HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता

Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार क्या है?
उत्तर:
आवर्त सारणी में व्यवस्था का मूल आधार समान अभिलक्षणों (भौतिक एवं रासायनिक) वाले तत्त्वों को एक साथ वर्गीकृत करना है। जिससे कि इन लक्षणों का पालन करना काफी आसान हो जाये। चूँक ये अभिलक्षण मुख्यतः तत्त्वों के संयोजी कोश इलेक्ट्रॉंनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं इसलिये किसी समूह या वर्ग में स्थित तत्त्वों में समान संयोजी कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है। वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की निश्चित अन्तरालों पर पुनरावृत्ति होती है।

प्रश्न 2.
मेण्डलीव ने किस गुणधर्म को अपनी आवर्त सारणी में तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार बनाया ? क्या वे उस पर दृढ़ रह पाये ?
उत्तर:
मेण्डलीव ने परमाणु भार को अपनी आवर्त सारणी में तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार बनाया। मेण्डलीव ने एक नियम दिया जिसे मेण्डलीव का आवर्त नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार, “तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनकी द्रव्यमान संख्याओं या परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।”

मेण्डलीव अपने इस सन्दर्भ पर दृढ़ बने रहे। उन्होंने प्रथम बार तत्त्वों को एक सारणी के रूप में व्यवस्थित किया, जहाँ उन्होंने आवर्त तथा समूह बनाये। नि:सन्देह बाद में इसमें कई कमियाँ पायी गयीं तथा वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण के इस आधार को चुनौती भी दी थी।

प्रश्न 3.
मेण्डलीव के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में मौलिक अन्तर क्या है ?
उत्तर:
मेण्डलीव के आवर्त नियम का आधार परमाणु भार है जबकि आधुनिक आवर्त नियम का मौलिक आधार परमाणु क्रमांक है।

प्रश्न 4.
क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर सिद्ध कीजिए कि आवर्त सारणी के छठवें आवर्त में 32 तत्त्व होने चाहिए।
उत्तर:
छठा आवर्त छठवें कोश के अनुरूप होता है। छठवें कोश में 6s, 4f, Sp तथा 6d कक्षक उपस्थित होते हैं। इन कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या इस आवर्त में तत्त्वों की संख्या का निर्धारण करेगी। अत: छठवें आवर्त में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या
कक्षक – 6s, 4f, 5p, 6d
इलेक्ट्रॉन – 2 + 14 + 6 + 10 = 32 इलेक्ट्रॉन
अतः छठे आवर्त में अधिकतम 32 तत्त्व उपस्थित होंगे।

प्रश्न 5.
आवर्त और वर्ग के पदों में यह बताइये कि Z = 14 कहाँ स्थित होगा?
उत्तर:
Z = 14 वाले तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न होगा – 1s², 2s², 2p6, 3s² 3p²
इस तत्त्व का आवर्त तृतीय है तथा यह p-ब्लॉक का तत्त्व है। तत्त्व के वर्ग का निर्धारण हम निम्न प्रकार कर सकते हैं।
p-ब्लॉक के लिये वर्ग = 10 + ns में e + np में e
= 10 + 2 + 2
= 14वें वर्ग का तत्त्व है तथा यह सिलिकॉन हैं।

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प्रश्न 6.
उस तत्त्व का परमाणु क्रमांक लिखिए, जो आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त में और 17वें वर्ग में स्थित होता है।
उत्तर:
यह तत्त्व क्लोरीन (CI) है जिसका परमाणु क्रमांक 17 है।

प्रश्न 7.
कौन से तत्त्व का नाम निम्नलिखित के द्वारा दिया गया?

