Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण
प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए क्यों
(a) मस्तिष्क की अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्त चाप अधिक होता है।
(b) 6 km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 km से भी अधिक ऊँचाई तक है।
(c) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रवस्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
उत्तर:
(a) द्रव स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब P = hpg होता है जो गहराई पर निर्भर करता है। मनुष्य में रक्त के स्तम्भ की ऊँचाई मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों पर अधिक होती है, इस कारण मनुष्य के पैरों पर रक्त दाब मस्तिष्क की अपेक्षा अधिक होता है।
(b) हम जानते हैं कि वायुमण्डल दाब पृथ्वी के पृष्ठ के निकट अधिकतम होता है, जो ऊँचाई के साथ-साथ तीव्रता से कम होता है और 6km की ऊँचाई पर इसका मान समुद्रतल के मान से आधा हो जाता है। वायु का घनत्व 6 km ऊँचाई के बाद बहुत धीरे-धीरे कम होता है। इस कारण से 6km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब इसके समुद्रतल पर मान का आधा हो जाता है।
(c) द्रव पर बल लगने के कारण पास्कल के नियम से दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचारित होता है। इस प्रकार से द्रव में दाब के लिए कोई निश्चित दिशा नहीं है। अतः द्रव स्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
प्रश्न 2.
स्पष्ट कीजिए, क्यों?
(a) पारे का काँच के साथ स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल का काँच के साथ स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है।
(b) काँच के स्वच्छ समतल पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है जबकि पारा उसी पृष्ठ पर बूँदें बनाने का प्रयास करता है। (दूसरे शब्दों में जल काँच को गीला कर देता है जबकि पारा ऐसा नहीं करता है ।)
(c) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(d) जल में घुले अपमार्जकों के स्पर्श कोणों का मान कम होना चाहिए।
(e) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो द्रव बूँद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर:
(a) जब काँच पर द्रव जाता है तो द्रव वायु, ठोस – वायु और ठोस – द्रव में अन्तरापृष्ठ बन जाता है। इन तीनों अंतरापृष्ठों के संगत पृष्ठ तनाव अर्थात् Tla Tsa और Tsl क्रमश: द्रव का ठोस के साथ सम्पर्क कोण
से सम्बन्ध
cos θ = \(\frac{{T}_{s a}-{T}_{s l}}{{~T}_{l a}}\)
पारे और काँच की स्थिति Tsa < Tsl
∴ cos θ का मान ऋणात्मक होगा अर्थात् θ > 90° होगा।
∴ cos θ का मान धनात्मक होगा अर्थात् θ < 90° होगा।
(b) पारे और काँच के लिए सम्पर्क कोण अधिक कोण है अर्थात् θ > 90° । सम्पर्क कोण का मान अधिक कोण हो इसके लिए पारा बूँद का रूप धारण करने का प्रयत्न करता है परन्तु पानी-काँच के सन्दर्भ में सम्पर्क कोण न्यून कोण है अर्थात् θ < 90° इस कारण पानी फैलने का प्रयत्न करता है और काँच को गीला कर देता है।
(c) चूँकि बल द्रव पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतन्त्र है, अतः पृष्ठ तनाव भी द्रव पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतन्त्र है।
(d) कपड़ों में महीन कोशिकाओं के रूप में छोटे-छोटे स्थान होते हैं। जिससे स्पर्श कोण θ का मान बहुत अल्प होगा तो cosθ का मान बड़ा होगा और अपमार्जक कपड़े में छोटे-छोटे स्थानों से अधिक ऊपर उठेगा। चूँकि अपमार्जक का सम्पर्क कोण छोटा होता है, इसलिए वह कपड़ों में आसानी से प्रवेश करके मैल को बाहर निकाल देगा।
(e) बाह्य बलों की अनुपस्थिति में बूँद की आकृति केवल पृष्ठ तनाव द्वारा ही निर्धारित होती है। पृष्ठ तनाव के गुण के कारण बूँद न्यूनतम मुक्त क्षेत्रफल की आकृति में होना चाहती है। चूँकि किसी दिए गए आयतन के लिए गोले का मुक्त पृष्ठ न्यूनतम होता है, अत: बूँद की आकृति पूर्ण गोलाकार हो जाती है।
प्रश्न 3.
