HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरुआत

Haryana State Board HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरुआत Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class History Important Questions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरुआत

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के अन्तर्गत वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। ठीक उत्तर का चयन कीजिए-

1. संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन किसकी अध्यक्षता में हुआ?
(A) भीमराव अंबेडकर
(B) डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा
(C) बी० एन० राव
(D) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
उत्तर:
(B) डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा

2. संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष थे
(A) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
(B) डॉ० भीमराव अंबेडकर
(C) एस० एस० मुखर्जी
(D) सरदार पटेल
उत्तर:
(A) डॉ० राजेंद्र प्रसाद

3. संविधान सभा के सम्मुख ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ किसने पारित किया?
(A) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
(B) डॉ० भीमराव अंबेडकर
(C) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(D) सरदार पटेल
उत्तर:
(C) पंडित जवाहरलाल नेहरू

4. भारतीय संविधान पास हुआ
(A) 15 अगस्त, 1947
(B) 26 नवंबर, 1949
(C) 26 जनवरी, 1950
(D) 26 नवंबर, 1950
उत्तर:
(B) 26 नवंबर, 1949

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5. संविधान सभा के सदस्यों की संख्या थी-
(A) 393
(B) 389
(C) 289
(D) 489
उत्तर:
(B) 389

6. संविधान सभा की प्रथम बैठक कहाँ हुई थी?
(A) दिल्ली
(B) बम्बई
(C) कलकत्ता
(D) मद्रास
उत्तर:
(A) दिल्ली

7. संविधान सभा की बैठकें हुईं
(A) लगभग 166
(B) लगभग 184
(C) लगभग 267
(D) लगभग 195
उत्तर:
(A) लगभग 166

8. ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा’ किसने लिखा था?
(A) अबुल फज़ल ने
(B) मोहम्मद इकबाल ने
(C) बर्नी ने
(D) फिरदौसी ने
उत्तर:
(B) मोहम्मद इकबाल ने

9. भारतीय संविधान लागू हुआ
(A) 26 जनवरी, 1949
(B) 26 जनवरी, 1950
(C) 15 अगस्त, 1950
(D) 26 नवंबर, 1949
उत्तर:
(B) 26 जनवरी, 1950

10. भारतीय संविधान सभा का निर्माण किस योजना के अंतर्गत किया गया?
(A) क्रिप्स योजना
(B) कैबिनेट मिशन योजना
(C) वेवल योजना
(D) गाँधी योजना
उत्तर:
(B) कैबिनेट मिशन

11. संविधान सभा का गठन हुआ
(A) 1944 ई० में
(B) 1942 ई० में
(C) 1946 ई० में
(D) 1950 ई० में
उत्तर:
(C) 1946 ई० में

12. संविधान सभा के चुनाव कब हुए थे ?
(A) जुलाई, 1946 ई०
(B) जुलाई, 1945 ई०
(C) जुलाई, 1944 ई०
(D) जून, 1946 ई०
उत्तर:
(A) जुलाई, 1946 ई०

13. धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ क्या था?
(A) एक धर्म पर आधारित राज्य
(B) सभी धर्मों का आदर
(C) हिन्दू धर्म के पक्ष में
(D) इस्लाम के पक्ष में
उत्तर:
(A) सभी धर्मों का आदर

14. संविधान सभा की कितनी धाराएँ हैं?
(A) 390
(B) 392
(C) 395
(D) 398
उत्तर:
(C) 395

15. संविधान सभा के सवैधानिक सलाहकार कौन थे?
(A) डॉ० बी० एन० राय
(B) सरदार पटेल
(C) डॉ० बी० आर० अम्बेडकर
(D) पंडित जवाहरलाल नेहरू
उत्तर:
(A) डॉ० बी० एन० राय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन कब व किसकी अध्यक्षता में हुआ?
उत्तर:
संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 को डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता में हुआ।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ० राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे।

प्रश्न 3.
संविधान की प्रारूप समिति का गठन कब हुआ?
उत्तर:
संविधान की प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 को हुआ।

प्रश्न 4.
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ०. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।

प्रश्न 5.
संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार कौन थे?
उत्तर:
संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार श्री बी० एन० राव थे।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान कब पारित हुआ? उत्तर-भारतीय संविधान 26 नवंबर, 1949 को पारित हुआ।

