Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन
(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. अर्थसूत्री विभाजन का परिणाम है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) युग्मकों का निर्माण
(B) क्रोमोसोम की संख्या में कमी
(C) विभिन्नताओं का जन्म
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।
2. सेन्ट्रोमियर भाग लेता है-
(A) ट्रान्सक्रिप्सन में
(B) विनिमय में
(C) साइटोप्लाज्मिक विदलन में
(D) गुणसूत्र की ध्रुव की ओर गति में।
उत्तर:
(D) गुणसूत्र की ध्रुव की ओर गति में।
3. अर्धसूत्री विभाजन की किस अवस्था में अन्ततः युग्मकों का आनुवंशिक संगठन निर्धारित हो जाता है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) मध्यावस्था (I)
(B) पश्चावस्था II
(C) मध्यावस्था III
(D) पश्चावस्था I
उत्तर:
(A) मध्यावस्था (I)
4. जीवधारियों में अर्धसूत्री विभाजन किस दौरान होता है-
(A) लैंगिक जनन
(B) वर्षी प्रजनन
(C) लैंगिक व वर्धी प्रजनन दोनों
(D) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर:
(C) लैंगिक व वर्धी प्रजनन दोनों
5. अर्थसूत्री विभाजन की पश्चावस्था I के समय- (Exemplar Problem NCERT)
(A) समजात गुणसूत्र अलग हो जाते हैं
(B) असमजात ऑटोसोम अलग होते हैं।
(C) अर्धगुणसूत्र अलग होते हैं।
(D) नॉन-सिस्टर अर्धसूत्र अलग होते हैं।
उत्तर:
(A) समजात गुणसूत्र अलग हो जाते हैं
6. सूत्री विभाजन का विशिष्ट गुण है- (Exemplar Proble NCERT)
(A) निम्नकारी विभाजन
(B) समकारी विभाजन
(C) निम्नकारी व समकारी दोनों विभाजन
(D) उपर्युक्त कोई नहीं ।
उत्तर:
(B) समकारी विभाजन
7. केन्द्रक कला अदृश्य हो जाती है-
(A) प्रोफेज में
(B) मेटाफेज में
(C) एनाफेज में
(D) टीलोफेज में।
उत्तर:
(A) प्रोफेज में
8. कोशिका चक्र का सही क्रम है- (RPMT 2003)
(A) G1, S, G2, M
(B) G1, G2, S, M
(C) M, G1, G2, S
(D) S, G1, G2 M.
उत्तर:
(A) G1, S, G2, M
9. अर्द्धसूत्री विभाजन में समजाती गुणसूत्र कब पृथक् होते हैं ?
(A) मेटाफेज- I
(C) ऐनाफेज-1
(B) मेटाफेज-II
(D) ऐनाफेज-II.
उत्तर:
(C) ऐनाफेज-1
10. DNA का संश्लेषण किस अवस्था में होता है ? (UPCPMT2010)
(A) G1
(B) G2
(C) s
(D) M.
उत्तर:
(C) s
11. युम्मन के समय गुणसूत्रों के मध्य युग्मनहोता है-
(A) समान गुणसूत्रों के बीच
(B) समजात गुणसूत्रों के बीच
(C) असमजात गुणसूत्रों के बीच
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(B) समजात गुणसूत्रों के बीच
12. अर्धसूत्री विभाजन का वाइवेलेन्ट बना होता है- (Exemplar Problem NCERT)
(A) दो अर्धगुणसूत्र व एक सेण्ट्रोमियर
(B) दो अर्धगुणसूत्र व दो सेण्ट्रोमियर
(C) चार अर्धगुणसूत्र व 2 सेण्ट्रोमियर
(D) चार अर्धगुणसूत्र व4 सेण्ट्रोमियर ।
उत्तर:
(C) चार अर्धगुणसूत्र व 2 सेण्ट्रोमियर
13. कोशिकाएँ जो विभाजित नहीं हो रही सम्भवतः कौन-सी अवस्था प्रदर्शित करती है ? (Exemplar Problem NCERT)
(A) G1
(C) Go
(B) G2
(D) SPhase.
उत्तर:
(C) Go
14. G1 अवस्था के बारे में सही कथन का चुनाव कीजिए- (Exemplar Problem NCERT)
(A) कोशिका उपापचयी रूप से असक्रिया होती है
(B) कोशिका का DNA प्रतिकृति नहीं बनाता
(C) यह दीर्घ अणुओंके संश्लेषण की प्रावस्था नहीं है।
(D) कोशिका वृद्धि बंद कर देती है।
उत्तर:
(B) कोशिका का DNA प्रतिकृति नहीं बनाता
15. अर्थसूत्री विभाजन-1 की प्रोफेज की उपावस्थाओं का सही कम है-
(A) जाइगोटीन, पैकोटीन, डिप्लोटीन, लैप्टोटीन, डिकाइनेसिस
(B) सैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन, डिकाइनेसिस
(C) डिकाइनेसिस, लैप्टोटीन, पैकीटीन, जाइगोटीन, डिप्लोटीन
(D) सैप्टोटीन, पैकीटीन, जाइगोटीन, डिकाइनेसिस, डिप्लोटीन
उत्तर:
(B) सैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन, डिकाइनेसिस
16. जीन विनिमय होता है-
(A) सेप्टोटीन में
(B) जाइगोटीन में
(C) पैकीटीन में
(D) डिप्लोटीन में
उत्तर:
(C) पैकीटीन में
17. तर्क तन्दुओं का निर्माण इस प्रोटीन से होता है- (UPPMT 2008)
(A) मायोसीन
(B) एक्टिन
(C) ग्लोबुलर
(D) दयूबलिन।
उत्तर:
(D) दयूबलिन।
18. मनुष्य में अर्धसूत्री विभाजन होता है-
(A) यकृत एवं किडनी में
(B) नाखूनों की जड़ों में
(C) अस्थियों एवं उपास्थियों में
(D) वृषण एवं अण्डाशय में।
उत्तर:
(D) वृषण एवं अण्डाशय में।
19. निम्न में से कौन-सी परिघटना सूत्री विभाजन के समय नहीं देखी जाती ? (Exemplar Problem NCERT)
