HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.1.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की अवस्थिति लिखिए:
(a) गोला,
(b) सिलिण्डर,
(c) छल्ला तथा
(d) घन।
क्या किसी पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप में उस पिण्ड के भीतर स्थित होता है?
उत्तर:
उपर्युक्त चारों पिण्ड सममित हैं अतः उनका ज्यामितीय केन्द्र ही द्रव्यमान केन्द्र होगा। द्रव्यमान केन्द्र पिण्ड के भीतर होना आवश्यक नहीं है, जैसे छल्ले में द्रव्यमान केन्द्र उस स्थानपर होता है जहाँ कोई द्रव्यमान नहीं है।

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प्रश्न 7.2.
HCl अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 A (1 A = 10-10m) है। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किस परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता
उत्तर:
माना H परमाणु का द्रव्यमान = m
∴ Cl परमाणु का द्रव्यमान = 35.5m

माना द्रव्यमान केन्द्र (CM) मूलबिन्दु पर है।
∴ m x x = (1.27 – x ) x 35.5m
x = 1. 27 x 35.5 – x x 35.5
या 36.5x = 1.27 x 35.5
या
∴ x = \(\frac{1.27 \times 35.5}{365}\)
= 1.24 A
अतः H सिरे से 1.24 À दूरी पर द्रव्यमान केन्द्र है।

प्रश्न 7.3.
कोई बच्चा किसी चिकने फर्श पर एकसमान चाल से गतिमान किसी लम्बी ट्रॉली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्रॉली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्रॉली + बच्चा) के द्रव्यमान केन्द्र की चाल क्या है?
उत्तर:
इस क्रिया में आरोपित बल आन्तरिक बल है। अतः बाह्य बल नहीं होने के कारण, निकाय में द्रव्यमान केन्द्र की चाल नियत रहगी।

प्रश्न 7.4.
दर्शाइए कि \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) है के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल \(\vec{a} \times \vec{b}\) के परिणाम का आधा है।
उत्तर:
माना \(\overrightarrow{A B}=\vec{a}\)
तब \(\overrightarrow{A D}=\vec{b}\)
इनके मध्य त्रिभुज ABD प्राप्त होता है।
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इसके ABCD समान्तर चतुर्भुज बनाया।
∵\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = absinθ = (AB) (AD)sinθ
∆ AND में,
sin θ = \( \frac{D N}{A D}\)
∴ AD = \(\frac{D N}{\sin \theta}\)
∴ \( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × \(\frac{D N}{\sin \theta}\) × sinθ
\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × DN
= समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल
= 2 x ∆ABD का क्षेत्रफल
∴ ∆ABD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\)\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) यही सिद्ध करना है।

प्रश्न 7.5.
दर्शाइए कि \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) का परिमाण तीनों सदिशों \(\vec{a}, \vec{b}\) तथा \(\vec{c}\) से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।
उत्तर:
माना \(\vec{a}=\overrightarrow{O X}\)
\(\vec{b}=\overrightarrow{O Y}\)
\(\vec{z}=\overrightarrow{O Z}\)
\(\vec{b} \times \vec{c}\) = bcsin90°
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\(\hat{n}\) की दिशा b व c के लम्बवत् अर्थात् दिशा में होगी।
∴ \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = \(\vec{a}\) bc. \(\hat{n}\) = abccos0° = abc
\(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = समान्तर षट्फलक का आयतन

प्रश्न 7.6.
एक कण जिसके स्थिति सदिश \(\overrightarrow{\boldsymbol{r}}\) के X, Y Z अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x,y,z हैं और रेखीय संवेग सदिश \(\vec{p}\) के अवयव Px. Py. Pz हैं। कोणीय संवेग L के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइए कि यदि कण केवल x-y तल में ही गतिमान हो तो कोणीय संवेग का केवल :-अवयव ही होता है।
उत्तर:
\(\vec{r}=x \hat{i}+y \hat{j}+z \hat{k}\)
\(\vec{p}=p_x \hat{i}+p_y \hat{j}+p_z \hat{k}\)
कोणीय संवेग
L = (yPz – zpy)\( \hat{i}\) + (px – xpz ) j + (xpy – yPx) k
∴ Lx = (ypz – zpy)
Ly = (2px – xpz)
Lz = (xpy – yPx)
= 0, Ly = 0, Lg = (xpy – yPx)
अर्थात् कोणीय संवेग में केवल z अवयव होगा।

प्रश्न 7.7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल है 4 दूरी पर, समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइए इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर:
माना दो कण समान्तर रेखाओं AB व CD के अनुदिश परस्पर विपरीत दिशाओं में चाल से गति कर रहे हैं।
बिन्दु P के सापेक्ष कोणीय संवेग

