Haryana State Board HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 2 प्राणियों में पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 7th Class Science Solutions Chapter 2 प्राणियों में पोषण
HBSE 7th Class Science प्राणियों में पोषण InText Questions and Answers
बूझो / पहेली
प्रश्न 1.
बूझो पाठ्य-पुस्तक के
में दिखाई गई अत्यधिक कुण्डलित क्षुद्रांत्र को देखकर आश्चर्यचकित है। वह इसकी लम्बाई जानना चाहता है। क्या आप इसका अनुमान लगा सकते हैं? पाठ्य पुस्तक पृष्ठ संख्या 17 में इसकी सन्निकट लम्बाई दी गई है। कल्पना कीजिए कि इतनी लम्बी संरचना हमारे शरीर के छोटे से हिस्से में किस प्रकार समायी हुई है?
उत्तर:
- क्षुद्रान्त्र की लम्बाई लगभग 7.5 मीटर होती है।
- यह अत्यधिक कुण्डलित होने के कारण ही शरीर के छोटे से हिस्से में समाई हुई है।
प्रश्न 2.
पहेली जानना चाहती है कि वमन के समय भोजन विपरीत दिशा में किस प्रकार जाता है?
उत्तर:
आमाशय में होने वाली क्रमाकुंचन गति के कारण वमन के समय भोजन की विपरीत दिशा में गति होती है।
प्रश्न 3.
पहेली जानना चाहती है कि ये जन्तु (भेड़, भैंस, बकरी) भोजन करते समय इसे भली-भाँति क्यों नहीं चबा पाते?
उत्तर:
1. रूमिनेन्टस का मुख्य भोजन घास तथा झाड़ियाँ हैं।
2. घास में सेलुलोस की प्रचुरता के कारण उसे काफी देर तक चबाने के लिए लार की आवश्यकता होती है।
3. ये जन्तु भोजन को दो बार में चबाते हैं।
4. यदि ये जन्तु खाते समय इसे देर तक चबाते रहेंगे तो उन्हें बहुत समय बर्बाद करना पड़ेगा इसलिए ये आराम के समय ऐसा करते हैं।
प्रश्न 4.
बूझो जानना चाहता है कि मनुष्य मवेशियों की तरह सेलुलोज को क्यों नहीं पचा सकता?
उत्तर:
रूमिनैन्ट में क्षुद्रांत्र एवं बृहदांत्र के बीच एक थैलीनुमा संरचना होती है जिसे अंधनाल कहते हैं। इसमें सेलुलोज का पाचन कुछ जीवाणुओं द्वारा आसानी से किया जाता है। मनुष्य की आहार नाल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती इसलिए वह सेलुलोज नहीं पचा सकता।
HBSE 7th Class Science प्राणियों में पोषण Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) मानव पोषण के मुख्य चरण ………… ।
(ख) मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि का नाम …..” है।
(ग) आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं …………” का साव होता है, जो भोजन पर क्रिया करते हैं।
(घ) क्षुद्रांत्र की आन्तरिक भित्ति पर अंगुली के समान अनेक प्रवर्ध होते हैं, जो ……..” कहलाते हैं।
(ङ) अमीबा अपने भोजन का पाचन ………” में करता है।
उत्तर:
(क) अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण, निष्कासन
(ख) यकृत
(ग) पाचक रस
(घ) दीर्घ रोम
(ङ) खाद्यधानी।
प्रश्न 2.
सत्य एवं असत्य कथनों को चिन्हित कीजिए:
(क) मंड का पाचन आमाशय से प्रारम्भ होता है।
(ख) जीभ लार-ग्रन्थि के रस को भोजन के साथ मिलाने में सहायता करती है।
(ग) पित्ताशय में पित्त रस अस्थायी रूप से भण्डारित होता है।
(घ) रूमिनेन्ट निगली हुई घास को अपने मुख में वापस लाकर धीरे-धीरे चबाते रहते हैं।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) सत्य
(ग) सत्य
(घ) सत्य।
प्रश्न 3.
निम्न में से सही विकल्प पर (✓) का चिन्ह लगाइए
(क) वसा का पूर्णरूपेण पाचन जिस अंग में होता है, वह है
(i) आमाशय
(ii) मुख
(iii) क्षुद्रांत्र
(iv) बृहदांत्र।
उत्तर:
(ii) मुख ✓
(ख) जल का अवशोषण मुख्यतः जिस अंग द्वारा होता है, वह है
(i) आमाशय
(ii) ग्रसिका
(iii) क्षुद्रांत्र
(iv) बृहदांत्र ।
उत्तर:
(iv) बृहदांत्र । ✓
प्रश्न 4.