(A) क्रोमेटिन संघनन
(B) सेष्ट्रि ओल का विपरीत ध्रुवों की ओर गमन
(C) दो अर्धगुणसूत्र जो सेण्ट्रोमियर पर जुड़े हों वाले गुणसूत्र
(D) सिंग ओवर
उत्तर:
(D) सिंग ओवर
20. कोशिका लागू नहीं होता है-
(A) समसूत्री विभाजन में
(B) अर्द्धसूत्री विभाजन में
(C) A तथा B दोनों में
(D) इनमें से किसी में नहीं।
उत्तर:
(B) अर्द्धसूत्री विभाजन में
21. कौन-सी मीओसिस की सबसे लम्बी अवस्था है ? (UPPMT 2001)
(A) प्रोफेज-1
(C) एनाफे
(B) मेटाफेज-11
(D) टीलोफेन।
उत्तर:
(A) प्रोफेज-1
22. सूक्ष्म नलिकाएँ अनुपस्थित होती है-(CBSE PMT, 2001)
(A) माइटोकॉण्ड्रिया
(B) सेन्ट्रियोल
(C) फ्लैजिला
(D) तर्कु तन्तु ।
उत्तर:
(A) माइटोकॉण्ड्रिया
23. एक कोशिका एक मिनट में एक बार विभाजित होती है एक घण्टे में कोई ट्यूब विभाजित कोशिकाओं से भर जाती है तो आधा ट्यूव धरने में कितना समय लगेगा ? (UPPMT 2001)
(A) तीस मिनट
(C) 59 मिनट
(B) 61 मिनट
(D) 45 मिनट
उत्तर:
(C) 59 मिनट
24. G2 अवस्था में गुणसूत्र में DNA की संख्या होती हैRPMT 2002)
(A) एक
(C) चार
(B) दो
(D) आठ
उत्तर:
(A) एक
25. मिओटिक मेटाफेज-1 के लिए कौन-सा कथन सत्य है ? (RPMT, 2002)
(A) युग्मित गुणसूत्र मध्यवर्ती अक्ष पर व्यवस्थित होते हैं
(B) अयुग्मित गुणसूत्र मध्य रेखापर व्यवस्थित होते हैं
(C) विषमजात गुणसूत्र जोड़ा बनाते हैं
(D) तर्कुन्दु गुणसूत्र से जुड़े होते हैं।
उत्तर:
(A) युग्मित गुणसूत्र मध्यवर्ती अक्ष पर व्यवस्थित होते हैं
26. समसूत्री विभाजन होता है- (RPMT, 2001)
(A) अगुणित जीवों में
(C) A व B दोनों में
(B) द्विगुणित जीवों में
(D) केवल जीवाणु में
उत्तर:
(C) A व B दोनों में
27. माइटोटिक मुख्य बने होते हैं- (CBSE PMT 2002, RPMT 2003 RPPMT 2006, 2008)
(A) दम्बुलिन के
(C) एक्टोमायोसिन के
(B) मायोसिन के
(D) मायोग्लोबिन के
उत्तर:
(A) दम्बुलिन के
28. प्रयोगशाला में समसूत्री विभाजन के अध्ययन के लिए सबसे उत्तम है- (RPPMT 2006, 2008)
(A) पुंकेसार
(B) मूलशीर्ष
(C) पर्णशी
(D) अण्डाशय।
उत्तर:
(B) मूलशीर्ष
29. यदि द्विगुणित कोशिका को कोल्विसीन से उपचारित किया जाता है यह हो जाती है- (CBSE PMT 2002)
(A) त्रिगुणित
(B) चतुर्गुणित
(C) द्विगुणित
(D) एक गुणित
उत्तर:
(B) चतुर्गुणित
30. समसूत्री विभाजन के दौरान गुणसूत्रों की संख्या (UPPMT 2003)
(A) बदल जाती है।
(B) नहीं बदलती है
(C) बदल सकती है यदि कोशिका परिपक्व है
(D) बदल सकती है यदि कोशिका अपरिपक्व हो ।
उत्तर:
(B) नहीं बदलती है
31. निम्न में से किस अवस्था में गुणसूत्र कोशिका के वियुक्त वृत्त पर व्यवस्थित हो जाते हैं ? (UPPMT 2003, RPMT, 2008, UPCPMT 2008, 12)
(A) एनाफेज
(B) मेटाफेज
(C) मोफेज
(D) टीलोफेन
उत्तर:
(B) मेटाफेज
32. DNA का द्विगुणन होता है- (RPMT 2003)
(A) S-फेज में
(B) प्रोफेज में
(C) मेटाफे में
(D) एनाफेज में
उत्तर:
(A) S-फेज में
33. गुणसूत्रों की संख्या किस अवस्था में आधी हो जाती है ? (RPMT 2004, 2006)
(A) पश्चावस्था-1
(B) पश्चावस्था-II
(C) अन्त्यावस्था-1
(D) अत्यावस्था-II.
उत्तर:
(A) पश्चावस्था-1
34. कियाज्पेटा का निर्माण होता है- (RPMT 2004)
(A) युग्मित समजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण
(B) अयुग्मित असमजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण
(C) युग्मित व समजात गुणसूत्रों के द्विगुणन के कारण
(D) गुणसूत्रों के अयुग्मित भाग के टूटने के कारण।
उत्तर:
(A) युग्मित समजात गुणसूत्रों के कुछ भाग में विनिमय के कारण
35. GI- प्रावस्था में कौन-सा संश्लेषित होता है ? (UPPMT, 2004)
(A) रामोजाइ
(B) हिस्टोन
(C) केन्द्रिकीय DNA
(D) DNA पॉलिमरेज व ट्यूबुलिन प्रोटीन ।
उत्तर:
(D) DNA पॉलिमरेज व ट्यूबुलिन प्रोटीन ।
36. अर्द्धसूत्रीविभाजन की किस अवस्था में कियामेटा दिखाई देता है ? (UPPMT 2004)
(A) डाइकाइनेसिस में
(B) डिप्लोटीन में
(C) मेटाफेज-11 में
(D) पैकीटीन में
उत्तर:
(D) पैकीटीन में
37. जाइगोटिक मीओसिस पाया जाता है- (UPPMT 2005)
(A) क्लेमाइडोमोनास में
(B) सभी यूकैरियोट्स में
(C) फ्यूनेरिया में
(D) इनमें से किसी मेंनहीं। बनाने के लिए 80 सूत्री विभाजन होत
उत्तर:
(A) क्लेमाइडोमोनास में
38. आवृतबीजियों में 64 युग्मनज हैं लेकिन जिम्नोस्पर्मस में जाता है- (UPPMT 2006)
(A) 40
(B) 80
(C) 160
(D) 20.
