Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Important Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Veryshort Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले चुम्बकीय सिरे को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तरी ध्रुव।
प्रश्न 2.
दक्षिण दिशा की ओर संकेत करने वाले चुम्बकीय सिरे को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
दक्षिणी ध्रुव।
प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र कैसी राशि है ?
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं।
प्रश्न 4.
चुम्बक के ध्रुवों में आकर्षण व प्रतिकर्षण किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
चुम्बक के समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित एवं असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
किसी चुम्बक के आस-पास के क्षेत्र में चुम्बक के आकर्षण या विकर्षण का प्रभाव जहाँ तक दिखाई दे उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 6.
चुम्बकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता अधिकतम कहाँ होती है ?
उत्तर-
चुम्बक के ध्रुव पर।
प्रश्न 7.
मुक्त अवस्था में लटकाने पर चुम्बक किस-किस दिशा को प्रदर्शित करता है ?
उत्तर-
उत्तर और दक्षिण दिशा को।
प्रश्न 8.
विद्युत द्वारा बनाए गए चुम्बक को क्या कहते
उत्तर-
विद्युत चुम्बक।
प्रश्न 9.
किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर क्या होता है ?
उत्तर-
तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 10.
चुम्बकीय बल रेखायें किस ध्रुव से निकलती हुयी प्रतीत होती हैं ?
उत्तर-
उत्तरी ध्रुव (North pole)
प्रश्न 11.
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किस ओर होती है ?
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखी गयी कम्पास सुई के दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर खींची गयी रेखा की दिशा में होती है।
प्रश्न 12.
किसी परिनालिका के बीच सभी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र कैसा होता है ?
उत्तर-
सभी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान होता है।
प्रश्न 13.
परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाह बंद करने पर क्या होता है ?
उत्तर-
चुम्बकीय प्रभाव समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 14.
परिनालिका में धारा की दिशा बदलने पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ध्रुवों की स्थिति परस्पर बदल जाती है।
प्रश्न 15.
तार के फेरों की संख्या पर चुम्बकीय शक्ति किस प्रकार निर्भर करती है ?
उत्तर-
तारों की संख्या बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ जाती है।
प्रश्न 16.
किस क्रोड से अधिक शक्तिशाली चुम्बक बनता है ?
उत्तर-
नर्म लोहे के क्रोड से।
प्रश्न 17.
यदि स्वतन्त्रता पूर्वक लटकी परिनालिका में विद्युत धारा की दिशा बदल दी जाये तो क्या होता है?
उत्तर-
विद्युत धारा की दिशा बदल देने पर परिनालिका 180° से घूम जायेगी।
प्रश्न 18.
धारावाही चालक पर आरोपित बल की दिशा किस नियम से निकाली जाती है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से।
प्रश्न 19.
धारावाही चालक की लम्बाई बढ़ाने पर चालक पर लगने वाले बल पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
बल बढ जायेगा।
प्रश्न 20.
चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक पर लगने वाले बल पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब चालक में बहने वाली धारा को बढ़ा दिया जाये? .
उत्तर-
चालक पर बल बढ़ जायेगा।
प्रश्न 21.
विद्युत धारा का मान बढ़ाने पर विद्युत चुम्बकीय शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय शक्ति अधिक हो जाती है।
प्रश्न 22.
नर्म लौह क्रोड एवं कुंडली को मिलाकर क्या कहते हैं ?
उत्तर-
आर्मेचर।
प्रश्न 23.
गैल्वेनोमीटर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।
प्रश्न 24.
प्रत्यावर्ती धारा (ac) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसी विद्युत धारा जो समान-समान अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
प्रश्न 25.
हमारे देश में धनात्मक और ऋणात्मक तारों के बीच कितना विभव होता है ?
उत्तर-
220VI .
प्रश्न 26.
विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र में सिद्धान्ततः क्या अन्तर है ?
उत्तर-
विद्युत मोटर में विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत जनित्र में यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
प्रश्न 27.
MRI का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
MRI-चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिंबन होता है।
प्रश्न 28.
जनित्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जनित्र वह युक्ति है जो यांरिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 29.
विद्युत चुम्बकों का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है?
उत्तर-
रेडियो, स्पीकरों, कम्प्यूटरों आदि में विद्युत चुम्बकों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 30.
विद्युत द्वारा बनाये गये चुम्बक को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बक।
प्रश्न 31.
किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पर क्या होता है ?
उत्तर-
तारों के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 32.
विद्युत कुचालकों के दो उदाहरण दो। उत्तर-लकड़ी, रबड़।
प्रश्न 33.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चुम्बकीय प्रभाव से विद्युत प्रभाव को उत्पन्न करने को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
प्रश्न 34.
किन्हीं चार उन यंत्रों के नाम लिखो जिनमें विद्युत चुम्बक प्रयोग होता है ? [RBSE 2015]
उत्तर-
- विद्युत स्पीकर
- टेलीग्राफ
- कम्प्यूटर
- रेडियो।
प्रश्न 35.
किसी कुण्डली में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन के कारण उसमें प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस मूल परिघटना का मान लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण।
प्रश्न 36.
