Author name: Bhagya

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. क्लोरोफिल में उपस्थित धातु आयन है-
(अ) Fe3+
(ब) Co2+
(स) Mg 2+
(द) Zn 2+
उत्तर:
(स) Mg 2+

2. संकुल [Co(en)2(NH3)2] Br3 में Co की समन्वयी संख्या (CN) है-
(अ) 3
(ब) 4
(स) 7
(द) 6
उत्तर:
(द) 6

3. संकुल [Pt(NH3)3Cl2Br]Cl2 के जलीय विलयन में उपस्थित हैलाइड आयनों की संख्या कितनी होगी?
(अ) 4
(ब) 3
(स) 1
(द) 2
उत्तर:
(स) 1

4. लिगेन्ड सामान्यतः होते हैं-
(अ) लुईस अम्ल
(ब) लुईस क्षार
(स) ऋणायन
(द) उदासीन अणु
(स) ऋणायन
उत्तर:
(ब) लुईस क्षार

5. K4[Fe(CN)6] में Fe की प्राथमिक संयोजकता कितनी है ?
(अ) -4
(ब) +2
(स) +6
(द) +4
उत्तर:
(ब) +2

6. संकुल [Co(NH3) )5Br] SO4 तथा [Co (NH3)5SO4]Br में आपस में कौनसी समावयवता है?
(अ) बंधनी
(ब) ज्यामितीय
(स) आयनन
(द) उपसहसंयोजन
उत्तर:
(स) आयनन

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7. संकुल में कौनसा लिगेन्ड होने पर बंधनी समावयवता होगी ?
(अ) NH3
(ब) en
(स) NC\(\overline{\mathbf{S}}\)
(द) H2O
उत्तर:
(स) NC\(\overline{\mathbf{S}}\)

8. निम्नलिखित में से कौनसा कीलेट लिगेन्ड है?
(अ) \(\overline{\mathrm{C}}\)N
(ब) C2O4-2
(स) NH3
(द) NO2
उत्तर:
(ब) C2O4-2

9. निम्नलिखित में से किस संकुल आयन में अनुचुंबकीय गुण अधिकतम होगा?
(अ) [Cr(H2O)6]3+
(ब) [Fe(CN)6]4-
(स) [Fe(H2O)6]2+
(द) [Zn(H2O)6]2+
उत्तर:
(स) [Fe(H2O)6]2+

10. निम्नलिखित में से कौनसा द्विक लवण (double salt) नहीं है?
(अ) KCl.MgC2.6H2O
(ब) FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O
(स) K4[Fe (CN)6]
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(स) K4[Fe (CN)6]

11. संकुल (Co(H2O)6] [CrCl3] तथा [Cr(H2O)6] [CoCl6] दर्शाते हैं-
(अ) बन्धनी समावयवता
(ब) उपसहसंयोजन समावयवेता
(स) आयनन समावयवता
(द) विलायकयोजन समावयवता
उत्तर:
(ब) उपसहसंयोजन समावयवेता

12. निम्नलिखित से कौनसा संकुल ज्यामितीय समावयवता नहीं दर्शाता ?
(अ) [MX2L2]
(ब) [MX2AB]
(स) [ML4]
(द) [MABXY]
उत्तर:
(स) [ML4]

13. [Fe (CN)6)]4- में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी है?
(अ) 3
(ब) 4
(स) शून्य
(द) 2
उत्तर:
(स) शून्य

14. निम्नलिखित में से कौनसा धातु आयन, NH3 के साथ रंगीन विलयन देता है?
(अ) Cu2+
(ब) Zn2+
(स) Mg2+
(द) Ag+
उत्तर:
(अ) Cu2+

15. निम्नलिखित में से किसके जलीय विलयन में स्वतंत्र Fe3+ आयन उपस्थित होगा?
(अ) K3Fe (CN)6
(ब) Fe2 (SO4)3
(स) K4Fe(CN)6
(द) (NH4)2SO4 . FeSO4.6H2O
उत्तर:
(ब) Fe2 (SO4)3

16. संकुल (Cr(H2O)6]Cl3 तथा (Cr(H2O)5Cl]Cl2. H2O
(अ) बन्धनी समावयवी
(ब) आयनन समावयवी
(स) हाइड्रेट समावयवी
(द) उपसहसंयोजन समावयवी
उत्तर:
(स) हाइड्रेट समावयवी

17. [Fe(CO)5] का IUPAC नाम है-
(अ) आयरन पेन्टा कार्बोनिल
(ब) पेन्टा कार्बोनिल आयरन (O)
(स) आयरन पेन्टा कार्बनमोनोऑक्साइड
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) पेन्टा कार्बोनिल आयरन (O)

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18. निम्नलिखित में से कौनसा द्विदन्तुर लिगेन्ड है?
(अ) अमोनिया
(ब) जल
(स) एथिलीनडाइऐमीन
(द) पिरीडीन
उत्तर:
(स) एथिलीनडाइऐमीन

19. संकुल Na2[Ni ( EDTA)) में Ni की समन्वयी संख्या (CN) कितनी है?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 4
(द) 6
उत्तर:
(द) 6

20. निम्नलिखित में से कौनसा बाह्य कक्षक संकुल है?
(अ) [Co(NH3)6]3+
(ब) [CoF6]3-
(स) [Co(CN)6]3-
(द) [Fe(CN)6]3-
उत्तर:
(ब) [CoF6]3-

21. [Fe(CN)6]4- में Fe पर कौनसा संकरण होता है?
(अ) dsp³
(ब) sp³d²
(स) d²sp³
(द) sp³d³
उत्तर:
(स) d²sp³

22. निम्नलिखित में से कौनसा संकुल आयन प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है?
(अ) [ZnCl4]2-
(ब) [Co(CN)6)3-
(स) [Cu(NH3)4]2+
(द) [Cr(C2O4)3]3-
उत्तर:
(द) [Cr(C2O4)3]3-

23. संकुल यौगिक [Cr(H2O)6]Cl3 के लिए चुम्बकीय आघूर्ण का मान 3.83 BM है तो इस संकुल में Cr परमाणु में 3d इलेक्ट्रॉनों का वितरण होगा-
(अ) \(3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xy}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{yz}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xz}}^1\)
(ब) \(3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xy}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{x}^2-\mathrm{y}^2}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{z}}^1\)
(स) \(3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xy}}^{\mathrm{l}}, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{yz}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{z}^2}^1\)
(द) \(3 \mathrm{~d}_{\mathrm{x}^2-\mathrm{y}^2}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{z}^2}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xy}}^1\)
उत्तर:
(अ) \(3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xy}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{yz}}^1, 3 \mathrm{~d}_{\mathrm{xz}}^1\)

24. निम्नलिखित में से प्रतिचुम्बकीय संकुल आयन कौनसा है ?
(अ) [CoCl4]2-
(ब) (CoF6]2-
(स) [Ni (CN)4]2-
(द) [NiCl4]2-
उत्तर:
(स) [Ni (CN)4]2-

25. निम्नलिखित में से किस संकुल आयन की ज्यामिति वर्गाकार समतलीय है?
(अ) [NiCl4]2-
(ब) [FeCl4]2-
(स) [PtCl4]2-
(द) [CoCl4]2-
उत्तर:
(स) [PtCl4]2-

26. किसी संक्रमण धातु के संकुल का विन्यास (t2g)4 (eg)² है। धातु आयन से जुड़े लिगेण्ड की प्रकृति है-
(अ) प्रबल क्षेत्र
(ब) दुर्बल क्षेत्र
(स) उदासीन
(द) धनात्मक क्षेत्र
उत्तर:
(ब) दुर्बल क्षेत्र

27. [Co(NH3)4(NO2)2]Cl प्रदर्शित करता है-
(अ) बन्धन, आयनन समावयवता तथा प्रकाशिक समावयवता
(ब) बन्धन, आयनन तथा ज्यामितीय समावयवता
(स) आयनन ज्यामितीय तथा प्रकाशिक समावयवता
(द) बन्धन, ज्यामितीय तथा प्रकाशिक समावयवता
उत्तर:
(ब) बन्धन, आयनन तथा ज्यामितीय समावयवता

28. चतुष्फलकीय ज्यामिति निम्नलिखित में से किसकी है?
(अ) [Ni(NH3)6]2+
(ब) Ni (CO)4
(स) [Ni (CN)4]2-
(द) [Pt(CN)4]2-
उत्तर:
(ब) Ni (CO)4

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29. निम्नलिखित में से कौन अनुचुम्बकीय लक्षण प्रदर्शित नहीं करता है?
(परमाणु क्रमांक Ti = 22; Fe = 26; Cr = 24; Cu = 29 )
(अ) [Ti(H2O)6]3+
(ब) [Fe(CN)6]3+
(स) [Cr(NH3)6]3+
(द) [Co(NH3)6]3+
उत्तर:
(द) [Co(NH3)6]3+

30. निम्नलिखित में से कौनसा संकुल दृश्य प्रकाश अवशोषण के लिए प्रत्याशित (Expected) नहीं है?
(अ) [Cr(NH3)6]2+
(ब) [Fe (H2O)6]2+
(स) [Ni(CN)4]2-
(द) [Ni(H2O)6]2+
उत्तर:
(स) [Ni(CN)4]2-

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
\(\overline{\mathrm{N}}\)H2 लिगेन्ड का IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
\(\overline{\mathrm{N}}\)H2 का नाम ऐमीडो है।

प्रश्न 2.
[NiCl4]2- में Ni का प्रभावी परमाणु क्रमांक कितना है?
उत्तर:
[NiCl4]2- में Ni का प्रभावी परमाणु क्रमांक 26 + 8 = 34 है।

प्रश्न 3.
कार्नेलाइट का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कार्नेलाइट का सूत्र KCl . MgCl2 . 6H2O होता है।

प्रश्न 4.
[Cr(EDTA)]-1 में Cr की समन्वयी संख्या कितनी है?
उत्तर:
इस संकुल आयन में Cr की समन्वयी संख्या 6 है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित संकुलों के जलीय विलयन की चालकता का आरोही क्रम बताइए।
(i) K4[Fe(CN)
(ii) [Pt(NH3)4] [PtCl4]
(iii) [Ni (CO)4]
उत्तर:
(iii) < (ii) < (i) क्योंकि (iii) के विलयन में कोई आयन नहीं है लेकिन (ii) व (i) के जलीय विलयन में क्रमशः 2 तथा 5 आयन होंगे।

प्रश्न 6.
(i) [Pt(NH3)4Cl2]Br2 तथा
(ii) [Pt(NH3)4Br2]Cl2 में किस प्रकार विभेद किया जा सकता है?
उत्तर:
दोनों संकुलों के जलीय विलयन में AgNO3 का विलयन डालने पर (i) में AgBr का पीला अवक्षेप बनेगा जबकि (ii) में AgCl का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होगा।

प्रश्न 7.
संकुल (Fe (C5H5)2] का IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
बिस (साइक्लोपेन्टा डाइइनिल) आयरन (II)

प्रश्न 8.
किस प्रकार के वर्गाकार समतलीय संकुल ज्यामितीय समावयवता दर्शाते हैं?
उत्तर:
[MX2L2], [ML2X4], [M(AB)2] प्रकार के वर्गाकार समतलीय संकुल ज्यामितीय समावयवता दर्शाते हैं।

प्रश्न 9.
[M ABXY] प्रकार के संकुल के कितने ज्यामितीय समावयवी सम्भव हैं?
उत्तर:
तीन (दो समपक्ष तथा एक विपक्ष)।

प्रश्न 10.
[Fe(CO)5] में Fe पर dsp³ कौनसा संकरण होता है तथा इसका चुम्बकीय गुण भी बताइए।
उत्तर:
[Fe(CO)5] में Fe पर dsp³ संकरण होता है तथा यह प्रतिचुम्बकीय होता है।

प्रश्न 11.
[Pt (NH3)4Cl2]2+ के समपक्ष तथा विपक्ष समावयवी बनाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 1

प्रश्न 12.
समपक्ष [PtCl2(en)2] के प्रकाशिक समावयवी बनाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 2

प्रश्न 13.
Pt(NH3)2Cl2 के ज्यामितीय समावयवी बनाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 3

प्रश्न 14.
[Co(en)3]3+ के ध्रुवण समावयवियों की संरचना बनाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 4

प्रश्न 15.
जल की कठोरता के निर्धारण के लिए आवश्यक लिगेन्ड का नाम बताइए।
उत्तर:
जल की कठोरता का निर्धारण EDTA ( एथिलीनडाई एमीनटेट्रासीटेट) द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 16.
[Cu (NH3)4]2+ संकुल आयन की अपेक्षा [Cu(CN)4]2- संकुल आयन अधिक स्थायी होता है, क्यों?
उत्तर:
NH3 की अपेक्षा \(\overline{\mathrm{C}}\)N अधिक प्रबल लिगेन्ड होता है अतः [Cu(NH3)4]2+ संकुल की अपेक्षा [Cu (CN)4]2- संकुल अधिक स्थायी होता है।

प्रश्न 17.
युग्मन ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:
किसी कक्षक में दो इलेक्ट्रॉनों के युग्मन के लिए आवश्यक ऊर्जा को युग्मन ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 18.
I, S2-, H2O, NC\(\overline{\mathrm{S}}\) तथा CO में से प्रबल क्षेत्र लिगन्ड कौनसे हैं ?
उत्तर:
NC\(\overline{\mathrm{S}}\) तथा CO प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) विशेष नाम युक्त उदासीन लिगेन्डों के उदाहरण बताइए।
(b) धनात्मक लिगेन्डों का नाम किस प्रकार दिया जाता है ? समझाइए।
उत्तर:
(a) विशेष नाम युक्त उदासीन लिगेन्ड निम्नलिखित हैं-
H2O = एक्वा
CS = थायोकार्बोनिल
NH3 = एम्मीन
NO = नाइट्रोसिल
CO = कार्बोनिल
NS थायोनाइट्रोसिल

(b) धनात्मक लिगेन्डों के नाम के अन्त में अनुलग्न इयम (ium) प्रयुक्त किया जाता है।
उदाहरण- \(\stackrel{+}{N}\)O नाइट्रोसिलियम, NH2 – \(\stackrel{+}{N}\)H, हाइड्रेजिनियम तथा \(\stackrel{+}{N}\)O2 नाइट्रोनियम।

प्रश्न 2.
संकुल यौगिकों में उपस्थित केन्द्रीय धातु परमाणु का ऑक्सीकरण अंक तथा संकुल आयन पर आवेश किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
(i) संकुल में केन्द्रीय धातु परमाणु पर उपस्थित आवेश को उसका ऑक्सीकरण अंक कहते हैं जब वह लिगन्डों से नहीं जुड़ा हो।

(ii) किसी संकुल स्पीशीज पर उपस्थित आवेश उसके केन्द्रीय धातु परमाणु या आयन तथा उससे जुड़े हुए लिगन्डों के आवेश के योग के बराबर होता है तथा यह प्रति आयनों द्वारा उदासीन होता है।

(iii) किसी उदासीन संकुल में केन्द्रीय धातु परमाणु तथा उससे जुड़े लिगन्डों के आवेश का योग शून्य होता है। कभी-कभी धातु तथा लिगन्ड दोनों ही उदासीन होते हैं, जैसे-[Ni(CO)4]

(iv) उदाहरण –
(a) संकुल K4[Fe(CN)6] में Fe का ऑक्सीकरण अंक ज्ञात करना-
यहाँ K तथा CN पर आवेश ज्ञात है जो कि क्रमशः + 1 तथा – 1 है। अतः
K4[Fe(CN)6]
+ 4 + x – 1 ( 6 ) = 0
+ 4 + x – 6 = 0
x = + 2
अतः इसमें Fe का ऑक्सीकरण अंक, + 2 है।

(b) [Co(NH3)5Cl] Cl2 में Co का ऑक्सीकरण अंक भी इसी प्रकार ज्ञात किया जाता है।
यहाँ NH3 उदासीन है तथा Cl पर आवेश – 1 है अतः
[Co(NH3)5Cl] Cl2
x + 0 – 1 – 2 = 0
x = + 3

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रकार के संकुलों के उदाहरण तथा IUPAC नाम बताइए –
(i) उदासीन संकुल
(ii) ऋणायनिक संकुल
(iii) धनायनिक संकुल
उत्तर:
(i) Fe(CO)5 पेन्टाकार्बोनिल आयरन (O)
(ii) [Co(NO3)6]3- हेक्सानाइट्रेटोकोबाल्टेट (IH) आयन
(iii) [Pt(NH3)4Cl2]2+ टेट्राऐम्मीनडाइक्लोरिडोप्लेटिनम (IV) आयन

प्रश्न 4.
Pt (IV), NH3, Cl तथा Na+ आपस में मिलकर सात प्रकार के संकुल यौगिक बनाते हैं। इनमें से एक संकुल यौगिक निम्नलिखित है-
[Pt(NH3)6]Cl4
(i) अन्य छः संकुल यौगिकों के सूत्र लिखिए।
(ii) इन संकुल यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए।
(iii) इनमें से किस संकुल जलीय विलयन की चालकता सर्वाधिक होगी?
(iv) इनमें से कौनसा संकुल अनआयनिक है?
(v) इन संकुलों में Pt का ऑक्सीकरण अंक व उपसहसयोजन संख्या भी बताइए।
उत्तर:
(i) (a) [Pt (NH3)5Cl]Cl3
(b) [Pt (NH3)4Cl2]Cl2
(c) [Pt(NH3)3Cl3]Cl
(d) [Pt(NH3)2Cl4]
(e) Na[Pt(NH3)Cl5]
(f) Na2[PtCl6]

(ii) (a) पेन्टाऐम्मीन प्लेटिनम (IV) क्लोराइड
(b) टेट्राऐम्मीन डाइक्लोरिडो प्लेटिनम (IV) क्लोराइड
(c) ट्राइऐम्मीन ट्राइक्लोरिडो प्लेटिनम (IV) क्लोराइड
(d) डाइऐम्मीन टेट्राक्लोरिडो प्लेटिनम (IV)
(e) सोडियम ऐम्मीन पेन्टाक्लोरिडो प्लेटिनेट (IV)
(f) सोडियम हेक्साक्लोरिडो प्लेटिनेट (IV)

(iii) संकुल [Pt(NH3)6]Cl4 की चालकता सर्वाधिक होगी क्योंकि यह विलयन में अधिकतम (पाँच आयन) देता है।

(iv) [Pt(NH3)2Cl4] अनआयनिक है।

(v) इन सभी संकुलों में Pt का ऑक्सीकरण अंक + 4 तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।

प्रश्न 5.
समावयवता को परिभाषित कीजिए तथा इसके प्रकार बताइए।
उत्तर:
समावयवता (Isomerism) – ऐसे दो या दो से अधिक यौगिक जिनके रासायनिक सूत्र (अणु सूत्र ) समान होते हैं परन्तु उनमें परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न होती है, उन्हें एक-दूसरे के समावयवी कहते हैं तथा इस गुण को समावयवता कहते हैं। परमाणुओं की भिन्न व्यवस्थाओं के कारण इनके एक या अधिक भौतिक या रासायनिक गुणों में भिन्नता होती है। उपसहसंयोजन यौगिकों में दो प्रमुख प्रकार की समावयवताएँ होती हैं जिनको पुनः कई भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
(a) त्रिविम समावयवता-

  • ज्यामितीय समावयवता
  • ध्रुवण समावयवता

(b) संरचनात्मक समावयवता-

  • बंधनी समावयवता
  • उपसहसंयोजन समावयवता या समन्वयी समावयवता
  • आयनन समावयवता
  • विलायकयोजन समावयवता या हाइड्रेट समावयवता
  • लिगन्ड समावयवता
  • बहुलकीकरण समावयवता
  • उपसहसंयोजन स्थिति समावयवता

प्रश्न 6.
आयनन समावयवता की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
आयनन समावयवता – जब किसी संकुल में उपस्थित प्रतिआयन स्वयं एक संभावित लिगेन्ड हो तथा यह किसी लिगेन्ड को प्रतिस्थापित करके दूसरा संकुल बनाता है तो प्राप्त संकुल को आयनन समावयवी तथा इस गुण को आयनन समावयवता कहते हैं।
उदाहरण-
(i) [Co (NH3)5 SO4] Br तथा

(ii) [Co(NH3)5Br]SO4
(i) के आयनन से Br प्राप्त होता है जबकि
(ii) के आयनन से SO2-4 प्राप्त होगा।

प्रश्न 7.
उपसहसंयोजन समावयवता क्या होती है? समझाइए।
उत्तर:
उपसहसंयोजन समावयवता – जब किसी संकुल में उपस्थित भिन्न-भिन्न धातुओं की धनायनिक एवं ऋणायनिक उपसहसंयोजन सत्ता के मध्य लिगेन्डों का अंतरपरिवर्तन (Interchange) होता है तो यह समावयवता उत्पन्न होती है। संकुल [Co (NH3)6] [Cr(CN)6] जिसमें NH3, CO3+ से बंधित हैं तथा CN, Cr3+ से जबकि इसके उपसहसंयोजन समावयवी [Cr(NH3)6] [Co(CN6)] में, NH3, Cr3+ से तथा CN, Co3+ से बंधित है।

प्रश्न 8.
प्रकाशिक या ध्रुवण समावयवता किसे कहते हैं? संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह समावयवता असममित अणुओं या संकुलों में पाई जाती है जिनमें सममिति नहीं होती। ये संकुल ध्रुवित प्रकाश के तल को घुमा देते हैं, अतः इन्हें प्रकाशिक या ध्रुवण समावयवी कहते हैं। ध्रुवण समावयवी एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं तथा इन्हें एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता। इन्हें प्रतिबिम्ब रूप या एनैन्टिओमर (enantiomers) भी कहते हैं।

अणु या आयन जो एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किए जा सकते, उन्हें काइरल (chiral) कहते हैं । काइरल अणु दो प्रकाशिक समावयवियों के रूप में पाया जाता है दक्षिण-ध्रुवण घूर्णक (d) तथा वाम ध्रुवण घूर्णक (l)। ये ध्रुव प्रकाश को अलग-अलग दिशा में घुमाते हैं (d दाईं तरफ तथा / बाईं तरफ)। प्रकाशिक समावयवता सामान्यतः द्विदंतुर लिगेन्ड युक्त. अष्टफलकीय संकुलों में पाई जाती है, जिनका सामान्य सूत्र

  • [M(AA)2X2]
  • M (AA )3]
  • [M (AA ) X2 Y2] तथा
  • [MX2Y2Z2] होता है।

लेकिन जिन संकुलों में ज्यामितीय समावयवता होती है, उनका समपक्ष रूप ही प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है क्योंकि विपक्ष रूप तो सममित होता है।

उदाहरण-
(i) [PtCl2(en)2]2+ या [Rh (en)2Cl2]+ या [Co(en)2 Cl2]+
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 21

(ii) [Co(en)3]3+ या [Cr(OX)3]5- [OX = ऑक्सेलेट (C2O2-4)]
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(iii) [Co(en)(NH3)2Cl2]+
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 23

(iv) [Pt(NH3)2(Py)2Cl2]2+
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 24
उपसहसंयोजन संख्या 4 वाले संकुलों में वर्गाकार समतलीय ज्यामिति होने पर प्रकाशिक समावयवता नहीं होती क्योंकि इन संकुलों में सममिति तल पाया जाता है लेकिन असममित द्विदंतुर लिगेन्ड युक्त चतुष्फलकीय संकुलों में प्रकाशिक समावयवता होती है।

उदाहरण – बिस (ग्लाइसिनेटो) निकल (II)
[Ni(NH2-CH2-COO)2] (gly = O-N) या [Ni (Gly)2]
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इसी प्रकार बस (बेन्जॉयल ऐसीटोनेटो) बेरिलियम (II) भी प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है।
[Be(C6H5COCHCOCH3)2]
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प्रश्न 9.
[Co(NH3)6]3+ की ज्यामिति तथा चुम्बकीय गुण की व्याख्या VBT की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
[Co(NH3)6]3+ संकुल आयन-संकुल आयन [Co(NH3)6]3+ में, कोबाल्ट आयन +3 ऑक्सीकरण अवस्था में है तथा Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 36 है। अतः इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 5
छः अमोनिया अणुओं से प्रत्येक का एक इलेक्ट्रॉन युग्म छः d²sp³ संकरित कक्षकों में स्थान ग्रहण करता है। इस प्रकार संकुल की ज्यामिति अष्टफलकीय है तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण यह संकुल आयन प्रतिचुंबकीय होता है। यह एक आन्तरिक कक्षक संकुल या निम्न चक्रण संकुल है।

प्रश्न 10.
[CoFo6]3- के अनुचुम्बकीय गुण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
[CoFo6]3- संकुल आयन-इस संकुल में भी कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है लेकिन F(WFL) की उपस्थिति में धातु आयन के इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता अतः इसमें sp³d² संकरण होता है तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण यह अनुचुम्बकीय होता है तथा इसे बाह्य कक्षक संकुल या उच्च चक्रण संकुल कहते हैं। इसकी ज्यामिति भी अष्टफलकीय होती है। इस संकुल में संकरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
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प्रश्न 11.
[Fe(CO)5] की ज्यामिति तथा प्रतिचुम्बकीय गुण की व्याख्या VBT की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
त्रिकोणीय द्विपिरेमिडी संकुल-उदाहरण [Fe(CO)5] इस संकुल में Fe परमाणु अवस्था में है, जिसका इलेक्ट्रॉंनिक विन्यास 3d64s² होता है। CO(SFL) की उपस्थिति में Fe के 3d तथा 4s कक्षकों के सभी इलेक्ट्रॉन 3d में युग्मित हो जाते हैं तथा एक d कक्षक रिक्त होकर dsp³ संकरण होता है। इसमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने के कारण यह संकुल प्रतिचुम्बकीय होता है तथा इसकी ज्यामिति त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 7

प्रश्न 12.
[Cu(NH3)4]2+ की वर्गाकार समतलीय ज्यामिति को समझाइए।
उत्तर:
[Cu(NH3)4]2+ – इस संकुल में भी dsp² संकरण होता है क्योंकि X-किरण विवर्तन से ज्ञात हुआ है कि इसमें लिगेन्ड समतलीय अवस्था में पाए जाते हैं। इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाने के कारण यह अनुचुम्बकीय होता है तथा इसकी ज्यामिति भी वर्गाकार समतलीय होती है। इसमें संकरण को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
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बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए-
(i) निकल के अल्प स्पिन (Low spin) के अष्टफलकीय कॉम्पलेक्स (संकुल) ज्ञात नहीं हैं।
(ii) केवल संक्रमण तत्वों के लिए ही π-कॉम्पलेक्स जाने जाते हैं।
(iii) बहुत-सी धातुओं के लिए CO लिगेण्ड NH3 की अपेक्षा अधिक प्रबल है।
अथवा
निम्नलिखित संकुलों (कॉम्पलेक्सों) की तुलना, उनकी इकाइयों की आकृतियों, चुम्बकीय व्यवहार और इकाइयों में उपस्थित संकर ऑर्बिटलों के सन्दर्भ में कीजिए-
(i) [Ni(CN)4]2-
(ii) [NiCl4]2-
(iii) [CoF6]3- [परमाणु क्रमांक : Ni = 28; Co = 27]
उत्तर:
(i) निकल (Ni) सामान्यतः +2 अवस्था में संकुल बनाता है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d84s0 होता है जिसमें प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में भी इलेक्ट्रॉनों के युग्मन से दो d कक्षक रिक्त नहीं हो सकते अतः इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता एवं इसमें sp³d² संकरण होता है अतः यह उच्च चक्रण संकुल ही बनाता है अर्थात् निम्न चक्रण संकुल नहीं बनते।

(ii) केवल संक्रमण तत्व ही π कॉम्पलेक्स बनाते हैं क्योंकि इस प्रकार के संकुल बनाने के लिए आवश्यक लिगेन्ड (जैसे बेन्जीन, साइक्लोपेन्टा डाइइनिल ऋणायन) संक्रमण तत्वों के रिक्त कक्षकों के साथ π बन्ध बना लेते हैं। π संकुलों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
फेरोसीन Fe (η5 – C5H5)2
तथा डाइबेन्जीन क्रोमियम Cr (η56 -C6H6)2
(यहाँ η6 का अर्थ है C6H6 के 6C क्रोमियम से जुड़े हैं।)
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(iii) स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी से ज्ञात होता है कि CO लिगेन्ड, NH3 की अपेक्षा अधिक प्रबल है क्योंकि CO की इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति, NH3 की अपेक्षा अधिक होती है। क्योंकि कार्बन की विद्युतॠणता का मान नाइट्रोजन से कम होता है।
अथवा
उत्तर:

सकुलसंकरणआकृति (ज्यामिति)चुम्बकीय गुण
(i) [Ni(CN)4]2-dsp²वर्गाकार समतलीयप्रतिचुम्बकीय
(ii) [NiCl4]2-sp³चतुष्फलकीयअनुचुम्बकीय
(iii) [CoF6]3-sp³d²अष्टफलकीयअनुचुम्बकीय

(i) [Ni(CN)4]2- – [Pt(CN)4]2- – वर्ग समतलीय आयन [Ni(CN)4]2- में Ni पर dsp² संकरण होता है। इसमें Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 10
प्रत्येक संकरित कक्षक एक सायनाइड आयन से एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण यह संकुल प्रतिचुंबकीय होते हैं।

(ii) [NiCl4]2--[NiCl4]2- आयन में Ni पर sp³ संकरण होता है तथा इसकी ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है। यहाँ एक s तथा तीन p कक्षकों के संकरण से चार समान sp³ संकर कक्षक बनते हैं। इस संकुल में निकल +2 ऑक्सीकरण अवस्था में है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 11
संकरण के पश्चात् भी 3d कक्षकों में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं जिनके कारण यह संकुल आयन अनुचुम्बकीय होता है।

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(iii) [CoF6]3- [परमाणु क्रमांक : Ni = 28; Co = 27] संकुल आयन-इस संकुल में भी कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है लेकिन F(WFL) की उपस्थिति में धातु आयन के इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता अतः इसमें sp³d² संकरण होता है तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण यह अनुचुम्बकीय होता है तथा इसे बाह्य कक्षक संकुल या उच्च चक्रण संकुल कहते हैं। इसकी ज्यामिति भी अष्टफलकीय होती है। इस संकुल में संकरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
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प्रश्न 2.
उपयुक्त कारण देते हुए निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए-
(i) निकल न्यून-चक्रण अष्टफलकीय संकुल नहीं बनाता है।
(ii) π-कॉम्प्लेक्स केवल संक्रमण तत्वों के ही ज्ञात हैं।
उत्तर:
(i) निकल (Ni) सामान्यतः +2 अवस्था में संकुल बनाता है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d84s0 होता है जिसमें प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में भी इलेक्ट्रॉनों के युग्मन से दो d कक्षक रिक्त नहीं हो सकते अतः इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता एवं इसमें sp³d² संकरण होता है अतः यह उच्च चक्रण संकुल ही बनाता है अर्थात् निम्न चक्रण संकुल नहीं बनते।

(ii) केवल संक्रमण तत्व ही π कॉम्पलेक्स बनाते हैं क्योंकि इस प्रकार के संकुल बनाने के लिए आवश्यक लिगेन्ड (जैसे बेन्जीन, साइक्लोपेन्टा डाइइनिल ऋणायन) संक्रमण तत्वों के रिक्त कक्षकों के साथ π बन्ध बना लेते हैं। π संकुलों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
फेरोसीन Fe (η5 – C5H5)2
तथा डाइबेन्जीन क्रोमियम Cr (η56 -C6H6)2
(यहाँ η6 का अर्थ है C6H6 के 6C क्रोमियम से जुड़े हैं।)
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प्रश्न 3.
उपयुक्त उदाहरण देते हुए निम्नलिखित प्रत्येक पद की व्याख्या कीजिए-
(i) उभयदन्ती लिगेन्ड ( Ambidentate ligand)
(ii) लिगण्ड की दंतिता (Denticity)
(iii) अष्टफलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन।
उत्तर:
(i) उभयदन्ती या उभयदंतुर लिगन्ड वह लिगेन्ड होता है जो दो भिन्न-भिन्न परमाणुओं द्वारा धातु से जुड़ सकता है लेकिन एक समय में केवल एक दाता परमाणु ही बन्ध बनाता है।
उदाहरण – \(\overline{\mathrm{C}}\)N व \(\overline{\mathrm{N}}\)C

(ii) किसी संकुल में उपस्थित लिगेन्ड के उन परमाणओं की संख्या जो धातु के साथ बन्ध बनाते हैं, उसे लिगेन्ड की दंतिता या दन्तुरता कहते हैं।

(iii) अष्टफलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन- एक अष्टफलकीय संकुल में धातु परमाणु छः लिगेन्डों द्वारा घिरा होता है। इसमें धातु के d कक्षकों के इलेक्ट्रॉनों तथा लिगेन्डों के इलेक्ट्रॉनों के मध्य प्रतिकर्षण होता है। जब धातु ad कक्षक लिगेन्ड की ओर सीधे निर्दिष्ट (directed) होते हैं तो प्रतिकर्षण अधिक होता है। dx² – y² तथा dz² कक्षक, लिगेन्ड की दिशा वाले अक्षों पर होते हैं, अतः इन पर प्रतिकर्षण अधिक होता है जिससे इनकी ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है जबकि dxy, dyz और dxz कक्षक, अक्षों के बीच में स्थित होते हैं, अतः इनकी ऊर्जा गोलीय क्रिस्टल क्षेत्र की औसत ऊर्जा की तुलना में कम हो जाती है।

इस प्रकार अष्टफलकीय संकुल लगन्ड इलेक्ट्रॉन धातु इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण के कारण d कक्षकों की समभ्रंशता समाप्त हो जाती है तथा ये तीन निम्न ऊर्जा वाले, t2g कक्षकों तथा दो उच्च ऊर्जा वाले, eg कक्षकों में विभाजित हो जाते हैं। इस प्रकार समान eg ऊर्जा वाले कक्षकों का, लिगेन्डों की निश्चित ज्यामिति में उपस्थिति से दो भागों में विपाटन क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन कहलाता है तथा इस ऊर्जा अंतर को ∆0 [ यहाँ O = अष्टफलकीय (octahedral)] से दर्शाते हैं । eg कक्षकों की ऊर्जा में (3/5) ∆0 के बराबर वृद्धि होती है तथा t2g कक्षकों की ऊर्जा में (2/5) ∆0 के बराबर कमी होती है। प्रबल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में ∆0 का मान अधिक होता है जबकि दुर्बल क्षेत्र लिगेन्ड की उपस्थिति में यह मान कम होता है।
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∆ को प्रभावित करने वाले कारक – क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन (∆) निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-

  • धातु की प्रकृति
  • धातु आयन पर आवेश
  • लिगेन्ड की प्रकृति
  • संकुल की ज्यामिति
  • d- इलेक्ट्रॉनों की संख्या

ये कारक संकुल आयन के रंग को भी प्रभावित करते हैं। धातु आयन पर आवेश बढ़ने से तथा प्रबल क्षेत्र लिगेन्डों की उपस्थिति में विपाटन अधिक होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन अवस्थाओं ( एन्टीटियों) के नाम और उनके त्रिविम- समावयवियों की संरचनाएँ दीजिए-
(i) [ Co(en)2Cl2]+ (en = एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन )
(ii) [Cr(C2O4)3]3-
(iii) [Co(NH3)3Cl3]
(परमाणु क्रमांक Cr = 24, Co = 27)
उत्तर:
(i) [Co(en)2 Cl2]+ का नाम बिस (एथेन – 1,2- डाइऐमीन) डाइक्लोरिडोकोबाल्ट (III) आयन है।
(ii) [Cr(C2O4)3]3- ट्राइऑक्सेलेटो क्रोमेट (III) आयन
(iii) ट्राइऐम्मीनट्राइक्लोरिडो कोबाल्ट (III)

प्रश्न 5.
अणुसूत्र Co (NH3)5SO4 Br वाले दो संकुलों को बोतल A व B में अलग-अलग भरा गया है। इनमें से एक संकुल BaCl2 के साथ श्वेत अवक्षेप जबकि दूसरा सिल्वर नाइट्रेट के साथ हल्का पीला अवक्षेप देता है तो बोतल A व B में उपस्थित संकुलों के सूत्र लिखिए तथा अलग-अलग अभिक्रिया प्रदर्शित करने का कारण समझाइये।
उत्तर:
अणु सूत्र Co ( NH3)5 SO4 Br वाले दो संकुलों में से बोतल A में [Co ( NH3 )5 Br] SO4 तथा बोतल B में [Co(NH3)5SO4]Br संकुल का विलयन है।

संकुल A के आयनन से SO2-2 आयन प्राप्त होगा जो BaCl2 के साथ क्रिया करके BaSO4 का श्वेत अवक्षेप देता है जबकि संकुल B आयनन से प्राप्त Br आयन AgNO3के साथ AgBr का हल्का पीला अवक्षेप देता है। अतः संकुल A तथा B एक-दूसरे के आयनन समावयवी हैं।

प्रश्न 6.
क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन सिद्धान्त के आधार पर चतुष्फलकीय उपसहसंयोजन यौगिकों के बनने में d-कक्षकों के विपाटन को समझाते हुए बताइये कि ये संकुल हमेशा उच्च चक्रण वाले ही क्यों बनते हैं?
उत्तर:
चतुष्फलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन- चतुष्फलकीय संकुलों में d कक्षकों का विपाटन अष्टफलकीय संकुलों से विपरीत तथा कम होता है। अर्थात् eg कक्षकों की ऊर्जा t2g कक्षकों से कम होती है। समान धातु, समान लिगन्डों तथा धातु तथा लिगेन्ड के बीच की दूरी समान होने पर ∆t = 4 / 9 ∆0, ∆t = चतुष्फलकीय कक्षकों की क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, अतः कक्षकों की विपाटन ऊर्जा इतनी कम होती है कि इलेक्ट्रॉनों का युग्मन कक्षकों में नहीं होता अतः चतुष्फलकीय संकुल सामान्यतः उच्च चक्रण युक्त ही होते हैं।
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित संकुल यौगिकों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए-
(अ) [CoCl2 (en)2 ]Cl
(ब) K3[Fe (CN)6]
उत्तर:
(अ) डाइक्लोरिडोबिस (एथेन-1, 2- डाइऐमीन) कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ब) पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (III)

प्रश्न 8.
[NiCl4]2- आयन अनुचुम्बकीय है जबकि [Ni(CN)4]2- आयन प्रतिचुम्बकीय है। संयोजकता बंध सिद्धान्त की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
वर्ग समतलीय आयन [Ni (CN)4]2- में Ni पर dsp² संकरण पाया जाता है। इसमें Ni की ऑक्सीकरण अवस्था + 2 है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
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प्रत्येक संकरित कक्षक एक सायनाइड आयन से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अनुपस्थित होने के कारण यह संकुल प्रतिचुंबकीय है।

[NiCl4]2-आयन में Ni पर sp³ संकरण पाया जाता है तथा इसकी ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है।

इसमें एक s तथा तीन कक्षकों के संकरण से चार समान sp³ संकर कक्षक बनते हैं। यहाँ निकल + 2 ऑक्सीकरण अवस्था में है तथा इस आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है अतः इसमें संकरण निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 16
संकरण के पश्चात् भी 3d कक्षकों में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं जिनके कारण यह संकुल आयन अनुचुंबकीय होता है।

प्रश्न 9.
उभयदंती लिगन्ड का एक उदाहरण लेकर बताइए कि यह क्यों उभयदन्ती लिगेन्ड कहलाता है?
उत्तर:
वह लिगेन्ड जो दो भिन्न परमाणुओं द्वारा धातु आयन के साथ जुड़ सकता है, उसे उभयदंती लिगेन्ड कहते हैं। उदाहरण – NO2, यह नाइट्रोजन (NO2) अथवा ऑक्सीजन (\(\overline{\mathrm{O}}\)NO) द्वारा धातु आयन से जुड़ सकता है।

प्रश्न 10.
संकुल यौगिक K3[ Fe(C2O4)3] में केन्द्रीय धातु परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या तथा उपसहसंयोजन संख्या बताइए।
उत्तर:
संकुल यौगिक K3[Fe (C2O4)3] में केन्द्रीय धातु परमाणु (Fe) की ऑक्सीकरण संख्या + 3 तथा उपसहसंयोजन संख्या 6 है।
ऑक्सीकरण संख्या की गणना निम्न प्रकार की जाती है-
K3[Fe (C2O4)3]
+ 3 + x – 2 ( 3 ) = 0
+ 3 + x – 6 = 0
x = + 3
Fe से तीन द्विदंतुर लिगेन्ड (C2O42-) जुड़े हैं अतः इसकी उपसहसंयोजन संख्या 6 है।

प्रश्न 11.
समपक्ष [CoCl2 (en)2 ] तथा फलकीय [Co(NH3)3(NO2)3] समावयवियों की संरचना दीजिए।
उत्तर:
(i) समपक्ष [CoCl2 (en)2] की संरचना
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(ii) फलकीय [Co(NH3)3(NO2)3] की संरचना
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 18

प्रश्न 12.
संकुल [NiCL]2- के लिए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) IUPAC नाम
(ii) संकरण का प्रकार
(iii) संकुल की ज्यामिति।
उत्तर:
(i) टेट्राक्लोरिडोनिकलेट (II) आयन
(ii) sp³ संकरण
(iii) चतुष्फलकीय ज्यामिति।

प्रश्न 13.
संकुल [Cr (NH3)4 Cl2]Cl का IUPAC नाम लिखिए तथा इसमें किस प्रकार की समावयवता पाई जाती है?
उत्तर:
संकुल [Cr(NH3)4 Cl2] Cl का IUPAC नाम- टेट्राएम्मीन डाइक्लोरिडो क्रोमियम (III ) क्लोराइड है तथा इसमें ज्यामितीय समावयवता पाई जाती है, अर्थात् इसके दो रूप होते हैं – समपक्ष एवं विपक्ष।

प्रश्न 14.
(अ) धातुओं के शुद्धिकरण के क्षेत्र में उपसहसंयोजन यौगिकों का अनुप्रयोग एक उदाहरण के साथ समझाइए
(ब) उपसहसंयोजन यौगिक [Ag (NH3)2] [Ag(CN)2] का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
(अ) धातुओं का शुद्धिकरण उनके संकुल बनाकर तथा उसे पुनः अपघटित करके किया जाता है। उदाहरण- अशुद्ध निकल को पहले [Ni(CO)4] में परिवर्तित किया जाता है तथा फिर इसे अपघटित करके शुद्ध निकल प्राप्त कर लिया जाता है।

(ब) [Ag (NH3)2] [Ag (CN)2] का IUPAC नाम डाइएम्मीनसिल्वर (I) डाइसायनो अर्जेन्टेट (I) है।

प्रश्न 15.
द्विक लवण तथा संकुल में अन्तर समझाते हुए प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
द्विक लवण तथा संकुल दोनों ही दो या दो से अधिक स्थायी यौगिकों के रससमीकरणमितीय अनुपात में मिलाने से बनते हैं। फिर भी दोनों में निम्नलिखित अन्तर पाए जाते हैं-
(i) द्विक लवण, जल में पूर्ण रूप से साधारण आयनों में वियोजित हो जाते हैं जबकि संकुल, जल में वियोजित होकर संकुल आयन तथा प्रति आयन देते हैं।

(ii) द्विक लवण का विलयन सभी आयनों का परीक्षण देता है जबकि संकुल का विलयन संकुल आयन तथा प्रतिआयन का ही परीक्षण देता है।

(iii) द्विक लवण में आयनिक बन्ध पाया जाता है जबकि संकुल में उपसहसंयोजी बन्ध भी पाया जाता है। मोहर लवण (FeSO4 . (NH4)2SO4 . 6H2O) ( फेरस अमोनियम सल्फेट) द्विक लवण का उदाहरण है जबकि पोटैशियम फेरो सायनाइड K4[Fe(CN)6] संकुल का उदाहरण है।

प्रश्न 16.
[Cr (H2O) Br2]Cl के आयनन समावयवी का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
[Cr(H2O)4 Br2] Cl का आयनन समावयवी [Cr(H2O)4BrCl] Br होता है।

प्रश्न 17.
मर्क्युरी टेट्राथायोसायनेटो – कोबाल्टेट (III) उपसहसंयोजक यौगिक का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
Hg [Co(SCN)4]

प्रश्न 18.
संयोजकता बंध सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि [Ni(CN)4]2- एक निम्न प्रचक्रण संकुल आयन है।
उत्तर:
वर्ग समतलीय आयन [Ni(CN)4]2- में Ni पर dsp² संकरण पाया जाता है। इसमें Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। इसमें संकरण निम्न प्रकार होगा-
Ni2+ आयन के कक्षक
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 19
\(\overline{\mathrm{C}}\)N (प्रबल क्षेत्र लिगन्ड) की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है।
Ni2+ के dsp² संकरित कक्षक
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक 20
प्रत्येक संकरित कक्षक एक \(\overline{\mathrm{C}}\)N से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण यह एक निम्न प्रचक्रण संकुल आयन है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

प्रश्न 19.
[Co(NH3)5ONO]Cl2 किस प्रकार की समावयवता प्रदर्शित करता है?
(ii) क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के आधार पर यदि ∆0 < P है, तो d+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(iii) [Fe(CN)′′]’ में संकरण अवस्था और इसका आकार लिखिए।
(Fe का परमाणु क्रमांक = 26)
उत्तर:
(i) [Co(NH3)5ONO]Cl2 बन्धनी तथा आयनन समावयवता दर्शाता है क्योंकि इसमें ONO में दाता परमाणु O है जबकि NO2 में दाता परमाणु N है। इसके साथ ही ŌNO व \(\overline{\mathrm{C}}\)l के विनिमय से आयनन समावयवता होती है।

(ii) जब ∆0 < P, तो क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के अनुसार + आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास t2g³eg1 होगा।

(iii) [Fe(CN)6]3- में d²sp³ संकरण होता है क्योंकि इसमें \(\overline{\mathrm{C}}\)l प्रबल श्क्षेत्र लिगेन्ड है जिसकी उपस्थिति में Fe+3 आयन में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है और इस आयन का आकार अष्टफलकीय है।

प्रश्न 20.
(i) निम्नलिखित कॉम्प्लेक्स का आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए-
[Pt(NH3)(H2O)Cl2]
(ii) निम्नलिखित कॉम्प्लेक्स का सूत्र लिखिए- ट्रिस (एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन) क्रोमियम (III ) क्लोराइड
उत्तर:
(i) इस कॉम्प्लेक्स (संकुल) का आई. यू. पी. ए. सी. नाम ऐम्मीन एक्वा डाइक्लोरिडो प्लेटिनम (II) है।
(ii) इस कॉम्प्लेक्स का सूत्र [Cr(en)3]Cl3 है।

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. वृषण की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है-
(अ) वृक्क नलिकाएँ
(स) एपीडिडाइमिस
(ब) शुक्रजनन नालिकाएँ
(द) मुलेरियन नलिकाएँ
उत्तर:
(ब) शुक्रजनन नालिकाएँ

2. बुम्ब किसे कहते हैं-
(अ) योनि
(ब) बच्चादानी
(द) भगशेफ
(स) भग
उत्तर:
(ब) बच्चादानी

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

3. स्त्रियों में अण्डाणु बनना किस आयु में बंद हो जाता है-
(अ) 13 वर्ष
(ब) 20 वर्ष
(स) 40 वर्ष
(द) 50 वर्ष
उत्तर:
(द) 50 वर्ष

4. वृषणकोष में उदर गुहा की तुलना में कितने ताप की कमी होती है-
(अ) 2-2.50 C
(ब) 5°C
(स) 6°C
(द) 13° C
उत्तर:
(अ) 2-2.50 C

5. मानव में सगर्भता की अवधि है-
(अ) 15 महीने
(ब) 9 महीने
(स) 12 महीने
(द) 18 महीने
उत्तर:
(ब) 9 महीने

6. कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) गर्भाशय के कौनसे स्तर में अन्तःस्थापित होती है-
(अ) परिगर्भाशय
(ब) गर्भाशय पेशी स्तर
(स) गर्भाशय अन्त:स्तर
(द) अध: श्लेष्मिका
उत्तर:
(स) गर्भाशय अन्त:स्तर

7. प्रति आर्तव चक्र में अण्डोत्सर्ग के दौरान कितने अण्डाणु मोचित होते हैं-
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(अ) एक

8. एक शिशु के लिंग का निर्धारण निम्न में से किसके द्वारा होता है-
(अ) पिता
(ब) माता
(स) भाई
(द) बहन
उत्तर:
(अ) पिता

9. शुक्राणुओं का निर्माण निम्न में किस अंग में होता है-
(अ) वृषण
(ब) अधिवृषण
(स) शुक्रवाहिनी
(द) प्रोस्टेट ग्रन्थि
उत्तर:
(अ) वृषण

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

10. 8 से 16 कोरक खण्डों वाले भ्रूण को क्या कहते हैं-
(अ) तूतक (मोरुला)
(ब) ब्लास्टूला
(स) कोरकपुटी
(द) अंतर्रोपण
उत्तर:
(अ) तूतक (मोरुला)

11. आर्तव चक्र के दौरान रक्तस्राव कितने दिन तक चलता रहता है-
(अ) 10-15 दिन
(ब) 3-5 दिन
(स) 20-25 दिन
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं ।
उत्तर:
(ब) 3-5 दिन

12. ग्रेफियन पुटक (Graffian Follicle) का फटना व अण्डाणु का मुक्त होना कहलाता है
(अ) संयुग्मन
(ब) केस्ट्रेशन
(स) क्रिप्टोडि
(द) अण्डोत्सर्ग
उत्तर:
(द) अण्डोत्सर्ग

13 तरुणावस्था (Puberty) में पहली बार रजस्राव (Menstruation) कहलाता है-
(अ) रजोदर्शन
(ब) रजोनिवृत्ति
(स) कामोन्माद
(द) क्रिप्टोकिंडिज्म
उत्तर:
(अ) रजोदर्शन

14. HCGC (ह्यूमन कोरिओनिक गोनेडोट्रॉपिन) का स्रावण होता है-
(अ) सरोली कोशिकाओं से
(ब) डिस्कस प्रालिजेरस
(स) अपरा (Placenta ) से
(द) पुटक कोशिकाओं से
उत्तर:
(स) अपरा (Placenta ) से

15. वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैली में स्थित होते हैं जिसे कहते हैं-
(अ) वृषणकोष
(स) शुक्राशय
(ब) अधिवृषण
(द) अण्डाशय
उत्तर:
(अ) वृषणकोष

16. नर जर्म कोशिकाएँ किस विभाजन के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण होता है?
(अ) अर्धसूत्री विभाजन
(ब) समसूत्री विभाजन
(स) असूत्री विभाजन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) अर्धसूत्री विभाजन

17. पुरुष लिंग की सहायक ग्रन्थि है-
(अ) शुक्राशय
(ब) प्रोस्टेट ग्रन्थि
(स) बल्बोयूरेथ्रल ग्रन्थि
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

18. शुक्राणुजनन के पश्चात् शुक्राणु हो जाता शीर्ष किन कोशिकाओं में अन्तःस्थापित है?
(अ) स्ट्रोमा में
(ब) ध्रुव कोशिकाओं में
(स) सर्टोली कोशिकाओं में
(द) थीका इन्टरना में
उत्तर:
(स) सर्टोली कोशिकाओं में

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

19. शुक्राणुओं की पूंछ को गति करने के लिए ऊर्जा किससे प्राप्त होती है?
(अ) गॉल्जीकाय
(ब) माइटोकॉन्ड्रिया
(स) लाइसोसोम
(द) केन्द्रक
उत्तर:
(ब) माइटोकॉन्ड्रिया

20. रजोधर्म की अनुपस्थिति किसका संकेत देती है?
(अ) गर्भपात का
(स) आर्तव चक्र का
(ब) गर्भधारण का
(द) मद चक्र का
उत्तर:
(ब) गर्भधारण का

21. मानव में एक महीने की सगर्भता के बाद भ्रूण अंग विकसित होता है
(अ) हृदय
(ब) पाद् व अंगुलियाँ
(स) बालों का
(द) बाह्य जननाँग
उत्तर:
(अ) हृदय

22. अपरा (प्लैसेंटा) का निम्न में से कार्य है-
(अ) पोषण
(ब) उत्सर्जन
(स) श्वसन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

23. शुक्राणुओं के साथ-साथ शुक्राणु प्लाज्मा मिलकर बनाता है-
(अ) वीर्य
(ब) हॉर्मोन
(स) एंजाइम
(द) क्षारीय द्रव
उत्तर:
(अ) वीर्य

24. स्त्री के प्राथमिक लैंगिक अंग हैं-
(अ) गर्भाशय
(ब) अण्डाशय
(स) अण्डवाहिनी
(द) इन्फन्डीबुलम
उत्तर:
(ब) अण्डाशय

25. शिश्न का अन्तिम वर्धित भाग कहलाता है-
(अ) फोरस्किन
(ब) मौंसप्यूबिस
(स) ग्लांस पेनिस
(द) अधिवृषण
उत्तर:
(स) ग्लांस पेनिस

26. फल शर्करा पाई जाती है-
(अ) मूत्र में
(ब) पसीने में
(स) ऑक्सीटोसिन में
(द) शुक्रिय प्लाज्मा में
उत्तर:
(द) शुक्रिय प्लाज्मा में

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27. मानव के शुक्राणु के शीर्ष भाग में उपस्थित केन्द्रक होता है-
(अ) गोलाकार
(ब) अण्डाकार
(स) त्रिकोणाकार
(द) दीर्घीकार (इलोगेटेड)
उत्तर:
(द) दीर्घीकार (इलोगेटेड)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
फटी हुई पुटक कोशिकाओं द्वारा निर्मित ग्रन्थिल संरचना से स्रावित एक हारमोन का नाम बताइए ।
उत्तर:
प्रोजेस्टरोन (Progestron) अथवा एस्ट्रोजन ( Estrogen ) ।

प्रश्न 2.
शुक्र कायान्तरण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
शुक्राणु पूर्वी कोशिकाएँ ( Spermatids ) गोल, अचल एवं अगुणित संरचनाएँ हैं। इनके आकारिकी, उपापचयी एवं क्रियात्मक रूप में एक अति विशिष्ट संरचना ‘शुक्राणु’ में परिवर्तन को शुक्र कायान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
एक पंचास वर्षीय स्त्री का रजचक्र समाप्त होना क्या कहलाता है ?
उत्तर:
एक पचास वर्षीय स्त्री का रजचक्र का समाप्त होना रजोनिवृत्ति (Menopause) कहलाता है ।

प्रश्न 4.
वीर्यसेचन ( Insemination) को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
स्त्री एवं पुरुष के संभोग (मैथुन) के दौरान शिश्न द्वारा (वीर्य) शुक्राणु स्त्री की योनि में छोड़ने की क्रिया को वीर्यसेचन कहते हैं।

प्रश्न 5.
गर्भावस्था (Gestation Period) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
निषेचन से शिशु के जन्म (प्रसव) के बीच के समय को गर्भावस्था कहते हैं ।

प्रश्न 6.
कॉरपोरा केवरनौसा कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर:
कॉरपोरा केंवरनौसा शिश्न (Penis) में पाया जाता है।

प्रश्न 7.
स्तनधारियों के एक्रोसोम द्वारा स्रावित एन्जाइम का नाम लिखिए जो अण्डकलाओं को घोलने में सहायता करता है ।
उत्तर:
स्तनधारियों के एक्रोसोम द्वारा हाएलसोयूरोनाइडेज एन्जाइम का स्रावण किया जाता है जो अण्ड कलाओं को घोलने में सहायता करता है।

प्रश्न 8.
हाथी, कुत्ता एवं बिल्ली में औसत गर्भकाल क्या है ?
उत्तर:
हाथी – 641 दिन, कुत्ता – 63 दिन एवं बिल्ली – 63 दिन ।

प्रश्न 9.
क्लोस्ट्रम क्या है ?
उत्तर:
प्रसव के पश्चात् मादा के स्तनों से प्रथम स्रावित दुग्ध क्लोस्ट्रम कहलाता है। यह हल्का पीला, गाढ़ा व रोग प्रतिरोधक होता है ।

प्रश्न 10.
भ्रूण का माता के गर्भाशय से सम्बन्ध बनाने की क्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर:
भ्रूण का माता के गर्भाशय से सम्बन्ध बनाने की क्रिया को आरोपण (Implantation) कहते हैं ।

प्रश्न 11.
अण्डाशय पीठिका कौनसे दो भागों में विभेदित होता है?
उत्तर:

  • परिधीय वल्कुट (Peripheral Cortex)
  • आन्तरिक मध्यांश (Internal Medulla)

प्रश्न 12.
रजोधर्म की अनुपस्थिति किस बात का संकेत है?
उत्तर:
रजोधर्म की अनुपस्थिति गर्भधारण का संकेत है।

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प्रश्न 13.
मनुष्य में किस प्रकार का अपरा (Placenta ) पाया जाता है ?
उत्तर:
मनुष्य में हीमोकारियल अपरा (Placenta ) पाया जाता है।

प्रश्न 14.
अण्डोत्सर्ग (Ovulation) के बाद ग्रेफियन पुटिका (Graffian Follicle) द्वारा निर्मित स्रावी संरचना का नाम लिखिए ।
उत्तर:
अण्डोत्सर्ग (Ovulation ) के बाद ग्रेफियन पुटिका (Graffian Follicle) द्वारा निर्मित स्रावी संरचना को कॉरपस ल्यूटियम (Corpus luteum) कहते हैं।

प्रश्न 15.
प्रसव के बाद दुग्ध संश्लेषण ( Milk Synthesis) के लिए उत्तरदायी हारमोन का नाम लिखिए ।
उत्तर:
प्रसव के बाद दुग्ध संश्लेषण ( Milk Synthesis) के लिए उत्तरदायी हारमोन LTH (Lactotrophic Hormone)।

प्रश्न 16.
शुक्राणुओं का संग्रहण व परिपक्वन (Storage & Maturation ) किस अंग में होता है ?
उत्तर:
अधिवृषण (Epididymis) में शुक्राणुओं का संग्रहण परिपक्वन होता है।

प्रश्न 17.
वृषण के एक पिण्डक (Lobule) में शुक्रज- नलिकाओं (Seminiferous Tubules) की संख्या कितनी होती है?
उत्तर:
वृषण के एक पिण्डक (Lobule) में शुक्रजन नलिकाओ (Seminiferous Tubules) की संख्या 1-3 होती है।

प्रश्न 18.
उस हारमोन का नाम लिखिए जो प्रसक (Parturition) के समय प्यूबिक सिम्फाइसिस (Pubic Symphysis) का शिथिलन करता है।
उत्तर:
रिलेक्सिन हारमोन प्रसव के समय प्यूबिक सिम्फाइसिस का शिथिलन करता है।

प्रश्न 19.
लैंगिक उत्तेजना (Sexual Excitement) के समय महिलाओं में रंगहीन पदार्थ का स्रावण किस ग्रन्थि द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
लैंगिक उत्तेजना (Sexual Excitement) के समय महिलाओं में रंगहीन पदार्थ का स्रावण बार्थोलिन ग्रन्थियों (Bartholian glands) द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 20.
योनि का द्वार प्राय: एक पतली झिल्ली से आंशिक रूप से ढका होता है जिसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
योनि का द्वार प्राय: एक पतली झिल्ली से आंशिक रूप से ढका होता है जिसे योनिच्छद (Hymen) कहते हैं।

प्रश्न 21.
एक छोटी अंगुली जैसी संरचना जो मूत्र द्वार के ऊपर दो वृहद् भगोष्ठ से ऊपरी मिलन बिन्दु के पास स्थित होती है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
एक छोटी अंगुली जैसी संरचना जो मूत्र द्वार के ऊपर दो वृहद् भगोष्ठ के ऊपरी मिलन बिन्दु के पास स्थित होती है उसे भगशेफ (Clitoris) कहते हैं।

प्रश्न 22.
जघन शैल (माँस प्यूबिस) किस प्रकार के ऊतकों से बनता है?
उत्तर:
जघन शैल (माँस प्यूबिस) वसामय ऊतकों से बना होता है।

प्रश्न 23.
गर्भाशय की भित्ति कितनी परतों से बनी होती है? नाम लिखिए ।
उत्तर:
गर्भाशय की भित्ति तीन परतों से बनी होती है-

  • परिगर्भाशय (पेरिमैट्रियम)
  • गर्भाशय पेशी स्तर (मायोमैट्रियम)
  • गर्भाशय अन्तःस्तर (एंडोमैट्रियम) ।

प्रश्न 24.
स्त्री के गर्भाशय की आकृति किस फल के समान होती है?
उत्तर:
स्त्री के गर्भाशय की आकृति उल्टी रखी हुई नाशपाती के समान होती है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 25.
उस भ्रूण अवस्था का नाम लिखिए जो मानव स्त्री की गर्भाशय भित्ति में अन्तर्रोपित हो जाती है।
उत्तर:
ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) मानव स्त्री की गर्भाशय भित्ति में अन्तरोंपित हो जाती है।

प्रश्न 26.
नवजात शिशुओं में कोलोस्ट्रम (Colostrum ) किस प्रकार रोगों के प्रति आरम्भिक सुरक्षा प्रदान करता है? एक कारण दे।
उत्तर:
कोलोस्ट्रम ( खीस) में कई प्रकार के प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) होती है जो नवजात शिशुओं में रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करती है।

प्रश्न 27.
वह क्या चीज है जो प्रसव के लिए उत्तरदायी हार्मोन्स के विमोचन के लिए पीयूष (पिट्यूटरी) को उत्तेजित करती है? उस हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्त (फीटल इंजेक्शन रेफलेक्स) पीयूष ग्रन्थि को आक्सीटोसिन (Oxytocin) हार्मोन के स्रावण को उद्दीपन करते हैं।

प्रश्न 28.
मादा के अण्डाशय से अण्डोत्सर्ग के लिए ग्राफी पुटक को फटने के लिए कौनसा हार्मोन प्रेरित करता है?
उत्तर:
LH हार्मोन के प्रभाव से ग्राफी पुटक फट जाती है।

प्रश्न 29.
मानव अण्डाशय में कौनसा भाग प्रोजेस्ट्रॉन स्त्रावित करता है?
उत्तर:
मानव अण्डाशय में पीत पिण्ड ( कार्पसल्यूटियम) प्रोजेस्ट्रॉन स्रावित करता है।

प्रश्न 30.
मानव भ्रूण में ट्रोफोब्लास्ट का क्या कार्य है?
उत्तर:
मानव भ्रूण में ट्रोफोब्लास्ट का कार्य गर्भाशय ( Uterus ) की आन्तरिक भित्ति (एण्डोमेट्रियम) को भेदने का कार्य है। जिससे ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) आन्तरिक भित्ति में रोपित हो सके।

प्रश्न 31.
अंडोत्सर्ग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अण्डाशय की ग्राफियन पुटिका में से द्वितीयक ऊसाइट का फट कर उदर गुहा में मुक्त होना अंडोत्सर्ग कहलाता है।

प्रश्न 32.
प्रथम स्तन्य या खीस क्या है?
उत्तर:
प्रसव के बाद मादा के स्तनों से आरम्भिक कुछ दिनों तक जो दूध निकलता है, उसे प्रथम स्तन्य या खीस (कोलोस्ट्रम) कहते हैं ।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
अपरा (Placenta ) किसे कहते हैं? गर्भाशय में अपरा को दर्शाते हुए मानव भ्रूण का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसके कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
अपरा (Placenta ) – भ्रूण के अन्तर्रोपण के पश्चात् पोषकोरक पर अंगुली जैसी संरचनाएँ उभरती हैं, जिन्हें जरायु अंकुरक (Chorionic Villi) कहते हैं। ये जरायु अंकुरक गर्भाशयी ऊतक और मातृ रक्त से आच्छादित होते हैं। जरायु अंकुरक और गर्भाशयी ऊतक एक-दूसरे के साथ अंतरागुलियुक्त (Interdigited) हो जाते हैं तथा संयुक्त रूप से परिवर्धशील भ्रूण (Foetus ) और मातृ शरीर के साथ एक संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को गठित करते हैं जिसे अपरा (Placenta ) कहते हैं। देखिए चित्र में ।

अपरा (Placenta ) के कार्य- अपरा के निम्नलिखित कार्य हैं-

  • भ्रूण को ऑक्सीजन तथा पोषण की आपूर्ति एवं कार्बन -डाइऑक्साइड तथा भ्रूण द्वारा उत्पन्न उत्सर्जी (Excretory ) अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।
  • अपरा एक नाभिरज्जु ( umbilical cord) द्वारा भ्रूण से जुड़ा होता है जो भ्रूण तक सभी आवश्यक पदार्थों को अन्दर लाने तथा बाहर ले जाने के कार्य में सहायता करता है।
  • अपरा अन्तःस्रावी (Endocrine) ऊतकों का कार्य करता है।
  • इसके द्वारा अनेक हार्मोनों का स्रावण किया जाता है जैसे मानव जरायु गोनेडोट्रॉपिन (HCG), मानव अपरा लैक्टोजन (HPL), एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोजन आदि ।
  • प्रोजेस्टरोन पूरे गर्भकाल तक गर्भ को साधे रखता है, प्रसव के समय अपरा से ही रिलेक्सिन का स्राव होता है जो प्रसव के समय मूत्रमार्ग व जननमार्ग को चिकना कर भ्रूण के निकास में सहायता करता है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन 1

प्रश्न 2.
अपवाहक नलिका तथा शुक्रवाहिनी में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अपवाहक नलिका (Vasa Efferentia) तथा शुक्रवाहिनी (Vasa Deferentia) में अन्तर

अपवाहक नलिका (Vasa Efferentia)शुक्रवाहिनी (Vasa Deferentia)
1. अपवाहक नलिका की उत्पत्ति वृषण जालक (Rete Testis) से होती है।जबकि शुक्रवाहिनी की उत्पत्ति कॉडा एपिडिडाइमिस (Cauda epididymis) से होती है।
2. अपवाहक नलिकाओं की संख्या 15-20 होती है।जबकि शुक्रवाहिनी की संख्या दो होती है।
3. अपवाह क नलिका अत्यधिक वलित होती है।वृषणकोष में आंशिक रूप से कुण्डलित तथा उदरगुहा में सीधी होती है।
4. वृषण जालक (Rete Testis) से शुक्राणुओं का कैपट एपिडिडाइमिस की ओर वहन करती है।शुक्रवाहिनी शुक्राणुओं का कॉडा एपिडडडाइ मिस से स्खलन वाहिनी (Eijculatory duct) की ओर वहन करती है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 3.
सगर्भता के विभिन्न महीनों में भ्रूण परिवर्धन के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव में सगर्भता की अवधि 9 महीने की होती है। सगर्भता के विभिन्न महींनों में भ्रूण परिवर्धन के प्रमुख लक्षण अग्र हैं-

  1. मानव में एक महीने की सगर्भता के बाद भ्रूण के हृदय का निर्माण होता है। हृदय की धड़कनों को स्टेथेस्कोप की सहायता से ध्यानपूर्वक सुना जा सकता है।
  2. सगर्भता के दूसरे माह के अन्त तक भ्रूण के पाद एवं अंगुलियाँ विकसित होती हैं।
  3. 12वें सप्ताह ( पहली तिमाही) के अन्त तक लगभग सभी प्रमुख अंग तंत्रों की रचना बन जाती है, जैसे पाद एवं बाह्य जननांग अच्छी तरह से विकसित हो जाते हैं।
  4. गर्भावस्था के पाँचवें माह के दौरान गर्भ की पहली गतिशीलता और सिर पर बाल उग आते हैं ।
  5. 24वें सप्ताह के अन्त तक (दूसरी तिमाही), पूरे शरीर पर कोमल बाल निकल आते हैं।
  6. आँखों की पलकें अलग-अलग हो जाती हैं और बरौनियाँ बन जाती हैं।
  7. गर्भावस्था के 9वें माह के अन्त तक गर्भ पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है और प्रसव के लिए तैयार हो जाता है।

प्रश्न 4.
युग्मक जनन किसे कहते हैं? इसके कोई तीन महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
जनदों (वृषणों एवं अण्डाशयों) में जननिक उपकला (Germinal epithelium) की कोशिकाओं से युग्मक कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को युग्मक जनन ( Gametogenesis) कहते हैं । युग्मक जनन का महत्त्व (Importance of Gametogenesis )

  • इसके फलस्वरूप अगुणित युग्मकों का निर्माण होता है। नर एवं मादा युग्मक संयुजन करके द्विगुणित युग्मनज (Diploid Zygote) का निर्माण करते हैं जिसके विकास से नए जीव की उत्पत्ति होती है।
  • इसमें होने वाले अर्धसूत्री विभाजन में जीन विनिमय (Crossingover) होता है जिससे नये संयोगों का निर्माण होता है।
  • युग्मक जनन की समानताओं के आधार पर जीवों का विकासीय क्रम जाना जा सकता है।

प्रश्न 5.
स्टेम कोशिकाएँ किसे कहते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
अंतर्रोपण के तुरन्त पश्चात् अन्तर कोशिका समूह (भ्रूण) बाह्य त्वचा (Ectoderm) नामक तथा एक बाहरी स्तर और अंतस्त्वचा (Endoderm) नामक एक भीतरी स्तर में विभेदित हो जाता है। इस बाह्यस्त्वचा और अंतस्त्वचा के बीच जल्दी ही मध्यजननस्तर (Mesoderm) बन जाता है। ये तीनों ही स्तर वयस्कों में भी ऊतकों (अंगों ) का निर्माण करते हैं। यहाँ यह स्पष्ट करना जरूरी है कि इस अन्तरकोशिका समूह में कुछ निश्चित तरह की कोशिकाएँ जिन्हें स्टेम कोशिकाएँ कहते हैं, समाहित रहती हैं, जिनमें यह क्षमता होती है कि वे सभी अंगों एवं ऊतकों को उत्पन्न कर सकती हैं।

प्रश्न 6.
यदि मनुष्य की एपिडिडाइमिस को काट दिया गया है तो कौनसा कार्य प्रभावित होगा? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
यदि मनुष्य की एपिडिडाइमिस को काट दिया जाये तो इसके अभाव में शुक्राणुओं का परिपक्वन, पोषण एवं संग्रह (एक माह तक) कार्य नहीं होगा । एपिडिडाइमिस के अभाव में वृषण से शुक्राणु शुक्रवाहिनी तक नहीं जा पायेंगे जिसके फलस्वरूप निषेचन क्रिया नहीं होगी।

प्रश्न 7.
प्रजनन क्रिया में स्त्रियों की पुरुषों की तुलना में अधिक जिम्मेदारी होती है। क्यों? समझाइये |
उत्तर:
प्रजनन क्रिया में स्त्रियों की पुरुषों की तुलना में अधिक जिम्मेदारी होती है, क्योंकि मादा जनन तन्त्र द्वारा जनन से सम्बन्धित कई कार्य सम्पादित किये जाते हैं; जैसे- अण्डाणु निर्माण, मैथुन के समय शुक्राणुओं को ग्रहण करना, गर्भाधान हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करना, नवजात शिशु को भ्रूणावस्था एवं प्रसव पश्चात् पोषण देना, स्तन ग्रन्थियों द्वारा दूध का संश्लेषण एवं स्रावण आदि ।

प्रश्न 8.
मदचक्र किसे कहते हैं? मदचक्र एवं रजचक्र के कोई तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर:
मदचक्र (Estrous cycle ) – नॉन प्राइमेट्स स्तनधारियों की मादाओं के जनन तन्त्र में होने वाले चक्रीय परिवर्तनों को मद चक्र कहते हैं। इस काल या चक्र में मादा उत्तेजित अवस्था में होती है एवं मैथुन हेतु तैयार होती है। मद चक्र (Estrous cycle) एवं रजचक्र (Menstrual cycle) में अन्तर –

मद चक्र (Estrous cycle)रजचक्र (Menstrual cycle)
1. प्राइमेट्स को छोड़कर सभी स्तनधारियों में चक्र पाय जाता है। उदाहरण-कुत्तायह चक्र प्राइमेट्स मादा स्तनियों में पाया जाता है। उदाहरण-स्त्री
2. इसमें रक्त का स्राव नही होता है ।इस चक्र के अन्त में रक्त का साव होता है ।
3. एण्डोमीट्रियम का क्षरण एवं रक्तस्राव नहीं होता है ।एण्डोमीट्रियम का क्षरण एवं रक्तस्राव होता है।
4. मद चक्र में मादा उत्तेजित अवस्था में होती है एवं मैथुन हेतु तैयार होती है।इस चक्र में ऐसा नहीं होता है।

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प्रश्न 9.
भगशेफ क्या है?
उत्तर:
भगशेफ/क्लाइटोरिस ( Clitoris ) – यह भग (Vulva) के अग्र छोर पर स्थित एक घुण्डीनुमा रचना होती है जिसे क्लाइटोरिस (Clitoris) कहते हैं। यह स्पर्शकणिकाओं की अधिक उपस्थिति के कारण अत्यधिक संवेदी होता है। क्लाइटोरिस नर के शिश्न के समजात अंग है। लैंगिक संभोग के समय यह मादा में उत्तेजना तरंगों को प्रसारित करने में सहायक होता है।

प्रश्न 10.
यदि नर के वृषण से निकले हारमोन को मादा में प्रवेश करा दिया जावे तो क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
नर के वृषण से स्रावित होने वाला हारमोन नर के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का नियन्त्रण करता है। इन नर हारमोन्स को यदि मादा में प्रवेश कराया जायेगा तो मादा में नर के द्वितीयक लक्षण बनने की सम्भावना पैदा हो जायेगी।

प्रश्न 11.
अण्डाशय को अन्तःस्रावी ग्रन्थि क्यों कहा जाता है ? समझाइये |
उत्तर:
अण्डाशय भी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के समान हारमोन स्रावित करता है । अण्डाशय में पाये जाने वाला कॉरपस ल्यूटियम (Corpus Luteum) निषेचन के तुरन्त बाद सक्रिय होकर निम्न हारमोन्स का स्रावण करता है-

  • प्रोजेस्टेरॉन (Progesteron ) – यह हारमोन गर्भ धारण = गर्भावस्था के लिये आवश्यक है। अतः इसे गर्भावस्था हारमोन (Pregnancy Hormone) कहते हैं।
  • रिलैक्सिन (Relaxin) – प्रसव के समय यह हारमोन श्रोणि मेखला के प्यूबिक सिम्फाइसिस को शिथिल करता है, जिससे जन्म नाल (Birth Canal) या वेजाइना चौड़ी हो जाती है और शिशु का जन्म सुगमता से हो जाता है।

प्रश्न 12.
यदि मादा की अण्डवाहिनियों के स्थान पर प्लास्टिक की नलिकायें लगा दी जायें, तो अण्डाणुओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
मादा में अण्डवाहिनियों का प्रारम्भिक कार्य अण्डों को निषेचन के लिए आगे बढ़ाना, शुक्राणुओं को स्थान देना तथा उनकी गति व जीवन को सुरक्षित रखते हुए निषेचन के लिए स्थान देना आदि होते हैं । प्लास्टिक की नली में अण्डों को आगे कैसे बढ़ाया जा सकेगा तथा विशेष तरल पदार्थों की अनुपस्थिति में तो शुक्राणु अण्डों तक कैसे पहुँचेंगे अर्थात् निषेचन नहीं हो सकेगा। इसके बाद की प्रक्रियायें जैसे रोपण, गर्भधारण, भ्रूण परिवर्धन आदि की तो बात ही नहीं की जा सकती। इस प्रकार अण्डाणु नष्ट हो जायेगा ।

प्रश्न 13.
यदि पुरुष के शरीर से प्रोस्टेट ग्रन्थि तथा काउपर्स ग्रन्थियाँ निकाल दी जाएँ तो शुक्राणुओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
प्रोस्टेट ग्रन्थि का स्राव शुक्राणुओं के लिए जीवनदायक होता है। ये एपिडिडाइमिस में रहने तक निष्क्रिय होते हैं, किन्तु इस व्यन्थि के स्राव के सम्पर्क में आते ही सक्रिय हो जाते हैं। वीर्य के अधिकांश भाग में इसी ग्रन्थि का स्राव होता है। काउपर्स ग्रन्थि का स्राव क्षारीय होता है तथा शुक्राणुओं की रक्षा करता है।

नर में मूत्र मार्ग और शुक्र रस का मार्ग एक ही होता है और सूत्र हल्का अम्लीय होता है। यदि दोनों ग्रन्थियों को पुरुष के शरीर से निकाल दिया जाये तो शुक्राणु न तो निष्क्रियता छोड़कर सक्रिय हो सकेंगे और न ही उनकी सुरक्षा अम्ल इत्यादि से हो सकेगी। अतः निषेचन करने योग्य भी नहीं होंगे।

प्रश्न 14.
यौवनारम्भ (Puberty) किसे कहते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
यौवनारम्भ (Puberty ) – मानव में नर एवं मादा में अपरिपक्व जनन अंगों का परिपक्व होकर जनन क्षमता का विकास होना यौवनारम्भ कहलाता है। नर की अपेक्षा मादा में यौवनारम्भ पहले प्रारम्भ होता है। मानव नर में यौवनारम्भ 14-16 वर्ष की आयु में वृषणों की सक्रियता तथा शुक्राणु उत्पादन के साथ शुरू होता है जबकि मादा में 12-14 वर्ष की आयु में स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि एवं रजोदर्शन के साथ प्रारम्भ होता है।

प्रश्न 15.
वृषण देहगुहा के बाहर क्यों होते हैं? समझाइये ।
उत्तर:
मानव में वृषण देहगुहा के बाहर होते हैं क्योंकि वृषण कोष में ताप शरीर के ताप से लगभग 2-2.5°C तक कम होता है जिसके कारण शुक्राणुओं का निर्माण सुगमता से होता है। यदि वृषण देहगुहा के अन्दर होंगे तो शरीर के तापमान पर शुक्राणुओं का बनना असम्भव होगा।

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प्रश्न 16.
प्राथमिक शुक्र कोशिकाओं व 100 प्राथमिक tus कोशिकाओं से कितने शुक्राणु व अण्डाणु बनेंगे? समझाइए ।
उत्तर:
100 शुक्राणु व 100 अण्डाणु बनेंगे। शुक्रजनन में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्वन विभाजन केन्द्रक एवं कोशिकाद्रव्यी विभाजन में समान होते हैं एवं परिणामस्वरूप चार समान शुक्राणु निर्मित होते हैं। अतः 25 प्राथमिक कोशिकाओं से 100 शुक्राणुओं का निर्माण होता है। जबकि अण्डजनन में दोनों परिपक्वन विभाजन असमान कोशिकाद्रव्यी विभाजन दर्शाते हैं तथा इसके फलस्वरूप एक बड़ी अण्डाणु कोशिका तथा तीन ध्रुवकायों का निर्माण होता है। तीनों ध्रुवकाय नष्ट हो जाती हैं, केवल एक अण्डाणु शेष रहता है। अतः 100 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से 100 अण्डाणुओं का निर्माण होता है।

प्रश्न 17.
मानव नर व मादा में यौवनारम्भ शुरू होने पर क्या-क्या परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:
यौवनारम्भ के समय मानव नर तथा मादा में होने वाले परिवर्तन-

नर (Male)मादा (Female)
1. शिश्न, वृषण कोषों, प्रॉस्टेट ग्रन्थि एवं शुक्राशय ग्रन्थि के आकार में वृद्धि होती है।गर्भाशय, योनि, अण्डवाहिनियों तथा भग के आकार में वृद्धि होती है।
2. वृषणों के आकार में वृद्धि एवं शुक्राणुजनन प्रारम्भ होता है।वक्ष स्थल पर स्तन ग्रन्थियों में वृद्धि तथा रजोदर्शन के साथ मासिक चक्र का प्रारम्भ होना।
3. आवाज का भारी होना।आवाज महीन, तीव्र एवं मधुर हो जाती है।
4. शरीर के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चेहरे, वक्षस्थल एवं श्रोणि भाग में बालों का उगना।शरीर पर बालों का अभाव होना।
5. शरीर में तीव्र वृद्धि तथा अंसीय क्षेत्र में वृद्धि होना।श्रोणि भाग में तीव्र वृद्धि, नितम्ब भाग का फैलकर चौड़ा होना, स्तनों की वृद्धि, शरीर में वसा का संचय।
6. टेस्टोस्टेरोन, FSH, LH इत्यादि हारमोन के स्रावण में वृद्धि।प्रोजेस्टेरोन, ऐस्ट्रोजन तथा FSH, LH हारमोन के स्राव में वृद्धि होना।
7. मादा की ओर मनोवैज्ञानिक आकर्षण।नर की तरफ मनोवैज्ञानिक आकर्षण।

प्रश्न 18.
पुरुषों में सहायक जनन ग्रन्थियाँ वीर्य निर्माण एवं जनन प्रक्रिया में किस प्रकार सहायता करती हैं?
उत्तर:
पुरुषों में सहायक जनन ग्रन्थियाँ तीन प्रकार की पायी जाती हैं। ये सभी स्रावी पदार्थ अधिवृषण एवं शुक्राशय द्वारा स्रावित पदार्थों एवं शुक्राणुओं से मिलकर वीर्य का निर्माण करती हैं।
(1) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate Gland) – यह ग्रन्थि मूत्र मार्ग के आधार भाग पर स्थित होती है। यह कई पिण्डों से मिलकर बनी होती है। इस ग्रन्थि द्वारा हल्के सफेद क्षारीय तरल पदार्थ का स्रावण किया जाता है, जो वीर्य का 25-30 प्रतिशत भाग बनाता है। इस तरल में फॉस्फेट्स, सिट्रेट, लाइसोजाइम, फाइब्रिनोलाइसिन, स्पर्मिन आदि पदार्थ पाये जाते हैं। यह शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य के स्कंदन को रोकता है।

(2) शुक्राशय (Seminal Vesicle ) – यह मूत्राशय की पश्च सतह एवं मलाशय के बीच में स्थित होता है जो एक जोड़ी थैलीनुमा रचना है। शिश्न के उत्तेजित अवस्था में स्खलन के समय शुक्राशय संकुचित होकर स्राव मुक्त करते हैं। यह स्राव वीर्य का 60% भाग बनाता है। स्राव की क्षारीय प्रकृति के कारण यह स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है ।

(3) काउपर ग्रन्थि या ब्लबोयूरीथल ग्रन्थि (Cowper’s Gland or Bulbouretheral Gland) – मैथुन के समय इस ग्रन्थि द्वारा एक गाढ़ा, चिपचिपा तथा क्षारीय पारदर्शी तरल पदार्थ स्रावित किया जाता है जो मूत्र मार्ग को चिकना बनाता है तथा मूत्र मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर उसे उदासीन या हल्का क्षारीय बनाता है। यह तरल मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है। अतः हम कह सकते हैं कि पुरुषों में सहायक जनन ग्रन्थियाँ वीर्य निर्माण एवं जनन प्रक्रिया में सहायता करती हैं।

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प्रश्न 19.
कार्पस ल्यूटियम का निर्माण किस प्रकार होता है तथा इसका प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:
अण्डोत्सर्ग (Ovulation) के पश्चात् रिक्त या खाली ग्राफियन पुटिका नष्ट न होकर ल्यूटिनाइजिंग हारमोन (LH) के प्रभाव से, एक पीली ग्रन्थिल रचना में बदल जाती है जिसे कॉर्पस ल्यूटियम (Corpus Luteum) अथवा पीत पिण्ड कहते हैं। अण्ड के बाहर निकल जाने पर पुटिका का फटा हुआ भाग बंद हो जाता है और इसकी गुहा में रक्त जमा होकर एक थक्का (Clot ) बन जाता है।

थक्के के चारों ओर की पुटिका कोशिकाएँ LH के कारण ल्यूटिन की कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। इनके द्रव्य में ल्यूटिन नामक पीला-सा वर्णक बन जाता है। ये कोशिकाएँ आमाप में बड़ी होती हैं तथा प्रोजेस्ट्रान (Progestrone) तथा रिलेक्सिन (Relaxin) नामक हारमोन का स्रावण करती हैं। इस प्रकार यह एक अन्तःस्रावी ग्रन्थि होती है।

यदि अण्डाणु का निषेचन (फैलोपियन नलिका में) हो जाता है तो यह प्रोजेस्ट्रान तथा रिलेक्सिन हारमोन का स्रावण करती रहती है अन्यथा निष्क्रिय होकर नष्ट होने लगती है। कार्पस ल्यूटियम की अपभ्रष्ट (Degenerate) हुई रचना को कार्पस एल्बिकैन्स (Corpus Albicans) कहते हैं। यह अन्त में समाप्त हो जाती है।

कार्य-

  1. पीत पिण्ड (Corpus Luteum) द्वारा स्रावित प्रोजेस्टरोन हारमोन भ्रूण के सफल परिवर्धन के लिए गर्भ को बनाये रखता है। इसलिये उसे सगर्भता हारमोन (Pregnancy Hormone) भी कहते हैं।
  2. भ्रूणीय परिवर्धन पूर्ण हो जाने के उपरान्त शिशु के जन्म के लिए पीत पिण्ड (Corpus Luteum) द्वारा रिलेक्सन (Relaxin) हारमोन उत्पन किया जाता है।

प्रश्न 20.
मानव में मादा के विभिन्न जनन अंगों के महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर:
मानव में मादा के विभिन्न जनन अंगों के महत्त्वपूर्ण कार्य

अंग का नाम (Name of Organ)जनन अंगों के कार्य (Functions of Reproductive organ)
1. अण्डाशय (Ovary)अंडों का निर्माण करता है।
2. अण्डवाहिनियाँ Oviducts)निषेचन स्थल, निषेचित अंड/भू को गर्भाशय में स्थानान्तरित करती है।
3. गर्भाशय (Uterus)आन्तरिक परत भ्रूण को ग्रहण करती है और उसे पोषण प्रदान करती है। मांसल भित्ति के संकुचनी प्रसव के दौरान शिशु को बाहर निकालने में सहायता करती है।
4. गर्भ ग्रीवा (Cervix)जलीय श्लेष्म उत्पन्न करती है जो शिश्न के लिये एक स्नेहक प्रदान करता है जिसमें स्खलन के पश्चात् शुक्राणु तैरते हैं।
5. योनि (Vagina)लैंगिक समागम के दौरान शिश्न को ग्रहण करती है व प्रसव के दौरान शिशु को निकालने के लिए नलिका का काम करती है।
6. क्लाइटोरिस (Clitoris)नर शिश्न के समजात।

