Class 12

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन Textbook Exercise Questions and Answers.

प्रश्न 13.1.
निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आईयूपीएसी नाम लिखिए-
(i) (CH3),CHNH2
(ii) CH3(CH2)2NH2
(iii) CH3NHCH(CH3)2
(iv) (CH3)3CNH2
(v) C6H5NHCH3
(vi) (CH3CH2)2NCH3
(vii) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 1
उत्तर:
(i) प्रोपेन 2-ऐमीन (1°)
(ii) प्रोपेन- 1- ऐमीन (1°)
(iii) N मेथिल प्रोपेन-2-ऐमीन (2°)
(iv) 2- मेथिल प्रोपेन 2- ऐमीन (1°)
(v) N-मेथिलबेन्जीनेमीन या N – मेथिलऐनिलीन (2°)
(vi) N. एथिल – N मेथिलएथेनेमीन (3°)
(vii) 3 ब्रोमोऐनिलीन या 3 – ब्रोमोबेन्जीनेमीन (1°)

प्रश्न 13.2.
निम्नलिखित युगलों के यौगिकों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए-
(i) मेथिलऐमीन एवं डाइमेथिलऐमीन
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
(iii) ऐथिलऐमीन एवं ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिलऐमीन
(v) ऐनिलीन एवं N मेथिलऐनिलीन ।
उत्तर:
(i) मेथिलऐमीन CH3-NH2 (1°) हिन्सबर्ग अभिकर्मक (C6H5 SO2Cl) से क्रिया करता है तथा बना उत्पाद क्षार में विलेय होता है। जबकि डाइमेथिलऐमीन CH3-NH-CH3(2°) की हिन्सबर्ग अभिकर्मक (बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड) से क्रिया द्वारा बना उत्पाद धार में अविलेय होता है।

(ii) द्वितीयक ऐमीन (R2NH) हिन्सवर्ग अभिकर्मक से क्रिया करते हैं तथा बना उत्पाद धार में अविलेय होता है जबकि तृतीयक ऐमीन हिन्सबर्ग अभिकर्मक से क्रिया नहीं करते।

(iii) ऐथिलऐमीन बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड से क्रिया करके ऐजो रंजक (Azo dye) नहीं बनाता जबकि ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड से क्रिया करके एजोरंजक (पीला) बनाती है।

(iv) ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड (C6H5N2Cl) से क्रिया करके एजोरंजक बनाती है लेकिन बेन्जिलऐमीन ऐसा नहीं करती।

(v) ऐनिलीन (1°), CHCl3 तथा क्षार के साथ कार्बिलऐमीन परीक्षण देता है जबकि N मेथिल ऐनिलीन (2°) कार्बिल ऐमीन परीक्षण नहीं देती।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 13.3.
निम्नलिखित के कारण बताइए-
(i) ऐनिलीन का pKb मेथिलऐमीन की तुलना में अधिक होता
(ii) ऐथिलऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मेथिलऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देता है।
(iv) यद्यपि ऐमीनों समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में आर्थों एवं पैरा निर्देशक होता है फिर भी ऐनिलीन नाइट्रोकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटानाइट्रोऐनीलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ्रिडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलीफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।
उत्तर:
(i) मेथिल ऐमीन (CH3-NH2) में मैथिल समूह के +I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव ) के कारण नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

इसलिए इसका क्षारीय गुण अधिक होता है जबकि ऐनिलीन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 2 में नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद (+M प्रभाव) करता है जिससे इसके नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति कम हो जाती है इसलिए इसका क्षारीय गुण कम होता है। इसी कारण ऐनिलीन का pKb मेथिलऐमीन की तुलना में अधिक होता है क्योंकि क्षारीय गुण ∝ \(\frac{1}{\mathrm{pK}_{\mathrm{b}}} \propto \mathrm{K}_{\mathrm{b}}\) (क्षार वियोजन स्थिरांक)

(ii) ऐथिलऐमीन (C2H5NH2) जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाती है जबकि ऐनिलीन के C.H, समूह (अध्रुवीय) के बड़े आकार के कारण इसमें जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती अतः ऐथिलऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।

(iii) मैथिलऐमीन जलीय विलयन में OH आयन देता है जो FeCl3 (जलीय) के साथ क्रिया करके पहले हाइड्रॉक्साइड तथा वह फिर जलयोजित ऑक्साइड का अवक्षेप देता है। अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 3

(iv) ऐमीनों समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के लिए ऑर्थो तथा पैरा निर्देशी होता है लेकिन ऐनिलीन के नाइट्रीकरण में यथेष्ट मात्रा में मेटानाइट्रोऐनिलीन बनती है क्योंकि प्रबल अम्लीय माध्यम में ऐनिलीन प्रोटॉन ग्रहण करके ऐनिलीनियम आयन बनाती है जो कि मेटा निर्देशक है (-I प्रभाव के कारण)।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 4
इस अभिक्रिया में पैरा 51% तथा आर्थो उत्पाद (2%) भी बनते हैं।

(v) ऐनिलीन फ्रिडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती क्योंकि इस अभिक्रिया में प्रयुक्त उत्प्रेरक AlCl3 (ऐलुमिनियम क्लोराइड) लुइस अम्ल है अतः यह ऐनिलीन (लुईस क्षार) के साथ लवण बना लेता है। लवण बनने के कारण ऐनिलीन का नाइट्रोजन, धन आवेश प्राप्त कर लेता है जो कि प्रबल विसक्रियणकारी समूह है अतः इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 5a

(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइएजोनियम लवण, ऐलीफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं क्योंकि इनमें अनुनाद के कारण स्थायित्व आ जाता है। C6H5N2+ की अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 5
ऐरीन डाइएजोनियम लवण विलयन में निम्न ताप पर (273-278K) कुछ समय के लिए ही स्थायी होते हैं।

(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण में R X से R-NH2 बनता है जिसमें शुद्ध प्राथमिक ऐमीन बनती है तथा अन्य कोई सहउत्पाद प्राप्त नहीं होते क्योंकि अभिक्रिया से प्राप्त थैलिक अम्ल पुनः प्रयुक्त हो जाता है जबकि अन्य अभिक्रियाओं में उत्पादों का मिश्रण बनता है। अतः प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया को प्राथमिकता दी जाती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 13.4.
निम्नलिखित को क्रम में लिखिए-
(i) pK, मान के घटते क्रम में-
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2H5)2NH एवं C6H5NH2
(ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में-
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C2H5)2NH एवं CH3NH2
(iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में-
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलूडीन
(ख) C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2
(iv) गैस अवस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में-
C2H5NH2, (C2H5)2NH, (C2H5)3N एवं NH3
(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में-
C2H5OH, (CH3)2NH, C2H5NH2
(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में-
C6H5NH2, (C2H5)2NH, C2H5NH2
उत्तर:
(i) C6H5NH2 > (C6H5NHCH3 > C2H5NH2 > (C2H5)2NH (pKb मान का घटता क्रम अर्थात् क्षारीय प्रबलता का बढ़ता क्रम)

(ii) (C2H5)2NH > CH3-NH2 > C6H5N (CH3)2 > CH, NH (क्षारीय प्रबलता (प्राबल्य) का घटता क्रम )

(iii) (क) p-नाइट्रोऐनिलीन < ऐनिलीन < p-टॉलूडीन (क्षारीय प्रबाल्य का बढ़ता क्रम )
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 6a

(ख) C6H5NH2 < C6H5NHCH3 < C6H5CH2NH2

(iv) (C2H5)3N > (C2H5)2NH > C2H5NH2 > NH3
(गैसीय अवस्था में शारकीय प्राबल्य का घटता क्रम )

(v) (CH3)2NH < C2H5NH<sub2 < C2H5OH ( क्वथनांक का बढ़ता क्रम )

(vi) C6H5NH2 < (C2H5)2NH < C2H5NH2 (जल में विलेयता का बढ़ता क्रम)

प्रश्न 13.5.
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे-
(i) एथेनॉइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हैक्सेननाइट्राइल को 1- ऐमीनापेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनॉइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनॉइक अम्ल को प्रोपेनॉइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिलऐमीन में
(viii) प्रोपेनॉइक अम्ल को एथेनॉइक अम्ल में ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 6

प्रश्न 13.6.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान निम्नलिखित विधियों से की जाती है-
कार्बिलऐमीन अभिक्रिया – ऐलिटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गंधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कर्बिलऐमीन बनता है। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 7

प्रश्न 13.7.
निम्न पर लघु टिप्पणी लिखिए-
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(ii) डाइऐजोकरण (डाइऐजोटीकरण).
(iii) हॉफमान ब्रोमाइड अभिक्रिया
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमीनो अपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।
उत्तर:
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया – ऐलिटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गंधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कर्बिलऐमीन बनता है। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 7

(ii) डाइऐजोकरण या डाइऐजोटीकरण (Diazotisation ) – 273-278 K (निम्न ताप) ताप पर प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन की NaNO, तथा HCI से अभिक्रिया कराने पर एरीन डाइएजोनियम लवण बनते हैं। इस अभिक्रिया को डाइऐजोटीकरण कहते हैं।
ऐनीलीन की अभिक्रिया से बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनता है। यह अस्थायी होता है अतः इसका प्रयोग तुरन्त कर लिया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 8
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया (Hoffmann Bromamide Rcaction ) इस अधिक्रिया में किसी ऐमाइड की NaOH या KOH के जलीय अथवा ऐथेनॉलिक विलयन में ग्रोमीन से अभिक्रिया करते हैं तो प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 9

(iv) युग्मन अभिक्रिया ( Coupling Reaction ) – बेन्जीन डाइरजोनियम क्लोराइड, फ़ीनॉल से अभिक्रिया करके इसकी पैरा स्थिति पर युग्मित होकर पैरा हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन देता है। इस अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहते हैं। इसी प्रकार डऐजोनियम लवण की ऐनोलीन से अभिक्रिया द्वारा पैशाऐमीनोऐजोबेन्जीन बनती है। यह एक इलेक्ट्रॉननेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। प्राप्त यौगिक रंगीन होते हैं तथा ये ऐजो रंजक होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10

(v) अमोनी अपघटन (Ammonolysis ) – 373 K ताप पर एक बन्द नली में ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइडों की क्रिया एथ्रेनॉलिक अमोनिया के साथ करवाने पर हैलोजन परमाणु का प्रतिस्थापन ऐमीनों समूह द्वारा हो जाता है तथा प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होता है। यह एक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। अमोनिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के कार्बन हैलोजन बन्ध के विखण्डन की इस प्रक्रिया को अमोनी अपघटन कहा जाता है। इस अभिक्रिया में प्राप्त प्राथमिक ऐमीन पुनः ऐल्किल हैलाइड से क्रिया करके 2° तथा 3° ऐमीन एवं अन्त में चतुष्क अमोनियम लवण बना देती है अतः यहाँ यौगिकों का मिश्रण बनता है। इस अभिक्रिया के लिए ऐल्किल हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10a
अभिक्रिया द्वारा प्राप्त ऐमीन, HX के साथ क्रिया करके लवण बना देती है जिसकी क्रिया प्रबल क्षार के साथ करवाने पर पुनः ऐमीन प्राप्त हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10b
(i) इस अभिक्रिया द्वारा मुख्य उत्पाद के रूप में प्राथमिक ऐमीन प्राप्त करने के लिए अमोनिया को आधिक्य में लिया जाना चाहिए।

(ii) इस अभिक्रिया द्वारा ऐनिलीन बनाना मुश्किल होता है क्योंकि क्लोरो बेन्जीन में +M प्रभाव के कारण कार्बन क्लोरीन बन्ध में द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं अतः इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है। इस कारण ऐनिलीन बनाने के लिए निम्नलिखित विशिष्ट विधियों का प्रयोग किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10c
(vi) ऐसिलीकरण – ऐलीफैटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक एवं ऐसिलीकरण-द्वितीयक ऐमीन, ऐसिड क्लोराइड तथा एसिड एनहाइड्राइड के साथ नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं तो इसे ऐसिलीकरण अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में -NH2 अथवा > NH समूह में उपस्थित हाइड्रोजन परमाणु का ऐसिल समूह द्वारा प्रतिस्थापन होता है। इस अभिक्रिया में CH3COCl लेने पर इसे ऐसिटिलीकरण (Acetylation) कहते हैं तथा यह अभिक्रिया पिरौडीन की उपस्थिति में की जाती है जिससे प्राप्त HCI का अवशोषण होकर साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10d
जब ऐमीनों की अभिक्रिया बेन्जॉयल क्लोराइड से करवाते हैं तो इस अभिक्रिया को बेन्जॉयलीकरण ( Benzoylation) कहते हैं तथा वैज्ञानिक के नाम के आधार पर इसे शॉटन बॉमन अभिक्रिया कहा जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10e
ऐमीन कमरे के ताप पर कार्बोक्सिलिक अम्लों के साथ क्रिया करके लवण बनाती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 10f

(vii) गैब्रिल थैलिमाइड संश्लेषण द्वारा (By Gabriel Pthallimide Synthesis) – ऐलिफैटक ऐमीन बनाने की यह एक उत्तम विधि है। इस विधि में थैलिमाइड की क्रिया एथेनॉलिक KOH से करवाते हैं तो इसका पोटैशियम लवण बनता है जिसे ऐल्किल हैलाइड के साथ गरम करके क्षारीय जल अपघटन कराने पर प्राथमिक ऐमीन बनते हैं। इस अभिक्रिया द्वारा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन, जैसे ऐनिलीन, सुगमता से नहीं बनती, क्योंकि ऐरिल हैलाइडों की क्रियाशीलता ऐल्किल हैलाइडों से कम होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 11a

प्रश्न 13.8.
निम्न परिवर्तन निष्पादित कीजिए-
(i) नाइट्रो बेन्जीन से बेन्ज़ोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m ब्रोमोफ़ीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2,4, 6- ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2 फ्रेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लोरोबेन्ज़ीन से p-क्लोरोऐनिलीन
(vii) ऐनिलीन से p-ब्रोमोऐनिलीन
(viii) बेन्ज़एमाइड से टॉलुईन
(ix) ऐनीलीन से बेन्ज़ाइल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 11
(ii) बेन्जीन से m ब्रोमोफ़ीनॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 12
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 13
(iv) ऐनिलीन से 2,4, 6- ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 14
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2 फ्रेनिलएथेनेमीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 15
(vi) क्लोरोबेन्ज़ीन से p-क्लोरोऐनिलीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 16
(vii) ऐनिलीन से p-ब्रोमोऐनिलीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 17
(viii) बेन्ज़एमाइड से टॉलुईन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 18
(ix) ऐनीलीन से बेन्ज़ाइल ऐल्कोहॉल।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 19

प्रश्न 13.9.
निम्न अभिक्रियाओं में A, B तथा C की संरचना दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 20
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 21

प्रश्न 13.10.
एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ जलीय अमोनिया के साथ गरम करने पर यौगिक ‘B’ बनाता है जो Br, एवं KOH के साथ गरम करने पर अणु सूत्र C. H, N वाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचना एवं इनके आईयूपीएसी नाम लिखिए।
उत्तर:
अभिक्रिया तथा A, B, C व उनके नाम अग्र प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 22

प्रश्न 13.11.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
(i) C6H5NH2 + CHCl3 + ( ऐल्कोहॉली) KOH →
(ii) C6H5N2Cl + H3PO2 + H2O →
(iii) C6H5NH2 + H2SO4 सांद्र
(iv) C6H5N2Cl + C2H5OH →
(v) C6H5NH2 + Br2 (aq) →
(vi) C6H5NH2 + (CH3CO)2 O
(vii) C6H5N2Cl HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 23
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 24

प्रश्न 13.12.
एैरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर:
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से नहीं बना सकते क्योंकि ऐरिल हैलाइड में अनुनाद (+M प्रभाव) के कारण कार्बन हैलोजन आंबन्ध में द्विआबन्ध के गुण आ जाते हैं अतः वह प्रबल हो जाता है। इस कारण ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 13.13.
ऐलिफैटिक एवं ऐरोमैटिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया’ द्वारा मुख्यतः ऐल्कोहॉल देते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 25
ऐरोमैटिक अम्ल नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCl) से क्रिया करके डाइएजोनियम लवण बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 26

प्रश्न 13.14.
निम्नलिखित में प्रत्येक का संभावित कारण बताइए-
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलीफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं।
उत्तर:
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है क्योंकि ऐमीनों में – NH बन्ध की ध्रुवता ऐल्कोहॉलों के – O-H बन्ध की ध्रुवता से कम होती है क्योंकि ऑक्सीजन की विद्युतऋणता, नाइट्रोजन से अधिक है अतः ऐमीनों में ऐल्कोहॉलों की तुलना में H देने की प्रवृत्ति कम होती है।

(ii) प्राथमिक ऐमीनों में नाइट्रोजन पर दो हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं जिनके कारण इनमें प्रबल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध होता है जिससे
आण्विक सगुणन (Molecular association) अधिक होता है जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं होने के कारण हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनता अतः प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 27

(iii) ऐलिफैटिक ऐमीन में ऐल्किल समूह के + I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के कारण नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः – NH2 समूह की इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है अतः ये अधिक क्षारीय होते हैं जबकि ऐरोमैटिक ऐमीन में – NH2 के नाइट्रोजन परमाणु का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद करता है (+M प्रभाव) जिससे इस पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है तथा इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति कम हो जाती है अतः ये कम क्षारीय होते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry ऐमीन Intext Questions

प्रश्न 12.1.
निम्न यौगिकों की संरचना लिखिए-
(i) α-मेथॉक्सीप्रोप्रिऑनऐल्डिहाइड
(ii) 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iii) 2-हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन कार्बैल्डिहाइड
(iv) 4-ऑक्सोपेन्टेनैल
(v) डाइ-द्वितीयकब्यूटिल कीटोन
(vi) 4-क्लोरोऐसीटोफीनॉन
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 28

प्रश्न 12.2
निम्न अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 29
उत्तर:
उपरोक्त अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना अग्र प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 30

प्रश्न 12.3.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH3CHO, CH3CH2OH, CH3OCH3, CH3CH2CH3
उत्तर:
CH3-CH3-CH3 < CH3-O-CH3 < CH3-CHO< CH3-CH2-OH
क्वथनांकों का बढ़ता क्रम

प्रश्न 12.4.
निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकरागी योगात्मक (Addition) अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(क) एथेनैल, प्रोपेनैल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
(ख) बेन्जैल्डिहाइ ड, p-टॉलू ऐल्डिहाइ ड, p-नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड, ऐसीटोफीनोन।
संकेत-त्रिविम प्रभाव व इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव को ध्यान में रखें।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों की नाभिकरागी योगात्मक अभिक्रियाओं में बढ़ती हुई क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है-
(क) ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनैल < एथेनैल
(ख) ऐसीटोफ़ीनोन <p-टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड <p-नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 12.5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 31
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 32

प्रश्न 12.6.
निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 33
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों के आईयूपीएसी नाम निम्न प्रकार हैं-
(i) 3-फेनिलप्रोपेनॉइक अम्ल
(ii) 3-मेथिलब्यूट-2-इनोइक अम्ल
(iii) 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेनकार्बोक्सिलिक अम्ल
(iv) 2,4,6-ट्राईनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल

प्रश्न 12.7.
निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(i) एथिलबेन्जीन
(ii) ऐसीटोफीनोन
(iii) ब्रोमोबेन्जीन
(iv) फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में निम्न प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 34

प्रश्न 12.8.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौनसा अम्ल अधिक प्रबल है ?
(i) CH3CO2H अथवा CH2FCO2H
(ii) CH2FCO2H अथवा CH2ClCO2H
(iii) CH2FCH2CH2CO2H अथवा CH2CHFCH2CO2H
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 35
उत्तर:
उपर्युक्त युग्मों में से अधिक प्रबल अम्ल निम्नलिखित हैं-
(i) CH2FCOOH
(ii) CH2FCOOH
(iii) CH2CHFCH2COOH
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन 36

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 12.1.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए-
(i) सायनोहाइड्रिन
(ii) ऐसीटेल
(iii) सेमीकार्बेजोन
(iv) ऐल्डोल
(v) हेमीऐसीटेल
(vi) ऑक्सिम
(vii) कीटेल
(viii) इमीन
(ix) 2,4-DNP व्युत्पन्न
(x) शिफ क्षारक।
उत्तर:
(i) सायनोहाइड्रिन- कार्बोनिल यौगिकों पर HCN के योग से बने यौगिक सायनोहाइड्रिन कहलाते हैं। इनमें OH तथा -CN समूह उपस्थित होते हैं। जैसे-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 1

(ii) ऐसीटेल ऐल्डिहाइड की दो मोल मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल से क्रिया कराने पर प्राप्त यौगिकों को ऐसीटेल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 2

(iii) सेमीकार्बेजोन कार्बोनिल यौगिकों की सेमीकार्बेजाइड से अभिक्रिया कराने पर बने यौगिकों को सेमीकार्बेजोन कहते हैं। जैसे-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 3

(iv) ऐल्डोल – a-H युक्त ऐल्डिहाइडों का तनु क्षार की उपस्थिति में संघनन करने से बना उत्पाद ऐल्डोल कहलाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 4

(v) हेमीऐसीटेल – शुष्क HCl की उपस्थिति में ऐल्डिहाइड की मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के एक मोल के साथ अभिक्रिया कराने पर ऐल्कॉक्सी ऐल्कोहॉल बनते हैं, इन्हें हेमीऐसीटेल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5

(vi) ऑक्सिम – कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रॉक्सिल एमीन से क्रिया कराने से बने उत्पाद ऑक्सिम कहलाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 6

(vii) कीटैल – शुष्क HCl की उपस्थिति में कीटोन, एथिलीन ग्लाइकॉल के साथ अभिक्रिया करके चक्रीय उत्पाद बनाते हैं जिसे एथिलीन ग्लाइकॉल कीटैल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 7

(viii) इमीन – कार्बोनिल यौगिक NH3 के साथ अभिक्रिया करके इमीन बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 8

(ix) 2,4-DNP व्युत्पन्न – ऐल्डिहाइड तथा कीटोन 2,4-डाई नाइट्रो फेनिल हाइड्रेजीन (2,4-DNP) से क्रिया करके 2,4-डाईनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन बनाते हैं, इन्हें 2,4-DNP व्युत्पन्न कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 9

(x) शिफ – क्षारक – कार्बोनिल यौगिकों की प्राथमिक ऐमीन से क्रिया द्वारा बने उत्पाद प्रतिस्थापित इमीन होते हैं, इन्हें शिफ क्षारक कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 10

प्रश्न 12.2.
निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी (IUPAC ) नामपद्धति में नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 11
उत्तर:
इन यौगिकों के IUPAC नाम निम्नलिखित हैं-
(i) 4- मेथिलपेन्टेनैल
(ii) 6- क्लोरो-4 एथिलहेक्सेन 3 ओन
(iii) ब्यूट-2 ईन -1- ऐल
(iv) पेन्टेन-2, 4-डाइओन
(v) 3,3,5 ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
(vi) 3, 3 – डाइमेथिलब्यूटेनॉइक अम्ल
(vii) बेन्जीन-1, 4-डाइकार्बेल्डिहाइड

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 12.3.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए-
(i) 3- मेथिल ब्यूटेनैल
(ii) p- नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
(iii) p-मेथिलबेन्जेल्डिहाइड
(iv) 4- मेथिलपेन्ट- 3 – ईन- 2- ओन
(v) 4-क्लोरोपेन्टेन- 2- ऑन
(vi) 3- ब्रोमो-4- फेनिल पेन्टेनॉइक अम्ल
(vii) P,p’-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्ज़ोफीनोन
(viii) हेक्स-2 ईन- 4 आइनोइक अम्ल।
उत्तर:
इन यौगिकों की संरचना निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 12

प्रश्न 12.4.
निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आईयूपीएसी (IUPAC ) नाम लिखिए और जहाँ संभव हो सके साधारण नाम भी दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 13
(vi) PhCOPh
उत्तर:
इन यौगिकों के IUPAC नाम निम्न प्रकार हैं-
(i) हेप्टेन -2- ओन
(ii) 4- ब्रोमो-2- मेथिलहेक्सेनैल
(iii) हेप्टेनैल
(iv) 3- फ़ेनिलप्रोपीनैल
(v) साइक्लोपेन्टेनकार्बेल्डिहाइड
(vi) डाइफ़ेनिलमेथेनोन
इनके सामान्य (साधारण) नाम निम्न प्रकार होंगे-
(i) मेथिल पेन्टिल कीटोन
(ii) नहीं है
(iii) नहीं है
(iv) सिन्नेमैल्डिहाइड
(v) नहीं है
(vi) बेन्जोफीनॉन

प्रश्न 12.5.
निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए-
(i) बेन्जेल्डिहाइड का 2, 4- डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्रेजोन
(ii) साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्सिम
(iii) ऐसीटैल्डिहाइडडाइमेथिलऐसीटैल
(iv) साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकार्बेजोन
(v) हेक्सेन – 3 – ओन का एथिलीन कीटेल
(vi) फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटेल।
उत्तर:
इन व्युत्पन्नों (Derivatives) की संरचना निम्न प्रकार होगी-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 14

प्रश्न 12.6.
साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए-
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
(ii) टॉलेन अभिकर्मक
(iii) सेमीकार्बेजाइड एवं दुर्बल अम्ल
(iv) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(v) जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 15

प्रश्न 12.7.
निम्नलिखित में से कौनसे यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिज़ारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपरोक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिज़ारो अभिक्रिया में संभावित उत्पादों की संरचना लिखिए।
(i) मेथेनैल
(ii) 2- मेथिलपेन्टेनैल
(iii) बेन्ज़ैल्डिहाइड
(iv) बेन्ज़ोफ़ीनॉन
(v) साइक्लोहेक्सेनोन
(vi) 1 – फेनिलप्रोपेनोन
(vii) फेनिलऐसीटैल्डिहाइड
(viii) ब्यूटेन – 1- ऑल
(ix) 2,2 – डाइमेथिलब्यूटेनैल।
उत्तर:
उपर्युक्त में से निम्नलिखित यौगिक ऐल्डोल संघनन देते हैं- (ii), (v), (vi), (vii); निम्नलिखित यौगिक कैनिज़ारो अभिक्रिया दर्शाते हैं- (i), (iii), (ix) तथा निम्नलिखित यौगिक दोनों ही अभिक्रिया नहीं दर्शाते- (iv), (viii).
संभावित उत्पादों की संरचना निम्न प्रकार होगी-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 16

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 12.8.
ऐथेनैल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) ब्यूटेन-1, 3-डाई ऑल
(ii) ब्यूट-2-ईनैल
(iii) ब्यूट-2-इनॉइक अम्ल।
उत्तर:
(i) एथेनैल से ब्यूटेन-1, 3-डाईऑल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 17

(ii) एथेनैल से ब्यूट-2-ईनैल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 18

(iii) एथेनैल से ब्यूट-2-इनॉइक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 19

प्रश्न 12.9.
प्रोपेनैल एवं ब्यूटेनैल के एल्डोल संघनन से बनने वाले चार संभावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए | प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकरागी और कौन – सा इलेक्ट्रॉनरागी होगा ?
उत्तर:
प्रोपेनैल एवं ब्यूटेनैल के ऐल्डोल संघनन से बनने वाले चार उत्पाद निम्नलिखित हैं-
(i) प्रोपेनैल से बना उत्पाद-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 20

(ii) ब्यूटेनैल से बना उत्पाद-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 21

(iii) प्रोपेनैल नाभिकरागी तथा ब्यूटेनैल इलेक्ट्रॉनरागी होने पर बना उत्पाद-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 22

(iv) ब्यूटेनैल नाभिकरागी तथा प्रोपेनैल इलेक्ट्रॉनरागी होने पर बना उत्पाद –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 23

प्रश्न 12.10.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10O है 2,4 DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचित करता है तथा कैनिज़ारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1, 2 – बेन्ज़ीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर:
यह कार्बनिक यौगिक 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है। अतः यह कार्बोनिल यौगिक ( ऐल्डिहाइड या कीटोन) होगा लेकिन यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचित ( reduced ) कर रहा है। अतः यह ऐल्डिहाइड है तथा यह कैनिज़ारो अभिक्रिया दे रहा है। अतः इसमें a-H अनुपस्थित है। इसके आक्सीकरण से 1, 2 – बेन्जीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनता है ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 24
ऑक्सीकरण के बाद बने उत्पाद से यह सिद्ध होता है कि इसमें एक बेन्जीन वलय है, एक – COOH समूह -CHO समूह के ऑक्सीकरण से तथा दूसरा – COOH समूह ऐल्किल समूह के ऑक्सीकरण से प्राप्त होगा। अतः अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 25

प्रश्न 12.11.
एक कार्बनिक यौगिक ‘क’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल अपघ करने के उपरांत एक कार्बोक्सिलिक अम्ल ‘ख’ एवं एक ऐल्कोहॉल ‘ग’ प्राप्त हुई। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ उत्पन्न होता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट- 1 – ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 26
(ग) के निर्जलीकरण से ब्यूट- 1 -ईन बनता है। इसमें चार कार्बन परमाणु हैं अतः अन्य उत्पाद (ख) में भी चार कार्बन होंगे तथा इसमें अन्तस्थ – COOH होगा। अतः यौगिक- क, ख तथा ग निम्नलिखित है-
(क) CH3 – CH2 – CH2 – COO CH2 – CH2-CH2-CH3 ब्यूटिल ब्यूटेनॉएट (एस्टर)
(ख) CH3-CH2-CH2 – COOH (ब्यूटेनॉइक अम्ल)
(ग) CH3-CH2-CH2 – CH2 – OH ( ब्यूटेन – 1-ऑल )

तथा अभिक्रियाओं के समीकरण निम्न प्रकार होंगे-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 27

प्रश्न 12.12.
निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गये) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए- (i) ऐसीटैल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक ब्यूटिलकीटोन, मेथिलतृतीयक ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता) ।
(ii) CH3CH2CH(Br) COOH, CH3CH(Br)CH2COOH (CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2 COOH (अम्लता के क्रम में ) ।
(iii) बेन्जोइक अम्ल; 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3,4- डाईनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल 4- मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में) ।
उत्तर:
(i) ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की नाभिकरागी संकलन के लिए क्रियाशीलता + I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा पर निर्भर करती है। अतः इनकी HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा-
डाइ तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < मेथिल तृतीयक ब्यूटिल कोटोन < ऐसीटोन < ऐसिटैल्डिहाइड

(ii) कार्बोक्सिलिक अम्लों का अम्लीय गुण, प्रेरणिक प्रभाव (+I तथा-I) तथा विभिन्न समूहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अतः इनके अम्लीय गुण का क्रम निम्न प्रकार होगा-
(CH3), CHCOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3 CH(Br)CH2COOH – CH3CH2CH( Br)COOH

(iii) 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल बेन्जोइक अम्ल <4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3, 4 डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(अम्लता की सामर्थ्य का बढ़ता क्रम )
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 28

प्रश्न 12.13.
निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन
(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्जोफ़ीनॉन
(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट
(v) पेन्टेन 2 ऑन एवं पेन्टेन 3-ऑन
(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं एसीटोफ़ीनॉन
(vii) एथेनैल एवं प्रोपेनैल।
उत्तर:
(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद – प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटोन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया सकता है-
(1) आयोडोफॉर्म परीक्षण जलीय NaOH तथा I के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल में कोई क्रिया नहीं होती जबकि प्रोपेनोन द्वारा आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप आता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29

(2) टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट) के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल रजत दर्पण देता है (रजत दर्पण परीक्षण) जबकि प्रोपेनोन में कोई क्रिया नहीं होती।

(3) फेलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल से लाल अवक्षेप बनता है जबकि प्रोपेनोन से कोई अभिक्रिया नहीं होती।

(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्जोफ़ीनॉन में विभेद – ऐसीटोफ़ीनॉन (CH3COC6H5) एक सेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 30 यह परीक्षण नहीं देता।

(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल में विभेद-
(1) फ़ीनॉल NaHCO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस देता है।
C6H5COOH + NaHCO3 → C6H5COONa + CO2↑+ H2O

(2) उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फ़ीनॉल बैंगनी (Violet) रंग देता है जबकि बेन्जोइक अम्ल के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।

(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट में विभेद-
(1) बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) अम्लीय है। अतः यह नीले लिटमस को लाल करता है जबकि एथिल बेन्जोएट (C6H5COOC2H5) ‘एस्टर है अतः यह नीले लिटमस से कोई क्रिया नहीं करता।

(2) बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस की बुदबुदाहट देता है जबकि एथिल बेन्जोएट की NaHCO विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती।

(v) पेन्टेन 2 ऑन एवं पेन्टेन 3-ऑन में विभेद – पेन्टेन- 2-ऑन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 31 एक मैथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि पेन्टेन 3 ऑन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 32में यह परीक्षण नहीं होता।

(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफ़ीनॉन में विभेद-
(1) बेन्जेल्डिहाइड (C6H5CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 33एक मैथिल कीटोन है अतः ऐसीटोफ़ीनॉन, आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्जेल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता है।

(2) बेन्जेल्डिहाइड टॉलेन अभिकर्मक ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन इससे क्रिया नहीं करता।

(vii) ऐथेनैल एवं प्रोपेनैल में विभेद – एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनैल (CH3CH2 – CHO) यह परीक्षण नहीं देता।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 34

प्रश्न 12.14.
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हो, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m- नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल
(iii) p- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फ़ेनिल ऐसीटिक अम्ल
(v) p-नाइट्रोबेन्ज़ैल्डिहाइड।
उत्तर:
(i) बेन्जीन से मेथिल बेन्ज़ोएट-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35
(ii) बेन्जीन से m-नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35a
(iii) बेन्जीन से p-नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35b
(iv) बेन्जीन से फ़ेनिल ऐसीटिक अम्ल-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35c
(v) बेन्जीन से p-नाइट्रोबेन्ज़ैल्डिहाइड-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35d

प्रश्न 12.15.
आप निम्नलिखित रूपांतरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे ?
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्ज़ैल्डिहाइड
(iii) ऐथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iv) बेन्ज़ीन से m – नाइट्रोऐसीटोफ़ीनॉन
(v) बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्ज़ोफ़ीनॉन
(vi) ब्रोमोबेन्जीन से 1 – फेनिलएथेनॉल
(vii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से 3- फेनिलप्रोपेन- 1 – ऑल
(viii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से – हाइड्रॉक्सीफ़ेनिलऐसीटिक अम्ल
(ix) बेन्जोइक अम्ल से m- नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 36

(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्ज़ैल्डिहाइड
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 37

(iii) ऐथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 38

(iv) बेन्ज़ीन से m – नाइट्रोऐसीटोफ़ीनॉन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 39

(v) बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्ज़ोफ़ीनॉन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 40

(vi) ब्रोमोबेन्जीन से 1 – फेनिलएथेनॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 41

(vii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से 3- फेनिलप्रोपेन- 1 – ऑल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 42

(viii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से – हाइड्रॉक्सीफ़ेनिलऐसीटिक अम्ल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 43

(ix) बेन्जोइक अम्ल से m- नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 44

प्रश्न 12.16.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन करो-
(i) ऐसीटिलन ( ऐसीटिलीकरण)
(ii) कैनिज़ारो अभिक्रिया
(iii) क्रॉस ऐल्डोल संघनन
(iv) विकार्बोक्सिलन (विकार्बोक्सिलीकरण) ।
उत्तर:
(i) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण – निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl3) की उपस्थिति में बेन्जीन अथवा प्रतिस्थापित बेन्जीन, अम्ल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया कर संगत कीटोन देते हैं। इसे फ्रीडेल- क्राफ्ट्स ऐसीटिलन अभिक्रिया कहते हैं ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 45a
लेकिन सक्रिय H युक्त यौगिक जैसे ऐल्कोहॉल (ROH) फ़ीनॉल (C6H5OH) तथा ऐमीन्स (R – NH2) की क्रिया बिना उत्प्रेरक के CH3COCl से कराने पर H+ के स्थान परHBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 45 आ जाता है। इसे ऐसीटिलन अभिक्रिया कहते हैं।

(ii) कैनिज़ारो अभिक्रिया – वे ऐल्डिहाइड, जिनमें – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सांद्र क्षार (NaOH या KOH) की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण तथा अपचयन (असमानुपातन) दर्शाते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 46

(iii) क्रॉस ऐल्डोल संघनन – जब दो भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि दोनों यौगिकों में α-हाइड्रोजन हो तो चार उत्पादों का मिश्रण प्राप्त होता है। जैसे एथेनैल व प्रोपेनैल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 47
क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी प्रयुक्त हो सकते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 48

(iv) विकार्बोक्सिलन – कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम (NaOH तथा CaO, ( 3:1) का मिश्रण ) के साथ गरम करने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन या विकार्बोक्सिलीकरण कहलाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 49

प्रश्न 12.17.
निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 50
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 51

प्रश्न 12.18.
निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए-
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है। परन्तु 2, 2, 6- ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता ।
(ii) सेमीकार्बेज़ाइड में दो – NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक – NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से, अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
उत्तर:
(i) साइक्लोहेक्सेनोन का कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है। अतः इस पर HCN का नाभिकस्नेही संकलन आसानी से होकर अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बन जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 52
लेकिन 2,2,6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन में उपस्थित तीन मेथिल समूहों के +I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के कारण कार्बोनिल समूह की ध्रुवता कम हो जाती है तथा इन तीन मेथिल समूहों की त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण नाभिकस्नेही (CN) का आक्रमण मुश्किल होता है। अतः इस पर HCN के योग से प्राप्त सायनोहाइड्रिन की लब्धि बहुत कम होती
है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

(ii) सेमीकार्बोजाइड में उपस्थित दो – NH2 समूह में से केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन बनाने में प्रयुक्त होता है, क्योंकि >C = 0 समूह के पास वाले -NH2 समूह के – N-H बन्ध अनुनाद के कारण प्रबल होते हैं जबकि -NH- के पास वाले – NH2 समूह के -N-H बन्ध दुर्बल होते हैं क्योंकि इनमें अनुनाद नहीं होता अतः ये अभिक्रिया में भाग लेते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 53
कार्बोक्सिलिक अम्ल की ऐल्कोहॉल से क्रिया द्वारा एस्टर बनने की अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है अतः एस्टर बनते ही वह वापस जल से क्रिया करके अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बना देता है। अतः अभिकारकों एवं उत्पादों के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है इसलिए जल या एस्टर को बनते ही अभिक्रिया मिश्रण से निकाल देने पर साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है जिससे एस्टर अधिक मात्रा में बनता है।

प्रश्न 12.19.
एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनॉइक तथा प्रोपेनॉइक अम्ल देता है। यौगिक की संभावित संरचना लिखिए।
उत्तर:
यौगिक में उपस्थित कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन की % मात्रा के आधार पर यौगिक का अणुसूत्र निम्न प्रकार ज्ञात किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 54
अतः यौगिक का अणुसूत्र C5H10O होगा क्योंकि इसका अणुभार 86 है।

प्रश्नानुसार यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता। अतः यह ऐल्डिहाइड नहीं है, लेकिन सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट (NaHSO3) के साथ योगज यौगिक बनाता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह मेथिल कीटोन है इसलिए इसका संरचना सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 55होगा ।

रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होंगी-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 56

आयोडोफॉर्म परीक्षण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 57

ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 58

प्रश्न 12.20
यद्यपि फ़ीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फ़ीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है। क्यों?
उत्तर:
फ़ीनॉक्साइड आयन में ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु तथा कम विद्युतऋणी कार्बन पर वितरित होता है, जबकि कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणात्मक आवेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर वितरित होता है, अतः इसमें ऋणात्मक आवेश का विस्थानीकरण, फ़ीनॉक्साइड आयन में अधिक होता है इसलिए इसका अनुनाद स्थायीकरण अधिक होता है। इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल, फ़ीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है।

HBSE 12th Class Chemistry ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Intext Questions

प्रश्न 12.1.
निम्न यौगिकों की संरचना लिखिए-
(i) α-मेथॉक्सीप्रोप्रिऑनऐल्डिहाइड
(ii) 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iii) 2-हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन कार्बैल्डिहाइड
(iv) 4-ऑक्सोपेन्टेनैल
(v) डाइ-द्वितीयकब्यूटिल कीटोन
(vi) 4-क्लोरोऐसीटोफीनॉन
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 1

प्रश्न 12.2.
निम्न अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 2
उत्तर:
उपरोक्त अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना अग्र प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 3

प्रश्न 12.3.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH<3CHO, CH3CH2OH, CH3OCH3, CH3CH2CH3
उत्तर:
CH<3-CH<2-CH<3 < CH<3-O-CH<3 < CH<3-CHO < CH<3-CH<2-OH
क्वथनांकों का बढ़ता क्रम

प्रश्न 12.4.
निम्नलिखित योगिका को नाभकरागा योगात्मक (Addition) अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(क) एथेनैल, प्रोपेनैल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
(ख) बेन्जैल्डिहाइ ड, p-टॉॅलू ऐल्डिहाइड, p-नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड, ऐसीटोफीनोन।
संकेत-त्रिविम प्रभाव व इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव को ध्यान में रखें।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों की नाभिकरागी योगात्मक अभिक्रियाओं में बढ़ती हुई क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है-
(क) ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनैल < एथेनैल
(ख) ऐसीटोफ़ीनोन <p-टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड

प्रश्न 12.5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 4

प्रश्न 12.6.
निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 5
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों के आईयूपीएसी नाम निम्न प्रकार हैं-
(i) 3-फेनिलप्रोपेनॉइक अम्ल
(ii) 3-मेथिलब्यूट-2-इनोइक अम्ल
(iii) 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेनकार्बोक्सिलिक अम्ल
(iv) 2,4,6-ट्राईनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल

प्रश्न 12.7.
निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(i) एथिलबेन्जीन
(ii) ऐसीटोफीनोन
(iii) ब्रोमोबेन्जीन
(iv) फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में निम्न प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 6

प्रश्न 12.8.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौनस अम्ल अधिक प्रबल है?
(i) CH3CO2H अथवा CH2FCO2H
(ii) CH2FCO2H अथवा CH2CICO2H
(iii) CH2FCH2CH2CO2H
अथवा CH3CHFCH2CO2H
(iv) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 7
उत्तर:
उपर्युक्त युग्मों में से अधिक प्रबल अम्ल निम्नलिखित हैं-
(i) CH2FCOOH
(ii) CH2FCOOH
(iii) CH3CHFCH2COOH
(iv) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 Img 8

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.1.
निम्नलिखित यौगिकों के आई यूपीएसी (IUPAC) नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 1
उत्तर:
(i) 2,2,4-ट्राइमेथिल पेन्टेन-3-ऑल
(ii) 5-एथिल हेप्टेन-2, 4-डाइऑल
(iii) ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
(iv) प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइऑल
(v) 2-मेथिल फीनॉल
(vi) 4-मेथिल फीनॉल
(vii) 2, 5-डाइमेथिल फीनॉल
(viii) 2, 6-डाइमेथिल फीनॉल
(ix) 1-मेथॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेन
(x) एथॉक्सी बेन्जीन
(xi) 1-फीनॉक्सी हेप्टेन
(xii) 2-एथॉक्सी ब्यूटेन

प्रश्न 11.2.
निम्नलिखित आईयूपीएसी (IUPAC) नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए-
(i) 2-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल
(ii) 1-फेनिल प्रोपेन-2-ऑल
(iii) 3,5-डाइमेथिल हैक्सेन-1,3,5-ट्राइऑल
(iv) 2,3-डाइएथिलफ़ीनॉल
(v) 1-एथॉक्सीप्रोपेन
(vi) 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
(vii) साइक्लोहैक्सिलमेथेनॉल
(viii) 3-साइक्लोहैक्सिलपेन्टेन-3-ऑल
(ix) साइक्लोपेन्टेन-3-ईन-1-ऑल
(x) 4-क्लोरो-3-एथिलब्यूटेन-1-ऑल
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 2

प्रश्न 11.3.
(i) C5H12O आण्विक सूत्र वाले ऐल्कोहॉलों के सभी समावयवों की संरचना लिखिए एवं उनके आईयूपीएसी (IUPAC) नाम दीजिए।
(ii) C5H12O के समावयवी ऐल्कोहॉलों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 3

प्रश्न 11.4.
समझाइए कि प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक होता है क्योंकि प्रोपेनॉल में प्रबल अंतरा – आण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि ब्यूटेन में अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.5.
समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं? इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
ऐल्कोहॉलों में ध्रुवीय – OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ आसानी से हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं जबकि हाइड्रोकार्बन, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते। अतः समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं।

प्रश्न 11.6.
हाइड्रोबोरॉनन – ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण (Hydroboronation- Oxidation)-डाइबोरेन (B2H6), ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 4
योगोत्पाद (Addition Product ) ट्राइऐल्किन बोरेन बनाता है जो जलीय NaOH की उपस्थिति में H2O2 द्वारा ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। इसे हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

इस अभिक्रिया में ऐल्कोहॉलों की लब्धि अधिक होती है तथा इसमें अप्रत्यक्ष विधि से एल्कीन का जलयोजन (मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत) होता है।

प्रश्न 11.7.
आण्विक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉलों की संरचनाएँ तथा IUPAC (आईयूपीएसी) नाम लिखिए।
उत्तर:
आण्विक सूत्र C7H8O से तीन मोनोहाइड्रिक फीनॉल संभव हैं जो निम्न प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 5

प्रश्न 11.8.
ऑर्थो तथा पैरा- नाइट्रोफीनॉलों के मिश्रण को भाप – आसवन द्वारा पृथक् करने में भाप – वाष्पशील समावयवी का नाम बताइए। इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
o – नाइट्रो फ़ीनॉल अंतः अणुक हाइड्रोजन बन्ध (Intramolecular H – bond) के कारण भाप में वाष्पशील है क्योंकि इसमें अन्तराअणुक बल, p- समावयवी की तुलना में दुर्बल होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 6

प्रश्न 11.9.
क्यूमीन से फीनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण दीजिए ।
उत्तर:
क्यूमीन (आइसोप्रोपिल बेन्जीन) को पहले वायु (O2) के द्वारा हाइड्रोपरॉक्साइड में ऑक्सीकृत करते हैं फिर इसकी तनु अम्ल (H2SO4) के साथ क्रिया करवाने पर यह फीनॉल तथा ऐसीटोन में विघटित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 7

प्रश्न 11.10.
क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोबेन्जीन को 623 K ताप एवं लगभग 300 वायुमण्डलीय दाब पर NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसकी तनु अम्ल के साथ क्रिया कराने पर फीनॉल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 8

