Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 14 पादप में श्वसन
(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
1. ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया सम्पन्न होती है-
(A) माइटोकॉण्ड्रिया में
(B) कोशिकाद्रव्य में
(C) हरित लवक में
(D) केन्द्रक द्रव्य में
उत्तर:
(B) कोशिकाद्रव्य में
2. ग्लाइकोलाइसिस में कितने ATP अणुओं का लाभ होता है ? (UPCPMT)
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 8
उत्तर:
(A) 2
3. यदि श्वसनी पदार्थ ग्लूकोज है जो इसका R. Q. होगा –
(A) 0.7
(B) 1
(C) 1.8
(D) 2
उत्तर:
(B) 1
4. ग्लूकोज के एक अणु के पूर्ण आक्सीकरण से कितने ATP बनते हैं ?
(A) 8
(B) 16
(C) 32
(D) 38
उत्तर:
(D) 38
5. ग्लाइकोलाइसिस तथा क्रेब्स चक्र के बीच मध्यस्थ कड़ी है-
(A) पाइरुविक अम्ल
(B) एसीटिक अम्ल
(C) ऐसीटिल CO ~ A
(D) सक्सिनिल CO ~ Α
उत्तर:
(C) ऐसीटिल CO ~ A
6. ऑक्सीसोम्स पाये जाते हैं-
(A) माइटोकॉण्ड्रिया की आन्तरिक कला पर
(B) माइटोकॉण्ड्रिया की बाह्य कला पर
(C) माइटोकॉण्ड्रिया की सतह पर
(D) इनमें से किसी में नहीं
उत्तर:
(A) माइटोकॉण्ड्रिया की आन्तरिक कला पर
7. ग्लूकोज के एक अणु के वायवीय ऑक्सीकरण में उत्पन्न ऊर्जा होती है-
(A) 247 kJ
(B) 300kJ
(C) 2870kJ
(D) 6700kJ
उत्तर:
(C) 2870kJ
8. मांसल शुष्कोद्भिदी पादपों में रात्रि में श्वसन भागफल होता है-
(A) 0
(B) 1
(C) 0.7
(D) 1 से अधिक
उत्तर:
(C) 0.7
9. क्रेब्स चक्र में कुल कितने ATP बनते हैं ?
(A) 8
(B) 12
(C) 24
(D) 36
उत्तर:
(C) 24
10. किण्वन में भाग लेने वाला विकर (emzyme)
(A) हैक्सोकाइनेज
(B) पाइरुवेट
(C) फॉस्फेटेज
(D) जाइमेज
उत्तर:
(D) जाइमेज
11. यदि किसी पौधे के चारों ओर CO2 की सान्द्रता अत्यधिक हो तो श्वसन क्रिया-
(A) तीव्र हो जायेगी
(B) रुक जायेगी
(C) धीमी हो जायेगी
(D) अप्रभावित रहेगी
उत्तर:
(C) धीमी हो जायेगी
12. निम्न में से श्वसन संदमक हैं/
(A) आयोडोऐसीटेट
(B) मैलोनेट
(C) सायनाइड
(D) ये सभी
उत्तर:
(B) मैलोनेट
13. प्रकाश सन्तुलन तीव्रता में-
(A) प्रकाश अवशोषण बढ़ जाता है।
(B) वायुमण्डल से गैस विनिमय बढ़ जाता है।
(C) वायुमण्डल से गैस विनिमय नहीं हाता है।
(D) O2 का अवशोषण बढ़ जाता है
उत्तर:
(C) वायुमण्डल से गैस विनिमय नहीं हाता है।
14. क्रेब्स चक्र को कहते हैं-
(A) EMP चक्र
(B) TCA चक्र
(C) हेच स्लेक चक्र
(D) CAM चक्र
उत्तर:
(B) TCA चक्र
15. EMP पथ जैव-रासायनिक पथ है-
(A) ग्लाइकोलाइसिस में
(B) ETS में
(C) क्रेब्स चक्र में
(D) इन सभी में
उत्तर:
(A) ग्लाइकोलाइसिस में
16. R. Q. सर्वाधिक होगा जब श्वसन पदार्थ होगा-
(A) ग्लूकोज
(B) वसा
(C) मैलिक अम्ल
(D) प्रोटीन
उत्तर:
(C) मैलिक अम्ल
17. उच्च श्रेणी के पादप के किस भाग में अनॉक्सी श्वसन होता है ?
(A) भीगे बीज में
(B) फल में
(C) पत्ती में
(D) शुष्क बीज में
उत्तर:
(D) शुष्क बीज में
18. पेन्टोज फॉस्फेट पथ बताया-
(A) नॉरेनवर्ग ने
(B) ब्लैकमैन ने
(C) वारबर्ग ने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
19. सायटोक्रोम सहायक होते हैं-
(A) इलेक्ट्रॉन अभिगमन में
(B) ऊर्जा के विमोचन में
(C) ऊर्जा संचयन में है
(D) ग्लूकोज के. ऑक्सीकरण में
उत्तर:
(C) ऊर्जा संचयन में है
20. कार्बनिक पदार्थों के टूटने के
(A) एक अपचय क्रिया
(B) एक उपचय क्रिया
(C) एक पाचन क्रिया
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) एक उपचय क्रिया
21. श्वसन दर बढ़ जाएगी यदि मात्रा बढ़ाई जाए-
(A) N2 की
(B) O2 की
(C) CO2 की
(D) CO की
उत्तर:
(C) CO2 की
22. श्वसन के पद नियंत्रित होते
(A) एन्जाइम द्वारा
(B) क्रियाधर द्वारा
(C) हार्मोन्स द्वारा
(D) देह द्रव द्वारा
उत्तर:
(A) एन्जाइम द्वारा
23. पाइकुविक अम्ल किस क्रिया का उत्पाद है ? (RPMT)
(A) क्रेब्स चक्र
(B) केल्विन चक्र
(C) PPP
(D) ग्लाइकोलाइसिस
उत्तर:
(D) ग्लाइकोलाइसिस
24. श्वसन क्रिया में अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही है- (RPMT, UPPMT, UPCPMT)
(A) CO2
(B) O2
(C) H2
(D) NADH
उत्तर:
(B) O2
25. RQ श्वसन गुणांक एक से कम होता है-
(A) वसा का
(B) ग्लूकोज का
(C) फ्रक्टोज का
(D) कार्बनिक अम्ल का
उत्तर:
(A) वसा का
26. ऐल्कोड़लीय किण्बन निम्न की उपस्थिति में होता है- (RPMT)
(A) माल्टोज
(B) जाइमेज
(C) एमाइलेज
(D) इनवर्टेंज
उत्तर:
(B) जाइमेज
27. क्षेख घक्र कहुँ सम्पन्न होता है ?
