HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य

Haryana State Board HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य

HBSE 11th Class Physical Education व्यावसायिक स्वास्थ्य Textbook Questions and Answers

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न ( (Long Answer Type Questions) |

प्रश्न 1.
व्यावसायिक स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या संकटों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Occupational Health):
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है। अपनी आजीविका चलाने के लिए उसे कोई-न-कोई व्यवसाय या कार्य अवश्य करना पड़ता है। कार्य करने के लिए व्यक्ति के लिए बहुत से व्यवसाय हैं; जैसे लघु उद्योग, बड़े उद्योग, कृषि व्यवसाय, पशुपालन व्यवसाय व अन्य व्यवसाय आदि। प्रत्येक प्रकार के व्यवसायों की परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं जिनका व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यवसाय ऐसे भी होते हैं जिनमें रसायनों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे व्यवसाय या इनकी परिस्थितियाँ किसी-न-किसी रूप में व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं।

यदि इन व्यवसायों की परिस्थितियों में सुधार तथा कार्य करने वाले लोगों को जागरूक किया जाए तो व्यावसायिक संकटों या बीमारियों से बचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान व्यावसायिक स्वास्थ्य का होता है, क्योंकि यह एक ऐसी योजना है जो व्यक्ति को कार्य करने के स्थान पर होने वाली स्वास्थ्य संबंधी हानियों और हादसों से बचाव में सहायक होती है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित वातावरण उत्पन्न करना है जिसमें कार्य करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।

संक्षेप में, व्यावसायिक स्वास्थ्य व्यवसायों से संबंधित समस्याओं या संकटों की रोकथाम और प्रबंधन पर जोर देता है और कार्य करने वाले लोगों को अपने जीवन की सुरक्षा हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित करता है। अतः व्यावसायिक स्वास्थ्य को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है-“व्यावसायिक स्वास्थ्य पदोन्नति और स्वास्थ्य से प्रस्थान को रोकने, लोगों को अपनी नौकरी व काम का अनुकूलन करने और जोखिम को नियंत्रित करने से सभी व्यवसायों के श्रमिकों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई का सबसे उत्तम रख-रखाव है।”

व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ (Problems Related to Occupational Health):
व्यावसायिक स्वास्थ्य का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है। इसे केवल हम औद्योगिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का क्षेत्र ही नहीं मान सकते। इसमें बड़े-बड़े उद्योगों के अतिरिक्त लघु उद्योग, कृषि और छोटे-छोटे व्यवसाय संबंधी समस्याओं के क्षेत्र भी सम्मिलित हैं। आज के प्रगतिशील युग में विभिन्न प्रकार के व्यवसाय सामने आ रहे हैं जिनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन्हीं के साथ-साथ व्यावसायिक स्वास्थ्य जगत का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है। व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याओं को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं

1. वातावरण संबंधी समस्याएँ (Problems Related to Environment):
ये वे समस्याएँ होती हैं जो वातावरण में त्रुटियों के कारण उत्पन्न होती हैं। इनका मुख्य कारण गलत योजनाएँ तथा भवन निर्माण होता है। इनमें समुचित प्रकाश का प्रबंध न होना, तापमान की वृद्धि अथवा कमी, तीव्र आवाज की गूंज, भवन निर्माण संबंधी समस्याओं से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ आती हैं।

2. रासायनिक प्रदूषण (Chemical Pollution):
कुछ व्यावसायिक समस्याएँ रासायनिक प्रदूषण के कारण उत्पन्न होती हैं; जैसे विषैली गैसों की उत्पत्ति, विषैले रासायनिक पदार्थों का वायु में मिलना जिनमें सीसा, कोयला, पारा, लोहा आदि सम्मिलित हैं।

3. व्यावसायिक समस्याएँ (Occupational Problems):
कुछ ऐसी समस्याएँ व्यावसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में आती हैं जिनका संबंध चिकित्सा क्षेत्र से होता है। यदि चिकित्सा संबंधी सभी प्रकार के उपाय किए जाएँ तो श्रमिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सकती है। चिकित्सा के साथ-साथ बीमारी, दुर्घटनाओं के शिकार व व्यक्तियों के पुनर्वास की समस्या भी जुड़ी हुई है।

4. कर्मचारियों की प्रशिक्षण संबंधी समस्याएँ (Problems Related to Training of Workers):
उन कर्मचारियों को, जिन्हें औजार तथा यंत्रों का अच्छी तरह से प्रशिक्षण न मिला हो, नौकरी पर लगाना भी दुर्घटना का कारण बनता है। कुछ व्यवसायों में विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसलिए व्यवसायों में कार्यरत कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण तथा उच्च-स्तरीय तकनीक प्रदान करके व्यावसायिक संकट कम किए जा सकते हैं।

5. अनपढ़ता (Illiteracy):
श्रमिकों का अनपढ़ होना भी एक मुख्य समस्या है। शिक्षा का प्रसार जहाँ श्रमिकों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने में सहायता करेगा, वहीं उनकी रोकथाम के उपाय तथा स्वच्छ रहन-सहन की विधि भी बताएगा। शिक्षा से श्रमिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारणों तथा उपायों का भी ज्ञान होगा। इसके अतिरिक्त विभिन्न कारखानों में काम करने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव तथा उपाय की जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी। इससे स्पष्ट हो जाता है कि व्यावसायिक क्षेत्र की समस्याएँ काफी जटिल हैं और इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पूर्ण रूप से सतर्क रहकर ही श्रमिकों तथा उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। इसलिए हमें मिलकर सुरक्षित एवं स्वास्थ्यकारी कार्यस्थल सुनिश्चित करना चाहिए।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य

प्रश्न 2.
आधुनिक समाज में व्यावसायिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए। अथवा व्यवसायों में कार्यरत व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों या कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यवसायों में कार्यरत व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारणों को हम निम्नलिखित वर्गों में विभाजित कर सकते हैं
1. पर्यावरण संबंधी कारण (Environmental Causes):
विभिन्न उद्योग-धंधों अथवा व्यवसायों में काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर उनके धंधों तथा आस-पास के पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है। यदि पर्यावरण दूषित है तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह समय की पुकार है कि ऐसे स्थानों को स्वच्छ रखा जाए और उन्हें स्वास्थ्य संबधी नियमों के अनुकूल बनाया जाए ताकि श्रमिक व कर्मचारी अनुकूल व स्वच्छ वातावरण में काम करते हुए अधिक उत्पादन की पूर्ति का प्रयास करें। स्वच्छता की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं को दृष्टि में रखते हुए फैक्टरी अधिनियम, 1948 बनाया गया जिसके अंतर्गत दिए गए नियमों का पालन करना अनिवार्य है। पर्यावरण दूषित होने से अनेक प्रकार के रोग पनपते हैं, जिनकी ओर सरकारी तथा क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा संस्थाएँ समय-समय पर प्रबंधकों तथा श्रमिकों का ध्यान आकृष्ट करती रहती हैं।

2. यंत्र संबंधी कारण (Implement Causes):
कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जहाँ पर श्रमिकों को मशीनों पर काम करना पड़ता है। उन्हें चलाते हुए कुछ सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं। इनके कारण ही अनेक घटनाओं से बचा जा सकता है। उदाहरणतया लकड़ी चीरने वाले कारखाने में आरे के सामने लोहे की जाली होती है। इसलिए मशीनों पर काम करने वाले श्रमिकों के शारीरिक, मानसिक व सामाजिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि किसी छोटे-से-छोटे विकार के कारण वे बड़ी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। मशीनी समस्याओं के कारण कारखानों में आए दिन दुर्घटनाएँ होती हैं, इनसे बचने हेतु सभी प्रशासनिक उपाय किए जाने चाहिएँ।

3. विद्युत संबंधी कारण (Electrical Causes):
कई बार विद्युत के बारे में ज्ञान न होने के कारण तथा उचित ध्यान न दिए जाने के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं, जिनमें शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगना, नंगे तार आदि के छू जाने से झटका (शॉक) लगकर मृत्यु तक हो जाना जैसी घटनाएँ आए दिन होती रहती हैं। इन्हें रोकने के लिए हर प्रकार के प्रशासनिक व दूसरे उपाय किए जाने चाहिएँ। काम करने वालों को भी सुरक्षा संबंधी उपायों का पहले ज्ञान होना चाहिए।

4. रासायनिक संबंधी कारण (Chemical Causes):
कुछ ऐसे व्यवसायं भी हैं जहाँ रासायनिक प्रदूषण अधिक मात्रा में होता है अर्थात् मशीनों से रासायनिक कण उड़कर आस-पास हवा में प्रवेश कर उसमें मिल जाते हैं और ये कण काम करने वाले श्रमिकों के शरीर में तीन प्रकार से प्रवेश करते हैं

  1. श्वास के माध्यम से फेफड़ों तक,
  2. मुख के माध्यम से पेट तक,
  3. त्वचा के माध्यम से शरीर के अंदर रक्त तक।