प्रश्न 11.
11 एथीन के जलयोजन (Hydration) से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथीन का जलयोजन – तनु अम्ल (HCl, H2SO4) उपस्थिति में एल्कीन की जल के साथ अभिक्रिया से ऐल्कोहॉल बनता है तथा असममित ऐल्कीनों में योगात्मक अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।

एथीन का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 9
क्रियाविधि – इस अभिक्रिया की क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
पद 1-H3O+ के इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण के द्वारा ऐल्कीन के प्रोटोनीकरण (Protonation) से कार्बोकैटायन बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 10
पद 2-कार्बोकैटायन पर जल का नाभिकस्नेही (Nucleophyllic) आक्रमण
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 11
पद 3-विप्रोटोनीकरण (deprotonation) जिससे ऐल्कोहॉल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 12

प्रश्न 11.12.
आपको बेन्जीन, सान्द्र H2SO4 और NaOH दिए गए हैं। इन अभिकर्मकों के उपयोग द्वारा फीनॉल के विरचन की समीकरण लिखिए।
उत्तर:
पहले बेन्जीन का ओलियम ( सधूम H2SO4) द्वारा सल्फोनीकरण किया जाता है तथा इससे प्राप्त बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ संगलित करने से सोडियम फीनॉक्साइड प्राप्त होता है। प्राप्त सोडियम फीनॉक्साइड की तनु अम्ल से क्रिया कराने पर फीनॉल प्राप्त हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 13

प्रश्न 11.13.
आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे ? दर्शाइए।
(i) एक उपयुक्त ऐल्कीन 1- फेनिलएथेनॉल
(ii) SN2 अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
(iii) एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन -1- ऑल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 14

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.14.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो। फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए |
उत्तर:
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 15

प्रश्न 11.15.
समझाइए कि ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो- मेथॉक्सी फीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होती है ?
उत्तर:
ऑर्थो – नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो मेथॉक्सी फ़ीनॉल से अधिक अम्लीय होती है क्योंकि -NO2 समूह का इलेक्ट्रॉन- आकर्षी अनुनाद प्रभाव (-I तथा -M) फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि -OCH3 (मेथॉक्सी) समूह का इलेक्ट्रॉन-प्रतिकर्षी प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

प्रश्न 11.16.
समझाइए कि बेन्जीन वलय से जुड़ा – OH समूह उसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति कैसे सक्रियित करता है?
उत्तर:
ऐरोमैटिक इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन – फीनॉलों में ऐरोमैटिक वलय पर होने वाली अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ होती हैं। बेन्ज़ीन वलय से जुड़ा – OH समूह इसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया के लिए सक्रियित करता है और आने वाले इलेक्ट्रॉनस्नेही को ऑर्थो एवं पैरा स्थिति पर निर्देशित करता है। क्योंकि – OH समूह के इलेक्ट्रॉन -प्रतिकर्षी (+ M प्रभाव) अनुनाद प्रभाव के कारण o तथा p- स्थितियाँ इलेक्ट्रॉन-धनी हो जाती हैं अतः इलेक्ट्रॉनरागी इन स्थितियों पर आसानी से आक्रमण करता है तथा बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है जिससे आने वाले इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण सुगमता से होता है। फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 16

प्रश्न 11.17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए-
(i) प्रोपेन- 1 ऑल का क्षारीय KMnO के साथ ऑक्सीकरण
(ii) ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया
(iii) तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया
(iv) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया।
उत्तर:
(i) प्रोपेन – 1- ऑल का क्षारीय KMnO4 ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 17

(ii) ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 18

(iii) तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 19

(iv) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 20
इसे राइमर -टीमान अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 11.18.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –
(i) कोल्बे अभिक्रिया
(ii) राइमर – टीमान अभिक्रिया
(iii) विलियम्सन ईथर संश्लेषण
(iv) असममित ईथर।
उत्तर:
(i) कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe Reaction) – या कोल्बे शिमट अभिक्रिया-सोडियम फीनॉक्साइड को 130° ताप तथा उच्च दाब (4-7 वायु-दाब) पर CO2 के साथ गर्म करने पर पहले सोडियम फेनिल कार्बोनेट मध्यवर्ती बनता है जिसके पुनर्विन्यास से सोडियम सैलिसिलेट प्राप्त होता है। सोडियम सैलिसिलेट के अम्लीकरण से सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 21
इस अभिक्रिया में CO2 दुर्बल इलेक्ट्रॉनस्नेही होते हुए भी अभिक्रिया सुगमता से सम्मन्न हो जाती है जिसका कारण फीनॉक्साइड आयन का, फीनॉल की तुलना में अधिक क्रियाशील होना है।

(ii) राइमर – टीमान अभिक्रिया – फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया से ऑर्थो स्थिति पर – CHO समूह आ जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर-टीमन अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में पहले प्रतिस्थापित बेन्जल क्लोराइड (मध्यवर्ती) बनता है जो क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैल्डिहाइड बनाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 22

(iii) विलियम्सन ईथर संश्लेषण (Williamson’s Ether Synthesis) – ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने से ईथर प्राप्त होते हैं, इसे विलियम्सन ईथर संश्लेषण कहते हैं।
\(\mathrm{RX}+\mathrm{R}^{\prime}-\overline{\mathrm{O}}-\stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{O}-\mathrm{R}^{\prime}+\mathrm{NaX}\)
\(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{Br}+\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \stackrel{-}{\mathrm{O}} \stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{O} \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5+\mathrm{NaBr}\)
यह सममित तथा असममित ईथर बनाने की महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है।
इस विधि से द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी बनाए जा सकते हैं तथा इसमें प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन आक्रमण करता है, अतः इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN² होती है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 23
द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड लेने पर ईथर तथा एल्कीन ( विलोपन अभिक्रिया) दोनों बनती हैं तथा तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का प्रयोग करने पर एल्कीन ही बनती है क्योंकि RO (ऐल्कॉक्साइड) आयन प्रबल क्षार होता है, अतः विलोपन अभिक्रिया होती है।

उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24a

इस विधि द्वारा फीनॉल से भी ईथर बनाया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24

लेकिन C6H5Br की R\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) से अभिक्रिया द्वारा ईथर नहीं बनता क्योंकि ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति बहुत कम क्रियाशील होते हैं।
C6H5Br + CH3–\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) → कोई अभिक्रिया नहीं

(iv) असममित ईथर – वे ईथर जिनमें दोनों हाइड्रोकार्बन समूह भिन्न-भिन्न होते हैं, उन्हें असममित ईथर कहते हैं। जैसे CH3-O-C2 H5 एथिल मेथिल ईथर।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन या निर्जलीकरण (Dehydration) से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 25
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 26

II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation) – यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 27

III. विप्रोटोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 28
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 11.20.
निम्नलिखित परिवर्तनों को किस प्रकार किया जा सकता है?
(i) प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
(ii) बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(iii) एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1-ऑल
(iv) मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मेथिलप्रोपेन-2ऑल।
उत्तर:
(i) प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल (प्रोपीन के जलयोजन से)
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 29
(ii) बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 30
(iii) एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1-ऑल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 31
(iv) मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मेथिलप्रोपेन-2ऑल।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 32

प्रश्न 11.21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में प्रयुक्त अभिकर्मकों के नाम बताइए –
(i) प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
(ii) प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऐल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
(iii) फीनॉल का 2, 4, 6 – ट्राइब्रोमोफीनॉल में ब्रोमीनन
(iv) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से बेन्जोइक अम्ल
(v) प्रोपेन – 2 – ऑल का प्रोपीन में निर्जलन (vi) ब्यूटेन – 2 – ऑन से ब्यूटेन – 2 – ऑल |
उत्तर:
(i) KMnO4 का अम्लीय विलयन (या अम्लीय K2Cr2O7)
(ii) गर्म अपचयित कॉपर या पिरीडिनियम क्लोरो क्रोमेट (PCC)
(iii) ब्रोमीन का जलीय विलयन
(iv) KMnO4 का अम्लीय विलयन
(v) गर्म तथा सान्द्र H2SO4
(vi) लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड (LiAlH4) या सोडियम बोरोहाइड्राइड (NaBH4)

प्रश्न 11.22.
कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर:
एथेनॉल में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जबकि मेथॉक्सी मेथेन में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण (वान्डरवाल बल) पाया जाता है। अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता, द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण से अधिक होती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक, मेथॉक्सी मेथेन की तुलना में उच्च होता है।

प्रश्न 11.23.
निम्नलिखित ईथरों के आईयूपीएसी ( IUPAC ) नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 33
उत्तर:
(i) 1-एथॉक्सी-2 – मेथिलप्रोपेन
(ii) 2 – क्लोरो-1 – मेथॉक्सीएथेन
(iii) 4 – नाइट्रोऐनिसॉल
(iv) 1- मेथॉक्सीप्रोपेन
(v) 1- एथॉक्सी-4, 4- डाइमेथिलसाइक्लोहेक्सेन
(vi) एथॉक्सीबेन्जीन

प्रश्न 11.24.
निम्नलिखित ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा बनाने के लिए अभिकर्मकों के नाम एवं समीकरण लिखिए-(i) 1- प्रोपॉक्सीप्रोपेन (ii) एथॉक्सीबेन्जीन (iii) 2-मेथॉक्सी-2 – मेथिलप्रोपेन (iv) 1 – मेथॉक्सीएथेन।
उत्तर:
उपर्युक्त ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा निम्न प्रकार बनाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 34

प्रश्न 11.25.
कुछ विशेष प्रकार के ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा बनाने की सीमाओं को उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर:
विलियम्सन ईथर संश्लेषण (Williamson’s Ether Synthesis) – ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने से ईथर प्राप्त होते हैं, इसे विलियम्सन ईथर संश्लेषण कहते हैं।
\(\mathrm{RX}+\mathrm{R}^{\prime}-\overline{\mathrm{O}}-\stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{O}-\mathrm{R}^{\prime}+\mathrm{NaX}\)
\(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{Br}+\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \stackrel{-}{\mathrm{O}} \stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{O} \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5+\mathrm{NaBr}\)
यह सममित तथा असममित ईथर बनाने की महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है।
इस विधि से द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी बनाए जा सकते हैं तथा इसमें प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन आक्रमण करता है, अतः इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN² होती है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 23
द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड लेने पर ईथर तथा एल्कीन ( विलोपन अभिक्रिया) दोनों बनती हैं तथा तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का प्रयोग करने पर एल्कीन ही बनती है क्योंकि RO (ऐल्कॉक्साइड) आयन प्रबल क्षार होता है, अतः विलोपन अभिक्रिया होती है।

उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24a

इस विधि द्वारा फीनॉल से भी ईथर बनाया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24

लेकिन C6H5Br की R\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) से अभिक्रिया द्वारा ईथर नहीं बनता क्योंकि ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति बहुत कम क्रियाशील होते हैं।
C6H5Br + CH3–\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) → कोई अभिक्रिया नहीं

प्रश्न 11.26.
प्रोपेन- 1 ऑल से 1 प्रोपॉक्सी प्रोपेन को किस प्रकार बनाया जाता है ? इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
प्रोटिक अम्लों (H2SO4, H3PO4) की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल के आधिक्य को लगभग 413 K ताप पर गर्म करने पर ईथर मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 35
ईथर बनाने की यह विधि द्विअणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) है जिसमें ऐल्कोहॉल का अणु एक प्रोटोनित ऐल्कोहॉल अणु पर आक्रमण करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 36

प्रश्न 11.27.
द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन (निर्जलीकरण) द्वारा ईथरों को बनाने की विधि उपयुक्त नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथर बनाना मुश्किल होता है क्योंकि प्रतिस्थापन तथा विलोपन अभिक्रियाओं के मध्य प्रतिस्पर्धा में विलोपन अभिक्रिया अधिक होने से मुख्य उत्पाद ऐल्कीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 37

प्रश्न 11.28.
हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए-
(i) 1 – प्रोपॉक्सीप्रोपेन
(ii) मेथॉक्सीबेन्जीन तथा
(iii) बेन्जिल एथिल ईथर ।
उत्तर:
(i) जब HI कम मात्रा में लिया जाता है तो 1- आयोडोप्रोपेन तथा प्रोपेन- 1 – ऑल बनता है जबकि HI आधिक्य में लेने पर 1-आयोडोप्रोपेन के दो मोल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 38

प्रश्न 11.29.
ऐरिल ऐल्किल ईथरों में निम्न तथ्यों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है, तथा
(ii) यह प्रवेश करने वाले प्रतिस्थापियों को बेन्जीन वलय की ऑर्थो एवं पैरा स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है।
उत्तर:
(i) ऐरिल ऐल्किल ईथरों में ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है क्योंकि फीनॉल के समान ईथर के ऑक्सीजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म भी बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद ( + M प्रभाव) करता है जिससे बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण आसान हो जाता है।

(ii) अनुनाद के कारण ( + M प्रभाव) ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है (ऋणावेश) अतः आने वाला इलेक्ट्रॉनरागी ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर आक्रमण करता है। इसे निम्न अनुनादी संरचनाओं द्वारा समझा सकते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 39

प्रश्न 11.30.
मेथॉक्सी मेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
मेथॉक्सी मेथेन की HI के साथ अभिक्रिया SN² क्रियाविधि द्वारा होती है।
पद I.
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 40
पद II.
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 42
जब HI आधिक्य में होता है तो CH3OH, पुनः HI से क्रिया करके CH3I बना देता है।
पद III.
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 43

प्रश्न 11.31.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –
(i) फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐनिसोल का ऐल्किलन (ऐल्किलीकरण)
(ii) ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
(iii) एथेनॉइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (ब्रोमीनीकरण)
(iv) ऐनिसोल का फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसीटिलन (ऐसीटिलीकरण)
उत्तर:
(i) फ्रीडेल- क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐनिसोल का ऐल्किलन (Alkylation) –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 44
यहाँ AICI3 लुइस अम्ल की भाँति कार्य करता है।

(ii) ऐनिसोल का नाइट्रीकरण (Nitration ) – सान्द्र H2SO4 तथा सान्द्र HNO3 के मिश्रण (नाइट्रीकारक मिश्रण) से ऐनिसोल का नाइट्रीकरण कराने पर ऑर्थो तथा पैरानाइट्रो ऐनिसोल का मिश्रण बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 45

(iii) एथेनॉइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (ब्रोमीनीकरण) (Bromination)-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 46

(iv) ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन (ऐसीटिलीकरण) (Acetylation) –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 47

प्रश्न 11.32.
उपयुक्त ऐल्कीनों से आप निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कैसे करेंगे?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 48
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 49

प्रश्न 11.33.
3 – मेथिलब्यूटेन – 2 – ऑल को HBr से अभिकृत कराने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 50
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि दीजिए।
संकेत – चरण II में प्राप्त द्वितीयक कार्बोकैटायन हाइड्राइड आयन विचलन कारण पुनर्विन्यासित होकर स्थायी तृतीयक कार्बोकैटायन बनाते हैं।
उत्तर:
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्न है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 51

HBSE 12th Class Chemistry ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Intext Questions

प्रश्न 11.1.
निम्नलिखित को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 52
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 53

द्वितीयक ऐल्कोहॉल (iv) तथा (v)
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 54

तृतीयक ऐल्कोहॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 55

प्रश्न 11.2.
उपरोक्त उदाहरणों में से ऐलिलिक ऐल्कोहॉलों को पहचानिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 56

प्रश्न 11.3.
निम्नलिखित यौगिकों के आई यूपीएसी (IUPAC) नामपद्धति से नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 57
उत्तर:
(i) 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेन्टेंन-1-ऑल
(ii) 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3-डाइऑल
(iii) 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सेन-1-ऑल
(iv) हेक्स-1-ईन-3-ऑल
(v) 2-ब्रोमो-3-मथथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.4.
दर्शाइए कि मेथेनैल पर उपयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित ऐल्कोहॉल कैसे विरचित किए जाते हैं?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 58
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 59

प्रश्न 11.5.
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 60
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 61

प्रश्न 11.6.
यदि निम्नलिखित ऐल्कोहॉल क्रमशः (क) HCl-ZnCl2 (ख) HBr (ग) SOCl2 से अभिक्रिया करें तो आप अपेक्षित उत्पादों की संरचनाएँ दीजिए।
(i) ब्यूटेन -1- ऑल
(ii) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
उत्तर:
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 62

प्रश्न 11.7.
(i) 1- मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल और
(ii) ब्यूटेन – 1- ऑल के अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन (Dehydration) के मुख्य उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 63
ब्यूट – 1 – ईन तथा ब्यूट – 2 – ईन का मिश्रण बनता है जिसमें उत्पाद ब्यूट-2-ईन मुख्य उत्पाद होती है क्योंकि पुनर्विन्यास द्वारा अधिक स्थायी 2° – कार्बोनियम आयन (सेकेंड्री कार्बोकैटायन) बनता है।

प्रश्न 11.8.
ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रोफीनॉल, फीनॉल से अधिक अम्लीय होती हैं। उनके संगत फीनॉक्साइड आयनों की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर:
फीनॉल में ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर नाइट्रो समूह आने पर अम्लीय गुण बढ़ जाता है जिसे निम्न अनुनादी संरचनाओं से समझा सकते हैं-
(i) आर्थो नाइट्रो फीनॉल के ऋणायन की अनुनादी संरचनाएँ-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 64
(ii) पैरानाइट्रो फीनॉल के ऋणायन की अनुनादी संरचनाएँ
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 65
प्रतिस्थापित फीनॉलों में -NO2 समूह जैसे इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह फीनॉल की अम्लीय प्रबलता को बढ़ा देते हैं तथा ये समूह o तथा p- स्थिति पर होने पर यह प्रभाव अधिक होता है क्योंकि इससे फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का प्रभावी विस्थापन या विस्थानीकरण होता है जिससे इनका स्थायित्व बढ़ जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.9.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए-
(i) राइमर – टीमन अभिक्रिया
(ii) कोल्बे अभिक्रिया।
उत्तर:
(i) राइमर – टीमन अभिक्रिया – फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया से ऑर्थो स्थिति पर – CHO समूह आ जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर टीमन अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में पहले प्रतिस्थापित बेन्जल क्लोराइड (मध्यवर्ती) बनता है जो क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैल्डिहाइड बनाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 66

(ii) कोल्बे अभिक्रिया – या कोल्बे शिमिट अभिक्रिया-सोडियम फीनॉक्साइड को 130° ताप तथा उच्च दाब (4-7 वायु-दाब) पर CO2 के साथ गर्म करने पर पहले सोडियम फेनिल कार्बोनेट मध्यवर्ती बनता है जिसके पुनर्विन्यास से सोडियम सैलिसिलेट प्राप्त होता है। सोडियम सैलिसिलेट के अम्लीकरण से सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 67
इस अभिक्रिया में CO2 दुर्बल इलेक्ट्रॉनस्नेही होते हुए भी अभिक्रिया सुगमता से सम्पन्न हो जाती है जिसका कारण फीनॉक्साइड आयन का, फीनॉल की तुलना में अधिक क्रियाशील होना है।

प्रश्न 11.10.
एथेनॉल एवं 3-मेथिलपेन्टेन-2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन के विलियम्सन संश्लेषण की अभिक्रिया लिखिए।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 68
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69

प्रश्न 11.11.
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए निम्नलिखित अभिकारकों में से कौन-सा युग्म उपयुक्त है और क्यों?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 70
उत्तर:
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए युग्म (ii) उपयुक्त है क्योंकि युग्म (i) में बेन्जीन वलय से जुड़े ब्रोमीन पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण C-Br बन्ध में द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं अतः बन्ध प्रबल हो जाता है तथा इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 71

प्रश्न 11.12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 72
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 10.1
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आईयूपीएसी ( IUPAC ) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्ज़िलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक) वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए –
(i) (CH3)2CHCH(Cl)CH3
(ii) CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
(iii) CH3CH2C(CH3)2CH2I
(iv) (CH3)3CCH2CH(Br)C6H5
(v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
(vi) CH3C(C2H5)CH2Br
(vii) CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
(viii) CH3CH = C(Cl)CH2CH(CH3)2
(ix) CH3CH = CHC(Br)(CH3)2
(x) p-ClCH6CH4CH(CH3)2
(xi) m-ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
(xii) o-Br-C6H4CH(CH3)CH2CH3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 1

प्रश्न 10.2
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए –
(i) CH3CH(Cl) CH(Br)CH3
(ii) CHF2CBrClF
(iii) ClCH2C≡CCH2Br
(iv) (CCl3)3CCl
(v) CH3C(p-ClC6H4)2CH(Br)CH3
(vi) (CH3)3CCH=CClC6H4I-P
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 2

प्रश्न 10.3
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजन यौगिकों की संरचना दीजिए-
(i) 2 – क्लोरो – 3 – मेथिलपेन्टेन
(ii) p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
(iii) 1 – क्लोरो-4 – एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iv) 2 – ( 2 – क्लोरोफेनिल) – 1 – आयोडोऑक्टेन
(v) 2 – ब्रोमोब्यूटेन
(vi) 4 – तृतीयक – ब्यूटिल – 3 – आयोडोहेप्टेन
(vii) 1- ब्रोमो – 4 – द्वितीयक ब्यूटिल – 2- मेथिल बेन्जीन
(viii) 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट – 2 – ईन।
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों की संरचना निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 3

प्रश्न 10.4
निम्नलिखित में से किसका द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक
(i) CH2Cl2
(ii) CHCl3
(iii) CCl4
उत्तर:
CH2Cl2, CHCl3 तथा CCl4 में से CH2Cl2 का द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक होगा क्योंकि CCl4 की चतुष्फलकीय ज्यामिति होने के कारण इसका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है तथा CHCl3, का द्विध्रुव आघूर्ण CH2Cl2 से कम है क्योंकि इसमें तीसरे C-Cl बन्ध का बन्ध आघूर्ण, शेष दो C-Cl बन्धों के परिणामी बन्ध आघूर्ण के विपरीत होता है। अतः उसे कुछ मात्रा में निरस्त कर देता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 10.5
एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अंधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता परन्तु सूर्य के तीव्र प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो यौगिक C,H,CI देता है। हाइड्रोकार्बन की संरचना क्या है?
उत्तर:
यह हाइड्रोकार्बन केवल एक मोनो क्लोरो यौगिक C5H9Cl बनाता है। अतः इसके सभी हाइड्रोजन परमाणु समान हैं। इसलिए यह हाइड्रोकार्बन साइक्लोपेन्टेन है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 3a

प्रश्न 10.6
C4H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।
उत्तर:
C4H9Br, ब्यूटेन का मोनोब्रोमो व्युत्पन्न है। अतः इसके चार समावयवी होंगे क्योंकि ब्यूटेन के एक संयोजी मूलकों की संख्या चार होती
है। ये समावयवी निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 4

प्रश्न 10.7
निम्नलिखित से 1- आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने के लिए समीकरण दीजिए-
(i) 1- ब्यूटेनॉल
(ii) 1 – क्लोरोब्यूटेन
(iii) ब्यूट – 1- ईन
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 5

प्रश्न 10.8
उभयदंती नाभिकरागी ( नाभिकस्नेही ) क्या होते हैं? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
सायनाइड (:\(\overline{C}\)≡N) तथा नाइट्राइट (NO2) जैसे आयनों में दो नाभिकस्नेही केन्द्र होते हैं अतः इन्हें उभयदंती नाभिकस्नेही कहा जाता है | सायनाइड समूह दो अनुनादी संरचनाओं का संकर होता है। अतः यह दो भिन्न प्रकार के नाभिकरागी के रूप में कार्य करता है। HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 6अर्थात् कार्बन परमाणु से जुड़ने पर यह ऐल्किल सायनाइड तथा नाइट्रोजन परमाणु से जुड़ने पर आइसोसायनाइड देता है। इसी प्रकार नाइट्राइट आयन भी उभयदंती नाभिकरागी HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 7होता है। ऑक्सीजन के द्वारा जुड़ने पर यह ऐल्किल नाइट्राइट तथा नाइट्रोजन के द्वारा जुड़ने से नाइट्रोऐल्केन देता है।

इस प्रकार -CN तथा – NO2 उभयदंती नाभिकस्नेही होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 8

प्रश्न 10.9
निम्नलिखित प्रत्येक युगलों (युग्मों) में से कौनसा यौगिक OH- के साथ SN2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा?
(i) CH3Br अथवा CH3I
(ii) (CH3)3CCI अथवा CH3Cl
उत्तर:
(i) CH3I, CH3Br की तुलना में OH के साथ SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करेगा क्योंकि C – I बन्ध में I के बड़े आकार के कारण C – Br बन्ध की तुलना में यह जल्दी टूट जाता है।

(ii) (CH3)3C-Cl की तुलना में CH3-Cl में OH के साथ SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से होगी क्योंकि इसमें हैलोजन से जुड़े कार्बन परमाणु पर त्रिविम विन्यासी बाधा नहीं है।

प्रश्न 10.10
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा विहाइड्रोहैलोजनन (विहाइड्रोहैलोजेनीकरण) के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौनसी होगी ?
(i) 1- ब्रोमो -1 – मेथिलसाइक्लोहेक्सेन
(ii) 2 – क्लोरो-2 – मेथिलब्यूटेन
(iii) 2,2,3 – ट्राइमेथिल – 3 – ब्रोमोपेन्टेन।
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 9
इनमें मुख्य उत्पाद (b) है क्योंकि 1°H की तुलना में 2°H का निकलना आसान है इसका कारण हाइड्रोजन की क्रियाशीलता है जिसका क्रम निम्न प्रकार होता है – 1° < 2° < 3°
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 10

प्रश्न 10.11
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?
(i) एथेनॉल से ब्यूट- 1 – आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
(iii) प्रोपीन से 1- नाइट्रोप्रोपेन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट – 2 – ईन
(ix) 1- क्लोरोब्यूटेन से n – ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल
उत्तर:
(i) एथेनॉल से ब्यूट- 1 – आइन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 11
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 12
(iii) प्रोपीन से 1- नाइट्रोप्रोपेन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 13
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 14
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 15
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 16
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 17
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट – 2 – ईन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 18
(ix) 1- क्लोरोब्यूटेन से n – ऑक्टेन
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 19
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 20

प्रश्न 10.12
समझाइए क्यों –
(i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड तुलना में कम होता है?
(ii) ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए ?
उत्तर:
(i) क्लोरोबेन्जीन में क्लोरीन का – I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव) बेन्जीन वलय की तरफ अनुनाद (+ M प्रभाव) (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के द्वारा कुछ मात्रा में संतुलित हो जाता है। जबकि साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में केवल – I प्रभाव है अतः क्लोरोबेन्जीन का C-CI बन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के – C-CI बन्ध की तुलना में कम ध्रुवीय है। इसी कारण क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण, साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम होता है।

(ii) ऐल्किल हैलाइड (हैलोऐल्केन) ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय (लगभग अविलेय) होते हैं, क्योंकि हैलोऐल्केन को जल में घोलने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे कि हैलोऐल्केन के अणुओं के मध्य आकर्षण बल को तथा जल के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबंध को तोड़ा जा सके। लेकिन हैलोऐल्केन तथा जल के अणुओं के मध्य नए आकर्षण बल के कारण उत्सर्जित ऊर्जा कम होती है, क्योंकि ये आकर्षण बल जल के उपस्थित हाइड्रोजन आबंधों की तुलना में दुर्बल होते हैं अतः हैलोऐल्केन की जल में विलेयता नगण्य होती है अर्थात् ये जल में अमिश्रणीय हैं।

(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक जल से क्रिया करके विघटित हो जाता है तथा हाइड्रोकार्बन बनाता है अतः ग्रीन्यार अभिकर्मक का निर्माण निर्जलीय अवस्था में ही करना चाहिए।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 21

प्रश्न 10.13
फ्रेओन – 12, DDT, कार्बनटेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग दीजिए।
उत्तर:
फ्रेऑन (Freons) या CFC (क्लोरोफ्लुओरोकार्बन) (Chlorofluorocarbon) – फ्रेऑन ऐल्केन के क्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्न होते हैं।

विरचन-SbCl5 की उपस्थिति में CCl4 तथा C2Cl6 की क्रिया HF से कराने पर विभिन्न प्रकार के फ्रेऑन प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 22
गुण- फ्रेऑन अत्यधिक स्थायी, निष्क्रिय तथा निर्विष (नॉन-टॉक्सिक) असंक्षारक (नॉन-कोरोसिव) गैस होते हैं तथा ये आसानी से द्रवित हो जाते हैं। ये रंगहीन व गंधहीन होते हैं तथा इनका क्वथनांक बहुत कम होता है।

उपयोग – फ्रेऑन ऐरोसोल प्रणोदक, प्रशीतक तथा वायु के शीतलन में प्रयुक्त किए जाते हैं। फ्रेऑन वायुमण्डल से होते हुए क्षोभमण्डल में विसरित हो जाते हैं, जहाँ पर ये मूलक श्रृंखला अभिक्रिया प्रारम्भ करके प्राकृतिक ओजोन संतुलन को अनियन्त्रित कर देते हैं।

फ्रेऑन अक्रिय विलायक के रूप में उपयोग में लिए जाते हैं। फ्रेऑन- 12(CF2Cl2) उद्योगों में सबसे अधिक मात्रा में प्रयुक्त किया जाता है।

p, p1-डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरोएथेन (p, p1-Dichloro Diphenyl Trichloroethane) (DDT)- विरचन – क्लोरोबेन्जीन तथा क्लोरैल के मिश्रण को सान्द्र H2SO4 की अल्प मात्रा के साथ गर्म करने पर DDT प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 23
उपयोग – DDT एक प्रथम क्लोरीनीकृत कार्बनिक कीटनाशी है अतः इसे मुख्यतः मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों तथा टाइफस वाहक जुओं को समाप्त करने में प्रयुक्त किया जाता था। लेकिन DDT के अत्यधिक स्थायित्व, वसा में विलेयता तथा शीघ्र उपापचयन नहीं होने के कारण यह वसीय ऊतकों में एकत्रित तथा संग्रहित हो जाती है। कीटों की अनेक प्रजातियों में DDT के प्रति-प्रतिरोधकता विकसित हो गयी है तथा यह मछलियों के लिए अत्यधिक विषैली है । अतः इसके उपयोग को आजकल प्रतिबन्धित कर दिया गया है । लेकिन विश्व में अनेक स्थानों पर आज भी इसका उपयोग हो रहा है।

कार्बन टेट्राक्लोराइड (टेट्राक्लोरोमेथेन) (Carbon tetrachloride (Tetrachloromethane) (CCl4) –
(i) कार्बन टेट्राक्लोराइड को मुख्यतः प्रोपेन के क्लोरीनी अपघटन से बनाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 24

(ii) CCl4 एक रंगहीन, रुचिकर गंधयुक्त, अज्वलनशील तथा भारी द्रव है। यह जल में अविलेय तथा कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है।

(iii) CCl4 के भापीय जल अपघटन से फॉस्जीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 25

(iv) जलीय KOH से जल अपघटन कराने पर यह पोटेशियम कार्बोनेट देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 26

(v) राइमर टीमान कार्बोक्सिलीकरण – CCl4 की क्रिया फीनॉल तथा क्षार के साथ करवाने पर सैलिसिलिक अम्ल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 27

(vi) उपयोग – कार्बन टेट्राक्लोराइड को प्रशीतक तथा ऐरोसॉल प्रणोदक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह एक अच्छा विलायक है अतः यह उद्योगों में ग्रीस को साफ करने तथा घरों में दाग-धब्बे हटाने में भी प्रयुक्त होता है। यह औषधि तथा फ्रेऑन के निर्माण में भी काम में आता है। CCl4 एक अग्निशामक भी होता है।

(vii) CCl4 के दुष्प्रभाव – CCl4 के सम्पर्क से तंत्रिका तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण चक्कर आना, उल्टी आना आदि प्रभाव होते हैं। इसकी अधिक मात्रा के कारण मनुष्य बेहोश हो जाता है, तथा मृत्यु हो सकती है। CCl4 के उद्भासन से हृदयगति अनियमित हो सकती है अथवा रुक जाती है। इसकी वाष्प के सम्पर्क के कारण आँखों में जलन उत्पन्न होती है। CCl4, यकृत का कैंसर भी उत्पन्न करता है।

कार्बनटेट्राक्लोराइड वायु में जाने पर ऊपरी वायुमण्डल में पहुँच कर ओजोन परत को विरल बना देती है। ओजोन परत के विरलीकरण से मनुष्यों का पराबैंगनी किरणों से उद्भासन बढ़ जाता है जिससे त्वचा का कैंसर, आँखों की बीमारियाँ तथा विकार उत्पन्न होते हैं। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है।

आयोडोफॉर्म (ट्राइआयोडो मेथेन) Iodoform (Trilodo-methane) CHl3

आयोडोफॉर्म का विरचन – एथेनॉल या एसीटोन की क्रिया आयोडीन तथा क्षार से करवाने पर पीले रंग का आयोडोफॉर्म प्राप्त होता है। इसे आयोडोफार्म परीक्षण कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 28
गुण- यह एक विशिष्ट गन्धयुक्त पीला क्रिस्टलीय ठोस है। यह जल अविलेय तथा कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है। अन्य हैलोफॉर्म (CHCl3, CHBr3) से कम स्थायी होता है। इसका कारण आयोडीन का बड़ा आकार है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 29
इसी कारण आयोडोफॉर्म, AgNO3 विलयन के साथ, AgI का पीला अवक्षेप देता है जबकि शुद्ध अवस्था में CHCl3 की AgNO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती ।

उपयोग – CHI3 का उपयोग पूतिरोधी (एन्टीसेप्टिक) के रूप में किया जाता है। इसका यह गुण वास्तव में इसके विघटन से मुक्त आयोडीन के कारण ही होता है। आयोडोफॉर्म की अरुचिकर गंध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीन युक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाने लगा है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 10.14
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 30
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 31

प्रश्न 10.15
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 32
उत्तर:
यह एक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। n-BuBr-(n-ब्यूटिल ब्रोमाइड) प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड है अतः यह अभिक्रिया SN² क्रियाविधि से होगी तथा यह एक पद में ही सम्पन्न होती है एवं इसमें काल्पनिक संक्रमण अवस्था मानी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 33

प्रश्न 10.16.
SN² प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए-
(i) 2 – ब्रोमो – 2 – मेथिलब्यूटेन, 1- ब्रोमोपेन्टेन, 2 – ब्रोमोपेन्टेन
(ii) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2 – ब्रोमो – 2 – मेथिलब्यूटेन, 2- ब्रोमो – 3 – मेथिलब्यूटेन
(iii) 1- ब्रोमोब्यूटेन, 1- ब्रोमो-2, 2 – डाइमेथिलप्रोपेन, 1- ब्रोमो- 2- मेथिलब्यूटेन, 1- ब्रोमो – 3 – मेथिलब्यूटेन
उत्तर:
विभिन्न ऐल्किल हैलाइडों में SN² अभिक्रिया के लिए क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है- \(\stackrel{\circ}{1}>\stackrel{\circ}{2}>\stackrel{\circ}{3}\) तथा जब ऐल्किल हैलाइड समान प्रकार के होते हैं तो वह ऐल्किल हैलाइड जिसमें हैलोजनयुक्त कार्बन पर बड़ा समूह जुड़ा होता है तो वह त्रिविम विन्यासी बाधा उत्पन्न करता है जिससे उसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है। क्योंकि स्थूल (बड़ा) समूह आक्रमणकारी नाभिकरागी के लिए अवरोध उत्पन्न करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 34

प्रश्न 10.17.
C6H5CH2Cl तथा IMG में से कौनसा यौगिक जलीय KOH से शीघ्रता से जल अपघटित होगा?
उत्तर:
C6H5CH2Cl तथा HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 35 में से HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 36 का जलीय KOH से शीघ्रता से जल अपघटन होगा क्योंकि इसके जल अपघटन में बनने वाला मध्यवर्ती कार्बधनायन अधिक स्थायी होता है, क्योंकि इसमें दो बेन्जीन वलय के कारण अनुनाद अधिक होगा जबकि C6H5CH2Cl से बने कार्बधनायन में केवल एक बेन्जीनवलय ही अनुनाद में भाग लेती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 37

प्रश्न 10.18.
o- तथा m- समावयवियों की तुलना में p – डाइक्लोरोबेन्जीन का गलनांक उच्च होता है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
p- डाइक्लोरोबेन्जीन की सममित संरचना के कारण इसके क्रिस्टल जालक में अणुओं का संकुलन सघन होता है अर्थात् इसमें अन्तराअणुक आकर्षण प्रबल होता है। अतः p-डाइक्लोरोबेन्जीन का गलनांक o- तथा m- समावयवियों की तुलना में उच्च होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 38

प्रश्न 10.19.
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए जा सकते हैं?
(1) प्रोपीन से प्रोपेन- 1- ऑल
(2) एथेनॉल से ब्यूट- 1 – आइन
(3) 1- ब्रोमोप्रोपेन से 2 – ब्रोमोप्रोपेन
(4) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(5) बेन्जीन से 4 – ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(6) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2 – फेनिल एथेनॉइक अम्ल
(7) एथेनॉल से प्रोपेन नाइट्राइल
(8) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(9) 2 – क्लोरोब्यूटेन से 3, 4 – डाइमेथिलहेक्सेन
(10) 2 – मेथिल – 1- प्रोपीन से 2- क्लोरो-2 – मेथिलप्रोपेन
(11) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनॉइक अम्ल
(12) ब्यूट – 1 – ईन से n – ब्यूटिल आयोडाइड
(13) 2 – क्लोरोप्रोपेन से 1- प्रोपेनॉल
(14) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफार्म
(15) क्लोरोबेन्जीन से p- नाइट्रोफीनॉल
(16) 2 – ब्रोमोप्रोपेन से 1- ब्रोमोप्रोपेन
(17) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(18) बेन्जीन से डाइफेनिल
(19) तृतीयक – ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो- ब्यूटिल ब्रोमाइड
(20) ऐनिलीन से फेनिल आइसोसायनाइड।
उत्तर:
उपर्युक्त परिवर्तन निम्न प्रकार सम्पन्न किए जाते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 39

प्रश्न 10.20
ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनती है लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए |
उत्तर:
जब किसी ऐल्किल हैलाइड की क्रिया किसी नाभिकस्नेही या क्षार से करवाते हैं तो प्रतिस्थापन तथा विलोपन अभिक्रिया में प्रतिस्पर्धा होती है। इसमें कम ध्रुवीय विलायक जैसे ऐल्कोहॉल की उपस्थिति में विलोपन अभिक्रिया होकर मुख्य उत्पाद ऐल्कीन प्राप्त होती है क्योंकि ऐल्कोहॉल की कम ध्रुवता के कारण नाभिकस्नेही की सान्द्रता कम होगी। अतः ऐल्किल क्लोराइड से प्रोटोन (H+) तथा हैलोजन का विलोपन होकर ऐल्कीन बनती है जबकि अधिक ध्रुवीय विलायक जैसे जल में नाभिकस्नेही (\(\overline{O}\)H) की सान्द्रता अधिक होगी। अतः मुख्यतः प्रतिस्थापन होकर मुख्य उत्पाद ऐल्कोहॉल बनता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

विलोपन अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 40

प्रतिस्थापन अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41

प्रश्न 10.21.
प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड C4H9Br (क), ऐल्कोहॉलिक KOH में अभिक्रिया द्वारा यौगिक (ख) देता है। यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक ‘ग’ देता है जो कि यौगिक ‘क’ का समावयवी है। जब यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक ‘घ’ C8H18 बनता है, जो n – ब्यूटिल ब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है । यौगिक ‘क’ का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए।.
उत्तर:
अणुसूत्र C4H9Br से दो प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड संभव हैं।
CH3-CH2-CH2-CH2 – Br (n – ब्यूटिल ब्रोमाइड) तथा HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 42 (आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड)। प्रश्नानुसार, यौगिक ‘क’ n – ब्यूटिल ब्रोमाइड नहीं है अतः यह आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड होगा।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 43
अभिक्रियाओं के समीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 44

प्रश्न 10.22.
तब क्या होता है जब-
(i) n – ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है?
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है ?
(iii) क्लोरोबेन्जीन का जलअपघटन किया जाता है ?
(iv) एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है ?
(v) शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है?
(vi) मेथिल क्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है ?
उत्तर:
(i) n – ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत कराने पर ß – विलोपन द्वारा ब्यूट- 1 – ईन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 45

(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से कराने पर फेनिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (ग्रीन्यार अभिकर्मक) बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 46

(iii) क्लोरोबेन्जीन के जलअपघटन से फीनॉल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 47

(iv) एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होने पर नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया द्वारा एथिलऐल्कोहॉल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 48

(v) शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की क्रिया सोडियम से होने पर एथेन बनती है ( वुर्ज अभिक्रिया)।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 49

(vi) मेथिल क्लोराइड की KCN से अभिक्रिया होने पर मेथिल सायनाइड बनाता है (नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन ) ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 50

HBSE 12th Class Chemistry हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Intext Questions

प्रश्न 10.1.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए-
(i) 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iii) 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(iv) 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन
(v) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिलबेन्जीन।
उत्तर:
उपर्युक्त वौगिकों की संरचनाएँ अग्रलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 50

प्रश्न 10.2.
ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल के ऐल्किल आयोडाइड में परिवर्तन के लिए ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में H2SO4 का प्रयोग नहीं किया जा सकता, क्योंक पहले यह KI से क्रिया करके उसे HI में परिवर्तित कर देता है, इसके बाद HI को I2 में आक्सीकृत कर देता है क्योंकि यह आक्सीकारक होता है।

प्रश्न 10.3.
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजन व्युत्पन्नों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
प्रोपेन के डाइहैलोजन व्युत्पन्न चार होते हैं जिनकी संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 51

प्रश्न 10.4.
C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी ऐल्केनों में से उसको पहचानिए जो प्रकाश रासायनिक क्लोरीनन (क्लोरीनीकरण) पर देता है-
(i) केवल एक मोनो क्लोराइड
(ii) तीन समावयवी मोनो क्लोराइड
(iii) चार समावयवी मोनो क्लोराइड।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 52
क्योंकि इसमें सभी हाइड्रोजन परमाणु समान हैं, अतः इसके क्लोरीनीकरण से केवल एक मोनोक्लोराइड बनेगा।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 53
इसमें तीन प्रकार के  हाइड्रोजन परमाणु है जिन्हें a, b, c से दर्शाया गया है। अतः इन हाइड्रोजन परमाणुओं के प्रतिस्थापन से तीन समावयवी मोनोक्लोराइड बनेंगे।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 54
इसमें चार प्रकार के हाइड्रोज़न परमाणु हैं जिन्हें a, b, c तथा d से दर्शाया गया है, अतः इसके क्लोरीनीकरण से चार समावयवी मोनोक्लोराइड बनते हैं।

प्रश्न 10.5.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के मुख्य मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 55
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 56

प्रश्न 10.6.
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(i) ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन
(ii) 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइ ड, 1-क्लोरोक्यूटन।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों के क्वथनांक का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
(i) क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमोफार्म
क्योंकि अणुभार बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है।
(ii) आइसोप्रोपिल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरोब्यूटेन शाखित होने के कारण आइसोप्रोपिल क्लोराइड का क्वथनांक 1-क्लोरेप्रोपेन से कम होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 10.7.
निम्नलिखित युगलों (युग्मों) में से आप कोनसे ऐल्किल हैलाइड द्वारा SN2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 57
उत्तर:
(i) CH3CH2CH2CH2Br, यह प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड होने के कारण इसमें त्रिविम बाधा नहीं होती।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 58
क्योंक द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड, तृतीयक ऐल्किल हैलाइड की तुलना में अधिक तीव्रता से SN2 अभिक्रिया करता है।
(iii) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 59
इसमें प्रतिस्थापी मेथिल समूह के हैलाइड से दूर होने के कारण त्रिविम बाधा कम होगी अतः SN2 अभिक्रिया का वेग अधिक होगा।

प्रश्न 10.8.
हैलोजन यौगिकों के निम्नलिखित युगलों में से कौनसा यौगिक तीव्रता से SN1 अभिक्रिया करेगा?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 60
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 61 क्योंक तृतीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण तृतीयक ऐल्किल हैलाइड की अभिक्रियाशीलता SN1 अभिक्रिया के लिए द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड से अधिक होती है।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 62 क्योंकि प्राथमिक कार्बोकैटायन की तुलना में द्वितीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण इसमें SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से होगी।

प्रश्न 10.9.
निम्नलिखित में A, B, C, D, E, R तथा R1 को पहचानिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 63
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 64

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.1.
वर्नर की अभिधारणाओं के आधार पर उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन (bonding) को समझाइए।
उत्तर:
सर्वप्रथम वर्नर नामक वैज्ञानिक ने उपसहसंयोजन यौगिकों की संरचना की व्याख्या की। उन्होंने बहुत से उपसहसंयोजन यौगिक बनाकर प्रयोगों द्वारा उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन किया तथा इन यौगिकों की विशेषताओं को बताया। वर्नर के अनुसार धातु आयन की दो प्रकार की संयोजकता

एँ होती हैं प्राथमिक संयोजकता तथा द्वितीयक संयोजकता साधारण यौगिक जैसे PdCl2 तथा CrCl3 में Pd तथा Cr की प्राथमिक संयोजकता क्रमशः 2 तथा 3 है।

वर्नर ने CoCl3 तथा NH3 की क्रिया से विभिन्न यौगिक बनाकर उनका अध्ययन किया तथा यह देखा कि सामान्य ताप पर इनके जलीय विलयन के आधिक्य में AgNO3 विलयन डालने पर कुछ क्लोराइड आयन ही AgCl के रूप में अवक्षेपित होते हैं तथा कुछ क्लोराइड आयन विलयन में ही रहते हैं। सभी यौगिकों के एक-एक मोल लेने पर CoCl3.6NH3(पीला) से 3 मोल AgCl, CoCl3.5NH3 [नीललोहित (बैंगनी)) से 2 मोल AgCl, CoCl3. 4NH3 (हरा) से 1 मोल AgCl तथा CoCl3.4NH3 (बैंगनी ) से 1 मोल AgCl बनता है।

इन प्रेक्षणों से ज्ञात होता है कि ये यौगिक संकुल के रूप में पाए जाते हैं जिनके सूत्र निम्नलिखित प्रकार से लिखे जाते हैं जो कि विलयनों में चालकता मापन के परिणामों से सिद्ध हो जाते हैं। इन संकुलों में बड़े कोष्ठक में उपस्थित परमाणु एकल सत्ता (single entity) के रूप में रहते हैं जिनका वियोजन नहीं होता तथा इनमें कोबाल्ट की द्वितीयक संयोजकता 6 है जो NH3 या Cl या दोनों द्वारा संतुष्ट होती है।

