Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 9 जैव अणु
(A) वस्तुनिष्ठ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित दो कार्बनिक यौगिकों के संरचनात्मक सूत्रों में से कौन, उसके सम्बन्धित कार्य के साथ सही प्रकार से पहचाना गया है ? (CBSE AIPMT)
(A) A: ट्राइग्लिसराइड – ऊर्जा का मुख्य स्रोत
(B) B : यूरेसिल – DNA का एक संघटक ‘
(C) A : लैसीथिन – कोशिका कला का एक संघटक
(D) B: एडीनीन – एक न्यूक्लिओटाइड, जो न्यूक्लिक अम्ल बनाता है।
उत्तर:
(B) B : यूरेसिल – DNA का एक संघटक ‘
2. एपोएन्जाइम होता है एक-
(A) प्रोटीन
(B) कार्बोहाइड्रेट
(C) विटामिन
(D) अमीनो अम्ल ।
उत्तर:
(A) प्रोटीन
3. DNA द्विकुण्डलिनी के दोनों सूत्र परस्पर जुड़ रहते हैं-
(A) हाइड्रोजन बन्धों द्वारा
(B) हाइड्रोफोबिक बन्धों द्वारा
(C) पेप्टाइड बन्धों द्वारा
(D) फास्फोडाइएस्टर बन्धों द्वारा ।
उत्तर:
(C) पेप्टाइड बन्धों द्वारा
4. हिस्टोन में पाए जाने वाले अमीनो अम्ल हैं- (RPMT)
(A) आर्जिनिनि तथा हिस्टीडीन
(B) आर्जिनीन तथा लाइसी
(C) बेलीन तथा हिस्टीडीन
(D) लाइसीन तथा हिस्टीडीन ।
उत्तर:
(C) बेलीन तथा हिस्टीडीन
5. नीचे A D तक चार सूत्र दिए गए हैं- इनमें से कौन-सा एक क्षारीय अमीनो अम्ल के सही संरचना सूत्र को प्रदर्शित करता है ? (CBSE-AIPMT)
(A) C
(C) A
(B) D
(D) B.
उत्तर:
(A) C
6. एक एंजाइमी अभिक्रिया के दौरान बनी पदार्थ की परिवर्तित अवस्था रचना है-
(A) क्षणिक परन्तु स्थिर
(B) स्थायी परन्तु अस्थिर
(C) क्षणिक और अस्थिर
(D) स्थायी और स्थिर ।
उत्तर:
(A) क्षणिक परन्तु स्थिर
7. फास्फोग्लिसेराइड सदैव बने होते हैं- (NEET)
(A) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक संतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है
(B) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक असंतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है।
(C) ग्लिसरॉल अणु से एस्टरीकृत एक संतृप्त या असंतृप्त वसा अम्ल जिसमें फॉस्फेट समूह भी संयोजित रहता है।
(D) फॉस्फेट समूह से एस्टरीकृत एक संतृप्त या संतृप्त वसा अम्ल जिसमें एक ग्लिसरॉल अणु भी संयोजित रहता है।
उत्तर:
(D) फॉस्फेट समूह से एस्टरीकृत एक संतृप्त या संतृप्त वसा अम्ल जिसमें एक ग्लिसरॉल अणु भी संयोजित रहता है।
8. काइटिन महाअणु- (NEET)
(A) नाइट्रोजनी पॉलीसेकेराइड है
(B) फास्फोरसमय पॉलीसेकेराइड है।
(C) सल्फरमय पॉलीसैकेराइड है
(D) सरल पॉलीसेकेराइड हैं।
उत्तर:
(B) फास्फोरसमय पॉलीसेकेराइड है।
9. अनेक सह एंजाइमों के रासायनिक घटक क्या हैं ?
(A) प्रोटीन
(C) कार्बोहाइड्रेट
(B) न्यूक्लिक अम्ल
(D) विटामिन ।
उत्तर:
(A) प्रोटीन
(B) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न के लिए एस्टर बंध, ग्लाइकोसिडिक बंध, पेप्टाइड बंध व हाइड्रोजन बंध में से सही बंध का चुनाव कीजिए-(Exemplar Problem NCERT)
(A) पालीसैकेराइड
(B) प्रोटीन
(C) वसा
(D) जल
उत्तर:
(A) ग्लाइकोसिडिक,
(B) पेप्टाइड बंध,
(C) एस्टर बंध,
(D) हाइड्रोजन बंध
प्रश्न 2.
किसी एक अमीनो अम्ल शर्करा, न्यूक्लिओटाइड व वसीय अम्ल का नाम लिखिए। (Exemplar Problem NCERT)
उत्तर:
अमीनो अम्ल – ग्लाइसीन, एलेनीन, वैलीन।
शर्करा – ग्लूकोस, फ्रक्टोस, सुक्रोस ।
न्यूक्लिओटाइड – एडीनोसीन, ट्राइफॉस्फेट ।
वसीय अम्ल – स्टीयरिक अम्ल, पामिटिक अम्ल, ब्यूटाइरिक अम्ल ।
प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ?
उत्तर:
कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बने यौगिक जिनका सामान्य सूत्र (CH2 O)n होता है।
प्रश्न 4.
संगठन के तीन स्तरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- उप-परमाण्विक स्तर,
- परमाण्विक स्तर तथा
- आण्विक स्तर ।
प्रश्न 5.
जैविक तत्व किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे तत्व जो जीवधारी की शरीर रचना में भाग लेते हैं।
प्रश्न 6.
तीन वृहत् तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन, वसा।
प्रश्न 7.
स्टार्च परीक्षण में क्या प्रदर्शित होता है ?
उत्तर:
स्टार्च आयोडीन घोल ( iodine solution) के साथ नीला-काला रंग देता है
प्रश्न 8.
दो असंतृप्त वसा अम्लों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लिनोलीक (linolic) तथा लिनोलेनिक (linolenic) अम्ल ।
प्रश्न 9.
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं में कौन-से बन्य होते हैं ?
उत्तर:
पेप्टाइड बन्ध (peptide bonds)।
प्रश्न 10.
यूनीमेरिक प्रोटीन अणु क्या होते हैं ?
उत्तर:
यूनीमेरिक प्रोटीन अणु में केवल एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला (polypeptide chain) होती है।
प्रश्न 11.
प्राकृत संरूपण के आधार पर प्रोटीन्स के कितने स्तर होते हैं ?
उत्तर:
चार स्तर – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक व चतुष्क स्तर ।
प्रश्न 12.
ATP के उच्च ऊर्जा बन्ध के जल अपघटन से विमोचित ऊर्जा की कितनी मात्रा होती है ?