प्रश्न 7.
भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

प्रश्न 8. भारतीय संविधान में कितनी धाराएँ हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 395 धाराएँ हैं।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान ने भारत को कैसा राज्य घोषित किया?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने भारत को संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया।

प्रश्न 10.
भारत की राष्ट्रभाषा क्या है?
उत्तर:
भारत की राष्ट्र भाषा हिन्दी है।

प्रश्न 11.
भारतीय संविधान पर किन-किन देशों के संविधानों का प्रभाव है?
उत्तर:
भारतीय संविधान पर इंग्लैंड, अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया देशों के संविधानों का प्रभाव है।

प्रश्न 12.
भारतीय संविधान में कैसी नागरिकता की व्यवस्था है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में इकहरी नागरिकता की व्यवस्था है।

प्रश्न 13.
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को शामिल करने की प्रेरणा किस देश के संविधान से ली गई?
उत्तर:
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को शामिल करने की प्रेरणा अमेरिका के संविधान से ली गई।

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प्रश्न 14.
किस योजना ने भारतीय संविधान के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन योजना 1946 ने भारतीय संविधान के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 15.
भारतीय संविधान सभा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 में हुआ।

प्रश्न 16.
संविधान सभा के सदस्यों की संख्या कितनी थी?
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 थी। इनमें से 292 सदस्य ब्रिटिश प्रांतों से तथा 93 देशी रियासतों के तथा 4 चीफ कमिश्नरियों के थे।

प्रश्न 17.
आधुनिक मन एवं भारतीय संविधान के पिता किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
आधुनिक मनु एवं भारतीय संविधान का पिता डॉ० भीमराव अंबेडकर को कहा जाता है।

प्रश्न 18.
भारत के संविधान में कुल कितनी अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर:
भारत के संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ हैं।

प्रश्न 19.
संविधान सभा में कितने प्रतिशत सदस्य कांग्रेस दल के थे?
उत्तर:
संविधान सभा में 82 प्रतिशत सदस्य कांग्रेस दल के थे।

प्रश्न 20.
कैबिनेट मिशन ने अपनी संवैधानिक योजना की घोषणा कब की थी?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन ने अपनी संवैधानिक योजना की घोषणा 16 मई, 1946 को की थी।

प्रश्न 21.
संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव किसने व कब रखा था?
उत्तर:
संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव पं० जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर, 1946 को रखा था।

प्रश्न 22.
भारतीय संविधान को किस कालावधि में सूत्रबद्ध किया गया? उत्तर-भारतीय संविधान दिसंबर, 1946 से दिसंबर, 1949 की कालावधि में सूत्रबद्ध किया गया।

अति लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया?
उत्तर:
भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को बनकर तैयार हो गया था। परंतु इसे दो महीने बाद 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसका मुख्य कारण यह था कि कांग्रेस ने 1930 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता प्रस्ताव पास किया और 26 जनवरी, 1930 का दिन प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया। इसके बाद कांग्रेस ने 26 जनवरी को हर वर्ष इसी रूप में मनाया। इस पवित्र दिवस की याद ताज़ा रखने के लिए भारत का संविधान 26 जनवरी; 1950 को लागू किया गया।

प्रश्न 2.
संविधान सभा की पहली बैठक पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को नई दिल्ली में संविधान सभा हाल में हुई। इसकी अध्यक्षता डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा ने की। इसमें 207 सदस्य उपस्थित थे।

प्रश्न 3.
संविधान सभा के कुछ प्रमुख सदस्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों के नाम हैं-राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार बलदेव सिंह, फ्रैंक एन्थनी, एच०पी० मोदी, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, बी०आर० अंबेडकर व के०एम० मुंशी।

प्रश्न 4.
भारत के संविधान में डॉ० राजेंद्र प्रसाद की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
डॉ० राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस के प्रमुख सदस्य थे। 11 दिसंबर, 1946 में राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। अध्यक्ष के रूप में संविधान सभा की चर्चाओं को उन्होंने काफी प्रभावित किया। उन्हें विचार प्रकट करने का मौका दिया। राजेंद्र प्रसाद को इस बात का दुःख था कि भारतीय संविधान मूल रूप से अंग्रेजी में था और उसमें किसी भी पद के लिए किसी भी रूप में शैक्षिक योग्यता नहीं रखी गई थी।