  1. लॉरेन्स बर्कले प्रयोगशाला द्वारा
  2. सीबोर्ग समूह द्वारा।

उत्तर:

  1. लॉरेन्स बर्कले प्रयोगशाला द्वारा लॉरेन्सियम (Lr) नाम दिया गया जिसका परमाणु क्रमांक 103 है।
  2. सीबोर्ग समूह द्वारा सीबोर्गियम (Sg) नाम दिया गया जिसका परमाणु क्रमांक 106 है।

प्रश्न 8.
एक ही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान क्यों होते हैं?
उत्तर:
एक ही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं क्योंकि इन परमाणुओं के संयोजी कोश में समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है। हालांकि इसके परमाण्वीय आकार भिन्न होते हैं जो कि वर्ग में नीचे आने पर बढ़ते जाते हैं। अतः किसी भी समूह या वर्ग में तत्त्वों के रासायनिक गुणधर्म तो समान होते हैं परन्तु इनके भौतिक लक्षणों में बहुत कम परिवर्तन होता है।

प्रश्न 9.
‘परमाणु त्रिज्या’ और ‘आयनी त्रिज्या’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
परमाणु त्रिज्या (Atomic radius) – किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक के केन्द्र से बाह्यतम कोश की प्रभावी दूरी, उस तत्त्व के परमाणु की परमाणु त्रिज्या (Atomic radius) कहलाती है।

आयनी त्रिज्या (Ionic radius) – किसी आयन के नाभिक के केन्द्र से वह प्रभावी दूरी जहाँ तक नाभिक इलेक्ट्रॉन मेघ पर अपना प्रभाव छोड़ सके, आयनी त्रिज्या (ionic radius) कहलाती है।

परमाणु त्रिज्या के मापन के लिये अन्य त्रिज्याओं की आवश्यकता होती है। जैसे-सहसंयोजक त्रिज्या, वाण्डर वाल त्रिज्या, धात्विक त्रिज्या आदि । वर्ग में परमाणु त्रिज्या नीचे की ओर जाने पर बढ़ती है। ऐसा इलेक्ट्रॉन कोशों की संख्या बढ़ने तथा आवरण प्रभाव के परिमाण में वृद्धि कारण होता है। आवर्त में परमाणु त्रिज्या बायें से दायें जाने पर घटती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन समान कोश में भरते हैं तथा कोई भी नया कोश नहीं बनता है।

प्रश्न 10.
किसी वर्ग या आवर्त में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है? इस परिवर्तन की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे ?
उत्तर:
किसी वर्ग में परमाणु त्रिज्या नीचे की ओर जाने पर बढ़ती है। क्योंकि वर्ग में नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती जाती है तथा आवरण प्रभाव (Shielding effect) का परिमाण बढ़ता जाता है।

आवर्त में परमाणु त्रिज्या बायें से दायें जाने पर घटती जाती है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन समान कोश में भरते हैं तथा कोई नया कोश नहीं बनता है। इस कारण नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है तथा आकार घट जाता है।

प्रश्न 11.
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज से आप क्या समझते हैं? एक ऐसी स्पीशीज का नाम लिखिए जो निम्नलिखित परमाणुओं या आयनों के साथ समइलेक्ट्रॉनिक होगी ?
(i) F
(ii) Ar
(iii) Mg2+
(iv) Rb+.
उत्तर:
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज में इलेक्ट्रॉन की संख्यायें समान होती हैं। प्रश्न में दी गई स्पीशीज के साथ निम्न समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज होगी-
(i) Na+
(ii) K+
(iii) Na+
(iv) Sr2+.

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित स्पीशीज पर विचार कीजिए – .
N3-, O2-, F, Na+, Mg2+ तथा Al3+.
(क) इनमें क्या समानता है?
(ख) इन्हें आयनिक त्रिज्या के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
(क) ये सभी समइलेक्ट्रॉनिक हैं। इनमें प्रत्येक में 10 इलेक्ट्रॉन हैं।
(ख) Al3+ + < Mg2+ < Na+ < F < O² – < N3-.