उत्तर:
7.3k cal. किलो कैलोरी ।
प्रश्न 13.
एन्जाइम क्रियाविधि की ताला चाबी परिकल्पना किसने प्रस्तुत की ?
उत्तर:
एमिल फिशर (1894) ने।
प्रश्न 14.
एन्जाइम क्रिया विधि की प्रेरित जोड़ संकल्पना किसने प्रस्तुत की ?
उत्तर:
कोशलैण्ड (Koshland: 1960) ने ।
प्रश्न 15.
काइटिन क्या है ?
उत्तर:
काइटिन सेलुलोस की भाँति संरचनात्मक पॉलीसेकेराइड (stuctural polysacharide) है ।
प्रश्न 16.
दो हैक्सोज शर्कराओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- ग्लूकोस,
- फ्रक्टोस ।
प्रश्न 17.
डेक्स्ट्रान क्या है ?
उत्तर:
यीस्ट एवं जीवाणुओं के संचायक होमोपॉलीसेकेराइड ।
प्रश्न 18.
एगार- एगार क्या होता है ?
उत्तर:
समुद्री शैवालों से प्राप्त श्लेष्मी पॉलीसेकेराइड ।
प्रश्न 19.
संयुग्मित लिपिड क्या होते हैं ?
उत्तर:
ये ऐल्कोहॉल के साथ वसीय अम्लों के एस्टर हैं जिनमें एक फॉस्फेट, कार्बोहाइड्रेट या प्रोटीन समूह भी होता है।
प्रश्न 20.
जब एक पेन्टोज शर्करा एक नाइट्रोजनी क्षारक से जुड़ती है तो क्या बनता है ?
उत्तर:
एक न्यूक्लिओसाइड ( nucleoside )
प्रश्न 21.
डी. एन. ए. की संरचना का डबल हैलिकल मॉडल किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
वाटसन एवं क्रिक ने।
प्रश्न 22.
सह-संयोजी बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनने वाले बन्ध सहसंयोजी बन्ध कहलाते हैं।
प्रश्न 23.
डी. एन. ए. द्विरज्जुक में ग्वानिन व साइटोसीन के बीच कितने हाइड्रोजन बन्ध बनते हैं ?
उत्तर:
तीन (CG)
प्रश्न 24.
प्यूरीन तथा पिरिमिडीन का क्या अनुपात होता है ?
उत्तर:
A/T = 1 तथा G / C = 1
(C) लघु उत्तरीय प्रश्न-I
प्रश्न 1.
प्रोटीन्स के विकृतीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
उच्च तापमान या pH परिवर्तन के फलस्वरूप प्रोटीन्स की तृतीयक या चतुष्क संरचना को बनाए रखने वाले बन्ध टूट जाते हैं, जिससे प्रोटीन्स की प्रकार्य सक्रियता समाप्त हो जाती है। इसे विकृतीकरण (denaturation ) कहते हैं। जैसे- अण्डे को उबालने पर इसका पीतक ( yolk ) जम जाता है।
प्रश्न 2.
जीवधारियों के शरीर में होने वाली उपचय तथा अपचय क्रियाओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
उपचय या संश्लेषण अभिक्रियाओं के तरल अणुओं से जटिल अणुओं का संश्लेषण होता है जैसे ग्लूकोस के अणुओं के संयोजन से ग्लाइकोजन का निर्माण। अपचय ( catabolic) क्रियाओं में जटिल अणु छोटे-छोटे अणुओं में विघटित हो जाते हैं और ऊर्जा मुक्त होती है जैसे श्वसन क्रिया।
प्रश्न 3.
न्यूक्लिक अम्ल में पाए जाने वाले विभिन्न नाइट्रोजनी क्षारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्यूरीन्स (Purines ) –
- एडिनीन ( Adenine)
- ग्वानीन ( Guanine)
पिरिमिडीन्स (Pyrimidines)-
- साइटोसीन (Cytosine)
- थाइमीन (Thymine)
- यूरेसिल (Uracil)।
प्रश्न 4.
वसा अम्ल क्या है ?
इनका सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
वसा अम्ल (Fatty acid) ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बनते हैं। तीन अणु वसा अम्ल तथा एक अणु ग्लिसरॉल मिलकर वसा (fat) अणु बनाते हैं। वसा अम्ल का सामान्य सूत्र CH3(CH2)n COOH है ।
प्रश्न 5.
जैविक अणुओं का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्त:
जैविक अणुओं का संश्लेषण पौधों एवं जन्तुओं में होता है। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अकार्बनिक अणुओं से जैविक अणुओं का संश्लेषण करते हैं। जन्तु इन्हें भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। जन्तुओं द्वारा इनसे आवश्यक अन्य जैव अणुओं का संश्लेषण होता है।
(D) लघु उत्तरीय प्रश्न-II
प्रश्न 1.
ऊष्माशोषी तथा ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (Endothermic reactions ) – ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा का अवशोषण होता है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (endothermic reactions) कहलाती हैं। जैसे- प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) ।
C6H12O6 + 6H2 O + 6O2 ↑
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (Exothermic reactions ) – ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऊर्जा मुक्त होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (exothermic reactions) कहलाती हैं-जैसे श्वसन (Respiration) ।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा
प्रश्न 2.
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्लों का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
(A) आवश्यक अमीनो अम्ल (Essential Amino Acids) – इन ऐमीनो अम्लों का संश्लेषण हमारे शरीर में नहीं हो सकता है। यह हमें केवल पौधों से भोजन के रूप में प्राप्त होते हैं। परन्तु किसी भी पादप स्रोत में ये सभी आवश्यक एमीनो अम्ल ( amino acids) नहीं पाए जाते हैं। जन्तु प्रोटीन्स में सभी आवश्यक ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं। आवश्यक एमीनो अम्लों की संख्या 10 है ।
(B) अनावश्यक एमीनो अम्ल (Non essential Amino 3(Non-essential Acids) इन ऐमीनो अम्लों का संश्लेषण स्वयं शरीर द्वारा अन्य ऐमीनो अम्लों द्वारा हो जाता है। अतः इन्हें अतिरिक्त रूप से भोजन में लेने की आवश्यकता नहीं होती है, इनकी संख्या भी 10 है।
प्रश्न 3.
