Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 2 मात्रक और मापन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 2 मात्रक और मापन
प्रश्न 2.1.
रिक्त स्थान भरिए:
(a) किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन …………….. m3 के बराबर है।
उत्तर:
106
[संकेत: घन की भुजा L = 1 cm = \(\frac{1}{100}\) m = 10-2 m
घन का आयतन L3 = (102m)3 = 106 m3]
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलेण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल (mm)2 के बराबर है।
उत्तर:
15 x 104
[संकेत: सिलेण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल
= 2πr (r + h)
यहाँ,
त्रिज्या r=2cm
ऊंचाई h = 10cm
= 2 × 3.14 × 2 (2 + 10)
= 12.56 × 12
= 150.72 cm2
= 1.5 × 104 mm2
[दो अंकों तक पूर्णांकित करने पर]
(c) कोई गाड़ी 18 km/h की चाल से चल रही है तो वह 1 s में …………….. m चलती है।
उत्तर:
[संकेत:
दूरी = चाल x समय
= 5 × 1 = 5m
क्योंकि
चाल = 18 km/h
= \(\frac{18 \times 1000}{3600}\) m/s = 5m/s
और
समय = 1 (सेकण्ड)]
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व ………….. g.cm-3……………. kg m-3 है।
उत्तर:
11.3, 11.3 x 10-3
[संकेत : सीसे का घनत्व
= आपेक्षिक घनत्व x जल का घनत्व
= 11.3 x 1 = 11.3 g cm-3
(∵ जल का घनत्व = gm cm-3)
= 11.3 x \(\frac{10^{-3}}{\left(10^{-2}\right)^3}\) kg m-3
= 11.3 × 103 kgm-3
प्रश्न 2.2.
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए:
(a) 1 kgm2s-2 = ……………… gcm2S-2
(b) 1 m = ……………… ly
(c) 3.0 ms-2 = ………….. km h-2
(d) G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
(a) 107
(b) 1.06 x 1016
(c) 3.9 × 10-4
(d) 667 x 10-8
[संकेत: (a) 1 kg m2 s-2
= 1000 gx (100 cm)2 x 1s-2
= 107 g cm2 s-2
(b) 1 ly = 9.46 x 1015 m
1 m = \(\frac{1}{9.46 \times 10^{15}}\)
= 1.06 × 10-16 ly
(c) 3.0 ms-2 = \(\frac{3.0}{1000}\) km x (60 x 60)2 h-2
= 3.9 × 104 km h-2
(d) G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
(∵ IN = 1kg m/s2)
= 6.67 × 10-11 1 x m2 kg-2
= 6.67 x 10-11 m3 s-2 kg-1
= 6.67 × 10-11 x (100)3 cm3 s-2 x \(\left(\frac{1}{1000}\right)\) g-1
= 6.67 x 108 cm3 s-2 g-1
प्रश्न 2.3.
ऊष्मा (परागमन में ऊर्जा) का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2 J के बराबर है, जहाँ 1J = 1kgm2 s-2। मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपप्रयोग करते हैं, जिसमें द्रव्यमान का मात्रक α kg के बराबर है, लम्बाई का मात्रक βm के बराबर है। समय का मात्रक γ s के बराबर है तो यह प्रदर्शित कीजिए कि नये मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β-2 γ2 है।
उत्तर:
1 cal = 4.2 J = 4.2 kg m2 s-2
ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2 T -2]
यहाँ
m2 =α kg, L2 = βm, T2 = γs
सूत्र:
n1u1 = n2u2
n2 = n1
= 4.2 \(\left[\frac{\mathrm{M}_1}{\mathrm{M}_2}\right]^1 \) \(\left[\frac{\mathrm{L}_1}{\mathrm{L}_2}\right]^1 \) \(\left[\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{T}_2}\right]^1 \)
= 4.2 \(\left[\frac{1 \mathrm{~kg}}{\alpha \mathrm{kg}}\right]^1\) \(\left[\frac{1 \mathrm{~m}}{\beta \mathrm{m}}\right]^2\) \(\left[\frac{1 s}{\gamma s}\right]^{-2}\)
= 4.2 α-1 β-2 γ2
1 cal = 4.2 α-1 β-2 γ2
यही सिद्ध करना है
प्रश्न 2.4.
