HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 10 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 10 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Social Science Solutions History Chapter 10 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

HBSE 6th Class History व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Textbook Questions and Answers

कल्पना करो:

तुम्हारे पास कोई पाण्डुलिपि है, जिसे एक चीनी तीर्थयात्री अपने साथ ले जाना चाहता है। उसके साथ अपनी बातचीत का वर्णन करो।
उत्तर:
चीनी यात्री: अरे बालक! यह तो गौतम बुद्ध रचित त्रिपिटक है। मैं इसी को कई दिनों से इधर-उधर खोज रहा था।
बालक: हाँ! इसमें बौद्ध संघ के नियमों को विस्तार से दिया गया है। लेकिन आप इसके लिए इतने परेशान क्यों थे?

चीनी यात्री: वस्तुतः मैं बौद्ध धर्म का अनुयायी हूँ और भगवान बुद्ध में विशेष आस्था रखता हूँ। यह सोचिए कि इस धर्म का समाज में प्रचार करने कि लिए मैंने अपना जीवन समर्पित किया है। आप तो छात्र हैं और ऐसा लगता है कि आपके दादाजी को पढ़ने का शौक रहा होगा।
बालक: हाँ! हम हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं लेकिन मेरे दादाजी पुस्तकालयध्यक्ष थे और विविध धर्मों, संस्कृतियों आदि की जानकारी प्राप्त करने में उनकी बहुत रूचि थी। यही कारण है कि आप इस पुस्तक को यहाँ देख रहे हैं।

यात्री: यदि आप बुरा न मानें तो कृपया इस ग्रंथ को मुझे दे दें। इसका आप जो भी मूल्य लेना चाहें, मैं देने को तैयार हैं।
बालक: क्षमा कीजिए श्रीमान्! यह हमारे दादा जी की धरोहर है और जहाँ तक मैं समझता हूँ हिंदू धर्म और इस ग्रंथ की शिक्षाओं में कोई विशेष अंतर नहीं है। यहाँ धर्मशाला एवं मठ हैं तो बौद्ध धर्म में भी संघाराम और विहार हैं। इन कारणों से मैं इसको देना नहीं चाहूँगा।

यात्री: यदि ऐसा है तो कृपया मार्ग-दर्शन करें कि यह पुस्तक कहाँ से प्राप्त हो सकती है?
बालक: अरे! श्रीमान आपको तो विशेष राज्याश्रय प्राप्त है। शासक तक आपकी अच्छी पहुंच है। मैं तो मात्र एक किशोर हूँ। इस संबंध में आप शासक से चर्चा कीजिए या फिर कश्मीर जाकर वहाँ की महासभा में भाग लीजिए।

यात्री: ओह! आप शायद सही कहते हैं। वस्तुत: मुझे अश्वघोष आदि विद्वानों से वार्ता करने, इस पाण्डुलिपि को पाने अथवा इसमें अन्तर्निहित विषय-वस्तु को ‘इंडिका’ में उद्धृत करने की चेष्टा करनी चाहिए। धन्यवाद! अच्छा अब चलता हूँ।
बालक: श्रीमान, भोजन का समय हो रहा है अतः आग्रह करना चाहूँगा कि किंचित विश्राम करके भोजन करें और फिर अपने मार्ग में आगे बढ़ें।
यात्री: ठीक है, ऐसा ही कीजिए। धन्यवाद।

HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 10 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

आओ याद करें:

व्यापारी राजा और तीर्थयात्री Class 6th History HBSE प्रश्न 1.
निम्नलिखित का सुमेल कीजिए:
(i) दक्षिणापथ के स्वामी – (क) बुद्धचरित
(ii) मुवेन्दार – (ख) महायान बौद्ध धर्म
(iii) अश्वघोष – (ग) सातवाहन शासक
(iv) बोधिसत्व – (घ) चीनी यात्री
(v) श्वैन त्सांग – (ङ) चोल, चेर, पांड्य
उत्तर:
(i) – (ङ)
(ii) – (ग)
(iii) – (ख)
(iv) – (क)
(v) – (घ)