इसी प्रकार Q के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_Q}=m \vec{v} \times d \times m \vec{v} \times 0\)
= \(m \vec{v} d\)
एक अन्य बिन्दु 0 माना कण P से दूरी पर है। इसी प्रकार 0 के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} x+m \vec{v}(d-x)\)
= \(m \vec{v} x+\vec{m} v d-m \vec{v} x\)
∴ \(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} d\)
स्पष्ट है कि \(\overrightarrow{L_P}=\overrightarrow{L_B}=\overrightarrow{L_O}\) यही सिद्ध करना है।
अतः द्विकण निकाय का किस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग समान रहता है।

प्रश्न 7.8.
1 भार की एक असमांग छड़ को, उपेक्षणीय भार वाली दो डोरियों से चित्र में दर्शाए अनुसार लटकाकर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊर्ध्वाधर से बने कोण क्रमश: 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
चित्र में θ1 = 369° θ2 = 53.1° यदि डोरी से लगे तनाव T1 व T2 को क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर में वियोजित करें, तो
T1 sinθ1 = T2 sinθ2
या

माना द्रव्यमान केन्द्र एक सिरे से d दूरी पर है।
अत: C के सापेक्ष घूर्णन सन्तुलन के लिए,
या
T1 cosθ1 x d = T2 cosθ2 x (2 – d)
T1 cos 36.9°x d = T2 cos 53.1 x ( 2 – d )
या T1 x 0.8366 x d = T2 x 0.6718 x (2 – d)
∵ T1 = 1.352372
∴ 1.3523 T2 × 0.8366d = 2T2 ×0.6718 -T2 x 0.6718 x d
या (1.1313 + 0.6718) d = 1.3436
1.8d = 1.3
या
d = \(\frac{1.3}{1.8}\) = 0.72 m
अतः बाएँ सिरे से गुरुत्व केन्द्र की दूरी 72 cm

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प्रश्न 7.9.
एक कार का भार 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8m है। इसका गुरुत्व केन्द्र अगली धुरी से 1.05m पीछे है। समतल धरती द्वारा इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
m = 1800kg
द्रव्यमान केन्द्र की अगली धुरी से दूरी = 1.05m
दोनों धुरी के मध्य दूरी = 1.8m
माना R1 व R2 पहियो पर धरती द्वारा लगा प्रतिक्रिया बल है।

गाड़ी सन्तुलन अवस्था में है, अतः ऊर्ध्वाधर दिशामें लगे बलों का सदिश योग शून्य होगा।
R1 + R2 – mg = 0
या
R1 + R2 = mg
या R1 + R2 = 1800× 9 8 = 17640 …….(1)
बिन्दु C के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
R1 × 1.05 = R2 (1.8 – 1.05 ) = R2 x 0.75
या
\(\frac{R_1}{R_2}=\frac{5}{7}\)
R1 का मान समी० (1) में मान रखने पर,
\(\frac{5}{7}\)R2 + R2 = 1800 x 9.8
या
\(\frac{12}{7}\)R2 = 1800 x 9.8
∴ \(R_2=\frac{1800 \times 9.8 \times 7}{12}\)
= 10290 N
R2 का मान समी० (1) में रखने पर,
R1 + 10290 = 17640
R1 = 17640 – 10290 = 7350 N

प्रश्न 7.10.
(a) किसी गोले का, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{2}{5}\)MR2 है। यहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{M R^2}{4}\) है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) गोले का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण
= \(\frac{2}{5}\)MR2
समान्तर अक्षों की प्रमेय से स्पर्श रेखा के परितः जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या
\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{2}{5}\)2 + MR2

∵ समान्तर अक्षों के मध्य दूरी: = a = R
=\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{7}{5}\)2 + MR2
(b) डिस्क का व्यास के परित: जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{M R^2}{4}\)
इसलिए चकती के केन्द्र से गुजरने वाली व तल के लम्बवत् अक्ष के
सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{y^{\prime}}\) (लम्ब अक्ष की प्रमेय से)
∵ दोनों व्यास समान हैं,
अत:
\(I_{x^{\prime}}\) = \(I_{y^{\prime}}\)
या
∴ \(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{x^{\prime}}\) = 2\(I_{x^{\prime}}\)
या \(I_{z^{\prime}}\) = 2 × \(\frac{M R^2}{4}\) = \(\frac{M R^2}{2}\)
∴ डिस्क के लम्बवत् कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या

\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{M R^2}{2}\) + MR2

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प्रश्न 7.11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल आघूर्ण लगाये गये हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और अपने केन्द्र में गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः एक दिये गये मय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर:
खोखले बेलन का अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I1 = MR2
τ = I1α1
∴ α1 = \(\frac{\tau}{I_1}=\frac{\tau}{M R^2}\)
∴ कोणीय चाल ω1 = ω0 + α1t
ω1 = 0 + \(\frac{\tau}{M R^2}\) t = \(\frac{\tau}{M R^2}\) t …(1)
इसी प्रकार ठोस गोले का केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
I1 = MR2,
τ = l2α2
∴ \(\alpha_2=\frac{\tau}{I_2}=\frac{\tau}{2 M R^2} \times 5\)
कोणीय चाल ω2 = \(\frac{5 \tau}{2 M R^2}\)
\(\frac{\omega_1}{\omega_2}=\frac{2}{5}\) अर्थात् ω2 > ω1
अतः गोले की कोणीय चाल अधिक होगी।

