रॉली से कूदते समय निकाय का संवेग
(m1 + m2) u1 = m1v1 + m2(V1 – V2 )
या (200 + 20) x 10 = 200 v1 + 20(v1 – 4)
या 220v1 – 80 = 2200
∴ v1 = \(\frac{2280}{220}\)
= 10.36ms-1

प्रश्न 6.29.
चित्र में दिये गये स्थितिज ऊर्जा वक्रों में से कौन-सा वक्र सम्भवतः दो बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट का वर्णन नहीं करेगा? यहाँ गेंदों के केन्द्रों के मध्य की दूरी है और प्रत्येक गेंद का अर्द्धव्यास R है।

उत्तर:
(i), (ii), (iii), (iv), (vi) ये संघट्ट का वर्णन नहीं करेंगे।
व्याख्या: जब दो गेंद संघट्ट करेंगी तो एक-दूसरे को संपीडित करेंगी जिससे दूरी घटेगी तथा स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी। परन्तु टक्कर के पश्चात् गेंदें दूर हटेंगी तो उनकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी। पुन: प्रारम्भिक आकार प्राप्त करने पर स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जायेगी। अतः (v) स्थिति इसकी सही व्याख्या करता है (टक्कर के पश्चात्)। अन्य वक्र संघट्ट का वर्णन नहीं करेंगे।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.30.
विरामावस्था में किसी मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय पर विचार कीजिए n → p + e प्रदर्शित कीजिए कि इस प्रकार के द्विपिण्ड क्षय से नियत ऊर्जा का कोई इलेक्ट्रॉन अवश्य उत्सर्जित होना चाहिए, और इसलिए यह किसी न्यूट्रॉन या किसी नाभिक के 3-क्षय में प्रेक्षित सतत ऊर्जा वितरण का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता।

उत्तर:
इस अभिक्रिया में वैज्ञानिक पॉली ने सुझाव दिया कि इसमें एक अन्य कण जिसे न्यूट्रिनों (v) कहा जाता है उत्सर्जित होता है। यह उदासीन व द्रव्यमान रहित कण है। इसका चक्रण \(\frac{1}{2}\) है।
अतः सही अभिक्रिया निम्न है n → p + e + v

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.1.
निम्नलिखित पर कार्यरत् नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए:
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूँद।
(b) जल में तैरता 10g संहति का कोई कॉर्क।
(c) कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग।
(d) 30kmh-1 के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार
(e) सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों से मुक्त अन्तरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।
उत्तर:
(a) बूँद एकसमान चाल से नीचे गिर रही है, इसलिए त्वरण a = 0, अतः बल शून्य होगा।
(b) कॉर्क पानी में तैर रहा है तो कॉर्क का भार उत्पलावक बल के तुल्य है, अतः परिणामी बल शून्य होगा।
(c) पतंग स्थिर है तो न्यूटन के प्रथम नियम से परिणामी बल शून्य होगा।
(d) कार एकसमान वेग से गति कर रही है, इसलिए त्वरण a = 0, अतः बल शून्य होगा।
(e) इलेक्ट्रॉन पर गुरुत्वीय व विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र कार्य नहीं कर रहे। हैं, अतः परिणामी बल शून्य होगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.2.
0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए-
(a) उपरिमुखी गति के समय
(b) अधोमुखी गति के समय
(c) उच्चतम बिन्दु जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका जाये तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा?
वायु प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर:
(a) कंकड़ पर बल
= mg
= 0.05 × 10
= 0.5 N
कंकड़ का भार
गुरुत्वीय बल के कारण कंकड़ पर बल लम्बवत् नीचे की ओर कार्य करेगा।
(b) अधोमुखी गति में भी 0.5 N लम्बवत् नीचे को ओर कार्य करेगा।
(c) उच्चतम बिन्दु पर भी बल 0.5 N व दिशा लम्बवत् नीचे की ओर रहेगी।
कंकड़ को 45° कोण पर फेंकने पर भी बल 0.5 N ही लगेगा। उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

प्रश्न 5.3.
0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत् नेट बल का परिणाम व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए:
(a) पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्।
(b) पत्थर को 36kmh-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात।
(c) पत्थर को 1ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्।
(d) पत्थर 1ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है।
उपर्युक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर:
(a) पत्थर पर बल = पत्थर का भार
= mg
= 0.1 × 9.8
= 0.98N
(ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर)
(b) पत्थर गाड़ी से गिरने के पश्चात् केवल पत्थर के भार के बराबर ही बल कार्य करेगा = 0.98 (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर )
(c) रेलगाड़ी से पत्थर गिरने के तुरन्त पश्चात् पूर्व त्वरण का प्रभाव नहीं रहता है।
∴ बल = 0.98N (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर)
(d) पत्थर, रेलगाड़ी के फर्श पर रखा है तो वह गाड़ी के त्वरण से ही गति करेगा। इसलिए पत्थर का त्वरण a = 1ms-2
∴ पत्थर पर नेट बल
F = ma = 0.1 x 1 = 0.IN ( क्षैतिज दिशा में)
इस स्थिति में पत्थर का भार फर्श पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया परस्पर सन्तुलित हो जाती है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.4.
l लम्बाई की एक डोरी का एक सिरा m संहति के किसी कण से, दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी खूँटी से बँधा है। यदि कण चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर (केन्द्र की ओर निर्देशित) नेट बल है:
(i) T
(ii) T – \(\frac{m v^2}{l}\)
(iii) T + \(\frac{m v^2}{l}\)
(iv) 0
T डोरी में तनाव है। (सही विकल्प चुनिए)
उत्तर:
परिणामी बल T है क्योंकि वृत्तीय गति के लिए अभिकेन्द्र बल \(\frac{m v^2}{l}\) तनाव T से प्राप्त होता है।
∴ T = \(\frac{m v^2}{l}\)

