HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Textbook Questions and Answers

एकांकी से

ऐसे-ऐसे पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 1.
‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है- उस पर एक फोन रखा है। इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ।
उत्तर :
बैठक के फर्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा-सैट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सजा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज रखी है। मेज पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टॅगी हुई हैं। छत पर झाड़-फानूस टॅगा है।

ऐसे-ऐसे पाठ के शब्दार्थ HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 2.
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?
उत्तर :
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर इसलिए घबरा रही थी क्योंकि वह अपनी बेचैनी दर्शा रहा था। माँ को लग रहा था कि उसका पेट-दर्द निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। माँ अज्ञात आशंका से घबरा रही थी।

पाठ 8 ऐसे ऐसे HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 3.
ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर :
बच्चे प्राय: निम्नलिखित बहाने बनाते हैं-

  • पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है।
  • सिर में बहुत दर्द है, फटा जा रहा है।
  • उलटी आ रही है।
  • चक्कर आ रहे हैं।

मास्टरजी इन बहानों को भली प्रकार जानते हैं।

भाषा की बात

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन, केला और संतरा खाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।

दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आवेशवाचक वाक्य कहते हैं। नीचे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो।
उत्तर:
बताना : रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना : रूथ कपड़े अलमारी में मत रखो।
पूछना : रूथ, क्या कपड़े अलमारी में रख दिए?
आदेश देना : रूथ, कपड़े अलमारी में रखो।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Important Questions and Answers

ऐसे ऐसे पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 1.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

ऐसे-ऐसे HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 2.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया ?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

ऐसे-ऐसे के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 प्रश्न 3.
मोहन की माँ यह क्यों कहती है- “हँसी की हँसी, दुख का दुख’?
उत्तर :
मोहन की माँ बार-बार मोहन से उसके पेट-दर्द के बारे में पूछती है। वह हर बार यही कहता है-बड़ी जोर से ‘ऐसे-ऐसे’ होता है। माँ उसकी बात सुनकर परेशान भी होती है और हँस भी पड़ती है। वह बेटे के दुख से दुखी होती है। इसी मन:स्थिति में वह कहती है-हँसी की हँसी, दुख का दुख। यह उसे अजीब बीमारी लगती है।

प्रश्न 4.
मोहन के पेट-दर्द को जानने के लिए उसके पिता उससे क्या-क्या प्रश्न करते हैं?
उत्तर :
मोहन के पिता मोहन के पेट-दर्द का स्वरूप जानने के लिए उससे निम्नलिखित प्रश्न करते हैं-

  • अरे, गड़गड़ होती है?
  • चाकू-सा चुभता है?
  • गोला-सा फूटता है?

प्रश्न 5.
वैद्यजी पेट-दर्द का क्या कारण बताते हैं?
उत्तर :
वैद्यजी बताते हैं-वात का प्रकोप है, कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 6.
डॉक्टर मोहन के पेट-दर्द का क्या निदान करते हैं?
उत्तर :
डॉक्टर मोहन की जीभ देखता है और कब्ज तथा बदहजमी बताता है। उसके उनुसार पेट में हवा ने रुककर फंदा डाल लिया अतः ऐंठन है। एक खुराक दवा पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। गरम पानी की बोतल से सेंक करने को भी कहा।

प्रश्न 7.
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में किसने पहचाना और क्या उपाय बताया?
उत्तर :
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में उसके मास्टर जी ने पहचाना। उन्होंने मोहन से प्रश्न करके जान लिया कि मोहन ने गृहकार्य नहीं किया। वह महीने भर तक मौज-मस्ती करता रहा। अब वह डर के मारे पेट-दर्द का बहाना कर रहा है। इसका उपाय यह बताया कि मोहन को दो दिन की छुट्टी मिलेगी ताकि वह अपना काम पूरा कर सके। मोहन का ‘ऐसे-ऐसे’ पेट-दर्द नहीं, बल्कि स्कूल का काम न करने का डर है।

प्रश्न 8.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

प्रश्न 9.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

प्रश्न 10.
मोहन ने क्या बहाना बनाया?
उत्तर :
मोहन ने स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाया कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे’ दर्द हो रहा है।

प्रश्न 11.
माँ ने वैद्यजी के आने से पहले-पहले मोहन को क्या-क्या चीजें दी?
उत्तर :
माँ ने मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि चीजें दीं।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 12.
पड़ोसिन दर्द के बारे में क्या कहती है?
उत्तर :
इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं। नए-नए बुखार निकल आए हैं। राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।

प्रश्न 13.
मास्टर जी ने मोहन से क्या पूछा?
उत्तर :
मोहन, एक बात तो बताओ। स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?