ATP क्या है ? ATP की संरचना समझाइए ।
उत्तर;
ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine triphosphate) एक उच्च ऊर्जा यौगिक है। इसका निर्माण राइबोस शर्करा, नाइट्रोजनी क्षारक तथा फॉस्फेट समूह के जुड़ने से होता है। सर्वप्रथम नाइट्रोजनी क्षारक एडेनीन एवं राइयोज शर्करा (ribose sugar) अणु मिलकर एडिनोसिन (adenosine) न्यूक्लिओसाइड (nucleoside) बनाते हैं। न्यूक्लिओसाइड से अब एक फॉस्फेट जुड़कर न्यूक्लिओटाइड ( nucleotide ) बनता है। इसे एडिनोसिन मोनोफास्फेट (AMP) कहते हैं। न्यूक्लिओसाइड से न्यूक्लिओटाइड
बनने बने फास्फोडाइएस्टर बन्ध में 1500-1800 कैलारी प्रतिमोल ऊर्जा संचित होती है। AMP में अब एक और फॉस्फेट अणु जुड़ता है तथा एडिनोसिन डाइ फास्फेट ( ADP) बनता है और इस बन्ध में 7300 कैलोरी मोल ऊर्जा संचित होती है। अब ADP में एक और फॉस्फेट अणु जुड़ता है जिससे एडिनोसिन है ट्राइ फॉस्फेट ( ATP ) बनता है। इस बन्ध में भी 7300 कैलारी मोल ऊर्जा संचित होती है। ATP को ऊर्जा की करेन्सी कहा जाता है। ATP जब ADP में बदलता है तब ऊर्जा मुक्त होती है जो जैविक क्रियाओं में प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 4.
माइकेलिस स्थिरांक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
माइकेलिस स्थिरांक (Michalis constant ) – रासायनिक अभिक्रिया में क्रियाधार (substrate) की वह सान्द्रता जिस पर क्रिया की गति उसकी अधिकतम गति की आधी होती है, माइकेलिस स्थिरांक कहलाता है। यह क्रियाघर (substrat ) से लगाव प्रदर्शित करता है। इसे Km से दर्शाते हैं। Km का मान एन्जाइम का क्रियाधार (substrate) से अधिक लगाव की स्थिति में कम होता है। किसी भी विकर में Km का मान अलग-अलग क्रियाधारों में अलग-अलग होता है।
प्रश्न 5.
न्यूक्लिओसाइड्स तथा न्यूक्लिओटाइड में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिओसाइड्स तथा न्यूक्लिओटाइड्स में अन्तर (Differences between Nucleside and Nucleotides)-
न्यूक्लिओसाइड्स (Nucleosides) | न्यूक्लिओटाइड्स (Nucleotides) |
1. इसमें एक नाइट्रोजनी क्षारक तथा एक पेन्टोस शर्करा होती है। | इसमें एक नाइट्रोजनी क्षारक, एक | पेन्टोस शर्करा तथा एक फॉस्फेट समूह होता है। |
2. यह स्वभाव में क्षारीय ( basic ) होते हैं। | यह स्वभाव में अम्लीय (acidic) होते हैं। |
3. यह न्यूक्लिओटाइड्स के घटक अणु होते हैं। | यह न्यूक्लिक अम्लों के घटक अणु होते हैं। |
प्रश्न 6.
संतृप्त तथा असंतृप्त वसा अम्लों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
संतृप्त वसा अम्ल तथा असंतृप्त वसा अम्ल में अन्तर (Differences between saturated fatty acids and unsaturated fatly acids)
संतृप्त वसा अम्ल | असंतृप्त वसा अम्ल |
1. इनमें शृंखला के सभी कार्बन परमाणु एकल बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। | श्रृंखला के एक या अधिक स्थानों पर कार्बन कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि या त्रि बन्ध होते हैं। |
2. इनमें श्रृंखला के शीर्षस्थ कार्बन – COO | इसमें दोहरे बन्धों वाले कार्बन परमाणुओं पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते हैं। |
3. यह सामान्य ताप पर ठोस (solid) होते हैं। | यह सामान्य ताप पर द्रव (liquid) होते हैं। |
4. इनका गलनांक (melting point) अधिक होता है। | इनका गलनांक (melting point) कम होता है। |
5. यह सामान्यतया जन्तु वसाओं किन्तु कुछ पौधों में भी पाए जाते हैं । | यह सामान्यतया पादप वसाओं में पाए जाते हैं। |
प्रश्न 7.
न्यूक्लिओटाइड्स के कार्य लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिओटाइड्स के कार्य (Functions of Nucleotides ) – न्यूक्लिओटाइड्स के निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) न्यूक्लीक अम्लों का निर्माण (Formation of Nucleic Acids) – न्यूक्लिओटाइड्स के बहुलीकरण (polymerization) से न्यूक्लीक अम्ल DNA, RNA बनते हैं।
(2) ऊर्जा वाहकों का निर्माण (Formation of Energy Carriers) न्यूक्लिओटाइड्स फास्फेट अणुओं से संयुक्त होकर AMP ADP व ATP बनाते हैं।
(3) सह- एन्जाइम का निर्माण (Formation of Co-enzymes ) – न्यूक्लिओटाइड्स अन्य अणुओं से संयुक्त होकर NAD, NADP, FAD, FMN आदि सह- एन्जाइम (Coenzeyme) बनाते हैं। अनेक सह एंजाइम विटामिन के रूप में कार्य करते हैं। श्वसन एवं प्रकाश संश्लेषण क्रियाओं में प्रयोग में आते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कार्बोहाइड्रेट्स क्या हैं? कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख संवर्गों का उल्लेख कीजिए। सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट का रासायनिक सूत्र लिखिए। बताइए कि जन्तु में कार्बोहाइड्रेट्स की क्या भूमिका है ?