प्रत्येक प्रकथन के साथ संलग्न सूची में से उपयुक्त शब्द. छाँटकर उस प्रकथन के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
(a) व्यापक रूप में द्रवों का पृष्ठ तनाव ताप बढ़ने पर ……………. है। (बढ़ता / घटता)
(b) गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर ……………….. है, जबकि दवों की श्यानता ताप बढ़ने पर ……………. है। (बढ़ती / घटती)
(c) दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक वाले ठोसों के लिए अपरूपण प्रतिबल …………….. के अनुक्रमानुपाती होता है, जबकि द्रवों के लिए वह ………………….. के अनुक्रमानुपाती होता है। (अपरूपण विकृति / अपरूपण विकृति की दर )
(d) किसी तरल के अपरिवर्ती प्रवाह में आए किसी संकीर्णन पर प्रवाह की चाल में वृद्धि में ……………….. का अनुसरण होता है। ( संहति का संरक्षण / बरनौली सिद्धान्त)
(e) किसी वायु सुरंग में किसी वायुयान के मॉडल में प्रक्षोभ की चाल वास्तविक वायुयान के प्रक्षोभ के लिए क्रान्तिक चाल की तुलना में …………………. होती है।(अधिक / कम)
उत्तर:
(a) घटता,
(b) बढ़ती घटती,
(c) अपरूपण विकृति, अपरूपण विकृति की दर
(d) संहति का संरक्षण,
(e) अधिक।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए:
(a) किसी कागज की पट्टी को क्षैतिज रखने के लिए आपको उस कागज पर ऊपर की ओर हवा फूँकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल टोंटी को अपनी उँगलियों द्वारा बन्द करने का प्रयास करते हैं तो उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं।
(c) इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर के अँगूठे द्वारा आरोपित दाब की अपेक्षा सुई का आकार दवाई की बहिः प्रवाही धारा को अधिक अच्छा नियंत्रित करता है।
(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तरल उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है।
(e) कोई प्रचक्रमान क्रिकेट की गेंद वायु में परवलीय पथ का अनुसरण नहीं करती।
उत्तर:
(b) अविरतता के सिद्धान्त से जहाँ पर अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम होता है, वहाँ जल का वेग बढ़ जाता है। टोंटी को अंगुलियों से बन्द करने पर जल अंगुलियों के बीच खाली जगह जिसका कि क्षेत्रफल अत्यन्त कम है, तीव्र वेग से निकलने लगता है जिससे वहाँ से तीव्र जल धाराएँ फूट उठती हैं।
(c) बरनौली के प्रमेय के अनुसार इंजेक्शन की सुई में बहने वाली दवाई की कुल ऊर्जा वेग पर अधिक निर्भर करती है।
∵ P + \(\frac{1}{2}\) pv 2 = नियतांक
अतः डॉक्टर दवाई के प्रवाह की दर को अंगूठे द्वारा अधिक दाब आरोपित करने की अपेक्षा सुई के उचित परिच्छेद क्षेत्रफल का चयन करके नियंत्रित करता है।
(d) तरल बारीक छिद्र से बाहर आने पर उच्च बहिःस्राव वेग अर्जित कर लेता है जिससे आगे की दिशा में संवेग उत्पन्न होता है। बाह्य बल की अनुपस्थिति में पात्र व तरल दोनों का संयुक्त संवेग संरक्षित रहता है अतः पात्र विपरीत दिशा में संवेग प्राप्त करता है जिससे बाहर निकलता हुआ द्रव पात्र पर विपरीत दिशा में प्रणोद आरोपित करता है।
(e) घूमती हुई गेंद के ऊपर तथा नीचे की वायु के वेग में अन्तर आ जाता है जिससे दाबों में भी अन्तर होता है। इसके कारण गेंद पर भार के अतिरिक्त एक अन्य बल भी लगने लगता है तथा गेंद परवलयाकार पथ से विचलित हो जाती है। इसे मैगनस प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 5.
ऊची एड़ी के जूते पहने 50kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0cm व्यास की एक ही वृत्ताकार एड़ी पर सन्तुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
बालिका का द्रव्यमान m = 50kg
एड़ी की त्रिज्या = 0.5cm = 0.5 × 10-2m
∵ फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब
\( =\frac{50 \times 9.8}{3.14 \times\left(0.5 \times 10^{-2}\right)^2}\)
∴ p = 6.24 × 106Nm-2
प्रश्न 6.
टॉरिसेली के वायुदाबमापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायु दाबमापी 984kg m-3 घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमण्डलीय दाब के लिए शराब स्तम्भ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
P = 1.013 × 105 Pa,
ρ = 984 kg m-3
g = 9.8 ms2,
h = ?
दाब P = hρg सूत्र से,
\(h=\frac{\mathrm{P}}{\rho g}=\frac{1.013 \times 10^5}{984 \times 9.8}\)
= 1.05
प्रश्न 7.