प्रश्न 5.
संविधान सभा ने दलितों के लिए क्या प्रावधान किया? ।
उत्तर:
संविधान सभा में दलितों के अधिकारों पर काफी बहस हुई। इन जातियों के लिए सुरक्षात्मक उपायों की माँग की गई। अंत में अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया। दूसरा, इन्हें हिंदू मंदिरों में प्रवेश दिया गया तथा तीसरा, दलितों को विधायिकाओं और नौकरियों में आरक्षण दिया गया।

प्रश्न 6.
डॉ० बी०आर० अंबेडकर कौन थे?
उत्तर:
डॉ० बी०आर० अंबेडकर महान विद्वान, विधिवेत्ता, लेखक, शिक्षाविद् तथा महान् सुधारक थे। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किया। अंबेडकर अंतरिम सरकार में विधि मंत्री बने। उन्हें संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। अतः उन्होंने संविधान के प्रारूप को प्रस्तुत किया तथा पास करवाया। उन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है।

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प्रश्न 7.
भारतीय संविधान की आधारभूत मान्यताएँ व सिद्धांत क्या थे?
उत्तर:
भारतीय संविधान की आधारभूत मान्यताएँ और निहित सिद्धांत ये थे कि इसके अनुसार भारत एक धर्म-निरपेक्ष और जनतांत्रिक राज्य होगा। इसमें बालिग मताधिकार पर आधारित संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया।

प्रश्न 8.
संविधान ने विषयों का बँटवारा किस प्रकार किया?
उत्तर:
संविधान सभा ने सभी विषयों को निम्नलिखित तीन सूचियों में बाँट दिया

  • केंद्रीय सूची-इस पर केंद्र सरकार कार्य कर सकती थी।
  • राज्य सूची-इसमें वे विषय थे जिन पर राज्य सरकार ने कार्य करना था।
  • समवर्ती सूची-इन विषयों पर राज्य सरकार व केंद्र सरकार दोनों कार्य कर सकती थीं।

प्रश्न 9.
राष्ट्र की भाषा पर महात्मा गाँधी जी के क्या विचार थे?
उत्तर:
राष्ट्र भाषा के संबंध में गाँधी जी के विचार थे कि प्रत्येक को एक ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे लोग आसानी से समझ सकें। हिंदी और उर्दू के मेल से बनी हिंदुस्तानी भाषा भारत की राष्ट्र भाषा होनी चाहिए क्योंकि यह भारतीय जनता के बड़े हिस्से की भाषा है और परस्पर संस्कृतियों के आदान-प्रदान से समृद्ध हुई है। यह एक साझी भाषा है।

प्रश्न 10.
संविधान निर्माण में पटेल की भूमिका किस प्रकार की थी?
उत्तर:
वल्लभ भाई पटेल संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में से एक थे। उन्होंने अनेक रिपोर्टों के प्रारूप लिखने तथा अनेक परस्पर विरोधी विचारों के मध्य सहमति उत्पन्न करने में सराहनीय योगदान दिया।

प्रश्न 11.
भारतीय संविधान में कौन-से दो मौलिक अधिकार दिए गए हैं?
उत्तर:

  • स्वतन्त्रता का अधिकार,
  • समानता का अधिकार।

प्रश्न 12.
भारत के राष्ट्रीय ध्वज के क्रम से रंगों के नाम लिखो।
उत्तर:
केसरिया, सफेद, हरा।

लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वयस्क मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारत में संविधान के द्वारा ‘स्वतंत्र सम्प्रभु गणतंत्र’ (Independent Sovereign Republic) की स्थापना की गई थी। इस नए गणतंत्र में सत्ता का स्रोत नागरिकों को होना था। इसको कार्यरूप देने के लिए संविधान निर्माताओं ने भारत में एकमुश्त वयस्क मताधिकार प्रदान किया। संविधान निर्माताओं ने भारत के लोगों पर ऐतिहासिक विश्वास व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि विश्व के किसी भी प्रजातंत्र में वहाँ के लोगों को एक बार में ही वयस्क मताधिकार प्राप्त नहीं हुआ।