प्रेरित धारा की दिशा किस नियम से निकाली जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से।
प्रश्न 37.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिये कौन-सी दो सावधानियाँ बरतनी चाहिए? [राज. 2015]
उत्तर-
फ्यूज तथा M.C.V.।
प्रश्न 38.
शार्ट सर्किट किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
शार्ट सर्किट विद्युन्मय एवं उदासीन तारों के सीधे सम्पर्क में आने के कारण होता है।
प्रश्न 39.
विद्युत धारा कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
विद्युत धारा दो प्रकार की होती है
- ए. सी. (प्रत्यावर्ती धारा),
- डी. सी. (दिष्ट धारा)।
प्रश्न 40.
फ्यूज कैरियर क्या होता है ?
उत्तर-
यह चीनी मिट्टी का एक खोल होता है, जिसमें ताँबे के दो प्वाइंट होते हैं। इन दोनों को फ्यूज की तार द्वारा जोड़ देते हैं। इस खोल को फ्यूज कैरियर कहते हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer type Questions)
प्रश्न 1.
पृथ्वी एक बड़े चुम्बक की तरह व्यवहार क्यों करती है ?
उत्तर-
पृथ्वी एक बहुत बड़े छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। इसके चुम्बकीय क्षेत्र को तल से 3 x 104 किमी ऊँचाई तक अनुभव किया जा सकता है। चुम्बकीय क्षेत्र के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं-
- पृथ्वी के भीतर पिघली हुई अवस्था में विद्यमान धात्विक द्रव्य लगातार घूमते हुए बड़े चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है।
- पृथ्वी के केन्द्र में लोहा व निकिल हैं, पृथ्वी के लगातार घूमने से इनका चुम्बकीय व्यवहार प्रकट होता है।
- पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण इसका चुम्बकत्व प्रकट होता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रतिरूप खींचिए
(i) वृत्ताकार कुण्डली में प्रवाहित धारा,
(ii) धारावाही परिनालिका। [RBSE 2015]
उत्तर-
(i)
प्रश्न 3.
(a) किसी धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इस पाश के भीतर और बाहर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का पैटर्न खींचिए।
(b) इस पाश के भीतर और बाहर के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के नियम का नाम लिखिए और इस नियम का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a)
(b) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम (Right Hand Thumb Rule)- के द्वारा पाश के भीतर और बाहर के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जाती है जो इस प्रकार है: यदि दाहिने हाथ में धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आपका अंगूठा विद्युत धारा की ओर संकेत करता है, तो अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं में लिपटी होंगी।
प्रश्न 4.
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी धारावाही विद्युत चालक द्वारा लगने वाले बल की दिशा निर्धारित करने वाला नियम बताइए। यह बल कैसे प्रवाहित होगा यदि
(i) धारा के प्रवाह को दुगुना किया जाए ?
(ii) जब धारा की दिशा विपरीत होती है। (CBSE 2017)
उत्तर-
फ्लेमिंग का वाम-हस्त का नियम। बल F = BIL.
(i) जब धारा का परिमाण दुगुना होता है तो बल का परिमाण भी दुगुना हो जाता है।
(ii) जब बल की दिशा विपरीत होती है तो प्रवाहित धारा की दिशा भी विपरीत हो जाती है।
प्रश्न 5.
चिकित्सा विज्ञान में चुम्बकत्व का क्या महत्व
उत्तर-
मानव शरीर में अत्यन्त कम चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह शरीर के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र के विभिन्न भागों के प्रतिबिम्ब प्राप्त करने का आधार बनता है। इसके लिए चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्ब (MRI) की सहायता से विशेष प्रतिबिम्ब लिये जाते हैं।
प्रश्न 6.
तार की वृत्तीय कुंडली में विद्युत धारा के प्रवाह द्वारा कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है। इस क्षेत्र की स्थापना की पहचान कैसे की जा सकती है? इस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा की पूर्व उक्ति किस नियम से की जा सकती है?
उत्तर-
वृत्तीय कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसके केन्द्र बिन्दु पर एक छोटी चुम्बकीय सुई रखने पर यदि यह सुई घूमने लगती है तो पता चलता है कि कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो चुका है। इस क्षेत्र की दिशा का पता हम मैक्सवेल के दाहिने हाथ के नियम से लगा सकते हैं। इस नियमानुसार, “किसी धारावाही चालक को हम अपने दाएँ हाथ से इस प्रकार पकड़ें कि यदि अंगूठा धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अंगुलियों की लपेटें चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”
प्रश्न 7.
(a) यदि एक चालक तार जिस पर विद्युतरोधी कवर चढ़ा है, एक कुण्डली के रूप में है तथा यह कुण्डली चालक के तारों द्वारा एक गैल्वेनोमीटर G के साथ जुड़ी हुई है। अब यदि इस कुण्डली में एक छड़ चुंबक का S ध्रुव उसके एक तरफ से:
(i) तेजी से कुण्डली के भीतर डाला जाए
(ii) तेजी से कुण्डली से बाहर निकाला जाए
(iii) उसे कुण्डली के एक तरफ स्थिर रख दिया जाए। प्रत्येक स्थिति में आप क्या देखेंगे? यदि यही क्रियाएँ S ध्रुव के साथ दोहराई जाएँ तो आप क्या प्रेक्षण करेंगे?