प्रश्न 13.
धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे क्यों होते हैं और ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धनायन (Cation ) जनक परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन निकल जाने पर धनायन बनते हैं। धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे होते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन की संख्या कम होने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है जिससे अन्तरानाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है तथा आकार छोटा हो जाता है।
Na > Na+, Mg > Mg2+
ऋणायन (Anion ) ऋणायन जनक परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन के जुड़ने पर बनते हैं। ऋणायन हमेशा अपने जनक परमाणुओं से बड़े होते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो जाता है, जिससे अन्तरानाभिकीय आकर्षण बल कम होता है तथा आकार बढ़ जाता है।
Cl < CE, O < O2-

प्रश्न 14.
आयनन एन्थैल्पी और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को परिभाषित करने में विलगित गैसीय परमाणु तथा आद्य अवस्था पदों की सार्थकता क्या है?
उत्तर:
(i) विलगित गैसीय परमाणु की सार्थकता – जब कोई परमाणु गैसीय अवस्था में विलगित होता है तो इसकी इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति एवं ग्रहण करने की प्रवृत्ति दोनों प्रकृति में असीमित होती हैं। अर्थात् इनकी आयनन एन्थैल्पी एवं इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान अन्य परमाणुओं की उपस्थिति से प्रभावित नहीं होते हैं । परमाणुओं के द्रव एवं ठोस अवस्था में ऐसा होना सम्भव नहीं होता है।

(ii) आद्य अवस्था की सार्थकता – आद्य अवस्था से तात्पर्य है कि कोई विशेष परमाणु तथा इससे सम्बन्धित इलेक्ट्रॉन न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में होते हैं। आद्य अवस्था परमाणु की सामान्य अवस्था में उपस्थित ऊर्जा को प्रदर्शित करती है। आयनन विभव तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी दोनों को परमाणु की आद्य अवस्था होने पर ही व्यक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु में आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा – 2.1 × 10-18 J है। परमाण्विक हाइड्रोजन की आयनन एन्थैल्पी J mol-1 के पदों में परिकलित कीजिए।
हल:
यनन एन्थैल्पी हमेशा 1 मोल परमाणुओं के लिये व्यक्त की जाती है। अतः एक मोल परमाणु की आद्य अवस्था में ऊर्जा,
E(आद्य अवस्था) = (- 2.18 × 10-18) × 6.02 × 1023
= 1.312 x 106
आयनन एन्थैल्पी = E – E(आद्य अवस्था)
= 0 – (-1.312 × 106 J)
आयनन एन्थैल्पी = 1.312 x 106 J

प्रश्न 16.
द्वितीय आवर्त के तत्त्वों में वास्तविक आयनन एन्थैल्पी का क्रम इस प्रकार है-
Li < B < Be < C < O < N < F < Ne
व्याख्या कीजिए कि-
(i) Be की ∆i, H, B से अधिक क्यों है?
(ii) O की ∆i, H, N और F से कम क्यों है?
उत्तर:
(i) Be (1s², 2s²) में बाह्यतम इलेक्ट्रॉन 2s कक्षक में उपस्थित है जबकि B(1s², 2s², 2p1) में 2p कक्षक में उपस्थित है। 2s इलेक्ट्रॉनों नाभिक का आकर्षण 2p कक्षक इलेक्ट्रॉनों की तुलना में अधिक होता है इसलिये 2s इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप Be के लिए ∆iH का मान B से ज्यादा होता है।

(ii) N का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s², 2s², 2p1x, 2p1y, 2p1z) है जिसमें 2p कक्षक अर्द्धपूरित अवस्था में है जबकि O (1s², 2s², 2p1x, 2p1y, 2p1z) में 2p कक्षक न तो अर्द्धपूरित है न ही पूर्णपूरित है। अर्द्धपूरित अवस्था के स्थायी होने के कारण N से इलेक्ट्रॉन को निकालना कठिन है। जिसके परिणामस्वरूप O के लिए ∆iH का मान N की तुलना में कम होता है। फ्लुओरीन के छोटे आकार व अधिक नाभिकीय आवेश (+ 9) के कारण इसकी प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान की तुलना में अधिक होता है। इसलिये O की आयनन एन्थैल्पी N व F की तुलना में कम होती है।