प्रश्न 21.
25 प्राथमिक शुक्र कोशिकाएँ व 25 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से कितने शुक्राणु व अण्डाणु बनेंगे? कारण सहित समझाइए ।
उत्तर:
1000 शुक्राणु व 25 अण्डाणु बनेंगे। शुक्रजनन में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्व विभाजन केन्द्रक एवं कोशिकाद्रव्यी विभाजन में समान होते हैं एवं परिणामस्वरूप चार समान शुक्राणु निर्मित होते हैं। होता है। अतः 25 प्राथमिक कोशिकाओं से 100 शुक्राणुओं का निर्माण जबकि अण्डजनन में दोनों परिपक्वन विभाजन असमान कोशिकाद्रव्यी विभाजन दर्शाते हैं तथा इसके फलस्वरूप एक बड़ी अण्डाणु कोशिका तथा तीन ध्रुवकायों का निर्माण होता है। तीनों ध्रुवकाय नष्ट हो जाती हैं, केवल एक अण्डाणु शेष रहता है। अतः 25 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से 25 अण्डाणुओं का निर्माण होता है।

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प्रश्न 22.
शुक्रजनन का क्या महत्व है?
उत्तर:
शुक्रजनन का निम्न महत्त्व है-

  1. शुक्रजनन क्रिया के फलस्वरूप अगुणित युग्मक अर्थात् शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
  2. इस क्रिया से पैतृक के आनुवंशिक गुण शुक्राणु में गुणसूत्रों एक समुच्चय के रूप में आ जाते हैं। यह निषेचन अण्डाणु में प्रवेश करते हैं।
  3. इस क्रिया से बनी अगुणित, पुच्छयुक्त संरचना होती है। यह द्रवीय माध्यम में सरलता से गति करने योग्य होते हैं।

प्रश्न 23.
शुक्रजनन व अण्डजनन में कोई चार समानताएँ लिखिये ।
उत्तर:
शुक्रजनन व अण्डजनन में समानताएँ-

  1. दोनों क्रियाएँ जनदों में जनन उपकला की प्राथमिक जनन कोशिकाओं द्वारा आरम्भ होती हैं।
  2. दोनों क्रियाओं में तीन प्रावस्थाएँ पाई जाती हैं गुणन प्रावस्था वृद्धि प्रावस्था व परिपक्वन प्रावस्था ।
  3. गुणन प्रावस्था के तहत दोनों में समसूत्री विभाजन द्वारा जनन कोशिकाओं की संख्यात्मक वृद्धि होती है।
  4. दाना क्रियाओं का परिपक्वन प्रावस्था में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्वन विभाजन होते हैं जो अर्धसूत्रीय विभाजन होता है।

प्रश्न 24.
वयस्क की शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबर की नलिका लगा दी जावे तो क्या प्रभाव पड़ेगा? समझाइए ।
उत्तर;
वयस्क में शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबड़ की नलिका लगा दी जाती है तो शुक्राणुओं में गमन नहीं हो पायेगा क्योंकि शुक्रवाहिनी की कोशिकाएँ विशेष तरल पदार्थ का स्राव करती हैं जो शुक्रवाहिनी के मार्ग को शुक्राणुओं के गमन हेतु चिकना बनाती हैं । इसके साथ ही शुक्रवाहिनी की दीवार में पेशियों में तरंग गति उत्पन्न होती है जिससे शुक्राणु आगे बढ़ते हैं । अतः रबड़ की नलिका में शुक्राणुओं का गमन नहीं होगा ।

प्रश्न 25.
शुक्रजनक नलिकाओं (वर्धित) आरेखीय काट का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
शुक्रजनक नलिकाओं (वर्धित) के आरेखीय काट का चित्र-
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प्रश्न 26.
सर्टोली कोशिकाओं से क्या तात्पर्य है? इनका क्या कार्य है?
उत्तर:
सर्टोली कोशिकायें (Sertoli Cells) – इन्हें आलम्बन अथवा धात्री कोशिकायें (Nurse Cells) भी कहते हैं। ये कोशिकायें मुग्दाकार, संख्या में कम एवं आकार में बड़ी होती हैं। इनके स्वतन्त्र भाग में शुक्राणुपूर्व कोशिकायें (Spermatids ) सटकर लगी होती हैं।
सर्टोली कोशिकाओं का कार्य –

  • ये विकासशील जनन कोशिकाओं को सुरक्षा, आलम्बन तथा पोषण प्रदान करती हैं।
  • शुक्राणुपूर्व कोशिका के बेकार कोशिकाद्रव्य का विघटन करती हैं।
  • इनके द्वारा शुक्राणु उत्पादन प्रेरित करने वाले हारमोन की क्रिया का नियमन करने हेतु इन्हिबिन (Inhibin) हारमोन का स्रावण किया जाता है।

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प्रश्न 27.
सगर्भता किसे कहते हैं? सगर्भता को बनाये रखने वाले हार्मोन्स के नाम लिखिए ।
उत्तर:
सगर्भता (Pregnancy) – भ्रूण का गर्भाशय की भित्ति से जुड़ना आरोपण कहलाता है और बाद में यह सगर्भता का रूप धारण कर लेती है। रजोधर्म का न आना ही सगर्भता का संकेत है। सगर्भता को बनाये रखने वाले हार्मोन्स निम्न हैं- मानव जरायु गोनेडोट्रापिन, मानव अपरा लेक्टोजन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन आदि हार्मोन अपरा द्वारा स्रावित किये जाते हैं। सगर्भता के उत्तरार्द्ध की अवधि में अण्डाशय द्वारा रिलैक्सिन नामक एक हार्मोन भी स्रावित किया जाता है।

मानव जरायु गोनेडोट्रापिन मानव अपरा लेक्टोजन और रिलैक्सिन स्त्री में केवल सगर्भता की स्थिति में उत्पादित होते हैं। इसके अलावा दूसरे हार्मोनों जैसे एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, कॉर्टिसाल, प्रोलेक्टिन, थॉइराक्सिन आदि की भी मात्रा सगर्भता के दौरान माता के रक्त में कई गुणा बढ़ जाती है। इन हार्मोनों के उत्पादन में बढ़ोतरी होना भी भ्रूण वृद्धि, माता की उपापचयी क्रियाओं में परिवर्तनों तथा सगर्भता को बनाये रखने के लिए आवश्यक होता है।

प्रश्न 28.
यदि निषेचन पश्चात् स्त्री के अण्डाशय को काटकर हटा दिया जावे तो गर्भ पर क्या प्रभाव होगा? समझाइए ।
उत्तर:
अण्डाशय में उपस्थित कार्पस ल्यूटियम एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रान तथा रिलैक्सिन हार्मोन्स का सक्रिय स्रावण करता है। यही गर्भाशय की दीवार के संकुचन को रोक कर गर्भ की सुरक्षा करता है। इसलिए गर्भधारण के बाद लगभग 6 सप्ताह तक कॉर्पस ल्यूटियम का सक्रिय रहना आवश्यक है। यदि इस दौरान अण्डाशय को हटा दिया जाये तो गर्भपात ( abortion) हो जाता है। लगभग 6 सप्ताह के गर्भकाल के पश्चात् अपरा (Placenta ) से ही एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा स्रावित होने लगती है जिससे गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती है अतः अब अण्डाशयों को हटा दिया जाए तो गर्भपात नहीं होगा ।

प्रश्न 29.
वीर्यसेचन को परिभाषित करते हुए निषेचन क्रिया को समझाइए ।
उत्तर:
वीर्यसेचन (Insemination ) – स्त्री एवं पुरुष के संभोग मैथुन के दौरान शिश्न द्वारा शुक्र (वीर्य) स्त्री की योनि में छोड़ना वीर्यसेचन कहलाता है । निषेचन क्रिया- गतिशील शुक्राणु तेजी से तैरते हुए गर्भाशय ग्रीवा से होकर गर्भाशय में प्रवेश करते हैं और अन्त में अण्डवाहिनी नली के संकीर्ण पथ (इस्थमस) तथा तुंबिका (Ampulla) के संधिस्थल तक पहुँचते हैं।

इसी बीच अण्डाशय द्वारा मोचित अंडाणु भी इस संधिस्थल तक पहुँच जाता है, जहाँ निषेचन की क्रिया सम्पन्न होती है। निषेचन तभी हो सकता है जब अण्डाणु तथा शुक्राणु दोनों एक ही समय में तुंबिका – संकीर्ण पथ के संधिस्थल पर पहुँच जाएँ। यही कारण है जिससे कि संभोग क्रियाएं निषेचन व सगर्भता की स्थिति में नहीं पहुँच पाती हैं।
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शुक्राणु के साथ एक अण्डाणु के संलयन की प्रक्रिया को निषेचन (Fertilization) कहते हैं। निषेचन के दौरान एक शुक्राणु अण्डाणु के पारदर्शी अण्डावरण (Zona Pellucida ) स्तर के सम्पर्क में आता है। देखिए चित्र में और अतिरिक्त शुक्राणुओं के प्रवेश को रोकने हेतु उसके उक्त स्तर में बदलाव प्रेरित करता है।

इस प्रकार यह सुनिश्चित हो जाता है कि एक अण्डाणु को केवल एक ही शुक्राणु निषेचित कर सकता है। अग्रपिण्डक (Acrosome ) का स्रवण शुक्राणु की पारदर्शी अंडावरण के माध्यम से अंडाणु के कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) तथा प्लाज्मा भित्ति से प्रवेश करने में मदद करता है। यह द्वितीयक अंडक के अर्द्धसूत्री विभाजन को प्रेरित करता है।

दूसरा अर्धसूत्री विभाजन भी असमान होता है और इसके फलस्वरूप द्वितीयक ध्रुवीय पिंड (Secondary Polar Body ) की रचना होता है और एक अगुणित अंडाणु बनता है। शीघ्र ही शुक्राणु का अंडाणु के अगुणित केन्द्रक के साथ संलयन (Fusion ) होता है, जिससे कि द्विगुणित युग्मनज (Diploid Zygote) की रचना होती है।

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प्रश्न 30.
स्तन ग्रन्थि का आरेखीय काट का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए एवं दुग्ध स्रवण को समझाइए ।
उत्तर:
स्तन ग्रन्थि का पाया जाना सभी मादा स्तनधारियों का लक्षण है। मादा (स्त्री) में एक जोड़ी स्तन ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं। प्रत्येक स्तन ग्रन्थि में ग्रन्थिल ऊतक एवं वसीय ऊतक होता है। स्तन का ग्रन्थिल ऊतक 15-20 स्तन पालियों (Mammary lobes) में विभक्त होता है। इसमें कोशिकाओं के गुच्छ होते हैं, जिन्हें कूपिका (alveoli) कहते हैं। इन कूपिकाओं की कोशिकाओं के द्वारा दूध का स्रावण किया जाता है।

यह दूध कूपिकाओं की गुहाओं ( अवकाशिकाओं) में संग्रह किया जाता है। ये कूपिकाएँ स्तन नलिकाओं (Mammary tubules) में खुलती हैं। प्रत्येक पाली की नलिकाएँ मिलकर स्तन वाहिनी (Mammary ducts) का निर्माण करती हैं। विभिन्न स्तन वाहिनियाँ (Mammary ducts) मिलकर एक वृहद् स्तन तुंबिका (ampulla) बनाती हैं जो दुग्ध वाहिनी (Lactiferous duct) से जुड़ी होती हैं। जिससे कि दूध स्तन से बाहर निकलता है।
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दुग्ध स्रवण (Lactation) –
सगर्भता की अवस्था में प्रोजेस्ट्रान व एस्ट्रोजन हार्मोन्स के प्रभाव से स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि से स्त्री के वक्ष बड़े आकार के हो जाते हैं। प्रोलेक्टिन के प्रभाव से शिशु जन्म के 24 घण्टे के अन्दर दुग्ध ग्रन्थियों से दुग्ध स्रावण (Lactation) हो जाता है। प्रारम्भ में वक्ष की चूचुकों से कोलस्ट्रम (Colstrum) का स्राव होता है। यह पीले रंग का होता है जिसमें ग्लोबुलिन प्रोटीन (Globulin Protein) काफी मात्रा में होता है। इसमें माता की एण्टीबॉडीज (Antibodies) होती है जो नवजात शिशु की संक्रमण से रक्षा करती है।

प्रश्न 31.
मानव शुक्राणु (Human Sperm) की सूक्ष्मदर्शीय संरचना का नामांकित चित्र बनाइये ।
उत्तर:
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प्रश्न 32.
मनुष्य के अण्डाशय की काट का एक नामांकित चित्र बनाइए जिसमें ग्राफी पुटिका की विभिन्न अवस्थाएँ प्रदर्शित हों ।
उत्तर:
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प्रश्न 33.
एक परिपक्व ग्रेफियन पुटिका ( Mature Graffian Follicle) का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
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प्रश्न 34.
शुक्र कोशिका निर्माण (Spermatogenesis) एवं शुक्र कायान्तरण ( Spermiogenesis) में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
शुक्र कोशिका निर्माण एवं शुक्र कायान्तरण में अन्तर

शुक्र कोशिका निर्माण (Spermatogenesis)शुक्र कायान्तरण (Spermiogenesis)
1. यह पूर्व शुक्राणु निर्माण की द्वितीय प्रावस्था होती है।यह पूर्व शुक्राणु निर्माण के पश्चात् की प्रावस्था होती है।
2. इ समें स्पर मे टो गो निया (Spermatogonia) से प्राथमिक शुक्र कोशिकाएँ (Primary Spermatocytes) बनती हैं।इसमें स्पर मेट्ट्स् (Spermatids) से परिपक्व अगुणित शुक्राणुओं (Sperms) का निर्माण होता है।
3. यह शुक्रजनन कोशिकाओं की वृद्धि में भाग लेता है।इस क्रिया में कोशिकाओं का स्थानान्तरण होता है।
4. इ समें अनेक प्रक्रिया सम्मिलित होती हैं।यह शुक्राणु निर्माण की अन्तिम प्रावस्था है।

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प्रश्न 35.
दिये गये चित्र का अध्ययन कीजिए और पूछे जा रहे प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
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(अ) चित्र में प्रदर्शित मानव भ्रूण की अवस्था का नाम लिखिए ।
(ब) चित्र ‘a’ नामांकित भाग का नाम लिखिए एवं उसका कार्य लिखिए ।
(स) गर्भाशय के भीतर अन्तर्रोपित होने के बाद भीतरी कोशिका संहति का क्या होता है? लिखिए।
(द) इस भ्रूणम में स्टेम (मूल) कोशिकाएँ कहाँ हैं?
उत्तर:
(अ) ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst)
(ब) ट्रोफोब्लास्ट ( Trophoblast), कार्य-ट्रोफोब्लास्ट भ्रूण को सुरक्षा एवं पोषण उपलब्ध करवाती है।
(स) यह वास्तविक भ्रूण बनाती है।
(द) स्टेम (मूल) कोशिकाएँ भीतरी कोशिका संहति में है।

प्रश्न 36.
दिये गये चित्र के आधार पर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
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  • शुक्राणुजनन की क्रिया किस कोशिका में होती है? नाम लिखिए।
  • ‘a’ तथा ‘b’ कोशिकाओं के नाम लिखिए। गुणसूत्रों की संख्या के आधार पर दोनों में क्या अन्तर होता है?
  • समसूत्री कोशिका को चिन्हित कर नाम लिखिए ।
  • ‘f’ कोशिका क्या है? इसका कार्य लिखिए।
  • उपरोक्त चित्र किस संरचना का भाग है? नाम लिखिए।

उत्तर:

  • ‘d’ शुक्राणु पूर्वी (Spermatid)
  • ‘a’ स्पर्मेटोगोनिया (Spermatogonia) ‘b’ प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट (Primary Spermatocyte), दोनों कोशिकाएँ द्विगुणित (Diploid) होती है। प्रत्येक में गुणसूत्र 46 होते हैं ।
  • समसूत्री विभाजन-‘e’
  • ‘T’ कोशिका – सर्टोली कोशिका (Sertoli Cell) कार्य – विकासशील शुक्राणुओं को पोषण एवं आलम्बन प्रदान करती है।
  • शुक्रजनन नलिका (Seminiferous tubule)

प्रश्न 37.
मानव गर्भाशय की पेशीय तथा ग्रन्थीय परतों के नाम लिखिए। रजोचक्र के दौरान इनमें से किस परत में चक्रीय परिवर्तन होता है? इस परत के बने रहने के लिए अनिवार्य हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव गर्भाशय की पेशीय तथा ग्रन्थीय परतें निम्न हैं-

  1. एपिमेट्रियम (Epimatrium) – यह बाह्य तथा विसरल पेरीटोनियम से बनी होती है।
  2. मायोमेट्रियम (Myomatrium) – यह मध्य चिकनी कोशिकाओं से बनी होती है।
  3. एण्डोमेट्रियम (Endomatrium) – यह सबसे अन्दर की परत है जो ग्रन्थिल होती है।

रजोचक्र के दौरान एण्डोमेट्रियम परत में चक्रीय परिवर्तन होते हैं। इस परत के बने रहने के लिए अनिवार्य हार्मोन निम्न हैं- FSH, LH, तथा एस्ट्रोजन ।

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प्रश्न 38.
लेडिग कोशिकाएँ कहां पाई जाती हैं? प्रजनन में इनकी क्या भूमिका है?
उत्तर:
वृषण में शुक्रजनन नलिकाओं (Seminiferous tubules) के बाहर संयोजी ऊतक में धँसी हुई अनेक कोशिकाओं के समूह पाये जिन्हें लेडिंग कोशिकाएँ कहते हैं। इन्हें अन्तराली कोशिकाएँ (Interstial Cells) भी कहते हैं । इनके द्वारा नरलिंगी हार्मोन (male sex hormone) पुंजन ( एन्ड्रोजन) स्रावित किया जाता है ।

प्रश्न 39.
रजोदर्शन ( Menarch) तथा रजोनिवृत्ति (Menopause) में क्या अन्तर है?
उत्तर:
रजोदर्शन तथा रजोनिवृत्ति में अन्तर

रजोदर्शन (Menarch)रजोनिवृत्ति (Menopause)
किसी बालिका के जीव काल में प्रथम बार रजोधर्म य ॠतुस्राव (Menstrual होने को रजोदर्श (Menarch) कहते हैं।स्त्री में स्थायी रूप से ऋतु स्राव चक्रों के रुकने को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं।
यह 12-13 वर्ष की आयु मे प्रारम्भ होता है।स्त्रियों में ॠतुसाव चक्र सामान्यतः 45-50 वर्ष की आयु में रुक जाता है।

प्रश्न 40.
मानव शिशु में यदि वृषणों का वृषण कोषों में स्थानान्तरण नहीं हुआ तो युवावस्था में जनन की कौनसी क्रिया प्रभावित होगी? कारण बताइये ।
उत्तर:
युवा अवस्था में शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) की क्रिया प्रभावित होगी। शुक्राणुजनन के लिए तापमान शरीर के तापक्रम से 2- 2.5 डिग्री सेंटीग्रेड कम होना चाहिए। यदि वृषण कोष में स्थानान्तरित नहीं होते हैं तो अधिक तापमान के कारण शुक्राणुओं ( Sperms) का निर्माण नहीं होगा।

प्रश्न 41.
25 प्राथमिक शुक्र कोशिकाओं तथा 25 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से बनने वाले शुक्राणुओं तथा अण्डाणुओं का अनुपात कितना होगा? कारण सहित समझाइए ।
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प्रश्न 42.
सजीव प्रजक प्राणियों की संतानों का उत्तर जीवन अधिक जोखिमपूर्ण नहीं होता है। दो कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
सजीव प्रजक जीवों में संतानों की उत्तर जीविता की अधिक सम्भावनाएँ हैं। कारण सहित समझाइए ।
उत्तर:
सजीव प्रजक जीवों में (अधिकतर स्तनधारी जिनमें मानव शामिल हैं) मादा जीव के शरीर के भीतर युग्मनज विकसित होकर शिशु का विकास करता है और एक निश्चित अवधि एवं विकास के चरणों को पूरा करने के बाद मादा जीव के शरीर से प्रसव द्वारा पैदा किये जाते हैं। भ्रूणीय सही देखभाल तथा संरक्षण के कारण सजीव प्रजक जीवों के उत्तरजीवित रहने के सुअवसर बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 43.
मानव मादा जनन तंत्र को समझाइए ।
उत्तर:
स्त्रियों में एक जोड़ी अण्डाशय (Ovary) प्राथमिक जननांगों (Primary Sex Organs) के रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्त अण्डवाहिनी (Oviduct), गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina), भग (Vulva), जनन ग्रन्थियाँ (Reproductive glands) तथा स्तन या छाती (Breast) सहायक जननांगों का कार्य करते हैं।
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(1) अण्डाशय (Ovary)-स्त्रियों में अण्डाशय की संख्या दो होती है, जिनकी आकृति बादाम के समान होती है। प्रत्येक अण्डाशय की लम्बाई लगभग 2 से 4 से. मी. होती है। दोनों अण्डाशय उदरगुहा में वृक्कों के काफी नीचे श्रोणि भाग (Pelvic region) में पीछे की ओर गर्भाशय (Uterus) के इधर-डधर स्थित होते हैं।

प्रत्येक अण्डाशय उदरगुहीय पेरीटोनियम के वलन से बनी मीसोविरियम (Mesovarium) नामक झिल्लीनुमा मीसेन्ट्री (Mesentery) द्वारा श्रोणि भाग की दीवार से टिका होता है। ऐसे ही एक झिल्ली अण्डाशयी लिगामेन्ट (Ovarian Ligament) प्रत्येक अण्डाशय को दूसरी ओर से गर्भाशय से जोड़ती है।

अण्डाशय की संरचना-प्रत्येक अण्डाशय भी वृषण के समान तीन स्तरों से घिरा होता है। बाहरी स्तर को ट्यूनिका एलब्यूजिनिया (Tunica Albuginea) कहते हैं। यह संयोजी ऊतक का महीन स्तर होता है। आन्तरिक स्तर को ट्यूनिका प्रोपरिया (Tunica Propria) कहते हैं तथा इनके बीच वाले स्तर को जनन उपकला (Germinal Epithelium) कहते हैं।

जनन उपकला घनाकार कोशिकाओं का बना होता है। अण्डाशय के बीच वाला भाग जो तन्तुमय होता है तथा संवहनीय संयोजी ऊतक (Vascular Connective Tissue) का बना होता है उसे स्ट्रोमा कहते हैं। स्ट्रोमा दो भागों में विभक्त होता है जिन्हें क्रमशः परिधीय वल्कुट (Peripheral Cortex) एवं आंतरिक मध्यांश (Internal Medulla) कहते हैं।

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अण्डाशय के वल्कुट (Cortex) भाग में अनेक अण्ड पुटिकाएँ (Ovarian Follicles) पायी जाती हैं। जिनका निर्माण जनन उपकला से होता है। पुटिकाएँ बहुकोशिकीय झिल्ली मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा (Membrana Granulosa) से घिरी होती हैं। जिसके भीतर फॉलीक्यूलर गुहा (Follicular Cavity) होती है जो फॉलीक्यूलर द्रव (Follicular Fluid) से भरी होती है।

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इस गुहा में अण्ड कोशिका (Ovum) होती है जो चारों ओर अनेक फॉलीकुलर कोशिकाओं से घिरी रहती है। इन कोशिकाओं को जोना पेल्यूसिडा (Zonapellucida) एवं चारों ओर के मोटे स्तर को कोरोना रेडिएटा (Corona Radiata) कहते हैं। इस संरचना को अब परिपक्व ग्राफियन पुटिका (Mature Graatian Follicle) कहते हैं। परिपक्व ग्राफियन पुटिका अण्डाशय की सतह पर पहुँच कर फट जाती है तथा अण्ड बाहर निकलकर उदरीय गुहा में आ जाता है। इस क्रिया को डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं।

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(2) अण्डवाहिनी (Oviduct)-स्त्री में दो अण्डवाहिनियाँ होती हैं जो अण्डाणु को अण्डाशय से गर्भाशय तक पहुँचाती हैं। प्रत्येक अण्डवाहिनी की लम्बाई 10-12 से.मी. होती है। अण्डवाहिनी का स्वतन्त्र सिरा जो अण्डाशय के निकट होता है, कीप रूपी (Funnellike) एवं चौड़ा होता है तथा इसे आस्टियम (Ostium) कहते हैं।

आस्टियम या मुखिका का किनारा झालरदार (Fimbriated) एवं रोमाभि (Ciliated) होता है। अतः मुखिका को फिम्ब्रिएटेड कीप (Fimbriated Funnel) भी कहते हैं। अण्डोत्सर्ग के बाद अण्ड अण्डाशय से निकलकर उदरगुहा में आकर इसी फिम्ब्रिएटेड कीप के द्वारा फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) में चला जाता है। फैलोपियन नलिका की भित्ति पेशीयुक्त होती है तथा भीतर से अत्यन्त वलित (Folded) होती है। निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका में ही होती है। प्रत्येक फैलोपियन नलिका अपनी ओर के गर्भाशय (Uterus) में अपने पश्च अन्त द्वारा खुलती है।

(3) गर्भाशय (Uterus)-इसे बच्चादानी (वुम्ब) भी कहते हैं। इसकी आकृति उल्टी नाशपाती के समान होती है। यह श्रोणि भित्ति से स्नायुओं द्वारा जुड़ा होता है। यह लगभग 7.5 से.मी. लम्बा, 3 से.मी, मोटा तथा अधिकतम 5 से.मी, चौड़ा खोखला तथा शंक्वाकार अंग होता है। इसका संकरा भाग नीचे की ओर तथा चौड़ा भाग ऊपर की ओर होता है।

इसके पीछे की ओर मलाशय (Rectum) तथा आगे की ओर मूत्राशय (Urinary Bladder) होता है। गर्भाशय की भित्ति, फतकों की तीन परतों से बनी होती हैबाहरी पताली झिल्लीमय स्तर को परिगभांशय (पेरिमेट्रियम), मध्य मोटी चिकनी पेशीख स्तर को गभाँशय पेशी स्तर (मायोमैट्रियम) और आन्तरिक ग्रान्थल स्तर को गर्भाशय अन्तःस्तर (एंड्रोमैट्रियम) कहते हैं जो गभाशएय गुहा को आस्तरित करती है। आतंव चक्र (Menstrual Cycle) के चक्र के दौरान गर्भाशब के अन्तःस्तर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं, जबकि गभांशय पेशी स्तर में प्रसव के समय काफी तेज संकुचन होंता है।

गर्भाशाब को तीन भागों में विभेदित किया गया है-

  • फण्डस (Fundus)-ऊपर की और उभरा हुआ भाग फण्डस कहलाता है।
  • काय (Body)-बीच का प्रमुख भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है।
  • ग्रीवा (Cervix)-सबसे निचला भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है जो योनि से जुड़ा होता है।

भूण का विकास गर्भाशय (Uterus) में होता है। शूण अपरा (Placenta) की सहायता से गर्भाशय की भित्ति से संलग्न होता है। यहाँ भ्रूण को सुरक्षा एवं पोषण प्राप्त होता है।

(4) योनि (Vagina)-गर्भाशय ग्रीवा (Cervix Uteri) आगे बढ़कर एकपेशीय लचीली नलिका रूपी रचना का निर्माण करती है जिसे योनि (Vagina) कहते है। योनि स्त्रियों में मैथुन अंग (Copulatory organ) की तरह कार्य करती है। इसके अतिरिक्त योनि गर्भाशाय से उत्पन्न मास्तिक स्राव को निक्कासन हेतु पथ उपलख्ब करवाती है एवं शिशु जन्म के समय गर्भस्थ शिशु के बाहर निकालने के लिए जन्मनाल (Birth Canal) की तरह कार्य करती है।

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(5) बाद्य जननांग (External Genitila)-स्त्रियों के बाह्ष जननांग निम्न हैं-

(i) जघन शौल (Mons Pubis)-यह प्यूबिस लिम्फाइसिस के ऊपर स्थित होता है जो गद्दीनुमा होता है क्योंकि इसकी त्वचा के नीचे वसीय परत होती है। तरुण अवस्था में इस पर घने रोम उग आते हैं जो अन्त तक रहते हैं।

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(ii) वृहद् भगोष्ठ (Labia Majora)-ये जघन शैल (प्यूबिस मुंड) से नीचे की तरफ व पीछे की ओर से विस्तृत एक जोड़ी बड़े अनुद्रै्घ्य वलन होते हैं। इनकी बाह्य सतह पर रोम पाये जाते हैं।

(iii) लघु भगोष्ठ (Labia Minora)-ये आन्तरिक व छोटे वलन होते हैं। इन पर रोम नहीं पाये जाते हैं। लेबिया माइनोरा प्रघाण (Vestibule) को घेरे रहते हैं।

(iv) भगशेफ या क्लाइटोरिस (Clitoris)-यह जघन शैल (Mons Pubis) लेबिया माइनोरा के अग्र कोने पर स्थित एक संवेदी तथा घुण्डीनुमा अथवा अंगुलीनुमा रचना है। यह नर के शिश्न के समजात अंग है। यह अत्यधिक संवेदनशील होता है क्योंक इसमें स्पर्शकणिकाओं की अधिकता पायी जाती है।

(v) योनिच्छद (Hymen)-योनि द्वार पर पतली झिल्ली पाई जाती है जिसे योनिच्छद (Hymen) कहते हैं। यह लैंगिक सम्पर्क, शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम के कारण फट जाती है। बार्थोलिन की ग्रन्थियाँ (Bartholian Glands)-योनिद्वार के दोनों ओर एक-एक सेम की आकृति की ग्रन्थि लेबिया मेजोरा पर स्थित होती है। ये ग्रन्थियाँ एक क्षारीय व स्रेहक द्रव का स्राव करती हैं जो कि भग (Vulva) को नम रखता है एवं लैंगिक परस्पर व्यवहार को सुगम बनाता है।

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(6) स्तनग्रन्थि (Mammary Glands)-स्त्री में स्तन ग्रन्थियों (Mammary Glands) से युक्त एक जोड़ी स्तन उपस्थित होते हैं। ये वक्ष के सामने की तरफ अंसीय पेशियों (Pectoral Muscles) के ऊपर स्थित होते हैं। प्रत्येक स्तन ग्रन्थि में भीतर का संयोजी ऊतक $15-20$ नलिकाकार कोष्ठकीय पालियों का बना होता है। इनके बीच-बीच में वसीय ऊतक होता है। प्रत्येक पाली में अंगूर के गुच्छों के समान दुग्ध ग्रन्थियाँ होती हैं जो दुग्ध का स्राव करती हैं। यह दूध नवजात शिशु के पोषण का कार्य करता है।

प्रत्येक पालिका से निकली कई छोटी वाहिनियां एक दुग्ध नलिका या लैक्टीफेरस नलिका (Lactiferous Duct) बनाती हैं। ऐसी कई दुग्ध नलिकाएँ स्वतन्त्र रूप से आकर चूचुक (Nipples) में खुल जाती हैं। चूचुक स्तनग्रन्थियों के शीर्ष भाग पर उभरी हुई वर्णांकित (Pigmented) रचना है। इसके आसपास का क्षेत्र भी गहरा वर्णांकित हो जाता है। इस क्षेत्र को स्तन परिवेश (Areola Mammae) कहते हैं। स्त्रियों में चूचुक के चारों तरफ का क्षेत्र वसा के जमाव तथा पेशियों के कारण काफी उभरा हुआ होता, है। चूचुक में 0.5 मिमी. के 15-25 छिद्र पाये जाते हैं। पुरुषों में चूचुक अवशेषी होते हैं।

प्रश्न 44.
शुक्राणु जनन एवं अण्ड जनन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न के निबन्धात्मक प्रश्न क्रमांक 8 का अवलोकन करें।

शुक्रजनन (Spermatogenesis)अण्डजनन (Oogenesis)
1. यह क्रिया वृषणों (Testes) में सम्पन्न होती है।यह क्रिया अण्डाशय (Ovaries) में सम्पन्न होती है।
2. शुक्रजनन की क्रिया प्राणी में जीवन पर्यन्त जारी रहती है।यह क्रिया एक निश्चित आयु के पश्चात् बन्द हो जाती है।
3. इस क्रिया में सभी शुक्रजनक कोशिकाएँ शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं।के वल एक अण्ड जनक कोशिका अण्डाणु का निर्माण करती है। अन्य अनेक अण्डजनक कोशिकाएँ वृद्धि प्रावस्था में नष्ट हो जाती हैं।
4. दोनों परिपक्वन विभाजन वृषण में ही होते हैं।दोनों परिपक्वन विभाजन या कम से कम द्वितीय परिपक्वन विभाजन अण्डाशय से बाहर होते हैं।
5. वृद्धि प्रावस्था छोटे अन्तराल की एवं कम वृद्धि होती है।वृद्धि प्रावस्था लम्बे समय तक जारी रहती है एवं अधिक वृद्धि होती है।
6. इस क्रिया में एक शुक्रजनन कोशिका से चार पूर्व शुक्राणु कोशिकाओं का निर्माण होता है ।इस क्रिया में एक ऊगोनिया से एक अण्डाणु एवं तीन ध्रुवकाय निर्मित होती हैं।
7. इस क्रिया में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्वन विभाजन समान होते हैं एवं परिणामस्वरूप चार समान शुक्राणु (Sperm) निर्मित होते हैं। ये चारों ही स्वतन्त्र जनन इकाई होते हैं।दोनों परिपक्वन विभाजन असमान होते हैं तथा इसके फलस्वरूप एक बड़ी अण्डाणु कोशिका तथा तीन ध्रुवकाय का निर्माण होता है। इसमें केवल अण्डाणु (Ovum) ही स्वतन्त्र जनन इकाई है।
8. शुक्राणु निर्माण में कायान्तरण की क्रिया होती है।इसमें कायान्तरण नहीं होता।
9. शुक्राणु पीतक रहित एवं गतिशील होते हैं।अण्डाणु पीतकयुक्त एवं गतिहीन होते हैं।

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प्रश्न 45.
वृषण के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
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प्रश्न 46.
यदि पीतपिंड निष्क्रिय हो जाये तो भ्रूण परिवर्धन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? कारण सहित समझाइए ।
उत्तर:
पीतपिंड भारी मात्रा में प्रोजेस्ट्रॉन स्रावित करता है, जो कि गर्भाशय अंतःस्तर को बनाए रखने के लिये आवश्यक है। इस प्रकार गर्भाशय अंतःस्तर निषेचित अण्डाणु के अंतर्रोपण (inplantation) तथा सगर्भता की अन्य घटनाओं के लिये आवश्यक है। यदि पीतपिंड निष्क्रिय हो जाये तो यह अंत: स्तर का विखंडन कर देता है, जिससे फिर से रजोधर्म का नया चक्र शुरू हो जाता है यानी माहवारी पुनः होती है।

प्रश्न 47.
एक स्त्री जिसे आगे गर्भावस्था नहीं चाहिए, वह किस स्थाई विधि को अपनाएगी और क्यों?.
उत्तर:
शल्यक्रिया का उपयोग किया जाता है। महिलाओं के लिये डिंबनलिका उच्छेदन ( Tubectomy) का प्रयोग करते हैं। इसमें स्त्री के उदर में छोटा-सा चीरा लगाकर अथवा योनि द्वारा डिंबवाहिनी नली का छोटा-सा भाग निकाल या बांध दिया जाता है। यह शल्यक्रिया प्रभावशाली है और इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं है।

प्रश्न 48.
मानव के यौवनारम्भ के पश्चात् होने वाली लैंगिक जनन की चार जनन घटनाओं के नाम दीजिए ।
उत्तर:
निम्न चार जनन घटनाएँ होती हैं-

  • युग्मकजनन
  • युग्मक स्थानान्तरण
  • निषेचन
  • भ्रूणोद्भव ।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
मानव शुक्राणु (Sperms) की संरचना का वर्णन कीजिए ।
अथवा
शुक्राणु की संरचना का सचित्र वर्णन करिये तथा शुक्राणुजनन को परिभाषित कीजिये ।
उत्तर:
शुक्राणुओं की आकृति भिन्न-भिन्न जाति में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। जैसे अस्थिल मछलियों में गोलाकार, मनुष्य में चमचाकार (Spoon-shaped), चूहों में हुक के आकार के व पक्षियों में सर्पिलाकार होते हैं।

शुक्राणु के चार भाग पाये जाते हैं-

  1. शीर्ष (Head)
  2. ग्रीवा (Neck)
  3. मध्य भाग (Middle piece)
  4. पूँछ (Tail)

(1) शीर्ष (Head) – मनुष्य में शीर्ष तिकोना एवं चपटा होता है। इसकी आकृति केन्द्रक की आकृति पर निर्भर होती है। शीर्ष भाग अंग्र दो संरचनाओं से मिलकर बना होता है-

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(i) केन्द्रक (Nucleus) – शुक्राणु के शीर्ष का अधिकांश भाग केन्द्रक द्वारा घिरा होता है। केन्द्रक में प्रमुख रूप से ठोस क्रोमेटिन पदार्थ पाये जाते हैं। DNA अत्यधिक संघनित अवस्था में होता है।

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(ii) अग्रपिंडक / एक्रोसोम (Acrosome ) – केन्द्रक के अग्र भाग में टोपी के समान रचना पाई जाती है जिसे एक्रोसोम कहते हैं। टोपी के समान एक्रोसोम पाया जाता है। यह स्पर्मलाइसिन्स नामक पाचक एन्जाइम का स्रावण करता है । स्तनधारियों में इसके द्वारा हाएलोयूरोनाइडेज एन्जाइम एवं प्रोएक्रोसिन, एसिड फॉस्फेटेस, बाइन्डीन का स्रावण किया जाता है। प्रोएक्रोसिन, एक्रोसोम क्रिया द्वारा एक्रोसिन में बदल जाता है । ये दोनों एन्जाइम अण्डभेदन में सहायक होते हैं।

(2) ग्रीवा (Neck ) – शीर्ष एवं मध्य भाग के बीच जहाँ तारक केन्द्र उपस्थित रहते हैं, ग्रीवा क्षेत्र कहलाता है। इस भाग में तारककाय पायी जाती है। समीपस्थ तारककाय केन्द्रक के पश्च भाग में एक गर्त में स्थित होता है, जो निषेचन के बाद खण्डीभवन को प्रेरित करता है । इसके पास ही दूरस्थ तारककाय पाया जाता है।

(3) मध्यभाग (Middle Piece ) – यह भाग शुक्राणु का ऊर्जा कक्ष या इंजन कहलाता है । मध्य भाग दूरस्थ तारककाय से मुद्रिका तारककाय तक होता है जिसमें अक्षीय तन्तुओं के चारों ओर माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली के रूप में व्यवस्थित रहते हैं ।

स्तनधारियों में माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली को बेनकर्म आच्छद (Nebenkerm Sheath) कहते हैं । मध्य भाग द्वारा ही शुक्राणु की गति के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान की जाती है। शीर्ष के पश्च भाग एवं सम्पूर्ण मध्य भाग को चारों ओर कोशिकाद्रव्य की महीन पर्त घेरे रहती है जिसे मेनचैट (Manchette) कहते हैं। मध्य भाग के अंत में एक मुद्रिका सेन्ट्रियोल पायी जाती है।

(4) पूँछ (Tail) – यह पश्च भाग होता है । यह जीवद्रव्य की झिल्ली से बनी नलिका की तरह होता है। इसके बीचोंबीच में एक अक्षीय सूत्र (Axial Filament) होता है। अक्षीय सूत्र आगे सेट्रिओल से जुड़ा रहता है तथा पीछे की तरफ झिल्ली से स्वतन्त्र रहता है जिसे अन्तिम  खण्ड (End Piece) कहते हैं । पूँछ की तरंग गति द्वारा शुक्राणु तरल मध्यम में तैरते रहते हैं । शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) – वृषण की जनन उपकला कोशिकाओं के समसूत्रीय व अर्धसूत्रीय विभाजन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन कहलाता है ।

प्रश्न 2.
आर्तव चक्र किसे कहते हैं? इसकी विभिन्न घटनाओं को आरेख की सहायता से समझाइए ।
अथवा
आर्तव चक्र की और अवस्थाओं को चित्र बनाकर वर्णन कीजिए ।
अथवा
आर्तव चक्र की विभिन्न अवस्थाओं की व्याख्या कीजिए । आर्तव चक्र की विभिन्न अवस्थाओं का चित्रीय निरूपण कीजिए ।
उत्तर:
प्राइमेट्स मादाओं में पाये जाने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र या रजचक्र (Menstruation) कहते हैं। स्त्रियों में रजचक्र 28 दिन का होता है। प्रथम रजचक्र तरुणावस्था (Puberty) में प्रारम्भ होता है । इसे रजोदर्शन ( Menarche ) कहते हैं । इस चक्र के दौरान स्त्रियों की योनि मार्ग से महीने में एक बार रक्त का स्राव होता है। चालीस से पचास वर्ष की उम्र में यह चक्र लगभग समाप्त हो जाता है । इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं । गर्भवती महिलाओं में रज चक्र अनुपस्थित होता है । आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) में निम्न चार अवस्थायें पायी जाती हैं-

(1) आर्तव प्रावस्था / रजस्राव प्रावस्था (Menstrual Phase)- यह चक्र स्त्रियों में रजस्राव शुरू होने के पहले दिन से प्रारम्भ होता है। इसकी अवधि स्त्रियों में 3-5 दिन की होती है। इस प्रावस्था में गर्भाशय की एण्डोमीट्रियम (Endometrium) का अस्थायी स्तर जिसे स्ट्रेटम फंक्सनेलिस (Stratum Functionalis) कहते हैं ।

रक्तस्राव का प्रारम्भ ऐस्ट्रोजन ( Estrogen) एवं प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) हार्मोन की मात्रा में अचानक कमी हो जाने के कारण होता है। इस प्रावस्था में एन्डोमीट्रियम की रक्त कोशिकायें एवं ग्रन्थियां फट जाती हैं एवं रक्तस्राव प्रारम्भ हो जाता है। रक्त गर्भाशयी ऊतकों से बाहर योनि मार्ग द्वारा निकलता रहता है।

(2) पश्च आर्तव / पुटिकीय प्रावस्था (Follicular Phase) – यह अवस्था आर्तव एवं अण्डोत्सर्ग के बीच की अवस्था होने के कारण इस अवस्था को पूर्व अण्डोत्सर्ग (Pre-ovulatory Phase) कहते हैं स्त्री में इसकी अवधि 8-10 दिन की होती है। इस प्रावस्था में निम्न कार्य सम्पन्न होते हैं-

  • गर्भाशय की एन्डोमीट्रियम पुनः निर्मित होती है एवं टूटी रुधिर वाहिनी एवं ऊतकों की मरम्मत होती है।
  • गर्भाशयी एवं फैलोपियन नलिका की क्षतिग्रस्त म्यूकस झिल्ली की मरम्मत होती है।
  • गर्भाशय की दीवार में पेशियों की मोटाई तथा रक्त नलिकाओं व ग्रन्थियों की संख्या बढ़ जाती है।

इस प्रावस्था में एस्ट्रोजन हार्मोन स्राव अधिक होता है।

(3) अण्डोत्सर्ग प्रावस्था (Ovulatory Phase ) – इस प्रावस्था में अण्डोत्सर्ग होता है जो स्त्री में 14वें दिन होता है अर्थात् अण्डाशय में स्थित ग्राफियन पुटिका फट जाती है एवं परिपक्व अण्डा मुक्त हो जाता है । अण्डाणु मुक्त होने को ही अण्डोत्सर्ग कहते हैं। यह क्रिया LH (Luteinizing Hormone) द्वारा नियन्त्रित होती है। इस प्रावस्था में स्त्रियों के शरीर का तापमान बढ़ जाता है ।

(4) पश्च अण्डोत्सर्ग या ल्यूटियल प्रावस्था (Luteal Phase)- इसको पूर्व रज – स्राव प्रावस्था भी कहते हैं । यह प्रावस्था 15- 28 वें दिन तक चलती है । अण्डोत्सर्ग के पश्चात् फटी हुई ग्राफियन कोशिकाओं में वृद्धि होती है एवं कार्पस ल्यूटियम ( Corpus Luteum) का निर्माण करती है । यह कार्पस ल्यूटियम एक अन्तःस्रावी ग्रन्थि का कार्य करती है एवं इससे एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का अत्यधिक मात्रा में स्रावण किया जाता है। ये हार्मोन निषेचित अण्डाणु को गर्भाशय की भित्ति जुड़ने अर्थात् रोपण हेतु तैयार करते हैं।

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यदि निषेचन नहीं होता है, यह कॉर्पस ल्यूटियम जिसे पीत ग्रन्थि (Yellow gland) भी कहते हैं, धीरे-धीरे विघटित होकर एक श्वेत पदार्थ के रूप में परिवर्तित हो जाती है, जिसे कार्पस एल्बीकेन्स (Corpus Albicans) कहते हैं । एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन का स्राव कम हो जाता है एवं पुनः निर्मित एवं मोटी एन्डोमीट्रियम नष्ट होना प्रारम्भ हो जाती है एवं रजचक्र अथवा आर्तव चक्र प्रारम्भ हो जाता है।

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प्रश्न 3.
मनुष्य में नर जनन तन्त्र का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
पुरुषों में एक जोड़ी वृषण (Testis) प्राथमिक जननांग के रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्त सहायक जननांग (Accessory Reproduction organs) मुख्यतया वृषणकोष (Scrotal Sac), अधिवृषण (Epididymis), शुक्रवाहिनियां (Vas-deferences), शिश्न (Penis) तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate Gland) एवं कॉउपर ग्रन्थि (Cowper’s Gland) पाये जाते हैं।

वृषण (Testis)-वृषण प्राथमिक जननांग होते हैं जिनका निर्माण भ्रूणीय मीसोडर्म (Mesoderm) से होता है। ये मीसोर्कियम (Mesorchium) की सहायता से उदरगुहा की पृष्ठभित्ति से जुड़े रहते हैं। वृषण संख्या में दो होते हैं। इनका रंग गुलाबी तथा आकृति में अण्डाकार होते हैं जिसकी लम्बाई 4 से 5 से.मी., चौड़ाई लगभग 2 से 3 से.मी. एवं वजन में 12 ग्राम होता है।

दोनों वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैले में स्थित होते हैं जिसे वृषणकोष (Scrotal Sac) कहते हैं। वृषणकोष एक ताप नियंत्रक की भांति कार्य करता है। वृषणों का तापमान शरीर के तापमान से 2-2.5° C नीचे बनाये रखता है। यह तापमान शुक्राणुओं के विकास के लिए उपयुक्त होता है। वृषणकोषों की दीवार पतली, लचीली एवं रोमयुक्त होती है।

इसके अन्दर पेशी तन्तुओं का मोटा अवत्वक (Subcutaneous) स्तर होता है जिसे डारटोस पेशी (Dartos muscle) कहते हैं। रेखित पेशी तन्तुओं का एक दण्डनुमा गुच्छा वृषणकोष के प्रत्येक अर्धभाग के अवत्वक पेशी स्तर को उदरीय अवत्वक पेशी स्तर से जोड़ता है, जिसे वृषणोत्कर्ष पेशी (cremaster muscles) कहते हैं।

प्रत्येक वृषण कोष की गुहा उदरगुहा से एक सँकरी नलिका द्वारा जुड़ी होती है जिसे वक्षणनाल (Inguinal Canal) कहते हैं। वक्षणनाल के द्वारा होकर वृषण धमनी, वृषणशिरा तथा वृषण तन्त्रिका एक वृषण रज्जु (Spermatic Cord) के रूप में वृषण तक जाती है।

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वृषण पर दो आवरण पाये जाते हैं जिन्हें वृषण खोल (Testicular capsule) कहते हैं। इसमें बाहरी महीन आवरण को मौनिक स्तर (Tunica Vaginalis) कहते हैं। यह उदरगुहा के उदरावण से बनता है जबकि भीतरी स्तर को श्वेत कुंचक अथवा ट्यूनिका ऐल्ब्यूजिनिया (Tunica Albuginea) कहते हैं। वृषण की गुहा भी इसी ऊतक की पट्टियों द्वारा लगभग 250 पालियों या वेश्मों में बंटी रहती है।

प्रत्येक पाली में अनेक कुण्डलित रूप में एक-दूसरे से सटी हुई कई पतली नलिकाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) कहते हैं। इन नलिकाओं के बीच संयोजी ऊतक पाया जाता है जिसमें विशेष प्रकार की अन्तराली कोशिकाएँ या लैडिग कोशिकाएँ (Leydig cells) पायी जाती हैं।

इन कोशिकाओं द्वारा नर हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) का विकास होता है। प्रत्येक शुक्रजनक नलिका (Seminiferous Tubules) के चारों ओर झिल्लीनुमा आवरण पाया जाता है जिसे ट्यूनिका प्रोप्रिया (Tunica Propria) कहते हैं। इस झिल्ली के नीचे जनन उपकला (Germinal Epithelium) का स्तर पाया जाता है। शुक्रजनक नलिका (Seminiferous Tubules) को वृषण की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई कहा जाता है। जनन उपकला स्तर में दो प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं-
(i) स्परमेटोगोनिया कोशिकाएँ (Spermatogonia cells)इनके द्वारा शुक्रजनन (Spermatogenesis) द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है।

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(ii) सरटोली कोशिकाएँ (Sertoli cells)-सरटोली कोशिकाओं को अवलम्बन या पोषी या नर्स या मातृ या सबटेन्टाकुलर कोशिकाएँ (Supporting or Nutritive or Nurse or Mother or Subtentacular cells) भी कहते हैं। ये कोशिकाएँ आकार में बड़ी, संख्या में कम एवं स्तम्भी प्रकार की होती हैं। इनका स्वतन्त्र भाग कटाफटा होता है। इस भाग में शुक्राणुपूर्व कोशिकाएँ (Spermatids) सर्टोली कोशिकाओं से सटकर संलग्न रहती हैं।

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सरटोली कोशिकाओं के कार्य (Functions of Sertoli Cells)-

  • शुक्राणुओं को आलम्बन प्रदान करती हैं।
  • ये कोशिकाएँ शुक्राणुओं को संरक्षण एवं पोषण प्रदान करती हैं।
  • शुक्रकायान्तरण (Spermiogenesis) के दौरान अवशिष्ट कोशिकाद्रव्य (Residual Cytoplasm) का भक्षण करना।
  • सरटोली कोशिका द्वारा एन्टीमुलेरियान हार्मोन का स्रावण किया जाता है। यह भूरणीय अवस्था में मादा जननवाहिनी के विकास का संदमन करता है।
  • सरटोली कोशिकाओं के द्वारा इनहिबिन (Inhibin) हार्मोन का स्रावण किया जाता है जो FSH का संदमन करता है।
  • इन कोशिकाओं के द्वारा ABP (एण्ड्रोजन बाइडिंग प्रोटीन) का स्रावण किया जाता है।

शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) से पतलीपतली नलिकाएँ निकलती हैं, वृषण के अन्दर ये नलिकाएँ आपस में मिलकर एक जाल बनाती हैं, इसे वृषण जालक (Rete Testis) कहते हैं। इससे लगभग 15-20 संवलित नलिकाएँ (Convoluted ductules) निकलती हैं जिन्हें वास इफरेंशिया (Vas Efferentia) कहते हैं। ये नलिकाएँ वृषण की अग्र या ऊपरी सतह पर पहुँचकर लम्बी रचना में खुलती हैं जिसे अधिवृषण (Epididymis) कहते हैं।

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अधिवृषण (Epididymis)-यह एक लम्बी तथा अत्यधिक कुंडलित नलिका है जिसकी लम्बाई 6 मीटर होती है। प्रत्येक वृषण के भीतरी किनारों पर अत्यधिक कुण्डलित नलिका द्वारा निर्मित एक रचना पाई जाती है जिसे अधिवृषण कहते हैं। अधिवृषण को तीन भागों में बाँटा गया है-

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  • कैपुट एपिडिडाइमिस (Caput Epididymis)-यह वृषण के ऊपर केप (Cap) के समान होती है। इमें वृषण से आने वाली वास इफरेन्शिया (Vas Efferentia) खुलती है। कैपुट एपिडिडाइमिस को ग्लोबस मेजर (Globus Major) भी कहते हैं।
  • कॉर्पस एपिडिडाइमिस (Corpus Epididymis)-यह मध्य भाग है व संकरा होता है। इसे एपिडिडाइमिस काय (Epididymis body) भी कहते हैं।
  • कॉडा एपिडिडाइमिस (Cauda Epididymis)-यह एपिडिडाइमिस का पश्च व सबसे छोटा भाग है। इसे ग्लोबस माइनर (Globus Minor) भी कहते हैं। कॉडा एपिडिडाइमिस से इसकी नली पीछे निकलकर शुक्रवाहिनी (Vas deference) बनाती है। अधिवृषण

(Epididymis) के कार्य-

  • शुक्राणुओं को अधिवृषण में संग्रहित किया जाता है व यहाँ इनका परिपक्वन होता है।
  • यह वृषणों से शुक्रवाहिनी में शुक्राणुओं के पहुँचने के लिए मार्ग प्रदान करते हैं।
  • अधिवृषण (Epididymis) में शुक्राणु एक माह तक संचित रह सकते हैं। स्खलन न होने की स्थिति में शुक्राणुओं का विघटन न होने पर इनके तरल का अवशोषण इसी में होता है।
  • इसकी नलिका में क्रमाकुंचन के कारण शुक्राणु वास डिफरने्स (Vas deference) की ओर बहते हैं।

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शुक्रवाहिनी (Vas deference)-शुक्रवाहिनी लगभग 45 सेमी. लम्बी नलिका होती है। इसकी दीवार पेशीय होती है। शुक्रवाहिनी अधिवृषण के पश्च भाग से प्रारम्भ होकर ऊपर की ओर वक्षणनाल से होकर गुहा में मूत्राशय के पश्च तल पर नीचे की ओर मुड़कर चलती हुई अन्त में एक फूला हुआ भाग तुम्बिका (Ampulla) बनाती है। यहाँ इसमें शुक्राशय (Seminal Vesicle) की छोटी वाहिनी आकर खुलती है। दोनों के मिलने से स्खलनीय वाहिनी (Ejaculatory Duct) का निर्माण होता है।

शुक्रवाहिनी की भित्ति पेशीय होती है व इसमें संकुचन व शिथिलन की क्षमता पायी जाती है। संकुचन व शिथिलन द्वारा शुक्राणु शुक्राशय तक पहुँचा दिये जाते हैं। शुक्रवाहिनियों में ग्रन्थिल कोशिकाएँ पाई जाती हैं जो चिकने पदार्थ का सावण करती हैं। यह द्रव शुक्राणुओं को गति करने में सहायता करता है। तुम्बिका (Ampulla) में शुक्राणुओं को अस्थायी रूप से संग्रह किया जाता है।

स्खलनीय वाहिनियां अन्त में मूत्र मार्ग (Urethra) में आकर खुलती हैं। मूत्रमार्ग (Urethra)-मूत्राशय से मूत्रवाहिनी निकलकर स्खलनीय वाहिनी से मिलकर मूत्रजनन नलिका या मूत्रमार्ग (Urinogenital Duct or Urethra) बनाती है। यह लगभग 20 से.मी. लम्बी नाल होती है जो शिश्न के शिखर भाग पर मूत्रजनन छिद्र (Urinogenital Aperture) द्वारा बाहर खुलती है। मूत्रमार्ग एवं वीर्य दोनों के लिए एक उभयनिष्ठ मार्ग (Common Passage) का कार्य करता है।

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मूत्रमार्ग (Urethra) तीन भागों में बँटा होता है-

  1. प्रोस्टेटिक मूत्रमार्ग (Prostatic Urethra)
  2. झिल्लीमय मूत्रमार्ग (Membranous Urethra)
  3. स्पंजी मूत्रमार्ग (Spongy Urethra)

1. प्रोस्टेटिक मूत्रमार्ग (Prostatic Urethra)-यह मूत्रमार्ग का 2-3 से.मी. लम्बा भाग होता है। यह प्रोस्टेट ग्रन्थि के मध्य से गुजरता तथा दोनों ओर की स्खलन वाहिनियाँ इसी भाग में खुलती हैं।

2.  झिल्लीमय मूत्रमार्ग (Membranous Urethra)-यह मध्य का लगभग 1 से.मी. लम्बा भाग होता है जो प्रोस्टेट ग्रन्थि तथा शिश्न (Penis) के बीच स्थित पेशीय तन्तुपट (Muscular Diaphragm) को बेधता हुआ शिश्न में प्रवेश करता है।

3.  स्पंजी मूत्रमार्ग (Spongy Urethra)-यह मूत्रमार्ग का अन्तिम या शिखर भाग है जो शिश्न में से गुजरता है। यह स्पंजी तथा सर्वाधिक लम्बाई (16-17 से.मी.) वाला भाग है।

शिश्न (Penis)-पुरुष का मैथुनी अंग है जो एक लम्बा, संकरा, बेलनाकार तथा वहिःसारी (Protrusible) होता है। इसका स्वतन्त्र सिरा फूला हुआ तथा अत्यधिक संवेदी होता है तथा शिश्नमुण्ड (Galns Penis) कहलाता है। यह भाग एक त्वचा के आवरण से ढका रहता है। यह आवरण शिश्न = मुण्डछद (Prepuce) कहलाता है। शिश्न दोनों वृषणकोषों के ऊपर व मध्य में उदर के निचले भाग में लटका रहता है।
यह तीन भागों में विभेदित होता है-

  • शिश्नमूल (Root of Penis)-यह मूत्रोजनन तनुपट (Urinogenital diaphargm) से लगा शिश्न का समीपस्थ भाग होता है।

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  • शिश्नकाय (Body of Penis)-यह शिश्न का मुख्य लम्बा भाग है।
  • शिश्नमुण्ड (Glans Penis)-यह शिश्न का शिखर भाग होता है ।

शिश्न की संरचना पेशियों एवं रुधिर कोटरों (Blood Sinus) से होती है। ये तीन मोटे अनुदैर्घ्य डोरियों के समान रज्ञुओं (Cords) के रूप में होते हैं। पृष्ठ भाग में ऐसी संरचनाएँ दो होती हैं जिन्हें कॉरपोरा केवरनोसा (Corpora Cavernosa) तथा अधर भाग में एक कॉर्पस स्पंजिओसम (Corpus Spongiosum) कहलाती है। सामान्य अवस्थाओं में शिश्न शिथिल एवं छोटा होता है।

मैथुन उत्तेजना के समय इसके कोटर रुधिर से भर जाते हैं तथा यह लम्बा, मोटा तथा कड़ा हो जाता है। इस अवस्था में शिश्नमुण्ड नग्न हो जाता है तथा यह स्त्री की योनि में आसानी से प्रविष्ट कराया जा सकता है। मैथुन क्रिया में सुगमतापूर्वक शुक्राणुओं को वीर्य के साथ स्थानान्तरित किया जा सकता है।

सहायक ग्रन्थियाँ (Accessory Glands)-पुरुषों में मुख्यतः तीन प्रकार की सहायक जनन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं जो जनन में सहायता करती हैं-

(1) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate Gland)-इस ग्रन्थि की आकृति सिंघाड़ेनुमा होती है। यह मूत्रमार्ग के आधार भाग पर स्थित होती है एवं कई पिण्डों में विभक्त होती है। प्रत्येक पिण्ड एक छोटी नलिका द्वारा मूत्रमार्ग में खुलता है। इस ग्रन्थि का स्राव विशेष गंध युक्त, सफेद एवं हल्का क्षारीय होता है जो वीर्य का 25-30 प्रतिशत भाग बनाता है।

इस स्राव में फॉस्फेट्स सिट्रेट, लाइसोजाइम, फाइब्रिनोलाइसिन, स्पर्मिन (Spermin) आदि पाये जाते हैं। वृद्ध पुरुषों में यह ग्रन्थि बड़ी हो जाती है व मूत्रोजनन मार्ग में अवरोध उत्पन्न कर देती है। इसे शल्य क्रिया द्वारा हटा दिया जाता है। कार्य-इस ग्रन्थि का साव (प्रोस्टेटिक द्रव) शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य के स्कंदन को रोकता है।

(2) काडपर गन्थि (Cowper’s Gland)-इ से बल्बोयूरेश्रिल ग्रन्थियाँ (Bulbourethral Glands) भी कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ एक जोड़ी प्रोस्टेट ग्रन्थि के पीछे स्थित होती हैं। इनका स्राव चिकना, पारदर्शी व क्षारीय होता है जो मूत्रोजनन मार्ग की अम्लीयता को नष्ट करता है। यह तरल मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है।

(3) शुक्राशय (Seminal Vesicle)-शुक्राशय एक थैलीनुमा रचना होती है जो एक जोड़ी के रूप में मूत्राशय की पश्च सतह एवं मलाशय के बीच में स्थित होती है। इसके द्वारा एक पीले रंग का चिपचिपे पदार्थ का स्रावण किया जाता है। यही तरल पदार्थ वीर्य का अधिकांश भाग (लगभग 60 प्रतिशत) बनाता है।

इसमें फ्रक्टोस, शर्क रा, प्रोस्टाग्लैं डिन्स (Prostaglandins) तथा प्रोटीन सेमीनोजेलिन (Semenogelin) होते हैं। फ्रक्टोस शुक्राणुओं को ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है। क्षारीय प्रकृति के कारण यह स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है। प्रत्येक शुक्राशय से एक छोटी नलिका निकल कर शुक्रवाहिनी की तुम्बिका में खुलती है। शिश्न की उत्तेजित अवस्था में स्खलन के समय दोनों शुक्राशय संकुचित होकर अपने स्राव को मुक्त करते हैं।

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प्रश्न 4.
स्त्रियों में मादा जनन तन्त्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्त्रियों में एक जोड़ी अण्डाशय (Ovary) प्राथमिक जननांगों (Primary Sex Organs) के रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्त अण्डवाहिनी (Oviduct), गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina), भग (Vulva), जनन ग्रन्थियाँ (Reproductive glands) तथा स्तन या छाती (Breast) सहायक जननांगों का कार्य करते हैं।

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(1) अण्डाशय (Ovary)-स्त्रियों में अण्डाशय की संख्या दो होती है, जिनकी आकृति बादाम के समान होती है। प्रत्येक अण्डाशय की लम्बाई लगभग 2 से 4 से. मी. होती है। दोनों अण्डाशय उदरगुहा में वृक्कों के काफी नीचे श्रोणि भाग (Pelvic region) में पीछे की ओर गर्भाशय (Uterus) के इधर-डधर स्थित होते हैं। प्रत्येक अण्डाशय उदरगुहीय पेरीटोनियम के वलन से बनी मीसोविरियम (Mesovarium) नामक झिल्लीनुमा मीसेन्ट्री (Mesentery) द्वारा श्रोणि भाग की दीवार से टिका होता है।

ऐसे ही एक झिल्ली अण्डाशयी लिगामेन्ट (Ovarian Ligament) प्रत्येक अण्डाशय को दूसरी ओर से गर्भाशय से जोड़ती है। अण्डाशय की संरचना-प्रत्येक अण्डाशय भी वृषण के समान तीन स्तरों से घिरा होता है। बाहरी स्तर को ट्यूनिका एलब्यूजिनिया (Tunica Albuginea) कहते हैं। यह संयोजी ऊतक का महीन स्तर होता है।

आन्तरिक स्तर को ट्यूनिका प्रोपरिया (Tunica Propria) कहते हैं तथा इनके बीच वाले स्तर को जनन उपकला (Germinal Epithelium) कहते हैं। जनन उपकला घनाकार कोशिकाओं का बना होता है। अण्डाशय के बीच वाला भाग जो तन्तुमय होता है तथा संवहनीय संयोजी ऊतक (Vascular Connective Tissue) का बना होता है उसे स्ट्रोमा कहते हैं। स्ट्रोमा दो भागों में विभक्त होता है जिन्हें क्रमशः परिधीय वल्कुट (Peripheral Cortex) एवं आंतरिक मध्यांश (Internal Medulla) कहते हैं।

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अण्डाशय के वल्कुट (Cortex) भाग में अनेक अण्ड पुटिकाएँ (Ovarian Follicles) पायी जाती हैं। जिनका निर्माण जनन उपकला से होता है। पुटिकाएँ बहुकोशिकीय झिल्ली मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा (Membrana Granulosa) से घिरी होती हैं। जिसके भीतर फॉलीक्यूलर गुहा (Follicular Cavity) होती है जो फॉलीक्यूलर द्रव (Follicular Fluid) से भरी होती है।

इस गुहा में अण्ड कोशिका (Ovum) होती है जो चारों ओर अनेक फॉलीकुलर कोशिकाओं से घिरी रहती है। इन कोशिकाओं को जोना पेल्यूसिडा (Zonapellucida) एवं चारों ओर के मोटे स्तर को कोरोना रेडिएटा (Corona Radiata) कहते हैं। इस संरचना को अब परिपक्व ग्राफियन पुटिका (Mature Graatian Follicle) कहते हैं। परिपक्व ग्राफियन पुटिका अण्डाशय की सतह पर पहुँच कर फट जाती है तथा अण्ड बाहर निकलकर उदरीय गुहा में आ जाता है। इस क्रिया को डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं।

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(2) अण्डवाहिनी (Oviduct)-स्त्री में दो अण्डवाहिनियाँ होती हैं जो अण्डाणु को अण्डाशय से गर्भाशय तक पहुँचाती हैं। प्रत्येक अण्डवाहिनी की लम्बाई 10-12 से.मी. होती है। अण्डवाहिनी का स्वतन्त्र सिरा जो अण्डाशय के निकट होता है, कीप रूपी (Funnellike) एवं चौड़ा होता है तथा इसे आस्टियम (Ostium) कहते हैं। आस्टियम या मुखिका का किनारा झालरदार (Fimbriated) एवं रोमाभि (Ciliated) होता है। अतः मुखिका को फिम्ब्रिएटेड कीप (Fimbriated Funnel) भी कहते हैं।

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अण्डोत्सर्ग के बाद अण्ड अण्डाशय से निकलकर उदरगुहा में आकर इसी फिम्ब्रिएटेड कीप के द्वारा फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) में चला जाता है। फैलोपियन नलिका की भित्ति पेशीयुक्त होती है तथा भीतर से अत्यन्त वलित (Folded) होती है। निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका में ही होती है। प्रत्येक फैलोपियन नलिका अपनी ओर के गर्भाशय (Uterus) में अपने पश्च अन्त द्वारा खुलती है।

(3) गर्भाशय (Uterus)-इसे बच्चादानी (वुम्ब) भी कहते हैं। इसकी आकृति उल्टी नाशपाती के समान होती है। यह श्रोणि भित्ति से स्नायुओं द्वारा जुड़ा होता है। यह लगभग 7.5 से.मी. लम्बा, 3 से.मी, मोटा तथा अधिकतम 5 से.मी, चौड़ा खोखला तथा शंक्वाकार अंग होता है। इसका संकरा भाग नीचे की ओर तथा चौड़ा भाग ऊपर की ओर होता है।

इसके पीछे की ओर मलाशय (Rectum) तथा आगे की ओर मूत्राशय (Urinary Bladder) होता है। गर्भाशय की भित्ति, फतकों की तीन परतों से बनी होती हैबाहरी पताली झिल्लीमय स्तर को परिगभांशय (पेरिमेट्रियम), मध्य मोटी चिकनी पेशीख स्तर को गभाँशय पेशी स्तर (मायोमैट्रियम) और आन्तरिक ग्रान्थल स्तर को गर्भाशय अन्तःस्तर (एंड्रोमैट्रियम) कहते हैं जो गभाशएय गुहा को आस्तरित करती है। आतंव चक्र (Menstrual Cycle) के चक्र के दौरान गर्भाशब के अन्तःस्तर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं, जबकि गभांशय पेशी स्तर में प्रसव के समय काफी तेज संकुचन होंता है।

गर्भाशाब को तीन भागों में विभेदित किया गया है-

  • फण्डस (Fundus)-ऊपर की और उभरा हुआ भाग फण्डस कहलाता है।
  • काय (Body)-बीच का प्रमुख भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है।
  • ग्रीवा (Cervix)-सबसे निचला भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है जो योनि से जुड़ा होता है।

भूण का विकास गर्भाशय (Uterus) में होता है। शूण अपरा (Placenta) की सहायता से गर्भाशय की भित्ति से संलग्न होता है। यहाँ भ्रूण को सुरक्षा एवं पोषण प्राप्त होता है।

(4) योनि (Vagina)-गर्भाशय ग्रीवा (Cervix Uteri) आगे बढ़कर एकपेशीय लचीली नलिका रूपी रचना का निर्माण करती है जिसे योनि (Vagina) कहते है। योनि स्त्रियों में मैथुन अंग (Copulatory organ) की तरह कार्य करती है। इसके अतिरिक्त योनि गर्भाशाय से उत्पन्न मास्तिक स्राव को निक्कासन हेतु पथ उपलख्ब करवाती है एवं शिशु जन्म के समय गर्भस्थ शिशु के बाहर निकालने के लिए जन्मनाल (Birth Canal) की तरह कार्य करती है।

(5) बाद्य जननांग (External Genitila)-स्त्रियों के बाह्ष जननांग निम्न हैं-
(i) जघन शौल (Mons Pubis)-यह प्यूबिस लिम्फाइसिस के ऊपर स्थित होता है जो गद्दीनुमा होता है क्योंकि इसकी त्वचा के नीचे वसीय परत होती है। तरुण अवस्था में इस पर घने रोम उग आते हैं जो अन्त तक रहते हैं।
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(ii) वृहद् भगोष्ठ (Labia Majora)-ये जघन शैल (प्यूबिस मुंड) से नीचे की तरफ व पीछे की ओर से विस्तृत एक जोड़ी बड़े अनुद्रै्घ्य वलन होते हैं। इनकी बाह्य सतह पर रोम पाये जाते हैं।

(iii) लघु भगोष्ठ (Labia Minora)-ये आन्तरिक व छोटे वलन होते हैं। इन पर रोम नहीं पाये जाते हैं। लेबिया माइनोरा प्रघाण (Vestibule) को घेरे रहते हैं।

(iv) भगशेफ या क्लाइटोरिस (Clitoris)-यह जघन शैल (Mons Pubis) लेबिया माइनोरा के अग्र कोने पर स्थित एक संवेदी तथा घुण्डीनुमा अथवा अंगुलीनुमा रचना है। यह नर के शिश्न के समजात अंग है। यह अत्यधिक संवेदनशील होता है क्योंक इसमें स्पर्शकणिकाओं की अधिकता पायी जाती है।

(v) योनिच्छद (Hymen)-योनि द्वार पर पतली झिल्ली पाई जाती है जिसे योनिच्छद (Hymen) कहते हैं। यह लैंगिक सम्पर्क, शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम के कारण फट जाती है।

बार्थोलिन की ग्रन्थियाँ (Bartholian Glands)-योनिद्वार के दोनों ओर एक-एक सेम की आकृति की ग्रन्थि लेबिया मेजोरा पर स्थित होती है। ये ग्रन्थियाँ एक क्षारीय व स्रेहक द्रव का स्राव करती हैं जो कि भग (Vulva) को नम रखता है एवं लैंगिक परस्पर व्यवहार को सुगम बनाता है।
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(6) स्तनग्रन्थि (Mammary Glands)-स्त्री में स्तन ग्रन्थियों (Mammary Glands) से युक्त एक जोड़ी स्तन उपस्थित होते हैं। ये वक्ष के सामने की तरफ अंसीय पेशियों (Pectoral Muscles) के ऊपर स्थित होते हैं। प्रत्येक स्तन ग्रन्थि में भीतर का संयोजी ऊतक $15-20$ नलिकाकार कोष्ठकीय पालियों का बना होता है। इनके बीच-बीच में वसीय ऊतक होता है। प्रत्येक पाली में अंगूर के गुच्छों के समान दुग्ध ग्रन्थियाँ होती हैं जो दुग्ध का स्राव करती हैं। यह दूध नवजात शिशु के पोषण का कार्य करता है।

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प्रत्येक पालिका से निकली कई छोटी वाहिनियां एक दुग्ध नलिका या लैक्टीफेरस नलिका (Lactiferous Duct) बनाती हैं। ऐसी कई दुग्ध नलिकाएँ स्वतन्त्र रूप से आकर चूचुक (Nipples) में खुल जाती हैं। चूचुक स्तनग्रन्थियों के शीर्ष भाग पर उभरी हुई वर्णांकित (Pigmented) रचना है। इसके आसपास का क्षेत्र भी गहरा वर्णांकित हो जाता है। इस क्षेत्र को स्तन परिवेश (Areola Mammae) कहते हैं। स्त्रियों में चूचुक के चारों तरफ का क्षेत्र वसा के जमाव तथा पेशियों के कारण काफी उभरा हुआ होता, है। चूचुक में 0.5 मिमी. के 15-25 छिद्र पाये जाते हैं। पुरुषों में चूचुक अवशेषी होते हैं।

प्रश्न 5.
प्रसव किसे कहते हैं? प्रसव एवं दुग्ध स्रवण क्रिया को समझाइए ।
उत्तर:
गर्भावस्था (Gestation) के पश्चात् माता के गर्भाशय (Uterus) से पूर्ण विकसित शिशु के बाहर आने की प्रक्रिया को प्रसव कहते है।
शिशु जन्म (Parturition) का नियन्त्रण हार्मोन द्वारा होता है, अतः यह क्रिया एक अन्तःस्रावी-नियमित क्रिया (Endocrine Regulatory Process) होती है। शिशु जन्म में दो हार्मोन प्रमुख हैं। पीयूष के पश्च भाग का आक्सीटोसिन (Oxytocin) तथा अण्डाशय द्वारा स्रावित रिलेक्सिन (Relaxin) हार्मोन।

जैसे गर्भावस्था का अन्त होने लगता है तथा जब फीटस (Foetus) पूर्ण विकसित हो जाता है, प्लेसेन्टा (Placenta) द्वारा स्रावित हार्मोन मुख्यतः प्रोजेस्टरोन की मात्रा कम होने लगती है तथा जन्म के समय न्यूनतम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप प्लेसेन्टा का गर्भाशय से सम्बन्ध कमजोर हो जाता है। अतः शिशु जन्म के समय आक्सीटोसिन गर्भाशय को उत्तेजित करता है तथा इसमें क्रमिक संकुचन होने लगता है, इसे प्रसव पीड़ा (Labour Pain) कहते हैं।

इसके साथ ही रिलेक्सिन हार्मोन भी मुक्त होता है जिसके फलस्वरूप जघनास्थिसंधि (Pubic Symphysis) एवं जघन पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। इन क्रियाओं के फलस्वरूप पूर्ण रचित शिशु योनि में से होते हुए भग से बाहर आ जाता है। इस क्रिया को प्रसव कहते हैं। गर्भाशय में शिशु, नाभिनाल (Umbilical) द्वारा माता के गर्भाशय से जुड़ा रहता है जिसे काटकर हटा दिया जाता है।

यदि माता में प्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा प्रारम्भ न हो तो चिकित्सक उन्हें आक्सीटोसिन (Oxytocin) हार्मोन का इन्जेक्शन लगाते हैं जिससे प्रसव पीड़ा प्रारम्भ हो जाती है और प्रसव आसानी से हो जाता है।

दुग्धस्रवण (Lactation)-सगर्भता की अवस्था में प्रोजेस्ट्रॉन व एस्ट्रोजन हार्मोन्स के प्रभाव से स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि से स्त्री के वक्ष बड़े आकार के हो जाते हैं। प्रौलेक्टिन के प्रभाव से शिशु जन्म के 24 घन्टे के अन्दर दुग्ध ग्रन्थियों से दुग्धस्रवण (Lactation) हो जाता है। प्रारम्भ में वक्ष की निप्पलों से कोलस्ट्रम (Colstrum) का स्राव होता है। यह पीले रंग का होता है जिसमें ग्लोबुलिन प्रोटीन (Globulin Protein) काफी में मात्रा में होता है। इसमें माता की एन्टीबॉडीज होती है जो नवजात शिशु की संक्रमण से रक्षा करती है।

प्रश्न 6.
युग्मकजनन को परिभाषित कीजिए । शुक्राणुजनन व अण्डजनन को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर:
जनद (Gonods) द्वारा युग्मकों के निर्माण को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मकजनन के दौरान समसूत्रीय व अर्धसूत्रीय दोनों प्रकार के विभाजन पाये जाते हैं। इस प्रकार अगुणित (Haploid) युग्मकों का निर्माण होता है। युग्मक दो प्रकार के होते हैं जिन्हें क्रमशः शुक्राणु व अण्डाणु कहते हैं।

शुक्रजनन की क्रियाविधि
वृषण की जनन उपकला कोशिकाओं के समसूत्रीय व अर्धसूत्रीय विभाजन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन (Spermatogenesis) कहलाता है। शुक्रजनन एक सतत (Continuous) क्रिया है। शुक्रजनन में अग्र दो चरण पाये जाते हैं-
(A) शुक्र णुपूर्वी का निर्माण या स्पर्में टोसाइटोसिस (Formation of Spermatid or Spermatocytosis)
(B) शुक्राणुपूर्वी का शुक्राणु में कायान्तरण अथवा स्पर्मिओजे नेसिस (Metarmorphosis of Spermatids in to Spermatozoa or Spermiogenesis)

(A) शुकाणुपूर्वी का निमर्णा (Formation of Spermatids)-यह क्रिया तरुणावस्था (Puberty) में आरम्भ होती है। शुक्रजनन प्राथमिक जनन कोशिका अथवा आदि जनन कोशिका से आरम्भ होता है। इस क्रिया में निम्न तीन चरण पाये जाते हैं-

(a) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
(b) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
(c) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)
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(a) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)-इस दौरान प्राथमिक जनन कोशिका या आदि जनन कोशिका में एक के बाद एक समसूत्री विभाजन पाये जाते हैं, इससे निर्मित कोशिका को स्परमेटोगोनिया (Spermatogonia) कहते हैं। स्परमेटोगोनिया द्विगुणित (Diploid) या (2n) कोशिका है।

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(b) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)-इस दाँरान स्परमेटोगोनिया के आकार में वृद्धि होती है। यह वृद्धि दुगुने (Double) के बराबर होती है। इस वृद्धि द्वारा निर्मित कोशिका को प्राथमिक स्परमेटोसाइट्स (Primary Spermatocytes) कहते हैं। वृद्धि प्रावस्था, अण्डजनन की वृद्धि प्रावस्था से अल्पावधि की होती है। इस अवस्था में किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं पाया जाता है। प्राथमिक स्परमेटोसाइट्स द्विगुणित (2n) कोशिका है।

(c) परिपक्व प्रावस्था (Maturation phase)-इस दौरान प्राथमिक स्परमेटेसाइट्स में दो बार विभाजन होता है-

  • प्रथम परिपक्वन विभाजन (First maturation division)-अर्धसूत्रीय-I (Meiosis-I) होता है। इसके परिणामस्वरूप दो द्वितीयक स्परमेटोसाइट्स (Secondary Spermatocytes) का निर्माण होता है।
  • द्वितीय परिपक्वन विभाजन (Second maturation division)-अर्धसूत्रीय-II होता है। यह समसूत्रीय विभाजन के समान होता है। इस प्रकार 4 शुक्राणुपूर्वी (Spermatid) का निर्माण हो जाता है। शुक्राणुपूर्वी अगुणित होते हैं। देखिए चित्र में।

(B) शुक णुपूर्वी का शुक्राणु में कायान्तरण (Spermiogenesis)-गोल, अचल व पूंछविहीन शुक्राणु पूर्वी (Spermatid) का तर्कुकार, चल व पूंछयुक्त शुक्राणु में बदलना शुक्रकायान्तरण (Spermiogenesis) कहलाता है। इस शुक्राणु में निम्न परिवर्तन होते हैं-
(i) शीर्ष का निर्माण (Formation of Head)-शुक्राणुपूर्व कोशिका के केन्द्रक से जल के कम हो जाने से गुणसूत्र एक छोटे व अत्यधिक संहत् पिण्ड का निर्माण कर लेते हैं। RNA तथा केन्द्रिका (Nucleolus) की हानि हो जाने से केन्द्रक में केवल आनुवंशिक पदार्थ (DNA व क्रोमेटिन) रह जाते हैं। गोलाकार केन्द्रक दीर्घित हो जाता है और धीरे-धीरे उत्केन्द्री (Ecentric) स्थिति ग्रहण कर लेता है। कोशिकाद्रव्य निर्माणाधीन पूंछ की ओर चला जाता है। केन्द्रक कोशिकाद्रव्य के एक पतले आवरण से आवरित रह जाता है।

(ii) अग्रपिण्डक या एक्रोसोम का निर्माण (Formation of Acrosome)-शुक्राणुपूर्वी के गॉल्जीकाय से शुक्राणु का अग्रपिण्डक (स्क्रोसोम) बनता है। शुक्राणुपूर्वी के गाल्जीकाय में अनेक छोटी-छोटी रिक्तिकाओं का समूह होता है। इनमें से अग्रपिण्डक के निर्माण हेतु एक रिक्तिका बड़ी होने लगती है और इसमें एक सघन प्रोएक्रोसोमल कणिका (Proacrosomal Granule) बन जाती है ।

अब गॉल्जीकाय को अग्रकोरक (Acroblast) कहते हैं। अन्य रिक्तिकाओं के संयुक्त हो जाने से एक्रोसोमल कणिका भी अब बड़ी होकर एक्रोसोमल कणिका (Acrosomal granule) बन जाती है। एक्रोसोम आशय में उपस्थित तरल पदार्थ धीर-धीरे कम होने लगता है।
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(iii) ग्रीवा का निर्माण (Formation of Neck)-शुक्राणुपूर्व में पहले से ही दो तारक केन्द्र (Centrioles) होते हैं। ये बेलनाकार तथा परस्पर समकोणिक होते हैं, शुक्राणुजनन में ये दोनों तारक केन्द्र के पश्च भाग में चले जाते हैं। केन्द्रक के पश्च तल पर बने एक गड्ढे में एक तारक केन्द्र शुक्राणु के लम्बे अक्ष पर समकोणिक स्थिति में व्यवस्थित हो जाता है।

इसे समीपस्थ तारक केन्द्र (Proximal Centriole) कहते हैं। दूसरे तारक केन्द्र को दूरस्थ तारक केन्द्र (Distal Centriole) कहते हैं। इसका लम्बा अक्ष शुक्राणु के लम्बे अक्ष की संपाती स्थिति में होता है।

(iv) मध्य खण्ड का निर्माण (Formation of Middle Piece)-दूरस्थ तारक केन्द्र से बना एक सूत्र धीरे-धीरे पीछे की ओर लम्बाई में बढ़ने लगता है। शुक्राणुपूर्व के सभी माइटोकॉन्ड्रिया इस सूत्र के समीपस्थ भाग के पास सर्पिल कुण्डली के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। यह शुक्राणु का मध्य खण्ड होता है।

(v) पूंछ का निर्माण (Formation of Tail)-दूरस्थ तारक केन्द्र द्वारा बना सूत्र निरन्तर लम्बा होता जाता है तथा इसे ढकता हुआ कोशिकाद्रव्य भी पश्च भाग की ओर प्रवाहित होता रहता है। इसी सूत्र की पूंछ को अक्ष्रीय सूत्र (Axial filament) कहते हैं। यह सूत्र तेज गति से बढ़ता हुआ अन्ततः कोशिकाओं से निकलकर बाहर आ जाता है। यह भाग कोशिकाद्रव्य से अनावरित होता है। अक्ष्षीय सूत्र का कोशिकाद्रव्य से अवरित भाग पूंछ का मुख्य खण्ड होता है तथा अनावरित भाग अन्त्यखण्ड (End piece) कहलाता है।

इस समय तक शेष बचे कोशिकाद्रव्य को गॉल्जीकाय के अनावश्यक अवयवों सहित त्याग दिया जाता है और एक अत्यन्त सक्रिय शुक्राणु (Sperm) का निर्माण हो जाता है। शुक्राणु की संरचना शुक्राणुओं की आकृति भिन्न-भिन्न जाति में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। जैसे अस्थिल मछलियों में गोलाकार, मनुष्य में चमचाकार, चूहों में हुक के आकार के व पक्षियों में सर्पिलाकार होते हैं।

शुक्राणु के चार भाग पाये जाते हैं-

  1. शीर्ष
  2. ग्रीवा
  3. मध्य भाग
  4. पूँछ

1. शीर्ष-मनुष्य में शीर्ष तिकोना एवं चपटा होता है। इसकी आकृति केन्द्रक की आकृति पर निर्भर होती है। शीर्ष भाग निम्न दो संरचनाओं से मिलकर बना होता है-
(i) केन्द्रक-शुक्राणु के शीर्ष का अधिकांश भाग केन्द्रक द्वारा घिरा होता है। केन्द्रक में प्रमुख रूप से ठोस क्रोमेटिन पदार्थ पाये जाते हैं। DNA अत्यधिक संघनित अवस्था में होता है।

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(ii) अग्रपिंडक/एक्रोसोम-केन्द्रक के अग्र भाग में टोपी के समान रचना पाई जाती है जिसे एक्रोसोम कहते हैं। टोपी के समान एक्रोसोम पाया जाता है। यह स्पर्मलाइसिन्स नामक पाचक एन्जाइम का स्रावण करता है। स्तनधारियों में इसके द्वारा हाएलोयूरोनाइडेज एन्जाइम एवं प्रोएक्रोसिन, एसिड फॉस्फेटेस, बाइन्डीज का स्रावण किया जाता है। प्रोएक्रोसिन, एक्रोसोम क्रिया द्वारा एक्रोसिन में बदल जाता है। ये दोनों एन्जाइम अण्डभेदन में सहायक होते हैं।
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2. ग्रीवा-शीर्ष एवं मध्य भाग के बीच जहाँ तारक केन्द्र उपस्थित रहते हैं, ग्रीवा क्षेत्र कहलाता है। इस भाग में तारककाय पायी जाती है। समीपस्थ तारककाय केन्द्रक के पश्च भाग में एक गर्त में स्थित होता है, जो निषेचन के बाद खण्डीभवन को प्रेरित करता है। इसके पास ही दूरस्थ तारककाय पाया जाता है।

3. मध्य भाग-यह भाग शुक्राणु का ऊर्जा कक्ष या इंजन कहलाता है। मध्य भाग दूरस्थ तारककाय से मुद्रिका तारककाय तक होता है जिसमें अक्षीय तन्तुओं के चारों ओर माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।

