Author name: Bhagya

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. दो समान आवेश q एक-दूसरे से d दूरी पर रखे हैं। इनके मध्य दूरी पर स्थित बिन्दु पर विभव होगा-
(अ) शून्य
(ब) \(\frac{\mathrm{kq}^2}{\mathrm{~d}}\)
(स) \(4 \frac{\mathrm{kq}}{\mathrm{d}}\)
(द) \(\frac{\mathrm{kq}}{\mathrm{d}^2}\)
उत्तर:
(स) \(4 \frac{\mathrm{kq}}{\mathrm{d}}\)

2. पृथ्वी का विद्युत विभव माना गया है-
(अ) धनात्मक
(ब) ऋणात्मक
(स) शून्य
(द) 1000 बोल्ट
उत्तर:
(स) शून्य

3. एक E = 0 वाले विद्युत क्षेत्र की तीव्रता में विद्युत विभव का दूरी के साथ परिवर्तन होगा-
(अ) V ∝ r
(स) V ∝ \(\frac{1}{r}\)
(ब) V ∝ \(\frac{1}{\mathrm{r}^2}\)
(द) V = नियत
उत्तर:
(द) V = नियत

4. एक समबाहु त्रिभुज के तीन कोनों पर समान आवेश स्थित है। त्रिभुज के केन्द्र O पर विद्युत विभव V तथा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E के लिए सत्य कथन होगा-
(अ) V = 0, E = 0
(स) V=0, E≠ 0
(ब) V = 0, E≠ 0
(द) V≠ 0, E = 0
उत्तर:
(द) V≠ 0, E = 0

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5. जब दो आवेश के बीच की दूरी बढ़ाई जाती है तो आवेश की स्थितिज ऊर्जा-
(अ) बढ़ती है।
(स) नियत रहती है।
(ब) घटती है।
(द) बढ़ या घट सकती है।
उत्तर:
(द) बढ़ या घट सकती है।

6. यदि एक धन आवेश को निम्न विभव के क्षेत्र से उच्च विभव के क्षेत्र में ले जाया जाता है तो विद्युत स्थितिज ऊर्जा-
(अ) घटती है।
(स) स्थिर रहती है।
(ब) बढ़ती है।
(द) घट भी सकती है अथवा बढ़ भी सकती है।
उत्तर:
(ब) बढ़ती है।

7. दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी 30 सेमी. है। यदि बिन्दु A पर 20 µC आवेश व B पर 10C आवेश पर रखा हुआ है तो A व B के बीच किस बिन्दु पर विभव शून्य होगा-
(अ) A से 20 सेमी. दूर
(स) A पर
(ब) B से 20 सेमी. दूर
(द) B पर।
उत्तर:
(अ) A से 20 सेमी. दूर

8. समविभव पृष्ठ में से पारित फ्लक्स हमेशा-
(अ) पृष्ठ के लम्बवत् होता है।
(ब) पृष्ठ के समान्तर होता है।
(स) शून्य होता है।
(द) पृष्ठ से 45° कोण पर होता है।
उत्तर:
(अ) पृष्ठ के लम्बवत् होता है।

9. पानी की आवेशित 64 बूंदों को मिलाकर एक बड़ी बूंद बना ली जाती है तो बड़ी बूंद पर विभव का मान पूर्ण मान से कितने गुना होगा-
(अ) 4 गुना
(ब) 16 गुना
(स) 64 गुना
(द) 8 गुना
उत्तर:
(ब) 16 गुना

10. धातु के एक आवेशित ठोस गोले के केन्द्र पर विद्युत विभव है-
(अ) शून्य
(ब) ठोस गोले की सतह पर विभव से आधा
(स) ठोस गोले की सतह पर विभव के बराबर
(द) ठोस गोले की सतह पर विभव से दुगुना
उत्तर:
(स) ठोस गोले की सतह पर विभव के बराबर

11. जब एक परीक्षण आवेश को किसी विद्युत द्विध्रुव के निरक्ष रेखा के अनुदिश अनन्त से द्विध्रुव के निकट लाया जाता है तो किया गया कार्य होगा-
(अ) धनात्मक
(ब) ऋणात्मक
(स) शून्य
(द) अनन्त
उत्तर:
(स) शून्य

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12. किसी माध्यम की परावैद्युताशक्ति 2KV mm-1 है। 50µm के नमूने में बिना बंधे कितना अधिकतम विभवान्तर स्थापित किया जा सकता है?
(अ) 10000 V
(ब) 1000 V
(स) 100 V
(द) 10 V
उत्तर:
(स) 100 V

13. समविभव पृष्ठ वह है-
(अ) जिसका विभव शून्य हो ।
(ब) जिसके समस्त बिन्दुओं पर विभव समान हो।
(स) जिस पर ऋण विभव विद्यमान हो।
(द) जिस पर धन- विभव विद्यमान हो।
उत्तर:
(ब) जिसके समस्त बिन्दुओं पर विभव समान हो।

14. एक आवेशित गोलाकार चालक के केन्द्र पर विद्युत विभव चालक के तल पर विभव की तुलना में-
(अ) कम होगा
(स) समान होगा
(ब) अधिक होगा
(द) शून्य होगा।
उत्तर:
(स) समान होगा

15. शंकु की आकृति के सुचालक वस्तु का आवेश घनत्व अधिकतम होगा-
(अ) नीचे की चौड़ी सतह पर
(ब) ऊपर की चोटी पर
(स) सम्पूर्ण सतह पर
(द) सिर्फ ऊपर की सतह पर
उत्तर:
(ब) ऊपर की चोटी पर

16. r1 और r2 त्रिज्याओं के दो गोलों पर आवेश q इस प्रकार बंटा है कि उनका पृष्ठ घनत्व समान है। उनके विभव में अनुपात –
(अ) \(\frac{\mathrm{r}_1}{\mathrm{r}_2}\)
(ब) \(\frac{r_1^2}{\mathrm{r}_2^2}\)
(स) \(\mathrm{I}_1^3\)
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) \(\frac{\mathrm{r}_1}{\mathrm{r}_2}\)

17. विभवान्तर V, आवेश Q तथा धारिता C में सम्बन्ध है-
(अ) V = CQ
(ब) C = VQ
(स) V = \(\frac{Q}{C}\)
(द) Q = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{C}}\)
उत्तर:
(स) V = \(\frac{Q}{C}\)

18. समान त्रिज्या के ताँबे के खोखले गोले A व ठोस गोले B को एक समान विभव से आवेशित किया गया है। सत्य कथन है-
(अ) गोले A पर आवेश अधिक होगा
(ब) गोले B पर आवेश अधिक होगा
(स) दोनों पर समान आवेश होगा
(द) निश्चित नहीं कहा जा सकता ।
उत्तर:
(स) दोनों पर समान आवेश होगा

19. एक समान्तर प्लेट संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित करके बैटरी हटा ली जाती है। अब संधारित्र की प्लेटों के मध्य दूरी बढ़ा दी जाये तो अब संधारित्र में-
(अ) संधारित्र पर आवेश बढ़ जाता है व धारिता घट जाती है।
(ब) विभवान्तर में वृद्धि तथा धारिता कम हो जाती है।
(स) धारिता बढ़ जाती है।
(द) एकत्रित ऊर्जा के मान में कमी हो जाती है।
उत्तर:
(ब) विभवान्तर में वृद्धि तथा धारिता कम हो जाती है।

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20. समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य के स्थान के आधे भाग में ∈r, परावैद्युतांक माध्यम भरा हुआ है। यदि हवा वाले भाग की धारिता C है तो सम्पूर्ण संधारित्र निकाय की धारिता होगी-
(अ) \(\frac{2 \epsilon_{\mathrm{r}} \mathrm{C}}{1+\epsilon_{\mathrm{r}}}\)
(ब) \(\frac{C\left(\epsilon_{\mathrm{r}}+1\right)}{2}\)
(स) \(\frac{C \epsilon_{\mathrm{r}}}{1+\epsilon_{\mathrm{r}}}\)
(द) ∈r
उत्तर:
(स) \(\frac{C \epsilon_{\mathrm{r}}}{1+\epsilon_{\mathrm{r}}}\)

21. तीन संधारित्रों को किस क्रम में जोड़ा जाए कि उनमें समान विभव पर संचित ऊर्जा अधिकतम हो-
(अ) दो समान्तर क्रम में एक श्रेणी क्रम में
(ब) तीनों समान्तर क्रम में
(स) तीनों श्रेणी क्रम में
(द) दो श्रेणी तथा एक समान्तर क्रम में
उत्तर:
(ब) तीनों समान्तर क्रम में

22. छोटी 64 बूँदें मिलकर एक बड़ी बूँद बनाती हैं। यदि प्रत्येक छोटी बूँद पर Q आवेश हो तो बड़ी बूँद पर आवेश होगा-
(अ) 64 Q
(ब) 8 Q
(स) 4 Q
(द) 2 Q
उत्तर:
(अ) 64 Q

23. कम से कम 2 µF धारिता वाले कितने संधारित्र 5 µF धारिता देंगे-
(अ) तीन
(ब) चार
(स) पाँच
(द) सात
उत्तर:
(ब) चार

24. एक संधारित्र की धारिता C है। इसे V विभवान्तर पर आवेशित किया गया है। यदि अब इसे प्रतिरोध से सम्बन्धित कर दिया जाये, ऊर्जा क्षय की मात्रा होगी-
(अ) \(\frac{1}{2}\)CV2
(ब) CV2
(स) \(\frac{\mathrm{CV}^2}{3}\)
(द) \(\frac{1}{2}\)QV2
उत्तर:
(अ) \(\frac{1}{2}\)CV2

25. एक वायु संधारित्र की धारिता 5 µF है। उसी संधारित्र में वायु के स्थान पर पूर्ण रूप से अभ्रक रख दिया जाये तो धारिता 30 µF हो जाती है, अभ्रक का परावैद्युतांक होगा-
(अ) 3
(ब) 6
(स) 12
(द) 24
उत्तर:
(ब) 6

26. 2uF के तीन संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्यधारिता होगी-
(अ) 2μF
(ब) 6μF
(स) \(\frac{1}{3}\)μF
(द) \(\frac{2}{3}\)μF
उत्तर:
(ब) 6μF

27. एक आवेशित समान्तर प्लेट संधारित्र में U, विद्युत ऊर्जा संग्रहित है। संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी को दुगुना करने पर विद्युत ऊर्जा होगी-
(अ) U。
(ब) \(\frac{\mathrm{U}_0}{2}\)
(स) 2U。
(द) \(\frac{U_0}{4}\)
उत्तर:
(स) 2U。

28. एक समान त्रिज्या एवं समान आवेशयुक्त पानी को 27 छोटी बूंदें मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती हैं। बड़ी बूंद की धारिता तथा एक छोटी बूंद की धारिता का अनुपात होगा-
(अ) 2 : 1
(ब) 3 : 1
(स) 4 : 1
(द) 16 : 1
उत्तर:
(ब) 3 : 1

29. दिये गये चित्र में प्रत्येक संधारित्र की धारिता x है बिन्दु A व B के मध्य तुल्यधारिता होगी-
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(अ) 3x
(ब) \(\frac{x}{3}\)
(स) \(\frac{2}{3} x\)
(द) \(\frac{3}{2} x\)
उत्तर:
(स) \(\frac{2}{3} x\)

30. 3μF धारिता प्राप्त करने के लिए 2μF के तीन प्रकार संयोजित करेंगे?
(अ) तीनों को समान्तर क्रम में
(ब) तीनों को श्रेणीक्रम में
(स) दो संधारित्र श्रेणीक्रम में तथा तीसरा संधारित्र संयोजन के समान्तर क्रम में
(द) दो संधारित्र समान्तर क्रम में तथा तीसरा संधारित्र संयोजन के श्रेणीक्रम में।
उत्तर:
(स) दो संधारित्र श्रेणीक्रम में तथा तीसरा संधारित्र संयोजन के समान्तर क्रम में

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31. संधारित्र में ऊर्जा किस स्वरूप में उपस्थित होती है?
(अ) आवेश के रूप में
(ब) धारिता के रूप में
(स) विद्युत क्षेत्र के रूप में
(द) ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में
उत्तर:
(स) विद्युत क्षेत्र के रूप में

32. तीन संधारित्र जिनकी धारिताएँ क्रमश: 2, 4 व 8 μF हैं। पहले श्रेणीक्रम में फिर समान्तर क्रम में जोड़े जाते हैं। दोनों स्थितियों में इनकी तुल्यधारिताओं का अनुपात होगा-
(अ) 49 : 4
(ब) 3 : 7
(स) 4 : 49
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) 3 : 7

33. दो संधारित्र जिनकी धारिताएँ C1 व C2 हैं। यदि उन्हें समान आवेश दिये जायें तो उनमें संग्रहित ऊर्जाओं का अनुपात होगा-
(अ) \(\frac{\mathrm{C}_2}{\mathrm{C}_1}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{C}_1}{\mathrm{C}_2}\)
(स) \(\sqrt{\frac{C_2}{C_1}}\)
(द) \(\sqrt{\frac{C_1}{C_2}}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{\mathrm{C}_2}{\mathrm{C}_1}\)

34. 10μF धारिता के समान्तर प्लेट संधारित्र को 40μc आवेश देने पर उसकी कुल ऊर्जा का मान जूल में होगा-
(अ) 8 × 10-5
(ब) 800
(स) 8.00
(द) 2 × 10-3
उत्तर:
(अ) 8 × 10-5

35. 5 माइक्रो फैरड धारिता के एक आवेशित किया जाता है। संधारित्र पर संचित ऊर्जा होगी-(जूल में)
(अ) 2.5 × 10-3
(ब) 5.5 × 10-3
(स) 2.5
(द) 5.0 × 108
उत्तर:
(स) 2.5

36. दो संधारित्रों की धारितायें C1 तथा C2 में संग्रहित ऊर्जायें समान हैं। संधारित्रों पर विभवान्तर का अनुपात होगा-
(अ) C2 : C1
(ब) \(\sqrt{C_2}: \sqrt{C_1}\)
(स) C1 : C2
(द) \(\sqrt{C_1}: \sqrt{C_2}\)
उत्तर:
(ब) \(\sqrt{C_2}: \sqrt{C_1}\)

37. निम्नांकित परिपथ में तुल्यधारिता है-
(अ) \(\frac{5}{3}\) μF
(ब) \(\frac{3}{5}\) μF
(स) 15μF
(द) \(\frac{1}{15}\) μF
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उत्तर:
(अ) \(\frac{5}{3}\) μF

38. संलग्न चित्र में बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता का मान होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 3
(अ) 6μF
(ब) 4μF
(स) \(\frac{6}{11}\)
(द) \(\frac{11}{5}\)
उत्तर:
(अ) 6μF

39. आवेशित संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा होती है-
(अ) धन आवेशित प्लेट पर
(ब) धन तथा ऋण आवेशित दोनों प्लेटों पर
(स) प्लेटों के मध्य क्षेत्र में
(द) संधारित्र के किनारे पर
उत्तर:
(स) प्लेटों के मध्य क्षेत्र में

40. C1 तथा C2 धारिता के दो संधारित्रों के समान्तर संयोजन को Q आवेश दिया जाता है। C1 पर Q1 तथा C2 पर Q2 आवेश होने पर \(\frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}\) का अनुपात होगा-
(अ) \(\frac{\mathrm{C}_2}{\mathrm{C}_1}\)
(ब) \(\frac{C_1}{C_2}\)
(स) \(\frac{\mathrm{C}_1 \mathrm{C}_2}{1}\)
(द) \(\frac{1}{\mathrm{C}_1 \mathrm{C}_2}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{C_1}{C_2}\)

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41. समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का मान कम करने के लिए प्लेटों के बीच रिक्त स्थान-
(अ) में परावैद्युत पदार्थ भर देते हैं।
(ब) को कम कर प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं।
(स) को बढ़ाकर प्लेटों का क्षेत्रफल घटा देते हैं।
(द) भी बढ़ा देते हैं तथा क्षेत्रफल भी बढ़ा देते हैं।
उत्तर:
(स) को बढ़ाकर प्लेटों का क्षेत्रफल घटा देते हैं।

42. एक आवेशित संधारित्र की दोनों प्लेटों को एक तार से जोड़ दिया जाये तो-
(अ) विभव अनन्त हो जायेगा।
(ब) आवेश अनन्त हो जायेगा।
(स) संधारित्र निरावेशित हो जायेगा।
(द) आवेश पूर्णमान का दुगुना हो जायेगा।
उत्तर:
(स) संधारित्र निरावेशित हो जायेगा।

43. ( 8 μF – 250V) अंकित अनेक संधारित्र दिये गये हैं। एक (16 μF – 1000V) की तुल्यधारिता प्राप्त करने के लिए आवश्यक संधारित्रों की न्यूनतम संख्या होगी-
(अ) 4
(ब) 16
(स) 32
(द) 64
उत्तर:
(स) 32

44. एक समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों के बीच समरूप क्षेत्र E वोल्ट/मीटर है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी d (मी) तथा प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A (मी2) है तो उसमें संचित कल ऊर्जा है-
(अ) \(c\frac{1}{2} \epsilon_0 E^2 \mathrm{Ad}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{E}^2 \mathrm{Ad}}{\epsilon_0} \)
(स) \(\frac{1}{2} \epsilon_0 E^2 \)
(द) ∈0AEd
उत्तर:
(अ) \(c\frac{1}{2} \epsilon_0 E^2 \mathrm{Ad}\)

45. एक C धारिता का तथा दूसरा \(\frac{C}{2}\) धारिता का संधारित्र एक V बोल्ट की बैटरी से चित्र के अनुसार जोड़े गये हैं। दोनों संधारित्रों को पूर्णतया आवेशित करने में किया गया कार्य है-
(अ) \(\frac{3}{4}\)CV2
(ब) \(\frac{1}{2}\)CV2
(स) \(\frac{1}{4}\)CV2
(द) 2CV-2

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उत्तर:
(अ) \(\frac{3}{4}\)CV2

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी बिन्दु पर विभव को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विभव कार्य की वह मात्रा है जो एकांक धन आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक बिना त्वरण के लाने में करना पड़ता है।

प्रश्न 2.
विभवान्तर को परिभाषित करते हुए इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र में दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर एक एकांक धन परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक क्षेत्र के विपरीत ले जाने में किए गए कार्य से इसकी परिभाषा देते हैं। S. I. पद्धति में इसका मात्रक वोल्ट (V) या J/C

प्रश्न 3.
किसी क्षेत्र में वैद्युत विभव V नियत है। वहाँ पर आप वैद्युत क्षेत्र E के सम्बन्ध में क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
हमारा कहना यह होगा कि उस क्षेत्र में वैद्युत क्षेत्र E शून्य होगा।

प्रश्न 4.
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 20 वोल्ट है। एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 4 × 10-4 कूलॉम ले जाने में कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
कार्य (W) = आवेश (q) x विभवान्तर (V)
= 4 × 10-4 × 20 = 8 × 10-3 जूल

प्रश्न 5.
क्या निर्वात (vacuum) में किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य हो सकता है, जबकि उस बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है?
उत्तर:
हाँ, (i) दो समान परिमाण तथा विपरीत प्रकृति के आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होता है, वैद्युत क्षेत्र नहीं ।
(ii) वैद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति में वैद्युत विभव शून्य होता है, वैद्युत क्षेत्र नहीं।

प्रश्न 6.
क्या किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र शून्य हो सकता है, जबकि उसी बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य न हो। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, (i) दो समान परिमाण तथा समान प्रकृति के आदेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र शून्य होता है, वैद्युत विभव नहीं।
(ii) आवेशित गोलीय कोश के अन्दर वैद्युत क्षेत्र शून्य होता है, वैद्युत विभव नहीं।

प्रश्न 7.
उस भौतिक राशि का नाम बताइए जिसका मात्रक जूल / कूलॉम है क्या यह सदिश राशि है अथवा अदिश?
उत्तर:
वैद्युत विभव अथवा वैद्युत विभवान्तर अदिश ।

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प्रश्न 8.
धातु के 5 cm त्रिज्या के एक खोखले गोले को इतना आवेशित किया गया है कि उसके पृष्ठ का विभव 10V हो जाता है। इस गोले के केन्द्र पर विभव कितना होगा?
उत्तर:
खोखले गोले के केन्द्र व पृष्ठ पर विद्युत विभव समान होता है। अतः गोले के केन्द्र पर विभव V = 10 वोल्ट होगा।

प्रश्न 9.
समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं? बिन्दु धनात्मक आवेश के कारण समविभव पृष्ठ का चित्र बनाइए ।
उत्तर:
ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।
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प्रश्न 10.
उस क्षेत्र के तदनुरूप तीन समविभव पृष्ठ खींचिये जिसके परिमाण में एकसमान वृद्धि होती है, परन्तु z-दिशा के अनुदिश नियत रहता है। ये पृष्ठ उन पृष्ठों से किस प्रकार भिन्न हैं जो किसी नियत विद्युत क्षेत्र के 2-दिशा के अनुदिश हैं?
उत्तर:
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यदि E एकसमान हो तो d2 = d1
एकसमान क्षेत्र के लिए प्रत्येक तल पर विभव समान होगा।

प्रश्न 11.
एक समविभव पृष्ठ एक-दूसरे से 5 सेमी. दूरी पर स्थित बिन्दुओं के बीच 500 HC आवेश को ले जाने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
उत्तर:
समविभव पृष्ठ के किन्हीं भी दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर ∆V = शून्य
अतः कार्य W = आवेश q × विभवान्तर (∆V)
= 100 µC × 0 = शून्य
अर्थात् कोई कार्य नहीं करना पड़ेगा।

प्रश्न 12.
वैद्युत विभव के मात्रक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
वैद्युत विभव का मात्रक वोल्ट होता है, जिसको निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता है-“यदि एक कूलॉम परीक्षण धनावेश को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के अन्तर्गत किसी बिन्दु तक क्षेत्र की दिशा के विपरीत लाने में एक जूल कार्य करना पड़े तो उस बिन्दु पर वैद्युत विभव का मान एक वोल्ट होगा।”

प्रश्न 13.
निम्नलिखित के कारण समविभव पृष्ठों की आकृति क्या होती है?
(a) बिन्दु आवेश के कारण
(b) एकसमान वैद्युत क्षेत्र के कारण।
उत्तर:
(a) बिन्दु आवेश को केन्द्र मानते हुए खींचे हुए संकेन्द्रीय गोले ।
(b) वैद्युत बल रेखाओं के लम्बवत् परस्पर समान्तर समतल तल ।

प्रश्न 14.
वैद्युत बल रेखाओं के अनुदिश जाने पर वैद्युत विभव घटता है अथवा बढ़ता है?
उत्तर:
विभव घटता है।

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प्रश्न 15.
क्या इलेक्ट्रॉन अधिक विभव क्षेत्र में अथवा कम विभव- क्षेत्र में जाने का प्रयत्न करते हैं, क्यों?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन अधिक विभव क्षेत्र में जाने का प्रयत्न करते हैं। क्योंकि ऋणावेशित होते हैं।

प्रश्न 16.
एक वर्ग PQRS के केन्द्र पर 10 µC आवेश रखा है। इसके कोने P पर रखे 2 µC के बिन्दु आवेश को Q तक ले जाने में किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
शून्य, क्योंकि Vp = VQ एवं P तथा Q की केन्द्र 0 पर स्थित आवेश 10 µC से समान दूरी है।
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प्रश्न 17.
किसी समरूप विद्युत क्षेत्र में समविभव पृष्ठ खींचिये ।
उत्तर-
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प्रश्न 18.
किन्हीं दो समान्तर पृष्ठों पर विभव समान हैं। इनके मध्य की दूरी है। यदि किसी q आवेश को एक पृष्ठ से दूसरे पृष्ठ तक ले जायें तो इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि दोनों पृष्ठ समान विभव

प्रश्न 19.
दिए गए चित्र में किसी बिन्दु आवेश को x से क्रमशः y तथा z बिन्दुओं तक ले जाने में किया गया कार्य कितना होगा?
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उत्तर:
बिन्दु 2 तथा y एक ही समविभव पृष्ठ पर स्थित हैं। आवेश को x से y तक ले जाने में किया गया कार्य, आवेश को x से 2 तक ले जाने में किए गए कार्य के समान होगा।
इसलिए Wy = Wz

प्रश्न 20.
क्या परीक्षण आवेश की प्रकृति पर धन या ऋण विद्युत विभव निर्भर करता है? समझाइए ।
उत्तर:
नहीं, यह परीक्षण आवेश की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है अपितु केवल स्रोत आवेश की प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 21.
दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को नहीं काटते। क्यों?
उत्तर:
यदि दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को काटते हैं तो इसका अर्थ है कि प्रतिच्छेद बिन्दु पर विद्युत विभव के दो अलग-अलग मान होंगे जो कि सम्भव नहीं है।

प्रश्न 22.
\(\overrightarrow{\mathrm{r}_1} \) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{r}_2} \) पर क्रमशः Q1 तथा Q2 दो बिन्दु आवेशों के कारण किसी बिन्दु पर जिसका स्थिति सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{r}}\) है। वैद्युत विभव (\(\overrightarrow{\mathrm{r}}\)) के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 58

प्रश्न 23.
मध्यवर्ती बिन्दु पर किसी वैद्युत द्विध्रुव के कारण स्थिर वैद्युत विभव क्या होता है?
उत्तर:
शून्य ।

प्रश्न 24.
जब कोई वैद्युत द्विध्रुव किसी वैद्युत क्षेत्र के लम्बवत् रखा जाता है, तो इसकी वैद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या होगी ?
उत्तर:
U = -pE cos θ तथा
यहाँ θ = 90°
अतः U = – pE × 0 = 0

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प्रश्न 25.
वैद्युत बल रेखा के अनुदिश वैद्युत विभव घटता है अथवा बढ़ता है?
उत्तर:
वैद्युत बल रेखा की दिशा वैद्युत क्षेत्र की दिशा होती है। अतः इस दिशा में वैद्युत विभव घटता है।

प्रश्न 26.
एक परीक्षण आवेश १ को एक वैद्युत द्विध्रुव की मध्यवर्ती अक्ष ( equitorial axis) के अनुदिश एक सेमी ले जाने में कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
चूँकि द्विध्रुव की मध्यवर्ती अक्ष के प्रत्येक बिन्दु पर विभव शून्य होता है, अतः इसके किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर = 0.
अतः कार्य W=q × ∆V = q × 0 = 0

प्रश्न 27.
किसी बाह्य वैद्युत क्षेत्र में आवेश से q r दूरी पर स्थित बिन्दु पर इसकी स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
किसी आवेश q की बाह्य वैद्युत क्षेत्र में इससे r दूरी पर इसकी स्थितिज ऊर्जा
U = q. V(r)

प्रश्न 28.
चालक तथा अचालक में क्या अन्तर है?
उत्तर:
चालक के सिरों पर वैद्युत विभवान्तर स्थापित करने पर इसमें आवेश का प्रवाह सुगमता से हो जाता है, जबकि ऐसा अचालक में नहीं होता है। चालकों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है जबकि अचालकों में यह संख्या नगण्य होती है।

प्रश्न 29.
परावैद्युत से क्या तात्पर्य है? सिलिकॉन, माइका तथा कार्बन में कौनसा परावैद्युत है?
उत्तर:
परावैद्युत वे अचालक पदार्थ होते हैं जिनमें वैद्युत प्रभाव बिना आवेशों की गति के संचारित हो जाते हैं माइका परावैद्युत पदार्थ है।

प्रश्न 30.
किसी चालक की वैद्युत धारिता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी चालक द्वारा वैद्युत आवेश ग्रहण करने की क्षमता उसकी वैद्युत धारिता कहलाती है।

प्रश्न 31.
धारिता का मात्रक और इसकी विमा सूत्र लिखो।
उत्तर:
धारिता का SI मात्रक फैरड, विमा सूत्र [M-1L-2T4+A2]

प्रश्न 32.
धारिता के SI मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यदि किसी चालक को एक कूलॉम आवेश देने से उसके विभव में एक वोल्ट की वृद्धि हो जाये तो उसकी धारिता एक फैरड कहलाती है।

प्रश्न 33.
एक संधारित्र की धनात्मक प्लेट पर + Q व ऋणात्मक प्लेट पर Q आवेश दिया जाता है। संधारित्र पर कुल आवेश क्या होगा? प्लेट पर – Q आवेश दिया जाता है। संधारित्र पर कुल आवेश क्या
उत्तर;
Q, जब हम संधारित्र की एक प्लेट को + Q आवेश देते हैं तब विद्युत प्रेरण के कारण दूसरी प्लेट धरती से जुड़े होने के कारण उस पर Q आवेश आ जाता है। संधारित्र पर कुल आवेश शून्य है।

प्रश्न 34.
समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य के स्थान को आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ भरने पर धारिता का मान परावैद्युत पदार्थ की स्थिति पर किस प्रकार निर्भर करता है ?
उत्तर:
निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 35.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की एक प्लेट का क्षेत्रफल आधा कर दिया जाये तो क्या युक्ति संधारित्र का कार्य करेगी ?
उत्तर;
नहीं, संधारित्र की एक प्लेट का क्षेत्रफल आधा करने से संधारित्र की धारिता आधी रह जायेगी इसलिये वह युक्ति कार्य नहीं करेगी।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 36.
धारिता C के संधारित्र को V विभवान्तर से आवेशित किया जाता है। संधारित्र के चारों ओर पृष्ठ से गुजरने वाले विद्युत फलक्स का मान क्या होगा ?
उत्तर:
शून्य, चूँकि विद्युत क्षेत्र संधारित्र की दो प्लेटों के मध्य में ही होता है।

प्रश्न 37.
एक फैरड विद्युत धारिता वाले चालक गोले की त्रिज्या क्या होगी ?
उत्तर:
दिया है-
C= 1 फैरड
R = ?
∵ C = 4π∈0R
∴ R = \(\frac{C}{4 \pi \epsilon_0}\) = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\) × C
R = 9 × 109 × 1 = 9 × 109 मीटर

प्रश्न 38.
तीन संधारित्र जिनके प्रत्येक की धारिता 6 μF है, के संयोजनों से प्राप्त अधिकतम व न्यूनतम धारिताओं का मान क्या होगा?
उत्तर:
अधिकतम धारिता = 6 μF + 6 μF + 6 μF
= 18 μF
न्यूनतम धारिता \(\frac{1}{\mathrm{C}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{6}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{6}}\) + \(\frac{1}{\mathrm{6}}\) = \(\frac{3}{\mathrm{6}}\) = \(\frac{1}{\mathrm{2}}\)
C = 2 μF

प्रश्न 39.
संधारित्रों का उपयोग कम्प्यूटरों में किस उद्देश्य के लिये किया जाता है?
उत्तर:
मेमोरी संग्रहित करने के लिये ।

प्रश्न 40.
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र लिखिये । धारिता पर प्लेटों के क्षेत्रफल का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता C = \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\)
समीकरण से स्पष्ट है कि समान्तर संधारित्र की धारिता प्लेटों के क्षेत्रफल के समानुपाती और उनके मध्य की दूरी के प्रतिलोमानुपाती होती है। प्लेटों का क्षेत्रफल A बढ़ाकर धारिता बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 41.
समान धारिता C की दो संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। संयोजन की धारिता क्या होगी?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में संयोजन की धारिता \(\frac{1}{\mathrm{C}}\) = \(\frac{1}{C_1}+\frac{1}{C_2}\)
संयोजन की धारिता = \(\frac{C}{2}\) होगी।

प्रश्न 42.
संधारित्र की धारिता पर परावैद्युत माध्यम का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
परावैद्युत माध्यम की उपस्थिति में धारिता के मान में वृद्धि हो जाती है। लेकिन यह वृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि प्लेटों के मध्य का भाग परावैद्युत पदार्थ से पूर्णतः आंशिक या विभिन्न परतों के रूप में कैसे-कैसे भरा हुआ है।

प्रश्न 43.
3 μF व 5 μF धारिता के दो संधारित्रों के समान्तर संयोजन को Q आवेश दिया जाता है। यदि 3 μF पर आवेश Q1 तथा 5 μF पर Q2 हो तो \( \frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}\) का मान क्या होगा ?
उत्तर:
\( \frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}=\frac{\mathrm{C}_1}{\mathrm{C}_2}=\frac{3}{5}\)

प्रश्न 44.
एक संधारित्र की प्लेटों के बीच रखे पदार्थ का परावैद्युतांक 5 है और इसकी धारिता C है। यदि इसको परावैद्युतांक 20 वाले पदार्थ से प्रतिस्थापित कर दिया जाये तो संधारित्र की नई धारिता क्या होगी ?
उत्तर:
संधारित्र की नई धारिता का मान पहले वाली धारिता का चार गुना होगा।

प्रश्न 45.
नीचे दिखाये गये परिपथ में A, बिन्दु पर विभव 100 वोल्ट है। बिन्दु B पर विभव होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 10
उत्तर:
बिन्दु B पर विभव 50 वोल्ट होगा।

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प्रश्न 46.
तीन संधारित्र, परिपथ चित्र में दिखाये अनुसार व्यवस्थित हैं। बिन्दु A व B के मध्य कुल धारिता 3 μF है, तो X संधारित्र की धारिता का मान होगा-
उत्तर:
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प्रश्न 47.
दिये गये परिपथ चित्र में A व B के बीच तुल्यधारिता ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 60
इसलिये A तथा B के बीच में तुल्यधारिता = 1+1=2pF उत्तर

प्रश्न 48.
एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों को एक-दूसरे से दूर हटाने से प्लेटों के बीच विभवान्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
प्लेटों के बीच में विभवान्तर बढ़ेगा।

प्रश्न 49.
क्या समान आयतन के दो चालकों के बीच विभवान्तर हो सकता है, जबकि दोनों पर समान धनावेश है ?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि समान आयतन के दो चालकों का आकार भिन्न हो सकता है, जिसके कारण धारिता भिन्न होने के कारण विभव भिन्न-भिन्न होंगे अर्थात् उनके बीच विभवान्तर होगा ।

प्रश्न 50.
एक ग्राफ खींचिये जो धारिता के संधारित्र को दिये गये आवेश Q तथा उसके विभवान्तर V के बीच सम्बन्ध बताता हो।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 14

प्रश्न 51.
समविभव पृष्ठ को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है। समविभव पृष्ठ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर का मान शून्य होता है अतः समविभव पृष्ठ के किसी एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक किसी आवेश को ले जाने में किया गया कार्य शून्य के बराबर होता है किन्तु किया गया कार्य शून्य तभी होता है जब आवेश को विद्युत क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में ले जाया जाता है। अतः समविभव पृष्ठ विद्युत क्षेत्र के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होता है।

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प्रश्न 52.
4 × 10-9C आवेश के कारण इससे 9 × 10-2 मी. दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर विभव परिकलित कीजिए ।
हल- दिया है-
q = 4 × 10-9 C
r = 9 × 10-2 मी.
हम जानते हैं
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 16

प्रश्न 53.
4 μF धारिता का मान कितना होगा यदि समांतर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य 2 परावैद्युतांक का परावैद्युत पूर्णतः भर दिया जाए?
हल – जब प्लेटों के बीच सम्पूर्ण स्थान में ∈r परावैद्युतांक का माध्यम भरा हुआ हो, तब C = C0r होता है।
इसलिये C = 4 × 2 = 8 μF

प्रश्न 54.
किसी माध्यम के परावैद्युतांक की परिभाषा लिखिये। इसका एस.आई. (S.I.) मात्रक क्या है ?
उत्तर:
हम जानते हैं
C = C0r
या ∈r = \(\frac{C}{C_0}\)
अतः किसी माध्यम के परावैद्युतांक का मान, परावैद्युत पदार्थ से पूर्णतया भरी समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का मान C, हवा या निर्वात धारिता C के अनुपात के बराबर होता है। इसका कोई भी मात्रक नहीं होता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक बिन्दु आवेश ‘q’ बिन्दु 0 पर चित्र में दिखाये अनुसार रखा है। क्या (VA – VB) धनात्मक, ऋणात्मक अथवा शून्य होगा यदि q (i) धनात्मक है (ii) ऋणात्मक ‘
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 17

होगी इसलिए VA – VB का चिन्ह q के चिन्ह पर निर्भर करेगा ।
(∵ 4π∈0 = नियतांक)
अतः (i) q के धनात्मक होने पर (VA – VB) धनात्मक होगा।
(ii) q के ऋणात्मक होने पर (A – VB) ऋणात्मक होगा।

प्रश्न 2.
एक लघु वैद्युत द्विध्रुव के कारण अत्यधिक दूरी पर उत्पन्न वैद्युत विभव की दूरी पर निर्भरता बताइए, जबकि प्रेक्षण बिन्दु
(i) अक्षीय स्थिति में हो, तथा
(ii) निरक्षीय स्थिति में हो।
उत्तर:
(i) अक्षीय स्थिति में विभव (V) = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{p}{r^2}\right)\)
अतः स्पष्ट है V ∝ \(\frac{1}{r^2}\)
(ii) निरक्षीय स्थिति में V = 0, अतः यह दूरी पर निर्भर नहीं करता है। अर्थात् इस स्थिति में प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होता है।

प्रश्न 3.
समविभव पृष्ठ की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर:
परिभाषा – किसी वैद्युत क्षेत्र में वह पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु का विभव समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।
विशेषताएँ – (i) इसके किन्हीं भी दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर शून्य होता है।
(ii) इसके किन्हीं भी दो बिन्दुओं के बीच किसी आवेश को ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।
(iii) वैद्युत क्षेत्र सदैव समविभव पृष्ठ के लम्बवत् रहता है।

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प्रश्न 4.
वैद्युत विभव तथा वैद्युत स्थितिज ऊर्जा में भेद स्पष्ट कीजिए तथा इनके बीच सम्बन्ध बताइए ।
उत्तर:
वैद्युत विभव एकांक धन आवेश को बिना त्वरण के अनन्त से लाने में किया गया कार्य है जबकि वैद्युत स्थितिज ऊर्जा दिये गये आवेशों को अनन्त से उनकी स्थिति तक लाने में किया गया कार्य होती है।
वैद्युत विभव V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{\mathrm{q}_1}{\mathrm{r}}\right)\) तथा U = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{q_1 q_2}{r}\right)\)
जहाँ प्रतीकों के सामान्य अर्थ हैं। उपर्युक्त व्यंजकों से स्पष्ट है कि
U = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{q_1}{\mathrm{r}}\right)\) . q2
U = q2 . V
अतः q1 तथा q2आवेशों (जो परस्पर 1 दूरी पर स्थित ) बने निकाय की स्थितिज ऊर्जा
U = आवेश q2 x
(आवेश q1 के कारण q2 की स्थिति में विभव)

प्रश्न 5.
किसी बिन्दु आवेश से दूरी में परिवर्तन के संगत होने वाले विभव परिवर्तन दर्शाने वाला ग्राफ बनाइए चित्र में प्रदर्शित आवेश निकाय के लिए सिद्ध कीजिए कि बिन्दुओं A व B के मध्य विभवान्तर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 18

प्रश्न 6.
इस सत्य की भौतिक व्याख्या कीजिए कि धन आवेश युग्म की स्थितिज ऊर्जा धनात्मक होती है।
उत्तर:
धन आवेश युग्म के दो आवेश आपस में प्रतिकर्षित करेंगे और त्वरित गति से एक-दूसरे से दूर हो जायेंगे जब तक उनके बीच की दूरी अनन्त नहीं हो जाये। उन आवेशों में गति उनके अन्दर स्थितिज ऊर्जा के कारण ही सम्भव है। इसलिए धन आवेश युग्म की स्थितिज ऊर्जा धनात्मक होती है।

प्रश्न 7.
ध्रुवण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आयतित विद्युत क्षेत्र में परावैद्युत में परमाणुओं को खींचकर आवेशों को पृथक करने के प्रक्रम को ध्रुवण कहते हैं। परमाणुओं का खिंचाव तब तक चलता है जब तक कि आवेशों पर विद्युत क्षेत्र द्वारा आयोजित बल प्रत्यानयन बल के तुल्य नहीं हो जाता। इस तनन के कारण नाभिक का धनात्मक गुरुत्व केन्द्र ऋणात्मक गुरुत्व केन्द्र, जो इलेक्ट्रॉनों के कारण बनता है, एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और इस प्रकार परमाणु द्विध्रुव आघूर्ण प्राप्त कर लेते हैं। अर्थात् किसी पदार्थ का प्रति एकांक आयतन द्विध्रुव आघूर्ण उसका ध्रुवण कहलाता है तथा इसे \(\vec{p}\) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। रैखिक समदैशिक परावैद्युतों के लिए
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=\chi_0 \mathrm{E}\)
यहाँ Xo परावैद्युतका स्थिर अभिलक्षण है जिसे परावैद्युत माध्यम की वैद्युत प्रवृत्ति कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक सीधी रेखा में समान दूरियों पर तीन आवेश q, Q तथा – q स्थित हैं। यदि तीनों आवेशों के निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा शून्य हो तो Q : q अनुपात का मान कितना होगा?
उत्तर:
निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा का मान होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 19

प्रश्न 9.
तीन बिन्दु आवेशों से निर्मित किसी तंत्र की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
तीन आवेशों q1, q2 तथा q3 से निर्मित तंत्र को सामने चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इस तंत्र की कुल स्थितिज ऊर्जा
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 20

प्रश्न 10.
एक गोलाकार चालक कोश की त्रिज्या R है व उस पर आवेश Q है। गोले के केन्द्र से (2R) दूरी पर विभव की तुलना \(\frac{\mathbf{R}}{\mathbf{2}}\) दूरी पर विभव से कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि बाह्य बिन्दुओं के लिए आवेशित चालक कोश इस तरह से व्यवहार करता है जैसे उसका आवेश उसके केन्द्र पर स्थित हो अतः केन्द्र से (2R) दूरी पर विभव का मान माना V1 है।
अतः V1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{Q}{2 R}\) ………..(1)
गोलीय कोश के अन्दर विभव नियत होता है तथा वह उसके पृष्ठ पर विभव के तुल्य होता है। अतः केन्द्र से R/2 दूरी पर विभव का मान माना (V2) है।
V2 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{Q}{R}\) …………(2)
अतः \(\frac{V_1}{V_2}\) = \(\frac{1}{2}\)

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प्रश्न 11.
किसी द्विध्रुव की विद्युत क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा के लिए सूत्र लिखिए तथा इनके न्यूनतम व अधिकतम मान ज्ञात कीजिए।
हल-विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) में क्षेत्र के लम्बव्त् द्विध्रुव की स्थिति θ = 90° को निर्देश स्थिति मानते हुए अन्य स्थिति पर स्थितिज ऊर्जा का मान
U = \(-\overrightarrow{\mathrm{P}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{E}}\) = – PE cos θ
θ = 0, अर्थात् क्षेत्र के समान्तर स्थिति में
U = Umin = – PE
θ = π, अर्थात् क्षेत्र के विरुद्ध दिशा में
U = Umax = + PE
∵ cos π = -1

प्रश्न 12.
अधुवी व ध्रुवी परमाणुओं या अणुओं में अन्तर उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर:
अधुवी परमाणुओं या अणुओं में ऋण व धन आवेशों के वितरण केन्द्र सम्पाती होते हैं, जिससे द्विध्रुव आघूर्ण शून्य रहता है। ध्रुवी अणुओं में इन आवेशों के वितरण केन्द्रों के मध्य अन्तराल होता है और अणु का स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है।
N2, CH4, OH2, O2 आदि अध्रुवी हैं जबकि H2O, NH3 HCI आदि ध्रुवी अणु हैं।

प्रश्न 13.
धुवी तथा अधुवी परावैद्युत में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
ध्रुवी तथा अधुवी परावैद्युत में अन्तर

ध्रुवी परावैद्युतअधुवी परावैद्युत
1. इनके अणु बाह्य वैद्युत क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी नैट विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण रखते हैं।इनके अणुओं में कोई स्थायी वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण नहीं होता। बाह्य वैद्युत क्षेत्र में रखे जाने पर ध्रुवण अवस्था में यह आघूर्ण उत्पन्न होता है।
2. इनके अणुओं की रचना असममित होती है। उदाहरणार्थ- NH3इनके अणुओं की रचना सममित होती है। उदाहरणार्थ- O2

प्रश्न 14.
संधारित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
आवेशित चालक का विभव उसके समीप एक अन्य भू- सम्पर्कित चालक को रखकर कम किया जा सकता है इस प्रकार चालक की आवेश संग्रहित करने की क्षमता जिसे हम धारिता कहते हैं, बढ़ जाती है। ऐसे समायोजन को संधारित्र कहते हैं।

प्रश्न 15.
संधारित्र की धारिता पर परावैद्युत माध्यम का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
परावैद्युत माध्यम की उपस्थिति में धारिता के मान में वृद्धि हो जाती है लेकिन यह वृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि प्लेटों के मध्य का भाग परावैद्युत पदार्थ से पूर्णतः आंशिक या विभिन्न परतों के रूप में किस प्रकार भरा हुआ है।

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प्रश्न 16.
क्या एक फैरड धारिता का समान्तर पट्ट संधारित्र आपकी आलमारी में रखना सम्भव है?
हल-चूँकि चालक की धारिता C = 4π∈0R होती है, इसलिए इसकी त्रिज्या का मान
R = \(\frac{C}{4 \pi \epsilon_0}\) = 9 × 109 मीटर/फैरड × 1 फैरड
= 9 × 109 मीटर = 9 × 106 किमी.
अतः यह त्रिज्या बहुत बड़ी है। अर्थात् 1 फैरड धारिता का गोलाकार चालक बनाना सम्भव नहीं है, जिसको अलमारी में रखना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
क्या 1 सेमी. त्रिज्या का धात्वीय गोला 1 कूलॉम आवेश ग्रहण कर सकता है?
हल – R = 1 सेमी = 1 × 10-2 मीटर त्रिज्या के गोले को Q = एक कूलॉम आवेश देने पर इसकी सतह पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{Q}{R}\right)=9 \times 10^9 \times\left(\frac{1}{10^{-2}}\right)\)
= 9 × 1011 न्यूटन/कूलॉम
= 9 × 1011 वोल्ट/मीटर
यह चालक की वैद्युत सामर्थ्य होगी, लेकिन वायु की परावैद्युत सामर्थ्य 3 × 106 वोल्ट / मीटर होती है इसलिए चालक के चारों ओर की निकटतम वायु आयनीकृत हो जायेगी, जिससे कि गोले के आवेश का वायु में क्षरण होने लगेगा अतः कहा जा सकता है कि एक सेमी. त्रिज्या का गोला एक कूलॉम आवेश ग्रहण नहीं कर सकता है।

प्रश्न 18.
A और B दो समान त्रिज्या के चालक गोले हैं, जिसमें A गोला ठोस है और B खोखला है। दोनों को समान विभव तक आवेशित किया जाता है। दोनों गोलों पर आवेशों में क्या सम्बन्ध होगा?
उत्तर:
गोला चाहे ठोस हो अथवा खोखला हो, आवेश उसके बाहरी पृष्ठ पर रहता है। चूँकि गोलाकार चालक की धारिता उसकी त्रिज्या के अनुक्रमानुपाती होती है। यहाँ पर दोनों गोलों की त्रिज्या समान है। अतः दोनों की धारितायें भी समान होंगी। अतः CA = CB = C माना दोनों गोलों पर समान विभव (माना V तक) आवेशित किया गया है।
अर्थात् VA = VB = V, अतः इनका आवेश क्रमश: QA= CAVA = CV, QB = CBVB = CV
∴ QA : QB = 1 : 1 अर्थात् दोनों पर आवेश समान होगा।

प्रश्न 19.
समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों के बीच एक धातु की पन्नी (foil) रखने पर उसकी धारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
संधारित्र की प्लेटों के बीच वायु होने पर धारिता C0 = \( \frac{\epsilon_0 A}{\mathrm{~d}}\)
इसकी प्लेटों के बीच धातु की पन्नी रखने पर (चित्र) यह संधारित्र दो समान्तर पट्ट संधारित्र के श्रेणी संयोजन के तुल्य होगा, जिनमें प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A तथा प्लेटों के बीच की दूरी = \(\frac{\mathrm{d}}{2}\)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 21

प्रश्न 20.
संधारित्रों के समान्तर संयोजन व श्रेणी संयोजन में अन्तर लिखिये।
उत्तर:
(1) संधारित्रों का ऐसा संयोजन जिसमें प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर का मान एकसमान हो, उसे समान्तर संयोजन कहते हैं। संधारित्रों का ऐसा संयोजन, जिसमें प्रत्येक संधारित्र पर आवेश का परिमाण एकसमान रहता है उसे श्रेणी संयोजन कहते हैं।

(2) संधारित्रों को समान्तर क्रम में संयोजित करने पर संयोजन की तुल्यधारिता, प्रत्येक संधारित्र की धारिता के योग के बराबर होती है। श्रेणी संयोजन में परिपथ की तुल्यधारिता का व्युत्क्रम, इस संयोजन में प्रयुक्त प्रत्येक संधारित्र की
धारिता के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है। श्रेणी संयोजन में प्राप्त तुल्यधारिता का मान किसी भी धारिता के मान से भी कम होता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 21.
एक गोलीय चालक पर आवेश की मात्रा तीन गुनी करने पर उसकी धारिता में कितने प्रतिशत वृद्धि होगी ?
उत्तर:
चालक पर आवेश में परिवर्तन करने पर उसके विभव में उसी अनुपात में परिवर्तन हो जाता है अतः आवेश व विभव वृद्धि का अनुपात स्थिर रहता है। इसलिए चालक की धारिता के मान में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

प्रश्न 22.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच दो परावैद्युत गुटके (जिनके परावैद्युतांक क्रमश: K1 तथा K2 हैं) चित्र में दर्शाये अनुसार भरे हुए हैं। संधारित्र की धारिता क्या होगी?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 22

प्रश्न 23.
एक समान्तर पट्ट संधारित्र एक दिष्टधारा स्रोत से v विभवान्तर तक आवेशित किया गया है, जबकि प्लेटों के बीच वायु है। संधारित्र को बैटरी से अलग किये बिना वायु के स्थान पर K परावैद्युतांक का परावैद्युत माध्यम भर दिया गया है। कारण सहित बताइए कि निम्नलिखित में से क्या परिवर्तन होगा? उत्तरों का स्पष्टीकरण भी दो ।
(i) विभवान्तर
(ii) प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र
(iii) धारिता
(iv) आवेश
(v) ऊर्जा
उत्तर:
(i) चूँकि यहाँ पर संधारित्र को बैटरी से जोड़ा गया है, अतः वैद्युत विभवान्तर V अपरिवर्तित रहेगा।
(ii) चूँकि विभवान्तर और प्लेटों के मध्य की दूरी दोनों अपरिवर्तित हैं, अतः वैद्युत क्षेत्र \(E=\frac{V}{d} \) अपरिवर्तित रहेगा।
(iii) धारिता बढ़ जायेगी : ∵ C = KC0
(iv) चूँकि V नियत है और धारिता K गुनी हो जाती है, अतः आवेश Q भी K गुना हो जायेगा।
(v) प्रारम्भिक ऊर्जा \(\mathrm{U}_0=\frac{1}{2} \mathrm{C}_0 \mathrm{~V}_0^2\) और बाद में ऊर्जा U = \(\frac{1}{2} \mathrm{KC}_0 \mathrm{~V}_0^2=\mathrm{KU}_0\) अर्थात् ऊर्जा भी बढ़कर K गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 24.
C धारिता के n संधारित्रों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर तुल्यधारिता Cs तथा समान्तर क्रम में संयोजित करने पर तुल्यधारिता Cp है। सिद्ध कीजिए कि
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 23

प्रश्न 25.
आवेशों के निकाय के कारण विद्युत विभव के मान की गणना कीजिए ।
उत्तर:
किन्हीं आवेशों q1, q2, q3 , …….. qn के ऐसे निकाय पर विचार करते हैं, जिनके किसी मूल बिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमशः
\(\overrightarrow{\mathrm{r}_1}, \overrightarrow{\mathrm{r}_2}, \overrightarrow{\mathrm{r}_3} \ldots \ldots, \overrightarrow{\mathrm{r}_{\mathrm{n}}}\)
बिन्दु P पर आवेश q1 के कारण विभव
V1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}_1}{r_{1 \mathrm{P}}}\)
यहाँ r1p बिन्दु p तथा आवेश q1 के बीच की दूरी है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 24
इसी प्रकार बिन्दु P पर आवेश q2 के कारण विभव V2 तथा आवेश q3 के कारण विभव V3 को भी व्यक्त कर सकते हैं-
V2 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_2}{r_{2 P}}\)
V3 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_3}{r_{3 \mathrm{P}}}\)
यहाँ r2p तथा r3p बिन्दु p की क्रमशः q2 तथा q3 से दूरियाँ हैं। इसी प्रकार हम अन्य आवेशों के कारण बिन्दु p पर विभव व्यक्त कर सकते हैं। अध्यारोपण सिद्धान्त के अनुसार, समस्त आवेश विन्यास के कारण बिन्दु P पर विभव V विन्यास के व्यष्टिगत आवेशों के विभवों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 25

प्रश्न 26.
समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं? बिन्दु आवेश के लिए समविभव पृष्ठ बनाइए और इनके गुण लिखिए ।
उत्तर:
चित्र में एक बिन्दु आवेश Q, O पर रखा है। O को केन्द्र मानकर r त्रिज्या का गोला बनायें तो गोले की धरातल का प्रत्येक बिन्दु O से समान दूरी पर होगा अतः इस धरातल के प्रत्येक बिन्दु पर विभव का मान \(\frac{\mathrm{KQ}}{\mathrm{r}}\) होगा। इस प्रकार के पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं।
“विद्युत क्षेत्र में ऐसे पृष्ठ जिनके प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत विभव समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाते हैं।” समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान होने के कारण किन्हीं भी दो बिन्दुओं के मध्य जो पृष्ठ पर स्थित हैं, विभवान्तर शून्य होता है।

अतः गोले के पृष्ठ पर किसी भी मान के आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में सम्पन्न कार्य शून्य होगा। इस पृष्ठ पर बल रेखायें सदैव पृष्ठ के लम्बवत् होंगी। चित्र में S, S1, S2 बिन्दु आवेश Q के लिए समविभव पृष्ठ हैं। ये संकेन्द्रीय गोले हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 26
यदि दो समान्तर प्लेटों के मध्य बैटरी जोड़कर निश्चित विभवान्तर स्थापित किया जाये तो प्लेटों के मध्य एकसमान विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस विद्युत क्षेत्र से समविभव पृष्ठ प्लेटों के समान्तर समतल पृष्ठ होते हैं। जैसा चित्र (b) में दिखाया गया है।
विभवान्तर की परिभाषा के अनुसार एकांक मान के परीक्षण आवेश को एक बिन्दु A से दूसरे बिन्दु B तक विस्थापित करने में किया गया कार्य विभवान्तर के तुल्य होता है।
अर्थात् VB – VA = WAB
यदि बिन्दु A और B एक समविभव तल पर स्थित हैं तो
VB = VA ∴ WAB = 0
अर्थात् समविभव तल पर किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरे तक विस्थापन में कार्य का मान शून्य होता है। रेखीय आवेश के लिए समविभव पृष्ठ बेलनाकार पृष्ठ होता है।
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समविभव पृष्ठ के गुण-

  1. पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विभव एकसमान होता है।
  2. समविभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक विस्थापन में किया गया कार्य का मान शून्य होता है।
  3. दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को कभी भी नहीं काटते हैं।
  4. विद्युत बल रेखायें पृष्ठ के लम्बवत् होती हैं।
  5. किसी भी चाल की सतह हमेशा समविभव पृष्ठ होती है क्योंकि सतह के सभी बिन्दु एक-दूसरे से विद्युत सम्पर्क में होते हैं।

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प्रश्न 27.
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा वैद्युत विभव में सम्बन्ध स्थापित कीजिए ।
उत्तर:
(Relation between Intensity of Electric field \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) and potential V)
माना q0 परीक्षण आवेश एक समविभव पृष्ठ से dr दूरी पर स्थित दूसरी समविभव पृष्ठ पर विस्थापित होता है। परीक्षण आवेश पर क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य
W = – q0dV ……………(1)
जहाँ dV = समविभव पृष्ठों के मध्य विभवान्तर है।
इसी कार्य को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते हैं-
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यहाँ पर आंशिक अवकलन इस बात को दर्शाता है कि समीकरण (3) में V का परिवर्तन उस दिशा में है जिसमें क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) का घटक स्थित है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 29

प्रश्न 28.
तीन बिन्दु आवेशों से निर्मित किसी तंत्र की विद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अनुच्छेद 2.7 में उदाहरणार्थ देखें ।
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प्रश्न 29.
बाह्य क्षेत्र में एकल आवेश की स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
उत्तर:
एकल आवेश की स्थितिज ऊर्जा (Potential energy of a single charge) आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के लिए हम सूत्र स्थापित कर चुके हैं, जिसमें वैद्युत क्षेत्र के स्रोत अर्थात् आवेशों की स्थितियों को भी ध्यान में रखा गया था। अब यहाँ पर हमें बाहरी विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करनी है। यहाँ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) उत्पन्न करने वाले आवेश अज्ञात हैं।
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बाहरी विद्युत क्षेत्र ([/latex]\overrightarrow{\mathrm{E}}[/latex]) और किसी बिन्दु पर विद्युत विभव (V) दोनों प्रेक्षण बिन्दु की स्थिति बदलने पर बदल सकते हैं। यदि किसी बिन्दु P पर विद्युत विभव \(V(\vec{r})\) है, जहाँ \(\vec{r}\) बिन्दु P की स्थिति सदिश है, तो विभव की परिभाषा से एकांक आवेश को अनन्त से P बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य V जूल होगा। अतः किसी आवेश q को अनन्त से P बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य W = q. \(V(\vec{r})\) यही कार्य आवेश में उसकी वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगा।
अतः आवेश q की किसी बाहरी क्षेत्र /latex]\overrightarrow{\mathrm{E}}[/latex] में बिन्दु \(p(\vec{r})\) पर वैद्युत स्थितिज ऊर्जा = q . \(V(\vec{r})\)
यही कार्य आवेश में उसकी वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगा।
अतः आवेश q की किसी बाहरी क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) में बिन्दु \(\mathrm{P}(\overrightarrow{\mathrm{r}})\) पर वैद्युत स्थितिज ऊर्जा = q. \(\mathrm{q} \cdot \mathrm{V}(\overrightarrow{\mathrm{r}})\)

प्रश्न 30.
किसी बाह्य क्षेत्र में दो आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। लिखिए।
उत्तर:
किसी बाह्य क्षेत्र में दो आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा (Potential energy of a system of two charges in an external field)
माना किसी बाह्य क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) में दो आवेश q1 तथा q2 क्रमशः \(\overrightarrow{\mathrm{r}_1}\)
तथा \(\overrightarrow{\mathrm{r}_2}\)
अब q1 आवेश को अनन्त से स्थिति \(\vec{r}_1 \) तक लाने में किया गया कार्य
W1 = q1V(\(\vec{r}_1 \)) …………..(1)
यहाँ पर V(\(\vec{r}_1 \)), \(\vec{r}_1 \) दूरी पर स्थित बिन्दु पर विभव का मान है।
जब q2 आवेश को अनन्त से स्थिति \(\overrightarrow{\mathrm{r}_2}\) तक लाया जाता है तब किया गया कार्य W2 बाह्य क्षेत्र \( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) के विरुद्ध किया गया कार्य +q1 के कारण क्षेत्र के विरुद्ध किंया गया कार्य
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प्रश्न 31.
संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक
उत्तर:
संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors effecting the Capacity of a Conductor)
किसी संधारित्र विशेष के लिए उसकी धारिता नियत होती है तथा यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है-

(i) प्लेटों (चालकों) के क्षेत्रफल पर-प्रयोगों के आधार पर यह देखा गया है कि किसी संधारित्र की धारिता उसकी प्लेटों के प्रभावी क्षेत्रफल A के अनुक्रमानुपाती होती है।
अर्थात् C ∝ A

(ii) प्लेटों के बीच की दूरी पर-यदि संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी d को बढ़ाया जाता है तो संधारित्र की धारिता का मान घट जाता है। चूँकि यह प्लेटों के बीच की दूरी d के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

(iii) प्लेटों के बीच के माध्यम पर-यह देखा गया है कि यदि संधारित्र की प्लेटों के मध्य का स्थान किसी कुचालक पदार्थ जैसे पैराफिन, मोम, तेल, अभ्रक आदि से भर दिया जाये तो संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है, यदि प्लेटों के बीच की दूरी को स्थिर रखा जाये। अतः संधारित्र की धारिता का मान प्लेटों के बीच स्थित परावैद्युत माध्यम के परावैद्युतांक K के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि संधारित्र की प्लेटों के मध्य वायु होने पर संधारित्र की धारिता C हो तो प्लेटों के मध्य K परावैद्युतांक का माध्यम होने पर संधारित्र की विद्युत धारिता KC हो जाती है। अर्थात् धारिता K गुनी बढ़ जाती है।

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प्रश्न 32.
संधारित्रों के उपयोग को लिखिए ।
उत्तर:
(1) आवेश के संचायक के रूप में (As a charge Accumulator):
संधारित्र का मुख्य कार्य आवेश को संचित करना होता है। यदि हम किसी परिपथ में क्षणिक (Instantaneous) परन्तु शक्तिशाली वैद्युत धारा प्रवाहित करना चाहें तो परिपथ के सिरे को एक आवेशित संधारित्र से सम्बन्धित कर देते हैं। स्पंदित वैद्युत चुम्बक जो क्षणिक परन्तु तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं, आवेशित संधारित्रों से ही विद्युत-धारा प्राप्त करते हैं।

(2) विद्युत स्थितिज ऊर्जा संचित करने के लिए (For storing Electrostatic P.E):
संधारित्र द्वारा ऊर्जा संग्रहित करने की दर धीमी होती है जबकि ऊर्जा विसर्जन की प्रक्रिया अतिशीघ्र होती है। इसी गुण के आधार पर न्यून समय में फ्लश से (फलश) परिपथ में संधारित्र का उपयोग करके प्रकाश प्राप्त कर कैमरे में चित्र लिये जाते हैं।

(3) रेडियो व टीवी में (In Radio and T.V.):
रेडियो व टीवी की संचार प्रणाली में प्रयुक्त दो प्रमुख परिपथों (ट्रान्समीटर व रिसीवर) में संधारित्रों का उपयोग किया जाता है। उपयुक्त धारिता मान के संधारित्रों का उपयोग कर इन परिपथों में विद्युत चुम्बकीय दोलन उत्पन्न किये जाते हैं। दोलनों से उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उपयोग, संकेतों के प्रसारण में किया जाता है। संधारित्रों के उपयोगों से इच्छित आवृत्ति के रेडियो या टीवी संकेतों को प्राप्त किया जा सकता है।

(4) वैज्ञानिक अध्ययन में (In Scientific Study):
वैज्ञानिक अध्ययन में संधारित्र अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुए हैं। संधारित्र में भिन्नभिन्न आकार की प्लेटों का प्रयोग करके उनके मध्य भिन्न-भिन्न संरूपण (Configuration) के वैद्युत-क्षेत्र स्थापित किये जाते हैं। इन क्षेत्रों में विभिन्न परावैद्युत पदार्थ रखकर उनके व्यवहार के विषय में अध्ययन किया जाता है।

(5) चिकित्सा क्षेत्र में (In Medicine):
हृदय रोगी में छाती (Chest) पर विद्युत आघात (Electric shock) देकर हृदय की धड़कन को नियंत्रित किया जाता है। इस प्रक्रिया में जिस उपकरण का प्रयोग किया जाता है, उसे डेफिब्रीलेटर (defibrillator) कहते हैं। इसमें कई F कोटि की संधारित्र होती है, जिसे कई हजार वोल्ट पर आवेशित किया जाता है। संधारित्र में संचित ऊर्जा का उपयोग छाती पर विद्युत आघात देकर हृदय रोगी की हृदय मांसपेशियों की क्रियाप्रणाली को व्यवस्थित करते हैं, जो हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने में सहायक होती है।

(6) विद्युत फिल्टरों में (In Electric Filters):
शक्तिप्रदाय स्रोतों में प्रयुक्त दिष्टकारी परिपथों से प्राप्त वोल्टता संकेत को smooth करने के लिए संधारित्रों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त श्रव्य यंत्रों में प्रयुक्त शक्ति प्रवर्धकों का युग्मन करने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है।

(7) कम्प्यूटर में (In Computers):
कम्प्यूटर के कुंजी पटल (Key Board) की कार्यप्रणाली धारिता के सिद्धान्त पर आधारित होती है। कुंजी पटल में कुंजी प्लैन्जर (Plunger) के एक सिरे पर स्थितं होती है। प्लैन्जर का दूसरा सिरा गतिक धातु की प्लेट से जुड़ा होता है। गतिक प्लेट को एक अन्य स्थिर प्लेट से परावैद्युत माध्यम के द्वारा अलग रखा जाता है, जिससे एक परिवर्तित संधारित्र की संरचना होती है। कुंजी को दबाने से प्लेटों के मध्य की दूरी कम होती है, जिससे धारिता के मान में वृद्धि होती है। इस परिवर्तन को कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक परिपथों द्वारा संसूचित कर लिया जाता है। सूक्ष्म संधारित्रों का उपयोग कम्य्यूटरों में मैमोरी संग्रहित करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 33.
10 संधारित्र प्रत्येक की धारिता 10 μF है, को श्रेणी संयोजन तत्पश्चात् समान्तर संयोजन में जोड़ने पर तुल्य धारिताओं का गुणनफल लिखिए।
हल – n संधारित्रों के श्रेणी संयोजन की तुल्यधारिता
\(\frac{1}{\mathrm{C}_{\mathrm{S}}}=\frac{1}{\mathrm{C}_{\mathrm{I}}}+\frac{1}{\mathrm{C}_2}+\frac{1}{\mathrm{C}_3}+\ldots \ldots \cdot \frac{1}{\mathrm{C}_{\mathrm{n}}}\) होगी
यहाँ पर 10 संधारित्र जिनकी प्रत्येक की धारिता 10 μF है। इन सभी को श्रेणी संयोजन में जोड़ा गया है। इसलिये तुल्यधारिता का मान 1 μF होगा।
इन सभी को श्रेणी संयोजन के बाद समान्तर संयोजन में जोड़ा गया है।
समान्तर संयोजन के लिये तुल्यधारिता का सूत्र
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 32

आंकिक प्रश्न-

प्रश्न 1.
(a) आवेश 4 × 10-7C के कारण इससे 9 cm दूरी पर स्थित किसी बिंदु P पर विभव परिकलित कीजिए।
(b) अब, आवेश 2 × 10-9C को अनंत से बिंदु P तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिए। क्या उत्तर जिस पथ के अनुदिश आवेश को लाया गया है उस पर निर्भर करता है?
हल-दिया गया है-
(a) Q = 4 × 10-7C
r = 9 cm = 9 × 10-2m.
V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_o} \frac{Q}{r}\)
मान रखने पर V = \(\frac{9 \times 10^9 \times 4 \times 10^{-7}}{9 \times 10^{-2}}\)
V = 4 × 104 Volt
(b) किया गया कार्य (W) = आवेश (q) × विभवान्तर (V)
W = 2 × 10-9 × 4 × 104
= 8 × 10-5
नहीं, कार्य पथ पर निर्भर नहीं होगा।

प्रश्न 2.
एक वर्ग की प्रत्येक भुजा 90 सेमी. लम्बी है। इसके कोने पर क्रमशः -2,+3,-4 तथा +5 माइक्रो कूलॉम आवेश रखे हैं। वर्ग के केन्द्र पर विद्युत विभव ज्ञात कीजिये।
हल-माना कि 90 सेमी. भुजा वाला वर्ग ABCD है और जिसके शीर्ष A,B,C,D पर क्रमश: -2, 3, -4, +5 माइक्रो कूलॉम मान के आवेश रखे हुए हैं।
यहाँ AC और BD वर्ग के विकर्ण हैं जो O पर काटते हैं जो कि वर्ग का केन्द्र है। वर्ग के केन्द्र O पर विभव V0 = वर्ग के शीर्षों पर रखे प्रत्येक आवेश के कारण उत्पन्न विभवों का बीजगणितीय योग
यहाँ पर (AC)2 = (AB)2 + (BC)2
(AC)2 = (90)2 + (90)2 = 2 × (90)2
∴ AC = 90√2 सेमी.
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प्रश्न 3.
एक बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा वैद्युत विभव क्रमशः 30 न्यूटन/कूलॉम तथा 15 जूल/कूलॉम है। ज्ञात कीजिए कि
(i) प्रेक्षण बिन्दु से आवेश की दूरी तथा
(ii) आवेश का परिमाण।
हल-दिया है-
E = 30 न्यूटन/कूलॉम
V = 15 जूल/कूलॉम
(i) एक बिन्दु आवेश q के कारण इससे $r$ दूरी पर स्थित प्रेक्षण बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 34

प्रश्न 4.
+10 μC एवं -10 μC के दो बिन्दु आवेश वायु में परस्पर 40 cm की दूरी पर रखे हैं।
(a) निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। यह मान लीजिए कि अनन्त पर विद्युत स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।
(b) निकाय के लिए समविभव पृष्ठ खींचिये।
(c) निकाय के दोनों आवेशों को अनन्त तक दूर करने में कितना कार्य करना होगा?
हल-(a) दिया है-
q1 = 10 μC = 10 × 10-6C
q2 = -10 μC = – 10 × 10-6C
r12 = 40 cm = 0. 40 m
दो आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
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(b) अनुच्छेद 2.6 में देखें।
(c) जब दोनों आवेशों को एक-दूसरे से अलग करते हुए अनन्त तक विस्थापित किया जायेगा तो दोनों की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जायेगी अर्थात्
U2 = 0
परन्तु U1 = -2. 25 J
इसलिए दोनों को विस्थापित करने में किया गया कार्य
W = U2 – U1 = 0 – (- 2. 25)
= 2. 25 J

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प्रश्न 5.
किसी बिन्दु P पर वैद्युत विभव V(x, y, z) = 6x -8xy2 -8 y + 6yz – 4z2। मूल बिन्दु पर स्थित 4 कूलॉम बिन्दु आवेश पर वैद्युत बल ज्ञात कीजिए।
हल-हम जानते हैं-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 36

प्रश्न 6.
10-6 मीटर व्यास तथा 880.5 किलोग्राम/मीटर3 घनत्व वाली एक तेल बूँद 10 मिलीमीटर में पृथक्कृत प्लेटों के मध्य स्थिर रहती है। प्लेटों के मध्य विभवान्तर 36 वोल्ट है। तेल बूँद पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
g = 10 मीटर/सेकण्ड2
हल-दिया है-
घनत्व d0 = 880.5 किग्रा./मी.3
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 37

प्रश्न 7.
तीन सर्वसम (एक-जैसे) संधारित्रों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने (जोड़ने) पर उनकी तुल्य (कुल) धारिता 1 μF है। यदि
उन्हें पार्श्वक्रम (समान्तर क्रम) में संयोजित किया (जोड़ा) जाये, तो उनकी कुल धारिता कितनी होगी? यदि दोनों दशाओं (संयोजनों) में संधारित्रों को एक ही स्रोत से जोड़ा जाये तो इन दो प्रकार के संयोजनों में संचित ऊर्जा का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल-माना कि प्रत्येक संधारित्र की धारिता C μF है। इसलिए श्रेणीक्रम में संयोजन की स्थिति में
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प्रश्न 8.
संधारित्र C की धारिता की गणना कीजिए यदि A व B के मध्य संयोजन की तुल्यधारिता 15 μF है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 39

प्रश्न 9.
चित्र में दर्शाये गये संयोजन की बिन्दु P व N के मध्य तुल्यधारिता ज्ञात कीजिए।.
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 40
हल-यहाँ 10 μF व 20 μF मान के संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हुए हैं, अतः इनकी तुल्यधारिता जुड़े हुए हैं, अतः इनकी तुल्यधारिता
C = (C1 + C2) से C = (10 + 20) = 30 μF होगी।
अतः इन संधारित्रों को बिन्दु P व N के मध्य अन्य 30 μF मान के एक संधारित्र से प्रतिस्थापित कर सकते हैं। यह प्रतिस्थापित संधारित्र; पहले से ही लगे हुए 30 μF संधारित्र के श्रेणीक्रम में है जैसा आगे के चित्र में दर्शाया गया है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 41

प्रश्न 10.
चित्र में दर्शाये गये संयोजन की बिन्दु P व N के मध्य तुल्यधारिता का मान ज्ञात कीजिए जबकि (अ) स्विच S खुला है, (ब) स्विच S बन्द है। यहाँ C1 = 1 µF व C2 = 2 µF हैं।
हल-(अ) दिये गये संयोजन में बिन्दु a व b के मध्य स्विच S खुला होने पर बिन्दु P व a के मध्य जुड़ी संधारित्र Cp बिन्दु a व N के मध्य जुड़ी संधारित्र C1 के साथ श्रेणी संयोजन में होगी। इस संयोजन की तुल्यधारिता

इसी प्रकार बिन्दु P व N के मध्य जुड़ी दोनों C2 मान वाली संधारित्र भी श्रेणी संयोजन में हैं। इस संयोजन की तुल्यधारिता
\(\frac{1}{\mathrm{C}^{\prime \prime}}=\frac{1}{\mathrm{C}_2}+\frac{1}{\mathrm{C}_2}=\frac{2}{\mathrm{C}_2}\)
या C” = \(\frac{\mathrm{C}_2}{2}\) = 1 μF
∵ C2 = 2 μF
अब बिन्दु P व N के मध्य संधारित्र C’ तथा C” परस्पर समान्तर संयोजन में हैं अतः तुल्यधारिता
C = \( \frac{1}{2}\) μF + 1 μF = \(\frac{3}{2}\) μF होगी।
(ब) बिन्दु a व b के मध्य स्विच S बन्द (on) होने पर ये बिन्दु समान विभव पर होंगे इसलिए संयोजन के दोनों खण्ड परस्पर श्रेणी क्रम में हो जायेंगे जिनमें प्रत्येक खण्ड की धारिता होगी-
Ct = Ctt = Ct + Ctt = 1 + 2 = 3 μF

प्रश्न 11.
एक समान्तर पट्ट वायु संधारित्र की धारिता 8 μF है। इसकी प्लेटों के बीच की दूरी आध् कर दी जाती है तथा प्लेटों के बीच का स्थान 5 परावैद्युतांक वाले माध्यम से भर दिया जाता है। दूसरी स्थिति में संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
हल-समान्तर पट्ट वायु संधारित्र की धारिता
C = \(\frac{\epsilon_0 A}{\mathrm{~d}}\) = 8 μF (दिया है,)
प्लेटों के बीच की दूरी आधी अर्थात् d/2 करने पर तथा प्लेटों के बीच का स्थान K = 5 परावैद्युतांक वाले माध्यम से भरने पर संधारित्र की धारिता
Cm = \(\mathrm{K}\left(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d} / 2}\right)=2 \mathrm{~K}\left(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}}\right)\)
इसलिए Cm = 2K × C
मान रखने पर Cm = 2 × 5 × 8 μF = 80 μF

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 12.
एक समान्तर पट्ट संधारित्र की दोनों प्लेटों के बीच की दूरी 4 मिमी. है। 3 पराव्द्युतांक वाली 3 मिमी. मोटी एक परावैद्युत पट्टी प्लेटों के बीच प्लेटों के समान्तर रख दी जाती है। प्लेटों के बीच की दूरी इस प्रकार व्यवस्थित की जाती है कि संधारित्र की धारिता प्रारम्भिक धारिता की 2/3 हो जाती है। प्लेटों के बीच नई दूरी क्या है?
हल-दिया गया है-प्रारम्भिक संधारित्र की धारिता का सूत्र,
C = \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}}\)
यदि प्लेटों के बीच परावैद्युत रखने पर, इनके बीच नई दूरी d1 हो तो प्रश्नानुसार, संधारित्र की नई धारिता = \(\left(\frac{2}{3}\right)\) बिना परावैद्युत संधारित्र की प्रारम्भिक धारिता
परावैद्युत पट्टी रखने के उपरान्त धारिता का सूत्र
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 44

प्रश्न 13.
C धारिता वाले अनेक संधारित्र चित्र में दर्शाये अनुसार अनन्त संख्या में संयोजित हैं। बिन्दु A व B के मध्य कुल धारिता का मान ज्ञात कीजिए।
हल-चूँकि श्रेणी अनन्त लम्बाई की है, अतः बिन्दुओं P व a के दाहिनी ओर की श्रेणी की धारिता का मान उतना ही होगा जो श्रेणी के बिन्दुओं A व B के दाहिनी ओर है। यदि श्रेणी की तुल्यधारिता C1 हो तो दिये गये चित्र के संयोजन को नीचे दिये गये चित्र द्वारा प्रतिस्थापित
कर सकते हैं। इस प्रकार A व B के मध्य तुल्यधारिता \(\left[\mathrm{C}+\frac{\mathrm{CC}_1}{\mathrm{C}+\mathrm{C}_1}\right]\)
होगी। परन्तु धारिता का यह मान मूल श्रेणी की तुल्यधारिता C1 के ही बराबर है। अतः
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 45

प्रश्न 14.
एक गोलाकार संधारित्र के गोलों के बीच भरे माध्यम का परावैद्युतांक 7 है। इसके गोलों की त्रिज्यायें क्रमशः 50 सेमी. तथा 60 सेमी. हैं। संधारित्र की धारिता का मान ज्ञात कीजिए।
हल-गोलीय संधारित्र के आन्तरिक गोले की त्रिज्या a = 50 सेमी. = 0.50 मीटर, बाह्य गोले की त्रिज्या b = 60 सेमी. = 0.60 मीटर तथा दोनों गोलों के बीच माध्यम का परावैद्युतांक K = 7 इसलिए गोलीय संधारित्र की धारिता
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प्रश्न 15.
समान्तर पट्ट वायु संधारित्र की धारिता 10 μF है। इस संधारित्र को चित्र के अनुसार दो बराबर भागों में विभाजित करके \(\epsilon_{r_1}=2\) तथा \(\epsilon_{\boldsymbol{r}_2}=4\) परावैद्युतांक वाले माध्यम से भर दिया जाता है। इस निकाय की धारिता का मान ज्ञात कीजिए।
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हल-यहाँ पर प्रत्येक भाग को एक संधारित्र के तुल्य लिया जा सकता है। दोनों संधारित्रों की ऊपर वाली प्लेटें बैटरी के धनाग्र से व नीचे की प्लेटें ऋणाग्र से जुड़ी हैं। अतः कल्पित दोनों संधारित्रों को परस्पर समान्तर संयोजन में जुड़ा मानकर प्रथम संधारित्र की धारिता
C1 = द्वितीय संधारित्र की धारिता C2 = \(\frac{\epsilon_{\mathrm{r}_2} \in_0 \mathbf{A} / 2}{\mathrm{~d}}\) अतः संयोजन की कुल धारिता
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प्रश्न 16.
4 सेमी. व 7 सेमी. के दो चालक गोलों पर आवेश की मात्राएँ क्रमशः 500 माइक्रो कूलॉम और 60 माइक्रो कूलॉम हैं। चालकों को परस्पर जोड़ने पर विद्युत स्थितिज ऊर्जा हानि की गणना कीजिए।
हल-निकाय की कुल प्रारम्भिक विद्युत ऊर्जा
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प्रश्न 17.
दो समान आवेश घनत्व वाले चालकों A तथा B की त्रिज्याएँ क्रमशः R1 व R2 (R1 >R2) हैं। चालकों को नगण्य धारिता के चालक तार से जोड़ा जाता है तो ज्ञात कीजिए-
(अ) आवेश किस चालक से किसकी ओर प्रवाहित होगा?
(ब) आवेश पुनर्वितरण के पश्चात् चालकों पर आवेश का अनुपात क्या होगा?
हल-(अ) यदि आवेश पुनर्वितरण से पूर्व चालकों A व B पर
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समीकरण (iii) से \(\frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}\) का मान रखने पर
यहाँ R1 > R2 है, अतः गोले A पर विभव का मान (V1) गोले B पर विभव के मान (V2) से अधिक होगा। अतः आवेश; उच्चविभव के चालक A से निम्न विभव के चालक B की ओर प्रवाहित होगा।
(ब) आवेश पुनर्वितरण के पश्चात् गोलों पर आवेश की मात्राओं का अनुपात उनकी धारिताओं के अनुपात के तुल्य होगा। अर्थात
\(\frac{Q_1}{Q_2}=\frac{C_1}{C_2}=\frac{4 \pi \epsilon_0 R_1}{4 \pi \epsilon_0 R_2}=\frac{R_1}{R_2}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 18.
एक अनावेशित संधारित्र को बैटरी से जोड़ा जाता है। दर्शाइये कि संधारित्र को आवेशित करने के लिए बैटरी द्वारा प्रयुक्त की गई ऊर्जा का आधा भाग ऊष्मा के रूप में क्षय होता है।
हल-किसी V विद्युत वाहक बल की बैटरी द्वारा C धारिता के संधारित्र को Q आवेश से आवेशित करने के लिए बैटरी द्वारा किये गये कार्य का मान W = QV होगा।
वस्तुतः यह कार्य बैटरी द्वारा संधारित्र को आवेशित करने की प्रक्रिया में खर्च की गई ऊर्जा है। इसमें जो ऊर्जा संधारित्र में संचित ऊर्जा के तुल्य होगी, वह है U = \(\frac{1}{2}\)CV2 = \(\frac{1}{2}\)QV
तथा शेष ऊर्जा = QV – \(\frac{1}{2}\)QV = \(\frac{1}{2}\)QV जो ऊष्मा के रूप में क्षय हो जायेगी। अतः बैटरी द्वारा आवेशन प्रक्रिया में खर्च की गई ऊर्जा का आधा भाग ऊष्मा के ऊर्जा के रूप में क्षय होता है।

प्रश्न 19.
समान धारिता की दो संधारित्र चित्रानुसार (चित्र) एक बैटरी से जुड़ी हुई हैं। स्विच S प्रारम्भ में बन्द अवस्था में है। अब स्विच S को खुला कर संधारित्र की प्लेटों के मध्य ∈r = 3 परावैद्युतांक के पदार्थ को भरा जाता है। परावैद्युत पदार्थ को रखने से पूर्व व उसके पश्चात् संधारित्रों में संग्रहित विद्युत ऊर्जा के मानों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 51
हल-प्रारम्भ में स्विच S बन्द होने पर दोनों संधारित्रों के समान्तर क्रम में जुड़े होने के कारण, ये दोनों समान विभव V पर होंगे।
अर्थात् = Ui = \(\frac{1}{2}\)C1V2
= \(\frac{1}{2}\)(C1 + C2) V2 = CV2 ………..(i)
जब स्विच S को खुला रखकर संधारित्र की प्लेटों के मध्य परावैद्युत पदार्थ रखा जाता है तब प्रत्येक संधारित्र की धारिता ∈r गुणा हो जायेगी और चूँकि संधारित्र A अब भी बैटरी से जुड़ा है। अतः इस पर विभवान्तर का मान प्रारम्भिक विभवान्तर के मान V के तुल्य होगा जबकि संधारित्र B पर विभवान्तर का नया मान V’ = [/latex]\frac{\mathrm{V}}{\epsilon_{\mathrm{r}}}[/latex] हो जायेगा एवं आवेश स्थिर रहेगा। अतः इस स्थिति में निकाय की विद्युत ऊर्जा होगी-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 52

प्रश्न 20.
X एवं Y दो समान्तर प्लेट संधारित्र हैं, जिनकी प्लेटों का क्षेत्रफल एवं उनके बीच की दूरी समान है। X की प्लेटों के मध्य वायु है और Y की प्लेटों के मध्य K = 5 परावैद्युतांक वाला परावैद्युत माध्यम है। (चित्र में)
(a) X एवं Y की प्लेटों के मध्य विभवान्तर की गणना कीजिए।
(b) X एवं Y में संचित वैद्युत स्थितिज ऊर्जाओं का अनुपात क्या है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 53
हल-(a) वायु संधारित्र X की धारिता
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 54

प्रश्न 21.
चित्र में दर्शाए अनुसार तीन परिपथों, जिनमें प्रत्येक स्विच S और दो संधारित्र लगे हैं, को प्रारम्भ में आवेशित किया जाता है। स्विच को बन्द करने पर किस परिपथ में बार्यी ओर दिए गए संधारित्र में आवेश
(i) बढ़ेगा,
(ii) घटेगा और
(iii) अपरिवर्तित रहेगा? कारण दीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 55
हल-आवेश संरक्षण के नियम से
माना q1 तथा q2 दो आवेश हैं जो कि संधारित्र के बायीं तरफ तथा दायीं तरफ है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 56
अतः बायें संधारित्र पर आवेश का मान अपरिवर्तित रहता है।
(b) दूसरे परिपथ के लिये
6Q + 3Q = CV + CV
उभयनिष्ठ विभवान्तर, V = \(\frac{9 \mathrm{Q}}{2 \mathrm{C}}\)
स्विच (S) की बन्द करने के बाद बायें संधारित्र पर संधारित्र का मान
q1 = CV
= C × \(\frac{9 \mathrm{Q}}{2 \mathrm{C}}\) = 4.5 Q
इसलिये परिपथ (b) में बायें संधारित्र पर आवेश का मान घटेगा।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 57

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रेरित वि.वा. बल की दिशा ज्ञात की जाती है:
(अ) ऐम्पियर के नियम द्वारा
(ब) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से
(स) फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से
(द) लेन्ज के नियम से
उत्तर:
(द) लेन्ज के नियम से

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 2.
लेन्ज का नियम देता है:
(अ) प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण
(ब) प्रेरित धारा की दिशा
(स) प्रेरित धारा का परिमाण व दिशा दोनों
(द) प्रेरित धारा का परिमाण
उत्तर:
(ब) प्रेरित धारा की दिशा

प्रश्न 3.
लेन्ज का नियम जिस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित होता है, वह है:
(अ) आवेश
(ब) संवेग
(स) द्रव्यमान
(द) ऊर्जा
उत्तर:
(द) ऊर्जा

प्रश्न 4.
एक क्षेत्रीय रेखाचित्र में प्रदर्शित है। यह क्षेत्र प्रदर्शित नहीं करता:
(अ) चुम्बकीय क्षेत्र
(ब) स्थिर-वैद्युत क्षेत्र
(स) प्रेरित विद्युत क्षेत्र
(द) गुरुत्वीय क्षेत्र
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 1
(संकेत-स्थिर-वैद्युत तथा गुरुत्वीय क्षेत्र बन्द लूप नहीं बनाते।)
उत्तर:
(ब) स्थिर-वैद्युत क्षेत्र

प्रश्न 5.
किसी क्षण ‘ t’ पर एक कुण्डली से सम्बन्धित फ्लक्स दिया गया है ¢ = 10t2 – 50t + 250 तो t= 3 ऊपर प्रेरित वि. वा. बल
(अ) 190 V
(ब) -190 V
(स) 10V
(द) 10V
उत्तर:
(स) 10V

प्रश्न 6.
ताँबे के तार की कुण्डली व एक तार AB चित्रानुसार तार में प्रवाहित धारा I का कागज के तल में स्थित है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 2
मान यदि बढ़ रहा हो तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा होगी:
(अ) वामावर्त
(ब) दक्षिणावर्त
(स) प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) दक्षिणावर्त

प्रश्न 7.
संलग्न चित्र में चालक छड़ AB को धारावाही तार MN के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय में धारा के समान्तर दिशा में चलाया जा रहा है। छड़ AB में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा होगी:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 3
(अ) A → B
(ब) B → A
(स) प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) A → B

प्रश्न 8.
संलग्न चित्र में जब कुंजी k को बन्द किया जाता है तो कुण्डली B में प्रेरित धारा की दिशा होगी:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 4
(अ) वामावर्त तथा क्षणिक
(ब) दक्षिणावर्त तथा क्षणिक
(स) वामावर्त तथा लगातार
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) वामावर्त तथा क्षणिक

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से किसके द्वारा अधिकतम वि.वा. बल उत्पन्न होगा:
(अ) 50A dc
(ब) 50A 50Hz ac
(स) 50 A 500 Hz ac
(द) 100 A dc.
उत्तर:
(स) 50 A 500 Hz ac

प्रश्न 10.
एक 2 मीटर लम्बा तार 0.5 वेबर/ मी2 के चुम्बकीय क्षेत्र लम्बवत 1 मीटर / से. के वेग से के गतिमान है। उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) 0.5 वोल्ट
(ब) 2 वोल्ट
(स) 0.1 वोल्ट
(द) 1 वोल्ट
उत्तर:
(द) 1 वोल्ट

प्रश्न 11.
L भुजा व R प्रतिरोध का वर्गाकार चालक लूप अपनी एक भुजा के लम्बवत एकसमान वेग से अपने तल में गति कर रहा है, जहाँ चुम्बकीय प्रेरण B है जो आकाश व समय में नियत है तथा लूप के तल के लम्बवत अन्दर की ओर है लूप में प्रेरित धारा है:
(अ) \(\frac{\mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) दक्षिणावर्त
(ब) \(\frac{\mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) वामावर्त
(स) \(\frac{2 \mathrm{BL} v}{\mathrm{R}}\) वामावर्त
(द) शून्य
उत्तर:
(द) शून्य

प्रश्न 12.
एक ताँबे की वलय को क्षैतिज रखा जाता है तथा एक छड़ चुम्बक को वलय की अक्ष की दिशा में गिराया जाता है। गिरते हुए चुम्बक का त्वरण होगा:
(अ) गुरुत्वीय त्वरण के बराबर
(ब) गुरुत्वीय त्वरण से कम
(स) गुरुत्वीय त्वरण से अधिक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) गुरुत्वीय त्वरण से कम

प्रश्न 13.
चित्रानुसार एक चालक छड़ AB नियत वेग v से एकसमान चुम्बकीय नियत वेग क्षेत्र में गतिशील है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 5
(अ) छड़ विद्युत आवेशित हो जायेगी
(ब) छड़ जूल ऊष्मा के कारण गर्म हो जायेगी
(स) छड़ का सिरा A धनावेशित होगा
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) छड़ का सिरा A धनावेशित होगा

प्रश्न 14.
एक चालक लूप को एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाता है कि इसका तल चुम्बकीय क्षेत्र के प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होगा यदि:
(अ) लूप की क्षेत्र में गति स्थानान्तरीय हो
(ब) लूप अपनी अक्ष पर घूर्णन करे
(स) लूप अपने व्यास के सापेक्ष घूर्णन करे
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) लूप अपने व्यास के सापेक्ष घूर्णन करे

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 15.
चित्रानुसार एक चालक तार AB (लम्बाई l) दो समान्तर पटरियों P तथा Q पर वेग से गतिशील है। पटरियों के तल के लम्बवत् नीचे की ओर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया लम्बवत् है, लूप में
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 6
गया है। छड़ का वेग नियत बनाये रखने के लिए आवश्यक बल का मान होगा:
(अ) शून्य
(ब) I/B
(स) I/B sin θ
(द) इनमें से
उत्तर:
(अ) शून्य

प्रश्न 16.
निम्न में से किसकी विमा [M1 L2T-3 A-1] नहीं है:
(अ) \(\int \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{d} l}\)
(ब) VBl
(स) \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\)
(द) \(\phi_{\mathrm{B}}\)
उत्तर:
(द) \(\phi_{\mathrm{B}}\)

प्रश्न 17.
दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान 2.5 H है। यदि एक कुण्डली में धारा का मान 1 A/s की दर से परिवर्तित होता हो तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान होगा-
(अ) 2.5 mV
(ब) 2.5 V
(स) 2.5 m
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) 2.5 V

प्रश्न 18.
संलग्न चित्र में तार AB में एक नियत मान की धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली A में प्रवाहित प्रेरित धारा की दिशा होगी:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 7
(अ) वामावर्त
(ब) दक्षिणावर्त
(स) प्रेरित धारा प्रवाहित नहीं होगी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) प्रेरित धारा प्रवाहित नहीं होगी

प्रश्न 19.
प्रेरकत्व का कौन-सा मात्रक त्रुटिपूर्ण है:
(अ) \(\frac{\mathrm{Wb}}{\mathrm{A}}\)
(ब) \(\frac{V-s}{A^2}\)
(स) \(\frac{\mathrm{J}}{\mathrm{A}^2}\)
(द) Ω – s
उत्तर:
(ब) \(\frac{V-s}{A^2}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 20.
संलग्न चित्र में एक इलेक्ट्रॉन A से B की ओर गतिशील हो तो लूप में प्रेरित धारा की दिशा होगी-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 8
(अ) पहले वामावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् दक्षिणावर्त
(ब) पहले दक्षिणावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् वामावर्त
(स) वामावर्त
(द) दक्षिणावर्त
उत्तर:
(अ) पहले वामावर्त तथा C को पार करने के पश्चात् दक्षिणावर्त

प्रश्न 21.
5 ओम प्रतिरोध वाले बन्द परिपथ से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का तात्क्षणिक मान निम्न सम्बन्ध से व्यक्त किया जाता है:
¢B = 6t2 – 5t + 1
तो t = 0.25 सेकण्ड पर परिपथ में प्रेरित धारा का मान ऐम्पियर में होगा:
(अ) 2.4
(ब) 1.6
(स) 0.4
(द) 1.2
उत्तर:
(स) 0.4

