Author name: Bhagya

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. 250 ग्राम जल में 2 g NaOH घुला हुआ है तो विलयन की सान्द्रता होगी –
(अ) 0.2 M
(ब) 0.2 N
(स) 0.2 m
(द) 4 ग्राम लीटर-1
उत्तर:
(स) 0.2 m

2. निम्न में से किस मात्रक में विलयन की सान्द्रता ताप पर निर्भर नहीं करती है?
(अ) मोलरता
(ब) नार्मलता
(स) फार्मलता
(द) मोललता
उत्तर:
(द) मोललता

3. निम्नलिखित में से किस विलयन का परासरण दाब न्यूनतम होगा?
(अ) 0.1M BaCl2
(ब) 0.1M यूरिया
(स) 0.1M HCl
(द) 0.2M ग्लूकोस
उत्तर:
(ब) 0.1M यूरिया

4. वाट हॉफ गुणक के लिए कौनसा सूत्र सही नहीं है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 1

5. निम्नलिखित में से किसके लिए वान्ट हॉफ गुणक का मान K4[Fe (CN)6] के लिए वान्ट हॉफ गुणक के बराबर होगा ?
(अ) NaCl
(ब) Na2SO4
(स) Al2(SO4)3
(द) Al(NO3)3
उत्तर:
(स) Al2(SO4)3

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6. प्रकृति में कुल कितने प्रकार के विलयन संभव हैं?
(अ) 6
(ब) 10
(स) 12
(द) 9
उत्तर:
(द) 9

7. शुद्ध जल की मोलरता कितनी होती है?
(अ) 5.5
(ब) 55.5
(स) 18.0
(द) 10.0
उत्तर:
(ब) 55.5

8. प्रतिलोम परासरण (Reverse osmosis) के लिए प्रयुक्त अर्धपारगम्य झिल्ली किससे बनी होती है?
(अ) सेलोफेन
(ब) सूअर का ब्लेडर
(स) सेलूलोस ऐसीटेट
(द) पार्चमेन्ट
उत्तर:
(स) सेलूलोस ऐसीटेट

9. रुधिर कोशिका में स्थित द्रव का परासरण दाब निम्नलिखित में से किसके समान होता है?
(अ) 1% (w/V) NaCl विलयन
(ब) 0.9% (w/V) NaCl विलयन
(स) 1% (w/V) Na2SO4 विलयन
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 0.9% (w/V) NaCl विलयन

10. विलायक के प्रति किलोग्राम में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या कहलाती है-
(अ) मोलरता
(ब) मोलरता
(स) मोललता
(द) मोल भिन्न
उत्तर:
(स) मोललता

11. परासरण की क्रिया को रोकने हेतु प्रयुक्त दाब कहलाता है-
(अ) वाष्प दाब
(ब) आंशिक दाब
(स) परासरण दाब
(द) वायुमण्डलीय दाब
उत्तर:
(स) परासरण दाब

12. समान परासरण दाब वाले विलयन कहलाते हैं-
(अ) अतिपरासरी विलयन
(ब) अल्पपरासरी विलयन
(स) समपरासरी विलयन
(द) सामान्य परासरी विलयन
उत्तर:
(स) समपरासरी विलयन

13. दो द्रवों का विलयन जो संघटन में परिवर्तन के बिना एक निश्चित ताप पर आसवित होता है, कहलाता है-
(अ) संतृप्त विलयन
(ब) आदर्श विलयन
(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण
(द) असंतृप्त विलयन
उत्तर:
(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण

14. एक वायुमण्डलीय दाब पर निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक उच्चतम होगा-
(अ) 0.1M ग्लूकोस
(ब) 0.1 M यूरिया
(स) 0.1M बेरियम क्लोराइड
(द) 0.1M NaCl
उत्तर:
(स) 0.1M बेरियम क्लोराइड

15. निम्नलिखित में से कौनसा गुण अणुसंख्य गुण नहीं है ?
(अ) क्वथनांक उन्नयन
(स) हिमांक अवनमन
(ब) वाष्प दाब अवनमन
(द) हिमांक
उत्तर:
(द) हिमांक

16. बेन्जीन और टॉलूईन का मिश्रण है-
(अ) धनात्मक विचलन युक्त विलयन
(ब) ऋणात्मक विचलन युक्त विलयन
(स) आदर्श विलयन
(द) अनादर्श विलयन
उत्तर:
(स) आदर्श विलयन

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17. निम्नलिखित में से कौनसा युग्म आदर्श विलयन नहीं बनाता?
(अ) C2H5Br, C2H5I
(ब) C2H5I, C2H5OH
(स) C6H5Cl, C6H5Br
(द) C6H6, C6H5CH3
उत्तर:
(ब) C2H5I, C2H5OH

18. H2SO4 का एक मोलर विलयन किसके समान होगा?
(अ) नॉर्मल विलयन
(ब) N/2 विलयन
(स) 2N विलयन
(द) 4N विलयन
उत्तर:
(स) 2N विलयन

19. निम्नलिखित में से किस मिश्रण में मुख्य रूप से द्विध्रुव – द्विध्रुव आकर्षण पाया जाता है?
(अ) KCl तथा H2O
(ब) C6H6 तथा CCl4
(स) C6H6 तथा C2H5OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 2
उत्तर:
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20. आदर्श विलयन के लिए निम्नलिखित में से कौनसी शर्त सही है?
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21. सोडा वाटर होता है-
(अ) CO2 गैस में जल का विलयन
(ब) CO2 गैस का जल में विलयन
(स) CO2 तथा O2 का विलयन
(द) CO2 तथा N2 का विलयन
उत्तर:
(ब) CO2 गैस का जल में विलयन

22. निम्नलिखित में से कौनसा अणुसंख्य गुण है?
(अ) पृष्ठ तनाव
(ब) श्यानता
(स) परासरण दाब
(द) चालकता
उत्तर:
(स) परासरण दाब

23. 0.1 M KCl, 0.1 M CaSO4 तथा 0.1M K2CO3 के जलीय विलयनों के हिमांक अवनमन का अनुपात होगा-
(अ) 1 : 1 : 3
(ब) 2 : 2 : 5
(स) 1 : 1 : 1.5
(द) 1 : 1 : 1
उत्तर:
(स) 1 : 1 : 1.5

24. जब विलयन में वैद्युत अपघट्य वियोजित होता है तो इसके वान्ट हॉफ गुणक का मान होगा-
(अ) > 1
(ब) < 1
(स) 1
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) > 1

25. यूरिया के एक जलीय विलयन के क्वथनांक में उन्नयन 0.52° है। [Kb = 0.52°C मोल’ किग्रा.] तो इस विलयन में यूरिया का मोल प्रभाज है-
(अ) 0.982
(स) 0.943
(ब) 0.567
(द) 0.018
उत्तर:
(द) 0.018

26. अर्द्धपारगम्य झिल्ली अनुमति करती है-
(अ) एक विलयन को गुजरने देना
(ब) विलेय को गुजरने देना
(स) विलायक को गुजरने देना
(द) विलेय एवं विलायक दोनों को गुजरने देना
उत्तर:
(स) विलायक को गुजरने देना

27. 5 ग्राम NaOH के 450 मिली. विलयन की मोलरता होगी-
(अ) 0.189 मोल dm-3
(ब) 0.278 मोल dm-3
(स) 0.556 मोल dm-3
(द) 0.027 मोल dm-3
उत्तर:
(ब) 0.278 मोल dm-3

28. किसी जलीय विलयन का हिमांक- 0.186°C है, इसी विलयन के क्वथनांक में उन्नयन का मान है ( Kf = 1.86°C mol-1 kg) (Kb = 0.512°C mol-1 kg)
(अ) 0.186°C
(ब) 0.0512°C
(स) 1.86°C
(द) 5.12°C
उत्तर:
(ब) 0.0512°C

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29. निम्नलिखित में से द्रवों का कौन-सा युग्म राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है?
(अ) जल-हाइड्रोजन अम्ल
(ब) बेन्जीन – मेथेनॉल
(स) जल- नाइट्रिक अम्ल
(द) ऐसीटोन – क्लोरोफॉर्म
उत्तर:
(ब) बेन्जीन – मेथेनॉल

30. समान तापमान पर 5% ग्लूकोस ( अणु भार 180 ) का विलयन एवं 10% अज्ञात पदार्थ का विलयन समपरासरी है, तो अज्ञात पदार्थ का अणुभार है-
(अ) 90
(ब) 180
(स) 360
(द) 45
उत्तर:
(स) 360

31. कौनसा सान्द्रता अभिव्यक्ति का माध्यम ताप से स्वतंत्र है?
(अ) मोलरता
(ब) नार्मलता
(स) फॉर्मलता
(द) मोललता
उत्तर:
(द) मोललता

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
0.2 मोलल विलयन का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
0.2 मोलल विलयन का अर्थ है कि 0.2 मोल विलेय 1000g (1 kg) विलायक में घुला हुआ है।

प्रश्न 2.
जलीय विलयन के लिए मोललता तथा किसी पदार्थ (विलेय) मोल अंश में क्या सम्बन्ध होगा?
उत्तर:
विलेय का मोल अंश = \(\frac { m }{ m + 55.5 }\)
m = मोललता, 1000 ग्राम जल के मोल = \(\frac { 1000 }{ 18 }\) = 55.5

प्रश्न 3.
विलयन का ताप बढ़ाने पर मोलरता पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर:
विलयन का ताप बढ़ाने पर मोलरता कम हो जाती है क्योंकि विलयन का आयतन बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.
H2O2 की आयतन सान्द्रता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक आयतनं H2O2 विलयन के वियोजन से NTP पर प्राप्त ऑक्सीजन का आयतन, इसकी आयतन सान्द्रता कहलाती है।

प्रश्न 5.
मोलरता की तुलना में मोललता को अधिक महत्त्व दिया जाता है, क्यों?
उत्तर:
मोलरता की तुलना में मोललता को अधिक महत्त्व दिया जाता है क्योंकि मोललता ताप पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
एक मोलल तथा एक मोलर जलीय विलयन में से किसकी सान्द्रता अधिक होती है?
उत्तर:
एक मोलर विलयन।

प्रश्न 7.
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता पर क्या प्रभाव
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता कम हो जाती है।

प्रश्न 8.
हेनरी के नियम की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
किसी विलयन में गैस का मोल अंश, उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है, अर्थात् किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब, उस विलयन में गैस के मोल अंश के समानुपाती होता है। इसे हेनरी का नियम कहते हैं।

प्रश्न 9.
किस प्रकार के द्रवों में आदर्श विलयन बनाने की प्रवृत्ति होती है?
उत्तर:
बहुत अधिक तनु विलयन, लगभग समान संरचना तथा ध्रुवता वाले द्रवों में आदर्श विलयन बनाने की प्रवृत्ति होती है।

प्रश्न 10.
स्थिरक्वाथी मिश्रण में उपस्थित अवयवों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता। क्यों?
उत्तर:
स्थिर क्वाथी मिश्रण में उपस्थित अवयव निश्चित अनुपात में होते हैं जो निश्चिंत ताप पर एक साथ उबलते हैं, अतः इन्हें प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 11.
समान ताप पर नाइट्रोजन की जल में विलेयता, हाइड्रोजन की तुलना में कम होती है तो किस गैस का हेनरी स्थिरांक अधिक है?
उत्तर:
नाइट्रोजन का हेनरी स्थिरांक अधिक है क्योंकि किसी गैस की
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प्रश्न 12.
गैसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का क्या प्रभाव
उत्तर:
दाब बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता बढ़ती है।

प्रश्न 13.
अमोनिया की बोतल को खोलने से पहले ठण्डा किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
अमोनिया की बोतल को ठण्डा करने से उसका वाष्प दाब कम हो जाता है जिससे द्रव अमोनिया तेजी से बाहर नहीं निकलती ।

प्रश्न 14.
विलयन में विलेय की वियोजन की मात्रा तथा वान्ट हॉफ गुणक में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर:
∝ = \(\frac{i-1}{n-1}\)
∝ = वियोजन की मात्रा, n = वियोजन से प्राप्त कणों की संख्या तथा i = वान्टहॉफ गुणक ।

प्रश्न 15.
जल में थोड़ा-सा ग्लुकोस मिलाने पर इसके वाष्पदाब पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
ग्लुकोस मिलाने से जल का वाष्पदाब कम हो जाएगा क्योंकि ग्लुकोस अवाष्पशील पदार्थ है।

प्रश्न 16.
किसी विलयन के क्वथनांक उन्नयन (△Tb) तथा विलेय के मोलर द्रव्यमान में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
△Tb, विलेय के मोलर द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

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प्रश्न 17.
प्रतिलोम परासरण कब होता है?
उत्तर:
जब विलयन पर परासरण दाब से अधिक दाब लगाते हैं तो प्रतिलोम परासरण होता है।

प्रश्न 18.
शर्करा तथा KCl के सममोलर विलयन समपरासरी होंगे या नहीं, तथा क्यों?
उत्तर:
शर्करा तथा KCl के सममोलर विलयन समपरासरी नहीं होते क्योंकि KCl वियोजित होकर दो आयन देता है जबकि शर्करा का वियोजन नहीं होता।

प्रश्न 19.
जल के लिए मोलल अवनमन (Kf) स्थिरांक 1.86 K Kg mol-1 होता है, इसका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जल के लिए Kf = 1.86 का अर्थ है कि जब 1 मोल अवाष्पशील विलेय को 1 Kg विलायक में घोला जाता है तो जल के हिमांक में 1.86 K की कमी हो जाती है।

प्रश्न 20.
अण्डे के बाहरी खोल को हटाकर जब उसे लवण (NaCl) के संतृप्त विलयन में रखा जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर:
अण्डे में बाह्यपरासरण होगा जिसके कारण वह सिकुड़ जाता है।

प्रश्न 21.
मोललता तथा क्वथनांक उन्नयन में सम्बन्ध बताइए |
उत्तर:
क्वथनांक उन्नुयन तथा मोललता एक-दूसरे के समानुपाती होते हैं।

प्रश्न 22.
एक प्रतिहिम (Anti Freezing Agent) पदार्थ का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
एथिलीन ग्लाइकॉल प्रतिहिम का कार्य करता है।

प्रश्न 23.
आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल को त्वचा पर रगड़ने से शीतलन का अनुभव होता है, क्यों?
उत्तर:
आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल वाष्पशील होता है अतः यह त्वचा से गुप्त ऊष्मा का अवशोषण करके वाष्प में परिवर्तित हो जाता है, जिसके कारण शीतलन का अनुभव होता है।

प्रश्न 24.
गले में सूजन होने पर साधारण नमक के पानी से गरारे करने की सलाह दी जाती है । क्यों?
उत्तर:
नमक का पानी अतिपरासरी (हाइपरटोनिक ) होता है, जिसके कारण यह गल में खिंचाव उत्पन्न करने वाले कारक को बाहर निकाल देता है।

प्रश्न 25.
जलीय जीवजन्तु गरम जल की अपेक्षा ठण्डे जल में अधिक आसानी से रहते हैं, क्यों ?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर गैसों की जल में विलेयता कम होती है अतः गरम जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है इसलिए जलीय जीवजन्तु गरम जल की अपेक्षा ठण्डे जल में अधिक आसानी से रहते हैं ।

लघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए ।
उत्तर:
दो द्रव A तथा B के मिश्रण में धनात्मक विचलन होने पर A-B आकर्षण A-A तथा B-B के मध्य आकर्षण की तुलना में दुर्बल होता है। अर्थात् इस स्थिति में विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अंतराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और विलायक – विलायक अणुओं की तुलना में दुर्बल होते हैं। अतः इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में अधिक आसानी से निकल सकते हैं, जिसके कारण वाष्प दाब में वृद्धि होती है।

उदाहरण-एथेनॉल तथा ऐसीटोन का मिश्रण। शुद्ध एथेनॉल में अणुओं के हाइड्रोजन बंध होते हैं। इसमें ऐसीटोन मिलाने पर इसके अणु एथेनॉल के अणुओं के बीच में आ जाते हैं, जिसके कारण इनके बीच पहले से उपस्थित हाइड्रोजन बंध टूट जाते हैं। इससे अंतराआण्विक आकर्षण बल दुर्बल हो जाने के कारण यह मिश्रण राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन दर्शाता है।

प्रश्न 2.
राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन को उदाहरण सहित समझाइए |
उत्तर:
दो द्रव A तथा B के मिश्रण में ऋणात्मक विचलन की स्थिति में A-A तथा B-B के मध्य आर्कषण बल A-B की तुलना में दुर्बल होता है। इसके कारण वाष्पदाब कम हो जाता है। उदाहरण- फीनॉल तथा ऐनिलीन का मिश्रण। इस स्थिति में फीनॉलिक प्रोटॉन एवं ऐनिलीन के नाइट्रोजन परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के मध्य अंतराआण्विक हाइड्रोजन बंध समान अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बंध की तुलना में प्रबल होता है। इसी प्रकार से क्लोरोफॉर्म तथा ऐसीटोन का मिश्रण भी उल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन दर्शाता है। इसका कारण यह है कि क्लोरोफॉर्म, ऐसीटोन के साथ हाइड्रोजन बंध बना लेता है।
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प्रश्न 3.
एक शीतल पेय पदार्थ जो कि कार्बोनेटीकृत है, की house बोतल को खोलने पर गैस के बुलबुले तेजी से बाहर निकलते हैं। क्यों?
उत्तर:
कार्बोनेटीकृत पेय की बोतल में उच्च दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस भरी होती है। जब बोतल का ढक्कन खोला जाता है, तो यह गैस उच्च दाब से निम्न दाब की ओर तेजी से बाहर निकलती है। अतः गैस के बुलबुले बाहर की तरफ निकलते हुए दिखाई देते हैं।

प्रश्न 4.
NaOH की जल में विलेयता पर ताप का क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
NaOH का जल में विलयन बनना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है अतः ले-शातैलिए के नियमानुसार ऊष्माक्षेपी प्रक्रम हेतु ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था पश्च दिशा में जाती है अर्थात् NaOH की विलेयता कम हो जाएगी।

प्रश्न 5.
ऐनॉक्सिया क्या है?
उत्तर:
ऐनॉक्सिया एक प्रकार की बीमारी है जो सामान्यतः अधिक ऊँचाई पर रहने वाले लोगों में पाई जाती है। इसमें व्यक्तियों के रक्त एव ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता कम हो जाती है अतः वे कमजोर हो जाते हैं तथा उनकी सोचने की क्षमता में भी कमी आ जाती है।

प्रश्न 6.
एथिल ऐल्कोहॉल तथा साइक्लोहेक्सेन का मिश्रण, राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन दर्शाता है, क्यों?
उत्तर:
साइक्लोहेक्सेन के अणुओं के मध्य वान्डरवाल बल तथा एथिल ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है लेकिन जब एथेनॉल तथा साइक्लोहेक्सेन को मिलाया जाता है तो एथेनॉल के अणुओं के मध्य उपस्थित हाइड्रोजन बन्ध टूट जाते हैं अर्थात् A-B आकर्षण, A-A तथा B-B आकर्षण से कम है अतः अणु दूर-दूर जाते हैं इसलिए यह धनात्मक विचलन का उदाहरण है।

प्रश्न 7.
राउल्ट के नियम की सीमाएँ बताइए ।
उत्तर:

  • यह नियम केवल तनु विलयनों पर ही लागू होता है।
  • विद्युत अपघट्यों के विलयनों पर यह नियम नहीं लगता है।
  • जब विलयन में पदार्थ का संगुणन या वियोजन होता है तो भी राउल्ट का नियम नहीं लगता।

प्रश्न 8.
नमक के सान्द्र विलयन में ताजा अंगूर डालने पर वे सिकुड़ जाते हैं जबकि इन्हें पुन: जल में डालने पर ये फूल जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
परासरण के कारण विलायक निम्न सान्द्रता युक्त विलयन से उच्च सान्द्रता वाले विलयन की ओर गमन करता है। यहाँ अंगूर की कोशिका झिल्ली, अर्धपारगम्य झिल्ली की तरह व्यवहार करती है अतः अंगूर को नमक के सान्द्र विलयन में रखने पर जल अंगूर से बाहर आ जाता है, जिसके कारण वे सिकुड़ जाते हैं तथा इन्हें पुनः जल में डालने पर जल अंगूर में प्रवेश कर जाता है अतः वे फूलकर पुनः ताजा हो जाते हैं।

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प्रश्न 9.
हिमांक अवनमन विधि से अणुभार ज्ञात करने के लिए साधारण थर्मामीटर के स्थान पर विशिष्ट थर्मामीटर (बैकमान थर्मामीटर) का प्रयोग किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
विलायक में विलेय मिलाने पर होने वाला हिमांक अवनमन बहुत कम मात्रा में होता है जिसका मापन साधारण थर्मामीटर द्वारा नहीं होता क्योंकि इसमें न्यूनतम माप 0.01°C से अधिक होती है जबकि बैकमान ने इस कार्य के लिए एक विशिष्ट थर्मामीटर बनाया जो बहुत संवेदी (Sensi- tive) होता है जिसमें न्यूनतम माप 0.01°C होती है जिससे कम मात्रा में होने वाले हिमांक अवनमन का भी मापन हो जाता है अतः हिमांक अवनमन विधि में साधारण थर्मामीटर के स्थान पर यह विशिष्ट थर्मामीटर (बैकमान थर्मामीटर) प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
किसी पदार्थ के गलनांक तथा क्वथनांक से उसमें उपस्थित अशुद्धियों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है। इस कंथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
शुद्ध अवस्था में प्रत्येक पदार्थ का गलनांक तथा क्वथनांक निश्चित होता है। जब इसमें अवाष्पशील अशुद्धि मिली होती है तो क्वथनांक में वृद्धि तथा गलनांक में कमी हो जाती है, अशुद्धि की मात्रा बढ़ने पर ये मान भी उसी अनुपात में परिवर्तित हो जाते हैं, अतः गलनांक तथा क्वथनांक के मान से किसी पदार्थ में उपस्थित अशुद्धियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है ।

प्रश्न 11.
प्याज को सामान्य ताप पर काटने के बजाय फ्रिज में ठण्डा करने के बाद काटने से आँसू कम आते हैं। क्यों?
उत्तर:
प्याज को जब ठण्डा करते हैं तो उसमें उपस्थित वाष्पशील द्रव जिनके कारण आँसू आते हैं, का वाष्पदाब कम हो जाता है, अतः उनका वाष्पन कम होता है। अतः ठण्डे प्याज को काटने पर आँसू कम आते हैं।

प्रश्न 12.
क्वथनांक उन्नयन से किसी वाष्पशील पदार्थ का मोलर द्रव्यमान ज्ञात नहीं किया जा सकता। क्यों?
उत्तर:
क्वथनांक उन्नयन इत्यादि विधियाँ (अणुसंख्यक गुण) केवल अवाष्पशील पदार्थों के लिए ही उपयुक्त होती हैं क्योंकि विलयन में वाष्पशील पदार्थ मिलाकर गर्म किया जाता है तो वाष्पशील पदार्थ, वाष्प बनकर बाहर निकल जाता है, जिससे इसके कारण क्वथनांक में उन्नयन ही नहीं होगा अतः इस विधि से वाष्पशील पदार्थ का मोलर द्रव्यमान ज्ञात नहीं- कर सकते।

प्रश्न 13.
सर्दी के मौसम में गाड़ी के रेडिएटर में जल के साथ एथिलीन ग्लाइकॉल मिलाया जाता है। क्यों?
उत्तर:
सर्दी के मौसम में केवल जल को गाड़ी का इंजन ठण्डा करने में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि जल 0°C (273K) पर ही जम जाता है जबकि 35% (V/V) एथिलीन ग्लाइकॉल के जलीय विलयन का हिमांक – 17.6°C होता है, अतः यह निम्न ताप पर भी नहीं जमता इसलिए इसे शीतलक (Coolant) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यहाँ एथिलीन ग्लाइकॉल हिमरोधी (Anti Freezing Agent ) का कार्य करता है। अतः एथिलीन ग्लाइकॉल को सर्दी के मौसम में गाड़ी के रेडिएटर में जल के साथ मिलाया जाता है।

प्रश्न 14.
सड़कों पर जमी बर्फ को हटाने के लिए NaCl के स्थान पर CaCl2 लेना अधिक उपयुक्त है। क्यों?
उत्तर:
NaCl तथा CaCh2 दोनों ही प्रतिहिम कारक का कार्य करते हैं क्योंकि इनको मिलाने से जल का हिमांक कम हो जाता है लेकिन हिमांक अवनमन एक कण संख्यक गुण है जो कणों की संख्या पर निर्भर करता है। CaCl2 के आयनन से तीन आयन (Ca+2 तथा 2Cl) प्राप्त होते हैं जबकि NaCl के आयनन से केवल दो आयन ही प्राप्त होंगे, अतः CaCl2 मिलाने पर बर्फ अधिक तेजी से पिघलती है क्योंकि हिमांक में अधिक कमी हो जाने के कारण बर्फ के जमने की प्रवृत्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 15.
प्रेशर कुकर में भोजन जल्दी पकता है लेकिन पहाड़ों पर भोजन धीरे पकता है । इसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
प्रत्येक द्रव का क्वथनांक निश्चित होता है तथा दाब बढ़ाने पर क्वथनांक में वृद्धि होती है। प्रेशर कुकर में दाब अधिक होने के कारण, जल का क्वथनांक बढ़ जाता है अतः यह अधिक ताप पर उबलता है जिसके कारण भोजन को अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है इसलिए वह जल्दी पक जाता है जबकि पहाड़ों पर वायुमण्डलीय दाब कम होता है जिसके कारण क्वथनांक भी कम हो जाता है अतः पानी उबल तो जल्दी जाता है लेकिन भोजन को कम ऊष्मा प्राप्त होती है, जिससे वह धीरे पकता है ।

प्रश्न 16.
किसी विलायक के लिए मोलल उन्नयन स्थिरांक का मान निश्चित होता है। क्यों?
उत्तर:
मोलल उन्नयन स्थिरांक को निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 7
इस सूत्र में उपस्थित सभी मान, R ( विलयन स्थिरांक या गैस स्थिरांक), M1 ( विलायक का मोलर द्रव्यमान ), Tb ( विलायक का क्वथनांक) तथा △Hवाष्पन( वाष्पन एन्थैल्पी) किसी विलायक के लिए निश्चित होते हैं अतः मोलल उन्नयन स्थिरांक (Kb) का मान भी निश्चित होगा ।

प्रश्न 17.
केवल दूध से आइसक्रीम बनाने की तुलना में शर्करायुक्त दूध से आइसक्रीम बनाने में अधिक समय लगता है। क्यों?
उत्तर:
दूध में शर्करा (चीनी) मिलाने पर दूध का हिमांक कम हो जाता है (हिमांक अवनमन) अर्थात् दूध पहले की तुलना में कम ताप पर जमेगा अतः इससे आइसक्रीम बनाने में अधिक समय लगता है।

प्रश्न 18.
दो ग्राम शर्करा को 100 ग्राम जल में घोलने पर विलयन X तथा 2 ग्राम यूरिया को 100 ग्राम जल में घोलने पर विलयन Y प्राप्त होता है तो किस विलयन में क्वथनांक उन्नयन अधिक होगा तथा क्यों ?
उत्तर:
विलयन Y में क्वथनांक उन्नयन अधिक होगा क्योंकि यूरिया का अणुभार शर्करा के अणुभार से कम होता है अतः विलयन Y की मोललता, विलयन X की मोललता से अधिक होगी तथा क्वथनांक उन्नयन मोललता के समानुपाती होता है।

प्रश्न 19
(i) प्रतिहिम (Antifreezing agent) क्या होता है ?
(ii) विहिमीकारक (de-icing agent) किसे कहते हैं? समझाइए |
उत्तर:

  • वह पदार्थ जिसे जल में मिलाने पर उसके हिमांक को कम कर देता है, उसे प्रतिहिम कहते हैं। उदाहरण – एथिलीन ग्लाइकॉल।
  • वह पदार्थ जो जल के हिमांक को कम करता है तथा जिसे बर्फ पर डालने से बर्फ जल्दी पिघलती है, उसे विहिमीकारक कहते हैं, जैसे- – NaCl, CaCl2 इत्यादि ।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न :

प्रश्न 1.
राउल्ट के नियम से धनात्मक तथा ऋणात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयनों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
धनात्मक विचलन- एथेनॉल तथा ऐसीटोन से बना विलयन ऋणात्मक विचलन- नाइट्रिक अम्ल तथा जल से बना विलयन

प्रश्न 2.
‘परासरण’ और ‘परासरणी दाब’ पदों को परिभाषित कीजिए । अन्य अणुसंख्य गुणधर्मों की तुलना में परासरण दाब के उपयोग का विलयनों में विलेय पदार्थों के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए क्या लाभ होता है ?
उत्तर:
परासरण – प्रकृति तथा घर पर कई सामान्य घटनाएँ होती हैं जैसे वातावरण में जल की कमी से लचीली हुई गाजर को जल में रखने पर ताजा होना, मटर के सूखे दानों को जल में रखने पर उनकी फूलना, मुरझाए हुए फूलों को ताजे जल में रखने पर पुनः ताजा होना, कच्चे आम के टुकड़ों को नमक के जलीय विलयन में रखने पर उनका सिकुड़ना तथा लाल रुधिर कणिकाओं को लवण जल में रखने पर सिकुड़ना इत्यादि। ये सभी परासरण के उदाहरण हैं तथा इनमें सभी पदार्थ झिल्लियों युक्त हैं जिसे अर्धपारगम्य झिल्ली कहते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 3.
NaCl (मोलर द्रव्यमान = 58.5 g mol-1) की कितनी मात्रा 65 g जल में घोली जाए जिससे हिमांक में 7.5°C की गिरावट आ जाए ? जल के लिए हिमांक अवनमन स्थिरांक Kf, 1.86 K Kg mol-1 है। यह मानकर चलिए कि NaCl के लिए वाट हॉफ गुणक 1.87 है।
उत्तर:
हिमांक अवनमन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 8

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का कथन लिखिए-
(i) विलयनों के सन्दर्भ में सामान्य रूप में राउल्ट का नियम ।
(ii) मिश्रण में एक गैस के आंशिक दाब के सम्बन्ध में हेनरी का नियम ।
उत्तर:

  • वाष्पशील द्रवों के विलयन में किसी अवयव का आंशिक दाब, विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है।
  • किसी विलयन में गैस का मोल अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है, अर्थात् किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (P) उस विलयन में गैस के मोल अंश (x) के समानुपाती होता है।

प्रश्न 5.
जल के 35.0 mL में जीन के एक खण्ड की 8.95 mg मात्रा घुलाकर विलयन बनाया गया, जिसका 25°C पर परासरण दाब 0.335.torr. है । यह मानते हुए कि जीन खण्ड विद्युत अपघट्य है, इसका आणव (मोलर) द्रव्यमान ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
परासरण दाब
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 9

अतः जीन खण्ड का मोलर द्रव्यमान = 14.218 kg.

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए-
(a) (i) मोल प्रभाज (Mole fraction)
(ii) आदर्श विलयन
(b) एक अज्ञात आण्विक पदार्थ की 15.0 g मात्रा को जल 450g में घुलाया जाता है। प्राप्त विलयन – 0.34°C पर हिमीभूत होता है । पदार्थ का मोलर द्रव्यमान क्या है ? ( जल के लिए Kf = 1.86 K Kg mol-1)
अथवा
(a) निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-

  • एक द्रव में किसी गैस के घुलने के सम्बन्ध में हेनरी का नियम ।
  • एक विलायक के लिए क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक ।

(b) जल के 500 g में कुछ ग्लिसरॉल को घुलाकर ग्लिसरॉल (C3H8O3) का एक विलयन बनाया जाता है। इस विलयन का क्वथनांक 100.42°C है। इस विलयन को बनाने में ग्लिसरॉल की कितनी मात्रा घुलाई गई थी ? (जल के लिए Kb = 0.512K Kg mol-1)
उत्तर:
(a) (i) मोलरता – एक लीटर विलयन में घुले हुए विलेय के मोलों की संख्या को विलयन की मोलरता (M) कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 18
यदि w ग्राम विलेय, V मिली विलयन में घुला हो तो
मोलरता (M) = \(\frac{\mathrm{W} \times 1000}{\mathrm{M} . \mathrm{W} \cdot \times \mathrm{V}}\)
M.W. = विलेय का अणुभार
उदाहरण- NaOH के 0.25 molL-1(0.25 M) विलयन का अर्थ है कि 0.25 मोल NaOH एक लीटर विलयन में घुला हुआ है।

(ii) आदर्श विलयन :
वह विलयन जो ताप तथा सान्द्रता के सभी मानों पर राउल्ट के नियम का पालन करता है, उसे आदर्श विलयन कहते हैं। एक पूर्ण रूप से आदर्श विलयन होना बहुत मुश्किल है लेकिन कुछ विलयन व्यवहार में लगभग आदर्श होते हैं। आदर्श विलयन के लिए आवश्यक शर्तें-
(i) विलयन बनने पर एन्थैल्पी परिवर्तन शून्य होता है अर्थात् इसके अवयवों को मिश्रित करने पर ऊष्मा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं होता, अर्थात् △Hमिश्रण = 0।

(ii) आयतन में परिवर्तन शून्य होता है अर्थात् विलयन का आयतन दोनों अवयवों के आयतन के योग के बराबर होता है, अर्थात् △Vमिश्रण = 0।

(iii) राउल्ट के नियम के अनुसार,
\(\mathrm{P}_{\text {कुल }}=\mathrm{p}_{\mathrm{o}} \mathrm{A}+\mathrm{p}_{\mathrm{B}}\)
\(\mathrm{p}_{\text {कुल }}=\mathrm{p}_{\mathrm{A}} \mathrm{X}_{\mathrm{A}}+\stackrel{\circ}{\mathrm{p}} \mathrm{B}_{\mathrm{B}} \mathrm{X}_{\mathrm{B}}\)

माना मिश्रण दो अवयव (द्रव) A तथा B से बना है जिनमें अन्तराआण्विक आकर्षण A-A तथा B-B प्रकार के हैं लेकिन द्विअंगी विलयन (मिश्रण) में A-A तथा B-B आकर्षण के साथ-साथ A-B प्रकार का आकर्षण भी होगा जो कि A-A तथा B-B के बीच अंतराआण्विक आकर्षण बल के ही समान होगा।

इसलिए △H=0 तथा △V=0, इसी कारण यह आदर्श विलयन बनाता है। अत: A-B आकर्षण = A-A आकर्षण तथा B-B आकर्षण।
आदर्श विलयनों के उदाहरण-
(i) n-हेक्सेन + n-हेप्टेन (n-C6H14 + n-C7H16)
(ii) बेन्जीन + टॉलूईन (C6H6 + C6H5 – CH3)
(iii) ब्रोमोएथेन + क्लोरोएथेन (C2H5Br + C2H5Cl)
(iv) कार्बन टेट्राक्लोरइड + सिलिकन टेट्रक्लोरइड (CCl4 + SiCl4)
(v) मेथिल ऐल्कोहॉल + एथिल एल्कोहॉल (CH3OH + C2H5OH)
(vi) क्लोरोबेन्जीन + ब्रोमोबेन्जीन (C6H5Cl + C6H5Br)

(b) हिमांक अवनमन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 14
अतः पदार्थ का मोलर द्रव्यमान = 182.3
अथवा
(a)

  • गैसों की द्रवों में विलेयता: भिन्न-भिन्न गैसों की जल या अन्य विलायकों में विलेयता भिन्न-भिन्न होती है। कुछ गैसें जल में अधिक्त मात्रा में घुल जाती हैं जब्वक्रि ऑक्सीजन जल में बहुत कम मात्रा में घुलती है तथा इसी घुली हुई ऑक्सीजन के कारण जलीय जीवन जीवित रहता है। गैसों की द्रव में विलेयता को अवशोषण गुणांक द्वारा समझा सकते हैं। निश्चित ताप तथा वायुमण्डलीय दाब पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में घुली हुई गैस के मानक ताप व दाब (NTP) पर आयतन को उस गैस का अवशोषण गुणांक (Absorption Coefficient) कहते हैं।
  • किसी विलायक का क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक उस विलायक के क्वथनांक में वह वृद्धि है जो उसके 1 Kg में एक मोल अवाष्पशील विलेय मिलाने पर होती है।

(b) क्वथनांक उन्नयन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 10
अतः ग्लिसरॉल की मात्रा = 37.7 ग्राम।

प्रश्न 7.
प्रतिलोम परासरण किसे कहते हैं? इसका एक उपयोग दीजिए।
उत्तर:
प्रतिलोम परासरण – विलयन पर परासरण दाब से अधिक बाहरी दाब लगाने पर शुद्ध विलायक, अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलयन से बाहर निकलता है अर्थात् परासरण की दिशा बदल जाती है, इसे प्रतिलोम परासरण कहते हैं। प्रतिलोम परासरण का उपयोग समुद्री जल के विलवणीकरण (Desalination) में किया जाता है।

प्रश्न 8.
यदि 10% (w/w) जलीय H2SO4 का घनत्व 1.84 ग्राम सेमी 3 है तो H2SO4 विलयन की मोललता की गणना कीजिए | (H2SO4 का मोलर द्रव्यमान = 98 ग्राम मोल-1 )
उत्तर:
मोललता
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 11

प्रश्न 9.
निम्नलिखित विलयनों को वान्ट हॉफ गुणक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
0.1 M CaCl2, 0.1M KCl, 0.1 M Al2 (SO4)3, 0.1 M C12H22O11.
उत्तर:
उपर्युक्त विलयनों के वान्ट हॉफ गुणक का बढ़ता क्रम निम्नलिखित है-
C12H22O11 < KCl < CaCl2 < Al2(SO4)3

प्रश्न 10.
5g NaOH को 500 ml जल में घोला गया। विलयन की मोलरता ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
NaOH के मोल = 5g/40g mol-1 = 0.125 mol
विलयन का लीटर में आयतन = \(\frac{500 \mathrm{ml}}{1000 \mathrm{ml} \mathrm{L}^{-1}}\)
मोलरता = विलेय के मोल / विलयन का लीटर में आयतन
= \(\frac{0.125 \times 1000 \mathrm{ml} \mathrm{L}^{-1}}{500 \mathrm{ml}}\)
= o.25 M

प्रश्न 11.
एक प्रोटीन के 0.2 L जलीय विलयन में 1.26 g प्रोटीन है। 300 K पर इस विलयन का परासरण दाब 2.57 × 10-3 bar पाया गया। प्रोटीन के मोलर द्रव्यमान का परिकलन कीजिए। (R = 0.083 L bar mol-1 K-1)
उत्तर:
मोलर द्रव्यमान (M2) = \(\frac{W_2 \mathrm{RT}}{\Pi \mathrm{V}}\)

W2 = 1.26 g, R = 0.083 L bar mol-1 K-1
T = 300K, Π = 2.57 × 10-3 bar, V = 0.2 L
M2 = \(\frac{1.26 \mathrm{~g} \times 0.083 \mathrm{LbarK}^{-1} \mathrm{~mol}^{-1} \times 300 \mathrm{~K}}{2.57 \times 10^{-3} \mathrm{bar} \times 0.2 \mathrm{~L}}\)
M2 = 61038 g mol-1
अतः प्रोटीन का मोलर द्रव्यमान = 61038 g mol-1

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 12.
(i) स्थिर क्वाथी मिश्रण को परिभाषित कीजिए ।
(ii) वाष्पशील घटकयुक्त विलयन के लिए राउल्ट के नियम की व्याख्या कीजिए तथा किस प्रकार राउल्ट का नियम, हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति है ?
उत्तर:

  • दो या अधिक घटकों का वह मिश्रण जिसका संघटन द्रव तथा वाष्प अवस्था में होता है तथा जिसका क्वथनांक निश्चित होता है, उसे स्थिर क्वाथी मिश्रण कहते हैं।
  • 2.4.1. द्रव-द्रव विलयना का वाष्प दाब – एक बंद पात्र में दो वाष्पशील द्रवों का विलयन लेते हैं तो इन द्रवों का वाष्पीकरण होगा तथा कुछ समय के बाद वाष्य अवस्था तथा द्रव अवस्था के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है।
  • माना दोनों द्रवों के आंशिक वाष्प दाब क्रमशः p1 p2 हैं तथा कुल दाब pकुल है, तो राउल्ट के नियम के अनुसार, वाष्पशील द्रवों के विलयन में किसी अवयव (द्रव) का आंशिक दाब, विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है।
    अतः प्रथम द्रव के लिए-
    p1 ∝ x1
    या \(\mathrm{p}_1=\mathrm{p}_1^0 \mathrm{x}_1\)
    यहाँ \(\mathrm{p}_1^0\) = शुद्ध अवस्था में प्रथम घटक का समान ताप पर वाष्प दाब है। इसी प्रकार द्वितीय द्रव के लिए-
    \(\mathrm{p}_2=\mathrm{p}_2^0 \mathrm{x}_2\)
    यहाँ \(\mathrm{p}_2^0\) द्वितीय शुद्ध द्रव का वाष्प दाब है।डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार, पात्र में विलयन का कुल दाब \(\mathrm{p}_{\text {कुल }}\), विलयन के सभी अवयवों के आंशिक दाब के योग के बराबर होता है। अतः
    \(\mathrm{p}_{\text {कुल }}\) = p1 + p2
    p1 व p2 का मान रखने पर,
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 15
    इस समीकरण से निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त होते हैं-
    (1) किसी विलयन के कुल वाष्प दाब को उसके किसी अवयव के मोल-अंश से संबंधित कर सकते हैं।
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 16
    (2) किसी विलयन का कुल वाष्प दाब द्वितीय अवयव के मोल-अंश के साथ रेखीय रूप से बदलता है।
    (3) शुद्ध अवयवों के वाष्प दाब पर निर्भर रहते हुए विलयन का कुल वाष्प दाब प्रथम अवयव के मोल-अंश के बढ़ने से कम या अधिक होता है।किसी विलयन के लिए p1 या p2 का x1 तथा x2 के मध्य आलेखित करने पर सीधी रेखा प्राप्त होती है। जब x1 व x2 का मान 1 होता है तो ये रेखाएँ (I व II) क्रमशः बिंदु \(\mathrm{p}_1^0\) व \(\mathrm{p}_2^0\) से होकर गुज़रती हैं। इसी प्रकार pकुल का x2 के साथ आलेख (लाइन III) भी रेखीय होता है। pकुल का न्यूनतम मान \(\mathrm{p}_1^0\) तथा इसका अधिकतम मान \(\mathrm{p}_2^0\) होगा। यहाँ प्रथम घटक द्वितीय घटक की तुलना में कम वाष्पशील है अर्थात् \(\mathrm{p}_1^0<\mathrm{p}_2^0\) |वाष्प अवस्था में संघटन – विलयन के साथ साम्य अवस्था में स्थित वाष्प प्रावस्था के संघटन का निर्धारण अवयवों के आंशिक दाब से किया जा सकता है। यदि y1 एवं y2 क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय अवयव के वाष्पीय अवस्था में मोल-अंश हैं तो डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 17
    राउल्ट का नियम : हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति राउल्ट के नियम से
    \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}=\mathrm{x}_{\mathrm{i}} \mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\)
    अर्थात् किसी विलयन में उसके वाष्पशील अवयव का वाष्पदाब उसके मोल अंश के समानुपाती होता है। किसी द्रव में गैस के विलयन में गैसीय अवयव गैस के रूप में-ही रहता है जिसकी विलेयता हेनरी के नियम के अनुसार होती है।अतः p = KH.xअतः राउल्ट के नियम तथा हेनरी के नियम की तुलना करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि वाष्पशील घटक (गैस) का आंशिक दाब विलयन में उसके मोल-अंश के समानुपाती होता है, केवल समानुपातिक स्थिरांक KH एवं \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\) में भिन्नता है। अतः राउल्ट का नियम, हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति है जिसमें KH तथा \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\) के मान के बराबर हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
(i) समपरासरी विलयन किसे कहते हैं?
(ii) आदर्श विलयन को परिभाषित कीजिए तथा इसका एक लक्षण बताइए।
(iii) मोलल उन्नयन स्थिरांक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:

  • दिए गए ताप पर दो विलयन, जिनका परासरण दाब समान होता है, उन्हें ‘समपरासरी’ विलयन कहते हैं। इन विलयनों की मोलर सान्द्रता समान होती है।
  • वह विलयन जो ताप तथा सान्द्रता के सभी मानों पर राउल्ट के नियम का पालन करता है, उसे आदर्श विलयन कहते हैं। आदर्श विलयन बनने पर एन्थैल्पी परिवर्तन शून्य होता है।
  • 1000 g विलायक में एक मोल अवाष्पशील विलेय घुला होने पर क्वथनांक में जितनी वृद्धि होती है, उसे मोलल उन्नयन स्थिरांक कहते हैं।

प्रश्न 14.
(अ) (i) जल वाष्प दाब का क्या होगा यदि एक चम्मच चीनी उसमें डाल दी जाए?
(ii) वृहदअणुओं के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए कौन-सा अणुसंख्य गुणधर्म उपयुक्त है ?
(ब) क्या क्वथनांक का उन्नयन समान होगा यदि 0.1 मोल सोडियम क्लोराइड या 0.1 मोल चीनी को 1 लीटर जल में विलेय किया जाए? समझाइए ।
(स) क्या हम स्थिर क्वाथी मिश्रण के यौगिकों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् कर सकते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
(अ)

  • जल में एक चम्मच चीनी डालने पर उसका वाष्प दाब कम हो जाता है क्योंकि वाष्प दाब अवनमन कणों की संख्या पर निर्भर करता है तथा जल में चीनी डालने पर कणों की संख्या बढ़ जाती है।
  • बृहदअणुओं के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए परासरण दाव विधि अधिक उपयुक्त है क्योंकि ये उच्च ताप पर स्थायी नहीं होते हैं तथा परासरण दाब कमरे के ताप पर ही ज्ञात किया जाता है एवं परासरण दाब का परिमाण भी अधिक होता है।

(च) 0.1 मील सोडियम क्लोराइड या 0.1 मोल चीनी को 1 लीटर जल में विलेय करने पर क्वथनांक का उन्नयन समान नहीं होगा क्योंकि चीनी का आयनन नहीं होता जबकि सोडियम क्लोराइड (NaCl) का आयनन होकर दुगुनी संख्या में आयन प्राप्त होंगे।

(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण के यौगिकों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता क्योंकि इस मिश्रण का व्वथनांक निश्चित होता है जिस पर मिश्रण में उपस्थित सभी यौगिक निश्चित अनुपात में एक साथ आसवित होते हैं। अतः इस मिश्रण के यौगिकों को स्थिर क्वाथी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 15.
विलयन की मोललता ज्ञात करने का सूत्र लिखिये ।
उत्तर:
विलयन की मोललता को निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 12

प्रश्न 16.
400 K तापक्रम पर किसी विलयन का परासरण दाब 0.0821 वायुमण्डल है तो विलयन की सान्द्रता मोल / लीटर में ज्ञात कीजिए। [R 0.0821 L atm K-1 mol-1]
उत्तर:
परासरण दाब Π = CRT
Π = 0.0821 वायुमण्डल,
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
T = 400K
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 13
C = 0.0025 mol L-1

प्रश्न 17.
(i) क्या कारण है कि जलीय जीव ठण्डे जल में अधिक अच्छा महसूस करते हैं अपेक्षाकृत गर्म जल में?
(ii) क्या होता है जब हम रक्त सेल को नमकीन जल के विलयन (अतिपरासरणदाबी विलयन) में रखते हैं? कारण बताइए।
उत्तर:

  • जलीय जीव गर्म जल की अपेक्ष ठण्डे जल में अधिक अच्छा महसूस करते हैं क्योंकि ताप बढ़ने पर गैसों की जल में विलेयता कम होती है जिसके कारण जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
  • जब रक्त सेल को नमकीन जल के विलयन (अतिपरासरण- दात्री विलयन) में रखा जाता है तो परासरण के कारण रक्त सेल संकुचित हो जाती हैं अर्थात् जल रक्त सेल से बाहर आ जाता है।

प्रश्न 18.
20°C पर जल का वाष्प दाब 17.5 mm Hg है। ग्लूकोस (मोलर द्रव्यमान = 180 gmol-1) का 15 g जल के घुला हो, तो 20°C पर जल का वाष्प दाब परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
\(\frac{\mathrm{P}_1^0-\mathrm{P}_1}{\mathrm{P}_1^0}\) = \(\frac{\mathbf{W}_2 \times \mathbf{M}_1}{\mathbf{M}_2 \times \mathbf{W}_1}\)
\(\mathrm{P}_1^0\) = शुद्ध जल का वाष्प दाब = 17.5 mm Hg
P1 = विलयन का वाष्प दाब = ?
W1 = 150 g, W2 = 15 g, M1 = 18 g mol-1
M2 = 180g mol-1
अतः = \(\frac{17.5 \mathrm{~mm} \mathrm{Hg}-\mathrm{P}_1}{17.5 \mathrm{~mm} \mathrm{Hg}}\) = \(\frac{15 \mathrm{~g} \times 18 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}{180 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1} \times 150 \mathrm{~g}}\)
\(\frac{17.5-\mathrm{P}_1}{17.5}\) = \(\frac { 270 }{ 27000 }\)
\(\frac{17.5-P_1}{17.5}\) = 0.01
17.5 – P1 = 17.5 × 0.01
17.5 – P1 = 0.175
P1 = 17.5 – 0.175
P1 = 17.325mm Hg
अतः 20°C पर ग्लूकोसयुक्त जल का वाष्प दाब (P1) = 17.325 mm Hg.

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. पी.वी.सी. (पॉलि वाइनिल क्लोराइड) है एक-
(अ) योगात्मक बहुलक
(ब) संघनन बहुलक
(स) सहबहुलक
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) योगात्मक बहुलक

2. निम्नलिखित में से कौनसा जैव बहुलक है?
(अ) पॉलिथीन
(ब) नाइलॉन-66
(स) प्रोटीन
(द) टेफ्लॉन
उत्तर:
(स) प्रोटीन

3. PHBV है एक-
(अ) प्राकृतिक बहुलक
(ब) जैव बहुलक
(स) जैवनिम्ननीय बहुलक
(द) संश्लेषित बहुलक
उत्तर:
(स) जैवनिम्ननीय बहुलक

4. योगात्मक बहुलकीकरण है-
(अ) पद वृद्धि अभिक्रिया
(ब) शृंखला वृद्धि अभिक्रिया
(स) विलोपन अभिक्रिया
(द) संघनन अभिक्रिया
उत्तर:
(ब) शृंखला वृद्धि अभिक्रिया

5. निम्नलिखित में से कौनसा प्राकृतिक बहुलक नहीं है?
(अ) स्टार्च
(ब) ऊन
(स) रेशम
(द) नाइलॉन
उत्तर:
(द) नाइलॉन

6. एथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरेफ्थैलिक अम्ल के सहबहुलकीकरण से बना बहुलक है-
(अ) नाइलॉन
(ब) टेरीलीन या डेक्रॉन
(स) पॉलिस्टाइरीन
(द) बैकेलाइट
उत्तर:
(ब) टेरीलीन या डेक्रॉन

7. टैफ्लॉन के विशेष गुण निम्नलिखित में से किस तत्व के कारण होते हैं ?
(अ) क्लोरीन
(ब) नाइट्रोजन
(स) फ्लुओरीन
(द) फॉस्फोरस
उत्तर:
(स) फ्लुओरीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

8. जब रबर को सल्फर के साथ गर्म किया जाता है तो इस प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(अ) गैल्वेनीकरण
(ब) सल्फोनीकरण
(स) बेसेमरीकरण
(द) वल्कनीकरण
उत्तर:
(द) वल्कनीकरण

9. निम्नलिखित में से किस बहुलक में हैलोजन नहीं होता है?
(अ) टेफ्लॉन
(ब) निओप्रीन
(स) नाइलॉन-6
(द) पी.वी.सी.
उत्तर:
(स) नाइलॉन-6

10. निम्नलिखित में से कौनसा तापदृढ़ बहुलक का उदाहरण है?
(अ) पॉलिस्टाइरीन
(ब) पॉलिथीन
(स) बैकेलाइट
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

11. निम्नलिखित में से कौनसा रेखीय बहुलक नहीं है?
(अ) पॉलीएस्टर
(ब) पॉलीप्रोपिलीन
(स) बैकेलाइट
(द) पॉलिथीन
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

12. निम्नलिखित में से कौनसा तापसुघट्य बहुलक नहीं है?
(अ) पॉलिथीन
(ब) पॉलिस्टाइरीन
(स) फ़ीनॉल-फार्मेल्डिहाइड रेजिन
(द) पॉलिवाइनिलक्लोरइड
उत्तर:
(स) फ़ीनॉल-फार्मेल्डिहाइड रेजिन

13. निम्नलिखित में से कौनसा बहुलक ऐरोमैटिक है?
(अ) नाइलॉन-66
(ब) टेफ्लॉन
(स) निओप्रीन
(द) पॉलिस्टाइरीन
उत्तर:
(द) पॉलिस्टाइरीन

14. निम्नलिखित में से किस प्रकार के बहुलक में सबसे प्रबल अन्तराणुक बल पाए जाते हैं?
(अ) रेशेदार बहुलक
(ब) प्रत्यास्थ बहुलक
(स) तापदृढ़ बहुलक
(द) तापसुघट्य बहुलक
उत्तर:
(स) तापदृढ़ बहुलक

15. वैद्युत स्विच बनाने में प्रयुक्त बहुलक होता है-
(अ) पॉलिप्रोपीन
(ब) ग्लिप्टल
(स) बैकेलाइट
(द) पॉलिस्टाइरीन
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

16. बहुलक, ब्यूना-S में S किससे सम्बन्धित है?
(अ) सल्फर
(ब) सोडियम
(स) स्टाइरीन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) स्टाइरीन

17. CF2 = CF2 निम्नलिखित में से किस बहुलक का एकलक है?
(अ) ग्लिप्टल
(ब) ब्यूना- N
(स) टैफ्लॉन
(द) नाइलॉन-6
उत्तर:
(स) टैफ्लॉन

18. बहुलक ऑरलॉन का एकलक है-
(अ) ग्लाइकॉल
(ब) क्लोरोप्रीन
(स) एक्रिलो नाइट्राइल
(द) वाइनिल क्लोराइड
उत्तर:
(स) एक्रिलो नाइट्राइल

19. निम्नलिखित में से कौनसा बहुलक पूर्णतः फ्लुओरीनीकृत है?
(अ) PAN
(ब) PTFE
(स) PVC
(द) PMMA
उत्तर:
(ब) PTFE

20. निम्नलिखित में से कौनसा सहबहुलक है?
(अ) PVC
(ब) प्राकृतिक बहुलक
(स) पॉलीप्रोपीन
(द) नाइलॉन-66
उत्तर:
(द) नाइलॉन-66

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रियात्मक समूह के आधार पर टैरीलीन किस प्रकार का बहुलक है?
उत्तर:
टैरीलीन, पॉलिएस्टर वर्ग का बहुलक है।

प्रश्न 2.
त्सीग्लर – नट्टा उत्प्रेरक क्या है? इसका उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
ट्राइएथिल ऐलुमिनियम तथा टाइटेनियम टेट्राक्लोराइड का मिश्रण [(C2H5)3)Al+TiC4] त्सीग्लर नट्टा उत्प्रेरक होता है। यह एथीन तथा अन्य ऐल्कीनों के बहुलकीकरण में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 3.
ऐकिलन बहुलक बनाने में प्रयुक्त एकलक का सामान्य तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
ऐक्रिलन (पॉलिएक्रिलोनाइट्राइल) बहुलक, ऐक्रिलोनाइट्राइल CH2 = CHCN) से बनता है। इसका IUPAC नाम प्रोपीननाइट्राइल है।

प्रश्न 4.
नॉनस्टिक (न चिपकने वाली) सतह से लेपित बर्तन बनाने में कौनसा बहुलक प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
नॉनस्टिक सतह से लेपित बर्तन बनाने में प्रयुक्त बहुलक टेफ्लॉन होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
अभंजनीय बर्तन बनाने में प्रयुक्त बहुलक किनसे बनता है?
उत्तर:
अभंजनीय बर्तन बनाने में मेलैमीन बहुलक काम में आता है। जो कि मेलैमीन तथा फॉर्मेल्डिहाइड से बनता है।

प्रश्न 6.
प्राकृतिक रबर में कौनसा यौगिक पाया जाता है? इसका सूत्र तथा नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक रबर में आइसोप्रीन पाया जाता है। इसका सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 1है तथा इसका IUPAC नाम 2-मेथिल-1,3-ब्यूटाडाईन है।

प्रश्न 7.
ताप सुघट्य बहुलकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
पॉलिप्रोपीन तथा पॉलिवाइनिल क्लोराइड ताप सुघट्य बहुलक हैं।

प्रश्न 8.
रेशेदार बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नाइलॉन-6,6 तथा टैरीलीन रेशेदार बहुलक हैं।

प्रश्न 9.
ऐसे दो बहुलक बताइए जो संघनन बहुलकीकरण से बनते हैं तथा जिनमें तिर्यक बन्धन होता है।
उत्तर:
बैकेलाइट तथा मैलेमीन।

प्रश्न 10.
ताप दृढ़ बहुलकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
बैकेलाइट तथा यूरिया फार्मेल्डिहाइड रेजिन।

प्रश्न 11.
बहुलकों के अणुभार ज्ञात करने के प्रकार बताइए तथा उनके सूत्र भी दीजिए।
उत्तर:
बहुलकों के अणुभार दो प्रकार से ज्ञात किए जाते हैं।

  • संख्या औसत अणुभार (\(\overline{M}\)n) = \(\frac{\sum \mathbf{n}_i \mathbf{M}_i}{\sum \mathbf{n}_i}\)
  • भार औसत अणुभार (\(\overline{M}\)w) = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i^2}{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}\)

प्रश्न 12.
वल्कनीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अपरिष्कृत रबर को 373K से 415K ताप पर सल्फर के साथ गरम करने पर इसकी प्रत्यास्थता तथा कठोरता में वृद्धि हो जाती है। इसे रबर का वल्कनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 13.
रबर के वल्कनीकरण में सल्फर का क्या कार्य है?
उत्तर:
रबर के वल्कनीकरण में सल्फर, बहुलक श्रृंखलाओं के मध्य तिर्यक बन्ध बनाता है जिसके कारण ही इसकी प्रत्यास्थता बढ़ती है।

प्रश्न 14.
बबलगम का मुख्य अवयव कौनसा बहुलक होता है?
उत्तर:
SBR (स्टाइरीन ब्यूटाडाईन रबर)।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) जैव बहुलक क्या होते हैं? इनके दो उदाहरण दीजिए।
(b) बहुलकीकरण की मात्रा क्या होती है ?
उत्तर:
(a) वे बहुलक जो जीवों (पौधे तथा जन्तुओं) में पाए जाते हैं उन्हें जैव बहुलक कहते हैं। प्रोटीन तथा पॉलिसैकैराइड (कार्बोहाइड्रेट) इनके उदाहरण हैं।

(b) बहुलकीकरण की प्रक्रिया में प्राप्त उत्पाद की मात्रा को बहुलकीकरण की मात्रा कहते हैं। इससे किसी बहुलक में उपस्थित एकलक इकाइयों की संख्या ज्ञात होती है।

प्रश्न 2.
रैखिक तथा शाखित श्रृंखला बहुलकों की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संरचना के आधार पर बहुलक तीन प्रकार के होते हैं-
(a) रैखिक बहुलक रैखिक बहुलकों में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर सीधी शृंखला बनाती हैं जो कि पास-पास व्यवस्थित होती हैं। अतः इनके घनत्व तथा गलनांक अधिक होते हैं तथा इनमें प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल होता है। उदाहरण-उच्च घनत्व पॉलिथीन (HDP), पॉलीवाइनिल क्लोराइड (PVC) नाइलॉन तथा पॉलिएस्टर इत्यादि।

(b) शाखित शृंखला बहुलक-इन बहुलकों में रेखीय शृंखलाओं में कुछ शाखाएं जुड़ी होती हैं। इनके घनत्व व गलनांक कम होते हैं तथा इनमें आकर्षण बल अपेक्षाकृत दुर्बल होते हैं। उदाहरण-निम्न घनत्व पॉलिथीन (LDP)।

(c) तिर्यकबंधित या जालक्रम या नेटवर्क बहुलक-तिर्यक बंधित बहुलक सामान्यतः द्विक्रियात्मक तथा त्रिक्रियात्मक समूह युक्त एकलकों से बनते हैं। इनमें रेखीय बहुलक शृंखलाएँ तिर्यक बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं तथा इन रेखीय बहुलक शृंखलाओं के मध्य प्रबल सहसंयोजक बन्ध होता है। इस कारण ये बहुलक कठोर, दृढ़ तथा भंगुर होते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट तथा मैलैमीन इत्यादि।

प्रश्न 3.
जालक्रम या नेटवर्क बहुलक क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
तिर्यकबंधित या जालक्रम या नेटवर्क बहुलक-तिर्यक बंधित बहुलक सामान्यतः द्विक्रियात्मक तथा त्रिक्रियात्मक समूह युक्त एकलकों से बनते हैं। इनमें रेखीय बहुलक श्रृंखलाएँ तिर्यक बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं तथा इन रेखीय बहुलक शृंखलाओं के मध्य प्रबल सहसंयोजक बन्ध होता है। इस कारण ये बहुलक कठोर, दृढ़ तथा भंगुर होते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट तथा मैलैमीन इत्यादि।

प्रश्न 4.
प्रत्यास्थ तथा रेशेदार बहुलकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(a) प्रत्यास्थ बहुलक (Elastomers)-प्रत्यास्थ बहुलकों में बहुलक शृंखलाएँ आपस में दुर्बल अंतराआण्विक बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। ये दुर्बल बल बहुलक को तनित होने देते हैं। शृंखलाओं के बीच कुछ ‘तिर्यकबंध’ भी होते हैं अतः ये बहुलक खींचने पर लम्बे हो जाते हैं तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जासे हैं अर्थात् इनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। ये रबर के समान ठोस होते हैं जैसे वल्कनीकृत रबर। ब्यूना- N, ब्यूना-S तथा निओप्रीन भी प्रत्यास्थ बहुलकों के उदाहरण हैं।

(b) रेशे या रेशेदार बहुलक (Fibres or Fibrous Polymers)-रेशेदार बहुलकों में तनन सामर्थ्य उच्च होता है क्योंकि इनमें बहुलक शृंखलाओं के मध्य असंख्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाते हैं। इसी कारण ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं तथा इनका गलनांक तीक्ष्ण होता है। ये बहुलक धागे बनाने में प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण-पॉलिएस्टर (टैरीलीन) तथा पॉलिऐमाइड (नाइलॉन6,6) इत्यादि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
धनायनिक तथा ऋणायनिक बहुलकीकरण को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
आयनिक क्रियाविधि-शृंखला वृद्धि बहुलकीकरण की क्रिया आयनिक क्रियाविधि द्वारा भी होती है। इसमें श्रंखला को प्रारम्भ करने के लिए सक्रिय आयन प्रयुक्त होते हैं। ये धनायन अथवा ऋणायन हो सकते हैं।
(i) धनायनिक बहुलकीकरण-धनायनिक बहुलकीकरण Al3 तथा BF3 इत्यादि (लुइस अम्ल) की उपस्थिति में या अम्लीय माध्यम (H2SO4) में होता है। इसमें सर्वप्रथम एकलक तथा अम्ल की क्रिया से धनायन बनता है जो कि बहुलकीकरण को आगे बढ़ाता है। उदाहरण-आइसोब्यूटिलीन से पॉलि आइसो ब्यूटिलीन का निर्माण।

(ii) ऋणायनिक बहुलकीकरण-ऋणायनिक बहुलकीकरण में ऋणावेशित आयन श्रृंखला वाहक का कार्य करते हैं जैसे \(\overline{N}\)H2 (NaNH2 से) उदाहरण-स्टाइरीन से पॉलिस्टाइरीन का निर्माण।

नोट-आयनिक क्रियाविधि का विस्तृत विवेचन आपके पाठ्यक्रम में नहीं है।

प्रश्न 6.
ऐल्कीन से बनने वाले बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए तथा उनके बनाने का समीकरण भी लिखिए।
उत्तर:
पॉलिथीन तथा पॉलिप्रोपीन ऐल्कीनों से बनने वाले महत्त्वपूर्ण बहुलक हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 2a

प्रश्न 7.
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने का समीकरण, उनके गुण तथा उपयोग दीजिए।
(i) पॉलिस्टाइरीन
(ii) निओप्रीन।
उत्तर:
(i) (a) पॉलिस्टाइरीन (Polystyrene)-इसे स्टाइरीन को परॉक्साइड की उपस्थिति में गरम करके बनाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 2
पॉलिस्टाइरीन एक रंगहीन, पारदर्शी तथा सुदृढ़ प्लास्टिक होता है। इसे विद्युतरोधी के रूप में, खिलौने, रेडियो, टेलीविजन के केबिनेट बनाने में तथा रेफ्रिजरेटरों व एयरकन्डीशनरों में प्रयुक्त किया जाता है। इसे साँचे में ढले सामान बनाने में भी प्रयुक्त किया जाता है।

(b) पॉलिडाइईन बहुलक-पॉलिडाइईन बहुलकों को 1,3 डाईईनों अथवा उनके व्युत्पन्नों के योगात्मक बहुलकीकरण से अथवा कुछ अन्य असंतृप्त यौगिकों के साथ योगात्मक बहुलकीकरण से बनाया जाता है।
1. पॉलिआइसोप्रीन-पॉलिआइसोप्रीन को आइसोप्रीन के बहुलकीकरण से बनाया जाता है। इसके गुण प्राकृतिक रबर के समान होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 3
2. निओप्रीन अथवा पॉलिक्लोरोप्रीन-यह क्लोरोप्रीन के बहुलकीकरण से प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 4
निओप्रीन प्रत्यास्थ तथा अत्यन्त सुदृढ़ रबर होता है अतः यह जूतों के क्रेप सोल, गोताखोरों के सूट, पेन्ट, आसंजक इत्यादि के बनाने में उपयोगी होता है। यह वनस्पति तथा खनिज तेल के प्रति प्रतिरोधक होता है, अतः इसे गास्केट वाहक पट्टे तथा हौज बनाने में प्रयुक्त करते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित बहुलकों को किस प्रकार बनाया जाता है?
(i) टेफ्लॉन
(ii) पॉलिएक्रिलोनाइट्राइल
उत्तर:
टे फ्लॉन (पॉॅलिटे ट्राफ्लु ओरोएथीन) [Teflon (Polytetra-fluoroethenc)! (PTFE)-टेफ्लॉन, टेट्राफ्लुओरोएथीन को मुक्तमूलक अथवा परसल्फेट उत्प्रेरक के साथ उच्च दाब पर गर्म करके बनाया जाता है। यह रासायनिक रूप से अक्रिय तथा संक्षारक अभिकर्मकों के प्रति प्रतिरोधी होता है। अतः इसको तेल सीलों तथा गैस्केटों के निर्माण में एवं न चिपकने वाली (नॉन-स्टिक) सतह से लेपित बर्तन बनाने में उपयोग में लिया जाता है। टेफ्लॉन परत 573 K(300°C) से ऊपर ताप पर विघटित हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 5
पॉलिऐक्रिलेट बहुलक-पॉलिऐक्रिलेट बहुलकों को विभिन्न ऐक्रिलिक एकलकों के योगात्मक बहुलकीकरण द्वारा बनाया जाता है।

पॉलिऐक्रिलोनाइट्राइल (PAN) या ऑरलॉन (ORLON) या एक्रिलन-परॉक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐक्रिलोनाइट्राइल (वाइनिल सायनाइड) के योगात्मक बहुलकीकरण से पॉलिऐक्रिलोनाइट्राइल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 6
पॉलिऐक्रिलोनाइट्राल का उपयोग ऊन के प्रतिस्थापी के रूप में, औद्योगिक रेशे जैसे ऑरलॉन या ऐक्रिलन बनाने में होता है। ऐक्रिलन से बने रेशे, धब्बों, रसायनों, कीटों तथा कवक के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।

प्रश्न 9.
यूरिया फार्मेल्डिहाइड रेजिन बनाने की विधि, गुण तथा उपयोग बताइए।
उत्तर:
यूरिया-फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन-यूरिया तथा फॉर्मैल्डिहाइड को पिरिडीन या अमोनिया की अल्प मात्रा की उपस्थिति में गरम करने पर पहले मेथिलॉल यूरिया बनता है जिसके बहुलकीकरण से बैकेलाइट के समान तापदृढ़ बहुलक बनाता है जिसे यूरिया फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 7
यूरिया-फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन का उपयोग साँचे में ढले उपकरण, सुरक्षा कवच, कागज, आसंजक, न टूटने वाले कप तथा पटलित चादरें (laminated sheets) आदि के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न 10.
(a) प्रत्यास्थ बहुलक का एक उदाहरण बताइए।
(b) बहुलकीकरण की क्रियाविधि के आधार पर योगात्मक तथा संघनन बहुलकों के नाम बताइए।
उत्तर:
(a) वल्कनीकृत रबर, प्रत्यास्थ बहुलक का उदाहरण है।

(b) बहुलकीकरण की क्रियाविधि के आधार पर योगात्मक बहुलकों को श्रृंखला वृद्धि बहुलक तथा संघनन बहुलकों को पदशःवृद्धि बहुलक कहते हैं।

प्रश्न 11.
(a) PHBV का सम्पूर्ण नाम बताइए।
(b) नाइलॉन-2-नाइलॉन-6 बहुलक किस प्रकार का होता है तथा इसे कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
(a) PHBV का सम्पूर्ण नाम पॉलि ß-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट है।

(b) नाइलॉन-2-नाइलॉन 6 जैवनिम्ननीय बहुलक है जो कि ग्लाइसीन (H2N-CH2-COOH) तथा ऐमीनोकैप्रोइक अम्ल (H2N-(CH2)5-COOH) का एकान्तर पॉलिऐमाइड बहुलक है।

प्रश्न 12.
ब्यूना – N बहुलक के बनाने की विधि तथा उपयोग बताइए।
उत्तर:
1,3-ब्यूटाडाईन तथा एक्रिलोनाइट्राइल के सोडियम की उपस्थिति में सहबहुलकीकरण से ब्यूना – N प्राप्त होता है। यह पेट्रोल, स्नेह तेल तथा कार्बनिक विलायकों के प्रति प्रतिरोधी होता है, अतः इसे तेल सील तथा टंकियों के अस्तर इत्यादि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 13.
बहुलकों के आण्विक द्रव्यमान सदैव औसत के रूप में व्यक्त किए जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
बहुलकों के गुण उनके आण्विक द्रव्यमान, आकार तथा संरचना पर निर्भर करते हैं। बहुलकों की श्रृंखला की लंबाई उनके निर्माण के दौरान अभिक्रिया मिश्रण में उपस्थित एकलकों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। इस प्रकार, बहुलक के नमूने में विभिन्न लम्बाई की श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं, अतः बहुलक का आण्विक द्रव्यमान भी भिन्न-भिन्न होता है। इसलिए इनका आण्विक द्रव्यमान सदैव एक औसत के रूप में व्यक्त किया जाता है। बहुलकों के आण्विक द्रव्यमान को रासायनिक तथा भौतिक विधियों द्वारा ज्ञात किया जाता है।

बहुलनों के औसत अणुभार (आण्विक द्रव्यमान) दो प्रकार के होते हैं-

  • संख्या औसत अणुभार तथा
  • भार औसत अणुभार।

(a) संख्या औसत अणुभार (The Number Average Molecular Weight)-बहुलक में उपस्थित विभिन्न बहुलक अणुओं के अणुभारों के योग में कुल बहुलक अणुओं की संख्या का भाग देने पर प्राप्त अणुभार, संख्या औसत अणुभार कहलाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 8
माना कि बहुलक के नमूने में n1 संख्या M1 अणुभार वाले n2 संख्या M2 अणुभार वाले तथा n3 संख्या M3 अणुभार वाले बहुलक अणुओं की है तो बहुलक अणुओं का कुल भार W= n1M1 + n2M2 + n3M3
बहुलक अणुओं की कुल संख्या = n1 + n2 + n3
अतः \(\overline{M}\)n = \(\frac{\mathbf{n}_1 \mathbf{M}_1+\mathbf{n}_2 \mathbf{M}_2+\mathbf{n}_3 \mathbf{M}_3}{\mathbf{n}_1+\mathbf{n}_2+\mathbf{n}_3}\)
या \(\overline{M}\)n = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}{\sum \mathrm{n}_i}\)
यहाँ ni = i प्रकार के अणुओं की संख्या
तथा Mi = i प्रकार के अणुओं का अणुभार
उदाहरण (1) – एक बहुलक के तीन अणुओं के द्रव्यमान 1000, 5000 तथा 10,000 है तो इस बहुलक का संख्या औसत अणु भार ज्ञात कीजिए।
हल- \(\overline{M}\)n = \(\frac{(1000 \times 1)+(5000 \times 1)+(10,000 \times 1)}{1+1+1}\)
\(\overline{M}\)n = \(\frac{1000+5000+10,000}{3}\) = \(\frac { 16000 }{ 3 }\)
= 5333.3

(b) भार औसत अणुभार (Weight Average Molecular Weight) – बहुलक के नमूने में उपस्थित प्रत्येक बहुलक अणु के कुल भार को उसके अणुभार से गुणा करते हैं तथा प्राप्त सभी गुणकों को जोड़कर बहुलक नमूने में उपस्थित प्रत्येक प्रकार के बहुलक अणुओं के कुल भार से भाग देने पर प्राप्त अणुभार भार औसत अणुभार कहलाता है।
अतः भार औसत अणुभार (\(\overline{M}\)w) = \(\frac{W_1 M_1+W_2 M_2+W_3 M_3 \cdots}{W_1+W_2+W_3}\)
यहाँ W1, W2 तथा W3 विभिन्न प्रकार के बहुलक अणुओं के कुल भार हैं तथा M1, M2, तथा M3 क्रमशः उन बहुलक अणुओं के अणुभार हैं।
तो w1 = n1M1 , w2 = n2M2, w3 = n3M3
मान रखने पर
\(\overline{M}\)w = \(\frac{\mathrm{n}_1 \mathrm{M}_1^2+\mathrm{n}_2 \mathrm{M}_2^2+\mathrm{n}_3 \mathrm{M}_3^2}{\mathrm{n}_1 \mathrm{M}_1+\mathrm{n}_2 \mathrm{M}_2+\mathrm{n}_3 \mathrm{M}_3}\)
\(\overline{M}\)w = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i^2}{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}\)
\(\overline{M}\)w का मान \(\overline{M}\)n से अधिक होता है।

उदाहरण (2) – बहुलक के एक नमूने में 25% अणुओं का अणुभार 30,000, 45% अणुओं का अणुभार 20,000 तथा शेष अणुओं का अणुभार 50,000 है तो इसके संख्या औसत अणुभार तथा भार औसत अणुभार ज्ञात कीजिए।

हन – (i) संख्या औसत अणुभार
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 9

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
संघनन बहुलकीकरण और योगात्मक बहुलकीकरण में अंतर स्पष्ट कीजिए। प्राप्त होने वाले प्रत्येक प्रकार के बहुलक का एक-एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
संकलन या योगात्मक बहुलकन (बहुलकीकरण) में समान अथवा भिन्न अंसतृप्त एकलक अणु मिल कर बृहत् बहुलक अणु बनाते हैं जबकि संघनन बहुलकन में दो अथवा अधिक प्रकार के द्विक्रियात्मक एकलक अणु संघनन अभिक्रिया द्वारा बहुलक बनाते हैं, इस प्रक्रिया में छोटे अणु जैसे जल, ऐल्कोहॉल इत्यादि का विलोपन होता है। उदाहरण-प्रोपीन (CH3CH = CH2) से पॉलिप्रोपीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 10का बनना संकलन बहुलकन है जबकि हैक्सा मेथिलीन डाइऐमीन (NH2-(CH2)6NH2) तथा ऐडिपिक अम्ल (HOOC- (CH2)4COOH) के बहुलकन से नाइलॉन 6,6 का बनना संघनन बहुलकन है। इसमें H2O का विलोपन होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 11