इस प्रकार के प्रदूषण से निमोनिया, दमा और पेट की कुछ बीमारियाँ हो सकती हैं। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिएँ।

5. भौतिक कारण (Physical Causes):
इसके अंतर्गत तापमान की कमी या वृद्धि, पूर्ण रूप से प्रकाश का अभाव या अधिक प्रकाश, विषैली गैस अथवा किरणों का प्रभाव आता है। इसका कारखाने में काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। अत: इसके बचाव के सभी उपाय किए जाने चाहिएँ अर्थात् काम करने वाले स्थान पर अच्छा प्रकाश, उचित तापमान, विषैली गैस या किरणों से बचने के उपाय तथा अन्य सभी उचित बचाव के साधन होने चाहिएँ।

6. सामाजिक कारण (Social Causes):
कुछ व्यवसाय इस प्रकार के हैं जिनसे काम करने वालों के सामाजिक जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यावसायिक स्थान इस प्रकार के होते हैं जहाँ काम करने वालों का जीवन नीरस होता है और उन्हें आपसी मेल-जोल का कोई अवसर तक प्राप्त नहीं हो पाता। कार्य-क्षेत्र को आकर्षक बनाने और श्रमिकों की सामाजिक प्रगति के लिए विकासशील होना चाहिए।

7. मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes):
कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जिनमें भाग लेने वाले मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार हो सकते हैं। इस प्रकार के व्यवसाय जिनमें मानसिक दबाव अधिक हो अथवा काम करने से व्यक्ति हीन भावना का शिकार हो, विनाशकारी हो सकते हैं तथा उसका उपाय करना अत्यंत आवश्यक है।

8. औद्योगिक थकावट (Industrial Fatigue):
औद्योगिक थकावट भी कई व्यावसायिक रोगों को जन्म देती है। इस प्रकार की थकावट के मुख्य कारण हैं तापमान का अधिक होना, नमी, प्रकाश का अभाव, स्वच्छ वायु का अभाव, अनुचित समय, कार्य की तीव्रता, पदोन्नति के अवसरों का अभाव तथा कार्यकाल की अनिश्चितता आदि। इस प्रकार की समस्याओं को दूर करने के सभी उपाय करने चाहिएँ।

प्रश्न 3.
व्यावसायिक स्वास्थ्य को परिभाषित कीजिए। इसकी आवश्यकता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य की परिभाषा (Definition of Occupational Health):
व्यावसायिक स्वास्थ्य व्यवसायों से संबंधित समस्याओं या संकटों की रोकथाम और प्रबंधन पर जोर देता है और कार्य करने वाले लोगों को अपने जीवन की सुरक्षा हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार “व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यस्थल में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के सभी पहलुओं तथा संकटों(खतरों) की प्राथमिक रोकथाम पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है।”

व्यावसायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता (Need of Occupational Health):
विश्व के लगभग सभी व्यक्ति किसी-न-किसी व्यवसाय से संबंधित हैं। कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जिनमें काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यदि उपाय न किए जाएँ तो इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस प्रकार के व्यवसायों में उचित प्रबंध करके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। उदाहरणत: ऐसे कारखाने जहाँ पर बफिंग, वैल्डिंग, स्प्रेयिंग और कैमिकल्ज आदि का काम होता है, वहाँ श्रमिकों का जीवन खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे व्यवसाय में काम करने से अनेक प्रकार के व्यावसायिक रोग लग सकते हैं। व्यावसायिक स्वास्थ्य सभी व्यवसायों में श्रमिकों की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक भलाई की प्रक्रिया है जिसमें उनको व्यवसायों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं।

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा करने में सहायक होती है। यह स्वास्थ्य व्यवसाय से संबंधित विभिन्न समस्याओं की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जोर देता है। स्वरोजगार हेतु व्यावसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक है। बेरोजगारी की समस्या देश में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए हमें व्यावसायिक शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। व्यावसायिक स्वास्थ्य एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि हमें किसी व्यवसाय के बारे में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। एक बार जब कोई विद्यार्थी किसी व्यवसाय का चयन कर लेता है तो उसे अपना लक्ष्य ज्ञात होता है

और अपने भविष्य के बारे में संतुष्टि होती है। बहुत-से ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन किया जाए तो ऐसी परिस्थितियों में काम करके स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है। अतः व्यावसायिक स्वास्थ्य हमें सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के अनेक नियमों से अवगत करवाती है। व्यावसायिक स्वास्थ्य आज के समय की सबसे बड़ी माँग है। इस प्रकार आज के मशीनी युग में व्यावसायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता बहुत अधिक बढ़ गई है।

व्यावसायिक स्वास्थ्य का महत्त्व (Importance of Occupational Health): आज के मशीनी एवं वैज्ञानिक युग में व्यावसायिक स्वास्थ्य की महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए व्यावसायिक स्वास्थ्य निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण है
1. व्यावसायिक स्वास्थ्य किसी व्यक्ति या श्रमिक को कार्य करने के स्थान पर होने वाली स्वास्थ्य संबंधी हानियों एवं हादसों की जानकारी देकर उनसे बचने के उपाय बताता है।

2. बहुत-से ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन किया जाए तो विपरीत परिस्थितियों में काम करके स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है। अत: व्यावसायिक स्वास्थ्य हमें सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के अनेक नियमों से अवगत करवाता है।

3. यह श्रमिकों की शारीरिक और मानसिक क्षमता के अनुकूल एक व्यावसायिक वातावरण बनाने में श्रमिकों व कर्मचारियों की सहायता करता है।

4. यह स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल कारकों के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिमों को दूर करता है।

5. सरकार ने व्यवसाय संबंधी अनेक अधिनियम बनाए हैं। श्रमिकों व कर्मचारियों को इन अधिनियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे इन अधिनियमों के अनुसार कार्य करें। व्यावसायिक स्वास्थ्य के अंतर्गत श्रमिकों व कर्मचारियों को इन अधिनियमों की जानकारी दी जाती है।

6. व्यावसायिक स्वास्थ्य काम करने वाले लोगों को उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की पूरी जानकारी देता है और उनके उपचार हेतु भी पूर्ण जानकारी देता है।

7. विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में काम करने वाले श्रमिकों व कर्मचारियों को अनेक जोखिमों या कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि श्रमिक व कारीगर इस ओर ध्यान न दें तो कोई दुर्घटना घट सकती है। परन्तु व्यावसायिक स्वास्थ्य के अंतर्गत श्रमिकों व कर्मचारियों को अपनी सुरक्षा हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाता है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य

प्रश्न 4.
आधुनिक समाज में व्यावसायिक संकटों के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हमारा देश औद्योगिक क्षेत्र की तरफ तेजी से प्रगति कर रहा है। औद्योगिकरण के कारण आज उद्योगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसके कारण व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उठना स्वाभाविक है। विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक संकटों के लिए विभिन्न कारक उत्तरदायी हैं। ये कारक निम्नलिखित हैं

1. भौतिक कारक (Physical Factors):
इसके अंतर्गत कम या अधिक तापमान, कम या अधिक प्रकाश, मशीनों की अधिक आवाज़ और हानिकारक किरणों तथा विषैली गैसों को सम्मिलित किया जाता है। जो व्यक्ति इन कारकों की उपस्थिति में किसी कारखाने या उद्योग में काम करता है, वह इनसे अवश्य प्रभावित होता है। अधिक तापमान काम करने वाले की कार्यक्षमता को कम कर देता है और थकावट जल्दी आती है। अतः काम करने वाले स्थान पर उचित प्रकाश, उचित तापमान, विषैली गैसों व किरणों से बचने के उपाय या बचाव के साधन होने चाहिएँ। ठंड में काम करने से फ्रॉस्ट बाइट (Frost Bite) नामक बीमारी हो जाती है और अत्यधिक शोर व्यावसायिक बहरेपन का कारण बनता है।

2. सामाजिक कारक (Social Factors):
कुछ व्यवसाय इस प्रकार के होते हैं जिनका प्रभाव काम करने वालों के सामाजिक जीवन पर पड़ता है। उनको आनंद-रहित व नीरस वातावरण मिलता है और उन्हें आपसी मेल-जोल का कोई अवसर प्राप्त नहीं हो पाता। ये कारक काम करने वालों के सामाजिक जीवन पर प्रभाव डालते हैं।

3. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors):
मनोवैज्ञानिक कारकों की मनुष्य के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यदि काम करने वाला श्रमिक किसी दबाव या तनाव में काम करता है तो वह मनोवैज्ञानिक रूप से उदास रहता है और कई मनोवैज्ञानिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इस तरह के कारक श्रमिक के सामने कई अन्य समस्याएँ भी उत्पन्न कर देते हैं जिनका समाधान करना एक जटिल कार्य है।