प्रश्न 5.5.
15ms-1 की आरम्भिक चाल से गतिशील 20 kg संहति के किसी पिण्ड पर 50 N का स्पर्श मंदन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
v0 = 15ms-1 m = 20kg F = 50N
∵ F = ma से,
पिण्ड का मन्दन a = F/ma = \(-\frac{50}{20}\)
= – 2.5ms2
सूत्र v = v0 + at से, अन्तिम वेग v = 0
0 = vo + at से, अन्तिम वेग v = 0
0 = 15 – 2.5 x t
t = \(\frac{15}{2.5}\) = 6s

प्रश्न 5.6.
3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25s में उसकी चाल को 2.0ms-1 से 3.5 ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
उत्तर:
m = 3.0kg; t = 25s; vo = 2.0ms-1
v = 3.5 ms-1
प्रथम समीकरण से, v = vo + at
a = \(\frac{v-v_0}{t}\)
= \(\frac{3.5-2.0}{25}\)
= 0.06ms-2
पिण्ड पर लगा बल F = ma से,
F = 3 x 0.06
= 0.18 N
बल पिण्ड की गति की दिशा में लगेगा।

प्रश्न 5.7.
5.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर 8 N व 6 N के दो लम्बवत् बल आरोपित हैं। पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
m = 5.0kg;
F1 = 8N;
F2 = 6N;
HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम 1
∴ परिणामी बल F = \(\sqrt{F_1^2+F_2^2+2 F_1 F_2 \cos 90^{\circ}}\)
= \(\sqrt{64+36}\)
F = 10N
∵ F = ma
त्वरण a = \(\frac{F}{m}=\frac{10}{5}\)
= 2 ms-1
परिणामी बल द्वारा F1 की दिशा से बनाया गया कोण
tan θ = \(\frac{F_2}{F_1}=\frac{6}{8}=\frac{3}{4}\)
θ = tan-1 \(\frac{3}{4}\)
= 37°
यही त्वरण की दिशा होगी।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.8
36kmh-1 की चाल से गतिमान किसी ऑटो रिक्शा का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन को ठीक 4.0s में रोककर उस बच्चे को बचा लेता है। यदि ऑटो रिक्शा बच्चे के ठीक निकट रुकता है, तो वाहन पर लगा औसत मन्दन बल क्या है? ऑटो रिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमश: 400 kg और 65kg हैं।
उत्तर:
u0 = 36kmh-1
= \(\frac{36 \times 1000}{60 \times 60}\) = 10ms-1
t = 4.0s
अन्तिम वेग v = 0
कुल संहति m = 400+ 65 = 465kg
सूत्र v = u0 + at से,
a = \(\frac{v-u_0}{t}=\frac{0-10}{4}\) = – 2.5ms-1
गति के द्वितीय नियम से,
त्वरण चिह्न मंदन को प्रदर्शित करता है।
औसत मन्दन बल F = ma
= 465 × 2.5
= 1162.5 N

प्रश्न 5.9.
20000 kg उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में 5ms-2 के आरम्भिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरम्भिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
उत्तर:
रॉकेट का द्रव्यमान
m= 20000kg
त्वरण = 5ms-2
माना रॉकेट पर प्रणोद / ऊपर की ओर लगा रहा है जिससे रॉकेट a त्वरण से ऊपर की ओर गति कर रहा है।
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बलों के सन्तुलन से,
F – mg = ma
∴ F = m(g + a)
= 20000(10 + 5) = 20000 × 15
∴ F = 3.0 × 105 N

प्रश्न 5.10.
उत्तर की ओर 10ms-1 की एकसमान आरम्भिक चाल से गतिमान 0.40 kg संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश 8.0 N का स्थाई बल 30 के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे t = 0 तथा उस समय पिण्ड की स्थिति x = 0 लीजिए। t = -5s: 25s; 100s पर इस कण की स्थिति क्या होगी?
उत्तर:
m = 0.40kg; vo = 10ms-1 (उत्तर दिशा में);
F = -8N ( ∵ दिशा दक्षिण है इसलिए -ve चिह्न प्रयुक्त किया है।)
0 < t < 30
मन्दन a = \(\frac{F}{m}=\frac{-8}{0.40}\)
= 20 ms-2
(i) = -5s अर्थात् बल लगाने से पूर्व की स्थिति है, जब त्वरण शून्य है।
x = Ut + \(\frac{1}{2}\) at-2
= 10 x (-5) = -50m

(ii) t = 25s पर a = -20ms-2 होगा
(iii) t = 100s, यहाँ t = 30s तक त्वरण -20ms-2 होगा।
जबकि 30s से 100s = 70s तक त्वरण a = 0 होगा।
∴ x1 = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
x1 = 10 x 30 + \(\frac{1}{2}\)(-20)(30)2 = -8700m
30s के पश्चात् अन्तिम वेग v = uo + at
v = 10 – 20 x 30
= -590ms-1
कुल दूरी x = x1 + x2
= -8700 + (-41300)
= -8700 – 41300
= -50000m
= – 50km

