Haryana State Board HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं Important Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
शुद्धिकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
लाभदायक पदार्थों को अनावश्यक तथा हानिकारक पदार्थों से अलग करना, शुद्धिकरण कहलाता है।
प्रश्न 2.
किन्हीं चार शुद्ध पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर:
- चीनी
- साधारण नमक
- सोना
- पारा।
प्रश्न 3.
किन्हीं चार तत्त्वों के नाम लिखें।
उत्तर:
- सोना
- चाँदी
- पारा
- गंधक।
प्रश्न 4.
किन्हीं चार यौगिकों के नाम लिखें।
उत्तर:
- जल
- कपूर
- चीनी
- कार्बन डाइऑक्साइड।
प्रश्न 5.
किन्हीं चार मिश्रणों के नाम लिखें।
उत्तर:
- मिट्टी
- वायु
- तालाब का जल
- सेंधा नमक (चट्टानी नमक)।
प्रश्न 6.
जल में विलेय दो पदार्थों के नाम बताओ जो दैनिक जीवन में काम आते हैं।
उत्तर:
- साधारण नमक
- चीनी।
प्रश्न 7.
दो द्रवीय मिश्रणों के नाम लिखें।
उत्तर:
- तालाब या नदी का जल
- सोडा जल।
प्रश्न 8.
एक गैसीय मिश्रण का उदाहरण दें।
उत्तर:
वायु।
प्रश्न 9.
पृथक्करण किसे कहते हैं?
उत्तर:
मिश्रण में से एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ से पृथक् करना, पृथक्करण कहलाता है।
प्रश्न 10.
मिश्रण में कितने अवयव होते हैं?
उत्तर:
मिश्रण में दो या दो से अधिक अवयव होते हैं।
प्रश्न 11.
हम वायु में से किस लाभदायक अवयव को सांस के रूप में प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
हम वायु में से ऑक्सीजन को सांस के रूप में प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 12.
चुंबकीय पृथक्करण में चुंबक के किस गुण का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
चुंबक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है।
प्रश्न 13.
भारण का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
छोटे-छोटे कणों के मिलने से बड़ा तथा भारी कण बनता है।
प्रश्न 14.
विलयन किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।
प्रश्न 15.
मिश्र धातुओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे धातुओं के समांगी मिश्रण, जिन्हें भौतिक क्रियाओं द्वारा अवयवों से अलग नहीं किया जा सकता, मिश्र धातुएँ कहलाती हैं।
प्रश्न 16.
विलायक को परिभाषित करें।
उत्तर:
विलयन का वह घटक (जिसकी मात्रा दूसरे से अधिक होती है) जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है, विलायक कहलाता है।
प्रश्न 17.
विलेय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विलयन का वह घटक जो कि विलायक में घुला होता है, उसे विलेय कहते हैं।
प्रश्न 18.
चीनी और जल के विलयन में विलेय व विलायक बताएँ।
उत्तर:
विलेय-चीनी, विलायक-जल।
प्रश्न 19.
टिंक्चर आयोडीन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आयोडीन और ऐल्कोहॉल का विलयन टिंक्चर आयोडीन कहलाता है।
प्रश्न 20.
टिंक्चर आयोडीन में विलेय और विलायक लिखें।
उत्तर:
विलेय-आयोडीन, विलायक-ऐल्कोहॉल।
प्रश्न 21.
सोडा जल व कोक में विलेय व विलायक लिखें।
उत्तर:
विलेय कार्बन डाइऑक्साइड, विलायक-जल।
प्रश्न 22.
ठोस में ठोस विलयन के दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- सोने और चाँदी का मिश्रण
- कॉपर और सोने का मिश्रण।
प्रश्न 23.
दो जलीय विलयनों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- चीनी व जल का विलयन
- नमक व जल का विलयन।
प्रश्न 24.
दो अजलीय विलयनों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- ऐल्कोहॉल व आयोडीन का घोल
- सल्फर व कार्बन डाइऑक्साइड का घोल।
प्रश्न 25.
गैस में गैस के विलयन का उदाहरण दें।
उत्तर:
वायु गैस में गैस का विलयन है।
प्रश्न 26.
वायु के मुख्य घटक कौन-से हैं?
उत्तर:
वायु के मुख्य घटक नाइट्रोजन (78%) व ऑक्सीजन (21%) हैं।
प्रश्न 27.
वायु में कौन-से घटक को विलायक माना जाता है?
उत्तर:
वायु में नाइट्रोजन गैस को विलायक माना जाता है।
प्रश्न 28.
विलयन के कणों का व्यास कितना होता है?
उत्तर:
विलयन के कणों का व्यास 1nm (10-9m) से भी छोटा होता है।
प्रश्न 29.
असंतृप्त विलयन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यदि किसी विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्तता से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं।
प्रश्न 30.
अतिसंतृप्त विलयन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यदि विलयन में विलेय पदार्थ की सांद्रता संतृप्त सांद्रता से अधिक हो तो उसे अतिसंतृप्त विलयन कहते हैं।
प्रश्न 31.
जल को सार्वत्रिक विलायक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
जल को सार्वत्रिक विलायक इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें अत्यधिक पदार्थ घुल जाते हैं।
प्रश्न 32.
समुद्री जल को घरेलू उपयोग में क्यों नहीं लाया जा सकता?
उत्तर:
क्योंकि समुद्री जल में खनिज लवणों की सांद्रता अधिक होती है।
प्रश्न 33.
किसी विलयन की सांद्रता को व्यक्त करने का सूत्र लिखो।
उत्तर:
प्रश्न 34.
10% ग्लूकोज़ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
10% ग्लूकोज़ से अभिप्राय है कि 100 ग्राम विलयन में 10 ग्राम ग्लूकोज़ है।
प्रश्न 35.
निलंबन के कणों का आकार कितना होता है?
उत्तर:
निलंबन के कणों का आकार 100 nm (10-7m) से बड़ा होता है।
प्रश्न 36.
निलंबन के कणों को किस विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है?
उत्तर:
निलंबन के कणों को छानना विधि द्वारा अलग किया जा सकता है।
प्रश्न 37.
कोलाइडल विलयन समांगी होता है अथवा विषमांगी?
उत्तर:
कोलाइडल विलयन विषमांगी होता है।
प्रश्न 38.
दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले चार कोलाइड विलयनों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- दूध
- शेविंग क्रीम
- टूथपेस्ट
- जेली।
प्रश्न 39.
टिनडल प्रभाव क्या है?
उत्तर:
कोलाइड कणों के बड़े आकार के कारण विसर्जन माध्यम से गुज़रने वाले दृश्य प्रकाश का प्रकीर्णन (बिखराव) हो जाता है, इस परिघटना को टिनडल प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 40.
कोलाइड के कणों का आकार कितना होता है?
उत्तर:
कोलाइड के कणों का आकार Inm से 100 nm के बीच होता है।
प्रश्न 41.
टिनडल प्रभाव का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जब एक प्रकाश की संकीर्ण किरण पुंज छत के एक छोटे छिद्र से कमरे में आती है तो टिनडल प्रभाव देखा जा सकता है, क्योंकि कमरे की वायु में धूल व धुआँ प्रकाश का प्रकीर्णन (बिखराव) कर देता है।
प्रश्न 42.
क्या कोलाइडी कण नग्न आंखों द्वारा देखे जा सकते हैं?
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 43.
प्रकृति में एक सामान्य कोलाइड का नाम बताइए।
उत्तर:
प्रकृति में एक सामान्य कोलाइड कोहरा है, जो वायु में जल की बूंदों से बना होता है।
प्रश्न 44.
कोलाइडों के वर्गीकरण का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर:
कोलाइडों के वर्गीकरण का मुख्य आधार-परिक्षेपण माध्यम की अवस्था तथा परिक्षिप्त प्रावस्था की अवस्था है।
प्रश्न 45.
कोलाइडों के दो उपयोग लिखें।
उत्तर:
कोलाइडों का औषधि बनाने में तथा औद्योगिक प्रक्रमों को समझने में प्रयोग होता है।
प्रश्न 46.
क्या जल और सरसों के तेल को छानकर अलग कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं। इन्हें वाष्पीकरण या निथारना विधि द्वारा अलग कर सकते हैं।
प्रश्न 47.
चालन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
बारीक ठोस पदार्थ को मोटे ठोस पदार्थ से किसी छिद्रयुक्त उपकरण की सहायता से अलग करने की विधि को चालन कहते हैं। इसमें द्रव का प्रयोग नहीं किया जाता।
प्रश्न 48.