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए तुलना के मात्रक का विशेष उल्लेख किये बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा’ या ‘छोटा’ कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिये गये कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए:
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
किसी विमीय राशि को छोटा या बड़ा तुलना के आधार पर ही कहा जा सकता है। जैसे हम कह सकते हैं कि टेनिस की गेंद फुटबाल से छोटी होती है परन्तु कंचे की गोली की तुलना में बड़ी है।
(a) बाजरे के दाने की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड हैं।
(b) जेट वायुयान, कार की तुलना में अत्यधिक तेज चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत अधिक है।
(d) कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या 1 ग्राम गैस में उपस्थित अणुओं की संख्या से बहुत अधिक है।
(e) व (1) में तुलना पाठ्य पुस्तक में दी गयी है।
प्रश्न 2.5.
लम्बाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है, जिसके अनुसार निर्वात् में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नये मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20s लगाता है।
उत्तर:
समय t = 8 min 20s = 8 x 60 + 20 = 500s
∴ सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी
= चाल x समय
= 1 x 500 = 500 मात्रक
प्रश्न 2.6.
लम्बाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यन्त्र है:
(a) एक वर्नियर कैलिपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अन्तराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं।
(c) कोई प्रकाशिक यन्त्र जो प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की सीमा के अन्दर लम्बाई माप सकता है।
उत्तर:
(a) यहाँ वर्नियर कैलिपर्स का अल्पतमांक
= \(\frac{0.1}{20}\)
= 0.005 cm
(b) स्क्रूगेज का अल्पतमांक
= \(\frac{0.1}{100}\)
= 0.001 cm
(c) प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कोटि = 10-7 m
= 10-5 cm
अत: (a), (b) तथा (c) से स्पष्ट है कि प्रकाशिक यन्त्र की अल्पतमांक सबसे कम है। अतः यह सर्वाधिक परिशुद्ध यन्त्र है।
प्रश्न 2.7.
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
उत्तर:
सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन
अतः बाल की मोटाई का अनुमान = 0.035mm
प्रश्न 2.8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगायेंगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अन्तराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना सम्भव है?
(c) वर्नियर कैलिपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की सम्भावना क्यों है?
उत्तर:
(a) सर्वप्रथम एक मीटर पैमाना लेंगे, उसके ऊपर धागे को इस प्रकार लपेटेंगे कि एक-दूसरे से सटे रहें। फेरों की संख्या l तब पैमाने की लम्बाई को नाप लेते हैं।
∴ धागे का व्यास =
इस सूत्र द्वारा धागे का व्यास ज्ञात कर लेते हैं।
(b) ∵ स्क्रूगेज का अल्पतमांक
सूत्र से स्पष्ट है कि वृत्तीय पैमाने पर कुल भाग बढ़ाने पर अल्पतमाांक कम होगा। अतः यथार्थता बढ़ेगी परन्तु व्यावहारिकता में आँखों की विभेदन क्षमता के कारण पाठ्यांक लेना कठिन होगा।
(c) ∵ प्रेक्षणों की संख्या 5 गुना करने पर त्रुटि \(\frac{1}{n}\) रह जाती है।
अतः 5 मापन से 100 मापन करने पर 20 गुना प्रेक्षण बढ़ने से त्रुटि \(\frac{1}{20}\) रह जायेगी। अतः विश्वसनीयता बढ़ जायेगी।
प्रश्न 2.9.
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm2 क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित पर्दा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है?
उत्तर:
स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 cm2
स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल = 1.55m2
प्रश्न 2.10.
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए:
(a) 0.007m2
(b) 2.64 × 1024 kg
(c) 0.2370g cm-3
(d) 6.320 J
(e) 6.032Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
( a ) 1
(b) 3
(c) 4
(d) 4
(e) 4
(f) 4
प्रश्न 2.11.