समुद्र तट से दूर कोई ऊर्ध्वाधर संरचना 109Pa के अधिकतम प्रतिबल को सहन करने के लिए बनाई गई है। क्या यह संरचना किसी महासागर के भीतर किसी तेल कूप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त है ? महासागर की गहराई लगभग 3km है। समुद्री धाराओं की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
सागर की गहराई h = 3 km = 3000m
जल का घनत्व p = 1.03 × 103 kg m-3
अतः महासागर में अधिकतम दाब सागर की तली में होगा। सागर की तली में दाब
Pmax = Pa + hpg
= 1.01 × 105 + 3000 × 1.03 × 103 × 9.8
= 1.01 × 105 + 3.02 × 107
= 303.01 × 105 Pa
∵ महासागर में महत्तम दाब संरचना अधिकतम प्रतिबल 109 Pa से कम है, अत: यह संरचना महासागर के भीतर तेल कूप के शिखर पर रखी जा सकती है।
प्रश्न 8.
किसी द्रवचालित ऑटोमोबाइल लिफ्ट की संरचना अधिकतम 3000 kg संहति की कारों को उठाने के लिए की गई है। बोझ को उठाने वाले पिस्टन की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 425 cm है। छोटे पिस्टन को कितना अधिकतम दाब सहन करना होगा?
उत्तर:
पास्कल के नियमानुसार दाब बिना हानि के पूरे द्रव में संचरित होता है।
अतः छोटे पिस्टन पर दाब बड़े पिस्टन पर दाब
= \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{A}}=\frac{m g}{\mathrm{~A}}=\frac{3000 \times 9.8}{0.0425}\)
= 6.92 × 105 Pa
प्रश्न 9.
किसी नली की दोनों भुजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक-दूसरे से पृथक् करता है। जब जल तथा पारे के स्तम्भ क्रमश: 10cm तथा 12.5cm ऊँचे हैं, तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है। स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ दोनों भुजाओं में पारे के तल समान हैं अतः इस तल पर दोनों भुजाओं में खड़े स्तम्भों के दाब समान होंगे।
अतः
P1 = P2
या
huPwg = hspsg
(w’ जल के लिए वs स्पिरिट के लिए प्रयुक्त किया गया है।)
या स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व
\(\frac{\rho_s}{\rho_w}=\frac{h_w}{h_s}\)
= \(\frac{10.0}{12.5}\)
= 0.8
प्रश्न 10.
यदि प्रश्न 9 की समस्या में, U-नली की दोनों भुजाओं में इन्हीं दोनों द्रवों को और उड़ेल कर दोनों द्रवों के स्तम्भों की ऊंचाई 15 cm और बढ़ा दी जाए, तो दोनों भुजाओं में पारे के स्तरों में क्या अन्तर होगा ? (पारे का आपेक्षिक घनत्व 13.6)।
उत्तर:
U-नली के तल पर दोनों भुजाओं में द्रव स्तम्भों के दाब बराबर होंगे। तली पर
P1 = P2
∴ (15 + 10) ρwg + h1ρHg
= (15 + 12.5)ρsg + h2ρHg
= 1.838 – 1.617 = 0.22 सेमी
प्रश्न 11.
क्या बरनौली समीकरण का उपयोग किसी नदी की किसी क्षिप्रिका के जल प्रवाह का विवरण देने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नहीं, क्योंकि नदी की क्षिप्रिका का जल-प्रवाह विक्षुब्ध होता है जबकि बरनौली का समीकरण धारा रेखीय प्रवाह के लिए ही लागू होता है।
प्रश्न 12.
बरनौली समीकरण के अनुप्रयोग में यदि निरपेक्ष दाब के स्थान पर प्रमापी दाब (गेज दाब) का प्रयोग करें तो क्या इससे कोई अन्तर पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बरनौली समीकरण से,
p1 + \(\frac{1}{2}\) pv12 = p2 + \(\frac{1}{2}\) pv22
या
p1 – p2 = \(\frac{1}{2}\) p(v22 – v12)
इससे स्पष्ट है कि बरनौली समीकरण में नली के दो सिरों का दावान्तर है।
∵ गेज दाब, निरपेक्ष दाब एवं वायुमण्डलीय दाब का अन्तर होता है अतः
(P1)गेज = P1 – Pa तथा (P2)गेज = P2 – Pa
∴ (P1)गेज – (P2) गेज = P1 – P2
अतः दाबान्तर इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम गेज दावान्तर लें या निरपेक्ष दाबान्तर, परन्तु दोनों बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय दाब समान होना चाहिए।
प्रश्न 13.