कॉलम A में दिये गये कथनों का मिलान कॉलम B में दिये गये कथनों से कीजिए।
कॉलम A | कॉलम B |
खाद्य घटक | पाचन के उत्पाद |
(क) कार्बोहाइड्रेट | (i) वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल |
(ख) प्रोटीन | (ii) शर्करा। |
(ग) वसा | (iii) एमीनो अम्ल |
उत्तर:
कॉलम A | कॉलम B |
खाद्य घटक | पाचन के उत्पाद |
(क) कार्बोहाइड्रेट | (ii) शर्करा। |
(ख) प्रोटीन | (iii) एमीनो अम्ल |
(ग) वसा | (i) वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल |
प्रश्न 5.
दीर्घरोम क्या हैं? वह कहाँ पाए जाते हैं एवं उनके कार्य क्या हैं?
उत्तर:
दीर्घरोम-छोटी आंत (क्षुद्रांत्र) की भीतरी दीवार पर हजारों की संख्या में अँगुली के समान प्रवर्ध पाए जाते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं।
दीर्घरोम के निम्न कार्य हैं-
- दीर्घरोम क्षुद्रांत्र में अवशोषण के क्षेत्र को बढ़ा देते हैं।
- इसकी सतह से पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है।
- प्रत्येक दीर्घरोम में सूक्ष्म रुधिर वाहिकाओं का जाल फैला रहता है, जो अवशोषित पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों में स्थानान्तरित करता है।
प्रश्न 6.
पित्त कहाँ निर्मित होता है? यह भोजन के ‘किस घटक के पाचन में सहायता करता है?
उत्तर:
पित्त का निर्माण यकृत में होता है तथा यह पित्ताशय में संचित रहता है। पित्त वसा के पाचन में सहायक होता है। यह वसा को छोटे-छोटे खण्डों में तोड़कर इसका पायसीकरण (इमल्सीकरण) कर देता है।
प्रश्न 7.
उस कार्बोहाइडेट का नाम लिखिए जिनका पाचन रूमिनेन्ट द्वारा किया जाता है परन्तु मानव द्वारा नहीं। इसका कारण बताइए।
उत्तर;
सेलुलोज नामक कार्बोहाइड्रेट का पाचन रूमिनेन्ट द्वारा कर लिया जाता है किन्तु मानव द्वारा नहीं।
रूमिनेन्ट (जुगाली करने वाले मवेशी) की आहार नाल में क्षुद्रांत्र तथा बृहदांत्र के बीच एक थैली जैसी रचना होती है जिसे अन्धनाल कहते हैं। इसमें विशेष प्रकार के जीवाणु उपस्थित रहते हैं जो सेलुलोज के पाचन को सुगम बनाते हैं। मनुष्य में ऐसी कोई संरचना नहीं पायी जाती है इसलिए वह सेलुलोज का पाचन नहीं कर सकता है।
प्रश्न 8.
क्या कारण है कि हमें ग्लूकोस से ऊर्जा तुरन्त प्राप्त होती है?
उत्तर:
ग्लूकोस कार्बोहाइड्रेट का सरलतम रूप है। इसे ऊर्जा प्राप्ति के लिए सरलता से तोड़ा जा सकता है इसलिए हमें ग्लूकोस से सरलता से ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसे त्वरित ऊर्जा दाता भी कहा जाता है। .
प्रश्न 9.
आहार नाल के कौन-से भाग द्वारा निम्न क्रियाएँ संपादित होती हैं-
(i) पचे भोजन का अवशोषण …………..।
(ii) भोजन को चबाना ……………..।
(iii) जीवाणु नष्ट करना ……………|
(iv) भोजन का सम्पूर्ण पाचन ………….. |
(v) मल का निर्माण ……………।
उत्तर:
(i) क्षुद्रान्त्र
(ii) मुख गुहा
(iii) आमाशय
(iv) क्षुद्रात्र
(v) बृहदात्र।
प्रश्न 10.
मानव एवं अमीबा के पोषण में कोई एक समानता एवं एक अन्तर लिखिए।
उत्तर:
समानता – मानव एवं अमीबा दोनों ही भोजन को पचाने के लिए पाचक रसों का प्रयोग करते हैं।
अन्तर – अमीबा को जब भोजन का आभास होता है तो वह खाद्य कण के चारों ओर पादाभ विकसित करके उसका अन्तर्ग्रहण करता है, जबकि मनुष्य भोजन को मुख गुहा में लेकर पहले चबाता है।
प्रश्न 11.
