HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 1.
Ne तथा CO2 के त्रिक बिन्दु क्रमशः 24.57 K तथा 216.55K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
केल्विन का सेल्सियस पैमाने में निम्नलिखित सम्बन्ध है:
tc = TK – 273.15
तथा
∴ tNe = 24.57 – 273.15 = -248.58°C
tCO2 = 216.55 – 273.1 = – 556.6°C
फारनेहाइट तथा सेल्सियस पैमाने में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है:
\(\frac{t_{\mathrm{F}}-32}{9}=\frac{t_{\mathrm{C}}}{5}\)
∴ \(t_{\mathrm{F}}=\frac{9}{5} t_{\mathrm{C}}+32\)
अतः
tF(Ne) = \(\frac{9}{5}\) × (-248.58) 32
= -447.44 + 32 = -415.44°F
तथा
tF(CO2) = \(\frac{9}{5}\) × (-56.6) + 32
= 101.88 + 32 = -69.88°F

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प्रश्न 2.
दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200 A तथा 300 B द्वारा परिभाषित किया गया है। TA तथा TB में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
यदि T त्रिक बिन्दु है, TA व TB परम स्केलों पर ताप हों,

प्रश्न 3.
किसी तापमापी का ओम में विद्युत् प्रतिरोध ताप के साथ सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है:
R = R0 [ 1 + α (T – To))]
यदि तापमापी के जल के त्रिक बिन्दु 273.16 K पर प्रतिरोध 101.65Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5 K) पर प्रतिरोध 165.55Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.45Ω है।
उत्तर:
दिया है R = R0 [ 1 + α (T – To))]
उपर्युक्त समीकरण से,
R1 = R0 [ 1 + α (T1 – T0))] ……..(1)
तथा
R2 = R0 [ 1 + α (T2 – T0)) ……….(2)
समी० (2) में से (1) को घटाने पर,
R2 – R1 = Roα(T2 – T1) ………….(3)
इसी प्रकार
R3 – R1 = Roα(T3 – T1) ………….(4)
समी० (4) में समी. (3) से भाग देने पर,
\(\frac{R_3-R_1}{R_2-R_1}=\frac{T_3-T_1}{T_2-T_1}\)
दिया है,
T1 = 273.16K
T2 = 600.5K.
R1 = 101.60Ω
R2 = 165.5Ω
R3 = 123.45Ω
T3 = ?
अत: समी० (5) में उपर्युक्त मान रखने पर,
\(\frac{123 \cdot 4-101 \cdot 6}{165 \cdot 5-101 \cdot 6}=\frac{T_3-273 \cdot 16}{600 \cdot 5-273 \cdot 16}\)
या
\(\frac{21 \cdot 8}{63 \cdot 9}=\frac{T_3-273 \cdot 16}{327.34}\)
या
111.67 = T3 – 273.16
∴ T3 = 384.83 = 384.8K

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था) क्या दोष है?
(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्दु थे जिनको क्रमश: 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप) पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?
(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रमं पर ताप tc में सम्बन्ध इस प्रकार है
tc = T – 273.15
इस सम्बन्ध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस परम ताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अन्तराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अन्तराल के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
उत्तर:
(a) क्योंकि जल का त्रिक बिन्दु 273.16K एक अद्वितीय बिन्दु हैं जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है इसे तापमिति में मानक ताप के रूप में उपयोग करते हैं तथा जिसके दाब 0.46 मिमी (पारा) निश्चित है, जबकि हिम का गलनांक व जल का क्वथनांक व आयतन दाब बदलने पर बदल जाते हैं। हिमांक तथा पानी के क्वथनांक को प्राप्त करना कठिन होता है क्योंकि ये पानी की अशुद्धियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
(b) केल्विन ताप पर अन्य नियत बिन्दु परम शून्य ताप है जिस पर सभी गैसों का आयतन व दाब शून्य हो जाता है।
(c) सम्बन्ध । रूपान्तरण समीकरण है tc = T – 273.15; सेल्सियस व केल्विन पैमानों का 273.15 केल्विन स्केल पर सेल्सियस पैमाने के 0°C के संगत ताप हैं जबकि 273,16K जल का त्रिक बिन्दु है जो सेल्सियस पैमाने पर 0.01°C (°C) के बराबर है।
(d) हम जानते हैं:
\(\frac{T_F-32}{180}=\frac{T_K-273}{100}\) ………..(1)
किसी अन्य ताप पर
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{F}}^{\prime}-32}{180}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{K}}^{\prime}-32}{180}\) ………(2)
समी० (2) में से समी० (1) को घटाने पर
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{F}}^{\prime}-\mathrm{T}_{\mathrm{F}}}{180}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{K}}^{\prime}-\mathrm{T}_{\mathrm{K}}}{100}\)
TF – TF = \(\frac{180}{100}\) (TK – TK)
TF – TF = \(\frac{9}{5}\) (TK – TK)
यदि
TF – TF = 1K
TF – TF = \(\frac{9}{5}\)
त्रिक बिन्दु तापक्रम 273.16 के लिए
नये पैमाने का तापक्रम – 273.16 × \(\frac{9}{5}\) =491.69

