Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन
HBSE 12th Class Sociology संरचनात्मक परिवर्तन Textbook Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
उपनिवेशवाद का हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है? आप या तो किसी एक पक्ष जैसे संस्कृति या राजनीति में केंद्र में रखकर या सारे पक्षों को जोड़कर विश्लेषण कर सकते हैं।
उत्तर:
उपनिवेशवाद-एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर राजनीतिक रूप से शासन करने को उपनिवेशवाद कहा जाता है। आधुनिक समय को पश्चिमी उपनिवेशवाद ने सबसे अधिक प्रभावित किया है। भारत का इतिहास देखने से यह पता चलता है कि यहाँ काल तथा स्थान के अनुसार अलग-अलग प्रकार के समूहों का उन अलग-अलग क्षेत्रों पर शासन रहा है जो आज के आधुनिक भारत का निर्माण करते हैं। परंतु औपनिवेशिक शासन किसी और शासन तथा प्रणाली से अलग तथा ज्यादा प्रभावशाली रहा है। इसलिए जो भी परिवर्तन आए वह काफ़ी गहरे तथा भेदभाव से भरपूर थे।
संस्कृति तथा राजनीति पर प्रभाव-आधुनिक समय में भारत में मौजूद संसदीय, विधि तथा शिक्षा व्यवस्था ब्रिटिश प्रारूपों पर आधारित है। अगर हम सड़कों पर बाईं ओर चलते हैं तो यह भी ब्रिटिश अनुकरण हैं। हमें सड़कों के किनारे रेहड़ियों तथा गाड़ियों पर कटलेट तथा ब्रेड, ऑमलेट जैसी चीजें साधारणतया खाने को मिल जाती है। यहाँ तक कि एक प्रसिद्ध बिस्कुट बनाने वाली कंपनी का नाम भी ब्रिटेन से संबंधित है। बहुत से स्कूलों में ‘नेक-टाई ड्रैस का एक ज़रूरी हिस्सा है।
हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली चीजें कितनी अधिक पश्चिम से संबंधित है, हम सोच भी नहीं सकते। हम न केवल पश्चिम की प्रशंसा करते हैं बल्कि उसकी आलोचना भी करते हैं। हमें इस बात की कई उदाहरणे अपने रोज़ाना जीवन में देखने को मिल जाएंगी। इस सबसे पता चलता है कि आज भी ब्रिटिश उपनिवेशवाद हमारे जीवन का एक जटिल अंग है।
यहाँ तक अंग्रेज़ी भाषा की उदाहरण ले सकते हैं जिसके बहुत अधिक तथा विरोधात्मक प्रभाव है। हम केवल अंग्रेज़ी भाषा को प्रयोग ही नहीं करते बल्कि कई भारतीयों ने अंग्रेजी भाषा में उत्तम साहित्यिक रचनाएं भी की हैं। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की वजह से ही भारत को भूमंडलीकृत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफ़ी ऊँचा स्थान प्राप्त है।
परंतु इसके साथ ही हम भी नहीं भल सकते कि अंग्रेज़ी को आज भी विशेषाधिकारों का सचक माना जाता है। अगर किसी को अंग्रेजी भाषा नहीं आती हैं या कम आती है तो उसे रोज़गार प्राप्त करने में परेशानी होती है। परंतु कई वंचित समूहों के लिए अंग्रेज़ी भाषा की जानकारी एक वरदान साबित हुई है। यह बात निम्न जातियों के संदर्भ में बिल्कुल ही उपयुक्त है जो औपचारिक शिक्षा तथा अंग्रेजी शिक्षा ग्रहण करके अपनी सामाजिक स्थिति ऊंची कर रहे हैं।
प्रश्न 2.
औद्योगीकरण और नगरीकरण का परस्पर संबंध हैं, विचार करें।
उत्तर:
यह सच है कि औद्योगीकरण तथा नगरीकरण परस्पर संबंधित हैं। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से न केवल औद्योगीकरण बढ़ता है बल्कि नगरीकरण का भी विकास होता है। इस कारण तकनीक का विकास होता है तथा नए नए और बड़े उद्योग स्थापित हो जाते हैं। उद्योगों के इर्द-गिर्द नगर विकसित हो जाते हैं।
उद्योग लगने से गांव की जनसंख्या उनकी तरफ भागने लगती है ताकि उनमें रोजगार प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार उद्योगों के इर्द-गिर्द पहले बस्तियां तथा फिर शहर बन जाते हैं। शहरों में हजारों पेशे पाए जाते हैं तथा बहुत-सी सुविधाएं भी। तथा यातायात के साधन भी इस प्रक्रिया के कारण विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार नगरों के विकसित होने तथा नगरीकरण की प्रक्रिया के बढ़ने में औद्योगीकरण का बहुत बड़ा हाथ होता है।
प्रश्न 3.
