Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 1 भौतिक जगत Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 1 भौतिक जगत
प्रश्न 1.1.
विज्ञान की प्रकृति से सम्बन्धित कुछ अत्यन्त पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम् वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रदान किये गये हैं। आपके विचार से आइंस्टीन का उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था “संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य विषय यह है कि यह बोधगम्य है?
उत्तर:
जब कोई घटना पहली बार देखी जाती है तो यह अबोधगम्य होती है परन्तु जब हम उस घटना से सम्बन्धित सिद्धान्त, नियम एवं तथ्यों का गहन विश्लेषण करते हैं तो वह हमारे लिए बोधगम्य हो जाती है। दूसरे शब्दों में, भौतिक जगत की जटिल प्रकृति कुछ मूलभूत नियमों के पदों में समझी जा सकती हैं। अत: आइंस्टाइन का यह कथन तर्कसंगत है।
प्रश्न 1.2.
“प्रत्येक महान भौतिक सिद्धान्त अपसिद्धान्त से आरम्भ होकर धर्म सिद्धान्त के रूप में समाप्त होता है।” इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
समाज में स्थापित विश्वास और धर्म सिद्धान्त वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं प्रबुद्ध व्यक्तियों के विचारों से कई बार भिन्न होते हैं। ऐसे कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं-
1. प्राचीन काल में टॉलमी ने भूकेन्द्रीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसके अनुसार पृथ्वी को स्थिर माना गया तथा सभी आकाशीय पिण्ड पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाते थे। बाद में इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो ने माना कि पृथ्वी नहीं सूर्य स्थिर है तथा पृथ्वी सहित सभी प्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। तत्कालीन शासकों द्वारा गैलीलियों की संकल्पना को गलत कहा गया और इसके लिये उन्हें दण्डित भी किया गया।
2. आइंस्टीन से पहले चह माना जाता था कि द्रव्य तथा ऊर्जा अविनाशी होते हैं तथा दोनों में कुछ भी सम्बन्ध नहीं होता है। अत: दोनों ही राशियों के संरक्षण के स्वतंत्र नियम थे। आइंस्टीन ने इन दोनों स्वतंत्र नियमों के स्थान पर द्रव्यमान-ऊर्जा का संरक्षण नियम प्रस्तुत करते हुए द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता समीकरण E=mc2 दिया।
प्रश्न 1.3.
“सम्भव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवह्हार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिज्ञ यह मानते हुए भी कि उनके द्वारा किये गये वायदों की घोषणाओं का पूरा कर पाना उनके लिए असम्भव है, बहुत से कार्यों को पूरा करने के बारे में वे स्वयं अनिश्चित होते है, लेकिन फिर भी वे उन्हे संभव करने का प्रयास करते हैं तथा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की संभावना निरन्तर तलाशते रहते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि “संभव की कला ही राजनीति है।”
वहीं वैज्ञानिक किसी समस्या के समाधान के लिये धैर्यपूर्वक निरन्तर प्रेक्षण लेते हैं और उनके विश्लेषण से कुछ नियमों का प्रतिपादन करते हैं। उदाहरण के लिए टाइको ब्राहे ने लगभग 20 वर्षों तक ग्रहों की गति का अध्ययन किया। फैराडे ने लगभग 18 वर्षों तक चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विद्युत् धारा उत्पन्न करने के लिए धैर्यपूर्वक प्रयोग किये तथा इसके फलस्वरूप उन्होंने विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की घटना का आविष्कार किया।
प्रश्न 1.4.
यद्यषि अब भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का विस्तृत आधार है तथा यह तीव्रता से फैल भी रहा है, परन्तु फिर भी इसे विज्ञान के क्षेत्र में विश्ष नेता बनने की अपनी क्षमता को कायान्वित करने में काफी दूरी तय करनी है। ऐसे कुछ महत्वपूर्ण कारक लिखिए जो आपके विचार से भारत में विज्ञान के विकास में बाधक रहे हैं।
उत्तर:
भारत में विज्ञान के विकास में कई महत्वपूर्ण कारक बाधक रहे हैं। इनमें से प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित हैं-
1. भारत में वैज्ञानिकों को शैक्षणिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है।
2. प्रारम्भिक अनुसंधान के सरकारी सुविधाओं एवं सहयोग की कमी।
3. प्रश्शिक्षित वैज्ञानिकों का देश से पलायन।
4. विज्ञान प्रबंधन पर अवैज्ञानिक और संकुचित विचारधारा वाले नौकरशाहों, राजनेताओं एवं धार्मिक संस्थानों का नियंत्रण।
5. अनुसंधान तथा प्रौद्योगिंकी में सामंजस्य का अभाव।
6. स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर विज्ञान की शिक्षा का सही रूप में न होना।
प्रश्न 1.5.
किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किये हैं, परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विभ्वास है। कोई बुद्धिमान, परन्तु अन्धविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यस्ूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने ‘ देखा ‘ नहीं है, परन्तु 4 भूतों ‘ का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खण्डन किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
भातिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास का कारण उसकी प्रायोगिक पुष्टि जैसे, अणुओं की विभिन्न आकृतियाँ, विद्युत् धारा का प्रवाह इत्यादि है परन्तु भूतों का कोई प्रायोगिक प्रमाण नहीं है। अत: दोनों की तुलना निरर्थक है।
प्रश्न 1.6.
जापान के एक विशेष समुद्रतटीय क्षेत्र में पाये जाने वाले केकड़े के कवचों (खोल ) में से अधिकांश समुरई के अनुभुत चेहरे से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। नीचे इस प्रेक्षित तथ्य की दो व्याख्याएँ दी गई हैं। इनमें से आपको कौन-सा वैज्ञानिक स्पष्टीकरण लगता है?
(i) कई शताब्दियों पूर्व किसी भयानक समुद्री दुर्घटना में एकयुवा समुरई डूब गया। उसकी बहादुरी के लिए शब्द्धांजलि के रूप में प्रकृति ने अबोधगम्य बंगों द्वारा उसके चेहरे को केकड़े के कवचों पर अंकित करके उसे उस क्षेत्र में अमर बना दिया।
(ii) समुद्री दुर्घटना के पश्शात् उस क्षेत्र के मछुआरे अपने मृत नेता के सम्मान में सद्भावना प्रदर्शन के लिए, उस हर केकड़े के कवच को जिसकी आकृति संयोगवश समुरई से मिलती-जुलती प्रतीत होती थी, उसे वापस समुब्र में फेंक देते थे। परिणामस्वरूप केकड़े के कवचों की इस प्रकार की विशेष आकृतियाँ अधिक समय तक विद्यमान रहीं और इसीलिए कालान्तर में इसी आकृति का आनुवंशतः जनन हुआ। यह कृत्रिम वरण द्वारा विकास का एक उदाहरण है।
उत्तर:
कथन (ii) वैज्ञानिक स्पष्टीकरण देने में पर्याप्त रूप समंथ है।
प्रश्न 1.7.
दो शताब्दियों से भी अधिक समय पूर्व इंग्लैण्ड तथा पश्चिमी यूरोष में जो औद्योगिक कान्ति हुई थी। उसकी चिंगारी का कारण कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलव्धियां थीं। ये उपलब्बियों क्या थीं?
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति की कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलविधियाँ निम्न थी-
1. भाप इजन-इसका आविष्कार जेम्स वाट द्वारा किया गया। इसकी सहायता से औद्योगिक इकाइयों को देश के भीतरी भागों में समुद्री किनारों से दूर स्थान प्राप्त हो सका।
2. पावर लूम-इसके खोजकर्ता कार्लराइट (1785) है। इसकी सहायता से कपड़ों की बुनाई का कार्य किया जाता है।
3. वात्या भट्टी-इसकी सहायता से स्ट्रोल (इस्पात) क्षेत्र में प्रगति हुई है।
4. सेफ्टी पिन-इसका आविष्कार सर हम्फ्री डेवी ने किा इसका उपयोग कोयला खदानों में किया जाता है।
5. स्पिनिंग जिन-इसकी खोज 1765 A.D. में हारग्रीब्ज द्वारा की गयी थी। स्पिनिंग जिन ने सूत कातने का काम तेज कर दिया।
प्रश्न 1.8.
प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के दैर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रान्ति की भांति आमूलचूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए, जो इस क्रान्ति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर:
दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के लिए उत्तरदायी विज्ञान के प्रमुख क्षेत्र निम्नवत् हैं
(i) कृषि क्षेत्र में विकास,
(ii) प्रकाश विद्युत् प्रभाव,
(iii) नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन,
(iv) प्लाज्मा का चुम्बकीय परिरोध,
(v) कमरे के ताप पर अतिचालक पदार्थों का विकास,
(vi) प्रकाशिक रेशे,
(vii) लेसर पुंजों तथा चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा परमाणुओं का परिग्रहण तथा शीतलन,
(viii) अवरक्त संसूचकों का विकास,
(ix) सेटेलाइट के उपयोग एवं अंतरिक्ष विज्ञान का विकास।
प्रश्न 1.9.
बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग 1000 शब्दों में कोई कथा लिखिए।
उत्तर:
मैं सुबह 6 बजे व्यायाम कर रहा था कि उसी समय बंगलौर से मेरे वैज्ञानिक मित्र का फोन आ गया। उसने कहा कि अनुसंधान कार्य के लिए 10 बजे तक बंगलौर आना है। मैं जल्दी से तैयार होने लगा। खाने बनाने वाली 8 बजे आती है। इसीलिए मैंने रोबोट को कमांड दी कि वह नाश्ता तैयार करे। रोबोट ने अगले 20 मिनट में नाश्ते में स्वादिष्ट पराठे तैयार कर मेरे सामने परोस दिए। में नाश्ता कर सीधे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन कार द्वारा पहुँचा। वहाँ से 7 बजे सुपर बुलेट ट्रेन में सवार हो गया। 9 : 35 मिनट पर बुलेट ट्रेन बंगलौर पहुँच गई। जहाँ से हमें अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचना था। वहाँ स्टेशन पर खड़ी डूाइवरलैस वायु कार के की-बोर्ड पर गन्तव्य स्थान का कोड निवेशित किया और कार का दरवाजा खुला। मैं कार में बैठ गया। कार में बैठते ही सीट बैल्ट कस गई और कार का दरवाजा बन्द हो गया। कार ने भारी ट्रैफिक होने के बावजूद मुझे ठीक समय पर अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचा दिया। अंतरिक्ष स्टेशन पर सुरक्षा रोबोट तैनात थे। द्वार पर लगे संवेदी स्क्रीन पर हाथ रखने पर सम्बद्ध कम्य्यूटर ने मेरी पहचान की और मेरे आने की जानकारी मेंरे मित्र के मोबाइल पर पहुँच गई। मेरे मित्र ने मिलने की अनुमति दे दी। जिसका मैसेज मोबाइल से दरवाजे के संवेदी कम्प्यूटर तक पहुँचते ही दरवाजा खुल गया। अन्दर प्रवेश करते ही एक रोबोट ने हाथ मिलाकर मेरा स्वागत किया और मेरे मित्र के पास ले गया।
मेरे मित्र ने जानकारी दी कि मुझे उसके साथ मंगल ग्रह पर पिकनिक मनाने जाना है। पृथ्वी से मंगल तक यात्रा में 72 घण्टे लगना था तथा मंगलयान से अगली सुबह 7 बजे उड़ान भरनी थी। इससे पूर्व रोबोट चिकित्सकों ने हमारी चिकित्सकीय जाँच की। इस यात्रा के लिए आवश्यक सामम्मी जसे-यात्रा में पहने जाने वाले विशेष वस्त, ऑक्सीजन मॉस्क, भोजन की ट्यूब तथा कैप्सूल, पानी की ट्यूब आदि चन्द्र यात्रा का प्रबंध करने वाली एजेन्सी ने ही उपलख्ध कराये। हमें व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए लेसरगन तथा न्यूट्रॉन गन भी उपलब्ध करायी गई।
ठीक समय पर हमने मंगलयान से उड्ान भरी और हम अन्य तीन रोबोट के साथ मंगल की सतह पर पहुँच गये। वहॉ कैम्प एक झील के किनारे प्लास्टिक की शीट से बना था, जो अति उच्च दाब सहन कर सकती थी। इसके अन्दर वायुदाब पृथ्वी के वायुदाब के बराबर रखा गया था। कैप्य अतिचालक तारों की सहायता से उत्पन्न अति उच्च तीव्रता के विद्युत् चुम्बकीय बल क्षेत्र से घिरा था, ताकि वह उल्का पिण्डों तथा शत्रु के आक्रमणों से सुरक्षित रहे। मंगलयान पर दो दिन रहने के बाद मैं दिल्ली लौट आया।
प्रश्न 1.10.
‘विज्ञान के व्यवहार’ पर अपने ‘नैतिक’ दृष्टिकोणों को रचने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए कि आप स्वयं किसी संयोगवश ऐसी खोज में लगे हैं, जो शैक्षिक दृष्टि से रोचक है परन्तु उसके परिणाम निश्चित रूप से मानव समाज के लिए भयंकर होने के अतिरिक्त कुछ नहीं होंगे। फिर भी यदि ऐसा है तो आप इस दुविधा के हल के लिए क्या करेंगे?