(A) कोशिका द्रव्य
(B) माइटोकॉष्ड्रूया
(C) हरित लवक
(D) ER.
उत्तर:
(B) माइटोकॉष्ड्रूया
28. एक व्यर्ष प्रकिया है-
(A) श्वसन
(B) प्रकाश संश्लेषण
(C) प्रकाश श्वसन
(D) गति
उत्तर:
(C) प्रकाश श्वसन
29. सक्सिनिक जिताइड्रोजिनेय का एक प्रभिसर्षी संखमक्ड क्या दोका है ? (CBSE AIMPT)
(A) मैलानेट
(B) ऑक्सैलोएसीटेट
(C) α कीटोग्लटैरेट
(D) मैलेट
उत्तर:
(A) मैलानेट
30. सीमाकारी कारकों का नियम जिसने दिखा ? (UPCPMT)
(A) लीबिग ने
(B) स्लैकमन ने
(C) कैस्विन ने
(D) आर्नन ने
उत्तर:
(B) स्लैकमन ने
31. माझ्टोकौष्टिया में ATP का निर्माण क्जिता है- (UPCPMT)
(A) बाद्य झिल्ली पर
(B) अन्तः झिल्ली पर
(C)F1 कण पर
(D) क्रिस्टी पर
उत्तर:
(B) अन्तः झिल्ली पर
32. क्रेख्स चक्र में GTP क्रा निर्माण होता है- (UPCPMT)
(A) ऑक्सीकरणीय फॉस्फेटीकरण में
(B) क्रियाधर फॅ्स्पेटीकरण में
(C) प्रकाश फॉस्पेटीकरण में
(D) विकाबोक्सीकरण में
उत्तर:
(B) क्रियाधर फॅ्स्पेटीकरण में
33. केष्क चक में ‘ऊर्ला सिक्का’ काजनाता है-
(A) AMP
(B) GTP
(C) NADPH2
(D) ATP
उत्तर:
(D) ATP
34. प्वसन मधध्यित वसा कार्बोकाइड्रेट और प्रोटिनों के भुन में कौन-सा उपापचयी सामान्यत होत्ता है ? (NDETUG)
(A) ग्लूकोस-6-फॉस्पेट
(B) फ्रक्टोस-1, 6-डाइफॉस्फेट
(C) पाइकुविक अम्ल
(D) ऐसीटिल CO ~ A
उत्तर:
(D) ऐसीटिल CO ~ A
35. निम्नलिखित में से किस प्रांक्या में CO2 मुक्त कीजी छोती है ?
(A) प्राणियों में वायु श्वसन
(B) ऐल्कोहॉली किण्वन
(C) लैक्टेट किण्वन
(D) पादपों में वायु श्वसन
उत्तर:
(C) लैक्टेट किण्वन
(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions
प्रश्न 1.
श्वसन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्वसन एक अपचयी क्रिया है, जिसमें O2 प्रयुक्त तथा CO2 व ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 2.
ऑक्सीश्वसन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2+ 6 H2O + 2870kJ
प्रश्न 3.
कोशिकीय श्वसन में इलेक्ट्रॉन अभिगमन कहाँ होता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया के ऑक्सीसोम्स (Oxisomes ) पर ।
प्रश्न 4.
अत्यधिक ताप पर श्वसन क्रिया कैसे प्रभावित होती है ?
उत्तर:
अत्यधिक ताप पर विकर (Enzyme) विघटित हो जाते हैं।
प्रश्न 5.
ऑक्सी तथा अनॉक्सी श्वसन में कौन-सा प्रक्रम समान होता
उत्तर:
ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis)
प्रश्न 6.
कोशिका के कौन-से दो अणु इलेक्ट्रॉन बैंकर का कार्य करते
उत्तर:
NAD तथा FAD
प्रश्न 7.
क्रेन्स चक्र कोशिका के किस भाग में सम्पन्न होता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) में।
प्रश्न 8.
कोशिका का ऊर्जा गृह क्या कहलाता है ?
उत्तर:
माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria)।
प्रश्न 9.
कोशिका की ऊर्जा मुद्राएँ क्या होते हैं ?
उत्तर:
ATP (Adenosine Triphosphate) ।
प्रश्न 10.
ग्लूकोज का पायरुविक अम्ल में अपूर्ण आक्सीकरण क्या कहलाता है ?
उत्तर:
ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) |
प्रश्न 11.
अनॉक्सीश्वसन की अवस्था में यीस्ट द्वारा 38 ATP के उत्पादन के लिए आवश्यक ग्लूकोस अणुओं की संख्या बताइए ।
उत्तर:
अनॉक्सी श्वसन में एक ग्लूकोज से 2 ATP निकलते हैं। अतः 38 ATP निकलने के लिए 19 ग्लूकोज अणुओं की आवश्यकता होगी।
प्रश्न 12.
ग्लूकोज को ग्लूकोज-6- फॉस्फेट में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम लिखिए।
उत्तर:
हेक्सोकाइनेस (Hexokinase) ।
प्रश्न 13.