उत्तर:
(B) 80
39. कोशिका विभाजन के दौरान RNA तथा अहिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है- (RPMT 2009, UPCPMT 2009)
(A) S-प्रावस्था में
(C) G2-भावस्था में
(B) G1 भावस्था में
(D) M-प्रावस्था में।
उत्तर:
(B) G1 भावस्था में
40. टोलोमीयर पुनरावर्ती DNA अनुक्रम सुकेन्द्री गुणसूत्रों के कार्य का नियन्त्रण करते हैं क्योंकि थे- (CBSE-AIPMT 2007)
(A) रेप्लिकानों की तरह कार्य करते हैं
(B) RNA ट्रांसक्रिप्शन के आरम्भकर्ता होते हैं
(C) गुणसूत्र युग्मन में सहायता करते हैं
(D) गुणसूत्र हानि को रोकते हैं।
उत्तर:
(D) गुणसूत्र हानि को रोकते हैं।
41. किस कोशिका विभाजन के दौरान कोशिका पट्ट (Cell plate) का निर्माण होता है ? (UPCPMT 2007)
(A) कोशिका द्रव्य विभाजन
(B) केन्द्रक विभाजन
(C) अन्तरावस्था
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) कोशिका द्रव्य विभाजन
42. मानवों में प्रथम सूत्री विभाजन के बाद नर जनन कोशिकाएँ किसके रूप में विदित हो जाती हैं ? (CBSE AIPMT 2008)
(A) प्राथमिक प्रशुक्राणु जन
(B) द्वितीयक अशुक्राणुजन
(C) प्रशुक्राणुजन
(D) शुक्राणुजन ।
उत्तर:
(B) द्वितीयक अशुक्राणुजन
43. दिए गए चित्र में कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं की रूपरेखा दर्शायी गई है-
निम्नलिखित में से कौन कोशिका विभाजन की अवस्था का सही प्रदर्शन करता है ? (UPCPMT 2009)
(A) B मध्यावसथा
(B) C-केन्द्रक विभाजन
(C) D संश्लेषण अवस्था
(D) A- कोशिका द्रव्य विभाजन ।
उत्तर:
(C) D संश्लेषण अवस्था
44. अर्धसूत्री विभाजन के बारे में गलत तथ्य है-
(A) समजात गुणसूत्रों का युग्मन
(B) पार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं
(C) अंत में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
(D) DNA प्रतिकृतिकरण के दो चक्र होते हैं।
उत्तर:
(D) DNA प्रतिकृतिकरण के दो चक्र होते हैं।
45. समसूत्री विभाजन के सम्बन्ध में सही विकल्प चुनिए – (AIPMT 2011)
(A) अन्त्यावस्था में अर्द्धगुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गति प्रारम्भ करते
(B) पूर्वावस्था के अन्त पर भी गॉल्जी समिश्र एवं अन्य दिखाई देती है द्रव्यी जालिका
(C) मध्यावस्था में गुणसूत्र तर्क मध्याक्ष की ओर गति करते हैं तथा मध्यवर्ती प्लेट के साथ व्यवस्थित हो जाते हैं।
(D) पश्चावस्था में अर्द्धगुणसूत्र हो जाते हैं किन्तु कोशिका के केन्द्र में ही बने रहते हैं।
उत्तर:
(C) मध्यावस्था में गुणसूत्र तर्क मध्याक्ष की ओर गति करते हैं तथा मध्यवर्ती प्लेट के साथ व्यवस्थित हो जाते हैं।
46. यदि अण्डकोशिका में गुणसूत्र की संख्या 8 हो तो भ्रूण में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी ? (UPCPMT 2011)
(A) 12
(B) 8
(C) 16
(D) 12.
उत्तर:
(A) 12
47. द्वितीय अर्द्ध-सूत्री विभाजन के फलस्वरूप होता है- (RPMT 2012)
(A) लिंग गुणसूत्रों का पृथक्करण
(B) नए DNA का संश्लेषण
(C) क्रोमेटिड्स तथा सेन्ट्रीमियर का पृथक्करण
(D) समजात गुणसूत्रों का पृथक्करण ।
उत्तर:
(C) क्रोमेटिड्स तथा सेन्ट्रीमियर का पृथक्करण
48. दिए गए चित्र में कोशिका विभाजन के दौरानएक निश्चित अवस्था पर एक विशेष घटना को प्रदर्शित किया जा रहा है कोशिका विभाजन की इस अवस्था को पहचानिए-(CBSE AIPMT 2012)
(A) अर्धसूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था-1
(B) अर्धसूत्रीविभाजन के दौरान पूर्वावस्था-II
(C) सूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था
(D) सूत्री विभाजन के दौरान पूर्वीवस्था तथा मध्यावस्था ।
उत्तर:
(A) अर्धसूत्री विभाजन के दौरान पूर्वावस्था-1
49. सूत्र युग्मित समजात गुणसूत्रों के युग्प द्वारा बनाये गये सम्मिन्न को क्या कहा जाता है ? (NEET 2013)
(A) मध्यवर्ती पट्टी
(B) काइनेटोकोर
(C) greft (Bivalant)
(D) अक्षसूत्र (Axoneme)
उत्तर:
(C) greft (Bivalant)
50. चित्र में कोशिका विभाजन की एक अवस्था दर्शायी गयी है। अवस्था की सही पहचान और उसकी सही विशिष्टता को चुनिए-
(A)अंत्यावस्था (टीलोफेज) | केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सिम्मश्र भी दुबारा बन जाता है। |
(B)परवर्ती पश्चावस्था (लेट ऐनाफेज) | गुणसूत्र मध्यवर्ती पह्टी से दूर चले जाते हैं, गॉल्जी सम्मिश्र नहीं होता। |
(C)कोशिकाभाजन (साइटोकाइनेसिस) | कोशिकापह्टी बन जाती है, माइटोकीण्ड्रिया दोनों संतति कोशिकाओंमें वितरित हो जाती हैं। |
(D)अंत्यावस्थ (टीलोफेज) | एंडोप्लाज्ञिक रेटिकुलम और केन्द्रिका अभी दुबारा नहीं बने होते। |
उत्तर:
(A)अंत्यावस्था (टीलोफेज) | केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सिम्मश्र भी दुबारा बन जाता है। |
B. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कोशिका चक्र की कौन-सी अवस्था सबसे लम्बी अवधि की होती है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
G1 अवस्था ।
प्रश्न 2.
कोशिका चक्र की सबसे छोटी तथा सबसे बड़ी प्रावस्थाओं के नाम बताए।
उत्तर:
सबसे छोटी प्रावस्था M तथा सबसे बड़ी प्रावस्था G1 है।
प्रश्न 3.
कोशिका चक्र का नियमन किस पदार्थ द्वारा होता है ?