प्रश्न 2.
धर्म-निरपेक्ष राज्य का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारतीय संविधान भारत में धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है। इसका अभिप्राय यह है कि राज्य किसी विशेष धर्म को न तो राज्य धर्म मानता है और न ही किसी विशेष धर्म को संरक्षण तथा समर्थन प्रदान करता है। इसी प्रकार राज्य किसी नागरिक के खिलाफ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकता। सभी भारतीयों को यह स्वतंत्रता है कि वे किसी भी धर्म को माने, अनुकरण करें अथवा उसका प्रचार-प्रसार करें, परंतु वे दूसरे के धर्म में बाधा पैदा नहीं कर सकते।

प्रश्न 3.
संविधान निर्माण के लिए बनाई प्रमुख समितियों के नाम लिखो।।
उत्तर:
संविधान सभा ने नए संविधान के विभिन्न पक्षों का विस्तार से परीक्षण करने के लिए अनेक समितियों की नियुक्ति की। इन समितियों में से सबसे पहले महत्त्वपूर्ण समितियाँ थीं-संघीय अधिकार समिति (Union Powers Committee), संघीय संविधान समिति (Union Constitution Committee), मौलिक अधिकार समिति (Fundamental Rights Committee), प्रांतीय अधिकार समिति (Provincial Powers Committee) तथा अल्पसंख्यकों के लिए सलाहकार समिति (The Advisory Committee to Minorities)। इन समितियों ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में काम करने के बाद अपने प्रतिवेदन (रिपोटी/सुझावों को संविधान सभा में प्रस्तुत किया।

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में जनता की प्रभुता की स्थापना की गई है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारतीय संविधान की एक विशेषता यह है कि जनता को प्रभुता का स्रोत स्वीकार किया गया है। संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि हम अब अंग्रेज़ी साम्राज्य के अधीन नहीं हैं अपितु प्रभुसत्ता जनता में निहित है। इस प्रस्तावना से यह स्पष्ट होता है कि संविधान की निर्माता भारतीय जनता है और जनता ही अपनी सरकार को अपने ऊपर राज्य करने के लिए सारी शक्तियाँ प्रदान करती है। इस प्रकार सत्ता का वास्तविक स्रोत जनता है।

दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संविधान निर्माण से तत्काल पहले के वर्ष भारत में बहुत ही उथल-पुथल भरे थे। जहाँ एक ओर यह समय लोगों की महान् आशाओं को पूरा करने का था, वही यह मोहभंग का समय भी था। भारत को स्वतंत्रता तो प्राप्त हो गई थी, परन्तु इसका विभाजन भी हो गया था जिससे भारत में भयावह समस्याएँ खड़ी हो गई थीं। संविधान सभा जब अपना कार्य कर रही थी तो उसके कार्य को इन समस्याओं ने भी प्रभावित किया। फिर हमें यह भी याद रखना चाहिए कि संविधान सभा की दोहरी भूमिका थी; एक ओर वह भारत का संविधान निर्माण करने में संलग्न थी, वहीं दूसरी ओर वह भारत की केंद्रीय असेम्बली के रूप में भी कार्य कर … रही थी। स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय पैदा हुई भारत की प्रमुख समस्याओं का विवरण निम्न प्रकार से है

1. विभाजन और सांप्रदायिक दंगे-विभाजन और उससे जुड़े विभिन्न पक्षों का अध्ययन हमने छठे अध्याय में किया है। यहाँ हम यह उल्लेख करना चाहेंगे कि स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय भारत के सम्मुख सबसे बड़ी समस्या देश के विभाजन से जुड़ी थी। इसी समस्या से भारत में अनेक विकराल समस्याएँ पैदा हुईं। कांग्रेस ने विभाजन इसलिए स्वीकार कर लिया था कि इसके बाद समस्याएँ समाप्त हो जाएंगी।