अथवा
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इनका महत्व लिखिए।
अथवा
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इन्हें सैकेराइड्स क्यों कहते हैं? इनका वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
कार्बोहाइड्रेट्स क्या हैं ? इनका खोत तथा संयोजन लिखिए । कार्बोहाइड्रेट के विभिन्न प्रकार लिखिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेटस (Carbohydrates)
कार्बोहाइड्रेटस, कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के यौगिक हैं, जिनमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात जल में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के अनुपात के समान होता है। इसीलिए इन्हें कार्बन के हाइड्रेटस (hydrates of carbon) कहते हैं। इनका सामान्य सूत्र Cn (H2 O)n या (C2 H2 O) है।
कार्बोहाइड्रेट्स को शर्करा के यौगिक या सैकेराइड्स भी कहते हैं क्योंकि या तो ये शर्करा होते हैं अथवा शर्करा एककों (monomers) के बहुलक (polymes) होते हैं। कुछ कार्बोहाइड्रेटस में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या सल्फर के परमाणु (atom) भी होते हैं। इनमें एक से अधिक हाइड्रोक्सिल समूह (OH) भी होते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत (Sources of carbohydrates) – कार्बोहाइड्रेट्स भोजन के मौलिक घटक हैं। हरे पादप सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण द्वारा CO2 एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। पौधों के शुष्क भार (dry weight) का लगभग 80% भाग कार्बोहाइड्रेट का बना होता हैं।
कार्बोहाइड्रेटस के तीन प्रकार (Three Types of Carbohydrates) –
1. मोनोसैकेराइडस
2. औलिगोसैकेराइड्स तथा
3. पॉलीसैकेराइड्स । मोनोसैकेराइडस तथा ओलिगोसैकेराइड्स सामान्य शर्कराएँ हैं, जो जल में घुलनशील हैं। इन्हें लघु अणु कहते हैं जबकि पॉलिसैकेराइडस को वृहदाणु कहते शर्करा (Sugas) – स्वाद में मीठे कार्बोहाइड्रेट्स ही शर्करा कहलाते हैं जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस, सुक्रोस आदि। सभी मीठे पदार्थ शर्करा (sugar) नहीं होते। मोनोसैकेराइड व डाइसैकेराइड विभिन्न प्रकार की शर्कराएँ हैं।
1. मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides) या सरल शर्कराएँ (Simple Sugars) –
मोनोसैकेराइड्स सरलतम कार्बोहाइड्रेटस हैं, जिन्हें सरल शर्कराएं भी कहते है। इनका और अधिक छोटा इकाइया में जल अपघटन (hydrolysis) नहीं हो सकता। इनका सामान्य सूत्र CnH2On होता है। मोनोसैकेराइडस के प्रत्येक अणु में 3-7 कार्बन परमाणु होते हैं।
प्रत्येक मोनोसैकेराइड्स अणु में कार्बन अणुओं की एक अशाखित श्रृंखला (unbranched chain) होती है जिसमें कार्बन परमाणु एकल सहसंयोजी बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। एक कार्बन परमाणु दोहरे बन्ध द्वारा एक ऑक्सीजन परमाणु से जुड़कर कार्बोनिल समूह बनाता है। शेष कार्बन परमाणुओं में से प्रत्येक परमाणु हाइड्रोक्सिल समूह (-OH) से जुड़ा होता है।
कार्बोनिल समूह जब कार्बन श्रृंखला के छोर पर होता है तो ऐल्डिहाइड (HCO) समूह बनाता है। ऐसी शर्करा एल्डोलेस कहलाती है। जब कार्बोनिल समूह मध्यवर्ती कार्बन से जुड़ा हो तो कीटोन समूह (C = O) बनता है। इन्हें कीटोज कहते हैं। इसी आधार पर मोनोसैकेराइड्स के दो प्रमुख रासायनिक गुण हैं। कीटोन या ऐल्डिहाइड समूह वाली शर्करा Cu u++ को Cut में अपचयित ( reduce ) कर देती है।
इन्हें अपचायक शर्कराएँ (reducing sugars) कहा जाता है। यही बेनेडिक्ट (Benedict’s ) टेस्ट या फेहलिंग टेस्ट (Fehling’s Test) का आधार है। मोनोसैकेराइड्स का वर्गीकरण (Classification of Monosaccharides) कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर मोनोसैकेराइड्स को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
(i) ट्रायोजेस (Trioses: CHO2 – इनके प्रत्येक अणु में 3- कार्बन परमाणु होते हैं जैसे – ग्लिसरैल्डीहाइड (glyceraldehyde ) तथा डाइहाइड्रॉक्सी ऐसीटोन (Dihydroxyacetone)। यह सबसे छोटे मोनोसैकेराइड्स हैं।
(ii) टेट्रोजेस (Tetroses: C4H6 O4 ) – यह चार कार्बन परमाणु वाली शर्कराएँ हैं, जैसे- एरिथ्रोस ( erythrose) तथा थ्रिओस (threose)।
(iii) पेन्टोज (Pentose C5 H10H5 – यह पाँच कार्बन वाली शर्कराएँ हैं जो कोशिका द्रव्य में मुक्त रूप से नहीं मिलती हैं। जैसे-राइबोस, राइबुलोस, जाइलोस, आर्बीनोस, डिऑक्सीराइबोस।
(iv) हेक्सोस (Haxose C6 H12O6) – इनमें कार्बन के छ: परमाणु होते हैं। यह एक सामान्य कार्बोहाइड्रेट है। जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस, गैलेक्टोस तथा मैनोस इन चारों का रासायनिक सूत्र एक समान होता है। इनमें से केवल ग्लूकोस (glucose) तथा फ्रक्टोस (fructose) विलयन के रूप में मिलते हैं।
इनके अणुओं में परमाणुओं के विन्यास में अन्तर के कारण इनके गुणों में अन्तर होता है। ग्लूकोस, फ्रक्टोस तथा मेनोस की संरचना में प्रथम व द्वितीय कार्बन में अन्तर होता है। फ्रक्टोस कीटोस है जबकि ग्लूकोस व मैनोस एल्डोस हैं। गैलेक्टोस में 4- कार्बन में – OH समूह की स्थिति के कारण यह ग्लूकोज से भिन्न होता है ।
(v) हेप्टोस (Heptose C7 H14O7) – यह सात कार्बन परमाणु वाली शर्कराएँ (sugars) हैं, जैसे- सीडो हेप्टुलोस (sedoheptulose) तथा ग्लूकोहेप्टोस (glucoheptose) ।
प्रश्न 2.
