Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता Notes.
Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता
→ हमारी पृथ्वी पर लगभग 10 करोड़ प्रकार के जीव पाए जाते हैं, जिनमें से लगभग 17 लाख विभिन्न प्रकार की जातियों का वर्गीकरण किया गया है।
→ जीवों का वर्गीकरण इनमें समानता, विभिन्नता तथा उनके आपसी संबंधों के आधार पर किया गया है।
→ जीव विज्ञान की वह शाखा जो जीवों का वर्गीकरण करती है, वर्गिकी कहलाती है। यह शब्द डी० केंडोली ने दिया।
→ जीवों के वर्गीकरण से जीवों का अध्ययन करना आसान हो गया है।
→ केरोलस लीनियस वर्गीकरण का जनक है। उसने द्विनाम पद्धति विकसित की।
→ द्विनाम पद्धति में जीव को नाम देने के लिए नाम के दो घटक पहला जीनस (जेनेटिक नाम) तथा दूसरा जातीय नाम होता है।
→ जीवों के वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियाँ-जगत, फाइलम, क्लास, आर्डर, फैमिली, वंश तथा जाति हैं।
→ समूचे जीव-जगत को दो समूहों में बाँटा गया है-वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।
→ जीवों को पाँच जगत में वर्गीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है
→ कोशिकीय संरचना-प्रोकैरियोटी अथवा यूकैरियोटी।
→ जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
→ कोशिका भित्ति की उपस्थिति तथा स्वपोषण की क्षमता।
→ उपर्युक्त आधार पर सभी जीवों को पाँच जगत में बाँटा गया है मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक (फंजाइ), प्लांटी और एनिमेलिया।
→ जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से संबंधित है।
→ ्लांटी और एनिमेलिया को उनकी शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
→ पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है-शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म।
→ जंतुओं को दस फाइलम में बाँटा गया है-पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटीहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा।
→ जैव विविधता-जीवों के गुण-धर्मों में पाई जाने वाली विविधता जैव विविधता कहलाती है।
→ वर्गीकरण-समानता और भिन्नता के आधार पर जीवों को बाँटना वर्गीकरण कहलाता है।
→ जैव विकास-जीवों में निरंतर बदलावों की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बेहतर जीवन-यापन जैव विकास कहलाता है।
→ मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र पृथ्वी पर कर्क और मकर रेखा के बीच जीवों में काफी विविधता पाई जाती है, इसलिए इसे मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र कहते हैं।
→ मोनेरा-एक कोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीव, जिनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है, मोनेरा कहलाते हैं।
→ प्रोटिस्टा-एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीव प्रोटिस्टा कहलाते हैं।
→ फंजाई-विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव, जो मृत गले-सड़े कार्बनिक पदार्थों से भोजन ग्रहण करें, फंजाई कहलाते हैं।
→ प्लांटी-कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिक यूकैरियोटिक स्वपोषी जीव प्लांटी कहलाते हैं।
→ एनिमेलिया-बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जिसमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती, एनिमेलिया कहलाते हैं।
→ थैलोफाइट जिन पादपों में विशेष संरचना थैलस पाया जाता है।
→ ब्रायोफाइटा-पादप वर्ग के उभयचर वर्ग को ब्रायोफाइटा कहते हैं।
→ क्रिप्टोगैम्स-जिन पादपों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता न हो, वे क्रिप्टोगैम्स होते हैं।
→ जिम्नोस्पर्म-नग्न बीज उत्पन्न करने वाले पौधे जिम्नोस्पर्म कहलाते हैं।
→ एंजियोस्पर्म-ढके हुए बीजों वाले पौधे एंजियोस्पर्म कहलाते हैं।
→ कशेरुकी-जिन जीवों में रीढ़ की हड्डी पाई जाती है, कशेरुकी कहलाते हैं।
→ अकशेरुकी जिन जीवों में रीढ़ की हड्डी न पाई जाए, अकशेरुकी कहलाते हैं।