वान्ट हाफ का नियम लिखिए।
उत्तर:
वान्ट हाफ के अनुसार प्रति 10°C तापमान वृद्धि से श्वसन दर 2-3 गुणा घट जाती है ।
प्रश्न 14.
किसी जीव द्वारा ग्लूकोज पर अनॉक्सीश्वसन किया जा रहा है, इसका R. Q. कितना होगा ?
उत्तर:
अनन्त, क्योंकि अनॉक्सी श्वसन में O2 नहीं ली जाती है।
प्रश्न 15.
पाइरुविक अम्ल से ऐसीटिल CO ~ A के निर्माण में कितने ATP अणु निकलते हैं ?
उत्तर:
2 ATP
प्रश्न 16.
दहन तथा श्वसन में एक अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
दहन क्रिया उच्च ताप पर तथा श्वसन क्रिया सामान्य ताप पर होती है।
प्रश्न 17.
दो श्वसन क्रिया संदमक पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्बन मोनो ऑक्साइड, आयोडोऐसीटेट ।
प्रश्न 18.
ETS में इलेक्ट्रॉन का अन्तिम ग्राही कौन होता है ?
उत्तर:
ऑक्सीजन ।
प्रश्न 19.
ATPase की भूमिका लिखिए।
उत्तर:
ADP तथा iP से ATP का निर्माण ।
प्रश्न 20.
जाइमोसिस (Zymosis) क्या है ?
उत्तर:
किण्वन का अन्य रूप ।
(C) लघु उत्तरीय प्रश्न – I (Short Answer Type Questions -1)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित के श्वसन गुणांक लिखिए-
1 अंकुरित मंडयुक्त गेहूँ,
2. अंकुरित तिलहन,
3. अंकुरित दलहनी बीज,
4. नागफनी का प्रकाश में।
उत्तर:
1. अंकुरित गेहूँ में कार्बोहाइड्रेट के श्वसन का RQ = 1
2. अंकुरित तिलहन में वसा होता है, अतः RQ = 0.64
3. अंकुरित दाल में श्वसन पदार्थ प्रोटीन है, अतः RQ = 0.8 – 0.9
4. नागफनी का प्रकाश में डीएसिडिफिकेशन होता है, अत: RQ = 1.33
प्रश्न 2.
जन्तुओं की पेशियाँ थकावट क्यों महसूस करती हैं ?
उत्तर:
जन्तुओं द्वारा कार्य किये जाने में ऊर्जा खर्च होती है जो कि पेशियों द्वारा अनॉक्सीश्वसन से उत्पन्न होती है। इस क्रिया के फलस्वरूप पेशियों में लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) जमा हो जाती है। लैक्टिक अम्ल की अधिकता के कारण पेशियों में थकावट महसूस होती है।
प्रश्न 3.
पाश्चर प्रभाव क्या है ?
उत्तर:
किसी जीवधारी की अवायवीय परिस्थितियों को वायवीय परिस्थितियों में बदल देने की क्रिया को पाश्चर प्रभाव (Pasteur effect) कहते हैं। यह क्रिया भोज्य पदार्थों ( Substrate – क्रियाधर) को बचाने के लिए होती है।
प्रश्न 4.
एक वायुरोधक काँच के एक जार में एक खरगोश को बन्द कर दिया गया जिसका सम्बन्ध एक द्रोणी (trough) से कर दिया गया जिसमें हरी शैवाल उगी है। क्या खरगोश कुछ समय तक जीवित रहेगा ? कारण बताइए ।
उत्तर:
कोई भी जीव भोजन के बिना कुछ समय तक जीवित रह सकता है किन्तु श्वसन के बिना नहीं। खरगोश को श्वसन के लिए ऑक्सीजन चाहिए जो उसे द्रोणी में उगी शैवाल से प्राप्त हो जाती है । परन्तु शैवाल दिन के समय ही O2 निकालेंगे। रात्रि के समय शैवाल CO2 निकालेंगे अतः रात्रि के समय O2 के अभाव में खरगोश मर सकता है।
प्रश्न 5.
नागफनी जैसे माँसल पौधों में श्वसन गुणांक कैसे पता लगायेंगे ?
उत्तर:
नागफनी में दिन के समय अपूर्ण आक्सीकरण होता है।
C6H12O6 +3O2 → C4H6O5 + 2 CO2 + 3H2O
नागफनी में रात के समय डीएसिडीफिकेशन (Deacidification) होता है-
C4H6O5 +3O2 → 4CO2 + 3H2O
प्रश्न 6.
श्वसन भागफल तथा प्रकाश संश्लेषण भागफल में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
श्वसन भागफल तथा प्रकाश संश्लेषण भागफल में अन्तर-
श्वसन भागफल (Respiratory Quotient) | प्रकाश संश्लेषण भागफल (Photosynthetic Quotient) |
1. यह एक निर्धारित समय में छोड़ी गई CO2 तथा ली गई O2 की मात्रा का अनुपात है । | 1. यह एक निर्धारित समय में छोड़ी गई O2 तथा ली गई CO2 की है। |
2. विभिन्न श्वसन पदार्थों का R.Q. भिन्न-भिन्न होता है। | 2. मात्रा का अनुपात है । | लगभग सभी पदार्थों का P.Q. 1. होता है। |
(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II ( Short Answer Type Questions-II)
प्रश्न 1.
ऑक्सी श्वसन क्या है ? यह अनॉक्सी श्वसन से अधिक दक्ष क्यों माना जाता है ?