Class 6th History HBSE व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री प्रश्न 2.
राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे?
उत्तर:
इस मार्ग पर नियंत्रण से रेशम के व्यापारियों पर कर लगाया जा सकता था। नजराना एवं उपहार प्राप्त किया जा सकता था। इन करों को चुकाने वाले व्यापारियों के लिए सुरक्षा के प्रबंध किए जाते थे।

व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री प्रश्न उत्तर Class 6th History HBSE प्रश्न 3.
व्यापार और व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए इतिहासकार किन-किन साक्ष्यों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
1. बंदरगाहों की उपस्थिति
2. नगरों में पाए जाने वाले विदेशी चीजों यथा-सिक्के, वस्त्र, बर्तन, काँच का सामान आदि
3. जलयानों एवं नावों के अवशेष
4. रेशम तथा इससे बनी हुई चीजों के अवशेष (देश-विदेश में), (१) प्रमुख नगरों की एक निश्चित दिशा में स्थापना की जाती।

प्रश्न 4.
भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी?
उत्तर:
1. यह “भज” नामक संस्कृत शब्द से व्युत्पन्न हैं। इसका अर्थ है-बॉटना या विभाजित करना। ।
2. यह देवता और उपासक के बीच उभय-संबंधों की निकटता दर्शाता है।
3. भागवत् या भक्त का अपने भगवान के साथ संबंध जोड़ना ही भक्ति है।
4. भक्तं अपने भगवान या ईष्ट का भाग प्राप्त करता है।
5. वर्ण, जाति, धर्म, आस्था, शारीरिक सामर्थ्य, दीनता आदि से परे भक्ति में सभी का भाग (हिस्सा) है। ‘भक्ति’ किसी मानदण्ड को नहीं देती है। सर्वसमर्पक या मान-त्यागना ही भक्ति है।
6. इसके बलिदान और कठोर तप एवं कर्म-काण्ड को महत्त्व नहीं दिया जाता है।

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आओ चर्चा करें:

प्रश्न 5.
चीनी तीर्थयात्री भारत क्यों आए? कारण बताओ
उत्तर:
चीनी यात्रियों के भारत आगमन के कारण:
1. भगवान बुद्ध का जन्म और कर्मभूमि भारत ही रही।
2. चीनी यात्री वस्तुतः बौद्ध धर्म के अनुयायी एवं भक्त थे।
3. चीनी यात्री गौतम बुद्ध के जीवन और कार्य पर शोध कर
4. उस समय बौद्ध धर्म की शिक्षा देने वाला एक मात्र नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में था।
5. चीनी यात्री अपने साथ गौतमक बुद्ध के जीवन और उपदेशों पर लिखे गए ग्रंथों, बौद्ध विद्वानों की कृतियों और विविध बौद्ध-मूर्तियों को अपने संघ चीन वापस ले जाना चाहते थे।
6. अधिकतर चीनी-यात्री धर्मोपरेक्षक एवं धर्म-प्रचारक ही ‘थे। वे संस्कृत में लिखे गए ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद करके वहाँ के बुद्ध धर्म का प्रसार करने के इच्छुक थे।
7. जुवांग-जंग और अन्य चीनी तीर्थयात्रियों में बौद्ध मठ नालन्दा में प्रवेश लिया तथा वहाँ कई वर्षों तक अध्ययन किया। उनकी यह जिज्ञासा भी भारत आने का कारण बना।

प्रश्न 6.
साधारण लोगों का भक्ति के प्रति आकर्षित होने का कौन सा कारण होता है?
उत्तर:
हमारी ऐसी धारणा बनाने के आधार निम्नलिखित हैं:
(i) भक्ति के लिए किसी तरह का प्रतिबंध, नियम, शर्ते आदि नहीं थी। इसमें शिक्षा के स्तर को भी मानदण्ड नहीं बनाया गया था। अतः लोगों के लिए इस ओर आकर्षित होना स्वाभाविक था।

(ii) भक्ति में निराकर परमात्मा को दुर्गा, शिव, विष्णु, गणेश आदि काल्पनिक प्रतिभाओं में साकार देखने की परिकल्पना थी। आम लोगों के लिए प्रतिमा का स्मरण कर ईश्वर का ध्यान करना कठिन नहीं था।