4. पर्यावरण संबंधी कारक (Environmental Factors):
विभिन्न प्रकार की फैक्टरियाँ तथा उद्योग पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। ये उद्योग-धंधे हमारे आस-पास के वातावरण को दूषित करते हैं जिसके कारण कर्मचारी तथा उनके परिवार के सदस्य कुछ असाध्य बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। कर्मचारी के स्वास्थ्य पर बाह्य तथा आंतरिक दोनों वातावरण प्रभाव डालते हैं। अगर पर्यावरण में संतुलन कायम नहीं होगा तो कर्मचारी अपने-आपको स्वस्थ रखने के योग्य नहीं होंगे। विभिन्न प्रकार की श्वास की समस्याएँ दूषित वायु में साँस लेने से होती हैं।

5. पारिस्थितिक कारक (Ecological Factors):
जहाँ तक दूषित वातावरण का संबंध है इसका प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण विकसित तकनीक तथा मनुष्य की ऐश्वर्यपूर्ण होने की अपनी लालसा ही है। इस प्रकार वर्तमान समय में सभी जीवों के जीने के सहायक तत्त्वों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वास्तव में इस विकास ने पारिस्थितिक असंतुलन पैदा कर दिया है। यह असंतुलन मनुष्य के स्वास्थ्य पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

6. विद्युत-संबंधी कारक (Electrical Factors):
कई फैक्टरियाँ विद्युत से चलती हैं। कई बार इसका ज्ञान न होने के कारण शार्ट सर्किट द्वारा दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इनसे श्रमिकों या कर्मियों को गहरी चोट लग जाती है और कई बार तो मृत्यु तक भी हो जाती है।

7. रासायनिक कारक (Chemical Factors):
बहुत-सी बीमारियों के उत्पन्न होने का कारण रासायनिक पदार्थ हैं। पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण अनेक जहरीली गैसें हैं; जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, कार्बन-मोनोक्साइड, लैड, क्लोरो-फ्लोरोकार्बन आदि जहरीली गैसें सिर-दर्द तथा श्वास की बीमारी उत्पन्न करती हैं तथा कभी-कभी तो मृत्यु तक भी हो जाती है। ये घटनाएँ अधिकतर खदानों में होती हैं। जहरीले रसायन श्रमिकों व कर्मचारियों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

8. तकनीकी कारक (Mechanical Factors):
लगभग सभी उद्योगों में उत्पादन के लिए बड़े-बड़े तकनीकी यंत्र लगे हुए हैं। अगर कर्मचारी इन यंत्रों को लापरवाही के साथ प्रयोग कर रहा हो तो दुर्घटना होना स्वाभाविक है। यहाँ तक कि मशीन चलाने की जानकारी न होने के कारण भी कर्मचारी को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। विभिन्न तकनीकी संकट सुरक्षात्मक यंत्र न प्रयोग करने के कारण भी हो सकते हैं। हाथों की दुर्घटनाएँ खेतों में प्रयोग होने वाले यंत्र जैसे थ्रेशर आदि के कारण हो सकती हैं।

प्रश्न 5.
व्यवसायों में सुधार हेतु सरकारी व सामाजिक संस्थाओं तथा कारखानों की तरफ से किए जाने वाले उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यावसायिक जोखिमों या दुर्घटनाओं से बचने के लिए क्या-क्या उपाय किए जाने चाहिएँ?
उत्तर:
सरकारी व सामाजिक संस्थाओं की तरफ से किए जाने वाले उपाय (Remedies Adopted by Government and Social Institutions)-सरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा व्यावसायिक बीमारियों की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपाय निम्नलिखित हैं

1. लोगों को सुरक्षा के बारे में जानकारी देना (To Educate the People about Safety):
सरकारी व सामाजिक संस्थाओं का कर्त्तव्य बनता है कि वे विज्ञापनों, टेलीविजनों, फिल्मों, भाषणों और प्रदर्शनों द्वारा लोगों को दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए उपाय बताएँ और अपनी सुरक्षा हेतु प्रेरित करें।

2. चिकित्सा केंद्र खोलना (Opening of Medical Centres):
चिकित्सा केंद्र खोलना सरकारी व सामाजिक संस्थाओं का पहला कर्त्तव्य है। किसी समय भी आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टरी सहायता दी जा सकती है। इस काम में सामाजिक संस्थाएँ अधिक योगदान दे सकती हैं। ऐसी संस्थाएँ लोगों को नियमों का पालन करना तथा दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है, आदि बताकर लोगों और समाज की सेवा कर सकती हैं।

3. बुरी आदतों से छुटकारा पाने के उपाय (Measures of Eliminating the Bad Habits):
सरकार द्वारा नशीले पदार्थों, शराब और अन्य नशे वाली चीजें, जिनका सेवन करने से दुर्घटनाएं हो सकती हैं, को रोका जाए और इन परिस्थितियों में वाहन चलाने पर पाबंदी लगाई जाए।

कारखानों की तरफ से किए जाने वाले उपाय (Remedies adopted by Factories): कारखानों की तरफ से किए जाने वाले उपाय निम्नलिखित हैं
1. सुरक्षा के उपाय (Safety Measures):
प्रत्येक कारखाने में श्रमिकों के लिए बढ़िया और आधुनिक सुरक्षात्मक प्रबंध होने चाहिएँ ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके। आग बुझाने के लिए गैस का प्रबंध, पानी का प्रबंध, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स आदि का होना अत्यंत आवश्यक है।

2. डॉक्टरी निरीक्षण (Medical Checkup):
प्रत्येक श्रमिक व कर्मचारी का डॉक्टरी निरीक्षण अत्यंत आवश्यक है। इसके द्वारा श्रमिकों व कर्मियों की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। एक स्वस्थ श्रमिक ही मालिक और कारखाने के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। बीमार श्रमिक दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।

3. योग्य, प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारी (Efficient, Trained and Experienced Workers):
कारखानों में सदैव योग्य, अच्छे प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों को ही भर्ती किया जाना चाहिए। मशीनों का अच्छी तरह प्रयोग एक अच्छा प्रशिक्षित कर्मचारी ही कर सकता है। अनुभवहीन कर्मचारी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।

4. मशीनों की समय-समय पर जाँच (Checking of Machines from Time to Time):
कारखानों में कई प्रकार की मशीनें लगी हुई होती हैं और कई बार ये मशीनें काफी पुरानी हो जाती हैं। इन मशीनों की समय-समय पर जाँच करके उनकी आवश्यकतानुसार मरम्मत करनी चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

प्रश्न 6.
व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न अधिनियमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों, कर्मचारियों व प्रबंधकों की अपनी लापरवाही के कारण वे कई बार व्यावसायिक संबंधी खतरों के शिकार बन जाते हैं। इस वास्तविकता को ध्यान में रखकर विभिन्न स्तरों पर सरकार द्वारा कुछ अधिनियम बनाए गए हैं जिससे कर्मचारियों के स्वास्थ्य की अधिक-से-अधिक सुरक्षा की जा सके और विपत्ति पड़ने पर सहायता की जा सके। इनमें से कुछ आवश्यक अधिनियम इस प्रकार हैं

1. श्रमिक मुआवजा अधिनियम, 1923 (Workmen’s Compensation Act, 1923):
इस अधिनियम के अनुसार व्यावसायिक स्थान पर यदि किसी कर्मचारी को दुर्घटना का शिकार होना पड़ जाए और वह उस दुर्घटना-स्वरूप आजीवन कमाने में असमर्थ हो जाए तो ऐसी स्थिति में सरकार को मुआवजा देना पड़ता है। इसकी राशि दुर्घटना की गंभीरता पर निर्भर करती है। इसमें कारखानों, बागानों, मशीनों से चलने वाले वाहनों के संचालन, निर्माण कार्यों और जोखिम वाले कुछ अन्य व्यवसायों में कार्यरत श्रमिक व कर्मचारी की आयु और वेतन के हिसाब से मृत्यु होने पर मुआवजा निर्धारित किया गया है। इस अधिनियम को 23 दिसम्बर, 2009 को कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 2009 बनाया गया।

2. वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 (Payment of Wages Act, 1936):
वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 एक श्रमिक हितैषी अधिनियम है जिसका मुख्य उद्देश्य वेतन का समय पर भुगतान तथा वेतन से अधिकृत कटौतियों के अतिरिक्त अन्य कटौती न की जाए, यह सुनिश्चित करना है।

3. फैक्टरी अधिनियम, 1948 (Factory Act, 1948):
इस अधिनियम के अनुसार विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों की भली-भांति सफाई होनी चाहिए। गंदगी नियमित रूप से उठानी चाहिए। फर्शों को कीटाणुनाशक दवाई डालकर साफ करना चाहिए। कारखानों आदि में अधिक भीड़भाड़ नहीं होनी चाहिए ताकि किसी दुर्घटना की संभावना न रहे। काम के स्थान पर उचित हवा व प्रकाश आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पीने के पानी का भी समुचित प्रबंध होना चाहिए। यदि किसी कारखाने में 250 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं तो पानी का उचित प्रबंध होना चाहिए।

