Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल
प्रश्न 12.1.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए-
(i) सायनोहाइड्रिन
(ii) ऐसीटेल
(iii) सेमीकार्बेजोन
(iv) ऐल्डोल
(v) हेमीऐसीटेल
(vi) ऑक्सिम
(vii) कीटेल
(viii) इमीन
(ix) 2,4-DNP व्युत्पन्न
(x) शिफ क्षारक।
उत्तर:
(i) सायनोहाइड्रिन- कार्बोनिल यौगिकों पर HCN के योग से बने यौगिक सायनोहाइड्रिन कहलाते हैं। इनमें OH तथा -CN समूह उपस्थित होते हैं। जैसे-
(ii) ऐसीटेल ऐल्डिहाइड की दो मोल मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल से क्रिया कराने पर प्राप्त यौगिकों को ऐसीटेल कहते हैं।
(iii) सेमीकार्बेजोन कार्बोनिल यौगिकों की सेमीकार्बेजाइड से अभिक्रिया कराने पर बने यौगिकों को सेमीकार्बेजोन कहते हैं। जैसे-
(iv) ऐल्डोल – a-H युक्त ऐल्डिहाइडों का तनु क्षार की उपस्थिति में संघनन करने से बना उत्पाद ऐल्डोल कहलाता है।
(v) हेमीऐसीटेल – शुष्क HCl की उपस्थिति में ऐल्डिहाइड की मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के एक मोल के साथ अभिक्रिया कराने पर ऐल्कॉक्सी ऐल्कोहॉल बनते हैं, इन्हें हेमीऐसीटेल कहते हैं।
(vi) ऑक्सिम – कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रॉक्सिल एमीन से क्रिया कराने से बने उत्पाद ऑक्सिम कहलाते हैं।
(vii) कीटैल – शुष्क HCl की उपस्थिति में कीटोन, एथिलीन ग्लाइकॉल के साथ अभिक्रिया करके चक्रीय उत्पाद बनाते हैं जिसे एथिलीन ग्लाइकॉल कीटैल कहते हैं।
(viii) इमीन – कार्बोनिल यौगिक NH3 के साथ अभिक्रिया करके इमीन बनाते हैं।
(ix) 2,4-DNP व्युत्पन्न – ऐल्डिहाइड तथा कीटोन 2,4-डाई नाइट्रो फेनिल हाइड्रेजीन (2,4-DNP) से क्रिया करके 2,4-डाईनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन बनाते हैं, इन्हें 2,4-DNP व्युत्पन्न कहते हैं।
(x) शिफ – क्षारक – कार्बोनिल यौगिकों की प्राथमिक ऐमीन से क्रिया द्वारा बने उत्पाद प्रतिस्थापित इमीन होते हैं, इन्हें शिफ क्षारक कहते हैं।
प्रश्न 12.2.
निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी (IUPAC ) नामपद्धति में नाम लिखिए-
उत्तर:
इन यौगिकों के IUPAC नाम निम्नलिखित हैं-
(i) 4- मेथिलपेन्टेनैल
(ii) 6- क्लोरो-4 एथिलहेक्सेन 3 ओन
(iii) ब्यूट-2 ईन -1- ऐल
(iv) पेन्टेन-2, 4-डाइओन
(v) 3,3,5 ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
(vi) 3, 3 – डाइमेथिलब्यूटेनॉइक अम्ल
(vii) बेन्जीन-1, 4-डाइकार्बेल्डिहाइड
प्रश्न 12.3.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए-
(i) 3- मेथिल ब्यूटेनैल
(ii) p- नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
(iii) p-मेथिलबेन्जेल्डिहाइड
(iv) 4- मेथिलपेन्ट- 3 – ईन- 2- ओन
(v) 4-क्लोरोपेन्टेन- 2- ऑन
(vi) 3- ब्रोमो-4- फेनिल पेन्टेनॉइक अम्ल
(vii) P,p’-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्ज़ोफीनोन
(viii) हेक्स-2 ईन- 4 आइनोइक अम्ल।
उत्तर:
इन यौगिकों की संरचना निम्न प्रकार है-
प्रश्न 12.4.
निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आईयूपीएसी (IUPAC ) नाम लिखिए और जहाँ संभव हो सके साधारण नाम भी दीजिए-
(vi) PhCOPh
उत्तर:
इन यौगिकों के IUPAC नाम निम्न प्रकार हैं-
(i) हेप्टेन -2- ओन
(ii) 4- ब्रोमो-2- मेथिलहेक्सेनैल
(iii) हेप्टेनैल
(iv) 3- फ़ेनिलप्रोपीनैल
(v) साइक्लोपेन्टेनकार्बेल्डिहाइड
(vi) डाइफ़ेनिलमेथेनोन
इनके सामान्य (साधारण) नाम निम्न प्रकार होंगे-
(i) मेथिल पेन्टिल कीटोन
(ii) नहीं है
(iii) नहीं है
(iv) सिन्नेमैल्डिहाइड
(v) नहीं है
(vi) बेन्जोफीनॉन
प्रश्न 12.5.
निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए-
(i) बेन्जेल्डिहाइड का 2, 4- डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्रेजोन
(ii) साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्सिम
(iii) ऐसीटैल्डिहाइडडाइमेथिलऐसीटैल
(iv) साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकार्बेजोन
(v) हेक्सेन – 3 – ओन का एथिलीन कीटेल
(vi) फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटेल।
उत्तर:
इन व्युत्पन्नों (Derivatives) की संरचना निम्न प्रकार होगी-
प्रश्न 12.6.
साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए-
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
(ii) टॉलेन अभिकर्मक
(iii) सेमीकार्बेजाइड एवं दुर्बल अम्ल
(iv) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(v) जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर:
प्रश्न 12.7.
निम्नलिखित में से कौनसे यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिज़ारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपरोक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिज़ारो अभिक्रिया में संभावित उत्पादों की संरचना लिखिए।
(i) मेथेनैल
(ii) 2- मेथिलपेन्टेनैल
(iii) बेन्ज़ैल्डिहाइड
(iv) बेन्ज़ोफ़ीनॉन
(v) साइक्लोहेक्सेनोन
(vi) 1 – फेनिलप्रोपेनोन
(vii) फेनिलऐसीटैल्डिहाइड
(viii) ब्यूटेन – 1- ऑल
(ix) 2,2 – डाइमेथिलब्यूटेनैल।
उत्तर:
उपर्युक्त में से निम्नलिखित यौगिक ऐल्डोल संघनन देते हैं- (ii), (v), (vi), (vii); निम्नलिखित यौगिक कैनिज़ारो अभिक्रिया दर्शाते हैं- (i), (iii), (ix) तथा निम्नलिखित यौगिक दोनों ही अभिक्रिया नहीं दर्शाते- (iv), (viii).
संभावित उत्पादों की संरचना निम्न प्रकार होगी-
प्रश्न 12.8.
ऐथेनैल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) ब्यूटेन-1, 3-डाई ऑल
(ii) ब्यूट-2-ईनैल
(iii) ब्यूट-2-इनॉइक अम्ल।
उत्तर:
(i) एथेनैल से ब्यूटेन-1, 3-डाईऑल-
(ii) एथेनैल से ब्यूट-2-ईनैल
(iii) एथेनैल से ब्यूट-2-इनॉइक अम्ल-
प्रश्न 12.9.
प्रोपेनैल एवं ब्यूटेनैल के एल्डोल संघनन से बनने वाले चार संभावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए | प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकरागी और कौन – सा इलेक्ट्रॉनरागी होगा ?