किसी 1.5 m लम्बी 1.0 cm त्रिज्या की क्षैतिज नली से ग्लिसरीन का अपरिवर्ती प्रवाहहो रहा है। यदि नली के एक सिरे पर प्रति सेकण्ड एकत्र होने वाली ग्लिसरीन का परिमाण 4-0 x 10-3 kgs है, तो नली के दोनों सिरों के बीच दाबान्तर ज्ञात कीजिए। (ग्लिसरीन का घनत्व = 1.3 x 10 kg m तथा ग्लिसरीन की श्यानता = 0.83 Pas) [ आप यह भी जाँच करना चाहेंगे कि क्या इस नली में स्तरीय प्रवाह की परिकल्पना सही है।]
उत्तर:
धारा रेखीय प्रवाह मानते हुए प्वाइजली के सूत्र से नली में प्रवाह की दर V = \(\frac{\pi p r^4}{8 \eta l}\)
यदि 1 सेकण्ड में प्रवाहित द्रव का द्रव्यमान M तथा घनत्व हो, तो
∴ दाबान्तर p = \(\frac{8 \eta / \mathrm{M}}{\pi r^4 \rho}\)
यहाँ M = 4 × 10-3 kgs-1 l = 1.5m, r = 1 cm = 10-2m
∴ \(p=\frac{8 \times 0.83 \times 1.5 \times 4 \times 10^{-3}}{3.14 \times\left(10^{-2}\right)^4 \times 1.3 \times 10^3}\)
= 9.76 × 102 Pa
धारा रेखीय प्रवाह की जाँच:
क्रान्तिक वेग \(v_c=\frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}\)
यदि V प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव का आयतन हो तब
\(\frac{\mathrm{V}}{\pi r^2}=\frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}\)
या रेनॉल्ड संख्या
\(\mathrm{R}_e=\frac{\mathrm{V} \rho \mathrm{D}}{\pi r^2 \eta}=\frac{\mathrm{V} \rho(2 r)}{\pi r^2 \eta}\)
या
\(\mathrm{R}_e=\frac{2 \mathrm{~V} \rho}{\pi r \eta}=\frac{2 \mathrm{M}}{\pi r \eta}=\frac{2 \times 4 \times 10^{-3}}{3.14 \times 10^{-2} \times 0.83}\)
∴ Re = 0.3
यह संख्या धारा रेखीय प्रवाह के लिए रेनॉल्ड संख्या 2000 से अत्यन्त कम है अतः नली में प्रवाह धारा रेखीय है।
प्रश्न 14.
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वायु- सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु प्रवाह की गतियाँ क्रमश: 70 ms-1 तथा 63 ms-1 हैं। यदि पंखे का क्षेत्रफल 2.5m-2 है, तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए। वायु का घनत्व 1.3 kg m-3 लीजिए।
उत्तर:
बरनौली की प्रमेय से,
p1 + \(\frac{1}{2}\)pv12= p2 + \(\frac{1}{2}\)pv22
दाबान्तर
p2 – p1 = \(\frac{1}{2}\)p(v12 – v22)
उत्थापक बल
F = (p2 – p1)A = \(\frac{1}{2}\)P(V12 – V22)
= \(\frac{1}{2}\) × 1.3 [(70)2 – (63)2] × 2.5
उत्थापक बल F = 1.5 × 103 N
प्रश्न 15.
चित्र में (a) तथा (b) किसी द्रव (श्यानताहीन) का अपरिवर्ती प्रवाह दर्शाते हैं। इन दोनों चित्रों में से कौन सही नहीं है ? कारण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
चित्र (a) सही नहीं है क्योंकि अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल कम होने पर वहाँ द्रव का वेग अधिक होगा तथा द्रव का वेग जहाँ अधिक होता है वहाँ पर दाब कम होना चाहिए जबकि (a) में जल का दाब संकरे स्थान पर अधिक दर्शाया गया है।
प्रश्न 16.
किसी स्प्रे पम्प की बेलनाकार नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 8.0 cm2 है। इस नली के एक सिरे पर 1.0mm व्यास के 40 सूक्ष्म छिद्र हैं। यदि इस नली के भीतर द्रव के प्रवाहित होने की दर 1.5mmin-1 है, तो छिद्रों से होकर जाने वाले द्रव की निष्कासन चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
gy %दिया है: A1 = 8 cm2 = 8 × 104 m2
प्रत्येक छिद्र की त्रिज्या r2 = 0.5mm = 0.5 × 10-3 m
छिद्रों का कुल क्षेत्रफल A2 = 40 × 3.14 × (0.5 × 10-3)2
= 3.14 x 102m2
तथा v1 = 1.5 m min-1 = \(\frac{1.5}{60}\)
= 0.025 ms-1, v2 = ?
अविरतता के समीकरण से, A2v2 = A1v1
अतः
\(v_2=\frac{\mathrm{A}_1}{\mathrm{~A}_2} v_1=\frac{8 \times 10^{-4}}{3.14 \times 10^{-5}} \times 0 \cdot 025\)
= 0.64ms-1
छिद्रों से होकर द्रव की निष्कासन चाल 0.64 ms-1 है।
प्रश्न 17.