नदी के गंदले जल को किस विधि द्वारा निथारा जा सकता है?
उत्तर:
नदी के गंदले जल को भारण विधि द्वारा निथारा जा सकता है।
प्रश्न 49.
किसी पदार्थ का द्रवणांक अथवा क्वथनांक किस प्रकार लाभदायक है?
उत्तर:
किसी पदार्थ के शुद्ध या अशुद्ध होने का पता इन लाक्षणिक गुणों के द्वारा लगाया जा सकता है।
प्रश्न 50.
द्रव में विलेय पदार्थों को पृथक् करने की सबसे अच्छी विधि कौन-सी है?
उत्तर:
द्रव में विलेय पदार्थों को पृथक् करने की सबसे अच्छी विधि आसवन विधि है।
प्रश्न 51.
ऊर्ध्वपातन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस क्रिया में ठोस सीधे गैसीय अवस्था में बदल जाते हैं, उसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
प्रश्न 52.
दो ऊर्ध्वपातित पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर:
कपूर और नौसादर ऊर्ध्वपातित पदार्थ हैं।
प्रश्न 53.
जल और मिट्टी के तेल के मिश्रण को कैसे अलग-अलग किया जा सकता है?
उत्तर:
जल और मिट्टी के तेल के मिश्रण को पृथक्करण कीप द्वारा अलग-अलग किया जा सकता है।
प्रश्न 54.
दूध से क्रीम (मक्खन) किस विधि द्वारा अलग की जा सकती है?
उत्तर:
दूध से क्रीम अपकेंद्रण विधि द्वारा अलग की जा सकती है।
प्रश्न 55.
आसुत जल किस प्रक्रम द्वारा प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
आसुत जल आसवन प्रक्रम द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 56.
नौसादर और रेत के मिश्रण का पृथक्करण किस विधि द्वारा किया जा सकता है?
उत्तर:
नौसादर और रेत के मिश्रण का पृथक्करण ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा किया जा सकता है।
प्रश्न 57.
घरों में जल किसं विधि द्वारा साफ किया जाता है?
उत्तर:
घरों में जल फिल्टरीकरण विधि द्वारा साफ किया जाता है।
प्रश्न 58.
पेट्रोल में मिलावट किस विधि द्वारा देखी जा सकती है?
उत्तर:
पेट्रोल में मिलावट वाष्पीकरण विधि द्वारा देखी जा सकती है।
प्रश्न 59.
जल और एसीटोन के मिश्रण को किस विधि द्वारा पृथक् किया जाता है?
उत्तर:
जल और एसीटोन के मिश्रण को आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
प्रश्न 60.
आसवन विधि कहाँ प्रयोग की जाती है?
उत्तर:
जब दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण के घटकों के क्वथनांकों के बीच काफी अंतर होता है।
प्रश्न 61.
पेट्रोलियम उत्पादों के विभिन्न घटकों को किस विधि द्वारा पृथक्कीकृत किया जाता है?
उत्तर:
पेट्रोलियम उत्पादों के विभिन्न घटकों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक्कीकृत किया जाता है।
प्रश्न 62.
प्रभाजी आसवन विधि कब प्रयोग में लाई जाती है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों के क्वथनांकों का अंतर 25K से कम होता है।
प्रश्न 63.
वायु के विभिन्न घटकों को किस विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है?
उत्तर:
वायु के विभिन्न घटकों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
प्रश्न 64.
ऑक्सीजन का क्वथनांक कितना होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन का क्वथनांक-183°C होता है।
प्रश्न 65.
जब वायु के घटकों को ठंडा किया जाता है तो कौन-सा घटक पहले द्रव में परिवर्तित होता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन।
प्रश्न 66.
कॉपर सल्फेट के एक अशुद्ध नमूने में से शुद्ध कॉपर सल्फेट किस विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
क्रिस्टलीकरण विधि द्वारा।
प्रश्न 67.
भौतिक परिवर्तनों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भौतिक परिवर्तनों में पदार्थों के रूप में परिवर्तन होता है न कि रासायनिक रूप में अर्थात् इन परिवर्तनों में पदार्थ को । पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 68.
किन्हीं दो भौतिक परिवर्तनों के उदाहरण दें।
उत्तर:
- चीनी व जल का विलयन
- नमक व जल का विलयन।
प्रश्न 69.
क्या चीनी के विलयन में से चीनी प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
हां, चीनी के विलयन में से जल को वाष्पीकृत करने से चीनी प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 70.
रासायनिक परिवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रासायनिक परिवर्तन में, एक या एक से अधिक प्रकार के पदार्थ एक या अनेक नए पदार्थों में परिवर्तित हो जाते हैं अर्थात् इन परिवर्तनों में पदार्थ को पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 71.
दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले दो रासायनिक परिवर्तन कौन-से हैं?
उत्तर:
- दूध का दही बनना
- भोजन का पाचन।
प्रश्न 72.
तत्त्व क्या है?
उत्तर:
तत्त्व द्रव्य का वह आधारभूत रूप है जिसे रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा सरल पदार्थों में नहीं तोड़ा जा सकता।
प्रश्न 73.
तत्त्व का कोई एक विशेष गुण लिखें।
उत्तर:
एक तत्त्व केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं से बना होता है।
प्रश्न 74.
कमरे के ताप पर कितने तत्त्व गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं? किन्हीं दो के नाम लिखें।
उत्तर:
कमरे के ताप पर 11 तत्त्व गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं; जैसे हाइड्रोजन व ऑक्सीजन।
प्रश्न 75.
कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में मिलने वाली एक धातु तथा एक अधातु का नाम लिखें।
उत्तर:
धातु-पारा। अधातु-ब्रोमीन।
प्रश्न 76.
उपधातु से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धातु और अधातु के बीच के गुण दर्शाने वाले तत्त्व उपधातु कहलाते हैं।
प्रश्न 77.
किन्हीं दो उपधातुओं के नाम लिखें।
उत्तर:
- बोरॉन
- सिलिकॉन।
प्रश्न 78.
यौगिक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
दो या दो से अधिक तत्त्वों के समान अनुपात में रासायनिक तौर पर मिलने से बना पदार्थ यौगिक कहलाता है।
प्रश्न 79.
वायु मुख्यतः किन दो गैसों का समांगी मिश्रण है?
उत्तर:
वायु मुख्यतः ऑक्सीजन व नाइट्रोजन गैसों का समांगी मिश्रण है, क्योंकि वायु में और गैसें बहुत कम मात्रा में उपस्थित होती हैं।
प्रश्न 80.
विषमांगी मिश्रण किसे कहते हैं?
उत्तर:
विषमांगी मिश्रण वह मिश्रण है जिसमें भौतिक रूप से अलग-अलग भाग होते हैं तथा प्रत्येक भाग भिन्न-भिन्न गुणधर्मों का होता है।
प्रश्न 81.
निम्नलिखित को तत्त्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें।
(A) सोडियम
(B) मिट्टी
(C) चाँदी
(D) चीनी
(E) यूरिया
उत्तर:
तत्त्व: (A) सोडियम, (C) चाँदी
यौगिक : (D) चीनी, (E) यूरिया
मिश्रण : (B) मिट्टी
प्रश्न 82.
जब दो या दो से अधिक तत्त्व अथवा यौगिक किसी भी अनुपात में मिलते हैं तो क्या बनता है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक तत्त्व अथवा यौगिक किसी भी अनुपात में मिलते हैं तो मिश्रण बनता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मिश्रण किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? संक्षेप में समझाएँ।
उत्तर:
एक मिश्रण में एक से अधिक पदार्थ (तत्त्व याऔर यौगिक) होते हैं। मिश्रण को भौतिक प्रक्रम द्वारा दो या दो से अधिक पदार्थों में पृथक् कर सकते हैं। मिश्रण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
1. समांगी मिश्रण-जिस मिश्रण का संघटन सभी जगह एक समान रहता है, उसे समांगी मिश्रण कहते हैं; जैसे नमक व जल का मिश्रण; चीनी व जल का मिश्रण आदि।
2. विषमांगी मिश्रण-जिस मिश्रण में भौतिक रूप से अलग-अलग भाग होते हैं तथा प्रत्येक भाग भिन्न गुणधर्मों का होता है, उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं; जैसे सोडियम क्लोराइड और लोहे की छीलन का मिश्रण तथा नमक और सल्फर का मिश्रण तथा जल और तेल का मिश्रण।
प्रश्न 2.
पानी में नमक के विलयन को मिश्रण क्यों माना जाता है, यौगिक क्यों नहीं?