(b) इस परिघटना से कौन-सा प्रक्रम जुड़ा है ? उसकी परिभाषा लिखिए।
(c) उस नियम को लिखिए जो इनमें से प्रत्येक स्थिति में विद्युत धारा की दिशा बताता है। (CBSE 2016)
उत्तर-
(a)
(i) जब छड़ चुम्बक का उत्तरी सिरा कुंडली में डाला जाता है, तब गैल्वेनोमीटर में वामावर्त विक्षेपण होता है।
(ii) जब छड़ चुम्बक को कुंडली को कुंडली में स्थिर रखा जाता है, गैल्वेनोमीटर में कोई विक्षेपण नहीं होता।
(iii) जब छड़ चुम्बक को खींचकर बाहर निकाला जाता है, तो गैल्वेनोमीटर में दक्षिणावर्त विक्षेपण होता है।
परिणामतः यह निष्कर्ष निकलता है कि जब कुंडली में छड़ चुम्बक को गति करायी जाती है तो गैल्वेनोमीटर में विक्षेपण होता है अर्थात् कुंडली में एक प्रकार की विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जो गैल्वेनोमीटर में विक्षेपण उत्पन्न करती है।
परिघटना-विद्युत चुम्बकीय प्रेरण।
यदि यही क्रिया S ध्रुव के साथ दोहराई जाएगी तो G में विक्षेप पहले से विपरीत होगा :
- जब S ध्रुव को कुण्डली के भीतर ले जाते हैं तो G की सुई दक्षिणावर्त (बाईं तरफ) मुड़ जाती है।
- जब S ध्रुव को कुण्डली से बाहर निकालते हैं तो G की सुई वामावर्त (दाईं तरफ) मुड़ जाती है।
- जब S ध्रुव को कुण्डली के पास स्थिर रखा जाता है तो G की सुई 0 (शून्य) पर ही रहती है।
(b) इस परिघटना वैद्युत चुंबकीय प्रेरण प्रक्रम से जुड़ा है। इस क्रिया में चालक कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक को परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र में रखने के कारण उस चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, वैद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।
(c) इस नियम का नाम है फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम जो इस प्रकार है :
फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम के अनुसार, ‘अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हो। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा की ओरर संकेत करती है तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।
प्रश्न 8.
वोल्टमीटर व ऐमीटर से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
वोल्टमीटर-अधिक प्रतिरोध वाले तार से युक्त साधित्र को वोल्टमीटर कहते हैं। यह उन दो बिन्दुओं के बीच जोड़ा जाता है जिनके बीच विभवान्तर ज्ञात करना होता है तथा इसे परिपथ में समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
ऐमीटर-ऐमीटर, एक परिपथ में बहने वाली धारा को मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, ऐमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है। इस कारण से ऐमीटर को बहुत कम प्रतिरोध वाला गैल्वेनोमीटर भी कहते हैं।
प्रश्न 9.
a. c. जनित्र का मूल सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
‘किसी जनित्र में तार का एक लूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करता है। एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा हुआ तार का एक आयताकार लूप होता है। लूप को जैसे ही क्षैतिज अक्ष के परितः घुमाया जाता है, लूप से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तित होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 10.
विद्युत तारों में आग क्यों लगती है ?
उत्तर-
निम्नलिखित कारणों से तारों में आग लग जाती है-
- तारों के संयोजन ढीले होने के कारण।
- स्विच खराब हो।
- तारों की अधिकतम क्षमता से अधिक वोल्टेज या धारा प्रवाहित हो जाए।
- तार खराब हो।
- तार अधिक गर्म हो जाए।
प्रश्न 11.
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में कौनी-सी धारा अधिक उपयोगी है और क्यों?
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा की तुलना में अधिक उपयोगी है, इसके निम्नलिखित कारण हैं-
- इसे उत्पन्न करना आसान है।
- यह सस्ती है।
- इसे एक स्थान से दसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है।
प्रश्न 12.
दिष्ट धारा मोटर की शक्ति को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर-
- कुंडली पर तारों के फेरों की संख्या को बढ़ाकर।
- कुंडली के तलीय क्षेत्र को बढ़ाकर ।
- चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ाकर।
- मृदु लोहे के केन्द्रक का प्रयोग करके।
- एक ही मृदु लौह केन्द्रक पर कुंडलियाँ लपेट कर।
प्रश्न 13.
दिक् परिवर्तक क्या है? यह दिष्ट धारा कैसे उत्पन्न करता है ?
उत्तर-
विभक्त वलय संचालक दो विभक्त वलयों का समूह है जो चुम्बक अथवा बाह्य प्रतिरोध से सम्पर्क रखने वाले ब्रुश से जोड़ा जाता है। यह प्रत्येक 180° के घूर्णन के बाद धारा की दिशा को उलट देता है। ऐसा विभक्त वलय के आयताकार कुंडली में सिरे के साथ सम्पर्क में परिवर्तन के द्वारा होता है।
प्रश्न 14.