प्रश्न 7.12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिण्डर अपने अक्ष के परितः 100 rads-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिण्डर की त्रिज्या 0.25m है। सिलिण्डर के घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिण्डर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान
M = 20kg
ω = 100 rad s-1
त्रिज्या R = 0.25m
अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\tau}{M R^2}\)
= \(\frac{1}{2}\) x 20 x (0.25)2
= 0.625kgm2
घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा K = \(\frac{1}{2}\)Iω2
= \(\frac{1}{2}\) x 0625 x (100)2
= 3.125 × 103 J
कोणीय संवेग का परिमाण L = Iω = 0.625 × 100
= 62.5 kgm2 S-1

प्रश्न 7.13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णी मंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़कर अपना जड़त्व आघूर्ण अपने आरम्भिक जड़त्व आघूर्ण का-गुना कर लेता है। तो इस स्थिति में उनकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।
(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरम्भिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(a) प्रारम्भ में निकाय का जड़त्व आघूर्ण l1 = I
हाथों को सिकोड़ने पर जड़त्व आघूर्ण l2 = \(\frac{2}{5}\)I
ω1 = 40 rev/min, ω2 = ?
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
∴ ω2 = \(\frac{I_1 \omega_1}{I_2}=\frac{I \times 40}{2 / 5 I}=\frac{40 \times 5}{2}\)
= 100 rev/min.
(b) प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा K1 = \(\frac{1}{2}\)Iω12
अन्तिम गतिज ऊर्जा K2 = \(\frac{1}{2}\)I2ω12
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{2}{5}\) × \(\left(\frac{5 \omega_1}{2}\right)\)2
= \(\frac{5}{2}\) \(\frac{1}{2}\)Iω12
∴ K2 = \(\frac{5}{2}\)K1 = 2.5 K1
अर्थात् अन्तिम गतिज ऊर्जा, प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा की 2.5 गुनी है। व्याख्या-बच्चा हाथ सिकोड़ने में अपनी पेशियों की आन्तरिक ऊर्जा खर्च करता है जिससे गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 7.14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिण्डर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाये तो सिलिण्डर का कोणीय त्वरण क्या होगा? रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है?
यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है।
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान M = 3kg
त्रिज्या R = 0.4m
खोखले सिलिण्डर का जड़त्व आघूर्ण
1 = MR2 = 3 x (0.4)2
= 0.48 kgm2
रस्सी पर आरोपित बल F = 30N
τ = rF
= 0.4 × 30 = 12Nm
∴ कोणीय त्वरण α = \(\frac{\tau}{I}=\frac{12}{0.48}\)
= 25 rad s-1
रस्सी का रेखीय त्वरण a = rα
= 04 x 25 = 10ms-2

प्रश्न 7.15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rad s-1 की एकसमान कोणीय चाल बनाये रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 Nm का बल-आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट: घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल-आघूर्ण शून्य है। व्यवहार में लगाये गये बल की आवश्यकता घर्षणी बल-आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
उत्तर:
दिया है = 200 rads-1 (नियत है)
r = 180Nm
इंजन के लिए आवश्यक शक्ति
P = इंजन द्वारा घूर्णक को दी गई शक्ति
[∵ n = 100%]
= τω = 180Nm x 200rad s
= 36 × 103W = 36 kW

प्रश्न 7.16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से \(\frac{R}{2}\) त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से \(\frac{R}{2}\)
दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना दिये हुए वृत्ताकार पटल का केन्द्र O और व्यास AB है।
OA =OB = R = त्रिज्या

इस पटल से, व्यास OB का वृत्त काटकर निकाल दिया जाता है।
माना इकाई क्षेत्रफल का द्रव्यमान = m
मूल डिस्क का द्रव्यमान M = m x πR2
हटाई गई चकती का द्रव्यमान M = m x π\(\frac{R}{2}\)2
= m x \(\frac{\pi R^2}{4}\) = \(\frac{M}{4}\)
∴ शेष चकती का द्रव्यमान M2 = M – \(\frac{M}{4}\)
= \(\frac{3M}{4}\)
∴ सन्तुलन के लिए गुरुत्व केन्द्र बिन्दु G पर है जो O से x दूरी पर है। माना O मूलबिन्दु है।
∴ M1\(\left(\frac{R}{2}\right)\) + M2x = 0
या
\(\frac{M}{4} \times \frac{R}{2}+\frac{3 M}{4} \times x\)
या
\(\frac{R}{2}\) = -3x
x = –\(\frac{R}{6}\)
अतः गुरुत्व केन्द्र O से \(\frac{R}{6}\) दूरी पर बायीं ओर है।