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन (Aerobic respiration) – श्वसन का वह प्रकार जिसमें खाद्य पदार्थों में जैवरासायनिक ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, ऑक्सीश्वसन कहलाता है।
C6H12O + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 2870kJ
ऑक्सी श्वसन, अनॉक्सी श्वसन की अपेक्षा दक्ष होता है, क्योंकि-
1. ग्लाइकोलासिस में जितनी ऊर्जा निकलती है तथा जितने ATP अणु बनते हैं, उनकी संख्या दोनों क्रियाओं में समान है।
2. ऑक्सीश्वसन में क्रेब्स द्वारा पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) का पूर्ण आक्सीकरण (Oxidation) होता है। मुक्त ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है।
3. अनॉक्सी श्वसन में केवल आन्तरिक परिवर्तन द्वारा CO2 तथा एल्कोहॉल बनते हैं। अधिकतम ऊर्जा इन यौगिकों में रह जाती है।
4. ऑक्सीश्वसन में ग्लूकोज में एक अणु से ATP के 38 अ हैं, जबकि अनॉक्सीश्वसन में केवल 2 ATP अणु ही बनते हैं।
अतः ऑक्सीश्वसन, अनॉक्सीश्वसन की अपेक्षा अधिक दक्ष है।
प्रश्न 2.
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी श्वसन होता है। कैसे सिद्ध करोगे ? प्रयोग द्वारा समझाइए ।
उत्तर:
श्वसन क्रिया के प्रथम पद में ग्लूकोज से पाइरुविक अम्ल के निर्माण की क्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। इसे ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) कहते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में नॉक्सीश्वसन (Anaerobic respiration) होता है- विकर C6H12O6 → 2 C2H5OH + 2 CO2 ↑ + 247 kJ
उपरोक्त प्रक्रिया को निम्न प्रयोग द्वारा समझाया जा सकता है- प्रयोग – काँच की एक परखनली को पारे से पूर्णतः भरकर पेट्रीप्लेट में भरे पारे पर इस प्रकार उलटते हैं कि परखनली में पारे का तल नीचे न गिरे।
अब कुछ अंकुरित बीज चिमटी की सहायता से परखनली में प्रवेश कराते हैं। ये बीज ऊपर उठकर परखनली की पेंदी में ऊपर की ओर पहुँच जाते हैं। परखनली को स्टैण्ड पर कस देते हैं। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अंकुरित बीजों (germinating seeds) में अनॉक्सीश्वसन की क्रिया होने के फलस्वरूप CO2 उत्पन्न होती है।
CO2 के एकत्र होने के कारण धीरे-धीरे नली में भरे पारे का तल गिरने लगता है। यह देखने के लिए कि परखनली में CO2 ही उत्पन्न हुई है, एक KOH की टिकिया पारे के ऊपर पहुँचाते हैं। यह परखनली की CO2 को सोख लेती है और पारे का तल पुनः ऊपर उठ जाता है।
प्रश्न 3.
हरे पौधों द्वारा श्वसन क्रिया का प्रदर्शन कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि हरे पौधों में ऑक्सीश्वसन में CO2 उत्पन्न होती है।
उत्तर:
एक बेलजार A में एक हरा पौधा (इसके स्थान पर अंकुरित बीज, आलू अथवा प्याज) लेते हैं । बेलजार के दोनों ओर चूने के पानी से भरी दो बोतलें A तथा B को नली की सहायता से जोड़ दिया जाता है। बेलजार B को काले कपड़े या कागज से ढँक देते हैं ताकि पौधों में प्रकाश संश्लेषण न हो ।
बोतल C का सम्बन्ध KOH से भरी U नली से कर देते हैं, U नली से कर देते हैं, U नली का एक सिरा रखते हैं तथा A नली के एक सिरे से चूषण पम्प जोड़ देते हैं। बोतल, बेलजार तथा नली को चित्रानुसार जोड़ते हैं तथा पूरे उपकरण को वायुरुद्ध (air tight) रखा जाता है। चूषण पम्प को कुछ देर बाद खोलने से वायु का खिंचाव होता है जिससे वायु U नली में रखे KOH से होती हुई C बोतल में प्रवेश करती है।
वायु में उपस्थित CO2 KOH द्वारा अवशोषित हो जाती है। बोतल C के चूने के पानी का दूधिया न होना इसका प्रमाण है । कुछ समय पश्चात् हम देखते हैं कि A बोतल के चूने के पानी का रंग दूधिया हो गया है। इससे यह सिद्ध होता है कि अंकुरित बीज श्वसन में CO2 गैस निकालते हैं जो कि A बोतल के चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
प्रश्न 4.
श्वसनमापी द्वारा ऑक्सी श्वसन का प्रदर्शन कैसे किया जाता
उत्तर:
श्वसनमापी द्वारा श्वसन क्रिया का प्रदर्शन-
श्वसन मापी काँच का बना एक उपकरण है, जिसमें एक नलिका के मुड़े सिरे पर एक बल्ब लगा रहता है। बल्ब में कॉर्क लगा एक मुँह भी होता है। बल्ब में कुछ अंकुरित बीज रखकर इसमें लगी नली के दूसरे छोर को पारे से भरी एक नाद से सम्पर्क कर देते हैं। नली के मुँह में पारे के ऊपर KOH की एक टिकिया रखकर उपकरण को स्टैण्ड पर कस देते हैं।
दूसरे दिन उपकरण को देखने से ज्ञात होता है कि पारा श्वसनमापी ( Respirometer) नलिका में ऊपर चढ़ गया है। इसका कारण है कि बल्ब में रखे बीज श्वसन क्रिया में. O2 अवशोषित करके CO2 उत्पन्न करते हैं। CO2 को KOH द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिससे नलिका में वायुदाब कम होता है और पारा नली में ऊपर चढ़ जाता है।
प्रश्न 5.
यीस्ट कोशिकाओं को चीनी के घोल में रखने से आप यीस्ट कोशिकाओं एवं चीनी के घोल में किन परिवर्तनों की आशा करते हैं ?