प्रश्न 22.
दो कुण्डलियों को एक-दूसरे निकट रखा है, तो कुण्डली के युग्म का अन्योन्य प्रेरण गुणांक निर्भर करता है:
(अ) दोनों कुण्डलियों में धारा परिवर्तन की दर
(ब) दोनों कुण्डलियों की आपेक्षिक स्थिति पर
(स) दोनों कुण्डलियों के तारों के पदार्थ पर
(द) दोनों कुण्डलियों में धारा पर
उत्तर:
(ब) दोनों कुण्डलियों की आपेक्षिक स्थिति पर

प्रश्न 23.
l लम्बाई की धातु की छड़ को चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रखकर f आवृत्ति से वृत्ताकार पथ पर घूर्णन कराने पर छड़ के किनारों के बीच विभवान्तर होगा:
(अ) \(\frac{B}{f}\)
(ब) \(\frac{\pi l^2 \mathrm{~B}}{\mathrm{f}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{B} l}{\mathrm{f}}\)
(द) πl2Bf
उत्तर:
(द) πl2Bf

प्रश्न 24.
स्वप्रेरण गुणांक की विमा होती है:
(अ) ML2T-3A-2
(ब) M2LT-2A-2
(स) M0L2T-3 A-2
(द) ML2T-2A-2
उत्तर:
(द) ML2T-2A-2

प्रश्न 25.
समीपवर्ती दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व 4.0 H (हेनरी) है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा 5 ऐम्पियर से 102 सैकण्ड में शून्य हो जाती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान होगा:
(अ) 0.20 वोल्ट
(ब) – 2000 वोल्ट
(स) 2000 वोल्ट
(द) -0.20 वोल्ट
उत्तर:
(ब) – 2000 वोल्ट

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 26.
l भुजा का एक वर्गाकार लूप समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् नियत वेग से चलाया जाता है। प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) VBI
(ब) \(\frac{\mathrm{B} l}{\mathrm{v}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{v} l}{\mathrm{B}}\)
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) VBI

प्रश्न 27.
चुम्बकीय ध्रुवों के बीच एक आयताकार कुण्डली समान कोणीय वेग से घूर्णन गति कर रही है, तो कुण्डली में से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स व प्रेरित विद्युत वाहक बल (e) का समय (t) के साथ परिवर्तन का सही ग्राफ है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 9
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 10

प्रश्न 28.
भँवर धाराओं का प्रयोग निम्नलिखित में से किसमें नहीं होता है:
(अ) चल कुण्डल धारामापी
(ब) विद्युत ब्रेक
(स) प्रेरण मोटर
(द) डायनामो
उत्तर:
(द) डायनामो

प्रश्न 29.
विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है
(अ) विद्युत मोटर से
(ब) विद्युत इस्तरी से
(स) विद्युत जनित्र से
(द) सीसा संचायक सेल से
उत्तर:
(अ) विद्युत मोटर से

प्रश्न 30.
लम्बाई L की एक तांबे की छड़ एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B में कोणीय वेग से घुमाई जाती है। घूर्णन अक्ष B के समानान्तर व छड़ के एक सिरे से पारित है। छड़ के सिरों के मध्य उत्पन्न वि. वा. बल होगा:
(अ) BπL2
(ब) 1⁄2- BoL2
(स) 1⁄2-BOL
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) 1⁄2- BoL2

प्रश्न 31.
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व M है। यदि पहली कुण्डली मेंt समय में धारा के मान में परिवर्तन I हो तो दूसरी कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा:
(अ) MIt
(ब) \(\frac{\mathrm{MI}}{\mathrm{t}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{Mt}}{\mathrm{I}}\)
(द) \(\frac{\mathrm{i}}{\mathrm{MIt}}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{\mathrm{MI}}{\mathrm{t}}\)

प्रश्न 32.
एक प्रेरण कुण्डली में जब धारा 1 मिली. सेकण्ड में 3 ऐम्पियर से 2 ऐम्पियर तक परिवर्तित होती है तो उसमें 5 वोल्ट का विद्युत वाष्प है। कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व होगा:
(अ) शून्य
(ब) 5 मिली. हेनरी
(स) 5 किलो हेनरी
(द) 5 हेनरी
उत्तर:
(ब) 5 मिली. हेनरी

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 33.
किसी कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व कम होगा, जबकि:
(अ) कुण्डली में प्रवाहित धारा कम हो
(ब) चुम्बकीय क्षेत्र बहुत दुर्बल हो
(स) कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश हो
(द) कुण्डली को प्रतिचुम्बकीय पदार्थ पर लपेटा जाये
उत्तर:
(द) कुण्डली को प्रतिचुम्बकीय पदार्थ पर लपेटा जाये

प्रश्न 34.
ट्रान्सफॉर्मर किस सिद्धान्त पर आधारित है:
(अ) चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर
(ब) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर
(स) स्वप्रेरण के सिद्धान्त पर
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 35.
यदि एक कुण्डली में तात्कालिक चुम्बकीय फ्लक्स का मान BA cosωt हो, तो उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:
(अ) sinωt
(ब) B ω/A sinωt
(स) BA sin ωt
(द) BA cos ωt
उत्तर:
(स) BA sin ωt

प्रश्न 36.
किसी पदार्थ में भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं जब उसे:
(अ) गर्म किया जाता है
(ब) विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है
(स) एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है
(द) समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है।
उत्तर:
(द) समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
जब किसी कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो क्या सदैव प्रेरित (i) विद्युत वाहक बल (ii) धारा उत्पन्न होती है?
उत्तर:
प्रेरित विद्युत वाहक बल सदैव उत्पन्न होता है, लेकिन प्रेरित विद्युत धारा तब ही उत्पन्न होती है जब कुण्डली का परिपथ बन्द होगा।

प्रश्न 2.
चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक और विमा सूत्र लिखिये।
उत्तर:
SI मात्रक वेबर और विमा सूत्र = ML2T-2A-1

प्रश्न 3.
किसी कुण्डली में प्रेरित धारा किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
यह निम्न बातों पर निर्भर करती है:
(i) कुण्डली में फेरों की संख्या,
(ii) कुण्डली का प्रतिरोध,
(iii) कुण्डली में फ्लक्स परिवर्तन की दर।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 4.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखी किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
जब कोई कुण्डली किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखी जाती है, तो उससे संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
∵ ΦB = NBA cos θ
(i) कुण्ड के तल के क्षेत्रफल A पर
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B पर
(iii) कुण्डली की अक्ष द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से बनाये गये कोण 6 पर
(iv) N फेरों की संख्या।

प्रश्न 5.
यदि किसी लूप का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर रखा गया हो तो लूप से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य चूँकि ΦB = BdA cos 90° = 0

प्रश्न 6.
किसी कुण्डली में संग्रहित ऊर्जा का क्या रूप होता है?
उत्तर:
चुम्बकीय ऊर्जा।

प्रश्न 7.
क्या किसी कुण्डली में प्रेरित वि.वा. बल का मान परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर करता है?
उत्तर:
नहीं। (चूँकि प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान सिर्फ चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर पर निर्भर करता है। )

प्रश्न 8.
लेंज का नियम किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित होता है?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण

प्रश्न 9.
प्रेरित वि. वा. बल की दिशा किस नियम से ज्ञात की जाती है?
उत्तर:
लेंज के नियम से।

प्रश्न 10.
किसी धातु को परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्या भँवर धारायें उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
हाँ, भँवर धारायें उत्पन्न होंगी।

प्रश्न 11.
किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व या स्वप्रेरण गुणांक 1 H है। इससे आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ε = -Ldl/dt
यहाँ पर L = 1 है।
∵ ε = -Ldl/dt
अर्थात् 1 ऐम्पियर / से की दर से धारा परिवर्तन होने पर । वोल्ट का विद्युत वाहक बल प्रेरित होगा।

प्रश्न 12.
दो एकसमान समाक्षीय वृत्ताकार कुण्डलियों में समान धारायें एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। यदि दोनों कुण्डलियों को एक-दूसरे की ओर लाया जाये तो धाराओं में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
प्रत्येक कुण्डली में धारा घटेगी (लेंज के नियम से)।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 13.
एक धातु का सिक्का तथा एक अधातु का सिक्का एक ही ऊँचाई से पृथ्वी तल के समीप छोड़े गये हैं। कौन-सा पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा?
उत्तर:
गिरते हुए धातु के सिक्के में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण उत्पन्न भंवर धारायें टुकड़े की गति का विरोध करती हैं। अतः धातु का टुकड़ा (गुरुत्वीय त्वरण के सापेक्ष) कम त्वरण से गिरता है. परन्तु अधातु के टुकड़े में भँवर धारायें नहीं होंगी, अतः वह गुरुत्वीय त्वरण से गिरता है अतः अधातु का सिक्का पृथ्वी पर पहले पहुँचेगा।

प्रश्न 14.
एक ऋजुरेखीय चालक तार में विद्युत वाहक बल के एक स्रोत के कारण एक नियत धारा बायीं से दायीं ओर बह रही है। जब स्रोत का स्विच बन्द कर देते हैं, तो तार में प्रेरित धारा की दिशा होगी-
उत्तर:
बायीं से दायीं ओर (स्विच बन्द करने पर उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल की दिशा वही होती है जिस दिशा में धारा बहती है)।

प्रश्न 15.
प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त प्रतिरोध तार दुहरा मोड़ कर कुण्डली के रूप में लगाये जाते हैं क्यों?
उत्तर:
स्वप्रेरण प्रभाव के निराकरण के लिये।

प्रश्न 16.
जब किसी कुण्डली के पास छड़ चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लाया जाता है तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी ? कारण सहित समझाओ।
उत्तर:
दक्षिणावर्त होगी, क्योंकि इससे कुण्डली के सिरों पर दक्षिण ध्रुव बनेगा जो लेंज के नियम के अनुसार चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव के आगे बढ़ने की गति का विरोध करेगा।

प्रश्न 17.
ट्रान्सफॉर्मर, डायनेमो इत्यादि की क्रोड पटलित क्यों होती है?
उत्तर:
क्रोड में भंवर धाराओं के कारण ऊर्जा का हास कम हो जाता है।

प्रश्न 18.
यदि किसी प्रेरकत्व में धारा का मान दुगुना कर दिया जाता है तो संग्रहित ऊर्जा कितने गुना हो जायेगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि किसी कुण्डली में संग्रहित चुम्बकीय ऊर्जा
U = \(\frac{1}{2}\) LI2θ
यदि धारा का मान दुगुना करने पर
U = \(\frac{1}{2}\) LI2I0 = 4 x \(\frac{1}{2}\) LI2
U’= 4U
अतः संग्रहित ऊर्जा का मान चार गुना होगा।

प्रश्न 19.
धारामापी के क्रोड में भँवर धाराओं के प्रभाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है?
उत्तर:
क्रोड को पटलित लेकर।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 20.
क्या कारण है कि दोलन करती हुई चुम्बकीय सूई के ठीक नीचे ताँबे की प्लेट रखने पर चुम्बकीय सूई शीघ्रता से रुक जाती है, जबकि काँच की प्लेट नीचे रखने पर चुम्बकीय सूई नहीं रुकती है?
उत्तर:
इसका मुख्य कारण यह है कि ताँबे की प्लेट में भँवर धारायें प्रेरित होती हैं जो चुम्बकीय सूई के दोलनों का विरोध करती हैं, जबकि काँच की प्लेट में भँवर धारायें उत्पन्न नहीं होती हैं।

प्रश्न 21.
एक कुण्डली के मध्य में लोहे का क्रोड लगाने की स्थिति में उसके स्वप्रेरकत्व के मान पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
स्वप्रेरकत्व का मान बढ़ जायेगा।

प्रश्न 22.
तीन कारकों (factors) के नाम लिखिये जिन पर किसी कुण्डली का स्व-प्रेरण गुणांक निर्भर करता है।
उत्तर:
(i) कुण्डली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल,
(ii) कुण्डली में फेरों की संख्या,
(iii) कुण्डली के अन्दर रखी क्रोड की चुम्बकशीलता।

प्रश्न 23.
स्व-प्रेरकत्व पर क्रोड का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बढ़ जाता है।

प्रश्न 24.
भँवर धाराओं का कोई एक उपयोग लिखिये।
उत्तर:
रुद्ध दोलन (dead beat ) चल कुण्डली धारामापी।

प्रश्न 25.
स्व-प्रेरण को विद्युत का जड़त्व क्यों कहते हैं?
उत्तर:
स्व-प्रेरण किसी कुण्डली का वह गुण है जिसके कारण यह इसके बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहती है अर्थात् फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करती है। यह गुण यान्त्रिकी में जड़त्व के अनुरूप है अतः स्व-प्रेरण को विद्युत का जड़त्व कहते हैं।

प्रश्न 26.
दो कुण्डलियों को किस प्रकार लपेटना चाहिये कि प्रेरित वि. वा. बल का मान अधिकतम हो।
उत्तर:
एक कुण्डली के ऊपर दूसरी कुण्डली को लपेट लेना चाहिये जिससे प्रेरित वि.वा. बल अधिकतम हो जायेगा।

प्रश्न 27.
क्या रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति के द्वारा रेलगाड़ी की धुरी में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल का मापन सम्भव है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि यात्री के सापेक्ष गाड़ी स्थिर है। = 0 होने से प्रेरित वि. वा. बल शून्य होगा।

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प्रश्न 28.
यदि किसी चालक को चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गतिशील किया जाये तो क्या इसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होगी?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि इस स्थिति में चालक से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स का मान नहीं बदलता है।

प्रश्न 29.
किसी कुण्डली के स्व-प्रेरकत्व गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर:
L = \(\frac{\mu_0 \pi \mathrm{N}^2 \mathrm{R}}{2}\) हेनरी

प्रश्न 30.
वोल्ट सेकण्ड किस भौतिक राशि का मात्रक है? समझाइये
उत्तर:
ε = \(\frac{\Delta \phi}{\Delta t}\)
से ∆Φ = ε x At
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक = प्रेरित विद्युत वाहक बल ६ का मात्रक x समय का मात्रक = वोल्ट सेकण्ड

प्रश्न 31.
फैराडे का वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम लिखिए।
उत्तर:
फैराडे ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना पर आधारित दो महत्त्वपूर्ण नियम दिये:
I. फैराडे का प्रथम नियम – “इस नियम के अनुसार जब किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है तो कुण्डली में प्रेरित वि.वा. बल तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।” उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल तब तक ही उत्पन्न होता है जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।
II. फैराडे का द्वितीय नियम- इस नियम के अनुसार कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।”

प्रश्न 32.
निम्न चित्र में दो कुंडली AB व CD के बीच एक छड़ चुम्बक NS को तीर की दिशा में चलाने पर किस कुंडली में प्रेरित धारा बायीं ओर से देखने पर वामावर्ती होगी?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 11
उत्तर:
AB ↑↓ वामावर्त्त।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ा दी जाये?
(ii) कुण्डली के तल का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाये?
(iii) कुण्डली के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ा दी जाये?
उत्तर:
(i) चुम्बकीय फ्लक्स पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि चुम्बकीय फ्लक्स फेरों की संख्या पर निर्भर नहीं करता है।
(ii) चुम्बकीय फ्लक्स का मान बढ़ जायेगा क्योंकि
(iii) चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ जायेगा
Φ α A
Φ α B

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प्रश्न 2.
किसी कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित आवेश तथा प्रेरित धारा संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन तेजी पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब इससे से किया जाये अथवा धीरे-धीरे किया जाये?
उत्तर:
प्रेरित आवेश
q = \(\frac{\mathrm{N} \Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{R}}\)
तथा प्रेरित धारा I = \(\frac{N \Delta \phi_B}{\mathrm{R} \Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{N\left(\Delta \phi_{\mathrm{B}} / \Delta t\right)}{\mathrm{R}}\)
इन सूत्रों से स्पष्ट है कि प्रेरित आवेश केवल कुल फ्लक्स- परिवर्तन ∆ΦB पर निर्भर करता है, जबकि प्रेरित धारा फ्लक्स परिवर्तन की दर \(\left(\Delta \phi_{\mathrm{B}} / \Delta \mathrm{t}\right)\) पर निर्भर करती है अतः पलक्स परिवर्तन तेजी से अथवा धीरे से करने पर प्रेरित आवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि धारा बदल जायेगी। फ्लक्स तेजी से करने पर धारा बढ़ेगी तथा धीरे से करने पर धारा घटेगी।

प्रश्न 3.
फैराडे एवं हेनरी के प्रयोग संख्या दो में विचार करके बताइए:
(a) धारामापी में अधिक विक्षेप प्राप्त करने के लिए आप क्या करेंगे?
(b) धारामापी की अनुपस्थिति में आप प्रेरित धारा की उपस्थिति किस प्रकार दर्शाएँगे?
उत्तर:
(a) अधिक विक्षेप प्राप्त करने के लिए निम्न में से एक या अधिक उपाय किए जा सकते हैं-
(i) कुण्डली C2 के अन्दर नर्म लोहे की छड़ का उपयोग करेंगे,
(ii) कुण्डली को एक उच्च शक्ति की बैटरी से जोड़ेंगे,
(iii) परीक्षण कुण्डली C1 की ओर संयोजन को अधिक तेजी से ले जाएंगे।
(b) धारामापी को टॉर्च में उपयोग किए जाने वाले छोटे बल्ब से बदल देंगे। दोनों कुण्डलियों के बीच सापेक्ष गति से बल्ब क्षणिक अवधि के लिए चमकेगा जो प्रेरित धारा के उत्पन्न होने का द्योतक है।

प्रश्न 4.
लेन्ज के नियम में ऋणात्मक चिन्ह का क्या अर्थ है?
उत्तर:
लेन्ज का नियम: “विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत वा बल एवं धारा की दिशा सदैव इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है, जिससे उसकी उत्पत्ति हुई है।” फैराडे एवं लेंज के नियम से परिपथ में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा
ε α – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
ε = – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
यहाँ पर K एक समानुपाती स्थिरांक है जिसका मान होता है। ऋण चिन्ह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित वि.वा. बल सदैव फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है।

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प्रश्न 5.
एक आयताकार लूप तथा एक वृत्ताकार लूप एक समरूप (uniform) चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर की ओर नियत वेग से सामने दिये गये चित्र की भाँति गति कर रहे हैं:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 12
चुम्बकीय क्षेत्र लूपों के तल के लम्बवत् है। समझाइए कि चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर निकलते हुए किस लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल नियत रहेगा?
उत्तर:
आयताकार लूप को चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर नियत वेग v से गति कराते समय इसके क्षेत्रफल परिवर्तन की दर \(\frac{\mathrm{dA}}{\mathrm{dt}}\) नियत
होगी जबकि यह वृत्ताकार लूप के लिये नियत नहीं रहेगी, अतः सूत्र
∈ = – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
= \(\frac{-\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (BA)
= – B \(\left(\frac{\mathrm{dA}}{\mathrm{dt}}\right)\)
के आधार पर नियत B के लिये आयताकार लूप में प्रेरित विद्युत बल नियत रहेगा।

प्रश्न 6.
एक संधारित्र C के आर-पार जुड़े एक धात्विक लूप की ओर दो दण्ड चुम्बक तेजी से चित्र की भाँति गति कराये जाते हैं। संधारित्र की धुवता बताइए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 13
उत्तर:
लूप का चुम्बक (1) के N ध्रुव की ओर वाला तल N ध्रुव की भाँति तथा चुम्बक (2) के S ध्रुव की ओर वाला तल S ध्रुव की भाँति व्यवहार करना चाहिए जिससे कि लेन्ज के नियमानुसार लूप में प्रेरित धारा चुम्बकों की इसकी ओर गति का विरोध प्रतिकर्षण बल लगाकर कर सके।
अतः चुम्बक (1) की ओर से देखने पर लूप में धारा A से B की ओर (वामावर्त) प्रवाहित होनी चाहिए तथा चुम्बक (2) की ओर से देखने पर धारा दक्षिणावर्त प्रवाहित होगी। अतः संधारित्र C की A प्लेट B प्लेट की अपेक्षा धनात्मक विभव पर होगी। इसलिए A धनात्मक तथा B ऋणात्मक विभव पर होंगे।

प्रश्न 7.
सामने दिये गये चित्र में दो कुण्डलियाँ P Q प्रदर्शित हैं। कुण्डली Q में क्षणिक प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी जबकि (i) स्विच K को बन्द किया जाता है। (ii) स्विच
K को कुछ देर बाद पुनः खोला जाता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 14
उत्तर:
(i) वामावर्त (ii) दक्षिणावर्त।

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प्रश्न 8.
एक साइकिल में लगा लैम्प, डायनेमो से जलता है। साइकिल को तेज चलाने पर लैम्प तेज प्रकाश से जलता है तथा धीरे चलाने पर धीमे प्रकाश से जलता है, क्यों?
उत्तर:
डायनेमो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। साइकिल को तेज चलाने से डायनेमो में चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर \(\left(\frac{\Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\Delta t}\right)\) बढ़ जाती है ε α \(\left(\frac{\Delta \phi_{\mathrm{B}}}{\Delta t}\right)\) जिससे प्रेरित वि. वा. बल का मान बढ़ जाता अतः बल्ब तेज प्रकाश से जलता है।
(डायनेमो में प्रेरित विद्युत वाहक बल का सूत्र e = (NBAω) sin ωt है। साइकिल तेज चलने से ७ का मान बढ़ता है तथा धीमे चलने से 60 का मान कम होता है ।)

प्रश्न 9.
चित्र त्रिज्या के वृत्ताकार लूप KLMN में प्रेरित धारा का परिमाण क्या होगा यदि सीधे तार PQ में 1 ऐम्पियर परिमाण की स्थायी धारा प्रवाहित की जाती है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 15
उत्तर:
शून्य, क्योंकि PQ में धारा स्थायी होने से इसके निकट रखे लूप से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में कोई परिवर्तन नहीं होगा अतः कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी।

प्रश्न 10.
संलग्न चित्र में वृद्धि हो प्रदर्शित तार xy में x से y की ओर वैद्युत धारा के परिमाण में रही है। तार के समीप रखे लूप में क्या कोई धारा प्रेरित होगी?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 16
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होगी। दायें हाथ के अँगूठे के नियमानुसार तार xy में धारा के कारण लूप से गुजरने वाला चुम्बकीय क्षेत्र लूप के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगा और लेंज के नियमानुसार लूप में धारा की दिशा ऐसी होगी जो इस क्षेत्र में धारा को बढ़ने (अर्थात् तार xy में धारा के बढ़ने का विरोध करे।

प्रश्न 11.
चुम्बकीय फ्लक्स Φ तथा वैद्युत धारा I के बीच ग्राफ दो प्रेरकों (Inductors) A तथा B के लिए चित्र में दिये गये हैं। किसके लिए स्व-प्रेरकत्व का मान अधिक होगा?
उत्तर:
चूँकि ¢ = LI⇒ L = ¢/I
तथा ¢ = LI ⇒ ó ∝ I, अतः तथा
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 17
I के बीच ग्राफ सरल रेखा है तथा इसका ढाल 0/1 प्रेरक के स्व- प्रेरकत्व को प्रदर्शित करेगा। चूँकि A के लिए B की अपेक्षा ग्राफ का ढाल अधिक है। अतः A का स्व-प्रेरकत्व अधिक होगा।

प्रश्न 12.
भँवर धाराओं के कोई दो अनुप्रयोग समझाइए।
उत्तर:
भँवर धाराओं के दो अनुप्रयोग:
(1) अवमंदन में भँवर धाराओं के उपयोग से चल कुण्डली धारामापी को रुद्ध दोल बना दिया जाता है। ऐसा करने के लिए चल- कुण्डली धारामापी की कुण्डली को हल्की धातु (जैसे ऐलुमिनियम) की क्रोड पर लपेटा जाता है। जब कुण्डली स्थायी चुम्बक के क्षेत्र में घूमती है तो कुण्डली की क्रोड में भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं ये भँवर धारायें लेंज के नियम का पालन करते हुए कुण्डली की घूर्णन गति का विरोध करती हैं जिससे कुण्डली शीघ्र ही विरामावस्था प्राप्त कर लेती है।
(2) प्रेरण भट्टी में प्रेरण भट्टी में जिस धातु को गरम करना या पिघलाना होता है, उसे तीव्र गति से परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में क्रूसिबल में रख दिया जाता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा से उत्पन्न किया जाता है। इस विधि से जो भँवर धारायें उत्पन्न होती हैं. उनसे धातु इतनी गरम हो जाती है कि वह पिघल जाये। यह विधि अयस्क में से धातु निष्कर्षण के लिए काम में ली जाती है।

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प्रश्न 13.
L1 व L2 स्वप्रेरकत्व वाली कुण्डलियों के मध्य महत्तम अन्योन्य प्रेरकत्व क्या होगा ?
उत्तर:
जब एक कुण्डली पर दूसरी कुण्डली को लपेटा जाता है। तो दोनों कुण्डलियों के पूर्ण रूप से युग्मित होने के कारण अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान अधिकतम होता है। फलस्वरूप प्रेरित वि. वा. बल का मान भी अधिकतम होता है। जब दोनों कुण्डलियों को किसी अन्य प्रकार से लपेटने पर अन्योन्य प्रेरण गुणांक व प्रेरित वि.वा. बल अधिकतम नहीं हो पाते क्योंकि दोनों कुण्डलियों में फ्लक्स की सम्बद्धता पूर्ण रूप से नहीं होती है। दो कुण्डली जिनके प्रेरकत्व L1 तथा L2 हैं और उनका अन्योन्य प्रेरण M है। तब L1, L2 और M में सम्बन्ध
M = = K√L1L2
जहाँ K कुण्डलियों
(परिनालिकाओं) का युग्मन गुणांक है। आदर्श स्थिति में K = 1
इसलिये M का अधिकतम मान \(\sqrt{\mathrm{L}_1 \mathrm{~L}_2}\) होगा।

प्रश्न 14.
दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक किन- किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक जिन कारकों पर निर्भर करता है वे हैं:
(i) कुण्डलियों की ज्यामिति पर जैसे आकार, आकृति, उनके फेरों की संख्या, उनके अनुप्रस्थ काट आदि।
(ii) दो कुण्डलियों के बीच की दूरी।
(iii) दो कुण्डलियों की सापेक्ष दिशाओं पर
(iv) दो कुण्डलियों के क्रोडों के पदार्थ पर

प्रश्न 15.
वास्तविक ट्रान्सफॉर्मर में अल्प ऊर्जा क्षय के कोई दो कारण समझाइए।
उत्तर:
ट्रांसफार्मरों में निम्नलिखित कारणों से अल्प मात्रा में ऊर्जा क्षय होता है:
(i) फ्लक्स क्षरण कुछ फ्लक्स हमेशा क्षरित होता ही रहता है। अर्थात् क्रोड के खराब अभिकल्पन या इसमें रही वायु रिक्ति के कारण प्राथमिक कुण्डली का पूरा फ्लक्स द्वितीयक कुण्डली से नहीं गुजरता है। प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों को एक-दूसरे के ऊपर लपेटकर फ्लक्स क्षरण को कम किया जाता है।
(ii) कुण्डलनों का प्रतिरोध- कुण्डलियाँ बनाने में लगे हुए तारों का कुछ न कुछ प्रतिरोध होता ही है और इसलिए इन तारों में उत्पन्न ऊष्मा (I2R) के कारण ऊर्जा क्षय होता है। उच्च धारा, निम्न वोल्टता कुण्डलनों में मोटे तार का उपयोग करके इनमें होने वाली ऊर्जा क्षय को कम किया जा सकता है।
(iii) भँवर धाराएँ – प्रत्यावर्ती चुम्बकीय फ्लक्स लौह क्रोड में भँवर धाराएँ प्रेरित करके इसे गर्म कर देता है। स्तरित क्रोड का उपयोग करके इस प्रभाव को कम किया जाता है।
(iv) शैथिल्य क्षय-प्रत्यावर्ती चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा क्रोड का चुम्बकन बार-बार उत्क्रमित होता है। इस प्रक्रिया में व्यय होने वाली ऊर्जा क्रोड में ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है। कम शैथिल्य क्षय वाले पदार्थ का क्रोड में उपयोग करके इस प्रभाव को कम रखा जाता है। (नोट – छात्र यहाँ पर अल्प ऊर्जा क्षय के कोई भी दो कारण दे सकते हैं।)

प्रश्न 16.
विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के लेंज नियम का कथन लिखिए। पूर्व से पश्चिम दिशा में स्थित कोई 2 मी. लम्बा सीधा क्षैतिज चालक तार 0.3 x 104 टेसला के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के लम्बवत 5 मी/से की चाल से गिर रहा है। तार के सिरों के मध्य प्रेरित विद्युत वाहक बल के तात्क्षणिक मान की गणना कीजिए।
उत्तर:
लेंज का नियम:
“विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि इससे उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा द्वारा परिपथ में स्थापित चुम्बकीय फ्लक्स अपने कारण
का विरोध करता है या मूल चुम्बकीय फ्लक्स के उस परिवर्तन का विरोध करता है, जिसके कारण प्रेरित वि.वा. बल उत्पन्न होता है।”
E α – \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
या
E = – \(\frac{\mathrm{kd} \phi}{\mathrm{dt}}\)
यहाँ पर k एक समानुपाती स्थिरांक है जिसका मान 1 होता है। ऋण चिन्ह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित वि. वा. बल सदैव फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है।
दिया गया है:
l = 2 मी.
BE = 0.3 x 104 टेसला
v = 5 मी/से
माना तार में प्रेरित तात्क्षणिक विद्युत वाहक बल का मान = E
= B/v sin 6 का प्रयोग करने पर
E = BElv sin 90°
मान रखने पर
E= (0.3 × 104) × 2 × 5 × 1
∴ sin 90° = 1
= 3 x 104 वोल्ट उत्तर

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
जब किसी कुण्डली में 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसमें 40 मिली वेबर का चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है। कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व क्या है?
उत्तर:
L = \(\frac{N \phi}{I}\) = HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 17-1
= 20 x 10-3 वेबर प्रति ऐम्पियर
= 20 x 10-3 हेनरी
= 20 मिली. हेनरी

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 2.
यदि किसी परिनालिका में धारा परिवर्तन की दर 4 ऐम्पियर सेकण्ड होने पर उसमें 20 मिली वोल्ट का विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, तो परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व क्या होगा?
उत्तर:
| ε | = L \(\frac{\Delta \mathrm{I}}{\Delta \mathrm{t}}\)
⇒ L = \(\frac{\frac{|\varepsilon|}{\Delta I}}{\frac{\Delta t}{\Delta t}}\)
L = HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 18
= 5 × 10-3
= HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 19
= 5 x 10-3 हेनरी = 5 मिली. हेनरी

प्रश्न 3.
2 हेनरी की एक चोक कुण्डली से प्रवाहित होने वाली धारा 5 ऐम्पियर प्रति सेकण्ड की दर से घट रही है। कुण्डली के सिरों के बीच उत्पन्न विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
यहाँ कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक L = 2 हेनरी तथा कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर (\(\Delta \mathrm{I} / \Delta \mathrm{t}\)) = 5 ऐम्पियर/सेकण्ड (यहाँ. ऋण चिह्न धारा घटने का प्रतीक है)। अतः कुण्डली के सिरों के बीच उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल
ε = – L(\(\Delta \mathrm{I} / \Delta \mathrm{t}\))
= -2 x (-5) वोल्ट
= 10 वोल्ट

प्रश्न 4.
R त्रिज्या की एक बड़ी कुण्डली तथा r त्रिज्या की छोटी कुण्डली एक-दूसरे के निकट रखी हैं। यदि इस युग्म के लिये अन्योन्य प्रेरण गुणांक 1 मिली. हेनरी हो तो बड़ी कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स क्या होगा जबकि छोटी कुण्डली में 0.5A की धारा प्रवाहित होती है? जब छोटी कुण्डली में धारा शून्य हो तो बड़ी कुण्डली पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
दिया है:
M = 1 मिली. हेनरी I, = 0.5 A
= 10-3 हेनरी
∴ बड़ी कुण्डली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φ2 = MI1 = 105 x 0.5
= 5.0 x 104 वेबर
जब छोटी कुण्डली में फ्लक्स में कमी के कारण बड़ी उत्पन्न होगा। धारा शून्य हो जाती है तो चुम्बकीय कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल

प्रश्न 5.
किसी कुण्डली के तल से लम्बवत् गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स निम्नलिखित सम्बन्ध के अनुसार समय के साथ बदल रहा है Φ = (5t3 + 4t2 + 2t – 5) वेबर = 2 सेकण्ड पर कुण्डली में प्रेरित धारा का मान ज्ञात कीजिये, जबकि कुण्डली का प्रतिरोध 5 ओम है।
उत्तर:
कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण
ε = \(\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\) = \(\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (5t3 + 4t2 + 2t5)
= 5 × 3t2 + 4 × 2t + 2 × 1 – 0 = ( 15t2 + 8t + 2) वोल्ट
t = 2 सेकण्ड पर ε = 60 + 16 + 2 = 78 वोल्ट
वोल्टकुण्डली का प्रतिरोध R = 52
अतः कुण्डली में प्रेरित धारा I = \(\frac{\varepsilon}{\mathrm{R}}\)
= 15.6 ऐम्पियर

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण

प्रश्न 6.
ताँबे की एक वृत्ताकार चकती की त्रिज्या 10 सेमी. है। यह इसके केन्द्र से गुजरने वाली तथा इसके तल के लम्बवत् अक्ष के परितः 20 रेडियन/सेकण्ड की दर से घूम रही है। 0.2 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र चकती के लम्बवत् कार्य कर रहा है। (i) चकती की अक्ष तथा परिधि के बीच उत्पन्न विभवान्तर ज्ञात कीजिए। (ii) यदि चकती का प्रतिरोध 202 हो तो प्रेरितं धारा क्या होगी?
उत्तर:
यहाँ चकती की त्रिज्या R = 10 सेमी
= 0.10 मीटर,
चकती का कोणीय वेग = 20π रे/से,
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.2 टेस्ला, चकती का प्रतिरोध R = 2Ω है।
(i) चकती द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र को काटते हुए एक चक्कर पूरा करने का समय ∆t = 2πω तथा एक चक्कर पूरा करने में तय किया गया क्षेत्रफल ∆A = πr2 होगा अतः इससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के कारण इसकी अक्ष तथा परिधि के बीच उत्पन्न विभवान्तर
(गतिक विद्युत वाहक बल)
V= | ε | = \(\frac{\Delta \phi}{\Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{\Delta(\mathbf{B A})}{\Delta \mathrm{t}}\) = B.\(\frac{\Delta(\mathbf{B A})}{\Delta \mathrm{t}}\)
= \(\frac{\mathrm{B} \times \pi r^2}{2 \pi / \omega}\) = 1/2Br2ω
ज्ञात मान रखने पर,
V = 1⁄2(0.2)(0.10)ω x 20 वोल्ट
= 0.1 x (0.10)ω × 20 x 3.14 वोल्ट = 0.0628 वोल्ट

(ii) प्रेरित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) =
= HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 20
= 0.0314 ऐम्पियर

प्रश्न 7.
10 सेमी. भुजा का धातु तार का एक वर्गाकार लूप जिसका प्रतिरोध 1 ओम है, एक चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग Vg 200 वेबर / मीटर2 के एकसमान से चित्र की भाँति चलाया जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर है। यह लूप 362 मान के प्रतिरोधकों के एक नेटवर्क से जुड़ा है तार OS तथा तार PQ के प्रतिरोध नगण्य हैं। लूप में 1 ऐम्पियर की स्थायी धारा प्रवाहित होने के लिए लूप की चाल का मान क्या होना चाहिए? लूप में धारा की दिशा भी बताइए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण 21
उत्तर:
चित्र से स्पष्ट है कि प्रतिरोधों का नेटवर्क एक सन्तुलित व्हीटस्टोन सेतु है। अतः AC भुजा (विकर्ण) में लगा 302 प्रतिरोध प्रभावहीन होगा। QA व AS आपस में श्रेणीक्रम में हैं। इसलिये श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध माना R1 है
∴ R1 = 3 + 3 = 62
और QC व CS के श्रेणीक्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R2 (माना) = 3 + 3 = 6Ω
अब R1 व R2 समान्तर क्रम में होंगे जिसका तुल्य प्रतिरोध
R = 3.002
अर्थात् लूप का प्रतिरोध 152 है।
अतः सम्पूर्ण परिपथ (नेटवर्क सहित लूप) का कुल प्रतिरोध R = R’ + 1 = 32 + 12 = 42
चुम्बकीय क्षेत्र में लूप की गति के कारण परिपथ में उत्पन्न
प्रेरित विद्युत वाहक बल ε = Bv0l
अतः
लूप में धारा I = ε/R = \(\frac{\mathrm{B} v_0 l}{\mathrm{R}}\)
∴ लूप की चाल Vo = \(\frac{\mathrm{I} \times \mathrm{R}}{\mathrm{B} \times l}\) …………(1)
यहाँ I = 1 मिली. ऐम्पियर = 10-3 ऐम्पियर, R = 4Ω, B = 2 वेबर/मीटर2 तथा l = 0.1 मीटर
ये सभी मान समीकरण (1) में रखने पर
v = \(\left(\frac{10^{-3} \times 4}{2 \times 0.1}\right)\) मी./से.
= 2.0 x 10-2
= 2 सेमी / से.

प्रश्न 8.
50/π वर्ग सेमी. आकार की 200 फेरों की वर्गाकार कुण्डली 2.0 वेबर / मीटर2 के चुम्बकीय क्षेत्र में 1200 चक्कर प्रति मिनट की दर से घुमायी जा रही है। कुण्डली में प्रेरित अधिकतम वि. वा. बल का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
A = 50\(\frac{50}{\pi}\) वर्ग सेमी.
A = \(\frac{50}{\pi}\) x 104 वर्ग मीटर
N = 200 फेरे
B = 2.0 वेबर/मीटर2
f = \(\frac{1200}{60}\) चक्कर/से.
= 20 चक्कर/से.
अतः ω = 2πf = 2 x π x 20 = 40π रेडियन / से.
वि.वा. बल का अधिकतम मान ε0 = NBAω
∴ ε0 = 200 × 2 × \(\frac{50}{\pi}\) x 104 x 40
= 80 वोल्ट

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
भारत में घरों में भेजे जाने वाली AC के लिये आवृत्ति व विभवान्तर है:
(अ) 50 Hz, 220 V
(ब) 60Hz, 220 v
(स) 60Hz, 110 v
(द) 50Hz, 110 v
उत्तर:
(अ) 50 Hz, 220 V

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 2.
प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा अमीटर से नहीं नापा जा सकता, क्योंकि
(अ) प्रत्यावर्ती धारा अमीटर में नहीं गुजर सकती
(ब) एक सम्पूर्ण चक्र के लिये धारा का औसत मान शून्य होता है
(स) प्रत्यावर्ती धारा की कुछ मात्रा अमीटर में नहीं हो जाती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) एक सम्पूर्ण चक्र के लिये धारा का औसत मान शून्य होता है

प्रश्न 3.
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा I = 5 sin (100t – \(\frac{\pi}{2}\) ) ऐम्पियर तथा प्रत्यावर्ती विभवान्तर V = 200 sin (100 t) वोल्ट है। परिपथ में व्यय शक्ति है-
(अ) 1000 वाट
(ब) शून्य वाट
(स) 40 वाट
(द) 20 वाट
उत्तर:
(ब) शून्य वाट

प्रश्न 4.
एक AC परिपथ में वोल्टता का अधिकतम मान 282 V है। इस परिपथ में वोल्टता का प्रभावी मान है:
(अ) 200 V
(ब) 300 V
(स) 400 V
(द) 564 V
उत्तर:
(अ) 200 V

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 5.
L, C एवं R क्रमशः भौतिक राशियाँ प्रेरकत्व, धारिता तथा प्रतिरोध को निरूपित करती हैं। निम्न में से कौन-सा संयोजन समय की विमा रखता है:
(अ) \(\frac{C}{L}\)
(ब) \(\frac{1}{RC}\)
(स) \(\frac{L}{R}\)
(द) \(\frac{RL}{C}\)
उत्तर:
(स) \(\frac{L}{R}\)

प्रश्न 6.
प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न की जाती है:
(अ) ट्रांसफॉर्मर से
(ब) चोक कुण्डली से
(स) डायनमो से
(द) बैटरी से
उत्तर:
(स) डायनमो से

प्रश्न 7.
प्रत्यावर्ती वोल्टता V = 200sin (100rt + \(\frac{\pi}{2}\)) में, वोल्टता का वर्ग माध्य मूल मान है:
(अ) 100 √2 v
(ब) 200 √2 v
(स) 200 v
(द) 100V
उत्तर:
(अ) 100 √2 v

प्रश्न 8.
किसी प्रतिरोध में 4 A की दिष्ट धारा प्रवाहित हो रही है। धारा का वर्ग माध्य मूल मान होगा:
(अ) 4 A
(ब) \(\frac{4}{\sqrt{2}} \mathrm{~A}\)
(स) 4√2A
(द) दिष्ट धारा का वर्ग माध्य मूल मान नहीं होता।
उत्तर:
(अ) 4 A

प्रश्न 9.
एक विद्युत बल्ब 12 v de पर कार्य करने के लिए निर्मित किया गया है। बल्ब को एक ac स्रोत के साथ लगाने पर यह सामान्य चमक देता है। ac स्रोत की शिखर वोल्टता क्या होगी:
(अ) 12 V
(ब) 17 V
(स) 24 V
(द) 8.4 V
उत्तर:
(ब) 17 V

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 10.
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में आरोपित विभवान्तर V = 10 cos ωt है तथा प्रवाहित धारा I = 2 sin ωt है तो शक्ति क्षय का मान होगा:
(अ) शून्य
(ब) 10W
(स) 5 W
(द) 1.25 W
उत्तर:
(अ) शून्य

प्रश्न 11.
संलग्न चित्र में अनुनादी अवस्था को प्रदर्शित करने वाला बिन्दु
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 1
(अ) A
(ब) B
(स) C
(द) D
उत्तर:
(अ) A

प्रश्न 12.
उच्च आवृत्ति के लिये संधारित्र का प्रतिरोध-
(अ) उच्च होता है
(ब) निम्न होता है।
(स) शून्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) निम्न होता है।

प्रश्न 13.
एक धारित्र के साथ एक शुद्ध प्रतिरोध जुड़ा है तो परिपथ में कलान्तर θ की स्पर्शज्या (tan θ) का मान होगा:
(अ) \(\mathrm{C} \omega / \mathrm{R}\)
(ब) \(\mathrm{R} / \mathrm{C} \omega\)
(स) \(1 / \mathrm{C} \omega \mathrm{R}\)
(द) CωR
उत्तर:
(स) \(1 / \mathrm{C} \omega \mathrm{R}\)

प्रश्न 14.
प्रेरकत्व L और प्रतिरोध R वाले परिपथ की प्रतिबाधा प्रदर्शित करते हैं:
(अ) LR
(ब) \(\mathrm{L} / \mathrm{R}\)
(स) \(\sqrt{L^2 \omega^2+R^2}\)
(द) \(\sqrt{\mathrm{R}^2 \omega^2+\mathrm{L}^2}\)
उत्तर:
(स) \(\sqrt{L^2 \omega^2+R^2}\)

प्रश्न 15.
अनुनाद की अवस्था में LCR परिपथ का शक्ति गुणांक होता है:
(अ) शून्य
(ब) 40.5
(स) 1.0
(द) L, C व R के मानों पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(स) 1.0

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 16.
एक श्रेणी LR परिपथ में आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता का अधिकतम मान 5 V है। यदि प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न अधिकतम वोल्टता 3V है तो प्रेरकत्व के सिरों पर उत्पन्न वोल्टता का अधिकतम मान होगा-
(अ) 2 V
(ब) 4V
(स) 5√2
(द) शून्य।
उत्तर:
(ब) 4V

प्रश्न 17.
एक श्रेणी LC – R परिपथ में प्रतिरोध, प्रेरकत्व तथा धारिता तीनों पर विभवान्तर का मान 100V है। यदि प्रतिरोध को लघुपथित कर दिया जाये तो परिपथ में धारा का मान होगा:
(अ) शून्य
(ब) अनन्त
(स) 10 A
(द) 20 A
उत्तर:
(ब) अनन्त

प्रश्न 18.
एक विद्युत हीटर को क्रमशः दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा से गर्म करते हैं। दोनों धाराओं के लिए हीटर के सिरों पर लगाये गये विभवान्तर समान हैं। प्रति सेकण्ड उत्पन्न ऊष्मा अधिक होगी:
(अ) प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से गर्म करने पर
(ब) दिष्ट धारा स्रोत से गर्म करने पर
(स) दोनों से समान
(द) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं।
उत्तर:
(स) दोनों से समान

प्रश्न 19.
प्रत्यावर्ती धारा तथा विद्युत वाहक बल के बीच कलान्तर \(\frac{\pi}{2}\) है। निम्नलिखित में से कौनसा परिपथ का अवयव नहीं हो सकता है?
(अ) L, C
(ब) केवल L
(स) केवल C
(द) R, L
उत्तर:
(द) R, L

प्रश्न 20.
श्रेणी परिपथ में किसी प्रेरक कुण्डली के सिरों पर वोल्टता व धारिता के सिरों पर वोल्टता के मध्य कलान्तर रेडियन में होता है:
(अ) π
(ब) \(\pi / 2\)
(स) शून्य
(द) 2π
उत्तर:
(अ) π

प्रश्न 21.
किसी परिपथ का प्रतिरोध 1252 तथा प्रतिबाधा 1552 है। परिपथ का शक्ति गुणांक होगा:
(अ) 0.4
(ब) 0.8
(स) 0.125
(द) 1.25
उत्तर:
(ब) 0.8

प्रश्न 22.
अर्द्ध शक्ति बिन्दु पर परिपथ में धारा का मान होता है:
(अ) Imax√2
(ब) Imax/√2
(स) 2Imax
(द) Imax/2
उत्तर:
(ब) Imax/√2

प्रश्न 23.
एक R-L-C परिपथ के लिए अनुनाद की स्थिति में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति क्या होगी:
(अ) \(\frac{1}{2 \pi} \sqrt{\frac{L}{C}}\)
(ब) \(\sqrt{\frac{L}{C}}\)
(स) \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{LC}}}\)
(द) \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{\mathrm{LC}}}\)
उत्तर:
(द) \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{\mathrm{LC}}}\)

प्रश्न 24.
एक प्रत्यावर्ती परिपथ में धारा की कला वोल्टता की कला से कोण पीछे है तो परिपथ में अवयव है:
(अ) L तथा C
(ब) R तथा L
(स) R तथा C
(द) केवल R
उत्तर:
(ब) R तथा L

प्रश्न 25.
एक R – LC परिपथ का शक्ति गुणांक 1 होने के लिए क्या प्रतिबन्ध होगा:
(अ) R = Lω – \(\frac{1}{\mathrm{C} \omega}\)
(ब) Lω = \(\frac{1}{\mathrm{C} \omega}\)
(स) L = C
(द) R = 0
उत्तर:
(ब) Lω = \(\frac{1}{\mathrm{C} \omega}\)

प्रश्न 26.
LC परिपथ में L या C में से किसी को भी अधिक करने पर अनुनादी आवृत्ति:
(अ) बढ़ती है
(ब) घटती है
(स) वही रहती है।
(द) शंट प्रतिरोध पर निर्भर करती है।
उत्तर:
(ब) घटती है

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प्रश्न 27.
एक लैम्प जिसका प्रतिरोध 280 ओम है, 200 वोल्ट के प्रत्यावर्ती स्रोत से जोड़ा गया है। लैम्प में प्रवाहित धारा का शिखर मान होगा:
(अ) 1.0 ऐम्पियर
(ब) 2.0 ऐम्पियर
(स) 0.7 ऐम्पियर
(द) 1.4 ऐम्पियर
उत्तर:
(अ) 1.0 ऐम्पियर

प्रश्न 28.
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में विभवान्तर V = 20 sin ωt वोल्ट तथा प्रवाहित धारा I = 5 cos ωt ऐम्पियर है, तो शक्ति क्षय का मान वाट में होगा-
(अ) शून्य
(ब) 10
(स) 5
(द) 100
उत्तर:
(अ) शून्य

प्रश्न 29.
ट्रांसफार्मर में क्रोड बनाने के लिए निम्नलिखित पदार्थों में से कौनसा अधिक उपयुक्त होता है:
(अ) नर्म लोहा
(ब) निकल
(स) ताँबा
(द) स्टेनलेस स्टील
उत्तर:
(अ) नर्म लोहा

प्रश्न 30.
एक ट्रांसफार्मर 220 वोल्ट प्रत्यावर्ती सप्लाई को बढ़ाकर 2200 वोल्ट करता है। यदि ट्रांसफार्मर के द्वितीयक कुण्डली में 2000 चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्कर की संख्या होगी:
(अ) 100
(ब) 50
(स) 200
(द) 30
उत्तर:
(स) 200

प्रश्न 31.
ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलियों में फेरों की संख्या क्रमशः 100 तथा 300 है। यदि निवेशी शक्ति 60 वाट हो, तो निर्गत शक्ति होगी:
(अ) 60W
(ब) 20 W
(स) 180W
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 60W

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
समीकरण E = E0 sinωt प्रत्यावर्ती धारा विद्युत वाहक बल को प्रदर्शित करती है। इसकी आवृत्ति, आयाम तथा आवर्तकाल ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
कोणीय आवृत्ति ω = 2πf
आवृत्ति (f) = \(\frac{\omega}{2 \pi}\)
आयाम = वोल्टता का शिखर मान = E0
आवर्तकाल T = \(\frac{1}{\mathrm{f}}\) = \(\frac{2 \pi}{\omega}\)

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प्रश्न 2.
एक प्रत्यावर्ती धारा I = Io sinωt किसी प्रतिरोध R में T = \(\frac{2 \pi}{\omega}\) समय में कुछ ऊष्मा H उत्पन्न करती है। उस दिष्ट धारा का मान लिखिये जो इसी प्रतिरोध में इतने ही समय में यही ऊष्मा उत्पन्न करे।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान की परिभाषा से वांछित दिष्ट धारा = प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान
Irms = \(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\)
जहाँ पर I0 = प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान

प्रश्न 3
प्रत्यावर्ती वोल्टता के शिखर मान तथा वर्ग माध्य मूलमान में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
वर्ग माध्य मूल मान ErmS = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\sqrt{2}}\)
जहाँ पर E = प्रत्यावर्ती वोल्टता का शिखर मान

प्रश्न 4.
एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 5.
शुद्ध प्रेरकत्व वाले दिष्ट धारा परिपथ में प्रेरणिक प्रतिघात का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य, चूँकि XL = ωL तथा दिष्ट धारा में ω = 0

प्रश्न 6.
यदि किसी विद्युत परिपथ में धारा की कला, विभवान्तर की कला में 90° पश्चगामी है, तो परिपथ की प्रतिघात किस प्रकार की होगी?
उत्तर:
प्रेरणिक

प्रश्न 7.
क्या प्रत्यावर्ती धारामापी द्वारा प्रत्यावर्ती व दिष्ट दोनों धारायें मापी जा सकती हैं?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि यह ऊष्मीय सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 8.
एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत एक संधारित्र को पूरे एक चक्र में कितनी औसत शक्ति देगी?
उत्तर:
संधारित्र में धारा तथा वोल्टता के बीच कलान्तर = 90° अतः औसत शक्ति P = Erms Irms cos ¢ = 0
∵ cos 90° = 0

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प्रश्न 9.
किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में तात्क्षणिक धारा तथा वोल्टता क्रमशः I = losin 300t ऐम्पियर तथा V = 200 sin 300 t वोल्ट से व्यक्त की गयी है। परिपथ में व्यय औसत शक्ति क्या है?
उत्तर:
दी गयी समीकरणों से स्पष्ट है कि धारा तथा वोल्टता के बीच कलान्तर
Φ = 0°
अतः
\(\overline{\mathrm{P}}\) = Vrms Irms cos ¢
= \(\frac{V_0}{\sqrt{2}}\) × \(\frac{I_0}{\sqrt{2}}\) × 0° = \(\frac{200}{\sqrt{2}}\) × \(\frac{10}{\sqrt{2}}\) × 1
= 1000 वाट

प्रश्न 10.
प्रेरणिक प्रतिघात (X), प्रत्यावर्ती स्रोत की आवृत्ति के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है? आलेख द्वारा प्रदर्शित करें।
उत्तर:
XL = ωL
X α ω
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 2

प्रश्न 11.
L-C-R परिपथ के लिये अनुनादी अवस्था में शक्ति गुणांक का मान क्या होता है?
उत्तर:
1 (चूँकि L-C-R परिपथ के लिये अनुनादी अवस्था में धारा व विभवान्तर के बीच कलान्तर शून्य होता है)।

प्रश्न 12.
प्रत्यावर्ती धारा के स्रोत से एक बल्ब तथा एक संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हैं स्रोत की आवृत्ति अधिक करने पर बल्ब के प्रकाश का क्या होगा?
उत्तर:
प्रकाश तीव्र हो जायेगा।
∵ आवृत्ति ० अधिक करने पर प्रतिघात Xc = \(\frac{1}{\omega C}\) जायेगा, जिससे बल्ब को अधिक धारा मिलेगी।

प्रश्न 13.
क्या प्रत्यावर्ती धारा से बैटरी चार्ज की जा सकती है?
उत्तर:
नहीं, प्रत्यावर्ती धारा में दिशा एकान्तर क्रम में बदलती रहती है।

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प्रश्न 14.
क्या प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत अपघटन हो सकता है? प्रत्यावर्ती धारा में दिशा एकान्तर क्रम में बदलती
उत्तर:
नहीं, रहती है, जबकि विद्युत अपघटन में विद्युत धारा समय के सापेक्ष परिमाण व दिशा में परिवर्तित नहीं होती है।

प्रश्न 15.
एक प्रेरकत्व तथा एक प्रतिरोध किसी प्रत्यावर्ती स्रोत से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। इन दोनों के सिरों पर विभवान्तरों में कलान्तर क्या होगा?
उत्तर:
रेडियन।

प्रश्न 16.
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ का शक्ति गुणांक 0.5 है। परिपथ में धारा तथा वोल्टता में कितना कलान्तर होगा?
उत्तर:
cos ¢ =0.5 = 1/2 = cos 60° = \(cos \frac{\pi}{3}\)
∵ अर्थात् कलान्तर \(\frac{\pi}{3}\) रेडियन होगा।

प्रश्न 17.
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा तथा वोल्टता के तात्क्षणिक मान क्रमश: दिये गये हैं:
I = 10 sin 314 t ऐम्पियर तथा V = 50 sin (314t + cos \(\frac{\pi}{2}\) ) वोल्ट परिपथ में औसत शक्ति का व्यय क्या होगा ?
उत्तर:
दी गयी समीकरणों से स्पष्ट है कि धारा तथा वोल्टता
के बीच कलान्तर ¢ = \(\frac{\pi}{2}\)
अतः cos ¢ = cos \(\frac{\pi}{2}\) = 0
परिपथ में औसत व्यय \(\overline{\mathrm{P}}\) = Vrms Irms cos ¢
= Vrms x Irms x 0 = 0

प्रश्न 18.
समान वोल्टता की प्रत्यावर्ती तथा दिष्ट धारा में कौन- सी अधिक खतरनाक होगी?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा (चूँकि प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान विभव दिष्ट धारा विभव से ज्यादा होता है)।

प्रश्न 19.
श्रेणी अनुनादी L-C-R परिपथ में प्रतिबाधा का मान होता है।
उत्तर:
प्रतिरोध के बराबर।
∴ Z = \(\sqrt{R^2+\left(X_L-X_C\right)^2}\) में, अनुनाद स्थिति में XL = Xc
Z = R

प्रश्न 20.
एक चक्र में प्रत्यावर्ती धारा की दिशा बदलती है।
उत्तर:
दो बार।

प्रश्न 21.
L-C-R श्रेणी अनुनादी परिपथ में अनुनादी आवृत्ति से कम आवृत्ति पर परिपथ की प्रकृति क्या होगी?
उत्तर:
धारितीय, क्योंकि इस स्थिति में 1/ωC > ωL हो जायेगा।

प्रश्न 22.
प्रत्यावर्ती परिपथ में L-C-R श्रेणी अनुनाद की स्थिति में परिपथ की प्रतिबाधा होती है।
उत्तर:
न्यूनतम, क्योंकि अनुनाद में XL = XC तथा Z = R

प्रश्न 23.
L-C-R श्रेणी अनुनादी परिपथ में प्रेरकत्व तथा धारिता पर विभवान्तर के मध्य कलान्तर क्या होता है?
उत्तर:
180° या π

प्रश्न 24.
L-C-R श्रेणी परिपथ में क्या यह सम्भव है कि किसी परिपथ अवयव पर विभवान्तर का मान आरोपित प्रत्यावर्ती विभवान्तर के अधिकतम मान से अधिक हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, प्रेरकत्व या संधारित्र पर।

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प्रश्न 25.
वैद्युत अवयव X जब किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ से जोड़ा जाता है तो इसके अन्दर धारा वोल्टता से \(\frac{\pi}{2}\) रेडियन अप्रगामी है। X को पहचानिये तथा इसके प्रतिघात के लिये व्यंजक लिखिये।
उत्तर:
अवयव X संधारित्र होगा जिसका प्रतिघात
= \(\frac{1}{\omega \mathrm{C}}\) = \(\frac{1}{2 \pi \mathrm{fC}}\)

प्रश्न 26.
यदि प्रत्यावर्ती परिपथ में R = 100Ω, X = 400Ω तथा Xc = 400Ω हो तो परिपथ की कुल प्रतिबाधा क्या होगी?
उत्तर:
प्रतिबाधा
Z = (R2 + (XL – XC)2)1/2
जब
XL = XC
तब प्रतिबाधा Z = (R2 + 0)1/2 = R
Z = 1002Ω

प्रश्न 27.
शुद्ध प्रेरकत्व या धारिता का शक्ति गुणांक का मान क्या होता है?
उत्तर:
शून्य। ∵ शुद्ध प्रेरकत्व या धारिता में कला कोण ± \(\frac{\pi}{2}\)

प्रश्न 28.
एक प्रतिरोध, प्रेरकत्व तथा धारिता को किसी दिष्ट धारा स्रोत के साथ जोड़ा गया है। परिपथ की प्रतिबाधा का मान क्या होगा?
उत्तर:
अनन्त।
∵ दिष्ट धारा में ω = 0
∴ प्रतिबाधा = \(\sqrt{\mathrm{R}^2+\left(\omega L-\frac{1}{\omega C}\right)^2}\)
∴ Z = ∞

प्रश्न 29.
किसी बल्ब के तन्तु से प्रवाहित होने वाली धारा प्रत्यावर्ती धारा है या दिष्ट धारा कैसे ज्ञात करोगे?
उत्तर:
चुम्बक निकट लाने पर यदि तन्तु में कम्पन होने लगे तो धारा प्रत्यावर्ती होगी।

प्रश्न 30.
एक श्रेणी L-R-C परिपथ में प्रेरक, संधारित्र तथा प्रतिरोध के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः 20V, 20V तथा 40V है। परिपथ में धारा तथा आरोपित वोल्टता के बीच कितना कलान्तर होगा?
उत्तर:
tan ¢ = \(\left(\frac{\mathrm{V}_{\mathrm{C}}-\mathrm{V}_{\mathrm{L}}}{\mathrm{V}}\right)\) = \(\sqrt{u_r \epsilon_r}\) = \(\left(\frac{20-20}{40}\right)\)
¢ = tan-1 (0) = 0

प्रश्न 31.
प्रत्यावर्ती वि.वा. बल का शिखर से शिखर तक का मान कितना होता है?
उत्तर:
धनात्मक शिखर मान और ऋणात्मक शिखर मान के परिमाण के योग के मान के बराबर होता है, अर्थात् वि.वा. बल का शिखर से शिखर तक का मान
= 2.Eg = 2√2Erms

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प्रश्न 32.
एक कुण्डली का प्रतिरोध 3 ओम है व उसका प्रतिघात 4 ओम है। कुण्डली का शक्ति गुणांक क्या होगा?
उत्तर:
शक्ति गुणांक = \(\frac{R}{Z}\)
लेकिन
Z = imm
= \(\sqrt{(3)^2+(4)^2}\) = 5
∴ शक्ति गुणांक = \(\frac{R}{Z}\) = \(\frac{3}{5}\)

प्रश्न 33.
एक 25 वाट का और एक 50 वाट का बल्ब श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। किससे अधिक प्रकाश प्राप्त होगा और क्यों?
उत्तर:
25 वाट के बल्ब से, क्योंकि दोनों में धारा समान प्रवाहित होगी और 25 वाट बल्ब के फिलामेंट का प्रतिरोध अधिक होने से उसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी।

प्रश्न 34.
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में तात्क्षणिक शक्ति और औसत शक्ति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में किसी क्षण या समय पर शक्ति मान को तात्क्षणिक शक्ति कहते हैं प्रत्यावर्ती परिपथ में एक चक्र के लिये तात्क्षणिक शक्ति के औसत मान को औसत शक्ति कहते हैं।

प्रश्न 35.
यदि प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान l है तो
(i) धारा का वर्ग माध्य का मूल मान
(ii) औसत मान होगा।
उत्तर:
(i) धारा का वर्ग माध्य मूल मान
Irms = \(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\)
(ii) औसत धारा का मान
I = 0

प्रश्न 36.
एक प्रत्यावर्ती वि.वा. बल स्रोत से एक संधारित्र तथा एक बल्ब श्रेणी क्रम में जुड़े हैं। यदि प्रत्यावर्ती वि. वा. बल की आवृत्ति बढ़ा दी जाती है, तो परिपथ में क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
आवृत्ति बढ़ाने \(\frac{1}{\mathrm{C} \omega}\) संधारित्र का प्रतिघ घट जाता है, जिससे परिपथ में धारा का मान बढ़ जाता है एवं बल्ब की चमक बढ़ जाती है।

प्रश्न 37.
घरों में विद्युत लाइन 220 वोल्ट पर कार्य करती है तो वि.वा. बल का शिखर मान (आयाम) क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं:
Er.m.s = \(\frac{E_0}{\sqrt{2}}\)
∴ E0 = \(\sqrt{2}\) Er.m.s
E0 = 1.414 × 220
= 310.2 वोल्ट

प्रश्न 38.
शुद्ध प्रतिरोध, शुद्ध प्रेरकत्व तथा शुद्ध धारिता में प्रत्यावर्ती वि.वा. बल एवं धारा के मध्य कलान्तर लिखो।
उत्तर:
कलान्तर ¢ = 0, वि. वा. बल से धारा \(\sqrt{u_r \epsilon_r}\) कोण से पीछे, वि. वा. बल से धारा कोण से आगे।

प्रश्न 39.
ट्रांसफॉर्मर किस सिद्धान्त पर कार्य करता है? क्या यह दिष्ट धारा परिपथ में प्रयुक्त हो सकता है?
उत्तर:
अन्योन्य प्रेरण के सिद्धान्त पर यह दिष्ट धारा परिपथ में कार्य नहीं कर सकती है, क्योंकि दिष्ट धारा ट्रांसफॉर्मर की क्रोड में ‘परिवर्ती’ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकती है।

प्रश्न 40.
व्यावहारिक ट्रांसफॉर्मर में ऊर्जा हानि के लिये उत्तरदायी कोई दो कारक बताइये।
उत्तर:
(i) फ्लक्स हानि
(ii) भँवर धारा हानि।

प्रश्न 41.
ट्रांसफॉर्मर में कौनसी राशि नियत रहती है? धारा, विभव, आवृत्ति शक्ति।
उत्तर:
आवृत्ति।

प्रश्न 42.
बड़े ट्रांसफॉर्मर कुछ समय तक कार्य करते रहने पर गर्म हो जाते हैं तथा तेल के संचरण से ठण्डे किये जाते हैं ट्रांसफॉर्मर के गर्म होने का कारण लिखिये।
उत्तर:
शैथिल्य हास तथा धारा का ऊष्मीय प्रभाव दोनों।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 43.
उच्चायी ट्रांसफॉर्मर का क्या कार्य है?
उत्तर:
निम्न वोल्टता की प्रबल प्रत्यावर्ती धारा को उच्च वोल्टता की निर्बल प्रत्यावर्ती धारा में बदलना।

प्रश्न 44.
यदि किसी ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली को एक बैटरी में जोड़ा जाये तो क्या घटना घटित होगी?
उत्तर:
द्वितीयक कुण्डली में प्रारम्भ में क्षणिक धारा प्रवाहित होगी फिर कोई धारा प्रवाहित नहीं होगी।

प्रश्न 45.
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में होने वाले शक्ति क्षय की गणना करो जिसमें विभव एवं धारा के मान निम्न हैं:
V = 3000 sin (ωt + \(\frac{\pi}{2}\) ) एवं
I = 5 sin ωt
उत्तर:
∵ यहाँ पर ¢ = \(\frac{\pi}{2}\) है।
P = Erms Irms cos ¢
P = 0
∴ cos \(\frac{\pi}{2}\) = 0

प्रश्न 46.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिये:
(i) प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान।
(ii) विद्युत अनुनाद में गुणवत्ता गुणांक।
उत्तर:
(i) प्रत्यावर्ती धारा के तात्कालिक मान के वर्ग के माध्य के वर्गमूल को धारा का वर्ग माध्य मूल मान Irms कहते हैं।”
I2 = I2sin2 ωt
Irms = \(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\)
या Irms = 0.707 Io
प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान उसके शिखर (अधिकतम) को \(\frac{I}{\sqrt{2}}\) या 0.707 से गुणा करके प्राप्त होता है।

(ii) अनुनाद आवृत्ति और परिपथ की बैण्ड चौड़ाई को अनुपात के परिपथ का विशेषता गुणांक कहते हैं। इसे हम Q से प्रदर्शित करते है।
Q = IMM = \(\frac{\omega_r}{\omega_2-\omega_1}\) = \(\frac{f_r}{f_2-f_1}\) = \(\frac{\omega_{\mathrm{r}} \mathrm{L}}{\mathrm{R}}\)

प्रश्न 47.
किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में आरोपित वोल्टता 220 v है। यदि R = 8Ω, XL = XC = 6Ω है तो निम्न का मान लिखिए:
(a) वोल्टता का वर्ग माध्य मूल (rms) मान
(b) परिपथ की प्रतिबाधा।
उत्तर:
(a) Vrms = 220 v

(b) परिपथ की प्रतिबाधा Z =
यहाँ पर XL = XC तब Z = R होगा
अर्थात् परिपथ की प्रतिबाधा Z = 8Ω

प्रश्न 48.
प्रत्यावर्ती धारा के एक पूर्ण चक्र के लिए धारा का औसत मान लिखिए।
उत्तर:
एक सम्पूर्ण चक्र के लिये प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
वर्ग माध्य मूल मान- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में एक सम्पूर्ण चक्र के लिए तात्क्षणिक धारा या वोल्टता के वर्ग (I2 या E2) के औसत मान के वर्गमूल को वर्ग माध्य मूल मान कहते हैं। प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल (r.m.s.) मान दिष्ट धारा के उस मान के तुल्य है जो कि उतना ही ऊष्मीय प्रभाव प्रदर्शित करता है, जितना कि प्रत्यावर्ती धारा। इसे Irms से प्रदर्शित किया जाता है।
Irms = \(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\) होता है।
Irms = 0.707I0 …..(1)
उपर्युक्त समीकरण (1) से स्पष्ट है कि प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान, धारा के शिखर मान (Im) का 70.7% होता है।

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प्रश्न 2.
श्रेणी R-L-C परिपथ में अनुनादी अवस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
R-L-C परिपथ को अनुनादी कहा जाता है जब किसी लगाये गये प्रत्यावर्ती वोल्टेज के लिये उसमें अधिकतम विद्युत धारा प्रवाहित हो, यह तब ही सम्भव होता है जब R-L-C परिपथ की प्रतिबाधा का मान न्यूनतम हो चूँकि R-LC परिपथ की प्रतिबाधा प्रत्यावर्ती वोल्टेज की कोणीय आवृत्ति पर निर्भर करती है। जिसके लिये परिपथ की प्रतिबाधा न्यूनतम हो।

प्रश्न 3.
अनुनाद की शर्तें लिखिए।
उत्तर:
अनुनाद की शर्तें:
(i) अनुनादी की स्थिति में परिपथ की प्रतिबाधा पूर्णतः प्रतिरोधीय होती है।
(ii) अनुनाद की स्थिति में धारा तथा वोल्टता एक ही दिशा में होते हैं। उनके बीच कलान्तर का मान शून्य होता है अर्थात् Φ = 0
(iii) अनुनाद की स्थिति में शक्ति गुणांक का मान अधिकतम अर्थात् एक के बराबर होता है।
(iv) अनुनाद की स्थिति में परिपथ में कुल प्रतिघात का मान शून्य होता है।
(v) अनुनाद की स्थिति में प्रतिबाधा का मान न्यूनतम होता है तथा इसका मान प्रतिरोध के मान के बराबर होता है।

प्रश्न 4.
शक्ति गुणांक क्या है? समझाइये।
उत्तर:
हम जानते हैं औसत शक्ति की समीकरण
\(\overline{\mathrm{P}}\) = Erms Irms cos Φ
जहाँ
cos Φ = \(\frac{\overline{\mathrm{P}}}{\mathrm{E}_{\mathrm{rms}} I_{\mathrm{rms}}}\)
cosΦ = \(\frac{\overline{\mathrm{P}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{app}}}\)
Papp = आभासी शक्ति = Erms Irms
अर्थात् “औसत शक्ति तथा आभासी शक्ति (Papp) के अनुपात को शक्ति गुणांक कहते हैं।”
दूसरे शब्दों में “वि.वा. बल तथा धारा के मध्य के कलान्तर की कोज्या (cos Φ) को शक्ति गुणांक कहते हैं।”
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 3
अर्थात् शक्ति गुणांक, प्रतिरोध तथा प्रतिबाधा के अनुपात के तुल्य होता है।
यदि Φ = 0° हो तो cos Φ + 1 अधिकतम शक्ति गुणांक
यदि ¢ = 90° हो तो cos ¢ = 0 न्यूनतम शक्ति गुणांक।

प्रश्न 5.
प्रत्यावर्ती धारा एवं वोल्टता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब किसी कुण्डली को प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में निरन्तर परिवर्तन होता है जिससे कुण्डली में वि.वा. बल प्रेरित होता है तथा प्रेरित धारा प्रवाहित होती है। प्रेरित वि.वा. बल तथा धारा का परिमाण तथा दिशा कुण्डली के घूर्णन के साथ परिवर्तित होते हैं। इस प्रकार की धारा को प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता को प्रत्यावर्ती वोल्टता कहते हैं। प्रत्यावर्ती धारा के वोल्टता का तात्क्षणिक मान निम्न समीकरण से प्रदर्शित करते हैं
E = E0 sin (ωt + ¢)
या
E= E0 cos (ωt + ¢)
यहाँ पर E को तात्क्षणिक मान E को शिखर मान = NBωA और (ωt + ¢) को कला कहते हैं।
इसी प्रकार प्रत्यावर्ती धारा के तात्क्षणिक मान को निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित करते हैं
I = I0 sin (ωt + ¢)
या
I = Io cos (ωt + ¢)
I = तात्कालिक मान और I0 शिखर मान इसका मान के बराबर होता है। जहाँ पर \(\frac{N \omega B A}{R}\) कुण्डली का प्रतिरोध है।

प्रश्न 6.
कार्यहीन तथा कार्यकारी धारा में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
जब किसी प्रतिबाधा वाले परिपथ पर प्रत्यावर्ती विभव लगाया जाता है तब परिपथ में से गुजरने वाली प्रत्यावर्ती धारा और परिपथ पर लगाये गये प्रत्यावर्ती विभव के बीच में कलान्तर होता है। यदि प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान Irms हो और प्रत्यावर्ती विभव और धारा के बीच कलान्तर Φ हो तब प्रत्यावर्ती धारा के विभव की दिशा और विभव के लम्बवत् दो घटक क्रमश: Irmscos Φ व Irms sinΦ होंगे। प्रत्यावर्ती धारा का वह घटक जो प्रत्यावर्ती विभव की दिशा में, यानी Irms cos Φ परिपथ में से गुजरने में कार्य करता है। इस घटक को कार्यकारी धारा कहते हैं। प्रत्यावर्ती धारा का वह घटक जो परिपथ पर लगाये गये प्रत्यावर्ती विभव लम्बवत् होता है, यानी Irms sinΦ, वह परिपथ में से गुजरने में उसे कोई कार्य नहीं करना पड़ता है। इसलिये धारा के इस घटक को कार्यहीन धारा कहते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 7.
ट्रांसफार्मरों में वे कौनसे कारण हैं जिनसे अल्प मात्रा में ऊर्जा क्षय होता है?
अथवा
वास्तविक ट्रांसफार्मर में अल्प ऊर्जा क्षय के कोई दो कारण समझाइये
उत्तर:
ट्रांसफार्मरों में निम्नलिखित कारणों में अल्प मात्रा में ऊर्जा क्षय होता है:
(i) फ्लक्स क्षरण – कुछ फ्लक्स हमेशा क्षरित होता ही रहता है अर्थात् क्रोड के खराब अभिकल्पन या इसमें रही वायु रिक्ति के कारण प्राथमिक कुण्डली का पूरा फ्लक्स द्वितीयक कुण्डली से नहीं गुजरता है। प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों को एक-दूसरे के ऊपर लपेटकर फ्लक्स क्षरण को कम किया जाता है।
(ii) कुण्डलनों का प्रतिरोध- कुण्डलियाँ बनाने में लगे हुए तारों का कुछ न कुछ प्रतिरोध होता ही है और इसलिए इन तारों में उत्पन्न ऊष्मा (I2R) के कारण ऊर्जा क्षय होता है। उच्च धारा, निम्न वोल्टता कुण्डलनों में मोटे तार का उपयोग करके इनमें होने वाली ऊर्जा क्षय को कम किया जा सकता है।
(iii) भँवर धाराएँ – प्रत्यावर्ती चुम्बकीय फ्लक्स लौह क्रोड में भँवर धाराएँ प्रेरित करके इसे गर्म कर देता है। स्तरित क्रोड का उपयोग करके इस प्रभाव को कम किया जाता है।
(iv) शैथिल्य – प्रत्यावर्ती चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा क्रोड का चुम्बकन बार-बार उत्क्रमित होता है। इस प्रक्रिया में व्यय होने वाली ऊर्जा क्रोड में ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है। कम शैथिल्य वाले पदार्थ का क्रोड में उपयोग करके इस प्रभाव को कम रखा जाता है।

प्रश्न 8.
ट्रांसफॉर्मर आदर्श ट्रांसफॉर्मर कब कहलाता है?
उत्तर:
एक आदर्श ट्रांसफॉर्मर में ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली से द्वितीय कुण्डली में ऊर्जा के हस्तान्तरण में ऊर्जा की कोई हानि नहीं होती है एवं तब प्राथमिक कुण्डली और द्वितीयक कुण्डली में शक्ति का मान भी समान होता है। ऐसे ट्रांसफॉर्मर की दक्षता 100% होनी चाहिये।

प्रश्न 9.
220v की प्रत्यावर्ती धारा 220V दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक क्यों है?
उत्तर:
हमारे घरों में प्रायः 220 वोल्ट पर प्रत्यावर्ती धारा बहती है इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्यावर्ती वोल्टेज का वर्ग माध्य-मूल मान 220 वोल्ट होता है।
अतः इसका शिखर मान होगा,
Eo = √2 x Erms
या
= √2 × 220 = 1.414 x 220
Eg = 311 वोल्ट
इस प्रकार कहा जा सकता है कि घरों में बहने वाली प्रत्यावर्ती धारा का वोल्टेज प्रत्येक चक्र में +311 वोल्ट से लेकर -311 वोल्ट तक परिवर्तित होता रहता है।
(एक चक्र में प्रत्यावर्ती वोल्टेज में होने वाला अधिकतम परिवर्तन 6.22 वोल्ट होता है।) यही कारण है कि 220 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) 220 वोल्ट की दिष्ट धारा (D.C.) से अधिक खतरनाक है।

प्रश्न 10.
जब एक श्रेणी LR परिपथ के साथ एक संधारित्र श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाता है, तो परिपथ में प्रवाहित धारा बढ़ जाती है? समझाइये, क्यों?
उत्तर:
L-R परिपथ की प्रतिबाधा
Z1 = \(\sqrt{R^2+(\omega L)^2}\)
I1 = \(\frac{E}{Z_1}\)
संधारित्र को जोड़ देने पर L-C-R परिपथ की प्रतिबाधा
Z = \(\frac{\pi}{2}\)
∴ धारा I2 = \(\frac{E}{Z_2}\)
∴ \(\frac{I2}{I1}\) = \(\frac{Z1}{Z2}\)
∴ Z1 > Z2
∴ I2 > I1

प्रश्न 11.
LCR श्रेणी अनुनादी परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा का आवृत्ति के साथ परिवर्तन दर्शाने वाला वक्र खींचिए तथा बैण्ड चौड़ाई के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा का आवृत्ति के साथ वक्र
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 4
अर्द्धशक्ति बिन्दु या आवृत्तियाँ (Half Power Points or Frequencies) श्रेणी R-LC परिपथ में Irms तथा f के मध्य खींचे गये ग्राफ (चित्र) में अनुनादी आवृत्ति के दोनों ओर दो आवृत्तियाँ f1 व f2 इस प्रकार ज्ञात की जाती हैं कि इन आवृत्तियों पर धारा का वर्ग माध्य मूल मान अपने अधिकतम (IRMS)max का \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) होता हो या
शक्ति क्षय अपने अनुनादी मान का आधा होता है। इन आवृत्तियों (f) & f2) को अर्द्धशक्ति आवृत्तियाँ (half-power frequencies) कहते हैं। इन आवृत्तियों के संगत वक्र के बिन्दु A तथा B अर्द्धशक्ति बिन्दु कहलाते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 5
बैण्ड चौड़ाई (Bandwidth β = ∆f): अर्द्धशक्ति बिन्दुओं Aव B के संगत आवृत्तियों के इस अन्तर (∆f = f2 – f1) को श्रेणी अनुनादी परिपथ की बैंड चौड़ाई कहा जाता है।
अतः बैण्ड चौड़ाई β या ∆f = f2 – f1
श्रेणी अनुनादी परिपथ का विशेषता गुणांक Q (Quality Factor ‘Q’ of a Series Resonant Circuit ) – अनुनादी आवृत्ति (f) तथा बैण्ड चौड़ाई (B) के अनुपात को परिपथ का विशेषता गुणांक कहते हैं।”
विशेषता गुणांक Q = \(\frac{f_r}{f_2-f_1}\)
इसका मात्रक इकाई रहित होता है।
अतः अर्द्ध शक्ति आवृत्तियाँ f1 व f2 के लिए:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 6
अर्द्धशक्ति बिन्दुओं A तथा B के बैण्ड चौड़ाई कहते हैं।

प्रश्न 12.
सुमेलित कीजिए:

कॉलम-Iकॉलम-II
अनुनादी आवृत्ति(a)   VI cos Φ
गुणवत्ता गुणांक(b) \(\frac{1}{2}\) LI2
औसत शक्ति(c) \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{LC}}}\)
प्रतिबाधा(d)\(\sqrt{R^2+\left(X_L-X_C\right)^2}\)
चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा(e) \(\frac{-E}{\left(\frac{\mathrm{dI}}{\mathrm{dt}}\right)}\)
स्वप्रेरण गुणांक(f) \(\frac{\omega_0 L}{R}\)

उत्तर:
(i) का सुमेलित (c) होगा।
(ii) का सुमेलित (f) होगा।
(iii) का सुमेलित (a) होगा।
(iv) का सुमेलित (d) होगा।
(v) का सुमेलित (b) होगा।
(vi) का सुमेलित (e) होगा।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 13.
सुनीता और उसकी सहेलियों ने एक प्रदर्शनी का भ्रमण किया। यहाँ खड़े सिपाही ने उन्हें धातु संसूचक (मेटल डिटेक्टर) से गुजरने के लिए कहा। सुनीता की सहेलियाँ पहले इससे भयभीत हुई। परन्तु फिर सुनीता ने धातु संसूचक से गुजरने का कारण बताया और उसकी कार्यप्रणाली की व्याख्या की। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) धातु संसूचक किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?
(b) यदि उससे गुजरने वाले किसी व्यक्ति के पास कोई धातु की वस्तु है, तो यह संसूचक ध्वनि क्यों उत्पन्न करने लगता है?
(c) उन किन्हीं दो गुणों का उल्लेख कीजिए जिनका प्रदर्शन सुनीता ने संसूचक से गुजरने का कारण समझाते समय किया।
उत्तर:
(a) धातु संसूचक ac परिपथ में अनुनाद के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(b) परिपथ की प्रतिबाधा बदलती है। परिपथ में परिणामी धारा का मान बदलता है यही कारण है कि संसूचक ध्वनि उत्पन्न करने लगता है।
(c) (i) ज्ञान (ii) वैज्ञानिक मनोदशा।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
चित्र में प्रेरक L तथा प्रतिरोध R के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः 120 वोल्ट तथा 90 वोल्ट है तथा धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान 3A है गणना कीजिये:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 7
(i) परिपथ प्रतिबाधा
(ii) वोल्टता तथा धारा के बीच कलान्तर।
उत्तर:
(i) परिपथ की परिणामी वोल्टता यहाँ
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 8
VL = 120 वोल्ट
VR = 90 वोल्ट
तथा धारा I = 3 ऐम्पियर प्रतिबाधा
Z = ?
कलान्तर ¢ = ?
= 150 वोल्ट
परिपथ की प्रतिबाधा Z = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) = \(\frac{150}{3}\)
= 50 ओम

(ii) यदि वोल्टता तथा धारा के बीच कलान्तर हो, तो
tan ¢ = \(\frac{\mathrm{V}_{\mathrm{L}}}{\mathrm{V}_{\mathrm{R}}}\) = \(\frac{120}{90}\) = \(\frac{4}{3}\)
¢ = tan-1 \(\frac{4}{3}\)

प्रश्न 2.
एक 122 का प्रतिरोध, एक 1452 प्रतिघात का संधारित्र तथा 0.1 हेनरी प्रेरकत्व का एक शुद्ध प्रेरक श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं तथा इससे 200 V 50Hz की प्रत्यावर्ती धारा जोड़ दी गयी है। गणना कीजिये
(i) परिपथ में धारा,
(ii) धारा तथा वोल्टता के बीच कला कोण (x = 3 लीजिये)।
उत्तर:
यहाँ पर दिया गया है:
R = 15Ω, XC = 14Ω L = 0.1 हेनरी
Erms = 200 वोल्ट
f = 50 हर्ट्ज
XL = 2πfL = 2 × 3 × 50 x 0.1
= 30Ω
∴ परिपथ की प्रतिबाधा Z = \(\sqrt{\mathrm{R}^2+\left(X_L-X_C\right)^2}\)
Z = \(\sqrt{(12)^2+(30-14)^2}\)
= \(\sqrt{144+256}\)
= √400 = 2052
अतः (i) परिपथ में धारा
Irms = Erms
= \(\frac{200}{20}\)
= 10 ऐम्पियर

(ii)
tan ¢ = \(\frac{x_L-x_C}{R}\) = \(\frac{30-14}{12}\) = \(\frac{16}{12}\)
¢ = tan-1 \(\left(\frac{4}{3}\right)\)
अतः परिणामी वोल्टता धारा से tan-1 \(\left(\frac{4}{3}\right)\) कोण अग्रगामी होगी।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 3.
एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र 3 मी2 अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल तथा 100 फेरों वाली कुण्डली से बना है। जो 0.04 टेसला के चुम्बकीय क्षेत्र में 60 रेडियन/से. के नियत कोणीय वेग से घुमायी जा रही है। कुण्डली का प्रतिरोध 500 ओम है। गणना कीजिये: (i) जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा (ii) कुण्डली में व्यय हुई अधिकतम शक्ति है।
उत्तर:
दिया है।
A = 3 मी2, N = 100.
B = 0.04 टेसला, ω = 60 रेडियन/से.
R = 500 ओम
(i) जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा
Io = \(\frac{E_0}{R}\) = \(\frac{\mathrm{NBA} \omega}{\mathrm{R}}\)
= \(\left(\frac{100 \times 0.04 \times 3 \times 60}{500}\right)\)
= 1.44 ऐम्पियर

(ii) व्यय हुई अधिकतम शक्ति
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा 9

प्रश्न 4.
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ X तथा Y परिपथ अवयवों के श्रेणीक्रम संयोजन से बना है। धारा वोल्टता से कलान्तर अग्रगामी है। यदि अवयव X शुद्ध प्रतिरोध है जिसका मान 100Ω है, तो (i) परिपथ अवयव Y का नाम बताइये। (ii) यदि वोल्टता का वर्ग- माध्य-मूल मान 141 वोल्ट हो, तो धारा का वर्ग- माध्य-मूल मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
(i)
∵ X-Y के श्रेणीक्रम संयोजन में X शुद्ध प्रतिरोध है और धारा वोल्टता से \(\frac{\pi}{4}\) व कलान्तर अग्रगामी है, अतः परिपथ Y संधारित्र होगा।
(ii)
cos ¢ = \(\frac{R}{Z}\)
Z = \(\mathrm{R} / \cos \phi\)
Z = \(\frac{100}{\cos \frac{\pi}{4}}\) = \(\frac{100}{\frac{1}{\sqrt{2}}}\) = \(100 \sqrt{2}\)
अतः
Irms = \(\frac{E_{\mathrm{rms}}}{Z}\) = \(\frac{141}{100 \sqrt{2}}\)
= \(\frac{141}{100 \times 1.414}\) ऐम्पियर

प्रश्न 5.
एक संधारित्र तथा एक प्रतिरोध एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। यदि C तथा R के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः 120 V, 90 V तथा धारा का वर्ग माध्य-मूल मान 3 A हो, तो ज्ञात कीजिये:
(i) प्रतिबाधा
(ii) परिपथ का शक्ति गुणांक
उत्तर:
दिया है:
(i) Vc = 120 वोल्ट, VR = 90 वोल्ट, Irms = 3 ऐम्पियर
Vrms = \(\sqrt{V_R^2+V_C^2}\)
= \(\sqrt{(120)^2+(90)^2}\)
= \(\sqrt{14400+8100}\)
= \(\sqrt{22500}\)
= 150 वोल्ट
Vrms = 150 वोल्ट या Erms = 150 वोल्ट
\(\frac{E_{\mathrm{rms}}}{I_{\mathrm{rms}}}\) = \(\frac{150}{3}\) = 50Ω

(ii) शक्ति गुणांक cos = \(\frac{\mathrm{V}_{\mathrm{R}}}{\mathrm{V}_{\mathrm{mms}}}\)
= \(\frac{90}{150}\) = 0.6

प्रश्न 6.
एक विद्युत बल्ब पर 220 V आपूर्ति एवं 100 वाट शक्ति अंकित है, तो
(a) बल्ब का प्रतिरोध
(b) स्रोत की शिखर वोल्टता एवं
(c) बल्ब में प्रवाहित होने वाली r.m.s. धारा।
उत्तर:
दिया है:
E = 220 V
P = 100W
बल्ब का प्रतिरोध R = ?
शिखर वोल्टता E0 = ?
r.m.s. धारा I<sub>rms</sub> = ?
(a) P = E x I = E x \(\frac{E}{R}\) = \(\frac{E^2}{R}\)
R = \(\frac{E^2}{R}\) = \(\frac{220 \times 220}{100}\)
R = 484Ω

(b) स्रोत की शिखर वोल्टता
E0 = √2E = 1.414 x 220
= 311.08 V = 311 V

(c) ∴ I या I<sub>rms</sub> = \(\frac{P}{E}\)
I = \(\frac{100}{220}\)
= 0.455 A

प्रश्न 7.
किस समय पर ज्यावक्रीय प्रत्यावर्ती धारा का मान अपने शिखर मान का (i) आधा (ii) \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) गुना होगा?
उत्तर:
माना समय पर ज्यावक्रीय प्रत्यावर्ती धारा का मान शिखर
मान का आधा रह जाता है। अतः
I = \(\frac{\mathrm{I}_0}{2}\)
= I0 sin ωt
या
\(\frac{1}{2}\) = sin ωt ⇒ sin \(\frac{\pi}{6}\) = sin ωt1
या
ωt1 = \(\frac{\pi}{6}\)
= t1 = sin \(\frac{\pi}{6 \omega}\)
t1 = \(\frac{\pi}{2 \pi \mathrm{f} \times 6}\) = \(\frac{T}{12}\) सेकण्ड
इसी प्रकार यदि t2 समय पर I = \(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\) होता है तो
\(\frac{\mathrm{I}_0}{\sqrt{2}}\) = Io sin ωt2
या
⇒ \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = sin ωt2
⇒ sin ωt2 = sin \(\frac{\pi}{4}\)
या
ωt2 = \(\frac{\pi}{4}\)
या t2 = 4\(\frac{\pi}{4 \omega}\)
t2 = \(\frac{\pi}{4 \times 2 \pi \mathrm{f}}\)
= \(\frac{T}{8}\) सेकण्ड
∵ \(\frac{1}{f}\) = T

प्रश्न 8.
एक प्रत्यावर्ती परिपथ में आवृत्ति पर शक्ति गुणांक 0.707 है। आवृत्ति 120 हर्ट्ज हो जाये, तो शक्ति एक कुण्डली का 60 हर्ट्ज यदि प्रत्यावर्ती स्रोत की गुणांक क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि.
cos ¢ = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{Z}}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\sqrt{\mathrm{R}^2+\mathrm{X}_{\mathrm{L}}^2}}\)
दोनों तरफ वर्ग करने पर
cos2 ¢ = \(\frac{R^2}{R^2+X_L^2}\)
लेकिन दिया गया है cos ¢ = 0.707
(0.707)2 = \(\frac{\mathrm{R}^2}{\mathrm{R}^2+\mathrm{X}_{\mathrm{L}}^2}\)
0.5 = \(\frac{\mathrm{R}^2}{\mathrm{R}^2+\mathrm{X}_{\mathrm{L}}^2}\)
0.5 R2 + 0.5 XL2 = R2
0.5R2 = 0.5 XL2
R2 = XL2
∵ R = XL
cos ¢’= \(\frac{\mathrm{R}}{\sqrt{\mathrm{R}^2+\left(\mathrm{X}_{\mathrm{L}}{ }^{\prime}\right)^2}}\)
लेकिन दिया गया है XL = 2R
∵ अब आवृत्ति का मान दुगुना हो गया है।
cos ¢ = \(\frac{\mathrm{R}}{\sqrt{(\mathrm{R})^2+(2 \mathrm{R})^2}}\) = \(\frac{R}{\sqrt{5 R^2}}\)
cos ¢ = \(\frac{1}{\sqrt{5}}\) = \(\frac{\sqrt{5}}{5}\)
cos ¢ = 0.447
∵ शक्ति गुणांक cos ¢ = 0.447

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 9.
एक प्रत्यावर्ती परिपथ में किसी समय t पर विभव E = 200 sin 157 t cos 157 t वोल्ट और धारा I = sin ( 314t + \(\frac{\pi}{3}\) ) ऐम्पियर है। इस स्थिति में गणना कीजिये:
(अ) आवृत्ति
(स) परिपथ की प्रतिबाधा
उत्तर:
दिया गया है:
विभव E = 200 sin 157 t cos 157 t यहाँ Eo = 100 वोल्ट
E = 100 x 2 sin 157 t cos 157 t Io = I ऐम्पियर
हम जानते हैं कि:
sin 2t = 2 sin t cost
∴ E = 100 sin 2 x 157 t
¢ = \(\frac{\pi}{3}\) = 60°
E = 100 sin 314 वोल्ट

(अ) आवृत्ति f = \(\frac{\omega}{2 \pi}\) = \(\frac{314}{2 \times 3.14}\)
f = 50 हर्ट्ज
(ब) वर्ग माध्य मूल वोल्टता
Erms = \(\frac{E_0}{\sqrt{2}}\)
= 0.707 x 100
= 70.7 वोल्ट
Irms = \(\frac{I_0}{\sqrt{2}}\)
= 0.707 x 1
= 0.707 ऐम्पियर
(स) परिपथ की प्रतिबाधा
Z = \(\frac{E_{\text {r.m.s. }}}{\mathrm{I}_{\text {r.m.s. }}}\)
= \(\frac{70.7}{0.707}\)
= \(\frac{707 \times 1000}{707 \times 10}\)
Z = 100 ओम

(द) शक्ति गुणांक = cos ¢
cos 60° = \(\frac{1}{2}\) = 0.5

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. अर्थसूत्री विभाजन का परिणाम है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) युग्मकों का निर्माण
(B) क्रोमोसोम की संख्या में कमी
(C) विभिन्नताओं का जन्म
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।

2. सेन्ट्रोमियर भाग लेता है-
(A) ट्रान्सक्रिप्सन में
(B) विनिमय में
(C) साइटोप्लाज्मिक विदलन में
(D) गुणसूत्र की ध्रुव की ओर गति में।
उत्तर:
(D) गुणसूत्र की ध्रुव की ओर गति में।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

3. अर्धसूत्री विभाजन की किस अवस्था में अन्ततः युग्मकों का आनुवंशिक संगठन निर्धारित हो जाता है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) मध्यावस्था (I)
(B) पश्चावस्था II
(C) मध्यावस्था III
(D) पश्चावस्था I
उत्तर:
(A) मध्यावस्था (I)