सांप्रदायिक दंगे समाप्त हो जाएंगे तथा देश में नवनिर्माण का दौर शुरू होगा। परन्तु जून योजना (विभाजन योजना) को स्वीकार करने के बाद अगस्त, 1947 में पंजाब में भयंकर दंगे शुरू हो गए। लूटपाट, आगजनी, जनसंहार, बलात्कार, औरतों को अगवा करना आदि भयावह दृश्य आम हो गए। पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। ये सांप्रदायिक दंगे अगस्त 1947 से अक्तूबर 1947 तक चलते रहे।

इस महाध्वंस में लगभग 10 लाख लोग मारे गए, 50,000 महिलाएँ अगवा कर ली गईं तथा लगभग 1 करोड़ 50 लाख लोग अपने घरों से उजाड़ दिए गए। इन सांप्रदायिक दंगों को शान्त करने और हिन्दुओं-मुसलमानों में सद्भावना कायम करने के लिए महात्मा गाँधी ने अदम्य साहस दिखाया। किन्तु गाँधीजी की नीतियों से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी, 1948 को गाँधीजी की हत्या कर दी, जिसने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया।

2. विस्थापितों की समस्या-विभाजन तथा उससे जुड़ी हिंसा के परिणामस्वरूप अपनी जड़ों से उखड़े हुए (Uprooted) लोगों की भयंकर समस्या उभरकर सामने आयी। जान-माल की सुरक्षा न होने के कारण 1 करोड़ 50 लाख हिंदुओं और सिक्खों को पाकिस्तान से तथा मुसलमानों को भारत से बेहद खराब हालात में देशांतरण करना पड़ा। बहुत कम समय (3 माह) में हुआ यह देशांतरण दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा देशांतरण था।

देश की आज़ादी के तुरंत बाद इतनी बड़ी संख्या में उजड़े लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। विभाजन से उन्हें उनकी अपनी संपत्ति, मकान, खेत, कारोबार आदि से वंचित होना पड़ा था। उनके परिवार व रिश्तेदार बिछुड़ गए थे या मारे गए थे। उनका सब कुछ छिन गया था। उनमें से अधिकतर लोगों को दंगों के कारण भयंकर दौर से गुजरना पड़ा था। अतः देश की सरकार के सम्मुख इतने बड़े समुदाय के लिए राहत और पुनर्वास की समस्या सबसे बड़ी थी।

3. भारतीय रियासतों की समस्या स्वतंत्र भारत की एकता को सबसे बड़ा खतरा भारतीय देशी रियासतों की स्थिति से उत्पन्न हुआ। इन रियासतों की संख्या लगभग 554 थी। 3 जून, 1947 को भारत के वायसराय ने यह घोषणा की कि 15 अगस्त, 1947 को देशी रियासतें अपने भाग्य का निर्णय स्वयं करेंगी अर्थात् वे भारत या पाकिस्तान दोनों में से किसी एक अधिराज्य में शामिल होंगी या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख सकेंगी। स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) तक सरदार पटेल और वी०पी० मेनन ने जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर शेष सभी राज्यों के शासकों को भारतीय संघ में विलय के लिए सहमत तथा बाध्य कर दिया था।

काठियावाड़ में स्थित जूनागढ़ के शासक के खिलाफ़ वहाँ की प्रजा ने बगावत कर दी थी। वह जूनागढ़ छोड़कर पाकिस्तान भाग गया था। उसका जनमत के आधार पर भारतीय संघ में विलय कर लिया गया। हैदराबाद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करनी पड़ी तथा कश्मीर की समस्या को लेकर भी भारत को पाकिस्तान से जूझना पड़ा। संविधान सभा की बैठकें इन समस्याओं की पृष्ठभूमि में हो रही थीं। भारत में जो कुछ इस समय घटित हो रहा था उससे संविधान सभा में होने वाली बहस और विचार-विमर्श भी अछूता नहीं था।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान का निर्माण एक ऐसी संविधान सभा के द्वारा किया गया जिसे सीमित मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के द्वारा चुना गया था। फिर यह संविधान भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में अपनाए गए मूल्यों तथा आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके निर्माण में राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख प्रावधानों का विश्लेषण करने से इसकी निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है