(iii) भक्ति के कोई विशेष श्लोक या मंत्र नहीं थे बल्कि सीधी-सादी, सरल प्राकृत भाषा में राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि नामों का जप, भजन और स्तुतियाँ थी। अपने-अपने कार्य करते हुए आम लोगों ऐसा भजन गुनगुना सकते थे।

(iv) भक्तियों में सगुण या साकार ज्ञान समाया हुआ था। भजन करने के लिए किसी समारोह, उत्सव, मुहर्थ आदि का आयोजन करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

(v) इसमें सभी कार्यों का त्याग कर स्वयं को ईश्वर में समर्पित करने का सच्चा और सहज आवाह्न समाया था।

आओ करके देखें:

प्रश्न 7.
तुम बाजार से क्या-क्या सामान खरीदती हो उनकी एक सूची बनाओ। बताओ कि तुम जिस शहर या गाँव में रहती हो, वहाँ इनमें से कौन-कौन सी चीजें बनी थीं और किन चीजों को व्यापारी बाहर से लाए थे?
उत्तर:
रबर, कागज, स्याही, खाद्यान्न, समाचार-पत्र।
1. हमारे नगर (दिल्ली) में बनाई जाने वाली चीज: समाचार पत्र।
2. अन्य क्षेत्रों से व्यापारियों द्वारा लाई गई चीजें: रबर (केरल), कागज (मध्य प्रदेश एवं लुधियाना), स्याही (झारखंड), खाद्यान्न (हरियाणा)।

प्रश्न 8.
आज भारत में लोग बहुत तीर्थयात्राएँ करते हैं। उनमें से एक के विषय में पता करो और एक संक्षिप्त विवरण दो। (संकेत: तीर्थयात्रा में स्त्री, पुरुष या बच्चों में से कौन जा सकते हैं? इसमें कितना वक्त लगता है? लोग किस तरह यात्रा करते हैं? वे अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या ले जाते हैं? तीर्थ स्थानों पर पहुंचकर वे क्या करते हैं? क्या वे वापस आते समय कुछ लाते हैं?)
उत्तर:
भारत के सात प्रमुख तीर्थस्थल हैं-हरिद्वार, मथुरा, अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, द्वारिका और कांचीपुरम। सात पवित्र नदियाँ हैं-गंगा, यमुना, सिन्धु, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी। चार धाम हैं-बद्रीनाथ, पुरी, रामेश्वरम और द्वारिका। यहाँ की यात्रा पुरुष, महिला और बच्चे सभी करते हैं। हरिद्वार तक पहुंचने के साधन सड़क मार्ग और रेलमार्ग दोनों हैं। यात्रा में केवल मौसम अनुसार पहनने के वस्त्र, खर्च के लिए धन एवं शीतऋतु में ऊनी शाल आदि ले जाते हैं।

दिल्ली से हरिद्वार की दूरी 110 कि. मी. हैं। हरि का अर्थ विष्णु भी होता है। अत: इसको विष्णु फाटक भी कहते हैं। यहाँ विष्णु के पद-चिह्न माने जाते हैं। यहाँ बारह वर्ष में कुंभ और छ: वर्ष में अर्धकुंभ लगता है। यह स्थान शिवालिक पर्वत श्रेणी के आधार पर स्थित है। इस महाखड्ड से निकलकर गंगा नदी मैदानी भाग की 2000 किमी. यात्रा करती है। चीनी यात्री हवेनसांग ने भी अपने यात्रा वृत्त में हरिद्वार का उल्लेख किया है। हरिद्वार के प्रसिद्ध स्थल-हर-की-पौड़ी (श्रीविष्णु का पैर), मनसा देवी मंदिर, कनखल। इस तीर्थस्थल में लोग गंगा-जल भर कर लाते हैं। बच्चे अपनी पसंद की कौड़ियाँ, सीपी, खिलौने लाते हैं और महिलाएँ शृंगारिक प्रसाधनों को खरीदकर लाती हैं और घर वापस लौटकर पड़ोसियों तथा संबंधियों के बीच बाँटती हैं।

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HBSE 6th Class History व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यामिनी को गाँव के मेले में क्या अच्छा लगता था?
उत्तर:
स्टील के चमचमाते बर्तन को छूना, चमकीली प्लास्टिक की बाल्टियों को देखना तथा अनेकं फूलों के चित्र वाले रंगीन वस्त्र, भिन्न-भिन्न खिलौने वगैरह को छूकर देखना।