अथवा
खजूर का ताजा रस देर तक रखे रस की अपेक्षा मीठा होता है और मादक होता जाता है। समझाइए ।
उत्तर:
चीनी के घोल में यीस्ट कोशिकाओं को रखने से इसमें निम्न परिवर्तन होता है-
चीनी के घोल में परिवर्तन – यीस्ट कोशिकाओं द्वारा चीनी के घोल में एल्कोहॉलिक किण्वन (Alcoholic fermentation) होता है, फलस्वरूप यीस्ट कोशिकाओं में उपस्थित जाइमेज समूह के विकर, सुक्रोज ( Sucrose) पर क्रिया करके इसे ग्लूकोज आदि में तोड़ देते हैं। बाद में अनॉक्सी श्वसन के द्वारा ग्लूकोज (Glucose) से ऐल्कोहॉल तथा CO2 बनते हैं। इस क्रिया में उत्पन्न ऊर्जा घोल का ताप भी बढ़ाती है। देर तक रखे खजूर (Date palm) के रस का यीस्ट द्वारा किण्वन (Fermentation) से ऐल्कोहॉल बनने के कारण यह मादक (Narcotic) हो जाता है।
यीस्ट कोशिकाओं में परिवर्तन- यीस्ट कोशिकाएँ प्रचुरता में पोषण तथा ऊर्जा पाकर कायिक वृद्धि करके संख्या में वृद्धि करती हैं। इस प्रक्रिया को मुकुलन (budding) कहते हैं।
प्रश्न 6.
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) | श्वसन (Respiration) |
1. इसमें प्रकाश आवश्यक है। | 1. इसमें प्रकाश आवश्यक नहीं है। |
2. CO2 तथा H2O कच्चे माल हैं। | 2. कार्बोहाइड्रेट कच्चा माल (Raw material) है। |
3. काबोंहाइड्रेट उत्पाद होता है। | 3. CO2 व जल उत्पाद होते हैं। |
4. यह ऊर्जाशोषी (endo- thermic) अभिक्रिया है। | 4. यह ऊर्जाक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic reaction) है। |
5. यह संश्लेषणात्मक क्रिया है। | 5. यह विघटनात्मक क्रिया है। |
6. इससे शुष्क भार में वृद्धि होती है। | 6. इससे शुष्क भार में कमी होती है। |
7. प्रकाश फॉस्फेटीकरण होता है। | 7. ऑक्सीकरणीय फॉस्फेटीकरण होता है। |
प्रश्न 7.
क्या कारण है कि बीज से भरे गोदाम को खोलने पर गर्मी महसूस होती है ?
अथवा
हरी घास के अन्दर का ताप बाहर के वातावरण से अधिक होता है। उत्तर- बीज भरे गोदाम या अनाज से भरे गोदाम को खोलने पर गर्मी निकलती है क्योंकि बीज जीवित होते हैं तथा इनमें धीमी गति से श्वसन क्रिया होती है जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह ऊष्मा हमें गोदाम खोलने पर महसूस होती है। ऐसा ही घास के ढेर में होता है, कटी घास की पत्तियों में काफी समय तक श्वसन होता रहता है जिससे ऊष्मा निकलती है जो अन्दर के वातावरण को गर्म कर देती है।
प्रश्न 8.
ऐसीटिक अम्ल किण्वन तथा लैक्टिक अम्ल किण्वन पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:
(i) ऐसीटिक अम्ल किण्वन (Acetic Acid Fermenta- tion) – कुछ जीवाणुओं में एल्कोहॉलिक किण्वन (Fermentation) होने से ऐथिल ऐल्कोहॉल को ऐसीटिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर दिया जाता है। इसे ऐसीटिक अम्ल किण्वन कहते हैं-
C2H5 OH + O2 → CH3COOH + H2O + 118.2 kcal ऐथिल एल्कोहल ऐसीटिक अम्ल
(ii) लैक्टिक अम्ल किण्वन (Lactic Acid Fermentation) – उच्च श्रेणी के पादपों, जन्तुओं की माँसपेशियों तथा कुछ जीवाणुओं जैसे- लैक्टोबैसीलस लैक्टाइ आदि में यह क्रिया होती है। इसमें ग्लूकोज से पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) तथा फिर विकर की उपस्थिति में लैक्टिक अम्ल (Lactic acid) बनता है-
किण्वन प्रक्रिया अवायवीय दशाओं में तीव्रतम होती है।
प्रश्न 9.
निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिए-
(i) प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन,
(ii) फ्लोटिंग श्वसन तथा
(iii) लवणीय श्वसन ।
उत्तर:
(i) प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन-यदि क्रिया में श्वंसन पदार्थ प्रोटीन होता है तो ऐसे श्वसन को प्रोटोप्लाज्मिक श्वसन कहते हैं।
(ii) फ्लोटिंग श्वसन यदि श्वसन क्रिया में श्वसनी पदार्थ कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं तो इसे फ्लोटिंग श्वसन (Floating respiration) कहते हैं।
(iii) लवणीय श्वसन -पौधों को लवणीय जल में रखने पर श्वसन दर में वृद्धि होती है। इसे लवणीय श्वसन (Salt respiration) कहते हैं।
(E) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
EMP पथवे क्या है ? इसके विभिन्न पदों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लाइकोलिसिस शब्द्ध की उत्पवि ग्रीक शब्द ग्लाइकोस अर्थात् शरंकर एवं लाइसिस अर्थात् टृटना से हुआ है। ग्लाइकोलिसिस की प्रक्रिया गुस्ताव इबेडेन, ओटो मेयर हॉफ तथा जे पारानास द्वारा दिया गया तथा इसे सामान्यतः इएमपी पाथ कहते हैं। अनाक्सी जीवों में साँस की केवल यड़ी प्रक्रिया है। ग्लाइकोलिसिस कोशिका द्रव्य में संपन्न होता है और यह सभी सजीवों में मिलता है । इस प्रक्रिया में ग्लूकोज आशिक ऑक्सीकरण द्वारा पाइरविक अम्ल के दो अणुओं में बदल जाता है।
पादपों में यह ग्लूकोज सुक्रोज से प्राप्त होता है जो कि प्रकाश संश्लेषित कार्बन अभिक्रियाओं का अंतिम उत्पाद है या संचयित कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। सुक्रोस इवर्टेस नामक एंजाइम की सहायता से ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में परिवतितत हो जाता है। ये दोनों मोनोसैकेराइड सरलता से ग्लाइकोलाइटिक चक्र में प्रवेश कर जाते हैं।
ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज, हैक्सोकाइनेज एंजाइम द्वारा फॉस्फरिकृत होकर ग्लूकोज-6 फॉस्फ़टट बनाते है। न्लूकोज का फॉस्फरिकृत रुप समायवीकरण द्वारा फ्रुक्टोज- 6 फॉस्पेट में परिवर्तित हो जाता है। ग्लूकोज एवं फ्रुक्टोज के उपापच्य के बाद के क्रम एक समान होते हैं। ग्लाइकोलिसिस के विभिन्न चरण में दर्शाए गए हैं। ग्लाइकीलिसस में दस मृंखलाबद्ध अभिक्रियाओं में विभिन्न एंजाइम द्वारा ग्लूकोज से पाइस्वेट का निर्माण होता है। म्लाइकोलिसिस के विभिन्न चरणों के अध्ययन के दौरान उन चरणों पर ध्यान दें जिसमें एटीपी का उपयोग (एटीपी ऊर्जा) अथवा संश्लेषण (इस मामले में NADH+H+) होता है।
एटीपी का उपयोग दो चरणों में होता है: पहले चरण में जब ग्लूकोज-6 फॉस्फेंट में परिवर्तन होता है तथा दूसरे चरण में व दूसरे फ्रक्टोज -6 फास्फ्टंट का फ्रुक्येज 1,6 , बिसफॉस्फेंड में परिकतन होता है। प्रक्ट्टोज 1.6 विसफॉस्फेट टूटकर डाइहाइड्रोक्सीएसीटोन फॉस्फेंट तथा 3-फौस्फोग्लिखासि्डहाइड (पीजीएएल) बनाता है। जब 3-फॉस्फोंम्लिसरलिद्धाइड (पीजीएएल) का 1 , 3 -बाई फॉस्फोग्लिसरेट (बीपीजीए) में परिवर्तन होता है तो NAD+ से NADH+H+ का निर्मांण होता है।
पीजीएएल से दो समान अपचयोपचय (रिडॉक्स) दो हाइड्रोजन अणु पृथक होकर NAD के एक अणु की और स्थानांतरित होता है। पीजीएल्ल अक्सीकृत होकर अकार्बनिक फॉस्फेट से मिलकर बीपीजीए में परिवर्तित हो जाता है। डीपीजीए का 3- फॉस्फोग्लिसरीक अम्ल में परिवर्तन ऊर्जा उत्पाद्न करने वाली प्रक्रिया है।
इस ऊर्जा का उपयोग एटीपी (ATP) निर्मांण में ह्रोता है। पीईपी (P.E.P.) का पायरूविक अम्ल में परिवर्तन के दौरान भी एटीपी का निमाँण होता है। क्या हुम यह गणना कर सकते हो कि एक अणु से कितने एटीपी के अणुख्तों का प्रत्यक्ष रूप से संश्लेषण होता है? पायरूविक अम्ल न्लाइकोलिसिस का मुख्य उत्पाद है।
पायरुवेट का उपापच्यी भविघ्य क्या है? यह कोशिकीय आवश्यकता पर निर्भर है। यहाँ तीन प्रमुख तरीके हैंजिसमें विधिन्न कोशिकाएं ग्लाइकोलिसिस द्वारा उत्पन्न पायरुविक अम्ल का उपयोग करती हैं। ये लैक्टिक अम्ल किष्वन, एल्कोहलिक किण्वन और ऑक्सी साँस है। अधिकांश प्रोकेरियोट तथा एक कोशिका यूकैरियोट में किण्वन अनाक्सी परिस्थितियों में होता है।
ग्लूकोज के पूर्ण औक्सीकरण के फलस्वरूप कार्बनडाइऑक्साइड तथा जल बनने हंतु जीवथारियों में क्रेंख्स चक्र के द्वारा होता है, जिसे ऑंक्सी श्वसन या साँस कहते हैं, जिसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
ऑक्सीश्वसन से आप क्या समझते हैं ? क्रेब्स चक्र का आरेख बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, ऑक्सीश्वसन वह क्रिया है जिसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यद्यपि उपरोक्त ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की क्रिया ऑक्सी तथा अनॉक्सी (acrobic and anaerobic) दोनों प्रकार के श्वसन में ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की क्रिया ऑक्सी तथ अनॉक्सी (acrobic and anaerobic) दोनों प्रकार के श्वसन में सामान्य होती है।
परन्तु जब ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) में बने पाइरुविक अम्ल का विघटन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है तब इसे ऑक्सीश्वसन (aerobic respiration) कहते हैं। यदि पाइरुविक अम्ल का विघटन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है तो इसे अनॉक्सीश्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं।
ग्लाइकोलाइसिस में उत्पन्न हुआ पाइरुविक अम्ल माइटोकॉण्ड्रिया के मैट्रिक्स में प्रवेश करता है तथा एन्जाइम संकुलों की उपस्थिति में ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सलिकरण से सक्रिय ऐसीटेट बनाता है। अभिक्रिया में पाइर्वेट डिहाइड्रोजिनेस तथा NAD + कोएन्जाइम A, थियामिन फॉस्फेट (TPP) तथा लाइपोइक अम्ल की आवश्यकता होती है। अभिक्रिया का सम्पूर्ण रासायनिक समीकरण अग्रवत् है-