कार्यस्थल पर उचित हवा और प्रकाश आदि की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि किसी दुर्घटना की संभावना न रहे। इस अधिनियम के अनुसार किसी राज्य में उपर्युक्त नियमों का पालन करवाना मुख्य फैक्टरी निरीक्षक (Chief Inspector of Factories) के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस नियम के अनुसार फैक्टरी के प्रबंधकों को या किसी श्रमिक को कोई व्यावसायिक बीमारी हो जाने पर अनिवार्य रूप से मुख्य फैक्टरी निरीक्षक को सूचित करना पड़ता है और इन्हें निश्चित बचावात्मक कार्रवाई करनी पड़ती है।

4. राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम, 1948 (Employees State Insurance Act, 1948):
इस अधिनियम के फलस्वरूप विभिन्न व्यवसायों में काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य व्यवसायों में काम करने वाले व्यक्तियों को बीमारी या काम करने वाले स्थान पर किसी दुर्घटना का शिकार होने पर हर प्रकार की सहायता दिलाना है। इस अधिनियम के अंतर्गत कर्मचारियों तथा मालिकों को निश्चित राशि जमा करानी पड़ती है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकारें एवं केंद्रीय सरकार भी आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं। इससे होने वाले लाभ इस प्रकार हैं

(i) चिकित्सा संबंधी लाभ (Advantages Related to Treatment):
कर्मचारियों की चिकित्सा हेतु राज्य श्रमिक बीमा अस्पताल तथा चिकित्सालय आदि खोले गए हैं जिनमें कर्मचारियों का उपचार किया जाता है और उन्हें दवाइयाँ दी जाती हैं। उन्हें परिवार कल्याण संबंधी परामर्श व सहायता प्रदान की जाती है। स्वास्थ्य शिक्षा दी जाती है और स्वास्थ्य प्रतिरक्षा संबंधी कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

(ii) आर्थिक सहायता (Economical Help):
लंबी बीमारी अथवा किसी दुर्घटना के अवसर पर राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम के अंतर्गत श्रमिकों व कर्मचारियों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। बीमारी पर अधिक खर्च होने पर राज्य सरकार उस व्यय को वहन करती है और श्रमिकों व कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के लिए भी सहायता प्रदान करती है।

5. खान अधिनियम (Mines Act):
खानों में काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए कुछ अधिनियम जारी किए गए हैं, उनका खानों में पालन किया जाता है।

6. मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Maternity BenefitAct, 1961):
इस अधिनियम के तहत प्रसव पूर्व तथा प्रसव पश्चात् महिलाओं से काम करवाने की मनाही है। कुछ शर्तों को पूरा करने पर गर्भावस्था के दौरान कार्य से अनुपस्थित रहने की दशा में मातृत्व अवकाश तथा वित्तीय लाभ देने का प्रावधान किया गया है।

7. बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 (Payment of Bonus Act, 1965):
इस अधिनियम में श्रमिकों व कर्मचारियों के किसी कारखाने व प्रतिष्ठान में बोनस की भुगतान की व्यवस्था की गई है।

8. ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 (Payment of Gratuity Act, 1972):
यह अधिनियम कारखानों, खानों, तेल क्षेत्रों, बन्दरगाहों, रेलवे, मोटर परिवहन प्रतिष्ठानों, कम्पनियों, दुकानों तथा अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले श्रमिकों एवं कर्मचारियों पर लागू होता है।

9. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (Minimum Wages Act):
सरकार की ओर से विभिन्न व्यवसायों में काम करने वाले श्रमिकों अथवा व्यक्तियों को न्यूनतम भत्ता देने का आदेश दिया हुआ है। उसकी अवहेलना करने पर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है। श्रमिकों को किसी प्रकार की कठिनाई अनुभव न हो, इसको ध्यान में रखते हुए सरकार समय-समय पर श्रमिकों व कारीगरों को दिए जाने वाले न्यूनतम वेतन में संशोधन करती रहती है।

प्रश्न 7.
व्यवसायों से लगने वाली बीमारियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इस पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सुचारू रूप से चलाने के लिए कोई-न-कोई व्यवसाय अपनाता है। कई बार ये व्यवसाय हमारे शरीर में विकार उत्पन्न करने का कारण बन जाते हैं। कई व्यवसाय ऐसे होते हैं जिनके कारण अनेक प्रकार की दिव्यांगता या बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे व्यवसाय से होने वाली बीमारियाँ निम्नलिखित हैं

1. दमा और कैंसर (Asthma and Cancer):
जो मज़दूर स्प्रे (Spray) या डोप (Dope) का कार्य करते हैं उन्हें दमा, कैंसर या ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) की बीमारी हो जाती है। मजदूर व कारीगर काफी समय तक काम करते रहते हैं तथा इन बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

2. एन्थराक्रोसिस (Anthracosis):
यह बीमारी कोयले के कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को ज्यादातर होती है। कोयले के छोटे-छोटे कणों का शरीर में प्रवेश करने से यह बीमारी उत्पन्न होती है।

3. बाइसीनोसिस (Byssinosis):
यह बीमारी प्राय: उन श्रमिकों व कारीगरों को होती है जो कपड़ा उद्योगों में कार्य करते हैं। कपास और धूल के छोटे-छोटे कण सांस के द्वारा फेफड़ों में घुस जाते हैं जिनके कारण वे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं।

4. सीसे का जहर (Lead Poisoning):
सीसे के जहरीले (Lead Poisoning) कण त्वचा तथा श्वास द्वारा शरीर में पहुंच जाते हैं। ये कण रक्त के ऊपर प्रभाव डालते हैं। ज्यादातर यह बीमारी उन श्रमिकों व कारीगरों को होती है जो पीतल फाउंड्री, लेड फाउंड्री, रंग-रोगन आदि के व्यवसाय में कार्य करते हैं। इससे सिर-दर्द, निद्रा का ठीक प्रकार से न आना, शारीरिक वृद्धि में विकार व अधरंग हो सकता है जिसके कारण व्यक्ति दिव्यांगता का शिकार हो जाता है।

5. सिलीकोसिस (Silicosis):
यह बीमारी सिलिका के कणों के द्वारा होती है। सिलिका के छोटे-छोटे कण सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह फेफड़ों की बीमारी है। यह बीमारी ईंटों के भट्ठे पर, फाउंड्री में, कोयले की खानों में, चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे व्यवसायों में कार्य करने वाले मजदूरों व कारीगरों को होती है। इससे वे दिव्यांग हो जाते हैं।

6. क्षय रोग (Tuberculosis):
यह बीमारी अधिकतर उन श्रमिकों व कारीगरों को होती है जो कपड़ा उद्योगों में कार्य करते हैं। यह भी फेफड़ों की बीमारी है। रूई के छोटे-छोटे कण साँस द्वारा फेफड़ों में चले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति धीरे-धीरे क्षय रोग से ग्रस्त हो जाता है।

7. साइड्रोसिस (Siderosis):
आयरन उद्योग साइड्रोसिस के लिए जिम्मेदार हैं। साइड्रोसिस बीमारी आयरन ऑक्साइड वाली धूल के कारण होती है। आयरन ऑक्साइड के कण शरीर में श्वास और त्वचा के द्वारा प्रवेश हो जाते हैं और रक्त को विषैला कर देते हैं।

8. अन्य व्यावसायिक रोग (Other Occupational Diseases):
जलना, बिजली का झटका लगना, खेलने वाले उपकरणों की चोट से कई प्रकार के रोग हमारे शरीर में पैदा हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है। बहुत से व्यवसाय ऐसे हैं जहाँ श्रमिकों को चर्म रोग, रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। बहुत तेज रोशनी में काम करने वाले श्रमिक नेत्रहीनता के शिकार हो जाते हैं। तेज आवाज में काम करने वाले व्यक्तियों को बहरेपन की समस्या हो जाती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यावसायिक स्वास्थ्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है। अपनी आजीविका चलाने के लिए उसे कोई-न-कोई व्यवसाय या कार्य अवश्य करना पड़ता है। कार्य करने के लिए व्यक्ति के लिए बहुत से व्यवसाय हैं; जैसे लघु उद्योग, बड़े उद्योग, कृषि व्यवसाय, पशुपालन व्यवसाय व अन्य व्यवसाय आदि। प्रत्येक प्रकार के व्यवसायों की परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं जिनका व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यवसाय ऐसे भी होते हैं जिनमें रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

ऐसे व्यवसाय या इनकी परिस्थितियाँ किसी-न-किसी रूप में व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। यदि इन व्यवसायों की परिस्थितियों में सुधार तथा कार्य करने वाले लोगों को जागरूक किया जाए तो व्यावसायिक संकटों या बीमारियों से बचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान व्यावसायिक स्वास्थ्य का होता है, क्योंकि यह एक ऐसी योजना है जो व्यक्ति को कार्य करने के स्थान पर होने वाली स्वास्थ्य संबंधी हानियों और हादसों से बचाव में सहायक होती है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित वातावरण उत्पन्न करना है।