प्रश्न 7.17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर सन्तुलित हो जाती है। जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0cm चिह्न पर सन्तुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
माना मीटर छड़ का द्रव्यमान M है।
छड़ के G पर 455 cm दूर सन्तुलन की स्थिति में
10g x (45 – 12) = mg (50 – 45)
या
10g × 33 = mg x 5
∴ m = \(\frac{10 \times 33}{5}\) = 66g

प्रश्न 7.18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।
(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?
उत्तर:
गोले के लिए, वेग \(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+K^2 / r^2}}\)
ठोस गोले के लिए, I = MK2 = \(\frac{2}{5}\)M
\(\frac{k^2}{r^2}=\frac{2}{5}\)
\(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+\frac{2}{5}}}\)
= \(\sqrt{\frac{10}{7} g h}\)
अतः सूत्र से स्पष्ट है वेग झुकाव कोण θ पर निर्भर नहीं है। अतः दोनों तलों पर एक ही वेग से नीचे पहुँचेगा।
(b) समय \(t=\sqrt{\frac{2 s\left(1+K^2 / r^2\right)}{g \sin \theta}}\)
(c) अतः समय झुकाव कोण पर निर्भर करता है। झुकाव कोण जितना कम होगा, गोलों को लुढ़कने में उतना ही अधिक समय लगेगा।

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प्रश्न 7.19
2m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
वलय की गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{1}{2}\)Iω2 + \(\frac{1}{2}\)Mv2cm
∴ वलय का जड़त्व आघूर्ण
I = MR2
{∵ M = 100kg, R = 2 m}
= 100x (2)2 = 400kgm2
Vcm = 20cms-1
= 0.2ms-1
ω = \(\frac{v_{c m}}{R}\) = \(\frac{0.2}{2}\)
= 0.1 rads-1
∴ K = \(\frac{1}{2}\) x 400 x (0.1)2 + \(\frac{1}{2}\) x 100 x (0.2)2
= 2 + 2 =4J
कार्य ऊर्जा प्रमेय से गतिज ऊर्जा ही रोकने के लिए किये गये कार्य के तुल्य होगी।
∴ किया गया कार्य W = ∆K
= 4 – 0 = 4J

प्रश्न 7.20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 x 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 1.94 × 10-46 kgm2 है। मान लीजिए किसी गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा, की गतिज ऊर्जा की दो-तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
m = 5.3 x 10-26 kg
I = 1.94 × 10-46 kgm2
v = 500ms-1
स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा
Kt = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\) × 5.3 × 10-26 × (500)2
= 6.625 × 10-21J
घूर्णन गतिज ऊर्ज Kr = \(\frac{2}{3}\)Kt
\(\frac{1}{2}\)Iω2 = \(\frac{2}{3}\) × 6.625 × 10-21
या
ω2 = \(\frac{2}{3} \times \frac{6.625 \times 10^{-21} \times 2}{1.94 \times 10^{-46}}\)
या
ω2 = 4.45 × 1024
या
∴ ω = \(\sqrt{45.5 \times 10^{24}}\)
= 6.75 × 1012 rad s-1

प्रश्न 7.21.
एक बेलन 30° कोण बनाते हुए आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5m/s है।
(a) आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जायेगा?
(b) वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?
उत्तर:
(a) θ = 30°;
Vcm = 5ms-1
mgh = \(\frac{1}{2}\) mv2cm \(\left[1+\frac{K^2}{R^2}\right]\)
∵ बेलन के लिए, I = MK2 = MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)

gh = \(\frac{1}{2}\)v2cm\(\left[1+\frac{1}{2}\right]\)
= \(\frac{3}{4}\)v2cm
h = \(\frac{3 v_{c m}^2}{4 g}\)
= \(\frac{3 \times(5)^2}{4 \times 9.8}\)
= 1.91 cm
∵ sinθ = \(\frac{h}{s}\)
∴ s = \(\frac{h}{\sin \theta}=\frac{1.91}{\sin 30^{\circ}}\)
= 1.91 × 2 = 3.82m

प्रश्न 7.22.
जैसा चित्र में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढ़ी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6m है और इनको 4 पर कब्जा लगाकर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के अनुदिश B से 1.2m की दूरी पर स्थित बिन्दु से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षणरहित है और सीढ़ी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीढ़ी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।
(g = 9.8 m/s2 लीजिए)।

[संकेत-सीढ़ी के दोनों ओर के सन्तुलन पर अलग-अलग विचार कीजिए।]
उत्तर:
माना रस्सी DG में तनाव T है।
N1 व N2 क्रमश: B व C पर प्रतिक्रिया बल हैं।