प्रश्न 5.11.
कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरम्भ करके 2.0ms-2 के समान त्वरण से गतिशील रहता है। t = 10s पर ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से 6m की ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है t = 11s पर पत्थर का (a) वेग, तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
vo = 0; a = 2ms-2; r = 10s
अन्तिम वेग v = vo + at
v = 0+ 2 × 10
= 20ms-1
(a) x दिशा में त्वरण शून्य होता है अतः वेग का क्षैतिज घटक Vx = 20 ms-1
y दिशा में त्वरण a = g = 10ms2
∴ vy = uy + at, t = 10s से पत्थर गिरता है।
t = 11s पर वेग ज्ञात करना है।
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vy = 0 + 10 × 1 = 10ms-1
क्योंकि
t = 11 – 10 = 1sec
परिणामी वेग
v = \(\sqrt{v_x^2+v_y^2}=\sqrt{(20)^2+(10)^2}\)
= \(\sqrt{500}\)
= 22.4ms-1
यदि θ क्षैतिज दिशा में बना कोण हो, तो
tan θ = \(\frac{v_y}{v_x}=\frac{10}{20}=\frac{1}{2}\)
θ = tan-1\(\frac{1}{2}\)
(b) पत्थर पर गुरुत्वीय त्वरण कार्य करता है। अतः t = 11s पर त्वरण a = 10ms-2 होगा।

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प्रश्न 5.12.
किसी कमरे की छत से 2m लम्बी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरम्भ किये गये। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप पथ क्या होगा? यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी (a) चरम स्थितियों में से किसी एक पर है तथा (b) माध्य स्थिति पर है।
उत्तर:
(a) गोलक की चरम स्थिति में वेग शून्य होता है। अतः डोरी काट देने पर गोलक g के अधीन ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर गिरेगा।
(b) माध्य स्थिति में गोलक के पास क्षैतिज दिशा में अधिकतम वेग होता है। अतः गोलक परवलय पथ पर गति करता हुआ नीचे गिरेगा।

प्रश्न 5.13.
किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो:
(a) 10 ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है,
(b) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है,
(c) 5ms-2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
(d) यदि लिफ्ट मशीन में खराबी आ जाये और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?
उत्तर:
(a) m = 70kg
लिफ्ट एकसमान वेग से गति कर रह है:
a = 0
∴ तुला का पाठ्यांक
R = mg = 70×10
= 700 N
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(b) a = 5ms-2 से नीचे
mg – R = ma
या
R = m (g – a )
∴ R = 70(10 – 5) …….(1)
= 350N

(c) a = 5ms-2 ऊपर की ओर
R – mg = ma
या
R = m(g + a)
∴ R = 70 (10 + 5)
= 1050 N

(d) लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिर रही है।
∴ a = g
समी० (1) से R = 0 यह भारहीनता की अवस्था है।

प्रथम 5.14.
चित्र में 4 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति समय ग्राफ दर्शाया गया है-
(a) t < 0, r > 45, 0 < t < 4s के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
(b) t = 0 तथा t = 4s पर आवेग क्या है? (केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए।)

उत्तर:
(a) t < 0 पर ग्राफ A() स्थिति में होगा, यहाँ विस्थापन x = 0 अर्थात् पिण्ड विराम अवस्था में है। अतः आरोपित बल शून्य है। t > 4s पर पिण्ड 3m दूर स्थित है तथा विराम अवस्था में है। अतः आरोपित बल शून्य है।
0 < t < 4s पर पिण्ड नियत वेग से गति कर रहा है। अतः त्वरण शून्य होगा तथा आरोपित बल भी शून्य है। (b) t = 0 पर आवेग t = 0 पर वेग v1 = 0 t > 0 पर वेग v2 = tan θ = \(\frac{3}{4}\)
= 0.75ms-1
∴ आवेग l = mv2 – mv1
= m (V2 – v1)
= 4 (0.75 – 0) = 3kgms-1

t = 4s पर आवेग
t < 4s पर वेग v1 = 0.75 t > 4s पर v2 = 0
आवेग l = mV2 – mv1 = m(V2 – V1)
= 4(0 – 0.75)
= -3 kg ms-1

प्रश्न 5.15.
किसी घर्षण रहित मेज पर रखे 10 kg तथा 20 kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600N का कोई क्षैतिज बल (1) पर, (ii) B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?
उत्तर:
F = 600 N
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mA = 10kg;
mB = 20kg:
त्वरण a = \(\frac{F}{m_A+m_B}\)
\(\frac{600}{10+20}\) = 20ms-2
(i) जब A ब्लॉक पर बल लगाया जाये, तो
T = mBa
क्योंकि B पर एकमात्र बल, डोरी का तनाव T आगे को ओर लगेगा
(ii) जब B पर बल लगाया जाये, तो
T = mAa
क्योंकि A पर एकमात्र बल, डोरी का तनाव T आगे को ओर लगेगा
T = 10 x 20 = 200N
Note: दो पिण्डों के इस प्रकार संयोजन में त्वरण समान रहता है परन्तु तनाव ज्ञात करने के लिए डोरी के अन्तिम सिरे पर ध्यान देते हैं।