प्रश्न 17.
आप इस तथ्य की व्याख्या किस प्रकार करेंगे कि सोडियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी, मैग्नीशियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी से कम है किन्तु इसकी द्वितीय आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्पी से अधिक है।
उत्तर:
HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता 1
Mg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3s कक्षक में पूर्ण है अर्थात् स्थायी है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना Na के 3s कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालने की तुलना में कठिन है । अत: Na की प्रथम आयनन एन्थैल्पी Mg की प्रथम आयनन एन्थैल्पी से कम है परन्तु Na की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी Mg की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है क्योंकि Na से एक 3s इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात् यह स्थायी विन्यास 1s², 2s², 2p6 प्राप्त कर लेता है जबकि मैग्नीशियम से इलेक्ट्रॉन निकालने के पश्चात् यह एक अस्थायी विन्यास 1s², 2s², 2p63s1 प्राप्त करता है। अतः मैग्नीशियम के 3p कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालना सोडियम की तुलना में सरल हो जाता है। अतः सोडियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है।

प्रश्न 18.
मुख्य समूह तत्त्वों में आयनन एन्थैल्पी के किसी समूह में नीचे की ओर कम होने के कौन-कौन से कारक हैं?
उत्तर:
मुख्य समूह तत्त्वों में आयनन एन्थैल्पी किसी समूह में नीचे जाने पर निम्न कारकों के कारण कम होती है-

  • समूह में नीचे जाने पर नये कोश बढ़ने से परमाणु आकार बढ़ जाता है।
  • समूह में नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन बढ़ने से बाह्य इलेक्ट्रॉनों पर आवरण प्रभाव बढ़ जाता है।
  • समूह में नीचे जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है।

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प्रश्न 19.
वर्ग-13 के तत्त्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान (kJ mol-1) में इस प्रकार हैं-

B Al Ga In Tl
801 577 579 558 589

सामान्य से इस विचलन की प्रवृत्ति की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
B से Al तक प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान का कम होना Al परमाणु के बड़े आकार के कारण है। Ga की प्रथम आयनन एन्थैल्पी Al से ज्यादा है। इसका कारण यह है कि Ga में 10 इलेक्ट्रॉन 3d – उपकोश में उपस्थित हैं ये 10 इलेक्ट्रॉन संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनों को पूर्ण रूप से परिरक्षित नहीं कर पाते, जिस कारण Ga का आकार Al से छोटा हो जाता है तथा प्रथम आयनन विभव का मान बढ़ जाता है। TI की अधिक प्रथम आयनन एन्थैल्पी यह प्रदर्शित करती है कि यहाँ प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बहुत अधिक है जो कि 4f- इलेक्ट्रॉनों के क्षीण या दुर्बल आवरण प्रभाव (Poor shielding effect) के कारण है।

प्रश्न 20.
तत्त्वों के निम्नलिखित गुणों में किस तत्त्व की इलेक्ट्रॉन ब्ध एन्थैपी अधिक ऋणात्मक होगी?
(i) O या F
(ii) F या Cl
उत्तर:
(i) F की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होती है क्योंकि F का आकार ऑक्सीजन से छोटा होता है जिसके कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक होता है और जुड़ने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक आकर्षण बल अनुभव करता है।

अतः अधिक प्रभावी नाभिकीय आवेश के कारण e अधिक आकर्षण बल का अनुभव करता है तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ जाता है।

(ii) Cl की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होगी क्योंकि F का आकार छोटा होता है। F परमाणु का अधिक उच्च आवेश घनत्व होने के कारण जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन प्रबल इलेक्ट्रॉन – इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण अनुभव करते हैं। अतः F से एक इलेक्ट्रॉन जुड़ने पर ऊर्जा अवशोषित होती है तथा ऋणायन बनने पर निर्गत कुल ऊर्जा में कमी आ जाती है। यदि इलेक्ट्रॉन को बड़े p-कक्षक में जोड़ा जाता है तो इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण अत्यन्त कम हो जाता है तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का उच्च मान प्रेक्षित होता है। इस प्रकार F की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान क्लोरीन के मान से कम हो जाता है।