जिसमें कार्य करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है। संक्षेप में, व्यावसायिक स्वास्थ्य व्यवसायों से संबंधित समस्याओं या संकटों की रोकथाम और प्रबंधन पर जोर देता है और कार्य करने वाले लोगों को अपने जीवन की सुरक्षा हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यस्थल में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के सभी पहलुओं तथा संकटों ( खतरों) की प्राथमिक रोकथाम पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है।”

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प्रश्न 2.
व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधित किन्हीं तीन समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई तीन समस्याएँ निम्नलिखित हैं
1. वातावरण संबंधी समस्याएँ-ऐसी समस्याएँ जो वातावरण में त्रुटियों के कारण उत्पन्न होती हैं। इनका मुख्य कारण गलत योजनाएँ तथा भवन निर्माण होता है। इनमें समुचित प्रकाश का प्रबंध न होना, तापमान की वृद्धि अथवा कमी, तीव्र आवाज की गूंज, भवन-निर्माण संबंधी समस्याओं से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ आती हैं।

2. रासायनिक प्रदूषण-कुछ व्यावसायिक समस्याएँ रासायनिक प्रदूषण के कारण उत्पन्न होती हैं; जैसे विषैली गैसों की उत्पत्ति, विषैले रासायनिक पदार्थों का वायु में मिलना जिनमें सीसा, कोयला, पारा, लोहा आदि सम्मिलित हैं।

3. व्यावसायिक समस्याएँ-कुछ ऐसी समस्याएँ व्यावसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में आती हैं जिनका संबंध चिकित्सा क्षेत्र से होता है। यदि चिकित्सा संबंधी सभी प्रकार के उपाय किए जाएँ तो श्रमिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सकती है। चिकित्सा के साथ-साथ बीमारी, दुर्घटनाओं के शिकार व व्यक्तियों के पुनर्वास की समस्या भी जुड़ी हुई है।

प्रश्न 3.
व्यावसायिक बीमारियों या समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए कारखानों की तरफ से किए जाने वाले उपाय बताएँ।
उत्तर:
व्यावसायिक समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए कारखानों की तरफ से किए जाने वाले उपाय निम्नलिखित हैं
1. सुरक्षा के उपाय:
प्रत्येक कारखाने में श्रमिकों के लिए बढ़िया और आधुनिक सुरक्षात्मक प्रबंध होने चाहिएँ ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके। आग बुझाने के लिए गैस का प्रबंध, पानी का प्रबंध, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स आदि का होना अत्यंत आवश्यक है।

2. डॉक्टरी निरीक्षण:
प्रत्येक श्रमिक व कर्मचारी का डॉक्टरी निरीक्षण अत्यंत आवश्यक है। इसके द्वारा श्रमिकों व कर्मचारियों की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। एक स्वस्थ श्रमिक ही मालिक और कारखाने के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। बीमार श्रमिक दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।

3. योग्य, प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारी:
कारखानों में सदैव योग्य, अच्छे प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों को ही भर्ती किया जाना चाहिए। मशीनों का अच्छी तरह प्रयोग एक अच्छा प्रशिक्षित कर्मचारी ही कर सकता है। अनुभवहीन कर्मचारी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।

4. मशीनों की समय-समय पर जाँच:
कारखानों में कई प्रकार की मशीनें लगी हुई होती हैं और कई बार ये मशीनें काफी पुरानी हो जाती हैं। इन मशीनों की समय-समय पर जाँच करके उनकी आवश्यकतानुसार मरम्मत करनी चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

प्रश्न 4.
व्यावसायिक बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले उपाय बताएँ।
उत्तर:
सरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा व्यावसायिक बीमारियों की रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले उपाय निम्नलिखित हैं
1. लोगों को सुरक्षा के बारे में जानकारी देना:
सरकारी व सामाजिक संस्थाओं का कर्तव्य बनता है कि वे विज्ञापनों, टेलीविजनों, फिल्मों, भाषणों और प्रदर्शनों द्वारा लोगों को दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए उपाय बताएँ और अपनी सुरक्षा हेतु प्रेरित करें।

2. चिकित्सा केंद्र खोलना:
चिकित्सा केंद्र खोलना सरकारी व सामाजिक संस्थाओं का पहला कर्त्तव्य है। किसी समय भी आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टरी सहायता दी जा सकती है। इस काम में सामाजिक संस्थाएँ अधिक योगदान दे सकती हैं। ऐसी संस्थाएँ, लोगों को नियमों का पालन करना तथा दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है आदि बताकर लोगों और समाज की सेवा कर सकती हैं।

3. बुरी आदतों से छुटकारा पाने के उपाय;
सरकार द्वारा नशीले पदार्थों, शराब और अन्य नशे वाली चीजें, जिनका सेवन करने से दुर्घटनाएं हो सकती हैं, को रोका जाए और इन परिस्थितियों में वाहन चलाने पर पाबंदी लगाई जाए।

प्रश्न 5.
व्यावसायिक स्वास्थ्य हेतु पर्यावरण संबंधी कारक के बारे में बताएँ।
उत्तर:
विभिन्न उद्योग: धंधों अथवा व्यवसायों में काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर उनके धंधों तथा आस-पास के पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है। यदि पर्यावरण दूषित है तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह समय की पुकार है कि ऐसे स्थानों को स्वच्छ रखा जाए और उन्हें स्वास्थ्य संबधी नियमों के अनुकूल बनाया जाए ताकि श्रमिक व कर्मचारी अनुकूल व स्वच्छ वातावरण में काम करते हुए अधिक उत्पादन की पूर्ति का प्रयास करें। स्वच्छता की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं को दृष्टि में रखते हुए फैक्टरी अधिनियम, 1948 बनाया गया, जिसके अंतर्गत दिए गए नियमों का पालन करना अनिवार्य है। पर्यावरण दूषित होने से अनेक प्रकार के रोग पनपते हैं, जिनकी ओर सरकारी तथा क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा संस्थाएँ समय-समय पर प्रबंधकों तथा श्रमिकों का ध्यान आकृष्ट करती रहती हैं।

प्रश्न 6.
व्यावसायिक स्वास्थ्य हेतु रासायनिक संबंधी कारक के बारे में बताएँ।
उत्तर:
कुछ ऐसे व्यवसाय भी हैं जहाँ रासायनिक प्रदूषण अधिक मात्रा में होता है अर्थात् मशीनों से रासायनिक कण उड़कर आस-पास हवा में प्रवेश कर उसमें मिल जाते हैं और ये कण काम करने वाले श्रमिकों व कारीगरों के शरीर में तीन प्रकार से प्रवेश करते हैं

  1. श्वास के माध्यम से फेफड़ों तक।
  2. मुख के माध्यम से पेट तक।
  3. त्वचा के माध्यम से शरीर के अंदर रक्त तक।

इस प्रकार के प्रदूषण से निमोनिया, दमा और पेट की कुछ बीमारियाँ हो सकती हैं। इसकी रोकथाम के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिएँ।

प्रश्न 7.
हमें व्यावसायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
विश्व के लगभग सभी व्यक्ति किसी-न-किसी व्यवसाय से संबंधित हैं। कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जिनमें काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यदि उपाय न किए जाएँ तो इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस प्रकार के व्यवसायों में उचित प्रबंध करके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।

उदाहरणतः ऐसे कारखाने जहाँ पर बफिंग, वैल्डिंग, स्प्रेयिंग और कैमिकल्ज आदि का काम होता है, वहाँ श्रमिकों का जीवन खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे व्यवसाय में काम करने से अनेक प्रकार के व्यावसायिक रोग लग सकते हैं। व्यावसायिक स्वास्थ्य सभी व्यवसायों में श्रमिकों की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक भलाई की प्रक्रिया है जिसमें उनको व्यवसायों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं।

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा करने में सहायक होती है। यह स्वास्थ्य व्यवसाय से संबंधित विभिन्न समस्याओं की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जोर देता है। स्वरोजगार हेतु व्यावसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक है। बेरोजगारी की समस्या देश में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए हमें व्यावसायिक शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। व्यावसायिक स्वास्थ्य एक ऐसी

प्रक्रिया है जो कि हमें किसी व्यवसाय के बारे में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। एक बार जब कोई विद्यार्थी किसी व्यवसाय का चयन कर लेता है तो उसे अपना लक्ष्य ज्ञात होता है और अपने भविष्य के बारे में संतुष्टि होती है। बहुत-से ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन किया जाए तो ऐसी परिस्थितियों में काम करके स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है। अत: व्यावसायिक स्वास्थ्य हमें सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के अनेक नियमों से अवगत करवाती है। व्यावसायिक स्वास्थ्य आज के समय की सबसे बड़ी माँग है। इस प्रकार आज के मशीनी युग में व्यावसायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता बहत अधिक बढ़ गई है।।