U-आकार के किसी तार को साबुन के विलयन में डुबो कर बाहर निकाला गया जिससे उस पर एक पतली साबुन की फिल्म बन गई। इस तार के दूसरे सिरे पर फिल्म के सम्पर्क में एक फिसलने वाला हल्का तार लगा है जो 1.5 x 102N भार (जिसमें इसका अपना भार भी सम्मिलित है) सँभालता है। फिसलने वाले तार की लम्बाई 30 cm है। साबुन की फिल्म का पृष्ठ तनाव कितना है?
उत्तर:
दिया है तार की लम्बाई
l = 30 cm = 0.3m
तार पर लटका भार W = 1.5 x 10-2 N
∵ फिल्म में दो पृष्ठ होते हैं अतः
F = 2F1 = 2(T × l)
यह बल भार को सन्तुलित करता है अतः
2Tl = W
या पृष्ठ तनाव
T = \(\frac{\mathrm{W}}{2 l}=\frac{1.5 \times 10^{-2}}{2 \times 0 \cdot 3}\)
= 2.5 x 10-2 Nm-1
प्रश्न 18.
निम्नांकित चित्र (a) में किसी पतली द्रव फिल्म को 4-5 x 10-2N का छोटा भार सँभाले दर्शाया गया है। चित्र (b) तथा (c) में बनी इसी द्रव की फिल्में इसी ताप पर कितना भार सँभाल सकती हैं? अपने उत्तर को प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(a), (b) व (c) प्रत्येक में फिल्म के निचले किनारे की लम्बाई. 40 cm (एकसमान है। इस किनारे पर फिल्म के पृष्ठ तनाव के कारण समान बल F = Tx 2l लगेगा।
यही बल लटके हुए भार को सन्तुलित करता है।
चूँकि साधने वाला बल प्रत्येक दशा में समान है अतः चित्र (b) व (c) में भी वही भार 4.5 x 10-2N सन्तुलित किया जा सकता है।
प्रश्न 19.
3 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूँद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 x 10-1 Nm-1 है। यदि वायुमण्डलीय दाब 1.01 x 105 Pa है, तो पारे की बूँद के भीतर दाब आधिक्य भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है त्रिज्या r = 3mm = 3 x 10-3 m
Pa = 1.01 × 105 Pa
20°C पर पृष्ठ तनाव T = 4.65 × 10-1 Nm-1
∴ पारे की बूँद के भीतर आधिक्य दाब
P आधिक्य = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{r}=\frac{2 \times 4.65 \times 10^{-1}}{3 \times 10^{-3}}\)
= 3.1 x 102pa
अतः बूँद के भीतर दाब
P = Pa + Pआधिक्य
= 1.01 × 105 + 3.1 × 102 = 1.013 x 105 Pa
प्रश्न 20.
5mm त्रिज्या के किसी साबुन के विलयन के बुलबुले के भीतर दाब आधिक्य क्या है? 20°C ताप पर साबुन के विलयन का पृष्ठ तनाव 2.5 x 10-2 Nm है। यदि इसी विमा का कोई वायु का बुलबुला 1.2 आपेक्षिक घनत्व के साबुन के विलयन से भरे किसी पात्र में 40.0 cm गहराई पर बनता, तो इस बुलबुले के भीतर क्या दाब होता, ज्ञात कीजिए। (1 वायुमण्डलीय दाब 1.01 × 105 Pa)
उत्तर:
दिया है:
बुलबुले की त्रिज्या r = 5mm = 5 × 10-3m
विलयन का पृष्ठ तनाव T = 2.5 × 10-2 Nm-1
∵ बुलबुले के भीतर आधिक्य दाब
P आधिक्य = \(\frac{4 \mathrm{~T}}{r}\)
= \(\frac{4 \times 2 \cdot 5 \times 10^{-2}}{5 \times 10^{-3}}\)
विलयन का आपेक्षिक घनत्व = 1.2
विलयन का घनत्व ρ = 1.20 × 103 kg m3
तथा बुलबुले की विलयन के मुक्त तल से गहराई
h = 40 cm = 0.40m
अब बुलबुले का केवल एक तल होगा अतः इसके अन्दर दाब
आधिक्य P आधिक्य = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{r}\) = 10 Pa
जबकि बुलबुले की गहराई पर, उसके बाहर दाब Po = वायुमण्डलीय दाब द्रव + स्तम्भ का दाव
= P0 + hpg
= 1.01 × 105 + 0.4 × 1.2 x 103 x 9.8
= 1.01 x 105 + 0.047 x 105
= 1.057 × 105
= 1.06 x 105
अतः बुलबुले के भीतर दाब
Pi = Po + P आधिक्य
= (1.06 × 105 + 10)
= 1.06 x 105
अतिरिक्त अभ्यास:
प्रश्न 21.