उत्तर:
सर्वप्रथम वैज्ञानिक खोज के गलत प्रयोग के सम्बन्ध में लोक विचार प्राप्त किये जायें। यदि समाज इसे हानिकारक मानता है तो इस प्रकार के प्रयोग रोक देने चाहिये। यदि उस प्रयोग से कुछ लाभ हो सकता है तो ही उसे आगे बढ़ाना चाहिये।
प्रश्न 1.11.
किसी भी ज्ञान की भाँति विज्ञान का उपयोग भी, उपयोग करने वाले पर निर्भर करते हुए, अच्छा अथवा बुरा हो सकता है। नीचे विज्ञान के कुछ अनुप्रयोग दिये गये हैं। विशेषकर कौन-सा अनुप्रयोग अच्छा है, बुरा है अथवा ऐसा है कि जिसे स्पष्ट रूप से वर्गबद्ध नहीं किया जा सकता। इसके बारे में अपने दृष्टिकोणों को सूचीबद्ध कीजिए:
(i) आम जनता को चेचक के टीके लगाकर इस रोग को दबाना और अन्तत: इस रोग से जनता को मुक्ति दिलाना।
(ii) निरक्षरता का विनाश करने तथा समाचारों एवं धारणाओं के जनसंचार के लिए टेलीविजन।
(iii) जन्म से पूर्व लिंग निर्धारण।
(iv) कार्यदक्षता में वृद्धि के लिए कम्प्यूटर।
(vi) पृथ्वी के परितः कक्षाओं में मानव-निर्मित उपग्रहों की स्थापना।
(vii) रासायनिक तथा जैव युद्ध की नवीन तथा शक्तिशाली तकनीकों का विकास।
(viii) पीने के लिए जल का शोधन।
(ix) प्लास्टिक शल्यक्रिया।
(x) क्लोनिंग।
उत्तर:
(i) अच्छा, क्योकि इससे जनता को चेचक के रोग से मुक्ति मिल गई।
(ii) अच्छा, टेलींविजन द्वारा अपनी बात प्रभावी रूप से सम्रेषित की जा सकती है।
(iii) बुरा, इससे लड़कियों की संख्या में गिरावट आ रही है, जिससे सामाजिक असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
(iv) अच्छा, कम्प्यूटर से दक्षता में वृद्धि हुई है।
(v) अच्छा, इससे संचार, अनुसंधान, मौसम का पूर्वानुमान आदि में लाभ हुआ है।
(vi) बुरा, इससे मानव-जाति के महाविनाश की स्थिति बन सकती है।
(vii) बुरा, इससे भी मानव जाति नष्ट हो सकती है।
(viii) अच्छा, इससे प्रचुर मात्रा में पीने योग्य जल उपलब्ध होगा।
(ix) अच्छा, इससे व्यक्ति की दुर्घटना आदि से उत्पन्न कुरुपता को हटाया जा सकता है।
(x) अच्छा, इसका प्रयोग अत्यन्त सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि इसके उचित प्रयोग से भावी पीड़ी का सवास्थ्य बेहतर हो सकता है जबकि अनुचित प्रयोग से नुकसान भी हो सकता है।
प्रश्न 1.12.
भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वता की एक लम्बी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर हमारे समाज में बहुत-से अन्धविश्वास तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएँ फली फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का प्रयोग किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(i) विद्यालयों में ऐसे कार्यक्रम दिखाये जायें, जिनसे छात्रों में अन्धविश्वास दूर हो सके। जैसे- सोडियम पर पानी डालकर आग उत्पन्न
करना।
(ii) वैज्ञानिक, डॉक्टर्स, शिक्षाविदों द्वारा विभिन्न घटनाओं के वास्तविक कारण व अन्धविश्वास को सही रूप से समझाएँ। जैसे – मानसिक बीमारियों के लिए जादू-टोने के इस्तेमाल को रोकना।
(iii) रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, इंटरनेट आदि जनसंचार माध्यमों का प्रयोग लोगों में व्याप्त अन्धविश्वास को दूर कर सकता है।
प्रश्न 1.13.