स्तनधारियों में माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली को नेबेनकर्न (Nebenkern) आच्छद कहते हैं। मध्य भाग द्वारा ही शुक्राणु की गति के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान की जाती है। शीर्ष के पश्च भाग एवं सम्पूर्ण मध्य भाग को चारों ओर कोशिकाद्रव्य की महीन पर्त घेरे रहती है जिसे मेनचैट (Manchette) कहते हैं। मध्य भाग के अंत में एक मुद्रिका सेन्ट्रियोल पायी जाती है।

4. पूंछ-यह शुक्राणु का सबसे लम्बा तन्तुमय भाग है जो गति में सहायक है।
अण्डजनन (Oogenesis)-अण्डाशय की जनन उपकला द्वारा अण्डाणु निर्माण एवं परिपक्वन की क्रिया को अण्डजनन कहते हैं। अण्डजनन में निम्न तीन चरण पाये जाते हैं-
(A) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
(B) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
(C) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)

(A) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)-प्रारम्भिक अथवा प्राथमिक जनन कोशिकाओं (Primordial or Primary Germ Cells) के बारम्बार समसूत्री विभाजन के फलस्वरूप वर्त्त कोशिकाएँ अण्डजन या ऊगोनिया (Oogonia) कहलाती हैं। ऊगोनिया द्विगुणित (2n) कोशिकाएँ हैं।
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(B) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)-इस दौरान ऊगोनिया में पुन: समसूत्रीय विभाजन होता है। इसके फलस्वरूप स्तनधारियों के अण्डाशय में कोशिकाओं के समूह का निर्माण होता है, जिन्हें अण्डवाही रज्जु (Ovigerous cord) कहते हैं। अण्डवाही रज्जु की एक ऊगोनिया कोशिका वृद्धि करती है व शेष कोशिकाएँ घेर लेती हैं। ऊगोनिया की वृद्धि से प्राथमिक ऊसाइट (Primary Oocyte) का निर्माण होता है। प्राथमिक ऊसाइट को घेरने वाली कोशिकाओं को पुटक कोशिकाएँ (Follicle cells) कहते हैं।

(C) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)-प्राथमिक ऊसाइट (Primary Oocyte) में, अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) प्रथम द्वारा द्वितीयक ऊसाइट (Secondary Oocyte) व एक पोलर बॉडी (Polar Body) का निर्माण होता है। प्रारम्भिक पुटिक की पुटिकीय कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन होने लगता है जिसके फलस्वरूप विकासशील अण्डकोशिका के चारों ओर एक बहुस्तरीय आवरण बन जाता है जिसे मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा (Membrana Granulosa) कहते हैं तथा सम्पूर्ण पुटिका समूह को अब द्वितीयक पुटिका (Secondary Follicle) कहते हैं।

धीरे-धीरे अण्डाणु व मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा के बीच रिक्त स्थान का निर्माण होने लगता है जिसे पुटिका गुहा (Follicular Cavity) कहते हैं। इसमें पाये जाने वाले पोषक तरल पदार्थ को पुटिका द्रव्य (Follicular Fluid) कहते हैं। पुटिका कोशिकाओं का स्तर जो अण्डाणु के चारों ओर उपस्थित होता है उसे कोरोना रेडिएटा (Corona Radiata) कहते हैं।

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इसके ठीक नीचे अण्डाणु के चारों तरफ एक ओर पारदर्शी आवरण पाया जाता है जिसे जोना पेल्यूसिडा (Zona Pellucida) कहते हैं। इस अवस्था में पुटिका अपने परिमाण के चरम सीमा पर होती है और इसे अब ग्राफ्रियन पुटिका (Graffian Follicle) कहते हैं। ग्राफियन पुटिका (Graffian Follicle) अण्डाशय के आवरण के निकट पहुँचकर फट जाती है तथा इसमें अण्डाणु (Ovum) बाहर निकलकर देहगुहा में आ जाता है। पुटिका से अण्डाणु के बाहर निकलने की प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं।

शुकजनन व अण्डजनन में समानताएँ

  1. शुक्र जनन (Spermatogenesis) व अण्ड जनन (Oogenesis) दोनों क्रियाएँ जनन उपकला (Germinal Epithelium) से प्रारम्भ होती है।
  2. दोनों ही क्रियाओं में तीन समान प्रावस्थाएँ होती हैं-
    • गुणन प्रावस्था
    • वृद्धि प्रावस्था
    • परिपक्वन प्रावस्था
  3. गुणन प्रावस्था में दोनों क्रियाओं में समसूत्री विभाजन होता है ।
  4. परिपक्वन प्रावस्था में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis division) होता है।
  5. दोनों की अन्तिम प्रावस्था में अगुणित युग्मक का निर्माण होता है।

प्रश्न 7.
अंतर्रोपण किसे कहते हैं? अंतर्रोपण क्रिया का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
स्त्री एवं पुरुष के संभोग (मैथुन) के दौरान शुक्र (वीय) स्त्री की योनि में छोड़ा जाना वीर्यसेचन (Insemination) कहलाता है। गर्भाशय में होने वाली तरंग गति के कारण शुक्राणु गति करते हुए गर्भाशय में प्रवेश करते हुए अन्त में अंडवाहिनी नली के संकीर्ण पथ इस्थमस तथा तुंबिका (Ampulla) के संधिस्थल तक पहुँच जाता है। यहीं पर द्वितीय ऊसाइट (Secondary oocyte) होता है।

ऊसाइट द्वारा फर्टीलाइजिन (Fertilizin) एवं शुक्राणुओं द्वारा एन्टीफर्टीलाइजिन (anti-fertilizin) नामक रासायनिक पदार्थों का स्रावण किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप ऊसाइट (oocyte) व शुक्राणु एक दूसरे के समीप आ जाते हैं। वे फर्टीलाइजिन व एन्टी-फर्टीलाइजिन दोनों जाति विशिष्ट होते हैं।

अब शुक्राणु के एक्रोसोम (Acrosome) द्वारा हाएलुरोनिडेज (Hyaluronidase) नामक रासायनिक पदार्थ का स्रावण किया जाता है। इस एन्जाइम की उपस्थिति के कारण अण्डाणु के आवरण कोरोना रेडियेटा (Corona Rodiata) तथा जोना पैल्युसिडा (Zona pellucida) को नष्ट कर देता है, जिसके फलस्वरूप शुक्राणु अण्ड में प्रवेश कर जाता है एवं इसकी पूँछ बाहर ही रह जाती है। केवल एक शुक्राणु ही अण्डे में प्रवेश कर पाता है। इसके बाद अण्डे की प्लाज्मा झिल्ली निध्रुवित हो जाती है जिससे अन्य शुक्राणु प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
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शुक्राणु को केन्द्रक अण्ड के केन्द्रक से आपस में संलयन करते हैं जिसके परिणामस्वरूप द्विगुणित रचना का निर्माण होता है जिसे युग्मनज (Zygote) कहते हैं। इस क्रिया को निषे चन (Fertilization) कहते हैं। निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका अथवा अण्डवाहिनी में होती है। इसी समय भ्रूण के लिंग का निर्धारण हो जाता है।

स्त्री में XX लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosome) व पुरुष में XY लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosome) पाये जाते हैं। अर्थात् स्त्री द्वारा सिर्फ X गुणसूत्र के ही अगुणित युग्मक (अण्ड) निर्मित होते हैं। पुरुष द्वारा 50% X गुणसूत्र व 50% Y गुणसूत्र के अगुणित युग्मक शुक्राणु बनते हैं। पुरुष युग्मक (शुक्राणु) व स्त्री युग्मक (अण्ड) के संयोजन के बाद युग्मनज (Zygote) XYया XXप्रकार के होते हैं।

XXयुग्मनज मादा भ्रण (लड़की) व XYवाले युग्मनज नर भूण (लड़का) में परिवर्तित हो जाते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि एक शिशु का लिंग निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है न कि माता के द्वारा। निषेचन के पश्चात् युग्मनज (Zygote) में विदलन समसूत्री विभाजन प्रारम्भ हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप 2,4,8,16 संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है जिसे कोरकखण्ड (Blastomeres) कहते हैं।

8 से 16 कोरकखण्डों वाले भूण को मोरुला (Morulla) कहते हैं। देखिए आगे चित्र (य)। यह मोरुला लगातार विभाजित होता रहता है और जैसे-जैसे गर्भाशय की ओर बढ़ता है, यह कोरकपुटी (Blastocyst) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। देखिए का (र)। एक कोरकपुटी में कोरकखण्ड बाहरी परत में व्यवस्थित होते हैं, जिसे पोषक कोरक (Trophoblast) कहते हैं। कोशिकाओं के भीतरी समूह जो पोषक कोरक से जुड़े होते हैं उन्हें अंतरकोशिका (Inner Cell Mass) कहते हैं।
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अब पोषक कोरक स्तर गभाशय के अन्तः स्तर (Endometrium) से संलग्न हो जाता है और अन्तर कोशिका समूह भ्रूण के रूप में अलग-अलग या विभेदित हो जाता है। संलग्न होने के बाद गर्भाशयी क्डोशिकाएँ तेजी से विभक्त होती हैं औरकोरकपुटी (Blastocyst) को आवृत कर लेती हैं। इसके परिणामस्वरूप कोरकपुटी गर्भाशय अन्तःस्तर में अन्तःस्थापित हो जाती है। देखिए चित्र (ल) इसे ही अन्तर्रोपण (Implantation) कहते हैं और बाद में सगर्भता का रूप धारण कर लेती है।

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प्रश्न 8.
शुक्रजनन ( Sperminatogenesis) एवं अण्डजनन (Oogenesis) में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
शुक्रजनन (Spermatogenesis) एवं अण्डजनन (Oogenesis) में अन्तर

शुक्रजनन (Spermatogenesis)अण्डजनन (Oogenesis)
1. यह क्रिया वृषणों (Testes) में सम्पन्न होती है।यह क्रिया अण्डाशय (Ovaries) में सम्पन्न होती है।
2. शुक्रजनन की क्रिया प्राणी में जीवन पर्यन्त जारी रहती है।यह क्रिया एक निश्चित आयु के पश्चात् बन्द हो जाती है।
3. इस क्रिया में सभी शुक्रजनक कोशिकाएँ शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं।के वल एक अण्ड जनक कोशिका अण्डाणु का निर्माण करती है। अन्य अनेक अण्डजनक कोशिकाएँ वृद्धि प्रावस्था में नष्ट हो जाती हैं।
4. दोनों परिपक्वन विभाजन वृषण में ही होते हैं।दोनों परिपक्वन विभाजन या कम से कम द्वितीय परिपक्वन विभाजन अण्डाशय से बाहर होते हैं।
5. वृद्धि प्रावस्था छोटे अन्तराल की एवं कम वृद्धि होती है।वृद्धि प्रावस्था लम्बे समय तक जारी रहती है एवं अधिक वृद्धि होती है।
6. इस क्रिया में एक शुक्रजनन कोशिका से चार पूर्व शुक्राणु कोशिकाओं का निर्माण होता है ।इस क्रिया में एक ऊगोनिया से एक अण्डाणु एवं तीन ध्रुवकाय निर्मित होती हैं।
7. इस क्रिया में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्वन विभाजन समान होते हैं एवं परिणामस्वरूप चार समान शुक्राणु (Sperm) निर्मित होते हैं। ये चारों ही स्वतन्त्र जनन इकाई होते हैं।दोनों परिपक्वन विभाजन असमान होते हैं तथा इसके फलस्वरूप एक बड़ी अण्डाणु कोशिका तथा तीन ध्रुवकाय का निर्माण होता है। इसमें केवल अण्डाणु (Ovum) ही स्वतन्त्र जनन इकाई है।
8. शुक्राणु निर्माण में कायान्तरण की क्रिया होती है।इसमें कायान्तरण नहीं होता।
9. शुक्राणु पीतक रहित एवं गतिशील होते हैं।अण्डाणु पीतकयुक्त एवं गतिहीन होते हैं।

प्रश्न 9.
मानव में भ्रूणीय अवस्थाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव में भ्रूणीय अवस्थाओं का सारांश (Summary of Embryonic Development Stage in Human)
1 दिन – निषेचन (Fertilization), निषेचित अण्डाणु का व्यास लगभग 0.15 मि.मी. होता है।
2 दिन – दो कोशिका अवस्था (Two Cell Stage)।
3 दिन – 16 कोशिका अवस्था (16 Cell Stage), मॉर्ला (Morula)।
4 दिन – कोरकपुटी (Blastocyst) का गर्भाशय अवकाशिका (Uterine Lumen) में प्रवेश, जोना पैल्यूसिडा (Zona pellucida) का विलोपन, कोरपुटी का व्यास लगभग 0.3 मि.मी।
7-8 दिन – कोरकपुटी का गर्भाशय की एण्डोमीट्रियम में आंशिक प्रवेश, रोपण (Implantation)।
12 दिन – कोरकपुटी का एण्डोमीट्रियम में प्रवेश पूर्ण, भ्रूणीय डिस्क (Embryonic Disc) का निर्माण, अतिरिक्त भूर्णीय अन्तश्चर्म (Extra-embryonic Endoderm), अतिरिक्त भ्रूणीय मध्यचर्म (Extra-embryonic Mesoderm), एम्निऑन (Amnion), पीतक कोष (Yolk Sac) का निर्माण।
14 दिन – आदि रेखा (Primitive Streak) का निर्माण।
18 दिन – 3-5 जोड़ी कायखण्डों (Somites) का निर्माण।
19 दिन – तन्त्रिका खाँच (Neural Groove), तन्त्रिका पट्ट (Neural Plate), पृष्ठ रज्जु पट्ट् (Notochordal plate), 6-8 जोड़ी कायखण्डों का निर्माण।
24 दिन – सिर एवं पुच्छ भागों का निर्धारण 21-23 जोड़ी कायखण्ड निर्मित। अधर भाग में हुदय (Heart) का निर्माण जारी।
28 दिन – हुदय का धड़कना प्रारम्भ, तन्त्रिका नाल (Neural Tube) का निर्माण पूर्ण, तीन जोड़ी ग्रसनी चाप (Viscerl Arch) निर्मित, 30-31 दिन जोड़ी कायखण्ड निर्मित रुधिर द्वीप (Blood Islands) दिखने लगते हैं।
32 दिन – 30-39 जोड़ी कायखण्ड निर्मित।
7 सप्ताह – जबड़े, उँगलियाँ, बाह्य कर्ण आदि दृष्टिगोचर होने लगते हैं। भूरण की शिखर कटिप्रोथ लम्बाई (CR length, crown rump lengte) सिर से नितम्ब के तल तक की लम्बाई ) 19-20 मिमी. हो जाती है।

8 सप्ताह – भ्रूण पूर्णरूपेण एम्निऑन द्वारा घेर लिया जाता है। उँगलियाँ एवं पंजे (Toes) स्पष्ट होते हैं। लगभग सभी अंग निर्मित होकर विकसित हो रहे होते हैं। 8 वें सप्ताह के अन्त तक भूरण एक छोटे मनुष्य का आकार ले लेता है। अब इसे गर्भ (Foetus) कहते हैं। CR लम्बाई 28 से 30 मिमी.।

5 महीने – अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में रक्त निर्माण प्रारम्भ। पाती सम्पुट (Decidua Capsularis) पैराइटेलिस (Parietails) जुड़ जाती हैं। बाल आने लगते हैं।

9 महीने – अपरा (Placenta) का आकार अधिकतम हो जाता है। उँगलियाँ पर नाखून (Nails) आ जाते हैं। अगले 10 दिन में गर्भ जन्म लेने को तैयार होता है। मनुष्य में गर्भकाल 280 दिन का होता है।
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उपर्युक्त समयावधि सन्निकट समयावधि (Approximate Time Period) है। कभी-कभी किसी कारणवश कुछ बच्चों का जन्म कुछ माह पहले हो जाता है। सातवें माह में जन्म लेने वाले शिशु भी सामान्य शिशु की भाँति विकसित हो जाते हैं।

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प्रश्न 10.
(a) मानव शुक्रजनक नलिका की काट का नामांकित चित्र बनाइए ।
(b) मानव नर तथा मादा में युग्मक जनन में निम्न आधार पर अन्तर लिखिए-
(i) प्रक्रिया के प्रारम्भ होने का समय ।
(ii) प्रक्रिया के अन्त में बनी संरचनाएँ ।
उत्तर:
(a) [ संकेत- मानव शुक्रजनक नलिका की काट का नामांकित चित्र हेतु देखिए चित्र 3.13]
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(b) (i) प्रक्रिया के प्रारम्भ होने का समय-नर में यौवनारम्भ की आयु में होता है जबकि मादा में विकास की भ्रूणीय अवस्था में होता है।
(ii) प्रक्रिया के अन्त में बनी हुई संरचनाएँ – नर में एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट में चार स्पर्मेटोजोआ बनते हैं जबकि मादा में एक प्राथमिक असाइट से एक क्रियात्मक अण्ड तथा दो ध्रुवीयकाय (Pol body) बनाती है।

प्रश्न 11.
शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर:
युग्मकजनन को परिभाषित कीजिए । शुक्राणुजनन व अण्डजनन को विस्तार से समझाइए ।
जनद (Gonods) द्वारा युग्मकों के निर्माण को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मकजनन के दौरान समसूत्रीय व अर्धसूत्रीय दोनों प्रकार के विभाजन पाये जाते हैं। इस प्रकार अगुणित (Haploid) युग्मकों का निर्माण होता है। युग्मक दो प्रकार के होते हैं जिन्हें क्रमशः शुक्राणु व अण्डाणु कहते हैं।

शुक्रजनन की क्रियाविधि
वृषण की जनन उपकला कोशिकाओं के समसूत्रीय व अर्धसूत्रीय विभाजन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन (Spermatogenesis) कहलाता है। शुक्रजनन एक सतत (Continuous) क्रिया है। शुक्रजनन में अग्र दो चरण पाये जाते हैं-
(A) शुक्र णुपूर्वी का निर्माण या स्पर्में टोसाइटोसिस (Formation of Spermatid or Spermatocytosis)
(B) शुक्राणुपूर्वी का शुक्राणु में कायान्तरण अथवा स्पर्मिओजे नेसिस (Metarmorphosis of Spermatids in to Spermatozoa or Spermiogenesis)

(A) शुकाणुपूर्वी का निमर्णा (Formation of Spermatids)-यह क्रिया तरुणावस्था (Puberty) में आरम्भ होती है। शुक्रजनन प्राथमिक जनन कोशिका अथवा आदि जनन कोशिका से आरम्भ होता है। इस क्रिया में निम्न तीन चरण पाये जाते हैं-
(a) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
(b) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
(c) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)
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(a) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)-इस दौरान प्राथमिक जनन कोशिका या आदि जनन कोशिका में एक के बाद एक समसूत्री विभाजन पाये जाते हैं, इससे निर्मित कोशिका को स्परमेटोगोनिया (Spermatogonia) कहते हैं। स्परमेटोगोनिया द्विगुणित (Diploid) या (2n) कोशिका है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

(b) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)-इस दाँरान स्परमेटोगोनिया के आकार में वृद्धि होती है। यह वृद्धि दुगुने (Double) के बराबर होती है। इस वृद्धि द्वारा निर्मित कोशिका को प्राथमिक स्परमेटोसाइट्स (Primary Spermatocytes) कहते हैं। वृद्धि प्रावस्था, अण्डजनन की वृद्धि प्रावस्था से अल्पावधि की होती है। इस अवस्था में किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं पाया जाता है। प्राथमिक स्परमेटोसाइट्स द्विगुणित (2n) कोशिका है।

(c) परिपक्व प्रावस्था (Maturation phase)-इस दौरान प्राथमिक स्परमेटेसाइट्स में दो बार विभाजन होता है-

  • प्रथम परिपक्वन विभाजन (First maturation division)-अर्धसूत्रीय-I (Meiosis-I) होता है। इसके परिणामस्वरूप दो द्वितीयक स्परमेटोसाइट्स (Secondary Spermatocytes) का निर्माण होता है।
  • द्वितीय परिपक्वन विभाजन (Second maturation division)-अर्धसूत्रीय-II होता है। यह समसूत्रीय विभाजन के समान होता है। इस प्रकार 4 शुक्राणुपूर्वी (Spermatid) का निर्माण हो जाता है। शुक्राणुपूर्वी अगुणित होते हैं। देखिए चित्र में।

(B) शुक णुपूर्वी का शुक्राणु में कायान्तरण (Spermiogenesis)-गोल, अचल व पूंछविहीन शुक्राणु पूर्वी
(Spermatid) का तर्कुकार, चल व पूंछयुक्त शुक्राणु में बदलना शुक्रकायान्तरण (Spermiogenesis) कहलाता है। इस शुक्राणु में निम्न परिवर्तन होते हैं-
(i) शीर्ष का निर्माण (Formation of Head)-शुक्राणुपूर्व कोशिका के केन्द्रक से जल के कम हो जाने से गुणसूत्र एक छोटे व अत्यधिक संहत् पिण्ड का निर्माण कर लेते हैं। RNA तथा केन्द्रिका (Nucleolus) की हानि हो जाने से केन्द्रक में केवल आनुवंशिक पदार्थ (DNA व क्रोमेटिन) रह जाते हैं। गोलाकार केन्द्रक दीर्घित हो जाता है और धीरे-धीरे उत्केन्द्री (Ecentric) स्थिति ग्रहण कर लेता है। कोशिकाद्रव्य निर्माणाधीन पूंछ की ओर चला जाता है। केन्द्रक कोशिकाद्रव्य के एक पतले आवरण से आवरित रह जाता है।

(ii) अग्रपिण्डक या एक्रोसोम का निर्माण (Formation of Acrosome)-शुक्राणुपूर्वी के गॉल्जीकाय से शुक्राणु का अग्रपिण्डक (स्क्रोसोम) बनता है। शुक्राणुपूर्वी के गाल्जीकाय में अनेक छोटी-छोटी रिक्तिकाओं का समूह होता है। इनमें से अग्रपिण्डक के निर्माण हेतु एक रिक्तिका बड़ी होने लगती है और इसमें एक सघन प्रोएक्रोसोमल कणिका (Proacrosomal Granule) बन जाती है ।

अब गॉल्जीकाय को अग्रकोरक (Acroblast) कहते हैं। अन्य रिक्तिकाओं के संयुक्त हो जाने से एक्रोसोमल कणिका भी अब बड़ी होकर एक्रोसोमल कणिका (Acrosomal granule) बन जाती है। एक्रोसोम आशय में उपस्थित तरल पदार्थ धीर-धीरे कम होने लगता है।
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(iii) ग्रीवा का निर्माण (Formation of Neck)-शुक्राणुपूर्व में पहले से ही दो तारक केन्द्र (Centrioles) होते हैं। ये बेलनाकार तथा परस्पर समकोणिक होते हैं, शुक्राणुजनन में ये दोनों तारक केन्द्र के पश्च भाग में चले जाते हैं। केन्द्रक के पश्च तल पर बने एक गड्ढे में एक तारक केन्द्र शुक्राणु के लम्बे अक्ष पर समकोणिक स्थिति में व्यवस्थित हो जाता है। इसे समीपस्थ तारक केन्द्र (Proximal Centriole) कहते हैं। दूसरे तारक केन्द्र को दूरस्थ तारक केन्द्र (Distal Centriole) कहते हैं। इसका लम्बा अक्ष शुक्राणु के लम्बे अक्ष की संपाती स्थिति में होता है।

(iv) मध्य खण्ड का निर्माण (Formation of Middle Piece)-दूरस्थ तारक केन्द्र से बना एक सूत्र धीरे-धीरे पीछे की ओर लम्बाई में बढ़ने लगता है। शुक्राणुपूर्व के सभी माइटोकॉन्ड्रिया इस सूत्र के समीपस्थ भाग के पास सर्पिल कुण्डली के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। यह शुक्राणु का मध्य खण्ड होता है।

(v) पूंछ का निर्माण (Formation of Tail)-दूरस्थ तारक केन्द्र द्वारा बना सूत्र निरन्तर लम्बा होता जाता है तथा इसे ढकता हुआ कोशिकाद्रव्य भी पश्च भाग की ओर प्रवाहित होता रहता है। इसी सूत्र की पूंछ को अक्ष्रीय सूत्र (Axial filament) कहते हैं। यह सूत्र तेज गति से बढ़ता हुआ अन्ततः कोशिकाओं से निकलकर बाहर आ जाता है।

यह भाग कोशिकाद्रव्य से अनावरित होता है। अक्ष्षीय सूत्र का कोशिकाद्रव्य से अवरित भाग पूंछ का मुख्य खण्ड होता है तथा अनावरित भाग अन्त्यखण्ड (End piece) कहलाता है। इस समय तक शेष बचे कोशिकाद्रव्य को गॉल्जीकाय के अनावश्यक अवयवों सहित त्याग दिया जाता है और एक अत्यन्त सक्रिय शुक्राणु (Sperm) का निर्माण हो जाता है।

शुक्राणु की संरचना शुक्राणुओं की आकृति भिन्न-भिन्न जाति में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। जैसे अस्थिल मछलियों में गोलाकार, मनुष्य में चमचाकार, चूहों में हुक के आकार के व पक्षियों में सर्पिलाकार होते हैं।
शुक्राणु के चार भाग पाये जाते हैं-

  1. शीर्ष
  2. ग्रीवा
  3. मध्य भाग
  4. पूँछ

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1. शीर्ष-मनुष्य में शीर्ष तिकोना एवं चपटा होता है। इसकी आकृति केन्द्रक की आकृति पर निर्भर होती है। शीर्ष भाग निम्न दो संरचनाओं से मिलकर बना होता है-
(i) केन्द्रक-शुक्राणु के शीर्ष का अधिकांश भाग केन्द्रक द्वारा घिरा होता है। केन्द्रक में प्रमुख रूप से ठोस क्रोमेटिन पदार्थ पाये जाते हैं। DNA अत्यधिक संघनित अवस्था में होता है।

(ii) अग्रपिंडक/एक्रोसोम-केन्द्रक के अग्र भाग में टोपी के समान रचना पाई जाती है जिसे एक्रोसोम कहते हैं। टोपी के समान एक्रोसोम पाया जाता है। यह स्पर्मलाइसिन्स नामक पाचक एन्जाइम का स्रावण करता है। स्तनधारियों में इसके द्वारा हाएलोयूरोनाइडेज एन्जाइम एवं प्रोएक्रोसिन, एसिड फॉस्फेटेस, बाइन्डीज का स्रावण किया जाता है। प्रोएक्रोसिन, एक्रोसोम क्रिया द्वारा एक्रोसिन में बदल जाता है। ये दोनों एन्जाइम अण्डभेदन में सहायक होते हैं।
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2.  ग्रीवा-शीर्ष एवं मध्य भाग के बीच जहाँ तारक केन्द्र उपस्थित रहते हैं, ग्रीवा क्षेत्र कहलाता है। इस भाग में तारककाय पायी जाती है। समीपस्थ तारककाय केन्द्रक के पश्च भाग में एक गर्त में स्थित होता है, जो निषेचन के बाद खण्डीभवन को प्रेरित करता है। इसके पास ही दूरस्थ तारककाय पाया जाता है।

3. मध्य भाग-यह भाग शुक्राणु का ऊर्जा कक्ष या इंजन कहलाता है। मध्य भाग दूरस्थ तारककाय से मुद्रिका तारककाय तक होता है जिसमें अक्षीय तन्तुओं के चारों ओर माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।

स्तनधारियों में माइटोकॉन्ड्रिया के आपस में आंशिक समेकन के फलस्वरूप बनी सर्पिल कुण्डली को नेबेनकर्न (Nebenkern) आच्छद कहते हैं। मध्य भाग द्वारा ही शुक्राणु की गति के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान की जाती है। शीर्ष के पश्च भाग एवं सम्पूर्ण मध्य भाग को चारों ओर कोशिकाद्रव्य की महीन पर्त घेरे रहती है जिसे मेनचैट (Manchette) कहते हैं। मध्य भाग के अंत में एक मुद्रिका सेन्ट्रियोल पायी जाती है।

4. पूंछ-यह शुक्राणु का सबसे लम्बा तन्तुमय भाग है जो गति में सहायक है।
अण्डजनन (Oogenesis)-अण्डाशय की जनन उपकला द्वारा अण्डाणु निर्माण एवं परिपक्वन की क्रिया को अण्डजनन कहते हैं। अण्डजनन में निम्न तीन चरण पाये जाते हैं-
(A) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
(B) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
(C) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)

(A) गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)-प्रारम्भिक अथवा प्राथमिक जनन कोशिकाओं (Primordial or Primary Germ Cells) के बारम्बार समसूत्री विभाजन के फलस्वरूप वर्त्त कोशिकाएँ अण्डजन या ऊगोनिया (Oogonia) कहलाती हैं। ऊगोनिया द्विगुणित (2n) कोशिकाएँ हैं।
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(B) वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)-इस दौरान ऊगोनिया में पुन: समसूत्रीय विभाजन होता है। इसके फलस्वरूप स्तनधारियों के अण्डाशय में कोशिकाओं के समूह का निर्माण होता है, जिन्हें अण्डवाही रज्जु (Ovigerous cord) कहते हैं। अण्डवाही रज्जु की एक ऊगोनिया कोशिका वृद्धि करती है व शेष कोशिकाएँ घेर लेती हैं। ऊगोनिया की वृद्धि से प्राथमिक ऊसाइट (Primary Oocyte) का निर्माण होता है। प्राथमिक ऊसाइट को घेरने वाली कोशिकाओं को पुटक कोशिकाएँ (Follicle cells) कहते हैं।

(C) परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)-प्राथमिक ऊसाइट (Primary Oocyte) में, अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) प्रथम द्वारा द्वितीयक ऊसाइट (Secondary Oocyte) व एक पोलर बॉडी (Polar Body) का निर्माण होता है। प्रारम्भिक पुटिक की पुटिकीय कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन होने लगता है जिसके फलस्वरूप विकासशील अण्डकोशिका के चारों ओर एक बहुस्तरीय आवरण बन जाता है जिसे मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा (Membrana Granulosa) कहते हैं तथा सम्पूर्ण पुटिका समूह को अब द्वितीयक पुटिका (Secondary Follicle) कहते हैं।

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धीरे-धीरे अण्डाणु व मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा के बीच रिक्त स्थान का निर्माण होने लगता है जिसे पुटिका गुहा (Follicular Cavity) कहते हैं। इसमें पाये जाने वाले पोषक तरल पदार्थ को पुटिका द्रव्य (Follicular Fluid) कहते हैं। पुटिका कोशिकाओं का स्तर जो अण्डाणु के चारों ओर उपस्थित होता है उसे कोरोना रेडिएटा (Corona Radiata) कहते हैं।

इसके ठीक नीचे अण्डाणु के चारों तरफ एक ओर पारदर्शी आवरण पाया जाता है जिसे जोना पेल्यूसिडा (Zona Pellucida) कहते हैं। इस अवस्था में पुटिका अपने परिमाण के चरम सीमा पर होती है और इसे अब ग्राफ्रियन पुटिका (Graffian Follicle) कहते हैं। ग्राफियन पुटिका (Graffian Follicle) अण्डाशय के आवरण के निकट पहुँचकर फट जाती है तथा इसमें अण्डाणु (Ovum) बाहर निकलकर देहगुहा में आ जाता है। पुटिका से अण्डाणु के बाहर निकलने की प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं।

शुकजनन व अण्डजनन में समानताएँ

  1. शुक्र जनन (Spermatogenesis) व अण्ड जनन (Oogenesis) दोनों क्रियाएँ जनन उपकला (Germinal Epithelium) से प्रारम्भ होती है।
  2. दोनों ही क्रियाओं में तीन समान प्रावस्थाएँ होती हैं-
    • गुणन प्रावस्था
    • वृद्धि प्रावस्था
    • परिपक्वन प्रावस्था
  3. गुणन प्रावस्था में दोनों क्रियाओं में समसूत्री विभाजन होता है ।
  4. परिपक्वन प्रावस्था में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis division) होता है।
  5. दोनों की अन्तिम प्रावस्था में अगुणित युग्मक का निर्माण होता है।

प्रश्न 12.
(a) मानव शुक्राणु का चित्र बनाइए तथा उसके कोशिकीय घटकों को नामांकित कीजिए। किन्हीं तीन भागों के कार्य बताइए ।
(b) शुक्राणुजनन के बाद जीवित रहने के लिए इनका सिर कहाँ धंसा होता है?
उत्तर:
संकेत-
(a) शुक्राणु के चित्रों एवं तीन भागों के कार्य हेतु अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न के निबन्धात्मक प्रश्न क्रमांक 1 का अवलोकन करें।]
(b) शुक्राणुओं का सिर सर्टोली कोशिकाओं (Sertoli Cells) में धंसा होता है।

प्रश्न 13.
मानव जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
पुरुष जनन तंत्र (Male Reproductive System)
पुरुषों में एक जोड़ी वृषण (Testis) प्राथमिक जननांग के रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्त सहायक जननांग (Accessory Reproduction organs) मुख्यतया वृषणकोष (Scrotal Sac), अधिवृषण (Epididymis), शुक्रवाहिनियां (Vas-deferences), शिश्न (Penis) तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate Gland) एवं कॉउपर ग्रन्थि (Cowper’s Gland) पाये जाते हैं।

वृषण (Testis)-वृषण प्राथमिक जननांग होते हैं जिनका निर्माण भ्रूणीय मीसोडर्म (Mesoderm) से होता है। ये मीसोर्कियम (Mesorchium) की सहायता से उदरगुहा की पृष्ठभित्ति से जुड़े रहते हैं। वृषण संख्या में दो होते हैं। इनका रंग गुलाबी तथा आकृति में अण्डाकार होते हैं जिसकी लम्बाई 4 से 5 से.मी., चौड़ाई लगभग 2 से 3 से.मी. एवं वजन में 12 ग्राम होता है। दोनों वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैले में स्थित होते हैं जिसे वृषणकोष (Scrotal Sac) कहते हैं। वृषणकोष एक ताप नियंत्रक की भांति कार्य करता है।

वृषणों का तापमान शरीर के तापमान से 2-2.5° C नीचे बनाये रखता है। यह तापमान शुक्राणुओं के विकास के लिए उपयुक्त होता है। वृषणकोषों की दीवार पतली, लचीली एवं रोमयुक्त होती है। इसके अन्दर पेशी तन्तुओं का मोटा अवत्वक (Subcutaneous) स्तर होता है जिसे डारटोस पेशी (Dartos muscle) कहते हैं।

रेखित पेशी तन्तुओं का एक दण्डनुमा गुच्छा वृषणकोष के प्रत्येक अर्धभाग के अवत्वक पेशी स्तर को उदरीय अवत्वक पेशी स्तर से जोड़ता है, जिसे वृषणोत्कर्ष पेशी (cremaster muscles) कहते हैं। प्रत्येक वृषण कोष की गुहा उदरगुहा से एक सँकरी नलिका द्वारा जुड़ी होती है जिसे वक्षणनाल (Inguinal Canal) कहते हैं। वक्षणनाल के द्वारा होकर वृषण धमनी, वृषणशिरा तथा वृषण तन्त्रिका एक वृषण रज्जु (Spermatic Cord) के रूप में वृषण तक जाती है।
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वृषण पर दो आवरण पाये जाते हैं जिन्हें वृषण खोल (Testicular capsule) कहते हैं। इसमें बाहरी महीन आवरण को मौनिक स्तर (Tunica Vaginalis) कहते हैं। यह उदरगुहा के उदरावण से बनता है जबकि भीतरी स्तर को श्वेत कुंचक अथवा ट्यूनिका ऐल्ब्यूजिनिया (Tunica Albuginea) कहते हैं। वृषण की गुहा भी इसी ऊतक की पट्टियों द्वारा लगभग 250 पालियों या वेश्मों में बंटी रहती है।

प्रत्येक पाली में अनेक कुण्डलित रूप में एक-दूसरे से सटी हुई कई पतली नलिकाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) कहते हैं। इन नलिकाओं के बीच संयोजी ऊतक पाया जाता है जिसमें विशेष प्रकार की अन्तराली कोशिकाएँ या लैडिग कोशिकाएँ (Leydig cells) पायी जाती हैं। इन कोशिकाओं द्वारा नर हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) का विकास होता है।

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प्रत्येक शुक्रजनक नलिका (Seminiferous Tubules) के चारों ओर झिल्लीनुमा आवरण पाया जाता है जिसे ट्यूनिका प्रोप्रिया (Tunica Propria) कहते हैं। इस झिल्ली के नीचे जनन उपकला (Germinal Epithelium) का स्तर पाया जाता है। शुक्रजनक नलिका (Seminiferous Tubules) को वृषण की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई कहा जाता है। जनन उपकला स्तर में दो प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं-
(i) स्परमेटोगोनिया कोशिकाएँ (Spermatogonia cells)इनके द्वारा शुक्रजनन (Spermatogenesis) द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
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(ii) सरटोली कोशिकाएँ (Sertoli cells)-सरटोली कोशिकाओं को अवलम्बन या पोषी या नर्स या मातृ या सबटेन्टाकुलर कोशिकाएँ (Supporting or Nutritive or Nurse or Mother or Subtentacular cells) भी कहते हैं। ये कोशिकाएँ आकार में बड़ी, संख्या में कम एवं स्तम्भी प्रकार की होती हैं। इनका स्वतन्त्र भाग कटाफटा होता है। इस भाग में शुक्राणुपूर्व कोशिकाएँ (Spermatids) सर्टोली कोशिकाओं से सटकर संलग्न रहती हैं।
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सरटोली कोशिकाओं के कार्य (Functions of Sertoli Cells)-

  • शुक्राणुओं को आलम्बन प्रदान करती हैं।
  • ये कोशिकाएँ शुक्राणुओं को संरक्षण एवं पोषण प्रदान करती हैं।
  • शुक्रकायान्तरण (Spermiogenesis) के दौरान अवशिष्ट कोशिकाद्रव्य (Residual Cytoplasm) का भक्षण करना।
  • सरटोली कोशिका द्वारा एन्टीमुलेरियान हार्मोन का स्रावण किया जाता है। यह भूरणीय अवस्था में मादा जननवाहिनी के विकास का संदमन करता है।
  • सरटोली कोशिकाओं के द्वारा इनहिबिन (Inhibin) हार्मोन का स्रावण किया जाता है जो FSH का संदमन करता है।
  • इन कोशिकाओं के द्वारा ABP (एण्ड्रोजन बाइडिंग प्रोटीन) का स्रावण किया जाता है।

शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) से पतलीपतली नलिकाएँ निकलती हैं, वृषण के अन्दर ये नलिकाएँ आपस में मिलकर एक जाल बनाती हैं, इसे वृषण जालक (Rete Testis) कहते हैं। इससे लगभग 15-20 संवलित नलिकाएँ (Convoluted ductules) निकलती हैं जिन्हें वास इफरेंशिया (Vas Efferentia) कहते हैं। ये नलिकाएँ वृषण की अग्र या ऊपरी सतह पर पहुँचकर लम्बी रचना में खुलती हैं जिसे अधिवृषण (Epididymis) कहते हैं।

अधिवृषण (Epididymis)-यह एक लम्बी तथा अत्यधिक कुंडलित नलिका है जिसकी लम्बाई 6 मीटर होती है। प्रत्येक वृषण के भीतरी किनारों पर अत्यधिक कुण्डलित नलिका द्वारा निर्मित एक रचना पाई जाती है जिसे अधिवृषण कहते हैं। अधिवृषण को तीन भागों में बाँटा गया है-
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  • कैपुट एपिडिडाइमिस (Caput Epididymis)-यह वृषण के ऊपर केप (Cap) के समान होती है। इमें वृषण से आने वाली वास इफरेन्शिया (Vas Efferentia) खुलती है। कैपुट एपिडिडाइमिस को ग्लोबस मेजर (Globus Major) भी कहते हैं।
  • कॉर्पस एपिडिडाइमिस (Corpus Epididymis)-यह मध्य भाग है व संकरा होता है। इसे एपिडिडाइमिस काय (Epididymis body) भी कहते हैं।
  • कॉडा एपिडिडाइमिस (Cauda Epididymis)-यह एपिडिडाइमिस का पश्च व सबसे छोटा भाग है। इसे ग्लोबस माइनर (Globus Minor) भी कहते हैं। कॉडा एपिडिडाइमिस से इसकी नली पीछे निकलकर शुक्रवाहिनी (Vas deference) बनाती है। अधिवृषण

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(Epididymis) के कार्य-

  • शुक्राणुओं को अधिवृषण में संग्रहित किया जाता है व यहाँ इनका परिपक्वन होता है।
  • यह वृषणों से शुक्रवाहिनी में शुक्राणुओं के पहुँचने के लिए मार्ग प्रदान करते हैं।
  • अधिवृषण (Epididymis) में शुक्राणु एक माह तक संचित रह सकते हैं। स्खलन न होने की स्थिति में शुक्राणुओं का विघटन न होने पर इनके तरल का अवशोषण इसी में होता है।
  • इसकी नलिका में क्रमाकुंचन के कारण शुक्राणु वास डिफरने्स (Vas deference) की ओर बहते हैं।

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  • सरटोली कोशिका द्वारा एन्टीमुलेरियान हार्मोन का सावण किया जाता है। यह भ्रूणीय अवस्था में मादा जननवाहिनी के विकास का संदमन करता है।
  • सरटोली कोशिकाओं के द्वारा इनहिबिन (Inhibin) हार्मोन का स्रावण किया जाता है जो =FSH= का संद्मन करता है।
  • इन कोशिकाओं के द्वारा ABP (एण्ड्रोजन बाइडिंग प्रोटीन) का स्रावण किया जाता है।

शुक्रवाहिनी (Vas deference)-शुक्रवाहिनी लगभग 45 सेमी. लम्बी नलिका होती है। इसकी दीवार पेशीय होती है। शुक्रवाहिनी अधिवृषण के पश्च भाग से प्रारम्भ होकर ऊपर की ओर वक्षणनाल से होकर गुहा में मूत्राशय के पश्च तल पर नीचे की ओर मुड़कर चलती हुई अन्त में एक फूला हुआ भाग तुम्बिका (Ampulla) बनाती है। यहाँ इसमें शुक्राशय (Seminal Vesicle) की छोटी वाहिनी आकर खुलती है। दोनों के मिलने से स्खलनीय वाहिनी (Ejaculatory Duct) का निर्माण होता है।

शुक्रवाहिनी की भित्ति पेशीय होती है व इसमें संकुचन व शिथिलन की क्षमता पायी जाती है। संकुचन व शिथिलन द्वारा शुक्राणु शुक्राशय तक पहुँचा दिये जाते हैं। शुक्रवाहिनियों में ग्रन्थिल कोशिकाएँ पाई जाती हैं जो चिकने पदार्थ का सावण करती हैं। यह द्रव शुक्राणुओं को गति करने में सहायता करता है। तुम्बिका (Ampulla) में शुक्राणुओं को अस्थायी रूप से संग्रह किया जाता है। स्खलनीय वाहिनियां अन्त में मूत्र मार्ग (Urethra) में आकर खुलती हैं।

मूत्रमार्ग (Urethra)-मूत्राशय से मूत्रवाहिनी निकलकर स्खलनीय वाहिनी से मिलकर मूत्रजनन नलिका या मूत्रमार्ग (Urinogenital Duct or Urethra) बनाती है। यह लगभग 20 से.मी. लम्बी नाल होती है जो शिश्न के शिखर भाग पर मूत्रजनन छिद्र (Urinogenital Aperture) द्वारा बाहर खुलती है। मूत्रमार्ग एवं वीर्य दोनों के लिए एक उभयनिष्ठ मार्ग (Common Passage) का कार्य करता है।

मूत्रमार्ग (Urethra) तीन भागों में बँटा होता है-

  1. प्रोस्टेटिक मूत्रमार्ग (Prostatic Urethra)
  2. झिल्लीमय मूत्रमार्ग (Membranous Urethra)
  3. स्पंजी मूत्रमार्ग (Spongy Urethra)

1. प्रोस्टेटिक मूत्रमार्ग (Prostatic Urethra)-यह मूत्रमार्ग का 2-3 से.मी. लम्बा भाग होता है। यह प्रोस्टेट ग्रन्थि के मध्य से गुजरता तथा दोनों ओर की स्खलन वाहिनियाँ इसी भाग में खुलती हैं।

2. झिल्लीमय मूत्रमार्ग (Membranous Urethra)-यह मध्य का लगभग 1 से.मी. लम्बा भाग होता है जो प्रोस्टेट ग्रन्थि तथा शिश्न (Penis) के बीच स्थित पेशीय तन्तुपट (Muscular Diaphragm) को बेधता हुआ शिश्न में प्रवेश करता है।

3. स्पंजी मूत्रमार्ग (Spongy Urethra)-यह मूत्रमार्ग का अन्तिम या शिखर भाग है जो शिश्न में से गुजरता है। यह स्पंजी तथा सर्वाधिक लम्बाई (16-17 से.मी.) वाला भाग है।

शिश्न (Penis)-पुरुष का मैथुनी अंग है जो एक लम्बा, संकरा, बेलनाकार तथा वहिःसारी (Protrusible) होता है। इसका स्वतन्त्र सिरा फूला हुआ तथा अत्यधिक संवेदी होता है तथा शिश्नमुण्ड (Galns Penis) कहलाता है। यह भाग एक त्वचा के आवरण से ढका रहता है। यह आवरण शिश्न = मुण्डछद (Prepuce) कहलाता है। शिश्न दोनों वृषणकोषों के ऊपर व मध्य में उदर के निचले भाग में लटका रहता है।

यह तीन भागों में विभेदित होता है-

  • शिश्नमूल (Root of Penis)-यह मूत्रोजनन तनुपट (Urinogenital diaphargm) से लगा शिश्न का समीपस्थ भाग होता है।

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  • शिश्नकाय (Body of Penis)-यह शिश्न का मुख्य लम्बा भाग है।
  • शिश्नमुण्ड (Glans Penis)-यह शिश्न का शिखर भाग होता है ।

शिश्न की संरचना पेशियों एवं रुधिर कोटरों (Blood Sinus) से होती है। ये तीन मोटे अनुदैर्घ्य डोरियों के समान रज्ञुओं (Cords) के रूप में होते हैं। पृष्ठ भाग में ऐसी संरचनाएँ दो होती हैं जिन्हें कॉरपोरा केवरनोसा (Corpora Cavernosa) तथा अधर भाग में एक कॉर्पस स्पंजिओसम (Corpus Spongiosum) कहलाती है।

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सामान्य अवस्थाओं में शिश्न शिथिल एवं छोटा होता है। मैथुन उत्तेजना के समय इसके कोटर रुधिर से भर जाते हैं तथा यह लम्बा, मोटा तथा कड़ा हो जाता है। इस अवस्था में शिश्नमुण्ड नग्न हो जाता है तथा यह स्त्री की योनि में आसानी से प्रविष्ट कराया जा सकता है। मैथुन क्रिया में सुगमतापूर्वक शुक्राणुओं को वीर्य के साथ स्थानान्तरित किया जा सकता है।

सहायक ग्रन्थियाँ (Accessory Glands)-पुरुषों में मुख्यतः तीन प्रकार की सहायक जनन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं जो जनन में सहायता करती हैं-
(1) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate Gland)-इस ग्रन्थि की आकृति सिंघाड़ेनुमा होती है। यह मूत्रमार्ग के आधार भाग पर स्थित होती है एवं कई पिण्डों में विभक्त होती है। प्रत्येक पिण्ड एक छोटी नलिका द्वारा मूत्रमार्ग में खुलता है। इस ग्रन्थि का स्राव विशेष गंध युक्त, सफेद एवं हल्का क्षारीय होता है जो वीर्य का 25-30 प्रतिशत भाग बनाता है।

इस स्राव में फॉस्फेट्स सिट्रेट, लाइसोजाइम, फाइब्रिनोलाइसिन, स्पर्मिन (Spermin) आदि पाये जाते हैं। वृद्ध पुरुषों में यह ग्रन्थि बड़ी हो जाती है व मूत्रोजनन मार्ग में अवरोध उत्पन्न कर देती है। इसे शल्य क्रिया द्वारा हटा दिया जाता है। कार्य-इस ग्रन्थि का साव (प्रोस्टेटिक द्रव) शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य के स्कंदन को रोकता है।

(2) काडपर गन्थि (Cowper’s Gland)-इ से बल्बोयूरेश्रिल ग्रन्थियाँ (Bulbourethral Glands) भी कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ एक जोड़ी प्रोस्टेट ग्रन्थि के पीछे स्थित होती हैं। इनका स्राव चिकना, पारदर्शी व क्षारीय होता है जो मूत्रोजनन मार्ग की अम्लीयता को नष्ट करता है। यह तरल मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है।

(3) शुक्राशय (Seminal Vesicle)-शुक्राशय एक थैलीनुमा रचना होती है जो एक जोड़ी के रूप में मूत्राशय की पश्च सतह एवं मलाशय के बीच में स्थित होती है। इसके द्वारा एक पीले रंग का चिपचिपे पदार्थ का स्रावण किया जाता है। यही तरल पदार्थ वीर्य का अधिकांश भाग (लगभग 60 प्रतिशत) बनाता है।

इसमें फ्रक्टोस, शर्क रा, प्रोस्टाग्लैं डिन्स (Prostaglandins) तथा प्रोटीन सेमीनोजेलिन (Semenogelin) होते हैं। फ्रक्टोस शुक्राणुओं को ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है। क्षारीय प्रकृति के कारण यह स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है। प्रत्येक शुक्राशय से एक छोटी नलिका निकल कर शुक्रवाहिनी की तुम्बिका में खुलती है। शिश्न की उत्तेजित अवस्था में स्खलन के समय दोनों शुक्राशय संकुचित होकर अपने स्राव को मुक्त करते हैं।

पुरुष जनन तंत्र (Female Reproductive System)
इस पाठ के बिन्दु सं. 3.2 का अवलोकन करें।
स्त्रियों में एक जोड़ी अण्डाशय (Ovary) प्राथमिक जननांगों (Primary Sex Organs) के रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्त अण्डवाहिनी (Oviduct), गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina), भग (Vulva), जनन ग्रन्थियाँ (Reproductive glands) तथा स्तन या छाती (Breast) सहायक जननांगों का कार्य करते हैं।
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(1) अण्डाशय (Ovary)-स्त्रियों में अण्डाशय की संख्या दो होती है, जिनकी आकृति बादाम के समान होती है। प्रत्येक अण्डाशय की लम्बाई लगभग 2 से 4 से. मी. होती है। दोनों अण्डाशय उदरगुहा में वृक्कों के काफी नीचे श्रोणि भाग (Pelvic region) में पीछे की ओर गर्भाशय (Uterus) के इधर-डधर स्थित होते हैं। प्रत्येक अण्डाशय उदरगुहीय पेरीटोनियम के वलन से बनी मीसोविरियम (Mesovarium) नामक झिल्लीनुमा मीसेन्ट्री (Mesentery) द्वारा श्रोणि भाग की दीवार से टिका होता है।

ऐसे ही एक झिल्ली अण्डाशयी लिगामेन्ट (Ovarian Ligament) प्रत्येक अण्डाशय को दूसरी ओर से गर्भाशय से जोड़ती है। अण्डाशय की संरचना-प्रत्येक अण्डाशय भी वृषण के समान तीन स्तरों से घिरा होता है। बाहरी स्तर को ट्यूनिका एलब्यूजिनिया (Tunica Albuginea) कहते हैं। यह संयोजी ऊतक का महीन स्तर होता है।

आन्तरिक स्तर को ट्यूनिका प्रोपरिया (Tunica Propria) कहते हैं तथा इनके बीच वाले स्तर को जनन उपकला (Germinal Epithelium) कहते हैं। जनन उपकला घनाकार कोशिकाओं का बना होता है। अण्डाशय के बीच वाला भाग जो तन्तुमय होता है तथा संवहनीय संयोजी ऊतक (Vascular Connective Tissue) का बना होता है उसे स्ट्रोमा कहते हैं। स्ट्रोमा दो भागों में विभक्त होता है जिन्हें क्रमशः परिधीय वल्कुट (Peripheral Cortex) एवं आंतरिक मध्यांश (Internal Medulla) कहते हैं।
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अण्डाशय के वल्कुट (Cortex) भाग में अनेक अण्ड पुटिकाएँ (Ovarian Follicles) पायी जाती हैं। जिनका निर्माण जनन उपकला से होता है। पुटिकाएँ बहुकोशिकीय झिल्ली मेम्ब्रेना ग्रेन्यूलोसा (Membrana Granulosa) से घिरी होती हैं। जिसके भीतर फॉलीक्यूलर गुहा (Follicular Cavity) होती है जो फॉलीक्यूलर द्रव (Follicular Fluid) से भरी होती है।

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इस गुहा में अण्ड कोशिका (Ovum) होती है जो चारों ओर अनेक फॉलीकुलर कोशिकाओं से घिरी रहती है। इन कोशिकाओं को जोना पेल्यूसिडा (Zonapellucida) एवं चारों ओर के मोटे स्तर को कोरोना रेडिएटा (Corona Radiata) कहते हैं। इस संरचना को अब परिपक्व ग्राफियन पुटिका (Mature Graatian Follicle) कहते हैं। परिपक्व ग्राफियन पुटिका अण्डाशय की सतह पर पहुँच कर फट जाती है तथा अण्ड बाहर निकलकर उदरीय गुहा में आ जाता है। इस क्रिया को डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं।
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(2) अण्डवाहिनी (Oviduct)-स्त्री में दो अण्डवाहिनियाँ होती हैं जो अण्डाणु को अण्डाशय से गर्भाशय तक पहुँचाती हैं। प्रत्येक अण्डवाहिनी की लम्बाई 10-12 से.मी. होती है। अण्डवाहिनी का स्वतन्त्र सिरा जो अण्डाशय के निकट होता है, कीप रूपी (Funnellike) एवं चौड़ा होता है तथा इसे आस्टियम (Ostium) कहते हैं। आस्टियम या मुखिका का किनारा झालरदार (Fimbriated) एवं रोमाभि (Ciliated) होता है।

अतः मुखिका को फिम्ब्रिएटेड कीप (Fimbriated Funnel) भी कहते हैं। अण्डोत्सर्ग के बाद अण्ड अण्डाशय से निकलकर उदरगुहा में आकर इसी फिम्ब्रिएटेड कीप के द्वारा फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) में चला जाता है। फैलोपियन नलिका की भित्ति पेशीयुक्त होती है तथा भीतर से अत्यन्त वलित (Folded) होती है। निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका में ही होती है। प्रत्येक फैलोपियन नलिका अपनी ओर के गर्भाशय (Uterus) में अपने पश्च अन्त द्वारा खुलती है।

(3) गर्भाशय (Uterus)-इसे बच्चादानी (वुम्ब) भी कहते हैं। इसकी आकृति उल्टी नाशपाती के समान होती है। यह श्रोणि भित्ति से स्नायुओं द्वारा जुड़ा होता है। यह लगभग 7.5 से.मी. लम्बा, 3 से.मी, मोटा तथा अधिकतम 5 से.मी, चौड़ा खोखला तथा शंक्वाकार अंग होता है। इसका संकरा भाग नीचे की ओर तथा चौड़ा भाग ऊपर की ओर होता है।

इसके पीछे की ओर मलाशय (Rectum) तथा आगे की ओर मूत्राशय (Urinary Bladder) होता है। गर्भाशय की भित्ति, फतकों की तीन परतों से बनी होती हैबाहरी पताली झिल्लीमय स्तर को परिगभांशय (पेरिमेट्रियम), मध्य मोटी चिकनी पेशीख स्तर को गभाँशय पेशी स्तर (मायोमैट्रियम) और आन्तरिक ग्रान्थल स्तर को गर्भाशय अन्तःस्तर (एंड्रोमैट्रियम) कहते हैं जो गभाशएय गुहा को आस्तरित करती है। आतंव चक्र (Menstrual Cycle) के चक्र के दौरान गर्भाशब के अन्तःस्तर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं, जबकि गभांशय पेशी स्तर में प्रसव के समय काफी तेज संकुचन होंता है।

गर्भाशाब को तीन भागों में विभेदित किया गया है-

  • फण्डस (Fundus)-ऊपर की और उभरा हुआ भाग फण्डस कहलाता है।
  • काय (Body)-बीच का प्रमुख भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है।
  • ग्रीवा (Cervix)-सबसे निचला भाग ग्रीवा (Cervix) कहलाता है जो योनि से जुड़ा होता है।

भूण का विकास गर्भाशय (Uterus) में होता है। शूण अपरा (Placenta) की सहायता से गर्भाशय की भित्ति से संलग्न होता है। यहाँ भ्रूण को सुरक्षा एवं पोषण प्राप्त होता है।

(4) योनि (Vagina)-गर्भाशय ग्रीवा (Cervix Uteri) आगे बढ़कर एकपेशीय लचीली नलिका रूपी रचना का निर्माण करती है जिसे योनि (Vagina) कहते है। योनि स्त्रियों में मैथुन अंग (Copulatory organ) की तरह कार्य करती है। इसके अतिरिक्त योनि गर्भाशाय से उत्पन्न मास्तिक स्राव को निक्कासन हेतु पथ उपलख्ब करवाती है एवं शिशु जन्म के समय गर्भस्थ शिशु के बाहर निकालने के लिए जन्मनाल (Birth Canal) की तरह कार्य करती है।

(5) बाद्य जननांग (External Genitila)-स्त्रियों के बाह्ष जननांग निम्न हैं-
(i) जघन शौल (Mons Pubis)-यह प्यूबिस लिम्फाइसिस के ऊपर स्थित होता है जो गद्दीनुमा होता है क्योंकि इसकी त्वचा के नीचे वसीय परत होती है। तरुण अवस्था में इस पर घने रोम उग आते हैं जो अन्त तक रहते हैं।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन 51

(ii) वृहद् भगोष्ठ (Labia Majora)-ये जघन शैल (प्यूबिस मुंड) से नीचे की तरफ व पीछे की ओर से विस्तृत एक जोड़ी बड़े अनुद्रै्घ्य वलन होते हैं। इनकी बाह्य सतह पर रोम पाये जाते हैं।

(iii) लघु भगोष्ठ (Labia Minora)-ये आन्तरिक व छोटे वलन होते हैं। इन पर रोम नहीं पाये जाते हैं। लेबिया माइनोरा प्रघाण (Vestibule) को घेरे रहते हैं।

(iv) भगशेफ या क्लाइटोरिस (Clitoris)-यह जघन शैल (Mons Pubis) लेबिया माइनोरा के अग्र कोने पर स्थित एक संवेदी तथा घुण्डीनुमा अथवा अंगुलीनुमा रचना है। यह नर के शिश्न के समजात अंग है। यह अत्यधिक संवेदनशील होता है क्योंक इसमें स्पर्शकणिकाओं की अधिकता पायी जाती है।

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(v) योनिच्छद (Hymen)-योनि द्वार पर पतली झिल्ली पाई जाती है जिसे योनिच्छद (Hymen) कहते हैं। यह लैंगिक सम्पर्क, शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम के कारण फट जाती है। बार्थोलिन की ग्रन्थियाँ (Bartholian Glands)-योनिद्वार के दोनों ओर एक-एक सेम की आकृति की ग्रन्थि लेबिया मेजोरा पर स्थित होती है। ये ग्रन्थियाँ एक क्षारीय व स्रेहक द्रव का स्राव करती हैं जो कि भग (Vulva) को नम रखता है एवं लैंगिक परस्पर व्यवहार को सुगम बनाता है।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन 52

(6) स्तनग्रन्थि (Mammary Glands)-स्त्री में स्तन ग्रन्थियों (Mammary Glands) से युक्त एक जोड़ी स्तन उपस्थित होते हैं। ये वक्ष के सामने की तरफ अंसीय पेशियों (Pectoral Muscles) के ऊपर स्थित होते हैं। प्रत्येक स्तन ग्रन्थि में भीतर का संयोजी ऊतक $15-20$ नलिकाकार कोष्ठकीय पालियों का बना होता है। इनके बीच-बीच में वसीय ऊतक होता है। प्रत्येक पाली में अंगूर के गुच्छों के समान दुग्ध ग्रन्थियाँ होती हैं जो दुग्ध का स्राव करती हैं। यह दूध नवजात शिशु के पोषण का कार्य करता है।

प्रत्येक पालिका से निकली कई छोटी वाहिनियां एक दुग्ध नलिका या लैक्टीफेरस नलिका (Lactiferous Duct) बनाती हैं। ऐसी कई दुग्ध नलिकाएँ स्वतन्त्र रूप से आकर चूचुक (Nipples) में खुल जाती हैं। चूचुक स्तनग्रन्थियों के शीर्ष भाग पर उभरी हुई वर्णांकित (Pigmented) रचना है। इसके आसपास का क्षेत्र भी गहरा वर्णांकित हो जाता है। इस क्षेत्र को स्तन परिवेश (Areola Mammae) कहते हैं। स्त्रियों में चूचुक के चारों तरफ का क्षेत्र वसा के जमाव तथा पेशियों के कारण काफी उभरा हुआ होता, है। चूचुक में 0.5 मिमी. के 15-25 छिद्र पाये जाते हैं। पुरुषों में चूचुक अवशेषी होते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. द्वितीयक अंडक का अर्धसूत्री विभाजन पूर्ण होता है- (NEET-2020)
(अ) सम्भोग के समय
(ब) युग्मनज बनने के बाद
(स) शुक्राणु एवं अण्डाणु के संलयन के समय
(द) अण्डोत्सर्ग के पहले
उत्तर:
(स) शुक्राणु एवं अण्डाणु के संलयन के समय

2. निम्न में से कौन ग्राफी पुटक से अण्डाणु का मोचन (अण्डोत्सर्ग) करेगा ?(NEET-2020)
(अ) प्रोजेस्टरोन की उच्च सान्द्रता
(ब) LH की निम्न सान्द्रता
(स) FSH की निम्न सान्द्रता
(द) एस्ट्रोजन की उच्च सान्द्रता
उत्तर:
(द) एस्ट्रोजन की उच्च सान्द्रता

3. निम्न स्तम्भों का मिलान कर सही विकल्प का चयन करो-

स्तम्भ-Iस्तम्भ-II
(क) अपरा(i) एन्ड्रोजन
(ख) जोनापेल्युसिडा(ii) मानव जरायु गोनेडोट्रोपिन
(ग) बल्बो-यूरेश्रल ग्रन्थियाँ(iii) अण्डाणु की परत
(घ) लीडिंग कोशिकाएँ(iv) शिश्न का स्नेहन
(क)(ख)(ग)(घ)
(अ)(i)(iv)(ii)(iii)
(ब)(iii)(ii)(iv)(i)
(स(ii)(iii)(iv)(i)
(द)(iv)(iii)(i)(ii)

उत्तर:

(स(ii)(iii)(iv)(i)

4. अण्डाणु केन्द्रक से द्वितीय ध्रुवीय पिण्ड कब बाहर निकलते हैं? (NEET-2019)
(अ) प्रथम विदलन के साथ-साथ
(ब) शुक्राणुओं के प्रवेश के बाद लेकिन निषेचन से पहले
(स) निषेचन के बाद
(द) शुक्राणु का अण्डाणु में प्रवेश से पहले
उत्तर:
(ब) शुक्राणुओं के प्रवेश के बाद लेकिन निषेचन से पहले

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

5. नर जनन तंत्र में शुक्राणु कोशिकाओं के परिवहन के सही क्रम का चयन करो- (NEET-2019)
(अ) वृषण → अधिवृषण → शुक्रवाहिकाएँ → शुक्रवाहक → स्खलनीय वाहिनी → वृषण नाल → मूत्र मार्ग → यूरेश्रल मीटस
(ब) वृषण → अधिवृषण → शुक्रवाहिकाएँ → वृषण जालिकाएँ → वृषण नाल → मूत्र मार्ग
(स) शुक्रजनक नलिकाएँ → वृषण जालिकाएँ → शुक्रवाहिकाएँ → अधिवृषण → शुक्रवाहक → स्खलनीय वाहिनी → मूत्र मार्ग → यूरेश्रल मीटस
(द) शुक्रजनक नलिकाएँ → शुक्रवाहिकाएँ → अधिवृषण → वषण नाल → मत्र मार्ग।
उत्तर:
(स) शुक्रजनक नलिकाएँ → वृषण जालिकाएँ → शुक्रवाहिकाएँ → अधिवृषण → शुक्रवाहक → स्खलनीय वाहिनी → मूत्र मार्ग → यूरेश्रल मीटस

6. सगर्भता को बनाए रखने के लिए अपरा कौन-से हॉर्मोन स्रावित करती है? (NEET-2018)
(अ) hCG, hPL, प्रोजेस्टेरोन, एस्ट्रोजन
(ब) hCG, hPL, एस्ट्रोजन, रिलैक्सिन, आक्सीटोसिन
(स) CG PL प्रोजेस्टेरोन, प्रोलेक्टिन
(द) HCG, प्रोजेस्ट्रोन, एस्ट्रोजन, ग्लूकोकोर्टिकाइडस ।
उत्तर:
(अ) hCG, hPL, प्रोजेस्टेरोन, एस्ट्रोजन

7. असत्य कथन को चुनिए- (NEET-2016)
(अ) पुटकीय अवस्था के दौरान LH और FSH धीरे-धीरे कम होते जाते हैं।
(ब) LH, लेडिंग कोशिका स्रावित एन्ड्रोजन का संदमन करता है।
(स) FSH, सरटोली कोशिका को उत्तेजित करके, शुक्राणुजनन में मददगार है।
(द) LH, अण्डाणु में अण्डोत्सर्ग को संदमित करता है।
उत्तर:
(अ) पुटकीय अवस्था के दौरान LH और FSH धीरे-धीरे कम होते जाते हैं।

8. निम्नलिखित घटनाओं में से कौनसी घटना स्त्री में अण्डोत्सर्ग से सम्बन्धित नहीं है ? (NEET-2015)
(अ) ग्राफीपुटक का पूर्ण विकास
(ब) द्वितीयक अण्डक का निर्मोचन
(स) LH प्रवाह
(द) एस्ट्रेडिओल में कमी
उत्तर:
(द) एस्ट्रेडिओल में कमी

9. एन्ट्रम (Antram) पुटक में निम्नलिखित में से कौनसी सतह अकोशिकीय होती है ? (NEET-2015)
(अ) थीमा इंटरना
(स) जोना पेल्युसीडा
(ब) स्ट्रोमा
(द) ग्रैनुलोसा
उत्तर:
(स) जोना पेल्युसीडा

10. मानव मादाओं में अर्धसूत्री विभाजन- II किसके पूर्ण होने तक नहीं होता है ? (NEET-2015)
(अ) निषेचन
(ब) गर्भाशय में आरोपण
(स) जन्म
(द) यौवनारंभ
उत्तर:
(अ) निषेचन

11. मानव नर में जनन और मूत्र प्रणाली की साझेदारी अंतस्थ वाहिका है। (NEET-2014)
(अ) मूत्र मार्ग
(ब) मूत्र वाहिनी
(स) शुक्रवाहक
(द) शुक्रवाहिका
उत्तर:
(अ) मूत्र मार्ग

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12. शुक्राणु -1 निर्माण का सही क्रम क्या है? (NEET-2013, CBSE PMT-2009)
(अ) स्पर्मेटिड, स्पर्मेटोसाइट, स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोजोआ (शुक्राणु)
(ब) स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोसाइट, स्पर्मेटोजोआ (शुक्राणु), स्पर्मेटिड
(स) स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोजोआ (शुक्राणु), स्पर्मेटोसाइट, स्पर्मेटिड
(द) स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोसाइट, स्पर्मेटिड, स्पर्मेटोजोआ (शुक्राणु)
उत्तर:
(द) स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोसाइट, स्पर्मेटिड, स्पर्मेटोजोआ (शुक्राणु)

13. रक्त बहाव किसकी कमी के कारण होता है ? ( NEET 2013 )
(अ) प्रोजेस्ट्रोन
(ब) FSH
(स) ऑक्सीटोसिन
(द) वैसोप्रेसिन
उत्तर:
(अ) प्रोजेस्ट्रोन

14. स्तनीय शुक्राणु की जीवन क्षमता के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है ? (NEET-2012)
(अ) शुक्राणु केवल 24 घण्टे तक जीवनक्षम बना रहता है।
(ब) शुक्राणु की उत्तरजीविता माध्यम के PH पर निर्भर होती है। और क्षारीय माध्यम में वह अधिक सक्रिय बना रहता है।
(स) शुक्राणु की जीवन क्षमता उसकी गतिशीलता द्वारा निर्धारित होता है।
(द) शुक्राणुओं का सान्द्रण एक गाढ़े निलम्बन के भीतर होना चाहिए।
उत्तर:
(अ) शुक्राणु केवल 24 घण्टे तक जीवनक्षम बना रहता है।

15. मानव शरीर में पायी जाने वाली लेडिंग कोशिकाओं से किसका स्रवण होता है? (NEET-2012)
(अ) प्रोजेस्ट्रोन
(स) ग्लूकैगॉन
(ब) आंत्र श्लेस्म
(द) ऐन्ड्रोजन
उत्तर:
(द) ऐन्ड्रोजन

16. मानव आर्तव – चक्र में पायी जाने वाली स्रवण प्रावस्था को एक यह नाम भी दिया जाता है एवं वह कितने दिनों तक रहती है? (Mains-2012)
(अ) पीतपिण्ड प्रावस्था, अंतिम लगभग 6 दिन तक
(ब) पुटक प्रावस्था, अंतिम लगभग 6 दिन तक
(स) पीतपिण्ड प्रावस्था, अंतिम लगभग 13 दिन तक
(द) पुटक प्रावस्था, अन्तिम लगभग 13 दिन तक
उत्तर:
(स) पीतपिण्ड प्रावस्था, अंतिम लगभग 13 दिन तक

17. फैलोपियन नलिका का कौनसा भाग अण्डाशय के निकटतम होता है- (NEET 2010, CBSE PMT (Pre)- 2010)
(अ) इन्फंडीबुलम (कीपम)
(ब) सर्विक्स ग्रीवा
(स) ऐम्पूला ( तुम्बिका)
(द) इस्थमस (तनुयोजी)
उत्तर:
(अ) इन्फंडीबुलम (कीपम)

18. वृषण की कौनसी कोशिकाएँ टेस्टोस्टीरोन (नर लिंग हॉर्मोन) स्रावित करती हैं ? ( CBSE PMT – 2001, JPMT – 2007)
(अ) अन्तराली कोशिकाएँ अथवा लीडिंग कोशिकाएँ
(ब) जनन एपीथिलियम की कोशिकाएँ
(स) सरटोली कोशिकाएँ
(द) द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट।
उत्तर:
(अ) अन्तराली कोशिकाएँ अथवा लीडिंग कोशिकाएँ

19. वृषण में पाई जाने वाली सर्टोली कोशिकाएँ क्या होती हैं? (MP PMT-2007)
(अ) पोषक कोशिकाएँ
(ब) प्रजनन कोशिकाएँ
(स) संवेदी कोशिकाएँ
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) पोषक कोशिकाएँ

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

20. 400 शुक्राणुओं के निर्माण के लिए कितने सेकण्डरी स्पर्मेटोसाइट्स की आवश्यकता होगी- (MP PMT-2006)
(अ) 100
(स) 40
(ब) 200
(द) 400
उत्तर:
(ब) 200

21. रजोचक्र का तात्कालिक शुरू हो जाना निम्नलिखित में से किस हॉर्मोन की उपलब्धता समाप्त होने के कारण होता है- (NEET-2006)
(अ) ऐस्ट्रोजन
(ब) FSH
(स) FSH-RH
(द) प्रोजेस्ट्रोन
उत्तर:
(द) प्रोजेस्ट्रोन

22. सर्टोली कोशिकाओं का नियमन कौनसे पिट्यूटरी हॉर्मोन से होता है (NEET-2005)
(अ) FSH
(ब) GH
(स) प्रोलेक्टिन
(द) LH
उत्तर:
(अ) FSH

23. यदि स्तनी अण्डाणु निषेचन नहीं हो पाता तो निम्नलिखित में से कौनसा एक असम्भावित है- (NEET-2006)
(अ) एस्ट्रोजन का स्रवण और भी तेज हो जाएगा
(ब) प्रोजेस्ट्रोन का स्रवण तेजी से गिर जाएगा
(स) का सल्यूटियम विघटित हो जाएगा
(द) प्राथमिक पुष्टक विकसित होने लग जाता है।
उत्तर:
(अ) एस्ट्रोजन का स्रवण और भी तेज हो जाएगा

24. मानव स्त्रियों में रजोचक्र के दौरान अण्डोत्सर्ग सामान्यतः किस समय होता है- (NEET-2004)
(अ) स्रवण प्रावस्था के समाप्त होने के ठीक पूर्व
(ब) प्रचुरोद्भवन प्रावस्था के आरम्भ होने पर
(स) प्रचुरोद्भवन प्रावस्था के समाप्त होने पर
(द) मध्य स्रावण प्रावस्था पर
उत्तर:
(स) प्रचुरोद्भवन प्रावस्था के समाप्त होने पर

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन

25. निम्नलिखित में से कौनसा एक हॉर्मोन अपरा (Placenta ) का स्रवण उत्पाद नहीं है- (NEET-2004)
(अ) प्रोलेक्टिन
(ब) एस्ट्रोजन
(स) प्रोजेस्ट्रोन
(द) मानव कारियोनिक गोनेडोट्रोपिन ।
उत्तर:
(अ) प्रोलेक्टिन

26. भ्रूण परिवर्धन के दौरान अग्र/पश्च पृष्ठ / अधर अथवा मध्य / पार्श्व अक्ष पर ध्रुवता की स्थापना को क्या कहते हैं? (NEET 2003)
(अ) आर्गेनाइजर परिघटना,
(ब) अक्षनिर्माण
(स) ऐनाफार्मोसिस
(द) प्रतिरूप निर्माण
उत्तर:
(अ) आर्गेनाइजर परिघटना,

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. PH3 (फॉस्फीन) में फॉस्फोरस परमाणु पर संकरण है-
(अ) sp
(ब) sp2
(स) sp3d
(द) sp3
उत्तर:
(द) sp3

2. ns2np5 बाह्यतम सामान्य विन्यास वाला तत्व है-
(अ) नाइट्रोजन वर्ग का
(ब) ऑक्सीजन वर्ग का
(स) हैलोजन वर्ग का
(द) अक्रिय गैस वर्ग का
उत्तर:
(स) हैलोजन वर्ग का

3. अंतराहैलोजन यौगिक है-
(अ) PCl5
(ब) SF6
(स) ICl
(द) XeF2
उत्तर:
(स) ICl

4. हैलोजनों की क्रियाशीलता का सही क्रम है-
(अ) F2 > Br2 > Cl2 > I2
(ब) F2 > Cl2 > Br2 > I2
(स) I2 > Br2 > Cl2 > F2
(द) F2 = Cl2 > Br2 = I2
उत्तर:
(ब) F2 > Cl2 > Br2 > I2

5. OF2 में ऑक्सीज़न की ऑक्सीकरण अवस्था है-
(अ) -2
(ब) +1
(स) +2
(द) -1
उत्तर:
(स) +2

6. अभिक्रिया 2SO2 + O2 → 2SO3 + x k.cal में अधिक मात्रा में उत्पाद बनाने के लिए अनुकूल शर्तें हैं-
(अ) कम ताप एवं कम दाब
(ब) कम दाब एवं अधिक ताप
(स) कम ताप एवं अधिक दाब
(द) अधिक ताप, अधिक दाब तथा O2 की कम मात्रा
उत्तर:
(स) कम ताप एवं अधिक दाब

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

7. वर्ग 16 के तत्व कहलाते हैं-
(अ) हैलोजन
(ब) कैल्कोजन
(स) संक्रमण तत्व
(द) उत्कृष्ट गैसें
उत्तर:
(ब) कैल्कोजन

8. सल्फर की अधिकतम सहसंयोजकता कितनी हो सकती है?
(अ) 2
(ब) 4
(स) 6
(द) 8
उत्तर:
(स) 6

9. निम्नलिखित में से कौनसा तत्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अधिक स्थायी यौगिक बनाता है?
(अ) P
(ब) As
(स) Sb
(द) Bi
उत्तर:
(द) Bi

10. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक चिली साल्ट पीटर या चिली शोरा कहलाता है?
(अ) NaNO3
(ब) KNO3
(स) Na2SO4
(द) K2SO4
उत्तर:
(अ) NaNO3

11. निम्नलिखित में से किस तत्व में अक्रिय युग्म प्रभाव सबसे अधिक प्रभावी होता है?
(अ) N
(ब) P
(स) As
(द) Bi
उत्तर:
(द) Bi

12. निम्नलिखित में से नाइट्रोजन का कौनसा हाइड्राइड अम्लीय है?
(अ) NH3
(ब) N3H
(स) N2H4
(द) N2H2
उत्तर:
(ब) N3H

13. निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक न्यूनतम होता है?
(अ) H2O
(ब) H2S
(स) H2Se
(द) H2Te
उत्तर:
(ब) H2S

14. H2SO4 के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?
(अ) यह एक ऑक्सीकारक है।
(ब) यह निर्जलीकारक है।
(स) यह द्विक्षारकीय अम्ल है।
(द) यह दुर्बल अम्ल है।
उत्तर:
(द) यह दुर्बल अम्ल है।

15. विरंजक के रूप में प्रयुक्त होने वाला हैलोजन है-
(अ) F2
(ब) Cl2
(स) Br2
(द) I2
उत्तर:
(ब) Cl2

16. प्रबलतम अम्ल है-
(अ) HF
(ब) HCl
(स) HBr
(द) HI
उत्तर:
(द) HI

17. HClO है, एक-
(अ) ऑक्साइड
(ब) ऑक्सी अम्ल
(स) क्लोराइड
(द) हाइड्राइड
उत्तर:
(ब) ऑक्सी अम्ल

18. कौनसा तत्व केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही दर्शाता है?
(अ) F
(ब) Cl
(स) Br
(द) I
उत्तर:
(अ) F

19. किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिकतम ऋणात्मक होती है?
(अ) F
(ब) Cl
(स) Br
(द) I
उत्तर:
(ब) Cl

20. निम्नलिखित में से कौनसा ऑक्साइड सर्वाधिक अम्लीय है?
(अ) N2O5
(ब) P2O5
(स) As2O5
(द) Sb2O5
उत्तर:
(अ) N2O5

21. XeF2 में Xe पर कितने एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हैं?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 1
(द) 4
उत्तर:
(ब) 3

22. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक नहीं बनता?
(अ) XeF5
(ब) XeF
(स) XeF3
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

23. निम्नलिखित में से कौनसा तत्व +1 से +5 सभी ऑक्सीकरण अवस्थाओं में ऑक्साइड बनाता है?
(अ) P
(ब) Sb
(स) N
(द) As
उत्तर:
(स) N

24. XeF3 की जल से क्रिया द्वारा कौनसा यौगिक बनाया जा सकता है?
(अ) XeO3
(ब) XeOF4
(स) XeO2F2
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

25. BrF3 की आकृति है-
(अ) त्रिकोणीय समतल
(ब) बेन्ट- T आकृति
(स) पिरैमिडी
(द) वर्गाकार समतलीय
उत्तर:
(ब) बेन्ट- T आकृति

26. निम्नलिखित में से किसकी आकृति रेखीय है?
(अ) SO2
(ब) O3
(स) \(\mathrm{NO}_2^{-}\)
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{O}_2\)
उत्तर:
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{O}_2\)

27. निम्नलिखित में से कौनसा क्रम (उनके साथ दिए गए गुणों के आधार पर) सही नहीं है?
(अ) ऑक्सीकारक गुण F2 > Cl2 > Br2 > I2
(ब) विद्युतत्रणता F > Cl > Br > I
(स) अम्लीय गुण HI > HBr > HCl > HF
(द) बन्ध वियोजन एन्थैल्पी F2 > Cl2 > Br2 > I2
उत्तर:
(द) बन्ध वियोजन एन्थैल्पी F2 > Cl2 > Br2 > I2

28. निम्नलिखित में से किसमें सभी बन्ध समान नहीं हैं?
(अ) XeF4
(ब) SF4
(स) \(\mathrm{BF}_4^{-}\)
(द) SiF4
उत्तर:
(ब) SF4

29. वह यौगिक कौनसा है जो गैस अवस्था में आण्विक प्रकृति रखता है लेकिन ठोस अवस्था में उसमें आयनिक गुण आ जाता है?
(अ) PCl3
(ब) NCl3
(स) POCl3
(द) PCl5
उत्तर:
(द) PCl5

30. H2SO5 में सल्फर की ऑक्सीजन अवस्था है-
(अ) +8
(ब) +4
(स) +6
(द) -2
उत्तर:
(स) +6

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

31. कौनसा अम्ल अधिकतम वाष्पशील है?
(अ) HF
(ब) HCl
(स) HBr
(द) HI
उत्तर:
(ब) HCl

32. निम्नलिखित में से किसमें P-O-P बन्ध पाया जाता है?
(अ) H3PO3
(ब) H4P2O6
(स) H4P2O7
(द) H3PO4
उत्तर:
(स) H4P2O7

33. \(\mathrm{NO}_3^{-}\) के परीक्षण में भूरी वलय निम्नलिखित में से किसके बनने के कारण बनता है?
(अ) [Fe(H2O)5.NO]SO4
(ब) [Fe(SO4)2.NO]H2O
(स) Fe2(SO4)3. NO
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) [Fe(H2O)5.NO]SO4

34. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) आवर्त सारणी के वर्ग 15 में हाइड्राइडों का स्थायित्व NH3 से BiH3 तक बढ़ता है।
(ब) नाइट्रोजन dπ-pπ बन्ध नहीं बना सकता।
(स) N-N एकल बन्ध P-P एकल बन्ध की अपेक्षा दुर्बल होता है।
(द) N2O4 की दो अनुनादी संरचनाएँ होती हैं।
उत्तर:
(अ) आवर्त सारणी के वर्ग 15 में हाइड्राइडों का स्थायित्व NH3 से BiH3 तक बढ़ता है।

35. निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक O3 द्वारा ऑक्सीकृत नहीं होता है?
(अ) KI
(ब) FeSO4
(स) K2MnO4
(द) KMnO4
उत्तर:
(द) KMnO4

36. XeF2, XeF4 तथा XeF6 में Xe के एकल इलेक्ट्रॉन युग्मों की संख्या है-
(अ) 3,2,1
(ब) 2,4,6
(स) 1,2,3
(द) 6,4,2
उत्तर:
(अ) 3,2,1

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
वर्ग 15 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ बताइए।
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ – 3,+ 3 तथा +5 होती हैं।

प्रश्न 2.
नाइट्रोलियम का सूत्र बताइए।
उत्तर:
नाइट्रोलियम का सूत्र Ca CN2 होता है।

प्रश्न 3.
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में बन्ध कोण का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
BiH3 < SbH3 < AsH3 < PH3 < NH3

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन के उदासीन ऑक्साइड कौनसे होते हैं?
उत्तर:
N2O तथा NO

प्रश्न 5.
वर्ग 15 के तत्वों में कौनसा तत्व मुक्त अवस्था में अधिक मात्रा में पाया जाता है?
उत्तर:
नाइट्रोजन।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन का वह यौगिक कौनसा है जो ऑक्सीकारक, अपचायक दोनों की भाँति व्यवहार करता है?
उत्तर:
नाइट्रस अम्ल (HNO2)।

प्रश्न 7.
किसी एक समीकरण द्वारा नाइट्रिक अम्ल के ऑक्सीकारण गुण को बताइए।
उत्तर:
2HNO3 + 3SO2 + 2H2O → 3H2SO4 + 2NO

प्रश्न 8.
H3PO3 में π बन्ध की प्रकृति HNO3 के π बन्ध से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
H3PO3 में π बन्ध p-p समपाश्रिक अतिव्यापन से बनता है जबकि H3PO3 में d कक्षकों के प्रयोग से pπ-dπ अतिव्यापन होता है।

प्रश्न 9.
सान्द्र HNO3 को ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम के पात्र में रखा जा सकता है, क्यों?
उत्तर:
ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम धातुएँ सान्द्र HNO3 में विलेय नहीं होतीं क्योंकि इनकी सतह पर ऑक्साइड की एक निष्क्रिय परत बन जाती है अतः सान्द्र HNO3 को ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम के पात्र में रखा जा सकता है।

प्रश्न 10.
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सान्द्र HNO3 रंगहीन न होकर पीला होता है, क्यों?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश में HNO3 का आंशिक विघटन हो जाता है जिससे NO2 गैस बनती है जिसके कारण HNO3 पीलुा होता है।

प्रश्न 11.
वह यौगिक कौनसा है जिससे लाल तथा श्वेत फॉस्फोरस के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है तथा क्यों?
उत्तर:
NaOH, लाल फॉस्फोरस से क्रिया नहीं करता जबकि श्वेत फॉस्फोरस, NaOH से क्रिया करके विलेय NaH2PO2 बनाता है अत: NaOH द्वारा लाल तथा श्वेत फॉस्फोरस के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्सो अम्लों के नाम तथा सूत्र बताइए।
उत्तर:

  • हाइपोनाइट्रस अम्ल (H2N2O2)
  • नाइट्रस अम्ल (HNO2)
  • नाइट्रिक अम्ल (HNO3)

प्रश्न 13.
फॉस्फोरस का कौनसा अपररूप विद्युत का चालक होता है?
उत्तर:
काला फॉस्फोरस।

प्रश्न 14.
ऐसे यौगिक बताइए जिनमें ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था क्रमशः +2, -1 तथा –\(\frac { 1 }{ 2 }\) हो।
उत्तर:
OF2 (+ 2), H2O2(- 1) तथा KO2 (-\(\frac { 1 }{ 2 }\))

प्रश्न 15.
सल्फर का एक यौगिक बताइए जिसे रसायनों का राजा कहा जाता है।
उत्तर:
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) |

प्रश्न 16.
H2S2O7 (पायरो सल्फ्यूरिक अम्ल) की संरचना लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 1

प्रश्न 17.
SO2 के अपचायक गुण को दर्शाने वाला एक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + \(4 \stackrel{+}{\mathrm{H}}\)

प्रश्न 18.
सल्फर के कौनसे दो ऑक्सो अम्लों में परऑक्साइड (-O-O-) बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
H2SO5 तथा H2S2O8
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 2

प्रश्न 19.
H2SO5 तथा H2S2O8 में सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था बताइए।
उत्तर:
इनमें पराक्साइड बन्ध होने के कारण सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था +6 होती है।

प्रश्न 20.
H2SO5 तथा H2S2O8 के विशिष्ट नाम बताइए।
उत्तर:
H2SO5 को कैरो अम्ल तथा H2S2O8 को मार्शल अम्ल कहा जाता है।