1. सबसे लम्बा संविधान-भारतीय संविधान की पहली विशेषता यह है कि इसे दुनिया के अनेक संविधानों का अध्ययन करने के बाद बनाया गया है। इसके 22 भाग हैं जिनमें 395 अनुच्छेद (धाराएँ) और 12 अनुसूचियाँ हैं। यह विश्व में सबसे लम्बा और विस्तृत संविधान है। इस संविधान के इतने बड़े होने के कई कारण बताए गए हैं। भारत एक विशाल राष्ट्र था जिसकी अपनी समस्याएँ थीं जो अंग्रेज़ी राज की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के कारण पैदा हो गई थीं।

संविधान निर्माताओं ने प्रत्येक समस्या को ध्यान में रखते हुए उसके समाधान के लिए नियम बनाए। संविधान में प्रत्येक ब्यौरा स्पष्ट किया गया। संघ की प्रणाली, मूल अधिकारों तथा नीति-निदेशक तत्त्वों, राजनीतिक संस्थाओं, जनजातियों, अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्गों की संस्थाओं तथा आपातकालीन उपबन्धों को विस्तार से स्पष्ट करना पड़ा। इस कारण से यह संविधान भीमकाय बन गया।

2. जन प्रभुता की स्थापना-भारतीय संविधान की एक विशेषता यह है कि जनता को प्रभुता का स्रोत स्वीकार किया गया है। संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि हम अब अंग्रेज़ी साम्राज्य के अधीन नहीं है अपितु प्रभुसत्ता जनता में निहित है। प्रस्तावना में कहा गया है कि “हम भारत के लोग …… इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।” इस प्रस्तावना से यह स्पष्ट होता है कि संविधान की निर्माता भारतीय जनता है और जनता ही अपनी सरकार को अपने ऊपर राज्य करने के लिए सारी शक्तियाँ प्रदान करती है। इस प्रकार सत्ता का वास्तविक स्रोत जनता है। इस प्रकार संविधान में सही रूप में जनतन्त्र की स्थापना की गई है।

3. भारतीय संघ की स्थापना-भारतीय संविधान के भाग (i) में अनुच्छेद 1 से 4 द्वारा भारतीय संघ की स्थापना की गई है। इसमें साफ लिखा है कि इण्डिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ (Union of States) होगा। संविधान में इसके लिए शक्तियों का बँटवारा केन्द्र तथा राज्यों में किया गया है। संघीय संविधान समिति की रिपोर्ट में विभाजन के बाद हुए भारतीय राजनीतिक परिवर्तन को देखते हुए संघीय व्यवस्था में मजबूत केन्द्रीय शासन का प्रस्ताव रखा। देशी रियासतों ने संघीय व्यवस्था की स्थापना में काफी कठिनाई पैदा की। परन्तु देशी रियासतों के एकीकरण (Integration) के साथ इन देशी रियासतों को भारतीय संघ में भाग 2 और भाग 3 के राज्यों के रूप में विलय कर लिया गया।

4. संसदीय शासन-व्यवस्था (Parliamentry System of Government)-भारत में सरकार की संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया। संविधान के भाग 5 में संघीय सरकार के ढाँचे का वृत्तान्त दिया गया तथा भाग 6 में राज्यों में सरकार के गठन की प्रक्रिया का वर्णन है। इन व्यवस्थाओं के अनुसार केन्द्र तथा प्रान्तों में संसदीय शासन प्रणाली को स्वीकार किया गया। संघीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति की व्यवस्था की गई है जिसका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व की अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा पाँच साल के लिए किया जाता है। केन्द्र में राष्ट्रपति सवैधानिक मुखिया मात्र है।

वास्तविक कार्यपालिका की शक्ति प्रधानमंत्री तथा मन्त्रिमण्डल में निहित है। मन्त्रिमण्डल को संसद के निम्न सदन के प्रति उत्तरदायी बनाया गया। इसी प्रकार राज्य में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त गवर्नर नाममात्र का मुखिया होता है। वास्तविक शक्ति मुख्यमन्त्री और उसकी मंत्रि-परिषद् में होती है। केन्द्र में प्रधानमन्त्री तथा राज्य में मुख्यमन्त्री सदन में बहुमत वाले दल का नेता होता है। प्रधानमन्त्री या मुख्यमन्त्री तभी तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक उन्हें सदन का विश्वास प्राप्त हो। इस प्रकार कार्यपालिका पर भी जनता द्वारा चुनी हुई लोकसभा अथवा विधानसभा का नियन्त्रण होता है, क्योंकि कार्यपालिका इन चुने हुए सदनों के प्रति उत्तरदायी होती है।

5. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)-राष्ट्रीय संविधान सभा ने मूल अधिकारों के परीक्षण तथा सुझाव प्रस्तुत करने के लिए एक अलग से मूलाधिकार समिति (Fundamental Rights Committee) बनाई। संविधान सभा ने काफी विचार-विमर्श के बाद नागरिकों के मूल अधिकारों तथा उनकी रक्षा की भी व्यवस्था की। संविधान के भाग तीन (अनुच्छेद 12-35) में नागरिकों के मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है। मौलिक अधिकारों को छः वर्गों में बाँटा गया है

  • समता का अधिकार (Right to Equality) (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतन्त्रता का अधिकार (Right to Freedom) (अनुच्छेद 19)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation) (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म स्वतन्त्रता का अधिकार (Right to Freedom of Religion) (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार (Cultural and Educational Rights) (अनुच्छेद 29-30)
  • सम्पत्ति का अधिकार (Right to Prosperity)

संविधान में मूल अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों को संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies) भी प्रदान किया गया है। इस अधिकार के अनुसार कोई भी व्यक्ति मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। न्यायालय व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करने में सक्षम है, परन्तु संसद तथा सरकार कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे आपातकाल में इन अधिकारों को निलम्बित तथा सीमित कर सकती है।

6. राज्य नीति के निदेशक तत्त्व (Directive Principles of State)-संविधान में राज्य नीति के निदेशक तत्त्वों का विवरण दिया गया है। यद्यपि ये सिद्धान्त किसी न्यायालय द्वारा लागू नहीं करवाए जा सकते हैं, परन्तु फिर भी इन निदेशक तत्त्वों को देश के प्रशासन के लिए बहुत आवश्यक माना गया है। यह अपेक्षा की जाती है कि सभी विधानमण्डलों के लिए जरूरी है कि वे कानून बनाते समय इन सिद्धान्तों को सम्मुख रखेंगे। संविधान के नीति निदेशक तत्त्वों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है

(i) वे तत्त्व जिनका उद्देश्य नए समाज की रचना के लिए कल्याणकारी राज्य को बढ़ावा देना था।

(ii) वे तत्त्व जिनका उद्देश्य गाँधी जी के सिद्धान्तों को प्रोत्साहन देना; जैसे ग्राम पंचायतों का गठन, कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन, अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ों के आर्थिक हितों की रक्षा तथा सुधार, मादक द्रव्यों पर नियन्त्रण आदि है।

(iii) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा को प्रोत्साहन देने वाले तत्त्व जिनमें कहा गया कि राज्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को प्रोत्साहन दे, राष्ट्रों के बीच न्यायोचित तथा सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखे, अन्तर्राष्ट्रीय कानून और सन्धियों को स्वीकार करे तथा झगड़ों को बातचीत से सुलझाने के प्रयत्न करे।

7. स्वतन्त्र न्यायपालिका (Independent Judiciary) भारतीय संविधान निर्माताओं ने देश में एक स्वतन्त्र न्यायपालिका तथा अन्य स्वतन्त्र संस्थाओं की स्थापना की जिन पर कार्यपालिका का कम-से-कम हस्तक्षेप था। संविधान में संघीय न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के गठन, शक्तियों आदि का वर्णन दिया गया है। न्यायाधीशों की योग्यता, नियुक्ति का ढंग तथा वेतन संविधान में ही तय कर दिए गए ताकि वे सरकार या पार्लियामेन्ट के अनुचित दबाव से बच सकें। न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग रखने की कोशिश की गई है। सारे देश में एक जैसे दीवानी और फौजदारी कानून भी स्थापित किए गए हैं।