यद्यपि भारत में स्त्री तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी बहुत से लोग महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमत्ता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते हैं तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्व तथा भूमिका देते हैं। वैज्ञानिक तर्कों तथा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में महान महिलाओं का उदाहरण देकर इन विचारों को धराशायी कीजिए तथा अपने को स्वयं तथा दूसरों को भी समझाइए कि समान अवसर दिये जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।
उत्तर:
महिलाएँ भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। मैडम क्यूरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने भौतिक व रसायन विज्ञान दोनों में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं ने बहुत योगदान किया। जैसे – कल्पना चावला, इन्दिरा गाँधी, बछेन्द्री पाल, लक्ष्मीबाई इत्यादि जिन्होंने अपने क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया। अतः महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं।
प्रश्न 1.14.
“भौतिकी के समीकरणों में सुन्दरता होना उनका प्रयोगों के साथ सहमत होने की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है।” यह मत महान ब्रिटिश वैज्ञानिक पी०ए०एम० डिरैक का था। इस दृष्टिकोण की समीक्षा कीजिए। इस पुस्तक में ऐसे सम्बन्धों तथा समीकरणों को खोजिए जो आपको सुन्दर लगते हैं।
उत्तर:
भौतिकी में समीकरणों की सुन्दरता होना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समीकरण यदि सुन्दर है तो वह सरल व बोधगम्य भी होगा। जैसे – E = mc2 एक सुन्दर समीकरण है, जो ऊर्जा व द्रव्यमान में सम्बन्ध बताता है।
प्रश्न 1.15.
यद्यपि उपर्युक्त प्रकथन विवादास्पद हो सकता है परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरैक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइंस्टीन, बोर, हाइजेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन। आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (पाठ्य पुस्तक के अन्त में दी गई ग्रन्थ सूची देखिए।) इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।
उत्तर:
भौतिकी के अति महत्वपूर्ण नियम एवं समीकरण एक साथ ही सरल तथा सुन्दर हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
1. भारतीय मूल के वैज्ञानिक एस० चन्द्रशेखर ने खगोलीय पिण्डों के लिए ‘ब्लैक होल’ का सिद्धान्त देकर विश्व के सामने अनबूझे आकाशीय पिण्डों का रहस्य पता करके अपने सिद्धान्त को सरल रूप में प्रस्तुत किया।
2. इसी प्रकार फाइनमैन जिसे भौतिकी की गीता का प्रणेता कहा जाता है, ने लेजर की शक्ति का सरल, सुन्दर तथा सुग्राही भाषा में प्रतिपादन किया।
3. न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम F = \(\frac{d}{d t}\)(mu) केप्लर का खगोलीय पिण्डों की गति का तीसरा नियम T2 ∝ r3 भी कुछ सरल, सुन्दर तथा महत्वपूर्ण समीकरण है।
4. नील्स बोर ने परमाणु के कोणीय संवेग को छोटे से सुन्दर समीकरण L = n \(\frac{h}{2 \pi}\) द्वारा दर्शाकर एक विकट समस्या का सरल समाधान प्रस्तुत किया।
5. आइंस्टीन का द्रव्यमान ऊर्जा E = mc2 अत्यन्त सरल, गूढ़ सुन्दर एवं आसानी से याद रखने वाला है।
6. डी- ब्रॉग्ली का द्रव्य तरंग के लिए सम्बन्ध λ = \(\frac{h}{p}\) = \(\frac{h}{m u}\) न केवल सरल एवं सुन्दर है, अपितु एक अत्यन्त गूढ़ तथ्य को उजागर करता है कि कण की प्रकृति द्वैती होती है।
प्रश्न 1.16.
विज्ञान की पाठ्य पुस्तकें आपके मन में यह गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यन्त गंभीर है एवं वैज्ञानिक अन्तर्मुखी, भुलक्कड़ व कभी न हँसने वाले अथवा खीसें निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति ही वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो वैज्ञानिक कार्यों को गम्भीरता से पूरा करते हुए अत्यन्त विनोदी प्रकृति तथा साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी श्रेणी के दो भौतिकविद हैं। ग्रन्थ सूची में इनके द्वारा रचित पुस्तकें पढ़ने से आपको आनन्द प्राप्त होगा।
उत्तर:
समाज के अन्य व्यक्तियों की भाँति ही वैज्ञानिक भी विनोदी स्वभाव के हँसमुख व्यक्ति होते हैं तथा विज्ञान शुष्क तथा नीरस विषय नहीं है। कुछ विनोदी स्वभाव के भारतीय वैज्ञानिक हैं- होमी जहाँगीर भाभा, डी० एस० कोठारी, सी०वी० रमन, एम०एम० जोशी, ए०पी० जे० अब्दुल कलाम आदि।