क्र.सं.रंगसूत्रविलयन चालकता संबंध
1.पीला[Co(NH3)6]3+3Cl1: 3 विद्युत अपघट्य
2.बैंगनी[CoCl(NH3)5]2+2Cl1: 2 विद्युत अपघट्य
3.हरा[CoCl2(NH3)4]+Cl1: 1 विद्युत अपघट्य
4.बैंगनी[CoCl2(NH3)4]+Cl1: 1 विद्युत अपघट्य

उपर्युक्त सारणी में यौगिक 3 तथा 4 के मूलानुपाती सूत्र समान होते. हुए भी इनके गुणों में भिन्नता होती है अतः इन्हें एक-दूसरे के समावयवी (Isomers) कहते हैं।

इन प्रेक्षणों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर वर्नर (1898) ने उपसहसंयोजन यौगिकों का सिद्धान्त दिया जिसकी मुख्य अभिधारणाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) उपसहसंयोन यौगिकों में धातुएँ दो प्रकार की संयोजकताएं दर्शाती हैं – प्राथमिक तथा द्वितीयक । प्राथमिक संयोजकता धातु के ऑक्सीकरण अंक के बराबर होती है। इसे मुख्य या आयनिक संयोजकता भी कहते हैं।

(ii) प्राथमिक संयोजकताएँ सामान्यतः आयननीय (lonisable) होती हैं तथा ऋणात्मक आयनों द्वारा संतुष्ट होती हैं।

(iii) द्वितीयक संयोजकताएँ अन आयननीय (Non-ionisable) होती हैं। ये उदासीन अणुओं या ऋणात्मक आयनों द्वारा संतुष्ट होती हैं। द्वितीयक संयोजकता धातु की उपसहसंयोजन संख्या (Coordination number) के बराबर होती है। इसे कक्षीय संयोजकता (orbital valance) भी कहते हैं तथा इसका मान किसी धातु के लिए सामान्यतः निश्चित होता है।

(iv) धातु के साथ द्वितीयक संयोजकता से बंधित आयन या समूह विभिन्न उपसहसंयोजन संख्या के अनुसार अन्तराल में (space) विशिष्ट रूप से व्यवस्थित होते हैं।

(v) उपसहसंयोजन यौगिकों में आयनों या समूहों की अन्तराल (त्रिविम) में व्यवस्था को समन्वय बहुफलक (Coordination Polyhedra) कहते हैं।

(vi) बड़े कोष्ठक में लिखी स्पीशीज को संकुल तथा बाहर लिखे आयन को प्रति आयन ( Counter lons) कहते हैं।

(vii) संक्रमण तत्वों के उपसहसंयोजन यौगिकों (Coordination Compounds) में सामान्यतः अष्टफलकीय, चतुष्फलकीय तथा वर्ग समतलीय ज्यामितियाँ पाई जाती हैं। उदाहरण [Co(NH3)6]3+, [CoCI(NH3)5]2+ तथा (CoCl2(NH3)4]+ की ज्यामिति अष्टफलकीय हैं, जबकि [Ni(CO)4] तथा [PtCl4]2- की ज्यामिति क्रमशः चतुष्फलकीय तथा वर्ग समतली होती हैं।

वर्नर के सिद्धान्त की कमियाँ-वर्नर सिद्धान्त की सहायता से संकुल यौगिकों के कण संख्यक गुण तथा चालकता की व्याख्या कर सकते हैं लेकिन वर्नर का सिद्धान्त निम्नलिखित तथ्यों को नहीं समझा सका-

  • कुछ ही तत्वों में उपसहसंयोजन यौगिक बनाने का विशिष्ट गुण क्यों होता है?
  • उपसहसंयोजन यौगिकों में उपस्थित बंधों में दिशात्मक गुण क्यों पाए जाते हैं?
  • उपसहसंयोजन यौगिकों में विशिष्ट चुंबकीय तथा ध्रुवण घूर्ण गुण क्यों पाए जाते हैं?
  • इन यौगिकों की ज्यामिति की व्याख्या नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 9.2.
FeSO4 विलयन तथा (NH4)2SO4 विलयन का 1: 1 मोलर अनुपात में मिश्रण Fe2+ आयन का परीक्षण देता है परन्तु CuSO4 व जलीय अमोनिया का 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रण Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता। समझाइए क्यों?
उत्तर:
FeSO4 तथा (NH4)2SO4 विलयन के 11 मोलर अनुपात में मिश्रण से द्विक लवण FeSO4(NH4)2SO4.6H2O (मोर लवण) बनता है जो विलयन आयनित होकर Fe2+ आयन देता है अतः यह Fe2+ आयन का परीक्षण देता है लेकिन CuSO4 व जलीय NH3 का 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रण संकुल लवण [Cu(NH3)4]SO4 बनाता है। इसमें स्थित संकुल आयन [Cu(NH3)4]2+ का आयनन नहीं होता अतः इसमें स्वतंत्र Cu2+ आयन नहीं होते इस कारण यह Cu2+ आयन का परीक्षण नहीं देता।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.3.
प्रत्येक के दो उदाहरण देते हुए निम्नलिखित को समझाइए – उपसहसंयोजन सत्ता ( समन्वय सत्ता ), लिगन्ड, उपसहसंयोजन संख्या, उपसहसंयोजन बहुफलक, होमोलेप्टिक तथा हेट्रोलेप्टिक संकुल ।
उत्तर:
(i) उपसहसंयोजन सत्ता या समन्वय सत्ता (Coordination Entity ) – वह स्पीशीज जिसमें केन्द्रीय धातु परमाणु या आयन से एक निश्चित संख्या में आयन अथवा अणु उपसहसंयोजी बन्ध बनाकर जुड़े होते हैं उसे उपसहसंयोजन सत्ता कहते हैं। जैसे [CoCl3(NH3)3] में कोबाल्ट आयन तीन NH3 अणुओं तथा तीन क्लोराइड आयनों से घिरा है। अन्य उदाहरण – [Ni(CO)4) तथा [Co(NH3)6]3+

(ii) लिगन्ड (Ligand)- उपसहसंयोजन सत्ता (संकुल स्पीशीज) में केन्द्रीय धातु परमाणु या आयन से जुड़े अणुओं या आयनों को लिगेन्ड कहते हैं। ये धातु को इलेक्ट्रॉन युग्म का दान करके उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं। उदाहरण – Cl, H2O तथा NH3

(iii) उपसहसंयोजन संख्या (Coordination Number) (CN)- किसी संकुल स्पीशीज में धातु से बंधित लिगेन्डों के उन दाता परमाणुओं की संख्या को जो सीधे उससे जुड़े होते हैं, उसे धातु की उपसहसंयोजन संख्या या समन्वयी संख्या कहते हैं। उदाहरण-संकुल आयन [PtCl6]2- में Pt की उपसहसंयोजन संख्या 6 है तथा [Ni(NH3)4]2+ में Ni की उपसहसंयोजन संख्या 4 है।

(iv) उपसहसंयोजन बहुफलक या समन्वयी बहुफलक (Coordination Polyhedra) – किसी संकुल स्पीशीज में केन्द्रीय धातु परमाणु से सीधे जुड़े लिगेन्डों की अन्तराल (space) में विशिष्ट व्यवस्था को उपसहसंयोजन बहुफलक कहते हैं। उदाहरण – [Co(NH3)6]3+ अष्टफलकीय तथा [Ni(CO)4] चतुष्फलकीय है।

(v) होमोलेप्टिक तथा हेट्रोलेप्टिक संकुल संकुल जिनमें धातु परमाणु केवल एक ही प्रकार के दाता समूहों से जुड़ा होता है उन्हें होमोलेप्टिक संकुल कहते हैं। जैसे- [Co(NH3)6]3+ तथा वे संकुल जिनमें धातु परमाणु एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों से जुड़ा होता है उन्हें हेट्रोलेप्टिक संकुल कहते हैं। उदाहरण- [Co(NH3)4Cl2]+

प्रश्न 9.4.
एकदंतुर (Unidentate), द्विदंतुर तथा उभयदंतुर लिगेन्ड से क्या तात्पर्य है? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एकदंतुर लिगेन्ड (Unidentate Ligand)-वह लिगेन्ड जो धातु आयन से एक दाता परमाणु द्वारा जुड़ा होता है उसे एकदंतुर लिगन्ड कहते हैं। जैसे-Cl H2O तथा NH3

द्विदंतुर लिन्ड (Didentate Ligand) – वह लिगेन्ड जो धातु आयन से दो दाता परमाणुओं द्वारा जुड़ा होता है उसे द्विदंतुर लिगेन्ड कहते हैं। जैसे- C2O2-4 (ऑक्सेलेट) तथा H2N – CH2 – CH2 – NH2 (एथेन-1,2-डाइऐमीन)

उभयदंतुर लिगेन्ड (Ambidentate Ligand) – वह लिगेन्ड जो दो भिन्न-भिन्न परमाणुओं द्वारा धातु से जुड़ सकता है उसे उभयदंतुर लिगेन्ड कहते हैं।

उदाहरण – NO2 तथा SCN आयन। NO2 आयन केन्द्रीय धातु परमाणु से नाइट्रोजन अथवा ऑक्सीजन द्वारा जुड़ सकता है। इसी प्रकार, SCN आयन सल्फर अथवा नाइट्रोजन परमाणु द्वारा जुड़ सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 1

प्रश्न 9.5.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में धातुओं के ऑक्सीकरण संख्या का उल्लेख कीजिए-
(i) (Co(H2O)(CN)(en)2]2+
(ii) [CoBr2(en)2]+
(iii) [PtCl4]2-
(iv) K3[Fe(CN)6]
(v) [Cr(NH3)3Cl3]
उत्तर:
(i) [Co(H2O)(CN)(en)2]2+
x + 0 + (- 1) + 0 = + 2
x = + 3 अतः Co की ऑक्सीकरण संख्या = + 3

(ii) [CoBr2(en)2]+
x – 2 + 0 = + 1
x = + 3 अतः Co की ऑक्सीकरण संख्या +3

(iii) [PtCl4]2-
x – 4 = – 2
x = + 2 अतः Pt की ऑक्सीकरण संख्या = + 2

(iv) K3[Fe(CN)6]
+ 3 + x – 6 = 0
x = + 3 अतः Fe की ऑक्सीकरण संख्या +3

(v) [Cr(NH3)3Cl3]
x + 0 – 3 = 0
x = + 3 अतः Cr की ऑक्सीकरण संख्या +3

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.6.
IUPAC नियमों के आधार पर निम्नलिखित के लिये सूत्र लिखिए-
(i) टेट्राहॉइड्राक्सोजिंकेट (II) आयन
(ii) पोटैशियम टेट्राक्लोरिडोपैलेडेट (II)
(iii) डाइऐम्मीनडाइक्लोरिडोप्लेटिनम (II)
(iv) पोटैशियम टेट्रासायनोनिकैलेट (II)
(v) पेन्टाऐम्मीननाइट्रिटो -O- कोबाल्ट (III) आयन
(vi) हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) सल्फेट
(vii) पोटैशियम ट्राइ (आक्सेलेटो) क्रोमेट (III)
(viii) हेक्साऐम्मीन प्लैटिनम (IV) आयन
(ix) टेट्राब्रोमिडोक्यूपेट (II) आयन
(x) पेन्टाऐम्मीननाइट्रिटो – N – कोबाल्ट (III) आयन
उत्तर:
(i) [Zn(OH)4]2-
(ii) K2[PdCl4]
(iii) [Pt(NH3)2Cl2]
(iv) K2[Ni(CN)4]
(v) [Co(NH3)5(ONO)]2+
(vi) [Co(NH3)6](SO4)3]
(vii) K3[Cr(C2O4)3]
(viii) [Pt(NH3)6]4+
(ix) [CuBr4]2-
(x) [Co(NH3)5(NO2)2+

प्रश्न 9.7.
IUPAC नियमों के आधार पर निम्नलिखित के सुव्यवस्थित नाम लिखिए-
(i) [Co(NH3)6]Cl3
(ii) [Pt(NH3)2CI(NH2CH3)]Cl
(iii) [Ti(H2O)6]3+
(iv) [Co(NH3)4Cl(NO2)]Cl
(v) [Mn(H2O)6]2+
(vi) [NiCl4]2-
(vii) [Ni(NH3)6]Cl2
(viii) [Co(en)3]3+
(ix) [Ni(CO)4]
उत्तर:
(i) हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) डाइऐम्मीनक्लोरिडो (मेथेन एमीन) प्लेटिनम (II) क्लोराइड
(iii) हेक्साएक्वाटाइटेनियम (III) आयन
(iv) टेट्राऐम्मीनक्लोरिडोनाइट्रिटो-N-कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(v) हेक्साऐक्वामैंगनीज (II) आयन
(vi) टेट्राक्लोरिडोनिकैलेट (II) आयन
(vii) हेक्साऐम्मीननिकैल (II) क्लोराइड
(viii) ट्रिस (एथेन 1, 2 डाइएमीन) कोबाल्ट (III) आयन
(ix) टेट्राकार्बोनिल निकल (O)।

प्रश्न 9.8.
उपसहसंयोजन यौगिकों के लिए संभावित विभिन्न प्रकार की समावयवताओं को सूचीबद्ध कीजिए तथा प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
समावयवता (Isomerism)-ऐसे दो या दो से अधिक यौगिक जिनके रासायनिक सूत्र (अणु सूत्र) समान होते हैं परन्तु उनमें परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न होती है, उन्हें एक-दूसरे के समावयवी कहते हैं तथा इस गुण को समावयवता कहते हैं। परमाणुओं की भिन्न व्यवस्थाओं के कारण इनके एक या अधिक भौतिक या रासायनिक गुणों में भिन्नता पाई जाती है। उपसहसंयोजन यौगिकों में दो प्रमुख प्रकार की समावयवताएँ होती हैं जिनको पुनः कई भागों में वर्गीकृत किया जाता है-

  • संरचनात्मक समावयवता
  • त्रिविम समावयवता

(a) संरचनात्मक समावयवता (Structural Isomerism)संरचनात्मक समावयवता में यौगिकों में स्थित बन्धों में भिन्नता पाई जाती है अर्थात् इनके संरचनात्मक सूत्र भिन्न होते हैं। संरचनात्मक समावयवता को पुनः सात प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  • बंधनी समावयवता
  • उपसहसंयोजन या समन्वयी समावयवता
  • आयनन समावयवता
  • विलायकयोजन समावयवता या हाइड्रेट समावयवता
  • लिगेन्ड समावयवता
  • बहुलकीकरण समावयवता
  • उपसहसंयोजन स्थिति समावयवता।

प्रश्न 9.9.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में कितने ज्यामितीय समावयव संभव हैं?
(क) [Cr(C2O4)3]3-
(ख) [Co(NH3)3Cl3]
उत्तर:
(क) [Cr(C2O4)3]3- में ज्यामितीय समावयवता संभव नहीं है क्योंकि इसकी केवल एक ही प्रकार की व्यवस्था संभव है।

(ख) (Co(NH3)3Cl3] के दो विशेष प्रकार के ज्यामितीय समावयवी संभव हैं- (1) फलकीय (Facial) (Fac) तथा (ii) रेखांशिक (Meridional) (Mer)।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 2

प्रश्न 9.10.
निम्न के प्रकाशिक समावयवों की संरचनाएँ बनाइए-
(i) [Cr(C2O4)3]3-
(ii) [PtCl2(en)2]2+
(iii) [Cr (NH3)2Cl2(en)] +
उत्तर:
(i) [Cr(C2O4)3]3- में C2O2-4 ( ऑक्सेलेट) आयन है जिसका संकेत ox प्रयुक्त किया जाता है। इस संकुल आयन के दो प्रकाशिक समावयवियों की संरचना निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 3

(ii) [PtCl2(en)2]2+ संकुल आयन के प्रकाशिक समावयवी निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 4

(iii) [Cr(NH3)2Cl2(en)]+ के समपक्ष तथा विपक्ष दोनों समावयवी प्रकाशिक समावयवता दर्शाते हैं।
(a) समपक्ष रूप के प्रकाशिक समावयवियों को निम्न प्रकार दर्शाते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 5
(b) विपक्ष रूप के प्रकाशिक समावयवियों को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 6

प्रश्न 9.11.
निम्नलिखित के सभी समावयवियों (ज्यामितीय व ध्रुवण) की संरचनाएँ बनाइए-
(i) [CoCl2(en)2]+
(ii) [Co(NH3)Cl(en)2]2+
(iii) [Co(NH3)2Cl2(en)]+
उत्तर:
(i) [CoCl2(en)2]+ यह संकुल आयन ज्यामितीय समावयवता दर्शाता है अतः इसके समपक्ष तथा विपक्ष रूप होते हैं। इनमें से समपक्ष रूप असममित है अतः यह प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 7

(ii) [Co(NH3)Cl(en)2]2+ – इस संकुल आयन में ज्यामितीय समावयवता होती है जिसके समपक्ष तथा विपक्ष रूप निम्न प्रकार होते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 8
इसका समपक्ष रूप प्रकाशिक समावयवता भी दर्शाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 9

(iii) [Co(NH3)2Cl2(en)]+ – इस संकुल आयन में ज्यामितीय समावयवता होती है जिसके समपक्ष तथा विपक्ष समावयवी निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 10
इसके समपक्ष तथा विपक्ष दोनों ही समावयवी प्रकाशिक समावयवता दर्शाते हैं जिनकी संरचनाएँ (i) तथा (ii) की तरह ही बना सकते हैं।

प्रश्न 9.12.
[Pt(NH3)(Br)(Cl)(Py)] के सभी ज्यामितीय समावयवी लिखिए। इनमें से कितने ध्रुवण समावयवता दर्शाएंगे?
उत्तर:
संकुल [PI(NH3)(Br)(CI) (Py)] के तीन ज्यामितीय समावयवी संभव हैं जिनमें से दो समपश्च तथा एक विपक्ष समावयवी माना जाता है। इनकी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 11
इस संकुल की वर्गाकार समतलीय ज्यामिति होती है अतः इसमें प्रकाशिक समावयवता (ध्रुवण समावयवता) नहीं होती।

प्रश्न 9.13.
जलीय कॉपर सल्फेट विलयन (नीले रंग का), निम्नलिखित प्रेक्षण दर्शाता है-
(i) जलीय पोटैशियम फ्लुओराइड (KF) के साथ हरा रंग
(ii) जलीय पोटैशियम क्लोराइड (KCI) के साथ चमकीला हरा रंग
उपर्युक्त प्रायोगिक परिणामों को समझाइए।
उत्तर:
जलीय विलयन में CuSO4,[Cu(H2O)4]SO4 के रूप में पाया जाता है, जिसका नीला रंग (Cu(H2O)4]2+ आयनों के कारण होता है।
(i) इसमें जलीय KF मिलाने पर दुर्बल लिगन्ड H2O F द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं तथा [CuF4]2+ आयन बनता है जो हरा अवक्षेप देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 12

(ii) [Cu(H2O)4]2+ में जलीय KCI मिलाया जाता है, तो Cl लिगेन्ड H2O (दुर्बल लिगन्ड) को प्रतिस्थापित कर [CuCl4]2- आयन बनाता है जिसका रंग चमकीला हरा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 13

प्रश्न 9.14.
कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में जलीय KCN को आधिक्य में मिलाने पर बनने वाली उपसहसंयोजन सत्ता क्या होगी ? इस विलयन में जब HS गैस प्रवाहित की जाती है तो कॉपर सल्फाइड का अवक्षेप क्यों नहीं प्राप्त होता ?
उत्तर:
कॉपर सल्फेट का जलीय विलयन [Cu(H2O)4]2+ के रूप में पाया जाता है तथा इसमें जलीय KCN का आधिक्य मिलाने पर निम्नलिखित संकुल आयन बनता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 14
चूँकि CN एक प्रबल लिगन्ड है, अतः यह Cu2+ आयन के साथ स्थायी संकुल बनाता है। इसमें Cu2+ आयन स्वतंत्र नहीं है। अतः इसमें H2S गैस प्रवाहित करने पर Cus का अवक्षेप नहीं बनता।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.15
संयोजकता आबंध सिद्धान्त के आधार पर निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में आबंध की प्रकृति की विवेचना कीजिए-
(क) [Fe(CN)6]4-
(ख) [FeF6]3-
(ग) [Co(C2O43]3-
(घ) [CoF6]3-
उत्तर:
(क) [Fe(CN)6]4- : [Fe(CN)6]4- में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।
Fe2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 3d6
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 15
CN प्रबल लिगन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में 3d में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 16
इस प्रकार दो d कक्षक रिक्त हो जाने के कारण इसमें d²sp³ संकरण होता है। इन d²sp³ संकरित कक्षकों में 6CN इलेक्ट्रॉन युग्मों का दान करके 6 उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं।

इस संकुल की ज्यामिति अष्टफलकीय है तथा सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने के कारण यह प्रतिचुम्बकीय है। इसे आंतरिक कक्षक संकुल या निम्न चक्रण (Low spin) संकुल या चक्रण युग्मित (Spin paired ) संकुल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 17

(ख) [FeF6]3- : [FeF6]3- में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।
Fe+3 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 3d5
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 18
F दुर्बल लिगेन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 19
अतः इसमें sp³d² संकरण होता है। इन sp³d² संकरित कक्षकों में 6F, इलेक्ट्रॉन युग्मों का दान करके 6 उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं। यह अष्टफलकीय संकुल है तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण यह अनुचुंबकीय है। इसे बाह्य कथक संकुल या उच्च चक्रण (High spin) या चक्रण मुक्त (Spin free) संकुल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 20

(ग) [Co(C2O4)3]3- – [Co(C2O4)3]3- में Co की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।
Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 3d6
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 21
C2O2-4] – (ऑक्सेलेट) प्रबल लिगन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में 3d कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 22
दो d कक्षक रिक्त हो जाने के कारण इसमें d²sp³ संकरण होता है। इन संकरित कक्षकों में 3C2O-24इलेक्ट्रॉन युग्मों का दान करके 6 उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं। इस अष्टफलकीय संकुल में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने के कारण यह प्रतिचुंबकीय होता है। इसे आंतरिक कक्षक संकुल कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 23

(घ) [CoF6]3- : [CoF6]3- में Co की ऑक्सीकरण संख्या +3 तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।
Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 3d6
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 24
F दुर्बल लिगेन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 25
अतः इसमें sp³d² संकरण होता है। इन संकरित कक्षकों में 6F इलेक्ट्रॉन युग्मों का दान करके 6 उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं। यह अष्टफलकीय संकुल अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण अनुचुंबकीय होता है तथा इसे बाह्य कक्षक संकुल कहते हैं।

प्रश्न 9.16.
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d कक्षकों के विपाटन को दर्शाने के लिए चित्र बनाइए।
उत्तर:
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d कक्षकों ‘विपाटन को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 26

प्रश्न 9.17.
स्पेक्ट्रम रासायनिक श्रेणी क्या है? दुर्बल क्षेत्र लिगेन्ड तथा प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत के अनुसार अष्टफलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन, ∆0 लिंगन्ड तथा धातु आयन पर स्थित आवेश से उत्पन्न क्षेत्र पर निर्भर करता है। कुछ लिगेन्ड प्रबल क्षेत्र उत्पन्न करते हैं तथा इस स्थिति में विपाटन अधिक होता है, इन्हें प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड कहते हैं। अन्य लिगड दुर्बल क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जिसके कारण कक्षकों का विपाटन कम होता है, इन्हें दुर्बल क्षेत्र लिगन्ड कहते हैं। लिगेन्डों को उनके बढ़ती हुई क्षेत्र प्रबलता के क्रम में एक श्रेणी में निम्नानुसार व्यवस्थित किया जाता है-
I < Br < SCN < Cl <S2- <F < OH <C2O2-4 < H2O < NCS < edta4- < NH3 < en < CN < CO
इस श्रेणी को स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी (spectrochemical series) कहते हैं तथा यह विभिन्न लिगन्डों के साथ बने संकुलों द्वारा प्रकाश के अवशोषण के प्रायोगिक मापन से प्राप्त तथ्यों के आधार पर प्राप्त की जाती है

प्रश्न 9.18.
क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा क्या है? उपसहसंयोजन सत्ता में d कक्षकों का वास्तविक विन्यास ∆0 के मान के आधार पर कैसे निर्धारित किया जाता है?
उत्तर:
अष्टफलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन- एक अष्टफलकीय संकुल में धातु परमाणु छः लिगेन्डों द्वारा घिरा होता है। इसमें ad कक्षकों के इलेक्ट्रॉनों तथा लिगेन्डों के इलेक्ट्रॉनों के मध्य प्रतिकर्षण होता है। जब धातु होते हैं तो प्रतिकर्षण अधिक होता है। dx² – y² तथा d² कक्षक लिगेन्ड की ओर सीधे निर्दिष्ट (directed) की दिशा वाले अक्षों पर होते हैं, अतः इन पर प्रतिकर्षण अधिक होता है जिससे इनकी ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है जबकि dxy, dyz और dxz कक्षक, अक्षों के बीच में स्थित होते हैं, अतः इनकी ऊर्जा गोलीय क्रिस्टल क्षेत्र की औसत ऊर्जा की तुलना में कम हो जाती है।

इस प्रकार अष्टफलकीय संकुल में लिगन्ड इलेक्ट्रॉन – धातु इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण के कारण d कक्षकों की समभ्रंशता समाप्त हो जाती है तथा ये तीन निम्न ऊर्जा वाले, t2g कक्षकों तथा दो उच्च ऊर्जा वाले, eg कक्षकों में विभाजित हो जाते हैं। इस प्रकार समान ऊर्जा वाले कक्षकों का, लिगेन्डों की निश्चित ज्यामिति में उपस्थिति से दो भागों में विपाटन क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन कहलाता है तथा इस ऊर्जा अंतर को ∆0 [यहाँ O = अष्टफलकीय (octahedral)] से दर्शाते हैं। eg कक्षकों की ऊर्जा में (3/5) ∆0 के बराबर वृद्धि होती है तथा t2g कक्षकों की ऊर्जा में (2/5) ∆0 के बराबर कमी होती है। प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में ∆0 का मान अधिक होता है जबकि दुर्बल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में यह मान कम होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 27
∆ को प्रभावित करने वाले कारक – क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन (∆) निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-

  • धातु की प्रकृति
  • धातु आयन पर आवेश
  • लिगेन्ड की प्रकृति
  • संकुल की ज्यामिति
  • d- इलेक्ट्रॉनों की संख्या

कारक संकुल आयन के रंग को भी प्रभावित करते हैं। धातु आयन पर आवेश बढ़ने से तथा प्रबल क्षेत्र लिगेन्डों की उपस्थिति में विपाटन अधिक होता है।

स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी (Spectrochemical Series) – जब विभिन्न लिगेन्डों को उनकी बढ़ती हुई क्षेत्र प्रबलता के क्रम में रखा जाता है तो प्राप्त श्रेणी को स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी कहते हैं। यह श्रेणी विभिन्न लिडों के साथ बने संकुल यौगिकों द्वारा प्रकाश के अवशोषण के प्रायोगिक मापन से प्राप्त तथ्यों के आधार पर प्राप्त की जाती है। प्रमुख लिगेन्डों के लिए यह श्रेणी निम्नलिखित है-
I < Br < SCN < Cl < S2- < F < OH < C2O42- < H2O < NCS < EDTA4- + < NH3 < en < NO2 < CN < CO
इस श्रेणी में H2O तक के लिगेन्ड दुर्बल क्षेत्र लिगेन्ड (WFL) तथा इससे आगे के लिगेन्ड प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड (SFL) होते हैं।

प्रश्न 9.19.
[Cr(NH3)6)]3+ अनुचुंबकीय है जबकि [Ni(CN)4]2- प्रतिचुंबकीय, समझाइए क्यों?
उत्तर:
[Cr(NH3)6)]3+ में Cr, + 3 ऑक्सीकरण अवस्था में है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d³ है, जिसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 28
संकरण (d²sp) के पश्चात् भी ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते हैं क्योंकि रिक्त d कक्षक ही संकरण में प्रयुक्त होते हैं अतः [Cr(NH3)6]3+ अनुचुंबकीय है लेकिन (Ni(CN)4]2- में Ni, Ni2+ अवस्था में है जिसका विन्यास 3d<sup<>8 है। प्रबल लिगेन्ड (\(\overline{C}\)N) के कारण इसके अयुग्मित इलेक्ट्रॉन संकरण के समय युग्मित हो जाते हैं अतः यह प्रतिचुंबकीय है।

प्रश्न 9.20
[Ni(H2O)6]2+ का विलयन हरा है परन्तु [NI(CN)4]2- का विलयन रंगहीन है। समझाइए।
उत्तर:
[Ni(H2O)6]2+ में उपस्थित Ni2+ के 3d8 विन्यास में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। H2O दुर्बल लिगेन्ड है अतः इसके कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता तथा इसमें sp³d² संकरण है।

अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण इस संकुल में dd संक्रमण आसानी से हो जाता है जिसके कारण यह रंगीन (हरा) है परन्तु [Ni (CN)4]2- में CN प्रबल लिगेन्ड है जिसके कारण Ni2+ के 3d8 विन्यास में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो है अतः इस संकुल में dsp² संकरण के कारण कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है इसलि d – d संक्रमण संभव नहीं है। इस कारण यह रंगहीन है।

प्रश्न 9.21.
[Fe(CN)6]4- तथा [Fe(H2O)6]2+ के तनु विलयनों के रंग भिन्न होते हैं। क्यों?
उत्तर:
Fe (CN)6]4- में CN प्रबल लिगन्ड है तथा इसमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं (d²sp³ संकरण) अतः इसमें d – d संक्रमण नहीं होता है, इस कारण यह संकुल रंगहीन होता है जबकि [Fe(H2O)6]2+ में H2O दुर्बल लिगेन्ड है अतः इसमें sp³d² संकरण के पश्चात् भी चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन रहते हैं, जिनके कारण d – d संक्रमण आसानी से हो जाता है। इस कारण यह संकुल रंगीन होता है।

भिन्न-भिन्न लिगेन्ड के कारण क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा भी भिन्न- भिन्न होती है जिसके कारण समान धातु आयन होते हुए भी रंगों में भिन्नता होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.22.
धातु कार्बोनिलों में आबंध की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
धातु कार्बोनिलों में बंध की प्रकृति को निम्न प्रकार समझा सकते हैं-होमोलेप्टिक कार्बोनिल यौगिक (जिनमें केवल कार्बोनिल लिगेन्ड हों) सामान्यतः संक्रमण धातुओं द्वारा बनाए जाते हैं। इन धातु कार्बोनिलों की संरचनाएँ सरल होती हैं। टेट्राकार्बोनिलनिकल (0), [Ni(CO)4] चतुष्फलकीय (sp³ संकरण), पेन्टाकार्बोनिल आयरन (O), (Fe(CO)5] त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी (sp³d संकरण) तथा हेक्साकार्बोनिलक्रोमियम (0), [Cr(CO)6] अष्टफलकीय (d²sp³ संकरण ) होता है।

कार्बोनिलडाइ मैंगनीज (0), [Mn2(CO)10] में दो वर्ग पिरैमिडी Mn(CO)5 इकाइयां Mn – Mn बंध द्वारा जुड़ी होती हैं। ऑक्टाकार्बोनिलडाइकोबाल्ट (0), [Co2(CO)8] में Co – Co बन्ध के मध्य दो CO समूह सेतु के रूप में पाए जाते हैं।

इनकी संरचनाएँ निम्न प्रकार दर्शाई जा सकती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 29
धातु कार्बोनिलों में पश्च बन्धन या सहक्रियाशीलता बन्ध (Back Bonding or Synergic Bond in Metal Carbonyls) – धातु कार्बोनिलों के धातु- कार्बन बंध में s तथा p दोनों गुण होते हैं। M-C σ बंध कार्बोनिल (CO) समूह के कार्बन पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म धातु के रिक्त कक्षक में दान करने से बनता है तथा M-C π बंध धातु के पूर्ण भरे असंकरित कक्षकों में से एक इलेक्ट्रॉन युग्म को CO के रिक्त विपरीत बन्धी अणुकक्षक (Antibonding M.O) (π*) में दान करने से बनता है।

धातु से लिगेन्ड का बंध एक सहक्रियाशीलता प्रभाव (Synergic effect) उत्पन्न करता है जिसे पश्च बन्धन कहते हैं। इसके कारण धातु पर उपस्थित इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है, जो धातु तथा CO के मध्य उपस्थित बन्ध की प्रबलता को बढ़ाता है, जिससे धातु कार्बोनिल का स्थायित्व बढ़ जाता है। यहाँ C= O (कार्बोनिल) को π एसिड लिगेन्ड कहते हैं क्योंकि इसके π या π* अणुकक्षक में धातु से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 30

प्रश्न 9.23.
निम्न संकुलों में केन्द्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d कक्षकों का अधिग्रहण (Occupation) एवं उपसहसंयोजन संख्या बतलाइए-
(i) K3[Co(C2O4)3]
(ii) cis – [Cr(en)2Cl2]Cl
(iii) (NH4)2[C0F4]
(iv) [Mn(H2O)6]SO4
उत्तर:
(i) K3[Co(C2O4)3] में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है क्योंकि C2O42- (ऑक्सेलेट) द्विदन्तुर (didentate) प्रबल लिगेन्ड है अतः Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t2g6 e0g होगा (Co+3 = 3d6)

(ii) cis – [Cr(en)2Cl2]Cl में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है। इसमें धातु आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 12 है। (Cr+3 = 3d³)

(iii) (NH4)2[CoF] में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 4 है। इसमें धातु आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t³2gg है। (Co+2 = 3d7)

(iv) [ Mn (H2O)6]SO4 में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है। इसमें धातु आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t³2gg होगा। (Mn3+ = 3d5)

प्रश्न 9.24.
निम्न संकुलों के IUPAC नाम लिखिए तथा ऑक्सीकरण अवस्था, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और उपसहसंयोजन संख्या दर्शाइए। संकुल का त्रिविम रसायन तथा चुंबकीय आघूर्ण भी बतलाइए-
(i) K [Cr(H2O)2 (C2O4)2].3H2O
(ii) [CrCl3(py)3]
(iii) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(iv) Cs[FeCl4]
(v) K4[Mn(CN)6]
उत्तर:
(i) K [Cr(H2O)2 (C2O4)2].3H2O : संकुल का IUPAC नाम पोटेशियमडाएएक्वाडाइ – ऑक्सेलेटो क्रोमेट (III) ट्राइहाइड्रेट
धातु की ऑक्सीकरण अवस्था + 3(3d³)
Cr3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t³2g e0g
धातु की उपसहसंयोजन संख्या = 6
संकुल की ज्यामिति = अष्टफलकीय इस संकुल में ज्यामितीय तथा प्रकाशिक समावयवता होती है।
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = \(\sqrt{n(n+2)}\) B.M.
Cr3+ = 3d³, अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 3
H = \(\sqrt{3(3+2)}\) = \(\sqrt{15}\) B.M. 3.87B.M.

(ii) [CrCl3(py)3]
ट्राइक्लोरिडोट्रिसपिरी डीनक्रोमियम (III)
धातु की ऑक्सीकरण अवस्था + 3(3d³)
Cr3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t³2g e0g
धातु की उपसहसंयोजन संख्या = 6
संकुल की ज्यामिति = अष्टफलकीय इस संकुल में ज्यामितीय तथा प्रकाशिक समावयवता होती है।
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = \(\sqrt{3(3+2)}\) = \(\sqrt{15}\) B.M. 3.87 B.M. (n = 3)

(iii) [Co(NH3)5Cl]Cl2 : संकुल का IUPAC नाम- पेन्टाऐम्मीनक्लोरिडोकोबाल्ट (III) क्लोराइड
धातु की ऑक्सीकरण अवस्था = + 3(3d6)
Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = t62g e0g
धातु की उपसहसंयोजन संख्या = 6
संकुल की ज्यामिति = अष्टफलकीय
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = शून्य, क्योंकि इसमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं।

(iv) Cs[FeCl4] : संकुल का IUPAC नाम- सिजियमटेट्राक्लोरिडोफेरेट (III)
धातु की ऑक्सीकरण अवस्था = +3 (3d5)
Fe3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = e²g t32g
धातु की उपसहसंयोजन संख्या = 4
संकुल की ज्यामिति चतुष्फलकीय
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = \(\sqrt{5(5+2)}\)
= \(\sqrt{35}\) = 5.91B.M. (n = 5)

(v) K4 [Mn (CN)6] : संकुल का IUPAC नाम- पोटैशियमहेक्सासायनोमैंगनेट (II)
धातु की ऑक्सीकरण अवस्था = +2 (3d5)
Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = t52g e0g
धातु की उपसहसंयोजन संख्या = 6
संकुल की ज्यामिति = अष्टफलकीय
चुंबकीय आघूर्ण (i) (μ) = \(\sqrt{1(1+2)}\)
= \(\sqrt{3}\) = 1.73 BM (n = 1)

प्रश्न 9.25
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के आधार पर संकुल [Ti(H2O)6]3+ के बैंगनी रंग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
[Ti(H2O)6]3+ एक अष्टफलकीय संकुल है जिसमें धातु के d कक्षक का इलेक्ट्रॉन संकुल की निम्नतम ऊर्जा अवस्था में t2g कक्षक में है। इस इलेक्ट्रॉन के लिए उपलब्ध इससे अगली उच्च अवस्था eg कक्षक रिक्त संगत प्रकाश का अवशोषण करता
है। यह संकुल पीले हरे क्षेत्र की है जिससे इलेक्ट्रॉन t2g स्तर से eg स्तर में उत्तेजित हो जाता है (t2g1 eg0 → t2g0 eg1) जिसके कारण संकुल बैंगनी रंग का दिखाई देता है। क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के अनुसार यह इलेक्ट्रॉन का ded संक्रमण है। लिगेन्ड की अनुपस्थिति में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन नहीं होता है अतः [Ti(H2O)6]3+ को गरम करने पर इसमें से जल निकल जाने के कारण यह रंगहीन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 31

प्रश्न 9.26.
कीलेट प्रभाव से क्या तात्पर्य है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कीलेट प्रभाव – किसी संकुल में जब एक द्विदंतुर अथवा बहुदंतुर लिगेन्ड अपने दो या दो से अधिक दाता परमाणुओं द्वारा एक ही धातु आयन से बन्ध बनाता है, तो इसे कीलेट (chelate) लिगेन्ड कहते हैं तथा बन्ध बनाने वाले परमाणुओं की संख्या को लिगेन्ड की दंतुरता या डेन्टिसिटी (denticity) कहते हैं। बन्ध बनाने की इस प्रक्रिया को कीलेटन कहते हैं तथा ऐसे संकुल, कीलेट संकुल (chelate complexes) कहलाते हैं, ऐसे संकुलों का स्थायित्व अपेक्षाकृत अधिक होता है। कोलेटन (chelaton) द्वारा किसी संकुल ( उपसहसंयोजन यौगिक) के स्थायीकरण को कीलेट प्रभाव कहते हैं। कीलेट संकुल बनते समय एक वलय बनती है, इसे कीलेट वलय कहते हैं तथा इस वलय के बनने के कारण ही संकुल का स्थायित्व बढ़ता है।

उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 32

प्रश्न 9.27.
प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए निम्नलिखित में उपसहसंयोजन यौगिकों की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए-
(i) जैव प्रणालियाँ
(ii) औषध रसायन
(iii) विश्लेषणात्मक रसायन
(iv) धातुओं का निष्कर्षण / धातु कर्म ।
उत्तर:
(i) जैव प्रणालियाँ-उपसहसंयोजन यौगिक जैव तंत्र में भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक हरा वर्णक क्लोरोफिल, मैग्नीशियम का उपसहसंयोजन यौगिक है, रक्त का लाल वर्णक (pigment) हीमोग्लोबिन, आयरन का एक उपसहसंयोजन यौगिक है, जो कि ऑक्सीजन वाहक होता है। विटामिन B12 (सायनाकोबालेमीन), कोबाल्ट का एक उपसहसंयोजन यौगिक है, जो कि एनिमिया के उपचार में प्रयुक्त होता है। जैविक महत्व के अन्य धातु आयन युक्त उपसहसंयोजन यौगिक कार्बोक्सीपेप्टिडेज-A, कार्बोनिक एनहाइड्रेज एन्जाइम (जैव उत्प्रेरक) तथा साइटोक्रोम-C (Fe2+ का संकुल) है।

(ii) औषध रसायन-में-औषध रसायन में कीलेट चिकित्सा का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। उदाहरण-पौधे/जीव-जंतुओं में विषैले अनुपात में उपस्थित धातुओं के द्वारा उत्पन्न समस्याओं का उपचार। इस प्रकार कॉपर तथा आयरन की अधिकता को D-पेनिसिलऐमीन तथा डेसफेरीऑक्सिम B लिगन्डों के साथ उपसहसंयोजन यौगिक बनाकर दूर किया जाता है। EDTA को लेड की विषाक्तता के उपचार हेतु प्रयुक्त किया जाता है। प्लैटिनम के कुछ उपसहसंयोजक यौगिक ट्यूमर की वृद्धि को रोकते हैं। उदाहरण-समपक्ष-प्लेटिन (cis-platin), cis [Pt(NH3)2Cl2] कैंसररोधी (Anticancer) होता है।

(iii) विश्लेषणात्मक रसायन-
(a) गुणात्मक ( qualitative) तथा मात्रात्मक (quantitative) रासायनिक विश्लेषणों में उपसहसंयोजन यौगिक बहुत उपयोगी होते हैं। अनेक रंगीन अभिक्रियाएँ जिनमें धातु आयनों की विभिन्न लिगेन्डों के साथ क्रिया से (विशेषतः कीलेट लिगन्ड) उपसहसंयोजन यौगिक बनते हैं जिनके कारण रंग उत्पन्न होता है। विभिन्न विधियों से धातु आयनों की पहचान व उनका मात्रात्मक आकलन इसी आधार पर किया जाता है। ये अभिकर्मक EDTA, DMG (डाइमेथिल ग्लाई ऑक्सिम ), α – नाइट्रोसो – ß – नेफ्थॉल, क्यूपफेरॉन आदि हैं।

(b) क्षारीय मूलकों का परीक्षण – प्रथम समूह में Ag+ तथा Hg2+2 का पृथक्करण-लवण के मूल विलयन में जब HCI डालते हैं तो पहले AgCl तथा Hg2Cl2 का अवक्षेप बनता है जिसकी NH4OH के साथ क्रिया कराने पर AgCl, विलेय संकुल बनता है जबकि Hg2Cl2 से Hg(NH2)Cl का काला अवक्षेप बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 33
द्वितीय समूह में IIA तथा IIB का पृथक्करण-IIB समूह के धातु सल्फाइड पीले अमोनियम सल्फाइड से क्रिया करके विलेय संकुल बनाते हैं जबकि IIA समूह के सल्फाइड अविलेय रहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 34
Cu2+ का परीक्षण – Cu+2 का परीक्षण NH3 विलयन तथा पोटैशियम फेरोसायनाइड से क्रिया द्वारा किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 35
III समूह में Fe3+ का परीक्षण-III समूह में Fe3+ का परीक्षण पोटैशियम फेरोसायनाइड तथा पोटैशियम थायोसायनेट विलयन द्वारा किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 36
IV समूह में Ni2+ का परीक्षण-यह परीक्षण डाइमेथिल ग्लाइऑक्सिम (DMG) द्वारा किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 37
प्राच्छादक के रूप में (Masking agent)- Cu2+ की उपस्थिति में Cd2+ का आकलन करने के लिए \(\overline{C}\)N आयन मिलाकर Cu2+ का संकुल बना लेते हैं जो कि स्थायी होता है लेकिन Cd2+ का संकुल अस्थायी होता है अतः वियोजित होकर Cd2+ दे देता है जिसकी H2 के साथ क्रिया से Cds का पीला अवक्षेप प्राप्त होता है।

(iv) धातुओं का निष्कर्षण / धातु कर्म – धातुओं का निष्कर्षण-धातुओं की कुछ प्रमुख निष्कर्षण विधियों में जैसे सिल्वर तथा गोल्ड के निष्कर्षण में संकुल के विरचन का उपयोग किया जाता है। उदाहरण-ऑक्सीजन तथा जल की उपस्थिति में Au3+, सायनाइड आयन से संयोजित होकर उपसहसंयोजन आयन, [Au(Ch2)] बनाता है। इस विलयन में जिंक मिलाकर गोल्ड को पृथक् कर लिया जाता है (एकक 6)।

प्रश्न 9.28.
संकुल [Co(NH3)6]Cl2 से विलयन में कितने आयन उत्पन्न होंगे-
(i) 6
(ii) 4
(iii) 3
(ii) 4
(iv) 2
उत्तर:
(iii) इस संकुल का आयनन निम्न प्रकार होता है अतः इसके विलयन में तीन आयन उत्पन्न होंगे।
[Co(NH3)6]Cl2 → [Co(NH3)6]2+ + 2Cl

प्रश्न 9.29.
निम्नलिखित आयनों में से किसके चुंबकीय आघूर्ण का मान सर्वाधिक होगा?
(i) [Cr(H2O)6]3+
(ii) [Fe(H2O)6]2+
(iii) [Zn(H2O)6]2+
उत्तर:
(ii) इन संकुल आयनों में Zn2+, Cr3+ तथा Fe2+ में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमशः 0 3 एवं 4 है अतः संकुल आयन [Fe (H2O)6]2+ का चुम्बकीय आघूर्ण सर्वाधिक होगा।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.30.
K[Co(CO)4] में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) +1
(iii) -1
(ii) +3
(iv) -3
उत्तर:
(iii) K [Co(CO)4]
+ 1 + x + = 0
x = – 1

प्रश्न 9.31.
निम्न में सर्वाधिक स्थायी संकुल है-
(i) [Fe(H2O)6]3+
(ii) [Fe(NH3)6]3+
(iii) Fe(C2O4)3]3-
(iv) [FeCl6]3-
उत्तर:
(iii) क्योंकि इसमें C2O2-3 ( ऑक्सेलेट) लिगेन्ड कीटकारी है, जिससे स्थायित्व बढ़ता है।