∵ दिया है: BA – CA = 1.6m, DE = 0.5m,
m = 40kg BF = 1.2m, DE = 0.5m
∴ DG = 0.25 m
∴ BC = 0.5 x 2 = 1.0m
∴ BK = 0.5 = CK,
FH = \(\frac{1}{2}\) DG
= \(\frac{1}{2}\) x 0.25 = 0.125 m
AD = 0.8m
AG = \(\sqrt{A D^2-D G^2}\)
= \(\sqrt{(0.8)^2-(0.25)^2}\)
= 0.76m
सन्तुलन की स्थिति में N1 + N2 = mg = 40 x 9.8
N1 + N2 = 392
बिन्दु A के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
– N1 × BK + mg X FH + N2 × CK + T × AG – T× AG = 0
-N1 x 0.5 + 40 × 9.8 × 0.125 + N2 x 0.5 = 0
या
(N1 – N2) 0.5 = 40 x 9.8 x 0.125
या
N1 – N2 = 392 × 0.125 x 2
या
N1 – N2 = 98
समी० (1) व (2) को जोड़ने पर 2N1 = 490
या
N1 = 245 N
N2 = 392 – 245
= 147N
AB सीढ़ी का घूर्णी सन्तुलन, A के सापेक्ष लेने पर,
mg x FH – N1 x BH +T X AG = 0
या
40 × 9.8 × 0.125 – 245 x 0.5 + 7 x 0.76=0
Tx 0.76 = 245 x 0.5 – 40 x 9.8 x 0.125
122.5 – 49 = 73.5
∴ T = \(\frac{73.5}{0.76}\)
= 96.7N

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफार्म पर खड़ा है, उसने अपनी दोनों बाँहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफार्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाँहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन पथ से प्रत्येक भार की दूरी 90cm से बदलकर 20 cm हो जाती है। प्लेटफार्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg m2 ले सकते हैं।
(a) उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)।
(b) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है, यदि नहीं तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति का जड़त्व आघूर्ण I = 7.6kgm2
ω2 = 30 rev/min; ω2 = ?
गोलों का द्रव्यमान = m2 =5kg;
अक्ष से दूरी r2 = r3 = 0.9m
I1 = I + m2r22 + m3r32
= 7.6 + 5 x (0.9) + 5 x (0.9)
= 15.7 kg m2
बाँहों को सिकोड़ने पर दूरी r2 = r3 = 0.2m
I2 = I + m2r2 + m3r32
= 7.6 + 5 × (0.2)2 + 5 × (0.2)2 = 8 kgm2
(a) कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
नया कोणीय वेग = 59 rev/min.
(b) इस क्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती है बल्कि हाथों को मोड़ने पर कार्य करने से गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.24.
10g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र से टकराकर उसमें अन्तः स्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.00m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनमें गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है। गोली के दरवाजे में अन्तः स्थापन के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
[संकेत- एक सिरे से गुजरती ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{\mathrm{Ml}^2}{3}\)2
उत्तर:
जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\mathrm{ML}^2}{3}\) = \(\frac{1}{3}\) × 12 × (1.0)2
= 4.0kgm2
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से, संघट्ट के पूर्व गोली का कोणीय संवेग
= संघट्ट के बाद दरवाजे का कोणीय संवेग
mvr = lw या 0.01 x 500 x \(\frac{1}{2}\) = 4 x ω
∴ ω = \(\frac{2.5}{4}\) = 0.625 rad s-1
अतः गोली धँसने के तुरन्त बाद दरवाजा 0.625 rad s-1 कोणीय वेग से घूमना प्रारम्भ करेगा।