लाइपोइक अम्ल
पाइरुवेट डिहाइड्रोजिनेस
पाइरुविक अम्ल + सहएन्जाइम A+NaD+ Mg++ ,TPP
ऐसीटिल CO ~ A+ NaDH+H++ CO2
ऐसीटिल CO ~ A क्रेम्स चक्र (Kreb’s cycle) में प्रवेश कर जाता है।
क्रेब्स चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Kreb’s Cycle or Tricarboxylic acid cycle)
इस चक्र की खोज हेन्स क्रेब (Hans Krebs) ने 1937 में की थी। इसके लिए इन्हें 1953 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इसे सिट्रिक अम्ल चक्र (Citric acid cycle) या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid cycle or TCA Cycle) भी कहते हैं। यह चक्र माइटोकॉन्ड्रिया के मेट्रिक्स में पूर्ण होता है। इस चक्र के प्रमुख चरण निम्नवत् हैं-
(i) संघनन (Condensation ) ऐसीटिल CO ~ A जल की उपस्थिति में सामान्यतः कोशिका में उपस्थित ऑक्सेलोऐसीटेट से क्रिया करके 6- कार्बन वाला यौगिक सिट्रेट बनाता है तथा COM A को मुक्त कर देता है। इस अभिक्रिया के लिए ऊर्जा ऐसीटिल CO ~ A का उच्च ऊर्जा आबन्ध प्रदान करता है। यह अभिक्रिया सिट्रेट सिन्थेटेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है। सिट्रेट में 3- COOH समूह उपस्थित होते हैं। अतः इसे ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid cycle or TCA cycle) कहते हैं।
(ii) निर्डलन (Dehvdration)-सिट्टेट ऐकोनाइडेस एन्दाइम की उपस्थिति में H2O निष्कासित करके सिसऐकोनाइट्रेट बनाता हैं।
(iii) जलयोजन (Hydration)-सिसऐकोनाइट्रेट ऐकोनाइटेस एन्जाइम की उपस्थिति में H2O से संयोग करके आइसोसिट्रेट बनाता है।
(iv) ऑक्सीकरणीय विकाबोंक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation) – आइसोसिट्रेट हास्र्रोजन परमाणुओं का एक युग्म देकर (ऑक्सीकरण) CO2 का एक अणु निक्षासित करके (विकार्बोक्सिलीकणण) 5 -कार्षन -कीटोग्लूटरोट बनाता है। यह किया आइसोस्ट्रेट किछाम्रोजिनेस एव्ञाइम द्वारा उत्रेरित होती है।
(v) ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation)- यह दो पदों में पूर्ण होता है।
(i) प्रथम पद में Co ~ A, α कीटोग्लूटारेट से अभिक्रिया करके 4- कार्बन सक्सिनिल CO ~ A बनाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म तथा CO2 को निर्मुक्त करता है। इस अभिक्रिया में α -कीटोग्लूटारेट डिहाइड्रोजिनेस संकुल एन्जाइम भाग लेता है।
(ii) द्वितीय पद में सक्सीनिल CO ~ A 4 कार्बन सक्सीनेट तथा CO ~ A एवं HO अणु में टूट जाता है।
(vi) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation ) – इस प्रक्रम में सक्सीनेट 4- कार्बन फ्यूमेरेट में सक्सीनेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम की उपस्थिति में बदल जाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म निर्मुक्त करता है।
(vii) जलयोजन (Hydration) – फ्यूमेरेस एन्जाइम की उपस्थिति में फ्यूमेरेट H2O के साथ जलयोजित होकर 4 कार्बन मेलेट बनाता है।
(viii) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation ) – इस प्रक्रम में ऑक्सेलोऐसीटेट का निर्माण होता है। यह क्रिया मैलेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
ऑक्सेलोऐसीटेट ऐसीटिल CO ~ A से संयुक्त होकर सिट्रेट बनाता है।
इस प्रकार क्रेन्स चक्र नियमित रूप से चलता रहता है।
प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रोन परिवान तन्र या प्वृसन में ATP का ऑक्सीकरणीय उपादन (Electron Transport System or Oxidative Production of ATP in Respiration) ग्लूकोस का ऑक्सीजन की उपस्थिति में वियोजित होना ऑक्सीकरण प्रक्रिया है। इस प्रक्रम के दौरान कुछ मध्यवर्ती जैसे फॉस्फोग्लिसरेल्हिद्धाइड, पाइइविक अम्ल, आइसोसिट्रिक अम्ल, α-कीटोग्लूटारिक अम्ल, सक्सीनिक अम्ल तथा मैलिक अम्ल ऑक्सीकृत होते हैं। प्रत्येक ऑक्सीकरण पद में 2H निर्मुक्त होते हैं,
प्रश्न 4.
किण्वन को परिभाषित कीजिए तथा विभिन्न प्रकार की किण्वन प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किण्वन (Fermentation)
अनेक सूक्ष्मजीवों में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में श्वसन क्रिया छोती है तथा यह जीवन की अन्य क्रियाओं से सम्बन्धित होती है। उदाहरण के लिए-सूक्ष्म जीव जिस पोषक माध्यम (किसी कार्बनिक पदार्थ का कोलॉइडी घोल (Colloidal solution) या अन्य प्रकार का नम पदार्थ) में पाये जाते हैं को पहले कुछ पाचक क्रियाओं द्वारा घुलनशील तथा अवशोषण योग्य बनाकर भोजन अवशोषित करते हैं।
ये पोषक पदार्थ जीव के शरीर में पहुँचकर O2 के अभाव में विघटित हो जाते हैं। इससे उत्पन्न कर्जा जैविक क्रियाओं (Vital activities) को सम्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में पोषक पदार्थ पूर्णतः विखण्डित नहीं हो पाता है और न ही उससे सम्पूर्ण ऊर्जा कोशिका को प्राप्त छोती है। अपूर्ण विखण्डित पदार्थ वातावरण में मुक्त कर दिया जाता है।
उपरोक्त क्रिया को सामूधिक रूप से दिण्न्न (Fermentation) कहते हैं। यह क्रिया प्रायः कवकों (Fungi) एक जटिल समूह के रूप में होते हैं। जैसे-यीस्ट (Yeast) में इसे जाइमेज (Zymase) समूह का़ जाता है। एल्कोईगिलिक किष्बन (Alcoholic Fermentation) – यह्ठ क्रिया प्राय: यीस्ट (Yeast) में पायी जाती है। इसमें सर्वप्रथम जटिल कार्बोहाड्रेट्स को ग्लूकोज आदि सरल कार्बोहाइड्डेट्स में तोड़ा जाता है।
किण्वन को प्रर्भावित करने वाले कारक (Factors Affecting Fermentation)
1. ऑक्सीजन की उपस्थिति किण्वन को कम करती है क्योंकि किण्वन अनॉक्सी प्रक्रिया है।
2. प्रकाश की तीव्रता से किण्वन की क्रिया घटती है।
3. तापमान से किण्वन की क्रिया बढ़ती है। तापमान के कम होने से घटती है।
प्रश्न 5.
