HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.1.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों के द्वारा कर सकते हैं।
(b) पृथ्वी के परित: परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है।
(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें। तो आप यह पायेंगे कि
सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिये गये आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं।) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
उत्तर:
(a) नहीं, वस्तु का गुरुत्वीय प्रभाव से परिरक्षण नहीं किया जा सकता क्योंकि गुरुत्वीय बल पर मध्यवर्ती माध्यम का कोई प्रभाव नहीं होता है।
(b) हाँ, यदि अन्तरिक्षयान पर्याप्त रूप से बड़ा है तो यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्व बल का अनुभव करेगा।
(c) किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अतः सूर्य की पृथ्वी से दूरी की तुलना में, चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी कम है। अतः चन्द्रमा के कारण ज्वारीय प्रभाव अधिक होता है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.2.
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(b) बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व का गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(c) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) पृथ्वी के केन्द्र r2 से r1 तथा स्थितिज ऊर्जा अन्तर के लिए GMm(\(1 / r_2-1 / r_1\)) सूत्र mg(r2 – r2) से अधिक/कम यथार्थ है।
दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच GMm (r2 – r1) सूत्र
उत्तर:
(a) घटता है,
(b) घटता है।
(c) g का मान पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, जबकि पृथ्वी के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
(d) सूत्र \(G M m\left[\frac{1}{r_2}-\frac{1}{r_1}\right]\) अधिक यथार्थ है।

प्रश्न 8.3.
मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दो गुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
उत्तर:
माना पृथ्वी का परिक्रमण काल Te
∴ ग्रह का परिक्रमण काल Tp
[∵ ग्रह की चाल पृथ्वी से दो गुनी है।]
∵ केप्लर के नियम से,
T2 α R3
\(\frac{R_p^3}{R_e^3}=\frac{T_p^2}{T_e^2}\)
या
\(R_p=R_e\left[\frac{T_p}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
= \(R_e\left[\frac{T_e / 2}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
या
\(R_p=\left[\frac{1}{2}\right]^{2 / 3}\)
Re = 0.63Re
अतः ग्रह की आमाप पृथ्वी से 0.63 गुना छोटी है।

प्रश्न 8.4.
बृहस्पति के एक उपग्रह आयो (I0) की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22 x 106 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।
उत्तर:
∵ \(T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} \cdot R^3\)
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T2 = 365 दिन
∴ \(T_e^2=\frac{4 \pi^2 R_1^3}{G M_s}\) ………(1)
यहाँ पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या R1 = 1AU
त्रिज्या R = 1.5 x 1011 m
उपग्रह (I0) के लिए
\(T_{I_o}^2=\frac{4 \pi^2}{G m_i} R_2^3\)
R2 = उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या
= 4.22 × 108 m
∴ समीकरण (1) व (2) से,
\(\frac{T_e^2}{T_{I_o}^2}=\left(\frac{T_1}{R_2}\right)^3 \times \frac{M_i}{M_s}\)
\(\left(\frac{365}{1769}\right)=\left(\frac{15 \times 10^{11}}{4.22 \times 10^8}\right) \times \frac{M_j}{M_e}\)
∴ \(M_j=\left(\frac{1}{1000}\right) M_e\)
अतः बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।

प्रश्न 8. 5.
मान लीजिए कि हमारी आकाश गंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 x 1011 तारे है। मन्दाकिनीय केन्द्र से 50000/y दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाश गंगा का व्यास 105ly लीजिए।
उत्तर:
∵ \( T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} R^3\)
∴ R = 50,0001y
T = \(2 \pi \sqrt{\frac{R^2}{G M}}\)
∵ 11y = 9.46 x 1011 m ( प्रकाश वर्ष )
R = 50,000 x 9.46 x 1011m
= 4.75 x 1020m
∵ 1 सौर द्रव्यमान = 2 x 1020 kg
∴ M = 25 x 1011 × 2 × 1030
= 5 x 1041 kg
∴ T = 2 x 3.14, \(\sqrt[4]{\frac{\left(4.75 \times 10^{20}\right)^3}{6.67 \times 10^{-11} \times 5 \times 10^{41}}}\)
= 1.12 × 1016 s

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प्रश्न 8.6
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिण्ड को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक / कम होती है।
उत्तर:
(a) गतिज ऊर्जा [ ∵ कुल ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)]
गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)

(b) कम [∵ कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह को मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)
जबकि पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक = \(\frac{G M m}{r}\)

प्रश्न 8.7.
क्या किसी पिण्ड की पृथ्वी से पलायन चाल
(a) पिण्ड के द्रव्यमान
(b) प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति
(c) प्रक्षेपण की दिशा
(d) पिण्ड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती ना है।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) नहीं, (d) हाँ, ऊँचाई बढ़ाने से. पलायन चाल घटती है।

प्रश्न 8.8.
कोई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक (a) रैखिक चाल, (b) कोणीय चाल, (2) कोणीय संवेग, (d) गतिज ऊर्जा, (e) स्थितिज ऊर्जा (1) कुल ऊर्जा, नियत रहती है? सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिए।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) हाँ, कोणीय संवेग संरक्षित रहता है। (d) नहीं, (e) नहीं, (f) हाँ, ऊर्जा नियत रहती है।

प्रश्न 8.9.
निम्नलिखित में से कौन-से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन, (b) चेहरे पर सूजन, (c) सिर दर्द, (d) दिक्विन्यास समस्या।
उत्तर:
(a) पैरो में सूजन गुरुत्कार्षण बल के कारण उत्पन्न होती है। अन्तरिक्ष में भारहीनता के कारण पैरों में सूजन की समस्या नहीं होती है।
(b), (c), (d) ये सभी समस्याएँ सम्भव हैं क्योंकि भारहीनता के कारण मस्तिष्क में अधिक खून की आपूर्ति होती है, तनाव से सिरदर्द हो सकता है। भारहीनता के कारण ही ऊर्ध्वाधर दिशा का ज्ञान नहीं होता है, अतः दिविन्यास की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 8.10.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व की अर्द्ध गोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा चित्रानुसार (i) a, (ii) b, (iii) c (iv) o, में किस तीर द्वारा दर्शाई जायेगी।

उत्तर:
गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा g की दिशा में ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होगी। अतः (iii) C

प्रश्न 8.11.
उपर्युक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर (i) d, (ii) e, (iii) f (iv) g द्वारा व्यक्त की जायेगी।
उत्तर:
(ii) e दिशा में।

प्रश्न 8.12.
पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 किग्रा, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा । अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए। (कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 मी)।
उत्तर:
माना, रॉकेट का द्रव्यमान M है तथा पृथ्वी के केन्द्र से सूर्य की ओर x दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है। इस क्षण रॉकेट. की सूर्य से दूरी (x) मी रॉकेट = (r – x) भी

जहाँ r = सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी अर्थात् पृथ्वी की कक्षीय त्रिज्या = 15 x 1011 मी यह तब भी सम्भव है जबकि
पृथ्वी द्वारा रकिट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल = सूर्य द्वारा किट
पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल
अर्थात् \(\frac{G M_e m}{x^2}=\frac{G M_s m}{(r-x)^2}\)
जहाँ m = रॉकेट का द्रव्यमान Mc = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा
तथा
Ms = सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 किग्रा
अत:
\(\left(\frac{r-x}{x}\right)^2=\frac{M_s}{M_e}=\frac{2 \times 10^{24}}{6 \times 10^{24}}=\frac{1}{3} \times 10^6\)
∴ \(\left(\frac{r-x}{x}\right)=\sqrt{\frac{1}{3} \times 10^6}=\frac{10^3}{\sqrt{3}}=\frac{10^3}{1732}\)
अथवा
r = x = 57737x
या 57837x = r
∴ x = \(\left(\frac{r}{578.37}\right)=\frac{1.5 \times 10^{11}}{578.37}\) मी
= 2593 × 108 मी = 26 x 108 मी

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प्रश्न 8.13.
आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 1.5 x 108 किमी है।
उत्तर:
पृथ्वी के परित: उपग्रह के परिक्रमण काल सूत्र \(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\) के अनुरूप सूर्य के परितः पृथ्वी का परिक्रमण काल
\(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\)
जहाँ Me = सूर्य का द्रव्यमान
∴ \(T^2=\frac{4 \pi^2 r^3}{G M_s}\)
अतः सूर्य का द्रव्यमान Ms = \(\frac{4 \pi^2 r^3}{T^2 G}\) ……(1)
यहाँ, पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या r = 15 x 108 किमी = 15 x 1011
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T = 1 वर्ष = 3.15 x 107
सेकण्ड
∴ \(M_s=\left[\frac{4 \times(3.14)^2\left(1.5 \times 10^{11}\right)^3}{\left(3.15 \times 10^7\right)^2\left(6.67 \times 10^{-11}\right)}\right]\)
= 20 x 1030 किग्रा

प्रश्न 8.14.
एक शनि – वर्ष एक पृथ्वी वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 1.5 x 108 किग्रा दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
पृथ्वी की सूर्य से दूरी RSE = 1.5 x 108
किमी माना पृथ्वी का परिक्रमण काल = TE
तब शनि का परिक्रमण काल Ts = 29.5TE
शनि की सूर्य से दूरी Rss = ?
परिक्रमण कालों के नियम से,

= 1.5 ×108 x (29.5)2/3 किमी
= 1.5 x 108 x 9.55 किमी
= 1.43 x 109 किमी
अतः शनि की सूर्य से दूरी 1.43 x 109 किमी है।

प्रश्न 8.15.
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63 N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
उत्तर:
यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण g हो, तो पृथ्वी तल से ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2\)
यदि वस्तु का द्रव्यमान हो तो दोनों पक्षों में m से गुणा करने पर,
\(m g^I=\frac{m g}{\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
यहाँ mg = पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार = 63N
mg’ पृथ्वी तल से ऊँचाई पर वस्तु का भार अर्थात् पृथ्वी के कारण वस्तु पर गुरुत्वीय बल Fg तथा \(h=\frac{R_e}{2}\)
∴ \(F_g=\frac{63 \mathrm{~N}}{\left(1+\frac{R_e / 2}{R_e}\right)^2}\)
\(=\frac{63 N}{\left(\frac{9}{4}\right)}=\left(\frac{63 \times 4}{9}\right) N\)
N = 28 N

प्रश्न 8.16.
यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250 N है, यह ज्ञात कीजिये कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
उत्तर:
पृथ्वी तल से h गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1-\frac{h}{R_e}\right)\) (जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
अथवा
\(m g^{\prime}=m g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)\)
यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार mg = 250N
h = \(\frac{R_e}{2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
mg’ = इस गहराई पर वस्तु का भार w
∴ \(W^I=250 \mathrm{~N}\left(1-\frac{\frac{R_e}{2}}{R_e}\right)=\left(250 \times \frac{1}{2}\right) \mathrm{N}\)
N = 125 N

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प्रश्न 8.17.
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 kms-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा?
पृथ्वी का द्रव्यमान = 60 × 1024 किग्रा,
पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 64 x 106 मी तथा G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मी-2/ किग्रा-2
उत्तर:
माना रॉकेट का द्रव्यमान = m,
पृथ्वी से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर रॉकेट का प्रक्षेप्य वेग = 5
किमी से-1 = 5 x 103 मी से-1
माना रॉकेट पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व पृथ्वी से अधिकतम दूरी ऊँचाई तक जाता है। अतः इस ऊँचाई पर रॉकेट का वेग शून्य हो जाता है। ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से पृथ्वी तल से महत्तम ऊंचाई पर पहुँचने पर
वृद्धि
रॉकेट की गतिज ऊर्जा में कमी उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में

= 1.6 x 106 मी
= 1600 × 103 मी 1600 किमी
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left(g=\frac{1}{2} \frac{v^2}{R_4}\right)\)
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left[\frac{2 g R_4=\mu^3}{4 \mu_g}\right]\)
या
\(h=\frac{v^3 R_g}{2 g h_g=v^3}\)
∴\(h=\frac{\left(3 \times 10^4\right)^3 \times 6.4 \times 10^6}{\left(2 \times 9.8 \times 6.4 \times 10^8\right)=\left(5 \times 10^3\right)^2}\)
∴ h = 5km /s
= 5 x 103 m/s
H4 = 6.4 x 108 m
पृथ्वी से दूरी h = 1.6 x 106 m
∴ पृथ्वी के केन्द्र से दूरी
= R4 + h = 64 × 108 + 1.6 x 108
= 8.0 × 106 m

प्रश्न 8.18.
पृथ्वी के पृष्ठ पर प्रक्षेप की पलायन चाल 11.2 kmg-1 है। किसी वस्तु को इस चाल पर तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वी से अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
उदाहरण 3 के अनुसार,
vf = Ve\(\sqrt{n^2-1}\)
vf = 11.2√9-1
= 11.2 × 2√2
= 112 × 2 × 1.41
= 31.6km/s
{n = 3 ve = 11.2km/s)

प्रश्न 8.19.
कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1044 kg पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 x 106 m, तथा G = 6.67 x 10-11 Nm82 kg-1
उत्तर:
हम जानतें हैं कि उपग्रह की कुल ऊर्जा
= \(-\frac{1}{2} \frac{G M_e^m}{\left(R_e+h\right)}\)
उपग्रह को मुक्त करने के लिए बन्धन ऊर्जा
= \(+\frac{1}{2} \frac{G M_e m}{\left(R_e+h\right)}\)
= \(\frac{1}{2} \times \frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6.0 \times 10^{24} \times 200}{\left(64 \times 10^6+0.4 \times 10^8\right)}\)
= 5.89 × 109 J

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प्रश्न 8.20.
दो तारें जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 x 1030 kg) के बराबर है, एक-दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 10 km दूरी पर है तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएँगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने से पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता। G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
तारों का द्रव्यमान m1 = m2
सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
दूरी R = 109 km = 1012 m
प्रारम्भ में निकाय की कुल ऊर्जा E1 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_1}\)
माना टकराते समय उनकी चाल v है।
टकराते समय उनके बीच की दूरी = 2 x त्रिज्या
R2 = 2 x 104 km
= 2 x 107 m
अन्तिम ऊर्जा
= \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_2 v^2\)
∵ m1 = m2
∴ E2 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+m_1 v^2\)
∴ ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
E1 = E2

= 6.67 x 1012
टकराते समय प्रत्येक तारे का वेग
v = \(\sqrt{667 \times 10^{12}}\)
= 2.58 x 106m/s

प्रश्न 8.21.
दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg तथा त्रिज्या 0.10m है। किसी क्षैतिज मेज पर एक-दूसरे से 1.0m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा को मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या हैं? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिण्ड सन्तुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
उत्तर:
माना केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा AB X- अक्ष के अनुदिश है तथा इसका मध्य- बिन्दु C मूलबिन्दु के साथ सम्पाती है।
माना बिन्दु C पर एक बिन्दु द्रव्यमान m रखा हैं, तब इस द्रव्यमान
पर गोले B के कारण बल

= -2.7 x 10-8 J/kg
बिन्दु C पर परिणामी बल शून्य है अतः पिण्ड सन्तुलन में रहेगा।
यदि यह पिण्ड किसी दिशा में विस्थापित हो तो पिण्ड वापस उस बिन्दु पर नहीं लौटेगा। अतः यह अस्थायी सन्तुलन अवस्था है।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 8.22.
जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग 36000km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शून्य लीजिए) पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1024 kg, पृथ्वी की त्रिज्या
उत्तर:
दिया है।
M = 6.0 x 1024kg
Re = 6400km = 64 x 106 m
पृथ्वी की सतह से ऊँचाई पर गुरुत्वीय विभव
\(V=-\frac{G M}{\left(R_e+h\right)}=-\frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6 \times 10^{24}}{\left(64 \times 10^6+36 \times 10^6\right)}\)
= -94 × 106 J/kg.

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प्रश्न 8.23.
सूर्य के द्रव्यमान से 2.5 गुने द्रव्यमान का कोई तारा 12 km आमाप से निपात होकर 1.2 परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है। (इसी प्रकार के सहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं। कुछ प्रेक्षित तारकीय पिण्ड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।) इसके विषुवत् वृत्त पर रखा कोई पिण्ड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030kg)
उत्तर:
ल-तारे का द्रव्यमान M
2.5 x सूर्य का द्रव्यमान
= 25 × 2 ×1030 kg.
तारे की त्रिज्या R = 12km = 12 x 103 m
घूर्णन आवृत्ति n = 1.2 rev/sec
कोणीय वेग ω = 2πn
= 2 x 2.14 x 12
= 7.54 rad/s
तारे के विषुवत् वृत्त पर गुरुत्वीय त्वरण g = \(\frac{G m}{R^2}\)
∴ g = \(\frac{667 \times 10^{-11} \times 2.5 \times 2 \times 10^{30}}{\left(12 \times 10^3\right)^2}\)
= 23 x 1012 ms-2
विषुवत् वृत्त पर चिपके रहने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र
त्वरण a = Rω2 = 12 x 103 x ( 7.54 )2 682 x 105 ms2
∵ g >> a अतः विषुवत् पर रखा पिण्ड, तारे के पृष्ठ से चिपका रहेगा।

प्रश्न 8.24.
कोई अन्तरिक्ष यान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाये कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान 1000 kg, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg,
मंगल की त्रिज्या = 3395km
मंगल की कक्षा की त्रिज्या = 2.28 x 108 km
तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
यान का द्रव्यमान m = 1000kg = 103 kg
सूर्य का द्रव्यमान Mx = 2 x 1030 kg
मंगल की कक्षा की त्रिज्या Rm = 2.28 x 1011 m
Mm = 6.4 x 1023 kg
मंगल की त्रिज्या R = 3395km
= 3.395 × 106m
सूर्य के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= – \(\frac{G M_5 m}{R m}\)
मंगल के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-G M_m m}{R}\)
यान की कुल ऊर्जा
= \(-G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
∴ मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= \(G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
= 667 × 1011 × 103
= 667 × 108 × 1017 (87.72 + 188)
= 5.97 × 1011 J

प्रश्न 8.25.
किसी रॉकेट को मंगल के पृष्ठ से 2 kms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी 20% आरम्भिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। तो मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg, मंगल की त्रिज्या = 3395 m तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg
उत्तर:
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)mv2
स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R}\)
∵ 20% आरंभिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
शेष गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} m v^2 \times \frac{80}{100}\)
= 0.4mv2
∴ कुल प्रारम्भिक बची हुई ऊर्जा
E1 = 0.4 mv2 – \(\frac{G M m}{R}\)
h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∴ h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा E2 = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∵ ऊर्जा संरक्षण के नियम से

= 495 × 103m = 495 km

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