उत्तर:
पानी में नमक के विलयन को मिश्रण माना जाता है, यौगिक नहीं, क्योंकि-
- नमक युक्त पानी में से नमक तथा पानी को आसवन विधि द्वारा अलग किया जा सकता है।
- नमक युक्त पानी अपने दोनों अवयवों-जल तथा नमक के गुण दिखाता है।
- नमक युक्त पानी का संघटन अलग होता है। नमक की भिन्न मात्रा को पानी की एक निश्चित मात्रा में घोलकर विभिन्न। संघटनों वाला नमक युक्त पानी प्राप्त किया जा सकता है।
- नमक युक्त पानी का कोई निश्चित सूत्र नहीं होता।
प्रश्न 3.
ऐसे मिश्रण का उदाहरण दो-(1) जिसमें दोनों पदार्थ यौगिक हों। (2) जिसमें तत्त्व तथा यौगिक दोनों मिले हों। (3) जिसमें दोनों तत्त्व हों।
उत्तर:
- ऐसा मिश्रण जिसमें दोनों पदार्थ यौगिक हों-पानी में चीनी मिलाने पर शरबत ऐसा मिश्रण बनता है जिसमें पानी और चीनी दोनों ही यौगिक हैं।
- ऐसा मिश्रण जिसमें तत्त्व तथा यौगिक दोनों मिले हों वायु ऐसा मिश्रण है जिसमें ऑक्सीजन व नाइट्रोजन तत्त्व हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प दोनों यौगिक हैं।
- ऐसा मिश्रण जिसमें दोनों तत्त्व हों-पीतल, ताँबा तथा जस्त दो तत्त्वों को मिलाने से बनता है।
प्रश्न 4.
विलयन किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार के विलयनों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
विलयन एक समांगी मिश्रण होता है जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ होते हैं। विभिन्न प्रकार के विलयन निम्नलिखित हैं-
क्र.स. | विलेय की अवस्था | विलायक की अवस्था | विलयन का उदाहरण |
1. | ठोस | ठोस | सोना व चाँदी, कॉपर व सोना, मिश्र धातुएँ (पीतल, कांसा)। |
2. | ठोस | द्रव | चीनी युक्त जल, नमक युक्त जल। |
3. | द्रव | ठोस | चाँदी में पारा। |
4. | द्रव | द्रव | जल में ऐल्कोहॉल। |
5. | गैस | गैस | वायु। |
6. | गैस | द्रव | जल में घुली ऑक्सीजन, जल में घुली कार्बन डाइऑक्साइड। |
प्रश्न 5.
विलयन के कोई चार गुण लिखें।
उत्तर:
विलयन के विभिन्न गुण निम्नलिखित हैं-
- विलयन एक समांगी मिश्रण होता है।
- विलयन के कण व्यास में 1nm (10-9m) से भी छोटे होने के कारण आंख से नहीं देखे जा सकते हैं।
- अपने छोटे आकार के कारण विलयन, गुजर रही प्रकाश की किरण को फैलाते नहीं जिस कारण विलयन में प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता।
- छानने की विधि द्वारा विलेय के कणों को विलयन में से पृथक् नहीं किया जा सकता है। विलयन को शांत छोड़ देने पर भी विलेय के कण नीचे नहीं बैठते अर्थात् विलयन स्थाई होता है।
प्रश्न 6.
जलीय तथा अजलीय विलयन क्या होते हैं?
उत्तर:
- जलीय विलयन-ये वे विलयन हैं जो पदार्थों को जल में घोलकर बनाए जाते हैं; जैसे शरबत तथा सोडावाटर आदि।
- अजलीय विलयन-ये वे विलयन हैं जो पदार्थों को जल के अतिरिक्त अन्य विलायकों (जैसे-ऐल्कोहॉल, ऐसीटोन आदि) में घोलकर बनाए जाते हैं; जैसे टिंक्चर आयोडीन तथा नैफ्थलीन का बेंजीन में घोल।
प्रश्न 7.
विलयन में विलेय और विलायक के कणों को अलग-अलग पहचानना संभव क्यों नहीं होता है?
उत्तर:
विलेय के कण विलायक के साथ इतनी अच्छी तरह मिल जाते हैं कि उनको अलग से पहचाना नहीं जा सकता। विलयन समांगी होते हैं अर्थात् विलयन का संघटन एक समान होता है।
यदि लवण विलयन और चीनी विलयन को मिलाया जाए तो फलस्वरूप प्राप्त समांगी विलयन में दोनों विलयन भली-भांति एक-दूसरे में मिल जाते हैं और मूल विलायक और विलेय में भेद कर पाना संभव नहीं हो पाता है।
प्रश्न 8.
किसी विलयन की सांद्रता को किस प्रकार व्यक्त किया जाता है? उदाहरण देकर उसका अर्थ समझाएँ।
उत्तर:
विलयनों की सांद्रता को दिए हुए विलयन के द्रव्यमान या आयतन में उपस्थित विलेय की मात्रा अथवा दिए हुए विलायक के द्रव्यमान या आयतन में घुले विलेय की मात्रा के संदर्भ में व्यक्त करते हैं।
विलयनों की सांद्रता को विलेय के द्रव्यमान प्रतिशत जो विलयन की 100 द्रव्यमान इकाई में विलेय का द्रव्यमान देता है, के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है। इसकी द्रव्यमान इकाई ग्राम है।
उदाहरण के लिए यदि द्रव्यमान से 10% ग्लूकोज़ (C6H12O6) के एक विलयन को लें। इसमें 100g विलयन में 10g ग्लूकोज़ होता है। इसको 90g जल में 10g ग्लूकोज़ के रूप में भी कह सकते हैं। अगर कुछ विशिष्ट रूप में नहीं कहा गया है तो प्रतिशत का अर्थ द्रव्यमान के रूप में प्रतिशत है और उसमें जल विलायक है।
प्रश्न 9.
संतृप्त विलयन, असंतृप्त विलयन तथा अतिसंतृप्त विलयन को परिभाषित करें।
उत्तर:
- संतृप्त विलयन-दिए हुए ताप पर किसी विलयन में जब उसकी क्षमता के अनुसार जितना अधिकतम विलेय घुल जाता है तब उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। इस विलयन में घुले तथा बिना घुले विलेय आपस में साम्यावस्था (equilibrium) में होते हैं।
- असंतृप्त विलयन-जब विलयन में उपस्थित विलेय की मात्रा संतृप्त स्तर से कम होती है, तब विलयन को असंतृप्त विलयन कहते हैं।
- अतिसंतृप्त विलयन-यदि विलयन में विलेय की सांद्रता संतृप्त सांद्रता से अधिक हो तो यह विलयन अतिसंतृप्त कहलाता है।
प्रश्न 10.
एक विलयन 320g जल में 40g साधारण नमक रखता है। विलयन का द्रव्यमान बताएँ।
हल:
विलेय पदार्थ का द्रव्यमान (नमक) = 40g
विलायक का द्रव्यमान (जल) = 320g
विलयन का द्रव्यमान = विलेय पदार्थ का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान
= 40g + 320g = 360g
प्रश्न 11.
निलंबन को परिभाषित करें तथा उसके विभिन्न गण लिखें।
उत्तर:
निलंबन-निलंबन एक विषमांगी मिश्रण होता है जिसमें विलेय पदार्थ के कण घुलते नहीं, बल्कि माध्यम की समष्टि में निलंबित रहते हैं। इसके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
- यह एक विषमांगी मिश्रण होता है।
- निलंबित कण 100 nm(10-7m) से बड़े होते हैं जिस कारण आंखों से देखे जा सकते हैं।
- ये निलंबित कण प्रकाश की किरण को फैला देते हैं, जिससे उसका मार्ग विदित हो जाता है।
- निलंबन अस्थाई होता है। छानन विधि द्वारा इसके कणों को मिश्रण से पृथक् किया जा सकता है।
प्रश्न 12.
विलयन तथा कोलाइड में क्या अंतर है?
उत्तर:
विलयन तथा कोलाइड में निम्नलिखित अंतर हैं-
विलयन | कोलाइड |
1. विलयन प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं करता। | 1. कोलाइड प्रकाश किरणपुंज को प्रकीर्णन करती है। |
2. विलयन एक समांगी मिश्रण है। | 2. कोलाइड एक विषमांगी मिश्रण है। |
3. यह पूर्ण रूप से पारदर्शी है। | 3. कोलाइड अल्प पारदर्शी होता है। |
4. यथार्थ विलयन में कणों का आकार 10-9 मी० से कम होता है। | 4. कोलाइड के कणों का आकार 10-9 से 10-7 मी० के बीच होता है। |
5. ये टिनडल प्रभाव नहीं दिखाते। | 5. ये टिनडल प्रभाव दिखाते हैं। |
प्रश्न 13.