प्रश्न 5.
दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमश: ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं

ताप तापमापी A में दाब तापमापी B में दाब
जल का त्रिक बिन्दु 1.250 × 105 Pa 1.797 × 105 Pa
सल्फर का सामान्य 0.200 × 105 Pa 0.287 × 105 Pa

(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?
(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अन्तर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है।) दो पाठयांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
उत्तर:
तापमापी A के लिए,
तथा
त्रिक बिन्दु पर Ptr = 1.250 x 105 Pa
Ttr = 273.16K
सल्फर के लिए P = 1.797 × 105 Pa, T = ?
∵ गैस तापमापी द्वारा ताप मापन नियत आयतन पर किया जाता है,
अतः तापमापी A के लिए,
\(\frac{P}{T}\) = नियतांक या \(\frac{\mathrm{P}_{t r}}{\mathrm{~T}_{t r}}\) = \(\frac{P}{T}\)
∴ सल्फर का गलनांक
T = Ttr × \(\frac{\mathrm{P}_{t r}}{\mathrm{~T}_{t r}}\)
= 273.16 × \(\frac{1.797 \times 10^5}{1.250 \times 10^5}\)
= 392.69 K
जबकि इसी प्रकार तापमापी B द्वारा मापा गया सल्फर का गलनांक
T = \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{P}_{t r}}\) x Tr
= \(\frac{0.287 \times 10^5}{0.200 \times 10^5}\) × 243.16
= 391.18K
(b) दोनों तापमापियों के पाठयांकों में अन्तर इसलिए है क्योंकि प्रयोग की जाने वाली गैसें आदर्श गैस नहीं है। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए, जिससे कि गैसें आदर्श गैस की तरह व्यवहार करें।

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प्रश्न 6.
किसी 1m लम्बे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लम्बाई 63 cm मानी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई क्या थी? जिस दिन ताप 27°C होगा। उस दिन इसी छड़ की लम्बाई क्या होगी?
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक 1.20 x 105 K-1
उत्तर:
t1 = 27°C, l1 = 63 cm t2 = 45°C, l2 = ?
α = 1.20 × 105 K-1
l2 = l1 [l + α(t2 – t1)]
= 63 [1 + 1.20 × 10-5(45 – 27)]
=63[1 + 21.6 × 10-5]
= 63.013608
= 63 cm
अतः 27°C वाले दिन छड़ की लम्बाई = 63.cm
t2 = 45° पर फीते की लम्बाई = 100cm
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक α = 1.2 × 10-5K-1
45°C पर फीते की लम्बाई में वृद्धि
∆L = Lα∆t
∆L = 100 × 1.2 × 10-5 x (45 – 27)
= 0.0216cm.
∵ 100 cm लम्बाई में वृद्धि = 0.0216am
∴ 1 cm लम्बाई में वृद्धि = \(\frac{0.0216}{100}\)
∴ 63 cm लम्बाई में वृद्धि = \(\frac{0.0216}{100}\) × 0.63
= 0.0136 cm
अत : 45°C पर स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63cm + 0.0136cm
= 63.0136cm = 63 cm
जिस दिन ताप 27°C पर होगा, तब 1 सेमी० फीते का साइज स्टील के फीते पर ठीक 1 cm पर होगा क्योंकि स्टील के फीते का अंशांकन 27° पर हुआ है।