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प्रश्न 5.16.
8kg तथा 12kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त छोडने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
m1 = 8 kg m2 = 12kg
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प्रश्न 5.17.
प्रयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता है, तो यह दर्शाडए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
उत्तर:
माना m द्रव्यमान का नाभिक प्रारम्भ में विराम में है। यह m1 व m2 द्रव्यमान के दो नाभिकों में विघटित होता है, जिनके वेग क्रमशः v1 व v2 हैं।
∵ संवेग संरक्षण नियम से,
विघटन से पूर्व कुल संवेग = विघटन के बाद कुल संवेग
0 = \(m_1 \overrightarrow{v_1}+m_2 \overrightarrow{v_2}\)
∴ \(\overrightarrow{v_2}=\frac{-m_1}{m_2} \overrightarrow{v_1}\)
इस सूत्र में \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) परस्पर विपरीत हैं (क्योंकि-ve चिह्न है)। अत: नाभिक विपरीत दिशाओं में गति करेंगे।

प्रश्न 5.18.
दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6ms-1 की चाल से विपरीत दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती है और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
उत्तर:
m1 = m2 = 005kg;
u1 = 6ms-1;
u2 = -6ms-1
(विपरीत दिशा),
v1 = -6ms-1
V2 = 6ms-1;
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आवेग = संवेग में परिवर्तन टक्कर के पश्चात् दूसरी गेंद के कारण
प्रथम गेंद पर आवेग
= प्रथम गेंद के संवेग में परिवर्तन
= M1V1 – M1u1
= m1(V1 – u1)
= 005 [-6 – 6]
= -0.60 kg-ms-1
प्रथम गेंद के कारण दूसरी गेंद पर आवेग
= दूसरी गेंद के संवेग में परिवर्तन,
= M2 (v2 – u2)
= 005[6 – (-6)]
= 005 × 12 = + 0.60kg ms-1

प्रश्न 5.19.
100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दाग जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80ms-1 है तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
उत्तर:
तोप का द्रव्यमान M = 100kg;
तोप की चाल V = ?;
गोले का द्रव्यमान m = 0.020kg:
गोले की नालमुखी चाल v=80ms-1;
संवेग संरक्षण नियम से,
MV + mv = 0
या
= \(\frac{-0.020 \times 80}{100}\)
अर्थात् तोप 0.016ms-1 की चाल से पीछे हटेगी।

प्रश्न 5.20.
कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरम्भिक चाल जो 54 kmh-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? गेंद की संहति 0.15 kg है।
उत्तर:
गेंद का द्रव्यमान m = 0.15mg
प्रारम्भिक वेग U = 54 kmh-1
= 54 × \(\frac{1000}{3600}\) = 15ms-1
अन्तिम वेग = 15ms (u1 से 45° कोण पर) चित्र में गेंद पर लगे संवेग को क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर घटकों में वियोजित किया गया है। चित्र से स्पष्ट है कि क्षैतिज घटक में कोई परिवर्तन नहीं होता है, परन्तु उर्ध्वाधर घटकों में परिवर्तन होता है।
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गेंद को दिया गया आवेग
= गेंद के संवेग में परिवर्तन
= अन्तिम संवेग – प्रारम्भिक संवेग
= mucosθ – (mucosθ)
= 2mucosθ
= 2 x 0.15 x 15 x cos22.50
= 4.5 × 0.9239
= 4.2kgms-1
[∵ cos 22.5° = 0.9239]

प्रश्न 5.21.
किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev /min की चाल से चक्कर लगाता है? डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200 N के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
पत्थर का द्रव्यमान m = 0.25kg R = 1.5m
घूर्णन आवृत्ति = 40 चक्कर / मिनट =
∴ ω = 2πn = 2 × 3.14 × \(\frac{2}{3}\)
पत्थर को वृत्तीय पथ पर घूमने के लिए अभिकेन्द्रय बल, तनाव T से मिलता है।
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प्रश्न 5.22.
यदि प्रश्न 5.21 में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाये तथा डोरी यकायक टूट जाये, तो डोरी के टूटने के पश्चात् पत्थर के प्रक्षेप का सही वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है?
(a) वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यतः बाहर की ओर जाता है।
(b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है।
(c) पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
उत्तर:
(b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है (जड़त्व के दिशा नियम से)

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प्रश्न 5.23.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों?
(a) कोई घोड़ा रिक्त दिक् स्थान में किसी गाड़ी को खींचते हुए दौड़ नहीं सकता।
(b) किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
(c) लॉन मूवर को धकेलने की तुलना में खींचना आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।
उत्तर:
(a) जब घोड़ा गाड़ी खींचता है तो जमीन घोड़े के पैर पर प्रतिक्रिया बल लगाती है। यही बल गाड़ी को आगे बढ़ाता है, लेकिन रिक्त दिक् स्थान (empty space) में कोई प्रतिक्रिया बल प्राप्त नहीं होता। अतः गाड़ी गति नहीं करेगी।
(b) जड़त्व के नियम के कारण यात्री का फर्श के सम्पर्क में स्थित हिस्सा स्थिर अवस्था में आ जाता है, परन्तु शरीर के ऊपर का भाग गतिशील बना रहता है अतः यात्री आग की ओर गिर जाते हैं।
(c) लॉन मूवर को धकेलने पर, लॉन मूवर का प्रभावी भार अधिक हो जाता है, क्योंकि बल का ऊर्ध्वाधर घटक भार में जुड़ता है। (चित्र (a)) (Mg + F sinθ)
जबकि खींचने पर लॉन मूवर का प्रभावी भार कम हो जाता है क्योंकि बल का ऊर्ध्वाधर घटक भार में से घटता है। [ चित्र (b)]
(Mg – F sinθ)
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(d) हाथ गेंद के साथ पीछे खींचने पर गेंद को विराम में आने तक पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे हाथों पर लगने वाला बल घट जाता है। जिससे चोट लगने की सम्भावना कम हो जाती है।