प्रश्न 9.32.
निम्नलिखित के लिए दृश्य प्रकाश में अवशोषण की तरंगदैर्घ्य का सही क्रम क्या होगा?
[Ni(NO2)6]4-, [Ni(NH3)6]2+, [Ni(H2O)6]2+
उत्तर:
दिए गए संकुलों में प्रयुक्त लिगेन्डों के लिए स्पेक्ट्रमी- रासायनिक श्रेणी में प्रबलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
H2O < NH3 < NO2
अतः उत्तेजन हेतु अवशोषित प्रकाश (ऊर्जा) का क्रम निम्न होगा-
[Ni(H2O)6]2+ <[Ni(NH3)6]2+ <[Ni (NO2)6]4+
इसलिए अवशोषित तरंगदैर्घ्य का क्रम इसके विपरीत होगा क्योंकि (E = hc/λ)
[Ni(NO2)6]4- < [Ni(NH3)6]2+ < [Ni(H2O)6]2+

HBSE 12th Class Chemistry उपसहसंयोजन यौगिक Intext Questions

प्रश्न 9.1.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(i) टेट्राऐम्मीनडाइएक्वाकोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) पोटैशियम टेट्रासायनोनिकैलेद (II)
(iii) ट्रिस (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) क्रोमियम (III) क्लोराइड
(iv) ऐम्मीनब्रोमिडोक्लोरिडोनाइट्रिटो-N-प्लैटिनेट (II)
आयन
(v) डाइक्लोरोबिस (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) प्लैटिनम (IV) नाइट्रेट
(vi) आयरन (III) हेक्सासायनोफेरेट (II)।
उत्तर:
(i) [Co(NH3)4(H2O)2]Cl3
(ii) K2[Ni(CN)4]
(iii) [Cr(en3]Cl3
(iv) [Pt(NH3)BrCl}\left(NO2)]
(v) [PtCl2(en)2] (NO3)2
(vi) Fe4[Fe(CN)6]3

प्रश्न 9.2.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
(i) [Co(NH3)6]Cl3
(ii) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(iii) K3[Fe}(CN)6]
(iv) K3[Fe(C2O4)3]
(v) K2[PdCl4]
(vi) [Pt(NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl
उत्तर:
(i) हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) पेन्टाऐम्मीनक्लोरिडोकोबाल्ट (III) क्लोराइड
(iii) पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (III)
(iv) पोटैशियम ट्राइआक्सैलेटोफेरेट (III)
(v) पोटैशियम टेट्राक्लोरिडोपैलेडेट (II)
(vi) डाइऐम्मीनक्लोरिडो ( मेथेनेमीन ) प्लैटिनम (II) क्लोराइड।

प्रश्न 9.3.
निम्नलिखित संकुलों द्वारा प्रदर्शित समावयवता का प्रकार बतलाइए तथा इन समावयवों की संरचनाएं बनाइए-
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2]
(ii) [Co(en)3]Cl3
(iii) [Co(NH3)5(NO2)](NO3)2
(iv) [Pt(NH3)(H2O)Cl2]
उत्तर:
(i) संकुल K[Cr(H2O)2(C2O4)2] ज्यामितीय समावयवता दर्शाता है अतः इसके दो रूप होते हैं-समपक्ष तथा विपक्ष। समपक्ष समावयवी, प्रकाशिक समावयवता भी दर्शाता है अतः इसके दो ध्रुवण समावयवी ( d तथा l रूप) होंगे। यहाँ C2O4 (ऑक्सेलेट) का संकेत ox दिया गया है। इस संकुल के समपक्ष, विपक्ष तथा प्रकाशिक समावयवियों की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 38
(ii) संकुल [Co(en)3]Cl3 प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है। अतः इसके दो रूप (d तथा l) होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 39
(iii) संकुल [Co(NH3)5(NO2)](NO3)2 के कुल संभावित समावयवी दस होंगे तथा यह संकुल निम्न प्रकार की समावयवता दर्शाता है-ज्यामितीय, आयनन तथा बंधनी समावयवता।

आयनन समावयवी-
[Co(NH3)5(NO)2] (NO3)2 तथा [Co(NH3)5(NO3)] (NO2) (NO3)

बन्धनी समावयवी-
[Co(NH3)5(NO2)](NO3)2 तथा [Co(NH3)5(ONO)](NO3)2

(iv) संकुल [Pt(NH3)(H2O)Cl2] ज्यामितीय समावयवता दर्शाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 40

प्रश्न 9.4.
इसका प्रमाण दीजिए कि [Co(NH3)5Cl] SO4 तथा [Co(NH3)5SO4]Cl आयनन समावयवी हैं।
उत्तर:
आयनन समावयवी जल में विलेय होकर भिन्न-भिन्न आयन देते हैं अतः इनकी विभिन्न अभिकर्मकों से अभिक्रिया का प्रकार भिन्न-भिन्न होगा-
[Co(NH3)5Cl]SO4 +BaCl2 विलयन → BaSO4(s) श्वेत अवक्षेप
[Co(NH3)5SO4]Cl + BaCl2 विलयन → कोई अभिक्रिया नहीं
[Co(NH3)5Cl]SO4 + AgNO3 विलयन → कोई अभिक्रिया नहीं
[Co(NH3)5SO4]Cl + AgNO3 विलयन → AgCl श्वेत अवक्षेप

प्रश्न 9.5.
संयोजकता आबंध सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि वर्ग समतलीय संरचना वाला [Ni(CN)4]2- आयन प्रतिचुंबकीय है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति वाला [NiCl4]2- आयन अनुचुंबकीय है।
उत्तर:
वर्ग समतलीय आयन [Ni(CN)4]2- में Ni पर dsp2 संकरण पाया जाता है। इसमें Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 41
प्रत्येक संकरित कक्षक एक सायनाइड आयन से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अनुपस्थित होने के कारण यह संकुल प्रतिचुंबकीय है। [NiCl4]2- आयन में Ni पर sp3 संकरण पाया जाता है तथा इसकी ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है।

इसमें एक s तथा तीन p कक्षकों के संकरण से चार समान sp3 संकर कक्षक बनते हैं। यहाँ निकल +2 ऑक्सीकरण अवस्था में है तथा इस आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है अतः इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 42
संकरण के पश्चात् भी 3d कक्षकों में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं जिनके कारण यह संकुल आयन अनुचुंबकीय होता है।

प्रश्न 9.6.
[NiCl4]2- अनुचुंबकीय है जबकि [Ni(CO)4] प्रतिचुंबकीय है यद्यपि दोनों चतुष्फलकीय हैं। क्यों?
उत्तर:
[Ni(CO)4] में, Ni की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है जबकि [NiCl4]2- में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। CO की उपस्थिति में, Ni के 3d तथा 4s कक्षकों के इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं क्योंकि CO प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड है परन्तु Cl एक दुर्बल क्षेत्र लिगन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं हो पाता है। इसलिए [NiCl4]2- अनुचुंबकीय है जबकि [Ni(CO)4] प्रतिचुंबकीय है यद्यपि दोनों चतुष्फलकीय हैं तथा दोमों में sp3 संकरण है।

प्रश्न 9.7.
[Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुंबकीय है जबकि [Fe(CN)6]3- दुर्बल अनुचुंबकीय। समझाइए।
उत्तर:
[Fe(CN)6]3- में CN (प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड) की उपस्थिति में, 3d इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं तथा केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन बचता है। इसमें d2sp3 संकरण होता है तथा यह आंतरिक कक्षक संकुल बनाता है अतः यह दुर्बल अनुचुंबकीय है जबकि [Fe(H2O)6]3+ में H2O (दुर्बल लिगेन्ड) की उपस्थिति में, 3d इलेक्ट्रॉन युग्मित नहीं होते अतः इसमें sp3d2 संकरण है तथा यह बाह्यकक्षक संकुल बनाता है जिसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं अतः यह प्रबल अनुचुंबकीय है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 9.8.
समझाइए कि [Co(NH3)6]3+ एक आंतरिक कक्षक संकुल है जबकि [Ni(NH3)6]2+ एक बाह्य कक्षक संकुल है।
उत्तर:
कुल Co(NH3)6]3+ में NH3 प्रबल लिगेन्ड है जिससे इसमें d2sp संकरण होता है। Co+3 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d6 होता है तथा NH3 की उपस्थिति में ये इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं एवं शेष बचे दो रिक्त d कक्षक d2sp3 संकरण द्वारा आंतरिक कक्षक संकुल बनाते हैं जबकि [Ni(NH3)6]2+ में Ni+2 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 होने के कारण NH3 जैसे प्रबल लिगेन्ड की उपस्थिति में भी इलेक्ट्रॉनों के युग्मन से दो आन्तरिक d कक्षक रिक्त नहीं हो सकते। अतः इसमें sp3d2 संकरण होता है तथा यह बाह्य कक्षक संकुल बनाता है।

प्रश्न 9.9.
वर्ग समतली [Pt(CN)4]2- आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए।
उत्तर:
[Pt(CN)4]2- की वर्ग समतली आकृति के कारण इसमें dsp2 संकरण होता है तथा इस संकुल आयन में Pt,+2 अवस्था में है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5d8 है तथा प्रबल लिगेन्ड (CN) की उपस्थिति में इन 5d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है तथा शेष बचा एक रिक्त d कक्षक संकरण में भाग लेता है। (dsp2 संकरण ) अतः इसमें एक भी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है।

प्रश्न 9.10.
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त को प्रयुक्त करते हुए समझाइए कि कैसे हेक्साएक्वा मैंगनीज (II) आयन में पांच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जबकि हेक्सासायनो मैंगनीज (II) आयन में केवल एक ही अयुगलित (अयुग्मित) इलेक्ट्रॉन है।
उत्तर:
हेक्साएक्वा मैंगनीज (II) आयन, [Mn(H2O6]2+ में Mn+2 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d5 है तथा इसमें H2O दुर्बल लिगेन्ड है अतः इसकी उपस्थिति में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा का मान कम होता है। इसलिए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास \(\mathrm{t}_{2 \mathrm{~g}}^3 \mathrm{e}_{\mathrm{g}}^2\) होगा तथा sp3d2 संकरण होने के कारण इसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता। जबकि हेक्सासायनो मैंगनीज (II) आयन, [Mn(CN)6]-4 में CN प्रबल लिगेन्ड है जिसकी उपस्थित में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा का मान अधिक होने के कारण Mn2+ का इलेक्ट्रॉंनिक विन्यास \(t_{2 \mathrm{~g}}^5 \mathrm{e}_{\mathrm{g}}^0\) (दो रिक्त d कक्षक) होगा जिसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है तथा इसमें sp3d2 संकरण होगा।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.1.
वर्ग 15 के तत्वों के सामान्य गुणधर्मों की उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था, परमाण्विक आकार, यथैी तथा विद्युत्ऋणात्मकता के संदर्भ में विवेचना कीजिए ।
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों के सामान्य गुणधर्म निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 1
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – वर्ग 15 के तत्वों का संयोजकता कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ns2np3 होता है। इन तत्वों के s कक्षक पूर्णतया भरे होते हैं तथा p कक्षक अर्धपूरित (Half filled) होते हैं, जिससे इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अधिक स्थायी होता है।

(ii) ऑक्सीकरण अवस्था – वर्ग 15 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ – 3 +3 तथा +5 हैं। परमाणु आकार तथा धातु गुणों में वृद्धि के कारण वर्ग में नीचे जाने पर 3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने की प्रवृत्ति कम होती है । वर्ग में नीचे जाने पर +5 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व घटता है।

बिस्मथ [V] का एक ही यौगिक BiF5 ज्ञात है । वर्ग में नीचे की ओर +5 ऑक्सीकरण अवस्था के स्थायित्व में कमी के साथ-साथ ऑक्सीकरण अवस्था ( अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण) के स्थायित्व में होती है। ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया से बने यौगिकों में नाइट्रोजन +1, +2, +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी दर्शाती है। फॉस्फोरस भी कुछ ऑक्सो अम्लों में, +1 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है।

नाइट्रोजन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 हो सकती है; क्योंकि केवल 4 कक्षक (एक s तथा तीन p) ही बंधन के लिए उपलब्ध हैं। भारी तत्वों के बाह्यतम कोश में रिक्त d कक्षक पाए जाते हैं, जो बंध बनाने के लिए प्रयुक्त किए जा सकते हैं, अतः उनकी सहसंयोजकता बढ़ जाती है। जैसे PF6 में फॉस्फोरस की संयोजकता 6 है।

(iii) परमाण्विक आकार – वर्ग 15 में नीचे जाने पर परमाणु आकार (सहसंयोजी त्रिज्या) में वृद्धि होती है। N से P तक त्रिज्या में पर्याप्त वृद्धि होती है जबकि As से Bi तक त्रिज्या में वृद्धि अपेक्षाकृत कम होती है। इसका कारण भारी तत्वों में पूर्ण भरे d और / या f कक्षकों की उपस्थिति है।

(iv) आयनन एन्थैल्पी – वर्ग 15 के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी, वर्ग 14 तथा वर्ग 16 के संगत तत्वों की आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है क्योंकि इन तत्वों में अर्धपूरित स्थायी विन्यास (np3) होता है। सामान्यतः आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर आयनन एन्थैल्पी बढ़ती है क्योंकि परमाणु आकार कम होता है तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है।

अतः बाह्यतम इलेक्ट्रॉन अधिक आकर्षण बल से बंधे होते हैं जिन्हें पृथक् करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वर्ग में नीचे की ओर जाने पर आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है क्योंकि परमाणु आकार में वृद्धि होती है। इन तत्वों के लिए विभिन्न आयनन एल्पियों का क्रम निम्न प्रकार होता है-
iH1 < △iH2 < △iH3
अर्थात् एक इलेक्ट्रॉन निकालने के बाद द्वितीय तथा तृतीय इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

(v) विद्युतऋणात्मकता – सामान्यतः वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु आकार में वृद्धि के कारण विद्युतॠणात्मकता का मान घटता है, लेकिन भारी तत्वों में यह अंतर बहुत कम होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.2.
नाइट्रोजन की क्रियाशीलता फॉस्फोरस से भिन्न क्यों है?
उत्तर:
नाइट्रोजन की क्रियाशीलता फॉस्फोरस से भिन्न होती है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(i) नाइट्रोजन का आकार बहुत छोटा होता है तथा इसकी विद्युतॠणता एवं आयनन एन्थैल्पी, फॉस्फोरस की तुलना में बहुत अधिक है।
(ii) नाइट्रोजन के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक उपलब्ध नहीं हैं जबकि फॉस्फोरस के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक होते हैं।
(iii) नाइट्रोजन में pπ -pπ अतिव्यापन द्वारा त्रिआबन्ध बनाने की प्रवृत्ति होती है अतः इसकी बन्ध एन्थैल्पी बहुत अधिक होती है जिसके कारण यह बहुत कम क्रियाशील होती है जबकि फॉस्फोरस में pπ – pπ अतिव्यापन नहीं होता।

प्रश्न 7.3.
वर्ग 15 के तत्वों की रासायनिक क्रियाशीलता की प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए ।
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों की रासायनिक क्रियाशीलता में बहुत अन्तर होता है। नाइट्रोजन की बन्ध एन्थैल्पी का मान बहुत उच्च होने के कारण यह लगभग अक्रिय होती है। फॉस्फोरस का एक अपररूप, श्वेत फॉस्फोरस बहुत अधिक क्रियाशील होता है जिसका कारण P4 की संरचना में कोणीय तनाव ( angular strain) है। यह वायु में तेजी से आग पकड़कर P4O10 बनाता है जिसके श्वेत धूम बनते हैं। लाल फॉस्फोरस कमरे के ताप पर वायु में स्थायी होता है लेकिन गर्म करने पर क्रिया करता है।

As, Sb तथा Bi (भारी तत्व) कम क्रियाशील होते हैं। आर्सेनिक शुष्क वायु में स्थायी होता है लेकिन इसे वायु में गर्म करने पर यह 615°C पर ऊर्ध्वपातित होकर As4O6 बनाता है । एन्टिमनी वायु तथा जल के प्रति स्थायी होता है लेकिन वायु में गर्म करने पर यह Sb4O6, Sb4O8 या Sb4O10 बनाता है। Bi को वायु में गर्म करने पर यह Bi2O3 बनाता है।

प्रश्न 7.4.
NH3 हाइड्रोजन बंध बनाती है परन्तु PH3 नहीं बनाती। क्यों ?
उत्तर:
नाइट्रोजन के छोटे आकार तथा उच्च विद्युतॠणता के कारण N-H बन्ध, अधिक ध्रुवीय होता है अतः NH3 हाइड्रोजन बंध बनाती है जबकि फॉस्फोरस का आकार बड़ा होता है तथा इसकी विद्युतॠणता भी कम होती है अतः P-H बन्ध लगभग अध्रुवीय होता है इसलिए PH3 में हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनता ।

प्रश्न 7.5.
प्रयोगशाला में नाइट्रोजन कैसे बनाते हैं? सम्पन्न होने वाली अभिक्रिया के रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(i) प्रयोगशाला में नाइट्रोजन बनाने के लिए अमोनियम क्लोराइड के जलीय विलयन की सोडियम नाइट्राइड के साथ अभिक्रिया कराई जाती है-
NH4Cl(aq) + NaNO2(aq) → N2(g) + 2H2O(l) + NaCl(aq)
इस अभिक्रिया में थोड़ी मात्रा में NO तथा HNO3 भी बनते हैं; इन अशुद्धियों को दूर करने के लिए गैस को पोटैशियम डाइक्रोमेट युक्त सल्फ्यूरिक अम्ल के जलीय विलयन में से प्रवाहित किया जाता है।

(ii) अमोनियम डाइक्रोमेट के ताप अपघटन से भी नाइट्रोजन गैस प्राप्त होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 2

(iii) बेरियम ऐजाइड के ताप अपघटन से अति शुद्ध नाइट्रोजन प्राप्त होती है-
Ba(N3)2 → Ba + 3N2

प्रश्न 7.6.
अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
अमोनिया का औद्योगिक निर्माण हाबर प्रक्रम द्वारा किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 3
अमोनिया के अधिक निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें – अमोनिया के निर्माण की अभिक्रिया उत्क्रमणीय तथा ऊष्माक्षेपी होती है। इसके साथ ही अभिक्रिया के कारण आयतन में कमी होती है अतः ले शातैलिए के सिद्धान्त के आधार पर उच्च दाब अमोनिया के अधिक निर्माण में सहायक होगा। अतः अमोनिया के निर्माण के लिए अनुकूलतम शर्तें निम्नलिखित हैं-
(i) लगभग 200 वायुमंडलीय दाब ( 200 × 105 Pa )
(ii) लगभग 700K ताप
(iii) K2O तथा Al2O3 युक्त आयरन ऑक्साइड उत्प्रेरक
(iv) शुद्ध N2 तथा H2 का प्रयोग |
अमोनिया में उपस्थित नमी को CaO द्वारा दूर कर लिया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 20

प्रश्न 7.7.
उदाहरण देकर समझाइए कि कॉपर धातु HNO3 के साथ अभिक्रिया करके किस प्रकार भिन्न उत्पाद दे सकती है?
उत्तर:
कॉपर धातु की HNO3 के साथ अभिक्रिया ताप तथा सांद्रता पर निर्भर करती है तथा इन अभिक्रियाओं में कॉपर का ऑक्सीकरण होता है-
(i) कॉपर की तनु तथा ठंडे HNO3 से क्रिया कराने पर कॉपर नाइट्रेट तथा नाइट्रिक ऑक्साइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 4

(ii) कॉपर की सान्द्र तथा गर्म HNO3 से क्रिया कराने पर कॉपर नाइट्रेट तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 5

प्रश्न 7.8.
NO2 तथा N2O5 की अनुनादी संरचनाओं को लिखिए।
उत्तर:
NO2 तथा N2O5 की अनुनादी संरचनाएँ अग्र हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 6

प्रश्न 7.9.
HNH कोण का मान, HPH, HASH तथा HSH कोणों की अपेक्षा अधिक क्यों है ?
उत्तर:
NH3 में HNH कोण का मान वर्ग के अन्य हाइड्राइडों की तुलना में अधिक होता है क्योंकि NH3 में N पर sp3 संकरण तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण बन्ध कोण लगभग 107.8° होता है जबकि वर्ग नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ने तथा विद्युतॠणता कम होने के कारण sp3 संकरण का प्रभाव कम होता जाता है अर्थात् M-H बन्ध बनाने में M के शुद्ध p कक्षक हाइड्रोजन के s कक्षक के साथ अतिव्यापन करते हैं, अतः बन्ध कोण कम होता जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.10.
R3P = O पाया जाता है जबकि R3N = O नहीं | क्यों ? (R = ऐल्किल समूह)
उत्तर:
नाइट्रोजन के संयोजकता कोश में रिक्त d कक्षक नहीं होता अतः इसकी अधिकतम संयोजकता 4 होती है तथा यह dπ – pπ बन्ध नहीं बना सकता अतः R3N = O नहीं पाया जाता जबकि फॉस्फोरस के संयोजकता कोश में रिक्त d कक्षक होने के कारण यह dπ – pπ अतिव्यापन द्वारा R3P = O बना लेता है जिसमें फॉस्फोरस की संयोजकता 5 है। (अष्टक का प्रसार)

प्रश्न 7.11.
समझाइए कि क्यों NH3 क्षारकीय है जबकि BiH3 केवल दुर्बल क्षारक है।
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में केन्द्रीय परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण ये लुइस क्षार होते हैं क्योंकि इनमें इलेक्ट्रॉन युग्म दान करने की प्रवृत्ति होती है। NH3 में नाइट्रोजन के छोटे आकार के कारण इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक होता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए यह अधिक क्षारीय है जबकि BiH3 में Bi के बड़े आकार के कारण इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति कम होती है इसलिए यह बहुत ही दुर्बल क्षारक है।

प्रश्न 7.12.
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है तथा फॉस्फोरस P4 के रूप में। क्यों ?
उत्तर:
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है क्योंकि नाइट्रोजन परमाणु के छोटे आकार तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें बहुल आबन्ध बनाने की प्रवृति होती है जबकि फॉस्फोरस P4 के रूप में पाया जाता है क्योंकि बड़े आकार के कारण इसमें बहुल आबन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती तथा आन्तरिक अबन्धित इलेक्ट्रॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता है। इसमें P-P-P बन्ध कोण 60° होता है अतः pπ – pπ बन्ध संभव नहीं है।

प्रश्न 7.13.
श्वेत फॉस्फोरस तथा लाल फॉस्फोरस के गुणों की मुख्य भिन्नताओं को लिखिए।
उत्तर:
श्वेत फॉस्फोरस तथा लाल फॉस्फोरस के गुणों में मुख्य भिन्नताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) श्वेत फॉस्फोरस एक पारभासी मोम जैसा श्वेत ठोस होता है जबकि लाल फॉस्फोरस लोहे जैसी धूसर (grey) चमक वाला होता है।
(ii) श्वेत फॉस्फोरस विषैला होता है जबकि लाल फॉस्फोरस गन्धहीन तथा अविषैला होता है।
(iii) श्वेत फॉस्फोरस जल में अविलेय लेकिन कार्बन-डाइ- सल्फाइड में विलेय होता है लेकिन लाल फॉस्फोरस जल तथा कार्बन-डाइ- सल्फाइड दोनों में अविलेय होता है ।
(iv) रासायनिक रूप से लाल फॉस्फोरस श्वेत फॉस्फोरस की तुलना बहुत कम क्रियाशील होता है।
(v) श्वेत फॉस्फोरस अंधेरे में दीप्त होता है, लाल फॉस्फोरस दीप्त नहीं होता !
(vi) श्वेत फॉस्फोरस विविक्त चतुष्फलकीय P4 अणुओं से बना होता है जबकि लाल फॉस्फोरस बहुलकी होता है जिसमें P4 चतुष्फलक श्रृंखला के रूप में एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं ।

प्रश्न 7.14.
फॉस्फोरस की तुलना में नाइट्रोजन श्रृंखलन गुणों को कम प्रदर्शित करता है, क्यों?
उत्तर:
नाइट्रोजन परमाणु के छोटे आकार के कारण एक N-N. बन्ध, एक P-P बन्ध की तुलना में दुर्बल होता है क्योंकि N-N बन्ध में अबन्धी इलेक्ट्रॉनों (एकाकी इलेक्ट्रॉनयुग्मों) के मध्य प्रतिकर्षण अधिक होता है। अतः फॉस्फोरस की तुलना में नाइट्रोजन में श्रृंखलन की प्रवृत्ति कम होती है।

प्रश्न 7.15.
H3PO3 की असमानुपातन अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
H3PO3 को 473K ताप पर गर्म करने पर इसका असमानुपातन होकर फॉस्फोरिक अम्ल (आर्थोफॉस्फोरिक अम्ल) तथा फॉस्फीन बनती है।
4H3PO3 → 3H3PO4 + PH3

प्रश्न 7.16.
क्या PCl5 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों कार्य कर सकता है ? तर्क दीजिए ।
उत्तर:
PCl5 में P की ऑक्सीकरण अवस्था +5 है जो कि उच्चतम है, अतः यह अपनी ऑक्सीकरण अवस्था कम करके ऑक्सीकारक का कार्य कर सकता है लेकिन अपचायक का नहीं।
उदाहरण – PCl5 + 2Ag → 2AgCl + PCl3

प्रश्न 7.17.
O, S, Se, Te तथा Po को इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था तथा हाइड्राइड निर्माण के संदर्भ में आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखने का तर्क दीजिए ।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – O, S, Se, Te तथा Po 16वें वर्ग के तत्व हैं। इन सभी का बाह्यतम इलेक्ट्रानिक विन्यास समान है जो कि ns2np4 है अर्थात् इनके बाह्यतम कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः इन्हें एक ही वर्ग में रखा जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 7
(ii) ऑक्सीकरण अवस्था- ये सभी तत्व – 2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। (Po के अलावा) तथा ऑक्सीजन के अलावा सभी तत्व +2, +4, +6 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं, ऑक्सीजन केवल +2 अवस्था दर्शाती है। अतः इन्हें एक ही वर्ग में रखा गया है।

(iii) हाइड्राइड निर्माण- सभी तत्व H2E (E= O, S, Se, Te Po) प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। अतः इन तत्वों को समान वर्ग में रखने का एक कारण यह भी है।

प्रश्न 7.18.
क्यों डाइऑक्सीजन एक गैस है जबकि सल्फर ठोस है?
उत्तर:
ऑक्सीजन परमाणु के छोटे आकार तथा संयोजी कोश में d कश्चकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें Pπ – Pπ बन्ध बनाने की प्रबल प्रवृत्ति होती है अतः यह O = O बनाकर अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है तथा यह स्वतंत्र अस्तित्व वाले ऑक्सीजन अणुओं (O2) के रूप में गैस अवस्था में पाई जाती है। लेकिन सल्फर के बड़े आकार के कारण S = S बन्ध एन्थैल्पी कम होती है अतः यह S2 न बनाकर Sg के रूप में पाया जाता है जिससे अणुभार बढ़ जाने के कारण अणुओं के मध्य आकर्षण बल बढ़ जाता है। इसी कारण सल्फर ठोस अवस्था में पाया जाता है।

प्रश्न 7.19.
यदि O→O तथा O→O2- के इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान पता हो, जो क्रमशः -141 तथा 702 kJ mol-1 हैं, तो आप कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं न कि O वाले?
उत्तर:
प्रश्नानुसार O से O बनने पर ऊर्जा उत्सर्जित होती है। जबकि O से O-2 बनने पर बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है लेकिन O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं क्योंकि ऑक्साइड बनने पर उत्सर्जित उच्च जालक एन्थैल्पी ( अधिक ऋणावेश के कारण ) द्वितीय उच्च धनात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी की पूर्ति कर देती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 8

प्रश्न 7.20.
कौनसे ऐरोसोल्स ओजोन का क्षय करते हैं?
उत्तर:
ओजोन परत का क्षय करने वाले ऐरोसोल्स निम्नलिखित हैं-
(i) सुपर सोनिक जेट विमानों से उत्सर्जित नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन परत की सांद्रता को कम करते हैं-
NO(g) + O3(g) → NO2(g) + O2(g)

(ii) ऐरोसोल स्प्रे तथा प्रशीतकों के रूप में प्रयुक्त फ्रेऑन भी ओजोन का क्षय करते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 9

प्रश्न 7.21.
संस्पर्श प्रक्रम ( Contact Process ) द्वारा H2SO4 के उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सम्पर्क विधि (Contact Process ) – इस विधि में तीन पद होते हैं-
(i) सल्फर अथवा सल्फाइड अयस्कों को वायु में जलाकर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) बनाना ।
(ii) V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO2 की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कराकर SO3 में परिवर्तित करना ।
(iii) SO3 को सल्फ्यूरिक अम्ल में अवशोषित करके ओलियम (H2S2O7) प्राप्त करना तथा इसके तनुकरण से H2SO4 प्राप्त करना ।

(i) SO2 बनाना – सल्फर या FeS2 को वायु के साथ गर्म करके SO2 का निर्माण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 21
प्राप्त SO2 को धूल के कणों तथा आर्सेनिक यौगिकों की अशुद्धियों से मुक्त कर लिया जाता है। इसके लिए जिलेटिनी FerOH3 प्रयुक्त करते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.22.
SO2 किस प्रकार से एक वायु प्रदूषक है?
उत्तर:
SO2 ऍक हानिकारक गैसीय प्रदूषक है। वायुमण्डल में उपस्थित SO2, प्रकाश की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर SO3 बनाती है जो कि नमी की उपस्थिति में H2SO4 बनाती है जो कि अम्ल वर्षा के रूप में नीचे आती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 10
SO2 पेड़ों की पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है तथा मनुष्य की आँखों तथा श्वसन तंत्र के लिए भी हानिकारक है।

प्रश्न 7.23.
हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक क्यों होते हैं?
उत्तर:
हैलोजनों की उच्च विद्युतॠणता तथा अधिक इलेक्ट्रॉन बन्धुता (उच्च ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी) के कारण इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है तथा इनके मानक इलैक्ट्रोड – विभव (अपचयन विभव) के मान भी अधिक होते हैं। अतः ये प्रबल ऑक्सीकारक होते हैं।

प्रश्न 7.24.
स्पष्ट कीजिए कि फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सो अम्ल, HOF क्यों बनाता है?
उत्तर:
फ्लुओरीन के छोटे आकार तथा उच्च विद्युतॠणता के कारण यह एकमात्र ऑक्सो अम्ल, HOF बनाती है जो कि फ्लुओरिक (I) अम्ल या हाइपोफ्लुओरस अम्ल कहलाता है। फ्लुओरीन उच्चतर ऑक्सो अम्लों में केन्द्रीय परमाणु के रूप में उपयोग में नहीं आ सकता, अतः यह उच्च ऑक्सो अम्ल नहीं बनाता।

प्रश्न 7.25.
व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एक समान विद्युत्ऋणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबंध निर्मित करता है, जबकि क्लोरीन नहीं।
उत्तर:
नाइट्रोजन तथा क्लोरीन की विद्युतॠणता लगभग समान होती है फिर भी नाइट्रोजन, हाइड्रोजन बन्ध बनाता है जबकि क्लोरीन नहीं, क्योंकि नाइट्रोजन परमाणु का आकार क्लोरीन परमाणु से छोटा होता है जो कि हाइड्रोजन बन्ध बनाने में सहायक होता है।

प्रश्न 7.26.
ClO2 के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ClO2 (क्लोरीन डाइऑक्साइड) को आक्सीकारक तथा विरंजक (Bleaching agent) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 7.27.
हैलोजन रंगीन क्यों होते हैं?
उत्तर:
सभी हैलोजन रंगीन होते हैं, इसका कारण यह है कि इनमें दृश्य क्षेत्र में विकिरणों का अवशोषण होता है जिससे बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं क्योंकि संयोजकता कोश व उच्च ऊर्जा स्तर में ऊर्जा अन्तराल कम होता है। विकिरण के भिन्न- भिन्न क्वान्टम अवशोषित करने के कारण ये अलग-अलग रंग प्रदर्शित करते हैं; जैसे- फ्लुओरीन पीला, क्लोरीन हरापन लिए हुए पीला, ब्रोमीन लाल तथा आयोडीन बैंगनी रंग का होता है।

प्रश्न 7.28.
जल के साथ F2 तथा – Cl2 की अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
फ्लुओरीन (F2) जल को आक्सीकृत करके ऑक्सीजन देती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 11
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन, जल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोक्लोरिक तथा हाइपोक्लोरस अम्ल बनाती है-
Cl2(g) + H2O(l) HCl(aq) + HOCl(aq)

प्रश्न 7.29.
आप HCI से Cl2 तथा Cl2 से HCl को कैसे प्राप्त करेंगे? केवल अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(i) HCl से Cl2 प्राप्त करना
सांद्र HCI को मैंगनीज डाइऑक्साइड या KMnO4 जैसे ऑक्सीकारक के साथ गर्म करने से Cl2 प्राप्त होती है।
MnO2 + 4HCl → MnCl2 + Cl2 + 2H2O
2KMnO4 + 16HCl → 2KCl + 2MnCl2 + 8H2O + 5Cl2

(ii) Cl2 से HCl प्राप्त करना
Cl2 की H2 के साथ क्रिया से HCl प्राप्त होती है-
H2 + Cl2 → 2HCl

प्रश्न 7.30.
एन- बार्टलेट Xe तथा PtF6 के बीच अभिक्रिया कराने के लिए कैसे प्रेरित हुए?
उत्तर:
लाल रंग के यौगिक \(\stackrel{+}{\mathrm{O}}_2 \mathrm{PtF}_6^{-}\) के संश्लेषण ने एन- बार्टलेट को Xe तथा PtF6 के बीच अभिक्रिया कराने को प्रेरित किया तथा उन्होंने लाल रंग का ही यौगिक Xe PtF6 बनाया क्योंकि Xe व O2 की प्रथम आयनन एन्थैल्पी लगभग बराबर होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 12

प्रश्न 7.31.
निम्नलिखित में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्या हैं?
(i) H3PO3
(ii) PCl3
(iii) Ca3P2
(iv) Na3PO4
(v) POF3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 13

प्रश्न 7.32.
निम्नलिखित के लिए संतुलित समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(i) जब NaCl को MnO2 की उपस्थिति में सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गरम करते हैं तो क्लोरीन गैस निकलती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 14
(ii) जब क्लोरीन गैस को Nal के जलीय विलयन में प्रवाहित किया जाता है तो आयोडीन बनती है।
2Nal + Cl2 → 2NaCl + I2

प्रश्न 7.33.
जीनॉन फ्लुओराइड, XeF2, XeF4 तथा XeF6 कैसे बनाए जाते हैं?
उत्तर:
अनुकूल परिस्थितियों में तत्वों की प्रत्यक्ष क्रिया द्वारा जीनॉन तीन प्रकार के द्विअंगी फ्लुओराइड, XeF2, XeF4 तथा XeF6 बनाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 15
143K ताप पर XeF4 तथा O2F2 की क्रिया से भी XeF6 बनता है।
XeF4 + O2F2 → XeF6 + O2

प्रश्न 7.34.
किस उदासीन अणु के साथ ClO समइलेक्ट्रॉनी है ? क्या यह अणु लुइस क्षारक है ?
उत्तर:
ClF (क्लोरीन फ्लुओराइड) ClO का समइलेक्ट्रॉनी है क्योंकि दोनों में 26 इलेक्ट्रॉन हैं तथा ClF लुइस क्षारक है क्योंकि इसमें एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित है।

प्रश्न 7.35.
निम्नलिखित प्रत्येक समुच्चय को सामने लिखे गुणों के अनुसार सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(क) F2, Cl2, Br2, I2 – आबंध वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते क्रम में
(ख) HF, HCI, HBr, HI -अम्ल सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में
(ग) NH3, PH3, AsH3, SbH3, BiH3 – क्षारक सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में ।
उत्तर:
(क) I—I < F−F < Br-Br < Cl-Cl
(ख) HF < HCl < HBr < HI
(ग) BiH3 ≤ SbH3 < AsH3 < PH3 < NH3

प्रश्न 7.36.
निम्नलिखित में से कौनसा एक अस्तित्व में नहीं है?
(a) XeOF4
(b) NeF2
(c) XeF2
(d) XeF6
उत्तर:
(b) NeF2

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.37.
उस उत्कृष्ट गैस स्पीशीज का सूत्र देकर संरचना की व्याख्या कीजिए जो कि इनके साथ समसंरचनीय है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 16
उत्तर:
(a) \(\mathrm{ICl}_4^{-}\) का समसंरचनीय XeF4 है।

XeF4 की संरचना वर्ग समतलीय होती है क्योंकि इसमें Xe पर 4 बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म तथा 2 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हैं एवं Xe पर sp3d2 संकरण है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 17
(b) \(\mathrm{IBr}_2^{-}\) का समसंरचनीय XeF2 होता है इसकी संरचना रेखीय है तथा Xe पर sp d संकरण है ( 31.p + 2 b. p ) |
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 18
(c) \(\mathrm{BrO}_3\) का समसंरचनीय XeO3 है। इसकी संरचना पिरॅमिडी है तथा Xe पर sp3 संकरण है (3 b.p +1 1.p)।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 19

प्रश्न 7.38.
उत्कृष्ट ‘गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े क्यों होते हैं?
उत्तर:
उत्कृष्ट गैसों की परमाणु त्रिज्या (आकार) वान्डरवाल त्रिज्या के रूप में ली जाती है जबकि अन्य तत्वों के लिए सहसंयोजी त्रिज्या ली जाती है। उत्कृष्ट गैसों के लिए सहसंयोजी त्रिज्या ज्ञात नहीं की जा सकती क्योंकि ये अणु नहीं बनातीं । चूँकि वान्डरवाल त्रिज्या का मान सहसंयोजी त्रिज्या से अधिक होता है अतः उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं।

प्रश्न 7.39,
निऑन तथा ऑर्गन गैसों के उपयोग सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
निऑन तथा ऑर्गन गैसों के उपयोग निम्नलिखित
(a) (i) निऑन का उपयोग विसर्जन ट्यूब (Discharge tube) तथा प्रदीप्त बल्बों (Fluorescent bulbs ) में विज्ञापन प्रदर्शन हेतु किया जाता है।
(ii) निऑन बल्बों का उपयोग वनस्पति उद्यान तथा ग्रीनहाउस में किया जाता है।

(b) (i) ऑर्गन का उपयोग उच्चताप धातु कर्मीय प्रक्रमों में अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने के लिए किया जाता है (धातुओं तथा उपधातुओं के आर्क वेल्डिंग में)
(ii) इसका उपयोग विद्युत बल्ब को भरने में किया जाता है।
(iii) प्रयोगशाला में इसका उपयोग वायु सुग्राही (Sensitive) पदार्थों के प्रबन्धन (Handling) में भी किया जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry p-ब्लॉक के तत्व Intext Questions

प्रश्न 7.1.
P, As, Sb तथा Bi के द्राइहैलाइडों से पेन्टाहैलाइड अधिक सहसंयोजी क्यों होते हैं?
उत्तर:
किसी यौगिक में केन्द्रीय परमाणु की जितनी उच्च धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था होती है उतनी ही अधिक उसकी ध्रुवण क्षमता होती है जिसके कारण केन्द्रीय परमाणु और दूसरे परमाणु के बीच बने आबंध में सहसंयोजक लक्षण बढ़ते जाते हैं। चूंकि P, As, Sb तथा Bi के पेन्टाहैलाइडों में केन्द्रीय परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था (+5), इनके ट्राइहलाइडों में केन्द्रीय परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था (+3) से अधिक है अतः P, As, Sb तथा Bi के ट्राइहैलाइडों से पेन्यहैलाइड अधिक सहसंयोजी होते हैं।

प्रश्न 7.2.
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 सबसे प्रबल अपचायक क्यों है?
उत्तर:
वर्ग 15 में NH3 से BiH3 तक हाइड्राइडों का स्थायित्व घटता है क्योंक केन्द्रीय परमाणु का आकार बढ़ने से बन्ध ऊर्जा कम होती है, जिससे इनकी हाइड्रोजन देने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है अतः अपचायक गुण बढ़ता है, इसी कारण BiH3 सबसे प्रबल अपचायक है तथा यह सबसे कम स्थायी होता है।

प्रश्न 7.3.
N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है?
उत्तर:
नाइट्रोजन परमाणु के छोटे आकार के कारण N2 में दो नाइट्रोजन परमाणुओं के मध्य त्रिआबन्ध (N ≡ N) होता है जिसमें प्रबल pπ – pπ अतिव्यापन होता है अतः इसकी बन्ध एन्थल्पो अधिक हाता है, इसलिए बन्ध का टूटना मुश्किल होता है। इसी कारण यह कमरे के ताप पर कम क्रियाशील है।

प्रश्न 7.4.
अमोनिया की लब्धि को बढ़ाने के लिए आवश्यक स्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन हाबर विधि द्वारा किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 22
ले-शातैलिए के सिद्धान्त के अनुसार उच्च दाब अमोनिया बनाने के लिए अनुकूल होता है। अतः अमोनिया के उत्पादन के लिए अनुकूलतम परिस्थितियाँ 200 × 105 Pa (लगभग 200 वायुमंडलीय दाब, ~700K ताप तथा थोड़ी मात्रा में K2O एवं Al2O3 युक्त आयरन ऑक्साइड जैसे उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है, ताकि साम्य अवस्था प्राप्त करने की दर बढ़ाई जा सके।

प्रश्न 7.5.
Cu2+ विलयन के साथ अमोनिया कैसे क्रिया करती है?
उत्तर-:
Cu2+ विलयन के साथ अमोनिया (NH3) की क्रिया उपसहसंयोजक बन्ध बनकर संकुल आयन [Cu(NH3)4]2+ बनता है जिसमें NH3 के नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म धातु आयनों के साथ बन्ध बनाता है क्योंकि NH3 लुइस क्षारक है अतः यह इलेक्ट्रॉन युग्मदाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 23

प्रश्न 7.6.
N2O5 में नाइट्रोजन की सहसंयोजकता क्या है?
उत्तर:
N2O5 में नाइट्रोजन की सहसंयोजकता 4 होती है जिसकी पुष्टि निम्नलिखित संरचना से होती है। इसमें नाइट्रोजन परमाणु चार बन्ध बना रहा है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 24

प्रश्न 7.7.
(a) PH3 से \(\stackrel{+}{\mathrm{P}} \mathrm{H}_4\) का आबंध कोण अधिक है। क्यों?
(b) जब PH3 अम्ल से अभिक्रिया करता है तो क्या बनता है?
उत्तर:
(a) PH3 तथा \(\stackrel{+}{\mathrm{P}} \mathrm{H}_4\) दोनों में ही फॉस्फोरस sp3 संकरित हैं। \(\mathrm{PH}_4^{+}\) में बन्ध कोण 109°28′ तथा इसमें चारों ही बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं जबकि PH3 में P पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है जो कि एकाकी युग्म-आबंध युग्म प्रतिकर्षण के लिए उत्तरदायी है जिससे PH3 में आबंध कोण 109°28′ से कम हो जाता है। अतः PH3 से PH4 का आबंध कोण अधिक है।

(b) जब PH3 अम्ल से अभिक्रिया करता है तो फॉस्फोनियम यौगिक बनते हैं जैसे PH3 + HBr → PH4Br फॉस्फोनियम ब्रोमाइड।

प्रश्न 7.8.
क्या होता है जब श्वेत फॉस्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सांद्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करते हैं?
उत्तर:
श्वेत फास्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सांद्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करने पर PH3 (फॉस्फीन) तथा सोडियम हाइपो फॉस्फाइट (NaH2PO2) बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 25

प्रश्न 7.9.
क्या होता है जब PCl5 को गर्म करते हैं?
उत्तर:
PCl5 में तीन निरक्षीय या विषुवतरेखीय (equatorial bonds) बन्ध हैं तथा दो अक्षीय बन्ध (axial bonds) हैं जो निरक्षीय बन्धों से बड़े हैं अतः ये निरक्षीय बन्धों से दुर्बल होते हैं, इसी कारण PCl5 को गर्म करने पर यह PCl3 तथा Cl2 में वियोजित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 26

प्रश्न 7.10.
PCl5 की जल से अभिक्रिया का संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
PCl5 जल से अभिक्रिया करके (जल-अपघटन) फॉस्फोरस ऑक्सीक्लोराइड (POCl3) देता है जो कि अन्त में फास्फोरिक अम्ल (H3PO4) में परिवर्तित हो जाता है तथा इसके साथ ही HCl भी बनता है।

PCl5 + H2O → POCl3 + 2HCl
POCl3 + 3H2O → H3PO4 + 3HCl

प्रश्न 7.11.
H3PO4 की क्षारकता क्या है?
उत्तर:
H3PO4 में तीन P-OH बन्ध उपस्थित हैं अतः इसकी क्षारकता 3 होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 27

प्रश्न 7.12.
क्या होता है जब H3PO3 को गरम करते हैं?
उत्तर:
ऑर्थोफॉस्फोरस अम्ल (फॉस्फोरस अम्ल ) (H3PO3) को गर्म करने पर असमानुपातन होकर ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल (फॉस्फोरिक अम्ल ) (H3PO4) तथा फॉस्फीन देता है। इसमें फॉस्फोरस +3 से +5 तथा -3 ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तित होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 28

प्रश्न 7.13.
सल्फर के महत्वपूर्ण स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
सल्फर के महत्त्वपूर्ण स्रोत निम्नलिखित हैं-

  • भूपर्पटी में सल्फर की मात्रा केवल 0.03 से 0.1% ही होती है।
  • संयुक्त अवस्था में सल्फर मुख्यतया सल्फेटों के रूप में, जैसे-जिप्सम (CaSO4.2H2O), एपसम लवण (MgSO4.7H2O), बेराइट (BaSO4) तथा सल्फाइडों के रूप में, जैसे-गेलेना (PbS), यशद ब्लैंड (जिंक ब्लैंड) (ZnS), कॉपर पाइरॉइट (CuFeS2) में पाई जाती है।
  • सल्फर की सूक्ष्म मात्रा ज्वालामुखी में हाइड्रोजन सल्फाइड के रूप में भी पाई जाती है।
  • कार्बनिक पदार्थों; जैसे-अंडे, प्रोटीन, लहसुन, प्याज, सरसों, बाल तथा ऊन में भी सल्फर होती है।

प्रश्न 7.14.
वर्ग 16 के तत्वों के हाइड्राइडों के तापीय स्थायित्व के क्रम को लिखिए।
उत्तर:
वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ने के कारण बन्ध वियोजन एन्थैल्पी कम होती जाती है अतः हाइड्राइडों का तापीय स्थायित्व कम होगा।
H2O > H2S > H2Se > H2Te > H2Po
हाइड्राइडों का तापीय स्थायित्व