प्रश्न 2.
मेले में वस्त्र आदि चीजें कहाँ से आती थीं?
उत्तर:
नगरों से।

प्रश्न 3.
नगरों से माल लाकर गाँव के मेलों में बेचने बाले लोग कौन-कौन थे?
उत्तर:
व्यापारी, फेरीवाले, दुकानदार आदि।

प्रश्न 4.
व्यापारियों के लिए बसों या कारों में आना जरूरी क्यों था?
उत्तर:
परिवहन के इन साधनों से वे बहुत शीघ्र मेला स्थलों पर पहुंच जाते थे और पैदल चलने वाले समय की बचत करके अधिक से अधिक मेलों में जाकर चीजें बेच सकते थे।

प्रश्न 5.
काले एवं लाल रंग के मृद-भांड (मिट्टी के बर्तन) भारत के पुरातत्व स्थल पर क्यों पाए जाते हैं? इन्हें कौन लाया होगा?
उत्तर:
भारत के व्यापारियों का रोम के व्यापारियों के साथ वस्तु-विनिमय या व्यापार संबंध रहने के कारण, चूँकि ये भांड इटली आदि देशों में बनते थे, अत: निश्चित है कि इन्हें रोम के व्यापारी ही लाए होंगे।

प्रश्न 6.
दक्षिण भारत की कौन-कौन सी चीजें लोकप्रिय थीं?
उत्तर:
स्वर्ण, मसाले (विशेषकर काली मिर्च) और कीमती रत्ना

प्रश्न 7.
स्थल मार्ग से व्यापार कैसे होता था.?
उत्तर:
व्यापारी एक काफिले में अपना सामान घोड़ों, – खच्चरों एवं ऊंटों पर लादकर ले जाते थे। वे स्थान-स्थान पर ठहरते थे।

प्रश्न 8.
आज से 2300 वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में कौन-कौन से राजवंश विकसित हुए?
उत्तर:
चोल, चेर और पांड्य (मुवेन्दर)।

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प्रश्न 9.
इस काल के शासकों के पास धन कहाँ से आता था?
उत्तर:
(i) लोगों से सीधे धन की मांग करके
(i) जनता से प्राप्त उपहार
(ii) दूसरे राज्यों पर युद्ध करके संपत्ति हथियाना,
(iv) आस-पास के अधीनस्थ राजाओं से नजराना लेकर।

प्रश्न 10.
राजकोष में संचित धन का निवेश/वितरण कैसे होता था?
उत्तर:
स्रोतों से प्राप्त धन का कुछ भाग राजकोष में रखकर शेष का वितरण राज-परिवार के सदस्यों, सैनिकों, समर्थकों और दरबारी कवियों के बीच किया जाता था।

प्रश्न 11.
संगम-साहित्य की एक कविता में दरबारी कवियों की आय के बारे में क्या लिखा गया है?
उत्तर:
उन्हें राज-संरक्षण प्राप्त था और वेशकीमती पत्थर (मणि), स्वर्ण, घोड़े, हाथी, रथ तथा सुन्दर वस्त्र उन्हें उपहार पुरस्कार में दिए जाते थे।

प्रश्न 12.
पश्चिमी भारत में सातवाहन वंश का उद्धव/उदय कब हुआ?
उत्तर:
आज से लगभग 2100 वर्ष पूर्व।

प्रश्न 13.
गौतमी पुत्र शातकर्णि के बारे में जानकारी किस स्रोत से प्राप्त होती है?
उत्तर:
उसकी माँ गौतमी बालाश्री द्वारा जारी किए गए एक शिलालेख से।

प्रश्न 14.
दक्षिणापथ के स्वामी से क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर:
दक्षिणापथ राज्य का विस्तार सूचक शब्द है। इसके अन्तर्गत संपूर्ण दक्षिण भारत आता है। इसका अर्थ है-“समूचे दक्षिण भारत का शासक”।