कॉलम A में दिये गये शब्दों का मिलान कॉलम B के उचित कथन से कीजिए।
कॉलम A | कॉलम B |
(क) लाला-ग्रंथि | (i) पित्त रस का स्रवण |
(ख) आमाशय | (ii) बिना पचे भोजन का भण्डारण |
(ग) यकृत | (iii) लाला रस नावित करना |
(घ) मलाशय | (iv) अम्ल का निर्मोचन |
(च) क्षुद्रांत | (v) पाचन का पूरा होना |
(छ) बृहदांत्र | (vi) जल का अवशोषण |
(vii) मल त्याग |
उत्तर:
कॉलम A | कॉलम B |
(क) लाला-ग्रंथि | (iii) लाला रस नावित करना |
(ख) आमाशय | (iv) अम्ल का निर्मोचन |
(ग) यकृत | (i) पित्त रस का स्रवण |
(घ) मलाशय | (ii) बिना पचे भोजन का भण्डारण, (vii) मल त्याग |
(च) क्षुद्रांत | (v) पाचन का पूरा होना |
(छ) बृहदांत्र | (vi) जल का अवशोषण |
प्रश्न 12.
में दिये हुए पाचन तन्त्र के आरेख को नामांकित कीजिए।
उत्तर:
नामांकित चित्र-
प्रश्न 13.
क्या हम केवल हरी सब्जियों/घास का भोजन कर जीवन निर्वाह कर सकते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नहीं, हम केवल हरी सब्जियाँ/घास का भोजन कर जीवन निर्वाह नहीं कर सकते। क्योंकि स्वस्थ जीवन जीने के लिए सभी पोषक पदार्थों की सन्तुलित मात्रा में आवश्यकता होती है। हरी कच्ची सब्जियों में सेलुलोज की भी कुछ मात्रा होती है जिसे हम नहीं पचा सकते। इनमें प्रायः वसा, प्रोटीन एवं पूर्ण कार्बोहाइड्रेट का अभाव होता है।
HBSE 7th Class Science पादपों में पोषण Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
1. हमारे भोजन के संघटक हैं
(क) वसा
(ख) कार्बोहाइड्रेट्स
(ग) प्रोटीन
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
2. भोजन के अन्तर्ग्रहण की विधि पायी जाती है
(क) मनुष्य में
(ख) अजगर में
(ग) गाय में
(घ) सभी में
उत्तर:
(घ) सभी में
3. जीभ का कार्य है
(क) स्वाद ग्रहण करना
(ख) भोजन में लार मिलाना
(ग) निगलने में सहायता करना
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(घ) ये सभी।
4. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्रावण आहार नाल के किस भाग से होता है?
(क) ग्रसिका से
(ख) आमाशय से
(ग) अग्न्याशय से
(घ) यकृत से
उत्तर:
(ख) आमाशय से
5. ऊर्जा प्रदान करता है
(क) ग्लूकोज
(ख) खनिज
(ग) विटामिन
(घ) एमीनो अम्ल
उत्तर:
(क) ग्लूकोज
II. रिक्त स्थान निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. ….जटिल पदार्थों को उसके सरल रूप में बदल देते हैं।
2. हमारे मुख में ………….. प्रकार के दाँत पाए जाते हैं।
3. लाला रस चावल के मण्ड को ……. में बदल देता है।
4. पित्त रस का स्रावण यकृत से होता है तथा यह ……… में संग्रहित होता है।
उत्तर:
1, पाचक रस
2. चार
3. शर्करा
4. पित्ताशय।
III. सुमेलन कॉलम A तथा कॉलम B के शब्दों का मिलान कीजिए
कॉलम A | कॉलम B |
1. मर्मर पक्षी | (a) मांसाहार |
2. मनुष्य | (b) शाकाहार |
3. अजगर | (c) मकरन्द |
4. गाय | (d) सर्वाहार |
उत्तर:
कॉलम A | कॉलम B |
1. मर्मर पक्षी | (c) मकरन्द |
2. मनुष्य | (d) सर्वाहार |
3. अजगर | (a) मांसाहार |
4. गाय | (b) शाकाहार |
IV. सत्य / असत्य निम्नलिखित वाक्यों में से सत्य एवं असत्य छाँटिए
1. आमाशय में उपस्थित रसांकुर भोजन का अवशोषण करते हैं।
2. यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है।
3. पित्ताशय से पित्त रस स्रावित होता है।
4. अपचित पदार्थों का संग्रहण मलाशय में होता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
3. असत्य
4. सत्य।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एक वयस्क व्यक्ति में दांतों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर:
32 दाँत।
प्रश्न 2.
दाँत कितने प्रकार के होते हैं? (क्रियाकलाप)
उत्तर:
दाँत चार प्रकार के होते हैं।
प्रश्न 3.
काटने तथा दंशन के लिए दाँतों के कौन-से प्रकार का प्रयोग किया जाता है? (क्रिया कलाप)
उत्तर:
कृतक।
प्रश्न 4.