4. जीवधारियों में अर्धसूत्री विभाजन किस दौरान होता है-
(A) लैंगिक जनन
(B) वर्षी प्रजनन
(C) लैंगिक व वर्धी प्रजनन दोनों
(D) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर:
(C) लैंगिक व वर्धी प्रजनन दोनों

5. अर्थसूत्री विभाजन की पश्चावस्था I के समय- (Exemplar Problem NCERT)
(A) समजात गुणसूत्र अलग हो जाते हैं
(B) असमजात ऑटोसोम अलग होते हैं।
(C) अर्धगुणसूत्र अलग होते हैं।
(D) नॉन-सिस्टर अर्धसूत्र अलग होते हैं।
उत्तर:
(A) समजात गुणसूत्र अलग हो जाते हैं

6. सूत्री विभाजन का विशिष्ट गुण है- (Exemplar Proble NCERT)
(A) निम्नकारी विभाजन
(B) समकारी विभाजन
(C) निम्नकारी व समकारी दोनों विभाजन
(D) उपर्युक्त कोई नहीं ।
उत्तर:
(B) समकारी विभाजन

7. केन्द्रक कला अदृश्य हो जाती है-
(A) प्रोफेज में
(B) मेटाफेज में
(C) एनाफेज में
(D) टीलोफेज में।
उत्तर:
(A) प्रोफेज में

8. कोशिका चक्र का सही क्रम है- (RPMT 2003)
(A) G1, S, G2, M
(B) G1, G2, S, M
(C) M, G1, G2, S
(D) S, G1, G2 M.
उत्तर:
(A) G1, S, G2, M

9. अर्द्धसूत्री विभाजन में समजाती गुणसूत्र कब पृथक् होते हैं ?
(A) मेटाफेज- I
(C) ऐनाफेज-1
(B) मेटाफेज-II
(D) ऐनाफेज-II.
उत्तर:
(C) ऐनाफेज-1

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

10. DNA का संश्लेषण किस अवस्था में होता है ? (UPCPMT2010)
(A) G1
(B) G2
(C) s
(D) M.
उत्तर:
(C) s

11. युम्मन के समय गुणसूत्रों के मध्य युग्मनहोता है-
(A) समान गुणसूत्रों के बीच
(B) समजात गुणसूत्रों के बीच
(C) असमजात गुणसूत्रों के बीच
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(B) समजात गुणसूत्रों के बीच

12. अर्धसूत्री विभाजन का वाइवेलेन्ट बना होता है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) दो अर्धगुणसूत्र व एक सेण्ट्रोमियर
(B) दो अर्धगुणसूत्र व दो सेण्ट्रोमियर
(C) चार अर्धगुणसूत्र व 2 सेण्ट्रोमियर
(D) चार अर्धगुणसूत्र व4 सेण्ट्रोमियर ।
उत्तर:
(C) चार अर्धगुणसूत्र व 2 सेण्ट्रोमियर

13. कोशिकाएँ जो विभाजित नहीं हो रही सम्भवतः कौन-सी अवस्था प्रदर्शित करती है ? (Exemplar Problem NCERT)
(A) G1
(C) Go
(B) G2
(D) SPhase.
उत्तर:
(C) Go

14. G1 अवस्था के बारे में सही कथन का चुनाव कीजिए- (Exemplar Problem NCERT)
(A) कोशिका उपापचयी रूप से असक्रिया होती है
(B) कोशिका का DNA प्रतिकृति नहीं बनाता
(C) यह दीर्घ अणुओंके संश्लेषण की प्रावस्था नहीं है।
(D) कोशिका वृद्धि बंद कर देती है।
उत्तर:
(B) कोशिका का DNA प्रतिकृति नहीं बनाता

15. अर्थसूत्री विभाजन-1 की प्रोफेज की उपावस्थाओं का सही कम है-
(A) जाइगोटीन, पैकोटीन, डिप्लोटीन, लैप्टोटीन, डिकाइनेसिस
(B) सैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन, डिकाइनेसिस
(C) डिकाइनेसिस, लैप्टोटीन, पैकीटीन, जाइगोटीन, डिप्लोटीन
(D) सैप्टोटीन, पैकीटीन, जाइगोटीन, डिकाइनेसिस, डिप्लोटीन
उत्तर:
(B) सैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन, डिकाइनेसिस

16. जीन विनिमय होता है-
(A) सेप्टोटीन में
(B) जाइगोटीन में
(C) पैकीटीन में
(D) डिप्लोटीन में
उत्तर:
(C) पैकीटीन में

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17. तर्क तन्दुओं का निर्माण इस प्रोटीन से होता है- (UPPMT 2008)
(A) मायोसीन
(B) एक्टिन
(C) ग्लोबुलर
(D) दयूबलिन।
उत्तर:
(D) दयूबलिन।

18. मनुष्य में अर्धसूत्री विभाजन होता है-
(A) यकृत एवं किडनी में
(B) नाखूनों की जड़ों में
(C) अस्थियों एवं उपास्थियों में
(D) वृषण एवं अण्डाशय में।
उत्तर:
(D) वृषण एवं अण्डाशय में।

19. निम्न में से कौन-सी परिघटना सूत्री विभाजन के समय नहीं देखी जाती ? (Exemplar Problem NCERT)
(A) क्रोमेटिन संघनन
(B) सेष्ट्रि ओल का विपरीत ध्रुवों की ओर गमन
(C) दो अर्धगुणसूत्र जो सेण्ट्रोमियर पर जुड़े हों वाले गुणसूत्र
(D) सिंग ओवर
उत्तर:
(D) सिंग ओवर

20. कोशिका लागू नहीं होता है-
(A) समसूत्री विभाजन में
(B) अर्द्धसूत्री विभाजन में
(C) A तथा B दोनों में
(D) इनमें से किसी में नहीं।
उत्तर:
(B) अर्द्धसूत्री विभाजन में

21. कौन-सी मीओसिस की सबसे लम्बी अवस्था है ? (UPPMT 2001)
(A) प्रोफेज-1
(C) एनाफे
(B) मेटाफेज-11
(D) टीलोफेन।
उत्तर:
(A) प्रोफेज-1

22. सूक्ष्म नलिकाएँ अनुपस्थित होती है-(CBSE PMT, 2001)
(A) माइटोकॉण्ड्रिया
(B) सेन्ट्रियोल
(C) फ्लैजिला
(D) तर्कु तन्तु ।
उत्तर:
(A) माइटोकॉण्ड्रिया

23. एक कोशिका एक मिनट में एक बार विभाजित होती है एक घण्टे में कोई ट्यूब विभाजित कोशिकाओं से भर जाती है तो आधा ट्यूव धरने में कितना समय लगेगा ? (UPPMT 2001)
(A) तीस मिनट
(C) 59 मिनट
(B) 61 मिनट
(D) 45 मिनट
उत्तर:
(C) 59 मिनट

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24. G2 अवस्था में गुणसूत्र में DNA की संख्या होती हैRPMT 2002)
(A) एक
(C) चार
(B) दो
(D) आठ
उत्तर:
(A) एक

25. मिओटिक मेटाफेज-1 के लिए कौन-सा कथन सत्य है ? (RPMT, 2002)
(A) युग्मित गुणसूत्र मध्यवर्ती अक्ष पर व्यवस्थित होते हैं
(B) अयुग्मित गुणसूत्र मध्य रेखापर व्यवस्थित होते हैं
(C) विषमजात गुणसूत्र जोड़ा बनाते हैं
(D) तर्कुन्दु गुणसूत्र से जुड़े होते हैं।
उत्तर:
(A) युग्मित गुणसूत्र मध्यवर्ती अक्ष पर व्यवस्थित होते हैं

26. समसूत्री विभाजन होता है- (RPMT, 2001)
(A) अगुणित जीवों में
(C) A व B दोनों में
(B) द्विगुणित जीवों में
(D) केवल जीवाणु में
उत्तर:
(C) A व B दोनों में

27. माइटोटिक मुख्य बने होते हैं- (CBSE PMT 2002, RPMT 2003 RPPMT 2006, 2008)
(A) दम्बुलिन के
(C) एक्टोमायोसिन के
(B) मायोसिन के
(D) मायोग्लोबिन के
उत्तर:
(A) दम्बुलिन के

28. प्रयोगशाला में समसूत्री विभाजन के अध्ययन के लिए सबसे उत्तम है- (RPPMT 2006, 2008)
(A) पुंकेसार
(B) मूलशीर्ष
(C) पर्णशी
(D) अण्डाशय।
उत्तर:
(B) मूलशीर्ष

29. यदि द्विगुणित कोशिका को कोल्विसीन से उपचारित किया जाता है यह हो जाती है- (CBSE PMT 2002)
(A) त्रिगुणित
(B) चतुर्गुणित
(C) द्विगुणित
(D) एक गुणित
उत्तर:
(B) चतुर्गुणित

30. समसूत्री विभाजन के दौरान गुणसूत्रों की संख्या (UPPMT 2003)
(A) बदल जाती है।
(B) नहीं बदलती है
(C) बदल सकती है यदि कोशिका परिपक्व है
(D) बदल सकती है यदि कोशिका अपरिपक्व हो ।
उत्तर:
(B) नहीं बदलती है

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

31. निम्न में से किस अवस्था में गुणसूत्र कोशिका के वियुक्त वृत्त पर व्यवस्थित हो जाते हैं ? (UPPMT 2003, RPMT, 2008, UPCPMT 2008, 12)
(A) एनाफेज
(B) मेटाफेज
(C) मोफेज
(D) टीलोफेन
उत्तर:
(B) मेटाफेज

32. DNA का द्विगुणन होता है- (RPMT 2003)
(A) S-फेज में
(B) प्रोफेज में
(C) मेटाफे में
(D) एनाफेज में
उत्तर:
(A) S-फेज में

33. गुणसूत्रों की संख्या किस अवस्था में आधी हो जाती है ? (RPMT 2004, 2006)
(A) पश्चावस्था-1
(B) पश्चावस्था-II
(C) अन्त्यावस्था-1
(D) अत्यावस्था-II.
उत्तर:
(A) पश्चावस्था-1

34. कियाज्पेटा का निर्माण होता है- (RPMT 2004)
(A) युग्मित समजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण
(B) अयुग्मित असमजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण
(C) युग्मित व समजात गुणसूत्रों के द्विगुणन के कारण
(D) गुणसूत्रों के अयुग्मित भाग के टूटने के कारण।
उत्तर:
(A) युग्मित समजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण

35. GI- प्रावस्था में कौन-सा संश्लेषित होता है ? (UPPMT, 2004)
(A) रामोजाइ
(B) हिस्टोन
(C) केन्द्रिकीय DNA
(D) DNA पॉलिमरेज व ट्यूबुलिन प्रोटीन ।
उत्तर:
(D) DNA पॉलिमरेज व ट्यूबुलिन प्रोटीन ।

36. अर्द्धसूत्रीविभाजन की किस अवस्था में कियामेटा दिखाई देता है ? (UPPMT 2004)
(A) डाइकाइनेसिस में
(B) डिप्लोटीन में
(C) मेटाफेज-11 में
(D) पैकीटीन में
उत्तर:
(D) पैकीटीन में

37. जाइगोटिक मीओसिस पाया जाता है- (UPPMT 2005)
(A) क्लेमाइडोमोनास में
(B) सभी यूकैरियोट्स में
(C) फ्यूनेरिया में
(D) इनमें से किसी मेंनहीं। बनाने के लिए 80 सूत्री विभाजन होत
उत्तर:
(A) क्लेमाइडोमोनास में

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

38. आवृतबीजियों में 64 युग्मनज हैं लेकिन जिम्नोस्पर्मस में जाता है- (UPPMT 2006)
(A) 40
(B) 80
(C) 160
(D) 20.
उत्तर:
(B) 80

39. कोशिका विभाजन के दौरान RNA तथा अहिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है- (RPMT 2009, UPCPMT 2009)
(A) S-प्रावस्था में
(C) G2-भावस्था में
(B) G1 भावस्था में
(D) M-प्रावस्था में।
उत्तर:
(B) G1 भावस्था में

40. टोलोमीयर पुनरावर्ती DNA अनुक्रम सुकेन्द्री गुणसूत्रों के कार्य का नियन्त्रण करते हैं क्योंकि थे- (CBSE-AIPMT 2007)
(A) रेप्लिकानों की तरह कार्य करते हैं
(B) RNA ट्रांसक्रिप्शन के आरम्भकर्ता होते हैं
(C) गुणसूत्र युग्मन में सहायता करते हैं
(D) गुणसूत्र हानि को रोकते हैं।
उत्तर:
(D) गुणसूत्र हानि को रोकते हैं।

41. किस कोशिका विभाजन के दौरान कोशिका पट्ट (Cell plate) का निर्माण होता है ? (UPCPMT 2007)
(A) कोशिका द्रव्य विभाजन
(B) केन्द्रक विभाजन
(C) अन्तरावस्था
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) कोशिका द्रव्य विभाजन

42. मानवों में प्रथम सूत्री विभाजन के बाद नर जनन कोशिकाएँ किसके रूप में विदित हो जाती हैं ? (CBSE AIPMT 2008)
(A) प्राथमिक प्रशुक्राणु जन
(B) द्वितीयक अशुक्राणुजन
(C) प्रशुक्राणुजन
(D) शुक्राणुजन ।
उत्तर:
(B) द्वितीयक अशुक्राणुजन

43. दिए गए चित्र में कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं की रूपरेखा दर्शायी गई है-
निम्नलिखित में से कौन कोशिका विभाजन की अवस्था का सही प्रदर्शन करता है ? (UPCPMT 2009)
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन 1
(A) B मध्यावसथा
(B) C-केन्द्रक विभाजन
(C) D संश्लेषण अवस्था
(D) A- कोशिका द्रव्य विभाजन ।
उत्तर:
(C) D संश्लेषण अवस्था

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

44. अर्धसूत्री विभाजन के बारे में गलत तथ्य है-
(A) समजात गुणसूत्रों का युग्मन
(B) पार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं
(C) अंत में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
(D) DNA प्रतिकृतिकरण के दो चक्र होते हैं।
उत्तर:
(D) DNA प्रतिकृतिकरण के दो चक्र होते हैं।

45. समसूत्री विभाजन के सम्बन्ध में सही विकल्प चुनिए – (AIPMT 2011)
(A) अन्त्यावस्था में अर्द्धगुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गति प्रारम्भ करते
(B) पूर्वावस्था के अन्त पर भी गॉल्जी समिश्र एवं अन्य दिखाई देती है द्रव्यी जालिका
(C) मध्यावस्था में गुणसूत्र तर्क मध्याक्ष की ओर गति करते हैं तथा मध्यवर्ती प्लेट के साथ व्यवस्थित हो जाते हैं।
(D) पश्चावस्था में अर्द्धगुणसूत्र हो जाते हैं किन्तु कोशिका के केन्द्र में ही बने रहते हैं।
उत्तर:
(C) मध्यावस्था में गुणसूत्र तर्क मध्याक्ष की ओर गति करते हैं तथा मध्यवर्ती प्लेट के साथ व्यवस्थित हो जाते हैं।

46. यदि अण्डकोशिका में गुणसूत्र की संख्या 8 हो तो भ्रूण में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी ? (UPCPMT 2011)
(A) 12
(B) 8
(C) 16
(D) 12.
उत्तर:
(A) 12

47. द्वितीय अर्द्ध-सूत्री विभाजन के फलस्वरूप होता है- (RPMT 2012)
(A) लिंग गुणसूत्रों का पृथक्करण
(B) नए DNA का संश्लेषण
(C) क्रोमेटिड्स तथा सेन्ट्रीमियर का पृथक्करण
(D) समजात गुणसूत्रों का पृथक्करण ।
उत्तर:
(C) क्रोमेटिड्स तथा सेन्ट्रीमियर का पृथक्करण

48. दिए गए चित्र में कोशिका विभाजन के दौरानएक निश्चित अवस्था पर एक विशेष घटना को प्रदर्शित किया जा रहा है कोशिका विभाजन की इस अवस्था को पहचानिए-(CBSE AIPMT 2012)
(A) अर्धसूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था-1
(B) अर्धसूत्रीविभाजन के दौरान पूर्वावस्था-II
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन 2
(C) सूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था
(D) सूत्री विभाजन के दौरान पूर्वीवस्था तथा मध्यावस्था ।
उत्तर:
(A) अर्धसूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था-1

49. सूत्र युग्मित समजात गुणसूत्रों के युग्प द्वारा बनाये गये सम्मिन्न को क्या कहा जाता है ? (NEET 2013)
(A) मध्यवर्ती पट्टी
(B) काइनेटोकोर
(C) greft (Bivalant)
(D) अक्षसूत्र (Axoneme)
उत्तर:
(C) greft (Bivalant)

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

50. चित्र में कोशिका विभाजन की एक अवस्था दर्शायी गयी है। अवस्था की सही पहचान और उसकी सही विशिष्टता को चुनिए-
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन 3

(A)अंत्यावस्था (टीलोफेज)केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सिम्मश्र भी दुबारा बन जाता है।
(B)परवर्ती पश्चावस्था (लेट ऐनाफेज)गुणसूत्र मध्यवर्ती पह्टी से दूर चले जाते हैं, गॉल्जी सम्मिश्र नहीं होता।
(C)कोशिकाभाजन (साइटोकाइनेसिस)कोशिकापह्टी बन जाती है, माइटोकीण्ड्रिया दोनों संतति कोशिकाओंमें वितरित हो जाती हैं।
(D)अंत्यावस्थ (टीलोफेज)एंडोप्लाज्ञिक रेटिकुलम और केन्द्रिका अभी दुबारा नहीं बने होते।

उत्तर:

(A)अंत्यावस्था (टीलोफेज)केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सिम्मश्र भी दुबारा बन जाता है।

B. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कोशिका चक्र की कौन-सी अवस्था सबसे लम्बी अवधि की होती है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
G1 अवस्था ।

प्रश्न 2.
कोशिका चक्र की सबसे छोटी तथा सबसे बड़ी प्रावस्थाओं के नाम बताए।
उत्तर:
सबसे छोटी प्रावस्था M तथा सबसे बड़ी प्रावस्था G1 है।

प्रश्न 3.
कोशिका चक्र का नियमन किस पदार्थ द्वारा होता है ?
उत्तर:
साइक्लिन निर्भर प्रोटीन काइनेज (cyclin dependent protein kinase) एन्जाइम द्वारा

प्रश्न 4.
DNA की दो कुण्डलियों को पृथक् करने का कार्य कौन-सा एन्जाइम करता है ?
उत्तर:
डी. एन. ए. हेलिकेज (DNA helicase) एन्जाइम ।

प्रश्न 5.
Go प्रावस्था की विशेषता लिखिए।
उत्तर:
Go प्रावस्था में कोशिका विभेदित हो जाती है जो विभाजन नहीं करती है।

प्रश्न 6.
सबसे कम तथा सबसे अधिक गुणसूत्र संख्या किन प्राणियों में पायी जाती है ?
उत्तर:
एस्कैरिस मैगालोसिफेला (Ascaris megalocephala) में सबसे कम (2) गुणसूत्र तथा ऑलाकैन्था (Alacantha) में सबसे अधिक (1600) गुणसूत्र पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
उस रंजक का नाम बताइये कि गुणसूत्रों के रंगने के लिए सामान्यतः प्रयोग किया जाता है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
एसीटोकामन ।

प्रश्न 8.
जन्तुओं और पौधों के कौन-से ऊतको में अर्धसूत्री विभाजन होता है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
जन्तु जनद (वृषण (testes) व अण्डाशय (ovaries). पौधे परागकोष (pollen sac), बीजाण्ड (owule) पुच्ची पौधों में बीजाणुधानी फर्म में।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

पान 9.
मिओसिस की किस अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होता है ?
उत्तर:
पैकीटीन (Pachytene) में।

प्रश्न 10.
प्याज की जड़ की कोशिका में यदि गुणसूत्र संख्या 18 है तो इसके युग्मक में गुणसूत्र होंगे।
उत्तर:
9 गुणसूत्र

प्रश्न 11.
किस अवस्था में सेण्ट्रोमीअर के विभाजन से प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों कोमेटिक पृथक होकर दो संतति गुणसूत्र बनाते हैं ?
उत्तर:
पश्चावस्था या पेनाफेज (anaphase) में।

प्रश्न 12.
कोशा विभाजन की किस अवस्था में क्रोमोसेन्टर तथा न्यूक्लिओलाई पुनः दृष्टिगत हो जाते हैं ?
उत्तर:
अन्त्यावस्था या टीलोफेज में

प्रश्न 13.
किसी समसूत्री विष पदार्थ का नाम लिखिए।
उत्तर:
कोल्वीसीन (colchicinc)

प्रश्न 14.
ऑन्कोजीन्स किससे सम्बन्धित होते हैं ?
उत्तर:
कैंसर (cancer) से।

प्रश्न 15.
किस उप-प्रावस्था में गुणसूत्र लम्बे पतले व अकुण्डलित होते
उत्तर:
तनुपट्ट या लैप्टोटीन (laprotene) अवस्था में।

प्रश्न 16.
जीन विनिमय में क्या होता है ?
उत्तर:
गुणसूत्र के समजात खण्डों की बदला बदली।

प्रश्न 17.
क्या बिना सेण्ट्रोमियर वाला गुणसूत्र विभाजन कर सकता है ? उत्तर नहीं क्योंकि यह अधिक समय के लिए जीवन धम (viable) नहीं होता।

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न- 1

प्रश्न 1.
अर्द्धसूत्री विभाजन केवल जन्द कोशिकाओं में ही क्यों होता है ?
उत्तर:
जनद कोशिकाओं से युग्मक (gamete) बनते समय गुणसूत्रों की संख्या घटकर आधी (अगुणित) रह जाती है। युग्मक केवल जनद कोशिकाओं में ही बनते हैं निषेचन (fertilization) के समय युग्मकों (gametes) के परस्पर मिलने से गुणसूत्रों की संख्या पुनः द्विगुणित (2n) हो जाती है। इससे प्रजाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में होने वाले विभाजन का नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) आवृतबीजी पौधों में पराग मातृ कोशिका से परागकण (pollen grain) बनने में।
(ii) यूलोथ्रिक्स में लघु चलबीजाणु बनने में।
(iii) फ्यूनेरिया के संपुट (capsule) में बीजाणु मातृ कोशिका से बीजाणु (spore) बनने में।
(iv) सरसों के पौधे में नई पत्ती बनने में
उत्तर:
(i) अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis)
(ii) समसूत्री विभाजन (mitosis)
(iii) अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis)
(iv) समसूत्री विभाजन (mitosis)।

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प्रश्न 3.
कैंसर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार कशेरुकियों में 20 ऐसे जीन्स (genes) होते हैं जो कोशिकाओं के अनियिमत विभाजन को प्रेरित करते हैं। इन्हें प्रोटोओंकोजीन्स (protooncogenes) कहते हैं। DNA के द्विगुणन के समय इनमें उत्परिवर्तन (mutation) होने से विभाजन में अनियमितताएं आ जाती हैं तथा कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है। इस रोग को कैन्सर कहते हैं।

प्रश्न 4
सूत्री विभाजन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
सूत्री विभाजन जीवधारी की दैहिक कोशिकाओं (somatic cell) में होती है। इसमें गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है। यही विभाजन ऊतक सम्बर्धन हेतु आवश्यक है। इस विभाजन से जीवधारियों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है जिससे वृद्धि होती है। ऊतकों की मरम्मत ( repair) व घावों का भरना इसी के द्वारा होता है। कुछ एककोशिकीय जीवों में इसके द्वारा जनन होता है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II

प्रश्न 1.
जन्तु कोशिका विभाजन तथा पादप कोशिका विभाजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जन्तु कोशिका विभाजन तथा पादप कोशिका विभाजन में अन्तर (Differences between Animal and Plant cell division)

जनु कोशिका विधाजनपदूप कोशिंका विभाजन
1. इनमें पूर्वावस्था (prophase) में तारक काय दो भागों में बँट कर प्रत्येक से तारा रशिमयाँ (astral rays) निकलती हैं। इस प्रकार का विभाजन तारक प्रकार का विभाजन कहलाता है।इनमें तारक काय (centrosome) का अभाव होता है अत: इसे अतारक प्रकार का विभाजन कहते हैं।
2. इसमें संतति तारक काय दूर खिसके लगते हैं और अन्तत विपरीत ध्रुवों पर स्थापित हो जाते है। इनके मध्य तर्कु तन्तुओं (spindle fibres) का निर्माण होता है।इनमें तर्कु तन्तु कोशिका के विपरीत छोरों से जुड़ते हैं। इनमें तारक रश्मियाँ (astral rays) नहीं बनती है।
3. कोशिका द्रव्य विभाजन कोशिका कला के अन्तर्वलन द्वारा होता है जिसे खांच विधि कहते हैं।कोशिका द्रव्य विभाजन मध्य प्लेट (mid plate) द्वारा होता है। इसे पह्टिका निर्माण विधि कहते हैं।

प्रश्न 2.
जीविनिमय (Crossing over) पर संधित टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जीन विनिमय (Crossing over ) अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था प्रथम की जाइगोटीन (zygotene ) उपावस्था में समजात गुणसूत्र (homologous chromosome ) परस्पर जोड़े बनाते हैं। इस क्रिया को युग्मबन्धन (synapsis) कहते हैं। पैकीटीन (pachytene) उपावस्था में प्रत्येक गुणसूत्र क्रोमेटिड्स में विभाजित हो जाता है और इस अवस्था के अन्त में समजात गुणसूत्रों के क्रोमेटिड्स कुछ बिन्दुओं पर परस्पर चिपक जाते हैं। बिन्दुओं को काइज्मेटा (chiasmata) कहते हैं। इस बिन्दु पर समजात गुणसूत्रों में क्रोमेटिड्स के टुकड़ों का आदान-प्रदान होता है। इस क्रिया को जीन-विनिमय (crossing over) कहते हैं। जीन (gene) विनिमय के फलस्वरूप गुणसूत्रों की जीन संरचना बदल जाती है।

प्रश्न 3.
युग्मकी तथा युग्मनजी अर्द्धसूत्री विभाजन को समझाइए ।
उत्तर:
युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (Gametic Meiosis) – यह जन्तुओं पादपों तथा कुछ शैवालों में होता है। इसमें मुख्य काय द्विगुणित (Diploid-2n) होती है और युग्मकों के निर्माण के समय अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) होता है। उत्पनन युग्मक ( gametes) अगुणित (haploid) होते हैं। इसे समापन अर्द्धसूत्री विभाजन (terminal meiosis) भी कहते हैं। युग्मजी अर्द्धसूत्री विभाजन (Zygotic Meiosis) – यह प्रोटोजोअन्स तथा शैवालों में पाया जाता है।

इनमें जीवन चक्र (life cycle) मुख्यतः अगुणित (haploid) होता है और द्विगुणित अवस्था ( diploid phase) बहुत कम समय की होती है। जैसे पुलोजिक्स (Ulothrix) में दो युग्मकों के मिलने से युग्मनज (zygote) बनता है। युग्मनज अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis) द्वारा चार अगुणित बीजाणु (haploid spores) बनाता है। इनसे अगुणित पौधे बनते हैं।

प्रश्न 4.
एक पुष्पी पौधे की मूलाग्र कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या 24 है उस पौधे की निम्नलिखित संरचनाओं में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी ?
(i) तना,
(ii) पत्ती,
(iii) परागकण,
(iv) भ्रूणपोष
(v) भ्रूण ।
उत्तर:
(i) तने में 24 गुणसूत्र,
(ii) पत्ती में 24 गुणसूत्र,
(iii) परागकण में 12 गुणसूत्र,
(iv) भूणपोष में 36 गुणसूत्र
(v) भ्रूण में 24 गुणसूत्र ।

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(E) निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कोशिका चक्र का विस्तृत वर्णन रेखाचित्र द्वारा कीजिए।
उत्तर:
कोशिका चक्र (Cell Cycle)
जीवधारियों के शरीर में विभाजन करने वाली कायिक कोशिकाओं (somatic cells) में वृद्धि एवं विभाजन का नियमित चक्र चलता रहता है। इस चक्र को कोशिका चक्र (cell cycle) कहते हैं। कोशिका चक्र कोशिका के पूर्ण जीवन काल को प्रदर्शित करता है। कोशिका का जीवन उसकी उत्पत्ति अर्थात कोशिका विभाजन के साथ संतति कोशिका ( daughter cell) के रूप में प्रारम्भ होता है और अगले कोशिका विभाजन के समाप्त होने के साथ समाप्त हो जाता है । संतति कोशिकाएँ जनक कोशिका की अपेक्षा छोटी होती हैं। वृद्धि की चरमसीमा पर पहुँचकर पुनः विभाजित होती है।

नियिमत रूप से विभाजन करने वाली कोशिकाओं में कोशिका चक्र की अवधि 10-30 घण्टे की होती है तथा कोशिका विभाजन (cell division ) से बनी संतति कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) की मात्रा बराबर तथा जनक कोशिकाओं के समान होती है। इसका अर्थ है कि कोशिका विभाजन से पूर्व इसके आनुवांशिक पदार्थ (genetic material) का अनुलिपिकरण होता है।

प्रश्न 2.
समसूत्री कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री कोशिका विभाजन या माइटोसिस (Mitotic cell division or mitosis)
समसूत्री विभाजन केवल यूकैरियोटिक जीवधारियों की कायिक कोशिकाओं (vegetative cells) में होता है। फलस्वरुप जनक- कोशिका (parent cell) दो समान संतति कोशिकाओं (daughter cells) में विभाजित हो जाती है। कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosomes) की संख्या जनक कोशिका के बराबर होती है । इसीलिए इसे समसूत्री विभाजन कहते हैं ।
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समसूत्री विभाजन को निम्नलिखित दो अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है-
A. केन्द्रक विभाजन या कैरियोकाइनेसिस (Karyokinesis)
B. कोशिकाद्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis)

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(अ) कोशिका द्रव्य विभाजन,
(ख) बीजाणु जनक मीओसिस
(स) युग्मकी अर्धसूत्री विभाजन,
(द) जाइगोटिक मीओसिस ।
उत्तर:
द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis – II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division) भी कहलाता है ।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II)
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II)
3. द्वितीय पश्चावस्था (Anaphase II)
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II )
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)

1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) गुणसूत्र दो अर्द्ध- गुणसूत्रों (chromatids ) सहित भली प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों में विभक्त होकर सेण्ट्रयोल पर लगे रहते हैं ।
(iii) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाते हैं ।
(iv) सेण्ट्रोमीयर तथा गुणसूत्र बिन्दु के मध्य में तर्क तन्तु बन जाते हैं ।

2. द्वितीय मध्यावस्था (Metaphase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) इस अवस्था में गुणसूत्र मध्यतल ( equator) पर आकर विन्यस्त हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दो अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर्स के विभाजित हो जाने के कारण अलग हो जाते हैं।
(iii) स्पिण्डिल तन्तु, सेण्ट्रोमियर्स से जुड़े रहते हैं ।

3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II )
इस अवस्था में गुणसूत्र से अलग अर्द्ध-गुणसूत्र, तर्क तन्तु के खिंचाव के कारण विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं । यही अर्द्ध-सूत्र आगे चलकर सन्तति कोशाओं में गुणसूत्र का निर्माण करते हैं ।

4. द्वितीय अन्त्यावस्था (Telohase II) ।
(i) अर्द्ध-गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर पहुँचकर पुनः फैलकर क्रोमेटिन जाल बनाते हैं ।
(ii) क्रोमेटिन जाल के चारों ओर केन्द्रक कला बन जाती है।
(iii) केन्द्रिका पुनः बन जाती है। इस प्रकार केन्द्रक का निर्माण पूर्ण हो जाता है ।
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5. कोशिकाद्रव्य (Cytokinesis)
केन्द्रकों के बन जाने के बाद, प्रत्येक कोशिका का कोशिकाद्रव्य दो समान भागों में विभाजित हो जाता है जिससे प्रकार द्वितीय मिओटिक विभाजन के पश्चात् चार अगुणित (haploid) सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं । सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस

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अर्द्धसूत्री विभाजन या न्यूनकारी विभाजन (Meiosis or Reduction Division)
अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) के फलस्वरुप गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या से आधी रह जाती है। इसीलिए इसे न्यूनकारी विभाजन (reduction division ) भी कहते हैं।
मूल रूप से अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया सभी जीवधारियों में एक ही प्रकार की होती है किन्तु जीवों के जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में होने के कारण कुछ जीव-वैज्ञानिकों ने तीन प्रकार के अर्द्ध-सूत्री विभाजन ( meiosis) का वर्णन किया है।
1. बीजाणु जनक अर्द्धसूत्री विभाजन (Sporogenetic meiosis) – बीजाणुओं (spores) के निर्माण के समय होने वाले अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis) को बीजाणु जनक मीओसिस कहते हैं। इस प्रकार का विभाजन केवल पादपों में पाया जाता है।
2. युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (Gametic Meiosis) – अधिकांश जन्तुओं एवं पादपों में युग्मन निर्माण के समय (शुक्रजनन एवं अण्ड जनन) अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। इसे युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (gametic meiosis) कहते हैं।
3. जाइगोटिक अर्द्धसूत्री विभाजन (Zygotic meiosis) – कुछ निम्न पादपों में निषेचन के तुरन्त बाद ही अर्द्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ हो जाता है। इसे जाइगोटिक अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं।

अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया (Process of Meiosis)
अर्द्धसूत्री विभाजन में दो क्रमिक कोशिका विभाजन होते हैं किन्तु गुणसूत्रों का विभाजन केवल एक बार ही होता है। अतः समसूत्री विभाजन की मुख्य विशेषता दो क्रमिक विभाजन तथा इनसे बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ (daughter cells) हैं। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसे प्रथम, न्यूनकारी विभाजन या मीओसिस – प्रथम (Ist reduction division or meiosis-I) कहते हैं। दूसरा अर्धसूत्री विभाजन समविभाजन (homotypic) या मीओसिस – II कहलाता है। यह सूत्री विभाजन ( mitosis) के समान ही होता है। जिसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या परिवर्तित नहीं होती है। उपरोक्त दोनों विभाजनों के फलस्वरूप चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं जिनमें से प्रत्येक में गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है।

प्रश्न 4.
समसूत्री विभाजन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis-II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division ) भी कहलाता है।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II),
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II),
3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II ),
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II),
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)

प्रश्न 5.
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन तथा द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis I)
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन को पूर्वावस्था प्रथम (Prophase I) मध्यावस्था प्रथम ( Metaphase I), पश्चावस्था प्रथम (Anaphase I) तथा अन्त्यावस्था प्रथम (Telophase I) द्वारा निरूपित करते हैं।
1. पूर्वावस्था प्रथम (Prophase – 1 ) – प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था अपेक्षाकृत जटिल एवं लम्बी होती है। इसे लेप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन तथा डाइकाइनेसिस नामक पाँच उप- अवस्थाओं में बाँटा गया है।
(a) तनुपट्ट अवस्था (Leptotene or Leptonema ) – लेप्टोटीन उपावस्था के साथ अर्द्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ होता है। इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं-
(i) केन्द्रक में क्रोमेटिन पदार्थ संघनित होकर पतले, लम्बे एवं अकुण्डलित तन्तुओं के समान गुणसूत्रों में बदल जाता है।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र में दो अर्द्धगुणसूत्र बन जाते हैं किन्तु इनके क्रोमेटिड (chromatids ) एक-दूसरे के चारों ओर इतने घनिष्ठ रूप से लिपटे रहते हैं कि इनको अलग से पहचानना सम्भव नहीं है।

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(b) युग्मपट्ट अवस्था (Zygotene or Zygonema) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) समजात गुणसूत्र एक-दूसरे केपास आकर जोड़े बनाते हैं, इसे युगली (bivalent ) कहते हैं ।
(ii) प्रत्येक युगल के सजातीय गुणसूत्र एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं और धीरे-धीरे एक-दूसरे के समीप आकर सजातीय गुणसूत्र (homologous chromosome) आपस में लिपट जाते हैं, इसे सिनेप्स (synapse) कहते हैं।
(iii) प्रत्येक बाइवेलेन्ट (bivalent) के दो गुणसूत्र एक ही द्विगुण गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड्स (chromatids ) जैसे लगते हैं और पूर्ण केन्द्रक में गुणसूत्रों की संख्या वास्तविक संख्या की आधी लगती है ।
(iv) तारक केन्द्र विभाजित होकर विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करने लगते हैं तथा केन्द्रिक के आकार के वृद्धि होती है।
(v) गुणसूत्र छोटे व मोटे दिखाई देते हैं।

(c) स्थूल पट्ट अवस्था (Pachytene or Pachynema ) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) सजातीय गुणसूत्रों के युग्मन या सिनेप्सिस के पश्चात् प्रत्येक बाइवेलेन्ट के युग्मित गुणसूत्र आंकुचन के कारण ओर अधिक छोटे व मोटे हो जाते हैं।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स (chromatids ) अधिक स्पष्ट हो जाते हैं जिससे प्रत्येक बाइवेलेंट चार स्पष्ट अर्द्धसूत्रों या क्रोमेटिड्स का बना प्रतीत होता है। अब इसे ट्रेट्रावेलेंट या टेट्राड (tatrad) कहते हैं।
(iii) सजातीय गुणसूत्रों में एक तनाव उत्पन्न होता है इससे दुर्बल क्रोमेटिड्स अनेक स्थानों पर टूट जाते हैं और अनुरुपी क्रोमेटिड्स में विच्छेदित खण्डों का विनिमय या पारस्परिक अदला-बदली होती है।
(iv) विनिमय की क्रिया को जीन विनिमय या क्रॉसिंग ओवर (crossing over) तथा विसंयोजन की क्रिया को पुनर्संयोजन (recombination) कहते

(d) द्विपट्ट अवस्था (Diplotene or Diplonema) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) क्रोमेटिड्स के टूटने पर गुणसूत्रों के बीच आकर्षण बल समाप्त हो जाता है और इनमें प्रतिकर्षण आरम्भ हो जाता है।
(ii) सजातीय गुणसूत्र अकुण्डलित होकर पृथक् होने लगते हैं किन्तु विनिमय (crossing over) वाले स्थानों पर यह एक-दूसरे से चिपके रह जाते हैं। इन स्थानों को क्याज्पेटा (chiasmata) कहते हैं ।
(iii) प्रत्येक बाइवेलेन्ट के और अधिक छोटा होने पर क्याज्मेटा गुणसूत्रों के सिरों की ओर फिसलने लगते हैं। क्याज्मेटा इस प्रकार फिसलने को उपान्ती भवन या टर्मीनेलाइजेशन (terminalization) कहते हैं।
(iv) इस उपावस्था में केन्द्रक कला तथा केन्द्रिक (nucleolus) दोनों ही विलुप्त हो जाते हैं।
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(e) पारगतिक्रम या डाइकाइनेसिस (Diakinesis) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) वाइवेन्ट सिकुड़कर और अधिक मोटे व छोटे हो जाते हैं और गुणसूत्र गहरी रंगीन कायों (bodies) के रुप में दिखाई देते हैं तथा केन्द्रक की परिधि पर पहुँच जाते हैं।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों अर्द्धगुणसूत्र इतने निकट होते हैं कि उनको अलग-अलग नहीं पहचाना जा सकता।
(iii) इस उपावस्था के अन्त में तारक केन्द्र एवं तारक गोलार्द्ध (centriole and centrosphere) विभाजित होकर विमुख ध्रुवों की ओर चले जाते हैं।
(iv) केन्द्रक कला ( nuclear membrane) पूर्ण रुप से विलुप्त हो जाती है तथा गुणसूत्र कोशिकाद्रव्य में मुक्त हो जाते हैं।
(v) इस उपावस्था में केन्द्रीय तर्कु (central spindle) का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है।

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2. मध्यावस्था प्रथम (Metaphase I) – इस अवस्था में-
(i) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका पूर्णतया विलुप्त हो जाते हैं ।
(ii) स्पिण्डिल तन्तु पूर्ण तथा विकसित हो जाते हैं तथा दोनों ध्रुवों तथा गुणसूत्र बिन्दुओं पर जुड़ जाते हैं।
(iii) गुणसूत्र अपने अर्द्ध गणसूत्र सहित तर्क के मध्य रेखा ( equator) पर व्यवस्थित ( arranged) हो जाते हैं ।
(iv) गुणसूत्र अधिक स्पष्ट एवं बड़े दिखाई देते हैं।

द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis – II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division) भी कहलाता है ।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II)
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II)
3. द्वितीय पश्चावस्था (Anaphase II)
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II)
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)

1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) गुणसूत्र दो अर्द्ध- गुणसूत्रों (chromatids) सहित भली प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों में विभक्त होकर सेण्ट्रयोल पर लगे रहते हैं ।
(iii) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाते हैं ।
(iv) सेण्ट्रोमीयर तथा गुणसूत्र बिन्दु के मध्य में तर्क तन्तु बन जाते हैं ।

2. द्वितीय मध्यावस्था (Metaphase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) इस अवस्था में गुणसूत्र मध्यतल ( equator) पर आकर विन्यस्त हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दो अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर्स के विभाजित हो जाने के कारण अलग हो जाते हैं।
(iii) स्पिण्डिल तन्तु, सेण्ट्रोमियर्स से जुड़े रहते हैं ।

3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II) इस अवस्था में गुणसूत्र से अलग अर्द्ध-गुणसूत्र, तर्क तन्तु के खिंचाव के कारण विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं । यही अर्द्ध-सूत्र आगे चलकर सन्तति कोशाओं में गुणसूत्र का निर्माण करते हैं ।

4. द्वितीय अन्त्यावस्था (Telohase II) ।
(i) अर्द्ध-गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर पहुँचकर पुनः फैलकर क्रोमेटिन जाल बनाते हैं ।
(ii) क्रोमेटिन जाल के चारों ओर केन्द्रक कला बन जाती है।
(iii) केन्द्रिका पुनः बन जाती है। इस प्रकार केन्द्रक का निर्माण पूर्ण हो जाता है ।
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5. कोशिकाद्रव्य (Cytokinesis)
केन्द्रकों के बन जाने के बाद, प्रत्येक कोशिका का कोशिकाद्रव्य दो समान भागों में विभाजित हो जाता है जिससे प्रकार द्वितीय मिओटिक विभाजन के पश्चात् चार अगुणित (haploid) सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं । सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं।

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प्रश्न 6.
समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:

क्रमअर्ब्छसूत्री विभाजन (Melosis)समसूली विभाजन (Mitosis)
1. यह जनन कोशिकाओं में युग्मकों (gametes) के निर्माण के समय होता है।1. शरीर की सभी कोरिकाओं (vegetative cells) में वृद्धि विकास के लिए होता है।
2. यह दो बार में पूर्ण होता है। मीओसिस I न्यूनकारी होता है तथा मीओसिस II समविभाजन होता है। पूर्वावस्था-I (prophase-I)2. पूर्ण विभाजन क्रिया एक बार में ही पूर्ण हो जाती है।
3. यह लम्बी एवं जटिल प्रक्रिया है जिसे पाँच उप-अवस्थाओं लेप्टोटीन (Leptotene), जाइगोटीन (Zygotene), पैकीटीन (Pachytene) डिप्लोटीन (Diplotene) तथा डाइकानेसिस (Diakinesis) में बाँटा जाता है।3. प्रोफेज्ञ (Prophase) अपेक्षाफृत छेटी अवस्था है। इसे उप-अवस्थाओं में नहीं बॉंटा जाता है।
4. प्रोफेज के प्रारम्भ में प्रत्येक गुणसूत्र एक एकल रचना के रूप में होता है।4. गुणसूत्र दो लम्बवत् भागों में बँट जाते हैं, जिन्हें कोमेटिह्स कहते हैं।
5. समजात गुणसूत्र युग्मन (synapase) करके डायड (dyad) बनाते हैं।5. गुणसूत्रों में युग्म नहीं बनते हैं।
6. सजातीय गुणसूत्र एक-दूसरे से लिपटे रहते हैं।6. अर्द्ध-गुणसूत्र (chromatids) में कुण्डलित होते हैं।
7. पैकीटीन उपावस्था में क्रॉसिग ओवर (crossing over) तथा कियाज्मेटा का निर्माण होता है जिससे सजातीय गुणसूत्रों के क्रोमेटिड में आनुवंशिक पदार्थ का विनिमय (exchange) होता है।7. इसमें क्रतिंग ओवर तथा किभाज्भेटा (chiasmata) का निर्माण नहीं होता है।
8. इसमें गुणसूत्र टेट्रेड (tetrade) के रूप में होते हैं जिनमें चार अर्द्ध-गुणसूत्र होते हैं।8. इसमें गुणसूत्र ड्वायड (dyad) के कूप में होते हैं त्रिनें दो अर्द्ध-सूत्र होते है।
9. विषुवत् पर टेरेटे का विन्यास इस प्रकार होता है कि उनके दोनों सेन्ट्रोमियर्स विषुवत से धुवों की ओर तथा भुजाएँ विषुवत की दिशा में होती हैं।9. ड्ञायड़ो (dyad) का विन्यास इस प्रकार होता है कि सेच्ट्रोमीयर विषुवत् (equator) की ओर तथा भुजाएँ ध्रुवों की ओर होती है।
10. सेन्ट्रोमीयर्स का विभाजन नहीं होता किन्तु डायड में से सजातीय गुणसूत्र अलग रहते हैं।10. मेटाकेज में सेन्ट्रोमीयर्स के युगर्लो (bivalent) का विभाजन होता है।
11. इस अवस्था में गुणसूत्र युगलों (bivalent) में दो अर्द्ध-गुणसूत्र (chromatids) होते हैं।11.  इसमें एकल गुणसूू होते हैं।
12. गुणसूत्र अत्यधिक छोटे एवं मोटे होते हैं।12. गुणसूत्र अपेक्षाकृत्त बड़े वषा कम मोटे होते हैं।
13. अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रथम अन्त्यावस्था (telophase) सार्वत्रिक रूप से कोशिकाओं में नहीं पायी जाती है। विभाजनशील केन्द्रक सीधे ही पश्चावस्था से पूर्वावस्था द्वितीय में आ जाता है। महरंव (Importance)13. अन्त्यावस्था (telophase) सार्वत्रिक रूप से कोशिकाओं में पाथी जाती हैं। इसके बाद कोशिकात्रव्य का विभाजन होता है।
14. अर्द्धसूत्री विभाजन के अन्त में चार कोशिकाएँ बनती हैं।14. इसाके अन्न में दो कोशिकाएँ बनती हैं।
15. संतति कोशिकाएँ (daughter cells) अगुणित होती हैं अर्थात् इनमें गुणसूत्रों की संख्या जनक की आधी होती हैं।15. संतति कोशिकाएँ (daughter cells) द्विगुणित होती हैं अर्थात् गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिक के बराबर होती है।
16. संतति कोशिकाएँ आनुवंशिक रूप से जनन कोशिका में भिन्न होती है।16. संतति कोशिकाएँ जनक कोशिका से आनुवंशिक रूप से समान होती हैं

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4. असूत्री विभाजन (Amitosis) – इसे सीधा विभाजन ( direct division) भी कहते हैं। यह कोशिका विभाजन की सरलतम विधि है। इस प्रकार का विभाजन श्रेणी के सरल रचना वाले एककोशिकीय (unicellular) जीवों, जैसे-क्लेमाइडोमोनास, यीस्ट, अमीबा आदि में होता है। सूत्री विभाजन (amitosis) केन्द्रक के दीर्घीकरण से प्रारम्भ होता है। लम्बे हुए केन्द्रक में एक संकीर्णन बनने के कारण इसकी आकृति डम्बल जैसी हो जाती है। संकीर्णन के और अधिक गहरा होने से केन्द्रक दो भागों में बँट जाता है। इसके साथ ही कोशिका द्रव्य भी दो भागों में बँटा जाता है और दो संतति कोशिकाएं बन जाती हैं।
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प्रश्न 7.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
असूत्री विभाजन ।
उत्तर:
असूत्री विभाजन (Amitosis) -इसे सीधा विभाजन (direct division) भी कहते हैं। यह कोशिका विभाजन की सरलतम विधि है। इस प्रकार का विभाजन श्रेणी के सरल रचना वाले एककोशिकीय (unicellular) जीवों, जैसे —क्लेमाइडोमोनास, यीस्ट, अमीबा आदि में होता है। सूत्री विभाजन (amitosis) केन्द्रक के दीर्घीकरण से प्रारम्भ होता है। लम्बे हुए केन्द्रक में एक संकीर्णन बनने के कारण इसकी आकृति डम्बल जैसी हो जाती है। संकीर्णन के और अधिक गहरा होने से केन्द्रक दो भागों में बँट जाता है। इसके साथ ही कोशिका द्रव्य भी दो भागों में बँटा जाता है और दो संतति कोशिकाएँ बन जाती हैं।
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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु  Important Questions and Answers.

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(A) वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित दो कार्बनिक यौगिकों के संरचनात्मक सूत्रों में से कौन, उसके सम्बन्धित कार्य के साथ सही प्रकार से पहचाना गया है ? (CBSE AIPMT)
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु 1

(A) A: ट्राइग्लिसराइड – ऊर्जा का मुख्य स्रोत
(B) B : यूरेसिल – DNA का एक संघटक ‘
(C) A : लैसीथिन – कोशिका कला का एक संघटक
(D) B: एडीनीन – एक न्यूक्लिओटाइड, जो न्यूक्लिक अम्ल बनाता है।
उत्तर:
(B) B : यूरेसिल – DNA का एक संघटक ‘

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु

2. एपोएन्जाइम होता है एक-
(A) प्रोटीन
(B) कार्बोहाइड्रेट
(C) विटामिन
(D) अमीनो अम्ल ।
उत्तर:
(A) प्रोटीन

3. DNA द्विकुण्डलिनी के दोनों सूत्र परस्पर जुड़ रहते हैं-
(A) हाइड्रोजन बन्धों द्वारा
(B) हाइड्रोफोबिक बन्धों द्वारा
(C) पेप्टाइड बन्धों द्वारा
(D) फास्फोडाइएस्टर बन्धों द्वारा ।
उत्तर:
(C) पेप्टाइड बन्धों द्वारा

4. हिस्टोन में पाए जाने वाले अमीनो अम्ल हैं- (RPMT)
(A) आर्जिनिनि तथा हिस्टीडीन
(B) आर्जिनीन तथा लाइसी
(C) बेलीन तथा हिस्टीडीन
(D) लाइसीन तथा हिस्टीडीन ।
उत्तर:
(C) बेलीन तथा हिस्टीडीन

5. नीचे A D तक चार सूत्र दिए गए हैं- इनमें से कौन-सा एक क्षारीय अमीनो अम्ल के सही संरचना सूत्र को प्रदर्शित करता है ? (CBSE-AIPMT)
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु 2

(A) C
(C) A
(B) D
(D) B.
उत्तर:
(A) C

6. एक एंजाइमी अभिक्रिया के दौरान बनी पदार्थ की परिवर्तित अवस्था रचना है-
(A) क्षणिक परन्तु स्थिर
(B) स्थायी परन्तु अस्थिर
(C) क्षणिक और अस्थिर
(D) स्थायी और स्थिर ।
उत्तर:
(A) क्षणिक परन्तु स्थिर

7. फास्फोग्लिसेराइड सदैव बने होते हैं- (NEET)
(A) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक संतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है
(B) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक असंतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है।
(C) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक संतृप्त या असंतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है।
(D) फॉस्फेट समूह से एस्टरीकृत एक संतृप्त या संतृप्त वसा अम्ल जिसमें एक ग्लिसरॉल अणु भी संयोजित रहता है।
उत्तर:
(D) फॉस्फेट समूह से एस्टरीकृत एक संतृप्त या संतृप्त वसा अम्ल जिसमें एक ग्लिसरॉल अणु भी संयोजित रहता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु

8. काइटिन महाअणु- (NEET)
(A) नाइट्रोजनी पॉलीसेकेराइड है
(B) फास्फोरसमय पॉलीसेकेराइड है।
(C) सल्फरमय पॉलीसैकेराइड है
(D) सरल पॉलीसेकेराइड हैं।
उत्तर:
(B) फास्फोरसमय पॉलीसेकेराइड है।

9. अनेक सह एंजाइमों के रासायनिक घटक क्या हैं ?
(A) प्रोटीन
(C) कार्बोहाइड्रेट
(B) न्यूक्लिक अम्ल
(D) विटामिन ।
उत्तर:
(A) प्रोटीन

(B) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न के लिए एस्टर बंध, ग्लाइकोसिडिक बंध, पेप्टाइड बंध व हाइड्रोजन बंध में से सही बंध का चुनाव कीजिए-(Exemplar Problem NCERT)
(A) पालीसैकेराइड
(B) प्रोटीन
(C) वसा
(D) जल
उत्तर:
(A) ग्लाइकोसिडिक,
(B) पेप्टाइड बंध,
(C) एस्टर बंध,
(D) हाइड्रोजन बंध

प्रश्न 2.
किसी एक अमीनो अम्ल शर्करा, न्यूक्लिओटाइड व वसीय अम्ल का नाम लिखिए। (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
अमीनो अम्ल – ग्लाइसीन, एलेनीन, वैलीन।
शर्करा – ग्लूकोस, फ्रक्टोस, सुक्रोस ।
न्यूक्लिओटाइड – एडीनोसीन, ट्राइफॉस्फेट ।
वसीय अम्ल – स्टीयरिक अम्ल, पामिटिक अम्ल, ब्यूटाइरिक अम्ल ।

प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ?
उत्तर:
कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बने यौगिक जिनका सामान्य सूत्र (CH2 O)n होता है।

प्रश्न 4.
संगठन के तीन स्तरों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • उप-परमाण्विक स्तर,
  • परमाण्विक स्तर तथा
  • आण्विक स्तर ।

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प्रश्न 5.
जैविक तत्व किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे तत्व जो जीवधारी की शरीर रचना में भाग लेते हैं।

प्रश्न 6.
तीन वृहत् तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन, वसा।

प्रश्न 7.
स्टार्च परीक्षण में क्या प्रदर्शित होता है ?
उत्तर:
स्टार्च आयोडीन घोल ( iodine solution) के साथ नीला-काला रंग देता है

प्रश्न 8.
दो असंतृप्त वसा अम्लों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लिनोलीक (linolic) तथा लिनोलेनिक (linolenic) अम्ल ।

प्रश्न 9.
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं में कौन-से बन्य होते हैं ?
उत्तर:
पेप्टाइड बन्ध (peptide bonds)।

प्रश्न 10.
यूनीमेरिक प्रोटीन अणु क्या होते हैं ?
उत्तर:
यूनीमेरिक प्रोटीन अणु में केवल एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला (polypeptide chain) होती है।

प्रश्न 11.
प्राकृत संरूपण के आधार पर प्रोटीन्स के कितने स्तर होते हैं ?
उत्तर:
चार स्तर – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक व चतुष्क स्तर ।

प्रश्न 12.
ATP के उच्च ऊर्जा बन्ध के जल अपघटन से विमोचित ऊर्जा की कितनी मात्रा होती है ?
उत्तर:
7.3k cal. किलो कैलोरी ।

प्रश्न 13.
एन्जाइम क्रियाविधि की ताला चाबी परिकल्पना किसने प्रस्तुत की ?
उत्तर:
एमिल फिशर (1894) ने।

प्रश्न 14.
एन्जाइम क्रिया विधि की प्रेरित जोड़ संकल्पना किसने प्रस्तुत की ?
उत्तर:
कोशलैण्ड (Koshland: 1960) ने ।

प्रश्न 15.
काइटिन क्या है ?
उत्तर:
काइटिन सेलुलोस की भाँति संरचनात्मक पॉलीसेकेराइड (stuctural polysacharide) है ।

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प्रश्न 16.
दो हैक्सोज शर्कराओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • ग्लूकोस,
  • फ्रक्टोस ।

प्रश्न 17.
डेक्स्ट्रान क्या है ?
उत्तर:
यीस्ट एवं जीवाणुओं के संचायक होमोपॉलीसेकेराइड ।

प्रश्न 18.
एगार- एगार क्या होता है ?
उत्तर:
समुद्री शैवालों से प्राप्त श्लेष्मी पॉलीसेकेराइड ।

प्रश्न 19.
संयुग्मित लिपिड क्या होते हैं ?
उत्तर:
ये ऐल्कोहॉल के साथ वसीय अम्लों के एस्टर हैं जिनमें एक फॉस्फेट, कार्बोहाइड्रेट या प्रोटीन समूह भी होता है।

प्रश्न 20.
जब एक पेन्टोज शर्करा एक नाइट्रोजनी क्षारक से जुड़ती है तो क्या बनता है ?
उत्तर:
एक न्यूक्लिओसाइड ( nucleoside )

प्रश्न 21.
डी. एन. ए. की संरचना का डबल हैलिकल मॉडल किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
वाटसन एवं क्रिक ने।

प्रश्न 22.
सह-संयोजी बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनने वाले बन्ध सहसंयोजी बन्ध कहलाते हैं।

प्रश्न 23.
डी. एन. ए. द्विरज्जुक में ग्वानिन व साइटोसीन के बीच कितने हाइड्रोजन बन्ध बनते हैं ?
उत्तर:
तीन (CG)

प्रश्न 24.
प्यूरीन तथा पिरिमिडीन का क्या अनुपात होता है ?
उत्तर:
A/T = 1 तथा G / C = 1

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न-I

प्रश्न 1.
प्रोटीन्स के विकृतीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
उच्च तापमान या pH परिवर्तन के फलस्वरूप प्रोटीन्स की तृतीयक या चतुष्क संरचना को बनाए रखने वाले बन्ध टूट जाते हैं, जिससे प्रोटीन्स की प्रकार्य सक्रियता समाप्त हो जाती है। इसे विकृतीकरण (denaturation ) कहते हैं। जैसे- अण्डे को उबालने पर इसका पीतक ( yolk ) जम जाता है।

प्रश्न 2.
जीवधारियों के शरीर में होने वाली उपचय तथा अपचय क्रियाओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
उपचय या संश्लेषण अभिक्रियाओं के तरल अणुओं से जटिल अणुओं का संश्लेषण होता है जैसे ग्लूकोस के अणुओं के संयोजन से ग्लाइकोजन का निर्माण। अपचय ( catabolic) क्रियाओं में जटिल अणु छोटे-छोटे अणुओं में विघटित हो जाते हैं और ऊर्जा मुक्त होती है जैसे श्वसन क्रिया।

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प्रश्न 3.
न्यूक्लिक अम्ल में पाए जाने वाले विभिन्न नाइट्रोजनी क्षारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्यूरीन्स (Purines ) –

  • एडिनीन ( Adenine)
  • ग्वानीन ( Guanine)

पिरिमिडीन्स (Pyrimidines)-

  • साइटोसीन (Cytosine)
  • थाइमीन (Thymine)
  • यूरेसिल (Uracil)।

प्रश्न 4.
वसा अम्ल क्या है ?
इनका सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
वसा अम्ल (Fatty acid) ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बनते हैं। तीन अणु वसा अम्ल तथा एक अणु ग्लिसरॉल मिलकर वसा (fat) अणु बनाते हैं। वसा अम्ल का सामान्य सूत्र CH3(CH2)n COOH है ।

प्रश्न 5.
जैविक अणुओं का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्त:
जैविक अणुओं का संश्लेषण पौधों एवं जन्तुओं में होता है। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अकार्बनिक अणुओं से जैविक अणुओं का संश्लेषण करते हैं। जन्तु इन्हें भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। जन्तुओं द्वारा इनसे आवश्यक अन्य जैव अणुओं का संश्लेषण होता है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न-II

प्रश्न 1.
ऊष्माशोषी तथा ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (Endothermic reactions ) – ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा का अवशोषण होता है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (endothermic reactions) कहलाती हैं। जैसे- प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) ।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु 4

C6H12O6 + 6H2 O + 6O2
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (Exothermic reactions ) – ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऊर्जा मुक्त होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (exothermic reactions) कहलाती हैं-जैसे श्वसन (Respiration) ।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा

प्रश्न 2.
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्लों का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
(A) आवश्यक अमीनो अम्ल (Essential Amino Acids) – इन ऐमीनो अम्लों का संश्लेषण हमारे शरीर में नहीं हो सकता है। यह हमें केवल पौधों से भोजन के रूप में प्राप्त होते हैं। परन्तु किसी भी पादप स्रोत में ये सभी आवश्यक एमीनो अम्ल ( amino acids) नहीं पाए जाते हैं। जन्तु प्रोटीन्स में सभी आवश्यक ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं। आवश्यक एमीनो अम्लों की संख्या 10 है ।

(B) अनावश्यक एमीनो अम्ल (Non essential Amino 3(Non-essential Acids) इन ऐमीनो अम्लों का संश्लेषण स्वयं शरीर द्वारा अन्य ऐमीनो अम्लों द्वारा हो जाता है। अतः इन्हें अतिरिक्त रूप से भोजन में लेने की आवश्यकता नहीं होती है, इनकी संख्या भी 10 है।

प्रश्न 3.
ATP क्या है ? ATP की संरचना समझाइए ।
उत्तर;
ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine triphosphate) एक उच्च ऊर्जा यौगिक है। इसका निर्माण राइबोस शर्करा, नाइट्रोजनी क्षारक तथा फॉस्फेट समूह के जुड़ने से होता है। सर्वप्रथम नाइट्रोजनी क्षारक एडेनीन एवं राइयोज शर्करा (ribose sugar) अणु मिलकर एडिनोसिन (adenosine) न्यूक्लिओसाइड (nucleoside) बनाते हैं। न्यूक्लिओसाइड से अब एक फॉस्फेट जुड़कर न्यूक्लिओटाइड ( nucleotide ) बनता है। इसे एडिनोसिन मोनोफास्फेट (AMP) कहते हैं। न्यूक्लिओसाइड से न्यूक्लिओटाइड
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु 3

बनने बने फास्फोडाइएस्टर बन्ध में 1500-1800 कैलारी प्रतिमोल ऊर्जा संचित होती है। AMP में अब एक और फॉस्फेट अणु जुड़ता है तथा एडिनोसिन डाइ फास्फेट ( ADP) बनता है और इस बन्ध में 7300 कैलोरी मोल ऊर्जा संचित होती है। अब ADP में एक और फॉस्फेट अणु जुड़ता है जिससे एडिनोसिन है ट्राइ फॉस्फेट ( ATP ) बनता है। इस बन्ध में भी 7300 कैलारी मोल ऊर्जा संचित होती है। ATP को ऊर्जा की करेन्सी कहा जाता है। ATP जब ADP में बदलता है तब ऊर्जा मुक्त होती है जो जैविक क्रियाओं में प्रयोग की जाती है।

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प्रश्न 4.
माइकेलिस स्थिरांक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
माइकेलिस स्थिरांक (Michalis constant ) – रासायनिक अभिक्रिया में क्रियाधार (substrate) की वह सान्द्रता जिस पर क्रिया की गति उसकी अधिकतम गति की आधी होती है, माइकेलिस स्थिरांक कहलाता है। यह क्रियाघर (substrat ) से लगाव प्रदर्शित करता है। इसे Km से दर्शाते हैं। Km का मान एन्जाइम का क्रियाधार (substrate) से अधिक लगाव की स्थिति में कम होता है। किसी भी विकर में Km का मान अलग-अलग क्रियाधारों में अलग-अलग होता है।

प्रश्न 5.
न्यूक्लिओसाइड्स तथा न्यूक्लिओटाइड में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिओसाइड्स तथा न्यूक्लिओटाइड्स में अन्तर (Differences between Nucleside and Nucleotides)-

न्यूक्लिओसाइड्स (Nucleosides)न्यूक्लिओटाइड्स (Nucleotides)
1. इसमें एक नाइट्रोजनी क्षारक तथा एक पेन्टोस शर्करा होती है।इसमें एक नाइट्रोजनी क्षारक, एक | पेन्टोस शर्करा तथा एक फॉस्फेट समूह होता है।
2. यह स्वभाव में क्षारीय ( basic ) होते हैं।यह स्वभाव में अम्लीय (acidic) होते हैं।
3. यह न्यूक्लिओटाइड्स के घटक अणु होते हैं।यह न्यूक्लिक अम्लों के घटक अणु होते हैं।

प्रश्न 6.
संतृप्त तथा असंतृप्त वसा अम्लों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
संतृप्त वसा अम्ल तथा असंतृप्त वसा अम्ल में अन्तर (Differences between saturated fatty acids and unsaturated fatly acids)

संतृप्त वसा अम्लअसंतृप्त वसा अम्ल
1. इनमें शृंखला के सभी कार्बन परमाणु एकल बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं।श्रृंखला के एक या अधिक स्थानों पर कार्बन कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि या त्रि बन्ध होते हैं।
2. इनमें श्रृंखला के शीर्षस्थ कार्बन – COOइसमें दोहरे बन्धों वाले कार्बन परमाणुओं पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते हैं।
3. यह सामान्य ताप पर ठोस (solid) होते हैं।यह सामान्य ताप पर द्रव (liquid) होते हैं।
4. इनका गलनांक (melting point) अधिक होता है।इनका गलनांक (melting point) कम होता है।
5. यह सामान्यतया जन्तु वसाओं किन्तु कुछ पौधों में भी पाए जाते हैं ।यह सामान्यतया पादप वसाओं में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
न्यूक्लिओटाइड्स के कार्य लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिओटाइड्स के कार्य (Functions of Nucleotides ) – न्यूक्लिओटाइड्स के निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) न्यूक्लीक अम्लों का निर्माण (Formation of Nucleic Acids) – न्यूक्लिओटाइड्स के बहुलीकरण (polymerization) से न्यूक्लीक अम्ल DNA, RNA बनते हैं।

(2) ऊर्जा वाहकों का निर्माण (Formation of Energy Carriers) न्यूक्लिओटाइड्स फास्फेट अणुओं से संयुक्त होकर AMP ADP व ATP बनाते हैं।

(3) सह- एन्जाइम का निर्माण (Formation of Co-enzymes ) – न्यूक्लिओटाइड्स अन्य अणुओं से संयुक्त होकर NAD, NADP, FAD, FMN आदि सह- एन्जाइम (Coenzeyme) बनाते हैं। अनेक सह एंजाइम विटामिन के रूप में कार्य करते हैं। श्वसन एवं प्रकाश संश्लेषण क्रियाओं में प्रयोग में आते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोहाइड्रेट्स क्या हैं? कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख संवर्गों का उल्लेख कीजिए। सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट का रासायनिक सूत्र लिखिए। बताइए कि जन्तु में कार्बोहाइड्रेट्स की क्या भूमिका है ?
अथवा
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इनका महत्व लिखिए।
अथवा
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इन्हें सैकेराइड्स क्यों कहते हैं? इनका वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
कार्बोहाइड्रेट्स क्या हैं ? इनका खोत तथा संयोजन लिखिए । कार्बोहाइड्रेट के विभिन्न प्रकार लिखिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेटस (Carbohydrates)
कार्बोहाइड्रेटस, कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के यौगिक हैं, जिनमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात जल में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के अनुपात के समान होता है। इसीलिए इन्हें कार्बन के हाइड्रेटस (hydrates of carbon) कहते हैं। इनका सामान्य सूत्र Cn (H2 O)n या (C2 H2 O) है।

कार्बोहाइड्रेट्स को शर्करा के यौगिक या सैकेराइड्स भी कहते हैं क्योंकि या तो ये शर्करा होते हैं अथवा शर्करा एककों (monomers) के बहुलक (polymes) होते हैं। कुछ कार्बोहाइड्रेटस में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या सल्फर के परमाणु (atom) भी होते हैं। इनमें एक से अधिक हाइड्रोक्सिल समूह (OH) भी होते हैं।

कार्बोहाइड्रेट के स्रोत (Sources of carbohydrates) – कार्बोहाइड्रेट्स भोजन के मौलिक घटक हैं। हरे पादप सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण द्वारा CO2 एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। पौधों के शुष्क भार (dry weight) का लगभग 80% भाग कार्बोहाइड्रेट का बना होता हैं।

कार्बोहाइड्रेटस के तीन प्रकार (Three Types of Carbohydrates) –
1. मोनोसैकेराइडस
2. औलिगोसैकेराइड्स तथा
3. पॉलीसैकेराइड्स । मोनोसैकेराइडस तथा ओलिगोसैकेराइड्स सामान्य शर्कराएँ हैं, जो जल में घुलनशील हैं। इन्हें लघु अणु कहते हैं जबकि पॉलिसैकेराइडस को वृहदाणु कहते शर्करा (Sugas) – स्वाद में मीठे कार्बोहाइड्रेट्स ही शर्करा कहलाते हैं जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस, सुक्रोस आदि। सभी मीठे पदार्थ शर्करा (sugar) नहीं होते। मोनोसैकेराइड व डाइसैकेराइड विभिन्न प्रकार की शर्कराएँ हैं।
1. मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides) या सरल शर्कराएँ (Simple Sugars) –
मोनोसैकेराइड्स सरलतम कार्बोहाइड्रेटस हैं, जिन्हें सरल शर्कराएं भी कहते है। इनका और अधिक छोटा इकाइया में जल अपघटन (hydrolysis) नहीं हो सकता। इनका सामान्य सूत्र CnH2On होता है। मोनोसैकेराइडस के प्रत्येक अणु में 3-7 कार्बन परमाणु होते हैं।

प्रत्येक मोनोसैकेराइड्स अणु में कार्बन अणुओं की एक अशाखित श्रृंखला (unbranched chain) होती है जिसमें कार्बन परमाणु एकल सहसंयोजी बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। एक कार्बन परमाणु दोहरे बन्ध द्वारा एक ऑक्सीजन परमाणु से जुड़कर कार्बोनिल समूह बनाता है। शेष कार्बन परमाणुओं में से प्रत्येक परमाणु हाइड्रोक्सिल समूह (-OH) से जुड़ा होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु

कार्बोनिल समूह जब कार्बन श्रृंखला के छोर पर होता है तो ऐल्डिहाइड (HCO) समूह बनाता है। ऐसी शर्करा एल्डोलेस कहलाती है। जब कार्बोनिल समूह मध्यवर्ती कार्बन से जुड़ा हो तो कीटोन समूह (C = O) बनता है। इन्हें कीटोज कहते हैं। इसी आधार पर मोनोसैकेराइड्स के दो प्रमुख रासायनिक गुण हैं। कीटोन या ऐल्डिहाइड समूह वाली शर्करा Cu u++ को Cut में अपचयित ( reduce ) कर देती है।

इन्हें अपचायक शर्कराएँ (reducing sugars) कहा जाता है। यही बेनेडिक्ट (Benedict’s ) टेस्ट या फेहलिंग टेस्ट (Fehling’s Test) का आधार है। मोनोसैकेराइड्स का वर्गीकरण (Classification of Monosaccharides) कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर मोनोसैकेराइड्स को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
(i) ट्रायोजेस (Trioses: CHO2 – इनके प्रत्येक अणु में 3- कार्बन परमाणु होते हैं जैसे – ग्लिसरैल्डीहाइड (glyceraldehyde ) तथा डाइहाइड्रॉक्सी ऐसीटोन (Dihydroxyacetone)। यह सबसे छोटे मोनोसैकेराइड्स हैं।

(ii) टेट्रोजेस (Tetroses: C4H6 O4 ) – यह चार कार्बन परमाणु वाली शर्कराएँ हैं, जैसे- एरिथ्रोस ( erythrose) तथा थ्रिओस (threose)।

(iii) पेन्टोज (Pentose C5 H10H5 – यह पाँच कार्बन वाली शर्कराएँ हैं जो कोशिका द्रव्य में मुक्त रूप से नहीं मिलती हैं। जैसे-राइबोस, राइबुलोस, जाइलोस, आर्बीनोस, डिऑक्सीराइबोस।

(iv) हेक्सोस (Haxose C6 H12O6) – इनमें कार्बन के छ: परमाणु होते हैं। यह एक सामान्य कार्बोहाइड्रेट है। जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस, गैलेक्टोस तथा मैनोस इन चारों का रासायनिक सूत्र एक समान होता है। इनमें से केवल ग्लूकोस (glucose) तथा फ्रक्टोस (fructose) विलयन के रूप में मिलते हैं।

इनके अणुओं में परमाणुओं के विन्यास में अन्तर के कारण इनके गुणों में अन्तर होता है। ग्लूकोस, फ्रक्टोस तथा मेनोस की संरचना में प्रथम व द्वितीय कार्बन में अन्तर होता है। फ्रक्टोस कीटोस है जबकि ग्लूकोस व मैनोस एल्डोस हैं। गैलेक्टोस में 4- कार्बन में – OH समूह की स्थिति के कारण यह ग्लूकोज से भिन्न होता है ।

(v) हेप्टोस (Heptose C7 H14O7) – यह सात कार्बन परमाणु वाली शर्कराएँ (sugars) हैं, जैसे- सीडो हेप्टुलोस (sedoheptulose) तथा ग्लूकोहेप्टोस (glucoheptose) ।

प्रश्न 2.
लिपिड्स क्या हैं ? इनके उदाहरण दीजिए। लिपिड्स के विशिष्ट गुण लिखिए।
अथवा
वसा क्या है ? यह कितने प्रकार की होती हैं ? संतृप्त तथा असंतृप्त वसा अम्ल में अन्तर लिखिए ।
अथवा
लिपिड्स का संयोजन बताइए तथा लिपिड्स का वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर:
लिपिड्स (Lipids)
लिपिड विविध प्रकार के तैलीय, स्नेहकीय (lubricant) तथा मोम के समान कार्बनिक पदार्थ हैं जो जीवधारियों में पाए जाते हैं। घी, चर्बी, वनस्पति तेल, मोम, प्राकृतिक रबर, कोलेस्ट्रॉल, पादपों के रंगा पदार्थ एवं गंधयुक्त पदार्थ जैसे – मेंथाल यूकेलिप्टस आयल, वसा में घुलनशील विटामिन्स, स्टीरॉइड हॉर्मोन्स आदि लिपिड्स ही होते हैं। सभी लिपिड्स में निम्नलिखित दो लक्षण समान रूप से पाए जाते हैं-
(a) यह सब वास्तविक या सम्भाव्य रूप से वसीय अम्लों के एस्टर (esters of fatty acids) होते हैं।

(b) यह सब अध्रुवीय (non-polar) होते हैं। अतः यह जल में अघुलनशील परन्तु अध्रुवीय कार्बनिक विलायकों जैसे – क्लोरोफार्म, ईथर, बेन्जीन आदि में घुलनशील होते हैं ।

सभी लिपिड अणु छोटे जैव अणु होते हैं। इनका अणुभार 750 से 1500 ही होता है । कार्बोहाइड्रेटस की भाँति लिपिड्स भी कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बने होते हैं, परन्तु इनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं का अनुपात 2: 1 नहीं होता है। हाइड्रोजन तथा कार्बन के परमाणुओं की संख्या ऑक्सीजन के परमाणुओं से बहुत अधिक होती है।

कुछ में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन तथा सल्फर के भी कुछ परमाणु होते हैं । रासायनिक दृष्टि से लिपिड्स वसीय अम्लों (fatty acids) तथा ग्लिसरॉल (glycerol) के एस्टर या ग्लिसरॉइडस होते हैं । अर्थात लिपिड का एक अणु वसीय अम्लों के तीन तथा ग्लिसरॉल के एक अणु के मिलने से बनता है ।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु 5

वसीय अम्ल (Fatty acids) – वसीय अम्लों का सामान्य सूत्र CH3 (CH2)n COOH होता है। यह अधिकांश लिपिड्स का प्रमुख भाग बनाते हैं । प्रत्येक वसीय अम्ल के अणु में हाइड्रोकार्बन्स (CH) की एक अशाखित श्रृंखला होती है। श्रृंखला के एक छोर के कार्बन परमाणु से एक कार्बोक्सिल समूह (- COOH) तथा दूसरे छोर के कार्बन परमाणु से एक मेथिल समूह ( – CH3) जुड़ा होता है ।

संतृप्त एवं असंतृप्त वसीय अम्ल (Saturated and Unsaturated Fatty Acids) – कुछ वसीय अम्लों में सभी कार्बन परमाणु एकल सहसंयोजी बन्धों (covalent bond) द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, इन्हें संतृप्त वसीय अम्ल (saturated fatty acids) कहते हैं।

जन्तु वसाओं में प्रायः ऐसे ही वसीय अम्ल होते हैं। अन्य वसीय अम्लों की हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाओं में निश्चित स्थानों के कार्बन परमाणु दोहरे बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसा प्रत्येक C- परमाणु एक अतिरिक्त हाइड्रोजन परमाणु से भी जुड़ सकता है। ऐसे वसीय अम्ल असंतृप्त वसीय अम्ल ( unsaturated fatty acids) कहलाते हैं।

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प्रश्न 3.
प्रोटीन की रचना प्रकार एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन्स (Proteins)
प्रोटीन शब्द प्रोटिओज (proteose) नामक ग्रीक शब्द से व्युत्पन्न हुआ है – जिसका अर्थ है पहला स्थान रखना। बर्जिलियस (1837 ) ने प्रोटीन की उत्प्रेरक क्रिया (catalytic reaction) को प्रस्तुत किया। प्रोटीन (protein) शब्द सर्वप्रथम मुल्डर (1839 ) ने दिया । कोशिकाओं में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ प्रोटीन ही होता है ।

प्रोटीन्स कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन सभी प्रोटीन्स का आवश्यक घटक है। प्रोटीन्स में सल्फर की भी कुछ मात्रा होती है। प्रोटीन्स की प्रतिशत मात्रा विभिन्न स्रोतों में भिन्न-भिन्न होती है जैसे- स्तनियों की पेशियों में 20%, रक्त प्लाज्मा में 70%, गाय के दूध में 3.5%, अनाज में 12%, दालों में 20%, अण्डे की सफेदी में 11-13%, अण्डे के पीतक ( yolk) में 15-17%, मुर्गे के गोश्त में 24%, सोयाबीन में 40% तथा मशरुम्स में 55% तक प्रोटीन्स होती है ।

प्रोटीन की संरचनात्मक इकाई : अमीनो अम्ल (Building Blocks of Protein : Amino acids)
प्रोटीन की निर्माणकारी इकाइयाँ अमीनो अम्ल होते हैं। यह एक प्रकार के कार्बनिक अम्ल हैं जिनमें कम-से-कम एक मुक्त अमीनो समूह (-NH2) तथा एक कार्बोक्सिलिक समूह ( – COOH) अवश्य होता है। अर्थात् अमीनो अम्ल मोनो या डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल हैं जिनमें एक या दो अमीनो समूह होता है । a कार्बन का स्थान कार्बोक्सिल कार्बन से अलग होता है ।

अमीनो अम्ल के a कार्बन की चार संयोजकताएँ में से एक पर अमीनो समूह (2), एक पर कार्बोक्सिलिक समूह (COOH), एक पर  हाइड्रोजन व एक पर पार्रव श्रृंखला होती है। यह पार्रव श्रृंखला ध्रुवीय (polar) या अध्रुवीय (non-polar) हो सकती है। इनका सामान्य सूत्र R – CHNH2 COOH होता है। ग्लाइसीन (glycine) सबसे सरल प्रकार का अमीनो अम्ल होता है। प्रत्येक अमीनो अम्ल उभयधर्मी (amphoteric) यौगिक होता है, क्योंकि इसमें – COOH मन्द अम्लीय व – NH2 मन्द क्षारीय समूह पाए जाते हैं। अमीनो अम्लों के आय विटर आयन्स (zwiter ions) कहलाते हैं।
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अनिवार्य एवं अनानिवार्य अमीनो अम्ल (Essential and non essential amino acids) – अब तक ज्ञात अमीनो अम्लों में से केवल 20 प्रकार के अमीनो अम्ल जैविक महत्व के होते हैं। सूक्ष्मजीवों एवं पादपों में इन बीसों प्रकार के अमीनो अम्लों का निर्माण होता है । परन्तु स्तनियों में केवल 10 ही शरीर में बनते हैं इन्हें अनानिवार्य अमीनो अम्ल (non-essential amino acids) कहते हैं। शेष 10 अमीनो अम्लों को ये स्तनी भोजन से प्राप्त करते हैं, जिन्हें अनिवार्य अमीनो अम्ल (essential amino acids) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
एन्जाइम की रासायनिक संरचना एवं इनकी क्रियाविधि समझाइए ।
उत्तर:

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माइकेलिस स्थिरांक ( Michaelis constant) – रासायनिक अभिक्रिया में क्रियाधार की वह सान्द्रता जिस पर क्रिया की गति उसकी अधिकतम गति की आधी होती है, माइकेलिस स्थिरांक कहलाता है क्रियाधार से लगाव प्रदर्शित करता है। इसे Km से दर्शाते हैं। Km का मान एन्जाइम का क्रियाधार से अधिक लगाव की स्थिति में कम होता है।

किसी भी विकर में Km का मान अलग-अलग क्रियाधारों में अलग-अलग होता है। विकरों की क्रियाविधि को ताला चाबी परिकल्पना (lock and Key hypothesis) द्वारा समझाया जाता है। रासायनिक क्रियाओं के सम्पन्न होने के लिए ऊर्जा के ‘इनपुट’ की आवश्यकता होती है।

इस ऊर्जा की सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहा जाता है। क्रियाधार के एंजाइम से बंधने से सक्रियण ऊर्जा कम हो जाती है। वास्तव में सक्रियण ऊर्जा में कमी लाकर ही एंजाइम क्रिया की दर को बढ़ाते हैं। इसके अनुसार ताला क्रियाधार (substrate) तथा चाबी विकर की भाँति कार्य करती हैं। जिस प्रकार चाबी
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प्रश्न 5.
आई. यू. बी. प्रणाली के अनुसार विकरों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
विकरों का वर्गीकरण (Classification of Enzymes ) – विकर जिन पदार्थों पर क्रिया करते हैं, जिस प्रकार की क्रिया को उत्प्रेरित करते हैं अथवा है बनने वाले उत्पाद के नाम के पीछे ऐज (-ase) शब्द लगाकर इनका नामकरण किया जाता है- एन्जाइमों को उनकी कार्यात्मक विशिष्टता या उनकी उत्प्रेरक क्रिया (catalytic activity) के आधार पर अग्रलिखित 6 मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया गया

एन्जाइम समूह (Enzyme group)अभिक्रिया का प्रकार (Type of Reaction)
1. ऑक्सीडोरिडक्टेज (Oxydoredu- ctase)ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रियाएँ (Oxydation- reduction)
2. ट्रांसफरेज (Transferase)यह क्रियात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण समूह जैसे- CH3 NH2 आदि का एक अणु से दूसरे अणु में स्थानांतरण करता है।
3. हाइड्रोलेजेज (Hydrolases)यह क्रियाधर (substarate) का जल अपघटन करते हैं।
4. आइसोमरेजेज या म्यूटेजेज (Isomerases or Mutases)यह परमाणुओं का पुनर्वितरण करके किसी यौगिक के एक आइसोमर को दूसरे आइसोमर में बदलते हैं।
5. लायेजेज (Lyases)जल की अनुपस्थिति में विशिष्ट संयोजी बंधों को तोड़ते हैं तथा समूहों को हटाते हैं ।
6. लाइगेजेज सिंथेटेजेज (Ligases Synthetases)ऊर्जा के उपयोग से दो अणुओं को जोड़ने की क्रिया को उत्प्रेरित करते हैं। बंध का निर्माण करते हैं।

विवरण व उदाहरण यह इलेक्ट्रॉन अथवा या (H+ आयन) को घटाकर अथवा जोड़कर क्रिया सम्पन्न करते हैं- जैसे साइटोक्रोम ऑक्सीडेज साइटोक्रोम की ऑक्सीकृत करता है, लैक्टेट डिहाइड्रोजिनेज फॉस्फोट्रांसफरेज (phosphotransferase) – फॉस्फेट समूह का एक अणु से दूसरे अणु में स्थानांतरण करता है। जैसे- ग्लूटेमेट पाइरूवेट ट्रांसएमीनेज । सभी पाचक एन्जाइम इस श्रेणी में आते हैं। जैसे पेप्सिन (pepsin) आदि ।

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यह जल के अणु की सहायता से बड़े अणुओं को छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं जैसे – एमाइलेज म्यूटेज (mutase) जैसे – फॉस्फोहेक्सोज आइसोमरेज (Phosphoheose isomerase) ग्लूकोज -6- फॉस्फेट को फ्रक्टोज – 6- फॉस्फेट में बदल देता है । हिस्टीडिन डिकार्बोक्टिनेज हिस्टीडिन के C-C बंध को तोड़कर हिस्टीडिन व कार्बनडाइऑक्साइड बनाता है। DNA लाइगेज दो DNA खण्डों को जोड़ता है। पाइरूवेट कार्बोक्सिलेज, पाइरूविक अम्ल व CO2 को जोड़कर ऑक्सेलोएसीटेट बनाता है।

प्रश्न 6.
न्यूक्लिक अम्ल क्या होते है ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? इनके कार्य लिखिए ।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid)
फ्रेडरिक मीशर (Frederick Meischer) ने 1869 में सर्वप्रथम पस कोशिकाओं (pus cells) में न्यूक्लिक अम्ल ( nucleic acid) की खोज की थी। क्योंकि यह केन्द्रक में पाये जाते हैं अतः इन्हें न्यूक्लिन ( nuclein) नाम दिया गया। बाद में इनकी अम्लीय प्रवृत्ति का पता लगने पर इन्हें न्यूक्लिक अम्ल (nucleic acids) कहा गया। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फेट से बने वृहद् अणु  (maeromolecules) होते हैं। न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लिओटाइड्स (nucleotides) के रेखीय बहुलक (polymers) होते हैं अर्थात् न्यूक्लिक अम्ल की इकाई न्यूक्लिओटाइड है। न्यूक्लिओटाइड्स आपस में फॉस्फोडाइऐस्टर बन्धों (phosphodiester bonds)

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द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में तीन प्रकार के अणु होते हैं, एक पंचकार्बनी शर्करा (pentose sugar), एक नाइट्रोजन क्षारक ( nitrogenouse base) तथा एक फॉस्फेट समूह ( phosphate group) ।
1. पंच कार्बनी शर्करा (Pentose sugar) – यह दो प्रकार की होती हैं- राइबोस शर्करा (ribose sugar) तथा डिऑक्सीराइबोस शर्करा ( deoxyribose sugar)।
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2. नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogeneous bases) – यह दो मुख्य प्रकार के होते हैं-

  • प्यूरीन (Purines) – यह दो वलयों वाले क्षारक हैं तथा दो प्रकार के होते हैं- एडिनीन ( adenine) तथा ग्वानीन ( guanine)।
  • पिरिमिडीन्स (Pyrimidines) – यह एक वलय वाले क्षारक हैं जो तीन प्रकार के होते हैं- सायटोसीन (cytosine), थायमीन (thymine) तथा यूरेसिल (uracil)।

3. फॉस्फेट समूह (Phosphate Group) – यह दो न्यूक्लिओटाइड्स को बंध बनाकर जोड़ते हैं।
न्यूक्लिक अम्ल के प्रकार (Types of Nucleic acids) न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं-

1. डिऑक्सीरिबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic acid or DNA ) – इसके न्यूक्लिओटाइड एक पंच कार्बनीय शर्करा डी-ऑक्सीराइबोस, एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडिनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थाइमीन में से कोई एक ) तथा फॉस्फेट समूह के बने होते हैं।

2. राइबोन्यूक्लिक अम्ल (Ribonucleic acid ) – इनमें राइबोस शर्करा (ribose sugar) पायी जाती है। इसका प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड एक शर्करा अणु, एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडिनीन, ग्वानीन, साइटोसिन तथा यूरेसिल में से कोई एक तथा फॉस्फेट समूह से मिलकर बनता है। यह तीन प्रकार के होते हैं-

  • संदेश वाहक आर.एन.ए. (mRNA)
  • स्थानांतरण आर.एन.ए. ( tRNA)
  • राइबोसोमल आर. एन. ए. ( FRNA)

प्रश्न 7.
DNA की संरचना का द्विरज्जुक मॉडल (Double helical model) का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic Acid, DNA
डी.एन.ए. (de-oxyribonucleic acid) न्यूक्लिओटाइड ( nucleotide ) अणुओं का रेखीय बहुलक (polymer) है। यह आनुवंशिक सूचनाओं (genetic informations) का वाहक (carrier) है। यह गुणसूत्रों (chromosoms) का प्रमुख घटक है और इनके द्वारा लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाता है । यूकैरियोटिक कोशिकाओं में यह केन्द्रक के अतिरिक्त माइटोकान्ड्रिया तथा हरित लवक में भी पाया जाता है। DNA जीवजगत का अनूठा आणु है क्योंकि यह प्रतिकृतिकरण (replication) कर सकता है।

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डी. एन. ए. की संरचना (Structure of DNA)
DNA उच्च अणुभार वाला वृहत् अणु है। इसका निर्माण हजारों न्यूक्लिओटाइडों के फॉस्फोडाइएस्टर बन्धों द्वारा जुड़ने से होता है। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में तीन अणु होते हैं – एक डिऑक्सीराइबोस शर्करा अणु एक नाइट्रोजनी क्षारक अणु तथा एक फॉस्फेट समूह । न्यूक्लिओटाइड्स, न्यूक्लिओसाइड्स के फॉस्फेट होते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओसाइड एक शर्करा अणु व एक नाइट्रोजनी क्षारक से मिलकर बना होता है ।
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न्यूक्लिओसाइड (Nucleosides ) सबसे पहले पेन्टोस शर्करा (pentose sugar) अणु से एक नाइट्रोजनी क्षारक प्रथम कार्बन पर B ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा जुड़कर न्यूक्लिओसाइड बनाता है। क्योंकि DNA के निर्माण में चार प्रकार के नाइट्रोजनी क्षारक भाग लेते हैं। इस आधार पर न्यूक्लिओसाइड भी चार प्रकार के होते हैं-

(i) डि-ऑक्सीएडिनोसीन (Deoxyadenosine) – एडिनोसिन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।

(ii) डि-ऑक्सीग्वानोसीन (Deoxyguanosine)- ग्वानोसीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।

(iii) डि-ऑक्सीसायटिडीन ( Deoxycytidine ) – सायटोसीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।

(iv) डि-ऑक्सीथायमिडीन (Deoxythymidine ) – थायमीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।

न्यूक्लिओटाइड (Nucleotides) – न्यूक्लिओसाइड डाइएस्टर बंधू द्वारा अब फॉस्फोरिक अम्ल के साथ जुड़कर न्यूक्लिओटाइड

(nucleotide) बनाता है। नाइट्रोजनी क्षारकों के आधार पर न्यूक्लिओटाइड भी चार प्रकार के होते हैं-
(i) डि-ऑक्सीएडिनिलिक अम्ल (Deoxyadenylic acid) – डि-ऑक्सीएडिनोसीन + फॉस्फोरिक अम्ल ।

(ii) डि-ऑक्सीग्वानीलिक अम्ल (Deoxyguanylic acid ) – डि-ऑक्सीग्वानोसीन + फॉस्फोरिक अम्ल
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(iii) डि-ऑक्सीसाइटिडिलिक अम्ल (Deoxycytidylic acid ) – डि- आक्सीसायटिडीन + फॉस्फोरिक अम्ल

(iv) डि-ऑक्सीथाइमीडिलिक अम्ल ( Deoxythymidylic acid ) – डि-ऑक्सीथाइमिडीन + फॉस्फोरिक अम्ल ।
इस प्रकार बने न्यूक्लिओटाइड एक-दूसरे से विभिन्न क्रमों में जुड़कर पॉलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला (polynucleotide chain) का निर्माण करते हैं 1 पॉलीन्यूक्लिओटाइड्स की दो श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से हाइड्रोजन बंधों (hydrogen bonds) द्वारा प्रति समानान्तर जुड़कर DNA द्विरज्जु (DNA double strand) का निर्माण करती हैं।

इरविन चारगाफ (Erwin Chargaff) ने DNA के जल अपघटन (hydrolysis) के पश्चात् यह पाया कि DNA में एडीनीन की कुल मात्रा सदैव थायमीन के बराबर (A = T) तथा ग्वानीन की कुल मात्रा सायटोसीन के बराबर (G = C) होती है। इसे चारगाफ का तुल्यता का नियम ( equivalence rule of Chargaff) कहते हैं।

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DNA की रचना का द्विरज्जुकी मॉडल (Double helical model of DNA Structure)
वाटसन एवं क्रिक (Watson and Crick 1953) ने DNA की रचना का द्विरज्जुकी मॉडल (double helix model) प्रस्तुत किया। इसके अनुसार DNA अणु पॉलीन्यूक्लिओटाइड की दो प्रति समानान्तर शृंखलाओं से बना होता है। इसमें एक पॉलीन्यूक्लिओटाइड (polynucleotide ) अणु का फॉस्फेट समूह दूसरे न्यूक्लिओटाइड के शर्करा अणु के कार्बन परमाणु के साथ जुड़ा होता है।

इस प्रकार दो शर्करा अणुओं के मध्य 5′ और 3′ स्थितियों पर बंध बनता है। दोनों श्रृंखलाओं के नाइट्रोजनी क्षारक हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़कर DNA अणु का निर्माण करते हैं। दोनों शृंखलाएँ एक काल्पनिक केन्द्रीय अक्ष (axis) पर दक्षिणावर्त दिशा में कुण्डलित रहती हैं। और सीढ़ीनुमा रचना बनाते हैं।