विद्युत चुम्बक के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
विद्युत चुम्बक बहुत उपयोगी होता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्न लिखित हैं-
- विद्युत मोटरों और जनरेटरों के निर्माण में इनका प्रयोग होता है।
- विद्युत उपकरणों जैसे-विद्युत घण्टी, पंखों, रेडियो, कम्प्यूटरों आदि में इनका प्रयोग किया जाता है।
- इस्पात की छड़ों का चुम्बक बनाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
- चट्टानों को तोड़ने में इनका प्रयोग होता है।
- अयस्कों में से चुम्बकीय एवं अचुम्बकीय पदार्थों को अलग करने के लिए इनका प्रयोग होता है।
प्रश्न 15.
डायनमो तथा विद्युत मोटर में क्या अन्तर हैं?
उत्तर-
डायनमो तथा विद्युत मोटर में प्रमुख अन्तर निम्न हैं-
जनित्र या डायनमो | विद्युत मोटर |
1. डायनमो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊ में परिवर्तित करता है। | 1. विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। |
2. डायनमो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। | 2. विद्युत मोटर धारा के चुम्बकीय प्रभाव के आधार पर कार्य करता है जिसके अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर एक बल लगता है। |
3. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली को घुमाकर प्रेरित वि. वा. ब. उत्पन्न किया जाता है। | 3. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुंडली में धारा प्रवाहित करते हैं जिससे कुंडली घूमने लगती है। |
प्रश्न 16.
विद्युत मोटर के झटकों को किस प्रकार नियन्त्रित किया जाता है?
उत्तर-
विद्युत मोटरों में कुंडली 0° और 180° पर अधिकतम बल प्रकट होता है परन्तु 90° और 270° पर कोई बल प्रकट नहीं हो पाता इसलिए कुंडली में झटके उत्पन्न होते हैं। इस झटकों को नियन्त्रित करने के लिए मृदु लोहे के टुकड़े के कुछ अंश पर तार को कई बार लपेटा जाता है।
प्रश्न 17.
धारामापी (गैल्वेनोमीटर) किसे कहते हैं?
उत्तर-
गैल्वेनोमीटर वह उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति को बताता है। यदि इससे प्रवाहित धारा शून्य हो तो इसका संकेतक शून्य पर रहता है। यह अपने शून्य चिन्ह के बायीं या दायीं तरफ विक्षेपित हो सकता है। यह विक्षेप विद्युत धारा की दिशा पर निर्भर करता है।
प्रश्न 18.
एक घरेलू विद्युत परिपथ में 5 एम्पियर का फ्यूज है। 100 W (220V) के अधिकतम बल्बों की संख्या होगी जिनका इस परिपथ में सुरक्षित उपयोग कर सकें? [RBSE 2015]
उत्तर-
एक बल्ब के लिये उपयोगी धारा-
I1 = \(\frac{P}{V}=\frac{100}{220}=\frac{10}{22} A \)
माना कुल बल्बों की संख्या = N
अतः उपयोगी कुल धारा = NI1
= N\(\frac{10}{22}\) …………………..(1)
विद्युत परिपथ में 5 एम्पियर का फ्यूज है
\(\text { N. } \frac{10}{22}\) = 5
N = \(\frac{5 \times 22}{10}\) = 11 बल्ब .
प्रश्न 19.
ट्रांसफॉर्मर से क्या अभिप्राय है? ट्रांसफॉर्मर किस काम में लाए जाते हैं?
उत्तर-
ट्रांसफॉर्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक किया जा सकता है। जो ट्रांसफॉर्मर विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं, उन्हें उच्चायी ट्रांसफॉर्मर तथा जो वोल्टता में कमी करते हैं, उन्हें अपचायी ट्रांसफॉर्मर कहते हैं। पावर स्टेशनों पर उच्चायी ट्रांसफॉर्मर लगे होते हैं जो विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं तथा इस अधिक वोल्टता की विद्युत धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। शहरों में उपबिजलीघरों में अपचायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा अधिक प्रत्यावर्ती वोल्टता को कम वोल्टता में बदला जाता है तथा घरों में 220 वोल्ट तथा कारखानों में 440 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा उपयोग में लायी जाती है।
प्रश्न 20.
वे कौन से कारक हैं, जिन पर उत्पन्न विद्युत धारा निर्भर करती है?
उत्तर-
- कुंडली में लपेटों की संख्या-यदि कुंडली में लपेटों की संख्या बहुत अधिक होगी तो उत्पन्न विद्युत धारा भी अधिक होगी। लपेटों की संख्या कम होने पर इसमें भी कमी हो जाएगी।
- चुम्बक की शक्ति-बन्द कुंडली की ओर शक्तिशाली चुम्बक बढ़ाने या पीछे हटाने से विद्युत धारा पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चुम्बक की शक्ति अधिक होनी चाहिए।
- चुम्बक को कुंडली की ओर बढ़ाने की गति-यदि चुम्बक को कुंडली की ओर तेजी से बढ़ाया जाए तो बन्द कुंडली में विद्युत का प्रेरण अधिक होता है।
प्रश्न 21.
शॉर्ट सर्किट क्या होता है? इससे क्या हनियाँ हो सकती हैं?