भोजन को चबाने तथा पीसने के लिए कौन-से दाँत प्रयोग होते हैं? (क्रिया कलाप)
उत्तर:
चर्वणक तथा अग्रचर्वणक।
प्रश्न 5.
कौन-से दाँत चीरने फाड़ने के काम आते हैं? (क्रिया कलाप)
उत्तर:
रदनक।
प्रश्न 6.
क्षुद्रांत्र तथा बृहदांत्र की लम्बाइयाँ बताइए।
उत्तर:
क्षुद्रांत्र लगभग 7.5 मीटर तथा वृहदांत्र लगभग 1.5 मीटर।
प्रश्न 7.
मधुमक्खी एवं मर्मर पक्षी का भोजन क्या
उत्तर:
पौधों का मकरंद।
प्रश्न 8.
मुख गुहा में लाला-रस की एक क्रिया बताइए।
उत्तर:
लाला-रस मुखगुहा में भोजन के मण्ड को शर्करा में बदल देता है।
प्रश्न 9.
मण्ड क्या होता है? (क्रियाकलाप)
उत्तर:
मण्ड, कार्बोहाइड्रेट का एक प्रकार है।
प्रश्न 10.
मण्ड आयोडीन के साथ क्या परीक्षण देता (क्रियाकलाप)
उत्तर:
मण्ड विलयन का रंग नीला हो जाता है।
प्रश्न 11.
ग्रसिका में भोजन कैसे-कैसे बढ़ता है?
उत्तर:
ग्रसिका की दीवारों की क्रमाकुंचन गति के कारण।
प्रश्न 12.
अग्न्याशयी रस भोजन के किस भाग पर क्रिया करता है ?
उत्तर:
अग्न्याशयी रस कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन पर क्रिया करता है।
प्रश्न 13.
अमीबा क्या है?
उत्तर:
अमीबा एक कोशिकीय प्राणी है?
प्रश्न 14.
अमीबा का मुख्य भोजन क्या है?
उत्तर:
सूक्ष्म कण।
प्रश्न 15.
हमारे लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत क्या है?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट।
प्रश्न 16.
अन्धनाल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जानवरों जैसे-घोड़ा, खरगोश आदि में क्षुद्रांन्त्र एवं बृहदांत्र के बीच एक थैली जैसी बड़ी संरचना होती है जिसे अन्धनाल कहते हैं।
प्रश्न 17.
पादाभ क्या होते हैं?
उत्तर:
अमीबा अपने शरीर से एक अथवा अधिक अंगुलीनुमा प्रवर्ध निकालता रहता है, जिन्हें पादाभ कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हमें पाचन की आवश्यकता क्यों होती है? समझाइए।
उत्तर:
हम अपने भोजन में विभिन्न जटिल पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि को सम्मिलित करते हैं। इन पदार्थों को शरीर में सीधे नहीं मिलाया जा सकता। अतः उन्हें सरल पदार्थों में बदलना आवश्यक है, जैसा कि निम्न आरेख में दर्शाया गया है
सरल पदार्थ जटिल खाद्य पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तित होना पाचन कहलाता है।
प्रश्न 2.
जीभ पर स्वाद निम्नलिखित के स्वाद के विभिन्न क्षेत्रों को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए। (क्रियाकलाप)
(क) चीनी का विलयन (मीठा)
(ख) नमक का विलयन (नमकीन)
(ग) नींबू का रस (खट्टा)
(घ) नीम की पत्ती अथवा करेले का रस (कड़वा)।
उत्तर:
प्रश्न 3.
दंतक्षय क्या है और यह क्यों होता है?
उत्तर:
सामान्यतः हमारे मुख में जीवाणु पाए जाते हैं, परन्तु उनसे हमें कोई हानि नहीं होती है। यदि दाँत एवं मुख को सही ढंग से साफ न किया जाये तो मुख में अनेक हानिकारक जीवाणु पैदा हो जाते हैं। ये जीवाणु दाँतों के बीच फैंसे भोजन की शर्करा को विघटित कर अम्ल निर्मोचित करते हैं। यह अम्ल धीरे-धीरे दाँतों को क्षति पहुँचाते हैं। इसे दंतक्षय कहते हैं। चॉकलेट, ठण्डे पेय तथा चीनी युक्त मिठाइयाँ व अन्य पदार्थ दंतक्षय के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं।
प्रश्न 4.
स्टारफिश में भोजन ग्रहण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
स्टारफिश (तारा मछली) कैल्शियम कार्बोनेट के कठोर कवच वाले जन्तुओं का आहार करती है। कवच खोलने के बाद यह अपने मुख से अपना आमाशय बाहर निकालती… है तथा जन्तु के कोमल भागों को खाती है। आमाशय वापस शरीर : में चला जाता है तथा आहार
स्टारफिश
प्रश्न 5.