अतिरिक्त अभ्यास (Additional Exercise):

प्रश्न 5.24.
चित्र में 0.04 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति समय ग्राफ दर्शाया गया है। इस गति के लिए कोई उचित भौतिक सन्दर्भ प्रस्तावित कीजिए। पिण्ड द्वारा प्राप्त दो क्रमिक आवेगों के बीच समय-अन्तराल क्या है? प्रत्येक आवेग का परिमाण क्या है?
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उत्तर:
यह दो समान्तर दीवारें जो परस्पर 2cm दूर स्थित हैं, के मध्य लगातार गेंद के टकराने की गति को प्रदर्शित करता है।
m = 0.04kg
प्रारम्भ 2s तक x = 0 से x = 2cm तक ग्राफ़ सीधी रेखा है।
∴ नियत चाल
V1 = \(\frac{2-0}{2-0}\)
= 1cms-1
= 0.01 ms-1
पुनः t = 2sec पश्चात्
x = 2cm से x = 0 तक ग्राफ सीधी रेखा है।
नियत चाल
V2 = \(\frac{0-2}{4-2}\)
= -1 cms-1
= – 0.01ms-1
आवेग का परिमाण = संवेग में परिवर्तन
= MV1 – MV2
= m (V1 – V2 )
=0.04[(0.01) – (-0.01)]
= 0.04 × 0.02
= 8 × 10-4 kgms-1

प्रश्न 5.25.
चित्र में कोई व्यक्ति 1ms-1 त्वरण से गतिशील क्षैतिज संवाहक पट्टे पर स्थिर खड़ा है। उस व्यक्ति पर आरोपित नेट बल क्या है? यदि व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.2 है तो पट्टे के कितने त्वरण तक वह व्यक्ति उस पट्टे के सापेक्ष स्थिर रह सकता है? (व्यक्ति की संहति = 65 kg)

उत्तर:
(i) पट्टे का त्वरण a = 1ms-2
व्यक्ति का द्रव्यमान = 65kg
व्यक्ति का त्वरण पट्टे का त्वरण = 1ms-2
व्यक्ति पर आरोपित नेट बल
F = ma = 65 x 1 = 65N

(ii) μs= 0.2
F = μsR = μsmg
यदि आदमी अधिकतम a त्वरण तक स्थिर रहता है, तो
ma = μsmg
∴ a’ = μsg = 0.2 × 10 = 2ms-2

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.26.
संहति के पत्थर को किसी डोर के एक सिरे से बाँधकर R त्रिज्या के ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है। वृत्त के निम्नतम तथा उच्चतम बिन्दुओं पर ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी दिशा में नेट बल है (सह विकल्प चुनिए):

निम्नतम बिन्दु परउच्चतम बिन्दु पर
(i) mg – T1mg + T2
(ii) mg + T1mg – T2
(iii) mg + T1 – \(\left(\frac{m v_1^2}{R}\right)\)mg – T2 + \(\left(\frac{m v_2^2}{R}\right)\)
(iV) mg 1 T1 – \(\left(\frac{m v_1^2}{R}\right)\)mg + T2 + \(\left(\frac{m v_2^2}{R}\right)\)

यहाँ T1 तथा V1 निम्नतम बिन्दु पर तनाव तथा चाल दर्शाते हैं। T2 तथा V2 इनके उच्चतम बिन्दु पर तदनुरूपी मान हैं।
उत्तर:
निम्नतम बिन्दु A पर तनाव T1 ऊपर की ओर, भार mg नीचे की ओर
∴ अधोमुखी नेट बल = mg – T
उच्चतम बिन्दु B पर तनाव T2 व भार mg दोनों नीचे की ओर लगेंगे।

∴ नेट अधोमुखी बल = mg + T2
अतः विकल्प (i) सही है।
चित्र में बल प्रदर्शित है।

प्रश्न 5.27.
1000 kg संहति का कोई हेलीकॉप्टर 15 ms-2 के ऊर्ध्वाधर त्वरण से ऊपर उठता है। चालक दल तथा यात्रियों की संहति 300 kg है। निम्नलिखित बलों का परिमाण व दिशा लिखिए:
(a) चालक दल तथा यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल,
(b) चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया, तथा
(c) चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल।
उत्तर:
हेलीकॉप्टर का द्रव्यमान m1 = 1000kg
चालक यात्रियों का द्रव्यमान m2 = 300kg
हेलीकॉप्टर का ऊपर की ओर त्वरण a = 15ms -2
g = 10ms-2
(a) (चालक + यात्रियों) पर दो बल कार्यरत हैं।
(i) प्रतिक्रिया R (ऊपर)
(ii) भार mg (नीचे)।
∴ ऊपर की ओर परिणामी बल
R – m2g = m2a
R = m2(a + g)
= 300 x (15 + 10)
= 7500 N
(b) हेलीकॉप्टर पर दो बल कार्यरत हैं-
(i) वायु का उछाल बल R
(ii) भार ( m1 + m2) g

ऊपर की ओर परिणामी बल
F = R – (m1 + m2)g
या
(m1 + m2 )a = R – (m1 + m2) g
R’ = (m1 + m2 ) (a + g)
=(1000 + 300) (10 + 15)
= 1300 × 25 = 32500 N
यही वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर द्वारा क्रिया है (लम्बवत् नीचे की ओर)।
(c) न्यूटन के तृतीय नियम से यही वायु द्वारा हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल है = 32500 N ( लम्बवत् ऊपर की ओर )।