लिपिड्स क्या हैं ? इनके उदाहरण दीजिए। लिपिड्स के विशिष्ट गुण लिखिए।
अथवा
वसा क्या है ? यह कितने प्रकार की होती हैं ? संतृप्त तथा असंतृप्त वसा अम्ल में अन्तर लिखिए ।
अथवा
लिपिड्स का संयोजन बताइए तथा लिपिड्स का वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर:
लिपिड्स (Lipids)
लिपिड विविध प्रकार के तैलीय, स्नेहकीय (lubricant) तथा मोम के समान कार्बनिक पदार्थ हैं जो जीवधारियों में पाए जाते हैं। घी, चर्बी, वनस्पति तेल, मोम, प्राकृतिक रबर, कोलेस्ट्रॉल, पादपों के रंगा पदार्थ एवं गंधयुक्त पदार्थ जैसे – मेंथाल यूकेलिप्टस आयल, वसा में घुलनशील विटामिन्स, स्टीरॉइड हॉर्मोन्स आदि लिपिड्स ही होते हैं। सभी लिपिड्स में निम्नलिखित दो लक्षण समान रूप से पाए जाते हैं-
(a) यह सब वास्तविक या सम्भाव्य रूप से वसीय अम्लों के एस्टर (esters of fatty acids) होते हैं।
(b) यह सब अध्रुवीय (non-polar) होते हैं। अतः यह जल में अघुलनशील परन्तु अध्रुवीय कार्बनिक विलायकों जैसे – क्लोरोफार्म, ईथर, बेन्जीन आदि में घुलनशील होते हैं ।
सभी लिपिड अणु छोटे जैव अणु होते हैं। इनका अणुभार 750 से 1500 ही होता है । कार्बोहाइड्रेटस की भाँति लिपिड्स भी कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बने होते हैं, परन्तु इनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं का अनुपात 2: 1 नहीं होता है। हाइड्रोजन तथा कार्बन के परमाणुओं की संख्या ऑक्सीजन के परमाणुओं से बहुत अधिक होती है।
कुछ में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन तथा सल्फर के भी कुछ परमाणु होते हैं । रासायनिक दृष्टि से लिपिड्स वसीय अम्लों (fatty acids) तथा ग्लिसरॉल (glycerol) के एस्टर या ग्लिसरॉइडस होते हैं । अर्थात लिपिड का एक अणु वसीय अम्लों के तीन तथा ग्लिसरॉल के एक अणु के मिलने से बनता है ।
वसीय अम्ल (Fatty acids) – वसीय अम्लों का सामान्य सूत्र CH3 (CH2)n COOH होता है। यह अधिकांश लिपिड्स का प्रमुख भाग बनाते हैं । प्रत्येक वसीय अम्ल के अणु में हाइड्रोकार्बन्स (CH) की एक अशाखित श्रृंखला होती है। श्रृंखला के एक छोर के कार्बन परमाणु से एक कार्बोक्सिल समूह (- COOH) तथा दूसरे छोर के कार्बन परमाणु से एक मेथिल समूह ( – CH3) जुड़ा होता है ।
संतृप्त एवं असंतृप्त वसीय अम्ल (Saturated and Unsaturated Fatty Acids) – कुछ वसीय अम्लों में सभी कार्बन परमाणु एकल सहसंयोजी बन्धों (covalent bond) द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, इन्हें संतृप्त वसीय अम्ल (saturated fatty acids) कहते हैं।
जन्तु वसाओं में प्रायः ऐसे ही वसीय अम्ल होते हैं। अन्य वसीय अम्लों की हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाओं में निश्चित स्थानों के कार्बन परमाणु दोहरे बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसा प्रत्येक C- परमाणु एक अतिरिक्त हाइड्रोजन परमाणु से भी जुड़ सकता है। ऐसे वसीय अम्ल असंतृप्त वसीय अम्ल ( unsaturated fatty acids) कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
प्रोटीन की रचना प्रकार एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन्स (Proteins)
प्रोटीन शब्द प्रोटिओज (proteose) नामक ग्रीक शब्द से व्युत्पन्न हुआ है – जिसका अर्थ है पहला स्थान रखना। बर्जिलियस (1837 ) ने प्रोटीन की उत्प्रेरक क्रिया (catalytic reaction) को प्रस्तुत किया। प्रोटीन (protein) शब्द सर्वप्रथम मुल्डर (1839 ) ने दिया । कोशिकाओं में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ प्रोटीन ही होता है ।
प्रोटीन्स कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन सभी प्रोटीन्स का आवश्यक घटक है। प्रोटीन्स में सल्फर की भी कुछ मात्रा होती है। प्रोटीन्स की प्रतिशत मात्रा विभिन्न स्रोतों में भिन्न-भिन्न होती है जैसे- स्तनियों की पेशियों में 20%, रक्त प्लाज्मा में 70%, गाय के दूध में 3.5%, अनाज में 12%, दालों में 20%, अण्डे की सफेदी में 11-13%, अण्डे के पीतक ( yolk) में 15-17%, मुर्गे के गोश्त में 24%, सोयाबीन में 40% तथा मशरुम्स में 55% तक प्रोटीन्स होती है ।
प्रोटीन की संरचनात्मक इकाई : अमीनो अम्ल (Building Blocks of Protein : Amino acids)
प्रोटीन की निर्माणकारी इकाइयाँ अमीनो अम्ल होते हैं। यह एक प्रकार के कार्बनिक अम्ल हैं जिनमें कम-से-कम एक मुक्त अमीनो समूह (-NH2) तथा एक कार्बोक्सिलिक समूह ( – COOH) अवश्य होता है। अर्थात् अमीनो अम्ल मोनो या डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल हैं जिनमें एक या दो अमीनो समूह होता है । a कार्बन का स्थान कार्बोक्सिल कार्बन से अलग होता है ।
अमीनो अम्ल के a कार्बन की चार संयोजकताएँ में से एक पर अमीनो समूह (2), एक पर कार्बोक्सिलिक समूह (COOH), एक पर हाइड्रोजन व एक पर पार्रव श्रृंखला होती है। यह पार्रव श्रृंखला ध्रुवीय (polar) या अध्रुवीय (non-polar) हो सकती है। इनका सामान्य सूत्र R – CHNH2 COOH होता है। ग्लाइसीन (glycine) सबसे सरल प्रकार का अमीनो अम्ल होता है। प्रत्येक अमीनो अम्ल उभयधर्मी (amphoteric) यौगिक होता है, क्योंकि इसमें – COOH मन्द अम्लीय व – NH2 मन्द क्षारीय समूह पाए जाते हैं। अमीनो अम्लों के आय विटर आयन्स (zwiter ions) कहलाते हैं।
अनिवार्य एवं अनानिवार्य अमीनो अम्ल (Essential and non essential amino acids) – अब तक ज्ञात अमीनो अम्लों में से केवल 20 प्रकार के अमीनो अम्ल जैविक महत्व के होते हैं। सूक्ष्मजीवों एवं पादपों में इन बीसों प्रकार के अमीनो अम्लों का निर्माण होता है । परन्तु स्तनियों में केवल 10 ही शरीर में बनते हैं इन्हें अनानिवार्य अमीनो अम्ल (non-essential amino acids) कहते हैं। शेष 10 अमीनो अम्लों को ये स्तनी भोजन से प्राप्त करते हैं, जिन्हें अनिवार्य अमीनो अम्ल (essential amino acids) कहा जाता है।
प्रश्न 4.