धातु की किसी आयताकार शीट की लम्बाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4.234m 1.005m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
लम्बाई L = 4.234m, चौड़ाई B = 1.005m मोटाई W = 2.01 cm = 0.0201 m
∴ शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2 x (LB + BW + WL )
= 2 [4.234 x 1.005 + 1.005 x 0.0201 + 0.0201 × 4.234] m2
= [4.25517 + 0.0202005 + 0.0851034] m2
= 2 x 4.3604739m2
= 8.7209478 m2 = 8.72 m2
(∵ मोटाई में अधिकतम सार्थक अंक तीन हैं अतः 3 अंकों तक पूर्णाकित करने पर)
आयतन = L x B x W
= 4.234 ×1.005 × 0.0201m3
=0.08552
= 0.0855 m3
(अधिकतम तीन अंकों तक पूर्णाकित करने पर)
प्रश्न 2.12.
पंसारी की तुला द्वारा मापे गये डिब्बे का द्रव्यमान 2.30 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनके द्रव्यमान क्रमशः 20.15 g व 20.17g हैं, डिब्बे में रखे जाते हैं।
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है?
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमान में कितना अन्तर है?
उत्तर:
डिब्बे का द्रव्यमान = 2.300kg
पहले टुकड़े का द्रव्यमान 20.15g = 0.02015 kg
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान = 20.17g = 0.02017 kg
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
= 2.300 + 0.02015 + 0.02017
= 2.34032 kg
डिब्बे के द्रव्यमान में सबसे कम दशमलव के पश्चात् तीन अंक हैं। अतः तीन अंकों तक पूर्णांकित करने पर कुल द्रव्यमान = 2.340 kg
(b) ∵ सोने के टुकड़ों के द्रव्यमान में दशमलव के पश्चात् दो अंक हैं। अतः अन्तर में भी दशमलव के पश्चात् दो ही अंक तक पूर्णांकित करेंगे।
∴ टुकड़ों के द्रव्यमानों का अन्तर
= (20.17 – 20.15) g
= 0.02g
प्रश्न 2.13.
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण योग्य राशियों a, b, c तथा से निम्न प्रकार सम्बन्धित है:
P = \(\frac{a^3 b^2}{\sqrt{c} d}\)
ab, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%, 4% तथा 2% हैं। राशि में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त सम्बन्ध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3.763 आता है तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
उत्तर:
P = \(\frac{a^3 b^2}{\sqrt{c} d}\)
∴ P के मान में प्रतिशत त्रुटि
= \(\frac{\Delta P \times 100}{P}\)
= 3 x \(\frac{\Delta a}{a}\) x 100% + 2 x \(\frac{\Delta b}{b}\) x 100% + \(\frac{1}{2}\) \(\frac{\Delta c}{c}\) × 100% + \(\frac{\Delta d}{d}\) x 100%
= 3 x 1% + 2 x 3% + \(\frac{1}{2}\) × 4% + 2%
= 13%
P का परिकलित मान 3.763
∵ P की % त्रुटि में दो सार्थक अंक हैं। अतः इसे दो अंकों तक पूर्णांकित करने पर P का निकटतम मान = 3.8
प्रश्न 2.14.
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं, आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिये गये हैं:
(a) y = a sin \(\frac{2 \pi t}{T}\)
(b) y = asin vt
(c) y = \(\left(\frac{a}{T}\right) sin \frac{t}{a}\)
(d) y = (a√2) (sin 2πtT + cos 2πt / T)
( a = कण का अधिकतम विस्थापन, कण की चाल, 7 = गति का आवर्तकाल ) विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
∵ कोण विमाहीन राशि है। अतः इस आधार पर
अतः (ii) व (iii) दोनों गलत हैं।
प्रश्न 2.15.