शर्करा व फॉस्फेट अणु सीढ़ी के दो स्तंभ ( side bars) बनाते हैं तथा नाइट्रोजनी क्षारक इसके पगडण्डे होते हैं। दोनों रज्जुक (strands ) एक-दूसरे के प्रति समांतर होते हैं। अर्थात् एक स्ट्रेण्ड का 5′ छोर तथा दूसरे स्ट्रेण्ड का 3′ छोर एक ही दिशा में होते हैं । नाइट्रोजनी क्षारक एक-दूसरे से विशिष्ट क्रम में जुड़े रहते हैं।

एडिनीन थायमीन से द्वि- हाइड्रोजन बंधों द्वारा तथा ग्वानीन सायटोसीन से तीन हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़े रहते हैं। DNA द्वि रज्जुक (double strand) का व्यास 20A होता है। कुण्डलिनी के प्रत्येक कुण्डल में 10 क्षारक युगल होते हैं। प्रत्येक क्षारक युग्म (base pain) के बीच की दूरी 3.4 A तथा सम्पूर्ण कुण्डल की लम्बाई 34 Å होती है।

DNA के कार्य (Function of DNA)

  • DNA गुणसूत्रों (Chromosomes) के निर्माण में भाग लेता है।
  • DNA के विशेष खण्ड जीन्स का कार्य करते हैं जिन पर आनुवंशिक सूचनाएँ निहित होती हैं जिन्हें गुणसूत्रों के माध्यम से नयी पीढ़ी में पहुँचाया जाता है।
  • DNA में स्वद्विगुणन की क्षमता होती है। अतः यह कोशिका विभाजन (cell division ) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह प्रोटीन संश्लेषण के लिए mRNA का निर्माण करता है
  • यह कोशिका की विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
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प्रश्न 8.
जल के गुण तथा इसके जैविक महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल (Water)
जल जीवद्रव्य (protoplasm) का सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक घटक है। यह हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के 21 के अनुपात में मिलने से बनता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो एक अद्वितीय (unique) प्रकार के भौतिक तथा रासायनिक लक्षण प्रदर्शित करता है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । जीवों में जल की मात्रा सामान्यतया जीवधारियों में जल कुल जीव भार का 60-90% भाग बनाता है।

जल के गुण (Properties of water)

  1. जल पारदर्शी, स्वादहीन, गंधहीन, रंगहीन व उदासीन द्रव है। शुद्ध जल का pH-7 होता है। इसमें OH तथा H+ आयनों की संख्या बराबर होती
  2. द्विध्रुवीय (bipolar) होने के कारण जल एक उत्तम विलायक (solvent) है।
  3. जल का उच्च क्वथनांक (boiling point) होता है (100°C) ।
  4. जल का पृष्ठ तनाव (surface tension) उच्च होता है, क्योंकि इसके अणुओं के बीच अंतराणुक आकर्षण अधिक होते हैं।
  5. जल की विशिष्ट ऊष्मा (specific heat) उच्च होती है, अतः यह तप्त एवं ठंडा होने में अधिक समय लेता है।
  6. जल की ऊष्मा चालकता (heat conductivity) अधिक होती है इसीलिए जल के पात्र को एक ओर से गर्म करने पर सम्पूर्ण जल गर्म हो जाता
  7. शुद्ध जल की विद्युत चालकता (electrical conductivity) अल्प होती है किन्तु इसमें विद्युत अपघट्य मिलाने पर यह विद्युत का सुचालक हो जाता है।
  8. जल के अणुओं के बीच प्रबल आकर्षण के कारण इनमें ससंजन (cohesion) तथा आसंजन (adhesion) का गुण होता है।
  9. जल ठोस, द्रव तथा गैस तीन भौतिक अवस्थाओं में पाया जा सकता है।

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जल का जैविक महत्व (Biological Significance of water)

  1. अनेक अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ जल में घुलनशील हैं। अतः घुलनशील अवस्था में रासायनिक क्रियाएँ अपेक्षाकृत सरलता से एवं तीव्र गति से सम्पन्न होती हैं।
  2. विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाओं में जल क्रियाशील पदार्थ के रूप में कार्य करता है तथा अनेक क्रियाओं के अन्त में उत्पाद के साथ बनता हैं।
  3. पौधों में जल के प्रकाशीय अपघटन से H+ आयन उत्पन्न होते हैं जो पौधों की परिपाचन शक्ति बनाते हैं। इस क्रिया में उत्पन्न ऑक्सीजन सभी जीवों के लिए श्वसन (respiration) में काम आती है।
  4. जल सजीवों के ताप नियन्त्रण में सहायक है।
  5. जल में ससंजन (cohesion) एवं आसंजन ( adhesion) का गुण होने के कारण यह ऊंचे वृक्षों में ऊपर चढ़ता है साथ ही अपने साथ खनिज लवणों का परिवहन करता है।
  6. जल प्राणियों के विभिन्न अंगों के मध्य स्नेहक (lubricant ) की भाँति कार्य करता है, जैसे-आँखों की पलकों के बीच।
  7. ल जैविक क्रियाओं के लिए माध्यम का कार्य करता है।
  8. अधिकांश विकर (enzyme) जलीय माध्यम में प्रभावशाली होते हैं।
  9. जल से उत्पन्न आयन्स pH मान स्थिर रखने में सहायक होते हैं।
  10. जल सजीवों के शरीर में विभिन्न पदार्थों के संवहन (conduction) के लिए माध्यम प्रदान करता है।
  11. जल जीवद्रव्य में कोलाइडी तन्त्र में परिक्षेपण प्रावस्था ( dispersion phase) का कार्य करता है।
  12. बहुत से जीवों का आवास भी जल होता है।

प्रश्न 9.
कोशिका में उपस्थित विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक पदार्थों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोशिका के अकार्बनिक पदार्थ ( Inorganic substances of the cell)
इस प्रकार के पदार्थों में कार्बन नहीं होता है। यह सरल संरचना वाले छोटे अणु हैं जिनका आण्विक भार कम होता है। इनमें जल, खनिज लवण, आयन्स एवं गैसें सम्मिलित हैं।

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें


वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का मुख्य स्रोत है:
(अ) स्थिर आवेश
(ब) एक समान वेग से चलता आवेश
(स) त्वरित आवेश
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(स) त्वरित आवेश

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौनसी किरण विद्युत चुम्बकीय है:
(अ) धन किरणें
(ब) α-किरणें
(स) β-किरणें
(द) γ -किरणें तरंगदैर्घ्य होती है
उत्तर:
(द) γ -किरणें तरंगदैर्घ्य होती है

प्रश्न 3.
दृश्य प्रकाश की
(अ) 7800 Å से 1500 Å
(ब) 1 Å से 100 Å
(स) 4000 Å से 8000 Å
(द) 5000 Å से 1200 Å
उत्तर:
(स) 4000 Å से 8000 Å

प्रश्न 4.
सूर्य की निम्नलिखित तरंगों में से कौनसी तरंग अन्ततः विद्युत ऊर्जा के रूप में प्रयुक्त की जाती है:
(अ) रेडियो तरंगें
(ब) अवरक्त किरणें
(स) दृश्य प्रकाश
(द) माइक्रो तरंगें
उत्तर:
(ब) अवरक्त किरणें

प्रश्न 5.
I ( वाट/मी.2) तीव्रता की विद्युत चुम्बकीय तरंग द्वारा एक परावर्तक तल पर आरोपित दाब है:
(अ) Ic
(ब) Ic2
(स) I/c
(द) I/c2
उत्तर:
(स) I/c

प्रश्न 6.
क्रिस्टल संरचना का अध्ययन किया जाता है:
(अ) पराबैंगनी किरणों द्वारा
(ब) X – किरणों द्वारा
(स) अवरक्त विकिरणों द्वारा
(द) सूक्ष्म तरंगों द्वारा
उत्तर:
(ब) X – किरणों द्वारा

प्रश्न 7.
यदि λv,λx तथा λm क्रमशः दृश्य प्रकाश, X- किरणों तथा माइक्रो तरंगों की तरंगदैर्घ्य को व्यक्त करती है, तो
(ब) λm > λv > λx
(ब) λv > λm > λx
(स)) λm > λx > Av
(द) λv> λx > λm
उत्तर:
(ब) λv > λm > λx

प्रश्न 8.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की प्रकृति होती है:
(अ) अनुदैर्घ्य
(ब) अनुप्रस्थ
(स) यांत्रिक
(द) अनुप्रस्थ व अनुदैर्ध्य
उत्तर:
(ब) अनुप्रस्थ

प्रश्न 9.
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में निम्न में से कौनसे घटक की तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होती है?
(अ) गामा किरणों की
(ब) X-किरणों की
(स) रेडियो तरंगों की
(द) सूक्ष्म तरंगों की
उत्तर:
(अ) गामा किरणों की

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 10.
निम्न में से किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य, पीले रंग के प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से अधिक होता है?
(अ) हरा
(ब) नीला
(स) लाल
(द) बैंगनी
उत्तर:
(स) लाल

प्रश्न 11.
निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का वेग होता है:
(अ) 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
(ब) 3 x 107 मीटर/सेकण्ड
(स) 3 x 106 मीटर/सेकण्ड
(द) 3 x 1010 मीटर/सेकण्ड
उत्तर:
(अ) 3 x 108 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 12.
वायुमण्डल में स्थित ओजोन परत सूर्य से आने वाले किन हानिकारक विकिरणों से हमारी रक्षा करती है?
(अ) X-किरणों से
(ब) गामा किरणों से
(स) पराबैंगनी किरणों से
(द) सूक्ष्म किरणों से
उत्तर:
(स) पराबैंगनी किरणों से

प्रश्न 13.
निम्न में से किस आवृत्ति की तरंगें आयनमण्डल को भेदित कर सकती हैं:
(अ) 5 हर्ट्ज से अधिक
(ब) 10 मेगा हर्ट्ज से अधिक
(स) 20 मेगा हर्ट्ज से अधिक
(द) 15 मेगा हर्ट्ज से अधिक
उत्तर:
(स) 20 मेगा हर्ट्ज से अधिक

प्रश्न 14.
निम्न में से कौनसी तरंगें विद्युतचुम्बकीय तरंगें नहीं हैं:
(अ) रेडियो तरंगें
(ब) ध्वनि तरंगें
(स) अवरक्त तरंगें
(द) सूक्ष्म तरंगें
उत्तर:
(ब) ध्वनि तरंगें

प्रश्न 15.
विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम का वह घटक जिसका उपयोग क्रिस्टल संरचना के अध्ययन के लिये किया जाता है, निम्न में से है:
(अ) सूक्ष्म तरंगें
(ब) रेडियो तरंगें
(स) X -किरणें
(द) अवरक्त तरंगें
उत्तर:
(स) X -किरणें

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व का सिद्धान्त दिया था:
(अ) न्यूटन ने
(ब) मैक्सवेल ने
(स) हर्ट्ज ने
(द) हाइगेन ने
उत्तर:
(ब) मैक्सवेल ने

प्रश्न 17.
प्रकाश तरंगें होती हैं:
(अ) अनुदैर्घ्य यांत्रिक तरंगें
(ब) अनुप्रस्थ प्रत्यास्थ तरंगें
(स) अनुदैर्ध्य प्रत्यास्थ तरंगें
(द) अनुप्रस्थ विद्युत चुम्बकीय तरंगे
उत्तर:
(द) अनुप्रस्थ विद्युत चुम्बकीय तरंगे

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 18.
यदि μ0 तथा eo क्रमशः निर्वात की पारगम्यता तथा विद्युत- शीलता हो तो निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का वेग होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 1
उत्तर:
\(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\)

प्रश्न 19.
किसी माध्यम के लिये अपवर्तनांक का मान होता है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 2
उत्तर:
\(\sqrt{u_r \epsilon_r}\)

प्रश्न 20.
विद्युत चुम्बकीय तरंग प्रकृति प्रदर्शित करेगी:
(अ) प्रकाश एवं ध्वनि
(ब) प्रकाश एवं एक्स-किरणें
(स) एक्स-किरणें व इलेक्ट्रॉन
(द) प्रकाश एवं फोटोन
उत्तर:
(ब) प्रकाश एवं एक्स-किरणें

प्रश्न 21.
विद्युत चुम्बकीय तरंगें:
(अ) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।
(ब) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन नहीं करती हैं।
(स) केवल अध्यारोपण दर्शाती हैं।
(द) केवल व्यतिकरण दर्शाती हैं।
उत्तर:
(अ) अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।

प्रश्न 22.
E ऊर्जा का विकिरण एक पूर्णतः परावर्तक तल पर आपतित होता है। तल का स्थानान्तरित संवेग है:
(अ) E/c
(ब) 2E/c
(स) Ec
(द) E/c2
उत्तर:
(ब) 2E/c

प्रश्न 23.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?
(अ) वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र वेक्टर दोनों एक ही स्थान पर एक ही क्षण अधिकतम तथा न्यूनतम मान को प्राप्त होते हैं।
(ब) विद्युत चुम्बकीय तरंगों में ऊर्जा वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टरों में बराबर-बराबर बँट जाती है।
(स) वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टर दोनों एक-दूसरे के समान्तर होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं।
(द) इन तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तर:
(स) वैद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टर दोनों एक-दूसरे के समान्तर होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं।

प्रश्न 24.
X- किरणों की तरंगदैर्ध्य का परास कौनसा है?
(अ) 10-4m से 10-8 m
(ब) 10-8m से 10-13m
(स) 108m से 1013m
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 10-8m से 10-13m

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प्रश्न 25.
निम्न में से किसकी आवृत्ति निम्नतम है:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(द) y-किरणें
(स) UV-किरणें
उत्तर:
(अ) अवरक्त किरणें

प्रश्न 26.
निम्न में से कौनसी तरंग दूरसंचार में उपयुक्त होती है:
(अ) दृश्य प्रकाश
(ब) सूक्ष्म तरंगें
(स) पराबैंगनी प्रकाश
(द) अवरक्त
उत्तर:
(ब) सूक्ष्म तरंगें

प्रश्न 27.
विस्थापन धारा उतनी होती है जितनी-
(अ) r.m.s. धारा
(ब) चालन धारा
(स) शीर्ष धारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) चालन धारा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
विस्थापन धारा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र अथवा विद्युत अभिवाह परिवर्तन से उत्पन्न धारा को विस्थापन धारा कहते हैं।

प्रश्न 2.
विस्थापन धारा किसके कारण उत्पन्न होती है?
उत्तर:
विस्थापन धारा विद्युत क्षेत्र में समय के साथ परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है और इसे इस प्रकार लिखते हैं
Id = ∈\(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)

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प्रश्न 3.
मैक्सवेल के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
मैक्सवेल के समीकरण:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 3

प्रश्न 4.
संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच परिवर्ती विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।
उत्तर:
विस्थापन धारा, चुम्बकीय क्षेत्र।

प्रश्न 5.
……………उसी प्रकार चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जैसे चालन धारा।
उत्तर:
विस्थापन धारा।

प्रश्न 6.
क्या विद्युत चुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
विद्युत चुम्बकीय तरंगें निर्वात में किस वेग से गमन करती है?
उत्तर:
प्रकाश के वेग से।

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प्रश्न 8.
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस घटक का उपयोग क्रिस्टल संरचना के अध्ययन के लिये किया जाता है?
उत्तर:
एक्स किरणों का।

प्रश्न 9.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की प्रायोगिक पुष्टि सर्वप्रथम किसने की थी?
उत्तर:
हर्ट्ज ने।

प्रश्न 10.
विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम में किसकी आवृत्ति सबसे अधिक होती है?
उत्तर:
गामा किरणें।

प्रश्न 11.
विद्युत चुम्बकीय तरंग में निर्वात में कुल ऊर्जा घनत्व कितना होता है?
उत्तर:
∈0 E2
जहाँ ∈0 पर निर्वात की विद्युतशीलता तथा E विद्युत क्षेत्र की तीव्रता।

प्रश्न 12.
क्या प्रकाश तरंगें निर्वात में भी गमन कर सकती हैं? उत्तर की पुष्टि कारण बतलाकर कीजिए।
उत्तर:
चूँकि प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिन्हें परिगमन हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय तरंगों का नाम बतलाइए जो:
(a) माँसपेशियों के खिंचाव को दूर करने में सहायक हैं।
(b) वायुमण्डल में ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर ली जाती
उत्तर:
(a) अवरक्त तरंगें / अवरक्त क्षेत्र
(b) पराबैंगनी तरंगें / पराबैंगनी क्षेत्र।

प्रश्न 14.
विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के मूल स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के समय के साथ परिवर्तन से विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) उत्पन्न होता है तथा विद्युत क्षेत्र के समय के साथ परिवर्तन से चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) उत्पन्न होता है। इस प्रकार इन क्षेत्र सदिशों का समय के साथ परिवर्तन एक-दूसरे के लिए स्रोत का कार्य करता है। अतः चुम्बकीय तरंगों के मूल स्रोत चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) और विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) हैं।

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प्रश्न 15.
एक समतल विद्युत चुम्बकीय तरंग निर्वात में Z-अक्ष के अनुदिश संचरित होती है। आप वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों के विषय में क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) विद्युत चुम्बकीय तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तथा परस्पर भी लम्बवत् होती है। चूँकि यहाँ पर तरंग संचरण की दिशा Z-अक्ष के अनुदिश है । अतः \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) सदिश X Y तल में परस्पर लम्बवत् दिशाओं में होंगी।

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के संचरण वेग की वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के शिखर मानों के पदों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
c = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)

प्रश्न 17.
किसी विद्युत चुम्बकीय तरंग के वैद्युत क्षेत्र सदिश के कम्पन की आवृत्ति 5 x 1014 Hz है। संगत चुम्बकीय क्षेत्र सदिश के कम्पन की आवृत्ति क्या होगी? यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग से सम्बन्धित होगी?
उत्तर:
5 x 1014 Hz, दृश्य भाग।

प्रश्न 18.
विद्युत चुम्बकीय रेडियो तरंगों का उत्पादन किससे होता है?
उत्तर:
विद्युत दोलित्रों से।

प्रश्न 19.
दूर संचार में कौनसी तरंगें प्रयुक्त होती हैं? इनकी तरंग परास लिखिये।
उत्तर:
रेडियो तरंगें 1 से 10 मीटर

प्रश्न 20.
निम्नलिखित विकिरणों को तरंगदैर्घ्य के घटते हुये क्रम में लिखिये-
एक्स किरणें, रेडियो किरणें पराबैंगनी तरंगें, गामा किरणें।
उत्तर:
रेडियो किरणें, पराबैंगनी तरंगें एक्स किरणें, गामा किरणें।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विकिरणों में किसकी आवृत्ति सबसे कम है? गामा किरणें अवरक्त विकिरण, X-किरणें, नीला प्रकाश।
उत्तर:
अवरक्त विकिरण।

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प्रश्न 22.
सूक्ष्म तरंगों की लगभग तरंगदैर्ध्य परास बताइये।
उत्तर:
1 मिमी. से 30 सेमी.

प्रश्न 23.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्पादन हर्ट्ज ने किसके द्वारा किया?
उत्तर:
स्फुर्लिंग विसर्जन द्वारा।

प्रश्न 24.
किसी माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वेग का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
V = \(\frac{1}{\sqrt{\mu \epsilon}}\)

प्रश्न 25.
हर्ट्ज के प्रयोग से उत्पादित तरंगें कौनसी विद्युत- चुम्बकीय तरंगें होती हैं तथा इनकी तरंगदैर्ध्य किस कोटि की थीं?
उत्तर:
हर्ट्ज के प्रयोग से उत्पादित तरंगें लघु रेडियो तरंगें (Short radio waves) होती हैं। इन तरंगों की तरंगदैर्घ्य 1 मीटर की कोटि की थीं।

प्रश्न 26.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के किस गुण के कारण यह माना जाता है कि प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं?
उत्तर:
प्रकाश तरंगों का वेग, विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वेग के बराबर होता है।

प्रश्न 27.
किसी धातु के लक्ष्य पर उच्च ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों के टकराने से विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों का नाम बताइए।
उत्तर:
X – किरणें।

प्रश्न 28.
ठोस की क्रिस्टल संरचना का अध्ययन करने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
X – किरणें ( 1016 से 1020 Hz)

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प्रश्न 29.
उस विद्युत चुम्बकीय विकिरण का नाम लिखिए जिसकी तरंगदैर्ध्य 102 की परास में है। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के इस भाग का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
माइक्रो तरंगें (दूरसंचार में)।

प्रश्न 30.
सूर्य के प्रकाश से विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है?
उत्तर:
पराबैंगनी किरणें।

प्रश्न 31.
सबसे अधिक वेधन क्षमता वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण का नाम लिखिए।
उत्तर:
गामा किरणें।

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से किसकी तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होगी- माइक्रो तरंगें, पराबैंगनी विकिरण तथा X – किरणें।
उत्तर:
X – किरणें।

प्रश्न 33.
निम्न को तरंगदैर्घ्य के घटते क्रम में लिखिए- X-किरणें, रेडियो तरंगें, आसमानी प्रकाश, अवरक्त प्रकाश।
उत्तर:
रेडियो तरंगें, माइक्रो तरंगें, पराबैंगनी तरंगें X – किरणें।

प्रश्न 34.
विद्युत चुम्बकीय तरंग के लिये किसी माध्यम की प्रतिबाधा Z, चुम्बकशीलता एवं विद्युतशीलता है, तो इनमें सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
Z = \(\sqrt{\frac{\mu}{\epsilon}}\) ओम

प्रश्न 35.
विद्युत चुम्बकीय तरंग की कोई चार विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
(i) विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(ii) विद्युत चुम्बकीय तरंगें सरल रेखा में संचरण करती हैं।
(iii) विद्युत चुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैं।
(iv) जिस माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंगें संचरित होती हैं, उसके गुण अपरिवर्तित रहते हैं।

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प्रश्न 36.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग उपग्रह संचार में प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
सूक्ष्म तरंगें।

प्रश्न 37.
लम्बे परास (रेडियो तरंगों के ) प्रसारण में संकेतों की सूक्ष्म तरंगें रेडियो तरंगों की अपेक्षा क्यों अच्छी वाहक हैं?
उत्तर:
रेडियो तरंगों की अपेक्षा लम्बे प्रसारण में सूक्ष्म तरंगें अधिक अच्छी वाहक होती हैं क्योंकि रेडियो तरंगों की अपेक्षा इनका तरंगदैर्घ्य बहुत कम होता है। इस प्रकार वे अवरोध के कारण न्यूनतम विचलन प्राप्त करती हैं और निशाने पर सीधे भेजी जा सकती हैं।

प्रश्न 38.
तरंगदैर्ध्य 5000 Å और 8000 Å वाली प्रकाश तरंगों का निर्वात में वेग अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अनुपात 1 है क्योंकि निर्वात में प्रकाश का वेग तरंगदैर्ध्य से स्वतन्त्र होता है।

प्रश्न 39.
वैद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का कौनसा भाग राडार को चलाने के काम आता है?
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के अति सूक्ष्म तरंग क्षेत्र में राडार को चलाया जाता है। इसका तरंगदैर्घ्य 10-3 m से 0.3m तक है।

प्रश्न 40.
दोलित्र वैद्युत परिपथों से उत्पन्न वैद्युत चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति क्या है ?
उत्तर:
रेडियो तरंगें (3 x 109 Hz 3 x 104 Hz)

प्रश्न 41.
विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के उस भाग का नाम लिखिए जिसकी तरंगदैर्घ्य 10-2 मी. है तथा इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
माइक्रो तरंग – इसका प्रयोग माइक्रोवेव ओवन में तथा संचार निकाय में होता है।

प्रश्न 42.
(a) चुम्बकत्व के लिए गाऊस नियम को मैक्सवेल समीकरण के रूप में लिखिए।
(b) \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\) का मान लिखिए।
उत्तर:
(a) \(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~A}}\) = 0
(b) c या 3 x 108 m/s.

प्रश्न 43.
‘ऐम्पियर मैक्सवेल के नियम का गणितीय समीकरण लिखिए।
उत्तर:
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~l}}\) = μo (lC + Id)
जहाँ विस्थापन धारा imm
तथा I. = चालन धारा

प्रश्न 44.
निर्वात नलिका मेग्नेट्रॉन द्वारा उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय तरंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
सूक्ष्म तरंगें (Micro Waves)

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि h = od (he) जबकि चिन्हों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर:
हम जानते हैं:
ID = 1 …..(1)
और
I = dq/dt ……(2)
गाउस के नियमानुसार
E = \(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
या
q = E ∈0A
समीकरण (2) में मान रखने पर
I = d/DT(E ∈0A)
समीकरण (1) से
I = ID
= \(\epsilon_0 \mathrm{~A} \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}(\mathrm{E})\)
= \(\epsilon_0 \mathrm{~A} \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) \(\frac{\phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{A}}\)
= \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~A}} \frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
या
ID = \(\epsilon_0 \frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\) (ΦE) इतिसिद्धम्

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प्रश्न 2.
आप विस्थापन धारा और चालन धारा के विषय में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
(1) विस्थापन धारा और चालन धारा अलग-अलग असतत हैं, लेकिन एक साथ दोनों धाराएँ बन्द मार्ग पर सतत होती हैं।
(2) विस्थापन धारा चालन धारा की तरह चुम्बकीय क्षेत्र का एक स्रोत है।
(3) दोनों धाराएँ सदैव एक-दूसरे के बराबर होती हैं।
(4) विस्थापन धारा सदैव संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत अभिवाह अथवा विद्युत क्षेत्र के परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है।
(5) I धारा संधारित्र की प्लेटों के बीच स्थित होती है जबकि IE (चालन धारा) प्लेटों को जोड़ने वाले तार और वि.वा. बल के स्रोत में होती है।

प्रश्न 3.
चालन धारा को मैक्सवेल ने विस्थापन धारा की परिभाषित करते हुए समझाइए कि संकल्पना क्यों की?
उत्तर:
चालन धारा- किसी परिपथ में जोड़ने वाले तारों द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा को चालन धारा कहते हैं। एक बैटरी द्वारा धारा से एक संधारित्र को आवेशित हुआ लेते हैं। चित्र से यह स्पष्ट है कि आवेशन के समय चालन धारा संधारित्र की प्लेटों के बाहर चित्रानुसार बाएं ओर से दाईं ओर प्रवाहित हो रही है और संधारित्र की प्लेटों के बीच कोई चालन धारा प्रवाहित नहीं है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 4
इस विरोधाभास को दूर करने के लिए मैक्सवेल ने एक नई संकल्पना विस्थापन धारा (ID) को लगाया और इसका उद्गम संधारित्र की पट्टिकाओं अर्थात् प्लेटों के बीच परिवर्ती विद्युत क्षेत्र को बताया। इसको यह दिखाने के लिए लगाया गया है कि संधारित्र के बाहर प्रवाहित धारा (IC) सदैव संधारित्र में से प्रवाहित धारा ID के तुल्य होती है। मैक्सवेल की शर्त के अनुसार चालन धारा IC संधारित्र की बायीं प्लेट में प्रवाहित होती है और विस्थापन धारा (ID) दाहिनी प्लेट की ओर प्रवाहित होती है।
संधारित्र के भीतर

प्रश्न 4.
कब एक आवेश विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है? विद्युत चुम्बकीय तरंगों में वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर तथा तरंग संचरण की दिशा से किस प्रकार सम्बन्धित होते हैं? वह कौन-सी भौतिक राशि है जो विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के सभी भागों की तरंगों के लिए समान हो?
उत्तर:
त्वरित वैद्युत आवेश ही विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है विद्युत चुम्बकीय तरंगों में वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् होते हैं तथा तरंग संचरण की दिशा के भी लम्बवत् होते हैं। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की तरंगों का वायु या निर्वात में वेग सभी के लिए एकसमान c = 3 x 108 मी./से होता है।

प्रश्न 5.
मैक्सवेल द्वारा ऐम्पियर सर्किटल नियम को कैसे संशोधित किया गया? समझाइए।
उत्तर:
ऐम्पियर सर्किटल नियम में विवाद इसलिए उत्पन्न हुआ कि संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच धारा असतत होने की परिकल्पना की गई है। मैक्सवेल ने विस्थापन धारा की संकल्पना ID दी जिसके अनुसार कोई चालन धारा IC प्रवाहित नहीं होती, केवल ID ही प्रवाहित है। जैसे संधारित्र आवेशित होता है, यह संधारित्र की प्लेटों के बीच विस्थापन धारा प्रवाह को जन्म देता है क्योंकि संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र बढ़ जाता है। इस प्रकार ऐम्पियर सर्किटल नियम
(\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{di}}\) = μIC) संशोधित रूप में \(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{di}}\) = μ (IC + ID) के रूप में लिखा गया।

प्रश्न 6.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की क्या प्रकृति होती है?
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की प्रकृति “यह एक त्रिविमीय तरंग है जो कि दोलित विद्युत परिपथ से उत्सर्जित होती है। उसमें विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् दोलित होते हैं।” इन तरंगों के संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तथा ये निर्वात में भी गति कर सकती हैं अतः ये यांत्रिक तरंगों से भिन्न होती हैं। इनका वेग निर्वात में सर्वाधिक तथा प्रकाश के वेग के बराबर होता है ये तरंगें अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैं एवं ये जिस माध्यम से संचरित होती हैं उसके गुण अपरिवर्तित रहते हैं।

प्रश्न 7.
विद्युत चुम्बकीय तरंगों को उत्पन्न करने का सिद्धान्त लिखिए
उत्तर:
त्वरित आवेश विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो समय और स्थान दोनों में बदलते हैं ये परिवर्तनशील चुम्बकीय एवं वैद्युत क्षेत्र, वैद्युत चुम्बकीय तरंगों को जन्म देते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 8.
वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के कुछ गुण लिखिए।
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के निम्नलिखित गुण होते हैं:
(i) ये प्रकृति में अनुप्रस्थ होती हैं।
(ii) ये तरंगें निर्वात में प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s के बराबर चलती हैं।
(iii) इनके गमन के लिए किसी द्रव्य माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(iv) ये त्वरित अथवा कम्पनशील आवेश द्वारा उत्पन्न होती हैं।
(v) ये आपस में लम्बवत् परिवर्तनशील वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों की होती हैं।
(vi) विद्युत चुम्बकीय तरंगों की ऊर्जा वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों में समान रूप में बँटी हुई होती है।
(vii) तरंगें अध्यारोपण के सिद्धान्त का पालन करती हैं।
(viii) दोनों E और B अधिकतम एवं न्यूनतम मान एक ही स्थान और एक ही समय में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न तरंगों का एक-एक उपयोग बताइये:
(i) सूक्ष्म तरंगें
(ii) अवरक्त तरंगें
(iii) पराबैंगनी तरंगें
(iv) रेडियो तरंगें।
उत्तर:
(i) सूक्ष्म तरंगें टेलीविजन या रेडियो प्रसारण के लिये वाहक तरंगों के रूप में।
(ii) अवरक्त तरंगें-उपग्रहों को सौलर सेल द्वारा विद्युत ऊर्जा प्रदान करना।
(iii) पराबैंगनी तरंगें इन तरंगों की सहायता से दूसरे के हस्ताक्षर बनाने तथा लिखावट को पहचानने में सहायता मिलती है। इन तरंगों से मनुष्यों की त्वचा में विटामिन D का निर्माण होता है।
(iv) रेडियो तरंगें इन तरंगों का उपयोग टेलीविजन तथा रेडियो संकेतों के प्रसारण में किया जाता है।

प्रश्न 10.
किसी आवृत्ति से कम्पन करता हुआ कोई आवेश किस प्रकार विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न करता है? Z-अक्ष के
अनुदिश संचरित विद्युत चुम्बकीय तरंग के लिए वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र दर्शाते हुए एक व्यवस्थित आरेख (schematic diagram) बनाइए।
उत्तर:
जब कोई आवेश किसी आवृत्ति से कम्पन करता है तो यह दिक् स्थान से दोलन करते हुए वैद्युत क्षेत्र को उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र दोलन करता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। दोलन करता हुआ
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 5
चुम्बकीय क्षेत्र दोलन करते हुए वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करने का स्रोत बन जाता है। इस प्रकार से यह बारी-बारी से क्रम चलता रहता है। इस प्रकार एक- दूसरे को बार-बार उत्पादित करने वाले वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र वेक्टर परस्पर लम्बवत् दिशाओं में तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं। Z-अक्ष के अनुदिश संचरित विद्युत चुम्बकीय तरंग के व्यवस्थित आरेख को ऊपर दर्शाया गया है।

प्रश्न 11.
एक समतल विद्युत-चुम्बकीय तरंग निर्वात में Y-दिशा में संचरित हो रही है। विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के (i) परिमाण का अनुपात, (ii) दिशाओं के विषय में लिखिए।
उत्तर:
(i) E/B = c; जहाँ E = |\( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) | B = | \( \overrightarrow{\mathrm{B}}\) | तथा c = प्रकाश की चाल।
(ii) वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र सदिश \( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) तथा \( \overrightarrow{\mathrm{B}}\) क्रमशः Z- अक्ष तथा X- अक्ष के अनुदिश होंगे। ये विद्युत चुम्बकीय तरंग संचरण दिशा के लम्बवत् होंगे।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 12.
निर्वात में 4 x 109 हर्ट्ज आवृत्ति की विद्युत-चुम्बकीय तरंग की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
= HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 6
= 0.075 मीटर।
यह तरंगदैर्घ्य माइक्रो तरंगों की है। अतः इनके दो उपयोग निम्नलिखित हैं
(i) राडार निकाय में
(ii) माइक्रोवेव ओवेन में।

प्रश्न 13.
भू-तरंग एवं आकाश तरंगों को समझाइये।
उत्तर:
भू-तरंग – ये तरंगें कम आवृत्ति की रेडियो तरंगें होती हैं। जो पृथ्वी की सतह के सहारे चलकर पृथ्वी की सतह के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक पहुँचती हैं लेकिन ये ज्यादा दूरी तक नहीं जा पाती हैं। इनके सहारे ही रेडियो के कार्यक्रम जो एक सीमित क्षेत्र में ही प्रसारित किये जाते हैं, उनके लिये इन तरंगों का उपयोग किया जाता है और इनको भू-तरंग कहा जाता है।
आकाश तरंगें – रेडियो तरंगें सीधी रेखा में चलती हैं। इसलिये जहाँ से ये प्रसारित की जाती हैं (जैसे- रेडियो स्टेशन से प्रेषित तरंगें ) वहाँ से पृथ्वी की गोलाई के कारण ज्यादा दूर तक नहीं जा पाती हैं। यदि कम आवृत्ति की तरंगें हैं तो ये पृथ्वी की सतह के सहारे चलती हैं लेकिन आवृत्ति अधिक होने पर दूर तक नहीं जा पाती हैं। ज्यादा आवृत्ति वाली तरंगें प्रकाश की ओर जाकर आयनमण्डल की निचली सतह से टकराकर पृथ्वी की ओर लौटकर दूर स्थान तक पहुँच जाती हैं। चूँकि ये आकाश से लौटकर किसी स्थान पर पहुँचती हैं, इसलिये इनको आकाश तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 14
विद्युत चुम्बकीय तरंगें कौनसी तरंगें होती हैं ? इनका उत्पादन किन किन कारणों से संभव होता है?
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय तरंग की परिभाषा – “यह एक त्रिविमीय तरंग है जो कि दोलित विद्युत परिपथ से उत्सर्जित होती है। उसमें विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् दोलित होते हैं।” इन तरंगों के संचरण के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्पादन के कारण:
(1) दोलित विद्युत परिपथ में दोलन करने वाले आवेश की यांत्रिक ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय तरंगों में परिवर्तित हो जाती है।
(2) आवेश के दोलन से आवेश की गतिज ऊर्जा विद्युत- चुम्बकीय तरंगों में बदल जाती है।

प्रश्न 15
X किरणों के उपयोग बताइये।
उत्तर:
उपयोग:
(1) रेडियो एस्ट्रोनोमी में ऐन्टेना से प्राप्त अत्यन्त क्षीण सूक्ष्म तरंग संकेतों को मेसर द्वारा प्रवर्धित करते हैं।
(2) अंतरिक्ष संचार, अधिक दूरियों के लिये रेडियो संचार आदि में प्रवर्धक के रूप में इनका उपयोग करते हैं।
(3) औषध विज्ञान चिकित्सा विज्ञान, सूक्ष्म सर्जरी में इनका अत्यधिक उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बकीय तरंग स्पैक्ट्रम को आवृत्ति एवं तरंगदैर्घ्य के रूप में बताइये।
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम रेडियो तरंगें, सूक्ष्म तरंगें, अवरक्त दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी, X- किरणें, गामा किरणें आदि सभी
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 7
तरंगों के गुण विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुणों जैसे ही होने के कारण मूलतः ये सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं अन्तर केवल इतना है कि इनकी तरंगदैर्घ्य भिन्न-भिन्न होती है। स्पष्ट है कि विद्युत चुम्बकीय तरंगों की तरंगदैर्ध्य का विस्तार काफी अधिक होता है इसलिये उपर्युक्त सभी तरंगों को तरंगदैर्घ्य के आधार पर एक क्रम में रखा जा सकता है, जिसे विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम या वर्णक्रम कहते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 17.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय विकिरणों को उनकी आवृत्ति के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए। इनमें से किसी एक के उपयोग लिखिए- माइक्रो तरंगें, रेडियो तरंगें, X-किरणें, गामा किरणें।
उत्तर:
रेडियो तरंगें, माइक्रो तरंगें X – किरणें गामा किरणें।
उपयोग – माइक्रो तरंगें- रेडार में उपग्रहों तथा लम्बी दूरी वाले बेतार संचार में माइक्रोवेव ओवन में।
रेडियो तरंगें – रेडियो तथा टी.वी. के संचारण में।
X – किरणें- चिकित्सा निदान व उपचार में।
गामा किरणें – नाभिकीय संरचना की जानकारी, चिकित्सा उपचार आदि।

प्रश्न 18.
(a) निम्नलिखित में से कौन विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है? कारण दीजिए।
(i) नियत वेग से गतिमान आवेश,
(ii) वृत्तीय गति करता हुआ आवेश,
(iii) स्थिर आवेश।
(b) विद्युत-चुम्बकीय वर्णक्रम का वह भाग बताइए जिससे
(i) 1020 Hz,
(ii) 109 Hz आवृत्ति की तरंगें सम्बन्धित हों।
उत्तर:
(a) (i) नियत वेग से गतिमान आवेश में कोई भी त्वरण नहीं होता है। अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत नहीं हो सकता है।
(ii) वृत्तीय गति करते हुए आवेश की गति त्वरित गति होगी. अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है।
(iii) स्थिर आवेश में भी त्वरण नहीं होता है अतः यह भी विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत नहीं हो सकता है।
(b) (i) y-किरणें (ii) माइक्रो तरंगें।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगें:
(a) λ1: माँसपेशीय तनाव उपचार में प्रयुक्त की जाती है।
(b) λ2 : रेडियो ब्रॉडकास्टिंग में प्रयुक्त की जाती है।
(c) λ3 : हड्डियों के टूटने का पता लगाने में प्रयुक्त की जाती है।
(d) λ4: वायुमण्डल की ओजोन पर्त द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के उप भाग का नाम ये सम्बन्धित हैं। इनको तरंगदैर्घ्य के घटते क्रम में
उत्तर:
(a) λ1 → अवरक्त विकिरण
(b) λ2 → रेडियो तरंगें
(c) λ3 → X किरणें
(d) λ4 → पराबैंगनी विकिरण
λ2 > λ1 > λ4 > λ3
लिखिए जिससे लिखिए।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित विद्युत चुम्बकीय विकिरणों की आवृत्ति परास लिखकर प्रत्येक का एक उपयोग लिखिए:
(i) माइक्रो तरंग,
(ii) पराबैंगनी विकिरण,
(iii) गामा किरणें।
उत्तर:
(i) 1 x 109 Hz से 3 x 1011 Hz ( राडार में):
(ii) 8 x 1014 Hz से 1 x 1116 Hz (खाद्य संरक्षण) में;
(iii) 3 x 1018 Hz से 3 x 1022 Hz (रेडियो थैरेपी चिकित्सा में)।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 21
विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उन विकिरणों के नाम लिखिए जो:
(i) उपग्रह संचार में प्रयुक्त होती हैं।
(ii) क्रिस्टल संरचना ज्ञात करने में प्रयुक्त होती हैं।
(iii) जो रेडियोऐक्टिव नाभिक के क्षय में उत्पन्न होती हैं।
(iv) जिनकी तरंगदैर्ध्य 350 nm तथा 770 nm के बीच होती है।
(v) सूर्य के प्रकाश से ओजोन पर्त द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं।
(vi) तीव्र ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न करती हैं।
उत्तर:
(i) माइक्रो तरंगें
(ii) X – किरणें
(iii) y-किरणें,
(iv) दृश्य प्रकाश,
(v) पराबैंगनी विकिरण,
(vi) अवरक्त विकिरण।

प्रश्न 22.
(a) दिक्काल (मुक्त आकाश) में किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र सदिश (E) का परिमाण 9.3 V/m है। इस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र सदिश (B) का परिमाण ज्ञात कीजिए।
(b) पराबैंगनी, अवरक्त तथा X-किरणों में से किसकी तरंगदैर्ध्य अधिकतम होती है?
उत्तर:
(a) c = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)
या B0 = \(\frac{\mathbf{E}_0}{\mathrm{c}}\)
B0 = \(\frac{9.3}{3 \times 10^8}\)
= 3.1 × 108 T

(b) अवरक्त।

प्रश्न 23.
एक रेखीय धुवित विद्युतचुम्बकीय तरंग का संचरण चित्र बनाइये तथा विद्युत चुम्बकीय तरंग के कोई दो गुण लिखिए। निर्वात में एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम B0 = 50 x 108 टेसला है। तरंग से सम्बद्ध वैद्युत क्षेत्र के आयाम का मान वोल्ट / मीटर में लिखिए।
उत्तर:
रेखीय धुवित विद्युतचुम्बकीय तरंग का संचरण चित्र-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 8
विद्युत चुम्बकीय तरंग के गुण:
(1) यह एक प्रकाश तरंग है जिसकी प्रकृति अनुप्रस्थ होती है।
(2) विद्युतचुम्बकीय तरंगें निर्वात में प्रकाश के वेग C से गमन करती हैं। जहाँ
C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\)
= 3 × 108m/s
नोट: छात्र और भी गुण लिख सकते हैं।
दिया गया है:
निर्वात में चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम
B0 = 50 x 10-8 टेसला
निर्वात में तरंग का वेग C = 3 x 108 मी/से.
निर्वात में तरंग के विद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम = E0 = ?
हम जानते हैं कि वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिये
C = \(\frac{\mathrm{E}_0}{\mathrm{~B}_0}\)
या
Eg = C Bo
मान रखने पर
Eg = 3 x 108 × 50 x 108
= 150 वोल्ट / मीटर

प्रश्न 24.
विद्युत् चुम्बकीय तरंगें किस प्रकार उत्पन्न होती हैं? संचरण करने वाली किसी विद्युत् चुम्बकीय तरंग द्वारा वहन की जाने वाली ऊर्जा का स्रोत क्या होता है?
(i) घरेलू इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के सुदूर स्विचों में
(ii) चिकित्सा में नैदानिक साधन के रूप में।
उत्तर:
त्वरित आवेश विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो समय और स्थान दोनों में बदलते हैं। ये परिवर्तनशील चुम्बकीय एवं वैद्युत क्षेत्र, वैद्युत चुम्बकीय तरंगों को जन्म देते हैं। वृत्तीय गति करते हुए आवेश की गति त्वरित गति होगी, अतः यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की उत्पत्ति का स्रोत हो सकता है।
विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का उपयोग होता है।
(i) Infrared विकिरणों में
(ii) X-किरणों में।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक समतल e.m. तरंग में विद्युत क्षेत्र 2 x 1010 s-1 आवृत्ति और 40 Vm-1 आयाम से दोलन करता है। (a) तरंग का तरंगदैर्घ्य (b) विद्युत क्षेत्र से सन्नद्ध ऊर्जा घनत्व का आकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
आवृत्ति v = 2 x 1010 s-l
यह E की दोलन आवृत्ति है।
C = प्रकाश की चाल = 3 x 108 m/s
E0 = विद्युत क्षेत्र का आयाम = 40V/m.
∴ Emax = \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)
= \(\frac{E_0}{\sqrt{2}}\)
= \(\frac{\sqrt{2} \times 40}{2}\)
= 20√2 V/m.
(a) तरंग का तरंगदैर्ध्य = λ = ?
λ = c/v = HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें 9
= \(\frac{3 \times 10^8}{2 \times 10^{10}}\)
= 1.50 × 102 m.

(b) विद्युत क्षेत्र का ऊर्जा घनत्व = UE = ?
UE = \(\frac{1}{2}\) ∈0 E2r.m.s
= \(\frac{1}{2}\) × 8.85 × 10-12 × (20√2)2
= \(\frac{1}{2}\) × 8.85 × 10-12 × 400 × 2
= 35.416 × 10-10 jm-3
= 3.54 × 10-9jm-3
= 3.54 n Jm-3

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 8 वैद्युतचुंबकीय तरंगें

प्रश्न 2.
संधारित्र की प्लेटों के बीच क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र परिवर्तन की दर 1.5 x 1012 Vm-1 s-1 है। यदि संधारित्र की वृत्तीय प्लेट की त्रिज्या 55 mm है, विस्थापन धारा कितनी होगी?
उत्तर:
दिया गया है:
r = 55 mm = 55 x 10-3 m
= 5.5 × 10-2 m
A = πr2 = \(\frac{22}{7}\) x (5.5 × 10-2)2
= \(\frac{22}{7}\) × 5.5 × 5.5 × 10-4
= 95.07 × 10-4 m-2
और
\(\frac{dE}{dt}\) = 1.5 x 1012 Vm-1s-1
विस्थापन धारा Id = ?
हम जानते हैं
विस्थापन धारा Id = ∈0 \(\frac{dE}{dt}\) (ΦE)
लेकिन
ΦE = EA
∴ Id = ∈0 \(\frac{dE}{dt}\)(EA)
= ∈0 \(\frac{dE}{dt}\)
मान रखने पर
= 8.85 × 10-12 × 95.07 × 10-4 × 1.5 x 1012
= 8.85 × 95.07 x 1.5 x 10-4
= 1262.05 × 10-4
= 126.205 × 10-3 A
= 126 mA

प्रश्न 3.
x- अक्ष के अनुदिश प्रगामी एक प्रकाश पुंज को विद्युत क्षेत्र Ey = 600 Vm-1 sin ω(t – x/c) से व्यक्त करते हैं y-अक्ष के अनुदिश 3.0 x 107 ms-1 चाल से प्रगामी एक आवेश q = 2e पर वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों के अधिकतम बल का आकलन कीजिए जहाँ e = 1.6 x 10-19 C है।
उत्तर:
दिया गया है:
E = 600Vm-1 sinω(1 – x/c)
Eg = 600Vm-1
q = 2e
= 2 × 1.6 × 10-19 C
प्रकाश की चाल = 3 x 108 m/s
v = 3.0 × 107 m/s
B0 = E0/c = \(\frac{600}{3 \times 10^8}\)
= 2 × 10-6 T
जो z-अक्ष के अनुदिश कार्य करता है।
इस प्रकार अधिकतम वैद्युत बल
Fo = qEo
= 2e E0
= 2 × 1.6 × 10-19 x 600
= 1.92 × 10-16 N से दिया जाता है।
अधिकतम चुम्बकीय बल
Fmax
= qvBo = 2evBo
= 2 × 1.6 × 10-19 x 3 x 107 x 2 x 10-6 N
= 1.92 x 10-17 N

प्रश्न 4.
एक संधारित्र की पट्टिकाओं पर आवेषण धारा 0.5 A है। इसकी प्लेटों पर विस्थापन धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
I = 0.5 A
Id = ?
हम जानते हैं:
Id = ∈0 \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
लेकिन
\(\phi_E\) = EA
∴ Id = ∈0 \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\) (EA)
= ∈0 A \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)
लेकिन
E = \(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
Id = ∈0 A \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{E}}}{\mathrm{dt}}\)\(\frac{q}{\epsilon_0 A}\)
= \(\frac{\epsilon_0 A}{\epsilon_0 A}\) \(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\) =
\(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\)
= 0.5 A (\(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\) = 1 = 0.5A)

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प्रश्न 5.
6 μF धारिता आप 6 A की विस्थापन धारा के संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच कैसे स्थापित करेंगे?
उत्तर:
दिया गया है:
C = 6 μF = 6 × 106F
ld = 6 A
हम जानते हैं
ld = ∈0 A \(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dt}}\)
= ∈0 A \(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dt}}\) \(\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{d}}\right)\)
∴ E = \(\frac{V}{d}\)
= \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\) \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\)
ld = C. \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\)
∴ \(\frac{\mathrm{dV}}{\mathrm{dt}}\) = \(\frac{I_d}{\mathrm{C}}\) = \(\frac{6}{6 \times 10^{-6}}\)
106 Vs-1
अतः संधारित्र की पट्टिकाओं पर विभवान्तर को 106 Vs-1 की दर से परिवर्तित करके उसकी पट्टिकाओं पर 6A की विस्थापन धारा स्थापित की जा सकती है।

प्रश्न 6.
निर्वात के लिये \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\) तथा \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) के मान क्रमशः 9 x 109 न्यूटन / मी. 2 तथा 10-7वेबर / ऐम्पियर भी होते हैं। निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंग का वेग ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
प्रश्नानुसार = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\)
= 9 x 109
= \(\frac{1}{4 \pi \times 9 \times 10^9}\) = \(\frac{1}{36 \pi \times 10^9}\)
तथा
\(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) = 10-7
= 4 x 10-7
किसी माध्यम में विद्युत चुम्बकीय तरंग का वेग V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\)
निर्वात में विद्युत चुम्बकीय तरंग के वेग के लिये V = C,
μ = μo तथा ∈ = ∈o
C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \epsilon_0}}\) = \(\frac{1}{\sqrt{4 \pi \times 10^{-7} \times \frac{1}{36 \pi \times 10^9}}}\)
या
C = √9 x 1016 = 3 x 108 मी./से.

प्रश्न 7.
एक समान्तर बद्ध संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल A तथा इनके बीच की दूरी d है। इसको स्थिर धारा I द्वारा आवेशित किया गया है। एक A/2 क्षेत्रफल का कोई तत्व इसकी प्लेटों के ठीक बीच में समरूपता से प्लेटों के समान्तर रखा गया है। इस क्षेत्रफल से प्रवाहित धारा क्या होगी?
उत्तर:
माना किसी क्षण t पर प्लेटों पर आवेश q है। प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र
E = \(\frac{\sigma}{\epsilon_0}\) = \(\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0 A}\)
प्लेटों के बीच स्थित क्षेत्रफल A/2 से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स
= E × \(\frac{A}{2}\) = \(\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0 A}\) × \(\frac{A}{2}\)
= \(\frac{\mathrm{q}}{2 \epsilon_0}\)
इस तल से गुजरने वाली विस्थापन धारा
Id = ∈0 \(\frac{d}{d t}\) (ΦE)
= ∈0 \(\frac{d}{d t}\) \(\frac{\mathrm{q}}{2 \epsilon_0}\)
= \(\frac{1}{2}\) \(\frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{dt}}\)
= \(\frac{1}{2}\)

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक P-N संधि के अवक्षय क्षेत्र में होते हैं:
(अ) केवल इलेक्ट्रॉन
(ब) केवल होल
(स) इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों
(द) निश्चल आयन
उत्तर:
(द) निश्चल आयन

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 2.
एक NPN ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक की तरह उपयोग में लाया जा रहा है तो:
(अ) इलेक्ट्रॉन आधार से संग्राहक की ओर चलते हैं
(ब) होल उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं
(स) होल आधार से उत्सर्जक की ओर चलते हैं
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।
उत्तर:
(द) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक से आधार की ओर चलते हैं।

प्रश्न 3.
परम शून्य ताप पर नैज जर्मेनियम तथा नैज सिलिकॉन होते
(अ) अतिचालक
(ब) अच्छे अर्धचालक
(स) आदर्श कुचालक
(द) चालक
उत्तर:
(स) आदर्श कुचालक

प्रश्न 4.
एक कुचालक में संयोजकता बैण्ड और चालन बैण्ड के मध्य वर्जित ऊर्जा अन्तराल निम्नलिखित कोटि का होता है:
(अ) 1 ev
(ब) 6 ev
(स) 20 ev
(द) 0.01 ev
उत्तर:
(ब) 6 ev

प्रश्न 5.
वे पदार्थ जिनके संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड लगभग अतिव्यापन की स्थिति में होते हैं, वे होते हैं:
(अ) चालक
(ब) विद्युतरोधी
(स) अर्धचालक
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) चालक

प्रश्न 6.
P प्रकार के अर्धचालक बनाने के लिए सिलिकॉन में-
(अ) पंचम समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं
(स) चतुर्थ समूह का पदार्थ मिलाते हैं।
(द) किसी भी समूह का पदार्थ मिला सकते
उत्तर:
(ब) तृतीय समूह का पदार्थ मिलाते हैं

प्रश्न 7.
P-N संधि पर अग्र बायस स्थापित करने पर इसका व्यवहार होगा:
(अ) चालक की तरह
(ब) अर्धचालक की तरह
(स) यांत्रिक वाल्व की तरह
(द) अतिचालक की तरह
उत्तर:
(अ) चालक की तरह

प्रश्न 8.
दिष्टकारी का कार्य है:
(अ) धारा का प्रवर्धन करना
(ब) वोल्टता का प्रवर्धन् करना
(स) दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में बदलना
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना
उत्तर:
(द) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलना

प्रश्न 9.
जीनर डायोड का उपयोग किया जाता है:
(अ) दोलित्र के रूप में
(ब) प्रवर्धक के रूप में
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में
(द) प्रकाश उत्सर्जन के लिए
उत्तर:
(स) वोल्टता नियंत्रण के रूप में

प्रश्न 10.
ट्रान्जिस्टर प्रचालन के लिए आवश्यक है:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर
(ब) उत्सर्जक संधि उपक्रम तथा संग्राहक संधि अग्र बायस पर
(स) उत्सर्जक तथा संग्राही दोनों संधियाँ अग्र बायस पर
(द) उत्सर्जक तथा संग्राहक दोनों संधियाँ उत्क्रम बायस पर
उत्तर:
(अ) उत्सर्जक संधि अग्र तथा संग्राहक संधि उत्क्रम बायस पर

प्रश्न 11.
निम्न में से गलत कथन है:
(अ) अपद्रव्य अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं
(ब) होल व इलेक्ट्रॉन दोनों ही आवेश वाहक हैं
(स) P प्रकार के अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं
उत्तर:
(द) P प्रकार के अर्धचालक में होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं

प्रश्न 12.
एक N टाइप अर्द्धचालक होता है:
(अ) ऋणावेशित
(ब) धनावेशित
(स) उदासीन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) उदासीन

प्रश्न 13.
तापमान बढ़ाने पर एक अर्द्धचालक का विशिष्ट प्रतिरोध:
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) अपरिवर्तित रहता है
(द) पहले घटता है और बाद में बढ़ता है
उत्तर:
(ब) घटता है

प्रश्न 14.
शुद्ध अर्द्धचालक जरमेनियम में आर्सेनिक की अशुद्धि मिलाने पर उपस्थित होगा:
(अ) P प्रकार का अर्द्धचालक
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक
(स) चालक
(द) P-N संधि
उत्तर:
(ब) N प्रकार का अर्द्धचालक

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 15.
आदर्श P-N संधि को प्रयुक्त किया जा सकता है:
(अ) प्रवर्धक के रूप में
(ब) दिष्टकारी के रूप में
(स) दोलित्र के रूप में
(द) मोड्यूलेटर के रूप में
उत्तर:
(ब) दिष्टकारी के रूप में

प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) अर्ध चालक का प्रतिरोध ताप के बढ़ने पर कम होता है
(ब) विद्युत क्षेत्र में होल का विस्थापन इलेक्ट्रॉन के विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है
(द) सभी प्रकार के अर्ध चालक अनावेशित होते हैं
उत्तर:
(स) ताप बढ़ने पर एक सुचालक का प्रतिरोध कम होता है

प्रश्न 17.
अर्धचालकों की चालकता:
(अ) ताप पर निर्भर नहीं करती
(ब) ताप वृद्धि से घटती है
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है
उत्तर:
(स) ताप वृद्धि से बढ़ती है

प्रश्न 18.
अर्धचालकों में आबन्ध होते हैं:
(अ) आयनिक
(ब) धात्विक
(स) वान्डरवाल
(द) सहसंयोजी
उत्तर:
(द) सहसंयोजी

प्रश्न 19.
ताप वृद्धि से अर्धचालकों की चालकता:
(अ) अपरिवर्तित रहती है
(ब) घटती है
(स) बढ़ती है
(द) पहले घटती है फिर बढ़ती है।
उत्तर:
(ब) घटती है

प्रश्न 20.
नैज अर्धचालकों में सामान्य ताप पर इलेक्ट्रॉन व होल की संख्या का अनुपात है:
(अ) 1 : 2
(ब) 2 : 1
(स) 1 : 1
(द) 1 : 3
उत्तर:
(स) 1 : 1

प्रश्न 21.
P प्रकार के अर्धचालकों के लिये अशुद्धि तत्त्व के रूप में उपयोग करते हैं:
(अ) आर्सेनिक
(ब) फॉस्फोरस
(स) बोरोन
(द) बिस्मथ
उत्तर:
(स) बोरोन

प्रश्न 22.
P-N संधि डायोड में अग्र तथा उत्क्रम बायस व्यवस्थाओं में प्रतिरोधों का अनुपात होता है:
(अ) 102 : 1
(ब) 10-2 : 1
(स) 1 : 104
(द) 1 : 10-4
उत्तर:
(स) 1 : 104

प्रश्न 23.
P-N डायोड है:
(अ) रेखीय युक्ति
(ब) अरेखीय युक्ति
(स) तापीय युक्ति
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अरेखीय युक्ति

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में से कौनसा परमाणु दाता अशुद्धि है:
(अ) Al
(ब) B
(स) Ga
(द) P
उत्तर:
(द) P

प्रश्न 25.
अर्धचालकों में चालन होता है:
(अ) एकल ध्रुवीय
(ब) द्विध्रुवीय
(स) त्रिध्रुवीय
(द) अध्रुवीय
उत्तर:
(ब) द्विध्रुवीय

प्रश्न 26.
संलग्न चित्र में दिये गये परिपथ के लिये बूलीय समीकरण होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 1
(अ) Y = A + \(\overline{\mathrm{B}}\)
(ब) Y = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
(द) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) B
उत्तर:
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B

प्रश्न 27.
किसी एन्ड द्वार’ के लिये तीन निवेशी क्रमश: A, B व C हैं तो इसका निर्गत Y होगा:
(अ) Y = A.B + C
(ब) Y = A + B + C
(स) Y = A + B.C
(द) Y = A. B. C
उत्तर:
(द) Y = A. B. C

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 28.
NOR गेट किन दो गेटों से मिलकर बनता है?
(अ) NOT + AND गेट
(ब) OR + NOT गेट
(स) OR + AND गेट
(द) NOR + AND गेट।
उत्तर:
(ब) OR + NOT गेट

प्रश्न 29.
XOR गेट के लिए कौनसा समीकरण प्रयोग में लिया जाता है?
(अ) Y = A B
(ब) Y = A + B
(स) Y = AB
(द) Y = A – B
उत्तर:
(स) Y = AB

प्रश्न 30.
(A + B). (RS) समीकरण के लिये परिपथ में कम से कम कितने गेट की आवश्यकता होगी?
(अ) दो
(ब) चार
(स) छः
(द) एक।
उत्तर:
(द) एक।

प्रश्न 31.
निम्न परिपथ का आउटपुट होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 2
(अ) 0
(ब) 1
(स) 2
(द) 10
उत्तर:
(ब) 1

प्रश्न 32.
लोजिक समीकरण A. (B + C) का क्या मान होगा, यदि A = 1, B = 1, C = 1
(अ) 0
(ब) 2
(स) 11
(द) 1
उत्तर:
(द) 1

प्रश्न 33.
यदि A = 1, B = 0, C = 1 हो तो AB का मान होगा:
(अ) 1
(ब) 0
(स) 2
(द) 11
उत्तर:
(अ) 1

प्रश्न 34.
निम्न में से किस चित्र में डायोड उत्क्रम अभिनति में है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 4

प्रश्न 35.
निम्न चित्र में दिखाये गये तार्किक द्वार का नाम है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 5
(अ) ऐण्ड (AND) द्वार
(ब) नौर (NOR) द्वार
(स) ओर (OR) द्वार
(द) नेण्ड (NAND) द्वार
उत्तर:
(ब) नौर (NOR) द्वार

प्रश्न 36.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निवेश तरंग रूप A तथा B भी इसके साथ इसी चित्र में प्रदर्शित हैं। सही निर्गम का चयन कीजिए।

उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 8

प्रश्न 37.
चित्र में प्रदर्शित विभवान्तर V का वर्ग माध्य मूल मान है:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 9
(अ) Vo√3
(ब) Vo
(स) V1√2
(द) Vo/2
उत्तर:
(स) V1√2

प्रश्न 38.
चित्र में प्रदर्शित लॉजिक परिपथ के निर्गम के लिए बुलियन व्यंजक होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 10
(अ) A (B + C)
(ब) A • (B • C)
(स) (A+B) • (A+C)
(द) A + B + C
उत्तर:
(स) (A+B) • (A+C)

प्रश्न 39.
चित्र में दिये गये परिपथ से निर्गम Y = 1 प्राप्त करने के लिए निवेश होना चाहिए-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 11

ABC
(अ) 010
(ब)  001
(स) 101
(द) 100

उत्तर:

ABC
010
001
101
100

प्रश्न 40.
एक डायोड दिष्टकारी के रूप में बदलता है:
(अ) दिष्टधारा की प्रत्यावर्ती धारा में
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में
(स) उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता या निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में
(द) परिवर्ती दिष्टधारा को नियत दिष्टधारा में
उत्तर:
(ब) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टधारा में

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प्रश्न 41.
यदि A = 1 तथा B = 0 हो, तो बुलियन बीजगणित के अनुसार AA + B का मान होगा-
(अ) A
(ब) B
(स) A2 + B
(द) A + B
उत्तर:
(अ) A

प्रश्न 42.
डायोड में जब संतृप्त धारा प्रवाहित होती है तब प्लेट प्रतिरोध rp:
(अ) शून्य
(ब) अनन्त
(स) एक निश्चित संख्या
(द) आँकड़े अपर्याप्त हैं
उत्तर:
(ब) अनन्त

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड व जेनर डायोड के प्रतीक चिन्ह बनाइये।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 12

प्रश्न 2.
ट्रांजिस्टर के लिये धारा प्रवर्धन गुणांकों α व β में सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
β = \(\frac{\alpha}{1-\alpha}\)

प्रश्न 3.
क्या किसी अनअभिनत P-N संधि पर उपस्थित रोधिका विभव को संधि के सिरों के मध्य वोल्टमीटर जोड़कर नापा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 4.
ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक के रूप में काम लाने के लिये कौनसी संधि पश्च बायसित की जाती है?
उत्तर:
आधार संग्राहक संधि।

प्रश्न 5.
उस ट्रांजिस्टर के लिये α का मान क्या होगा जिसके लिये β = 19 है।
उत्तर:
α = \(\frac{\beta}{1+\beta}\) = \(\frac{19}{1+19}\) = 0.95

प्रश्न 6.
चित्र में प्रदर्शित डायोड किस अभिनति में है ?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 13
उत्तर:
पश्च अभिनति।

प्रश्न 7.
P तथा N प्रकार के अर्धचालकों में बहुसंख्यक आवेश वाहक होते हैं-
(i) …………………
(ii) ………………………
उत्तर:
(i) होल (ii) इलेक्ट्रॉन

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प्रश्न 8.
निम्न में से कौनसा अर्धचालक है:
(i) तांबा
(ii) गैलियम आर्सेनाइड
(iii) गन्धक?
उत्तर:
गैलियम आर्सेनाइड (Ga As)

प्रश्न 9.
फोटोडायोड के दो उपयोग लिखिये।
उत्तर:
(i) प्रकाश के संसूचन में
(ii) प्रकाश चलित स्विच में

प्रश्न 10.
दो संधियों वाली अर्धचालक युक्ति को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ट्रांजिस्टर

प्रश्न 11.
जरमेनियम में गैलियम की अशुद्धि मिलाने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है?
उत्तर:
P प्रकार का।

प्रश्न 12.
नैज अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों तथा होल्स की संख्या का अनुपात लिखिये।
उत्तर:
1 : 1

प्रश्न 13.
नैज अर्धचालक किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक रूप से प्राप्त अर्धचालकों को नैज अर्धचालक कहते हैं।

प्रश्न 14.
नैज अर्धचालक के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
जर्मेनियम (Ge), सिलिकॉन (Si )।

प्रश्न 15.
किन्हीं दो अर्धचालक मिश्र धातुओं के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) गैलियम फॉस्फाइड (Ga P)
(2) गैलियम आर्सेनाइड फॉस्फाइड (Ga As P )

प्रश्न 16.
होल पर आवेश का मान व प्रकृति बताइये।
उत्तर:
1.6 x 10-19, धनावेश।

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प्रश्न 17.
डोपिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
नैज अर्धचालक के वैफर में अशुद्धि परमाणु मिलाने की क्रिया डोपिंग कहलाती है।

प्रश्न 18.
N प्रकार का अर्धचालक प्राप्त करने हेतु अशुद्धि परमाणु आवर्त सारणी के किस वर्ग से संबंधित है?
उत्तर:
पंचम वर्ग से।

प्रश्न 19.
P प्रकार का अर्धचालक बनाने हेतु अशुद्धि परमाणु किस वर्ग से लिये जाते हैं?
उत्तर:
तृतीय वर्ग से।

प्रश्न 20.
शुद्ध Si क्रिस्टल को इण्डियम (In) से मांदित (डोपिंग) कराने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होगा?
उत्तर:
P प्रकार का।

प्रश्न 21.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को P से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में बहुसंख्यक आवेश वाहक कौन है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 22.
शुद्ध Ge क्रिस्टल को Al से मांदित (डोपिंग) कराने पर प्राप्त अर्धचालक में अल्पसंख्यक आवेश वाहक कौन होते हैं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन।

प्रश्न 23.
अवक्षय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
P-N संधि के निकट स्थित आवेश वाहकहीन क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 24.
P-N संधि में संधि तल के पास P- भाग में कौनसा विभव होता है?
उत्तर:
ऋणात्मक विभव।

प्रश्न 25.
अग्र अभिनति की अवस्था में एक P-N संधि डायोड का P सिरा बैटरी के किस टर्मिनल से जोड़ा जाता है?
उत्तर:
धनात्मक

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प्रश्न 26.
उत्क्रम बायस की अवस्था में संधि तल क्या व्यवहार करता है?
उत्तर:
विद्युतरोधी की तरह।

प्रश्न 27.
अर्धचालक डायोड के परिपथ संकेत में तीर का चिन्ह किससे, किसकी ओर होता है?
उत्तर:
P से N की ओर।

प्रश्न 28.
जीनर प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
निश्चित उत्क्रम वोल्टता के बाद उत्क्रम धारा में अचानक वृद्धि के प्रभाव को जीनर प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 29.
गतिज उत्क्रम बायस प्रतिरोध का मान जीनर वोल्टता के बाद क्या होता है?
उत्तर:
बहुत कम।

प्रश्न 30.
प्रकाश उत्सर्जक डायोड क्या होता है?
उत्तर:
यह P-N जंक्शन (Junction ) डायोड होता है। जिसमें अग्र अभिनति विद्युत धारा प्रवाहित होने पर विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होकर उत्सर्जित होती है।

प्रश्न 31.
नैज अर्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
Si (सिलिकॉन), Ge ( जरमेनियम )।

प्रश्न 32.
फोटो डायोड के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
फोटो डायोड के उपयोग:
(1) फिल्मों में ध्वनि के पुनः उत्पादन में
(2) प्रकाश चलित स्विचों में

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प्रश्न 33.
ओर द्वार के लिये सत्यता सारणी बनाइये।
उत्तर:

ABY = A + B
000
101
011
111

प्रश्न 34.
उस तर्क द्वार का नाम लिखिये जिसमें निर्गत तब ही 1 होता है जब सभी निवेशी 1 होते हैं।
उत्तर:
AND द्वार।

प्रश्न 35.
दी गई सत्यता सारणी से संबंधित तार्किक द्वार का नाम लिखिए:

निवेशीनिर्गत
Y
AB
000
101
011
111

उत्तर:
ओर अथवा अपि द्वार

प्रश्न 36.
किन्हीं दो यौगिक (कार्बनिक ) अर्धचालक के नाम लिखिए।
अथवा
कोई दो कार्बनिक यौगिक अर्द्धचालकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) एंथ्रासीन (ii) मांदित (Doped) थैलोस्यानीस।

प्रश्न 37.
डायोड को अग्र बायस एवं उत्क्रम बायस स्थिति में जोड़ने पर अक्षय परत पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
(i) अग्र बायस में अवक्षय परत की मोटाई घटती है।
(ii) उत्क्रम बायस स्थिति में अवक्षय परत की मोटाई बढ़ती है।

प्रश्न 38.
नीचे दिये गये चित्र में निवेश तरंग रूप को किसी युक्ति ‘X’ द्वारा निर्गत तरंग रूप में परिवर्तित किया गया है। इस युक्ति का नाम लिखिए और इसका परिपथ आरेख बनाइए।
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उत्तर:
(i) पूर्णतरंग दिष्टकारी
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प्रश्न 39.
चित्र में दिखाये गये लॉजिक गेट का नाम लिखिए और इसके लिए सत्यमान सारणी बनाइए।
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उत्तर:
(i) AND GATE
(ii)

INPUTOUTPUT
ABY
000
010
100
111

प्रश्न 40.
जीनर डायोड में भंजन वोल्टता समझाइए।
उत्तर:
भंजन वोल्टता – एक P-N सन्धि डायोड जब पश्च बायसित अवस्था में हो तो निश्चित मान की वोल्टता पर धारा के मान में एक उच्च मान तक अचानक वृद्धि दर्शाई जाती है, इस विभव को भंजन वोल्टता अथवा जीनर वोल्टता कहा जाता है। यह उच्च मान की धारा साधारण P-N सन्धि को नष्ट कर सकती है।

प्रश्न 41.
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ABYY
0001
0110
1010
1110

चित्र P एवं सारणी Q से सम्बन्धित तार्किक द्वारों के नाम
उत्तर:
(P) AND
(Q) NOR

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प्रश्न 42.
NOR गेट का तार्किक प्रतीक दीजिए।
उत्तर:
NOR का तार्किक प्रतीक निम्न होता है:
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प्रश्न 43.
P-N संधि की अवक्षय परत की चौड़ाई का क्या होता है जब इसे
(i) अग्रदिशिक बायसित
(ii) पश्चदिशिक बायसित किया जाता है?
उत्तर:
(i) P-N संधि के अग्रदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई कम हो जाती है।
(ii) P-N संधि के पश्चदिशिक बायसित अवस्था में अवक्षय परत की चौड़ाई बढ़ जाती है।

प्रश्न 44.
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्यों? कारण बताइए।
उत्तर:
सौर सेल बनाने के लिए सामान्यतया GaAs का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसका अवशोषण गुणांक अपेक्षाकृत अधिक होने से यह आपतित सौर विकिरण से अपेक्षाकृत अधिक मात्रा की ऊर्जा अवशोषित करता है।

प्रश्न 45.
किसी तार्किक गेट की सत्यमान सारणी नीचे दी गई है। इस गेट का नाम बताइए तथा इसकी प्रतीक बनाइए।

ABY
001
010
100
110

उत्तर:
तार्किक गेट NOR गेट है तथा उसकी प्रतीक निम्न है:
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प्रश्न 46.
नैज अर्द्धचालक की क्रिस्टल संरचना का नाम
उत्तर:
समचतुष्फलकीय।

प्रश्न 47.
निम्न में से एक दाता अशुद्धि छाँटिए- बोरॉन (B), ऐलुमिनियम (Al) एवं आर्सेनिक (As)
उत्तर:
आर्सेनिक (As)

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
धातुओं, चालकों तथा अर्धचालकों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
चालकता के आधार पर विद्युत चालकता (σ) अथवा प्रतिरोधकता (p = 1/σ) के सापेक्ष मान के आधार पर ठोस पदार्थों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है
(i) धातु इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम (अथवा चालकता बहुत अधिक) होती है।
P- 10-2 – 10-8 Ωm
σ – 10-2 – 108 Sm
(ii) अर्धचालक – इनकी प्रतिरोधकता या चालकता धातुओं तथा विद्युतरोधी पदार्थों के बीच की होती है।
P 10-5 – 10-6 Ωm
σ – 105 10-6 Sm-1
(iii) विद्युतरोधी – इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक (अथवा चालकता बहुत कम होती है।
P 1011 – 1019 Ωm
σ – 10-11 – 10-19 Sm-1
ऊपर दिए गए p तथा σ के मान केवल कोटि मान के सूचक हैं और दिए गए परिसर के बाहर भी जा सकते हैं।

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प्रश्न 2.
तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconduc- tor) और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
तात्विक अर्धचालक और यौगिक अर्धचालक के उदाहरण निम्न हैं:
(i) तात्विक अर्धचालक (Elemental Semiconductors)- Si और Ge
(ii) यौगिक अर्धचालक:
उदाहरण हैं
अकार्बनिक – Cas, GaAs, CdSe, InP आदि।
कार्बनिक – एंथ्रासीन, मांदित (Doped) थैलोस्यानीस आदि।
कार्बनिक बहुलक (Organic polymers ) – पॉलीपाइरोल, पॉलीऐनिलीन, पॉलीथायोफीन आदि।

प्रश्न 3.
C, Si तथा Ge की जालक (Lattice) संरचना समान होती है फिर भी क्यों C विद्युतरोधी है जबकि Si व Ge नैज अर्धचालक (intrinsic semiconductor) हैं?
उत्तर:
C, Si तथा Ge के परमाणुओं के चार बंधित इलेक्ट्रॉन क्रमशः द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ कक्षा में होते हैं अतः इन परमाणुओं से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा (आयनिक ऊर्जा Eg) सबसे कम Ge के लिए इससे अधिक Si के लिए और सबसे अधिक C के लिए होगी। इस प्रकार Ge व Si में विद्युत चालन के लिए स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या सार्थक होती है जबकि C में यह नगण्य होती है।

प्रश्न 4.
क्या P-N संधि बनाने के लिए हम P प्रकार के अर्धचालक की एक पट्टी को N प्रकार के अर्धचालक से भौतिक रूप से संयोजित कर P-N संधि प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं! कोई भी पट्टी, चाहे कितनी ही समतल हो, अंतर- परमाण्वीय क्रिस्टल अंतराल (~ 2 से 3 Ā) से कहीं ज्यादा खुरदरी होगी और इसलिए परमाण्वीय स्तर पर अविच्छिन्न संपर्क (अथवा संतत संपर्क) संभव नहीं होगा प्रवाहित होने वाले आवेश वाहकों के लिए संधि एक विच्छिन्नता की तरह व्यवहार करेगी।

प्रश्न 5.
यह ज्ञात है कि पश्चदिशिक बायस की धारा (माइक्रो ऐम्पियर) की तुलना में अग्रदिशिक बायस की धारा (मिली ऐम्पियर) अधिक होती है तो फिर फोटोडायोड को पश्चदिशिक बायस में प्रचालित करने का क्या कारण है?
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक पर विचार करें। स्पष्टतया बहुसंख्यक वाहकों का घनत्व (n) अल्पांश होल घनत्व p से बहुत अधिक है (n >> p)। मान लीजिए प्रदीप्त करने पर दोनों प्रकार के वाहकों की संख्या में वृद्धि क्रमश: ∆n तथा ∆p है, तब
n’ = n + ∆n
p’ = p + ∆p
यहाँ पर n’ तथा p’ क्रमशः किसी विशिष्ट प्रदीप्त पर इलेक्ट्रॉन तथा होल सांद्रताएँ हैं तथा n व p उस समय की वाहक सांद्रताएँ हैं जब कोई प्रदीप्त नहीं है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा बैण्ड की अवधारणा को चित्र सहित समझाइये
उत्तर:
ऊर्जा बैण्ड- जब किसी ठोस के दो परमाणु पास-पास आते हैं तो अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक ऊर्जा स्तर दो भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाता है जिनमें से एक स्तर की ऊर्जा मूल ऊर्जा स्तर से अधिक व दूसरे ऊर्जा स्तर की ऊर्जा मूल स्तर से कम होती है। इनमें ऊर्जा अंतर बहुत कम होता है। इसी तरह N परमाणुओं के निकाय में अन्योन्य क्रिया के फलस्वरूप प्रत्येक परमाणु के ऊर्जा स्तर N-भिन्न ऊर्जा के ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाते हैं। इन ऊर्जा स्तरों में ऊर्जा स्तर अत्यंत अल्प होने के कारण इनमें विभेदन संभव नहीं है। अतः ऊर्जा बैण्ड का निर्माण हो जाता है, इस प्रकार प्रत्येक ऊर्जा स्तर के संगत ऊर्जा बैण्ड बन जाता है।
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प्रश्न 7.
संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड क्या होते हैं? वर्जित ऊर्जा अन्तराल की परिभाषा बताइये।
उत्तर:
संयोजी बैण्ड-ठोस की साम्यावस्था में परमाणुओं के मध्य निश्चित संतुलित दूरी होती है। इस दूरी पर बाह्य ऊर्जा स्तर बैण्ड का रूप धारण कर लेते हैं। ठोस के परमाणुओं की संयोजी कक्षा से बने बैण्ड को संयोजी बैण्ड कहते हैं। चालन बैण्ड-संयोजी बैण्ड के ऊपर एक ओर अनुमत बैण्ड होता है, जिसे चालन बैण्ड कहते हैं।
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वर्जित ऊर्जा अन्तराल संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य ऊर्जा अन्तराल को वर्जित ऊर्जा अन्तराल कहते हैं। इस वर्जित ऊर्जा बैण्ड में इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकता है। वर्जित ऊर्जा अन्तराल (∆E) चालन बैण्ड के निम्नतम स्तर की ऊर्जा E व संयोजी बैण्ड के उच्चतम स्तर की ऊर्जा E के अंतर के बराबर होता है।
∆Eg = Ec – Ev

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प्रश्न 8.
ऊर्जा बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर अर्धचालकों को परिभाषित कीजिये अर्धचालक में आवेश वाहक कौन-कौनसे होते हैं? परम शून्य ताप पर अर्धचालक किसकी तरह व्यवहार करने लग जाते हैं?
उत्तर:
अर्धचालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान लगभग 1eV होता है, उन्हें अर्धचालक कहते हैं। उदाहरण के लिये, Si के लिये यह अन्तराल 1.1 eV, Ge के लिये 0.7 eV तथा गैलियम आर्सेनाइड के लिये 1.3 eV होता है। अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन तथा होल आवेशवाहक का कार्य करते हैं। अर्धचालकों की प्रतिरोधकता व चालकता चालकों व कुचालकों के मध्य होती है। कक्ष ताप पर कुछ इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में चले जाते हैं व विद्युत धारा का निश्चित मात्रा में चालन करते हैं। परम शून्य ताप पर इलेक्ट्रॉन की तापीय ऊर्जा शून्य होती हैं, अतः इनकी गति अवरुद्ध हो जाती है। अतः अर्धचालक बाह्मीय विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में धारा चालन नहीं कर पाता है एवं कुचालक की तरह व्यवहार करता है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 9
बाहरी वि. क्षेत्र की उपस्थिति में अर्धचालकों में धारा प्रवाह को सचित्र समझाइये।
उत्तर:
कक्ष ताप पर अर्ध चालकों के कुछ इलेक्ट्रॉन सह- संयोजी आबन्ध तोड़कर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर
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जाते हैं। सहसंयोजी बन्ध के टूटने से वहाँ रिक्त स्थान हो जाता है, इसे होल कहते हैं। इलेक्ट्रॉन के संक्रमण के कारण उत्पन्न यह होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है। इस तरह होल धनावेशित धारावाहक का कार्य करता है। सहसंयोजी आबंध स्थल से मुक्त इलेक्ट्रॉन के स्थान पर उत्पन्न होल की तरफ अन्य किसी सह- संयोजी आबंध स्थल से इलेक्ट्रॉन संक्रमण करता है व होल द्वितीय सहसंयोजी आबंध स्थल की ओर गति करता है। इस प्रकार होल व इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से विपरीत दिशा में यादृच्छिक गति करते हैं। बाह्य वि. क्षे. आरोपित करने पर इनकी गति नियमित हो जाती है। जिसमें इसे वि. क्षे. की दिशा में व होल वि. क्षे. के विपरीत दिशा में गति करते हैं व धारा का चालन करते हैं।

प्रश्न 10.
अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन व होल एक-दूसरे से विपरीत दिशा में गति करते हैं कैसे? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
अर्धचालक में कुछ इलेक्ट्रॉन कक्ष ताप पर तापीय ऊर्जा प्राप्त कर उत्तेजित होकर संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाते हैं। इलेक्ट्रॉन के चले जाने के कारण उत्पन्न रिक्त स्थान को ‘होल’ कहते हैं। होल धनावेशित कण की तरह व्यवहार करता है।
(i) सहसंयोजी आबंध स्थल A से इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर – जाने पर उत्पन्न होल की तरफ किसी अन्य सह-संयोजी आबंध स्थल B पर स्थित इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा ग्रहण करके संक्रमण करता है। इससे होल A से B पर पहुँच जाता है।
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(ii) B स्थल पर किसी अन्य स्थल C पर स्थित इलेक्ट्रॉन के संक्रमण कर जाने पर होल C पर पहुँच जाता है अतः इस तरह इलेक्ट्रॉन CBA दिशा में व होल ABC दिशा में संक्रमण करता है।
इस तरह होल व इलेक्ट्रॉन परस्पर विपरीत दिशा में गति करते हैं।

प्रश्न 11.
बाह्य अर्धचालक किसे कहते हैं? डोपिंग क्रिया को समझाइये।
उत्तर:
बाह्य अर्धचालक कक्ष ताप पर नैज अर्धचालकों की चालकता बहुत कम होती है अतः चालकता बढ़ाने के लिये नैज अर्धचालक में अल्प मात्रा में तीसरे या पांचवें ग्रुप का निश्चित तत्त्व मिलाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त अर्धचालक को अपद्रव्य अर्धचालक या बाह्य अर्धचालक कहते हैं। डोपिंग नै अर्धचालक में अशुद्धि परमाणु मिलने की क्रिया को मांदन या डोपिंग कहते हैं। बाह्य अर्धचालक प्राप्त करने के लिये नैज अर्धचालक में लगभग (10) से (10) 10 परमाणुओं में एक परमाणु अशुद्धि तत्त्व का होता है।

प्रश्न 12.
N प्रकार के अर्धचालक किन्हें कहते हैं? इनकी चालकता नैज अर्धचालकों से अधिक होती है क्यों? सचित्र समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालक नैज अर्धचालक में पंचम वर्ग के तत्त्व, जैसे – As, Sb P आदि अपद्रव्य परमाणु के रूप में मिला देने पर प्राप्त अर्धचालक को N प्रकार का अर्धचालक कहते हैं। फॉस्फोरस, आर्सेनिक या एन्टीमनी की संयोजकता कक्षा में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः जब एक पंच संयोजी अशुद्धि का परमाणु चतुःसंयोजी Ge या Si को प्रस्थापित करता है तो इसके चार संयोजकता इलेक्ट्रॉन तो निकटवर्ती चार परमाणुओं के साथ सह-संयोजी आबंध बना लेते हैं, परन्तु एक संयोजकता इलेक्ट्रॉन शेष रह जाता है। इस पर अशुद्धि परमाणु से बंधन अत्यन्त दुर्बल होने के कारण यह लगभग मुक्त रहता है। अतः सामान्य ताप पर ही यह मुक्त इलेक्ट्रॉन चालन बैण्ड में संक्रमण कर जाता है। इस प्रकार पंचम वर्ग के अशुद्धि तत्त्व का प्रत्येक परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्रॉन, आवेश वाहक के रूप में प्रदान करता है। इस कारण से आवेश वाहकों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप चालकता भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 13.
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की चालकता कैसे बढ़ती है?
उत्तर:
अर्धचालकों पर ताप का प्रभाव – अर्धचालकों का ताप बढ़ाने पर तापीय ऊर्जा से उत्तेजित होकर अधिक मात्रा में इलेक्ट्रॉन संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में संक्रमण करते हैं। अतः अधिक मात्रा में होल उत्पन्न होते हैं इस तरह ताप बढ़ाने पर आवेश वाहकों की संख्या बढ़ जाने से चालकता बढ़ती है। अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है परम शून्य ताप पर अर्धचालक कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं।

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प्रश्न 14.
अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर कौन-कौनसी धारायें उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
जब किसी अर्धचालक पर बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तो आवेश वाहक दो तरह की धारायें उत्पन्न करते हैं
(1) अपवाह धारा – यह धारा आवेश वाहकों की बाह्य वि. क्षे. के अनुदिश गति के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
(2) विसरण धारा- यह धारा अर्धचालक में मुक्त आवेश वाहकों की उच्च सान्द्रता क्षेत्र से निम्न सान्द्रता क्षेत्र की ओर गति के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
N तथा P प्रकार के अर्धचालकों में धारा प्रवाह समझाइये।
उत्तर:
N प्रकार के अर्धचालकों में क्रिस्टल के अन्दर तथा बाह्य परिपथ दोनों में धारा इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।
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P- प्रकार के अर्धचालकों में अर्धचालक क्रिस्टल के अन्दर धारा होल्स के माध्यम से तथा बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से बहती है।

प्रश्न 16.
P-N संधि किसे कहते हैं ? P-N संधि बनाने की विधियों का नाम लिखिये P-N संधि बनाने की विसरण विधि को समझाइये
उत्तर:
P-N संधि-P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं। P-N संधि बनाने की तीन विधियाँ हैं:
(1) वर्धन (2) विसरण (3) धातु मिश्रण
P-N संधि बनाने की विसरण विधि इसमें उच्च ताप पर मफल भट्टी में नैज अर्धचालक के वैफर को उचित अशुद्धि को वाष्प के सम्पर्क में लाकर अपद्रव्य अर्धचालक का निर्माण किया जाता है।
इस प्रकार से प्राप्त अपद्रव्य अर्धचालक को अब विपरीत अशुद्धि परमाणुओं (P-प्रकार के अर्धचालक को V वर्ग के तत्त्व से तथा N- प्रकार के अर्धचालक को III वर्ग के तत्त्व से) के सम्पर्क में लाकर विसरण कराया जाता है। विसरण की मात्रा गहराई के साथ कम होती जाती है। फलस्वरूप क्रिस्टल में जहाँ तक अशुद्धि होती है, वहाँ तक संधि उपस्थित हो जाती है।

प्रश्न 17.
आदर्श P-N संधि डायोड के लिये सम्पूर्ण I-V अभिलाक्षणिक वक्र बनाइये। अग्र बायस अवस्था में गतिक प्रतिरोध परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
एक अग्रदिशिक अभिनत P-N संधि डायोड के VI अभिलाक्षणिक प्राप्त किये जाने के लिये प्रायोगिक परिपथ व्यवस्था को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 25

यहाँ पर विभव भाजक व्यवस्था के द्वारा डायोड पर आरोपित विभवान्तर V को परिवर्तित किया जाता है जिसे डायोड के समान्तर क्रम में लगे वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। विभव के अलग- अलग मानों के संगत डायोड में बहने वाली धारा को मिली. अमीटर द्वारा नोट किया जाता है। इस प्रकार से V तथा I के मानों में खींचा गया वक्र चित्रानुसार प्राप्त होता है।
अग्र गतिक प्रतिरोध: परिभाषा से अग्र गतिक प्रतिरोध
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चित्र में बिन्दु C के निकट अग्र प्रतिरोध की गणना के लिये. ∆V तथा I को दर्शाया गया है। यदि ∆V व ∆I अत्यल्प हैं तो बिन्दु C पर गतिक प्रतिरोध इस बिन्दु पर वक्र पर खींची गयी स्पर्श रेखा (tangent ) के बाल (slope ) के मान का व्युत्क्रम होगा। अग्र गतिक प्रतिरोध का मान सामान्यतः अल्प (1 से 100 ओम) का होता है।

प्रश्न 18.
सौर सेलों के लिए Si और GaAs अधिक पसंद वाले पदार्थ क्यों हैं?
उत्तर:
हमें प्राप्त होने वाला सौर विकिरण स्पेक्ट्रम नीचे चित्र में दिखाया गया है। अधिकतम तीव्रता 1.5 इलेक्ट्रॉन बोल्ट के पास है। प्रकाश- उत्तेजन के लिए hu> Eg इसलिए ऐसे अर्धचालकों जिनका बैंड अंतराल 1.5 इलेक्ट्रॉन वोल्ट या उससे कम हो, के लिए सौर ऊर्जा के रूपांतरण की दक्षता अच्छी होने की संभावना है। सिलिकॉन के लिए Eg ~ 1.1 eV (इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जबकि GaAs के लिए यह इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। वास्तव में अपेक्षाकृत अधिक अवशोषण गुणांक के कारण GaAs (अधिक बैंड अंतराल होने पर भी) Si से ज्यादा अच्छा है। यदि हम Cds या Cd Se (Eg 2.4 eV) जैसे पदार्थों को चुनें तो प्रकाश रूपांतरण के लिए हम सौर ऊर्जा के केवल उच्च ऊर्जा घटक का इस्तेमाल कर सकते हैं और ऊर्जा के एक सार्थक भाग का कोई उपयोग नहीं हो पाएगा प्रश्न यह उठता है कि हम PbS (Eg 0.4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट) जैसे पदार्थ क्यों नहीं उपयोग करते, जो सौर विकिरण के स्पेक्ट्रम के तदनुरूपी उच्चिष्ठ के लिए ho> Eg का प्रतिबंध संतुष्ट करते हैं? यदि हम ऐसा करेंगे तो सौर विकिरण का अधिकांश भाग सौर सेल की ऊपरी परत पर ही अवशोषित हो जाएगा और हासी क्षेत्र में या उसके पास नहीं पहुँचेगा। संधि क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन होल के प्रभावी पृथकन के लिए हम चाहते हैं कि प्रकाश जनन केवल संधि क्षेत्र में ही हो।
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प्रश्न 19.
LED से उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता का निर्धारण करने वाले कारक क्या हैं?
उत्तर:
(i) LED से उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्ध-चालक पदार्थ पर निर्भर करती है, जैसे GaP सन्धि पर अधिकांश ऊर्जा लाल तथा हरे प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। GaAsP सन्धि नीला तथा पीला प्रकाश उत्सर्जित करती है।
(ii) LED से उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता प्रयुक्त अर्द्धचालक के वर्जित ऊर्जा बैण्ड अन्तराल पर निर्भर करती है।

प्रश्न 20.
तर्क द्वार से आप क्या समझते हैं? AND द्वार का प्रतीक चिन्ह बनाते हुये इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
तर्क द्वार – तार्किक या लोजिक गेट अंकीय इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के आधारभूत भाग हैं। एक तार्किक द्वार ऐसा तर्कसंगत परिपथ होता है जिसमें एक या अधिक निवेशी टर्मिनल किन्तु केवल एक निर्गत टर्मिनल होता है। निर्गत टर्मिनल पर केवल उसी समय निर्गत संकेत प्राप्त होता है जब निवेशी टर्मिनल पर कुछ प्रतिबंध संतुष्ट हो रहे होते हैं अर्थात् निवेशी संकेत ( या संकेतों) के मध्य एक तर्कसंगत सम्बन्ध होता है। मूल तार्किक द्वार निम्न होते हैं-
(i) ओर द्वार (OR Gate)
(ii) एन्ड द्वार (AND Gate)
(iii) नॉट द्वार (NOT Gate)
AND द्वार का प्रतीक चिन्ह:
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सत्य सारणी:

निवेशी(Input)निर्गत
Y
AB
000
101
011
111

जब कोई भी निवेश (Input) A या B या दोनों O अवस्था में होते हैं तो निर्गत X भी ‘O’ अवस्था में होता है, परन्तु जब निवेश A और B दोनों ‘1’ अवस्था में होते हैं तो निर्गत Y भी ‘1’ अवस्था में होता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 21.
दो संधि डायोड काम लेते हुये बनाये जाने वाले OR द्वार का परिपथ चित्र बनाइये तथा इसकी सत्यता सारणी दीजिये।
उत्तर:
OR द्वार का परिपथ चित्र:
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सत्य सारणी:

निवेशी(Input)निर्गत
Y
AB
000
101
011
111

प्रश्न 22.
चित्र में दिये गये तार्किक परिपथ के लिये बूलीय व्यंजक लिखिये। इस परिपथ के लिए सत्यता सारणी भी बनाइये।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 30
उत्तर:

AB\(\overline{\mathrm{A}}\)\(\overline{\mathrm{B}}\)\(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
00111
10011
01101
11000