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प्रश्न 8.
व्यावसायिक स्वास्थ्य की महत्ता पर संक्षेप में प्रकाश डालें।
उत्तर:
आज के मशीनी एवं वैज्ञानिक युग में व्यावसायिक स्वास्थ्य की महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए व्यावसायिक स्वास्थ्य निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण है
1. व्यावसायिक स्वास्थ्य किसी व्यक्ति या श्रमिक को कार्य करने के स्थान पर होने वाली स्वास्थ्य संबंधी हानियों एवं हादसों की जानकारी देकर उनसे बचने के उपाय बताता है।

2. बहुत-से ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन किया जाए तो ऐसी परिस्थितियों में काम करके स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है। अतः व्यावसायिक स्वास्थ्य हमें सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के अनेक नियमों से अवगत करवाता है।

3. सरकार ने व्यवसाय संबंधी अनेक अधिनियम बनाए हैं। श्रमिकों व कर्मचारियों को इन अधिनियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे इन अधिनियमों के अनुसार कार्य करें। व्यावसायिक स्वास्थ्य के अंतर्गत श्रमिकों व कर्मचारियों को इन अधिनियमों की जानकारी दी जाती है।

4. व्यावसायिक स्वास्थ्य काम करने वाले लोगों को उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की और उनके उपचार हेतु भी पूर्ण जानकारी देता है।

5. विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में काम करने वाले श्रमिकों व कर्मचारियों को अनेक जोखिमों या कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि श्रमिक इस ओर ध्यान न दें तो कोई दुर्घटना घट सकती है। परन्तु व्यावसायिक स्वास्थ्य के अंतर्गत श्रमिकों व कर्मचारियों को अपनी सुरक्षा हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाता है।

प्रश्न 9.
व्यावसायिक स्वास्थ्य के मुख्य सिद्धांत बताएँ।
अथवा
व्यावसायिक स्वास्थ्य के किन्हीं चार सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं

1. व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी अधिनियमों की पूर्ण जानकारी:
श्रमिकों व कर्मचारियों को उन अधिनियमों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए जिनके अंतर्गत वे काम कर रहे हैं। प्रत्येक श्रमिक को व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी कानूनों के अंतर्गत काम करना चाहिए।

2. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पूर्ण ज्ञान:
श्रमिकों व कर्मचारियों को स्वास्थ्य-संबंधी समस्याओं की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ-साथ उनके उपचार की भी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। सामान्य रूप से देखा गया है कि श्रमिकों व कर्मचारियों को ऐसी जानकारी नहीं होती और न ही वे इसकी ओर ध्यान देते हैं। अतः ऐसे श्रमिकों व कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा देनी चाहिए।

3. नियुक्ति के समय चिकित्सा जाँच:
नियुक्ति के समय चिकित्सा जाँच होनी चाहिए। यदि श्रमिक का स्वास्थ्य पूर्ण रूप से ठीक है तभी उसे नौकरी देनी चाहिए।

4. मध्यांतर में चिकित्सा जाँच:
नियमित अंतराल पर श्रमिकों व कारीगरों के स्वास्थ्य की जाँच अवश्य करवानी चाहिए। इससे बीमारियों का पता चलता है और उनका उपचार भी किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
व्यावसायिक संकटों से बचाव के उपायों का वर्णन कीजिए। उत्तर-व्यावसायिक संकटों या बीमारियों से निम्नलिखित उपायों द्वारा बचाव किया जा सकता है
1. वातावरण की देखभाल:
वातावरण को नियंत्रित रखने के लिए कई उपाय करने की आवश्यकता होती है; जैसे व्यर्थ सामग्री का सुरक्षित निष्कासन, स्वच्छ पीने का पानी, उचित प्रकाश, वायु का सही आना-जाना तथा सफाई के उपाय आदि।

2. चिकित्सा उपाय:
भर्ती के समय श्रमिकों व कारीगरों का चिकित्सा परीक्षण, प्राथमिक सहायता के साधन तथा रोगियों अथवा घायलों की देखभाल कुछ आवश्यक चिकित्सा संबंधी उपाय हैं जो श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

3. स्वास्थ्य शिक्षा:
श्रमिकों व कारीगरों तथा कर्मचारियों को सुरक्षा के उपायों की शिक्षा देने से उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।

4. इंजीनियरिंग एवं तकनीकी उपाय:
इन उपायों में कारखानों का सही निर्माण, जिससे इन स्थानों पर अधिक भीड़-भाड़ न हो तथा वातावरण स्वच्छ रहे, उचित मशीनों का प्रयोग, उनका समय-समय पर निरीक्षण तथा खराब होने की अवस्था में उनको बदलना, सुरक्षा के सही कदम उठाना तथा खतरनाक यंत्रों के लिए सुरक्षित स्थानों का निर्माण जैसे कार्य आते हैं।

5. अधिनियम बनाकर:
श्रमिकों व कारीगरों तथा कर्मचारियों की सुरक्षा हेतु, सरकार द्वारा कई अधिनियम बनाए गए हैं। इनको नियमानुसार लागू किया जाना चाहिए तथा आवश्यकता पड़ने पर इनमें संशोधन होने चाहिएँ। ये अधिनियम हैं:

  1. फैक्टरी अधिनियम,
  2. खान अधिनियम,
  3. राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम,
  4. श्रमिक मुआवजा अधिनियम,
  5. मातृत्व लाभ अधिनियम,
  6. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम आदि।

प्रश्न 11.
दुर्घटनाओं से बचने के मुख्य सुझाव बताएँ।
उत्तर:
दुर्घटनाओं से बचने के मुख्य सुझाव निम्नलिखित हैं

1. यातायात के नियमों का पालन करना:
सड़क या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चलने, सड़क पार करने और यातायात आदि के नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से हम दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।

2. शिक्षा की बढ़िया योजना:
दिव्यांगता को रोकने, उनसे बचाव करने और उपाय सम्बन्धी शिक्षा का समूचा प्रबन्ध करने के लिए सरकार को बढ़िया योजना बनानी चाहिए।

3. सामान की जांच:
पड़ताल करना-घर या खेल के मैदान में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान को जांच-पड़ताल के बाद ही प्रयोग में लाना चाहिए ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

4. नियमित व्यायाम:
व्यवसायों से पैदा होने वाले रोगों से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहेगा और रोगों से मुक्ति मिलेगी।

5. दुर्घटनाओं को रोकना:
जहाँ तक सम्भव हो सके, व्यावसायिक क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयत्न करने चाहिएँ। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की पालना करनी चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। सुरक्षा सम्बन्धी कानूनों की पालना करने से केवल श्रमिकों को ही नहीं अपितु उद्योगपतियों को भी लाभ पहुँचता है। श्रमिकों को काम सम्बन्धी नियमों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए और प्रबन्धकों को भी प्रबन्ध करने में सावधानीपूर्वक काम लेना चाहिए।

6. मादक पदार्थों से परहेज़:
मादक पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इन पदार्थों का सेवन दुर्घटनाओं को बढ़ावा देता है। इसलिए मादक पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यावसायिक स्वास्थ्य

प्रश्न 12.
व्यावसायिक शिक्षा की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
व्यावसायिक शिक्षा की अवधारणा एवं आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वरोजगार हेतु व्यावसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक है। बेरोजगारी की समस्या देश में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए हमें व्यावसायिक शिक्षा की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। व्यावसायिक शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जोकि हमें किसी व्यवसाय के बारे में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है। एक बार जब कोई विद्यार्थी किसी व्यवसाय का चयन कर लेता है तो उसे अपना लक्ष्य ज्ञात होता है और अपने भविष्य के बारे में संतुष्टि होती है।

व्यावसायिक शिक्षा आज के समय की सबसे बड़ी माँग है। यह शिक्षा युवाओं को विशेष प्रकार से कौशल पूर्ण बनाकर उन्हें अनेक रोजगार प्राप्त करने के अवसर प्रदान करती है। ज्यादातर युवाओं को घर चलाने के लिए नौकरी की आवश्यकता होती है। व्यावसायिक शिक्षा नौकरी दिलाने में भी अहम् योगदान देती है। व्यावसायिक शिक्षा स्वयं का उद्योग स्थापित करने में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very ShortAnswer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यवसाय की धारणा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अपनी जीविका चलाने के लिए व्यक्ति को रोजगार के लिए कोई-न-कोई व्यवसाय अपनाना पड़ता है। व्यक्ति के लिए कई प्रकार के व्यवसाय होते हैं । विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में काम करने वाले श्रमिक, कारीगर कर्मचारी विभिन्न प्रकार की स्थिति और विभिन्न प्रकार के वातावरण में अपना काम करते हैं। कुछ व्यवसाय इस प्रकार के हैं जिनके करने से व्यक्ति के मानसिक व
शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यवसाय ऐसे भी हैं जिनका संबंध विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों से या कोयला, लकड़ी, रुई, लोहा, सीसा जैसे पदार्थों से होता है। यहाँ काम करने वाले श्रमिकों व कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर इनका बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार व्यावसायिक स्वास्थ्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यस्थल में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के सभी पहलुओं तथा संकटों (खतरों) की प्राथमिक रोकथाम पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है।”