दूध के दाँत तथा स्थायी दाँत क्या हैं?
उत्तर:
हमारे दाँतों का प्रथम सेट शैशवकाल में निकलता है तथा लगभग 8 वर्ष की आयु तक ये सभी दाँत गिर जाते हैं। इन्हें दूध के दाँत (अस्थायी दाँत) कहते हैं। इन दाँतों के स्थान पर दूसरे दाँत निकलते हैं जिन्हें स्थायी दाँत कहते हैं। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के स्थायी दाँत पूरे जीवन भर बने रहते हैं तथा वृद्धावस्था में ये प्रायः गिरने लगते हैं।
प्रश्न 6.
भोजन नली (ग्रसिका) में भोजन की गति किस प्रकार होती है? चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
निगला हुआ भोजन भोजन ग्रासनली अथवा ग्रसिका में जाता. है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती प्रसिका हुई जाती है। ग्रसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है। वास्तव में सम्पूर्ण आहार नाल संकुचित होती रहती है आमाशयतथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है। कभी-कभी हमारा आमाशय खाए हुए भोजन को स्वीकार नहीं करता, फलस्वरूप चित्र : ग्रसिका में वमन द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 7.
यकृत एवं पित्ताशय के कार्य लिखिए।
उत्तर:
यकृत : यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है जो उदर के ऊपरी भाग में दाँयी ओर स्थित होती है। यह ग्रन्थि पित्त रस का स्रावण करती है जो भोजन के साथ आयी वसा का पाचन करता है।
पित्ताशय :पित्ताशय आहारनाल के ग्रहणी भाग में स्थित पत्ती के आकार की ग्रन्थि है। यह पित्त रस का नावण करती है जो भोजन की प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता
प्रश्न 8.
हमें खाना खाते समय जल्दबाजी या बातें क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
कभी-कभी हम जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं अथवा खाते समय बातें करते हैं। तो ऐसा करने से खाँसी उठ आती है या ठसका लग जाता है। यह खाद्यकों के श्वास नली में प्रवेश करने के कारण होता है। श्वास नली नासिका से आने वाली वायु को फेफड़ों तक ले जाती है। यह ग्रसिका के साथ-साथ स्थित होती है परन्तु ग्रसनी में वायु एवं भोजन मार्ग एक ही होते हैं। भोजन निगलने के समय एक माँसल रचना वाल्व का कार्य करती है जो श्वास नली को ढक लेती है तथा भोजन को ग्रसनी में भेजती है। संयोगवश यदि भोजन के कण श्वासनली में प्रवेश कर जाते हैं, तो हमें घुटन का अनुभव होता है तथा हिचकी आती है या खाँसी उठती है या ठसका लग जाता है।
प्रश्न 9.
निम्न पाचक रसों को स्रावित करने वाले अंगों के नाम तथा इनका एक-एक कार्य लिखिए
(क) जठर रस,
(ख) पित्त रस,
(ग) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल,
(घ) अग्न्याशयी रस।
उत्तर:
(क) जठर रस : आमाशय यह प्रोटीन को सरल पदार्थों में बदलता है।
(ख) पित्त रस-यकृत : यह वसा का पाचन करता है।
(ग) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल : आमाशय-जीवाणुओं को नष्ट करता है।
(घ) अग्न्याशयी रस अग्न्याशय : यह कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन का पाचन करता है।
दीर्य उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जन्तुओं के भोजन के प्रकार तथा पोषण प्राप्त करने की विधि कौन-सी हैं? अपने प्रेक्षण सारणी में लिखिए।
(आहार की विधियाँ-छीलना, चबाना, काटना (वेधन), पकड़ना तथा निगलना, साइफनी, स्पंजी, चूषण इत्यादि) (क्रियाकलाप)
उत्तर:
सारणी : अन्तर्ग्रहण की विभिन्न विधियाँ
जन्तु का नाम | आहार का प्रकार | आहार की विधि |
1. घोंषा | पादपों का निचला भाग | चूषण |
2. चीटी | भोजनकण, शर्करा, अन्नकण | खुरचना |
3. चौल | छोटे पक्षी, चूहे. साँप | पकड़ना और निगलना |
4. मर्मर पक्षी | मकरन्द | चूसना |
5. जूं | रुधिर | चूसना |
6. मच्छर | पुष्पों का रस, रक्त | चूसना |
7. तितली | फुलों का मकरंद | चूसना |
8. मक्खी | शर्करा, अन्य पदार्थ | चूसना |
प्रश्न 2.