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Respiration)
(अ) आन्तरिक कारक (Internal Factors)
1. श्वसनी पदार्थ या क्रियाधर की सान्द्रता (Concentration of Respiratory Substrate)-श्वसन क्रिया में श्वसनी पदार्थ की सान्द्रता बढ़ने पर श्वसन की दर बढ़ जाती है तथा पदार्थ की सान्द्रता में कमी होने पर श्वसन दर घट जाती है।
2. औीवद्रु्य (Protoplasm)-जीवद्रव्य की मात्रा एवं सान्द्रता से श्वसन प्रभावित होता है, जैसे-विभाजन करने वाली कोशिकाओं में जीवद्रव्य की मात्रा अधिक होती है, अत: इनमें श्वसन दर भी अधिक होती है।
3. विकर (Enzyme)-समुचित विकर सान्द्रता होने पर ही श्वसन क्रिया ठीक प्रकार से संचालित होती है।
(ब) बाद्य कारक (External Factors)
1. तापमान (Temperature)-सामान्यतः श्वसन 5°C से 25°C ताप पर होता है। यदि ताप को 35°C तक बढ़ाया जाय तो श्वसन दर बढ़ती है परन्तु इसमे अधिक ताप बढ़ने पर श्वसन दर घटने लगती है। कुछ जीवाणु 10°C तथा 60°C पर भी श्वसन करते हैं।
2. ऑक्सीजन (Oxygen) – ऑक्सीश्वसन के लिए O2 मङखवपूर्ण कारक है। इसकी उचित सान्द्रता (concentration) में श्वसन दर बड़ती है किन्तु अत्याधक सान्द्रता विकरों का संदमन करती है जिससे श्वसन दर घट जाती है।
3. जल (Water)-समस्त जैविक क्रियाएँ जल की उपस्थिति में होती हैं। विकर (enzyme) जल की उपस्थिति में ही क्रियाशील होते हैं। जल की कमी से श्वसन दर घटती है।
4. प्रकाश (Light)-प्रकाश श्वसन को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। प्रकाश के कारण ही श्वसन में प्रयुक्त भोज्य पदार्थ का संश्लेषण होता है। भोज्य पदार्थ की कमी होने पर श्वसन दर घट जाती है।
5. CO2 वायुमण्डल में = CO2 = की सान्द्रता बढ़ने पर श्वसन दर घट जाती है।
6. श्वसन संदमक (Respiration inhibitors) – कुछ पदार्थ जैसे-कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)2 सायनाइड (Cyanide), आयोडोऐसेटेट, मैलोनेट आदि श्वसन संदमक का कार्य करते हैं।
प्रश्न 6.
श्वसन भागफल से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न खाद्य पदार्थों के श्वसन भागफल बताइए।
उत्तर:
देखिए अनुच्छेद 14.5 (श्वसन भागफल या श्वसन गुणांक) ।
“श्वसन पथ एक ऐम्पीबोलिक पथ होता है”
(Respiratory Pathway is an Amphibolic Pathway)
श्वसन क्रिया के लिए ग्लूकोब एक सामान्य क्रियाधर (Common Substrate) होता है, जिसे कोशिकीय ईधन (Cellular fuel) कहते हैं, अन्य काबोंहाइड्डेटस भी श्वसन क्रिया से पहले ग्लूकोज में परिवर्तित कर दिये जाते हैं। वसा (Fat) को पहले गिलसरॉल तथा वसीय अम्लों (Fatty acids) में विर्घटित किया जाता है।
वसीय अम्ल ऐसीटिल कोएनाइम (Acetyle Co-A) बनकर श्वसन मार्ग में प्रवेश करता है। गिलसरॉल फॉस्पोम्लिसरेलिड़हाइड (PGAL) में बदलकर श्वसन पथ में प्रवेश करता है। प्रोटीन्स विषटित होकर ऐमीनो अम्ल बनाती हैं। एमीनो अम्ल (Amino acids) विएमिनीकरण (veamination) के पश्चात क्रेब्स चक्र के विभिन्न चरणों में प्रवेश करता है।
इसी प्रकार वसा अम्ल के संश्लेषण में श्वसन मार्ग से ऐसीटिल कोएन्जाइम पृथक् हो जाता है। अत: वसा अम्ल के संश्लेषण एवं विषटन के दौरान श्वसनीय पथ का प्रयोग होता है। इसी प्रकार प्रोटीन के संश्लेषण व विषटन के दौरान मी श्वसन पथ का प्रयोग होता है। इस तरह श्वसन पथ में उपचय (Anabolism) तथा अप्य (Catabohism) क्रियाएँ साथ-साथ होती रहती हैं। यही कारण है कि श्वसन पथ को ऐम्प्रीबोलिक पथ (Amphibolic Pathway) कहा जाता है।
श्वसन भागफल या श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient, R.Q.)
किसी दिये गये समय, ताप व दाब पर निष्कासित CO2 तथा प्रयुक्त O2 के अनुपात को श्वसन भागफल RQ कहते हैं।