भौतिकी का एक प्रसिद्ध सम्बंध किसी कण के ‘चल द्रव्यमान (moving mass) ‘ m ‘विराम द्रव्यमान (rest mass) ‘ mo इसकी चाल और प्रकाश की चाल के बीच है । (यह सम्बन्ध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टीन के विशेष आपेक्षिकता सिद्धान्त के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस सम्बन्ध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है:
m = \(\frac{m_0}{\left(1-v^2\right)^{1 / 2}}\)
अनुमान लगाइए कि कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया गया सम्बन्ध है:
m = \(\frac{m_0}{\left(1-v^2\right)^{1 / 2}}\)
या
(1 – v2)1/2 = Mo/m
इस सम्बन्ध का दायाँ पक्ष विमाहीन है। अतः L. H.S. भी विमाहीन होना चाहिए।
∴ (1 – v2)1/2 = [ M°L°T° ]
∵ L.H.S. में 1 तो विमाहीन है परन्तु v2 को विमाहीन करने के लिए v2 में c2 का भाग देने पर \(\frac{v^2}{c^2}\) विमाहीन राशि प्राप्त होगी।
अतः
सही सूत्र m = \(\frac{m_0}{\left(1-\frac{v^2}{c^2}\right)^{1 / 2}}\)
प्रश्न 2.16.
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक एंग्स्ट्रॉम है और इसे A ( 1A = 10-10m) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.54 है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m’ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन अणु की त्रिज्या
r = 0.5 A = 0.5 × 10-10 m
हाइड्रोजन का अध्ययन
\(\frac{4}{3}\) πr3 = \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (0.5 × 10-10)3
= 5.23 × 10-311 m3
1 मोल हाइड्रोजन गैस में अणुओं की संख्या = 6.023 x 1023 होती है।
∵ 1 मोल गैस का आण्विक आयतन
= अणुओं की संख्या x एक अणु का आयतन
= 6,023 × 1023 x 5.23 x 10-31
= 3.15 × 107 m3
प्रश्न 2.17.
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक ) मानक ताप व दाब पर 22.4 L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग 1 A मानिए)। यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
1 मोल हाइड्रोजन गैस का आयतन
= 22.4 L = 22.4 × 10-3 m3
हाइड्रोजन अणु की त्रिज्या
r = 0.5 A = 0.5 × 10-10 m
हाइड्रोजन का अध्ययन
\(\frac{4}{3}\) πr3 = \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (0.5 × 10-10)3
= 5.23 × 10-311 m3
1 मोल हाइड्रोजन गैस में अणुओं की संख्या = 6.023 x 1023 होती है।
∵ 1 मोल गैस का आण्विक आयतन
= अणुओं की संख्या x एक अणु का आयतन
= 6,023 × 1023 x 5.23 x 10-31
= 3.15 × 107 m3
1 मोल हाइड्रोजन गैस आण्विक आयतन = 3.15 × 107 m3
∴ अभीष्ट अनुपात 7.11 x 104 : 1
इसका मान अधिक इसलिए है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है। इसका अर्थ है कि गैस के अणुओं के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है।
प्रश्न 2.18.
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए:
यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति के विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं।)
उत्तर:
प्रेक्षक की आँखों पर समीप की वस्तु, दूर की वस्तु की तुलना में अधिक कोण बनाती है। जब प्रेक्षक गति करेगा तो समीप की वस्तु की अपेक्षा दूर की वस्तु द्वारा बने कोण में परिवर्तन कम होता है। अतः दूरस्थ वस्तु आपके साथ गतिमय प्रतीत होती है जबकि समीपस्थ वस्तु विपरीत दिशा में गतिमय प्रतीत होती है।
प्रश्न 2.19.
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए लम्बन के सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परित: अपनी कक्षा में छह महीनों के अन्तराल पर पृथ्वी की अपनी दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है अर्थात् आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास = 3 x 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन चूँकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं कि इतनी लम्बी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1″ ( सेकण्ड चाप का) की कोटि का लम्बन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है, जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1″ का लम्बन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?