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.15.
H2O एक द्रव तथा H2S गैस क्यों है?
उत्तर:
ऑक्सीजन के छोटे आकार और उच्च विद्युत्त्त्टणात्मकता (3.0) के कारण O-H बन्ध अधिक ध्रुवीय होने से जल के अणु अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबंध के द्वारा अधिक संगुणित होकर पास-पास आ जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप यह द्रव अवस्था में रहता है, जबकि H2S के अणु दुर्बल वान्डरवाल बल द्वारा आकर्षित होते हैं अतः अणु दूरदूर होने के कारण यह गैस होती है।

प्रश्न 7.16.
निम्नलिखित में से कौनसा तत्व ऑक्सीजन के साथ सीधे अभिक्रिया नहीं करता?
Zn, Ti, Pt, Fe
उत्तर:
इन तत्वों में से Pt, ऑक्सीजन के साथ सीधे अभिक्रिया नहीं करता क्योंकि इसकी क्रियाशीलता बहुत कम होती है अतः यह उत्कृष्ट धातु (Noble metal) है।

प्रश्न 7.17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
(i) C2H4 + O2
(ii) 4Al + 3O2
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 29

प्रश्न 7.18.
O3, एक प्रबल ऑक्सीकारक की तरह क्यों क्रिया करती है?
उत्तर:
O3 (ओजोन ) आसानी से वियोजित होकर नवजात ऑक्सीजन [O] देती है अतः यह प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करती है।
O3 → O2 + O ( नवजात ऑक्सीजन )

प्रश्न 7.19.
O3 का मात्रात्मक आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
जब ओजोन, बोरेट बफर (उभय प्रतिरोधी) (pH 9.2) युक्त उभय प्रतिरोधित पोटैशियम आयोडाइड (KI) विलयन के आधिक्य से अभिक्रिया करती है तो आयोडीन (I2) मुक्त होती है जिसका मानक सोडियम थायोसल्फेट (Na2S2O3) विलयन के साथ अनुमापन करके O3 गैस का मात्रात्मक आकलन किया जाता है।

प्रश्न 7.20.
तब क्या होता है जब सल्फर डाइऑक्साइड को Fe(III) लवण के जलीय विलयन में से प्रवाहित करते हैं?
उत्तर:
जब सल्फर डाइऑक्साइ्ड को Fe(III) लवण के जलीय विलयन में प्रवाहित करते हैं तो SO2 इसे Fe(II) में अपचयित कर देती है क्योंकि नम सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) अपचायक की तरह व्यवहार करती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 30

प्रश्न 7.21.
दो S-O आबंधों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं। क्या SO2 अणु के ये दोनों S-O आबंध समतुल्य (समान) हैं?
उत्तर:
SO2 अणु कोणीय होता है तथा यह दो अनुनादी संरचनाओं (विहित रूपों) का अनुनाद संकर है अतः ये दोनों S-O बन्ध समान हैं तथा सहसंयोजी हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 31

प्रश्न 7.22.
SO2 की उपस्थिति का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
SO2 तीखी गंधयुक्त रंगहीन गैस है। SO2 गैस की उपस्थिति का पता निम्नलिखित परीक्षण से लगाया जाता है। यह अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट (VII) (KMnO4) के गुलाबी विलयन को रंगहीन कर देती है क्योंकि इससे KMnO4 का अपचयन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 32

प्रश्न 7.23.
उन तीन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनमें H2SO4 महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्तर:
H2SO4 निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-

  • पेट्रोलियम के शोधन में,
  • अपमार्जक उद्योग में तथा
  • उर्वरकों (अमोनियम सल्फेट, सुपर फास्फेट) के उत्पादन में।

प्रश्न 7.24.
संस्पर्श प्रक्रम (सम्पर्क विधि) द्वारा H2SO4 की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को लिखिए।
उत्तर:
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 के निर्माण की मुख्य अभिक्रिया SO2 गैस का V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में O2 द्वारा ऑक्सीकरण है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 33
यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय है एवं इसमें आयतन में कमी होती है। अतः कम ताप और उच्च दाब SO3 की उच्च लब्धि (yield) के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं। परन्तु ताप बहुत कम नहीं होना चाहिए अन्यथा अभिक्रिया की गति धीमी हो जाएगी। अतः सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन में प्रयुक्त संयंत्र का दाबं 2 तथा ताप 720K रखा जाता है।

प्रश्न 7.25.
जल में H2SO4 के लिए \(K_{a_2} \ll K_{a_1}\) क्यों है?
उत्तर:
जलीय विलयन में H2SO4 का आयनन दो पदों में होता है-
(i) \(\mathrm{H}_2 \mathrm{SO}_4(\mathrm{aq})+\mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l) \rightarrow \mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}(\mathrm{aq})+\mathrm{HSO}_4^{-}(\mathrm{aq}) \text {; }\)

K1 = बहुत अधिक (\(K_{a_1}\) > 10)

(ii) \(\mathrm{HSO}_4^{-}(\mathrm{aq})+\mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l) \rightarrow \mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}(\mathrm{aq})+\mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq})\)

K2 = 1.2 × 10-2

\(K_{a_1}\) का अधिक मान यह दर्शाता है कि H2SO4 अधिकतर H+ तथा \(\mathrm{HSO}_4^{-}\) में वियोजित हो जाता है।

\(\mathrm{K}_{\mathrm{a}_2}\) का मान \(\mathrm{K}_{\mathrm{a}_1}\) से बहुत कम होता है क्योंकि H2SO4 (उदासीन अणु) का प्रथम वियोजन आसानी से होता है जबकि \(\mathrm{HSO}_4^{-}\) का वियोजन (द्वितीय वियोजन) बहुत कम होता है क्योंक ऋणात्मक आयन में से प्रोटोन का निकलना मुश्किल होता है।

प्रश्न 7.26.
आबंध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी जैसे प्राचलों (Parameters) को महत्व देते हुए F2 तथा Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता की तुलना कीजिए।
उत्तर:
वर्ग में नीचे जाने पर हैलोजनों के जलीय विलयन में उनकी ऑक्सीकारक क्षमता कम होती है जिसकी पुष्टि मानक इलेक्ट्रॉड विभव मानों से होती है जो कि आबंध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी पर निर्भर करते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 Img 34
F2 के लिए बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का मान Cl2 की तुलना में कम है तथा F के छोटे आकार के कारण इसकी जलयोजन एन्थैल्पी भी Cl से बहुत अधिक है अतः F का मानक इलेक्ट्रोड विभव (अपचयन विभव) Cl के मानक इलेक्ट्रोड विभव से अधिक है। इसी कारण F2 का ऑक्सीकारक गुण Cl2 से अधिक है।

प्रश्न 7.27.
दो उदाहरणों द्वारा फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार को दर्शाइए।
उत्तर:
फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार का कारण उसका छोटे आकार, उच्च विद्युतत्रणता, निम्न F-F बन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा संयोजकता कोश में d कक्षकों की अनुपस्थिति है।
फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • फ्लुओरीन केवल एक ऑक्सो अम्ल बनाती है जबकि दूसर हैलोजन कई ऑक्सो अम्ल बनाते हैं।
  • F2 की आबंध वियोजन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान अपेक्षित मानों से बहुत कम होते हैं।

प्रश्न 7.28.
समुद्र कुछ हैलोजन का मुख्य स्तोत है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
समुद्र कुछ हैलोजनों का मुख्य स्रोत है क्योंकि समुद्री पानी में सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम तथा कैल्शियम के क्लोराइड, ब्रोमाइड तथा आयोडाइड होते हैं लेकिन मुख्यतः यह सोडियम क्लोराइड का विलयन (द्रव्यमान 2.5%) है। शुष्क हुए समुद्री निक्षेपों में सोडियम क्लोराइड तथा कारनेलाइट (KCl.MgCl2.6H2O) जैसे यौगिक उपस्थित होते हैं। कुछ समुद्री जीवों के तंत्र में आयोडीन होती है; बहुत से समुद्री पादपों में 0.5% आयोडीन तथा चिली साल्टपीटर में 0.2% तक सोडियम आयोडेट पाया जाता है।

प्रश्न 7.29.
Cl2 की विरंजक क्रिया का कारण बताइए।
उत्तर:
Cl2 एक प्रबल विरंजक है। विरंजन क्रिया नमी की उपस्थिति में ऑक्सीकरण के कारण होती है। नमी की उपस्थिति में Cl2 नवजात ऑक्सीजन [O] देती है जो रंगीन पदार्थ का ऑक्सीकरण करके उसे रंगहीन कर देती है। यह विरंजन स्थायी होता है।
Cl2 + H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 7.30.
उन दो विषैली गैसों के नाम बताइए जो क्लोरीन गैस से बनाई जाती हैं।
उत्तर:
क्लोरीन गैस से बनाई जाने वाली विषैली गैसें फास्जीन (COCl2), अश्रु गैस (CCl3NO2) तथा मस्टर्ड गैस (Cl-CH2-CH2-S-CH2-CH2-Cl) हैं।

प्रश्न 7.31.
I2 से ICI अधिक क्रियाशील क्यों है?
उत्तर:
सामान्यतः अंतराहैलोजन यौगिक हैलोजन की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं क्योंकि X-X आबंध की अपेक्षा X-X’ आबंध दुर्बल होता है। l-Cl बन्ध ध्रुवीय तथा l-l बन्ध अध्रुवीय है। अतः lCl, l2 से अधिक क्रियाशील है।

प्रश्न 7.32.
हीलियम को गोताखोरी के उपकरणों में उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
आधुनिक गोताखोरी के उपकरणों में हीलियम, ऑक्सीजन के तनुकारी (Diluent) के रूप में प्रयुक्त की जाती है क्योंक रक्त में इसकी विलेयता बहुत कम होती है।

प्रश्न 7.33.
निम्नलिखित समीकरण को संतुलित कीजिए –
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4HF
जीनॉन डाइऑक्सीडाइफ्लुओराइड

प्रश्न 7.34.
रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन क्यों था?
उत्तर:
रेडॉन (Rn) रेडियोसक्रिय तत्व है तथा इसकी अर्धायु बहुत कम (3.82 दिन) होती है अतः इसका विघटन हो जाता है। इसलिए रेडॉन के रसायन का अध्ययन कठिन हो जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.1.
निम्नलिखित के इलेक्ट्रानिक विन्यास लिखिए –
(i) Cr3+
(ii) Pm3+
(iii) Cu+
(iv) Ce4+
(v) Co2+
(vi) Lu2+
(vii) Mn2+
(viii) Th4+
उत्तर:
इन आयनों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं-
परमाणु क्रमाक Cr= 24, Pm = = 61, Cu 29, Ce = 58, Co 27, Lu = 71, Mn = 25, Th = 90
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 1

प्रश्न 8.2.
+3 ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्सीकृत होने के संदर्भ में Mn2+ के यौगिक Fe2+ के यौगिकों की तुलना में अधिक स्थायी क्यों हैं ?
उत्तर:
Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d5 होता है जो कि अर्धपूरित उपकोश के कारण अधिक स्थायी होता है अतः Mn+2 आसानी से इलेक्ट्रॉन नहीं देता, अर्थात् इसकी ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति कम होती है। लेकिन Fe+2 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d6 होता है अतः यह एक इलेक्ट्रॉन देकर 3d5 स्थायी विन्यास बनाता है इसलिए यह आसानी से ऑक्सीकृत हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 2

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.3.
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी होती जाती है ?
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी की (Sc के अलावा) सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +2 है जो कि 4s में से दो इलेक्ट्रॉन निकलने के कारण बनती है। प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्धभाग में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती जाती है क्योंकि 3d कक्षकों में प्रत्येक में एक इलेक्ट्रॉन होता है अतः प्रत्येक कक्षक अर्धपूरित है जिनमें अन्तर इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकर्षण न्यूनतम होता है तथा नाभिकीय आवेश बढ़ता है। लेकिन श्रेणी के द्वितीय अर्धभाग में 3d कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन प्रारम्भ हो जाता है।

प्रश्न 8.4.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस सीमा तक ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निर्धारित करते हैं ? उत्तर को उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व काफी सीमा तक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करता है। वे ऑक्सीकरण अवस्थाएँ जिनमें उत्कृष्ट गैस विन्यास होता है या अर्धपूरित (d5) तथा पूर्ण पूरित स्थायी विन्यास (d10) होता है वे अपेक्षाकृत अधिक स्थायी होती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 3

प्रश्न 8.5.
संक्रमण तत्वों की मूल अवस्था में नीचे दिए गए d इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था स्थायी होगी ?
3d3, 3d5, 3d8 तथा 3d4
उत्तर:
संक्रमण तत्वों की मूल अवस्था में इन d इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों के लिए स्थायी ऑक्सीकरण अवस्थाएँ निम्न प्रकार होंगी-
3d3 (वैनेडियम) (+ 2), + 3, + 4, + 5, ( + 5 सर्वाधिक स्थायी )
3d5 (क्रोमियम) + 3, 4, + 6, (+3 सर्वाधिक स्थायी )
3d5 (मैंगनीज़) +2, +4, +6, +7, ( + 2 सर्वाधिक स्थायी )
3d8 ( कोबाल्ट ) + 2 + 3 (संकुलों में )
3d4 मूल अवस्था में कोई d4 विन्यास नहीं होता।

प्रश्न 8.6.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के ऑक्सो-धातुऋणायनों का नाम लिखिए; जिसमें धातु संक्रमण श्रेणी की वर्ग संख्या के बराबर ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के ऑक्सो धातुऋणायन निम्नलिखित हैं जिनमें धातु संक्रमण श्रेणी की वर्ग संख्या के बराबर ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 4

प्रश्न 8.7.
लैन्थेनॉयड आकुंचन ( संकुचन ) क्या है ? लैन्थेनॉयड आकुंचन के परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
लैन्थेनॉयड संकुचन – लैन्थेनॉयडों में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर La से Lu (लैन्थेनम से ल्यूटीशियम) तक परमाणु तथा आयनिक त्रिज्याओं में समग्र (over all) कमी होती है, इसे लैन्थेनॉयड संकुचन कहते हैं। परमाणु त्रिज्याओं के मानों में यह कमी नियमित नहीं होती है जैसा कि M+3 आयनों में नियमित रूप से कमी होती है। यह संकुचन भी सामान्य संक्रमण श्रेणियों के समान ही है तथा इसका कारण भी समान है अर्थात् एक ही उपकोश में एक इलेक्ट्रॉन का दूसरे इलेक्ट्रॉन द्वारा परिरक्षण प्रभाव अपूर्ण. होता है।

फिर भी श्रेणी में नाभिकीय आवेश बढ़ने पर एक d- इलेक्ट्रॉन पर दूसरे d- इलेक्ट्रॉन के परिरक्षण प्रभाव की तुलना में, एक 4f इलेक्ट्रॉन का दूसरे 41 इलेक्ट्रॉन पर परिरक्षण प्रभाव कम होता है तथा 1-कक्षकों की आकृति भी इसके लिए अनुकूल नहीं है। अतः श्रेणी में बढ़ते हुए नाभिकीय आवेश के कारण परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ परमाणु आकार में एक नियमित कमी पायी जाती है, लेकिन Eu की परमाणु त्रिज्या अधिक होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 25
लैन्थेनॉयड संकुचन के प्रभाव-

(i) द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के परमाणु आकार में समानता ( Similarities in the Atomic Size of Second and Third Transition Series Elements) – लैन्धेनॉयड संकुचन का तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसके कारण तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के परमाणु आकार दूसरी संक्रमण श्रेणी के संगत तत्वों के परमाणु आकार के लगभग समान होते हैं। Zr (160 pm) तथा Hf ( 159 pm ) के परमाणु आकार का लगभग समान मान लैन्धेनॉयड संकुचन का ही परिणाम है, लेकिन वर्ग 3 में ऐसा नहीं होता।

(ii) लैन्थेनॉयडों का पृथक्करण (Separation of Lanthanoids) – लैन्थेनॉयडों की आयनिक त्रिज्या में अन्तर बहुत कम होता है इसलिए इनके रासायनिक गुणों में काफी समानता होती है, अतः इन तत्वों का पृथक्करण मुश्किल से होता है। लेकिन इनके आकार में कुछ अन्तर होता है जिसके कारण इनकी विलेयता तथा संकुल बनाने की प्रवृत्ति में भिन्नता आ जाती है अतः इनका पृथक्करण आयन विनिमय विधि द्वारा सम्भव हो पाता है।

(iii) हाइड्रॉक्साइडों की क्षरीय प्रबलता (Basic Strength of Hydroxides) – 12 से 1.1 तक इनके हाइड्रॉक्साइडों की क्षारीय प्रबलता कम होती है क्योंकि इनकी आयनिक त्रिज्याओं में कमी होती है। इसलिए La(OH)2 का क्षारीय गुण अधिकतम तथा Lu (OH)2 का क्षारीय गुण न्यूनतम होता है।

प्रश्न 8.8.
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण क्या हैं? ये संक्रमण धातु क्यों कहलाती हैं ? d-ब्लॉक के तत्वों में कौनसे तत्व संक्रमण श्रेणी के तत्व नहीं कहे जा सकते ?
उत्तर:
संक्रमण धातुओं के सामान्य अभिलक्षण निम्नलिखित हैं-
संक्रमण तत्व प्रारूपिक धात्विक गुण, जैसे- उच्च तनन सामर्थ्य, तन्यता, आघातवर्धनीयता, उच्च तापीय तथा विद्युत् चालकता व धात्विक चमक दर्शाते हैं। Zn, Cd, Hg तथा Mn जैसे अपवादों को छोड़कर सामान्य ताप पर इनकी एक या अधिक प्रारूपिक धात्विक संरचनाएँ होती हैं।

संक्रमण तत्व वे d-ब्लॉक के तत्व होते हैं जिनकी परमाणु या किसी ऑक्सीकरण अवस्था में अपूर्ण d कक्षक होते हैं। वर्ग 12 के तत्व जिंक, कैडमियम तथा मर्क्युरी (Zn, Cd तथा Hg ) में उनकी मूल अवस्था तथा सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में पूर्ण पूरित (d10) विन्यास है अतः इन्हें संक्रमण तत्व नहीं माना जाता।

प्रश्न 8.9.
संक्रमण धातुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस प्रकार असंक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से भिन्न हैं?
उत्तर:
संक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में उपान्त्य कोश में आंशिक भरे d उपकोश होते हैं जबकि असंक्रमण तत्वों में आंशिक भरे d उपकोश नहीं होते, लेकिन इनके आन्तरिक विन्यास में पूर्ण भरे d उपकोश होते हैं। संक्रमण तत्वों में अन्तिम इलेक्ट्रॉन उपान्त्य कोश के d उपकोश में भरा जाता है जबकि असंक्रमण तत्वों में अन्तिम इलेक्ट्रॉन s या p उपकोश में भरा जाता है।

प्रश्न 8.10.
लैन्थेनॉयडों द्वारा कौन-कौनसी ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित की जाती हैं ?
उत्तर:
लैन्थेनॉयडों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +3 है लेकिन कुछ लैन्थेनॉयड +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी प्रदर्शित करते हैं। जैसे – Eu2+ तथा Ce+4

प्रश्न 8.11.
कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए-
(i) संक्रमण धातुएँ तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुंबकीय हैं।
(ii) संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी (Enthalpy of atomisation) के मान उच्च होते हैं।
(iii) संक्रमण धातुएँ सामान्यतः रंगीन यौगिक बनाती हैं।
(iv) संक्रमण धातुएँ तथा इनके अनेक यौगिक उत्तम उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
उत्तर:
(i) संक्रमण धातुएँ तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुंबकीय होते हैं, क्योंकि इनमें धातु के पास अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं तथा वे तत्व या यौगिक अनुचुम्बकीय होते हैं जिनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। जैसे Sc = [Ar] 3d1 4s2, इसके पास एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है अतः यह अनुचुम्बकीय है, इसी प्रकार FeSO4 में Fe+2 के पास चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने के कारण यह भी अनुचुम्बकीय है।

(ii) इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक का उदाहरण 8.2 देखें ।

(iii) संक्रमण धातुओं के यौगिक सामान्यतः रंगीन होते हैं क्योंकि इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं जिससे दृश्य प्रकाश द्वारा d-d संक्रमण (t2g से eg) आसानी से हो जाता है। लिगन्ड (जल इत्यादि) की उपस्थिति में d कक्षक दो भागों में विभाजित हो जाते हैं. – t2g तथा eg | इसी कारण इनका रंग जलीय विलयन या जलयोजित अवस्था में ही प्रेक्षित होता है।

(iv) संक्रमण धातुएँ तथा इनके अनेक यौगिक अच्छे उत्प्रेरक होते हैं क्योंकि इनमें परिवर्तनशील संयोजकता ( ऑक्सीकरण अंक) तथा संकुल यौगिक बनाने का गुण पाया जाता है जिसमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त होते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.12.
अंतराकाशी यौगिक क्या हैं? इस प्रकार के यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात क्यों हैं ?
उत्तर:
संक्रमण धातुओं के क्रिस्टल जालक में परमाणुओं के मध्य बचे रिक्त स्थान (अन्तराकाश) में छोटे आकार वाले परमाणु जैसे H, N, B या C व्यवस्थित हो जाते हैं तो बने यौगिकों को अन्तराकाशी यौगिक कहते हैं। उदाहरण-TiC, Mn4N, Fe3H, VH0.56 तथा TiH1.7 इत्यादि। इन यौगिकों में धातुओं की कोई सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था नहीं होती । संक्रमण तत्वों में रिक्त d कक्षक होते हैं अतः ये अंतराकाशी यौगिक आसानी से बनाते हैं।

प्रश्न 8.13.
संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता असंक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता से किस प्रकार भिन्न है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरसंक्रमण तत्वों में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में एक का अंतर होता है। जैसे- मैंगनीज, +2, +3, 4, +5, +6, +7 अवस्था दर्शाता है जबकि असंक्रमण तत्वों जैसे p-ब्लॉक के तत्वों में सदैव दो का अंतर होता है, जैसे +2, +4 या +3, +5 या +4, +6 आदि ।

प्रश्न 8.14.
आयरनक्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि का वर्णन कीजिए । पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन पर pH बढ़ाने से क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
आयरन क्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाना – आयरन क्रोमाइट [ क्रोमाइट अयस्क (FeCr2O4)] को जब वायु की उपस्थिति में सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित किया जाता है तो सोडियम क्रोमेट प्राप्त होता है। क्रोमाइट की सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है-
4FeCr2O4 + 8Na2CO3 + 7O2 → 8Na2CrO4 + 2Fe2O3 + 8CO2
सोडियम क्रोमेट के विलयन को छानकर इसे सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीय बना लेते हैं जिसमें से नारंगी सोडियम डाइक्रोमेट, (Na2Cr2O72H2O) को क्रिस्टलित कर लिया जाता है।
2Na2CrO2 + 2H+ → Na2Cr2O7 + 2Na+ + H2O

सोडियम डाइक्रोमेट की विलेयता, पोटैशियम डाइक्रोमेट से अधिक होती है। अतः सोडियम डाइक्रोमेट के विलयन में पोटैशियम क्लोराइड डालने पर पोटैशियम डाइक्रोमेट प्राप्त होता है।
Na2Cr2O7 + 2KCl → K2Cr2O7 + 2NaCl

विलयन से नारंगी रंग के क्रिस्टल, क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं। पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन का pH बढ़ाने पर अर्थात् क्षारीय माध्यम करने पर यह क्रोमेट में बदल जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 5

प्रश्न 8.15.
पोटैशियम डाइक्रोमेट की ऑक्सीकरण क्रिया का उल्लेख कीजिए तथा निम्नलिखित के साथ आयनिक समीकरण लिखिए-
(i) आयोडाइड आयन
(ii) आयरन (II) विलयन
(iii) H2S
उत्तर:
पोटैशियम डाइक्रोमेट प्रबल ऑक्सीकारक होता है। अम्लीय माध्यम में डाइक्रोमेट आयन की ऑक्सीकरण क्रिया को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है, इसमें Cr+6, Cr+3 में बदलता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 6

(i) आयोडाइड आयन – K2Cr2O7, आयोडाइड आयन को आयोडीन में ऑक्सीकृत करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 7

(ii) आयरन (II) विलयन – K2Cr2O7, Fe2+ को Fe+3 में ऑक्सीकृत कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 8

(iii) H2S – डाइक्रोमेट, H2S को सल्फर में ऑक्सीकृत करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 9

प्रश्न 8.16.
पोटैशियम परमैंगनेट को बनाने की विधि का वर्णन कीजिए । अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट किस प्रकार – (i) आयरन (II) आयन (ii) SO2 तथा (iii) ऑक्सैलिक अम्ल से अभिक्रिया करता है? अभिक्रियाओं के लिए आयनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
पोटैशियम परमैंगनेट बनाने के लिए MnO2 को KOH या KNO3 जैसे ऑक्सीकारक के साथ संगलित किया जाता है, इससे गाढ़े हरे रंग का पोटैशियम मैंगनेट (K2MnO4) बनता है जो उदासीन या अम्लीय माध्यम में असमानुपातित होकर पोटैशियम परमैंगनेट बनाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 10
प्रयोगशाला में Mn (II) आयन के लवणों को परऑक्सोडाइसल्फेट द्वारा ऑक्सीकृत कराने पर भी परमैंगनेट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 11

अम्लीय माध्यम में KMnO, की अभिक्रियाएँ —
(i) आयरन (II) आयन से यह आयरन (II) को आयरन (III) में ऑक्सीकृत कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 12

(ii) SO2 से – यह जलीय SO2 को H2SO4 में ऑक्सीकृत करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 13

(iii) ऑक्सैलिक अम्ल से – KMnO4 , के साथ अभिक्रिया से ऑक्सैलिक अम्ल, CO2 में ऑक्सीकृत हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 14

प्रश्न 8.17.
M2+ / M तथा M3+ / M2+ निकाय के संदर्भ में कुछ धातुओं के E° के मान नीचे दिए गए हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 15
उपर्युक्त आँकड़ों के आधार पर निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-
(i) अम्लीय माध्यम में Cr3+ या Mn3+ की तुलना Fe3+ का स्थायित्व |
(ii) समान प्रक्रिया के लिए क्रोमियम अथवा मैंगनीज धातुओं की तुलना में आयरन के ऑक्सीकरण में सुगमता ।
उत्तर:
(i) जब किसी स्पीशीज का अपचयन विभव (इलेक्ट्रोड विभव) अधिक होता है तो इसके अपचयित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। Mn+3 का अपचयन विभव अधिकतम है इसलिए यह आसानी से Mn2+ में अपचयित हो जाता है अतः Mn+3, Fe+3 से कम स्थायी होता है। लेकिन Cr+3, Fe+3 की तुलना में अधिक स्थायी है क्योंकि Cr+3 का अपचयन विभव, Fe+3 के अपचयन विभव से बहुत कम है।

(ii) जब किसी धातु आयन के इलेक्ट्रोड विभव (अपचयन विभव) का मान कम होता है तो उस धातु परमाणु की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होगी, अतः Mn की Mn+2 में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति सर्वाधिक होगी तथा Fe की Fe+2 मैं ऑक्सीकरण की प्रवृत्ति न्यूनतम होगी। इसलिए इनके ऑक्सीकृत होने का क्रम निम्न प्रकार होगा -Mn > Cr > Fe

प्रश्न 8.18.
निम्नलिखित में कौनसे आयन जलीय विलयन में रंगीन होंगे ?
Ti3+, V3+,Cu+,Sc3+, Mn2+, Fe3+ तथा Co2+ प्रत्येक के लिए कारण बताइए ।
उत्तर:
Sc3+ के अतिरिक्त सभी आयन जलीय विलयन में रंगीन होते हैं क्योंकि इनमें d कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं अतः इनमें d-d संक्रमण आसानी से हो जाता है जो इनके रंग के लिए जिम्मेदार होता है।

प्रश्न 8.19.
प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं की +2 ऑक्सीकरण अवस्थाओं के स्थायित्व की तुलना कीजिए ।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं में बाएँ से दाएँ जाने पर +2 ऑक्सीकरण अवस्थाओं का स्थायित्व बढ़ता है तथा बीच में अधिकतम होने के बाद कम होता जाता है क्योंकि प्रारम्भ में d कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं जिससे अन्तर इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकर्षण न्यूनतम होता है। उसके पश्चात् d कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन प्रारम्भ हो जाता है। Zn+2 अपवाद है क्योंकि इसमें पूर्णपूरित (3d10) स्थायी विन्यास होता है।

प्रश्न 8.20.
निम्नलिखित के संदर्भ में, लैन्थेनॉयड एवं ऐक्टिनॉयड के रसायन की तुलना कीजिए-
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) परमाण्वीय एवं आयनिक आकार
(iii) ऑक्सीकरण अवस्था
(iv) रासायनिक अभिक्रियाशीलता ।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – लैन्थेनॉयडों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में सभी तत्वों में 6s2 होता है तथा 4f में इलेक्ट्रॉन भरता जाता है अर्थात् यह परिवर्तनशील है, लेकिन Ln3+ में 4f1 से 4f14 तक विन्यास पाया जाता है। सभी ऐक्टिनॉयडों में 7s2 विन्यास होता है तथा 5f एवं 6d उपकोशों में परिवर्तनशील विन्यास होता है। 5f उपकोश में 14 इलेक्ट्रॉन भरे जाते हैं। Th तक 5f नहीं होता । Pa से प्रारम्भ होकर Lr तक 5f पूर्णरूप से भर जाता है। लैन्थेनॉयडों के समान ऐक्टिनॉयडों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में अनियमितताएँ, 5f उपकोश में उपस्थित f0, f7 तथा f14 स्थायी विन्यासों के कारण होती हैं।

(ii) परमाण्वीय एवं आयनिक आकार – लैन्थेनॉयडों में La से Lu तक तत्वों की परमाणु एवं आयनिक त्रिज्या में कमी होती है लेकिन परमाणु त्रिज्या में कमी नियमित नहीं होती। ऐक्टिनॉयडों में भी लैन्थेनॉयडों के समान परमाणु या M3+ आयनों के आकार में क्रमिक कमी होती है, इसे ऐक्टिनॉयड संकुचन कहते हैं। लेकिन आकार में यह कमी एक तत्व से दूसरे तत्व में उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है जो कि 51 इलेक्ट्रॉनों के दुर्बल परिरक्षण प्रभाव के कारण है।

(iii) ऑक्सीकरण अवस्था – लैन्थेनॉयडों में मुख्य रूप से +3 ऑक्सीकरण अवस्था पायी जाती है लेकिन कुछ तत्व +2 तथा +4 अवस्था भी दर्शाते हैं।
लैन्थेनॉयडों के समान ऐक्टिनॉयड भी +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं, लेकिन इनमें अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+3 से +7 ) भी पायी जाती हैं।
लैन्थेनॉयड तथा ऐक्टिनॉयड दोनों में ही +4 की अपेक्षा +3 अवस्था में अधिक यौगिक बनते हैं तथा + 3 एवं +4 अवस्था वाले आयनों की जल अपघटित होने की प्रवृत्ति होती है।

(iv) रासायनिक अभिक्रियाशीलता (Chemical reactivity)-लैन्थेनॉयडों तथा ऐक्टिनॉयडों में कुछ समानता लेकिन कुछ भिन्नता भी होती है।

  • लैन्थेनॉयडों में लैन्थेनॉयड संकुचन होता है उसी प्रकार ऐक्टिनॉयडों में ऐक्टिनॉयड संकुचन पाया जाता है।
  • लैन्थेनॉयडों के कुछ आयन रंगहीन होते हैं जबकि ऐक्टिनॉयडों के आयन रंगीन होते हैं।
  • लैन्थेनॉयड आसानी से संकुल नहीं बनाते लेकिन ऐक्टिनॉयडों में संकुल बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
  • लैन्थेनॉयड ऑक्सो धनायन नहीं बनाते जबकि ऐक्टिनॉयड \(\mathrm{UO}_2^{2+}, \mathrm{PuO}_2^{2+}\) तथा UO+ जैसे ऑक्सो धनायन बनाते हैं।
  • लैन्थेनॉयडों में केवल Pm रेडियोधर्मी है जबकि सभी ऐक्टिनॉयड रेडियोधर्मी होते हैं।
  • लैन्थेनॉयडों के चुंबकीय गुणों की व्याख्या आसान है जबकि ऐक्टिनॉयडों के चुंबकीय गुण इनकी तुलना में जटिल होते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.21.
आप निम्नलिखित को किस प्रकार से स्पष्ट करेंगे-
(i) d4 स्पीशीज में से Cr2+ प्रबल अपचायक है जबकि मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) जलीय विलयन में कोबाल्ट (II) स्थायी है परन्तु संकुलनकारी अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह सरलतापूर्वक ऑक्सीकृत हो जाता है।
(iii) आयनों का d1 विन्यास अत्यंत अस्थायी है।
उत्तर:
(i) Cr2+ प्रबल अपचायक है क्योंकि इसमें से एक इलेक्ट्रॉन निकलने पर d4 से d3 में परिवर्तन होता है तथा d3 विन्यास (\(t_{2 g}^3\)) अधिक स्थायी होता है क्योंकि यह अर्धपूरित है। Mn(III) द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Mn (II) में परिवर्तित होने पर 3d4 से 3d5 हो जाता है तथा 3d5 एक अर्धपूरित स्थायी विन्यास है । अतः मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।

(ii) संकुलनकारी अभिकर्मक (लिगण्ड) की उपस्थिति में Co(II) आसानी से ऑक्सीकृत होकर Co(III) बनाता है जिसमें 3d6 विन्यास है। इसका कारण यह है कि संकुल बनने पर प्राप्त क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, (CFSE) Co+3 बनने के लिए आवश्यक तृतीय आयनन ऊर्जा की पूर्ति कर देती है तथा +3 अवस्था में स्थायी अष्टफलकीय संकुल बन जाते हैं जो कि सामान्यतः प्रतिचुम्बकीय होते हैं।

(iii) d1 विन्यास के आयन अत्यंत अस्थायी होते हैं क्योंकि d1 विन्यास से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक आयनीकरण ऊर्जा की पूर्ति जलयोजन ऊर्जा या जालक ऊर्जा द्वारा आसानी से हो जाती है तथा d1 विन्यास से इलेक्ट्रॉन निकलने पर प्राप्त विन्यास (d0) स्थायी होता है। कुछ उदाहरणों में असमानुपातन भी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 16

प्रश्न 8.22.
असमानुपातन से आप क्या समझते हैं ? जलीय विलयन में असमानुपातन अभिक्रियाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
असमानुपातन (Disproportionation) – किसी स्पीशीज में किसी तत्व के लिए जब एक ऑक्सीकरण अवस्था अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं (कम तथा अधिक) से कम स्थायी होती है तो इस स्पीशीज के एक परमाणु का ऑक्सीकरण तथा दूसरे परमाणु का अपचयन हो जाता है। इस क्रिया को असमानुपातन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 17

प्रश्न 8.23.
प्रथम संक्रमण श्रेणी में कौनसी धातु बहुधा (frequently) तथा क्यों +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है?
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी में Cu बहुधा (+1) स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है, क्योंकि इसके फलस्वरूप 3d10 स्थायी विन्यास प्राप्त होता है। Cu+1 = [Ar] 3d10

प्रश्न 8.24.
निम्नलिखित गैसीय आयनों में अ (अयुग्मित) इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए ।
Mn3+, Cr3+, V3+ तथा Ti3+ इनमें से कौनसा जलीय विलयन में अतिस्थायी है ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 18
इन आयनों में से जलीय विलयन में Cr3+ सबसे अधिक स्थायी होता है। क्योंकि इसमें अर्धपूरित विन्यास (\(\mathrm{t}_{2 \mathrm{~g}}^3\)) होता है, जो कि स्थायी होता है।

प्रश्न 8.25.
उदाहरण देते हुए संक्रमण धातुओं के रसायन के निम्नलिखित अभिलक्षणों का कारण बताइए –
(i) संक्रमण धातु का निम्नतम ऑक्साइड क्षारकीय है, जबकि उच्चतम ऑक्साइड उभयधर्मी या अम्लीय है।
(ii) संक्रमण धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में प्रदर्शित होती है।
(iii) धातु के ऑक्सोऋणायनों में उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है।
उत्तर:
(i) संक्रमण धातुओं के ऑक्साइड निम्नतम ऑक्सीकरण अवस्था में क्षारकीय तथा उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था में उभयधर्मी या अम्लीय होते हैं क्योंकि निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में बन्ध बनाने में थोड़े से इलेक्ट्रॉन ही प्रयुक्त होते हैं अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है इस कारण ये आसानी से इलेक्ट्रॉन दे सकते हैं इसलिए ये क्षारीय होते हैं लेकिन उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक होने के कारण इनमें इलेक्ट्रॉन लेने की प्रवृत्ति अधिक होती है अतः ये मुख्यतः अम्लीय तथा कभी-कभी उभयधर्मी होते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 19

(ii) ऑक्सीजन तथा फ्लुओरीन की उच्च विद्युतॠणता तथा छोटे आकार के कारण ये धातुओं को उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था तक ऑक्सीकृत कर देते हैं अतः संक्रमण धातुओं की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में ही प्रदर्शित होती है।

(iii) संक्रमण धातुओं के ऑक्सोऋणायन इनके उच्च ऑक्सीकरण अवस्था युक्त ऑक्साइडों की अम्ल तथा क्षार से क्रिया करवाने पर ही बनते हैं। अतः ऑक्सोऋणायनों में भी धातु की ऑक्सीकरण अवस्था उच्च होगी तथा इन ऑक्सोऋणायनों में धातु के साथ उच्च विद्युतऋणी ऑक्सीजन जुड़ी होती है।

प्रश्न 8.26.
निम्नलिखित को बनाने के लिए विभिन्न पदों का उल्लेख कीजिए-
(i) क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7
(ii) पाइरोलुसाइट से KMnO4
उत्तर:
(i) क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7 बनाना-
क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7 बनाने में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-(a) क्रोमाइट अयस्क को वायु की उपस्थिति में सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित करना-

4FeCr2O4 + 8Na2CO3 + 7O2 → 8Na2 CrO4 + 2Fe2O3 + 8CO2

(b) Na2CrO4 के विलयन को छानकर सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीकृत करना तथा सोडियम डाइक्रोमेट के क्रिस्टल प्राप्त करना-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 20

(ii) पाइरोलुसाइट से KMnO4 बनाना – पाइरोलु साइट (MnO2) से KMnO4 बनाने के लिए पाइरोलुसाइट को KOH के साथ संगलित करके वायु या KNO3 द्वारा ऑक्सीकृत करते हैं, तथा प्राप्त \(\mathrm{MnO}_4^{2-}\) आयन का क्षारीय माध्यम में वैद्युत अपघटनी ऑक्सीकरण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 21

प्रश्न 8.27.
मिश्र धातुएँ क्या हैं? लैन्थेनॉयड धातुओं से युक्त एक प्रमुख मिश्र धातु का उल्लेख कीजिए। इसके उपयोग भी बताइए |
उत्तर:
मिश्र धातु – दो या दो से अधिक धातुओं या धातु तथा अधातु का समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है।
लैन्थेनॉयड धातुओं से युक्त एक प्रमुख मिश्रधातु, मिश धातु है जिसमें ~ 95% एक लैन्थेनॉयड धातु, ~ 5% आयरन तथा थोड़ा-सा S, C, Ca तथा Al होता है। मिश धातु की अत्यधिक मात्रा, मैग्नीशियम आधारित मिश्र धातुओं में प्रयुक्त होती है जिसका उपयोग बंदूक की गोली, कवच या खोल तथा हल्के फ्लिंट के उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 8.28.
आंतरिक संक्रमण तत्व क्या हैं? बताइए कि निम्नलिखित में कौनसे परमाणु क्रमांक आंतरिक संक्रमण तत्वों के हैं–
29, 59, 74, 95, 102, 104
उत्तर:
आन्तरिक संक्रमण तत्व ( Inner Transition Elements) वे तत्व होते हैं जिनमें परमाणु या किसी ऑक्सीकरण अवस्था में बाह्यतम तीन कोश अपूर्ण होते हैं तथा इनके fकक्षक अपूर्ण होते हैं। ये । खण्ड के तत्व होते हैं। इनकी दो श्रृंखलाएं होती हैं- (i) लैन्थेनॉयड (Z= 58 से 71) तथा (ii) ऐक्टिनॉयड (Z = 90 से 103)। उपर्युक्त में से परमाणु क्रमांक 59, 95 तथा 102 आंतरिक संक्रमण तत्वों के हैं।

प्रश्न 8.29.
ऐक्टिनॉयड तत्वों का रसायन उतना नियमित नहीं है जितना कि लैन्थेनॉयड तत्वों का रसायन । इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इस कथन का आधार प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
ऐक्टिनॉयड तत्वों के रसायन में लैन्थेनॉयडों के रसायन की तुलना में कम नियमितता होती है क्योंकि ऐक्टिनॉयड श्रेणी में ऑक्सीकरण अवस्थाओं की परास अधिक है। इसका कारण 5f, 6d तथा 7s स्तरों की लगभग समान ऊर्जा है।
ऐक्टिनॉयड सामान्यतः +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। श्रेणी के प्रारंभिक अर्ध-भाग वाले तत्व सामान्यतः उच्च ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं। जैसे Th में +4, Pa, U तथा Np में क्रमश: +5, +6 तथा +7 ऑक्सीकरण अवस्था होती है परन्तु बाद के तत्वों में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ कम होती जाती हैं अतः प्रारम्भ एवं बाद वाले ऐक्टिनॉयडों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में अधिक अनियमितता होती है।

प्रश्न 8.30.
ऐक्टिनॉयड श्रेणी का अंतिम तत्व कौन-सा है ? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्व की संभावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
ऐक्टिनॉयड श्रेणी का अंतिम तत्व लारेंशियम है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित है-
103Lr = [Rn]5f146d17s2
Lr की संभावित ऑक्सीकरण अवस्था +3 है क्योंकि इसमें पूर्ण पूरित स्थायी विन्यास (4f14) पाया जाता है।
Lr3+ = [Rn]4f14

प्रश्न 8.31.
हुंड – नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र सूत्र’ (spin only formula) के आधार पर इसके चुंबकीय आघूर्ण की गणना कीजिए ।
उत्तर:
Ce का परमाणु क्रमांक 58 है तथा इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ! 54Ce = [Xe]4f1 5d1 6s2 होता है अतः Ce3+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Xe] 4f1 होगा जिसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित है अतः इसका चुम्बकीय आघूर्ण (µ)
µ = \(\sqrt{n(n+2)}\) B.M.
n = अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 1
µ = \(\sqrt{1(1+2)}\) = √3 = 1.732 B.M.
अतः Ce3+ का चुम्बकीय आघूर्ण = 1.732 B.M. होगा।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.32.
लैन्थेनॉयड श्रेणी के उन सभी तत्वों का उल्लेख कीजिए जो +4 तथा जो +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार तथा उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बीच संबंध स्थापित कीजिए |
उत्तर:
लैन्थेनॉयड श्रेणी में +4 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने वाले तत्व निम्नलिखित हैं-
सीरियम (58Ce), प्रैजियोडिमियम (59Pr), नियोडिमियम (60Nd), टर्बियम (65Tb) तथा डिसप्रोसियम (66Dy ) । इसी प्रकार +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने वाले मुख्य लैन्थेनॉयड निम्न हैं- यूरोपियम (63Eu) तथा इटर्बियस (70Yb)।

लैन्थेनॉयडों में +4 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ रिक्त, अर्धपूरित तथा पूर्णपूरितf उपकोशों के अधिक स्थायित्व के कारण होती हैं। जैसे Ce+4 में उत्कृष्ट गैस विन्यास 4f0 है, इसी प्रकार Tb4+ तथा Eu2+ में 4f7 (अर्धपूरित) तथा Yb+2 में 4f14 (पूर्ण पूरित) विन्यास होता है।

प्रश्न 8.33. निम्नलिखित के संदर्भ में ऐक्टिनॉयड श्रेणी के तत्वों तथा लैन्थेनॉयड श्रेणी के तत्वों के रसायन की तुलना कीजिए । (i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (iii) रासायनिक अभिक्रियाशीलता ।
उत्तर:
इसके लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 8.20 का उत्तर देखें।

प्रश्न 8.34.
61, 91, 101 तथा 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 22

प्रश्न 8.35.
प्रथम श्रेणी के संक्रमण तत्वों के अभिलक्षणों की द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के वर्गों के संगत तत्वों से ऊर्ध्वाधर वर्गों में तुलना कीजिए । निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष महत्व दीजिए-
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
(iii) आयनन एन्थैल्पी तथा
(iv) परमाण्वीय आकार ।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – प्रथम संक्रमण श्रेणी में इलेक्ट्रॉन 3d कक्षकों में भरे जाते हैं जबकि द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणी में इलेक्ट्रॉन क्रमशः 4d तथा 5d कक्षकों में भरे जाते हैं तथा सामान्यतः किसी वर्ग के सभी तत्वों का विन्यास समान होता है लेकिन इसके अपवाद भी होते हैं. जो कि संक्रमण तत्वों में भी हैं।

(ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ — संक्रमण तत्वों के किसी वर्ग के सभी तत्वों द्वारा सामान्यतः समान ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाई जाती हैं। ये श्रेणी के मध्य में अधिकतम तथा अन्त में न्यूनतम होती हैं।

(iii) आयनन एन्थैल्पी – प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की तुलना में द्वितीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है लेकिन तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान द्वितीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों से अधिक होता है।

(iv) परमाण्वीय आकार — द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के परमाणु आकार प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों से अधिक होते हैं। लेकिन लैन्थेनॉयड संकुचन के कारण द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के आकार लगभग समान होते हैं।

प्रश्न 8.36.
निम्नलिखित आयनों में प्रत्येक के लिए 3d इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए-
Ti2+, V2+, Cr3+, Mn2+, Fe2+, Fe3+, Co2+, Ni2+, Cu2+
आप इन जलयोजित आयनों (अष्टफलकीय) में पाँच 3d कक्षकों को किस प्रकार अधिग्रहीत ( occupied ) करेंगे? दर्शाइए |
उत्तर:
जलयोजित आयनों में जल (H2O) लिगेण्ड का कार्य करता है जिसके कारण समान ऊर्जा के पाँच 3d कक्षक दो भागों में विभाजित हो जाते हैं- t2g तथा egl t2g कक्षकों की ऊर्जा eg कक्षकों से कम होती है। t2g तथा eg | t2g कक्षकों के मध्य ऊर्जा अन्तर कम होता है क्योंकि H2O एक दुर्बल लिगेण्ड है। विभिन्न आयनों के इलेक्ट्रॉन इन कक्षकों में निम्न प्रकार भरे जाते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 23