प्रश्न 23.
किसी P-N संधि में हासी स्तर (अवक्षय परत) के बनने की व्याख्या कीजिए।
अथवा
एक परिपथ आरेख की सहायता से किसी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक को दोलित्र के रूप में उपयोग करने के कार्यकारी सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवक्षय परत: जब P तथा N प्रकार के अर्धचालकों को आपस में जोड़कर इस प्रकार रखा जाये कि सम्पर्क तल के परमाणु आपस में एक-दूसरे से मिल जायें तो इस प्रकार बने सम्पर्क तल को P-N संधि कहते हैं।
P-N संधि तल पर क्रिया: P-N संधि में P की ओर होल सांद्रता व N की ओर इलेक्ट्रॉन सांद्रता अधिक होने के कारण सांद्रता प्रवणता तथा होल- इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता के प्रभाव से N भाग से कुछ इलेक्ट्रॉन P की ओर तथा P भाग से कुछ होल N भाग की ओर विसरित होते हैं। विपरीत ध्रुवीय होल व इलेक्ट्रॉन आपस में संयोग कर उदासीन हो जाने से संधि से N के निकटस्थ क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन तथा P के निकटस्थ क्षेत्र में होल्स की कमी हो जाती है।

इस मुक्त धारावाहक रहित क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र तथा मुक्त आवेशरहित इस परत को अवक्षय परत कहते हैं। इसकी मोटाई 10 m से 10m तक होती है। अवक्षय परत के N की ओर के स्थिर धन आयन P की ओर से आने वाले होल्स को तथा P की ओर के स्थिर ऋण आयन N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। अतः संधि तल के पास P भाग में ऋण आवेश की अधिकता से ऋण विभव तथा N भाग में धन आवेश की अधिकता से धन विभव उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार से अवक्षय परत के सिरों पर उत्पन्न वि. वा. बल को अवरोधी या सम्पर्क विभव कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 31
यदि अवरोधी विभव (Vcont.) हो तथा अवक्षय क्षेत्र की मोटाई d हो तो अवरोधी विभव से उत्पन्न विद्युत् क्षेत्र EB का मान होगा
EB = Vcont/d
यह विद्युत् क्षेत्र गतिशील होल व इलेक्ट्रॉन को अवक्षय परत पर P की ओर से आने वाले होलों को पुनः P क्षेत्र में तथा N की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को पुनः N क्षेत्र में लौटाता है। अवक्षय परत को रुकावट क्षेत्र भी कहते हैं। इस क्षेत्र की प्रतिरोधकता शेष N व P क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक होती है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 32
कार्यविधि – चित्र में ट्रांजिस्टर के दोलित्र के रूप में उपयोग का परिपथ चित्र प्रदर्शित किया गया है। जब कुंजी बन्द करते हैं तो क्षीण मान की संग्राहक धारा I बहती है और इस कारण L से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे उत्पन्न प्रेरित वोल्टता उत्सर्जक आधार सन्धि को अग्रबायस प्रदान करती है। इस प्रकार बढ़ी हुई उत्सर्जक धारा, संग्राहक धारा को बढ़ा देती है। जिससे L’ से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि होती है और वह संग्राहक धारा में और वृद्धि कर उसे संतृप्त धारा की स्थिति में ला देती है। जब संतृप्त अवस्था में धारा एवं चुम्बकीय फ्लक्स की अवस्था में परिवर्तन होते हैं तो उत्सर्जक धारा घटती है जो संग्राहक धारा का मान कम कर देती है। घटी हुई संग्राहक धारा विपरीत दिशा में प्रेरित वोल्टता उत्पन्न करती है, जब तक कि उसका मान न्यूनतम न हो जावे। इस तरह से इस चक्र की पुनरावृत्ति होने से उत्पन्न अवमंदित दोलन की आवृत्ति निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
V = \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)

प्रश्न 24.
दो निवेशी तर्क द्वार की निम्नांकित सत्यमान सारणी में निर्गत संकेत दिया गया है:
(i) दिये गये द्वार की पहचान कर प्रतीक चित्र खींचिये।
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार का नाम बताइए।

निवेशनिर्गम
ABY
001
101
011
110

उत्तर:
(i) दिया गया द्वार NAND है। इसका प्रतीक चित्र निम्न
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 33
(ii) यदि इस द्वार के निर्गत को ‘NOT’ द्वार में निवेश किया जाये तो नवनिर्मित द्वार AND द्वार में परिवर्तित हो जाता है।

InputOutput
10
10
10
01

प्रश्न 25.
ठोसों में ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध चालक के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक, कुचालक एवं अर्ध- चालक के मध्य अन्तर को निम्न प्रकार से बाँटा गया है
(i) चालक-वे पदार्थ जिनके लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg प्रायः शून्य होता है, चालक पदार्थ कहलाते हैं। इनमें संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड परस्पर अतिव्यापित रहते हैं।
(ii) कुचालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल ∆Eg का मान 6eV या इससे अधिक होता है, इन्हें कुचालक या विद्युतरोधी पदार्थ कहते हैं।
(iii) अर्ध-चालक-वे पदार्थ जिनके लिए संयोजी बैण्ड व चालन बैण्ड के मध्य स्थित वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान 1eV के लगभग होता है, उन्हें अर्द्धचालक पदार्थ कहते हैं।

प्रश्न 26.
LED का विस्तृत अर्थ बताइए। उन कारकों को बताइए जो LED द्वारा उत्सर्जित प्रकार की (i) आवृत्ति, (ii) तीव्रता को निर्धारित करते हैं।
उत्तर:
LED का विस्तृत रूप Light Emitting Diode है, जिसका अर्थ है प्रकाश उत्सर्जक डायोड इसके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की (i) आवृत्ति LED में प्रयुक्त अर्द्धचालक की ऊर्जा बैण्ड रिक्ति पर निर्भर करती है। (ii) तीव्रता अर्द्धचालक के मादन स्तर पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 27.
सामान्य ट्रांजिस्टर की तुलना में यदि इसका आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो इससे निम्न पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (i) संग्राहक धारा (ii) धारा लब्धि
उत्तर:
यदि आधार क्षेत्र चौड़ा बना दिया जाये तो उत्सर्जक से आने वाले अधिकांश आवेश वाहक आधार में उदासीन हो जायेंगे (इलेक्ट्रॉन – कोटर संयोग प्रक्रिया द्वारा) अतः इसके परिणामस्वरूप (i) संग्राहक धारा घट जायेगी, (ii) अतः धारा लब्धि भी घट जायेगी।

प्रश्न 28.
P-N संधि डायोड के अग्रदिशिक बायस (अभिनति) में V- I अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने की कार्यविधि का वर्णन कीजिए। प्रायोगिक व्यवस्था का परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर:
किसी डायोड के V – I अभिलाक्षणिक (अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता के फलन के रूप में धारा का विचरण) का अध्ययन करने के लिए आरेख चित्र (a) में दिखाया गया है। डायोड से वोल्टता को एक पोटेंशियोमीटर (या धारा नियंत्रक) से होकर जोड़ा जाता है जिससे डायोड पर अनुप्रयुक्त की गई वोल्टता को परिवर्तित किया जा सकता है। वोल्टता के विभिन्न मानों के लिए धारा का मान नोट किया जाता है। V तथा I के बीच एक ग्राफ चित्र (b) में दिखाया गया है।

यहाँ पर अग्रदिशिक बायस मापन के लिए हम मिलीमीटर का उपयोग करते हैं क्योंकि अपेक्षित धारा अधिक है। जैसा कि चित्र में देख सकते हैं कि अग्रदिशिक बायस में आरम्भ में धारा उस समय तक बहुत धीरे-धीरे लगभग नगण्य बढ़ती जब तक कि डायोड पर वोल्टता एक निश्चित मान से अधिक न हो जाये। इस अभिलाक्षणिक वोल्टता के बाद डायोड बायस वोल्टता में बहुत थोड़ी-सी ही वृद्धि करने से डायोड धारा में सार्थक (चरघातांकी) वृद्धि हो जाती है। यह वोल्टता देहली वोल्टता (Threshold Voltage) या कट इन वोल्टता कहलाती है। इस वोल्टता का मान जरमेनियम डायोड के लिए 0.2 वोल्ट तथा सिलिकॉन डायोड के लिए 0.7 वोल्ट है।
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प्रश्न 29.
दिये गये परिपथ चित्र में प्रयुक्त युक्ति D का नाम बताइए जो कि एक वोल्टता नियामक के रूप में प्रयुक्त की गई है। इसका संकेत भी दीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 35
उत्तर:
जीनर डायोड इसका संकेत चित्र-
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प्रश्न 30.
p-n संधि के निर्माण के लिए दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के नाम लिखिए। इसमें हासी क्षेत्र (अवक्षय क्षेत्र) एवं रोधिका विभव को परिभाषित कीजिए।
अथवा
दो सार्वत्रिक तार्किक द्वारों के नाम लिखिए। एकीकृत परिपथ किसे कहते हैं? इसके दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
किसी संधि के निर्माण के समय दो महत्वपूर्ण
प्रक्रियायें होती हैं-
(1) विसरण (Diffusion)
(2) अपवाह
हासी क्षेत्र (Depletion Region): जब कोई होल सान्द्रता प्रवणता के कारण pn की ओर विसरित होता है तो वह अपने पीछे एक आयनित ग्राही (ऋणात्मक आवेश) छोड़ देता है जो निश्चल होता है। जैसे-जैसे होल विसरित होते हैं, ऋणात्मक आवेश (ऋणात्मक स्पेस चार्ज क्षेत्र) की एक परत संधि के p-फलक पर विकसित होती जाती है। संधि के दोनों फलकों पर विकसित इस स्पेस चार्ज क्षेत्र को हासी क्षेत्र (Depletion Region ) कहते हैं।
रोधिका विभव (Barrier Potential)-n क्षेत्र से इलेक्ट्रॉनों की हानि तथा p-क्षेत्र में होलों की प्राप्ति के कारण दोनों क्षेत्रों की सन्धि के आर-पार एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है। इस विभव की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि यह आवेश वाहकों की ओर प्रवाह का विरोध करता है जिसके फलस्वरूप साम्यावस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसमें n पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन खोए हैं तथा p-पदार्थ ने इलेक्ट्रॉन अर्जित किये हैं। इस प्रकार p-पदार्थ के सापेक्ष n पदार्थ धनात्मक है। चूँकि विभव n-क्षेत्र से p-क्षेत्र की ओर इलेक्ट्रॉन की गति को रोकने का प्रयास करता है, अतः इस विभव को प्रायः रोधिका विभव (Barrier Potential ) कहते हैं।
अथवा
(1) NAND gate
(2) NOR gate
एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) – आधुनिक युग के परिपथ में कई तर्कसंगत गेट अथवा परिपथों को एक एकल चिप’ में एकीकृत करते हैं, जिन्हें एकीकृत परिपथ (IC) कहते हैं।
लाभ:
(1) यह बहुत ज्यादा मात्रा (Bulk) में बनते हैं इसलिये ये सस्ते पड़ते हैं।
(2) इनमें ऊर्जा की खपत कम होती है चूँकि इनका आकार छोटा होता है।

प्रश्न 31.
(a) NAND गेट को सार्वत्रिक गेट (सार्व प्रायोजक गेट) भी कहते हैं, क्यों?
(b) OR गेट का तर्क प्रतीक बनाइए।
(c) दिए गये परिपथ में निर्गत y का मान लिखिए:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 37
(d) वोल्टता नियमन में प्रयुक्त डायोड का नाम लिखिए।
उत्तर:
(a) NAND गेटों को सार्वत्रिक गेट या सार्व प्रायोजक गेट भी कहते हैं, क्योंकि इन गेटों के प्रयोग से आप अन्य मूलभूत गेट जैसे OR, AND तथा NOT प्राप्त कर सकते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 38
(c) यहाँ NAND गेट के दोनों निवेशी टर्मिनल एक साथ जोड़ दिये गये हैं। इस प्रकार एक निवेश के लिये एक ही निर्गत Y है। अतः दिये गये परिपथ की सत्यापन सारणी के द्वारा लिखा जा सकता है:

AB = AA.BY = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\)
1110

अतः Y = 0 होगा।
(d) जेनर डायोड

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 32.
दो NOT गेटों के निर्गतों से किसी NOR गेट का भरण किया जाता है। इन गेटों के संयोजन का लॉजिक (तर्क) परिपथ चिए। इसकी सत्यमान सारणी लिखिए। इस परिपथ के तुल्य गेट की पहचान कीजिए।
उत्तर:
G1 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A}}\)
G2 का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{B}}\)
गेट G3, NOR गेट है, इसका इनपुट \(\overline{\mathrm{A}}\) और \(\overline{\mathrm{B}}\) है।
इसलिए G3 का आउटपुट Y = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}+\overline{\mathrm{B}}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}} \cdot \overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = AB
यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 39

प्रश्न 33.
आपको आरेख में दर्शाए अनुसार दो परिपथ (a) और (b) दिए गए हैं जो NAND गेटों के बने हैं। इन दोनों के द्वारा कार्यान्वित लॉजिक (तर्क) प्रचालन पहचानिए। प्रत्येक के लिए सत्यमान सारणी लिखिए। इन दोनों परिपथों के तुल्य गेटों को पहचानिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 40
उत्तर:
परिपथ (a)
प्रथम गेट C का आउटपुट = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\)
Y का आउटपुट = \(\overline{\text { C.C C }}\) = \(\overline{\mathrm{C}}\) = \(\overline{\mathrm{A} \cdot \mathrm{B}}\) = AB

ABY
000
100
010
111

यह AND गेट के लिए बूलन व्यंजक है।

परिपथ (b)
आउटपुट C= \(\overline{\mathrm{A}}\), आउटपुट D = \(\overline{\mathrm{B}}\)
आउटपुट Y = \(\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) = \(\overline{\overline{\mathrm{A}}}+\overline{\overline{\mathrm{B}}}\) = A + B

ABY
000
101
011
110

यह ओर गेट के लिए बूलन व्यंजक है।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी नैज अर्धचालक के लिए वर्जित ऊर्जा अन्तराल Eg इलेक्ट्रॉन वोल्ट है तो इस अर्धचालक द्वारा किस अधिकतम तरंगदैर्ध्य के आपतित प्रकाश का अवशोषण किया जा सकता है?
उत्तर:
यदि आपतित प्रकाश के फोटॉन की आवृत्ति v है तो इन फोटॉन की ऊर्जा hu होगी। यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा का मान अर्धचालक के वर्जित ऊर्जा अन्तराल से अधिक है तो अर्धचालक के संयोजकता बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉन इन फोटॉनों को अवशोषित कर चालन बैण्ड में पहुँच सकेंगे। (यह प्रक्रिया प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पादन कहलाती है।) अतः फोटॉन की अवशोषण योग्य न्यूनतम आवृत्ति vmin सूत्र
hvmin = Eg
द्वारा दी जायेगी। यदि फोटॉन की अवशोषण योग्य अधिकतम तरंगदैर्घ्य λmax है तो
\(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_{\max }}\) = Eg या λmax = \(\frac{\mathrm{hc}}{\mathrm{E}_{\mathrm{g}}}\)
hc = 12400 eV Å तथा Eg को eV मात्रक में लेने पर
λmax = \(\frac{12400}{E_g}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 2.
किसी संधि डायोड में अग्रिम बायस में विभव के मान में 1.5 वोल्ट से 2.0 वोल्ट का परिवर्तन करने से धारा का मान 6.0 मिली ऐम्पियर 16.0 मिली ऐम्पियर हो जाता है इसी डायोड पर उत्क्रम बायस का मान 10 वोल्ट से 15 वोल्ट किया जाता है तो धारा का मान 25.0 माइक्रोऐम्पियर से 50.0 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है संधि डायोड का दोनों स्थितियों में गतिज प्रतिरोध ज्ञात करो।
उत्तर:
अग्रिम बायस पर
तथा
∆Vf = 2.0 – 1.5 = 0.5 वोल्ट
∆lf = ( 16.0 – 6.0) x 10-3 ऐम्पियर
= 10 x 10-3 ऐम्पियर
अतः अग्रिम बायस प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{10 \times 10^{-3}}\)
= 50 ओम
उत्क्रम बायस पर
∆Vr = 15 – 10 = 5 वोल्ट
∆L = 50 x 106 – 25 x 106 = 25 x 10-6 ऐम्पियर
उत्क्रम बायस प्रतिरोध
R,= \(\frac{\Delta V_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5}{25 \times 10^{-6}}\) ओम
= 2 × 105 ओम

प्रश्न 3.
किसी P-N संधि डायोड की अग्रदशिक अभिनति को 1.0 वोल्ट से बढ़ाकर 1.5 वोल्ट करने पर अग्र धारा का मान 6.5 मिली ऐम्पियर से 16.5 मिली ऐम्पियर हो जाता है। इसी डायोड की उत्क्रम अभिनति का मान 5 वोल्ट से 10 वोल्ट करने पर उत्क्रम धारा का मान 25 माइक्रोऐम्पियर से बढ़कर 50 माइक्रोऐम्पियर हो जाता है। इस डायोड का दोनों स्थितियों में गतिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) प्रश्नानुसार, अग्र अभिनति में
∆Vf = 1.5 – 1.0 = 0.5 V
तथा अग्रदिशिक धारा में परिवर्तन
∆lf = 16.5 – 6.5 = 10mA
अतः अग्रदिशिक गतिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta V_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\) = \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \mathrm{~mA}}\)
= \(\frac{0.5 \mathrm{~V}}{10 \times 10^{-3}}\)
= 0.5 × 102
= 50 ओम
(ii) उत्क्रमित अभिनति के लिए
∆Vr = 10 – 5 = 5V
तथा संगत धारा परिवर्तन
∆I = 50 – 25 = 25 PA
अतः उत्क्रमित गतिक प्रतिरोध
Rr = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{r}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{r}}}\)
= \(\frac{5 \mathrm{~V}}{25 \mu \mathrm{A}}\) = \(\frac{5}{25 \times 10^{-6}}\) = \(\frac{1}{5}\) x 106
= 0.2 x 106 ओम
= 0.2 मेगा ओम

प्रश्न 4.
किसी P-N संधि डायोड का अग्रअभिनति की स्थिति में गतिक प्रतिरोध 25 ओम है अग्र अभिनत विभव में कितना परिवर्तन किया जाये कि अप्रदिशिक धारा में 2 मिली ऐम्पियर का परिवर्तन हो जाये?
उत्तर:
अग्रदिशिक प्रतिरोध
Rf = \(\frac{\Delta \mathrm{V}_{\mathrm{f}}}{\Delta \mathrm{I}_{\mathrm{f}}}\)
और
∆Vf = Rf. ∆lf
= (25) × (2 × 103)
∵ ∆lf = 2 mA = 2 × 10-3 A
Rf = 25 ओम
= 50 x 10-3 v
= 50 मिली वोल्ट
अतः 50 mV का परिवर्तन करना होगा।

प्रश्न 5.
यदि बूलियन व्यंजक \((\overline{\mathbf{A}+\mathbf{B}})(\overline{\mathbf{A} . \mathbf{B}})\) = 1 तो निवेश A व B के मान क्या होंगे?
उत्तर:
माना \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = y1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = y2
अतः (A + B). (A.B) = y1. Y2 = 1
या y1 .y2 = 1
यह तभी सम्भव होगा जब
Y1 = 1 एवं y2 = 1
या \((\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}})\) = 1 एवं \((\overline{\text { A.B }})\) = 1
या A + B = 0 एवं AB = 0
यह तभी सम्भव होगा जब
A = 0, B = 0

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
हाइड्रोजन परमाणु की लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्ध्य हाइड्रोजन समान आयन की बामर श्रेणी की द्वितीय रेखा की तरंगदैर्घ्य के बराबर है। हाइड्रोजन समान आयन का परमाणु क्रमांक 2 है:
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 1
उत्तर:
(अ) 2

प्रश्न 2.
उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु में यदि बोर के सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग (2h/2π) हो तो उसकी ऊर्जा होगी:
(अ) – 3.4 ev
(ब) + 3.4 eV
(स) – 13.6 ev
(द) + 13.6 ev
उत्तर:
(अ) – 3.4 ev

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन परमाणु में स्पेक्ट्रम में किस श्रेणी में रेखायें दृश्य भाग में मिलती हैं:
(अ) लाइमन
(ब) बामर
(स) पाश्चन
(द) ब्रेकेट
उत्तर:
(ब) बामर

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 4.
प्रमुख क्वाण्टम संख्या 1 एवं बोर कक्षा की त्रिज्या rn में निम्न निर्भरता होती है:
(अ) rn α n1/2
(ब) rn α n2
(स) rn α n1/3
(द) rn α n
उत्तर:
(ब) rn α n2

प्रश्न 5.
हाइड्रोजन परमाणु में यदि इलेक्ट्रॉन तीसरी कक्षा से दूसरी कक्षा में संक्रमण करता है, तो उत्सर्जित हिरण की तरंगदैर्ध्य होगी:
(अ) \( \frac{5 R}{6}\)
(ब) \( \frac{R}{6}\)
(स) \( \frac{R}{36}\)
(द) \( \frac{5}{R}\)
उत्तर:
(स) \( \frac{R}{36}\)

प्रश्न 6.
लाइमैन तथा बामर श्रेणी की न्यूनतम तरंगदैर्घ्य का अनुपात होगा:
(अ) 1.25
(ब) 0.25
(स) 5
(द) 10
उत्तर:
(ब) 0.25

प्रश्न 7.
एक उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 3.4 eV है। बोर के सिद्धान्त के अनुसार उसका कोणीय संवेग होगा:
(अ) \(\frac{h}{2 \pi}\)
(ब) \(\frac{2h}{2 \pi}\)
(स) \(\frac{3h}{2 \pi}\)
(द) \(\frac{4h}{2 \pi}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{2h}{2 \pi}\)

प्रश्न 8.
बोर के अनुसार केवल वे कक्ष स्थायी होती हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का मान होगा:
(अ)\(\frac{nh}{2 \pi}\)
(ब) \(\frac{nh}{\pi}\)
(स) \(\frac{2nh}{\pi}\)
(द) \(\frac{n}{2 \pi h}\)
उत्तर:
(अ)\(\frac{nh}{2 \pi}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में जब इलेक्ट्रॉन किसी बाह्य कक्ष से तीसरी कक्षा में संक्रमण करता है, तब स्पेक्ट्रम की श्रेणी होगी:
(अ) लाइमैन श्रेणी
(ब) बॉमर श्रेणी
(स) पाश्चन श्रेणी
(द) ब्रेकेट श्रेणी।
उत्तर:
(स) पाश्चन श्रेणी

प्रश्न 10.
यदि बोर के प्रथम कक्ष की त्रिज्या है तो दूसरे कक्ष की त्रिज्या होगी:
(अ) r/2
(ब) √2r
(स) 2r
(द) 4r
उत्तर:
(द) 4r

प्रश्न 11.
सोडियम की पीली रेखा की तरंगदैर्ध्य 5896 À है। इसकी तरंग संख्या होगी:
(अ) 50883 x 1010 प्रति सेकण्ड
(ब) 16961 प्रति सेमी.
(स) 17581 प्रति सेमी.
(द) 5.883 प्रति सेमी.
उत्तर:
(ब) 16961 प्रति सेमी.

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की कौनसी श्रेणी पूर्ण तथा पराबैंगनी क्षेत्र में उपस्थित होती है:
(अ) लाइमन
(ब) बामर
(स) ब्रेकेट
(द) पाश्चन
उत्तर:
(अ) लाइमन

प्रश्न 13.
10 गुने आयनित सोडियम परमाणु की आयनन ऊर्जा होगी:
(अ) \(\frac{13.6}{11} \mathrm{eV}\)
(ब) \(\frac{13.6}{12} \mathrm{eV}\)
(स) 13.6 x (11)2 ev
(द) 13.6 ev
उत्तर:
(स) 13.6 x (11)2 ev

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 14.
उत्सर्जित आवृत्ति का मान का संक्रमण होता है:
(अ) n = 5 से n = 3
(ब) n = 6 से n = 2
(स) n = 2 से n = 0
(द) n = 0 से n = 2
उत्तर:
(स) n = 2 से n = 0

प्रश्न 15.
बोहर कक्षा की त्रिज्या r पूर्णांक n तथा नियतांक K में सम्बन्ध:
(अ) r = n2K
(ब) r = nK
(स) r = n/k2
(द) r = n/K
उत्तर:
(अ) r = n2K

प्रश्न 16.
हाइड्रोजन परमाणु के प्रथम कक्षा की त्रिज्या 0.53 À है तो उसकी चतुर्थ कक्षा की त्रिज्या होगी:
(अ) 0.193 A°
(ब) 4.24 A°
(स) 2.12 A°
(द) 8.48 A°
उत्तर:
(द) 8.48 A°

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन परमाणु में त्रिज्या की कक्षा में चक्कर काट रहे इलेक्ट्रॉन के लिए गतिज ऊर्जा होगी:
(अ) \(\frac{e^2}{2 r}\)
(ब) \(\frac{e^2}{r^2}\)
(स) \(\frac{e^2}{r}\)
(द) \(\frac{\mathrm{e}^2}{2 \mathrm{r}^2}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{e^2}{2 r}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 18.
एक उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणु तरंगदैर्ध्य 2 के फोटोन को उत्सर्जित करने के पश्चात् मूल अवस्था में आ जाता है। उत्तेजित अवस्था की क्वाण्टम संख्या है-
(अ) \(\sqrt{\frac{\lambda R}{\lambda R-1}}\)
(ब) \(\sqrt{\frac{\lambda R-1}{\lambda R}}\)
(स) \(\sqrt{\lambda R-1}\)
(द) \(\sqrt{\frac{1}{\lambda R-1}}\)
उत्तर:
(अ) \(\sqrt{\frac{\lambda R}{\lambda R-1}}\)

प्रश्न 19.
यदि हाइड्रोजन परमाणु का आयनन विभव 13.6V है तो n = 3 पर इसकी लगभग ऊर्जा है:
(अ) – 1.14 ev
(ब) – 1.51 ev
(स) – 3.4 ev
(द) – 4.53 ev
उत्तर:
(ब) – 1.51 ev

प्रश्न 20.
बामर श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य 6563 À है लाइमन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य होगी:
(अ) 1215.4 A°
(ब) 2500 A°
(स) 7500 A°
(द) 600 A°
उत्तर:
(अ) 1215.4 A°

प्रश्न 21.
बामर श्रेणी की सीमा 3646 A है। इस श्रेणी के प्रथम सदस्य की तरंगदैर्घ्य होगी:
(अ) 6563 A°
(स) 7200 A°
(ब) 3646 A°
(द) 1000 A°
उत्तर:
(अ) 6563 A°

प्रश्न 22.
किसी हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा में ऊर्जा En है। एकल आयनित हीलियम परमाणु की ऊर्जा होगी:
(अ) 4 En
(ब) \(\frac{E_n}{4}\)
(स) 2 En
(द) \(\frac{E_n}{2}\)
उत्तर:
(अ) 4 En

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 23.
हाइड्रोजन परमाणु के बोहर प्रतिरूप में इलेक्ट्रॉन की क्वान्टम में गतिज ऊर्जा तथा कुल ऊर्जा का अनुपात होगा:
(अ) 1
(ब) -1
(स) 2
(द) -2
उत्तर:
(ब) -1

प्रश्न 24.
हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन n = 4 ऊर्जा स्तर से n = 1 स्तर तक संक्रमण करता है। उत्सर्जित हो सकने वाले फोटॉनों की अधिकतम संख्या होगी:
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 6
उत्तर:
(द) 6

प्रश्न 25.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में चामर श्रेणी की अधिकतम तरंगदैर्घ्य का मान 6652 À है, इस श्रेणी की न्यूनतम तरंगदैर्ध्य है:
(अ) 304 Å
(ब) 3645 Å
(स) 1070 Å
(द) 10760 Å
उत्तर:
(ब) 3645 Å

प्रश्न 26.
बोर के सिद्धान्तानुसार इलेक्ट्रॉन की 1वीं कक्षा में कुल ऊर्जा होती है:
(अ) En = -13.6/n2ev
(ब) En = 13.6 n2 eV
(स) 136 ev
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) En = -13.6/n2ev

प्रश्न 27.
लाइमैन व बामर श्रेणी, हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में क्रमशः प्राप्त होती
(अ) पराबैंगनी व दृश्य क्षेत्र में
(ब) दृश्य व दृश्य क्षेत्र में
(स) पराबैंगनी व पराबैंगनी क्षेत्र में
(द) दोनों अवरक्त क्षेत्र में
उत्तर:
(अ) पराबैंगनी व दृश्य क्षेत्र में

प्रश्न 28.
जब बामर श्रेणी के लिए न्यूनतम और अधिकतम तरंगदैर्घ्य प्राप्त होते हैं, तब 12 के मान क्रमशः होंगे:
(अ) अनन्त व तीन
(ब) तीन व शून्य
(स) शून्य व तीन
(द) शून्य व शून्य
उत्तर:
(अ) अनन्त व तीन

प्रश्न 29.
रदरफोर्ड के कणों के प्रकीर्णन प्रयोग में धातुओं के पतली पन्नी से नाभिक का परमाणु क्रमांक बढ़ने पर प्रकीर्णन कोण का पथ होता है:
(अ) अपरिवर्तित रहता है
(ब) घटता है
(स) बढ़ता है
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) बढ़ता है

प्रश्न 30.
चिरसम्मत सिद्धान्त के अनुसार रदरफोर्ड मॉडल में इलेक्ट्रॉन
(अ) वृत्ताकार
(ब) सीधी रेखा में
(स) परवलय में
(द) सर्पिल वक्र में
उत्तर:
(द) सर्पिल वक्र में

प्रश्न 31.
H परमाणु में इलेक्ट्रॉन के प्रथम कक्ष की त्रिज्या A में होती है:
(अ) 0.529
(ब) 1.046
(स) 2.052
(द) 2.068
उत्तर:
(अ) 0.529

प्रश्न 32.
प्रकीर्णन प्रयोग में Q-कण कौनसे बल के कारण प्रकीर्णित होते हैं?
(अ) नाभिकीय बल
(ब) कूलॉम बल
(स) (अ) और (ब) दोनों
(द) गुरुत्वाकर्षण बल
उत्तर:
(ब) कूलॉम बल

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 33.
यदि हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में आयनन ऊर्जा 13.6 eV हो तो प्रथम उत्तेजित अवस्था की आयनन ऊर्जा होगी:
(अ) शून्य
(ब) 6.8 ev
(स) 10.2 ev
(द) 3.4 ev
उत्तर:
(द) 3.4 ev

प्रश्न 34.
निम्न में से कौन-सी एक बोहर मॉडल के अनुसार हाइड्रोजन परमाणु द्वारा उत्सर्जित फोटॉन की ऊर्जा सम्भव नहीं है?
(अ) 1.9 eV
(ब) 11.1 ev
(स) 13.6 ev
(द) 0.65 ev
उत्तर:
(ब) 11.1 ev

प्रश्न 35.
किसी अचल हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रॉन पाँचवें ऊर्जा स्तर से न्यूनतम स्तर को गमन करता है, तो फोटॉन उत्सर्जन के परिणामस्वरूप परमाणु द्वारा प्राप्त वेग होगा:
(अ) \(\frac{24hR}{25m}\)
(ब) \(\frac{25hR}{24m}\)
(स) \(\frac{24hR}{24m}\)
(द) \(\frac{25hR}{25m}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{24hR}{25m}\)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
परमाणु संरचना से सम्बन्धित रदरफोर्ड प्रयोग की कोई दो मुख्य कमियाँ लिखिए।
उत्तर:
(1) रेखीय वर्णक्रम की व्याख्या करने में असफल।
(2) परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल। नोट – (अन्य उचित कमियाँ भी मान्य)

प्रश्न 2.
α कण प्रकीर्णन प्रयोग में स्वर्ण-पत्र ही क्यों प्रयुक्त किये गये?
उत्तर:
सोने का नाभिक भारी होने के कारण Q-कण का विक्षेप अधिक होता है तथा इसके अत्यधिक बारीक पत्र बनाये जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
रदरफोर्ड के ca-प्रकीर्णन प्रयोग से प्राप्त दो मुख्य निष्कर्ष लिखिए।
उत्तर:
(i) परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान तथा सम्पूर्ण आवेश परमाणु के अति सूक्ष्म स्थान में निहित है जिसे नाभिक कहते हैं।
(ii) नाभिक की त्रिज्या परमाणु की त्रिज्या का लगभग (1/ 10000) वाँ भाग है।

प्रश्न 4.
हाइड्रोजन परमाणु में बोर कक्षा की त्रिज्या का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
rn = \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~h}^2}{\pi \mathrm{mZe}}\)
n2, जहाँ n = कक्षा की संख्या है और सभी शेष प्रतीकों के सामान्य अर्थ हैं।

प्रश्न 5.
प्लम पुडिंग मॉडल किसे कहा गया था?
उत्तर:
जे. जे. टॉमसन के पहले परमाणु मॉडल को कहा गया था। इसके अनुसार परमाणु का धन आवेश परमाणु में पूर्णतया एकसमान रूप से वितरित है तथा ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन इसमें ठीक उसी प्रकार अंतःस्थापित है जैसे किसी तरबूज में बीज इस मॉडल को चित्रमय रूप में प्लम पुडिंग मॉडल कहा गया।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 6.
नाभिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी परमाणु का कुल धनावेश तथा अधिकांश द्रव्यमान एक सूक्ष्म आयतन में संकेन्द्रित होता है, जिसे नाभिक कहते हैं और इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन उसी प्रकार परिक्रमा करते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर ग्रह परिक्रमा करते हैं।

प्रश्न 7.
बोर की आवृत्ति का सूत्र लिखिए
उत्तर:
बाह्य कक्षा से आन्तरिक कक्षा में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन के कूदने से उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति E = hv = E2 – E1
यहाँ पर E = इलेक्ट्रॉन की आंतरिक कक्षा में कुल ऊर्जा और E = बाह्य कक्षा में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा।

प्रश्न 8.
निकटतम पहुँच की दूरी को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वह न्यूनतम दूरी जहाँ तक नाभिक की दिशा में सीधा गतिशील एक ऊर्जायुक्त a कण तब तक आ सके जब तक कि वह अपने पथ पर पुनः न लौट जाये, निकटतम पहुँच की दूरी कहलाती है।
F = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{(2 \mathrm{e})(\mathrm{Ze})}{\mathrm{r}^2}\)
जहाँ ऐल्फा कण की नाभिक से दूरी है।

प्रश्न 9.
संघट्ट प्राचल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
a- कण के वेग सदिश की नाभिक से अभिलम्ब दूरी जब यह परमाणु से बहुत दूर है, को संघट्ट प्राचल कहते हैं। इसे b से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 10.
किसी परमाणु के इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग के लिए बोर की क्वांटीकरण शर्त क्या है?
उत्तर:
mvr = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\) पूर्ण संख्या है।

प्रश्न 11.
निम्न घटना का कारण लिखिए अधिकांश -कण स्वर्ण पत्र के आर-पार बिना प्रभावित हुए सीधे ही निकल जाते हैं।
उत्तर:
क्योंकि परमाणु का अधिकांश भाग अन्दर से खोखला होता है।

प्रश्न 12.
a कणों के बड़े कोण से प्रकीर्णन के लिए परमाणु का नाभिक ही उत्तरदायी है, इलेक्ट्रॉन क्यों नहीं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन Q-कण की तुलना में बहुत हल्का होता है इसलिए संवेग संरक्षण के सिद्धान्तानुसार वह Q-कण को बड़े कोण पर प्रकीर्णित नहीं कर सकता।

प्रश्न 13.
परमाणु की त्रिज्या तथा नाभिक की त्रिज्या की कोटि को लिखिए।
उत्तर:
क्रमशः 10-10 m 10-15 m

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु का व्यास लगभग कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु में एक प्रोटोन युक्त नाभिक केन्द्र में तथा एक इलेक्ट्रॉन 0.53 À त्रिज्या की कक्षा में गति करता है अतः परमाणु का व्यास 1.06 À के लगभग होगा।

प्रश्न 15
अवशोषण तथा उत्सर्जन संक्रमण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
निम्नतम ऊर्जा स्तर से किसी भी उच्च ऊर्जा-स्तर में जाना अवशोषण संक्रमण तथा किसी उच्च ऊर्जा स्तर से किसी भी निम्न ऊर्जा स्तर में आना उत्सर्जन संक्रमण कहलाता है।

प्रश्न 16.
ऊर्जा स्तर क्या है? इसे कैसे प्रदर्शित करेंगे?
उत्तर:
किसी परमाणु की स्थायी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा को क्षैतिज रेखा से प्रदर्शित किया जा सकता है, जिसे ऊर्जा स्तर कहते हैं। इसे उचित ऊर्जा पैमाने के अनुसार क्षैतिज रेखा से प्रदर्शित कर सकते हैं।

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की उस श्रेणी का नाम लिखिए जो कि पराबैंगनी दृश्य क्षेत्र में स्थित है।
उत्तर:
लाइमन श्रेणी।

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प्रश्न 18.
हाइड्रोजन के रेखीय वर्णक्रम में पाई जाने वाली किन्हीं दो श्रेणियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लाइमन तथा बामर श्रेणी।

प्रश्न 19.
क्या कोई हाइड्रोजन परमाणु उस फोटॉन जिसकी ऊर्जा बंधन ऊर्जा से अधिक हो, अवशोषित कर सकता है?
उत्तर:
हाँ, परन्तु परमाणु आयनीकृत हो जायेगा।

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन परमाणु की ब्रेकेट श्रेणी की रेखाओं का अनुभूतिमूलक व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V = RC \(\left(\frac{1}{4^2}-\frac{1}{n^2}\right)\) ; n = 5,6,7,

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉन की कक्षाओं में कक्षा त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन वेग में सम्बन्ध को लिखिए।
उत्तर:
r = \(\frac{e^2}{4 \pi \epsilon_0 m v^2}\)

प्रश्न 22.
हाइड्रोजन के परमाणु में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा (K) और स्थितिज ऊर्जा U के मान लिखिए।
उत्तर:
k = \(\frac{e^2}{8 \pi \epsilon_0 r}\) तथा \(\frac{-e^2}{4 \pi \epsilon_0 r}\)

प्रश्न 23.
इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है। यह तथ्य क्या दर्शाता है? यदि धनात्मक होती तो यह क्या दर्शाता?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा का मान E = K + U = \(\frac{-\mathrm{e}^2}{8 \pi \epsilon_0 \mathrm{r}}\)
यहाँ पर ऋणात्मक तथ्य यह दर्शाता है कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से परिबद्ध है। यदि E का मान धनात्मक होता तो इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर बन्द कक्ष में नहीं घूमता।

प्रश्न 24.
हाइड्रोजन के लिए स्पेक्ट्रम श्रेणी लाइमैन तथा पाश्चन के सूत्रों को लिखिए।
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी \(\frac{1}{\lambda}\) = \(\frac{r1}{\lambda}\)
n = 2, 3, 4…..
पाश्चन श्रेणी \(\frac{1}{\lambda}\) = R
n = 4, 5, 6…..

प्रश्न 25.
बोर की कक्षा को ‘स्थायी कक्षा’ क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी किसी कक्षा में चक्कर काटते हुए इलेक्ट्रॉन न तो ऊर्जा उत्सर्जित करता है और न ही अवशोषित। अतः इन कक्षाओं को ‘स्थायी कक्षा’ कहते हैं।

प्रश्न 26.
रदरफोर्ड के प्रयोग में नाभिक के द्रव्यमान का महत्व क्यों नहीं है?
उत्तर:
रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग में नाभिक का आवेश प्रकीर्णन का कारण है। नाभिक के आवेश का वैद्युत क्षेत्र प्रकीर्णन का कारण है। अतः नाभिक के द्रव्यमान से प्रकीर्णन स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 27.
कोणीय संवेग की बोर के क्वांटमीकरण के प्रतिबंध का उल्लेख कीजिए। द्वितीय कक्षा में इलेक्ट्रॉन के लिए इसका क्या मान है?
उत्तर:
इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग का
पूर्णांक गुणक है।
अर्थात् L=n. 2r 22 जहाँ n = 1, 2, 3,
द्वितीय क्रम की कक्षा के लिए n = 2,
∴ L = \(\frac{2 \mathrm{~h}}{2 \pi}\) = \(\frac{\mathrm{h}}{\pi}\) = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{3.14}\)
= 2.11 × 10-34

प्रश्न 28.
हाइड्रोजन परमाणु के उत्सर्जन स्पेक्ट्रम की विभिन्न श्रेणियों के नाम लिखिए। बताइए कि ये विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किन-किन क्षेत्रों में पाई जाती हैं?
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी- पराबैंगनी क्षेत्र में, बामर श्रेणी- दृश्य क्षेत्र में,
पाश्चन, ब्रेकेट तथा फुंट श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में।

प्रश्न 29.
एक स्थायी कक्षा में घूमते इलेक्ट्रॉन की चाल मुख्य क्वांटम संख्या से कैसे संबंधित है?
उत्तर:
nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन की चाल
अर्थात्
Vn = K.2πe2/nh से दिया जा 1

अर्थात् चाल मुख्य क्वांटम संख्या के व्युत्क्रमानुपाती है।

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प्रश्न 30.
विभिन्न स्थायी कक्षाओं की त्रिज्यायें मुख्य क्वांटम संख्या से कैसे संबंधित हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं:
अर्थात्
rn = \(\frac{n^2 h^2}{\mathrm{Ke}^2 4 \pi^2 \mathrm{~m}}\)
एक कक्षा की त्रिज्या मुख्य क्वांटम संख्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती

प्रश्न 31.
यदि एक इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा शून्य हो, तो आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
शून्य ऊर्जा का अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से अनन्त दूरी पर है या यह केवल स्वतंत्र है।

प्रश्न 32.
कुछ कणों के 90° से अधिक कोण पर प्रकीर्णन से क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
(i) धनआवेशित a कणों के 90° से अधिक कोणों पर प्रकीर्णन के लिए आवश्यक है कि स्वर्ण पत्र के परमाणुओं में सूक्ष्म क्षेत्र में धनावेशित केन्द्रित है।
(ii) यह एक परमाणु के स्पेक्ट्रम को नहीं समझा सकता।

प्रश्न 33.
रिडबर्ग नियतांक R का मान ज्ञात करने का सूत्र लिखिए और इस नियतांक का मान कितना होता है?
उत्तर:
R = \(\frac{m e^4}{8 \in_0^2 h^3 c}\)
विभिन्न नियतांकों के मान प्रतिस्थापित करने पर R का मान होगा:
R = 1.03 x 107 m-1

प्रश्न 34.
परमाणु की सामान्य अवस्था के लिए क्वांटम संख्या n = 1 है आयनित अवस्था के लिए n का मान क्या है?
उत्तर:
n = ∞

प्रश्न 35.
उत्सर्जन स्पेक्ट्रम क्या है?
उत्तर:
जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है तो उत्सर्जित प्रकाश से प्राप्त स्पेक्ट्रम को उत्सर्जन स्पेक्ट्रम कहते हैं।

प्रश्न 36.
रेखीय स्पेक्ट्रम पदार्थ की किस अवस्था में प्राप्त होता
उत्तर:
परमाण्वीय अवस्था में।

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प्रश्न 37.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की कौन-सी श्रेणी पराबैंगनीं क्षेत्र में पड़ती है?
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी

प्रश्न 38.
आयनन ऊर्जा को परिभाषित कीजिए। हाइड्रोजन परमाणु के लिए इसका मान क्या होता है?
उत्तर:
आयनन ऊर्जा- किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन को दी गई वह न्यूनतम ऊर्जा जिससे वह संक्रमण के द्वारा परमाणु से बाहर चला जाये, इस आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। हाइड्रोजन परमाणु के आयनन ऊर्जा का मान 13.6 eV होता है।

प्रश्न 39.
हाइड्रोजन परमाणु के सबसे आन्तरिक कक्षा की त्रिज्या 5.3 x 1011m है। द्वितीय उत्तेजित स्तर की कक्षा की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा की त्रिज्या
प्रश्नानुसार
rn = n2r1
r1 = 5.3 x 1011 m
∴ द्वितीय उत्तेजित स्तर के
लिए n = 3 होता है।
r3 = (3)2 × 5.3 x 1011
यहाँ दिया गया है- n= 3
इसलिए
= 9 × 5.3 × 1011
= 47.7 × 1011 m

प्रश्न 40.
α-कण के बड़े कोण के प्रकीर्णन के लिए परमाणु का नाभिक ही उत्तरदायी है, इलेक्ट्रॉन क्यों नहीं?
उत्तर:
क्योंकि इलेक्ट्रॉन Q-कण की अपेक्षा बहुत हल्का होता है, इसलिए संवेग संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार यह a कण को बड़े कोण पर प्रकीर्णित नहीं कर सकता।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
α- प्रकीर्णन प्रयोग से गाइगर और उसके साथियों ने क्या प्रेक्षण किया?
उत्तर:
α- कण प्रकीर्णन प्रयोग से निम्न प्रेक्षण निकाले गये:
(i) अधिकांश a कण अविचलित सोने की पन्नी में से निकल जाते हैं।
(ii) कुछ a कण छोटे कोण पर निक्षेपित होते हैं।
(iii) कुछ a कण अधिक कोण ( > 90° ) पर विचलित होते हैं।
(iv) अत्यन्त अल्प मात्रा में Q-कण 180° से विक्षेपित होते हैं।
(v) पर्दे पर 6 कोण के अन्दर पहुँचने वाले प्रति एकांक क्षेत्रफल पर α- कणों की संख्या N(θ) = 1/sin4(θ/2) होती है।

प्रश्न 2.
किसी दिए हुए समयांतराल में विभिन्न कोणों पर प्रकीर्णित कुछ ऐल्फा- कणों की संख्या के प्रारूपिक आलेख को दर्शाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
बोर परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा का ऋणात्मक होना क्या प्रकट करता है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा ऋणात्मक तथा गतिज ऊर्जा धनात्मक होती है स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा से अधिक होती है अतः कुल ऊर्जा ऋणात्मक होती है जो परमाणु के स्थायित्व को दर्शाती है तथा इससे इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए बाहर से ऊर्जा देनी पड़ेगी।

प्रश्न 4.
स्वर्ण-पत्र पर आपतित कणों में से कुछ ऐसे भी हैं जो प्रकीर्णित होकर वापस अपने ही मार्ग पर लौट आते हैं। (कारण दीजिए)
उत्तर:
किसी भी परमाणु के भीतर एक अत्यन्त सूक्ष्म स्थान में धनावेश केन्द्रित रहता है जो a-कण पर इतना अधिक प्रतिकर्षण बल लगाता है कि a कण अपने ही मार्ग से वापस लौटता है।

प्रश्न 5.
पदार्थों के परमाण्वीय स्पेक्ट्रम की कुछ सुनिश्चित रेखायें ही प्राप्त होती हैं, क्यों?
उत्तर:
परमाणु की केवल सुनिश्चित तथा विविक्त ऊर्जा अवस्थायें ही होती हैं अतः परमाणु के संक्रमणों द्वारा उत्सर्जित विकिरणों की कुछ सुनिश्चित आवृत्तियाँ ही सम्भव हैं।

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प्रश्न 6.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा निम्नांकित सूत्र से व्यक्त की जाती है
En = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\)
जहाँ n = 1, 2, 3,
इस सूत्र का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि-
(a) हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 6.8 eV नहीं हो सकती। (b) हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम में संलग्न रेखाओं के बीच की दूरी n के बढ़ने के साथ-साथ घटती जाती है।
उत्तर:
सूत्र En = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\) में n = 1, 2, 3, …..∞
रखकर सरल करने पर,
E1 = \(-\left(\frac{13.6 \mathrm{eV}}{\mathrm{n}^2}\right)\) = -13.6eV
E2 = \(-\left(\frac{13.6}{2^2}\right)\)eV = \(\frac{-13.6}{4}\) = -3.4ev
E3 = \(-\left(\frac{13.6}{3^2}\right)\)ev = \(-\left(\frac{13.6}{9}\right)\) = -1.51ev
E4 = \(-\left(\frac{13.6}{3^4}\right)\) = \(-\left(\frac{13.6}{81}\right)\) = – 0.85ev
(a) अतः स्पष्ट है कि हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 6.8 eV नहीं हो सकती।
(b) यह भी स्पष्ट है कि n में वृद्धि के साथ दो संलग्न रेखाओं (ऊर्जा स्तरों) का ऊर्जा अन्तर घटता जाता है। अतः उनके बीच की दूरी भी घटती जाती है।

प्रश्न 7.
बोर के सिद्धान्त में कोणीय संवेग के क्वाण्टीकरण से सम्बन्धित परिकल्पना का उल्लेख कीजिये।
अथवा
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के लिए बोर का क्वाण्टम प्रतिबन्ध बताइए।
उत्तर:
बोर की द्वितीय परिकल्पना – इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूम सकता है जिनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग
(L = mvr), का पूर्ण गुणक हो।
बोर की इस परिकल्पना के अनुसार
या
L = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\)
mvr = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\)
यहाँ पर 1 एक पूर्णांक है जिसके मान क्रमश: 1, 2, 3, हैं n को मुख्य क्वाण्टम संख्या एवं इस प्रतिबन्ध को बोर का क्वाण्टम प्रतिबन्ध कहते हैं। यह प्रतिबन्ध इलेक्ट्रॉन की गति को निश्चित सम्भव कक्षाओं में सीमित करता है। n को निर्धारित विभिन्न मान देने पर इलेक्ट्रॉन की विभिन्न त्रिज्या वाली स्थायी कक्षायें प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 8.
रदरफोर्ड परमाणु प्रतिरूप के दोषों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
रदरफोर्ड परमाणु प्रतिरूप की कमियाँ- रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में दो कमियाँ पायी गई-
(i) परमाणु के स्थायित्व के सम्बन्ध में नाभिक के चारों ओर घूमते इलेक्ट्रॉन में अभिकेन्द्र त्वरण होता है। विद्युत गति विज्ञान के अनुसार त्वरित आवेशित कण ऊर्जा उत्सर्जित करता है। अतः नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते इलेक्ट्रॉनों से विद्युत चुम्बकीय तरंगें लगातार उत्सर्जित होनी चाहिये। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा का हास होने के कारण उनके वृत्तीय पथ की त्रिज्या लगातार कम होती जानी चाहिये और अन्त में वे नाभिक में गिर जाने चाहिये। इस प्रकार परमाणु स्थायी (stable) ही नहीं रह सकता है।
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(ii) रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या के सम्बन्ध में रदरफोर्ड मॉडल में इलेक्ट्रॉनों के वृत्तीय पथ की त्रिज्या के लगातार बदलते रहने से उनके घूमने की आवृत्ति भी बदलती रहेगी। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रॉन सभी आवृत्तियों की विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्सर्जित करेंगे अर्थात् इन तरंगों का स्पेक्ट्रम संतत (continuous) होगा, परन्तु वास्तव में परमाणुओं के स्पेक्ट्रम संतत न होकर रेखीय होते हैं अर्थात् उनमें बहुत-सी बारीक रेखायें होती हैं तथा प्रत्येक स्पेक्ट्रम रेखा की एक निश्चित आवृत्ति होती है अतः परमाणु से केवल कुछ निश्चित आवृत्तियों की ही तरंगें उत्सर्जित होनी चाहिये सभी आवृत्तियों की नहीं इस प्रकार रदरफोर्ड मॉडल रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में असक्षम रहा।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में कौनसी श्रेणी दृश्य स्पेक्ट्रम क्षेत्र में होती है? इस श्रेणी की विभिन्न रेखाओं की तरंग संख्यायें ज्ञात करने के लिये सूत्र लिखिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में बामर श्रेणी दृश्य स्पेक्ट्रम क्षेत्र में होती है। बामर श्रेणी, हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन जब किसी ऊँचे स्तरों n2 = 3, 4, 5….. से द्वितीय ऊर्जा स्तर n = 2 में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित विकिरण की श्रृंखला को बामर श्रेणी कहते हैं।
\(\frac{1}{\lambda}\) = \(\mathrm{R}\left[\frac{1}{2^2}-\frac{1}{\mathrm{n}_2^2}\right]\)
जहाँ पर n 2 = 3, 4, 5 ……….. ∞ है इस श्रेणी की सबसे बड़ी तरंगदैर्ध्य 6563 Å तथा सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य 3646 À है।

प्रश्न 10.
रदरफोर्ड के Q-कण के प्रयोग में यह देखने में आता है कि (i) अधिकतर a-कण लगभग बिना प्रकीर्णित हुए सीधे निकल जाते हैं, (ii) जबकि उनमें कुछ बड़ा कोण बनाते हुए प्रकीर्णित होते हैं तथा कुछ कण ऐसे भी हैं जो प्रकीर्णित होकर वापस अपने ही मार्ग पर लौट आते हैं। परमाणु की संरचना के विषय में इससे क्या सूचना प्राप्त होती है?
उत्तर:
(i) परमाणु के भीतर अधिकांश भाग खोखला है तथा
(ii) में धनावेश एक अत्यन्त सूक्ष्म स्थान (नाभिक) में संकेन्द्रित है।

प्रश्न 11.
एक α-कण V वोल्ट विभवान्तर से गुजरकर एक नाभिक से टकराता है। सिद्ध कीजिए कि यदि परमाणु संख्या Z हो, तो कण की नाभिक के पास पहुँचने की निकटतम दूरी 14.4 (Z/V) Å होगी।
(दिया है : 1/4r πE0 = 9.0 x 109 न्यूटन मीटर / कूलॉम’; तथा e = 1.6 x 10-19कूलॉम)
उत्तर:
α-कण की नाभिक के निकटतम पहुँचने की स्थिति में α-कण की गतिज ऊर्जा = α-कण नाभिक निकाय की वैद्युत
स्थितिज ऊर्जा
⇒ 2e x v = 1/4πE0(2e x Ze/r0)
⇒ 9 x 109(2e x Ze/r0)
⇒ 2ev = \(\frac{2 \times 9 \times 10^9 \times \mathrm{Ze}^2}{\mathrm{r}_0}\)
⇒ r0 = \(\frac{9 \times 10^9 \mathrm{Ze}}{\mathrm{V}}\) मीटर
मान रखने पर
9 x 109 1.6 x 10-19 मीटर
= 14.4 x 1010

प्रश्न 12.
किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम उत्तेजित स्तर तथा मूल स्तर के संगत कक्षाओं की त्रिज्याओं का अनुपात क्या होता है?
उत्तर;
हम जानते हैं rn α nn
मूल स्तर के लिए n = 1 तथा प्रथम उत्तेजित स्तर के लिए n = 2 होता है।
प्रथम उत्तेजित स्तर की त्रिज्या (5) मूल स्तर की त्रिज्या (i)
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\(\frac{r_2}{r_1}\) = \(\frac{4}{1}\)
r2 : r1 = 4 : 1

प्रश्न 13.
क्या कारण है कि किसी परमाणु के अवशोषण संक्रमणों की संख्या उत्सर्जन संक्रमणों से कम होती है?
उत्तर:
इसका कारण है कि उत्सर्जन संक्रमण किसी भी उच्च ऊर्जा स्तर से प्रारम्भ होकर उससे किसी भी निम्न ऊर्जा स्तर पर समाप्त हो सकते हैं, जबकि अवशोषण संक्रमण सदैव मूल ऊर्जा स्तर से ही प्रारम्भ होकर किसी भी उच्च ऊर्जा स्तर पर समाप्त होते हैं।

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक ही इलेक्ट्रॉन है, परन्त उसके उत्सर्जन वर्णक्रम में कई रेखाएँ होती हैं। ऐसा कैसे होता है? कारण सहित समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक परमाणु के कुछ सुनिश्चित ऊर्जा स्तर होते हैं। सामान्य अवस्था में हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन निम्नतम ऊर्जा- स्तर में रहता है। जब परमाणु को बाहर से पर्याप्त ऊर्जा मिलती है तो इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर को छोड़कर किसी ऊँचे ऊर्जा स्तर में चला जाता है, अर्थात् उत्तेजित हो जाता है। लगभग 10 सेकण्ड में ही इलेक्ट्रॉन ऊँचे ऊर्जा स्तर को छोड़ देता है। अब यह सीधे निम्नतम ऊर्जा स्तर में भी लौट सकता है अथवा नीचे ऊर्जा स्तरों से होते हुए भी निम्नतम ऊर्जा स्तर में लौट सकता है। चूँकि किसी प्रकाश स्रोत (हाइड्रोजन लैम्प में असंख्य परमाणु हैं, अतः स्रोत में सभी सम्भव संक्रमण होने लगते हैं तथा स्पेक्ट्रम में अनेक रेखाएँ दिखाई पड़ती है।

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प्रश्न 15.
सतत परास की आवृत्ति वाले फोटॉन विरलित (rarefied) हाइड्रोजन नमूने में से गुजारे जाते हैं। चित्र में तीन अवशोषित रेखाएँ दर्शाई गई हैं।
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(i) ये रेखाएँ हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की किस श्रेणी से सम्बन्धित
(ii) इनमें से किसकी तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होगी?
उत्तर:
(i) I = लाइमैन श्रेणी II = बामर श्रेणी III = पाश्चन श्रेणी।
(ii) ∵ λ = hc/ΔΕ अधिकतम तरंगदैर्घ्य के लिए AE न्यूनतम होनी चाहिए। यह III रेखा के लिए है। अतः इसकी तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होगी।

प्रश्न 16.
H2 परमाणु में पहली बोहर कक्षा की त्रिज्या ro है। दूसरी कक्षा की त्रिज्या कितनी होगी? एकल आयनित हीलियम परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या कितनी होगी?
उत्तर:
H2 परमाणु के लिए r α n2; इसलिए इसकी दूसरी
कक्षा की त्रिज्या
r2 = 22r1 = 22 x ro = 4ro
H2 सदृश परमाणु के लिए r α (n2/Z) तथा एकल आयनित हीलियम परमाणु के लिए Z = 2
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 5
= \(\frac{2^2 / 2}{2^2}\)
अतः एकल आयनित He परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या
= H2 परमाणु की द्वितीय कक्षा की त्रिज्या / 2
= 4r/2 = 2ro

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन परमाणु को उत्तेजित करने वाले इलेक्ट्रॉन की न्यूनतम ऊर्जा कितनी हो कि हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ प्राप्त हों?
उत्तर:
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि परमाणु को उत्तेजित करने वाले इलेक्ट्रॉन में इतनी ऊर्जा हो कि उसको n = 1 से n = 3 में उत्तेजित कर सकें जिससे तीन उत्सर्जन संक्रमण = (3 → 2, 3 → 1, 2 → 1) प्राप्त हो जायेंगे।
इस स्थिति में सूत्र En = ( 13.6/n 2 ) eV. से.
अतः
E1 = -(13.6/12)ev = -13.6ev
E3 = -(13.6/32)ev = -1.5ev
आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा = E3 – E1
= – 1.5 eV – (- 13.6 eV)
= – 1.5 eV + 13.6 eV = 12.1 ev
यद्यपि परमाणु के अवशोषण स्पेक्ट्रम में तीन स्पेक्ट्रमी रेखाएँ : (1 → 2, 1 → 3, 1 → 4) प्राप्त करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा (E4 – E1) = 12.75 ev चाहिए।

प्रश्न 18.
बोर के सिद्धान्त की कमियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
बोर प्रतिरूप की कमियाँ
(1) बोर का सिद्धान्त एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु, जैसे- हाइड्रोजन या आयनित हीलियम के लिये ही उपयुक्त है। इसके द्वारा अन्य परमाणुओं के स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं की जा सकी।
(2) इस सिद्धान्त में नाभिक को स्थिर माना गया है, परन्तु यह तभी सम्भव है जब नाभिक का द्रव्यमान अनन्त हो।
(3) इसमें इलेक्ट्रॉन की कक्षायें वृत्ताकार मानी गयी हैं, जबकि यह अधिकतर दीर्घ वृत्ताकार होती हैं।
(4) इसके आधार पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की तीव्रता की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
(5) कोणीय संवेग के क्वांटीकरण का कोई तर्कसंगत आधार नहीं दिया गया।
(6) इसके आधार पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की सूक्ष्म संरचना की व्याख्या नहीं की जा सकती।
(7) चुम्बकीय क्षेत्र प्रयुक्त करने पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं में विपाटन (Splitting ) होता है, यह प्रभाव जेमान प्रभाव कहलाता है जिसकी व्याख्या बोर सिद्धान्त से नहीं हो सकी। इस तरह विद्युत क्षेत्र में स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विपाटन प्रेक्षित होता है जिसे स्टार्क प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 19.
बोर के अभिगृहीतों के आधार पर हाइड्रोजन परमाणु की nवीं स्थाई कक्षा में इलेक्ट्रॉन के कक्षीय वेग के व्यंजक की व्युत्पत्ति कीजिए।
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा (-) Xev है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर:
बोर की प्रथम परिकल्पना – परमाणु में इलेक्ट्रॉन नामिक के चारों ओर विभिन्न स्थायी वृत्ताकार कक्षों में घूमते हैं। इलेक्ट्रॉन एवं नाभिक के आवेश के बीच कार्य करने वाला कूलॉम बल, इलेक्ट्रॉन की वृत्तीय कक्षा में घूमने के लिये आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है। अतः बोर की प्रथम परिकल्पना से
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 6
बोर की द्वितीय परिकल्पना: इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूम सकता है जिनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग ( L = mvr), h/2π का पूर्ण गुणक हो। बोर की इस परिकल्पना के अनुसार
L = nh/2π
या
mvr = n(h/2π) ….(2)
जहाँ h = प्लांक नियतांक तथा n = 1. 2. 3…. मुख्य क्वाण्टम
संख्यायें हैं।
समीकरण (1) से
mv2r = \(\frac{\mathrm{Ze}^2}{4 \pi \epsilon_0}\)
या mvrv = \(\frac{\mathrm{Ze}^2}{4 \pi \epsilon_0}\) ………(3)
समीकरण (2) से mvr का मान रखने पर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 7
(जहाँ n = 1. 2. 3….. )
समीकरण (4) स्थायी कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन के वेग का सामान्य व्यंजक है। इस सूत्र में e, E0 तथा h सार्वत्रिक नियतांक हैं। परमाणु
विशेष के लिये Z भी नियतांक है अतः v α 1/n
अर्थात् “स्थायी कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन का वेग कक्षा की संख्या अर्थात् मुख्य क्वाण्टम संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। ” इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा का मान
K =- (-) X ev
K = XeV

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प्रश्न 20.
एक ऐल्फा कण, जिसकी गतिज ऊर्जा 4.5 Mev है, Z = 80 के किसी नाभिक से टकराता है, रुकता है और अपनी दिशा उत्क्रमित करता है, तो निकटतम उपगमन की दूरी निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
माना निकटतम उपगमन की दूरी है।
था
K = 4.5Mev
= 4.5 x 106 ev
Z = 80
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आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
गांइगर मार्सडन प्रयोग में Z = 80 नाभिक से निकटतम पहुँच की दूरी ज्ञात कीजिए जब 8 Mev ऊर्जा का Q-कण उसकी ओर प्रेक्षित किया जाता है जो क्षणभर के लिए विरामावस्था में आने से पहले उसकी दिशा प्रतिलोम हो जाती है। जब Q-कण की गतिज ऊर्जा दुगुनी कर दी जाये तो निकटतम पहुँच की दूरी कैसे प्रभावित होगी?
उत्तर:
निकटतम पहुँच की दूरी का सूत्र
r0 = K2Ze2/Ek
दिया है:
z = 80, E = 8 Mev
= 8 × 106 × 1.6 x 10-19 J
e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
मान रखने पर
ro = \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 80 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{8 \times 10^6 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{2304 \times 10^{-10}}{8 \times 10^6}\)
= 288 ×10-16
जब
= 28.8 × 10-15m
Ek = 2 × 8 MeV = 16 Mev
= 16 × 100 × 1.6 × 10-16J
तब
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 80 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{16 \times 10^6 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{2304 \times 10^{-10}}{16 \times 10^6}\)
= 144 x 10-16
= 14.4 × 10-15m
यदि अल्फा कण की ऊर्जा दुगुनी कर दी जाये तो निकटतम पहुँच दूरी आधी हो जायेगी।

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प्रश्न 2.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम व द्वितीय बोर कक्षों की त्रिज्याएँ, वेग व ऊर्जा स्तरों की गणना कीजिए दिया है h = 6.6 x 10-14 जूल- सेकण्ड;
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m = 9.1 x 10-31 किलोग्रामः
e = 1.6 × 10-19 कूलॉम;
Eo = 8.85 × 10-12 कूलॉम / न्यूटन मीटर
उत्तर:
(i) कक्षा की त्रिज्या rn =\(\frac{\epsilon_0 n^2 h^2}{\pi m e^2}\)
अतः प्रथम कक्षा की त्रिज्या के लिए n = 1
∴ r1 = \(\frac{\epsilon_0 h^2}{\pi \mathrm{me}^2}\)
= \(\frac{8.85 \times 10^{-12} \times\left(6.6 \times 10^{-34}\right)^2}{3.14 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}\) मीटर
= 5.29 × 10-11 मीटर
= 0.529 ऐंग्स्ट्रम
(ii) द्वितीय कक्षा n = 2 के लिए r2 = n2r1
= 4 × 0.529 Å = 2.116 ऐंग्स्ट्रम

(iii) यदि प्रथम कक्षा में वेग V1 है, तो
= \(\frac{\mathrm{e}^2}{2 \epsilon_{\mathrm{o}} \mathrm{nh}}\)
= \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-16}\right)^2}{2 \times 8.85 \times 10^{-12} \times 6.6 \times 10^{-34}}\)
= 2.2 × 106 मीटर/सेकण्ड

(iv) द्वितीय कक्षा में वेग V2
Vn = V1/n यहाँ n = 2
∴ V2 = \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-16}\right)^2}{2 \times 8.85 \times 10^{-12} \times 6.6 \times 10^{-34}}\)
= 1.1 x 106मीटर / सेकण्ड

(v) nवीं कक्षा की ऊर्जा En = \(\frac{-m e^4}{8 \epsilon_0^2 h^2 n^2}\)
n = 1 रखने पर प्रथम कक्षा ( मूल स्तर) की ऊर्जा
E1 = \(\frac{-m e^4}{8 \epsilon_0^2 h^2}\)
= \(\frac{9.1 \times 10^{-31} \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^4}{8 \times\left(8.85 \times 10^{-12}\right)^2 \times\left(6.6 \times 10^{-34}\right)^2}\)
= – 2.179 × 1018 जूल
= \(\frac{-2.179 \times 10^{-18}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= – 13.6 इलेक्ट्रॉन वोल्ट

(vi) दूसरे कक्षा की ऊर्जा En = E1/n2
(यहाँ n = 2)
∴ E2 = -13.6eV/4 = -3.4
इलेक्ट्रॉन वोल्ट

प्रश्न 3.
एक परमाणु का ऊर्जा स्तर आरेख चित्र में प्रदर्शित किया गया है। संक्रमण B तथा D से प्राप्त फोटॉनों के तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 9
उत्तर:
संक्रमण B के लिए
E1 = – 4.5 eV तथा E2 = 0 ev
E = E2 – E1 = 0 + 4.5 = 4.5 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन की तरंगदैर्ध्य )
λ = hc/E
∴ λ = hc/4.5ev
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{4.5 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
λ = \(\frac{6.62 \times 3 \times 10^{-34} \times 10^{27}}{4.5 \times 1.6}\)
= \(\frac{19.8 \times 10^{-7}}{7.2}\)
= 2.75 x 107 m
= 2750 × 10-10m = 2750 A
संक्रमण D के लिए
E1 = – 10 eV तथा E2 =- 2e V.
E = E2 – E से
= -2eV + 10 eV = 8 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन की तरंगदैर्ध्य )
∴ λ = hc/E = hc/8ev
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{8 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.547 × 107 m
= 1547 x 10-10 m
= 1547 A

प्रश्न 4.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा – 3.4 V है। मूल अवस्था प्राप्त करने पर उत्सर्जित फोटॉन का तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज एवं गतिज ऊर्जाओं की गणना भी कीजिये।
उत्तर:
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की गतिज एवं स्थितिज ऊर्जायें क्रमशः हैं (H-परमाणु के लिये )
है।
गतिज ऊर्जा Kn = 13.6/n2ev
और स्थितिज ऊर्जा Un = -27.2/n2 ev
n = 2, द्वितीय कक्षा जिसे हम प्रथम उत्तेजित अवस्था भी कहते
∴ n = 2 रखने पर K2 = 13.6/22eV = 3.4ev
U2 = -27.2/22ev = -6.8eV
हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन के प्रथम उत्तेजित अवस्था से मूल अवस्था में लौटने पर उसकी ऊर्जा में हुआ हास
13.6 + 3.4 = -10.2 ev
प्रश्नानुसार इसमें 3 तरंगदैर्घ्य का फोटॉन उत्सर्जित होता है।
hc/λ = 10.2 x 1.6 x 10-19
λ = \(\frac{h c}{10.2 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{10.2 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.217 x 107 m
= 1217 A

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 5.
(i) चित्रानुसार जब कोई इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर 2E से ऊर्जा स्तर E में संक्रमण करता है तो तरंगदैर्ध्य का फोटॉन उत्सर्जित होता है। यदि यह इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर स्तर E में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित फोटॉन ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 11
(ii) हाइड्रोजन परमाणु के प्रथम कक्ष की त्रिज्या 0.53है तो इसके दूसरे कक्ष की त्रिज्या कितनी होगी?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 10
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_1}{\lambda}\) = \(\frac{3 R}{4 E^2}\) \(\frac{25 \mathrm{E}^2}{9 R}\)
\(\frac{\lambda_1}{\lambda}\) = \(\frac{25}{12}\)
λ = \(\frac{25}{12}\)

(ii) सूत्र rn = 0.53n2/Z
हाइड्रोजन के लिए Z = 1
∴ rn = 0.53n2 A
दूसरे कक्ष के लिए
n = 2
r2 = 0.53 × 22
= 0.53 × 4
= 2.12A

प्रश्न 6.
किसी परमाणु में ऊर्जा स्तर A से C में संक्रमण से 1000 ऐंग्स्ट्रम तथा संक्रमण B से C में 5000 ऐंग्स्ट्रम तरंगदैर्ध्य के विकिरण उत्सर्जित होते हैं, ऊर्जा स्तर A से B में संक्रमण के लिए उत्सर्जित विकिरण की तरंगदैर्ध्य कितनी होगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
\(E_{n_2}-E_{n_1}=\frac{h c}{\lambda}\)
प्रश्नानुसार
EA – EC = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda}\) यहाँ λ1 = 1000 Å
अतः
EA – EC = \(\frac{h c}{1000 Å}\) ……(1)
इसी प्रकार EB – EC = \(\frac{h c}{5000 Å}\) …..(2)
यदि A से B में संक्रमण से उत्सर्जित विकिरण (फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य λ3 हो तो
EB – EC = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_3}\) …….(3)
समीकरण (1) में से समीकरण (2) घटाने पर
EA – EC = \(\frac{h c}{1000 Å}\) – \(\frac{h c}{5000 Å}\)
= \(\mathrm{hc}\left[\frac{(5000-1000) Å}{1000 \times 5000 Å \times Å}\right]\) ……(4)
समीकरण (4) में समीकरण (3) से मान रखने पर
\(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_3}\) = \(\frac{h c 4000}{1000 \times 5000} \frac{1}{Å}\)
या
λ3 = \(\frac{5000 Å}{4}\) = 1250 ऐंग्स्ट्रम

प्रश्न 7.
किसी तत्व का ऊर्जा स्तर आरेख नीचे चित्र में दिया गया है, आवश्यक गणना करके यह पहचानें कि कौनसा संक्रमण उत्सर्जन की स्पेक्ट्रमी रेखा का तरंगदैर्घ्य 102.7 nm के संगत है?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 12
उत्तर:
संक्रमण A के लिए
E1 = – 1.5 eV और E2 = – 0.85 eV
∴ E = E2 – E1
= -0.85 (-1.5)
= – 0.85 + 1.5
E = 0.65 eV
= 0.65 x 1.6 x 10-19 J
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) सूत्र से ज्ञात करेंगे
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{0.65 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86 \times 10^{-7}}{1.04}\) = 19.1 × 10-7
= 1910 nm
संक्रमण B के लिए
E1 = – 3.4 eV और E2 = – 0.85 ev
E = E2 – E1 = – 0.85 – (-3.4)
= – 0.85 + 3.4
E = 2.55 eV = 2.55 x 1.6 x 10-19 J
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2.55 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
19.86/4.08 x 10-7m
= 4.87 × 10-7m
= 487 nm
संक्रमण C के लिए
E1 = – 3.4 eV तथा E2 = -1.5 ev
E = E2 – E1 = – 1.5 – (-3.4)
= – 1.5 + 3.4
= 1.9 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगैदर्घ्य का सूत्र
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{1.9 \times 1.6 \times 10^{-19}}\) मीटर
= 19.86/3.04 ×10-7 = 6.533 x 10-7 m
= 653.3 nm
संक्रमण D के लिए
E1 = – 13.6 eV और E2 = -1.5 ev
E = E2 – E1
= – 1.5 (- 13.6)
= 1.5+ 13.6
E= 12.1 ev
अतः उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h c}{E}\) से ज्ञात करेंगे।
λ = \(\frac{h c}{E}\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{12.1 \times 1.6 \times 10^{-19}}m\)
λ = \(\frac{19.86}{13.6}\) x 10-7m
= 1.026 × 10-7 m
λ = 102.6nm
उपर्युक्त गणनाओं से यह ज्ञात होता है कि संक्रमण D से उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 102.6nm के संगत है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में ऊर्जा -13.6 ev है, यदि एक इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर 0.85 ev से -3.4 eV ऊर्जा स्तर में संक्रमण करता है तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए यह तरंगदैर्घ्य हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम के किस श्रेणी में स्थित होती है?
उत्तर:
उत्सर्जित फोटॉन की ऊर्जा
E = – 0.85 – (-3.4) = 0.85 + 3.4
E = 2.55 ev
= 2.55 × 1.6 x 10-19 J
उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा ( फोटॉन) की तरंगदैर्घ्य
λ = hc/E से ज्ञात करेंगे।
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2.55 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86}{4.08}\) x 10-7 m
= 4.8676 × 10-7m
= 486.76nm
= 4867.6 A
यह तरंगदैर्घ्य हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम के बामर श्रेणी में स्थित होती है।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था ऊर्जा 13.6ev है तो
(i) द्वितीय उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा क्या है?
(ii) यदि इलेक्ट्रॉन द्वितीय उत्तेजित अवस्था से मूल अवस्था में कूदता है तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु में nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा होगी
En = \(\frac{-13.6}{n^2} e V\) …..(1)
(i) द्वितीय उत्तेजित अवस्था के लिए n = 3 लेने पर
∴ E3 = \(\frac{-13.6}{3^2} \mathrm{eV}\) = \(\frac{-13.6}{9}\) = -1.510V
(ii) द्वितीय उत्तेजित अवस्था (n = 3) से मूल अवस्था (n = 1) में इलेक्ट्रॉन के कूदने पर उत्सर्जित ऊर्जा
E = E3 – E1
= – 1.51 – (-13.6)
= – 1.51 + 13.6 = 12.09 ev
उत्सर्जित स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य का मान होगा
λ = \(\frac{h c}{E}\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{12.09 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.86}{19.344}\)
= 1.027 × 10-7m
= 102.7 nm = 1027 A

प्रश्न 10.
किसी परमाणु के ऊर्जा स्तर A, B व C की ऊर्जाएँ क्रमशः EA, EB, Ec हैं तथा EA < EB < EC हैं। यदि C से B में, B से A में तथा C से A में इलेक्ट्रॉन के संक्रमण से प्राप्त फोटॉनों की तरंगदैर्ध्य क्रमशः λ1, λ2 λ3 हैं, तो सिद्ध कीजिए कि λ3 = \(\frac{\lambda_1 \lambda_2}{\lambda_1+\lambda_2}\)
उत्तर:
हम जानते हैं कि
∆E = hv = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda}\)
अतः EC – EB= \(\frac{h c}{\lambda_1}\) …..(1)
EB – EA = \(\frac{h c}{\lambda_2}\) …..(2)
तथा EC – EA = \(\frac{h c}{\lambda_3}\) …..(3)
समीकरण ( 1 ) एवं समीकरण (2) के योग से
EC – EA = hc(\(\frac{1}{\lambda_1}\) + \(\frac{1}{\lambda_2}\)) ……..(4)
समीकरण (3) व समीकरण (4) से
\(\frac{h c}{\lambda_3}\) = hc\([\frac{1}{\lambda_1}+\frac{1}{\lambda_2}]\)
या \(\frac{1}{\lambda_3}\) = \(\frac{1}{\lambda_1}\) + \(\frac{1}{\lambda_2}\)
अतः
λ3 = \(\frac{\lambda_1 \lambda_2}{\lambda_1+\lambda_2}\)
यही सिद्ध करना था।

प्रश्न 11.
हाइड्रोजन परमाणु की बामर श्रेणी की दूसरी रेखा की तरंगदैर्घ्य का मान 4861 ऐंग्स्ट्रम है। इस श्रेणी की चौथी रेखा के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोज़न स्पेक्ट्रम की किसी भी रेखा के लिए n2 = n1+ P(P रेखा की संख्या है)। अतः इस श्रेणी की दूसरी रेखा के लिए n2 = 2 + 2 = 4 तथा चौथी रेखा के लिए n2= 2 + 4 = 6। इन रेखाओं की तरंगदैर्घ्य क्रमशः λ2 व λ4 हों तो
\(\frac{1}{\lambda_2}\) = R\(\frac{1}{2^2}-\frac{1}{4^2}\)
\(\frac{1}{\lambda_2}\) = \(\frac{3}{16} R\) …….(1)
\(\frac{1}{\lambda_4}\) = R\(\frac{1}{2^2}-\frac{1}{6^2}\)
इसी प्रकार \(\frac{1}{\lambda_4}\) = \(\frac{8R}{36}\) ………..(2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_4}{\lambda_2}\) = \(\frac{3 R}{16}\) \(\frac{36}{8 R}\) = \(\frac{27}{32}\)
∴ λ4 = \(\frac{27}{32}\) × λ2
= \(\frac{27}{32}\) × 4861A = 41015A

प्रश्न 12.
एक हाइड्रोजन परमाणु प्रारम्भ में मूल अवस्था में एक फोटॉन अवशोषित करता है, जिससे वह n = 4 स्तर तक उत्तेजित होता है। फोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि फोटॉन की तरंगदैर्घ्य
\(\frac{1}{\lambda}\) = R\(\frac{1}{n_1^2}-\frac{1}{n_2^2}\)
\(\frac{1}{\lambda}\) = 1.09 × 107 \(\frac{1}{1_1^2}-\frac{1}{4_2^2}\)
\(\frac{1}{\lambda}\) = 1.09 × 107 \(1-\frac{1}{16}\)
= \(\frac{15}{16}\) 1.09 × 107m
था λ = = 980 × 10-10m
था λ = 980 × 10-10 = 980
इसलिए आवृत्ति
v = \(\frac{\mathbf{c}}{\lambda}\) = \(\frac{3 \times 10^8}{9.8 \times 10^{-8}}\)
= 3.06 × 10-15 per second

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 13.
यदि लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य 1216 है तो बामर व पाश्चन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
लाइमैन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λL बामर श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λB तथा पाश्चन श्रेणी की प्रथम रेखा की तरंगदैर्घ्य λp हो तो हम तरंगदैर्घ्य के समीकरण से जानते हैं
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 12 परमाणु 13

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था की ऊर्जा -13.6eV है, इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जायें क्या हैं?
उत्तर:
प्रश्नानुसार दिया है:
E1 = – 13.6ev
∵ Ek1 = \(\) तथा E1 = \(\)
∵Ek1 = -E1 = -(-13.6) = 13.6 ev
∵ Ek1 तथा E1 = \(\)
∵EP1 = 2E1 = 2 × (-13.6) = -27.2ev
अतः मूल अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
Ek1 = 13.6ev
तथा स्थितिज ऊर्जा EP1 = -27.2ev

प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था मे ऊर्जा -13.6eV है। इस दशा में इलेक्ट्रॉन की गतिज़ ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करें।
उत्तर:
यहाँ E1 = -13.6ev
इसलिये गतिज ऊर्जा k = -(E1) = -(-13.6ev)
k = 13.6ev
स्थितिज ऊर्जा U = 2E1 = 2 ×(-13.6ev)
= -27.2ev

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर


(A) बहुविकल्पीय प्रश्न

1. मूल विभज्योतक का प्रशान्त केन्द्र कार्य करता है- (RPMT)
(A) परिपक्वन के दौरान भोजन के भण्डारण स्थल की तरह
(B) वृद्धि हार्मोन के भण्डारण की तरह
(C) विभत्र्योटक की क्षति ग्रस्त कोशिकाओं की पुनः पूर्ति के लिए संचय की तरह
(D) जल अवशोषण के क्षेत्र की तरह।
उत्तर:
(C) विभत्र्योटक की क्षति ग्रस्त कोशिकाओं की पुनः पूर्ति के लिए संचय की तरह

2. काग एथा (crok camblum), काग (cork) तथा द्विपीय वल्कुट (secondary cortex) सामूहिक रूप से कहलाते हैं- (AIPMT)
(A) कागजन
(B) परित्वक
(C) काग
(D) कागज अस्तर ।
उत्तर:
(B) परित्वक

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

3. वार्षिक वलयों को गिनकर वृक्ष की आयु का पता लगाना कहलाता है- (UPCPMT)
(A) डेण्ड्रोक्रोनोलॉजी
(B) आयुवृद्धि
(C) क्रोनोलॉजी
(D) कॉन्ट्रालोजी
उत्तर:
(A) डेण्ड्रोक्रोनोलॉजी

4. छाल (bark) शब्द सम्बोधित करता है- (RPMT)
(A) फैलम, फैलाडर्म तथा संवहन कैम्बियम को
(B) पैरीडर्म तथा द्वितीयक जाइलम को
(C) कॉर्क, कैम्बियम तथा कॉर्क को
(D) फैलोजन, फैलम, फैलोडम तथा द्वितीयक फ्लोएम को
उत्तर:
(D) फैलोजन, फैलम, फैलोडम तथा द्वितीयक फ्लोएम को

5. कैस्पेरियन स्ट्रिप्स पायी जाती है- (RPMT)
(A) अन्तः स्त्वचा में
(B) बाध्य त्वचा में
(C) बल्कुट में
(D) परिरम्भ में
उत्तर:
(A) अन्तः स्त्वचा में

6. पाश्र्व विभज्योतक निम्नलिखित में वृद्धि हेतु उत्तरदायी होता है। (RPMT)
(A) लम्बाई
(B) मोटाई
(C) मुद्वतक
(D) बल्कुट
उत्तर:
(B) मोटाई

7. ड्यूरोमन पाया जाता है- (UPCPMT)
(A) द्वितीयक वस्तु के भीतरी भाग में
(B) रस वस्तु में
(C) द्वितीयक वस्तु के बाह्य भाग में
(D) परिरम्भ में
उत्तर:
(A) द्वितीयक वस्तु के भीतरी भाग में

8. बन्द संवहन पूलों में नहीं पाया जाता है- (CBSE AIPMT)
(A) भरण ऊतक
(B) कंजक्टिव ऊतक
(C) एधा
(D) मज्जा
उत्तर:
(C) एधा

(B) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊतक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
समान संरचना, उत्पत्ति एवं कार्य वाली कोशिकाओं का समूह ऊतक कहलाता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

प्रश्न 2.
विभज्योतक की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
विभाजन की अपार क्षमता का पाया जाना।

प्रश्न 3.
ऊतकों का अध्ययन क्या कहलाता है ?
उत्तर:
औतिकी (Histology) ।

प्रश्न 4.
शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर:
मूल तथा प्ररोह के शीर्षो पर ।

प्रश्न 5.
पार्श्व विभज्योतक के उदाहरण लिखिए ।
उत्तर:
संवहन एधा (vascular cambium) तथा कार्क एधा (cork cambium)।

प्रश्न 6.
स्थाई ऊतक के प्रकार लिखिए।
उत्तर:

  • सरल ऊतक,
  • जटिल ऊतक,
  • विशिष्ट ऊतक ।

प्रश्न 7.
मृदूतक कोशिकाएँ जब प्रकाश संश्लेषी हो जाती है तो इसे क्या कहते हैं ?
उत्तर:
[क्लोरेन्काइमा (Chlorenchyma)।

प्रश्न 8.
मृदूतक का प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर:
भोजन संचय करना ।

प्रश्न 9.
अधिधर्म की उत्पत्ति किससे होती है ?
उत्तर:
त्वचाजन (dermatogen) से ।

प्रश्न 10.
कैस्पेरियन पट्टियाँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
जड़ की अन्तस्त्वचा (endodermis ) में।

प्रश्न 11.
अखरोट, नारियल आदि की अन्तःभित्ति कठोर क्यों होती है ?
उत्तर:
दृढ़ कोशिकाओं (stone cells) के कारण ।

प्रश्न 12.
वेलामेन ऊतक किन पौधों में पाए जाते हैं ?
उत्तर:
अधिपादपों (epiphytes ) की जड़ों में।

प्रश्न 13.
वाहिकाएँ किस ऊतक का अवयव हैं
उत्तर;
जाइलम (xylem) का ।

प्रश्न 14.
कम पैरन्काइमा वाला सघन काष्ठ क्या कहलाता है ?
उत्तर:
पिक्नोजाइलिक वुड (Pycnoxylic wood) ।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

प्रश्न 15.
वार्षिक वलय किसकी सक्रियता के कारण बनते हैं ?
उत्तर:
कैम्बियम की सक्रियता के कारण।

प्रश्न 16.
रबर क्षीरी ऊतक पाए जाने वाले पौधे का नाम लिखिए।
उत्तर:
मदार, कनेर ।

प्रश्न 17.
किसी वाहिका रहित आवृतबीजी का नाम लिखिए।
उत्तर:
ट्रोकोडेन्ड्रान, हाइड्रिला ।

प्रश्न 18.
कैलिप्ट्रोजन का क्या कार्य है ?
उत्तर:
मूलगोप (root cap) का निर्माण करना ।

प्रश्न 19.
जलीय आवृतबीजियों में प्लावकता प्रदान करने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐरन्काइमा (aerenchyma)।

प्रश्न 20.
ऊतक शब्द का प्रयोग किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर:
एन. मयू (grew) ने ।

प्रश्न 21.
एक्सार्क जाइलम तथा पॉलीआर्क संवहन पूल किसमें मिलते
उत्तर:
‘एकबीजपत्री मूल में ।

प्रश्न 22.
भोजपत्र किससे प्राप्त होता है ?
उत्तर:
बेटुला (Batula) नामक पौधे की छाल से ।

प्रश्न 23.
किस एकबीजपत्री पौधे के तने में संवहन पूल एक घेरे में स्थित होते हैं ?
उत्तर:
गेहूँ (Triticum) में ।

प्रश्न 24.
वार्षिक वलय बैण्ड क्या होते हैं ?
उत्तर:
द्वितीयक जाइलम तथा मैड्यूलरी किरणों के छल्ले ।

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न – I

प्रश्न 1.
जाइलम के तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वाहिनिकाएँ (tracheids), वाहिकाएँ ( vessels), जाइलम मृदूतक (xylem parenchyma) तथा जाइलम तन्तु (xylem fibres ) ।

प्रश्न 2.
फ्लोएम के तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सहचर कोशिकाएँ (companian cells), चालनी नलिकाएँ (sieve tubes), फ्लोएम पैरन्काइमा (Phloem parenchyma) तथा फ्लोएम तन्तु (phloem fibres ) ।

प्रश्न 3.
यूस्टील किसे कहते हैं ?
उत्तर:
द्विबीजपत्रों तनों में संवहन पूल संयुक्त, कोलेटरल व खुले होते हैं। तथा ये एक वलय में व्यवस्थित होते हैं। दो पूलों के बीच पिथ किरणें होती हैं। यह अतिविकसित स्टील है। इसे यूस्टील (eustele) कहते हैं।

प्रश्न 4.
एटेक्टोस्टील किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक बीजपत्री तनों में संवहन पूल संयुक्त, कोलेटरल व बन्द होते हैं तथा भरण ऊतक में बिखरे रहते हैं। इसे एटेक्टोस्टील ( atactostele) कहते हैं ।

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प्रश्न 5.
अरीय संवहन पूल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब जाइलम एवं फ्लोएम अलग-अलग समूहों में तथा भिन्न-भिन्न अर्द्धव्यासों पर स्थित होते हैं तब इन्हें अरीय संवहन पूल (radial vascular bundles ) कहते हैं।

प्रश्न 6.
संयुक्त पूल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब जाइलम तथा फ्लोएम एक ही पूल में स्थित होते हैं और एक ही अर्द्धव्यास में स्थित होते हैं तो इन्हें संयुक्त पूल (conjoint vascular bundles) कहते हैं।

प्रश्न 7.
अधिचर्म में पाए जाने वाले चार उपांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • उपत्वचा (cuticle)
  • रन्ध्र (stomta)
  • रोम (hairs)
  • बुल्लीफार्म कोशिकाएँ (bulliform cells) ।

प्रश्न 8.
बाह्यमूल त्वचा क्या होती है ?
उत्तर:
कुछ पौधों की पुरानी मूलों की मूलीय त्वचा नष्ट हो जाने पर वल्कुट की बाहरी कोशिकाएँ क्यूटिन युक्त या लिग्नीभूत होकर रक्षक आवरण बनाती हैं। इसके स्तर को बाह्य मूल त्वचा कहते हैं।

प्रश्न 9.
जड़ के बाहरी स्तर को रोमधर स्तर क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
जड़ का बाहरी स्तर मृदूतक कोशिकाओं का एक कोशिकीय स्तर होता है जिसकी कोशिकाएँ वृद्धि करके रोम बनाती हैं, जिन्हें मूलरोम कहते हैं इसीलिए बाहरी स्तर रोमधर स्तर कहलाता है।

प्रश्न 10.
एक्सार्क तथा एण्डार्क जाइलम में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
एक्सार्क जाइलम में प्रोटोजाइलम परिधि की ओर तथा मेटाजाइलम केन्द्र की ओर होता है, जैसे-जड़ों में, जबकि एण्डार्क जाइलम में प्रोटोजाइलम सदैव केन्द्र की ओर तथा मेटाजाइलम परिधि की ओर होता है, जैसे-तनों में ।

प्रश्न 11.
स्थाई ऊतक क्या होते हैं
उत्तर:
इस श्रेणी के ऊतक ऐसी विभज्योतकी कोशिकाओं से बने होते हैं। जो विभाजन के पश्चात् एक निश्चित स्वरूप और परिमाण ग्रहण कर लेती हैं। ये पतली या मोटी भित्ति वाली जीवित या मृत कोशिकाएँ होती हैं। इनमें विभाजन की क्षमता नहीं होती है।

प्रश्न 12.
भरण विभज्योतक क्या होता है ?
उत्तर:
यह शीर्ष विभज्योतक का प्रमुख भाग होता है। इससे अधस्त्वचा, वल्कुट, अन्तस्त्वचा, परिरम्भ, मज्जा रश्मियाँ तथा मज्जा का निर्माण होता है।

प्रश्न 13.
शान्त क्षेत्र क्या होते हैं ?
उत्तर:
पौधे के जिस भाग की कोशिकाओं में DNA एवं RNA की मात्रा कम होती है एवं विभाजन की क्षमता कम होती है। उसे शान्त क्षेत्र (quiescent centre) कहते हैं।

प्रश्न 14.
पृष्ठाधारी पत्ती की ऊपरी सतह अधिक गहरी क्यों दिखाई देती
उत्तर:
पृष्ठाधारी पत्ती की ऊपरी सतह में स्थित खम्भ मृदूतक (pallisade parenchyma) की कोशिकाएँ परस्पर सटी हुई होती हैं और इनमें हरित लवक अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अतः हरित लवक की अधिक उपस्थिति के कारण पृष्ठाधारी पत्तियों की ऊपरी सतह अधिक गहरी दिखाई देती है।

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प्रश्न 15.
अन्तःकाष्ठ एवं रस-काष्ठ में से कौन-सी अधिक टिकाऊ होती ? कारण बताइए।
उत्तर:
अन्तः काष्ठ (heart wood) रस-काष्ठ (sap wood) की अपेक्षा अधिक टिकाऊ एवं सूक्ष्म जीवियों के लिए प्रतिरोधी होती है। अन्तःकाष्ठ की कोशिकाएँ तेल, रेजिन, गोंद, टेनिन आदि के जमाव के कारण कठोर हो जाती है। जबकि रस- काष्ठ जीवित कोशिकाओं की बनी होती है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न – II

प्रश्न 1.
मूल शीर्ष तथा प्ररोह शीर्ष में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
मूलशीर्ष तथा प्ररोह शीर्ष में अन्तर (Differences between root apex and shoot apex)