प्रश्न 7.
किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.7 cm तथा पहिये के केन्द्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ द्वारा धुरी को ठण्डा किया गया है धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक नियत रहता है।
αस्टील = 1.2 × 10-5K-1
उत्तर:
दिया है:
D27 = 8.7cm, Dt = 8.69cm,
Dt = D0(1 + α∆t)
8.69 = 8.70 (1 + α∆t)
∆t = \(\frac{8.69-8.70}{8.70 \times 1.2 \times 10^{-5}}\)
= -95.8°
t2 – t1 = 95.80
t2 = t1 – 95.8°
= 27 – 95.8°
= -68.8°C
= -69°C
अतः पहिए को धुरी पर चढ़ाने के लिए धुरी को -69°C तक ठण्डा करना होगा।

प्रश्न 8.
ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.7 × 105 K-1
उत्तर:
तापान्तर ∆t = 227 – 27 = 200°C. ∆T = 200K
व्यास में परिवर्तन ∆D = D.α.∆T
= 4.24 × 1.7 x 10-5 × 200
= 0.0144 cm
= 1.44 ×102 cm ( वृद्धि )

प्रश्न 9.
27°C पर 1.8 cm लम्बे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेंकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को -39°C ताप तक शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0mm है। पीतल का रेखीय प्रसार गुणांक = 2 × 10-5 K-1, पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 x 1011 Pa
उत्तर:
दिया है:
Y = 0.91 × 1011 Pa
तार की त्रिज्या
= \(\frac{2}{2}\)
= 1mm = 103m
क्षेत्रफल A = πr2 = 3.14 × (103)2
= 3.14 × 10-6m2
तथा ताप में कमी ∆t = t1 – t2 = 27 – (-39 ) = 66°C
ठण्डा करने पर तार में उत्पन्न बल
F = YAα∆t
= 0.91 × 1011 × 3.14× 10-6 × 2 × 10-5 × 66
= 377N
= 3.8 × 102N

प्रश्न 10.
50 cm लम्बी तथा 3 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लम्बाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लम्बाईयाँ 40°C पर हैं तो 250°C पर संयुक्त छड़
की लम्बाई में क्या परिवर्तन होगा ? क्या संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है। (ताँबे तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमशः 2 x 105 K-1 तथा 1.2 × 10-5 K-1)
उत्तर:
तापान्तर ∆t = t2 – t1 = 250 – 40
= 210°C,
dT = dt = 210K
पीतल की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
∆L1 = L1α1∆T
= 50 × 2 × 10-5 × 210
= 0.21 Cm
तथा स्टील की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
∆L2 = L2α2∆T
= 50 × 1.2 × 105 ×210
= 0.126am – 0.13 cm
अतः संयुक्त छड़ की लम्बाई में वृद्धि
= ∆L1 + ∆L2
= 0.21 + 0.13
= 0.34cm.
छड़ के सिरे प्रसार के लिए मुक्त हैं अतः संधि पर कोई तापी प्रतिबल उत्पन्न नहीं होगा।

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प्रश्न 11.
ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 x 10-3 K-1 है। ताप में 30°C का वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
उत्तर:
माना ग्लिसरीन का द्रव्यमान m तथा आयतन V है।
∴ घनत्व p = \(\frac{m}{\mathrm{~V}}\)
यहाँ आयतन प्रसार गुणांक γ = 49 × 10-5K-1
ताप वृद्धि ∆t = 30°C तथा ∆T = 30K
आयतन में वृद्धि ∆V = Vγ. ∆T = V × 49 × 10-5 × 30
∆V = 0.0147V या \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) = 0.0147
नया आयतन V + ∆V होगा अतः नया घनत्व
\(\rho^{\prime}=\frac{m}{V+\Delta V}\)
अतः
\(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}=\frac{V}{V+\Delta V}=\frac{1}{1+\frac{\Delta V}{V}}\)
= \(-\left(1+\frac{\Delta V}{V}\right)^{-1}\)
या
\(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}\) = (1 + 0.0147)-1 = 1 – 0.0147 ( द्विपद प्रमेय से)
या
1 – \(\frac{\rho^{\prime}}{\rho}\) = 0.0147
या
= 0.0147