उत्तर-
शार्ट सर्किट-किसी विद्युत यन्त्र में धारा का कम प्रतिरोध से होकर प्रवाहित हो जाना शॉर्ट सर्किट कहलाता है।
हानियाँ-
- प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं और उनके ऊपर चढ़ा रोधी पदार्थ जल जाता है।
- विद्युत उपकरण बेकार हो सकता है।
- इससे घरों, दुकानों में आग लग सकती है।
- विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है।
- तारों के ऊपर चढ़े रोधी पदार्थ जल जाने पर तारें नंगी हो जाती हैं, जिससे विद्युत शॉक लग सकता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
(a) दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी भी प्रतिच्छेदित क्यों नहीं करती ? व्याख्या कीजिए।
(b) किसी धारावाही परिनालिका के भीतर के चुम्बकीय क्षेत्र को एकसमान कहा जाता है। क्यों ?
(c) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
(d) व्यावसायिक मोटरों की शक्ति में वृद्धि करने वाले दो कारकों की सूची बनाइए। (CBSE 2019)
उत्तर-
(a) दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती। किसी बिन्दु पर प्रतिच्छेद करने का अर्थ है कि दिक्सूचक, यदि किसी बिन्दु पर रखी जाए तो वह दो दिशाओं में एक साथ विक्षेपित हो, जो असंभव है।
(b) चूँकि धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती हैं। इसलिए धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय एक समान क्षेत्र होता है।
(c) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम-इस नियम अनुसार यदि हम अपने बाएं हाथ के अंगूठे, तर्जनी तथा मध्यमा उंगलियों को परस्पर लंबवत फैलाएँ तो तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा विद्युत धारा की दिशा बताए तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।
(d)
- विद्युत धारावाही कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ाकर,
- स्थायी चुम्बकों के स्थान पर विद्युत चुम्बक का प्रयोग करके।
प्रश्न 2.
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बल रेखाएँ खींचिए। [RBSE 2015] (CBSE 2018,19)
उत्तर-
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बलरेखाएँ (Magnetic Lines of Force of Current Carrying Solenoid) यदि किसी चालकीय तार को बेलननुमा कुंडली के रूप में इस प्रकार लपेटा जाए कि उसका व्यास उसकी लम्बाई की तुलना में बहुत छोटा हो, तो इस प्रकार की व्यवस्था को परिनालिका (solenoid) कहते हैं।
जब परिनालिका में धारा प्रवाहित की जाती है, तो वह दण्ड-चुम्बक की भाँति व्यवहार करने लगती है अर्थात् परिनालिका के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है। बल रेखाओं से स्पष्ट है कि धारावाही परिनालिका की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान होता है। बल रेखाएँ जहाँ पर पास-पास होती हैं वहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है। चुम्बकीय बल रेखाएँ परिनालिका के दक्षिणी ध्रुव से अन्दर की ओर जाती हैं और उत्तरी ध्रुव से बाहर की ओर निकलती हैं।
प्रश्न 3.
एक धारावाही परिनालिका छड़ चुम्बक के समान व्यवहार करती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
धारावाही परिनालिका की छड़ चुम्बक से समानता (Resemblance of Current Carrying Solenoid with Magnetic rod) धारावाही परिनालिका एवं छड़ चुम्बक में निम्नलिखित समानताएँ होती हैं-
- छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए जाने पर दोनों के अक्ष उत्तर एवं दक्षिण दिशाओं में रुकते हैं।
- दोनों ही लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
- छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुवों में आकर्षण होता है।
- छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के निकट कम्पास सुई विक्षेपित हो जाती है।
- छड़ चुम्बक एवं स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी धारावाही परिनालिका के निकट कोई तार लाने पर दोनों ही विक्षेपित हो जाते हैं।
धारावाही परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर उसका अक्ष सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है। यद्यपि धारावाही परिनालिका छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है, लेकिन इन दोनों के चुम्बकीय क्षेत्र में असमानता होती है। छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता इसके सिरों पर अधिकतम तथा मध्य में शून्य होती है जबकि धारावाही परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान (uniform) होता है। केवल परिनालिका के सिरों पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता थोड़ी कम होती है।
प्रश्न 4.
प्रयोगों के द्वारा विद्युत चुम्बकीय प्रेरण को कैसे प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) – सन् 1820 में ऑर्टेड ने यह खोज की थी कि विद्युत धारा के साथ चुम्बकीय क्षेत्र सदैव सम्बन्धित रहता है, अर्थात् जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। सन् 1830 में फैराडे ने यह विचार दिया कि जब गतिमान आवेश (अर्थात् विद्युत धारा) से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है तो गतिमान चुम्बकीय क्षेत्र से विद्युत धारा
उत्पन्न होनी चाहिए। इसके लिए फैराडे ने एक चुम्बक तथा धारामापी जुड़ी हुई एक कुंडली ली तथा उन्होंने चुम्बक को कुंडली के अन्दर गुजारा देखा कि जिस क्षण चुम्बक कुंडली से गुजरा, उसी क्षण धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हुआ (जबकि कुंडली के साथ कोई बैटरी नहीं जुड़ी थी)। स्पष्ट था कि कुंडली के अन्दर चुम्बक के गुजरने से कुंडली में क्षण भर के लिए धारा प्रवाहित हुई जिससे धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हुआ। इस प्रकार फैराडे ने एक नई घटना की खोज की, जिसे विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
इस घटना के सम्बन्ध में फैराडे ने अनेक प्रयोग किए जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
प्रयोग 1.