प्रश्न 3.
व्यावसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है। इसे केवल हम औद्योगिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का क्षेत्र ही नहीं मान सकते। इसमें बड़े-बड़े उद्योगों के अतिरिक्त लघु उद्योग, कृषि और छोटे-छोटे व्यवसाय, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के क्षेत्र भी सम्मिलित हैं। आज के प्रगतिशील युग में विभिन्न प्रकार के व्यवसाय सामने आ रहे हैं जिनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन्हीं के साथ-साथ व्यावसायिक स्वास्थ्य जगत का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 4.
कर्मचारियों की प्रशिक्षण संबंधी समस्या बताएँ।
उत्तर:
उन कर्मचारियों को, जिन्हें औजार तथा यंत्रों का अच्छी तरह से प्रशिक्षण न मिला हो, नौकरी पर लगाना भी दुर्घटना का कारण बनता है। कुछ व्यवसायों में विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसलिए व्यावसायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण ढंग तथा उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करके व्यावसायिक संकट कम कर सकता है।

प्रश्न 5.
व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधी किन्हीं तीन समस्याओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. वातावरण संबंधी समस्याएँ,
  2. रासायनिक पदार्थों से प्रदूषण,
  3. व्यावसायिक समस्याएँ।

प्रश्न 6.
कारखानों की तरफ से व्यावसायिक बीमारियों या चोटों से बचने के लिए किए जाने वाले कोई तीन उपाय बताएँ।
उत्तर:

  1. सुरक्षा का प्रबंध,
  2. डॉक्टरी निरीक्षण,
  3. योग्य, प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारी।

प्रश्न 7.
व्यावसायिक स्वास्थ्य के कोई तीन सिद्धांत बताएँ।
उत्तर:

  1. व्यावसायिक स्वास्थ्य संबंधी अधिनियम की पूर्ण जानकारी,
  2. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पूर्ण ज्ञान,
  3. नियुक्ति के समय चिकित्सा जाँच।

प्रश्न 8.
व्यवसायों से लगने वाली किन्हीं चार बीमारियों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. कैंसर,
  2. एन्थराक्रोसिस,
  3. चमड़ी रोग,
  4. दमा।

प्रश्न 9.
आधुनिक समाज में व्यावसायिक स्वास्थ्य संकट के लिए उत्तरदायी कोई तीन कारक बताएँ।
उत्तर:

  1. पर्यावरण संबंधी कारक,
  2. भौतिक कारक,
  3. मनोवैज्ञानिक कारक।

प्रश्न 10.
व्यावसायिक रोगों के मामलों का प्रबंधन कैसे होता है?
उत्तर:
व्यावसायिक रोगों के मामलों के प्रबंधन के लिए विशेष प्रकार के कौशल की जरूरत होती है। इनके निदान, उपचार के लिए उचित प्रबंध करने पड़ते हैं। इसके बाद स्थानिक एवं वातावरण संबंधी समस्याओं पर विचार करके उन्हें दूर किया जाता है।

प्रश्न 11.
काम करने वाले स्थान पर किन-किन बुराइयों से दूर रहना चाहिए?
उत्तर:
धूम्रपान, नशाखोरी, मद्यपान आदि।

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प्रश्न 12.
व्यावसायिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई तीन अधिनियम बताएँ।
उत्तर:

  1. श्रमिक मुआवजा अधिनियम-1923,
  2. फैक्टरी अधिनियम-1948,
  3. राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम-1948।

प्रश्न 13.
सिलीकोसिस (Silicosis) क्या है?
उत्तर:
सिलीकोसिस बीमारी सिलिका के कणों के द्वारा होती है। सिलिका के छोटे-छोटे कण साँस के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह फेफड़ों की बीमारी है। यह बीमारी ईंटों के भट्ठे पर, फाउंड्री में, कोयले की खानों में, चीनी-मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे व्यवसायों में कार्य करने वाले श्रमिकों व कारीगरों को होती है।

प्रश्न 14.
‘सीसे का विष’ क्या है?
उत्तर:
सीसे के जहरीले कण त्वचा तथा श्वास द्वारा शरीर में पहुंच जाते हैं। ये कण रक्त के ऊपर प्रभाव डालते हैं। ज्यादातर यह बीमारी उन मजदूरों को होती है जो पीतल फाउंड्री, लेड फाउंड्री, रंग-रोगन आदि के व्यवसाय में कार्य करते हैं। इससे सिर-दर्द, निद्रा का ठीक प्रकार से न आना, शारीरिक वृद्धि में विकार व अधरंग हो सकता है जिसके कारण व्यक्ति दिव्यांगता का शिकार हो जाता है।

प्रश्न 15.
‘साइड्रोसिस’ क्या है?
उत्तर:
आयरन उद्योग साइड्रोसिस के लिए ज़िम्मेदार हैं। साइड्रोसिस बीमारी आयरन ऑक्साइड वाली धूल के कारण होती है। आयरन ऑक्साइड के कण शरीर में श्वास और त्वचा के द्वारा प्रवेश हो जाते हैं और रक्त को विषैला कर देते हैं।

प्रश्न 16.
‘बाइसीनोसिस’ क्या है?
उत्तर:
यह बीमारी प्रायः उन श्रमिकों को होती है जो कपड़ा उद्योगों में कार्य करते हैं । कपास और धूल के छोटे-छोटे कण साँस के द्वारा फेफड़ों में घुस जाते हैं जिनके कारण वे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं।

प्रश्न 17.
‘एन्थराक्रोसिस’ क्या है?
उत्तर:
यह बीमारी कोयले के कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को ज्यादातर होती है। कोयले के छोटे-छोटे कणों का शरीर में प्रवेश करने से यह बीमारी उत्पन्न होती है। कोयले की खानें विशेषकर बिहार व झारखण्ड राज्यों में अधिक पाई जाती हैं।

HBSE 11th Class Physical Education व्यावसायिक स्वास्थ्य Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

भाग-I : एक वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कोयले की खान में कार्य करने वाले व्यक्ति प्रायः कौन-से रोग का शिकार हो जाते हैं?
उत्तर:
न्यूमोकोनियोसिस नामक रोग।

प्रश्न 2.
व्यावसायिक स्वास्थ्य की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता क्या है?
उत्तर:
व्यावसायिक स्वास्थ्य की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता डेटाबेस और सूचना प्रणाली है।

प्रश्न 3.
तंबाकू की खेती में लगे श्रमिक किस व्यावसायिक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं?
उत्तर:
तंबाकू की खेती में लगे श्रमिक ग्रीन तंबाकू बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
रेडियोधर्मी विकिरणों के संपर्क से होने वाली कोई एक बीमारी बताएँ।
उत्तर:
रेडियोधर्मी विकिरणों के संपर्क से होने वाली बीमारी कैंसर है।

प्रश्न 5.
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कोई दो पदार्थ बताएँ।
उत्तर:
कोयला, लकड़ी।

प्रश्न 6.
वातावरण संबंधी समस्या के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाओं का आना, ज्वालामुखी विस्फोट।

प्रश्न 7.
प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका के लिए क्या करता है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका के लिए कोई-न-कोई व्यवसाय या काम करता है।

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प्रश्न 8.
भोपाल गैस त्रासदी कब घटित हुई?
उत्तर:
भोपाल गैस त्रासदी 3 दिसम्बर, 1984 में घटित हुई।

प्रश्न 9.
लोग कारखानों में कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के शिकार कैसे होते हैं?
उत्तर:
कारखानों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के साधन उपलब्ध न होने के कारण।

प्रश्न 10.
टी०बी० या तपेदिक रोग का सबसे अधिक प्रभाव शरीर के किस अंग पर पड़ता है?
उत्तर:
टी०बी० या तपेदिक रोग का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है।

प्रश्न 11.
श्रमिक मुआवजा अधिनियम कब बनाया गया?
उत्तर:
श्रमिक मुआवजा अधिनियम सन् 1923 में बनाया गया।

प्रश्न 12.
राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम कब बनाया गया?
उत्तर:
राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम सन् 1948 में बनाया गया।

प्रश्न 13.
फैक्टरी अधिनियम कब बनाया गया?
उत्तर:
फैक्टरी अधिनियम सन् 1948 में बनाया गया।

प्रश्न 14.
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में किस प्रकार की शिक्षा अधिक लाभदायक हो सकती है?
उत्तर:
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में व्यावसायिक शिक्षा अधिक लाभदायक हो सकती है।

