HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 नागरिकता

Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 नागरिकता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 नागरिकता

HBSE 11th Class Political Science नागरिकता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिकता में अधिकार और दायित्व दोनों शामिल हैं। समकालीन लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिक किन अधिकारों के उपभोग की अपेक्षा कर सकते हैं? नागरिकों के राज्य और अन्य नागरिकों के प्रति क्या दायित्व हैं?
उत्तर:
जैसा कि हम जानते हैं कि राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिक में अधिकार और दायित्व दोनों सम्मिलित हैं। समकालीन लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिक जिन अधिकारों के उपयोग की अपेक्षा कर सकते हैं, उन्हें निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं

  • अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार
  • अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म की पालना एवं अपनाने का अधिकार
  • शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार
  • समानता का अधिकार
  • आवास का अधिकार
  • अपनी भाषा और संस्कृति के शिक्षण के लिए संस्थाएँ बनाने का अधिकार
  • न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करने का अधिकार
  • जीवकोपार्जन का अधिकार
  • मतदान देने का अधिकार
  • सूचना प्राप्त करने का अधिकार
  • घूमने-फिरने का अधिकार

यद्यपि आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में अधिकारों की सूची में निरन्तर वृद्धि हो रही है। कुछ अधिकारों को मूल अधिकारों के रूप में मान्यता मिलती है और उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। शेष अधिकारों को सरकार परिस्थितियों के अनुसार मान्यता प्रदान करती है। नागरिकों के राज्य तथा अन्य नागरिकों के प्रति दायित्व भी होते हैं जिन्हें निम्नलिखित रूप में व्यक्त कर सकते हैं—

(1) नागरिकों के रूप में हमारा कर्तव्य है कि राज्य द्वारा निर्मित कानूनों का पालन करें तथा देश और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने में राज्य का पूरा सहयोग करें।

(2) हमें केवल अपने निजी हितों एवं आवश्यकताओं को ही नहीं सोचना चाहिए, बल्कि कुछ ऐसी चीजों की भी रक्षा करनी चाहिए, जो हम सबके लिए लाभप्रद हैं; जैसे वायु और जल प्रदूषण कम-से-कम करना, नए वृक्ष लगाकर और जंगलों की कटाई रोककर हरियाली बरकरार रखना ताकि पर्यावरण की रक्षा की जा सके।

(3) अन्य नागरिकों के प्रति भी हमारे कुछ दायित्व हैं। हमें अन्य लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान करना चाहिए तभी सभी को अधिकार प्राप्त होंगे।

(4) हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे देश की भावना आहत हो। हमारा हर कदम देशहित में बहुत सतर्कतापूर्ण और उचित स्वरूप का होना चाहिए।

HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 2.
सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से न कर सकें। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन पूर्णत: सही है। इस बात की पूरी संभावना है कि समान अधिकारों से युक्त नागरिक इन अधिकारों का प्रयोग आपस में समानता से नहीं करें। हमारे समाज में अमीर और गरीब दोनों वर्गों के लोग रहते हैं; जैसे मतदान करने एवं चुनाव लड़ने का अधिकार अमीर-गरीब सभी को संविधान के अनुसार समान रूप से दिया गया है, परन्तु क्या व्यवहार में गरीब व्यक्ति अमीर के समक्ष कभी चुनाव जीतने की हिम्मत जुटा सकता है?

इसी तरह क्या गरीब व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है? भारत में प्रायः चुनावों के समय हम प्रत्यक्ष रूप से यह सब देखते हैं। हाँ, यदि मताधिकार एवं चुनाव लड़ने के अधिकार का प्रयोग पूर्ण स्वतंत्रता, भयरहित एवं योग्यता के आधार पर किया जाए तो लोकतन्त्र वास्तव में अभिजन का नहीं, बल्कि आम जनता का शासन बन सकता है।