चित्र में तार की एक कुंडली के दोनों सिरे एक धारामापी से जुड़े हैं तथा NR S क्रमश: एक दण्ड-चुम्बक के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों को प्रदर्शित करते हैं।
इस प्रयोग के प्रेक्षण निम्न प्रकार हैं-
(i) जब हम एक दण्ड-चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुंडली की ओर तेजी से गति कराते हैं, तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है, जो यह बताता है कि चुम्बक की गति के प्रभाव से कंडली में क्षणिक विद्यत धारा प्रवाहित होती है। इस धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि चुम्बक के N ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल उत्तरी ध्रुव की भाँति कार्य करता है (चित्र ब)।
जब हम चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुंडली से दूर की ओर तेजी से गति कराते हैं, तो धारामापी में पुनः क्षणिक, परन्तु विपरीत दिशा में विक्षेप उत्पन्न होता है जो यह बताता है कि चुम्बक की गति के प्रभाव से कुंडली में क्षणिक, परन्तु पहले की विपरीत दिशा में धारा प्रवाहित होती है। इसका अर्थ यह है कि अब चुम्बक के N ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल दक्षिणी ध्रुव की भाँति कार्य करता है (चित्र ब)।
इसी प्रकार यदि हम चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव S को कुण्डली की ओर अथवा कुंडली से दूर की ओर गति कराएँ तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप पहले से विपरीत दिशाओं में उत्पन्न होते हैं अर्थात् कुंडली में धारा की दिशा पहले से विपरीत दिशा में होती है। इस प्रकार चुम्बक के S ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल क्रमशः दक्षिणी तथा उत्तरी ध्रुव की भाँति कार्य करता है, (चित्र स, द)।
(ii) यदि चुम्बक को कुंडली की ओर अथवा कुंडली से दूर की ओर गति कराते हुए यकायक रोक दिया जाता है, तो धारामापी में विक्षेप तुरन्त ही शून्य हो जाता है अर्थात् कुण्डली में धारा बन्द हो जाती है। स्पष्ट है कि कुंडली में धारा तभी तक बहती है जब तक कि चुम्बक कुंडली के सापेक्ष गति करता रहता है।
(iii) जितनी तेजी से चुम्बक कुंडली के सापेक्ष गति करता है उतनी ही अधिक कुंडली में धारा की प्रबलता होती है अर्थात् उतना ही अधिक धारामापी में विक्षेप होता है।
(iv) कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ाने पर अथवा कुंडली के अन्दर एक नर्म लोहे की क्रोड रखने पर अथवा अधिक शक्तिशाली चुम्बक लेने पर धारामापी में विक्षेप बढ़ जाता है अर्थात् कुंडली में धारा की प्रबलता बढ़ जाती है।
(v) कुंडली के साथ उच्च प्रतिरोध जोड़ने पर कुंडली में प्रवाहित धारा की प्रबलता घट जाती है|
(vi) यदि चुम्बक को स्थिर रखकर कुंडली को चुम्बक के समीप लाएँ अथवा चुम्बक से दूर ले जाएँ तो भी धारामापी में विक्षेप उत्पन्न होता है जो यह बताता है कि कुंडली में विद्युत धारा, कुंडली व चुम्बक के बीच ‘आपेक्षिक गति’ से उत्पन्न होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चुम्बक गतिशील है अथवा कुंडली अथवा दोनों।
निष्कर्ष-उपर्युक्त प्रेक्षणों से यह निष्कर्ष निकलता है कि “जब किसी चुम्बक तथा कुंडली के बीच आपेक्षिक गति होती है तब कुंडली में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है, जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल (induced e.m.f.) कहते हैं। यदि कुंडली एक बन्द परिपथ (Closed circuit) में हैं, तो प्रेरित विद्युत वाहक बल के कारण कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जिसे प्रेरित धारा (induced current) कहते हैं।
इस घटना को विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (electro-magnetic induction)- कहते हैं।” उल्ले खनीय है कि विद्युत वाहक बल परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता, परन्तु प्रेरित वैद्युत धारा परिपथ के प्रतिरोध पर ओम के नियम के अनुसार निर्भर करती है। यदि कुंडली खुले परिपथ (open circuit) में है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल तो होगा, परन्तु विद्युत धारा नहीं (क्योंकि परिपथ का प्रतिरोध अनन्त है) वास्तव में, विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण की घटना में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है न कि सीधे विद्युत धारा।
प्रश्न 5.
(a) विद्युत्-चुम्बक क्या होता है ? इसके कोई उपयोग लिखिए।
(b) विधुत्-चुम्बक कैसे बनाया जाता है ? इसे दर्शाने के लिए नामांकित आरेख खींचिए।
(c) विधुत-चुम्बक बनाने में नर्म लौह क्रोड का उपयोग किए जाने के उद्देश्य का उल्लेख कीजिए।
(d) यदि किसी विधुत-चुम्बक का पदार्थ निश्चित है तो उस विद्युत-चुम्बक की प्रबलता में वृद्धि करने के दो उपाय लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) विद्युत धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय पदार्थ, जैस नर्म लोहा विद्युत चुम्बक की तरह कार्य करता है। विद्युत चुम्बक का प्रयोग विद्युत घंटियों, टेलीफोन रिसिवर, माइक्रोफोन आदि में किया जाता है।
(b) इसके दो उपयोग हैं-
- विद्युत घंटी में (Electric bell),
- विद्युत मोटर में।
(c) नर्म लोहे का उपयोग विद्युत चुम्बक द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण बनाने के लिए किया जाता है।
(d) विद्युत चुम्बक की प्रबलता निम्न प्रकार से बढ़ाई जा सकती है :
- परिनालिका में कुंडली के फेरों की संख्या बढ़ाकर।
- परिनालिका में प्रवाहित धारा का मान बढ़ाकर।।
प्रश्न 6.