उत्तर:
प्रोपेनैल एवं ब्यूटेनैल के ऐल्डोल संघनन से बनने वाले चार उत्पाद निम्नलिखित हैं-
(i) प्रोपेनैल से बना उत्पाद-
(ii) ब्यूटेनैल से बना उत्पाद-
(iii) प्रोपेनैल नाभिकरागी तथा ब्यूटेनैल इलेक्ट्रॉनरागी होने पर बना उत्पाद-
(iv) ब्यूटेनैल नाभिकरागी तथा प्रोपेनैल इलेक्ट्रॉनरागी होने पर बना उत्पाद –
प्रश्न 12.10.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10O है 2,4 DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचित करता है तथा कैनिज़ारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1, 2 – बेन्ज़ीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर:
यह कार्बनिक यौगिक 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है। अतः यह कार्बोनिल यौगिक ( ऐल्डिहाइड या कीटोन) होगा लेकिन यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचित ( reduced ) कर रहा है। अतः यह ऐल्डिहाइड है तथा यह कैनिज़ारो अभिक्रिया दे रहा है। अतः इसमें a-H अनुपस्थित है। इसके आक्सीकरण से 1, 2 – बेन्जीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनता है ।
ऑक्सीकरण के बाद बने उत्पाद से यह सिद्ध होता है कि इसमें एक बेन्जीन वलय है, एक – COOH समूह -CHO समूह के ऑक्सीकरण से तथा दूसरा – COOH समूह ऐल्किल समूह के ऑक्सीकरण से प्राप्त होगा। अतः अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र निम्न प्रकार होगा-
प्रश्न 12.11.
एक कार्बनिक यौगिक ‘क’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल अपघ करने के उपरांत एक कार्बोक्सिलिक अम्ल ‘ख’ एवं एक ऐल्कोहॉल ‘ग’ प्राप्त हुई। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ उत्पन्न होता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट- 1 – ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(ग) के निर्जलीकरण से ब्यूट- 1 -ईन बनता है। इसमें चार कार्बन परमाणु हैं अतः अन्य उत्पाद (ख) में भी चार कार्बन होंगे तथा इसमें अन्तस्थ – COOH होगा। अतः यौगिक- क, ख तथा ग निम्नलिखित है-
(क) CH3 – CH2 – CH2 – COO CH2 – CH2-CH2-CH3 ब्यूटिल ब्यूटेनॉएट (एस्टर)
(ख) CH3-CH2-CH2 – COOH (ब्यूटेनॉइक अम्ल)
(ग) CH3-CH2-CH2 – CH2 – OH ( ब्यूटेन – 1-ऑल )
तथा अभिक्रियाओं के समीकरण निम्न प्रकार होंगे-
प्रश्न 12.12.
निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गये) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए- (i) ऐसीटैल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक ब्यूटिलकीटोन, मेथिलतृतीयक ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता) ।
(ii) CH3CH2CH(Br) COOH, CH3CH(Br)CH2COOH (CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2 COOH (अम्लता के क्रम में ) ।
(iii) बेन्जोइक अम्ल; 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3,4- डाईनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल 4- मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में) ।
उत्तर:
(i) ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की नाभिकरागी संकलन के लिए क्रियाशीलता + I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा पर निर्भर करती है। अतः इनकी HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा-
डाइ तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < मेथिल तृतीयक ब्यूटिल कोटोन < ऐसीटोन < ऐसिटैल्डिहाइड
(ii) कार्बोक्सिलिक अम्लों का अम्लीय गुण, प्रेरणिक प्रभाव (+I तथा-I) तथा विभिन्न समूहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अतः इनके अम्लीय गुण का क्रम निम्न प्रकार होगा-
(CH3), CHCOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3 CH(Br)CH2COOH – CH3CH2CH( Br)COOH
(iii) 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल बेन्जोइक अम्ल <4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3, 4 डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(अम्लता की सामर्थ्य का बढ़ता क्रम )
प्रश्न 12.13.
निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन
(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्जोफ़ीनॉन
(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट
(v) पेन्टेन 2 ऑन एवं पेन्टेन 3-ऑन
(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं एसीटोफ़ीनॉन
(vii) एथेनैल एवं प्रोपेनैल।
उत्तर:
(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद – प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटोन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया सकता है-
(1) आयोडोफॉर्म परीक्षण जलीय NaOH तथा I के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल में कोई क्रिया नहीं होती जबकि प्रोपेनोन द्वारा आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप आता है।
(2) टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट) के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल रजत दर्पण देता है (रजत दर्पण परीक्षण) जबकि प्रोपेनोन में कोई क्रिया नहीं होती।
(3) फेलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल से लाल अवक्षेप बनता है जबकि प्रोपेनोन से कोई अभिक्रिया नहीं होती।
(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्जोफ़ीनॉन में विभेद – ऐसीटोफ़ीनॉन (CH3COC6H5) एक सेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ोफ़ीनॉन यह परीक्षण नहीं देता।
(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल में विभेद-
(1) फ़ीनॉल NaHCO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस देता है।
C6H5COOH + NaHCO3 → C6H5COONa + CO2↑+ H2O
(2) उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फ़ीनॉल बैंगनी (Violet) रंग देता है जबकि बेन्जोइक अम्ल के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।
(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट में विभेद-
(1) बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) अम्लीय है। अतः यह नीले लिटमस को लाल करता है जबकि एथिल बेन्जोएट (C6H5COOC2H5) ‘एस्टर है अतः यह नीले लिटमस से कोई क्रिया नहीं करता।
(2) बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस की बुदबुदाहट देता है जबकि एथिल बेन्जोएट की NaHCO विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती।
(v) पेन्टेन 2 ऑन एवं पेन्टेन 3-ऑन में विभेद – पेन्टेन- 2-ऑन एक मैथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि पेन्टेन 3 ऑन में यह परीक्षण नहीं होता।
(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफ़ीनॉन में विभेद-
(1) बेन्जेल्डिहाइड (C6H5CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन एक मैथिल कीटोन है अतः ऐसीटोफ़ीनॉन, आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्जेल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता है।
(2) बेन्जेल्डिहाइड टॉलेन अभिकर्मक ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन इससे क्रिया नहीं करता।
(vii) ऐथेनैल एवं प्रोपेनैल में विभेद – एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनैल (CH3CH2 – CHO) यह परीक्षण नहीं देता।
प्रश्न 12.14.
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हो, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m- नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल
(iii) p- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फ़ेनिल ऐसीटिक अम्ल
(v) p-नाइट्रोबेन्ज़ैल्डिहाइड।
उत्तर:
(i) बेन्जीन से मेथिल बेन्ज़ोएट-
(ii) बेन्जीन से m-नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल-
(iii) बेन्जीन से p-नाइट्रोबेन्ज़ोइक अम्ल-
(iv) बेन्जीन से फ़ेनिल ऐसीटिक अम्ल-
(v) बेन्जीन से p-नाइट्रोबेन्ज़ैल्डिहाइड-
प्रश्न 12.15.
आप निम्नलिखित रूपांतरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे ?