प्रश्न 21.
आप क्या सोचते हैं कि O की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के समान धनात्मक, अधिक ऋणात्मक या कम ऋणात्मक होगी? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सीजन की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होगी। ऑक्सीजन परमाणु का आकार छोटा होता है और नाभिकीय आवेश उच्च होता है जिससे यह सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है और ऊर्जा निकलती है। इस प्रकार प्राप्त O(g) समान आवेशों के मध्य स्थिर विद्युत प्रतिकर्षण के कारण सरलता से इलेक्ट्रॉन प्राप्त नहीं कर सकता। अतः द्वितीय इलेक्ट्रॉन को O(g) में प्रवेश कराने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होगी। अतः प्रतिकर्षण समाप्त करने के लिए यह ऊर्जा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से निकली ऊर्जा अर्थात् प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी से अधिक होती है।

अतः ऑक्सीजन की प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ऋणात्मक तथा द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होती है।
O(g) + e → O(g) E. A. (1) = – ve
O(g) + e → O2-(g) E. A. (2) = + ve

प्रश्न 22.
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी और वैद्युत ऋणात्मकता में क्या मूल अन्तर है?
उत्तर:

वैद्युत ऋणात्मकता इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी
1. इसमें परमाणु के सहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्म को आकर्षित करने की प्रवृत्ति होती है। इसमें परमाणु के बाह्य इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति होती है।
2. इसमें परमाणु के सापेक्ष इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति है। इसमें परमाणु के असीमिति इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति है।
3. इसमें बन्धित परमाणु का गुण है। इसमें विलगित परमाणु का गुण है।
4. इसकी कोई भी इकाई नहीं होती है। इसकी इकाई KJ mol-1 तथा eV / atom होती है।

प्रश्न 23.
सभी नाइट्रोजन यौगिकों में N की ऋणात्मकता पॉउलिंग पैमाने पर 3.0 है। आप इस कथन पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देंगे ?
उत्तर:
पॉउलिंग पैमाने पर N की विद्युत ऋणात्मकता 3.0 है, जो यह प्रदर्शित करती है कि N पर्याप्त रूप से विद्युत ऋणात्मक है। परन्तु किसी तत्त्व की विद्युत ऋणात्मकता स्थिर नहीं होती है। यह परमाणु के किसी दूसरे तत्त्व के साथ बन्धन पर तथा संकरण की अवस्था पर निर्भर करती है। इसलिये यह कथन गलत है।

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प्रश्न 24.
उस सिद्धान्त का वर्णन कीजिए जो परमाणु की त्रिज्या से सम्बन्धित होता है-
(i) जब वह इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है।
(ii) जब वह इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।
उत्तर:
(i) परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने पर ऋणायन बनता है जिसके फलस्वरूप एक या अधिक इलेक्ट्रॉन परमाणु के संयोजी कोश में जुड़ जाते हैं। नाभिकीय आवेश जनक परमाणु के बराबर ही रहता है। संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉन बढ़ने से इलेक्ट्रॉन द्वारा परिरक्षण की अधिकता होने से प्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो जाता है जिससे आयनिक त्रिज्या बढ़ जाती है।
F < F-(त्रिज्या)
(2, 7) (2, 8)
72 pm 136 pm

(ii) इलेक्ट्रॉन त्यागने पर धनायन बनता है जो अपने जनक परमाणु से आकार में छोटा होता है। इसके दो कारण हो सकते हैं- (a) संयोजी कोश का समाप्त हो जाना जैसे सोडियम में। (b) प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि हो जाने से।
Na > Na+(त्रिज्या)
(2, 8, 1) (2, 8)
(157 pm) (95 pm)

प्रश्न 25.
किसी तत्त्व के दो समस्थानिकों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी समान होगी या भिन्न ? आप क्या मानते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
आयनन एन्थैल्पी नाभिकीय आवेश के परिमाण एवं तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से सम्बन्धित होती है। चूँक किसी तत्त्व के समस्थानिकों में नाभिकीय आवेश एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं। इसलिए इनकी आयनन एन्थैल्पी समान होती है।

प्रश्न 26.
धातुओं तथा अधातुओं में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:
धातुओं तथा अधातुओं में अन्तर निम्न प्रकार है-