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प्रश्न 15.
गौतमी पुत्र श्री शातकर्णिय बंदरगाहों पर आधिपत्य करने की इच्छा क्यों रखता था?
उत्तर:
बंदरगाहों में रोम व्यापारी अपना माल उतारते और यहाँ के माल को लादकर ले जाते थे। उन्हें व्यापार माल का एक निश्चित अंश स्वर्णमुद्रा में देना होता था। संक्षेप में यह कहा जाता है कि बंदरगाह आयात और निर्यात कर से राजकोष को भरने में सक्षम थे।

प्रश्न 16.
रेशम का उत्पादन कैसे करते थे?
उत्तर:
शहतूत के पेड़ों में रेशम के कीड़ों को पालकर । इनके कोया (Cocoon) को कातकर धागा तैयार किया जाता था। इस धागे से ही जुलाहे रेशमी वस्त्र बुनते थे।

प्रश्न 17.
रेशम बनाने की प्राविधि का विकास सबसे पहले कहाँ और कब हुआ?
उत्तर:
चीन में आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व।

प्रश्न 18.
रेशम मार्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
चीन के लोगों द्वारा आज से 6000 वर्ष पूर्व जिस स्थल-मार्ग से घोड़ों, ऊँटों, काफिलों (पैदल) से बाहर के देशों में रेशम का व्यापार किया गया-वह मार्ग ही रेशम मार्ग कहलाया।

प्रश्न 19.
रेशम मार्ग पर अपना नियंत्रण रखने वाले शासक कौन थे?
उत्तर:
कुषाण, कनिष्क इस राजवंश का लोकप्रिय शासक था। मथुरा और पेशावर में रेशम के व्यापारियों से एक निश्चित राशि वसूल की जाती थी।

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प्रश्न 20.
बौद्ध धर्म की उन्नति के लिए कनिष्क ने क्या किया?
उत्तर:
एक बौद्ध परिषद्/सभा/ सम्मेलन का आयोजन किया।

प्रश्न 21.
मूर्ति शिल्प की दृष्टि से मथुरा और तक्षशिला क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
इन्हें मूर्ति शिल्प की मथुरा और गांधार शैली कम जाता है। मथुरा शैली विशुद्धतः भारतीय है जबकि गांधार शैली में यूनानी शैली मिश्रित हो गई है।

प्रश्न 22.
बौधिसत्व कौन थे?
उत्तर:
वे बौद्ध भिक्षु जिन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् एकान्तवास नहीं किया बल्कि समाज के साथ घुल-मिलकर उनके सुख-दुःख में सहारा बने तथा उन्हें बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ दीं।

प्रश्न 23.
भगवद् गीता क्या हैं और किस महाकाव्य का अंश हैं?
उत्तर:
भगवद् गीता हिन्दुओं का धर्मग्रंथ है। जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन का व्यक्तित्व निर्माण के उपदेश दिए हैं। यह महाभारत का एक अंश है।

प्रश्न 24.
भक्ति मार्ग में किस बात पर बल दिया जाता
उत्तर:
देवी या देवता की व्यष्टि उपासना और समर्पण भाव पर।

प्रश्न 25.
भगवद् गीता को भक्तिमार्ग ग्रंथ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
इसमें अर्जुन को उपदेश देते हुए-‘सर्वधर्मान परित्यज्य मामेक शरणं ब्रजः’ अर्थात् सभी धर्मों का त्याग करके मुझमें (श्रीकृष्ण) आश्रय मांगो-कहा गया है।

प्रश्न 26.
ऐरन (मध्य प्रदेश) में विष्णु की कैसी मूर्ति पाई गई है?
उत्तर:
बराह अवतार मूर्ति। इसमें सूअर (बराह) को अपनी थूधन पर महिला रूपी पृथ्वी को समुद्र से ऊपर उठाते हुए दिखाया गया है।

प्रश्न 27.
हिन्दू शब्द की उत्पति कैसे हुई?
उत्तर:
इंडस (सिन्धु) नदी के पूर्व की ओर रहने वाले लोगों को उन्होंने ‘इन्डोस’ कहा जो कालांतर में हिन्दू हो गया। ‘इंडिया’ शब्द भी इंडस (सिन्धु नदी) के नाम पर रखा गया है।

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प्रश्न 28.
ईसा मसीह का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
पश्चिम एशिया के बेथलहम शहर में जो उन दिनों रोम साम्राज्य के अधीन था।