1 ml क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार में नीचे 20 cm क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 4.0 m ऊँचाई तक भरे गए. हैं। दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल परिकलित कीजिए।
उत्तर:
आवश्यक बल F = दोनों ओर का दाबान्तर x क्षेत्रफल
= (Pअम्ल – Pजल) A
= (Hρअम्ल g – Hρजल g) A
= HgA (ρअम्ल – जल )
F = HgAρ
∵ दिया है:
H = 4 मी,
= 1.7.
ρजल = 103 kgm3,
A = 20 cm2 = 20 × 10-4 m2
g = 9.8ms-2
∴ F = 4 × 9.8 × 20 × 10-4 × 103 (1.7 – 1)
= 5.5 N
प्रश्न 22.
चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यांक लेता है। पम्प द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात् मैनोमीटर चित्र (b) में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमण्डलीय दाब का मान 76 cm (Hg) है।
(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6cm ऊँचाई तक जल (पारे के साथ अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण (b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा ? (गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब P0 = 76 cm (Hg)
(i) चित्र (a) में दाब शीर्ष = 20 cm (Hg)
निरपेक्ष दाब
P = Po + 20 cm (Hg)
= 76 + 20 = 96 cm (Hg)
गेज दाब = P – Po = 20 cm (Hg)
चित्र (b) मैं दाब शीर्ष
= – 18 cm (Hg)
∴ निरपेक्ष दाब P2
= Po – 18 cm (Hg)
= 76 – 18 = 58cm (Hg)
गेज दाब P2 – Po = – 18 cm (Hg)
गैस का दाब वायुमण्डलीय दाब से कम होने के कारण ऋणात्मक चिह्न आ रहा है।
(ii) 13.6 cm जल दाहिनी भुजा में डालने पर दाहिनी भुजा में पारा नीचे गिरता है एवं बायीं भुजा में ऊपर उठता है ताकि नली में दोनों ओर के दाब समान हो जाएँ।
यदि दाहिनी भुजा से बायीं भुजा में पारे का विस्थापनxcm है, दोनों भुजाओं में पारे के स्तम्भ का अन्तर 2x cm होगा।
अत: (2x)ρHg = 13.6ρW × g
2x(13.6pw) g = 13.6ρWg
∴ x = 0.5 cm
∴ दोनों भुजाओं में पारे के तलों का अन्तर
= 18 + 2x
= 18 + 2 × 0.5
= 19 cm ( दाहिनी भुजा में नीचा)
प्रश्न 23.
दो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परन्तु आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। पहले पात्र को दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ..ऊँचाई तक भरने पर दो गुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं। यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं?
उत्तर:
माना दोनों पात्रों में जल स्तम्भ की ऊँचाई h तथा आधार का क्षेत्रफल A है, तब
आधार पर बल = जल स्तम्भ का दाब × A
F = hpg × A = Ahpg ………(i)
उपर्युक्त समीकरण में A व h अचर राशियाँ हैं अतः दोनों पात्रों के दोनों के लिए समान हैं तथा वg आधारों पर समान बल आरोपित होंगे।
भार मापने वाली मशीन, पात्र के आधार पर आरोपित बल को मापने की बजाय पात्र व जल का भार मापती है।
∵ एक पात्र में दूसरे की अपेक्षा दो गुना जल है अतः भार मापने की मशीन के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न होंगे।
प्रश्न 24.
रुधिर – आधान के समय किसी शिरा में, जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धँसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक-ठीक प्रवेश कर सके। (सम्पूर्ण रुधिर का घनत्व = 1.06 x 103 kg m3)
उत्तर:
H ऊँचाई के द्रव स्तम्भ द्वारा तली पर आरोपित दाब
P = Hpg अत:
H = \(\frac{\mathrm{P}}{\rho g}\)
दिया है : P = 2000 P = 1.06 × 103kgm-3,
g = 9.8ms-2
H = \(\frac{2000}{1 \cdot 06 \times 10^3 \times 9 \cdot 8}\)
= 0.19m = 0.2m
प्रश्न 25.
बरनौली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल उपस्थित है, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
(a) क्षयकारी बलों के उपस्थित होने पर द्रव दाब तरल की गति की दिशा में अधिक तेजी से घटता है, इसका कारण यह है कि नली में उपस्थित द्रव को प्रवाहित कराने के लिए दाब ऊर्जा को क्षयकारी बलों के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है।
(b) हाँ, क्योंकि प्रायः क्षयकारी बल प्रवाह के वेग के अनुक्रमानुपाती होते हैं, अतः क्षयकारी बल (श्यान बल) बढ़ जाते हैं।
जैसा कि न्यूटन के नियम से स्पष्ट है
F = -ηA dv/dx
प्रश्न 26.