उत्तर:
साइक्लिन निर्भर प्रोटीन काइनेज (cyclin dependent protein kinase) एन्जाइम द्वारा
प्रश्न 4.
DNA की दो कुण्डलियों को पृथक् करने का कार्य कौन-सा एन्जाइम करता है ?
उत्तर:
डी. एन. ए. हेलिकेज (DNA helicase) एन्जाइम ।
प्रश्न 5.
Go प्रावस्था की विशेषता लिखिए।
उत्तर:
Go प्रावस्था में कोशिका विभेदित हो जाती है जो विभाजन नहीं करती है।
प्रश्न 6.
सबसे कम तथा सबसे अधिक गुणसूत्र संख्या किन प्राणियों में पायी जाती है ?
उत्तर:
एस्कैरिस मैगालोसिफेला (Ascaris megalocephala) में सबसे कम (2) गुणसूत्र तथा ऑलाकैन्था (Alacantha) में सबसे अधिक (1600) गुणसूत्र पाए जाते हैं।
प्रश्न 7.
उस रंजक का नाम बताइये कि गुणसूत्रों के रंगने के लिए सामान्यतः प्रयोग किया जाता है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
एसीटोकामन ।
प्रश्न 8.
जन्तुओं और पौधों के कौन-से ऊतको में अर्धसूत्री विभाजन होता है ? (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
जन्तु जनद (वृषण (testes) व अण्डाशय (ovaries). पौधे परागकोष (pollen sac), बीजाण्ड (owule) पुच्ची पौधों में बीजाणुधानी फर्म में।
पान 9.
मिओसिस की किस अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होता है ?
उत्तर:
पैकीटीन (Pachytene) में।
प्रश्न 10.
प्याज की जड़ की कोशिका में यदि गुणसूत्र संख्या 18 है तो इसके युग्मक में गुणसूत्र होंगे।
उत्तर:
9 गुणसूत्र
प्रश्न 11.
किस अवस्था में सेण्ट्रोमीअर के विभाजन से प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों कोमेटिक पृथक होकर दो संतति गुणसूत्र बनाते हैं ?
उत्तर:
पश्चावस्था या पेनाफेज (anaphase) में।
प्रश्न 12.
कोशा विभाजन की किस अवस्था में क्रोमोसेन्टर तथा न्यूक्लिओलाई पुनः दृष्टिगत हो जाते हैं ?
उत्तर:
अन्त्यावस्था या टीलोफेज में
प्रश्न 13.
किसी समसूत्री विष पदार्थ का नाम लिखिए।
उत्तर:
कोल्वीसीन (colchicinc)
प्रश्न 14.
ऑन्कोजीन्स किससे सम्बन्धित होते हैं ?
उत्तर:
कैंसर (cancer) से।
प्रश्न 15.
किस उप-प्रावस्था में गुणसूत्र लम्बे पतले व अकुण्डलित होते
उत्तर:
तनुपट्ट या लैप्टोटीन (laprotene) अवस्था में।
प्रश्न 16.
जीन विनिमय में क्या होता है ?
उत्तर:
गुणसूत्र के समजात खण्डों की बदला बदली।
प्रश्न 17.
क्या बिना सेण्ट्रोमियर वाला गुणसूत्र विभाजन कर सकता है ? उत्तर नहीं क्योंकि यह अधिक समय के लिए जीवन धम (viable) नहीं होता।
(C) लघु उत्तरीय प्रश्न- 1
प्रश्न 1.
अर्द्धसूत्री विभाजन केवल जन्द कोशिकाओं में ही क्यों होता है ?
उत्तर:
जनद कोशिकाओं से युग्मक (gamete) बनते समय गुणसूत्रों की संख्या घटकर आधी (अगुणित) रह जाती है। युग्मक केवल जनद कोशिकाओं में ही बनते हैं निषेचन (fertilization) के समय युग्मकों (gametes) के परस्पर मिलने से गुणसूत्रों की संख्या पुनः द्विगुणित (2n) हो जाती है। इससे प्रजाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में होने वाले विभाजन का नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) आवृतबीजी पौधों में पराग मातृ कोशिका से परागकण (pollen grain) बनने में।
(ii) यूलोथ्रिक्स में लघु चलबीजाणु बनने में।
(iii) फ्यूनेरिया के संपुट (capsule) में बीजाणु मातृ कोशिका से बीजाणु (spore) बनने में।
(iv) सरसों के पौधे में नई पत्ती बनने में
उत्तर:
(i) अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis)
(ii) समसूत्री विभाजन (mitosis)
(iii) अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis)
(iv) समसूत्री विभाजन (mitosis)।
प्रश्न 3.
कैंसर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार कशेरुकियों में 20 ऐसे जीन्स (genes) होते हैं जो कोशिकाओं के अनियिमत विभाजन को प्रेरित करते हैं। इन्हें प्रोटोओंकोजीन्स (protooncogenes) कहते हैं। DNA के द्विगुणन के समय इनमें उत्परिवर्तन (mutation) होने से विभाजन में अनियमितताएं आ जाती हैं तथा कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है। इस रोग को कैन्सर कहते हैं।
प्रश्न 4
सूत्री विभाजन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
सूत्री विभाजन जीवधारी की दैहिक कोशिकाओं (somatic cell) में होती है। इसमें गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है। यही विभाजन ऊतक सम्बर्धन हेतु आवश्यक है। इस विभाजन से जीवधारियों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है जिससे वृद्धि होती है। ऊतकों की मरम्मत ( repair) व घावों का भरना इसी के द्वारा होता है। कुछ एककोशिकीय जीवों में इसके द्वारा जनन होता है।
(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II
प्रश्न 1.
जन्तु कोशिका विभाजन तथा पादप कोशिका विभाजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जन्तु कोशिका विभाजन तथा पादप कोशिका विभाजन में अन्तर (Differences between Animal and Plant cell division)
जनु कोशिका विधाजन | पदूप कोशिंका विभाजन |
1. इनमें पूर्वावस्था (prophase) में तारक काय दो भागों में बँट कर प्रत्येक से तारा रशिमयाँ (astral rays) निकलती हैं। इस प्रकार का विभाजन तारक प्रकार का विभाजन कहलाता है। | इनमें तारक काय (centrosome) का अभाव होता है अत: इसे अतारक प्रकार का विभाजन कहते हैं। |
2. इसमें संतति तारक काय दूर खिसके लगते हैं और अन्तत विपरीत ध्रुवों पर स्थापित हो जाते है। इनके मध्य तर्कु तन्तुओं (spindle fibres) का निर्माण होता है। | इनमें तर्कु तन्तु कोशिका के विपरीत छोरों से जुड़ते हैं। इनमें तारक रश्मियाँ (astral rays) नहीं बनती है। |
3. कोशिका द्रव्य विभाजन कोशिका कला के अन्तर्वलन द्वारा होता है जिसे खांच विधि कहते हैं। | कोशिका द्रव्य विभाजन मध्य प्लेट (mid plate) द्वारा होता है। इसे पह्टिका निर्माण विधि कहते हैं। |
प्रश्न 2.