प्रश्न 3.
भारत में नागरिक अधिकारों के लिए हाल के वर्षों में किए गए किन्हीं दो संघर्षों पर टिप्पणी लिखिए। इन संघर्षों में किन अधिकारों की माँग की गई थी?
उत्तर:
वर्तमान नागरिकों को प्राप्त अधिकारों के पीछे आम जनता के द्वारा शक्तिशाली निरंकुश शासकों के विरुद्ध किए गए निरन्तर संघर्ष के परिणाम हैं। भारत में भी नागरिक अधिकारों के लिए अनेक संघर्ष एवं आन्दोलन हुए हैं जिनमें से दो प्रमुख आंदोलनों का उल्लेख संक्षेप में निम्नलिखित प्रकार से है

1. महिला आन्दोलन महिला आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य अपनी जरूरतों की ओर ध्यान आकृष्ट कर जनमत में परिवर्तन करना तथा साथ ही समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए सरकारी नीतियों को प्रभावित करना है। आज हर क्षेत्र में वे काफी सक्रिय हैं। लेकिन आज भी वे शोषण से वंचित नहीं हैं। उन्हें पुरुषों जैसा दर्जा नहीं दिया गया है।

उनके साथ मजदूरी में भी असमानता बरती जाती है। और तो और, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व पुरुषों की अपेक्षा बहुत ही कम है। आज की जागरूक महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति काफी सतर्क हैं। वे सरकार में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाने की माँग कर रही हैं।

2. दलित आंदोलन-भारत में दलितों का शोषण प्राचीन समय से ही होता आ रहा है। आज भी उनकी स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हुआ। उन्होंने स्वयं को देश-समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण की माँग की। इसके लिए उन्होंने संघर्ष किया। ‘मंडल आयोग’ के प्रावधान के अंतर्गत उनका संघर्ष बढ़ा। दलित अपने लिए समान सामाजिक और आर्थिक अधिकार भी चाहते हैं। क्योंकि जब तक उन्हें ये अधिकार नहीं दिए जाएँगे तब तक उनके राजनीतिक अधिकार का कोई अर्थ नहीं है।

प्रश्न 4.
शरणार्थियों की समस्याएँ क्या हैं? वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार उनकी सहायता कर सकती है?
उत्तर:
शरणार्थी उन लोगों को कहा जाता है जो यद्ध, उत्पीडन, अकाल या अन्य कारणों से विस्थापित होते हैं। अगर कोई देश उन्हें स्वीकार करने को राजी नहीं होता और वे घर नहीं लौट सकते तो वे राज्यविहीन या शरणार्थी हो जाते हैं। जो प्रायः शिविरों में या अवैध प्रवासी के रूप में पड़ोसी देश में रहने को मजबूर होते हैं।

यद्यपि वे कानूनी तौर पर काम नहीं कर सकते या अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा नहीं सकते या संपत्ति अर्जित नहीं कर सकते। क्योंकि ऐसे लोगों को कोई राष्ट्र अधिकारों की गारंटी नहीं देता। ऐसी स्थिति में वे आमतौर पर असुरक्षित हालत में जीवनयापन करने को मजबूर होते हैं। वैश्विक नागरिकता की अवधारणा ऐसे शरणार्थियों के लिए सहायक हो सकती है।

जिस विश्व में हम रह रहे हैं, वह आपस में जुड़ा हुआ है। आज कोई भी देश दूर नहीं है। विश्व नागरिकता की अवधारणा अपनाकर राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर की उन समस्याओं का मुकाबला आसानी से किया जा सकता है जिसमें कई देशों की सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्रवाई जरूरी होती है; जैसे इससे प्रवासी और राज्यहीन लोगों (शरणार्थी) की समस्या का सर्वमान्य समाधान पाना आसान हो सकता है या कम-से-कम उनके बुनियादी अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है चाहे वे जिस किसी देश में रहते हों।