मूल शीर्ष (Root apex)प्ररोह शीर्ष (Shoot apex )
1. यह उपान्तस्थ होता है।यह शीर्षस्थ होता है।
2. मूल शीर्ष छोटा होता है ।प्ररोह शीर्ष लम्बा होता है।
3. शीर्ष पतला होता है।अपेक्षाकृत चौड़ा होता है।
4. मूल शीर्ष मूल गोप से ढँका होता है ।शीर्ष पर्ण आद्यकों (leaf premordia) से घिरा होता है।
5. पार्श्व उपांग नहीं पाए जाते हैं।पर्ण आधकों (leaf promordia) के रूप में होते हैं ।
6. मूलीय शाखाएँ मूल शीर्ष (root apex) से दूर निकलती है।प्ररोह शाखाएँ कक्षस्थ कलिकाओं (axillary bud) के रूप में शीर्ष विभज्योतक के बहिर्जात (exogenous) निकलती हैं।
7. पर्व एवं पर्वसन्धियाँ (nodes) विकसित नहीं होते हैं ।पर्व एवं पर्वसन्धियाँ (nodes) विकसित होते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का एक-एक मुख्य कार्य बताइए-
(अ) दृढ़ ऊतक
(आ) वेलामेन
(इ) एधा
(ई) जाइलम
(उ) मृदूतक
(ऊ) चालनी नलिका
(ए) विभज्योतक
(ऐ) वुल्लीफार्म कोशिकाएँ
(ओ) खम्म ऊतक
(औ) वाहिका
(अं) द्वार कोशिकाएँ ।
उत्तर:
(अ) दृढ़ ऊतक ( Sclerenchyma ) – पौधों को यांत्रिक सहारा देता है।
(आ) वेलामेन (Velamen ) – वायु से नमी अवशोषित करता है।
(इ) एधा (Cambium) – पौधों की द्वितीयक वृद्धि में भाग लेता है।
(ई) जाइलम ( Xylem ) – पौधों में जल तथा खनिजों का संवहन करता है ।
(उ) मृदूतक (Parenchyma ) – भोजन संचय करता है।
(ऊ) चालनी नलिका ( Sieve tube ) – संश्लेषित भोजन का करती है।
(ए) विभज्योतक (Meristem) – पौधों की वृद्धि में भाग लेना है।
(ऐ) बुल्लीफार्म कोशिकाएँ (Bulliform cells) – अधिक वाष्पोत्सर्जन (transpiration) से रक्षा करना ।
(ओ) खम्भ ऊतक (Pallisade tissue ) – प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) में भाग लेता है।
(औ) वाहिका (Vessel ) – जल एवं खनिजों का संवहन।
(अं) द्वार कोशिकाएँ (Guard cells) – रन्ध्रों को खोलने एवं बन्द करने का कार्य करती हैं।

प्रश्न 3.
विभाजन के तल के आधार पर विभज्योतकों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
विभाजन के तल के आधार पर विभज्योतक (Meristematic tissue on the basis of Plane of Division ) – ये निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

  1. स्थूल विभज्योतक (Mass meristem) – इनकी कोशिकाओं में विभाजन सभी सम्भव तलों में होते हैं। ये विभाजित होकर अनियमित आकार की संरचनाएँ बना लेती हैं, जैसे- भ्रूणपोष में।
  2. पटिट्का विभज्योतक (Plate meristem) – इसकी कोशिकाएँ अपनत तल (anticlinal plane) में विभाजित होती है। विभाजन के पश्चात् ये पट्टिका जैसी रचना बनाती हैं। ये एकपंक्तिक फलक का निर्माण करती हैं।
  3. पट्टी विभज्योतक (Rib meristem) – इन कोशिकाओं में अपनत व परिनत (anticlinal and periclinal) विभाजन होते हैं जिससे अनुदैर्ध्य अक्ष पर पट्टियों का निर्माण होता है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(क) अष्ठि कोशिकाएँ
(ख) जलरन्ध्र
उत्तर:
(अ) अष्ठि कोशिकाएँ (Stone cells or Scleroids) – अष्ठि कोशिकाएँ समव्यासी (isodimetric) या अनियमित आकृति की निर्जीव कोशिकाएँ हैं जिनकी भित्ति मोटी एवं लिग्निन युक्त होती हैं जिससे इनकी कोशिका गुहा (cell lumen) संकरी हो जाती है। इनकी भित्ति में शाखित या अशाखत गर्त होते हैं।

इन्हें स्क्लीरोटिक कोशिकाएँ ( sclerotic cells) कहते हैं। अष्ठि कोशिकाएँ सख्त बीजों, अष्ठिफलों, के खोल जैसे अखरोट, तथा वृक्षों की छाल के अतिरिक्त द्विबीजपत्री तने व पत्तियों में कार्टेक्स, मज्जा, फ्लोएम में तथा कुछ फलों जैसे नाशपाती नख आदि के गूदे में पायी जाती हैं।

(ब) जलरन्ध्र (Hydathodes) –

रबरक्षीरी ऊतक (Laticiferous tissue ) – यह एक प्रकार का स्रावी (secretory ) ऊतक है जो आवृतबीजियों में बहुतायत से पाया जाता है। इससे एक गाढ़ा या पतला, रंगीन या रंगहीन, चिपिचपा पदार्थ स्त्रावित होता है। यह जल में विलेय या कलिलीय (calloidal ) अवस्था में पड़े कई पदार्थों जैसे- प्रोटीन्स, शर्कराएँ, गोंद, एल्केलॉइडस, एन्जाइम, मण्डकण आदि का मिश्रण है जो हल्का पीला, सफेद, दूधिया या जल के समान हो सकता है ।

इस तरल को रबरक्षीर या लेटेक्स (Latex) कहते हैं। रबर (Hevea) और फाइकस (Ficus ) की कुछ जातियों में मिलने वाले रबरक्षीर से रबर प्राप्त होता है। पपीता में मिलने वाले लेटेक्स में पेपेन (papain) नामक एल्केलॉइड होता है। रबरक्षीरी ऊतकों में मुख्यतः दो प्रकार की रचनाएँ मिलती हैं-
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(अ) रबरक्षीरी को शिकाएँ (Laticiferous cells) – ये
लम्बी शाखा युक्त तथा बहुकेन्द्रीय होती हैं। इनका निर्माण भी विभज्योतकों से ही होता है । जैसे -मदार ( Calotropis ), यूफोर्बिया (Euphorbia) आदि ।

(ब) रबर क्षीरी वाहिकाएँ (Laticiferous vessels) – इनका निर्माण अनेक रबरक्षीरी कोशिकाओं के आपस में मिलने से होता है। ये जीवित तथा बहुकेन्द्रीय होती हैं। इनमें अनुप्रस्थ भित्तियाँ नहीं होती हैं। जैसे – पपीता, पोस्त ।
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2. ग्रन्थिल ऊतक (Glandular Tissue) – इस ऊतक की कोशिकाएँ ग्रन्थिल (Glandular) होती हैं। ये पौधों के बाहरी तथा भीतरी भागों में पाये जाते हैं, इनसे तेल, गोंद, मकरन्द, विकर, श्लेष्म रॉल, टैनिन आदि अनेक पदार्थों का स्त्रावण होता है। स्थिति के आधार पर ये ग्रन्थियाँ दो प्रकार की होती हैं-

(a) बाह्य ग्रन्थि (External Glands) – य बाह्य त्वचा में मिलती है। कभी-कभी ये बाह्य त्वचा पर निकले छोटे-छोटे रोमों पर होती हैं। इन्हें प्रन्थिल रोम कहते हैं। जलरन्ध्र मन्थिल रोम, मकरन्द, प्रन्थियाँ, कीट भक्षी पौधों की पाचक प्रन्थियाँ आदि इसी प्रकार की प्रन्थियाँ होती हैं।

(i) जलरन्ध्र (Hydathodes) – जलरन्ध्र पौधों की पत्तियों के किनारों या शीर्ष पर पायी जाने वाली वे अन्तः मन्थियाँ हैं जिनसे जल का स्रावण होता है। इस ग्रन्थि के सिरे पर एक छिद्र होता है जो द्वार कोशिकाओं (gaurd cells) द्वारा घिरा रहता है रन्ध्र के नीचे वायु गुहा तथा विशेष मृदूतकीय कोशिकाएँ ( epithem) होती हैं जिनके नीचे के अवकाशों में जल भरा होता है। इनके नीचे जाइलम वाहिकाएँ पायी जाती हैं। यह जल बूंद-बूंद करके पत्तियों के किनारों से टपकता रहता है जैसे-टमाटर, घास आदि ।

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(ii) पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive glands) – अनेक कीटभक्षी पौधों (insectivorous plants) में पाचक प्रन्थियाँ पायी जाती हैं। इनसे पाचक एन्जाइम स्रावित होते हैं जो कीटों को पचाने का कार्य करते हैं। जैसे – ड्रोसेरा ।
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(iii) मकरन्द ग्रन्थियाँ (Nectaries) – मकरन्द प्रन्थियाँ प्रायः अण्डाशय के चारों ओर एक डिस्क के रूप में पायी जाती हैं, जैसे- डिस्कीप्लोरी में ।

(iv) ग्रन्थिल रोम (Glandular hairs) – ये बाह्य त्वचा से निकले छोटे-छोटे रोमों के ऊपर पायी जाती हैं। इनसे गोंद की तरह चिपचिपे पदार्थ का स्त्रावण होता है। जैसे- प्लम्बेगो में ।

(b) आन्तरिक ग्रन्थियाँ (Internal Glands) – ये ऊतकों के अन्दर पायी जाती हैं। नीबू, नारंगी आदि में पायी जाने वाली तेल ग्रन्थि, पाइनस की रेजिन ग्रन्थि पान की म्यूसिलेज, प्रन्थि आदि आन्तरिक प्रन्थि के उदाहरण हैं।

  • तेल ग्रन्थि (Oil glands) – इन प्रन्थियों से सुगन्धित तेलों का स्राव होता है। इस प्रकार की ग्रन्थियाँ नीबू नारंगी आदि में होती हैं।
  • पाइनस की रेजिन ग्रन्थियाँ- गोंद तथा टेनिंन स्रावित करने वाली ग्रन्थियाँ आन्तरिक प्रन्थियों के उदाहरण हैं ।HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर 4

प्रश्न 5.
रबरक्षीरी ऊतक कहां पाए जाते हैं ? इससे स्रावित पदार्थ के लक्षण बताइए ।
उत्तर:
रबरक्षीरी ऊतक (Laticiferous Tissue)
यह एक प्रकार का स्रावी (secretory) ऊतक है। आवृतबीजी पौधों में बहुतायत से पाया जाता है। इससे एक प्रकार का तरल स्रावित होता है। यह गाढ़ा या जलीय होता है। यह जल में घुलनशील या कोलॉयडल अवस्था में पाए जाने वाले पदार्थों जैसे प्रोटीन्स, शर्कराएँ, गोंद, ऐल्केलॉयड्स, एन्जाइम्स, मण्ड कण आदि का मिश्रण होता है यह हल्का पीला, सफेद (white) दूध को तरह या जल की तरह हो सकता है। इस तरलं को रबरक्षीर या लेटेक्स (latex) कहते हैं। हेविया (Hevea) और फाइकस (FYeus) की कुछ जातियों से मिलने वाले रबरक्षीर से रबर (rubber) प्राप्त होता है। अफीम पोस्त पादप से स्रावित रबरक्षीर (latex) ही है।

पपीता (Carica) से मिलने वाले रबरक्षीर में पैपेन (papain) नामक एन्जाइम होता है। रबरक्षीरी कोशिकाएँ। रबरक्षीरी ऊतकों में प्रमुखतः दो प्रकार की संरचनाएँ मिलती हैं रबरक्षीरी कोशिकाएँ (Latex cells)-ये लम्बी, शाखायुक्त तथा बहुकेन्द्रकीय होती हैं। ये विभज्योतकों से बनती हैं, जैसे – मदार (Calotropis), यूफोर्बिया (Euphorbia) आदि में। रबरक्षीरी वाहिकाएँ (Latex vessels)-इनका निर्माण अनेक रबरक्षीर कोशिकाओं के जुड़ने से होता है। ये जीवित एवं बहुकेन्द्रकीय होती हैं। इनमें अनुप्रस्थ भित्तियाँ नहीं होती हैं, जैसे-पपीता (Carica), पोस्त (Poppy), हेविया (Hevea), फाइकस (Ficus sp.) आदि।

प्रश्न 6.
वातरन्ध्र क्या है ? सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वार (Lenticel) – द्वितीयक वृद्धि के फलस्वरूप, कार्क एधा (cork cambium) सक्रिय होकर वायुरुद्ध कार्क (cork) बनाती है जिससे जीवित ऊतकों का सम्बन्ध बाह्य बातावरण से समाप्त हो जाता है। कार्क बनने के कारण श्वसन, वाष्पोत्सर्जन आदि जैविक क्रियाओं में बाधा उत्पन्न होती है। कार्क एधा से बाहर की ओर कुछ स्थानों पर तनों में कार्क के स्थान पर ढीली-ढाली मृदूतकीय कोशिकाएँ बनती हैं इन्हें सम्पूरक कोशिकाएँ कहते हैं। अधिक दबाव के कारण बाह्य त्वचा फट जाती हैं। यह संरचना वातरन्ध्र कहलाती है ।
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द्वितीयक वृद्धियुक्त तने पर वातरन्ध्र-

  • बाह्य स्वरूप,
  • काट में संरचना (आवर्द्धित) ।

वातरन्ध्र द्वारा पौधे के उस अंग तथा बाह्य वातावरण से सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। इनके द्वारा गैसों का विनिमय तथा वाष्पोत्सर्जन होता है।

प्रश्न 7.
टायलोसिस क्या है ? समझाइए ।
उत्तर:
अन्तःकाष्ठ (Heart wood) एवं टायलोसिस (Tylosis) – द्वितीयक वृद्धि के फलस्वरुप नया जाइलम या काष्ठ (wood) बनता है और पुराना जाइलम जो केन्द्र की ओर स्थित होता है व्यर्थ हो जाता है। किसी पुराने वृक्ष के कटे स्तम्भ को देखने पर इसका केंन्द्रीय भाग अन्तः काष्ठ (heart wood) कहलाता है । अन्तः काष्ठ की सभी कोशिकाएँ मृत एवं ज्यादा दृढ़ होती हैं। इस भाग की वाहिकाएँ भी अनेक पदार्थों और रचनाओं में बन जाने के कारण रूंध जाती है। तेल, रेजिन, गोंद आदि पदार्थ इनमें बहुतायत में एकत्रित हो जाने के कारण अन्तः काष्ठ अधिक मजबूत तथा गहरे रंग का हो जाता हैं।

जाइलम मृदूतक से वाहिकाओं के गर्तौ (pits) में होकर गुब्बारे की तरह की रचनाएँ बन जाती हैं, इन्हें टायलोसिस (tylosis) कहते हैं। इनमें उपरोक्त पदार्थ भरे होते हैं। ये वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देते हैं। अन्तः काष्ठ केवल कंकाल का ही कार्य करता है। इसमें किसी प्रकार का संवहन नहीं होता। यह भाग अधिक मजबूत एवं टिकाऊ होने के कारण फर्नीचर एवं अन्य सामान बनाने के काम आता है।

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प्रश्न 8.
मृदूतक तथा दृढ़ ऊतक में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
मृदूतक तथा दृढ़ ऊतक में अन्तर (Differences between parenchyma and sclerenchyma)

मृदूतक (Parenchyma)दृढ़ ऊतक (Sclerenchyma)
1. परिपक्व होकर भी जीवित बनी रहती हैं।परिपक्व होकर मृत हो जाती हैं।
2. कोशिकाएँ हरितलवक युक्त होती हैं इनके बीच अन्तराकोशीय स्थान पाए जाते हैं ।हरित लवक एवं अन्तराकोशीय स्थान (intercellula spaces ) नहीं पाए जाते हैं।
3. कोशिकाओं की भित्तियाँ पतली तथा सेलुलोस की बनी होती हैं।कोशिका भित्तियाँ लिग्नीकृत होने से स्थूलित हो जाती हैं।
4. इसकी कोशिकाएँ प्रायः समव्यासी होती हैं।कोशिकाएँ समव्यासी या रेशामय होती हैं।
5. कोशिकाएँ जल, भोज्य पदार्थ का संचय करती हैं। इसके अतिरिक्त भोजन निर्माण गैस विनिमय, प्लवन आदि में भाग लेती हैं।यह पौधों को यांत्रिक सहारा प्रदान करती हैं।

प्रश्न 9.
वार्षिक वलय क्या होते हैं ? समझाइए ।
उत्तर:
वार्षिक क्लय (Annual rings)-बहुवर्षी (perennial) पौधों के तनों में द्वितीयक जाइलम के स्तरों का निर्माण संकेन्द्रित (concentric) होता है। तने की अनुपस्थ काट में ये स्तर वलयों (rings) के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हें वृद्धि वलय कहते हैं। कुछ स्थानों की जलवायु में बहुत अन्तर पाया जाता है जिसके कारण संवहन एधा (vascualr cambium) की सक्रियता बहुत प्रभावित होती है। विश्व के शीतोष्ण (temperate) क्षेत्रों में वर्षभर जलवायु एक जैसी नहीं होती है जिससे केम्बियल सक्रियता भिन्न होती है। शरद ऋतु (winter) में एधा (canbuim) का विभाजन बन्द हो जाता है।

बसन्त ऋतु (spring) में यह अपनी सक्रियता पुनः प्राप्त करके विभाजन करना प्रारम्भ कर देता है। इस ॠतु में वृक्षों की वृद्धि स्पष्ट होती है और III पत्तियों का निर्माण अधिक होता है। इसके लिए जल एवं खाद्य पदार्थों के संवहन की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। यह कार्य जाइलम तथा फ्लोएम द्वारा होता है, अत: कैम्बियम की सक्रियता से बड़ी अवकाशों वाली वाहिकाओं का निर्माण होता है। इस प्रकार बने द्वितीयक जाइलम को स्र्रिंग काष्ठ (spring wood) कहते हैं।

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प्रश्न 10.
रसकाष्ठ एवं अन्तःकाष्ठ पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रसकाष्ठ एवं अन्तः काष्ठ (Sap wood and Heart wood) – द्वितीयक वृद्धि के फलस्वरूप बना द्वितीयक जाइलम बहुत क्रियाशील होता है जिसकी ट्रेकियल कोशिकाओं द्वारा पानी विभिन्न भागों में जाता है तथा जाइलम की मृदूतकीय कोशिकाओं (parenchymatous cell) में बहुत कम मात्रा में कार्बनिक भोज्य पदार्थ एकत्रित रहता है। पुराना जाइलम केन्द्र की ओर चला जाता है जिसकी कोशिकाओं का जीवद्रव्य नष्ट हो जाता है तथा उनमें कार्बनिक पदार्थ जैसे- गोंद, टेनिन, तेल आदि जमा हो जाते हैं।

ट्रेकियल कोशिकाओं में टायलोसिस ( tylosis) बन जाते हैं। अतः ये बन्द हो जाती हैं तथा पानी का संवहन नहीं करती हैं। इसे अन्तःकाष्ठ (heart wood) कहते हैं। द्वितीयक जाइलम की जीवित मृदूतकीय कोशिकाएँ जो जल संवहन करती हैं जो हल्के रंग की होती हैं रस काष्ठ (sap wood) कहलाती हैं। वाली वाहिकाओं का निर्माण होता है। इस प्रकार बने द्वितीयक जाइलम को स्र्रिंग काष्ठ (spring wood) कहते हैं।

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प्रश्न 11.
एक समद्विपार्श्विक पत्ती की आन्तरिक संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समद्विपार्श्विक या एकबीजपत्री पत्ती की आन्तरिक संरचना (Internal Structure of Isobilateral or monocot leaf)-
एक बीजपत्री पादपों में पत्तियाँ प्रायः ऊर्ध्व (erect) होती है। जिससे इनकी दोनों सतहों पर सूर्य का प्रकाश लगभग बराबर मात्रा पड़ता है। इसीलिए इन पत्तियों में दोनों बाह्यत्वचाओं के बीच स्थित पर्णमध्योतक (mesophyll) केवल एक ही प्रकार का होता है। एक प्रारुपिक (Typical) एक बीजपत्री पत्ती की काट का सूक्ष्मदर्शीय अध्ययन करने पर निम्नलिखित रचनाएँ दिखाई देती हैं-

1. बाह्य त्वचा (Epidermis ) – यह एक कोशिका मोटी परत है जो ऊपरी तथा निचली बाह्य त्वचा ( epidermis ) कहलाती है। दोनों ही बाह्य त्वचाओं में रन्ध्र (stomata) उपस्थित होते हैं तथा दोनों ही के ऊपर मोटी क्यूटिकल का आवरण पाया जाता है। ऊपरी बाह्यत्वचा में दो रन्ध्रों के बीच की कोशिकाएँ बड़ी तथा रंगहीन होती है। इन्हें आवर्ध त्वक कोशिका (bulliform cells) अथवा मोटर सेल्स (motor cells) कहते हैं।

2. पर्णमध्योतक (Mesophyll) – यह दोनों बाह्य कोशिकाओं के बीच पाया जाने वाला ऊतक है। सम्पूर्ण पर्णमध्योतक (mesophyll) केवल स्पंजी पैरन्काइमा का बना होता है। इसकी कोशिकाएँ विभिन्न आकारों वाली होती हैं तथा इनमें पर्ण हरिम (Chlorophyll) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऊपरी तथा निचली बाह्य त्वचाओं में स्थित रन्ध्रों के नीचे अधोरन्ध्री कोष्ठ पाए जाते हैं।

3. संवहन पूल (Vascular bundles ) – प्रत्येक संवहन पूल मृदूतकीय पूलाच्छद (parenchymatous bundle sheath) से घिरा हुआ होता है। संवहन पूल विभिन्न आमाप के बहिपोषवाही (collateral) और अवर्धी (closed) होते हैं। बड़े पूलों के ऊपर व नीचे दोनों ओर दृढ़ोतक का समूह होता है। मूलाच्छद एक प्रकार के संचयी ऊतक का कार्य करता है। इसकी कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट तथा मण्ड कण पाए जाते हैं।
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प्रश्न 12.
मूल तथा तने की आन्तरिक संरचना में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जड़ (root) तथा तना (stem) की आन्तरिक संरचना में अन्तर-

जड़ (root)तना (stem)
1. बाबत्वचा को एपीब्लेमा कंहते हैं जिस पर उपचर्म (culticle) का प्रायः अभाव होता है।1. बाहा त्वचा को एपीडर्मिस कहते हैं। इस पर उपचर्म (cuticle) पायी जाती है।
2. मूलीय त्वचा (epiblend) से अनेक एक कोशिकीय रोम निकलते हैं।2. बाहा त्वचा (epidermis) पर बहुकोशिकीय रोम मिलते हैं ।
3. कारेंक्स की कोरिकाएँ हरितलवक (chloroplasts) रहित होती हैं।3. तरुण तनों के काटेंक्स में हरित लवक (chloroplasts) होते हैं किन्तु पुराने तर्नों में नहीं।
4. अन्तस्वचा अंक विकसित होती है।4. अन्तस्वचा (endodermis) कम विकसित। एकबीजपत्री में अनुपस्थित।
5. संवह्न पूल(vascular bundles) अरीय होते हैं।5. संवहन पूल (Vacular bundles) संयुक्त, कोलेटरल या बाइकोलेटरल या कमी-कभी संकेन्द्री (concentric) होते हैं।
6. जाइलम एक्सार्क होता है।6. जाइलम एण्डार्क होता है।
7. मूल शीर्ष की संरचना सरल होती है।7. प्ररोह शीर्ष की संरचना जटिल होती है।

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प्रश्न 13.
एकबीजपत्री पत्ती तथा द्विबीजपत्री पत्ती की आन्तरिक संरचना में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
एकबीजपत्री पत्ती तथा द्विबीजपत्री पत्ती की आन्तरिक संरचना में अन्तर-

एकबीजपत्री पत्ती (Monocot leaf)द्विबीजपत्री पती (Dicot leaf)
1. समद्विपार्श्विक (isobilateral) पत्ती होती है।1. पृष्ठाधारी (dorsoventral) पत्ती होती है।
2. इसमें दोनों बाह्य त्वचा समान होती हैं।2. इसमें दोनों बाह्य त्वचा भिन्न-भिन्न होती हैं।
3. रन्ध्र दोनों सतहों पर समान रूप से मिलते हैं।3. रन्ध्र प्रायः निचली बाह्य त्वचा पर मिलते हैं।
4. बाह्म त्वचा में बुल्लीफार्म कोशिकाएँ मिलती हैं।4. नहीं मिलती हैं।
5. दोनों अधिर्मों पर क्यूटिकल समान होती हैं।5. दोनों अधिचमों पर क्यूटिकल समान नहीं होती।
6. पर्णमध्योतक की सभी कोशिकाएँ समान होती हैं।6. पर्णमध्योतक, खम्भ मूदूतक तथा स्पंजी मृदूतक में विभेदित होता है।
7. पर्णमध्योतक में छोटे अन्तरा कोशिकीय स्थान होते हैं।7. स्पंजी मृदूतक में बड़े-बड़े अन्तरा कोशिकीय स्थान होते हैं।
8. इसमें बंडल शीथ की कोशिकाओं में हरित लवक मिल सकते हैं।8. बण्डल शीथ (bundle sheet) कोशिकाओं में हरित लवक नहीं मिलते हैं।
9. इसमें संवहन पूल (V.B.) के ऊपर तथा नीचे केवल दढ़ ऊतक पाया जाता है।9. इसमें मुख्य संवहन पूल (V.B.) के ऊपर तथा नीचे मृदूतक या स्थूलकोण ऊतक अधिचर्म तक पाया जाता है।

प्रश्न 14.
पौधों के तनों से उतरने वाली छाल क्या है ? समझाइए ।
उत्तर:
छाल (Bark) – कार्क एधा के बाहर अपारगम्य कार्क (cork) निर्मित होने से इससे बाहर के सभी ऊतक प्रायः मृत हो जाते हैं। संवहन धा एवं कार्क एधा की सक्रियता के फलस्वरूप तने की मोटाई बढ़ती रहती है। इस प्रकार अन्दर से बाहर की ओर एक दबाव उत्पन्न होता है। इस दबाव को मृत कार्क कोशिकाएँ सहन नहीं कर पाती हैं तो ये तिरक जाती हैं और सूख कर तनों पर खुरंट जैसी रचना बनाती हैं इन स्तरों को छाल (bark) कहते हैं।

प्रश्न 15.
संवहन एथा तथा कार्क एधा में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
संवहन एथा तथा कार्क एधा में अन्तर (Differences between vascular cambium and Cork cambium)-

संवहन एधा (Vascular cambium)करके एथ (Cork camblum)
1. यह जाइलम तथा फ्लोएम के बीच स्थित होती है।1. यह द्वितीयक वृद्धि के समय वल्कुट (cortex) या परिरम्भ कोशिकाओं के पुनः सक्रिय होने से बनती हैं।
2. उत्पत्ति के आधार पर संवहन एधा (vascular cumbium) प्राथमिक तथा अन्तरा पूलीय एधा (intrafascicular cambium) द्वितीयक होती है ।2. उत्पत्ति के आधार पर कार्क एधा (cork cambium) द्वितीयक होती है।
3. इससे केन्द्र की ओर द्वितीयक जाइलम तथा परिधि की ओर द्वितीयक फ्लोएम बनता है।3. कार्क एधा से केन्द्र की ओर द्वितीयक वल्कुट (cortex) तथा परिधि की ओर कार्क बनता है।

प्रश्न 16.
वायु ऊतक क्या होते हैं ? ये किन पौधों में मिलते है ?
उत्तर:
वाय ऊतक (Aerenchyma ) – कभी-कभी मृदूतक कोशिकाओं में जब अपेक्षाकृत बड़े अन्तरकोशिकीय स्थान पाए जाते हैं जिनमें वायु भरी होती है तब इसे वायु ऊतक या एरन्काइमा कहा जाता है। ये जलोद्भिद् पादपों जैसे जलकुम्भी (Eichomia) हाइड्रिला (Hydrilla) कैना (Canna) आदि पौधों में पाए जाते हैं। इनका प्रमुख कार्य इन पादपों को प्लावकता प्रदान करना तथा वातन है।
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प्रश्न 17.
पौधों में वितरण के आधार पर रन्ध्रों के प्रकार बताइए। उत्तर- वितरण के आधार पर न्यों के प्रकार-पत्तियों पर रन्ध्रों के वितरण के आधार पर रन्ध्र निम्न प्रकार के होते हैं।

  1. सेब प्रकार (Apple type ) – रन्ध्र केवल पत्ती की निचली सतह पर मिलते हैं; जैसे सेब, अखरोट आदि। ऐसी पत्ती अधोरन्ध्री कहलाती है।
  2. आलू प्रकार (Potato type)- पत्ती की निचली सतह पर अधिकांश रन्ध्र तथा ऊपरी सतह पर कम रन्ध्र होते हैं; जैसे- आलू, टमाटर, बैंगन आदि ।
  3. जई प्रकार (Oat type) – पत्ती की दोनों सतहों पर रन्ध्र बराबर पाए जाते हैं; जैसे मक्का, जई आदि। ऐसी पत्तियाँ उभयरन्ध्रीय कहलाती हैं।
  4. जल लिली प्रकार (Water lily type) – रन्ध्र केवल पत्ती की ऊपरी सतह पर पाए जाते हैं। निचली सतह पानी में रहती है; जैसे तैरने वाले जलोद्भिद । ऐसी पत्तियाँ अधिरन्ध्री (epistomatic) कहलाती हैं।
  5. पोटेमोजीटान प्रकार (Potamogeton type ) – सामान्यतः पत्तियाँ रन्ध्रहीन होती हैं। यदि रन्ध्र उपस्थित भी हैं तो अक्रियाशील होते हैं; जैसे- पोटेमोजीटान आदि में ।

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प्रश्न 18.
पादप ऊतकों का रेखीय वर्गीकरण दीजिए।
उत्तर:
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(E) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (निबन्धात्मक)

प्रश्न 1.
स्थायी ऊतक क्या हैं तथा ये कितने प्रकार के होते हैं ? साधारण स्थायी ऊतकों की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न जटिल स्थायी ऊतकों का सचित्र वर्णन करें।
अथवा
जाइलम तथा फ्लोएम की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
जटिल अतक (Complex Tissues) –
जटिल स्थाई ऊतक अथवा संवहन ऊतक (Complex Permanent or Vascular Tissues) विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं। सभी कोशिकाएँ मिलकर किसी कार्य को सामूहिक रूप से सम्पन्न करते हैं। जाइलम (xylem) तथा फ्लोएम (phloem) जटिल स्थाई ऊतक के दो प्रकार हैं। ये पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों के संवहन का कार्य करते हैं, इसलिए इन्हें संवहन ऊतक (vascular tissues) भी कहते हैं।

(A) जाइलम या दारु (Xylem) – यह एक संवहन ऊतक (vascular tissue) है जो पौधों में जल एवं इसमें घुलित खनिज लवणों का संवहन करता है। यह चार प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनता है जो निम्न प्रकार है-
1. वाहिनिकाएँ (Tracheids) – ये जाइलम की आधारभूत कोशिकाएँ हैं जो अधिक लम्बी तथा संकरी होती हैं। इनके सिरे नुकीले होते हैं। परिपक्व होने पर ये कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं तथा इनकी भित्तियाँ लिग्नीकृत (lignified) हो जाती हैं। अनुप्रस्थ काट में देखने पर ये कोणीय प्रतीत होती हैं। भित्तियों पर अनेक गर्त (pits) पाये जाते हैं। वाहिनिकाएँ पौधे के लम्बवत् अक्ष के समान्तर रहती हैं तथा नुकीले सिरों पर दूसरी वाहिनिकाओं से जुड़ती हैं। वाहिनिकाएँ पौधों में जल संवहन के साथ-साथ दृढ़ता भी प्रदान करती हैं।

प्रश्न 3.
विशिष्ट ऊतक कितने प्रकार के होते हैं ? रबर क्षीरी ऊतक का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
रबरक्षीरी ऊतक (Laticiferous tissue) – यह एक प्रकार का स्रावी (secretory) एक गाढ़ा या पतला, रंगीन या रंगहीन, चिपिचपा पदार्थ स्रावित होता है। यह जल में विलेय या कलिलीय (calloidal) अवस्था में पड़े कई पदार्थों जैसे-प्रोटीन्स, शर्कराएँ, गोंद, एल्केलॉइडस, एन्जाइम, मण्डकण आदि का मिश्रण है जो हल्का पीला, सफेद, दूधिया या जल के समान हो सकता है। इस तरल को रबरक्षीर या लेटेक्स (Latex) कहते हैं। रबर (Hevea) और फाइकस (Ficus) की कुछ जातियों में मिलने वाले रबरक्षीर से रबर प्राप्त होता है। पपीता में मिलने वाले लेटेक्स में पेपेन (papain) नामक एल्केलॉइड होता है। रबरक्षीरी ऊतकों में मुख्यत: दो प्रकार की रचनाएँ मिलती हैं-

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प्रश्न 4.
आवृत बीजी में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के संवहन पूलों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
का प्राथमिक फ्लोएम के अन्तर्गत दिया गया भाग (IV) का अवलोकन करें।
संवहन पूलों के प्रकार (Types of Vascular Bundles) जाइलम और फ्लोएम की एक दूसरे के सापेक्ष स्थिति के आधार पर संवहन पूल निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-
1. बदि:पोषवाही (Collateral or Exophloic) – ऐसे संवहन पूल जिनमें जाइलम व फ्लोएम एक ही त्रिज्या पर स्थित हों तथा जाइलम अन्दर की ओर

  • वर्धी (Open)-जब जाइलम तथा फ्लोएम के बीच एधा (cambium) उपस्थित होती है, जैसे-द्विबीज पत्री पौधीं में।
  • अवर्धी (Closed) – जब जाइलम तथा फ्लोएम के बीच एधा अनुपस्थित हो जैसे एकबीजपत्री पौधे।

2. उभय पोषवाही (Bicollateral or Amphiph- loic) – इस प्रकार के संवहन पूलों में फ्लोएम समूह जाइलम समूह के अन्दर व बाहर, दोनों ओर स्थित होते हैं। बाह्य फ्लोएम समूह व जाइलम के बीच स्थित कैम्बियम पट्टी बाहा कैम्बियम तथा आंतरिक फ्लोएम पट्टी आंतरिक कैम्बियम कहलाती है। इस प्रकार के संवहन पूल कुकरबिटेसी, सोलेनेसी आदि कुल के पौधों में पाए जाते हैं।

3. अरीय (Radial) – इन संवहन पूलों में जाइलम व फ्लोएम समूह अलग-अलग त्रिज्याओं (radius) पर एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। ऐसे संवहन पूल (vascular boundles) जड़ों में पाए जाते हैं।

4. संकेन्द्री (Concentric) – इन संवहन पूलों (vasclar bundles) में एक प्रकार का संवहन ऊतक दूसरे संवहन ऊतक से पूर्णत: घिरा होता है। ये निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-

  • दासकेन्द्री (Amphicribal or Hadrocentric) – इन संवहन पूलों का मध्य भाग जाइलम का बना तथा इसके चारों ओर फ्लोएम पाया जाता है।
  • पोषवाह केन्दी (Amphivasal or Lepto- centric) – इन पूलों के मध्य भाग में फ्लोएम होता है तथा इसके चारों ओर जाइलम होता है।
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प्रश्न 5.
एक बीज पत्री जड़ की आंतरिक संरचना का सचित्र वर्णन् कीजिए।
उत्तर:
एकबीजपप्री जड़ (मक्का) की आंतरिक संरचना [Internal Structure of Monocot root (Maize)] एकबीजपत्री जड़ की अनुप्रस्थ काट को सूक्ष्मदर्शी में देखने पर इसमें निम्नलिखित संरचनाएँ दिखाई देती हैं-
1. मूलीय वचा (Epiblema)-जड़ की सबसे बाहरी परत एपीब्लेमा कहलाती है। यह मृदूतकीय कोशिकाओं की बनी होती है। इसमें अनेक एक कोशिकीय मूलरोम (Root hairs) पाये जाते हैं।

2. वस्कुट (Cortex)-यह मृद्तकीय कोशिकाओं (parenchymatous celsl) का बना तथा कई कोशिका मोटा स्तर होता है। इसकी कोशिकाओं के बीच अन्तराकोशिकीय स्थान (intercellular spaces) मिलते हैं। कभी-कभी जब मूलीय त्वचा नृ हो जाती है तब करेंक्स की बाहर की कोशिकाएँ क्यूटिनीकृत (cutinized) होकर एक्सोडर्मिस बनाती है। यह एक रक्षात्मक परत (protective layer) का कार्य करती है।

3. अन्नसवच्चा (Endodermis) – यह रम्भ के चारों ओर एक घेरा बनाती है। इसकी कोशिकाएँ अरीय तथा स्पशरेखीय भित्तियाँ (tegnetial wall) मोटी होती हैं। परन्तु प्रोटो जाइलम के सम्पुख मिलने वाली कोशिकाओं की कोशिका भित्तियाँ पतली होती हैं। इन कोशिकाओं को पाथ कोशिकाएँ कहते हैं।

4. परिरम्घ (Pericycle)-यह मृद्तकीय कोशिकाओं की बनी एक कोशिकीय मोटी परत है। जो एन्डोड़िंस के नीचे मिलती है। कभी-कभी इसमें प्रोटोजाइलम के पास स्क्लेर्क्काइमा कोशिकाएँ या इनके समूह मिलते हैं।

5. संवहन पूल (Vascular bundles)-संवहुन पूल में जाइलम व फ्लोएम समान संख्या में मिलते हैं। पूल संख्या में बहुत अधिक (प्राय: 6 से अधिक) होते हैं। जाइलम एक्सार्क (exarch) होता है। प्रोटोजाइलम व मेटाजाइलम स्पष्ट होते हैं। जाइलम में वलयाकार, सर्पिलाकार, जालिकावत, व गर्ती स्थूलन (thickning) मिलते हैं।

6. पिथ (Pith)- यह केन्द्रीयु भाग में मृदूतकीय कोशिकाओं का बना होता है। इसमें मण्ड कण मिल सकते हैं। पिथ स्पष्ट व विकसित होता है।
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प्रश्न 6.
द्विबीज पत्री जड़ की अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाकर इसकी संरचना का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
हिबीजजपत्री जड़ की आन्तरिक सरच्चा (Internal Structure of Dicot Root) –
द्विबीजपत्री पौधे (चने) की जड़ की अनुप्रस्थ काट को सूक्ष्मदर्शी में देखने पर उसमें निम्न संरचनाएँ दिखाई देती हैं-
1. मूलीयत्वच्वा (Epiblema) – यह सबसे बाहर स्थित एक कोशिका मोटी परत है। इसकी कोशिकाओं की कोशिका भित्तियाँ पतली तथा ये एक कोशिकीय रोम (unicellular hairs) युक्त होती हैं। इस पर उपचर्म (cuticle) तथा रन्श्रों (stomata) का अभाव होता है।

2. क्क्कुट (Cortex)- यह मूलीय त्वचा के ठीक नीचे पाया जाने वाला कई कोशिका मोटा स्तर होता है। इसकी कोशिकाएँ पतली भित्ति वाली, गोल या अण्डाकार अथवा बहुभुजी (polygonal) होती हैं। कोशिकाओं के बीच बड़े-बड़े अन्तराकोशिकीय स्थान (intercellular spaces) पाये जाते हैं। कोशिकाओं में स्टार्च कण व अवर्णी लवंक (leucoplasts) मिलते हैं। कभी-कभी मूलीय त्वचा नष्ट हो जाती है तो वल्कुट की कोशिकाएँ क्यूटिनीकृत होकर एक्सोडर्मिस (exodermis) बनाती हैं।

3. अन्नस्चचचा (Endodermis)-वल्कुट की भीवरी परत अन्तस्वचा बनाती है जो स्टील बनाती है। इसकी कोशिकाएं ढोलकाकार होती है। इनकी अराय भित्तियों पर कैस्पेरियन पह्टियाँ उपस्थित होती हैं। प्रोटोजाइलम के सम्मुख स्थित अन्तस्त्वचा (endodermis) की कोशिका भित्तियाँ पाथ कोशिकाएँ कहलाती हैं।

4. परिरम्म (Pericycle) – यह मृदूतकीय कोशिकाओं (parenchymatous cells) का बना एक कोशा मोटा स्तर है जो अन्तस्वचा (endodermis) के ठीक नीचे पाया जाता है। इसकी कोशिकाएँ पतली भित्ति वाली (thin walled) होती हैं।

5. संवहन पूल (Vascular bundles)-संवहन पूल अरीय (radial) होते हैं अर्थात् जाइलम तथा फ्लोएम एकांतर अर्धव्यासों पर मिलते हैं। जाइलम एक्सार्क होता है। प्रोटोजाइलम केन्द्र से दूर तथा मेटाजाइलम केन्द्र की ओर मिलता है। संवहन पूलों की संख्या 2 से 6 तक होती है। जाइलम तथा फ्लोएम के बीच एथा (cambium) का अभाव होता है। द्वितीयक वृद्धि के समय ऐधा (cambium) का निर्माण हो जाता है। जाइलम तथा फ्लोएम के बीच में चारों ओर पाया जाने वाला ऊतक संयोजी ऊतक (connective tissue) कहलाता है।

6. मग्दा (Pith)-जड का केन्द्रीय भाग पिथ (pith) कहलाता है तथा यह बहुत कम विकसित होता है, इसकी कोशिकाएँ मृदूतकीय होती हैं।
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प्रश्न 7.
एक बीजपत्री तने की अनुप्रस्थ काट का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
एकबीजपत्री तने की आन्तरिक संरचना (Anatomy of Monocot Stem) – एकबीजपत्री तने (मक्का) की आन्तरिक संरचना में निम्नलिखित भाग दिखाई देते हैं-
1. बहु त्वचा (Epidermis) – यह. सबसे बाहरी परत. है, जो उपचर्म (cuticle) से ढँकी रहती है। इसमें रोम का अभाव होता है। कोमल तनों की बाह्म त्वचा में रन्ध्र (stomata) मिल सकते हैं।

2. अघस्तचा (Hypodermis) – यह दृढ़ोतकी कोशिकाओं की बनी दो-तीन कोशा मोटी परत है। इसमें अन्तराकोशिकीय स्थान अनुपस्थित होते हैं। यह पौधे को यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है।

3. भरण ऊतक (Ground Tissue) – यह अधस्तचा से लेकर तने में केन्द्र तक फैला होता है। इसकी कोशिकाएँ मृदूतकीय (parencymatous) तथा अन्तरा कोशिक स्थान युक्त होती हैं। भरण ऊतक में संवहन पूल विखेे रहते हैं। कुछ पौहों जैसे-ोहुँ, घासों में भरण ऊतक का केन्द्रीय भाग खोखला हो जाता है जिसे मज्जा गुहा (pith cavity) कहते हैं।

4. संवहन पूल (Vascular bundles) – संवहन पूल अधिक संख्या में मिलते हैं जो भरण ऊतक में बिखे हुए पाये जाते हैं। संवहन पूल संयुक्त (conjoint), कोलेटरल (collateral) तथा बन्द (closed) होते हैं। प्रत्येक पूल दृणोतकीय कोशिकाओं की बनी एक बलय से घिरा होता है जिसे बण्डल छाद (bundle sheath) कहते हैं।

जाइलम ‘y’ के आकार में व्यवस्थित होते हैं। बड़े आकार व गर्त वाली मेटाजाइलम की दो वाहिकाएँ ‘ y ‘ की दो भुजाएँ बनाती हैं। एक या दो वाहिकाएँ का आधार बनाती हैं। प्रोटोजाइलम के पास कुछ वाहिनिकाओं (trachieds) की भित्तियाँ गलकर एक बड़ी गुहा बनाती हैं। फ्लोएम चालनी नलिका, संहचर कोशिकाओं व अन्य तत्वों से मिलकर बनता है। फ्लोएम का बाहरी टूटा हुआ भाग प्रोटोफ्लोएम तथा भीतरी भाग मेटाफ्लोएम कहलाता है। इसमें पिथ का अभाव होता है।
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प्रश्न 8.
द्विबीजपत्री तने की आंतरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
द्विबीजपत्री तने की आन्तरिक संरचना (Anatomy of dicot stem) – द्विबीजपत्री तने (सूर्यमुखी का तना) की अनुप्रस्थ काट में निम्नलिखित संरचनाएँ दिखाई देती हैं-
1. बाह़ त्वचा (Epidermis)- यह सबसे बाहरी एक स्तरीय परत है। यह उपचर्म (cuticle) से ढकी होती है। इसमें कहीं-कहीं पर बहुकोशिकीय रोम तथा रन्प्र (stomata) मिलते हैं।

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2. वस्कुट (Cortex)- यह बाह्य तचा के ठीक नीचे स्थित होता है इसे तीन भागों में विभेदित किया जा सकता है-
(a) अधस्त्वचा (Hypodermis)-यह कोलेन्काइमी कोशिकाओं से बना 4-5 कोशिका मोटा स्तर है। इसकी कोशिकाएँ जीवित एवं हरितलवक (chloroplasts) युक्त होती है। कोशिका भित्तियाँ कोनों पर पेक्टिनीकृत सेल्युलोस से स्थूलित होती हैं।

(b) सामान्य काटेंक्स (General Cortex) – यह अधस्तचा तथा अन्तस्तचा के बीच का भाग है। यह मृदुतकीय कोशिकाओं का बना काफी चौड़ा भाग है। इसकी कोशिकाए पतली कोशिकाभित्ति वाली, गोल या अण्डाकार एवं अन्तराकोशिकीय स्थान युक्त होती हैं। कार्टेक्स में कहीं-कहीं रेजिन नलिकाएँ (Rasin canals) पायी जाती हैं।
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(c) अन्तस्वची (Endo- dermis) – यह वल्कुट की सबसे भीतरी परत है जो वल्कुट को स्टील से अलग करती है । इसकी कोशिकाएँ ठोलकनुमा (barrelshaped) एवं स्टार्चयुक्त होती हैं।

3. स्टील (Stele) – अन्तस्ववचा (endodermis) से घिरा मध्य भाग स्टील कहलाता है। यह परिरम्भ (pericycle), पिथ, पिथ किरणें एवं संवहन पूलों (vascular bundle) से मिलकर बनता है ।
(i) परिरम्भ (Pericycle) – यह स्क्लेर्काइमेटस तथा पैरन्काइमेटस कोशिकाओं से मिलकर बनता है। स्क्लेर्काइमा के समूह अन्तस्वचा एवं संवहन पूल के बीच मिलते हैं। इन समूहों का संबंध संवहन पूल के फ्लोएम से होता है। इस समूह को बास्ट तन्तु (bast fibre) या कठोर बास्ट (hard bast) भी कहते हैं।

(ii) पिथ किरणें (Pith rays) – यह दो संवहहन पूलों के मध्य मृदृतकीय, बड़ी बहुभुजी तथा लम्बी कोशिकाओं से बनी होती हैं।

(iii) पिथ (Pith)-यह तने के मध्य भाग में मिलता है जो मृदूतकी, गोल या बहुभुजी कोशिकाओं (polygonal cells) का बना होता है। इसकी कोशिकाओं के बीच अन्तराकोशिक अवकाश (intercellular spaces) मिलते हैं।

(iv) संवहन पूल (Vascular bundles) – प्रत्येक संवहन पूल जाइलम, फ्लोएम तथा कैम्बयम का बना होता है। संवहन पूल संयुक्त कोलेटराल खुले तथा एक वलय (ring) में व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 9.
परिचर्म क्या है ? इसमें कितने प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं तथा इनका निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर:
नमस्कार दोस्तों हमारा आज का प्रश्न है परीक्षण किया है री बीज पत्री तने में परिचय कैसे बनता है तो देखते हैं दोस्तों सर्वप्रथम परीक्षण होता क्या है दोस्तों यह पौधों में पाया जाता है यानी कि यह पौधों में कार्य था कार्य दैनिक दोस्तों कोर्ट कैंबियम की जीवित मृत कोशिका से परिचय बनता है दोस्तों को और कोई था यानी कि कोर को कम दिया कि जो जीवित मृत्यु तक कोशिका से ही परिचय का निर्माण होता है

अधिकतर सुदी बीज पत्री तने में परिचय बनता कैसे हैं तो दोस्तों को रिझाया कागज इसे कहते हैं यानी कि कोर्ट कैंबियम यह कोर को कैंबियम की कोशिका जो होते हैं वह कोशिका विभाजित होकर परिधि की ओर इसकी और परिधि की तरफ या परिधि की ओर जो कोशिका का निर्माण करती है खुशी को बनाती हैं वे से बुरी युक्त होता है यानी कि शबुरी नाइस होती है और इससे बुरी नियत कोशिका से

बना यह स्तर कोर्ट या इसे से लंबी कहते हैं और कोर कैदा यानी कि कोर्ट को पीएम से भीतर की ओर जो बनने वाली मरुधर की कोशिका होती हैं वह कोशिका भित्ति एक्वल कुटिया सिलोडर्म का निर्माण करती है फिर ऑर्डर में बनाती हैं और से लाभ तथा यानी कि कोर्ट और कोर्ट कैंबियम और इसके अतिरिक्त दीदी अक्कलकोट यह सब मिलकर परिजनों का निर्माण करती हैं परिजनों को बनाती हैं तो दोस्तों हमने देखा कि और कोई ध्यान की कोर को हम भी उनकी जीवित मृत कोशिका से परिचय धन्यवाद दोस्तों आशा करता हूं आपको यह उत्तर जरूर समझ में आया होगा ।

प्रश्न 10.
नामांकित चित्रों की सहायता से द्विबीजपत्री पौधे की जड़ में पायी जाने वाली द्वितीय वृद्धि का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
द्वितीयंक वृद्धि (Secondary growth)-शीर्षस्थ विभज्योतक की कोशिकाओं के विभाजन, विभेदन और परिवर्द्धन के फलस्वरूप प्राथमिक ऊतकों का निर्माण होता है। अतः शीर्षस्थ विभज्योतक के कारण पौधे की लम्बाई में वृद्धि होती है। इसे प्राथमिक वृद्धि कहते हैं। द्विवीजपत्री आवृतबीजी तथा अनावृतबीजी काष्ठीय पौधों में पार्श्व विभज्योतक के कारण तने तथा जड़ की मोटाई में वृद्धि होती है। इस प्रकार मोटाई में होने वाली वृद्धि को द्वितीयक वृद्धि (secondary growth) कहते हैं।

जाइलम और पलोएम.के मध्य विभज्योतक को संवहन एघा (vascular cambium) तथा वल्कुट या परिरम्भ में विभज्योतक को कॉर्क एधा (cork cambium) कहते हैं। द्विबीजपत्री. जड़ में द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth in Dicot Root) जड़ों में प्राथमिक एधा (cambium) नहीं होती है। द्विबीजपत्री जड़ों में द्वितीयक एधा दो प्रकार की होती है ।
I. संवहन एधा (vascular cambium) तथा
II. कॉर्क कैम्बियम (cork cambium)

I. संवहन एधा का निर्माण तथा क्रियाशीलता (Formation and Activity of Vascular Camblum).
पौधे की आयु एक वर्ष हो जाने के पश्चात् अरीय संवहन बण्डल में फ्लोएम के नीचे स्थित मर्दूतकीय संयोजक ऊतक.को कोशिकाएँ विभज्योतकी (meristematic) होकर वक्राकृति द्वितीयक संवहन एथा (secondary vascular cambium) बनाती हैं। आदिदारु (protoxylem) के बाहर स्थित परिरम्भ की कोशिकाएं भी विभज्योतको (meristematic) होकर संवहन एधा बनाती हैं। इसके फलस्वरूप द्वितीयक संवहन एघा का एक लहरदार वलय बन जाता है।

II कॉर्क कैम्बियम का निर्माण और क्रियाशीलता (Formation and Activity of Cork Cambium)
द्वितीयक संवहन ऊतक बनने के कारण बाहरी ऊतकों पर दबाव बढ़ जाता है तो प्रायः परिरम्भ की कोशिकाओं का एक घेरा सक्रिय होकर विभज्योतक हो जाता है। इसके फलस्वरूप कॉर्क एया (cork cambium) बनती है।

कॉर्क एधा कोशिकाओं के विभाजन से बाहर की ओर कॉर्क (cork) और केन्द्र की ओर द्वितीयक कॉर्टेक्स (secondary cortex) का निर्माण होता है।. कॉर्क की कोशिकाएँ सुबेरिनयुक्तं (suberinized) होती हैं। अत: अपारगम्य कॉर्क के बाहर के सभी ऊतक (वल्कुट, अन्तस्त्वचा, बाह्यत्वचा) मृत हो जाते हैं। मृत ऊतक छाल (bark) बनाते हैं। द्वितीयक कॉर्टेक्स की कोशिकाएँ मृदूतकीय तथा जीवित होती हैं। कॉर्क एधा से स्थान-स्थान पर वांतरन्ध्र lenticels) बनते हैं।

प्रश्न 11.
मृदूतक, स्थूल कोण ऊतक तथा दृढोतक का तुलनात्मक वर्णन कीजिये ।
उत्तर:
सरल ऊतक (Simple Tissues) –
1. मृदूतक या पैरन्काइमा (Parenchyma) – यह ऊतक पौधे के लगभग सभी अंगों का आधार बनाता है। यह मूल तथा स्तम्भों के कार्टेक्स (cortex), पिथ (pith), परिरम्भ (pericyle) में पत्तियों के पर्णमध्योतक (mesophyll) में तथा फलों के गूदे तथा बीजों के भ्रूणपोष में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह प्राथमिक व द्वितीयक संवहन ऊतक व मज्जा किरणों (medullary rays) का भी प्रमुख घटंक है। यह ऊतक पतली कोशिका भित्ति वाली जीवित कोशिकाओं का बना होता है। कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती है। कोशिकाएँ समव्यासी (isodiametric), जैसे-गोल, अण्डाकार या कोणीय होती हैं।

कोशिकाओं के मध्य अन्तराकोशिकीय स्थान (intercellular space) पाए जाते हैं। मांसल पौधों की पत्तियों में इनके बीच ये स्थान नहीं पाए जाते हैं। मृदूतकीय कोशिकाओं में एक बड़ी केन्द्रीय रिक्तिका (central vacuole) होती है। मृदूतक विभिन्न आवास रुपों तथा विशिष्ट कार्यों से सम्बद्ध पादप अंगों में विभेदन दर्शाते हैं। जलीय पौधों के मृदूतक में अन्तरा कोशिक अवकाश सबसे अधिक विकसित होते हैं। इनमें पौधे के सभी अन्तराकोशिक अवकाश मिलकर एक सरल वातन तन्त्र (aeriation system) बनाते हैं। इस ऊतक को वायूतक (aerenchyma) कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

यह पौधों को उत्लावकता (buyoncy) प्रदान करता है । जिन मृद्तरकों में पर्णहरिम (chlorophyll) उपस्थित होता है, हरित ऊतक (chlorenchyma) कहलाते हैं। जब मृदूतक विभिन्न पदार्थों के संम्रह का कार्य करते हैं तो ये संचयी पैरेन्काइमां (storage parenchyma) कहलाते हैं। कुछ मृदूतकी कोशिकाएँ अनेक प्रकार के पाचक विकर (digestive enzymes) स्रावित करने लगती हैं, तब इन्हें इडियोब्लास्ट (Idioblasts) कहते हैं।मृदूतक के कार्य (Functions of Parenchyma)

  • ये भोज्य पदार्थों एवं जल का संप्रह करते हैं।
  • शाकीय पौध़ों में इनकी स्फीतिता (turgidity) यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है।
  • इनकी कोशिकाओं में जब हरित लवक (chloroplasts) उत्पन्न हो जाते हैं तब इन्हें क्लोरन्काइमा (chlorenchyma) कहते हैं जो प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) में भाग लेते हैं।
  • जब इनकी कोशिकाओं के बीच बड़े-बड़े वायु आशय (air spaces) बन जाते हैं तो इन्हें एन्काइमा (aerenchyma) कहते हैं और ये जलीय पौधों को प्लावकता (buyoncy) प्रदान करते हैं।
  • कभी-कभी इनकी कोशिकाएँ विभाजित होकर घाव भरने का कार्य करती हैं।

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन 

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन  Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन

(A) बहुविकल्पीय प्रश्न

नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर देने के लिए चार विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए-
1. हैविर्सियन नलिकाएँ उपस्थित होती हैं-
(A) अस्थियों में
(B) उपास्थियों में
(C) स्नायुओं में
(D) यकृत में
उत्तर:
(A) अस्थियों में

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2. मेड्युला ऑब्लोंगेटा उत्पन्न होती है-
(A) एक्टोडर्म से
(B) मीसीडर्म से
(C) एण्डोडर्म से
(D) एक्टोमीसोडर्म से
उत्तर:
(A) एक्टोडर्म से

3. विडर्स केनाल पायी जाती है-
(A) मेढ़क के वृषणों में
(B) मेंढ़क के वृक्क में
(C) स्तनधारियों के वृक्क में
(D) स्तनधारियों के अण्डाशय से
उत्तर:
(B) मेंढ़क के वृक्क में

4. केंचुए का अत्यन्त विशेष लक्षण है-
(A) आंत्र में आंत्र वलन (Typhlosole) पंचित भोजन के अवशोषण हेतु तल क्षेत्र में वृद्धि करता है।
(B) देहभित्ति में धँसी S-आकार की सीटी (setae) शत्रुओं के विरुद्ध सुरक्षात्मक हथियार की भाँति प्रयोग होते हैं।
(C) इसमें एक लम्बा, पृष्ठीय नलिकाय हृदय होता है
(D) अण्डों का निषेचन शरीर के भीतर होता है।
उत्तर:
(A) आंत्र में आंत्र वलन (Typhlosole) पंचित भोजन के अवशोषण हेतु तल क्षेत्र में वृद्धि करता है।

5. सामान्य कॉकरोच के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है ?
(A) ऑक्सीजन का परिवहन रुधिर में हीमोग्लोबिन द्वारा होता है।
(B) नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ यूरिया होता है।
(C) भोजन को मण्डिबल्स तथा पेषणी द्वारा पीसा जाता है
(D) कोलन से निकलने वाली मैल्पीधियन नलिकाएँ उत्सर्जी अंग होते. हैं।
उत्तर:
(C) भोजन को मण्डिबल्स तथा पेषणी द्वारा पीसा जाता है

6. सीरम होता है-
(A) फाइब्रोजन रहित रुधिर
(B) कणिका रहित लसीका
(C) कणिका एवं फाइब्रिनोजन रहित रुधिर
(D) लसीका
उत्तर:
(A) फाइब्रोजन रहित रुधिर

7. निम्नलिखित में से कौन W.BCs नहीं है-
(A) थ्रोबोसाइट्स
(B) लिम्फोसाइट्स
(C) इयोसिनोफिल्स
(D) बेसोफिल्स
उत्तर:
(A) थ्रोबोसाइट्स

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8. मेढ़क के हृदय में हृद पेशियाँ कुछ तन्तुओं द्वारा निर्मित होती हैं जिन्हें कहते हैं-
(A) पुरकिंजे तंतु
(C) टीलोडेन्ड्रिया
(B) पेशीय सूत्र
(D) पेशी स्तम्भ
उत्तर:
(A) पुरकिंजे तंतु

9. पैरिप्लेनेटा अमेरिकाना के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से सही कथन का चुनाव कीजिए-
(A) इसमें पृष्ठीय तंत्रिका तंत्र होता है, जिसमें खण्डीय रुप से व्यवस्थित गैलिया लम्बवत संयोजकों के एक युग्म द्वारा जुड़े रहते हैं
(B) नर में एक जोड़ी छोटे, धागेनुमा गुदा शुकु पाए जाते हैं
(C) इसमें मध्यांत्र तथा पश्चांत्र के जोड़ पर 16 अत्यधिक लम्बी मैल्पिधिअन नलिकाएँ पायी जाती हैं।
(D) भोजन को पीसने का कार्य केवल मुखांगों द्वारा ही किया जाता है।
उत्तर:
(B) नर में एक जोड़ी छोटे, धागेनुमा गुदा शुकु पाए जाते हैं

10. सुमेलित कीजिए-
(A) लार वाहिकाओं का आन्तिरक स्तर – रोमाभि एपीथीलियम
(B) मुख गुहा की नम सतह – प्रन्थिल एपीथीलियम
(C) वृक्क नलिका का नलिकाकार भाग – घनाकार एपीथीलियम
(D) श्वशनिकाओं की आन्तरिक सतह – शल्की एपीथीलियम
उत्तर:
(C) वृक्क नलिका का नलिकाकार भाग – घनाकार एपीथीलियम

11. सुमेलित युग्म का चयन कीजिए-
(A) कंडरा – विशिष्टीकृत संयोजी ऊतक
(B) वसीय ऊतक सघन संयोजी ऊतक
(C) एरियोलर ऊतक
(D) ढीला संयोजी ऊतक
उत्तर:
(C) एरियोलर ऊतक

12. तिलचट्टे की ग्रन्थिल कोशिकाएँ अपने नाइट्रोजनी वज्यों को हीमोलेम्फ मेंकिस रूप में नियुक्ति करता है ?
(A) अमोनिया
(B) पोटैशियम यूरेट
(C) यूरिया
(D) कैल्शियम कार्बोनेट
उत्तर:
(B) पोटैशियम यूरेट

13. नर कॉकरोच में शुक्राणु नर जननतन्त्र के किस भाग में संग्रहित रहते हैं ?
(A) शुक्राशय
(B) छत्रक मन्थि
(C) वृषण
(D) शुक्रवाहिनी
उत्तर:
(A) शुक्राशय

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14. कौन सा ऊतक अपनी स्थिति से सही सुमेलित है-
उत्तर:
उतक
(A) एरियोलर ऊतक
(B) अन्तर्वर्ती एपीथीलियम
(C) घनाकार एपीथीलियम
(D) चिकनी पेशियाँ
(D) चिकनी पेशियाँ

स्थिति
कंडरा
नाक का शीर्ष
आमाशय स्तर
आंत्र भित्तियाँ

15. मेढक का हृदय शरीर से बाहर निकालने पर कुछ समय तक धड़कता रहता है। निम्न कथनों में सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन कीजिए-
(I) मेंढक का हृदय पेशीजेनकि होता है।
(II) मेढक में कोरोनरी परिसंचरण नहीं पाया जाता है
(III) हृदयमायोजेनिक प्रकृति का होता है।
(IV) हृदय स्वतः उत्तेजित होता है
(A) केवल III
(B) केवल IV
(C) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:

16. नर मेढक में शुक्राणुओं के स्थानान्तरण के उचित मार्ग का चयन कीजिए-
(A) वृषण → शुक्रवाहिकाएँ → वृक्क → विडर नाल → मूत्रजनन बाहिनी → अवस्कर
(B) वृषण → विडर नाल → वृक्क → शुक्राशय → मूत्रजनन वाहिनी → अवस्कर
(C) वृषण → शुक्र वाहिकाएँ → वृक्क → शुक्राशय → मूत्रजनन → वाहिनी → अवस्कर
(D) वृषण → शुक्रवाहिकाएँ → विडरनाल → मूत्रवाहिनी → अवस्कर
उत्तर:
(D) वृषण → शुक्रवाहिकाएँ → विडरनाल → मूत्रवाहिनी → अवस्कर

17. तिलचट्टे की आहारनाल में मुख से आरम्भ कवक अंगों के उचित क्रम का चयन करों-
(A) प्रसनी → प्रसिका → पेषणी → इलियम → इलियम → अन्नपुट → कोलन → रेक्टम
(B) मसनी → प्रसिका → इलियम → अन्नपुट → पेषणी → कोलन → ऐक्वेम
(C) मसनी → प्रसिका → अन्नपुट → पेषणी → इलियम → कोलन → रैक्टम
(D) प्रसनी → प्रसिका → पेषणी → अन्नपुट → इलियम → कोलन → रैक्टम
उत्तर:
(C) मसनी → प्रसिका → अन्नपुट → पेषणी → इलियम → कोलन → रैक्टम

(B) अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
तरल संयोजी ऊतकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रुधिर तथा लसीका (blood and lymph) तरल संयोजी ऊतक

प्रश्न 2.
संयोजी ऊतक का क्या कार्य है ?
उत्तर:
संयोजी ऊतक शरीर के विभिन्न ऊतकों व अंगों को परस्पर जोड़ने का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
पेशियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर:
पेशियाँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • रेखित पेशियाँ (Striated muscles),
  • अरेखित पेशियाँ (Cardiac muscles),
  • हृदयी पेशियाँ (Unstriated muscles)।

प्रश्न 4.
मूत्राशय में कौन-सी पेशी पायी जाती है?
उत्तर:
मूत्राशय में अरेखित पेशी पायी जाती है।

प्रश्न 5.
आधारभूत संयोजी ऊतक कौन-सा है?
उत्तर:
अन्तराली उत्तक आधारभूत संयोजी ऊतक है।

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प्रश्न 6.
रुधिर प्लेटलेट्स का कार्य बताइए।
उत्तर:
रुधिर प्लेटलेट्स रक्त का थक्का (blood ctot) जमाने का कार्य करती हैं।

प्रश्न 7.
किन्हीं दो प्रकार की उपास्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. काचाभ उपास्थि (hyline cartilage),
  2. कैल्सीफाइड उपास्थि (calcified cartilage) ।

प्रश्न 8.
न्यूरॉन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को न्यूरॉन कहते हैं।

प्रश्न 9.
न्यूरॉन के भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. साइटोन (cyton),
  2. डेन्ड्रोन (dendron),
  3. ऐक्सोन (axon)।

प्रश्न 10.
सिनैप्स किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दो न्यूरॉन्स के पारस्परिक क्रियात्मक सम्बन्ध को (जुड़े रहने को) सिनैप्स (युग्मानुबंधन) कहते हैं।

प्रश्न 11.
केंचुए का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
केंचुए का जन्तु वैज्ञानिक नाम फेरेटिमा पोस्युमा (Phertima posthuma) है।

प्रश्न 12.
क्लाइटेलम (पर्याणिका) कौन-से खण्डों से मिलकर बनी होती है ?
उत्तर:
क्लाइटेलम केंचुए के 14वें, 15वें व 16वें खण्डों से मिलकर बनी होती है।

प्रश्न 13.
केंचुए में श्वसन किसकी सहायता से होता है?
उत्तर:
केंचुए में श्वसन त्वचा की सहायता से होता है।

प्रश्न 14
केंचुए में रक्त परिसंचरण-तन्त्र किस प्रकार का होता है?
उत्तर:
केंचुए में बन्द (closed) प्रकार का रक्त परिसंचरण तन्त्र होता

प्रश्न 15.
केंचुए में कितने जोड़ी वृषण पाये जाते हैं?
उत्तर:
केंचुए में दो जोड़ी वृषण 10वें एवं 11 वें खण्डों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 16.
केंचुए में क्लाइटेलम का क्या कार्य है ?
उत्तर;
क्लाइटेलम जनन काल में कोकून (cocoon) का निर्माण करती

प्रश्न 17.
केंचुए में निषेचन कहाँ होता है?
उत्तर:
केंचुए में निषेचन कोकून के अन्दर होता है।

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प्रश्न 18.
केंचुए में कितने जोड़ी शुक्रग्राहिकाएँ (स्पर्मचीकी) होती हैं?
उत्तर:
केंचुए में चार जोड़ी शुक्रमाहिकाएँ (स्पर्मेथीकी) होती हैं।

प्रश्न 19. केंचुए में मिलने वाले वृक्ककों नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पट्टीय वृक्कक,
  2. प्रसनी वृक्कक,
  3. अध्यावरणीय वृक्कक।

प्रश्न 20.
केंचुए में सबसे बड़ी व प्रमुख रक्तवाहिका का नाम लिखिए।
उत्तर:
पृष्ठ रुधिर वाहिका (dorsal blood vessel)।

प्रश्न 21.
केंचुए में कुल कितने जोड़ी हृदय पाये जाते हैं?
उत्तर:
केंचुए में कुल चार जोड़ी हृदय (heart) पाये जाते हैं।

प्रश्न 22.
केंचुए में भ्रूण का विकास कहाँ होता है?
उत्तर:
केंचुए में भ्रूण का विकास कोकून (cocoon) में होता है।

प्रश्न 23.
केंचुए में शुक्राणुओं का परिपक्वन कहाँ होता है?
उत्तर:
केंचुए में शुक्राणुओं का परिपक्वन शुक्राशयों (seminal vescicles) में होता है।

प्रश्न 24.
कॉकरोच का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
कॉकरोच का जन्तु वैज्ञानिक नाम पेरिप्लेनेटा अमेरिकाना है।

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प्रश्न 25.
कॉकरोच के एन्टीना का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
कॉकरोच के एन्टीना स्पर्शमाही तथा घ्राणमाही होते हैं।

प्रश्न 26.
कॉकरोच के मुखांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. लेब्रम
  2. मैण्डीबल्स
  3. मैक्सिली
  4. लोबियम
  5. हाइपोफेरिंक्स ।

प्रश्न 27.
मैण्डीबल्स का कार्य बताइए।
उत्तर:
मैण्डीबल्स भोजन को कुतरने व चबाने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 28.
कॉकरोच में मैलपीधी नलिकाओं का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
उत्सर्जन (excertion) का कार्य करना ।

प्रश्न 29.
हिपेटिक सीका का कार्य बताइए।
उत्तर:
पाचन एन्जाइम का स्रावण करना।

प्रश्न 30.
हीमोसील क्या होती है?
उत्तर- रुधिर से भरी हुई देहगुहा को हीमोसील ( haemocoel) कहते

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प्रश्न 31.
कॉकरोच में रुधिर परिसंचरण किस प्रकार का होता है?
उत्तर:
कॉकरोच में खुला हुआ रुधिर परिसंचरण होता है।

प्रश्न 32.
हीमोलिम्फ किसे कहते हैं?
उत्तर:
रुधिर एवं प्रगुही द्रव (coelomic fluid) के मिलने से बने द्रव को हीमोलिम्फ कहते हैं।

प्रश्न 33.
कॉकरोच में कितने जोड़ी श्वास रन्ध्र होते हैं?
उत्तर:
कॉकरोच में 10 जोड़ी श्वास रन्ध्र ( spiracles) होते हैं।

प्रश्न 34.
कॉकरोच में वृषण कहाँ स्थित होते हैं?
उत्तर:
नर कॉकरोच में एक जोड़ी वृषण चौथे से छठे उदरीय खण्डों के पार्श्व में व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 35.
गुदशूक किस कॉकरोच में पाये जाते हैं ?
उत्तर:
गुदशूक (anal circi) केवल नर कॉकरोच में पाये जाते हैं।

प्रश्न 36.
शुक्राणुधर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मैथुन से पूर्व शुक्राशय की प्रत्येक नलिका के शुक्राणु परस्पर चिपककर जो रचना बनाते हैं, उसे शुक्राणुधर कहते हैं।

प्रश्न 37.
अर्थक अवस्था किसमें पायी जाती है ?
उत्तर:
अर्धक (nymph) अवस्था कॉकरोच में पायी जाती है। अर्भक वयस्क के समान दिखते हैं।

प्रश्न 38. कॉकरोच में अण्डाशय कहाँ स्थित होते हैं ?
उत्तर- मादा कॉकरोच में 2 अण्डाशय होते हैं जो उदर के दो से छठे खण्ड के पार्श्व में स्थित होते हैं।

प्रश्न 39.
कॉकरोच के अण्डाशय कैसे होते हैं ?
उत्तर:
कॉकरोच का प्रत्येक अण्डाशय आठ अण्डाशयी नलिका या अण्डाशयों का बना होता है जिसमें परिवर्धित हो रहे अण्डों की एक श्रृंखला होती है।

प्रश्न 40.
कॉकरोच में अण्डकवच का क्या महत्व है ?
उत्तर:
अण्डकवच (ootheca) अण्डाणुओं की सुरक्षा करता है।

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प्रश्न 41.
सामान्य भारतीय मेंढक का वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
सामान्य भारतीय मेंढक का वैज्ञानिक नाम राना टिमीना है।

प्रश्न 42.
मेंढक के दो शारीरिक अनुकूलन लिखिए।
उत्तर:

  1. मेंढक का शरीर धारारेखित होता है। पश्चपादों में पाद जाल होता है।
  2. त्वचा द्वारा श्वसन करता है। इसकी त्वचा पतली, नम व लसलसी (चिकनी होती है। इसमें रंग परिवर्तन की क्षमता होती है।

प्रश्न 43.
मेंढक में रंग परिवर्तन की क्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
मेंढक में रंग परिवर्तन की क्रिया को अनुहरण (मिमिक्री) कहते हैं।

प्रश्न 44.
मेंढक में किस प्रकार की जिह्वा पायी जाती है?
उत्तर:
मेंढक में जिह्वा आगे से जुड़ी हुई तथा पिछले सिरे पर स्वतन्त्र तथा द्विपालित होती है।

प्रश्न 45.
शीत एवं ग्रीष्म निष्क्रियता ( aestivation) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मेंढक असमतापी जन्तु है। वह सर्दी तथा गर्मी से बचने के लिए कीचड़ में धंस जाता है। इस समय यह शान्त पड़ा रहता है। इसे क्रमशः शीत निष्क्रियता (hibernation) तथा प्रीष्म निष्क्रियता ( aestivation) कहते हैं।

प्रश्न 46.
शीत निष्क्रियता एवं ग्रीष्म निष्क्रियता में मेंढक श्वसन किस प्रकार करता है ?
उत्तर:
शीत निष्क्रियता ( Hibernation) तथा मीष्म निष्क्रियता (Astivation) में मेंढक त्वचीय श्वसन करता है।

प्रश्न 47.
मेंढक में रक्त परिसंचरण तन्त्र किस प्रकार का होता है?
उत्तर:
मेंढक में रक्त परिसंचरण तन्त्र बन्द प्रकार का होता है।

प्रश्न 48.
मेंढक में आहारनाल तथा पश्च भागों से शिराएँ रुधिर एकत्र करके यकृत तथा वृक्कों में पहुंचाती हैं। इस तन्त्र को क्या कहते हैं?
उत्तर:
इन तन्त्रों को क्रमशः यकृत निवाहिका तन्त्र ( hepatic portal system) एवं वृक्कीय निवाहिका तन्त्र (renal portal system) कहते हैं।

प्रश्न 49
हीमोग्लोबिन क्या होता है?
उत्तर:
हीमोग्लोबिन लाल रंग का श्वसनरंजक ( respiratory pigment) है जो लाल रुधिर कणिकाओं में पाया जाता है। इसमें ग्लोबिन (globin) नामक प्रोटीन तथा ‘हीम’ (heam) नामक वर्णक पदार्थ संयुक्त होते । यह श्वसन में ऑक्सीजन का वहन करता है।

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प्रश्न 50.
लसीका का रंग सफेद क्यों होता है?
उत्तर:
क्योंकि लसीका में लाल कणिकाएँ नहीं होती हैं, केवल श्वेत रक्त कणिकाएँ उपस्थित होती हैं। इसलिए लसीका का रंग सफेद होता है।

प्रश्न 51.
मेंढक का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ क्या है ?
उत्तर:
मेंढक का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ यूरिया (urea) है।

प्रश्न 52.
हॉमॉन किसे कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न अंगों में आपसी समन्वय जिन रसायनों द्वारा होता है, उन्हें हॉर्मोन कहते हैं। ये अन्तःस्रावी ग्रन्थियों (endocrine gland) द्वारा स्रावित होते हैं।

प्रश्न 53.
मेंढक की मुख्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए।.
उत्तर:
मेंढक की मुख्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम हैं- पीयूष (पिट्यूटरी), अवटु (थाइरॉइड ), परावटु (पेराथाइरॉइड ), थाइमस, पीनियलकाय, अग्न्याशयी द्वीपिकाएँ, अधिवृक्क (एड्रीनल) तथा जनद (gonads)।

प्रश्न 54.
मेंढक के तन्त्रिका तन्त्र के कितने भाग होते हैं ?
उत्तर:
मेंढक के तन्त्रिका तन्त्र के तीन भाग होते हैं-

  1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र ( CNS),
  2. परिधीय तन्त्रिका तन्त्र ( PNS) तथा
  3. स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (ANS)

प्रश्न 55.
मेंढक में कितनी कपाल तन्त्रिकाएँ होती हैं?
उत्तर:
मेंढक में 18 जोड़ी कपाल तन्त्रिकाएँ (cranial nerves) मस्तिष्क (brain) से निकलती हैं।

प्रश्न 56.
मेंढक का मेरुरज्जु कहाँ स्थित होता है?
उत्तर:
मेंढक का मेरुरज्जु मेरुदण्ड में स्थित होता है।

प्रश्न 57.
मेंढक के कर्ण के कार्य बताइए।
उत्तर:
मेंढक के कर्ण श्रवण एवं शरीर का सन्तुलन बनाये रखने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 58.
मेंढक में कितनी शुक्रवाहिकाएँ होती हैं?
उत्तर:
मेंढक में 10-12 शुक्रवाहिकाएँ (spermathacae) होती हैं।

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प्रश्न 59.
मेंढक में अण्डों का निषेचन कहाँ होता है?
उत्तर:
मेंढक में अण्डों का बाह्य निषेचन (external fertilization) पानी में होता है।

प्रश्न 60.
मेंढक के लार्वा को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मेंढक के लार्वा को ‘टेडपोल’ कहते हैं।

(C) लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊतक की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
तक (Tissue) – ऊतक कोशिकाओं का वह समूह है जो मौलिक रूप से आपस में जुड़ी रहती हैं एवं जिनकी उत्पत्ति समान होती है तथा इनके द्वारा एक निश्चित कार्य सम्पन्न किया जाता है।

प्रश्न 2.
उत्तक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
ऊतक मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-

  1. उपकला या एपीथीलियमी ऊतक (Epithelial tissue),
  2. संयोजी ऊतक (Connective tissue)
  3. पेशीय ऊतक (Muscular tissue),
  4. तन्त्रिका ऊतक (Nervous tissue)।

प्रश्न 3.
रक्त की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
रक्त (Blood) रक्त एक महत्वपूर्ण तरल संयोजी ऊतक (liquid connective tissue) है, जो कि प्लाज्मा और रक्त कणिकाओं (blood corpuscles) का बना होता है और यह विभिन्न पदार्थों (कार्बनिक, अकार्बनिक, गैसों तथा अन्य पदार्थों) को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजता है।

प्रश्न 4.
ऑक्सीजन कोशिकाओं को किस प्रकार मिलती है?
उत्तर:
रुधिर की लाल रक्त कणिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक लाल रंग का वर्णक पाया जाता है। यह ऑक्सीजन को ग्रहण करके अस्थायी यौगिक ऑक्सी- हीमोग्लोबिन (oxyheamoglobin) बनाता है। रुधिर प्रवाह के साथ यह कोशिकाओं में पहुँचकर ऑक्सीजन को मुक्त करके पुनः हीमोग्लोबिन में बदल जाता है। इस प्रकार कोशिकाओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

प्रश्न 5.
शरीर में सुरक्षा तन्त्र के लिए कौन-सी कोशिकाएँ कार्य करती
उत्तर:
शरीर में सुरक्षा तन्त्र के लिए श्वेत रक्त कणिकाएँ होती हैं, ये निम्नलिखित प्रकार के सुरक्षात्मक कार्य करती हैं-

  1. न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils) – ये भक्षकाण्विक होती हैं।
  2. इओसिनोफिल्स (Eosinophils) – ये एलर्जी के समय शरीर की रक्षा करती हैं।
  3. लिम्फोसाइट्स B तथा T (lymphocytes B and T) ये प्रतिरक्षियों (antibodies) का उत्पादन व फाइब्रोब्लास्ट का निर्माण करती हैं।
  4. मोनोसाइट्स (Monocytes) – ये न्यूट्रोफिल्स की तरह ही शरीर में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म जीवों को फेगोसाइटोसिस की विधि से नष्ट करती हैं।

प्रश्न 6.
रुधिर लसीका से कैसे चिन्न होता है ?
उत्तर:
रुधिर और लसीका में अन्तर (Differences between Blood and Lymph) –

रुचिर (Blood)लसीका (Lymph)
1. इसमें लाल रक्त कणिकाएँ होती हैं।इसमें लाल रक्त कणिकाएँ नहीं होती हैं।
2. इसमें श्वेत रक्त कणिकाएँ कम होती है।इसमें शवेत रक्त कणिकाएँ अधिक होती हैं।
3. इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है।
4. इसमें पोषक पदार्थ तथा ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।इसमें इन दोनों की मात्रा कम होती है।
5. रुधिर सामान्य तरल संयोजी ऊतक है।लसीका (lymph) हना हुआ रूधिर है।

प्रश्न 7.
संयोजी ऊतक की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
संयोजी ऊतक शरीर के विभिन्न ऊतकों या अंगों को परस्पर जोड़ने वाले ऊतकों को संयोजी ऊतक कहते हैं, ये चार प्रकार के होते हैं-

  1. सरल संयोजी ऊतक,
  2. रेशेदार संयोजी ऊतक,
  3. कंकालीय संयोजी ऊतक – अस्थियाँ व उपास्थियाँ
  4. संवहनीय या तरल संयोजी ऊतक – रक्त व लसीका।

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प्रश्न 8.
पेशीय ऊतक की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
पेशीय ऊतक – अधिकांश बहुकोशिकीय जन्तुओं में गमन और अंगों की गति के लिए विशेष प्रकार की कोशिकाओं के सफेद से या लाल से ऊतक होते हैं जिन्हें पेशीय ऊतक कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं

  1. रेखित,
  2. अरेखित तथा
  3. हृदयी।

प्रश्न 9.
तत्रिका ऊतक को परिभाषित कीजिये ।
उत्तर:
न्त्रका ऊतक (Nervous tissue ) – शरीर के अन्दर तन्त्रिका आवेगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का कार्य करने वाले ऊतक को ‘तन्त्रिका ऊतक’ कहते हैं। तन्त्रिका ऊतक तन्त्रिका कोशिकाओं का बना होता है, जो निम्न प्रकार की होती हैं-

  1. तन्त्रिका कोशिकाएँ (neurons ),
  2.  ग्लियल कोशिकाएँ (glial cells)।

प्रश्न 10.
तन्त्रिका ऊतक का शरीर में क्या महत्व है ?
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक का कार्य तन्त्रिकीय प्रेरणाओं का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग या भागों तक संवहन करना होता है। त्वचा, कान, आँख, नाक आदि संवेदी अंगों की संवेदी तन्त्रिका कोशिकाएँ (Sensory nerve cells) जब बाहरी उद्दीपनों को ग्रहण करती हैं, तो इनसे सम्बन्धित संवेदी तन्त्रिका कोशिकाओं के तन्तुओं में विद्युत प्रवाह के रूप में संवेदी प्रेरणाएँ उत्पन्न होती हैं जिन्हें ये तन्तु केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में पहुँचाते हैं, जहाँ से प्रेरक तन्त्रिका कोशिकाओं के तन्तु प्रेरणाओं को पेशियों एवं मन्थियों (कार्यकारी अंगों) में ले जाते हैं, जो उद्दीपन के अनुसार प्रतिक्रियाएँ करते हैं। इस प्रकार तन्त्रिका ऊतकों (nervous tissues) से हमें बाहरी उद्दीपनों का ज्ञान हो जाता है तथा आकस्मिक संकट में हमारी रक्षार्थ सहायता भी हो जाती है।

प्रश्न 11.
एलाज्मा का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्लाज्मा के कार्य

  1. विभिन्न प्रकार के कार्बनिक, अकार्बनिक व अन्य पदार्थों का परिवहन करना।
  2. रक्त प्रोटीन एल्ब्यूमिन परासरण दाब को उत्पन्न करता है।
  3. ग्लोब्युलिन हॉर्मोन्स रासायनिक पदार्थों का स्थानान्तरण तथा प्रतिरक्षी का कार्य करते हैं।
  4. प्रोधोबिन तथा फाइब्रिनोजन रक्त के स्कन्दन (blood clotting) का कार्य करते हैं।
  5. प्लाज्मा के अकार्बनिक घटक क्षारीयता उत्पन्न करते हैं व अन्य कई कार्य भी करते हैं, जैसे लूकोज ऊर्जा उत्पन्न करता है।

प्रश्न 12.
रेखित तथा अरेखित पेशी में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
रेखित तथा अरेखित पेशियों में अन्तर (Differences between Striped and Unstriped Muscles)

रेखित प्रेशियाँ (Striped Muscles)अरेखित पेशियाँ (Unstriped Muscles)
1. इनकी कोशिकाएँ बेलनाकार होती हैं तथा पेशीचोल नामक झिल्ली से स्तरित होती हैं।इनकी कोशिकाएँ तर्कुरूप, लम्बी व संकरी होती हैं।
2. रेखित कोशिका बहु-केन्द्रिकी (multinucleated) होती हैं।अरेखित पेशी कोशिका में केवल एक केन्द्रक मध्य में स्थित होता है।
3. इनमें गहरी व हल्की पट्टियाँ एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होती हैं।इनमें पेशी तन्तुक (myofibrils) होते हैं।
4. ये जन्तु की इच्छा से सिकुड़ती व फैलती हैं, अतः ये ऐच्चिक (voluntary) होती हैं।ये स्वतः ही सिकुड़ती एवं फैलती हैं, अतः ये अनैच्छिक (involuntory) होती हैं।
5. ये अस्थियों से जुड़ी रहती हैं, अत: इन्हें कंकाल पेशी भी कहतें हैं।ये पेशियाँ आन्तरांगों में पायी जाती हैं।
6. क्रियाशील रहने पर इनमें थकान का अनुभव होता है, अतः आराम आवश्यक है।क्रियाशील रहने पर भी इनमें थकान का अनुभव नहीं होता है।

प्रश्न 13.
अस्थि एवं उपास्थि में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अस्थि एवं उपास्थि में अन्तर (Differences between Bone and Cartilage)

अस्थि (Bone)उपास्थि (Cartilage)
1. यह कठोर तथा दृढ़ होती है।1. यह लचीली तथा कोमल होती है।
2. मेट्रिक्स में पायी जाने वाली प्रत्येक गर्तिका (lacunae) में केवल एक कोशिका होती है।2. मेट्रिक्स में पायी जाने वाली गर्तिकाओं में एक से अधिक कोशिकाएँ होती हैं।
3. इसका मेट्रिक्स ओसीन (ocein) का बना होता है।3. इसका मेट्रिक्स कॉन्ड़न (Chondrin) का बना होता है।
4. अस्थि कोशिकाएँ सदैव आस्टिओष्लास्ट्स (osteoblasts) के विभाजन से बढ़ती हैं।4. उपास्थि कोशिकाओं की संख्या उनके विभाजन से बढ़ती है।
5. अस्थि पर तन्तु ऊतक का बना आवरण पेरिऑंस्टिडियम कहलाता है।5. उपास्थि पर तन्तु ऊतक का बना आवरण पैरिकॉंड्र्रयम (perichondrium) कहलाता है।
6. इसमें मज्जा गुहा होती है।6. इनमें मज्जा गुहा नहीं होती है।

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प्रश्न 14.
रेखित पेशियों में पट्टियों में पट्टिकाएं (Bands) क्यों दिखायी देती हैं ?
उत्तर:
रेखित पेशियों (Striped muscles) में संकुचनशीलता प्रोटीन मायोसिन तथा एक्टिन का नियमित वितरण होता है इसलिए इन पेशियों में पट्टिकाएँ (bands) दिखायी देती हैं ये पट्टियाँ हल्के व गहरे रंग की एकान्तर क्रम में व्यवस्थित रहती हैं। गहरी पट्टियाँ 4′ बैण्ड तथा हल्की पट्टियाँ ‘I’ बैण्ड कहलाती हैं। गहरी पट्टियों में मोटे संकुचनशील प्रोटीन मायोसिन (myosin) पाये जाते हैं। इस क्षेत्र के बीच एक अपेक्षाकृत हल्का भाग होता है, जिसे ‘H’ बैण्ड कहते हैं। शेष गहरे भाग ‘O’ बैण्ड कहलाते हैं। यहाँ पर ‘एक्टिन’ नामक एक अन्य संकुचनशील प्रोटीन भी पायी जाती है।

प्रश्न 15.
लसीका की संरचना एवं कार्य बताइए ।
उत्तर:
लसीका की संरचना (Structure of Lymph ) लसीका (lymph) रुधिर के समान ही एक तरल संयोजी ऊतक है। इसमें प्लाज्मा तथा श्वेत रुधिर कणिकाएँ (W.B.Cs.) होती हैं। सर्वाधिक संख्या में लिम्फोसाइट्स (lymphocytes) होती हैं। लाल रुधिर कणिकाएँ नहीं होती हैं। इसलिए लसीका का रंग सफेद होता है। इसमें अघुलनशील प्रोटीन्स अधिक मात्रा में तथा घुलनशील प्रोटीन्स कम मात्रा में होते हैं ऑक्सीजन तथा पोषक पदार्थों की मात्रा भी कम होती है। उत्सर्जी पदार्थ तथा CO, की मात्रा अधिक होती है। लसीका के कार्य (Functions of Lymph) – लसीका के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. इसका प्रमुख कार्य ऊतक द्रव्य से बड़े कोलॉइडी कणों, क्षतिमस्त कोशिकाओं आदि के अवशेष को निकालने के लिए वापस रुधिर परिसंचरण में पहुँचाना है।
  2. लसीका कोशिकाएँ जीवाणुओं को नष्ट करती हैं एवं टूट-फूट की मरम्मत का कार्य करती हैं।
  3. छोटी आंत्र से वसाओं का अवशोषण लसीका कोशिकाओं (lactcales) द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 16.
कण्डरा तथा स्नायु में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
कण्डरा एवं स्नायु में अन्तर (Differences between Tendon and Ligament)

  1. कण्डरा (Tendons) तथा स्नायु (Ligaments) दोनों ही तन्तुमय संयोजी ऊतक हैं। कण्डरा (tendon) के मैट्रिक्स में सफेद कोलेजन प्रोटीन के बने व आपस में सटे हुए तन्तुओं के समानान्तर गुच्छे होते हैं, जबकि स्नायु ( ligaments) पीले इलास्टिन तन्तुओं से बने होते हैं।
  2. कण्डराएँ पेशियों को अस्थियों से जोड़ती हैं, जबकि स्नायु अस्थियों को अस्थियों से जोड़ते हैं।

प्रश्न 17.
कॉकरोच और मेंब्क के रुधिर में अन्तर बताइए।
उत्तर:
कॉकरोच और मेंउक के रुधिर में अन्तर (Differences between Blood of Cockroach and Blood of Frog)

कॉकरोच का रुधिर (Blood of Cockroach)मेंबक का रुधिर (Blood of Frog)
1. इसका रुधिर रंगहीन होता है, जिसे हीमोलिम्फ कहते हैं।मेंढक का रुध्रिर लाल रंग का होता है।
2. हीमोलिम्फ में हीयोम्लोबिन (haemoglobin) का अभाव होता है।लाल रक्त कणिकाओं में
3. प्लाज्मा में श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBCs) हीमोसाइट्स पायी जाती है।हीमोग्लोबिन उपस्थित होता है।
4. रुधिर के जमने में हीमोसाइट्स (heamocytes) सहायक होती हैं।प्लाज्मा में RBCs, WBCs तथा
5. हीमोलिम्फ O2 का परिवहन नहीं करता है।रुधिर प्लेटलेट्स (Platelets) पाई जाती हैं।

प्रश्न 18.
बन्द एवं खुले रूचिर परिसंचरण में अन्तर बताइए।
उत्तर:
बन्द एवं खुले रूचिर परिसंचरण में अन्तर (Differences between Closed and Open Type Blood Circulation)

बन्द प्रकार का रुचिर परिसंचरण (Closed Type Blood Circulation)खुले प्रकार का रुचिर परिसंचरण (Open Type Blood Circulation)
1. इसमें रुधिर एवं लसीका (Blood and lymph) अलग-अलग होते हैं।रुधिर और लसीका मिलकर (haemolymph) बनाते हैं।
2. रुधिर हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण लाल रंग का होता है।हीमोलिम्फ बनाते हैं। हीमोलिम्फ में हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) नहीं होता
3. रुधिर रुधिर वाहिनियों में बहता है। धमनियाँ रूधिर को वितरित करती हैं। शिराएँ ( veins) रुधिर एकत्र करके वापस लाती है।रुधिर, रुधिर कोटरों में भरा रहता है। रुधिर कोटरों (Sinus ) अंग पड़े रहते हैं। अंग सीधे रुधिर के सम्पर्क में बने रहते हैं।
रुधिर पर दबाव नहीं होता है।
4. धमनियों में रुधिर दबाव के साथ प्रवाहित होता है।खुले प्रकार का रुचिर परिसंचरण (Open Type Blood Circulation)

प्रश्न 19.
यकृतीय अंथनाल और मैलपीधी नलिकाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
यकृत अन्धनाल और मैलपीधी नलिकाओं में अन्तर (Differences between Hepatic Caeca and Malpighian Tubules)

यकृतीय अन्धनाल (Hepatic Caeca)मैलपीघी नलिकाएँ (Malpighian Tubules)
कॉकरोच में इनकी संख्या 7-8 होती है तथथा ये मध्यांत्र के प्रारम्भिक भाग में स्थित होते हैं।इनकी संख्या लगभग 150 होती है तथा ये मध्यांत्र के पश्च भाग में लगी होती हैं।
ये मोटी भित्ति युक्त नलिकाकार प्रन्थिल रचनाएँ होती हैं।ये धागे जैसी पीले रंग की नलिका रूपी संरचनाएँ होती हैं।
ये पाचन क्रिया से सम्बन्धित होती हैं।ये उत्सर्जन से सम्बन्धित होती हैं।
मैलपीघी नलिकाएँ (Malpighian Tubules)

प्रश्न 20.
कोकून निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
कोकून का निर्माण (Formation of Cocoon) केंचुए के कोकून (cocoon) का निर्माण क्लाइटेलम वाले भाग में होता है। मैथुन क्रिया के पश्चात् क्लाइटेलम (clitelum) की मन्थिल कोशिकाएँ एक जिलेटिन जैसे पदार्थ का खाव करती हैं जो क्लाइटेलम (clitalum) के चारों ओर लिपट जाता है और वायु के सम्पर्क में आकर (सूखकर) एक चौड़ी व चिमड़ी नली अथवा पेटी बना लेता है जिसे कोकून कहते हैं।

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प्रश्न 21.
केंचुए में नर तथा मादा जननांग दोनों ही पाये जाते हैं तो इसमें स्वनिषेचन क्यों नहीं होता है ?
उत्तर:
यद्यपि केंचुए में नर तथा मादा जननांग दोनों ही पाये जाते हैं। अतः ये द्विलिंगी या उभयलिंगी (hermaphrodite ) होते हैं। फिर भी इनमें स्वनिषेचन (self fertilization) नहीं होता है क्योंकि इसके वृषण अण्डाशय (Ovary) से पहले ही परिपक्व हो जाते हैं अतः इनमें पर निषेचन (cross fertilization) होता है।

प्रश्न 22.
केंचुए को किसान का मित्र क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
केंचुओं को किसान का मित्र कहा जाता है, क्योंकि ये भूमि को उपजाऊ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। ये खेतों में बिल (सुरंग) बनाकर रहते हैं। इससे मिट्टी रन्धित हो जाती है और वायु एवं नमी मिट्टी में भली-भाँति प्रवेश करते हैं। इससे पौधों को भूमि में बढ़ने के लिए अधिक सुगमता होती है।

केंचुए मिट्टी को खाकर मल के रूप में छोटी-छोटी गोलियों को बाहर निकालते हैं। इसे पुरीष या कास्टिंग (casting) कहते हैं। इसमें चूना, नाइट्रेट, पोटैशियम व फॉस्फोरस युक्त ह्यूमस मिट्टी होती है। ये सड़े-गले पदार्थों को खाद्य के रूप में ग्रहण करके उन्हें समाप्त कर देते हैं। इनके द्वारा त्यागे गये उत्सर्जी पदार्थ मिट्टी में मिलकर नाइट्रोजन की वृद्धि करते हैं। केंचुए नीचे की उपजाऊ (fertile) मिट्टी को सतह पर लाते हैं। इस प्रकार केंचुए भूमि की उर्वरक क्षमता का संरक्षण करते हैं।

प्रश्न 23.
केंचुआ बरसात में अपने बिलों से बाहर क्यों आ जाता है?
उत्तर:
बरसात में जब बिलों में पानी भर जाता है तो केंचुआ जमीन के ऊपर आ जाता है। केंचुओं का प्रजनन (Reprodution) काल वर्षा ऋतु होती है। भारतीय केचुओं में मैथुन (Copulation) क्रिया वर्षाकाल में रात्रि के समय बिलों के बाहर जमीन की सतह पर होती है। मैथुन क्रिया में लगभग एक घण्टा लगता है तथा यह ‘हैड ऑन टेल’ (head on tail) अवस्था में होती है अतः केंचुओं का वर्षाकाल में अपने बिलों से बाहर आना आवश्यक है।

प्रश्न 24.
कॉकरोच के आहार नाल में पाये जाने वाले विभिन्न भागों को क्रमशः लिखिए।
उत्तर:
कॉकरोच की आहार नाल के भाग कॉकरोच की आहार नाल तीन भागों में बँटी होती है-

  1. अपात्र (Fore-gut) इसमें निम्नोक्त भाग पाये जाते हैं-
    • मुख,
    • प्रसिका,
    • अन्नपुट,
    • पेषणी।
  2.  मध्यान्त्र (Midgut )
  3.  पश्चात्र (Hind gut) इस भाग में निम्न संरचनाएँ पायी जाती हैं
    • क्षुद्रान्त्र (Ileum),
    • कोलोन (Colon),
    • मलाशय (Rectum),
    • गुदा (Anus)।

प्रश्न 25.
इमेगो किसे कहते हैं ?
उत्तर:
इमेगो (Imago ):
कॉकरोच के भ्रूणीय परिवर्धन के अन्तर्गत कायान्तरण (metamorphosis) के फलस्वरूप निम्फ में लगभग 10-12 बारे त्वक्पतन (निर्मोचन) की क्रिया होती है और लगभग एक वर्ष में निम्फ ( nymph) से वयस्क बन जाता है। प्रत्येक निर्मोचन के समय देहगुहा की लम्बाई में वृद्धि होती है। त्वचा में पंख बनते हैं। इस अवस्था को इमेगो (imago) कहते हैं।

प्रश्न 26.
कॉकरोच का हृदय किस प्रकार का होता है तथा इसमें कितने खण्ड पाये जाते हैं ?
उत्तर:
कॉकरोच का हृदय कॉकरोच का हृदय स्पन्दनशील, संकरा, नलिकाकार होता है। इसके हृदय में 13 खण्ड पाये जाते हैं। यह पीछे से बन्द रहता है तथा आगे से खुला होता है। प्रत्येक हृदयखण्ड कीपनुमा होता है तथा इसमें दो पार्श्व रन्ध्र पाये जाते हैं। इन पार्श्व रन्धों द्वारा रक्त पेरिकार्डियल कोटर से हृदय में प्रवेश करता है। रक्त का प्रवाह पीछे से आगे की ओर होता है प्रथम वक्षीय हृदय खण्ड सबसे बड़ा तथा अन्तिम उदरीय खण्ड सबसे छोटा होता है। यह तन्त्रिका तन्त्र जनित (neurogenic) होता है। हृदय स्पन्दन दर 49 प्रति मिनट होती है।

प्रश्न 27.
कॉकरोच में श्वसन क्रिया में वायु का पथ किस प्रकार होता
उत्तर:
कॉकरोच में श्वसन क्रिया में वायु पथ – हीमोग्लोबिन का अभाव होने के कारण कॉकरोच में रुधिर ऑक्सीजन के वाहक के रूप में कार्य नहीं करता है। इसलिए ऊतकों और शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए इसमें खास नलियाँ (tracheae) जाल के रूप में फैली रहती हैं। शरीर के पार्श्व भागों में स्थित 10 जोड़ी दरार जैसे श्वास रन्ध्रों (spiracles or stigmata) से होकर बाहरी वायु इन श्वास नलियों में आवागमन करती है।

प्रश्न 28.
कॉकरोच में उत्सर्जी अंग कौन-कौनसे होते हैं तथा इसमें उत्सर्जी पदार्थ क्या होता है?
उत्तर:
कॉकरोच के उत्सर्जी अंग निम्नलिखित हैं-

  1. मैलपीधी नलिकाएँ (Malpighian tubules),
  2. वसा काय कोशिकाएँ (Fat body cells),
  3. यूरिकोस पन्थियाँ (Uricose glands),
  4. क्यूटिकल (Cuticle),
  5. वृक्काणु (Nephrocytes)

कॉकरोच में मुख्य उत्सर्जी पदार्थ यूरिक अम्ल (uric acid ) होता है। अतः कॉकरोच यूरिकोटेलिक (urecotclic) प्राणी है।

प्रश्न 29.
कॉकरोच के विभिन्न मुखांगों के नाम तथा कार्य भी लिखिए।
उत्तर:
कॉकरोच के विभिन्न मुखांगों के नाम व उनके कार्य-

मुखांग का नामकार्य
1. लेबम (Labrum )वस्तु के स्वाद का अनुभव करना
2. मेण्डीबिल्स (Mandibles )भोजन को कुतरना और चबाना
3. मैक्सिली (Maxillae)भोजन को पकड़ना, श्रृंगिकाओं
4. लेबियम (Labium)पाल्प व टांगों की सफाई करना
5. हाइपोफेरिंक्स (Hypopharynx)भोजन के टुकड़ों को बाहर गिरने से रोकना

प्रश्न 30.
कॉकरोच में कौन-कौन-से संवेदी अंग पाये जाते हैं तथा ये किस प्रकार की संवेदनाएँ ग्रहण करते हैं ?
उत्तर:

संखेदी अंग का नामस्थितिकार्य
1. प्रकाश ग्राही अंग (Photoreceptor)सरल व संयुक्त नेत्र सिर परवस्तु को देखना
2. स्पर्शम्राही (Tectroreceptor)सम्पूर्ण शरीर परस्पर्श का जान
3. स्वादम्राही (Gustatorecetor)मैक्सीलरी पाल्स्स परस्वाद अनुभव करना
4. गन्ध ग्राही (Olfectoreceptor)शृंगिकाओं परगन्ध प्रहण करना
5. ध्वनिग्राही (Auditoreceptor)गुदा लूम परध्वनि प्रहण करना
6. तापग्राही (Thermoreceptor)टाँग की प्लैन्टुली व भृंगिकाओं परताप का अनुभव करना
7. प्रोपियोग्राही (Propiorecetor)टाँगों की सन्धियों परज्रोड़ों के पास की संवेदनाओं को ग्रहण करना

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प्रश्न 31.
कॉकरोच के नर जननांगों के नाम लिखिए। उत्तर- कॉकरोच के नर जननांग निम्नलिखित हैं-

  1. वृषण (Testes),
  2. शुक्र वाहिनियाँ,
  3. छत्रक प्रन्थि
    • लम्बी पन्थिल नलिकाएँ,
    • छोटी पन्थिल नलिकाएँ
    • शुक्राशय
    • स्खलन नलिका,
  4. फेलिक मन्थि
  5. गोनैपोफाइसिस
    • दायाँ फैलोमीयर,
    • बायाँ फैलोमीयर
    • अधर फैलोमीयर ।

प्रश्न 32.
कॉकरोच के मादा जननांगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कॉकरोच के मादा जननांग निम्नलिखित हैं-

  1. अण्डाशय,
  2. अण्डवाहिनियों
  3. सामान्य अण्डवाहिनी,
  4. शुक्र प्राहिका,
  5. जनन कक्ष,
  6. संग्राहक मन्थियाँ
  7. गोनेपोफाइसिस ।

प्रश्न 33.
कॉकरोच के अण्ड प्रावर (Ootheca) का निर्माण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कॉकरोच में अण्ड प्रावर (अण्ड कवच ) का निर्माण (Formation of Ootheca in Cockroach) – कॉकरोच के निषेचित अण्डे (Egg) जनन कक्ष में प्रवेश करते हैं। यहाँ कोलेटरियल ग्रन्थि से स्कलेरोप्रोटीन (Scaleroprotein) का स्राव होता है, जिससे ऊथीका (ootheca) का निर्माण होता है। ऊंथीका (ootheca) के निर्माण में लगभग 20 घण्टे का समय लगता है। एक मादा जन्तु अपने जीवनकाल में 20-40 तक ऊथीका (ootheca) का निर्माण करती है। कुछ दिनों के बाद मादा ऊथीका को अन्धेरे, सूखे तथा गर्म स्थान पर रख देती है। ऊथीका (oothea) के ऊपर काइटिन का आवरण तथा माइक्रोपाइल (micropyle) पाया जाता है।

प्रश्न 34.
कॉकरोच में कायान्तरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कॉकरोच में कायान्तरण ( Metamorphosis) – कॉकरोच में भ्रूणीय परिवर्धन (embryonic development) के फलस्वरूप पहले निम्फ (Nymph) बनता है। निम्फ से वयस्क ( adult) के निर्माण में 6 माह से 2 साल तक का समय लग जाता है। इसके कायान्तरण में 7-10 बार त्वक् पतन या निर्मोचन (moulting) होता है। निर्मोचन (moulting) में बाह्य कंकाल पृथक् हो जाता है तथा शारीरिक वृद्धि से नया कंकाल बन जाता है। अन्तिम निर्मोचन के बाद 4-6 दिनों में जननांग विकसित हो जाते हैं। इसका जीवन काल 2-4 वर्षों का होता है।

प्रश्न 35.
मेंढक में पाचक प्रन्थियाँ कौन-कौनसी होती हैं ?
उत्तर:
मेंढक की पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive Glands of Frog)
(1) यकृत (Liver):
यह चॉकलेटी रंग की सबसे बड़ी मन्थि होती है। यह पित्तरस का लावण करती है। यह पित्ताशय (Pancreas) में संचित होता है। पित्त रस ग्रहणी में आये भोजन के माध्यम को अम्लीय से क्षारीय में बदलता है तथा यह वसा का पायसीकरण (Imulsification) कर देता है।

(2) अग्न्याशय (Pancreas):
यह बहुशाखित, अनियमित, चपटी तथा पीले रंग की मन्थि है तथा अन्तःस्रावी एवं बहिस्रावी ग्रन्थि का कार्य करती है। यह अग्न्याशय रस (pancreatic juice) का स्राव करती है। इस रस में ट्रिप्सिन, स्टीएप्सिन एवं एमाइलोप्सिन नामक पाचक एन्जाइम्स उपस्थित होते हैं जो भोजन को पचाने में सहायक होते हैं।.