जीविनिमय (Crossing over) पर संधित टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जीन विनिमय (Crossing over ) अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था प्रथम की जाइगोटीन (zygotene ) उपावस्था में समजात गुणसूत्र (homologous chromosome ) परस्पर जोड़े बनाते हैं। इस क्रिया को युग्मबन्धन (synapsis) कहते हैं। पैकीटीन (pachytene) उपावस्था में प्रत्येक गुणसूत्र क्रोमेटिड्स में विभाजित हो जाता है और इस अवस्था के अन्त में समजात गुणसूत्रों के क्रोमेटिड्स कुछ बिन्दुओं पर परस्पर चिपक जाते हैं। बिन्दुओं को काइज्मेटा (chiasmata) कहते हैं। इस बिन्दु पर समजात गुणसूत्रों में क्रोमेटिड्स के टुकड़ों का आदान-प्रदान होता है। इस क्रिया को जीन-विनिमय (crossing over) कहते हैं। जीन (gene) विनिमय के फलस्वरूप गुणसूत्रों की जीन संरचना बदल जाती है।
प्रश्न 3.
युग्मकी तथा युग्मनजी अर्द्धसूत्री विभाजन को समझाइए ।
उत्तर:
युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (Gametic Meiosis) – यह जन्तुओं पादपों तथा कुछ शैवालों में होता है। इसमें मुख्य काय द्विगुणित (Diploid-2n) होती है और युग्मकों के निर्माण के समय अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) होता है। उत्पनन युग्मक ( gametes) अगुणित (haploid) होते हैं। इसे समापन अर्द्धसूत्री विभाजन (terminal meiosis) भी कहते हैं। युग्मजी अर्द्धसूत्री विभाजन (Zygotic Meiosis) – यह प्रोटोजोअन्स तथा शैवालों में पाया जाता है।
इनमें जीवन चक्र (life cycle) मुख्यतः अगुणित (haploid) होता है और द्विगुणित अवस्था ( diploid phase) बहुत कम समय की होती है। जैसे पुलोजिक्स (Ulothrix) में दो युग्मकों के मिलने से युग्मनज (zygote) बनता है। युग्मनज अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis) द्वारा चार अगुणित बीजाणु (haploid spores) बनाता है। इनसे अगुणित पौधे बनते हैं।
प्रश्न 4.
एक पुष्पी पौधे की मूलाग्र कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या 24 है उस पौधे की निम्नलिखित संरचनाओं में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी ?
(i) तना,
(ii) पत्ती,
(iii) परागकण,
(iv) भ्रूणपोष
(v) भ्रूण ।
उत्तर:
(i) तने में 24 गुणसूत्र,
(ii) पत्ती में 24 गुणसूत्र,
(iii) परागकण में 12 गुणसूत्र,
(iv) भूणपोष में 36 गुणसूत्र
(v) भ्रूण में 24 गुणसूत्र ।
(E) निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका चक्र का विस्तृत वर्णन रेखाचित्र द्वारा कीजिए।
उत्तर:
कोशिका चक्र (Cell Cycle)
जीवधारियों के शरीर में विभाजन करने वाली कायिक कोशिकाओं (somatic cells) में वृद्धि एवं विभाजन का नियमित चक्र चलता रहता है। इस चक्र को कोशिका चक्र (cell cycle) कहते हैं। कोशिका चक्र कोशिका के पूर्ण जीवन काल को प्रदर्शित करता है। कोशिका का जीवन उसकी उत्पत्ति अर्थात कोशिका विभाजन के साथ संतति कोशिका ( daughter cell) के रूप में प्रारम्भ होता है और अगले कोशिका विभाजन के समाप्त होने के साथ समाप्त हो जाता है । संतति कोशिकाएँ जनक कोशिका की अपेक्षा छोटी होती हैं। वृद्धि की चरमसीमा पर पहुँचकर पुनः विभाजित होती है।
नियिमत रूप से विभाजन करने वाली कोशिकाओं में कोशिका चक्र की अवधि 10-30 घण्टे की होती है तथा कोशिका विभाजन (cell division ) से बनी संतति कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) की मात्रा बराबर तथा जनक कोशिकाओं के समान होती है। इसका अर्थ है कि कोशिका विभाजन से पूर्व इसके आनुवांशिक पदार्थ (genetic material) का अनुलिपिकरण होता है।
प्रश्न 2.