प्रश्न 8.37.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के अनेक गुणों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों तथा भारी संक्रमण तत्वों के गुणों में निम्नलिखित भिन्नता होती है-
(i) प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व सामान्यतया +2 तथा +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं जबकि भारी संक्रमण तत्वों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती है।
(ii) प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में धातु- धातु (M-M) बन्ध नहीं होता जो कि भारी संक्रमण तत्वों में सामान्यतः पाया जाता है। इसी कारण भारी संक्रमण तत्वों के गलनांक प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के गलनांक से अधिक होते हैं।
(iii) प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में उच्च समन्वयी संख्या वाले संकुल नहीं बनते, जैसे 7 या 8 जबकि भारी संक्रमण तत्व 7 या 8 समन्वयी संख्या वाले संकुल भी बनाते हैं।
(iv) प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में लिगण्ड की प्रकृति (प्रबलता ) आधार पर निम्न चक्रण संकुल तथा उच्च चक्रण संकुल बनते हैं जबकि भारी संक्रमण तत्व हमेशा निम्न चक्रण संकुल ही बनाते हैं।

प्रश्न 8.38.
निम्नलिखित संकुल स्पीशीज के चुंबकीय आघूर्णी के मान से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे ?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 24
उत्तर:
(i) K4[Mn(CN)6] का चुम्बकीय आघूर्ण = 2.2 B.M. दिया गया है। सैद्धान्तिक आधार पर सूत्र, µ = \(\sqrt{n(n+2)}\) BM
के अनुसार n = 1 होने पर µ का मान 1.732 BM आता है जो कि 2.2 के लगभग समान है।

अतः इस संकुल में Mn पर d2 sp3 संकरण होगा क्योंकि \(\overline{\mathrm{C}} \mathrm{N}\) प्रबल लिगण्ड है जिसके कारण Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (t2g)5 होगा, जिसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। अतः यह संकुल अनुचुम्बकीय है।

(ii) [Fe (H2O)6]2+ के लिए µ = 5.3BM दिया गया है।

अतः सूत्रानुसार n = 4 लेने पर µ = 4.89BM आता है जो कि 5.3 के लगभग समान है। अतः इस संकुल में Fe पर sp3d2 संकरण होगा क्योंकि H2O दुर्बल लिगण्ड है जिससे Fe2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (t2g)4 (eg)2 होगा, जिसमें चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। अतः यह संकुल भी अनुचुम्बकीय है।

(iii) K2[MnCl4] के लिए µ = 5.9BM दिया है।

अतः सूत्रानुसार n = 5 लेने पर µ = 5.91BM आता है जो कि 5.9 के लगभग समान है। अतः इस संकुल में Mn पर sp3 संकरण होगा तथा Cl दुर्बल लिगण्ड है। जिसकी उपस्थिति में Mn+2 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (eg)2 (t2g)3 होगा, जिसमें 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। अतः यह संकुल भी अनुचुम्बकीय है।

HBSE 12th Class Chemistry d- एवं f-ब्लॉक के तत्व Intext Questions

प्रश्न 8.1.
सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण भरित d कक्षक (4d10) हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है?
उत्तर:
सिल्वर (Z=47),+1 के अलावा + 2 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है, जिसमें इसके 4d कक्षक अपूर्ण हैं अतः यह संक्रमण तत्व है क्योंकि संक्रमण तत्व वे होते हैं जिनमें परमाणु अवस्था या किसी भी ऑक्सीकृत अवस्था में d- कक्षक अपूर्ण होता है।

प्रश्न 8.2.
श्रेणी Sc(Z=21) से Zn(Z=30) में, जिंक की कणन एन्थैल्पी (Enthalpy of atomisation) का मान सबसे कम होता है, अर्थात् 126 kJ mol-1; क्यों?
उत्तर:
जिंक में 3d कक्षकों के इलेक्ट्रॉन धात्विक बन्ध बनाने में प्रयुक्त नहीं होते हैं क्योंकि इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d104s2 होता है जबकि 3d श्रेणी के अन्य सभी धातुओं के d कक्षक अपूर्ण भरे होने के कारण ये इलेक्ट्रॉन धात्विक बनाने में प्रयुक्त होते हैं। अतः Zn में धात्विक बन्ध दुर्बल होता है इसलिए इसकी कणन एन्थैल्पी (परमाणुकरण की एन्थैल्पी) सबसे कम होती है।

प्रश्न 8.3.
संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी का कौन-सा तत्व बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है एवं क्यों?
उत्तर:
संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी में Mn सबसे अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+2 से +7) दर्शाता है क्योंकि इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d54s2 होने के कारण इसमें सर्वाधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं।

प्रश्न 8.4.
कॉपर के लिए E°(M2+/M) का मान धनात्मक (+0.34 V) है। इसके संभावित कारण क्या हैं?
उत्तर:
किसी धातु के लिए E° (M2+/M) (इलेक्ट्रोड विभव) का मान परमाणुकरण की एन्थैल्पी (△aH°), आयनन एन्थैल्पी (△iH) तथा

जलयोजन एन्थैल्पी △hydH° पर निर्भर करता है। Cu(s) से \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{g})}^{+2}\) बनने के लिए आवश्यक उच्च आयनन एन्थैल्पी तथा परमाणुकरण एन्थैल्पी Cu2+ की निम्न जलयोजन एन्थैल्पी द्वारा संतुलित नहीं हो पाती है, अतः Cu2+ के लिए अपचयन विभव का मान धनात्मक होता है।

प्रश्न 8.5.
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझायेंगे?
उत्तर:
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में प्रथम और द्वितीय आयनन एन्थैल्पी में अनियमित परिवर्तन विभिन्न 3d विन्यासों के स्थायित्व की क्षमता में भिन्नता के कारण है। उदाहरण d0, d5, d10 विन्यास असामान्य रूप से स्थायी होते हैं। अतः इनकी आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है।

प्रश्न 8.6.
कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था केवल ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में ही क्यों प्रदर्शित करती है?
उत्तर:
किसी धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में ही होती है क्योंकि छोटे आकार, उच्च विद्युतऋणता तथा उच्च धनात्मक अपचयन विभव के कारण ऑक्सीजन अथवा फ्लुओरीन, धातु को उसकी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था तक ऑक्सीकृत कर देती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.7.
Cr2+ और Fe2+ में से कौन प्रबल अपचायक है और क्यों?
उत्तर:
Fe2+ की तुलना में Cr2+ एक प्रबल अपचायक पदार्थ है, क्योंकि Cr2+ से Cr3+ बनने में d4 का d3 में परिवर्तन होता है किन्तु Fe2+ Fe3+बनने में d6 का d5 में परिवर्तन होता है तथा जल जैसे माध्यम में d5 की तुलना में d3 अधिक स्थायी है। इसका कारण \(\mathrm{t}_{2 \mathrm{~g}^3}\) विन्यास का अधिक स्थायी होना है तथा इनके E° मानों से भी यह स्पष्ट हो जाता है।

प्रश्न 8.8.
M2+(aq) आयन (Z=27) के लिए ‘प्रचक्रणमात्र’ (spin only) चुंबकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक Z = 27 के तत्व (M) के लिए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar]3d74s2
अतः M2+ के लिए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar]3d7
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 Img 26
इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन (n) हैं-
अतः चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = \(\sqrt{n(n+2)}\) B.M.
µ = \(\sqrt{3(3+2)}\) = √15 = 3.87 B.M.

प्रश्न 8.9.
स्पष्ट कीजिए कि Cu2+ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों? समझाइए।
उत्तर:
\(\mathrm{Cu}_{\text {(aq) }}^{+}\) की तुलना में \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{+2}\) अधिक स्थायी होता है। Cu के लिए द्वितीय आयनन एन्थैल्पी का मान उच्च होता है लेकिन Cu2+ की \(\Delta_{\text {hyd }} \mathrm{H}^{\ominus}\) का मान Cu+ की तुलना में उच्च ऋणात्मक होने के कारण यह द्वितीय आयनन एन्थैल्पी को संतुलित कर देता है अतः जलीय विलयन में Cu+ अस्थायीं होता है अतः यह असमानुपातित होकर Cu2+ बना देता है। इसके लिए \(\mathrm{E}^{\ominus}\) मान भी अनुकूल है।
\(2 \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{+} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}(\mathrm{s})\)

प्रश्न 8.10.
लैन्थेनॉयड आकुंचन (संकुचन contraction) की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनॉयड आकुंचन अधिक होता है। क्यों?
उत्तर:
लैन्थेनॉयड संकुचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनॉयड संकुचन अधिक होता है, क्योंकि 5f इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से आकर्षित रहते हैं। अर्थात् श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर 5f इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव दुर्बल होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 8 d- एवं f-ब्लॉक के तत्व Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.1.
कॉपर का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा किया जाता है, परन्तु जिंक का नहीं । व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
कॉपर का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा किया जा सकता है। क्योंकि कॉपर कम क्रियाशील धातु (विद्युत रासायनिक श्रेणी में नीचे ) है, जबकि Zn ( जिंक) अत्यधिक क्रियाशील (विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऊपर) धातु है अतः इसको ZnSO4 विलयन से आसानी से प्रतिस्थापित करना संभव नहीं है इसलिए जिंक का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6.2.
फेन प्लवन विधि में अवनमक की क्या भूमिका है?
उत्तर:
फेन प्लवन विधि में अवनमक एक घटक (अशुद्धि) के साथ संकुल बना लेता है एवं इसे झाग में आने से रोकता है। उदाहरण- NaCN, ZnS के लिए अवनमक का कार्य करता है। PbS के लिए नहीं। अतः किसी अयस्क में PbS तथा ZnS दोनों उपस्थित हैं केवल PbS ही फेन बनाता है अतः इस विधि से PbS को ZnS से पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 6.3.
अपचयन द्वारा ऑक्साइड अयस्कों की अपेक्षा पाइराइट से ताँबे का निष्कर्षण अधिक कठिन क्यों है?
उत्तर:
कार्बन, सल्फाइड अयस्कों के लिए अच्छा अपचायक नहीं है। जबकि यह ऑक्साइड अयस्कों के लिए अच्छा अपचायक है। अतः अपचयन द्वारा ऑक्साइड अयस्कों की अपेक्षा पाइराइट (सल्फाइड अयस्क) से ताँबे का निष्कर्षण अधिक मुश्किल है तथा अधिकांश सल्फाइडों के विरचन की गिब्ज़ ऊर्जा CS2 के विरचन की गिब्ज ऊर्जा से अधिक होती है। वास्तव में CS2 एक ऊष्माशोषी यौगिक है अतः अपचयन से पहले सल्फाइड अयस्कों का संगत ऑक्साइडों में भर्जन करना उचित रहता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.4.
व्याख्या कीजिए-
(1) मंडल परिष्करण
(2) स्तंभ वर्णलेखिकी।
उत्तर:
1. मंडल परिष्करण या जोन परिष्करण – मंडल परिष्करण द्वारा अतिशुद्ध धातु प्राप्त होती है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर एक वृत्ताकार गतिशील हीटर (तापक) लगा होता है। जो छड़ को हर तरफ से घेरे रहता है। हीटर जैसे ही आगे बढ़ता है, गलित मण्डल भी आगे बढ़ता जाता है और गलित से शुद्ध धातु क्रिस्टलित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ पास वाले गलित जोन में चली जाती हैं।

इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते हैं तथा हीटर को एक ही दिशा में बार-बार चलाते जाते हैं। अशुद्धियाँ छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती हैं, जिसे काटकर अलग कर लेते हैं। इस विधि से अति शुद्ध अर्धचालकों तथा अन्य शुद्ध धातुओं; जैसे – जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरॉन, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 1

2. वर्णलेखिकी या क्रोमेटोग्रैफी विधि – वर्णलेखिकी (क्रोमेटोग्रफी) किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों को पृथक् करने की विधि होती है । वर्णलेखिकी पद ग्रीक भाषा के शब्द क्रोमा अर्थात् रंग से लिया गया है क्योंकि प्रारम्भ में इसे रंगीन पदार्थों को पृथक् करने में प्रयुक्त किया गया था। वर्णलेखिकी, अधिशोषण तथा विभेदी अभिगमन के सिद्धान्त पर आधारित होती है, अर्थात् अधिशोषक पर मिश्रण के विभिन्न घटकों का अधिशोषण भिन्न-भिन्न होता है। मिश्रण को द्रव या गैसीय माध्यम में रखा जाता है जो कि अधिशोषक में से गुजरता है।

स्तम्भ में विभिन्न घटक भिन्न- भिन्न स्तरों पर अधिशोषित हो जाते हैं। इसके पश्चात् अधिशोषित घटक उपयुक्त विलायक (निक्षालक) द्वारा निक्षालित किए जाते हैं। गतिशील माध्यम की भौतिक अवस्था, अधिशोष्य पदार्थ की प्रकृति तथा गतिशील माध्यम के गमन की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। वर्णलेखिकी कई प्रकार की होती है- पेपर वर्णलेखिकी, स्तम्भ वर्णलेखिकी, पतली परत वर्णलेखिकी तथा गैस वर्णलेखिकी। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण वर्णलेखिकी स्तम्भ वर्णलेखिकी है।

प्रश्न 6.5.
673K ताप पर C तथा CO में से कौनसा अच्छा अपचायक है ?
उत्तर:
कम ताप जैसे 673K पर △G°( CO, CO2) रेखा, △G°(C, CO2) रेखा के नीचे है, अतः 673K पर C तथा CO में से CO अच्छा अपचायक है।

प्रश्न 6.6.
कॉपर के वैद्युत अपघटनी शोधन में ऐनोड पंक में उपस्थित सामान्य तत्वों के नाम दीजिए। ये वहाँ कैसे उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
कॉपर के वैद्युत अपघटनी शोधन में ऐनोड पंक में एन्टीमनी सेलेनियम, टेल्यूरियम, चाँदी, सोना तथा प्लेटिनम इत्यादि धातुएँ उपस्थित होती हैं क्योंकि ये कॉपर की तुलना में कम विद्युत धनी (कम क्रियाशील ) होती हैं अतः इनका ऐनोड पर ऑक्सीकरण नहीं होता तथा ये ऐनोड के नीचे ऐनोड पंक के रूप में जमा हो जाती हैं।

प्रश्न 6.7.
आयरन (लोहे) के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली अभिक्रियाओं को लिखिए।
उत्तर:
(i) वात्या भट्टी के ऊपरी भाग में जहाँ ताप परिसर 500- 800K होता है, निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं-
3Fe2O3 + CO → 2Fe3O4 + CO2
Fe3O4 + 4CO → 3FeO + CO2
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2

(ii) वात्या भट्टी के मध्य भाग में जहाँ ताप परिसर 900-1500K होता है, निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं-
C + CO2 → 2CO
FeO + CO → Fe + CO2
CaCO3 → CaO + CO2
CaO + SiO2 → CaSiO3

(iii) वात्या भट्टी के नीचे के भाग में जहाँ उच्च ताप होता है, कोक जलकर CO2 बनाता है जो कोक से अपचयित होकर CO बनाता है।
C + O2 → CO2
CO2 + C → 2CO
FeO + C → Fe + CO

प्रश्न 6.8.
जिंक ब्लेंड से जिंक के निष्कर्षण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं को लिखिए।
उत्तर:
जिंक ब्लेंड (ZnS) से जिंक के निष्कर्षण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 2

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.9.
कॉपर के धातुकर्म में सिलिका की भूमिका समझाइए ।
उत्तर:
कॉपर के धातुकर्म में सिलिका (SiO2), गालक (Flux ) की तरह कार्य करता है जो कि कॉपर के साथ उपस्थित FeO की अशुद्धि से क्रिया करके उसे स्लेग (कीट) के रूप में पृथक् कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 3

प्रश्न 6.10.
यदि तत्व सूक्ष्म मात्रा में प्राप्त हुआ हो तो शोधन की कौन-सी तकनीक अधिक उपयोगी होगी?
उत्तर:
जब कोई तत्व सूक्ष्म मात्रा में प्राप्त हुआ है तो शोधन की स्तम्भ वर्णलेखिकी विधि अधिक उपयोगी होगी।

प्रश्न 6.11.
यदि किसी तत्व में उपस्थित अशुद्धियों के गुण तत्व से मिलते जुलते हों तो आय शोधन के लिए किस विधि का सुझाव देंगे ?
उत्तर:
जब किसी तत्व में उपस्थित अशुद्धियों के गुण तत्व से मिलते हों तो शोधन के लिए स्तम्भ वर्ण लेखिकी (कॉलम क्रोमेटोग्राफी) विधि का ही प्रयोग करेंगे।

प्रश्न 6.12.
निकल के शोधन की विधि समझाइए |
उत्तर:
निकल (Ni) का शोधन मॉन्ड की विधि द्वारा किया जाता है। इस विधि में निकल को कार्बन मोनोक्साइड के साथ गरम करने से वाष्पशील निकल टेट्राकार्बोनिल संकुल बन जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 4
इस संकुल को और अधिक ताप पर गरम करते हैं, तो यह विघटित होकर शुद्ध Ni दे देता है तथा CO पृथक् हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 5

प्रश्न 6.13.
उदाहरण देते हुए भर्जन व निस्तापन में अंतर बताइए ।
उत्तर:
निस्तापन प्रक्रम में अयस्क ( जलयोजित ऑक्साइड, कार्बोनेट, हाइड्रॉक्साइड आदि) को धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर धीरे- धीरे गर्म करते हैं, जिससे वाष्पशील पदार्थ (CO2, H2O) निकल जाते हैं तथा धातु ऑक्साइड बच जाता है। परन्तु भर्जन में सल्फाइड अयस्कों को वायु (O2) की उपस्थिति में धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर परावर्तनी भट्टी में तेजी से गर्म करते हैं जिससे सल्फाइड अयस्क ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं तथा SO2 गैस निकल जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 6

प्रश्न 6.14.
ढलवाँ लोहा ( Cast Iron) कच्चे लोहे (Pig Iron) से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर:
ढलवाँ लोहे में लगभग 3% कार्बन होता है जबकि कच्चे लोहे में लगभग 4% कार्बन होता है। कच्चे लोहे के साथ रद्दी लोहा तथा कोक को गलाकर ढलवाँ लोहा बनाया जाता है।

प्रश्न 6.15.
अयस्कों तथा खनिजों में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
अयस्क ( Ores) – वे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण आसानी से हो सके तथा आर्थिक रूप से लाभदायक हों उन्हें अयस्क कहते हैं। जैसे कॉपर ग्लांस (Cu2S), क्युपराइट (Cu2O) तथा कॉपर पाइराइटीज (CuFeS2) कॉपर के अयस्क हैं, लेकिन इनमें से कॉपर पाइराइटीज ही कॉपर का अयस्क है।
खनिज (Minerals) – भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ ( यौगिक ) जिन्हें खनन द्वारा प्राप्त किया जाता है उन्हें खनिज कहते हैं।

प्रश्न 6.16.
कॉपर मेट को सिलिका की परत चढ़े हुए परिवर्तक में क्यों रखा जाता है?
उत्तर:
कॉपर मेट में Cu2S तथा FeS उपस्थित होते हैं। परिवर्तक में FeS, FeO में बदल जाता है। इसे दूर करने में सिलिका सहायक होता है क्योंकि FeO सिलिका से क्रिया द्वारा आयरन सिलिकेट (कीट) बनकर पृथक् हो जाता है, अतः परिवर्तक पर सिलिका की परत चढ़ाते हैं।
2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2
FeO + SiO2 → FeSiO3 आयरन सिलिकेट (कीट)

प्रश्न 6.17.
ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट की क्या भूमिका है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि इससे मिश्रण का गलनांक कम हो जाता है तथा विलयन की चालकता बढ़ जाती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.18.
निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के लिए निक्षालन क्रिया को कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
कॉपर का निक्षालन अम्ल या बैक्टिरिया ( जीवाणु) द्वारा किया जाता है। विलयन में उपस्थित Cu+2 को आयरन या H2 गैस से क्रिया करवाकर पृथक् किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 7

प्रश्न 6.19.
CO का उपयोग करते हुए अपचयन द्वारा जिंक ऑक्साइड से जिंक का निष्कर्षण क्यों नहीं किया जाता ?
उत्तर:
Zn के अपचयन के लिए आवश्यक ताप ( 1673K) पर एलिंघम आलेख में \(\Delta_r G^{\ominus}\)(CO, CO2) रेखा, \(\Delta_r G^{\ominus}\)(Zn, ZnO) की रेखा से ऊपर है। अतः इस अभिक्रिया के लिए \(\Delta_r G^{\ominus}\) का मान धनात्मक होगा।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 8
इसलिए 1673K ताप पर ZnO के लिए CO को अपचायक के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके लिए अत्यधिक उच्च ताप की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 6.20.
Cr2O3 के विरचन के लिए \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) का मान – 540 kJmol-1 है तथा Al2O3 के लिए – 827kJ mol-1 है। क्या Cr2 O3 का अपचयन Al से संभव है?
उत्तर:
Al द्वारा Cr2O3 के अपचयन के लिए \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) का मान ऋणात्मक होता है अतः Cr2O3 का अपचयन Al द्वारा संभव है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 9
समीकरण ( 2 ) में से समीकरण (1) को घटाने पर,
\(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) = 827 – (-540)
= – 287 kJ mol-1

प्रश्न 6.21.
C व CO में से ZnO के लिए कौन-स अपचायक अच्छा है?
उत्तर:
ZnO के अपचयन के लिए C व CO में से C (कार्बन) अच्छा अपचायक है, क्योंकि एलिंघम आलेख में \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) ( C. CO) रेखा, \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\)(Zn, ZnO) की रेखा से नीचे है अतः इस अभिक्रिया के लिए \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) का मान ऋणात्मक होगा।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 10

प्रश्न 6.22.
किसी विशेष स्थिति में अपचायक का चयन ऊष्मागतिकी कारकों पर आधारित है। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? अपने मत के समर्थन में दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी विशेष स्थिति में अपचायक का चयन ऊष्मागतिकी कारकों पर आधारित है, यह कथन सत्य है। किसी अपचायक तथा धातु ऑक्साइड के मध्य अभिक्रिया होने के लिए \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) का मान ऋणात्मक होना चाहिए। अतः जिस अपचायक से होने वाली अपचयन अभिक्रिया का \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) ऋणात्मक होगा वह अपचायक उस अभिक्रिया के लिए उपयुक्त होगा।
उदाहरण- (i) 1000K पर Al, Cr2O3 का अपचयन कर सकता है लेकिन MgO का नहीं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 11
अतः यह अभिक्रिया संभव है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 12
अतः यह अभिक्रिया संभव नहीं है।

(ii) 1500K ताप पर कोक (C), ZnO का अपचयन कर सकता है लेकिन CO नहीं ।
ZnO + C → Zn + CO; \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) = -Ve
ZnO + CO → Zn + CO2; \(\Delta_f \mathbf{G}^{\circ}\) = +Ve

प्रश्न 6.23.
उस विधि का नाम लिखिए जिसमें क्लोरीन सहउत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। क्या होगा यदि NaCl के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन किया जाए?
उत्तर:
निम्नलिखित विधियों में क्लोरीन सहउत्पाद के रूप में प्राप्त होती है-
(i) गलित NaCl का वैद्युत अपघटन (डॉऊ की विधि)
(ii) जलीय NaCl का वैद्युत अपघटन (कॉसनर केलनर विधि)
NaCl के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर H2 गैस तथा ऐनोड पर Cl2 गैस प्राप्त होती है तथा विलयन में NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 Img 13

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.24.
ऐलुमिनियम के वैद्युत धातु कर्म में ग्रैफाइट छड़ की क्या भूमिका है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के वैद्युत धातु कर्म में ग्रेफाइट की छड़ ऐनोड की भांति कार्य करती है तथा यह Al2O3 के अपचयन से Al बनाने में सहायक होती है। ग्रेफाइट में उपस्थित कार्बन ऐनोड पर उत्सर्जित O2 से क्रिया द्वारा CO तथा CO2 बनाता है।

प्रश्न 6.25.
उन परिस्थितियों का अनुमान लगाइए जिनमें Al, MgO को अपचयित कर सकता है।
उत्तर:
1350°C (1623K ) से अधिक ताप पर Al, MgO को अपचयित कर सकता है। यह अनुमान \(\Delta \mathrm{rG}^{\Theta}\) तथा T के मध्य आरेख से लगाया जाता है। (पाठ्यनिहित प्रश्न 6.4 का उत्तर भी देखिए )

HBSE 12th Class Chemistry तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम Intext Questions

प्रश्न 6.1.
सारणी 6.1 में दर्शाए गए अयस्कों में से कौन-से चुंबकीय पृथक्करण विधि द्वारा सांद्रित किए जा सकते हैं।
उत्तर:
वे अयस्क जिनमें एक घटक चुंबकीय (अशुद्धि या अयस्क) होता है, उन्हें इस विधि से सांद्रित किया जा सकता है। जैसे लोहयुक्त अयस्क हेमेटाइट (Fe2O3), मैग्नेटाइट (Fe2O3), सिडेराइट (FeCO3) तथा आयरन पाइराइट (FeS2) |

प्रश्न 6.2.
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन (leaching) का क्या महत्व है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन द्वारा बॉक्साइट अयस्क में उपस्थित SiO2, Fe2O3 आदि की अशुद्धियों को निष्कासित किया जाता है।

प्रश्न 6.3.
अभिक्रिया
Cr2O3 + 2 Al → Al2 O3 + 2 Cr (△G° = – 421 kJ)
के गिब्ज़ ऊर्जा मान से लगता है कि अभिक्रिया ऊष्मागतिकी के अनुसार संभव है, पर यह कक्ष ताप पर संपन्न क्यों नहीं होती?
उत्तर:
अभिक्रिया Cr2O3 + 2 Al → Al2 O3 + 2 Cr के लिए मानक गिब्ज़ मुक्त ऊर्जा परिवर्तन ऋणात्मक है अतः यह लगता है कि यह अभिक्रिया ऊष्मागतिकी के अनुसार संभव है लेकिन कमरे के ताप पर यह अभिक्रिया नहीं होती क्योंकि इसमें सभी अभिकारक ठोस हैं। अतः इस अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिए निश्चित मात्रा में सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए गर्म करना आवश्यक है जिससे अभिकारक पिघल जाते हैं।

प्रश्न 6.4.
क्या यह सत्य है कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में मैग्नीशियम, Al2 O3 को अपचित कर सकता है और Al, MgO को भी। वे परिस्थितियाँ कौनसी हैं?
उत्तर:
हाँ यह सत्य है कि विशिष्ट परिस्थितियों में मैग्नीशियम Al2 O3 को अपचित कर सकता है और Al, MgO को भी। △G° के T के मध्य आलेख (एलिंघम आलेख) से ज्ञात होता है कि 1623K से कम ताप पर Mg, Al2 O3 को अपचित कर सकता है तथा 1623K से अधिक ताप पर Al, MgO का अपचयन कर सकता है क्योंकि Al तथा Mg के वक्र 1623K पर एक-दूसरे को प्रतिच्छेदित कर रहे हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 5.1.
अधिशोषण एवं अवशोषण शब्दों (पदों) के तात्पर्य में विभेद कीजिए । प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
अधिशोषण – किसी ठोस या द्रव द्वारा किसी पदार्थ के अणुओं को आकर्षित करके उन्हें पृष्ठ पर धारण करने को अधिशोषण कहते हैं।
अवशोषण – किसी पदार्थ का दूसरे पदार्थ में समान वितरण अवशोषण कहलाता है।
अधिशोषण में पदार्थ केवल पृष्ठ पर सांद्रित होता है जबकि अवशोषण में पदार्थ, दूसरे पदार्थ में समान रूप से वितरित हो जाता है। सिलिका जेल पर जल वाष्प का अधिशोषण होता है जबकि शुष्क CaCl2 पर जल वाष्प का अवशोषण होता है।

प्रश्न 5.2.
भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में क्या अंतर है?
उत्तर:
अधिशोषण के प्रकार:
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को अधिशोष्य तथा अधिशोषक के अणुओं के मध्य आकर्षण बलों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(a) भौतिक अधिशोषण
(b) रासायनिक अधिशोषण या रसोवशोषण

(a) भौतिक अधिशोषण – या वान्डरवाल अधिशोषण – किसी ठोस की सतह पर जब गैस का अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है तो इसे भौतिक अधिशोषण कहते हैं। दुर्बल वान्डरवाल बलों के कारण ताप बढ़ाने से या दाब कम करने से इसे आसानी से कम किया जा सकता है। भौतिक अधिशोषण में अधिशोष्य तथा अधिशोषक के मध्य किसी प्रकार के रासायनिक बन्ध का निर्माण नहीं होता ।

(b) रासायनिक अधिशोषण या लैंग्म्यूर अधिशोषण – जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं। भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है।

उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है। रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 5.3.
कारण बताइए कि सूक्ष्म विभाजित पदार्थ अधिक प्रभावी अधिशोषक क्यों होता है?
उत्तर:
सूक्ष्म विभाजित पदार्थ का पृष्ठ क्षेत्रफल तथा सक्रिय केन्द्र अधिक होते हैं। अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं सक्रिय केन्द्र बढ़ने पर अधिशोषण की मात्रा बढ़ती है अतः सूक्ष्म विभाजित पदार्थ अधिक प्रभावी अधिशोषक होता है।

प्रश्न 5.4.
किसी ठोस पर गैस के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक कौनसे हैं ?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण के अभिलक्षण – या भौतिक अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक – भौतिक अधिशोषण के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

(i) अधिशोष्य की प्रकृति किसी ठोस द्वारा अधिशोषित गैस की मात्रा गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है। सामान्यतया, आसानी से द्रवित होने वाली गैसें, जैसे – SO2, CO2, HCl, NH2 ( उच्च क्रांतिक तापयुक्त) शीघ्रता से अधिशोषित हो जाती हैं, जबकि हल्की गैसें जो आसानी से द्रवित नहीं होतीं, जैसे- H2, N2, O2, का अधिशोषण मुश्किल से होता है क्योंकि वान्डरवाल बल क्रांतिक तापों के निकट अधिक प्रबल होते हैं। इसीलिए 1g सक्रियत चारकोल, मेथेन ( क्रांतिक ताप 190K) की अपेक्षा अधिक सल्फर डाइऑक्साइड (क्रांतिक ताप 630K) अधिशोषित करता है।

(ii) अधिशोषक की प्रकृति तथा उसका पृष्ठीय क्षेत्रफल – अधिशोषक का पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ने पर अधिशोषण की मात्रा बढ़ती है तथा रन्ध्रहीन एवं कठोर पदार्थों की तुलना में सरन्ध्र व महीन चूर्णित धातुओं पर अधिशोषण अधिक मात्रा में होता है क्योंकि इनका पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होता है जैसे H2 गैस Ni पर सतह पर आसानी से अधिशोषित हो जाती है। विभिन्न धातुओं की अधिशोषण क्षमता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
कोलाइडी Pd > सामान्य Pd Pt Au > Ni
विशिष्ट क्षेत्रफल – किसी अधिशोषक के प्रति ग्राम पृष्ठ क्षेत्रफल को उसका विशिष्ट क्षेत्रफल कहते हैं ।

(iii) विशिष्टता की कमी- भौतिक अधिशोषण की प्रकृति विशिष्ट नहीं होती क्योंकि वान्डरवाल बल व्यापक होते हैं अतः किसी भी गैस का किसी भी अधिशोषक की सतह पर अधिशोषण हो सकता है।

(iv) अधिशोषण की एन्थेल्पी – भौतिक अधिशोषण में ऊष्मा उत्सर्जित होती है अर्थात् यह एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया है लेकिन अधिशोष्य (गैस) तथा अधिशोषक (ठोस) के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल होने के कारण अधिशोषण एन्थैल्पी का मान कम (20-40 kJ mol-1 ) होता है। किसी धातु की सतह पर एक मोल गैस के अधिशोषण से परिवर्तन को अधिशोषण की एन्थैल्पी कहते हैं।

(v) उत्क्रमणीय प्रकृति ठोस की सतह पर गैस का अधिशोषण उत्क्रमणीय प्रकृति का होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 1

(vi) अधिशोषक सक्रियण-
(i) अधिशोषक को रासायनिक तथा यांत्रिक विधियों द्वारा खुरदरा बनाकर इसका सक्रियण किया जाता है, इससे इसका पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ जाता है अतः अधिशोषण बढ़ जाता है।
(ii) ठोसों को सूक्ष्म विभाजित करने पर उनकी मुक्त संयोजकता तथा पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ जाता है।
(iii) अधिशोषक की सतह पर पहले से उपस्थित गैसों को हटाने के लिए उसे निर्वात में अतितप्त भाप के साथ गर्म करते हैं इससे प्राप्त अधिशोषक की अधिशोषण क्षमता अधिक होती है जैसे चारकोल का सक्रियण।

(vii) ताप तथा दाब का प्रभाव – दाब बढ़ाने पर किसी गैस का अधिशोषण अधिक मात्रा में होता है क्योंकि इससे गैस का आयतन कम होता है । (ले- शातैलिए का नियम) तथा ताप कम करने पर अधिशोषण अधिक होता है क्योंकि अधिशोषण एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। अतः ताप बढ़ाकर तथा दाब कम करके अधिशोषित गैस को बाहर निकाला जा सकता है।

(viii) आण्विक परत की प्रकृति – भौतिक अधिशोषण में बहु आण्विक परत बनती है क्योंकि इसमें अधिशोषक तथा अधिशोष्य के मध्य वान्डरवाल बल होता है अतः थोड़े से अधिक दाब से ही अधिशोषित गैस की मात्रा बढ़ जाती है।

प्रश्न 5.5.
अधिशोषण समतापी वक्र क्या है? फ्रॉयन्डलिक अधिशोषण समतापी वक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अधिशोषण समतापी वक्र – अधिशोषण की मात्रा दाब पर निर्भर करती है अतः निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा का दाब के साथ सम्बन्ध अधिशोषण समतापी वक्र कहलाता है।
प्रतिग्राम अधिशोषक द्वारा अधिशोषित गैस की मात्रा तथा दाब के मध्य ग्राफ बनाने पर जो वक्र प्राप्त होते हैं, उन्हें वैज्ञानिक के नाम के आधार पर फ्रायन्डलिक समतापी वक्र कहते हैं।
फ्रायन्डलिक अधिशोषण समतापी वक्र – प्रयोगों के आधार पर यह पाया गया कि अधिशोषित गैस की मात्रा \(\left(\frac{x}{\mathrm{~m}}\right)\), दाब (p) बढ़ाने पर बढ़ती है। गणितीय रूप में-
\(\frac { x }{ m }\) = k.p1/n (n>1) ….(1)
यहाँ x अधिशोषक के m द्रव्यमान द्वारा p दाब पर अधिशोषित गैस का द्रव्यमान है। k तथा n स्थिरांक हैं जो अधिशोषक एवं गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हैं।
समीकरण (1) का लघुगणक लेने पर
log \(\frac { x }{ m }\) = log k + \(\frac { 1 }{ n }\) log p …..(2)
यह समीकरण y = mx + c ( सरल रेखा का समीकरण) के समतुल्य है अतः log\(\frac { x }{ m }\) तथा log P के मध्य ग्राफ एक सरल रेखा होती है जिसका ढाल = \(\frac { 1 }{ n }\) तथा अन्तःखण्ड log k (y अक्ष पर ) के बराबर होगा। इससे समतापी वक्रों की वैधता की पुष्टि हो जाती है लेकिन समीकरण (2) दाब के निश्चित परिसर तक ही लागू होता है।

प्रश्न 5.6.
अधिशोषक के सक्रियण से आप क्या समझते हैं? यह कैसे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
अधिशोषक के सक्रियण का अर्थ है उसकी अधिशोषण क्षमता बढ़ाना। इसे निम्न प्रकार प्राप्त किया जाता है-
(i) रासायनिक या यांत्रिक विधि से अधिशोषक की सतह को खुरदरा बनाना ।
(ii) अधिशोषण को चूर्णित ( Powdered ) या सूक्ष्म विभाजित अवस्था में परिवर्तित करना ।
(iii) ठोस पर पहले से अधिशोषित गैसों को हटाना ।

प्रश्न 5.7.
विषमांगी उत्प्रेरण में अधिशोषण की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विषमांगी उत्प्रेरण में गैसीय अवस्था या विलयन में अभिकारक, ठोस उत्प्रेरक की सतह पर अधिशोषित हो जाते हैं । पृष्ठ पर अभिकारकों की सांद्रता में वृद्धि होने से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है तथा उत्पाद बनकर, उत्प्रेरक की सतह से पृथक् हो जाते हैं एवं उत्प्रेरक की सतह पुनः अभिक्रिया के लिए उपलब्ध हो जाती है।

प्रश्न 5.8.
अधिशोषण हमेशा ऊष्माक्षेपी क्यों होता है?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण हमेशा ऊष्माक्षेपी होता है क्योंकि गैसीय अणुओं एवं ठोस सतह के मध्य आकर्षण ( वान्डरवाल बल) होता है। यह आकर्षण बल दुर्बल होता है अतः अधिशोषण की एन्थैल्पी कम (20-40 kJ mol-1 ) होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 5.9.
कोलॉइडी विलयनों को परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्थाओं के आधार पर कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर:
परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर आठ प्रकार के कोलाइडी तंत्र हो सकते हैं, क्योंकि परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम ठोस, द्रव अथवा गैस होते हैं। लेकिन किसी गैस का किसी अन्य गैस में मिश्रण हमेशा समांगी होता है अतः वह कोलॉइड नहीं होता । विभिन्न प्रकार के कोलॉइडों के उदाहरण तथा उनके विशिष्ट नामों के लिए भाग 5.4 में सारणी (कोलॉइडी तंत्रों के प्रकार) देखें ।

प्रश्न 5.10.
ठोसों द्वारा गैसों के अधिशोषण पर दाब एवं ताप के प्रभाव की विवेचना कीजिए ।
उत्तर:
ठोसों द्वारा गैसों के अधिशोषण पर दाब का प्रभाव- दाब बढ़ाने पर ठोस की सतह पर गैसों का अधिशोषण अधिक मात्रा में होता है। क्योंकि दाब बढ़ाने पर गैस का आयतन कम होता है। (ला शातैलिए का नियम )
ताप का प्रभाव – अधिशोषण, ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है अतः निम्न ताप पर अधिशोषण अधिक मात्रा में होता है तथा ताप बढ़ाने पर गैस का ठोस की सतह पर अधिशोषण कम होगा।

प्रश्न 5.11.
द्रवरागी एवं द्रवविरागी सॉल क्या होते हैं? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। द्रवविरोधी सॉल आसानी से स्कंदित क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर कोलॉइडी सॉल को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- द्रवरागी (द्रवस्नेही) अर्थात् विलायक को आकर्षित करने वाले तथा द्रवविरागी (द्रवविरोधी) अर्थात् विलायक को प्रतिकर्षित करने वाले । परिक्षेपण माध्यम जल होने पर जलस्नेही तथा जलविरोधी शब्द प्रयुक्त किया जाता है। गोंद द्रव कोलॉइड है जबकि धातुएँ एवं उनके सल्फाइडों के सॉल द्रवविरागी कोलॉइड के उदाहरण हैं। द्रवविरोधी सॉल आसानी से स्कंदित हो जाते हैं क्योंकि ये अस्थायी होते हैं एवं इनमें परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।

प्रश्न 5.12.
बहुञ्यणुक एवं वृहदाणुक कोलॉइड में क्या अंतर है ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए । सहचारी कोलॉइड इन दोनों प्रकार के कोलॉइडों से कैसे भिन्न हैं?
उत्तर:
परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के प्रकार के आधार पर कोलॉइड तीन प्रकार के होते हैं-
(i) बहुआण्विक कोलॉइड
(ii) वृहदाण्विक कोलॉइड तथा
(iii) सहचारी कोलॉइड (मिसेल)।

(i) बहुआण्विक कोलॉइड – किसी पदार्थ के घोलने पर उसके बहुत सारे परमाणु या अणु एकत्रित होकर ऐसी स्पीशीज बनाते हैं जिनका आकार कोलॉइडी सीमा (व्यास < 1nm ) में होता है, तो इन्हें बहुआण्विक कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण, एक गोल्ड सॉल में अनेक परमाणु युक्त भिन्न-भिन्न आकारों के कण होते हैं। सल्फर सॉल में एक हजार या उससे अधिक S8 (सल्फर अणु) के कण उपस्थित होते हैं। इनमें कोलॉइडी कण वान्डरवाल बल से जुड़े होते हैं।

(ii) वृहदाण्विक कोलॉइड – वृहदाणु उपयुक्त विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमें वृहदाणुओं का आकार कोलॉइडी कणों के समान होता है तो ऐसे निकाय को वृहदाण्विक कोलॉइड कहते हैं। ये कोलॉइड बहुत स्थायी होते हैं तथा कभी-कभी ये वास्तविक विलयनों के समान होते हैं। प्राकृतिक वृहदाण्विक कोलाइडों के उदाहरण हैं- स्टार्च, सेलुलोज प्रोटीन तथा एन्जाइम एवं मानव निर्मित उदाहरण हैं- पॉलीथीन, नायलोन, पॉलीस्टायरीन, संश्लेषित रबर आदि ।

(iii) सहचारी कोलॉइड (मिसेल) – कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो कम सांद्रता पर प्रबल वैद्युत अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं परन्तु उच्च सांद्रता पर कणों का समूह बनने के कारण कोलॉइड की भाँति व्यवहार करते हैं, इन्हें सहचारी कोलॉइड या मिसेल कहते हैं। तनु करने पर ये कोलॉइड पुनः आयनों में टूट जाते हैं। उदाहरण – साबुन तथा अपमार्जक (पृष्ठ सक्रिय पदार्थ ) । मिसेल का निर्माण एक निश्चित ताप से अधिक ताप पर ही होता है जिसे क्राफ्ट ताप कहते हैं तथा जिस सान्द्रता के ऊपर मिसेल बनता है उसे क्रान्तिक मिसेल सान्द्रता कहते हैं। मिसेल में 100 या अधिक अणु हो सकते हैं।

प्रश्न 5.13.
एन्जाइम क्या होते हैं? एन्जाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
एन्जाइम सजीव उत्प्रेरक (Biocatalyst) होते हैं जो जटिल नाइट्रोजनी कार्बनिक यौगिक हैं तथा ये जीवित पौधों एवं जन्तुओं द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। इन्हें जैव-रासायनिक उत्प्रेरक (Bio chemical catalyst) भी कहते हैं तथा उत्प्रेरण की इस क्रिया को जैव-रासायनिक उत्प्रेरण कहते हैं।

एन्जाइम – एन्जाइम नाइट्रोजनयुक्त जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं जो पौधों तथा जन्तुओं द्वारा प्राप्त होते हैं। एन्जाइम उच्च अणुभार वाले प्रोटीन होते हैं जो कोलॉइडी अवस्था में होते हैं। जन्तुओं एवं पौधों में जीवन को व्यवस्थित रखने हेतु आवश्यक शारीरिक क्रियाएँ एन्जाइमों द्वारा ही उत्प्रेरित होती हैं, अतः एन्जाइमों को जैव-रासायनिक उत्प्रेरक भी कहते हैं। एन्जाइम बहुत प्रभावी उत्प्रेरक होते हैं, जो अनेक प्राकृतिक प्रक्रियाओं से सम्बन्धित अभिक्रियाओं का उत्प्रेरण करते हैं। सर्वप्रथम प्रयोगशाला में 1969 में एन्जाइम का संश्लेषण किया गया था।

एन्जाइम उत्प्रेरण – एन्जाइमों द्वारा विभिन्न अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की प्रक्रिया को एन्जाइम उत्प्रेरण या जैव-रासायनिक उत्प्रेरण कहते हैं। ये विषमांगी उत्प्रेरण के उदाहरण हैं।
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के उदाहरण-
(i) स्टार्च का माल्टोस में परिवर्तन – डायस्टेज एन्जाइम स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 2

प्रश्न 5.14.
कोलॉइडों को निम्न आधार पर कैसे वर्गीकृत किया गया है ?
(क) घटकों की भौतिक अवस्था
(ख) परिक्षेपण माध्यम की प्रकृति
(ग) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया ।
उत्तर:
कोलॉइडों का वर्गीकरण
(क) घटकों की भौतिक अवस्था के आधार पर – घटकों की भौतिक अवस्था के आधार पर कोलॉइडों को आठ प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है । इसके विस्तृत विवेचन के लिए भाग 5.4 में सारणी देखें ।

(ख) परिक्षेपण माध्यम की प्रकृति के आधार पर – परिक्षेपण माध्यम की प्रकृति के आधार पर कोलॉइड निम्न प्रकार के होते हैं – (1) सॉल (द्रवों में ठेस) (2) जेल (ठोसों में द्रव) (3) इमल्शन (द्रव में द्रव ) । विभिन्न प्रकार के द्रवों के आधार पर सॉलों का विशिष्ट नाम दिया जाता है-
(i) एक्वासॉल या हाइड्रोसॉल (परिक्षेपण माध्यम – जल)
(ii) ऐल्कोसॉल (परिक्षेपण माध्यम – ऐल्कोहॉल)
(iii) बेन्जोसॉल) परिक्षेपण माध्यम – बेन्जीन ) ।
(ग) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर – कोलॉइडी सॉल दो प्रकार के होते हैं- (1) द्रवरागी या द्रवस्नेह विलायक को आकर्षित करने वाले, (2) द्रवविरागी या द्रवविरोधी विलयक को प्रतिकर्षित करने वाले ।

प्रश्न 5.15.
निम्नलिखित परिस्थितियों में क्या प्रेक्षण होंगे?
(i) जब प्रकाश किरण पु. कोलॉइडी सॉल में से गमन करता है ।
(ii) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड सॉल में NaCl वैद्युत अपघट्य मिलाया जाता है।
(iii) कोलॉइडी सॉल में से विद्युतधारा प्रवाहित की जाती है।
उत्तर:
(i) जब प्रकाश किरण पुंज, कोलॉ: डी सॉल में से गमन करता है तथा उसे प्रकाश के पथ की दिशा के लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है, अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पागमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं । यह कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।
(ii) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड Fe (OH), सॉल में NaCl वैद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो इस सॉल पर स्थित धनावेश, Cl के ऋणावेश द्वारा उदासीन हो जाता है जिससे कोलॉइडी कण पास-पास आकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
(iii) कोलॉइडी सॉल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कोलॉइडी कण विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड की ओर गमन कसं हैं एवं इलेक्ट्रॉड पर आवेश विसर्जित करके अवक्षेपित हो जाते हैं।