प्रश्न 5.
देश के अंदर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन का आमतौर पर स्थानीय लोग विरोध करते हैं। प्रवासी लोग स्थानीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
अधिक संख्या में रोजगार बाहर के लोगों के हाथ में जाने के खिलाफ अकसर स्थानीय लोगों में प्रतिरोध की भावना पैदा हो जाती है। कुछ नौकरियों या कामों को राज्य के मूल निवासियों या स्थानीय भाषा को जानने वाले लोगों तक सीमित रखने की माँग उठती है लेकिन इसके अतिरिक्त प्रवासी लोग अपने श्रम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान भी देते हैं।

अन्य देशों के बीच ये फेरीवाले, छोटे व्यापारी, सफाई कर्मचारी या घरेलू नौकर, नल ठीक करने वाले या मिस्त्री होते हैं । झोपड़पट्टियों में रहने लोग बेंत बुनाई या कपड़ा रंगाई-छपाई या सिलाई जैसे छोटे कारोबार चलाते हैं। अपने ऐसे कार्यों से प्रवासी लोग अपने जीवनयापन के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।

HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 6.
भारत जैसे समान नागरिकता देने वाले देशों में भी लोकतांत्रिक नागरिकता एक पूर्ण स्थापित तथ्य नहीं वरन एक परियोजना है। नागरिकता से जुड़े उन मुद्दों की चर्चा कीजिए जो आजकल भारत में उठाए जा रहे हैं?
उत्तर:
नागरिकता से जुड़े मुद्दे जो आजकल भारत में उठाए जा रहे हैं, वे निम्नलिखित हैं
(1) सभी नागरिकों को, चाहे वे अमीर या गरीब हों, कुछ बुनियादी अधिकार और न्यूनतम जीवन स्तर रोटी-कपड़ा और मकान आदि को गारंटी मिलनी ही चाहिए।

(2) झोपड़पट्टियों के निवासियों को सफाई, जलापूर्ति एवं बिजली जैसी सुविधाएं मुहैया होनी चाहिए, क्योंकि ये लोग अपने श्रम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

(3) शहरी गरीबों की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में सरकार का साथ स्वयंसेवी संगठन दे रहे हैं। फलस्वरूप फुटपाथी दुकानदारों के हितों की रक्षा के लिए सन् 2004 में उन्हें मान्यता और नियमन प्रदान किया गया।

(4) बढ़ती आबादी, जमीन और संसाधनों की कमी के दबाव के कारण आदिवासी और वनवासी लोगों की जीवन-पद्धति और आजीविका संकट में है। इन लोगों के रहवास की सुरक्षा भी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।

(5) भारत में लम्बे समय से पड़ोसी देशों-पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, जैन, पारसी आदि अल्पसंख्यक, शारीरिक एवं मानसिक शोषण के शिकार लोगों को नागरिकता एवं अधिकार प्रदान करने का मुद्दा भी समय-समय पर उठता रहा है जिसके दृष्टिगत सरकार द्वारा दिसम्बर, 2019 में संवैधानिक संशोधन कर ऐसे अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने एवं उन्हें जीवनयापन के लिए अन्यों के समान अधिकार प्रदान करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया है जो भारत की धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप है।

नागरिकता HBSE 11th Class Political Science Notes

→ नागरिकता नागरिक की वह विशेषता है जो उसे उसके राज्य से सम्बन्धित करती है।

→ आदर्श नागरिकता आदर्श राज्य के लिए एक वरदान है। आदर्श नागरिकता स्नेह, सहयोग, त्याग तथा कर्त्तव्य पालन का दूसरा नाम है।

→ एक देश का विकास और उन्नति इस तथ्य पर निर्भर करती है कि उस देश के नागरिक किस सीमा तक बुद्धिमान्, चरित्रवान् और कर्त्तव्य-परायण हैं।

→ नागरिकता जहाँ राष्ट्र-प्रेम की भावना उत्पन्न करती है, वहाँ अन्तर्राष्ट्रवाद की भावना पर भी बल देती है।

→ एक आदर्श नागरिक अपने देश के लिए ही नहीं वरन् विश्व के लिए भी गौरव का पात्र है। प्रस्तुत अध्याय में हम नागरिक और नागरिकता से सम्बन्धित बातों का अध्ययन करेंगे।

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