प्रश्न 15.
वे रोग जो किसी व्यवसाय में लगे हुए व्यक्ति को उसके व्यवसाय के कारण हो जाते हैं, कौन-से रोग कहलाते हैं?
उत्तर:
वे रोग जो किसी व्यवसाय में लगे हुए व्यक्ति को उसके व्यवसाय के कारण हो जाते हैं, व्यावसायिक रोग कहलाते हैं।

प्रश्न 16.
ऐसे कोई दो कार्य बताएँ जिनसे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
उत्तर:
वैल्डिंग, स्प्रेयिंग।

प्रश्न 17.
मातृत्व लाभ अधिनियम कब बनाया गया?
उत्तर:
मातृत्व लाभ अधिनियम वर्ष 1961 में बनाया गया।

प्रश्न 18.
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम कब बनाया गया?
उत्तर:
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम वर्ष 1972 में बनाया गया।

भाग-II : सही विकल्प का चयन करें

1. व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पदार्थ हैं
(A) रासायनिक पदार्थ
(B) कोयला, लकड़ी
(C) रुई, लोहा, सीसा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

2. किस प्रकार की शिक्षा स्वरोजगार प्रदान करने में सहायक होती है?
(A) स्वास्थ्य शिक्षा
(B) शारीरिक शिक्षा
(C) व्यावसायिक शिक्षा
(D) नैतिक शिक्षा
उत्तर:
(C) व्यावसायिक शिक्षा

3. वातावरण संबंधी समस्याओं का कारण है
(A) प्राकृतिक आपदाओं का आना
(B) ज्वालामुखी विस्फोट
(C) गलत योजनाएँ तथा भवन निर्माण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

4. विषैली गैसों की उत्पत्ति और विषैले रासायनिक पदार्थों का वायु में मिलना किससे संबंधित है?
(A) कृषि संबंधी समस्याओं से
(B) रासायनिक पदार्थों के प्रदूषण से
(C) कर्मचारियों के प्रशिक्षण संबंधी समस्याओं से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) रासायनिक पदार्थों के प्रदूषण से

5. रेडियोधर्मी विकिरण क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्ति अधिकतर किस बीमारी की चपेट में आते हैं?
(A) दमा
(B) ब्लड प्रेशर
(C) कैंसर
(D) तपेदिक
उत्तर:
(C) कैंसर

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6. कोयले की खानों अथवा कोयले से चलने वाले प्लांटों में काम करने वाले श्रमिक किस बीमारी की चपेट में आते हैं?
(A) एन्थराक्रोसिस
(B) तपेदिक
(C) कैंसर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) एन्थराक्रोसिस

7. व्यावसायिक समस्याओं में शामिल है
(A) श्रमिकों की चिकित्सा
(B) श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा
(C) बीमारी या दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों के
(D) उपर्युक्त सभी पुनर्वास की समस्या
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

8. व्यावसायिक संकटों से बचाव किया जा सकता है
(A) वातावरण की देखभाल से
(B) इंजीनियरिंग उपायों से
(C) अधिनियम बनाकर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

9. पृथ्वी का कितना प्रतिशत भाग पानी से घिरा हुआ है?
(A) लगभग 2/3 प्रतिशत भाग
(B) लगभग 1/4 प्रतिशत भाग
(C) लगभग 3/4 प्रतिशत भाग
(D) लगभग 2/4 प्रतिशत भाग
उत्तर:
(A) लगभग 2/3 प्रतिशत भाग

10. अधिक रक्त-दाब का मुख्य कारण है
(A) जल प्रदूषण
(B) ध्वनि प्रदूषण
(C) वायु प्रदूषण
(D) भूमि प्रदूषण
उत्तर:
(B) ध्वनि प्रदूषण

11. ध्वनि प्रदूषण से किसका स्राव अधिक होता है?
(A) पित्तरस का
(B) रक्त का
(C) ऐडरलीन का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर;
(C) ऐडरलीन का

12. जनसंख्या वृद्धि के कारण निम्नलिखित समस्या बढ़ रही है
(A) बेरोजगारी की समस्या
(B) अन्न की समस्या
(C) आवास की समस्या
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

13. वातावरण में अनुचित व अनचाही आवाज या शोर क्या कहलाता है?
(A) वायु प्रदूषण
(B) ध्वनि प्रदूषण
(C) जल प्रदूषण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) ध्वनि प्रदूषण

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14. भोपाल गैस त्रासदी में किस गैस का रिसाव हुआ था?
(A) मिथाइल आइसोसाइनेट का
(B) सोडियम का
(C) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का
(D) जिंक सल्फेट का
उत्तर:
(A) मिथाइल आइसोसाइनेट का

15. औद्योगिक थकान के कारण होते हैं
(A) तापमान का अधिक होना
(B) स्वच्छ वायु का अभाव व कार्य की तीव्रता
(C) पदोन्नति के अवसरों का अभाव
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

16. ठंड में काम करने से कौन-सी बीमारी हो जाती है?
(A) कैंसर
(B) फ्रॉस्ट बाइट
(C) तपेदिक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) फ्रॉस्ट बाइट

17. विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक संकटों के लिए उत्तरदायी कारक हो सकते हैं
(A) भौतिक व सामाजिक कारक
(B) मनोवैज्ञानिक व पर्यावरण संबंधी कारक
(C) पारिस्थितिक व विद्युत-संबंधी कारक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

18. वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी है
(A) ब्रोनकिटिस
(B) दमा
(C) निमोनिया
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

भाग-III : निम्नलिखित कथनों के उत्तर सही या गलत अथवा हाँ या नहीं में दें

1. कर्मचारियों के लिए साफ व शुद्ध पानी का प्रबंध करना आवश्यक है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

2. कर्मचारियों को व्यावसायिक स्वास्थ्य की अवहेलना करनी चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,

3. वैल्डिंग करते समय तेज रोशनी निकलती है जिसका आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

4. सिलिकोसिस, बाइसिनोसिस व न्यूमोकोसिस आदि व्यावसायिक रोगों के उदाहरण हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

5. बोनस भुगतान अधिनियम वर्ष 1980 में बनाया गया। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

6. काम करने के स्थान स्वच्छ एवं हवादार होने चाहिएँ। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

7. अच्छा व्यावसायिक वातावरण किसी फैक्टरी की उत्पादन क्षमता को कम करता है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

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8. व्यावसायिक स्वास्थ्य का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

9. समय-समय पर मशीनी यंत्रों की जाँच करवाते रहना चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

10. फैक्टरियों में काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ठीक रखने की प्रक्रिया व्यावसायिक स्वास्थ्य कहलाती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

भाग-IV : रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका निर्वाह हेतु कोई-न-कोई ……….. अपनाता है।
उत्तर:
व्यवसाय,

2. तीव्र औद्योगिकरण ने पारिस्थितिक में …………. उत्पन्न कर दिया है।
उत्तर:
असन्तुलन,

3. कार्यस्थल पर हवा, पानी और रोशनी आदि का ……………. होना चाहिए।
उत्तर:
उचित प्रबंध,

4. कर्मचारियों को …………….. वातावरण में कार्य करना चाहिए।
उत्तर:
स्वच्छ व हवादार,

5. रेडियोधर्मी विकिरणों से …………….. जैसी भयानक बीमारी हो सकती है।
उत्तर:
कैंसर,

6. फैक्टरी अधिनियम वर्ष ………….. में बनाया गया।
उत्तर:
1948,

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7. रुई से संबंधी फैक्टरी में काम करने वालों को प्रायः …………….. रोग हो जाता है।
उत्तर:
बिसिनोसिस,

8. …………. शिक्षा बेरोजगारी को दूर करने में लाभदायक है।
उत्तर:
व्यावसायिक,

9. राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम वर्ष ………… में बनाया गया।
उत्तर:
1948,

10. भोपाल गैस त्रासदी …………….. में घटित हुई।
उत्तर:
3 दिसम्बर, 1984

व्यावसायिक स्वास्थ्य Summary

व्यावसायिक स्वास्थ्य परिचय

विश्व के लगभग सभी व्यक्ति किसी-न-किसी व्यवसाय से संबंधित हैं। कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जिनमें काम करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यदि उपाय न किए जाएँ तो इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस प्रकार के व्यवसायों में उचित प्रबंध करके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। उदाहरणतः ऐसे कारखाने जहाँ पर बकिंग, वैल्डिंग, स्प्रेयिंग और कैमिकल्ज आदि का काम होता है, वहाँ श्रमिकों का जीवन खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे व्यवसाय में काम करने से अनेक प्रकार के व्यावसायिक रोग लग सकते हैं।

व्यावसायिक स्वास्थ्य सभी व्यवसायों में श्रमिकों की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक भलाई की प्रक्रिया है जिसमें उनको व्यवसायों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा करने में सहायक होती है। यह स्वास्थ्य व्यवसाय से संबंधित विभिन्न समस्याओं की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जोर देता है। इस प्रकार आज के मशीनी युग में व्यावसायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता बहुत अधिक बढ़ गई है।

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