प्रश्न 14.
अंत में माँ ने मोहन पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर :
मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।

ऐसे-ऐसे Summary in Hindi

ऐसे-ऐसे एकांकी का सार

[सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है, दूसरा अंदर के कमरे में, तीसरा रसोईघर में। अलमारियों में पुस्तकें लगी हैं। एक ओर रेडियो का सेट है। दो और दो छोटे तख्त हैं, बीच में कुरसियाँ हैं। एक छोटी मेज भी है। उस पर फोन रखा है। परदा उठने पर-मोहन एक तख्त पर लेटा है। आठ-नौ वर्ष के लगभग उम्र होगी उसकी। तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस समय बड़ा बेचैन जान पड़ता है। बार-बार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता पास बैठे हैं।]

माँ बेटे को पेट पकड़ने से मना करती है तथा कहती है कि डॉक्टर को बुलाया है, तब तक सेंक कर ले। पिता बताता है कि बेटे ने केवल एक केला और संतरा ही खाया है। दफ्तर में तो ठीक था, बस चलते समय कहने लगा कि पेट में कुछ ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। पेट में चाकू-सा चुभता है। बच्चा बेहाल हुआ जाता है। तभी डॉक्टर के फोन की घंटी बजती है। पिताजी मोहन के बारे में जानकारी देते हैं। डॉक्टर चल पड़ते हैं। तभी पड़ोसी दीनानाथ आते हैं।

दीनानाथ आकर बताते हैं कि वे वैद्यजी से कह आए हैं, बस आते ही होंगे। वैद्यजी आ जाते हैं। पिता मोहन के दर्द के बारे में बताते हैं तो वैद्यजी कहते हैं कि बच्चा सही बात बता नहीं पा रहा है कि वात का प्रकोप है। इसका पेट भी साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। अभी पुड़िया भेजता हूँ। आध-आध घंटे बाद गरम पानी से दे देना। दो-तीन दस्त होंगे और पेट का दर्द भाग जाएगा।

तभी डॉक्टर का प्रवेश होता है। डॉक्टर भी पेट दबाते हैं तथा जीभ देखते हैं। वे बताते हैं कि कब्ज लगती है, कुछ बदहजमी भी है। दवा भेजता हूँ, एक ही खुराक पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। उसी की ऐंठन है। गरम पानी की बोतल से सेंक दीजिए। तभी पड़ोसिन आती है। इसके बाद मास्टरजी आते हैं। वे कहते हैं- दादा, कल तो स्कूल जाना है। तुम्हारे बिना क्लास में रौनक नहीं रहेगी। वे बताते हैं कि मोहन की दवा वैद्य और डॉक्टर के पास नहीं है।

वे मोहन से कहते हैं कि बेशक कल स्कूल मत आना, पर स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है न? मोहन बताता है कि उसके कुछ सवाल रह गए हैं। मास्टरजी समझ गए कि दर्द का बहाना यही बात है। यह ‘ऐसे-ऐसे’ काम न करने का डर है। मोहन मुंह छिपा लेता है। मास्टरजी हँसकर बताते हैं कि मोहन ने महीना भर मौज-मस्ती की। स्कूल का काम पिछड़ गया। डर के मारे इसके पेट में ‘ऐसे-ऐसे होने लगा। इसे दो दिन की छुट्टी मिलेगी।

इसमें यह काम पूरा कर लेगा और इसका दर्द “ऐसे-ऐसे’ अपने आप भाग जाएगा। माँ कहती है- अरे मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है। हमारी तो जान निकल गई, ऊपर से 15-20 रुपये खर्च हो गए सो अलग। वह मोहन के पिता को बताती है कि इसे पेट-दर्द नहीं, स्कूल के काम न करने का डर है। सब हँस पड़ते हैं।

ऐसे-ऐसे शब्दार्थ

गलीचा = सूत या ऊन के धागे से बुना हुआ कालीन (Carpet)। अंट-शंट = फालतू चीजें (Useless things)। गड़-गड़ = गरजने की आवाज (Sound)। बला = कष्ट (Difficulty)। भला-चंगा = स्वस्थ, तंदरुस्त, अच्छा = खासा (Healthy)। गुलजार = चहल-पहल वाला (Hastle and Bustle)। धमा = चौकड़ी-उछल-कूद, कूद-फाँद, उधम (Up and down)। वात = शरीर में रहने वाली वायु के बढ़ने से होने वाला रोग (A disease)। प्रकोप = बीमारी का बढ़ना (Increase of disease)। तबीयत = शरीर या मन की स्थिति (Position of bocty and mind)। बदहजमी = अपच, अजीर्ण (Indisation)। रौनक = चहल-पहल (Glamour)।

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