उत्तर:
चित्र में S सूर्य तथा E1 व E2 पृथ्वी की छ: माह के अन्तराल में स्थिति है।
बिन्दु O की पृथ्वी से दूरी 1 पारसेक है।
पृथ्वी की कक्षा का व्यास = 3 x 1011 m
चाप SE1 = \(\frac{3 \times 10^{11}}{2}\) = 1.5 x 1011 m
रेखाखण्ड SE बिन्दु O पर 1″ (चाप का) कोण अन्तरित करता
प्रश्न 2.20.
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (ऐल्फा सेंटौरी नामक) तब कितना लम्बन प्रदर्शित करेगा। जब इसे सूर्य के परितः ‘ अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर है, देखा जायेगा?
उत्तर:
तारे की सौर परिवार से दूरी
= 4.29 प्रकाश वर्ष (ly)
= 4.29 x 9.46 x 1015m
[∵ 1ly = 9.46 x 1015 m]
= \(\frac{4.29 \times 9.46 \times 10^{15}}{3 \times 10^{16}}\) पारसेक
[∵ 1 पारसेक = 3 x 1016m]
= 1.35 पारसेक
छः महीने के अन्तराल पर पृथ्वी अपनी कक्षा के व्यासत: विपरीत सिरों पर होगी।
∵ पृथ्वी का विस्थापन d = कक्षा का व्यास
= 3 x 1011 m
∵ तारे की सौरमण्डल के केन्द्र सूर्य से दूरी
r = 4.29 x 9.46 x 1015 m
∴ तारे द्वारा प्रदर्शित लम्बन
θ = \(\frac{d}{r}\) = \(\frac{3 \times 10^{11}}{4.29 \times 9.46 \times 10^{15}}\)rad
= 0.0739 × 10-4 rad
= 0.0739 × 10-4 x \(\frac{180}{\pi}\) x 60 x 60 सेकण्ड
∴ θ = \(\frac{4.79}{3.14}\) = 1.52
प्रश्न 2.21.
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समयान्तरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध में रडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञान के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लम्बाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।
अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
लम्बाई का मापन: विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के बीच की दूरी का मापन करते समय लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।
समय का मापन: फेको की विधि द्वारा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात करने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। उपग्रह प्रक्षेपण में समय का मापन परिशुद्धता से किया जाता है।
द्रव्यमान का मापन: द्रव्यमान स्पेक्ट्रमलेखी में परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है। दवाइयाँ बनाने में विभिन्न साल्ट मिलाये जाते हैं, जिनका द्रव्यमान परिशुद्धता से मापन करते हैं।
प्रश्न 2.22.
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आकलन कर सकना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं (जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)
(a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षांधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
(a) सर्वप्रथम मौसम विभाग से पूरे भारत में हुई कुल वर्षा की माप की जानकारी लेंगे और वर्षा जल के आयतन को जल के घनत्व से गुणा करके वर्षा जल के द्रव्यमान की गणना कर लेंगे। इससे मेघों का द्रव्यमान ज्ञात हो जायेगा।
जैसे: बादल का द्रव्यमान
= औसत वर्षा x भारत का क्षेत्रफल पानी का घनत्व
= 1 x 3.3 x 1012 × 103 kg
= 3.3 × 1015 kg
(b) हाथी का द्रव्यमान काँटे पर भी लीवर सिद्धान्त से ज्ञात कर सकते हैं।
(c) इसके लिए एक गैस का गुब्बारा लेते हैं तथा उसे ऊपर की ओर छोड़ते हैं तथा। सेकण्ड पश्चात् उसकी स्थिति ज्ञात कर कोण θ का मापन करते हैं।
चित्र में गुब्बारा बिन्दु 0 से छोड़ा गया है, जो 1 सेकण्ड पश्चात् बिन्दु B पर पहुँचता है। गुब्बारे की ऊँचाई / ज्ञात कर विस्थापन ज्ञात करते हैं। यही विस्थापन AB = dh= θ ही तूफान में हवा की चाल होगी।
(d) मनुष्य के बालों की संख्या =
जैसे: सिर की औसत त्रिज्या R = 8cm हो, तो
सिर का क्षेत्रफल = πR2 = π(8)2 = 64πcm2
बाल का व्यास पेचमापी से ज्ञात करते हैं जो लगभग 5 x 10-3cm
∴ त्रिज्या r = \(\frac{5}{2}\) x 10-3 cm
अत; एक बाल का क्षेत्रफल = πR2
= π × \(\left(\frac{5}{2} \times 10^{-3}\right)^2\)
= π × \(\frac{25}{4}\) × 10-6 cm2
∴ बालों की संख्या = \(\frac{64 \pi}{\pi \times \frac{25}{4} \times 10^{-6}}\)
= 107
(e) ∵ NTP पर 22.4 L = 22.4 x 10-3 m3 में अणुओं की संख्या 6.02 × 1023 होती है।
∴ कमरे के आयतन में अणुओं की संख्या
= \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{22.4 \times 10^{-3}}\)
यदि कमरे का आकार 5 x 4 x 3m3 = 60m3 माने तो अणुओं की संख्या 1027 कोटि की प्राप्त होगी।
प्रश्न 2.23.