प्रश्न 36.
मेंढक में पेन्क्रियाज से कौन-कौन-से पाचक एन्जाइम्स स्रावित होते हैं ?
उत्तर:
मेंढक में पेन्क्रियाज से तीन पाचक एन्जाइम्स स्त्रावित होते हैं

  1. ट्रिप्सिन (Trypsin) यह भोजन की शेष प्रोटीन, पेप्टोन तथा प्रोटिओजेज को पौलीपेप्टाइड्स में बदलता है।
  2. एमाइलोप्सिन (Amylopsin) यह मण्ड को माल्टोज शर्करा में बदलता है।
  3. स्टीएप्सिन (Steapsin) यह पायसीकृत ( Imulsified) वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदलता है।

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प्रश्न 37.
मेंढक का यकृत क्या कार्य करता है ?
उत्तर:
पेंढक के यकृत के कार्य

  1. पित्त रस का स्त्राव करना,
  2. वसा का संचय करना,
  3. विषैले (toxic) पदार्थों को निष्क्रिय करना,
  4. हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करना,
  5. भोजन के अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाना,
  6. हिपेरिन (heparin) का लावण करना,
  7. ग्लाइकोजन आदि का संचय करना,
  8. भोजन का पायसीकरण करना।

प्रश्न 38.
मेंढक के पाचन में सहायक हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर:
मेंढक के पाचन में सहायक हॉर्मोन्स-

  1. एन्टेरोगेस्ट्रोन ( Entrogastron ) : यह आमाशय में HCI के उत्पादन को कम करता है।
  2. कोलेसिस्टोकाइनिन (Colicystokinin) : यह पित्ताशय को उत्तेजित करता है जिससे पित्त इयोडीनम (ग्रहणी) में पहुंचता है।
  3. सिकिटिन (Secretin ) : यह अग्न्याशय को उत्तेजित करता है जिससे अग्न्याशय रस महणी ( deuodenum) की ओर बहने लगता है।
  4. एन्टेरोकाइनिन (Enterokinin) : यह आन्न रस को सावित करने में सहायक होता है।

प्रश्न 39.
मेंढक के रक्त में कौन-कौनसी कोशिकाएँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
मेंढक के रक्त की कोशिकाएँ- मेंढक के रक्त में तीन प्रकार की रक्त कोशिकाएँ पायी जाती हैं-

  1. लाल रक्त कणिकाएँ (R.B. Cs) इनमें हीमोग्लोर्बिन (haemoglobin) पाया जाता है।
  2. श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.Cs) ।
  3. थ्रोम्बोसाइट्स (Thrombocytes) ।

प्रश्न 40.
मेंढक की मूत्र वाहिनी मूत्र जनन नलिका क्यों कहलाती है ?
उत्तर:
मेंढक में शुक्राणु भी मूत्रवाहिनी में पहुंचते हैं और मूत्र वाहिनी के द्वारा ही शुक्राणु अवस्कर (cloaca) द्वार से होकर बाहर निकलते हैं। अतः मूत्र वाहिनी जनन मूत्र वाहिनी कहलाती है।

प्रश्न 41.
मेंढक के वृषण में कार्यात्मक तथा संरचनात्मक इकाई क्या होती है और यह क्या बनाती है ?
उत्तर:
मेंढक के वृषण में कार्यात्मक और संरचनात्मक इकाई शुक्रजनन नलिकाएँ (seminiferous tubules) होती हैं। ये शुक्राणुओं (sperms) का निर्माण करती हैं।

(D) निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उनकों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर:
ऊतकों का वर्गीकरण (Classification of Tissues)
प्राणियों में निम्नलिखित चार प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं-
(1) उपकला ऊतक (Epithelial tissues) : ये सात प्रकार के होते
(i) शल्की उपकला,
(ii) घनाकार उपकला
(iii) स्तम्भी उपकला,
(iv) रोमाभि उपकला
(v) मन्थिल उपकला
(क) एक कोशिकीय पन्थि,
(ख) बहुकोशिकीय प्रथि –
1. नलाकार मन्थियाँ
2. कूपिकीय मन्थियाँ ।
(vi) तन्त्रिका संवेदी उपकला
(vii) संयुक्त कला-
(क) अन्तर्वर्ती उपकला,
(ख) स्तरित शल्की उपकला,
(ग) स्तरित घनाकार उपकला,
(घ) कूटस्तरित स्तम्भी उपकला,
(ङ) स्तरित स्तम्भी उपकला ।

(2) संयोजी ऊतक (Connective tissues) ये चार प्रकार के होते हैं
(i) सरल संयोजी ऊतक
(क) अन्तरात्विक ऊतक,
(ख) वसीय ऊतक,
(ग) वर्णक ऊतक,
(घ) जालिकामय ऊतक ।

(ii) रेशेदार संयोजी ऊतक-
(क) सफेद रेशेदार ऊतक,
(ख) पीले रेशेदार

(iii) कंकालीय संयोजी ऊतक –
(क) अस्थियाँ-
1. कलाजात अस्थियाँ (membranous bone),
2. उपास्थिजात अस्थियाँ (cartilagenous bone)।

(ख) उपास्थियाँ-
1. काचाभ उपास्थि
2. लचीली उपास्थि,
3. तन्तुमय उपास्थि,
4. कैल्सीफाइड उपास्थि ।

(vi) संवहन ऊतक-
(क) रक्त
(ख) लसीका।

(3) पेशीय ऊतक (Muscular tissue) ये तीन प्रकार के होते हैं-
(i) अरेखित पेशी,
(ii) रेखित पेशी,
(iii) हृदय पेशी।

(4) तत्रिका ऊतक (Nervous tissue)
(i) तन्त्रिका कोशिकाएँ-
(क) एक ध्रुवीय,
(ख) द्विध्रुवीय,
(ग) बहुध्रुवीय,
(ii) न्यूरोलियन कोशिकाएँ ।

प्रश्न 2.
पेशी ऊतकों की परिभाषा संरचना तथा कार्य लिखिए।
उत्तर:
पेशी ऊतक (Muscular Tissue) – पेशी उतक लम्बी संकरी एवं अत्यधिक संकुचनशील पेशी कोशिकाओं या पेशी तन्तुओं से बने बडलो के रूप में होता है। इसके चारों ओर संयोजी ऊुतक का आवरण होता है। पेशी ऊतक की उत्पत्ति भ्रूण के मीसोडर्म से होती है।
संरचना (Structure)-समस्त पेशियाँ दीर्षित व महीन कोशिकाओं की बनी होती हैं जिन्हें पेशी तन्तु (muscle fibres) कहते हैं।

पेशी तन्तुओं के कोशिकाद्रव्य को साकोष्लाइम (sarcoplasm) कहते हैं। इसमें शिल्लियों एवं कलाओं का एक जाल होता है जिसे सार्कोप्लाज्ञिक रेटिकुलम (sarcoplasmic reticulum) कहते हैं। प्रत्येक पेशी तन्तु के चारों ओर सार्कोंलेमा (sarcolemma) नामक विशिष्ट कला होती है। प्रत्येक पेशी तन्तु में एक या एक से अधिक केन्द्रक होते हैं।

विभिन्न प्रकार के पेशी तन्तुओं में केन्द्रक की स्थिति भिन्न भिन्न होती है। प्रत्येक पेशी तन्तु में अनेक महीन मायोफाइबिल्स (myofibrils) होते हैं जो तन्तु की लम्बवत् अक्ष के साथ लगे होते हैं। मायोफाइब्रिल्स के बीच में अनेक माइटोकाण्ड्र्या होते हैं।
पेशियों के प्रकार (Types of muscles)
स्थिति, संरचना एवं कार्य के आधार पर पेशियाँ निम्न तीन प्रकार की होती हैं-
1. रेखित या कंकाल पेशियाँ (Striped or Skeletal muscles)
2. अरेखित पेशियाँ (Unstriped muscles)
3. हृद पेशियाँ (Cardiac muscles)
(1) अरेखित पेशियाँ (Unstriped Muscles) – अरेखित पेशियाँ को अनैच्छिक पेशियाँ (involuntary muscles) भी कहते हैं, क्योंकि ये पेशियाँ स्वत: सिकुड़ती व फैलती हैं और इन पर जन्तु की इच्छा शक्ति का कोई नियन्त्रण नहीं होता है। अरेखित पेशी की कोशिकाएँ लम्बी, सँकरी तथा दोनों सिरों पर नुकीली होती हैं। मध्य में एक केन्द्रक होता है जिसके चारों ओर तरल पदार्थ सारकोप्लाउना (Sarcoplasma) पाया जाता है, इसलिए मध्य भाग मोटा होता है। कोशिका द्रव्य में अनेक छोटे-छोटे पेशी तन्तुक (मायोफाइब्रिस्स-myofibrils) पाये जाते हैं, जो फैलते और सिकुड़ते रहते हैं।

प्रत्येक पेशी कोशिका के चारों ओर प्लाज्मा झिल्ली का आवरण होता है जिसे पेशीचोल (सारकोलेमा-Sarcolemma) कहते हैं। इन पेशियों के सूत्रों में तन्त्रिका तन्तु अनुकम्पी तन्त्रिका तन्तु से आते हैं। इन पेशियों में संकुचन धीमी गति से व लम्बे समय तक होती है। उपस्थिति (Position)-अरेखित पेशियाँ मुख्य रूप से आहारनाल की दीवार, रुधिर वाहिनियों, मूत्राशय, पित्ताशय, जननांगों व मूत्रवाहिनियों में पायी जाती हैं। कार्य (Functions) -इनके आंकुचन पर जीव की इच्छा का कोई नियन्रण नहीं होता है।

इसी कारण इन पेशियों को अनैच्छिक पेशियाँ (involuntary muscles) भी कहते हैं। इनका कार्य गुहाओं को चौड़ा करना तथा छिद्रों को खोलना व बन्द करना होता है। छिद्रों के चारों ओर स्थित ये पेशियाँ संवरगी (Sphincter) बनाती हैं।

(2) कंकाल पेशी (Skeletal Muscles) – कंकाल पेशी को रेखित पेशी (Striped muscle) भी कहते हैं। रेखित पेशी तन्तु लम्बे, बेलनाकार, अशाखित, मोटे और 2 से 4 सेमी. लम्ब्बे होते हैं। इनकी गति जन्तु की इच्छा पर निर्भर करती है, अतः इसको ऐच्चिक पेशियाँ (voluntary muscles) भी कहते हैं।

कंकाल से जुड़ी रहने के कारण इन्हें कंकाल पेशियाँ (skletal muscles) भी कहते हैं। इनकी कोशिका झिल्ली को सारकोलीमा (sarcolemma) तथा कोशिका द्रव्य को सारकोप्लाज्म (sarcoplasm) कहते हैं। इसमें मायोफाइबिल्स (Myofibril) पाये जाते हैं। इसके तन्तुओं में अनुप्रस्थ धारियाँ पायी जाती हैं। इनमें ‘A’ धारियाँ तथा ‘T’ धारियाँ पायी जाती हैं।

पेशी जीव द्रव्य में पेशी तन्तु पाये जाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-मोटे तन्तु तथा पतले तन्तु। पतले तन्तु मोटे तन्तुओं के बीच समानान्तर चलते हैं और उनका एक सिरा ‘Z’ रेखा से जुड़ जाता है। मोटे तन्तु मायोसीन प्रोटीन के बने होते हैं। मायोसीन तन्तु ‘A’ पट्वियों पर लम्बवत् रहते हैं। पतले तन्तु एक्टिन (actin), ट्रोपोमाइसिन (tropomyosin) तथा ट्रोपोनिन (troponin) प्रोटीन के बने होते हैं, इसका प्रत्येक टुकड़ा संकुचनशील इकाई के समान कार्य करता है जिसे सारकोमियर (sarcomere) कहते हैं।

सिकुड़ने पर दोनों मोटे तथा पतले तन्तु अपनी वास्तविक लम्बाई बनाये रखते हैं। पेशी का संकुचन स्लाइडिंग फिलामेन्ट (Sliding filament Hypothesis) परिकल्पना द्वारा समझा जा सकता है। उपस्थिति (Position)-शरीर का अधिकांश भाग रेखित पेशियों का ही बना होता है और शरीर का 40% भार इन्हीं पेशियों के कारण होता है। ये पेशियाँ अम्रपाद, पश्चपाद तथा गति करने वाले समस्त अंगों में पायी जाती हैं।
कार्य-

  • ये पेशियाँ जन्तु की इच्छानुसार फैलती और सिकुड़ती हैं।
  • ये अंगों को हिलाने-डुलाने में सक्रिय भाग लेती हैं
  • ये पेशियाँ जन्तु के गमन में सहायक होती हैं।

प्रश्न 3.
तंत्रिकीय ऊतक का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तन्रिका ऊँक (Nervous Tissue)
तन्त्रिका ऊतक (Nervous Tissue) – तन्त्रिका ऊतक तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण करता है। तन्त्रिका ऊतक तन्त्रिका कोशिकाओं का बना होता है, जिन्हें न्यूरॉन (Neurons) कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-
(1) तन्त्रिका कोशिकाएँ (Neurons),
(2) ग्लियल कोशिकाएँ (Glial cells).

तन्त्रिका कोशिका की संरचना (Structure of neuron) – प्रत्येक तन्त्रिका कोशिका तीन भागों से मिलकर बनी होती है –
(1) कोशिकाकाय या तन्रिकाकाय (Cyton) – यह तन्त्रिका कोशिका का मुख्य भाग है। इसके मध्य में एक बड़ा केन्द्रक (nucleus) होता है, जो चारों ओर से कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) से घिरा रहता है। कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में प्रोटीन के बने अनेक रंगीन कण पाये जाते हैं, जिन्हें निसल्स कण (Nisal’s granules) कहते हैं।

(2) वृद्षिका या दुमाश्म (Dendron) – कोशिकाकाय (cyton) से अनेक प्रवर्ध निकले रहते हैं। इन्हें वृक्षिका या द्रुमाइ्प (Dendorns) कहते हैं। वृक्षिका (dendron) से अनेक पतली-पतली शाखाएँ निकली रहती हैं। इन्हें वृभ्षिकान्त या ह्रुमिका (dendrites) कहते हैं।

(3) तन्त्रिकाध्ध या एक्सोन (Axon) – तन्त्रिकाकाय से निकले कई प्रवर्धों में से एक प्रवर्ध अपेक्षाकृत लम्बा, मोटा तथा बेलनाकार होता है। इस प्रवर्ध को तन्त्रिकाध्ष (axon) कहते हैं। यह तन्त्रिकाच्छाद या न्यूरोलीमा (neurolemma) नामक झिल्ली से स्तरित होता है। न्यूरोलीमा तथा तन्त्रिकाक्ष (axon) के मध्य वसा का स्तर पाया जाता है, जो चमकीला तथा सफेद होता है।

यह स्तर मज्जा आच्छाद या मैडूलरी आच्छाद (medullary sheath) कहलाता है। मज्जा आच्छद (marrow sheath) में स्थान-स्थान पर दबाव के क्षेत्र होते हैं इन्हें रेन्वियर का नोड (Node of Ranvier) कहते हैं। तन्त्रिकाक्ष (axon) के अन्तिम सिरे पतली-पतली शाखाओं में बँट जाते हैं।

इन शाखाओं के अन्तिम सिरे घुण्डी के रूप में होते हैं, जिन्हें अन्तस्थ बटन या सिनैप्टिक घुण्डययाँ (terminal knobs or synaptic knobs) कहते हैं। ये घुण्डियाँ दूसरी कोशिका के वृष्षिकान्तों (dendrites) से सम्बन्धित रहती हैं। इस सम्बन्य को युग्मानुबन्यन या सिनेप्स (synapse) कहते हैं। तन्त्रिकाक्ष से तन्त्रिका तन्तुओं (neurofibrils) का निर्माण होता है।

तन्त्रिका कोशिका के कार्य (Functions of Neuron):
स्वभाव या कार्य के आधार पर न्यूरॉन (Neurons) तीन प्रकार की होती हैं
1. संवेदी तन्तिका कोशिकाएँ (Sensory Nerve cells) -ये संवेदांगों को केन्द्रीय तन्त्रिका तन्न्र से जोड़ते हैं तथा संवेदना को संवेदी अंगों से केन्द्रीय तन्त्रिका तन्न-(CNS) मस्तिष्क (brain) व मेरुरज्जु में पहुँचाते हैं।

2. चालक तन्रिका कोशिकाएँ (Motor nerve cells) -ये केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त को क्रियात्मक अंगों, पेशियों एवं प्रन्थियों से जोड़ती हैं। ये कोशिकाएँ केन्द्रीय तन्तिका तन्र से संवेदनाओं को प्रेरणा या आदेश के रूप में प्रेणा कार्यकारी अंग की पेशियों में ले जाती हैं।

3. मध्यस्घ तन्त्रिका कोशिकाएँ (Intermediate Nerve Cells)-ये केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में दो या अधिक-न्यूरॉन्स को परस्पर जोड़ती हैं। मिलयल कोशिकाओं के प्रवर्ध छोटे होते हैं तथा ये न्यूरॉन (nuron) को सुरक्षा एवं सहारा देती हैं। तन्तिका कोशिकाओं द्वारा शरीर के अन्दर तन्न्रिका आवेगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। तन्त्रिका तन्तु में फैलने वाले विभव परिवर्तन के संन्देश को तत्रिका आवेग कहते हैं। यह एक सन्देश के रूप में दूसरी तत्त्रिका कोशिकाओं या पेशी को जाता है। [नोट-तंत्रिका तन्त का विस्तृत वर्णन अध्याय 21 में किया गया है।]

प्रश्न 4.
अस्थि तथा उपास्थि में अन्तर लिखिए।
उत्तर:

अस्थि (Bone)उपास्थि (Cartilage)
1. यह कठोर तथा दृढ़ होती है।1. यह लचीली तथा कोमल होती है।
2. मेट्रिक्स में पायी जाने वाली प्रत्येक गर्तिका (lacunae) में केवल एक कोशिका होती है।2. मेट्रिक्स में पायी जाने वाली गर्तिकाओं में एक से अधिक कोशिकाएँ होती हैं।
3. इसका मेट्रिक्स ओसीन (ocein) का बना होता है। 3. इसका मेट्रिक्स कॉन्ड़न (Chondrin) का बना होता है।
4. अस्थि कोशिकाएँ सदैव आस्टिओष्लास्ट्स (osteoblasts) के विभाजन से बढ़ती हैं।4. उपास्थि कोशिकाओं की संख्या उनके विभाजन से बढ़ती है।
5. अस्थि पर तन्तु ऊतक का बना आवरण पेरिऑंस्टिडियम कहलाता है।5. उपास्थि पर तन्तु ऊतक का बना आवरण पैरिकॉंड्र्रयम (perichondrium) कहलाता है।
6. इसमें मज्जा गुहा होती है।6. इनमें मज्जा गुहा नहीं होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन 

प्रश्न 5.
केंचुए की बाह्य संरचना सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) आकृति एवं परिमाप (Shape \& Size) – केंचुए का शरीर संकरा, लम्बा, बेलनाकार, द्विपार्श्व सममिति (bilateral symmetrical) तथा वास्तविक रूप से विखण्डित होता है। इसके दोनों सिरे कन्द (blunt) होते हैं। अगला सिरा पिछले सिरे से अधिक नकीला होता है। शेष शरीर की मोटाई एक जैसी होती है। इसके शरीर की लम्बाई 15-20 सेमी. तथा व्यास 0.3-0.5 सेमी. तक होता है।

(2) रंग (Colour)-केंचुए के शरीर का रंग इसकी देहॉिति में उपस्थित पोरफाइरिन (porphyrin) नामक वर्णक के कारण भूरा होता है। पोरफाइरिन परार्बैगनी किरणों के दुष्पभाव से इसकी रक्षा करता है। इसकी पृष्ठ सतह का रंग अधर तल की अपेक्षा गहरा होता है।

(3) खण्डीभवन (Segmentation) – केंचुए का पूरा कोमल शरीर वृत्ताकार अन्तराखण्डीय खाँचों (intersegmental groves) द्वारा लगभग 100 से 120 छोटे-छोटे समान छल्लों (खण्डों या समखण्डों) में बैंटा होता है। ये खण्ड अन्दर देह गुहा (coelom) को भी पटों (septum) द्वारा खण्डों में बाँटते हैं। अतः आन्तरिक खण्डों की संख्या शरीर के बाह्य खण्डों के बराबर ही होती है। इस प्रकार खण्डीभवन विखण्डीय खण्डीभवन (metameric segmentation) कहलाता है। आगे के चार खण्डों में पट नहीं होते हैं।

(4) परिमुख एवं पुरोमुख (Peristomium and Prostomium)-केंचुए में सिर अलग से स्पष्ट नहीं होता है। इसके प्रथम खण्ड को परिमुख (peristomium) कहते हैं। परिमुख का ऊपरी भाग आगे की ओर प्रवर्ध के रूप में निकला रहता है। इस छोटी मांसल रचना को पुरोमुख (prostomium) कहते हैं। यह मुख से आगे निकला रहता है। जन्तु के अन्तिम खण्ड को गुद्रण्ड (pygidium) कहते हैं।

(5) क्साइटेलम (Clitellum) – केंचुए के 14 वें, 15 वें व 16 वें खण्डों के चारों ओर प्रन्थिल कोशिकाओं (Glandular cells) की एक मोटी, चिकनी तथा छल्लेदार पही होती है जिसे पर्याणिका या क्लाइटेलम (clitellum) कहते हैं। प्रजनन के समय यह पह्टी अण्डों के चारों ओर एक खोल बनाती है, जिसे अण्ड कवच या कोकून (cocoon) कहते हैं। पर्याणिका (clietellum) के कारण जन्तु का शरीर स्पष्टतः तीन भागों में बँटा होता है-

  • पूर्व क्लाइटेलर (Pre-clitellar) भाग-1 से 13 खण्डों सक का क्षेत्र।
  • क्लाइडेलर (Clitellar). भाग-14वें से 16 वें खण्डों से निर्मित।
  • क्लाइटेलर पश्चीय (Post-Clitellar) भाग-17वें से अन्तिम खण्ड तक।

(6) सीटी (Setae) – एक परिपक्व (वयस्क) केंचुए के प्रथम, अन्तिम व 14,15 व 16 वें खण्डों के अतिरिक्त प्रत्येक खण्ड की मध्य रेखा पर त्वचा में 80-120 काइटिन (chitin) की घनी छोटी-छोटी ‘S’ के आकार की काँटे जैसी हल्की पीली-सी सीटी पंक्तिबद्ध रहती हैं। सीटी (setae) का कुछ भाग त्वचा में धँसा रहता है और कुछ भाग सतह पर बाहर निकला व पीछे की ओर झुका रहता है। ये जन्तु को गमन में सहायता करते हैं। प्रत्येक शूक में आकुंचक तथा अपाकुंचक पेशी पायी जाती है।

(7) बाहू़ छिद्र (External Apertures) – केंचुए के शरीर पर निम्न प्रकार के छिद्र पाये जाते हैं-
(i) मुख (Mouth)- यह अर्द्धचन्द्राकार होता है जो माध्य अधर अवस्था में परितुण्ड (peristomium) पर पाया जाता है।

(ii) पृष्ठ छिद्र (Dorsal pore)- 12 वें खण्ड के पीछे सभी खाँचों में एक पृष्ठ छिद्र होता है। इन छिद्रों से देहगुहीय द्रव. बाहर निकलता रहता है। यह केंचुए के शरीर और उसके बिल को नम बनाये रखता है।

(iii) वृक्कक रस्ध (Nephridiopore) – इस प्रकार के छिद्र प्रथम दो खण्डों को छोड़कर समूूर्ण शरीर में मिलते हैं। इनके द्वारा वृक्कक (nephridia) बाहर की ओर खुलते हैं।

(iv) शुक्रग्राहिका रन्म्र (Spermathecal pores) – केंचुए में चार जोड़ी शुक्रगाहिका रन्ध (Spermathecal pores) पाये जाते हैं.। जो अधर पार्श्व सतह पर 56, 6, 7,7, 8 व 8 , 9 खण्डों के मध्य पाये जाते हैं। शुक्र ग्राहिका इन रन्श्रों द्वारा बाहर खुलती है।

(v) मादा जन्न छिद्र (Female genital pore) – केंचुए के 14वें खण्ड के अधर तल पर यह एक सूक्ष्म छिद्र होता है। अण्डाणु अण्डवाहिनियों (oviduct) से होते हुए इसी मादा जनन छिद्र द्वारा बाहर निकलते हैं।

(vi) नर जनन छिद्र (Male genital Pores) – केंचुए के 18 वें खण्ड के अधर तल पर एक जोड़ी नर जनन छिद्र होते हैं। मैथुन क्रिया (copulation) के समय शुक्राणु (Sperms) तथा प्रास्टेट द्रव (prostate fluid) इन्हीं छिद्रों द्वारा बाहर निकलते हैं ।

(vii) जननिक अंकुर (Genital Papillae) – 17वें तथा 18 वें खण्डों के अधर तल पर एक-एक जोड़ी जनन अंकुर होते हैं। ये मैथुन क्रिया में सहायक होते हैं। प्रत्येक जनन अंकुर (genital papillae) के शिखर पर एक सहायक प्रन्थि छोटे से छिद्र द्वारा बाहर की ओर खुलती है।

(viii) गुदा (Anus) – यह जन्तु के पश्च व अन्तिम सिरे पर स्थित होती है। यह एक खड़ी लम्बवत् दरार जैसी होती है और दो पार्श्वीय ओठों (lateral labia) से घिरी रहती है ।

प्रश्न 6.
केंचुए की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुआ (Pheretima posthuma) समूह, यूमेटाजोआ (eumatozoa) के संघ एनीलिडा (Annelida) का प्राणी है। यह द्विपार्श्व सममित (bilateral symmetrical), एवं त्रिस्तरीय (Triplablastic) जन्तु है जिसमें वास्तविक देहगुहा (True Coelom) एवं मेटामेरिक खण्डीभवन पाया जाता है। यह शीत रुधिर वाला (cold blooded) प्राणी है जो नम भूमि में सुरंग बनाकर रहता है और रात्रि के समय बिल से बाहर निकलता है।

वर्गीकरण (Classification):

प्रभाग (Division)यूसीलोमेटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)एनीलिडा (Annelida)
वर्ग (Class)ओलिगोकीटा (Oligochaeta)
गण (Order)हेप्लोटेक्सिडा (Haplotaxida)
वंश (Gamus)फैरिटिमा (Pheretima)
जाति (Species)पोस्थुमा (Posthuma)

प्रश्न 7.
केंचुआ में प्रचलन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुआ में प्रचलन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुआ में प्रचलन (Locomotion in Earth Worm):
केंचुआ रेंगकर आगे बढ़ता है इसके प्रचलन में चार प्रकार की संरचनाएँ भाग लेती हैं।

  • शूक या सीटा (setae)
  • पेशियाँ (muscles)
  • मुख (mouth)
  • देहगुहीय द्रव का स्थैतिक दाब (hydrostatic pressure of coelomic fluid)

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 1
प्रचलन के निम्नलिखित मुख्य चरण होते हैं –
(a) सर्वप्रथम अम नौ खण्डों की वर्तुल पेशियाँ (circular muscle ) संकुचित होती हैं जिससे
यह भाग पतला एवं लम्बा हो जाता है और आगे की ओर बढ़ता है। इस भाग के शूक अन्दर खिच जाते हैं।

(b) जब संकुचन तरंग शरीर के मध्य भाग तक पहुँचती है तो मुख, चूषक की सहायता से जमीन पर चिपक जाता है। इस समय पश्च भाग के शूक बाहर निकल कर भूमि से चिपक जाते हैं।

(c) अब अग्र भाग की वर्तुल पेशी (circular muscle शिथिल हो जाती है तथा अनुदैर्ध्य पेशी संकुचित होती है जिससे यह भाग छोटा व मोटा हो जाता है तथा शूक बाहर निकल कर भूमि में गढ़ जाते हैं।

(d) इस प्रकार अनुदैर्ध्य पेशियों (vertical muscles) में संकुचन की तरंग आगे से पीछे की ओर बढ़ती है जिससे शरीर आगे की ओर बढ़ता है।

(e) इस प्रकार एक बार वर्तुल पेशियाँ (circular muscles) संकुचित होकर शरीर को लम्बा व पतला करती हैं जिससे शरीर आगे बढ़ता है। तत्पश्चात्, अनुदैर्ध्य पेशियाँ (vertical muscles) संकुचित होती हैं जिससे छोटा व मोटा होता है। यह क्रम लगातार चलता रहता है और केंचुआ आगे बढ़ता जाता है । गमन क्रिया में जिस भाग की वर्तुल पेशियाँ संकुचित होती हैं, वहाँ के शूक शूकीय कोष में अन्दर खिंच जाते हैं तथा जिस भाग की अनुदैर्ध्य पेशियाँ संकुचित होती हैं वहाँ के शूक बाहर निकलकर भूमि में चिपक जाते हैं।

(f) केंचुआ चिकनी व खड़ी सतह पर गमन कर सकता है लेकिन इसमें श्लेष्मा एवं मुख का ही चित्र 7.35. गमन में विविध भागों के सिकुड़ने-फैलने उपयोग होता है। सीटा (setae ) का उपयोग नहीं होता है।

(g) केंचुआ की गमन दर 2-3 सेमी /प्रति सेकण्ड या एक मिनट में लगभग 25 सेमी होती है।

प्रश्न 8.
केंचुए की आहार नाल का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुए का पाचन तन्त्र (Digestive System of Earth Worm)
केंचुए की आहारनाल (Alimentary Canal of Eerthworm) – केंचुए की आहारनाल में निम्नलिखित भाग पाये जाते हैं –
(1) मुख (Mouth) – यह प्रथम खण्ड के अधर तल के अग्र सिरे पुरोमुख (prostomium) के नीचे स्थित होता है और अर्द्ध-चन्द्राकार ( Semilunar) होता है। यह अन्दर की ओर मुख गुहा में खुलता है।
(ii) मुख गुहिका (Buccal Cavity) – यह पहले से तीसरे खण्ड तक फैली रहती हैं। मुख इसी में खुलता है। मुख गुहिका भोजन के अन्तर्ग्रहण तथा गमन में सहायक होती है ।

(iii) प्रसनी (Pharynx) – मुख गुहिका पीछे की ओर प्रसनी से जुड़ी रहती है और तीसरे से चौथे खण्ड तक पायी जाती है। यह पेशीय होती है। प्रसनी का पृष्ठ भाग मोटा होता है। इसमें लार ग्रन्थियाँ तथा क्रोमोफिल कोशिकाएँ (chromophyll cells) पायी जाती हैं। लार ग्रन्थियाँ लार स्रावित करती हैं तथा क्रोमोफिल कोशिकाएँ लार के संश्लेषण में सहायक होती हैं। प्रसनी क्षैतिज पट द्वारा दो कोष्ठों में बँटी होती है –

(क) पृष्ठीय लार कोष्ठ (Dorsal Salivary Chamber),
(ख) अधरीय संवहन कोष्ठ (Ventral Conducting chamber)।

प्रसनी में पायी जाने वाली अरीय पेशियों के कारण यह चूषक (sucker ) अंग के समान कार्य करती है। लार में श्लेष्मा और प्रोटीन पाचक एन्जाइम पाये जाते हैं।
(iv) प्रसिका (Oesophagus) – यह प्रसनी के पीछे छोटी तथा पतली नली है जो 5वें से 7वें खण्ड तक फैली रहती है। इसकी दीवार में अनेक अनुप्रस्थ वलय (transverse rings) होते हैं।

(v) पेषणी ( Gizzard) – यह प्रसिका के पीछे 8वें खण्ड में स्थित होती है। इसकी दीवार में वर्तुल का मोटा स्तर पाया जाता है। पेषणी (gizzrd) की गुहा स्तम्भीय उपकला से स्तरित होती है । यह कठोर क्यूटिकल का स्त्रावण करती है। पेषणी (gizzrd) भोजन को पीसने का कार्य करती है। आन्त्र की पृष्ठभित्तिपेशियों का कटा खुला भाग (Dorsal wall of intestine cut open) आन्त्रवलन (Typhlosolar)
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(vi) आमाशय (Stomach) – पेषणी एक पतली नलिकानुमा रचना से पीछे की ओर मिलती है जिसे आमाशय कहते हैं। यह 9वें से 14वें खण्ड तक फैला रहता है। इसकी दीवारें प्रन्थिल होती हैं तथा इसमें अनुलम्ब वलन (longitudinal Folds) पाये जाते हैं। आमाशय की दीवारों पर कैल्सिफेरस ग्रन्थिल कोशिकाएँ (calciferous plandular cells) पायी जाती हैं। इनसे स्रावित होने वाला चूने के समान पदार्थ भोजन में है।

(vi) आमाशय (Stomach) – पेषणी एक पतली नलिकानुमा रचना से पीछे की ओर मिलती है जिसे आमाशय कहते हैं। यह 9वें से 14वें खण्ड तक फैला रहता है। इसकी दीवारें प्रन्थिल होती हैं तथा इसमें अनुलम्ब वलन (longitudinal Folds) पाये जाते हैं। आमाशय की दीवारों पर कैल्सिफेरस ग्रन्थिल कोशिकाएँ (calciferous glandular cells) पायी जाती हैं। इनसे स्त्रावित होने वाला चूने के समान पदार्थ भोजन में स्थित हामक अम्ल (humic acid) को उदासीन करके माध्यम को क्षारीय बनाता है।

(vii) आन्त्र (Intestine) – यह 15वें खण्ड से अन्तिम खण्ड (पाइजीडियम को छोड़कर) तक पायी जाती है। यह आमाशय से चौड़ी होती है। इसकी भीतरी सतह पक्ष्माभी, संवहनी, प्रन्थिल तथा वलित होती है।

आन्त्र के तीन भाग होते हैं –
(क) पूर्व आत्रवलन क्षेत्र (Pre- typhlosolar Region ) – यह भाग 15वें से 26वें खण्ड तक पाया जाता है। इसमें आन्त्रवलन (typhlosol) का अभाव होता है। 26वें खण्ड में एक जोड़ी आन्त्र सीकी (intestinal caeca) पायी जाती है जो कि 23वें खण्ड तक आन्त्र के दोनों ओर स्थित रहती है। इनसे पाचक एन्जाइम का त्रावण होता है।

(ख) आन्त्रवलन क्षेत्र (Typhlosolar Region) – यह 27वें खण्ड से अन्तिम 25 खण्डों को छोड़कर पाया जाता है। इन वलनों को विलाई ( villi) कहते हैं। यह क्षेत्र भोजन के अवशोषण में अत्यधिक सहायक होता है।

(ग) पश्च आत्रवलन क्षेत्र (Post Typhlosolar Region ) – यह क्षेत्र अन्तिम 25 खण्डों में पाया जाता है। इसमें आन्त्रवलन नहीं मिलता है। इस भाग को मलाशय भी कहते हैं।

(viii) गुदा (Anus) – आन्त्र का पश्च आन्त्रवलन (typhlosol ) भाग एक दरारनुमा छिद्र – गुदा के द्वारा बाहर खुलता है।

केंचुए की पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive glands of Earthworm):
(i) प्रसनी पुंज (Pharyngeal Bulb ) – यह प्रसनी (Pharynx) की पृष्ठ गुहा में स्थित होती है। इसमें प्रसनी ग्रन्थियाँ ( Pharongeal glands) होती हैं जो लार का स्त्रावण करती हैं। लार में प्रोटीन पाचक विकर ( enzymes ) तथा श्लेष्म होता है।

(ii) आमाशयी ग्रन्थिल उपकला (Glandular epithelium of Stomach)-ये आमाशय (stomach) की प्रन्थिल उपकला में स्थित होती हैं और प्रोटियोलाइटिक विकर स्त्रावित करती हैं। इसकी कैल्सिफेरस प्रन्थियाँ (calciferaes glands) मृदा के ह्यूमस को उदासीन भी करती हैं।

(iii) आंत्रीय अंधनाल (Intestinal Caeca) ये एमाइलेज विकर का स्त्रावण करती हैं।

(iv) आन्त्रीय ग्रन्थिल उपकला (Intestinal glandular Epithelium) – यह आंत्र की उपकला ( cuticle) में पायी जाती है तथा एमाइलेज, लाइपेज, तथा प्रोटिएज एन्जाइमों का स्त्रावण करती हैं।
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भोजन ग्रहण करना एवं पाचन (Feeding and digestion):
भोजन (Food) – केंचुआ सर्वाहारी (Omnivorous) प्राणी है। यह सड़ी गली पत्तियों, कीड़े मकोड़ों, शैवालों, रोटफर्स आदि को अपना भोजन बनाता है।

अशन (Feeding) – यह प्रसनी (pharynx) का प्रयोग प्रचूषक की भाँति करके भोजन का अर्न्तग्रहण करता है। इसके लिए यह मुखगुहा को बाहर की ओर उलटता है और भोजन युक्त मृदा को मुखगुहा में भरकर इसे वापस खींचता है। फिर प्रसनी (Pharynx) भोजन को अन्दर खींच लेती हैं। प्रसनी की ऐच्छिक पेशियाँ (voluntary mucles) इसमें भाग लेती हैं।

पाचन (Digestion) – केंचुए में बाह्य कोशिकीय पाचन पाया जाता है। प्रसनी में भोजन पहुँचते ही प्रोटीन पाचक विकर प्रोटीन को पेप्टोन्स में तोड़ देता है। प्रसनी से भोजन पेषणी में पहुँचता है जहाँ इसे बारीक पीसा जाता है। पेषणी या गिजर्ड (gizzard) में किसी प्रकार का पाचन नहीं होता है। यहाँ से भोजन आमाशय में पहुँचता है जहाँ शेष प्रोटीन्स को पेप्टोन्स में तोड़ा जाता है। आमाशय (stomach) की कैल्शीफेरस प्रन्थियों का स्राव मृदा के ह्यूमिक अम्ल का उदासीनीकरण करता है और अब भोजन आंत्र (intestine) में पहुँचता है। यहाँ पर भोजन का अन्तिम पाचन होता है।

आंत्र की अन्धनाल (caecum ) ग्रन्थियाँ पाचक रस का स्रावण करती हैं जिसके एन्जाइम निम्न प्रकार क्रिया करते हैं –
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अवशोषण (absorption ) – आंत्र में पचे हुए भोजन का रक्त केशिकाओं में पहुँचना अवशोषण कहलाता है। पचा हुआ भोजन आंत्र में आंत्रवलनी या टिफ्टोसोल द्वारा अवशोषित होता है।

स्वांगीकरण (Assimilation ) – अवशोषित भोज्य पदार्थों का कोशिका में पहुँचकर जीवद्रव्य का भाग बनना स्वांगीकरण ( assimilation) कहलाता है।

बहिक्षेपण (Egestion) – अपचित भोजन मलाशय में भेज दिया जहाँ से यह शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। अपचित भोजन या मल मलाशय से छोटी-छोटी गोलियों के रूप में बाहर निकाला जाता है। ये गोलियाँ बिल के बाहर एक ढेर के रूप में एकत्र की जाती हैं जिसे वर्म कास्टिंग (castings) कहते हैं।

प्रश्न 9.
केंचुए में उत्सर्जन अंगों का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:
केंचुए का उत्सर्जी तन्त्र (Excretory System of Earthworm)
केंचुआ यूरियोटेलिक (Ureotelic) प्राणी है। इसमें उत्सर्जी पदार्थ 55% यूरिया तथा 40% अमोनिया होता है। केंचुए में उत्सर्जी अंग वृक्कक या काएँ (नेफ्रीडया nephridia) होते हैं। ये प्रथम तीन खण्डों को छोड़कर शेष सभी खण्डों में पाये जाते हैं।
ये तीन प्रकार के होते हैं –

  1. पट्टीय वृक्कक
  2. प्रसनी वृक्कक
  3. अध्यावरणीय वृक्कक।

(1) पट्टीय वृक्कक (Septal Nephridia ) – ये होलोनेफ्रिक (holonephric) होते हैं। ये वृक्कक 15वें खण्ड के बाद वाले सभी खण्डों में प्रत्येक पट की दोनों सतहों पर स्थित होते हैं। ये प्रत्येक खण्ड के एक ओर 40-50 हो सकते हैं। जो कि 20-25 के दो समूहों में पाये जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक खण्ड में 80-100 पटीय वृक्कक होते हैं। ये आन्त्र में खुलते हैं। अतः ये आन्त्र मुखी होते हैं।

पट्टीय वृक्कक की संरचना-पट्टीय वृक्कक (septal nepheidia ) के निम्ललिखित प्रमुख भाग होते हैं –
(1) वृक्कक मुख या नेफ्रोस्टोम (Nephrostome ) – यह एक कीपनुमा संरचना होती है। यह ओष्ठों से घिरी रहती है। यह ओष्ठ कशाभी सीमान्तीय कोशिकाओं से बने होते हैं। कशाभी भाग आगे की ओर कुछ बढ़ा हुआ है जिसे ऊपरी होठ कहते हैं तथा दूसरा भाग निचला होठ कहलाता है। दोनों ओठों के बीच 5) दीर्घवृत्ताकार मुख होता है जो वृक्कक गुहा में खुलता है।
(ii) ग्रीवा (Neck) – यह एक पतली व छोटी नलिका होती है जो अन्दर से रोमयुक्त होती है। यह वृक्कक मुख को वृक्कक काय (naphridial body) की समीपस्थ भुजा से जोड़ती है।

(iii) वृक्कक काय (Nephridial Body ) – यह पट्टीय वृक्कक का सबसे बड़ा तथा मुख्य भाग है। यह दो भाग में बँटा होता है-
(क) सीधी पालि
(ख) कुन्तल पालि ।
सीधी पालि में 4 नलिकाएँ दो लूपों में पायी जाती हैं। प्रत्येक लूप की एक नलिका रोमयुक्त होती है। कुन्तल पालि (twisted loop) की लम्बाई सीधी पालि से दुगनी होती है। कुन्तल पालि के दूरस्थ भाग को शीर्ष पालि (एपीकल लूप) कहते हैं जिसमें दो नलिकाएँ उपस्थित रहती हैं।
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(iv) अन्तस्थ नलिका (Terminal Duct ) – यह कुन्तल पालि के पास के भाग से निकलती है। इसमें एक रोमयुक्त नलिका होती है।

(v) पट्टीय उत्सर्जी नलिका (Septal Excretory duct) प्रत्येक खण्ड में 4 पट्टीय उत्सर्जी नलिकाएँ उपस्थित होती हैं।

(vi) अधि आन्त्र उत्सर्जी नाल (Supra- Intestinal Exeretory Canals) – ये 15वें से अन्तिम खण्ड तक पायी जाती हैं। ये उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकालने का कार्य करती हैं।

(2) प्रसनी वृक्कक (Pharangeal Nephridia) – ये वृक्कक 4, 5 एवं 6वें खण्डों से युग्मित गुच्छों (paired ganglia) के रूप में पाये जाते हैं। ये वृक्क तीन जोड़ी सहनलियों द्वारा आहार नाल में खुलते हैं। 6वें खण्ड के प्रसनी वृक्कक, दूसरे खण्ड की पाचक नली में, 5वें खण्ड के तीसरे खण्ड में तथा चौथे खण्ड के वृक्कक (nephridia) चौथे खण्ड की पाचक नलिका में खुलते हैं।

(3) त्वचीय या अध्यावरणी, वृक्कक ( Integumentary Nephridia ) – ये वृक्कक (nephridia ) प्रथम 6 खण्डों को छोड़कर शेष सभी खण्डों की देहभित्ति में पाये जाते हैं। प्रत्येक खण्ड में इनकी संख्या 200-250 तक तथा क्लाइटेलम ( clitelum) भाग में इनकी संख्या 2000-2500 तक होती है। इसलिए इस क्षेत्र को ‘वृक्कक वन’ (nephridia forest) कहते हैं। ये आकार में छोटे, ‘V’ आकार के तथा वृक्कक मुख विहीन होते हैं। अतः ये होलोनेफ्रिक होते हैं। ये वृक्कक रन्ध्रों (stomata) द्वारा शरीर की सतह पर खुलते हैं।
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उत्सर्जन की कार्यिकी (Physiology of Excretion) – केंचुए में प्रोटीन के उपापचय के फलस्वरूप नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण होता है। यह मुख्यतः यूरियोउत्सर्जी (Ureotelic) प्राणी है। इसके उत्सर्जी पदार्थ यूरिया (50%) अमोनिया 42% तथा अमीनो अम्ल एवं क्रिएटिनीम 8% होते हैं। यद्यपि तृप्त केंचुआ अमोनोटेलिक (72% अमोनिया) होता है।

केंचुआ के मुख्य उत्सर्जी अंग वृक्कक होते हैं जो उत्सर्जन के साथ-साथ जल नियमन का कार्य भी करते हैं। केंचुए की क्लोरोगोगन कोशिकाएँ (Chloregogen cells) यूरिया एवं अमोनिया का निर्माण करके देहगुहीय द्रव (coelornic fluid) में पहुँचाती हैं।

उत्सर्जी पदार्थ वृक्ककों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। वृक्ककों की उपकला कोशिकाएँ जल अवशोषण में सहायक होती हैं। यहाँ से ये वृक्ककों की अन्तस्थ वाहिनियों (terminal vssels) द्वारा बाहर निकाल दिए जाते हैं। प्रसनी व पट्टीय वृक्कक आंत्रमुखीय होते हैं। अतः ये उत्सर्जी पदार्थों को आंत्र में डालते हैं। इससे जल का पुनः अवशोषण आहार नाल में हो जाता है।

अध्यावरणीय वृक्कक (Integumentary nephidia) बहि: मुखीय होते हैं अतः ये उत्सर्जी पदार्थों को देहगुहीय द्रव (coelomic fluid) से एकत्र कर स्वयं ही शरीर से बाहर निकाल देते हैं। कुछ मात्रा में उत्सर्जन की क्रिया श्लेष्मा कोशिकाओं द्वारा भी होती हैं क्योंकि श्लेष्म के साथ-साथ उत्सर्जी पदार्थ भी शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। केंचुए का मूत्र अम्लीय होता है तथा इसमें यूरिक अम्लों (uric acid) का निर्माण नहीं होता है।

प्रश्न 10.
केंचुए के तन्त्रिका तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुए का तंत्रिका तन्त्र (Nervous System of Earthworm ) –
केंचुए में सुविकसित तंत्रिका तन्त्र होता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता – केन्द्रीय, परिधीय तथा अनुकम्पी तंत्रिका तन्त्र।

A. केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र (Central Nervous System) – केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र (CNC) एक जोड़ी अधि प्रसनी गुच्छक (supra pharyngeal ganglia), एक जोड़ी परिमसनी योजियों (peripharyngeal connectives), एक अधो उप प्रसनी गुच्छक (Sub-Pharyngeal ganglia) व अधर तंत्रिका रज्जु ( ventral nerve cord) का बना होता है।

तंत्रिका वलय (Nerve Ring) – यह शरीर के तीसरे खण्ड में प्रसनी (pharynx) के चारों ओर पाया जाता है। यह एक जोड़ी अधिप्रसनी गुच्छक या प्रमस्तिष्क गुच्छक (carebral ganglia), एक जोड़ी परिप्रसनी योजियों तथा 4वें खण्ड में स्थित अधिमसनी गुच्छक का बना एक वलय होता है। दोनों अधिग्रसनी गुच्छकों (sub pharyngeal ganglia) को मस्तिष्क के समरूप माना जाता है।

तंत्रिका रज्जु (Nerve Cord) – यह अधोग्रसनी गुच्छक से निकलकर अन्तिम खण्ड तक फैला रहता है तथा प्रत्येक खण्ड में फूलकर यह गुच्छक का निर्माण करता है। यह बाहर से देखने पर इकहरा दिखाई देता है किन्तु वास्तव में यह दोहरा होता है। तंत्रिका रज्ज (Nerve Cord) के मध्य से चार अनुदैर्ध्य महातन्तु निकलते हैं। जिनमें से एक मुख्य मध्य महा तन्तु, एक उपमध्य महातंतु तथा दो पाश्र्वय महातंतु होते हैं। ये खोखली संरचनाएँ हैं जिनमें एक तरल भरा रहता है। ये महातन्तु चेतावनी के समय शरीर को संकुचित करने में सहायक होते हैं। इन महातन्तुओं में उद्दीपन ( stimulus ) की दर सामान्य तंत्रिकाओं से 60 गुना तीव्र होती है। उद्दीपन शरीर में बहुदिशीय हो सकते हैं।
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B. परिधीय तंत्रिका तन्त्र (Peripheral Nervous System) – केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से निकलने वाली तंत्रिकाएँ मिलकर परिधीय तंत्रिका तन्त्र का निर्माण करती हैं।

इसमें निम्नलिखित तंत्रिकाएँ होती हैं –
1. मस्तिष्क गुच्छिका (Brain ganglia ) – प्रत्येक मस्तिष्क गुच्छक की पार्श्व सतह से 8-10 जोड़ी तंत्रिकाएँ निकलती हैं, जो देहभित्ति, प्रोस्टोमियम, मुखगुहा व प्रसनी में जाती हैं ।

2. परिप्रसनी संयोजक (Circumpharyngeal connectives ) – इससे निकली दो जोड़ी तंत्रिकाएँ पेरीस्टोमियम तथा मुखगुहा में जाती हैं।

3. अधोग्रसनी गुच्छक (Supra pharyngeal ganglia ) – इससे तीन जोड़ी तंत्रिकाएँ निकलती हैं जो 2, 3, 4 वे खण्डों के अंगों में जाती हैं।

4. तंत्रिका रज्जु (Nerve Cord) – तंत्रिका रज्जु के प्रत्येक खण्डीय गुच्छक से तीन जोड़ी पार्श्व तंत्रिकाएँ निकलती हैं। जिनमें से एक जोड़ी शूक (seta) पंक्ति के आगे तथा दो जोड़ी उनके पीछे जाती हैं और अपने-अपने खण्डों की पेशियों एवं त्वचा में जाती हैं।
इन तंत्रिकाओं में संवेदी व चालक (sensory and motor) दोनों प्रकार के तंत्रिका तन्तु होते हैं। अतः ये मिश्रित प्रकार की होती हैं।
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C. अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र (Sympathatic Nervous System) – अनुकम्पी तंत्रिका तन्त्र (SNS) सम्पूर्ण शरीर में एक जालक के रूप में पाया जाता है। यह अधिधर्म के नीचे पेशियों तथा आहार नाल में फैला रहता है और यह परिप्रसनीय संयोजनियों (circumpharyngeal connectives) से जुड़ा होता है। यह सभी आन्तरिक अंगों की क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।

तंत्रिका तन्त्र कार्यविधि केंचुए में कशेरुकों के समान प्रतिवर्ती चाप (peflex arch) पाया जाता है क्योंकि त्वचा में उपस्थित संवेदागों से संवेदनाएँ संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा तंत्रिका रज्जु में पहुँचायी जाती हैं। जहाँ युग्मानुबंधन (synapse) द्वारा ये चालक न्यूरोन (neuron) के माध्यम से अपवाहक अंगों की पेशियों में पहुँचा दी जाती हैं। संवेदी व प्रेरक तंत्रिका तन्तुओं के मध्य समायोजन तंत्रिका तन्तु भी पाए जाते हैं। ये संवेग को संवेदी तन्तुओं से प्रेरक तन्तुओं तक पहुँचाते हैं। केंचुए में संवेग संचरण की दर लगभग 600 मी / से होती है।
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प्रश्न 11.
केंचुए के नर एवं मादा जननांगों का केवल नामांकित चित्र
उत्तर:
कॉकरोच का परिसंचरण तन्त (Circulatory System of Cockroach):
अन्य कीटों की भाँति कॉकरोच में रुधर परिसंचरण खुले(Open) प्रकार का होता है। अर्थात् रधधिर नलिकाओं (Vessels) में न बहकर देहगुहा (Coelom) में भरा रहता है। रुधर परिसंचरण तंत्र को तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. हीमोसील,
  2. हृदय, तथा
  3. रुधिर।

1. ह्रीमोसील (Haemocoel)-कॉकरोच की देहगुहा हीमोसील (haemocoel) कहलाती है। यह आन्तरिक मीजोडर्म के उपकला द्वारा आच्छादित नहीं होती अतः यह अवास्तविक देहगुहा (pseudocoelome) कहलाती है। हीमोसील दो पेशीय कलाओं द्वारा तीन कोष्ठकों में विभाजित रहती है। ये कोष्ठक हैं-पृष्ठकोटर (dorsal sinus) अथवा हृदयावरणी हीमोसील (perivisceral sinus), मध्यकोटर या परिअंतरंग हीमोसील तथा अधर कोटर या अधरक हीमोसील। मध्य कोटर अन्य दोनों कोटरों की अपेक्षा अधिक बड़ा होता है तथा तीनों कोटरों का रुधिर आपस में मिल जुल सकता है।

2. हृदय (Heart) -हृदय पृष्ठकोटर में स्थित रहता है। यह एक लम्बी पेशीय क्रमांकुचनी संरचना है जो कि वक्ष (thorax) तथा उदर के पृष्ठ भाग में टर्गम के ठीक नीचे मध्य रेखा में व्यवस्थित रहती है। कॉकरोच का हुदय कुल 13 खण्डों का बना है जिसमें 3 खण्ड वक्ष में तथा शेष 10 खण्ड उदर भाग में रहते हैं। हृदय (heart) का पश्च सिरा बन्द रहता है, जबकि इसका अग्र सिरा महाधमनी (aorata) के रूप में आगे बढ़ता है। हृदय (Heart) के पश्चखण्ड को छोड़कर अन्य सभी खण्डों में पार्श्व स्थिति में एक एक जोड़ी छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें ऑस्टिया (ostea) कहते हैं।

प्रत्येक खण्ड में कपाट (valves) होते हैं जो रुधर को हुदय के अन्दर जाने देते हैं किन्तु वापस नहीं आने देते। हृदय के प्रत्येक प्रकोष्ठ (sinus) के पार्श में एलेरी पेशियाँ (alary muscles) पायी जाती हैं जिनके संकुचन से परिहृदय कोटर (perichordial sinus) की गुहा का आयतन बढ़ जाता है तथा शिथिलन से वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है। कॉकरोच का हृदय न्यूरोजेनिक (nurogenic) होता है अर्थात् इसकी क्रिया प्रणाली हृदय से नियंत्रित होती है। रुधिर पश्च सिरे से अप्र सिरे की ओर बहता है।

3. रधिर लसीका या हीमोलिम्फ (Haemolymph)-कॉकरोच का रुधर लसीका (blood lymph) रंगहीन होता है क्योंकि इसमें हीमोग्लोबिन या अन्य कोई श्वसन वर्णक (respiratory pigment) नहीं पाया जाता है। इसके दो भाग होते हैं-प्लाज्मा (plasma) तथा श्वेत रुधिराणु (white blood carpuscles)।
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प्लाज्मा रंगहीन क्षारीय (alkaline) द्रव है इसमें 70% तक जल होता है। इसमें Na, K, Ca,Mg,PO4 आदि अकार्बनिक लवण (inorganic salts) भी होते हैं। कार्बनिक पदार्थों के रूप में इसमें अमीनो अम्ल, यूरिक अम्ल, वसा, प्रोटीन आदि पदार्थ होते हैं। श्वेत रुधिराणु दो प्रकार के होते हैं-भक्षाणु (phagocytes) तथा प्रोल्यूकोसाइट (proleucocytes)। रुधि लसीका विभिन्न पदार्थों, लवणों, जल आदि का संवहन करती है। इसमें श्वसन वर्णकों (resipratory pigments) के अभाव के कारण यह वायु का संवहन नहीं करता है।

प्रश्न 12.
कॉकरोच के कंकाल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कंकाल (Skeleton) – कॉकरोच में मुख्यत: बाह्य कंकाल पाया जाता है, परन्तु आन्तरिक पेशियों को जुड़ने का स्थान प्रदान करने के लिए कुछ मात्रा में अन्तक्कंकाल (endoskeleton) भी पाया जाता है।

बाहु कंकाल (Exoskeleton) – बाद्य कंकाल काइटिन का बना होता है। यह शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है। इसके ऊपर अपारगम्य (Impermeable) मोमिया आवरण पाया जाता है। बाह्य कंकाल छोटी-छोटी प्लेटों का बना होता है। जिन्हें स्कलेराइटस (sclerites) कहते हैं। दो स्कलेराइट्स (sclerites) को जोड़ने के लिए संधिकारी कलाएँ पायी जाती हैं। उदर व वक्ष में प्रत्येक खण्ड में चार स्क्लेराइट्स (sclerites) होती हैं जिनमें से पृष्ठतलीय टरगम (tergite), अधरतलीय स्टनम (sternite) तथा पाश्वों में एक-एक महीन प्लूराइट्स (pleurites) होती हैं।

अन्त:कंकाल (Endoskeleton) – बाह्य कंकाल के प्रवर्ध (processes) अन्दर की ओर घुसकर अन्तक़ंकाल बनाते हैं जिसे एपोडीम्स (apodemes) कहते हैं। ये कॉकरोच की पेशियों को जुड़ने के लिए संधि स्थल प्रदान करता है। तम्बू के आकार की एक प्लेट सिर का अन्तक्कंकाल बनाती है जिसे टेन्टोरियम (tentorium) कहते हैं। इसके मध्य भाग में एक छिद्र पाया जाता है तथा इससे तीन जोड़ी भुजाएँ निकलती हैं। (अग्र व पश्च)। उदर (abdomen) भाग में अंतक़ंकाल का अभाव होता हैं।
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प्रश्न 13.
कॉकरोच के मुखांगों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपांग (Appendages) – संधियुक्त (jointed) उपांग संघ आर्थोोपोडा (arthropoda) का प्रमुख लक्षण है। कॉकरोच के तीनों भागों में संधियुक्त उपांग पाए जाते हैं।

A. सिर के उपांग (Appandages of Head) -कॉकरोच के सिर भाग में श्रृंगिकाएँ एवं मुखांग दो प्रकार के उपांग (appendages) होते हैं।
1. एण्टिनी या श्रृंगिकाएँ (Antennae)-ये शरीर से भी लम्बी एवं पतली, धागेनुमा गतिशील उपांग (appendages) होते हैं। जो स्पर्श (Tctile), गंध ज्ञान (olfactory) एवं लाप (thermal) उद्दीपनों को प्रहण करने का कार्य करती हैं। इन्हें स्पर्श सूत्र भी कहते हैं। प्रत्येक श्रृंगिका अपनी ओर के संयुक्त नेत्र (compound eyes) के निकट एक पृष्ठतलीय श्रृंगिकीय गक्षे (antennal socket) से निकलती हैं।

यह बहुत से छोटे-छोटे खण्डों अर्थात् पोडोमीयर्स (podomeres) की बनी होती हैं। सबसे पहला आधार पोडोमीयर बड़ा होता है। इसे स्केप (scape) भी कहते हैं। दूसरा बेलनाकार होता है, इसे पेडिसल (pedicel) कहते हें। शेष लम्बे भाग को कशाभ (flagellum) कहते हैं। इस पर स्पर्श संवेदना के लिए अनेक संकेदी सीटी (sensory stae) होती हैं।

2. मुखांग (Mouth Parts)-कॉकरोच के मुख से सम्बन्धित काटने व चबाने के लिए अनुकूलित मुखांग (mouth parts) पाए जाते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं –
(i) ऊर्धोष्ठ या लेब्रम (Labrum) – यह मुखद्वार षर सिर कोष की सबसे निचली, चपटी व गतिशील स्कलेराइट (sclerite) है जो लचीली पेशियों द्वारा मुखपाली या क्लाइपीयस (clypeus) से जुड़ी होती है। इसके दोनों ओर दो स्वाद ग्राही सीटी की श्रृंखलायें पायी जाती हैं। इसे ऊपरी ओष्ठ (upper lip) भी कहते हैं। यह सिर के तीसरे खण्ड का उपांग होता है।

(ii) मैन्डिबल (Mendibles) – इसमें एक जोड़ी कठोर गहरे रंग के मैन्डिबल (Mendibles) मुख द्वार के पार्श्व में पाये जाते हैं। ये त्रिभुजाकार काइटिन की प्लेंट है जो सिर के 4th खण्ड का उपांग होती है। इसके भीतरी किनारे पर 3 नुकीली दंन्तिकाएं (denticles) पायी जाती हैं ति उनके नीचे छोटी आरी के समान चवर्णक अंग पाये जाते हैं। 3 नुकीले दन्तुर इनसाइजर (inscisors) दाँतों के समान व छोटा चवर्णक क्षेत्र मोलर दाँतों के समान कार्य करता है।

मैण्डीबल के भीतरी निचले क्षेत्र पर एक कोमल गद्दी पायी जाती है। जिसे प्रोस्थीका (prostheca) कहते हैं। इस पर स्पर्श संवेदी सीटा पाये जाते हैं। मेन्डीबल सिर में जीनी (genae) से जुड़े होते हैं इनके बीच कन्दुक उलुखन सन्धि (Ball-socket-joint) पायी जाती है।
मेंडीबल दो प्रकार की पेशियों से जुड़ी होती हैं। भीतरी सतह पर अभिवर्तनी पेशियाँ तथा बाहरी अष्वर्तनी पेशियाँ या एक्डेक्टर पेशियाँ।

3. प्रथम मैक्सिली (First Maxillae) -ये मुखद्वार के पाश्वों में, मैन्डीबल्स के आगे एक-एक होती है। प्रत्येक मैक्सिला कई पोडोमीयर्स की बनी होती हैं। इसके आधार भाग अर्थात् प्रोटोपोडाइट में कार्डों (cardo) एवं स्टाइप्स (stipes) नामक दो पोडोमीयर्स होते हैं। काडों पेशियों द्वारा सिर कोष से तथा स्टाइप्स से 90 के कोण पर कार्डों से जुड़ा होता है।

स्टाइप्स (stipes) के दूरस्थ छोर के बाहरी भाग से एक पतला पंचखण्डीय बाहत पादांग (expodite) जुड़ा होता है। इसे मैक्सिलरी स्पर्शक (maxillary palp) कहते हैं। इसके छोटे आधार पोडोमीयर को पैल्पीफर (palpifer) कहते हैं। स्टाइप्स के छोर से ही जुड़ा अंत:पादांग (endopodite) होता है। इसमें परस्पर सटी दो पोडोमीयर्स होती हैं-बाहरी गैलिया (galea) तथा भीतरी लैसीनिया (lacinia)।

गैलिया कोमल तथा आगे से चौड़ी, छत्ररूपी (hood like) होती है। लैसीनिया (lacinia) कठोर तथा आगे से नुकीली, पंजेनुमा होती है। इसके सिरे पर दो कंटिकाएँ तथा भीतरी किनारों पर अनेक नन्हे शूक (satae) होते हैं। इनके द्वारा प्रथम मैक्सिली (First maxillae) भोजन को उस समय पकड़े रहती हैं जब मैण्डीबल्स भोजन को चबाते हैं। लैसीनिया के शूकों (statae) द्वारा मैक्सिली, बुश की भाँति अन्य मुखांगों (mouth parts) की सफाई भी करती रहती हैं।

4. द्वितीय मैक्सिली (Second Maxillae)-ये समेकित होकर एक सह रचना बनाती हैं। जिसे लेबियम (labium) या निचला होठ (lower lip) कहते हैं। इसका आधार भाग बड़ा सा चपटा सबमेष्टम (submentum) होता है जो इसे सिर कोष से जोड़ता है। सबमेण्टम के आगे छोटा मेण्टम (mentum) इससे जुड़ा होता है। लेबियम (labium) का शेष, शिखर भाग प्रथम मक्सिली की भाँति एक जोड़ी रचनाओं का बना होता है जिनके आधार भाग मिलकर प्रीमेण्टम (prementum) बनाते हैं।

सबमेण्टम, मेण्टम और प्रीमेण्टम मिलकर लेबियम का प्रोटोपोडाइट (protopodite) बनाते हैं। प्रीमेण्टम के प्रत्येक पाश्र्व में एक पैल्पीजर (palpiger) नामक स्कलीराइट (sclerites) होती है। इससे एक त्रिखण्डीय, बाह्य पादांग (expodite) जुड़ा होता है जिसे लेबियल स्पर्शक कहते हैं।

प्रीमेण्टम के सिरे पर मध्य भाग से लगे, दो छोटे ग्लोसी (glossae) तथा बाहरी भागों से लगे एक-एक बड़े पैराग्लोसी (Paraglossae) नामक पोडोमीयर्स होते हैं। ये मिलकर इन मैक्सिली के अन्न:पददांग बनाते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से लिगूला (ligula) भी कहते हैं। पैल्स्स के अन्तिम खण्डों तथा पैराग्लोसी पर स्पर्शक एवं स्वाद ज्ञान की संवेदी सीटी (sensory setae) होती है।

5. हाइपोफेरिक्स या लिख्वा (Hypopharynx or Lingua)-यह लेबियम के पृष्ठतल पर, लेब्रम से ढका, प्रथम मैक्सिली (first maxillae) के बीच में, मुखद्वार के छोर से लगा हुआ बेलनाकार सा मुख उपांग होता है। इसके स्वतन्त्र छोर पर अनेक संवेदी सीटी होती हैं। आधार भाग पर सह लार नलिका (common salivary duct) का छिद्र होता है।
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B. वक्ष उपांग (Thoracic Appandages)-वक्ष भाग के तीन खण्डों की प्लूराइट्स (plurites) से जुड़े तीन जोड़ी लम्बे पाश्व उपांग चलन-पाद होते हैं। इन्हीं के द्वारा कॉकरोच तेजी से दौड़ता है। रचना में छहों पाद समान होते हैं। प्रत्येक पाद में पाँच प्रमुख पोडोमीयर्स आधार से शिखर की ओर क्रमशः होते हैं-

  • लम्बा व चौड़ा कॉक्सा (coxa) जो चल संधि द्वारा अप्रनी ओर के प्लूराइट्स से जुड़ा रहता है।
  • कॉक्सा पर स्वतन्त्र हिलने-डुलने वाला छोटा-सा ट्रोकेन्टर (trocanter),
  • लम्बी बेलनाकार एवं चल फीमर (Femur),
  • फीमर से लम्बी, परन्तु पतली टिबिया (Tibia) तथा
  • लम्बा व पतला टारसस (tarsus) जो स्वयं पाँच खण्डों या टारसोमीयर्स का बना होता है।

अन्तिम टारसोमीयर के शीर्ष पर प्रीटार्सस (pretarsus) नामक रचना होती है। इसमें दोनों ओर एक-एक कांटे नुमा पंजा होता है। तथा बीच में एक शूक युक्त, एरोलियम नामक चौड़ी-सी चिपचिपी गद्दी। पूरे पाद पर नन्हीं, काँटेनुमा सीटी होती हैं। टारसस के विभिन्न खण्डों के बीच प्लैंटुली (plantulae) नामक छोटी-छोटी चिपचिपी गद्धियाँ (pads) होती हैं। इन गद्दियों और एरोलियम (proluim) की सहायता से कॉकरोच चिकनी सतहों पर चल सकता है तथा दीवारों पर चढ़ उतर सकता है।

पंख (Wings) – कॉकरोच में दो जोड़ी पंख पाये जाते हैं। नर में पंख मादा की तुलना में बड़े होते हैं। अप्र पंख मीजोथेरक्स (mesothoraz) से व पश्च पंख मेटाथोरेक्स (metathorax) से निकलते हैं। अप्रवक्ष खण्ड पर पंख नहीं पाये जाते है।

(i) प्रथम जोड़ी पंख (First pair wings) – इन्हें पक्षवर्म या टेगमिना (elytra or tegmina):
भी कहा जाता है। ये मोटे कठोर अपारदर्शी व चमकीले होते हैं तथा विश्राम अवस्था में दूसरी जोड़ी पंखों को ढके रहते हैं। इसलिए इन्हें ढापन पंख भी कहते हैं। विश्राम करते समय इनमें से बाँया पंख सदैव दायें पंख को थोड़ा सा ढके रहता है। ये उड़ने में सहायता नहीं करते हैं। ये सुरक्षा का कार्य करते हैं।

(ii) द्वितीय जोड़ी पंख (Second pair-wings) – ये पतले, पारदर्शी व चौड़े होते हैं तथा उड़ने में सहायक होते हैं, परन्तु उड़न पेशियों के कम विकसित होने के कारण छोटी-छोटी उड़ाने ही भर सकते हैं।

पखों का उद्भव व निर्माण (Origin and formation of wings) – पंखों का उद्भव श्रुण काल मे वक्षीय टरगम (नोटम) व प्लूरोन (plunon) के बीच की अधिचर्म के बर्हिवलन से होता है। इस बर्हिवलन की दो स्तरों के बीच हीमोसिल की रक्त केशिकाएँ पायी जाती हैं जो भ्रूण काल में पंखों को ऑक्सीजन व भोजन का संवहन करती हैं।

वयस्क में दोनों स्तरों के बीच की अधिचर्म (epidermis) समाप्त हो जाती है व केशिकाओं का हीमोलिम्फ (haemolymph) सूख जाता है। केशिकाएँ कठोर हो पंखों को अवलम्बन (support) प्रदान करती हैं। इन केशिकाओं को अब शिरायें या नर्वूर्स (Nervures) कहते हैं। कॉकरोच के पंखो से चार प्रकार की पेशियाँ जुड़ी होती हैं परन्तु ये कमजोर होती हैं इसलिए यह लगातार नहीं उड़ सकता है केवल $2-3$ मीटर लम्बी उड़ान भर सकता है।
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(C) उदर के उपांग (Appendages of Abdoman):
उदर भाग में पार्श्व उपांग नहीं पाये जाते हैं इसके उदर भाग में वयस्क (adult) अवस्था में 10 खण्ड पाये जाते हैं। उदर में 5 वें एवं 6 वें खण्ड के टरगम के बीच की झिल्ली पर गन्ध-प्रन्थियाँ (stinkle glands) पायी जाती हैं। इसका साव शत्रुओं को भगाने व नर द्वारा मादा (male and female) को आकर्षित करने में किया जाता है।
उदर के 10 वें खण्ड के पश्च भाग में उपांग पाये जाते हैं जो नर व मादा में भिन्न-भिन्न होते हैं।

(i) गुदा लूम या एनल सरसाई (Anal cerci) – ये नर व मादा (male and female) दोनों में पायी जाती हैं। 10 वें खण्ड का टरगाइट द्विभाजित होता है। इसी में एनल सरसाई (anal cerci) निकलती हैं। ये 15 खण्डों की बनी होती है इन पर पतले संवेदी रोम पाये जाते हैं जो ध्वनि तरंगों के प्रति संवेदी होते हैं। इनके द्वारा यह भूकम्प के समय भूमि में हुए सूक्ष्म कम्पनों को भी पहचान सकता है।

(ii) गुदाशूक या एनल स्टाइल (Anal Styles) – ये केवल नर में पाये जाते हैं तथा 9 वें खण्ड के स्टरनम (sternum) से जुड़े होते हैं। ये अखण्डित होती हैं व मैथुन क्रिया में सहायता करती हैं।

प्रश्न 14.
कॉकरोच की आहार नाल तथा पाचन क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कॉकरोच का पाचन तंग्र (Digestive System of Cockroach)
कॉकरोच के पाचन तन्त्र में मुखांग (mouth parts), आहार नाल (alimentory canal) व लार ग्रन्थियाँ (salivary glands) सम्मिलित हैं।

कॉकरोच की आहारनाल (Alimentary Canal of Cockroach):
कॉकरोच के आहार नाल को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. अग्रान्त्र
  2. मध्यान्त्र तथा
  3. पश्चान्त्र।

(1) अम्रान्न (Foregut) – यह आहारनाल का सबसे अगला व लगभग एक-तिहाई भाग होता है। इसका भीतरी भाग क्यूटिकल (cuticle) से स्तरित होता है। इसमें निम्नलिखित चार भाग होते हैं-

  • मुख (Mouth) – मुख वाला क्षेत्र पूर्व मुख गुहा के आधार पर स्थित रहता है और प्रसिका में खुलता है।
  • ग्रसिका (Oesophagus) – आहारनाल का यह भाग ग्रीवा एवं प्रोथोरेक्स में. स्थित रहता है तथा अन्नपुट (crop) में खुलता है। यह अन्दर से बेलनाकार होता है।
  • अन्नपुट (Crop) – आहारनाल का यह भाग थैलाकार होता है। अन्नपुट मीसोथोरेक्स, मेटाथोरेक्स तथा उदर के 3-4 खण्डों में फैला रहता है।
  • पेषणी. (Gizzard) – यह एक छोटी तथा मोटी दीवारों वाली शंक्वाकार (conical) रचना है।

इसकी अवकाशिका क्यूटिकल से स्तरित होती है। इसमें वर्तुल पेशी पायी जाती है। इसके अग्रभाग को शस्तागार (armarium) कहते हैं। शस्तागार में 6 क्यूटिकुलर दाँत पाये जाते हैं। इनमें पेशियाँ भी होती हैं तथा इन पर दुक शूक (bristles) लगे रहते हैं। पेषणी (Gizzard) के पश्च भाग पर शूकयुक्त प्रन्थियाँ स्थित होती हैं। यह भाग मध्यान्त्र में धँसकर स्टोमोडियल वाल्व (stomdeate valve) का निर्माण करता है। यह भोजन को अग्रान्त से मध्यान्त्र में तो जाने देता है, किन्तु वापस नहीं लौटने देता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 14
2. मध्यान्त्र (Midgut) – यह आहारनाल का नलिका के समान 1/3 भाग होता है। इसका अगला भाग कार्डिया (cardia) कहलाता है, जिसमें 6-8 हिपेटिक सीकी आकर खुलती है। इनके दूरस्थ सिरे बन्द होते हैं। इनमें पाचक एन्जाइम होते हैं। हिपेटिक सीकी पूर्वान्न्र (Archentron) तथा मध्यान्त्र के जोड़. पर लगी रहती है। मध्यान्त्र (mesentron) का अगला शग स्रावी तथा पिछला भाग अवशोषी होता है।

3. पश्चान्त्र (Hindgut) – पश्चान्त्र में निम्नोक्त चार भाग होते हैं-
क्षुदान्त्र (Ileum) – मध्यान्त्र तथा पश्चान्त्र के जोड़ पर मैलपीघी नलिकाएँ (malpighi tuvules) पायी जाती हैं। क्षुद्रान्त छोटी, पतली नलिका के समान रचना होती है। यह अन्दर से क्यटिकल से आस्तरित रहती है तथा इसमें छोटी कंटिका पायी जाती है।
(ii) कोलोन (Colon) – यह एक मोटी लम्बी कुण्डलित जैसी नलिका है और कंटिका रहित होती है।

(iii) मलाशय (Rectum) – यह आहारनाल (alimentary canal) का अन्तिम छोटा व अण्डाकार भाग होता है। इसमें 6 अनुलम्ब मलाशयी अंकुर (rectal papillae) होते हैं। यह भी क्यूटिकल (cuticle) से स्तरित रहता है।

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(iv) गुदा (Anus) – इसके द्वारा मल त्याग किया जाता है।
लार ग्रन्धियाँ (Salivary glands) -कॉकरोच में एक जोड़ी लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands) उपस्थित होती हैं। ये ग्रासनाल एवं अन्नपुट (crop) के अग्र भाग के दोनों ओर चिपकी रहती हैं। यह द्विपालित होती हैं तथा प्रत्येक के दो भाग होते हैं। ग्रन्थिल भाग तथा लार आशय। ग्रन्थिल भाग (glandular part) -तीन पालियों का बना होता है जिनमें से दो पालियाँ बड़ी तथा एक बहुत छोटी होती हैं। प्रत्येक पाली पुन: अनेक पिण्डों में बँटी होती है और अंगूर के गुच्छे की भाँति दिखाई देती है। इसमें दो प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं। ये जाइमोजन कोशिकाएँ तथा नलिका युक्त कोशिकाएँ कहलाती हैं। ये लार, श्लेष्म, एवं एमाइलेज विकर का स्रावण करती हैं।

दोनों पालियों की लार नलिका मिलकर सह लारनलिका (Common reservoir duct) बनाती है तथा दोनों लार आशयों से निकली वाहिनी भी मिलकर सहपात्र नलिका बनाती है। सहलार नलिका एवं सहपात्र नलिका संयुक्त होकर अपवाही लार नलिका बनाती हैं जो हाइपोफेरेंक्स के आधार भाग में खुलती हैं। लार नलिकाओं व आशय नलिकाओं के भीतरी भाग पर क्यूटिकल के वलय पाए जाते हैं जो इन्हें चिपकने से बचाते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 16

आहार एवं पाचन की कार्यिकी (Food and Physiology of digestion)
1. भोजन (Food)-कॉकरोच सर्वाहारी (Omnivorous) प्राणी है। यह अनाज; फल, ब्रेड, रोटी, माँस, कागज, सब्चियों, कपड़ा एवं लकड़ी को अपना भोजन बनाता है। भोजन न मिलने पर यह मल, कूड़ाकरकट यहाँ तक कि स्वजाति के मृत कॉकरोचों को भी खा लेता है।

2. भोजन का अन्तर्गहण (Ingestion of food)-कॉकरोच अपनी श्रृंगिकाओं (antennae) की सहायता से अपना भोजन तलाशता है। यह अग्रपाद, लेब्रम व लेबियम की सहायता से भोजन को पकड़कर मुखपूर्व गुहा तक लाता है जहाँ मैण्डिबल उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है। लेसिनिया, गैलिया, पैराग्लोसा व ग्लोसा भोजन को कुतरते समय बाहर गिरने से रोकते हैं। यहाँ से भोजन मुखगुहा के सेलिवेरियम में पहुँचता है। यदि कॉकरोच के मैण्डीबल (mandibles) को हटा दिया जाय तो वह भोजन को काट नहीं पाएगा और भूख के कारण कॉकरोच की मृत्यु हो जाएगी।

पाचन (Digestion) – भोजन का पाचन मुखगुहा से ही प्रारम्भ हो जाता है, क्योंकि मुखगुहा की लार (saliva) में उपस्थित एमाइलेज विकर मण्ड (starch) को तोड़कर उसे माल्टोस में बदल देता है। लार में काइटिनेज एवं सेल्युलेस विकर भी पाए जाते हैं। मुखगुहा से भोजन प्रसनी (oesophagus) व प्रसिका से होता हुआ अन्नपुट (crop) में पहुँचता है। इस क्रिया में क्रमाकुंचन गति सहायक होती हैं। मध्यांत्र से कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन व वसा पाचक विकर पेषणी से होते हुए अन्नपुट (crop) में आ जाते हैं।

  • कार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम-इनवरेंस, माल्टेस, लेक्टेस।
  • प्रोटीन पाचक एन्जाइम-ट्रिप्सिन, प्रोटिएज, पेप्टिडेज।
  • वसा पाचक एन्जाइम-प्रायः लाइपेस।

कीटों में पेप्सिन एन्जाइम का स्रावण नहीं होता क्योंकि यह कम pH पर कार्य करता है और कीटों की आहारनाल का pH अधिक होता है। पेषणी (gizzand) की भीतरी दीवार में काइटिन के बने छ: दन्तुर (dentacles)पाए जाते हैं जो भोजन को महीन पीस देते हैं तथा दन्तुरों (dentacles) के बीच पाए जाने वाले शूकों के कारण बनी छलनी जैसी रचना से भोजन कण छनकर स्टोमोडियल कपाट (stamodial valve) द्वारा मध्यांत्र (midgut) में प्रवेश कर जाता है। यहाँ उपस्थित ग्रन्थियाँ, भोजन के चारों ओर परिपोष झिल्लियाँ बना देती हैं जिससे भोजन के कठोर कणों से मंध्यात्र को हानि न हो। मध्यांत्र (midgut) के अग्रभाग में हिपेटिक सीका (Hapatic caeca) द्वारा स्नावित विकर भोजन का पूर्ण पाचन करते हैं।

अवशोषण (Absorption) -पचित भोजन का अवशोषण मंध्यात्र व हिपेटिक सीका (hepatic caeca) द्वारा होता है। अतिरिक्त भोजन वसा, ग्लाइकोजन, एल्ड्यूमिन का संप्रह वसा काय (Fat bodies) में किया जाता है। वहिक्षेपण (Egestion)-अपचित भोजन पश्चान्त्र में पहुँचता है जहाँ पर जल एवं लवणों का अवशोषण होकर मल की छोट़ी-छोटी गोलियाँ बना दी जाती हैं जिन्हें शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 15.
कॉकरोच के परिसंचरण तन्त्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:

कॉकरोच का परिसंचरण तन्त (Circulatory System of Cockroach):
अन्य कीटों की भाँति कॉकरोच में रुधर परिसंचरण खुले(Open) प्रकार का होता है। अर्थात् रधधिर नलिकाओं (Vessels) में न बहकर देहगुहा (Coelom) में भरा रहता है। रुधर परिसंचरण तंत्र को तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. हीमोसील,
  2. हृदय, तथा
  3. रुधिर।