प्रश्न 29.
ईसा मसीह का पहला उपदेश क्या था?
उत्तर:
दूसरे लोगों के साथ प्रेम और विश्वास उस सीमा तक करो जितना आप चाहते हैं कि दूसरे आपके साथ और आपके ऊपर करें।

प्रश्न 30.
ईसा मसीह की स्वयं के प्रति क्या मान्यता थी?
उत्तर:
संसार के उद्धार करने हेतु उनका जन्म हुआ है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मथुरा और गांधार की मूर्तिकला में क्या अन्तर
उत्तर:
मथुरा शैली की मूर्तियों में गौतम बुद्ध के पार्थिव चित्र नहीं बनाए गए है। उदाहरणार्थ-उनकी बोध प्राप्ति को पीपल का वृक्ष और उसके नीचे एक रिक्त आसान को दिखाया गया है। गांधार शैली में बुद्ध के पार्थिव चित्र (आसन में बैठे हुए बुद्ध, बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं के चित्र)) है।

प्रश्न 2.
व्यापार और व्यापारियों के बारे में जानकारी कैसे जुटाई जा सकती है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
(i) विश्व के विभिन्न देशों में एक ही काल में बनी हुई विशेष चीजों का किसी एक देश के स्थान विशेष पाया जाना। उदाहरणार्थ-रोम में बने काँच का सामान का भारत में पाया जाना।
(ii) विदेशी यात्रियों की डायरी, संस्करण या यात्रा-वृत्तों से।
(iii) व्यापार में सिक्कों का आदान-प्रदान होता है। अतः व्यापार करने वाले लोगों के देश में इन सिक्कों का पाया जाना। इनमें वर्णित समय, मूल्य आदि से भी अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं की जानकारी मिलती है।
(iv) भवन निर्माण (वास्तुशिल्प) एवं मूर्ति शिल्प में आई नई तब्दीलियों से।

प्रश्न 3.
रेशमी वस्त्रों को शाही-शान क्यों माना जाता था?
उत्तर:
1. अत्यधिक कीमती होने के कारण इसको आम-आदमी नहीं खरीद सकता था।
2. रोम जैसे देश इसका चीन से आयात करते थे। इनके बीच पर्याप्त दूरी रहने और मार्ग में व्यापारियों पर कई करों का दायित्व रहने के कारण रोम पहुँचने तक यह सर्वाधिक महँगी वस्तु हो जाती थी।
3. रेशम के व्यापार का स्थल मार्ग था जिसमें कठोर चट्टानों, उबड़-खाबड़ रास्तें, रेगिस्तान आदि पड़ते थे।
4. रोम आदि देशों में रेशम एक दुर्लभ अर्थात् न्यूनतम आपूर्ति वाली चीज थी अत: माँग अत्यधिक रहने और लागत आदि आने के कारण यह मात्र शासकों के उपयोग की वस्तु बनकर रह गई थी।

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प्रश्न 4.
बौद्ध धर्म के महायान और हीनयान में क्या अन्तर है? बौद्ध धर्म मध्य एशिया और चीन कैसे पहुँचा?
उत्तर:
कनिष्क के शासन काल में बौद्ध-धर्म दो संप्रदायों-(i) हीनयान और (ii) महायान में बँट गया। महायान में अनेक धार्मिक रीतियाँ तथा कर्मकांड थे। इनमें बहुत से साधु-संतों की पूजा का विधान या व्यवस्था थी। इस संप्रदाय के भिक्षु शक्तिशाली थे। हीनयान संप्रदाय के लोग धार्मिक रीति-रिवाजों तथा कर्मकांडों में आस्था नहीं रखते थे। इस संप्रदाय के लोग महात्मा बुद्ध के बताए हुए मार्ग पर चलते थे।

एशिया और चीन में बौद्ध धर्म: महायान संप्रदाय के कुछ भिक्षुक व्यापारियों के साथ चीन चले गए। वहाँ जाकर उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया। इन्हीं के प्रयत्नों से बौद्ध धर्म मध्य एशिया तथा चीन में पहुंचा।