दाँतों के प्रकार एवं उनके कार्य को सारणी में संख्या बताते हुए लिखिए। (क्रियाकलाप)
सारणी : दाँत के प्रकार एवं उनके कार्य ।
दाँतों के प्रकार | दाँतों के कार्य
| दाँतों की संख्या | ||
निचला जबड़ा | ऊपरी जबड़ा | योग | ||
(i) कृंतक | काटना एवं दंशन करना | 4 | 4 | 8 |
(ii) रदनक | चीरना एवं फाड़ना | 2 | 2 | 4 |
(iii) अग्रचर्वणक एवं चर्वणक | चबाना एवं पीसना | 10 | 10 | 20 |
प्रश्न 3.
मानव में पाचन क्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव में पाचन क्रिया-मानव के पाचन तंत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं-
- मुख गुहिका,
- ग्रासनली,
- आमाशय,
- क्षुद्रांत्र,
- बृहदांत्र तथा
- मल द्वार ।
इसके अलावा पाचन तंत्र से सम्बन्धित सहायक पाचक ग्रन्थियाँ यकृत, अग्न्याशय तथा जठर ग्रन्थियाँ।
1. मुख गुहा में पाचन : मुख गुहा में भोजन का अन्तर्ग्रहण किया जाता है तथा दाँतों द्वारा भोजन को चबाया जाता है। मुख गुहा में नावित लार भोजन को लसलसा बनाती है तथा भोजन की कुछ मण्ड को शर्करा में बदलती है।
2. ग्रसिका में पाचन : ग्रसिका में कोई पाचन क्रिया नहीं होती है।
3. आमाशय में पाचन : आमाशय U आकार की सबसे चौड़ी संरचना है। इसकी भीतरी दीवारों से जठर रस नावित होता है। इसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के साथ आए जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा भोजन को अम्लीय बनाता है। आमाशय में भोजन का आंशिक पाचन होता है और भोजन छोटे-छोटे कणों में विखण्डित हो जाता है।
4. क्षुद्रांत्र में पाचन : क्षुद्रांत्र में भोजन का पूर्ण पाचन एवं अवशोषण होता है। इसमें अग्न्याशयी रस के प्रभाव से कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन का पाचन होता है। पित्त रस वसा के पाचन में सहायता करता है। क्षुद्रांत्र की दीवारों में स्थित दीर्घरोम पचे भोजन का अवशोषण करते हैं।
5. बृहदांत्र वृहदांत्र में कोई पाचन : क्रिया नहीं होती परन्तु इसमें जल का अवशोषण अवश्य होता है। वहदांत्र में अपचित भोजन आता है जिसे मलाशय में धकेल दिया जाता है। मलाशय से अपचित भोजन (मल) को समय-समय पर गुदा द्वार से बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 4.
मण्ड पर लार के प्रभाव को दर्शाने के लिए एक क्रियाकलाप लिखिए। (क्रियाकलाप)
उत्तर:
मण्ड पर लार का प्रभाव : दो परखनलियाँ लेकर उन पर ‘A’ तथा ‘B’ अंकित करते हैं। परखनली ‘A’ में एक चम्मच उबले चावल तथा परखनली ‘B’ में 2-3 मिनट तक मुँह में चबाए हुए चावल लेते हैं। दोनों परखनलियों में 3-4 मिली. पानी डालते हैं। अब दोनों परखनलियों में आयोडीन विलयन की 2-3 बूंदें डालते हैं।
प्रेक्षण : परखनली ‘A’ के विलयन का रंग नीला हो जाता है।
निष्कर्ष : परखनली ‘A’ के उबले चावलों में मण्ड उपस्थित रहता है जोकि आयोडीन डालने पर नीला रंग देता है। मुँह से चबाए गए चावलों का मण्ड अन्य पदार्थ में लार के कारण परिवर्तित हो गया। अतः परखनली में आयोडीन परीक्षण नहीं आता।
चित्र : मंड पर लार का प्रभाव
प्रश्न 5.
घास खाने वाले (रोमन्थी) जन्तुओं में भोजन के पाचन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाय, भैंस, बकरी आदि घास खाने वाले जन्तु (रोमन्थी-जुगाली करने वाले) कहलाते हैं। जब ये जन्तु भोजन का अन्तर्ग्रहण करते हैं तो जल्दी-जल्दी इसका आमाशय के एक भाग में भण्डारण कर लेते हैं। इस आमाशयी भाग को रूमेन (प्रथम आमाशय) कहते हैं। इन जन्तुओं (रूमिनेन्ट) के आमाशय में चार कक्ष होते हैं। रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है जिसे जुगाल (कड) कहते हैं। जब जन्तु आराम कर रहा होता है तो रूमेन में एकत्र भोजन के छोटे-छोटे पिण्ड मुखगुहा में वापस आते हैं, जिन्हें खूब चबाया जाता है। इस प्रक्रम को रोमन्थन (जुगाली करना) कहते हैं। घास में सेलुलोज की प्रचुरता होती है जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। इसका पाचन जन्तु की अन्धनाल में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा होता है।
चित्र : किसी रोमन्थी का आमाशय
प्रश्न 6.