सूर्य एक ऊष्मा प्लाज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है, जिसके आन्तरिक क्रोड का ताप 107 K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर कर सकते हैं? सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg, सूर्य की त्रिज्या = 7.0 x 108 m
उत्तर:
सूर्य का घनत्व
d =
= \(\frac{M}{\frac{4}{3} \pi r^3}\)
यहाँ M = 2 x 1030 kg, r = 7.0 x 108 m
∴ d = \(\frac{3 \times 2 \times 10^{30}}{4 \times 3.14 \times\left(7.0 \times 10^8\right)^3}\)
= 1.4 x 103 kg/m3
सूर्य का घनत्व द्रव / ठोस के घनत्व के परिसर में होता है। यह गैसों के परिसर में नहीं होता है क्योंकि सूर्य की भीतरी परतों के कारण बाहरी परतों पर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण प्लाज्मा का घनत्व उच्च होता है।
प्रश्न 2.24.
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72″ का चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
उत्तर:
कोणीय व्यास θ =
∴ व्यास d = θ x α
कोणीय माप θ = 35.72″ = \(\frac{35.72}{60 \times 60}\) डिग्री
= \(\frac{35.72}{60 \times 60}\) x \(\frac{\pi}{180}\) rad
दूरी α = 8247 लाख किलोमीटर
= 8247 × 105 km
= 8247 x 108 m
∴ d = \(\frac{35.72}{60 \times 60}\) x \(\frac{3.14}{180}\) x 8247 x 108 m
= 1.427 x 108 m
= 1.427 x 105 km
अतिरिक्त अभ्यास (Additional Exercise):
प्रश्न 2.25.
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्वं के साथ θ कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण 9 व ” के बीच निम्नलिखित सम्बन्ध व्युत्पन्न करता है:
tan θ = v
और वह इस सम्बन्ध के औचित्य की सीमा का पता लगाता है जैसी कि आशा की जाती है यदि। v → θ तो θ → 01 ( हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊर्ध्वाधरत पड़ रही है।) क्या आप सोचते हैं कि यह सम्बन्ध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं है तो सही सम्बन्ध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिये गये सम्बन्ध में,
बाएँ पक्ष की विमाएँ = [M°L°T° ]
जबकि दाएँ पक्ष की विमाएँ = [M°L1T-1]
∵ दोनों पक्षों की विमाएँ परस्पर समान नहीं हैं, अतः यह सम्बन्ध
सही नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सही सम्बन्ध में दाएँ पक्ष की विमाएँ भी [M°L°T° ] होनी चाहिए।
सही सम्बन्ध tan θ = v2/ rg
प्रश्न 2.26.