प्रश्न 12.
8kg द्रव्यमान के किसी ऐलुमिनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10kW की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी? यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती हैं ऐलुमिनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 Jg-1 K-1 है।
उत्तर:
दिया है:
P = 10 kW = 104w,
t = 2.5min = 150s ऐलुमिनियम ब्लॉक का द्रव्यमान = 8 kg
विशिष्ट ऊष्मा
s = 0.91 Jg-1 K-1
= 9.1 × 102 Jkg-1 K-1
बरमी द्वारा ली गई कुल ऊर्जा
Wकुल = Pt = 104 × 150
= 1.5 × 106 जूल
गुटके को दी गई ऊर्जा W = \(\frac{50}{100}\) Wजूल
= 0.5 × 1.5 × 106 जूल
यदि ताप वृद्धि ∆Q हो, तो W = ms ∆Q
∆Q = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{ms}}\)
= \(\frac{0.5 \times 1.5 \times 10^6}{8 \times 9.1 \times 10^2}\)
= 103.02 °C

प्रश्न 13.
2.5kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम- ब्लॉक पर दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता 0.39 Jg-1K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा = 335 Jg-1
उत्तर:
दिया है:
m = 2.5 kgs = 0.39 Jg-1 K-1
= 3.9 × 102 Jkg-1 K-1
∆t = (500 – 0 ) = 500°C (∵ ∆t = ∆T)
∴ ∆T = 500, K, L = 335Jg-1 = 335 × 103 Jkg-1
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
गुटके द्वारा दी गई ऊष्मा = बर्फ द्वारा ली गई ऊष्मा
ms∆T = mबर्फL

= 1.45 kg = 1.5 kg
धातु

प्रश्न 14.
किसी की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक 0.025 kg), जिसमें 27°C का 150 cm जल भरा है, में गिराया जाता है। अंतिम ताप 40°C है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
उत्तर:
दिया है:
Vजल = 150 cm3 = 150 × 10-6 m3
Mजल = Vजल × P जल
= 150 × 10-6 × 103 = 0.15kg
Mधातु = 0.2kg
Sजान = 1 किलो कैलोरी / किग्रा K
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
धातु द्वारा दी गई ऊष्मा = (ऊष्मामापी + जल) द्वारा ली गई ऊष्मा
Mधातु × Sधातु × ∆t1) = (Mजल × Sजल + W ) x ∆t2

= \(\frac{(0.15 \times 1+0.025) \times(40-27)}{0.20(150-40)}\)
= \(\frac{0.175 \times 13}{0.20 \times 110}\)
= 0.103kcal kg-1
= 0.103 × 4.2 × 103 Jkg-1 K-1
(∵ ∆t = ∆T)
= 0.43 × 103 Jkg-1 K-1
= 0.43 Jg-1 K-1
यदि परिवेश में ऊष्मा क्षय को नगण्य न मानकर परिकलित किया जाए तो उपर्युक्त उत्तर वास्तविक विशिष्ट ऊष्मा धारिता से कम मान दर्शाएगा।

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प्रश्न 15.
कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं:

गैस मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता (C) (cal mol2 K2)
हाइड्रोजन 4.87
नाइट्रोजन 4.97
ऑक्सीजन 5.02
नाइट्रिक ऑक्साइड 4.99
कार्बन मोनोक्साइड 5.01
क्लोरीन 6.17

इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप से किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/molK होती है। इस अन्तर का स्पष्टीकरण कीजिए क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है जबकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के साथ-साथ घूर्णीय गतिज ऊर्जा भी सन्निहित होती है। किसी गैस को ऊष्मा देने पर यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की ऊर्जाओं की समान वृद्धियाँ करती है। अब चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं। अत: इनकी मोलर विशिष्ट धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता का अधिक होना यह प्रदर्शित करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय, घूर्णीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त कम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।

प्रश्न 16.
101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्माधारिता जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g है।
उत्तर:
बच्चे का द्रव्यमान M = 30kg
ताप में कमी = 101° F – 98° F = 3°
F = 3 × \(\frac{5}{9}\) °c = 3°c
शरीर की विशिष्ट ऊष्माधारिता
s = जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता = 103 cal kg-1 °C-1
बच्चे के शरीर से ऊष्मा ह्रास
Q = Ms 40 = 30 × 103 × 3
= 50 × 103 cal
यदि t = 20 मिनट में वाष्पित जल का द्रव्यमान 1 हो, तो
m = \(\frac{Q}{\mathrm{I}}=\frac{50 \times 10^3}{580 \times 10^3}=\frac{5}{58} \mathrm{~kg}\)
अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर
= \(\frac{m}{t}\) = \(\frac{(5 / 58) \mathrm{kg}}{20 \mathrm{~min}}\)
= \(\frac{5 \times 1000}{58 \times 20}\)gmin-1
= 4.31gmin-1