अमीबा में संभरण एवं पाचन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमीबा जलाशयों में पाया जाने वाला एक कोशिकीय जीव है। अमीबा की कोशिका एक झिल्ली द्वारा घिरी होती है। इसके अन्दर एक केन्द्रक तथा अनेक खाद्य धानियाँ होती हैं। अमीबा की झिल्ली द्वारा निरन्तर पदार्थों का निर्माण होता रहता है जो प्रचलन तथा भोजन पकड़ने में सहायता करते हैं।
अमीबा कुछ सूक्ष्म जीवों का आहार करता है। जब इसे. भोजन का आभास होता है तो यह खाद्य कण के चारों ओर पादाभ बनाकर इसे घेर लेता है। इस प्रकार एक खाद्यधानी बन जाती है। खाद्यधानी में कुछ पाचक रसों का साव होता है जिससे भोजन अपने अवयों में टूट जाता है। अब भोजन के अवयव सम्पूर्ण कोशिका में वितरित कर दिये जाते हैं तथा अपचित भाग बाहर छोड़ दिया जाता है।
प्रश्न 7.
आमाशय की कार्य प्रणाली की खोज किस प्रकार हुई?
उत्तर:
सन् 1822 ई. में ऐलेक्सिस सेंट मार्टिन नामक व्यक्ति गोली लगने के कारण बुरी तरह से घायल हुआ। गोली से वक्ष क्षतिग्रस्त हो गया तथा आमाशय में एक छिद्र हो गया। उसे विलियम ब्यूमॉण्ट नामक अमरीकी सैनिक चिकित्सक के पास ले जाया गया। चिकित्सक ने उसकी जान तो बचा ली परन्तु वह आमाशय का छिद्र भली-भाँति बंद न कर सका तथा उसने छिद्र को पट्टी से ढक दिया (चित्र)। ब्यूमॉण्ट को छिद्र में से आमाशय के अदर झाँकने का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ। उसने कुछ रोचक प्रेक्षण किए।
ब्यूमॉण्ट ने देखा कि आमाशय भोजन का मंथन कर रहा था। इसकी भित्ति से तरल स्रावित हो रहा था, जो भोजन को पचा सकता था। उसने यह भी देखा कि आमाशय क्षुद्रांत्र में तभी खुलता है, जब आमाशय में भोजन का पाचन पूरा हो जाता है।
पादपों में पोषण Class 7 HBSE Notes in Hindi
→ पोषक – भोजन के वे घटक जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं, पोषक कहलाते हैं।
→ पोषण -भोज्य पदार्थों को ग्रहण करके इनके उपयोग की प्रक्रिया पोषण कहलाती है।
→ पाचन – जटिल भोज्य पदार्थों को अवशोषण योग्य सरल पदार्थों में परिवर्तन करने की प्रक्रिया पाचन कहलाती है।
→ पाचन तंत्र – वे सभी अंग जो पाचन क्रिया में भाग लेते हैं, सामूहिक रूप से पाचन तंत्र बनाते हैं।
→ मुख – गुहिका वह स्थान जहाँ से भोजन का अन्तर्ग्रहण होता है, मुख कहलाता है तथा मुख के पीछे का भाग गुहिका कहलाता है।
→ ग्रासनली – मुख गुहिका पीछे की ओर एक नली में खुलती है जिसे ग्रास नली कहते हैं।
→ आमाशय – ग्रासनली के पीछे थैली जैसी रचना जिसमें भोजन कुछ घंटे ठहरता है।
→ क्षुद्रान्त्र – आंत का अगला एवं संकरा भाग। वृहद्रांत्र आंत का पिछला एवं चौड़ा भाग।
→ मलाशय – आहार नाल का अन्तिम थैली समान भाग जिसमें मल एकत्र रहता है तथाजो गुदा द्वार द्वारा बाहर की ओर खुलता है।
→ लाला – ग्रन्थि लार का स्रावण करने वाली ग्रन्धि/लार ग्रन्थि ।
→ यकृत – पित्त रस का स्रावण करने वाली शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि।
→ अग्न्याशय – पाचक रसों का स्रावण करने वाली ग्रन्थि।
→ अन्तर्ग्रहण – भोजन को शरीर के अन्दर लेना अन्तर्ग्रहण कहलाता है।
→ रदनक – दाँतों का एक प्रकार जो भोजन को चीरने-फाड़ने का काम करते हैं।
→ कृन्तक – दाँतों का एक प्रकार जो भोजन को काटने/ कुतरने का काम करते हैं।
→ अग्रचर्वणक – रदनक दंत के पीछे स्थित चबाने वाले तीन दाँत।
→ पश्चचर्वणक – अग्र चर्वणक दाँतों के पीछे स्थित दाँत ।