प्रश्न 21.
वर्ग 16 का वह हाइड्राइड कौनसा होता है जो रंगहीन, गंधहीन द्रव है तथा जीवन के लिए अतिआवश्यक होता है।
उत्तर:
जल (H2O)।

प्रश्न 22.
सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की श्यानता तथा क्वथनांक अधिक होते हैं, क्यों?
उत्तर:
H2SO4 के अधिक अणुभार तथा इसके अणुओं के मध्य पाए जाने वाले प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध के कारण इसकी श्यानता तथा क्वथनांक अधिक होते हैं।

प्रश्न 23. निम्नलिखित ऑक्साइडों की प्रकृति बताइए-
(i) Al2O3
(ii) K2O
(iii) CO
(iv) P2O5
उत्तर:
(i) Al2O3 उभयधर्मी
(ii) K2O क्षारीय
(iii) CO उदासीन
(iv) P2O5 अम्लीय

प्रश्न 24.
गंधक का वह यौगिक कौनसा है जो ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों की तरह व्यवहार करता है?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) |

प्रश्न 25.
निम्नलिखित यौगिकों के विशिष्ट नाम बताइए-
(i) H2SO4
(ii) FeS2
(iii) FeSO2. 7H2O
उत्तर:
(i) कसीस का तेल (ऑयल ऑफ विट्रियॉल )
(ii) मूर्खों का सोना (फूल्स गोल्ड)
(iii) हरा कसीस।

प्रश्न 26.
SO2 के प्रतिक्लोर गुण को दर्शाने वाला समीकरण लिखिए।
उत्तर:
Cl2 + SO2 + 2H2O → 2HCl + H2SO4

प्रश्न 27.
SF6, SeF6 तथा TeF6 की क्रियाशीलता का क्रम बताइए।
उत्तर:
SF6, < SeF6 < TeF6

प्रश्न 28.
वर्ग 16 के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान वर्ग 15 के संगत तत्वों की आयनन एन्थैल्पी से कम होता है, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों का अर्धपूरित स्थायी विन्यास (ns2np3) होता है अतः उनमें से इलेक्ट्रॉन निकालना अधिक मुश्किल होता है।

प्रश्न 29.
HF, HCl, HBr तथा HI के क्वथनांक का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
HCl < HBr < HI < HF

प्रश्न 30.
क्लोरीन की गर्म तथा सान्द्र NaOH के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 3

प्रश्न 31.
CIF5 में क्लोरीन पर संकरण बताइए।
उत्तर:
sp3d2

प्रश्न 32.
F2, Cl2, Br2 तथा I2 की बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का घटता क्रम बताइए।
उत्तर:
CI-CI > Br-Br > F-F > I-I

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 33.
फ्लुओरीन के अन्तराहैलोजन यौगिकों की संख्या सबसे अधिक होती है, क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरीन के छोटे आकार, उच्च विद्युतत्तणता तथा प्रबल ऑक्सीकारक गुण के कारण इसके अन्तराहैलोजन यौगिकों की संख्या सबसे अधिक होती, है।

प्रश्न 34.
अश्रु गैस के रूप में प्रयुक्त होने वाले एक यौगिक का नाम बताइए जिसमें हैलोजन होता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 4

प्रश्न 35.
क्लोरीन का विरंजक गुण इसके किस गुण के कारण होता है?
उत्तर:
ऑक्सीकारक गुण।

प्रश्न 36.
हैलोजनों के ऑक्सीकारक गुण का क्रम बताइए।
उत्तर:
F2 > Cl2 > Br2 > I2

प्रश्न 37.
वह हैलोजन कौनसा होता है जिसमें ऊध्र्वपातन का गुण पाया जाता है?
उत्तर:
आयोडीन (I2) ।

प्रश्न 38.
फ्लुओरीन केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही दर्शाती है। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
अधिक विद्युतत्रणता तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति।

प्रश्न 39.
\(\mathrm{ClO}_4^{-}\) में Cl पर कौनसा संकरण होता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 5

प्रश्न 40.
जीनॉन, केवल फ्लुओरीन तथा ऑक्सीजन के साथ ही यौगिक बनाती है, क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरोन तथा ऑक्सीजन की विद्युत्तरणता अधिक होने के कारण इनमें ऑक्सीकारक गुण पाया जाता है, अतः जीनॉन इनके साथ ही यौगिक बनाती है।

प्रश्न 41.
न्यूनतम क्वथनांक वाली उत्कृष्ट गैस कौनसी होती है?
उत्तर:
हीलियम (He)।

प्रश्न 42.
He को p-ब्लॉक में रखा गया है जबकि इसमें इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में नहीं भरे जाते, क्यों?
उत्तर:
He के गुणों के आधार पर इसे अन्य उत्कृष्ट गैसों के साथ p-ब्लॉक में रखा गया है।

प्रश्न 43.
आवर्त सारणी में He की आयनन एन्थैल्पी अधिकतम होती है। क्यों?
उत्तर:
He के छोटे आकार तथा पूर्ण पूरित विन्यास के कारण इसकी इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति नगण्य होती है अतः इसकी आयनन एन्थैल्पी अधिकतम होती है।

प्रश्न 44.
जीनॉन के फ्लुओराइडों के स्थायित्व का क्रम लिखिए।
उत्तर:
XeF2 > XeF4 > XeF6

प्रश्न 45.
XeO3 की संरचना बताइए।
उत्तर:
XeO3 में sp3 संकरण होता है तथा इसकी ज्यामिति पिंरैमिडी होती है।

प्रश्न 46.
H2SO4 में S की संकरण अवस्था बताइए।
उत्तर:
sp3 संकरण।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौनसे यौगिक ज्ञात नहीं हैं?
BiCl5, PCl3, SbCl3, NCl5, PCl5
उत्तर:
NCl5 तथा BiCl5

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अमोनिया की FeCl3 तथा ZnSO4 के साथ अभिक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक गुण:
(i) अम्लों से क्रिया-अमोनिया की अम्लों से क्रिया कराने पर अमोनियम लवण बनते हैं। इससे इसकी दुर्बल क्षारीय प्रकृति की पुष्टि होती है।
NH3 + HCl → NH4Cl (अमोनियम क्लोराइड)
2NH3 + H2SO4 → (NH4)2SO4 (अमोनियम सल्फेट)

प्रश्न 2.
Cu2+ तथा Ag+ आयनों की NH3 द्वारा पहचान की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
Cu2+ तथा Ag+ आयन, NH3 के साथ उपसहसंयोजी बन्ध बनाकर संकुल बना लेते हैं जिनमें NH3 धातु आयन को एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करता है (लुइस क्षार)। इन संकुल यौगिकों से ही आयनों की पहचान की जाती है। जैसे Cu+2, NH3 के साथ गहरा नीला संकुल बनाता है जबकि NH3 विलयन में AgCl का अवक्षेप विलेय हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 6

प्रश्न 3.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइडों को कैसे बनाया जाता है? केवल अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 7

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइडों की उ्यामिति बताइए।
उत्तर:
नाइट्रोजन के विभिन्न औक्साइड N2O, NO, N2O3, NO2, N2O4 तथा N2O5 होते हैं। N2O, N2O3, NO2, N2O4 तथा N2O5 की ज्यामिति क्रमशः रेखीय, समतलीय, कोणीय तथा समतलीय होती हैं।

प्रश्न 5.
अमोनिया से नमी को दूर करने के लिए निर्जल CaCl2 या P4O10 या सान्द्र H2SO4 प्रयुक्त नहीं किए जाते। क्यों?
उत्तर:
NH3 क्षारीय होती है अतः अम्लीय प्रकृति के निर्जलीकारक (जैसे P4O10 या सान्द्र H2SO4) इसमें से नमी को दूर करने के लिए प्रयुक्त नहीं किए जा सकते क्योंकि ये NH3 से क्रिया करके लवण बना लेते हैं तथा CaCl2, NH3 के साथ क्रिया करके योगोत्पाद बनाता है।

प्रश्न 6.
वर्ग 15 क एक तत्व का हाइड्राइड (Y) का जलीय विलयन (i) लाल लिटमस को नीला करता है। (ii) CuSO4 विलयन के साथ आधिक्य में प्रयुक्त करने पर गहरा नीला विलयन देता है तथा (iii) FeCl3 विलयन के साथ भूरा अवक्षेप देता है तो यौगिक Y तथा अभिक्रिया (ii) एवं (iii) के उत्पाद बताइए।
उत्तर:
(i) यौगिक Y, NH3 है जिसका जलीय विलयन (NH4 OH) क्षारीय होता है अंतः यह लाल लिटमस को नीला करता है। अभिक्रिया (ii) में प्राप्त उत्पाद [Cu(NH3 )4 ]SO4 तथा अभिक्रिया (iii) का उत्पाद Fe(OH)3 होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 8

प्रश्न 7.
श्वेत फॉस्फोरस की निम्नलिखित के साथ क्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) वायु
(ii) HNO3
(iii) H2SO4
(iv) NaOH
(v) Ca
उत्तर:
(i) P4 + 5O2 → P4O10 (फॉस्फोरस पेन्य ऑक्साइड)
(ii) P4 + 2oHNO3 → 4H3PO4 + 2oNO2 + 4H2O
(iii) P4 + 10H2SO4 → 4H3PO4 + 10SO2 + 4H2O
(iv) P4 + 3NaOH + 3H2O → PH3 + 3NaH2PO2 (सोडियम हाइपोफॉस्फाइट)
(v) P4 + 6Ca → 2Ca3P2 (कैल्सियम फॉस्फाइड)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.
फॉस्फीन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया बताइए-
(i) ऑक्सीजन
(ii) सान्द्र HNO3
(iii) कॉपर सल्फेट तथा मरक्यूरिक क्लोराइड।
उत्तर:
(i) ऑक्सीजन से क्रिया- PH3 की वायु के साथ क्रिया होने पर P2O5 बनता है।
2PH3 + 4O2 → P2O5 + 3H2O

(ii) सान्द्र HNO3 द्वारा PH3 का ऑक्सीकरण हो जाता है तथा P2O5 बनता है।
2PH3 + 16HNO3 → P2O5 + 16NO2 + 11H2O

(iii) कॉपर सल्फेट तथा मरक्यूरिक क्लोराइड, फॉस्फीन के साथ क्रिया करके संगत फॉस्फाइड बनाते हैं।
3CuSO4 + 2PH3 → Cu3P2 + 3H2SO4
3HgCl2 + 2PH3 → Hg3P2 + 6HCl

प्रश्न 9.
PCl3 तथा PCl5 की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं की तुलना कीजिए-
(i) C3H3OH
(ii) CH3COOH
उत्तर:
(i) C2H5OH के साथ PCl3 तथा PCl5 दोनों की क्रिया से ही मुख्य उत्पाद C5H5Cl बनता है लेकिन इसके साथ ही PCl3 द्वारा H3PO3 तथा PCl5 द्वारा POCl3 एवं HCl बनते हैं।
3C2H5OH + PCl3 → 2C2H5Cl + H3PO3
C2H5OH + PCl5 → C2H5Cl + HCl + POCl3

(ii) CH3COOH की PCl3 तथा PCl5 के साथ क्रिया द्वारा CH3COCl बनता है तथा सहउत्पाद C2H5OH के साथ क्रिया के समान ही होते हैं।

3CH3COOH + PCl3 → 3CH3COCl + H3PO3
CH3COOH + PCl5 → CH3COCl + POCl3 + HCl

प्रश्न 10.
फॉस्फोरस के विभिन्न ऑक्सो अम्लों को बनाने के . लिए आवश्यक यौगिक बताइए।
उत्तर:
फॉस्फोरस के विभिन्न ऑक्सो अम्लों को बनाने के लिए आवश्यक यौगिक निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 9

प्रश्न 11.
(a) ठोस अवस्था में PCl5 किस रूप में पाया जाता है?
(b) H3PO2, H3PO3 तथा H3PO4 तीनों में ही हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या समान है फिर भी इनकी क्षारकता क्रमश: 1 , 2 तथा 3 है। क्यों?
उत्तर:
(a) ठोस अवस्था में PCl5 एक आयनिक ठोस [PCl4]+[PCl6] के रूप में पाया जाता है, जिसमें धनायन [PCl4+] चतुष्फलकीय होता है तथा ऋणायन [PCl6] अष्टफलकीय होता है जिनमें क्रमशः sp3 तथा sp3d2 संकरण होता है।

(b) फॉस्फोरस के ऑक्सो अम्लों में केवल वे ही हाइड्रोजन आयनित होकर H+ देते हैं जो ऑक्सीजन से जुड़े होते हैं अतः H3PO2, H3PO3 तथा H3PO4 की क्षारकता क्रमशः 1, 2 तथा 3 है क्योंकि इनमें क्रमशः एक, दो तथा तीन -OH बन्ध पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
SO2 के अम्लीय गुण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अम्लीय गुण:
SO2 गैस जल में विलेय होकर H2SO3 (सल्फ्यूरस अम्ल) बनाती है अतः इसे सल्फ्यूरस एन्हाइड्राइड भी कहते हैं। यह विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 10
यह सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ अभिक्रिया कर सोडियम सल्फाइट बनाती है जो कि सल्फरडाइऑक्साइड के आधिक्य के साथ अभिक्रिया कर सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट में परिवर्तित हो जाता है।
2NaOH + SO2 → Na2SO2 + H2O
Na2 SO3 + H2O + SO2 → 2NaHSO3

प्रश्न 13.
सल्फर डाइऑक्साइड के अपचायक गुण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपचायक गुण-नमी की उपस्थिति में SO2 अपचायक की भाँति व्यवहार करती है।
उदाहरण-(a) यह अम्लीय पोटेशियम परमैंगनेट विलयन (गुलाबी) को रंगहीन कर देती है। इस अभिक्रिया से SO2 गैस का परीक्षण किया जा सकता है।
5SO2 + \(\begin{gathered} 2 \mathrm{MnO}_4^{-} \\ +7 \end{gathered}\) + 2H2O → 2Mn2+ + \(5 \mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(b) यह अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन (नारंगी) को हरा कर देती है।
\(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}\) + 3SO2 + 2H+ → 2Cr3+ + \(3 \mathrm{SO}_4^{2-}\) + H2O

(c) सल्फरडाइऑक्साइड, Fe(III) को Fe(II) में अपचयित कर देती है।
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(d) सल्फर डाइऑक्साइड हैलोजनों को हैलोजन अम्लों में परिवर्तित कर देती है।
Cl2 + SO2 + 2H2O → 2HCl + H2SO4

इस अभिक्रिया में क्लोरीन का गुण नष्ट हो रहा है अतः SO2 को प्रतिक्लोर (Antichlor) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 14.
नमी की उपस्थिति में SO2 विरंजक का कार्य करती है। इस कथन की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
नमी की उपस्थिति में SO2 रंगीन वनस्पतियों आदि का रंग उड़ा देती है। यहाँ भी यह अपचायक का ही कार्य करती है। अतः SO2 को विरंजक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 3S
ये हाइड्रोजन परमाणु पदार्थ का विरंजन करते हैं लेकिन यह विरंजन अस्थायी होता है क्योंकि रंगहीन पदार्थ (अपचयित रूप) वायुमण्डल्भिय ऑक्सीजन के सम्पर्क में आते ही ऑक्सीकृत होकर पुनः वास्तविक रूप (रंगीन ) में आ जाता है।

प्रश्न 15.
सान्द्र H2SO4 का तनुकरण करते समय जल में H2SO4 डालना चाहिए न कि H2SO4 में जल। क्यों?
उत्तर:
सांद्र H2SO4 का तनुकरण करते समय H2SO4 की कम मात्रा को धीरे-धीरे जल में डालना चाहिए तथा इसको लगातार हिलाते रहना चाहिए क्योंकि H2SO4 का जल में विलयन बनना उच्च ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है, जिसमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित होती है। अतः इसका विपरीत अर्थात् H2SO4 में जल मिलाने पर विस्फोट होकर दुर्घटना हो सकती है।

प्रश्न 16.
सल्प्यूरिक अम्ल एक प्रबल अम्ल है तथा यह एक निर्जलीकारक भी होता है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सल्फ्यूरिक अम्ल के उपयोग – सल्फ्यूरिक अम्ल एक बहुत महत्वपूर्ण औद्योगिक रसायन होता है। इसके मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • उर्वरकों के उत्पादन में (जैसे अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट );
  • पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में;
  • अपमार्जक उद्योग में;
  • संचायक बैटरियों में;
  • प्रयोगशाला में महत्त्वपूर्ण अभिकर्मक के रूप में;
  • वर्णकों, प्रलेपों (Paints) तथा रंजकों के मध्यवर्तियों के उत्पादन में;
  • धातुकर्म में इनेमलन (enameling), वैद्युतलेपन एवं यशदलेपन (Galvanisation) प्रक्रमों से पहले धातुओं के शोधन में;
  • नाइट्रोसेलुलोज उत्पादों के निर्माण में।

प्रश्न 17. H2SO4 के ऑक्सीकरण गुण को समझाइए।
उत्तर:
ऑक्सीकारक गुण – सांद्र H2SO4 गरम अवस्था में मध्यम आक्सीकारक होता है। यह धातुओं तथा अधातुओं को आक्सीकृत कर देता है तथा स्वयं SO2 में अपचयित हो जाता है। ऑक्सीकारक गुण में यह H3PO4 तथा HNO3 के बीच का होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 11

(a) धातुओं से क्रिया-सक्रिय धातुएँ तनु H2SO4 से क्रिया करके H2 गैस देती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 12

(b) अधातुओं से क्रिया-सल्फर तथा कार्बन की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से संगत ऑक्साइड तथा जल प्राप्त होता है।
3S + H2SO4 (सांद्र) → 3SO2 + 2H2O
C + 2H2SO4 (सांद्र) → CO2 + 2SO2 + 2H2O

प्रश्न 18.
(a) SF6 ज्ञात है जबकि SH6 नहीं, क्यों?
(b) ऑक्सीजन का अणुसूत्र O2 है जबकि सल्फर का S8, क्यों?
उत्तर:
(a) S की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था (+ 6) उच्च विद्युत ऋणी तत्वों जैसे फ्लुओरीन के साथ संयोग से प्राप्त हो जाती है, अतः SF6 ज्ञात है लेकिन हाइड्रोजन ऐसा नहीं कर सकता अतः SH6 नहीं बनता।

(b) ऑक्सीजन के छोटे परमाणु आकार के कारण इसमें pπ – pπ अतिव्यापन द्वारा यह O2 (O = O) बना लेता है जबकि सल्फर के बड़े आकार के कारण इसमें π बन्ध नहीं बनता अतः इसके परमाणु एकल बन्ध द्वारा जुड़कर S8 बनाते हैं।

प्रश्न 19.
सान्द्र H2SO4 का प्रयोग H2 तथा H2S से नमी हटाने में नहीं किया जाता। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
(i) H2SO4 द्वारा नमी के अवशोषण के दौरान बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसके कारण हाइड्रोजन गैस जल उठती है अतः H2 के शुष्कन हेतु H2SO4 का प्रयोग नहीं किया जाता।

(ii) जब H2S से नमी के अवशोषण हेतु H2SO4 का प्रयोग करते हैं तो यह H2S का ऑक्सीकरण कर देता है अतः इसे H2S के शुष्कन हेतु भी प्रयोग नहीं किया जाता।
H2S + H2SO4 → H2O + SO2 + S

प्रश्न 20.
(a) O2 अनुचुम्बकीय होती है जबकि O3 प्रतिचुम्बकीय, क्यों?
(b) ओजोन की क्रियाशीलता, ऑक्सीजन से अधिक होती है, इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
(a) अणु कक्षक सिद्धान्त (MOT) के अनुसार O2 में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं अतः यह अनुचुम्बकीय होती है जबकि ओजोन में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं अतः यह प्रतिचुम्बकीय होती है।

(b) ओजोन का बनना एक ऊष्माशोषी अभिक्रिया होती है अतः ओजोन का अणु अधिक ऊर्जा युक्त होता है जिसके कारण इसका पुनः वियोजन हो जाता है। इसलिए इसकी क्रियाशीलता अधिक होती है जबकि O2 में O = O के कारण यह अधिक स्थायी होती है अतः इसकी क्रियाशीलता कम होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 21.
(a) SO2 केवल गीले फूलों का रंग ही उड़ा पाती है, सूखों का नहीं, क्यों?
(b) अधिक भीड़युक्त स्थानों पर ओजोन का प्रयोग किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
(a) SO2 का विरंजक गुण क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणुओं के कारण होता है, जो केवल नमी की उपस्थिति में ही उत्पन्न होते हैं अतः SO2 केवल गीले फूलों का रंग ही उड़ा पाती है, सूखों का नहीं।
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 2H

(b) ओजोन अस्थायी होती है अतः इसके विघटन से O2 प्राप्त हो जाती है इसलिए अधिक भीड़युक्त स्थान जहाँ पर ऑक्सीजन को कमी होती है, उसकी पूर्ति हो जाती है अतः इन स्थानों पर ओजोन का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 22.
क्लोरीन से निम्नलिखित यौगिक प्राप्त करने के लिए समीकरण लिखिए-
(i) NaOCl
(ii) NaClO3
(iii) विरंजक चूर्ण
(iv) NH4Cl
(v) NCl3 |
उत्तर:
(i) 2NaOH + Cl2 → NaCl + NaOCl + H2O ठण्डा तथा तनु
(ii) 6NaOH + Cl2 → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O गर्म तथा सान्द्र
(iii) Ca(OH)2 +2Cl2 → [Ca(OCl)2 + CaCl2 + 2H2O] विरंजक चूर्ण
(iv) 8NH3 + 3Cl2 → 6NH4Cl + N2 अधिक्य
(v) NH3 + 3Cl2 (आधिक्य) → NCl3 + 3HCl

प्रश्न 23.
क्लोरीन के ऑक्सीकारक गुण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्लोरीन बनाने की औद्योगिक विधियाँ-ये विधियाँ निम्नलिखित हैं-
(i) वैद्युतअपघटन-लवण जल (सांद्र NaCl विलयन या ब्राइन ) के वैद्युतअपघटन से क्लोरीन प्राप्त की जाती है। ब्राइन के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर ऐनोड पर क्लोरीन प्राप्त होती है। इस प्रक्रम में कास्टिक सोडा (NaOH) का निर्माण भी होता है। अतः क्लोरीन यहाँ अन्य उत्पाद है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 13
गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर सोडियम तथा ऐनोड पर क्लोरीन प्राप्त होती है।

(ii) डेकॉन विधि – हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का CuCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में 723K ताप पर वायुमंडलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकरण करने पर क्लोरीन प्राप्त होती है।

प्रश्न 24.
क्लोरीन का विरंजक गुण समझाइए।
उत्तर:
विरंजक गुण-क्लोरीन एक प्रबल विरंजक है। इसकी विरंजन क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है, जो कि नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करती है।
Cl2 + H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
क्लोरीन नमी की उपस्थिति में ही वनस्पति अथवा कार्बनिक पदार्थों का विरंजन करती है तथा क्लोरीन का यह विरंजक प्रभाव स्थायी होता है। लेकिन SO2 का विरंजक प्रभाव अस्थायी होता है।

प्रश्न 25.
HCl एक अपचायक है, समझाइए।
उत्तर:
अपचायक गुण – प्रबल ऑक्सीकारकों के साथ क्रिया कराने पर यह अपचायक की तरह व्यवहार करती है। जैसे- MnO2, K2Cr2O2 तथा KMnO4 इत्यादि।

4HCl + MnO2 → MnCl2 + 2H2O + Cl2
14HCl + K2Cr2O7 → 2CrCl3 + 2KCl + 3Cl2 + 7H2O
16HCl + 2KMnO4 → 2MnCl2 + 2KCl + 5Cl2 + 8H2O

प्रश्न 26.
अम्लराज (एक्वारेजिया) कैसे बनाया जाता है? तथा इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
सान HCl त्षा यान्द्र HNO3 को 3 : 1 में मिलाने पर एक्यांजिजिया बनता है जिसे घोने तथा प्लेटिनम औैसी उल्क्ष्ट धातुओं को घोलने के लिए प्रयुक्त किया काता है।
Au + 4H+ + \(\mathrm{NO}_3^{-}\) + \(4 \mathrm{Cl}^{-}\) → \(\mathrm{AuCl}_4^{-}\) + NO + 2H2O3Pt + 16H+ + \(4 \mathrm{NO}_3^{-}\) + \(18 \mathrm{Cl}^{-}\) → \(3 \mathrm{PtCl}_6^{2-}\) + 4NO + 8H2O

प्रश्न 27.
इकृष्ट गैसों की द्रव तथा ठोस अवस्था में पाएँ जाने वाले आकर्षण बलों को समझाइए।
उत्तर:
उत्कृष्ट गैसों के परमाणु अधुखीय होते हैं लेकिन यह माना जात है कि इलेक्यान अभक्षे हिचलन से इमें धुवता उत्पन्न हो जती है तबा एक परमायु अन्य पस्मागुओं को भी पुवित कर सेत है। इन ज्ञनणुओं के मध्य उनक्षित आकर्षंग बस, परिशेपग बल या सन्द्न बल कहागता है। यह एक प्रकर का वन्डवल कल है तथा इस्ते के कारण उत्लृष्ट शैसों बदी द्रव तथा वोस अयलक्वा होती है।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) XeF2 का जल अघघटन
(ii) XeF4 का अषचयन
(iii) XeF2 की PF5 से किया
(iv) XeF4 की SbF5 से लिख्या
(v) XeF6 से NaF से क्रिया।
उत्तर:
(i) 2XCF2(S) + 2H2O(l) → 2Xe(g) + 4HF(aq) + O2(g)
(ii) XeF4 + 2H2 → Xe + 4HF
(iii) XeF2 + PF5 → [XeF]+ [PF6]
(iv) XeF4 + SbF5 → [XeF3]+ [SbF6]
(v) XeF6 + NaF → Na+ [XeF7]

प्रश्न 29.
XeO3, XeOF4 तथा XeO2F2 को विस्स प्रकास बनाया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
XeO3 : XeF4 तथा XeF6 के जल अकघटन से XeO3 बना है।
6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
XeF6 + 3H2O → XeO3 + 6HF

XeOF4 तथा XeO2F2 :

XeF6 के आंिक क्ल अपवटन से आक्यीफ्तुओंग्ड XeOF4 तथा XeO2F2 प्राप्त होते हैं।
XeF6 + H2O → XeOF4 + 2HF
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4HF

प्रश्न 30.
XeF6 तथा XeOF4 की आकृति को समझाइए।
उ्तर:
XeF6 में Xe पर 6 खची क्लेकट्रॉन युग्म तथा एक एक्लकी इसेष्ट्रोन युग्म वपास्थित होते है अतः इस पर sp3d3 संकर्य होत है तथा झसकी अकृति विकृत अष्टफलकीय होती है। XeOF4 में Xe पर 5 बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण sp3d2 संकरण होता है तथा इसकी आकृति वर्ग पिरैमिडी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 14
XeF6 की विकृत अष्ठल्लकीय अवृति XeOF6 की वर्ग विर्मिड्री आकृति

प्रश्न 31.
वर्ग 16 के तत्वों के हाइड़ाइडों में निम्नलिखित गुणों वाले यौगिक बताइए।
(i) अधिकतम बन्ध कोण
(ii) निम्नतम क्वथनांक
(iii) अधिकतम अम्लीय गुण।
उत्तर:
(i) H2O
(ii) H2S
(iii) H2Te

प्रश्न 32.
SF6 ज्ञात है लेकिन SCl2 नहीं, क्यों?
उत्तर:
फ्नुओरीन की विद्युतत्ताणता अधिक होने के कारण यह प्रबल औक्सीकारक होती है इसलिए यह सल्फर को + 6 औक्सीकरण अवस्था तक ऑवसीकृत कर देती है अतः SF6 ज्ञात है। लेकिन क्लोरीन की दुर्बल ऑक्सीकारक प्रवृत्ति के कारण यह सल्फर को + 4 ऑक्सीकरण अवस्था तक ही ऑक्सीकृत कर पाती है, इसलिए SCl6 ज्ञात नहीं है।

प्रश्न 33.
SO2 की विरंजक क्रिया अस्थायी होती है, जबकि Cl2 की विरंजक क्रिया स्थायी होती है, क्यों?
उत्तर:
SO2 की जल के साथ क्रिया द्वारा नवजात हाइड्रोजन उत्पन्न होती है जो कि रेगीन पदार्थ को अपचयित करके रंगहीन कर देती है, लेकिन यह पदार्थ वायु द्वारा आंक्सीकृत होकर पुनः रेगीन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 15
जबकि क्लोरीन, जल से क्रिया करके नवजात आंक्लीजन देती है जो कि रंगहीन पदार्थ को आंक्सीकृत करके रंगहीन कर देती है जिस पर वायु का कोई प्रभाव नर्हीं होता।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 16

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
सफफेद् फॉस्फोरस की अपेक्षा लाल फॉस्फोरस कम क्रियाशील क्यों होता है?
उत्तर:
सफेद फॉस्फोरस के P4 अणुओं में कोणीय तनाव के कारण (60° का कोण ) यक कम स्थायी होता है अतः यह अधिक क्रियाशील होता है जबकि लाल फॉस्फोरस में ऐसा नहीं होता इसलिए सफेद फॉस्फोरस की अपेक्ष लाल फॉर्फोरस कम क्रियाशील होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) XeF2 + H4O →
(ii) PH3 + HgCl2
उत्तर:
(i) 2XeF2(s) + 2H2O(l) → 2Xe(g) + 4HF(aq) + O2(g)
(ii) PH3 + 3HgCl2 → Hg3P2 + 6HCl मरक्यूरिक फॉस्फाइड

प्रश्न 3.
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) XeF4
(ii) H2S2O7
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) नाइट्रोजन की अपेक्षा फॉस्फोरस में शृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का ऋणात्मक मान फ्लुओरीन के लिए, क्लोरीन के अपेक्षाकृत कम होता है।
(iii) हाइड्रोजन क्नोराइड की अपेक्षा हाइड्रोजन फ्लुओराइड का क्वथनांक बहुत अधिक होता है।
अथवा
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) PCl3(s)
(ii) \(\mathrm{SO}_3^{2-}\)

(b) निम्नलिखित अवलोकनों के आधार स्पष्ट कीजिए-
(i) फॉस्फीन की अपेक्षा अमोनिया का क्वथनांक उच्चतर होता है।
(ii) हीलियम कोई रासायनिक योगिक नहीं बनाता है।
(iii) Sb(V) की अपेक्षा Bi(V) एक अधिक प्रबल उपचायक है।
उत्तर:
(a) XeF4 वथा H2S2O7 की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 17

(b) (i) नाइट्रोजन की अवेक्षा फैस्फोरस में शृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि फॉस्फोरस विवृत (open) तथा संवृत (closed) दोनों प्रकार की श्रंखला बनाता है तथा नाइट्रोजन के छोटे आकार के कारण यह N ≡ N बनाकर, N2 के रूप में ही पाया जाता है ल्लेकिन फॉस्फोरस के बड़े आकार के कारण यह द्विपरमाणुक अणु नहीं बनाता।

(ii) हाइड्रोजन क्लोराइड की अपेक्षा हाइड्रोजन फ्लुओराइड का क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि HF के अणुओं के मध्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसके कारण अणु बहुत अधिक पास आ जाते हैं जिन्हें दूर-दूर करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता ह्षेती है, जबकं HCl के अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है।
अथवा
(a) (i) PCl5(s) → ठोस अवस्था में PCl5 एक आयनिक ठोस के रूप में पाया जाता है जिसमें चतुष्फलकीय \(\mathrm{PCl}_4^{+}\) तथा अष्टफल्लकीय \(\mathrm{PCl}_6^{-}\) पाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 18
(b) (i) फॉस्फीन की अपेक्षा अमोनिया का क्वधनांक उच्च होता है क्यौंकि NH3 में धुरुखीय बन्य (N-H) होने के कारण इसके अणुओं के मध्य अन्तरअणुक छाइडोजन बन्ध पाचा जाता है जिससे आण्विक संगुणन अधिक हो जाता है उबकि PH3 के अणुओं के मध्य दुर्बल बान्डरवाल बल पाया जाता है।

(ii) हीलियम कोई रुसायनिक यौगिक नहीं बनाता है ब्योकि हीलियम के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s2) में पूर्ण पूरित कोश है अतः इसके पास कोई अयुम्मित इलेक्टॉन नहैं है तथा इसके छोटे आकार के कारण इसकी आयनन एव्थैल्पी भी उच्च होती है इसलिए इसमें इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृति भी नही होती तथा धनात्रक इ्लेक्ट्रॉन ल्यिं एन्येल्पी के कारण यह इ्लेक्ट्रॉन स्रक्षण भी नहीं करती।

(iii) Sb(V) की अपेक्षा Bi(V) अधिक प्रबल उपचायक (ऑक्सीकारक ) होता है क्योंकि Bi+5 अवस्था की अपेक्षा Bi+3 अवस्था अधिक स्थायी होती है (निक्रिय युग्म प्रभास के कारण) अतः Bi(V) आसानी से इसेक्ट्रॉन ग्रहण करके Bi(III) बनाता है जिसके कारण इसका औक्सीकारक गुण अधिक छोता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 4.
फ्तुओरीन कोई धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करती। क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरीन की विद्युप्रणता सर्वाधिक होती है तथा इसके संयोजी कोश में रिक्त d कक्षेक भी उपलय्ध नलीं है अतः इसमें अश्टक का प्रस्तर नहीं हैता इस्स कारण यह केवल -1 औक्सीकरण अवस्था दर्शाती है अधाँत् यह कोई धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रक्रांत नहर्ती करती।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया समीकर्णों को पूरा कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 19

प्रश्न 6.
निम्नलिखित योगिकों के संखचा सूत्र बनाइए-
(i) H4P2O5
(ii) XeF4
उत्तर:
H4P2O5 तखा XeF4 की संरचना निम्न फ्रकार सेती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 20

प्रश्न 7.
निम्नलिखित को कारण देते हुए आष कैसे समझाएंगे-
(i) NCl3 एक ऊष्माशोषी यौगिक है जलकि NF3 ऊष्चाजिया है।
(ii) XeF2 मुड्ता हुभा न द्रोका एक सीधा रेख्रिय आकार वाता क्या है।
उत्तर:
(i) NCl3 एक कप्माोोी वौगिक है वबकि NF3 ऊप्यारेपी है क्योंकि NCl3 बनते समय कर्न का अवरोष्य होता है हसका कारण Cl-Cl बन्थ वियोग्यन एन्देली कर मान F-F बन्ध क्लिजन एन्थैल्पी से अधिक होना है अतः इस बन्य को तोड़ने के हिए अधिक ऊर्जा की आवस्पकता हैती है जबकि फ्लुओरीन के होटे आलार के बाएग प्रयत्त बन्य बनती है अतः NF3 बनते समख कर्जा उत्सरित होती है।

(ii) XeF2 में Xe पा दो बन्धित क्षेक्टॉन युग्म वथा तीन एकाही इलेकट्टॉन तुम्य कोते है। (sP3d स्थिकण) VSEPR स्द्धान्त के अनुसार रेखीय ज्यामिति होने पर प्रतिकर्षण न्यूनत्न होता है उतः XeF2 रेखीय ख्वामिति युक्ल अणु है।

प्रश्न 8. निम्नलिखित के वया कााएण हैं-
(i) H2O की अपेक्षा H2S अधिक अम्लीय है।
(ii) \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में N-O आबंध \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में N-O काजंध से छोटा होता है।
(iii) O2 और F2 दोनों ही उख्य उपषयन अवस्तुओ को स्थायित्य केते हैं परन्तु इसमें फलुओरीन की आवेक्षा औंवसीजन बक्रात है।
उत्तर:
(i) H2O की अपेक्षा H2S अधिक अम्लीय है क्योंकि सल्फर के बड़े आकार के कारण S-H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का मान O-H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी से कम होता है अतः H2S की H+ देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 21
\(\mathrm{NO}_2^{-}\) में एक N = O तथा एक N-O बन्थ होता है जबकि \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में एक N = O तथा दो N-O बन्ध होते हैं अतः \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में औसत बन्ध क्रम (1.5), \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में औसत बन्ध क्रम (1.33) से अधिक है अतः \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में N-O आब्दैघ, \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में N-O आबन्ध से छोटा होत है।

(iii) O2 तथा F2 दोनों ही उच्च उपचयन अवस्थाओं (आक्सीकरण अवस्थाओं) को स्थायित्व देते हैं लेकिन ऑक्सीजन कौ द्विन्ध बनाने की क्षमत के कारण या उच्च ओंक्सीकरण अवस्था को अंक ए्थायित्व प्रदान करता है जबक्षक फ्लुओरीन में द्विआंन्ध नहीं बनखा।

प्रश्न 9.
(a) निम्नलिखित अणुओं की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) (HPO3)3
(ii) BrF2
(b) निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को पूरा कीजिए-
(i) HgCl2 + PH2
(ii) SO3 + H2SO4
(iii) XeF4 + H2O →
अथवा
(a) क्या होता है जब
(i) NaOH के सान्द्र गरम विलयन में क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है?
(ii) Fe(III) लवण के जलीय विलयन में से सस्फर डाइओंक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है ?

(b) निम्नलिखित के उत्तर दीजिए-
(i) H3PO3 की क्षार्त्ता (basicity) ब्या है और क्यों?
(ii) अन्तराहललोजन यौगिकों में फ्लुओरीन केन्द्रीय पसमाणु की भूमिका में क्यों नहीं होती है?
(iii) उत्कृष्ट (नोबल) गैसों के क्वथनांक बहुत कम क्यों होते हैं?
उत्तर:
(a) (i) (HPO3)3 पौलीमेटाफॉस्पेरिक अम्ल की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 22

(ii) BrF3 की संरचना बंकित T जैसी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 23
(b) (i) 3HgCl2 + 2PH3 → Hg3P2 + 6HCl
(ii) SO3 + H2SO4 → H2S2O7 (अ)लिम)
(iii) 6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
अधवा
(a) (i) NaOH के सान्द्र स्वम विलयन में करोरोन सैस प्रवाहित कहने का NaCl तथा NaClO3 (संडियम बलोरोट) बनल है।
6NaOH + 3Cl2 → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O
गन् तथा बान्द्र

(ii) Fe(III) के लवण के जलीय विलयन में से सल्फर डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर फैरस (Fe2+) तथा सल्फेट आयन बनते हैं।
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(b) (i) H3PO3 की क्षारकता दो होती है क्योंकि इसकी संरचना में दो -O-H बन्ध होते हैं जिसके आयनन से H+ प्राप्त होते हैं, लेकिन P-H बन्ध का आयनन नहीं होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 24

(ii) अन्तराहैलोजन यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु पर अष्टक का प्रंसार होता है चूँकि फ्लुओरीन में रिक्त $\mathrm{d}$ कक्षक उपलब्ध नहीं होते अतः इसमें अष्टक का प्रसार नहीं हो पाता। इस कारण अन्तराहैलोजन यौगिकों में फ्लुओरीन, केन्द्रीय परमाणु की भूमिका में नहीं होती है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में सो प्रत्येक के लिए उषघुक्त उद्बाहला बेते हुए उनखा स्पष्टीसरण कीजिए-
(i) NF3 एक कब्मांक्षेपी चौनिक है जक्कि NCl3 एमा नहीं है।
(ii) SF4 में सभी आघन्ध समतुल्ब नहीं हैं।
उत्तर:
(i) क्सी भाग (विभिन्न पणिधाओं के प्रश्न ) में प्रश्न संख्या 7(i) क्ष उत्तर देखें।
(ii) SF4 में सल्फर पर चार बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित है। (sp3d संकरण) तथा इसकी ज्यामिति सी सॉं (see saw) जैसी होती है जिसमें निरक्षीय बन्धों की तुलना में विषुवतरेखीय बन्धों पर अधिक तनाव होता है अतः इनकी बन्ध लम्बाई कुछ अधिक होती है SF4 के सभी बन्य सनतात्व नली कोते।

प्रश्न 11.
SbH3 तथा BiH3 में खौन अधिक प्रबल भबचादक है और वर्खों ?
उत्तर:
SbH3 तथा BiH3 में से BiH3 अधिक प्रबल अपचायक है क्योंकि BiH3 में Bi के बड़े आकार के कारण बन्ध वियोजन एन्थैल्पी कम होती है अतः हाइड्रोजन परमाणुओं के प्राप्त होने की सम्भावना अधिक होती है।

प्रश्न 12.
(a) निम्नलिखित यौगिकों की आण्विक संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) N2O5
(ii) XeOF4
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऑक्सीजन की अपेक्षा सल्फर में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) I2 की अपेक्षा ICI अधिक क्रियाशील है।
(iii) फ्लुओरीन की इलेक्ट्रॉन प्राप्ति एन्थैल्पी ऋण चिह्न के साथ यद्यपि क्लोरीन की अपेक्षा कम है, फिर भी फ्लुओरीन (F2) अपेक्षाकृत क्लोरीन (Cl2) से प्रबल ऑक्सीकारक है।
अथवा
(a) निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) Cu + HNO3 (तनु) →
(ii) XeF4 + O2F2
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) नाइट्रोजन की अपेक्षा फॉस्फोरस में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) ऑक्सीजन एक गैस है जबकि सल्फर एक ठोस है।
(iii) हैलोजन रंगीन होते हैं। क्यों?
उत्तर:
(a) N2O5 तथा XeOF4 की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 25
(b) ऑक्सीजन के छोटे आकार के कारण यह pπ-pπ अतिव्यापन द्वारा बन्ध बनाकर O2 के रूप में पाया जाता है। जबकि सल्फर के बड़े आकार के कारण यह π बन्ध नहीं बनाता तथा बहुत से परमाणु आपस में जुड़कर S8 बनाते हैं अर्थात् सल्फर में श्रृंखलन की प्रवृत्ति; ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक होती है।
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 26
(b) हैलोजनों में दृश्य क्षेत्र में विकिरणों का अवशोषण होता है जिससे बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं। जब ये इलेक्ट्रॉन वापस निम्न ऊर्जा स्तर में आते हैं तो ऊर्जा उत्सर्जित होती है जिसके कारण हैलोजन रंगीन होते हैं। विकिरण के भिन्न-भिन्न क्वान्टम अवशोषित करने के कारण इनका रंग भी भिन्न-भिन्न होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 13.
(i) ‘इंडियन साल्टपीटर’ का नाम एवं रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ii) क्या होता है जब अमोनिया के जलीय विलयन को- (A) Cu2+ आयन युक्त जलीय विलयन में डालते हैं ( समीकरण सहित ) ।
(B) Cl आयनों की उपस्थिति में Ag+ आयन युक्त जलीय विलयन में डालते हैं। (समीकरण सहित )
(iii) H3PO4 अम्ल की संरचना बनाइये।
अथवा
(i) किस वर्ग के तत्व चैल्कोजेन कहलाते हैं और क्यों?
(ii) (A) फ्लोरीन केवल 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है, क्यों?
(B) फ्लोरीन के अलावा अन्य हैलोजन धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी दर्शाते हैं, क्यों?
(iii) विषमलंबा गंधक की Ss आणविक संरचना को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
(i) पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) को इंडियन साल्टपीटर कहते हैं।
(ii) (A) Cu2+ आयन युक्त जलीय विलयन में अमोनिया का जलीय विलयन डालने पर गहरे नीले रंग का विलेयशील संकुल टेट्राऐमीन कॉपर (II) सल्फेट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 27
(B) Cl आयनों की उपस्थिति में Ag+ के जलीय विलयन में अमोनिया का जलीय विलयन डालने पर एक विलेय संकुल डाइऐमीन सिल्वर (I) क्लोराइड प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 28
(iii) H3PO4 (आर्थो फॉस्फोरिक अम्ल) की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 29
अथवा
(i) 16वें वर्ग (ऑक्सीजन परिवार) के तत्वों को चैल्कोजेन कहते हैं क्योंकि इसका अर्थ है अयस्क बनाने वाला तथा सामान्यतः अयस्कों में ऑक्सीजन तथा सल्फर होता है अर्थात् अयस्क ऑक्साइड तथा सल्फाइड के रूप में पाए जाते हैं।

(ii) (A) फ्लोरीन केवल – 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शता है क्योंकि इसका परमाणु आकार छोटा होता है तथा इसमें d कक्षक अनुपस्थित है एवं इसकी विद्युत ऋणात्मकता भी सबसे अधिक होती है।

(B) फ्लोरीन के अलावा अन्य हैलोजन धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी दर्शाते हैं क्योंकि इनमें रिक्त d कक्षक उपस्थित होते हैं अतः ये अपने अष्टक का प्रसार कर सकते हैं। इनकी ये ऑक्सीकरण अवस्थाएँ + 1, + 3, + 5 तथा + 7 होती हैं।

(iii) विषम लंबा गंधक की S8 आण्विक संरचना क्राउन शेप यानी किरीटाकार वलय होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 30

प्रश्न 14.
(अ) निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) Cl2 + NaOH (ठण्डा व तनु) →
(ii) C + सान्द्र HNO3
(ब) निम्नलिखित को समझाइए –
(i) 17वें वर्ग में F2 प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) ऑक्सीजन गैस है जबकि सल्फर ठोस है।

(स) निम्नलिखित की संरचना बनाइए-
(i) N2O5
(ii) H3PO4
अथवा

(अ) निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 31

(ब) निम्नलिखित को समझाइए-
(i) नाइट्रोजन का अणुसूत्र N2 है जबकि फॉस्फोरस का P4 है।
(ii) नाइट्रोजन की तुलना में फॉस्फोरस अधिक क्रियाशील है।
(स) निम्नलिखित की संरचना बनाइए-
(i) H2S2O7
(ii) XeF2
उत्तर:
(अ) (i) Cl2 + NaOH (ठण्डा व तनु ) → NaCl + NaClO + H2O
(ii) C + 4HNO3 (सान्द्र) → CO2 + 2H2O + 4NO2

(च) (i) 17वें वर्ग में F2 प्रबल ऑक्सीकारक है क्योंकि F-F आबंध की वियोजन एन्थैगी कम है तथा F की जलयोजन एन्यैल्पी का मान उच्च होता है, अतः F में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

(ii) ऑक्सीजन परमाणु के छोटे आकार तथा संयोजी कोश में d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें pπ-pπ बन्ध बनाने की प्रबल प्रवृत्ति होती है अतः यह O = O बनाकर अपना अष्टक पूर्ण कर लेती है। तथा O2 के विविक्त अणुओं के रूप में गैस अवस्था में पायी जाती है। लेकिन सल्फर के बड़े आकार के कारण S = S बन्ध एन्पी कम होती है अतः यह S2 न बनाकर S8 के रूप में पाया जाता है जिससे अणुओं के मध्य आकर्षण बल बढ़ जाता है। इसी कारण सल्फर ठोस अवस्था में पाया जाता है।

(स) N2O5 तथा H3PO4 की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 32

(ब) (i) नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु N2 के रूप में पाया जाता है क्योंकि नाइट्रोजन परमाणु के छोटे आकार तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें बहुल आबन्ध (N ≡ N) बनाने की प्रबल क्षमता होती है जबकि फॉस्फोरस P4 के रूप में पाया जाता है क्योंकि इसके बड़े आकार के कारण इसमें बहुल आबन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती तथा आन्तरिक अबन्धित इलेक्ट्रॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता है अतः इसमें P-P-P बन्ध कोण 60″ होता है इसलिए pπ-pπ बन्ध संभव नहीं है।

(ii) नाइट्रोजन की तुलना में फॉस्फोरस अधिक क्रियाशील है क्योंकि नाइट्रोजन का आकार बहुत छोटा होता है तथा इसकी विद्युतॠणता एवं आयनन एन्फैल्पी, फॉस्फोरस की तुलना में अधिक होती है। नाइट्रोजन के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक उपलब्ध नहीं हैं जबकि फॉस्फोरस के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक होते हैं नाइट्रोजन में pπ-pπ अतिव्यापन द्वारा त्रिआबन्ध बनाने की प्रवृत्ति होती है अतः इसकी [बन्ध एन्येपी बहुत अधिक होती है जिसके कारण वह बहुत कम क्रियाशील होता है जबकि फॉस्फोरस में pπ-pπ अतिव्यापन नहीं होता।

(स) H2S2O7 तथा XeF2 की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 33

प्रश्न 15.
(अ) वर्ग 15 में ऊपर से तीसरे तत्व का नाम एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(ब) अमोनिया अणु की संरचना बनाइए ।
(स) NH3 लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करती है। क्यों?
(द) तनु एवं सान्द्र HNO3 की Zn के साथ अभिक्रिया के समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(अ) वर्ग 15 में ऊपर से तीसरे तत्व का नाम आर्सेनिक 33(As) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d104s24p3 है।
(ब) अमोनिया का अणु त्रिकोणीय पिरैमिडी होता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन पर sp3 संकरण होता है। (3σ बन्ध तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ) इसे निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 34

(स) अमोनिया में नाइट्रोजन परमाणु पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, प्रदान करने के लिए उपलब्ध है अतः यह लूइस धारक की तरह व्यवहार करती है।
(द) 4Zn + 10 HNO3
तनु → 4Zn (NO3)2 + 5H2O + N2O
Zn + 4HNO3 (सांद्र ) → Zn (NO3)2 + 2H2O + 2NO2

प्रश्न 16.
(अ) वर्ग 15 के धातु तत्व का नाम एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(ब) क्लोरीन गैस की विरंजन क्रिया का कारण समझाइए ।
(स) भूरी वलय परीक्षण के समीकरण लिखिए।
(द) PCl5 अणु की संरचना बनाइए ।
उत्तर:
(अ) वर्ग 15 का धातु तत्व बिस्मथ (88Bi) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]-4f14 5d10 6s2 6p3 है।

(ब) क्लोरीन गैस की विरंजन क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। नमी की उपस्थिति में क्लोरीन नवजात ऑक्सीजन [O] देती है जो रंगीन पदार्थ का ऑक्सीकरण करके उसे रंगहीन कर देती है।
Cl2 + H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ

(स) भूरी वलय परीक्षण नाइट्रेट आयन के लिए किया जाता है। इसमें प्रयुक्त समीकरण निम्नलिखित हैं-
NO3 + 3Fe2+ + 4H+ → NO + 3Fe3+ + H2O
[Fe(H2O)6]2+ + NO → [Fe(H2O)5(NO)]2+ + H2O भूरी वलय

(द) PCl5 की संरचना त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी होती है क्योंकि इसमें फॉस्फोरस पर 5 σ बन्ध होते हैं। (sp3d संकरण) इसे निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 35

प्रश्न 17.
(i) H3PO3 की क्षारकता कितनी होती है तथा क्यों?
(ii) क्लोरीन गैस से बनाई जा सकने वाली दो जहरीली गैसों का नाम बताइए।
(iii) नाइट्रोजन +5 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है फिर भी यह पेन्टालाइड नहीं बनाती, क्यों?
उत्तर:
(i) H3PO3 की धारकता दो होती है क्योंकि इसमें दो O-H बन्ध होते हैं।
(ii) फॉस्जीन (COCl2) तथा मस्टर्ड गैस (ClCH2– CH2SCH2CH2Cl)
(iii) नाइट्रोजन में d कवक अनुपस्थित होते हैं अतः यह पेन्टालाइड नहीं बनाती।

प्रश्न 18.
R3P = O पाया जाता है जबकि R3N = O नहीं क्यों ? (R= ऐल्किल समूह)
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों में अतिरिक्त स्थायित्व प्राप्त अर्धपूरित इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के p-कक्षक होते हैं। अतः वर्ग 16 के तत्वों की तुलना में इनमें से इलेक्ट्रॉन को निकालने में बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, अतः वर्ग 15 के तत्वों की तुलना में वर्ग 16 के तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है।

प्रश्न 19.
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ बताइए-
(i) XeF2
(ii) BrF3
(b) H3PO3 की अपेक्षा H2PO2 अधिक प्रबल अपचायक है, क्यों?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 36
(b) H3PO2 में ऐ P-H बन्ध होते हैं तथा इसमें की ऑक्सीकरण अवस्था निम्न (+1) है। अतः यह उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तित हो सकता है। जबकि H3PO3 में एक P-H बन्ध एवं P की ऑक्सीकरण अवस्था उच्च (+ 3) है अतः H3PO3 की अपेक्षा H3PO2 अधिक प्रबल अपचायक है।

प्रश्न 20.
(अ) क्लोरीन के चार ऑक्सो अम्लों के रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ब) उत्कृष्ट गैस समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास लिखिए। चुम्बकीय अनुनाद प्रतिविम्ब (MRI) में इस समूह का कौन-सा तत्व उपयोगी है?
(स) C2H5OH की PCl3 एवं PCl5 के साथ पृथक् पृथक् रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
अथवा
(अ) सल्फर के चार ऑक्सो अम्लों के रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ब) केल्कोजेन समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास लिखिए। एप्सम लवण का रासायनिक सूत्र लिखिए।
(स) अमोनिया एक लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करता है। समझाइए |
उत्तर:
(अ) क्लोरीन के चार ऑक्सो अम्ल निम्नलिखित हैं- HOCl (हाइपोक्लोरस अम्ल) HClO2 (क्लोरस अम्ल), HClO3 (क्लोरिक अम्ल) तथा HCIO4 (परक्लोरिक अम्ल)।

(ब) उत्कृष्ट गैस समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np2 होता है जहाँ n = 2 से 6 [He (1s2) के अतिरिक्त), चुम्बकीय अनुनाद प्रतिषिध (MRI) में हीलिंगम प्रयुक्त होती है।

(स) C2H5OH + PCl5 → C2H5Cl + HCl + POCl3
2C2H5OH + PCl3 → 3C2H5Cl + P(OH)3 या H3PO3
अथवा

(अ) सल्फर के चार ऑक्सो अम्ल निम्नलिखित है-
H2SO3 (सल्फ्यूरस अम्ल), H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल), H2S2O8 (परॉक्सो डाइसल्फ्यूरिक अम्ल) तथा H2S2O7 (पायरो सल्फ्यूरिक अम्ल )।

(ब) केल्कोजेन समूह ऑक्सीजन समूह होता हैं जिसका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np4 है जहाँ n = 2 से 61 एप्सम लवण का रासायनिक सूत्र MgSO4 . 7H2O होता है।

(स) अमोनिया में नाइट्रोजन पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करने के लिए उपलब्ध है अतः यह लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 21.
Ba(N3)2 के तापीय अपघटन से क्या होता है? (केवल अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।)
उत्तर:
Ba(N3)2 के तापीय अपघटन से बेरियम तथा नाइट्रोजन गैस प्राप्त होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 37

प्रश्न 22.
H3PO3 की क्षारकता क्या है?
उत्तर:
H3PO3 में दो P-OH बन्ध उपस्थित हैं अतः इसकी क्षारकता 2 है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 38

प्रश्न 23.
(अ) क्लोरीन के ठण्डे व तनु NaOH विलयन से अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(ब) H3PO2 की अपचायक प्रकृति को समझाइए |
अथवा
(अ) क्लोरीन की गरम व सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(ब) PCl5 के पाँचों बन्ध समतुल्य क्यों नहीं हैं? समझाइए |
उत्तर:
(अ) क्लोरीन की ठण्डे व तनु NaOH मिलयन से अभिक्रिया कराने पर सोडियम क्लोराइड (NaCl) तथा सोडियम हाइपोक्लोराइट (NaClO) बनते हैं।

Cl2 + 2NaOH → NaCl + NaClO + H2O

(ब) H3PO2 में दो P-H बन्ध होने के कारण वह एक अच्छा अपचायक होता है। इसी कारण वह AgNO3 को Ag में अपचारित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 39
अथवा
OH
(अ) क्लोरीन की गरम व सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया कराने पर सोडियम क्लोराइड (NaCl) तथा सोडियम क्लोरेट (NaClO3) प्राप्त होते हैं।
3Cl2 + 6NaOH → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O

(ब) PCl5 के पाँच बन्धों में से तीन निरक्षीय बन्ध समान होते हैं। जबकि वे अक्षय बन्यों की बन्ध लम्बाई अधिक होती है क्योंकि निरखीय बन्ध युग्मों की अपेक्ष अक्षीय बन्ध युग्मों पर प्रतिकर्षण अधिक होता है। PCl5 की त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी संरचना होती है (sp3d संकरण ) ।

प्रश्न 24.
(a) निम्नलिखित के कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए-
(i) \(\mathrm{NH}_4^{+}\) में आबन्ध कोण अपेक्षाकृत NH3 वाले कोण से बड़ा है।
(ii) अपचायक व्यवहार SO3 से TeO2 की ओर घटता है।
(iii) HClO की अपेक्षा HClO4 प्रबलतर अम्ल है।

(b) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए—
(i) H2S2O8
(ii) XeOF4
अथवा
(a) जब सफेद फॉस्फोरस को सान्द्र NaOH के विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो कौनसी जहरीली गैस निकलती है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
(b) एन. बेर्टलेट द्वारा बनाए गए उत्कृष्ट गैस के प्रथम यौगिक का सूत्र लिखिए। इस यौगिक को बनाने के लिए एन. बैर्टलेट की प्रेरणा क्या थी?
(c) क्लोरीन की अपेक्षा फ्लुओरीन प्रबलतर उपचाचक है क्यों?
(d) क्लोरीन गैस का एक उपयोग लिखिए।
(e) निम्नलिखित समीकरण को पूर्ण कीजिए-
CaF2 + H2SO4
उत्तर:
(a) (i) NH3 तथा \(\mathrm{NH}_4^{+}\) दोनों में से नाइट्रोजन sp3 संकरित है। लेकिन \(\mathrm{NH}_4^{+}\) में आबन्ध कोण अपेक्षाकृत NH3 वाले बन्ध कोण से बड़ा है क्योंकि इसमें चारों ही बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म है जबकि NH3 में N पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म है जो कि एकाकी युग्म आबंध युग्म प्रतिकर्षण के लिए उत्तरदायी है, जिससे NH3 में आबन्ध कोण कम हो जाता है।

(ii) अपचायक व्यवहार SO2 से TeO2 की ओर घटता है, क्योंकि इस वर्ग में नीचे जाने पर 6 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व कम होता है तथा 4 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व बढ़ता है। अतः इनकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति भी कम होती जाती है।

(iii) HClO की अपेक्षा HClO4 प्रबलतम अम्ल है क्योंकि HClO में Cl का ऑक्सीकरण अंक + 1 है जबकि HClO4 में Cl का ऑक्सीकरण अंक + 7 है अतः HClO4 में Cl की इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति अधिक होती है जिससे इसका आयनन होकर H+ आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।
(b) (i) H2S2O8
(ii) XeOF4
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 40
अथवा
(a) जब सफेद फॉस्फोरस को सान्द्र NaOH के विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो फाल्जीन (PH3) गैस निकलती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 41
(b) इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 7.30 का उत्तर देखें।

(c) क्लोरीन की अपेक्षा फ्लुओरीन प्रबलतर उपचायक (ऑक्सीकारक) है क्योंकि क्लोरीन के मानक अध्ययन विभव का मान फ्लुओरीन के मानक अपचयन विभव के अपेक्षा कम होता है। इसी कारण फ्लुओरीन जल को ऑक्सीजन में ऑक्सीकृत कर देती है जबकि क्लोरीन, जल के साथ अभिक्रिया करके HCl तथा HClO बनाती है।

(d) क्लोरीन को पीने के जल को जीवाणुरहित करने में प्रयुक्त किया जाता है।

(e) CaF2 + H2SO4 → CaSO4 + 2HF

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. असममित कार्बन परमाणु युक्त यौगिक है-
(अ) C6H5CH2COOH
(ब) HOOC (CH2)2COOH
(स) HO(CH2)2OH
(द) HOOC CH(OH)CH2COOH
उत्तर:
(द) HOOC CH(OH)CH2COOH

2. ध्रुवण घूर्णकता निम्न में से किसके कारण पायी जाती है-
(अ) सममिति तल
(ब) आणविक सममितता
(स) आणविक असममितता
(द) सममित कार्बन परमाणु
उत्तर:
(स) आणविक असममितता

3. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक ध्रुवण घूर्णक नहीं है ?
(अ) लैक्टिक अम्ल
(स) सिट्रिक अम्ल
(ब) टार्टरिक अम्ल
(द) मैलिक अम्ल
उत्तर:
(स) सिट्रिक अम्ल

4. अग्निशामक के रूप में प्रयुक्त होने वाला यौगिक है-
(अ) CH3Cl
(ब) CH2Cl2
(स) CHCl3
(द) CCI4
उत्तर:
(द) CCI4

5. ऐरिल हैलाइड (हैलोएरीन) का उदाहरण है-
(अ) C6H3Cl
(ब) C6H5CH2Cl
(स) C6H5Cl
(द) C6H6Cl6
उत्तर:
(स) C6H5Cl

6. 2° ऐल्किल हैलाइड का उदाहरण है-
(ब) आइसोब्यूटिल क्लोराइड
(स) आइसोप्रोपिल क्लोराइड
(द) उपरोक्त सभी
(अ) n – ब्यूटिल क्लोराइड
उत्तर:
(स) आइसोप्रोपिल क्लोराइड

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

7. प्रोपेन के संभावित डाइक्लोरो व्युत्पन्नों की संख्या है-
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(स) चार

8. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक SN1 अभिक्रिया सुगमता से दर्शाता है ?
(अ) CH3Cl
(ब) (CH3)2CH-Cl
(स) (CH)3C-Cl
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) (CH)3C-Cl

9. ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया है-
(अ) इलेक्ट्रॉनस्नेही संकलन
(ब) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन
(स) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन
(द) नाभिकस्नेही संकलन
उत्तर:
(ब) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन

10. निम्न में से न्यूनतम क्वथनांक वाला यौगिक कौनसा है?
(अ) CH3Cl
(ब) C2H5Cl
(स) CH3-CH2-CH2-Cl
(द) C4H9Cl
उत्तर:
(अ) CH3Cl

11. ऐल्किल हैलाइडों की क्रियाशीलता का घटता क्रम है-
(अ) RI < RBr < RCI
(ब) RBr < RI < RCl
(स) RBr > RCI > RI
(द) RI > RBr > RCI
उत्तर:
(द) RI > RBr > RCI

12. मोनो हैलोऐल्केन्स की श्रेणी
(अ) CnH2n+1 X
(ब) C2nH2n+1 X
(स) CnH2n-1 X
(द) CnH2n+2 X
उत्तर:
(अ) CnH2n+1 X

13. निम्नलिखित में से किस यौगिक को प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ?
(अ) CH3COCH3
(ब) CCl4
(स) CF4
(द) CCl2F2
उत्तर:
(द) CCl2F2

14. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक एक जेम डाइहैलाइड है ?
(अ) एथिलीन डाइक्लोराइड
(ब) 2,2-डाइक्लोरोप्रोपेन
(स) 1,3 – डाइक्लोरोप्रोपेन
(द) 1,2- डाइक्लोरोप्रोपेन
उत्तर:
(ब) 2,2-डाइक्लोरोप्रोपेन

15. किसी ऐल्कोहॉल से क्लोरो ऐल्केन बनाने के लिए सबसे उपयुक्त अभिकर्मक है-
(अ) PCl3
(ब) Cl2/CCl4
(स) SOCl2
(द) HCl / ZnCl2
उत्तर:
(स) SOCl2

16. विहाइड्रोहैलोजेनीकरण के लिए आवश्यक विशिष्ट अभिकर्मक है-
(अ) जलीय KOH
(ब) ऐल्कोहॉलिक KOH
(स) जलीय NaOH
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) ऐल्कोहॉलिक KOH

17. FeCl3 की उपस्थिति में टॉलुईन की Cl2 से क्रिया द्वारा बना मुख्य उत्पाद होगा-
(अ) बेन्जिल क्लोराइड
(ब) बेन्जल क्लोराइड
(स) m-क्लोरोटॉलुईन
(द) o- तथा p-क्लोरो टॉलुईन
उत्तर:
(द) o- तथा p-क्लोरो टॉलुईन

18. नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए न्यूनतम क्रियाशीलता वाला यौगिक कौनसा है ?
(अ) CH2 = CH – Cl
(ब) CH3 – CH2Cl
(स) (CH3), C – Cl
(द) CH2 = CH – CH2Cl
उत्तर:
(अ) CH2 = CH – Cl

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

19. निम्नलिखित में से किस यौगिक का क्वथनांक उच्चतम होगा?
(अ) CH3 – CH2 – CH – Cl
(ब) CH3 – CH3 – CH – CH2-Cl
(स) CH3CH(CH3)CH2Cl
(द) (CH3)3C – Cl
उत्तर:
(ब) CH3 – CH3 – CH – CH2-Cl

20. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 1, यह अभिक्रिया है-
(अ) विलोपन
(ब) संकलन
(स) प्रतिस्थापन
(द) पुनर्विन्यास
उत्तर:
(स) प्रतिस्थापन

21. शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में प्रयुक्त हैलोजन युक्त यौगिक है-
(अ) थाइरॉक्सिन
(ब) हैलोथेन
(स) फ्रेऑन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हैलोथेन

22. सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन तथा क्लोरैल को गर्म करने से प्राप्त उत्पाद है-
(अ) BHC
(ब) C2Cl6
(स) DDT
(द) CF2Cl2
उत्तर:
(स) DDT

23. I Cl तथा Br की नाभिकस्नेहिता का बढ़ता क्रम क्या होगा ?
(अ) I < Br Cl
(ब) Br < Cl < I
(स) Cl < Br < I
(द) I < Cl < Br
उत्तर:

24. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 2B, में यौगिक B मुख्य रूप से क्या होगा ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 4

25. यौगिक HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 5का IUPAC का नाम होगा-
(अ) 1- ब्रोमो – 3 – क्लोरो साइक्लोहेक्सीन
(ब) 3- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन
(स) 2- ब्रोमो – 5-क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन
(द) 6- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स- 1- ईन
उत्तर:
(ब) 3- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन

26. अभिक्रिया CH3Br + OH → CH3OH + Br ; SN2 क्रियाविधि द्वारा सम्पादित होती है। इस अभिक्रिया की दर किसकी सान्द्रता पर निर्भर करती है?
(अ) CH3Br, OH
(ब) केवल CH3Br
(स) केवल OH
(द) CH, Br, CH3 OH
उत्तर:
(ब) केवल CH3Br

27. निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक I2 तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप देगा ?
(अ) ICH2COCH2CH3
(ब) CH3COOCOCH3
(स) CH3-CH2 CH(OH) CH2CH3
(द) CH3COOH
उत्तर:
(स) CH3-CH2 CH(OH) CH2CH3

28. क्लोरोबेन्जीन की अपेक्षा मेथिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध-
(अ) लम्बा तथा दुर्बल है
(ब) छोटा तथा दुर्बल है
(स) छोटा तथा प्रबल है
(द) लम्बा तथा प्रबल है
उत्तर:
(अ) लम्बा तथा दुर्बल है

29. यौगिक (A) C8H9Br को जब ऐल्कोहॉलिक AgNO3 के साथ गर्म करते हैं तो सफेद अवक्षेप आता है। (A) के ऑक्सीकरण पर एक अम्ल (B) C3H6O4 प्राप्त होता है। (B) गर्म करने पर आसानी से एनहाइड्राइड बनाता है तो यौगिक A है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 7

30. परॉक्साइड की अनुपस्थिति में प्रोपीन पर HBr के संयोजन में प्रथम
पद में संयोजन होता है-
(अ) H+ का
(ब) Br का
(स) H
(द) Br का
उत्तर:
(अ) H+ का

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1- क्लोरोप्रोपेन से 1 आयोडोप्रोपेन प्राप्त करने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 8
इसे फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया कहते हैं। यह एक हैलोजन विनिमय अभिक्रिया है।

प्रश्न 2.
स्वास अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 9

प्रश्न 3.
अणुसूत्र C4H8Br2 से कितने जेम डाइहैलाइड संभव हैं?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 10

प्रश्न 4.
C3H6Cl2 से बनने वाले सभी यौगिकों के सूत्र लिखिये।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 11

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया का उत्पाद बताइए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 13 क्योंकि HCl के संकलन में परॉक्साइड प्रभाव नहीं लगता है।

प्रश्न 6.
CH3F, CH3Cl, CH3Br तथा CH3I को द्विध्रुव आघूर्ण के बढ़ते क्रम में लिखिए।
उत्तर:
CH3I < CH3Br < CH3F < CH3 – Cl

प्रश्न 7.
विभिन्न हैलोजन अम्लों की क्रियाशीलता का अवरोही क्रम लिखिए।
उत्तर:
HI > HBr > HCl > HF

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 8.
ऐल्केनॉल से हैलोएल्केन बनाने के लिए HCl, PCl3 तथा SOCl2 में से सर्वाधिक उपयुक्त अभिकर्मक कौनसा है?
उत्तर:
SOCl2

प्रश्न 9.
मेथिल आयोडाइड से एथेनॉइक अम्ल बनाने के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 14

प्रश्न 10.
टेट्राएथिल लैड का एक उपयोग बताइए।
उत्तर:
टेट्राएथिल लैड (C2H5)4 Pb एक अपस्फोटरोधी यौगिक होता है।

प्रश्न 11.
CH3-CH2-CH2-Cl तथा (CH3)3C-Cl में से किसका विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अधिक सुगमता से होगा तथा क्यों?
उत्तर:
(CH3)3C-Cl का विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अधिक सुगमता से होगा क्योंकि यह एक 3° हैलोऐल्केन है जो कि अधिक क्रियाशील है।

प्रश्न 12.
हैलाइड आयनों की नाभिकस्नेही प्रबलता का क्रम बताइए।
उत्तर:
\(\stackrel{-}{I}\) > \(\stackrel{-}{B}\)r > \(\stackrel{-}{C}\)l > \(\stackrel{-}{F}\)

प्रश्न 13.
वुर्ट्स अभिक्रिया द्वारा किस ऐल्केन का संश्लेषण नहीं होता ?
उत्तर:
मेथेन (CH4)

प्रश्न 14.
वह कौनसा हैलोएल्केन है जिससे एक ही पद में मेथेन तथा एथेन दोनों का संश्लेषण किया जा सकता है? समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
CH3 – X (मेथिल हैलाइड)
समीकरण –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 15

प्रश्न 15.
शुद्ध CHCl में सिल्वर नाइट्रेट विलयन डालने पर AgCl का अवक्षेप नहीं आता, क्यों?
उत्तर:
CHCl3 एक सहसंयोजी यौगिक है अतः इसका आयनन नहीं होने के कारण विलयन में Cl उपलब्ध नहीं होंगे इसलिए यह AgNO3 विलयन के साथ कोई अवक्षेप नहीं देता।

प्रश्न 16.
हैलोऐरीन की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए क्रियाशीलता कब बढ़ती है?
उत्तर:
हैलोऐरीन में आर्थो तथा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह जैसे – NO2 उपस्थित होने पर इसकी नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए क्रियाशीलता बढ़ जाती है।

प्रश्न 17.
फ्रेऑन- 112 का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
C2F2Cl4

प्रश्न 18.
BHC के अन्य व्यापारिक नाम तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
BHC (बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड) के विभिन्न व्यापारिक नाम गेमेक्सीन, गेमेन, लिन्डेन व 666 हैं तथा इसका IUPAC नाम 1, 2, 3, 4, 5, 6 हेक्साक्लोरो साइक्लोहेक्सेन है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 16

प्रश्न 19.
वेस्ट्रॉन तथा वेस्ट्रोसॉल के सूत्र बताइए तथा इनका क्या उपयोग है?
उत्तर:
CHCl2-CHCl2 (वेस्ट्रॉन) तथा HCCl = CCl2 (वेस्ट्रोसॉल) विलायक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

प्रश्न 20.
बेन्जल क्लोराइड को जलीय NaOH के साथ उबालने पर क्या होता है?
उत्तर:
बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 17

प्रश्न 21.
B\(\stackrel{-}{r}\) तथा \(\stackrel{-}{I}\) में से कौनसा प्रबल नाभिकस्नेही है तथा क्यों?
उत्तर:
B\(\stackrel{-}{r}\) तथा \(\stackrel{-}{I}\) में से \(\stackrel{-}{I}\) प्रबल नाभिकस्नेही है क्योंकि \(\stackrel{-}{I}\) का आकार बड़ा है तथा इसकी विद्युतॠणता Br से कम है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) पाँच कार्बन युक्त हैलोएल्केन की संरचना बताइए जिसके द्वारा प्रकाशिक समावयवता दर्शायी जाती है।
(ii) 1 – क्लोरो ब्यूटेन तथा 1 – क्लोरो – 2 – मेथिल प्रोपेन में कौनसी समावयवता होती है ?
(iii) अणु सूत्र C4H9Cl वाले स्थिति समावयवी बताइए जिनमें सीधी श्रृंखला हो।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 18

प्रश्न 2.
सैन्डमायर अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ऐमीनो से-सैन्डमायर अभिक्रिया द्वारा- किसी एरोटिक प्राथमिक एमीन (जिसमें – NH2 समूह बेन्जीन वलय से सीधा जुड़ा होता है) की क्रिया सोडियम नाइट्राइट तथा ठण्डे जलीय खनिज अम्ल (HX) से की जाती है तो डाइएजोनियम लवण बनता है। इस डाइएजोनियम लवण की क्रिया Cu2X2 (क्युप्रस हैलाइड) से करवाने पर डाइएजोनियम समूह के स्थान पर हैलोजन आ जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 19
(i) क्लोरीनीकरण तथा ब्रोमोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 20
इस अभिक्रिया में CuCl2 तथा Cu2Br2 के स्थान पर Cu लेने पर इसे गाटरमान अभिक्रिया कहते हैं।

(ii) आयोडीनीकरण-आयोडोबेन्जीन बनाने के लिए डाइएजोनियम लवण की क्रिया KI सें करवायी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 21

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को समझाइए-
(i) टॉलुईन का इलेक्ट्रॉनस्नेही क्लोरीनीकरण (प्रतिस्थापन)
(ii) ऐल्केनों का मुक्तमूलक हैलोजेनीकरण।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनस्नेही (इलेक्ट्रॉन रागी) प्रतिस्थापन द्वाराएरिल हैलाइडों का विरचन-जब बेन्जीन, टॉलूईन इत्यादि की क्रिया Fe या FeCl3 (लुईस अम्ल) की उपस्थित में C2 या Br2 से करवाई जाती है तो वलय के हाइड्रोजन का प्रतिस्थापन हैलोजेन द्वारा हो जाता है। यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है तथा इससे एरिल हैलाइड प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 22
अभिक्रिया से बने आर्थो तथा पैरा समावयवियों के गलनांकों में अधिक अंतर होने के कारण इन्हें आसानी से पृथक् किया जा सकता है।

फ्लुओरीन बहुत अधिक क्रियाशील होती है अतः इस विधि से फ्लुओरो व्युत्पन्न नहीं बना सकते तथा आयोडीन के साथ अभिक्रिया उत्क्रमणीय होने के कारण प्राप्त HI को ऑक्सीकृत करने के लिए HNO3 या HIO3 प्रयुक्त किया जाता है।

(ii) ऐल्केनों के मुक्त मूलक हैलोजेनीकरण द्वारा-सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ऐल्केनों की Cl2 या Br2 से क्रिया करवाने पर समावयवी मोनो तथा पॉली हैलोऐल्केनों का मिश्रण बनता है। अतः किसी एक यौगिक की लब्धि कम होती है तथा इस मिश्रण को पृथक् करना मुश्किल होता है।
इस अभिक्रिया के लिए हाइड्रोजन परमाणुओं के प्रतिस्थापन का क्रम निम्नलिखित है-
3°H > 2°H > 1°H
अतः प्रोपेन की क्लोरीन से क्रिया करवाने पर 2-क्लोरोप्रोपेन (2°) अधिक मात्रा में प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 23
97 %, 2-ब्रोमो प्रोपेन प्राप्त होने का कारण ब्रोमीन की वरणशीलता (Selectivity) है।
ऐल्केनों के हैलोजेनीकरण में विभिन्न हैलोजनों की क्रियाशीलता निम्न क्रम में होती है-
F2 > Cl2 > Br2 > I2
फ्लुओरीनीकरण विस्फोटक होता है जबकि आयोड़ीनीकरण बहुत धीमी गति से होता है अतः यह एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है। इसलिए इसे आयोडिक अम्ल (HIO3) की उपस्थिति में करवाया जाता है। जो कि अभिक्रिया से प्राप्त HI (अपचायक) से क्रिया करके I2 तथा H2O बना देता है ताकि यह पुनः R-I से क्रिया करके ऐल्केन न बना सके तथा प्राप्त I2 पुनः अभिक्रिया को अग्र दिशा में ले जाने में सहायक होती है।
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प्रश्न 4.
ऐल्कीनों पर HX तथा हैलोजेन के योग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) ऐल्कीनों पर हाइड्रोजन अम्ल (HX) के संकलन (संयोजन) से-ऐल्कीनों पर HX के संकलन से हैलोऐल्केन बनते हैं। असममित ऐल्कीनों पर HX के संकलन में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होता है तथा परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन परॅक्साइड प्रभाव के अनुसार होता है।

इस अभिक्रिया के लिए विभिन्न हाइड्रोजन हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 25
मार्कोनीकॉफ का नियम-जब किसी असममित ऐल्कीन पर HX का योग होता है तो ऋणात्मक भाग (\(\overline{\mathbf{X}}\)) उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है।

यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है।

अभिक्रिया की क्रियाविधि-
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परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव-जब किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होता है तो ब्रोमीन परमाणु उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
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(ii) ऐल्कीनों पर हैलोजन के संकलन से-ऐल्कीन पर हैलोजन की क्रिया से विसिनल डाइहैलाइड बनते हैं। ब्रोमीन के कार्बन टेट्रा क्लोराइड में विलयन की क्रिया एल्कीन से करवाने पर ब्रोमीन के विलयन का लाल रंग गायब हो जाता है। यह किसी यौगिक में द्विआबंध तथा त्रिआबन्ध की पहचान करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इसमें बना विसिनल डाइब्रोमाइड रंगहीन होता है।
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प्रश्न 5.
मार्कोनीकॉफ के नियम तथा परॉक्साइड प्रभाव की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए ।
उत्तर:
(i) ऐल्कीनों पर हाइड्रोजन अम्ल (HX) के संकलन (संयोजन) से-ऐल्कीनों पर HX के संकलन से हैलोऐल्केन बनते हैं। असममित ऐल्कीनों पर HX के संकलन में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होता है तथा परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन परॅक्साइड प्रभाव के अनुसार होता है।

इस अभिक्रिया के लिए विभिन्न हाइड्रोजन हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 25
मार्कोनीकॉफ का नियम-जब किसी असममित ऐल्कीन पर HX का योग होता है तो ऋणात्मक भाग (\(\overline{\mathbf{X}}\)) उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है।

यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है।

अभिक्रिया की क्रियाविधि-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 26
परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव-जब किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होता है तो ब्रोमीन परमाणु उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 27

प्रश्न 6.
प्रोपेन के मोनोक्लोरीनीकरण तथा मोनोब्रोमीनीकरण के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 29

प्रश्न 7.
प्रोपीन पर HCI के योग की क्रियाविधि बताइए।
उत्तर:
अभिक्रिया
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यह अभिक्रिया दो पदों में होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 31

प्रश्न 8.
निम्नलिखित के समीकरण लिखिए-
(i) C2H5NH2 से C2H5Cl बनाना
(ii) CH3CH2COOAg से CH3
उत्तर:
(i) C2H5NH2 + NOCl → C2H5Cl + N2 + H2O
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तनों के समीकरण लिखिए-
(i) C2H5I से CH3-CH2COOH
(ii) CH3Cl से CH3CONH2
(iii) CH3-CH2-Cl से CH3-CH2-CH2-NH2
(iv) CH3Cl से CH3CHO
उत्तर:
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प्रश्न 10.
निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 34
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 35

प्रश्न 11.
स्ट्रेकर अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ऐल्किल सल्फोनेट का संश्लेषण (स्ट्रेकर अभिक्रिया)हैलोऐल्केन की क्रिया सोडियम सल्फाइट के साथ करवाने पर सोडियम ऐल्किल सल्फोनेट प्राप्त होता है। इसे स्ट्रेकर अभिक्रिया कहते हैं।

इस अभिक्रिया को अपमार्जकों के संश्लेषण में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 12.
(i) CH3I की KNO2 तथा AgNO2 से अभिक्रिया के समीकरण लिखिए।
(ii) बेन्जीन से टॉलुईन बनाने की फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 37
(ii) फ्रिडेल क्राफ्ट अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 38

प्रश्न 13.
SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 39

प्रश्न 14.
सममिति तत्त्व कितने होते हैं? परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आण्विक असममितता, किरैलता तथा प्रतिबिम्ब रूप (Molecular Asymmetry, Chirality and Enantiomers) लुइस पाश्चर (1848) के अनुसार कुछ यौगिकों के क्रिस्टल दर्पण प्रतिबिम्ब रूपों (d तथा l) में पाए जाते हैं तथा इन दोनों क्रिस्टलीय रूपों के समान सान्द्रता के जलीय विलयन, समान मात्रा (परिमाण) में लेकिन विपरीत दिशा में ध्रुवण घूर्णन दर्शाते हैं। घूर्णन में यह अन्तर इन यौगिकों में परमाणुओं तथा समूहों की त्रिविमीय व्यवस्था (विन्यास) में भिन्नता के कारण होता है।

असममित (किरेल) कार्बन परमाणु अथवा त्रिविम केन्द्र [Asymmetric (Chiral) Carbonatom or Stereo Centre]ले बेल तथा वान्ट हॉफ के अनुसार किसी कार्बनिक यौगिक में केन्द्रीय कार्बन परमाणु के चारों ओर परमाणुओं या समूहों की व्यवस्था चतुष्फलकीय (Tetrahedral ) होती है। जब किसी यौगिक में किसी कार्बन परमाणु से जुड़े सभी चार परमाणु तथा समूह भिन्न-भिन्न होते हैं तो ऐसे कार्बन को असममित (किरेल) कार्बन या त्रिविम केन्द्र कहते हैं, इस प्रकार के अणु को असममित (किरेल) अणु कहते हैं। वे अणु जो असममित होते हैं अर्थात् जिनमें असममित कार्बन परमाणु उपस्थित होता है वे प्रकाशिक समावयवता ( धुवण समावयवता) दर्शाते हैं। इन यौगिकों में कोई सममिति तत्त्व नहीं होता है।

सममिति तत्त्व मुख्यतः तीन होते हैं-सममिति तल, सममिति अक्ष तथा सममिति केन्द्र।

सममिति तल-किसी वस्तु या यौगिक का वह तल जो उसे दो समान भागों में विभाजित कर देता है, उसे सममिति तल कहते हैं। ये दोनों भाग एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, जो कि एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते। जैसे अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A में ऊर्ध्व्वाधर सममिति तल तथा B में क्षैतिज सममिति तल होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 40
सममिति अक्ष – किसी वस्तु या यौगिक का वह अक्ष जिस पर उसे घुमाने पर वही रूप प्राप्त हो जो उसके मूल रूप पर अध्यारोपित हो जाता है उसे सममिति अक्ष कहते हैं।

सममिति केन्द्र-किसी वस्तु का वह काल्पनिकःबिन्दु जिस पर से एक सरल रेखा खींचने पर, उस बिन्दु के दोनों और स्थित समूह समान दूरी पर पाए जाते हैं उसे सममिति केन्द्र कहते हैं।

किरेल तथा किरेलता-वे वस्तुएँ या यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता कहते हैं तथा वे वस्तुएँ जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित हो जाती हैं, उन्हें अकिरेल कहते हैं।

उदाहरण-अपने दोनों हाथ व पैर किरेल तथा गोले एवं चित्र में दिखाए गए शंकु अकिरेल होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41

प्रश्न 15.
(i) CH3-I, Mg तथा शुष्क ईथर के प्रयोग से एथेन किस प्रकार बनाया जा सकता है?
(ii) CH3COOH से प्रारम्भ करके एथिल एथेनॉएट बनाने में प्रयुक्त समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41a

प्रश्न 16.
हैलोएल्केन से फ्रैंकलैण्ड अभिकर्मक तथा टेट्रामेथिल लैड बनाने के लिए आवश्यक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41b

प्रश्न 17.
हैलोऐल्केन के अपचयन से ऐल्केन कितने प्रकार से बनाया जा सकता है? समीकरण सहित समझाइए |
उत्तर:
(i) अपचायकों द्वारा – ऐल्किल हैलाइडों का अपचयन विभिन्न अपचायकों द्वारा किया जा सकता है तथा इससे ऐल्केन प्राप्त होते हैं। ये अपचायक Na + C2H5OH, Zn + HCl तथा ZnCu युग्म +C2H5OH हो सकते हैं।
R – X + 2H → RH + HX
C2H3Br + 2H → C2H6 + HBr

(ii) उत्प्रेरकी हाइड्रोजनीकरण – धातु उत्प्रेरक की उपस्थिति में R – X की क्रिया हाइड्रोजन से करवाने पर भी ऐल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 42

(iii) लीथियम ऐलुमीनियम हाइड्राइड (LiAIH4) या सोडियम बोरो हाइड्राइड (NaBH4) द्वारा अपचयन – RX का अपचयन LiAlH4 या NaBH4 से करवाने पर भी एल्केन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया हाइड्राइड आयन (H) प्रयुक्त होता है, अतः यह एक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है।
4R – X + LiAlH4 → 4RH + LiAlX4

(iv) हाइड्रोजन आयोडाइड द्वारा अपचयन – लाल- फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइडों का अपचयन, HI से कराने पर भी ऐल्केन प्राप्त होते हैं। इसे बर्थेलो विधि कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 43

प्रश्न 18.
हैलोऐल्केनों की मुख्य अभिक्रिया नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन होती है जबकि हैलोऐरीनों की मुख्य अभिक्रिया इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन, क्यों?
उत्तर:
हैलोऐल्केनों में कार्बन हैलोजन बन्ध ध्रुवीय होता है HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 44अतः इनके कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण होकर, हैलोजन का प्रतिस्थापन हो जाता है, अतः ये मुख्यतः नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाते हैं।
\(\mathrm{R}-\stackrel{+\delta}{\mathrm{CH}_2}-\stackrel{-\delta}{\mathrm{X}}+\mathrm{N} \overline{\mathrm{u}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{CH}_2-\mathrm{Nu}+\overline{\mathrm{X}}\)
हैलोऐरीनों में उपस्थित बेन्जीन वलय के ऐरोमैटिक षट्क ( 6 इलेक्ट्रॉन) के कारण इसमें इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक होता है। अतः वलय पर इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण सुगमता से हो जाता है इसलिए ये मुख्यतः इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाते हैं।