प्रश्न 5.16.
इमल्शन क्या है? इनके विभिन्न प्रकार क्या हैं? प्रत्येक प्रकार का उदाहरण दी जाए।
उत्तर:
इमल्शन (पस) – इमल्शन वे कोलॉइड हैं जिनमें सूक्ष्म विभाजित द्रव की बूँदों का दूसरे द्रव में परिक्षेपण होता है, अर्थात् परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था दोनों ही द्रव होते हैं।
जब दो अमिश्रणीय या आंशिक मिश्रणीय द्रवों को मिलाकर तेजी से हिलाया जाता है, तो एक द्रव में दूसरे द्रव का परिक्षेपण प्राप्त होता है जिसे इमल्शन कहते हैं। सामान्यतया दो द्रवों में से एक जल होता है। इमल्शन दो प्रकार के होते हैं-
(i) तेल का जल में परिक्षेपण (o/w प्रकार) (जलीय इमल्शन) एवं
(ii) जल का तेल में परिक्षेपण (w/o प्रकार) (तेलीय इमल्शन)
प्रथम प्रकार में जल परिक्षेपण माध्यम का कार्य करता है। उदाहरण-
दूध एवं वेनीशिंग क्रीम दूध में, द्रव वसा जल में परिक्षिप्त होती है। दूसरे प्रकार में, तेल परिक्षेपण माध्यम का कार्य करता है। उदाहरण- मक्खन एवं क्रीम ।

प्रश्न 5.17.
पायसीकारक पायस को स्थायित्व कैसे देते हैं? दो पायसीकारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पायस अस्थायी होते हैं और पड़े रखने पर दो परतों में विभक्त हो जाते हैं अतः इनके स्थायित्व के लिए इनमें एक पदार्थ मिलाया जाता है, जिसे पायसीकारक कहते हैं । पायसीकारक माध्यम एवं निलंबित कणों के मध्य एक फिल्म बनाता है जिससे वे एक-दूसरे के साथ मिलकर द्रव की सतह के रूप में पृथक् न हो सकें। प्रोटीन तथा वसीय अम्लों के भारी धातुओं के लवण पायसीकारकों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.18.
“साबुन की क्रिया पायसीकरण एवं मिसेल बनने के कारण होती है ।” इस पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
मिसेल निर्माण की क्रियाविधि – मिसेल बनने की क्रियाविधि को साबुन के उदाहरण से समझा जा सकता है। पानी में विलेय साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं। उदाहरण सोडियम स्टिऐरेट (C17H35COONa) जिसे सामान्य सूत्र RCOONa से व्यक्त करते हैं। साबुन को जल में घोलने पर यह RCOO तथा Na+ आयन बनाता है।

RCOO आयन दो भागों से मिलकर बना है, एक लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला (R) जो कि अध्रुवीय पूँछ या पुच्छ (Tail) कहलाती है तथा COO को ध्रुवीय आयनिक शीर्ष या सिर (Head) कहते हैं। पूँछ वाला भाग जल प्रतिकर्षी होता है जबकि सिर वाला भाग आयनिक होने के कारण जल – आकर्षी या जलस्नेही होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 3

प्रश्न 5.19.
विषमांगी उत्प्रेरण के चार उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
विषमांगी उत्प्रेरण – किसी अभिक्रिया में जब अभिकारक एवं उत्प्रेरक भिन्न-भिन्न भौतिक अवस्था में होते हैं तो इसे विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
(i) प्लैटिनम की उपस्थिति में सल्फर डाइऑक्साइड का सल्फर ट्राइऑक्साइड में ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 4
यहाँ अभिकारक गैसीय प्रावस्था में हैं जबकि उत्प्रेरक ठोस अवस्था में हैं |

(ii) सूक्ष्म विभाजित Ni की उपस्थिति में वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 5
इस अभिक्रिया में अभिकारक द्रव तथा गैस है जबकि उत्प्रेरक ठोस है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 6
(v) ओस्टवाल्ड प्रक्रम में, प्लैटिनम की जाली पर अमोनिया का नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 7
यहाँ अभिकारक गैस हैं जबकि उत्प्रेरक ठोस हैं।
(vi) ऐल्कीनों का बहुलकीकरण में जिग्लर नट्टा उत्प्रेरक (R3Al + TiCl4) प्रयुक्त किया जाता है। यहाँ ऐल्कीन गैस तथा जिग्लर नट्टा उत्प्रेरक ठोस है।
(vii) हाबर प्रक्रम में सूक्ष्म विभाजित आयरन की उपस्थिति में अमोनिया का बनना
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 8
यहाँ अभिकारक गैसीय प्रावस्था में हैं जबकि उत्प्रेरक ठोस हैं।

प्रश्न 5.20.
उत्प्रेरक की सक्रियता एवं वरण क्षमता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
(a) उत्प्रेरक की सक्रियता – उत्प्रेरक की किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने की क्षमता को ही उसकी सक्रियता कहते हैं।
(b) उत्प्रेरक की वरण क्षमता (वरणात्मकता) – उत्प्रेरक द्वारा किसी अभिक्रिया द्वारा विशिष्ट उत्पाद बनाने की क्षमता को उसकी वरण क्षमता कहते हैं।
उदाहरण – H2 तथा CO से भिन्न-भिन्न उत्प्रेरकों द्वारा भिन्न-भिन्न उत्पाद प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 9

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 5.21.
जिओलाइटों द्वारा उत्प्रेरण के कुछ लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) जिओलाइटों द्वारा उत्प्रेरण में उत्प्रेरकी अभिक्रिया उत्प्रेरक की रंध्र संरचना तथा अभिकारक एवं उत्पाद के अणुओं के आकार पर निर्भर करती है, अतः जिओलाइट आकार वरणात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं।
(ii) जिओलाइटों द्वारा उत्प्रेरण, जिओलाइटों के संरंध्रों तथा कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करता है।

प्रश्न 5.22.
आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण क्या है?
उत्तर:
आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण – वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रंध्र संरचना एवं अभिकारक एवं उत्पाद अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं । मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति वरणात्मक उत्प्रेरक होते हैं। ये सिलिकेट्स के त्रिविमीय नेटवर्क वाले सूक्ष्मरंध्री ऐलुमिनो सिलीकेट होते हैं, जिनमें कुछ सिलिकन परमाणु ऐलुमिनियम के परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al-O-Si ढाँचा बनाते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में पाए जाते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।

प्रश्न 5.23.
निम्न पदों (शब्दों) को समझाइए –
(i) वैद्युतकणसंचलन,
(ii) स्कंदन,
(iii) अपोहन,
(iv) टिन्डल प्रभाव |
उत्तर:
(i) वैद्युत कण संचलन (Electrophoresis) – कोलॉइडी विलयन में कणों पर धनावेश या ऋणावेश होता है। जब एक कोलॉइडी विलयन में डूबे हुये दो प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों पर विद्युत विभव लगाया जाता है तो कोलॉइडी कण विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड की ओर गमन करते हैं। इसे वैद्युतकणसंचलन कहते हैं। धनात्मक आवेशित कण कैथोड की ओर तथा ऋणात्मक आवेशित कण ऐनोड की ओर गति करते हैं।

(ii) स्कंदन (Coagulation) – द्रवविरागी (द्रवविरोधी) सॉल का स्थायित्व कोलॉइडी कणों पर आवेश के कारण होता है। यदि किसी प्रकार से इनका आवेश हटा दिया जाये तो कोलॉइडी कण एक-दूसरे के समीप आकर कंदित हो जाते हैं एवं गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं। कोलॉइडी कणों के स्कंदित होकर नीचे बैठने के प्रक्रम को प्रक्रम स्कंदन या अवक्षेपण कहते हैं।

(iii) अपोहन (Dialysis) – कोलॉइडी विलयन में घुले हुए विद्युत अपघट्य या अन्य विलेय पदार्थों को जांतव झिल्ली द्वारा पृथक् करने की प्रक्रिया को अपोहन कहते हैं।

(iv) टिन्डल प्रभाव (Tyndal effect ) – कोलॉइडी विलयन में प्रकाशकिरण पुंज गुजारकर उन्हें प्रकाश के पथ की दिशा के लम्बवत् देखने पर ये मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है। इसे टिण्डल प्रभाव कहते हैं। यह कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।

प्रश्न 5.24.
इमल्शनों (पायस) के चार उपयोग लिखिये ।
उत्तर:
इमल्शनों के उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) दूधिया मैग्नीशिया जो कि एक इमल्शन है, का उपयोग पेट की गड़बड़ दूर करने में किया जाता है। मैग्नीशिया Mg(OH)2 का पायस होता है।
(ii) साबुन एवं अपमार्जकों की शोधन क्रिया में इमल्शन ( पायस) बनता है।
(iii) दूध जो कि हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है, भी इमल्शन है जिसमें जल में वसा परिक्षिप्त रहती है।
(iv) धातुकर्म में अयस्क के सान्द्रण की झाग प्लवन विधि में भी पायस का योगदान होता है।

प्रश्न 5.25.
मिसेल क्या है? मिसेल निकाय का एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
मिसेल – कुछ पदार्थ विलयन में उच्च सान्द्रताओं पर कणों का एक पुंज बनाते हैं जिसे मिसेल कहते हैं। यह कोलॉइड के समान व्यवहार करता है। मिसेल सहचारी ( associated colloid) कोलॉइड द्वारा बनता है । अतः इन्हें सहचारी कोलॉइड भी कहते हैं।
मिसेल सामान्यतया पृष्ठ सक्रिय पदार्थों द्वारा बनते हैं जो कि विशिष्ट प्रकार के अणु होते हैं जिनमें द्रव – विरोधी तथा द्रवस्नेही सिरा होता है। साबुन, मिसेल बनाते हैं जैसे सोडियम ऑलिएट (C17H33 COONa+), इसमें हाइड्रोकार्बन भाग C17H33 – जलविरोधी सिरा है तथा COONa+ स्नेही सिरा है।

प्रश्न 5.26.
निम्न पदों को उचित उदाहरण सहित समझाइए –
(i) ऐल्कोसॉल,
(ii) ऐरोसॉल,
(iii) हाइड्रोसॉल।
उत्तर:
(i) ऐल्कोसॉल-वे कोलॉइडी सॉल जिनमें परिक्षेपण माध्यम ऐल्कोहॉल होता है, उन्हें एल्कोसॉल कहते हैं। उदाहरण – कोलोडियन।
(ii) ऐरोसॉल-वे कोलॉइड जिनमें द्रव, गैसीय अवस्था में परिक्षिप्त रहता है, उन्हें ऐरोसॉल कहते हैं। उदाहरण – कोहरा ।
(iii) हाइड्रोसॉल -वे कोलॉइडी सॉल जिनमें परिक्षेपण माध्यम जल होता है जिसमें ठोस के कण परिक्षिप्त रहते हैं, उन्हें हाइड्रोसॉल कहते हैं । उदाहरण – स्टार्च सॉल।

प्रश्न 5.27.
“कोलॉइड एक पदार्थ नहीं, पदार्थ की एक अवस्था है ।” इस कथन पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
“कोलॉइड एक पदार्थ नहीं, पदार्थ की एक अवस्था है।” यह कथन सत्य है क्योंकि एक ही पदार्थ भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में कोलॉइड तथा क्रिस्टलाभ की तरह व्यवहार दर्शाता है, अर्थात् एक परिस्थिति में वह कोलॉइड है तो दूसरी परिस्थिति में वह क्रिस्टलाभ होगा। जैसे NaCl जल में क्रिस्टलाभ (Crystalloid) की भांति व्यवहार करता है जबकि बेन्जीन में यह कोलॉइड की भांति व्यवहार करता है।

इसी प्रकार साबुन का तनु विलयन, क्रिस्टलाभ के गुण दर्शाता है। जबकि इसी का सांद्र विलयन, कोलॉइड के गुण दर्शाता है। अतः किसी पदार्थ का कोलॉइडी व्यवहार कणों के आकार पर निर्भर करता है। जब कणों का आकार 1 nm से 1000 nm की परास में होता है तो पदार्थ कोलॉइड की भांति व्यवहार करता है।

HBSE 12th Class Chemistry पृष्ठ रसायन Intext Questions

प्रश्न 5.1.
रसोवशोषण के दो अभिलक्षण दीजिए।
उत्तर:
(i) रसोवशोषण अतिविशिष्ट होता है।
(ii) रसोवशोषण अनुत्क्रमणीय होता है।

प्रश्न 5.2.
ताप बढ़ने पर भौतिक अधिशोषण क्यों घटता है?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण ऊष्माक्षेपी प्रक्रम होता है (△H =-ve)
अतः ली शातेलिए के नियम से ताप बढ़ाने पर साम्य पश्च दिशा में जाता है अर्थात् अधिशोषण घटता है। निम्न ताप पर भौतिक अधिशोषण आसानी सेहोता है।

प्रश्न 5.3.
अपने क्रिस्टलीय रूपों की तुलना में चूर्णित पदार्थ, अधिक प्रभावी अधिशोषक क्यों होते हैं?
उत्तर:
अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने पर अधिशोषण की मात्रा बढ़ती है। क्रिस्टलीय रूपों की तुलना में चूर्णित एवं सरन्थ्र पदार्थों का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होता है अतः ये अपने क्रिस्टलीय रूपों की तुलना में अधिक प्रभावी अधिशोषक होते हैं।

प्रश्न 5.4.
हॉबर प्रक्रम में हाइड्रोजन को NiO उत्प्रेरक की उपस्थिति में मेथेन के साथ भाप की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। प्रक्रम को भाप-पुन: संभवन कहते हैं। अमोनिया प्राप्त करने के लिए हॉबर प्रक्रम में CO को हटाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हॉबर प्रक्रम में प्रयुक्त हाइड्रोजन को निम्नलिखित अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 10
इस अभिक्रिया में CO भी सहउत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। इस CO को अभिक्रिया माध्यम से हटाना आवश्यक है क्योंकि यह हॉबर प्रक्रम में प्रयुक्त Fe (उत्प्रेरक) से क्रिया करके [Fe(CO)5] बनाता है जो कि कमरे के ताप पर द्रव होता है अतः यह NH3 के बनने में बाधा उत्पन्न करता है तथा उच्च ताप पर CO, H2 से भी क्रिया करती है इसलिए CO उत्प्रेरक विष है तथा उत्प्रेरक की सक्रियता को कम कर देती है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 5.5.
एस्टर का जल अपघटन प्रारंभ में धीमा एवं कुछ समय पश्चात् तीव्र क्यों हो जाता है?
उत्तर:
एस्टर के जल अपघटन की अभिक्रिया निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 11
इस अभिक्रिया में उत्पन्न कार्बनिक अम्ल, उत्प्रेरक (स्वउत्प्रेरक) का कार्य करता है अतः एस्टर का जल अपघटन प्रारंभ में धीमा तथा कुछ समय पश्चात् तीव्र हो जाता है।

प्रश्न 5.6.
उत्त्रेरण के प्रक्रम में विशोषण की क्या भूमिका है?
उत्तर:
ठोस उत्प्रेरक की सतह पर गैसीय अभिकारकों के अधिशोषण से मध्यवर्ती बनता है जिसके पश्चात् बने उत्पादों का उत्प्रेरक की सतह से विशोषण हो जाता है जिससे ठोस उत्प्रेरक की सतह पुन अभिक्रिया के लिए उपलब्ध हो जाती है। यदि विशोषण नहीं होगा तो आगे अभिक्रिया नहीं होगी अर्थात् अभिक्रिया रुक जाएगी। अतः उत्प्रेरण के प्रक्रम में विशोषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रश्न 5.7.
आप हार्डी-शूल्से नियम में संशोधन के लिए क्या सुझाव दे सकते हैं?
उत्तर:
हार्डी-शूल्से नियम में निम्नलिखित संशोधन किया जा सकता है अर्थात् इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-
किसी विद्युत अपघट्य की स्कंदन शक्ति उसके स्कंदन मान के व्युत्क्रमानुपाती होती है, अर्थात् जिस विद्युत अपघट्य का स्कंदन मान कम होगा उसकी स्कंदन शक्ति अधिक होगी। दो विद्युत अपघट्यों के लिए इसकी तुलना इस प्रकार की जा सकती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 Img 12
किसी विद्युत अपघट्य पर जितना अधिक आवेश होता है कोलाइड के अवक्षेपण के लिए उसकी उतनी ही कम मात्रा की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 5.8.
अवक्षेप का मात्रात्मक आकलन करने से पूर्व उसे जल से धोना आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
अवक्षेप के मात्रात्मक आकलन करने से पूर्व उसे जल से धोना आवश्यक है क्योंकि अवक्षेप की सतह पर विद्युत अपघट्य के कुछ कण अधिशोषित होते हैं जो अवक्षेप को कोलाइडी अवस्था में परिवर्तित कर सकते हैं तथा अवक्षेप का द्रव्यमान भी बढ़ सकता है, जिससे अवक्षेप का मात्रात्मक आकलन सही नहीं होगा। अतः जल से धोने से विद्युत अपघट्य के कण फिल्टर पत्र द्वारा छनित में चले जाते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.1.
निम्न अभिक्रियाओं के वेग व्यंजकों से इनकी अभिक्रिया कोटि तथा वेग स्थिरांकों की इकाइयाँ ज्ञात कीजिए-
(i) 3NO (g) → N2O(g); वेग = k[NO]2
(ii) H2O2 (aq) + 3I (aq) + 2H+ → 2H2O(I) + I3; वेग = k[H2O2][I]
(iii) CH3CHO (g) → CH4 (g) + CO(g); वेग = k[H2CHO]3/2
(iv) C2H5Cl (g) → C2H4 (g) + HCl(g); वेग = k[C2H5Cl]
उत्तर:
(i) वेग = k[NO]2
अतः अभिक्रिया की कोटि = 2
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 1
अतः k की इकाई = L mol-1 s-1

(ii) वेग = k[H2O2][I]
अभिक्रिया की कोटि = 1 + 1 = 2
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 2
अतः K की इकाई = L mol-1 s-1

(iii) वेग = k [CH3CHO]3/2
अभिक्रिया की कोटि = 1.5
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 3

(iv) अभिक्रिया की कोटि = 1
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 4

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.2.
अभिक्रिया 2A + B → A2B के लिए वेग = k[A][B]2 यहाँ k का मान 2.0 × 10-6 mol-2 L2s-1 है। प्रारंभिक वेग की गणना कीजिए; जब [A] = 0.1 mol L-1 एवं [B] = 0.2 mol L-1 हो तथा अभिक्रिया वेग की गणना कीजिए; जब [A] घटकर 0.06mol L -1 रह जाए।
उत्तर:
अभिक्रिया 2A + B A2B के लिए प्रारंभिक वेग = k[A][B]2
k = 2.0 × 10-6 mol-2L2s-1,
दिया है – [A] = 0.1 mol L-1 तथा [B] = 0.2 mol L-1
अतः प्रारंभिक वेग = 2.0 × 10-6 × 0.1 × (0.2)2
= 2 × 10-6 × 0.1 × 0.04
= 8 × 10-9 mol L-1s-1
जब A की सांद्रता घटकर 0.06 mol L-1 रह जाती है अर्थात् 0.1 मोल A में से 0.04 मोल क्रिया करता है तो अभिक्रिया की रससमीकरणमिति के अनुसार, 2A + B → A2B
प्रारम्भिक सांद्रता 0.1 0.2
t समय पर सांद्रता (0.1 0.04) (0.2 – 9.02)
अतः [A] = 0.06M तथा [B] = 0.18 M
इस स्थिति में अभिक्रिया का वेग = k[A] [B]2
= 2 × 10-6 × 0.06 × (0.18)2
वेग = 3.888 × 109 = 3.89 × 10-9 mol L-1s-1

प्रश्न 4.3.
प्लैटिनम सतह पर NH3 का अपघटन शून्य कोटि की अभिक्रिया है । N2 एवं H2 के उत्पादन की दर क्या होगी जब k का मान 2.5 × 10-4 mol L-1s-1 हो?
उत्तर:
अमोनिया के विघटन की अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है- 2NH3 → N2 + 3H2
अभिक्रिया का वेग = \(\frac{\mathrm{d}\left[\mathrm{N}_2\right]}{\mathrm{dt}}\) = k [सांद्रता]°
क्योंकि अभिक्रिया की कोटि = शून्य
अतः = \(\frac{\mathrm{d}\left[\mathrm{N}_2\right]}{\mathrm{dt}}\) = 2.5 × 10-4 mol L-1s-1 × 1
अतः N2 के बनने की दर
= \(\frac{\mathrm{d}\left[\mathrm{N}_2\right]}{\mathrm{dt}}\) = 2.5 × 10-4 mol L-1s-1
तथा H2 के बनने की दर
= \(\frac{\mathrm{d}\left[\mathrm{H}_2\right]}{\mathrm{dt}}\) = 3 × \(\frac{\mathrm{d}\left[\mathrm{N}_2\right]}{\mathrm{dt}}\)
=3 × 2.5 × 10-4 mol L-1s-1
= 7.5 × 10-4 mol L-1s-1

प्रश्न 4.4.
डाइमेथिल ईथर के अपघटन से CH4, H2 तथा CO बनते हैं। इस अभिक्रिया का वेग निम्न समीकरण द्वारा दिया जाता है-
वेग= k[CH3OCH3]3/2
अभिक्रिया के वेग का अनुगमन बंद पात्र से बढ़ते दाब द्वारा किया जाता है, अतः वेग समीकरण को डाइमेथिल ईथर के आंशिक दाब के पद में भी दिया जा सकता है। अतः
वेग = \(\left(\mathrm{p}_{\mathrm{CH}_3 \mathrm{OCH}_3}\right)^{3 / 2}\) यदि दाब को bar में तथा समय को मिनट में मापा जाये तो अभिक्रिया के वेग एवं वेग स्थिरांक की इकाइयाँ क्या होंगी?
उत्तर:
डाइमेथिल ईथर के अपघटन की अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
CH3 – O – CH3 → CH4 + H2 + CO
अभिक्रिया का वेग k = \(\left(\mathrm{p}_{\mathrm{CH}_3 \mathrm{O}-\mathrm{CH}_3}\right)^{3 / 2}\)
अतः वेग की इकाई = bar min-1 या = bar s-1
वेग स्थिरांक, HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 5
अतः वेग स्थिरांक की इकाई bar-1/2 s-1 होगी।

प्रश्न 4.5.
रासायनिक अभिक्रिया के वेग पर प्रभाव डालने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैं-
(i) अभिकारकों की प्रकृति
(ii) अभिकारकों की सांद्रता (गैसों के संदर्भ में दाब )
(iii) ताप
(iv) उत्प्रेरक ।

(i) अभिकारकों की सान्द्रता – द्रव्यअनुपाती क्रिया के नियम के अनुसार अभिकारकों की सान्द्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग बढ़ता है। अभिक्रिया वेग को अभिकारकों की सान्द्रता के पदों में व्यक्त करना वेग नियम (Rate Law) या वेग व्यंजक या वेग समीकरण कहलाता है। गैसीय अभिक्रियाओं में दाब बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग उस दिशा में बढ़ता है जिस तरफ गैसीय अणुओं की संख्या कम होती है।

(ii) अभिकारकों की सांद्रता – अभिक्रिया मिश्रण का विलोडन करने पर अणुओं के मध्य समागम बढ़ता है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ता है।

(iii) ताप – सामान्यतः ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग बढ़ता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर क्रियाकारकों की गतिज ऊर्जा बढ़ती है जिसके कारण ऊर्जित अणुओं की सान्द्रता बढ़ती है अतः प्रति सेकण्ड प्रभावी टक्करों की संख्या बढ़ती है। प्रयोगों से ज्ञात हुआ है कि 10°C ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग 2 से 3 गुना हो जाता है। अभिक्रिया वेग पर ताप के प्रभाव की व्याख्या आरेनियस के सिद्धान्त से की जाती है, जिसका विस्तृत अध्ययन आगे खण्ड 4.5 में करेंगे।

(iv) उत्प्रेरक – उत्प्रेरक वे पदार्थ होते हैं जिनमें स्वयं में कोई स्थायी रासायनिक परिवर्तन के बिना, अभिक्रिया वेग को बढ़ाते हैं । वह पदार्थ जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देता है लेकिन वह स्वतः रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है उसे उत्प्रेरक कहते हैं तथा इस क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 30
वे पदार्थ जो अभिक्रिया के वेग को कम करते हैं उन्हें निरोधक (Inhibitor) कहते हैं।

प्रश्न 4.6
किसी अभिक्रियक के लिए एक अभिक्रिया द्वितीय कोटि की है। अभिक्रिया का वेग कैसे प्रभावित होगा; यदि अभिक्रियक की सांद्रता-
(i) दुगुनी कर दी जाए
(ii) आधी कर दी जाए।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के लिए कोटि 2 है अतः अभिक्रिया का वेग = k [सांद्रता]2
(i) अभिक्रियक की सांद्रता दुगुनी करने पर,
वेग = k [2 सांद्रता]2
वेग = 4k [सांद्रता]2
अतः अभिक्रिया का वेग चार गुना हो जाता है।

(ii) अभिक्रियक (Reactant) की सांद्रता आधी कर दी जाए तो
वेग = k[\(\frac { 1 }{ 2 }\) – सांद्रता]2
वेग = \(\frac { 1 }{ 4 }\) [सांद्रता]2
अतः अभिक्रिया का वेग एक चौथाई अर्थात् \(\frac { 1 }{ 4 }\) गुना हो जाता है।

प्रश्न 4.7.
वेग स्थिरांक पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है? ताप के इस प्रभाव को मात्रात्मक रूप से कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है। अभिक्रिया का वेग, वेग स्थिरांक के रूप में व्यक्त किया जाता है। अतः ताप बढ़ाने पर वेग स्थिरांक का मान बढ़ जाता है।
किसी रासायनिक अभिक्रिया के ताप में 10°C की वृद्धि करने पर वेग स्थिरांक लगभग दुगुना हो जाता है।
अतः ताप गुणांक = \(\frac{k_{(t+10)}}{k_t} \approx 2\)
अभिक्रिया के वेग की ताप पर निर्भरता को आर्रेनिअस समीकरण से समझा सकते हैं।
k = Ae-Ea/RT
यहाँ A आर्रेनिअस गुणक अथवा आवृत्ति गुणक है, इसे पूर्व – चरघातांकी गुणक भी कहते हैं। यह किसी विशिष्ट अभिक्रिया के लिए स्थिरांक होता है। यहाँ R गैस स्थिरांक है तथा Ea सक्रियण ऊर्जा है जिसे J mol-1 में व्यक्त करते हैं।
अभिकारक तथा उत्पाद के मध्य सक्रियित संकुल बनता है जिसके बनने के लिए आवश्यक ऊर्जा को सक्रियण ऊर्जा (Ea) कहते हैं।

प्रश्न 4.8.
एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया के निम्नलिखित आँकड़े प्राप्त हुए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 6
30 से 60 सेकंड समय अंतराल में औसत वेग की गणना कीजिए ।
उत्तर:
औसत वेग = (rav) = – \(\frac{\Delta[\mathrm{R}]}{\Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{c_2-c_1}{\Delta t}\)
= – \(\frac{(0.17-0.31)}{60-30}\) = – \(\frac{(-0.14)}{30}\)
= 4.666 × 10-3
= 4.67 × 10-3 mol L-1 s-1

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.9.
एक अभिक्रिया A के प्रति प्रथम तथा B के प्रति द्वितीय कोटि की है
(i) अवकल वेग समीकरण लिखिए।
(ii) B की सांद्रता तीन गुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(iii) A तथा B दोनों की सांद्रता दुगुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यह अभिक्रिया A के प्रति प्रथम तथा B के प्रति द्वितीय कोटि की है अतः
(i) अवकल वेग समीकरण-
वेग = k [A]1 [B]2
अतः अभिक्रिया की कुल कोटि = 1 + 2 = 3

(ii) B की सांद्रता तीन गुनी करने पर –
वेग = k[A]1 [3B]2
|वेग = 9k[A]1 [B]2
अतः अभिक्रिया का वेग 9 गुना हो जाता है।

(iii) A तथा B दोनों की सांद्रता दुगुनी करने पर –
वेग = k[A]1 [B]2
वेग = k[2A]1 [2B]2
वेग = 8k [A]1 [B]2
अतः अभिक्रिया का वेग 8 गुना हो जाता है।

प्रश्न 4.10.
A और B के मध्य अभिक्रिया में A और B की विभिन्न प्रारंभिक सांद्रताओं के लिए प्रारंभिक वेग (r0) नीचे दिए गए हैं।
A और B के प्रति अभिक्रिया की कोटि क्या है?
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 7
उत्तर:
माना कि A के संदर्भ में अभिक्रिया की कोटि = a तथा B के संदर्भ में अभिक्रिया की कोटि = b
अतः वेग = k[A]a[B]b
पाठ्यांक (Reading) (1) तथा (2) से
5.07 × 10-5 = k [0.20]a [0.30]b …..(1)
5.07 × 10-5 = k [0.20]a [0.10]b …..(2)
समीकरण (2) में समीकरण (1) का भाग देने पर,
\(\frac{5.07 \times 10^{-5}}{5.07 \times 10^{-5}}\) = \(\frac{\mathrm{k}[0.20]^a[0.10]^b}{\mathrm{k}[0.20]^{\mathrm{a}}[0.30]^{\mathrm{b}}}\)
या 1 = \(\left(\frac{0.10}{0.30}\right)^b\) या b = 0

पाठ्यांक (2) से,
वेग = 5.07 × 10-5 = k [0.20]a [0.10]b
5.07 × 10-5 = k [0.20]a × 1 ….(3)
(∵ b = 0)

पाठ्यांक (3) से,
वेग = 1.43 × 10-4 = k[0.40]a [0.05]b ….(4)
= k[0.40]a × 1

समीकरण (4) को समीकरण (3) से भाग देने पर,
\(\frac{1.43 \times 10^{-4}}{5.07 \times 10^{-5}}\) = \(\frac{k[0.40]^a}{k[0.20]^a}\) = \(\left[\frac{0.4}{0.2}\right]^{\mathrm{a}}\) = (2)a
(2)a = 2.820
a log 2 = log 2.820
a = \(\frac{\log 2.820}{\log 2}\) = \(\frac{0.4490}{0.3010}\)
a = 1.49 = 1.5
अतः A के लिए अभिक्रिया की कोटि, 1.5 तथा B के लिए अभिक्रिया की कोटि शून्य है।

प्रश्न 4.11.
2A + B → C + D अभिक्रिया की बलगतिकी अध्ययन करने पर निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए। अभिक्रिया के लिए वेग नियम तथा वेग स्थिरांक ज्ञात कीजिए ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 8
उत्तर:
अभिक्रिया 2A + B → C + D के लिए वेग व्यंजक-
वेग k[A]a[B]b
यहाँ a तथा b, A व B के संदर्भ में अभिक्रिया की कोटि है।
प्रयोग I तथा IV से-
वेग = 6.0 × 10-3 = k[0.1]a [0.1]b ….(1)
2.4 × 10-2 = k[0.4]a [0.1]b ….(2)
समीकरण ( 2 ) में समीकरण (1) का भाग देने पर,

\(\frac{2.4 \times 10^{-2}}{6.0 \times 10^{-3}}\) = \(\left(\frac{0.4}{0.1}\right)^{\mathrm{a}}\)
4 = 4a अतः a = 1
प्रयोग II तथा III से-
वेग 7.2 × 10-2 = k(0.3)a (0.2)b ….(3)
2.88 × 10-1 = k(0.3)a (0.4)b ….(4)

समीकरण (4) में समीकरण (3) का भाग देने पर,
\(\frac{2.88 \times 10^{-1}}{7.2 \times 10^{-2}}\) = \(\frac{k(0.3)^l(0.4)^b}{k(0.3)^l(0.2)^b}\)
4 = (2)b अतः b = 2
अतः a तथा b के मान से इस अभिक्रिया के लिए वेग नियम इस प्रकार लिखा जा सकता है-
a = 1 तथा b = 2

वेग नियम = k[A]1[B]2
अतः अभिक्रिया की कोटि = 1 + 2 = 3
प्रयोग I के अनुसार,
वेग = 6 × 10-3 = k[0.1]a[0.1]b, (a = 1, b = 2)
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 9
अतः वेग स्थिरांक k = 6.0 M-2 min-1

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.12.
A तथा B के मध्य अभिक्रिया A के प्रति प्रथम तथा B के प्रति शून्य कोटि की है निम्न तालिका में रिक्त स्थान भरिए ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 10
उत्तर:
A तथा B के मध्य अभिक्रिया में A के संदर्भ में अभिक्रिया प्रथम कोटि तथा B के संदर्भ में अभिक्रिया शून्य कोटि की है।
अतः इसके लिए वेग समीकरण
= k[A]1 [B]0
= k[A]
(i) प्रयोग से.
वेग = 2.0 × 10-2 = k[0.1]
अतः वेग नियतांक, k = \(\frac{2.0 \times 10^{-2}}{0.1}\) = 0.2 min-1

(ii) प्रयोग II से,
वेग = k[A]
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 11

(iii) प्रयोग III से,
वेग = k[A]
= 0.2 × 0.4
= 0.08 M min-1
= 8.0 × 10-2 2M min-1

(iv) प्रयोग IV से,
वेग = K[A]
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 12

अतः रिक्त स्थानों की पूर्ति के पश्चात् सम्पूर्ण तालिका निम्न प्रकार होगी-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 13

प्रश्न 4.13.
नीचे दी गई प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के ar स्थिरांक से अर्धायु की गणना कीजिए-
(i) 200 s-1
(ii) 2 min-1
(iii) 4 year-1
उत्तर:
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए-
अर्धायु, t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)

(i) वेग नियतांक, k = 200s-1
अतः t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ 200 }\) = 0.003465
= 3.465 × 10-3 s
= 3.47 × 10-3 s

(ii) k = 2 min-1 तो t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ 2 }\)
= 0.3465 min
= 0.35 min

(iii) k = 4 year-1 तो t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ 4 }\) = 0.1732 year
t1/2 = 0.173 year

प्रश्न 4.14.
14C रेडियोएक्टिव क्षय की अर्धायु 5730 वर्ष है। एक पुरातत्व कलाकृति की लकड़ी में, जीवित वृक्ष की लकड़ी की तुलना में 80% 14C की मात्रा है। नमूने की आयु का परिकलन कीजिए ।
उत्तर:
अर्धायु, t1/2 = 5730 वर्ष
अतः वेग नियतांक (क्षयांक), k या λ = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\)
k = \(\frac{0.693}{5730}\)
k = 1.209 × 10-4 वर्ष-1
चूँकि रेडियोएक्टिव विघटन की अभिक्रिया प्रथम कोटि की होती है
अतः वेग नियतांक या क्षयांक
k = \(\frac{2.303}{t}\) log \(\frac{\left[R_0\right]}{[R]}\)
चूँकि 20% विघटन हो रहा है अतः t पर 14C है = 80%
[R0] = 100 तथा [R] = 80
अतः t = \(\frac{2.303}{k}\) log \(\frac { 100 }{ 80 }\)
t = \(\frac{2.303}{1.209 \times 10^{-4}}\) log 1.25
t = \(\frac{2.303}{1.209 \times 10^{-4}}\) × (0.0969)
= 0.1845 × 104 = 1845 वर्ष

प्रश्न 4.15.
गैस प्रावस्था में 318K पर N2O5 के अपघटन की [2N2O5 → 4NO2+O2] अभिक्रिया के आँकड़े आगे दिए गए हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 14
(i) [N2O5] एवं t के मध्य आलेख खींचिए ।
(ii) अभिक्रिया के लिए अर्धायु की गणना कीजिए ।
(iii) log [N2O5] एवं t के मध्य ग्राफ खींचिए ।
(iv) अभिक्रिया के लिए वेग नियम क्या है?
(v) वेग स्थिरांक की गणना कीजिए।
(vi) k की सहायता से अर्धायु की गणना कीजिए तथा इसकी तुलना (ii) से कीजिए ।
उत्तर:
(i) N2O5 की सांद्रता [N2O5] तथा t के मध्य ग्राफ खींचने पर निम्न प्रकार का ग्राफ प्राप्त होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 15
(ii) इस अभिक्रिया के लिए अर्धायु वह समय है जब N2O5 की सांद्रता 1.63 × 10-2 M से आधी अर्थात् 0.815 × 10-2 M हो जाए ग्राफ से 1420 वर्ष आता है अतः इस अभिक्रिया की अर्धायु 1420 वर्ष है।

(iii) log[N2O5] तथा t के मध्य ग्राफ खींचने के लिए पहले N2O5 के विभिन्न मानों का log लेते हैं जो निम्न प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 16
फिर, समय (t) तथा log [N2O5] के मध्य ग्राफ खींचते हैं जो निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 17

(iv) log [N2O5] तथा t के मध्य ग्राफ एक सीधी रेखा है अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है इसलिए वेग नियम K[N2O5]

(v) ढाल = – \(\frac { k }{ 2.303 }\) = \(\frac { -0.295 }{ 1420s }\)
अतः वेग स्थिरांक, k = \(\frac{0.295 \times 2.303}{1420 \mathrm{~s}}\)
k = 4.784 × 10-4s-1
k =4.8×10-4s-1

(vi) अर्धायु, t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\) = \(\frac{0.693}{4.8 \times 10^{-4}}\)
t1/2 = 0.1443 x 104 = 1443 s
यह अर्धायु, (ii) से प्राप्त अर्धायु के लगभग समान है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.16.
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक 60 s-1 है। अभिक्रियक को अपनी प्रारंभिक सांद्रता से 1/16 वाँ भाग रह जाने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
अभिक्रिया का वेग स्थिरांक = 60 s-1
अभिकारक प्रारंभिक सांद्रता का 1/16 वाँ भाग रह रहा है अर्थात् इसका 5/16 भाग क्रिया कर रहा है।
प्रथम कोटि अभिक्रिया का वेग स्थिरांक,
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
माना, [R0] = 1 तो [R] = \(\frac { 1 }{ 16 }\)
अतः t = \(\frac { 2.303 }{ 60 }\) log\(\frac { 1 }{ 1/16 }\)
t = \(\frac { 2.303 }{ 60 }\) log\(\frac { 16 }{ 1 }\)
t = 0.03838 (1.2041)
t = 0.046s = 4.6 × 10-2 सेकंड

प्रश्न 4.17.
नाभिकीय विस्फोट का 28.1 वर्ष अर्धायु वाला एक उत्पाद 90Sr होता है। यदि कैल्सियम के स्थान पर 1 pg. Sr नवजात शिशु की अस्थियों में अवशोषित हो जाए और उपापचयन से ह्रास न हो तो इसकी 10 वर्ष एवं 60 वर्ष पश्चात् कितनी मात्रा रह जाएगी ?
उत्तर:
यहाँ नाभिकीय विखण्डन हो रहा है तथा नाभिकीय विखण्डन की सभी अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि की होती हैं अतः
क्षयांक या वेग स्थिरांक, λ या k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\)
k = \(\frac { 0.693 }{ 28.1 }\) = 0.02466 = 0.02467 वर्ष-1

(i) 10 वर्ष बाद 90Sr की बची हुई मात्रा –
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
दिया गया है – [R]0 = प्रारंभिक पदार्थ है- 1 μg = 1 × 10-6 g
0.02467 = \(\frac { 2.303 }{ 10 }\) log\(\frac{\left[1 \times 10^{-6}\right]}{[\mathrm{R}]}\)
log \(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = \(\frac{10 \times 0.02467}{2.303}\)
log \(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = \(\frac{0.2467}{2.303}\) = 0.10707 = 0.1071
\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = Antilog 0.1071 = 1.279
\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[R]}\) = 1.279
अतः [R] = \(\frac{1 \times 10^{-6}}{1.279}\) = 0.7818 × 10-6 g
[R] = 0.7818 μg

(ii) 60 वर्ष पश्चात् 90Sr की बची हुई मात्रा
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
0.02467 = \(\frac { 2.303 }{ 60 }\) log\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\)
log\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = \(\frac{0.02467 \times 60}{2.303}\) = 0.6427
\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = Antilog 0.6427
\(\frac{1 \times 10^{-6}}{[\mathrm{R}]}\) = 4.392
[R] = \(\frac{1 \times 10^{-6}}{4.392}\) = 0.227 × 10-6 g = 0.227 μg
अतः 10 वर्ष के बाद 90Sr, 0.7818 μg बचेगा तथा 60 वर्ष के 0.227 μg बचेगा।

प्रश्न 4.18.
दर्शाइए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय 90% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले समय से दुगुना होता है।
उत्तर:
किसी प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए समय,
t = \(\frac { 2.303 }{ 2 }\) log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t समय बाद, R = 0.01 [R0] क्योंकि 99% अभिक्रिया हो रही है। 99% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय-
t0.99 = \(\frac { 2.303 }{ k }\) = log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{0.01[\mathrm{R}]_0}\) = \(\frac { 2.303 }{ k }\) log 102
90% अभिक्रिया पूर्ण होने पर, [R] = 0.1 [R0]
अतः 90% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय
t0.90 = \(\frac { 2.303 }{ k }\) log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{0.1[\mathrm{R}]_0}\) = \(\frac { 2.303 }{ k }\) log 10
अतः \(\frac{\mathrm{t}_{0.99}}{\mathrm{t}_{0.90}}\) = \(\frac { 2.303 }{ k }\) log 102 × \(\frac { k }{ 2.303 }\) × \(\frac { l }{ log 10 }\)
\(\frac{\mathrm{t}_{0.99}}{\mathrm{t}_{0.90}}\) = \(\frac{\log 10^2}{\log 10}\) = \(\frac { 2 }{ 1 }\)
\(\frac{\mathrm{t}_{0.99}}{\mathrm{t}_{0.90}}\) = \(\frac { 2 }{ 1 }\)
इससे सिद्ध होता है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय, 90% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले समय से दुगुना होता है।

प्रश्न 4.19.
एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया 30% में वियोजन होने में 40 मिनट लगते हैं। t1/2 की गणना कीजिए ।
उत्तर:
अभिक्रिया 30% हो रही है। अतः [R]0 = 1 मानने पर,
[R] = 1 – 0.3 = 0.7 तथा t = 40 मिनट
अतः वेग स्थिरांक, k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
k = \(\frac { 2.303 }{ 40 }\) log\(\frac { 1 }{ 0.7 }\)
k = 0.05757 log\(\frac { 10 }{ 7 }\)
k = 0.05757 (log 10 – log 7)
k = 0.05757 (1 – 0.8451)
k = 0.05757 × (0.1549)
k = 8.917 × 10-3 मिनट-1
k = 8.92 × 10-3 मिनट-1
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\) = \(\frac{0.693}{8.92 \times 10^{-3}}\)
t1/2 = 07769 × 103 मिनट
t1/2 = 77.7 मिनट

प्रश्न 4.20.
543K ताप पर एजो आइसोप्रोपेन के हेक्सेन तथा नाइट्रोजन में विघटन के निम्न आँकड़े प्राप्त हुए। वेग स्थिरांक की गणना कीजिए।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 18
उत्तर:
एजोआइसोप्रोपेन का विघटन निम्न प्रकार होता है-
A → B + C
(CH3)2 CH – N = N – CH (CH3)2 N2 + C6H14
माना t = 0 पर प्रारंभिक दाब = Pi
तथा t समय पर दाब में कमी = x atm
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 19
कुल दाब = Pt
अतः t समय पर कुल दाब Pt = ( Pi – x) + x + x
Pt = Pi + x या x = Pt – Pi
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है अतः
वेग स्थिरांक, k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
k = \(\frac{2.303}{t}\) log\(\frac{P_i}{P_i-x}\)
k = \(\frac{2.303}{t}\) log\(\frac{P_i}{P_i-\left(P_t-P_i\right)}\)
k = \(\frac{2.303}{t}\) log\(\frac{P_i}{2 P_i-P_t}\)
Pi = 35 mm Hg Pt = 54.0 mm Hg (t = 360 s पर)

मान रखने पर,
k = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) log\(\frac { 0.5 }{ 0.4 }\)
k = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) log\(\frac { 35 }{ 16 }\)
k = 0.006397 (log 2.1875)
k = 0.006397 × 0.3399
k = 2.17 × 10-3 = 2.20 × 10-3 s-1

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.21.
स्थिर आयतन पर SO2Cl2 के प्रथम कोटि के ताप अपघटन पर निम्न आँकड़े प्राप्त हुए-
SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl2(g)
अभिक्रिया वेग की गणना कीजिए जब कुल दाब 0.65 atm हो ।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 20
उत्तर:
अभिक्रिया SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl(g) माना प्रारंभिक दाब = Pi तथा t समय पर दाब में कमी x atm प्रश्नानुसार-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 21
कुल दाब, Pt = 0.5 – x + x + x = 0.5 + x atm
t समय पर कुल दाब = 0.6 atm.
अतः 0.6 = 0.5 + x, x = 0.1 atm
इसलिए t समय (100 s) पर, SO2Cl2 का दाब
= 0.5 – x = 0.5 – 0.1 = 0.4 atm
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है अतः
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\) के अनुसार
वेग स्थिरांक, HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 22
मान रखने पर,
k = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) log\(\frac { 0.5 }{ 0.4 }\)
k = 0.02303 log 1.25
k = 0.02303 × 0.0969
k = 2.23 × 10-3 s-1
कुल दाब = 0.65 atm पर अभिक्रिया का वेग-
कुल दाब 0.65 atm पर SO2Cl2 का आंशिक दाब, = 0.5 – x
चूँकि कुल दाब = 0.5 + x
अतः 0.65 = 0.5 + x
x = 0.65 – 0.5 = 0.15
अतः 0.5 – x 0.5 – 0.15 = 0.35
वेग = k (PSO2Cl2)
वेग = 2.23 × 10-3 × 0.35
वेग = 7.8 × 10-4 atm s-1

प्रश्न 4.22.
विभिन्न तापों पर N2O5 के अपघटन के लिए वेग स्थिरांक नीचे दिए गये हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 23
In k एवं 1/T के मध्य ग्राफ खींचिए तथा A एवं Ea की गणना कीजिए। 30°C तथा 50°C पर वेग स्थिरांक को प्रागुक्त (Predict) कीजिए।
उत्तर:
ln k तथा 1/T के मध्य ग्राफ बनाने के लिए सर्वप्रथम दिए गए मानों से निम्न प्रकार सारणी तैयार करते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 24
फिर log k तथा 1/T के मध्य ग्राफ खींचने पर निम्नलिखित प्रकार का ग्राफ प्राप्त होता है जो कि एक सीधी रेखा है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 25
समीकरण, In k = – \(\frac{E_a}{\mathrm{RT}}\) + In A
या log k = – \(\frac{E_a}{\mathrm{2.303RT}}\) + log A के अनुसार इस ग्राफ काढाल
= – \(\frac{E_a}{\mathrm{2.303R}}\) होगा तथा अन्तःखण्ड = log A होगा।
ग्राफ से ढाल = –\(\frac { 2.4 }{ 0.00047 }\) = –\(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{2.303 \mathrm{R}}\)
अतः सक्रियण ऊर्जा, Ea = \(\frac{2.4 \times 2.303 \times R}{0.00047}\)
Ea = \(\frac{2.4 \times 2.303 \times 8.314}{0.00047}\)
= 97772.64 J mol-1
Ea = 97.772 kJ mol-1
ग्राफ से अंतःखण्ड ज्ञात करके log A ज्ञात कर लेते हैं जिसका Antilog लेने पर A प्राप्त हो जाएगा जो कि लगभग 1.585 × 106 टक्कर आता है।