विलयन तथा निलंबन में क्या अंतर है?
उत्तर:
विलयन तथा निलंबन में निम्नलिखित अंतर हैं-
विलयन | निलंबन |
1. यह समांगी होता है। | 1. यह विषमांगी होता है। |
2. यह पारदर्शी होता है। | 2. यह अपारदर्शी (घुंधला) होता है। |
3. इसके कणों का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है। | 3. इसके कणों का आकार अपेक्षाकृत बड़ा होता है। |
4. यह फिल्टर पेपर में से गुज़र जाता है तथा कोई अवशेष नहीं छोड़ता है। | 4. इसके कण फिल्टर पेपर में से नहीं गुज़र सकते। |
5. इसके कणों को देखा नहीं जा सकता। | 5. इसके कणों को आंखों से या सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखा जा सकता है। |
प्रश्न 14.
क्या होता है जब कोलाइडी विलयन में से प्रकाश किरणपुंज गुजारा जाता है?
उत्तर:
जब कोलाइडी विलयन में से प्रकाश किरणपुंज को गुजारा जाता है तो इसका पथ प्रदीप्त हो जाता है, क्योंकि कोलाइडी विलयन के कणों का आकार बड़ा होता है, जिससे ये कण अपने ऊपर पड़ने
टॉर्च वाले प्रकाश को सभी दिशाओं में बिखेर देते हैं। इसे टिनडल प्रभाव कॉपर सल्फेट विलयन जल और दूध का कहते हैं।
कोलाइडी विलयन तथा वास्तविक विलयन में भेद भी इसी गुण के आधार पर किया जाता है। जैसे दूध टिनडल प्रभाव दिखाता है। दैनिक जीवन में एक कमरे में छोटे छिद्र के द्वारा जब प्रकाश की किरण आती है तब वहाँ पर हम टिनडल प्रभाव देख सकते हैं।
प्रश्न 15.
ब्राऊनियन गतिशीलता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोलाइडी कण सभी दिशाओं में सदैव आड़े-तिरछे पथों में गतिशील रहते हैं। कोलाइडी कणों की आड़े-तिरछे पथों पर कभी न रुकने वाली गतिशीलता को ब्राऊनियन गतिशीलता (Brownian movement) कहते हैं।
प्रश्न 16.
कोलाइड के गुणधर्मों का वर्णन करें।
उत्तर:
कोलाइड के विभिन्न गुणधर्म निम्नलिखित हैं-
- यह एक विषमांगी मिश्रण होता है।
- कोलाइड के कणों का आकार 1nm से 100 nm के बीच होता है तथा ये आंखों से नहीं देखे जा सकते।
- ये इतने बड़े होते हैं कि प्रकाश की किरण को फैला देते हैं और उसके मार्ग को दृश्य बनाते हैं।
- जब इनको शांत छोड़ दिया जाता है तब ये तल में नहीं बैठते हैं अर्थात् ये स्थाई होते हैं।
- ये छानन विधि द्वारा मिश्रण से पृथक् नहीं किए जा सकते हैं, परंतु अपकेंद्रीकरण तकनीक द्वारा पृथक् किए जा सकते हैं।
प्रश्न 17.
कोलाइडों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
कोलाइडों को परिक्षेपण माध्यम की अवस्था तथा परिक्षिप्त प्रावस्था की अवस्था (ठोस, द्रव या गैस) के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जो निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट होता है-
परिक्षेपण माध्यम | परिक्षिप्त प्रावस्था | प्रकार | उदाहरण |
गैस | द्रव | ऐरोसॉल | कोहरा, बादल |
गैस | ठोस | ऐरोसॉल | धुआँ, ऑटोमोबाइल निकास |
द्रवे | गैस | फोम | शेविंग क्रीम |
द्रव | द्रव | इमल्शन | दूध, फेस क्रीम |
द्रव | ठोस | सॉल | कीचड़, मिल्क ऑफ मैग्नेशिया |
ठोस | गैस | फोम | फोम रबर, स्पंज, प्युमिस |
ठोस | द्रव | जेल | जेली, पनीर, मक्खन |
ठोस | ठोस | ठोस सॉल | रंगीन रत्न पत्थर, दूधिया कांच |
प्रश्न 18.
यौगिक और मिश्रण में कोई पाँच अंतर लिखें।
उत्तर:
यौगिक और मिश्रण में निम्नलिखित पाँच अंतर हैं
यौगिक | मिश्रण |
1. यह दो या दो से अधिक तत्त्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बनता है। | 1. यह दो या दो से अधिक पदार्थों को किसी भी अनुपात में मिलाने से बनता है। यह रासायनिक संयोग नहीं होता। |
2. यह समांगी होता है। | 2. यह विषमांगी होता है। |
3. इसके भौतिक या रासायनिक गुण निश्चित होते हैं। | 3. इसके गुण निश्चित नहीं होते। |
4. यौगिक के अवयवों को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता। | 4. इसके अवयवों को अलग-अलग देखा जा सकता है। |
5. इसके अवयवों को भौतिक विधियों से अलग-अलग नहीं किया जा सकता। | 5. इसके अवयवों को भौतिक विधियों से अलग-अलग किया जा सकता है। |
प्रश्न 19.
मिश्रण के अवयवों को किन-किन उद्देश्यों के लिए पृथक किया जाता है?
उत्तर:
मिश्रण के अवयवों को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए पृथक् किया जाता है-
- किसी अवांछनीय अवयव को अलग करने के लिए।
- किसी हानिकारक अवयव को अलग करने के लिए।
- किसी पदार्थ के शुद्ध नमूने को प्राप्त करने के लिए।
- किसी लाभदायक अवयव को प्राप्त करने के लिए।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित को धातु, अधातु व उपधातुओं में वर्गीकृत करें।
सिलिकन, जर्मेनियम, आयोडीन, सोडियम, लोहा, कार्बन।
उत्तर:
- धातु-सोडियम, लोहा
- अधातु-आयोडीन, कार्बन
- उपधातु-सिलिकन, जर्मेनियम।
प्रश्न 21.
फटकना विधि का वर्णन करें।
उत्तर:
किसान किसी ऊँचे स्थान पर खड़ा होकर भूसे और अनाज को अलग करने की जिस विधि को प्रयोग में लाता है, उसे फटकना कहते हैं। भूसा हल्का होने के कारण वायु के साथ दूर चला जाता है और अनाज के दाने भारी होने के कारण सीधे जमीन पर गिरते हैं।
प्रश्न 22.
‘हाथों से बीनना’ पृथक्करण विधि का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
गेहूँ, चावल, दालों आदि से कंकड़-पत्थर आदि अवांछनीय पदार्थों को अलग करना ही हाथों से बीनना कहलाता है। इस विधि का प्रयोग फल और सब्जियों की बिनाई करने के लिए भी किया जाता है।
प्रश्न 23.
वाष्पीकरण विधि क्या है? वर्णन करें।
उत्तर:
यदि किसी द्रव में कोई अन्य विलेय पदार्थ घुला हो तथा उस मिश्रण के अवयवों को अलग-अलग करना हो तो मिश्रण को धूप में रखकर या गर्म करके वाष्पीकृत किया जाता है। द्रव वाष्प बनकर उड़ जाता है और शेष घुलनशील पदार्थ रह जाता है। इस विधि को वाष्पीकरण कहते हैं। समुद्र के जल से नमक इसी विधि से प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 24.
अपकेंद्रण विधि किसे कहते हैं?
उत्तर:
इस विधि में उस मिश्रण को, जिसमें अत्यधिक छोटे निलंबित कण होते हैं, एक बंद बर्तन में लेकर चारों ओर घुमाया जाता है। भारी पदार्थ तल की ओर चले जाते हैं तथा हल्के पदार्थ ऊपर रह जाते हैं। इसे अपकेंद्रण विधि कहते हैं। डेयरी में दूध से क्रीम इसी विधि द्वारा अलग की जाती है।
प्रश्न 25.