प्रश्न 5.
दक्षिण भारत के शासकों का रोमवासियों के साथ व्यापार कैसा रहा?
उत्तर:
रोम में भारत की काली मिर्च ने धूम मचा दी थी। यह इतनी लोकप्रिय हो गई थी कि लोग इसको काला सोना कहने लगे। रोम साम्राज्य भूमध्य सागर के सभी देशों तक विस्तार हो चुका था। इसी कारण रोम साम्राज्य के व्यापारियों को सबसे पहले भारत की अवस्थिति और यहाँ उत्पन्न होने वाली वस्तुओं की जानकारी मिली।

मसाले, कपड़े, हीरे-मोती तथा भोग-विलास की वस्तुएँ (इत्र, सुगंधित द्रव्य, जड़ी-बूटियाँ, मूंगे, माणिक आदि) रोम में ऊंची कीमतों में बिकने लगी। रोम के व्यापारी स्वयं मालाबार तट और अरिकामेडू (तमिलनाडु) तक अपने जलयान लाते थे। वे भारतीय माल का सोने में भुगतान करते थे और माल को स्वयं लादकर ले जाते थे। इस तरह भारतीय व्यापारियों को घर बैठे ऊंचा लाभ मिलता था। राजाओं को भी इन वयापारियों से नजराने की आय होती थी। जैसा कि उज्जैयिनी, तक्षशिला, मथुरा आदि में व्यापारिक माल पर रोम के व्यापारियों से कर लिया जाता था।

प्रश्न 6.
कनिष्क ने अपने राज्य को किस प्रकार विशाल और शक्तिशाली बनाया? बौद्ध धर्म के प्रति उसका दृष्टिकोण क्या था?
उत्तर:
कनिष्क कुषाण वंश का प्रसिद्ध और महत्त्वकांक्षी शासक था। उसके समय में कुषाण वंश अपनी चरम सीमा पार पहुंच गया। उसने मगध तथा कश्मीर को अपने आधिपत्य में ले लिया। उसने मध्य एशिया तक साम्राज्य विस्तार किया और उज्जयिनी के शकों तथा कुषाणों को हराया। कनिष्क आरंभ में हिन्दू था लेकिन कालांतर में उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली। उसने अपने शासन काल में बौद्ध भिक्षुओं को मध्य एशिया, चीन, कोरिया तथा जापान में धर्म प्रचार के लिए भेजा। उसने बौद्ध धर्म में उत्पन्न मतभेदों को दूर करने के लिए चौथी बौद्ध सभा का आयोजन किया। कश्मीर, पेशावर, मथुरा तथा तक्षशिला में बौद्ध स्तूप तथा विहार बनवाए और खुलकर धन खर्च किया।

प्रश्न 7.
गौतमी पुत्र श्री शातकर्णि कौन था? उसके विजय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिण में द्रविड़ देश है। यह कभी मौर्य साम्राज्य का ही एक हिस्सा था। मौर्य साम्राज्य का पतन होने के बाद में स्वतंत्र हो गए। सातवाहन राजवंश का शक्तिशाली शासक गौतमी पुत्र श्री शातकर्णि था। महान विजेता होने के कारण उसको ‘दक्षिणापथ का स्वामी’ (समूचे दक्षिण भारत का शासक) कहा जाता था। उसने कलिंग, काठियावाड़, कृष्णा नदी के डेल्टा क्षेत्रों के राजाओं के साथ युद्ध किया और अपने साम्राज्य में मिला लिया।

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व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Class 6 HBSE Notes in Hindi

1. व्यापारी कौन है?: विनिर्माण स्थल से विक्रय स्थल तक वस्तुओं और चीजों को लाने-पहुँचाने वाले।
2. मेले क्यों लगाए जाते हैं?: दैनिक कार्यों को उकताहट से दूर मनोविनोद-मनोरंजन करने तथा लोगों के सामूहिक मिलान एवं संगति के लिए।
3. व्यापारी एक स्थान से दूसरे स्थान पर क्यों घूमते रहते हैं?: उपभोक्ता वस्तुओं या माल को बेचने तथा लाभांश कमाने के लिए।
4. रोम का कांच का सामान, चमकीले अरेंटीना, बर्तन आदि भारत में किसने पहुँचाएँ होंगे और कैसे?: जल अथवा स्थल मार्ग से यात्रा करके व्यापारियों ने।
5. दक्षिण भारत में निर्यात होने वाली चीजें कौन-कौन थीं?: सोना, मसाले (विशेषकर काली मिर्च) तथा वेशकीमती रत्न और मणियाँ।
6. काला-सोना किसको कहा जाता था?: काली मिर्च को।
7. भारत की सर्वाधिक बाजार कौन-सी थी?: रोग
8. कावेरीपत्तनम (पुहार ) बंदरगाह पर कौन-कौन सी चीजें लाई जाती थीं?: घोड़े, काली-मिर्च रत्न, सोना, जड़ी-बूटी, चन्दन, मोती, मूंगा, खाद्यान्न, भाँडे-बर्तन, खाने की वस्तुएँ।
9. यात्री/व्यापारी मानसूनी पवनों का सहारा क्यों लेते थे?: उनके पालवाले जलयान, मानसूनी पवनों की शक्ति पाकर भारत में तीव्र वेग से पहुंचते थे।
10. व्यापारी अपने जलयानों को विशेष मजदूत क्यों बनाते होंगे?: मजबूत जलयान मानसूनी पवनों के बल को झेलते हुए आगे बढ़ने में सहायक होते हैं।
11. भारतीय उपमहाद्वीप का दक्षिणी आधा भाग कैसी भू-आकृति वाला है?: लम्बी तटीय रेखा, पहाड़ी, पठार और नदी घाटियों वाला।
12. कौन सी नदी घाटी सर्वाधिक उपजाऊ थी?: कावेरी नदी की घाटी।
13. मुकेन्दर कौन थे?: तीन राजवंश अर्थात् चोल, चेर और पांड्या
14, पुहार या कावेरीपत्तनम किस शासक के अधीन था?: चोल राजा के अधीन।
15. मदुराई किसकी राजधानी थी?: पाय राजाओं के।
16. कुषाणों की शक्ति के दो प्रमुख केन्द्र कौन थे?: पेशावर और मथुरा।

HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 10 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

17. रेशम मार्ग से बैलगाड़ियों का जाना मुश्किल क्यों था?: उबड़-खाबड़, चट्टानी, दुर्गम, रेगिस्तानवाला मार्ग होने के कारण।
18. चीन से रोम तक का स्थल/रेशम मार्ग कैसा था?: अत्यधिक दुर्गम और कठोर चट्टानों वाला।
19. इतिहास में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी करने वाला राजवंश कौन था?: कुषाण वंश।
20. बुद्ध चरित का लेखक कौन था?: अश्वघोष (कवि)।
21. बौद्ध धर्म में क्या परिवर्तन हुए?: महायान संघ का उद्भव, ज्ञान प्राप्ति के अश्वघोष शिल्प चित्र के पीपल वृक्ष और उसके नीचे खाली अमन दिखाकर एवं बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाकर। बोधिसत्व में आस्था।
22. बोधिसत्व कौन थे?: साधारण लोग जिन्होंने ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात् अन्य लोगों की सहायता और उन्हें अच्छी शिक्षा
23. बोधिसत्व की उपासना कहाँ प्रचलित थी?: मध्य एशिया के देशों, चीन तथा कोरिया एवं जापान में।
24. भिक्षुओं के रहने के लिए क्या बनाए गए?: गुफा-गृह।
25. गुफा-गृह बहुधा कहाँ बनवाए गए?: पश्चिमी घाट से पार जाने वाले दरों के आस-पास।
26. थिरवाद स्वरूप वाले बौद्ध धर्म ने कहाँ प्रसार किया?: श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैण्ड, इंडोनेशिया तथा दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न देश।
27. चीन वापस लौटते समय समुद्री तूफान के समय भी फाहियान अपनी पुस्तकों और बौद्ध-मूर्तियों को साथ क्यों चिपकाए रहा?: पुस्तकें और बौद्ध मूर्तियों ही उसका जीवन था। अत: उन्हें त्यागने का अर्थ था जीवन-त्याग करना।
28. जुवांग जंग कौन था?: जुवान जंग भी फाहियान की तरह ही चीनी यात्री था। उसने बौद्ध ग्रंथों का संस्कृत से चीनी भाषा में अनुवाद किया।

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