प्रश्न 7.25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने-अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलम्बवत् तथा चक्रिका के केन्द्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व आघूर्ण I1 तथा I2 हैं और जो ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही हैं, को उनके घूर्णन अक्ष सम्पाती करके आमने-सामने (सम्पर्क में) लाया जाता है। (a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है? (b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω12 लीजिए।
उत्तर:
माना सम्पर्क में आने के पश्चात् दोनों चक्रिकाएँ उभयनिष्ठ कोणीय वेग ω से घूर्णन करती हैं।
∵ निकाय पर बाह्य बल आघूर्ण शून्य है। अतः निकाय का कोणीय संवेग संक्षित रहेगा।
∴ I1ω1 + I2ω2 = (I1 + I2
∴ निकाय की नई कोणीय चाल ω = \(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\)
निकाय की नई गतिज ऊर्जा
K2 = \(\frac{1}{2}\)(I1 + I22
= \(\frac{1}{2}\)(I1 + I2)\(\left(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\right)^2\)
= \(\frac{1}{2}\)\(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
जबकि प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
K1 = \(\frac{1}{2}\)I1ω12 + \(\frac{1}{2}\)I2ω22
∴ ∆K = K1 – K2
= \(\frac{1}{2}\)(I1ω12 + I2ω22) – \(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
= \(\frac{1}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [I12ω12 + I22ω22 + I1I212 + ω22) – I12ω12 – I22ω22 – 2I1I2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [ ω12 + ω22 – 2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\)(ω1 – ω2)2
अतः एक चक्रिका में ऊर्जा हानि होती है। यह हानि चक्रिका की सम्पर्क सतह पर घर्षण बल के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 7.26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
(b) समान्तर अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
उत्तर:
(a) लम्बवत् अक्षों की प्रमेय की उत्पत्ति अनुच्छेद (Perpendicular Axes):
इस प्रमेय के अनुसार, ” किसी समतल पटल (plane lamina) का इसके तल के लम्बवत् अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण पटल के तल में स्थित दो पारस्परिक लम्बवत् अक्षों के सापेक्ष जड़त्व-आघूर्णों के योग के तुल्य होता है जबकि अभीष्ट अक्ष दोनों लम्बवत् अक्षों के कटान बिन्दु से होकर गुजरती है।”
यदि समपटल के तल में स्थित दो लम्बवत अक्षों OX तथा OY के परित: पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः IX तथा IY तथा इन अक्षों के कटान बिन्दु से जाने वाली तथा तल के लम्बवत् अक्ष OZ के परित: समपटल का जड़त्व आघूर्ण IZ हो तो
IZ = IX + IY
उपपत्ति (Proof):
माना X व Y पटल के तल में स्थित दो लम्बवत् अ क्षें हैं, जो O पर मिलती हैं और O से ही पटल के तल के लम्बवत् अभीष्ट अक्ष गुजरती है। माना बिन्दु P(x, y) पर स्थित द्रव्यमान कण का द्रव्यमान m है तथा यह Z अक्ष से r दूरी पर स्थित है।

∴ Z-अक्ष के सापेक्ष पटल का जड़त्व आघूर्ण
IZ = ∑mr2 ……..(1)
इसी प्रकार X व Y अक्ष के सापेक्ष पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः
IX = ∑my2
तथा IY = ∑mx2
r2 = x2 + y2
अत: समी० (1) से
IZ = ∑m(x2 + y2)
= ∑mx2 + ∑my2
= IY + IX
था
IZ = IX + IY ………..(2)
प्रत्येक पिण्ड घूर्णन अक्ष के लम्बवत् अनेक समतल पटलों में विभाजित किया जा सकता है। अतः उपरोक्त प्रमेय सभी द्विविमीय पिण्डों के लिए यथार्थ होती है।

(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय:
उपपत्ति-माना पिण्ड के भीतर स्थित m द्रव्यमान के किसी कण पर द्रव्यमान केन्द्र से दूरी x है।
कण का AB अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I = m(x + a)2
∴ सम्पूर्ण पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण (AB अक्ष के सापेक्ष)
I = Em(x + a)2
या
= Em(x2 + a2 + 2ax)
= Emx2 + Ema2 + 2a∑mx
I = I + a2∑m+0
(∴ ∑mx = 0 द्रव्यमान केन्द्र के परितः कणों के द्रव्यमान आघूणों का योग शून्य होता है।)
या
I = Ic + Ma2

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.27.
सूत्र को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल आघूर्णो के विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ लोटनिक गति करते पिण्ड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है। आनत तल पर वह ऊँचाई है जहाँ से पिण्ड गति प्रारम्भ करता है। K सममित अक्ष के परितः पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिण्ड की त्रिज्या है।
उत्तर:
चित्र में m द्रव्यमान व R त्रिज्या का कोई गोलीय पिण्ड, जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है, ऐसे आनत तल पर लुढ़कता है। जो क्षैतिज से θ कोण पर झुका है। इस स्थिति में लगने वाले बल

(i) mg (भार) नीचे
(ii) आनत तल की प्रतिक्रिया N ( लम्बवत् ऊपर की ओर )
(iii) स्पर्श रेखीय स्थैतिक घर्षण बल fs (आनत तल के समान्तर ऊपर की ओर)
∴ mg sinθ – f = ma …(1)
N = mg cosθ …(2)
यदि बल आघूर्ण τ = Rfs
∵ τ = Iα
∴ Rfs = Iα = I.\(\frac{a}{R}\)
[∵ a = αR ,α = \(\frac{a}{R}\)]
fs = \(\frac{I a}{R^2}\) का मान समीकरण (1) में रखने पर,
mg sinθ – \(\frac{I a}{R^2}\) = ma

प्रश्न 7.28.
अपने अक्ष पर ω कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिये बिना) किसी पूर्णत: घर्षण रहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R है। चित्र में दर्शाई गई चक्रिका के बिन्दुओं A, B तथा C पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यह चक्रिका चित्र में दर्शाई गई दिशा में लोटनिक गति करेंगी?