गुण धातु अधातु
1. भौतिक अवस्था ये कमरे के ताप पर ठोस होती हैं। (अपवाद -Hg कमरे के ताप पर द्रव होती है।) ये कमरे के ताप पर ठोस द्रव गैस कुछ भी हो सकती है। अर्थात् ये द्रव की सभी अवस्थाओं में पाई जाती है। ये सामान्यतः चमक रहित होती हैं। (अपवाद-ग्रेफाइट)
2. चमक
3. चालकता धातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती हैं। अधातुएँ ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती हैं। (अपवाद-ग्रेफाइट)
4. कठोरता ये मुख्यतः कठोर होती हैं। ये सामान्यतया मृदु होती हैं।
5. आघातवर्धनीयता एवं तन्यता धातुएँ आघतवर्धनीय एवं तन्य होती हैं। ये आघातवर्धनीय एवं तन्य नहीं होती हैं। ये भंगुर होती हैं।
6. गलनांक एवं क्वथनांक इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं व ये तीनों अवस्थाओं में पायी जाती हैं। इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च नहीं होते हैं।

प्रश्न 27.
आवर्त सारणी का उपयोग करते हुए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) उस तत्त्व का नाम बताइए जिसके बाह्य कोश में पाँच इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(ii) उस तत्त्व का नाम बताइए जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन त्यागने की हो।
(iii) उस तत्त्व का नाम बताइए जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने की हो।
(iv) उस वर्ग का नाम बताइए जिसमें सामान्य ताप पर धातु, अधातु, द्रव और गैस उपस्थित हों।
उत्तर:
(i) नाइट्रोजन N (7) = 2, 5
(ii) मैग्नीशियम Mg (12) = 2, 8, 2
(iii) ऑक्सीजन O (8) = 2, 6
(iv) प्रथम वर्ग में H अधातु गैस है, Cs द्रव है तथा Na, K ठोस धातु हैं।

प्रश्न 28.
प्रथम वर्ग के तत्त्वों के लिए अभिक्रिया-शीलता का बढ़ता हुआ क्रम इस प्रकार है-
Li < Na < K < Rb < Cs जबकि वर्ग 17 के तत्त्वों में क्रम F> Cl > Br > I है। इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रथम वर्ग में तत्त्वों की अभिक्रियाशीलता उनके इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति के कारण होती है। जिसे आयनन एन्थैल्पी से ज्ञात करते हैं। आयनन एन्थैल्पी वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर आने पर घटती है। अतः धातुओं की अभिक्रियाशीलता बढ़ती है।
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हैलोजनों में अभिक्रियाशीलता ऋणायनों के बनने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। अर्थात् इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान पर हैलोजनों की अभिक्रियाशीलता पर निर्भर करते हैं। वर्ग में नीचे आने पर इलेक्ट्रॉन – लब्धि एन्थैल्पी का मान घटता है तथा हैलोजनों की अभिक्रियाशीलता भी घटती है।

अधातुओं की अभिक्रियाशीलता ∝ इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी

प्रश्न 29.
s, p, d और f-ब्लॉकों के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:

  1. s-ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1 तथा ns² होता है ।
  2. p-ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np1-6 होता है।
  3. d-ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1)d1-10 ns1-2 होता है।
  4. f-ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 2)f1-14 (n – 1)d0-1 ns² होता है।

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प्रश्न 30.
तत्त्व जिसका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित है, का स्थान आवर्त सारणी में बताइए –
(i) ns² np4, जिसके लिए n = 3 है ।
(ii) (n – 1)d²ns², जब n = 4 है ।
(iii) (n – 2)f1(n – 1 )d1ns², जब n = 6 है ।
उत्तर:
(i) तत्त्व तीसरे आवर्त में स्थित है तथा वर्ग 16 (10 + 2 + 4 = 16) है।
(ii) तत्त्व चौथे आवर्त में तथा वर्ग 4 ( 2 + 2 = 4) में स्थित है।
(iii) तत्त्व छठवें आवर्त तथा वर्ग 3 में स्थित है।