किसी ऐसे शहर या नगर को चुनें जिससे आप भली-भाँति परिचित हैं। उस शहर/नगर के इतिहास, उसके उद्भव और विकास तथा समसामयिक स्थिति का विवरण दें।
उत्तर:
हम दिल्ली शहर से भली-भाँति परिचित हैं। वैसे तो दिल्ली को बसे सैंकड़ों वर्ष हो चुके हैं परंतु दिल्ली को महत्त्व प्राप्त हुआ दिल्ली के सुलतानों के समय जब उन्होंने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। उसके बाद तो जैसे दिल्ली पर अधिकार जमाने के लिए संघर्ष ही छिड़ गया। यह माना जाने लगा कि जिसका दिल्ली पर अधिकार है वह ही हिन्दुस्तान का राजा है।
इस कारण ही समय-समय पर दिल्ली पर अधिकार जमाने के लिए साजिशें होती रहीं। जिस किसी विदेशी मणकारी ने भारत पर आक्रमण किया उसने सबसे पहले दिल्ली को अपना निशाना बनाया। मुगल बादशाह बाबर ने भारत पर कई बार आक्रमण किया, परंतु अपने अंतिम आक्रमण में उसने दिल्ली पर अधिकार कर ही लिया। उसके बाद दिल्ली सत्ता का केंद्र बन गया। मुग़ल बादशाहों के समय सारे देश की सत्ता दिल्ली से ही चलती थी।
परंतु अंग्रेजों के आने के पश्चात् मुग़ल साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया। इस कारण ही दिल्ली का महत्त्व धीरे-धीरे कम होता चला गया। दिल्ली के स्थान पर कलकत्ता, मद्रास तथा बम्बई जैसे नए शहरों का महत्त्व बढ़ गया। 1857 के विद्रोह का मुख्य केंद्र दिल्ली था। विद्रोह खत्म होने के पश्चात् अंग्रेजों ने दिल्ली को खूब लूटा, हज़ारों लोगों को मारा तथा शहर को पूर्णतया ध्वस्त कर दिया। परंतु दिल्ली धीरे-धीरे फिर बस गया।
अंग्रेजी साम्राज्य कलकत्ता से चलता रहा। परंतु 20वीं शताब्दी की शुरूआत में अंग्रेजों ने कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को अपनी राजधानी बना लिया। उन्होंने पुरानी दिल्ली के साथ नई दिल्ली को भी विकसित किया। इंग्लैंड से वास्तुकार बुलाए गए ताकि नई दिल्ली को विकसित किया जा सके। उसके बाद तो दिल्ली का महत्त्व बढ़ने लग गया। उसके बाद से अब तक दिल्ली देश की राजधानी है।
समसामयिक स्थिति से दिल्ली का स्थान देश में सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि देश की राजधानी का देश में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यदि देश की राजधानी पर ही विदेशी आक्रमण तथा अधिकार हो जाए तो देश पर ही विदेशी अधिकार हो जाता है। इस प्रकार दिल्ली देश का सबसे महत्त्वपूर्ण शहर है। सम्पूर्ण देश की सत्ता दिल्ली से ही चलती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यदि हमारे देश में सबसे महत्त्वपूर्ण शहर है तो वह है दिल्ली।
प्रश्न 4.
आप एक छोटे कस्बे में या बहुत बड़े शहर या अर्धनगरीय स्थान या एक गाँव में रहते हैं-
- जहाँ आप रहते हैं उस जगह का वर्णन करें।
- वहाँ की विशेषताएं क्या है, आपको क्यों लगता है कि वह एक कस्बा है शहर नहीं, एक गाँव है कस्बा नहीं या शहर हैं गाँव नहीं?
- जहाँ आप रहते हैं वहाँ क्या कोई कारखाना है?
- क्या लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है?
- क्या व्यवसाय वहां निर्णायक रूप में प्रभावशाली है?
- क्या वहाँ इमारतें हैं?
- क्या वहाँ शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
- लोग कैसे रहते और व्यवहार करते हैं?