एन्जाइम की रासायनिक संरचना एवं इनकी क्रियाविधि समझाइए ।
उत्तर:
माइकेलिस स्थिरांक ( Michaelis constant) – रासायनिक अभिक्रिया में क्रियाधार की वह सान्द्रता जिस पर क्रिया की गति उसकी अधिकतम गति की आधी होती है, माइकेलिस स्थिरांक कहलाता है क्रियाधार से लगाव प्रदर्शित करता है। इसे Km से दर्शाते हैं। Km का मान एन्जाइम का क्रियाधार से अधिक लगाव की स्थिति में कम होता है।
किसी भी विकर में Km का मान अलग-अलग क्रियाधारों में अलग-अलग होता है। विकरों की क्रियाविधि को ताला चाबी परिकल्पना (lock and Key hypothesis) द्वारा समझाया जाता है। रासायनिक क्रियाओं के सम्पन्न होने के लिए ऊर्जा के ‘इनपुट’ की आवश्यकता होती है।
इस ऊर्जा की सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहा जाता है। क्रियाधार के एंजाइम से बंधने से सक्रियण ऊर्जा कम हो जाती है। वास्तव में सक्रियण ऊर्जा में कमी लाकर ही एंजाइम क्रिया की दर को बढ़ाते हैं। इसके अनुसार ताला क्रियाधार (substrate) तथा चाबी विकर की भाँति कार्य करती हैं। जिस प्रकार चाबी
प्रश्न 5.
आई. यू. बी. प्रणाली के अनुसार विकरों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
विकरों का वर्गीकरण (Classification of Enzymes ) – विकर जिन पदार्थों पर क्रिया करते हैं, जिस प्रकार की क्रिया को उत्प्रेरित करते हैं अथवा है बनने वाले उत्पाद के नाम के पीछे ऐज (-ase) शब्द लगाकर इनका नामकरण किया जाता है- एन्जाइमों को उनकी कार्यात्मक विशिष्टता या उनकी उत्प्रेरक क्रिया (catalytic activity) के आधार पर अग्रलिखित 6 मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया गया
एन्जाइम समूह (Enzyme group) | अभिक्रिया का प्रकार (Type of Reaction) |
1. ऑक्सीडोरिडक्टेज (Oxydoredu- ctase) | ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रियाएँ (Oxydation- reduction) |
2. ट्रांसफरेज (Transferase) | यह क्रियात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण समूह जैसे- CH3 NH2 आदि का एक अणु से दूसरे अणु में स्थानांतरण करता है। |
3. हाइड्रोलेजेज (Hydrolases) | यह क्रियाधर (substarate) का जल अपघटन करते हैं। |
4. आइसोमरेजेज या म्यूटेजेज (Isomerases or Mutases) | यह परमाणुओं का पुनर्वितरण करके किसी यौगिक के एक आइसोमर को दूसरे आइसोमर में बदलते हैं। |
5. लायेजेज (Lyases) | जल की अनुपस्थिति में विशिष्ट संयोजी बंधों को तोड़ते हैं तथा समूहों को हटाते हैं । |
6. लाइगेजेज सिंथेटेजेज (Ligases Synthetases) | ऊर्जा के उपयोग से दो अणुओं को जोड़ने की क्रिया को उत्प्रेरित करते हैं। बंध का निर्माण करते हैं। |
विवरण व उदाहरण यह इलेक्ट्रॉन अथवा या (H+ आयन) को घटाकर अथवा जोड़कर क्रिया सम्पन्न करते हैं- जैसे साइटोक्रोम ऑक्सीडेज साइटोक्रोम की ऑक्सीकृत करता है, लैक्टेट डिहाइड्रोजिनेज फॉस्फोट्रांसफरेज (phosphotransferase) – फॉस्फेट समूह का एक अणु से दूसरे अणु में स्थानांतरण करता है। जैसे- ग्लूटेमेट पाइरूवेट ट्रांसएमीनेज । सभी पाचक एन्जाइम इस श्रेणी में आते हैं। जैसे पेप्सिन (pepsin) आदि ।
यह जल के अणु की सहायता से बड़े अणुओं को छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं जैसे – एमाइलेज म्यूटेज (mutase) जैसे – फॉस्फोहेक्सोज आइसोमरेज (Phosphoheose isomerase) ग्लूकोज -6- फॉस्फेट को फ्रक्टोज – 6- फॉस्फेट में बदल देता है । हिस्टीडिन डिकार्बोक्टिनेज हिस्टीडिन के C-C बंध को तोड़कर हिस्टीडिन व कार्बनडाइऑक्साइड बनाता है। DNA लाइगेज दो DNA खण्डों को जोड़ता है। पाइरूवेट कार्बोक्सिलेज, पाइरूविक अम्ल व CO2 को जोड़कर ऑक्सेलोएसीटेट बनाता है।
प्रश्न 6.
न्यूक्लिक अम्ल क्या होते है ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? इनके कार्य लिखिए ।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid)
फ्रेडरिक मीशर (Frederick Meischer) ने 1869 में सर्वप्रथम पस कोशिकाओं (pus cells) में न्यूक्लिक अम्ल ( nucleic acid) की खोज की थी। क्योंकि यह केन्द्रक में पाये जाते हैं अतः इन्हें न्यूक्लिन ( nuclein) नाम दिया गया। बाद में इनकी अम्लीय प्रवृत्ति का पता लगने पर इन्हें न्यूक्लिक अम्ल (nucleic acids) कहा गया। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फेट से बने वृहद् अणु (maeromolecules) होते हैं। न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लिओटाइड्स (nucleotides) के रेखीय बहुलक (polymers) होते हैं अर्थात् न्यूक्लिक अम्ल की इकाई न्यूक्लिओटाइड है। न्यूक्लिओटाइड्स आपस में फॉस्फोडाइऐस्टर बन्धों (phosphodiester bonds)
द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में तीन प्रकार के अणु होते हैं, एक पंचकार्बनी शर्करा (pentose sugar), एक नाइट्रोजन क्षारक ( nitrogenouse base) तथा एक फॉस्फेट समूह ( phosphate group) ।
1. पंच कार्बनी शर्करा (Pentose sugar) – यह दो प्रकार की होती हैं- राइबोस शर्करा (ribose sugar) तथा डिऑक्सीराइबोस शर्करा ( deoxyribose sugar)।
2. नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogeneous bases) – यह दो मुख्य प्रकार के होते हैं-
- प्यूरीन (Purines) – यह दो वलयों वाले क्षारक हैं तथा दो प्रकार के होते हैं- एडिनीन ( adenine) तथा ग्वानीन ( guanine)।
- पिरिमिडीन्स (Pyrimidines) – यह एक वलय वाले क्षारक हैं जो तीन प्रकार के होते हैं- सायटोसीन (cytosine), थायमीन (thymine) तथा यूरेसिल (uracil)।
3. फॉस्फेट समूह (Phosphate Group) – यह दो न्यूक्लिओटाइड्स को बंध बनाकर जोड़ते हैं।
न्यूक्लिक अम्ल के प्रकार (Types of Nucleic acids) न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं-
1. डिऑक्सीरिबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic acid or DNA ) – इसके न्यूक्लिओटाइड एक पंच कार्बनीय शर्करा डी-ऑक्सीराइबोस, एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडिनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थाइमीन में से कोई एक ) तथा फॉस्फेट समूह के बने होते हैं।
2. राइबोन्यूक्लिक अम्ल (Ribonucleic acid ) – इनमें राइबोस शर्करा (ribose sugar) पायी जाती है। इसका प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड एक शर्करा अणु, एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडिनीन, ग्वानीन, साइटोसिन तथा यूरेसिल में से कोई एक तथा फॉस्फेट समूह से मिलकर बनता है। यह तीन प्रकार के होते हैं-
- संदेश वाहक आर.एन.ए. (mRNA)
- स्थानांतरण आर.एन.ए. ( tRNA)
- राइबोसोमल आर. एन. ए. ( FRNA)
प्रश्न 7.