→ स्वाद ग्रंथि – जीभ पर पायी जाने वाली ग्रन्थियाँ जो भोजन का स्वाद लेती हैं।
→ वमन – उल्टी होना।
→ जठर रस – आमाशय से स्रावित होने वाला रस जिसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, श्लेष्म तथा कुछ पाचक पदार्थ होते हैं।
→ अवशोषण – पचे हुए भोजन से पोषक तत्वों को क्षुद्रान्त की दीवारों द्वारा रूधिर में लेना।
→ रसांकुर – क्षुद्रान्त की दीवारों पर बाल के समान संरचनाएँ।
→ स्वांगीकरण – पोषक तत्वों को शरीर का भाग बनाया जाना।
→ निष्कासन – अपचित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।
→ रोमन्थी – जुगाली करने वाले पशु। रूमेन रोमन्थी पशुओं की आहार नाल का एक भाग।
→ सेलुलोज – घास एवं पत्तियों में पाया जाने वाला पदार्थ जो पशुओं का भोजन होता है।
→ खाद्य धानी – अमीबा का एक कोशिकांग जिसमें भोजन पचाया जाता है।
→ पादाभ – अमीबा की प्रचलन संरचनाएँ।
→ पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्वयं बना लेते हैं किन्तु प्राणी ऐसा नहीं कर सकते। प्राणी अपना भोजन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों से ही प्राप्त करते हैं।
→ प्राणियों के पोषण में पोषक तत्वों की आवश्यकता, आहार के अंतर्ग्रहण (भोजन ग्रहण करने) की विधि और शरीर में इसके उपयोग की विधि सन्निहित (सम्मिलित) है।
→ कार्बोहाइडेट जैसे कुछ संघटक जटिल पदार्थ हैं। अनेक जन्तु इन जटिल पदार्थों का उपयोग सीधे इसी रूप में नहीं कर सकते। अत: इन्हें सरल पदार्थों में बदलना आवश्यक है, जटिल खाद्य पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तन होना या टूटना विखण्डन कहलाता है तथा इस प्रक्रम को पाचन कहते हैं।
→ मनुष्य मुख द्वारा भोजन का अन्तर्ग्रहण करता है, इसे पचाता है तथा फिर इस पचे भोजन से आवश्यक पदाधी को शरीर का अवयव बनाता है। आहार का बिना पचा भाग मल के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है।
→ मानव के पाचन तंत्र में भोजन एक सतत् नली से गुजरता है जो मुख गुहिका से प्रारम्भ होकर गुदा तक जाती है।
→ मनुष्य की आहार नाल (पाचन तंत्र) के प्रमुख भाग हैं-
- मुख-गुहिका
- ग्रासनली या ग्रसिका
- आमाशय
- क्षुद्रांन्त (छोटी आँत),
- बृहदांत्र
- मलद्वार या गुदा।।
→ लार ग्रन्थियाँ, यकृत एवं अग्नाशय पाचन से सम्बन्धित ग्रन्थियाँ हैं।
→ विभिन्न जीवों में भोजन अन्तर्ग्रहण करने की विभिन्न विधियाँ हैं।
→ आहार को शरीर के अन्दर लेने की क्रिया अन्तर्ग्रहण कहलाती है।
→ हम अपने मुख द्वारा भोजन का अन्तर्ग्रहण करते हैं, उसे दाँतों से चबाते हैं, पचाते हैं तथा बिना पचे भाग को मल के रूप में निष्कासित कर देते हैं।
→ पाचन क्रिया के मुख्य पाँच चरण होते हैं
- भोजन का अन्तर्ग्रहण,
- पाचन,
- अवशोषण,
- स्वांगीकरण एवं
- निष्कासन।
→ भोजन को काटने एवं चबाने के लिए मुख गुहिका में 32 दाँत होते हैं जिन्हें निम्न चार समूहों में बांटा गया है-
- कृन्तक (8),
- रदनक (4),
- अग्र चर्वणक (12) तथा
- चर्वणक (8)।
→ जल एवं कुछ लवण बृहदांत्र में अवशोषित होते हैं। अवशोषित पदार्थ शरीर के विभिन्न भागों को स्थानान्तरित कर दिये जाते हैं।
→ पोषक पदार्थों का शरीर के पदार्थ में मिश्रित होना स्वांगीकरण कहलाता है।
→ बिना पचे अपशिष्ट जिनका अवशोषण नहीं होता, मल के रूप में गुदा द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिए जाते हैं।