प्रश्न 5.28.
15ms-1 चाल से क्षैतिजतः प्रवाहित कोई जल धारा 10-2m2 अनुप्रस्थ काट की किसी नली से बाहर निकलती है तथा समीप की किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से टकराती है। जल की टक्कर द्वारा, यह मानते हुए कि जल धारा टकराने पर वापस नहीं लौटती, दीवार पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
जल का वेग u = 15ms-1
नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = 10-2m2
जल का घनत्व d = 103 kgm-3
प्रति सेकण्ड नली से निकले जल का आयतन = A x u = 10-2 x 15m3s-1
प्रति सेकण्ड नली में निकले जल का द्रव्यमान
m= आयतन x घनत्व
= 15 x 10-2 × 103 = 150kgs-1
टकराने के बाद जल का वेग शून्य है,
v = 0
दीवार द्वारा जल पर आरोपित बल = आवेग परिवर्तन की दर
\(F=\frac{d p}{d t}=\frac{m(v-u)}{t}\)
∴ \(F=\frac{150 \times(0-15)}{1}\)
= – 2250 N
न्यूटन के तृतीय नियम से जल द्वारा दीवार पर आरोपित बल
= 2250N

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प्रश्न 5.29.
किसी मेज पर एक-एक रुपये के दस सिक्कों को एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येक सिक्के की संहति है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दिशा लिखिए:
(a) सातवें सिक्के (नीचे से गिनने) पर उसके ऊपर रखे सभी सिक्कों के कारण बल।
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल।
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।
उत्तर:
(a) सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं। अतः तीनों सिक्कों द्वारा आरोपित बल
= 3 x mg
= 3mgN ( लम्बवत् नीचे की ओर )
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा भी यही बल लगाया जायेगा।
= 3 mg ( लम्बवत् नीचे की ओर )
(c) छठे सिक्के के ऊपर चार और सिक्के हैं, अतः चारों सिक्कों द्वारा लगा बल
= 4 x mg
= 4mgN ( लम्बवत् ऊपर की ओर )

प्रश्न 5.30.
कोई वायुयान अपने पंखों को क्षैतिज से 15° के झुकाव पर रखते हुए 420 kmh-1 की चाल से एक क्षैतिज लूप पूरा करता है। लूप की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
v = 720kmh-1 = 720 x
= 200ms-1
θ = 15° ∴ tan 15° = 0.27
tan θ = \(\frac{v^2}{g R}\) से,
R = \(\frac{v^2}{g \tan \theta}\)
= \(\frac{200 \times 200}{10 \times 0.27}\)
= 15km

प्रश्न 5.31.
कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले 30m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर 54 kmh-1 चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति 106 kg है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल कौन प्रदान करता है इंजन अथवा पटरियाँ ?
पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल कोण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
वृत्तीय पथ पर आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल पटरियाँ प्रदान करती है।
यहाँ
v = 54 kmh-1
= \(\frac{54 \times 1000}{60 \times 60}\)
= 15ms-1
R = 30m
m = 106 kg
ढाल कोण tan θ = \(\frac{v^2}{R g}=\frac{15 \times 15}{30 \times 10}=\frac{3}{4}\)
θ = 40°
अतः पटरियों का झुकाव कोण 40° होना चाहिए।

प्रश्न 5.32.
चित्र में दर्शाए अनुसार 50 kg संहति का कोई व्यक्ति 25kg संहति के किसी गुटके को दो भिन्न ढंग से उठाता है। दोनों स्थितियों में उस व्यक्ति द्वारा फर्श पर आरोपित क्रिया बल कितना है? यदि 700N अभिलम्बवत् बल से फर्श धँसने लगता है तो फर्श को धँसने से बचाने के लिए उस व्यक्ति को गुटके को उठाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाना चाहिए?

उत्तर:
व्यक्ति का द्रव्यमान M = 50kg
व्यक्ति द्वारा भार के कारण लगा बल
W = Mg = 50× 10 = 500N
25kg भार को उठाने में लगाया गया बल
F = mg = 25×10 = 250N
(a) स्थिति में व्यक्ति 250N बल से गुटके को खींच रहा है तो प्रतिक्रिया स्वरूप रस्सी भी व्यक्ति पर नीचे की ओर 250N बल लगायेगी।
250 + 500 = 750N
∴ फर्श पर लगा परिणामी बल अतः इस स्थिति में फर्श धँस जायेगा।
(b) स्थिति में व्यक्ति 250 N बल नीचे की ओर लगाता है जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप रस्सी भी इतना बल व्यक्ति पर ऊपर की ओर लगाती है।
∴ परिणामी बल = 500 – 250
= 250N
अतः (b) ढंग से फर्श नहीं धँसेगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.33.
40 kg संहति का कोई बन्दर 600N का अधिकतम तनाव सह सकने योग्य किसी रस्सी पर चढ़ता है। नीचे दी गई स्थितियों में से किसमें रस्सी टूट जायेगी?
(a) बन्दर 6ms-2 त्वरण से ऊपर चढ़ता है।
(b) बन्दर 4ms-2 त्वरण से नीचे उतरता है।
(c) बन्दर 5ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर चढ़ता है।
(d) बन्दर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है। (रस्सी की संहति उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:

बन्दर का द्रव्यमान m = 40 kg
(a) बन्दर = 6ms-2 त्वरण से ऊपर चढ़ता
∴ T – mg = ma
या
T = m(g + a)
= 40(10 + 6)
= 640N
∴ रस्सी अधिकतम 600N का तनाव सहन कर सकती है, अतः टूट जायेगी।