ग्राफ से 30°C (303K) तथा 50°C (323K ) पर log K पर ज्ञात करके, Antilog लेने पर K के मान प्राप्त हो जाते हैं जो कि लगभग 6.31 × 10-5 s-1 (303K पर ) तथा 1.585 x 10-3 s-1 (323K पर) है।

प्रश्न 4.23
546 K ताप पर हाइड्रोकार्बन के अपघटन में वेग स्थिरांक 2.418 × 10-5 s-1 है। यदि सक्रियण ऊर्जा 179.9 kJ/mol हो तो पूर्व- घातांकी गुणन का मान क्या होगा?
उत्तर:
In k = –\(\frac{E_a}{R T}\) + In A
In A = In k + \(\frac{E_a}{R T}\)
दिया है : log A = log k + \(\frac{E_a}{2.303 \mathrm{RT}}\)
Ea = 179.9 kj/mol
= 179900 J mol-1
k = 2.418 × 10-5 s-1
R = 8.314 Jk-1 तथा T = 546k
मान रखने पर,
log A = log 2.418 × 10-5 + \(\frac{179900}{2.303 \times 8.314 \times 546}\)
log A = log 10-5 + log 2.418 + \(\frac { 179900 }{ 10,454.339 }\)
log A = – 5 log10 + 0.3834) + 17.208
log A = – 5 + 0.3834 + 17.21
log A = – 4.6166 + 17.21
log A = 12.5934
A = Antilog 12.5934
A = 3.921 × 1012
अतः पूर्व घातांकी गुणन, A = 3.9 × 1012 s-1

प्रश्न 4.24.
किसी अभिक्रिया A → उत्पाद के लिए k = 2.0 × 10-2 s-1 है। यदि A की प्रारंभिक सांद्रता 1.0 mol L-1 हो तो 100s के पश्चात् इसकी सांद्रता क्या रह जाएगी ?
उत्तर:
दिए गए समीकरण के अनुसार अभिक्रिया प्रथम कोटि की है
अतः k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
k = 2.0 × 10-2 s-1, t = 100s,
[R]0 = 1.0 mol L-1, [R] = ?
मान रखने पर,
2.0 × 10-2 = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) log\(\frac { 1 }{ [R] }\)
log\(\frac { 1 }{ [R] }\) = \(\frac{2 \times 10^{-2} \times 100}{2.303}\)
log\(\frac { 1 }{ [R] }\) = \(\frac { 2 }{ 2.303 }\) = 0.8684
\(\frac { 1 }{ [R] }\) = Antilog 0.8684
\(\frac { 1 }{ [R] }\) = 7.386
[R] = 7.386
[R] = \(\frac { 1 }{ 7.386 }\) = 0.135 M
अतः 100s के पश्चात् A की सांद्रता, 0.135M रह जायेगी ।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.25.
अम्लीय माध्यम में सूक्रोस का ग्लूकोस एवं फ्रक्टोज़ में विघटन प्रथम कोटि की अभिक्रिया है । इस अभिक्रिया की अर्धायु 3.0 घंटे है। 8 घंटे बाद नमूने में सूक्रोस का कितना अंश बचेगा ?
उत्तर:
C12H12O11 + H2O → C6H12O6 + C6H12O6
सूक्रोस (आधिक्य में) ग्लूकोस फ्रक्टोस
यह प्रथम कोटि अभिक्रिया है अतः इसके लिए अर्धायु
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\) = \(\frac{0.693}{3.0 \mathrm{hr}}\)
k = 0.231 hr-1
माना सूक्रोस की प्रारंभिक सांद्रता [R]0 = 1 mol
t = 8hr तथा k = 0.231 hr-1
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\) log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
0.231 = \(\frac { 2.303 }{ 8 }\) log\(\frac { 1}{ [R] }\)
log\(\frac { 1}{ [R] }\) = \(\frac{0.231 \times 8}{2.303}\) = \(\frac { 1.848 }{ 2.303 }\)
log\(\frac { 1}{ [R] }\) = 0.8024
log\(\frac { 1}{ [R] }\) = Antilog 0.8024
\(\frac { 1}{ [R] }\) = 6.345
R = \(\frac { 1}{ 6.345 }\) = 0.1576M
अतः 8 घंटे के बाद सूक्रोस का बचा अंश = 0.158 M

प्रश्न 4.26.
हाइड्रोकार्बन का विघटन निम्न समीकरण के अनुसार होता है। Ea की गणना कीजिए ।
k = (4.5 × 1011 s-1)e-28000K/T
उत्तर:
आर्रेनिअस समीकरण के अनुसार
k = A·e ̄Ea / RT ….(1)
दिया गया है, k = (4.5 × 10-11s-1)e-28000K/T ….(2)
समीकरण (1) तथा (2) की तुलना करने पर,
– \(\frac{E_a}{R T}\) = \(\frac{-28000 K}{T}\)
या \(\frac{E_a}{R}\) = 28000K
Ea = R × 28000 K
Ea = 8.314 JK-1 mol-1 × 28,000 K
Ea = 232792 J mol-1
अतः सक्रियण ऊर्जा Ea = 232.79 kJ mol-1

प्रश्न 4.27.
H2O2 के प्रथम कोटि के विघटन को निम्न समीकरण द्वारा लिख सकते हैं-
log k = 14.34 – 1.25 × 104 K/T
इस अभिक्रिया के लिए Ea की गणना कीजिए कितने ताप पर इस अभिक्रिया की अर्धायु 256 मिनट होगी?
उत्तर:
आरेंनिअस समीकरण के अनुसार-
k = Ae -Ea/RT
log लेने पर, log k = log A – \(\frac{E_a}{2.303 R T}\) ….(1)
दिया गया है- log k = 14.34 – 1.25 × 104 K/T ….(2)
समीकरण (1) व (2) की तुलना करने पर,
\(\frac{E_a}{2.303 R}\) = 1.25 × 104

Ea = 2.303 × R × 1.25 × 104
Ea = 2.303 × 8.314 × 1.25 × 104
Ea = 23.9339 × 104 J mol-1
Ea = 23.9339 J mol-1
अतः सक्रियण ऊर्जा, Ea = 23.9339 kJ mol-1
H2O2 का विघटन प्रथम कोटि अभिक्रिया है अतः
अर्घायु, t1/2 = \(\frac{0.693}{k}\)
t1/2 = 256 min = 256 × 60 s
k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\) = \(\frac{0.693}{256 \times 60}\)
वेग स्थिरांक k = 4.51 × 10-5 s-1
दिया गया है : log k = 14.34 – 1.25 × 104 K/T
मान रखने पर,
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 26
अतः 668.8K ताप पर अभिक्रिया की अर्धायु 256 मिनट होगी ।

प्रश्न 4.28.
10°C ताप पर A के उत्पाद में विघटन के लिए k का मान 4.5 × 103s-1 तथा सक्रियण ऊर्जा 60kJ mol-1 है, किस ताप पर k का मान 1.5 × 104s-1 होगा?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 27

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.29.
298K ताप पर प्रथम कोटि की अभिक्रिया के 10% पूर्ण होने का समय 308K ताप पर 25% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगे समय के बराबर है। यदि A का मान 4 × 1010 s-1 हो तो 318K ताप पर k तथा Ea की गणना कीजिए ।
उत्तर:
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 28

प्रश्न 4.30.
ताप में 293K से 313K तक वृद्धि करने पर किसी अभिक्रिया का वेग चार गुना हो जाता है । इस अभिक्रिया के लिए सक्रियण ऊर्जा की गणना यह मानते हुए कीजिए कि इसका मान ताप के साथ परिवर्तित नहीं होता ।
उत्तर:
आर्रेनिअस समीकरण से,
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 Img 29

HBSE 12th Class Chemistry रासायनिक बलगतिकी Intext Questions

प्रश्न 4.1.
R → P, अभिक्रिया के लिए अभिकारक की सांद्रता 0.03M से 25 मिनट में परिवर्तित होकर 0.02M हो जाती है। औसत वेग की गणना सेकण्ड तथा मिनट दोनों इकाइयों में कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया का औसत वेग = \(\frac{-\Delta[\mathrm{R}]}{\Delta \mathrm{t}}\)
∆R = [R2] – [R1] = 0.02M – 0.03M – 0.01M (a) ∆t = 25 मिनट
अतः औसत वेग = \(\frac{-(-0.01)}{25}=\frac{0.01}{25}\)
= 0.0004 M min-1

(b) ∆t = 25 x 60 = 1500 सेकण्ड
अतः औसत वेग = \(\frac { 0.01 }{ 1500 }\) = 6.66 x 10-6 ms-1
= 6.66 x 10-6 mol L-1 s-1

प्रश्न 4.2.
2A → उत्पाद, अभिक्रिया में A की सांद्रता 10 मिनट में 0.5mol L-1 से घट कर 0.4mol L-1 रह जाती है। इस समयांतराल के लिए अभिक्रिया वेग की गणना कीजिए।
उत्तर:
2A → उत्पाद के लिए
अभिक्रिया का वेग = – \(\frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{2 \mathrm{dt}}\)
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी 1
A की सांद्रता में परिवर्तन = 0.4 – 0.5mol L-1
d[A] = – 0.1mol L -1
dt = 10 मिनट
अतः अभिक्रिया का वेग = \(\frac{-(-0.1)}{2 \times 10}=\frac{0.1}{20}\)
अभिक्रिया का वेग = A के विलुप्त होने की दर
= 0.005 mol L-1 min-1

प्रश्न 4.3.
एक अभिक्रिया A + B → उत्पाद, के लिए वेग नियम r = k[A]1/2[B]² से दिया गया है। अभिक्रिया की कोटि क्या है?
उत्तर:
वेग नियम r = k[A]1/2[B]² के अनुसार अभिक्रिया की कोटि 2.5 है, क्योंकि अभिक्रिया के वेग नियम व्यंजक में सांद्रता के घातांकों का योग 2.5 है जो कि अभिक्रिया की कोटि होती है।

प्रश्न 4.4.
अणु X का Y में रूपांतरण द्वितीय कोटि की बलगतिकी के अनुरूप होता है। यदि X की सांद्रता तीन गुनी कर दी जाए तो Y के निर्माण होने के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार अभिक्रिया X → Y के लिए
अभिक्रिया का वेग = k [X]² … (1)
अतः अभिक्रिया की कोटि = 2
X की सांद्रता को तीन गुनी कर देने पर
अभिक्रिया का वेग = k [3X] ²
= k = 9[X]² … (2)
अतः अभिक्रिया का वेग 9 गुना हो जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.5.
एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का वेग स्थिरांक 1.15 x 10-3s-1 है। इस अभिक्रिया में अभिकारक की 5g मात्रा को घटकर 3g होने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए
वेग स्थिरांक k = \(\frac{2.303}{\mathrm{t}} \log \frac{\left[\mathrm{R}_0\right]}{[\mathrm{R}]}\)
t = \(\frac{2.303}{k} \log \frac{\left[R_0\right]}{[\mathrm{R}]}\)
t = समय, k = वेग स्थिरांक = 1.15 x 10-3s-1
[Ro] = अभिकारक की प्रारंभिक सान्द्रता = 5 g
[R] = अभिकारक की t समय पर सांद्रता = 3 g
अतः t = \(\frac{2.303}{1.15 \times 10^{-3}} \log \frac{5}{3}\)
t = 2 × 10³ (log 5 – log 3 )
t = 2 × 10³ (0.6990 – 0.4771)
t = 2 × 10³ (0.2219)
t = 443.8
t = 444 s

प्रश्न 4.6.
SO2Cl2 को अपनी प्रारंभिक मात्रा से मात्रा में वियोजित होने में 60 मिनट का समय लगता है। यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि की हो तो वेग स्थिरांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया में प्रारंभिक मात्रा से आधी मात्रा वियोजित हो रही है-
अतः t = 60 मिनट = अर्ध आयुकाल
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
वेग स्थिरांक,
K = \(\frac{0.693}{\mathrm{t}_{1 / 2}}\)
t1/2 = 60 x 60 = 3600 s
k = \(\frac { 0.693 }{ 3600 }\)
= 1.925 x 10-4 s-1

प्रश्न 4.7.
ताप का वेग स्थिरांक पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
सामान्यतः ताप बढ़ाने पर वेग स्थिरांक का मान बढ़ता है। यह पाया गया है कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में 10°C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक लगभग दुगुना हो जाता है। लेकिन ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं में ताप बढ़ाने पर वेग स्थिरांक का मान कम हो जाता है। ताप बढ़ाने पर अणुओं के मध्य प्रभावी टक्करें बढ़ती हैं जिससे अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.8.
परमताप, 298 K में 10 K की वृद्धि होने पर रासायनिक अभिक्रिया का वेग दुगुना हो जाता है। इस अभिक्रिया के लिए Ea की गणना कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी 2

प्रश्न 4.9.
581K ताप पर अभिक्रिया 2HI(g) → H2(g) + I2(g) के लिए सक्रियण ऊर्जा का मान 209.5 kJ mol-1 है। अणुओं के उस अंश की गणना कीजिए जिसकी ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर अथवा इससे अधिक है।
उत्तर:
अणुओं का वह अंश (x) जिसकी ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर अथवा इससे अधिक है = \(\mathrm{e}^{-\mathrm{E}_2 / R T}\) लोग (लघुगणक) लेने पर,
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी 3

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी Read More »

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.1.
निम्नलिखित धातुओं को उस क्रम में व्यवस्थित कीजिए जिसमें वे एक-दूसरे को उनके लवणों के विलयनों में से प्रतिस्थापित करती हैं-
Al, Cu, Fe, Mg एवं Zn.
उत्तर:
दी गई धातुओं का एक-दूसरे को उनके लवणों के विलयनों में प्रतिस्थापित करने का क्रम निम्नलिखित है। यह इनकी क्रियाशीलता का घटता क्रम है-
Mg Al Zn Fe Cu

प्रश्न 3.2.
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रॉड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती हुई अपचायक क्षमता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
K+/K = – 2.93 V, Ag+/Ag = 0.80 V.
Hg2+/Hg = 0.79 V
Mg2+/Mg = – 2.37 V, Cr3+/Cr = – 0.74 V
उत्तर:
जब धातु का ऑक्सीकरण विभव उच्च होता है अर्थात् धातु आयन का अपचयन विभव निम्न (Low) होता है तो उस धातु की इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति अधिक होती है तथा वह प्रबल अपचायक होता है। अतः दिए गए मानक इलेक्ट्रॉड विभव (अपचयन विभव) मानों के आधार पर इन धातुओं की अपचायक क्षमता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होगा-
Ag < Hg < Cr < Mg < K

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.3.
उस गैल्वैनी सेल को दर्शाइए जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है—
Zn(s) + 2Ag+(aq) → Zn2+(aq) + 2Ag(s),
अब बताइए-
(i) कौन-सा इलेक्ट्रॉड ऋणात्मक आवेशित है?
(ii) सेल में विद्युत धारा के वाहक कौन से हैं?
(iii) प्रत्येक इलेक्ट्रॉड पर होने वाली अभिक्रिया क्या है?
उत्तर:
दी गयी अभिक्रिया के आधार पर गैल्वेनी सेल (विद्युत रासायनिक सेल) को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 1
(i) इस सेल में Zn | Zn+2 इलेक्ट्रॉड ऋणात्मक आवेशित है अतः यह ऐनोड होगा।
(ii) सेल में विद्युत धारा के वाहक इलेक्ट्रॉन हैं तथा धारा का प्रवाह. सिल्वर इलेक्ट्रॉड से जिंक इलेक्ट्रॉड की ओर होता है क्योंकि विद्युत धारा का प्रवाह, इलेक्ट्रॉन के प्रवाह की विपरीत दिशा में होता है।
(iii) कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
2Ag+ +2e → 2Ag
तथा ऐनोड पर होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
Zn → Zn2+ +2e

प्रश्न 3.4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं वाले गैल्वेनी सेल का मानक सेल विभव परिकलित कीजिए-
(i) 2Cr(s) + 3Cd2+(aq) → 2Cr3+(aq) + 3Cds
(ii) Fe2+ (aq) + Ag+ (aq) → Fe3+(aq) + Ag(s)
उपरोक्त अभिक्रियाओं के लिए △rG एवं साम्य स्थिरांकों की भी गणना कीजिए ।
उत्तर:
सक्रियता श्रेणी से –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 2

प्रश्न 3.5.
निम्नलिखित सेलों की 298 K पर नेस्ट समीकरण एवं emf लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 3
उत्तर:
सक्रियता श्रेणी से –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 4
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 5
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 30

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.6.
घड़ियों एवं अन्य युक्तियों में अत्यधिक उपयोग में आने वाली बटन सेलों में निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
उत्तर:
Zn(s) + Ag2O(s) + H2O(1) Zn2+(aq) + 2Ag(s) + 2OH(aq)
सक्रियता श्रेणी से –
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 6

प्रश्न 3.7.
किसी वैद्युत अपघट्य के विलयन की चालकता एवं मोलर चालकता की परिभाषा दीजिये। सांद्रता के साथ इनके परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चालकता (k) – प्रतिरोधकता ( या विशिष्ट प्रतिरोध) के व्युत्क्रम (विपरीत) को चालकता कहते हैं। चालकता को विशिष्ट चालकत्व भी कहते हैं। इसका प्रतीक K है तथा K = \(\frac { 1 }{ p }\)

अथवा किसी सान्द्रता पर विलयन की चालकता उसके इकाई आयतन का चालकत्व होता है जिसे इकाई दूरी पर स्थित इकाई अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो इलेक्ट्रॉडों के मध्य रखा गया हो ।

मोलर चालकता (∧m) – किसी दी गई सांद्रता पर एक विलयन की मोलर चालकता उस विलयन के आयतन का चालकत्व है, जिसमें वैद्युत अपघट्य का एक मोल घुला हो तथा जो एक-दूसरे से इकाई दूरी पर स्थित, A अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो इलेक्ट्रॉडों के मध्य रखा गया हो।
अथवा
मोलर चालकता किसी वैद्युत अपघट्य के विलयन के उस आयतन का चालकत्व है जिसे चालकता सेल के इकाई दूरी पर स्थित इलेक्ट्रॉडों के मध्य रखा गया है एवं जिनका अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल इतना है कि वह विलयन के उस आयतन (V) को रख सकें, जिसमें वैद्युत अपघट्य का एक मोल घुला हो । अतः एक मोल विद्युत अपघट्य को विलयन में घोलने पर प्राप्त आयनों की चालकता को मोलर चालकता कहते हैं।

वैद्युत अपघट्य की सांद्रता में परिवर्तन से चालकता तथा मोलर चालकता दोनों परिवर्तित होती हैं। प्रबल तथा दुर्बल दोनों प्रकार के वैद्युत अपघट्यों की सांद्रता कम करने पर चालकता हमेशा कम होती है क्योंकि तनुता बढ़ाने पर प्रति इकाई आयतन में विद्युतधारा ले जाने वाले आयनों की संख्या कम हो जाती है।
सान्द्रता कम होने पर मोलर चालकता बढ़ती है क्योंकि वह कुल आयतन (V) बढ़ जाता है जिसमें एक मोल वैद्युत अपघट्य उपस्थित हो। (∧m = kV) तथा आयतन में वृद्धि k में कमी की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न 3.8.
298 K पर 0.20M KCl विलयन की चालकता 0.0248 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता का परिकलन कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 7

प्रश्न 3.9
298 K पर एक चालकता सेल जिसमें 0.001 M KCl विलयन है, का प्रतिरोध 1500Ω है। यदि 0.001 M KCl विलयन की चालकता 298 K पर 0.146 × 10-3 S cm-1 हो तो सेल स्थिरांक क्या है ?
उत्तर:
सेल स्थिरांक (G*) = HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 8 = \(\frac { K }{ G }\)
प्रतिरोध R = \(\frac { 1 }{ G }\)
अतः सेल स्थिरांक = चालकता × प्रतिरोध
चालकता (k) = 0.146 × 10-3S cm-1
प्रतिरोध R = 1500Ω
अतः सेल स्थिरांक = 0.146 × 10-3 × 1500
सेल स्थिरांक = 0.219 cm cm-1

प्रश्न 3.10
298K पर सोडियम क्लोराइड की विभिन्न सांद्रताओं पर चालकता का मापन किया गया जिसके आँकड़े निम्नलिखित हैं-
सांद्रता/M 0.001 0.010 0.020 0.050 0.100 102 × k/S m1 1.237 11.85 23.15 55.53106.74 सभी सांद्रताओं के लिए ∧m का परिकलन कीजिए एवं ∧m तथा C1/2 के मध्य एक आलेख खींचिए । ∧om का मान ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 9
m C1/2 के मध्य आलेखित करने पर एक सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसमें ∧m का मान C1/2 के साथ कम होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 10
ग्राफ का शून्य सान्द्रता तक बहिर्वेशन करके ∧0m का मान ज्ञात किया जाता है जो कि लगभग 1.255 × 102 m2 mol-1 आता है।
अतः ∧0m = 1.255 × 102 m2 mol-1

प्रश्न 3.11
0.00241 M ऐसीटिक अम्ल की चालकता 7.896 × 10-5S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता को परिकलित कीजिए। यदि ऐसीटिक अम्ल के लिए ∧0m का मान 390.5 S cm2 mol-1 हो तो इसका वियोजन स्थिरांक क्या है?
उत्तर:
मोलर चालकता (∧m) = HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 12
चालकता (k) = 7.896 × 10-5S cm-1,
मोलरता = 0.00241M
अतः ∧m = \(\frac{7.896 \times 10^{-5} \times 1000}{0.00241}\)
m = 32.76 S cm2 mol-1

वियोजन की मात्रा,
α = \(\frac{\Lambda_{\mathrm{m}}}{\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ}}\)
\(\Lambda_{\mathrm{m}}^0\) = 390.5 S cm2 mol-1
अतः α = \(\frac { 32.76 }{ 390.5 }\) = 8.4 × 10-2
वियोजन स्थिरांक (Ka) = \(\frac{c \alpha^2}{1-\alpha}\)
α = 8.4 × 10-2
अतः Ka = \(\frac{0.00241 \times\left(8.4 \times 10^{-2}\right)^2}{1-8.4 \times 10^{-2}}\)
Ka = \(\frac{0.00241 \times 70.56 \times 10^{-4}}{1-0.084}\)
Ka = \(\frac{0.1700 \times 10^{-4}}{0.916}\)
Ka = 0.1855 × 10-4
Ka = 1.85 × 10-5

प्रश्न 3.12.
निम्नलिखित के अपचयन के लिए कितने आवेश की आवश्यकता होगी ?
(i) 1 मोल Al3+ को Al में
(ii) 1 मोल Cu2+ को Cu में
(iii) 1 मोल \(\mathrm{MnO}_4^{-}\) को Mn2+ में ।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉड अभिक्रिया है – Al3+ + 3e → Al
अतः 1 मोल Al3+ के अपचयन के लिए 3F आवेश की आवश्यकता होगी क्योंकि इस अभिक्रिया में 3 मोल इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त हो रहे हैं तथा 3 फैराडे = 3 × 96500 कूलॉम (C) = 289500 C

(ii) अभिक्रिया – Cu2+ +2e → Cu
1 मोल Cu2+ के अपचयन के लिए 2F आवेश की आवश्यकता होगी तथा 2 फैराडे
= 2 × 96500 C = 193000 C

(iii) अभिक्रिया – MnO4 → Mn2+
MnO4 में Mn का ऑक्सीकरण अंक +7 है तथा यह Mn2+ बना रहा है अतः इसमें 5 इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त हो रहे हैं। इसलिए 1 मोल MnO4 के Mn2+ में अपचयन के लिए 5F आवेश की आवश्यकता होगी तथा
5F = 5 × 96500 C = 482500 C

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.13.
निम्नलिखित को प्राप्त करने में कितने फैराडे विद्युत की आवश्यकता होगी ?
(i) गलित CaCl2 से 20.0g Ca
(ii) गलित Al2O3 से 40.0 g Al
उत्तर:
(i) गलित CaCl2 से Ca प्राप्त करने में कैथोड पर निम्न अभिक्रिया होगी-
Ca2+ + 2e → Ca
Ca का 1 मोल = 40g (परमाणु द्रव्यमान)
अतः अभिक्रिया के अनुसार 40g Ca प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा : = 2 F
तो 20 g Ca प्राप्त करने के लिए 1 F विद्युत की आवश्यकता होगी।

(ii) गलित Al2O3 से Al प्राप्त करने के लिए कै थोड पर अभिक्रिया – Al3+ +3e → Al
Al का परमाणु द्रव्यमान = 27 g = 1 मोल
अतः अभिक्रिया के अनुसार 27 g Al प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत = 3 F
तो 40 g Al के लिए = \(\frac{3 F \times 40}{27}\) = 4.44F विद्युत आवश्यक होगी।

प्रश्न 3.14.
निम्नलिखित को ऑक्सीकृत करने के लिए कितने कूलॉम विद्युत आवश्यक है ?
(i) 1 मोल H2O को O2 में ।
(ii) 1 मोल FeO को Fe2O3 में ।
उत्तर:
(i) H2O से 02 बनने की अभिक्रिया निम्नलिखित है-
2H2O → O2 + 4H+ + 4e
यहाँ 2 मोल H2O से 4 मोल इलेक्ट्रॉन निकल रहे हैं अतः 1 मोल H2O से 2 मोल इलेक्ट्रान निकलेंगे इसलिए 1 मोल H2O के ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2F = 2 × 96,500 कूलॉम
विद्युत की मात्रा = 1,93,000 कूलॉम

(ii) FeO से Fe2O3 का बनना निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 11
यहाँ Fe2+ से Fe3+ बन रहा है अतः 1 मोल FeO को Fe2O3 में आक्सीकृत करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 1F = 96,500 कूलॉम।

प्रश्न 3.15.
Ni(NO3)2 के एक विलयन का प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के बीच 5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करते हुए 20 मिनट विद्युत अपघटन किया गया। Ni की कितनी मात्रा कैथोड पर निक्षेपित होगी?
उत्तर:
प्रवाहित की गई विद्युत की मात्रा – Q = I t
I = 5 ऐम्पियर, t = समय सेकण्ड = 20 × 60s
Q = 5 × 20 × 60 = 6000C

कैथोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
Ni2+ + 2e → Ni

Ni का परमाणु द्रव्यमान = 58.7 (1 मोल)
अभिक्रिया के अनुसार 2F या 2 × 96500C विद्युत प्रवाहित करने पर प्राप्त Ni की मात्रा = 58.7g
अतः 6000C विद्युत प्रवाहित करने पर प्राप्त Ni-
= \(\frac{58.7 \times 6000}{2 \times 96500}\) = 1.824 g
अतः Ni की कैथोड पर निक्षेपित मात्रा = 1.8248 g

प्रश्न 3.16.
ZnSO4, AgNO3 एवं CuSO4 विलयन वाले तीन वैद्युत अपघटनी सेलों A,B,C को श्रेणीबद्ध किया गया एवं 1.5 ऐम्पियर की विद्युतधारा, सेल B के कैथोड पर 1.45 g सिल्वर निपेक्षित होने तक लगातार प्रवाहित की गई। विद्युतधारा कितने समय तक प्रवाहित हुई? निपेक्षित कॉपर एवं जिंक का द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर:
सेल B के कैथोड पर सिल्वर के निक्षेपित होने में निम्नलिखित अभिक्रिया प्रयुक्त होती है-
Ag+ +e → Ag
Ag का परमाणु द्रव्यमान = 108g (1 मोल)
108 g Ag के निक्षेपण के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 96500 C
अतः 1.45 g सिल्वर के निक्षेपण के लिए
= \(\frac{96500}{108}\) × 1.45
= 1295.6 C विद्युत आवश्यक होगी।
आवेश Q = I t, t = \(\frac { Q }{ I }\) = \(\frac{1295.6}{1.5}\) = 863.73 सेकंड
अतः मिनट में समय = \(\frac{863.73}{60}\) = 14.39 = 14.40 मिनट
अतः विद्युत धारा 14.40 मिनट तक प्रवाहित हुई।
Cu के निक्षेपण के लिए आवश्यक अभिक्रिया
Cu2+ + 2e → Cu
Cu का परमाणु द्रव्यमान = 63.5g (1 मोल)
अतः 2 × 96500 C विद्युत से प्राप्त कॉपर 63.5 g
1295.6C विद्युत से प्राप्त कॉपर = \(\frac{63.5 \times 1295.6}{2 \times 96500}\) = 0.426 g
अतः निक्षेपित कॉपर का द्रव्यमान = 0.426 g
Zn के निक्षेपण के लिए आवश्यक अभिक्रिया-
Zn2+ +2e → Zn
Zn का परमाणु द्रव्यमान = 65 g (1 मोल)
2 × 96500 C विद्युत से प्राप्त जिंक = 65g
अतः 1295.6 C विद्युत से प्राप्त जिंक
= \(\frac{65 \times 1295.6}{2 \times 96500}\) = 0.436 g
अतः निक्षेपित जिंक का द्रव्यमान = 0.436 g

प्रश्न 3.17.
सारणी 3.1 में दिए गए मानक इलेक्ट्रॉड विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या निम्नलिखित अभिकर्मकों के बीच अभिक्रिया संभव है?
(i) Fe3+ (aq) और I(aq)
(ii) Ag+ (aq) और Cu(s)
(iii) Fe3+(aq) और Br (aq)
(iv) Ag(s) और Fe3+(aq)
(v) Br2(aq) और Fe2+(aq)
उत्तर:
(i) Fe3+(aq) और I (aq) के बीच अभिक्रिया संभव है
क्योंकि HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 13 का मान HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 14 मान से अधिक है तथा इसके लिए HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 15 है। यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
Fe3+ + I (aq) → Fe2+ (aq) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) I2

(ii) Ag+(aq) तथा Cu(s) के मध्य अभिक्रिया भी संभव है।
क्योंकि HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 16 का मान HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 17 मान से अधिक है तथा इसके लिए HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 18 एवं यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
2Ag+ (aq) + Cu(s) → Cu2+ (aq) + 2Ag(s)

(iii) Fe3+ (aq) तथा Br (aq) के बीच अभिक्रिया संभव नहीं है क्योंकि HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 19 का मान HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 20 मान से कम है तथा इसके लिए सैल HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 21 अतः Br आयन Fe3+ आयनों का अपचयन नहीं कर सकते।

(iv) Ag(s) तथा Fe3+ (aq) के बीच भी अभिक्रिया संभव नहीं है क्योंकि HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 22 का मान HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 23 मान से कम है तथा इसके लिए HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 24 अतः Ag, Fe+3 का अपचयन नहीं कर सकता ।

(v) Br2(aq) तथा Fe2+ (aq) के बीच अभिक्रिया होगी क्योंकि HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 25 का मान, HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 26 मान से अधिक है तथा इसके लिए HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 27 अतः Fe2+, Br2 का अपचयन कर सकता है। यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
Fe2+ (aq) + Br2 (aq) → Fe3+ (aq) + 2Br (aq)

प्रश्न 3.18.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद बताइए-
(i) सिल्वर इलेक्ट्रॉडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(ii) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(iii) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ H2SO4 का तनु विलयन
(iv) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ CuCl2 का जलीय विलयन |
उत्तर:
(i) सिल्वर इलेक्ट्रॉडों के साथ AgNO3 के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर ऐनोड पर सिल्वर इलेक्ट्रॉड अभिक्रिया में भाग लेगा क्योंकि यह क्रियाशील इलेक्ट्रॉड है अतः
कैथोड पर – Ag+ से Ag बनेगा (अपचयन)
Ag+ (aq) + e → Ag(s) तथा
ऐनोड पर – Ag का Ag+ में ऑक्सीकरण होगा
Ag(s)→ Ag (aq) + e ̄
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 28

(ii) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ AgNO3 के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करने पर Pt अभिक्रिया में भाग नहीं लेगा क्योंकि यह अक्रिय इलेक्ट्रॉड है अतः कैथोड पर अभिक्रिया IMG होगी तथा ऐनोड पर अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 IMG 29

(iii) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ H2SO4 के तनु विलयन का विद्युत अपघटन करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होंगी क्योंकि SO- आयन H2O की तुलना में कम क्रियाशील है।
कैथोड पर 2H+ + 2e → H2 (अपचयन)
एनोड पर_H2O → 2H+ + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2 + 2e (ऑक्सीकरण)

(iv) प्लैटिनम इलेक्ट्रॉडों के साथ CuCl2 के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होंगी-
कैथोड पर – Cu2+ + 2e → Cu
Cu2+, H2O (H+) से अधिक क्रियाशील है।
ऐनोड पर – 2Cl – 2e → Cl2
Cl,H2O(ŌH) से अधिक क्रियाशील है।

HBSE 12th Class Chemistry वैद्युत रसायन Intext Questions

प्रश्न 3.1.
निकाय Mg2+| Mg का मानक इलेक्ट्रॉड विभव आप किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
उत्तर:
निकाय Mg2+| Mg का मानक इलेक्ट्रॉड विभव ज्ञात करने के लिए इसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड (SHE) से जोड़कर सेल का विद्युत वाहक बल ज्ञात करते हैं। विद्युत वाहक बल ज्ञात करने के लिए वोल्टमीटर या पोटेन्शियोमीटर (विभवमापी) प्रयुक्त किया जाता है। मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉंड एक संदर्भ इलेक्ट्रॉड है जिसका इलेक्ट्रॉड विभव शून्य होता है। अतः सेल का विद्युत वाहक बल (emf) दूसरी अर्ध सेल (Mg2+| Mg) के मानक इलेक्ट्रॉड विभव (अपचयन विभव) के बराबर होगा। यहाँ Mg2+| Mg कैथोड के रूप में लिया जाता है।

प्रश्न 3.2.
क्या आप एक जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट का विलयन रख सकते हैं?
उत्तर:
जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट (CuSO4) का विलयन नहीं रखा जा सकता क्योंकि Zn, Cu से अधिक क्रियाशील धातु है अर्थात् Cu से Zn अधिक अपचायक है। अतः यह कॉपर सल्फेट के विलयन से क्रिया करके ZnSO4 बना देता है तथा Cu धातु अवक्षेपित हो जाती है।
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}^{+2} \mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{-2} \rightarrow \mathrm{Zn}^{+2} \mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{-2}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

प्रश्न 3.3.
मानक इलेक्ट्रॉड विभव की तालिका का निरीक्षण कर तीन ऐसे पदार्थ बताइए जो अनुकूल परिस्थितियों में फेरस आयनों को ऑक्सीकृत कर सकते हैं।
उत्तर:
Fe+3/Fe+2 के लिए E° का मान 0.77 V है अतः वे पदार्थ जिनके लिए E° का मान इससे अधिक होता है वे Fe+2 को Fe+3 में ऑक्सीकृत कर सकते हैं। मानक इलेक्ट्रॉड विभव की तालिका के आधार पर ये पदार्थ हैं-
(i) \(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}\) (अम्लीय माध्यम में ),
(ii) जलीय Br2 या Cl2 तथा
(iii) जलीय Ag+

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.4.
pH = 10 के विलयन के संपर्क वाले हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड के विभव का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
विलयन का pH = 10 है अतः [H+] = 10-10 mol L-1 हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड के लिए-
नेर्न्स्ट समीकरण निम्न प्रकार होगा-
\(\mathrm{E}_{\mathrm{H}^{+} / \mathrm{H}}=\mathrm{E}_{\mathrm{H}^{+} / \mathrm{H}}^{\circ}-\frac{\mathrm{RT}}{\mathrm{nF}} \ln \frac{1}{\left[\mathrm{H}^{+}\right]}\)
अतः हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉडड का विभव = – 0.59 V

प्रश्न 3.5.
एक सेल के emf का परिकलन कीजिए, जिसमे निम्नलिखित अभिक्रिया होती है। दिया गया है E°(सेल) =1.05 V
Ni(s) + 2Ag+(0.002M) → Ni2+(0.160M)+2Ag(s)
उत्तर:
किसी सेल का emf
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 2 Img 58

प्रश्न 3.6.
एक सेल जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है- 2Fe3+(aq) + 21(aq) → 2Fe2+(aq) + I2(S) का 298 K ताप पर E° सेल = 0.236 V है। सेल अभिक्रिया की मानक गिब्ज ऊर्जा एवं साम्य स्थिरांक का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
(a) मानक गिब्ज ऊर्जा △G° = -nFE° सेल
n = 2 (सम्पूर्ण अभिक्रिया के लिए)
F = 96500C, E° सेल = 0.236 V
मान रखने पर,
△G° = – 2 × 96500 × 0.236
△G° = – 45548 J mol-1
या △G° = – 45548 KJ mol-1

(b) साम्य स्थिरांक का परिकलन निम्नलिखित सूत्र से किया जाता है-
△G° = – 2.303RT log KC
log KC = – \(\frac{\Delta \mathrm{G}^{\circ}}{2.303 \mathrm{RT}}\)
△G° = – 45.548 J mol-1
R = 8.314J, T = 298 K
मान रखने पर,
log KC = – \(\frac{-45548}{2.303 \times 8.314 \times 298}\)
log KC = \(\frac { 45548 }{ 5705.848 }\)
log KC = 7.9826
KC = Antilog (7.9826)
KC = 9.6 × 107

प्रश्न 3.7.
किसी विलयन की चालकता तनुता के साथ क्यों घटती है?
उत्तर:
किसी विलयन की तनुता बढ़ाने पर प्रति इकाई आयतन में विद्युत धारा ले जाने वाले आयनों की संख्या कम हो जाती है अतः विलयन की चालकता घट जाती है।

प्रश्न 3.8.
जल की \(\Lambda_m^o\) ज्ञात करने का एक तरीका बताइए।
उत्तर:
जल एक बहुत दुर्बल विद्युत अपघट्य माना जाता है अतः कोलराउश के नियम से जल के लिए \(\Lambda_m^o\) ज्ञात कर सकते हैं क्योंक HCl, NaOH तथा NaCl प्रबल विद्युत अपघट्य हैं जिनके लिए \(\Lambda_m^o\) के मान \(\Lambda_m\) तथा c1/2 के मध्य ग्राफ़ के बहिर्वेशन से प्राप्त कर सकते हैं। अतः \(\Lambda_m^o\) के मानों का प्रयोग कर निम्नलिखित समीकरण द्वारा जल के लिए \(\Lambda_m^o\) ज्ञात किया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 2 Img 57

प्रश्न 3.9.
0.025 mol L-1 मेथेनॉइक अम्ल की मोलर चालकता 46.1 S cm2 mol-1 है। इसकी वियोजन की मात्रा एवं वियोजन स्थिरांक का पस्किलन कीजिए। दिया गया है-
λ ° (H+) = 349.6 S cm2 mol-1 एवं λ ° (HCOO) = 546. S cm2 mol-1
उत्तर:
दिया गया है-सान्द्रता c = 0.025 molL-1, मोलर चालकता (\(\Lambda_{\mathrm{m}}\)) = 46.1 Scm2 mol-1 HCl के लिए सीमान्त मोलर चालकता
\(\Lambda_{\mathrm{HCl}}^{\circ}=\lambda_{\mathrm{H}^{+}}^{\circ}+\lambda_{\mathrm{Cl}^{-}}^0\)
\(\Lambda_{\mathrm{HCl}}^{\circ}\) = 349.6 + 54.6 = 404.2S cm2 mol-1
वियोजन की मात्रा (α) = \(\frac{\Lambda_{\mathrm{m}}}{\Lambda_{\mathrm{m}}^{\mathrm{o}}}\) = \(\) = 0.114
वियोजन स्थिरांक, K = \(\frac{c \alpha^2}{(1-\alpha)}\)
K = \(\frac{0.025 \times(0.114)^2}{(1-0.114)}\)
K = \(\frac{0.025 \times 0.012996}{0.886}\)
K = \(\frac{3.249 \times 10^{-4}}{0.886}\)
K = 3.667 × 10-4
= 3.67 × 10-4 mol L-1
अतः वियोजन स्थिरांक (K) = 3.67 × 10-4 mol L-1

प्रश्न 3.10.
यदि एक धात्विक तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा 2 घंटों के लिए प्रवाहित होती है तो तार में से कितने इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
उत्तर:
आवेश (Q) = धारा × समय
Q = 0.5 × 2 × 60 × 60 = 3600 कूलम्ब
एक इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 × 10-19 कूलम्ब
अतः 3600 कूलम्ब में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= \(\frac{3600}{1.6 \times 10^{-19}}\) = 2.25 × 1022 इलेक्ट्रॉन
अतः धात्विक तार में से 2.5 × 1022 इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.11.
उन धातुओं की एक सूची बनाइए जिनका वैद्युत अपघटनी निष्कर्षण होता है।
उत्तर:
ऐलुमिनियम (Al), सोडियम (Na) तथां मैग्नीशियम (Mg) ऐसी धातुएँ हैं जिनका वैद्युत अपघटनी निष्कर्षण होता है। ये अधिक क्रियाशील धातुएँ हैं क्योंकि इनके E° के मान अधिक ऋणात्मक होते हैं। अतः इनके लिए उपयुक्त रासायनिक अपचायक उपलब्ध नहीं है तथा ये स्वयं प्रबल अपचायक हैं।

प्रश्न 3.12.
निम्नलिखित अभिक्रिया में \(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}\) आयनों के एक मोल के अपचयन के लिए कूलॉम में विद्युत की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
\(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}+14 \mathrm{H}^{+}+6 \mathrm{e}^{-} \rightarrow 2 \mathrm{Cr}^{3+}+7 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\)
उत्तर:
दी गई अभिक्रिया में 1 मोल \(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}\) आयनों के अपचयन के लिए 6 मोल इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त हो रहे हैं। 1 मोल इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त होने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा, 1 फैराडे ( 96500 कूलॉम) होती है। अतः 6 मोल इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त होने पर आवश्यक विद्युत की मात्रा = 6 फैराडे = 96500 × 6 = 579000 कूलॉम = 5.79 × 105 कूलॉम।

प्रश्न 3.13.
चार्जिंग के दौरान प्रयुक्त पदार्थों का विशेष उल्लेख करते हुए लेड संचायक सेल की चार्जिंग क्रियाविधि का वर्णन रासायनिक अभिक्रियाओं की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
एक संचायक सेल को उपयोग में लेने के बाद विपरीत दिशा में विद्युत धारा के प्रवाह से पुनः आवेशित कर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है। लेड संचायक सेल में ऐनोड लैड का तथा कैथोड लैड डाइऑक्साइड (PbO2) से भरे हुए लैड ग्रिड का होता है। 38% सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) का विलयन वैद्युतअपघट्य के रूप में कार्य करता है। जब बैटरी उपयोग में आती है तो निम्नलिखित अभिक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं-
ऐनोड – \(\mathrm{Pb}(\mathrm{s})+\mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{PbSO}_4(\mathrm{~s})+2 \mathrm{e}^{-}\)
कैथोड – \(\begin{aligned}
\mathrm{PbO}_2(\mathrm{~s})+ & \mathrm{SO}_4{ }^{2-}(\mathrm{aq})+4 \mathrm{H}^{+}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-} \\
\rightarrow & \mathrm{PbSO}_4(\mathrm{~s})+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}(\mathrm{l})
\end{aligned}\)
कैथोड एवं ऐनोड दोनों अभिक्रियाओं को मिलाकर नेट सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है-
Pb(s) + pbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2pbSO4(s) + 2H2O(l)

बैटरी को चार्ज (आवेशित) करने पर अभिक्रिया एकदम विपरीत हो जाती है तथा कैथोड एवं ऐनोड भी बदल जाते हैं।
कैथोड – PbO2, ऐनोड – PbSO4(s), Pb तथा चार्जिंग अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
2PbSO4(s) + 2H2O → Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq)

प्रश्न 3.14.
हाइड्रोजन को छोड़कर ईंधन सेलों में प्रयुक्त किये जा सकने वाले दो अन्य पदार्थ सुझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के अलावा CO (कार्बन मोनो ऑक्साइड) तथा मेथेन (CH4) को भी ईंधन सेलों में प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3.15.
समझाइए कि कैसे लोहे पर जंग लगने का कारण एक वैद्युत रासायनिक सेल बनना माना जाता है।
उत्तर:
लोहे पर जंग लगने को वैद्युत रासायनिक घटना माना जाता है क्योंकि इसमें निम्न प्रकार से वैद्युत रासायनिक सेल का निर्माण होता है जिसमें कैथोड तथा ऐनोड बनकर उन पर अपचयन एवं ऑक्सीकरण का प्रक्रम होता है। लोहे से बनी हुई किसी वस्तु के किसी निश्चित स्थान पर जब ऑक्सीकरण की प्रक्रिया होती है तो वह स्थान ऐनोड का कार्य करता है तथा इसे हम निम्नलिखित अभिक्रिया से दर्शा सकते हैं-
ऐनोड – 2Fe(s) → 2Fe2+ + 4e

ऐनोड से प्राप्त इलेक्ट्रॉन, धातु के द्वारा प्रवाहित होकर इसके दूसरे स्थान पर पहुँच जाते हैं तथा वहाँ H+ की उपस्थिति में ऑक्सीजन क अपचयन करते हैं (माना जाता है कि H+ आयन CO2 के जल में घुलने से बने H2CO3 से प्राप्त होते हैं। वायुमंडल में उपस्थित अन्य अम्लीय ऑक्साइडों के जल में घुलने से भी H+ उपलब्ध हो सकते हैं)। यह स्थान कैथोड की तरह व्यवहार करता है तथा यहाँ पर होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-

O2(g) + 4H+(aq) + 4e → 2H2O(l);
2Fe(s) + O2(g) + 4H+(aq) → 2Fe2+(aq) + 2H2O(l);

इसके पश्चात् वायुमंडलीय ऑक्सीजन के द्वारा फेरस आयन (Fe2+) और अधिक ऑक्सीकृत होकर फेरिक आयनों (Fe3+) में परिवर्तित हैं जो जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3. × H2O ) बना लेते हैं तथा यही जंग का रासायनिक संघटन है तथा इसके साथ ही हाइड्रोजन आयन पुनः उत्पन्न हो जाते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युत रसायन Read More »