घरों में विद्युत के क्या-क्या खतरे हैं ? इन खतरों से बचने के लिए क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर-
विद्युत से खतरे, बचाव तथा सावधानियाँ (Electrical Hazards, Preventions And Precautions)- विद्युत से खतरे-घरेलू वायरिंग के दोषपूर्ण होने के कारण उससे लगे उपकरण में तथा संयोजक तारों में आग लग सकती है। विद्युत के उपयोग में थोड़ी सी असावधानी होने पर ही दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। विद्युत परिपथ को कहीं से छू जाने पर मनुष्य को तीव्र झटका लगता है। कभी-कभी यह झटका इतना तेज होता है कि छू जाने वाले मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है।
विद्युत से खतरों के कारण-विद्युत से खतरों के कारण निम्नलिखित हैं-
- यदि स्विच में खराबी है, तो इससे आग लगने तथा विद्युत उपकरणों के जलने की सम्भावना अधिक हो जाती है।
- यदि संयोजन तारों का सम्बन्ध ठीक से कसा हुआ नहीं है तब तारों में आग लग सकती है।
- यदि विद्युत परिपथ में लगे उपकरण भूसंपर्कित नहीं हैं, तो उन्हें छू जाने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
विद्युत खतरों से बचाव एवं सावधानियाँ –
- आग लगने पर तुरन्त मेन स्विच को बन्द कर देना चाहिए।
- प्रत्येक जोड़ विद्युतरोधी टेप (Insulation tape) से ढका होना चाहिए।
- प्लग टॉप, सॉकेट में भली-भाँति कसा होना चाहिए अर्थात् उसे ढीला नहीं छोड़ना चाहिए।
- स्विच को कभी भी गीले हाथ से नहीं छूना चाहिए।
- फ्यूज तार तथा स्विच को सदैव गर्म तार से श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
- पावर विद्युत युक्तियों (जैसे-हीटर, प्रेस आदि) को उपयोग में लाते समय उनके बाहरी आवरण को कभी भी हाथ से नहीं छूना चाहिए।
- स्विच, प्लग, सॉकेट तथा जोड़ों पर सभी संयोजन (Combinations) अच्छी तरह कसे होने चाहिए।
- विद्युत परिपथ में यदि कोई खराबी ठीक करनी हो, तो रबर के दस्ताने तथा रबर के जूते पहन लेने चाहिए तथा इसके लिए उपयोग में लाए जाने वाले पेंचकस, प्लास, टेस्टर सभी पर रबर चढ़ी होनी चाहिए।
प्रश्न 7.
घरेलू परिपथ का नामांकित चित्र बनाइये तथा विद्युत के संचरण में ट्रॉसफॉर्मर की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिये,
उत्तर-
ट्रांसफॉर्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक किया जा सकता है। जो ट्रांसफॉर्मर विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं, उन्हें उच्चायी ट्रांसफॉर्मर तथा जो वोल्टता में कमी करते हैं, उन्हें अपचायी ट्रांसफार्मर कहते हैं। पावर स्टेशनों पर उच्चायी ट्रांसफार्मर लगे होते हैं जो विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं तथा इस अधिक वोल्टता की विद्युत धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। शहरों में उपबिजलीघरों में अपचायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा अधिक प्रत्यावर्ती वोल्टता को कम वोल्टता में बदला जाता है तथा घरों में 220 वोल्ट तथा कारखानों में440 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा उपयोग में लायी जाती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)
1. किस उपकरण द्वारा किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित की जाती है?
(a) वोल्टमीटर
(b) ऐमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) गैल्वेनोमीटर।
2. हमारे देश में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा कितने सेकण्ड पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रमित करती है ?
(a) \(\frac{1}{10} \) सेकण्ड में
(b) \(\frac{1}{100} \) सेकण्ड में
(c) \(\frac{1}{1000} \) सेकण्ड में
(d) \(\frac{1}{10000} \) सेकण्ड में
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{100} \) सेकण्ड में |
3. उच्च शक्ति के विद्युत साधित्रों के बाहरी आवरण को घरेलू परिपथ की भूतार से जोड़ना कहलाता है –
(a) अतिभार
(b) लघुपथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) भू-संपति ।
4. समान चुम्बकीय ध्रुव क्या करते हैं?
(a) प्रतिकर्षित
(b) आकर्षित
(c) दोनों
(d) इसमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) प्रतिकर्षित।
5. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ होती हैं
(a) सरल
(b) वक्र
(c) बन्द वक्र
(d) त्रिभुजाकार ।
उत्तर-
(c) बन्द वक्र।
6. किसी विद्युत धारावाही चालक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किस हस्त अंगुष्ठ नियम से जानी जा सकती है?