प्रश्न 2.
नाइलॉन – 6,6 में ‘6,6’ क्या संकेत करता है?
उत्तर:
नाइलॉन 6,6 ऐडिपिक अम्ल HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 12तथा हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन (H2N-(CH2)6-NH2) से बनता है। इन दोनों यौगिकों में 6 कार्बन परमाणु हैं अतः नाइलॉन – 6,6 में ‘6,6’ एकलक अणुओं में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या का संकेत करता है।

प्रश्न 3.
इनके एकलकों की आण्विक संरचनाएँ आरेखित कीजिए :
(i) PVC
(ii) टेफ्लॉन।
उत्तर:
(i) PVC का एकलक CH2 = CH-Cl ( वाइनिल क्लोराइड) होता है।
(ii) टेफ्लॉन का एकलक CF2 = CF2 टेट्राफ्लुओरो एथीन होता है।

प्रश्न 4.
पॉलिथीन के एकलक की संरचना बनाइए।
उत्तर:
पॉलिथीन की एकलक एथीन (CH2) = CH2) होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
थर्मोप्लास्टिक (तापसुघट्य) और थर्मोसेटिंग (तापदृढ़) बहुलकों के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक का एक- एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सभी प्रकार के अणुओं में अन्तराअणुक बल पाए जाते हैं लेकिन बहुलकों में ये बल आपस में मिलकर अधिक प्रभावी होते हैं जिससे इनमें विशिष्ट गुण उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे-तनन सामर्थ्य, प्रत्यास्थता तथा चर्मलता। इन बलों द्वारा बहुलक शृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं। बहुलकों के यांत्रिक गुणों के आधार पर ही इन्हें दैनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लिया जाता है।
बहुलकों को उनमें उपस्थित अंतराआण्विक बलों के परिमाण के आधार पर इन्हें निम्नलिखित चार उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है-

(a) प्रत्यास्थ बहुलक (Elastomers) -प्रत्यास्थ बहुलकों में बहुलक शृंखलाएँ आपस में दुर्बल अंतराआण्विक बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। ये दुर्बल बल बहुलक को तनित होने देते हैं। श्रृंखलाओं के बीच कुछ ‘तिर्यकबंध’ भी होते हैं अतः ये बहुलक खींचने पर लम्बे हो जाते हैं तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जासे हैं अर्थात् इनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। ये रबर के समान ठोस होते हैं जैसे वल्कनीकृत रबर। ब्यूना- N, ब्यूना- S तथा निओप्रीन भी प्रत्यास्थ बहुलकों के उदाहरण हैं।

(b) रेशे या रेशेदार बहुलक (Fibres or Fibrous Polymers) -रेशेदार बहुलकों में तनन सामर्थ्य उच्च होता है क्योंक इनमें बहुलक शृंखलाओं के मध्य असंख्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाते हैं। इसी कारण ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं तथा इनका गलनांक तीक्ष्ण होता है। ये बहुलक धागे बनाने में प्रयुक्त होते हैं।

उदाहरण-पॉलिएस्टर (टैरीलीन) तथा पॉलिऐमाइड (नाइलॉन 6,6) इत्यादि।

(c) तापसुघट्य बहुलक या ताप सुनम्य बहुलक (Thermoplastic Polymers) -ये बहुलक रेखीय अथवा अल्प शाखित लंबी श्रृंखला युक्त होते हैं, जिन्हें बार-बार गरम करने से मृदुल और ठंडा करने से कठोर हो जाते हैं अतः इन्हें साँचों में ढाला जा सकता है। इन बहुलकों में अंतराआण्विक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों से अधिक तथा रेशों से कम होता है। उदाहरण-पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिप्रोपिलीन इत्यादि।

(d) तापदृढ़ बहुलक या थर्मोसेटिंग बहुलक (Thermosetting Polymers)-ये बहुलक तिर्यक बद्ध अथवा अत्यधिक शाखित होते हैं। इन्हें गर्म करने पर तिर्यक बन्धन बढ़ जाते हैं तथा इनकी संरचना त्रिविमीय जालक के समान हो जाती है अतः ये दुर्गलनीय (Infusible) हो जाते हैं। इसलिए इनका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। ताप दृढ़ बहुलकों को सामान्यतः निम्न अणु भार वाले अर्ध तरल बहुलकों को गरम करके बनाया जाता है। उदाहरण-बैकेलाइट, यूरिया-फार्मेल्डिहाइड रेजिन इत्यादि।

प्रश्न 6.
नाइलॉन – 6 बहुलक की एकलक इकाई का नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
नाइलॉन – 6 बहुलक की एकलक इकाई कैप्रोलैक्टम है जिसका सूत्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 13

प्रश्न 7.
चार व पाँच कार्बनयुक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों के सहबहुलकीकरण से बनने वाले जैव निम्ननीकृत बहुलक जिसका उपयोग औषधियों के नियंत्रित मोचन से होता है, के बनाने की समीकरण दीजिए।
उत्तर:
पॉलि ß-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHBV)-यह एक ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर है। यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनॉइक अम्ल के सहबहुलकीकरण से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 14
PHB V का उपयोग विशिष्ट पैकेजिंग, अस्थियों में प्रयुक्त युक्तियों (Devices) तथा औषधों के नियंत्रित मोचन (release) में होता है। पर्यावरण में PHBV का जीवाण्विक निम्नीकरण (Bacterial degradation) हो जाता है।

प्रश्न 8.
अंतराआण्विक बलों के मान के आधार पर निम्नलिखित बहुलकों को वर्गीकृत कीजिए-
बैकेलाइट, टेरीलीन, निओप्रीन, पॉलिथीन।
उत्तर:
अंतराआण्विक बलों के मान के आधार पर इन बहुलकों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-

  • बैकेलाइट – तापदृढ़ बहुलक
  • टेरीलीन – रेशे बहुलक
  • निओप्रीन – प्रत्यास्थ बहुलक
  • पॉलिथीन – तापसुघट्य बहुलक।

प्रश्न 9.
नाइलॉन – 6, 6 को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए ।
उत्तर:
नाइलॉन – 6, 6 को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक हैक्सा मेथिलीन डाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल हैं।

प्रश्न 10.
मुक्तमूलक योगज बहुलकीकरण में प्रयुक्त प्रारंभक का संरचना सूत्र व इसकी उपयोगिता दीजिए।
उत्तर:
मुक्तमूलक योगज बहुलकीकरण में प्रयुक्त प्रारम्भक का संरचना सूत्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 15
यह फेनिलमुक्त मूलक बनाकर अभिक्रिया को प्रारम्भ करता है।

प्रश्न 11.
तापदृढ़ व तापसुघट्य बहुलकों में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:

  1. तापदृढ़ बहुलक तिर्यकबद्ध या अधिकशाखित होते हैं जबकि तापसुघट्य बहुलक रेखीय या अल्पशाखित होते हैं।
  2. तापदृढ़ बहुलकों को पुनः मृदु नहीं बनाया जा सकता जबकि तापसुघट्य बहुलकों को गर्म करके पुनः मृदु बनाया जा सकता है।

प्रश्न 12.
(अ) योगज बहुलक को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
(ब) संश्लेषित रबर के विरचन का समीकरण लिखिए।
(स) डेक्रॉन को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए।
अथवा
(अ) संघनन बहुलक को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
(ब) ताप सुघट्य एवं ताप दृढ़ बहुलकों के एक-एक उदाहरण दीजिए।
(स) ब्यूना – N को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए।
उत्तर:
(अ) योगज बहुलक या योगात्मक बहुलक – द्विबन्ध तथा त्रिबन्ध युक्त एकलक अणुओं के पुनरावृत्त योग से बने बहुलकों को योगज बहुलक कहते हैं। ये एकलक अणु समान या भिन्न होते हैं।
उदाहरण – एथीन से पॉलिथीन का बनना।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 16
(ब) निओप्रीन एक संश्लेषित रबर है। यह क्लोरोप्रीन के मुक्त मूलक बहुलकन से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 17
(स) डेक्रॉन बनाने के लिए प्रयुक्त एकलक एथिलीन ग्लाइकॉल (एथेन-1,2-डाइऑल) तथा टेरेफ्थैलिक अम्ल (बेन्जीन-1,4डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल ) हैं।
अथवा
(अ) संघनन बहुलक-संघनन बहुलक दो भिन्न द्विक्रियात्मक अथवा त्रिक्रियात्मक एकलक इकाइयों के मध्य पुनरावृत्त संघनन अभिक्रिया से बनते हैं। इस बहुलकन अभिक्रिया में छोटे अणुओं जैसे जल, ऐल्कोहॉल, हाइड्रोजन क्लोरइड आदि का विलोपन होता है। उदाहरण-नाइलॉन- 6,6 हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन और ऐडिपिक अम्ल के संघनन से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 18

(ब) पॉलिस्टाइरीन एक ताप सुघट्य बहुलक है जबकि बैकेलाइट एक ताप दृढ़ बहुलक है।

(स) ब्यूना-N 1,3-ब्यूटाडाईईन तथा एक्रिलो नाइट्राइल एकलकों के सहबहुलकीकरण से प्राप्त होता है।

प्रश्न 13.
(i) संघनन बहुलक का एक उदाहरण दीजिए।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 19 एक समबहुलक है या सहबहुलक।
उत्तर:
(i) नाइलॉन- 6,6 संघनन बहुलक का उदाहरण है क्योंकि यह एडिपिक अम्ल तथा हैक्सा मेथिलीन डाइएमीन के संघनन से बनता है।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 20एक समबहुलक है क्योंकि यह केवल एक ही प्रकार के एकलक अणुओं से बना है।

प्रश्न 14.
प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबन्ध के बाद एक स्कूल के विद्यार्थियों ने प्लास्टिक की थैलियों का पर्यावरण तथा यमुना नदी पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को सजग करने की योजना बनायी। इन्होंने दूसरे स्कूल के विद्यार्थियों के साथ मिलकर रैली निकाली तथा सब्जी वालों एवं दुकानदारों को कागज से बनी थैलियाँ वितरित कीं तथा सभी विद्यार्थियों ने पॉलिथीन की थैलियों का प्रयोग नहीं करने की शपथ ली ताकि यमुना नदी को बचाया जा सके।
इस गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) विद्यार्थियों द्वारा किन मूल्यों का प्रदर्शन किया गया?
(ii) जैव निम्ननीय बहुलक क्या होते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
(iii) पॉलिथीन एक संघनन बहुलक है या योगात्मक बहुलक?
उत्तर:
(i) विद्यार्थी प्लास्टिक की थैलियों के पर्यावरण तथा यमुना नदी पर होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति सजग हैं।

(ii) जैव निम्ननीय बहुलक वे बहुलक होते हैं जो एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं द्वारा विघटित हो जाते हैं। उदाहरण पॉलि- ß हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट को- ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHB V)।

(iii) पॉलिथीन एक योगात्मक बहुलक है।

प्रश्न 15.
ताप दुढ़ बहुलक क्या हैं?
उत्तर:
ताप दृढ़ बहुलक तिर्यक बद्ध अथवा अत्यधिक शाखित होते हैं जिन्हें गर्म करने पर तिर्यक बन्धन बढ़ जाते हैं तथा इनकी संरचना त्रिविमीय जालक के समान हो जाती है। अतः ये दुर्गलनीय हो जाते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट।

प्रश्न 16.
PHBV बहुलक के एकलकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
PHBV एक ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर है तथा यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल एवं 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनॉइक अम्ल एकलकों के सहबहुलकीकरण से बनता है।

प्रश्न 17.
नाइलॉन 6,6 किस प्रकार प्राप्त किया जाता है? अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल के उच्च दाब तथा उच्च ताप (553 K) पर संघनन से नाइलॉन- 6,6 प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 21

प्रश्न 18.
समझाइए कि वल्कनीकृत रबड़ एक प्रत्यास्थ बहुलक होता है।
उत्तर:
वल्कनीकृत रबड़ में शृंखलाओं के मध्य कुछ तिर्यक बन्ध होते हैं अतः यह खींचने पर लंबा तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जाता है अर्थात् इसमें प्रत्यास्थता का गुण होता है अतः यह एक प्रत्यास्थ बहुलक है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 19.
योगात्मक तथा संघनन बहुलकीकरण में कोई दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
योगात्मक तथा संघनन बहुलकीकरण में निम्नलिखित अन्तर हैं-
(i) योगात्मक बहुलकीकरण में समान अथवा भित्र असंतृप्त एकलक अणु आपस में मिल कर बृहद बहुलक अणु बनाते हैं जबकि संघनन बहुलकीकरण में दो अथवा अधिक प्रकार के द्विक्रियात्मक एकलक अणु संघनन अभिक्रियाओं द्वारा बहुलक बनाते हैं।

(ii) योगात्मक बहहुलकीकरण में किसी छोटे अणु का विलोपन नहीं होता जबकि संघनन बहुलकीकरण में छोटे अणु जैसे जल, ऐल्कोहॉल इत्यादि का विलोपन होता है। उदाहरण-पॉलिप्रोपीन योगात्मक बहुलक है जबकि नाइलॉन- 6,6 संघनन बहुलक है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों के नाम और उनकी संरचनाएँ लिखिए :
(i) नाइलॉन-6,6
(ii) बेकेलाइट
(iii) पॉलिस्टाइरीन।
उत्तर:
(i) नाइलॉन-6,6-इसे प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन (H2N – (CH2)6NH2) तथा ऐडिपिक अम्ल (HOOCl(CH2)4COOH है।

(ii) बैकेलाइट बहुलक के बनाने में प्रयुक्त होने वाले एकलक फार्मेल्डिहाइड (HCHO) और फीनॉल (C6H5OH) हैं।

(iii) पॉलिस्टाइरीन बहुलक बनाने के लिए प्रयुक्त एकलक स्टाइरीन (C6H5CH = CH2) है।

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. ट्रिप्सिनोजन को ट्रिप्सिन में बदलने में सहायक होता है-
(A) HCI
(B) एण्टेरोकाइनेज
(C) पेप्सिन
(D) गैस्ट्रिन
उत्तर:
(B) एण्टेरोकाइनेज

2. रेनिन का स्राव कहाँ से होता है ?
(A) क्षुद्रान्त्र से
(B) वृक्क से
(C) यकृत से
(D) आमाशय से
उत्तर:
(D) आमाशय से

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

3. कौन-से एन्जाइम प्रोटीन पाचक हैं-
(A) टायलिन, पेप्सिन, इरेप्सिन
(B) ट्रिप्सिन एमाइलेज
(C) ट्रिप्सिन, पेप्सिन, इरेप्सिन
(D) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(C) ट्रिप्सिन, पेप्सिन, इरेप्सिन

4. अग्न्याशयी रस होता है-
(A) अम्लीय
(B) क्षारीय
(C) एन्जाइम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) क्षारीय

5. वसा का इमल्सीकरण पित्त द्वारा कहाँ पर होता है ?
(A) महणी में
(B) आन्त्र में
(C) आमाशय में
(D) यकृत में
उत्तर:
(B) आन्त्र में

6. काइमोट्रिप्सिन क्या है ?
(A) प्रोटीन पाचक एन्जाइम
(B) विटामिन
(D) हॉर्मोन्स
(C) वसा पाचक एन्जाइम
उत्तर:
(A) प्रोटीन पाचक एन्जाइम

7. केसीन क्या है ?
(A) दुग्ध शर्करा
(B) दुग्ध प्रोटीन
(C) दुग्ध जीवाणु
(D) दुग्ध वसा
उत्तर:
(B) दुग्ध प्रोटीन

8. पित्त का प्रमुख कार्य है-
(A) पाचन में वसा का इमल्सीकरण
(B) उत्सर्जी पदार्थों का बहिष्करण
(C) एन्जाइम द्वारा वसा का पाचन
(D) पाचन क्रियाओं में तालमेल रखना
उत्तर:
(A) पाचन में वसा का इमल्सीकरण

9. कार्बोहाइड्रेट पाचन के अन्तिम उत्पाद हैं-
(A) गैलेक्टोज, माल्टोज, फ्रक्टोज
(B) माल्टोज, फ्रक्टोज, लैक्टोज
(C) ग्लाइकोजन, ग्लूकोज, गैलेक्टोज
(D) ग्लूकोज, फ्रक्टोज, गैलेक्टोज
उत्तर:
(D) ग्लूकोज, फ्रक्टोज, गैलेक्टोज

10. ट्रिप्सिनोजन एन्जाइम स्रावित होता है-
(A) आमाशय से
(B) महणी से
(C) अग्न्याशय से
(D) यकृत से
उत्तर:
(C) अग्न्याशय से

11. लार में कौन-सा एन्जाइम होता है-
(A) एमाइलेज
(B) टायलिन
(C) रेनिन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) रेनिन

12. अग्न्याशयी रस किसके पाचन में सहायक होता है ?
(A) प्रोटीन
(B) प्रोटीन और वसा
(C) प्रोटीन और कार्बोहाइट्रेट
(D) प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा ।
उत्तर:
(D) प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा ।

13. मण्ड (स्टार्च) का पाचन कहाँ होता है ?
(A) आमाशय में
(B) आमाशय तथा महणी में
(C) मुखगुहिका एवं प्रासनली में
(D) मुखगुहिका एवं महणी में
उत्तर:
(D) मुखगुहिका एवं महणी में

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

14. आन्त्रीय रसांकुरों का प्रमुख कार्य है-
(A) पचे हुए भोजन का स्वांगीकरण
(B) परानिस्पंदन
(C) अवशोषण तल को बढ़ाना
(D) एन्जाइमों का स्रावण
उत्तर:
(C) अवशोषण तल को बढ़ाना

15. पूर्ण पाचन के फलस्वरूप प्रोटीन टूटती है-
(A) ग्लूकोज में
(B) ट्राइग्लिसराइड में
(C) अमीनो अम्ल में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अमीनो अम्ल में

16. पित्त लवणों की वसाओं पर प्रतिक्रिया को कहते हैं-
(A) जल अपघटन
(C) साबुनीकरण
(B) इमल्सीकरण
(D) अपघटन
उत्तर:
(B) इमल्सीकरण

17. यदि आन्ध्र में रसांकुरों (villi) की संख्या चौथाई कर दी जाये तो पचे हुए भोजन का अवशोषण-
(A) नहीं होगा
(B) बिना असर चलता रहेगा
(C) बढ़ जायेगा
(D) घट जायेगा
उत्तर:
(D) घट जायेगा

18. यदि यकृत निष्क्रिय हो जाय तो रुधिर में किसकी मात्रा बढ़ जायेगी ?
(A) यूरिया की
(B) यूरिक अम्ल की
(C) अमोनिया की
(D) प्रोटीन्स की
उत्तर:
(A) यूरिया की

19. निम्न में से कौन-सा दाँत जीवन में केवल एक बार निकलता है ?
(A) प्रीमोलर
(B) किनाइन
(C) इन्साइजर
(D) मोलर
उत्तर:
(D) मोलर

20. बालीरुविन और वाइलीनि कहाँ पाये जाते हैं ? (RPMT)
(A) पित्त में
(B) रक्त में
(C) लार में
(D) लसीका में
उत्तर:
(A) पित्त में

21. यकृत में ग्लाइकोजन का संश्लेषण (RPMT)
(A) ग्लाइकोलिसिस द्वारा
(B) ग्लाइकोनीनोलिसिस द्वारा
(C) ग्लाइकोजिनेसिस द्वारा
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) ग्लाइकोजिनेसिस द्वारा

22. विटामिन है- (RPMT)
(A) कार्बनिक पदार्थ
(B) हॉर्मोन
(C) खनिज लवण
(D) लवण।
उत्तर:
(A) कार्बनिक पदार्थ

23. जीवद्रव्य निर्माण में उपयोगी पोषक पदार्थ है- (RPMT)
(A) वसा
(B) प्रोटीन
(C) कार्बोहाइड्रेट
(D) कैल्शियम
उत्तर:
(B) प्रोटीन

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

24. पावन का वह भाग जो भोजन में नहीं होता- (RPMT)
(A) बड़ी आंत
(B) छोटी और
(C) ट्रेकिया
(D) यकृत
उत्तर:
(C) ट्रेकिया

25. सार परिवर्तित करती है ? (RPMT)
(A) स्टार्च को माल्टोज में
(B) वसा को वसीय अम्ल में
(C) ग्लाइकोजन को ग्लूकोज
(D) प्रोटीन को अमीनो अम्ल में
उत्तर:
(A) स्टार्च को माल्टोज में

26. वह कौन सा रस है, जो प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट दोनों का पावन करता है- (RPMT)
(A) टायलिन
(B) पेप्सिन
(C) अग्याशयी रस
(D) लार।
उत्तर:
(C) अग्याशयी रस

27. विल्सन के संयुक्त पाए जाते हैं- (UPCPMT)
(A) यकृत में
(B) फेफड़े में
(C) वुक्क में
(D) आमाशय में
उत्तर:
(D) आमाशय में

28. ऑस्टिओमेलेशिया किसकी कमी से होता है- (UPCPMT)
(A) विटामिन-A
(B) विटामिन-B
(C) विटामिन-C
(D) विटामिन-D
उत्तर:
(D) विटामिन-D

29. दाँतों की पत्य गुहा सीमित होती है- (UPCPMT, RPMT)
(A) ओडटोब्लास्ट से
(B) कोन्ड्रोब्लास्ट से
(C) ओस्टिओब्लास्ट
(D) एमाइलोब्लास्ट से।
उत्तर:
(A) ओडटोब्लास्ट से

30. लार में उपस्थित एन्जाइम है- (UPCPMT)
(A) माल्टोज
(B) टाइलिन
(C) सुक्रेज
(D) इन्वर्टेज।
उत्तर:
(B) टाइलिन

31. कौन-सा जोड़ा सही सुमेलित नहीं है ? (CBSE PMT)
(A) विटामिन B12 – पर्नीशियस एनीमिया
(B) विटामिन B1 – बेरी-बेरी
(C) विटामिन C- स्कर्वी
(D) विटामिन B2 – पैलाग्रा।
उत्तर:
(D) विटामिन B2 – पैलाग्रा।

32. विटामिन C किस रूप में पाया जाता है- (RPMT)
(A) एस्कार्बिक अम्ल
(B) ग्लूटेरिक अम्ल
(C) एसीटिक अम्ल
(D) साइट्रिक अम्ल
उत्तर:
(A) एस्कार्बिक अम्ल

33. खरगोश के दाँत होते हैं- (UPCPMT)
(A) गर्तदंती
(B) द्विवदन्ती
(C) विषम दन्ती
(D) पेसकी
उत्तर:
(D) पेसकी

34. पाचन का अर्थ है- (UPCPMT)
(A) भोजन का जलना
(B) भोजन का ऑक्सीकरण
(C) भोजन का जल अपघटन
(D) भोजन का टूटना।
उत्तर:
(C) भोजन का जल अपघटन

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

35. आमाशयी रस का खाव नियन्त्रित होता है- (RPMT)
(A) गरिन
(B) कोलिस्टोकारनिन
(C) एन्टीरोगस्ट्रिन
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर:
(A) गरिन

36. जन्तु शरीर का सबसे कठोरतम पदार्थ होता है- (RPMT)
(A) अस्थि
(B) रोम
(C) डेन्टीन
(D) इनैमल
उत्तर:
(D) इनैमल

37. लैमरस की द्वीपिकाएँ पापी जाती हैं- (RPMT)
(A) अग्न्याशय में
(B) आमाशय में
(C) यकृत में
(D) आहार नाल में।
उत्तर:
(A) अग्न्याशय में

38. वयस्क मानव में सबसे बड़ी पन्थि है- (UPCPMT)
(A) थाइमस
(B) यकृत
(C) थाइरॉइड
(D) अग्नाशय।
उत्तर:
(B) यकृत

39. लीवर कुशन की गुहिकाएं सम्मिलित होती है- (RPMT, UPCPMT)
(A) सक्कस एन्टेरिक्स के स्त्रावण में
(B) रेनिन के स्वायण में
(C) टायलिन के स्रावण में
(D) भोजन के पाचन में।
उत्तर:
(A) सक्कस एन्टेरिक्स के स्त्रावण में

40. कुफ्फर की कोशिकाएँ होती हैं- (RPMT, UPCPMT)
(A) यकृत में
(B) छोटी आंत
(C) अग्न्याशय
(D) पाइरॉइड
उत्तर:
(A) यकृत में

41. यदि जठर पन्दियों की पैराइटल कोशिकाओं के लवण को किसी एक संदमक के द्वारा रोक दिया जाए तो क्या परिणाम होगा ? (CBSE AIPMT)
(A) जठर रस में काइमोसिन का अभाव होगा
(B) जठर रस में पेप्सिनोजन का अभाव होगा
(C) HCL के खावी की अनुपस्थिति में निष्क्रिय पेप्सिनोजन में परिवर्तित नहीं होगा
(D) महणी श्लेष्मकला से स्टोरोकाइनेज नहीं निकलेगा और इस ट्रिप्सिनोजन का ट्रिप्सिल में परिवर्तन नहीं हो पाएगा।
उत्तर:
(C) HCL के खावी की अनुपस्थिति में निष्क्रिय पेप्सिनोजन में परिवर्तित नहीं होगा

42. भोजन के निम्नलिखित पटक युग्मों में से कौन मनुष्य के आमाशय में पूर्ण रूप से अपचित अवस्था में पहुँचता है ? (CBSE AIPMT)
(A) प्रोटीन तथा मण्ड
(B) मण्ड तथा वसा
(C) वसा तथा सेल्युलोज
(D) मण्ड तथा सैल्युलोज ।
उत्तर:
(C) वसा तथा सेल्युलोज

43. ट्रिप्सिनोजन सक्रिय होता है- (UPCPMT)
(A) ट्रान्सफरेज द्वारा
(B) हाइड्रोलेस द्वारा
(C) एन्टेरोमाइज द्वारा
(D) लाइपेज द्वारा।
उत्तर:
(C) एन्टेरोमाइज द्वारा

44. यदि किसी कारण हमारी गौवनेट कोशिकाएँ अक्रिय हो जाएँ तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा- (CBSE AIPMT)
(A) सोमेटोस्टेनिन के उत्पादन पर
(B) सीबेशियस मन्धियों से सीबम के लावग पर
(C) शुक्राणुओं के परिपक्वन पर
(D) आन्त्र में भोजन के नीचे की ओर गति पर
उत्तर:
(B) सीबेशियस मन्धियों से सीबम के लावग पर

45. मानव में दुग्ध के पाचन की क्रिया का प्रारम्भिक पद निम्नलिखित में से किस एन्जाइम द्वारा सम्पन्न होता है ? (CBSE AIPMT)
(A) रेनिन द्वारा
(B) लाइपेज द्वारा
(C) ट्रिप्सिन द्वारा
(D) पेप्सिन द्वारा।
उत्तर:
(D) पेप्सिन द्वारा।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

46. शशक में सेल्युलोस का पाचन होता है- (UPCPMT)
(A) बृहदान्त्र (colon) में
(B) शेषान्त्र (ileum) में
(C) अन्धनाल (caccum) में
(D) मलाशय (rectum) में।
उत्तर:
(C) अन्धनाल (caccum) में

47. ग्लाइकोजनोलाइसिस में होता है-
(A) शर्करा का ग्लाइकोजन में परिवर्तन
(B) शर्करा का ऑक्सीकरण
(C) ग्लाइकोजन का शर्करा में परिवर्तन
(D) ग्लाइकोजन का वसा में परिवर्तन।
उत्तर:
(C) ग्लाइकोजन का शर्करा में परिवर्तन

48. निम्नलिखित में से किस पाचक रस में एन्ज़ाइम नहीं होते किन्तु पाचन में सहायक होता है- (RPMT)
(A) पिस
(B) शक्कर एण्टेरिकस
(C) काइल
(D) काहम
उत्तर:
(A) पिस

49. ट्रिप्सिन खावित होता है- (RPMT)
(A) अग्न्याशय द्वारा
(B) पिट्यूटरी द्वारा
(C) चाइमस द्वारा
(D) थाइरॉइड द्वारा
उत्तर:
(A) अग्न्याशय द्वारा

50. मनुष्य में किस प्रकार के दन्त पाए जाते हैं ? (UPCPMT)
(A) अग्रदन्ती
(B) गर्तदन्ती
(C) बहुदन्ती
(D) एकदन्ती।
उत्तर:
(B) गर्तदन्ती

(B) अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आमाशय के तीन भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आमाशय के तीन भाग हैं-

  • कार्डियक भाग (cardiac part),
  • पाइलोरिक भाग (pyloric part) तथा
  • फण्डिक भाग (fundic part)।

प्रश्न 2.
अग्न्याशय रस के प्रमुख किकीय घटकों का नामांकन करें।
उत्तर:

  • ट्रिप्सिन तथा काइमोट्रिप्सिन
  • एमाइलेज या एमाइलोप्सिन तथा
  • स्टीएप्सिन या लाइपेज

प्रश्न 3.
लैगरहेन्स की द्वीपिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं तथा इनके द्वारा उत्पादित रसायनों के क्या नाम होते हैं ?
उत्तर:
लैंगर हैन्स की द्वीपिकाएँ अग्न्याशय (pancreas) में पायी जाती हैं। इनके द्वारा

  • इन्सुलिन (insulin) तथा
  • ग्लूकैगोन नामक हॉर्मोन्स का उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 4.
मनुष्य की आहारनाल में यूनर ग्रन्थियाँ कहाँ पायी जाती हैं ? इनका कार्य क्या है ?
उत्तर:
मनुष्य की आहारनाल में चुनर पन्थियाँ महणी की अधः श्लेष्मिका में पायी जाती हैं ये आन्त्रीय रस उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 5.
आमाशय के पेशी संकुचन को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
आमाशय के पेशी संकुचन को क्रमाकुंचन (peristalsis) कहते

प्रश्न 6.
मनुष्य की जर ग्रन्थियों से सावित दो एन्जाइमों के नाम तथा उनका कार्य लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की जठर मन्थियों से निम्न दो हॉर्मोन्स लावित होते हैं-

  • ट्रिप्सिन (Trypsin) यह प्रोटीन्स को पेप्टोन्स व प्रोटिओलेज में बदलता है।”
  • रेजिन (Rennin) दूध में उपस्थित केसीनोजन प्रोटीन को केसीन में बदलता है।

प्रश्न 7.
यदि किसी कारणवश आहारनाल में क्रमाकुंचन गति रुक जाये तो क्या होगा ?
उत्तर:
भोजन आहारनाल में आगे नहीं बढ़ेगा, फलतः भोजन का पाचन रुक जायेगा।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 8.
मनुष्य के जर रस में पेप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन नामक एन्जाइम निष्क्रिय अवस्था में पाये जाते हैं फिर ये भोजन के पाचन में किस प्रकार भाग लेते हैं ?
उत्तर:
मनुष्य के जठर रस में यद्यपि पेप्सिनोजन (pepsinogen) तथा प्रोरेनिन (prorannin) निष्क्रिय अवस्था में पाये जाते हैं, किन्तु इन्हें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) द्वारा सक्रिय रूपों पेप्सिन व रेनिन में परिवर्तित कर दिया जाता है और ये भोजन के पाचन में भाग लेते हैं।

प्रश्न 9.
आन्त्रीय रस में पाये जाने वाले दो एन्जाइम के नाम तथा उनका कार्य चलाइए।
उत्तर:

  • पेप्टिडेजेज (इरेप्सिन) – यह पेण्टोज शर्करा, प्रोटिओजेज एवं पॉलीपेप्टाइड्स को अपघटित करके इन्हें अमीनो अम्लों में परिवर्तित कर देता है।
  • मल्टेज (Maltase) यह माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।

प्रश्न 10.
मनुष्य में वसाओं का अवशोषण किस दशा में तथा किस प्रक्रिया द्वारा होता है ?
उत्तर:
मनुष्य में बसाओं का अवशोषण पायसीकृत (इमल्सीकृत) दशा में तथा कोशिकापायन (pinocytosis) प्रक्रिया द्वारा होता है।

प्रश्न 11.
पाचन क्रियाओं को नियन्त्रित करने वाले हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर:
पाचन क्रिया को नियन्त्रित करने वाले हॉर्मोन्स

  • गैस्ट्रिन,
  • एण्टेरोगैस्ट्रिन,
  • कोलेसिस्टोकाइनिन,
  • सिक्रिटिन,
  • पेन्क्रियोजाइमन तथा
  • एण्टेरोकाइनिन हैं।

प्रश्न 12.
पचे हुए भोजन के अवशोषण की क्रियात्मक इकाई का नाम बताइए।
उत्तर:
रसांकुर (विलाई)।

प्रश्न 13.
डीएमीनेशन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
यकृत की कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्लों को ग्रहण करके उनको पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) तथा अमोनिया NH में विघटित कर देती हैं। इस प्रक्रिया को डीएमीनेशन कहते हैं।

प्रश्न 14.
गैस्ट्रिन की क्रिया का मुख्य स्थान कौन-सा है ?
उत्तर:
आमाशय (stomach) ।

प्रश्न 15.
कुफ्फर की कोशिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
यकृत (liver) में।

प्रश्न 16.
पचित वसा का अवशोषण कहाँ होता है ?
उत्तर:
पचित वसा का अवशोषण लसीका (lacteal) में होता है।

प्रश्न 17.
आहार नाल के किस भाग में रसांकुर पाये जाते हैं ? इनका कार्य बताइए।
उत्तर:
रसांकुर (villi) आहारनाल की क्षुद्रान्त्र में पाये जाते हैं। ये पचे हुए भोज्य पदार्थ का अवशोषण करते हैं।

प्रश्न 18.
लार में कौन-सा एन्जाइम होता है ? इसका कार्य बताइए।
उत्तर:
लार में टायलिन (ptylin) नामक एन्जाइम उपस्थित होता है। यह मण्ड (स्टार्च) को शर्करा (शुगर) में परिवर्तित करता है।

प्रश्न 19.
पेप्सिन किस रूप में स्रावित होता है ?
उत्तर:
पेप्सिन निष्क्रिय पेप्सिनोजन के रूप में स्त्रावित होता है।

प्रश्न 20.
अग्न्याशय से स्त्रावित होने वाले पाचक एन्जाइम के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • एमाइलेज
  • ट्रिप्सिन
  • कार्बोक्सीडेज
  • लाइपेज
  • ईस्टरेज
  • न्यूक्लिएजेज।

प्रश्न 21.
पित रस का सबसे महत्वपूर्ण एक कार्य बताइए ।
उत्तर:
पित्त रस भोजन की वसा का इमल्सीकरण ( emulsification) करता है ताकि वसा का भलीभाँति पाचन हो सके।

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प्रश्न 22.
पंचे हुए भोजन का अवशोषण आहार नाल के किस भाग में होता है ?
उत्तर:
पचे हुए भोजन का पूर्ण अवशोषण आहारनाल की क्षुद्रान्त्र (small intestine) में होता है।

प्रश्न 23.
स्वांगीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कोशिका के अन्दर पचे हुए भोज्य पदार्थों के कोशिका द्रव्य में विलीन (आत्मसात) होने की क्रिया को स्वांगीकरण कहते हैं।

प्रश्न 24.
मिसेल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वसा एवं पित्त लवणों की छोटी गोलाकार रचना को मिसेल ( micelles) कहते हैं।

प्रश्न 25.
पीलिया रोग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पीलिया (jaundice ) रोग में यकृत प्रभावित होता है। इस रोग में त्वचा और नेत्र पित्त वर्णकों के जमा हो जाने से पीले रंग के दिखाई देते हैं।

(C) लघु उत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पायसीकरण किसे कहते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
पायसीकरण
(Emulsification)
बड़ी वसा गोलिकाओं का छोटे आकार की वसा बूंदों में टूट जाना पायसीकरण (emulsification) कहलाता है। भोजन में पाये जाने वाले वसा पर पित्त लवण एवं लैसीथिन अणु क्रिया करते हैं। इनका एक भाग ध्रुवीय तथा दूसरा भाग अध्रुवीय होता है। अध्रुवीय भाग वसा गोलिकाओं की सतह में घुल जाता है तथा ध्रुवीय भाग भोजन में उपस्थित जल में विलेय रहता है।

इस क्रिया के कारण वसा गोलिकाओं का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, फलस्वरूप बड़ी वसा गोलिकाएँ (fat globules) बूँदों में परिवर्तित हो जाती हैं। पायसीकृत वसा पर एन्जाइम तीव्रता से क्रिया करते हैं ।

वसा + पित्त रस → पायसीकृत वसा
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प्रश्न 2.
काइलोमाइकॉन क्या है ?
उत्तर:
काइलोमाइकॉन (Chylomicron)
पाचन क्रिया के पश्चात् पचित भोजन के फलस्वरूप वसा का अवशोषण वसा अम्लों, मोनोग्लिसरॉइड एवं कोलेस्ट्रॉल के रूप में विसरण द्वारा लसिका (lymph) में होता है। इन वसा के साथ पित्त रस (bile juice) सूक्ष्म जटिल रचनाएँ बनाता है ये सूक्ष्म रचनाएँ मिसेल कहलाती हैं जिनमें काइम विलेय रहता है। प्रत्येक मिसेल बसा एवं पित्त लवणों की छोटी गोलाकार या बेलनाकार गोलिका होती है।

इस गोलिका के केन्द्रीय भाग में वसा अम्ल एवं मोनोग्लिसरॉइड होते हैं, जिनके चारों ओर पित लवण एकत्र हो जाते हैं। जब मिसेल सूक्ष्मांकुर (microvilli) के समीप आती है तब इसमें स्थित वसा कोशिका मिसेल से निकलकर कोशिका में विसरित होने लगती है एवं पित्त लवण काइम में रह जाते हैं और पुनः मिसेल (micelle) बनाने लगते हैं। कोशिका में वसा अम्ल एवं मोनोग्लिसरॉइड चिकनी अन्तप्रद्रव्यी जालिका (SER) में प्रवेश कर ट्राइग्लिसरॉइड संश्लेषित करते हैं।

प्रश्न 3.
पाचन तथा पोषण में क्या अन्तर है ? मनुष्य में पाये जाने वाले किन्हीं दो पाचक रसों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पाचन (Digestion) प्राणी द्वारा ग्रहण किये गये अघुलनशील जटिल पदार्थों को सरल घुलनशील अणुओं में बदलने की प्रक्रिया को प्राचन कहते हैं जबकि पोषण (nutrition) वह सम्पूर्ण क्रिया है जिसके अन्तर्गत प्राणी भोज्य पदार्थों को ग्रहण करके, उसे कोशिकाओं में प्रयुक्त होने योग्य बनाता है। मनुष्य में पाये जाने वाले पाचक रस आमाशय से जठर रस (gastric juice) तथा अग्न्याशय (pancreas) से अग्न्याशयी रस (pancreatic juice) स्त्रावित होता है।

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प्रश्न 4.
पित्त रस का रासायनिक संगठन एवं पाचन तन्त्र में इसके कार्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
पितरस (Bile Juice) पित्त रस हरे पीले रंग का द्रव्य होता है। इसका अधिकांश भाग जल तथा शेष कुछ भाग पित्त लवणों (bile salts) एवं पित्त रंगाओं (bile pigments) का बना होता है। पित्त रस में पाचक एन्जाइम (digestive enzyme) नहीं होते हैं, किन्तु पाचन क्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

पाचन तन्त्र में पितरस का महत्व-यकृत द्वारा निर्मित पित्त रस (bile juice) पाचन क्रिया में निम्नवत् योगदान करता है-
(1) पित्तरस क्षारीय (pH 7-9) होता है और यह आमाशय से ग्रहणी (duodenum) में काइम के रूप में आये हुए भोजन के माध्यम को क्षारीय कर देता है तथा इसे अधिक तरल बनाता है, क्योंकि अग्न्याशयिक रस के एन्जाइम्स क्षारीय माध्यम में ही क्रियाशील होते हैं।

(2) भोजन को अम्लीय से क्षारीय, पित्त लवणों में उपस्थित अकार्बनिक सोडियम क्लोराइड (NaCl) तथा सोडियम कार्बोनेट (Na2 CO3) बनाते हैं। इसके अतिरिक्त वे अकार्बनिक लवण भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके भोजन को सड़ने से रोकते हैं।

(3) पित्त रस में सोडियम ग्लाइकोलेट (sodium glycolate ), सोडियम टारकोलेट (sodium tarcholate) तथा कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) नामक कार्बनिक लवण भी उपस्थित होते हैं। ये लवण भोजन की वसाओं का विखण्डन (पायसीकरण या इमल्सीकरण ( emulsification) करते हैं तथा अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) के लाइपेज एन्जाइम को वसा से प्रतिक्रिया करने के लिये उत्तेजित करते हैं ।

(4) पित्त रस (bile juice) में उपस्थित पित्त लवण वसा अम्लों तथा विटामिन A, D, E वK आदि के अवशोषण में सहायक होते हैं।

(5) पित्त में बाइलीरुबिन (bilirubin) तथा बाइलीवर्डिन (biliverdin) नामक रंगा (pigments) प्रमुख हैं। ये उत्सर्जी पदार्थ होते हैं जो लाल रक्त कणिकाओं के लिखण्डन से बनते हैं। ये पाचन में भाग नहीं लेते और मल के साथ शरीर के बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य की आहारनाल में कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन कैसे होता है ? सविस्तार बताइए ।
उत्तर:
आनुष्य की आहारनाल में कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन
(1) मनुष्य की आहारनाल में कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन मुखगुहा से ही प्रारम्भ होता है। भोजन चबाते समय इसमें लार मिल जाती है। लार में उपस्थित टायलिन (ptylin) नामक एन्जाइम स्टार्च (मण्ड – कार्बोहाइड्रेट) का जल अपघटन करके उसे माल्टोज (maltose) एवं डेक्सट्रिन नामक शर्करा में बदल देता है।
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(2) आमाशय (stomach) में कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन नहीं होता है। इसके बाद कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन महणी में होता है। ग्रहणी में भोजन का माध्यम क्षारीय हो जाने पर अग्न्याशिक रस में उपस्थित एमाइलेज ( amylase) नामक एन्जाइम स्टार्च व ग्लाइकोजन को अपघटित करके उन्हें माल्टोज शर्करा में बदल देता है।
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(3) इसके पश्चात् कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन क्षुद्रान्त्र (small intestine) में निम्नवत् होता है –
(i) आन्त्रीय / रस का माल्टेज (maltose) नामक एन्जाइम माल्टोज शर्करा ( maltose) को ग्लूकोज में बदल देता है।
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(ii) लैक्टेज (lactose) नामक एन्जाइम दूध की लैक्टोज शर्करा को ग्लूकोज एवं गेलेक्टोज (galactose) में बदल देता है।
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(iii) सुक्रेज ( sucrase) नामक एन्जाइम सुक्रोज शर्करा (sucrose sugar) को ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज (glucose and fructose) में परिवर्तित कर देता है ।
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इस प्रकार मनुष्य की आहारनाल में मुखगुहा से क्षुद्रान्त्र तक आते-आते कार्बोहाइड्रेट्स का पूर्णतः पाचन हो जाता है।

प्रश्न 6.
मनुष्य के पाचन में भाग लेने वाली प्रमुख पाचन प्रन्थियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य की पाचन ग्रन्थियाँ (Digestive Glands in Man )
(1) लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands) – मनुष्य में तीन जोड़ी लार प्रन्थियाँ पायी जाती हैं-

  • कर्णपूर्व (parotid),
  • अधोजंभ (submaxillary),
  • अधोजिहा (sublingual)।

इन मन्थियों से एक प्रकार का क्षारीय तरल साबित होता है। इस तरल में जल, टायलिन (ptylin) या α- एमाइलेज, लाइसोजाइम, श्लेष्मा एवं सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम, बाइकार्बोनेट आदि आयन उपस्थित होते हैं। लार में पाया जाने वाला टायलिन (ptylin) एक पाचक एन्जाइम है जो कार्बोहाइड्रेट पर क्रिया करता है एवं भोजन
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को लसलसा बनाकर निगलने योग्य बनाता है। इसमें उपस्थित लाइसोजाइम (lysozyme) जीवाणुओं को नष्ट करता है।

(2) यकृत (Liver) – यह शरीर की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण प्रन्थि है। यह उदरगुहा में दायीं ओर तनुपट के ठीक नीचे, मीसेण्ट्री द्वारा सधी, कत्थई रंग (brown colour) की एक बड़ी-सी कोमल, किन्तु ठोस रचना होती है जो गहरी खाँचों द्वारा दायीं पाली तथा बायीं पाली में बँटी होती है। दायीं बड़ी पाली के नीचे पित्ताशय (gall bladder) सटा रहता है। इसमें यकृत कोशिकाओं में बना पित रस (bile juice) एकत्रित होता है। पित्त के कारण पित्ताशय हरा, नीला-सा दिखायी देता है। पित्त रस पित्तवाहिनी (bile duct) द्वारा आवश्यकतानुसार समय-समय पर ग्रहणी में पहुँचता रहता है।

(3) अग्न्याशय (Pancreas) – यह अनियमित आकार की पत्ती जैसी हल्के पीले गुलाबी रंग की ग्रन्थि है, जो ग्रहणी के ‘U’ भाग के बीच में मीसेण्ट्री द्वारा सधी रहती है। इस प्रन्थि का प्रमुख ऊतक अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) स्त्रावित करता है जो अग्न्याशयिक वाहिनी (pancreatic duct) द्वारा ग्रहणी में पहुँचता है। प्रन्थि के प्रमुख ऊतक में ही जगह-जगह लैंगरहैन्स की डीपिकाएँ (Islets of Langerhans) नामक अन्तःस्रावी ग्रन्थि कोशिकाएँ होती हैं। इनसे इन्सुलिन (insulin) तथा ग्लूकागोन (glucagon) नामक हॉर्मोन्स स्त्रावित होते हैं जो रुधिर में शर्करा की मात्रा के उपापचय का नियमन (regulation) करते हैं।

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प्रश्न 7.
टायलिन तथा पेप्सिन के स्रोत एवं कार्यों का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर:
1. टायलिन (ptylin ) लार मन्थियों से स्त्रावित लार में उपस्थित होता है। यह एक एन्जाइम है जो भोजन की मण्ड (starch) को शर्करा में बदल देता है।

2. पेप्सिन (pepsin) नामक एन्जाइम जठर मन्थियों (gastric glands) से स्त्रावित जठर रस में निष्क्रिय पेप्सिनोजन (pepsinogen) के रूप में होता है जो आमाशय (stomach) में HCI के साथ मिलकर सक्रिय पेप्सिन (peptone) में बदल जाता है। यह भोजन की प्रोटीन को अपघटित करके पेप्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड (polypeptide ) में बदल देता है।
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प्रश्न 8.
रोटी अधिक देर तक चबाने पर मीठी क्यों लगती है ? सकारण उत्तर प्रस्तुत करें।
उत्तर:
रोटी में मण्ड (starch) नामक पॉलीसेकेराइड कार्बोहाइड्रेट अघुलनशील अवस्था में होता है। जब रोटी को अधिक देर तक चलाया जाता है तो उसमें लार ग्रन्थियों से निकली हुई लार मिल जाती है। लार में टायलिन (ptylin) नामक पाचक एन्जाइम उपस्थित होता है। टायलिन रोटी की 5% अघुलनशील मण्ड (starch) को घुलनशील शर्करा (sugar) में बदल देता है। इसलिए अधिक देर तक चबाने पर रोटी मीठी लगती है।

प्रश्न 9.
मनुष्य के जठर रस में मिलने वाले एन्जाइमों के नाम और उनके कार्य बताइए ।
उत्तर:
मनुष्य के जठर रस में नमक के अम्ल (HCl) के साथ पेप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन नामक प्रोएन्जाइम्स (proenzyme ) होते हैं। ये एन्जाइम्स आमाशय में आए भोजन में मिलने से पूर्व निष्क्रिय अवस्था में होते हैं। आमाशय में आये हुए भोजन में मिलते समय निष्क्रिय पेप्सिनोजन HCI के साथ मिलकर सक्रिय पेप्सिन में बदल जाता है। इसी समय प्रोरेजिन भी रेनिन में बदल जाता है। रेनिन दूध को फाड़कर उसकी प्रोटीन-केसीन (cascine) को अलग कर देता है। अब पेप्सिन (pepsin) भोजन को प्रोटीन को अपघटित करके पेण्टोन तथा पॉलीपेप्टाइड में बदल देता है।

प्रश्न 10.
यदि किसी व्यक्ति का अग्न्याशय निष्क्रिय हो जाए तो उसकी पाचन क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
अथवा
यदि किसी मनुष्य का अग्न्याशय कार्य करना बन्द कर दे तो उस पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
अग्न्याशय के निष्क्रिय हो जाने या कार्य न करने पर –
(i) उससे अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) नहीं निकलेगा जिसमें ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन, एमाइलेज तथा लाइपेज (स्टीएप्सिन), कार्बोक्सी पेप्टिडेज नामक एन्जाइम्स होते हैं। ये क्रमशः प्रोटीन, मण्ड एवं वसा का पाचन करते हैं। अतः अग्न्याशयिक रस के अभाव में भोजन की प्रोटीन, मण्ड तथा वसा का पाचन नहीं हो सकेगा।

(ii) अग्न्याशय में स्थित लैंगरहैन्स के द्वीप पुंज (islets of Langerhans) की बीटा तथा एल्फा नामक कोशिकाओं से इन्सुलिन तथा ग्लूकागोन हॉर्मोन्स का स्राव नहीं हो सकेगा, जिसके फलस्वरूप ग्लाइकोजिनेसिस ( यकृत में ग्लूकोस के ग्लाइकोजन में बदलने की क्रिया) तथा ग्लाइकोजिनोलाइसिस (यकृत कोशिका में संचित ग्लाइकोजन के पुनः ग्लूकोस में बदलने की क्रिया) की क्रियाएँ नहीं हो सकेंगी। परिणामस्वरूप रुधिर में शर्करा की मात्रा का सन्तुलन बिगड़ जाएगा। रुधिर में शर्करा की मात्रा आवश्यकता से अधिक बढ़ जाने से ऐसा व्यक्ति मधुमेह या डायबिटीज (diabetes) का रोगी हो जाएगा।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित कहाँ पाये जाते हैं ? प्रत्येक के एक प्रमुख कार्य का उल्लेख कीजिये-
उत्तर:

  1. कृन्तक
  2. एमाइलेज
  3. कार्बोहाइड्रेट
  4. अग्न्याशय
  5. पित्त।
फ्दार्थ/वस्तु का नामप्राप्ति स्थल/खातेप्रमुख कार्य
1. कृम्तक (incisors)स्तनी जन्तु की मुख गुहा में जबड़ों परभोजन को चीरनाकाड़ना
2. समाइलेज (amylase)अग्याशयिक रस में उपस्थितकार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम
3. कार्बोहाइड्रेटस (carbohydrates)गेहूँ, चावल, मक्का, आलू व सभी फलों मेंप्राणी शरीर को ऊर्जा प्रदान करना
4. अग्नाशय (pancrease)उदर गुहा में आमाशय के नीचे स्थितएन्जाइमों द्वारा भोजन का पाचन, इन्सुलिन व ग्लूकागोन हॉमोंन्स द्वारा शर्करा का नियन्त्रण व नियमन
5. पित्त (bile)यकृत कोशिकाओं द्वारा स्नावितपित्त वसाओं का इमल्सीकरण

प्रश्न 12.
निम्नलिखित के कार्यों का वर्णन कीजिए-
(i) एमाइलेज (Amylase)
(ii) गैस्ट्रिन (Gastrin )
(iii) बिलिवर्डिन (Biliverdin)।
उत्तर:
(i) एमाइलेज (Amylase ) – यह अग्न्याशयिक रस में पाया जाने वाला मण्ड पाचक एन्जाइम है। यह मण्ड को शर्करा में परिवर्तित करता है-
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(ii) गैस्ट्रिन (Gastrin ) – यह आमाशय की श्लेष्मकला से स्त्रावित होने वाला हॉर्मोन है। यह हॉर्मोन रुधिर के माध्यम से आमाशय की जठर मन्थियों (gastric glands) को उत्तेजित करता है
जिससे वे सक्रिय हो जाती हैं और जठर रस का स्राव करती हैं।

(iii) बिलिवर्डिन (Biliverdin) – यकृत में मृत लाल रुधिर कणिकाओं ( R. B. C. ) के हीमोग्लोबिन के विखण्डन से बिलिवर्डिन तथा बिलिरुबिन (vilirubin) नामक वर्णक (pigments) बनते हैं। ये उत्सर्जी पदार्थ हैं जो पित्त रस द्वारा ग्रहणी में पहुँचते हैं और फिर मल के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

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प्रश्न 13.
मनुष्य की आन्त्र में वसा अवशोषण की प्रक्रिया समझाइए ।
उत्तर:
आन्त्र में वसा का अवशोषण वसा अम्लों, मोनोग्लिसरॉइड एवं कोलेस्ट्रॉल के रूप में विसरण द्वारा लसिका में होता है। इस वसा के साथ पित्त मिलकर सूक्ष्म जटिल रचनाएँ बनाता है। ये रचनाएँ मिसेल कहलाती हैं। ये मिसेल काइम में विलेय होती हैं। प्रत्येक मिसेल के केन्द्रीय भाग में वसा अम्ल एवं मोनोग्लिसरॉइड होता है, जिसके चारों ओर पित्त लवण एकत्रित रहते हैं। सूक्ष्मांकुर के समीप मिसेल के आते ही इसमें स्थित वसा कोशिका झिल्ली में घुलनशील होने के कारण मिसेल ( micelle) से निकलकर कोशिका में विसरित हो जाता है।

इसके विसरण के पश्चात् पित्त लवण एवं काइम शेष रह जाते हैं। अब कोशिका में वसा अम्ल एवं मोनोग्लिसरॉइड (monoglyceroids) चिकनी अन्त प्रद्रव्यी जालिका में प्रवेश करके ट्राइग्लिसराइड संश्लेषित करता है। ये ट्राइग्लिसरॉइड चारों ओर से प्रोटीन द्वारा
घिर जाते हैं। इस प्रकार लिपोप्रोटीन से 0.1 व्यास की गोलिकाएँ बनती हैं जिन्हें काइलोमाइक्रॉन (chylomicron) कहते हैं। काइलोमाइक्रॉन बहिर्कोशिकालयन (exocytosis) द्वारा बाहर निकलकर लसिका केशिका में चला जाता है। ये लसीका तन्त्र से होते हुए शिरा के रुधिर प्लाज्मा में पहुंच जाते हैं। अब प्लाज्मा में लिपोप्रोपीन लाइपेज की सहायता से इन्हें वसा अम्लों एवं मोनोग्लिसरॉइड में बदल देती है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित पाचक एन्जाइम भोजन के किस अवयव पर क्रिया करते हैं ?
उत्तर:
केवल रासायनिक अभिक्रिया द्वारा व्यक्त कीजिये।
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(D) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मनुष्य की आहारनाल का नामांकित चित्र बनाकर विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
आहार नाल (Alimentary canal):
मनुष्य की आहार नाल 8-10 मीटर लम्बी कुण्डलित होती है। विभिन्न भागों में इसका व्यास अलग-अलग होता है। आहार नाल को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-

  • मुख एवं मुख गुहिका,
  • ग्रसनी,
  • ग्रासनली,
  • आमाशय,
  • छोटी आंत,
  • बड़ी आंत तथा
  • मलाशय।

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1. मुख एवं मुख गुहिका (Mouth and Buccal Cavity) – मुख सिर की अधर सतह पर एक अनुप्रस्थ दरार के रूप में होता है जो दो मांसल होठों (lips) द्वारा घिरा होता है। होंठ (lips) बाहर की ओर त्वचा से तथा भीतर की ओर श्लेष्मा कला (mucous membrane) के द्वारा ढके होते हैं। मुख अन्दर की ओर मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा (buccal cavity) में गालों व दांतों के बीच का स्थान प्रघाण (vestibule) कहलाता है। दाँतों की दोनों कतारों के बीच पेशीय जीभ (tongue) पायी जाती है। मुख गुहा की ऊपरी छत्त तालु कहलाती है। तालु (Palate) – मुख गुहिका की छत को तालु कहते हैं। यह मेहराब (arch) की भाँति होती है और मुखगुहिका को श्वसन मार्ग (Nasal passages) से अलग करता है।

तालु को दो भागों में बाँटा जा सकता है- तालु का अगला कड़ा व अस्थिल भाग होता है। यह मैक्सिला (maxilla) तथा पैलेटाइन (palatine) अस्थियों का बना होता है। इसे कठोर तालु (hard Palate) कहते हैं। इसे आस्तरित करने वाली श्लेष्मिका या म्यूकस झिल्ली पर खुरदरे अनुप्रस्थ मूल होते हैं। इनको तालु बलियाँ कहते हैं। तालु का पिछला भाग केवल संयोजी ऊतक (connective tissue) व पेशियों का बना होता है। इसे कोमल तालु (soft palate) कहते हैं। इसका पिछला भाग एक उभार के रूप में ग्रसनी (pharynx) की गुहा में लटका रहता है। इसको तालु विच्छद्द (velum palatiar uvula) कहते हैं। इसके समीप लसीका ऊतक के बने टॉन्सिल्स (tonsils) होते हैं।

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2. जीभ (Tongue) – जीभ पेशीय व लचीली संरचना होती है। यह पीछे की ओर स्नायु के एक कोमल वलन, जिसे फ्रेनुलम (frenulum) कहते हैं, द्वारा मुख गुहिका के फर्श से जुड़ी रहती है। जीभ की म्यूकस झिल्ली श्लेष्म स्रावित करती है। श्लेष्म जीभ को गीली रखती है। जीभ की ऊपरी सतह पर जिह़्ा अंकुर (lingual papillae) तथा स्वाद कलिकाएँ होती हैं।
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(a) जिता प्राकुर (Lingual papillae)-सूक्ष्म प्रांकुर है जो जीभ को खुरदरा बनाते हैं, इन पर स्वाद कलिकाएँ होती हैं। ये तीन प्रकार की होती हैं-

  • फिलिफार्म अंकुर (Filiform papillae)-ये छोटे शंक्वाकार अंकुर हैं जो जिह्हा की ऊपरी सतह पर छितरे रहते हैं। ये संख्या में सबसे अधिक होते हैं। इनकी उपस्थिति के कारण जीभ खुरदरी होती है।
  • फंजीरार्म अंकुर (Fungiform papillae)-ये गोलाकार उभारों के रूप में जिन्का के छोर पर तथा पार्श्वों में केवल किनारे पर स्थित होते हैं।
  • सरकम वैलेट अंकुर (Circumvallate papillae) ये जित्रा के आधार भाग की ऊपरी सतह पर उल्टे ‘V’ के आकार के होते हैं। प्रत्येक अंकुर के आधार के चारों ओर एक खाँच-सी होती है।

(b) स्वाद कलिकाएँ (Taste buds) – मुख्य रूप से जीभ की ऊपरी सतह तथा जिन्दा प्रांकुरों (lingual papillae) पर होती हैं। जीभ के अगले भाग पर मीठे, पिछले भाग पर कडुवे, दोनों ओर किनारों पर खट्टे तथा जीभ के अगले सिरे के पीछे कुछ भाग में नमकीन स्वाद की कलिकाएँ होती हैं। जीथ के कार्य-जीभ भोजन के स्वाद का ज्ञान कराती है। यह भोजन को मुखगुहा में इधर-उधर घुमाती है और इसमें लार को मिलाती है। यह भोजन को दाँतों की ओर धकेलकर उसको चबाने में मदद करती है। यह भोजन को निगलने में सहायता करती है तथा भोजन करने के बाद दाँतों में फँसे भोजन कणों को साफ करती है।
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3. दाँत (Teeth) – मुखगुहा (buccal cavity) को बनाने वाले दोनों जबड़ों के किनारों पर दाँतों की एक-एक पंक्ति होती है। मनुष्य के दाँत गर्तदन्ती (thecodont) तथा द्विबार दंती (diphyodont) होते हैं, अर्थात् दाँत अस्थियों में धँसे तथा दो बार उगते हैं। दाँत चार प्रकार के होते हैं। अतः ये विषमदन्ती (heterodont) कहलाते हैं। मनुष्य के प्रत्येक जबड़े में 16 तथा कुल 32 दाँत (teeth) होते हैं। प्रत्येक जबड़े को दो भागों दायीं ओर के दाँत तथा बायीं ओर के दाँतों में विभेदित किया जाता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण - 3

प्रत्येक ओर दो कृन्तक (incisors; i) एक रदनक (canine;c) दो अप्र चवर्णक (Premolars; pm) तथा तीन चवर्णक (molars; m) दाँत पाए जाते हैं। कृन्तक (incisors) सबसे आगे तथा चपटे व धारदार होते हैं। ये भोजन को काटते हैं। रदनक नुकीले होते हैं जो कठोर भोजन को पकड़ने तथा चीर-फाड़ करने में मदद करते हैं। अग्र चवर्णक तथा चवर्णक (premolar and molars) चौड़े और मजबूत होते हैं। ये भोजन को चबाने का काम करते हैं। दन्त सूत्र (Dental formula) – दाँतों के विन्यास को प्रदर्शित करने के लिए दन्तसूत्र का प्रयोग किया जाता है। दन्त सूत्र में दिए गए ऊपरी व निचले-जबड़े के दाँतों की संख्या को जोड़कर अगर दो से गुणा कर दिया जाए तो दताँ की कुल संख्या ज्ञात हो जाती है।
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i = कृन्तक दन्त (incisors) c = भेदक दन्त या रदनक (canine)
pm = अग्र चवर्णक दन्त (premolars) m = चवर्णक दन्त (molars)

दाँत की संरचना (Structure of tooth)
स्तनधारियों (mammals) के दाँत में तीन भाग पाए जाते हैं-(i) शीर्ष (head), (ii) ग्रीवा (neck) तथा (iii) मूल (root)। शीर्ष (crown) वह भाग है जो हमे दिखाई देता है। इस प्रकार इनैमल या दन्तवल्क (enamal) का कठोर चमकीला व पारदर्शी आवरण पाया जाता है जिसकी उत्पत्ति भूरूण की एक्टोडर्म (ectoderm) से होती है। इनैमल (enamal) स्तनधारियों के शरीर का सबसे कठोरतम भाग होता है। म्रीवा (neck) मसूड़े के अन्दर पाया जाने वाला भाग है। मूल (root) जबड़े की अस्थि के गर्त (bone socket) में पाया जाता है।

कृन्तक व रदनक में एक-एक अग्र चवर्णक में 2-3 तथा चवर्णक में 3-4 मूल पायी जाती है। दाँत की आंतरिक संरचना (Internal Structure of Tooth) दाँत में सबसे बाहर की ओर इनैमल (enamel) नामक स्तर पाया जाता है। यह रंगहीन व चमकदार स्तर होता है। इसमें 90-95% अकार्बनिक यौगिक (कैल्शियम फॉस्फेट व कार्बोनेट) व जल की मात्रा केवल 5-6% होती है। यह स्तर प्रायः शीर्ष तक ही सीमित रहता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

दाँत को बनाने वाला मुख्य पदार्थ डेन्टीन (dentine) होता है। इसमें सूक्ष्म-नलिकाएँ कैनालीक्युली (canaliculi) होती हैं। केवल शिखर क्राउन (crown) भाग की डैन्टीन की बाह्य सतह पर इनैमल का आवरण होता है। दाँत अंदर से खोखला होता है। इस गुहा को पल्प गुहा (pulp cavity) कहते हैं। यह गुहा चारों ओर से डेन्टीन से घिरी होती है। डेन्टीन की आन्तरिक सतह पर ऑडोन्टोब्लास्ट (odontoblast) आवरण होता है जो ऑडोन्टोब्लास्ट कोशिकाओं का बना होता है।
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इसी की क्रियाशीलता से दन्त के आकार में वृद्धि होती है। प्रायः एक निश्चित आयु के पश्चात् यह निक्किय होकर दाँत के विकास को रोक देता है। हाथी में ऊपरी कृन्तक (incisor) जीवनभर वृद्धि करते रहते हैं जो गजदन्त (tusk of elephant) कहलाते हैं। ऑडोन्टोब्लास्ट स्तर के अन्दर की ओर पल्प गुहा में रक्त वाहिनियाँ, तन्त्रिका तन्तु व संयोजी ऊतक का बना तरल द्रव्य भरा होता है। इसके आधार भाग में एक छिद्र पाया जाता है। इस छिद्र के द्वारा दन्त को रक्त व तन्त्रिकीय संवहन दिया जाता है।

3. ग्रसनी (Pharynx) – मुखगुहा पीछे की ओर एक कीपाकार गुहा में खुलती है, जिसे ग्रसनी (pharynx) कहते हैं। यह लगभग 12.5 सेमी लम्बी नली है, जो तीन भागों में बंटी होती है-
(1) नासोफैरिंक्स (Nasopharynx) – यह तालू (palate) के ऊपर का चौड़ा और कोमल भाग है। इसमें एक जोड़ी अन्त: नासाछिद्र (nostril) तथा एक जोड़ी यूस्टेकियन नलिका (eustachian tube) के छिद्र खुलते हैं। अन्त: नासाछिद्र का श्वसन से तथा यूस्टेकियन छिद्र का कर्णगुहा से सम्बन्ध होता है।

(2) ओरोफरिक्स (Oropharynx) – यह कोमल तालू (soft palate) के नीचे स्थित होता है। यह भोजन के संवह में सहायता करता है।

(3) लैरिंगोफरिक्स (Laryngopharynx) – यह कोमल तालू के नीचे तथा कंठ या लैरिंक्स (larynx) के पीछे स्थित होता है। इस भाग में दो मार्गों के छिद्र खुलते हैं। भोजन नली का द्वार (gullet) जो ग्रासनली (oesophagus) में खुलता है तथा श्वासनली का द्वार या घांटी द्वार (glottis) जो श्वसन नली में खुलता है। घांटी द्वार पर छोटी ढक्कन या एपिग्लॉटिस (epiglottis) नामक एक पतला-सा पर्दा लटका रहता है।

कार्य-भोजन तथा वायु क्रमशः म्मसनी (pharynx) में से होकर भोजन नली और श्वास नली में पहुँचते हैं। श्वास लेते समय घांटी ढक्कन (epiglottis) घांटी द्वार से हट जाता है परन्तु भोजन निगलते समय कोमल तालू (soft palate) उपर उठ जाता है तथा घांटी ढक्कन (epiglottis) घांटी द्वार को ढक लेता है जिससे भोजन कंठ (larynx) में नहीं जा पाता है। जब कभी भोजन के कण श्वास नली में चले जाते हैं तो भयंकर खाँसी आती है। इसे फंदा लगना कहते हैं।
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4. ग्रासनली (Oesophagus) – म्रासनली लगभग 25 सेमी लम्बी पेशीय नली है। यह ट्रेकिया (trachea) के साथ-साथ गर्दन तथा वक्ष भाग से होती हुई डायाफ्राम (diaphragm) को बेधकर उदर गुहा में प्रवेश करने के बाद आमाशय (stomach) में खुलती है। ग्रासनली की दीवार की म्यूकस या श्लेष्मा प्रन्थियों से स्तावित श्लेष्मा (mucus) इसकी गुहा को तरल व लसदार बनाती है। मासनली की दीवार की क्रमाकुंचन गति द्वारा भोजन आसानी से आमाशय में पहुँच जाता है।
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ग्रासनाल की औतिकी (Histology of oesophagus) – उदर गुहा के बाहर होने के कारण ग्रासनली की दीवार में बाहर की ओर सीरोसा (serosa) का स्तर नहीं होता बल्कि इसके स्थान पर ढीले अंतराली तंतुमय संयोजी ऊतक (fibrous connective tissue) का बाह्य स्तर होता है जिसे एडवेन्शिया एक्स्टर्ना (adventia externa) कहते हैं। ग्रासनली में पेशी स्तर सुविकसित होता है। बाहरी अनुलम्ब पेशी स्तर (longitudinal muscle layer) भीतरी वर्तुल पेशी स्तर (circular muscle layer) से अधिक मोटा होता है।

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ग्रासनली के अगले भाग में पेशियाँ रेखित, मध्य भाग में रेखित व अरेखित तथा अन्तिम भाग में केवल अरेखित (unstriped) होती हैं। अधः श्लेष्मिका या सब म्यूकोसा (submucosa) मोटी होती है तथा इसमें छोटी श्लेष्म ग्रन्थियाँ (mucus glands) होती हैं। ये श्लेष्म का स्राव करती हैं। श्लेष्म के कारण ग्रासनली में भोजन सुगमता से फिसलता हुआ आमाशय (stomach) में पहुँचता है। अधः श्लेष्मिका या सबम्यूकोसा में पाचन ग्रन्थियाँ नहीं होतीं। श्लेष्मिक पेशी स्तर में अरेखित पेशी तन्तु होते हैं। म्यूकोसा स्तर स्तरित शल्की एपिथीलियम (stratified squamous epithelium) का बना होता है।

5. आमाशय (Stomach) – आमाशय डायाफ्राम के नीचे उदर गुहा में बायीं ओर होता है। यह लचीली थैली के समान रचना है। इसकी दीवारें मोटी, पेशीय तथा वलित होती हैं। इन वलनों को रगी (rugae) कहते हैं। आमाशय की दीवार की क्रमाकुंचन गति द्वारा आमाशय में भोजन पिसकर लेई जैसा हो जाता है। आमाशय को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-बायाँ बड़ा पिंडक कार्डियक भाग (cardiac part) दायाँ छोटा पिंडक पाइलोरिक भाग (pyloric part) तथा दोनों के बीच का फंडिक भाग (fundic part)।

प्रासनली (oesophagus) आमाशय के कार्डियक भाग में खुलती है। ग्रासनली के द्वार पर एक पेशीय कपाट होता है जिसे कार्डियक संकोचक (cardiac sphincter) कहते हैं। यह कपाट भोजन को म्रासनली से आमाशय (stomach) में आने तो देता है परन्तु वापस ग्रास नली में नहीं जाने देता है। इसी प्रकार पाइलोरिक भाग के ड्यूओडिनम (duodenum) में खुलने वाले छिद्र पर पाइलोरिक स्फिक्टर (pyloric sphincter) होता है जो आंत्र में आए हुए भोजन को आमाशय में वापस नहीं जाने देता।
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प्रश्न 2.
संतुलित आहार से आप क्या समझते हैं ? संतुलित आहार के प्रमुख पोषक तत्व बताइए ।
उत्तर:
संतुलित आहार (Balanced Diet):
वह आहार जिसमें शरीर की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अर्थात् शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक पदार्थ समुचित मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार (balanced diet) कहते हैं। आहार में सभी पोषक पदार्थों का निश्चित अनुपात में होना अवश्यक होता है। हमारे भोजन का सबसे प्राथमिक पोषक कार्बोहाइड्रेट होता है जो ऊर्जा का सबसे प्रमुख ल्रोत है। इसकी अनेक श्रेणियाँ हैं किन्तु ग्लूकोज सर्वमान्य ऊर्जा स्रोत है अर्थात् अन्य कार्बोहाइड्रेट्स भी ऊर्जा उत्पादन के समय ग्लूकोज (glucose) में बदल जाते हैं।

वसा में अत्यावश्यक वसीय अम्ल (जैसे-लिनोलिनिक अम्ल, लिनोलिक अम्ल, अरेकिडोनिक अम्ल आदि) होते हैं। यद्यपि वसा भी ऊर्जा स्रोत का कार्य करती हैं परन्तु इनका पचाना कठिन होता है। प्रोटीन्स में आवश्यक अमीनो अम्ल (वैलीन, हिस्टिडीन, आर्जिनीन, ट्रिप्टोफेन, लाइसीन आदि) होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के निर्माणी अवयव (building components) होते हैं।

भोजन में रूक्ष रेशों (raugse fibres) का होना भी आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त एक संतुलित आहार में लवण एवं विटामिन्स होना भी आवश्यक होता है। लवण एवं विटामिन्स (salt and vitamins) शरीर में उपापचयी नियन्रक (metabolic regulators) कहलाते हैं। इनकी अनुपस्थिति या कमी से अनेक विकार (disorders) उत्पन्न हो जाते हैं। आयु अवस्था, शारीरिक, आकार, कार्य आदि के अनुसार संतुलित आहार में भी पोषक पदार्थों की मात्रा का अनुपात बदलता रहता है। जिसका विवरण निम्नांकित सारणी में दिया गया है।

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खाध्य पदार्थों में उफलब्च ऊर्जा मात्रा-खाध्य पदार्थों में उपस्थित ऊर्जा की मात्रा को किलो कैलोरी (k. cal) में व्यक्त किया जाता है। एक किलो कैलोरी में खाद्य पदार्थ के एक ग्राम अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से मुक्त ऊर्जा को सकल कैलोरी मान (gross calory value) कहते हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों द्वारा हमारे शरीर में मुक्त की गयी ऊर्जा को कार्यिकीय ऊर्जा (functional energy) कहते हैं।
तालिका : आई. सी. एम. आर. द्वारा अनशंसित सन्तुलित आहार (मात्रा प्राम में पकेे)

खाद्य फदार्थसकल कैलारी मानकार्यिकीय कैलोरी मान
1. कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates)4.10 किलोकैलोरी/प्राम4.00 किलोकैलोरी/प्राम
2. वसा (Fat)9.45 किलोकैलोरी/ग्राम9.00 किलोकैलोरी/म्राम
3. प्रोटीन (Protein)5.11 किलोकैलोरी/म्राम4.00 किलोकैलोरी/म्राम।

संतुलित आहार के प्रमुख पोषक तत्व (Chief Nutrients of Balanced Diet):
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विभिन्न विटामिन, उनकी रासायनिक प्रकृति, साधारण नाम, महत्वपूर्ण स्रोत, कार्य, न्यूनता रोग (Various Vitamins, their Chemical Nature, Common Name, Important Sources, Functions and Deficiency Disorders):

पोषक तख्व (Nutrients)प्रमुख खांध स्वेत (Source)सामान्य कार्य (Functions)
कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, शर्करा, ग्लूकोस, फ्रक्टोज, लैक्टोस।अन्न, आलू चीनी, दूध, पके फल।ऊर्जा एवं संचित भोजन ग्लाइकोजन के रूप में।
वसा (लिपिड) वसा अम्ल।वनस्पति तेल, घी, दूध, अण्डा, मूँगफली, तिल।ऊर्जा एवं संचित वसा के रूप में।
प्रोटीन एवं ऐमीनो अम्ल (आवश्यक ऐमीनो अम्ल)।दूध, माँस, दालें, अण्डा, सोयाबीन, सेम जन्तु प्रोटीन, सोयाबीन ।वृद्धि एवं मरम्मत व जैव उत्रेरक के रूप में।
विटामिन A,B,C,D,Eयकृत, अण्डे का पीतक, दूध, सब्चियाँ, अन्न फल।नियमन एवं सुरक्षा के रूप कार्य।
खनिज Na,K,Ca,PI,Fe,Clसामान्य नमक, दूध, अण्डा, सब्जियाँ, माँस, फल।नियमन एवं सुरक्षा के कार्य।

तालिका 16.7. मनुष्य में मुख्य पाचक-विकरों की तालिका (Main Digestive Enzymes in Man):
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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 3.
मनुष्य में आंत्रीय पाचन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यांत्र या झलियम में पादन (Digestion of Food in Ileum) – इलियम में भोजन प्रवेश करते ही इसकी भित्ति से एन्दीरोकाइनिन (enterokinin) एवं इ्युओक्ईानि (duocrinin) नामक हार्मोंस स्नावित होते हैं जो आन्त्र को आन्न्रीय रस स्रावण करने के लिए उत्तेजित करते हैं। आंग्र स्राव
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण - 15
आंत्र के इलियम (ileum) भाग्ग में भोजन का लगभग पूर्ण पाचन हो जाता है। इस प्रकार काबोहाइड्रेट मोनोसैकेराइड में, प्रोटीन्स अमीनो अम्लों में, वसा वसीय अम्लों एवं ग्लसरॉल में तथा न्यूक्लिक अम्ल नाइड्रोजनी क्षारकों, पेट्टोज शर्करा एवं फॉस्पेट में विषटित हो जाते हैं। मानव में सेलुलोज (cellulose) का पाचन नहीं होता है। परन्तु यह पाचन में रफेज (raughes) का कार्य करके सहायक अवश्य होता है।
मनुष्य में मुख्य पाचक-विकरों की तालिका
(Main Digestive Enzymes in Man)
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प्रश्न 4.
मनुष्य में पचे हुए भोजन का अवशोषण कहाँ और क्यों होता है-
उत्तर:
पचित पदार्थों का अवशोषण (Absorption of Digested Materials):
पचित भोज्य कणों का आंत्र की दीवार द्वारा रुधिर केशिकाओं या लसिका वाहनियों (lymph vessels) में पहुँचना अवशोषण कहलाता है। खाद्य पदार्थों का अवशोषण निक्किय एवं सक्रिय दोनों विधियों से होता है। निष्क्रिय अवशोषण में भोजन कणों का गमन अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर होता है। इसके द्वारा वसीय अम्ल, वसा में विलेय पदार्थ, एक ग्लिसराइड व कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) का अवशोषण होता है। जल तथा इसमें घुले लवणों का अवशोषण सामान्य परासरण विधि द्वारा हो जाता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

सक्रिय अवशोषण के लिए ATP की ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसमें सान्द्रता प्रवणता के विरुद्ध अवशोषण होता है। जैसे अमीनो अम्ल एवं कुछ आयन्स का अवशोषण। पाचन क्रिया के पूर्ण होने पर भोजन अपनी सरल घटक इकाइयों में टूट जाता है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, ऐल्कोहॉल, जल, विटामिन्स आदि का अवशोषण सामान्य रुधर काशकाओं द्वारा होता है। जबकि वसा का अवशोषण इलियम रसांकुरों (ileumvilli) में उपस्थित विशिष्ट लसीका वाहनियाँ लैक्टियल (lacteal) द्वारा होता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण - 18
मुखगुहा (buccal cavity) एवं ग्रासनाल में अवशोषण की क्रिया नहीं होती है तथा आमाशय में केवल सम्पूर्ण एल्कोहल तथा कुछ मात्रा में लवणों का होता है। सर्वाधिक अवशोषण इलियम भाग में होता है क्योंकि इसकी श्लेष्मिका स्तर में ये उपस्थित रसांकुर (villi) इसका सतह क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं।

(i) ग्लूकोज एवं एमीनो अम्ल का अवशोषण ग्लूकोज एवं अमीनो अम्ल का अवशोषण सक्रिय अभिगमन द्वारा रुधिर में होता है। इसके लिए ऊर्जा सोडियम सह अभिगमन द्वारा प्राप्त होती है। इसमें सर्वप्रथम आंत्र की एपीथिलयम से Na+ सक्रिय अभिगमन द्वारा आन्त्र गुहा में आ जाते हैं। इसके लिए ATP की ऊर्जा प्रयुक्त होती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण - 19

Na+ के बाहर आने से आंत्र उपकला में इनकी कमी होने लगती है। Na+ आयन सरल विसरण द्वारा उपकला में प्रवेश कर सकते हैं। परन्तु इस क्रिया में एक वाहक प्रोटीन (carrier protein) की आवश्यकता होती है। जब यह प्रोटीन Na+ व ग्लूकोज या एमीनो अम्ल से जुड़ जाता है तो सोडियम की विद्युत रासायनिक प्रवणता (electro-chemical gradient) के कारण सोडियम के साथ-साथ पोषक पदार्थ ग्लूकोज या एमीनो अम्ल आंत्र उपकला में प्रवेश कर जाते हैं इसे सोडियम सह अभिगमन कहते हैं।

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(ii) वसा का अवशोषण-वसा का अवशोषण वसीय अम्ल, मोनोग्लिसरॉइड या कोलेस्ट्रॉल के रुप में आन्त्र विलाई में पायी जाने वाली विशिष्ट लसिका वाहिनी लैक्टियल (lacteal) द्वारा होता है। इसमें पित्त (bile) में पाए जाने वाले पित्त लवणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सर्वप्रथम संचित वसा अम्ल के अणुओं को पित्त लवण घेरकर गोल या बेलनाकार सूक्ष्म जटिल रचना बनाते हैं। जिसे मिसेल (micelles) कहते हैं। ये काइम (chyme) में विलेय होती हैं। प्रत्येक मिसेल के केन्द्र में वसा एवं परिधि पर पित्त लवण पाए जाते हैं। जब ये मिसेल सूक्ष्मांकुरों (microvilli) के सम्पर्क में आती हैं तो वसा उपकला कोशिका की झिल्ली को विसरित (diffuse) होकर अन्दर प्रवेश कर जाती है।
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पित्त लवण पुन: काइम (chyme) में आकर इस क्रिया को पुनः आरम्भ कर देते हैं। कोशिका में वे त्वचा अम्ल SER प्रवेश कर नए ट्राइग्लसिराइड (triglyceride) बनाते हैं। ये प्रोटीन द्वारा घेर लिए जाते हैं और ग्लाइकोप्रोटीन (glycoprotein) बनाते हैं। ग्लाइकोप्रोटीन से बनी गोलियों को काइलोमाइक्रोन (chylomicron) कहते हैं।

ये एक्सोसाइटोसिस द्वारा कोशिका से बाहर निकलकर लसिका कोशिका में चली जाती है और लसीका वन्त इन्हें शिरा द्वारा रुधिर प्लाज्मा में पहुँचा देता है। जहाँ लाइपेज विकर वसा (lipase enzyme) को वसा अम्लों व मोनोग्लिसराइड में तोड़ देता है। विटामिन्स तथा लवणों का अवशोषण निक्रिय एवं सक्रिय दोनों विधियों द्वारा होता है। जल का अवशोषण केवल विसरण विधि द्वारा होता है। बड़ी आँत में जल व विटामिन K का अवशोषण होता है।
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आहारनाल के विभिन्न भागों में अवशोषण:

  • मुख में अवशोषण जिन्हा (tongue) की निचली सतह की म्यूकोसा कुछ औषधियों का अवशोषण करती है।
  • आमाशय में अवशोषण-जल, मोनोसैकराइड व एल्कोहल का अवशोषण आमाशय (stomach) में होता है।
  • छोटी आँत में अवशोषण-यहाँ सर्वाधिक पोषकों का अवशोषण होता है। क्योंकि यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते भोजन का पाचन (digestion) पूर्ण हो जाता है। ग्लूकोज, फक्टोज,

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प्रश्न 5.
मनुष्य की आहारनाल में मण्ड प्रोटीन तथा वसा का पाचन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
संतुलित आहार (Balanced Diet):
वह आहार जिसमें शरीर की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अर्थात् शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक पदार्थ समुचित मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार (balanced diet) कहते हैं। आहार में सभी पोषक पदार्थों का निश्चित अनुपात में होना अवश्यक होता है। हमारे भोजन का सबसे प्राथमिक पोषक कार्बोहाइड्रेट होता है जो ऊर्जा का सबसे प्रमुख ल्रोत है। इसकी अनेक श्रेणियाँ हैं किन्तु ग्लूकोज सर्वमान्य ऊर्जा स्रोत है अर्थात् अन्य कार्बोहाइड्रेट्स भी ऊर्जा उत्पादन के समय ग्लूकोज (glucose) में बदल जाते हैं।

वसा में अत्यावश्यक वसीय अम्ल (जैसे-लिनोलिनिक अम्ल, लिनोलिक अम्ल, अरेकिडोनिक अम्ल आदि) होते हैं। यद्यपि वसा भी ऊर्जा स्रोत का कार्य करती हैं परन्तु इनका पचाना कठिन होता है। प्रोटीन्स में आवश्यक अमीनो अम्ल (वैलीन, हिस्टिडीन, आर्जिनीन, ट्रिप्टोफेन, लाइसीन आदि) होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के निर्माणी अवयव (building components) होते हैं।

भोजन में रूक्ष रेशों (raugse fibres) का होना भी आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त एक संतुलित आहार में लवण एवं विटामिन्स होना भी आवश्यक होता है। लवण एवं विटामिन्स (salt and vitamins) शरीर में उपापचयी नियन्रक (metabolic regulators) कहलाते हैं। इनकी अनुपस्थिति या कमी से अनेक विकार (disorders) उत्पन्न हो जाते हैं। आयु अवस्था, शारीरिक, आकार, कार्य आदि के अनुसार संतुलित आहार में भी पोषक पदार्थों की मात्रा का अनुपात बदलता रहता है। जिसका विवरण निम्नांकित सारणी में दिया गया है।

खाध्य पदार्थों में उफलब्च ऊर्जा मात्रा-खाध्य पदार्थों में उपस्थित ऊर्जा की मात्रा को किलो कैलोरी (k. cal) में व्यक्त किया जाता है। एक किलो कैलोरी में खाद्य पदार्थ के एक ग्राम अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से मुक्त ऊर्जा को सकल कैलोरी मान (gross calory value) कहते हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों द्वारा हमारे शरीर में मुक्त की गयी ऊर्जा को कार्यिकीय ऊर्जा (functional energy) कहते हैं।
तालिका : आई. सी. एम. आर. द्वारा अनशंसित सन्तुलित आहार (मात्रा प्राम में पकेे)

खाद्य फदार्थसकल कैलारी मानकार्यिकीय कैलोरी मान
1. कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates)4.10 किलोकैलोरी/प्राम4.00 किलोकैलोरी/प्राम
2. वसा (Fat)9.45 किलोकैलोरी/ग्राम9.00 किलोकैलोरी/म्राम
3. प्रोटीन (Protein)5.11 किलोकैलोरी/म्राम4.00 किलोकैलोरी/म्राम।

संतुलित आहार के प्रमुख पोषक तत्व (Chief Nutrients of Balanced Diet)
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विभिन्न विटामिन, उनकी रासायनिक प्रकृति, साधारण नाम, महत्वपूर्ण स्रोत, कार्य, न्यूनता रोग (Various Vitamins, their Chemical Nature, Common Name, Important Sources, Functions and Deficiency Disorders)

पोषक तख्व (Nutrients)प्रमुख खांध स्वेत (Source)सामान्य कार्य (Functions)
कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, शर्करा, ग्लूकोस, फ्रक्टोज, लैक्टोस।अन्न, आलू चीनी, दूध, पके फल।ऊर्जा एवं संचित भोजन ग्लाइकोजन के रूप में।
वसा (लिपिड) वसा अम्ल।वनस्पति तेल, घी, दूध, अण्डा, मूँगफली, तिल।ऊर्जा एवं संचित वसा के रूप में।
प्रोटीन एवं ऐमीनो अम्ल (आवश्यक ऐमीनो अम्ल)।दूध, माँस, दालें, अण्डा, सोयाबीन, सेम जन्तु प्रोटीन, सोयाबीन ।वृद्धि एवं मरम्मत व जैव उत्रेरक के रूप में।
विटामिन A,B,C,D,Eयकृत, अण्डे का पीतक, दूध, सब्चियाँ, अन्न फल।नियमन एवं सुरक्षा के रूप कार्य।
खनिज Na,K,Ca,PI,Fe,Clसामान्य नमक, दूध, अण्डा, सब्जियाँ, माँस, फल।नियमन एवं सुरक्षा के कार्य।

मनुष्य में मुख्य पाचक-विकरों की तालिका (Main Digestive Enzymes in Man)
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प्रश्न 6.
मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न पाचक एन्जाइमों को तालिकाबद्ध कीजिए। इनके कार्यक्षेत्र भी बताइए।
उत्तर:
स्वांगीकरण (Assimilation):
अवशोषित भोज्य पदार्थों का रुधिर के माध्यम से शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में पहुँचकर जीवद्रव्य का एक भाग बन जाना या ऊर्जा उत्पन्न करना स्वांगीकरण (assimilation) कहलाता है। उत्पन्न ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

भोजन के अवयवों का स्वांगीकरण निम्न प्रकार होता है –
(1) कार्बोंाइड्रेट का स्वांगीकरण-यकृत (liver) में पहुँचने के पश्चात्, मोनोसैकेराइइस रुधिर (blood) द्वारा बदय (heart) में और यहाँ से शरीर के विभिन्न भागों में भेज दिए जाते हैं। यहाँ ऊतकों के अन्दर ऑक्सीकरण द्वारा ये ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। अधिक मात्रा में उपस्थित शर्करा (sugar) को यकृत में ग्लाइकोजन में बदलकर संग्मह कर लिया जाता है।

(2) प्रोटीन का स्वांगीकरण-रुधिर द्वारा अमीनो अम्ल शरीर की प्रत्येक कोशिका में पहुँचकर कोशिका एवं उसके अवयवों का निर्माण करते हैं एन्जाइम्स तथा विभिन्न हॉर्मोन्स के निर्माण में भी अमीनो अम्ल भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त अमीनो अम्ल यकृत में डिएमिनेशन (deamination) द्वारा NH उत्पन्न करते हैं जो यूरिया (urea) का निर्माण करती है। यूरिया को मूत्र (urine) के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है।

(3) वसा का स्वांगीकरण-वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर संरचनात्मक विकास के साथ-साथ हार्मोंन्स का निर्माण करते हैं। अतिरिक्त वसा चर्म (skin) के नीचे वसा स्तर (adipose layer) के रूप में संमहित हो जाती हैं और ऊष्मारोधी स्तर (insulating layer) का कार्य करती है। जटिल वसा अम्ल, ट्राईग्लिसराइड्स, फॉस्फोलिपिड व कॉलेस्टेरॉल प्रोटीन के खोल में बन्द कर काइलोमाइक्रॉन (chylomicron) नामक वसा गोलिका (fat globule) में बदलकर लसिका में छोड़ दिये जाते हैं। जहाँ से केन्द्रीय लसिका वाहिनी (central lymph vessel) इन्हें रक्त में छोड़ देती है।

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. ऑक्सिन का प्रमुख प्रभाव उद्दीपन करना है-
(A) कोशिका विभाजन
(B) कोशिका दीर्घण
(C) कोशिका स्फीति
(D) कोशिका विभेदन
उत्तर:
(B) कोशिका दीर्घण

2. सायटोकाइनिन उद्दीपित करते हैं-
(A) कोशिका विभाजन
(B) कोशिका दीर्घण
(C) कोशिका स्फीति
(D) कोशिका विभेदन
उत्तर:
(A) कोशिका विभाजन

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

3. जीर्णता के समय पौधों में बढ़ोत्तरी होती है-
(A) क्लोरोफिल की
(C) श्वसन की
(B) प्रोटीन की
(D) प्रकाश संश्लेषण की
उत्तर:
(C) श्वसन की

4. निम्न में से कौन-सा एक पुष्पीय हॉर्मोन समझा जाता है ?
(A) ऑक्सिन
(B) जिबरेलिन
(C) सायटोकाइनिन
(D) एब्सिसिक अम्ल
उत्तर:
(B) जिबरेलिन

5. ज्यामितीय वृद्धि वक्रं का आकार है-
(A) क्यूबॉइड
(B) सिग्मॉइड
(C) सरल रेखा
(D) त्रिकोणीय
उत्तर:
(B) सिग्मॉइड

6. निम्न में से किसके प्रयोग द्वारा कच्चे फलों को पकाया जा सकता है ?
(A) IAA
(B) GA 3
(C) ABA
(D) C2H1
उत्तर:
(D) C2H1

7. आलू को भण्डारगृह में अंकुरित होने से रोका जा सकता है ?
(A) मैलिक हाइड्रेनाइड द्वारा
(B) जिएटिन द्वारा
(C) जिबरेलिन द्वारा
(D) एथिलीन द्वारा
उत्तर:
(A) मैलिक हाइड्रेनाइड द्वारा

8. जब कोई पौधा पुष्पन न कर रहा हो तो इसमें साइटोकाइनिन निर्मित होता है-
(A) पत्तियों में
(B) पार्श्व कलिकाओं में
(C) जड़ों में
(D) प्ररोह शीर्ष में
उत्तर:
(C) जड़ों में

9. पौधों में पुष्पन उत्प्रेरित करने वाला हॉर्मोन है-
(A) वनेंलिन
(B) फ्लोरिजन
(C) ऑक्सिन
(D) एथिलीन
उत्तर:
(B) फ्लोरिजन

10. प्रदीप्तिकालिका परिघटना को सर्वप्रथम खोजा-
(A) गार्नर एवं एलार्ड ने
(B) याबुता व सुमिकी ने
(C) स्कूग व वेण्ट ने
(D) होमनर व बोनर ने ।
उत्तर:
(A) गार्नर एवं एलार्ड ने

11. जैवियम एक ………………. प्रदीप्तिकाली पौधा है।
(A) अल्प
(B) दीर्घ
(C) उदासीन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) अल्प

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

12. कम तापमान द्वारा पुष्पन को त्वरित करने की प्रक्रिया को कहते हैं-
(A) प्रदीप्तिकालिता
(B) बसन्तीकरण
(C) विपुंसीकरण
(D) अनुप्रेरण
उत्तर:
(B) बसन्तीकरण

13. प्रदीप्तिकाली प्रेरण के फलस्वरूप प्रेरित रसायन है-
(A) फ्लोरिजन
(B) वनेंलिन
(C) फाइटोक्रोम
(D) साइटोक्रोम
उत्तर:
(A) फ्लोरिजन

14. साइटोकाइनिन प्रेरित करता है- (UPCPMT)
(A) कोशिका दीर्घन
(B) कोशिका वृद्धि
(C) अनिषेक जनन
(D) कोशिका विभाजन
उत्तर:
(D) कोशिका विभाजन

15. संवहनी कैम्बियम में कोशिका विभाजन को प्रेरित करने वाला वृद्धि नियामक है-
(A) IAA
(B) ABA
(C) साइटोकाइनिन
(D) एथिलीन
उत्तर:
(A) IAA

16. फुलिश सीडलिंग रोग का कारण है-
(A) 2, 4-D
(B) GA
(C) ABA
(D) IAA
उत्तर:
(B) GA

17. निम्न में से खरपतवारनाशी है-
(A) ABA
(C) 2, 4-D
(B) IAA
(D) C2H4
उत्तर:
(C) 2, 4-D

18. साइटोकाइनिन नाम दिया- (RPMT)
(A) लीथम (1968) ने
(B) मिलर (1964) ने
(C) मग (1955) ने
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) लीथम (1968) ने

19. कौन-सा दीर्घ दिवस पादप है- (CBSE PMT)
(A) तम्बाकू
(B) सोयाबीन
(C) गुलाबांस
(D) पालक ।
उत्तर:
(D) पालक ।

20. कौन-सा आलू भेद में कलिका प्रसुप्ति तोड़ता है- ( CBSE PMT)
(A) जिब्बरेलिन
(B) V AA
(C) ABA
(D) जिएटिन ।
उत्तर:
(A) जिब्बरेलिन

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

21. कोशिका विभाजन प्रेरण तथा जीर्णता में देरी होती है- (UPCPMT)
(A) जिब्बरेलिन द्वारा
(B) ऑक्सिन द्वारा
(C) सायटोकाइनिन द्वारा
(D) इथाइलीन द्वारा।
उत्तर:
(C) सायटोकाइनिन द्वारा

22. शीर्ष प्रमुखता का कारण है- (RPMT, UPCPMT)
(A) IAA
(B) IBA
(C) 2,4-D
(D) 2,4,5-T
उत्तर:
(A) IAA

23. पौधे में जिंक की कमी होने पर किस हार्मोन का जैव संश्लेषण प्रभावित होता है- (CBSE PMT)
(A) एब्सिसिक अम्ल
(B) ऑक्सिन
(C) साइटोकाइनिन
(D) इथाइलीन ।
उत्तर:
(B) ऑक्सिन

24. हरे पौधों में पर्वों पर कोशिका दीर्घीकरण का कारण है- (CBSE PMT)
(A) IAA
(B) साइटोकाइ
(C) जिब्बरेलिन्स
(D) इथाइलीन ।
उत्तर:
(C) जिब्बरेलिन्स

25. बीजों का शीत उपचार कहलाता है- (RPMT)
(A) वनेंलाइजेशन
(B) स्ट्रेटीफिकेशन
(C) डिवनेंलाइजेशन
(D) फोटोफॉस्फोरिलेशन ।
उत्तर:
(A) वनेंलाइजेशन

26. वर्नेलाइजेशन की प्रक्रिया प्रेरित होती है- (UPCPMT)
(A) साइटोकाइनिन द्वारा
(B) ऑक्सिन द्वारा
(C) फोटो-ट्रॉपिस्म द्वारा
(D) GA द्वारा।
उत्तर:
(D) GA द्वारा।

27. पर्ण विलगन का कारण है- (UPCPMT)
(A) ABA
(B) साइटोकाइनिन
(C) ऑक्सिन
(D) जिब्बरेलिन ।
उत्तर:
(A) ABA

28. ऑक्सिन का जैव संश्लेषण है- (UPCPMT)
(A) एवीना वक्रण परीक्षण
(B) कैलस निर्माण
(C) कवक संवर्धन
(D) बीज प्रसुप्ति।
उत्तर:
(A) एवीना वक्रण परीक्षण

29. पुष्पीय पादपों में प्रकाश अवधि का महत्व प्रथम बार देखा गया- (CBSE PMT)
(A) लेम्ना में
(B) तम्बाकू में
(C) कपास में
(D) पिटूनिया में।
उत्तर:
(B) तम्बाकू में

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30. पादपों में बसन्तीकरण की आवश्यकता को प्रतिस्थापित करने वाला हार्मोन है- (RPMT)
(A) इथाइलीन
(B) ऑक्सिन
(C) जिब्बरेलिन
(D) साइटोकाइनिन ।
उत्तर:
(C) जिब्बरेलिन

31. धान का मूठ नवोद्भिद रोग निम्न में से किसकी खोज का कारण बना है ? (RPMT)
(A) GA
(C) 2,4,8
(B) ABA
(D) IAA I
उत्तर:
(A) GA

32. निम्नलिखित में से कौन सा एक संश्लेषित ऑक्सिन है ? (CBSE AIPMT)
(A) NAA
(C) GA
(B) IAA
(D) IBA
उत्तर:
(A) NAA

33. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल कैरोटीनॉएड्स का व्युत्पन्न है ? (CBSE AIPMT)
(A) इण्डोल ब्यूटारिक अम्ल
(B) इण्डोल-3 एसीटिक अम्ल
(C) जिबरेलिक अम्ल
(D) एब्सिसिक अम्ल ।
उत्तर:
(D) एब्सिसिक अम्ल ।

34. प्रकाशानुक्त झुकाव (phototropic curvature) निम्नलिखित में से किसके असमान वितरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है ? (CBSE AIPMT)
(A) जिबरेलिन
(B) फाइटोक्रोम
(C) साइटोकाइनिन
(D) ऑक्सिन ।
उत्तर:
(D) ऑक्सिन ।

35. दीप्तिकालिता को सर्वप्रथम खोजा गया था- (CBSE AIPMT)
(A) तम्बाकू में
(B) आलू में
(C) टमाटर में
(D) कपास में।
उत्तर:
(A) तम्बाकू में

36. चाय के बगानों में सामान्यतया प्रयोग होने वाला पादप वृद्धि हार्मोन है- (RPMT)
(A) ABA
(B) जीएटिन
(C) IAA
(D) इथाइलीन ।
उत्तर:
(B) जीएटिन

(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न ( Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
गन्ने की खेती में कौन-से वृद्धि नियामक के छिड़कने से तनों की लम्बाई बढ़ती है ?
उत्तर:
जिबरेलिन्स (Gibberellins) ।

प्रश्न 2.
वृद्धि की किस अवस्था में वृद्धि वक्र सबसे अधिक होता है ?
उत्तर:
प्रसार अवस्था में ।

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प्रश्न 3.
कौन-सा हॉर्मोन वृद्धि को कम करता है ?
उत्तर:
एब्सिसिक अम्ल (Abscisic acid )।

प्रश्न 4.
अनिषेक फलन के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
जिब्बरेलिन्स (Gibberellins)।

प्रश्न 5.
ऑक्सिन का एक कार्य लिखिए।
उत्तर:
कोशिका की लम्बाई में वृद्धि का प्रेरण ।

प्रश्न 6.
कोशिका वृद्धि की तीन अवस्थाएँ कौन-सी हैं ?
उत्तर:

  • विभाजन,
  • विवर्धन तथा
  • विभेदन ।

प्रश्न 7.
एक कार्यिकीय प्रक्रिया का नाम बताइए जिसमें लैक्टुका सैटाइवा प्रयुक्त होता है।
उत्तर:
अंकुरण (Germination)।

प्रश्न 8.
प्रकाश पर आधारित किन्हीं तीन प्रक्रियाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण, प्रकाशानुवर्तन, दीप्तिकालिता ।

प्रश्न 9.
LDP तथा SDP का एक-एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
LDP- चुकन्दर, SDP सूर्यमुखी।

प्रश्न 10.
वेण्ट ने अपने प्रयोग किस पौधे पर किये ?
उत्तर:
जई (Avena sativa) ।

प्रश्न 11.
पौधों में शीर्षस्थ प्रभाविता से सम्बन्धित हॉर्मोन कौन-सा है ?
उत्तर:
ऑक्सिन (Auxin) ।

प्रश्न 12.
अधोकुंचन (Epinesty ) से सम्बन्धित पादप हॉर्मोन का नाम बताइए ।
उत्तर:
एथिलीन (Ethylene)।

प्रश्न 13.
जिबरेलिन की खोज किसमें की गई ?
उत्तर:
धान पर परजीवी ऊतक जिबरेला फ्यूजीकुराई ( Gibberella fujikuroi) में ।

प्रश्न 14.
अधिकांश ऑक्सिन का निर्माण किस भाग में होता है ?
उत्तर:
प्ररोह शीर्ष में (shoot apex ) ।

प्रश्न 15.
साइटोकाइनिन की उपस्थिति जीर्णता में देरी का कारण है, इस प्रभाव को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
रिचमॉड एवं लैंग प्रभाव (Richmond and Lang effect)।

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प्रश्न 16.
सायटोकाइनिन रासायनिक आधार पर क्या है ?
उत्तर:
No फरफ्यूरिल – एमीनो प्यूरीन यौगिक ।

प्रश्न 17.
वृद्धि मापन किस यन्त्र द्वारा किया जाता है ?
उत्तर:
ऑक्सेनोमीटर (Auxanometer) द्वारा।

प्रश्न 18.
आलू के कन्द्र अंकुरण रोकने के लिए प्रयुक्त संश्लेषित हॉर्मोन का नाम बताइए।
उत्तर:
MCPA (2-मेथिल, 4- क्लोरोफीनॉक्सी ऐसीटिक अम्ल) ।

प्रश्न 19.
मानव मूत्र से पृथक् किये गये हॉर्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऑक्सिन ।

(C) लघु उत्तरीयं प्रश्न-I (Short Answer Type Questions-1)

प्रश्न 1.
माली हेज लगाने में पौधों की छँटाई क्यों करता है ?
उत्तर:
ऑक्सिन नामक पादप हॉर्मोन प्ररोह शीर्ष में संश्लेषित होता है जो पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि को रोकता है। छँटाई करने से शीर्ष कलिका कट जाती है, जिससे पार्श्व कलिकाएँ वृद्धि करने लगती हैं। ऐसा होने से घनी झाड़ियाँ उत्पन्न होती हैं ।

प्रश्न 2.
जिब्बरेलिन की रासायनिक संरचना बताइए।
उत्तर:
इसकी संरचना में एक गिबेन रिंग पायी जाती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 1

प्रश्न 3.
ऑक्सिन की रासायनिक संरचना बताइए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
सायटोकाइनिन की रासायनिक संरचना लिखिए।
उत्तर:
सायटोकाइनिन 6- परफ्यूरिल अमीनोप्यूरीन है।

प्रश्न 5.
एक्सिसिक अम्ल की रासायनिक संरचना लिखिए।
उत्तर:
ओहकुमा ने एब्सिसिक अम्ल की रासायनिक संरचना दी। इसे 3- मेथिल-5 (1- हाइड्रॉक्सी 4-ऑक्सो 2’6’6′ ट्राइमेथिल 2- साइक्लोहेक्सेन-1 आइल)- सिस ट्रान्स 2′, 4′ पेन्टाडिनोइक अम्ल कहते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 3

प्रश्न 6.
एथिलीन की रासायनिक संरचना बताइए ।
उत्तर:
मेथिओनीन एमीनो अम्ल से ऐथिलीन का निर्माण होता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 4

प्रश्न 7.
यदि एक नवोद्भिद पौधे की शीर्षस्थ कलिका को काट दिया जाय तो वृद्धि रुक जाती है, क्यों ?
उत्तर:
तने के शीर्ष पर स्थित विभज्योतक कोशिकाओं से पादप हॉर्मोन संश्लेषित होकर पौधे के विभिन्न भागों में विसरित होते हैं। पादप हॉर्मोन (ऑक्सिन) के कारण कोशिकाओं में विभाजन एवं वृद्धि होती है। अतः शीर्षस्थ कलिका (apical bud) को काटने पर वृद्धि रुक जाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 8.
जीर्णावस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पादप अंगों की परिपक्वन अवस्था एवं क्रमिक निष्क्रियता आने की अवस्था को जीर्णावस्था कहते हैं। एब्सिसिक अम्ल तथा एथिलीन जीर्णावस्था (senescence) को प्रेरित करते हैं, जबकि सायटोकाइनिन जीर्णता को विलम्बित करता है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II ( Short Answer Type Questions-II)

प्रश्न 1.
पादप हॉर्मोन क्या हैं? इनकी खोज किसने की ? विभिन्न पादप हॉर्मोन के नाम लिखिए।
उत्तर:
पादप हॉर्मोन ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं जो पौधों में अल्प मात्रा में संश्लेषित होकर पौधों की वृद्धि का नियन्त्रण करते हैं। सर्वप्रथम जॉन वान सैक (J. V. Sachs) ने पादप हॉर्मोन की खोज की तथा इन्हें वृद्धि कारक कहा । हॉर्मोन्स को पाँच समूहों में बाँटा गया है-

  1. ऑक्सिन जैसे-इण्डोल ऐसीटिक एसिड (IAA), इण्डोल ब्यूटाइरिक एसिड (IBA) 2, 4-डाइक्लोरोफिनोक्सी-ऐसीटिक एसिड (2, 4-D) आदि ।
  2. जिब्बरेलिन्स, जैसे – GA3GA GA4 आदि ।
  3. सायटोकाइनिन, जैसे-काइनेटिन, जिएटिन आदि ।
  4. एब्सिसिक अम्ल, जैसे-ABA ।
  5. एथिलीन – एक गैसीय हॉर्मोन ।

प्रश्न 2.
हॉर्मोन्स तथा एन्जाइम में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
हॉर्मोन्स तथा एन्जाइम में अन्तर

हॉर्मोन्स (Hormones)एन्जाइम्स (Enzymes)
1. हॉर्मोन्स पादप विभज्योतक में संश्लेषित होकर किसी भी भाग को स्थानान्तरित होकर प्रभाव उत्पन्न करते हैं।इनका संश्लेषण कोशिकाओं में आवश्यकतानुसार होता है।
2. इनकी रासायनिक प्रकृति भिन्न-भिन्न होती है।सभी एन्जाइम प्रोटीन प्रकृति के होते हैं।
3. ये सान्द्रता या न्यूनता अलग-अलग प्रभाव डालते हैं।इनकी सान्द्रता व न्यूनता का क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
4. ये क्रिया में प्रयुक्त हो जाते हैं।ये क्रिया में प्रयुक्त नहीं होते हैं।
5. उदाहरण-ऑक्सिन, जिब्बरेलिन आदि।उदाहरण-एल्डोलेज, हैक्सोकाइनेज आदि।

प्रश्न 3.
विलगन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विलगन (Abscission) – विभिन्न कारणों जैसे- सूखा, पोषण की कमी, जीर्णावस्था, प्रकाश की कमी आदि से पत्तियों में एथिलीन एवं एक्सिसिक अम्ल का निर्माण बढ़ जाता है जिसके प्रभाव से पत्तियों के वृन्त के आधार पर एक विलगन पर्त बन जाती है। यह पर्त पौधे एवं पत्ती के बीच पदार्थों का स्थानान्तरण रोक देती है। कुछ समय बाद पत्ती पौधे से अलग हो जाती है।

यह क्रिया विलगन कहलाती है। फलों के पकने पर भी इसी प्रक्रिया द्वारा विलगन होता है। IAA पादप हॉर्मोन विलगन एवं जीर्णावस्था में विलम्ब करता है। यदि IAA की उचित सान्द्रता का छिड़काव पर्णवृन्तों पर कर दिया जाय तो विलगन कुछ समय के लिए रुक जाता है।

प्रश्न 4.
ऑक्सिन तथा सायटोकाइनिन किस प्रकार पौधों में ऊतकों के विभेदन को प्रेरित करते हैं ?
उत्तर:
सायटोकाइनिन कोशिका विभाजन के अतिरिक्त ऊतक विभेदन को प्रेरित करता है। यदि किसी पादप ऊतक का संवर्धन शर्करा एवं खनिज लवण युक्त माध्यम पर कराया जाय तो कोशिकाएँ विभाजित होकर समूह कैलस (callus) बना लेती हैं। यदि माध्यम में अधिक सान्द्रता में साइटोकाइनिन तथा ऑक्सिन मिलाया जाय तो कैलस से प्ररोह का विकास हो जाता है।

कम सायटोकाइनिन तथा ऑक्सिन अनुपात में केवल जड़ों का विकास होता है। माध्यमिक सायटोकाइनिन व ऑक्सिन अनुपात में जड़ तथा प्ररोह दोनों विकसित होते हैं। मध्यम सायटोकाइनिन व कम ऑक्सिन अनुपात में केवल कैलस निर्मित होता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 5

प्रश्न 5
कारण बताइए-
(क) पुष्पों का खिलना ।
(ख) कभी-कभी फल परिपक्वता प्राप्त करने से पहले ही गिर जाते हैं। (ग) ड्यूरेन्टा या मेंहदी की झाड़ियों की बाड़ लगाने के लिए इनकी छँटाई करते हैं।
उत्तर:
(क) पौधे में पुष्पन क्रियां प्रकाश से प्रभावित होती है। पौधों को पुष्पन हेतु प्रतिदिन एक निश्चित अवधि तक प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसे दीप्तिकाल या पुष्पन काल (Photoperiod or flowering period) कहते हैं। पौधों को अपने निर्णायक काल तक का प्रकाश मिलने पर ही इनमें पुष्पन प्रेरित होता है। इस प्रक्रिया के लिए एक हॉर्मोन फ्लोरिजन का संश्लेषण होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

(ख) कभी-कभी फलों के वृन्त में एब्सिसिक अम्ल की सान्द्रता बढ़ जाती है, जिससे फलों का विलगन हो जाता है।

(ग) ड्यूरेन्टा एवं मेंहदी की शीर्ष कलिकाओं में ऑक्सिन का संश्लेषण होता है जो पार्श्व कलिकाओं (lateral buds) के विकास को रोक देता है जिसके कारण झाड़ियाँ घनी नहीं हो पाती हैं। शीर्ष कलिकाओं (apical buds) की छँटाई से ऑक्सिन का निर्माण रुक जाता है और पार्श्व कलिकाएँ वृद्धि करने लगती हैं।

प्रश्न 6.
अनाज के अंकुरित दानों में जिबरेलिन की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
अंकुरण के समय अनाज के दाने जल अवशोषण करते हैं। इससे भ्रूण में कुछ मात्रा में जिब्बरेलिन का संश्लेषण होने लगता है। जिब्बरेलिन प्रोटिएज तथा एमाइलेज विकरों के संश्लेषण को प्रेरित करता है। यह निष्क्रिय B- एमाइलेज को सक्रिय करता है।

सक्रिय – तथा 8- एमाइलेज मिलकर मण्ड का पाचन करते हैं जिससे ग्लूकोज बनता है। ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भ्रूण को ऊर्जा उपलब्ध होती है। अब सायटोकाइनिन तथा ऑक्सिन भी संश्लेषित होते हैं, जिससे कोशिका विभाजन, विवर्धन एवं विभेदन प्रारम्भ हो जाता है और एक नवोद्भिद का निर्माण होता है।

प्रश्न 7.
पादप हॉर्मोन्स के निर्माण स्थल एवं परिवहन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:

  1. ऑक्सिन इसका संश्लेषण विभज्योतकों में होता है। इसका संवहन एक कोशिका से दूसरी कोशिका में तथा अन्य ऊतकों तथा पौधे के विभिन्न भागों में विसरण द्वारा होता है। ऑक्सिन का प्रवाह एकदिशीय (unidirectional) होता है।
  2. जिब्बरेलिन इसका संश्लेषण तरुण पत्तियों, कलिकाओं, बीजों और जड़ों में होता है। इनका संवहन जाइलम तथा फ्लोएम द्वारा होता है। ये सम्पूर्ण पौधे को प्रभावित करता है।
  3. सायटोकाइनिन इसका निर्माण मुख्यतः जड़ शीर्ष पर या अंकुरित बीजों में होता है। ये जड़ों से जाइलम द्वारा तनों में पहुँचते हैं।
  4. एक्सिसिक अम्ल इसका संश्लेषण कैरोटिनाइड से होता है। यह जाइलम फ्लोएम तथा मृदूतक कोशिकाओं से पूरे पौधे में संवहन करता है।
  5. एथिलीन इसका निर्माण मेथिओनीन एमीनो अम्ल से होता है। यह जीर्णावस्था वाले पुष्पों, पके फलों, तने के शीर्ष, जड़ों आदि से वायु में मुक्त होता है। इसका स्थानान्तरण वायु द्वारा होता है।

(E) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वृद्धि का मापन कैसे किया जाता है ? किन्हीं दो वृद्धि मापक यत्रों की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
पाद्वप वृद्धि मापन (Plant growth measurement)
वृद्धि मापन (Measurement of Growth)-पौधों में वृद्धि को निम्न प्रकार मापा जाता है-

  • लम्बाई में वृद्धि,
  • मोटाई में वृद्धि,
  • क्षेत्र तथा आयतन में वृद्धि,
  • कोशिका संख्या में वृद्धि।

वैसे तो मापन की कोई भी विधि प्रयोग की जा सकती है, परन्तु सही जानकारी के लिए हमें कई माप लेने चाहिए। जैसे-बीज के अंकुरण के समय अन्धकार की आवश्यकता होती है जिससे इसमें तीत्र वृद्धि होती है। परन्तु उसी समय उसके शुष्क भार में कमी आ जाती है क्योंकि पौधा संचित भोजन का उपयोग करके लम्बाई में वृद्धि करता है।
वृद्धि को विभिन्न विधियों से मापा जा सकता है-
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) – इस विधि द्वारा वृद्धिशील अंग (growing organ) पर निशान लगाकर समय के अन्तराल पर पैमाने से माप लिया जाता है और विशिष्ट समय पर हुई वृद्धि का पता लगाया जाता है।

2. आर्क वृद्धिमापी (Arc Auxanometer) – इस यन्न में एक छोटी घिरनी (pulley) से एक लम्बा सूचक लगा होता है जो एक चापाकार पैमाने पर घूमता है। घिरनी के ऊपर एक मजबूत धागा लगा होता है। धागे के एक सिरे को पौधे के शीर्ष से बाँध दिया जाता है तथा दूसरे सिरे पर एक भार लटका दिया जाता है।

ऐसा करने से धागा घिरनी पर तना रहता है। जब पौधा वृद्धि करता है तो भार के कारण धागा ऊपर खिंचता है साथ ही घिरनी और इसमें लगा सूचक (pointer) भी घूमता है। चाप पर सूचक की दूरी के अनुसार पौधे की इकाई समय में वृद्धि ज्ञात कर ली जाती है।

3. क्षैतिज सूक्ष्कदर्शी द्वारा (By Horizontal microscope) – किसी वृद्धिशील पादप (growing plant) के समीप इस सूक्ष्मदर्शी को लगा देते हैं। पौधे के सिरे पर एक निशान बनाकर उसी स्थान पर सूक्ष्मदर्शी फोकस (focus) कर देते हैं। कुछ दिनों के बाद सूक्ष्मदर्शी (microscope) के पेच को घुमाकर ऊपर उठाकर पुनः उसी बिन्दु पर फोकस करते हैं। दोनों गणनाओं का अन्तर ज्ञात कर लेते हैं। जो पौधे की लम्बाई में वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
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4. पेकर का ऑक्सेनोमीटर (Ppeffer’s Auxanometer)- इस यन्त में दो छिरनियाँ (pullies) होती हैं। दोनों घिरनियों को एक स्टैण्ड पर एक सीध में कस द्विया जाता है। दोनों घिरनियों के ऊपर से एक धागा लगाया जाता है। धागे का एक सिरा गमले में लगे पौषे के शीर्ष से बाँध दिया जाता है तथा इसके सिरे पर एक भार लटका दिया जाता है।

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भार लटके धागे वाली ओर एक ऊर्ष्वाधर (vertical) बेलन लगा छोता है जिस पर कालिख लगी होती है। यह बेलन अपनी धुरी पर घूम सकता है। इसी ओर के धागे पर एक सूचक (pointer) लगा दिया जाता है। सूचक (pointer) की नोंक बेलन को छूती है। जब पौधा वृद्धि करता है तो धागा खिंचता है जिससे सूचक घूमते दुए बेलन पर नीचे की ओर चलता है। बेलन पर सूचक द्वारा चली दूरी के अनुसार पौधे की वृद्धि की गणना कर ली जाती है।
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प्रश्न 2.
दीप्तिकालिता तथा क्रान्ति दीप्तिकाल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दीप्तिकालिता (Photoperiodism)
पौधों में विभिन्न क्रियाओं के लिए प्रकाश का बहुत्त महत्व है। पौधों के फलने-फूलने, वृद्धि, पुष्मन आदि पर प्रकाश की अवधि का प्रभाव पड़ता है। पौधों द्वारा प्रकाश की अवधि तथा समय के प्रति अनुक्रिया को दीजिक्कालिता कहते हैं। दीप्तिकालिता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम गार्नर तथा एलाई (Garner and Allard; 1920) ने किया।

इन्होंने बताया कि तम्बाक् (Tobacce) की एक प्रजाति में गर्मी में बहुत अधिक कायिक वृद्धि (vegetative growth) होती है परन्तु यदि यही जाति (Nicotiana tabacum) सर्दियों में लगाई जाए तो कायिक वृद्धि के साथ-साथ बहुत अच्छा पुष्पन भी होता है। तब उन्होंने यह कहा कि दिन की लम्बाई अर्थात् प्रकाश के समय का पुष्पन पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि सर्दियों में प्रकाश की अवधि कम होती है। अतः इन्हें अल्प प्रदीप्तिकाली पौधा (short day plant = SDP) कहा।

प्रकाश काल के पुष्पन पर प्रभाव के अनुसार पौषे तीन प्रकार के होते हैं-

  1. अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे (Short Day Plant or SDP)-वे पौधे जिनमें क्रान्तिक दीप्तिकाल से कम समय तक प्रकाश देने से पुष्पन होता है; जैसे-तम्बाकू।
  2. दीर्घ प्रदीफिकाली पौधे (Long day plant or LDP)-ऐसे पौधे जिनमें क्रान्तिक दीप्तिकाल से अधिक समय तक प्रकाश देने से पुष्पन होता है; जैसे-जई, मूली आदि।
  3. दिवस निरेक्ष पौधे (Day Neutral Plants or DNP) – इन पौर्धों के पुष्पन पर प्रकाश के समय का कोई प्रभाव नहीं होता है, जैसे-टमाटर आदि।

कुछ पौधों में कुछ दिन अल्व प्रदीपित काल के पश्चात् फिर दीर्घ प्रदीधित काल मिलने से ही पुष्पन होता है। इन्हें अल्प-दीर्घ प्रद्दीष्तिकाली पौधे (Short-Long Day Plant) कहते हैं। जसे-कैन्डीटफ्ट। क्रान्ति दीप्तिकाल (Critical Day Length) क्रान्ति दीप्तिकाल वह दीप्ति समय है जो पौधे में पुष्वन क्रिया को आरम्भ करने के लिए आवश्यक है। दीप्तिकाल में प्रकाश से अधिक सतत् अन्धकार की आवश्यकता होती है। क्योंकि प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि इनका अन्धकार के समय पड़ने वाली प्रकाश की कुछ किरणें भी पुष्पन को प्रभावित करती हैं।
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दीप्तकालिका का प्रक्रम (Process of Photoperiodism) -फाइटो वर्णक पुष्पन अनुक्रिया के प्रेरण के लिए प्रकाश का अवशोषण करके पुष्पन उत्पन्न करने वाले हॉर्मोंन फ्लोरिजिन (Florigen) का संश्लेषण करता है। सम्पूर्ण प्रक्रम का संक्षेप में वर्णन निम्नवत् हैं।

(1) प्रकाश का अवशोषण (Absorption of Light) – पादपों में पुष्पन तब होता है जब वे प्रकाश तथा अंधेरे का उपयुक्त चक्र प्रहणण कर लेते हैं। इन चक्रों की संख्या विभिन्न प्रजातियों के लिए भिन्नभभिन्न होती है। जैन्थियम पेन्निसिल्वेनिकम (Xanthium pennsylvanicum) को पुष्पन के लिए केवल एक प्रेरक चक्र (Photoinductive cycle) की आवश्यकता होती है।

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साल्विया ऑक्सीडेन्टालिस (Salvia occidentalis) को सत्रह तथा प्लेंटेगो लेन्शियोलेटा (Plantago lanceolata) को 15 प्रकाश प्रेरक चक्रों की आवश्यकता अपने पुष्पन के लिए होती है। पौधों में पुष्पन की क्रिया केवल तभी सम्भव होती है जब वे प्रकाश प्रेरक चक्रों की वांछित संख्या प्राप्त कर लेते हैं। प्रकाश की समस्त तरंगदैर्घ्य पुष्पन को प्रेरित नहीं करती है। पुष्पन की सर्वाधिक उपयुक्त प्रकाश तरंगदैर्ध्य 560 nm – 640 nm

(2) फाइटोक्रोम (Phytochrome) – प्रकाश की तरंगदैर्ध्यों का अवशोषण पत्तियों द्वारा होता है। यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि पत्तियों रहित पौधों में कभी भी पुष्पन की क्रिया नहीं होती है। वांछित प्रकाशकाल (photoperiod) को अवशोषित करने के लिए एकल पत्ती भी पर्याप्त होती है। आंशिक रूप से परिपक्व पत्तियाँ प्रकाश के लिए अत्यधिक संवेदनशील होती हैं।

पत्तियों में उपस्थित प्रोटीनयुक्त वर्णक फाइटोक्रोम प्रकाश का अवशोषण करके पुष्पन को प्रेरित करते हैं। फाइटोक्रोम अन्तरापरिवर्तनीय रूपों में पाया जाता है। Pr यह लाल रंग का प्रकाश का 660 nm का अवशोषण करता है तथा Pfr सुदू लाल प्रकाश का अवशोषण शीष्रता से करके या अंधेरे में मंद रूप से Pr में बदल जाता है।

दिन के समय जब श्वेत प्रकाश उपलख्य होता है तो Pfr पौधों में संचित हो जाता है। फाइटोक्रोम का यह रूप SDP में पुष्मन रोधक तथा LDP पुष्पन प्रेरक होता है। सायंकाल में Pfr तापीय रूप से स्वतः Pr में अपषटित हो जाता है। यह वर्णक SDP में पुष्वन प्रेक तथा LDP में पुषन रोधक होता है।
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(3) फ्लोरिजन (Florigen)-प्रकाश प्रेरणिक चक्रों से पुष्पन प्रेक हॉमोंन निर्मित होता है। इस हॉमोंन की उपस्थिति मार्फिंग प्रयोग से प्रमाणित हो जाती है। एक पौधा जिसने पुष्वन के लिए वांछित प्रकाशकाल प्रण नहीं किया हो को ऐसे पौधे के साथ कलम से बाँध दिया जाए जिसने पुष्पन के लिए पर्याप्त प्रकाश काल प्रहण कर लिया हो तो पुष्पन की क्रिया दोनों में होती है क्योंकि दूसरे पौधे में उत्पन्न पुष्वन प्रेरक पदार्थ पहले पौधे में स्थानान्तरित हो जाता है। इस पदार्थ को फ्लोरिजन (Florigen) कछे हैं।

फ्लोरिजन के निर्माण को विभिन्न वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार से समझाया है। SDP पौधों में इसका निर्माण जिबरेलिन सदृश्य हॉॉमोंन द्वारा होता है जोकि लाल प्रकाश की पर्याप्त मात्रा अवशोषित करके फ्लोरिजन में परिवर्तित हो जाता है। अन्थकार में यह हॉमोंन पुनः जिबरेलिन सदृश हॉम्मोन में परिवर्तित हो जाता है। जिबोलिन सदृश्य होंमोंन प्रकाश तथा ताप की उचित परिस्थितियों में फ्लोरिजन में परिवर्वित होता है। इसके पश्चात् यह पौधे के उन भागों में स्थानान्तरित हो जाता है जहाँ पष्षन की क्रिया होनी होती है।
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फ्लोरिजन से पौधों में पुष्पन की क्रिया प्रेरित होती है।

प्रश्न 3.
पादप वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्क (Growth Rate and Growth curve) समय की प्रति इकाई के दौरान बढ़ी हुई वृद्धि को वृद्धि दर (growth rate) कहा जाता है। वृद्धि दर को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। जैसे-अंकगणिवीय वृद्धि, ज्यामितीय वृद्धि, सिग्माइड वृद्धि तथा सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।

(अ) अकगणितीय धृन्दि (Arithmetic Growth)
यह वृद्धि का वह प्रकार है जिसमें आरम्भ से ही एक स्थिर दर से वृद्धि होती है। समसूत्री विभाजन (mitosis) के पश्चात् बनने वाली दो संतति कोशिकाओं में से केवल एक कोशिका निर्त्रर विभाजित होती रहती है और दूसरी कोशिका विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है। अंकगणितीय वृद्धि को हम निश्चित दर पर वृद्धि करती जड़ में देख सकते हैं। यह एक सरलतम अभिव्यक्ति होती है। यदि इस वृद्धि का प्राफ पर आकलन किया जाए तो हमें एक सीधी रेखा प्राप्त होती है। इस वृद्धि को छम गणितीय रूप से व्यक्त कर सकते हैं-

Lt=Lo+rt
(यहाँ Lt= समय t पर लम्बाई,
L0= समय शून्य पर लम्बाई, r= वृद्धि दर)
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(ब) उसमिबीय शृबि (Geometrical Growth)
किसी एक कोशिका, पौधे के एक अंग अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं होती है अर्थात् बदलती रहती है।
प्रारम्भिक अवस्था में वृद्धि धीमी होती है जिसे प्रारम्थिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase) कहते हैं। इसके पश्वात् वृद्धि तीव्रतम होकर उच्चतम बिन्दु पर पहुँच जाती है जिसे मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle logarithmic phase) कहते हैं।

z`इसके पश्चात् वृद्धि पुन: धीमी होती है और अन्त में स्थिर हो जाती है। इसे अन्तिम घीमा वृद्धि काल (last stationary phase) कठते हैं। इसे सामूह्हिक रूप से ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) कहते हैं। इसमें सूत्री विभाजन (mitosis) से बनी दोनों संतति कोशिकाओं में पुनः विभाजन होता है और इनसे बनी कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं का अनुसरण करती हैं।

यद्यपि सीमित पोषण आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को म्राफ पर अंकित करने पर एक सिम्यॉड्ड वार (Sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘ S ‘ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि को गणितीय रूप से निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं-

w1=woert

जहाँ (w1= अन्तिम आकार, भार, ऊँचाई, संख्या आदि, w0= प्रारम्भिक आकार वृद्धि के प्रारम्भ में, r= वृद्धि दर, t= समय, e= स्वाभाविक लघुगणक का आधार)। r एक सापेक्ष वृद्धि दर है। यह पौधे द्वारा नई पादप साममी भी निर्माण क्षमता को मापने के लिए है, जिसे एक दधाता सूंक्कांक (efficiency index) के रूप में सन्दर्रित किया जाता है, अतः w1 का अन्तिम आकार w0 के प्रारम्भिक आकार पर निर्भर करता है।
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(स) सिभ्मॉइड वृद्धि वंज (Sigmoid Growth Curve) : ज्यामितीय वृद्धि को तीन प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है-

  • प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase),
  • मध्य तीत्र वृद्धि काल (middle lag phase),
  • अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase)।

यदि समय के सापेक्ष वृद्धि दर का प्राफ खींचा जाय तो ‘S’ की आकृति का वंक्र प्राप्त होता है। इसे सिम्मॉइ (sigmoid curve) वक्र कहते हैं। एक सिग्मॉइड वक्र में निम्न चार चरण होते है-

  1. पश्चान्त प्राबस्था (Lag phase)-इस प्रावस्था में कोशिका में आन्तरिक परिवर्तन होते हैं, संचित खाध्य पदार्थ के काम आने से इसके शुष्क भार में कमी आती है और वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है। इसे मंद वृद्धि काल कहते हैं।
  2. पश्च प्रांस्था (Log phase)-इस प्रावस्था में वृद्धि दर एक साथ तीव्र होती है। इसे ग्याफ में सीधी रेखा से दर्शाया गया है। इसे समग्र वृद्धि काल भी कहते हैं। इसे अधिकतम वृद्धि काल कहते हैं। भी कहते हैं। इसे अधिकतम वृद्धि काल कहते हैं।
  3. घटती प्राक्या (Decline phase)-इस प्रावस्था में वृद्धि दर क्रमशः कम होने लगती है। इसे न्यून वृद्धि काल कहते हैं।
  4. स्याई प्रावस्था (Steady phase)-इस प्रावस्था में कोशिका के पूर्ण परिपक्व हो जाने से वृद्धि लगभग स्थिर हो जाती है। इसे स्थिर वृद्धि काल कहते हैं।

(द) सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर (Absolute and Relative Growth Rate)

  • प्रति इकाई समय और मापन में कुल वृद्धि को सम्पूर्ण या परमवृद्धि दर (absolute growth rate) कहते हैं।
  • किसी दी गई प्रणाली की प्रति इकाई समय में वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रदर्शित करना सापेक्ष वृद्धि दर (relative growth rate) कहलाता है। सम्मुख चित्र में दोनों पत्तियों ने एक निश्चित समय में अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल में समान वृद्धि की है, फिर भी A की सापेक्ष वृद्धि दर अधिक है।

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प्रश्न 4.
वृद्धि से आप क्या समझते हैं ? वृद्धि की विभिन्न प्रावस्थाएँ लिखिए।
उत्तर:
वृद्धि (Growth)
जीवधारियों एवं पादपों-का आकार में बढ़ना वृद्धि (growth) कहलाता है, जिसके फलस्वरूप पौधे के शुष्क भार (dry weight) तथा जीवद्रव्य की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। किसी जीवधारी के आकार में परिवर्तन, रूप में भिन्नता एवं जटिलता का उत्पन्न होना परिवर्धन (development) कहालाता है।

अतः वृद्धि एक मात्रात्मक (quantitative) दशा है जिसमें जीवधारियों के पदार्थों की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है। अतः वृद्धि एवं परिवर्धन को एक-दूसरे से आसानी से पृथक् नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये क्रियाएँ एक-दूसरे के बाद एक ही जीव में सम्पन्न रहती हैं। वृद्धि को किसी तुला से तौलकर तथा परिवर्धन को गुणात्मक गणना के आधार पर एक-दूसरे से पृथक् नहीं किया जा सकता है।

परिभाषा (Definition) ब्लैकमैन (Blackman) के अनुसार वृद्धि (growth) वह परिणाम है जो किसी जीव या अंग की विघटनकारी क्रियाओं की तुलना में निर्माणकारी उपापचयी क्रियाओं (metabolic reactions) के कारण उत्पन्न होता है। मिलर (Miller) के अनुसार, वृद्धि वह घटना है जो पादप के किसी अंग, भार, आयतन, आकार एवं रूप में स्थाई एवं अनुक्क्रमणीय (irreversible) परिवर्तन प्रदर्शित करती हैं।
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पादप वृद्धि स्थल (Plant growth places)
निम्न कोटि के पादपों (जैसे-शैवाल, कवक आदि) में वृद्धि उनके सम्पूर्ण शरीर में होती है जबकि उच्चकोटि के पादपों में वृद्धि कुछ विशेष भागों में होती है। इन स्थानों पर पाए जाने वाले ऊतक विभज्योतक (meristems) कहलाते हैं। इन ऊतकों की कोशिकाओं में विभाजन की अपार क्षमता होती है। पादपों में स्थिति के आधार पर विभज्योतक (meristems) निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-
(a) शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem) – यह तने या मूल (stem and root) के शीर्ष (apex) पर पाया जाता है। इसकी सक्रियता के कारण पौधे की लम्बाई में वृद्धि होती है।

(b) पार्श्व विभज्योतक (Lateral meristem) – जैसा कि नाम से स्पष्ट है, ये ऊतक पौधों के पार्श्व उपांगों जैसे-पर्व एवं पर्वसन्धियों (node & internodes) के पार्श्व में पार्श्व कलिकाओं (lateral buds) के आधार भागों आदि स्थानों पर पाए जाते हैं। इनकी क्रियाशीलता के कारण तने एवं जड़ (root & stem की मोटाई में वृद्धि होती है। संवहन एधा (vascular cambium) तथा कॉर्क एधा (cork cambium) इसके उदाहरण हैं।

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(c) अन्तवेशी विभज्योतक (Intercalary meristem) – इस प्रकार के विभज्योतक सर्वदा पर्वसन्धि (node) के ऊपर पाए जाते हैं। इनकी सक्रियता के फलस्वरूप पौधे के तने के पर्व (internodes) लम्बाई में वृद्धि करते हैं।

प्रश्न 5.
वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्र से आप क्या समझते हैं ? समझाइए ।
उत्तर:
वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्क (Growth Rate and Growth curve) समय की प्रति इकाई के दौरान बढ़ी हुई वृद्धि को वृद्धि दर (growth rate) कहा जाता है। वृद्धि दर को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। जैसे-अंकगणिवीय वृद्धि, ज्यामितीय वृद्धि, सिग्माइड वृद्धि तथा सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।

(अ) अकगणितीय धृन्दि (Arithmetic Growth)
यह वृद्धि का वह प्रकार है जिसमें आरम्भ से ही एक स्थिर दर से वृद्धि होती है। समसूत्री विभाजन (mitosis) के पश्चात् बनने वाली दो संतति कोशिकाओं में से केवल एक कोशिका निर्त्रर विभाजित होती रहती है और दूसरी कोशिका विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है। अंकगणितीय वृद्धि को हम निश्चित दर पर वृद्धि करती जड़ में देख सकते हैं। यह एक सरलतम अभिव्यक्ति होती है। यदि इस वृद्धि का प्राफ पर आकलन किया जाए तो हमें एक सीधी रेखा प्राप्त होती है। इस वृद्धि को छम गणितीय रूप से व्यक्त कर सकते हैं-

Lt=Lo+rt
(यहाँ Lt= समय t पर लम्बाई,
L0= समय शून्य पर लम्बाई, r= वृद्धि दर)
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(ब) उसमिबीय शृबि (Geometrical Growth)
किसी एक कोशिका, पौधे के एक अंग अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं होती है अर्थात् बदलती रहती है।
प्रारम्भिक अवस्था में वृद्धि धीमी होती है जिसे प्रारम्थिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase) कहते हैं। इसके पश्वात् वृद्धि तीव्रतम होकर उच्चतम बिन्दु पर पहुँच जाती है जिसे मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle logarithmic phase) कहते हैं।

इसके पश्चात् वृद्धि पुन: धीमी होती है और अन्त में स्थिर हो जाती है। इसे अन्तिम घीमा वृद्धि काल (last stationary phase) कठते हैं। इसे सामूह्हिक रूप से ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) कहते हैं। इसमें सूत्री विभाजन (mitosis) से बनी दोनों संतति कोशिकाओं में पुनः विभाजन होता है और इनसे बनी कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं का अनुसरण करती हैं।

यद्यपि सीमित पोषण आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को म्राफ पर अंकित करने पर एक सिम्यॉड्ड वार (Sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘ S ‘ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि को गणितीय रूप से निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं-

w1=woert

जहाँ (w1= अन्तिम आकार, भार, ऊँचाई, संख्या आदि, w0= प्रारम्भिक आकार वृद्धि के प्रारम्भ में, r= वृद्धि दर, t= समय, e= स्वाभाविक लघुगणक का आधार)। r एक सापेक्ष वृद्धि दर है। यह पौधे द्वारा नई पादप साममी भी निर्माण क्षमता को मापने के लिए है, जिसे एक दधाता सूंक्कांक (efficiency index) के रूप में सन्दर्रित किया जाता है, अतः w1 का अन्तिम आकार w0 के प्रारम्भिक आकार पर निर्भर करता है।
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(स) सिभ्मॉइड वृद्धि वंज (Sigmoid Growth Curve) : ज्यामितीय वृद्धि को तीन प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है-

  • प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase),
  • मध्य तीत्र वृद्धि काल (middle lag phase),
  • अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase)।

यदि समय के सापेक्ष वृद्धि दर का प्राफ खींचा जाय तो ‘S’ की आकृति का वंक्र प्राप्त होता है। इसे सिम्मॉइ (sigmoid curve) वक्र कहते हैं। एक सिग्मॉइड वक्र में निम्न चार चरण होते है-
(1) पश्चान्त प्राबस्था (Lag phase)-इस प्रावस्था में कोशिका में आन्तरिक परिवर्तन होते हैं, संचित खाध्य पदार्थ के काम आने से इसके शुष्क भार में कमी आती है और वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है। इसे मंद वृद्धि काल कहते हैं।

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(2) पश्च प्रांस्था (Log phase)-इस प्रावस्था में वृद्धि दर एक साथ तीव्र होती है। इसे ग्याफ में सीधी रेखा से दर्शाया गया है। इसे समग्र वृद्धि काल भी कहते हैं। इसे अधिकतम वृद्धि काल कहते हैं। भी कहते हैं। इसे अधिकतम वृद्धि काल कहते हैं।

(3) घटती प्राक्या (Decline phase)-इस प्रावस्था में वृद्धि दर क्रमशः कम होने लगती है। इसे न्यून वृद्धि काल कहते हैं।

(4) स्याई प्रावस्था (Steady phase)-इस प्रावस्था में कोशिका के पूर्ण परिपक्व हो जाने से वृद्धि लगभग स्थिर हो जाती है। इसे स्थिर वृद्धि काल कहते हैं।

(द) सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर (Absolute and Relative Growth Rate)

  • प्रति इकाई समय और मापन में कुल वृद्धि को सम्पूर्ण या परमवृद्धि दर (absolute growth rate) कहते हैं।
  • किसी दी गई प्रणाली की प्रति इकाई समय में वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रदर्शित करना सापेक्ष वृद्धि दर (relative growth rate) कहलाता है। सम्मुख चित्र में दोनों पत्तियों ने एक निश्चित समय में अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल में समान वृद्धि की है, फिर भी A की सापेक्ष वृद्धि दर अधिक है।

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प्रश्न 6.
वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि के लिए दशाएँ अधवा वृद्धि पर प्रभाव ज्ञालने वाले कारक (Conditions for Growth or Factors Affecting Plant Growth)
वृद्धि विभिन्न प्रक्रियाओं का परिणाम है। अतः जो भी कारक इन प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं वृद्धि को भी प्रभावित करते हैं। वृद्धि को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्न प्रकार हैं-
1. जल (Water) – जल पादप वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण कारक है। जल अनेक पदार्थों के संवहन माध्यम का कार्य करता है। कोशिका की विभिन्न उपापचयी क्रियाएँ (metabolic processes) भी जलीय माध्यम में होती हैं। अधिकांश विकर (enzymes) भी जल की उपस्थिति में सक्रिय रहते हैं। अतः जल की कमी का पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।

2. ऑक्सी (respiration) द्रारा प्राप्त होती है और श्वसन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक होती है। अतः ऑक्सीजन की कमी का उपापचयी क्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव होता है जिससे वृद्धि प्रभावित होती है।

3. प्रकाश (Light)-पौधे प्रकाश की उपस्थिति में ही प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) द्वारा भोज्य पदाथों का निर्माण करते हैं। क्लोरोफिल (chlorophyll) का निर्माण भी प्रकाश की उपस्थिति में होता है। क्लोरोफिल भी प्रकाश संश्लेषण में प्रमुख भूमिका अदा करता है। प्रकाश की अनुपस्थिति में पादपों में न तो क्लोरोफिल का गिर्माण होगा और न ही भोज्य पदार्थों का। भोज्य पदार्थों के अभाव में पौरों की वृद्धि नहीं हो सकती।

4. खनिज लवण (Mineral salts) – पौर्रों की वृद्धि के लिए विभिन्न खनिज लवर्णों की आवश्यकता होती है। पौधों में लगभग 92 तत्व पाए जाते हैं। इनमें से ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन, पोटेशियम, सल्फर तथा नाइट्रोजन प्रमुख हैं। इनके अलावा बोरोन, जिंक, मोलीब्डेनम, कॉपर, लौह, मैग्नीशियम आदि तत्व भी आवश्यक होते हैं। इनकी कमी से पौधों में विकार उत्पन्न हो जाते हैं तथा पौधे समुचित वृद्धि नहीं कर पाते हैं।

5. होंमोंस (Hormones) – हॉर्मोन्स पौर्षों में ही अल्प मात्रा में संश्लेषित होते हैं और पौषों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं, जैसे-ऑक्सि, जिबरेलिन इत्यादि ।

6. ताप (Temperature) -10°C तापक्रम बढ़ने पर जैविक क्रियाओं की दर दोगुनी से तिगुनी हो जाती है किन्तु अत्यधिक ताप वृद्धि पादपों के लिए हानिकारक होती है।

7. प्रकाश तीब्ता (Intensity of Light) – अधिक तीव्र प्रकाश वृद्धि को कम करता है किन्तु पौधे छष्ट-पुष्ट होते हैं।

8. प्रकाश का प्रकार (Quality of Light)-पराबैंगनी (ultraviolet) तथा अवरक्त लाल किरणें (infra red rays) वृद्धि को रोकती हैं किन्तु लाल किरणें वृद्धि को प्रेरित करती हैं।

9. प्रकाश काल (Duration of Light) – प्रकाश काल का प्रभाव मुख्यतः पुष्पन (flowering) पर होता है।

10. प्रकाश की दिशा (Direction of Light)-प्रकाश की दिशा भी वृद्धि को प्रभावित करती है। तनों का प्रकाश की ओर बढ़ना धनात्मक प्रकाशानुवर्तन (positive phototropism) कहलाता है।

प्रश्न 7.
पादप वृद्धि नियम क्या है ? किन्हीं दो पादप वृद्धि नियामकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पादप वृद्धि नियामक (Plant Growth Regulators)
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक विशेष प्रकार के कार्बनिक यौगिक छोते हैं, जो मुख्य रूप से जिक्योत्रों (Meristems) तथा विकासशील पीतियों एवं फ्रों में उत्पन्न होते हैं। इ्नकी अतिस्थि माश्र पौधों के विभिन्न भागों में पहुँचकर उनकी विभिन्न उपापचयी क्रियाओं (metabolic processes) को प्रभावित एवं नियन्त्रित करती है।

इन्हें पात्य होंकोस्स (plant hormones or phytohormones) भी कहो हैं। अनेक कृत्रिम कार्बनिक योगिक भी पादप हॉर्मोंस की तरह कार्य करते हैं। वेन्ट (Went; 1928) के अनुसार वृद्धि नियामक पदार्थों के अभाव में वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।
पादप हॉर्मोन्स को निम्नलिखित पाँच समुों में बाँटा जा सकता है-

  1. ऑक्सिन्स (Auxins),
  2. जिबरेलिन्स (Gibberellins),
  3. साइटोकाइनिन्स (Cytokinins)
  4. ऐब्सिसिक अम्ल (Abscisic acid),
  5. एथिलीन (Ethylene)।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित के कार्यिकीय प्रभाव लिखिए-
(अ) ऑक्सिन,
(ब) जिब्बरेलिन,
(स) साइटोकाइनिन।
उत्तर:
देखिए –
(अ)  ऑक्सिन्स (Auxins)
डार्विन (Darwin; 1880) ने केनरी घास (Phalaris canariensis) पर अपने प्रयोगों के दौरान देखा कि इस घास के नवोद्धिद (seedlings) के प्रांकर चोल (coleoptile) को एक ओर से प्रकाश दिया जाय तो यह प्रकाश की ओर मु० जाता है। यदि प्रांर चोल (coleoptile) का शीर्ष काटकर प्रकाश दिया जाय दो यह एक तरफा प्रकाश की ओर नहीं मुड़ता।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 21
बायसन-जेन्सन (Boysen-Jensen, 1910-1913) ने कटे हुए प्राकुर चोल (coleoptile) को अगार (Agar) के घनाकार टुकड़ों पर रखा। कुछ समय पश्चात् अगार के इस टुकड़े को उन्होने कटे हुए प्रांकुर चोल वाले स्थान पर रखकर एकतरफा प्रकाश दिया। ऐसा करने से प्रांकुर चोल (coleoptile) प्रकाश की ओर मुछ़ जाता है।

वेष्ट ने इसी प्रकार के प्रयोग जई (Avena sativa) के नवोद्भिदों पर किये तथा बताया कि प्रांकुर चोल के शीर्ष भाग में एक रासायनिक पदार्थ बनता है जो प्रकाश से उद्दीप्त हो जाता है। यदि प्रांकुर चोल (coleoptile) के टिप को काट दिया जाय तो इस पदार्थ का संश्लेषण नहीं होता और कटे टिप वाले प्रांकुर चोल पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं होता है।

यदि टिप को अगार इलाक (agar block) पर रख दिया जाता है तो रासायनिक पदार्थ अगार ब्लाक में रिसकर चला जाता है तथा इस अगार ब्लाक को पुन: कटे प्रांकुर चोल पर रखें तो रासायनिक पदार्थ ठीक उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार बिना काटे हुए प्रांकुर चोल का।

एक अन्य प्रयोग में एफ. इन्यू. वेष्ट्ट (F. W. Went : 1926-1928) ने प्रांकुर चोल के कटे हुए टिप को दो अगार के ब्लाकों पर रखा जिनके मध्य पतली अंक्षेटेट (माइका) लगी थी। अब इस टिप को एकतरफा प्रकाश दिया गया। उन्होंने देखा कि रासायनिक पदार्थ की 65% मात्रा छाया वाले अगार ब्लाक में तथा 35% मात्रा प्रकाश की ओर वाले अगार ब्लाक में एकत्र थी।

वेण्ट ने इस रासायनिक पदार्थ को अंक्सि (Auxin) नाम दिया। ऑंक्सिन की उपस्थिति तने में वृद्धि को प्रेरित करती है तथा जड़ में वृद्धि का संदमन करती है। ऑक्सिन के असमान वितरण के कारण ही प्रकाशानुकर्तनी तथा गुर्तचानुकार्ती (phototropism and geotropism) गति होती है।

ऑक्सिन की खोज का श्रेय एफ. छष्ल्यू. वेन्ट को ही दिया जाता है। केनेब बीमान (Kenneth Thimann) ने आंक्सि को शुद्ध रूप में प्राप्त करके इसकी आण्विक संरचना ज्ञात की। ऑक्सिन की रासायनिक प्रकृति (Chemical Nature of Auxin) कॉगल तथा हाओेन स्थिध ने मानव मूत्र से ऑंक्सिन समान पदार्थ पृथक् किया। इसे उन्डोंने ऑंक्सिन्-a (ऑक्सिनोट्रायोलिक अम्ल) कहा जिसका सूत्र C18H32O5 होता है।

ऑक्सिन दो प्रकार के होते हैं-
(1) प्राकृतिक ऑक्सिन (Natural auxin)-कॉगन एवं साथियों ने पुन: मानव के मूत्र से ही एक अन्य पदार्थ पृथक् किया जिसे हि्डोओक्सिन (Heteroauxin) नाम दिया। इसे आजकल IAA (इन्डोल-3 ऐसीटिक एसिड) कहते हैं। यह प्रों में पाया जाने वाला प्राकृतिक ऑंक्सिन है। अन्य प्राकृतिक ऑक्सिन IAA के व्युतन्न के रूप में पाये जाते हैं।

प्राकृतिक आंक्सिन शीर्ष विभाज्योतकों (apical meristem) में बनते हैं और इनका संश्लेषण विभज्योतक क्षेत्र में ‘ट्रिप्टोफेन’ (triptophen) अमीनो अम्ल द्वारा छोता है। यह शीर्ष से सिर्फ आधार की ओर गमन करते हैं। इ्नका ‘बसेीपिट्य ट्रान्सपेर्ट’ (basipetal transport) होता है। इनकी मात्रा शीर्ष विभज्योतकों में अधिकतम छोती है। तीव्र प्रकाश में ऑंक्सिन नह हो जाते हैं। ऑंक्सिन संश्लेषण के लिए Zn अनिवार्य होता है।

(2) संश्लेकि ऑक्सिन (Synthetic auxins)- कुछ संश्लेषित रासायनिक यौगिक मी ऑक्सिन की भाँति कार्य करते हैं। इन्हें संख्लेषित ऑक्सिन (Auxin) कहते हैं। जैसे – नैफ्थलिन ऐसीटिक अम्ल (NAA), इ्डोल-3-ब्यूटाइरिक अम्ल (IBA), 2-4 डाइक्लोरोफिनांक्सि ऐसीटिक अम्ल (2-4D)। आँक्सिन सबसे अधिक103 या 0.001 M की सान्द्रता पर प्रभावी होता है।

संश्लेषित ऑक्सिन में ‘अधुवीय स्थनान्तरण’ पाया जाता है। पादप के किसी भी भाग पर डालने पर यह सम्पूर्ण पादप में फैल जाते हैं। एक पादप में एक समय एक ही ऑक्सिन (Auxin) पाया जाता है। ऑंक्सिन की सर्वाधिक सान्द्रता विभज्योतक उत्तक में पाई जाती है। आंक्सिन का स्थानान्तरण संवहन बंडल (vascular bundle) के द्वारा नहीं होता है बल्कि विसरण (diffusion) द्वारा एक कोशिका से दूसरी कोशिका में होता है।
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ऑक्सिन के कार्यिकीय प्रभाव एवं उपयोग (Physlological Effects & Uses of Auxins)
1. शीर्ष प्रमुख्ता (Apical dominance)- तनों की शीर्ष कलिका (apical bud) में संश्लेषित आक्सिन शीर्ष वृद्धि को बढ़ावा देते हैं तथा पार्श्व कलिकाओं (lateral buds) की वृद्धि का संदमन करते हैं। शीर्ष कलिका को काटने पर पार्श्व कलिकाएँ तेजी से वृद्धि करती हैं। इस गुण का प्रयोग चाय बागानों एवं हेज लगाने के लिए किया जाता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

2. विलगन (Abscission) – ऑक्सिन की विशिष्ट सान्द्रता का छिड़काव करने से पत्तियों, पुष्पों व फलों का असमय विलगन रोका जा सकता है।

3. प्रसुपता नियन्रण (Control of dormancy)-आँक्सिन के छिड़काव द्वारा आलू आदि भूमिगत कन्दों (tubers) की कलिकाओं को सामान्य ताप पर प्रस्सुटित (proliferate) होने से रोका जा सकता है।

4. कायिक प्रजनन (Vegetative propogation)-IBA का प्रयोग कलम में निचले भाग में शीष्र जड़ें उत्पन्न करा देता है।

5. खरपतवार नियमन्रण (Weed control) – ऑंक्सि, जैसे – 2, 4-D का प्रयोग चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों (weeds) को नृष्ट करने के लिए किया जाता है ।

6. अनिवेकफलन (Parthenocarpy)- बिना निषेचन (fertilization) फलों का निर्माण होना अनिषेकफलन (parthenocarpy) कहलाता है। कुछ पौधों जैसे-अंगूर, केला, सन्तरा आदि में परागण क्रिया को रोककर यदि ऑंक्सिन की उचित सान्द्रता वर्तिकाम्रों (stigmia) पर लगा दी जाय तो इनमें फलों का विकास हो जाता है।

7. कोशिका दीर्घीकरण (Cell elongation) – आँक्सिन का मुख्य कार्य प्रोह (shoot) में कोशिका दीर्घीकरण है। प्रोह में ऑंक्सिन की अधिक सान्द्रता कोशिका दीर्घीकरण भी प्रेरित करती है। इसलिए प्ररोह धनात्मक प्रकाशानुवर्तीं (+ ve phototropic) एवं ऋ्रणात्मक गुर्त्वानुवर्ती (-ve geotropic) होता है।

8. कोशिका विभाजन (Cell division) – ऑक्सिन कैम्बियम के विभाजन के समय, कलम बाँधने (grafting) के समय, घाव (wounds) होने पर तथा ऊतक संवर्धन (tissue culture) में कोशिका विभाजन को बढ़ाता है।

9. wके का समारथन (Root initiation) – ऑंक्सिन जड़ों के निकलने को प्रेरित करता है। कुछ पौधे जैसे-गुलाब, बोगेनविलिया, नींबू, संतरा आदि में तनों या कलमों को लगाकर नया पौधा तैयार किया जाता है। कलमों के कटे हुए भाग को ऑक्सिन (IBA या NAA) के घोल में हुबोकर लगाने से कलमों से जड़ें शीघ्रता से निकलती हैं तथा कलम जल्दी लग जाती है।

10. पुयन पर प्रथाव (Effects on flowering)-ऑक्सिन अनावश्यक पुष्यन की क्रिया को रोकते हैं, जैसे-आम में। इसी प्रकार सलाद के पौधे में पुष्प निर्माण को रोककर पौषे के वाणिज्य मूल्य को बनाये रखा जा सकता है, क्योंकि इस पौधे की केवल पत्तियाँ उपयोगी होती हैं। अनन्नास तथा लीची में ऑंक्सिन के छिड़ाव से पौधों के सभी फूल एक समय पर उत्पन्न होते हैं।

ऑक्सिन पुर्षों में ‘माद्रप्न प्रभाव’ (feminising effect) डालते हैं। ये मादा पुष्पों के निर्माण को बढ़ाते हैं। नर पुष्यों के निर्माण को रोकते हैं। जैसे-कुकरबिटा (Cucurbita) में दो प्रकार के पुष्प पाये जाते हैं। इसमें ऑक्सिन के छिड़काव द्वारा मादा पुष्प (female flower) अधिक प्राप्त किए जा सकते हैं।.
अन्य प्रभाव (Other effects) : आंक्सिन्स के कुछ अन्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • श्वसन क्रियाधारों की उपलब्धता बढाकर श्वसन को प्रेरित करते हैं।
  • कोशिकाओं में विलेयों के संग्रहण को बढ़ाते हैं।
  • एथिलीन में संश्लेषण को बढ़ाते हैं।

(ब) जिबरेलिन (Gibberellins)
जिबरेलिन की खोज (Discovery of Gibberellin)-जापान के फारमोसा (Formosa) में धान के खेत में कुछ पौधे अत्यधिक लम्बे पाए गए, जिनकी पत्तियाँ लम्बी व पीली हो जाती थीं तथा इन पौधों में दाना कम उत्पन्न होता था। धान का यह रोग एक कवक, जिबरेला फ्यूरीकुराई (Gibberella fujikuroiFusarium moniliforme) द्वारा होता है ।

इस रोग को फूलिश सीडलिग रोग या बकानी (Foolish seedling disease or Bakanae) रोग कठा जाता है। &. कुरोसावा (E. Kurosawa, 1926) ने प्रमाणित किया कि यदि कवक (fungus) द्वारा सावित रस को धान के स्वस्थ पौधों पर स्ते कर दिया जाए तो उनमें भी इस रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।

या और ह्याशी (Yabuta and Hayashi, 1939) ने इस फफूँद में से एक वृद्धि नियन्नक पदार्थ पृथक् किया जिसे जिबरेलिन-A (GA) नाम दिया गया। विभिन्न प्रकार के पौधों में अब तक 110 से अधिक जिबरेलिन पृथक् किए जा चुके हैं। जिबरेलिन्स को अपरिपक्व बीजों, जड़ तथा तने के शीर्ष, तरुण पत्तियों तथा कवकों से पृथक् किया गया है। ये संभवतः शैवाल, मॉस तथा फर्न आदि में भी पाए जाते हैं।

श्वसन क्रिया में भाग लेने वाला प्रमुख योगिक ऐसीटिल कोएन्जाइम-A जिबरेलिन-A के निमाण में पूवेवर्ती (Precurser) योंगक का काम करता है।
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रासायनिक सूत्र एवं प्रकृति (Chemical formula and chemical nature): अधिकांश ज्ञात जिबरेलिन्स को GA1, GA2, GA3 ………….. आदि नाम दिए गए हैं।

जिनके रासायनिक संत्र निम्न प्रकार हैं-
GA1 = C19 H24 O6
GA2 = C19 H26 O6
GA3 = C19 H22 O6
सबसे सामान्य तथा सर्वाधिक महत्व का जिबरेलिन GA3 होता है।
(b) रासायनिक प्रकृति (Chemical Nature)-जिबरेलिन का अग्रक पदार्थ (Precurser) कॉरीन (kaurene) होता है। कॉरीन का अग्रक पदार्थ ऐसीटिल Co- A होता है। जिबरेलिन का स्थानान्तरण अधुवीय (non-polar) होता है तथा इनकी संरचना चक्रीय (cyclic structure) होती है। इनमें जिबेन वलय होती है। रासायनिक दृष्टि से सभी जिबरेलिन टरपीन्स (terpenes) होते हैं। ये सभी पादपों में पाये जाते हैं।

जिबरेलिन का कार्यिकीय प्रभाव एवं महत्व (Physiological Effects and Importance of Gibberellins)
1. लम्बाई बक्नाने की क्षमता (Efficiency of increase the length) – जिबरेलिन की उचित सान्द्रता के छिड़काव से बौने पौधे (dwarf plants) लम्बे हो जाते हैं। किन्तु इसका प्रभाव सीमित पौधों पर ही होता है। GA के प्रयोग से सेब के पौधे लम्बे हो जाते हैं। अंगूर के डण्ठल की लम्बाई बढ़ जाती है, गन्ने के तने की लम्बाई बढ़ जाती है।

2. पुप्यन पर प्रभाव (Effect of flowering)-कुछ पौधों को पुष्पन हेतु कम ताप तथा दीर्ष प्रकाश की आवश्यकता होती है। यदि इन पौधों पर GA3 का छिड़काव किया जाय तो पुष्पन आसानी से हो जाता है। द्विवर्षी पौधे (biennial plants), एकवर्षी पौधों (annual plants) की तरह व्यवहार करने लगते हैं, इसे वोस्टित प्रथा (bolting effect) कहते हैं। GA का पुष्पन की क्रिया पर ऑक्सिन की अपेक्षा उल्टा प्रभाव होता है। GA पादपों में पुंजननता (male ness) को प्रेरित करते हैं। अर्थात् नर पुष्पों के निर्माण को बढ़ाते हैं।

3. वृद्धि दर पर प्रथाव (Effect on growth rate)-जिबरेलिन्स कोशिका दीर्घन (cell elongation) के द्वारा वृद्धि को बढ़ाते हैं। जिबरेलिन्स, ऑक्सिन की तुलना में 500 गुना अधिक सक्रिय होते हैं।

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4. अनिषेक फलन (Parthenocarpy) – कृत्रिम अनिषेक फलन में भी GA का उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा टमाटर, सेब, नाशपाती आदि फलों में अनिषेक फलन ऑक्सिन की तुलना में अधिक आसानी से कराया जा सकता है। इसका प्रयोग अति तनु अवस्था में किया जाता है।

5. दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधों में पुष्पन (Early flowering in long day plants) – LDP को पुष्पन के लिए दीर्घ प्रकाश अवधि की आवश्यकता होती है। जिबरेलिन के उपचार द्वारा इन पौधों में लघुप्रकाश अवधि (SDP) में ही पुष्पन कराया जा सकता है।

6. बसन्तीकरण या शीत उष्चार का प्रतिस्थापन (Vernalisation or substitution of cold treatment) – द्विवर्षीय पादपों में पुष्पन दूसरे वर्ष में एक शीतकाल के समाप्त होने के बाद होता है। इनमें पुख्पन के लिए शीतकाल में कम तापमान की आवश्यकता होती है। ज़िबरेलिन उपचार से इनमें वृद्धि के प्रथम वर्ष में ही पुष्पन हो जाता है।

7. प्रसुप्तावस्था भंग करना (Breaking of dormancy) – जिबरेलिन बीजों तथा कन्दों (tubers) की प्रसुप्तावस्था (dormancy) को नष्ट करते हैं तथा इन्हें अंकुरित होने के लिए प्रेरित करते हैं। जिबरेलिन बीजों तथा कन्दों के जटिल भोजन के पाचन को प्रेरित करते हैं, जिससे वे अंकुरण कर सकें।

8. एमाइलेज विकर का निर्माण (Synthesis of α-Amylase)-जिबरेलिन मक्का के अंकुरित बीजों में α एमाइलेज के निर्माण को प्रेरित करते हैं।

9. प्रकाश संवेदी बीजों में अंकुरण (Germination in light Sensitive seeds) – सलाद एवं तम्बाकृ के बीजों को अंकुरण के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है। इन बीजों को जिबरेलिन से उपचारित करने से इन्हें अंधेरे में उगाया जा सकता है।

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(स) साइटोकाइनिन।
सार्तेकामनिन के कायिक्डीय प्रथाव (Physiological Effect of Cytokinin)
1. डोरिता निथलन (Cell division)- साइटोकाइनिन का प्रमुख कार्य ऑक्सिन की उपस्थिति में कोरिका विभाजन (cell division) को प्रेरित करना है। ये पादर्यों में विभज्योतक निर्माण को भी प्रेरित करते है।

2. कोशिका वियेद्न (Cell differentiation) – साइ्टोकाइ़नन (cytokinin) ऑंक्सिन की उपस्थिति में विभिन्न अनुपात में अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करते हैं। ऊसक संवर्धन (tissue culture) प्रक्रिया में पोषक माध्यम (culture media) में अधिक सान्द्रता में साइटोकाइनिन तथा कम सान्द्रता में ऑंक्सि हो तो इससे कैलस (callus) का विकास प्रेरित होता है। साइटोकाइनिन की कम एवं ओंक्सिन की अधिक सान्द्रता जड़ निर्माण एवं विभेदन को प्रेरित करती है। यदि दोनों की मात्रा समान रखी जाए तो जड़ एवं तना दोनों ही समान रूप से विकसित होते हैं।

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3. शीर्ष प्रयाबिता निरोध (Counter action of apical dominance)-साइटोकाइनिन के प्रभाव से शीर्ष प्रमुखता प्रभाव नष्ट हो जाता है तथा पाश्व कलिकाओं (lateral buds) की वृद्धि होने लगती है।

4. प्रकाश संब्दी बीजं बा अंरण (Germination of light sensitive seeds)-साइटोकाइनिन से उपचारित सलाद व तम्बाकू के बीजों को अन्धेरे में उगाया जा सकता है।

5. जर्णता विलम्ब (Delay of Senescence)-पादपों में साइटोकाइनिन जीर्णता को विलंबित करते हैं। पर्णहरिम का विघटन, एन्जाइमों का नष्ट होना जीर्णता (senescence) के लक्षण हैं। साइटोकाइनिन के उपश्रार से जीर्णता (senescence) देरी से होती है। इस प्रभाव को रिचमॉण्ड लैंग प्रथाव (Richmond Lang Effect) कहते हैं।

6. घ्रतुर्जा नाशन (Breaking of dormancy)-साइटोकाइनिन के उपचार से कलिकाओं एवं बीजों की प्रसुप्तता को नष्ट किया जा सकता है।

7. लुदीफिकाली पौरों में पुष्मन (Flowering in SDP)-साइटोकाइनिन के उपचार से लघुदीप्तिकाली पौधों (SDP) में पुष्पन प्रेरित किया जा सकता

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया सम्पन्न होती है-
(A) माइटोकॉण्ड्रिया में
(B) कोशिकाद्रव्य में
(C) हरित लवक में
(D) केन्द्रक द्रव्य में
उत्तर:
(B) कोशिकाद्रव्य में

2. ग्लाइकोलाइसिस में कितने ATP अणुओं का लाभ होता है ? (UPCPMT)
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 8
उत्तर:
(A) 2

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3. यदि श्वसनी पदार्थ ग्लूकोज है जो इसका R. Q. होगा –
(A) 0.7
(B) 1
(C) 1.8
(D) 2
उत्तर:
(B) 1

4. ग्लूकोज के एक अणु के पूर्ण आक्सीकरण से कितने ATP बनते हैं ?
(A) 8
(B) 16
(C) 32
(D) 38
उत्तर:
(D) 38

5. ग्लाइकोलाइसिस तथा क्रेब्स चक्र के बीच मध्यस्थ कड़ी है-
(A) पाइरुविक अम्ल
(B) एसीटिक अम्ल
(C) ऐसीटिल CO ~ A
(D) सक्सिनिल CO ~ Α
उत्तर:
(C) ऐसीटिल CO ~ A

6. ऑक्सीसोम्स पाये जाते हैं-
(A) माइटोकॉण्ड्रिया की आन्तरिक कला पर
(B) माइटोकॉण्ड्रिया की बाह्य कला पर
(C) माइटोकॉण्ड्रिया की सतह पर
(D) इनमें से किसी में नहीं
उत्तर:
(A) माइटोकॉण्ड्रिया की आन्तरिक कला पर

7. ग्लूकोज के एक अणु के वायवीय ऑक्सीकरण में उत्पन्न ऊर्जा होती है-
(A) 247 kJ
(B) 300kJ
(C) 2870kJ
(D) 6700kJ
उत्तर:
(C) 2870kJ

8. मांसल शुष्कोद्भिदी पादपों में रात्रि में श्वसन भागफल होता है-
(A) 0
(B) 1
(C) 0.7
(D) 1 से अधिक
उत्तर:
(C) 0.7

9. क्रेब्स चक्र में कुल कितने ATP बनते हैं ?
(A) 8
(B) 12
(C) 24
(D) 36
उत्तर:
(C) 24

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10. किण्वन में भाग लेने वाला विकर (emzyme)
(A) हैक्सोकाइनेज
(B) पाइरुवेट
(C) फॉस्फेटेज
(D) जाइमेज
उत्तर:
(D) जाइमेज

11. यदि किसी पौधे के चारों ओर CO2 की सान्द्रता अत्यधिक हो तो श्वसन क्रिया-
(A) तीव्र हो जायेगी
(B) रुक जायेगी
(C) धीमी हो जायेगी
(D) अप्रभावित रहेगी
उत्तर:
(C) धीमी हो जायेगी

12. निम्न में से श्वसन संदमक हैं/
(A) आयोडोऐसीटेट
(B) मैलोनेट
(C) सायनाइड
(D) ये सभी
उत्तर:
(B) मैलोनेट

13. प्रकाश सन्तुलन तीव्रता में-
(A) प्रकाश अवशोषण बढ़ जाता है।
(B) वायुमण्डल से गैस विनिमय बढ़ जाता है।
(C) वायुमण्डल से गैस विनिमय नहीं हाता है।
(D) O2 का अवशोषण बढ़ जाता है
उत्तर:
(C) वायुमण्डल से गैस विनिमय नहीं हाता है।

14. क्रेब्स चक्र को कहते हैं-
(A) EMP चक्र
(B) TCA चक्र
(C) हेच स्लेक चक्र
(D) CAM चक्र
उत्तर:
(B) TCA चक्र

15. EMP पथ जैव-रासायनिक पथ है-
(A) ग्लाइकोलाइसिस में
(B) ETS में
(C) क्रेब्स चक्र में
(D) इन सभी में
उत्तर:
(A) ग्लाइकोलाइसिस में

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16. R. Q. सर्वाधिक होगा जब श्वसन पदार्थ होगा-
(A) ग्लूकोज
(B) वसा
(C) मैलिक अम्ल
(D) प्रोटीन
उत्तर:
(C) मैलिक अम्ल

17. उच्च श्रेणी के पादप के किस भाग में अनॉक्सी श्वसन होता है ?
(A) भीगे बीज में
(B) फल में
(C) पत्ती में
(D) शुष्क बीज में
उत्तर:
(D) शुष्क बीज में

18. पेन्टोज फॉस्फेट पथ बताया-
(A) नॉरेनवर्ग ने
(B) ब्लैकमैन ने
(C) वारबर्ग ने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:

19. सायटोक्रोम सहायक होते हैं-
(A) इलेक्ट्रॉन अभिगमन में
(B) ऊर्जा के विमोचन में
(C) ऊर्जा संचयन में है
(D) ग्लूकोज के. ऑक्सीकरण में
उत्तर:
(C) ऊर्जा संचयन में है

20. कार्बनिक पदार्थों के टूटने के
(A) एक अपचय क्रिया
(B) एक उपचय क्रिया
(C) एक पाचन क्रिया
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) एक उपचय क्रिया

21. श्वसन दर बढ़ जाएगी यदि मात्रा बढ़ाई जाए-
(A) N2 की
(B) O2 की
(C) CO2 की
(D) CO की
उत्तर:
(C) CO2 की

22. श्वसन के पद नियंत्रित होते
(A) एन्जाइम द्वारा
(B) क्रियाधर द्वारा
(C) हार्मोन्स द्वारा
(D) देह द्रव द्वारा
उत्तर:
(A) एन्जाइम द्वारा

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23. पाइकुविक अम्ल किस क्रिया का उत्पाद है ? (RPMT)
(A) क्रेब्स चक्र
(B) केल्विन चक्र
(C) PPP
(D) ग्लाइकोलाइसिस
उत्तर:
(D) ग्लाइकोलाइसिस

24. श्वसन क्रिया में अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही है- (RPMT, UPPMT, UPCPMT)
(A) CO2
(B) O2
(C) H2
(D) NADH
उत्तर:
(B) O2

25. RQ श्वसन गुणांक एक से कम होता है-
(A) वसा का
(B) ग्लूकोज का
(C) फ्रक्टोज का
(D) कार्बनिक अम्ल का
उत्तर:
(A) वसा का

26. ऐल्कोड़लीय किण्बन निम्न की उपस्थिति में होता है- (RPMT)
(A) माल्टोज
(B) जाइमेज
(C) एमाइलेज
(D) इनवर्टेंज
उत्तर:
(B) जाइमेज

27. क्षेख घक्र कहुँ सम्पन्न होता है ?
(A) कोशिका द्रव्य
(B) माइटोकॉष्ड्रूया
(C) हरित लवक
(D) ER.
उत्तर:
(B) माइटोकॉष्ड्रूया

28. एक व्यर्ष प्रकिया है-
(A) श्वसन
(B) प्रकाश संश्लेषण
(C) प्रकाश श्वसन
(D) गति
उत्तर:
(C) प्रकाश श्वसन

29. सक्सिनिक जिताइड्रोजिनेय का एक प्रभिसर्षी संखमक्ड क्या दोका है ? (CBSE AIMPT)
(A) मैलानेट
(B) ऑक्सैलोएसीटेट
(C) α कीटोग्लटैरेट
(D) मैलेट
उत्तर:
(A) मैलानेट

30. सीमाकारी कारकों का नियम जिसने दिखा ? (UPCPMT)
(A) लीबिग ने
(B) स्लैकमन ने
(C) कैस्विन ने
(D) आर्नन ने
उत्तर:
(B) स्लैकमन ने

31. माझ्टोकौष्टिया में ATP का निर्माण क्जिता है- (UPCPMT)
(A) बाद्य झिल्ली पर
(B) अन्तः झिल्ली पर
(C)F1 कण पर
(D) क्रिस्टी पर
उत्तर:
(B) अन्तः झिल्ली पर

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32. क्रेख्स चक्र में GTP क्रा निर्माण होता है- (UPCPMT)
(A) ऑक्सीकरणीय फॉस्फेटीकरण में
(B) क्रियाधर फॅ्स्पेटीकरण में
(C) प्रकाश फॉस्पेटीकरण में
(D) विकाबोक्सीकरण में
उत्तर:
(B) क्रियाधर फॅ्स्पेटीकरण में

33. केष्क चक में ‘ऊर्ला सिक्का’ काजनाता है-
(A) AMP
(B) GTP
(C) NADPH2
(D) ATP
उत्तर:
(D) ATP

34. प्वसन मधध्यित वसा कार्बोकाइड्रेट और प्रोटिनों के भुन में कौन-सा उपापचयी सामान्यत होत्ता है ? (NDETUG)
(A) ग्लूकोस-6-फॉस्पेट
(B) फ्रक्टोस-1, 6-डाइफॉस्फेट
(C) पाइकुविक अम्ल
(D) ऐसीटिल CO ~ A
उत्तर:
(D) ऐसीटिल CO ~ A

35. निम्नलिखित में से किस प्रांक्या में CO2 मुक्त कीजी छोती है ?
(A) प्राणियों में वायु श्वसन
(B) ऐल्कोहॉली किण्वन
(C) लैक्टेट किण्वन
(D) पादपों में वायु श्वसन
उत्तर:
(C) लैक्टेट किण्वन

(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions

प्रश्न 1.
श्वसन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्वसन एक अपचयी क्रिया है, जिसमें O2 प्रयुक्त तथा CO2 व ऊर्जा मुक्त होती है।

प्रश्न 2.
ऑक्सीश्वसन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2+ 6 H2O + 2870kJ

प्रश्न 3.
कोशिकीय श्वसन में इलेक्ट्रॉन अभिगमन कहाँ होता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया के ऑक्सीसोम्स (Oxisomes ) पर ।

प्रश्न 4.
अत्यधिक ताप पर श्वसन क्रिया कैसे प्रभावित होती है ?
उत्तर:
अत्यधिक ताप पर विकर (Enzyme) विघटित हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
ऑक्सी तथा अनॉक्सी श्वसन में कौन-सा प्रक्रम समान होता
उत्तर:
ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis)

प्रश्न 6.
कोशिका के कौन-से दो अणु इलेक्ट्रॉन बैंकर का कार्य करते
उत्तर:
NAD तथा FAD

प्रश्न 7.
क्रेन्स चक्र कोशिका के किस भाग में सम्पन्न होता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) में।

प्रश्न 8.
कोशिका का ऊर्जा गृह क्या कहलाता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria)।

प्रश्न 9.
कोशिका की ऊर्जा मुद्राएँ क्या होते हैं ?
उत्तर:
ATP (Adenosine Triphosphate) ।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन

प्रश्न 10.
ग्लूकोज का पायरुविक अम्ल में अपूर्ण आक्सीकरण क्या कहलाता है ?
उत्तर:
ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) |

प्रश्न 11.
अनॉक्सीश्वसन की अवस्था में यीस्ट द्वारा 38 ATP के उत्पादन के लिए आवश्यक ग्लूकोस अणुओं की संख्या बताइए ।
उत्तर:
अनॉक्सी श्वसन में एक ग्लूकोज से 2 ATP निकलते हैं। अतः 38 ATP निकलने के लिए 19 ग्लूकोज अणुओं की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 12.
ग्लूकोज को ग्लूकोज-6- फॉस्फेट में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम लिखिए।
उत्तर:
हेक्सोकाइनेस (Hexokinase) ।

प्रश्न 13.
वान्ट हाफ का नियम लिखिए।
उत्तर:
वान्ट हाफ के अनुसार प्रति 10°C तापमान वृद्धि से श्वसन दर 2-3 गुणा घट जाती है ।

प्रश्न 14.
किसी जीव द्वारा ग्लूकोज पर अनॉक्सीश्वसन किया जा रहा है, इसका R. Q. कितना होगा ?
उत्तर:
अनन्त, क्योंकि अनॉक्सी श्वसन में O2 नहीं ली जाती है।

प्रश्न 15.
पाइरुविक अम्ल से ऐसीटिल CO ~ A के निर्माण में कितने ATP अणु निकलते हैं ?
उत्तर:
2 ATP

प्रश्न 16.
दहन तथा श्वसन में एक अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
दहन क्रिया उच्च ताप पर तथा श्वसन क्रिया सामान्य ताप पर होती है।

प्रश्न 17.
दो श्वसन क्रिया संदमक पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्बन मोनो ऑक्साइड, आयोडोऐसीटेट ।

प्रश्न 18.
ETS में इलेक्ट्रॉन का अन्तिम ग्राही कौन होता है ?
उत्तर:
ऑक्सीजन ।

प्रश्न 19.
ATPase की भूमिका लिखिए।
उत्तर:
ADP तथा iP से ATP का निर्माण ।

प्रश्न 20.
जाइमोसिस (Zymosis) क्या है ?
उत्तर:
किण्वन का अन्य रूप ।

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न – I (Short Answer Type Questions -1)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के श्वसन गुणांक लिखिए-
1 अंकुरित मंडयुक्त गेहूँ,
2. अंकुरित तिलहन,
3. अंकुरित दलहनी बीज,
4. नागफनी का प्रकाश में।
उत्तर:
1. अंकुरित गेहूँ में कार्बोहाइड्रेट के श्वसन का RQ = 1
2. अंकुरित तिलहन में वसा होता है, अतः RQ = 0.64
3. अंकुरित दाल में श्वसन पदार्थ प्रोटीन है, अतः RQ = 0.8 – 0.9
4. नागफनी का प्रकाश में डीएसिडिफिकेशन होता है, अत: RQ = 1.33

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प्रश्न 2.
जन्तुओं की पेशियाँ थकावट क्यों महसूस करती हैं ?
उत्तर:
जन्तुओं द्वारा कार्य किये जाने में ऊर्जा खर्च होती है जो कि पेशियों द्वारा अनॉक्सीश्वसन से उत्पन्न होती है। इस क्रिया के फलस्वरूप पेशियों में लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) जमा हो जाती है। लैक्टिक अम्ल की अधिकता के कारण पेशियों में थकावट महसूस होती है।

प्रश्न 3.
पाश्चर प्रभाव क्या है ?
उत्तर:
किसी जीवधारी की अवायवीय परिस्थितियों को वायवीय परिस्थितियों में बदल देने की क्रिया को पाश्चर प्रभाव (Pasteur effect) कहते हैं। यह क्रिया भोज्य पदार्थों ( Substrate – क्रियाधर) को बचाने के लिए होती है।

प्रश्न 4.
एक वायुरोधक काँच के एक जार में एक खरगोश को बन्द कर दिया गया जिसका सम्बन्ध एक द्रोणी (trough) से कर दिया गया जिसमें हरी शैवाल उगी है। क्या खरगोश कुछ समय तक जीवित रहेगा ? कारण बताइए ।
उत्तर:
कोई भी जीव भोजन के बिना कुछ समय तक जीवित रह सकता है किन्तु श्वसन के बिना नहीं। खरगोश को श्वसन के लिए ऑक्सीजन चाहिए जो उसे द्रोणी में उगी शैवाल से प्राप्त हो जाती है । परन्तु शैवाल दिन के समय ही O2 निकालेंगे। रात्रि के समय शैवाल CO2 निकालेंगे अतः रात्रि के समय O2 के अभाव में खरगोश मर सकता है।

प्रश्न 5.
नागफनी जैसे माँसल पौधों में श्वसन गुणांक कैसे पता लगायेंगे ?
उत्तर:
नागफनी में दिन के समय अपूर्ण आक्सीकरण होता है।
C6H12O6 +3O2 → C4H6O5 + 2 CO2 + 3H2O
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन 1
नागफनी में रात के समय डीएसिडीफिकेशन (Deacidification) होता है-
C4H6O5 +3O2 → 4CO2 + 3H2O
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प्रश्न 6.
श्वसन भागफल तथा प्रकाश संश्लेषण भागफल में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
श्वसन भागफल तथा प्रकाश संश्लेषण भागफल में अन्तर-

श्वसन भागफल (Respiratory Quotient)प्रकाश संश्लेषण भागफल (Photosynthetic Quotient)
1. यह एक निर्धारित समय में छोड़ी गई CO2 तथा ली गई O2 की मात्रा का अनुपात है ।1. यह एक निर्धारित समय में छोड़ी गई O2 तथा ली गई CO2 की है।
2. विभिन्न श्वसन पदार्थों का R.Q. भिन्न-भिन्न होता है।2. मात्रा का अनुपात है । | लगभग सभी पदार्थों का P.Q. 1. होता है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II ( Short Answer Type Questions-II)

प्रश्न 1.
ऑक्सी श्वसन क्या है ? यह अनॉक्सी श्वसन से अधिक दक्ष क्यों माना जाता है ?
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन (Aerobic respiration) – श्वसन का वह प्रकार जिसमें खाद्य पदार्थों में जैवरासायनिक ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, ऑक्सीश्वसन कहलाता है।
C6H12O + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 2870kJ
ऑक्सी श्वसन, अनॉक्सी श्वसन की अपेक्षा दक्ष होता है, क्योंकि-
1. ग्लाइकोलासिस में जितनी ऊर्जा निकलती है तथा जितने ATP अणु बनते हैं, उनकी संख्या दोनों क्रियाओं में समान है।
2. ऑक्सीश्वसन में क्रेब्स द्वारा पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) का पूर्ण आक्सीकरण (Oxidation) होता है। मुक्त ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है।
3. अनॉक्सी श्वसन में केवल आन्तरिक परिवर्तन द्वारा CO2 तथा एल्कोहॉल बनते हैं। अधिकतम ऊर्जा इन यौगिकों में रह जाती है।
4. ऑक्सीश्वसन में ग्लूकोज में एक अणु से ATP के 38 अ हैं, जबकि अनॉक्सीश्वसन में केवल 2 ATP अणु ही बनते हैं।
अतः ऑक्सीश्वसन, अनॉक्सीश्वसन की अपेक्षा अधिक दक्ष है।

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प्रश्न 2.
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी श्वसन होता है। कैसे सिद्ध करोगे ? प्रयोग द्वारा समझाइए ।
उत्तर:
श्वसन क्रिया के प्रथम पद में ग्लूकोज से पाइरुविक अम्ल के निर्माण की क्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। इसे ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) कहते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में नॉक्सीश्वसन (Anaerobic respiration) होता है- विकर C6H12O6 → 2 C2H5OH + 2 CO2 ↑ + 247 kJ
उपरोक्त प्रक्रिया को निम्न प्रयोग द्वारा समझाया जा सकता है- प्रयोग – काँच की एक परखनली को पारे से पूर्णतः भरकर पेट्रीप्लेट में भरे पारे पर इस प्रकार उलटते हैं कि परखनली में पारे का तल नीचे न गिरे।
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अब कुछ अंकुरित बीज चिमटी की सहायता से परखनली में प्रवेश कराते हैं। ये बीज ऊपर उठकर परखनली की पेंदी में ऊपर की ओर पहुँच जाते हैं। परखनली को स्टैण्ड पर कस देते हैं। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अंकुरित बीजों (germinating seeds) में अनॉक्सीश्वसन की क्रिया होने के फलस्वरूप CO2 उत्पन्न होती है।

CO2 के एकत्र होने के कारण धीरे-धीरे नली में भरे पारे का तल गिरने लगता है। यह देखने के लिए कि परखनली में CO2 ही उत्पन्न हुई है, एक KOH की टिकिया पारे के ऊपर पहुँचाते हैं। यह परखनली की CO2 को सोख लेती है और पारे का तल पुनः ऊपर उठ जाता है।

प्रश्न 3.
हरे पौधों द्वारा श्वसन क्रिया का प्रदर्शन कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि हरे पौधों में ऑक्सीश्वसन में CO2 उत्पन्न होती है।
उत्तर:
एक बेलजार A में एक हरा पौधा (इसके स्थान पर अंकुरित बीज, आलू अथवा प्याज) लेते हैं । बेलजार के दोनों ओर चूने के पानी से भरी दो बोतलें A तथा B को नली की सहायता से जोड़ दिया जाता है। बेलजार B को काले कपड़े या कागज से ढँक देते हैं ताकि पौधों में प्रकाश संश्लेषण न हो ।

बोतल C का सम्बन्ध KOH से भरी U नली से कर देते हैं, U नली से कर देते हैं, U नली का एक सिरा रखते हैं तथा A नली के एक सिरे से चूषण पम्प जोड़ देते हैं। बोतल, बेलजार तथा नली को चित्रानुसार जोड़ते हैं तथा पूरे उपकरण को वायुरुद्ध (air tight) रखा जाता है। चूषण पम्प को कुछ देर बाद खोलने से वायु का खिंचाव होता है जिससे वायु U नली में रखे KOH से होती हुई C बोतल में प्रवेश करती है।

वायु में उपस्थित CO2 KOH द्वारा अवशोषित हो जाती है। बोतल C के चूने के पानी का दूधिया न होना इसका प्रमाण है । कुछ समय पश्चात् हम देखते हैं कि A बोतल के चूने के पानी का रंग दूधिया हो गया है। इससे यह सिद्ध होता है कि अंकुरित बीज श्वसन में CO2 गैस निकालते हैं जो कि A बोतल के चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
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प्रश्न 4.
श्वसनमापी द्वारा ऑक्सी श्वसन का प्रदर्शन कैसे किया जाता
उत्तर:
श्वसनमापी द्वारा श्वसन क्रिया का प्रदर्शन-
श्वसन मापी काँच का बना एक उपकरण है, जिसमें एक नलिका के मुड़े सिरे पर एक बल्ब लगा रहता है। बल्ब में कॉर्क लगा एक मुँह भी होता है। बल्ब में कुछ अंकुरित बीज रखकर इसमें लगी नली के दूसरे छोर को पारे से भरी एक नाद से सम्पर्क कर देते हैं। नली के मुँह में पारे के ऊपर KOH की एक टिकिया रखकर उपकरण को स्टैण्ड पर कस देते हैं।

दूसरे दिन उपकरण को देखने से ज्ञात होता है कि पारा श्वसनमापी ( Respirometer) नलिका में ऊपर चढ़ गया है। इसका कारण है कि बल्ब में रखे बीज श्वसन क्रिया में. O2 अवशोषित करके CO2 उत्पन्न करते हैं। CO2 को KOH द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिससे नलिका में वायुदाब कम होता है और पारा नली में ऊपर चढ़ जाता है।
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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन

प्रश्न 5.
यीस्ट कोशिकाओं को चीनी के घोल में रखने से आप यीस्ट कोशिकाओं एवं चीनी के घोल में किन परिवर्तनों की आशा करते हैं ?
अथवा
खजूर का ताजा रस देर तक रखे रस की अपेक्षा मीठा होता है और मादक होता जाता है। समझाइए ।
उत्तर:
चीनी के घोल में यीस्ट कोशिकाओं को रखने से इसमें निम्न परिवर्तन होता है-
चीनी के घोल में परिवर्तन – यीस्ट कोशिकाओं द्वारा चीनी के घोल में एल्कोहॉलिक किण्वन (Alcoholic fermentation) होता है, फलस्वरूप यीस्ट कोशिकाओं में उपस्थित जाइमेज समूह के विकर, सुक्रोज ( Sucrose) पर क्रिया करके इसे ग्लूकोज आदि में तोड़ देते हैं। बाद में अनॉक्सी श्वसन के द्वारा ग्लूकोज (Glucose) से ऐल्कोहॉल तथा CO2 बनते हैं। इस क्रिया में उत्पन्न ऊर्जा घोल का ताप भी बढ़ाती है। देर तक रखे खजूर (Date palm) के रस का यीस्ट द्वारा किण्वन (Fermentation) से ऐल्कोहॉल बनने के कारण यह मादक (Narcotic) हो जाता है।
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यीस्ट कोशिकाओं में परिवर्तन- यीस्ट कोशिकाएँ प्रचुरता में पोषण तथा ऊर्जा पाकर कायिक वृद्धि करके संख्या में वृद्धि करती हैं। इस प्रक्रिया को मुकुलन (budding) कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)श्वसन (Respiration)
1. इसमें प्रकाश आवश्यक है।1. इसमें प्रकाश आवश्यक नहीं है।
2. CO2 तथा H2O कच्चे माल हैं।2. कार्बोहाइड्रेट कच्चा माल (Raw material) है।
3. काबोंहाइड्रेट उत्पाद होता है।3. CO2 व जल उत्पाद होते हैं।
4. यह ऊर्जाशोषी (endo- thermic) अभिक्रिया है।4. यह ऊर्जाक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic reaction) है।
5. यह संश्लेषणात्मक क्रिया है।5. यह विघटनात्मक क्रिया है।
6. इससे शुष्क भार में वृद्धि होती है।6. इससे शुष्क भार में कमी होती है।
7. प्रकाश फॉस्फेटीकरण होता है।7. ऑक्सीकरणीय फॉस्फेटीकरण होता है।

प्रश्न 7.
क्या कारण है कि बीज से भरे गोदाम को खोलने पर गर्मी महसूस होती है ?
अथवा
हरी घास के अन्दर का ताप बाहर के वातावरण से अधिक होता है। उत्तर- बीज भरे गोदाम या अनाज से भरे गोदाम को खोलने पर गर्मी निकलती है क्योंकि बीज जीवित होते हैं तथा इनमें धीमी गति से श्वसन क्रिया होती है जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह ऊष्मा हमें गोदाम खोलने पर महसूस होती है। ऐसा ही घास के ढेर में होता है, कटी घास की पत्तियों में काफी समय तक श्वसन होता रहता है जिससे ऊष्मा निकलती है जो अन्दर के वातावरण को गर्म कर देती है।

प्रश्न 8.
ऐसीटिक अम्ल किण्वन तथा लैक्टिक अम्ल किण्वन पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:
(i) ऐसीटिक अम्ल किण्वन (Acetic Acid Fermenta- tion) – कुछ जीवाणुओं में एल्कोहॉलिक किण्वन (Fermentation) होने से ऐथिल ऐल्कोहॉल को ऐसीटिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर दिया जाता है। इसे ऐसीटिक अम्ल किण्वन कहते हैं-
C2H5 OH + O2 → CH3COOH + H2O + 118.2 kcal ऐथिल एल्कोहल ऐसीटिक अम्ल

(ii) लैक्टिक अम्ल किण्वन (Lactic Acid Fermentation) – उच्च श्रेणी के पादपों, जन्तुओं की माँसपेशियों तथा कुछ जीवाणुओं जैसे- लैक्टोबैसीलस लैक्टाइ आदि में यह क्रिया होती है। इसमें ग्लूकोज से पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) तथा फिर विकर की उपस्थिति में लैक्टिक अम्ल (Lactic acid) बनता है-
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किण्वन प्रक्रिया अवायवीय दशाओं में तीव्रतम होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन

प्रश्न 9.
निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिए-
(i) प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन,
(ii) फ्लोटिंग श्वसन तथा
(iii) लवणीय श्वसन ।
उत्तर:
(i) प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन-यदि क्रिया में श्वंसन पदार्थ प्रोटीन होता है तो ऐसे श्वसन को प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन कहते हैं।
(ii) फ्लोटिंग श्वसन यदि श्वसन क्रिया में श्वसनी पदार्थ कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं तो इसे फ्लोटिंग श्वसन (Floating respiration) कहते हैं।
(iii) लवणीय श्वसन -पौधों को लवणीय जल में रखने पर श्वसन दर में वृद्धि होती है। इसे लवणीय श्वसन (Salt respiration) कहते हैं।

(E) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
EMP पथवे क्या है ? इसके विभिन्न पदों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लाइकोलिसिस शब्द्ध की उत्पवि ग्रीक शब्द ग्लाइकोस अर्थात् शरंकर एवं लाइसिस अर्थात् टृटना से हुआ है। ग्लाइकोलिसिस की प्रक्रिया गुस्ताव इबेडेन, ओटो मेयर हॉफ तथा जे पारानास द्वारा दिया गया तथा इसे सामान्यतः इएमपी पाथ कहते हैं। अनाक्सी जीवों में साँस की केवल यड़ी प्रक्रिया है। ग्लाइकोलिसिस कोशिका द्रव्य में संपन्न होता है और यह सभी सजीवों में मिलता है । इस प्रक्रिया में ग्लूकोज आशिक ऑक्सीकरण द्वारा पाइरविक अम्ल के दो अणुओं में बदल जाता है।

पादपों में यह ग्लूकोज सुक्रोज से प्राप्त होता है जो कि प्रकाश संश्लेषित कार्बन अभिक्रियाओं का अंतिम उत्पाद है या संचयित कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। सुक्रोस इवर्टेस नामक एंजाइम की सहायता से ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में परिवतितत हो जाता है। ये दोनों मोनोसैकेराइड सरलता से ग्लाइकोलाइटिक चक्र में प्रवेश कर जाते हैं।

ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज, हैक्सोकाइनेज एंजाइम द्वारा फॉस्फरिकृत होकर ग्लूकोज-6 फॉस्फ़टट बनाते है। न्लूकोज का फॉस्फरिकृत रुप समायवीकरण द्वारा फ्रुक्टोज- 6 फॉस्पेट में परिवर्तित हो जाता है। ग्लूकोज एवं फ्रुक्टोज के उपापच्य के बाद के क्रम एक समान होते हैं। ग्लाइकोलिसिस के विभिन्न चरण में दर्शाए गए हैं। ग्लाइकीलिसस में दस मृंखलाबद्ध अभिक्रियाओं में विभिन्न एंजाइम द्वारा ग्लूकोज से पाइस्वेट का निर्माण होता है। म्लाइकोलिसिस के विभिन्न चरणों के अध्ययन के दौरान उन चरणों पर ध्यान दें जिसमें एटीपी का उपयोग (एटीपी ऊर्जा) अथवा संश्लेषण (इस मामले में NADH+H+) होता है।

एटीपी का उपयोग दो चरणों में होता है: पहले चरण में जब ग्लूकोज-6 फॉस्फेंट में परिवर्तन होता है तथा दूसरे चरण में व दूसरे फ्रक्टोज -6 फास्फ्टंट का फ्रुक्येज 1,6 , बिसफॉस्फेंड में परिकतन होता है। प्रक्ट्टोज 1.6 विसफॉस्फेट टूटकर डाइहाइड्रोक्सीएसीटोन फॉस्फेंट तथा 3-फौस्फोग्लिखासि्डहाइड (पीजीएएल) बनाता है। जब 3-फॉस्फोंम्लिसरलिद्धाइड (पीजीएएल) का 1 , 3 -बाई फॉस्फोग्लिसरेट (बीपीजीए) में परिवर्तन होता है तो NAD+ से NADH+H+ का निर्मांण होता है।

पीजीएएल से दो समान अपचयोपचय (रिडॉक्स) दो हाइड्रोजन अणु पृथक होकर NAD के एक अणु की और स्थानांतरित होता है। पीजीएल्ल अक्सीकृत होकर अकार्बनिक फॉस्फेट से मिलकर बीपीजीए में परिवर्तित हो जाता है। डीपीजीए का 3- फॉस्फोग्लिसरीक अम्ल में परिवर्तन ऊर्जा उत्पाद्न करने वाली प्रक्रिया है।

इस ऊर्जा का उपयोग एटीपी (ATP) निर्मांण में ह्रोता है। पीईपी (P.E.P.) का पायरूविक अम्ल में परिवर्तन के दौरान भी एटीपी का निमाँण होता है। क्या हुम यह गणना कर सकते हो कि एक अणु से कितने एटीपी के अणुख्तों का प्रत्यक्ष रूप से संश्लेषण होता है? पायरूविक अम्ल न्लाइकोलिसिस का मुख्य उत्पाद है।

पायरुवेट का उपापच्यी भविघ्य क्या है? यह कोशिकीय आवश्यकता पर निर्भर है। यहाँ तीन प्रमुख तरीके हैंजिसमें विधिन्न कोशिकाएं ग्लाइकोलिसिस द्वारा उत्पन्न पायरुविक अम्ल का उपयोग करती हैं। ये लैक्टिक अम्ल किष्वन, एल्कोहलिक किण्वन और ऑक्सी साँस है। अधिकांश प्रोकेरियोट तथा एक कोशिका यूकैरियोट में किण्वन अनाक्सी परिस्थितियों में होता है।

ग्लूकोज के पूर्ण औक्सीकरण के फलस्वरूप कार्बनडाइऑक्साइड तथा जल बनने हंतु जीवथारियों में क्रेंख्स चक्र के द्वारा होता है, जिसे ऑंक्सी श्वसन या साँस कहते हैं, जिसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
ऑक्सीश्वसन से आप क्या समझते हैं ? क्रेब्स चक्र का आरेख बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, ऑक्सीश्वसन वह क्रिया है जिसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यद्यपि उपरोक्त ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की क्रिया ऑक्सी तथा अनॉक्सी (acrobic and anaerobic) दोनों प्रकार के श्वसन में ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की क्रिया ऑक्सी तथ अनॉक्सी (acrobic and anaerobic) दोनों प्रकार के श्वसन में सामान्य होती है।

परन्तु जब ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) में बने पाइरुविक अम्ल का विघटन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है तब इसे ऑक्सीश्वसन (aerobic respiration) कहते हैं। यदि पाइरुविक अम्ल का विघटन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है तो इसे अनॉक्सीश्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं।

ग्लाइकोलाइसिस में उत्पन्न हुआ पाइरुविक अम्ल माइटोकॉण्ड्रिया के मैट्रिक्स में प्रवेश करता है तथा एन्जाइम संकुलों की उपस्थिति में ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सलिकरण से सक्रिय ऐसीटेट बनाता है। अभिक्रिया में पाइर्वेट डिहाइड्रोजिनेस तथा NAD + कोएन्जाइम A, थियामिन फॉस्फेट (TPP) तथा लाइपोइक अम्ल की आवश्यकता होती है। अभिक्रिया का सम्पूर्ण रासायनिक समीकरण अग्रवत् है-

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लाइपोइक अम्ल
पाइरुवेट डिहाइड्रोजिनेस
पाइरुविक अम्ल + सहएन्जाइम A+NaD+ Mg++ ,TPP
ऐसीटिल CO ~ A+ NaDH+H++ CO2
ऐसीटिल CO ~ A क्रेम्स चक्र (Kreb’s cycle) में प्रवेश कर जाता है।

क्रेब्स चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Kreb’s Cycle or Tricarboxylic acid cycle)
इस चक्र की खोज हेन्स क्रेब (Hans Krebs) ने 1937 में की थी। इसके लिए इन्हें 1953 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इसे सिट्रिक अम्ल चक्र (Citric acid cycle) या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid cycle or TCA Cycle) भी कहते हैं। यह चक्र माइटोकॉन्ड्रिया के मेट्रिक्स में पूर्ण होता है। इस चक्र के प्रमुख चरण निम्नवत् हैं-

(i) संघनन (Condensation ) ऐसीटिल CO ~ A जल की उपस्थिति में सामान्यतः कोशिका में उपस्थित ऑक्सेलोऐसीटेट से क्रिया करके 6- कार्बन वाला यौगिक सिट्रेट बनाता है तथा COM A को मुक्त कर देता है। इस अभिक्रिया के लिए ऊर्जा ऐसीटिल CO ~ A का उच्च ऊर्जा आबन्ध प्रदान करता है। यह अभिक्रिया सिट्रेट सिन्थेटेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है। सिट्रेट में 3- COOH समूह उपस्थित होते हैं। अतः इसे ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid cycle or TCA cycle) कहते हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन 9

(ii) निर्डलन (Dehvdration)-सिट्टेट ऐकोनाइडेस एन्दाइम की उपस्थिति में H2O निष्कासित करके सिसऐकोनाइट्रेट बनाता हैं।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन 10

(iii) जलयोजन (Hydration)-सिसऐकोनाइट्रेट ऐकोनाइटेस एन्जाइम की उपस्थिति में H2O से संयोग करके आइसोसिट्रेट बनाता है।
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(iv) ऑक्सीकरणीय विकाबोंक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation) – आइसोसिट्रेट हास्र्रोजन परमाणुओं का एक युग्म देकर (ऑक्सीकरण) CO2 का एक अणु निक्षासित करके (विकार्बोक्सिलीकणण) 5 -कार्षन -कीटोग्लूटरोट बनाता है। यह किया आइसोस्ट्रेट किछाम्रोजिनेस एव्ञाइम द्वारा उत्रेरित होती है।
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(v) ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation)- यह दो पदों में पूर्ण होता है।

(i) प्रथम पद में Co ~ A, α कीटोग्लूटारेट से अभिक्रिया करके 4- कार्बन सक्सिनिल CO ~ A बनाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म तथा CO2 को निर्मुक्त करता है। इस अभिक्रिया में α -कीटोग्लूटारेट डिहाइड्रोजिनेस संकुल एन्जाइम भाग लेता है।
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(ii) द्वितीय पद में सक्सीनिल CO ~ A 4 कार्बन सक्सीनेट तथा CO ~ A एवं HO अणु में टूट जाता है।
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(vi) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation ) – इस प्रक्रम में सक्सीनेट 4- कार्बन फ्यूमेरेट में सक्सीनेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम की उपस्थिति में बदल जाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म निर्मुक्त करता है।
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(vii) जलयोजन (Hydration) – फ्यूमेरेस एन्जाइम की उपस्थिति में फ्यूमेरेट H2O के साथ जलयोजित होकर 4 कार्बन मेलेट बनाता है।
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(viii) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation ) – इस प्रक्रम में ऑक्सेलोऐसीटेट का निर्माण होता है। यह क्रिया मैलेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
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ऑक्सेलोऐसीटेट ऐसीटिल CO ~ A से संयुक्त होकर सिट्रेट बनाता है।
इस प्रकार क्रेन्स चक्र नियमित रूप से चलता रहता है।

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प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रोन परिवान तन्र या प्वृसन में ATP का ऑक्सीकरणीय उपादन (Electron Transport System or Oxidative Production of ATP in Respiration) ग्लूकोस का ऑक्सीजन की उपस्थिति में वियोजित होना ऑक्सीकरण प्रक्रिया है। इस प्रक्रम के दौरान कुछ मध्यवर्ती जैसे फॉस्फोग्लिसरेल्हिद्धाइड, पाइइविक अम्ल, आइसोसिट्रिक अम्ल, α-कीटोग्लूटारिक अम्ल, सक्सीनिक अम्ल तथा मैलिक अम्ल ऑक्सीकृत होते हैं। प्रत्येक ऑक्सीकरण पद में 2H निर्मुक्त होते हैं,
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन 18

प्रश्न 4.
किण्वन को परिभाषित कीजिए तथा विभिन्न प्रकार की किण्वन प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किण्वन (Fermentation)
अनेक सूक्ष्मजीवों में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में श्वसन क्रिया छोती है तथा यह जीवन की अन्य क्रियाओं से सम्बन्धित होती है। उदाहरण के लिए-सूक्ष्म जीव जिस पोषक माध्यम (किसी कार्बनिक पदार्थ का कोलॉइडी घोल (Colloidal solution) या अन्य प्रकार का नम पदार्थ) में पाये जाते हैं को पहले कुछ पाचक क्रियाओं द्वारा घुलनशील तथा अवशोषण योग्य बनाकर भोजन अवशोषित करते हैं।

ये पोषक पदार्थ जीव के शरीर में पहुँचकर O2 के अभाव में विघटित हो जाते हैं। इससे उत्पन्न कर्जा जैविक क्रियाओं (Vital activities) को सम्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में पोषक पदार्थ पूर्णतः विखण्डित नहीं हो पाता है और न ही उससे सम्पूर्ण ऊर्जा कोशिका को प्राप्त छोती है। अपूर्ण विखण्डित पदार्थ वातावरण में मुक्त कर दिया जाता है।

उपरोक्त क्रिया को सामूधिक रूप से दिण्न्न (Fermentation) कहते हैं। यह क्रिया प्रायः कवकों (Fungi) एक जटिल समूह के रूप में होते हैं। जैसे-यीस्ट (Yeast) में इसे जाइमेज (Zymase) समूह का़ जाता है। एल्कोईगिलिक किष्बन (Alcoholic Fermentation) – यह्ठ क्रिया प्राय: यीस्ट (Yeast) में पायी जाती है। इसमें सर्वप्रथम जटिल कार्बोहाड्रेट्स को ग्लूकोज आदि सरल कार्बोहाइड्डेट्स में तोड़ा जाता है।
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किण्वन को प्रर्भावित करने वाले कारक (Factors Affecting Fermentation)
1. ऑक्सीजन की उपस्थिति किण्वन को कम करती है क्योंकि किण्वन अनॉक्सी प्रक्रिया है।
2. प्रकाश की तीव्रता से किण्वन की क्रिया घटती है।
3. तापमान से किण्वन की क्रिया बढ़ती है। तापमान के कम होने से घटती है।

प्रश्न 5.
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Respiration)
(अ) आन्तरिक कारक (Internal Factors)
1. श्वसनी पदार्थ या क्रियाधर की सान्द्रता (Concentration of Respiratory Substrate)-श्वसन क्रिया में श्वसनी पदार्थ की सान्द्रता बढ़ने पर श्वसन की दर बढ़ जाती है तथा पदार्थ की सान्द्रता में कमी होने पर श्वसन दर घट जाती है।
2. औीवद्रु्य (Protoplasm)-जीवद्रव्य की मात्रा एवं सान्द्रता से श्वसन प्रभावित होता है, जैसे-विभाजन करने वाली कोशिकाओं में जीवद्रव्य की मात्रा अधिक होती है, अत: इनमें श्वसन दर भी अधिक होती है।
3. विकर (Enzyme)-समुचित विकर सान्द्रता होने पर ही श्वसन क्रिया ठीक प्रकार से संचालित होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन

(ब) बाद्य कारक (External Factors)
1. तापमान (Temperature)-सामान्यतः श्वसन 5°C से 25°C ताप पर होता है। यदि ताप को 35°C तक बढ़ाया जाय तो श्वसन दर बढ़ती है परन्तु इसमे अधिक ताप बढ़ने पर श्वसन दर घटने लगती है। कुछ जीवाणु 10°C तथा 60°C पर भी श्वसन करते हैं।
2. ऑक्सीजन (Oxygen) – ऑक्सीश्वसन के लिए O2 मङखवपूर्ण कारक है। इसकी उचित सान्द्रता (concentration) में श्वसन दर बड़ती है किन्तु अत्याधक सान्द्रता विकरों का संदमन करती है जिससे श्वसन दर घट जाती है।
3. जल (Water)-समस्त जैविक क्रियाएँ जल की उपस्थिति में होती हैं। विकर (enzyme) जल की उपस्थिति में ही क्रियाशील होते हैं। जल की कमी से श्वसन दर घटती है।
4. प्रकाश (Light)-प्रकाश श्वसन को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। प्रकाश के कारण ही श्वसन में प्रयुक्त भोज्य पदार्थ का संश्लेषण होता है। भोज्य पदार्थ की कमी होने पर श्वसन दर घट जाती है।
5. CO2 वायुमण्डल में = CO2 = की सान्द्रता बढ़ने पर श्वसन दर घट जाती है।
6. श्वसन संदमक (Respiration inhibitors) – कुछ पदार्थ जैसे-कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)2 सायनाइड (Cyanide), आयोडोऐसेटेट, मैलोनेट आदि श्वसन संदमक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6.
श्वसन भागफल से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न खाद्य पदार्थों के श्वसन भागफल बताइए।
उत्तर:
देखिए अनुच्छेद 14.5 (श्वसन भागफल या श्वसन गुणांक) ।
“श्वसन पथ एक ऐम्पीबोलिक पथ होता है”
(Respiratory Pathway is an Amphibolic Pathway)
श्वसन क्रिया के लिए ग्लूकोब एक सामान्य क्रियाधर (Common Substrate) होता है, जिसे कोशिकीय ईधन (Cellular fuel) कहते हैं, अन्य काबोंहाइड्डेटस भी श्वसन क्रिया से पहले ग्लूकोज में परिवर्तित कर दिये जाते हैं। वसा (Fat) को पहले गिलसरॉल तथा वसीय अम्लों (Fatty acids) में विर्घटित किया जाता है।

वसीय अम्ल ऐसीटिल कोएनाइम (Acetyle Co-A) बनकर श्वसन मार्ग में प्रवेश करता है। गिलसरॉल फॉस्पोम्लिसरेलिड़हाइड (PGAL) में बदलकर श्वसन पथ में प्रवेश करता है। प्रोटीन्स विषटित होकर ऐमीनो अम्ल बनाती हैं। एमीनो अम्ल (Amino acids) विएमिनीकरण (veamination) के पश्चात क्रेब्स चक्र के विभिन्न चरणों में प्रवेश करता है।

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इसी प्रकार वसा अम्ल के संश्लेषण में श्वसन मार्ग से ऐसीटिल कोएन्जाइम पृथक् हो जाता है। अत: वसा अम्ल के संश्लेषण एवं विषटन के दौरान श्वसनीय पथ का प्रयोग होता है। इसी प्रकार प्रोटीन के संश्लेषण व विषटन के दौरान मी श्वसन पथ का प्रयोग होता है। इस तरह श्वसन पथ में उपचय (Anabolism) तथा अप्य (Catabohism) क्रियाएँ साथ-साथ होती रहती हैं। यही कारण है कि श्वसन पथ को ऐम्प्रीबोलिक पथ (Amphibolic Pathway) कहा जाता है।
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श्वसन भागफल या श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient, R.Q.)
किसी दिये गये समय, ताप व दाब पर निष्कासित CO2 तथा प्रयुक्त O2 के अनुपात को श्वसन भागफल RQ कहते हैं।
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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
फलक-केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या कितनी होती है ?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 4
(द) 6
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 2.
घनीय निविड संकुलन (ccp) संरचना की संकुलन क्षमता होती है-
(अ) 68%
(ब) 74%
(स) 78%
(द) 84%
उत्तर:
(ब) 74%

प्रश्न 3.
अक्रिस्टलीय ठोस है-
(अ) ग्रेफाइट
(ब) काँच
(स) श्वेत टिन
(द) एकनताक्ष गंधक
उत्तर:
(ब) काँच

प्रश्न 4.
फेरीचुंबकीय पदार्थ का उदाहरण है –
(अ) Fe2O3
(ब) Mn2O3
(स) MnO
(द) Fe3O4
उत्तर:
(द) Fe3O4

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 5.
हीरे का क्रिस्टल किसका उदाहरण है ?
(अ) आयनिक ठोस
(ब) धात्विक ठोस
(स) सहसंयोजक ठोस
(द) आण्विक ठोस
उत्तर:
(स) सहसंयोजक ठोस

प्रश्न 6.
क्रिस्टलों का घनत्व ज्ञात करने का सही सूत्र है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 21
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 22

प्रश्न 7.
किसी ठोस पदार्थ के क्रिस्टल में कितने प्रकार के त्रिविमीय जालकों का निर्माण संभव है ?
(अ) 7
(ब) 14
(स) 21
(द) 28
उत्तर:
(ब) 14

प्रश्न 8.
लोहचुंबकीय पदार्थ का उदाहरण है-
(अ) TiO2
(ब) VO2
(स) CuO
(द) CrO2
उत्तर:
(द) CrO2

प्रश्न 9.
क्रिस्टलीय ठोस का उदाहरण है-
(अ) हीरा
(ब) काँच
(स) रबर
(द) हीरा तथा काँच दोनों
उत्तर:
(अ) हीरा

प्रश्न 10.
अनुचुंबकीय पदार्थ है-
(अ) N2
(ब) F2
(स) O2
(द) CO2
उत्तर:
(स) O2

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौनसी व्यवस्था षट्कोणीय निविड संकुलन को दर्शाती है ?
(अ) ABC…..ABA……
(ब) ABC…..ABC……
(स) ABABA….
(द) ABB ABB….
उत्तर:
(स) ABABA….

प्रश्न 12.
षट्कोणीय निविड संकुलन संरचना में धातु की उपसहसंयोजन संख्या होती है-
(अ) 4
(ब) 12
(स) 8
(द) 16
उत्तर:
(ब) 12

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से सहसंयोजक ठोस है-
(अ) Fe
(ब) NaCl
(स) Cu
(द) SiC
उत्तर:
(द) SiC

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किस प्रकार के ठोसों का गलनांक उच्चतम होता है ?
(अ) आयनिक ठोस
(ब) सहसंयोजक ठोस
(स) आण्विक ठोस
(द) धात्विक ठोस
उत्तर:
(ब) सहसंयोजक ठोस

प्रश्न 15.
एक N गोलों वाली निविड संकुलन व्यवस्था में चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या होगी-
(अ) \(\frac { N }{ 2 }\)
(ब) N
(स) 4N
(द) 2N
उत्तर:
(द) 2N

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है ?
(अ) शॉट्की
(ब) फ्रेंकेल
(स) अन्तराकाशी
(द) F-केन्द्र
उत्तर:
(अ) शॉट्की

प्रश्न 17.
फलक – केन्द्रित घन संरचना में प्रत्येक गोले के लिए अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या होगी-
(अ) 8
(ब) 4
(स) 1
(द) 2
उत्तर:
(स) 1

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से किसमें फ्रेंकेल दोष पाया जाता है ?
(अ) NaCl
(ब) AgBr
(स) CsCl
(द) हीरा
उत्तर:
(ब) AgBr

प्रश्न 19.
सरल घनीय जालक की संकुलन क्षमता होती है-
(अ) 68%
(ब) 74%
(स) 52.4%
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) 52.4%

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन आबंधित आण्विक ठोस का उदाहरण है-
(अ) HCl
(ब) H2O
(स) H2
(द) Fe
उत्तर:
(ब) H2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 21.
विषमदैशिक प्रकृति के ठोस होते हैं-
(अ) क्रिस्टलीय
(ब) अक्रिस्टलीय
(स) क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) क्रिस्टलीय

प्रश्न 22.
प्रकाश वोल्टीय (Photo Voltic) पदार्थ है-.
(अ) Cs
(ब) Si ( अक्रिस्टलीय)
(स) NaCl
(द) ग्रेफाइट
उत्तर:
(ब) Si ( अक्रिस्टलीय)

प्रश्न 23.
विद्युत का सुचालक ठोस है-
(अ) NaCl ठोस
(ब) ग्रेफाइट
(स) हीरा
(द) AlN
उत्तर:
(ब) ग्रेफाइट

प्रश्न 24.
शॉट्की दोष युक्त यौगिक का उदाहरण है-
(अ) NaCl
(ब) KCl
(स) CsCl
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता –
(अ) कम होती है
(ब) बढ़ती है
(स) स्थिर रहती है
(द) कम या अधिक हो सकती है।
उत्तर:
(ब) बढ़ती है

प्रश्न 26.
वे पदार्थ जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं, वे होते हैं-
(अ) अनुचुंबकीय
(ब) प्रतिचुंबकीय
(स) लोहचुंबकीय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) प्रतिचुंबकीय

प्रश्न 27.
एक क्रिस्टलीय ठोस नर्म तथा विद्युत का सुचालक है जिसमें परमाणुओं के मध्य सहसंयोजी बन्ध होता है, वह होगा-
(अ) सिल्वर
(ब) हीरा
(स) AlN
(द) ग्रेफाइट
उत्तर:
(द) ग्रेफाइट

प्रश्न 28.
सोलर सेल में कौनसा तत्व प्रयुक्त किया जाता है ?
(अ) Rb
(ब) Pb
(स) Si
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(स) Si

प्रश्न 29.
CaF2 में क्रिस्टल की एकक कोष्ठिका में Ca2+ आयनों की संख्या होती है-
(अ) 6
(ब) 8
(स) 4
(द) 12
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 30.
एकान्तर धारा (A.C.) को दिष्ट धारा (D.C.) में परिवर्तित करने में प्रयुक्त अर्धचालक होता है-
(अ) p-प्रकार
(ब) n-p संधि
(स) n- प्रकार
(द) नैज
उत्तर:
(द) नैज

प्रश्न 31.
बिन्दु दोष पाया जाता है-
(अ) आयनिक ठोस में
(ब) अक्रिस्टलीय ठोस में
(स) आण्विक ठोस में
(द) द्रवों में
उत्तर:
(अ) आयनिक ठोस में

प्रश्न 32.
निम्नलिखित चित्र में किस प्रकार का क्रिस्टल दोष दर्शाया गया है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 1
(अ) फ्रेन्केल दोष
(ब) फ्रेन्केल तथा शॉट्की दोष
(स) अन्तराकाशी दोष
(द) शॉट्की दोष
उत्तर:
(द) शॉट्की दोष

प्रश्न 33.
एक ठोस की घनीय क्रिस्टल जालक संरचना में W परमाणु घन के शीर्षों पर, O परमाणु भुजाओं के केन्द्र में तथा Na परमाणु घन के केन्द्र पर स्थित है तो यौगिक का सूत्र है-
(अ) NaWO2
(ब) NaWO3
(स) Na2WO5
(द) NaWO4
उत्तर:
(ब) NaWO3

प्रश्न 34.
एक ठोस AX में A+ आयन पर X की व्यवस्था ( सही मापसूचक में नहीं) चित्र में दी गयी है। यदि X का अर्द्धव्यास 250 pm है तो A+ का अर्द्धव्यास होगा।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 2
(अ) 104 pm
(ब) 125 pm
(स) 183 pm
(द) 57 pm
उत्तर:
(अ) 104 pm

प्रश्न 35.
कैल्सियम फलक – केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका में क्रिस्टलित होता है तो कैल्सियम (Ca) की एकक कोष्ठिका के लिए संकुलन भिन्न होगी-
(अ) π/6
(ब) π/3
(स) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{3}\)
(द) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{6}\)
उत्तर:
(द) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{6}\)

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में से किसकी संकुलन क्षमता निम्नतम है ?
(अ) आद्य घनीय एकक कोष्ठिका
(ब) अंतः केन्द्रित घनीय एकक ‘कोष्ठिका
(स) फलक- केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका
(द) षट्कोणीय निविड संकुलित संरचना
उत्तर:
(अ) आद्य घनीय एकक कोष्ठिका

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
क्रिस्टल जालक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी ठोस के अन्तराल (space) में बिन्दुओं (परमाणु या आयनों) की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।

प्रश्न 2.
धात्विक ठोस के गुण बताइए ।
उत्तर:
धात्विक ठोस कठोर, उच्च गलनांक युक्त तथा विद्युत के सुचालक होते हैं। इनमें आघातवर्ध्यता तथा तन्यता का गुण भी होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 3.
अंत: केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
अंत: केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या दो होती है।

प्रश्न 4.
फलक- केन्द्रित घन संरचना की विलगित एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या तथा एक एकक कोष्ठिका में कणों की वास्तविक संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
फलक- केन्द्रित घन संरचना की विलगित एकक कोष्ठिका में 14 परमाणु तथा एक एकक कोष्ठिका में कणों की वास्तविक संख्या 4 होती है।

प्रश्न 5.
एकक कोष्ठिका तथा क्रिस्टल जालक में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर:
एकक कोष्ठिका की पुनरावृत्ति से ही क्रिस्टल जालक का निर्माण होता है ।

प्रश्न 6.
ज्यामितीय विन्यास के आधार पर क्रिस्टलों को कितने समूहों में वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर:
ज्यामितीय विन्यास के आधार पर क्रिस्टलों को सात समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

प्रश्न 7.
घनीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण का मान बताइए ।
उत्तर:
घनीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण α = β = γ = 90° होते हैं।

प्रश्न 8.
एक घन में कितने फलक तथा कितने किनारे होते हैं ?
उत्तर:
एक घन में 6 फलक तथा 12 किनारे होते हैं।

प्रश्न 9.
धात्विक ठोसों का रंग तथा चमक का कारण क्या है ?
उत्तर:
मुक्त इलेक्ट्रॉन ।

प्रश्न 10.
अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या (r) तथा परमाणु (गोले) की त्रिज्या (R) में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
r = 0.414R

प्रश्न 11.
hcp तथा ccp संरचना युक्त धातुएँ उच्च गलनांक की होती हैं। क्यों ?
उत्तर:
hcp तथा ccp संरचना की संकुलन क्षमता उच्च (74%) होने के कारण परमाणु एक-दूसरे के अधिक निकट होते हैं तथा इनमें प्रबल धात्विक बन्ध होता है, अतः इनका गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न 12.
यदि किसी क्रिस्टल के लिए त्रिज्या अनुपात 0.225 है तो उसकी ज्यामिति किस प्रकार की होगी ?
उत्तर:
त्रिज्या अनुपात 0.225 होने पर क्रिस्टल की ज्यामिति चतुष्फलकीय होगी।

प्रश्न 13.
अष्टफलकीय रिक्ति की समन्वयी संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
अष्टफलकीय रिक्ति की समन्वयी संख्या छः होती है ।

प्रश्न 14.
Zn+2, Cu+1, Cu+2 तथा Fe+3 में से अनुचुंबकीय आयन कौनसे हैं ?
उत्तर:
Cu+2 तथा Fe3+ अनुचुंबकीय हैं क्योंकि इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं।

प्रश्न 15.
प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ का उदाहरण बताइए ।
उत्तर:
MnO प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ का उदाहरण है।

प्रश्न 16.
किस प्रकार के ठोसों में दाब विद्युत गुण पाया जाता है ?
उत्तर:
नेट द्विध्रुव युक्त क्रिस्टलों में दाब विद्युत गुण पाया जाता है।

प्रश्न 17.
ताप विद्युत प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसे क्रिस्टल जिन्हें गर्म करने पर विद्युत धारा उत्पन्न होती है, उन्हें ताप विद्युत क्रिस्टल कहते हैं तथा इस प्रभाव को ताप विद्युत प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 18.
ताप बढ़ाने पर चालकों की चालकता कम हो जाती है। क्यों ?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर चालकों में ऊष्मीय कम्पन बढ़ने के कारण प्रतिरोध बढ़ता है, जिससे उनकी चालकता कम हो जाती है।

प्रश्न 19.
चालकों तथा अर्धचालकों की चालकता को किस सिद्धान्त द्वारा समझाया जाता है ?
उत्तर:
बैण्ड सिद्धान्त या आण्विक कक्षक सिद्धान्त ।

प्रश्न 20.
CaF2 में समन्वयी संख्याओं का अनुपात बताइए ।
उत्तर:
8 : 4 (CaF2)

प्रश्न 21.
CsCl की एकक कोष्ठिका का नाम लिखिए ।
उत्तर:
अन्तः केन्द्रित घन संरचना ।

प्रश्न 22.
सूर्य के प्रकाश को विद्युत में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त ठोस पदार्थ बताइए ।
उत्तर:
अक्रिस्टलीय सिलिका। यह एक फोटोवोल्टीय पदार्थ है ।

प्रश्न 23.
क्यूरी ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वह ताप जिससे कम ताप पर कोई चुम्बकीय पदार्थ, लोहचुम्बकीय हो जाता है, उसे क्यूरी ताप कहते हैं ।

प्रश्न 24.
गैस लाइटर को दबाने से चिंगारी उत्पन्न होती है, क्यों ?
उत्तर:
गैस लाइटर में दाब विद्युत क्रिस्टल होते हैं, अतः जब इस पर दाब लगाया जाता है तो विद्युत चिंगारी उत्पन्न होती है।

प्रश्न 25.
किस ताप पर अधिकतर धातुएँ अतिचालक की भाँति व्यवहार करती हैं?
उत्तर:
2K – 5K

लघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
ठोसों की विषमदैशिक तथा समदैशिक प्रकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
विषमदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुण जैसे विद्युत प्रतिरोधकता तथा अपवर्तनांक, भिन्न-भिन्न दिशाओं में मापने पर भिन्न-भिन्न मान दर्शाते हैं। यह अलग-अलग दिशाओं में कणों की भिन्न- भिन्न व्यवस्था के कारण होता है। क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते हैं। अपवाद – घनीय क्रिस्टल |
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 3
समदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुणों का मान सभी दिशाओं में समान होता है। अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते हैं, क्योंकि इनमें कणों की दीर्घ परासी व्यवस्था नहीं होती तथा सभी दिशाओं में अनियमित विन्यास होता है ।

प्रश्न 2.
(a) सरल घनीय एकक कोष्ठिका में अवयवी कणों की गणना किस प्रकार करते हैं?
उत्तर:
सरल घन की एकक कोष्ठिका में आठ कोनों पर आठ कण होते हैं तथा प्रत्येक कण का योगदान \(\frac { 1 }{ 8 }\) होता है अतः कुल अवयवी कण = \(\frac { 1 }{ 8 }\) × 8 = 1

(b) बन्धों की प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण कीजिए-
CaO, Sn, बर्फ ।
उत्तर:
CaO – प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल (आयनिक ठोस )
Sn – धात्विक बन्ध ( धात्विक ठोस )
बर्फ – परमाणुओं के मध्य सहसंयोजी बन्ध तथा अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बन्ध (हाइड्रोजन आबन्धित आण्विक ठोस) ।

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोसों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोसों में अणुओं के मध्य प्रबल हाइड्रोजन बन्ध होता है। इसके लिए H तथा F, O व N के मध्य ध्रुवीय सहसंयोजी बन्ध होना चाहिए। ये ठोस विद्युत के कुचालक होते हैं। उदाहरण – बर्फ (ठोस H2O) तथा ठोस NH3 आदि।

प्रश्न 4.
धात्विक ठोसों के गुण लिखिए।
उत्तर:
धातुएँ सामान्यतः ठोस अवस्था में होती हैं, अतः इन्हें धात्विक ठोस कहते हैं। इनमें धनायन, मुक्त तथा गतिशील इलेक्ट्रॉनों के समुद्र में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक धातु परमाणु, एक या अधिक इलेक्ट्रॉन देता है । ये इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल में समान रूप से फैले रहते हैं । गतिशील इलेक्ट्रॉनों के कारण ही धातुएं विद्युत एवं ऊष्मा की सुचालक होती हैं। विद्युत प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉन, धनायनों के नेटवर्क में प्रवाहित होते हैं। धातुओं का विशेष रंग होता है तथा उनमें चमक पायी जाती है। धातुएं अत्यधिक आघातवर्धनीय एवं तन्य होती हैं।

प्रश्न 5.
पदार्थों के अनुचुम्बकीय तथा लोहचुम्बकीय गुण में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:
अनुचुम्बकीय गुण बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में ही पाया जाता है जबकि लोहचुम्बकीय गुण चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी पाया जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 6.
क्षार धातु हैलाइडों में शुद्ध अवस्था में फ्रेंकेल दोष क्यों नहीं पाया जाता?
उत्तर:
शुद्ध अवस्था में क्षार धातु हैलाइडों में फ्रेंकेल दोष नहीं पाया जाता क्योंकि क्षार धातु आयनों के बड़े आकार के कारण ये अन्तराकाशी स्थानों में स्थान ग्रहण नहीं कर सकते।

प्रश्न 7.
लोहचुम्बकीय तथा फेरीचुम्बकीय पदार्थों में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
लोहचुम्बकीय पदार्थों में अधिक संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं तथा इनमें चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी चुम्बकीय गुण पाया जाता है जबकि फेरीचुम्बकीय पदार्थों में डोमेनों के चुम्बकीय आघूर्णों की व्यवस्था समानान्तर तथा प्रतिसमानान्तर दिशा में असमान संख्या में होती है जिसके कारण इनमें परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण पाया जाता है तथा ये चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 8.
प्रतिलोहचुम्बकत्व तथा फेरीचुम्बकत्व (लघु- लोहचुम्बकत्व) में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
प्रतिलोहचुम्बकत्व उन पदार्थों का गुण है जिनमें चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य होता है जबकि फेरीचुम्बकत्व युक्त पदार्थों में अल्प मात्रा में चुम्बकीय आघूर्ण होता है अतः इनका चुम्बकत्व कम होता है। MnO प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ है जबकि Fe3O4 चुम्बकीय होता है।

प्रश्न 9.
फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोषों में दो अन्तर बताइए ।
उत्तर:
(i) फ्रेंकेल त्रुटि (दोष) से पदार्थ का घनत्व अपरिवर्तित रहता है जबकि शॉट्की त्रुटि के कारण पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है ।
(ii) फ्रेंकेल त्रुटि उन क्रिस्टलों में पाई जाती है जिनमें समन्वयी संख्या निम्न होती है जबकि शॉट्की त्रुटि, उच्च समन्वयी संख्या युक्त क्रिस्टलों में पाई जाती है।

बोई परीक्षा के हृष्टिकोण से सम्भावित महवपूर्ण प्रश्न :

प्रश्न 1.
ठोस क्रिस्टलों में किस त्रुटि के कारण क्रिस्टल का घनत्व अप्रभावित रहता है?
उत्तर:
फ्रेन्केल त्रुटि ।

प्रश्न 2.
सिलिकन के क्रिस्टल में जब आर्सेनिक की अशुद्धि मिलाते हैं तो इस प्रकार बने अर्धचालक का नाम क्या होगा?
उत्तर:
n – प्रकार का अर्धचालक ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –
(अ) शॉट्की त्रुटि
(ब) अन्तराकाशी त्रुटि ( दोष ) ।
उत्तर:
(अ) शॉट्की त्रुटि – यह मुख्य रूप से आयनिक ठोसों का रिक्तिका दोष ( vacancy defect) है। विद्युत उदासीनता को बनाए रखने के लिए क्रिस्टल से गायब होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर होती है अर्थात् धनायन तथा ऋणायन दोनों ही अपने स्थान से गायब हो. जाते हैं। सरल रिक्तिका दोष की भाँति, शॉट्की दोष से भी पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है। आयनिक ठोसों के ऐसे दोषों में संख्या महत्वपूर्ण होती है ।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 4
जैसे NaCl में कमरे के ताप पर लगभग 10° शॉट्की युगल प्रति cm3 होते हैं। एक cm में करीब 1022 आयन होते हैं। इस प्रकार प्रति 1016 आयनों में एक शॉट्की दोष होता है। शॉट्की दोष उन आयनिक पदार्थों में होता है जिनमें धनायन और ऋणायन लगभग समान आकार के होते हैं तथा जिनकी समन्वयी संख्या उच्च होती है। उदाहरण NaCl, KCl, CsCl | AgBr में फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोनों ही प्रकार के दोष होते हैं।

(ब) अन्तराकाशी दोष : किसी क्रिस्टल जालक में जब कुछ अवयवी कण अंतराकाशी स्थल पर उपस्थित होते हैं तो इसे अंतराकाशी दोष कहते हैं। इससे पदार्थ का घनत्व बढ़ जाता है। ‘रिक्तिका दोष तथा अंतराकाशी दोष अनआयनिक ठोसों में पाए जाते हैं। आयनिक ठोसों में विद्युत उदासीनता रहना आवश्यक है। अतः इन दोषों को फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोषों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 5
(a) फ्रें केल दोष या फ्रें के ल त्रुटि (Frenkel defect) – यह दोष आयनिक ठोसों में पाया जाता है। छोटा आयन (साधारणतः धनायन) अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित होकर अन्तराकाशी स्थान में चला जाता है। इससे वास्तविक स्थान पर रिक्तिका दोष और नए स्थान पर अंतराकाशी दोष उत्पन्न होता है। (dislocation defect) भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 6
इससे ठोस के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल विद्युत चालकता दर्शा सकते हैं तथा इससे यौगिक का परावैद्युतांक (Dielectric Constant) बढ़ जाता है। फ्रेंकेल दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दर्शाया जाता है जिनमें आयनों (धनायन तथा ऋणायन) के आकार में अधिक अंतर होता है तथा जिनमें समन्वयी संख्या कम होती है। उदाहरण – ZnS, AgCl, AgBr और AgI |
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 7

प्रश्न 4.
सिल्वर fcc एकक कोष्ठिका के रूप में पाया जाता है जिसकी कोर लम्बाई 409 pm है तो सिल्वर परमाणु की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। (इसमें प्रत्येक फलक परमाणु चार कोनों को स्पर्श कर रहा है )।
उत्तर:
एक एकक कोष्ठिका की कोर लम्बाई a = 409 pm
अतः (fcc संरचना) परमाणु त्रिज्या (r) = \(\frac{a}{2 \sqrt{2}}\) = \(\frac{409}{2 \sqrt{2}}\)
r = \(\frac{409}{2 \times 1.414}\) = 144.6 pm

प्रश्न 5.
एक ध्रुवीय आण्विक ठोस में अणुओं को परस्पर एकत्र रखने में किस प्रकार की पारस्परिक क्रिया होती है?
उत्तर:
एक ध्रुवीय आण्विक ठोस में अणुओं को परस्पर एकत्र रखने में द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रिया होती है।

प्रश्न 6.
कॉपर धातु का घनत्व 8.95 g cm-3 है। यदि कॉपर परमाणु की त्रिज्या 127.8 pm हो तो कॉपर एकक सेल इनमें से किस प्रकार का होगा – साधारण घनीय, काय- केन्द्रित घनीय अथवा फलक- केन्द्रित घनीय?
(दिया गया है – Cu का परमाणु द्रव्यमान = 63.54 g mol-1 और NA = 6.02 × 1023 mol-1)
उत्तर:
दिया गया है – d = 8.95 g cm-3, r = 127.8 pm = 127.8 × 10-10 cm
M = 63.54 g mol-1, NA = 6.02 × 1023, Z = ?
माना Cu की संरचना फलक – केन्द्रित घनीय है जिसके लिए a = 2√2r अतः
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 8
अतः कॉपर का एकक सेल फलक-केन्द्रित घनीय होगा

प्रश्न 7.
यदि आप एक अज्ञात धातु का द्रव्यमान, घनत्व और इसके क्रिस्टल के एकक सेल की लम्बाई-चौड़ाई (विमाएँ ) जानते हों तो इसका परमाणु द्रव्यमान कैसे ज्ञात करेंगे? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
माना दिया गया द्रव्यमान घनत्व = d
तथा एकक सेल की विमा = a
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 9
माना एक परमाणु का द्रव्यमान = M
तथा एक एकक सेल में परमाणुओं की संख्या = Z
एक एकक सेल का परमाणु द्रव्यमान = ZM = IMG
M = मोलर द्रव्यमान, NA = आवोगाद्रो संख्या
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 10
इस सूत्र की सहायता से M ज्ञात किया जा सकता है, जब z का मान ज्ञात हो ।

प्रश्न 8.
साधारण घनाकार जालक के लिए एक धातु क्रिस्टल की पैकिंग क्षमता परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
सरल घनीय क्रिस्टल की संकुलन क्षमता 52.4 प्रतिशत होती है। जिसकी गणना निम्नलिखित है-
एक सरल घनीय जालक में परमाणु केवल घन के कोनों पर स्थित होते हैं। घन के किनारों पर स्थित कण एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 11
a = 2r
इसलिए घन की भुजा की लंबाई ‘a’ और प्रत्येक कण की त्रिज्या, में निम्न संबंध है-
a = 2r
अतः घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन = a3 = (2r)3 = 8r3
चूँकि सरल घनीय एकक कोष्ठिका में केवल 1 परमाणु उपस्थित होता है।
इसलिए घेरे गए त्रिविमीय स्थान का आयतन = \(\frac { 4 }{ 3 }\) πr3
अतः, संरचना की संकुलन क्षमता
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 12

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 9.
कॉपर फलक- केन्द्रित घनीय यूनिट सेलों में क्रिस्टलित होता है। यदि कॉपर परमाणु की त्रिज्या 127.8 pm है तो कॉपर धातु का घनत्व परिकलित कीजिए।
(Cu का परमाणु द्रव्यमान = 63.554 और ऐवोगाद्रो संख्या NA = 6.022 × 1023 mol-1 )
अथवा
आयरन का यूनिट सेल कॉय-केन्द्रित घनीय होता है और इस सेल का सिरा 286.65 pm है। आयरन का घनत्व 7.87 g cm-3 है । इस सूचना का उपयोग करके ऐवोगाद्रो संख्या का परिकलन | (Fe का परमाणु द्रव्यमान = 56.04)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 13

प्रश्न 10.
काँच को अतिशीतित द्रव कहते हैं । कारण दीजिए ।
उत्तर:
काँच अक्रिस्टलीय ठोस है तथा इसमें द्रवों के समान ‘प्रवाह’ की प्रवृत्ति होती है, यद्यपि यह बहुत धीमे होता है, अतः इसे अतिशीतित द्रव कहते हैं।

प्रश्न 11.
लौह चुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बनाते हैं। कारण दीजिए ।
उत्तर:
लौह चुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बनाते हैं क्योंकि ये चुम्बकीय क्षेत्र की ओर प्रबलता से आकर्षित होते हैं। ठोस अवस्था में इनमें धातु आयन छोटे खण्डों में एक साथ समूहित हो जाते हैं, इन्हें डोमेन कहते हैं। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यासित हो जाते हैं जिससे स्थायी तथा प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है ।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित क्रिस्टल संरचनाओं की संकुलन क्षमता तथा उपसहसंयोजन संख्या दीजिए |
(अ) अंतःकेन्द्रित घनीय
(ब) घनीय निविड संकुलन ।
उत्तर:
(अ) अंतः केन्द्रित घनीय क्रिस्टल संरचना की संकुलन क्षमता 68% तथा उपसहसंयोजन संख्या 8 होती है।
(ब) घनीय निविड संकुलन क्रिस्टल संरचना की संकुलन क्षमता 74% तथा उपसहसंयोजन संख्या 12 होती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-से ध्रुवीय आण्विक ठोस हैं? ठोस सल्फर डाइऑक्साइड, ठोस अमोनिया, आयोडीन क्रिस्टल, ग्रेफाइट, कार्बन टेट्राक्लोराइड ।
उत्तर:
ठोस सल्फर डाइऑक्साइड तथा ठोस अमोनिया ध्रुवीय आण्विक ठोस हैं।

प्रश्न 14.
एक घनीय क्रिस्टल P तथा Q दो तत्वों से बना है । इसमें Q के परमाणु घन के कोनों पर तथा P घन के केन्द्र में स्थित है तो यौगिक का सूत्र क्या होगा ?
उत्तर:

  • घन के कोने पर स्थित परमाणु का एकक कोष्ठिका में योगदान = \(\frac { 1 }{ 8 }\)
    अतः Q परमाणुओं की संख्या = \(\frac { 1 }{ 8 }\) × 8 = 1
  • घन के केन्द्र में स्थित परमाणु का एकक कोष्ठिका में योगदान = 1
    अतः P परमाणुओं की संख्या = 1 × 1 = 1
    इसलिए यौगिक का सूत्र = P : Q = 1 : 1 = PQ

प्रश्न 15.
(a) निम्नलिखित का कारण बताइए-
(i) शॉट्की त्रुटि के कारण ठोस का घनत्व कम हो जाता है।
(ii) Si को P से डोपित करने पर चालकता बढ़ती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 14
उत्तर:
(a)

  • शॉट्की त्रुटि में धनायन तथा ऋणायन समान संख्या में क्रिस्टल में से गायब हो जाते हैं अतः द्रव्यमान कम हो जाता है इसलिए घनत्व कम हो जाता है।
  • Si को P से डोपित करने पर, बन्ध बनाने के पश्चात् बचे इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रहते हैं जिनके कारण चालकता बढ़ जाती है।

(b) उपर्युक्त संरेखण में चुम्बकीय आघूर्ण के सभी डोमेन एक ही दिशा में अभिविन्यासित हैं अतः यह लोहचुम्बकत्व को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित त्रुटियुक्त क्रिस्टल का परीक्षण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 15
तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) क्रिस्टल किस प्रकार का रससमीकरणमितीय दोष दर्शाता
(ii) इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल के घनत्व पर क्या प्रभाव होता है?
(iii) किस प्रकार के आयनिक यौगिक यह त्रुटि दर्शाते हैं?
उत्तर:
(i) क्रिस्टल में शॉट्की दोष (त्रुटि) है।
(ii) इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
(iii) यह त्रुटि उन आयनिक यौगिकों द्वारा दर्शाई जाती है जिनमें धनायन तथा ऋणायन लगभग समान आकार के होते हैं।

प्रश्न 17.
एक तत्व जिसका घनत्व 11.2 g cm-3 जाक बनाता है जिसके किनारे की लम्बाई 4 × 10-8cm है तो तत्व का परमाणु द्रव्यमान परिकलित कीजिए । (NA = 6.022 × 1023 mol-1)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 16

प्रश्न 18.
(i) LiCI के गुलाबी रंग के लिए किस प्रकार का अरससमीकरणमितीय दोष उत्तरदायी होता है?
(ii) NaCl किस प्रकार का रससमीकरणमितीय दोष दर्शाता है?
उत्तर:

  • ऋणायनिक रिक्तिका के कारण धातु आधिक्य दोष
  • शॉट्की दोष ।

प्रश्न 19.
( अ ) यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं, सरल घनीय धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए ।
(ब) आयनिक ठोसों की प्रकृति के आधार पर फ्रेंकेल दोष एवं शॉटकी दोष की तुलना कीजिए।
उत्तर:
(अ) सरल घनीय क्रिस्टल की संकुलन क्षमता 52.4 प्रतिशत होती है जिसकी गणना निम्नलिखित है-
एक सरल घनीय जालक में परमाणु केवल घन के कोनों पर स्थित होते हैं। घन के किनारों पर स्थित कण एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं इसलिए घन की भुजा की लंबाई ‘a’ और प्रत्येक कण की त्रिज्या r में निम्न संबंध है –
a = 2r
अतः घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन
= a3 = (2r)-3 = 8r3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 17
चूँकि सरल घनीय एकक कोष्ठिका में केवल 1 परमाणु उपस्थित
इसलिए घेरे गए स्थान का आयतन = \(\frac { 4 }{ 3 }\)πr3,
अतः, संरचना की संकुलन क्षमता
एक परमाणु का आयतन घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 18
(ब) आयनिक ठोसों की प्रकृति के आधार पर फ्रेंकेल दोष एवं शॉट्की दोष की तुलना निम्नलिखित है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 19

प्रश्न 20.
( अ ) षट्कोणीय क्रिस्टल तंत्र हेतु अक्षीय कोणों के मान लिखिए।
(ब) सिलिकन में बोरॉन अपमिश्रित करने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है? समझाइए ।
उत्तर:
(अ) षट्कोणीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण a, B तथा y का मान क्रमश: 90°, 90° तथा 120° होता है।
(ब) सिलिकन में बोरॉन अपमिश्रित करने पर p-प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है क्योंकि बोरॉन में तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं अतः वह स्थान जहाँ चौथा इलेक्ट्रॉन नहीं होता उसे इलेक्ट्रॉन छिद्र कहते हैं। पास वाले परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकर इस इलेक्ट्रॉन छिद्र को भर देता है, ऐसा होने पर वह अपने मूल स्थान पर इलेक्ट्रॉन छिद्र छोड़ देता है, इससे ऐसा लगता है जैसे कि इलेक्ट्रॉन छिद्र जिस इलेक्ट्रॉन द्वारा यह भरा गया है।

उसकी विपरीत दिशा में चल रहा है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन छिद्रों में से धनावेशित प्लेट की ओर चलते हैं। परन्तु ऐसा लगता है जैसे इलेक्ट्रॉन छिद्र धनावेशित हैं तथा ॠणावेशित प्लेट की ओर चल रहे हैं । अतः इस प्रकार के अर्धचालकों को p-प्रकार के अर्धचालक कहते हैं। यहाँ p= धनात्मक (Positive)

प्रश्न 21.
उस यौगिक का सूत्र लिखिए जिसमें Y तत्त्व ccp जालक बनाता है और X के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों का 1/3 वाँ भाग घेरते हैं ।
उत्तर:
ccp जालक, तत्त्व Y से बना है अतः उत्पन्न चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या उसमें उपस्थित Y परमाणुओं की संख्या की दोगुनी होगी। इन रिक्तियों का 1/3 भाग X के परमाणुओं से भरा है अतः Y तथा X के परमाणुओं का अनुपात Y: 2X x 1/3 है। इसलिए यौगिक का सूत्र Y3X2 या X2Y3 है।

प्रश्न 22.
दिए गए दोषपूर्ण क्रिस्टल की जाँच कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 20
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) उपर्युक्त दोष रससमीकरणमितीय (स्टॉइकियोमीट्रिक ) है अथवा अ-रससमीकरणमितीय ( अन-स्टॉइकियोमीट्रिक ) है ?
(ii) इलेक्ट्रॉन वाली स्थिति के लिए जो पद प्रयुक्त होता है, उसे लिखिए।
(iii) इस प्रकार का दोष दिखाने वाले यौगिक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • उपर्युक्त दोष अरससमीकरणमितीय है क्योंकि इस यौगिक के आयन रससमीकरणमितीय अनुपात में नहीं हैं।
  • इलेक्ट्रॉन की इस स्थिति को F केन्द्र कहते हैं ।
  • NaCl इस प्रकार का दोष दर्शाता है ।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ दर्द निवारक (पीड़ाहारी) है?
(अ) ऐस्प्रिन
(स) इण्डिगो
(ब) पेनिसिलिन
(द) सैकरीन
उत्तर:
(अ) ऐस्प्रिन

2. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ पूतिरोधी है ?
(अ) पैरासिटैमॉल
(ब) ल्यूमीनल
(स) डेटॉल
(द) प्रोथजिन
उत्तर:
(स) डेटॉल

3. सोडियम बेन्जोएट है-
(अ) खाद्य रंग
(ब) खाद्य परिरक्षक
(स) कृत्रिम मधुरक
(द) प्रति-ऑक्सीकारक
उत्तर:
(ब) खाद्य परिरक्षक

4. सैकरीन है-
(अ) खाद्य परिरक्षक
(ब) खाद्य रंग
(स) प्रति आक्सीकारक
(द) कृत्रिम मधुरक
उत्तर:
(द) कृत्रिम मधुरक

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

5. अपमार्जक होते हैं-.
(अ) प्राकृतिक पदार्थ
(ब) क्षारीय
(स) संश्लेषित पदार्थ
(द) दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार का लवण
उत्तर:
(स) संश्लेषित पदार्थ

6. पैरासिटैमॉल का सही संरचना सूत्र निम्नलिखित में से कौनसा है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 2

7. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ लक्ष्य- अणु अथवा औषध-लक्ष्य है?
(अ) कार्बोहाइड्रेट
(ब) प्रोटीन
(स) न्यूक्लीक अम्ल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

8. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ कृत्रिम मधुरक है?
(अ) ऐस्पार्टेम
(ब) ऐलिटेम
(स) सूक्रालोस
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

9. निम्नलिखित में से अपमार्जक का सूत्र कौनसा है?
(अ) (C17H35COO)2Ca
(ब) CH3(CH2)10CH2O SO3 Na
(स) C17H35COONa
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) CH3(CH2)10CH2O SO3 Na

10. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ पूतिरोधी तथा विसंक्रामक दोनों की भाँति कार्य करता है?
(अ) आयोडीन
(ब) फीनॉल
(स) क्लोरीन
(द) सोफ्रामाइसिन
उत्तर:
(ब) फीनॉल

11. साबुन तथा अपमार्जक होते हैं-
(अ) पृष्ठ अक्रिय
(ब) जल विरोधी
(स) पृष्ठ सक्रिय
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) पृष्ठ सक्रिय

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

12. निम्नलिखित में से कौनसी औषध प्रतिजैविक नहीं है?
(अ) क्लॉरैम्फेनिकॉल
(ब) सल्फा औषध
(स) पेनिसिलिन
(द) बाइथायोनल
उत्तर:
(द) बाइथायोनल

13. 2-ऐसिटॉक्सी बेन्जोइक अम्ल है-
(अ) प्रतिरोधी
(ब) ज्वरनाशी
(स) प्रतिअम्ल
(द) प्रतिजैविक
उत्तर:
(ब) ज्वरनाशी

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
एन्जाइम संदमक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे औषध जो एन्जाइम के उत्प्रेरक कार्य में अवरोध उत्पन्न करती हैं, उन्हें एन्जाइम संदमक कहते हैं।

प्रश्न 2.
रासायनिक संदेशवाहक किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
वे रसायन जो दो तंत्र कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) और तंत्र कोशिकाओं तथा पेशी के मध्य संदेश का संचार करते हैं, उन्हें रासायनिक संदेशवाहक कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्रतिहिस्टैमिन के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
संश्लिष्ट औषध, ब्रोमफेनिरामिन तथा टरफेनाडीन (सेलडेन) प्रतिहिस्टैमिन का कार्य करते हैं।

प्रश्न 4.
पीड़ाहारी के दो प्रकार बताइए ।
उत्तर:
पीड़ाहारी (i) अस्वापक (अनासक्त) या नॉन एडिक्टिव तथा (ii) स्वापक (नारकोटिक) प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 5.
जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न का नाम बताइए ।
उत्तर:
नॉरएथिनड्रान संश्लिष्ट प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न है जिसे जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
दर्द को कम करने के लिए प्रयुक्त मुख्य स्वापक पीड़ाहारी वर्ग कौनसा होता है?
उत्तर:
मार्फीन एक महत्त्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी वर्ग है।

प्रश्न 7.
फेनैसिटीन किस बीमारी के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
फेनैसिटीन एक ज्वरनाशी औषध होती है।

प्रश्न 8.
प्रभावी प्रतिअम्लों के उदाहरण बताइए।
उत्तर:
सिमेटिडीन तथा रेनिटिडीन (जैनटेक) प्रभावी प्रतिअम्ल हैं।

प्रश्न 9.
प्रशांतक क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो बिना नींद के मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती हैं तथा जिनका उपयोग तनाव तथा मानसिक बीमारियों में किया जाता है उन्हें प्रशान्तक कहते हैं।

प्रश्न 10.
पीड़ाहारी औषध क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो तंत्रिका तंत्र में बाधा उत्पन्न किए बिना दर्द को कम अथवा समाप्त कर देती हैं, उन्हें पीड़ाहारी औषध कहते हैं।

प्रश्न 11.
प्रतिसूक्ष्म जैविक औषध क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो जीवाणु, कवक, वायरस या परजीवियों को चयनित करके उनका विनाश करती हैं या उनकी वृद्धि को रोकती हैं अथवा सूक्ष्मजीवियों के परजीवी प्रभाव को रोकती हैं, उन्हें प्रतिसूक्ष्म जैविक औषध कहते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

प्रश्न 12.
आँखों के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पूतिरोधी का नाम बताइए।
उत्तर:
बोरिक अम्ल (H3BO3)

प्रश्न 13.
प्रतिजनन क्षमता औषध क्या होती है? इसके दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
वे औषध जो जीव की जनन क्षमता में कमी करती हैं उन्हें प्रतिजनन क्षमता औषध कहते हैं। उदाहरण- नारएथिनड्रान तथा एथाइनिलएस्ट्राडाइऑल (नोवएस्ट्रॉल)।

प्रश्न 14.
जैव निम्ननीकृत अपमार्जक में किस प्रकार की शृंखलाएँ होती हैं?
उत्तर:
जैव निम्ननीकृत अपमार्जक में अशाखित श्रृंखलाएँ होती हैं।

प्रश्न 15.
खाद्य पदार्थों में परिरक्षक क्यों मिलाए जाते हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकने के लिए परिरक्षक मिलाए जाते हैं ताकि वे खराब न हों।

प्रश्न 16.
कृत्रिम मधुरक सैकरीन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सैकरीन का संरचना सूत्र अग्रलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 2a

प्रश्न 17.
अनआयनिक अपमार्जक किन यौगिकों से मिलकर बनता है?
उत्तर:
अनआयनिक अपमार्जक स्टीऐरिक अम्ल तथा पॉलिएथिलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बनता है।

प्रश्न 18.
धनायनी अपमार्जक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड, एक धनायनी अपमार्जक है।

प्रश्न 19.
किसी औषध के लिए आण्विक लक्ष्य के चयन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
किसी औषध के वांछित चिकित्सकीय प्रभाव को प्राप्त करने के लिए आण्विक लक्ष्य का चयन किया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित रोगों के इलाज में कौनसा ऐल्केलॉयड उपयोग किया जाता है ?

  1. मलेरिया बुखार
  2. हाइपर टेंशन
  3. दर्द

उत्तर:

  1. क्विनीन
  2. रेसर्पिन
  3. मॉर्फीन।

लघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
औषधों का वर्गीकरण किन-किन मापदंडों के अनुसार किया जाता है ?
उत्तर:
औषधों का वर्गीकरण निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर किया जाता है-

  • भेषजगुणविज्ञानीय (फार्माकोलोजिकल) प्रभाव
  • औषध का प्रभाव
  • रासायनिक संरचना
  • लक्ष्य अणु।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित व्यापारिक नाम युक्त औषधियों में उपस्थित रसायनों का नाम बताइए-
(a) (i) क्रोसीन, (ii) डिस्प्रिन।
(b) साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए कौनसा यौगिक मिलाया जाता है?
उत्तर:
(a) (i) क्रोसीन – पेरासिटैमॉल, (ii) डिस्प्रिन – ऐसिटिल-सैलिसिलिक अम्ल।
(b) साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए बाइथायोनॉल मिलाया जाता है।

प्रश्न 3.
बाइथायोनॉल तथा क्लोरैम्फेनिकॉल की संरचना बताइए।
उत्तर:
(i) डेटॉल, क्लोरोजाइलिनॉल टर्पीनिऑल तथा परिशुद्ध ऐल्कोहॉल का मिश्रण होता है।
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(ii) बाइथायोनॉल (बाइथायोनैल) को साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए मिलाया जाता है।
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(iii) आयोडोफॉर्म (CHl3) को घावों पर पूतिरोधी के रूप में प्रयोग करते हैं क्योंकि यह विघटित होकर आयोडीन देता है।

(iv) बोरिक अम्ल (H3BO3) का तनु जलीय विलयन आँखों के लिए दुर्बल पूतिरोधी होता है।

(v) आयोडीन एक प्रबल पूतिरोधी है तथा इसके ऐल्कोहॉल-जल मिश्रण में 2-3% विलयन को आयोडीन का टिंक्चर कहते हैं। इसे घाव पर लगाया जाता है।

(vi) अनेक कार्बनिक रंजकों में बैक्टीरियाई कोशिका के केन्द्रक में उपस्थिति क्रोमेटिन से जुड़कर उसे निष्क्रिय कर देने की क्षमता होती है जिससे बैक्टीरिया निष्प्रभावी हो जाते हैं। उदाहरण- मेथिलीन ब्लू, मर्क्युरोक्रोम तथा जेन्शियन वायलेट।

(vii) पूतिरोधियों को टूथपेस्ट, माउथवाश, फेस पाउडर तथा साबुन को दुर्गन्धरहित करने के लिए भी मिलाया जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित औषधों का वर्गीकरण उनके उपयोग के आधार पर कीजिए –
(a) फीनॉल, बाइथॉयोनॉल, क्लोरोजाइलिनॉल तथा ऐम्पिसिलिन
(b) इक्वेनिल, ल्यूमिनल, फेनैसिटीन तथा वेरोनल।
उत्तर:
(a) पूतिरोधी – फीनॉल, बाइथॉयोनॉल, क्लोरोजाइलिनॉल, प्रतिजैविक – ऐम्पिसिलिन।
(b) प्रशान्तंक – इक्वेनिल, ल्यूमिनल तथा वेरोनल फेनैसिटीन – ज्वरनाशी।

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प्रश्न 5.
प्रतिअम्ल (एन्ट – एसिड) क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य द्वारा अत्यधिक मात्रा में चाय, कॉफी, अचार तथा ऐलोपेथी दवाइयों इत्यादि के सेवन से आमाशय में अम्ल का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे अत्यधिक पीड़ा होती है तथा कभी-कभी आमाशय में घाव (अल्सर) भी हो जाते हैं। आमाशय की इस अम्लता को कम करने के लिए प्रतिअम्ल प्रयुक्त किए जाते हैं। अतः वे रासायनिक पदार्थ जो आमाशय की

अम्लता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें प्रतिअम्ल कहते हैं।

प्रारम्भ में अम्लता का उपचार सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO3) या ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड। Al(OH)3 तथा Mg(OH)2] द्वारा किया जाता था लेकिन NaHCO3 की अधिक मात्रा के कारण आमाशय क्षारीय हो जाता है जिसके कारण अम्ल का उत्पादन अधिक होता है। अतः धात्विक हाइड्रॉक्साइड अच्छे प्रतिअम्ल माने जाते हैं क्योंकि ये अविलेय होते हैं जिससे pH का मान 7 (उदासीन) से अधिक नहीं हो पाता है। इनोफ्रूटसाल्ट भी एक सामान्यतः प्रयुक्त किए जाने वाला प्रतिअम्ल है जिसे जल के साथ प्रयुक्त किया जाता है। उपरोक्त सभी प्रतिअम्लों से रोग का कारण ठीक नहीं होता, केवल रोग के लक्षण नियंत्रित होते हैं, अतः अत्यधिक मात्रा में अल्सर होना प्राणघातक भी हो सकता है। इस कारण पहले आमाशय के रोगयुक्त भाग को ही निकाल दिया जाता था।

आजकल पुदीन हरा जैसे हर्बल प्रतिअम्ल भी प्रयोग में लिए जाते हैं। आगे के शोध से ज्ञात हुआ कि सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन (ज़ैनटेक) प्रभावी प्रतिअम्ल हैं। हिस्टैमिन, आमाशय की दीवारों में स्थित ग्राही के साथ क्रिया करता है जिससे आमाशय में पेप्सिन तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन बढ़ जाता है जिसे रोकने के लिए सिमेटिडीन औषध का प्रयोग किया जाता है। लेकिन आजकल रेनिटिडीन को प्रतिअम्ल के रूप में सर्वाधिक मात्रा में उपयोग में लिया जाता है। वर्तमान में ओमेप्रेजॉल तथा लैन्सोप्रेजॉल को भी प्रतिअम्ल के रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है।
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प्रश्न 6.
ग्राही (Receptors) किस प्रकार औषध लक्ष्य की तरह कार्य करते हैं? समझाइए।
उत्तर:
शरीर की संचार व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभाने वाले प्रोटीनों को ग्राही कहते हैं। इनमें से अधिकतर प्रोटीन, कोशिका झिल्ली (कला) में पाए जाते हैं तथा ये ग्राही प्रोटीन, कोशिका झिल्ली में इस प्रकार स्थित होते हैं कि उनकी सक्रिय सतह वाला छोटा भाग कोशिका झिल्ली के बाहरी क्षेत्र की और खुलता है।

शरीर में दो न्यूरॉन्स (तंत्र कोशिका) एवं न्यूरॉन तथा पेशी (Muscle) के मध्य संदेश का संचार कुछ रसायनों द्वारा होता है उन्हें रासायनिक संदेशवाहक (Chemical Messengers) कहा जाता है। ये रसायन ग्राही की बंधनी सतह द्वारा ग्रहण किए जाते हैं। ग्राही के आकार में परिवर्तन होने से संदेशवाहक, ग्राही के साथ समायोजित हो जाता है जिससे संदेश कोशिका तक पहुँच जाता है। इस प्रकार रासायनिक संदेशवाहक कोशिका में प्रवेश किए बिना ही संदेश को कोशिका के अन्दर पहुँचा देते हैं। रासायनिक संदेशवाहक दो प्रकार के होते हैं : (i) हॉर्मोन तथा (ii) तत्त्रिकीय संदेशवाहक।
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प्रश्न 7.
हिस्टैमिन तथा प्रतिहिस्टैमिन क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
प्रतिहिस्टैमिन, वे रासायनिक पदार्थ हैं जो त्वचा (Skin) पर उत्पन्न खुजली तथा जल इत्यादि के प्रभाव को कम करते हैं। हिस्टैमिन एक वाहिका विस्फारक (वैसोडाइलेटर) पदार्थ है जो कि श्वास नलिकाओं तथा आहार नली की पेशियों को संकुचित करता है एवं रुधिर वाहिकाओं की दीवारों को नरम (Relax) करता है। जुकाम के कारण होने वाला नासिक संकुलन (Nasal congestion) तथा परागकणों के कारण उत्पन्न एलर्जी भी हिस्टैमिन के कारण ही होती है। प्रतिहिस्टैमिन, हिस्टैमिन के प्राकृतिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

प्रतिहिस्टैमिन, ग्राही की उस बंधनी सतह पर जुड़ती है जिस पर हिस्टैमिन अपना प्रभाव डालती है अर्थात् इस बंधनी सतह के लिए हिस्टैमिन तथा प्रतिहिस्टैमिन में प्रतिस्पर्धा होती है। ब्रोमफेनिरामिन (डाइमेटेप) तथा टरफेनाडीन (सेलडेन ) नामक संश्लिष्ट औषध, प्रतिहिस्टैमिन का कार्य करती हैं। प्रतिहिस्टैमिन, आमाशय के अम्ल स्रवण पर प्रभाव नहीं डालती क्योंकि प्रतिएलर्जी तथा प्रति-अम्ल औषध भिन्न-भिन्न ग्राहियों पर कार्य करती है।
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प्रश्न 8.
स्वापक पीड़ाहारी क्या होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
स्वापक (नारकोटिक या ऐनाल्जेसिक) पीड़ाहारी-ये पीड़ाहारी दर्द को कम करते हैं लेकिन इनसे नींद तथा बेहोशी आती है। इनकी अधिक मात्रा के सेवन से भावशून्यता (Stupor), कोमा में आना (सम्मूच्छा ) तथा मरोड़ (Convulsions) जैसे प्रभाव उत्पन्न होते हैं तथा अन्त में मृत्यु भी हो सकती है।

मॉर्फीन एक महत्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी वर्ग है, इन्हें ओपिएट्स (अहिफेनी) भी कहते हैं क्योंकि ये पोस्त (ओपियम पौपी) से प्राप्त किए जाते हैं। ये पीड़ाहारी मुख्यतः हृदय के दर्द, ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा) के बाद होने वाले दर्द, प्रसव पीड़ा तथा कैंसर की अन्तिम अवस्था में होने वाले दर्द से आराम देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। इन पीड़ाहारियों के प्रयोग से मनुष्य इनका आदी हो जाता है। हेरोइन तथा कोडीन भी महत्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी होती हैं। हेरोइन को मॉर्फीन के ऐसिटिलीकरण द्वारा बनाया जाता है तथा यह एक शक्तिशाली पीड़ाहारी है।
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प्रश्न 9.
प्रतिजैविक (एन्टिबायोटिक) क्या होते हैं ? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रतिजैविक (ऐन्टिबॉयोटिक) या प्रतिजीवाणु-प्रतिजैविक वे औषध हैं, जो सूक्ष्म जीवों (Micro organisms) जैसे जीवाणु (वायरस) तथा कवक (फफूँदी) द्वारा उत्पन्न होते हैं तथा ये अन्य सूक्ष्मजीवों के उपापचयी प्रक्रमों में अवरोध उत्पन्न करके उनकी वृद्धि को रोकते हैं या उनका विनाश करते हैं। प्रतिजैविक, पूर्ण अथवा आंशिक रासायनिक संश्लेषण द्वारा प्राप्त की जाती हैं।

इन्हें कम सान्द्रता में प्रयुक्त किया जाता है तथा ये कम विषैली होती हैं अतः इन्हें संक्रमण (Infections) के उपचार हेतु प्रयोग में लिया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी में ऐसे रसायनों की खोज हुई जो आक्रमणकारी जीवाणुओं पर तो प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, लेकिन परपोषी (होस्ट) पर इनका कोई प्रभाव नहीं होता। प्रतिजैविकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
1. आर्सेनिक आधारित औषध आर्सफेनेमीन (सैल्वरसैन) सिफलिस के उपचार के लिए प्रयुक्त होती है, जिसकी खोज पॉल एर्लिश ने की थी। सैल्वरसैन मनुष्य के लिए विषैली होती है, लेकिन इसका प्रभाव मनुष्य की अपेक्षा सिफलिस उत्पन्न करने वाले जीवाणु (स्पाइरोकीट) पर अधिक होता है।

2. प्रॉन्टोसिल एक प्रतिजीवाणु है जो शरीर में सल्फैनिलऐमाइड में बदल जाता है जो कि वास्तविक असरकारक सल्फा औषध है।
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3. सल्फा औषधों में सल्फापिरिडीन सर्वाधिक प्रभावकारी प्रतिजैविक होती है।
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4. सल्फोनैमाइडों की सफलता के बाद 1929 में ऐलेक्जेन्डर फ्लैमिंग ने पेनिसिलियम नोटेटम नामक फफूँदी से एक प्रतिजैविक औषधि पेनिसिलिन की खोज की, जिसका सामान्य सूत्र निम्नलिखित है-
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पेनिसिलिन देने से पहले इसके प्रतिएलर्जी का परीक्षण करना आवश्यक होता है। प्रतिजैविक, सूक्ष्म जीवों को नष्ट करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं। कुछ जीवाणुनाशी (Bactericidal) तथा जीवाणुरोधी (Bacteriostatic) प्रतिजैविकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

जीवाणुनाशीजीवाणुरोधी
पेनिसिलिनएरिश्रोमाइसिन
ऐमीनोग्लाइकोसाइडटेट्रासाइक्लीन
ऑफ्लोक्सासिनक्लौरैम्फेनिकॉल

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प्रश्न 10.
प्रतिजनन क्षमता औषध क्या होती हैं? समझाइए।
उत्तर:
वे औषध जो जीव की जनन क्षमता में कमी करती हैं, उन्हें प्रतिजननक्षमता औषध कहते हैं। जनन नियंत्रण गोलियों में संशिलष्ट एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्नों का मिश्रण होता है। ये दोनों ही हार्मोन होते हैं। प्रोजेस्टेरोन अंडोत्सर्ग को निरोधित करता है। संश्लेषित प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन की तुलना में अधिक प्रभावशाली होते हैं। नॉरएथिनड्रान एक संशिलष्ट प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न है जिसे मुख्य रूप से जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है। एथाइनिलएस्ट्राडाइऑल (नोवएस्ट्रॉल) एक एस्ट्रोजन व्युत्पन्न है जिसे प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न के साथ जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है।
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वे यौगिक जो गर्भधारण में रुकावट डालते हैं उन्हें गर्भ निरोधक पदार्थ (Contraceptive Substances) कहते हैं तथा वे रसायन जिनसे सन्तानोत्पत्ति की क्षमता नष्ट हो जाती है उन्हें रसोबन्ध्यक (Chemosterilants) कहा जाता है।

उदाहरण-
(i) मटर के तेल से प्राप्त m-जाइलोहाइड्रोक्विनोन चूहों में गर्भ धारण क्षमता को कम कर देता है तथा इसका महिलाओं की गर्भधारण क्षमता पर भी काफी प्रभाव होता है।
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(ii) डैनैजॉल नामक रसायन से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में प्रभावी कमी आ जाती है।

(iii) बिनौले के तेल से प्राप्त गोसिपॉल नामक ऐरोमैटिक हेक्साहाइड्रॉक्सीडाइऐल्डिहाइड पुरुषों के लिए सर्वाधिक प्रभावी प्रतिनिषैची (प्रतिजनन क्षमता) कर्मक होता है।
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प्रश्न 11.
सैकरीन के संश्लेषण में प्रयुक्त अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
वे पदार्थ जो शर्करा (Sugar) के स्थान पर मधुरक (Sweetening agent) के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं लेकिन उनका कोई पोषण मान (Nutritional value) नहीं होता, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं।

प्राकृतिक मधुरक जैसे सूक्रोस इत्यादि ग्रहण की गई कैलोरी मान को बढ़ाते हैं। अतः आजकल बहुत से व्यक्ति कृत्रिम मधुरकों का प्रयोग करने लगे हैं। सैकरीन एक प्रथम अधिक प्रचलित कृत्रिम मधुरक है जिसकी खोज 1879 में हुई थी। यह सूक्रोस से लगभग 550 गुना अधिक मीठी होती है तथा इसका रासायनिक नाम आर्थोसल्फो-बेन्जीनीमाइड है तथा यह एक श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।

सैकरीन के प्रयोग का लाभ यह है कि इसका शरीर में पाचन नहीं होता तथा यह अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाती है क्योंकि यह पूर्णतः अक्रिय होता है तथा इससे कोई हानि भी नहीं होती। इसी कारण इसे मधुमेह के रोगियों के लिए आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है।

सैकरीन जल में अविलेय होती है लेकिन इसका सोडियम लवण जल में विलेय होता है। सैकरीन का संश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है-
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सैकरीन के अतिरिक्त ऐस्पार्टेम सूक्रालोस तथा ऐलिटेम भी महत्वपूर्ण कृत्रिम मधुरक हैं।
(i) ऐस्पार्टेम-यह एक व्यापक रूप से प्रयुक्त किए जाने वाला कृत्रिम मधुरक है। यह एस्पार्टिक अम्ल तथा फेनिलऐलानिन से बने डाइपेप्टाइड का मेथिल एस्टर है। यह सूक्रोस की तुलना में लगभग 100 गुना अधिक मीठा होता है। एस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों को मीठा करने के लिए ही प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि इसे खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है। इसकी संरचना निम्नलिखित है-
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(ii) सूक्रालोस-यह सूक्रोस का ट्राइक्लोरो व्युत्पन्न है। शर्करा के समान यह भी क्रिस्टलीय ठोस होता है लेकिन यह सूक्रोस की तुलना में लगभग 600 गुना मीठा होता है। यह खाना पकाने के तापमान पर स्थायी होता है तथा इससे कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती है। सूक्रालोस संरचना निम्नलिखित है-
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(iii) ऐलिटेम-यह एक प्रबल कृत्रिम मधुरक है तथा ऐस्पार्टेम की तुलना में अधिक स्थायी होता है। यह सूक्रोस से लगभग 2000 गुना अधिक मीठा होता है तथा इसकी मिठास को नियंत्रित करना कठिन होता है। इसकी संरचना निम्नलिखित है-
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प्रश्न 12.
एक अच्छे खाद्य परिरक्षक के गुण बताइए।
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को पड़ा रखने पर उनमें सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। अतः वे पदार्थ जिन्हें खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं।

कुछ सामान्य परिक्षक निम्नलिखित हैं-साधारण नमक, चीनी, वनस्पति तेल, सोडियम बेन्जोएट (C6H5COONa), सॉर्बिक अम्ल तथा प्रोपेनॉइक अम्ल के लवण।

सोडियम बेन्जोएट का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है क्योंकि यह शरीर द्वारा उपापचयित हो जाता है।

एक अच्छे खाद्य परिरक्षक में निम्नलिखित गुण होने चाहिये-

  • खाद्य पदार्थों पर इनका लम्बे समय तक असर रहना चाहिए।
  • ये स्वादहीन होने चाहिए।
  • इन्हें अल्प मात्रा में ही प्रयुक्त किया जाना चाहिए।
  • इनकी खाद्य पदार्थों से कोई क्रिया नहीं होनी चाहिए।
  • इनके प्रयोग से जलन, अम्लता, एलर्जी, गैस तथा पित्त नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 13.
साबुन क्या होते हैं तथा इन्हें किस प्रकार बनाया जाता है ?
उत्तर:
दीर्घ श्रृंखलायुक्त वसा अम्लों के सोडियम तथा पोटैशियम लवणों को साबुन कहते हैं। संतृप्त तथा असंतृप्त मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों को वसा अम्ल (Fatty Acids) कहते हैं। जैसे स्टिऐरिक अम्ल (C17H35COOH), पामिटिक अम्ल (C15H31COOH) तथा ओलीक अम्ल (C17H33COOH)। ये प्रकृति में प्रमुखता से पाये जाते हैं।

वसा अम्लों के सेडियम लवणों को सोडियम साबुन अथवा कठोर साबुन (Hard Soaps) अथवा धावन साबुन (Washing Soaps) कहते हैं, जबकि पोटैशियम साबुन को नहाने के साबुन (Bathing Soaps) अथवा मृदु साबुन (Soft Soaps) कहते हैं।

साबुन बनाना – वसा (वसा अम्लों के ग्लिसरिल एस्टर) को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन प्राप्त होता है तथा साबुन बनाने की इस प्रक्रिया को साबुनीकरण ( Saponification) कहते हैं। इस अभिक्रिया में वसा अम्लों के एस्टर का जल अपघटन होता है तथा प्राप्त साबुन कोलॉइडी अवस्था में होता है। इसे विलयन में सोडियम क्लोराइड (NaCl) डालकर अवक्षेपित कर लेते हैं। साबुन को पृथक् कर लेने के बाद बचे हुए विलयन में ग्लिसरॉल रह जाता है जिसे प्रभाजी आसवन के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
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आठ से अठारह कार्बन परमाणु युक्त साबुन की गुणवत्ता अच्छी होती है । अठारह से अधिक कार्बन होने पर इनकी जल में विलेयता कम होती है तथा अठारह से कम कार्बन होने पर इनकी शोधन शक्ति (Cleansing Power) कम हो जाती है। सोडियम तथा पोटेशियम साबुन जल में विलेय होते हैं तथा इन्हें सफाई के लिए प्रयुक्त किया जाता है। पोटेशियम साबुन मृदु होते हैं अतः इस प्रकार के साबुन त्वचा के लिए कोमल होते हैं। पोटेशियम साबुन बनाने के लिए NaOH के विलयन के स्थान पर KOH का विलयन लिया जाता है।

साबुन के प्रकार (Types of Soaps ) साबुनों के उपयोगों के आधार पर ये अग्रलिखित प्रकार के होते हैं-
(i) प्रसाधन साबुन (Toilet Soap ) – ये अच्छे वसा एवं तेलों से बनाए जाते हैं तथा इनसे क्षार के आधिक्य को निकाल लिया जाता है। इन्हें आकर्षक बनाने के लिए इनमें रंग तथा सुगंध मिलाते हैं।

(ii) पानी में तैरने वाले साबुन (Floating Soap ) – तैरने वाले साबुन बनाने के लिए इनके कठोर होने से पहले इनमें वायु के छोटे-छोटे बुलबुले विस्पंदित (प्रवाहित ) किए जाते हैं।

(iii) पारदर्शी साबुन (Transparent Soap ) – साबुन को एथेनॉल में मोलकर और फिर विलायक के आधिक्य को वाष्पित करने से पारदर्शी साबुन बनते हैं।

(iv) औषध ‘साबुन (Medicated Soap ) – इनमें औषधीय गुण वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं। कुछ साबुनों में गंधहारी (Deodorants) पदार्थं भी मिलाए जाते हैं।

(v) दाढ़ी बनाने का साबुन (Shaving Soap ) – दाढ़ी बनाने साबुन बनाने के लिए इसमें रोजिन नामक गोंद मिलायी जाती है जिससे सोडियम रोजिनेट बनता है जो झाग बनाने में मदद करता है तथा इसे जल्दी सूखने से बचाने के लिए इसमें ग्लिसरॉल भी मिलाया जाता है।

धुलाई के साबुन में सोडियम रोजिनेट, सोडियम कार्बोनेट, सोडियम सिलिकेट तथा बोरेक्स जैसे पूरक (Fillers) भी मिलाए जाते हैं तथा साबुन की छीलन ( Soap Chips) बनाने के लिए ठंडे सिलिंडर पर साबुन की पतली परत चढ़ाकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में खुरच लिया जाता है। दानेदार साबुन (Soap Granules) सूखे हुए साबुन के छोटे-छोटे बुलबुले होते हैं।

साबुन का पाउडर तथा मार्जन साबुन में कुछ साबुन, मार्जक (अपघर्षी) जैसे झामक चूर्ण ( Powdered Pumice) या बारीक रेत तथा सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) एवं ट्राइसोडियम फॉस्फेट (Na3PO4) जैसे बिल्डर मिले होते हैं। बिल्डर से साबुन की क्रियाशीलता बढ़ जाती है।

साबुन की शोधन क्रिया (Cleansing Action of Soaps) – साबुन की शोधन क्रिया में पायसीकरण ( इमल्सीकरण ) होता है। इस प्रक्रिया में साबुन, कपड़े पर लगे ग्रीस तथा मिट्टी के कणों का जल के साथ इमल्सन (पायस) बनाने में मदद करता है।

स्पष्टीकरण (Explanation ) – साबुन के अणु में अध्रुवीय जल विरोधी तथा ध्रुवीय जलस्नेही भाग होता है। कपड़े की सतह पर मिट्टी के कण, ग्रीस या तेल द्वारा चिपके रहते हैं। ग्रीस या तेल जल में अविलेय होता है अतः मिट्टी के कणों को केवल जल द्वारा नहीं हटाया जा सकता। जब साबुन का प्रयोग किया जाता है तो इसका अध्रुवीय एल्किल समूह तेल की बूंदों में विलेय होता है जबकि ध्रुवीय – COON+a समूह जल में विलेय होता है अतः तेल की प्रत्येक बूँद के चारों ओर ऋणावेश आ जाता है इससे इमल्सन बन जाता है तथा मिट्टी के कण युक्त तेल की बूँदें जल द्वारा साफ हो जाती हैं।
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साबुन केवल मृदु जल (Soft Water) में ही कार्य करते हैं। कठोर जल में नहीं, क्योंकि कठोर जल में Ca2+ तथा Mg2+ आयन होते हैं इसलिए सोडियम अथवा पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर वह अघुलनशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित हो जाता है।
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ये अघुलनशील साबुन, मलफेन (Scum) की भाँति जल से पृथक् हो जाते हैं तथा शोधन अभिकर्मक के रूप में उपयुक्त नहीं रहते। ये अच्छी धुलाई में रुकावट डालते हैं क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों पर चिपक जाता है। कठोर जल से धुले बाल इसी चिपचिपे पदार्थ के कारण ही चमकदार नहीं होते हैं। कठोर जल और साबुन से धुले कपड़ों में इस चिपचिपे पदार्थ के कारण रंजक भी एकसमान रूप से अवशोषित नहीं होता है।

प्रश्न 14.
अपमार्जकों के संश्लेषण की विधियों के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अपमार्जकों का संश्लेषण (Synthesis of Detergents) – अपमार्जकों को निम्नलिखित विधियों द्वारा संश्लेषित किया जाता है-
(i)
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(ii) रीड अभिक्रिया द्वारा (By Reed Reaction)
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साबुन तथा अपमार्जक में अन्तर (Difference between Soaps and Detergents)
(i) उच्चतर (दीर्घ श्रृंखला युक्त) मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों का सोडियम अथवा पोटैशियम लवण साबुन कहलाता है, जबकि उच्चतर ऐल्केन सल्फोनिक अम्ल अथवा ऐल्केन हाइड्रोजनसल्फेट के सोडियम लवणों को अपमार्जक कहते हैं। अर्थात् साबुन तथा अपमार्जक के ध्रुवीय सिरे में रासायनिक भिन्नता होती है।

(ii) साबुन दुर्बल अम्ल (RCOOH) तथा प्रबल क्षार के लवण होते हैं; जबकि अपमार्जक, प्रबल अम्ल (RSO3H अथवा RSO4H ) तथा प्रबल क्षार के लवण होते हैं। इसी कारण कठोर जल में उपस्थित Ca2+ तथा Mg2+ आयन साबुन के साथ क्रिया करके कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण बनाते हैं, जो कि सहसंयोजी होने के कारण जल में अविलेय होते हैं। अपमार्जक कठोर जल में भी शोधन करते हैं क्योंकि इनके कैल्सियम तथा मैग्नीशियम आयनिक प्रकृति के होने के कारण जल में विलेय होते हैं।

(iii) साबुन जल अपघटित होकर क्षारीय विलयन देते हैं, जबकि अपमार्जक का जलीय विलयन उदासीन होता है। इसी कारण अपमार्जकों को ऊनी, रेशमी तथा अन्य कोमल वस्त्रों को धोने के काम में लेते हैं, लेकिन साबुन द्वारा इन कोमल वस्त्रों का शोधन नहीं किया जा सकता है।
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बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदार्थ क्या होते हैं? प्रत्येक का एक- एक उदाहरण दीजिए-
(i) धनायनी अपमार्जक
(ii) एन्जाइम
(iii) स्वीटनिंग कर्मक या मिठासकारक (मधुरक)।
उत्तर:
(i) धनायनी अपमार्जक ऐमीनो के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ बने चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं। उदाहरण- सेटिलट्राइमेथिल अमोनियमब्रोमाइड।

(ii) जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करने वाले प्रोटीन युक्त पदार्थों को एन्जाइम अथवा जैव उत्प्रेरक कहते हैं। उदाहरण- यूरिऐस।

(iii) वे पदार्थ जो शर्करा के स्थान पर मधुरक के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं। उदाहरण- सैकरीन।

प्रश्न 2.
प्रत्येक स्थिति में एक-एक उदाहरण सहित निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) खाद्य परिरक्षक
(ii) अपमार्जक
(iii) एन्टासिड (Antacid)।
उत्तर:
(i) खाद्य परिरक्षक- वे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं। उदाहरण- सोडियम बेन्जोएट।

(ii) अपमार्जक – वे शोधन अभिकर्मक जिनमें साबुन के सभी गुण पाए जाते हैं लेकिन रासायनिक दृष्टि से ये साबुन नहीं होते हैं उन्हें अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण- सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।

(iii) एन्टासिड (प्रतिअम्ल) वे औषध होती हैं जो आमाशय में उत्पन्न अधिक अम्ल के प्रभाव को समाप्त करके पीड़ा से बचाती हैं। जैसे- रैनिटिडीन।

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प्रश्न 3.
रोगाणुनाशी और पूतिरोधी पदार्थों के बीच अंतर कीजिए।
उत्तर:
पूतिरोधी तथा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) ऐसे रसायन होते हैं जो या तो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं।

पूतिरोधियों (Antiseptic) को सजीव ऊतकों, जैसे-घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जाता है। फ्यूरासिन तथा सोफ्रामाइसिन इसके मुख्य उदाहरण हैं।

संक्रमणहारी (रोगाणुनाशी) (Disinfectant) भी सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं तथा इनका प्रयोग निर्जीव वस्तुओं जैसे-फ़र्श, नालियाँ तथा यंत्रों को रोगाणुमुक्त करने में प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरण-फ़ीनॉल का एक प्रतिशत विलयन।

प्रश्न 4.
(i) ऋणायनिक एवं धनायनिक अपमार्जक किसे कहते हैं? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी लिखिए।
(ii) निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखिए-
(A) बाईथायोनल
(B) सैकरीन।
अथवा
(i) साबुन किसे कहते हैं? साबुनीकरण की अभिक्रिया लिखिए। साबुन के दो प्रकारों का वर्णन कीजिए।
(ii) स्वापक व अस्वापक पीड़ाहारी में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
(i) संश्लिष्ट अपमार्जक (Synthetic Detergents) – संश्लिष्ट अपमार्जक वे शोधन अभिकर्मक (Cleansing Agents) होते हैं जिनमें साबुन के सभी गुण पाए जाते हैं लेकिन रासायनिक दृष्टि से ये साबुन नहीं होते हैं। अतः इन्हें साबुन रहित साबुन या सिन्डेट्स भी कहा जाता है।

अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं अतः इन्हें कठोर तथा मृदु दोनों प्रकार के जल में उपयोग में लिया जा सकता है।

संश्लिष्ट अपमार्जक तीन प्रकार के होते हैं-
(a) धनायनी अपमार्जक
(b) ऋणायनी अपमार्जक
(c) अनआयनिक अपमार्जक।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 25

(a) धनायनी अपमार्जक (Cationic Detergents)-धनायनी अपमार्जक एमीनों के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ बने चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं। इनमें धनात्मक भाग में लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला तथा नाइट्रोजन परमाणु पर धन आवेश होता है। अतः इन्हें धनायनी अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण-सेटिलट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।

धनायनी अपमार्जकों को बालों के कन्डीशनरों में प्रयुक्त किया जाता है तथा इनमें जीवाणुनाशक गुण पाया जाता है। महंगे होने के कारण इनका उपयोग सीमित मात्रा में होता है।

(b) ऋणायनी अपमार्जक (Anionic Detergents)-ऋणायनी अपमार्जक लम्बी श्रंखलायुक्त सल्फोनीकृत ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सोडियम लवण होते हैं। जैसे-सोडियम p-ऐल्किल बेन्जीन सल्फ्रेनेट तथा सोडियम लॉरिल सल्फोनेट या सल्फेट। दीर्घ शृंखला वाले ऐल्कोहॉलों की सांद्र सल्प्यूरिंक अम्ल (H2SO4 के साथ अभिक्रिया कराने पर पहले ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनते हैं जिनकी क्रिया क्षार से कराने पर ऋणायनी अपमार्जक बनते हैं। इसी प्रकार ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट, ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनिक अम्लों की क्षार के साथ क्रिया से प्राप्त होते हैं।
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ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेटों के सोडियम लवण महत्त्वपूर्ण ऋणायनी अपमार्जक होते हैं। ऋणायनी अपमार्जकों में इनका ऋणात्मक भाग शोधन (Cleansing) क्रिया में भाग लेता है। ये सामान्यतः घरेलू उपयोग में आते हैं। ऋणायनी अपमार्जक दंतमंजन में भी प्रयुक्त किए जाते हैं।

(c) अनआयनिक अपमार्जक (Non-Ionic Detergents) अनायनिक अपमार्जकों में कोई आयन नहीं होता है, अतः इसे अनआयनिक अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण-(i) स्टिऐरिक अम्ल तथा पॉलीएथिलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बना अपमार्जक।
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(ii) संरचना सूत्र
(A) बाईथायोनल
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(B) सैकरीन
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प्रश्न 5.
(अ) साबुन व संश्लेषित अपमार्जक में दो अन्तर दीजिए।
(ब) निम्नलिखित को कृत्रिम मधुरक, परिरक्षक, साबुन, अपमार्जक में वर्गीकृत कीजिए-
सोडियम पॉमिटेट, सुक्रालोस, सार्बिक अम्ल का लवण, सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड ।
अथवा
(अ) पूतिरोधी व विसंक्रामी में दो अन्तर दीजिए।
(ब) निम्नलिखित को प्रतिहिस्टैमिन, प्रतिअम्ल, प्रशांतक, प्रतिजैविक औषधि में वर्गीकृत कीजिए-
पेनिसिलीन, मेप्रोबमेट, टरफेनाडीन, रैनिटिडीन।
उत्तर:
(अ) (i) साबुन कठोर जल में कार्य नहीं करते जबकि संश्लेषित अपमार्जक कठोर जल में भी कार्य करते हैं।
(ii) साबुन को मृदु कपड़ों (Soft cloths) जैसे ऊन, रेशम आदि को धोने में प्रयुक्त नहीं किया जाता है जबकि अपमार्जकों द्वारा इन्हें धोया जा सकता है।

(ब) कृत्रिम मधुरक- सुक्रालोस
परिरक्षक-सार्विक अम्ल का लवण
साबुन- सोडियम पॉमिटेट
अपमार्जक सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।
अथवा
(अ) पूतिरोधी तथा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) ऐसे रसायन होते हैं जो या तो सूक्ष्मजीवों का विनाश करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं। पूतिरोधियों (Antiseptic) को सजीव ऊतकों, जैसे- घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जा सकता है। उदाहरण- फ्यूरासिन तथा सोफ्रामाइसिन।

संक्रमणहारी (Disinfectant) का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं, जैसे- फर्श, नालियों तथा यंत्रों पर किया जाता है। उदाहरण- फीनॉल का एक प्रतिशत विलयन सान्द्रता परिवर्तन से वही पदार्थ पूतिरोधी अथवा विसंक्रामी का कार्य कर सकता है।

(ब) प्रतिहिस्टैमिन – टरफेनाडीन
प्रतिअम्ल – रैनिटिडीन
प्रशांतक – मेप्रोबमेट
प्रतिजैविक – पेनिसिलीन

प्रश्न 6.
(अ) मधुमेह के रोगियों को कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
(ब) एक खाद्य परिरक्षक का नाम लिखिए। यह खाद्य परिरक्षण किस प्रकार करता है?
(स) ऋणायनी अपमार्जक का नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
(अ) प्राकृत मधुरक जैसे सूक्रोस ग्रहण की गई कैलोरीमान बढ़ाते हैं अतः मधुमेह के रोगियों को कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि कृत्रिम मधुरक अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं तथा ये पूर्णतः अक्रिय होते हैं एवं इनसे कोई हानि नहीं होती। ये कैलोरी में भी वृद्धि नहीं करते हैं।

(ब) सोडियम बेन्जोएट एक खाद्य परिरक्षक है। खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। खाद्य परिरक्षक इन सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं जिससे खाद्य पदार्थ खराब नहीं होते हैं।

(स) सोडियम लॉरिल सल्फेट [CH3(CH2)10CH2OSO2Na+] एक ऋणायनी अपमार्जक है।

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प्रश्न 7.
(i) रैनिटिडीन किस वर्ग की औषध है?
(ii) यदि जल में Ca2+ आयन घुले हुए हैं तो कपड़ों को साफ
करने के लिए आप साबुन तथा अपमार्जक में से किसे प्रयुक्त करेंगे?
(iii) निम्नलिखित में से कौनसा पूतिरोधी है ?
0.2% फीनॉल, 1% फीनॉल
उत्तर:
(i) रैनिटिडीन एक प्रतिअम्ल है क्योंकि यह आमाशय की अम्लता को दूर करती है।

(ii) जल में Ca2+ आयन घुले हुए हैं अतः यह कठोर जल है। इसलिए कपड़ों को साफ करने के लिए साबुन की तुलना में अपमार्जकों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि अपमार्जकों के कैल्सियम लवण जल में विलेय होते हैं जबकि साबुन के कैल्सियम लवण जल में अविलेय होते हैं अतः अधिक साबुन बेकार चला जाता है।

(iii) 0.2% फीनॉल, पूतिरोधी की भांति व्यवहार करता है जबकि 1% फीनॉल रोगाणुनाशी होता है।

प्रश्न 8.
(i) दो वृहत अणुओं के उदाहरण बताइए जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।
(ii) पूतिरोधी क्या होते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
(iii) ऐस्पार्टेम का प्रयोग ठंडे खाद्य तथा पेय पदार्थों तक ही क्यों सीमित है ?
उत्तर:
(i) न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन ऐसे वृहत अणु हैं जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।

(ii) पूतिरोधी वे रसायन हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं लेकिन जिनका ऊतकों पर कोई प्रभाव नहीं होता है। उदाहरण-बोरिक अम्ल का तनु विलयन

(iii) ऐस्पार्टेम खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है अतः इसका प्रयोग ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक ही सीमित है।

प्रश्न 9.
निम्न को समझाइए –
(अ) पूतिरोधी
(ब) कृत्रिम मधुरक
(स) प्रतिअम्ल।
अथवा
निम्न को समझाइए – (अ) विसंक्रामी (ब) खाद्य परिरक्षक (स) प्रशांतक ।
उत्तर:
(अ) पूतिरोधी-वे रसायन होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं। पूतिरोधियों को सजीव ऊतकों जैसे घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जा सकता है। उदाहरण-सोफ्रामाइसिन, डेटॉल, आयोडोफार्म तथा बोरिक अम्ल इत्यादि।

(ब) कृत्रिम मधुरक-वे पदार्थ जो शर्करा (Sugar) के स्थान पर मधुरक (Sweetening agent) के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं लेकिन उनका कोई पोषण मान (Nutritional value) नहीं होता, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं।
उदाहरण सैकरीन (आर्थों सल्फोबेन्जीनीमाइड), सूकालोस तथा ऐलिटेम।

(स) प्रतिअम्ल-रासायनिक पदार्थ जो आमाशय की अम्लता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें प्रतिअम्ल कहते हैं।
उदाहरण-धात्विक हाइड्रॉक्साइड जैसे Mg(OH)2। इसके अतिरिक्त सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन प्रभावी प्रतिअम्ल होते हैं।
अथवा
(अ) विसंक्रामी – वे रसायन होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं परन्तु जैव ऊतकों पर इनका उपयोग सुरक्षित नहीं होता है। अतः इन्हें निर्जीव वस्तुओं जैसे फर्श, नालियाँ तथा यंत्रों इत्यादि को रोगाणुमुक्त करने के काम में लिया जाता है। उदाहरण क्लोरीन, सल्फरडाइऑक्साइड।

(ब) खाद्य परिरक्षक-खाद्य पदार्थों को पड़ा रखने पर उनमें सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। अतः वे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं। उदाहरण साधारण नमक, चीनी, वनस्पति तेल तथा सोडियम बेन्जोएट।

(स) प्रशांतक वे औषध जो बिना नींद के मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती हैं उन्हें प्रशांतक कहते हैं। अतः प्रशांतकों का उपयोग तनाव तथा मानसिक बीमारियों में किया जाता है। उदाहरण-इप्रोनाइजिड तथा फिनल्जिन (नारडिल)।

प्रश्न 10.
(अ) अस्वापक पीड़ाहारी किसे कहते हैं? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) ठण्डे पेय एवं खाद्य पदार्थों में ही कृत्रिम मधुरक एस्पार्टेम का उपयोग क्यों किया जाता है?
(स) पूतिरोधी व रोगाणुनाशी में कोई एक अंतर लिखिए।
अथवा
(अ) ऋणायनी अपमार्जक किसे कहते हैं ? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) खाद्य पदार्थों में रसायन क्यों मिलाये जाते हैं ? कोई दो कारण लिखिए।
(स) विस्तृत स्पेक्ट्रम व संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु में कोई एक अंतर लिखिए।
उत्तर:
(अ) वे पीड़ाहारी जो दर्द को कम करते हैं लेकिन इनकी आदत नहीं पड़ती अर्थात् व्यक्ति इनका आदी नहीं होता उन्हें अस्वापक पीड़ाहारी कहते हैं। उदाहरण – ऐस्पिरिन।

(ब) (i) न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन ऐसे वृहत अणु हैं जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।

(ii) पूतिरोधी वे रसायन हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं लेकिन जिनका ऊतकों पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
उदाहरण-बोरिक अम्ल का तनु विलयन

(iii) ऐस्पार्टेम खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है अतः इसका प्रयोग ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक ही सीमित है।

(स) पूतिरोधी व रोगाणुनाशी दोनों ही सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं लेकिन पूतिरोधी को सजीव ऊतकों, जैसे-घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जाता है जबकि रोगाणुनाशी का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं, जैसे- फर्श तथा नालियों को रोगाणुमुक्त करने में किया जाता है परन्तु जैव ऊतकों पर इनका उपयोग सुरक्षित नहीं होता है।

अथवा

(अ) वे अपमार्जक जिनमें यौगिक का ऋणायनिक भाग अपमार्जन का कार्य करता है उन्हें ऋणायनी अपमार्जक कहते हैं। ऋणायनी अपमार्जक लम्बी श्रृंखलायुक्त सल्फोनीकृत ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सोडियमलवण होते हैं। जैसे- सोडियम p- ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट तथा सोडियम लॉरिल सल्फेट।

(ब) खाद्य पदार्थों में रसायन मिलाने के निम्न कारण हैं-

  • खाद्य पदार्थों का परिरक्षण तथा
  • खाद्य पदार्थों की पौष्टिक गुणवत्ता बढ़ाना।

(स) संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु मुख्यतः ग्रैम ग्राही या ग्रैम अग्राही जीवाणुओं पर ही अपना प्रभाव डालते हैं, जबकि विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु ग्रैम ग्राही तथा ग्रैम अग्राही दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत परास को नष्ट करते हैं या उनका निरोध करते हैं। पेनिसिलिन जी संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु है जबकि ऐम्पिसिलिन एक विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु है।

प्रश्न 11.
जवान बच्चों में मधुमेह और अवसाद (उदासी) की बढ़ती संख्या को देखकर, एक प्रसिद्ध स्कूल के प्रिंसिपल श्री लुगानी ने एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें अन्य प्रिंसिपलों और बच्चों के माता-पिताओं को आमंत्रित किया। यह निर्णय लिया गया कि स्कूलों में सड़े खाने (Junk Food) की वस्तुएँ बन्द की जाएँ और स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएँ, जैसे सूप, लस्सी, दूध आदि उपलब्ध कराई जाएँ।

उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि स्कूलों में रोज प्रात:काल की ऐसेम्बली के साथ बच्चों को आधा घण्टे का शारीरिक व्यायाम अनिवार्य रूप से कराया जाए। छः माह पश्चात्, श्री लुगानी ने अधिकतर स्कूलों में फिर स्वास्थ्य परीक्षण कराया और बच्चों के स्वास्थ्य में अनुपम सुधार पाया गया।

उपर्युक्त विवरण को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) श्री लुगानी द्वारा किन मूल्यों (कम-से-कम दो) को प्रदर्शित किया गया?
(ii) एक विद्यार्थी के रूप में, आप इस विषय में कैसे जागरूकता फैलाएँगे?
(iii) प्रति-अवसादक (ऐन्टिडीप्रीसेन्ट) ड्रग्स क्या हैं? एक उदाहरण दीजिए।
(iv) एक मधुमेह के रोगी के लिए मिठाई बनाने के लिए जो मीठाकारी अभिकर्मक (मधुकर) प्रयुक्त होता है, उसका नाम दीजिए।
उत्तर:
(i) श्री लुगानी द्वारा अपने कर्त्तव्य तथा बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी जैसे मूल्यों को प्रदर्शित किया गया।

(ii) एक विद्यार्थी के रूप में, मैं समाज तथा अपने निवास स्थान के आसपास भी सड़ा खाना नहीं खाना तथा शारीरिक व्यायाम के बारे में जागरूकता फैलाऊँगा, इसके लिए सभाओं का आयोजन करूँगा।

(iii) जब नॉरएड्रीनेलिन की मात्रा कम हो जाती है तो व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है तो इसके लिए प्रयुक्त ड्रग को प्रति अवसादक कहते हैं। ये ड्रग नॉरएड्रीनेलिन का निम्नीकरण करने वाले एन्जाइम को संदमित करती है। उदाहरण-फिनल्जिन।

(iv) सैकरीन एक मीठाकारी अभिकर्मक (मधुकर) है।

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. फॉस्फोरस किसके लिए संरचनात्मक तत्व है ?
(A) न्यूक्लिक अम्ल
(B) कार्बोहाइड्रेट
(C) प्रोटीन्स
(D) लिपिड
उत्तर:
(A) न्यूक्लिक अम्ल

2. निम्न में से महापोषक शृंखला है-
(A) Mg, Mn, Mo
(B) N, P,K
(C) N, P, B
(D) B, C, H
उत्तर:
(B) N, P,K

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

3. मक्के का श्वेत कलिका रोग किसकी कमी से होता है ?
(A) बोरॉन
(B) आयरन
(C) जिंक
(D) मैग्नीज
उत्तर:
(C) जिंक

4. चुकन्दर का अन्तः विगलन (Heart rot) रोग किसकी कमी से होता है ?
(A) बोरॉन
(C) लौह
(B) जिंक
(D) मैग्नीज
उत्तर:
(A) बोरॉन

5. निम्न में से विटामिन B12 का एक घटक तत्व है-
(A) Ni
(B) Cu
(C) Hg
(D) Co
उत्तर:
(D) Co

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6. चाय के पौधों में पीली बीमारी होती है-
(A) सल्फर की कमी से
(B) सल्फर की अधिकता से
(C) नाइट्रोजन की कमी से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सल्फर की कमी से

7. मृदा से प्राप्त पोषक तत्व कहलाते हैं-
(A) खनिज लवण
(B) अखनिज तत्व
(C) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) खनिज लवण

8. वृहत् पोषक तत्व है-
(A) नाइट्रोजन
(B) Cd
(C) Ni
(D) Mo
उत्तर:
(D) Mo

9. रन्धों के खुलने एवं बन्द होने में किस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका है ?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) पोटैशियम
(D) कैल्शियम
उत्तर:
(C) पोटैशियम

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

10. पादप कोशिका की मे पटलिका का प्रमुख तत्व है-
(A) Ca
(B) Mg
(C) Co
(D) Mn
उत्तर:
(B) Mg

11. किसकी कमी से ‘Dle back’ रोग होता है ?
(A) K.
(C) B
(B) Cu
(D) Fe
उत्तर:
(A) K.

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12. नाइट्रोजन उपापचय हेतु आवश्यक तत्व है-
(a) K
(B) Mo
(C) Mg
(D) Fe
उत्तर:
(B) Mo

13. किस तत्व की पूर्ति के लिए कीटभक्षी पौधे कीटों को पकड़ते हैं ?
(A) O
(B) C
(C) K
(D) N
उत्तर:
(D) N

14. I सूची के तत्वों को सूची II में न्यूनता से होने वाले लक्षणों से सुमेलित कीजिए तथा सही कूट बुनिए-

III
1. N(a) पत्तियों का ताम्रवर्णी होना
2. Mg(b) अपरिपक्व पत्तियों का गिरना
3. B(c) अन्तरशिरीय हरिमाहीनता
4. P(d) चितकबरी हरिमाहीनता तथा ऊतक क्षरण

(A) 1. (a) 2. (b) 3. (c) 4. (d)
(B) 1. (d) 2. (c) 3. (a) 4. (b)
(C) 1. (b) 2. (c) 3. (d) 4. (a)
(D) 1. (d) 2. (c) 3. (b) 4. (a)
उत्तर:
(B) 1. (d) 2. (c) 3. (a) 4. (b)

15. पौधों में सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व है-
(A) Mg
(B) Ne
(C) C
(D) Fe
उत्तर:
(C) C

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16. जौ में भूरे धव्यों का कारण है-
(A) Zn
(B) Mo
(C) Cu
(D) Fe
उत्तर:
(B) Mo

17. अनिवार्यता की कसौटी प्रतिपादित की-
(A) मार्गन ने
(B) आर्नन ने
(C) लैंग ने
(D) स्मिथ ने
उत्तर:
(B) आर्नन ने

18. कौन-सा खनिज तत्व आवश्यक नहीं है ?
(A) Co
(B) Ni
(C) Mo
(D) Cd
उत्तर:
(D) Cd

19. सूक्ष्म पोषक पदार्थ-
(A) दीर्घ पोषक पदार्थों के समान महत्वपूर्ण हैं परन्तु कम मात्रा में उपयोग होते हैं।
(B) दीर्घ पोषक पदार्थों से कम महत्वपूर्ण हैं।
(C) सूक्ष्म कहलाते हैं क्योंकि ये पादप उपापचय में सूक्ष्म भूमिका अदा करते हैं।
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।

20. लेग्यूम (फलीदार) पौधे पर्यावरण हेतु महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे-
(A) N, स्थिरीकरण में सहायक हैं।
(B) उपरोक्त सभी।
(C) मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं।
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं।

21. माइकोराइजा सहायक है-
(A) श्वसन में
(B) जल अवशोषण में
(C) पोषक पदार्थ अवशोषण में
(D) फॉस्फेट अवशोषण में
उत्तर:
(C) पोषक पदार्थ अवशोषण में

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22. दिये गये तत्वों में से कौन-सा पादप वृद्धि के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है?
(A) मैग्नीशियम
(C) कॉपर
(B) जिंक
(D) कैल्शियम
उत्तर:
(D) कैल्शियम

23. पौधे को मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है-
(A) कोशिकाओं को जोड़ने में
(B) प्रोटीन संश्लेषण में
(C) पर्णहरित संश्लेषण में
(D) कोशिका भित्ति विकास में
उत्तर:
(C) पर्णहरित संश्लेषण में

24. एनस की मूल गुलिकाओं में नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है-
(A) ब्रेडीराइजोबियम द्वारा
(B) क्लोस्ट्रीडियम द्वारा
(C) किया द्वारा
(D) एजोराइजोबियम द्वारा
उत्तर:
(C) किया द्वारा

25. मैगनीज आवश्यक होता है-
(A) न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण हेतु
(B) पादप कोशिका भित्ति के निर्माण हेतु
(C) प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल प्रकाश अपघटन हेतु
(D) पर्णहरिम के संश्लेषण हेतु
उत्तर:

26. नाइट्रोजन स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला तत्व है-
(A) मोलिब्डेनम (Mo)
(B) कॉपर (Cu)
(C) मैगनीज (Mn)
(D) जिंक (Zn)
उत्तर:
(A) मोलिब्डेनम (Mo)

27. एनास्ट्रोसायनिन में उपस्थित होता है-
(A) Cu
(B) Fe
(C) Ca
(D) K.
उत्तर:
(A) Cu

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28. रन्धों के खुलने एवं बंद होने में सहायक आयन है-
(A) Mn+
(B) Mg+
(C) Ca2+
(D) K+
उत्तर:
(D) K+

29. निम्नलिखित में से कौन पौधों द्वारा मृदा से फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है-
(A) राइजोबियम
(B) फ्रेंकिया
(C) एनाबीना
(D) ग्लोमस
उत्तर:
(D) ग्लोमस

30. किस तत्व के बाहर निकलने से मध्य पटलिका मुलायम हो जाती है?
(A) कैल्शियम
(C) पोटैशियम
(B) मैग्नीशियम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) मैग्नीशियम

31. निम्नलिखित में से कौन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है-
(A) Mg
(C) S
(B) Ca
(D) Cu
उत्तर:
(D) Cu

32. निम्नलिखित कथनों में से कौन असत्य है ?
(A) एनाबीना तथा नास्टॉक स्वतंत्रजीवी अवस्था में भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने में सक्षम है।
(B) जड़ मन्यिकाओं का निर्माण करने वाले नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीव स्वतंत्रजीवी दशाओं में वायवीय जीवों की भाँति रहते हैं।
(C) फॅस्फोरस कोशिका कलाओं, कुछ न्यूक्लिक अम्लों तथा सभी प्रोटीनों का एक संघटक है।
(D) नाइट्रोसोमोनास तथा नाइट्रोबैक्टर रसायन स्वपोषी होते हैं।
उत्तर:
(C) फॅस्फोरस कोशिका कलाओं, कुछ न्यूक्लिक अम्लों तथा सभी प्रोटीनों का एक संघटक है।

33. सबसे प्रचुर अन्तरकोशिकीय धनायन कौन-सा है?
(A) Na+
(B) CO2+
(C) H+
(D) K+.
उत्तर:
(D) K+.

34. निम्नलिखित में से कौन-सा मानदण्ड संसाधित अभिगमन से सम्बन्ध नहीं रखता है ?
(A) विशिष्ट कला प्रोटीन की आवश्यकता
(B) उच्च चयनता
(C) अभिगमन संतृप्तता
(D) ऊर्ध्व अभिगमन ।
उत्तर:
(D) ऊर्ध्व अभिगमन ।

35. फॉस्फोरस का प्राकृतिक भण्डार कौन-सा है ?
(A) समुद्री जल
(B) प्राणि अस्थियाँ
(C) शैल
(D) जीवाश्म ।
उत्तर:
(C) शैल

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

36. नाइट्रोजन और पोटैशियम की कमी के लक्षण सर्वप्रथम कहाँ दिखते हैं?
(A) तरुण पत्तियों में
(B) जड़ों में
(C) कलियों में
(D) जीर्णमान पत्तियों में।
उत्तर:
(D) जीर्णमान पत्तियों में।

(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
खनिज पोषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पौधों की वृद्धि एवं परिवर्धन के लिए आवश्यक खनिज तत्वों को ग्रहण करना खनिज पोषण (Mineral nutrition) कहलाता है।

प्रश्न 2.
बालू संवर्धन (sand culture) क्या है?
उत्तर:
शुद्ध बालू में पौधों को उगाते हैं। बालू में पोषक विलयन डालते रहते हैं। है?

प्रश्न 3.
किस पादप हॉर्मोन के लिए संश्लेषण हेतु जिंक (Zn) आवश्यक
उत्तर:
IAA इण्डोल ऐसीटिक अम्ल ।

प्रश्न 4.
पौधों की वृद्धि एवं परिवर्धन हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर:
17.

प्रश्न 5.
पादप शरीर का प्राधार या अंश तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
-C, H तथा O को प्राधार तत्व (frame work elements ) कहते हैं।

प्रश्न 6.
पर्णहरित का संघटक पोषक तत्व कौन-सा है?
उत्तर:
Mg (मैग्नीशियम)।

प्रश्न 7.
सेब के फलों में आन्तरिक कार्क (Internal cork) नामक रोग किस तत्व की कमी से होता है?
उत्तर:
बोरॉन (B)।

प्रश्न 8.
क्रान्तिक तत्व (critical elements) कौन-से तत्व होते हैं?
उत्तर:
-N, P तथा K.

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प्रश्न 9.
ऑक्सिन संश्लेषण में कौन-सा पोषक तत्व आवश्यक होता है?
उत्तर:
जिंक (Zinc)!

प्रश्न 10.
उत्प्रेरक कार्य तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
Mg, Cu आदि एन्जाइम के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इनकी अनुपस्थिति में एन्जाइम क्रियाशील नहीं होते। अतः इन्हें उत्प्रेरक कार्य तत्व कहते हैं।

प्रश्न 11.
डाल्टन ने किस नये तत्व को आवश्यक तत्व के रूप में माना?
उत्तर:
निकिल ( nickle)

प्रश्न 12.
लौह का एक प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
लौह श्वसन विकर सायटोक्रोम (cytochrome) का मुख्य घटक होता है।

प्रश्न 13.
जल संवर्धन क्या है?
उत्तर:
मृदारहित पोषक विलयन के घोल में पौधों को उगाना जल संवर्धन (Hydroponics) कहलाता है।

प्रश्न 14.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले नीले हरे शैवाल के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
एनाबीना ( Anabaena), नास्टॉक ( Nostoc)

प्रश्न 15.
प्रकाश संश्लेषण में जल के प्रकाश अपघटन में कौन-से तत्व भाग लेते हैं?
उत्तर:
क्लोरीन तथा मैंगनीज ।

प्रश्न 16.
खनिज तत्वों की अनिवार्यता की कसौटियाँ (criteria of essentiality) किसने प्रस्तावित की थी?
उत्तर:
आर्नन (Arnon; 1938) ने।

प्रश्न 17.
उस लक्षण को क्या कहते हैं, जिसमें पत्तियों के पर्णहरित के ह्रास से पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं?
उत्तर:
हरिमाहीनता ( chlorosis)।

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प्रश्न 18.
जीवद्रव्यी तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फोरस को जीवद्रव्यी तत्व कहा जाता है, क्योंकि ये C, H तथा के साथ मिलकर जीवद्रव्य का प्रमुख भाग बनाते हैं।

प्रश्न 19.
राइजोबियम जीवाणु की विशेषता लिखिए।
उत्तर:
राइजोबियम जीवाणु स्वतन्त्र अवस्था में ऑक्सी (aerobic) तथा मन्थिकाओं में अनॉक्सी (anaerobic) होता है।

प्रश्न 20.
अनॉक्सी नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
रोडोस्पाइरिलियम (Rhodospirillium)।

प्रश्न 21.
नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सुरक्षा कौन करता है?
उत्तर:
लेगहीमोग्लोबिन (leghaemoglobin, Ib)।

प्रश्न 22.
सर्वाधिक गतिशील तत्व तथा अगतिशील तत्व का नाम लिखिए।
उत्तर:
सर्वाधिक गतिशील तत्व = पोटैशियम (K)
सर्वाधिक अगतिशील तत्व = आयरन (Fe)

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(C) लघु उत्तरीय प्रश्न-1 (Short Answer type Questions-1)

प्रश्न 1.
उत्प्रेरक प्रभाव उत्पन्न करने वाले खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर:
उत्प्रेरक प्रभाव (Catalytic Effect ) – लोहा (Fe), कॉपर (Cu), जिंक (Zn) आदि तत्व कुछ विकरों के प्रास्थेटिक समूह (prosthetic groups ) का कार्य करते हैं। इसके विपरीत मैगनीज (Mn), मैग्नीशियम (Mg), कोबाल्ट (Co) आदि के आयन्स अनेक विकरों की क्रियाओं के लिए सक्रियकारक या रोधक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
पौधों का ताजा भार तथा शुष्क भार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पौधे या उसके किसी भाग का वजन करें तो इसे उसका ताजा भार (fresh weight) कहते हैं। यदि पौधे या उसके किसी भाग को 100°C ताप पर सुखाकर शेष बचे भाग का वजन करें तो इसे उसका शुष्क भार (dry weight) कहते हैं।

प्रश्न 3.
आर्नन की अनिवार्यता की कसौटियाँ क्या हैं?
उत्तर:
आर्जन (Arnon, 1938) के अनुसार अनिवार्य तत्व वे हैं-
(i) जो उपापचय में सीधे भाग लेते हैं।
(ii) जिनकी कमी या अभाव में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
(iii) जिनकी कमी का निदान उसी तत्व की पूर्ति से सम्भव है।

प्रश्न 4.
विनाइट्रीकरण क्या है? इसके लिए कौन-सी परिस्थितियाँ उपयुक्त होती हैं?
उत्तर:
कुछ जीवाणुओं द्वारा मृदा में उपस्थित नाइट्रेट को स्वतन्त्र नाइट्रोजन में बदल दिया जाता है। इसे विनाइट्रीकरण (denitrification) कहते हैं। जैसे— स्यूडोमोनास (Pseudomonas), थायोबैसीलस (Thiobacillus ) आदि । विनाइट्रीकरण के लिए प्रायः अनॉक्सी परिस्थितियाँ उपयुक्त हैं।

प्रश्न 5.
नाइट्रीकरण क्या है? दो नाइट्रीकारी जीवाणुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
अमोनिया का नाइट्रेट में बदला जाना नाइट्रीकरण (nitrification) कहलाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण 1
दो नाइट्रीकारी जीवाणु नाइट्रोसोमोनास ( Nitrosomonas ) तथा नाइट्रोवैक्टर (Nitrobacter) हैं।

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प्रश्न 6.
अन्य पौधों की तुलना में लैग्यूम (दाब कुल) के पौधों में प्रोटीन की मात्रा अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
लैग्यूमिनोसी कुल के पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थित जीवाणु उपस्थित होते हैं जो वायु नाइट्रोजन को नाइट्राइट एवं नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं जिससे पौधे नाइट्रोजन को पर्याप्त मात्रा में संचित कर लेते हैं। चूँकि नाइट्रोजन का मुख्य घटक है। इस कारण इस कुल के पौधों में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II ( Short Answer Type Questions-II)

प्रश्न 1.
नॉप के पोषक विलयन के संघटक लिखिए।
उत्तर:
नॉप का पोषक विलयन (Knop’s Nutrient Solution)

1. कैल्शियम नाइट्रेट0-8 g/L
2. मैग्नीशियम सल्फेट0-2 g/L
3. पोटैशियम नाइट्रेट0-2 g/L
4. पोटैशियम डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट0-2 g/L
5. फेरस सल्फेट0-2 g/L
6. फेरस टारट्रेटसूक्ष्म मात्रा में।

प्रश्न 2.
पौधों में नाइट्रोजन व पोटैशियम का क्या क्या कार्य है?
उत्तर:
नाइट्रोजन (Nitrogen):
पौधे मृदा से नाइट्रोजन को NOT NH, NH के रूप में अवशोषित करते हैं नाइट्रोजन, प्रोटीन, कोएन्जाइम, न्यूक्लिक अम्ल (DNA, RNA) तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है। यह जीवद्रव्य व पर्णहरित का मुख्य भाग है। रन्धों के खुलने व बन्द होने, जल की गति एवं सन्तुलन में नाइट्रोजन सहायक होती है।

पोटैशियम (Potassium):
यह विभज्योतक (meristematic) कोशिकाओं की वृद्धि, पत्तियों की वृद्धि एवं द्वितीयक जड़ों के निर्माण में महत्वपूर्ण होता है। यह जीवद्रव्य की जैविकता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है । रन्धों के खुलने व बन्द होने में इनकी विशेष भूमिका होती है। यह एन्जाइम्स का सहकारक होता है।

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प्रश्न 3.
सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक के कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक (Symbiotic Nitrogen Fixers)
1. मटर, चना, बाकला, सेम आदि की प्रन्थिकामय जड़ों में पाया जाने वाला राइजोबियम जीवाणु ।
2. एनस की जड़ मन्थियों में पाया जाने वाला फ्रैंकिया सूक्ष्म जीव । 3. सायकस की कोरेलॉयड जड़ में नॉस्टॉक (Nastoc), एनाबीना (Anabaena) |
4. एजोला (Azolla) फर्न की पत्तियों में एनाबीना ।
5. लाइकेन (Lichens) के सूकाय ( thalloid) में नीले हरे शैवाल या सायनोबैक्टीरिया ।

प्रश्न 4.
पोटैशियम तथा नाइट्रोजन के अभाव में उगने वाले पौधों में उत्पन्न लक्षण लिखिए।
उत्तर:
(i) पोटैशियम की कमी से पत्तियों पर निर्जीव धब्बे ( necrosis ) बन जाते हैं प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया मन्द हो जाती है रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यान्त्रिक ऊतक कम विकसित होता है। पौधे झाड़ीनुमा (bushy) हो जाते हैं।

(ii) नाइट्रोजन की कमी से पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। कोशिका विभाजन, श्वसन क्रिया प्रोटीन संश्लेषण मन्द हो जाता है। पौधों की वृद्धि रुक जाती है। पुष्पन विलम्ब से होता है। अनाज के दाने सिकुड़ जाते हैं।

प्रश्न 5
खनिज तत्वों के सामान्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
(1) खनिज तत्व पादप शरीर के निर्माणक तत्व (framework elements) हैं, जैसे -C, H तथा O शरीर का ढाँचा बनाते हैं।
(2) जीवद्रव्यी तत्व (Protoplasmic Elements), जैसे-N, S, P आदि ये C H तथा ) के साथ मिलकर जीवद्रव्य बनाते हैं।
(3) उत्प्रेरक तत्व (Catalytic Elements) Mg, Cu आदि एन्जाइम के सहकारक का कार्य करते हैं। इनके अभाव में एन्जाइम क्रियाशील नहीं होते।
(4) सन्तुलन तत्व (Balancing Elements) – Cu, Mg K आदि अन्य खनिजों के विषैले प्रभाव को समाप्त करते हैं।

प्रश्न 6.
सामान्य पोषक विलयन की आवश्यक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मृदा रहित पोषक विलयन तैयार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि विलयन में सभी अनिवार्य पोषक तत्व उपस्थित हों। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित परिस्थितियाँ आवश्यक हैं-
(i) सभी अनिवार्य तत्व घुलित अवस्था में हों।
(ii) विलयन तनु हो तथा इसे समय-समय पर बदलते रहने की व्यवस्था
(iii) विलयन में वातायन की उचित व्यवस्था हो ।
(iv) विलयन का pH निश्चित रहे ।

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प्रश्न 7.
जल संवर्धन क्या है ? इसका क्या महत्व है?
उत्तर:
जल संवर्धन (Hydroponics): यह वह तकनीक है जिसमें पौधे को मृदाविहीन माध्यम अर्थात् जलीय विलयन में उगाया जाता है। इसके लिए
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण 2
पोषक विलयन संवर्धन के लिए एक आदर्श अवस्था का आरेख
काँच का बना अक्रिय पात्र लेकर इसमें सन्तुलित पोषक युक्त विलयन भर दिया जाता है। इस विलयन के ऊपर जाली लगाकर नवोद्भिद् (seedling) पौधे की जड़ को विलयन में डुबो दिया जाता है तथा प्ररोह ऊपर रखा जाता है। विलयन में वातायन (aeration) की उचित व्यवस्था रखी जाती है।

महत्व:
जल संवर्धन विधि द्वारा तत्वों की कमी या पौधों में प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है। इसके द्वारा कुछ शाकीय पौधे उगाये जा सकते हैं तथा कायिक जनन कराया जा सकता है।

प्रश्न 8.
पौधे मृदा से फॉस्फोरस को किस रूप में ग्रहण करते हैं? फॉस्फोरस का पौधों में कहाँ उपयोग होता है? फॉस्फोरस की कमी के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पौधे फॉस्फोरस को मुख्यतया फॉस्फेट आयन (PO)” ) तथा डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट H, PO, आयन के रूप में ग्रहण करते हैं। फॉस्फोरस का उपयोग कोशिका कला, पत्तियों के निर्माण, जड़ों की वृद्धि आदि में होता है। फॉस्फोरस प्रोटीन, न्यूक्लिओप्रोटीन्स, न्यूक्लिओटाइड आदि के संश्लेषण में प्रयुक्त होता है।
फॉस्फोरस की कमी से पत्तियों पर एन्थोसायनिन ( anthocyanin ) के धब्बे प्रकट हो जाते हैं और पत्तियाँ शीघ्र गिर जाती हैं।

प्रश्न 9.
असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्म जीवों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रजीवी या असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्मजीवी प्रायः ऑक्सीजीवी (aerobes) या अनॉक्सीजीवी (Anaerobes) होते हैं। उदाहरण रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), अनॉक्सीजीवी तथा एजोटोबैक्टर (Azotobacter), विजेरन्किया (Beijemikia) आदि आक्सीजीवी जीवाणु हैं। स्वतन्त्रजीवी नीले हरे शैवाल (Blue green algae) जैसे – एनाबीना (Anabaena), नास्टॉक (Nostoc), टोलीपोथ्रिक्स (Tolypothrix) आदि हैं। यीस्ट की प्रजातियाँ भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होती हैं।

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प्रश्न 10.
हीमोग्लोबिन तथा लैगहीमोग्लोबिन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) में अन्तर

हीमोग्लोजिन (Haemoglobin)लैगहीमोम्लोबिन (Leghaemoglobin)
यह जन्तुओं, मुख्यतः कशेरुकियों में पाया जाता है।यह फलीदार फसलों की जड़ों में मूल गुलिकाओं (root nodules) में पाया जाता है।
यह लाल चमकीला होता है।यह भूरा तथा धुँधला होता है।
यह ऑक्सीजन वाहक का कार्य करता है।यह ऑक्सीजन से तेजी से संयुक्त होता है तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक है।
यह श्वसन में भाग लेता है।यह नाइट्रोजिनेज (nitrogenase) विकर की सुरक्षा करता है।

(E) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र का आरेख सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
नाइट्रोजन, (N2) कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बाद पौधों में पाया जाने वाले प्रमुख तत्व हैं। यह ऐमीनो अम्ल, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन्स, पर्णहरित, विटामिन्स, पादप हॉर्मोन्स आदि का प्रमुख संघटक हैं। पौधे नाइट्रोजन को मृदा से नाइट्रेट, नाइट्राइट आदि रूप में मूण करते हैं। वायुमण्डल में लगभग 78% नाइट्रोजन पायी जाती है।

पौधे वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (free nitrogen) का उपयोग सीधे ही नहीं कर पाते। अत: इसे विभिन्न यौगिकों के रूप में ही पहुण किया जा सकता है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का अनुपात स्थिर बना रहता है जो कि नाइट्रोजन चक्र (nitrogen cycle) द्वारा सम्भव होता है। नाइट्रोजन चक्र निम्न पदों में पूर्ण होता है-
1. अऔव नाइट्टोजन स्थिरीकरण (Non-biological Nitrogen Fixation)बिजली के तड़कने से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन ऑक्सीजन से संयोग करके नाइट्रोजन पर-ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड तथा नाइट्रक अम्ल बनाती हैं। ये पानी में घुलकर वर्षा के साथ भूमि पर आ जाते हैं और मृदा में पहुँचकर नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स बनाते हैं।

2. औविक नाझ्ट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation)स्वतन्त्रजीवी, सहजीवी जीवाणुओं (symbiotic bacteria) तथा नीले हरे शैवालों (blue green algae) द्वारा वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन को इसके यौगिकों में बदल दिया जाता है। जैसे-एजोटोबैक्टर (Azotobacter), रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), क्लॉस्टरीडियम (Clostridium) आदि जीवाणु तथा नास्टॉक (Nostoc), एनाबीना (Anabaena) आदि स्वतन्त्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारी सूक्ष्म जीव हैं।

मटर कुल के पौर्धों की जड़ों की मूल गुलिकाओं (Root nodules) में पाये जाने वाले जीवाणु राइजोबियम (Rhizobium) सहजीवी के रूप में पाये जाते हैं। ये स्वतन्त्र नाइट्रोजन को अमोनिया में बदल देवे हैं।

3. अमोनीकरण (Ammonification)-मृत जीव- जन्तुओं तथा पौधों में उपस्थित नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों का अमोनिया में अपघटन अमोनीकरण (ammonification) कहललाता है। मुक्त अमोनिया जल, मृदा या वातावरण में मुक्त हो जाती है।

4. नाइड्थीकरण (Nitrification) – अमोनीकरण के द्वारा मुक्त अमोनिया मृदा में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा नाइट्राइट तथा नाइट्रेट में बदल दी जाती है जो पौधों के लिए प्राप्त होती है।
नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas), नाइट्रोकोकस (Nitrococcus) आदि जीवाणु भी अमोनिया को नाइट्राइड में बदल देते हैं। नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है जो घुलित अवस्था में जड़ों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।

5. विनाइट्रीकरण (Denitrification)- मृदा में उपस्थित कुछ जीवाणु जैसे-थायोबैसीलस, स्यूडोमोनास आदि नाइट्रोजनी यौगिकों का अपघटन करके स्वतन्त नाइट्रोजन में बदल देते हैं। यह क्रिया विनाइट्रीकरण (denitrification) कहलाती है। नाइट्रोजन चक्र का महत्व (Importance of Nitrogen Cycle)
(i) इसके द्वारा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का सन्तुलन बना रहता है।
(ii) नाइट्रोजन ऑक्सीजन की सक्रियता को कम करने में सहायक है।
(iii) नाइट्रोजन चक्रीकरण से पौधों को तथा जन्तुओं को नाइट्रोजन उपलब्य हो पाता है।
(iv) जीव-जन्तुओं के अपशिष्टों के विषटन से नाइट्रोजन वायुमण्डल में पहुँचती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्वों के कार्य व न्यूनता के लक्षण लिखिए- (क) Ca (ख) Mg (ग) Fe (घ) P (ङ) SI
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
नाइट्रोजन, (N2) कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बाद पौधों में पाया जाने वाले प्रमुख तत्व हैं। यह ऐमीनो अम्ल, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन्स, पर्णहरित, विटामिन्स, पादप हॉर्मोन्स आदि का प्रमुख संघटक हैं। पौधे नाइट्रोजन को मृदा से नाइट्रेट, नाइट्राइट आदि रूप में मूण करते हैं। वायुमण्डल में लगभग $78 \%$ नाइट्रोजन पायी जाती है।

पौधे वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (free nitrogen) का उपयोग सीधे ही नहीं कर पाते। अत: इसे विभिन्न यौगिकों के रूप में ही पहुण किया जा सकता है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का अनुपात स्थिर बना रहता है जो कि नाइट्रोजन चक्र (nitrogen cycle) द्वारा सम्भव होता है। नाइट्रोजन चक्र निम्न पदों में पूर्ण होता है-

1. अऔव नाइट्टोजन स्थिरीकरण (Non-biological Nitrogen Fixation)बिजली के तड़कने से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन ऑक्सीजन से संयोग करके नाइट्रोजन पर-ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड तथा नाइट्रक अम्ल बनाती हैं। ये पानी में घुलकर वर्षा के साथ भूमि पर आ जाते हैं और मृदा में पहुँचकर नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स बनाते हैं।

2. औविक नाझ्ट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation)स्वतन्त्रजीवी, सहजीवी जीवाणुओं (symbiotic bacteria) तथा नीले हरे शैवालों (blue green algae) द्वारा वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन को इसके यौगिकों में बदल दिया जाता है। जैसे-एजोटोबैक्टर (Azotobacter), रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), क्लॉस्टरीडियम (Clostridium) आदि जीवाणु तथा नास्टॉक (Nostoc), एनाबीना (Anabaena) आदि स्वतन्त्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारी सूक्ष्म जीव हैं।
मटर कुल के पौर्धों की जड़ों की मूल गुलिकाओं (Root nodules) में पाये जाने वाले जीवाणु राइजोबियम (Rhizobium) सहजीवी के रूप में पाये जाते हैं। ये स्वतन्त्र नाइट्रोजन को अमोनिया में बदल देवे हैं।

3. अमोनीकरण (Ammonification)-मृत जीव- जन्तुओं तथा पौधों में उपस्थित नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों का अमोनिया में अपघटन अमोनीकरण (ammonification) कहललाता है। मुक्त अमोनिया जल, मृदा या वातावरण में मुक्त हो जाती है।

4. नाइड्थीकरण (Nitrification) – अमोनीकरण के द्वारा मुक्त अमोनिया मृदा में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा नाइट्राइट तथा नाइट्रेट में बदल दी जाती है जो पौधों के लिए प्राप्त होती है।
नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas), नाइट्रोकोकस (Nitrococcus) आदि जीवाणु भी अमोनिया को नाइट्राइड में बदल देते हैं। नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है जो घुलित अवस्था में जड़ों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
5. विनाइट्रीकरण (Denitrification)- मृदा में उपस्थित कुछ जीवाणु जैसे-थायोबैसीलस, स्यूडोमोनास आदि नाइट्रोजनी यौगिकों का अपघटन करके स्वतन्त नाइट्रोजन में बदल देते हैं। यह क्रिया विनाइट्रीकरण (denitrification) कहलाती है। नाइट्रोजन चक्र का महत्व (Importance of Nitrogen Cycle)
(i) इसके द्वारा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का सन्तुलन बना रहता है।
(ii) नाइट्रोजन ऑक्सीजन की सक्रियता को कम करने में सहायक है।
(iii) नाइट्रोजन चक्रीकरण से पौधों को तथा जन्तुओं को नाइट्रोजन उपलब्य हो पाता है।
(iv) जीव-जन्तुओं के अपशिष्टों के विषटन से नाइट्रोजन वायुमण्डल में पहुँचती है।
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प्रश्न 3.
विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न प्रभावों को कैसे ज्ञात करते हैं? समझाइए।
उत्तर:
पौधों में पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन जब हम किसी विशेष पोषक तत्व की उपयोगिता का अध्ययन या तत्व की कमी से उत्पन्न प्रभाव का अध्ययन करते हैं तो इसके लिए पौधों हेतु जलीय माध्यम प्रयोग में लाया जाता है। इसके लिए हम कई बोतलों में जलीय संवर्धन माध्यम तैयार (aquatic culture medium) करते हैं। इनमें से एक में सभी आवश्यक तत्वों को उचित अनुपात में मिलाया जाता है। अन्य बोतलों में उस तत्व की कमी रखी जाती है जिसका अध्ययन करना होता है। अब पौधों को वृद्धि करने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुछ समय बाद पौधों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। पौधे में उत्पन्न प्रभाव किसी विशेष तत्व की कमी का लक्षण होता है।

तत्वों के प्रभाव के अध्ययन के लिए तालिका
संवर्धन घोल में तत्व की कमीप्रभाव (लक्षण)
सामान्य पोषक विलयन (Control)पौधे की सामान्य वृद्धि।
मैग्नीशियम का अभाव (Deficency of Mg)कम वृद्धि, पत्तियाँ पीली।
कैल्शियम का अभाव (Deficency of Ca)कमजोर पौधा, जड़ें अविकसित, पत्तियों पर धब्बे।
आयरन का अभाव (Deficency of Fe)पत्तियाँ सफेद-पीली, कम वृद्धि।
पोटैशियम का अभाव (Deficency of K)कम वृद्धि, पत्तियाँ भूरी, पौधा शीघ्र मर जाता है।
फॉस्फोरस का अभाव (Deficency of P)जड़ों की वृद्धि प्रभावित होने से पौधा मर जाता है।
नाइट्रोजन का अभाव (Deficency of N)वृद्धि कम, पत्तियाँ पीली, कमजोर पौधा।

प्रश्न 4.
जड़ों द्वारा खनिज तत्वों के अवशोषण को समझाइए। खनिज तत्वों का अवशोषण
उत्तर:
(Absorption of Mineral Element )
अधिकांश खनिज तत्व जल में घुलित अवस्था में मूलरोमों द्वारा अवशोषित होते हैं। ये खनिज मूल की बाह्य त्वचा (epiblema) एवं बल्कुट (cortex) में से विसरित होते हुए अन्तस्त्वचा (Endodermis ) तक पहुँचते हैं। अन्तस्त्वचा में कैस्पेरियन पट्टियाँ (casparian strips) पायी जाती हैं जो खनिज लवणों व जल के विसरण में रुकावट पैदा करती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

बटलर (Butler, 1953) तथा एप्सटीन (Epstein, 1955) के अनुसार वल्कुट (cortex) की कोशिकाएँ जीवित होती हैं तथा इनमें लवणों के अभिगमन के लिए उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे सक्रिय अवशोषण कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि कोशिकाद्रव्य का एक भाग प्रत्यक्ष स्वतन्त्र सतह द्वारा घिरा रहता है। अतः आयनों का स्थानान्तरण कोशिका भित्ति तथा कोशिकाद्रव्यी तन्तुओं (plasmodesmata) द्वारा अन्तस्त्वचा तक होता है। अतः आयन जाइलम में प्रवेश करा दिये जाते हैं। इसे आयन ग्रहण सरल विधि कहा जाता है।

अन्तस्त्वचा (endodermis ) से जाइलम की निर्जीव कोशिकाओं तक आयनों का सक्रिय स्थानान्तरण होता है। जड़ों की वल्कुट कोशिकाएँ श्वसन द्वारा उत्पादित ऊर्जा का प्रयोग करके आयनों को मृदा से खींचती हैं और जाइलम (xylem) में पहुँचा देती हैं। इस क्रिया को सक्रिय स्थानान्तरण कहते हैं। लवणों का जाइलम में प्रवेश होने के बाद यह वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (transpiration pull) द्वारा तथा संसंजन बल द्वारा जल के साथ ऊपर की ओर चढ़ते हैं। गन्तव्य तक पहुँचकर इनका उपयोग कर लिया जाता है।

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक आवेशित कण की समान चाल की गति से उत्पन्न होता है:
(अ) केवल विद्युत क्षेत्र
(ब) केवल चुम्बकीय क्षेत्र
(स) विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्र दोनों
(द) विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्र के साथ विद्युत चुम्बकीय तरंगें।
उत्तर:
(स) विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्र दोनों

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 2.
एक इलेक्ट्रॉन त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर n चक्कर प्रति सेकण्ड की दर से परिक्रमण करता है। इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण होगा:
(अ) शून्य
(ब) πr2ne
(स) πr2n2e
(द) \(\frac{\mu_0 r^2 n e}{2 \pi}\)
उत्तर:
(ब) πr2ne

प्रश्न 3.
एक वृत्ताकार कुण्डली में प्रवाहित धारा के कारण इसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B है। इसी कुण्डली के अक्षीय बिन्दु पर, इसकी त्रिज्या के बराबर दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो
का मान होगा:
(अ) √2 : 1
(ब) 2√2 : 1
(स) 1 : 2√2
(द) 1 : √2
उत्तर:
(ब) 2√2 : 1

प्रश्न 4.
दो समरूप कुण्डलियों में समान विद्युत धारा बहती है। इनके केन्द्र उभयनिष्ठ तथा तल परस्पर लम्बवत् हैं। एक कुण्डली के कारण इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो उभयनिष्ठ केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा:
(अ) शून्य
(ब) \(\frac{B}{\sqrt{2}}\)
(स) √2 B
(द) 2B
उत्तर:
(स) √2 B

प्रश्न 5.
एक धारावाही वृत्ताकार त्रिज्या R की कुण्डली के कारण उसके अक्ष पर x दूरी (x >> R ) पर स्थित चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B की x पर निर्भरता होगी:
(अ) B ∝ \(\frac{1}{x^{\frac{3}{2}}}\)
(ब) B ∝ \(\frac{1}{x^2}\)
(स) B ∝ \(\frac{1}{\mathrm{x}^3}\)
(द) B ∝ \(\frac{1}{x^{\frac{1}{2}}}\)
उत्तर:
(स) B ∝ \(\frac{1}{\mathrm{x}^3}\)

प्रश्न 6.
L लम्बाई के तार से एक लूप की कुण्डली बनाई जाती है तथा बाद में इसी तार से 2 लूप की कुण्डली बनाई जाती है तो केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात होगा:
(अ) 1 : 4
(ब) 1 : 1
(स) 1 : 8
(द) 4 : 1
उत्तर:
(अ) 1 : 4

प्रश्न 7.
दो समान्तर तारों में प्रत्येक में 1A धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है और उनके मध्य दूरी 1m है तो परस्पर एकांक लम्बाई पर आकर्षण बल होगा:
(अ) 2 x 107 Nm-1
(ब) 4 x 10-7 Nm-1
(स) 8 x 10-7 Nm-1
(द) 10-7Nm-1
उत्तर:
(अ) 2 x 107 Nm-1

प्रश्न 8.
एक परिनालिका में धारा प्रवाह से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B है। परिनालिका की लम्बाई व फेरों की संख्या को दुगुना करने पर, वहीं चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त करने के लिए प्रवाहित धारा करनी पड़ेगी:
(अ) 2i
(ब) i
(स) \(\frac{\mathrm{i}}{2}\)
(द) \(\frac{\mathrm{i}}{4}\)
उत्तर:
(ब) i

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प्रश्न 9.
निश्चित अनुप्रस्थ काट के धारावाही टोरॉइड के लिए चुम्बकीय क्षेत्र का मान होता है:
(अ) सम्पूर्ण काट क्षेत्रफल पर समान
(ब) बाहरी किनारे पर अधिकतम
(स) आन्तरिक किनारे पर अधिकतम
(द) अनुप्रस्थ काट के केन्द्र पर अधिकतम।
उत्तर:
(स) आन्तरिक किनारे पर अधिकतम

प्रश्न 10.
ऐम्पियर के नियम का सही गणितीय रूप है:
(अ) \(\oint \mathrm{B} \cdot \mathrm{d} l=\Sigma \mathrm{i}\)
(ब) \(\oint \mathrm{H} \cdot \mathrm{d} l=\Sigma \mathrm{i}\)
(स) \(\oint \mathrm{B} \mathrm{d} l=\frac{\Sigma_{\mathrm{i}}}{\mu_{\mathrm{o}}}\)
(द) \(\oint \mathrm{H} \cdot \mathrm{d} l=\mu_{\mathrm{o}} \Sigma \mathrm{i}\)
उत्तर:
(ब) \(\oint \mathrm{H} \cdot \mathrm{d} l=\Sigma \mathrm{i}\)

प्रश्न 11.
d दूरी पर स्थित दो समान्तर चालक तारों में समान धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित हो रही है तो तारों के मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान होगा:
(अ) \(\frac{\mu_0 i}{2 \pi d}\)
(ब) \(\frac{2 \mu_0 \mathrm{i}}{\pi \mathrm{d}}\)
(स) \(\frac{\mu_0{ }^1}{\pi \mathrm{d}^2}\)
(द) शून्य।
उत्तर:
(ब) \(\frac{2 \mu_0 \mathrm{i}}{\pi \mathrm{d}}\)

प्रश्न 12.
1 टेसला, गाऊस के तुल्य है:
(अ) 107
(ब) 104
(स) 104
(द) 10-7
उत्तर:
(स) 104

प्रश्न 13.
किसी वृत्ताकार धारावाही चालक के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान होता है:
(अ) न्यूनतम
(ब) केवल धारा के समानुपाती
(स) अधिकतम
(द) त्रिज्या के समानुपाती।
उत्तर:
(स) अधिकतम

प्रश्न 14.
लम्बे सीधे चालक में स्थिर धारा प्रवाहित हो रही है तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B व दूरी के साथ परिवर्तन का ग्राफ है:

उत्तर:

प्रश्न 15.
एक धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र B है। फेरों की संख्या अपरिवर्तित रखते हुए यदि परिनालिका की लम्बाई तथा प्रवाहित धारा का मान दुगुना कर दिया जाये, तो परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा:
(अ) B
(ब) 2B
(स) \(\frac{B}{4}\)
(द) 4B
उत्तर:
(ब) 2B

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प्रश्न 16.
किसी लम्बे धारावाही चालक के कारण किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है:
(अ) धारा के समान्तर
(ब) धारा के विपरीत
(स) त्रिज्यीय बाहर की ओर
(द) चालक तथा बिन्दु को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् दक्षिण हस्त नियम के अनुसार।
उत्तर:
(द) चालक तथा बिन्दु को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् दक्षिण हस्त नियम के अनुसार।

प्रश्न 17.
अनन्त लम्बाई के एक तार में I धारा प्रवाहित हो रही है। तार पर चुम्बकीय क्षेत्र B है अग्र में से कौनसा से लम्बवत् दूरी सम्बन्ध सही है:
(अ) B ∝ \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{r}^2}\)
(ब) B ∝ \(\frac{I}{r}\)
(स) B ∝\(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{r}^2}\)
(द) B ∝ \(\frac{\mathrm{I}}{\sqrt{\mathrm{r}}}\)
उत्तर:
(ब) B ∝ \(\frac{I}{r}\)

प्रश्न 18.
दो लम्बे सीधे तार समान्तर रखे गये हैं और उनके मध्य दूरी 2R है तथा प्रत्येक तार में विपरीत दिशा में धारा बह रही है। दोनों के मध्य एक बिन्दु पर जिसकी दूरी प्रत्येक तार से R है, चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण है:
(अ) शून्य
(ब) \(\frac{\mu_0 I}{4 \pi R}\)
(स) \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi R}\)
(द) \(\frac{\mu_0 I}{\pi R}\)
उत्तर:
(द) \(\frac{\mu_0 I}{\pi R}\)

प्रश्न 19.
एक समान स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र वाले प्रदेश में एक आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के प्रति समान्तर दिशा में अपने वेग के साथ प्रवेश करता है। इस कण की चाल होगी:
(अ) सीधी रेखा पथ में
(स) वृत्तीय पथ में
(ब) कुण्डलिनी पथ में
(द) दीर्घ वृत्तीय पथ में
उत्तर:
(अ) सीधी रेखा पथ में

प्रश्न 20.
टोरॉइड में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान:
(अ) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
(ब) बाहर की ओर अधिकतम होता है।
(स) केन्द्र पर शून्य होता है।
(द) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(अ) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।

प्रश्न 21.
दो समान्तर सुचालक तारों में धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है तो वे:
(अ) एक-दूसरे को आकर्षित करेंगे
(ब) एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे
(स) एक-दूसरे पर कोई बल नहीं लगायेंगे
(द) एक-दूसरे के लम्बवत् हो जायेंगे।
उत्तर:
(स) एक-दूसरे पर कोई बल नहीं लगायेंगे

प्रश्न 22.
परिनालिका के किसी आन्तरिक बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान निर्भर करता है:
(अ) केवल परिनालिका में प्रवाहित होने वाली धारा पर
(ब) केवल परिनालिका की लम्बाई पर
(स) चक्करों की संख्या पर
(द) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी पर।

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प्रश्न 23.
दो स्वतन्त्र समान्तर तार जिनमें धारा समान दिशा में प्रवाहित हो रही है तो वे:
(अ) एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
(ब) प्रतिकर्षित करते हैं।
(स) एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते हैं।
(द) उनमें से किसी एक तार की धारा विलुप्त हो जाती है।
उत्तर:
(अ) एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

प्रश्न 24.
एक चल कुण्डली धारामापी को वोल्टमीटर में बदलने के लिए उसके साथ:
(अ) एक कम प्रतिरोध को समान्तर क्रम में लगाना होगा
(ब) एक कम प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में लगाना होगा
(स) एक बड़े प्रतिरोध को समान्तर क्रम में लगाना होगा
(द) एक बड़े प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में लगाना होगा
उत्तर:
(द) एक बड़े प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में लगाना होगा

प्रश्न 25.
एकदिशीय धारा वाले दो समान्तर चालकों के बीच आकर्षण बल लगने का कारण है:
(अ) उनके बीच विद्युत वाहक बल
(ब) उनके बीच अन्योन्य प्रेरण
(स) उनके बीच विद्युत बल
(द) उनके बीच चुम्बकीय बल
उत्तर:
(द) उनके बीच चुम्बकीय बल

प्रश्न 26.
चल कुण्डली धारामापी में प्रवाहित धारा I और विक्षेप 6 में सम्बन्ध है:
(अ) I ∝ tan θ
(ब) I ∝ θ
(स) I = \(\frac{1}{\theta}\)
(द) I ∝ cotθ
उत्तर:
(ब) I ∝ θ

प्रश्न 27.
किसी चल कुण्डली धारामापी को वोल्टमीटर में रूपान्तरित किया जा सकता है:
(अ) उच्च प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़कर
(ब) अल्प प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़कर
(स) उच्च प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़कर
(द) अल्प प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़कर
उत्तर:
(स) उच्च प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़कर

प्रश्न 28.
टोराइड में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान:
(अ) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
(ब) बाहर की ओर अधिकतम होता है।
(स) केन्द्र पर शून्य होता है।
(द) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(अ) अक्ष के सभी बिन्दुओं पर समान होता है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक गतिमान आवेश (इलेक्ट्रॉन) कौन-कौनसे प्रकार के बल क्षेत्र उत्पन्न करता है? यदि इलेक्ट्रॉन स्थिर है तब किस प्रकार के क्षेत्र उत्पन्न करता है?
उत्तर:
गतिमान इलेक्ट्रॉन वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र दोनों प्रकार केबल क्षेत्र उत्पन्न करता है, जबकि स्थिर इलेक्ट्रॉन केवल वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।

प्रश्न 2.
कौनसी भौतिक राशि का मात्रक न्यूटन / ऐम्पियर मीटर है? क्या यह अदिश राशि है अथवा सदिश?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र का (सदिश)।

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प्रश्न 3.
ऑस्टैंड प्रयोग के निष्कर्ष लिखो।
उत्तर:
धारावाही चालक अपने चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जिसका किसी बिन्दु पर परिमाण व दिशा चालक में प्रवाहित धारा के परिमाण व दिशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
एक छल्ले को समान रूप से आवेशित किया गया है। छल्ले पर कुल आवेश q व उसकी त्रिज्या है यदि वह अपने अक्ष पर n चक्कर / सेकण्ड घूर्णन करे तो केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान कितना होगा?
उत्तर:
B = \(\frac{\mu_{\mathrm{o}} \mathrm{i}}{2 \mathrm{r}}\) = \(\frac{\mu_o q}{2 r T}\)
= \(\frac{\mu_0 \omega \mathrm{q}}{4 \pi \mathrm{r}}\)

प्रश्न 5.
एक लम्बी धारावाही ताम्बे की खोखली नली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र कितना होगा?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 6.
CGS पद्धति में K का मान समीकरण db = \(\frac{\mathrm{Kid} l \sin \theta}{\mathrm{r}^2}\) में कितना होगा?
उत्तर:
K = 1

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प्रश्न 7.
एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक तार में धारा प्रवाहित करने पर ही चुम्बकीय बल क्यों लगता है?
उत्तर:
धारा प्रवाह से चालक तार के मुक्त इलेक्ट्रॉन एक निश्चित दिशा में अपवहन वेग से गति करने लगते हैं। इस कारण से चुम्बकीय बल लगने लगता है।
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = i\((\vec{L} \times \vec{B})\)

प्रश्न 8.
चित्र में बिन्दु O पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र कितना होगा?
उत्तर:
दोनों सीधे भागों के कारण शून्य होगा,
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व 3
अतः अर्द्धवृत्त के कारण जो कि परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र है,
B = \(\frac{\mu_o i}{4 r}\)

प्रश्न 9.
चित्र में O पर चुम्बकीय क्षेत्र कितना होगा?
उत्तर:
B = O (केन्द्र पर वृत्ताकार भाग के कारण परस्पर विपरीत दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जिससे परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होगा)।
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प्रश्न 10.
किसी वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरने वाले आवेशित कण पर लगने वाले लॉरेन्स बल का सूत्र लिखिए ।
उत्तर:
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}=\mathrm{q}(\overrightarrow{\mathrm{E}}+\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)

प्रश्न 11.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को टायरॉइड के क्रोड में पूर्णतः परिरुद्ध किया जा सकता है, परन्तु इन्हें सीधी परिनलिका के भीतर परिरुद्ध नहीं किया जा सकता क्यों?
उत्तर:
एक टायरॉइड एक सिराहीन परिनलिका है इसलिए बल रेखायें बन्द होती हैं जिनकी न कोई शुरुआत होती है और न ही अन्त।

प्रश्न 12.
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर लगने वाले चुम्बकीय लॉरेंज बल द्वारा आवेशित कण पर कोई कार्य नहीं किया जाता है। प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
चूँकि आवेशित कण पर लॉरेंज बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) की दिशा कण के वेग \(\vec{v}\) अर्थात् उसके विस्थापन के लम्बवत् होती है।
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = q\((\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\) अतः इस बल द्वारा किया गया कार्य W = \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\). \(\overrightarrow{\mathrm{d}}\) = Fd cos 90° = 0 अर्थात् कोई भी कार्य नहीं किया जाता है।

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प्रश्न 13.
एक धारावाही परिनालिका को पृथ्वी के क्षैतिज तल में स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर स्थिरावस्था में उसकी दिशा क्या होगी?
उत्तर:
उत्तर-दक्षिण।
∵ (धारावाही परिनालिका चुम्बक की भांति व्यवहार करती है)।

प्रश्न 14.
वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र तथा कुण्डली की त्रिज्या में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
B ∝ \(\frac{1}{\mathrm{R}}\)
∵ केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{2 \mathrm{R}}\)

प्रश्न 15.
एक आवेशित कण समचुम्बकीय क्षेत्र में इसके समान्तर प्रवेश करता है तो कण का पथ कैसा होगा?
उत्तर:
ऋजुरेखीय। ∵ F = quBsinθ में θ = 0° होने पर बल शून्य होगा।

प्रश्न 16.
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक वेबर है। इसका तुल्य विद्युत मात्रक बताइये।
उत्तर:
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प्रश्न 17.
किसी वृत्ताकार कुण्डली के व्यासाभिमुखी सिरों पर एक नियत वोल्टता की बैटरी संयोजित है। कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र कितना होगा?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 18.
किसी N फेरों वाली R त्रिज्या की धारावाही कुण्डली को खोलकर सीधे लम्बे तार में बदलने पर इससे R दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान कुण्डली के केन्द्र पर मान का कितना गुना होगा?
उत्तर:
केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0 N I}{2 R}\) …..(1)
तथा लम्बे सीधे तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi R}\) ……….(2)
समीकरण (1) में समी (2) का भाग देने पर
\(\frac{B_0}{B}\) = \(\frac{\frac{\mu_0 N I}{2 R}}{\frac{\mu_0 I}{2 \pi R}}\) = Nπ

प्रश्न 19.
एक ऐम्पियर धारा की अन्तरराष्ट्रीय मात्रक पद्धति में परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
एक ऐम्पियर विद्युत धारा, वह धारा है जो निर्वात या वायु में परस्पर एक मीटर लाम्बिक दूरी पर स्थित दो लम्बे समान्तर व सीधे चालक तारों में प्रवाहित होने पर तारों की एक मीटर लम्बाई पर 2 x 102 न्यूटन / मीटर बल उत्पन्न करती है।

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प्रश्न 20.
एक परिनालिका के कोड की। मीटर लम्बाई पर 1000 फेरे हैं व उसमें 2A की धारा प्रवाहित हो रही है तो चुम्बकन क्षेत्र H का मान क्या होगा?
उत्तर:
दिया गया है:
N = 1000
L = 1m
I = 2A
चुम्बकन क्षेत्र H =\(\frac{\mathrm{NI}}{\mathrm{L}}\)
H = \(\frac{1000 \times 2}{1}\)
= 2000 A/m
= 2 × 103 A/m

प्रश्न 21.
किस दशा में चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर बल (1) अधिकतम, (ii) न्यूनतम होगा?
उत्तर:
बल F =qVB sin θ से
(i) जब θ = 90° तो F =qVB होगा जो कि अधिकतम मान है।
(ii) जब θ = 0 अथवा θ = 180° तो F = 0 होगा जो कि न्यूनतम मान है।
अतः जब आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करता है तो उस पर लगने वाला बल अधिकतम तथा जब यह चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अथवा विपरीत दिशा में गति करता है तो बल न्यूनतम (शून्य) होता है।

प्रश्न 22.
कोई इलेक्ट्रॉन किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र वाले स्थान से गुजरते समय विक्षेपित नहीं होता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इलेक्ट्रॉन के वेग की दिशा में अथवा इसकी विपरीत दिशा में है जिससे θ = 0° अथवा 180° अर्थात् F = evB sin θ = 0 इसलिए यह विक्षेपित नहीं होगा।

प्रश्न 23.
किसी धारामापी को उसी रूप में अमीटर की तरह उपयोग में क्यों नहीं लाते?
उत्तर:
क्योंकि उसकी कुण्डली का प्रतिरोध बहुत कम नहीं होता है तथा यह अपनी कुण्डली के अधिकतम सम्भव विक्षेप के संगम सीमित धारा को ही माप सकता है।

प्रश्न 24.
दो समान्तर तार एक-दूसरे के अति निकट स्थित हैं, ऊपर का तार स्थिर है तथा नीचे का तार मुक्त है। मुक्त तार को रोकने के लिये दोनों तारों में उपयुक्त मान की धारा किस दिशा में प्रवाहित की में जानी चाहिए? कारण दीजिये।
उत्तर:
समान दिशा में प्रवाहित की जानी चाहिए, आकर्षण बल के कारण।

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प्रश्न 25.
बायो- सावर्ट के नियम ( Biot Savart’s Law) से धारावाही चालक के किसी अल्पांश के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के व्यंजक को सदिश रूप में लिखिये।
उत्तर:
\(\overrightarrow{\delta B}\) = \(\frac{\mu_{\mathrm{o}} \mathrm{I}}{4 \pi \mathrm{r}} \frac{\overrightarrow{\delta l} \times \overrightarrow{\mathrm{r}}}{\mathrm{r}^3}\)
या
\(\overrightarrow{\delta B}\) = \(\frac{\mu_{\mathrm{o}} \mathrm{I}}{4 \pi \mathrm{r}} \frac{(\overrightarrow{\delta l} \times \hat{\mathrm{r}})}{\mathrm{r}^2}\)

प्रश्न 26.
दो समान्तर धारावाही चालकों के मध्य प्रतिकर्षण का बल उत्पन्न होता है। इनमें बहने वाली धाराओं की दिशा के बारे में क्या संकेत मिलता है?
उत्तर:
धारा परस्पर विपरीत दिशा में है।

प्रश्न 27.
किसी चालक में विद्युत धारा के कारण चालक के आस- पास कौनसा क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र

प्रश्न 28.
आवेश वाला कण \(\vec{v}\) वेग से चुम्बकीय क्षेत्र में गति कर रहा है। उस पर लगने वाले बल का मान क्या होगा?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = q\((\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)

प्रश्न 29.
चल कुण्डली धारामापी में एक मुलायम लोहे का क्रोड काम में क्यों लेते हैं?
उत्तर:
लोहे के क्रोड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र तीव्र हो जाता है।

प्रश्न 30.
एक विद्युत लाइन में धारा उत्तर की ओर बह रही है। धारा के कारण विद्युत लाइन के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किधर होगी?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पूर्व की ओर होगी।

प्रश्न 31.
यदि किसी परिनालिका की लम्बाई, उसके कुल फेरों की संख्या तथा प्रवाहित धारा दुगुनी कर दी जाती है तो उसमें चुम्बकीय क्षेत्र कितना गुना हो जायेगा?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र दोगुना हो जायेगा।

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प्रश्न 32.
धारावाही परिनालिका के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र का मान कितना होता है?
उत्तर:
लगभग शून्य होता है।

प्रश्न 33.
B का मान दूरी पर निर्भर करता है के बढ़ने पर B का मान घटता है। यदि r = ∞ हो तो B का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य होगा।

प्रश्न 34.
2r दूरी पर दो सीधे समान्तर तारों में समान दिशा में I धारा प्रवाहित की जाती है। दोनों तारों के मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कितनी होगी?
उत्तर:
दोनों तारों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर बराबर एवं विपरीत होने के कारण कुल चुम्बकीय क्षेत्र B = 0।

प्रश्न 35.
एक लम्बी तांबे की नली में धारा प्रवाहित की जाये तो नली के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होगा।

प्रश्न 36.
लम्बे सीधे चालक में प्रवाहित धारा के कारण किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र तार प्रवाहित धारा पर किस प्रकार निर्भर करता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र B ∝ प्रवाहित धारा (i)।

प्रश्न 37.
किसी लम्बे सीधे धारावाही चालक के कारण किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किधर होगी?
उत्तर:
चालक तथा बिन्दु को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् दक्षिण हस्त नियम के अनुसार होती है।

प्रश्न 38.
एक धारावाही टोरॉइड के किस भाग पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान अधिकतम होगा?
उत्तर:
भीतरी किनारे पर।

प्रश्न 39.
किसी लम्बे धारावाही चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
चालक के चारों ओर बन्द वृत्त के रूप

प्रश्न 40.
किसी सोलेनाइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र का मान कैसा होता है?
उत्तर:
समान होता है।

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प्रश्न 41.
चल कुण्डली धारामापी में स्प्रिंग (लटकाने वाला तार) निम्न ऐंठन नियतांक का होता है। क्यों?
उत्तर:
धारामापी की धारा सुग्राहिता और वोल्टता सुग्राहिता दोनों स्प्रिंग के ऐंठन नियतांक के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं। अतः इस नियतांक का निम्न मान धारामापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए रखा जाता है।

प्रश्न 42.
उन दो कारकों के नाम लिखिए जिनके द्वारा धारामापी की वोल्टता सुग्राहिता बढ़ाई जा सकती है।
उत्तर:
(i) कुण्डली में फेरों की संख्या N का मान बढ़ाकर।
(ii) स्प्रिंग का ऐंठन बल नियतांक C का मान कम करके।

प्रश्न 43.
एक ∝-किरण पुंज (+ X -अक्ष) के अनुदिश प्रक्षेपित किया जाता है। यह एक चुम्बकीय क्षेत्र के कारण + Y-अक्ष के अनुदिश बल का अनुभव करता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
चूँकि ∝ धनावेशित कण है अतः इसकी गति की दिशा ही धारा की दिशा होगी इसलिए फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम अथवा दायें हाथ की हथेली के नियम 2 के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा – Z-अक्ष के अनुदिश होगी।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व 6

प्रश्न 44.
यदि G प्रतिरोध के धारामापी को अमीटर में परिवर्तित करने पर धारामापी से मुख्य धारा का 1% प्रवाहित होता है तो शण्ट का प्रतिरोध क्या होगा?
उत्तर:
S = \(\left(\frac{i_g}{I-i_g}\right)\)
G = \(\left(\frac{\frac{1}{100} I}{I-\frac{1}{100} I}\right) G\)

प्रश्न 45.
दिये गए चित्रों में बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ⊗ व के रूप में लिखिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व 7
उत्तर:
A. ⊗ चूँकि कागज के तल में भीतर की ओर जाती विद्युत धारा अथवा विद्युत क्षेत्र को एक क्रॉस ⊗ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
B. चूँकि कागज के तल से बाहर की ओर निर्गत विद्युत धारा अथवा क्षेत्र (विद्युत अथवा चुम्बकीय) को एक बिन्दु द्वारा व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 46.
आयताकार आकृति का कोई समतलीय लूप किसी ऐसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान कराया जाता है जो इस लूप के तल के लम्बवत् है। इस लूप में प्रेरित धारा की दिशा और परिमाण क्या है?
उत्तर:
यदि कोई समतलीय लूप किसी ऐसे एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान कराया जाता है जो इस लूप के तल के लम्बवत् है: तब लूप में कोई भी धारा नहीं बहेगी। इस कारण से लूप में प्रेरित धारा की कोई भी दिशा नहीं होगी।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी क्षेत्र से गुजरता एक इलेक्ट्रॉन विक्षेपित नहीं होता है। क्या यह संभव हो सकता है कि वहाँ कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं हो? समझाइए।
उत्तर:
\(\vec{v}\) वेग से गतिमान इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र में कार्यरत बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = -e\((\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
या
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = -evBsinθ
बल F का मान शून्य होगा यदि θ = 0°
या 180°
इसलिए इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित नहीं होगा यदि यह समानान्तर या प्रति समानान्तर गति करता हो। इस प्रकार हम नहीं कह सकते कि चुम्बकीय क्षेत्र अनुपस्थित है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 2.
यदि किसी वृत्ताकार कुण्डली में बहने वाली धारा दोगुनी एवं उसकी त्रिज्या आधी कर दी जाये तो कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
वृत्ताकार कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{2 \mathrm{R}}\)
यदि धारा I’ = 21 और त्रिज्या r’ = 1/2 तो चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}^{\prime}}{2 \mathrm{R}^{\prime}}\)
= \(\frac{\mu_0 \mathrm{~N}(2 \mathrm{I})}{2(\mathrm{R} / 2)}\)
∴ B’ = 4B
अर्थात् चुम्बकीय क्षेत्र चार गुना हो जायेगा।

प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) में वेग \(\overrightarrow{\mathbf{v}}\) से गतिशील आवेश q पर लगने वाले बल \(\overrightarrow{\mathbf{F}}\) के लिए सदिश रूप में व्यंजक लिखिए। इस व्यंजक की सहायता से शर्तें प्राप्त कीजिए जब यह बल (i) अधिकतम एवं (ii) न्यूनतम हो।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) में, वेग \(\overrightarrow{\mathbf{v}}\) से गतिशील आवेश q पर लगने वाला बल
\(\overrightarrow{\mathbf{F}}\) = q \((\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
(i) \(|\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}|\) = vBsinθ
जब θ = 90° अर्थात् जब \(\vec{v} \perp \overrightarrow{\mathrm{B}}\) तो sin θ = 1 जो कि sin θ का अधिकतम मान है। अर्थात् जब \(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\) तो \(|\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}|\) अधिकतम
होगा। अतः \(\overrightarrow{\mathbf{F}}\) का मान भी अधिकतम होगा।

(ii) जब θ = 0° अर्थात् तो sinθ = 0
अतः
\(|\vec{v} \times \vec{B}|\) = 0
\(\overrightarrow{\mathbf{F}}\)
अर्थात् जब \(\vec{v}\) || \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) तो \(\vec{F}\) का मान न्यूनतम होगा।

प्रश्न 4.
समरूप चुम्बकीय क्षेत्र का मान न्यूनतम होगा। में गतिशील आवेशित कण की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, समझाइए। क्यों?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण पर लगने वाला बल कण के वेग के लम्बवत् होता है अतः चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा कण पर कोई कार्य नहीं किया जाता है अतः कण की चाल नियत रहेगी और इस प्रकार कण की गतिज ऊर्जा भी अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 5.
α – कणों एवं प्रोटॉनों का एक पुंज समान चाल से एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। चुम्बकीय क्षेत्र में उनके वृत्तीय पथों की त्रिज्याओं के अनुपात की गणना कीजिए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी आवेशित कण के वृत्तीय पथ की त्रिज्या
r = \(\frac{\mathrm{mv}}{\mathrm{qB}}\)
α -कण के लिए
= \(\frac{m_\alpha v}{2 \mathrm{e} . \mathrm{B}}\)
प्रोटॉन के लिए
= \(\frac{m_{\mathrm{p}} \cdot v}{\mathrm{e} . \mathrm{B}}\)
\(\frac{r_\alpha}{r_p}\) = \(\frac{m_\alpha}{2 m_p}\) = \(\frac{4 m_p}{2 m_p}\)
∵ mα = 4mp
या
\(\frac{r_\alpha}{r_p}\) = 2
∴ rα : rp = 2 : 1

प्रश्न 6.
एक इलेक्ट्रॉन पुंज E तीव्रता के विद्युत क्षेत्र एवं B तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्रों के क्रॉसित क्षेत्र (crossed region) में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन की किस चाल के लिए इलेक्ट्रॉन पुंज अविचलित रहेगा?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन पुंज तब अविचलित रहेगा जब उस पर लगने वाले वैद्युत एवं चुम्बकीय बल परिमाण में समान हों और दिशा में विपरीत हों। इसलिए
Fe = Fm
या
Ee = evB
या
E = VB

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प्रश्न 7.
चल कुण्डली धारामापी में त्रिज्य चुम्बकीय क्षेत्र का क्या महत्व है?
उत्तर:
बल युग्म
τ = NIAB sinθ
जब त्रिज्य चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली को लटकाया जाता है तो कुण्डली की प्रत्येक स्थिति में उसका तल किसी न किसी बल रेखा के अनुदिश होता है, अतः 6 = 90°
अतः
sin θ = 1
τ = NIAB
अब
τ α I
अर्थात् कुण्डली पर बल युग्म उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। इस प्रकार धारामापी स्केल रेखीय बना सकते हैं।

प्रश्न 8.
दो परस्पर लम्बवत् धारावाही लम्बे सीधे तारों के कारण किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र शून्य कब हो सकता है?
उत्तर:
यदि x y तल में स्थित बिन्दु P के निर्देशांक (x, y) हैं तो परस्पर लम्बवत् धारावाही चालक तारों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
क्रमश:
B1 = \(\frac{\mu_0 i_1}{2 \pi x}\)
तथा
B2 = \(\frac{\mu_0 i_2}{2 \pi y}\)
जिनकी दिशायें Z अक्ष के अनुदिश होंगी।
यदि ये क्षेत्र बराबर तथा विपरीत हैं तो परिणामी क्षेत्र शून्य होने के लिये
B1 = B2
\(\frac{\mu_0 i_1}{2 \pi x}\) = \(\frac{\mu_0 i_2}{2 \pi y}\)
⇒ \(\frac{\mathrm{i}_1}{\mathrm{x}}\) = \(\frac{i_2}{y}\)
⇒ \(\frac{i_1}{\mathbf{i}_2}\) = \(\frac{x}{y}\)
जबकि ये धारायें मूल बिन्दु से बाहर की ओर इंगित हों।

प्रश्न 9.
ऐम्पियर की अन्तर्राष्ट्रीय परिभाषा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऐम्पियर की परिभाषा – दो लम्बे सीधे तथा समान्तर धारावाही चालक तारों के मध्य प्रति एकांक लम्बाई पर कार्यरत चुम्बकीय
बल
\(\frac{\delta \mathrm{F}}{\delta l}\) = \(\frac{\mu_o i_1 \mathrm{i}_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)
यदि i = 12 = 1 A तथा d = 1m है तो
\(\frac{\delta \mathrm{F}}{\delta l}\) = \(\frac{\mu_o(1 \mathrm{~A})(1 \mathrm{~A})}{2 \pi(1 \mathrm{~m})}\)
= \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi}\)
\(\frac{\delta \mathrm{F}}{\delta l}\) = 2 × 107 न्यूटन/मी.
1 ऐम्पियर विद्युत धारा, वह धारा है जो निर्वात या वायु में परस्पर 1 मीटर लाम्बिक दूरी पर स्थित दो लम्बे समान्तर व सीधे चालक तारों में प्रवाहित होने पर तारों की 1 मीटर लम्बाई पर 2 × 107 न्यूटन / मीटर बल उत्पन्न करती है।

प्रश्न 10.
न्यूट्रॉन को साइक्लोट्रॉन द्वारा त्वरित नहीं किया जा सकता क्यों?
उत्तर:
न्यूट्रॉन अनावेशित कण है, इसलिए त्वरित नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 11.
वोल्टमीटर की परास बदलने के लिये क्या करते हैं?
उत्तर:
RH = \(\left(\frac{V}{i_g}\right)\)  – G
इस उच्च प्रतिरोध को अभीष्ट धारामापी के श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर यह V परास का वोल्टमीटर बन जायेगा। गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में निर्धारित उच्च प्रतिरोध RH लगने पर बने वोल्टमीटर का प्रभावी प्रतिरोध Ry = (RHG) बहुत अधिक (G की तुलना में बहुत अधिक) हो जाता है। इस प्रकार परिपथ के किसी भाग में विभवान्तर मापन हेतु समान्तर क्रम में संयोजित वोल्टमीटर का स्वयं का प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाने के कारण यह परिपथ में प्रवाहित धारा के न्यूनतम अंश को अपने से गुजार कर परिपथ में बहने वाली लगभग पूर्ण धारा के अनुरूप उत्पन्न विभवान्तर का यथेष्ठ मापन कर देता है।

प्रश्न 12.
आपको एक निम्न प्रतिरोध R1, एक उच्च प्रतिरोध R2 व एक धारामापी दिये गये हैं। सुझाइए कि इनमें ऐसा उपकरण किस प्रकार बनायेंगे जो (i) धारा नाप सके, (ii) विभवान्तर नाप सके।
उत्तर:
(i) धारा मापने के लिए कम प्रतिरोध R1 को धारामापी के समान्तर क्रम में जोड़ना होगा।
(ii) विभवान्तर नापने के लिए उच्च प्रतिरोध R2 को धारामापी के श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।

प्रश्न 13.
अमीटर एवं मिली अमीटर दोनों धारामापी से बनाये जाते हैं। इन दोनों धारामापक उपकरणों में से किसका प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं:
S = \(\frac{I_g G}{I-I_g}\)
इस सूत्र से स्पष्ट है कि धारामापी को मिली अमीटर में बदलने के लिए बड़े प्रतिरोध के शण्ट S की आवश्यकता होती है अपेक्षाकृत अमीटर के शण्ट प्रतिरोध के
अमीटर का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{G} . \mathrm{S}}{\mathrm{G}+\mathrm{S}}\)
स्पष्ट है कि “मिली अमीटर का प्रतिरोध अधिक होगा।”

प्रश्न 14.
अमीटर तथा वोल्टमीटर में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अमीटर:
अमीटर वह उपकरण होता है जिसकी सहायता से किसी विधुत परिपथ मे प्रवाहित विधुत धारा का मापन करते है। धारामापी को अमीटर मे बदलने के लिए उसकी कुण्डली के साथ समांतर क्रम मे कम प्रतिरोध का तार जोड़ देते है। इस तार को शण्ट कहते है। तथा एक आदर्श अमीटर के प्रतिरोध को शून्य होना चाहिए।
वोल्टमीटर:
वोल्टमीटर वह उपकरण होता है जिसकी सहायता से विद्युत् परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर ज्ञात करते हैं। धारामापी को वोल्टमीटर में बदलने के लिए उसकी कुण्डली के साथ श्रेणी क्रम में उच्च मान का प्रतिरोध तार जोड़ देते हैं। एक आदर्श वोल्टमीटर के प्रतिरोध को अनन्त होना चाहिए।

प्रश्न 15.
बायो- सावर्ट का नियम लिखिए।
एक इलेक्ट्रॉन की गति का पथ लिखिए जबकि वह चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है, उसके
(a) लम्बवत्
(b) θ कोण पर।
उत्तर:
बायो- सावर्ट का नियम (Biot Savart’s Law): जब किसी चालक से धारा प्रवाहित होती है तो चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का किसी बिन्दु पर मान ज्ञात करने के लिये बायो तथा सावर्ट ने प्रयोगों के आधार पर एक नियम प्रतिपादित किया जिसे बायो- सावर्ट का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार किसी धारावाही चालक के अल्पांश δl के कारण किसी बिन्दु P पर चुम्बकीय प्रेरण या चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता δB का मान
(i) धारा के मान के अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) धारा अल्पांश की लम्बाई 8/ के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) धारा अल्पांश के सापेक्ष प्रेक्षण बिन्दु के स्थिति सदिश \(\underset{\mathrm{r}}{\vec{r}}\)
व धारा अल्पांश \(\overrightarrow{\delta l}\) के मध्य कोण θ की ज्या अर्थात् sin θ के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iv) धारा अल्पांश से प्रेक्षण बिन्दु की दूरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात्
δB ∝ \(\frac{I \delta l \sin \theta}{r^2}\)
निर्वात या अचुम्बकीय माध्यम से
δB = \(\left(\frac{\mu_0}{4 \pi}\right)\) \(\frac{I \delta l \sin \theta}{r^2}\)
जहाँ μo निर्वात की चुम्बकीय पारगम्यता कहलाती है। μo का मान 4 x 107 वेबर / ऐम्पियर या हेनरी / मी. होता है।
(a) वृत्ताकार
(b) सर्पिलाकार (कुण्डली के आकार में)।

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प्रश्न 16.
ऐम्पियर का परिपथीय नियम लिखिए। एक लम्बे सीधे वृत्ताकार काट (त्रिज्या a) के तार में स्थायी धारा प्रवाहित हो रही है। धारा तार में समान रूप से वितरित है तार के अन्दर क्षेत्र (r <a) पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिए।
उत्तर:
ऐम्पियर का परिपथीय नियम (Ampere’s Circular Law): “ऐम्पियर के नियम के अनुसार निर्वात (अथवा वायु) में किसी बन्द पथ के चुम्बकीय क्षेत्र में रेखा समाकलन का मान, निर्वात की चुम्बकशीलता (μ0) तथा उस बन्द पथ से गुजरने वाली धाराओं के बीजगणितीय योग के गुणनफल के बराबर होता है।”
अतः गणितीय रूप में
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{d} l}=\mu_0 \Sigma \mathrm{I}\)
जहाँ
μ0 = निर्वात की चुम्बकशीलता
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{d} l}\) = चुम्बकीय क्षेत्र \((\overrightarrow{\mathbf{B}})\) का रेखीय समाकलन कहलाता है।
यहाँ पर r < a पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना करनी है। इसके लिये ऐम्पियर पाश वह वृत्त है जिस पर 1 अंकित है। इस पाश के लिये वृत्त की त्रिज्या r लेने पर

L = 2πr
अब यहाँ पर परिबद्ध विद्युत धारा Ie का मान I नहीं है। लेकिन यह इस मान से कम है। चूँकि विद्युत धारा का विवरण एक समान रूप से है अतः परिबद्ध विद्युत धारा के अंश का मान
Ie = \(I\left(\frac{\pi r^2}{\pi a^2}\right)\) = \(\frac{\mathrm{Ir}^2}{\mathrm{a}^2}\) ……….(1)
ऐम्पियर के नियम का उपयोग करने पर
B × 2πr = \(\frac{\mu_0 \mathbf{I r}^2}{\mathrm{a}^2}\)
⇒ B = \(\frac{\mu_0 \mathbf{I r}^2}{\mathrm{a}^2}\) × \(\frac{1}{2 \pi r}\)
B = \(\left(\frac{\mu_0 \mathrm{I}}{2 \pi \mathrm{a}^2}\right)\)

प्रश्न 17.
दो सीधे समान्तर धारावाही चालकों के बीच प्रति इकाई लम्बाई पर बल का व्यंजक प्राप्त कीजिए किस अवस्था में यह बल आकर्षण व प्रतिकर्षण का होता है? विद्युत धारा के मानक मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
दो समान्तर विद्युत धाराओं के बीच बल-ऐम्पियर (Force between Two Parallel Currents, the Ampere):
समान्तर धारावाही चालकों पर चुम्बकीय बल – चित्र में P1 तथा P2 दो अनन्त लम्बाई के धारावाही चालक हैं जो परस्पर d दूरी पर एक कागज के तल में स्थित हैं। दोनों तारों में धारा समान दिशा में i2 बह रही है, इस कारण से उनके चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा। यहाँ पर एक धारावाही चालक दूसरे धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में उपस्थित है।
P1 धारावाही चालक के कारण d दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B1 = \(\frac{\mu_0 i_1}{2 \pi \mathrm{d}}\) …….(1)
इस चुम्बकीय क्षेत्र में उपस्थित धारावाही चालक P2 की लम्बाई / पर कार्यरत चुम्बकीय बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}_2\) = i2 \(\left(\vec{l} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}_1\right)\)
F2 = i2lB1 sinθ
F2 = i2lB1
∵ \(\vec{l} \perp \vec{B}_1\) …..(2)
समीकरण (1) से B का मान रखने पर
F2 = i2l x \(\frac{\mu_0 \mathrm{i}_1}{2 \pi \mathrm{d}}\)
F2 = \(\frac{\mu_0 \mathrm{i}_1 \mathrm{i}_2 l}{2 \pi \mathrm{d}}\) न्यूटन …..(3)
इस बल F2 की दिशा धारावाही चालक P2 तथा उस पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B1 के लम्बवत् है। इस प्रकार से यह बल चालक P1 की ओर तथा कागज के तल में है। बल की यह दिशा फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं।
\(\frac{\mathrm{F}_2}{l}\) = \(\frac{\mu_o i_1 i_2}{2 \pi \mathrm{d}}\) न्यूटन / मीटर
यह धारावाही चालक P2 की इकाई लम्बाई पर कार्यरत चुम्बकीय बल है।
P2 धारावाही चालक के कारण दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B2 = \(\frac{\mu_{\mathrm{o}} i_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)
इसी प्रकार से P2 के कारण P1 की लम्बाई l पर कार्यरत चुम्बकीय बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}_1=\mathrm{i}_1\left(\vec{l} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}_2\right)\)
या F1 = i1lB2
या
F1 = \(\frac{\mathrm{i}_1 l \mu_0 \mathrm{i}_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)
B2 = \(\frac{\mu_{\mathrm{o}} \mathrm{i}_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)

या
F1 = \( \frac{\mu_{\mathrm{o}} \mathrm{i}_1 \mathrm{i}_2 l}{2 \pi \mathrm{d}}\)
या
\(\frac{F_1}{l}=\frac{\mu_0 i_1 i_2}{2 \pi \mathrm{d}}\) न्यूटन / मीटर …(4)
समीकरण (3) तथा (4) से
\(\frac{\mathrm{F}_1}{l}\) = \(\frac{F_2}{l}\) = \(\frac{\mu_0 i_1 i_2}{2 \pi d}\) न्यूटन/मी.
चित्र से स्पष्ट है, यदि दो समान्तर धारावाही चालकों में धारा एक ही दिशा में हो तो उनके मध्य आकर्षण बल कार्य करता है।
विशेष स्थितियाँ: (i) यदि धारा परस्पर विपरीत दिशा में हो तो प्रतिकर्षण होगा।

(ii) यदि धारा परस्पर एक ही दिशा में होती है तो आकर्षण होता है।

दो समान्तर धारावाही तारों के बीच प्रत्येक तार की प्रति मीटर लम्बाई पर कार्यकारी पारस्परिक बल
\(\frac{\mathrm{F}_1}{l}\) = \(\frac{\mu_0}{2 \pi} \left(\frac{i_1 i_2}{d}\right)\) न्यूटन / मीटर
परन्तु
μ0 = 4π x 10-7 न्यूटन / ऐम्पियर2
\(\frac{\mathrm{F}_1}{l}\) = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \left(\frac{\mathrm{i}_1 \mathrm{i}_2}{\mathrm{~d}}\right)\)
= (2 × 10-7) \(\left(\frac{\mathrm{i}_1 \mathrm{i}_2}{\mathrm{~d}}\right)\) न्यूटन / मीटर
यदि i1 = i2 = i ऐम्पियर और d = 1 मीटर तब
= (2 x 10-7) i2 न्यूटन / मीटर
अतः यदि इन तारों के बीच प्रति मीटर लम्बाई पर लगने वाली बल
2 x 10-7न्यूटन / मीटर हो, तो 2 x 10-7 न्यूटन / मीटर = (2 x 10-7) i2 न्यूटन / मीटर अर्थात् = 1
अतः 1 ऐम्पियर वह वैद्युत धारा है जो वायु (या निर्वात) में एक-दूसरे से एक मीटर दूर स्थित दो सीधे लम्बे एवं समान्तर तारों में प्रवाहित होने पर प्रत्येक तार की प्रति मीटर लम्बाई पर 2 x 10-7 न्यूटन का बल आरोपित करती है।

प्रश्न 18.
एक इलेक्ट्रॉन त्रिज्या की वृत्ताकार कक्षा में चाल से परिक्रमा कर रहा है। इसका घूर्णन चुम्बकीय अनुपात का व्यंजक प्राप्त कीजिए बोर मैग्नेट्रान किसे कहते हैं? इसका मान लिखिए।
उत्तर:
r त्रिज्या की वृत्ताकार कक्षा में चाल से परिक्रमा कर रहे इलेक्ट्रॉन का घूर्ण चुम्बकीय अनुपात:
इलेक्ट्रॉन (एक ऋणावेशित कण) किसी धनावेशित नाभिक के चारों ओर ठीक उसी प्रकार परिक्रमा करता है जिस प्रकार कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करता है। किसी स्थिर भारी नाभिक जिसका आवेश + Ze है, के चारों ओर (-e) आवेश का इलेक्ट्रॉन (e = 1.6 x 10-19 C) एक समान वर्तुल गति करता रहता है। इससे विद्युत धारा I बनती है।
I = \(\frac{e}{T}\) …..(1)
यहाँ पर T परिक्रमण का आवर्त काल है। यदि इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या तथा कक्षीय चाल है, तो
T = \(\frac{2 \pi r}{v}\) ……(2)
समीकरण (1) में T का मान रखने पर
I = \(\frac{e v}{2 \pi r}\) ………(3)
चुम्बकीय आघूर्ण m = IA = Iπr2
∴ m = \(\left(\frac{\mathrm{ev}}{2 \pi \mathrm{r}}\right)\) πr2
m = \(\frac{e v r}{2}\) …..(4)
∵ m = \(\frac{\mathrm{evr}}{2}\)
इस परिसंचारी विद्युत धारा के साथ एक चुम्बकीय आघूर्ण सम्बद्ध होगा जिसे प्राय: μl द्वारा निर्दिष्ट करते हैं। इसका परिमाण है μl = Iπr2 = \(\frac{e v r}{2} \)

चित्र में इस चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा कागज के तल में भीतर की ओर है। [इस परिणाम पर हमें पहले वर्णन किए जा चुके दक्षिण- हस्त नियम तथा इस तथ्य के आधार पर पहुंचे हैं कि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन वामावर्त गति कर रहा है जिसके फलस्वरूप विद्युत धारा दक्षिणावर्त है। उपरोक्त व्यंजक के दक्षिण पक्ष को इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान me से गुणा एवं भाग करने पर हमें प्राप्त होता है
हाइड्रोजन जैसे परमाणुओं के बोर मॉडल में ऋणावेश युक्त इलेक्ट्रॉन केंद्रस्थ धनादेश युक्त (+ Ze) नामिक के चारों ओर एकसमान चाल घूम रहा है। इलेक्ट्रॉन की एकसमान वर्तुल गति एक धारा लूप बनाती चुम्बकीय आघूणों की दिशा कागज के तल के लंबवत भीतर की ओर है तथा इसे पृथक् रूप चिन्ह ⊗ द्वारा निर्दिष्ट किया गया है।
μl = \(\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}}}\) (mevr)
= \(\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}}}\) …..(5)
यहाँ l केन्द्रीय नाभिक के परितः इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का परिणाम है। सदिश रूप में
\(\overrightarrow{\mu_l}\)= \(-\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}}} \vec{l}\) ……….(6)
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह संकेत देता है कि इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग की दिशा चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा के विपरीत है। यदि हमने इलेक्ट्रॉन (जिस पर आवेश है) के स्थान पर ( +9) आवेश का कोई कण लिया होता तो कोणीय संवेग तथा चुम्बकीय आघूर्ण दोनों की एक ही दिशा होती अनुपात
\(\frac{\mu_l}{l}\)=\(\frac{e}{2 m_e}\) ………..(7)
इसे घूर्ण चुम्बकीय अनुपात कहते हैं तथा यह एक नियतांक है। इलेक्ट्रॉन के लिए इस अनुपात का मान 8.8 x 102 C/kg है जिसे प्रयोगों द्वारा सत्यापित किया जा चुका है।

बोहर मैग्नेट्रॉन (Bohr Magnetron ): बोहर के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में परिक्रमण कर सकता है जिनमें उनका कोणीय संवेग
\(\left(\frac{\mathrm{h}}{2 \pi}\right)\) का पूर्ण गुणक हो,
जहाँ h = प्लांक नियतांक
∴ mvr = n\(\left(\frac{\mathrm{h}}{2 \pi}\right)\)
अर्थात्
l = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\)
जहाँ n = 1,2…………
l का यह मान समीकरण (5) में रखने पर
μl = \(\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}}}\left(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi}\right)\)
अर्थात्
μl = \(\mathrm{n}\left(\frac{\mathrm{eh}}{4 \pi \mathrm{m}_{\mathrm{e}}}\right)\) …………..(8)
यह एक सामान्य समीकरण है जो किसी परमाणु में नाभिक के चारों ओर nर्वी कक्षा में परिक्रमण करते हुये इलेक्ट्रॉन के कक्षीय चुम्बकीय आघूर्ण को व्यक्त करती है।
प्रथम कक्षा के लिये n = 1 अतः μl का न्यूनतम मान = \(\frac{\text { eh }}{4 \pi \mathrm{m}_{\mathrm{e}}}\)
\(\overrightarrow{\mu_l}\) के इस न्यूनतम मान को ही बोहर मेग्नेट्रॉन कहते हैं। इसको से प्रदर्शित करते हैं।
अतः
μl = \(\frac{\text { eh }}{4 \pi \mathrm{m}_{\mathrm{e}}}\)
इसको निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता है-
“परमाणु की प्रथम कक्षा में परिक्रमण करते हुये इलेक्ट्रॉन का कक्षीय चुम्बकीय आघूर्ण एक बोहर मैग्नेट्रॉन कहलाता है।” इसका मान μB = 9.27 x 1024 ऐम्पियर मीटर2

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
5 सेमी. त्रिज्या के वृत्ताकार लूप में 0.5 ऐम्पियर की धारा बह रही है। लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
r = 5 सेमी = 5 x 10-2 मीटर
I = 0.5 ऐम्पियर
अतः लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\left(\frac{2 \pi \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\right)\)
मान रखने पर
B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{4 \pi}\left(\frac{2 \pi \times 0.5}{5 \times 10^{-2}}\right)\)
= 10-7 × 2 × 3.14 x 10
= 6.28 × 10-7 टेसला

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 2.
एक लम्बे सीधे तार में 5 ऐम्पियर की धारा बह रही है। उससे 10 सेमी. की दूरी पर कितना चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा? क्षेत्र का दिशा निर्धारण किस नियम से होगा?
उत्तर:
यहाँ दिया है:
लम्बे सीधे तार में वैद्युत धारा I = 5 ऐम्पियर
तार से प्रेक्षण बिन्दु की दूरी r = 10 सेमी = 0.10 मीटर
अतः इसके कारण प्रेक्षण बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण
B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\)\(\left(\frac{2 \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\right)\)
मान रखने पर
= 10-7 \(\left(\frac{2 \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\right)\)
[∵\(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) = 10-7
B = 10-7 \(\left(\frac{2 \times 5}{0.10}\right)\) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर
= 10-5 न्यूटन / ऐम्पियर मीटर
क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) की दिशा का निर्धारण दायें हाथ की हथेली के नियम दक्षिणावर्त पेच नियम अथवा दायें हाथ के नं. 1 अथवा मैक्सवेल के दक्षिणावर्त पेच नियम अथवा दायें हाथ के अंगूठे के नियम किसी के भी द्वारा किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
दो एक समान कुण्डलियाँ, प्रत्येक की त्रिज्या 8 सेमी. तथा फेरों की संख्या 100, समाक्षतः (coaxially) जिनके केन्द्र 12 सेमी. दूरी पर हैं, व्यवस्थित हैं। यदि प्रत्येक कुण्डली में 1 ऐम्पियर धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो तो अक्षीय रेखा पर ठीक मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
a = 8 सेमी = 0.08 मीटर
n = 100, x = 6 सेमी = 0.06 मीटर
एक कुण्डली के केन्द्र से 0.06 मीटर की दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B1 = \(\frac{\mu_0 \mathrm{nIa}^2}{2\left(\mathrm{a}^2+\mathrm{x}^2\right)^{3 / 2}}\)
मान रखने पर

= 4.02 x 104 टेसला
चूँकि दोनों कुण्डलियों में धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है अतः अक्षीय रेखा पर कुण्डलियों के ठीक मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा-
B = 2B1 = 2 × 4.02 x 10-4
= 8.04 x 104 टेसला

प्रश्न 4.
N फेरों की एक कुण्डली को एक सर्पिल के रूप में कसकर लपेटा गया है, जिसकी आन्तरिक व बाह्य त्रिज्या क्रमशः r1 तथा r2 हैं। कुण्डली में I धारा प्रवाहित है तो इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना कि सर्पिलाकार कुण्डली की स्वेच्छ त्रिज्या पर अत्यन्त सूक्ष्म मोटाई Sr का एक लूप है तो इस लूप के कारण केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र

प्रश्न 5.
एक ∝-कण 0.2 वेबर / मीटर के चुम्बकीय क्षेत्र में 6.0 x 105 मीटर / सेकण्ड की चाल से क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करता है कण का त्वरण और पथ की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
∝-कण
∴ q = 2e = 2 × 1.6 x 10-19
= 3.2 x 10-19 कूलॉम
m = 4 x 1.67 × 10-27
= 6.68 × 10-27 किग्रा.
B = 0.2 वेबर / मी.2
v = 6.0 x 105 मी./से.
θ = 90°
चुम्बकीय क्षेत्र के कारण Q-कण पर बल
F = qvB sinθ
मान रखने पर:
= 3.2 × 10-19 x 60 x 105 x 0.2 x sin 90°
= 3.2 × 1.2 × 10-14 × 1
= 3.84 x 10-14 न्यूटन
कण का त्वरण a =
= 5.75 x 1012 मी./से2
∝-कण के पथ की त्रिज्या r =
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व 16

प्रश्न 6.
दो लम्बे समान्तर तार परस्पर 8 सेमी. दूरी पर हैं। इनमें क्रमशः i तथा 3i मान की धारायें एक ही दिशा में बह रही हैं। दोनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कहाँ पर शून्य होगा?
उत्तर:
माना धारा वाले तार से x सेमी दूरी पर दोनों तारों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र शून्य है तो 3i धारा वाले तार से उसकी दूरी (8 – x) सेमी. होगी। अतः i धारा वाले तार के कारण x दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र
B1 = \(\frac{\mu_0 \mathrm{i}}{2 \pi \mathrm{x}}\) …..(1)
तथा धारा वाले तार के कारण (8 – x ) दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र
B1 = \(\frac{\mu_0(3 \mathrm{i})}{2 \pi(8-\mathrm{x})}\) ….(2)
लेकिन प्रश्नानुसार B1 – B2 = 0
या
B1 = B1
अतः समीकरण (1) तथा (2) से
\(\frac{\mu_0 \mathrm{i}}{2 \pi \mathrm{x}}=\frac{\mu_0(3 \mathrm{i})}{2 \pi(8-\mathrm{x})}\)
या
\(\frac{1}{x}=\frac{3}{8-x}\)
या
8 – x = 3x
या
8 = 4x
या
X = = 2 सेमी.
अतः i धारा वाले तार से 2 सेमी. की दूरी पर दोनों धारावाही तारों के उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होगा।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 7.
एक साइक्लोट्रॉन की डीज की अधिकतम त्रिज्या 0.5 मीटर है जिसमें 1.7 टेसला का अनुप्रस्थ चुम्बकीय क्षेत्र कार्यरत है। इसमें प्रोटॉन द्वारा अर्जित अधिकतम गति ऊर्जा ज्ञात कीजिए। R = 0.5 मीटर
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
R = 0.5 मीटर
B = 1.7 टेसला
तथा प्रोटॉन के लिए q = 1.6 x 10-19 कूलॉम
m= 1.67 x 10-27 किग्रा.
त्वरित प्रोटॉन द्वारा अर्जित अधिकतम ऊर्जा
Emax =\(\frac{1}{2}m\)\(\left(\frac{\mathrm{BqR}}{\mathrm{m}}\right)^2\) = \(\frac{B^2 q^2 R^2}{2 m}\)
मान रखने पर = \(\frac{(1.7)^2 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2 \times(0.5)^2}{2 \times 1.67 \times 10^{-27}}\)
\(\frac{2.89 \times 2.56 \times 10^{-38} \times 0.25}{3.34 \times 10^{-27}}\)
= 0.554 × 10-11 = 5.54 x 10-12 जूल

प्रश्न 8.
एक परिनालिका में 500 फेरे / मीटर हैं तथा इसमें प्रवाहित धारा 5 ऐम्पियर है परिनालिका की लम्बाई 0.5 मीटर तथा त्रिज्या 1 सेमी. है। परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ परिनालिका की एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n = 500 प्रति मीटर है।
परिनालिका में धारा I = 5 ऐम्पियर
∴ परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = μ0nI
B = \(\left(\frac{\mu_0}{4 \pi}\right)\) 4πnI
अथवा
B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 4 \times 3.14 \times 500 \times 5}{4 \pi}\)
= 3.14 x 10-3 वेबर / मीटर2
नोट- B के उपर्युक्त सूत्र में परिनालिका की लम्बाई और त्रिज्या की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 9.
एक धारामापी का प्रतिरोध 30Ω है। इसमें 2mA की धारा पूर्ण स्केल विक्षेप देती है। इसका (0 – 0.3 A) परास का अमीटर बनाने के लिए आवश्यक प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
G = 30Ω
Ig = 2 mA = 2 × 10-3 A
तथा I = 0.3A
इस धारामापी को (0 – 0.3A) परास का अमीटर बनाने के लिए आवश्यक इसके समान्तर क्रम में जोड़े जाने वाला शण्ट प्रतिरोध
S = \(\frac{I_g}{\left(I-I_g\right)} \cdot G\)
= \(\frac{\left(2 \times 10^{-3}\right) \times 30}{\left(0.3-2 \times 10^{-3}\right)}\)
= \(\frac{60 \times 10^{-3} \times 10^3}{(300-2)}\) = \(\frac{60}{298}\)
= 0.20Ω

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 10.
दो वृत्ताकार धारावाही कुण्डलियों की त्रिज्यायें संख्यायें क्रमशः r1 व r2 हैं। इन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है तब सिद्ध कीजिए कि इनके केन्द्रों पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात n1r2 : n2r1 होगा। यदि कुण्डलियाँ समान्तर क्रम में जुड़ी हों तो सिद्ध कीजिए कि केन्द्रों पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात (r2/r1)2 के तुल्य होगा।
उत्तर:
श्रेणीक्रम में जुड़े होने से कुण्डलियों में धारा I समान होगी। अतः इनके केन्द्रों पर चुम्बकीय क्षेत्र होंगे
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व 17
⇒ B1 : B2 = n1r2 : n2r1
समान्तर क्रम में जुड़े होने पर उनमें धाराओं का अनुपात उनके प्रतिरोधों R1 व R2 के अनुपात के व्युत्क्रमानुपाती होगा अर्थात्

प्रश्न 11.
एक लम्बे सीधे तार AB में 4A की धारा बह रही है। एक प्रोटॉन P तार के समान्तर 4 x 106 मी./से. के वेग से तार से 0.2 मीटर दूरी पर धारा की दिशा के विपरीत चित्र की भाँति गति करता है। प्रोटॉन पर आरोपित बल का परिमाण ज्ञात कीजिए। इसकी दिशा भी बताइए।
उत्तर:
कागज के तल में स्थित लम्बे सीधे तार के कारण इससे r = 0.2 मी. दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\left(\frac{2 \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\right)\)
= 4 x 106 वेबर / मी2

दायें हाथ की हथेली के नियम 2 के अनुसार \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) की दिशा कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर होगी अतः स्पष्ट है कि इस चुम्बकीय क्षेत्र में प्रोटॉन इसके लम्बवत् गतिशील है।
अतः इस पर कार्य करने वाला चुम्बकीय बल
F= qvB sin 90° = qvB
मान रखने पर:
F = 1.6 × 10-19 × ( 4 x 106) x 4 x 106
= 1.6 × 16 × 10-19
= 25.6 × 10-19 = 2.56 x 10-18 न्यूटन
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियमानुसार प्रोटॉन पर बल की दिशा कागज के तल में तार के लम्बवत् इससे दूर अर्थात् दायीं ओर होगी।

प्रश्न 12.
एक प्रोटॉन पुंज इसकी दिशा के लम्बवत् क्रॉसित वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों में से अवक्षेपित गुजरता है। यदि वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण क्रमश: 100kV/m तथा 50 mT हों तो ज्ञात कीजिए (i) प्रोटॉन पुंज का वेग v, (ii) वह बल जिससे यह पुंज पर्दे के किसी लक्ष्य पर टकराता है, जबकि प्रोटॉन पुंज धारा 0.80 mA है।
उत्तर:
दिया है:
B = 50 mT = 50 × 103 T
E = 100 kV/m = 100 x 103 V/m
(i) प्रोटॉन पुंज की अविक्षेपित दशा में, चुम्बकीय बल = वैद्युत बल
evB = e.E
अतः प्रोटॉन पुंज का योग v = \(\frac{E}{B}\)
= \(\frac{100 \times 10^3}{50 \times 10^{-3}}\)
= 2 × 106 m/s

(ii) प्रोटॉन पुंज धारा I = 0.80 x 10-3 ऐम्पियर
यदि पर्दे के लक्ष्य पर प्रति सेकण्ड टकराने वाले प्रोटॉन की
संख्या n हो, तो ne = I से
n = \(\frac{0.80 \times 10^{-3}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 5 × 1015
mp = 1.675 × 10-27 kg
अतः वह बल जिससे प्रोटॉन पुंज लक्ष्य से टकराता है
F = \(\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{t}}\) = \(\frac{\left(m_p v\right) n}{1}\)
= 1.675 × 10-27 × 2 × 106 × 5 × 1015
= 1.675 × 10-5 N

प्रश्न 13.
किसी साइक्लोट्रॉन के दोलित्र की आवृत्ति 10 MHz है। प्रोटॉनों को त्वरित करने के लिए प्रचालन चुम्बकीय क्षेत्र क्या होना चाहिए? यदि इसकी ‘डीज’ की त्रिज्या 60 cm है, तो त्वरक द्वारा उत्पन्न प्रोटॉन पुन्ज की गतिज ऊर्जा (MeV में) परिकलित कीजिए।
उत्तर:
साइक्लोट्रॉन के दोलित्र की आवृत्ति, प्रोटॉन साइक्लोट्रॉन की आवृत्ति के बराबर होनी चाहिए। तब चुम्बकीय क्षेत्र,
B = \(\frac{2 \pi \mathrm{m} v}{\mathrm{q}}\)
= \(\frac{2 \times 3.14 \times 1.67 \times 10^{-27} \times 10^7}{1.6 \times 10^{-19}}\)
∵ आवृत्ति v = 10 MHz
= 0.66 T
v = r = r x 2πv
= 0.6 × 2 × 3.14 x 107
∵ r = 60 cm = 0.6m
= 3.78 × 107 m/s
इसलिये गतिज ऊर्जा
K = mv
= \(\frac{1}{2}\) × 1.67 × 10-27 × (3.78 × 107)2 J
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1.67 \times 10^{-27} \times 14.3 \times 10^{14}}{1.6 \times 10^{-19} \times 10^6}\) MeV
= 7.4 MeV

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions 3 विद्युत धारा

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. एक विद्युत परिपथ में आदर्श बैटरी को बाह्य प्रतिरोध से जोड़ने पर उसमें धारा प्रवाहित होती है। यदि उसी प्रकार की एक अन्य बैटरी को बैटरी के समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाये तो प्रतिरोध में बहने वाली धारा का मान हो जायेगा-
(अ) 2i
(ब) i
(स) \( \frac{\mathrm{i}}{2}\)
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) i

2. किसी विद्युत परिपथ के किसी बिन्दु से 0.5 सेकण्ड में 10 कूलॉम आवेश प्रवाहित हो रहा है तो परिपथ में विद्युत धारा का मान ऐम्पियर में होगा —
(अ) 10
(ब) 20
(स) 0.005
(द) 0.05
उत्तर:
(ब) 20

3. चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है-
(अ) केवल चालक की लम्बाई पर
(ब) केवल चालक के अनुप्रस्थ काट पर
(स) केवल चालक के पदार्थ पर
(द) उपर्युक्त सभी पर
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी पर

4. एक चालक प्रतिरोध को बैटरी से जोड़ा गया है। शीतलन प्रक्रिया से चालक के ताप को परिवर्तित किया जाये तो प्रवाहित धारा का मान-
(अ) बढ़ेगा
(ब) घटेगा
(स) स्थिर रहेगा
(द) शून्य होगा
उत्तर:
(अ) बढ़ेगा

5. किसी चालक की प्रतिरोधकता व चालकता का गुणनफल निर्भर करता है-
(अ) काट क्षेत्रफल पर
(स) लम्बाई पर
(ब) ताप पर
(द) किसी पर नहीं
उत्तर:
(द) किसी पर नहीं

6. एक 40 ओम प्रतिरोध के समरूप काट क्षेत्रफल वाले तार को चार समान भागों में काटकर समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाता है। संयोजन का तुल्य प्रतिरोध होगा-
(अ) 10 ओम
(ब) 4 ओम
(स) 2.5 ओम
(द) 40 ओम
उत्तर:
(स) 2.5 ओम

7. दो समान आकार के तारों, जिनकी प्रतिरोधकता P1 तथा P2 हैं, को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। संयोजन की तुल्य प्रतिरोधकता होगी-
(अ) \(\sqrt{\rho_1 \rho_2}\)
(ब) 2 (p1 + p2)
(स) \(\frac{\rho_1+\rho_2}{2}\)
(द) p1 + p2
उत्तर:
(द) p1 + p2

8. चित्र में दो भिन्न-भिन्न तापों पर एक चालक के V- i वक्रों को दर्शाया गया है। यदि इन तापों के संगत प्रतिरोध क्रमशः R1 R2 हों तो निम्न में से कौनसा कथन सत्य है-
(अ) T1 = T2
(ब) T1 > T2
(स) T1 < T2
(द) इनमें से कोई नहीं
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 1
उत्तर:
(स) T1 < T2

9. अपवाह वेग vd की आरोपित विद्युत क्षेत्र E पर निर्भरता होगी-
(अ) vd नियत रहेगी
(ब) vd ∝ E
(स) vd ∝ \(\frac{1}{E}\)
(द) vd ∝ E
उत्तर:
(ब) vd ∝ E

10. धातुओं में यादृच्छिक गति में मुक्त इलेक्ट्रॉन के माध्य तापीय वेग Vsub>° की तुलना में अपवाह वेग vd का मान रहेगा-
(अ) vd ≈ V°
(ब) vd >> V°
(स) vd << V°
(द) अनिश्चित
उत्तर:
(स) vd << V°

11. ओम के नियम के अनुसार धारा घनत्व j व विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E में सम्बन्ध होता है-
(अ) j = \(\frac{\mathrm{I}}{\sigma \mathrm{E}}\)
(ब) E = σj
(स) j = \(\frac{\sigma}{E}\)
(द) j = σE
उत्तर:
(द) j = σE

12. एक-समान n प्रतिरोधों के मान में कितनी गुणा बढ़ोतरी की जाये, ताकि श्रेणीक्रम को उसी तुल्य प्रतिरोध के समान्तर क्रम के संयोजन में बदला जा सके?
(अ) √n
(ब) n
(स) n2
(द) n-2
उत्तर:
(स) n2

13. 2R के प्रतिरोध में (चित्र में दिये परिपथ में) प्रवाहित धारा का मान होगा-
(अ) 2E/R
(ब) 2E/7R
(स) E/7R
(द) E/R
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 2
उत्तर:
(ब) 2E/7R

14. किसी बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध r है तथा विद्युत वाहक बल E है। बैटरी के सिरों को R = r ओम के बाह्य प्रतिरोध से सम्बन्धित करने पर उसके सिरों के मध्य विभवान्तर होगा-
(अ) 2E वोल्ट
(ब) E वोल्ट
(स) \(\frac{E}{2}\) वोल्ट
(द) \(\frac{E}{4}\) वोल्ट
उत्तर:
(स) \(\frac{E}{2}\) वोल्ट

15. एक वर्ग एक तार का बना हुआ है, जिसकी प्रत्येक भुजा का प्रतिरोध R ओम है। विकर्ण के सिरों पर बिन्दुओं के मध्य प्रभावी प्रतिरोध होगा-
(अ) R/2 ओम
(ब) R ओम
(स) 2R ओम
(द) 4R ओम
उत्तर:
(ब) R ओम

16. 10 ओम के चार प्रतिरोध चित्र मे दिखाये अनुसार जोड़े गये हैं। संयोजन का तुल्य प्रतिरोध होगा-
(अ) शून्य
(ब) 10 ओम
(स) 20 ओम
(द) 40 ओम
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 3
उत्तर:
(ब) 10 ओम

17. किसी तार की प्रतिरोधकता निर्भर करती है-
(अ) उसकी लम्बाई पर
(ब) उसके काट के क्षेत्रफल पर
(स) उसके पदार्थ पर
(द) उसकी आकृति पर
उत्तर:
(स) उसके पदार्थ पर

18. चित्र में बताये प्रतिरोध का मान मेगा ओम में होगा-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 4
(अ) 5.6 MΩ ± 10%
(ब) 4.7 MΩ ± 10%
(द) 17 MΩ ± 5%
(स) 4.10 MΩ 5%
उत्तर:
(स) 4.10 MΩ 5%

19. प्रतिरोध मापन के लिए उपयोग में आने वाला उपकरण है-
(अ) प्रतिरोध
(ब) गेल्वेनोमीटर
(स) व्हीटस्टोन सेतु
(द) वोल्टमीटर
उत्तर:
(स) व्हीटस्टोन सेतु

20. दो प्रतिरोध तार A, B एक ही पदार्थ के बने हुए हैं। तार A की कुल लम्बाई व त्रिज्या B से दुगुनी है। A और B के प्रतिरोधों का अनुपात होगा-
(अ) 1 : 2
(ब) 1 : 1
(स) 2 : 1
(द) 4 : 1
उत्तर:
(अ) 1 : 2

21. ताँबे तथा जरमेनियम को कमरे के ताप से 30°K तक ठण्डा किया जाता है। इस क्रिया में प्रतिरोध का मान-
(अ) दोनों के लिए घटेगा
(ब) दोनों के लिए बढ़ेगा
(स) ताँबे का बढ़ेगा तथा जरमेनियम का घटेगा
(द) ताँबे का घटेगा तथा जरमेनियम का बढ़ेगा
उत्तर:
(द) ताँबे का घटेगा तथा जरमेनियम का बढ़ेगा

22. सेलों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है, जबकि सेल का आन्तरिक प्रतिरोध है-
(अ) बाह्य प्रतिरोध के बराबर
(स) बाह्य प्रतिरोध से कम
(ब) बाह्य प्रतिरोध से अत्यधिक
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) बाह्य प्रतिरोध से अत्यधिक

23. एक ही पदार्थ के दो तार दिये हैं, पहले की लम्बाई और व्यास दूसरे से क्रमशः दुगुने के बराबर है। पहले का प्रतिरोध है, दूसरे के प्रतिरोध के
(अ) बराबर
(ब) दुगुना
(स) आधा
(द) चार गुना
उत्तर:
(ब) दुगुना

24. धारा (i) और अपवहन वेग vd में सम्बन्ध है-
(अ) i = neA vd
(ब) i = \(\frac{\text { neA }}{\mathrm{v}_{\mathrm{d}}}\)
(स) i = \(\frac{\text { nev }_{\mathrm{d}}}{\mathrm{A}}\)
(द) i = \(\frac{\text { ne }}{\mathrm{Av}_{\mathrm{d}}}\)
उत्तर:
(अ) i = neA vd

25. यदि एक चालक तार की लम्बाई दुगुनी एवं अनुप्रस्थ काट आधी कर दी जाए तो परिवर्तित तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध-
(अ) अपरिवर्तित रहेगी
(ब) दुगुना हो जायेगा
(स) चार ग्ना हो जायेगा
(द) अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर:
(द) अपरिवर्तित रहता है।

26. व्हीटस्टोन ब्रिज में बैटरी व धारामापी की स्थितियाँ परस्पर परिवर्तित करने पर नयी संतुलन स्थिति-
(अ) अपरिवर्तित रहेगी
(ब) परिवर्तित होगी
(स) बदल भी सकती है और नहीं भी, यह धारामापी व बैटरी के प्रतिरोधों पर निर्भर करेगा
(द) कुछ नहीं कहा जा सकता।
उत्तर:
(अ) अपरिवर्तित रहेगी

27. एक चालक में 2 ऐम्पियर की धारा 10 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर 80 J ऊष्मा उत्पन्न होती है। चालक का प्रतिरोध होगा-
(अ) 0.5 ओम
(ब) 2 ओम
(स) 4 ओम
(द) 4 ओम
उत्तर:
(ब) 2 ओम

28. मीटर ब्रिज का तार बना होता है-
(अ) लोहे का
(ब) कॉन्सटेन्टन का
(स) ताँबे का
(द) इस्पात तथा ऐलुमिनियम की मिश्रित धातु का
उत्तर:
(ब) कॉन्सटेन्टन का

29. R प्रतिरोध के तार में I ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न ऊष्मा की दर (जूल में) होगी-
(अ) IR
(ब) \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{I}} \)
(स) \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{R}} \)
(द) I2R
उत्तर:
(द) I2R

30. निम्न कथन में से कौनसा कथन गलत है?
(अ) 1 वोल्ट व 1 कूलॉम का गुणा 1 जूल है।
(ब) 1 वोल्ट व 1 ऐम्पियर का गुणा 1 जूल / सेकण्ड है।
(स) 1 वोल्ट व 1 वाट का गुणा 1 अश्वशक्ति है।
(द) वाट आवर को इलेक्ट्रॉन वोल्ट के पदों में भी मापा जा सकता है ।
उत्तर:
(स) 1 वोल्ट व 1 वाट का गुणा 1 अश्वशक्ति है।

31. विभिन्न मान के प्रतिरोध तारों को श्रेणीक्रम में जोड़कर उन्हें विद्युत स्रोत से सम्बद्ध करने पर प्रत्येक प्रतिरोध में-
(अ) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होता है।
(ब) धारा और विभवान्तर का मान समान होता है।
(स) धारा समान बहती है लेकिन प्रत्येक का विभवान्तर भिन्न- भिन्न होता है।
(द) धारा का मान भिन्न-भिन्न होता है लेकिन सभी पर विभवान्तर समान होता है।
उत्तर:
(अ) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होता है।

32. दो ओम के तीन प्रतिरोध तारों को किस प्रकार संयोजित करें कि उनका परिणामी प्रतिरोध 3 ओम हो जाये?
(अ) तीनों को समान्तर क्रम में
(ब) तीनों को श्रेणीक्रम में
(स) दो को समान्तर क्रम में तथा एक को श्रेणीक्रम में
(द) दो श्रेणीक्रम में तथा एक समान्तर क्रम में
उत्तर:
(स) दो को समान्तर क्रम में तथा एक को श्रेणीक्रम में

33. विभिन्न मान के प्रतिरोधकों के समान्तर क्रम में जोड़ने पर
(अ) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा समान होती है परन्तु विभवान्तर प्रत्येक पर भिन्न होता है।
(ब) धारा और विभवान्तर प्रत्येक प्रतिरोध में समान होता है।
(स) धारा और विभवान्तर प्रत्येक प्रतिरोध में भिन्न होते हैं।
(द) प्रत्येक प्रतिरोध में भिन्न मान की धारा प्रवाहित होती है परन्तु विभवान्तर सभी के लिए समान होता है।
उत्तर:
(द) प्रत्येक प्रतिरोध में भिन्न मान की धारा प्रवाहित होती है परन्तु विभवान्तर सभी के लिए समान होता है।

34. चित्र में दर्शाये गये परिपथ में बिन्दु और b के मध्य विभवान्तर का मान होगा-
(अ) R2 – R1
(ब) R1 – R2
(स) \(\frac{\mathrm{R}_1 \mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_1+\mathrm{R}_2}\)
(द) शून्य
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 5
उत्तर:
(ब) R1 – R2

35. किरचॉफ का धारा नियम आधारित हाता ह-
(अ) ऊर्जा संरक्षण नियम पर
(ब) संवेग संरक्षण नियम पर
(स) कोणीय संवेग संरक्षण नियम पर
(द) आवेश संरक्षण नियम पर ।
उत्तर:
(द) आवेश संरक्षण नियम पर ।

36. किरचॉफ के नियमानुसार किसी विद्युत परिपथ में किसी सन्धि पर-
(अ) धाराओं का बीजगणितीय योग नगण्य होता है।
(ब) धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
(स) धाराओं का बीजगणितीय योग अनन्त होता है।
(द) धारा का मान शून्य होता है।
उत्तर:
(ब) धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।

37. किरचॉफ का द्वितीय नियम किसी बन्द परिपथ में प्रदर्शित करता है-
(अ) ऊर्जा संरक्षण का नियम
(ब) आवेश के संरक्षण का नियम
(स) धारा के संरक्षण का नियम
(द) संवेग के संरक्षण का नियम
उत्तर:
(अ) ऊर्जा संरक्षण का नियम

38. किरचॉफ के द्वितीय नियम से निम्न में से कौनसा कथन सत्य है?
(अ) किसी बन्द परिपथ में प्रत्येक प्रतिरोध तथा उसमें से प्रवाहित धारा के गुणनफल का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
(ब) किसी बन्द परिपथ में निश्चित दिशा में चलते हुए वोल्टताओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
(स) किसी बन्द परिपथ में प्रत्येक प्रतिरोध तथा उसमें से प्रवाहित धारा के गुणनफल का बीजगणितीय योग अनन्त होता है।
(द) किसी बन्द परिपथ में प्रत्येक प्रतिरोध से प्रवाहित धारा का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
उत्तर:
(ब) किसी बन्द परिपथ में निश्चित दिशा में चलते हुए वोल्टताओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।

39. यदि किसी चालक में प्रवाहित धारा का मान दुगुना कर दिया जावे तो अब इसमें उत्पन्न ऊष्मा पहले से-
(अ) दुगुनी होगी
(स) चार गुनी होगी
(ब) आधी होगी
(द) वही रहेगी
उत्तर:
(स) चार गुनी होगी

40. यदि एक चालक का प्रतिरोध आधा व धारा का मान दुगुना कर दिया जाये तो उत्पन्न ऊष्मा-
(अ) उतनी ही रहेगी
(स) दुगुनी होगी
(ब) आधी होगी
(द) चार गुनी होगी
उत्तर:
(स) दुगुनी होगी

41. किसी चालक तार में ऐम्पियर धारा 1 सेकण्ड तक प्रवाहित होती है। यदि चालक का प्रतिरोध R ओम हो तो जूल के नियम के अनुसार उत्पन्न ऊष्मा का जूल में मान होता है-
(अ) I2Rt
(ब) IR2t
(स) \(\frac{t}{I^2 R}\)
(द) \(\frac{I^2 R}{t}\)
उत्तर:
(अ) I2Rt

42. दो समरूप सेलों को चाहे समान्तर क्रम में जोड़ा जाये अथवा श्रेणीक्रम में, 2 ओम के बाह्य प्रतिरोध द्वारा धारा समान रहती है। प्रत्येक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध है-
(अ) 1 ओम
(ब) 2 ओम
(स) 0.15 ओम
(द) 10 ओम
उत्तर:
(ब) 2 ओम

43. एक सुग्राही व्हीटस्टोन ब्रिज में, संतुलन की स्थिति से अल्प विचलन होने पर धारामापी में धारा होनी चाहिये-
(अ) शून्य
(ब) अधिक
(स) कम
(द) नगण्य
उत्तर:
(ब) अधिक

44. एक विभवमापी की विभव प्रवणता है-
(अ) तार के प्रति एकांक काट-क्षेत्र पर विभव का पतन
(ब) तार की एकांक लम्बाई पर विभव पतन
(स) एकांक काट-क्षेत्र के तार की एकांक लम्बाई पर विभव पतन
(द) तार के सिरों के बीच विभव पतन
उत्तर:
(ब) तार की एकांक लम्बाई पर विभव पतन

45. विभवमापी के तार पर शून्य विक्षेप बिन्दु प्राप्त करने के लिए प्राथमिक परिपथ में प्रयुक्त स्रोत का वि. वा. बल द्वितीयक परिपथ में प्रयुक्त सेल के वि.वा. बल से होना चाहिए-
(अ) थोड़ा अधिक
(स) थोड़ा कम
(ब) बहुत अधिक
(द) बहुत कम
उत्तर:
(अ) थोड़ा अधिक

46. यदि प्राथमिक परिपथ में धारा व विभवमापी के तार की लम्बाई की नियत रखकर उसकी त्रिज्या प्रवणता का मान हो जायेगा-
(अ) अपरिवर्तित रहेगा
(ब) एक-चौथाई
(स) आधा
(द) दुगुना
उत्तर:
(ब) एक-चौथाई

47. विभवमापी के प्रयोग में E विद्युत वाहक बल एक सिरे से L लम्बाई पर सन्तुलित होता है। दूसरा सेल जिसका विद्युत वाहक बल भी E है, प्रथम सेल के समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है, संतुलन लम्बाई का मान होगा-
(अ) 2L
(ब) L
(स) \(\frac{\mathrm{L}}{2}\)
(द) \(\frac{L}{4}\)
उत्तर:
(ब) L

48. विभवमापी के तार पर विद्यमान विभव प्रवणता निर्भर करती है-
(अ) तार में प्रवाहित धारा के मान पर
(ब) तार की इकाई लम्बाई के प्रतिरोध पर
(स) प्रयुक्त तार की धातु पर
(द) उपर्युक्त सभी पर
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी पर

49. एक सूक्ष्मग्राही विभवमापी में-
(अ) तार की लम्बाई कम होनी चाहिये।
(ब) मुख्य बैटरी का वि. वा. बल अधिक होना चाहिये।
(स) तार की विभव प्रवणता अधिक होनी चाहिये।
(द) तार की विभव प्रवणता कम होनी चाहिये ।
उत्तर:
(द) तार की विभव प्रवणता कम होनी चाहिये ।

50. विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर है क्योंकि-
(अ) इसमें सूक्ष्मग्राही धारामापी होता है।
(ब) यह एक विस्तृत व्यवस्था है।
(स) इसका प्रभावी आंतरिक प्रतिरोध अनन्त होता है।
(द) इसका प्रभावी आंतरिक प्रतिरोध शून्य होता है।
उत्तर:
(स) इसका प्रभावी आंतरिक प्रतिरोध अनन्त होता है।

51. आदर्श विभवमापी में प्रयुक्त तार के पदार्थ का प्रतिरोध ताप गुणांक होना चाहिए-
(अ) उच्च
(ब) न्यून
(स) शून्य
(द) अनन्त।
उत्तर:
(स) शून्य

52. किसी प्राथमिक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का सन्तुलित लम्बाई के रूप में सूत्र होता है-
(अ) r = \(\left(\frac{l_2-l_1}{l_1}\right)\) R
(ब) \(\left(\frac{l_1-l_2}{l_2}\right)\)R
(स) r = \(\frac{l_2-l_1}{l_2 \mathrm{R}}\)
(द) r = \(\frac{l_1-l_2}{l_2 \mathrm{R}}\)
उत्तर:
(ब) \(\left(\frac{l_1-l_2}{l_2}\right)\)R

53. विभवमापी का उपयोग उस समय सम्भव नहीं होता है, यदि विभवमापी के सिरों पर विभवान्तर-
(अ) अज्ञात विभवान्तर से कम हो
(ब) अज्ञात विभवान्तर से अधिक हो
(स) अज्ञात विभवान्तर के बराबर हो
(द) अज्ञात विभवान्तर से दुगुना हो
उत्तर:
(अ) अज्ञात विभवान्तर से कम हो

54. यदि विभवमापी तार की लम्बाई दुगुनी कर दी जाये तो अविक्षेप बिन्दु प्राप्त करने की सुग्रहिता-
(अ) बढ़ती है
(स) घटती है
(ब) अपरिवर्तित रहती है
(द) निश्चित नहीं है
उत्तर:
(अ) बढ़ती है

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
वैद्युत धारा में ऐम्पियर की परिभाषा कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी चालक से होकर एक सेकण्ड में प्रवाहित आवेश एक कूलॉम हो, तो चालक में प्रवाहित धारा का मान एक ऐम्पियर होता है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 52

प्रश्न 2.
वैद्युत धारा की दिशा की क्या अभिधारणा है?
उत्तर:
धात्वीय चालकों में वैद्युत धारा की दिशा इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत ली जाती है। द्रवों तथा गैसों में धारा की दिशा धनआवेश वाहनों की गति की दिशा में अथवा ऋण आवेश वाहकों की गति की दिशा के विपरीत ली जाती है। धारा प्रवाह करने पर उसमें कितना

प्रश्न 3.
एक चालक तार में आवेश होता है ?
उत्तर:
शून्य, जितना आवेश चालक में प्रवेश करता है उतना ही आवेश चालक में से बाहर निकल जाता है।

प्रश्न 4.
एक पदार्थ की आकृति में विकृति उत्पन्न करने पर प्रतिरोध व प्रतिरोधकता के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रतिरोध परिवर्तित जायेगा क्योंकि प्रतिरोध पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करता है। परन्तु प्रतिरोधकता वही रहेगी क्योंकि प्रतिरोधकता पदार्थ की केवल प्रकृति पर निर्भर करती है।

प्रश्न 5.
किसी प्रतिरोध का ताप बढ़ाने पर तापीय प्रसार के कारण प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
ताप के अल्प परिवर्तन से तापीय प्रसार का प्रतिरोध के मान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परन्तु प्रतिरोध के ताप में अधिक परिवर्तन करने से लम्बाई व काट क्षेत्रफल का अनुपात कम होगा जिससे प्रतिरोध का मान प्रभावित हो जाता है।

प्रश्न 6.
प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर परिपथ में कुल प्रतिरोध का मान घटता है या बढ़ता है?
उत्तर:
कुल प्रतिरोध का मान घटता है।

प्रश्न 7.
ओम के नियम के प्रभावी होने के लिये आवश्यक प्रतिबन्ध क्या है ?
उत्तर:
चालक की भौतिक अवस्था (ताप, लम्बाई, काट का क्षेत्रफल) स्थिर होनी चाहिये ।

प्रश्न 8. ओम का नियम लिखिये।
उत्तर:
किसी चालक की भौतिक अवस्था (ताप, लम्बाई, अनुप्रस्थ काट) स्थिर रहे तो उस चालक के सिरों का विभवान्तर V का मान उस चालक में प्रवाहित धारा I के अनुक्रमानुपाती होता है।
V ∝ 1
V = IR
∴ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
इसका मात्रक (R) ओम होता है।

प्रश्न 9.
धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या, इनके ऊष्मीय वेग, अनुगमन वेग तथा श्रांतिकाल का मान किस कोटि का होता है?
उत्तर:
मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या ≅ 1029, ऊष्मीय वेग ≅ 105 मी./से. अपवाह वेग = 10-4 मी./से. तथा श्रान्तिकाल ≅ 10-14 सेकण्ड ।

प्रश्न 10.
यदि एक विद्युत सुचालक का ताप
(i) बढ़ता है
(ii) घटता है तो इसमें इलेक्ट्रॉनों का श्रान्तिकाल किस प्रकार परिवर्तित होगा?
उत्तर:
(i) घटेगा (ii) बढ़ेगा।

प्रश्न 11.
प्रतिरोधकता किसे कहते हैं ? इसका मात्रक लिखिये ।
उत्तर:
किसी 1 मीटर लम्बे व 1 वर्ग मीटर अनुप्रस्थ काट वाले चालक का प्रतिरोध उसकी प्रतिरोधकता के बराबर होता है इसका मात्रक ओम मीटर या ओम सेमी. होता है।

प्रश्न 12.
धारा घनत्व किसे कहते हैं? इसका सूत्र लिखिये।
उत्तर:
एकांक काट क्षेत्रफल के अभिलम्बवत् दिशा में प्रवाहित धारा के मान को धारा घनत्व J कहते हैं।
धारा घनत्व J = \(\frac{\mathrm{i}}{\Delta \mathrm{S}}\), यहाँ ∆S काट क्षेत्रफल है।
यदि आवेश के प्रवाह की दिशा क्षेत्रफल के अभिलम्ब से θ कोण बनाती है तो
धारा घनत्व J = \(\frac{i}{\Delta S \cos \theta}\) या ∆S काट क्षेत्रफल है।

प्रश्न 13.
τ को विश्रान्तिकाल ( relaxation time) कहते हैं। इसका मान किस पर निर्भर करता है और किस पर निर्भर नहीं करता है ? बताइये |
उत्तर:
विश्रान्तिकाल का मान चालक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है और विद्युत क्षेत्र के परिमाण पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 14.
गतिशीलता किसे कहते हैं? इसका सूत्र लिखिये ।
उत्तर:
किसी चालक के लिये अपवहन वेग व चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र का अनुपात दिये गये ताप पर स्थिर रहता है। इस स्थिर राशि को धारावाहक (इलेक्ट्रॉन) की गतिशीलता (µ ) कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 6

प्रश्न 15. अपवहन वेग किसके अनुक्रमानुपाती होता है और किस पर निर्भर नहीं करता है ?
उत्तर:
अपवहन वेग चालक छड़ पर आरोपित विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होता है और चालक में इलेक्ट्रॉनों का अपवहन वेग चालक की लम्बाई पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 16.
किसी चालक के सिरों पर भिन्न-भिन्न विभवान्तर आरोपित कर उनके संगत धारा का मान प्राप्त कर आरेख खींचा जाये तो यह किस प्रकार का प्राप्त होता है ?
उत्तर:
यह एक सरल रेखा के रूप में प्राप्त होता है।

प्रश्न 17.
धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अनुगमन वेग तथा आंतिकाल में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
vd = \(\left(\frac{e \tau}{m l}\right)\)V

प्रश्न 18.
ताप में वृद्धि के साथ किसी धात्विक चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग बढ़ेगा या घटेगा?
उत्तर:
अपवाह वेग vd = \(\frac{\mathrm{eV} \tau}{\mathrm{m} l}\)
=> vd ∝ τ तथा τ = \(\frac{\lambda}{\mathrm{V}_{\mathrm{rms}}}\)
ताप वृद्धि से मुक्त माध्य पथ λ घटने तथा Vrms बढ़ने से श्रान्तिकाल τ घटेगा। अतः अपवाह वेग बढ़ेगा।

प्रश्न 19.
यदि किसी चालक के सिरों का विभवान्तर V से 3V कर दिया जाये तो इलेक्ट्रॉन का अपवाह वेग किस प्रकार परिवर्तित होगा ?
उत्तर:
चूँकि अपवाह वेग Vd = \(\left(\frac{\mathrm{e} \tau}{\mathrm{m} l}\right)\)V
=> Vd ∝ V
(चालक के सिरों पर आरोपित विभवान्तर) अतः विभवान्तर को V से 3V करने पर अपवाह वेग तीन गुना हो जायेगा।

प्रश्न 20.
ताप बढ़ने पर श्रान्तिकाल पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसका मुक्त इलेक्ट्रॉन के अपवहन वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर श्रान्तिकाल तथा अपवहन वेग दोनों बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 21.
किसी अर्ध चालक का चालकत्व ( Conductance) ताप में वृद्धि के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर:
उत्तर-चूँकि ताप में वृद्धि के साथ अर्ध-चालक का प्रतिरोध घटता है, अतः उसका चालकत्व = \(\left(\frac{1}{R}\right)\) ताप वृद्धि के साथ बढ़ेगा।

प्रश्न 22.
किसी विद्युत अपघट्य की विशिष्ट चालकता पर ताप वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
ताप बढ़ाने से विद्युत अपघट्य में आयनों की संख्या तथा उनकी गतिशीलता बढ़ने के कारण प्रतिरोधकता घटने से उसकी विशिष्ट चालकता बढ़ जायेगी।

प्रश्न 23.
वह शर्त लिखिए जबकि किसी बैटरी की टर्मिनल वोल्टता तथा इसका विद्युत वाहक बल बराबर होंगे।
उत्तर:
जब बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध शून्य हो अथवा यह खुले परिपथ में हो अर्थात् इससे कोई वैद्युत धारा न ली जा रही हो।

प्रश्न 24.
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध किसे कहते हैं?
उत्तर:
सेल में प्रयुक्त विद्युत अपघट्य पदार्थ के आयनों द्वारा आवेश के प्रवाह में उत्पन्न किया गया अवरोध, सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कहलाता है ।

प्रश्न 25.
सेलों का समान्तर संयोजन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सेलों का ऐसा संयोजन जिसमें प्रत्येक सेल के एक जैसी ध्रुवता वाले टर्मिनल एक साथ जुड़े हों, उसे सेलों का समान्तर संयोजन कहते हैं।

प्रश्न 26.
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 7

प्रश्न 27.
एक कार्बन प्रतिरोध पर तीन रंगीन बैण्ड क्रमशः लाल, हरे तथा पीले हैं। इसके प्रतिरोध का मान लिखिए ।
उत्तर:
25 × 104 Ω = 0.25 × 106Ω = 0.25 MΩ

प्रश्न 28.
एक कार्बन प्रतिरोध का मान 47 KΩ है। इस पर बैण्ड के रंगों का क्रम क्या होगा?
उत्तर:
47 KΩ = 47 × 103
अतः रंगों का क्रम पीला, बैंगनी तथा नारंगी होगा।

प्रश्न 29.
यदि p प्रतिरोधकता वाले एक तार को खींचकर उसकी लम्बाई तीन गुनी कर दी जाये तो दूसरी नई प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर:
नई प्रतिरोधकता p ही रहेगी। चूँकि प्रतिरोधकता चालक के पदार्थ पर निर्भर करती है, उसकी विमाओं पर नहीं।

प्रश्न 30.
दिये गये चित्र में धारा I का मान क्या होगा ?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 8
उत्तर:
किरचॉफ के प्रथम नियम से प्रवेश कर रही धाराओं का योग निकल रही धाराओं के योग के बराबर होगा।
0.7 A + 1.2 A = 0.1 A + 0.8 A + 1
⇒ 1.9 A = 0.9 A + 1
⇒ I = 1.9 A – 0.9 A = 1.0 A

प्रश्न 31.
विद्युत परिपथ सम्बन्धी किरचॉफ के नियमों का क्या महत्व है?
उत्तर:
जटिल विद्युत परिपथों जिनमें एक से अधिक विद्युत वाहक बल स्रोत उपस्थित हों, ओम का नियम प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है। ऐसे परिपथों में केवल किरचॉफ के नियम ही प्रयुक्त किये जा सकते हैं।

प्रश्न 32.
मीटर ब्रिज किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?
उत्तर:
व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धान्त पर।

प्रश्न 33.
मीटर ब्रिज को इस नाम से क्यों जाना जाता है?
उत्तर:
क्योंकि इसमें 1 मीटर लम्बे तार का उपयोग होता है।

प्रश्न 34.
क्या व्हीटस्टोन ब्रिज की सहायता से कार की बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, चूँकि कार की बैटरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है।

प्रश्न 35.
क्या किरचॉफ के नियम A. C. और D. C. दोनों तरह के परिपथों पर लागू होते हैं?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 36.
मीटर सेतु का तार समान अनुप्रस्थ काट का क्यों होना चाहिये? इसका तार ताँबे का क्यों नहीं लेते हैं?
उत्तर:
(i) मीटर सेतु का तार समान अनुप्रस्थ काट का होने पर ही R ∝ l वाली शर्त लगती है।
(ii) ताँबे का प्रतिरोध बहुत कम होता है तथा प्रतिरोध का तापीय गुणांक अधिक होता है। इसलिये नहीं लेते हैं।

प्रश्न 37.
मीटर सेतु की कार्यप्रणाली का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर:
मीटर सेतु की कार्यप्रणाली का सिद्धान्त व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित है, जिसके अनुसार
\(\frac{P}{Q}=\frac{R}{S}\)
⇒ S = \(\left(\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{P}}\right)\)R

प्रश्न 38.
व्हीटस्टोन सेतु कब सन्तुलित कहलाता है?
उत्तर:
जब व्हीटस्टोन सेतु में सेल तथा धारामापी दोनों की कुंजियाँ बन्द होने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आता अर्थात् इसकी भुजा में कोई धारा प्रवाहित न हो तो सेतु सन्तुलित कहलाता है।

प्रश्न 39.
किसी बन्द विद्युत परिपथ में प्रयुक्त बैटरियों के विद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग का मान कितना होता है ?
उत्तर:
परिपथ में लगे प्रतिरोधों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों के योग के तुल्य ।

प्रश्न 40.
किरचॉफ के संधि नियम का गणितीय रूप लिखिये ।
उत्तर:
∑i = 0 “अर्थात् किसी संधि पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।”

प्रश्न 41.
व्हीटस्टोन सेतु से संचायक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात नहीं किया जा सकता। क्यों?
उत्तर:
संचायक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध 1 ओम से भी कम का होता है जिसको व्हीटस्टोन ब्रिज द्वारा ज्ञात नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 42.
किरचॉफ का प्रथम नियम तथा द्वितीय नियम किन संरक्षण नियमों पर आधारित है?
उत्तर:
प्रथम नियम आवेश के संरक्षण का नियम; द्वितीय नियम ऊर्जा के संरक्षण का नियम।

प्रश्न 43.
व्हीटस्टोन सेतु के सर्वाधिक सुग्राही होने की शर्त क्या है?
उत्तर:
इसकी चारों भुजाओं में लगे प्रतिरोध एक ही क्रम के होने चाहिए।

प्रश्न 44.
मीटर सेतु की सुग्राह्यता सर्वाधिक कब होती है?
उत्तर:
जब शून्य विक्षेप स्थिति मीटर सेतु के तार के मध्य बिन्दु के लगभग प्राप्त होती है।

प्रश्न 45.
किस स्थिति में किसी द्वितीयक सेल के सिरों पर टर्मिनल वोल्टता उसके विद्युत वाहक बल के तुल्य होती है?
उत्तर:
जब सेल खुले परिपथ में हो या सेल से बाह्य परिपथ में धारा न प्रवाहित हो रही हो।

प्रश्न 46.
सेल की टर्मिनल वोल्टता एवं विद्युत वाहक बल में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
टर्मिनलों के मध्य विभवान्तर सेल का विद्युत वाहक बल E कहलाता है तथा जब सेल बन्द परिपथ में हो तो उस समय सेल के टर्मिनलों के मध्य विभवान्तर को सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) कहते हैं।

प्रश्न 47.
एक विद्युत स्रोत वाले परिपथ में किसी बिन्दु पर विद्युत धाराओं का बीजीय योग शून्य है तो वह बिन्दु क्या है?
उत्तर:
सन्धि ।

प्रश्न 48.
किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध क्यों होता है?
उत्तर:
क्योंकि सेल के अन्दर आयनों की गति अपघट्य के अणुओं से टक्कर के कारण अवरुद्ध होती है।

प्रश्न 49.
मीटर ब्रिज में सन्तुलन बिन्दु आमतौर पर मध्य भाग में क्यों प्राप्त करना चाहिये ? समझाइये |
अथवा
मीटर ब्रिज में संतुलन बिन्दु सामान्यतया मध्य भाग में क्यों प्राप्त करना चाहिये ? समझाइये |
उत्तर:
मीटर ब्रिज के तार के सिरे तांबे की पट्टिका से टांकों द्वारा जुड़े होते हैं। इसलिये तार के सिरों पर तार के प्रतिरोध के अलावा टांकों का भी प्रतिरोध होता है जिनका मान ज्ञात नहीं होता है मीटर ब्रिज के तार पर प्रतिरोध के प्रभाव को कम करने के लिये हम संतुलन बिन्दु तार के मध्य प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 50.
विभवमापी के प्राथमिक परिपथ में धारा का मान स्थिर रखा जाता है। क्यों?
उत्तर:
विभव प्रवणता का मान प्राथमिक परिपथ में धारा के मान पर निर्भर करता है अतः इसका स्थिर रहना आवश्यक है।

प्रश्न 51.
जॉकी कुंजी को दबाकर विभवमापी की तार पर नहीं खिसकाना चाहिये क्यों?
उत्तर:
दबाकर तार पर खिसकाने से उस जगह का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बदलेगा और एक समान नहीं रहेगा, जबकि विभवमापी में तार का प्रत्येक स्थान पर अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल समान होना चाहिये।

प्रश्न 52.
क्यों सेल का वि. वा. बल मापने के लिये वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी ज्यादा अच्छा उपकरण है?
उत्तर:
किसी विद्युत स्रोत का वि. वाहक बल मापते हैं तब संतुलन की अवस्था में स्रोत से उसमें कोई धारा नहीं बहती है और स्रोत का विभव नहीं बदलता है। इस कारण विभवमापी उसका सही विभव मापता है जबकि वोल्टमीटर से जब मापते हैं, तब स्रोत से विक्षेप के लिये उसमें से धारा प्रवाहित होती है, जिससे उसका विभव कम हो जाता है और वह कम हुए विभव को ही मापता है।

प्रश्न 53.
विभवमापी तार लम्बी क्यों ली जाती है?
उत्तर:
विभवमापी की विभव प्रवणता
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 9

विभवमापी के तार पर लगाया गया विभवान्तर वही रखकर यदि उसके तार की लम्बाई बढ़ायें तो उसकी विभव प्रवणता का मान कम हो जाता है। इससे उसकी सुग्राहिता बढ़ जायेगी. इसलिये विभवमापी तार लम्बी ली जाती है।

प्रश्न 54.
E विद्युत वाहक बल तथा आन्तरिक प्रतिरोध वाली सेल के आर-पार एक प्रतिरोध R जोड़ा गया है। अब एक विभवमापी सेल के सिरों का विभवान्तर V मापता है। E, V तथा R के पदों में के लिए व्यंजक लिखिए ।
उत्तर:
r = \(\left[\frac{E}{V}-1\right]\)R

प्रश्न 55.
विभवमापी के तार में वैद्युत धारा अधिक समय के लिए क्यों प्रवाहित नहीं करनी चाहिए ?
उत्तर:
क्योंकि अधिक समय तक धारा प्रवाहित करने से तार के गर्म होने से इसका प्रतिरोध बढ़ जायेगा। अतः तार की विभव प्रवणता का मान बदल जायेगा।

प्रश्न 56.
X = 4Ω एवं Y = 48 × 10-8 Ωm के चालकों की लम्बाई आधी करने पर X व Y के लिए संगत मान लिखिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि प्रतिरोध लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है R ∝ l लम्बाई आधी करने पर प्रतिरोध का मान भी आधा हो जायेगा अर्थात् X’ = 2Ω
Y = 48 × 10-8 Ω-m है अर्थात् यह प्रतिरोधकता का मान है। प्रतिरोधकता किसी तार की लम्बाई व उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करती है। अतः Y’ = 48 × 10-8 Ω-m या समान होगा।

प्रश्न 57.
एक कार्बन प्रतिरोधक का मान 62 × 103Ω तथा सह्यता 5% है। इसके वर्ण कोड के नाम क्रम से लिखिए।
उत्तर:
वर्ण कोड के नाम क्रम से इस प्रकार से होंगे- नीला, लाल, नारंगी और सोना।

प्रश्न 58.
चित्र में एक ही धातु के दो चालकों की प्रतिरोधकता क्रमश: p1Ω-m एवं p2Ω-m है। p1 व p2 का मान लिखिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 10
उत्तर:
हम जानते हैं कि प्रतिरोधकता चालक के पदार्थ पर निर्भर करती है। यहाँ पर दोनों चालक एक ही धातु के हैं। इसलिये p1 व p2 का अनुपात 1 : 1 होगा।

प्रश्न 59.
किसी धातु के तार के दो विभिन्न तापों T1 और T2 पर V – I ग्राफ चित्र में दर्शाए अनुसार है। इन दोनों तापों में से कौन-सा उच्च है और क्यों?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 11
उत्तर:
V- I ग्राफ का ढाल \frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}} = R । इसका अर्थ यह हुआ कम ढाल पर प्रतिरोध का मान अधिकतम होगा। किसी धातु का ताप बढ़ाने पर उस धातु का प्रतिरोध बढ़ता है तब T1 >T2

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
किसी चालक में इलेक्ट्रॉन बराबर गतिशील रहते हैं। और फिर भी चालक में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती जब तक उसके सिरों पर वैद्युत स्रोत न लगाया जाये। कारण दीजिए ।
उत्तर:
चालक में इलेक्ट्रॉन की गति अनियमित होने के कारण किसी निश्चित दिशा में इलेक्ट्रॉन प्रवाह की नेट दर शून्य हो जाने के कारण चालक में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती। इसके सिरों के बीच विभवान्तर लगने से चालक में एक वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण इलेक्ट्रॉनों पर एक बल वैद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत लगाने से ये एक निश्चित दिशा में गति कर जाते हैं तथा चालक में धारा प्रवाहित होने लगती है।

प्रश्न 2.
एक चालक में I ऐम्पियर की धारा बह रही है। यही धारा अर्द्धचालक में भी बह रही है। यदि दोनों का ताप बढ़ा दिया जाये तो उनमें बहने वाली धारा के मान में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
चालक में धारा का मान घटेगा जबकि अर्द्धचालक में बढ़ेगा।

प्रश्न 3.
ताँबे के तार के विशिष्ट प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा जबकि।
(i) लम्बाई को तिगुना कर दिया जाये?
(ii) अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल को तीन गुना कर दिया जाये?
(iii) त्रिज्या को तीन गुना कर दिया जाये?
(iv) ताप बढ़ा दिया जाये?
उत्तर:
हम जानते हैं कि विशिष्ट प्रतिरोध
p = \(\frac{m}{n e^2 \tau}\) से स्पष्ट है कि
(i) लम्बाई बढ़ाने से अपरिवर्तित,
(ii) अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ाने से अपरिवर्तित
(iii) त्रिज्या परिवर्तन से विशिष्ट प्रतिरोध अपरिवर्तित
(iv) ताप बढ़ाने से विशिष्ट प्रतिरोध बढ़ जायेगा क्योंकि
p ∝ \(\frac{1}{\tau}\) ताप बढ़ाने पर τ घटता है।

प्रश्न 4.
धातु इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेग का मान अति लघु क्यों होता है?
उत्तर:
यदि हम किसी धातु चालक के सिरों के बीच पर कोई विद्युत विभव लगाते हैं तब उसके एक सिरे से दूसरे सिरे के बीच की तरफ उसमें एक विद्युत क्षेत्र स्थापित हो जाता है और हर मुक्त इलेक्ट्रॉन पर विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में बल लगता है, उसके कारण उसमें वेग उत्पन्न होता है। उसका वेग बढ़ता रहता है। तब तक गति करता रहता है, जब तक वह अपने मार्ग में आने वाले किसी धातु आयन से नहीं टकराता। धातु आयन से टकराने पर उसका वेग शून्य हो जाता है और इलेक्ट्रॉन पर बल लगाने के कारण उसका वेग बढ़ता रहता है। शून्य से अगली टक्कर तक और अगली टक्कर किसी इलेक्ट्रॉन के होने पर फिर शून्य हो जाता है। यदि इलेक्ट्रॉन की एक टक्कर से अगली टक्कर तक की चली गई मध्यमान दूरी λ हो और उसमें लगा समय τ हो तो तब-
अपवाह वेग (Vd) = \(\frac{\lambda}{\tau}\)
यहाँ पर λ का मान τ की अपेक्षा बहुत ही छोटा है। इसलिये अपवाह वेग का मान अति लघु होता है।

प्रश्न 5.
धातु की चालकता व गतिशीलता में सम्बन्ध लिखिये। उत्तर-किसी चालक के लिये अपवहन वेग व चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र का अनुपात दिये गये ताप पर स्थिर रहता है। इस स्थिर राशि को धारावाहक (इलेक्ट्रॉन) की गतिशीलता (µ) कहते हैं।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 12

प्रश्न 6.
एक बेलनाकार चालक में स्थायी धारा बह रही है। क्या चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र है?
उत्तर:
चालक में धारा तभी बहती है जब चालक के भीतर स्थापित विद्युत क्षेत्र प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर बल आरोपित करता है। अतः चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र है।

प्रश्न 7.
एक धात्वीय तार के लिए दो विभिन्न तापों T1 व T2 पर I – V ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है। इनमें से किस तार का ताप ऊँचा है तथा क्यों?
उत्तर:
T2 ताप खींचे गये वक्र के ढाल \(\left(\frac{1}{V}\right)\) का मान कम है।
अतः परन्तु प्रतिरोध =
अतः इस ताप पर प्रतिरोध अधिक होगा। चूँकि ताप वृद्धि के साथ प्रतिरोध भी बढ़ता है, अतः T2 ताप ऊँचा होगा।

प्रश्न 8.
किसी ताँबे के तार में प्रवाहित धारा को समान मोटाई के लोहे के तार से प्रवाहित करने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों के अपवहन वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
I = neAvd ⇒ vd = \(\frac{1}{\text { neA }}\)
यहाँ पर e व A तथा I नियत है।
इसलिए vd ∝ \(\frac{1}{n}\)
ताँबे की तुलना में लोहे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व n कम होने के कारण ताँबे की अपेक्षा लोहे में अपवहन वेग अधिक होगा।

प्रश्न 9.
समान व्यास परन्तु भिन्न-भिन्न पदार्थों के दो चालक X तथा Y श्रेणीक्रम में एक बैटरी से जुड़े हैं। यदि X में इलेक्ट्रॉनों की संख्या घनत्व Y से दोगुना है तो इन दो तारों में इलेक्ट्रॉनों के अपवाह वेगों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
I = neA vd से vd = \(\frac{1}{\text { neA }}\)
यहाँ पर दोनों तारों के व्यास समान होने से दोनों के लिए A नियत चूँकि दोनों तार एक ही बैटरी से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। इसलिए दोनों में समान धारा I बहेगी अर्थात् दोनों के लिए I नियत एवं e सार्वत्रिक नियतांक है, अतः अपवाह वेग
vd ∝ \(\frac{1}{n}\)
(यहाँ पर 1 इलेक्ट्रॉनों की संख्या घनत्व)
\(\frac{\left(v_{\mathrm{d}}\right)_{\mathrm{x}}}{\left(v_{\mathrm{d}}\right)_{\mathrm{y}}}=\frac{\mathrm{n}_{\mathrm{y}}}{\mathrm{n}_{\mathrm{x}}}=\frac{\mathrm{n}_{\mathrm{y}}}{2 \mathrm{n}_{\mathrm{y}}}=\frac{1}{2}\)
∵ nx = 2ny दिया है।
अतः (vd)x : (vd)y = 1 : 2

प्रश्न 10.
R1 तथा R2 प्रतिरोध के दो तापक तारों को जब नियत V वोल्टता के संभरण से क्रमशः जोड़ा जाता है तो प्रयुक्त
शक्तियाँ क्रमश: P1 तथा P2 हैं। जब इन तारों को क्रमशः
(i) श्रेणीक्रम में
(ii) समान्तर क्रम में परस्पर जोड़कर क्रमशः उसी सप्लाई से जोड़ा जाता है तो प्रयुक्त शक्तियों के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर:
यहाँ पर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 13

प्रश्न 11.
एक ही पदार्थ के बने दो धात्विक तारों A व B की लम्बाई समान है परन्तु उनके अनुप्रस्थ काट 1 : 2 के अनुपात में हैं। इनको (i) श्रेणीक्रम में तथा (ii) समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाता है। उपर्युक्त दोनों संयोजनों में दोनों तारों में इलेक्ट्रॉनों के अपवहन वेगों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
दिया है-
A1 : A2 = 1 : 2
तथा l1 = l2 = 1
(i) श्रेणीक्रम में जोड़ने पर वैद्युत धारा समान होती है।
अतः IA = IB
⇒ neA1(vd)1 = neA2(vd)2
⇒ \(\frac{\left(v_{\mathrm{d}}\right)_1}{\left(v_{\mathrm{d}}\right)_2}=\frac{\mathbf{A}_2}{\mathrm{~A}_1}=\frac{2}{1}\) = 2 : 1
(ii) समान्तर क्रम में विभवान्तर समान रहता है।
अतः VA = VB ⇒ IA × RA = IB × RB
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 14

प्रश्न 12.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
हम जानते हैं-
R = \(\frac{\mathrm{m} l}{\mathrm{ne}^2 \mathrm{~A} \tau}\)
से स्पष्ट है कि किसी चालक का प्रतिरोध R निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
(i) चालक की लम्बाई 1 पर (R ∝ l)
(ii) चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद A पर \(\left(\mathrm{R} \propto \frac{1}{\mathrm{~A}}\right)\)
(iii) चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व n पर ( R ∝ n)
(iv) मुक्त इलेक्ट्रॉन के श्रान्तिकाल पर \(\left(\mathrm{R} \propto \frac{1}{\tau}\right)\)
चूँकि आन्तिकाल ताप पर निर्भर करता है अतः वैद्युत प्रतिरोध भी ताप पर निर्भर करता है ताप बढ़ाने पर श्रांतिकाल घटता है, अतः ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध बढ़ेगा।

प्रश्न 13.
यूरेका के तार के प्रतिरोध में क्या परिवर्तन होगा, यदि इसकी त्रिज्या आधी तथा लम्बाई एक-चौथाई पर कर दी जाये?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 15

प्रश्न 14.
दिये गये परिपथ में यदि R1 तथा R2 प्रतिरोधों में शक्ति क्षय क्रमश: P1 तथा P2 है तो दिखाइए P1 : P2 = R2 : R1
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 16
उत्तर:
दिये गये परिपथ में R1 तथा R2 परस्पर समान्तरबद्ध हैं।
अतः इनके सिरों का विभवान्तर समान होगा जो आरोपित बैटरी के विभवान्तर V के बराबर होगा।
\(\frac{\mathrm{P}_1}{\mathrm{P}_2}=\frac{\mathrm{V}^2 / \mathrm{R}_1}{\mathrm{~V}^2 / \mathrm{R}_2}=\frac{\mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_1}\)
⇒ p1 : p2 = R2 : R1

प्रश्न 15.
किसी चालक के प्रतिरोध एवं प्रतिरोधकता हेतु व्यंजक, चालक में प्रति एकांक आयतन मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या व विश्रान्ति काल के पदों में प्राप्त करें।
उत्तर:
हम जानते हैं,
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 17

प्रश्न 16.
दो प्रतिरोध R1 व R2 का श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध Rs व समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध Rp है। सिद्ध कीजिये-
RpRs = R1R2
उत्तर:
जब दो प्रतिरोध R1 तथा R2 को श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं तो उनका तुल्य प्रतिरोध Rs को निम्न सूत्र से दिया जाता है-
Rs = R1 + R2 ………(1)
जब दो प्रतिरोध R1 तथा R2 को समान्तर क्रम में जोड़ते हैं तो उनका तुल्य प्रतिरोध Rp को निम्न सूत्र के द्वारा जोड़ते हैं-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 18

प्रश्न 17.
धातुओं की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि से बढ़ती है, जबकि अर्द्धचालकों की प्रतिरोधकता घटती है, कारण स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
कुछ मिश्र धातुयें, जैसे- मँगनिन, कान्सटेन्टन ऐसी हैं जिन पर ताप का प्रभाव बहुत ही कम होता है, अर्थात् इनका प्रतिरोध ताप गुणांक नगण्य है। इन मिश्र धातुओं का विशिष्ट प्रतिरोध अधिक और ताप गुणांक नगण्य होने के कारण ही प्रामाणिक प्रतिरोध, प्रतिरोध बॉक्स आदि बनाने में इन्हीं के तार का उपयोग किया जाता है। कार्बन, अभ्रक, शीशा, रबर तथा अर्द्धकुचालक, जैसे- सिलिकन व जरमेनियम की प्रतिरोधकता ताप के बढ़ने पर घटती है, अर्थात् इनका प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है। अर्द्धचालकों में ताप वृद्धि से आवेश वाहकों की संख्या बढ़ जाती है जिससे प्रतिरोधकता घट जाती है।

प्रश्न 18.
श्रेणीक्रम तथा समान्तर क्रम में जब प्रतिरोधों को जोड़ते हैं तो धारा, विभवान्तर तथा प्रतिरोध की तुलना कीजिये ।
उत्तर:
श्रेणीक्रम तथा समान्तर क्रम में संयोजन की तुलना-

राशिश्रेणी संयोजनसमान्तर संयोजन
1. धारापरिपथ में लगे प्रत्येक प्रतिरोध में बहने वाली धारा का मान समान होता है।समान्तर क्रम में लगे प्रत्येक प्रतिरोध में बहने वाली धारा का मान अलग-अलग होता है।
2. विभवान्तरप्रत्येक प्रतिरोध के सिरे पर विभवान्तर अलग-अलग होता है।प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर समान होता है।
3. प्रतिरोधतुल्य प्रतिरोध का मान अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।तुल्य प्रतिरोध का मान सबसे कम प्रतिरोध से भी कम होता है।

प्रश्न 19.
वर्ण संकेत के आधार पर 0. 45 Ω ± 5% मान के कार्बन प्रतिरोधकों के लिये चारों रंगीन पट्टियों के क्रमिक रंगों के नाम ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.45 Ω ± 5%
⇒ 45 × 102 ± 5%
प्रथम सार्थक अंक 4 के लिये पीली पट्टी, द्वितीय सार्थक अंक 5 के लिये हरी पट्टी, गुणांक 10-2 के लिये चाँदीसा पट्टी, ± 5% सह्यता अंक के लिये सुनहरी पट्टी
अतः वर्ण संकेत के आधार पर 0.45 Ω ± 5% को प्रदर्शित करने के लिये पट्टियों के क्रम निम्न होंगे-
पीला, हरा, चाँदीसा तथा सुनहरी ।

प्रश्न 20.
विभव प्रवणता से आप क्या समझते हैं? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
अथवा
विद्युत परिपथ के लिए किरचॉफ के नियमों को लिखिए ।
उत्तर:
विभवमापी के तार की एकांक लम्बाई पर विभव पतन को विभव प्रवणता कहते हैं इसे x द्वारा व्यक्त करते हैं।

विभव प्रवणता का मान निम्न कारकों पर निर्भर करता है-
(अ) प्राथमिक परिपथ के सेल Ep के विद्युत वाहक बल एवं धारा नियंत्रक के प्रतिरोध पर
(ब) विभवमापी के तार की लम्बाई पर
(स) विभवमापी के तार के अनुप्रस्थ काट पर
(द) विभवमापी के तार की धातु पर
(य) विभवमापी के तार के ताप पर
अथवा
प्रथम नियम (सन्धि नियम ) – किसी बन्द विद्युत परिपथ के किसी बिन्दु (सन्धि) पर मिलने वाली सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
अर्थात्
∑I = 0
द्वितीय नियम (लूप नियम ) – इस नियम के अनुसार किसी विद्युत परिपथ के किसी बन्द भाग (लूप) की धाराओं तथा प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग, परिपथ के उस भाग (लूप) में कार्यरत विद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।
अर्थात् ∑E = ∑V = ∑IR

प्रश्न 21.
विभवमापी के उपयोग में लाने पर सावधानियाँ लिखिये ।
उत्तर:
(i) प्राथमिक परिपथ में लगाये गये वि.वा. बल का मान द्वितीयक परिपथ में लगाये गये वि. वा. बल या विभवान्तर के मानों से हमेशा अधिक होना चाहिये।
(ii) प्राथमिक तथा द्वितीयक परिपथ में जुड़े विभवान्तरों या वि. वा. बलों के सभी धन सिरे एक बिन्दु A पर जुड़े होने चाहिये जहाँ परिपथ के सभी धन सिरे जुड़े होते हैं।
(iii) संतुलित लम्बाई का मान हमेशा A सिरे से मापा जाना चाहिये।

प्रश्न 22.
विभवमापी तथा वोल्टमीटर में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
विभवमापी तथा वोल्टमीटर में अन्तर

विभवमापीवोल्टमापी
(1) यह अविक्षेप विधि पर आधारित(1) यह विक्षेप विधि पर आधारित है।
(2) यह बहुत ही सुग्राही होता है(2) यह कम सुग्राही होता है।
(3) यह वि.वा. बल का मापन कम शुद्धता से करता है।(3) यह वि. वा. बल का मापन बहुत शुद्धता से करता है।
(4) इसके द्वारा वि.वा. बल के पाठ्यांक लेते समय सेल से कोई धारा नहीं ली जाती है।(4) इसके द्वारा वि. वा. बल का मापन में सेल से कुछ धारा ली जाती है।

प्रश्न 23.
अपवाह वेग के आधार पर ओम के नियम का समीकरण \(\overrightarrow{\mathbf{J}}=\sigma \vec{E}\)
(जहाँ संकेतों के सामान्य अर्थ हैं)
उत्तर:
लम्बाई के चालक पर विचार कीजिये जिसका क्षेत्रफल A है। इस चालक में प्रति इकाई आयतन आवेश वाहक मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या, अर्थात् संख्या घनत्व, n है अतः चालक में स्थित आवेश वाहकों की संख्या nAl होगी, जहाँ Al चालक का आयतन है यदि प्रत्येक आवेश वाहक पर आवेश है और इन आवेश वाहकों का अपवाह वेग (Drift Velocity) Vd है, तो चालक के आयतन में आवेश वाहकों का कुल आवेग होगा-
∆q = nAle जो ∆t = \(\frac{l}{v_{\mathrm{d}}}\) समय में
इस चालक के अनुप्रस्थ काट-क्षेत्र से गुजरेगा। इसलिये चालक में प्रवाहित धारा का मान होगा
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 19

प्रश्न 24.
दो सेलों के विद्युत वाहक बल E1 व E2 तथा आन्तरिक प्रतिरोध क्रमशः r1 व r2 हैं। इन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य वि.वा. बल तथा तुल्य आन्तरिक प्रतिरोध का मान प्राप्त कीजिए ।
उत्तर:
सामने चित्र में E1 व E2 तथा आन्तरिक प्रतिरोध r1 तथा r2 वाले दो सेलों का श्रेणी संयोजन दिखाया गया है। इसके अन्त सिरों को एक बाह्य प्रतिरोध
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 20
R से जोड़ा गया है। यदि सेलों के संयोजन से प्रतिरोध R में प्रवाहित धारा का मान I है तो ओम के नियम से V = IR ……….(1)
तथा संयोजन के अन्त बिन्दुओं a व b के मध्य विभवान्तर का मान दोनों सेलों की टर्मिनल वोल्टता के योग के तुल्य होगा, अर्थात्
Va b = (E1 – Ir1) + (E2 – Ir2) ………..(2)
सिद्धान्त से टर्मिनल वोल्टता; प्रतिरोध R के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V के बराबर होगी, अतः
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 21

यहाँ E0 = E1 + E2 सेलों के कुल वि.वा. बलों का मान तथा r0 = (r1 + r2) सेलों का कुल आन्तरिक प्रतिरोध है, इससे स्पष्ट है-
(i) श्रेणी संयोजन में कुल विद्युत वाहक बल का मान संयोजित सेलों के वि.वा. बलों के योग के तुल्य होता है।
(ii) यदि संयोजन में समान विद्युत वाहक बल व आन्तरिक प्रतिरोध के n सेल जुड़े हुए हों तो बाह्य प्रतिरोध R में प्रवाहित धारा का मान-
I = \(\frac{n E}{R+n r}=\frac{E}{r+\frac{R}{n}}\) …………(4)
अर्थात् बाह्य परिपथ में प्रवाहित धारा का मान एक सेल के कारण प्राप्त धारा के मान से अधिक होता है।
(iii) संयोजन में यदि एक बैटरी की ध्रुवता को उलट दिया जाये तो तुल्य वि.वा. बल का मान
(E1 – E2) या (E2 – E1) प्राप्त होता है।

प्रश्न 25.
मीटर सेतु द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने की विधि लिखकर आवश्यक सूत्र की व्युत्पत्ति कीजिए। परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर:
मीटर सेतु द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान-यह अज्ञात प्रतिरोध को मापने के लिये बनाया गया एक उपकरण है। इसका कार्य सिद्धान्त ह्हीट स्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 21
व्हीटस्टोन ब्रिज के चार प्रतिरोधों में से दो प्रतिरोध ( R तथा S ) तो खाली स्थानों में लगे रहते हैं तथा बाकी दो प्रतिरोध ( P व Q) तार AC पर (जोकी) के B बिन्दु के इधर-उधर होते हैं। R के किसी मान के लिए ‘जोकी’ को तार AC पर विभिन्न स्थितियों में रखकर उसकी नोक को दबाते हैं। जब इसकी किसी स्थिति पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आता है तो हम कह सकते हैं कि ब्रिज संतुलित स्थिति में है ।

‘जोकी’ की यह स्थिति चित्र में ‘B’ बिन्दु द्वारा दर्शाई गई है। व्हीटस्टोन ब्रिज के P तथा Q प्रतिरोध अब क्रमश: AB और BC लम्बाई के तार के प्रतिरोध के बराबर होते हैं। यदि तार की एकांक लम्बाई का प्रतिरोध हो और AB की लम्बाई l हो तो P = pl तथा Q = p (100- l) होगी।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 23
प्रयोग द्वारा R व l का मान ज्ञात करके अज्ञात प्रतिरोध S का मान समीकरण (1) की सहायता से ज्ञात कर लेते हैं। प्रतिरोध बॉक्स से भिन्न-भिन्न प्रतिरोध निकालकर कई प्रेक्षण लेते हैं और प्रत्येक प्रेक्षण के लिए S का मान ज्ञात कर लेते हैं। इसके बाद अज्ञात प्रतिरोध S तथा प्रतिरोध बॉक्स के स्थानों को आपस में बदलकर प्रयोग को दोहराते हैं। इस दशा में R के पूर्व मान के लिए ही यदि अविक्षेप बिन्दु B तार की l1 लम्बाई पर आये तो इस स्थिति में
R = \(\mathbf{S}\left(\frac{100-l_1}{l_1}\right)\)
⇒ S = R \( \left(\frac{l_1}{100-l_1}\right)\) ………(2)
अतः समीकरण (2) के सूत्र से भी S का मान ज्ञात कर लेते हैं। गणना में दोनों बार के प्रेक्षणों से प्राप्त S के मानों का औसत ज्ञात कर लेते हैं। यही अज्ञात प्रतिरोध का मान होगा।

प्रश्न 26.
(a) विभव प्रवणता को परिभाषित कीजिए ।
(b) किरखोफ का संधि नियम लिखिए।
दिए गये चित्र में धारा I का मान लिखिए-
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 24
उत्तर:
(a) विभव प्रवणता (Potential Gradient) विभवमापी के तार की एकांक लम्बाई पर विभव पतन को विभव प्रवणता कहते हैं । इसे x द्वारा व्यक्त करते हैं। इसका मान निम्न पर निर्भर करता है
(i) प्राथमिक परिपथ के सेल Ep के विभवान्तर एवं धारा नियंत्रक के प्रतिरोध पर
(ii) विभवमापी के तार की लम्बाई, अनुप्रस्थ काट तार की धातु व तार के ताप पर निर्भर करता है।
(b) किरखोफ का संधि नियम—किसी बन्द विद्युत परिपथ के किसी बिन्दु (सन्धि ) पर मिलने वाली सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
अर्थात् ∑I = 0
दिये गये चित्र में धारा I का मान निकालने के लिये किरखोफ का प्रथम नियम (संधि नियम) का प्रयोग करने पर,
5 + 2 – I – 4 = 0
⇒ I = 3 ऐम्पियर

प्रश्न 27.
एक परिवर्ती प्रतिरोधक R विद्युत वाहक बल ( emf), ६ तथा आन्तरिक प्रतिरोध के सेल के सिरों से आरेख में दर्शाए अनुसार संयोजित है R के फलन के रूप में (i) टर्मिनल वोल्टता, V तथा (ii) धार, I में विचरण को दर्शाने के लिए ग्राफ खींचिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 25

प्रश्न 28.
लम्बाई L तथा व्यास D के किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर V अनुप्रयुक्त किया गया है। इस चालक में आवेश वाहकों के अपवाह वेग पर क्या प्रभाव होगा जब (i) V को आध् कर दिया जाए, (ii) L को दुगुना कर दिया जाए तथा (iii) D को आधा कर दिया जाए?
उत्तर:
अपवाह वेग
(i) V को आधा करने पर अपवाह वेग Vd का मान भी आधा हो जाता है।
(ii) l को दुगुना करने पर Vd का मान भी दुगुना हो जायेगा।
(iii) यदि D को आधा कर दिया जाये तो अपवाह वेग का मान अपरिवर्तित रहता है। चूँकि अपवाह वेग Vd का मान D पर निर्भर नहीं करता है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षा में 6 × 1015 बार प्रति सेकण्ड घूमता है। लूप में धारा का मान ज्ञात कीजिए।
हल- इलेक्ट्रॉन के एक बार वृत्ताकार कक्षा में घूमने में प्रवाहित
आवेश = e
∴ N = 6 × 1015 बार घूमने में प्रवाहित आवेश
q = Ne
q = (6 × 1015) × 1.6 × 1019 कूलॉम घूमने में लिया गया समय t = 1 सेकण्ड
अतः लूप में धारा
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 26

प्रश्न 2.
एक तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1.0 × 10-7 मीटर2 तथा तार में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 x 1028 प्रति मीटर है। तार में 3.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। ज्ञात कीजिए (i) तार में धारा घनत्व (ii) मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अपवहन वेग।
हल- दिया है – तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A
= 1.0 × 10-7 मीटर2
तार में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व n = 2 × 1028 तथा तार में धारा I = 3.2 ऐम्पियर
(i) तार में धारा घनत्व j = I/A = 3.2 ऐम्पियर/ 1.0 × 10-7 मीटर2 = 3.2 × 107 ऐम्पियर / मीटर2
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 27

प्रश्न 3.
0.24 मीटर लम्बे चालक के सिरों के बीच 6 वोल्ट का विभवान्तर लगाया गया है। इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन (अपवाह) वेग ज्ञात कीजिए। इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता 5.6 × 10-6 मीटर2 वोल्ट2 सेकण्ड-1 है।
चालक की लम्बाई L= 0.24 मीटर
इसके सिरों का विभवान्तर V = 12 वोल्ट
अतः चालक के अन्दर वैद्युत क्षेत्र E = \(\frac{V}{L}\)
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 28

प्रश्न 4.
ताँबे का मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 8.5 × 1028 मीटर3 है। 0.1 मीटर लम्बे, 1 मिमी2 अनुप्रस्थ काट वाले ताँबे के तार में धारा ज्ञात कीजिए, जबकि इनके सिरों के बीच 3 वोल्ट की बैटरी जुड़ी है। ( दिया है, इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता 4.5 × 10-6 मीटर2 – वोल्ट-1 सेकण्ड-1p तथा इलेक्ट्रॉन पर आवेश e = 1.6 × 10-19 कूलॉम)
हल दिया है-
मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व n = 8.5 × 1028/मीटर3
तार की लम्बाई L= 0.1 मीटर
अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A = 1 मिमी.2
= (10 )2 मीटर2
= 10-6 मीटर2
तार के सिरों के बीच वोल्टता V = 3 वोल्ट
इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता μe = 4.5 × 10-6
मीटर2-वोल्ट1 – सेकण्ड-1
आवेश e = 1.6 × 10-19 कूलॉम
तार में वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{L}}=\frac{3 \text { वोल्ट }}{0.1}\)
E = 30 वोल्ट / मीटर
∵ वैद्युत धारा I= neAμeE
मान रखने पर-
I= (8.5 × 1028) (1.6 x 1019)
(10-6) (4.5 × 10-6) × 30
= 0.918 ऐम्पियर
= 918 × 10-3 ऐम्पियर
= 918 मिली ऐम्पियर ।

प्रश्न 5.
4 × 10-6 m-6 m2 काट-क्षेत्र के तार में 5A धारा प्रवाहित हो रही है। यदि तार में आवेश वाहकों (मुक्त इलेक्ट्रॉनों) का संख्या घनत्व 5 × 1026 m-3 ” है तो इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग ज्ञात कीजिए ।
हल दिया गया है-
अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A = 4 × 10-6 m2
धारा I = 5 ऐम्पियर
मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व n = 5 × 1026 m-3
इसलिए Vd = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{nAe}}=\frac{5}{5 \times 10^{26} \times 4 \times 10^{-6} \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{1}{64}\) m/s

प्रश्न 6.
ताँबे का एक तार जिसकी त्रिज्या 0.1 मिमी. तथा प्रतिरोध 2 KΩ है एक 40 वोल्ट के संभरण (supply) से जोड़ दिया गया है। ज्ञात कीजिए – (a) संभरण तथा तार के एक सिरे के बीच प्रति सेकण्ड कितने इलेक्ट्रॉन हस्तानान्तरित होते हैं? (b) तार का धारा घनत्व क्या होगा?
हल दिया है-
तार की त्रिज्या r = 0.1 मिमी.
= 0.1 × 10-3 मीटर
r = 10-4 मीटर
तार का प्रतिरोध R = 2 kΩ = 2 × 103
तार के सिरों पर आरोपित वोल्टता V = 40 वोल्ट
(a) ओम के नियम से
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 29

प्रश्न 7.
ऐलुमिनियम की एक छड़, जिसका काट क्षेत्रफल 4.00 × 10-6 मीटर2 है; में 5.00 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है छड़ में इलेक्ट्रॉन का अपवहन वेग ज्ञात कीजिए। ऐलुमिनियम का घनत्व 2.70 × 103 किप्रा./ मीटर3 तथा परमाणु भार 27 है तथा मान लीजिए कि प्रत्येक ऐलुमिनियम परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त होता है।
हल-यहाँ काट क्षेत्रफल A = 4.00 × 10-6 m2, धारा I = 5.00 A,
घनत्व d = 2.7 × 103 kg/m3 तथा M = 27 × 10-3 kg
छड़ में इलेक्ट्रॉन घनत्व n = \(\frac{N}{V}\)
यहाँ N = छड़ में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 30

प्रश्न 8.
चित्र में असमान काट क्षेत्रफल का एक धारावाही चालक दर्शाया गया है। किन बिन्दुओं पर मान अधिकतम होगा।
(अ) धारा का
(ब) धारा घनत्व का तथा
(स) अपवहन वेग का।
हल-(अ) चालक में प्रवाहित धारा का परिमाण प्रत्येक बिन्दु पर समान होगा।
(ब) धारा घनत्व चालक के काट क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः बिन्दु B पर धारा घनत्व का मान अधिकतम होगा।
(स) चालक के प्रत्येक भाग में प्रवाहित धारा का मान समान होता है। सिद्धान्ततः यह तभी सम्भव है जब कम क्षेत्रफल काट के भाग में विद्युत क्षेत्र की तीव्रता अधिक हो। अतः बिन्दु B पर अपवहन वेग का मान अधिकतम होगा क्योंकि (vd ∝ E) होता है।

प्रश्न 9.
चित्र में एक आयताकार पदार्थ को दर्शाया गया है। जिसकी लम्बाई 1, चौड़ाई 0.5l व मोटाई 0.25l है। इसके प्रतिरोध का मापन करने के लिए विभवान्तर को दो प्रकार से आरोपित किया जाता है। [चित्र (अ) तथा (ब)] किस व्यवस्था में पदार्थ का प्रतिरोध अधिक होगा ?
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 32
यद्यपि पदार्थ का प्रतिरोध विभवान्तर व धारा पर निर्भर नहीं करता है परन्तु पदार्थ के जिस काट भाग से धारा प्रवेश करती है उसके क्षेत्रफल पर अवश्य निर्भर करता है।

प्रश्न 10.
एक धातु के तार की लम्बाई l मीटर और काट क्षेत्रफल A वर्ग मीटर है। ज्ञात कीजिए कि यदि तार को खींचकर इसकी लम्बाई दुगुनी कर दी जाये तो इसके प्रतिरोध में कितनी प्रतिशत वृद्धि होगी?
हल-हम जानते हैं-तार का प्रतिरोध R = \(p\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
तार को खींचने पर इसकी लम्बाई में वृद्धि के साथ उसके काट क्षेत्रफल में कमी होगी लेकिन दोनों स्थितियों में द्रव्यमान समान रहेगा,
अतः Ald = (A) (2l)d जहाँ d पदार्थ का घनत्व है।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 34

प्रश्न 11.
दो तारें A तथा B समान धातु की बनी हैं। इनके अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल भी समान हैं तथा लम्बाइयों का अनुपात 2 : 1 है। यदि प्रत्येक तार की लम्बाई के सिरों पर समान विभवान्तर आरोपित किया जाए, तो दोनों तारों में प्रवाहित होने वाली धाराओं का अनुपात क्या होगा?
हल-समान विभवान्तर होने पर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 35

प्रश्न 12.
किसी तार को खीचकर इसका व्यास आधा कर दिया जाता है। इसका नया प्रतिरोध का मान क्या होगा?
हल- माना वास्तविक लम्बाई = l1
वास्तविक व्यास = d1
नयी लम्बाई = l2
नया व्यास = d2
खींचने के बाद तार का आयतन (या घनत्व) समान ही रहता है अर्थात्
A1l1 = A2l2
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 36

प्रश्न 13.
एक 15 Ω के मोटे तार को खींचकर इसकी लम्बाई को तीन गुना कर दिया जाता है। यह मानते हुए कि खींचने पर इसका घनत्व अपरिवर्तित रहता है। नए तार के प्रतिरोध की गणना कीजिए।
हल-माना तार का खींचने से पहले अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल =A1 है और उसकी वास्तविक लम्बाई = l1
खींचने के पश्चात् तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल =A2 है । और तार की नयी लम्बाई = l2 है।
चूँकि खींचने पर तार का घनत्व अपरिवर्तित रहता है, अतः खींचने से पहले का आयतन = खींचने के बाद का आयतन

प्रश्न 14.
एक कार्बन प्रतिरोधक जिस पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय छल्ले क्रमशः आसमानी, काले तथा पीले रंग के हैं, के आर-पार 30 वोल्ट की वोल्टता आरोपित की गई है। प्रतिरोधक में प्रवाहित वैद्यूत धारा ज्ञात कीजिए।
हल-चूँकि
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 38

प्रश्न 15.
एक सेल जिसका विद्युत वाहक बल 2 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.1 ओम है, एक 3.9 ओम के बाह्य प्रतिरोध से जोड़ी गई है। सेल का टर्मिनल विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल-दिया है-
E = 2 वोल्ट
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r = 0.1 ओम
R = 3.9 ओम
अतः सेल से प्राप्त धारा I = \(\frac{E}{R+r}\)
मान रखने पर
I = \(\frac{2}{3.9+0.1}\) = \(\frac{2}{4}\) = \(\frac{1}{2}\)
= 0.5 ऐम्पियर
इसलिए सेल का टर्मिनल विभवान्तर
V = E – Ir = 2 – 0.5 × 0.1
= 2 – 0. 05 = 1. 95 वोल्ट
अथवा V = IR = 0.5 × 3.9
= 1. 95 वोल्ट

प्रश्न 16.
दो प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर उनका समतुल्य प्रतिरोध 18Ω तथा समान्तर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध 4Ω है। दोनों प्रतिरोधों का मान ज्ञात कीजिए।
हल-दिया गया है- Rs = 18 Ω
Rs = R1 + R2 से
18 = R1 + R2 ………..(1)
समान्तर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध Rp = 4Ω
अतः
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 39
समीकरण (1) तथा (2) को जोड़ने पर
2R1 = 24 Ω
⇒ R1 = 12 Ω
समीकरण (1) में मान रखने पर
12 + R2 = 18
या R2 = 18 – 12 = 6 Ω
अतः R1 = 12 Ω तथा R2 = 6 Ω

प्रश्न 17.
एक विद्यार्थी के पास दो प्रतिरोध तार हैं जिनका वह अलग-अलग तथा एक साथ प्रयोग करके, 3,4,12 व 16 ओम के प्रतिरोध प्राप्त कर सकता है। तारों के प्रतिरोध क्या होंगे?
हल-माना कि दो तारों का प्रतिरोध r1 ओम व r2 ओम है। यहाँ पर दो तारों का सबसे कम प्रतिरोध 3 ओम है। इसलिये दो तारों को समान्तर क्रम में जोडा गया है।
∴\(\frac{\mathrm{R}_1 \times \mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_1+\mathrm{R}_2}\) = 3 ………(1)
इन्हीं दो तारों से अधिकतम प्रतिरोध 16 ओम प्राप्त किया गया है।
∴ यह तार श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं।
R1 + R2 = 16 ………….. (2)
समी. (2) का मान (1) में रखने पर
∴ \(\frac{\mathrm{R}_1 \mathrm{R}_2}{16}c\) = 3
∴ R1R2 = 48 ………… (3)
वह समीकरण जिसके r1 व r2 मूल हैं, वह है-
x2 – (मूलों का योग) x + मूलों का गुणनफल = 0
x2 – (R1 + R2) x + r1r2 = 0
x2 – (16)x + 48 = 0
(x – 12) (x – 4) = 0
x = 12, 4
अतः दो तार 4 ओम व 12 ओम के हैं

प्रश्न 18.
दिए गये चित्र में यदि हीटस्टोन सेतु संतुलित है तो अज्ञात प्रतिरोध X का मान ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 40

प्रश्न 19.
चित्र में दर्शाये गये जालक के भाग में प्रवाहित धारा i का मान ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 41
हल-यदि शाखा AB व BC में प्रवाहित धारायें क्रमशः x व y हों तो किरचॉफ के संधि नियम से
संधि A पर x + 2.0 + 2.5 = 0
या x = -(2.0 + 2.5) = -4.5A
अर्थात् 4.5 A धारा, A से B की ओर प्रवाहित होगी।
पुनः संधि B पर
4.5 – 1.0 + y = 0 या y = – 3.5A
अर्थात् B से C की ओर प्रवाहित धारा 3.5A होगी।
इसी प्रकार संधि C पर, 3.5 – 1.5 – i = 0 या i = 2.0A

प्रश्न 20.
चित्र में एक विद्युत परिपथ के एक भाग ABC को दर्शाया गया है। बिन्दु A,B व C के विभवों का मान क्रमश: VA, VB व VC हैं। बिन्दु O पर विभव का मान ज्ञात कीजिए।
हल-बिन्दु O पर संधि नियम से
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 42
-i1 -i2 -i3 = 0
या i1 + i2 + i3 = 0 ………(1)
यदि बिन्दु O पर विभव का मान V0 है तो ओम के नियमानुसार भिन्न-भिन्न शाखाओं में प्रवाहित धाराओं का मान क्रमशः होगा
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 43

प्रश्न 21.
चित्र में दर्शाये गये जालक के बिन्दु a व b के मध्य तुल्य प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
हल-माना टर्मिनल a व b के मध्य V विभवान्तर की एक बैटरी को जोड़ा गया है। बैटरी से टर्मिनल a में i धारा प्रवेश करती है तथा इतनी ही धारा b से निर्गत होती है। बिन्दु O पर धारा का मान; तीन प्रतिरोधों में समान मात्रा
\(\left(\frac{1}{3}\right)\)
में विभक्त हो जायेगा। अतः a व b के मध्य विभवान्तर
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 51
V = Va0 + V0b = iR + \(\frac{1}{3}\)R
अतः तुल्य प्रतिरोध Req = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{i}}\) = \(\frac{4}{3}\)R

प्रश्न 22.
चित्र में बिन्दु A शून्य विभव पर है। B पर विभव ज्ञात करने के लिए किरचॉफ के नियमों का प्रयोग कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 44
हल-संधि D पर किरचॉफ के प्रथम नियम से पाश BDCQ की भुजा DC में प्रवाहित धारा = (2 – 1) ऐम्पियर = 1 ऐम्पियर
शाखा ACDB में
VA – VB = (VA – VC) + (VC – VD) + (VD – VB)
VA – VB = (-1) + (-2) +2
0 – VB = -1
VB = 1 Volt

प्रश्न 23.
एक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के विभवमापी के प्रयोग में जब सेल से 2 ओम के प्रतिरोध में धारा प्रवाहित करते हैं तो सेल तार की 3.75 मीटर लम्बाई पर सन्तुलित होती है। जब सेल से 4 ओम प्रतिरोध में धारा प्रवाहित करते हैं, तो संतुलन बिन्दु 5.00 मीटर पर प्राप्त होता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिये।
हल-सेल का आंतरिक प्रतिरोध
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 45

प्रश्न 24.
विभवमापी के प्रयोग में एक 5V विद्युत वाहक बल तथा नगण्य आन्तरिक प्रतिरोध की प्रामाणिक सेल इसके 5 मीटर लम्बे तार में स्थायी धारा देती है। E1 तथा E2 विद्युत वाहक बल वाली दो प्राथमिक सेल श्रेणीक्रम में जोड़ी गई हैं-(i) समान ध्रुवता के साथ, (ii) विपरीत धुवता के साथ। यह संयोजन एक धारामापी तथा सर्पी कुंजी के माध्यम से विभवमापी के तार से जोड़ा गया है। उक्त दोनों स्थितियों में सन्तुलन लम्बाइयाँ क्रमशः 350 सेमी. तथा 50 सेमी. प्राप्त होती हैं। (a) आवश्यक परिपथ आरेख खीचिए। (b) दोनों सेलों के विद्युत वाहक बलों के मान ज्ञात कीजिए।
हल-(a) आवश्यक परिपथ आरेख नीचे दर्शाये गये आरेख की भाँति होगा।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 46

प्रश्न 25.
IF Stage (मध्य आवृत्ति) (a) मीटर सेतु की सन्तुलन अवस्था में दिए गए परिपथ चित्र में अज्ञात प्रतिरोध S का मान ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 48
(b) दिए गये परिपथ में X व Y के मध्य परिणामी प्रतिरोध का मान लिखिए यदि कुंजी K
(i) खुली हो
(ii) बन्द हो।
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 49

(b) (i) परिणामी प्रतिरोध ज्ञात करना जबकि कुंजी K खुली हो प्रतिरोध 6Ω और 4Ω आपस में श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, अतः इसका कुल प्रतिरोध
R1 = 6 + 4 = 10Ω
इसी तरह से 3Ω और 12Ω के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में हैं, अतः इसका कुल
R2 = 3Ω + 12Ω
= 15Ω
अतः X व Y के मध्य परिणामी प्रतिरोध का मान
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा 50

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HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक दण्ड चुम्बक उत्तर-दक्षिण दिशा में इस प्रकार रखा जाता है कि उसका उत्तरी ध्रुव उत्तर की ओर है। शून्य चुम्बकीय क्षेत्र के बिन्दुओं की दिशा चुम्बक के केन्द्र से किस ओर होगी
(अ) उत्तर-दक्षिण
(ब) पूर्व-पश्चिम
(स) उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पश्चिम
(द) उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व
उत्तर:
(ब) पूर्व-पश्चिम

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 2.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक शून्य होता है:
(अ) चुम्बकीय ध्रुवों पर
(ब) भौगोलिक ध्रुवों पर
(स) प्रत्येक स्थान पर
(द) चुम्बकीय निरक्ष पर
उत्तर:
(द) चुम्बकीय निरक्ष पर

प्रश्न 3.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर रखी चुम्बकीय सूई को 60° घुमाने में W कार्य करना पड़ता है। इस स्थिति में सूई को बनाये रखने के लिये आवश्यक बल आघूर्ण होगा:
(अ) √3W
(ब) W
(स) \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) W
(द) 2W
उत्तर:
(अ) √3W

प्रश्न 4.
एक r त्रिज्या की वृत्ताकार कुण्डली में i धारा बह रही है। इसमें तार के n फेरे हैं। इसका चुम्बकीय आघूर्ण. r के साथ परिवर्तित होता है। जैसे:
(अ) \(\frac{1}{\mathrm{r}^2}\)
(ब) \(\frac{1}{r}\)
(स) r
(द) r2
उत्तर:
(द) r2

प्रश्न 5.
एक चुम्बकीय लोहे के तार की लम्बाई । एवं चुम्बकीय आघूर्ण m है । यदि इसे L आकृति में मोड़ने पर इसकी प्रत्येक भुजा समान लम्बाई की रहती है तो नवीन आकृति का चुम्बकीय आघूर्ण होगा:
(अ) m
(ब) \(\frac{\mathrm{m}}{2}\)
(स) √2m
(द) \(\frac{\mathrm{m}}{\sqrt{2}}\)
उत्तर:
(द) \(\frac{\mathrm{m}}{\sqrt{2}}\)

प्रश्न 6.
एक पतले दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण M है। यदि इसे पहले लम्बाई के लम्बवत् और फिर चौड़ाई के लम्बवत् काटा जाये तो प्राप्त टुकड़े का चुम्बकीय आघूर्ण होगा:
(अ) \(\frac{\mathrm{m}}{2}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{m}}{4}\)
(स) m
(द) 2m
उत्तर:
(ब) \(\frac{\mathrm{m}}{4}\)

प्रश्न 7.
यदि दो एकांक प्रबलता (1-Am) के चुम्बकीय ध्रुव के मध्य की दूरी 1 मीटर है अतः इनके मध्य लगने वाले बल का मान है:
(अ) 4π x 107 N
(ब) \(\frac{4 \pi}{10^{-7}}\) N
(स) 107 N
(द) \(\frac{10^{-7}}{4 \pi}\) N
उत्तर:
(स) 107 N

प्रश्न 8.
एक छोटे चुम्बक के कारण r दूरी पर उसकी अक्षीय एवं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की निरक्षीय स्थिति में स्थित बिन्दुओं तीव्रताओं का अनुपात होगा:
(अ) 1 : 2
(ब) 2 : 1
(स) 1 : 4
(द) 4 : 1
उत्तर:
(ब) 2 : 1

प्रश्न 9.
चुम्बकीय आघूर्ण \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\) के एक चुम्बक दण्ड को \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर लगने वाले बल आघूर्ण का मान होगा:
(अ) \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\) × \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\)
(ब) \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) × \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\)
(स) \(\overrightarrow{\mathrm{m}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{B}}\)
(द) \(\frac{\overrightarrow{\mathrm{m}} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}}{\sqrt{2}}\)
उत्तर:
(अ) \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\) × \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\)

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 10.
नाभिक के चारों ओर घूमते इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण मुख्य क्वान्टम संख्या n पर किस प्रकार निर्भर करता है?
(अ) μ α n
(ब) μ α 1/n
(स) μ α n2
(द) μ α \(\frac{1}{\mathrm{n}^2}\)
उत्तर:
(अ) μ α n

प्रश्न 11.
एक वर्गाकार धारावाही लूप एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाया गया, जो इसके तल में कार्यरत है। यदि लूप की एक भुजा पर बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) है, तो शेष तीन भुजाओं पर परिणामी बल होगा:
(अ) 3 \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\)
(ब) \(-\vec{F}\)
(स) \(-3 \vec{F}\)
(द) \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\)
उत्तर:
(ब) \(-\vec{F}\)

प्रश्न 12.
किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर एवं भौगोलिक याम्योत्तर के मध्य कोण कहलाता है:
(अ) नमन कोण
(ब) क्रान्तिक कोण
(स) दिक्पात कोण
(द) नति कोण।
उत्तर:
(स) दिक्पात कोण

प्रश्न 13.
चुम्बकीय ध्रुवों पर नति का कोण होता है:
(अ) 0°
(ब) 30°
(स) 45°
(द) 90°
उत्तर:
(द) 90°

प्रश्न 14.
यदि किसी स्थान पर पृथ्वी के क्षैतिज घटक Bv के मान समान हैं। अतः उस स्थान पर नमन क्षेत्र के ऊर्ध्वाधर घटक BH एवं कोण का मान है अतः उस स्थान पर नमन कोण का मान है:
(अ) 30°
(ब) 45°
(स) 60°
(द) 90°
उत्तर:
(ब) 45°

प्रश्न 15.
चुम्बकीय सुई सुरक्षित रह सकती है:
(अ) लोहे के बक्से में
(ब) लकड़ी के बक्से में
(स) धातु के बक्से में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) लोहे के बक्से में

प्रश्न 16.
विद्युत चुम्बक में क्रोड कच्चे इसकी लोहे की बनायी जाती है, क्योंकि इसकी
(अ) प्रवृत्ति तथा धारणशीलता अधिक होती है।
(ब) प्रवृत्ति अधिक तथा धारणशीलता कम होती है।
(स) प्रवृत्ति व धारणशीलता दोनों कम होती हैं।
(द) धारणशीलता अधिक व प्रवृत्ति कम होती है।
उत्तर:
(ब) प्रवृत्ति अधिक तथा धारणशीलता कम होती है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 17.
ताँबा कैसा पदार्थ है?
(अ) प्रतिचुम्बकीय
(ब) अनुचुम्बकीय
(स) लौह चुम्बकीय
(द) अचुम्बकीय
उत्तर:
(अ) प्रतिचुम्बकीय

प्रश्न 18.
चुम्बकीय पदार्थों का वह व्यवहार जिसके फलस्वरूप चुम्बकीय प्रेरण B चुम्बकन क्षेत्र H से पीछे रहता है, कहलाता है:
(अ) चुम्बकीय प्रवृत्ति
(ब) चुम्बकीय शैथिल्य
(स) निग्राहिता
(द) धारणशीलता।
उत्तर:
(ब) चुम्बकीय शैथिल्य

प्रश्न 19.
विपरीत दिशा में चुम्बकन क्षेत्र H का यह मान जिस पर चुम्बकीय प्रेरण B का मान शून्य हो जाता है, कहलाता है:
(अ) शैथिल्य हास
(ब) धारणशीलता
(स) निग्राहिता
(द) चुम्बकशीलता
उत्तर:
(स) निग्राहिता

प्रश्न 20.
अनुचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति x एवं परम ताप T में सम्बन्ध है:
(अ) \(\chi \propto \frac{1}{T}\)
(ब) χ α T
(स) χ α \(\frac{1}{T^2}\)
(द) χ α T2
उत्तर:
(अ) \(\chi \propto \frac{1}{T}\)

प्रश्न 21.
अल्प चुम्बकन क्षेत्र (H) के लिए चुम्बकन I किस प्रकार निर्भर करता है:
(अ) I α H
(ब) I α \(1 / \mathrm{H}^2\)
(स) I α \(1 / \mathrm{H}\)
(द) I α H2
उत्तर:
(अ) I α H

प्रश्न 22.
चुम्बकीय प्रवृत्ति तथा चुम्बकनशीलता में सही सम्बन्ध है:
(अ) Xm = 14 – 1
(ब) Xm = 4 + 1
(स) X = +1
(द) Xm
उत्तर:
(अ) Xm = 14 – 1

प्रश्न 23.
पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों तथा विषुवत् पर नमन कोण क्रमशः होते हैं:
(अ) 0° तथा 90°
(ब) 90° तथा 0°
(स) 180° तथा 0°
(द) 0° तथा 180°
उत्तर:
(ब) 90° तथा 0°

प्रश्न 24.
एक विद्युत चुम्बक बना होता है:
(अ) Cu का
(ब) Al का
(स) स्टील का
(द) नरम लोहे का
उत्तर:
(द) नरम लोहे का

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 25.
निम्न में सही संबंध है:
(अ) \(\frac{B}{\mu_0}\) + I = H
(ब) \(\frac{B}{\mu_0}\) – 1 = H
(स) \(\frac{B}{\mu_0}\) + H = I
(द) \(\frac{B}{\mu_0}\) + H = -1
उत्तर:
(ब) \(\frac{B}{\mu_0}\) – 1 = H

प्रश्न 26.
लौह चुम्बकीय पदार्थों के लिये:
(अ) पारगम्यता बहुत अधिक तथा प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है।
(ब) पारगम्यता बहुत अधिक तथा प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है।
(स) पारगम्यता बहुत कम तथा प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है।
(द) पारगम्यता बहुत कम तथा प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है।
उत्तर:
(अ) पारगम्यता बहुत अधिक तथा प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है।

प्रश्न 27.
पृथ्वी के तल पर क्षैतिज क्षेत्र वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा को कहते हैं:
(अ) चुम्बकीय याम्योत्तर
(ब) चुम्बकीय अक्ष
(स) चुम्बकीय रेखा
(द) चुम्बकीय निरक्ष
उत्तर:
(द) चुम्बकीय निरक्ष

प्रश्न 28.
चुम्बकीय याम्योत्तर और भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के कोण को कहते हैं:
(अ) चुम्बकीय नति
(ब) चुम्बकीय दिक्पात
(स) चुम्बकीय आघूर्ण
(द) चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति
उत्तर:
(ब) चुम्बकीय दिक्पात

प्रश्न 29.
निम्न में से कौनसा कथन यथार्थ नहीं है?
(अ) प्रतिचुम्बकत्व सब पदार्थों का गुण है।
(ब) क्यूरी ताप पर लौह-चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय बन जाते हैं।
(स) वे परमाणु जिनकी आन्तरिक कक्षायें अपूर्ण होती हैं, अनुचुम्बकीय होते हैं।
(द) लौह-चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति X क्यूरी ताप पर शून्य होती है।
उत्तर:
(द) लौह-चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति X क्यूरी ताप पर शून्य होती है।

प्रश्न 30.
आपेक्षिक पारगम्यता की इकाई होती है:
(अ) वेबर/ मी.
(ब) इकाई रहित
(स) हेनरी/मीटर
(द) ऐम्पियर/मीटर
उत्तर:
(ब) इकाई रहित

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 31.
किसी पदार्थ की अनुचुम्बकीय प्रवृत्ति χ का मान 9 है तो आपेक्षिक पारगम्यता μr का मान होगा:
(अ) 10
(ब) 0.1
(स) 9
(द) 11
उत्तर:
(अ) 10

प्रश्न 32.
1 टेसला बराबर होता है:
(अ) 10-7 गाउस
(ब) 10-4 गाउस
(स) 104 गाउस
(द) 10-8 गाउस
उत्तर:
(ब) 10-4 गाउस

प्रश्न 33.
ताप जिससे नीचे चुम्बकीय पदार्थ लौह-चुम्बकीय तथा जिसके ऊपर अनुचुम्बकीय होता है, कहलाता है:
(अ) उत्क्रमण ताप
(ब) केल्विन ताप
(स) क्यूरी ताप
(द) उदासीन ताप
उत्तर:
(स) क्यूरी ताप

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
उस भौतिक राशि का नाम बताइये जिसका मात्रक न्यूटन मीटर टेसला है यह अदिश राशि है अथवा सदिश?
उत्तर:
τmax = mB = m = \(\frac{\tau_{\max }}{\mathrm{B}}\)
इस सूत्र के आधार पर M का SI मात्रक = न्यूटन मीटर टेसला-1
अतः न्यूटन मीटर टेसला-1 चुम्बकीय आघूर्ण का SI मात्रक है। अतः एक सदिश राशि है।

प्रश्न 2.
समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक चुम्बकीय द्विध्रुव को किस प्रकार रखा जाये ताकि इसकी स्थितिज ऊर्जा अधिकतम हो?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र के विसमान्तर अर्थात् इसका चुम्बकीय आघूर्ण \(\overrightarrow{\mathrm{m}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{B}}\) की दिशा के विपरीत दिशा में हो।
इस स्थिति में
θ = 180° तथा U = mB cosθ
U = -mB cos 180° = -mB x (-1) U = mB

प्रश्न 3.
चुम्बकीय याम्योत्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
दण्ड चुम्बक के चुम्बकीय अक्ष के लम्बवत् गुजरने वाले ऊर्ध्व तल को चुम्बकीय याम्योत्तर कहते हैं।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 4.
चुम्बकीय आघूर्ण को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
किसी चुम्बक की ध्रुव प्राबल्यता एवं प्रभावी लम्बाई के गुणनफल को चुम्बकीय आघूर्ण कहते हैं। यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। इसका मात्रक ऐम्पियर मीटर होता है।

प्रश्न 5.
चुम्बकीय आघूर्ण \(\vec{m}\) के एक छोटे दण्ड चुम्बक से उसके अक्ष पर दूरी पर स्थित बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक लिखिये
उत्तर:
\(\vec{B}\) = \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) × \(\frac{2 \overrightarrow{\mathrm{m}}}{\mathrm{r}^3}\)

प्रश्न 6.
चुम्बकीय आघूर्ण \(\vec{M}\) के छोटे दण्ड चुम्बक के निरक्ष पर r दूरी पर स्थित बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक लिखिये।
उत्तर:
\(\vec{B}\) = \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\) × \(\left(\frac{-\vec{m}}{r^3}\right)\)

प्रश्न 7.
लघुदण्ड चुम्बक के मध्य बिन्दु से अक्षीय तथा निरक्षीय स्थिति में समान दूरी पर स्थित बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रताओं में क्या अनुपात होता है?
उत्तर:
2 : 1
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 1

प्रश्न 8.
‘चुम्बकीय बल रेखायें बन्द वक्र बनाती हैं क्यों?
उत्तर:
चूँकि एकल चुम्बकीय ध्रुव का कोई अस्तित्व नहीं होता है अर्थात् उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव साथ-साथ होते हैं एवं चुम्बकीय बल रेखायें उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं इसलिये ये बन्द वक्र होती हैं।

प्रश्न 9.
उदासीन बिन्दु की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
ऐसे बिन्दु जिन पर चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र तथा पृथ्वी का क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र का परिणामी क्षेत्र शून्य होता है, उन्हें उदासीन बिन्दु कहते हैं।

प्रश्न 10.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक HE ऊर्ध्वाधर घटक ZE एवं इस स्थान पर नति कोण I के मध्य सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
tan I = \(\frac{\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}\)

प्रश्न 11.
वर्ष के किस माह में दिक्पात कोण का मान उत्तरी गोलार्द्ध में न्यूनतम एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिकतम होता है?
उत्तर:
अगस्त माह में

प्रश्न 12.
दिक्पात कोण किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के कोण को दिक्पात कोण कहते हैं।

प्रश्न 13.
एक छड़ चुम्बक को किस प्रकार रखने पर उदासीन बिन्दु निरक्ष पर एवं अक्ष पर प्राप्त होगा?
उत्तर:
(i) चुम्बकीय याम्योत्तर में चुम्बक का उत्तरी ध्रुव उत्तर की ओर देखने पर उदासीन बिन्दु निरक्ष पर प्राप्त होता है।
(ii) चुम्बकीय याम्योत्तर में चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव उत्तर की ओर रखने पर उदासीन बिन्दु अक्ष पर बनता है।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 14.
माध्यम की पारगम्यता एवं चुम्बकीय प्रवृत्ति में सम्बन्ध लिखो।
उत्तर:
μ = μ0(1 + x)

प्रश्न 15.
चुम्बकीय क्षेत्र B चुम्बकन क्षेत्र H एवं माध्यम की पारगम्यता μ के बीच सम्बन्ध लिखो।
उत्तर:
μ = \(\frac{\mathrm{B}}{\mathrm{H}}\)

प्रश्न 16.
पृथ्वी के चुम्बकीय तत्व क्या हैं?
उत्तर:
(1) दिक्पात कोण
(2) नति कोण
(3) क्षैतिज घटक।

प्रश्न 17.
पृथ्वी तल पर किस स्थान पर नति कोण का मान 90° होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के ध्रुवों पर

प्रश्न 18.
पृथ्वी तल पर कहाँ पर नति कोण का मान शून्य होता हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय निरक्ष पर।

प्रश्न 19.
पृथ्वी तल के किस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक शून्य होता है तथा क्यों?
उत्तर:
चुम्बकीय निरक्ष पर (ZE = BEsin θ = BE sin 0° = 0]

प्रश्न 20.
चुम्बकीय पदार्थ जो किसी असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रतिकर्षण बल अनुभव करते हैं, क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ।

प्रश्न 21.
अनुचुम्बकीय पदार्थ लिये कोई दो उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
(i) कॉपर, क्लोराइड
(ii) मैंगनीज डाइऑक्साइड

प्रश्न 22.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के कोई दो उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
(i) पानी
(ii) पारा।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 23.
चुम्बकन तीव्रता की परिभाषा लिखिये।
उत्तर:
पदार्थ के एकांक आयतन में उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण (m) को चुम्बकन की तीव्रता कहते हैं।
\(\overrightarrow{\mathrm{I}}\) = \(\frac{\overrightarrow{\mathrm{m}}}{\mathrm{V}}\)
यह सदिश राशि है इसका मात्रक A/m है।

प्रश्न 24.
चुम्बकीय पारगम्यता की परिभाषा लिखिये।
उत्तर:
पदार्थ के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय प्रेरण B एवं चुम्बकीय क्षेत्र H के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकीय पारगम्यता कहते हैं।

प्रश्न 25.
चुम्बकीय प्रेरण B, चुम्बकीय क्षेत्र H एवं चुम्बकन तीव्रता I के मध्य का सम्बन्ध बतलाइये।
एवं
उत्तर:
B = (μ0)(H + I ) यहाँ μ0 = निर्वात् की चुम्बकशीलता।

प्रश्न 26.
आपेक्षिक पारगम्यता μr चुम्बकीय पारगम्यता μ निर्वात की चुम्बकीय पारगम्यता μ0 के मध्य का संबंध लिखिये।
उत्तर:
μr = \(\frac{\mu}{\mu_0}\) या μ = μ0 μr

प्रश्न 27.
धारणशीलता किसे कहते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र H का मान शून्यं करने पर भी पदार्थ में चुम्बकत्व शेष बने रहने के गुण को धारणशीलता कहते हैं।

प्रश्न 28.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु का नेट चुम्बकीय आघूर्ण कितना होता है?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 29.
किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकन तीव्रता ताप साथ किस प्रकार परिवर्तित होती है?
उत्तर:
यह परम ताप के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 30.
विद्युत चुम्बक बनाने के लिये नर्म लोहा क्यों प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
नर्म लोहे की चुम्बकशीलता अधिक तथा धारणशीलता कम होने के कारण।

प्रश्न 31.
जब किसी प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को ठण्डा किया जाता है तो इसके चुम्बकत्व (Magnetisation) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन तीव्रता ताप पर निर्भर नहीं करती। अतः ठण्डा करने का इसके चुम्बकन तीव्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 32.
किसी B-H वक्र के लिये शैथिल्य हास ज्ञात करने का सूत्र लिखिये।
उत्तर:
शैथिल्य हास (B-H) वक्र का क्षेत्रफल x पदार्थ की आयतन आवृति।

प्रश्न 33.
स्थायी चुम्बक बनाने के लिये इस्पात का उपयोग करते हैं। क्यों?
उत्तर:
चूँकि इस्पात की निग्राहिता एवं धारणशीलता अधिक है। यही कारण है कि इसका उपयोग स्थाई चुम्बक बनाने में किया जाता है।

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प्रश्न 34.
क्यूरी का नियम क्या है?
उत्तर:
क्यूरी के नियम के अनुसार अनुचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति का मान उसके परम ताप के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात्
χ α \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\)
या χ = \(\frac{\mathrm{C}}{\mathrm{T}}\)
यहाँ ‘C’ एक नियतांक है जिसे क्यूरी नियतांक कहते हैं।

प्रश्न 35.
क्यूरी वाइस का नियम क्या है ?
उत्तर:
लौह-चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति की ताप पर निर्भरता क्यूरी – वाइस नियम द्वारा व्यक्त की जाती है।
x = \(\frac{C}{T-T_c}\)
यहाँ Tc = क्यूरी ताप है।

प्रश्न 36.
किसी चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकीय क्षेत्र में एक चक्र पूरा होता है तो उत्पन्न चुम्बकीय प्रेरण B, चुम्बकीय क्षेत्र H से पीछे रहता है। चुम्बकीय प्रेरण के पिछड़ने को क्या कहते हैं?
उत्तर:
शैथिल्यता।

प्रश्न 37.
क्यूरी ताप की परिभाषा दीजिए। लोहे के लिए इसका मान लिखिए।
उत्तर:
क्यूरी ताप – वह ताप जिस पर या जिसके नीचे के ताप पर लौह- चुम्बकीय पदार्थ लौह-चुम्बकीय पदार्थ की तरह व्यवहार करता है तथा उससे ऊपर के ताप पर लौह चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है, उस ताप को क्यूरी ताप कहते हैं। इसको हम Tc से प्रदर्शित करते हैं।
लोहे के लिए क्यूरी ताप Tc = 770°C (अर्थात 1043K) होता है।

प्रश्न 38.
लोहे का क्यूरी ताप कितना होता है?
उत्तर:
क्यूरी ताप 1043K

प्रश्न 39.
डोमेन सिद्धान्त (Domain Theory) के आधार पर कौनसे चुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकत्व की व्याख्या की जाती है?
उत्तर:
लौह-चुम्बकीय पदार्थ।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 40.
-0.2 चुम्बकीय प्रवृत्ति वाले चुम्बकीय पदार्थ की आपेक्षिक चुम्बकीय पारगम्यता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
चुम्बकीय प्रवृत्ति x = 0.2
आपेक्षिक चुम्बकीय पारगम्यता μr = ?
μr = 1 + x
= 1 – 0.2
= 0.8

प्रश्न 41.
जब किसी छड़ चुम्बक को उसकी अक्ष के लम्बवत् दो बराबर भागों में काटा जाता है, तो छड़ चुम्बक के (i) ध्रुव सामर्थ्य तथा (ii) चुम्बकीय आघूर्ण में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(i) यदि किसी दण्ड चुम्बक को उसकी लम्बाई के अनुदिश दो समान भागों में काटा जाये तो अनुप्रस्थ काट आधा हो जाने के कारण प्रत्येक टुकड़े के दोनों ध्रुवों की ध्रुव प्राबल्यता आधी हो जायेगी। (ii) ऐसी स्थिति में प्रत्येक टुकड़े का चुम्बकीय आघूर्ण
m = qm x 2l
यहाँ पर
qm= \(\frac{\mathrm{m}}{2}\) अतः
m = \(\frac{\mathrm{q}_{\mathrm{m}}}{2}\) x 2l = qml = \(\frac{\mathrm{m}}{2}\) होगी।
चुम्बकीय आघूर्ण आधा हो जायेगा।

प्रश्न 42.
स्थायी चुम्बक बनाने के लिये प्रयुक्त पदार्थों की निग्राह्यता उच्च क्यों होनी चाहिये?
उत्तर:
इसका कारण है कि उच्च निग्राहयता के कारण ही पदार्थ का चुम्बकत्व ताप परिवर्तन के कारण नष्ट नहीं होता है।

प्रश्न 43.
इस्पात (steel) या एलनिको का प्रयोग स्थायी चुम्बक बनाने के लिये क्यों किया जाता है?
उत्तर:
इनकी निग्राह्यता उच्च होती है।

प्रश्न 44.
एक चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति 1.9 x 105 है। यह किस प्रकार का पदार्थ है?
उत्तर:
क्योंकि चुम्बकीय प्रवृत्ति कम तथा धनात्मक है। अतः दिया गया पदार्थ अनुचुम्बकीय पदार्थ है।

प्रश्न 45.
एक स्थायी चुम्बक बनाने का सुगम तरीका संक्षेप में लिखिये स्थायी चुम्बक बनाने के लिये चुने गये उचित पदार्थों के दो गुण लिखिये।
उत्तर:
स्थायी चुम्बक बनाने का सबसे सुगम तरीका है कि एक फौलाद की छड़ को लेकर एक चुम्बक से रगड़ा जाये। स्थायी चुम्बक बनाने के लिये चुने गये उचित पदार्थ में निम्नलिखित दो गुण होने चाहिए
(i) उच्च धारणशीलता
(ii) उच्च निग्राहिता।

प्रश्न 46.
यदि चुम्बकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुम्बकत्व सम्बन्धी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
उत्तर:
किसी भी बंद सतह से गुजरने वाला कुल चुम्बकीय फ्लक्स इस स्थिति में शून्य न होकर ध्रुव) है।
\(\int_{\mathrm{S}} \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~S}}\) = μ0qm, जहाँ qm S से घिरा चुम्बकीय आवेश (एकल

प्रश्न 47.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जो पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में मामूली रूप से चुम्बकित हो जाते हैं तथा किसी शक्तिशाली चुम्बक के सिरों के पास लाये जाने पर कुछ प्रतिकर्षित होते हैं, प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों का यह गुण प्रतिचुम्बकत्व कहलाता है।
उदाहरण: जस्ता (Zn). ताँबा (Cu), चाँदी (Ag), सोना (Au), आदि।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक चुम्बक की परिभाषा लिखिये और इसके दिशा निर्देशन व ध्रुव प्राबल्यता का गुण लिखिये।
उत्तर:
वह पदार्थ जो दूसरे चुम्बकीय पदार्थ लोहा आदि को आकर्षित कर सके और जब उसे स्वतन्त्र रूप से लटकाया जाए, तो यह उत्तर-दक्षिण दिशा में विराम कर सके इसके दो समान एवं विपरीत चुम्बकीय ध्रुव कुछ दूरी से विलगित होते हैं।
दिशा निर्देशन गुण: जब किसी छड़ चुम्बक को स्वतंत्रतापूर्वक निलम्बित किया जाता है तो यह निश्चित दिशा में स्थिर हो जाता है, इसका एक सिरा उत्तर की ओर और दूसरा सिरा दक्षिण की ओर संरेखित होता है जिन्हें कि क्रमशः उत्तरी ध्रुव (N-Pole) तथा दक्षिणी ध्रुव (S-Pole) कहते हैं छड़ चुम्बक सदैव उत्क्षण (NS) दिशा प्रदर्शित करती है।
ध्रुव प्राबल्यता: चुम्बकीय ध्रुवों की चुम्बकत्व की प्रबलता को ध्रुव प्राबल्यता कहते हैं। छड़ चुम्बक के दोनों ध्रुवों की ध्रुव प्राबल्य समान होती है। यदि छड़ चुम्बक को उसके अक्ष के लम्बवत् दो भागों में विभक्त कर दिया जाये तो प्रत्येक भाग के ध्रुवों की ध्रुव प्राबल्य लगभग पूर्ण समान होगी लेकिन यदि छड़ चुम्बक को उसके अक्ष के अनुदिश दो बराबर भागों में अलग कर दिया जाये तो प्रत्येक भाग की ध्रुव प्राबल्य मूल छड़ चुम्बक की ध्रुव प्राबल्य की आधी होगी।

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 2.
चुम्बकीय बल रेखायें किसकी सहायता से खींची जाती हैं? इनकी चार प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
उत्तर:
चुम्बकीय बल रेखायें लोहे के बुरादे अथवा चुम्बकीय सूई की सहायता से खींची जा सकती हैं। इनकी प्रमुख विशेषतायें निम्न हैं
(1) चुम्बकीय क्षेत्र में जिस स्थान पर गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या जितनी अधिक होती है, उतना ही उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा।
(2) दो बल रेखायें एक-दूसरे को नहीं काटती हैं।
(3) बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
(4) चुम्बक के बाहर ये चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से चलकर दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं। चुम्बक के भीतर इनका मार्ग दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है।

प्रश्न 3.
किसी m चुम्बकीय आघूर्ण वाले चुम्बक को पहले लम्बाई के लम्बवत् एवं फिर चौड़ाई के लम्बवत् n बराबर भागों में विभक्त किया जाये तो प्रत्येक भाग के चुम्बकीय आघूर्ण की गणना करो।
उत्तर:
प्रत्येक भाग का चुम्बकीय आघूर्ण
= \(\frac{\mathrm{m}}{\mathrm{n}}\) x \(\frac{L}{n}\) = \(\frac{\mathrm{mL}}{\mathrm{n}^2}\)

प्रश्न 4.
चुम्बकीय याम्योत्तर से क्या समझते हो?
उत्तर:
किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर वह काल्पनिक ऊर्ध्वाधर तल है जो कि स्वतन्त्रतापूर्वक लटके हुये चुम्बक या कीलकित चुम्बकीय अक्ष में से गुजरता है। यह उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करता है तथा उसके चुम्बकीय ध्रुवों में से गुजरता है।

प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र स्थित छड़ चुम्बक के धुवों पर कार्यरत बल का मान व दिशा लिखो।
उत्तर:
जब किसी छड़ चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र में स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया जाता है या कीलकित किया जाता है तो स्थिर अवस्था में इसके दोनों ध्रुवों पर एक बल कार्य करता है। इसकी दिशा चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर होती है। लेकिन ध्रुव N पर चुम्बकीय क्षेत्र की ओर जबकि ध्रुव S पर चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होती है। इस बल का मान \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = qm \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) होता है। अतः qm का मात्रक न्यूटन /टेसला होगा।

प्रश्न 6.
चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व क्या है? चुम्बकीय फ्लक्स एवं चुम्बकीय प्रेरण के मध्य संबंध स्थापित कीजिये।
उत्तर:
चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व बल रेखाओं लम्बवत् रखे इकाई क्षेत्रफल के पृष्ठ से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या को चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व कहते हैं। यह एक सदिश राशि है
जिसे \(\vec{B}\) द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसे चुम्बकीय क्षेत्र या चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता या चुम्बकीय प्रेरण भी कहते हैं। चुम्बकीय प्रेरण का मात्रक वेबर/ मीटर2 या टेसला या न्यूटन / ऐम्पियर मीटर है।
यदि \(\vec{B}\) तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु पर अल्प क्षेत्रफल δS वाला पृष्ठ स्थित है, तो उससे पारित या सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स δ¢B होगा।
δ¢B = \(\vec{B}\).δ\(\overrightarrow{\mathrm{S}}\) = Bδscosθ
तथा कुल सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स ¢B = \(\int_S\) \(\vec{B}\)δ\(\overrightarrow{\mathrm{S}}\)
चुम्बकीय फ्लक्स एक अदिश राशि है जबकि चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व एक सदिश राशि है।

प्रश्न 7.
एक दण्ड चुम्बक किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखी है कि इसका चुम्बकीय आघूर्ण \(\vec{B}\) की दिशा से θ कोण पर है। इस विन्यास में इसकी स्थितिज ऊर्जा के लिये व्यंजक लिखिये यह कब न्यूनतम होगी?
उत्तर:
दण्ड चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा इसकी अक्ष के अनुदिश होती है तथा यह \(\vec{B}\) से θ कोण बनाये हुये है। अतः इस स्थिति में इसकी स्थितिज ऊर्जा U = -mB cosθ
U के न्यूनतम के लिये θ = 0° तथा Umin = -mB cos 0°
= -mB
अतः जब \(\vec{M}\) तथा \(\vec{B}\) एक-दूसरे के समान्तर होते हैं तब U न्यूनतम होगी।

प्रश्न 8.
एक स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक वहाँ पर ऊर्ध्वाधर घटक के बराबर है उस स्थान पर नति कोण का मान ज्ञात कीजिये। उस स्थान पर क्षैतिज घटक तथा कुल चुम्बकीय क्षेत्र का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
tan I = \(\frac{\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}\) = \(\frac{Z_E}{Z_E}\)
I = tan 45°
∴ I = tan 45°
\(\frac{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{B}_{\mathrm{E}}}\) = \(\frac{\mathrm{B}_E \cos \theta}{\mathrm{B}_{\mathrm{E}}}\)
= cos θ = cos 45° = \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)[/latex]
∴ HE : BE = 1 : √2

HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(i) नति कोण का अधिकतम मान क्या है? यह किन-किन स्थानों पर होता है?
(ii) पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक का मान कितना होता है?
उत्तर:
(i) 90°, पृथ्वी के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों पर,
(ii) शून्य
∵ HE = BE cosθ
= BE cos90°
= 0

प्रश्न 10.
दो पदार्थों के नाम लिखिये जिनमें एक की चुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक तथा दूसरे की ऋणात्मक हो । ऋणात्मक चुम्बकीय प्रवृत्ति क्या प्रदर्शित करती है?
उत्तर:
अनुचुम्बकीय पदार्थों (जैसे ऐलुमिनियम, कैल्सियम आदि) की चुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक तथा प्रतिचुम्बकीय पदार्थों (जैसे- कॉपर, लैड आदि) की चुम्बकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक होती है। ऋणात्मक चुम्बकीय प्रवृत्ति का अर्थ है कि ये पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित होते हैं।

प्रश्न 11.
भू-चुम्बकीय अवयवों के नाम लिखिए तथा उनमें से किन्हीं दो की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकत्व की जानकारी के लिये जिन राशियों की आवश्यकता होती है, उन्हें उस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकत्व के अवयव कहते हैं, जो कि तीन हैं।
(i) दिक्पात का कोण ( Angle of declination)
(ii) नमन कोण (नति कोण) ( Angle of dip)
(iii) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के घटक (Components of earth’s magnetic field)
(i) दिक्पात का कोण- किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के न्यून कोण को दिक्पात का कोण कहते हैं। दिक्पात उच्चतर अक्षांशों पर अधिक एवं विषुवत् रेखा के पास कम होता है। भारत में दिक्पात का मान कम है।
(ii) नमन कोण (नति कोण) – यदि कोई चुम्बकीय सुई, एक क्षैतिज अक्ष पर इस प्रकार पूर्ण सन्तुलन में हो कि चुम्बकीय याम्योत्तर के तल में घूम सके तो यह सुई क्षैतिज से एक कोण बनायेगी, यह नमन कोण (नति कोण) कहलाता है। अतः नति कोण वह कोण है जो पृथ्वी का कुल चुम्बकीय क्षेत्र BE पृथ्वी
(iii) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र को की सतह से बनता है। घटक – पृथ्वी की सतह पर पूरी तरह निर्दिष्ट करने के लिए हमें तीन राशियों का विवरण देना होता है। ये हैं दिक्पात कोण D, नमन कोण I एवं पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव Hg ये पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के घटक कहलाते हैं।
यहाँ पर ऊर्ध्वाधर घटक ZE = BE sinI ……..(1)
क्षैतिज घटक HE = BE cos I ………(2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का भाग देने पर
tan I = \(\frac{\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}\)
समीकरण (1) तथा (2) का वर्ग करके जोड़ने पर
ZE2 + HE2 = BE 2 (sin2I + cos2I) = BE 2

प्रश्न 12.
विभिन्न चुम्बकीय राशियों B, H, I, χ एवं के परस्पर सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:
चुम्बकीय प्रवृत्ति X- किसी अल्प चुम्बकन क्षेत्र में पदार्थ की चुम्बकन तीव्रता (I) का मान चुम्बकन क्षेत्र (H) के समानुपाती होता है, अर्थात् I H
या
I = χH
या
χ = 1/H
यहाँ χ एक नियतांक है जिसे पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं। चुम्बकीय पारगम्यता – किसी माध्यम में चुम्बकीय बल रेखाओं के गुजरने की क्षमता को उस माध्यम की चुम्बकीय पारगम्यता अथवा चुम्बकशीलता कहते हैं। गणितीय दृष्टि से इसका मान पदार्थ ( माध्यम ) के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय प्रेरण B एवं चुम्बकन क्षेत्र H के अनुपात के तुल्य होता है। इसे द्वारा व्यक्त करते हैं। यह एक अदिश राशि है।
μ = \(\frac{\mathrm{B}}{\mathrm{H}}\)
समीकरण (1) में (2) का भाग देने पर
\(\frac{\mu}{\chi}\) = \(\frac{\frac{\mathrm{B}}{\mathrm{H}}}{\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{H}}} .\)

प्रश्न 13.
तीनों प्रकार के चुम्बकीय पदार्थों के लिये I-H आरेखों को प्रदर्शित कीजिये इनसे इनकी प्रवृत्तियों के बारे में क्या निष्कर्ष प्राप्त होते हैं? अनुचुम्बकीय पदार्थ की प्रवृत्ति ताप के साथ किस प्रकार बदलती है?
उत्तर:
लौह-चुम्बकीय, अनुचुम्बकीय तथा प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के लिये आरेख को सामने चित्र में दिखाया गया है।
यदि
अर्थात् संख्यात्मक रूप में चुम्बकीय प्रवृत्ति उस पदार्थ में एकांक चुम्बकन क्षेत्र द्वारा प्रेरित चुम्बकन की तीव्रता के बराबर होती है। इसका मान धनात्मक ऋणात्मक होता है। विभिन्न पदार्थों के लिये इसका मान अलग-अलग होता है।
χ = 1/H
H = 1 एकांक हो तो
χ = 1
HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 2
प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के लिये इसका मान अत्यल्प तथा ऋणात्मक होता है।
अनुचुम्बकीय पदार्थों के लिये अत्यल्प तथा धनात्मक होता है। लौह-चुम्बकीय पदार्थों के लिये अत्यधिक तथा धनात्मक होता है। पदार्थों के लिये प्रवृत्ति (X) का मान ताप पर निर्भर करता है। ताप के बढ़ाने पर x का मान कम हो जाता है।

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प्रश्न 14.
भू-चुम्बकीय अवयवों में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भू-चुम्बकीय अवयवों में परिवर्तन: भू-चुम्बकीय अवयवों के मान पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न ही नहीं होते बल्कि एक ही स्थान पर भी इनके मानों में नियमित एवं अनियमित रूप से परिवर्तन होते रहते हैं। ये परिवर्तन निम्न हैं-
(1) दीर्घकालिक परिवर्तन केल्विन के अनुसार भू-चुम्बकीय अवयवों के मान में समय के साथ-साथ धीरे-धीरे परिवर्तन आता है तथा लगभग हजार वर्ष बाद ये सभी अवयव पुनः अपने प्रारम्भिक मान पर आ जाते हैं। उनके अनुसार इस परिवर्तन का कारण चुम्बकीय ध्रुवों का भौगोलिक ध्रुवों के चारों ओर घूर्णन करना है।
(2) वार्षिक परिवर्तन: इन परिवर्तन चक्रों का चक्र एक वर्ष में पूरा होता है ये परिवर्तन एक विशेष माह में अधिकतम तथा एक अन्य विशेष माह में न्यूनतम होते हैं तथा इनकी प्रकृति उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में परस्पर विपरीत प्रकार की होती है। उदाहरण के लिए, फरवरी माह में दिक्पात के कोण का मान उत्तरी गोलार्द्ध पर अधिकतम तथा दक्षिणी गोलार्द्ध पर न्यूनतम होता है। इसके विपरीत माह अगस्त में उत्तरी गोलार्द्ध पर न्यूनतम एवं दक्षिणी गोलार्द्ध पर अधिकतम होता है।
(3) दैनिक परिवर्तन: भू-चुम्बकीय अवयवों के मान में प्रतिदिन परिवर्तन होते हैं। दिन में एक विशेष समय पर ये परिवर्तन अधिकतम एवं दूसरे विशेष समय पर न्यूनतम होते हैं। ये समय तीनों अवयवों के लिए भिन्न-भिन्न होते हैं।
(4) अनियमित परिवर्तन: कभी-कभी भू-चुम्बकीय अवयवों के मानों में अचानक परिवर्तन भी होते हैं जिन्हें चुम्बकीय प्रक्षोभ कहते हैं। जब कभी भी सूर्य में उपस्थित काला धब्बा पृथ्वी की ओर होता है तो
भू-चुम्बकीय अवयवों में अचानक परिवर्तन होने लगता है तथा इनके मानों में अनियमित परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

प्रश्न 15.
नमन कोण (आनति कोण) को परिभाषित कीजिए । नमन कोण का मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए किसी बिन्दु पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक एवं ऊर्ध्वाधर घटक बराबर होते हैं।
उत्तर:
नमन कोण (आनति कोण) (Angle of dip): यदि किसी चुम्बकीय सूई को उसके गुरुत्व केन्द्र से स्वतंत्रतापूर्वक इस प्रकार लटका दिया जाये, जिससे कि वह ऊर्ध्वाधर तल में घूम सके तब चुम्बकीय याम्योत्तर में स्थिर होने पर चुम्बकीय सूई क्षैतिज दिशा से कुछ झुक जाती है। सूई की चुम्बकीय अक्ष पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है। इस प्रकार किसी स्थान पर पृथ्वी के परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा क्षैतिज दिशा के मध्य बने कोण को उस स्थान का नमन कोण (Angle of dip) कहते हैं।
ऊर्ध्वाधर घटक क्षैतिज घटक
ZE = BE sin 6
HE = BE Cos 6
tan θ = \(\frac{\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}\)
लेकिन दिया गया है ZE = HE
∴ tan θ = \(\frac{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}\)
∴ = 1 = tan 45°
θ = 45°

प्रश्न 16.
दिक्पात कोण (चुम्बकीय दिक्पात) को परिभाषित किसी स्थान के चुम्बकीय याम्योत्तर में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव 0.25 गाउस है एवं नमन कोण 60° है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिक्पात कोण: किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के न्यून कोण को दिक्पात का कोण कहते हैं। दिक्पात उच्चतर अक्षांशों पर अधिक एवं विषुवत रेखा के पास कम होता है।
दिया गया है:
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
HE = 0.25 गाउस
HE = 0.25 × 104 T
नमन कोण I = 60°
∴ HE = BE cos 60°
या
BE = \(\frac{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}{\cos 60^{\circ}}\) = \(\frac{0.25 \times 10^{-4}}{1 / 2}\)
= 2 × 0.25 × 10-4
= 0.5 × 10-4T
= 5 × 10-5 T

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
5 cm2 क्षेत्रफल वाली एक कुण्डली 2.5 N/Am के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है। इसमें फेरों की संख्या 100 है। यदि इसमें 0.2 A की धारा प्रवाहित हो रही हो, तो ज्ञात कीजिये:
(अ) चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण
(ब) अधिकतम बल आघूर्ण।
उत्तर:
कुण्डली के तल का क्षेत्रफल A = 5 cm2
= 5 × 104 m2
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = 2.5 N/A m.
फेरों की संख्या N = 100,
कुण्डली में प्रवाहित धारा I = 0.2A
(अ) चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण m= NIA
m = 100 × 0.2 A × 5 x 104m2
= 0.01 A-m2
(ब) अधिकतम बल-आघूर्ण = τmax = mB
= 0.01 A-m2 x 2.5 N/A-m
= 0.025 N-m.

प्रश्न 2.
(अ) एक इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन परमाणु में नाभिक के चारों ओर 0.51A° त्रिज्या की कक्षा में 2 x 102m/s की चाल से गति करता है। इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात कीजिये।
(ब) इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के कारण तुल्य वैद्युत धारा
(स) नाभिक के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र।
उत्तर:
(अ) यहाँ पर त्रिज्या r = 0.51A°
= 0.51 x 10-10m चाल
v = 2 x 105 m/s
∴ चुम्बकीय आघूर्ण m = \(\frac{\mathrm{e} v \mathrm{r}}{2}\)
मान रखने पर
m = \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-19}\right)\left(2 \times 10^5\right)\left(0.51 \times 10^{-10}\right)}{2}\)
= 8.16 × 10-25 Am2

(ब) तुल्य वैद्युत धारा
I = q/t
यहाँ
q = इलेक्ट्रॉन पर आवेश का परिमाण
= 1.6 × 10-19 C
तथा एक चक्कर में इस आवेश के प्रवाहित होने में लगा समय
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(स) वृत्ताकार कक्षा के केन्द्र (अर्थात् नाभिक के केन्द्र) पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
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= 1.23A-m

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प्रश्न 3.
25 फेरों वाली एक 200 cm2 क्षेत्रफल वाली कुण्डली में 0.5 A की धारा प्रवाहित हो रही है। 10 cm लम्बाई के उस दण्ड चुम्बक की ध्रुव प्राबल्यता क्या होगी, जिसका चुम्बकीय आघूर्ण इस कुण्डली के चुम्बकीय आघूर्ण के बराबर है।
उत्तर:
दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण = कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण
∴ qm × 2l = NIA
अतः ध्रुव प्राबल्यता (qm) = \(\frac{\text { NIA }}{2 l}\)
मान रखने पर, = \(\frac{25 \times 0.5 \times\left(200 \times 10^{-4}\right)}{10 \times 10^{-2}}\)A-m
= 2.5 Am.

प्रश्न 4.
एक लघु दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण 0.24 न्यूटन मीटर टेसला है। सेमी. की दूरी पर स्थित चुम्बक की अक्ष पर इसके केन्द्र से 10 बिन्दु पर चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिये।
उत्तर:
दिया है:
m = 0.24 न्यूटन मीटर टेसला1
r = 10 सेमी = 0.10 मीटर
∴ अक्षीय स्थिति में
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प्रश्न 5.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक 0.4 x 104 वेबर/मी2 है तथा नति कोण 30° है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक तथा सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया गया है:
Hg = 0.4 x 10-4 वेबर/मीटर2
I = 30°
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक
ZE = HE tan I
= 0.4 x 10-4 tan 30°
= 0.4 × 10-4 x \(\frac{1}{\sqrt{3}}\)
= \(\frac{0.4 \times 10^{-4}}{1.732}\)
= 0.231 × 10-4 वेबर/मी2
सम्पूर्ण तीव्रता BE = \(\sqrt{\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}^2+\mathrm{H}_{\mathrm{E}}^2}\)
= \(\sqrt{\left(\frac{0.4 \times 10^{-4}}{\sqrt{3}}\right)+\left(0.4 \times 10^{-4}\right)^2}\)
= 0.4 x 10-4 \(\sqrt{\frac{1}{3}+1}\)
= 0.4 x 10-4 \(\sqrt{\frac{4}{3}}\)
= \(\frac{0.8}{1.732}\) x 10-4 वेबर/मी2
= 0.462 × 10-4 वेबर/मी2

प्रश्न 6.
किसी स्थान पर नमन कोण 40.6° है तथा भू-चुम्बकीय क्षेत्र के ऊर्ध्वघटक की तीव्रता 6 x 10-5T है उस स्थान पर भू-चुम्बकीय क्षेत्र की सम्पूर्ण तीव्रता की गणना कीजिये।
(tan 40.6° = 0.8571)
उत्तर:
ZE = HE tan I
HE =
HE =
HE = 7 × 105 T
इसलिये भू-चुम्बकीय क्षेत्र की सम्पूर्ण तीव्रता
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प्रश्न 7.
यदि एक धारावाही वृत्ताकार कुण्डली की त्रिज्या दुगुनी एवं बहने वाली धारा की सामर्थ्य आधी कर दी जाये तो इसके चुम्बकीय आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि किसी धारावाही कुण्डली का क्षेत्रफल A मी2 और उसमें प्रवाहित धारा ऐम्पियर तब कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण
m1 = A x i ऐम्पियर x मीटर2
यदि कुण्डली की प्रारम्भिक त्रिज्या r मी. और उसमें i ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है तब उसका चुम्बकीय आघूर्ण
m1 = A x i = πr2 x i
m1 = πr2i ………..(1)
अब कुण्डली की त्रिज्या दुगुनी यानी 21 मी. करने पर उसका क्षेत्रफल
= π(2r)2 = 4πr2 मी2
कुण्डली में प्रवाहित धारा का आधा करने पर
वि. धारा = i/2 ऐम्पियर
∴ अब कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण
m2 = A x i
m2 = 4πr2 x i⁄2 ऐम्पियर × मी2
m2 = 2πr2 x i = 2πr2i ………..(2)
∴ \(\frac{m_2}{m_1}\) = \(\frac{2 \pi r^2 \mathrm{i}}{\pi r^2 \mathrm{i}}\) = \(\frac{2}{1}\)
अतः दिये हुए अनुसार कुण्डली की त्रिज्या और वि. धारा बदलने पर कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण पहले के सापेक्ष दुगुना हो जायेगा।

प्रश्न 8.
एक दण्ड चुम्बक, जिसकी अनुप्रस्थ काट 0.25 सेमी2 है, को 5000 ऐम्पियर/मीटर तीव्रता के चुम्बकन क्षेत्र में रखा जाता है। यदि दण्ड से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान 2.5 x 105 वेबर है तो दण्ड के लिए गणना करो:
(अ) चुम्बकीय प्रेरण, (ब) चुम्बकीय प्रवृत्ति (स) चुम्बकन की तीव्रता
उत्तर:
(अ) दण्ड का अनुप्रस्थ काट
A = 0.25 सेमी5
A = 0.25 x 10-4 मीटर2
A = 25 x 106 मी2
छड़ के अनुप्रस्थ काट से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स
ΦB = 2.5 x 105 वेबर
∴ चुम्बकीय प्रेरण B = \(\frac{\phi_B}{A}\) = \(\frac{2.5 \times 10^{-5}}{2.5 \times 10^{-6}}\)
= 1 वेबर/मी2

(ब) चुम्बकीय प्रेरण B = μH …..(1)
यहाँ B चुम्बकीय प्रेरण, H चुम्बकन क्षेत्र की तीव्रता जिसका मान 5000 ऐ. x मीटर दिया हुआ है।
μ छड़ के पदार्थ की पारगम्यता है।
∴ समी (1) से
μ = \(\frac{\mathrm{B}}{\mathrm{H}}\)

μ = HBSE 12th Class Physics Important Questions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 7
= 0.0002 वेबर/ऐ. x मी.
= 2 × 10-4 A-m
μ = μo (1 + χm)
χm = \(\frac{\mu}{\mu_0}-1\)
= \(\frac{0.0002}{4 \pi \times 10^{-7}}-1\)
= 159.23-1
= 158.23

(स) चुम्बकन की तीव्रता m = χm x H
m = 158.23 x 5000
= 7.91 × 105 ऐम्पियर/मी.

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