प्रश्न 19.
एक अणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) के लिए बेंजिल हैलाइड की क्रियाशीलता, हैलोबेन्जीन की तुलना में अधिक होती है। इसका उचित कारण दीजिए।
उत्तर:
SN1 अभिक्रिया में कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है। बेन्जिल हैलाइड के C-X बन्ध के वियोजन से प्राप्त बेन्जिल कार्बोकैटायन \(\left(\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_5 \stackrel{+}{\mathrm{C}} \mathrm{H}_2\right)\) अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है अतः इसका बनना सुग होता है। इसके विपरीत हैलोबेन्जीन में हैलोजन के + M प्रभाव के कारण कार्बन हैलोजन बन्ध में द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं, अतः बन्ध का टूटना मुश्किल होता है तथा C – X बन्ध के वियोजन से प्राप्त \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}_6 \mathrm{H}_5\) (फेनिल कार्बधनायन) में अनुनाद नहीं होने के कारण यह अस्थायी होता है अतः इसके बनने की संभावना कम होती है। इसी कारण SN1 अभिक्रिया के लिए बेंजिल हैलाइड की क्रियाशीलता हैलोबेन्जीन की तुलना में अधिक होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 20.
क्लोरोबेन्जीन में कार्बन क्लोरीन (C-Cl) आबन्ध लम्बाई, C2H5Cl में C-Cl आबन्ध लम्बाई की अपेक्षा कम होती है, क्यों?
उत्तर:
क्लोरोबेन्जीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 45 में क्लोरीन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, बेन्जीन वलय के इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन में होते हैं अतः इसमें वलय की तरफ अनुनाद ( + M प्रभाव) होता है जिसके कारण C-CI बन्ध बन्ध के गुण आ जाते हैं। इसलिए C-Cl बन्ध लम्बाई कम हो जाती है जबकि C2H5Cl में कोई अनुनाद नहीं होता अतः इसमें C-Cl बन्ध लम्बाई अधिक होती है।

प्रश्न 21.
हुसडीकर अभिक्रिया ऐल्किल आयोडाइड बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है, क्यों ?
उत्तर:
हुन्सडीकर अभिक्रिया में जब RCOOAg की I2 के साथ क्रिया की जाती है तो ऐल्किल आयोडाइड के स्थान पर एस्टर मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। अतः यह अभिक्रिया ऐल्किल आयोडाइड बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
2RCOOAg + I2 → RCOOR + CO, + 2AgI

प्रश्न 22.
क्लोरोफॉर्म को रंगीन बोतल में अंधेरे में रखा जाता है। क्यों ?
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म प्रकाश की उपस्थिति में वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके विषैली गैस फॉस्जीन बनाता है अतः इसे रंगीन बोतल में अंधेरे में रखा जाता है ताकि इसका ऑक्सीकरण न हो।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 46

प्रश्न 23.
निम्नलिखित यौगिकों की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति क्रियाशीलता का क्रम कारण सहित बताइए –
CH3F, CH3Cl, CH3Br तथा CH3 – I
उत्तर:
CH3F < CH3Cl < CH3Br < CH3 – I
कार्बन हैलोजन बन्ध ऊर्जा का क्रम निम्न प्रकार होता है-
CF > C – Cl > C Br> C – I क्योंकि बन्ध ऊर्जा परमाणु आकार के व्युत्क्रमानुपाती होती है अतः बन्ध ऊर्जा कम होने पर बन्ध का वियोजन आसानी से होगा तथा अभिक्रिया का वेग अधिक होगा। इसी कारण CH,F की क्रियाशीलता न्यूनतम तथा CH3 – I की क्रियाशीलता अधिकतम है।

प्रश्न 24.
(i) निम्नलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए-
CH2 = CH – CH2 – Br HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 47
(ii) आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड से n – प्रोपिल ब्रोमाइड किस प्रकार बनाया जाता है ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 48

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 49
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 50

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों में से कौनसा एक SN1 प्रतिस्थापन अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करता है और क्यों?
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 51
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 52
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 53क्योंकि तृतीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण तृतीयक ऐल्किल हैलाइड की अभिक्रियाशीलता SN1 अभिक्रिया के लिए द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड से अधिक होती है।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 54, क्योंकि प्राथमिक कार्बोकैटायन की तुलना में द्वितीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण इसमें SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से होगी।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 55

प्रश्न 3.
निम्न यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति अनुसार नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 56
उत्तर:
4-ब्रोमो-3-मेथिल-पेन्ट-2-ईन

प्रश्न 4.
प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं की SN1 और SN2 क्रियाविधियों के बीच आप कैसे अंतर करेंगे? प्रत्येक प्रकार का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 57
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 57a

प्रश्न 5.
निम्नलिखित यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) नाम लिखिए-
CH2 = CHCH2Br
उत्तर:
3-ब्रोमो प्रोप-1-ईन।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रत्येक समूह के यौगिकों को उनके SN2 विस्थापन की सक्रियता के क्रम में लिखिए-
(i) 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
(ii ) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो3-मेथिलब्यूटेन
(iii) 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2मेथिलब्यूटेन
उत्तर:
विभिन्न ऐल्किल हैलाइडों में SN² अभिक्रिया के लिए क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है- \(\stackrel{\circ}{1}>\stackrel{\circ}{2}>\stackrel{\circ}{3}\) तथा जब ऐल्किल हैलाइड समान प्रकार के होते हैं तो वह ऐल्किल हैलाइड जिसमें हैलोजनयुक्त कार्बन पर बड़ा समूह जुड़ा होता है तो वह त्रिविम विन्यासी बाधा उत्पन्न करता है जिससे उसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है। क्योंकि स्थूल (बड़ा) समूह आक्रमणकारी नाभिकरागी के लिए अवरोध उत्पन्न करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 58

प्रश्न 7.
जब CH2 = CH – CH2 – C ≡ CH पर ब्रोमीन की क्रिया होती है, तो क्या होता है?
उत्तर:
निम्न अभिक्रिया होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 59
इसका कारण यह है कि त्रिआबन्ध की तुलना में द्विआबन्ध अधिक क्रियाशील होता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) किसी यौगिक की किरेलिटी का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
(ii) निम्नलिखित यौगिकों में से कौनसा KOH द्वारा अधिक सरलता से जल-अपघटित होता है और क्यों ?
CH3CHClCH2CH3 अथवा CH3CH2CH2Cl
(iii) इनमें कौन SN² प्रतिस्थापन अभिक्रिया अधिक तेजी से करता है और क्यों ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 60
उत्तर:
(i) वे वस्तुएँ या यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता (किरेलिटी) कहते हैं। उदाहरण- लैक्टिक अम्ल |

(ii) CH3 – CHClCH2CH3 का KOH द्वारा अधिक सरलता से जल अपघटन होगा क्योंकि यह एक \(\stackrel{\circ}{2}\) ऐल्किल हैलाइड है तथा \(\stackrel{\circ}{2}\)– ऐल्किल हैलाइड की क्रियाशीलता \(\stackrel{\circ}{1}\) ऐल्किल हैलाइड से अधिक होती है तथा दूसरा ऐल्किल हैलाइड \(\stackrel{\circ}{1}\) है।

(iii) उपरोक्त में से HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 61 में SN2 अभिक्रिया अधिक तेजी से होगी क्योंकि क्लोरीन की तुलना में आयोडीन का आकार बड़ा होने के कारण C – I बन्ध सुगमता से टूट जाता है।

प्रश्न 9.
ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति ऐल्किल हैलाइड से कम क्रियाशील होते हैं, कारण समझाइए।
अथवा
एथिल क्लोराइड KCN से क्रिया करके मुख्य उत्पाद एथिल सायनाइड बनाता है जबकि AgCN से क्रिया करके एथिल आइसोसायनाइड बनाता है, समझाइए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Nucleophilic Substitution Reaction )-नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के लिए ऐरिल हैलाइड की क्रियाशीलता ऐल्किल हैलाइड, ऐलिलिक हैलाइड तथा बेन्जिलिक हैलाइड की तुलना में कम होती है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(i) कार्बन हैलोजन आबंध (C-X) में कार्बन परमाणु के संकरण में भिन्नता-हैलोऐल्केन में हैलोजन से जुड़ा कार्बन परमाणु sp³ संकरित होता है जबकि हैलोऐरीन में इस कार्बन परमाणु पर sp² संकरण होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 62
संकरण में s लक्षण बढ़ने पर कार्बन की विद्युत-ऋणता बढ़ती है अतः sp³ संकरित कार्बन की तुलना में sp² संकरित कार्बन अधिक विद्युतत्रणी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 63
अतः हैलोऐरीन का कार्बन, बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अधिक आकर्षित करता है। अतः इसकी बन्ध लम्बाई कम हो जाती है तथा बन्ध की प्रबलता बढ़ जाती है जिससे बन्ध का टूटना मुश्किल हो जाता है।

(ii) मेसोमरी प्रभाव (अनुनाद प्रभाव)-हैलोऐरीन में हैलोजन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के π इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन (Conjugation) में होते हैं अतः इसमें अनुनाद होता है। (+ M प्रभाव) क्लोरोबेन्जीन की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 64
+ M प्रभाव के कारण कार्बन हैलोजन बन्ध में द्विबंध के लक्षण आ जाते हैं जिसके कारण इस बन्ध की प्रबलता बढ़ जाती है, अतः हैलोएरीन में हैलोएल्केन की अपेक्षा यह बन्ध मुश्किल से टूटता है। इसलिए ये नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के लिए कम क्रियाशील होते हैं।

(iii) फेनिल धनायन का कम स्थायित्व-हैलोऐरीनो के स्वतः आयनन से बना फेनिल कार्ब धनायन स्थायी नहीं हो पाता क्योंकि इसमें अनुनाद नहीं होता है। अतः इसमें SN1 क्रियाविधि की संभावना नहीं होती।

(iv) प्रतिकर्षण-इलेक्ट्रॉनधनी नाभिकस्नेही की इलेक्ट्रॉनधनी ऐरीन वलय की ओर जाने की संभावना कम होती है, क्योंकि इनमें प्रतिकर्षण होता है। अतः ऐरिल हैलाइडों की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ विशेष परिस्थितियों में उच्च ताप पर ही हो सकती हैं।
अथवा
KCN आयनिक होता है अतः यह विलयन में सायनाइड आयन देता है। यद्यपि कार्बन तथा नाइट्रोजन दोनों ही परमाणु इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान कर सकते हैं परन्तु आक्रमण मुख्यतः कार्बन परमाणु के द्वारा होता है, न कि नाइट्रोजन परमाणु के द्वारा, क्योंक C-C आबंध C-N आबंध की तुलना में अधिक स्थायी होता है। अतः मुख्य उत्पाद सायनाइड बनतां है। जबकि $\mathrm{AgCN}$ सहसंयोजक होता है तथा इसका नाइट्रेजन परमाणु इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान कर सकता है अतः इससे आइसोसायनाइड मुख्य उत्पाद के रूप में बनता है।

प्रश्न 10.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए) –
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती है।
(ii) एथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से क्रिया करता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म की प्रकाश की उपस्थिति में O2 से क्रिया होती है।
(iv) ऐरिल हैलाइड सोडियम से क्रिया करता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 65

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रत्येक युग्मों में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा? कारण दीजिए-
(अ) CH3 – CH2 – Br अथवा CH3 – CH2 – Cl
(ब) CH3 – CH2 – CH2 – CH2 – X अथवा (CH3)3 C X
अथवा
निम्नलिखित अभिक्रियाओं की क्रियाविधि लिखिए-
(अ) CH3 – Cl + जलीय KOH → CH3 – OH + KCl
(ब) (CH3)3 CCl + जलीय KOH → (CH2), COH+KCI
उत्तर:
(अ) CH3 – CH2 – Br तथा CH3 – CH2 – Cl में से CH3 – CH2 – Br, जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से देगा क्योंकि C – Br बन्ध C- Cl बन्ध की तुलना में अधिक दुर्बल है क्योंकि Br का आकार C] से बड़ा है। अतः यह आसानी से टूटकर कार्बोकटायन बना देता है।

(ब) CH3 – CH2 – CH2 – CH2 – X तथा (CH3)3 C – X में से (CH3)3C – X जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से देगा क्योंकि यह एक \(\stackrel{\circ}{3}\) ऐल्किल हैलाइड है जिसमें बना कार्बोकटायन अधिक स्थायी होता है।
अथवा
(अ) अभिक्रिया CH3 – Cl + जलीय KOH → CH3OH + KCl
क्रियाविधि – SN2 (द्वितीय कोटि अभिक्रिया)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 66
यह एक पदीय अभिक्रिया है तथा इसमें संक्रमण अवस्था मानी जाती है।

(ब) अभिक्रिया (CH3)3 C – Cl + जलीय KOH (CH3)3 C – OH + KCl
क्रियाविधि – SN1 (प्रथम कोटि अभिक्रिया)
यह दो पदीय अभिक्रिया है तथा इसमें कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 67

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(अ) फिटिग अभिक्रिया
(ब) फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) फिटिंग अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 68

(ब) फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 69

प्रश्न 13.
बेन्जिलिक क्लोराइड तथा वाइनिलिक क्लोराइड के संरचना सूत्र लिखिए। इन यौगिकों में क्लोरीन परमाणुओं से जुड़े कार्बन परमाणुओं की संकरण अवस्थाएँ भी लिखिए।
उत्तर:
(i) बेन्जिलिक क्लोराइड HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 70
इसमें क्लोरीन परमाणु से जुड़े कार्बन पर sp संकरण है क्योंकि इस पर चार σ आबन्ध हैं।

(ii) वाइनिलिक क्लोराइड HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 71
इसमें क्लोरीन परमाणु से जुड़े कार्बन पर sp³ संकरण है क्योंकि इस पर चार σ आबन्ध है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(अ) वुर्ज अभिक्रिया
(ब) वुर्ज-फिटिग अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) वुर्ज अभिक्रिया- शुष्क ईथर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 72

(ब) वुर्ज-फिटिग अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 73

प्रश्न 15.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
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उत्तर:
(i) 2- क्लोरो-3, 3- डाइमेथिलब्यूटेन
(ii) 1,4-डाइक्लोरो-2- मेथिल बेन्जीन

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के मुख्य उत्पादों की संरचना लिखिए-
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उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 76

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए-
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उत्तर:
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प्रश्न 18.
द्वि-अणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) तथा एकाण्विक नाभिकरागी प्रतिस्थापन (SN1) अभिक्रिया की क्रियाविधियों में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
द्वि- अणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) तथा एकाण्विक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) की क्रियाविधियों में निम्न अंतर हैं-

  • SN2 अभिक्रिया एक पद में होती है जबकि SN1 अभिक्रिया दो पदों में होती है।
  • SN2 अभिक्रिया में काल्पनिक संक्रमण अवस्था मानी जाती है जबकि SN1 अभिक्रिया में कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 19.
अधोलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कर इसकी क्रियाविधि समझाइए –
(CH3)3 CBr + ŌH (जलीय ) →
उत्तर:
(CH3)3 CBr + ŌH (जलीय ) → (CH3)3COH + Br यह एकअणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) है जिसकी क्रियाविधि निम्न प्रकार है – यह अभिक्रिया दो पदों में होती है-

प्रथम पद में C-Br बन्ध का विखण्डन होकर कार्बोकैटायन (कार्बोनियम आयन) या कार्ब – धनायन बनता है। द्वितीय पद में इस पर नाभिकस्नेही (ŌH) आक्रमण करके प्रतिस्थापन उत्पाद देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 79
प्रथम पद में C-Br बन्ध के विखण्डन के लिए आवश्यक ऊर्जा, विलायक से प्राप्त प्रोटोन द्वारा, हैलाइड आयन के विलायकन से प्राप्त होती है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
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उत्तर:
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प्रश्न 21.
निम्नलिखित युग्म में से कौन SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करेगा :
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उत्तर:
उपर्युक्त युग्म में से C6H5 CH2 CH2 – Br, SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करेगा।

प्रश्न 22.
आप निम्नलिखित का रूपान्तरण कैसे करेंगे:
(i) प्रोप- 1- ईन को प्रोपेन 2- ऑल में
(ii) ब्रोमोबेन्जीन को 2 – ब्रोमोऐसीटोफीनोन में
(iii) 2- ब्रोमोब्यूटेन को ब्यूट – 2 – ईन में।
अथवा
क्या होता है जब
(i) एथिल क्लोराइड को NaI के साथ ऐसीटोन की उपस्थिति में उपचारित किया जाता है,
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन को Na धातु के साथ उपचारित किया जाता है,
(iii) मेथिल क्लोराइड को KNO2 के साथ उपचारित किया जाता है ?
अपने उत्तर के पक्ष में रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(i) प्रोप- 1 – ईन का प्रोपेन-2-ऑल में रूपान्तरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 83

(ii) ब्रोमोबेन्जीन का 2- ब्रोमोऐसीटोफीनोन में रूपान्तरण
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(iii) 2- ब्रोमोब्यूटेन का ब्यूट-2 ईन में रूपान्तरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 85
अथवा
(i) एथिल क्लोराइड को ऐसीटोन की उपस्थिति में Nal के साथ उपचारित करने पर हैलोजन का विनिमय होकर एथिल आयोडाइड प्राप्त होता है।
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(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन को Na धातु के साथ उपचारित करने पर बाइफेनिल बनता है।
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(iii) मेथिल क्लोराइड को KNO2 के साथ उपचारित करने पर मेथिल नाइट्राइट बनता है।
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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. फ्लोरीकल्चर (Floriculture) से क्या तात्पर्य है ?
(अ) आटे को गूंथना
(ब) फर्श की सफाई
(स) पुष्पों की खेती
(द) शहद निकालना
उत्तर:
(स) पुष्पों की खेती

2. काली मिर्च में बीजाण्डकाय का कुछ बचा हुआ भाग एक झिल्ली के रूप में रहता है जिसे कहते हैं-
(अ) भ्रूणकोष
(ब) परिभ्रूणपोष
(स) भ्रूणपोष
(द) निलम्बस
उत्तर:
(ब) परिभ्रूणपोष

3. लैंगिक जनन की आधारभूत आवश्यकताएँ हैं-
(अ) अर्द्धसूत्री विभाजन
(ब) युग्मक संलयन
(स) ‘अ’ व ‘ब’ दोनों
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) ‘अ’ व ‘ब’ दोनों

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

4. आर्कटिक टुंड्रा में प्राप्त किसके बीज थे-
(अ) ल्यूपाइन
(ब) फोयेनिक्स
(स) डैक्टीलीफेरा
(द) पाइनस
उत्तर:
(अ) ल्यूपाइन

5. निम्फिया (Nymphea) जलीय पादप है इसमें किसके द्वारा परागण होता है ?
(अ) जल द्वारा
(ब) कीट द्वारा
(स) वायु द्वारा
(द) पक्षी द्वारा
उत्तर:
(ब) कीट द्वारा

6. खिलाड़ियों एवं धावक अश्वों (घोड़ों) की कार्यदक्षता में वृद्धि करता है-
(अ) अण्डप गोलियां
(ब) बीजाण्ड की गोलियां
(स) वर्तिकाग्र गोलियां
(द) पराग गोलियां
उत्तर:
(द) पराग गोलियां

7. निम्न में से आभासी फल है-
(अ) अनार
(ब) काजू
(स) बादाम
(द) अखरोट
उत्तर:
(द) अखरोट

8. यदि एक पौधे की लघुबीजाणु मातृ कोशिका में 12 गुणसूत्र हैं तो भ्रूणपोष में कितने गुणसूत्र होंगे-
(अ) 6
(ब) 12
(स) 18
(द) 20
उत्तर:
(स) 18

9. निम्न में से किस पुष्प समूह में चमगादड़ द्वारा पर- परागण होता है ?
(अ) कदम्ब व कचनार
(ब) वेलिसनेरिया व निम्फिया
(स) निकोटिआना व कोमेलाइना
(द) युका व एमोरफोफेलस
उत्तर:
(अ) कदम्ब व कचनार

10. बीजाण्ड में अर्ध-सूत्री विभाजन कहाँ होता है-
(अ) बीजाण्डकाय
(ब) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका
(स) गुरुबीजाणु
(द) भ्रूणकोश
उत्तर:
(ब) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका

11. परागण के समय परागकण होते हैं-
(अ) चार- कोशिकीय
(ब) त्रि – कोशिकीय
(स) द्वि- कोशिकीय
(द) बहुकोशिकीय
उत्तर:
(स) द्वि- कोशिकीय

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12. आवृतबीजी पादपों के मादा युग्मकोद्भिद में सामान्यतः कितने विभाजन होते हैं-
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(स) तीन

13. बीजावरण का विकास होता है-
(अ) अध्यावरण से
(ब) बीजाण्डकाय से
(स) बीजाण्डवृन्त से
(द) नाभिका से
उत्तर:
(अ) अध्यावरण से

14. त्रि-संलयन के फलस्वरूप विकसित होता है-
(अ) भ्रूण
(ब) भ्रूणकोश
(स) भ्रूणपोष
(द) बीज
उत्तर:
(स) भ्रूणपोष

15. अनुन्मील्यता का उदाहरण है-
(अ) वायोला
(ब) मिराबिलिस
(स) पपीता
(द) ग्लोरिओसा
उत्तर:
(अ) वायोला

16. परागकण किसका प्रतीक है-
(अ) नर युग्मकोद्भिद
(ब) मादा युग्मकोद्भिद
(द) पुंकेसर
(स) लघुबीजाणुधानी
उत्तर:
(अ) नर युग्मकोद्भिद

17. प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक होता है-
(अ) n
(ब) 2n
(स) 3n
(द) 4n
उत्तर:
(स) 3n

18. पुष्पीय पौधों के भ्रूणकोश में कितने केन्द्रक होते हैं-
(अ) पांच
(ब) चार
(स) सात
(द) आठ
उत्तर:
(द) आठ

19. 100 परागकणों के निर्माण हेतु कितने अर्ध-सूत्री विभाजनआवश्यक हैं-
(अ) 100
(ब) 50
(स) 25
(द) 20
उत्तर:
(स) 25

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20. 80% परागण होता है-
(अ) मधुमक्खियों से
(ब) चिड़ियों से
(स) चमगादड़ से
(द) घोंघों से
उत्तर:
(अ) मधुमक्खियों से

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
मादा युग्मकोद्भिद का अन्य नाम बताइये ।
उत्तर:
भ्रूणकोश (embryo sac) ।

प्रश्न 2.
यदि वर्तिकाग्र की सतह से पोषक पदार्थों का स्राव न हो तो निषेचन की क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
परागकण के अंकुरण हेतु उचित माध्यम प्राप्त नहीं होता । फलस्वरूप अंकुरण नहीं होगा।

प्रश्न 3.
परागकणों के जीवाश्म रूप में परिरक्षित पाये जाने का कारण बताइये।
उत्तर:
परागकण के बाह्यचोल में उपस्थित स्पोरोपोलेनिन के कारण परागकण जीवाश्म रूप में परिरक्षित रहते हैं ।

प्रश्न 4.
अण्ड समुच्चय क्या होता है?
उत्तर:
भ्रूणकोश में बीजाण्डद्वार की ओर अण्ड समुच्चय या अण्ड उपकरण होता है जिसमें एक अण्ड कोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ होती हैं।

प्रश्न 5.
द्वितीयक केन्द्रक कैसे बनता है?
उत्तर:
भ्रूणकोश में प्रत्येक ध्रुव से एक-एक केन्द्रक आकर केन्द्र में संयुक्त होकर द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक बनाते हैं ।

प्रश्न 6.
एक किसान को अपने खेत में काम करके लौटने के बाद लगातार छींक आती रही तथा शरीर पर खुजली भी होने लगी, इसका सम्भावित कारण लिखिए।
उत्तर:
पराग एलर्जी के कारण छींक व शरीर पर खुजली होने लगी ।

प्रश्न 7.
मादा युग्मकोद्भिद का विकास किस कोशिका से होता है?
उत्तर:
क्रियाशील गुरुबीजाणु मातृ कोशिका से ।

प्रश्न 8.
बीजाण्ड अपने लिये भोज्य पदार्थ किससे प्राप्त करता है ?
उत्तर:
बीजाण्ड अपने लिये भोज्य पदार्थ बीजाण्डासन से प्राप्त करता है।

प्रश्न 9.
स्वपरागण किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही पुष्प के परागकणों का उसी पुष्प की वर्तिका पर या उसी पौधे के अन्य पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचने की क्रिया को स्वपरागण कहते हैं ।

प्रश्न 10.
अनुन्मील्य पुष्प किसे कहते हैं ? उदाहरण बताइये ।
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प जो कभी नहीं खुलते हैं, अनुन्मील्य पुष्प कहलाते हैं; जैसे- कोमेलाइना ।

प्रश्न 11.
अनिषेकजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बिना निषेचन के अण्डाशय फल में विकसित होता है। ऐसा फल अनिषेक फल तथा फल बनने की इस प्रक्रिया को अनिषेकजनन कहते हैं।

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प्रश्न 12.
लघुबीजाणुधानी की सबसे भीतरी पर्त का क्या नाम है ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
सबसे भीतरी पर्त टेपीटम होती है, यह विकसित होते हुये परागकणों को पोषण प्रदान करती है ।

प्रश्न 13.
पुष्प के दल का क्या कार्य है ?
उत्तर:
सबसे बाहरी हरे रंग के बाह्य दल जो पुष्प की रक्षा व पुष्प के अन्य भागों को बांधे रहते हैं तथा इसके अन्दर का दूसरा चक्र दलपुंज होता है जो नाना प्रकार के रंगों से बना होने के कारण परागण क्रिया हेतु जीवों को आकर्षित करता है।

प्रश्न 14.
निम्न शब्दों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए – परागकण, लघुबीजाणु जनन ऊतक, लघुबीजाणु चतुष्टक, लघुबीजाणु मातृ कोशिका ।
उत्तर:
लघुबीजाणु जनन ऊतक, लघुबीजाणु मातृकोशिका, लघुबीजाणु चतुष्टक, परागकण ।

प्रश्न 15.
बहुभ्रूणता क्या है ?
उत्तर:
पौधों के बीजों में एक से अधिक भ्रूणों के विकसित होने की प्रक्रिया को बहुभ्रूणता कहते हैं। उदा. सिट्स, आम ।

प्रश्न 16.
निम्न शब्दों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए- चतुष्क गुरुबीजाणु, गुरुबीजाणु मातृ कोशिका, बीजाण्डकाय कोशिकाएँ, क्रियाशील गुरुबीजाणु ।
उत्तर:
बीजाण्डकाय कोशिकाएँ, गुरुबीजाणु मातृ कोशिका, चतुष्क गुरुबीजाणु क्रियाशील गुरुबीजाणु ।

प्रश्न 17.
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम बताइये ।
उत्तर:
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम स्पोरोपोलेनिन (Sporopollenin) है।

प्रश्न 18.
पार्थेनियम पादप से विकसित कौन-सी रचना मानव में ‘एलर्जी’ रोग उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
पार्थेनियम पादप के परागकण मानव में श्वसनी वेदना एवं एलर्जी रोग उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 19.
वायु परागण होने वाले पुष्पों में क्या लक्षण मिलते हैं?
उत्तर:
प्राय: सफेद रंग, बहुत छोटे तथा परागकण अधिक संख्या में बनते हैं।

प्रश्न 20.
कोई दो उदाहरण बताइये जिनके फलों में बहुत अधिक संख्या में बीज बनते हैं।
उत्तर:
ओरोबैंकी तथा स्ट्राइगा।

प्रश्न 21.
पुष्पी पादपों में भ्रूणपोष की सूत्रगुणिता क्या होती है ?
उत्तर:
त्रिगुणित ।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
एक प्रारूपिक पुष्प के लम्बवत् काट का आरेखीय चित्र बनाते हुये उसके विभिन्न अंगों को बताइए।
उत्तर:
एक पुष्प में चार चक्र होते हैं। सबसे बाहरी चक्र हरे रंग का व छोटा होता है जिसे बाह्यदल पुंज (calyx) कहते हैं, इसके प्रत्येक सदस्य को बाह्यदल (sepal) कहा जाता है। दूसरा चक्र बड़ा व विविध रंगों से बना दलपुंज (corolla) होता है, जिसके प्रत्येक सदस्य को पंखुड़ी या दल (petal) कहते हैं। बाह्यदलपुंज व दलपुंज पुष्प के सहायक चक्र (accessory whorl) होते हैं, जो पुष्प के अन्दर के चक्रों की रक्षा करते हैं ।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 1

पुष्प के अन्दर दो चक्र जनन अंगों का होता है, जो पुष्प के परमावश्यक चक्र या जनन चक्र ( essential whorl or reproductive whorl) होते हैं। इनमें से बाहर का चक्र पुमंग (androecium) होता है जिसके प्रत्येक सदस्य को पुंकेसर (stamen ) कहते हैं। यह नर जनन अंग होता है। प्रत्येक पुंकेसर में तंतु (filament) व परागकोश (anther lobe) होता है। सबसे अन्दर का चक्र जायांग (gynoecium) होता है। इसके एक सदस्य को अंडप (Carpel) कहते हैं, प्रत्येक अंडप में अंडाशय (ovary), वर्तिका ( style) व वर्तिका ( stigma ) होता है।

प्रश्न 2.
परागकण हानिप्रद व लाभप्रद दोनों ही होते हैं, समझाइए ।
उत्तर:
परागकण नर जननांग से सम्बन्धित हैं, इसी से नर युग्मक बनते हैं। परागकणों के कारण ज्वर (hay fever) तथा विभिन्न प्रकार के पराग एलर्जी (pollen allergy ) रोग उत्पन्न हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, चीनोपोडियम ( Chenopodium ) व कांग्रेस घास (Parthenium hysterophorous) तथा ज्वार ( Sorghum vulgare), ये सभी मानव में एलर्जी रोग उत्पन्न करते हैं।

वर्तमान में परागकण अध्ययन हेतु विज्ञान की एक पृथक् शाखा परागकण विज्ञान (Palynology) है। भारत में आयातित गेहूँ के साथ कांग्रेस या गाजर घास (पार्थेनियम) आकर सर्वव्यापी हो चुका है जो मानव में दमा तथा श्वसनी शोथ उत्पन्न करता है। पार्थेनियम पौधा छोटे-छोटे श्वेत पुष्पों वाला होता है जो वर्षा के दिनों में घरों के आस-पास बहुतायत से उग जाता है।

उपर्युक्त हानिप्रद प्रभावों के अतिरिक्त ये लाभप्रद भी हैं। अन्य पौधों के परागकण पोषण से भरपूर होते हैं । हाल कुछ ही वर्षों से आहार संपूरकों के रूप में पराग गोलियों (tablets) के लेने का प्रचलन बढ़ा है। पश्चिमी देशों में तो भारी मात्रा में पराग उत्पाद गोलियों एवं सीरप के रूप में बाजारों में उपलब्ध है। यह बताया गया है कि पराग की गोलियाँ खिलाड़ियों तथा धावक अश्वों (घोड़ों) की कार्यदक्षता को बढ़ाती हैं।

प्रश्न 3.
क्या होगा यदि अपरिपक्व परागकोश से टेपीटम का अपह्रास कर दिया जाये ?
उत्तर:
परागकोश की भित्ति की सबसे अन्दर वाली परत टेपीटम होती है। इनकी कोशिकाओं में जीवद्रव्य गाढ़ा तथा केन्द्रक बड़ा व
सुस्पष्ट होता है। परागकण परिवर्धन में टेपीटम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यह विकासशील परागकणों को पोषण प्रदान करती है। यदि परागकोश में परागकणों के विकास के पूर्व ही टेपीटम ह्रास हो जाता है। तो उसके परागकण बन्ध्यता ( sterility ) या रुद्ध ( abortine) वृद्धि प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 4.
स्व- परागण हेतु पुष्पों में पाए जाने वाले दो अनुकूलन बताइये ।
उत्तर:
स्व- परागण प्रक्रिया के लिए पादपों में निम्न अनुकूलन पाये जाते हैं-
(i) उभयलिंगता ( Bisexuality) – ऐसे पौधों में उभयलिंगी (Bisexual) पुष्प पाए जाते हैं।

(ii) समकालपक्वता (Homogamy) – ऐसे पौधों के पुष्पों में पुमंग एवं जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं अर्थात् इनमें समकालपक्वता (Homogamy) पाई जाती है। परागकण एवं वर्तिकाग्र एक ही समय परिपक्व होने की पूरी संभावना रहती है। उदाहरण – मिराबिलिस (Mirabilis), कैथेरैन्थस (Catharanthus) ।

(iii) अनुन्मील्यता (Cleistogamy) – कुछ पौधों के पुष्प बंद ही रहते हैं, अर्थात् ये कभी नहीं खुलते। अतः इनमें आवश्यक रूप से स्वपरागण होता है। उदाहरण- कनकौआ ( Commelina), वायोला (Viola), आग्जेलिस (Oxalis), ड्रॉसेरा (Drosera) इत्यादि ।

प्रश्न 5.
परागनलिका का भ्रूणकोश में प्रवेश कहाँ से होता है? उत्तर- परागनलिका वर्तिका से होती हुई अण्डाशय क्षेत्र में पहुँच जाती है। रसायनुवर्ती कारक के फलस्वरूप परागनलिका की वृद्धि अण्डाशय की ओर होती है। परागनलिका का बीजाण्ड में प्रवेश तीन प्रकार से होता है-
(क) बीजाण्डद्वारी प्रवेश
(ख) निभागी प्रवेश
(ग) अध्यावरणी प्रवेश ।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 2

(क) बीजाण्डद्वारी प्रवेश ( Porogamy) – बीजाण्ड में परागनलिका का प्रवेश बीजाण्ड द्वार (Micropyle) से होता है। अधिकांश पौधों में बीजाण्डद्वारी प्रवेश पाया जाता है।

(ख) निभागी प्रवेश (Chalazogamy) – बीजाण्ड में परागनलिका का प्रवेश निभाग छोर (Chalazal end) से होता है। उदाहरण- कैजुराइना, बिटुला, जुगलैन्स आदि ।

(ग) अध्यावरणी प्रवेश (Mesogamy) – इसमें पराग नलिका अध्यावरण (Integuments) को बेधती हुई बीजाण्ड में प्रवेश करती है। उदाहरण- कुकरबिटा, पोपुलस आदि ।

प्रश्न 6.
द्विनिषेचन क्या होता है?
उत्तर:
आवृतबीजियों में निषेचन के समय एक नर युग्मक का संलयन अण्ड से होता है तथा दूसरा संलयन दूसरे नर युग्मक व द्वितीयक केन्द्रक के बीच होता है। इस प्रकार दो बार निषेचन होने को द्विनिषेचन कहते हैं।

प्रश्न 7.
त्रिक् संलयन का महत्त्व बताइये ।
उत्तर:
आवृतबीजी पादपों में द्विनिषेचन की क्रिया होती है। द्विनिषेचन क्रिया में एक नर युग्मक, अण्ड से संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज बनाता है जिससे भ्रूण का निर्माण होता है। दूसरा नर युग्मक द्वितीयक केन्द्र (जो दो ध्रुवीय केन्द्रकों के संयोजन से बनता है) से संयोजित होकर त्रिगुणित भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है, इसे त्रिक् संलयन कहते हैं। भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष का निर्माण होता है। भ्रूणपोष परिवर्द्धित होते हुए भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। भ्रूणपोष के अभाव में पूर्ण भ्रूण का निर्माण नहीं हो पाता है ।

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प्रश्न 8.
भ्रूणपोष का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर:
द्विनिषेचन के फलस्वरूप युग्मनज (Zygote = 2n) एवं भ्रूणपोष केन्द्रक (Endosperm nucleus = 3n) का निर्माण होता है। भ्रूणपोष केन्द्रक विकसित होकर भ्रूणपोष का निर्माण करता है । यह त्रिगुणित (triploid) होता है एवं इसमें नर एवं मादा दोनों के गुणसूत्र उपस्थित होते हैं, अत: यह संकर ओज (Hybrid vigour) का प्रदर्शन करते हैं । भ्रूणपोष का प्रमुख कार्य विकसित हो रहे भ्रूण ( embryo) को पोषण प्रदान करना होता है। इसमें भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक पोषक प्रदान करता है। अतः भ्रूण के विकास के लिए भ्रूणपोष का निर्माण होना अत्यन्त आवश्यक होता है।

प्रश्न 9.
बीजाण्ड से बीज किस प्रकार बनता है?
उत्तर:
वास्तव में, बीज के निर्माण के अन्तर्गत भ्रूण विकास, भ्रूणपोष विकास व बीजाण्ड में होने वाले परिवर्तन आते हैं। इन सबके कारण बीजाण्ड (Ovule), बीज में परिवर्तित हो जाता है। दोनों अध्यावरण बीजावरण (Seed Coats) बना देते हैं जिसमें बाहर वाला बीज चोल (Testa) व अन्दर वाला टेगमेन ( Tegmen) कहलाता है। बीजाण्डवृन्त बीज का वृन्त बनाता है।

नाभिका (Hilum ), बीजाण्डद्वार (Micropyle ), रैफी ( Raphe) और निभाग (Chalaza) में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता है। विकास के समय बीजाण्डकाय (Nucellus) पूर्णरूप से प्रयोग में आ जाता है किन्तु कुछ बीजों में भ्रूणपोष शेष रहकर एक पतली झिल्ली (Membrane) के रूप में रह जाता है जिसे परिभ्रूणपोष (Perisperm) कहते हैं ।

प्रश्न 10.
आवृतबीजी पादपों में पाये जाने वाले भ्रूण तथा भ्रूणपोष में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
भ्रूण व भ्रूणपोष में अन्तर-

भूरण (Embryo)भ्रूणपोष (Endosperm)
1. यह निषेचित अण्ड से बनता है।यह द्वितीयक केन्द्रक से त्रिसंलयन (Triple Fusion) के बाद बनता है।
2. यह नए पौधे का जन्मदाता है।यह बढ़ने वाले भूरू का केवल पोषण करता है।
3. भ्रूणपोष की अनुपस्थिति में भ्रूण मर जाता है।भूरणपोश की अनुपस्थिति में भूरण नहीं मरता है।
4. इसमें से बीजपत्र, मूलांकुर तथा प्रांकुर बनते हैं।इसमें ऐसी कोई संरचना नहीं बनती है।
5. बीज में भ्रूण पाया जाता है।केवल भूणपोश बीजों में ही भ्रूणपोश मिलता है अन्यथा यह बीज बनने के साथ-साथ समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 11.
आवृतबीजी भ्रूणकोश में पाये जाने वाली अण्ड कोशिका तथा द्वितीयक केन्द्रक में अन्तर बताइये ।
उत्तर:
अण्ड कोशिका व द्वितीयक केन्द्रक में अन्तर-

अण्ड कोशिका (Egg Cell)द्वितीयक केन्द्रक (Secondary Nucleus)
यह अण्डद्वार (Micropyle) के पास स्थित होता है।यह भ्रूणकोष (Embryo-sac) के मध्य में स्थिर होता है।
अण्ड सामान्यतः दो सहायक कोशिकाओं (Synergids) द्वारा घिरा रहता है।इसमें ऐसा नहीं होता है।
इसमें केवल एक केन्द्रक (Nucleus) होता है।इसमें दो केन्द्रक होते हैं अथवा दो के न्द्रको का संयोजन (Fusion) होता है।
गुणसूत्र की संख्या आधी (Haploid) होती है।गुणसूत्र की संख्या द्विगुणित (Diploid) होती है।
एक नर युग्मक (Male Gamete) के साथ संलयन कर यह द्विगुणित (Diploid) भूरूण बनाता है।एक नर युग्मक के साथ संलयन कर यह त्रिगुणित (Triploid) भूरणपोश (Endosperm) बनाता है।

प्रश्न 12.
आवृतबीजियों में परागण तथा निषेचन क्रिया में अन्तर बताइये ।
उत्तर:
परागण व निषेचन क्रिया में अन्तर-

परागण (Pollination)निषेचन (Fertilization)
1. परागकणों (Pollengrains) का एक पुष्प के परागकोश से उसी जाति के उसी पुष्प अथवा किसी दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र (Stigma) तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।बीजाण्ड में स्थित भ्रूणकोश (Embryosac) में अण्ड कोशिका (Egg Cell) तथा नर युग्मक के संलयन को निषेचन (Fertilization) कहते हैं।
2. यह क्रिया निषेचन से पूर्व होती है।यह क्रिया परागण के पश्चात् होती है।
3. इस क्रिया को पूर्ण करने में किसी न किसी बाहरी माध्यम; जैसे कीट, पानी, वायु आदि की आवश्यकता होती है।इस क्रिया में कोई बाहरी माध्यम प्रयोग में नहीं आता है।
4. इसमें परागनली नहीं बनती है।परागनली बनती है जिसमें से होकर नर युग्मक अण्ड कोशिका तक पहुँचते हैं।
5. यह क्रिया पुष्प के बाह्य भाग में सम्पन्न होती है, अतः बाह्य क्रिया है।यह क्रिया पुष्प के भीतर होती है, अतः आन्तरिक क्रिया है।

प्रश्न 13.
युग्मक संलयन व द्विनिषेचन को समझाइये।
उत्तर:
[ संकेत- अण्डकोशिका तथा एक नर युग्मक के संलयन को युग्मक संलयन ( gametic fusion or syngamy) या सत्य निषेचन (true fertilization) कहते हैं। यह पहला निषेचन होता है। संलयन के फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज ( diploid zygote) बनता है। आवृतबीजी पादपों में निषेचन की प्रक्रिया दो बार होती है। एक नर युग्मक व अण्ड कोशिका से तथा दूसरा नर युग्मक का द्वितीयक केन्द्रक से संलयन होता है। अतः इसे द्विनिषेचन ( double fertilization) कहते हैं। द्विनिषेचन व त्रिसंलयन केवल मात्र आवृतबीजी पादपों की ही विशेषता है।]

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प्रश्न 14.
बीजाण्ड से बीज बनने के दौरान में होने वाले प्रमुख परिवर्तनों को सारणी बनाकर बताइये ।
उत्तर:
भूरण (Embryo)-
वैज्ञानिक हैन्सटीन ने द्विबीजपत्री भ्रूण के विकास का अध्ययन कैप्सेला बर्सा पैस्टोरिस (Capsella bursa pastories) में किया। इसमें युग्मनज (zygote) का प्रथम विभाजन अनुप्रस्थ होता है जिससे एक शीर्षस्थ (apical) कोशिका तथा एक आधारीय (basal) कोशिका बनती है। शीर्षस्थ कोशिका निभाग की ओर तथा आधारीय कोशिका बीजाण्डद्वार की ओर बनती है।

आधारीय कोशिका में अनुप्रस्थ तथा शीर्षस्थ कोशिका में अनुदैर्घ्य विभाजन होता है। अनुदैर्घ्य विभाजन से शीर्ष पर बनी दोनों कोशिकाओं में फिर से अनुदुर्घ्य विभाजन होता है। इससे चार कोशिकायें या चतुष्टांशक (quadrant) बनता है, इसमें अनुप्रस्थ विभाजन होने से अष्टांशक (octant) बनता है।

अष्टांशक की प्रत्येक कोशिका में परिनत विभाजन से एक बाह्य परत डर्मेटोजन (dermatogen) तथा एक आन्तरिक परत बनती है। डर्मेटोजन से भूरण की त्वचा (epidermis) बनती है। आन्तरिक कोशिकाओं से बीजपत्राधार (hypocotyl), बीजपत्रों (cotyledons) के भरण विभज्योतक (ground meristem) तथा प्राक्एधा तंत्र (procambial system) बनते है।

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आधारीय कोशिकां में अनेक अनुप्रस्थ विभाजनों से 7 से 10 कोशिकीय लम्बा निलम्बक (suspensor) बनता है। निलम्बक की अन्तिम कोशिका फूल कर चूषकांग कोशिका बनाती है जो भूरणोष से खाद्य पदार्थों के अवशोषण का कार्य करती है। शीर्षस्थ कोशिका से बनी कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन से भ्रूण हृदयाकार (heart shape) हो जाता है।

इसकी दोनों पालियाँ बीजपत्र बनाती हैं तथा खाँच (notch) में प्रांकुर (plumule) का विकास होता है। इनमें प्रांकुर शीर्षस्थ तथा बीजपत्र पाश्वीय होते हैं। परिपक्व भूरण में भूर्णीय अक्ष पर दो बीजपत्र लगे होते हैं। भूरण अक्ष का बीजपत्रों के स्तर से ऊपर का भाग बीजपत्रोपरिक (epicotyl) तथा नीचे का भाग बीजपत्राधार (hypocotyl) कहलाता है।

एकबीजपत्री में भ्रूण का विकास (Development of monocot embryo)-
इनमें प्रारम्भिक विकास द्विबीजपत्री के जैसे ही होता है। परिपक्व भूरण में एक बीजपत्र होता है जिसे वरुथिका या स्कुटेलम (scutellum) कहते हैं। बीजपत्र शीर्षस्थ व प्रांकुर पाश्व्वीय स्थिति में होते हैं। भूर्णीय अक्ष को बीजपत्रोपरिक (epicotyl) कहते हैं  तथा इसके आधारी भाग को मूलांकुर चोल (coleorhiza) व शीर्ष भाग को प्रांकुर चोल (coleoptile) कहते हैं।
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प्रश्न 15.
परागण प्रक्रिया के अन्तर्गत उदाहरण सहित किसी सह-संबंध को बताइये ।
उत्तर:
इसका उदाहरण शलभ की एक प्रजाति प्रोनुबा युक्का सेल्ला (Pronuba yuccasella) तथा युक्का (Yucca) पादप के मध्य मिलता है। इन दोनों में सह-सम्बन्ध (symbiosis) होता है। यहाँ दोनों ही प्रजाति-शलभ एवं पादप युक्का बिना एक-दूसरे के अपना जीवन-चक्र नहीं पूरा कर सकते हैं। इसमें शलभ (Moth) अपने अंडे पुष्प के अंडाशय के कोष्ठक में देती है। जबकि इसके बदले में वह शलभ द्वारा परागित होता है। शलभ का लारवा (larva) अण्डे से बाहर तब आता है जब बीज विकसित होना प्रारंभ होता है।

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प्रश्न 16.
कुछ इस प्रकार के फलों का वर्णन कीजिये जिनमें अधिक संख्या में बीजों का निर्माण होता है।
उत्तर:
प्रायः फलों में एक या इससे अधिक बीज मिलते हैं परन्तु अनेक ऐसे पौधे हैं जिनमें असंख्य छोटे-छोटे बीज उत्पन्न होते हैं। आर्किड (Orchid ) के फल में 1000 से भी अधिक लघु बीज बनते हैं। परजीवी प्रजाति के फल जैसे ओरोबैंकी (Orobanche) व स्ट्राइगा (Striga) में असंख्य लघु बीजों का निर्माण होता है। फाइकस (Ficus अर्थात् अंजीर) के फलों में भी छोटे-छोटे असंख्य बीज होते हैं और इनके छोटे बीज से विशालकाय पादप का विकास होता है।

प्रश्न 17.
बीजों की जीवन क्षमता को समझाइये |
उत्तर:
एक बीज कितने समय तक जीवित रह सकता है ? इस प्रश्न का निश्चित उत्तर नहीं है क्योंकि विभिन्न प्रजातियों के बीजों की जीवन क्षमता अलग-अलग होती है। कुछ प्रजातियों के बीज अपनी जीवन क्षमता कुछ महीनों में ही खो देते हैं किन्तु अनेक प्रजातियों के बीज अनेक वर्षों तक जीवनक्षम रहते हैं। यहाँ तक कि कुछ पौधों के बीज अनेक वर्षों तक जीवनक्षम रहते हैं।

उदाहरण के तौर पर ल्युपिनस आर्कटीकस (Lupinus arcticus) को आर्कटिक टुंड्रा पर खुदाई से प्राप्त किया गया था जो अनुमानित रिकार्ड 10,000 वर्ष की प्रसुप्ति के पश्चात् बीज अंकुरित व पुष्पित हुआ था। वर्तमान में एक रिकार्ड 2000 वर्ष पुराने खजूर के जीवन क्षम बीज – फोयेनिक्स डैक्टीलीफेरा (Phoenix dactylifera) का है जिसे मृत सागर के पास किंग हैराल्ड के महल की पुरातात्विक खुदाई के दौरान पाया गया था।

प्रश्न 18.
स्वपरागण तथा पर परागण में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
स्व-परागण तथा पर-परागण में अन्तर-

स्व-परागण (Self-pollination)पर-परागण (Cross-pollination)
1. इस प्रक्रिया में किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के या उसी पौधे में उपस्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है।एक पौधे के पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं।
2. पुष्प प्रायः सुगन्धरहित, अनाकर्षक, छोटे तथा मकरन्दरहित होते हैं।पुष्प प्रायः ( वायु परागित पुष्पों के अतिरिक्त) गन्धयुक्त, आकर्षक, बड़े या छोटे दो समूह में तथा मकरन्दयुक्त होते हैं।
3. इस प्रक्रिया में पुष्पों का द्विलिंगी या उभयलिंगी होना आवश्यक है।आवश्यक नहीं है।
4. इसमें परागकण व्यर्थ नहीं होते।इस प्रक्रिया में परागकण बहुत अधिक व्यर्थ होते हैं।
5. इस क्रिया हेतु किन्हीं कर्मकों की आवश्यकता नहीं होती है।इसके लिये कर्मकों की आवश्यकता होती है तभी परागण सम्भव होता है।
6. इसमें नर तथा मादा जनन अंग साथ-साथ परिपक्व होते हैं।अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं।
7. इस प्रकार के परागण से पौधों की शुद्धता बनी रहती है परन्तु विभिन्नता व विकास की सम्भावनाएँ कम होती हैं।शुद्धता न रहकर दोनों जनकों के लक्षणों का मिश्रण होता है, विभिन्नताएँ व विकास की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं।
8. बार-बार स्वपरागण के फलस्वरूप बनने वाले पौधे दुर्बल व अस्वस्थ तथा बीज छोटे व हल्के होते हैं।पौधे स्वस्थ होते हैं तथा बीज भारी व बड़े होते हैं।

प्रश्न 19.
परागण से क्या तात्पर्य है? स्वयुग्मन ( आटोगेमी ) हेतु आवश्यक कोई दो अनुकूलनों को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
परागण – पुंकेसर के परागकोष से पुष्प के जायांग की वर्तिका पर परागकणों के स्थानान्तरण को परागण कहते हैं । स्वयुग्मन के निम्नलिखित दो अनुकूलन होते हैं-
1. समकालपक्वता (Homogamy) – इस प्रकार के पौधों में पुष्पों में स्थित पुमंग व जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं। परागकण तथा वर्तिकाग्र एक ही समय परिपक्व होने की पूर्ण संभावना रहती है। अतः स्वयुग्मन के अवसर बढ़ जाते हैं, उदा. मिराबिलिस, कैथेरैन्थस आदि।

2. अनुन्मील्यता (Celestogamy) – कुछ पौधों में पुष्प सदैव बन्द ही रहते हैं, इस कारण इनमें आवश्यक रूप से स्वयुग्मन होता है। उदा. – कनकोआ (Commelina), वायोला ( Viola), आक्जेलिस (Oxalis), जंक्स (Juncus) तथा ड्रॉसेरा (Drosera) आदि ।

प्रश्न 20.
परागण किसे कहते हैं? वेलिसनेरिया तथा समुद्री घासों में परागण की क्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परागकणों का स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण या संचारण को परागण कहा जाता है। वेलिसनेरिया पादप जल में डूबा रहता है, इसके नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं। नर में पुष्प छोटे व असंख्य होकर स्थूलमंजरी (spadix ) पुष्पक्रम में लगे होते हैं। पुष्पक्रम जल-निमग्न होता है। नर पुष्प पृथक् होकर जल की सतह पर तैरते रहते हैं।

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मादा पुष्प एकल तथा इसका लम्बा, कुण्डलित वृन्त पुष्प के परिपक्व होने पर खुल जाता है व पुष्प जल की सतह पर पहुँच जाता हैं तैरते हुए नर पुष्प जब मादा पुष्पों के सम्पर्क में आते हैं तो उनके परागकोश झटके से फट जाते हैं तथा परागकण वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं। अतः जल की सतह पर, जल के माध्यम से वेलिसनेरिया में जल परागण होता है। समुद्री घासों (सीग्रासेस) में मादा पुष्प जल की सतह के नीचे ही पानी में डूबा रहता है और परागकणों को जल के अन्दर ही अवमुक्त किया जाता है।

प्रश्न 21.
25 प्राथमिक शुक्र कोशिकाओं तथा 25 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से बनने वाले शुक्राणुओं तथा अण्डाणुओं का अनुपात कितना होगा? कारण सहित समझाइए ।
उत्तर:
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प्रश्न 22.
उन्मील परागणी पुष्प एवं अनुन्मील परागणी पुष्प अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
उन्मील परागणी पुष्प (Chasmogamous Flowers ) – ये सामान्य पुष्पों के समान होते हैं, इनके परागकोश एवं वर्तिकाग्र अनावृत होते हैं। इनमें सामान्य पुष्पों की जैसे परागण होता है।

अनुन्मील्य परागणी पुष्प (Cleistogamous Flowers) – ये पुष्प सदैव बन्द रहते हैं। इन पुष्पों में परागकोश (anther) एवं वर्तिकाग्र (stigma) एक-दूसरे के बिल्कुल नजदीक स्थित होते हैं। जब पुष्प कलिका में परागकोश स्फुटित होते हैं तब परागण क्रिया सम्पन्न होती है। इनमें सदैव स्वपरागण होता है, क्योंकि इनके वर्तिकानों पर अन्य पुष्पों के परागकण नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे पुष्पों में बीज निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित होती है। उदाहरण- वायोला, कोमेलीना आदि ।

प्रश्न 23.
भ्रूणपोष किसे कहते हैं? मुक्त केन्द्रकी भ्रूणपोष एवं कोशिकीय भ्रूणपोष का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वि- निषेचन ( double fertilization) तथा त्रिसंलयन (triple fusion) के फलस्वरूप भ्रूणकोष में बने हुए त्रिगुणित केन्द्रक से एक पोषक संरचना का परिवर्द्धन होता है। इसे भ्रूणपोष कहते हैं। यह विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है ।

केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear endosperm ) – इस प्रकार के भ्रूणपोष में परिवर्द्धन के समय भ्रूणपोष केन्द्रक स्वतन्त्र रूप से विभाजित होता रहता है और विभाजनों के साथ भित्तियों (walls) का निर्माण नहीं होता है। विभाजन के फलस्वरूप बने केन्द्रक भ्रूणकोष (embryo sac ) में परिधि से केन्द्र की ओर विन्यसित हो जाते हैं। अन्त में परिधि से केन्द्र की ओर कोशिका भित्ति का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है। उदाहरण- कैप्सेला ( Capsella)।

कोशिकीय भ्रूणपोष ( Cellular endosperm ) – भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रत्येक बार विभाजन के पश्चात् कोशिका भित्ति का निर्माण होता है। इस प्रकार पूरा भ्रूणपोष अनियमित व्यवस्था वाली कोशिकाओं का एक ऊतक होता है। जैसे एडोक्सा ( Adoxa) ।

प्रश्न 24.
पराग – स्त्रीकेसर संकर्षण (पारस्परिक क्रिया) को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर:
पुष्पी पादपों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पराग अवस्थित होने से लेकर बीजाण्ड में पराग नलिका के प्रविष्ट होने तक की सभी घटनाओं को परागस्त्रीकेसर संकर्षण के नाम से सम्बोधित किया जाता है। परागण क्रिया के द्वारा परागकणों का स्थानान्तरण तो होता है परन्तु यह सुनिश्चित नहीं होता है कि उसी प्रजाति का सुयोग्य पराग वर्तिकाग्र तक पहुँचे।

कभी-कभी गलत प्रकार के पराग भी उसी वर्तिकाग्र पर आ जाते हैं (जिसमें ये या तो उसी पादप से होते हैं या फिर अन्य पादप से) । स्त्रीकेसर में यह सक्षमता होती है कि वह पराग को पहचान सके कि वह उसी वर्ग के सही प्रकार का पराग (सुयोग्य ) है या फिर गलत प्रकार का ( अयोग्य) है। यदि पराग सही प्रकार का होता है तो स्त्रीकेसर उसे स्वीकार कर लेता है तथा परागण पश्च घटना हेतु प्रोत्साहित करता है जो कि निषेचन की ओर बढ़ता है।

यदि पराग गलत प्रकार का होता है तो स्त्रीकेसर वर्तिकाग्र पर पराग अंकुरण या वर्तिका में पराग नलिका वृद्धि रोककर पराग को अस्वीकार कर देता है। पराग को पहचानने की यह क्षमता स्त्रीकेसर तथा पराग के रासायनिक घटकों के संकर्षण द्वारा होती है। वैज्ञानिकों ने स्त्रीकेसर एवं पराग के घटकों को जानकर उनके बीच संकर्षण (परस्पर क्रिया) को स्वीकृति या अस्वीकृति के रूप में जाना है ।

सुयोग्य परागकण होने पर, परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होकर जनन छिद्र के माध्यम से एक परागनलिका उत्पन्न करते हैं। परागनलिका वर्तिकाग्र तथा वर्तिका के ऊतकों के माध्यम से वृद्धि करती है और अण्डाशय तक पहुँचती है। अण्डाशय में पहुँचकर बीजाण्ड द्वार के माध्यम से बीजाण्ड में प्रवेश करती है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
परागण के विभिन्न अभिकर्मकों को विस्तार से बताइये ।
उत्तर:
परागण (Pollination)-
परागकणों के परागकोश से मुक्त होकर जायांग के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुँचने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं। परागण मुख्यतः दो प्रकार से होता है-

  1. स्व-परागण तथा
  2. पर-परागण।

1. स्वपरागण (Self-pollination)-इस प्रक्रिया के अन्तर्गत किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है। यह दो प्रकार से हो सकता है-

  • स्वयुग्मन (Autogamy)-इसमें एक पुष्प के परागकण उसी पुष्य के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं। अतः यह क्रिया केवल द्विलिंगी (bisexual) पुष्यों में ही हो सकती है।
  • सजातपुष्पी परागण (Geitonogamy)-जब एक पुष्प के परागकण उसी पौधे में उपस्थित किसी दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं। सजातपुष्पी परागण एक ही पौधे में उपस्थित दो अलगअलग पुष्पों के बीच होता है।

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स्वपरागण हेतु अनुकूलन (Adaptations for selfpollination)-जिन पादपों में स्वपरागण होता है उनमें कुछ विशेषताएँ होती हैं जो निम्न प्रकार से हैं-

  • उभयलिंगता (Bisexuality)-इस प्रकार के पादपों में द्विलिंगी (bisexual) पुष्प लगते हैं।
  • समकालपक्वता (Homogamy)-इस प्रकार के पौधों में पुमंग व जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं, इस लक्षण को समकालपक्वता कहते हैं। परागकण एवं वर्तिकाग्र एक ही समंय परिपक्व होने के कारण स्वपरागण होने की पूरी सम्भावना रहती है। उदा.-मिराबिलिस (गुलब्वास), कै थेरैन्थस।
  • अनुन्मील्यता (Cleistogamy)-कुछ पौधों में पुष्प सदैव बन्द रहते हैं। ऐसे पुष्पों को अनु न्मील्य पुष्प (cle istog a mous flowers) कहते हैं। अत: इनमें आवश्यक रूप से स्वपरागण होता है। ऐसे पुष्प सुगन्ध व मकरन्द रहित, अनाकर्षक तथा छोटे होते हैं।

उदा.-कनकोआ (Commelina), वायोला (Viola), ऑक्जे लिस (Oxalis)। कनकोआ में अनुन्मील्य पुष्प भमिगत होते हैं। इसी पौधे के वायवीय भाग पर सामान्य पुष्प या उन्मील परागणी या कै जमोगेमस (Chasmogamous) अर्थात् खुले पुष्प होते हैं।
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स्वपरागण के लाभ (Advantages of self-pollination)-

  • इस परागण की सफलता निश्चित होती है क्योंकि इसमें किसी बाहरी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सन्तति में जाति के गुण वही रहते हैं। अतः लक्षणों की शुद्धता रहती है। इसमें लक्षणों की शुद्धता को आगामी पीढ़ियों में बनाये रखा जा सकता है क्यों कि इससे प्राप्त पादप समयुग्मजी (Homozygous) होते हैं।
  • इस प्रकार के परागण के लिये अधिक परागकण उत्पन्न करने की जरूरत नहीं होती है, अतः यह एक मितव्ययी विधि है।
  • इसमें परागण अभिकर्त्तां (agents) को आकर्षित करने के लिये रंग, गन्ध या मकरन्द आदि उत्पन्न नहीं करना पड़ता है।
  • पौधों के उपयोगी लक्षणों को असीमित काल के लिये संरक्षित किया जा सकता है।

स्वपरागण से हानियाँ (Disadvantages of self-pollination)-

  • स्वपरागण के द्वारा पौधों में विभिन्नताएँ नहीं आतीं अतः पौधों की नई किस्मों या प्रजातियों का उद्भव नहीं होता है।
  • इससे बने बीज अच्छे नहीं होते व बनने वाला पौधा भी दुर्बल व कम प्रतिरोधक क्षमता वाला होता है।
  • पौधों की जीवन क्षमता का भी निरन्तर ह्रास होता जाता है।
  • पौधों की उत्पादन क्षमता निरन्तर आने वाली पीढ़ियों में कम होती जाती है।

2. पर-परागण (Cross-pollination)-इस विधि में एक पौधे के पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं, तो इसे पर-परागण कहते हैं। परपरागण को एलोगेमी (Allogamy) या जीनोगेमी (Xenogamy) भी कहते हैं। इस प्रकार पर-परागण में दो भिन्न पौधों के नर एवं मादा युग्मकों में निषेचन होता है। पौधों में पर-परागण क्रिया द्वारा पुनर्योंजन (recombination) एवं विभिन्नताएँ (variations) उत्पन्न होने की सम्भावनाएँ रहती हैं।

पर-परागण के लिये अनुकूलन (Adaptations for cross pollination)-
(i) स्वबन्ध्यता (Self-sterlity)-कुछ पादपों में यदि पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं तो वे अंकुरित नहीं होते, इसे स्वबन्ध्यता कहते हैं। उदा.-राखीबेल या झुमकलता (Passiflora), अंगूर, आलू, तम्बाकू, चाय तथा सेब (Malus) इत्यादि।

(ii) एकलिंगता (Unisexuality)-कुछ पौधों में पुष्प एकलिंगी होते हैं। इन पुष्पों में नर या मादा दोनों में से कोई एक प्रकार के जनन अंग होते हैं। अतः इनमें पर-परागण ही होता है। यदि नर व मादा दोनों प्रकार के पुष्प एक ही पौधे पर मौजूद हों तो पौधे को उभयलिंगाश्रयी (monoecious) कहते हैं अथवा नर व मादा पुष्म अलग-अलग पौधों पर उपस्थित होते हैं तो पौधे को एकलिंगाश्रयी (dioecious) कहा जाता है, उदा -पपीता।

(iii) भिन्नकालपक्वता (Dichogamy)-कुछ पादपों के पुष्पों में परागकोश व वर्तिकाग्र के परिपक्व होने का समय अलग-अलग होता है, जैसे साल्विया (Salvia) में परागकोश वर्तिकाग्र से पूर्व परिपक्व होते हैं। इस लक्षण को पुंपूर्वता (protandry) कहते हैं। बैंगन, मक्का व ब्रैसीकेसी (Brassicaceae) कुल के पौधों में वर्तिकाग्र परागकोश से पूर्व परिपक्व होते हैं, इसे स्त्रीपूर्वता (protogyny) कहा जाता है।
दोनों जनन अंगों के परिपक्व होने का समय अलग-अलग होने से परपरागण ही होता है।

(iv) बन्धन युति या हरकोगेमी (Herkogamy)-कुछ पौधों के पुष्पों में वर्तिकाग्र एवं परागकोश के बीच प्राकृतिक संरचनात्मक अवरोध (structural barrier) होता है। उदा.- कै रियोफिलेसी (Caryophyllaceae) कुल के पादपों में वर्तिका की लम्बाई पुंकेसर से काफी अधिक होने के कारण इनके बीच परागण संभव नहीं हो पाता है। आक या मदार (Calotropis) में परागकण परागपिण्डां (pollinia) में व्यवस्थित रहते हैं। इन परागपिण्डों को कीट द्वारा ही हटाया जाता है। अतः पर-परागण ही सम्भव होता है।

(v) विषमवर्तिकात्व (Heterostyly)-कुछ पुष्पों में वर्तिका की लम्बाई अलग-अलग प्रकार की होती है। प्रिमुला (Primula) पादप में दो प्रकार के पुष्प होते हैं-एक जिसमें वर्तिका लम्बी तो पुंकेसर छोटे होते हैं, दूसरे जिनमें वर्तिका छोटी तो पुंकेसर लम्बे होते हैं। इस प्रकार पौधे में द्विरूपी (dimorphic) पुष्प लगते हैं। अतः इनमें स्वपरागण सम्भव न होकर पर-परागण ही होता है।

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पर-परागण से लाभ (Advantages of Cross-pollination)-

  • इस प्रक्रिया से नवीन संयोजन या पुनयर्रेजन (recombination) विकसित होते हैं, इससे अगली पीढ़ियों में विभिन्नताएँ (variations) आती हैं।
  • पुनर्योजन व विभिन्नताओं द्वारा नवीन व उन्नत किस्में विकसित होती हैं तथा विकास एवं अनुकूलन की अधिक सम्भावना होती है।
  • पर-परागण से संतति पीढ़ियों में जीवन क्षमता, रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। पौधे सबल, स्वस्थ व उत्तम गुण वाले होते हैं।
  • इस प्रक्रिया द्वारा हानिप्रद लक्षणों को अग्रिम पीढ़ियों में हटाया जा सकता है व इनमें बीजों की संख्या भी अधिक होती है।

पर-परागण से हानियाँ (Disadvantages of crosspollination)-

  • इस प्रक्रिया में असंख्य परागकण बनते हैं तथा अधिकतर व्यर्थ व नष्ट हो जाते हैं।
  • यह प्रक्रिया सुनिश्चित न होकर संयोग मात्र की है।
  • यह प्रक्रिया विभिन्न माध्यमों के द्वारा होती है, अतः कीटों व प्राणियों को आकर्षित करने के लिये पुष्पों में रंग, गंध, मकरंद आदि उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है।
  • पर-परागण विधि द्वारा लाभदायक गुणों को संरक्षित नहीं किया जा सकता। इसमें आगे की पीढ़ियों में हानिकारक या अनिच्छित गुण प्रविष्ट हो सकते हैं।

पर-परागण के अभिकर्मक या कारक (Agents of Crosspollination)
पर-परागण में परागकणों को एक पुष्य से दूसरे पौधे पर उपस्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित करने के लिये बाहरी साधनों की आवश्यकता होती है। पर-परागण के ये साधन कर्मक कहलाते हैं। ये साधन जीवीय या अजीवीय हो सकते हैं। अधिकतर पौधे पर-परागण के लिये जीवीय कारकों का उपयोग करते हैं, अजीवीय कारकों का कम उपयोग होता है। इन साधनों के आधार पर पर-परागण अग्र प्रकार का हो सकता है-

(i) वायु परागण (Anemophily)-परागकणों का स्थानान्तरण वायु के द्वारा होता है। इस प्रकार के परागण में परागकण का वर्तिकाग्र के सम्पर्क में आना महज संयोगात्मक घटना है। इनमें परागकणों का उत्पादन अधिक संख्या में होता है तथा परागकण छोटे, हल्के, चिकने व शुष्क होते हैं। वायु परागित पुष्पों में वर्तिकाग्र में अनुकूलन पाए जाते हैं।

इसमें परागकण सरलता से वायु में उड़ते हैं तथा मादा पुष्प वृहद व पिच्छ वर्तिकाग्र युक्त होते हैं ताकि सरलता से वायु में उड़ते हुए परागकणों को आबद्ध किया जा सके। घास में वर्तिकाग्र पक्ष्माभी (feathery), टाइफा (Typha) में ब्रश की भांति होते हैं। मक्का में वायु परागण होता है। इसके वायु में उड़ते परागकण रेशमी वर्तिकाग्रों (भुट्टे से निकले हुए अनेक रेशमी बाल जैसे) द्वारा पकड़ लिये जाते हैं।

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(ii) जल परागण (Hydrophily)-जल में डूबे हुये पौधों में अधोजल परागण होता है। उदा.-समुद्री घास या जोस्टेरा (Zostera), सिरेटोफिलम (Ceratophyllum)। अनेक जलीय पादपों के पुष्प जल की सतह पर रहकर परागित होते हैं तो इसे अधिजल परागण कहते हैं। उदा.-वेलिस्नेरिया (Vallisnaria), पोटेमोजिटोन (Potamogeton) में परागण वायु द्वारा होता है। निम्फिया (Nymphaea) भी जलीय पादप है परन्तु इसमें कीट परागण होता है।

(iii) कीट परागण (Entomophily)-मधुमक्खियाँ (bees), मक्खियाँ (flies), पतंगा (moth), तितली (butter fly), वैस्प (wasp), बीटल (beetle) आदि कीट परागण में सहायता करते हैं। यह माना जाता है कि 80% कीट परागण मधुमक्खियों के द्वारा होता है। जिन पौधों के पुष्पों में कीट परागण होता है वे रंगीन, चमकदार, गंधयुक्त तथा मकरंदयुक्त होते हैं।

(iv) पक्षी परागण (Ornithophily)-विभिन्न प्रकार के उण्ण कटिबंधीय (tropical) पौधों में पक्षी परागण होता है। इनके पुष्म प्यालेनुमा (उदा.-कैलीस्टेमोन), नलिकाकार (उदा –निकोटिआना) या कुंभाकार (उदा,-एरीकेसी कुल के पादप) होते है। इन पौधों के पुष्य चमकदार, आकर्षक तथा मकरंदयुक्त होते हैं। मकरंद से आकर्षित होकर आए पक्षियों की चोंच व शरीर से पराग कण चिपक जाते हैं तथा इनके साथ ही अन्य पौर्धों वक पहुँच जाते हैं।

(v) चमगादड परागण (Cheiropterophily)-कुछ पाद्पों में पुष्म रात्रि में खिलते हैं तथा अत्यधिक माग्रा में मकरंद स्रावित करते हैं। चमगादड़ निशाचर (nocturnal) प्रवृत्ति के होने के कारण इन पौधों के परागण में सहायक होते हैं। उदा.-कचनार (Bauhinia), गोरख इमली (Adansonia), कदम्ब (Anthocephalus), बालमखीरा (Kiglia) इत्यादि। इसके अतिरिक्त सर्पवृक्ष (Arisaema) और ऑरिक्ड (Orchid) में घोंघे के द्वारा तथा गुलमोहर व सेमल में गिलहरी के द्वारा परागण होता है।

नोट-कीट परागण के अन्तर्गत कुछ इस प्रकार के उदाहरण भी हैं जो अंडा देने का सुरक्षित स्थान बना लेते हैं। उदा,-एमोरफोफेलस (Amorphophallus) में पुष्य बहुत लम्बा (लगभग 6 फुट) होता है, जिसमें अंड्रा सुरक्षित रहता है। इसी प्रकार शलभ की एक जाति प्रोनूबा (Pronuba yuccasella) व युक्का (Yucca) में सह-संबंध होता है। प्रोनूबा की मादा परागण हेतु विशेष कार्य करती है।

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युक्का के पुष्य घंटाकार व उल्टे लटके हुए होते हैं। वर्तिका पुंकेसरों से लम्बी तथा वर्तिकाग्र प्याले की जैसे तथा नीचे की ओर लटके रहते हैं। इस प्रकार से इस पुष्य के परागकण इसी के वर्तिकाग्र पर नहीं गिर सकते हैं। मादा शलभ परागकण अपने सुँह में एकत्रित कर, पुष्प के अन्दर घुसकर पुष्म के अप्डाशय के भीतर अपने अण्डे रखती है। अण्डे रखने के बाद शलभ वर्तिका से होती हुई वर्तिकाग्र पर पहुँच कर अपने हुँह में रखे परागकणों को उगल देती है।

पर-परागण के उदाहरण-
(i) बैलिस्नेरिया में जल परागण (Hydrophily in Vallisneria)-वैलिस्नेरिबा जल में उगने वाला निमग्न पादप है। इसमें नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं अर्थात् यह एक एकलिंगाश्रयी (dioecious) पादप होता है। नर पौधे में पुंकसेरी पुष्प फीते के आकार की पत्तियों के कक्ष में स्थूलमंजरी (spadix) में लगते हैं। इसमें अपरिपक्व अवस्था में स्पेथ के टूट जाने से नर पुष्प पुष्पक्रम से पृथक् होकर जल की सतह पर तैरने लगते हैं।

मादा पौधों में स्त्री पुष्प एकल लगते हैं, परन्तु इनका पुष्पवृन्त इतना लम्बा होता है कि पुष्प जल की सतह पर आ जाते हैं। नर पुष्प के परिपक्व होने पर इनसे परागकण मुक्त होकर जल की लहरों पर तैरते हुए, मादा पुष्पों के वर्तिकाग्र के सम्पर्क में आ जाते हैं। परागकण प्राप्त करने के पश्चात् मादा पुष्पों का पुष्पवृन्त कुण्डलित होकर पुष्प को जल के अन्दर पत्तियों के बीच में खींच लेता है तथा फल भी अन्दर ही बनता है।

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(ii) साल्विया में कीट परागण (Entomophily in Salvia)-साल्विया तुलसी कुल का पादप है। इसका पुष्प द्विओष्ठी (bilabiate) होता है। इसमें से एक ओष्ठ ऊपर एवं दूसरा नीचे की ओर होता है। पुष्प की विशेष बनावट के कारण प्रायः एक ही प्रकार के कीट, जैसे बर्र (vasps) इस पुष्प में पर-परागण कर सकते हैं। पुष्प का ऊपरी ओष्ठ दो दलों से बना होता है तथा ऊपर की ओर उठा हुआ व अन्दर की ओर मुड़ा रहता है। इसी मुड़े हुए हिस्से में पुंकेसर व वर्तिका स्थित होते हैं।

पुष्प का निचला ओष्ठ कीट के लिए मंच का कार्य करता है। साल्विया के पुष्प पुंपूर्वी (protandrous) होते हैं। इसके पुष्प में दो पुंकेसर होते हैं। प्रत्येक पुंकेसर की योजी (connective) अधिक लम्बी होती है जिससे परागकोश (anther) की दोनों पालियाँ अलग हो जाती हैं। इसकी ऊपरी पाली में परागकण उत्पन्न होते हैं किन्तु निचली पाली बन्ध्य (sterile) होती है। पुंकेसर का पुतन्तु (filament) योजी से परागकोश की बन्ध्य पाली के पास जुड़ा होता है।

इस कारण पुंकेसर एक लीवर (lever) की तरह कार्य करता है। जब कोई कीट मकरन्द की तलाश में पुष्प की ओर आकर्षित होकर दलपुंज द्वारा बने मंच पर बैठकर दलपुंज की नली में अपने सिर को डालता है तो इससे बन्ध्य पाली के पीछे की ओर धकेल दी जाती है, इस कारण योजी के ऊपरी सिरे पर लगा परागकोश झटके के साथ नीचे झुक कर कीट की पीठ से टकराकर परागकण बिखेर देता है। जैसे ही यह कीट किसी अन्य पुष्प पर जाकर पुष्प के अन्दर प्रवेश करने का प्रयत्न करता है, उस समय झुका हुआ वर्तिकाग्र कीट की पीठ पर रगड़ जाता है। पीठ पर पहले से ही परागकण होते हैं अतः पुष्प में परागण सम्पन्न हो जाता है।
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परागकण-जायांग संकर्षण या पारस्परिक क्रिया (Pollen grainpistil interaction)-
एक ही प्रजाति के परागकण उसी प्रजाति के जायांग के वर्तिकाग्र पर अंकुरित होते हैं। वर्तिकाग्र इतनी सक्षम होती है कि वह अन्य प्रजाति के परागकण को स्वीकार नहीं करती है। सहीं या सुयोग्य परागकण होने पर परागकण का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। परागकण के जनन छिद्र से पराग नलिका बनकर वह वर्तिकाग्र तथा वर्तिका के ऊतकों के माध्यम से वृद्धि करती हुई अंडाशय तक पहुँचती है। ये सभी प्रक्रियाएँ परागकण-जायांग संकर्षण होती हैं।

कृत्रिम संकरण (Artificial hybridization)-
कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए पाद्प प्रजनक भिन्न प्रजातियों के बीच क्रॉसिंग करवाते हैं। क्रॉसिंग करवाने के लिये दोनों जनक उत्तम गुणवत्ता वाले लिये जाते हैं। क्रॉसिंग करवाते समय इच्छित पाद्प के परागकण मादा के वर्तिकाग्र पर डाले जाते हैं तथा वर्तिकाग्र को संदूषण (अनापेक्षित पराग कणों) से बचाया जाता है।

इसके लिये बोरावस्त्र तकनीक (bagging technique) तथा विपुंसन (emasculation) का उपयोग किया जाता है। यदि कोई मादा जनक में द्विलिंगी पुष्प होता है तो उसके परागकोशों को कलिका स्थिति में ही चिमटी से पकड़कर हटा दिया जाता है, इस क्रिया को विपुंसन कहते हैं।

विपुंसित पुष्यों को उपयुक्त आकार की थैली (बटर पेपर से बनी हुई) से ढक देते हैं ताकि अनापेक्षित परागकणों से बचाया जा सके। इस प्रक्रिया को बोरावस्त्राकरण (Bagging) कहते हैं। जैसे ही बैगिंग पुष्प का वर्तिकाग्र सुग्राही होता है त्योंही नर जनक से एकत्रित किये गये परागकणों को इस वर्तिकाग्र पर छिड़क देते हैं तथा पुनः थैली ओढ़ाकर फल विकसित होने तक छोड़ दियां जाता है। एकलिंगी पुष्पों में विपुंसन की आवश्यकता तो नहीं होती किन्तु इसे संदूषण से बचाने के लिये थैली से ढकना पड़ता है।

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प्रश्न 2.
आवृतबीजी पादप में नर युग्मकोद्भिद के परिवर्धन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुंकेसर, लघुबीजाणुधानी तथा परागकण (Stamen, microsporangium and pollen grain)
पुष्पों में नर जनन अंग पुमंग (androecium) होता है जिसके एक सदस्य को पुंकेसर (stamen) कहते हैं। प्रायः एक पुंकेसर के दो भाग होते हैं -परागकोश (anther) तथा पुतन्तु (filament) । एक पुं के सर का परागकोश प्रायः दो पालियों (lobes) से बना होता है।

दोनों पालियाँ या परागकोश आपस में तथा पुतन्तु के साथ योजी (connective) नामक ऊतक से जुड़ी होती हैं। पुंकेसर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग परागकोश है। जिस पुंके सर में दो पराग पालियाँ होती हैं, उसे द्वि कोष्ठी या द्विपालित (dithecous or bilobed) कहते हैं। परन्तु मालवेसी कुल के सदस्यों जैसे भिंडी या गुड़हल के पुंकेसरों में केवल एकपाली या एककोष्ठी (unilobed or monothecous) स्थिति होती है।

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लघुबीजाणुधानी की संरचना (Structure of microsporangium)-एक प्रारूपिक पुंकेसर के परिपक्व परागकोश के अनुप्रस्थ काट का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि परागकोश की एक पाली में दो प्रकोष्ठ (chambers) होते हैं, इन प्रकोष्ठों को परागपुटी या लघुबीजाणुधानी (Pollen sacs or microsporangium) कहते हैं। इस प्रकार एक परागकोश में चार परागपुटी या लघुबीजाणुधानी होती हैं। अतः एक परिपक्व परागकोश भित्ति तथा पराग प्रकोष्ठ (Pollen chamber) से मिलकर बना होता है।

1. परागकोश की भित्ति (Wall of anther)-परागकोश चार भिन्न परतों से आवरित होता है-
(i) बाह्य त्वचा,
(ii) अन्तस्थीसियम,
(iii) मध्य परतें तथा
(iv) टेपीटम

(i) बाह्य त्वचा (Epidermis)-यह सबसे बाहरी एक कोशिकीय परत होती है तथा इसका कार्य सुरक्षा करना होता है।

(ii) अन्तस्थीसियम (Endothecium)-यह बाह्यत्वचा के नीचे अरीय (radially) प्रकार से लम्बी कोशिकाओं की एकस्तरीय परत होती है। इनकी कोशिकाओं में α -सैल्यूलोज ( α-cellulose) के जम जाने से रेशेदार पट्टियाँ (fibrous bands) बन जाती हैं। इन पट्टियों के कारण अन्तस्थीसियम कोशिकाओं की प्रकृति आर्द्रताग्राही हो जाती है। ये पट्टियाँ परागकोश के स्फुटन में सहायक होती हैं। इनके बीच कुछ कोशिकाओं में इस प्रकार की पद्टियाँ नहीं पायी जाती हैं, इन्हें स्टोमियम (stomium) कहते हैं। परांगकोश का स्फुटन इन स्थानों से होता है।

(iii) मध्य परतें (Middle layers)-अन्तस्थीसियम के नीचे लगभग 3-4 पतली भित्ति वाली परतें पाई जाती हैं। परिपक्व परागकोश में ये परतें सामान्यतः नष्ट हो जाती हैं तथा विकसित होते हुए लघुबीजाणुओं को पोषण प्रदान करती हैं।
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(iv) टेपीटम (Tapetum)-यह परागकोश की भित्ति की सबसे अन्दर की परत होती है। टेपीटम की कोशिकाओं का जीवद्रव्य गाढ़ा तथा केन्द्रक बड़ा व सुस्पष्ट होता है। परिपक्व टेपीटम की कोशिकायें प्राय: बहुकेन्द्रकी हो जाती हैं। इसका मुख्य कार्य विकसित होते हुए लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं का पोषण प्रदान करना होता है। टेपीटम की कोशिकाओं से एन्जाइम और हार्मोन, दोनों का निर्माण होता है। आवृतबीजी (angiosperms) पादपों में टेपीटम दो प्रकार के होते हैं-

(अ) अमीबीय अथवा पैरिप्लाज्मोडियल (Amoeboid or Periplasmodial)-इस प्रकार के टेपीटम की कोशिकाओं की कोशिका भित्ति टूट जाती है तथा इनके जीवद्रव्य बीजाणु मातृ कोशिकाओं के बीच विचरण कर वृद्धिशील परागकणों को पोषण प्रदान करते हैं। उदा.-ट्रेडस्केंशिया (Tradescantia), टाइफा (Typha) आदि।

(ब) सावी अथवा ग्रन्थिल टेपीटम (Secretory or glandular tapetum)-आवृतबीजी पादपों में प्रायः इस प्रकार का टेपीटम पाया जाता है। इस प्रकार के टेपीटम की कोशिकाओं की आन्तरिक सतह से खाद्य पदार्थों का स्रावण होता है, इससे वृद्धिशील परागकणों को पोषण प्राप्त होता है। स्रावी प्रकृति के टेपीटम की कोशिकाओं में लिपिड प्रकृति की गोलाकार संरचनाएँ मिलती हैं, जिन्हें प्रोयूबिश काय (proubish bodies) कहते हैं। इनके चारों ओर स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin)नामक जटिल पदार्थ जम जाता है। इससे परागकणों की बाहरी सतह अर्थात् बाह्यचोल (exine) का निर्माण होता है।

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परागकणों के बनने के समय टेपीटम सबसे अधिक विकसित होता है तथा परागकणों के परिवर्धन में टेपीटम महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह इन्हें पोषण प्रदान करता है। यदि किसी परागकोश में परागकणों के विकास से पूर्व ही टेपीटम नष्ट हो जाता है तो इसके परागकण बन्ध्य (sterile) या रुद्ध (abortive) होते हैं।

2. बीजाणुजन कोशिकाएँ (Sporogenous cells)-जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि प्रत्येक परागकोश में चार पालियाँ होती हैं। प्रत्येक पाली भित्ति परतों से आवरित होती है तथा सबसे अन्दरी परत टेपीटम के अन्दर सजातीय कोशिकाओं का समूह होता है। इस समूह को प्राथमिक बीजाणुजन कोशिकायें (primary sporogenous cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ लघुबीजाणु या पराग मातृ कोशिकाएँ (microspore or pollen mother cells) बनाती हैं।

लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis)-परागकोश के विकास के साथ-साथ प्रत्येक सक्रिय लघुबीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार लघुबीजाणु (microspores) बनाती है। लघुबीजाणु मातृ कोशिका से लघुबीजाणु बनने की प्रक्रिया को लघुबीजाणुजनन कहते हैं। चारों लघुबीजाणु चतुष्क (tetrad) के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।

विभिन्न प्रकार के पौधों में लघुबीजाणुओं की व्यवस्था के क्रम के अनुसार चतुष्क निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

  • चतुष्फलकीय (Tetrahedral)-ये अधिकतर द्विबीजपत्री पौधों में पाए जाते हैं। इनके एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा लघुबीजाणु इन तीनों के पीछे की ओर स्थित होता है। सबसे अधिक पादपों में यह व्यवस्था होती है।
  • समद्विपार्शिवक (Isobilateral)-प्रायः ये एकबीजपत्रियों में पाये जाते हैं। इनमें चारों लघुबीजाणु एक ही तल में होते हैं।
  • क्रॉसित (Decussate)-इनमें दो-दो लघुबीजाणु एकदूसरे से 90° का कोण बनाते हैं।
  • रैखिक (Linear)-सभी लघुबीजाणु एक सीधी रेखा में व्यवस्थित होते हैं।
  • T- आकार (T-Shaped)-इनमें दो लघुबीजाणु अनुप्रस्थ रूप में तथा दो लम्बवत् रूप में विन्यासित रहते हैं।

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B. समद्विपाश्वक, C. क्रॉसित, D. T- आकार तथा E. रैखिक। लघुबीजाणुओं के बीच में कैलोज की बनी हुई भित्ति होती है। इस भित्ति के घुल जाने पर लघुबीजाणु स्वतन्त्र हो जाते हैं। चतुष्क से मुक्त होने के पश्चात् ये गोलाकार हो जाते हैं तथा इन्हें परागकण (pollen grain) कहते हैं। एक लघुबीजाणुधानी में अनेक परागकण स्वतन्त्र रूप से बिखरे रहते हैं। परागकोश के परिपक्व होने पर टेपीटम तथा मध्य भित्ति परतें धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। अन्त में केवल बाह्यत्वचा व अन्तस्थीसियम (endothecium) ही रह जाती हैं।

दोनों ओर के दो पराग पुटों के मध्य का पट नष्ट हो जाता है। इस प्रकार से एक ओर के परागपुट एक-दूसरे से सम्पर्क में आ जाते हैं। परिपक्व होने पर अंतःस्थीसियम से जल का ह्रास होता है, जिसके कारण इन कोशिकाओं की भित्तियों के अन्दर की ओर सिकुड़ने से ओष्ठ कोशिकाओं या स्टोमियम (stomium) पर दाब पड़ता है। अतः ये एकदूसरे से पृथक् हो जाते हैं तथा परागकण बाहर निकल जाते हैं। परागकोश के परिपक्व होने पर टेपीटम तथा मध्य भित्ति परतें धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।

अन्त में केवल बाह्यत्वचा व अन्तस्थीसियम (endothecium) ही रह जाती हैं। दोनों ओर के दो पराग पुटों के मध्य का पट नष्ट हो जाता है। इस प्रकार से एक ओर के परागपुट एक-दूसरे से सम्पर्क में आ जाते हैं। परिपक्व होने पर अंतःस्थीसियम से जल का ह्रास होता है, जिसके कारण इन कोशिकाओं की भित्तियों के अन्दर की ओर सिकुड़ने से ओष्ठ कोशिकाओं या स्टोमियम (stomium) पर दाब पड़ता है। अतः ये एकदूसरे से पृथक् हो जाते हैं तथा परागकण बाहर निकल जाते हैं।
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परागकण की संरचना (Structure of Pollen grain)परागकोश की लघुबीजाणुधानियों में लघुबीजाणु या परागकण बनते हैं। परागकणों के निर्माण से पूर्व अर्द्धसूत्री विभाजन होता हैं, अतः ये अगुणित होते हैं। इस प्रकार लघुबीजाणु या परागकण नर युग्मकोद्भिद् पीढ़ी की प्रथम अवस्था या कोशिका होती है। परागकण एककोशीय, एक केन्द्रीय व अगुणित संरचना होती है। परागकण की भित्ति द्विस्तरीय होती है। बाहरी स्तर बाह्यचोल (exine) तथा भीतरी स्तर अन्तश्चोल (intine) होती है। परागकण की आकृति, संख्या व बाहरी सतह अलग-अलग पादपों में भिन्न प्रकार की होती है।

(i) बाह्यचोल (Exine)-इसकी सतह पर विभिन्न प्रकार के अलंकरण (ornamentations) मिलते हैं।
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ये जालिकावत्, धारीदार या कांटेदार इत्यादि हो सकते हैं। बाह्यचोल सख्त प्रतिरोधी व मोटी होती है। इस परत में एक विशेष रासायनिक पदार्थ स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) होता जो कै रिटिनॉ ड् स का ऑक्सीकारी बहुलक (polymer) होता है। इसी कारण ये गहरे रंग के होते हैं, प्रायः इनका पीला रंग होता है। स्पोरोपोलेनिन सबसे अधिक प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ है जो उच्च ताप व सान्द्र अम्लों व क्षारों को भी सह सकने में सक्षम होता है।

स्पोरोपोलेनिन के कारण बाह्यचोल का भौतिक व जैविक अपघटन नहीं हो पाता है। इस पदार्थ की प्रतिरोधक क्षमता के गुण के फलस्वरूप परागकण लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं। स्पोरोपोलेनिन के कारण ही जीवाश्मी प्रारूपों में परागकण संरक्षित रहते हैं। बाह्यचोल पर छोटी-छोटी छिद्रनुमा संरचना भी होती है, जिसे जनन छिद्र (germ pores) कहते हैं। द्विबीजपत्री पादपों के परागकण पर तीन जनन छिद्र होते हैं परन्तु एकबीजपत्री पादप के परागकण में एक जनन छिद्र होता है।

(ii) अन्तश्चोल (Intine)-बाह्यचोल के ठीक नीचे पतली, कोमल, पेक्टोसेलूलोज से बनी अन्तश्चोल होती है। यह परागकण के कोशिका द्रव्य को ढके रखती है। अंकुरण के समय अन्तश्चोल जनन छिद्र में से होकर एक अतिवृद्धि के रूप में जनन नली (germ tube) बनाती है तथा आगे जाकर यह जनन नली, परागनलिका (pollen tube) के रूप में विकसित हो जाती है।

पराग उत्पाद (Pollen product)-पोषणता की दृष्टि से परागकण उपयुक्त होते हैं। वर्तमान में आहार में रही कमी की पूर्ति के लिये पराग गोलियों (pollen tablets) के उपयोग का प्रचलन बढ़ता जा रहा हैं। पश्चिमी देशों में तो इनका उपयोग अधिक किया जाता है तथा अत्यधिक मात्रा में पराग उत्पाद की गोलियाँ व सीरप (syrup) बाजार में  उपलब्ध होती हैं। पराग उत्पाद खिलाड़ियों व धावकों में अत्यधिक कार्यदक्षता की वृद्धि करते हैं।
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परागकण जीवन क्षमता (Pollen viability)-परागकण जैसे ही परागकोश से बाहर आते हैं तो यह प्रश्न उठता है कि उसकी जीवन क्षमता कितने समय की होती है। परागकण की जीवन क्षमता तापमान व आर्द्रता कारक पर निर्भर करती है। परागकण जीवन क्षमता के सम्बन्ध में विविधताएँ हैं। कुछ परागकण तो कुछ मिनटों, कुछ दिनों, कुछ महीनों तक जीवन क्षमता वाले होती हैं।

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परन्तु विभिन्न प्रजातियों के परागकणों को कृत्रिम रूप से द्रव नाइट्रोजन (-196°C) में अनेक वर्षों तक भण्डारित कर सकते हैं। इस प्रकार फसल प्रजनन कार्यक्रम के लिये पराग भण्डारों का उपयोग किया जाता है। लघुयुग्मक जनन या नर युग्मकोद्भिद् का विकास (Microgametogenesis or development of male gametophyte)-पराग कण से पूर्ण विकसित नर युग्मकोद्भिद् बनने तक के क्रम को लघुयुग्मकजनन कहते हैं। वस्तुतः नर युग्मकोद्भिद् का विकास परागकोश के अन्द्र ही प्रारम्भ हो जाता है।

लघुयुग्मकजनन के दौरान होने वाले सभी केन्द्रकीय विभाजन सूत्री विभाजन (mitosis) होते हैं। प्रारम्भ में लघुबीजाणु का जीवद्रव्य गाढ़ा एवं केन्द्रक सुस्पष्ट होता है। जैसे ही ये चतुष्क से पृथक् होते हैं, वैसे ही परागकण का आकार तेजी से बढ़ता है जिससे रसधानियाँ (vacuoles) उत्पन्न हो जाती हैं। परागकण में समसूत्री विभाजन होने से दो असमान कोशिकायें बनती हैं। इसमें बड़ी कोशिका कायिक कोशिका (vegetative cell) तथा छोटी कोशिका जनन कोशिका (generative cell) होती है।

कायिक एवं जनन कोशिका की संरचना (Structure of vegetative and generative cell)-
कायिक कोशिका (Vegetative cell)-इसका केन्द्रक बड़ा, गोलाकार, अनियमित होता है। कोशिका का आकार बड़ा होता है तथा रसधानियाँ नहीं होतीं। केन्द्रक में केन्द्रिक (nucleolus) का अभाव होता है तथा RNA व प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। जनन कोशिका (Generative cell)-प्रारम्भ में यह कोशिका मसूराकार (lenticular) होती है परन्तु धीरे-धीरे यह लम्बी होकर कृमिरूपी (vermiform) दिखाई देने लगती है। इसमें कोशिका द्रव्य की मात्रा कम होती है।

परागकण में उपस्थित कायिक व जनन कोशिका इसकी दोकोशिकीय अवस्था है। प्रायः आवृतबीजियों में परागकण दो-कोशिकीय अवस्था में ही परागकोश से मुक्त होते हैं। कुछ में तीन-कोशिकीय अवस्था में भी मुक्त होते हैं। परागकण स्वतन्त्र होने पर परागण क्रिया के अन्तर्गत जाते हैं। परागकणों के परागकोश से मुक्त होकर जायांग के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुंचने की प्रक्रिया को परागण (pollination) कहते हैं। परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होता है।

अतः अन्तःचोल किसी एक जनन छिद्र से निकलकर जनन नलिका बनाती है। यही नलिका वृद्धि करके पराग नलिका (pollen tube) बनाती है। पराग नलिका में आगे कायिक या नलिका कोशिका (vegetative or tube cell) होती है तथा इसके पीछे जनन कोशिका होती है। कभी-कभी जनन कोशिका परागकण में ही विभाजित हो जाती है, यदि वहाँ विभाजन नहीं हुआ हो तो इसका विभाजन पराग नलिका में होता है। जनन कोशिका का समसूत्री विभाजन होने से दो नर युग्मक  बनते हैं। यह अंकुरित परागकण जिसमें पराग नलिका व दो नर-युग्मक होते हैं, इस सम्पूर्ण संरचना को नर-युग्मकोद्भिद् कहते हैं।
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प्रश्न 3.
आवृतबीजी पादप में मादा युग्मकोद्भिद के परिवर्धन का सचित्र वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
स्त्रीके सर, गुरुबीजाणुधानी ( बीजांड ) तथा भूणकोश (Pistil, Megasporangium (ovule) and embryo-sac)
पुष्य में स्थित जायांग मादा या स्त्री जनन अंग होता है। जायांग एक (एकाण्डपी) या अनेक अण्डपों (बहुअण्डपी) का बना होता है। जायांग में जब एक से अधिक अण्डप होते हैं तो वे आपस में स्वतन्त्र (वियुक्ताण्डपी) या आपस में जुड़े (युक्ताण्डपी) होते हैं (चित्र 2.10 ब, स)। प्रत्येक स्त्रीकेसर का निचला फूला हुआ भाग अण्डाशय (ovary) होता है जो कि अन्तस्थ घुण्डी के समान संरचना वर्तिकाग्र (stigma) से, एक पतली नली के समान वर्तिका (style) द्वारा जुड़ा होता है।
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बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी की संरचना (Structure of ovule or Megasporangium)-
स्त्रीकेसर के अण्डाशय के अन्दर अनेक छोटी-छोटी अण्डाकार संरचनाएँ पाई जाती हैं। इन संरचनाओं को बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी (megasporangium) कहते हैं। प्रत्येक बीजाण्ड एक वृन्त जैसी संरचना द्वारा अण्डाशय की भीतरी भित्ति पर उपस्थित उभार अथवा बीजाण्डासन (placenta) से जुड़ा रहता है। बीजाण्ड के वृन्त को बीजाण्डवृन्त (funicle) कहते हैं। वह स्थान जहाँ बीजाण्डवृन्त बीजाण्ड के साथ जुड़ता है, हाइलम (hilum) कहलाता है। कभी-कभी बीजाण्डवृन्त के जुड़ने के स्थान पर एक उभरी हुई संरचना होती है जिसे रेफी (raphe) कहते हैं।
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एक प्रारूपिक परिपक्व बीजाण्ड लगभग गोल संरचना होती है। इसका मुख्य शरीर सजीव मृदूतकीय कोशिकाओं से बना होता है जिसे बीजाण्डकाय (nucellus) कहते हैं। प्रायः बीजाण्डकाय एक या दो आवरणों द्वारा घिरा होता है जिन्हें अध्यावरण (integuments) कहते हैं। बाहरी आवरण को बाह्य अध्यावरण (outer integument) तथा आंतरिक आवरण को अंतः अध्यावरण (inner integument) कहते हैं।

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अध्यावरणों की संख्या दो होने पर बीजाण्ड द्विअध्यावरणी (bitegmic) तथा एक होने पर एकअध्यावरणी (unitegmic) कहलाते है। अध्यावरण अनुपस्थित होने पर बीजाण्ड अध्यावरण रहित (ategmic) कहलाता है। बीजाण्ड के शीर्ष भाग पर एक छिद्र होता है जिसे बीजाण्डद्वार (micropyle) कहते हैं। बीजाण्ड के आधार भाग को निभाग (chalaza) कहते हैं। बीजाण्डकाय में बीजाण्डद्वार के पास भ्रूणकोश (embryo) होता है।

गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis)-
आवृतबीजी पादपों में बीजाण्ड वस्तुतः गुरुबीजाणुधानी (megasporangium) होता है। बीजाण्ड के मुख्य शरीर बीजाण्डकाय (nucellus) में गुरुबीजाणु का विकास होता है। अतः गुरुबीजाणु मातृ कोशिका (megaspore mother cell) से गुरुबीजाणुओं (megaspores) के बनने की प्रक्रिया को गुरुबीजाणुजनन कहते हैं। विकास के दौरान बीजाण्डकाय में से एक कोशिका आकृति में बड़ी, सघन जीवद्रव्ययुक्त व स्पष्ट केन्द्रक वाली हो जाती है, जिसे गुरुबीजाणु मातृ कोशिका कहते हैं।

गुरुबीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु बनाती है। चारों गुरुबीजाणु रैखिक क्रम में व्यवस्थित होते हैं। इन चार में से प्रायः एक ही गुरुबीजाणु सक्रिय होता है जिससे मादा युग्मकोद्भिद् बनता है, शेष तीन गुरुबीजाणु नष्ट होकर सक्रिय गुरुबीजाणु को पोषण प्रदान करते हैं।

मादा युग्मकोद्भिद् या भूणकोश (Female gametophyte or Embryo-sac) –
सक्रिय गुरुबीजाणु विकसित, होकर मादा युग्मकोद्भिद् अर्थात भूरक्रोश का निर्माण करता है। एक अकेले गुरुबीजाणु से भूगकोश के बनने की विधि को एक-बीजाणुज (monosporic) विकास कहते हैं। सक्रिय गुरुबीजाणु अगुणित तथा मादा युग्मकोद्भिद् की प्रथम कोशिका है।

प्रायः रैखिक चतुष्क में तीन गुरुबीजाणु जो बीजाण्ड द्वार की ओर होते हैं, नष्ट हो जाते हैं परन्तु निभाग की ओर स्थित गुरुबीजाणु सक्रिय होता है। सक्रिय गुरुबीजाणु आकार में बड़ा होने लगता है तथा इसे भ्रूणकोश मातृ कोशिका कहते हैं क्योंकि इसी से भ्रूणकोश का विकास होता है। गुरुबीजाणु के केन्द्रक में तीन सूत्री विभाजन होते हैं जिसके फलस्वरूप आठ केन्द्रक बनते हैं।

प्रथम विभाजन द्वारा बने दो केन्द्रकों में से एक-एक केन्द्रक विपरीत ध्रुवों (बीजाण्ड-द्वार तथा निभाग की ओर) पर स्थित हो जाते हैं। प्रत्येक केन्द्रक पुन: दो बार विभाजित होता है जिसके फलस्वरूप प्रत्येक ध्रुव पर अब चार-चार (कुल आठ) केन्द्रक होते हैं। गुरुबीजाणु अब एक थैले की आकृति ले लेता है, जिसे भ्रूणकोश कहते हैं।

प्रत्येक ध्रुव पर उपस्थित चार केन्द्रकों में से एक-एक केन्द्रक (कुल दो केन्द्रक) कोशिका के केन्द्र  की ओर आकर ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) बनाते हैं। कोशिका के मध्य में आकर दोनों केन्द्रक संयुक्त होकर द्विगुणित केन्द्रक बनाते हैं जिसे द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus) कहते हैं।
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दोनों ध्रुवों पर शेष तीन-तीन केन्द्रक अपने चारों ओर कोशिका द्रव्य एकत्रित करके कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। इसमें बीजाण्डद्वार की ओर स्थित तीन कोशिकायें अण्ड समुच्चय या अण्ड उपकरण (egg apparatus) का निर्माण करती हैं। इनमें से मध्य भाग में स्थित अण्ड कोशिका (egg cell), दो सहायक कोशिकाओं (synergids) से घिरी होती हैं।

अण्ड कोशिका में बीजाण्ड द्वार की ओर रिक्तिका (vacuole) और नीचे की ओर केन्द्रक स्थित होता है। इसके दोनों पाश्वों पर स्थित दो सहायक कोशिकाओं में से प्रत्येक में एक तन्तुरूप उपकरण (filiform apparatus) होता है। यह पराग नलिका को अपनी ओर आकर्षित करता है। सहायक कोशिका में केन्द्रक ऊपर की ओर व रिक्तिका नीचे की ओर होती है। दूसरे ध्रुव पर (निभाग की ओर) बनने वाली तीन कोशिकायें प्रतिमुखी या प्रतिव्यासांत (antipodal cell) कहलाती हैं।

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इस प्रकार से, एक प्ररूपी आवृतबीजी भ्रूणकोश परिपक्व होने पर 8 केन्द्रीय तथा 7 कोशिकीय अवस्था का होता है। इस प्रकार का भ्रूणकोश 70% आवृतबीजी पादपों में पाया जाता है। इस प्रकार के भ्रूणकोश को “पॉलीगोनम प्रकार” (Polygonum type) का कहते हैं क्योंकि इसे सबसे पहले पॉलीगोनम-डाइवेरीकेटम (Polygonum divaricatum) में स्ट्रासबर्गर के द्वारा 1879 में वर्णित किया गया था।

प्रश्न 4.
बीज कितने प्रकार के होते हैं? इनकी संरचना को समझाइये |
उत्तर:
बीजपत्र के आधार पर बीज दो प्रकार के होते हैं-

  • एकबीजपत्री तथा
  • द्विबीजपत्री।

भ्रूणपोष की उपस्थिति व अनुपस्थिति के आधार पर भी बीज दो प्रकार के होते हैं-

  • भ्रूणपोषी बीज तथा
  • अभ्रूणपोषी बीज ।

एकबीजपत्री बीज (Monocot seed)- इनमें केवल एकबीजपत्र होता है। घास परिवार में बीजपत्र को प्रशल्क ( scutellum) कहते हैं तथा यह ढाल के आकार का होता है। प्रशल्क भ्रूणीय अक्ष के एक तरफ (पाश्र्व की ओर) स्थित होता है। इसके निचले सिरे पर भ्रूणीय अक्ष में एक गोलाकर और मूल आवरण एक बिना विभेदित पर्त से आवृत होता है जिसे मूलांकुर चोल (coleorrhiza ) कहते हैं।

प्रशल्क (scutellum ) के जुड़ाव के स्तर से ऊपर, भ्रूणीय अक्ष के भाग को बीजपत्रोपरिक (epicotyl) कहते हैं। बीजपत्रोपरिक में प्ररोह शीर्ष तथा कुछ आदिकालिक पर्ण होते हैं, जो एक खोखली पर्णीय संरचना को घेरते हैं, जिसे प्रांकुरचोल (coleoptile ) कहते हैं। द्विबीजपत्री बीज (Dicot seed) – बीज एक या दो आवरणों से ढका होता है, जिन्हें बीजावरण या बीजचोल (seed coat) कहते हैं। बाह्य बीजावरण को टेस्टा (testa) व अन्त: बीजावरण को टेगमेन (tegmen) कहते हैं।

कुछ बीजों में केवल एक ही बीजचोल मिलता है। बाहरी आवरण मोटा व कठोर जो प्रतिकूल परिस्थितियों और प्रसुप्ति काल में भ्रूण की सुरक्षा करता है। टेगमेन या अन्तः चोल पतला होता है। द्विबीजपत्री बीज में दो बीजपत्र होते हैं। दोनों बीजपत्र भ्रूणाक्ष (embryo axis) के साथ पार्श्व में लगे होते हैं और भ्रूणाक्ष मध्य में होता है। बीजपत्र के स्तर से ऊपर भ्रूणीय अक्ष या भ्रूणाक्ष का भाग पत्रोपरिक (epicotyl) होता है जो प्रांकुर ( plumule ) या स्तम्भ शीर्ष (shoot apex ) बनाता है।

बीजपत्रों के स्तर से नीचे भ्रूणीय अक्ष का भाग बीजपत्राधार ( hypocotyl ) होता है जिससे मूल शीर्ष या मूलांकुर (root tip or radical) बनता है। उन बीजपत्रों में जिनमें भ्रूणपोष नहीं पाया जाता है, बीजपत्र भ्रूणपोष को सोख कर मोटे और गूदेदार हो जाते हैं। कुछ बीजों में बीजपत्र अंकुरण काल में भूमि से ऊपर आ जाते हैं और हरे होकर, प्रथम पत्तियों के बनने तक प्रकाश- संश्लेषण कर पादप के लिये खाद्य बनाते हैं।
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भ्रूणपोषी व अभ्रूणपोषी बीज (Endospermic and Non- endospermic seed)
कुछ बीजों में भ्रूण एक विशेष प्रकार के मृदूतकी ऊतक द्वारा परिबद्ध रहता है। इस ऊतक की कोशिकाओं में प्रचुर मात्रा में खाद्य संग्रहित रहता है। यह खाद्य विकसित होकर भ्रूण को पोषण प्रदान करता है, इसी कारण इसे भ्रूणपोष कहते हैं। इस प्रकार के बीज जिनमें भ्रूणपोष उपस्थित रहता है, उन बीजों को भ्रूणपोषी या एल्बुमिनिस बीज (endospermic or albuminous seed) कहते हैं।

अधिकांश एकबीजपत्री पौधों जैसे गेहूँ, मक्का, धान, बाजरा और कुछ द्विबीजपत्री बीज जैसे अरण्ड आदि भ्रूणपोषी बीज होते हैं। बीज के अंकुरण के समय प्रथम मूल व प्रथम पर्णों के बनने तक श्रूण को पोषण भ्रूणपोष से मिलता है। कुछ पौधों जैसे-चना, मटर, सेम, लौकी, इमली, अमरूद व सूर्यमुखी के बीजों में भ्रूणपोष का अभाव होता है, क्योंकि इनका भूर विकास के दौरान सम्पूर्ण भूरणपोष का उपयोग कर लेता है। ऐसे बीजों को अभ्रूणपोषी या गैर-एल्बुमिनिस बीज (Non-endospermic or ex-albuminous seed) कहते हैं। अभ्रूणपोषी बीजों में खाद्य का संग्रह बीजपत्र में होता है, अतः ये मोटे व गूदेदार होते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. पादप का वह भाग कौन-सा है जिसमें दो पीढ़ी एक पीढ़ी दूसरे के अन्दर होती है- (NEET-2020)
(1) परागकोश के अन्दर परागकण
(2) दो नर युग्मकों वाली अंकुरित परागकण
(3) फल के अन्दर बीज
(4) बीजाण्ड के अन्दर भ्रूणकोष
(अ) (1), (2) और (3)
(ब) (3) और (4)
(स) (1) और (4)
(द) केवल (1)
उत्तर:
(स) (1) और (4)

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2. बीजाण्ड का पिण्ड, बीजाण्ड वृन्त से कहाँ पर संलयित होता है? (NEET-2020)
(अ) बीजाण्ड द्वार
(ब) बीजाण्ड काय
(स) निभाग
(द) नाभिका
उत्तर:
(द) नाभिका

3. जलकुम्भी और जललिली में परागण किसके द्वारा होता है? (NEET-2020)
(अ) केवल जल धाराओं द्वारा
(ब) वायु और जल द्वारा
(द) कीट या वायु द्वारा
(स) कीट और जल द्वारा
उत्तर:
(द) कीट या वायु द्वारा

4. पुष्पी पादपों में निषेचन के पश्चात् विकास के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा कथन गलत है? (NEET-2019)
(अ) बीजाण्ड, भ्रूणकोश में विकसित होते हैं ।
(ब) अण्डाशय, फल में विकसित होता है।
(स) युग्मनज, भ्रूण में विकसित होता है।
(द) केन्द्रीय कोशिका भ्रूणपोश में विकसित होती है
उत्तर:
(अ) बीजाण्ड, भ्रूणकोश में विकसित होते हैं ।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा परागकण को जीवाश्मों के रूप में परिरक्षित करने में सहायक साबित हुआ?
(अ) तैलीय अवयव
(ब) सेलुलोज वाला अन्त: चोल
(स) पराग किट
(द) स्पोरोलिन
उत्तर:
(द) स्पोरोलिन

6. सपक्ष परागकण किसमें होते हैं? (NEET-2018)
(अ) आम
(ब) साइकस
(स) सरसों
(द) पाइनस
उत्तर:
(स) सरसों

7. परागकणों को कई वर्षों तक द्रव नाइट्रोजन में संरक्षित रखा जा सकता है, जिसका तापमान होता है। (NEET-2018)
(अ) – 196°C
(ब) – 80°C
(स) – 120°C
(द) – 160°CGyT
उत्तर:
(अ) – 196°C

8. एक आवृतबीजी पादप में कार्यशील गुरुबीजाणु क्या विकसित होता है? (NEET-2017)
(अ) बीजाण्ड
(ब) भ्रूणपोष
(स) भ्रूण कोष
(द) भ्रूण
उत्तर:
(स) भ्रूण कोष

9. सम्मोहक और पारितोषिक किसके लिए आवश्यक होते हैं ?(NEET-2017)
(अ) वायु परागण
(ब) कीट परागण
(स) जल परागा
(द) अनुन्मुल्य परागण
उत्तर:
(ब) कीट परागण

10. वे पुष्प, जिनमें अण्डाशय में एक बीजाण्ड होता है और वे एक पुस्पक्रम में बंधे रहते हैं, सामान्यतः किसके द्वारा परागित होते हैं- (NEET-2017)
(अ) जल
(ब) मधुमक्खी
(स) वायु
(द) चमगादड़
उत्तर:
(स) वायु

11. एकलिंगाश्रयी पुष्पी पादप निम्नलिखित में किन दोनों को रोकते हैं? (NEET-2017)
(अ) स्वयुग्मन और परानिषेचन
(ब) स्वयुग्मन और सजात पुष्पी परागण
(स) सजात पुष्पी परागण और परानिषेचन
(द) अनुन्मील्य परागण और परानिषेचन
उत्तर:
(ब) स्वयुग्मन और सजात पुष्पी परागण

12. जल हायसिन्थ और जल कुमुदिनी में परागण किसके द्वारा होता है? (NEET-2016)
(अ) पक्षी
(ब) चमगादड़
(स) जल
(द) कीट या पवन
उत्तर:
(द) कीट या पवन

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13. अधिकांश आवृतबीजी पादपों में – (NEET-II 2016)
(अ) अर्धसूत्री विभाजन, गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाओं में होता है।
(ब) भ्रूणकोष में एक लघु केन्द्रीय कोशिका होती है।
(स) अण्ड में तंतुरूप समुच्वय होता है।
(द) बहुत-सी प्रतिव्यासांत कोशिकाएँ होती हैं।
उत्तर:
(अ) अर्धसूत्री विभाजन, गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाओं में होता है।

14. पुष्पी पादपों में बिना निषेचन के बीज बनना निम्नलिखित में से कौनसी प्रक्रिया है? (NEET-2016)
(अ) कायिक संकरण
(ब) असंगजनन
(स) बीजाणुकजनन
(द) मुकुलन
उत्तर:
(ब) असंगजनन

15. पुंकेशर के तन्तु का समीपस्थ छोर किससे जुड़ा होता है?
(अ) प्लेसेन्टा
(ब) पुस्पाषन या पुष्पदल
(स) परागकोश
(द) संयोजी
उत्तर:
(ब) पुस्पाषन या पुष्पदल

16. आवृतबीजी पादपों में नरयुग्मकोद्भिद् क्या बनाता है? (NEET-2015)
(अ) एक शुक्राणु और एक कायिक कोशिका
(ब) एक शुक्राणु और दो कायिक कोशिकाएँ
(स) तीन शुक्राणु
(द) दो शुक्राणु और एक कायिक कोशिका
उत्तर:
(द) दो शुक्राणु और एक कायिक कोशिका

17. पराग गोलियां बाजार में किस लिए उपलब्ध हैं? (NEET-2014)
(अ) पात्र निषेचन के लिए
(ब) प्रजनन योजनाओं के लिए
(द) बाह्यस्थाने संरक्षण के लिए
(स) आहार सम्पूरक के लिए
उत्तर:
(स) आहार सम्पूरक के लिए

18. सजातपुष्पी परागण में क्या होता है? (NEET-2014)
(अ) एक पुष्प का निषेचन उसी पादप के दूसरे पुष्प के पराग से
(ब) एक पुष्प का निषेचन उसी पुष्प के पराग से
(स) एक पुष्प का निषेचन उसी समष्टि के दूसरे पादप के पुष्प के पराग से
(द) एक पुष्प का निषेचन दूरस्थ समष्टि के दूसरे पादप के पुष्प के पराग से
उत्तर:
(अ) एक पुष्प का निषेचन उसी पादप के दूसरे पुष्प के पराग से

19. अनुन्मील्य परागण का क्या लाभ है?
(अ) उच्चतर आनुवंशिक विविधता
(ब) अधिक प्रबल संतान
(स) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं
(द) सजीवप्रजकता ।
उत्तर:
(स) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं

20. गुरुबीजाणुधानी किसके समतुल्य है? (NEET-2013)
(अ) भ्रूणकोष
(ब) फल के
(स) बीजाण्ड काय
(द) बीजाण्ड
उत्तर:
(स) बीजाण्ड काय

21. जनन छिद्र का क्या कार्य है? (NEET-2012, CBSE PMT-2012)
(अ) मूलांकुर का निकलना
(ब) बीजांकुरण हेतु जल का अवशोषण
(स) परागनली का आरम्भन
(द) नर युग्मकों को बाहर आने देना ।
उत्तर:
(स) परागनली का आरम्भन

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22. वह कौनसा ऑर्गेनिक (कार्बनिक) पदार्थ है जो चरम पर्यावरणों को सहन कर सकता है तथा किसी भी एंजाइम द्वारा निम्नीकरण नहीं किया जा सकता है। (NEET-2012)
(अ) क्यूटिकल
(ब) स्पोरोलैनिन
(स) लिग्निन
(द) सेलुलोज
उत्तर:
(ब) स्पोरोलैनिन

23. यदि किसी पौधे की जड़ की कोशिका में गुण सूत्र संख्या 14 हैं तो उसके बीजण्ड की सहायक कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या होगी- (BHU-2012)
(अ) 7
(स) 21
(ब) 14
(द) 28
उत्तर:
(अ) 7

24. नारियल का पानी तथा इसका खाया जाने वाला भाग किसके तुल्य होता है? (CBSE PMT (Pre)-2012)
(अ) भ्रूणपोष
(स) मीजोकार्प
(ब) एण्डोकार्प
(द) भ्रूण
उत्तर:
(अ) भ्रूणपोष

25. वायु परागण सामान्यतः किसमें होता है ? (NEET 2011)
(अ) शिंबों में
(स) घासों में
(ब) लिलियों में
(द) आर्किडस में
उत्तर:
(स) घासों में

26. कायिक जनन तथा असंगजनन के बीच क्या समानता है? (Mains 2011, CBSE PMT (Mains)-2011)
(अ) दोनों पैतृक के समान सन्तति उत्पन्न करते हैं।
(ब) दोनों केवल द्विबीजपत्री पादपों में ही लागू है
(स) दोनों पुष्पन अवस्था को टालते हैं।
(द) दोनों सम्पूर्ण वर्ष होते हैं।
उत्तर:
(अ) दोनों पैतृक के समान सन्तति उत्पन्न करते हैं।

27 आवृतबीजी पौधों के नर युग्मक इनके विभाजन द्वारा बनते हैं- (CBSE PMT-2007, MP PMT-2010, RPMT-2010)
(अ) कायिक कोशिका के
(ब) जनन कोशिका के
(स) लघु बीजाणु के
(द) लघु बीजाणु मातृ कोशिका ।
उत्तर:
(ब) जनन कोशिका के

28. भ्रूणकोष स्थित होता है- (CPMT-2010)
(अ) बीज में
(ब) भ्रूण में
(स) बीजाण्ड में
(द) भ्रूणपोष में
उत्तर:
(स) बीजाण्ड में

29. एन्जियोस्पर्म का अण्ड उपकरण किससे मिलकर बना होता है- (AFMC-2009, DUME-2010, Orissa-2010)
(अ) एक अण्डकोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ
(ब) एक अण्डकोशिका, 2 सहायक कोशिकाएँ तथा तीन प्रतिमुख कोशिकाएँ
(स) 3 प्रतिमुखी कोशिकाएँ
(द) द्वितीयक केन्द्रक तथा अण्ड कोशिका
उत्तर:
(अ) एक अण्डकोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ

30. परागकोष का सबसे भीतरी स्तर टेपीटम का कार्य है- (RPMT-2002, DPMT-2006, CPMT-2009)
(अ) स्फुटन
(ब) यांत्रिकीय
(स) सुरक्षात्मक
(द) पोषक
उत्तर:
(द) पोषक

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31. भ्रूण का विकास के दौरान किस बीज का एण्डोस्पर्म पूर्णतया उपयोग हो जाता है- (CBSE PMT 2008, AMW ( Med) – 2009)
(अ) मटर
(ब) मक्का
(स) नारियल
(द) केस्टर
उत्तर:
(अ) मटर

32. हरे नारियल का दूधिया पानी है- (RPMT-2006, Orissa JEE-2009)
(अ) तरल भ्रूण
(ब) तरल भ्रूणपोष
(स) मादा युग्मकोद्भिद् का तरल पदार्थ
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) तरल भ्रूणपोष

33. परागकण की बाह्य भित्ति बनी होती है- (MP PMT 2009)
(अ) सेल्यूलोज से
(ब) स्पोरोपोलेनिन से
(स) पेक्टोसेल्यूलोज से
(द) लिग्निन से
उत्तर:
(ब) स्पोरोपोलेनिन से

34. निम्न में से किसमें क्लिस्टोगेमस पुष्प पाये जाते हैं- (J&K CET-2008)
(अ) सूरजमुखी
(ब) वेलिसनेरिया
(स) कॉमेलाइना
(द) केलोट्रोपिस
उत्तर:
(स) कॉमेलाइना

35. एंजियोस्पर्म (पुष्पीय पौधों) में भ्रूणपोष है- (RPMT-2006, Orissa JEE-2008)
(अ) एकगुणित
(ब) द्विगुणित
(स) त्रिगुणित
(द) बहुगुणित
उत्तर:
(स) त्रिगुणित

36. बीजाण्ड में अर्धसूत्री विभाजन कहा होता है- (AIPMT-2008)
(अ) बीजाण्ड काय
(ब) गुरुबीजाणु मातृकोशिका
(स) गुरुबीजाणु
(द) भ्रूणकोष
उत्तर:
(ब) गुरुबीजाणु मातृकोशिका

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

37. पुष्पीय पौधों में नर युग्मक किसके विभाजन से बनते हैं- (CBSE PMT 2007, MP PMT – 2007 )
(अ) लघुबीजाणु
(ब) जनन कोशिका
(स) कार्यक कोशिका
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका
उत्तर:
(ब) जनन कोशिका

38. निम्नलिखित में से कौन एक केलोस भित्ति द्वारा घिरा रहता है- (CBSE PMT-2007, NEET-2007, NEET 2002)
(अ) नर युग्मक
(ब) अण्ड
(स) परागकण
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका
उत्तर:
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका

39. बिना निषेचन के फल का निर्माण कहलाता है- (RPMT-2006)
(अ) बहुभ्रूणता
(ब) बहुबीजाणुकता
(स) अनिषेकजनन
(द) अनिषेकफलन
उत्तर:
(द) अनिषेकफलन

40. द्विबीजपत्री पौधों के सामान्य भ्रूणकोश में केन्द्रकों की क्या व्यवस्था होती है- (NEET-2006)
(अ) 2 + 4 + 2
(ब) 3 + 2 + 3
(स) 2 + 3 + 3
(द) 3 + 3 + 2
उत्तर:
(ब) 3 + 2 + 3

41. परागकण का निर्माण होता है- ( Haryana PMT-2005)
(अ) एन्थर में
(ब) स्टिगमा में
(स) फिलामेंन्ट में
(द) परागकोष में
उत्तर:
(ब) स्टिगमा में

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

42. त्रिसंलयन विशिष्ट लक्षण है- (Kerala PMT-2004)
(अ) थैलोफाइटस का
(ब) ब्रायोफाइटस का
(स) टेरिडोफाइटस का
(द) जिम्नोस्पर्म का
उत्तर:
(ब) ब्रायोफाइटस का

43. मक्के के बीज में स्क्यूटेलम को बीजपत्र माना गया है क्योंकि यह- (AIEEE Pharmacy-2004)
(अ) भ्रूण की रक्षा करता है
(ब) भ्रूण के लिए भोजन रखता है
(स) भोज्य पदार्थ को अवशोषित कर भ्रूण को आपूर्ति करता है।
(द) स्वयं ही मोनोकोट की पत्ती में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर:
(स) भोज्य पदार्थ को अवशोषित कर भ्रूण को आपूर्ति करता है।

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HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
न्यूटन के गति के नियम लागू होते हैं:
(a) घूर्णी तन्त्र में
(b) त्वरित तन्त्र में
(c) अजड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में
(d) त्वरण रहित तन्त्र में
उत्तर:
(d) त्वरण रहित तन्त्र में

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 2.
एक कार घर्षण युक्त सड़क पर नियत वेग से गतिशील है, तो:
(a) कार के इंजन के द्वारा बल लगाया जा रहा है
(b) कार के इंजन के द्वारा बल नही लगाया जा रहा है।
(c) कार का संवेग बढ़ रहा है
(d) यह सम्भव नहीं
उत्तर:
(a) कार के इंजन के द्वारा बल लगाया जा रहा है

प्रश्न 3.
एक किग्रा भार बराबर होता है:
(a) 1 न्यूटन
(b) 9.8 न्यूटन
(c) 980 न्यूटन
(d) 98 न्यूटन
उत्तर:
(b) 9.8 न्यूटन

प्रश्न 4.
न्यूटन का तृतीय तुल्य है:
(a) रेखीय संवेग संरक्षण के नियम के
(b) ऊर्जा संरक्षण के नियम के
(c) कोणीय संवेग संरक्षण के नियम के
(d) ऊर्जा व द्रव्यमान तुल्यता के नियम के
उत्तर:
(a) रेखीय संवेग संरक्षण के नियम के

प्रश्न 5.
न्यूटन का गति का तृतीय नियम देता है:
(a) बल की माप
(b) बल की परिभाषा
(c) जड़त्व की परिभाषा
(d) बल का गुण
उत्तर:
(d) बल का गुण

प्रश्न 6.
यदि किसी कण द्वारा तय की गई दूरी (x) एवं समय (t) सम्बन्ध t = ax2 + bx, यहाँ a एवं b स्थिरांक हैं, तो कण का मन्दन होगा:
(a) 2av3
(b) 2bv3
(c) 2av2
(d) 2bv2
उत्तर:
(a) 2av3

प्रश्न 7.
एक स्प्रिंग तुला के पलड़े पर एक बीकर में थोड़ा पानी रखा हुआ है। यदि हम बीकर की तली को बिना छुए जल में अपनी अँगुली डुबाएँ तो तुला का:
(a) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा बढ़ जायेगा
(b) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा घट जायेगा
(c) पाठ्यांक अपरिवर्तित रहेगा
(d) पाठ्यांक परिवर्तन बीकर में भरे पदार्थ पर निर्भर करेगा।
उत्तर:
(a) पाठ्यांक पहले की अपेक्षा बढ़ जायेगा

प्रश्न 8.
एक स्वचालित मशीन गन से एक ही दिशा में गोलियाँ दागी जती हैं। प्रत्येक गोली का द्रव्यमान 50 ग्राम एवं वेग 1000 मी/से है। यदि गोली चलाने वाले व्यक्ति पर लगने वाला औसत बल 200 न्यूटन हो, तो प्रति मिनट दागी गयी गोलियों की संख्या होगी।
(a) 30
(b) 60
(c) 120
(d) 240
उत्तर:
(d) 240

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 9.
तीन घनाकार आकृति के पिण्ड जिनके द्रव्यमान क्रमश: m1 = 20 किग्रा m2 = 40 किग्रा एवं m3 = 60 किग्रा हैं, घर्षण रहित तल पर चित्रानुसार रखे हुए हैं। तीनों पिण्ड एक अविस्तारित डोरी से जुड़े हैं। तनाव T1 एवं T2 के मान होंगे:
(a) 20 एंव 10 न्यूटन
(b) 20 एवं 60 न्यूटन

(c) 40 एवं 20 न्यूटन
(d) 10 एवं 20 नयूटन
उत्तर:
(b) 20 एवं 60 न्यूटन

प्रश्न 10.
स्थिर 238U से एक a-कण 107 मी/से वेग से विघटित होता है।
शेष नाभिक का विघटित वेग होगा:
(a) 107 मी/से
(b) \(\frac{4}{238}\) × 107 मी/से
(c) \(\frac{4}{234}\) × 107 मी/से
(d) \(\frac{1}{238}\) × 107मी/से
उत्तर:
(c) \(\frac{4}{234}\) × 107 मी/से

प्रश्न 11.
जब एक व्यक्ति खुरदरी सतह पर चलता है, तो सतह द्वारा आरोपित घर्षण बल:
(a) व्यक्ति की गति की दिशा में होता है
(b) व्यक्ति की गति की दिशा से विपरीत होता है
(c) व्यक्ति की गति की दिशा के लम्बवत् होता है।
(d) व्यक्ति की गति की दिशा के लम्बवत् नीचे की ओर होता है।
उत्तर:
(a) व्यक्ति की गति की दिशा में होता है

प्रश्न 12.
एक पिण्ड पर F = 4t3 न्यूटन बल, प्रथम दो सेकण्ड तक लगाया जाता है। पिण्ड के रेखीय संवेग में वृद्धि होगी:
(a) 16 न्यूटन सेकण्ड
(b) 8 न्यूटन सेकण्ड
(c) 48 न्यूटन सेकण्ड
(d) 32 न्यूटन सेकण्ड
उत्तर:
(a) 16 न्यूटन सेकण्ड

प्रश्न 13.
एक बिन्दु पर 10-10 न्यूटन के दो बल कोण θ पर कार्य कर रहे है। उनका परिणामी बल भी होगा 10 न्यूटन कोण θ का मान हैं।
(a) 0°
(b) 60°
(c) 120°
(d) 180°
उत्तर:
(c) 120°

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प्रश्न 14.
2 किग्रा द्रव्यमान का एक ब्लॉक फर्श पर रखा हुआ है। स्थैतिक घर्षण गुणांक का मान 0.4 है। यदि 2.5 न्यूटन का एक बल चित्रानुसार ब्लॉक पर लगाया जाये तो ब्लॉक व फर्श के मध्य घर्षण बल का मान है

F = 2.5N
(a) 2.5 न्यूटन
(b) 5.0 न्यूटन
(c) 7.5 न्यूटन
(d) 10 न्यूटन
उत्तर:
(a) 2.5 न्यूटन

प्रश्न 15.
घर्षण रहित फर्श पर किस व्यक्ति को चलने के लिए निम्न नियम की सहायता लेनी होगी:
(a) न्यूटन के प्रथम नियम की
(b) न्यूटन के द्वितीय नियम की
(c) न्यूटन के तृतीय नियम की
(d) उपर्युक्त सभी नियमों की
उत्तर:
(c) न्यूटन के तृतीय नियम की

प्रश्न 16.
समान वेग से सरल रेखीय पथ पर गतिशील एक ट्रेन में एक बच्चे ने हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे से बँधी हुई डोरी को हाथ में पकड़ रखा है। यदि ड्राइवर अचानक ब्रेक लगाता है तो गुब्बारा:
(a) पीछे जायेगा
(b) ऊर्ध्व ऊपर रहगा
(c) आगे जायेगा
(d) ऊर्ध्व नीचे रहेगा
उत्तर:
(a) पीछे जायेगा

प्रश्न 17.
एक गुटका एक मेज पर रखा हुआ है। प्रतिक्रिया बल होगा:
(a) नीचे की ओर मेज द्वारा
(b) नीचे की ओर गुटके द्वारा
(c) ऊपर की ओर गुटके द्वारा
(d) ऊपर की ओर मेज द्वारा।
उत्तर:
(d) ऊपर की ओर मेज द्वारा।

प्रश्न 18.
सरकस में दौड़ते हुए घोड़े की पीठ पर बैठा घुड़सवार उछलकर पुन: घोड़े पर आ जाता है क्योंकि:
(a) वृत्तीय पथ में गति है
(b) स्थिरता का जड़त्व है
(c) गतिशीलता का जड़त्व है
(d) यह असम्भव है
उत्तर:
(c) गतिशीलता का जड़त्व है

प्रश्न 19.
निम्न में से किस प्रक्रिया में बल की आवश्यकता नहीं होती है?
(a) समान चाल से वर्तुल गति
(b) समान वेग से रेखीय गति
(c) समान त्वरण से रेखीय गति
(d) सभी में बल की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
(a) समान चाल से वर्तुल गति

प्रश्न 20.
यदि किसी पिण्ड पर कई बल कार्यरत हैं तो उसके साम्यावस्था में होने के लिए आवश्यक शर्त है।
(a) पिण्ड बहुत हल्का होना चाहिए
(b) पिण्ड बहुत भारी होना चाहिए
(c) पिण्ड पर कार्यरत् बल संगामी होने चाहिए
(d) पिण्ड पर कार्यरत् सभी बलों का सदिश योग शून्य होना चाहिए।
उत्तर:
(c) पिण्ड पर कार्यरत् बल संगामी होने चाहिए

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक वृत्ताकार चिकनी चकती पर एक चिकनी गोली रखी है। चकती को घुमाने पर गोली चकती से लुढ़ककर नीचे गिर जाती है, क्यों?
उत्तर:
चकती एवं गोली दोनों चिकनी हैं अतः गोली को चकती के साथ घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल (घर्षण बल के द्वारा) नहीं मिल पाता है; अत; गोली वृत्त की स्पर्श रेखा की दिशा में गति करती हुई नीचे गिर जाती है।

प्रश्न 2.
कार में बैठा व्यक्ति कार के मुड़ने पर विपरीत दिशा में झुक जाता है, क्यों?
उत्तर:
कार के मुड़ने पर व्यक्ति के ऊपरी भाग को आवश्यक अभिकेन्द्र बल नहीं मिल पाता है अतः वह अपकेन्द्र बल के कारण विपरीत दिशा में झुक जाता है।

प्रश्न 3.
मोड़ पर सड़क के करवट के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
सड़क पर करवट से वाहन के अधिकतम सुरक्षित वेग में वृद्धि होती है जिससे वाहन बिना फिसले मोड़ से सुरक्षित गुजर जाते हैं।

प्रश्न 4.
यदि नियत परिमाण का बल सदैव गतिशील पिण्ड की गति की दिशा के लम्बवत् कार्य करता है, तो कण का पथ कैसा होगा?
उत्तर:
कण का पथ वृत्ताकार होगा क्योंकि लगाया गया बल अभिकेन्द्र बल का कार्य करेगा।

प्रश्न 5.
क्षैतिज वृत्त में घूमने वाले पिण्ड की गतिज ऊर्जा प्रत्येक स्थिति में समान रहती है। क्या ऊर्ध्व वृत्त में भी यह कथन सत्य होगा?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि ऊध्वं वृत्तीय गति में गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का एक-दूसरे में रूपान्तरण होता रहता है।

प्रश्न 6.
एक डोरी से भारी पत्थर लटकाया गया है। जैसे ही पत्थर को सरल लोलक की तरह दोलन कराया जाता है, डोरी टूट जाती है। इस घटना का क्या कारण है?
उत्तर:
केवल लटकाये जाने की स्थिति में डोरी में तनाव T = mg होता है, जो डोरी की सहनशीलता के अन्दर होता है और डोरी नहीं टूटती है। दोलन कराने पर निम्नतम बिन्दु तनाव अधिकतम Tmax = (mg + \(\frac{m v^2}{r}\)
हो जाता है, जो डोरी की सहनशीलता से अधिक हो जाता है जिससे डोरी टूट जाती है।

प्रश्न 7.
अभिकेन्द्रीय बल को यह नाम क्यों दिया गया?
उत्तर:
क्योंकि इसकी दिशा सदैव केन्द्र की ओर होती है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अभिकेन्द्रीय बल कहाँ अधिकतम होता है?
उत्तर:
अभिकेन्द्रीय बल F = \(\frac{m v^2}{r}\) ध्रुवों पर r का मान न्यूनतम होता है। अतः यहाँ पर F का मान अधिकतम होता है।

प्रश्न 9.
एक कार को समतल सड़क पर मुड़ने के लिए अभिकेन्द्रीय बल किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
सड़क व कार के पहियों के टायरों के मध्य लगने वाला घर्षण बल ही आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है।

प्रश्न 10.
अभिकेन्द्र बल एवं अपकेन्द्र बल में कौन वास्तविक बल एवं कौन छद्म बल है?
उत्तर:
अभिकेन्द्र बल वास्तविक एवं अपकेन्द्र बल छद्म बल है।

प्रश्न 11.
ऊर्ध्व वृत्त में गतिमान पिण्ड की उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल को क्या कहते हैं? इसका मान क्या होता है?
उत्तर:
उच्चतम बिन्दु पर न्यूतनतम चाल को क्रान्तिक चाल कहते हैं और इसका मान v = \(\sqrt{r g}\) होता है।

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प्रश्न 12.
ऊर्ध्वाधर वृत्त के निम्नतम बिन्दु पर क्रान्तिक चाल एवं डोरी में इस दशा में तनाव कितना होगा?
उत्तर:
डोरी में तनाव T = 6 mg तथा क्रान्तिक चाल Vc = \(\sqrt{5 r g}\)

प्रश्न 13.
जेट इंजन किसके संरक्षण पर आधारित है- ऊर्जा के, संवेग के या द्रव्यमान के?
उत्तर:
जेट इंजन संवेग संरक्षण के सिद्धान्त पर आधारित है।

प्रश्न 14.
पृथ्वी चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाती है; इसका प्रतिक्रिया बल कहाँ लग रहा होगा?
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र पर चन्द्रमा की ओर।

प्रश्न 15.
कुँए से पानी खींचते समय यदि रस्सी टूट जाये तो मनुष्य किस ओर गिरेगा?
उत्तर:
पीछे की ओर।

प्रश्न 16.
एक खिलाड़ी कूदने से पहले कुछ दूरी तक भागता क्यों है?
उत्तर:
खिलाड़ी गति जड़त्व के लिए कूदने से पहले कुछ दूर दौड़ता है।

प्रश्न 17.
यदि किसी पिण्ड पर नेट बल शून्य है, तो पिण्ड क्या विरामावस्था में होगा?
उत्तर:
आवश्यक नहीं है क्योंकि नियत वेग से गतिमान वस्तु पर भी नेट बल शून्य होता है।

प्रश्न 18.
जब कोई गेंद ऊपर की ओर फेंकी जाती है तो उसका वेग पहले घटता है फिर बढ़ता है। क्या इस प्रक्रिया में संवेग संरक्षण का उल्लंघन होता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि (गेंद + पृथ्वी) का संवेग संरक्षित रहता है।

प्रश्न 19.
क्या रॉकेट मुक्त आकाश में उड़ सकता है?
उत्तर:
हाँ; रॉकेट मुक्त आकाश में उड़ सकता है।

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प्रश्न 20.
चलती बस के अचानक रुकने पर उसमें बैठा यात्री आगे की ओर गिर जाता है, क्यों?
उत्तर:
गति जड़त्व के कारण यात्री के शरीर का ऊपर वाला भाग गतिशील रहता है जबकि बस की सीट के सम्पर्क वाला भाग बस के साथ रुक जाता है। इसलिए यात्री आगे की ओर गिर जाता है।

प्रश्न 21.
यदि एक दीवार पर समान द्रव्यमान तथा समान वेग से बारी-बारी से लोहे, पत्थर, मिट्टी, टेनिस की गेंद मारी जाये तो किसके द्वारा सबसे अधिक बल लगेगा?
उत्तर:
टेनिस की गेंद से क्योंकि यह सर्वाधिक वेग से वापस लौटेगी तथा संवेग में परिवर्तन सर्वाधिक होगा।

प्रश्न 22.
दो तलों के मध्य घर्षण गुणांक किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आर्द्रता, तलों की प्रकृति, ताप, तलों की स्वच्छता पर।

प्रश्न 23.
पृथ्वी किस प्रकार का निर्देश तन्त्र है?
उत्तर:
अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र, क्योंकि पृथ्वी के घूर्णन के कारण इस पर स्थित वस्तुओं की गति त्वरित गति की श्रेणी में आती है।

प्रश्न 24.
पहिए गोल क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
पहिए गोल इसलिए बनाये जाते हैं ताकि वे सर्पी घर्षण को लोटनी घर्षण में बदल सकें।

प्रश्न 25.
किसी पिण्ड की गति प्रारम्भ करने की अपेक्षा उसकी गति को बनाये रखना आसान होता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि गतिक घर्षण बल का मान सीमान्त घर्षण बल की तुलना में कम होता है।

प्रश्न 26.
दो समान द्रव्यमान के दो व्यक्ति अपने पैरों पर बर्फ पर चलने वाली स्की (ice-skates) बाँधकर बर्फ के समतल मैदान पर कुछ दूरी पर खड़े हैं। एक व्यक्ति की कमर में एक रस्सी बँधी है जिसका दूसरा सिरा दूसरे व्यक्ति के हाथ में है। यदि दूसरा व्यक्ति रस्सी को अपनी ओर खींचे तो दोनों व्यक्तियों की गति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
दोनों व्यक्ति समान संवेग से एक-दूसरे की ओर गति करेंगे।

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प्रश्न 27.
एक वस्तु पर कार्यरत् असमान संगामी बलों की संख्या कम से कम क्या होनी चाहिए जिससे वस्तु संतुलित रहे?
उत्तर:
वस्तु पर कार्यरत् असमान संगामी बलों की संख्या तीन होनी चाहिए जिससे वस्तु संतुलित रह सके।

प्रश्न 28.
समतल पृष्ठ पर एक W भार के बक्से को ऊर्ध्वाधर से θ कोंण पर F परिमाण का बल लगाकर खींचा जा रहा है। यदि बक्सा क्षैतिज दिशा में खिसके तब समान पृष्ठ का बक्से पर कितना प्रतिक्रिया बल मिलता है?

उत्तर:
बल को वियोजित करने पर,
R + Fcosθ = W
प्रतिक्रिया बल, R = W – Fcosθ

प्रश्न 29
एक नत समतल पर m द्रव्यमान की वस्तु रखी है जिस पर क्षैतिज बल F लग रहा है। वस्तु पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल क्या है?
उत्तर:
बल F को एवं mg को वियोजित करने पर अभिलम्ब
प्रतिक्रिया
R = mg cosθ + F sinθ

प्रश्न 30.
कार की छत से धागे द्वारा लटकी गेंद कार के बायें मुड़ने पर किस ओर हटेगी?
उत्तर:
कार के बायीं ओर मुड़ने पर छद्म बल ( अपकेन्द्र बल) दायीं ओर को लगेगा। अतः गेंद दायीं ओर हटेगी।

प्रश्न 31.
एक लड़के के हाथ में एक पिंजरा है जिसकी फर्श पर एक चिड़िया बैठी है। यदि चिड़िया पिंजरे के भीतर उड़ने लगे तो क्या लड़के को पिंजरे के भार के कोई परिवर्तन अनुभव होगा?
उत्तर:
हाँ, पिंजरा पहले से हल्का प्रतीत होगा क्योकि अब चिड़िया का भार अनुभव नहीं होगा।

प्रश्न 32.
क्रिया व प्रतिक्रिया बल एक दूसरे के विपरीत व परिमाण में समान होते हैं लेकिन फिर भी वे एक दूसरे को निरस्त नहीं कर पाते हैं?
उत्तर:
प्रश्नगत क्रिया एवं प्रतिक्रिया बल एक दूसरे को निरस्त नही कर पाते क्योंकि ये दोनों बल एक ही वस्तु पर कार्य न करके दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।

प्रश्न 33.
यदि किसी पिण्ड को तीन समान्तर बल सन्तुलन में रखते हैं तो उन बलों की विशेषता क्या होगी?
उत्तर:
बल समतलीय तथा संगामी होंगे।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
रेलगाड़ी का ड्राइवर स्टार्ट करने के लिए पहले रेल के इंजन को पीछे धकेलता है तथा फिर आगे बढ़ाता है। ऐसा क्यों करता है?
उत्तर:
इंजन को पीछे धकेलने से डिब्बों को जोड़ने वाली कड़ियाँ ढीली पड़ जाती हैं। अब इंजन द्वारा आगे की ओर बल लगाने पर सर्वप्रथम पहला डिब्बा तथा फिर बारी-बारी से पिछले डिब्बे त्वरित होते हैं। यदि ड्राइवर ऐसा न करे तो कड़ियों के तने होने पर पूरी गाड़ी एक साथ त्वरित होगी, जिसके लिए इंजन को बहुत अधिक बल लगाना पड़ेगा।

प्रश्न 2.
क्या समान वेग से गति करने वाला पिण्ड सन्तुलन में है?
उत्तर:
हाँ, सरल रेखीय गति में,
संतुलन की अवस्था में Fnet = 0
अर्थात्
Fnet = ma = \(\frac{m(\Delta v)}{t}\)
= 0
या
∆v = 0
अर्थात् पिण्ड समान वेग से गतिमान है।

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प्रश्न 3.
एक हल्के एवं दूसरे भारी पिण्ड के रेखीय संवेग समान हैं। किस पिण्ड की गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा E = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{m^2 v^2}{2 m}\)
= \(\frac{p^2}{2 m}\)
∴ p2 = 2mE ⇒ P = \(\sqrt{2 m E}\)
दिया है:
P1 = P2
∴ \(\sqrt{2 m_1 E_1}\) = \(\sqrt{2 m_7 E_2}\)
या
m1E1 = m2E2
⇒ \(\frac{E_1}{E_2}\) = \(\frac{m_2}{m_1}\)
∵ m2 > m1
∴ E1 > E2
अर्थात् हल्के पिण्ड की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।

प्रश्न 4.
एक हल्के एवं भारी पिण्ड की गतिज ऊर्जा समान है। किस पिण्ड का रेखीय संवेग अधिक होगा?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा E = \(\frac{p^2}{2 m}\)
∵ E1 = E2
∴\(\frac{p_1^2}{2 m_1}\) = \(\frac{p_2^2}{2 m_2}\)
या
\(\frac{p_1^2}{p_2^2}\) = \(\frac{m_1}{m_2}\)
∵ m1 < m2
p12 < P22 या P1 < P2
अर्थात् हल्के पिण्ड का रेखीय संवेग कम होगा और भारी का अधिक।

प्रश्न 5.
समान द्रव्यमान M के तीन समरूप गुटके एक घर्षण रहित मेज पर चित्र के अनुसार धकेले जाते हैं। बताइये कि (i) गुटकों का त्वरण क्या है? (ii) गुटके A पर नेट बल कितना है ? (iii) गुटका A गुटके B पर कितना बल लगाता है? (iv) गुटका B गुटके C पर कितना बल लगाता है? (v) गुटकों के सम्पर्क तलों पर क्रिया तथा प्रतिक्रिया बलों को दिखाइये।

उत्तर:
(i) प्रत्येक गुटके का त्वरण a = \(\frac{F}{3 M}\)
(ii) गुटके A पर नेट बल = \(\frac{F}{3}\)
(iii) गुटके A द्वारा B पर लगाया गया बल = \(\frac{2 F}{3}\)
(iv) गुटके B द्वारा C पर लगाया गया बल = \(\frac{F}{3}\)
(v) क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल चित्र में प्रदर्शित हैं।

प्रश्न 6.
समान द्रव्यमान के तीन गुटके डोरियों से बाँधकर एक चिकनी क्षैतिज मेज पर बल द्वारा खींचे जाते हैं। डोरियों में तनाव T1 व T2 ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना बल F के कारण त्वरण a उत्पन्न होता है। अतः न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से:

∴ प्रथम पिण्ड के लिए गति का समी०
F – T1 = ma ⇒ T1 = F – ma
= F – m\(\frac{F}{3 m}\)
या
T1 = F – \(\frac{F}{3 m}\) = \(\frac{2F}{3 m}\)
या
T1 = \(\frac{2F}{3 m}\)
इसी प्रकार दूसरे पिण्ड के लिए
T1 – T2 = ma = \(\frac{F}{3}\)
या
T2 = T1 – \(\frac{F}{3}\) = \(\frac{2F}{3}\) – \(\frac{F}{3}\) = \(\frac{F}{3}\)
या
T2 = \(\frac{F}{3}\)

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प्रश्न 7.
पेड़ की शाखा को हिलाने पर आम नीचे क्यों गिर जाते हैं?
उत्तर:
जब पेड़ की शाखा को हिलाते हैं तो यह गति करती है। जड़त्व के कारण आम स्थिर रहता है। इसी कारण आम शाखा से अलग होकर नीचे गिर जाता है।

प्रश्न 8.
धूल हटाने के लिए गलीचे को डण्डे से क्यों पिटते हैं?
उत्तर:
जब गलीचे को डण्डे से पीटते हैं तो गलीचा तो गति में आ जाता है लेकिन धूल के कण विराम जड़त्व के कारण गति में नहीं आ पाते हैं और वे गलीच से अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं?
उत्तर:
न्यूटन के गति के प्रथम नियम अर्थात् जड़त्व के नियम के अनुसार गतिशील वस्तु रुकने का विरोध करती है। इसीलिए तीव्र गतिशील वाहक के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।

प्रश्न 10.
न्यूटन के गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम क्यों कहते हैं?
उत्तर:
न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी पिण्ड की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता है और जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करती है। इसीलिए गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम कहते हैं।

प्रश्न 11.
क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे की ओर क्यों खींचता है?
उत्तर:
गति के द्वितीय नियम से F = \(\frac{\Delta p}{\Delta t}\)
स्पष्ट है कि ∆p संवेग परिवर्तन के लिए समयान्तराल ∆r का मान जितना अधिक होगा, बल F का मान उतना ही कम होगा। इसीलिए क्रिकेट खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे खींच लेता है। ताकि गेंद का संवेग शून्य होने का समय बढ़ जाये और हाथ पर गेंद द्वारा आरोपित बल कम हो जाये।

प्रश्न 12.
बल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बल वह कारक है जो किसी वस्तु की अवस्था को बदल दे या बदलने का प्रयास करे।

प्रश्न 13.
एक जड़त्वीय तन्त्र के अन्तर्गत् एक कण का त्वरण मापने पर शून्य आता है। क्या हम कह सकते हैं कि कण पर कोई बल कार्यरत् नहीं है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जड़त्वीय निर्देश तन्त्र में न्यूटन के गति के प्रथम व द्वितीय नियम वैध होते हैं। गति की परिभाषा आपेक्षिक आधार पर की जाती है। सामान्यतः पृथ्वी को स्थिर मान कर हम गति को परिभाषित करते हैं और पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र मानते हैं। अतः पृथ्वी पर किसी वस्तु का त्वरण शून्य होने पर भी उस पर गुरुत्वीय बल (भार) कार्य करता है।

प्रश्न 14.
न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार रस्साकशी के खेल में प्रत्येक टीम अपनी विरोधी टीम को समान बल से खींचता है, तो फिर एक टीम जीतती है और दूसरी हार जाती है ऐसा क्यों?
उत्तर:
रस्साकशी के खेल में दोनों टीमें जब तक समान बल से रस्से को सींचती हैं तब तक पूरे निकाय पर नेट बल शून्य रहता है। जैसे ही 1 एक टीम का बल दूसरी टीम के बल से अधिक हो जाता है, नेट बल लगने लगता और पूरा निकाय नेट बल की दिशा में गति करने लगता है। फलस्वरूप एक टीम जीत जाती है और दूसरी हार जाती है।

प्रश्न 15.
एक मेज पर एक किताब रखी हुई है। किताब का भार एवं मेज द्वारा किताब पर लगाया गया अभिलम्ब बल परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत हैं। क्या इसे न्यूटन के तृतीय नियम का उदाहरण माना जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, क्योंकि तृतीय नियम के लिए दोनों बल परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत होने चाहिए तथा दोनों बल दो अलग-अलग वस्तुओं पर लगने चाहिए । यहाँ ये शर्तें पूर्ण होती हैं।

प्रश्न 16.
किसी वस्तु पर लगने वाले आवेग की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
आवेग (Impulse): जब दो वस्तुओं में टक्कर होती है, तो वे एक दूसरे पर बल आरोपित करती हैं। फलस्वरूप प्रत्येक वस्तु के संवेग में दूसरी वस्तु द्वारा लगाये बल के कारण परिवर्तन होता है। सामान्यतः इस प्रकार की टक्कर में सम्पर्क का समय अर्थात् स्पर्श काल (Duration of Contact) अत्यल्प होता है जबकि वस्तुओं के संवेग में परिवर्तन अत्यधिक होता है। इसका अर्थ है कि टक्कर के समय लगने वाले बल का परिमाण अत्याधिक होना चाहिए। उदाहरणार्थ- क्रिकेट के खेल में बल्ले द्वारा गेंद पर अत्यधिक बल अत्यल्प समय के लिए लगाया जाता है। ऐसे ही बल को ‘आवेगी बल’ (Impulsive Force) कहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि. सम्पर्क के समय बल एक समान ( uniform ) हो। इस प्रकार, “किसी वस्तु की गति पर बल के समग्र प्रभाव को आवेग कहते हैं और इसका मान बल एवं समयान्तराल के गुणनफल से प्राप्त करते हैं।” इसे / से व्यक्त करते हैं और यह सदिश राशि है जिसकी दिशा वही होती है, जो आरोपित बल की होती है।
अत:
आवेग = बल x समयान्तराल
या
I = F.∆l …..(1)
सदिश रूप में
\(\vec{I}\) = \(\vec{I}\)∆l …..(2)
∵ न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से
\(\vec{F}\) = \(\frac{\Delta \vec{p}}{\Delta t}\)
\(\vec{I}\) = \(\frac{\Delta \vec{p}}{\Delta t}\) x ∆t
या
\(\vec{I}\) = \(\Delta \vec{p}\) ….(3)
अर्थात् “किसी वस्तु पर कार्यरत् आवेग, उसके संवेग में परिवर्तन के बराबर होता है।” यही आवेग संवेग प्रमेय हैं।
यदि किसी वस्तु पर कोई बल \(\vec{F}\) है अल्प समय dt के लिए कार्यरत् रहता है, तो बल का आवेग,
dI = F.dt
यदि ब F समय t1 से t2 तक के लिए आरोपित रहता है, तो कुल आवेग
I = \(\int d I\) = \(\int_{t_1}^{t_2} F \cdot d t\)
यदि बल समय का फलन (function) नहीं है तो नियत रहेगा। अतः
I = \(F \cdot \int_{t_1}^{t_2} d t-F \cdot[t]_{t_1}^{t_2}\)
या
I = F.∆t
मात्रक एवं विमीय सूत्र
∵ आवेग I = F. ∆t
∴ I का मात्रक = N. s.
तथा I का विमीय सूत्र = [M1L1T-2][T1]
= [M1L1T-1]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 17.
आवेगी बल क्या होते हैं?
उत्तर:
अत्यधिक परिमाण के वे बल जो अत्यल्प अवधि (स्पर्श काल) के लिए कार्यरत् होते हैं, आवेगी बल कहलाते हैं।

प्रश्न 18.
विलगित निकाय किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा निकाय जिस पर कोई बाह्य बल कार्य न कर रहा हो या कार्यरत् बाह्य बलों का सदिश योग शून्य हो, विलगित निकाय कहलाता है।

प्रश्न 19.
किसी बन्दूक से एक गोली छोड़ने पर बन्दूक पीछे की ओर प्रतिक्षिप्त क्यों करती है?
उत्तर:
संवेग संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी निकाय का कुल संवेग संरक्षित अर्थात् नियत रहता है। अतः जब बन्दूक से गोली दागी जाती है तो जिस संवेग से गोली गति करती है, ठीक उतने ही संवेग से बन्दूक प्रतिक्षिप्त होती है, ताकि कुल संवेग नियत रहे।

प्रश्न 20.
एक व्यक्ति सीमेन्ट के फर्श पर गिरता है तो रेत की ढेरी पर गिरने की अपेक्षा अधिक चोट लगती है, क्यों?
उत्तर:
जब व्यक्ति किसी ऊँचाई से सीमेन्ट की फर्श पर गिरता है तो अचानक रूक जाता है क्योंकि फर्श दबती नहीं है। अतः आवेग को संतुलित करने के लिए फर्श द्वारा अधिक बल लगाया जाता है है जिससे चोट अधिक लगती है। इसके विपरीत जब व्यक्ति रेत के ढेर पर गिरता है तो रेत दब जाता है और संवेग को शून्य होने के लिए अधिक समय लगता है, अतः रेत की फर्श द्वारा कम बल लगाया जाता है जिससे चोट कम लगती है।

प्रश्न 21.
एक गुब्बारे (द्रव्यमान M) से बंधी रस्सी से एक व्यक्ति (द्रव्यमान m) लटका है तथा गुब्बारा स्थिर है। यदि वह व्यकि इसी रस्सी के सहारे चढ़ने लगे तो गुब्बारा किस वेग से तथा किस दिशा में चलने लगेगा? व्यक्ति का रस्सी के सापेक्ष वेग v है।
उत्तर:
व्यक्ति तथा गुब्बारे का प्रारम्भिक संवेग शून्य है, अतः व्यक्ति जिस संवेग से ऊपर चढ़ेगा, गुब्बारा उतने ही संवेग से नीचे गति करेगा। यदि गुब्बारे का वेग u है, तो व्यक्ति ऊपर की ओर (V – u) वेग से ऊपर चढ़ेगा।
अतः व्यक्ति का संवेग + गुब्बारे का संवेग = 0
या
m(v – u) – Mu = 0
या
mv – mu – Mu = 0
या
mv – u(m + M) = 0
या
u(M + m) = mv
∴ u = \(\frac{m v}{M+m}\)

प्रश्न 22.
कीचड़ वाली सड़क पर हम फिसल क्यों जाते हैं?
उत्तर:
कीचड़ वाली सड़क पर हमारे पैरों और सड़क के बीच जल की एक पतली पर्त होती है। यह पर्त अन्तर्ग्रथन (interlocking) को समाप्त करके घर्षण को कम कर देती है। इसीलिए कीचड़ युक्त सड़क पर हम फिसल जाते हैं।,

प्रश्न 23.
चाल से गतिमान एक ट्रक के ड्राइवर को अपने सामने दूरी पर एक चौड़ी दीवार दिखाई देती है टक्कर से बचने के लिए उसे ब्रेक लगानी चाहिए अथवा बिना ब्रेक लगाये गाड़ी को वृत्तीय मोड़ देना चाहिए? कारण भी बताइये।
उत्तर:
ब्रेक लगाने चाहिए, ब्रेक लगाने पर ट्रक की गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय होगी। यदि घर्षण बल Ff तथा रुकने से पूर्व ट्रक द्वारा चली गई दूरी हो तो
\(\frac{1}{2}\)mv2 = Ff x. ∴ x = \(\frac{m v^2}{2 F_f}\)
ट्रक को टक्कर से बचाने के लिए x < r
∴ \(\frac{m v^2}{2 F_f} \leq r\) या \(F_f \geq \frac{m v^2}{2 r}\)
ट्रक को मोड़ने पर,. \(F_f=\frac{m v^2}{r^{\prime}}\)
∴ \(r^{\prime}=\frac{m v^2}{F_f}\)
टक्कर से बचने के लिए \(r^{\prime} \leq r,\)
या \(\frac{m v^2}{F_f} \leq r\)
स्पष्ट है कि ब्रेक द्वारा रोकने के आवश्यक घर्षण बल \(\frac{m v^2}{2 r}\) वृत्तीय मोड़ देने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल \(\frac{m v^2}{r}\) से आधा है।

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प्रश्न 24.
एक राइफल से गोली दागी जाती है। यदि राइफल स्वतन्त्रता पूर्वक प्रतिक्षेपित होती है, तो बताइये कि राइफल की गतिज ऊर्जा गोली की गतिज से किस प्रकार सम्बन्धित होगी?
उत्तर:
गतिशील पिण्ड की गतिज ऊर्जा E = \(\frac{p^2}{2 m}\)
∴ गोली एवं राइफल दोनों के संवेग समान होंगे, अतः E ∝ \( \frac{1}{m}\) स्पष्ट है कि राइफल की गतिज ऊर्जा गोली की गतिज ऊर्जा से कम होगी क्योंकि राइफल का द्रव्यमान गोली के द्रव्यमान से अधिक होता है।

प्रश्न 25.
ढालू सड़क पर चढ़ने की अपेक्षा समतल सड़क पर टायरों की पकड़ अधिक मजबूत होती है, क्यों?
उत्तर:
समतल सड़क पर घर्षण बल μmg होता है जबकि ढालू सड़क पर μmg cosθ होता है। यदि θ > 0° तो cosθ < 1, अतः समतल सड़क पर घर्षण बल अधिक होने के कारण टायरों की पकड़ अधिक मजबूत होती है।

प्रश्न 26.
किसी सतह का अत्यधिक पॉलिश करने पर घर्षण बल बढ जाता है। कारण बताइये।
उत्तर:
जब किसी पृष्ठ को बहुत अधिक पॉलिश कर दिया जाता है तो पृष्ठ के अणु एक-दूसरे की आणविक परास के अन्दर आ जाते हैं। अतः अन्तरापरमाणवीय आकर्षण बढ़ जाता है जिसके कारण घर्षण बल बढ़ जाता है।

प्रश्न 27.
50g द्रव्यमान की वस्तु निर्वात् में नियत वेग 10ms-1 के वेग से क्षैतिज घर्षण रहित तल पर गति करती है, वस्तु पर बल क्या होगा?
उत्तर:
नियत वेग से गतिमान वस्तु का त्वरण शून्य होगा, अर्थात् a = 0 अतः उस पर लगने वाला बल F = ma = 0 होगा।

प्रश्न 28.
विद्युत् बन्द कर देने के बाद भी पंखा कुछ देर तक घूमता रहता है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
गति जड़त्व के कारण पंखा विद्युत् आपूर्ति बन्द करने के बाद कुछ समय तक घूमता रहता है। यदि घर्षण बल जैसे विरोधी बल न हों तो पंखा अनन्त काल तक घूमता रहेगा।

प्रश्न 29.
भारहीन तथा घर्षण रहित एक घिरनी पर भारहीन तथा न बढ़ने वाली एक रस्सी के दोनों सिरों पर समान द्रव्यमान के दो बन्दर लटके हैं। रस्सी के सापेक्ष एक बन्दर तेजी से चढ़ता है। कौन सा बन्दर सबसे पहले ऊपर पहुँचेगा?
उत्तर:
किसी भी बन्दर को संवेग प्रदान करने वाला कोई भी बाहय बल आरोपित नहीं हो रहा है। केवल बन्दर ही एक दूसरे पर बराबर संवेग लगा रहे है। अतः दोनों बन्दर एक साथ घिरनी पर पहुँचेंगे।

प्रश्न 30.
एक क्षैतिज सड़क पर एक पहिया घूमता हुआ आगे बढ़ रहा है। इस पर घर्षण बल की दिशा बताइये।
उत्तर:
आगे बढ़ रहे घूमते पहिए पर दो घर्षण बल कार्य करते हैं:

  • लोटनी घर्षण बल एवं
  • गतिक घर्षण बल 1 चूँकि पहिया आगे बढ़ रहा है, अतः गतिक घर्षण बल पीछे की ओर कार्य करेगा। पहिए के सड़क के सम्पर्क वाले भाग की प्रवृत्ति पीछे की ओर है अतः लोटनी घर्षण बल आगे को लगेगा। चूँकि लोटनी घर्षण बल गतिक घर्षण बल से कम होता है अतः परिणामी घर्षण बल पीछे की ओर लगेगा।

प्रश्न 31.
एक डोरी के सिरे पर एक पत्थर बाँधकर उसे तेजी से घुमाने पर डोरी टूट जाती है और पत्थर स्पर्श रेखा की दिशा में दूर चला जाता है, क्यों?
उत्तर:
ऐसा दिशा के जड़त्व के कारण होता है। जब डोरी टूटती है तो पत्थर को डोरी द्वारा प्राप्त होने वाला अभिकेन्द्रीय बल समाप्त हो जाता है। बल की अनुपस्थिति में पत्थर तात्क्षणिक वेग की दिशा में दूर चला जाता है। यह दिशा डोरी टूटने
के बिन्दु पर वृत्तीय पथ की स्पर्श रेखा की दिशा में होती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 32.
एक नाभिक जो स्थिर अवस्था में है, अचानक दो समान भागों में टूट जाता है। दोनों नाभिकों के मध्य वह कोण ज्ञात कीजिए जिस पर ये एक दूसरे से दूर जाते हैं।
उत्तर:
बड़ा नाभिक स्थिर है अतः इसका संवेग = 0 (शून्य)। टूटने के बाद दोनों नाभिकों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा उनके वेग क्रमशः \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) हैं, तो उनके संवेग
\(\overrightarrow{p_1}\) = m1 \(\overrightarrow{v_1}\)
एवं
\(\overrightarrow{p_2}\) = m2 \(\overrightarrow{v_2}\)
संवेग संरक्षण के सिद्धान्त से
टूटने के बाद कुल संवेग = टूटने के पूर्व संवेग
\(\overrightarrow{p_1}\) + \(\overrightarrow{p_2}\) = 0
∴ \(\vec{p}=-\overrightarrow{p_2}\)
या
m1 \(\overrightarrow{v_1}\) = m2 \(\overrightarrow{v_2}\)
∵ m1 व m2 अदिश राशियाँ हैं अतः \(\overrightarrow{v_1}\) व \(\overrightarrow{v_2}\) की दिशाएँ परस्पर विपरीत दिशा में अर्थात 180° के कोण पर होंगी।

प्रश्न 33.
एक स्थिर वाहन के अन्दर बैठे कुछ यात्री इसको अन्दर से धक्का लगा रहे हैं। कारण सहित बताइये कि वह वाहन चलेगा या नहीं?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि यात्रियों द्वारा लगाया गया बल, वाहन की दीवार द्वारा आरोपित समान परन्तु विपरीत प्रतिक्रिया बल द्वारा संतुलित हो जाता है; अतः वाहन पर शुद्ध बल शून्य होगा और वाहन नहीं चलेगा।

प्रश्न 34.
विरामावस्था में रखा एक बम समान द्रव्यमान के तीन टुकड़ों में विस्फोटित हो जाता है। दो टुकड़ों का संवेग क्रमशः -2p\(\hat{i}\) और p\(\hat{j}\) है। तीसरे टुकड़ें के संवेग का परिमाण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है;
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-24

प्रश्न 35.
एक व्यक्ति पूर्णतया घर्षण रहित बर्फ के तालाब के मध्य में खड़ा है वह किनारे तक कैसे पहुँच सकता है?
उत्तर:
वह सामने की ओर फूँक मारकर या सामने की ओर थूककर किनारे पर पहुँच सकता है। ऐसा करने पर वह आगे की ओर कुछ बल लगाता है और वायु को कुछ संवेग प्रदान करता है। संवेग संरक्षण के सिद्धान्त से उसके शरीर को विपरीत दिशा में समान संवेग प्राप्त होता है। घर्षण की अनुपस्थिति में व्यक्ति की गतिज ऊर्जा में कोई हानि नहीं होती है और वह तालाब के किनारे पर पहुँच जाता है।

प्रश्न 36.
वर्षा होने पर सड़क के मोड़ पर स्कूटर प्रायः फिसल क्यों जाते हैं?
उत्तर:
वर्षा होने पर सड़क पानी के कारण गीली हो जाती है जिससे घर्षण कम हो जाता है। फलस्वरूप स्कूटर को घर्षण के द्वारा पर्याप्त अभिकेन्द्रीय बल नहीं मिल पाता है और वह फिसल जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

प्रश्न 1.
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम लिखिए तथा इससे सिद्ध कीजिए कि F = ma; इस सूत्र की सहायता से बल के S.I. मात्रक की परिभाषा दीजिए तथा बल का विमीय सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) :
इस नियम के अनुसार, “किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की समय दर उस पर लगाये गये बाह्य बल के अनुक्रमानुपाती होती है और उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल लगाया जाता है।”

यदि m द्रव्यमान की वस्तु पर बल \(\vec{F}\) समयान्तराल ∆t के लिये लगाने पर उसका वेग \(\vec{v}\) से (\(\vec{v}+∆ \vec{v}\)) हो जाये तथा उसके संवेग में परिवर्तन \(\Delta \vec{p}\) हो तब
\(\vec{F} \propto \frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\)
अति सूक्ष्म समयान्तराल (∆t → 0) के लिए \(\frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\), समय t के सापेक्ष \(\vec{p}\) का अवकलन अथवा अवकल गुणांक हो जाता है जिसे \(\frac{d \vec{p}}{d t}\) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अतः
\(\vec{F} \propto \frac{d \vec{p}}{dt}\)
\(\vec{F}=k\frac{d \vec{p}}{dt}\)
जहाँ k = आनुपातिकता स्थिरांक (constant of proportionality) है।
k का मान चयनित मात्रकों की पद्धति पर निर्भर करता है। मात्रकों का चयन इस प्रकार करते हैं कि k = 1
अत: समी० (1) से
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-8
अतः किसी वस्तु पर कार्यरत् बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 2.
जड़त्व क्या है? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर :
अनुच्छेद 5.4 का अवलोकन कीजिए।
जड़त्व का नियम (Law of Motion) :
जड़त्व (Inertia) :
जड़त्व शब्द की उत्पत्ति जड़ता शब्द से हुई है जिसका अर्थ स्थिरता या अपरिवर्तनीयता है। प्रत्येक वस्तु जिस अवस्था में होती है, उसी अवस्था में रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामावस्था है तो विरामावस्था में ही रहना चाहती है और यदि गतिशील है तो उसी वेग से चलते रहना चाहती है तथा अपनी उक्त अवस्थाओं में परिवर्तन का विरोध करती है। यही कारण है कि वस्तु की अवस्था परिवर्तित करने के लिए बाह्य असन्तुलित बल की आवश्यकता होती है। वस्तु के इस गुण को गैलीलियो ने ‘जड़त्व’ नाम द्यिया।

अतः, “जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है जिस कारण वह अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।”

किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। अतः भारी वस्तु अपनी विरामावस्था में परिवर्तन का विरोध, हल्की वस्तु की तुलना में अधिक करती है।

जड़त्व के प्रकार (Kinds of Inertia) –

  1. विराम का जड़त्व (Inertia of Rest) : वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपनी विरामावस्था में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है, विराम का जड़त्व कहलाता है।
  2. गति का जड़त्व (Inertia of Motion) : तस्तु का वह गुण जिसके कारण सरल रेखा में गतिशील वस्तु अपनी गति में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है, गति का जड़त्व कहलाता है।
  3. दिशा का जड़त्व (Inertia of Direction) : दिशा के जड़्व के कारण कोई वस्तु अपनी वास्तविक दिशा में रहने का प्रयास करती है और दिशा परिवर्तन का विरोध करती है।

प्रश्न 3.
न्यूटन के गति का द्वितीय नियम लिखिए तथा सिद्ध कीजिए कि बल का आवेग संवेग परिवर्तन के बराबर होता है। उदाहरण सहित इसका महत्त्व समझाइये।
उत्तर :
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) :
इस नियम के अनुसार, “किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की समय दर उस पर लगाये गये बाह्य बल के अनुक्रमानुपाती होती है और उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल लगाया जाता है।”
यदि m द्रव्यमान की वस्तु पर बल \(\vec{F}\) समयान्तराल ∆t के लिये लगाने पर उसका वेग \(\vec{v}\) से (\(\vec{v}+∆ \vec{v}\)) हो जाये तथा उसके संवेग में परिवर्तन \(\Delta \vec{p}\) हो तब
\(\vec{F} \propto \frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\)
अति सूक्ष्म समयान्तराल (∆t → 0) के लिए \(\frac{\overrightarrow{∆ p}}{∆ t}\), समय t के सापेक्ष \(\vec{p}\) का अवकलन अथवा अवकल गुणांक हो जाता है जिसे \(\frac{d \vec{p}}{d t}\) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अतः
\(\vec{F} \propto \frac{d \vec{p}}{dt}\)
\(\vec{F}=k\frac{d \vec{p}}{dt}\)
जहाँ k = आनुपातिकता स्थिरांक (constant of proportionality) है।
k का मान चयनित मात्रकों की पद्धति पर निर्भर करता है। मात्रकों का चयन इस प्रकार करते हैं कि k = 1
अत: समी० (1) से
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-9
अतः किसी वस्तु पर कार्यरत् बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।

आवेग संवेग प्रमेय (Impulse Momentum Theorem) :
कथन-इस प्रमेय के अनुसार, ” किसी बल का आवेग उस बल के कारण उत्पन्न हुए संवेग परिवर्तन के बराबर होता है।” उप्पत्ति-न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-10

प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि तीन संयुग्मी बलों \(\vec{F}_1, \vec{F}_2 व \vec{F}_3\) की स्थिति में वस्तु साम्यावस्था में होगी जब \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\vec{F}_3=0\).
उत्तर :
किसी कण की साम्यावस्था (Equilibrium of a particle concurrent forces) ;
संगामी बल (Concurrent Forces) :
“यदि किसी वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों की क्रिया रेखाएँ एक उभयनिष्ट बिन्दु से गुजरती हैं, तो उन्हें संगामी बल कहते हैं।” ऐसी अवस्था में वस्तु पर परिणामी बल उस पर कार्यरत् सभी बलों के सदिश योग के बराबर होता है और यही परिणामी बल वस्तु के रेखीय त्वरण को निर्धारित करता है। यदि वस्तु पर कार्यरत् बल संगामी नहीं हैं तो वस्तु पर परिणामी बलयुग्म लग सकता है और फलस्वरूप वस्तु घूर्णन गति भी कर सकती है। संगामी बलों के प्रभाव में यदि वस्तु साम्यावस्था में है तो सभी बलों का सदिश योग शून्य होगा। अर्थात्
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-11
या \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\ldots \ldots+\vec{F}_n=0\)