प्रश्न 31.
कुछ तत्त्वों की प्रथम ∆iH1, और द्वितीय ∆iH2 आयनन एन्थैल्पी (kJ mol-1 में) और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (∆egH) (kJ mol-1 में) निम्नलिखित है –

तत्त्व iH1 iH2 egH
I 520 7300 -60
II 419 3051 -48
III 1681 3374 -328
IV 1008 1846 -295
V 2372 5251 +48
VI 738 1451 -40

ऊपर दिये गये तत्त्वों में कौन-सी-
(क) सबसे कम अभिक्रियाशील धातु है।
(ख) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है।
(ग) सबसे अधिक अभिक्रियाशील अधातु है।
(घ) सबसे कम अभिक्रियाशील अधातु है।
(ङ) ऐसी धातु है जो स्थायी द्विअंगी हैलाइड जिसका सूत्र MX2 (X = हैलोजन) बनाती है।
(च) ऐसी धातु जो मुख्यत: MX (X = हैलोजन ) वाले स्थायी सहसंयोजी हैलाइड बनाती है।
उत्तर:
(क) तत्त्व V की आयनन एन्थैल्पी उच्चतम है। अतः यह सबसे कम अभिक्रियाशील धातु है।

(ख) न्यूनतम प्रथम आयनन एन्थैल्पी वाले तत्त्व सरलता से इलेक्ट्रॉन त्याग देते हैं। इसलिए ये अधिक अभिक्रियाशील होते हैं। तत्त्व II की प्रथम आयनन एन्थैल्पी न्यूनतम है अत: यह सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है।

(ग) अधातुओं की आयनन एन्थैल्पी उच्च तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होती है अतः तत्त्व III सबसे अधिक अभिक्रियाशील अधातु है।

(घ) तत्त्व IV सबसे कम अभिक्रियाशील अधातु है । क्योंकि इसकी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तो ऋणात्मक है पर आयनन एन्थैल्पी उच्च नहीं है।

(ङ) धातुओं की आयनन एन्थैल्पी अपेक्षाकृत कम होती है। वर्ग 2 के तत्त्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी वर्ग 1 के तत्त्वों की तुलना में उच्च होती है। चूँकि तत्त्व M सूत्र MX2 का एक स्थायी द्विअंगी हैलाइड बनाता है। अत: M को आवर्त सारणी के वर्ग 2 में होना चाहिए। वर्ग 2 के तत्त्वों के लिए प्रथम एवं द्वितीय आयनन एन्थैल्पी का योग इनके समीपवर्ती तत्त्वों की तुलना में कम होता है अतः तत्त्व VI ही वह धातु है जो सूत्र MX2 के द्विअंगी हैलाइड को बनाने की क्षमता रखती है।

(च) धातु जो मुख्यत: MX वाले स्थायी सह-संयोजक हैलाइड बनाती है तत्त्व I है, चूँकि वर्ग I में तत्त्वों के छोटे आकारों के कारण आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है।

प्रश्न 32.
तत्त्वों के निम्नलिखित युग्मों के संयोजन से बने स्थायी द्विअंगी यौगिकों के सूत्रों की प्रागुक्ति कीजिए।
(क) लीथियम और ऑक्सीजन,
(ख) मैग्नीशियम और नाइट्रोजन,
(ग) ऐलुमिनियम और आयोडीन,
(घ) सिलिकॉन और ऑक्सीजन,
(ङ) फास्फोरस और फ्लोरीन,
(च) 71वाँ तत्त्व व फ्लोरीन।
उत्तर:
(क) Li2O
(ख) Mg3N2
(ग) AlI3
(घ) SiO2
(ङ) PF5
(च) LuF2

प्रश्न 33.
आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त निम्न में से किसको व्यक्त करता है?
(क) परमाणु संख्या
(ख) परमाणु द्रव्यमान
(ग) मुख्य क्वाण्टम संख्या
(घ) दिगंशी क्वाण्टम संख्या
उत्तर:
(ग) मुख्य क्वाण्टम संख्या