अपकेंद्रण विधि के दैनिक जीवन में उपयोगों का वर्णन करें।
उत्तर:
अपकेंद्रण विधि के दैनिक जीवन में निम्नलिखित उपयोग हैं-
- जांच प्रयोगशाला में रक्त और मूत्र के जांच में प्रयोग होता है।
- डेयरी और घर में क्रीम से मक्खन निकालने में प्रयोग होता है।
- कपड़े धोने की मशीन में भीगे हुए कपड़ों से जल निकालने में प्रयोग होता है।
प्रश्न 26.
आप जल से मिट्टी का तेल किस प्रकार पृथक् करोगे?
उत्तर:
जल और मिट्टी का तेल दोनों अमिश्रणीय द्रव हैं। दोनों द्रव अलग-अलग परत बनाते हैं। मिट्टी का तेल हल्का होने के कारण जल के ऊपर अलग तैरता है। इन दोनों अवयवों को चित्रानुसार पृथक्कारी कीप की सहायता से अलग किया जा सकता है। मिश्रण को इस कीप में डालो। थोड़ी देर बाद दोनों द्रवों की अलग-अलग परतें बन जाएँगी। कीप का स्टॉप कॉर्क खोलकर नीचे बर्तन में जल अलग कर लेते हैं, जबकि मिट्टी का तेल कीप के अंदर ही रह जाएगा।
प्रश्न 27.
दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को पृथक् करने के लिए पृथक्कारी कीप में किस सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है? इसके कोई दो उपयोग भी लिखें।
उत्तर:
पृथक्कारी कीप में यह सिद्धांत काम करता है कि दो अघुलनशील द्रव अपने घनत्व के अनुसार पृथक्-पृथक् परतों में बंट जाते हैं तथा स्टॉप कॉक खोलकर अलग-अलग कर लिए जाते हैं। इसके उपयोग निम्नलिखित हैं-
- तेल और जल के मिश्रण को पृथक् करने में।
- धातुशोधन के दौरान लोहे को पृथक् करने में। इस विधि के द्वारा हल्के स्लग को ऊपर से हटा लिया जाता है और भट्टी की निचली सतह पर पिघला हुआ लोहा बच जाता है।
प्रश्न 28.
ऊर्ध्वपातन क्या होता है? नमक और नौसादर के मिश्रण को कैसे अलग करोगे?
उत्तर:
ठोस पदार्थ को गर्म करके सीधे गैस रूप में बदलने की प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन है।
प्रायः ठोस पदार्थ गर्म करने पर पिघल जाते हैं, परंतु कुछ ठोस पदार्थ गर्म करने पर द्रव नहीं बनते। वे सीधे गैस रूप में बदल जाते हैं, ऐसे पदार्थों को ऊर्ध्वपातनशील पदार्थ कहते हैं। नौसादर (अमोनियम क्लोराइड), कपूर, आयोडीन तथा नैफ्थलीन ऊर्ध्वपातनशील पदार्थ हैं।
नमक तथा नौसादर का मिश्रण अलग करना-नमक तथा नौसादर के मिश्रण को अलग करने के लिए ऊर्ध्वपातन विधि का उपयोग किया जाता है।
नमक तथा नौसादर के मिश्रण को चीनी की गोल प्याली में डालकर चित्र के अनुसार लोहे की एक तिपाई पर रखो। प्याली में मिश्रण के ऊपर शीशे की एक कीप चित्र की भांति उल्टी रखो। कीप की नली के छिद्र में कुछ रूई रखकर इसे बंद करो। प्याली को स्पिरिट लैंप से गर्म करो।
नौसादर गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित हो जाएगा। नौसादर से बनी वाष्प ऊपर रखी कीप की भीतरी दीवारों के साथ लगकर पुनः ठोस रूप धारण कर लेगी तथा प्याली में नमक शेष रह जाएगा। इस विधि द्वारा नमक एवं नौसादर के मिश्रण को अलग-अलग किया जा सकता है।
प्रश्न 29.
क्रोमैटोग्राफी से आप क्या समझते हैं? इसके दैनिक जीवन में क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
क्रोमैटोग्राफी एक ऐसी विधि है जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही तरह के विलायक में घुले होते हैं। इनका उपयोग निम्नलिखित को पृथक् करने में किया जाता है-
- डाई में रंगों को।
- प्राकृतिक रंगों से रंग को पृथक् करने में।
- मूत्र से चीनी को पृथक् करने में।
- रक्त से दवा को पृथक् करने में।
प्रश्न 30.
आसवन किसे कहते हैं? इसका उपयोग कहाँ किया जाता है?
उत्तर:
किसी द्रव को गर्म करके वाष्पों में बदलना और वाष्पों को पुनः ठंडा करके द्रव में बदलना आसवन कहलाता है। डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किए जाने वाला आसुत (डिस्टील्ड) जल इसी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। इस विधि का उपयोग उन दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को अलग करने में किया जाता है जिनके क्वथनांकों के बीच (25K से अधिक) काफी अंतर होता है।
प्रश्न 31.
प्रभाजी आसवन विधि कहाँ प्रयोग की जाती है? यह आसवन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके क्वथनांक का अंतर 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक् करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, वायु से विभिन्न गैसों का पृथक्करण और पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण। इसका उपकरण साधारण आसवन विधि की तरह ही होता है। केवल आसवन फ्लास्क और संघनक के बीच एक प्रभाजी स्तंभ को लगा दिया जाता है।
साधारण प्रभाजी स्तंभ एक नली होती है जो कि शीशे के गुटके से भरी होती है। ये गुटके वाष्प को ठंडा और संघनित होने के लिए सतह प्रदान करते हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
प्रश्न 32.
क्रिस्टलीकरण किसे कहते हैं? इसके दो अनुप्रयोग लिखें।
उत्तर:
मिश्रण के विलयन में से ठोस पदार्थ के शुद्ध निश्चित आकार के टुकड़े प्राप्त करना क्रिस्टलीकरण कहलाता है। फिटकरी, साधारण नमक, कॉपर सल्फेट (नीला थोथा) इसी विधि द्वारा शुद्ध अवस्था में प्राप्त किए जा सकते हैं। क्रिस्टल प्राप्त करने के लिए पहले अशुद्ध नमूने को अधिक-से-अधिक मात्रा में गर्म द्रव में घोला जाता है, फिर इस विलयन को छानकर अन्य अशुद्धियाँ दूर की जाती हैं। इस विलयन को कुछ समय ठंडा करने पर शुद्ध ठोस क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं।
अनुप्रयोग-
- समुद्री जल द्वारा प्राप्त नमक को शुद्ध करने में।
- अशुद्ध नमूने से फिटकरी को पृथक् करने में।
प्रश्न 33.
पिसी हुई चीनी से आप चीनी का बड़ा क्रिस्टल कैसे बनाएंगे?
उत्तर:
चीनी के पाउडर से चीनी का बड़ा क्रिस्टल प्राप्त करने के लिए हम चीनी के पाउडर का गर्म जल में विलयन बनाते हैं। इस विलयन को ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है। फिर विलयन को छानते हैं और धागे की सहायता से चीनी का एक क्रिस्टल इस चीनी का क्रिस्टल विलयन के अंदर लटका दिया जाता है। विलयन को कुछ समय के चीनी का विलयन लिए बिना हिलाए खुला रहने दिया जाता है। हम देखते हैं कि कुछ दिनों के बाद चीनी का क्रिस्टल बढ़ना आरंभ हो जाता है और इस प्रकार हमें चीनी का बड़ा क्रिस्टल प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न 34.
क्रिस्टलीकरण विधि साधारण वाष्पीकरण विधि से अच्छी क्यों समझी जाती है?
उत्तर:
क्रिस्टलीकरण विधि साधारण वाष्पीकरण विधि से निम्नलिखित दो कारणों से अच्छी समझी जाती है-
- कुछ ठोस विघटित हो जाते हैं या कुछ चीनी की तरह झुलस जाते हैं।
- अशुद्ध विलेय पदार्थ को विलायक में घोलने पर विलयन में कुछ अशुद्धियाँ रह सकती हैं।
प्रश्न 35.
भौतिक और रासायनिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
भौतिक परिवर्तन-ये अस्थाई होते हैं जिनमें केवल भौतिक अवस्था में परिवर्तन होता है। इन परिवर्तनों में रासायनिक परिवर्तन नहीं होते और इन्हें मूल अवस्था में बदला जा सकता है। उदाहरण पानी को भाप या बर्फ में बदलना, चीनी को पानी में घोलना, नमक को पानी में घोलना इत्यादि।
रासायनिक परिवर्तन ये स्थाई होते हैं जिनमें भौतिक परिवर्तन के साथ रासायनिक परिवर्तन भी होते हैं। इन्हें मूल अवस्था में नहीं लाया जा सकता। उदाहरण-लोहे को जंग लगना, मैग्नीशियम तार को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाना।
प्रश्न 36.