- लोग किस तरह बात करते और कैसे कपड़े पहनते हैं?
उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से तथा अपने इर्द-गिर्द के स्थानों की तरफ देख कर स्वयं ही दें।
संरचनात्मक परिवर्तन HBSE 12th Class Sociology Notes
→ वर्तमान को समझने के लिए अतीत को जानना जरूरी होता है। भारत के आधुनिक रूप से समझने के लिए इसके इतिहास को समझने की आवश्यकता है। भारत की आधुनिक संस्थाएं तथा इसका नया रूप औपनिवेशिक शासन की देन है। उपनिवेशवाद के कारण भारत को आधुनिक विचारों का पता चला।
→ एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर शासन को उपनिवेशवाद माना जाता है। भारत के इतिहास से यह पता चलता है कि यहाँ काल और स्थान के अनुसार विभिन्न प्रकार के समूहों का उन अलग-अलग क्षेत्रों पर शासन रहा जो आज के आधुनिक भारत का निर्माण करते हैं।
→ प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था लेन-देन पर आधारित थी परंतु ब्रितानी उपनिवेशवाद पूँजीवादी व्यवस्था पर आधारित था। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया जिससे ब्रितानी पूँजीवाद का विस्तार हुआ और उसे सुदृढ़ता मिली।
→ उपनिवेशवाद से भारत में बहुत से परिवर्तन आए जिनमें प्रशासन में मूलभूत बदलाव, यातायात तथा संचार के साधनों का विकास, पूँजीवाद का बढ़ना, संस्कृति में परिवर्तन इत्यादि प्रमुख थे। अंग्रेज़ों ने चाहे अपने लाभ के लिए भारत में उद्योग लगाने शुरू किए परंतु इसने अप्रत्यक्ष रूप से भारत का विकास करना शुरू कर दिया। भारत का औद्योगीकरण शुरू हुआ जिससे नगरीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिला तथा नये नगर विकसित होने शुरू हो गए। इससे पुराने शहरों का अस्तित्व कमज़ोर होता चला गया।
→ अंग्रेजों के जाने के पश्चात् स्वतंत्र भारत में तेजी से औद्योगीकरण शुरू हुआ। भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाएं बनाई जिनका मुख्य उद्देश्य ही भारत का औद्योगीकरण करना था। भारत में भारी मशीनीकृत उद्योगों का विकास हुआ। स्वतंत्रता के बाद भारत में नगर भी तेजी से विकसित हुए। बड़े शहर और बड़े हो गए तथा छोटे-छोटे कस्बे शहरों में परिवर्तित हो गए। बड़े-बड़े गाँव शहरों में परिवर्तित हो गए। इससे भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से विकसित हुई।
→ अगर देखा जाए तो भारत में औद्योगीकरण तथा नगरीकरण का विकास ब्रिटिश शासन की ही देन है। अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए उद्योगों तथा नगरों का विकास करना शुरू किया जिससे भारतीयों ने भी उससे काफ़ी लाभ प्राप्त किया।
→ औद्योगिकरण से सामाजिक परिवर्तन काफी तेजी से होता है। स्वतंत्रता के बाद भारत में तेजी से औद्योगीकरण शुरू हुआ जिसमें सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों ने काफ़ी बड़ी भूमिका निभाई। आज उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण के समय में तो यह और तेज़ी से बढ़ रहे हैं। औद्योगीकरण तथा नगरीकरण प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से संबंधित हैं। जहां पर उद्योग विकसित होते हैं वहां पर उद्योगों के आस-पास नगर भी विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार इन दोनों के कारण सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन भी होने शुरू हो जाते हैं।
→ उपनिवेशवाद-एक स्तर पर, एक देश के द्वारा देश पर शासन को उपनिवेशवाद माना जाता है।
→ राष्ट्र राज्य-एक ऐसा राष्ट्र जिसमें लोगों को स्वतंत्रता तथा और सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं तथा जिन्हें अपनी संप्रभुता प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त होता है।
→ औद्योगिक क्षरण-पुराने बसे औद्योगिक क्षेत्रों में से उद्योगों का पतन।
→ औद्योगीकरण-देश में उद्योगों का अधिक-से-अधिक विकास होना।
→ नगरीकरण-छोटे नगरों का बड़े नगरों में परिवर्तन होना तथा गाँवों और कस्बों का छोटे नगरों में परिवर्तित होना।