प्रश्न 17.
थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स’ विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भण्डारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6h के पश्चात् बचे हिम की मात्रा का आकलन कीजिए। बाहरी ताप 45° C है तथा थर्मोकोल की ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1 m-1 K-1 है।
(हिम की संगलन ऊष्मा 335 × 103 Jkg-1)
उत्तर:
बॉक्स की प्रत्येक भुजा की लम्बाई
a = 30 cm = 0.30m
घन के 6 पृष्ठ हैं; प्रत्येक का क्षेत्रफल a2 है अतः घन का पृष्ठीय
क्षेत्रफल = 6a2 = 6 × (0.3)2 = 0.54m2
बॉक्स की मोटाई 5 cm = 5 × 10-2m = 0.05m
समय अन्तराल t = 6h = 6 × 3600s
हिम बॉक्स में प्रवेश करने वाली कुल ऊष्मा
\(\mathrm{Q}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right) t}{d}\)
= \(\frac{0.01 \times 0.54 \times(45-0) \times(6 \times 3600)}{005}\)
= 1.05 × 105 J
माना t समय अन्तराल में पिघली हिम का द्रव्यमान m kg है।
सूत्र Q = mL से, m = \(\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{L}}=\frac{1.05 \times 10^5}{335 \times 10^3}\)
= 0.3kg
बॉक्स में हिम की प्रारंभिक मात्रा अतः 6 घण्टे पश्चात् बॉक्स में शेष हिम = 4 kg
= M – m
= 4.0 – 0.3
= 3.7 kg

प्रश्न 18.
किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/ min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के सम्पर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1 m-1 K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा 2256 × 103 kg-1 है।
उत्तर:
पेंदी का क्षेत्रफल A = 0.15m2,
मोटाई l = 1 cm = 10-2 m
पीतल की ऊष्मा चालकता K = 109Js-1 m-1 K-1
जल के उबलने की दर = 6 kg/min
= \(\frac{6}{60}\) Kg/s
= 0.1 kgs-1
जल की वाष्पन ऊष्मा L = 2256 × 103 kg-1
बॉयलर के आधार से बॉयलर में प्रवाहित ऊष्मा कीदर
\(\mathrm{H}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
\(\frac{\mathrm{Q}}{t}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
यदि बॉयलर में kg जल वाष्प में बदलता है, तो
Q = mL
अतः
\(\frac{m \mathrm{~L}}{t}=\frac{\mathrm{KA}\left(\theta_1-\theta_2\right)}{l}\)
0.1 × 2256 × 103 = \(\frac{109 \times 0.15\left(\theta_1-100\right)}{10^{-2}}\)
अतः
θ1 – 100 = 138 (138)
या
θ1 = 138 + 100 = 238°C

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 19.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों:
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कंपकपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्ठी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
उत्तर:
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं अर्थात् वे अल्प अवशोषक होते हैं। इस कारण वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं।

(b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है, जबकि पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक है। पीतल की चालकता अत्यधिक होने के कारण जब ठण्ड के दिनों पीतल के गिलास को स्पर्श करते हैं तो हमारे हाथ से ऊष्मा गिलास में चली जाती है अतः पीतल का गिलास अत्यधिक ठण्डा प्रतीत होता है। लकड़ी की ऊष्मा चालकता बहुत कम होने के कारण यदि हम लकड़ी की ट्रे को छूते हैं, तो हमारे शरीर से लकड़ी में ऊष्मा का प्रवाह नगण्य होता है, अतः हमें ठण्डक का आभास नहीं होता।

(c) खुले में रखे तप्त लोहे से वातावरण में ऊष्मा चारों ओर फैलती है जिसके कारण उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण नहीं मिल पाता है। इसके विपरीत भट्ठी में रखने पर गोले का ताप स्थिर बना रहता है और वह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता रहता है तथा विकिरण का अधिकांश भाग उत्तापमापी तक पहुँचता है तथा उत्तापमापी ताप का सही मान पढ़ता है।

(d) पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित कर देता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे ही अन्तरिक्ष में चले जाएँगे तथा पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।