तत्त्व को परिभाषित कर विभिन्न वर्गों में बाँटो।
उत्तर:
तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा छोटे टुकड़ों में नहीं बाँटा जा सकता। इसे निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा जा सकता है-
- धातु-सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, सोडियम आदि।
- अधातु-हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, आयोडीन, कार्बन, कोल आदि।
- उपधातु-धातु और अधातु के बीच के गुणों वाले तत्त्व उपधातु कहलाते हैं; जैसे बोरॉन, सिलिकॉन।
प्रश्न 37.
आघातवर्थ्यता तथा तन्यता से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो आघातवर्थ्य तथा तन्य धातुओं के नाम लिखें।
उत्तर:
आघातवर्ध्यता यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण इन्हें पीटकर बहुत पतली चादरों के रूप में ढाला जा सकता है। सोना और चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएँ हैं। हथौड़े से पीट-पीटकर इनके कागज से भी कहीं अधिक पतले वर्क बनाए जा सकते हैं।
तन्यता-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को खींचकर लंबी तारों के रूप में ढाला जा सकता है। चाँदी और ताँबा सबसे अधिक तन्य धातुएँ हैं।
प्रश्न 38.
धातुओं के मुख्य भौतिक गुण लिखें।
उत्तर:
धातुओं के मुख्य भौतिक गुण निम्नलिखित हैं-
- भौतिक अवस्था पारे के अतिरिक्त सभी धातुएँ साधारण ताप पर ठोस होती हैं।
- धात्विक चमक-सभी धातुओं की एक विशेष धात्विक चमक होती है।
- संरचना-धातुओं के बाह्यतम कोश में 1, 2 या 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
- चालकता-धातुएँ प्रायः ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती हैं।
- आघातवर्ध्यता व तन्यता-धातुएँ प्रायः आघातवर्ध्य व तन्य होती हैं।
- कठोरता धातुएँ प्रायः कठोर होती हैं। सोडियम व पोटैशियम नरम धातुएँ होती हैं जिन्हें चाकू से काटा जा सकता है।
- घनत्व-सोडियम व पोटैशियम को छोड़कर धातुओं का घनत्व प्रायः अधिक होता है।
- द्रवणांक व क्वथनांक-धातुओं के द्रवणांक तथा क्वथनांक अपेक्षाकृत ऊँचे होते हैं।
प्रश्न 39.
अब तक ज्ञात तत्त्वों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर:
अब तक ज्ञात तत्त्वों की संक्षिप्त जानकारी निम्नलिखित हैं-
- अभी तक ज्ञात तत्त्वों की संख्या 112 से अधिक है। इनमें से 92 तत्त्व प्राकृतिक हैं जबकि शेष मानव-निर्मित हैं।
- अधिकतर तत्त्व ठोस हैं।
- 11 तत्त्व कमरे के तापमान पर गैसें हैं।
- दो तत्त्व पारा और ब्रोमीन कमरे के तापमान पर द्रव हैं।
- गैलियम और सीसियम 303K से ऊपर द्रव के रूप में रह सकते हैं।
प्रश्न 40.
चालन विधि का वर्णन करें।
उत्तर:
जब मिश्रण के अवयवों का आकार भिन्न-भिन्न हो, तब विभिन्न प्रकार के छेदों वाली छलनियों का उपयोग करके अवयवों को अलग-अलग किया जाता है। यह विधि चालन विधि कहलाती है। आटे से चोकर अलग करना, काजू कारखानों में काजू अलग करना, स्वर्णकारों द्वारा विभिन्न आकारों के मोतियों को अलग करना तथा किसानों द्वारा विभिन्न प्रकार के अनाजों को अलग करने के लिए चालन विधि का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 41.
चुंबकीय पृथक्करण विधि क्या है?
उत्तर:
चुंबक के चुंबकीय गुण का उपयोग करते हुए मिश्रण में से लोहे की छीलन या लोहे के कणों को अलग करने की विधि चुंबकीय पृथक्करण विधि कहलाती है। भूमि से लौह अयस्क (खनिज) को भी इसी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 42.
भारण विधि का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कई बार तालाब या झील के गंदे जल में स्थित रेत या मिट्टी के छोटे निलंबित कण जल्दी से नीचे नहीं बैठते अर्थात् उन्हें निथारने में समय लगता है। अतः कणों को शीघ्र नीचे बैठाने के लिए या कणों को भारी करने के लिए मिश्रण में फिटकरी मिला दी जाती है और जल को शीघ्र निथार लिया जाता है। इसे भारण विधि कहते हैं। तालाब के जल को इस विधि से साफ किया जा सकता है।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु से विभिन्न गैसों को प्राप्त करने की विधि का वर्णन करें।
उत्तर:
वायु विभिन्न गैसों की समांगी मिश्रण होती है और इसके घटकों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है। इस विधि के विभिन्न चरण अग्र दर्शाए गए सचित्र में है-
जैसे यदि हम वायु से ऑक्सीजन (चित्र अनुसार) गैस को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें वायु में उपस्थित दूसरी गैसों को अलग करना होगा। द्रव वायु प्राप्त करने के लिए पहले वायु पर दबाव बढ़ाया जाता है और फिर ताप को घटाकर उसे ठंडा करके संपीडित किया जाता है। इस द्रवित गैस को प्रभाजी आसवन स्तंभ में धीरे-धीरे गर्म किया जाता है, जहाँ सभी गैसें विभिन्न ऊंचाइयों पर अपने क्वथनांक के अनुसार अलग-अलग हो जाती हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित मिश्रणों को पृथक् करने के लिए उपयोग में आने वाली विधि बताइए
(1) गेहूँ , चीनी तथा भूसा, (2) चावल, चना तथा लोहे का चूर्ण, (3) रेत, उड़द तथा भूसा, (4) रेत, कपूर तथा लोहे का चूर्ण, (5) रेत, चीनी तथा लोहे का चूर्ण।
उत्तर:
(1) इस मिश्रण को अलग करने के लिए एक से अधिक विधियों का उपयोग किया जाता है। भूसे के मिश्रण को फटकना विधि द्वारा अलग किया जाता है। उसके बाद मिश्रण को जल में घोलकर छान लिया जाता है। चीनी जल में विलेयता के कारण विलयन बना लेती है तथा गेहूँ छन्ने के ऊपर रह जाता है। इनको सुखा लिया जाता है। इसके बाद विलयन को पॉर्सिलेन डिश में गर्म किया जाता है। गर्म करने पर जल भाप बनकर उड़ जाता है तथा चीनी पॉर्सिलेन डिश में रह जाती है। अतः तीन अवयव अलग हो जाते हैं।
(2) इस मिश्रण को अलग करने के लिए भी एक से अधिक विधियों का उपयोग किया जाता है। सर्वप्रथम, मिश्रण में चुंबक को घुमाओ जिससे लौह के चूर्ण चुंबक के साथ चिपककर अलग हो जाएँगे। अब शेष चावल तथा चने के मिश्रण को छानना विधि द्वारा अलग किया जा सकता है। इस विधि में चावल नीचे रह जाएँगे तथा चने ऊपर आ जाएँगे।
(3) इस मिश्रण में भूसा फटकना विधि द्वारा अलग किया जा सकता है। रेत तथा उड़द शेष रह जाएंगे। इन्हें छानना विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
(4) सर्वप्रथम, मिश्रण के ऊपर चुंबक को घुमाया जाता है। लौह-चूर्ण चुंबक के साथ चिपककर अलग हो जाता है। उसके बाद मिश्रण को ऊर्ध्वपातन की विधि द्वारा अलग किया जाता है। कपूर वाष्प में बदल जाता है, जो कीप की दीवारों पर ठंडा होकर जम जाता है तथा रेत बर्तन में बच जाती है। इस प्रकार तीन अवयव अलग-अलग हो जाते हैं।
(5) मिश्रण से लौह के चूर्ण को चुंबक का प्रयोग करके अलग कर लिया जाता है। इसके बाद मिश्रण को जल में घोलते हैं। चीनी जल में घुल जाती है। इसके बाद इसे छान लिया जाता है, चीनी विलेय होने के कारण नीचे विलयन के रूप में निकल जाती है तथा रेत ऊपर छन्ने कागज़ पर बच जाती है। फिर इस विलयन को गर्म करते हैं। गर्म करने पर जलवाष्प बनकर उड़ जाता है तथा चीनी बर्तन में रह जाती है।
प्रश्न 3.