(a) दक्षिण
(b) वाम
(c) दक्षिण एवं वाम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) दक्षिण।
7. कुंडली को चुम्बक के साक्षेप स्थिर रखने पर गैल्वेनोमीटर में कितना विक्षेप होता है?
(a) अधिकतम
(b) शून्य
(c) स्थिर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) शून्य।
8. जेनरेटर कौन-से प्रकार की धारा उत्पन्न करते हैं?
(a) ac
(b) dc
(c) ac तथा dc
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ac तथा dc.
9. विद्युत धारावाही तार किसकी तरह व्यवहार करती
(a) चुम्बक
(b) विद्युत
(c) लोहे
(d) प्रतिरोध।
उत्तर-
(a) चुम्बक।
10. स्थायी चुम्बक बनाए जाते हैं-
(a) ताँबे के
(b) नर्म लोहे के
(c) इस्पात के
(d) पीतल के।
उत्तर-
(c) इस्पात के।
11. सामान्यतया विद्युन्मय तार (Live wire) प्रयोग करना चाहिए
(a) काले रंग का
(b) हरे रंग का
(c) लाल रंग का
(d) किसी भी रंग का।
उत्तर-
(c) लाल रंग का।
12. विद्युत मोटर में रूपान्तरण होता है-
(a) रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में
(c) विद्युत ऊर्जा का प्रकाश ऊर्जा में
(d) विद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में
उत्तर-
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में।
13. परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल क्षेत्र निर्भर करता है-
(a) परिनालिका के फेरों की संख्या पर
(b) परिनालिका से प्रवाहित धारा पर
(c) परिनालिका के पदार्थ पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी पर।
14. दिक्परिवर्तक विभक्त वलय का उपयोग
(a) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में होता है
(b) दिष्ट धारा जनित्र में होता है
(c) प्रत्यावर्ती धारा मोटर में होता है
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी में।
15. प्रेरित धारा की दिशा निम्न में से किससे प्राप्त होती है
(a) फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से
(b) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से
(c) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम से
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम से।
16. फ्यूज के तार का गलनांक
(a) कम होता है
(b) अधिक होता है
(c) न कम न अधिक होता है
(d) कुछ भी हो सकता है।
उत्तर-
(a) कम होता है।
17. घरेलू परिपथ में, फ्यूज को निम्न में से किस तार के साथ लगाया जाता है
(a) भू-सम्पर्क तार
(b) उदासीन तार
(c) विद्युन्मय तार
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) विद्युन्मय तार।।
18. विद्युत उपकरणों को भूसंपर्कित किया जाता है ताकि
(a) तीव्र विद्युत आघात न लगे
(b) विद्युत व्यर्थ न हो।
(c) लघुपथन से बचा जा सके
(d) अतिभारण से बच सकें।
उत्तर-
(a) तीव्र विद्युत आघात न लगे।
19. विद्युन्मय तार और उदासीन तार का आपस में बिना किसी प्रतिरोध से सम्पर्क में आने से –
(a) लघुपथन हो जाता है।
(b) कोई क्षति नहीं होती है
(c) अतिभारण हो जाता है
(d) आग लग जाती है।
उत्तर-
(a) लघुपथन हो जाता है।
20. सी वलय (slip ring) का उपयोग निम्न में से किसमें होता है –
(a) ac जनित्र
(b) dc जनित्र
(c) ac मोटर
(d) dc मोटर।
उत्तर-
(a) ac जनित्र।
रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए
1. विद्युत मोटर के घूमने वाले भाग को ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
आर्मेचर।
2. एक विद्युत जनित्र वास्तव में ऊर्जा का …………… करने की युक्ति है।
उत्तर-
रूपान्तरित
3. धारावाही तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह नियम ………………………. ने प्रतिपादित किया।
उत्तर-
ऑर्टेड।
4. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न करने के लिए किसी चुम्बक तथा कुंडली में परस्पर सापेक्ष गति से ………………………. उत्पन्न करनी पड़ती है।
उत्तर-
धारा।
5. विद्युत फ्यूज विद्युतधारा के ………………………. पर कार्य करता
उत्तर-
ऊष्मीय प्रभाव।
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिये
कॉलम-(x) | कॉलम-(y) |
(i) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा | (A) फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम |
(ii) चुम्बकीय बल की दिशा | (B) मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र शून्य |
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता | (C) विद्युत जनरेटर |
(iv) परिनालिका | (D) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम |
(v) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण | (E) काला या हरा |
(vi) उदासीन तार | (F) विद्युत धारा का अधिकतम होना |
(vii) लघुपथन | (G) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम |
(viii) प्रेरित धारा की दिशा | (H) टेस्ला या ऑस्टेंड |
उत्तर-
कॉलम-(x) | कॉलम-(y) |
(i) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा | (D) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम |
(ii) चुम्बकीय बल की दिशा | (A) फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम |
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता | (H) टेस्ला या ऑस्टेंड |
(iv) परिनालिका | (B) मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र शून्य |
(v) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण | (C) विद्युत जनरेटर |
(vi) उदासीन तार | (E) काला या हरा |
(vii) लघुपथन | (F) विद्युत धारा का अधिकतम होना |
(viii) प्रेरित धारा की दिशा | (G) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम |