HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 11.1.
निम्नलिखित यौगिकों के आई यूपीएसी (IUPAC) नाम लिखिए-
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उत्तर:
(i) 2,2,4-ट्राइमेथिल पेन्टेन-3-ऑल
(ii) 5-एथिल हेप्टेन-2, 4-डाइऑल
(iii) ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
(iv) प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइऑल
(v) 2-मेथिल फीनॉल
(vi) 4-मेथिल फीनॉल
(vii) 2, 5-डाइमेथिल फीनॉल
(viii) 2, 6-डाइमेथिल फीनॉल
(ix) 1-मेथॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेन
(x) एथॉक्सी बेन्जीन
(xi) 1-फीनॉक्सी हेप्टेन
(xii) 2-एथॉक्सी ब्यूटेन

प्रश्न 11.2.
निम्नलिखित आईयूपीएसी (IUPAC) नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए-
(i) 2-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल
(ii) 1-फेनिल प्रोपेन-2-ऑल
(iii) 3,5-डाइमेथिल हैक्सेन-1,3,5-ट्राइऑल
(iv) 2,3-डाइएथिलफ़ीनॉल
(v) 1-एथॉक्सीप्रोपेन
(vi) 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
(vii) साइक्लोहैक्सिलमेथेनॉल
(viii) 3-साइक्लोहैक्सिलपेन्टेन-3-ऑल
(ix) साइक्लोपेन्टेन-3-ईन-1-ऑल
(x) 4-क्लोरो-3-एथिलब्यूटेन-1-ऑल
उत्तर:
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प्रश्न 11.3.
(i) C5H12O आण्विक सूत्र वाले ऐल्कोहॉलों के सभी समावयवों की संरचना लिखिए एवं उनके आईयूपीएसी (IUPAC) नाम दीजिए।
(ii) C5H12O के समावयवी ऐल्कोहॉलों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 11.4.
समझाइए कि प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक होता है क्योंकि प्रोपेनॉल में प्रबल अंतरा – आण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि ब्यूटेन में अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 11.5.
समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं? इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
ऐल्कोहॉलों में ध्रुवीय – OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ आसानी से हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं जबकि हाइड्रोकार्बन, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते। अतः समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं।

प्रश्न 11.6.
हाइड्रोबोरॉनन – ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण (Hydroboronation- Oxidation)-डाइबोरेन (B2H6), ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक
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योगोत्पाद (Addition Product ) ट्राइऐल्किन बोरेन बनाता है जो जलीय NaOH की उपस्थिति में H2O2 द्वारा ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। इसे हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

इस अभिक्रिया में ऐल्कोहॉलों की लब्धि अधिक होती है तथा इसमें अप्रत्यक्ष विधि से एल्कीन का जलयोजन (मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत) होता है।

प्रश्न 11.7.
आण्विक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉलों की संरचनाएँ तथा IUPAC (आईयूपीएसी) नाम लिखिए।
उत्तर:
आण्विक सूत्र C7H8O से तीन मोनोहाइड्रिक फीनॉल संभव हैं जो निम्न प्रकार हैं-
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प्रश्न 11.8.
ऑर्थो तथा पैरा- नाइट्रोफीनॉलों के मिश्रण को भाप – आसवन द्वारा पृथक् करने में भाप – वाष्पशील समावयवी का नाम बताइए। इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
o – नाइट्रो फ़ीनॉल अंतः अणुक हाइड्रोजन बन्ध (Intramolecular H – bond) के कारण भाप में वाष्पशील है क्योंकि इसमें अन्तराअणुक बल, p- समावयवी की तुलना में दुर्बल होता है।
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प्रश्न 11.9.
क्यूमीन से फीनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण दीजिए ।
उत्तर:
क्यूमीन (आइसोप्रोपिल बेन्जीन) को पहले वायु (O2) के द्वारा हाइड्रोपरॉक्साइड में ऑक्सीकृत करते हैं फिर इसकी तनु अम्ल (H2SO4) के साथ क्रिया करवाने पर यह फीनॉल तथा ऐसीटोन में विघटित हो जाता है।
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प्रश्न 11.10.
क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोबेन्जीन को 623 K ताप एवं लगभग 300 वायुमण्डलीय दाब पर NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसकी तनु अम्ल के साथ क्रिया कराने पर फीनॉल बनता है।
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प्रश्न 11.
11 एथीन के जलयोजन (Hydration) से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथीन का जलयोजन – तनु अम्ल (HCl, H2SO4) उपस्थिति में एल्कीन की जल के साथ अभिक्रिया से ऐल्कोहॉल बनता है तथा असममित ऐल्कीनों में योगात्मक अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।

एथीन का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
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क्रियाविधि – इस अभिक्रिया की क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
पद 1-H3O+ के इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण के द्वारा ऐल्कीन के प्रोटोनीकरण (Protonation) से कार्बोकैटायन बनता है।
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पद 2-कार्बोकैटायन पर जल का नाभिकस्नेही (Nucleophyllic) आक्रमण
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पद 3-विप्रोटोनीकरण (deprotonation) जिससे ऐल्कोहॉल बनता है।
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प्रश्न 11.12.
आपको बेन्जीन, सान्द्र H2SO4 और NaOH दिए गए हैं। इन अभिकर्मकों के उपयोग द्वारा फीनॉल के विरचन की समीकरण लिखिए।
उत्तर:
पहले बेन्जीन का ओलियम ( सधूम H2SO4) द्वारा सल्फोनीकरण किया जाता है तथा इससे प्राप्त बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ संगलित करने से सोडियम फीनॉक्साइड प्राप्त होता है। प्राप्त सोडियम फीनॉक्साइड की तनु अम्ल से क्रिया कराने पर फीनॉल प्राप्त हो जाता है।
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प्रश्न 11.13.
आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे ? दर्शाइए।
(i) एक उपयुक्त ऐल्कीन 1- फेनिलएथेनॉल
(ii) SN2 अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
(iii) एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन -1- ऑल।
उत्तर:
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प्रश्न 11.14.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो। फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए |
उत्तर:
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती है-
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प्रश्न 11.15.
समझाइए कि ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो- मेथॉक्सी फीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होती है ?
उत्तर:
ऑर्थो – नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो मेथॉक्सी फ़ीनॉल से अधिक अम्लीय होती है क्योंकि -NO2 समूह का इलेक्ट्रॉन- आकर्षी अनुनाद प्रभाव (-I तथा -M) फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि -OCH3 (मेथॉक्सी) समूह का इलेक्ट्रॉन-प्रतिकर्षी प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

प्रश्न 11.16.
समझाइए कि बेन्जीन वलय से जुड़ा – OH समूह उसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति कैसे सक्रियित करता है?
उत्तर:
ऐरोमैटिक इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन – फीनॉलों में ऐरोमैटिक वलय पर होने वाली अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ होती हैं। बेन्ज़ीन वलय से जुड़ा – OH समूह इसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया के लिए सक्रियित करता है और आने वाले इलेक्ट्रॉनस्नेही को ऑर्थो एवं पैरा स्थिति पर निर्देशित करता है। क्योंकि – OH समूह के इलेक्ट्रॉन -प्रतिकर्षी (+ M प्रभाव) अनुनाद प्रभाव के कारण o तथा p- स्थितियाँ इलेक्ट्रॉन-धनी हो जाती हैं अतः इलेक्ट्रॉनरागी इन स्थितियों पर आसानी से आक्रमण करता है तथा बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है जिससे आने वाले इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण सुगमता से होता है। फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार हैं-
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प्रश्न 11.17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए-
(i) प्रोपेन- 1 ऑल का क्षारीय KMnO के साथ ऑक्सीकरण
(ii) ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया
(iii) तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया
(iv) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया।
उत्तर:
(i) प्रोपेन – 1- ऑल का क्षारीय KMnO4 ऑक्सीकरण-
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(ii) ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया-
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(iii) तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया-
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(iv) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया-
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इसे राइमर -टीमान अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 11.18.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –
(i) कोल्बे अभिक्रिया
(ii) राइमर – टीमान अभिक्रिया
(iii) विलियम्सन ईथर संश्लेषण
(iv) असममित ईथर।
उत्तर:
(i) कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe Reaction) – या कोल्बे शिमट अभिक्रिया-सोडियम फीनॉक्साइड को 130° ताप तथा उच्च दाब (4-7 वायु-दाब) पर CO2 के साथ गर्म करने पर पहले सोडियम फेनिल कार्बोनेट मध्यवर्ती बनता है जिसके पुनर्विन्यास से सोडियम सैलिसिलेट प्राप्त होता है। सोडियम सैलिसिलेट के अम्लीकरण से सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
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इस अभिक्रिया में CO2 दुर्बल इलेक्ट्रॉनस्नेही होते हुए भी अभिक्रिया सुगमता से सम्मन्न हो जाती है जिसका कारण फीनॉक्साइड आयन का, फीनॉल की तुलना में अधिक क्रियाशील होना है।

(ii) राइमर – टीमान अभिक्रिया – फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया से ऑर्थो स्थिति पर – CHO समूह आ जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर-टीमन अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में पहले प्रतिस्थापित बेन्जल क्लोराइड (मध्यवर्ती) बनता है जो क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैल्डिहाइड बनाता है।
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(iii) विलियम्सन ईथर संश्लेषण (Williamson’s Ether Synthesis) – ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने से ईथर प्राप्त होते हैं, इसे विलियम्सन ईथर संश्लेषण कहते हैं।
\(\mathrm{RX}+\mathrm{R}^{\prime}-\overline{\mathrm{O}}-\stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{O}-\mathrm{R}^{\prime}+\mathrm{NaX}\)
\(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{Br}+\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \stackrel{-}{\mathrm{O}} \stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{O} \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5+\mathrm{NaBr}\)
यह सममित तथा असममित ईथर बनाने की महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है।
इस विधि से द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी बनाए जा सकते हैं तथा इसमें प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन आक्रमण करता है, अतः इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN² होती है।
उदाहरण-
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द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड लेने पर ईथर तथा एल्कीन ( विलोपन अभिक्रिया) दोनों बनती हैं तथा तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का प्रयोग करने पर एल्कीन ही बनती है क्योंकि RO (ऐल्कॉक्साइड) आयन प्रबल क्षार होता है, अतः विलोपन अभिक्रिया होती है।

उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24a

इस विधि द्वारा फीनॉल से भी ईथर बनाया जा सकता है।
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लेकिन C6H5Br की R\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) से अभिक्रिया द्वारा ईथर नहीं बनता क्योंकि ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति बहुत कम क्रियाशील होते हैं।
C6H5Br + CH3–\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) → कोई अभिक्रिया नहीं

(iv) असममित ईथर – वे ईथर जिनमें दोनों हाइड्रोकार्बन समूह भिन्न-भिन्न होते हैं, उन्हें असममित ईथर कहते हैं। जैसे CH3-O-C2 H5 एथिल मेथिल ईथर।

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प्रश्न 11.19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन या निर्जलीकरण (Dehydration) से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
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एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
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II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation) – यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
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III. विप्रोटोनीकरण-
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पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 11.20.
निम्नलिखित परिवर्तनों को किस प्रकार किया जा सकता है?
(i) प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
(ii) बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(iii) एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1-ऑल
(iv) मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मेथिलप्रोपेन-2ऑल।
उत्तर:
(i) प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल (प्रोपीन के जलयोजन से)
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(ii) बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
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(iii) एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1-ऑल
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(iv) मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मेथिलप्रोपेन-2ऑल।
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प्रश्न 11.21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में प्रयुक्त अभिकर्मकों के नाम बताइए –
(i) प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
(ii) प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऐल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
(iii) फीनॉल का 2, 4, 6 – ट्राइब्रोमोफीनॉल में ब्रोमीनन
(iv) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से बेन्जोइक अम्ल
(v) प्रोपेन – 2 – ऑल का प्रोपीन में निर्जलन (vi) ब्यूटेन – 2 – ऑन से ब्यूटेन – 2 – ऑल |
उत्तर:
(i) KMnO4 का अम्लीय विलयन (या अम्लीय K2Cr2O7)
(ii) गर्म अपचयित कॉपर या पिरीडिनियम क्लोरो क्रोमेट (PCC)
(iii) ब्रोमीन का जलीय विलयन
(iv) KMnO4 का अम्लीय विलयन
(v) गर्म तथा सान्द्र H2SO4
(vi) लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड (LiAlH4) या सोडियम बोरोहाइड्राइड (NaBH4)

प्रश्न 11.22.
कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर:
एथेनॉल में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जबकि मेथॉक्सी मेथेन में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण (वान्डरवाल बल) पाया जाता है। अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता, द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण से अधिक होती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक, मेथॉक्सी मेथेन की तुलना में उच्च होता है।

प्रश्न 11.23.
निम्नलिखित ईथरों के आईयूपीएसी ( IUPAC ) नाम दीजिए-
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उत्तर:
(i) 1-एथॉक्सी-2 – मेथिलप्रोपेन
(ii) 2 – क्लोरो-1 – मेथॉक्सीएथेन
(iii) 4 – नाइट्रोऐनिसॉल
(iv) 1- मेथॉक्सीप्रोपेन
(v) 1- एथॉक्सी-4, 4- डाइमेथिलसाइक्लोहेक्सेन
(vi) एथॉक्सीबेन्जीन

प्रश्न 11.24.
निम्नलिखित ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा बनाने के लिए अभिकर्मकों के नाम एवं समीकरण लिखिए-(i) 1- प्रोपॉक्सीप्रोपेन (ii) एथॉक्सीबेन्जीन (iii) 2-मेथॉक्सी-2 – मेथिलप्रोपेन (iv) 1 – मेथॉक्सीएथेन।
उत्तर:
उपर्युक्त ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा निम्न प्रकार बनाया जाता है-
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प्रश्न 11.25.
कुछ विशेष प्रकार के ईथरों को विलियम्सन संश्लेषण द्वारा बनाने की सीमाओं को उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर:
विलियम्सन ईथर संश्लेषण (Williamson’s Ether Synthesis) – ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने से ईथर प्राप्त होते हैं, इसे विलियम्सन ईथर संश्लेषण कहते हैं।
\(\mathrm{RX}+\mathrm{R}^{\prime}-\overline{\mathrm{O}}-\stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{O}-\mathrm{R}^{\prime}+\mathrm{NaX}\)
\(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{Br}+\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \stackrel{-}{\mathrm{O}} \stackrel{+}{\mathrm{Na}} \longrightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5 \mathrm{O} \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_5+\mathrm{NaBr}\)
यह सममित तथा असममित ईथर बनाने की महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है।
इस विधि से द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी बनाए जा सकते हैं तथा इसमें प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन आक्रमण करता है, अतः इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN² होती है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 23
द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड लेने पर ईथर तथा एल्कीन ( विलोपन अभिक्रिया) दोनों बनती हैं तथा तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का प्रयोग करने पर एल्कीन ही बनती है क्योंकि RO (ऐल्कॉक्साइड) आयन प्रबल क्षार होता है, अतः विलोपन अभिक्रिया होती है।

उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24a

इस विधि द्वारा फीनॉल से भी ईथर बनाया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24

लेकिन C6H5Br की R\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) से अभिक्रिया द्वारा ईथर नहीं बनता क्योंकि ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति बहुत कम क्रियाशील होते हैं।
C6H5Br + CH3–\(\overline{\mathrm{O}} \stackrel{+}{Na}\) → कोई अभिक्रिया नहीं

प्रश्न 11.26.
प्रोपेन- 1 ऑल से 1 प्रोपॉक्सी प्रोपेन को किस प्रकार बनाया जाता है ? इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
प्रोटिक अम्लों (H2SO4, H3PO4) की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल के आधिक्य को लगभग 413 K ताप पर गर्म करने पर ईथर मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
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ईथर बनाने की यह विधि द्विअणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) है जिसमें ऐल्कोहॉल का अणु एक प्रोटोनित ऐल्कोहॉल अणु पर आक्रमण करता है।
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प्रश्न 11.27.
द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन (निर्जलीकरण) द्वारा ईथरों को बनाने की विधि उपयुक्त नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथर बनाना मुश्किल होता है क्योंकि प्रतिस्थापन तथा विलोपन अभिक्रियाओं के मध्य प्रतिस्पर्धा में विलोपन अभिक्रिया अधिक होने से मुख्य उत्पाद ऐल्कीन बनती है।
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प्रश्न 11.28.
हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए-
(i) 1 – प्रोपॉक्सीप्रोपेन
(ii) मेथॉक्सीबेन्जीन तथा
(iii) बेन्जिल एथिल ईथर ।
उत्तर:
(i) जब HI कम मात्रा में लिया जाता है तो 1- आयोडोप्रोपेन तथा प्रोपेन- 1 – ऑल बनता है जबकि HI आधिक्य में लेने पर 1-आयोडोप्रोपेन के दो मोल बनते हैं।
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प्रश्न 11.29.
ऐरिल ऐल्किल ईथरों में निम्न तथ्यों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है, तथा
(ii) यह प्रवेश करने वाले प्रतिस्थापियों को बेन्जीन वलय की ऑर्थो एवं पैरा स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है।
उत्तर:
(i) ऐरिल ऐल्किल ईथरों में ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है क्योंकि फीनॉल के समान ईथर के ऑक्सीजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म भी बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद ( + M प्रभाव) करता है जिससे बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण आसान हो जाता है।

(ii) अनुनाद के कारण ( + M प्रभाव) ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है (ऋणावेश) अतः आने वाला इलेक्ट्रॉनरागी ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर आक्रमण करता है। इसे निम्न अनुनादी संरचनाओं द्वारा समझा सकते हैं-
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प्रश्न 11.30.
मेथॉक्सी मेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
मेथॉक्सी मेथेन की HI के साथ अभिक्रिया SN² क्रियाविधि द्वारा होती है।
पद I.
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पद II.
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 42
जब HI आधिक्य में होता है तो CH3OH, पुनः HI से क्रिया करके CH3I बना देता है।
पद III.
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 43

प्रश्न 11.31.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –
(i) फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐनिसोल का ऐल्किलन (ऐल्किलीकरण)
(ii) ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
(iii) एथेनॉइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (ब्रोमीनीकरण)
(iv) ऐनिसोल का फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसीटिलन (ऐसीटिलीकरण)
उत्तर:
(i) फ्रीडेल- क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐनिसोल का ऐल्किलन (Alkylation) –
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यहाँ AICI3 लुइस अम्ल की भाँति कार्य करता है।

(ii) ऐनिसोल का नाइट्रीकरण (Nitration ) – सान्द्र H2SO4 तथा सान्द्र HNO3 के मिश्रण (नाइट्रीकारक मिश्रण) से ऐनिसोल का नाइट्रीकरण कराने पर ऑर्थो तथा पैरानाइट्रो ऐनिसोल का मिश्रण बनता है।
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(iii) एथेनॉइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (ब्रोमीनीकरण) (Bromination)-
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(iv) ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन (ऐसीटिलीकरण) (Acetylation) –
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प्रश्न 11.32.
उपयुक्त ऐल्कीनों से आप निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कैसे करेंगे?
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 49

प्रश्न 11.33.
3 – मेथिलब्यूटेन – 2 – ऑल को HBr से अभिकृत कराने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
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इस अभिक्रिया की क्रियाविधि दीजिए।
संकेत – चरण II में प्राप्त द्वितीयक कार्बोकैटायन हाइड्राइड आयन विचलन कारण पुनर्विन्यासित होकर स्थायी तृतीयक कार्बोकैटायन बनाते हैं।
उत्तर:
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्न है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 51

HBSE 12th Class Chemistry ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Intext Questions

प्रश्न 11.1.
निम्नलिखित को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिए-
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उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल
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द्वितीयक ऐल्कोहॉल (iv) तथा (v)
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तृतीयक ऐल्कोहॉल
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प्रश्न 11.2.
उपरोक्त उदाहरणों में से ऐलिलिक ऐल्कोहॉलों को पहचानिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 56

प्रश्न 11.3.
निम्नलिखित यौगिकों के आई यूपीएसी (IUPAC) नामपद्धति से नाम दीजिए-
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उत्तर:
(i) 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेन्टेंन-1-ऑल
(ii) 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3-डाइऑल
(iii) 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सेन-1-ऑल
(iv) हेक्स-1-ईन-3-ऑल
(v) 2-ब्रोमो-3-मथथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल।