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीजियम घड़ियों को चलने दिया जाये तो उनके समयों में केवल 0.02 (s) का अन्तर हो सकता है, मानक सीजियम घड़ी द्वारा 1 (s) के समय अन्तराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समय T = 100 वर्ष
= 100 x 365 x 24 x 60 x 60
त्रुटि ΔΤ = 0.02 sec
∴ 1(s) के मापन में त्रुटि
= \(\frac{\Delta T}{T} = [latex]\frac{0.02}{100 \times 365 \times 24 \times 60 \times 60}
= 6.34 × 10-12
= 10 x 10-12 (पूर्णांकित करने पर)
= 10-11 = [latex]\frac{1}{10^{11}}\)
अतः सीजियम घड़ी द्वारा 1s के मापन में 1011 में से 1 भाग की परिशुद्धता है।
प्रश्न 2.27.
एक सोडियम परमाणु की आमाप लगभग 2.5 A° मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाण्वीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए।)
इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m-3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है। यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
सोडियम परमाणु की आमाप 2.5 A
∴ त्रिज्या R = \(\frac{2.5}{2}\)
= 1.25 A
= 1.25 x 10-10 m
सोडियम का ग्राम परमाणु भार
= 23g = 23 x 10-3 kg
1 ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या = 6,023 × 1023
∴ सोडियम के एक परमाणु का द्रव्यमान
= 3.82 × 10-26 kg
1 परमाणु का आयतन = \(\frac{4}{3}\) πr3
= \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (1.25 × 10-10)3
= 8.18 × 1030 m3
∴ सोडियम परमाणु का माध्य द्रव्यमान घनत्व
= 4670 kg/m3
= 4.670 × 103 kgm
क्रिस्टलीय अवस्था में सोडियम का घनत्व = 970kgm-3
= 0.970 × 103 kg/m3
∴ दोनों के घनत्व की कोटि (103) लगभग समान है क्योंकि ठोस अवस्था में परमाणु दृढ़तापूर्वक संकुचित होते हैं। अतः परमाणु द्रव्यमान घनत्व ठोस के द्रव्यमान घनत्व के लगभग बराबर होता है।
प्रश्न 2.28.
नाभिकीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी (1 fm = 10-15 m) है। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक सम्बन्ध का पालन करते हैं:
r = r0A1/3
जहाँ नाभिक की त्रिज्या, 4 इसकी द्रव्यमान संख्या और ro कोई स्थिरांक है, जो लगभग 1.2 fm के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आकलन कीजिए। प्रश्न 27 में ज्ञात किये गये सोडियम परमाणु के माध्य द्रव्यमान घनत्व के साथ इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
नाभिक की त्रिज्या r = r0A1/3
∴ नाभिक का आयतन v = \(\frac{4}{3}\) πr3
= \(\frac{4}{3}\)π(r0A1/3)3
V = \(\frac{4}{3}\) πr30A
माना न्यूक्लिऑन (न्यूट्रॉनों प्रोटॉनों) का द्रव्यमान m (m = 1.66 x 10-27 kg) है।
∴ नाभिक का कुल द्रव्यमान = mA
∴ नाभिक का द्रव्यमान घनत्व =
= \(\frac{m A}{\frac{4}{3} \pi r_0^3 A}\)
= \(\frac{3 m}{4 \pi r_0^3}\)
उपर्युक्त सूत्र में द्रव्यमान संख्या नहीं है अर्थात् नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व स्थिर है।
(b) सोडियम नाभिक का द्रव्यमान घनत्व
∵ r0 = 1.2fm
= 1.2 x 10-15 m
m = 1.66 x 10-27 kg
= \(\frac{3 \times 1.66 \times 10^{-27}}{4 \times 3.14 \times\left(1.2 \times 10^{-15}\right)^3}\)
= 0.3 × 1018 kg/m3
(c) क्रिस्टलीय अवस्था में सोडियम का घनत्व = 970kgm-3
= 0.970 × 103 kg/m3
∴ दोनों के घनत्व की कोटि (103) लगभग समान है क्योंकि ठोस अवस्था में परमाणु दृढ़तापूर्वक संकुचित होते हैं। अतः परमाणु द्रव्यमान घनत्व ठोस के द्रव्यमान घनत्व के लगभग बराबर होता है।,
सोडियम परमाणु का माध्य घनत्व = 4.6 x 103 kg/m3
अर्थात् सोडियम नाभिक का घनत्व, उसके परमाणु के घनत्व से 1015 गुना अधिक है। इसका अर्थ है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला होता है तथा उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में केन्द्रित होता है।
प्रश्न 2.29.