समसूत्री कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री कोशिका विभाजन या माइटोसिस (Mitotic cell division or mitosis)
समसूत्री विभाजन केवल यूकैरियोटिक जीवधारियों की कायिक कोशिकाओं (vegetative cells) में होता है। फलस्वरुप जनक- कोशिका (parent cell) दो समान संतति कोशिकाओं (daughter cells) में विभाजित हो जाती है। कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosomes) की संख्या जनक कोशिका के बराबर होती है । इसीलिए इसे समसूत्री विभाजन कहते हैं ।
समसूत्री विभाजन को निम्नलिखित दो अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है-
A. केन्द्रक विभाजन या कैरियोकाइनेसिस (Karyokinesis)
B. कोशिकाद्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(अ) कोशिका द्रव्य विभाजन,
(ख) बीजाणु जनक मीओसिस
(स) युग्मकी अर्धसूत्री विभाजन,
(द) जाइगोटिक मीओसिस ।
उत्तर:
द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis – II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division) भी कहलाता है ।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II)
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II)
3. द्वितीय पश्चावस्था (Anaphase II)
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II )
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) गुणसूत्र दो अर्द्ध- गुणसूत्रों (chromatids ) सहित भली प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों में विभक्त होकर सेण्ट्रयोल पर लगे रहते हैं ।
(iii) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाते हैं ।
(iv) सेण्ट्रोमीयर तथा गुणसूत्र बिन्दु के मध्य में तर्क तन्तु बन जाते हैं ।
2. द्वितीय मध्यावस्था (Metaphase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) इस अवस्था में गुणसूत्र मध्यतल ( equator) पर आकर विन्यस्त हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दो अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर्स के विभाजित हो जाने के कारण अलग हो जाते हैं।
(iii) स्पिण्डिल तन्तु, सेण्ट्रोमियर्स से जुड़े रहते हैं ।
3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II )
इस अवस्था में गुणसूत्र से अलग अर्द्ध-गुणसूत्र, तर्क तन्तु के खिंचाव के कारण विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं । यही अर्द्ध-सूत्र आगे चलकर सन्तति कोशाओं में गुणसूत्र का निर्माण करते हैं ।
4. द्वितीय अन्त्यावस्था (Telohase II) ।
(i) अर्द्ध-गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर पहुँचकर पुनः फैलकर क्रोमेटिन जाल बनाते हैं ।
(ii) क्रोमेटिन जाल के चारों ओर केन्द्रक कला बन जाती है।
(iii) केन्द्रिका पुनः बन जाती है। इस प्रकार केन्द्रक का निर्माण पूर्ण हो जाता है ।
5. कोशिकाद्रव्य (Cytokinesis)
केन्द्रकों के बन जाने के बाद, प्रत्येक कोशिका का कोशिकाद्रव्य दो समान भागों में विभाजित हो जाता है जिससे प्रकार द्वितीय मिओटिक विभाजन के पश्चात् चार अगुणित (haploid) सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं । सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस
अर्द्धसूत्री विभाजन या न्यूनकारी विभाजन (Meiosis or Reduction Division)
अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) के फलस्वरुप गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या से आधी रह जाती है। इसीलिए इसे न्यूनकारी विभाजन (reduction division ) भी कहते हैं।
मूल रूप से अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया सभी जीवधारियों में एक ही प्रकार की होती है किन्तु जीवों के जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में होने के कारण कुछ जीव-वैज्ञानिकों ने तीन प्रकार के अर्द्ध-सूत्री विभाजन ( meiosis) का वर्णन किया है।
1. बीजाणु जनक अर्द्धसूत्री विभाजन (Sporogenetic meiosis) – बीजाणुओं (spores) के निर्माण के समय होने वाले अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis) को बीजाणु जनक मीओसिस कहते हैं। इस प्रकार का विभाजन केवल पादपों में पाया जाता है।
2. युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (Gametic Meiosis) – अधिकांश जन्तुओं एवं पादपों में युग्मन निर्माण के समय (शुक्रजनन एवं अण्ड जनन) अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। इसे युग्मकी अर्द्धसूत्री विभाजन (gametic meiosis) कहते हैं।
3. जाइगोटिक अर्द्धसूत्री विभाजन (Zygotic meiosis) – कुछ निम्न पादपों में निषेचन के तुरन्त बाद ही अर्द्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ हो जाता है। इसे जाइगोटिक अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं।
अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया (Process of Meiosis)
अर्द्धसूत्री विभाजन में दो क्रमिक कोशिका विभाजन होते हैं किन्तु गुणसूत्रों का विभाजन केवल एक बार ही होता है। अतः समसूत्री विभाजन की मुख्य विशेषता दो क्रमिक विभाजन तथा इनसे बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ (daughter cells) हैं। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसे प्रथम, न्यूनकारी विभाजन या मीओसिस – प्रथम (Ist reduction division or meiosis-I) कहते हैं। दूसरा अर्धसूत्री विभाजन समविभाजन (homotypic) या मीओसिस – II कहलाता है। यह सूत्री विभाजन ( mitosis) के समान ही होता है। जिसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या परिवर्तित नहीं होती है। उपरोक्त दोनों विभाजनों के फलस्वरूप चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं जिनमें से प्रत्येक में गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है।
प्रश्न 4.
समसूत्री विभाजन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis-II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division ) भी कहलाता है।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II),
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II),
3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II ),
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II),
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)
प्रश्न 5.
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन तथा द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis I)
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन को पूर्वावस्था प्रथम (Prophase I) मध्यावस्था प्रथम ( Metaphase I), पश्चावस्था प्रथम (Anaphase I) तथा अन्त्यावस्था प्रथम (Telophase I) द्वारा निरूपित करते हैं।
1. पूर्वावस्था प्रथम (Prophase – 1 ) – प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था अपेक्षाकृत जटिल एवं लम्बी होती है। इसे लेप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन तथा डाइकाइनेसिस नामक पाँच उप- अवस्थाओं में बाँटा गया है।
(a) तनुपट्ट अवस्था (Leptotene or Leptonema ) – लेप्टोटीन उपावस्था के साथ अर्द्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ होता है। इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं-