किसी वस्तु पर कार्यरत् बलों की संख्या के.अनुसार सदिशों के संयोजन हेतु उपयुक्त त्रिभुज नियम, समान्तर चतुर्भुज नियम या बहुभुज नियम का प्रयोग करते हुए परिणामी बल के परिमाण एवं दिशा ज्ञात की जा सकती है और तदानुसार वस्तु की गति का निर्धारण किया जा सकता है।

संगामी बलों के प्रभाव में संतुलन की आवश्यक शर्त (Necessary condition for equilibrium under effect of concurrent forces) :
संतुलन का अर्थ है कि वस्तु अपनी यथास्थिति को बनाये रखे। इसकी आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-12
(i) यदि पिण्ड पर दो संगामी बल कार्य करें तो बलों के संतुलन के लिए दोनों बल परिमाण में समान किन्तु परस्पर विपरीत दिशा में लगने चाहिए।
(ii) यदि बलों की क्रिया रेखाएँ समान नहीं हैं तो बलों की संख्या कम से कम तीन होनी चाहिए।
(iii) तीन संगामी बलों के प्रभाव में संतुलित अवस्था में
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-13

(iv) यदि किसी वस्तु पर लगने वाले N संगामी बल N भुजाओं वाले बहुभुज की भुजाओं द्वारा क्रमागतः रूप से व्यक्त किये जा सकते हैं तो ये बल संतुलन में होते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.
बल निर्देशक आरेख क्या है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर ;
बल निर्देशक आरेख द्वारा यांत्रिकी में समस्याओं का हल (Solutions of Problems in Mechanics by Force Diagram)
बल निर्देशक आरेख (Force Diagram) :
आमतौर पर यांत्रिकी की किसी प्रारूपी समस्या में बलों की क्रिया के अधीन केवल एक पिण्ड का ही समावेश नहीं होता। अधिकांश प्रकरणों में हम विभिन्न पिण्डों के ऐसे संयोजन पर विचार करते हैं जिनमें पिण्ड परस्पर एक दूसरे पर बल लगाते हैं। इसके अतिरिक्त संयोजन का प्रत्येक पिण्ड गुरुत्वीय बल का भी अनुभव करता है। इस प्रकार की किसी समस्या को हल करने के लिए प्रयास करते समय हमें एक तथ्य को ध्यान रखना आवश्यक है कि हम संयोजन के किसी भी भाग को चुनकर उस पर न्यूटन के गति के नियमों को इस शर्त के साथ लागू कर सकते हैं कि चुने हुए भाग पर संयोजन के शेष भागों द्वारा आरोपित सभी बलों को सम्मिलित करना सुनिश्चित कर लिया गया है। संयोजन के चुने हुए भाग को हम ‘निकाय’ (System) कह सकते हैं तथा संयोजन के शेष भाग को ‘वातावरण’ (environment) कह सकते हैं। अब हमें यांत्रिकी की किसी प्रारूपी समस्या को सुव्यवस्थित ढंग से हल करने के लिए निम्नलिखित चरणों को अपनाना चाहिए-
(i) पिण्डों के संयोजन के विभिन्न भागों, सम्बन्धों आदि को दर्शाने वाला संक्षिप्त योजनाबद्ध आरेख खीचिए।

(ii) संयोजन के किसी भाग को, जिसकी गति के बारे में हमें जानना हो, निकाय के रूप में चुनिए।

(iii) एक पृथक् आरेख खींचिए जिसमें केवल निकाय तथा पिण्डों के संयोजन के शेष भागों (वातावरण) द्वारा निकाय पर आरोपित सभी बलों को सम्मिलित करके दर्शाया गया हो। निकाय पर सभी अन्य साधनों द्वारा आरोपित बलों को भी सम्मिलित कीजिए। परन्तु यह ध्यान रहे कि निकाय द्वारा वातावरण पर आरोपित बलों को इसमें सम्मिलित नही करना है। इस प्रकार के आरेख को ‘बल निर्देशक आरेख’ कहते हैं।

(iv) किसी बल निर्देशक आरेख में बलों से संबन्धित केवल वही सूचनाएँ (बलों के परिमाण तथा दिशाएँ) सम्मिलित कीजिए जो या तो आप को दी गई हैं अथवा जो निर्विवाद् निश्चित हैं। उदाहरण के लिए किसी पतली डोरी में तनाव की दिशा सदैव डोरी की लम्बाई के अनुदिश होती है; गुरुत्वीय बल की दिशा ऊध्र्वाधर नीचे की ओर होती है; अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल तल के लम्बवत् होता है, आदि। शेष उन सभी को अज्ञात माना जाना चाहिए जिन्हें गति के नियमों के अनुप्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जाना है।

(v) यदि आवश्यक हो तो संयोजन के किसी अन्य भाग को निकाय मानकर उसके लिए भी यही विधि अपनाइये। ऐसा करने के लिए न्यूटन के तृतीय नियम का ध्यान रखना आवश्यक है, अर्थात् यदि निकाय A के बल निर्देशक आरेख में B (वातावरण) के कारण A पर बल को \(\vec{F}\) द्वारा दर्शाया गया है, तो निकाय B के बल निर्देशक में A (वातावरण) के कारण B पर बल \(-\vec{F}\) द्वारा दर्शाया जाना चाहिए। यांत्रिकी की समस्याओं को हल करने में बल निर्देशक आरेख खोंचना सहायक है।

प्रश्न 6.
संवेग संरक्षण का नियम लिखकर इसे प्राप्त कीजिए एवं इस नियम की सहायता से गति का तृतीय नियम निगमित कीजिए।
उत्तर :
संवेग संरक्षण नियम एवं इसके अनुप्रयोग (Law of Conservation of Momentum and its Applications) :
संवेग संरक्षण नियम (Law of Conservation of Momentum) ;
न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से किसी विलगित कण पर कार्य करने वाला बल, उसके संवेग परिवर्तन की दर के बराबर होता है, अर्थात्
\(\vec{F}=\frac{d \vec{p}}{d t}\)
यदि पिण्ड या कण पर आरोपित बल अनुपस्थित हो तो-
\(\vec{F}=0 \quad \text { अत: } \quad \frac{d \vec{p}}{d t}=0\)
या \(\vec{p}\) = नियतांक [क्योंकि नियतांक का अवकलन शून्य होता है] आंकिक रूप से p = नियतांक
या \(m \vec{v}\) = नियतांक
अर्थात् “बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी कण का कुल रेखीय संवेग नियत रहता है।’ यही रेखीय संवेग संरक्षण का सिद्धान्त है।

कणों के निकाय के लिए संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Momentum for System of Particles) :
जब हम कणों के एक निकाय पर विचार करते हैं तो हमें निकाय पर आरोपित बाह्य बलों और निकाय के आन्तरिक बलों में भेद करना होगा। चूँकि आन्तरिक बल बराबर एवं विपरीत बलों के युग्म के रूप में होते हैं (अर्थात् \(\overrightarrow{F_{B A}}=-\overrightarrow{F_{A B}}\) ), अतः आन्तरिक बलों का सदिश योग शून्य होगा और निकाय पर केवल बाह्य आरोपित बलों का ही प्रभाव होगा।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-14
अर्थात् ऐसा निकाय जिस पर कोई बाह्य बल कार्य नहीं कर रहा है या कार्यरत् बाह्य बलों का सदिश योग शून्य है, एक विलगित निकाय (Isolated System) कहलाता है। समीकरण (4) के अनुसार बाह्य बल की अनुपस्थिति में विलगित निकाय का कुल संवेग नियत या संरक्षित रहता है। यही एक विलगित निकाय के लिए संवेग संरक्षण का नियम है।

समीकरण (4) व (5) के अनुसार निकाय कण विशेष का संवेग या वेग परिवर्तित हो सकता है परन्तु बाह्य बल की अनुपस्थिति में निकाय का कुल संवेग नियत रहेगा।

कणों की खोज (Invention of Particles)-संवेग संरक्षण का नियम भौतिकी के मूलभूत नियमों में से एक है। संवेग संरक्षण के सामान्य नियम का अभी तक कोई अपवाद सामने नहीं आया है। वास्तव में जब कभी किसी प्रयोग में संवेग संरक्षण के सामान्य नियम का अतिक्रमण दृष्टि गोचर होता है, तो एक छिपे हुए या अज्ञात कण की खोज प्रारम्भ होती है, जो ऊपरी तौर से ऊर्जा संरक्षण नियम के अतिक्रमण के लिए भी उत्तरदायी होता है। इसी से न्यूट्रिनो, मेसॉन और कई अन्य मूल कणों की खोज सम्भव हो सकी है।

प्रश्न 7.
संगामी बलों से क्या तात्पर्य है? संगामी बलों के संतुलन के लिए आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर :

किसी कण की साम्यावस्था (Equilibrium of a particle concurrent forces) ;
संगामी बल (Concurrent Forces) :
“यदि किसी वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों की क्रिया रेखाएँ एक उभयनिष्ट बिन्दु से गुजरती हैं, तो उन्हें संगामी बल कहते हैं।” ऐसी अवस्था में वस्तु पर परिणामी बल उस पर कार्यरत् सभी बलों के सदिश योग के बराबर होता है और यही परिणामी बल वस्तु के रेखीय त्वरण को निर्धारित करता है। यदि वस्तु पर कार्यरत् बल संगामी नहीं हैं तो वस्तु पर परिणामी बलयुग्म लग सकता है और फलस्वरूप वस्तु घूर्णन गति भी कर सकती है। संगामी बलों के प्रभाव में यदि वस्तु साम्यावस्था में है तो सभी बलों का सदिश योग शून्य होगा। अर्थात्
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-11
या \(\vec{F}_1+\vec{F}_2+\ldots \ldots+\vec{F}_n=0\)

किसी वस्तु पर कार्यरत् बलों की संख्या के.अनुसार सदिशों के संयोजन हेतु उपयुक्त त्रिभुज नियम, समान्तर चतुर्भुज नियम या बहुभुज नियम का प्रयोग करते हुए परिणामी बल के परिमाण एवं दिशा ज्ञात की जा सकती है और तदानुसार वस्तु की गति का निर्धारण किया जा सकता है।

संगामी बलों के प्रभाव में संतुलन की आवश्यक शर्त (Necessary condition for equilibrium under effect of concurrent forces) :
संतुलन का अर्थ है कि वस्तु अपनी यथास्थिति को बनाये रखे। इसकी आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-12
(i) यदि पिण्ड पर दो संगामी बल कार्य करें तो बलों के संतुलन के लिए दोनों बल परिमाण में समान किन्तु परस्पर विपरीत दिशा में लगने चाहिए।
(ii) यदि बलों की क्रिया रेखाएँ समान नहीं हैं तो बलों की संख्या कम से कम तीन होनी चाहिए।
(iii) तीन संगामी बलों के प्रभाव में संतुलित अवस्था में
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-15

(iv) यदि किसी वस्तु पर लगने वाले N संगामी बल N भुजाओं वाले बहुभुज की भुजाओं द्वारा क्रमागतः रूप से व्यक्त किये जा सकते हैं तो ये बल संतुलन में होते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 8.
घर्षण से आप क्या समझते हैं? सीमान्त घर्षण, गतिक घर्षण तथा सर्पी घर्षण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
घर्षण (Friction) :
एक क्षैतिज मेज पर रखे m द्रव्यमान के पिण्ड पर लगने वाले बलों पर विचार करते हैं। जब तक कोई बाहरी बल पिण्ड पर नहीं लगाया जाता है तब तक पिण्ड विरामावस्था में रहता है और पिण्ड का भार \(\vec{W}=m \vec{g}\) व मेज द्वारा पिण्ड पर आरोपित अभिलम्ब बल परस्पर विपरीत दिशा में होने के कारण एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं।

अब माना पिण्ड पर कोई बाह्य बल \(\vec{F}\) क्षैतिजत: आरोपित किया जाता है जो परिमाण में इतना कम है कि पिण्ड में कोई गति उत्पन्न नहीं कर पाता है। प्रश्न यह उठता है कि बाह्य बल \(\vec{F}\) परिमाण में भले ही कितना कम हो, लेकिन पिण्ड में इसके द्वारा त्वरण (\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}\)) उत्पन्न होना चाहिए

और वस्तु को गतिशील होना चाहिए था; परन्तु ऐसा नहीं होता है। इसका अर्थ यह है कि \(\vec{F}\) के विपरीत दिशा में निश्चित रूप से एक विरोधी बल उत्पन्न होता है जो \(\vec{F}\) का विरोध करता है और पिण्ड विरामावस्था में बना रहता है। यह विरोधी बल पिण्ड एवं मेज के सम्पर्क पृष्ठ के अनुदिश लगता है। इसी बल को घर्षण बल (Force of Friction) कहते हैं। इस बल को fs से व्यक्त करते हैं। इसे स्थैतिक घर्षण (Static Friction) कहते हैं। इस प्रकार,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-16
“जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलती है या फिसलने का प्रयास करती है तो स्पर्शी तलों के मध्य एक विरोधी बल उत्पन्न हो जाता है जो गति के विपरीत दिशा में ( अर्थात् बाह्य बल की विपरीत दिशा में ) गति का विरोध करता है। इसी विरोधी बल को घर्षण बल कहते हैं।”

यह ध्यान देने योग्य है कि स्थैतिक घर्षण का तब तक कोई अस्तित्व नहीं है जब तक कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। स्थैतिक घर्षण बल स्वत: समायोजित होने वाला बल है अर्थात् बाह्य बल को बढ़ाने पर यह बढ़ता है और एक सीमा तक बढ़ने के बाद फिर नहीं बढ़ता है। इसी अधिकतम स्थैतिक घर्षण बल को सीमान्त घर्षण (Limiting Friction) कहते हैं। बाह्य बल का मान इससे अधिक करने पर पिण्ड गति आरम्भ कर देता है।

प्रश्न 9.
घर्षण से क्या हानियाँ हैं? घर्षण कम करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर ;

घर्षण (Friction) :
एक क्षैतिज मेज पर रखे m द्रव्यमान के पिण्ड पर लगने वाले बलों पर विचार करते हैं। जब तक कोई बाहरी बल पिण्ड पर नहीं लगाया जाता है तब तक पिण्ड विरामावस्था में रहता है और पिण्ड का भार \(\vec{W}=m \vec{g}\) व मेज द्वारा पिण्ड पर आरोपित अभिलम्ब बल परस्पर विपरीत दिशा में होने के कारण एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं।

अब माना पिण्ड पर कोई बाह्य बल \(\vec{F}\) क्षैतिजत: आरोपित किया जाता है जो परिमाण में इतना कम है कि पिण्ड में कोई गति उत्पन्न नहीं कर पाता है। प्रश्न यह उठता है कि बाह्य बल \(\vec{F}\) परिमाण में भले ही कितना कम हो, लेकिन पिण्ड में इसके द्वारा त्वरण (\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}\)) उत्पन्न होना चाहिए

और वस्तु को गतिशील होना चाहिए था; परन्तु ऐसा नहीं होता है। इसका अर्थ यह है कि \(\vec{F}\) के विपरीत दिशा में निश्चित रूप से एक विरोधी बल उत्पन्न होता है जो \(\vec{F}\) का विरोध करता है और पिण्ड विरामावस्था में बना रहता है। यह विरोधी बल पिण्ड एवं मेज के सम्पर्क पृष्ठ के अनुदिश लगता है। इसी बल को घर्षण बल (Force of Friction) कहते हैं। इस बल को fs से व्यक्त करते हैं। इसे स्थैतिक घर्षण (Static Friction) कहते हैं। इस प्रकार,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-17
“जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलती है या फिसलने का प्रयास करती है तो स्पर्शी तलों के मध्य एक विरोधी बल उत्पन्न हो जाता है जो गति के विपरीत दिशा में ( अर्थात् बाह्य बल की विपरीत दिशा में ) गति का विरोध करता है। इसी विरोधी बल को घर्षण बल कहते हैं।”

यह ध्यान देने योग्य है कि स्थैतिक घर्षण का तब तक कोई अस्तित्व नहीं है जब तक कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। स्थैतिक घर्षण बल स्वत: समायोजित होने वाला बल है अर्थात् बाह्य बल को बढ़ाने पर यह बढ़ता है और एक सीमा तक बढ़ने के बाद फिर नहीं बढ़ता है। इसी अधिकतम स्थैतिक घर्षण बल को सीमान्त घर्षण (Limiting Friction) कहते हैं। बाह्य बल का मान इससे अधिक करने पर पिण्ड गति आरम्भ कर देता है।

घर्षण एक बुराई (Friction as an Evil) :

  • मशीनों में टूट फूट (wear and tear) का कारण घर्षण ही है।
  • घर्षण का प्रतिकार करने में ही शक्ति का बड़ा भाग व्यर्थ चला जाता है जिससे मशीनों की दक्षता काफी कम हो जाती है।
  • घर्षण के कारण ही मशीन के घूमने वाले हिस्सों में ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे वे गर्म हो जाती हैं।

घर्षण को कम करने की विधियाँ (Methods of Reducing Friction) :
1. पॉलिश द्वारा (By Polishing) :दो पृष्ठों के मध्य घर्षण को कम करने के लिए उन्हें पॉलिश किया जाता है। घड़ियों में प्रयुक्त ज्वेल बियरिंग (jewel-bearing) एवं तुला में प्रयुक्त छुर-धारों (knife-edges) पर उच्च कोटि की पॉलिश की जाती है ताकि घर्षण कम हो जाये।

2. बाल बियरिंग (Ball-Bearing) : लोटनी घर्षण फिसलन घर्षण से कम होता है। इसीलिए घूर्णन करने वाली मशीनों में शैफ्ट को बाल बियरिंग चित्र 5.22 पर जड़ (fix) दिया जाता है ताकि घर्षण को काफी कम किया जा सके। बाइसिकिल में फ्री-हील, मोटर कार की एक्सिल, मोटर एवं डायनमों की शैफ्ट आदि में बाल बियरिंग का प्रयोग किया जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-18

3. स्नेहक (Lubricants) : स्नेहक ऐसा पदार्थ (ठोस या द्रव) होता है, जो सम्पर्क वाली दोनों सतहों के मध्य एक पतली पर्त बना लेता है। यह सम्पर्क वाली सतहों के गड्ढ़ों (depressions) को भी भर देता है और घर्षण को काफी कम कर देता है। हल्की मशीनों में कम श्यानता का पतला तेल प्रयोग किया जाता है। भारी और तेज चलने वाली मशीनों में गाढ़ा तेल (thick oil) या ठोस स्नेहक (grease) प्रयोग किये जाते हैं। दो सतहों के मध्य स्नेहक के प्रयोग से घर्षण कम किया जाता है।
कभी-कभी ठोस पॉउडर के रूप में स्नेहक का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, फरम बोर्ड पर पॉउडर छिड़क देते हैं, जिससे बोर्ड व गोटियों के बीच घर्षण कम हो जाता है।

4. सुप्रवाहिता (Streamlining) : तीव्र गति वाले वाहनों जैसे-वायुयान, जलयान, जेटयान आदि को सामने की ओर विशेष आकार (नुकीला) का बनाना सुप्रवाहिता कहलाता है। इससे तरल घर्षण (अर्थात् वायु का घर्षण वाहन पर) घट जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 10.
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र ( प्रारम्भिक अवधारणा) (Inertial and Non-inertial Frames of References) :
जड़त्वीय निर्देश तन्त्र (Inertial Frame of Reference ) ;
निर्देश तंत्रों की परिकल्पना गति की विश्लेषणात्मक व्याख्या के लिए की जाती है। यदि हम एक निर्देशांक पद्धति (coordinate system) की कल्पना करें जो किसी दृढ़ पिण्ड से सम्बद्ध है तथा इस निर्देशांक पद्धति के सापेक्ष किसी कण की स्थिति का मापन करते हुए इसकी गति का अध्ययन करें तो इस निर्देशांक पद्धति को निर्देश तन्त्र कहा जाता है। सामान्यतः प्रेक्षक की स्थिति निर्देश तन्त्र के मूल बिन्दु पर ली जाती हैं किन्तु यह आवयश्क नहीं है। सामान्यतः प्रेक्षक उस निर्देश तन्त्र को काम में लेता है जो उसके सापेक्ष स्थिर होता है। कार्तीय निर्देशांक पद्धति (cartesian coordinate system) को सरलतम निर्देश तन्त्र के रूप में लिया जाता है। इस प्रकार के निर्देश तन्त्र त्रिविमीय आकाश (three dimensional space) में परस्पर लम्बवत् तीन सरल रेखीय अक्षों X, Y व 2 से मिलकर बनते हैं और ये अक्ष मूलबिन्दु पर मिलती हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-19
इस प्रकार के तन्त्र से किसी क्षण पर स्थिति तीन निर्देशांकों (x. 31.2) द्वारा व्यक्त की जाती है। यद्यपि कार्तीय निर्देशांक पद्धति, दक्षिणावर्ती (right handed) (चित्र) व वामावर्ती (left handed) (चित्र b) दो प्रकार की होती है परन्तु अधिकांशतः दक्षिणावर्ती कार्तीय निर्देशांक पद्धति का ही प्रयोग निर्देश तन्त्र के रूप में किया जाता है।

ऐसे निर्देश तन्त्र जिनमें न्यूटन के गति सम्बन्धी प्रथम और द्वितीय नियम वैध होते हैं, जड़त्वीय निर्देश तन्त्र कहलाते हैं। इस प्रकार के तन्त्र में यदि किसी कण पर कोई बाह्य बल कार्यरत् नहीं है तो यह कण या तो स्थिर रहता है अथवा एक समान वेग से सरल रेखीय गति करता है (जड़त्व का नियम)। अत: इन्हें जगत्वीय निर्देश तन्त्र कहा जाता है। इस प्रकार के तन्त्रों को गैलीलियन तन्त्र अथवा न्यूटोनियन निर्देश तन्त्र के नाम से भी जाना जाता है।

गणितीय विश्लेषण से यह सिद्ध किया जा सकता है कि जड़त्वीय निर्देश तन्त्र या तो स्थिर होते हैं अथवा नियत वेग से गतिमान होते हैं। यह भी सिद्ध किया जा सकता है कि किसी जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के सापेक्ष नियत वेग से गतिमान अन्य कोई तन्त्र भी जड़त्वीय ही होगा।

जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के लिए न्यूटन द्वारा निरपेक्ष आकाश (Absolute space) की कल्पना की गई। न्यूटन ने यह माना कि निरपेक्ष आकाश एक ऐसा जड़त्वीय तंत्र है जो स्वयं निरपेक्ष विरामावस्था में है, अतः इसके सापेक्ष सभी प्रकार की गतियों का अध्ययन किया जा सकता है। परन्तु आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त के आधार पर यह कल्पना यथार्थ की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है। अनुभवों के आधार पर यह ज्ञात है कि स्थिर तारे (fixed stars) निरपेक्ष आकाश के सापेक्ष लगभग स्थिर होते हैं। अतः इन तारों से सम्बद्ध निर्देश तन्त्र सर्वोत्तम उपलब्ध जड़त्वीय निर्देश तन्त्र है।

अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र : वे निर्देश तन्त्र जिनमें न्यूटन के गति के प्रथम व द्वितीय नियम वैध नहीं रहते हैं, अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र कहलाते हैं। इन तन्त्रों में बल की अनुपस्थिति में भी किसी कण की गति त्वरित प्रतीत होती है। सभी त्वरित तन्त्र एवं घूर्णन करते हुए तन्त्र अजड़त्वीय होते हैं।

क्या पृथ्वी जड़त्वीय निर्देश तन्त्र है? – पृथ्वी न केवल अपनी स्वयं की अक्ष पर अपितु सूर्य के चारों ओर भी घूर्णन करती है अतः पृथ्वी सम्बद्ध जड़त्वीय निर्देश तन्त्र वास्तव में जड़त्वीय निर्देश तन्त्र नहीं हैं। पृथ्वी की स्वयं की घूर्णन गति के कारण इसकी सतह पर स्थित कोई स्थिर कण इसके केन्द्र की ओर अभिकेन्द्रीय बल का अनुभव करता है।
उदाहरणार्थ : भूमध्य रेखा पर इस अभिकेन्द्रीय त्वरण का मान-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-20
सामान्य यांत्रिकी की समस्याओं में इस त्वरण को यदि न्यून मानकर छोड़ दें, तो पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र माना जा सकता है। परन्तु कुछ समस्याओं में इस त्वरण के प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं। वास्तव में पृथ्वी के अपनी अक्ष पर घूमने तथा सूर्य के चारों ओर परिक्रमण से सम्बन्धित त्वरणों के संशोधन के पश्चात् ही पृथ्वी को व्यावहारिक निर्देश तन्त्र माना जा सकता है। हालांकि पृथ्वी को जड़त्वीय निर्देश तन्त्र मानकर ही हम भौतिकी की समस्याओं को हल करते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

आंकिक प्रश्न (Numerical Questions)

न्यूटन के गति के नियमों, आवेग एवं संवेग पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 1.
एक मीनार की दीवार पर जल के फब्बारे द्वारा लगाया जाने वाला बल ज्ञात कीजिए, जबकि पाइप का क्षेत्रफल 10-2 m-2 तथा पानी का वेग 15 ms-1 है। मान लीजिए कि जल दीवार से टकराने के बाद वापस नही लौटता है। (g = 10 ms-2)
उत्तर :
250 N

प्रश्न 2.
विरामावस्था में पड़ा एक बम तीन समान टुकड़ों में विभक्त हो जाता है दो टुकड़े समकोण पर क्रमशः 9 ms-1 व 12 ms-1 के वेग से गति करते है, तो तीसरे टुकड़े का वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
15 ms-1

प्रश्न 3.
500 g का हथौड़ा 6 ms-1 के वेग से एक कील के सिरे पर टकराकर उस कील को 5 cm अन्दर धकेल देता है। यदि कील का द्रव्यमान उपेक्षणीय हो तो ज्ञात कीजिए-
(a) टक्कर के पश्चात त्वरण;
(b) टक्कर में लगा समय;
(c) आवेग का मान।
उत्तर :
(a) 360 ms-2;
(b) \(\frac{1}{60}\) s;
(c) 3N.s.

प्रश्न 4.
एक वस्तु का द्रव्यमान 2 kg तथा प्रारम्भिक वेग 5 ms-1 है, वस्तु की गति की दिशा में एक बल 4 s के लिए कार्य करता है। बल-समय ग्राफ संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। वस्तु के आवेग तथा वेग की गणना कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-21
उत्तर :
8.5 N.s. ; 9.25 ms-1

परिवर्ती द्रव्यमान पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 5.
500 kg द्रव्यमान का एक वाहन 6 ms-1 के वेग से गति कर रहा है। इस पर 10kg min-1 की दर से रेत डाली जा रही है। वाहन को नियत वेग से गतिशील रखने के लिए आवश्यक बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
N

प्रश्न 6.
एक रॉकेट का ईंधन 100 kg.s-1 की दर से जल रहा है। निष्कासित गैसें 4.5 × 104 ms-1 के वेग से निकलती हैं। रॉकेट पर उछाल बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
4.5 × 106 N

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 7.
एक क्षैतिज घर्षण रहित सड़क पर खड़ी 2000kg की कार के ऊपर एक गन रखी गयी है। किसी समय गन द्वारा 10g की गोली कार के सापेक्ष 500 ms-1 के वेग से छोड़ी जाती है। प्रति सेकण्ड छोड़ी गयी गोलियों की संख्या 10 है, तो निकाय पर आरोपित औसत प्रणोद ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
50N

घर्षण पर आधरित प्रश्न

प्रश्न 8.
2 kg का एक गुटका क्षैतिज से 60° के कोण पर झुके हुए एक आनत तल पर रखा है गुटके एवं तल के बीच घर्षण गुणांक 0.7 है गुटके पर लगने वाला घर्षण बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
6.86N

प्रश्न 9.
10 ms-1 की चाल से सड़क पर लुढ़कता हुआ एक पिण्ड 50m दूरी तय करके विरामावस्था में आ जाता है। घर्षण गुणांक ज्ञात कीजिए। (g = 10 ms-2)
उत्तर :
0.1

प्रश्न 10.
एक मोटर कार सीधी क्षैतिज सड़क पर 1 चाल से चल रही है। यदि सड़क तथा टायरों के बीच स्वैतिक घर्षण गुणांक (4) हो, तो वह कम से कम दूरी क्या है जिसमें मोटर कार को रोका जा सकता है?
उत्तर :
\(\frac{u^2}{2 \mu_s \cdot g}\)

प्रश्न 11.
एक व्यक्ति जिसका द्रव्यमान 80kg है, एक खम्भे से नीचे फिसलता है। घर्षण बल 720 N पर नियत है। व्यक्ति का त्वरण ज्ञात कीजिए। (g = 10ms-2)
उत्तर :
1.0 ms-2

प्रश्न 12.
1200g द्रव्यमान का बक्सा क्षैतिज धरातल पर 12 g भार के बल से खींचा जाता है। घर्षण गुणांक 0.2 है सक्से में उत्पन्न त्वरण कितना होगा?
उत्तर :
7.84 ms-2

प्रश्न 13.
L लम्बाई की एक चेन अशंत मेज पर पड़ी है तथा अशंतः मेज के किनारे से लटकी है। यदि चेन तथा मेज के मध्य स्थैतिक घर्षण गुणक µs हो तो चेन कितनी अधिकतम लटकायी जा सकती है, जिससे कि मेज पर पड़ा चेन का भाग न खिसके?
उत्तर :
\(l=\frac{\mu_s \cdot L}{1+\mu_s}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 14.
एक नत तल जिसकी लम्बाई 13 m तथा ऊँचाई 5m है और µ = \(\frac{1}{3}\) है। किस प्रारंभिक वेग से वस्तु प्रक्षेपित की जानी चाहिए ताकि वस्तु तल के उच्चतम बिन्दु पर विरामावस्था में आ जाये ?
उत्तर :
13.28 ms-1

प्रश्न 15.
धातु का बना एक ब्लॉक धातु से बनी नत तल की सतह जो क्षैतिज के साथ 30° का कोण बनाती है, पर रखा हुआ है। यदि ब्लॉक का द्रव्यमान 0.5 kg और घर्षण गुणांक 0.2 है तो (i) वस्तु को फिसलने से रोकने के लिए आवश्यक बल क्या होगा ? (ii) सतह पर ऊपर की ओर गति कराने के लिए आवश्यक बल क्या होगा ? (iii) ऊपर की ओर 20 cms-2 त्वरण से गति के लिए आवश्यक बल क्या होगा?
उत्तर :
(i) 1.6N
(ii) 3.299 N
(iii) 3.399 N

वृत्तीय गति पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 16.
0.10 kg द्रव्यमान का पिण्ड 1.0m व्यास के वृत्तीय पथ पर 31.48 में 10 चक्कर की दर से घूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर :
0.2N

प्रश्न 17.
वह अधिकतम वेग ज्ञात कीजिए जिससे एक रेलगाड़ी 100 m त्रिज्या वाले वृत्ताकार पथ पर चलाई जा सकती है। पटरियों का झुकाव 11.31° है। (tan 11.31° = 0.2, g = 10ms-2)
उत्तर :
14 ms-1

प्रश्न 18.
एक साइकिल सवार जिसका द्रव्यमान 100 kg है, 100 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ को 10 ms की चाल से पार करना चाहता है। यदि साइकिल के टायरों व सड़क के बीच घर्षण गुणांक 11 0.6 हो, तो क्या सवार मोड़ को पार कर लेगा? (g = 10ms-2)
उत्तर :
हाँ

संगामी बलों पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 19.
2 किग्रा भार की एक वस्तु को संलग्न चित्र की भाँति लटकाया गया है। क्षैतिज डोरी में तनाव T1 (किग्रा भार में) ज्ञात कीजिए।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-22
उत्तर :
2√3 किग्रा भार

प्रश्न 20.
M द्रव्यमान को किसी अवितान्य डोरी से संलग्न चित्र की भाँति लटकाते हैं। क्षैतिज डोरी में तनाव क्या होगा?
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 5 गति के नियम-23
उत्तर :
√3 Mg

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. निम्नलिखित में से किस धातु का निक्षालन (निष्कर्षण) सायनाइड विधि द्वारा किया जाता है?
(अ) सोडियम
(ब) सिल्वर
(स) ऐलुमिनियम
(द) कॉंपर
उत्तर:
(ब) सिल्वर

2. निम्नलिखित अभिक्रिया धातुओं के शोधन की किस विधि से सम्बन्धित है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 1
(अ) मंडल परिक्करण
(ब) वॉन-आरकलल विधि
(स) मान्ड प्रक्रम
(द) वर्णलेखिकी
उत्तर:
(ब) वॉन-आरकलल विधि

3. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक ऐलुमिनियम का अयस्क है?
(अ) Al2O3
(ब) Na3AlF6
(स) Al2O3 . H2O
(द) Al2O3 . 2H2O
उत्तर:
(द) Al2O3 . 2H2O

4. भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पायी जाने वाली धातु है-
(अ) Mg
(ब) Ag
(स) Al
(द) Cu
उत्तर:
(स) Al

5. अयस्कों के सान्द्रण की फेन (झाग) प्लवन विधि कौनसे अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है?
(अ) कार्बोनेट अयस्क
(ब) सल्फाइड अयस्क
(स) औंक्साइड अयस्क
(द) हेलाइड अयस्क
उत्तर:
(ब) सल्फाइड अयस्क

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

6. सल्फाइड अयस्कों को ऑक्साइड में परिवर्तित करने का प्रक्रम है-
(अ) निस्तापन
(ब) भर्जंन
(स) निक्षालन
(द) फेन प्लवन विधि
उत्तर:
(ब) भर्जंन

7. कॉपर के धातु कर्म में FeO की अशुद्धि को हटाने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला गालक है-
(अ) CaO
(ब) CaCO3
(स) SiO2
(द) Cu2S
उत्तर:
(स) SiO2

8. जिंक ऑक्साइड के अपचयन के लिए कौनसा अपचायक प्रयुक्त किया जाता है?
(अ) CO
(ब) कोक
(स) Al
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) कोक

9. पीतल बनाने में प्रयुक्त धातुएँ है-
(अ) Cu + Ni
(ब) Fe + Cu
(स) Cu + Zn
(द) Cu + Mn
उत्तर:
(स) Cu + Zn

10. निम्नलिखित में से मैग्नेटाइट अयस्क कौनसा है?
(अ) Fe2O3
(ब) ZnO
(स) Na3AlF6
(द) Fe3O4
उत्तर:
(द) Fe3O4

11. जिंक धातु के शोधन की विधि है-
(अ) मंडल परिष्करण
(ब) प्रभाजी आसवन
(स) वाष्म अवस्था परिष्करण
(द) वैद्युत अपघटनी शोधन
उत्तर:
(ब) प्रभाजी आसवन

12. कैलामाइन, निम्नलिखित में से किस धातु का अयस्क है?
(अ) Cu
(ब) Ag
(स) Zn
(द) Al
उत्तर:
(स) Zn

13. धातकर्म में निस्तान प्रत्रम किस प्रक्र है अयस्कों के लिए प्रयुक्त नहाँ होत है?
(अ) कलयेज्ञित औक्साइड
(ब) काबनिद
(स) सक्फाइड
(द) उपर्वुक्त सभी
उत्तर:
(स) सक्फाइड

14. मंड्डल परिफ्राग किजि किस शतु के शोधन के लिए प्रदुम्त्त की जाती है?
(अ) जम्निनिम्म
(ब) गैलिखम
(स) इंध्यिम
(द) उर्ज्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उर्ज्युक्त सभी

15. Al2O3 के वैद्युत अपषटन से Al प्राप्त करने की सिधि है-
(अ) मौन्ड प्रक्रम
(ब) बॉन-असक्त विधि
(स) सल- हेराएट प्रक्म
(द) मदल बिंजि
उत्तर:
(स) सल- हेराएट प्रक्म

16. नौतय, निम्नलिखित में से किसका सुनि है?
(अ) Cu
(ब) Al
(स) Zn
(द) Fe
उत्तर:
(ब) Al

17. कौपर के बैद्युत अपषटनी शोधन में सौने की कुछ माता किस हूप में मिलती है?
(अ) कैषेड
(ब) वैद्युत अनबटृद
(स) श्नोड मंक
(द) कैराड पंक
उत्तर:
(स) श्नोड मंक

18. निम्नलिखित में से किस धात्व के पहुकार्म में दर्मद्ध किधि का प्रयोग किवा जाता है?
(अ) Ag
(ब) Pb
(स) Fe
(द) Cr
उत्तर:
(द) Cr

19. मोडिवम के निबर्बें की किषि है-
(अ) केषर की विधि
(ब) धर्नाइट विधि
(स) द्वॉक की विधि
(द) सर्पक की विधि
उत्तर:
(ब) धर्नाइट विधि

20. चौड़ी के धातुकर्म में बना वौगिक है-
(अ) AgCN
(ब) [Na[Ag(CN)2]
(स) Na3[Ag(CN)4]
(द) वपर्वुक्त समी
उत्तर:
(ब) [Na[Ag(CN)2]

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

21. धातुं के सल्पद्ड अवस्कों को समान्यक् फेन सबन बिधि दूरा सान्हित किय जल है। निम्नलिखित सार्फाइड अवस्कों में से कौनसा अपवाद है गिले रासायनिक विषिए त्वरा सन्द्रित किया ज्ञाता है?
(अ) अजेंन्टम्ट
(ब) गैलेना
(स) कापर घझढ़्ट
(द) सेलेरइट
उत्तर:
(द) सेलेरइट

22. गालक, अगतनीय अथृद्धियों को गलाइए बनात है-
(अ) अधत्री
(ब) धतुमाल
(सं) मैट
(द) मैट्रिक्य
उत्तर:
(ब) धतुमाल

23. कॉचर के निद्रांग में कौन अयस्क को सिलिक तथा क्षेक दूरा है। घतुमल क अगुसात्र है-
(अ) FeSiO3
(ब) Fe2O3
(स) FeSi ( वोस)
(द) FeSi (बाल)
उत्तर:
(अ) FeSiO3

24. निम्नलिखित कपनों में से गसत क्षच को पहचानिदे-
(अ) अयन्त के सान्दूर में द्रवीब धवन से हूके कैं के कर जल के साध बहकर बाहर निकल वाते हैं तथा अ्यस्क के भागी का शोष चर ज्ञाते हैं।
(ब) श्रद्ध Al2O3 को, बौक्साद्ट अपस्क का सान सोडियम लम्ड्रौस्सद्ड के संथ निषालन से प्राप्त कहीं किपा व्या सकत है।
(स) फेन प्लवन विधि के दौरन अयस्क के कण को फेन के रूप में अलग कर लिया जाता है और गैंग शेष बचा रहता है।
(द) सल्फाइड अयस्कों को, फेन-प्लवन विधि में तेल तथा जल का अनुपात परिवर्तित करके सफलतापूर्वक अलग किया जा सकता है।
उत्तर:
(ब) श्रद्ध Al2O3 को, बौक्साद्ट अपस्क का सान सोडियम लम्ड्रौस्सद्ड के संथ निषालन से प्राप्त कहीं किपा व्या सकत है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली तीन धातुएँ बताइए।
उत्तर:
सोना, चाँदी तथा प्लेटिनम।

प्रश्न 2.
सान्द्रण की फेन प्लवन विधि किस प्रकार के अयस्कों के लिए प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर:
सल्फाइड अयस्कों के लिए।

प्रश्न 3.
गालक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो अशुद्धियों के गलनांक को कम करने के लिए प्रगलन प्रक्रम में मिलाए जाते हैं, उन्हें गालक कहते हैं।

प्रश्न 4.
धातुमल क्या होता है?
उत्तर:
अशुद्धि तथा गालक की क्रिया से बना पदार्थ धातुमल या कीट कहलाता है। इसका गलनांक कम होने के कारण यह आसानी से पिघल जाता है।

प्रश्न 5.
आधात्री या गैंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
अयस्क के साथ उपस्थित अवांछनीय पदार्थों जैसे कंकड़, रेत तथा मिट्टी को आधात्री या मैट्रिक्स कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्लवन कारक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो सल्फाइड अयस्क के कणों को जल प्रतिकर्षी बनाकर जल की सतह पर लाते हैं, उन्हें प्लवन कारक कहते हैं।

प्रश्न 7.
प्लवन कारकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
सोडियम एथिल जेन्थेट तथा सोडियम ऐमिल जेन्थेट प्लवन कारक होते हैं।

प्रश्न 8.
किस प्रकार के अयस्कों के लिए निस्तापन प्रक्रम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
जलयोजित ऑक्साइड, कार्बोनेट तथा हाइड्रॉक्साइड अयस्कों के लिए निस्तापन प्रक्रम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9.
थर्माइट क्या होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइड तथा ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्माइट कहते हैं।

प्रश्न 10.
क्रोमियम के ऑक्साइड (Cr2O3) के अपचयन के लिए कार्बन के स्थान पर Al का प्रयोग किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
Cr की ऑक्सीजन से बन्धुता, कार्बन की ऑक्सीजन से बन्धुता की तुलना में अधिक होती है, अतः क्रोमियम ऑक्साइड का अपचयन कार्बन के बजाय Al से किया जाता है।

प्रश्न 11.
पायरोधातुकर्म या तापीय अपचयन क्या होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइडों को गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पायरोधातुकर्म कहते हैं।

प्रश्न 12.
वर्णलेखिकी के विभिन्न प्रकार बताइए।
उत्तर:
वर्णलेखिकी मुख्यतः चार प्रकार की होती है-

  • पेपर वर्णलेखिकी
  • स्तंभ वर्णलेखिकी
  • गैस वर्णलेखिकी
  • पतली परत वर्णलेखिकी।

प्रश्न 13.
स्तंभ वर्णलेखिकी में प्रयुक्त अधिशोषक बताइए।
उत्तर:
ऐलुमिना जेल (Al2O3)

प्रश्न 14.
कॉपर का शोधन किस विधि द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
कॉपर का शोधन वैद्युत अपघटनी विधि से किया जाता है।

प्रश्न 15.
सिलिकॉन के शोधन की विधि का नाम बताइए।
उत्तर:
मण्डल परिष्करण विधि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 16.
कॉपर तथा मैग्नीशियम के मिश्रण में से इन धातुओं को किस विधि द्वारा पृथक् किया जाता है तथा क्यों?
उत्तर:
Mg तथा Cu के मिश्रण में से इन धातुओं को द्रवण विधि द्वारा पृथक् किया जाता है क्योंकि Mg की तुलना में Cu का गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न 17.
जिंक तथा आयस के मिश्रण के पुथक्करण की विधि बताइए।
उत्तर:
Zn तथा Fe के मिश्रण को आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है क्योंकि Zn का वाष्पीकरण सुगमता से हो जाता है।

प्रश्न 18.
थर्माइट विधि द्वारा कौनसे धातु ऑक्साइडों का अपचयन किया जाता है?
उत्तर:
Cr2O3, MnO2 इत्यादि।

प्रश्न 19.
प्रगलन की प्रक्रिया कौनसी भट्टी में की जाती है?
उत्तर:
वात्या भट्टी।

प्रश्न 20.
Zn, Cd तथा Hg के शोधन के लिए कौनसी विधि प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर:
आसवन विधि।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
भर्जन प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:
भर्जन (Roasting)-इस प्रक्रम में सल्फाइड अयस्कों को वायु (O2) की उपस्थिति में धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर परावर्तनी भट्टी में तेजी से गर्म करते हैं जिससे सल्फाइड, ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं तथा SO2 गैस निकल जाती है।
उदाहरण-
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2
2Pbs + 3O2 → 2Pbo + 2SO2
2Zns + 3O2 → 2Zno + SO2

प्रश्न 2.
धातु ऑक्साइडों के अपचयन की थर्माइट विधि को समझाइए।
उत्तर:
धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन – धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन विभिन्न विधियों द्वारा किया जा सकता है जो कि धातु ऑक्साइड की प्रकृति पर निर्भर करता है।

(i) रासायनिक अपचयन (प्रगलन ) – इस विधि में धातु ऑक्साइड का अपचयन कार्बन या CO द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रम वात्या भट्टी में किया जाता है, जिसके लिए धातु ऑक्साइड, कार्बन (अपचायक) तथा गालक (फ्लक्स) के मिश्रण को भट्टी में डालकर गर्म किया जाता है तो कार्बन द्वारा धातु ऑक्साइड के अपचयन से धातु प्राप्त होती है जो कि द्रवित अवस्था में होती है। कुछ धातु ऑक्साइड आसानी से अपचयित हो जाते हैं, जबकि कुछ को अपचयित करना कठिन होता है। अपचयन की सामान्य अभिक्रिया निम्नलिखित है-

MxOy + yC → xM + yCO

ऊष्मागतिकी की मूल धारणाएँ धातुकर्मीय परिवर्तनों के सिद्धान्त को समझने में सहायक होती हैं। तापीय अपचयन (पायरो धातुकर्म) के लिए आवश्यक ताप परिवर्तन तथा ऑक्साइड के अपचयन के लिए आवश्यक अपचायक की पहचान गिब्ज ऊर्जा द्वारा की जाती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि दिए गए ताप पर गिब्ज ऊर्जा का मान ऋणात्मक हो।
उदाहरण- Fe के धातुकर्म में होने वाली अभिक्रियाएँ-

Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2
FeO + CO → Fe + CO2

इस प्रक्रम में कार्बन (कोक) ईंधन तथा अपचायक दोनों का कार्य करता है। धातु के साथ उपस्थित अशुद्धियों का गलनांक उच्च होने के कारण वे आसानी से नहीं पिघलतीं अतः इनके गलनांक को कम करने के लिए फ्लक्स या गालक मिलाया जाता है जो अशुद्धि के साथ क्रिया करके धातुमल (slag) बनाता है, यह आसानी से पिघल जाता है तथा हल्का होने के कारण द्रवित धातु की सतह पर तैरता है। आयरन के धातुकर्म में SiO2 की अशुद्धि होती है जिसके लिए गालक के रूप में CaO(CaCO3) प्रयुक्त किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 2
ताँबे के धातुकर्म में FeO की अशुद्धि उपस्थित होने पर SiO2 को गालक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 3
ताँबा, कॉपर मेट के रूप में प्राप्त होता है जिसमें Cu2S तथा FeS होता है।

(ii) थर्माइट विधि (गोल्डश्मिट विधि) या एलुमिनोतापी Cr तथा Mn के ऑक्साइड कार्बन द्वारा आसानी से अपचयित नहीं होते अतः इनका अपचयन सक्रिय धातुओं जैसे Al से किया जाता है। धातु ऑक्साइड तथा ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्माइट कहते हैं। अतः इस विधि को थर्माइट विधि भी कहते हैं। इस विधि में ऑक्साइड को ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ Mg से जलाते हैं। प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है, अतः यह स्वतः चलती रहती है।
Cr2O3 + 2 Al → Al2O3 + 2Cr + x K. Cal
3 MNO2 + 4Al → 2Al2O3 + 3Mn + x K.Cal
भारी धातु (द्रव) नीचे रहती है तथा द्रवित Al2O3 ऊपर की तरफ रहता है, जिसे टेपिंग होल द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 3.
(a) कच्चे लोहे तथा ढलवाँ लोहे का संघटन बताइए तथा कच्ये लोहे से ढलवाँ लोहा किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
(b) ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहा कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
(a) कच्चे लोहे में 4% कार्बन तथा सूक्ष्म मात्रा में S, P, Si तथा Mn की अशुद्धियाँ होती हैं। इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है। ढलवाँ लोहा में 3% कार्बन होता है। यह अतिकठोर तथा भंगुर होता है, अतः इसे पीटा नहीं जा सकता। कच्चे लोहे को रद्दी लोहे तथा कोक के साथ गर्म करने पर ढलवाँ लोहा प्राप्त होता है।

(b) ढलवाँ लोहे को हेमाटाइट की परत चढ़ी परावर्तनी भट्टी में गर्म करने से अशुद्धियाँ आक्सीकृत हो जाती हैं तथा हेमाटाइट कार्बन को कार्बन मोनोक्साइड में आक्सीकृत कर देता है-
Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
इसमें चूना पत्थर को गालक के रूप में मिलाया जाता है जिससे सल्फर, सिलिकन तथा फॉस्फोरस ऑक्सीकृत होकर धातुमल में चले जाते हैं। धातु को निकाल लिया जाता है तथा रोलरों पर से गुज़ार कर धातुमल से पृथक् कर लिया जाता है। पिटवाँ लोहा, लोहे का शुद्धतम रूप है तथा यह आघातवर्धनीय होता है। इसमें 0.25 तक कार्बन होता है।

प्रश्न 4.
अयस्क के सान्द्रण के लिए निक्षालन प्रक्रम का प्रयोग कब किया जाता है? सोने के निष्कर्षण के उदाहरण द्वारा इस प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:
जब कोई अयस्क, किसी उपयुक्त विलायक में विलेय हो तो प्रायः सान्द्रण की निक्षालन विधि का प्रयोग किया जाता है। सोने के निष्कर्षण में सायनाइड द्वारा निक्षालन किया जाता है। इसमें Au का ऑक्सीकरण होता है। इसके पश्चात् अधिक सक्रिय धातु जैसे जिंक का अपचायक के रूप में प्रयोग करके Au को विस्थापित कर लिया जाता है। इस प्रक्रम में प्रयुक्त अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
4Au(s) + 8CN(aq) + 2H2O(aq) + O2(g) → 4[Au(CN)2](aq) + 4OH(aq)
2[Au(CN)2](aq) + Zn(s) → 2Au(s) + [Zn(CN)4]2-(aq)

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
‘ताप धातुकर्म’ से क्या तात्पर्य होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइडों को गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ताप धातुकर्म या तापीय अपचयन कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित की भूमिका का वर्णन कीजिए-
(i) सिल्वर अयस्क से सिल्वर के निष्कर्षण में NaCN की
(ii) विशुद्ध ऐलुमिना से ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में क्रायोलाइट की।
उत्तर:
(i) सिल्वर अयस्क से सिल्वर के निष्कर्षण में NaCN का उपयोग, सिल्वर का संकुल बनाने में किया जाता है जिसे पृथक् करके इसकी क्रिया सक्रिय धातु (Zn) से कराकर Ag को प्राप्त कर लिया जाता है।
(ii) ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि इससे मिश्रण का गलनांक कम हो जाता है तथा विलयन की चालकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की भूमिका का वर्णन कीजिए-
(i) टाइटेनियम के परिष्करण में आयोडीन की
(ii) ऐलुमिनियम के धातुकर्म में क्रायोलाइट की।
उत्तर:
(i) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि-यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → ZrI4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
ZrI4 → Zr + 2I2

(ii) ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि इससे मिश्रण का गलनांक कम हो जाता है तथा विलयन की वालकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 4.
एक खनिज और एक अयस्क में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिक जिन्हें खनन द्वारा प्राप्त किया जाता है, उन्हें खनिज कहते हैं लेकिन अयस्क वे खनिज होते हैं जिनसे धातु का निष्कर्षण आसानी से हो सके तथा आर्थिक दृष्टि से लाभदायक हों।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक प्रक्रम के निर्धारक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए-
(i) टाइटेनियम धातु का वाष्प प्रावस्था परिष्करण
(ii) सल्फाइड अयस्क का झाग प्लवन विधि द्वारा सान्द्रण।
उत्तर:
(i) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि-यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → ZrI4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
ZrI4 → Zr + 2I2

(ii) सान्द्रण की यह विधि सल्फाइड अयस्कों को गैंग से मुक्त करने के लिए प्रयुक्त की जाती है, जैसे कॉपर पाइराइटीज, गैलेना इत्यादि। इस विधि में चूर्णित अयस्क का पानी के साथ निलंबन बनाकर इसमें संग्राही (Collectors) तथा फेन-स्थायीकारी (Froth stabilisers) मिला देते हैं। संग्राही (जैसे चीड़ का तेल, यूकेलिप्टस का तेल, वसा अम्ल, जैंथेट इत्यादि ) अयस्क कणों के नहीं भीगने के गुण अक्लेदनीयता को बढ़ा देते हैं तथा फेन (झाग) स्थायीकारी (जैसे क्रिसॉल, ऐनीलीन ) फेन को स्थायित्व प्रदान करते हैं।

चीड़ का तेल इत्यादि झागकारक होते हैं तथा जैन्थैट जैसे सोडियम एथिलजैन्थैट या सोडियम एमिलजैन्थैट सल्फाइड अयस्क के कणों को जल प्रतिकर्षी बनाकर उन्हें जल की सतह पर लाने तथा तैरने में सहायक होते हैं, अतः इन्हें प्लवनकारक कहते हैं। फेन प्लवन विधि अयस्क तथा आधात्री के भीगने के गुणों में अन्तर पर आधारित है। अयस्क के कण तेल से, जबकि गैंग या (आधात्री ) के कण जल से भीगते हैं।

पैडल मिश्रण को विलोडित करता है तथा इससे वायु प्रवाहित होती है, जिससे झाग बनते हैं जिसमें अयस्क के कण होते हैं। झाग हल्के होते हैं जिन्हें मथकर अलग निकाल लिया जाता है। अयस्क के कणों को प्राप्त करने के लिए इसे सुखा लिया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 4

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.
निम्न श्रेणी के अपने अयस्कों से कॉपर का निष्कर्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
निम्न कोटि अयस्कों तथा रद्दी धातु से कॉपर का निष्कर्षण – वैद्युत रासायनिक सिद्धान्त का उपयोग करते हुए निम्न कोटि अयस्कों से कॉपर का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा किया जाता है। निम्न कोटि अयस्कों में कॉपर बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है। कॉपर प्राप्त करने के लिए, अयस्क का निक्षालन अम्ल या जीवाणु (बैक्टीरिया) के उपयोग द्वारा किया जाता है, जिससे कॉपर आयन (Cu2+) विलयन में चले जाते हैं जिनकी क्रिया H2 या रद्दी आयरन से करके Cu प्राप्त किया जाता है। इस क्रिया में Cu2+ का अपचयन होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 5

प्रश्न 7.
निम्नलिखित धातुओं को परिष्कृत करने के लिए कौन-कौन सी विधियाँ साधारण रूप से काम में लाई जाती हैं-
(i) निकल
(ii) जर्मनियम
इन विधियों के पीछे निहित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) वाष्प प्रावस्था परिष्करण – शोधन की इस विधि में, धातु को वाष्पशील यौगिक में बदल कर उसे दूसरी जगह एकत्रित कर लेते हैं तथा इस वाष्पशील यौगिक के विघटन से शुद्ध धातु प्राप्त कर ली जाती है। इस विधि के लिए दो शर्तें आवश्यक हैं-
(i) उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती हो तथा
(ii) वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित होने वाला हो, ताकि धातु आसानी से पुनः प्राप्त की जा सके। इस विधि से Zr, Ti तथा Ni का शोधन किया जाता है।

उदाहरण- (a) निकल के शोधन की मॉन्ड की विधि-इस विधि में Ni को CO के प्रवाह में गर्म करने पर वाष्पशील संकुल यौगिक निकल टेट्राकार्बोनिल बनता है, जिसे उच्च ताप पर गर्म करने पर इसके विघटन से शुद्ध निकैल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार निकल से अशुद्धियाँ पृथक् हो जाती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 6

(ii) मंडल परिष्करण या जोन परिष्करण – मंडल परिष्करण द्वारा अतिशुद्ध धातु प्राप्त होती है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर एक वृत्ताकार गतिशील हीटर ( तापक) लगा होता है। जो छड़ को हर तरफ से घेरे रहता है। हीटर जैसे ही आगे बढ़ता है, गलित मण्डल भी आगे बढ़ता जाता है और गलित से शुद्ध धातु क्रिस्टलित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ पास वाले गलित जोन में चली जाती हैं।

इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते हैं तथा हीटर को एक ही दिशा में बार-बार चलाते जाते हैं। अशुद्धियाँ छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती हैं, जिसे काटकर अलग कर लेते हैं। इस विधि से अति शुद्ध अर्धचालकों तथा अन्य शुद्ध धातुओं; जैसे-जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरॉन, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 7

प्रश्न 8.
वैद्युत अपघटन क्रिया का ताँबे के शोधन में किस प्रकार प्रयोग होता है? समीकरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैद्युत अपघटनी शोधन – धातुओं के शोधन की इस विधि में अशुद्ध धातु का ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पट्टी का कैथोड बनाया जाता है। वैद्युत अपघटनी सेल में उसी धातु के किसी उपयुक्त लवण का जलीय विलयन वैद्युत अपघट्य के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसमें अधिक क्षारीय धातु विलयन में तथा कम क्षारीय धातुएँ ऐनोड पंक (anode mud) के रूप में प्राप्त होती हैं।

वैद्युत अपघटन की इस प्रक्रिया की व्याख्या इलेक्ट्रॉड विभव, अधिविभव तथा गिब्ज ऊर्जा की सहायता से की जा सकती है। वैद्युत अपघटन करने पर शुद्ध धातु कैथोड पर जमा हो जाती है तथा अशुद्धियाँ ऐनोड पर ऐनोड पंक के रूप में एकत्रित हो जाती हैं। वैद्युत अपघटन की सामान्य अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

कैथोड पर Mn+ + ne → M
ऐनोड पर M → Mn+ + ne

प्रश्न 9.
फेन प्लवन विधि में संग्राही व फेन स्थायीकारक के नाम व भूमिका दीजिए।
उत्तर:
फेन प्लवन विधि में संग्राही के रूप में चीड़ का तेल, यूकेलिप्टस का तेल, वसा अम्ल या जैन्थेट प्रयुक्त किया जाता है तथा फेन स्थायीकारक के रूप में क्रिसॉल या ऐनीलिन का प्रयोग किया जाता है। संग्राही अयस्क कणों के नहीं भीगने का गुण बढ़ाता है जबकि फेन स्थायीकारक फेन को स्थायित्व प्रदान करता है।

प्रश्न 10.
बॉक्साइट अयस्क में उपस्थित किन्हीं दो अशुद्धियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बॉक्साइट अयस्क में सिलिका (SiO2) तथा टाइटेनियम आक्साइड (TiO2) की अशुद्धियाँ उपस्थित होती हैं।

प्रश्न 11.
निकल धातु शोधन के मॉन्ड प्रक्रम से सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 8

प्रश्न 12.
(i) कॉपर का शुद्धिकरण किस विधि से किया जाता है?
(ii) ऐलुमिनियम के मुख्य अयस्क का नाम बताइए तथा ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन के महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) कॉपर के शुद्धिकरण में वैद्युत अपघटनी विधि का प्रयोग किया जाता है।
(ii) ऐलुमिनियम का मुख्य अयस्क बॉक्साइट (Al2O3 . 2H2O) है। ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन के महत्व की व्याख्या के लिए बॉक्साइट से ऐलुमिना का निक्षालन, बेयर की विधि – निक्षालन विधि से मुख्यतः ऐलुमिनियम के अयस्क बॉक्साइट का सान्द्रण किया जाता है। बॉक्साइट (Al2O3.2H2O) में मुख्यतः सिलिका (SiO2), आयरन ऑक्साइड (Fe2O3) तथा टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) की अशुद्धियाँ होती हैं।

ऐलुमिना से सिलिका इत्याद को पृथक् करने के लिए 473 – 523K ताप तथा 35 bar दाब पर चूर्ण किए हुए अयस्क को सान्द्र NaOH विलयन से क्रिया कराकर सान्द्रित किया जाता है, चूँकि SiO2 अम्लीय, Al2O3 उभयधर्मी तथा NaOH क्षारीय हैं, अतः इनकी क्रिया से Al2O3, सोडियम ऐलुमिनेट के रूप में एवं SiO2 सोडियम सिलिकेट के रूप में प्राप्त होता है, जो जल में विलेय होने के कारण निक्षालित हो जाते हैं तथा अन्य अशुद्धियाँ बच जाती हैं।

Al2O3(s) + 2NaOH(aq) + 3H2O(l) → 2Na [A]

जल में विलेय सोडियम ऐलुमिनेट विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करने से ऐलुमिनेट उदासीन होंकर जलयोजित Al2O3 के रूप में अवक्षेपित हो जाता है। यहाँ पर विलयन में थोड़ा-सा ताजा बना जलयोजित Al2O3 डालने पर अवक्षेपण की दर बढ़ जाती है। इसे बीजारोपण कहा जाता है।

2Na[Al(OH)4](aq) + 2CO2(g) → Al2O3 . 2H2O(s) + 2NaHCO3(aq) + H2O

सोडियम सिलिकेट विलयन में बच जाता है तथा जलयोजित ऐलुमिना को छानकर, सुखाकर, गरम करने से पुनः शुद्ध Al2O3 प्राप्त हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 9

प्रश्न 13.
निम्नलिखित विधियों द्वारा धातुओं के शोधन में प्रयुक्त सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए-
(i) वाष्प अवस्था परिष्करण
(ii) मंडल परिष्करण।
उत्तर:
(i) वाष्प प्रावस्था परिष्करण – शोधन की इस विधि में, धातु को वाष्पशील यौगिक में बदल कर उसे दूसरी जगह एकत्रित कर लेते हैं तथा इस वाष्पशील यौगिक के विघटन से शुद्ध धातु प्राप्त कर ली जाती है। इस विधि के लिए दो शर्तें आवश्यक हैं-
(i) उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती हो तथा
(ii) वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित होने वाला हो, ताकि धातु आसानी से पुनः प्राप्त की जा सके। इस विधि से Zr, Ti तथा Ni का शोधन किया जाता है।
उदाहरण:
(a) निकल के शोधन की मॉन्ड की विधि-इस विधि में Ni को CO के प्रवाह में गर्म करने पर वाष्पशील संकुल यौगिक निकल टेट्राकार्बोनिल बनता है, जिसे उच्च ताप पर गर्म करने पर इसके विघटन से शुद्ध निकैल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार निकल से अशुद्धियाँ पृथक् हो जाती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 10
(b) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि – यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → Zrl4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
Zrl4 → Zr + 2I2

(ii) मंडल परिष्करण या जोन परिष्करण – मंडल परिष्करण द्वारा अतिशुद्ध धातु प्राप्त होती है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर एक वृत्ताकार गतिशील हीटर (तापक) लगा होता है। जो छड़ को हर तरफ से घेरे रहता है। हीटर जैसे ही आगे बढ़ता है, गलित मण्डल भी आगे बढ़ता जाता है और गलित से शुद्ध धातु क्रिस्टलित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ पास वाले गलित जोन में चली जाती हैं।

इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते हैं तथा हीटर को एक ही दिशा में बार-बार चलाते जाते हैं। अशुद्धियाँ छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती हैं, जिसे काटकर अलग कर लेते हैं। इस विधि से अति शुद्ध अर्धचालकों तथा अन्य शुद्ध धातुओं; जैसे-जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरॉन, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 11

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 14.
निक्षालित निम्न कोटि अयस्क से कॉपर प्राप्त करने के लिए कौनसा अपचायक प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
निक्षालित निम्न कोटि अयस्क से कॉपर प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन या रद्दी आयरन (स्क्रेप आयरन) का अपचायक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 15.
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण के लिए वैद्युत अपघटनी सेल का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसमें होने वाली सम्पूर्ण अभिक्रिया लिखिए।
अथवा
मंडल परिष्करण प्रक्रम का नामांकित चित्र बनाइए। यह विधि मुख्य रूप से किसमें उपयोगी है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण के लिए वैद्युत अपघटनी सेल का नामांकित चित्र निम्न है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 12
इस प्रक्रम में होने वाली सम्पूर्ण अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
2Al2O3 + 3C → 4Al + 3CO2
अधवा
मंडल परिष्करण प्रक्रम का नामांकित चित्र निम्न है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 13

प्रश्न 16.
निस्तापन तथा भर्जन को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
निस्तापन-निस्तापन में अयस्क को धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर वायु की अनुपस्थिति में धीर-धीरे गर्म करते हैं जिससे वाष्पशील पदार्थ जैसे CO2, H2O इत्यादि निकल जाते हैं तथा धातु ऑक्साइड बच जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 14
भर्जन-भर्जन प्रक्रम में सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर गर्म करते हैं जिससे सल्फाइड, ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं तथा S, P, As, Sb इत्यादि की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइड के रूप में निकल जाती हैं।
उदाहरण – 2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2

प्रश्न 17.
(i) टाइटेनियम के परिष्करण के लिए प्रयुक्त होने वाली विधि का नाम लिखिए।
(ii) सिल्वर के निष्कर्षण में Zn की क्या भूमिका होती है?
(iii) धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन सरल हो जाता है यदि प्राप्त धातु द्रव अवस्था में हो। क्यों?
उत्तर:
(i) टाइटेनियम के परिष्करण के लिए वॉन-ऑरकेल विधि का प्रयोग किया जाता है।

(ii) सिल्वर के निष्कर्षण में Zn मिलाने पर सिल्वर के संकुल Na[Ag(CN)2] में उपस्थित Ag का विस्थापन होकर Zn का संकुल बन जाता है तथा सिल्वर प्राप्त हो जाती है। यह Zn अपचायक का कार्य करता है।

(iii) जब धातु ठोस अवस्था की अपेक्षा द्रव अवस्था में होती है तो उसकी एन्ट्रॉपी अधिक होती है। जब निर्मित धातु द्रव अवस्था में होती है और अपचयित होने वाली धातु ऑक्साइड ठोस अवस्था में होती है तो अपचयन प्रक्रम के एन्ट्रॉपी परिवर्तन (△S) का मान अधिक धनात्मक हो जाता है। अतः △G° का मान अधिक ऋणात्मक हो जाता है और अपचयन आसान हो जाता है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. अणु सूत्र C3H8O से सम्बन्धित ऐल्कोहॉल हो सकते हैं-
(अ) केवल प्राथमिक
(ब) केवल द्वितीयक
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक
(द) प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक
उत्तर:
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक

2. निम्नलिखित में से किस यौगिक से सोडियम धातु की क्रिया नहीं होती ?
(अ) CH3-OH
(ब) CH3COOH
(स) C6H5OH
(द) CH3-O-CH3
उत्तर:
(द) CH3-O-CH3

3. 413K ताप पर एथेनॉल के आधिक्य को सान्द्र H2SO4 साथ गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH2 = CH2
(ब) C2H5 – O – C2H5
(स) C2H5HSO4
(द) (C2H5)2 SO4
उत्तर:
(ब) C2H5 – O – C2H5

4. फ़ीनॉल पर KOH तथा CHCl3 की अभिक्रिया का नाम है-
(अ) डाइऐजोटीकरण
(ब) नाइट्रोसोकरण
(स) फार्मिलीकरण
(द) कार्बोक्सिलीकरण
उत्तर:
(स) फार्मिलीकरण

5. मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का सामान्य सूत्र है-
(अ) CnH2n+1O2
(ब) CnH2n+2
(स) CnH2n+2O
(द) CnH2nOH
उत्तर:
(स) CnH2n+2O

6. C2H5MgCl + CH3CHO → HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 1
उपरोक्त अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक Y है-
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल
(स) 2-मेथिल-ब्यूटेन-2-ऑल
(द) 2-मेथिल-ब्यूटेन- 1 – ऑल
उत्तर:
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल

7. एथेनॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 443K ताप पर गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) ईथर
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
(स) एथीन
(द) प्रोपीन
उत्तर:
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

8. ऐल्कोहॉल की निम्नलिखित में से किसके साथ क्रिया द्वारा एस्टर बनाता है?
(अ) RCOOH
(ब) RCOCl
(स) (RCO)O2
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

9. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक जल में विलेय है?
(अ) CHCl3
(ब) C2H5-O-C2H5
(स) CCl4
(द) CH3-CH2-OH
उत्तर:
(द) CH3-CH2-OH

10. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 2 का IUPAC नाम है-
(अ) 1- मेथॉक्सी प्रोपेन
(ब) मेथॉक्सी मेथिल एथेन
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन
(द) आइसोप्रोपिल मेथिल ईथर
उत्तर:
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन

11. ईथरों में निम्न में से कौनसी समावयवता नहीं होती ?
(अ) श्रृंखला
(ब) प्रकाशिक
(स) ज्यामितीय
(द) स्थिति समावयवता
उत्तर:
(स) ज्यामितीय

12. 1 – मेथॉक्सीप्रोपेन निम्नलिखित में से किस यौगिक का क्रियात्मक समूह समावयवी है?
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) प्रोपेन 1-ऑल
(स) ब्यूटेनैल
(द) ब्यूटेनॉन
उत्तर:
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल

13. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक एक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 4

14 कैटिकॉल का सूत्र है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 5
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 6

15. कीटोनों के अपचयन से बनने वाला यौगिक है-
(अ) प्राथमिक ऐल्कोहॉल
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल
(स) तृतीयक ऐल्कोहॉल
(द) फ़ीनॉल
उत्तर:
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल

16. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की हाइड्रोजन आयन देने की प्रवृत्ति अधिकतम है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 7
उत्तर:
(ब) CH3-O-H

17. सैलिसिलिक अम्ल के एसिटिलीकरण से बना यौगिक है-
(अ) सेलॉल
(ब) ऐस्पिरिन
(स) पिक्रिक अम्ल
(द) पैरासिटामोल
उत्तर:
(ब) ऐस्पिरिन

18. इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन में फ़ीनॉल का – OH समूह है-
(अ) m-निर्देशी
(ब) p-निर्देशी
(स) o, p निर्देशी
(द) 0-निर्देशी
उत्तर:
(स) o, p निर्देशी

19. फ़ीनॉल की यशद रज (Zn dust) के साथ अभिक्रिया से बना उत्पाद है-
(अ) टॉलुईन
(ब) बेन्जीन
(स) नाइट्रोबेन्जीन
(द) एनीलीन
उत्तर:
(ब) बेन्जीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

20. शीरे (मोलैसेज) के किण्वन में शर्करा (सुक्रोस) से ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के बनने में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) जाइमेज
(ब) इनवर्टेज
(स) माल्टेज
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) इनवर्टेज

21. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 8 की HI से अभिक्रिया के उत्पाद हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 9
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 10

22. निम्नलिखित में से कौनसा समूह फ़ीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि करता है?
(अ) -CH3
(ब) -OCH3
(स) – NO2
(द) OH
उत्तर:
(स) – NO2

23. तृतीयक ऐल्कोहॉल को Cu या ZnO के साथ 573 K ताप पर गर्म करने से प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) कीटोन
(ब) ऐल्डिहाइड
(स) ऐल्कीन
(द) अम्ल
उत्तर:
(स) ऐल्कीन

24. निम्नलिखित में से मिश्रित ईथर कौनसा है?
(अ) CH3-O-CH3
(ब) CH3-O-CH2-CH3
(स) C2H5-O-C2H5
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) CH3-O-CH2-CH3

25. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक NaHCO3 के साथ क्रिया करता है?
(अ) CH3-OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 11
(स) CH3COOH
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) CH3COOH

26. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 12 का IUPAC नाम है-
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल
(ब) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
(स) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – साइक्लो हेक्सेनॉल
(द) 3,3 – डाइमेथिल- 1- हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
उत्तर:
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल

27. अणुसूत्र C5H11-OH द्वारा कितने प्राथमिक ऐल्कोहॉल संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 3
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(अ) 4

28. अणुसूत्र C4H10O से कुल कितने संरचना समावयवी संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 7
(स) 6
(द) 5
उत्तर:
(ब) 7

29. फीनॉल की NaOH तथा CO2 के साथ क्रिया का मुख्य उत्पाद निम्नलिखित में से कौनसा है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 13
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 14

30. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 15 में निम्न में से कौनसा इलेक्ट्रॉनस्नेही बेन्जीन वलय पर आक्रमण करता है?
(अ) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HO
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2
(ब) :CHCl2
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)Cl3
उत्तर:
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2

31. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की जल में विलेयता सर्वाधिक होती है?
(अ) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(स) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(द) n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल

32. प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल को विभेदित किया जा सकता है-
(अ) राइमर टीमान अभिक्रिया द्वारा
(ब) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा
(द) लैसोनें परीक्षण द्वारा
उत्तर:
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

33. p और m – नाइट्रो फीनॉलों की अपेक्षा ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल जल में कम घुलनशील होता है क्योंकि-
(अ) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल भाप में m और p- समावयवियों की अपेक्षा अधिक वाष्पशील है।
(ब) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तरआण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(द) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल का गलनांक अपेक्षाकृत m और p- समावयवियों से कम होता है।
उत्तर:
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।

34. निम्नलिखित में से किस यौगिक का निर्जलीकरण अत्यधिक सरलता से होगा?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 16
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 17

35. बेन्जीन को बेन्जोइक अम्ल को X के साथ गर्म करके अथवा फीनॉल को Y के साथ गर्म करके प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ, X तथा Y क्रमशः हैं-
(अ) जिंक चूर्ण तथा सोडालाइम
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण
(स) जिंक चूर्ण तथा NaOH
(द) सोडालाइम तथा कॉपर
उत्तर:
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण

36. ईथर के लिये कुछ अभिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से कौनसी सही नहीं है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 18
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 19

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ईथर में ऑक्सीजन पर कौनसा संकरण होता है?
उत्तर:
ईथर में ऑक्सीजन पर sp³ संकरण होता है।

प्रश्न 2.
सर्बिटॉल, किस प्रकार का ऐल्कोहॉल होता है?
उत्तर:
सर्बिटॉल एक पॉलिहाइड्रिक ऐल्कोहॉल है जिसमें 1° तथा 2° – OH समूह उपस्थित होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 20

प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O द्वारा कुल कितने ऐल्कोहॉल संरचना समावयवी संभव हैं?
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 4.
ब्यूटेन- 1- ऑल तथा 2-मेथिल प्रोपेन- 1- ऑल के युग्म कौनसी समावयवता है?
उत्तर:
श्रृंखला समावयवता।

प्रश्न 5.
m – क्रीसॉल का एक क्रियात्मक समूह समावयवी बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 21

प्रश्न 6.
ईथर में मध्यावयवता का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 22
आपस में मध्यावयवता दर्शाते हैं।

प्रश्न 7.
साबुनीकरण क्या होता है?
उत्तर:
किसी एस्टर के क्षारीय जल अपघटन को साबुनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 8.
एथिल ऐमीन की नाइट्स अम्ल के साथ अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 23

प्रश्न 9.
300°C पर V2O5, की उपस्थिति में बेन्जीन का ऑक्सीकरण करने पर बना उत्पाद बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24

प्रश्न 10.
एक यौगिक जो सोडियम के साथ क्रिया करता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण भी देता है उसका नाम तथा सूत्र बताइए।
उत्तर:
CH3-CH2-OH (एथिल ऐल्कोहॉल)

प्रश्न 11.
किस प्रकार के ऐल्कोहॉल, विक्टरमेयर परीक्षण से नीला रंग देते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक ऐल्कोहॉल।

प्रश्न 12.
फीनॉल की ऐसीटिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 25

प्रश्न 13.
ब्यूटेन- 1- ऑल के निर्जलीकरण से प्राप्त मुख्य ऐल्कीन कौनसी होती है?
उत्तर:
CH3-CH = CH-CH3 (ब्यूट-2-ईन)

प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक किसे कहते हैं तथा इसका उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl के मिश्रण को ल्यूकास अभिकर्मक कहते हैं तथा इससे 1°, 2° तथा 3° ऐल्कोहॉलों में विभेद किया जाता है।

प्रश्न 15.
डायस्टेस एन्जाइम का कार्य बताइए।
उत्तर:
डायस्टेस एन्जाइम, स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित करता है।

प्रश्न 16.
फीनॉल से एनिसॉल तथा फेनिटोल बनाने के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 26

प्रश्न 17.
पेन्टेन- 1- ऑल (I), 2- मेथिल ब्यूटेन – 2 – ऑल (II) तथा पेन्टेन-2-ऑल (III) की जल में विलेयता का क्रम बताइए।
उत्तर:
(II) > (III) > (I)

प्रश्न 18.
एथेनॉल (I), प्रोपेन (II) तथा मेथॉक्सी मेथेन (III) के क्वथनांक का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
(II) < (III) < (I)

प्रश्न 19.
C2H5OH जल में विलेय है लेकिन C2H5O C2H5 नहीं, क्यों?
उत्तर:
C2H5OH, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना लेता है। लेकिन C2H5 O C2H5 जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकता। अतः C2H5OH जल में विलेय है, C2H5 O C2H5 नहीं।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 27
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 28

प्रश्न 21.
एथॉक्सीएथेन के दहन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C2H5 O C2H5 + 6O2 → 4CO2 + 5H2O

प्रश्न 22.
विवृत श्रृंखलायुक्त संतृप्त ईथरों का सामान्य सूत्र बताइए।
उत्तर:
CnH2n+2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 23.
ईथर की विभिन्न हैलोजन अम्लों के साथ क्रियाशीलता का क्रम लिखिए।
उत्तर:
HI > HBr > HCl

प्रश्न 24.
CH3OH, CH3OCH3 तथा C6H5OH को बन्ध कोण के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3OH < C6H5OH < CH3-O-CH3

प्रश्न 25.
किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित – OH समूह की पहचान कैसे करेंगे कि यह ऐल्कोहॉलिक है या फीनॉलिक?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक की उदासीन FeCl3 विलयन के साथ क्रिया से गहरा बैंगनी रंग आता है तो यह – OH समूह फीनॉलिक है अन्यथा ऐल्कोहॉलिक।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से फीनॉल कैसे बनाया जाता है?
(b) सैलिसिलिक अम्ल को फीनॉल में किस प्रकार परिवर्तित किया जाता है ?
उत्तर:
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को जल के साथ उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 29

(b) सैलिसिलिक अम्ल को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर विकार्बोक्सिलीकरण होकर फीनॉल बनता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 30

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के अपचयन द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने के समीकरण दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 31
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 32

प्रश्न 3.
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों के अपचयन से ब्यूटेन1-ऑल कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों का लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचयन कराने पर प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनते हैं। इस विधि द्वारा ब्यूटेन-1-ऑल निम्न प्रकार बनाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 33

प्रश्न 4.
कार्बोनिल यौगिकों की ग्रीन्यार अभिकर्मक के साथ क्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रीन्यार अभिकर्मकों की कार्बोनिल यौगिकों से क्रिया द्वारा (By the reaction of Grignard reagents with carbonyl compounds) – ग्रीन्यार अभिकर्मकों की विभिन्न ऐल्डिहाइड और कीटोन के साथ अभिक्रिया से संगत ऐल्कोहॉल बनते हैं।

अभिक्रिया के प्रथम पद में कार्बोनिल समूह पर ग्रीन्यार अभिकर्मक का नाभिकरागी (नाभिकस्नेही) योग होकर योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। मेथेनैल (HCHO) से प्राथमिक ऐल्कोहोल, किसी अन्य ऐल्डिहाइड (RCHO) से द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा कीटोन (RCOR) से तृतीयक ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।

अभिक्रिया की सामान्य रूपरेखा को निम्न प्रकार प्रदशित किया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 34
विभिन्न ऐल्डिहाइडों एवं कीटेनों की ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 35

प्रश्न 5.
ऐस्टरों के जल अपघटन से ऐल्कोहॉल बनाने की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एस्टरों (ऐल्किल ऐल्केनॉएट) के जल अपघटन द्वारा [By the Hydrolysis of Esters (Alkyl Alkanoate)] – एस्टरों के जल अपघटन से संगत कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। यह जल अपघटन भाप द्वारा, अम्लीय माध्यम में, क्षारीय माध्यम में या एन्जाइम (हाइड्रोलेस) की उपस्थिति में किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 36
यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है अतः इसमें ऐल्कोहॉल की लब्धि कम होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 37
जलीय KOH या NaOH द्वारा जल अपघटन से R COO Na बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 38

प्रश्न 6.
बेन्जीन से फीनॉल बनाने की राशिग विधि को समझाइए।
उत्तर:
बेन्जीन से (From Benzene)-ताम्रलौह उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेन्जीन की HCl तथा वायु (ऑक्सीजन) के साथ क्रिया करवाने पर पहले क्लोरोबेन्जीन बनती है जिसका SiO2 की उपस्थिति में जल अपघटन करवाने पर फीनॉल प्राप्त होता है। इसे राशिग प्रक्रम कहते हैं।
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प्रश्न 7.
एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से बना उत्पाद अभिक्रिया की परिस्थिति पर निर्भर करता है। इस कथन की व्याख्या विभिन्न समीकरणों द्वारा कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न परिस्थितियों में एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से प्राप्त उत्पाद निम्नलिखित हैं-
(i) 0°C तथा उच्च दाब पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 40

(ii) 80-100°C पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 41

(iii) एथिल ऐल्कोहॉल के आधिक्य में 140°C पर –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 42

(iv) सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में 170° C पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 43

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रमों में X, Y तथा Z की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 44
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 45

प्रश्न 9.
एक यौगिक (X) PCl5 से क्रिया करके यौगिक Y बनाता है। यौगिक Y की क्रिया मैग्नीशियम के ईथरी विलयन से कराने से प्राप्त यौगिक (Z) की क्रिया प्रोपेनॉन के साथ कराकर जल अपघटन करने से 2 – मेथिल प्रोपेन-2- ऑल बनता है। यौगिक X तथा Y क्या हैं तथा अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 46
अन्तिम उत्पाद चार कार्बन का 3° ऐल्कोहॉल है जो कि प्रोपेनॉन की यौगिक (Z) से क्रिया कराने पर प्राप्त हो रहा है। अतः यौगिक Z एक कार्बनयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक है इसलिए प्रारम्भिक यौगिक X एक कार्बन का ऐल्कोहॉल होगा तथा अभिक्रया अनुक्रम निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 47

प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक X (C4H10O) की HCl से क्रिया कराने पर यौगिक Y (C4H9Cl) बनता है जिसके अपचयन सेब्यूटेन प्राप्त होता है। यौगिक X के ऑक्सीकरण से पहले एक कार्बोनिल यौगिक (Z) प्राप्त होता है इसके पश्चात् उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल (P) बनता है। X, Y Z तथा P का सूत्र बताइए तथा अभिक्रिया अनुक्रम भी लिखिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक X, n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल है क्योंकि इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल है। इन अभिक्रियाओं के समीकरण निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 48

प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है तथा यह सोडियम धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस भी देता है तथा इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है तो यह यौगिक कौनसा है? समीकरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह ऐल्कोहॉल या कार्बोनिल यौगिक होना चाहिए लेकिन कार्बोनिल यौगिक सोडियम धातु के साथ क्रिया नहीं करते तथा इस यौगिक के ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है अतः यह यौगिक एथेनॉल होगा। अभिक्रियाओं के समीकरण निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 49

प्रश्न 12.
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव- फीनॉल में इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह ( – I प्रभाव) जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में वृद्धि होती है। ये समूह जब आर्थो तथा पैरा स्थितियों पर होते हैं तो अम्लीय गुण अधिक बढ़ता है क्योंकि इनसे फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का विस्थापन अधिक मात्रा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी (+ I प्रभाव ) समूहों (जैसे CH3-, C2H5-) के कारण फीनॉल का अम्लीय गुण कम हो जाता है, क्योंकि ये फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व में कमी करते हैं जिससे -O-H बन्ध का आयनन कम हो जाता है। + I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।

उदाहरण –
फीनॉल की तुलना में क्रीसॉलों को अम्लीय गुण कम होता है तथा इनके om – तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुणका क्रम – निम्न प्रकार होता है-
m > p ≈ O
फीनॉल की तुलना में नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होते हैं तथा इनके o, m तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुण का क्रम निम्न है – p > 0 > m
फीनॉल में – OR समूह जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में सामान्यतः कमी होती है क्योंकि OR समूह +M प्रभाव दर्शाता है जिससे फीनॉल का आयनन कम हो जाता है।

इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूहों की संख्या बढ़ने पर भी फीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि होती है अतः 2 – नाइट्रोफीनॉल की तुलना में 2, 4- डाइनाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है तथा 2, 4, 6 ट्राइनाइट्रोफीनॉल (पिक्रिक अम्ल) का अम्लीय गुण तो कार्बोक्सिलिक अम्लों के समतुल्य हो जाता है।

फनॉल तथा प्रतिस्थापित फीनॉलों के Pka मान निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं जिससे इनके अम्लीय गुणों की तुलना की जा सकती है।

क्रम सं.यौगिकPka मान
1.p-नाइट्रोफीनॉल7.1
2.0-नाइट्रोफीनॉल7.2
3.m-नाइट्रोफीनॉल8.3
4.फीनॉल10.0
5.m-क्रीसॉल10.1
6.o-क्रीसॉल10.2
7.p-क्रीसॉल10.2

नोट – Pka मान बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।

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प्रश्न 13.
C2H5OH की निम्नलिखित अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए –
(i) शॉटन बोमान अभिक्रिया
(ii) सान्द्र HNO3 से क्रिया
(iii) NH, के आधिक्य से क्रिया
(iv) लाल P तथा HI से अपचयन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 50

प्रश्न 14.
C2H5OH की निम्नलिखित यौगिकों के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) CH2N2 (डाइएजोमेथेन )
(ii) कीटीन
(iii) HC = CH (एथाइन)
(iv) CH3NCO (मेथिल – आइसोसायनेट)
(v) CH3CHO (एथेनैल)
(vi) 0°C पर सान्द्र H2SO4
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 51

प्रश्न 15.
निम्नलिखित को समझाइए –
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया
(b) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल की फेन्टन अभिकर्मक से क्रिया।
उत्तर:
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया (Haloform Reaction) – HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 52समूह, युक्त ऐल्कोहॉलों की क्षार की उपस्थिति में हैलोजन से क्रिया करवाने पर हैलोफॉर्म बनते हैं, इसे हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 53
इस अभिक्रिया नं क्लोरीन के स्थान पर आयोडीन लेने पर आयोडोफॉर्म (CH3 बनता है जो कि पीला अविलेय ठोस होता है। इसे आयोडोफॉर्म परीक्षण कहते हैं।

(b) फेन्टन अभिकर्मक से अभिक्रिया (Reaction with Fenton’s Reagent) – फेन्टन अभिकर्मक (FeSO4 + H2O2) से ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकारक संघनन द्वितीयकरण होकर ऐल्केन डाइऑल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 54

प्रश्न 16.
मेथेनॉल तथा एथेनॉल में विभेद कीजिए।
उत्तर:
मेथेनॉल (CH3OH) तथा ऐथेनॉल (C2H5OH) में विभेद (Difference in Methanol and Ethanol)- दोनों ही प्राथमिक ऐल्कोहॉल श्रेणी के प्रथम तथा द्वितीय सदस्य हैं फिर भी इनमें निम्नलिखित विभेद हैं-
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ऐल्कोहॉलों में अन्तर्परिवर्तन (Interconversions in Alcohols)
(1) निम्न ऐल्कोहॉल से उच्च ऐल्कोहॉल बनाना
उदाहरण – CH-OH से C2H5OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 56