DNA की संरचना का द्विरज्जुक मॉडल (Double helical model) का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic Acid, DNA
डी.एन.ए. (de-oxyribonucleic acid) न्यूक्लिओटाइड ( nucleotide ) अणुओं का रेखीय बहुलक (polymer) है। यह आनुवंशिक सूचनाओं (genetic informations) का वाहक (carrier) है। यह गुणसूत्रों (chromosoms) का प्रमुख घटक है और इनके द्वारा लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाता है । यूकैरियोटिक कोशिकाओं में यह केन्द्रक के अतिरिक्त माइटोकान्ड्रिया तथा हरित लवक में भी पाया जाता है। DNA जीवजगत का अनूठा आणु है क्योंकि यह प्रतिकृतिकरण (replication) कर सकता है।
डी. एन. ए. की संरचना (Structure of DNA)
DNA उच्च अणुभार वाला वृहत् अणु है। इसका निर्माण हजारों न्यूक्लिओटाइडों के फॉस्फोडाइएस्टर बन्धों द्वारा जुड़ने से होता है। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में तीन अणु होते हैं – एक डिऑक्सीराइबोस शर्करा अणु एक नाइट्रोजनी क्षारक अणु तथा एक फॉस्फेट समूह । न्यूक्लिओटाइड्स, न्यूक्लिओसाइड्स के फॉस्फेट होते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओसाइड एक शर्करा अणु व एक नाइट्रोजनी क्षारक से मिलकर बना होता है ।
न्यूक्लिओसाइड (Nucleosides ) सबसे पहले पेन्टोस शर्करा (pentose sugar) अणु से एक नाइट्रोजनी क्षारक प्रथम कार्बन पर B ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा जुड़कर न्यूक्लिओसाइड बनाता है। क्योंकि DNA के निर्माण में चार प्रकार के नाइट्रोजनी क्षारक भाग लेते हैं। इस आधार पर न्यूक्लिओसाइड भी चार प्रकार के होते हैं-
(i) डि-ऑक्सीएडिनोसीन (Deoxyadenosine) – एडिनोसिन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।
(ii) डि-ऑक्सीग्वानोसीन (Deoxyguanosine)- ग्वानोसीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।
(iii) डि-ऑक्सीसायटिडीन ( Deoxycytidine ) – सायटोसीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।
(iv) डि-ऑक्सीथायमिडीन (Deoxythymidine ) – थायमीन + डिऑक्सीराइबोज शर्करा ।
न्यूक्लिओटाइड (Nucleotides) – न्यूक्लिओसाइड डाइएस्टर बंधू द्वारा अब फॉस्फोरिक अम्ल के साथ जुड़कर न्यूक्लिओटाइड
(nucleotide) बनाता है। नाइट्रोजनी क्षारकों के आधार पर न्यूक्लिओटाइड भी चार प्रकार के होते हैं-
(i) डि-ऑक्सीएडिनिलिक अम्ल (Deoxyadenylic acid) – डि-ऑक्सीएडिनोसीन + फॉस्फोरिक अम्ल ।
(ii) डि-ऑक्सीग्वानीलिक अम्ल (Deoxyguanylic acid ) – डि-ऑक्सीग्वानोसीन + फॉस्फोरिक अम्ल
(iii) डि-ऑक्सीसाइटिडिलिक अम्ल (Deoxycytidylic acid ) – डि- आक्सीसायटिडीन + फॉस्फोरिक अम्ल
(iv) डि-ऑक्सीथाइमीडिलिक अम्ल ( Deoxythymidylic acid ) – डि-ऑक्सीथाइमिडीन + फॉस्फोरिक अम्ल ।
इस प्रकार बने न्यूक्लिओटाइड एक-दूसरे से विभिन्न क्रमों में जुड़कर पॉलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला (polynucleotide chain) का निर्माण करते हैं 1 पॉलीन्यूक्लिओटाइड्स की दो श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से हाइड्रोजन बंधों (hydrogen bonds) द्वारा प्रति समानान्तर जुड़कर DNA द्विरज्जु (DNA double strand) का निर्माण करती हैं।
इरविन चारगाफ (Erwin Chargaff) ने DNA के जल अपघटन (hydrolysis) के पश्चात् यह पाया कि DNA में एडीनीन की कुल मात्रा सदैव थायमीन के बराबर (A = T) तथा ग्वानीन की कुल मात्रा सायटोसीन के बराबर (G = C) होती है। इसे चारगाफ का तुल्यता का नियम ( equivalence rule of Chargaff) कहते हैं।
DNA की रचना का द्विरज्जुकी मॉडल (Double helical model of DNA Structure)
वाटसन एवं क्रिक (Watson and Crick 1953) ने DNA की रचना का द्विरज्जुकी मॉडल (double helix model) प्रस्तुत किया। इसके अनुसार DNA अणु पॉलीन्यूक्लिओटाइड की दो प्रति समानान्तर शृंखलाओं से बना होता है। इसमें एक पॉलीन्यूक्लिओटाइड (polynucleotide ) अणु का फॉस्फेट समूह दूसरे न्यूक्लिओटाइड के शर्करा अणु के कार्बन परमाणु के साथ जुड़ा होता है।
इस प्रकार दो शर्करा अणुओं के मध्य 5′ और 3′ स्थितियों पर बंध बनता है। दोनों श्रृंखलाओं के नाइट्रोजनी क्षारक हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़कर DNA अणु का निर्माण करते हैं। दोनों शृंखलाएँ एक काल्पनिक केन्द्रीय अक्ष (axis) पर दक्षिणावर्त दिशा में कुण्डलित रहती हैं। और सीढ़ीनुमा रचना बनाते हैं।
शर्करा व फॉस्फेट अणु सीढ़ी के दो स्तंभ ( side bars) बनाते हैं तथा नाइट्रोजनी क्षारक इसके पगडण्डे होते हैं। दोनों रज्जुक (strands ) एक-दूसरे के प्रति समांतर होते हैं। अर्थात् एक स्ट्रेण्ड का 5′ छोर तथा दूसरे स्ट्रेण्ड का 3′ छोर एक ही दिशा में होते हैं । नाइट्रोजनी क्षारक एक-दूसरे से विशिष्ट क्रम में जुड़े रहते हैं।