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो 2 x 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर – प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए? (b) तद्नुरूपी प्रवाह दर क्या है? (रुधिर की श्यानता 2.084 x 10-2 Pas s लीजिए, रक्त का घनत्व = 1.06 × 10-3 kgm-3)
उत्तर:
(b) क्रान्तिक वेग vc = \frac{\mathrm{R}_e \eta}{\rho \mathrm{D}}
जिसमें रेनॉल्ड संख्या Re = 2000
(धारा रेखीय प्रवाह का अधिकतम मान )
p = 1.06 × 103 kg m3
व्यास D = 2r = 2 × 2 × 103 m = 4 × 10-3m
Ve = \(\frac{2000 \times 2 \cdot 084 \times 10^{-3}}{1 \cdot 06 \times 10^3 \times 4 \times 10^{-3}}\)
= 0.98 ms-1
(b) प्रवाह दर V = Av
= (πr2).v
= 3.14 × (2 × 10-3)2 × 0.98
= 1.23 x 10-5 m3 s-1
प्रश्न 27.
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊंचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा उसके दोनों पंखों में से प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 km h-1 है, तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1kg m-3 लीजिए)
उत्तर:
दिया है: पंख के निचले पृष्ठ पर वायु की चाल
v1 = 180 km h-1 = 180 x \(\frac{5}{18}\)
पंख के ऊपरी पृष्ठ पर वायु की चाल
V2 = 234 km h-1
= 234 × \(\frac{5}{18}\) = 65ms-1
∴ A = 2 × 25 = 50 m2 (दोनों पंखों के लिए)
वायु का घनत्व = 1 kg m-3 g = 9.81 ms-2
बरनौली प्रमेय से,
p1 + \(\frac{1}{2}\)ρv12 = p2 + \(\frac{1}{2}\)ρv22
या P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\)ρ(v22 – v12) ………(1)
∵ आकाश में उड़ रहे वायुयान के साम्य के लिए
Mg = (P1 – P2)A ………(2)
समी (1) व (2) से,
Mg = \(\frac{1}{2}\)ρ(v22 – v12) A
∴ M = \(\frac{\rho\left(v_2^2-v_1^2\right) \mathrm{A}}{2 g}\)
= \(\frac{1 \times\left\{(65)^2-(50)^2\right\} \times 50}{2 \times 9.8}\)
= 4400.5 kg
प्रश्न 28.
मिलिकन तेल बूँद प्रयोग में 2.0 x 10-5 m त्रिज्या तथा 1.2 × 103 kg m-3 घनत्व की किसी बूंद की सीमान्त चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 x 105 Pas लीजिए। इस चाल पर बूँद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
दिया है: बूँद की त्रिज्या r = 2 x 10-5 m,
p = 1.2 x 103 kg m-3
वायु की श्यानता n = 1.8 × 10-5 Pas; σ = 0
∴ वायु में गिरती त्रिज्या की बूँद का सीमान्त वेग
v = \(\frac{2(\rho-\sigma) r^2 g}{9 \eta}\)
= \(\frac{2\left(1 \cdot 2 \times 10^3-0\right) \times\left(2 \times 10^{-5}\right)^{2 \times 9 \cdot 8}}{9 \times 1 \cdot 8 \times 10^{-5}}\)
= 0.058ms = 5·8 cms-1
तथा बूँद पर श्यान बल F = 6myv.
F = 6 × 3.14 × 1.8 × 105 × 2 × 105 × 0.058
= 3.9 × 10-10 N
प्रश्न 29.
सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 100 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है, तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता है? (पारे का घनत्व = 13.6 x 103 kg m-3)
उत्तर:
दिया है: केशनली की त्रिज्या
r = 1mm = 10-3 m
स्पर्श कोण θ = 140°
पारे का घनत्व p = 13.6 x 103 kgm-3
पृष्ठ तनाव T = 0.4355 Nm-1
माना पारे का स्तर केशनली में / ऊँचाई ऊपर उठता है, तो
h = \(\frac{2 \mathrm{~T} \cos \theta}{r \rho g}\)
= \(\frac{2 \times 0.4355 \cos 140^{\circ}}{10^{-3} \times 13.6 \times 10^3 \times 9.8}\)
∴ h = \(\frac{0.871 \times(-0.77)}{133.28}\)
= – 0.00534m
= – 5.34mm
अतः केशनली में पारे का स्तर 5.34 mm नीचे गिरेगा।
प्रश्न 30.