(i) केन्द्रक में क्रोमेटिन पदार्थ संघनित होकर पतले, लम्बे एवं अकुण्डलित तन्तुओं के समान गुणसूत्रों में बदल जाता है।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र में दो अर्द्धगुणसूत्र बन जाते हैं किन्तु इनके क्रोमेटिड (chromatids ) एक-दूसरे के चारों ओर इतने घनिष्ठ रूप से लिपटे रहते हैं कि इनको अलग से पहचानना सम्भव नहीं है।
(b) युग्मपट्ट अवस्था (Zygotene or Zygonema) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) समजात गुणसूत्र एक-दूसरे केपास आकर जोड़े बनाते हैं, इसे युगली (bivalent ) कहते हैं ।
(ii) प्रत्येक युगल के सजातीय गुणसूत्र एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं और धीरे-धीरे एक-दूसरे के समीप आकर सजातीय गुणसूत्र (homologous chromosome) आपस में लिपट जाते हैं, इसे सिनेप्स (synapse) कहते हैं।
(iii) प्रत्येक बाइवेलेन्ट (bivalent) के दो गुणसूत्र एक ही द्विगुण गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड्स (chromatids ) जैसे लगते हैं और पूर्ण केन्द्रक में गुणसूत्रों की संख्या वास्तविक संख्या की आधी लगती है ।
(iv) तारक केन्द्र विभाजित होकर विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करने लगते हैं तथा केन्द्रिक के आकार के वृद्धि होती है।
(v) गुणसूत्र छोटे व मोटे दिखाई देते हैं।
(c) स्थूल पट्ट अवस्था (Pachytene or Pachynema ) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) सजातीय गुणसूत्रों के युग्मन या सिनेप्सिस के पश्चात् प्रत्येक बाइवेलेन्ट के युग्मित गुणसूत्र आंकुचन के कारण ओर अधिक छोटे व मोटे हो जाते हैं।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स (chromatids ) अधिक स्पष्ट हो जाते हैं जिससे प्रत्येक बाइवेलेंट चार स्पष्ट अर्द्धसूत्रों या क्रोमेटिड्स का बना प्रतीत होता है। अब इसे ट्रेट्रावेलेंट या टेट्राड (tatrad) कहते हैं।
(iii) सजातीय गुणसूत्रों में एक तनाव उत्पन्न होता है इससे दुर्बल क्रोमेटिड्स अनेक स्थानों पर टूट जाते हैं और अनुरुपी क्रोमेटिड्स में विच्छेदित खण्डों का विनिमय या पारस्परिक अदला-बदली होती है।
(iv) विनिमय की क्रिया को जीन विनिमय या क्रॉसिंग ओवर (crossing over) तथा विसंयोजन की क्रिया को पुनर्संयोजन (recombination) कहते
(d) द्विपट्ट अवस्था (Diplotene or Diplonema) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) क्रोमेटिड्स के टूटने पर गुणसूत्रों के बीच आकर्षण बल समाप्त हो जाता है और इनमें प्रतिकर्षण आरम्भ हो जाता है।
(ii) सजातीय गुणसूत्र अकुण्डलित होकर पृथक् होने लगते हैं किन्तु विनिमय (crossing over) वाले स्थानों पर यह एक-दूसरे से चिपके रह जाते हैं। इन स्थानों को क्याज्पेटा (chiasmata) कहते हैं ।
(iii) प्रत्येक बाइवेलेन्ट के और अधिक छोटा होने पर क्याज्मेटा गुणसूत्रों के सिरों की ओर फिसलने लगते हैं। क्याज्मेटा इस प्रकार फिसलने को उपान्ती भवन या टर्मीनेलाइजेशन (terminalization) कहते हैं।
(iv) इस उपावस्था में केन्द्रक कला तथा केन्द्रिक (nucleolus) दोनों ही विलुप्त हो जाते हैं।
(e) पारगतिक्रम या डाइकाइनेसिस (Diakinesis) – इस उपावस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) वाइवेन्ट सिकुड़कर और अधिक मोटे व छोटे हो जाते हैं और गुणसूत्र गहरी रंगीन कायों (bodies) के रुप में दिखाई देते हैं तथा केन्द्रक की परिधि पर पहुँच जाते हैं।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों अर्द्धगुणसूत्र इतने निकट होते हैं कि उनको अलग-अलग नहीं पहचाना जा सकता।
(iii) इस उपावस्था के अन्त में तारक केन्द्र एवं तारक गोलार्द्ध (centriole and centrosphere) विभाजित होकर विमुख ध्रुवों की ओर चले जाते हैं।
(iv) केन्द्रक कला ( nuclear membrane) पूर्ण रुप से विलुप्त हो जाती है तथा गुणसूत्र कोशिकाद्रव्य में मुक्त हो जाते हैं।
(v) इस उपावस्था में केन्द्रीय तर्कु (central spindle) का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है।
2. मध्यावस्था प्रथम (Metaphase I) – इस अवस्था में-
(i) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका पूर्णतया विलुप्त हो जाते हैं ।
(ii) स्पिण्डिल तन्तु पूर्ण तथा विकसित हो जाते हैं तथा दोनों ध्रुवों तथा गुणसूत्र बिन्दुओं पर जुड़ जाते हैं।
(iii) गुणसूत्र अपने अर्द्ध गणसूत्र सहित तर्क के मध्य रेखा ( equator) पर व्यवस्थित ( arranged) हो जाते हैं ।
(iv) गुणसूत्र अधिक स्पष्ट एवं बड़े दिखाई देते हैं।
द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis – II)
यह विभाजन सूत्री की भाँति ही होता है जिसमें प्रथम मिओटिक विभाजन से बनी दोनों सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ बिना गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन के विभाजित होकर चार सन्तति कोशिकाएँ ( daughter cells) बनाती हैं। इस विभाजन में सन्तति कोशिकाएँ अपनी जनक कोशिकाओं से गुणसूत्रों की संख्या में पूर्णतया समान होती है। अतः यह विभाजन समविभाजन (homotypic division) भी कहलाता है ।
यह विभाजन निम्नलिखित पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होता है –
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II)
2. द्वितीय मध्यावस्था ( Metaphase II)
3. द्वितीय पश्चावस्था (Anaphase II)
4. द्वितीय अन्त्यावस्था ( Telophase II)
5. कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis)
1. द्वितीय पूर्वावस्था (Prophase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) गुणसूत्र दो अर्द्ध- गुणसूत्रों (chromatids) सहित भली प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों में विभक्त होकर सेण्ट्रयोल पर लगे रहते हैं ।
(iii) केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाते हैं ।
(iv) सेण्ट्रोमीयर तथा गुणसूत्र बिन्दु के मध्य में तर्क तन्तु बन जाते हैं ।
2. द्वितीय मध्यावस्था (Metaphase II) – इस अवस्था में निम्नलिखित घटनाएँ दिखाई देती हैं-
(i) इस अवस्था में गुणसूत्र मध्यतल ( equator) पर आकर विन्यस्त हो जाते हैं ।
(ii) प्रत्येक गुणसूत्र के दो अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर्स के विभाजित हो जाने के कारण अलग हो जाते हैं।
(iii) स्पिण्डिल तन्तु, सेण्ट्रोमियर्स से जुड़े रहते हैं ।
3. द्वितीय पश्चावस्था ( Anaphase II) इस अवस्था में गुणसूत्र से अलग अर्द्ध-गुणसूत्र, तर्क तन्तु के खिंचाव के कारण विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं । यही अर्द्ध-सूत्र आगे चलकर सन्तति कोशाओं में गुणसूत्र का निर्माण करते हैं ।
4. द्वितीय अन्त्यावस्था (Telohase II) ।
(i) अर्द्ध-गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर पहुँचकर पुनः फैलकर क्रोमेटिन जाल बनाते हैं ।
(ii) क्रोमेटिन जाल के चारों ओर केन्द्रक कला बन जाती है।
(iii) केन्द्रिका पुनः बन जाती है। इस प्रकार केन्द्रक का निर्माण पूर्ण हो जाता है ।
5. कोशिकाद्रव्य (Cytokinesis)
केन्द्रकों के बन जाने के बाद, प्रत्येक कोशिका का कोशिकाद्रव्य दो समान भागों में विभाजित हो जाता है जिससे प्रकार द्वितीय मिओटिक विभाजन के पश्चात् चार अगुणित (haploid) सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं । सन्तति कोशिकाएँ बन जाती हैं।
प्रश्न 6.
समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
क्रमअर्ब्छसूत्री विभाजन (Melosis) | समसूली विभाजन (Mitosis) |
1. यह जनन कोशिकाओं में युग्मकों (gametes) के निर्माण के समय होता है। | 1. शरीर की सभी कोरिकाओं (vegetative cells) में वृद्धि विकास के लिए होता है। |
2. यह दो बार में पूर्ण होता है। मीओसिस I न्यूनकारी होता है तथा मीओसिस II समविभाजन होता है। पूर्वावस्था-I (prophase-I) | 2. पूर्ण विभाजन क्रिया एक बार में ही पूर्ण हो जाती है। |
3. यह लम्बी एवं जटिल प्रक्रिया है जिसे पाँच उप-अवस्थाओं लेप्टोटीन (Leptotene), जाइगोटीन (Zygotene), पैकीटीन (Pachytene) डिप्लोटीन (Diplotene) तथा डाइकानेसिस (Diakinesis) में बाँटा जाता है। | 3. प्रोफेज्ञ (Prophase) अपेक्षाफृत छेटी अवस्था है। इसे उप-अवस्थाओं में नहीं बॉंटा जाता है। |
4. प्रोफेज के प्रारम्भ में प्रत्येक गुणसूत्र एक एकल रचना के रूप में होता है। | 4. गुणसूत्र दो लम्बवत् भागों में बँट जाते हैं, जिन्हें कोमेटिह्स कहते हैं। |
5. समजात गुणसूत्र युग्मन (synapase) करके डायड (dyad) बनाते हैं। | 5. गुणसूत्रों में युग्म नहीं बनते हैं। |
6. सजातीय गुणसूत्र एक-दूसरे से लिपटे रहते हैं। | 6. अर्द्ध-गुणसूत्र (chromatids) में कुण्डलित होते हैं। |
7. पैकीटीन उपावस्था में क्रॉसिग ओवर (crossing over) तथा कियाज्मेटा का निर्माण होता है जिससे सजातीय गुणसूत्रों के क्रोमेटिड में आनुवंशिक पदार्थ का विनिमय (exchange) होता है। | 7. इसमें क्रतिंग ओवर तथा किभाज्भेटा (chiasmata) का निर्माण नहीं होता है। |
8. इसमें गुणसूत्र टेट्रेड (tetrade) के रूप में होते हैं जिनमें चार अर्द्ध-गुणसूत्र होते हैं। | 8. इसमें गुणसूत्र ड्वायड (dyad) के कूप में होते हैं त्रिनें दो अर्द्ध-सूत्र होते है। |
9. विषुवत् पर टेरेटे का विन्यास इस प्रकार होता है कि उनके दोनों सेन्ट्रोमियर्स विषुवत से धुवों की ओर तथा भुजाएँ विषुवत की दिशा में होती हैं। | 9. ड्ञायड़ो (dyad) का विन्यास इस प्रकार होता है कि सेच्ट्रोमीयर विषुवत् (equator) की ओर तथा भुजाएँ ध्रुवों की ओर होती है। |
10. सेन्ट्रोमीयर्स का विभाजन नहीं होता किन्तु डायड में से सजातीय गुणसूत्र अलग रहते हैं। | 10. मेटाकेज में सेन्ट्रोमीयर्स के युगर्लो (bivalent) का विभाजन होता है। |
11. इस अवस्था में गुणसूत्र युगलों (bivalent) में दो अर्द्ध-गुणसूत्र (chromatids) होते हैं। | 11. इसमें एकल गुणसूू होते हैं। |
12. गुणसूत्र अत्यधिक छोटे एवं मोटे होते हैं। | 12. गुणसूत्र अपेक्षाकृत्त बड़े वषा कम मोटे होते हैं। |
13. अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रथम अन्त्यावस्था (telophase) सार्वत्रिक रूप से कोशिकाओं में नहीं पायी जाती है। विभाजनशील केन्द्रक सीधे ही पश्चावस्था से पूर्वावस्था द्वितीय में आ जाता है। महरंव (Importance) | 13. अन्त्यावस्था (telophase) सार्वत्रिक रूप से कोशिकाओं में पाथी जाती हैं। इसके बाद कोशिकात्रव्य का विभाजन होता है। |
14. अर्द्धसूत्री विभाजन के अन्त में चार कोशिकाएँ बनती हैं। | 14. इसाके अन्न में दो कोशिकाएँ बनती हैं। |
15. संतति कोशिकाएँ (daughter cells) अगुणित होती हैं अर्थात् इनमें गुणसूत्रों की संख्या जनक की आधी होती हैं। | 15. संतति कोशिकाएँ (daughter cells) द्विगुणित होती हैं अर्थात् गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिक के बराबर होती है। |
16. संतति कोशिकाएँ आनुवंशिक रूप से जनन कोशिका में भिन्न होती है। | 16. संतति कोशिकाएँ जनक कोशिका से आनुवंशिक रूप से समान होती हैं |
4. असूत्री विभाजन (Amitosis) – इसे सीधा विभाजन ( direct division) भी कहते हैं। यह कोशिका विभाजन की सरलतम विधि है। इस प्रकार का विभाजन श्रेणी के सरल रचना वाले एककोशिकीय (unicellular) जीवों, जैसे-क्लेमाइडोमोनास, यीस्ट, अमीबा आदि में होता है। सूत्री विभाजन (amitosis) केन्द्रक के दीर्घीकरण से प्रारम्भ होता है। लम्बे हुए केन्द्रक में एक संकीर्णन बनने के कारण इसकी आकृति डम्बल जैसी हो जाती है। संकीर्णन के और अधिक गहरा होने से केन्द्रक दो भागों में बँट जाता है। इसके साथ ही कोशिका द्रव्य भी दो भागों में बँटा जाता है और दो संतति कोशिकाएं बन जाती हैं।
प्रश्न 7.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
असूत्री विभाजन ।
उत्तर:
असूत्री विभाजन (Amitosis) -इसे सीधा विभाजन (direct division) भी कहते हैं। यह कोशिका विभाजन की सरलतम विधि है। इस प्रकार का विभाजन श्रेणी के सरल रचना वाले एककोशिकीय (unicellular) जीवों, जैसे —क्लेमाइडोमोनास, यीस्ट, अमीबा आदि में होता है। सूत्री विभाजन (amitosis) केन्द्रक के दीर्घीकरण से प्रारम्भ होता है। लम्बे हुए केन्द्रक में एक संकीर्णन बनने के कारण इसकी आकृति डम्बल जैसी हो जाती है। संकीर्णन के और अधिक गहरा होने से केन्द्रक दो भागों में बँट जाता है। इसके साथ ही कोशिका द्रव्य भी दो भागों में बँटा जाता है और दो संतति कोशिकाएँ बन जाती हैं।