एडिनीन थायमीन से द्वि- हाइड्रोजन बंधों द्वारा तथा ग्वानीन सायटोसीन से तीन हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़े रहते हैं। DNA द्वि रज्जुक (double strand) का व्यास 20A होता है। कुण्डलिनी के प्रत्येक कुण्डल में 10 क्षारक युगल होते हैं। प्रत्येक क्षारक युग्म (base pain) के बीच की दूरी 3.4 A तथा सम्पूर्ण कुण्डल की लम्बाई 34 Å होती है।
DNA के कार्य (Function of DNA)
- DNA गुणसूत्रों (Chromosomes) के निर्माण में भाग लेता है।
- DNA के विशेष खण्ड जीन्स का कार्य करते हैं जिन पर आनुवंशिक सूचनाएँ निहित होती हैं जिन्हें गुणसूत्रों के माध्यम से नयी पीढ़ी में पहुँचाया जाता है।
- DNA में स्वद्विगुणन की क्षमता होती है। अतः यह कोशिका विभाजन (cell division ) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह प्रोटीन संश्लेषण के लिए mRNA का निर्माण करता है
- यह कोशिका की विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
प्रश्न 8.
जल के गुण तथा इसके जैविक महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल (Water)
जल जीवद्रव्य (protoplasm) का सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक घटक है। यह हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के 21 के अनुपात में मिलने से बनता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो एक अद्वितीय (unique) प्रकार के भौतिक तथा रासायनिक लक्षण प्रदर्शित करता है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । जीवों में जल की मात्रा सामान्यतया जीवधारियों में जल कुल जीव भार का 60-90% भाग बनाता है।
जल के गुण (Properties of water)
- जल पारदर्शी, स्वादहीन, गंधहीन, रंगहीन व उदासीन द्रव है। शुद्ध जल का pH-7 होता है। इसमें OH– तथा H+ आयनों की संख्या बराबर होती
- द्विध्रुवीय (bipolar) होने के कारण जल एक उत्तम विलायक (solvent) है।
- जल का उच्च क्वथनांक (boiling point) होता है (100°C) ।
- जल का पृष्ठ तनाव (surface tension) उच्च होता है, क्योंकि इसके अणुओं के बीच अंतराणुक आकर्षण अधिक होते हैं।
- जल की विशिष्ट ऊष्मा (specific heat) उच्च होती है, अतः यह तप्त एवं ठंडा होने में अधिक समय लेता है।
- जल की ऊष्मा चालकता (heat conductivity) अधिक होती है इसीलिए जल के पात्र को एक ओर से गर्म करने पर सम्पूर्ण जल गर्म हो जाता
- शुद्ध जल की विद्युत चालकता (electrical conductivity) अल्प होती है किन्तु इसमें विद्युत अपघट्य मिलाने पर यह विद्युत का सुचालक हो जाता है।
- जल के अणुओं के बीच प्रबल आकर्षण के कारण इनमें ससंजन (cohesion) तथा आसंजन (adhesion) का गुण होता है।
- जल ठोस, द्रव तथा गैस तीन भौतिक अवस्थाओं में पाया जा सकता है।
जल का जैविक महत्व (Biological Significance of water)
- अनेक अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ जल में घुलनशील हैं। अतः घुलनशील अवस्था में रासायनिक क्रियाएँ अपेक्षाकृत सरलता से एवं तीव्र गति से सम्पन्न होती हैं।
- विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाओं में जल क्रियाशील पदार्थ के रूप में कार्य करता है तथा अनेक क्रियाओं के अन्त में उत्पाद के साथ बनता हैं।
- पौधों में जल के प्रकाशीय अपघटन से H+ आयन उत्पन्न होते हैं जो पौधों की परिपाचन शक्ति बनाते हैं। इस क्रिया में उत्पन्न ऑक्सीजन सभी जीवों के लिए श्वसन (respiration) में काम आती है।
- जल सजीवों के ताप नियन्त्रण में सहायक है।
- जल में ससंजन (cohesion) एवं आसंजन ( adhesion) का गुण होने के कारण यह ऊंचे वृक्षों में ऊपर चढ़ता है साथ ही अपने साथ खनिज लवणों का परिवहन करता है।
- जल प्राणियों के विभिन्न अंगों के मध्य स्नेहक (lubricant ) की भाँति कार्य करता है, जैसे-आँखों की पलकों के बीच।
- ल जैविक क्रियाओं के लिए माध्यम का कार्य करता है।
- अधिकांश विकर (enzyme) जलीय माध्यम में प्रभावशाली होते हैं।
- जल से उत्पन्न आयन्स pH मान स्थिर रखने में सहायक होते हैं।
- जल सजीवों के शरीर में विभिन्न पदार्थों के संवहन (conduction) के लिए माध्यम प्रदान करता है।
- जल जीवद्रव्य में कोलाइडी तन्त्र में परिक्षेपण प्रावस्था ( dispersion phase) का कार्य करता है।
- बहुत से जीवों का आवास भी जल होता है।
प्रश्न 9.
कोशिका में उपस्थित विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक पदार्थों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोशिका के अकार्बनिक पदार्थ ( Inorganic substances of the cell)
इस प्रकार के पदार्थों में कार्बन नहीं होता है। यह सरल संरचना वाले छोटे अणु हैं जिनका आण्विक भार कम होता है। इनमें जल, खनिज लवण, आयन्स एवं गैसें सम्मिलित हैं।