1. ह्रीमोसील (Haemocoel)-कॉकरोच की देहगुहा हीमोसील (haemocoel) कहलाती है। यह आन्तरिक मीजोडर्म के उपकला द्वारा आच्छादित नहीं होती अतः यह अवास्तविक देहगुहा (pseudocoelome) कहलाती है। हीमोसील दो पेशीय कलाओं द्वारा तीन कोष्ठकों में विभाजित रहती है। ये कोष्ठक हैं-पृष्ठकोटर (dorsal sinus) अथवा हृदयावरणी हीमोसील (perivisceral sinus), मध्यकोटर या परिअंतरंग हीमोसील तथा अधर कोटर या अधरक हीमोसील। मध्य कोटर अन्य दोनों कोटरों की अपेक्षा अधिक बड़ा होता है तथा तीनों कोटरों का रुधिर आपस में मिल जुल सकता है।

2. हृदय (Heart) -हृदय पृष्ठकोटर में स्थित रहता है। यह एक लम्बी पेशीय क्रमांकुचनी संरचना है जो कि वक्ष (thorax) तथा उदर के पृष्ठ भाग में टर्गम के ठीक नीचे मध्य रेखा में व्यवस्थित रहती है। कॉकरोच का हुदय कुल 13 खण्डों का बना है जिसमें 3 खण्ड वक्ष में तथा शेष 10 खण्ड उदर भाग में रहते हैं। हृदय (heart) का पश्च सिरा बन्द रहता है, जबकि इसका अग्र सिरा महाधमनी (aorata) के रूप में आगे बढ़ता है। हृदय (Heart) के पश्चखण्ड को छोड़कर अन्य सभी खण्डों में पार्श्व स्थिति में एक एक जोड़ी छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें ऑस्टिया (ostea) कहते हैं।

प्रत्येक खण्ड में कपाट (valves) होते हैं जो रुधर को हुदय के अन्दर जाने देते हैं किन्तु वापस नहीं आने देते। हृदय के प्रत्येक प्रकोष्ठ (sinus) के पार्श में एलेरी पेशियाँ (alary muscles) पायी जाती हैं जिनके संकुचन से परिहृदय कोटर (perichordial sinus) की गुहा का आयतन बढ़ जाता है तथा शिथिलन से वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है। कॉकरोच का हृदय न्यूरोजेनिक (nurogenic) होता है अर्थात् इसकी क्रिया प्रणाली हृदय से नियंत्रित होती है। रुधिर पश्च सिरे से अप्र सिरे की ओर बहता है।

3. रधिर लसीका या हीमोलिम्फ (Haemolymph)-कॉकरोच का रुधर लसीका (blood lymph) रंगहीन होता है क्योंकि इसमें हीमोग्लोबिन या अन्य कोई श्वसन वर्णक (respiratory pigment) नहीं पाया जाता है। इसके दो भाग होते हैं-प्लाज्मा (plasma) तथा श्वेत रुधिराणु (white blood carpuscles)।
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प्लाज्मा रंगहीन क्षारीय (alkaline) द्रव है इसमें 70% तक जल होता है। इसमें Na, K, Ca,Mg,PO4 आदि अकार्बनिक लवण (inorganic salts) भी होते हैं। कार्बनिक पदार्थों के रूप में इसमें अमीनो अम्ल, यूरिक अम्ल, वसा, प्रोटीन आदि पदार्थ होते हैं। श्वेत रुधिराणु दो प्रकार के होते हैं-भक्षाणु (phagocytes) तथा प्रोल्यूकोसाइट (proleucocytes)। रुधि लसीका विभिन्न पदार्थों, लवणों, जल आदि का संवहन करती है। इसमें श्वसन वर्णकों (resipratory pigments) के अभाव के कारण यह वायु का संवहन नहीं करता है।

प्रश्न 16.
कॉकरोच के नर अथवा मादा जननांगों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनन तन्त (Reproductive System):
कॉकरोच एकर्लिंगी (unisexual) प्राणी है। अर्थात् इनमें लैंगिक द्विरूपता (sexual dimorphism) पायी जाती है। नर की तुलना में मादा का उदर अधिक चौड़ा होता है। नर में जनन कोष्ठ नहीं होता है। मादा में गुदशुकों (anal cerei) का अभाव होता है। अतः लिंगभेद स्पष्ट होता है। कांकरोच के नर जननांग (Male Reproductive Organs of Cockroach) कॉकरोच एकलिंगी कीट है। अतः नर और मादा अलग-अलग होते हैं। नर कॉकरोच में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं-

(1) वृषण (Testis) – कॉकरोच के उदर भाग के दोनों पाश्व्वों में चौथे, पाँचवें तथा छठे खण्डों में वसाकायों में धँसे एक जोड़ी वृषण (testes) पाये जाते हैं। प प्रत्येक वृषण में 3-4 पालियाँ होती हैं। इनमें कलिकानुमा पिण्डक (lobules) पाये जाते हैं।
(2) शुक्रवाहिनियाँ (Vas deferens) – प्रत्येक वृषण से एक पतली शुक्रवाहिनी निकलकर छत्रक ग्रन्थि के आधार पर स्खलन नसिका (ejaculatory duct) में खुलती है।
(3) छत्तक ग्रन्थि (Mushroom Gland or Utricular Gland) – यह सातवें उदर खण्ड में पायी जाती है। यह स्खलन नलिका (ejaculation duct) में खुलती है।

इसमें तीन रचनाएँ पायी जाती हैं –

  • शुक्राशय (Seminal Vesicle) – इसमें शुक्राणुओं (sperms) का संग्रह किया जाता है।
  • छोटी मध्य नलिकाएँ (Short Central Tubules) – ये शुक्राणुओं (sperms) को पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
  • लम्बी परिधीय नलिकाएँ (Long Peripheral Tubules) – यह शुक्राणुधर की भीतरी परत का स्रावण करती हैं।

(4) सखलन नलिका (Ejaculatory Duct) – यह नलिका मोटी, प्रन्थिल तथा संकुचनशील (contractile) होती है। यह अधर फैलोमीयर से जुड़ी रहती है। यह पिछले सिरे पर नर जनन छिद्र (male genital pore) से बाहर खुलती है।

(5) फैलिक ग्रन्थि (Phallic or Conglobate Gland) श्वेत रंग की यह प्रन्थि स्खलन वाहिनी के नीचे स्थित होती है। इसका स्राव शुक्राणुधर की बाहरी भित्ति बनाता है।

(6) बांड उननांग (Phallomeres or Gonapophysis) – नर जनन छिक्र्र पर काइटिन से बनी तीन अनियमित प्लेट पायी जाती हैं, जिन्हें फैलोमीयर्स कहते हैं। इनमें से एक दाहिनी ओर, एक बायीं ओर तथा एक अधर तल की ओर होती है।
बायें फैलोमीयर (Left phallomere) में चार पालियाँ होती हैं-

  • ऐसपेरेट पालि (Asperate lobe),
  • टिटीलेटर (Titillator),
  • ऐक्यूटोलोबस (Accetolobus),
  • स्यूडोपेनिस (Pseudopenis)

दायें फैलोमीयर (Right phallomere ) में एक हुक तथा एक आरी प्लेट पायी जाती है। अधर फैलोमीयर (ventral phellomere) में स्खलन नलिका (ejaculatory duct) लगी होती है। शुक्राणुधर का निर्माण (Fromation of Spermatophore)मैथुन से पूर्व शुक्राणु (sperms) आपस में चिपक कर शुक्राणुधर (spermatophore) का निर्माण करते हैं। शुक्राणुधर को मैथुन के द्वारा मादा के शुक्रमाही छिद्र से चिपका दिया जाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 17

मादा कॉकरोच के जननांग (Reproductive Organs of Female Cockroach) -मादा कॉकरोच में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं –
(1) अण्डाशय (Ovaries) – कॉकरोच के उदर भाग में दूसरे से छठे खण्डों के बीच, अधर पार्श्वतल पर वसाकायों के बीच धँसे एक जोड़ी अण्डाशय (ovaries) पाये जाते हैं। प्रत्येक अण्डाशय 8 पतली व लचीली अप्डनलिकाओं या अण्डिकाओं (ovarioles) से बना होता है।

(2) अण्डवाहिनी (Oviducts) – अण्ड नलिकाएँ एक चौड़ी एवं छोटी अण्डवाहिनी (oviduct) में खुलती हैं। दोनों ओर की अण्ड वाहिनियाँ (oviducts) एक छोटी किन्तु चौड़ी सामान्य अण्डवाहिनी (योनि) में खुलती हैं।

(3) संत्राहक ग्रन्थियाँ (Collaterial Glands) – ये जनन वेश्म के पृष्ठ तल की ओर स्थित एक जोड़ी सफेद रंग की, शाखित तथा असमान नलिकावत् सहायक म्रन्थियाँ होती हैं। बायीं ग्रन्थि अधिक बड़ी तथा शाखित होती है। ये जनन कक्ष (genital chamber) में खुलती हैं। इनका स्रावण अण्डों के समूह के चारों ओर अण्ड कव्च (egg shell) बनाता है।

(4) शुक्र ग्रातिका या शुक्रधानी (Spermatheca) – कॉकरोच में एक जोड़ी शुक्र प्राहिका पायी जाती है। दोनों शुक्रम्राहिकाओं की वाहिनियाँ मिलकर एक ही छिद्र द्वारा मादा जनन छिद्र के पास जनन वेश्म (genital chamber) की छत पर खुलती हैं।

(5) जनन कक्ष (Genital Chamber)-मादा कॉकरोच में एक जनन कक्ष तथा इसके पीछे एक अण्डपुटक स्थित होता है।

(6) बाह्य जननांग या गोनेपोफाइसिस (Gonapophy- sis) – मादा कॉकरोच के जनन वेश्म, में 3 जोड़ी काइटिन से बने गोनेपोफाइसिस (gonapohysis) पाये जाते हैं। ये अण्ड निक्षेपक के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि ये अण्डों को अण्ड प्रावर (ootheca) में जमाकर व्यवस्थित रखते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 18.
मैथुन (Copulation)-जनन काल में नर कॉकरोच मादा से आकर्षित होकर इसके समीप आता है। नर व मादा अपने पश्च भागों को एक-दूसरे के समीप लाते हैं। अब नर अपने टिटिलेटर (titillater) द्वारा मादा की गाइनोवैल्यूलर (gynovalular plate) प्लेट को खोल देता है और अपने कूट शिश्न (Pseudopenis) को मादा के जनन छिद्र (genital pore) में प्रवेश करा देता है तथा अधर फेलोमीयर अपने दाँयी ओर घूमकर स्खलन वाहिनी के छिद्र को खोल देता है। इस समय शुक्राणुधर (spermatophore) को मादा के जनन पैपीला पर चिपका देता है। मैथुन क्रिया प्रायः रात्रि को सम्पन्न होती है और इसमें 60 मिनट का समय लगता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 19
इसके बाद दोनों जन्तु अलग-अलग होते हैं और शुक्रणुधर से शुक्काणु (sperms) निकलकर शुक्रमाहिका (spermothaca) में चले जाते हैं, परन्तु खाली शुक्राणुधर (sperms) मादा से लगभग 20 घण्टे तक चिपटा रहता है और उसके पश्चात् वह शरोर से हट जाता है।

निषेचन (Fertilization) – निषेचन की क्रिया मादा के जनन-कक्ष में होती है इसमें दोनों अण्डाशयों (Ovaries) के प्रत्येक ओवेरियोल (ovaiole) द्वारा अण्डों का निक्षेपण जनन-कक्ष में होता है। इसमें 16 अण्डे $8-8$ अण्डों की दो कतारों में व्यवस्थित हो जाते हैं। अब शुक्राणुप्राहिका (spermetheca) से निकले शुक्राणु इन अण्डों (Ova) का निषेचन कर देते हैं।

कॉकरोच में अण्ड प्रावर (अण्ड कवच) का निर्माण (Formation of Ootheca) – कॉकरोच के निषेचित अण्डे (fertilized) जनन कक्ष में प्रवेश करते है। यहाँ कोलेटरियल श्रन्थि से सकलेरोप्रोटीन (scaleroprotein) का स्राव होता है, जिससे ऊथीका (ootheca) का निर्माण होता है। ऊथीका के निर्माण में लगभग 20 घण्टे का समय लगता है।

एक मादा जन्तु अपने जीवनकाल में $20-40$ तक ऊथीका (ootheca) का निर्माण करती है। कुछ दिनों के बाद मादा ऊथीका को अन्येर, सूखे तथा गर्म स्थान पर रख देती है। ऊथीका के ऊपर काइटिन का आवरण तथा माइक्रोपाइल (mircropyle) पाया जाता है।
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कॉकरोच में कायान्तरण (Metamorphosis) – कॉकरोच में ध्रूणीय परिवर्धन के फलस्वरूप पहले निम्फ (nymph) बनता है। निम्म से वयस्क के निर्माण में 6 माह से 2 साल तक का समय लग जाता है। इसके कायान्तरण में 7-10 बार त्वक् पतन या निमोंचन (moulting) होता है। निर्मोचन में बाह्य कंकाल पृथक् हो जाता है तथा शारीरिक वृद्धि से नया कंकाल बन जाता है। अन्तिम निर्मोंचन (moulting) के बाद 4-6 दिनों में जननांग विकसित हो जाते हैं। इसका जीवन काल 2-4वर्षों का होता है।

प्रश्न 17.
कॉकरोच में मैथुन क्रिया, निषेचन, अण्ड कवच का निर्माण तथा कायान्तरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनन तन्त (Reproductive System):
कॉकरोच एकर्लिंगी (unisexual) प्राणी है। अर्थात् इनमें लैंगिक द्विरूपता (sexual dimorphism) पायी जाती है। नर की तुलना में मादा का उदर अधिक चौड़ा होता है। नर में जनन कोष्ठ नहीं होता है। मादा में गुदशुकों (anal cerei) का अभाव होता है। अतः लिंगभेद स्पष्ट होता है। कांकरोच के नर जननांग (Male Reproductive Organs of Cockroach) कॉकरोच एकलिंगी कीट है। अतः नर और मादा अलग-अलग होते हैं। नर कॉकरोच में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं-

(1) वृषण (Testis) – कॉकरोच के उदर भाग के दोनों पाश्व्वों में चौथे, पाँचवें तथा छठे खण्डों में वसाकायों में धँसे एक जोड़ी वृषण (testes) पाये जाते हैं। प प्रत्येक वृषण में 3-4 पालियाँ होती हैं। इनमें कलिकानुमा पिण्डक (lobules) पाये जाते हैं।
(2) शुक्रवाहिनियाँ (Vas deferens) – प्रत्येक वृषण से एक पतली शुक्रवाहिनी निकलकर छत्रक ग्रन्थि के आधार पर स्खलन नसिका (ejaculatory duct) में खुलती है।
(3) छत्तक ग्रन्थि (Mushroom Gland or Utricular Gland) – यह सातवें उदर खण्ड में पायी जाती है। यह स्खलन नलिका (ejaculation duct) में खुलती है।

इसमें तीन रचनाएँ पायी जाती हैं –

  • शुक्राशय (Seminal Vesicle) – इसमें शुक्राणुओं (sperms) का संग्रह किया जाता है।
  • छोटी मध्य नलिकाएँ (Short Central Tubules) – ये शुक्राणुओं (sperms) को पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
  • लम्बी परिधीय नलिकाएँ (Long Peripheral Tubules) – यह शुक्राणुधर की भीतरी परत का स्रावण करती हैं।

(4) सखलन नलिका (Ejaculatory Duct) – यह नलिका मोटी, प्रन्थिल तथा संकुचनशील (contractile) होती है। यह अधर फैलोमीयर से जुड़ी रहती है। यह पिछले सिरे पर नर जनन छिद्र (male genital pore) से बाहर खुलती है।

(5) फैलिक ग्रन्थि (Phallic or Conglobate Gland) श्वेत रंग की यह प्रन्थि स्खलन वाहिनी के नीचे स्थित होती है। इसका स्राव शुक्राणुधर की बाहरी भित्ति बनाता है।

(6) बांड उननांग (Phallomeres or Gonapophysis) – नर जनन छिक्र्र पर काइटिन से बनी तीन अनियमित प्लेट पायी जाती हैं, जिन्हें फैलोमीयर्स कहते हैं। इनमें से एक दाहिनी ओर, एक बायीं ओर तथा एक अधर तल की ओर होती है।
बायें फैलोमीयर (Left phallomere) में चार पालियाँ होती हैं-

  • ऐसपेरेट पालि (Asperate lobe),
  • टिटीलेटर (Titillator),
  • ऐक्यूटोलोबस (Accetolobus),
  • स्यूडोपेनिस (Pseudopenis)

दायें फैलोमीयर (Right phallomere ) में एक हुक तथा एक आरी प्लेट पायी जाती है। अधर फैलोमीयर (ventral phellomere) में स्खलन नलिका (ejaculatory duct) लगी होती है। शुक्राणुधर का निर्माण (Fromation of Spermatophore)मैथुन से पूर्व शुक्राणु (sperms) आपस में चिपक कर शुक्राणुधर (spermatophore) का निर्माण करते हैं। शुक्राणुधर को मैथुन के द्वारा मादा के शुक्रमाही छिद्र से चिपका दिया जाता है।
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मादा कॉकरोच के जननांग (Reproductive Organs of Female Cockroach)
मादा कॉकरोच में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं –
(1) अण्डाशय (Ovaries) – कॉकरोच के उदर भाग में दूसरे से छठे खण्डों के बीच, अधर पार्श्वतल पर वसाकायों के बीच धँसे एक जोड़ी अण्डाशय (ovaries) पाये जाते हैं। प्रत्येक अण्डाशय 8 पतली व लचीली अप्डनलिकाओं या अण्डिकाओं (ovarioles) से बना होता है।

(2) अण्डवाहिनी (Oviducts) – अण्ड नलिकाएँ एक चौड़ी एवं छोटी अण्डवाहिनी (oviduct) में खुलती हैं। दोनों ओर की अण्ड वाहिनियाँ (oviducts) एक छोटी किन्तु चौड़ी सामान्य अण्डवाहिनी (योनि) में खुलती हैं।

(3) संत्राहक ग्रन्थियाँ (Collaterial Glands) – ये जनन वेश्म के पृष्ठ तल की ओर स्थित एक जोड़ी सफेद रंग की, शाखित तथा असमान नलिकावत् सहायक म्रन्थियाँ होती हैं। बायीं ग्रन्थि अधिक बड़ी तथा शाखित होती है। ये जनन कक्ष (genital chamber) में खुलती हैं। इनका स्रावण अण्डों के समूह के चारों ओर अण्ड कव्च (egg shell) बनाता है।

(4) शुक्र ग्रातिका या शुक्रधानी (Spermatheca) – कॉकरोच में एक जोड़ी शुक्र प्राहिका पायी जाती है। दोनों शुक्रम्राहिकाओं की वाहिनियाँ मिलकर एक ही छिद्र द्वारा मादा जनन छिद्र के पास जनन वेश्म (genital chamber) की छत पर खुलती हैं।

(5) जनन कक्ष (Genital Chamber)-मादा कॉकरोच में एक जनन कक्ष तथा इसके पीछे एक अण्डपुटक स्थित होता है।

(6) बाह्य जननांग या गोनेपोफाइसिस (Gonapophy- sis) – मादा कॉकरोच के जनन वेश्म, में 3 जोड़ी काइटिन से बने गोनेपोफाइसिस (gonapohysis) पाये जाते हैं। ये अण्ड निक्षेपक के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि ये अण्डों को अण्ड प्रावर (ootheca) में जमाकर व्यवस्थित रखते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 18.
मैथुन (Copulation)-जनन काल में नर कॉकरोच मादा से आकर्षित होकर इसके समीप आता है। नर व मादा अपने पश्च भागों को एक-दूसरे के समीप लाते हैं। अब नर अपने टिटिलेटर (titillater) द्वारा मादा की गाइनोवैल्यूलर (gynovalular plate) प्लेट को खोल देता है और अपने कूट शिश्न (Pseudopenis) को मादा के जनन छिद्र (genital pore) में प्रवेश करा देता है तथा अधर फेलोमीयर अपने दाँयी ओर घूमकर स्खलन वाहिनी के छिद्र को खोल देता है। इस समय शुक्राणुधर (spermatophore) को मादा के जनन पैपीला पर चिपका देता है। मैथुन क्रिया प्रायः रात्रि को सम्पन्न होती है और इसमें 60 मिनट का समय लगता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 19
इसके बाद दोनों जन्तु अलग-अलग होते हैं और शुक्रणुधर से शुक्काणु (sperms) निकलकर शुक्रमाहिका (spermothaca) में चले जाते हैं, परन्तु खाली शुक्राणुधर (sperms) मादा से लगभग 20 घण्टे तक चिपटा रहता है और उसके पश्चात् वह शरोर से हट जाता है।

निषेचन (Fertilization) – निषेचन की क्रिया मादा के जनन-कक्ष में होती है इसमें दोनों अण्डाशयों (Ovaries) के प्रत्येक ओवेरियोल (ovaiole) द्वारा अण्डों का निक्षेपण जनन-कक्ष में होता है। इसमें 16 अण्डे $8-8$ अण्डों की दो कतारों में व्यवस्थित हो जाते हैं। अब शुक्राणुप्राहिका (spermetheca) से निकले शुक्राणु इन अण्डों (Ova) का निषेचन कर देते हैं।

कॉकरोच में अण्ड प्रावर (अण्ड कवच) का निर्माण (Formation of Ootheca) – कॉकरोच के निषेचित अण्डे (fertilized) जनन कक्ष में प्रवेश करते है। यहाँ कोलेटरियल श्रन्थि से सकलेरोप्रोटीन (scaleroprotein) का स्राव होता है, जिससे ऊथीका (ootheca) का निर्माण होता है। ऊथीका के निर्माण में लगभग 20 घण्टे का समय लगता है।

एक मादा जन्तु अपने जीवनकाल में $20-40$ तक ऊथीका (ootheca) का निर्माण करती है। कुछ दिनों के बाद मादा ऊथीका को अन्येर, सूखे तथा गर्म स्थान पर रख देती है। ऊथीका के ऊपर काइटिन का आवरण तथा माइक्रोपाइल (mircropyle) पाया जाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 20

कॉकरोच में कायान्तरण (Metamorphosis) – कॉकरोच में ध्रूणीय परिवर्धन के फलस्वरूप पहले निम्फ (nymph) बनता है। निम्म से वयस्क के निर्माण में 6 माह से 2 साल तक का समय लग जाता है। इसके कायान्तरण में 7-10 बार त्वक् पतन या निमोंचन (moulting) होता है। निर्मोचन में बाह्य कंकाल पृथक् हो जाता है तथा शारीरिक वृद्धि से नया कंकाल बन जाता है। अन्तिम निर्मोंचन (moulting) के बाद 4-6 दिनों में जननांग विकसित हो जाते हैं। इसका जीवन काल 2-4वर्षों का होता है।

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प्रश्न 18.
तंत्रिका कोशिका का नामांकित चित्र बनाकर तंत्रिका ऊतक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तन्तिका ऊतक (Nervous Tissue) – तन्त्रिका ऊतक तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण करता है। तन्त्रिका ऊतक तन्त्रिका कोशिकाओं का बना होता है, जिन्हें न्यूरॉन (Neurons) कहते हैं।

ये दो प्रकार की होती हैं –
(1) तन्त्रिका कोशिकाएँ (Neurons),
(2) ग्लियल कोशिकाएँ (Glial cells). तन्त्रिका कोशिका की संरचना (Structure of neuron)

प्रत्येक तन्त्रिका कोशिका तीन भागों से मिलकर बनी होती है-
(1) कोशिकाकाय या तन्रिकाकाय (Cyton) – यह तन्त्रिका कोशिका का मुख्य भाग है। इसके मध्य में एक बड़ा केन्द्रक (nucleus) होता है, जो चारों ओर से कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) से घिरा रहता है। कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में प्रोटीन के बने अनेक रंगीन कण पाये जाते हैं, जिन्हें निसाल्स कण (Nisal’s granules) कहते हैं।

(2) वृक्षिका या त्रुमाश्म (Dendron) – कोशिकाकाय (cyton) से अनेक प्रवर्ध निकले रहते हैं। इन्हें वृक्षिका या द्रुमाश्म (Dendorns) कहते हैं। वृक्षिका (dendron) से अनेक पतली-पतलीं शाखाएँ निकली रहती हैं। इन्हें वृक्षिकान्त या द्रुमिका (dendrites) कहते हैं।

(3) तन्तिकाध्व या एक्सोन (Axon) – तन्त्रिकाकाय से निकले कई प्रवर्धों में से एक प्रवर्ध अपेक्षाकृत लम्बा, मोटा तथा बेलनाकार होता है। इस प्रवर्ध को तन्त्रिकाक्ष (axon) कहते हैं। यह तन्त्रिकाच्छद या न्यूरोलीमा (neurolemma) नामक झिल्ली से स्तरित होता है। न्यूरोलीमा तथा तन्त्रिकाक्ष (axon) के मध्य वसा का स्तर पाया जाता है, जो चमकीला तथा सफेद होता है। यह स्तर मज्जा आच्छाद या मैडूलरी आच्छद्द (medullary sheath) कहलाता है।

मज्जा आच्छद (marrow sheath) में स्थान-स्थान पर दबाव के क्षेत्र होते हैं इन्हें रेन्वियर का नोड (Node of Ranvier) कहते हैं। तन्त्रिकाक्ष (axon) के अन्तिम सिरे पतली-पतली शाखाओं में बँट जाते हैं। इन शाखाओं के अन्तिम सिरे घुण्डी के रूप में होते हैं, जिन्हें अन्तस्थ बटन या सिनैप्टिक घुण्डियाँ (terminal knobs or synaptic knobs) कहते हैं।

ये घुण्डियाँ दूसरी कोशिका के वृद्षिकान्तों (dendrites) से सम्बन्यित रहती हैं। इस सम्बन्य को युग्मानुक््यन या सिनेप्स (synapse) कहते हैं। तन्त्रिकाक्ष से तन्त्रिका तन्तुओं (neurofibrils) का निर्माण होता है।

तन्त्रिका कोशिका के कार्य (Functions of Neuron):
स्वभाव या कार्य के आधार पर न्यूरॉन (Neurons) तीन प्रकार की होती है –
1. संवेदी तत्रिका कोशिकाएँ (Sensory Nerve cells) -ये संवेदांगों को केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र से जोड़ते हैं तथा संवेदना को संवेदी अंगों से केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र-(CNS) मस्तिष्क (brain) व मेरुरज्जु में पहुँचाते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन - 21
2. चालक तन्त्रिका कोशिकाएँ (Motor nerve cells) – ये केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को क्रियात्मक अंगों, पेशियों एवं प्रन्थियों से जोड़ती हैं। ये कोशिकाएँ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र से संवेदनाओं को प्रेरणा या आदेश के रूप में प्रेरणा कार्यकारी अंग की पेशियों में ले जाती हैं।

3. मध्यस्थ तन्रिका कोशिकाएँ (Intermediate Nerve Cells) -ये केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में दो या अधिक-न्यूरॉन्स को परस्पर जोड़ती हैं। ज्लियल कोशिकाओं के प्रवर्ध छोटे होते हैं तथा ये न्यूरॉन (nuron) को सुरक्षा एवं सहारा देती हैं।

तन्त्रिका कोशिकाओं द्वारा शरीर के अन्दर तन्त्रिका आवेगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। तन्त्रिका तन्तु में फैलने वाले विभव परिवर्तन के संन्देश को तन्त्रिका आवेग कहते हैं। यह एक सन्देश के रूप में दूसरी तन्त्रिका काशिकाओं या पेशी को जाता है। [नोट-तंत्रिका तन्त्र का विस्तृत वर्णन अध्याय 21 में किया गया है।]

प्रश्न 19.
मेंढ़क के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेंढक का पाचन-तन्त्र (Digestive System of Frog)
मेंढक के पाचन-तन्त्र में आहार नाल तथा पाचक ग्रन्थियाँ सम्मिलित होती हैं। मेंढक की आहारनाल देहगुहा (coelom) में आगे से पीछे तक एक लम्बी, कुण्डलित पतली व नालाकार रचना होती है। यह अगले सिरे पर मुखगुहा (buccal cavity) से प्रारम्भ होकर पिछले सिरे पर अवस्कर द्वार पर समाप्त होती है। इसमें निम्नलिखित भाग होते हैं-
(1) मुखगुहा (Buccal Cavity) – यह भोजन प्रहण करने वाला भाग है।

(2) प्रसिका या प्रासनली (Oesophagus) – यह एक छोटी, चौड़ी तथा मांसल नलिका होती है। इसका अगला भाग प्रसनी (pharynx) से जुड़ा रहता है तथा पिछला भाग आमाशय से मिलता है।

(3) आमाशय (Stomach) – आमाशय (cardiac stomach) बड़ी धैलीनुमा संरचना है और देहुगुहा में बायीं ओर स्थित रहता है। इसका अगला चौड़ा भाग कार्डियक आमाशय (cardiac stomach) तथा पिछला सँकरा भाग पाय्लोरिक आमाशय (pyloric stomach) कहलाता है। यह भोजन को काइम (लेई) में परिवर्तित करने में सहायक होता है।

आमाशय की दीवार में स्थित ग्रन्थियों से पाचक रस (जठर रस) स्नावित होता है, जिसमें हास्क्रोक्लोरिक अभ्ल HCl और प्रोटियोलिटिक एन्ञाइम (proteratitic enzymes) होते हैं। यह पीछे छोटी आन्त्र (small intestine) में खुलता है। आमाशय (stomach) में भोजन का संम्रह तथा पाचन होता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन 3

(4) छोटी आँत्र (Small Intestine) – इसके दो भाग होते हैं –
(i) ग्रढ़णी या इ्योडीनम (Duodenum) – यह पाइलोरिक भाग से जुड़ी हुई आमाशय के समान्तर ‘U’ के आकार की रचना होती है। ‘U’ के आकार में अग्न्याशय नामक पाचक ग्रन्थि स्थित होती है। यकृत (liver) तथा अग्याशय (pancreas) से सामान्य पित्त वाहिनी निकलकर ग्रहणी (Duodenum) के अगले भाग में खुलती है।

(ii) क्षुद्रान्त्र (Illium) – यह लम्बी, पतली, कुण्डलित नलिका होती है। यह पतली मीसन्द्री डिल्ली दारा देहगहा की पष्ठ दीवार से लटकी रहती है। आन्त्र की भित्ति पर अनेक अंगुली के आकार के सूक्ष्मांकुर (villi) होते हैं। ये इसके अवशोषण क्षेत्र को बढ़ाते है जिससे पचे हुए भाजन का पूण अवशाषण है सक (5) बड़ी आत्र (Large Intestine) – छोटी आन्न्र पीछे की ओर बड़ी आन्त्र (large intestine) में खुलती है। इसके दो भाग होते हैं(i) मलाशय (Rectum) – इसमें मल एकत्रित होता रहता है।

(iii) अवस्कर (Cloaca) – यह मलाशय (rectum) का पिछला भार्ग होता है। यह अवस्कर द्वार (colacal aperture) द्वारा बाहर खुलती है। पाचक प्रन्थियाँ (Digestive Glands)
(1) यकृत (Liver) – यह पित्त रस (bile juice) का स्राव करती है जो पहणी में भोजन के माध्यम को क्षारीय (alkaline) बनाता है तथा भोजन की वसा को मथने में सहायक होता है।

(2) अन्नाशय (Pancreas) – यह अग्याशयिक रस (pancreatic juice) का स्नाव करता है। इसके एन्जाइम भोजन की प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा का पाचन करते हैं।

(3) जठर प्रन्थियाँ (Gastric Glands) – आमाशय की दीवार में स्थित ये ग्रन्थियाँ जठर रस तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्नाव करती हैं।

(4) आन्त्र प्रन्थियाँ (Intestinal Glands) – क्षुद्रान्त्र की दीवार में स्थित ये प्रन्थियाँ कई एन्जाइम्स युक्त आन्त्रीय रस (succus intericus) का स्राव करती हैं जो शेष बचे भोजन का पाचन करता है। पाचन (Digestion) -मेंढ़क कीटों को अपना भोजन बनाता है। भोजन मुख, प्रसनी गुहा से होता हुआ ग्रास नाल (oesophagus) द्वारा आमाशय (stomach) में पहुँचाया जाता है।

आमाशय (stomach) में पाचन क्रिया प्रारम्भ होती है। यहाँ HCl व प्रोटीन पाचक एन्जाइम प्रोटीन का पाचन करते हैं। अर्द्ध पचित भोजन काइम कहलाता है जिसे महणी में भेज दिया जाता है। यहाँ पित्त रस तथा अग्न्याशयी रस (pancreatic juice) भोजन का पाचन करते हैं। अन्तिम पाचन क्षुद्रान्त में होता है। क्षुद्रान्त में ही भोजन का अवशोषण होता है। अपचित भोजन को बड़ी आंत्र में भेज दिया जाता है। जहाँ जल का अवशोषण है।

प्रश्न 20.
मेढक के नर अथवा मादा जननांगों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उनन तत्र (Reproductive System) : मेंढ़क में नर तथा मादा प्राणी पृथक होते हैं। नर मादा की अपेक्षा अधिक गहरे रंग का तथा कुछ पतला होता है।
नर मेंढक का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of Male Frog) : मेंढक में नर तथा मादा जननांग अलग-अलग होते हैं।

नर जननांग (Male Reproductive Organs) : नर मेंढक में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं-
(1) वृषण (Testis) – नर मेंढक में एक जोड़ी अण्डाकार पीले रंग के वृषण (testes) वृक्क के प्रतिपृष्ठ तल के अग्र सिरे पर वृषणधर झिल्ली से जुड़े रहते हैं। वृषण में कई शुक्रजनन नलिकाएँ (seminiferous tubules) होती हैं। इनमें शुक्रजनन (Spermatogenesis) द्वारा शुक्राणुओं (sperms) का निर्माण होता है।

(2) शुक्रवाहिकाएँ (Vas differentia)-वृषण वृक्क से 10-14 शुक्रवाहिकाओं द्वारा सम्बन्धित रहते हैं। शुक्रवाहिकाएँ वृक्क (Kidney) में अन्दर की ओर बिडर्स नलिका में खुलती है। वृषण में बने शुक्राणु शुक्रवाहिकाओं द्वारा बिर्ड नलिका में पहुँचते हैं।

(3) जनन-मूत्रवाहिनी (Urino-genital Duct)-बिडर्स नलिका (Bidder’s canal) में पहुँचे शुक्राणु (sperm) अनुप्रस्थ संग्रह नलिका (Bidder’s canal) में होते हुए आयाम संख्रह नलिका में पहुँचते हैं, जो कि मूत्रवाहिनी में खुलती है। अत: शुक्राणु (sperms) भी आयाम संभर नलिका से मूत्रवाहिनी (Ureter) में पहुँचते हैं।

चूँकि शुक्राणु मूत्रवाहिनी के द्वारा ही अवस्कर द्वार (Cloacal aperture) से होकर बाहर निकलते हैं, अतः मूत्रवाहिनी जनन-मूत्रवाहिनी (ureno-genital duct) कहलाती है। मेंढक की कुछ जातियों में शुक्राशय (seminal vescile) भी पाया जाता है जिसमें शुक्राणु (sperms) एकत्र होते रहते हैं और मैथुन (copulation) के समय बाहर निकलते हैं।
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मादा मेंढक का प्रजनन तन्त्र (Reproductive System of Female Frog)
मादा जननांग (Female Reproductive Organs) – मादा मेंढक में निम्नलिखित जननांग पाये जाते हैं-
(1) अण्डाशय (Ovaries)-मादा मेंढक में एक जोड़ी अण्डाशय (ovaries) होते हैं जो वृक्क के अधर तल पर अण्डाशयधर झिल्ली (mesovarium) द्वारा जुड़े रहते हैं। वृक्क से इनका कोई कार्यात्मक सम्बन्ध नहीं होता है। ये बड़ी, अनियमित बहुलोबित संरचना हैं। यहाँ अण्डों का निर्माण होता है।

(2) अण्डवाहिनी (Oviduct) – प्रत्येक अण्डाशय (ovary) के दोनों ओर एक-एक लम्बी व कुण्डलित नलिका-अण्डवाहिनी (Oviduct) पायी जाती है। अण्डवाहिनी (oviduct) का अग्र भाग कीप जैसा होता है और उदर गुहा में स्थित रहता है जिसे अण्डवाहिनी मुखिका (कीप) कहते हैं। अण्डवाहिनी का मध्य भाग कुण्डलित होता है तथा अन्तिम भाग चौड़ा होकर गर्भाशय (Uterus) बनाता है।

(3) गर्भाशय (Uterus) – यह अण्डवाहिनी (oviduct) का अन्तिम चौड़ा भाग होता है। दोनों ओर के गर्थाशय अलग-अलग छिद्रों द्वारा अवस्कर (cloaca) के पृष्ठ तल पर खुलते हैं। अण्डवाहिनी (oviduct) में आये हुए अण्डे गर्थाशय में एकत्र होते हैं, जो मैथुन क्रिया के समय अवस्कर द्वार (clocal aperture) से बाहर जल में निकलते हैं। मेंढक में बाह्य निवेचन (external fertilization) होता है।
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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन घटित होता है केवल जबकि आपतित प्रकाश निम्न में से किसके न्यूनतम मान से कुछ अधिक मान रखता है:
(अ) शक्ति
(ब) तरंगदैर्ध्य
(स) तीव्रता
(द) आवृत्ति
उत्तर:
(द) आवृत्ति

प्रश्न 2.
एक प्रकाश सुग्राही धातु के लिए देहली आवृत्ति 3.3 × 1014 Hz है। यदि इस धातु पर 8.2 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश आपतित होता है तो प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन के लिए संस्तम्भ विभव होगा (लगभग)
(अ) 1V
(ब) 2V
(स) 3V
(द) 5V
उत्तर:
(ब) 2V

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 3.
किसी धातु का कार्यफलन निर्भर करता है:
(अ) प्रकाश स्रोत व धातु के मध्य दूरी पर
(ब) आपतित प्रकाश की तीव्रता पर
(स) धातु एवं उसके पृष्ठ की प्रकृति पर
(द) आपतित प्रकाश की तीव्रता पर
उत्तर:
(स) धातु एवं उसके पृष्ठ की प्रकृति पर

प्रश्न 4.
30 ev ऊर्जा का एक फोटॉन धातु के पृष्ठ पर आपतित होता है इसके कारण 27.5 eV गतिज ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। धातु के पृष्ठ का कार्यफलन होगा:
(अ) 2.5 ev
(ब) 57.5 ev
(स) 5.0 ev
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) 2.5 ev

प्रश्न 5.
प्रकाश विद्युत धारा का मान निर्भर करता है:
(अ) केवल प्रकाश की तीव्रता पर
(ब) प्रकाश की आवृत्ति तथा स्रोत व धातु के मध्य दूरी दोनों पर के कार्यफलन पर
(स) धातु कार्यफलन पर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) प्रकाश की आवृत्ति तथा स्रोत व धातु के मध्य दूरी दोनों पर के कार्यफलन पर

प्रश्न 6.
फोटॉन का संवेग होता है:
(अ) hu
(ब) hc
(स) hv/c
(द) c/hv
उत्तर:
(स) hv/c

प्रश्न 7.
एक धातु से हरे रंग के प्रकाश के आपतन पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन प्रारम्भ होता है निम्न रंगों के समूह में से किस समूह के प्रकाश के कारण इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन संभव होगा?
(अ) पीला, नीला, लाल
(ब) बैंगनी, लाल, पीला
(स) बैंगनी, नीला, पीला
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी
उत्तर:
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी

प्रश्न 8.
प्रकाश स्रोत एवं प्रकाश विद्युत सेल के मध्य दूरी में वृद्धि करने पर निरोधी विभव के मान में:
(अ) वृद्धि होती है।
(ब) कमी होती है।
(स) कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 9.
निरोधी विभव से कम विभव होने पर प्रकाश विद्युत धारा का मान:
(अ) शून्य होता है।
(ब) अधिक परन्तु 00 से कम होता है।
(स) कम परन्तु शून्य से अधिक होता है
(द) ∞ होता है।
उत्तर:
(अ) शून्य होता है।

प्रश्न 10.
इलेक्ट्रॉन गन से निर्गत इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे – बाग्ली तरंगदैर्ध्य 0.1227 À है। गन पर आरोपित त्वरक वोल्टता का मान होगा:
(अ) 20 kV
(ब) 10 kV
(स) 30kV
(द) 40kv
उत्तर:
(ब) 10 kV

प्रश्न 11.
धातु के पृष्ठ पर आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर:
(अ) प्रकाश विद्युत धारा बढ़ जायेगी।
(ब) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
(स) इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा तथा संख्या दोनों में वृद्धि होती है।
(द) प्रकाश विद्युत धारा नियत रहती है।
उत्तर:
(अ) प्रकाश विद्युत धारा बढ़ जायेगी।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 12.
यदि Φ कार्यफलन है तो देहली तरंगदैर्घ्य का सूत्र होता है:
(अ) hΦ/c
(ब) c/hΦ
(स) Φ/hc
(द) hc/Φ
उत्तर:
(द) hc/Φ

प्रश्न 13.
निरोधी विभव निर्भर होता है:
(अ) केवल आपतित फोटोन की ऊर्जा पर।
(ब) केवल पदार्थ के कार्यफलन पर।
(स) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के अन्तर पर।
(द) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के योग पर
उत्तर:
(स) आपतित फोटोन की ऊर्जा और पदार्थ के कार्यफलन के अन्तर पर।

प्रश्न 14.
इलेक्ट्रॉन गन पर आरोपित त्वरक वोल्टता 10,000 वोल्ट हो तो गन से प्राप्त इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्राग्ली तरंगदैर्ध्य होगा:
(अ) 1.27 A
(ब) 12.27 À
(स) 1227 Å
(द) 0.1227 Å
उत्तर:
(द) 0.1227 Å

प्रश्न 15.
जब प्रकाश विद्युत प्रभाव उत्पन्न करने वाली सतह पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता दुगुनी कर दी जावे तो:
(अ) उत्सर्जित फोटोन की आवृत्ति दुगुनी हो जायेगी
(ब) दुगुने फोटोन निकलेंगे
(स) फोटोन पहले की अपेक्षा चार गुणा अधिक निकलेंगे
(द) कोई प्रभाव नहीं होगा।
उत्तर:
(ब) दुगुने फोटोन निकलेंगे

प्रश्न 16.
धात्विक सतह से निकलने वाले फोटो इलेक्ट्रॉनों की अवस्था हो सकती है:
(अ) विरामावस्था
(ब) समान ऊर्जा अवस्था
(स) इनकी ऊर्जा शून्य से अनन्त तक हो सकती है।
(द) इनकी ऊर्जा शून्य से एक निश्चित मान तक हो सकती है।
उत्तर:
(द) इनकी ऊर्जा शून्य से एक निश्चित मान तक हो सकती है।

प्रश्न 17.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग निर्भर करता है:
(अ) केवल आपतित फोटोनों की आवृत्ति पर
(ब) केवल आपतित फोटोनों की तीव्रता पर
(स) धातु के कार्यफलन तथा आपतित फोटोनों की तीव्रता पर
(द) आपतित फोटोनों की आवृत्ति तथा धातु के कार्यफलन पर।
उत्तर:
(द) आपतित फोटोनों की आवृत्ति तथा धातु के कार्यफलन पर।

प्रश्न 18.
जब पराबैंगनी किरणें किसी धातु की सतह पर आपतित होती हैं. प्रकाश विद्युत प्रभाव नहीं हो पाता है परन्तु निम्न के आपतित होगा:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(स) रेडियो तरंगें
(द) प्रकाश तरंगें
उत्तर:
(ब) X-किरणें

प्रश्न 19.
तीन धातुओं A, B और C के कार्यफलन क्रमानुसार 1.92eV, 2eveV हैं। आइन्सटीन समीकरण के आधार पर 4100 Å तरंगदैर्ध्य विकिरण का प्रयोग करने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होगा:
(अ) किसी धातु से भी नहीं
(ब) केवल A से
(स) केवल A व B से
(द) सभी तीनों धातुओं से
उत्तर:
(स) केवल A व B से

प्रश्न 20.
कार्यफलन कहलाता है:
(अ) आवश्यक ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन को उसकी कक्षा से बाहर निकाल दे।
(ब) एकांक क्षेत्रफल पर आपतित आवश्यक ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन को धातु से बाहर निकाल दे।
(स) प्रति इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉनों को धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।
(द) इलेक्ट्रॉन को धातु से मुक्त कराने के लिए आपतित ऊर्जा।
उत्तर:
(स) प्रति इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉनों को धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।

प्रश्न 21.
फोटो- सेल में प्रकाश-विद्युत धारा का मान निर्भर करता है:
(अ) केवल आपतित विकिरण की तीव्रता पर
(ब) आपतित विकिरण की आवृत्ति तथा तीव्रता पर
(स) केवल ऐनोड तथा कैथोड के बीच विभवान्तर पर
(द) विकिरण की तीव्रता तथा विभवान्तर
उत्तर:
(द) विकिरण की तीव्रता तथा विभवान्तर

प्रश्न 22.
देहली आवृत्ति वह आवृत्ति होती है:
(अ) इससे कम आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा का मान स्थिर रहता है।
(ब) इससे कम आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा विभवान्तर के साथ बढ़ती है।
(स) इससे अधिक आवृत्ति पर प्रकाश-विद्युत धारा संतृप्त हो जाती है।
(द) इससे कम आवृत्ति पर फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नहीं होता है।
उत्तर:
(द) इससे कम आवृत्ति पर फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नहीं होता है।

प्रश्न 23.
प्रकाश विद्युत सेल:
(अ) विद्युत को प्रकाश में बदलता है।
(ब) प्रकाश को विद्युत में बदलता है।
(स) प्रकाश का संचय करता है
(द) विद्युत का संचय करता है।
उत्तर:
(ब) प्रकाश को विद्युत में बदलता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 24.
जब ho ऊर्जा के फोटॉन ऐलुमिनियम की प्लेट (कार्यफलन = E0) पर आपतित होते हैं तो उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन्स की अधिकतम गतिज ऊर्जा K होती है। यदि विकिरण की आवृत्ति को दुगुना कर दिया जाए तो उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन्स की अधिकतम गतिज ऊर्जा होगी:
(अ) 2K
(ब) K
(स) K + hv
(द) K + E
उत्तर:
(स) K + hv

प्रश्न 25.
फोटो सेल में प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रयोग होता है:
(अ) प्रदीपन तीव्रता में बदलाव को प्रकाश विद्युत धारा में बदलाव में बदलने के लिए
(ब) प्रदीपन तीव्रता में बदलाव को फोटो कैथोड के कार्यफलन में बदलाव में बदलने के लिए
(स) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत धारा बदलाव में बदलने के लिए
(द) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत वोल्टता में बदलाव में बदलने के लिए
उत्तर:
(स) प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव को विद्युत धारा बदलाव में बदलने के लिए

प्रश्न 26.
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग में क्रिस्टल का कार्य क्या है?
(अ) धुवण
(ब) व्यतिकरण
(स) विवर्तन
(द) अपवर्तन
[ संकेत- डेविसन – जरमर प्रयोग में क्रिस्टल एक ग्रेटिंग की भाँति कार्य करता है व इसके द्वारा इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन होता है। उत्तर (स) होगा।]
उत्तर:
(स) विवर्तन

प्रश्न 27.
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य A कण की गतिज ऊर्जा E पर निर्भर करता है:
(अ) λ α E
(ब) λ α √E
(स) λ α 1/E
(द) λ α 1/√E
उत्तर:
(द) λ α 1/√E

प्रश्न 28.
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या की:
(अ) न्यूटन ने
(ब) आइन्सटाइन ने।
(स) प्लांक ने।
(द) बोर ने।
उत्तर:
(ब) आइन्सटाइन ने।

प्रश्न 29.
प्रकाश – विद्युत प्रभाव सिद्ध करता है कि प्रकाश में:
(अ) अनुप्रस्थीय तरंगें होती हैं
(ब) क्वान्टम प्रकृति होती है
(स) द्वैत प्रकृति होती है
(द) विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं।
उत्तर:
(ब) क्वान्टम प्रकृति होती है

प्रश्न 30.
V वोल्ट से त्वरित प्रोटोन पुंज की डी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य A में होगी:
(अ) \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\)
(ब) \(\frac{0.286}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)
(स) \(\frac{0.101}{\sqrt{V}}\)
(द) \(\frac{0.028}{\sqrt{V}}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{0.286}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)

प्रश्न 31.
किसी धातु की सतह पर प्रकाश डालने से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं जब आपतित प्रकाश की आवृत्ति:
(अ) देहली आवृत्ति से अधिक होती है।
(ब) देहली आवृत्ति से कम होती है।
(स) की तीव्रता एक निश्चित मान से अधिक होती है।
(द) की तीव्रता एक निश्चित मान से कम होती है।
उत्तर:
(अ) देहली आवृत्ति से अधिक होती है।

प्रश्न 32.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आवृत्ति एवं निरोधी विभव V का ग्राफ सामने दिया गया है। धातु का कार्यफलन होगा:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 1
(अ) OB
(ब) AB
(स) OA
(द) OA + AB
उत्तर:
(अ) OB

प्रश्न 33.
डी-ब्रॉग्ली के अनुसार किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन के लिए डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य 10-9 मीटर है, तो इलेक्ट्रॉन के लिए मुख्य क्वान्टम संख्या का मान क्या होगा?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
उत्तर:
(स) 3

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प्रश्न 34.
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 1 तथा प्रोटॉन का द्रव्यमान Mp है, इन्हें समान विभवान्तर से त्वरित करने पर इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन से सम्बन्धित डी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य का अनुपात Ae : Ap होगा:
(अ) 1
(ब) me : mp
(स) \(\sqrt{\frac{m_p}{m_e}}\)
(द) \(\sqrt{\frac{m_e}{m_p}}\)
उत्तर:
(स) \(\sqrt{\frac{m_p}{m_e}}\)

प्रश्न 35.
प्रोटॉन तथा एल्फा कण की डी ब्रोगली तरंगदैर्घ्य समान है। इनके वेगों का अनुपात होगा:
(अ) 12
(ब) 21
(स) 14
(द) 21
उत्तर:
(द) 21

प्रश्न 36.
समान वेग से गतिमान कणों में से डी ब्रोगली तरंगदैर्घ्य अधिकतम होगी:
(अ) इलेक्ट्रॉन की
(ब) प्रोटॉन की
(स) न्यूट्रॉन की
(द) फोटोन की।
उत्तर:
(अ) इलेक्ट्रॉन की

प्रश्न 37.
धातु के कार्यफलन से दुगुनी ऊर्जा वाला एक फोटोन धातु के पृष्ठ पर आपतित होता है। अधिकतम गतिज ऊर्जा का उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉन की मान होगा:
(अ) कार्यफलन का तिगुना
(ब) कार्यफलन का दुगुना
(स) कार्यफलन के बराबर
(द) कार्यफलन का आधा।
उत्तर:
(स) कार्यफलन के बराबर

प्रश्न 38.
अनिश्चितता सिद्धान्त के अनुसार किसी कण की स्थिति का शत-प्रतिशत शुद्धता से मापन कर लिया जाये तो उसके संवेग में अनिश्चितता होगी:
(अ) शून्य
(ब) 0%
(स) 10%
(द) 30%
उत्तर:
(ब) 0%

प्रश्न 39.
इलेक्ट्रॉनों का तरंगों से सम्बद्ध कौनसा गुण डेविसन एवं जरमर के प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया:
(अ) अपवर्तन
(ब) ध्रुवण
(स) व्यतिकरण
(द) विवर्तन
उत्तर:
(द) विवर्तन

प्रश्न 40.
जब पराबैंगनी किरणें किसी धातु की सतह पर आपतित होती हैं, तो प्रकाश विद्युत प्रभाव नहीं हो पाता है परन्तु निम्न के आपतित होने से होगा:
(अ) अवरक्त किरणें
(ब) X-किरणें
(स) रेडियो तरंगें
(द) प्रकाश तरंगें
उत्तर:
(ब) X-किरणें

प्रश्न 41.
यदि धातु की सतह पर आपतित फोटोनों की आवृत्ति दुगुनी कर दी जाये तो उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा हो जायेगी:
(अ) दुगुनी
(ब) दुगुनी से कुछ कम
(स) दुगुनी से अधिक
(द) कुछ कह नहीं सकते
उत्तर:
(स) दुगुनी से अधिक

प्रश्न 42.
प्रकाश विद्युत सेल में एनोड तथा कैथोड के बीच विभवान्तर बढ़ाने पर प्रकाश विद्युत धारा का मान:
(अ) कम होता है।
(ब) पहले बढ़ता है फिर कम होता है।
(स) पहले बढ़ता है फिर स्थिर होता है।
(द) अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर:
(स) पहले बढ़ता है फिर स्थिर होता है।

प्रश्न 43.
फोटो सेल का उपयोग होता है:
(अ) फैक्ट्री में मजदूरों की संख्या जानने में
(ब) स्वतः संचालित दरवाजों में
(स) गलियों की लाइट में स्वतः स्विचन के लिए
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 44.
एक आवेशित कण की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य विभवान्तर से त्वरित किया गया है V में सम्बन्ध है:
(अ) λ α v
(ब) λ α 1/√ v
(स) λ α √ v
(द) λ α 1/v
उत्तर:
(ब) λ α 1/√ v

प्रश्न 45.
समान ऊर्जा के एक प्रोटॉन तथा एक कण से सम्बद्ध दे- ब्रॉग्ली तरंगदैघ्यों का अनुपात होगा:
(अ) 1 : 4
(ब) 1 : 2
(स) 4 : 1
(द) 2 : 1
उत्तर:
(द) 2 : 1

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प्रश्न 46.
अनिश्चितता का सिद्धान्त प्रतिपादित किया-
(अ) प्लांक ने
(ब) आइन्स्टाइन ने
(स) हाइजेनबर्ग ने
(द) दे-ब्रॉग्ली ने
उत्तर:
(स) हाइजेनबर्ग ने

प्रश्न 47.
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?
(अ) द्रव्य तरंग सिद्धान्त पर
(ब) कणिका सिद्धान्त पर
(स) अनिश्चितता सिद्धान्त पर
(द) उपरोक्त सभी पर
उत्तर:
(अ) द्रव्य तरंग सिद्धान्त पर

प्रश्न 48.
डेविसन तथा जर्मर के प्रयोग में 54 वोल्ट से त्वरित इलेक्ट्रॉन पुंज निकिल क्रिस्टल से 50° से विवर्तित होता है तथा प्रथम विवर्तन उच्चिष्ठ उत्पन्न करता है। निकिल क्रिस्टल में परमाण्विक दूरी होती है:
(अ) 1 A
(ब) 2 A
(स) 2.15 A
(द) 3.12 A
उत्तर:
(स) 2.15 A

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकाश विद्युत प्रभाव में आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य को कम करने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ जायेगा।

प्रश्न 2.
कण की तरंग प्रकृति का समर्थन करने वाले प्रयोग का नाम दीजिए।
उत्तर:
डेविसन तथा जर्मर का प्रयोग।

प्रश्न 3.
100 वोल्ट के विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की दे- ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
त्वरक विभव = 100 वोल्ट
ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ होगी
हम जानते हैं:
λ = h/p = \(\frac{1.227}{\sqrt{V}}\)
λ = \(\frac{1.227}{\sqrt{100}}\) = \(\frac{1.227}{10}\)
λ = 0.123nm

प्रश्न 4.
किसी आवेशित कण का द्रव्यमान ‘m’ है और इस पर ‘q’ आवेश है। इस कण को यदि V विभवान्तर से त्वरित किया जाये, तो इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V विभवान्तर से त्वरित q आवेश युक्त कण की ऊर्जा
K = qV
कण का संवेग P = √2mK
= √2mqV
दे- ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/p
= h/√2mqV

प्रश्न 5.
किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ पर आपतित विकिरण की तरंगदैर्ध्य घटाने से प्रकाश वैद्युत धारा किस प्रकार परिवर्तित होगी?
उत्तर:
प्रकाश वैद्युत धारा आपतित विकिरण की तीव्रता पर निर्भर करती है, उसकी ऊर्जा (तरंगदैर्घ्य) पर नहीं। अतः यह परिवर्तित नहीं होगी।

प्रश्न 6.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आपतित प्रकाश की आवृत्ति (v) एवं निरोधी विभव के मध्य ग्राफ बनाइये।
उत्तर:
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प्रश्न 7.
m द्रव्यमान के गतिशील कण की डी ब्रोगली तरंग लम्बाई 2 है तो उसकी गतिज ऊर्जा का मान बताइये।
उत्तर:
K = h2/2mλ2

प्रश्न 8.
एक फोटोन की ऊर्जा E = hv तथा फोटोन का संवेग P = h/λ है, तो फोटोन का वेग होगा।
उत्तर:
फोटोन का वेग v = E/P

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प्रश्न 9.
नियत आवृत्ति पर प्रकाश विद्युत धारा का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आपतित प्रकाश की तीव्रता पर।

प्रश्न 10.
देहली आवृत्ति तथा कार्यफलन में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
hV0 = Φ0 या v0 = Φ0/h

प्रश्न 11.
आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण किस संरक्षण नियम पर आधारित होता है?
उत्तर:
ऊर्जा के संरक्षण नियम पर

प्रश्न 12.
पदार्थ के कार्यफलन का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
पदार्थ के कार्यफलन का मान उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 13.
धातुओं में प्रकाश विद्युत प्रभाव किन विकिरणों से उत्पन्न नहीं होता है?
उत्तर:
रेडियो तरंग से।

प्रश्न 14.
किसी धातु का सतह से प्रकाश विद्युत प्रभाव तभी होगा जबकि आपाती प्रकाश की आवृत्ति किस आवृत्ति से अधिक होती है?
उत्तर:
देहली।

प्रश्न 15.
किसी धातु पर आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर उसकी उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 16.
प्रकाशीय ऊर्जा को विद्युतीय ऊर्जा में रूपान्तरित करने के लिये किस युक्ति का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
फोटो सेल।

प्रश्न 17.
निरोधी विभव का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर।

प्रश्न 18.
1 ev ऊर्जा कितने जूल के तुल्य होती है?
उत्तर:
1.6 x 10-19 जूल।

प्रश्न 19.
सीजियम, जिंक आदि पदार्थों का उपयोग फोटो सेल में किस रूप में किया जाता है?
उत्तर:
प्रकाश सुग्राही पदार्थ के रूप में।

प्रश्न 20.
एक दिये गये प्रकाश सुग्राही पदार्थ तथा नियत आवृत्ति के आपतित विकिरण के एक स्रोत के लिए प्रकाश-विद्युत धारा आपतित प्रकाश की तीव्रता के साथ किस प्रकार विघटित होती है?
उत्तर:
प्रकाश वैद्युत धारा आपतित विकिरण की तीव्रता के बढ़ने के साथ बढ़ती है। इसके ग्राफीय विचरण को चित्र में दर्शाया गया है।
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प्रश्न 21.
प्रकाश वैद्युत प्रभाव के सन्दर्भ में निरोधी विभव का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रकाश-वैद्युत प्रभाव में धन प्लेट पर लगाया गया वह न्यूनतम ऋणात्मक विभव जिस पर प्रकाश वैद्युत धारा शून्य हो जाये निरोधी विभव या संस्तब्ध विभव कहलाता है।

प्रश्न 22.
यदि किसी प्रकाश वैद्युत सेल में आपतित विकिरण की तीव्रता बढ़ा दी जाये तो निरोधी विभव किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:
निरोधी विभव आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता है, अतः यह नहीं बदलेगा।

प्रश्न 23.
प्रकाश विद्युत प्रभाव को प्रेक्षित करने के लिये आपतित प्रकाश की आवृत्ति किस आवृत्ति से अधिक होनी चाहिये?
उत्तर:
प्रकाश सुग्राही पदार्थ की देहली आवृत्ति से।

प्रश्न 24.
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के पैकेट को क्या कहते हैं?
उत्तर:
फोटॉन।

प्रश्न 25.
दे ब्रॉग्ली के अनुसार द्रव्य तरंग के तरंगदैर्घ्य का सूत्र लिखिये।
उत्तर:
λ = h/mv

प्रश्न 26.
किसी धातु का कार्यफलन 2 eV है। इसके मतलब को समझाइये।
उत्तर:
धातु से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिये उन्हें प्रति इलेक्ट्रॉन न्यूनतम 2ev ऊर्जा देनी होगी।

प्रश्न 27.
किसी धातु की सतह पर एकवर्णीय प्रकाश डालने पर भी उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा भिन्न-भिन्न होती है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि धातु में स्थित सब मुक्त इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा समान नहीं होती, उनमें असमान ऊर्जा वितरण होता है।

प्रश्न 28.
किसी पदार्थ के लिये निरोधी विभव तथा आपतित प्रकाश की आवृत्ति के बीच ग्राफ कैसा होता है?
उत्तर:
सीधी रेखा में जो मूल बिन्दु से नहीं गुजरता है।

प्रश्न 29.
आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण लिखिये।
उत्तर:
1/2 mv2 = h (v – Ug) mv2

प्रश्न 30.
दो धातु A तथा B के कार्यफलन क्रमश: 2 ev तथा 4 eV हैं। प्रकाश वैद्युत प्रभाव के लिए किसकी देहली तरंगदैर्ध्य कम होगी?
उत्तर:
Φ0 = hc/λ0 = λ0 = hc/Φ0 = λ0 α 1/ Φ0
Φ0 धातु B के लिए अधिक है। अतः इसके लिए देहली तरंगदैर्ध्य कम होगी।

प्रश्न 31.
दो धातु X तथा Y पर जब उचित आवृत्ति का प्रकाश डाला जाता है तो इनसे प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। X का कार्यफलन Y के कार्यफलन से अधिक है। किस धातु के लिए देहली आवृत्ति अधिक होगी और क्यों?
उत्तर:
Φ0 = hv0
v0 = Φ/p
∵ X का कार्यफलन अधिक है, अतः इसी के लिए देहली आवृत्ति अधिक होगी।

प्रश्न 32.
एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य समान है। इनकी गतिज ऊर्जा परस्पर किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा K = \(\frac{\mathrm{h}^2}{2 \mathrm{~m} \lambda^2}\)
k α 1/m ⇒ Kc/Kp = mp/mc
∵ λ समान है )

प्रश्न 33.
कितने वोल्ट तथा कितने कोण पर तीव्रता का मान अधिकतम होता है?
उत्तर:
54 वोल्ट तथा 50° के प्रकीर्णन कोण पर

प्रश्न 34.
प्रकाश सुग्राही पदार्थ कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
सीजियम, लीथियम, सोडियम, पोटेशियम आदि क्षारीय धातुयें।

प्रश्न 35.
प्रकाश-विद्युत सेल में कैथोड को परवलयाकार क्यों बनाया जाता है?
उत्तर:
जिससे अधिक से अधिक इलेक्ट्रॉन ऐनोड पर जा सकें।

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प्रश्न 36.
प्रकाश विद्युत सेल में प्रयुक्त कैथोड का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक तथा सीजियम लेपित क्यों होते हैं?
उत्तर:
प्रयुक्त कैथोड का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक इसलिए होता है जिससे कि इलेक्ट्रॉन ज्यादा से ज्यादा निकले और लेपित इसलिए किया जाता है चूँकि यह एक प्रकाश सुग्राही पदार्थ है।

प्रश्न 37.
देहली आवृत्ति को परिभाषित कीजिये धातु के कार्यफलन के साथ यह किस प्रकार परिवर्तित होती है?
उत्तर:
वह न्यूनतम आवृत्ति (v0) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में समक्ष नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको (v0) से प्रदर्शित करते हैं। धातु के कार्यफलन के साथ यह समानुपाती रूप में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 38
विभिन्न तीव्रता तथा समान तरंगदैर्घ्य के दो प्रकाश पुंजों के लिए प्रकाश वैद्युत धारा तथा एनोड विभव के बीच ग्राफ खींचिये।
उत्तर:
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प्रश्न 39.
एक इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा समान है। इन दोनों में से किसकी डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य बड़ी होगी? कारण भी दीजिए।
उत्तर:
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\) ⇒ \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{m}}}\)( h तथा K नियतांक है।)
परन्तु mc < mp अतः इलेक्ट्रॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य बड़ी होगी।

प्रश्न 40.
V विभवान्तर पर त्वरित इलेक्ट्रॉन से बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य है। यदि त्वरक विभव 4V कर दिया जाये तो तरंगदैर्घ्य कितनी होगी?
उत्तर:
डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
λ = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\)
⇒ λ α \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{V}}}\) = λ/λ = \(\sqrt{\frac{\mathrm{V}}{4 \mathrm{~V}}}\)
= λ = 1/2v

प्रश्न 41.
एक इलेक्ट्रॉन तथा α-कण की गतिज ऊर्जा समान है। उनसे बद्ध तरंगदैर्घ्य किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा K = P2
K = (h/λ)2/2m = h2/2mλ2
⇒ λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\)
λ α \(\frac{1}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)
∴ \(\frac{\lambda_{\mathrm{c}}}{\lambda_\alpha}\) = \(\sqrt{\frac{\mathrm{m}_\alpha}{\mathrm{m}_{\mathrm{e}}}}\)

प्रश्न 42.
किसी एक प्रयोग का नाम लिखिये जिससे दे-ब्रॉग्ली के तरंग सिद्धान्त की पुष्टि होती हो।
उत्तर:
डेविसन एवं जरमर का प्रयोग।

प्रश्न 43.
डेविसन व जर्मर के प्रयोग में आयनीकरण प्रकोष्ठ का क्या कार्य है?
उत्तर:
विवर्तित इलेक्ट्रॉन की तीव्रता नापने के लिये।

प्रश्न 44.
डेविसन जर्मर के प्रयोग में क्रिस्टल का क्या कार्य है?
उत्तर:
विवर्तन ग्रेटिंग।

प्रश्न 45.
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग का उद्देश्य बतलाइये।
उत्तर:
डेविसन एवं जरमर के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य यह था कि इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन सम्भव है। चूँकि विवर्तन तरंगों का गुण है अतः इससे यह सिद्ध होता है कि इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध तरंग होती है अर्थात् दे-ब्रॉग्ली की द्रव्य तरंगों की परिकल्पना सही है।

प्रश्न 46.
कण की स्थिति एवं सम्बन्धित संवेग में अनिश्चितताओं के लिये हाइजनबर्ग का सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
∆x ∆P ≥ h/p

प्रश्न 47.
किसी आवेशित कण का द्रव्यमान ‘m’ है और इस पर ‘q’ आवेश है इस कण को यदि V विभवान्तर से त्वरित किया जाये तो इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
V विभवान्तर से त्वरित q आवेश युक्त कण की ऊर्जा
E = qV
कण का संवेग p = √2mE = √2mqV
इसलिए दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/p = h/√2mqV

प्रश्न 48.
0.12 किग्रा. द्रव्यमान की गेंद 20 मी/से की चाल से गतिमान है। इसकी दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। (प्लांक नियतांक h = 6.62 x 10-4 जूल. से)
उत्तर:
दिया है
m = 0.12 किग्रा v=20 मी/से λ = ?
h = 6.62 × 10-4 जूल. से
डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ = h/p = h/mv
मान रखने पर
λ = h/p = h/mv
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{0.12 \times 20}\)
= 2.758 × 10-34 मीटर

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प्रश्न 49.
दो धातु की प्लेटों P तथा Q के लिए अंतक विभव के बीच वक्र दर्शाए गये हैं। इनमें से किस धातु Vo तथा आवृत्ति v की देहली तरंगदैर्घ्य एवं कार्यफलन अधिक होगा?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 5
उत्तर:
प्लेट P की आवृत्ति कम है। इस कारण से देहली तरंगदैर्घ्य का मान अधिक होगा। चूँकि
λ = c/v
अतः P प्लेट की देहली तरंगदैर्घ्य अधिक होगी।
प्लेट Q की आवृत्ति (v) का मान अधिक है तथा ( कार्यफलन
= h x देहली आवृत्ति )
अतः प्लेट Q का कार्यफलन अधिक होगा

प्रश्न 50.
एक धातु पर 5eV के फोटोन डालने पर उत्सर्जित फोटो-इलेक्ट्रॉन के निरोधी विभव का मान 3.2 वोल्ट है। धातु का कार्यफलन क्या है?
उत्तर:
धातु का कार्यफलन
Φo = 5 ev – 3.2 eV = 1.8 eV

प्रश्न 51.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के सन्दर्भ में निरोधी विभव (अंतक विभव) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
“निरोधी विभव (V), कैथोड के सापेक्ष एनोड को दिया गया वह ऋणात्मक विभव होता है जिस पर प्रकाश विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है।”

प्रश्न 52.
किसी धातु का कार्यफलन 3.31 × 1.6 × 10-19 जूल है तो उसकी देहली आवृत्ति की गणना हर्ट्ज में कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं:
दिया है
कार्यफल 4g = hvo
4g = 3.31 × 1.6 x 10-19 जूल h = 6.63 × 10-34 जूल सेकण्ड
देहली आवृत्ति V =
\(\frac{3.31 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
Vo = 7.99 × 1014 Hz

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
देहली आवृत्ति एवं अन्तक विभव को परिभाषित कीजिए।
अथवा
प्रकाश विद्युत प्रभाव की घटना में अग्र को परिभाषित कीजिए।
(i) कार्यफलन
(ii) निरोधी विभव (अन्तक विभव)।
उत्तर:
देहली आवृत्ति – वह न्यूनतम आवृत्ति (vo) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में सक्षम नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको 00 से प्रदर्शित करते हैं।
अन्तक विभव आपतित विकिरण की एक निश्चित आवृत्ति के लिए पट्टिका पर दिया गया निम्नतम ऋण (मंदक) विभव Vo जिस पर प्रकाशिक धारा शून्य हो जाती है, अंतक (cut-off) अथवा निरोधी विभव (stopping potential) कहलाता है। इस स्थिति में Kmax = eVo
कार्यफलन – “वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी धातु के प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक होती है, उस धातु का प्रकाश-वैद्युत कार्यफलन ( work function) कहलाती है।” सामान्यतः इसको W या po से व्यक्त करते हैं इसको जूल तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग में वे प्रेक्षण बताइए जो:
(i) इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति को प्रदर्शित करते हैं।
(ii) डी- बॉली सम्बन्ध की पुष्टि करते हैं।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनों का विवर्तन जिसमें विवर्तित इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता विवर्तन कोण पर निर्भर करती है तथा Φ = 50° एक उभार दिखाता है।
(ii) इस प्रयोग द्वारा ज्ञात की गई डी-बॉग्ली तरंगदैर्ध्य का सूत्र \(\frac{h}{\mathrm{P}}\) = \(\frac{12.27}{\sqrt{\mathrm{V}}}\)द्वारा निकाले गये मान के लगभग बराबर आता है। यही डी-ब्रॉग्ली सम्बन्ध की पुष्टि करता है।

प्रश्न 3.
कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से जिस विभवान्तर V तक त्वरित किया गया है, उसके साथ डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का विचरण ग्राफ द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)
λ α \(\frac{1}{\sqrt{V}}\)
λ का V के साथ विचरण नीचे चित्र में दर्शाया गया है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 6

प्रश्न 4.
एक प्रकाश-वैद्युत सेल में आपतित विकिरण की आवृत्ति v देहली आवृत्ति v0 से अधिक है। यदि आवृत्ति बढ़ाई जाये, तो दूसरे कारकों को स्थिर रखते हुए निरोधी विभव किस प्रकार परिवर्तित होगा?
उत्तर:
निरोधी विभव
v0 = (hv/e) -(hv0/e)
अतः जब आवृत्ति v बढ़ाई जाती है, तो निरोधी विभव Vo भी बढ़ेगा।

प्रश्न 5.
धातु के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉनों को न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा किन-किन भौतिक विधि द्वारा दी जाती है? उन्हें लिखिए।
उत्तर:
न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा निम्न किसी भी एक भौतिक विधि के द्वारा दी जा सकती है:
(i) तापायनिक उत्सर्जन
(ii) क्षेत्र उत्सर्जन
(iii) प्रकाश विद्युत उत्सर्जन।
(i) तापायनिक उत्सर्जन: तापायनिक उत्सर्जन के द्वारा मुक्त इलेक्ट्रॉनों को पर्याप्त तापीय ऊर्जा दी जा सकती है, जिससे कि वे धातु से बाहर आ सकें।
(ii) क्षेत्र उत्सर्जन- किसी धातु पर लगाया गया एक प्रबल विद्युत क्षेत्र 108 V/m की कोटि का इलेक्ट्रॉनों को धातु पृष्ठ ला सकता है। जैसा कि किसी स्पार्क प्लग में होता है।
(iii) प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन उपयुक्त आवृत्ति का प्रकाश जब किसी धातु पृष्ठ पर पड़ता है तो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है। ये प्रकाश जनित इलेक्ट्रॉन प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
प्रकाश सुग्राही पदार्थ किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा पदार्थ जिस पर एक विशिष्ट आवृत्ति या उससे अधिक आवृत्ति का प्रकाश डाला जाये और उसमें से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन हो सके ऐसा पदार्थ प्रकाश सुग्राही पदार्थ कहलाता है।
X – किरणों के लिये भारी धातु जबकि प्रकाश एवं पराबैंगनी किरणों के लिये क्षारीय धातु प्रकाश सुग्राही होते हैं।

प्रश्न 7.
प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या होता है?
उत्तर:
प्रकाश विद्युत प्रभाव जब किसी धातु की प्लेट पर विशिष्ट तरंगदैर्ध्य (आवृत्ति) का प्रकाश डाला जाता है तो उसमें से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की इस घटना को ‘प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं। प्रकाश द्वारा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को ‘फोटो इलेक्ट्रॉन’ कहते हैं। फोटो इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण परिपथ में उत्पन्न धारा प्रकाश विद्युत धारा कहलाती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 8.
दो प्रकाश पुंज एक लाल तथा दूसरा नीला समान तीव्रता के हैं जो एक धात्विक पृष्ठ पर आपतित किये जाते हैं। इनमें से कौनसा पुंज अधिक गतिज ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगा?
उत्तर:
K = ho – Φ चूँकि नीले रंग की आवृत्ति लाल रंग की आवृत्ति से अधिक होती है, अतः नीला प्रकाश अधिक ऊर्जा के प्रकाश- इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगा।

प्रश्न 9.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम लिखिये।
उत्तर:
वैज्ञानिक लेनार्ड के द्वारा किये गये प्रकाश वैद्युत प्रभाव के प्रयोगों के आधार पर कुछ महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गये जिन्हें प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम से जाना जाता है। ये निम्न होते हैं
(1) किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर धातु की सतह पर आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
(2) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का मान आपतित प्रकाश के आवृत्ति के समानुपाती या तरंगदैर्घ्य के विलोमानुपाती होता है।
(3) धातु की सतह से फोटो इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन आपतित प्रकाश की एक निश्चित न्यूनतम आवृत्ति (अधिकतम तरंगदैर्घ्य ) तक ही सम्भव होता है। इस न्यूनतम आवृत्ति के देहली आवृत्ति तथा संगत तरंगदैर्ध्य को देहली तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
(4) देहली आवृत्ति या तरंगदैर्घ्य का मान फोटो सुग्राही पदार्थ की प्रकृति या धातु की सतह की प्रकृति पर निर्भर करता है।
(5) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गति तथा गजित ऊर्जा का मान आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता है
(6) आपतित प्रकाश तथा उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों के बीच कोई समयान्तराल नहीं होता है।

प्रश्न 10.
किसी धातु का कार्यफलन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कार्यफलन का मान ताप पर निर्भर होता है परन्तु यह निर्भरता उपेक्षणीय होने से इसे पदार्थ के लिये नियत माना जा सकता है। कार्यफलन को Wo या Φo से निरूपित किया जाता है। भिन्न पदार्थों के लिये इसका मान भिन्न-भिन्न होता है। टंग्स्टन के लिये इसका मान 4.5 eV के लगभग होता है। क्षारीय धातुओं के लिये इसका मान कम होता है। सोडियम के लिये इसका मान 1.5 ev है।

प्रश्न 11.
प्रकाश विद्युत सेल से प्लांक नियतांक का मान ज्ञात करने का नामांकित चित्र तथा निरोधी विभव एवं आपतित प्रकाश की आवृत्ति के मध्य चक्र बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 12.
प्रकाश के द्वैत-सिद्धांत को संक्षिप्त में लिखिये।
उत्तर:
प्रकाश की द्वैत प्रकृति के आधार पर डी-ब्रोगली ने परिकल्पना प्रस्तुत की। डी ब्रोगली के अनुसार द्रवित अवस्था में द्रव्य- कण जैसे प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन आदि भी तरंग की भाँति व्यवहार करते हैं इन्हें द्रव्य तरंगें या डी ब्रोगली तरंगें कहते हैं। इन द्रव्य तरंगों में जो राशि कम्पित होती है उसे तरंग फलन कहते हैं जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों को सम्बद्ध करना आवश्यक होता है, उसी प्रकार गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध करने चाहिए। अतः द्वैतीकरण प्रकृति न केवल प्रकाश में ही होती है वरन् द्रव्य कणों में भी होती है।

प्रश्न 13.
प्रकाश विद्युत प्रभाव में निरोधी विभव को परिभाषित कीजिये। प्रकाश विद्युत सेल में कैथोड पर लेपित पदार्थ का नाम दीजिये। प्रकाश विद्युत सेल के कोई चार उपयोग भी लिखिये।
उत्तर:
निरोधी विभव – प्लेट P के सापेक्ष प्लेट P2 उस ऋण विभव को जिस पर प्रकाश विद्युत धारा का मान परिपथ में शून्य हो जाता है, उसे निरोधी विभव Vn कहते हैं। फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
Kmax = 1/2mwanax = eVo
यहाँ पर
इलेक्ट्रॉन का आवेश है।
प्रकाश विद्युत सेल में कैथोड पर लेपित प्रकाश सुग्राही पदार्थ (K/Cs/Na) में से कोई एक पदार्थ हो सकता है।
प्रकाश विद्युत सेल के उपयोग:
(i) प्रकाश विद्युत सेलों का सबसे महत्त्वपूर्ण उपयोग सिनेमाओं में ध्वनि के पुनरोत्पादन (Reproduction of sound) में टेलीविजन में तथा फोटोटेलीग्राफ में किया जाता है।
(ii) इनसे द्रवों तथा ठोसों की अपारदर्शिता ज्ञात की जाती है।
(iii) इनके द्वारा आकाशीय पिंडों के ताप मापे जाते हैं तथा उनके स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जाता है।
(iv) ये भट्टियों तथा रासायनिक प्रक्रिया ओं में ताप नियंत्रण में काम आती हैं।

प्रश्न 14.
दे ब्रोगली की परिकल्पना के अनुसार वेग से गतिशील, m द्रव्यमान के कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य A हो तो सिद्ध कीजिये कि-
λ = h/√2mK
उत्तर:
हम जानते हैं कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य
λ = h/mv = h/P ………….(1)
यदि कण की गतिज ऊर्जा K हो तो
1/2mv2 = 2K
या
या
m2v2 = 2mK
या
mv = √2mK
p = √2mK ….(2)
समी (2) का मान समी (1) में रखने पर
λ = h/√2mK

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 15
समान विभवान्तर से त्वरित कण व प्रोटॉन से सम्बद्ध दे- ब्रोगली तरंगदैर्घ्य का अनुपात ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
हम जानते हैं α-कण के लिये दे ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 11 प्रोटॉन के लिये

प्रश्न 16
सिद्ध कीजिये कि समान विभवान्तर से त्वरित प्रोटॉन एवं α-कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों के तरंगदैर्घ्य का अनुपात 2√2:1 होता है।
अथवा
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग की क्या महत्ता है? एक Q-कण तथा एक प्रोटॉन को समान विभवान्तर √ पर त्वरित किया जाता है। इनसे बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का अनुपात ज्ञात कीजिए।
अथवा
समान विभवान्तर से त्वरित प्रोटोन एवं -कण से सम्बद्ध द्रव्य तरंगों की तरंगदैयों का अनुपात ज्ञात कीजिये।
उत्तर;
डेवीसन तथा जरमर प्रयोग इलेक्ट्रॉन की पदार्थिक तरंगों की उपस्थिति को प्रदर्शित करता है।
हम जानते हैं:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 10

प्रश्न 17.
प्रोटोन व एल्फा कणों की ऊर्जायें समान हों तो उनकी तरंग का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि यदि K ऊर्जा और m द्रव्यमान हो तो
तरंगदैर्घ्य,
λ = h/√2K.m
चूंकि दिया गया है कि ऊर्जायें समान हैं लेकिन द्रव्यमान और तरंगदैर्ध्य अलग-अलग हैं।
प्रोटोन के लिये,
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{~K} m_p}}\) ……(1)
a. कण के लिये
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{~K} m_\alpha}}\) ………….(2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) = \(\sqrt{\frac{m_\alpha}{m_p}}\)
लेकिन हम जानते हैं:
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) =\(\sqrt{\frac{4 m_p}{m_p}}\)
\(\frac{\lambda_p}{\lambda_\alpha}\) = 2/1
λp : λa = 2 : 1

प्रश्न 18.
यदि एक प्रोटॉन तथा एक कण समान वेग से गतिशील हों, तो उनसे सम्बद्ध दे-ब्रोगली तरंगदैयों का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
λ1 = h/mpvp …….(1)
λ2 = h/mαvα ………(2)
समीकरण (1) में समी (2) का भाग देने पर
\(\frac{\lambda_1}{\lambda_2}\) = \(\frac{h}{m_p v_p}\) × \(\frac{m_\alpha v_\alpha}{h}\)
लेकिन
Vp = Va तथा mα = 4mp
∴λ1/λ2 = mα/mp = 4mp/mp
λ1 : λ2 = 4 : 1

प्रश्न 19.
फोटॉन का विराम द्रव्यमान शून्य होता है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
प्लांक ने यह माना कि विकिरण ऊर्जा का उत्सर्जन अथवा अवशोषण संतत अविच्छिन्न नहीं होकर विविक्त (discrete) बण्डलों (bundles ) के रूप में होता है। फोटॉन एक द्रव्य कण नहीं होता है अपितु यह एक विकिरण ऊर्जा से सम्बद्ध कण होता है। इसे ऊर्जा का क्वाण्टम भी कहते हैं। फोटॉन विद्युत उदासीन होते हैं एवं इनका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।

प्रश्न 20.
द्रव्य तरंगों की द्वैती प्रकृति से सम्बन्धित दे-ब्रोग्ली की परिकल्पना लिखिये।
अथवा
दे-बोली परिकल्पना लिखिये।
उत्तर:
डी ब्रोग्ली की द्रव्य तरंगों की परिकल्पना- डी ब्रोग्ली ने एक परिकल्पना प्रस्तुत की कि जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों का सम्बद्ध होना पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध होने चाहिये अर्थात् गतिशील द्रव्य कणों को तरंगों की भाँति भी व्यवहार करना चाहिये। गतिशील द्रव्य कण से सम्बद्ध तरंगों को द्रव्य तरंगें कहते हैं।
डी-ब्रॉली ने यह माना कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य कण के संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होती है और इसे निम्न सूत्र से दिया जाता है-
λ = h/mv = h/p
यहाँ h प्लांक नियतांक है। m कण का द्रव्यमान v वेग तथा p संवेग है।

प्रश्न 21.
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अनिश्चितता सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी एक क्षण (समय) पर एक कण की स्थिति और संवेग दोनों का एक साथ एक ही दिशा में पूर्ण रूप से यथार्थ निर्धारण नहीं किया जा सकता। इनमें से किसी एक के सही नापने के लिये अभिकल्पना की जाये तो दूसरे का निर्धारण पूर्णरूपेण अनिश्चित हो जायेगा। यदि d.kdh fir eav fuf prrkar ∆x तथा संवेग में अनिश्चितता ∆pr हो तो ∆r एवं ∆px का गुणनफल कभी भी से कम नहीं हो सकता। गणितीय रूप से ∆x∆px > h/2
यहाँ h = 2/5 = 1.054 × 10-34 जूल-सेकण्ड होता है।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त सूक्ष्म तथा स्थूल दोनों प्रकार के कणों के लिये होता है। वस्तुओं का आकार बड़ा होने के कारण इनकी स्थिति में अनिश्चितता नगण्य होती है। अतः स्थूल कणों में अनिश्चितता का सिद्धान्त प्रेक्षित नहीं होता है।

प्रश्न 22.
दे ब्रोग्ली की परिकल्पना कीजिए। कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से विभव V वोल्ट द्वारा त्वरित किया जाता है तो इलेक्ट्रॉन की दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
देब्रोग्ली की परिकल्पना (De Broglie hypothesis) “प्रत्येक गतिशील द्रव्यकण से सम्बद्ध (associated) एक तरंग होती है जिसे द्रव्य तरंग (matter wave) या दे ब्रोग्ली तरंग कहते हैं।”
समीकरण
λ = hc/E = hc/mc2 = h/mc = h/p
के अनुसार प्रकाशीय
फोटॉन का तरंगदैर्ध्य उसके संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस तथ्य की तुल्यता के आधार पर दे ब्रोग्ली ने यह माना कि द्रव्य तरंग की तरंगदैर्घ्य कण के संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होती है एवं इसे निम्न सूत्र से दिया जाता है-
λ = h/mv = h/p
यहाँ b प्लांक नियतांक है। m कण का द्रव्यमान v वेग तथा p संवेग है।
त्वरित इलेक्ट्रॉन की तरंगदैर्ध्य की गणना-
हम जानते हैं-
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m. = 9.1 x 10-31 kg
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
प्लांक स्थिरांक h = 6.63 x 10-31 जूल x सेकण्ड
सूत्र
λc = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)
मान रखने पर
\(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.6 \times 10^{-19} \times \mathrm{V}}}\)
= \(\frac{12.27 \times 10^{-10}}{\sqrt{\mathrm{V}}}\) मीटर
(:. 1A° = 10-10 मीटर)

प्रश्न 23.
हाइड्रोजन परमाणु में अपनी निम्नतम अवस्था में परिक्रमण करने वाला इलेक्ट्रॉन जब तृतीय उत्तेजित अवस्था में गमन करता है, तब इससे सम्बद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
हम जानते हैं:
दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = h/p = h/mv
∴ p = mv
जबकि
λ α 1/v
v α 1/n होता है।
∴ λ α n
इसलिए दे ब्रॉग्ली तरंग दैर्ध्य का मान बढ़ेगा

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 24.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के सम्बन्ध में ‘निरोधी विभव’ और ‘देहली आवृत्ति’ पदों की परिभाषा लिखिए। आइंस्टीन समीकरण का उपयोग करके इन भौतिक राशियों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
निरोधी विभव आपतित विकिरण की एक निश्चित आवृत्ति के लिए पट्टिका पर दिया गया निम्नतम ऋण (मंदक) विभव V0 जिस पर प्रकाशिक धारा शून्य हो जाती है, अंतक (cut-off) अथवा निरोधी विभव (stopping potential) कहलाता है। इस स्थिति में K “max = evo
देहली आवृत्ति: वह न्यूनतम आवृत्ति (V) जिससे कम आवृत्ति का फोटोन इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में सक्षम नहीं होता है, उसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इसको V से प्रदर्शित करते हैं।
आइंस्टीन समीकरण से
evo = hv – Φ0
दी गई आवृत्ति के लिए v > v0, v0 का मान ज्ञात किया जा सकता है।
निरोधी विभव,
v0 = (h/e)v – Φ/e
Φo = hvo
देहली आवृत्ति
vo = Φo/h

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
20 वाट के बल्ब से 5 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश उत्सर्जित हो रहा है। बल्ब से एक सेकण्ड में उत्सर्जित होने वाले फोटॉनों की संख्या ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया गया है:
आवृत्ति v = 5 x 1014 Hz
5 x 1014 Hz आवृत्ति के फोटॉन की ऊर्जा
E = hu
E = 6.62 × 10-34 x 5 × 1014
= 33.1 x 1020 जूल
20 वाट के बल्ब द्वारा 1 सेकण्ड में उत्सर्जित ऊर्जा = 20 जूल बल्ब द्वारा 1 सेकण्ड में उत्सर्जित फोटॉन की संख्या
(N) = \(\frac{20}{33.1 \times 10^{-20}}\)
(N) = 6.04 × 1019
(N) ≈ 6 × 1019

प्रश्न 2.
3.31 À तरंगदैर्घ्य के फोटॉन की ऊर्जा की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
λ = 3.31 A
= 3.31 × 10-10
हम जानते हैं-
E = hc/λ
मान रखने पर E = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{3.31 \times 10^{-10}}\)
= 6 × 10-16 J
= \(\frac{6 \times 10^{-16}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 3.75 × 103 eV
= 3.75 KeV

प्रश्न 3.
एक धातु के लिए कार्यफलन 2.2 इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। इस पर 5000 ऐंग्स्ट्रम तरंगदैर्ध्य का फोटॉन आपतित है। उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ज्ञात करो प्लांक नियतांक h = 6.63 x 10-14 जूल सेकण्ड एवं प्रकाश का वेग c = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड।
उत्तर:
हम जानते हैं आइन्सटीन की प्रकाश विद्युत समीकरण के अनुसार फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा निम्न होती है-
1/2mv2max = h(v – v0)
या 1/2mv2max = hc/λ – Φ0
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{5000 \times 10^{-10}}\) – 2.2 × 1.6 × 10-19 J
= 3.52 × 10-19
(3.97 – 3.52) 10-19
= 0.46 × 10-19 J

प्रश्न 4.
किसी धातु से प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन करने वाली प्रकाश किरण की देहली तरंगदैर्घ्य 5800 ऐंग्स्ट्रम है। यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 4500 ऐंग्स्ट्रम हो तो प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि आइन्सटीन के प्रकाश विद्युत समीकरण से फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा निम्न होती है:
Kऊर्जा = hv – Φ0
या Kऊर्जा = hv – hv0
या Kऊर्जा = hc/λ – hc/λ0
या Kऊर्जा = hc(1/λ – 1/λ0)
या Kऊर्जा = hc \(\left(\frac{\lambda_0-\lambda}{\lambda \times \lambda_0}\right)\)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 9

प्रश्न 5.
एक टंग्स्टन से बने कैथोड जिसकी क्रान्तिक तरंगदैर्घ्य 2300 À है, पर पराबैंगनी किरणें जिनकी तरंगदैर्ध्य 1800 À आपतित होती है तदानुसार निम्न गणनाएँ कीजिए:
(i) फोटोइलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा (eV में)
(ii) टंग्स्टन का कार्यफलन (eV में)।
उत्तर:
(i) Kऊर्जा = 1⁄2mv2 = h(v – vo)
जहाँ v आपतित विकिरण की आवृत्ति एवं 0 क्रान्तिक आवृत्ति हैं। यदि λ एवं λ0 इनकी क्रमशः तरंगदैर्घ्य हो तो
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 8
(ii) टंग्स्टन का कार्यफलन Φo = hv0 = hc/λ0
= 8.608 x 10-19 जूल
= \(\frac{8.608 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 5.38eV

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प्रश्न 6.
100 V के समान विभवान्तर से त्वरित एक इलेक्ट्रॉन तथा cc-कण से सम्बन्धित दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिये।
उत्तर:
दिया है V = 100 वोल्ट
इलेक्ट्रॉन के लिये
λc = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\) A°
= \(\frac{12.27}{\sqrt{100}}\) A° = \(\frac{12.27}{10}\) A°
λc = 1.227 A
तथा α-कण के लिये
λα = \(\frac{0.101}{\sqrt{V}}\) A°
λα = \(\frac{0.101}{\sqrt{100}}\) A° = 0.101/10
λα = 0.010 A°

प्रश्न 7.
127°C ताप वाले न्यूट्रॉनों से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
तापीय न्यूट्रॉन के लिये तरंगदैर्घ्य का सूत्र
λm = \(\frac{30.835}{\sqrt{T}}\)A°
λm = \(\frac{30.835}{\sqrt{400}}\)A°
∵ T = 127 + 273 = 400K
∴ λm = \(\frac{30.835}{20}\)A°
= 1.54 A°

प्रश्न 8.
400 विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है- V = 400 v
हम जानते हैं:
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{meV}}}\)A° = \(\frac{12.27 \times 10^{-10}}{\sqrt{V}} \mathrm{~m}\)A°
मान रखने पर
λ = \(\frac{12.27 \times 10^{-10} \mathrm{~m}}{\sqrt{400}}\)A° = \(\frac{12.27}{20}\)A°
= 0.61 A°

प्रश्न 9.
6 × 1014 हर्ट्ज आवृत्ति का एकवर्णीय प्रकाश स्रोत प्रति सेकण्ड 2 x 103 जूल / सेकण्ड ऊर्जा उत्सर्जित करता है स्रोत द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटानों की संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है आवृत्ति V = 6 × 10-14
और एकवर्णीय प्रकाश स्रोत प्रति सेकण्ड 2 x 10-3 जूल / सेकण्ड ऊर्जा उत्सर्जित करता है इसलिये प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा होगी
E = hv
मान रखने पर
E = (6.63 × 10-34) × 6 × 10-14 = 3.978 × 10-19 जूल
यदि स्रोत के द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉन की संख्या N है तो किरण पुंज में संचरित क्षमता P प्रति फोटॉन ऊर्जा E के N गुना होगी जिससे कि
P = NE तब
N = P/E
= \(\frac{2.0 \times 10^{-3} \text {}}{3.978 \times 10^{-19}}\)
= 5.03 x 105 फोटॉन प्रति सेकण्ड

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