(e) जल वाष्प में उबलते जल की अपेक्षा ऊष्मा की मात्रा बहुत अधिक होती है; इससे जल वाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से अधिक दक्ष है।

प्रश्न 20.
किसी पिण्ड का ताप 5 मिनट में 80° C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20° C हो, तो उस समय का परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
उत्तर:
समीकरण = K × (तापान्तर) से,
80° C तथा 50° C का माध्य 65°C है अतः परिवेश ताप से अन्तर (65 – 20) = 45°C होगा
प्रथम स्थिति में,
\(\frac{(80-50)^{\circ} \mathrm{C}}{5}\)
= K (45°C)
या 6°C /min = K (45″C) ……..(1)
द्वितीय स्थिति में, 60° C व 30°C का माध्य 45°C है जिसका परिवेश
ताप से अन्तर (45 – 20)°C = 25°C है।
\(\frac{(60-30)^{\circ} \mathrm{C}}{t_{\min }}\) = K (25°C) ……..(2)
समी (1) में समी (2) से भाग देने पर,
6°C/min × \(\frac{t}{30^{\circ} \mathrm{C}}=\frac{\mathrm{K}\left(45^{\circ} \mathrm{C}\right)}{\mathrm{K}\left(25^{\circ} \mathrm{C}\right)}\)
t = \(\frac{45}{25} \times \frac{30}{6}\) =9 min
अत: 60°C से 30°C तक ठण्डा होने में 9 min का समय लगेगा।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 21.
CO2 के P-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(a) किस ताप व दाब पर CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती हैं?
(b) CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) CO2 के लिए क्रांतिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनका क्या महत्त्व है ?
(d) (i) – 70°C ताप व 1 atm दाब, (ii) 60°C ताप व 10 atm दाब, (iii) 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 ठोस, द्रव अथवा गैस में से किस अवस्था में होती है?
उत्तर:
(a) CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती त्रिक बिन्दु पर हो सकती हैं जिनके संगत
त्रिक बिन्दु पर ताप
तथा
= – 56.6″C
दाब = 5.11 atm
(b) वाष्पन वक्र (1) तथा गलन वक्र (II) के द्वारा दाब घटने पर CO2 का क्वथनांक तथा गलनांक दोनों घट जाते हैं।
(c) CO2 के क्रान्तिक ताप एवं दाब क्रमश: 31.1°C तथा 73.0 atm हैं। इससे उच्च ताप पर CO2 द्रवित नहीं होगी, चाहे उस पर कितना भी अधिक दाब आरोपित किया जाए।
(d) (i) – 70°C तथा 1atm दाब पर CO2 वाष्प होगी क्योंकि यह बिन्दु वाष्प क्षेत्र में हैं।
(ii) -60°C तथा 10 atm दाब पर CO2 ठोस होगी क्योंकि यह बिन्दु ठोस क्षेत्र में है।
(iii) 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 द्रव होगी क्योंकि यह बिन्दु द्रव क्षेत्र में है।

प्रश्न 22.
CO2 के P-T प्रावस्था आरेख (प्रश्न 16 के चित्र ) पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) 1 atm दाब तथा 60°C ताप पर CO2 का समतापी संम्पीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब पर CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतलन किया जाता है?
(c) 10 atm दाब तथा 65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समपाती सम्पीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अन्तर की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
(a) 1 atm दाब तथा 60°C ताप पर CO2 वाष्प है। यदि इसका समतापी संपीडन किया जाता है तो यह द्रव अवस्था में नहीं जायेगी, बल्कि वाष्प सीधे ही ठोस में संघनित हो जायेगा।
(b) यदि हम 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं तो यह रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है।
(c) ठोस CO2 को 10 वायुमंडलीय दाब पर गर्म करने पर पहले वह द्रव अवस्था में फिर वाष्प अवस्था में बदल जाती है। 10 वायुमण्डलीय दाब पर ताप अक्ष के समान्तर खींची गई रेखा गलन वक्र को Q तथा वाष्प वक्र को R पर काटती है। Q व R के संगत ताप क्रमश: CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक हैं।
(d) 70°C ताप CO2 के क्रांतिक ताप (31.1°C) से अधिक है, अत: 70°C ताप पर CO2 गैसीय अवस्था में है, यह द्रव अवस्था में नहीं बदलेगी भले ही दाब कितना भी अधिक कर दिया जाए।

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