(b) बन्दर a = 4ms-2 त्वरण से नीचे उतरता है
∴ mg – T = ma

या
T= m(g – a)
= 40(10 – 4)
= 240N
रस्सी नहीं टूटेगी।

(c) बन्दर एकसमान चाल से ऊपर चढ़ता है। अतः त्वरण

∴ a = 0
T = m(g – a)
= 40× 10 = 400N
रस्सी नहीं टूटेगी।

(d) मुक्त रूपसे गुरुत्व बल के प्रभाव में गिरने पर
a = g
T = m(g – a)
= m(g – g) = 0
अर्थात् रस्सी का तनाव शून्य है।
अतः केवल (a) स्थिति में ही रस्सी टूटेगी।

प्रश्न 5.34.
दो पिण्ड 4 तथा 8, जिनकी संहति क्रमश: 5 kg तथा 10kg है, एक-दूसरे के सम्पर्क में एक मेज पर किसी दृढ़, विभाजक दीवार के सामने विराम में रखे हैं। (चित्रानुसार) पिण्डों तथा मेज के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। 200 N का कोई बल क्षैतिजतः 4 पर आरोपित किया जाता है। (a) विभाजक दीवार की प्रतिक्रिया, तथा (b) 1 तथा B के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल क्या हैं? विभाजक दीवार को हटाने पर क्या होता है? यदि पिण्ड गतिशील हैं तो क्या (b) का उत्तर बदल जायेगा? μs तथा μk के बीच अन्तर की उपेक्षा कीजिए।

उत्तर:
mA = 5kg, mB = 10kg
(a) A पर 200N बल लगाने पर विभाजक दीवार भी न्यूटन की तृतीय नियम से 200N का प्रतिक्रिया बल लगायेगी।
(b) 4 तथा B के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल भी 200N है। जब विभाजक दीवार हटा लेते हैं तो गतिज घर्षण कार्य करेगा। घर्षण गति का विरोध करता है। घर्षण बल = μR
यहाँ
μK = μs = 0.15
परिणामी बल F = f – μKR
= f – μK (MA + mB) g
200 – 0.15(15 + 10) 10
= 200 – 22.5
= 177.5N
∴ त्वरण a = \(\frac{F}{\left(m_A+m_R\right)}\)
= \(\frac{177.5}{15}\)
= 11.8ms-2
A पर लगा बल F1 = mA a
= 5 × 11.8
= 59.1N

वस्तु A पर लगा घर्षण बल f1 = μmAg
= 0.15 x 5 × 10
= 7.5N
∴ A पर B द्वारा लगा परिणामी बल
= 200 – 59.1 – 7.5
= 133.4N
= 1.3 × 10-2 N
गति की विपरीत दिशा में)
एसी प्रकार पर 4 द्वारा लगा परिणामी बल भी 1.3 x 10-2 N होगा गति की विष में)

प्रश्न 5.35.
15 kg संहति का कोई गुटका किसी लम्बी ट्रॉली पर रखा है। गुटके तथा ट्रॉली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.18 है। ट्रॉली विरामावस्था से 20s तक 0.5ms-2 के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है।
(a) धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को तथा
(b) ट्रॉली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी? इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:
गुटके का द्रव्यमान
m = 15kg μ = 0.18 t = 20s के लिए
ट्रॉली पर त्वरण a = 0.5ms-2 ट्रॉली के त्वरण के कारण गुटके पर
लगा काल्पनिक बल
F1 = ma1 = 15 x 0.5
= 7.5N (पीछे की ओर)
परन्तु फर्श द्वारा गुटके पर आरोपित घर्षण बल
F2 = μR = umg = 0.18 x 15 x 10
= 27N (आगे की ओर)।
अतः गुटका विक्षेप गति नहीं करेगा ट्रॉली के साथ गति करेगा, क्योंकि F2 > F1
एकसमान वेग से गति करने पर कोई घर्षण बल कार्य नहीं करता है।
(a) धरती पर खड़े प्रेक्षक को गुटका ट्रॉली के साथ गति करता प्रतीत होगा।
(b) ट्रॉली के साथ गतिमान प्रेक्षक को गुटका स्वयं के सापेक्ष स्थिर प्रतीत होगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.36.
चित्र में दर्शाए अनुसार किसी ट्रक का पिछला भाग खुला है तथा 40kg संहति का एक सन्दूक खुले सिरे से 5m दूरी पर रखा है। ट्रक के फर्श तथा सन्दूक के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। किसी सीधी सड़क पर ट्रक विरामावस्था से गति प्रारम्भ करके 2m-2 से त्वरित होता है। आरम्भ बिन्दु से कितनी दूरी चलने पर वह सन्दूक ट्रक से नीचे गिर जायेगा? (सन्दूक के आमाप की उपेक्षा कीजिए।)

उत्तर:
सन्दूक का द्रव्यमान m = 40kg, μ = 0.15
ट्रक का त्वरण a1 = 2ms-2
∴ सन्दूक पर उत्पन्न छद्म त्वरण a1 = 2ms-2
घर्षण के कारण सन्दूक का त्वरण
a2 = μg= 0.15 x 10 = 1.5ms-2
∴ ट्रक के सापेक्ष सन्दूक का त्वरण
a = a1 – a2 = 2 – 1.5 = 0.5ms-2
इसकी दिशा पीछे की ओर होगी।
∴ सन्दुक को 5m दूरी तक करने में t समय लगे, तो
x = u t + \(\frac{1}{2}\) a t2
5 = 0 + \(\frac{1}{2}\) a t2
t2 = 20
∴ ट्रक का त्वरण गई दूरी S = ut + \(\frac{1}{2}\) a t2
= 0 + \(\frac{1}{2}\) x 2 x 20
= 20m