उत्तर:
वेग v = rω
बिन्दु A पर, vA = Rω0(A X के अनुदिश)
बिन्दु B पर, vB = Rω0(BX) के अनुदिश
बिन्दु C पर, vC = \(\frac{R}{2}\)ω0 (AX के समान्तर)
यहाँ घर्षण बल नहीं है अत: चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

प्रश्न 7.29.
स्पष्ट कीजिए कि 7.28 में दिए गए चित्र में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने के पूर्व घर्षणी बल आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?
उत्तर:
(a) B पर घर्षण बल, B के वेग का विरोध करता है। अत: घर्षण बल तथा तीर की दिशा समान है। घर्षण बल आघूर्ण के कार्य करने की दिशा इस प्रकार है कि यह कोणीय गति का विरोध करता है।
इसमें ω कागज के पृष्ठ के अन्तर्मुखी तथा τ कागज के पृष्ठ के बहिर्मुखी है।
(b) लोटनिक गति के लिए आवश्यक है कि B बिन्दु पर वेग शून्य है। इस समय घर्षण बल का मान भी शून्य हो जाता है।

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प्रश्न 7.30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षैतिज मेज पर एक ही क्षण 10π rad s-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरम्भ कर देगा? गतिज घर्षण गुणांक, μs = 0.21
उत्तर:
समय में द्रव्यमान केन्द्र द्वारा प्राप्त वेग
v = u + at
v = at …(1)
द्रव्यमान केन्द्र की स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ के लिए आवश्यक बल घर्षण से मिलता है।
∴ F = ma = μkmg
या
a = μkmg
∴ समी० (1) से,
v = μkgt …(2)
घर्षण के कारण बल आघूर्ण कोणीय वेग ω0 में मन्दन उत्पन्न करता है।
∴ τ = -Iα = RF = Rμkmg
∴ α = \(\frac{-\mu_k m g R}{I}\)
∴ ω = ω0 + αt = ω0 – \(\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\) …..(3)
लोटनिक गति प्रारम्भ होने की शर्त v = Rω
समी० (2) व (3) से,
μkgt = \(R\left[\omega_0-\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\right]\)
या
μkgt = Rω0 – \(\frac{\mu_k m g R^2}{I}\) × t
या
μkgt \(\left[1+\frac{m R^2}{I}\right]\) = Rω0
वलय में,
I = mR2
या
∴ μkgt[1 + 1] = Rω0
या
t = \(\frac{\omega_0 R}{2 \mu_k g}\) ……..(4)
चक्रिका में,
\(I=\frac{M R^2}{2}\)
…(4)
∴ μkgtd \(\left[1+\frac{m R^2 \times 2}{m R^2}\right]\) = Rω0
समी० (4) व (5) से स्पष्ट है कि
tR > td
स्पष्ट है कि td का मान कम है। अतः चक्रिका पहले लोटनिक गति प्रारम्भ करेगी।
tR = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 2}\)
= 0.25 s
तथा
td = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 3}\) …(6)
= 0.17s

प्रश्न 7.31
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिण्डर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धतः लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक μs = 0.25 है।
(a) सिलिण्डर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
(b) लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
(c) यदि समतल के झुकाव 8 में वृद्धि कर दी जाये तो θ के किस मान पर सिलिण्डर परिशुद्धता लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरम्भ कर देगा?

उत्तर:
लोटनिक गति में द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण
a = \(\frac{g \sin \theta}{1+K^2 / R^2}\)
सिलिण्डर के लिए
gsine 1+K2/R2
I = MK2 = \(\frac{1}{2}\) MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)
⇒ a = \(\frac{g \sin \theta}{1+\frac{1}{2}}=\frac{2}{3} g \sin \theta\)
∴ a = \(\frac{2}{3}\) × 9.8sin30°
= \(\frac{2}{3}\) × 9.8 × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{9.8}{3}\)m/s2
(a) चित्र में, mg sinθ – f = ma
सिलिण्डर पर घर्षण बल f = mg sinθ – ma
f = m (g sinθ – a)
= 10[9.8 × sin 30° – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 10 [ 9.8 x \(\frac{1}{2}\) – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 16.4 N

(b) लोटन की अवधि में सम्पर्क पिण्ड विरामावस्था में होता है।
अतः घर्षण के लिए किया गया कार्य W = 0

(c) τ = Iα = \(\frac{I a}{R}\)
a का मान रखने पर, RF = \(\frac{I a}{R}\)
∴ F = \(\frac{I a}{R^2}=\frac{I \times \frac{2}{3} g \sin \theta}{R^2}\)
∵ सिलिण्डर में,
I = \(\frac{m R^2}{2}\)
∴ F = \(\frac{m R^2}{2} \times \frac{2}{3} \frac{g \sin \theta}{R^2}\)
∵ F = μsR,
F = \(\frac{1}{3}\)mg sinθ
∵ चित्र में Rmg cosθ
s = tanθ
{∵ μs = 0.25}
या
3 x 0.25 = tantanθ
या
tanθ = 0.75
∴ θ = 37°