शहरों में पेय जल वितरण प्रणाली को चित्र द्वारा समझाइए तथा बताइए इसमें कौन-सी पृथक्कीकरण विधियाँ प्रयोग की जाती हैं?
उत्तर:
शहरों में पेयजल का वितरण जल-संस्थानों (वाटर वक्स) द्वारा किया जाता है। चित्र में एक जल-संस्थान का क्रमदर्शी आरेख दर्शाया गया है। इन जल-संस्थानों में अवसादन, निथारना, भारण तथा फिल्टरन के प्रक्रमों द्वारा जल से अवांछित सामग्री को पृथक् किया जाता है। आपको भारण के प्रक्रम में फिटकरी का उपयोग अवश्य स्मरण होगा। जल-संस्थानों में हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए क्लोरीन का उपयोग किया जाता है। इस साफ जल को ही पाइपों द्वारा घरों में पेयजल के रूप में पहुँचाया जाता है।
प्रश्न 4.
आसवन तथा प्रभाजी में क्या अंतर है?
उत्तर:
दोनों विधियाँ भिन्न-भिन्न क्वथनांकों वाले द्रवों के मिश्रण के अवयवों को पृथक्-पृथक् करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। दोनों विधियों में निम्नलिखित अंतर हैं-
आसवन | प्रभाजी आसवन |
1. मिश्रण को सबसे कम क्वथनांक वाले अवयव के क्वथनांक पर कुछ देर गर्म किया जाता है। | 1. मिश्रण को अधिकतम क्वथनांक वाले द्रव के क्वथनांक तक गर्म किया जाता है। |
2. मिश्रण में से एक समय पर केवल एक ही अवयव वाष्पित होता है। | 2. मिश्रण के सभी वाष्पशील अवयव एक ही समय में वाष्पित होते हैं। |
3. मिश्रण को अलग-अलग क्वथनांक पर बार-बार गर्म करना पड़ता है। | 3. मिश्रण को एक ही बार गर्म करके वाष्पित करते हैं। |
4. मिश्रण को गर्म करने से बनी वाष्प को निकास नली में प्रवाहित करके संघनित किया जाता है। | 4. मिश्रण को गर्म करने से बनी वाष्प को प्रभाजी स्तंभ में भेजा जाता है। |
5. एक बार में शुद्ध द्रव प्राप्त नहीं होता। | 5. एक बार में शुद्ध अवयव प्राप्त हो जाते हैं। |
6. मिश्रण को अलग-अलग ताप पर गर्म करने पर अवयव प्राप्त होते हैं। | 6. मिश्रण की वाष्प को प्रभाजी स्तंभ में भेजने पर प्रभाजी स्तंभ की विभिन्न ऊंचाइयों पर विभिन्न प्रभाजी प्राप्त होते हैं। |
प्रश्न 5.
धातु और अधातु के भौतिक गुणों में अंतर बताएँ।
उत्तर:
धातु और अधातु के भौतिक गुणों में अंतर निम्नलिखित हैं-
भौतिक गुण | धातु | अधातु |
1. संरचना | 1. धातुओं के बाह्यतम कोश में 1,2 या 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं। | 1. इनके बाह्यतम कोश में 4 से 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। |
2. भौतिक अवस्था | 2. ये प्राय: ठोस अवस्था में पाई जाती हैं (पारे को छोड़कर)। | 2. ये तीनों (ठोस, द्रव व गैस) अवस्थाओं में पाई जाती हैं। |
3. चमक | 3. धातुओं की एक विशेष धात्विक चमक होती है। | 3. इनकी कोई चमक नहीं होती। |
4. चालकता | 4. धातुएँ प्रायः ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती हैं। | 4. ये प्रायः कुचालक होती हैं। ग्रेफाइट इसका अपवाद है। |
5. आघातवर्ध्यता व तन्यता | 5. धातुएँ प्रायः आघातवर्ध्य एवं तन्य होती हैं। | 5. अधातुएँ प्रायः भंगुर होती हैं। |
6. कठोरता | 6. धातुएँ प्रायः कठोर होती हैं। सोडियम इसका अपवाद है। | 6. ये नरम होती हैं। |
प्रयोगात्मक कार्य
क्रियाकलाप 1.
आप प्रयोगशाला में दो समांगी मिश्रण तैयार करें।
कार्य-विधि-
(1) एक बीकर में 50 मि०ली० जल लेकर उसमें दो चम्मच नमक के मिलाएँ इस प्रकार प्राप्त मिश्रण समांगी होगा, क्योंकि इसमें विलेय और विलायक के कणों को अलग-अलग नहीं पहचाना जा सकता है।
(2) एक बीकर में 50 मि०ली० जल लेकर उसमें एक चम्मच चीनी डालकर हिलाएँ। इस प्रकार घुलने से प्राप्त विलयन समांगी मिश्रण होगा क्योंकि इसमें विलेय और विलायक के कणों को अलग-अलग नहीं पहचाना जा सकता है।
क्रियाकलाप 2.
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि विलयन समांगी होते हैं।
कार्य-विधि-नमक तथा पानी का एक विलयन लो। इसे छन्ना कागज़ (फिल्टर पेपर) में से छानों तथा छनित्र का स्वाद चखो। यह पहले जैसा ही नमकीन होगा। अब छन्ने कागज़ (फिल्टर पेपर) को देखें। इस पर कोई अवशेष नहीं होगा। अतः सिद्ध होता है कि विलयन समांगी होते हैं जो फिल्टर पेपर में से गुज़र जाते हैं तथा उस पर कोई अवशेष नहीं छोड़ते।
क्रियाकलाप 3.
रंग (डाई) वाले घटकों को नीले अथवा काले रंग की स्याही से कैसे पृथक् किया जाता है?
कार्य-विधि-आधा बीकर जल लें तथा उसके मुख पर वाच-ग्लास रख दें जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। कुछ बूंदें स्याही वाच-ग्लास पर डाल दें। अब बीकर को गर्म करना शुरू करें। हम स्याही को प्रत्यक्ष रूप से गर्म करना नहीं चाहते हैं।
आप देखेंगे कि वाच-ग्लास से वाष्पीकरण हो रहा है। वाष्पीकरण होने तक गर्म करना जारी रखते हैं जब वाच-ग्लास पर कोई परिवर्तन होते नहीं देखते हैं तब हम उसे गर्म करना बंद कर देते हैं। इस प्रकार वाच-ग्लास पर नीला या काला घटक शेष बच जाता है। इस प्रयोग से सिद्ध होता है कि स्याही जल में रंग का एक मिश्रण है जिसमें से जल वाष्पीकरण द्वारा वाष्पीकृत हो जाता है।
क्रियाकलाप 4.
आयोडीन तथा रेत को उनके मिश्रण से किस प्रकार पृथक् करेंगे?
कार्य-विधि-आयोडीन तथा रेत के मिश्रण को ऊर्ध्वपातन विधि के द्वारा अलग किया जाता है। इस विधि में मिश्रण को पॉर्सिलेन डिश में लेते हैं और उसके ऊपर एक कीप को उल्टी करके रख देते हैं तथा उसके खुले सिरे को रूई द्वारा बंद कर दिया जाता है। फिर मिश्रण को नीचे से गर्म किया जाता है। गर्म करने पर आयोडीन सीधे वाष्प में बदल जाती है जो ठंडा होने पर कीप की दीवारों पर जम जाती है तथा रेत डिश में शेष रह जाती है। इस प्रकार कीप में से आयोडीन को खुरच लिया जाता है। अतः मिश्रण के अंश अलग-अलग हो जाते हैं।
क्रियाकलाप 5.
प्रयोगशाला में एसीटोन और जल को उनके क्लियन से कैसे पृथक् करें?