प्रश्न 5.37.
15cm त्रिज्या का कोई बड़ा ग्रामोफोन रिकॉर्ड 33 \(\frac{1}{3}\) rev/min की चाल से घूर्णन कर रहा है। रिकॉर्ड पर उसके केन्द्र से 4 cm तथा 14cm की दूरियों पर दो सिक्के रखे गये हैं। यदि सिक्के तथा रिकॉर्ड के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है तो कौन-सा सिक्का रिकॉर्ड के साथ परिक्रमा करेगा?
उत्तर:
घूर्णन आवृत्ति
n = 33 \(\frac{1}{3}\) rev/min = \(\frac{100}{3 \times 60}\) rev/sec
μ = 0.15
ω = 2πn = 2π x \(\frac{100}{3 \times 60}\)
= \(\frac{10 \pi}{9}\) rad/s
= 3.49 rad/s
सिक्के द्वारा घूर्णन गति के लिए घर्षण बल, आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करेगा।
इसलिए अभिकेन्द्रीय बल \(\frac{m v^2}{r}\) = mω2r
घर्षण बल μR= μmg
∴ mω2r < μmg

अतः 4cm दूर सिक्का गति करेगा जबकि 14cm दूर सिक्का गिर जायेगा।

प्रश्न 5.38.
आपने सरकस में मौत के कुएँ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊर्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिन्दु से नीचे क्यों नहीं गिरता है? यदि चैम्बर की त्रिज्या 25 m है तो ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
गोलीय चैम्बर के उच्चतम बिन्दु पर मोटरसाइकिल सवार चैम्बर को बाहर की ओर दबाता है और प्रतिक्रिया स्वरूप चैम्बर, सवार पर गोले के केन्द्र की ओर दिष्ट प्रतिक्रिया R लगाता है। सवार व मोटरसाइकिल का भार mg भी गोले के केन्द्र की ओर कार्य करता है। ये दोनों बल सावार को वृत्तीय गति करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्राय बल प्रदान करते हैं, जिसके कारण सवार नीचे नहीं गिर माता।

इस बिन्दु पर गति का समीकरण R+mg = \(\frac{m v^2}{r}\) जहाँ v सवार की चाल तथा R गोले की त्रिज्या है।
न्यूनतम चाल के लिए R = 0

= 15.8ms-1
= 16ms-1

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प्रश्न 5.39.
70 kg संहति का कोई व्यक्ति अपने ऊर्ध्वाधर अक्ष पर 200 rev/min की चाल से घूर्णन करती 3m त्रिज्या की किसी बेलनाकार दीवार के साथ उसके सम्पर्क में खड़ा है। दीवार तथा उसके कपड़ों के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। दीवार की वह न्यूनतम घूर्णन चाल ज्ञात कीजिए, जिससे फर्श को यकायक हटा लेने पर भी वह व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रह सके।
उत्तर:
दिया है:
m = 70kg:
v = 200 rev/min = \(\frac{200}{60}=\frac{10}{3}\)rev/s
त्रिज्या r = 3m μ = 0.15
माना दीवार की न्यूनतम घूर्णन चाल ω2r है।
व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रहेगा यदि घर्षण बल, व्यक्ति के
भार को सन्तुलित कर ले तो mg < μN
∴ न्यूनतम कोणीय चाल पर μR = mg
यहाँ
R = अभिकेन्द्र बल = mω2r
μmω2यूनतम r = mg
ω2यूनतम = \(\frac{g}{\mu r}=\frac{10}{0.15 \times 3}\)
= 22.2
∴ω2यूनतम = \(\sqrt{22.2}\) = 4.72 = 5 rad s-1

प्रश्न 5.40.
R त्रिज्या का पतला वृत्तीय तार अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः कोणीय आवृत्ति ω से घूर्णन कर रहा है। यह दर्शाइए कि इस तार में डली कोई मणिका \(\omega \leq \sqrt{g / R}\) के लिए अपने निम्नतम 2g. बिन्दु पर रहती है। ω = \(\sqrt{\frac{2 g}{R}}\) के लिए, केन्द्र के मनके को जोड़ने वाला VR सदिश ऊर्ध्वाधर अधोमुखी दिशा में कितना कोण बनाता है?
उत्तर:
माना मणिका का द्रव्यमान m है। इस पर लगे बलों को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।

Ncosθ = μg ………….(1) (ऊर्ध्वाधर घटक)
N sinθ = mrω2
(क्षैतिज घटक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है।)
या Nsinθ = m (Rsinθ)ω2
या mRω2 = N …………(2)
चित्र में, sinθ = \(\frac{r}{R}\)
r = Rsinθ
समी० (1) से, cosθ = \(\frac{m g}{N}=\frac{m g}{m R \omega^2}\)
cosθ = \(\frac{g}{R \omega^2}\) ………(3)
cosθ < 1
∴ मणिका के न्यूनतम बिन्दु के लिए

यदि तो समी० (3) से,
cosθ = \(\frac{1}{2}\)
θ = 60°
अतः ऊर्ध्वाधर से अधोमुखी ( downward) दिशा से 60° कोण बनायेगी।

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