प्रश्न 34.
आधुनिक आवर्त सारणी के लिए निम्नलिखित के सन्दर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(क) p-ब्लॉक में 6 स्तम्भ हैं क्योंकि कोश के सभी कक्षक भरने के लिए अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ख) d-ब्लॉक में 8 स्तम्भ हैं क्योंकि d उपकोश के कक्षक भरने के लिए अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ग) प्रत्येक ब्लॉक में स्तम्भों की संख्या उपकोश में भरे जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
(घ) तत्त्व के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को भरते समय अन्तिम भरे जाने वाले इलेक्ट्रॉन का उपकोश उसकी दिगंशी क्वाण्टम संख्या को प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
(ख) d-ब्लॉक में 8 स्तम्भ हैं क्योंकि d उपकोश के कक्षक भरने के लिए अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। यह कथन गलत है। d ब्लॉक में 10 स्तम्भ होते हैं और d उपकोश के कक्षक भरने के लिए 10 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 35.
ऐसा कारक जो संयोजकता इलेक्ट्रॉन को प्रभावित करता हैं, उस तत्त्व की रासायनिक प्रवृत्ति भी प्रभावित करता है। निम्नलिखित में से कौन-सा कारक संयोजकता कोश को प्रभावित नहीं करता?
(क) संयोजक मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
(ख) नाभिकीय आवेश (Z)
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान
(घ) क्रोड इलेक्ट्रॉन की संख्या
उत्तर:
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को प्रभावित नहीं करता है।

प्रश्न 36.
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज F, Ne और Na+ का आकार इनमें से किससे प्रभावित होता है ?
(क) नाभिकीय आवेश (Z)
(ख) मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
(ग) बाह्य कक्षकों में इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अन्योन्य क्रिया
(घ) ऊपर दिये गये कारणों में से कोई भी नहीं क्योंकि उनका आकार समान है।
उत्तर:
(क) समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज का आकार नाभिकीय आवेश (Z) द्वारा प्रभावित होता है।

प्रश्न 37.
आयनन एन्थैल्पी के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है-
(क) प्रत्येक उत्तरोत्तर इलेक्ट्रॉन से आयनन एन्थैल्पी बढ़ती है।
(ख) क्रोड उत्कृष्ट गैस के विन्यास से जब इलेक्ट्रॉन को निकाला जाता है तब आयनन एन्थैल्पी का मान अत्यधिक होता है।
(ग) आयनन एन्थैल्पी के मान में अत्यधिक तीव्र वृद्धि संयोजकता इलेक्ट्रॉनों के विलोपन को व्यक्त करती है।
(घ) कम मान वाले कक्षकों से अधिक n मान वाले कक्षकों की तुलना में इलेक्ट्रॉनों को आसानी से निकाला जा सकता है।
उत्तर:
(घ) असत्य है।

प्रश्न 38.
B, Al, Mg, K तत्त्वों के लिए धात्विक अभिलक्षण का सही क्रम इनमें से कौन-सा है ?
(क) B > Al > Mg > K
(ख) Al > Mg > B > K
(ग) Mg > Al > K > B
(घ) K > Mg > Al > B
उत्तर:
(घ) K > Mg > Al > B क्रम सही है।

प्रश्न 39.
तत्त्वों B, C, N, F और Si के लिए अधातु अभिलक्षण का इनमें से सही क्रम कौन-सा है?
(क) B> C > Si > N > F
(ख) Si> C > B>N>F
(ग) F > N > C > B > Si
(घ) F > N > C > Si > B
उत्तर:
(ग) F > N > C > B > Si क्रम सही है।

प्रश्न 40.
तत्त्वों F, CI, O और N तथा ऑक्सीकरण गुणधर्मों के आधार पर उनकी रासायनिक अभिक्रिया- शीलता का क्रम निम्नलिखित में से कौन-से तत्त्वों में से है-
(क) F > Cl > O > N
(ख) F > O > Cl > N
(ग) Cl> F > O > N
(घ) O > F > N > Cl
उत्तर:
(ख) F > O > Cl > N क्रम सही है।

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