प्रश्न 7.32.
नीचे दिये गये प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन-सा सत्य है और कौन-सा असत्य?
(a) लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र गति करता है।
(b) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(e) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
(d) परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) किसी पूर्णत: घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिये की गति फिसलन गति ( लोटनिक गति नहीं ) होगी।
उत्तर:
(a) सत्य, घर्षण, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की विपरीत दिशा में कार्य करता है अर्थात् द्रव्यमान केन्द्र की दिशा में गति करता है।
(b) सत्य, लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर तात्क्षणिक चाल शून्य है।
(c) असत्य, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की दिशा बदलने से त्वरण शून्य नहीं होती है।
(d) सत्य, सम्पर्क बिन्दु पर घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।”
(e) सत्य, घर्षण बल ही लोटनिक गति के लिए आवश्यक बल आघूर्ण उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग-अलग करके विचार करना।
दर्शाइए कि – (a) \(\overrightarrow{p_i}=\overrightarrow{p_i^{\prime}}+m_i \overrightarrow{v_i}\)
जहाँ \(\vec{p}_i \) (m) द्रव्यमान वाले)/ वें कण का संवेग और
\(\overrightarrow{p_i^{\prime}}=m_i \overrightarrow{v_i^{\prime}}\)
ध्यान दें कि \(\overrightarrow{v_i^{\prime}}\) द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष वें कण का वेग है। द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि \(\Sigma \overrightarrow{p_i^{\prime}}=0\)

(b) K = K’+ \(\frac{1}{2}\) Mv2
K कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, K’ निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाए। Mv2/2 सम्पूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है।

(c) \(\text { (c) } \vec{L}=\overrightarrow{L^{\prime}}+\vec{R} \times M \vec{v}\)
जहाँ \(L^{\prime}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \overrightarrow{p_i^{\prime}}\) द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गये हैं। याद कीजिए \(\overrightarrow{r_i^{\prime}}=\overrightarrow{r_i}-\vec{R}\) शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि \(\overrightarrow{\boldsymbol{L}}\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं \(\overrightarrow{M R} \times \vec{v}\) इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

(d) \(\frac{d \overrightarrow{L^{\prime}}}{d t}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \frac{d \overrightarrow{p^{\prime}}}{d t}\)
यह भी दर्शाइए कि \(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)
(जहाँ \(\tau \text { ext }\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत: द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्हीं दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]
उत्तर:
माना दृढ़ पिण्ड के कणों के द्रव्यमान क्रमश: m1 m2 हैं जिनकी मूलबिन्दु 0 के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमश: r1r2 हैं। दृढ़ पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र G है जिसका मूलबिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश तथा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कणों की स्थिति क्रमशः
r1r2 …………हैं।
सदिश से,

(c) समी० (1) में \(\vec{p}_i=m_i \overrightarrow{v_i}+p_1^{\prime}\)
बाईं ओर से का सदिश गुणा करने पर

यहाँ I सम्पूर्ण पिण्ड का मूलबिन्दु के परितः कोणीय संवेग है तथा \(\vec{R} \times M \vec{v}\) द्रव्यमान केन्द्र का मूलबिन्दु के सापेक्ष कोणीय संवेग तथा \(\Sigma r_i^{\prime} \times p_i^{\prime}=L_i^{\prime}\) पिण्ड का द्रव्यमान के सापेक्ष कोणीय संवेग है।

यहाँ \(\frac{d \overrightarrow{p_i^{\prime}}}{d t}=\vec{F}_i\) वें कण पर कार्यरत् नेट बल है।
माना इस कण पर अन्य कणों द्वारा आरोपित बलों का परिणामी \(\vec{F}_i\)(int) है तथा बाह्य आरोपित बल \(\vec{F}_i\)(text) है।
\(\vec{F}_i=\vec{F}_{i \text { int }}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
\(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\Sigma r_i^{\prime} \times F_{i \text { int }}+\Sigma r_i^{\prime}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
परन्तु सभी कणों के आरोपित आन्तरिक क्रिया-प्रतिक्रिया बल सन्तुलन में होते हैं तथा द्रव्यमान केन्द्र के परितः इन बलों के आघूर्णो का सदिश योग शून्य होता है।
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times \vec{F}_{i(\text { int })}=0\)
जबकि
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times F_{i \mathrm{ext}}=\vec{\tau}_{\mathrm{ext}}\)
यहाँ \(\vec{\tau}_{\text {ext }}\) पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल का द्रव्यमान केन्द्र के परित: आघूर्ण है।
\(\frac{d \vec{L}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)

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