8. संकटकालीन उपबन्धों का समावेश (Inclusion of Emergency Provisions)-भारतीय संविधान में देश में आपात्कालीन ते की शक्तियों का उल्लेख किया गया है। संविधान में तीन प्रकार की आपात स्थिति के उपबन्धों का समावेश किया गया है-आपात्काल की घोषणा, संवैधानिक व्यवस्था ठप्प होने सम्बन्धी घोषणा तथा वित्तीय आपात् की घोषणा। संवैधानिक व्यवस्था ठप्प होने सम्बन्धी घोषणा अधिकतर राज्य सरकारों से संबंधित है। इसमें राज्य के गवर्नर द्वारा राष्ट्रपति से राष्ट्रपति शासन लागू करने की बात कही गई है, परन्तु साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति आपात् स्थिति संबंधी उद्घोषणा को यथाशीघ्र संसद से अनुमोदित करवाएगा।

9. कठोरता तथा लचीलेपन का मिश्रण (Blend of Rigidity and Flexibility)-भारतीय संविधान कठोरता तथा लचीलेपन का एक अपूर्व मिश्रण लिए हुए है। यह न तो इंग्लैण्ड के संविधान के समान लचीला है और न ही उतना कठोर है जितना अमेरिका का संविधान। संविधान निर्माता संविधान को इतना कठोर भी नहीं बनाना चाहते थे कि आवश्यकता पड़ने पर इसे बदला ही नहीं जा सके और न ही इतना लचीला बनाना चाहते थे कि सत्ताधारी दल इसे खिलौना समझकर अपने हितों की सिद्धि के लिए बार-बार इसमें परिवर्तन करता रहे। हमारे संविधान की बहुत-सी धाराएँ ऐसी हैं जिन्हें आसानी से बदला नहीं जा सकता।

इनके संशोधन के लिए न केवल संसद के बहुमत का होना आवश्यक है अपितु उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों को दो-तिहाई संशोधन के पक्ष में होना जरूरी है तथा राज्य विधानसभाओं की कम-से-कम आधी संख्या उसे अनुमोदित करे। परन्तु साथ ही संविधान इतना भी कठोर नहीं है कि इसमें संशोधन ही न किया जा सके। उदाहरण के लिए इसमें कई धाराएँ ऐसी हैं जिन्हें साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है।

10. वयस्क मताधिकार-भारत में संविधान के द्वारा ‘स्वतंत्र सम्प्रभु गणतंत्र’ (Independent Sovereign Republic) की स्थापना की गई थी। इस नए गणतंत्र में सत्ता का स्रोत नागरिकों को होना था। इसको कार्यरूप देने के लिए संविधान निर्माताओं मताधिकार प्रदान किया। इस पर संविधान सभा में काफी हद तक सहमति थी। संविधान निर्माताओं ने भारत के लोगों पर ऐतिहासिक विश्वास व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि विश्व के किसी भी प्रजातंत्र में वहाँ के लोगों को एक बार में ही वयस्क मताधिकार प्राप्त नहीं हुआ। ब्रिटेन व अमेरिका जैसे देशों में भी प्रारंभ से मताधिकार के लिए संपत्ति अधिकार की शर्ते आयद थीं।

11. धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना (Foundation of Secular State) भारतीय संविधान भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है। इसका अभिप्राय यह है कि राज्य किसी विशेष धर्म को न तो राज्य धर्म मानता है और न ही किसी विशेष धर्म को संरक्षण तथा समर्थन प्रदान करता है। इसी प्रकार राज्य किसी नागरिक के खिलाफ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकता। सभी भारतीयों को यह स्वतन्त्रता है कि वे किसी भी धर्म को माने, अनुकरण करें अथवा उसका प्रचार-प्रसार करें, परन्तु . वे दूसरे के धर्म में बाधा पैदा नहीं कर सकते। संविधान में सभी को समान स्वतन्त्रता और समान अवसर प्राप्त हैं। किसी भी धर्म का व्यक्ति भारत के बड़े-से-बड़े पद पर आसीन हो सकता है।

परन्तु इसका यह अर्थ भी नहीं है कि राज्य नास्तिक है या धर्म-विरोधी है, अपितु वह धर्म के विषय में धर्म-निरपेक्ष है। धर्म निरपेक्षता का अर्थ केवल धार्मिक सहनशीलता ही है। वेंकटारमन के अनुसार, “भारतीय राज्य न तो धार्मिक है न अधार्मिक है और न ही धर्म विरोधी, किन्तु यह धार्मिक संकीर्णताओं तथा वृत्तियों से बिल्कुल दूर है और धार्मिक मामलों में तटस्थ है।”

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