लेसर (Laser), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र, एकवर्णी तथा एकदिश किरण पुंज का स्रोत है। लेसर के इन गुणों का लम्बी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चन्द्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.565 में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:
माना चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या = r
∴ लेसर प्रकाश द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2r
∴ समय t = 2.56(s)
∴ दूरी 2r = चाल (c) x समय (t)
∴ त्रिज्या r = \(\frac{c \times t}{2}\)
= \(\frac{3 \times 10^8 \times 2.56}{2}\)
= 3.84 × 108 m
प्रश्न 2.30.
जल के नीचे वस्तुओं को ढूँढ़ने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलम्ब 77.0 (s) है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450ms-1)
उत्तर:
माना शत्रु की पनडुब्बी की सोनार स्टेशन से दूरी = d
∴ तरंगों द्वारा तय की गई कुल दूरी 2d
∴ दूरी 2d = चाल v x समय t
d = \(\frac{v \times t}{2}\)
= 55825 m
∴ d = 55.825 km
प्रश्न 2.31.
हमारे विभ्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गये सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिण्डों (जिन्हें क्वासर ‘Quasar’ कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं। जिनकी अभी तक सन्तोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए, जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
उत्तर:
प्रकाश को पहुँचने में लगा समय
= 300 करोड़ वर्ष = 300 x 107 वर्ष
∴ दूरी = 300 x 107 प्रकाश वर्ष
प्रकाश द्वारा 1 वर्ष में तय की गई दूरी
= 9.46 x 1015 m
∴ क्वासर की दूरी = 300 x 107 x 9.46 x 1015
= 28.4 × 1024m = 2.84 x 1022 km
प्रश्न 2.32.
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है । चन्द्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए। (उदाहरण 2.3 व 2.4 की सूचनाओं को प्रयुक्त कीजिए। )
उत्तर:
चन्द्रमा का कोणीय व्यास
d = \(\frac{d}{3.84 \times 10^8}\) × \(\frac{180}{\pi}\) डिग्री
d = \(\frac{d}{3.84 \times 10^8}\) × \(\frac{180}{\pi}\) × 60 × 60(s)
यहाँ चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी
α = 3.84 x 108 m है।
∵ चन्द्रमा की चक्रिका, सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है। अतः चन्द्रमा तथा सूर्य दोनों के कोणीय व्यास बराबर होंगे।
∴d = \(\frac{d}{3.84 \times 10^8}\) × \(\frac{180}{\pi}\) × 60 × 60 = 1920
( ∵ सूर्य का कोणीय व्यास = 1920)
d = \(\frac{1920 \times 3.84 \times 10^8 \times \pi}{180 \times 60 \times 60}\)
= 3.576 × 106 m
∵ चन्द्रमा का व्यास
= 3.576 × 103 km = 3576 km
प्रश्न 2.33.
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद (पी.ए.एम. डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनन्द लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया । परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक 6) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुँच गये हैं, जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु – 1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
समय की विमा t = \(\left(\frac{e^2}{4 \pi \varepsilon_0}\right) \times \frac{1}{m_p m_e^2 c^3 G}\)
∵ e = 1.6 x 10-19C,
\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_0}\) = 9 × 109
c = 3 x 108 m/s,
G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg2,
mp = 1.67 x 10-27 kg.
mg = 9 x 10-31 kg.
मान रखने पर,
t = (1.6 × 10-19)4 × (9 × 109 )2 × \(\frac{1}{1.67 \times 10^{-27} \times\left(9 \times 10^{-31}\right)^2}\) x (3 x 108) 3 x 6.67 x 10-11
t = 2.18 x 1016 sec
∴ यह समय ब्रह्माण्ड की आयु की कोटि का है।