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प्रश्न 11.4.
दर्शाइए कि मेथेनैल पर उपयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित ऐल्कोहॉल कैसे विरचित किए जाते हैं?
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 59

प्रश्न 11.5.
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए-
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 61

प्रश्न 11.6.
यदि निम्नलिखित ऐल्कोहॉल क्रमशः (क) HCl-ZnCl2 (ख) HBr (ग) SOCl2 से अभिक्रिया करें तो आप अपेक्षित उत्पादों की संरचनाएँ दीजिए।
(i) ब्यूटेन -1- ऑल
(ii) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
उत्तर:
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 62

प्रश्न 11.7.
(i) 1- मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल और
(ii) ब्यूटेन – 1- ऑल के अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन (Dehydration) के मुख्य उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर:
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ब्यूट – 1 – ईन तथा ब्यूट – 2 – ईन का मिश्रण बनता है जिसमें उत्पाद ब्यूट-2-ईन मुख्य उत्पाद होती है क्योंकि पुनर्विन्यास द्वारा अधिक स्थायी 2° – कार्बोनियम आयन (सेकेंड्री कार्बोकैटायन) बनता है।

प्रश्न 11.8.
ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रोफीनॉल, फीनॉल से अधिक अम्लीय होती हैं। उनके संगत फीनॉक्साइड आयनों की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर:
फीनॉल में ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर नाइट्रो समूह आने पर अम्लीय गुण बढ़ जाता है जिसे निम्न अनुनादी संरचनाओं से समझा सकते हैं-
(i) आर्थो नाइट्रो फीनॉल के ऋणायन की अनुनादी संरचनाएँ-
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(ii) पैरानाइट्रो फीनॉल के ऋणायन की अनुनादी संरचनाएँ
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प्रतिस्थापित फीनॉलों में -NO2 समूह जैसे इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह फीनॉल की अम्लीय प्रबलता को बढ़ा देते हैं तथा ये समूह o तथा p- स्थिति पर होने पर यह प्रभाव अधिक होता है क्योंकि इससे फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का प्रभावी विस्थापन या विस्थानीकरण होता है जिससे इनका स्थायित्व बढ़ जाता है।

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प्रश्न 11.9.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए-
(i) राइमर – टीमन अभिक्रिया
(ii) कोल्बे अभिक्रिया।
उत्तर:
(i) राइमर – टीमन अभिक्रिया – फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ अभिक्रिया से ऑर्थो स्थिति पर – CHO समूह आ जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर टीमन अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में पहले प्रतिस्थापित बेन्जल क्लोराइड (मध्यवर्ती) बनता है जो क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैल्डिहाइड बनाता है।
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(ii) कोल्बे अभिक्रिया – या कोल्बे शिमिट अभिक्रिया-सोडियम फीनॉक्साइड को 130° ताप तथा उच्च दाब (4-7 वायु-दाब) पर CO2 के साथ गर्म करने पर पहले सोडियम फेनिल कार्बोनेट मध्यवर्ती बनता है जिसके पुनर्विन्यास से सोडियम सैलिसिलेट प्राप्त होता है। सोडियम सैलिसिलेट के अम्लीकरण से सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
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इस अभिक्रिया में CO2 दुर्बल इलेक्ट्रॉनस्नेही होते हुए भी अभिक्रिया सुगमता से सम्पन्न हो जाती है जिसका कारण फीनॉक्साइड आयन का, फीनॉल की तुलना में अधिक क्रियाशील होना है।

प्रश्न 11.10.
एथेनॉल एवं 3-मेथिलपेन्टेन-2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन के विलियम्सन संश्लेषण की अभिक्रिया लिखिए।
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69

प्रश्न 11.11.
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए निम्नलिखित अभिकारकों में से कौन-सा युग्म उपयुक्त है और क्यों?
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उत्तर:
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए युग्म (ii) उपयुक्त है क्योंकि युग्म (i) में बेन्जीन वलय से जुड़े ब्रोमीन पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण C-Br बन्ध में द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं अतः बन्ध प्रबल हो जाता है तथा इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है।
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प्रश्न 11.12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए-
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73

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