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्ज़ैल्डिहाइड
(iii) ऐथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iv) बेन्ज़ीन से m – नाइट्रोऐसीटोफ़ीनॉन
(v) बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्ज़ोफ़ीनॉन
(vi) ब्रोमोबेन्जीन से 1 – फेनिलएथेनॉल
(vii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से 3- फेनिलप्रोपेन- 1 – ऑल
(viii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से – हाइड्रॉक्सीफ़ेनिलऐसीटिक अम्ल
(ix) बेन्जोइक अम्ल से m- नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्ज़ैल्डिहाइड
(iii) ऐथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iv) बेन्ज़ीन से m – नाइट्रोऐसीटोफ़ीनॉन
(v) बेन्ज़ैल्डिहाइड से बेन्ज़ोफ़ीनॉन
(vi) ब्रोमोबेन्जीन से 1 – फेनिलएथेनॉल
(vii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से 3- फेनिलप्रोपेन- 1 – ऑल
(viii) बेन्ज़ैल्डिहाइड से – हाइड्रॉक्सीफ़ेनिलऐसीटिक अम्ल
(ix) बेन्जोइक अम्ल से m- नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
प्रश्न 12.16.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन करो-
(i) ऐसीटिलन ( ऐसीटिलीकरण)
(ii) कैनिज़ारो अभिक्रिया
(iii) क्रॉस ऐल्डोल संघनन
(iv) विकार्बोक्सिलन (विकार्बोक्सिलीकरण) ।
उत्तर:
(i) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण – निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl3) की उपस्थिति में बेन्जीन अथवा प्रतिस्थापित बेन्जीन, अम्ल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया कर संगत कीटोन देते हैं। इसे फ्रीडेल- क्राफ्ट्स ऐसीटिलन अभिक्रिया कहते हैं ।
लेकिन सक्रिय H युक्त यौगिक जैसे ऐल्कोहॉल (ROH) फ़ीनॉल (C6H5OH) तथा ऐमीन्स (R – NH2) की क्रिया बिना उत्प्रेरक के CH3COCl से कराने पर H+ के स्थान पर आ जाता है। इसे ऐसीटिलन अभिक्रिया कहते हैं।
(ii) कैनिज़ारो अभिक्रिया – वे ऐल्डिहाइड, जिनमें – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सांद्र क्षार (NaOH या KOH) की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण तथा अपचयन (असमानुपातन) दर्शाते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
(iii) क्रॉस ऐल्डोल संघनन – जब दो भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि दोनों यौगिकों में α-हाइड्रोजन हो तो चार उत्पादों का मिश्रण प्राप्त होता है। जैसे एथेनैल व प्रोपेनैल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है-
क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी प्रयुक्त हो सकते हैं।
(iv) विकार्बोक्सिलन – कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम (NaOH तथा CaO, ( 3:1) का मिश्रण ) के साथ गरम करने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन या विकार्बोक्सिलीकरण कहलाती है।
प्रश्न 12.17.
निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 12.18.
निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए-
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है। परन्तु 2, 2, 6- ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता ।
(ii) सेमीकार्बेज़ाइड में दो – NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक – NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से, अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
उत्तर:
(i) साइक्लोहेक्सेनोन का कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है। अतः इस पर HCN का नाभिकस्नेही संकलन आसानी से होकर अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बन जाता है।
लेकिन 2,2,6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन में उपस्थित तीन मेथिल समूहों के +I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के कारण कार्बोनिल समूह की ध्रुवता कम हो जाती है तथा इन तीन मेथिल समूहों की त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण नाभिकस्नेही (CN) का आक्रमण मुश्किल होता है। अतः इस पर HCN के योग से प्राप्त सायनोहाइड्रिन की लब्धि बहुत कम होती
है।
(ii) सेमीकार्बोजाइड में उपस्थित दो – NH2 समूह में से केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन बनाने में प्रयुक्त होता है, क्योंकि >C = 0 समूह के पास वाले -NH2 समूह के – N-H बन्ध अनुनाद के कारण प्रबल होते हैं जबकि -NH- के पास वाले – NH2 समूह के -N-H बन्ध दुर्बल होते हैं क्योंकि इनमें अनुनाद नहीं होता अतः ये अभिक्रिया में भाग लेते हैं।
कार्बोक्सिलिक अम्ल की ऐल्कोहॉल से क्रिया द्वारा एस्टर बनने की अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है अतः एस्टर बनते ही वह वापस जल से क्रिया करके अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बना देता है। अतः अभिकारकों एवं उत्पादों के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है इसलिए जल या एस्टर को बनते ही अभिक्रिया मिश्रण से निकाल देने पर साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है जिससे एस्टर अधिक मात्रा में बनता है।
प्रश्न 12.19.
एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनॉइक तथा प्रोपेनॉइक अम्ल देता है। यौगिक की संभावित संरचना लिखिए।
उत्तर:
यौगिक में उपस्थित कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन की % मात्रा के आधार पर यौगिक का अणुसूत्र निम्न प्रकार ज्ञात किया जाता है-
अतः यौगिक का अणुसूत्र C5H10O होगा क्योंकि इसका अणुभार 86 है।
प्रश्नानुसार यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता। अतः यह ऐल्डिहाइड नहीं है, लेकिन सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट (NaHSO3) के साथ योगज यौगिक बनाता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह मेथिल कीटोन है इसलिए इसका संरचना सूत्र होगा ।
रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होंगी-
आयोडोफॉर्म परीक्षण-
ऑक्सीकरण-
प्रश्न 12.20
यद्यपि फ़ीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फ़ीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है। क्यों?
उत्तर:
फ़ीनॉक्साइड आयन में ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु तथा कम विद्युतऋणी कार्बन पर वितरित होता है, जबकि कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणात्मक आवेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर वितरित होता है, अतः इसमें ऋणात्मक आवेश का विस्थानीकरण, फ़ीनॉक्साइड आयन में अधिक होता है इसलिए इसका अनुनाद स्थायीकरण अधिक होता है। इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल, फ़ीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है।
HBSE 12th Class Chemistry ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Intext Questions
प्रश्न 12.1.
निम्न यौगिकों की संरचना लिखिए-
(i) α-मेथॉक्सीप्रोप्रिऑनऐल्डिहाइड
(ii) 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iii) 2-हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन कार्बैल्डिहाइड
(iv) 4-ऑक्सोपेन्टेनैल
(v) डाइ-द्वितीयकब्यूटिल कीटोन
(vi) 4-क्लोरोऐसीटोफीनॉन
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों की संरचना निम्नलिखित है-
प्रश्न 12.2.
निम्न अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिए-
उत्तर:
उपरोक्त अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना अग्र प्रकार है-
प्रश्न 12.3.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH<3CHO, CH3CH2OH, CH3OCH3, CH3CH2CH3
उत्तर:
CH<3-CH<2-CH<3 < CH<3-O-CH<3 < CH<3-CHO < CH<3-CH<2-OH
क्वथनांकों का बढ़ता क्रम
प्रश्न 12.4.
निम्नलिखित योगिका को नाभकरागा योगात्मक (Addition) अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(क) एथेनैल, प्रोपेनैल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
(ख) बेन्जैल्डिहाइ ड, p-टॉॅलू ऐल्डिहाइड, p-नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड, ऐसीटोफीनोन।
संकेत-त्रिविम प्रभाव व इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव को ध्यान में रखें।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों की नाभिकरागी योगात्मक अभिक्रियाओं में बढ़ती हुई क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है-
(क) ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनैल < एथेनैल
(ख) ऐसीटोफ़ीनोन <p-टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड
प्रश्न 12.5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिए-
प्रश्न 12.6.
निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी नाम दीजिए-
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों के आईयूपीएसी नाम निम्न प्रकार हैं-
(i) 3-फेनिलप्रोपेनॉइक अम्ल
(ii) 3-मेथिलब्यूट-2-इनोइक अम्ल
(iii) 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेनकार्बोक्सिलिक अम्ल
(iv) 2,4,6-ट्राईनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
प्रश्न 12.7.
निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(i) एथिलबेन्जीन
(ii) ऐसीटोफीनोन
(iii) ब्रोमोबेन्जीन
(iv) फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में निम्न प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है-
प्रश्न 12.8.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौनस अम्ल अधिक प्रबल है?
(i) CH3CO2H अथवा CH2FCO2H
(ii) CH2FCO2H अथवा CH2CICO2H
(iii) CH2FCH2CH2CO2H
अथवा CH3CHFCH2CO2H
(iv)
उत्तर:
उपर्युक्त युग्मों में से अधिक प्रबल अम्ल निम्नलिखित हैं-
(i) CH2FCOOH
(ii) CH2FCOOH
(iii) CH3CHFCH2COOH
(iv)