3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U-आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अन्तर है? प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ तनाव 7.3 × 102 Nm-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 1.0 × 103 kg m-3 लीजिए। (g = 98ms-2)
उत्तर:
माना पृष्ठ तनाव के कारण जल दोनों ओर क्रमश: h1 व h2 ऊँचाई तक चढ़ता है, तो
दोनों नलिकाओं में जल के तल का अन्तर
h1 – h2 = \(\frac{2 \mathrm{~T} \cos 0^{\circ}}{r_1 \rho g}-\frac{2 \mathrm{~T} \cos 0^{\circ}}{r_2 \rho g}\)
या
h1 – h2 = \(\frac{2 \mathrm{~T}}{\rho g}\)
दिया है:
r1 = 1.5 x 10-3 m r2 = 3 x 10-3 m,
T = 7.3 × 10-2 Nm-1
p = 103 kgm-3 g = 9.8ms-2
मान रखने पर,
∴ h1 – h2
= 0.496m × 10-2m = 4.96mm
परिकलित्र / कम्प्यूटर आधारित प्रश्न
प्रश्न 31.
(a) यह ज्ञात है कि वायु का घनत्व ρ ऊँचाई y (मीटर में) के साथ इस सम्बन्ध के अनुसार घटता है:
P = ρ0e-y/yo
यहाँ समुद्र तल पर वायु का घनत्व ρ0 = 1.25kgm-3 तथा एक नियतांक है। घनत्व में इस परिवर्तन को वायुमण्डल का नियम कहते हैं। यह संकल्पना करते हुए कि वायुमण्डल का ताप नियत रहता है (समतापी अवस्था) इस नियम को प्राप्त कीजिए। यह भी मानिए कि g का मान नियत रहता है।
(b) 1425 m-3 आयतन का हीलियम से भरा कोई बड़ा गुब्बारा 400 kg के किसी पेलोड को उठाने के काम में लाया जाता है। यह मानते हुए कि ऊपर उठते समय गुब्बारे की त्रिज्या नियत रहती है, गुब्बारा कितनी अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर उठेगा?
[y0 = 8000 m तथा ρHe = 0.18 kg m-3 लीजिए।
उत्तर:
(a) समुद्र तल से ऊँचाई पर वायु के एक काल्पनिक बेलन पर विचार करते हैं, माना इसकी ऊँचाई dy है तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है। बेलन के निचले तथा ऊपर वाले सिरों पर वायु दाब क्रमश: P तथा P + dP है।
माना इस स्थान पर वायु का ρ घनत्व है।
तब बेलन का भारद्रव्यमान x g
= A x dy x ρ x g
बेलन के सन्तुलन की स्थिति में,
PA = A x dy x ρ x g + (P + dP)A
या
– AdP = Aρgdy
-dP = pgdy
वातावरण का ताप स्थिर रहने पर यह एक समतापी प्रक्रम है जिसके लिए गैसें बॉयल के नियम का पालन करती हैं अतः
PV = नियतांक
या
\(p\mathrm{P} \frac{m}{\rho}\) = K1
[∵ v = \(\frac{m}{\rho}\) ]
अतः
\(\frac{\mathrm{P}}{\rho}\) = k
या
P = Kop ∵ dP = Kdp ……..(2)
समी. (1) व (2) से,
-Kdp = p.g.dy या \(\frac{-d \rho}{\rho}=\frac{g}{\mathrm{~K}}\) d y
समाकलन करने पर – logp = \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) y + c
c के मान के लिए समुद्र तल पर y = 0, p = p0
अतः
– log p0 = \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) 0 + c c = – log p0
c का मान समी. (3) में रखने पर
log p – log A = – \(\frac{g}{\mathrm{~K}}\) ylm
या
\(\log \left(\frac{\rho}{\rho_0}\right)=-\frac{y}{(\mathrm{~K} / g)}\)
रखने पर \(\log \left(\frac{\rho}{\rho_0}\right)=-\frac{y}{y_0}\)
या
\(\frac{\rho}{\rho_0}=e^{-y / y_0}\)
अतः
p = p = p0e-y/y0
(b) दिया है गुब्बारे का आयतन 1425m ; हीलियम का घनत्व pHe = 0.18 kgm-3, y0 = 8000 m पेलोड का द्रव्यमान = 400 kg, समुद्र तल पर p0 = 1.25 kg m-3
यदि गुब्बारा y ऊँचाई तक ऊपर उठे, तब
y ऊँचाई पर वायु का उत्क्षेप = गुब्बारे का भार + पेलोड का भार
pVg = pHe Vg + 400 g
या
p = PHe + 400/V = 0.18 + \(\frac{400}{1425}\)
= 0.46 kg m-3
अतः Y ऊँचाई पर वायु का घनत्व = 0.46 kg m-3
सूत्र
P = Poe-y/y0
0.46 = 1.25 e-y/800
अतः
e-y/800 = \(\frac{0 \cdot 46}{1 \cdot 25}\)
= 0.368
दोनों पक्षों का प्राकृतिक लघुगणक लेने पर,
loge-y/800 = loge(0.368)
⇒ \(\frac{-y}{8000}\) = 0.997
⇒ y = 0.997 × 8000m
∴ y = 7976 m
अतः गुब्बारा 7976m की अधिकतम ऊँचाई तक ऊपर उठेगा।