कार्य-विधि-
- मिश्रण को आसवन फ्लास्क में लें। इसके साथ थर्मामीटर लगा दें।
- दिए गए चित्र अनुसार उपकरण को व्यवस्थित करें।
- धीरे-धीरे गर्म करें और सावधानीपूर्वक थर्मामीटर पर नजर रखें।
- एसीटोन वाष्पीकृत होता है और संघनित होकर संघनक द्वारा बाहर निकालने पर बर्तन में एकत्रित किया जा सकता है।
- जल आसवन फ्लास्क में बच जाता है। इस प्रकार एसीटोन और जल अलग-अलग हो जाएँगे।
अध्याय का तीव्र अध्ययन
1. निम्नलिखित में से कौन-सा शुद्ध पदार्थ है-
(A) चीनी
(B) दूध
(C) वायु
(D) तालाब का जल
उत्तर:
(A) चीनी
2. कोलाइड में कणों का आकार होता है-
(A) 10-5m से 10-4m
(B) 10-6m से 10-5m
(C) 10-9m से 10-7m
(D) 10-7m से अधिक
उत्तर:
(C) 10-9m से 10-7m
3. निलंबन का उदाहरण है-
(A) नमक का घोल
(B) स्याही
(C) पेंट
(D) दूध
उत्तर:
(C) पेंट
4. निम्नलिखित में से समांगी मिश्रण है-
(A) जल में चीनी का मिश्रण
(B) वायु
(C) आइसक्रीम
(D) तालाब का गंदला पानी
उत्तर:
(A) जल में चीनी का मिश्रण
5. 293 K ताप पर 36g NaCl को, 100g जल में घोला गया इसकी सांद्रता होगी-
(A) 36%
(B) 26.47%
(C) 24%
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) 26.47%
6. दही से मक्खन को अलग किया जाता है-
(A) अपकेंद्रण विधि द्वारा
(B) प्रभाजी आसवन विधि द्वारा
(C) वाष्पीकरण विधि द्वारा
(D) क्रिस्टलीकरण विधि द्वारा
उत्तर:
(A) अपकेंद्रण विधि द्वारा
7. नमक और कपूर के मिश्रण में से कपूर व नमक को अलग किया जाता है-
(A) वाष्पीकरण विधि द्वारा
(B) अपकेंद्रण विधि द्वारा
(C) ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा
(D) पृथक्करण कीप विधि द्वारा
उत्तर:
(C) ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा
8. जल और तेल के मिश्रण में से जल और तेल को अलग-अलग किया जाता है-
(A) पृथक्करण कीप द्वारा
(B) ऊर्ध्वपातन द्वारा
(C) वाष्पीकरण द्वारा
(D) छानना विधि द्वारा
उत्तर:
(A) पृथक्करण कीप द्वारा
9. निम्नलिखित मिश्रणों में विलयन है-
(A) समुद्री जल
(B) सोडा जल
(C) वायु
(D) तालाब का जल
उत्तर:
(B) सोडा जल
10. वायु में नाइट्रोजन की प्रतिशत मात्रा है-
(A) 20
(B) 78
(C) 0.01
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) 78
11. निम्नलिखित में से यौगिक नहीं है-
(A) रक्त
(B) CO
(C) मिथेन
(D) साबुन
उत्तर:
(A) रक्त
12. तालाब का गंदला पानी साफ हो जाता है-
(A) संगलन द्वारा
(B) भारण द्वारा
(C) अपकेंद्रण द्वारा
(D) पृथक्करण द्वारा
उत्तर:
(B) भारण द्वारा
13. टिंक्चर आयोडीन में उपस्थित विलायक का नाम है-
(A) जल
(B) गुलाब जल
(C) कार्बन डाइऑक्साइड
(D) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(D) ऐल्कोहॉल
14. वायु में ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा है-
(A) 3
(B) 11
(C) 18
(D) 21
उत्तर:
(D) 21
15. जल और एसीटोन के मिश्रण को अलग-अलग किया जा सकता है-
(A) ऊर्ध्वपातन द्वारा
(B) वाष्पीकरण द्वारा
(C) आसवन द्वारा
(D) भारण द्वारा
उत्तर:
(C) आसवन द्वारा
16. ज्ञात तत्त्वों की संख्या है-
(A) 92
(B) 108
(C) 112
(D) 118
उत्तर:
(C) 112
17. निम्नलिखित में से भौतिक परिवर्तन है-
(A) पानी का भाप बनना
(B) आटे की रोटी बनाना
(C) फल का पकना
(D) लोहे को जंग लगना
उत्तर:
(A) पानी का भाप बनना
18. आयोडीन और रेत के मिश्रण को किस विधि द्वारा अलग-अलग किया जा सकता है?
(A) अपकेंद्रण
(B) निथारना
(C) ऊर्ध्वपातन
(D) छानना
उत्तर:
(C) ऊर्ध्वपातन
19. निम्नलिखित में से भौतिक परिवर्तन नहीं है-
(A) पानी का भाप बनना
(B) फलों का सलाद बनाना
(C) लोहे को जंग लगना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) लोहे को जंग लगना
20. आटे से चोकर किस विधि से अलग किया जाता है?
(A) छंटाई
(B) भारण
(C) चालन
(D) फटकना
उत्तर:
(C) चालन
21. धातुओं के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या नहीं होती-
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
उत्तर:
(D) 4
22. एक ही प्रकार के कणों से बने पदार्थ को कहा जाता है-
(A) शुद्ध पदार्थ
(B) मिश्रण
(C) विलयन
(D) अशुद्ध पदार्थ
उत्तर:
(A) शुद्ध पदार्थ
23. समांगी मिश्रण नहीं है-
(A) जल में चीनी का मिश्रण
(B) बालू व नमक का मिश्रण
(C) जल में नमक का मिश्रण
(D) जल व ऐल्कोहॉल का मिश्रण
उत्तर:
(B) बालू व नमक का मिश्रण।
24. धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन ऑयल से पृथक किया जाता है-
(A) छानने की विधि द्वारा
(B) वाष्पीकरण द्वारा
(C) अपकेंद्रण द्वारा
(D) ऊर्ध्वपातन द्वारा
उत्तर:
(A) छानने की विधि द्वारा
25. भूसे से गेहूँ के दाने अलग किए जाते हैं-
(A) भारण विधि द्वारा
(B) फटकना विधि द्वारा
(C) छानना विधि द्वारा
(D) वाष्पीकरण विधि द्वारा
उत्तर:
(B) फटकना विधि द्वारा
26. प्राकृतिक तत्त्वों की संख्या है-
(A) 112
(B) 22
(C) 92
(D) 108
उत्तर:
(C) 92
27. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व नहीं है?
(A) सोडियम
(B) चाँदी
(C) टिन
(D) साबुन
उत्तर:
(D) साबुन
28. निम्नलिखित में से कौन-सा मिश्रण है?
(A) मिथेन
(B) सिलिकॉन
(C) रक्त
(D) साबुन
उत्तर:
(C) रक्त
29. निम्नलिखित में से कौन टिनडल प्रभाव को प्रदर्शित नहीं करेगा?
(A) पानी
(B) दूध
(C) कॉपर सल्फेट का विलयन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) कॉपर सल्फेट का विलयन
30. विलयन का वह घटक (जिसकी मात्रा दूसरे से अधिक होती है) जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है, कहलाता है-
(A) विलायक
(B) विलेय
(C) मिश्रधातु
(D) उपधातु
उत्तर:
(A) विलायक
31. जल को छोड़कर अन्य किसी द्रव में विलेय को घोलने से प्राप्त विलयन कहा जाता है-
(A) अजलीय विलयन
(B) समांगी विलंयन
(C) असमांगी विलयन
(D) जलीय विलयन
उत्तर:
(A) अजलीय विलयन
32. यदि किसी विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्तता से कम हो तो उसे कहा जाता है-
(A) संतृप्त विलयन
(B) अतिसंतृप्त विलयन
(C) असंतृप्त विलयन
(D) समांगी विलयन
उत्तर:
(C) असंतृप्त विलयन
33. धातु और अधातु के बीच के गुण दर्शाने वाले तत्त्व कहलाते हैं-
(A) धातु
(B) मिश्र धातु
(C) अधातु
(D) उपधातु
उत्तर:
(D) उपधातु
34. निम्नलिखित में से कौन-सा भौतिक परिवर्तन है?
(A) जंग लगना
(B) चीनी का जल में घुलना
(C) हाइड्रोजन का ऑक्सीजन से संयोजन
(D) कागज का जलना
उत्तर:
(B) चीनी का जल में घुलना
35. निम्नलिखित में से कौन-सी उपधातु नहीं है?
(A) बोरॉन
(B) सिलिकॉन
(C) जर्मेनियम
(D) ऑक्सीजन
उत्तर:
(D) ऑक्सीजन
36. निम्नलिखित में से कौन-सा धातु का गुण है-
(A) तन्यता
(B) आघातवर्ध्यता
(C) धात्विक चमक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
37. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व अधातु है-
(A) ब्रोमीन
(B) सोना
(C) चाँदी
(D) सोडियम
उत्तर:
(A) ब्रोमीन
38. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाई जाती है
(A) सोना
(B) चांदी
(C) पारा
(D) ब्रोमीन
उत्तर:
(C) पारा