(2) उच्च ऐल्कोहॉल से निम्न ऐल्कोहॉल बनाना
CH3-CH2-CH2-OH से CH3CH2OH
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(3) 1° – ऐल्कोहॉल से 2° – ऐल्कोहॉल बनाना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 58

प्रश्न 17.
फीनॉल की सल्फोनीकरण अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सल्फोनीकरण (Sulphonation)-कक्ष ताप पर फीनॉल की सान्द्र H2SO4 से क्रिया कराने पर o – तथा p-फीनॉल सल्फोनिक अम्लों का मिश्रण बनता है। इस अभिक्रिया में उच्च ताप (100°C) पर p-समावयवी तथा निम्न ताप (25°C) पर o- समावयवी अधिक मात्रा में बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 59

प्रश्न 18.
फीनॉल की फीडेल क्राफ्ट अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐल्किलीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 60

(ii) ऐसिटिलीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 61

प्रश्न 19.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
(ii) एसीटोन
(iii) थैलिक एन्टाइ
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 62

प्रश्न 20.
लेडेरर मानेसे अभिक्रिया क्या होती है ? समझाइए।
उत्तर:
फार्मेल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया (लेडेरर मानेसे अभिक्रिया) [Reaction with Formaldehyde (Lederer Manese Reaction)]-तनु अम्ल या क्षार की उपस्थिति में फीनॉल तथा फार्मेल्डिहाइड की क्रिया द्वारा o – तथा p – हाइड्रॉक्सी बेन्जिल ऐल्कोहॉल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 63a
फीनॉल के साथ फॉर्मेल्डिहाइड को अधिक मात्रा में लेकर गर्म करने पर संघनन बहुलकीकरण द्वारा एक त्रिविमीय बहुलक बैकेलाइट बनता है। बैकेलाइट एक ताप सुदृढ़ प्लास्टिक होता है जिसे विद्युत रोधन में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 21.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) PCl5 के साथ
(ii) NH3 के साथ
(iii) हिन्सबर्ग अभिकर्मक
(iv) हाइड्रोजन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 63

प्रश्न 22.
t-ब्यूटिल मेथिल ईथर की सान्द्र HI के साथ अभिक्रिया लिखिए तथा इसकी क्रियाविधि भी बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 64
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN1 होती है।

प्रश्न 23.
CH3O C2H5 की HI से क्रिया द्वारा बने उत्पाद बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 65

प्रश्न 24.
CH3O C2H5 के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 66
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 67
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 68
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69
पद – III
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 70
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।

एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 71
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 72

अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।

पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 74
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 75
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 25.
एक मिश्रित ईथर जिसमें प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित हैं, की एक मोल HI से क्रिया कराने पर आयोडाइड आयन (I) कौनसे ऐल्किल समूह से जुड़ता है तथा क्यों?
उत्तर:
प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर की क्रिया HI के साथ कराने पर आयोडाइड आयन कम प्रतिस्थापित कार्बन या छोटे ऐल्किल समूह पर जुड़ता है क्योंकि इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN होती है जिसमें संक्रमण अवस्था बनती है। आयोडाइड के बड़े आकार के कारण यह बड़े या अधिक प्रतिस्थापित ऐल्किल समूह से नहीं जुड़ता क्योंक उस पर त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण प्रतिकर्षण होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 26.
एनिसॉल की HI के साथ क्रिया द्वारा फीनॉल तथा मेथिल आयोडाइड बनते हैं न कि आयोडोबेन्जीन तथा मेथिल ऐल्कोहॉल। इस कथन की व्याख्या कारण सहित कीजिए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 66
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 67
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 68
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69
पद – III
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 70
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।

एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 71
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 72

अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।

पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 74
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 75
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिक का IUPAC नाम बताइए-
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 76

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन के क्वथनांक से उच्च होता है।
(ii) फीनॉल एथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।
(iii) o- और p- नाइट्रोफीनॉल अपेक्षाकृत फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।
उत्तर:
(i) एथेनॉल में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जबकि मेथॉक्सी मेथेन में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण (वान्डरवाल बल) पाया जाता है। अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता, द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण से अधिक होती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक, मेथॉक्सी मेथेन की तुलना में उच्च होता है।

(ii) फीनॉल के आयनन से प्राप्त C6H5O, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है जबकि C2H5O में ऐसा नहीं होता। अतः फीनॉल (C6H5OH) की H+ देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए यह ऐथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।

(iii) o-नाइट्रोफ़ीनॉल अंतःअणुक हाइड्रोजन बन्ध (Intramolecular H-bond) के कारण भाप में वाष्पशील है क्योंकि इसमें अन्तराअणुक बल, p- समावयवी की तुलना में दुर्बल होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 77

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिक की अणु संरचना लिखिए जिसका आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति अनुसार नाम इस प्रकार है-
1- फेनिलप्रोपेन-2-ऑल
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 78

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का रूपांतर कैसे करेंगे :
(i) फीनॉल का बेन्जोक्विनोन में
(ii) प्रोपेनोन का 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऑल में या मेथिल मैग्नीशियम
ब्रोमाइड से 2 – मेथिल प्रोपेन-2-ऑल
(iii) प्रोपीन का प्रोपेन- 2 – ऑल में ।
उत्तर:
(i) फीनॉल का ऑक्सीकरण क्रोमिक अम्ल (Na2Cr2O7 + H2SO4) द्वारा करवाने पर बेन्जोक्विनोन प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 79

(ii) प्रोपेनॉन की क्रिया मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (CH3MgBr) से करवाने पर पहले योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से 2- मेथिल प्रोपेन 2- ऑल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 80

(iii) प्रोपीन की तनु H2SO4 से क्रिया करवाने पर जलयोजन होकर प्रोपेन- 2 – ऑल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 81

प्रश्न 5.
एथेनॉल को एथीन में आप कैसे रूपांतरित करेंगे?
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर एथीन प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में निर्जलीकरण होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 82

प्रश्न 6.
एक ऐल्कीन के अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन से सम्बद्ध ऐल्कोहॉल बनाने की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एथीन का जलयोजन-तनु अम्ल (HCl, H2SO4) की उपस्थिति में एल्कीन की जल के साथ अभिक्रिया से ऐल्कोहॉल बनता है तथा असममित ऐल्कीनों में योगात्मक अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।
एथीन का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 83
क्रियाविधि-इस अभिक्रिया की क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
पद 1-H3O+ के इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण के द्वारा ऐल्कीन के प्रोटोनीकरण (Protonation) से कार्बोकैटायन बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 84
पद 2-कार्बोकैटायन पर जल का नाभिकस्नेही (Nucleophyllic) आक्रमण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 85
पद 3-विप्रोटोनीकरण (deprotonation) जिससे ऐल्कोहोल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 86

प्रश्न 7.
निम्नलिखित व्यवहारों की व्याख्या कीजिए-
(i) तुलनीय आण्विक द्रव्यमानों के हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक घुलनशील होते हैं।
(ii) ऑर्थो – मेथॉक्सीफीनॉल की अपेक्षा ऑर्थो – नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है।
उत्तर:
(i) ऐल्कोहॉलों में ध्रुवीय -OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ आसानी से हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं जबकि हाइड्रोकार्बन, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते। अतः समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं।

(ii) ऑर्थो-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सी फ़ीनॉल से अधिक अम्लीय होती है क्योंकि – NO2 समूह का इलेक्ट्रॉन-आकर्षी अनुनाद प्रभाव ( -I तथा – M) फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि – OCH3 ( मेथॉक्सी) समूह का इलेक्ट्रॉन-प्रतिकर्षी प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 8.
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय हम प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल क्यों नहीं बना सकते हैं?
उत्तर:
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल नहीं बना सकते क्योंकि 95% एथेनॉल तथा 5% जल का मिश्रण स्थिर क्वथनांकी मिश्रण होता है, जिसका प्रभाजी आसवन सम्भव नहीं है क्योंकि इसका क्वथनांक निश्चित होता है।

प्रश्न 9.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 87
उपर्युक्त अभिक्रिया में बने उत्पाद X व Y के रासायनिक सूत्र तथा नाम लिखो। X तथा Y को वाष्पीय आसवन विधि से पृथक् क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
फीनॉल की तनु HNO3 से क्रिया निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 88
उपर्युक्त अभिक्रिया से प्राप्त दोनों समावयवियों को वाष्पीय आसवन से पृथक् कर सकते हैं क्योंकि o- नाइट्रोफीनॉल अंतः अणुक (intra- molecular H-bond) हाइड्रोजन बन्ध के कारण भाप में वाष्पशील होता है तथा इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध, p-समावयवी की तुलना दुर्बल है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 89

प्रश्न 10.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 90 उपर्युक्त अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए एवं अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 91
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 92
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 93
III. विप्रोटोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 94
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B, C व D को पहचानिए –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 95
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 96

प्रश्न 12.
निम्नलिखित के कारण दीजिए-
(अ) ऐथिल ऐल्कोहॉल से फीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से अधिक है।
उत्तर:
(अ) फीनॉलों का अम्लीय गुण तथा ऐल्कोहॉल के अम्लीय गुण से इसकी तुलना-फीनॉल का अम्लीय गुण, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है तथा फीनॉल एथेनॉल से लगभग दस लाख गुना अधिक अम्लीय होता है। इसकी पुष्टि इसकी जलीय NaOH के साथ क्रिया द्वारा भी होती है।

फीनॉल के अधिक अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की ज़ा सकती है-
फीनॉल में -OH समूह, बेन्जीन वलय के sp² संकरित कार्बन से जुड़ा होता है जिसकी विद्युत ऋणता अधिक होने के कारण यह इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह की तरह कार्य करता है जिसके कारण फीनॉल में अनुनाद होता है एवं इसकी ऑक्सीजन धनावेशित होकर -O-H बन्ध की ध्रुवता बढ़ा देती है जिससे ऐल्कोहॉल की तुलना में फीनॉल का आयनन अधिक होता है। फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 97
ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल का आयनन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 98
ऐल्कॉक्साइड आयन में ऋणावेश ऑक्सीजन पर ही स्थायीकृत (Localised) रहता है जबकि फीनॉक्साइड आयन में अनुनाद के कारण ऋणावेश का विस्थानीकरण (Delocalisation) हो जाता है जिससे इसका स्थायित्व अधिक होता है। इसी कारण फीनॉल का आयनन, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है जो इसके अधिक अम्लीय गुण के लिए उत्तरदायी है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 99
फीनॉल में भी अनुनाद के द्वारा आवेश का विस्थानीकरण (delocalisation) होता है लेकिन इसकी अनुनादी संरचनाओं में आवेशों का पृथक्करण (Separation) होता है अत: फीनॉक्साइड आयन की तुलना में फीनॉल कम स्थायी होता है।

(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक होता है क्योंकि प्रोपेनॉल में प्रबल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है; जबकि ब्यूटेन में अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐरिल सल्फोनिल क्लोराइड को हिन्सबर्ग अभिकर्मक कहते हैं, जैसे- बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 100

प्रश्न 14.
(अ) द्वितीयक – ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित यौगिकों से फीनॉल विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) बेन्जीन
(ii) ऐनिलीन।
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
अथवा
(अ) मेथिल n प्रोपिल ईथर का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रियाओं द्वारा ईथर विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) ऐल्कोहॉल के निर्जलन द्वारा
(ii) विलियम्सन संश्लेषण द्वारा।
(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
(अ) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 101 होता है तथा इसका IUPAC नाम
(ब)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 102
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 103
अथवा
(अ) मेथिल n. प्रोपिल ईथर का संरचना सूत्र CH3-O-CH2-CH2-CH3 होता है तथा इसका IUPAC नाम 1 मेथॉक्सी प्रोपेन है।

(ब) (i) ऐल्कोहॉल का निर्जलन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 104

(ii) विलियम्सन संश्लेषण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 105

(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन (C6H5OR) की अनुनादी संरचनाएँ प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 106

प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिये –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 107
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 91
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 92
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 93
III. विप्रोटोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 94
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 16.
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 108
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 109

प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित में से कौनसा समावयवी अधिक वाष्पशील है : o – नाइट्रोफीनॉल या p- नाइट्रोफीनॉल।
(ii) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B तथा पहचानिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 110
उत्तर:
(i) o-नाइंट्रेफीनॉल, p-नाइट्रोफीनॉल से अधिक वाष्पशील होता है क्योंकि इसमें अन्तःअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। अतः इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध p-नाइट्रोफीनॉल की तुलना में दुर्बल होता है।

(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 111

प्रश्न 18.
आप फिनॉल को बेन्जीन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
फीनॉल को यशदरज (जिंक चूर्ण) के साथ गर्म करने पर यह बेन्जीन में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 112

प्रश्न 19.
जब एथेनॉल की क्रिया सान्द्र H2SO4 के साथ 413K पर कराई जाती है, तब मुख्य उत्पाद क्या बनता है?
उत्तर:
एथेनॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ 413 K पर क्रिया कराने पर मुख्य उत्पाद ईधर प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 113

प्रश्न 20.
क्या होता है जब 19 एवं 2° पृथक् ऐल्कोहॉलों का निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा ऑक्सीकरण किया जाता है? रासायनिक समीकरणें लिखिए।
उत्तर:
निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा द्वितीयक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से कीटोन प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 114

प्रश्न 21.
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
(i) CH2 = CH – CH2 – OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 115

(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) फीनॉल की CS2 की उपस्थिति में ब्रोमीन के साथ
(ii) एथेनॉल को Cu की उपस्थिति में 573 K ताप पर गरम करने पर।
अथवा
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 116

(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए –
(i) फीनॉल की सान्द्र HNO3 के साथ
(ii) फीनॉल की यशद रज के साथ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 117

प्रश्न 22.
दिए गए यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 118
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 119
इस यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम 2 2 – डाईमेथिल प्रोपेन -1- ऑल है।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए :
(i) p- मेथिलफीनॉल की अपेक्षा p- नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ii) फीनॉल में C-O आबन्ध लम्बाई अपेक्षाकृत छोटी है मेथेनॉल में के उसी आबन्ध से।
(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न कि ईथर |
उत्तर:
(i) p- मेथिल फीनॉल की अपेक्षा p-नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है क्योंकि – NO2 समूह का – I तथा M प्रभाव फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि मेथिल ( – CH3) समूह का + I प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है, अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

(ii) इस प्रश्न के उत्तर के लिए अभ्यास 11.1 में लघुत्तरात्मक प्रश्न संख्या 1 (b) का उत्तर देखें ।

(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न किं ईथर, क्योंकि सोडियम मेथॉक्साइड एक प्रबल नाभिक स्नेही एवं प्रबल क्षारक है अतः विलोपन अभिक्रिया, प्रतिस्थापन अभिक्रिया से अधिक प्रभावी होती है।
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HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन गति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs Type)

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा समीकरण सरल आवर्त गति को व्यक्त नहीं करता है-
(a) y =R sin (ωt + ϕ)
(b) y =R cos (ωt + ϕ)
(c) y = R sin ωt + b cos ωt
(d) y = R sin ωt cos 2 ωt
उत्तर :
(d) y = R sin ωt cos 2ωt

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति करते कण का अधिकतम वेग 4 ms-1 है तथा अधिकतम त्वरण 16 ms-2 है तो कण का आयाम व आवर्तकाल क्या होगा-
(a) 1 m, \(\frac{\pi}{2}\)
(b) 2 m, π s
(c) 4 m, 2π s
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(a) 1 m, \(\frac{\pi}{2}\)

प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति करते हुए एक पिण्ड का आवर्तकाल 0.05 s तथा आयाम 4 cm है। पिण्ड का अधिकतम वेग होगा-
(a) 1.6 π ms-1
(b) 2 π ms-1
(c) 3.1 π ms-1
(d) 4 π ms-1
उत्तर :
(a) 1.6 π ms-1

प्रश्न 4.
एक सरल लोलक का पृथ्वी पर आवर्तकाल T1 है, यदि पृथ्वी से R ऊँचाई पर आवर्तकाल T2 हो, तो \(\frac{T_2}{T_1}\) होगा-
(a) 1
(b) 2
(c) √2
(d) 4
उत्तर :
(b) 2

प्रश्न 5.
सरल आवर्त गति करते कण का अधिकतम विस्थापन की स्थिति में त्वरण होता है-
(a) अधिकतम
(b) न्यूनतम
(c) न अधिकतम न न्यूनतम
(d) शून्य
उत्तर :
(a) अधिकतम

प्रश्न 6.
0.2 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड x-अक्ष के अनुदिश 25/π हट्र्ज की आवृत्ति से सरल आवर्त गति कर रह्न है। x = 0.04 मीटर की दूरी पर पिण्ड की गतिज ऊर्जा 0.4 जूल है, दोलन का आयाम है –
(a) 0.12 m
(b) 0.03 m
(c) 0.06 m
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(c) 0.06 m

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति में क्या स्थिर रहता है-
(a) गतिज ऊर्जा
(b) स्थितिज ऊर्जा
(c) प्रत्यानयन बल
(d) आवर्तकाल
उत्तर :
(d) आवर्तकाल

प्रश्न 8.
यदि एक सेकण्ड लोलक की लम्बाई, जहाँ g = 9.8 ms-2 है, 1 m है, किसी ग्रहपर, जहाँ g = 4.9 ms-2 है, सेकण्ड लोलक की लम्बाई होगी-
(a) 1 m
(b) 2 m
(c) 0.5 m
(d) 1.5 m
उत्तर :
(c) 0.5 m

प्रश्न 9.
यदि एक सरल लोलक मुक्त रूप से गुरुत्वाकर्षण बल के अन्तर्गत नीचे गिर रहा है तो उसका आवर्तकाल होगा-
(a) 2 π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
(b) 2 π
(c) शून्य
(d) अनन्त
उत्तर :
(d) अनन्त

प्रश्न 10.
सरल आवर्त गति करते कण की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है-
(a) साम्य स्थिति में
(b) अधिकतम विस्थापन की स्थिति में
(c) आधे विस्थापन पर
(d) एक-चौथाई विस्थापन पर।
उत्तर :
(b) अधिकतम विस्थापन की स्थिति में

प्रश्न 11.
किसी सरल आवर्त गति का आयाम R है तथा आवर्तकाल T है। अधिकतम तात्कालिक वेग होगा-
(a) \(\frac{2 \pi R}{T}\)
(b) \(\frac{2 R}{T}\)
(c) \(\frac{4 \mathrm{R}}{\mathrm{T}}\)
(d) \(2 \pi \sqrt{\frac{R}{T}}\)
उत्तर :
(a) \(\frac{2 \pi R}{T}\)

प्रश्न 12.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की साम्य स्थिति से x दूरी पर स्थितिज ऊर्जा होती है-
(a) \(\frac{1}{2} m \omega^2 \mathrm{R}^2\)
(b) \(\frac{1}{2} m \omega^2 x^2\)
(c) \(\frac{1}{2} m \omega^2\left(\mathrm{R}^2-x^2\right)\)
(d) शून्य।
उत्तर :
(b) \(\frac{1}{2} m \omega^2 x^2\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 13.
एक वस्तु का द्रव्यमान m है तथा \mathrm{F}=-k x बल के अधीन आयाम a से सरल आवर्त गति कर रही है। वस्तु की कुल ऊर्जा निर्भर करती है-
(a) k, x
(b) k, a
(c) k, a, x
(d) k, a, v
उत्तर :
(b) k, a

प्रश्न 14.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण का आवर्तकाल होता है-
(a) T = \(2 \pi \sqrt{\frac{\text { विस्थापन }}{\text { त्वरण }}}\)
(b) T = \(2 \pi \sqrt{\frac{g}{\text { विस्थापन }}}\)
(c) T = \(2 \pi \sqrt{\frac{\text { वेग }}{\text { विस्थापन }}}\)
(d) T = \(2 \pi \sqrt{g \times \text { विस्थापन }}\)
उत्तर :
(a) T = \(2 \pi \sqrt{\frac{\text { विस्थापन }}{\text { त्वरण }}}\)

प्रश्न 15.
एक कण समीकरण x = 7 cos 0.5 πt के अनुसार दोलन कर रहा है, जहाँ x विस्थापन तथा t समय है। कण अपनी माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन तक की स्थिति में पहुँचने में समय लेता है-
(a) 4 सेकण्ड
(b) 2 सेकण्ड
(c) 1 सेकण्ड
(d) 0.5 सेकण्ड।
उत्तर :
(c) 1 सेकण्ड

प्रश्न 16.
एक स्प्रिंग से लटके किसी पिण्ड का आवर्तकाल T है, यदि इस स्प्रिंग को बराबर चार भागों में बाँट दिया जाए तथा उसी पिण्ड को किसी एक भाग से लटकाकर दोलन कराएँ तो नया आवर्तकाल होगा-
(a) \(\frac{T}{2}\)
(b) 2 T
(c) \(\frac{T}{4}\)
(d) T
उत्तर :
(a) \(\frac{T}{2}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 17.
एक कण का विस्थापन x = 6 cos ωt + 8 sin ωt मीटर है। यह समीकरण एक सरल आवर्त दोलन व्यक्त करता है जिसका आयाम है-
(a) 14 m
(b) 2 m
(c) 10 m
(d) 5 m
उत्तर :
(c) 10 m

प्रश्न 18.
5 cm आयाम की सरल आवर्त गति करने वाले कण की अधिकतम चाल 31.4 cm s-1 है। इन दोलनों की आवृत्ति है-
(a) 13 Hz
(b) 2 Hz
(c) 4 Hz
(d) 1 Hz
उत्तर :
(d) 1 Hz

प्रश्न 19.
निम्न में से कौन-सा वक्र अवमन्दित दोलन प्रदर्शित करता है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 1
उत्तर :
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 2

प्रश्न 20.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड मूलबिन्दु के परितः X-अक्ष पर दोलन कर रहा है। इसकी स्थितिज ऊर्जा Ux = k|x|³ है, जहाँ k एक धनात्मक नियतांक है। यदि दोलन का आयाम r है, तब इसका आवर्तकाल T –
(a) \(\frac{1}{\sqrt{r}}\) के अनुक्रमानुपाती है
(b) r पर निर्भर करता है
(c) √r के अनुक्रमानुपाती है
(d) r3/2 के अनुक्रमानुपाती है।
उत्तर :
(a) \(\frac{1}{\sqrt{r}}\) के अनुक्रमानुपाती है

प्रश्न 21.
अनुनाद एक विशेष अवस्था है-
(a) मुक्त दोलन की
(b) प्रणोदित दोलन की
(c) अवमन्दित दोलनों की
(d) पोषित दोलनों की।
उत्तर :
(b) प्रणोदित दोलन की

प्रश्न 22.
एक कण का विस्थापन x = 3 sin (5 πt) + 4 cos (5 πt) द्वारा व्यक्त है। कण का आयाम होगा-
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 7
उत्तर :
(c) 5

प्रश्न 23.
एक लड़की झूले पर बैठी हुई झूल रही है। यदि वह खड़ी हो जाये तो झूलने का दोलन काल-
(a) घट जायेगा
(b) बढ़ जायेगा
(c) अपरिवर्तित रहेगा
(d) दो गुना हो जायेगा
उत्तर :
(a) घट जायेगा

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 24.
समान आवर्तकाल किन्तु π/2 कलान्तर वाली दो असमान आयाम वाली परस्पर लम्बवत् सरल आवर्त गतियों का परिणामी है-
(a) वृत्त
(b) दीर्घवृत्त
(c) सरल रेखा
(d) परवलय
उत्तर :
(b) दीर्घवृत्त

प्रश्न 25.
जब समान आयाम तथा समान आवृत्ति वाली दो सरल आवर्त गतियाँ π/2 कलान्तर में एक-दूसरे के ऊपर प्रत्यारोपित हैं तो परिणामी गति है-
(a) दीर्घवृत्ताकार
(b) वृत्ताकार
(c) सरल रेखीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(b) वृत्ताकार

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer type Questions)

प्रश्न 1.
सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण लिखिए।
उत्तर :
विस्थापन समीकरण y = R sin ωt
तथा यदि कण की प्रारम्भिक कला ϕ है तो विस्थापन समीकरण y = R sin (ωt + ϕ)

प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति करते हुए कण के त्वरण व उसके विस्थापन के बीच सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
त्वरण a = -ω² y, जहाँ ω² एक नियतांक है। अतः a ∝ -y अतः त्वरण विस्थापन के अनुक्रमानुपातीं तथा विपरीत दिशा में है।

प्रश्न 3.
किसी सरल लोलक को खान में ले जाने पर उसकी आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
आवर्तकाल T ∝ \(\frac{1}{\sqrt{g}}\), अतः खान में ले जाने से g का मान कम होने के कारण आवर्तकाल बढ़ जाएगा, अतः आवृत्ति (v=\(\frac{1}{T}\)) घट जाएगी।

प्रश्न 4.
सरल आवर्त गति करते हुए कण के वेग तथा त्वरण के व्यंजक, कण के विस्थापन के पदों में लिखिए।
उत्तर :
कण का वेग u = 0 \(\sqrt{A^2-y^2}\) तथा कण का त्वरण a = -ω² y, जहाँ y विस्थापन, A आयाम तथा ω कोणीय आवृत्ति है।

प्रश्न 5.
सरल आवर्त गति करते हुए कण के आवर्तकाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
T= 2π \(\sqrt{\frac{\text { विस्थापन }}{\text { त्वरण }}}\)

प्रश्न 6.
सेकण्ड लोलक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
जिस सरल लोलक का आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है, सेकण्ड लोलक कहलाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण के त्वरण, विस्थापन तथा आवृत्ति के बीच सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
कण का त्वरण
a = -ω² y = -(2πv)² y
या a = -4π²v²y

प्रश्न 8.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण की गति का समीकरण a = -bx से प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें त्वरण है, x मध्यमान स्थिति से विस्थापन है तथा कोई नियतांक है। कण का दोलनकाल क्या होगा ?
उत्तर :
समीकरण a = -bx से,
\(\frac{\text { विस्थापन }(x)}{\text { त्वरण }(a)}=\frac{1}{b}\) (आंकिक रूप से)
अतः कण का दोलनकाल T= 2π \(\sqrt{\frac{\text { विस्थापन }}{\text { त्वरण }}}\)
या
T= 2π \(\sqrt{\frac{1}{b}}\)

प्रश्न 9.
क्या कृत्रिम भू-उपग्रह में कमानी द्वारा नियन्त्रित कलाई घड़ी प्रयुक्त की जा सकती है?
उत्तर :
हाँ, क्योंकि T = 2π \(\sqrt{\frac{m}{k}}\) द्रव्यमान m व बल नियतांक k नियत रहने से T नियत रहा है।

प्रश्न 10.
एक सरल लोलक के आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन ज्ञात कीजिए यदि लोलक की लम्बाई 4% बढ़ा दी जाए।
उत्तर :
T ∝ \(\sqrt{l}\)
अतः लोलक की लम्बाई 4% बढ़ा देने पर आवर्तकाल में 2% का परिवर्तन (बढ़) हो जायेगा।

प्रश्न 11.
एक लड़की झूलते झूलते खड़ी हो जाती है ? झूले के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
लड़की के खड़े होने पर गुरुत्व केन्द्र ऊँचा हो जाएगा। जिससे प्रभावी लम्बाई l घट जाएगी अतः सूत्र T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\) से आवर्तकाल T भी घट जाएगा।

प्रश्न 12.
किसी स्प्रिंग के बल नियतांक का अर्थ समझाइए ।
उत्तर :
स्प्रिंग का बल नियतांक- यदि किसी स्प्रिंग पर F बल लगाने से उसकी लम्बाई में वृद्धि हो जाए, तो
F ∝ -x या F = -kx.
जहाँ = स्प्रिंग का बल नियतांक।
यदि x = 1, तो F (आंकिक रूप से)
अतः किसी स्प्रिंग का बल नियतांक उस बल के बराबर है जो उसकी लम्बाई में एकांक वृद्धि कर दे इसका मात्रक न्यूटन / मीटर होता है।

प्रश्न 13.
सरल आवर्त गति के आवश्यक प्रतिबन्ध लिखिए।
उत्तर :
सरल आवर्त गति के प्रतिबन्ध
(1) कण की गति एक स्थिर बिन्दु (माध्य स्थिति) के इधर-उधर सीधी रेखा में होती है।
(2) कण पर लगने वाला प्रत्यानयन बल (अथवा त्वरण) सदैव उस बिन्दु से कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है।
(3) बल (अथवा त्वरण) सदैव उस बिन्दु (मध्य बिन्दु) की ओर दिष्ट होता है।

प्रश्न 14.
एक भारहीन स्प्रिंग का बल नियतांक है। इससे लटकते हुए ” द्रव्यमान के कण की सरल आवर्त गति के आवर्त काल का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
आवर्तकाल का सूत्र T = 2π \(\sqrt{\frac{m}{k}}\)

प्रश्न 15.
यदि लड़की झूला झूल रही है उसके पास उसके आधे भार का एक बच्चा आकर बैठ जाता है झूले के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
झूले का आवर्तकाल पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, अतः आवर्तकाल वही रहेगा।

प्रश्न 16.
सरल आवर्त गति में कौन-सी भौतिक राशि संरक्षित रहती है।
उत्तर :
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 17.
क्या कोई गायक अपने गाने से काँच की वस्तु के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है?
उत्तर :
यदि गायक ऐसा स्वर उत्पन्न करे कि उसकी आवृत्ति काँच की वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाये तो अनुनाद के कारण वस्तु के दोलनों का आयाम बहुत अधिक बढ़ जायेगा और वस्तु के टुकड़े टुकड़े हो जाएँगे।

प्रश्न 18.
तार वाले वाद्य यन्त्र में प्रधान तार के साथ अन्य तार क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर :
स्वर की तीव्रता को बढ़ाने के लिए प्रधान तार के साथ अन्य तार लगाए जाते हैं।

प्रश्न 19.
ध्वनि तथा विद्युत् चुम्बकीय अनुनाद का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
(i) ध्वनि – सोनोमीटर।
(ii) विद्युत् चुम्बकीय अनुनाद – रेडियो ।

प्रश्न 20.
सरल आवर्त गति कर रहे किसी लोलक के लिए यह क्यों आवश्यक है कि उसका आयाम लम्बाई की तुलना में कम हो ?
उत्तर :
लोलक की गति सरल आवर्त गति तभी होती है, जबकि उसका कोणीय आयाम 10° से कम हो ।

प्रश्न 21.
वायु में सरल लोलक के दोलन किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
अवमन्दित दोलन ।

प्रश्न 22.
क्या अवमन्दन में यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है?
उत्तर :
हाँ

प्रश्न 23.
सरल आवर्त गति किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित है ?
उत्तर :
ऊर्जा संरक्षण पर ।

प्रश्न 24.
क्या कृत्रिम उपग्रह पर लोलक घड़ी प्रयुक्त की जा सकती है ?
उत्तर :
नहीं, कृत्रिम उपग्रह में भारहीनता की स्थिति होती है, अतः 8 का प्रभावी मान शून्य होता है।

प्रश्न 25.
निम्न स्थितियों में प्रत्यानयन बल कौन प्रदान करेगा-
(i) यदि स्प्रिंग को दबाकर कम्पन के लिए छोड़ दिया जाये।
(ii) यदि नली में पारे को विस्थापित करके छोड़ दिया जाये।
(iii) यदि सरल लोलक को माध्य स्थिति से विस्थापित कर छोड़ दिया जाये।
हल :
(i) स्प्रिंग के पदार्थ की प्रत्यास्थता के द्वारा
(ii) पारे के भार के द्वारा
(iii) लोलक के भार के द्वारा।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जब लोलक घड़ी को पर्वत चोटी पर ले जाया जाये तो क्या यह समय ग्रहण करेगी या खाएगी ?
उत्तर :
पर्वत की चोटी पर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण के मान घट जाने की वजह से आवर्तकाल बढ़ जायेगा, अतः घड़ी सुस्त हो जायेगी और समय ग्रहण करेगी।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 2.
पोषित कम्पन क्या होते हैं?
उत्तर :
यदि कम्पन करने वाली वस्तु को किसी बाह्य अनावर्ती स्रोत से ऊर्जा देकर उसके स्वाभाविक कम्पनों का आयाम समय के साथ नियत रखा जाये तो इन कम्पनों को पोषित कम्पन कहते हैं, जैसे-विद्युत् पोषित स्वरित्र द्विभुज ।

प्रश्न 3.
प्रणोदित दोलनों से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर :
प्रणोदित दोलन (Force Oscillation ) :
“जब किसी दोलन करने वाली वस्तु पर कोई बाह्य आवर्ती बल कार्य करता है, तो प्रारम्भ में वस्तु अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन करने का प्रयास करती है, परन्तु कुछ समय पश्चात् वह बाह्य आवर्ती बल की आवृत्ति से दोलन करने लगती है। वस्तु के इन दोलनों को प्रणोदित दोलन कहते हैं।” उदाहरण- जब तने हुए पतले तार से प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करके को चुम्बक के ध्रुवों के बीच रखते हैं, तो तार प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति से प्रणोदित कम्पन करने लगता है।

प्रश्न 4.
मुक्त दोलन का अर्थ एक उदाहरण द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
मुक्त दोलन (Free Oscillation ) :
जब किसी वस्तु को जो कि दोलन कर सकती हो, उसकी साम्य स्थिति से थोड़ा-सा विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है तो वह एक निश्चित आवृत्ति से दोलन करने लगती है। यह आवृत्ति उस वस्तु के आकार व प्रत्यास्थता इत्यादि जैसे निजी गुणों पर निर्भर करती है। इसे वस्तु की ‘स्वाभाविक आवृत्ति’ (Natural Frequency) कहते हैं।
“वस्तु के इस प्रकार के दोलन जिस पर कोई भी बाह्य बल अपना प्रभाव नहीं डाल रहा है, मुक्त दोलन कहलाते हैं। ”
उदाहरणार्थ – स्वरित्र द्विभुज (Tuning Fork) को रबर की गद्दी पर मारने से उसकी भुजाएँ अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से कम्पन करने लगती हैं। यह आवृत्ति भुजाओं की लम्बाई, मोटाई तथा उनके पदार्थ की प्रत्यास्थता पर निर्भर करती है।
इस प्रकार स्वरित्र द्विभुज के दोलनमुक्त दोलन हैं।

प्रश्न 5.
एक कण की दोलनी गति का समीकरण \(\frac{d^2 x}{d t^2}=-b x\) है जिसमें x माध्य स्थिति से विस्थापन तथा 6 नियतांक है। कण का दोलन काल क्या होगा ?
उत्तर :
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 3

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प्रश्न 6.
जब कहीं बम विस्फोट होता है तो दूर-दूर तक बनी इमारतों की खिड़कियों के काँच टूट जाते हैं। समझाइए, क्यों ?
उत्तर :
बम विस्फोट के द्वारा हवा में तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों से खिड़कियों के काँच में कम्पन उत्पन्न हो जाते हैं। जब इन तरंगों की आवृत्ति खिड़की के काँच की मूल आवृत्ति के बराबर हो जाती है तो कम्पनों का आयाम बहुत अधिक हो जाता है। इस स्थिति में खिड़कियों के काँच टूट जाते हैं।

प्रश्न 7.
क्या कोई कण अपनी चाल को परिवर्तित किये बिना त्वरित गति कर सकता है ?
उत्तर :
हाँ, जब कण नियत चाल से वृत्ताकार पथ पर गति करता है तो यह गति त्वरित होती है, क्योंकि इस गति में दिशा निरन्तर बदलती रहती है।

प्रश्न 8.
क्या स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई कलाई घड़ी सही समय का मापन कर सकती है ?
उत्तर :
हाँ, क्योंकि कलाई घड़ी स्प्रिंग के दोलन क्रिया पर आधारित होती है, और स्प्रिंग का आवर्तकाल (T) = 2π \(\sqrt{\frac{m}{k}}\) होता है जिसमें g (गुरुत्वीय त्वरण) का कोई पद नहीं होता है।

प्रश्न 9.
आवर्ती गति एवं दोलन गति को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर :
“जब कोई वस्तु एक निश्चित समय में एक निश्चित पथ पर बार-बार अपनी गति को दोहराती है तो उसकी गति को आवर्ती गति कहते हैं और उस निश्चित समय को आवर्तकाल (time period) कहते हैं।” उदाहरण के लिए, पेण्डुलम की गति, घड़ी की सुइयों की गति, ग्रहों एवं उपग्रहों की गति आदि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 3654 दिन में अपनी परिक्रमा पूरी करती है, अतः पृथ्वी की आवर्ती गति का आवर्तकाल 365 दिन हुआ।

दोलनी या कम्पनिक गति (Oscillatory or Vibratory Motion) : जब कोई वस्तु आवर्ती गति में एक ही पथ पर किसी निश्चित बिन्दु के इधर-उधर या आगे-पीछे (to and fro ) गति करती है तो यह गति दोलनी अथवा कम्पनिक गति कहलाती है। जिस निश्चित बिन्दु के दोनों ओर दोलनी गत्ति होती है उसे माध्य स्थिति या साम्य स्थिति (mean position or equilibrium position) कहते हैं। उदाहरण के लिए; लोलक की गति, स्वरित्र द्विभुज की भुजाओं की गति आदि कम्पनिक गति के उदाहरण हैं। दोलन गति में वस्तु एक निश्चित साम्य स्थिति के एक ओर जाती है, फिर वापस उसी स्थिति में लौटकर दूसरी ओर चली जाती है और पुन: लौटकर माध्य स्थिति में आ जाती है।

प्रश्न 10.
l लम्बाई के एक सरल लोलक का गोलक ऋण आवेशित है। यदि गोलक के ठीक नीचे एक धनावेशित धातु की प्लेट रखकर लोलक का दोलन कराया जाये तो बताइए सरल लोलक के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
ऋण आवेश तथा धन आवेश में आकर्षण बल के कारण g का प्रभावी मान बढ़ जायेगा, अत: दोलन काल घट जायेगा ।

प्रश्न 11.
किसी पुल पर सैनिकों को गुजरते समय कदम से कदम न मिलाकर चलने के निर्देश क्यों दिये जाते हैं।
उत्तर :
जब सेना किसी पुल को पार करती है तब सैनिक कदम मिलाकर नहीं चलते। इसका कारण यह है कि यदि सैनिकों के कदमों की आवृत्ति, पुल की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाए तो पुल बड़े आयाम के कम्पन होने लगेंगे और पुल के टूटने का खतरा हो जाएगा।

प्रश्न 12.
यदि खोखला पाइप पृथ्वी के व्यास के अनुदिश रखकर उसमें एक पिण्ड गिरा दिया जाये तो इसके वेग और त्वरण में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर :
यह पिण्ड पाइप में सरल आवर्त गति करेगा, जिसकी माध्य स्थिति पृथ्वी के केन्द्र पर होगी। पृथ्वी के केन्द्र से गुजरते समय वेग अधिकतम होगा तथा पृथ्वी की सतह पर न्यूनतम और त्वरण पृथ्वी की सतह पर अधिकतम होगा तथा पृथ्वी के केन्द्र पर न्यूनतम होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 13.
यदि सरल आवर्त गति करते हुए सरल लोलक को एक लिफ्ट में रख दिया जाये, जो ऊपर की ओर त्वरण (a) से गतिमान हो तो उसके आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
जब लिफ्ट ऊपर की ओर त्वरित होगी तो सरल लोलक पर कार्यकारी बल
R – mg = ma
या R = ma + mg = m (a + g)
या mg = m (a + g)
या g = (a + g)
∵ सरल लोलक का आवर्तकाल (T) = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
∵ T ∝ \(\frac{l}{\sqrt{g}}\)
∵ g बढ़ जायेगा, अतः आवर्तकाल घट जायेगा।

प्रश्न 14.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी सरल लोलक को एक लिफ्ट में रख दिया जाये, यदि लिफ्ट त्वरण से नीचे की दिशा में त्वरित हो तो इसके आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
जब लिफ्ट (a) त्वरण से नीचे की ओर त्वरित होती है तो उसमें रखे लोलक पर प्रभावकारी बल
mg – R = ma
या R = mg – ma = m(g – a)
या mg’ = m(g – a)
या g’ = (g – a)
∵ सरल लोलक का आवर्तकाल (T) = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
T ∝ \(\frac{l}{\sqrt{g}}\)
∵गुरुत्वीय त्वरण का प्रभावी मान घट जाता है, इसलिए आवर्तकाल का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 15.
क्या दोलन करते सरल लोलक की डोरी में तनाव बल सदैव नियत रहता है ? यदि नहीं तो कब न्यूनतम व कब अधिकतम होता है ?
उत्तर :
जब लोलक माध्य स्थिति में θ कोण से विस्थापित होता है तो तनाव बल T = mg cos θ से होता है, क्योंकि θ का मान विभिन्न स्थानों पर दोलन करते समय भिन्न होगा। अतः तनाव बल का मान भी भिन्न होगा। अधिकतम विस्थापन की स्थिति में θ का मान अधिकतम होगा तथा cos θ का मान न्यूनतम होगा। इस कारण तनाव बल न्यूनतम होगा।
माध्य स्थिति पर θ = 0, cos θ = 1 जो कि cos θ का अधिकतम मान है, अतः तनाव बल अधिकतम होता है।

प्रश्न 16.
एक स्प्रिंग का स्प्रिंग नियतांक (k) है, जिसे तीन बराबर भागों में विभाजित कर दिया जाता है। प्रत्येक भाग का स्प्रिंग नियतांक क्या हो जायेगा ?
उत्तर :
चूँकि हम जानते हैं कि
k = \(\frac{F}{y}\)
जब स्प्रिंग को तीन भागों में काट दिया जाता है तो लम्बाई तीन गुनी कम हो जाती है। जिससे वल नियतांक का मान तीन गुना बढ़ जाता है।
y’ = \(\frac{y}{3}\)
∴ k’ = \(\frac{F}{y/3}=3 \frac{F}{y}\) = 3k

प्रश्न 17.
कभी-कभी भूकम्प बहुत विध्वंसकारी क्यों होता है ?
उत्तर :
जब इमारतों की मूल आवृत्ति भूकम्प के समय उत्पन्न पृथ्वी के कम्पनों की आवृत्ति के बराबर हो जाती है तो अनुनाद के कारण इमारतें बड़े आयाम के साथ कम्पन करना प्रारम्भ कर देती हैं, जिससे वह नीचे गिर जाती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 18.
एक सरल लोलक के धात्विक गोले का आपेक्षिक घनत्व ρ है। इसका आवर्तकाल T है यदि गोलक को पानी में डुबोया जाये तो सरल लोलक के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
सरल लोलक का आवर्तकाल
T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
यदि लोलक को पानी में डुबो दिया जाता है तो पानी से लगने वाले उछाल के कारण लोलक का आभासी भार कम होगा। अतः आभासी गुरुत्वीय त्वरण g’ का मान g से कम होगा। फलस्वरूप आवर्त काल T का मान बढ़ जायेगा।

प्रश्न 19.
एक द्रव्यमान m एवं k बल नियतांक तथा l लम्बाई वाली स्प्रिंग से लटकाया जाता है। इस द्रव्यमान की दोलन आवृत्ति f1 है। यदि स्प्रिंग को दो बराबर भागों में काटकर उसी द्रव्यमान को एक भाग से लटका दिया जाए और नयी आवृत्ति f2 हो तो f1 तथा f2 के मध्य क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
स्प्रिंग को दो बराबर भागों में तोड़ने पर प्रत्येक भाग का बल नियतांक दो गुना हो जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 4

प्रश्न 20.
सिद्ध कीजिए कि परवलयिक विभव कूप में कण सरल आवर्त गति करता है।
उत्तर :
जब कोई पिण्ड सरल आवर्त गति करता है तो उसकी माध्य स्थिति y दूरी पर स्थितिज ऊर्जा U = \(\frac{1}{2}\) ky² होती है। जब हम स्थितिज ऊर्जा U और विस्थापन में ग्राफ खींचते हैं तो एक परवलय प्राप्त होता है। इसका आकार कूप के समान होता है इस प्रकार के विभव फलन को परवलयिक विभव कूप (parabolic potential well) कहते हैं। सरल आवर्त गति इस प्रकार के कूप में पायी जाती है।
स्थितिज ऊर्जा U = \(\frac{1}{2}\) ky²
कण पर लगने वाला परिणामी बल
F = \(– \frac{d}{dy}\) |U|
या F = \(– \frac{d}{dy}\) (\(\frac{1}{2}\) ky²)
= \(\frac{1}{2}\) k . 2y
या F = -ky
स्पष्ट है कि प्रत्यानयन बल विस्थापन के समानुपाती होता है। जिसकी दिशा माध्य स्थिति की ओर होती है अतः पिण्ड सरल आवर्त गति करेगा।

प्रश्न 21.
यदि आपको एक हल्का स्प्रिंग, एक मीटर स्केल और एक ज्ञात द्रव्यमान दे दिया जाये तो आप घड़ी का उपयोग किये बिना आवर्तकाल कैसे ज्ञात करोगे ?
उत्तर :
हम दिये गये द्रव्यमान को स्प्रिंग से लटका देते हैं और स्केल की सहायता से स्प्रिंग में विस्तार ज्ञात कर लेते हैं। इस प्रकार स्प्रिंग के बल नियतांक की गणना की जा सकती है।
F = k . l लेकिन F = mg
kl = mg
k = \(\frac{mg}{l}\),
जहाँ l = स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि
स्प्रिंग का आवर्तकाल (T) = 2π\(\sqrt{\frac{m}{k}}\)
k का मान रखने पर,
T = 2π \(\sqrt{\frac{m}{m g / l}}=\sqrt{\frac{l}{g}}\)
l तथा g के मान ज्ञात हैं, अतः T का मान ज्ञात हो सकता है।

प्रश्न 22.
सरल लोलक में लोहे के गोलक के स्थान पर उसी आकार का चाँदी का गोलक लटका कर प्रयोग करने पर आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
अपरिवर्तित रहेगा क्योंकि सरल लोलक का आवर्तकाल द्रव्यमान तथा घनत्व पर निर्भर नहीं करता है।

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प्रश्न 23.
सरल आवर्त गति कर रहे कण द्वारा एक सम्पूर्ण दोलन में कितना कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर :
कार्य (W) = बल × विस्थापन
चूँकि सम्पूर्ण दोलन में विस्थापन = 0
∴ W = 0
अतः कार्य शून्य होगा।

प्रश्न 24.
समान द्रव्यमान के दो पिण्ड P तथा Q दो द्रव्यमानहीन स्प्रिंगों से अलग-अलग लटके हैं। स्प्रिंगों के बल नियतांक क्रमशः k1 तथा k2 हैं यदि दोनों पिण्ड ऊर्ध्वाधर तल में इस प्रकार कम्पन करते हैं कि उनके अधिकतम वेग समान हों, तब P तथा Q के कम्पन के आयाम में क्या अनुपात होगा ?
उत्तर :
चूँकि दो पिण्ड P तथा Q के अधिकतम वेग समान हैं-
∴ P का अधिकतम वेग = Q का अधिकतम वेग
a1ω1 = a2ω2
या a1 × \(\frac{2л}{T_1}\) = a2 × \(\frac{2л}{T_2}\)
या a1 × \(\sqrt{\frac{k_1}{m}}\) = a2 × \(\sqrt{\frac{k_2}{m}}\)
या \(\frac{a_1}{a_2}\) = \(\sqrt{\frac{k_2}{k_1}}\)

प्रश्न 25.
एक सरल लोलक जिसके धागे की लम्बाई (l) तथा गोलक का दव्यमान m है, ऊर्ध्वाधर तल में θ कोण के वृत्तीय चाप पर गति कर रहा है। चाप के अन्तिम सिरे पर m द्रव्यमान का एक अन्य गोलक जो स्थिर स्थिति में रखा है से टकराता है तो गतिशील गोलक द्वारा स्थिर गोलक को कितना संवेग दिया जायेगा ?
उत्तर :
शून्य (0), क्योंकि अन्तिम बिन्दु पर गोलक का वेग शून्य होता है इसी कारण संवेग शून्य होगा।

प्रश्न 26.
l लम्बाई की एक स्प्रिंग का बल नियतांक & है, जब इस पर भार लटकाया जाता है तो इसकी लम्बाई में वृद्धि होती है। यदि स्प्रिंग को दो बराबर टुकड़ों में काटकर तथा उन्हें समान्तर क्रम में रखकर उन पर वही भार » लटकायें तो उसकी लम्बाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
स्प्रिंग को दो बराबर भागों में बाँटने पर उसकी स्प्रिंग का बल नियतांक दो गुना हो जायेगा। चूंकि स्प्रिंग दो स्प्रिंगों में बदल जाती हैं जिन्हें समान्तर क्रम में जोड़ने पर परिणामी बल नियतांक 46 हो जायेगा।
भार समान है इसलिए
∵ x ∝ \(\frac{1}{k}\)
∴ \(\frac{x_1}{x_2}=\frac{k_1}{k_2}=\frac{4k}{k}=4\)
x2 = \(\frac{x_1}{4}\)

प्रश्न 27.
यदि हम अपने कान के पास एक गिलास रख लें, तो हमें गुन-गुन की ध्वनि सुनाई देती है, क्यों ?
उत्तर :
वातावरण के कणों के कम्पनों की आवृत्ति गिलास में भरी वायु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाती है, जिससे अनुनाद की घटना होती है। अतः हमें गुन-गुन की ध्वनि सुनाई देती है।

प्रश्न 28.
ऊँचा सुनने वाला व्यक्ति अपने कान के पीछे हाथ क्यों लगा लेता है ?
उत्तर :
अनुनाद की घटना उत्पन्न करने के लिए, जिससे उसे स्पष्ट ध्वनि सुनाई दे।

प्रश्न 29.
स्प्रिंग का बल नियतांक किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर :
किसी स्प्रिंग का बल नियतांक, स्प्रिंग के पदार्थ की प्रकृति, स्प्रिंग की बनावट एवं उसकी भौतिक अवस्था पर निर्भर करता है, अर्थात् मुलायम स्प्रिंग के लिए k का मान कम तथा कठोर स्प्रिंग के लिए k का मान अधिक होता है।
∴ \(k_{\text {कठोर }}>k_{\text {मुलायम }}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न 1.
सरल आवर्त गति के आवश्यक प्रतिबन्ध बताइए तथा सिद्ध कीजिए कि किसी वृत्त की परिधि पर एकसमान कोणीय वेग से गतिमान बिन्दु का वृत्त पर प्रक्षेप सरल आवर्त गति करता है ?
उत्तर :
रैखिक सरल आवर्त गति (Linear Simple Harmonic Motion) :
किसी वस्तु की रैखिक सरल आवर्त गति होने के लिए निम्नलिखित तीन प्रतिंबन्ध हैं–
(i) वस्तु की गति एक स्थिर बिन्दु (साम्य स्थिति) के इधर-उधर सरल रेखा में हो।
(ii) वस्तु पर कार्यरत् प्रत्यानयन बल अर्थात् वस्तु में उत्पन्न त्वरण सदैव माध्य स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो अर्थात् a ∝ (-y) जहाँ (-) चिह्न यह दर्शाता है कि त्वरण a की दिशा सदैव विस्थापन y की दिशा के विपरीत होती है।
(iii) बल अर्थात् त्वरण सदैव साम्य स्थिति की ओर दिष्ट हो।
इस प्रकार सरल आर्वत गति में प्रत्यानयन बल, साम्य स्थिति से विस्थापन के रामानुपाती रंध्या जिपरीत दिशा में होता है। अर्थात्
F ∝ -y
F = -k y …………(1)
यहाँ F प्रत्यानयन बल, y साम्य स्थिति से विस्थापन तथा k प्रत्यानयन बल नियतांक कहलाता है, जिसका मात्रक न्यूटन/मीटर होता है।
प्रत्यानयन बल (F) तथा विस्थापन (y) में वक्र निम्न प्रकार रैखिक प्राप्त होता है-

रैखिक सरल आवर्त गति का अवकल समीकरण :
माना कि किसी वस्तु का द्रव्यमान m है जिस पर F बल आरोपित है।
वस्तु की गति में त्वरण a = \(\frac{F}{m}\)
लेकिन समीकरण (l) से F = -k y
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 6

सरल आवर्त गति : एकसमान वृत्तीय गति में प्रक्षेप (Simple Harmonic Motion : Project in Uniform Circular Motion) :
माना कोई कण त्रिज्या (A) के वृत्तीय पथ पर एकसमान कोणीय वेग ω से घूम रहा है। परिभाषा के अनुसार कण की गति आवर्ती गति तो है, परन्तु सरल आवर्त गति नहीं है।

जब कण बिन्दु N पर है, तो बिन्दु N से वृत्त के व्यास YY’ पर डाले गये लम्ब का पाद P बिन्दु पर मिलता है। जब कण Y पर है, तो लम्ब का पाद भी Y पर है। जब कण X’ पर पहुँचता है, तो लम्ब का पाद व्यास पर चलकर Y से O पर आ जाता है। जब कण Y’ पर पहुँचता है, तो पाद भी Y’ पर पहुँच जाता है। जब कण X पर पहुँचता है, तब लम्ब का पाद O पर पहुँच जाता है तथा जब कण लौटकर बिन्दु N तक पहुँचता है तो पुन: लम्ब का पाद P हो जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 7
सणष्ट है कि एकसमान वृत्तीय गति पर गतिमान कण की तात्कालिक स्थितियों से किसी व्यास Y.Y’ पर डाले गये लम्ब का पाद बिन्दु O के इधर-उधर एक सरल रेखा में गति करता है। लम्ब के पाद की यह गति दोलनी गति कहलाती है।

जितने समय में कण एक समान वृत्तीय गति पर एक चक्कर पूरा कर लेता है, लम्ब का पाद भी उतने समय में एक कम्पन पूरा कर लेता है। इस समय को दोलन काल कहते हैं।

कण की स्थिति N में लम्ब के पाद P का साम्य स्थिति से विस्थापन = (OP = y) कण पर केन्द्र की ओर बल F = mω²A लगता है जिसमें m कण का द्रव्यमान है। इस बल का y दिशा में घटक Fy = mω²A sin θ, ॠणात्मक चिह्न केवल प्रदर्शित करता है कि बल Fy की दिशा केन्द्र O की ओर है।
∴ त्रिभुज OPN में,
sin θ = \(\frac{OP}{ON}=\frac{y}{a}\)
y = A sin θ
∴ Fy = -mω²A sin θ
sin θ का मान रखने पर,
Fy = -mω²A . \(\frac{y}{a}\) = -mω²y
चूँक कण का द्रव्यमान (m) तथा कोणीय वेग (ω) नियत हैं, अर्थात् कह सकते हैं कि mω² = नियतांक = k
∴ Fy = -ky
Fy ∝ -y
अर्थात् लम्ब के पाद (N) पर कार्य करने वाला बल उसकी माध्य स्थिति से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती है तथा इसकी दिशा माध्य स्थिति की ओर ही दिष्ट है। यही सरल आवर्त गति का आवश्यक तथा पर्याप्त त्रतिबन्ध है, अतः हम कह सकते हैं कि लम्ब के पाद की गति सरल आवर्त गति है।

इस प्रकार एकसमान वृत्तीय गति पर गतिमान कण की गति आवर्ती है, परन्तु सरल आवर्त गति नहीं, जबकि एकसमान वृत्तीय ति पर गतिमान कण की तात्कालिक स्थितियों से किसी व्यास पर डाले गये लम्ब के प्रक्षेप या लम्ब पाद की गति सरल आवर्त गति है।
नोट : इस वृत्त को सरल आवर्त गति का निर्देश वृत्त (reference circle) कहते हैं।

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प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति से क्या अभिप्राय है ? सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण के त्वरण एवं विस्थापन में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर :
अनुच्छेद संख्या 14.7, 14.10 तथा 14 .12 . 2 देखें।

जब कोई कण अपनी साम्य या माध्य स्थिति के इधर-उधर गति इस प्रकार करे कि इस पर कार्यकारी बल प्रत्येक स्थिति में इसकी साम्य स्थिति की ओर दिष्ट रहे तब कण की गति सरल आवर्त गति (S.H.M.) कहलाती है।

उदाहरण के लिए, सरल लोलक के दोलन, स्प्रिंग में लटके पिण्ड के कम्पन, स्वरित्र द्विभुज की भुजाओं के कम्पन आदि।

एक वृत्त के चाप पर भी कोणीय गति हो सकती है। जैसे मरोड़ी लोलक में। वस्तु को जब माध्य स्थिति से विस्थापित किया जाता है तो उस पर एक प्रत्यानयन बल लगता है तो उसे माध्य स्थिति की ओर लाता है। सरल आवर्त गति, दोलन गति का एक विशेष रूप है, जो सबसे सरल होता है।

सरल आवर्त गति के प्रकार (Types of S.H.M.) :
सरल आवर्त गति निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं-
(i) रैखिक सरल आवर्त गति (Linear Simple Harmonic Motion)
(ii) कोणीय सरल आवर्त गति (Angular Simple Harmonic Motion)

सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण (Displacement equation of S.H.M.) :
माना एक कण की एकसमान वृत्तीय मार्ग पर प्रारम्भिक स्थिति X है तथा t सेकण्ड में यह कण θ कोण घूम जाता है, तो
कोणीय विस्थापन = कोणीय वेग × समय
θ = ω.t

चित्र से स्पष्ट है कि t समय में लम्ब का पाद O से P तक पहुँचता है तथा इसकी माध्य स्थिति O से विस्थापन
x = OP = ON sin θ = A sin θ
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y = A sin ωt ……………(1)

∵ पथ की त्रिज्या A ही सरल आवर्त गति का आयाम है अतः

y = A sin ωt ……………(1)

व्यापक रूप में प्रारम्भिक स्थिति को कहीं भी माना जा सकता है। माना कण की प्रारस्भिक स्थिति A पर है एवं ∠AOX = ϕo एवं ∠AOP = ωt
θ = ∠XOP = ωt – ϕ0
अतः y = A sin (ωt – ϕ0)
एवं x = A cos (ωt – ϕ0)

– ϕ0 को प्रारम्भिक कला कहते हैं। अगर कण की प्रारम्भिक स्थिति B पर है

एवं ∠BOX = ϕ0
तथा ∠BOP = ωt
तब θ = ∠XOP = ωt + ϕ0
अतः y = A sin (ωt + ϕ0)
एवं x = A cos (ωt + ϕ0)
यहाँ + ϕ0 को प्रारम्भिक कला कहते हैं।

सरल आवर्त गति में विस्थापन-समय आलेख :

विस्थापन व समय में आलेख निम्न प्रकार होगा-
(i) जब ϕ – शून्य हो-
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(ii) जब प्रारम्भिक कला कोण +ϕ हो-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 10

(iii) जब प्रारम्भिक कला कोण -ϕ हो-
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सरल आवर्त गति में त्वरण के लिए व्यंजक (Expression for Acceleration in S.H.M.) :
हम जानते हैं कि जब कोई वस्तु वृत्तीय गति करती है तो उस पर एक अभिकेन्द्रीय त्वरण लगता है। यदि वस्तु का कोणीय वेग ω एवं पथ की त्रिज्या A हो तो अभिकेन्द्रीय त्वरण का मान Aω² होगा जिसकी दिशा केन्द्र की ओर होगी अर्थात् P बिन्दु OP दिशा में होगी। इस त्वरण का हमें वह घटक चाहिए, जो व्यास YY’ के अनुदिश हो क्योंक सरल आवर्त गति करने वाले लम्बपाद N की गति इसी व्यास के अनुदिश होती है। यदि यह घटक α से व्यक्त करें तो
α = -Aω² sin θ
(यहाँ ऋण चिह्न यह दर्शाता है कि त्वरण एवं विस्थापन की दिशाएँ एक-दूसरे के विपरीत हैं।)
θ = ωt
α = -Aω² sin θ
= -ω² (A sin θ)
या α = -ω²y …………..(1)
क्योंकि y = A sin ωt
कोंणीय वेग ω नियत है अतः
α ∝ -y
अर्थात् त्वरण ∝ -विस्थापन
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 12
स्पष्ट है कि सरल आवर्ते गति मे त्वरण वस्तु को साम्य स्थिति से उसके विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा इसकी दिशा विस्थापन की दिशा के विपरीत होती है।
(i) जब वस्तु माध्य स्थिति में होती है तो
y = 0
अतः त्वरण, α = ω²y = ω² × 0
या α = 0
(ii) जब वस्तु अधिकतम विस्थापन की स्थिति में होती है तो
y = A
अत: αmax = ω²A

त्वरण-समय वक्र (Time-Acceleration Curve):
सरल आवर्त गति में त्वरण,
α = -Aω² sin θ
या α = -Aω² . sin \(\frac{2π}{T}\).t
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इन आँकड़ों के आधार पर खींचा गया समय-त्वरण ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 14

प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति करते हुए पिण्ड की दोलन गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि सम्पूर्ण ऊर्जा दोलन की आवृत्ति तथा दोलन के आयाम के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।
उत्तर :
सरल आवर्त गति में ऊर्जा (Energy in S.H.M.) ;
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण की किसी क्षण कुल ऊर्जा को सरल आवर्त गति की कुल ऊर्जा कहते हैं। सरल आवर्त गति करते हुए कण की ऊर्जा दो प्रकार की होती है-
(i) गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
(ii) स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)।
इस प्रकार कुल ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है अर्थात्
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
ET = K + U

(i) सरल आवर्त गति करते हुए कण की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy of Particle in S.H.M.) :
सरल आवर्त गति करते हुए कण में उसकी गति के कारण विद्यमान ऊर्जा सरल आवर्त गति की गतिज ऊर्जा कहलाती है।
माना कोई कण जिसका द्रव्यमान (m) तथा चाल u है तो कण की गतिज ऊर्जा
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(ii) सरल आवर्त गति में कण की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of Particle in S.H.M.):
सरल आवर्त गति में कण की स्थिति के कारण निहित ऊर्जा कण की स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
माना दोलन करने वाले m द्रव्यमान के पिण्ड का किसी क्षण साम्य स्थिति से विस्थापन y है, अतः पिण्ड की सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण,
y = A sin ωt
जहाँ A पिण्ड का दोलन आयाम तथा ω कोणीय वेग है।
अतः पिण्ड का रेखीय वेग,
v = \(\frac{dy}{dt}=\frac{d}{dt}\)(A sin ωt)
= Aω cos ωt
पिण्ड का रेखीय त्वरण
α = \(\frac{dv}{dt}=\frac{d}{dt}\)(Aω cos ωt)
या α = -Aω². sin ωt
या α = -ω².y
क्योंकि y = A sin ωt
पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल
F = mα = -mω²y …………..(1)

अतः पिण्ड में अत्यन्त सूक्ष्म विस्थापन dy के विपरीत प्रत्यानयन बल द्वारा किया गया कार्य,
dW = F × (-dy) = mω²y dy
या dW = mω².y.dy
अतः पिण्ड को y = 0 से y = y तक विस्थापित करने में कृत कार्य अर्थात् y विस्थापन में पिण्ड y की स्थितिज ऊर्जा
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 16
(i) जब पिण्ड का विस्थापन शून्य होता है अर्थात् पिण्ड माध्य स्थिति में होता है तो
y = 0
∴ Umin = 0 ……………(3)
(ii) जब पिण्ड अधिकतम विस्थापन की स्थिति में होता है तो,
y = a
∴ Umax = \(\frac{1}{2}\)mω²A ……………(3)

(iii) सरल आवर्त गति करते हुए कण की कुल ऊर्जा (Total Energy of Particle in S.H.M.) :
सरल आवर्त गति करने वाले कण की गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग कुल ऊर्जा के बराबर होता है अर्थात्
ET = K + U
या
ET = \(\frac{1}{2}\)mω²(A² – y²) + \(\frac{1}{2}\)mω²A
= \(\frac{1}{2}\)mω²(A² – y² + y²)
= \(\frac{1}{2}\)mω²A²

स्पष्ट है कि कुल ऊर्जा का समय एवं स्थिति अर्थात् उसके विस्थापन पर निर्भर नहीं करती है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, सरल आवर्त गति में कण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। स्पष्ट है कि सरल आवर्त गति में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होता है।
ω = 2πn (जहाँ n = आवृत्ति)
∴ ET = \(\frac{1}{2}\)m(2πn)²A²
= \(\frac{1}{2}\)m.4π²n²A²
या ET = 2mπ²n²A²
इस प्रकार सरल आवर्त गति में कण की कुल ऊर्जा,
ET = 2mπ²n²A²
ET ∝ A² अर्थात् (आयाम)²
तथा
ET ∝ n² अर्थात् (आवृत्ति)²
सरल आवर्त गति में कण की गतिज ऊर्जा (K), स्थितिज ऊर्जा (U)
तथा कुल ऊर्जा (ET) को विस्थापन के साथ निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 17
नोट – सरल आवर्त गति में कुल ऊर्जा की आवृत्ति शून्य होती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 4.
एक समान परिच्छेद् वाला लकड़ी का बेलन जल में ऊध्र्वाधर तैर रहा है। जब इसे थोड़ा नीचे दबाकर छोड़ देते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसका दोलनकाल जल में डूबी लम्बाई के पदों में ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
तैरता हुआ लकड़ी का आयताकार (Oscillations of a Rectangular wooden Block):
माना एक बेलनाकार पिण्ड जिसका द्रव्यमान (m), लम्बाई (L), अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A) तथा घनत्व (ρ) है। ρ0 घनत्व के द्रव में आंशिक रूप से डूबकर तैर रहा है। यदि बेलन का h भाग द्रव के अन्दर है तो तैरने के सिद्धान्त से,
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 18
बेलन द्वारा हटाये गये द्रव का भार = बेलन का भार
(A . h) ρ0 g = mg
m = Ah ρ0 …………(1)
तैरने की स्थिति में यदि बेलन को थोड़ा नीचे दबाकर छोड़ देते हैं पिण्ड ऊर्ध्व रेखा में दोलन गति करने लगता है।
गति अवस्था में साम्यावस्था से y विस्थापन में प्रत्यानयन बल (F)
F = उत्प्लावन बल = हटाये गये द्रव का भार
F = -(A.y.ρ0)g …………(2)
ऋणात्मक चिह्न का अर्थ है कि प्रत्यानयन बल, विस्थापन के विपरीत होता है।
यदि पिण्ड का त्वरण (a) हो तो गति के द्वितीय नियम से,
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प्रश्न 5.
दोलन के अवमन्दन से क्या अभिप्राय है ? उपयुक्त उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अवमंदित सरल आवर्त गति (Undamped Simple Harmonic Motion) :
यदि कम्पित वस्तु का आयाम धीरे-धीरे कम होता जाता है तथा अन्त में शून्य हो जाता है तो ऐसे कम्पन अवमन्दित कम्पन कहलाते हैं। चित्र 14.37 में अवमन्दित कम्पन के आयाम को घटता हुआ दिखाया गया है। इसके उदाहरण निम्नवत् हैं-
(1) सरल लोलक के कम्पनों के आयामों का धीरे-धीरे कम होना।
(2) स्वरित्र द्विभुज के कम्पनों का आयाम भी धीरे-धीरे घटकर शून्य हो जाता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 20
जब कोई वस्तु किसी बाह्य बल के अन्तर्गत, बाह्य बल की आवृत्ति से कम्पन करती है तो वस्तु के कम्पनों को प्रणोदित कम्पन कहते हैं। अवमन्दित कम्पन को प्रणोदित कम्पन में बदला जा सकता है; जैसे-जब कम्पन करते हुए किसी स्वरित्र द्विभुज के दस्ते को हम हाथ में पकड़े रहते हैं तो बहुत मन्द ध्वनि सुनाई पड़ती है। यदि इस दस्ते को मेज पर टिका दें तो ध्वनि तीव्र हो जाती है। इसका कारण यह है कि स्वरित्र द्विभुज को मेज पर टिकाने से स्वरित्र के कम्पन दस्ते के द्वारा मेज तक पहुँच जाते हैं तथा मेज में प्रणोदित कम्पन उत्पन्न हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि किसी स्प्रिंग से लटके किसी पिण्ड को साम्यावस्था में थोड़ा-सा नीचे विस्थापित करके छोड़ दिया जाए तो उसकी गति सरल आवर्त गति होगी। इसके आवर्तकाल का सूत्र भी स्थापित कीजिए।
उत्तर :
कमानी के दोलन (Oscillation of Spring) :
(i) स्प्रिंग से संलग्न द्रव्यमान के क्षैतिज तल में दोलन (Horizontal Vibrations of Mass Attached to a Spring)-माना नगण्य द्रव्यमान की एक स्प्रिंग का एक सिरा दृढ़ सतह से बँधा है और दूसरे सिरे से एक m द्रव्यमान का पिण्ड बँधा है तथा स्प्रिंग एक घर्षणरहित क्षैतिज मेज पर रखी है।
माना पिण्ड पर एक बाह्य बल F लगाकर उसमें x विस्थापन उत्पन्न करके छोड़ दिया जाता है तो द्रव्यमान क्षैतिज तल में दोलन करने लगता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 21
माना स्प्र्रंग का बल नियतांक k है तो x विस्थापन की स्थिति में पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल,
\(\overrightarrow{\mathrm{F}^{\prime}}=-k \vec{x}\)
यहाँ पर ऋण चिह्न का प्रयोग यह इंगित करता है कि F व x की दिशाएँ परस्पर विपरीत हैं।
यदि पिण्ड का त्वरण α हो तो
F’ = ma
अतः mα = -kx
या α = –\(\frac{k}{m}\)x
या α = -ω²x ……………..(1)
जहाँ ω² = \(\frac{k}{m}\) = नियतांक
∴ ω = \(\sqrt{\frac{k}{m}}\)
∴ समी (1) से α ∝ -x
या त्वरण ∝ -विस्थापन
अतः पिण्ड की गति सरल आवर्त गति होगी। इस गति में पिण्ड का आवर्त काल
\(\mathrm{T}=\frac{2 \pi}{\omega}=\frac{2 \pi}{\sqrt{\frac{k}{m}}}\)
\(\mathrm{~T}=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}}\)
स्पष्ट है कि स्प्रिंग से बँधे पिण्ड का दोलन काल पिण्ड के द्रव्यमान एवं स्प्रिंग के बल नियतांक पर निर्भर करता है।
नोट – स्प्रिंग से बँधे पिण्ड का आवर्तकाल गुरुत्वीय त्वरण (g) तथा सरल आवर्त गति के आयाम (A) पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 7.
k1 व k2 बल नियतांकों की दो स्प्रिंगों को लम्बाई में जोड़कर ऊध्र्वाधर लटका दिया जाता है। स्प्रिंग के निचले सिरे पर m द्रव्यमान का पिण्ड लटका दिया जाये तो पिण्ड के कम्पन का दोलन काल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
भारित स्प्रिंग संयोजन के दोलन (Oscillation of Loaded Spring Combination):
माना k1 व k2 बल नियतांकों की दो स्प्रिंगें संयुक्त की जाती हैं। दोनों स्प्रिंगों के निम्न तीन प्रकार के संयोजन हो सकते हैं-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 22

स्थिति I –
माना कि दोनों स्प्रिंगों को चित्र 14.23 की भाँति समान्तर क्रम में एक दृढ़ आधार से लटकाकर संयोजन से m द्रव्यमान का पिण्ड लटकाने पर संयोजन में y विस्थापन उत्पन्न होता है। दोनों स्प्रिंगों में क्रमशः F1 व F2 विरोधी बल अर्थात् प्रत्यानयन बल उत्पन्न होते हैं अतः
F1 = -k1 y
तथा F2=-k2 y
∴ संयोजन द्वारा पिण्ड पर आरोपित परिणामी प्रत्यानयन बल
F = F1 + F2
F = -k1 y + (-k2 y)
या F = -(k1 + k2) y
यदि संयोजन का तुल्य बल नियतांक (Equivalent force constant) k है तो
F = -ky
∴ -ky = -(k1 + k2) y
या k = k1 + k2
∴ पिण्ड का आवर्तकाल,
\(\mathrm{T}=\frac{2 \pi}{\sqrt{\frac{k}{m}}}\)
\(\mathrm{~T}=\frac{2 \pi}{\sqrt{\frac{k}{k_1+k_2}}}\)

स्थिति II –
इस स्थिति में चित्र की भाँति पिण्ड को दोनों स्प्रिंगों के मध्य बाँधते हैं और स्प्रिंगों के दोनों मुक्त सिरे दो दृढ़ आधारों के मध्य सम्बद्ध कर दिये जाते हैं। पिण्ड में चित्र की भाँति यदि y विस्थापन दिया जाता है तो एक स्प्रिंग में विरलन एवं दूसरी में उतना ही सम्पीडन हो जाता है। इस स्थिति में भी परिणामी प्रत्यानयन बल
F = F1 + F2
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 23

स्थिति III –
इस स्थिति में दोनों स्प्रिंगों को श्रेणी क्रम में जोड़कर संयोजन का एक सिरा दृढ़ आधार से सम्बद्ध करके दूसरे सिरे से m द्रव्यमान का पिण्ड सम्बद्ध कर देते हैं। संयोजन में उत्पन्न विस्थापन y दोनों स्प्रिंगों में उत्पन्न विस्थापनों क्रमशः y1 व y2 के योग के बराबर होता है। अतः
y = y1 + y2
दोनों स्प्रिंगें श्रेणी क्रम में जुड़ी हैं।
अतः दोनों में समान प्रत्यानयन बल F उत्पन्न होता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 24

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 8.
किसी सरल लोलक के आवर्त काल के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए। सेकण्ड लोलक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
सरल लोलक (Simple pendulum) :
“यदि छोटे से पीतल के गोले को किसी हल्के एवं मजबूत धागे की सहायता से किसी दृढ़ आधार से लटका दें तो प्राप्त व्यवस्था को सरल लोलक कहते हैं।’ पीतल के गोले को ‘गोलक’ (bob) कहते हैं। दृढ़ आधार के जिस बिन्दु से लोलक को लटकाया जाता है, उसे ‘निलम्बन बिन्दु (point of suspension) कहते हैं। निलम्बन बिन्दु से गोले के गुरुत्व केन्द्र तक की दूरी को लोलक की प्रभावकारी लम्बाई (effective length) कहते हैं।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 25
सेकण्ड लोलक (Second’s Pendulum) :
ऐसा सरल लोलक जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड हो तो उसे सेकण्ड लोलक कहते हैं। इस प्रकार का लोलक प्रत्येक 1 सेकण्ड बाद अपनी माध्य स्थिति से गुजरता है।
सेकण्ड लोलक की प्रभावकारी लम्बाई
T = 2 सेकण्ड, g = 9.8
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 26
अतः सेकण्ड लोलक की लम्बाई लगभग 100 सेमी होती है।

नोट :
1. लोलक की प्रभावकारी लम्बाई गोलक के गुरुत्व केन्द्र से नापी जाती है। गुरुत्व केन्द्र के परिवर्तित होने पर आवर्तकाल बदल जाता है।

2. यदि खोखली गेंद (जिसमें पारा भरा है) में एक छोटा-सा छेद करने पर उसमें से बूँद-बूँद कर पारा गिरने लगेगा जिस कारण गुरुत्व केन्द्र नीचे खिसक जायेगा और प्रभावकारी लम्बाई बढ़ जायेगी। अतः आवर्तकाल बढ़ जायेगा।

3. यदि सरल लोलक किसी दिये गये घनत्व ρ वाले द्रव के अन्दर दोलन कर रहा है जहाँ ρ0 (गोलक का घनत्व) तो सरल लोलक का आवर्तकाल बढ़ जायेगा क्योंकि-
गोलक का भार =m g=\mathrm{V} ρ g
गोलक पर कार्यरत् उत्प्लावन बल =V0} g
∴ गोलक पर परिणामी बल = V ρ g-V ρ0 g
F’ = V(ρ – ρ0) g (नीचे की ओर)
अतः यदि प्रभावी गुरुत्वीय त्वरण g’ हो तो
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 27

4. अगर सरल लोलक को किसी तार द्वारा लटकाया जाये तो लोलक की प्रभावी लम्बाई ताप के बढ़ने पर बढ़ जाती है अतः सरल लोलक का आवर्तकाल बढ़ जाता है। माना ताप में परिवर्तन dθ है और α
तार का रेखीय प्रसार गुणांक है, तो तार की प्रभावी लम्बाई
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प्रश्न 9.
यदि पृथ्वी के केन्द्र से होकर पृथ्वी के आर-पार एक सुरंग बनाई जाये तथा उस सुरंग में एक कण छोड़ा जाये तो दिखाइए कि कण का त्वरण सदैव सुरंग के मध्य-बिन्दु (अर्थात् पृथ्वी के केन्द्र) से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है।
उत्तर :
पृथ्वी के आर-पार एक काल्पनिक सुरंग में पिण्ड की गति (Body moving in a tunnel through The Earth) :
पृथ्वी के आर-पार काल्पनिक सुरंग की निम्न दो स्थितियाँ सम्भव हैं-
(i) जब सुरंग पृथ्वी के केन्द्र से न गुजरे-माना कि O पृथ्वी का केन्द्र है तथा AB एक सुरंग है। यदि इस सुरंग में m द्रव्यमान की एक गोली डाली जाए तो इस पर केन्द्र O की ओर एक बल (गोली का भार) mg लगेगा। बल mg का सुरंग के अनुदिश घटक mg cos θ है जो गोली में सुरंग के अनुदिश त्वरण उत्पन्न करेगा, जिससे गोली का वेग लगातार बढ़ता जाएगा। यह वेग वृद्धि का क्रम सुरंग के मध्य-बिन्दु C तक चलेगा और C पर वेग अधिकतम होगा। जैसे ही गोली बिन्दु को पार करेगी उक्त बल m g cosθ की दिशा उलट जाएगी। अब यह बल गोली की गति का विरोध करेगा, फलस्वरूप C के बाद गोली का वेग घटना प्रार्भम्भ करेगा और बिन्दु B (सुरंग का दूसरा किनारा) पर शून्य हो जाएगा। बिन्दु B पर m g cos θ बल की दिशा बिन्दु A की ओर अर्थात् केन्द्र C की ओर होगी और गोली पूर्व की भाँति गति करके पुन: A तक जाएगी। इसी क्रम की पुनरावृत्ति होती रहेगी और गोली केन्द्र C के दोनों ओर सरल आवर्त गति करती रहेगी।
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अधिकतम विस्थापन की स्थिति A में गोली पर कार्यरत प्रत्यानयन
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प्रश्न 10.
अनुनाद से क्या तात्पर्य है ? यान्त्रिकी, ध्वनि तथा विद्युत् -चुम्बकीय अनुनाद का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
जब किसी दोलन करने वाली वस्तु पर कोई बाह्य आवर्ती बल लगाया जाता है तो वस्तु बल की आवृत्ति से प्रणोदित दोलन करने लगती है। यदि बाह्य बल की आवृत्ति, वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर (अथवा इसकी पूर्ण गुणज) हो तो वस्तु के प्रणोदित दोलनों का आयाम बहुत बढ़ जाता है। इस घटना को अनुनाद (resonance) कहते हैं। बाह्य बल और वस्तु की आवृत्ति में थोड़ा सा ही अन्तर होने पर आयाम बहुत कम हो जाता है। स्पष्ट है कि अनुनाद, प्रणोदित दोलनों की ही एक विशेष अवस्था है।

अनुनाद की व्याख्या- जब बाह्य बल की आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है तो दोनों समान कला में कम्पन करते हैं। अतः आवर्ती बल द्वारा लगाये गए उत्तरोत्तर आवेग वस्तु की ऊर्जा लगातार बढ़ाते जाते हैं और वस्तु का आयाम लगातार बढ़ता जाता है। सिद्धान्त रूप से वस्तु का आयाम अनन्त तक बढ़ता रहना चाहिए परन्तु व्यवहार में दोलन करती हुई वस्तु में वायु के घर्षण तथा ध्वनि विकिरण के कारण ऊर्जा क्षय होती रहती है। दोलन- आयाम बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा क्षय भी बढ़ता जाता है और एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि बाह्य बल द्वारा प्रति दोलन दी गई ऊर्जा, वस्तु द्वारा प्रति दोलन में ऊर्जा क्षय के बराबर हो जाती है। इस स्थिति में आयाम का बढ़ना रुक जाता है।

उदाहरण- (1) यान्त्रिक अनुनाद सेना का पुल पार करना- जब सेना किसी पुल को पार करती है तब सैनिक कदम मिलाकर नहीं चलते। इसका कारण यह है कि यदि सैनिकों के कदमों की आवृत्ति, पुल की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाए तो पुल में बड़े आयाम के कम्पन होने लगेंगे और पुल के टूटने का खतरा हो जाएगा।

(2) ध्वनि अनुनाद – डोरियों के कम्पन– यदि समान आवृत्ति की दो डोरियाँ एक ही बोर्ड पर तनी हों तथा उनमें से एक को कम्पित किया जाए तो दूसरी स्वयं कम्पन करने लगती है।

(3) विद्युत् चुम्बकीय दोलन में अनुनाद – रेडियो द्वारा विभिन्न स्टेशनों से प्रेषित प्रोग्राम का सुनना भी अनुनाद के कारण ही सम्भव होता है विभिन्न स्टेशनों द्वारा विभिन्न आवृत्तियों की तरंगें प्रसारित की जाती हैं। रेडियो में एक विद्युत् परिपथ (L-C परिपथ) होता है जिसमें विद्युत् कम्पन उत्पन्न होते हैं। इन विद्युत् कम्पनों की स्वाभाविक आवृत्ति सूत्र T = \(\frac{1}{2π{\sqrt{LC}}}\) से ज्ञात की जाती है। जब रेडियो की ट्यून वाली घुण्डी को घुमाया जाता है तो विद्युत् परिपथ में लगे संधारित्र की धारिता C बदल जाती है जिससे विद्युत् कम्पन की स्वाभाविक आवृत्ति बदल जाती है।

जब यह आवृत्ति किसी स्टेशन द्वारा प्रसारित विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति के ठीक बराबर हो जाती है तो विद्युत् परिपथ उन तरंगों को ग्रहण कर लेता है तथा उस स्टेशन का प्रोग्राम सुनाई देने लगता है।

नोट :
अनुनाद की तीक्ष्णता एवं अवमन्दन- जिस माध्यम में कोई वस्तु दोलन करती है, उस माध्यम के कारण वस्तु पर एक अवमन्दन बल कार्य करता है, जिससे दोलनों का आयाम घटता जाता है। यदि अनुनादित वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति तथा बाह्य आवर्त बल की आवृत्ति में थोड़ा-सा अन्तर आ जाने पर आयाम बहुत कम हो जाता है तो अनुनाद तीक्ष्ण कहलाता है अन्यथा सपाट अनुनाद की तीक्ष्णता अवमन्दन पर निर्भर करती है। अवमन्दन के कम होने पर अनुनाद तीक्ष्ण होता है, जैसा स्वरमापी के तार में देखा जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 11.
प्रणोदित दोलनों से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर समझाइए। मेल्डी का प्रयोग देकर इनकी उत्पत्ति समझाइए।
उत्तर :
प्रणोदित दोलन (Forced Oscillation) ;
जब किसी दोलन करती हुई वस्तु पर कोई बाह्य आवर्त बल आरोपित किया जाता है, जिसकी आवृत्ति का मान वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति से भिन्न होता है तो प्रारम्भ में वस्तु स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन करती है, लेकिन बाह्य बल के प्रभाव में वस्तु बाह्य आवर्त बल की आवृत्ति से दोलन करने लगती है। इस प्रकार के दोलन परिचालित दोलन या प्रणोदित दोलन कहलाते हैं।

अतः इस प्रकार जब कोई वस्तु किसी बाह्य आवर्ती बल के प्रभाव में, बाह्य आवृत्ति से दोलन करती है तब वस्तु के दोलन प्रणोदित दोलन कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए चित्र में दो भिन्न-भिन्न लम्बाइयों के लोलक R तथा N एक छड़ X-Y द्वारा लटकाये गये हैं। इनकी स्वाभाविक आवृत्तियाँ अलग-अलग है।

जब लोलक R को दोलन कराते हैं तब लोलक N का सम्बन्ध छड़ X-Y से होने के कारण एक आवर्त बल आरोपित होता है जिसकी आवृत्ति लोलक R की आवृत्ति के बराबर होती है उस आवर्त बल के प्रभाव से लोलक N, लोलक R की आवृत्ति से दोलन करता है। लोलक N के दोलन प्रणोदित दोलन कहलाते हैं। यहाँ लोलक Rको चालक (driver) लोलक, और N को चालित (driven) लोलक कहते हैं।

नोट-
1. जब तने हुए तार में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करके तार को चुम्बक के ध्रुवों के बीच रखते हैं तो तार प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति के प्रणोदित कम्पन करने लगता है।
2 सितार वायलिन, स्वरमापी के तार पर जब किसी आवृत्ति का स्वर उत्पन्न किया जाता है तो तार के कम्पन सेतु के द्वारा खोखले ध्वनि बोर्ड में पहुँच जाते हैं। इससे बोर्ड के अन्दर की वायु में प्रणोदित दोलन उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 31
माना अवमन्दित दोलक पर कोई समय के साथ विचरण करने वाले आयाम का आवर्ती बाह्य बल F(1) आरोपित किया जाता है, इसे निम्न प्रकार निरूपित करते हैं-
F (t) = F0 cos ωdt ………..(1)
रैखिक प्रत्यानयन बल, अवमन्दक बल तथा कालाश्रित प्रणोदित बल के संयोजी प्रभाव के अन्तर्गत कण की गति का समीकरण निम्नलिखित होगा-
ma = -kx ( t ) – bv (t) + F0 cos ωdt ………….(2)
जहाँ F = -kx प्रत्यानयन बल तथा Fd = -bv अवमन्दक बल है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 32
यह m द्रव्यमान वाले दोलित्र, जिस पर ०५ आवृत्ति का बल कार्यरत है, की गति का समीकरण है। दोलित्र प्रारम्भ में अपनी प्राकृतिक आवृत्ति से दोलन करता है। जब इस पर बाह्य आवर्ती वल आरोपित किया जाता है तब आरोपित बाह्य बल की आवृत्ति से दोलन होने लगते हैं। प्राकृतिक दोलन के शान्त होने पर दोलित्र का विस्थापन निम्नवत् होता है-
x (t) = A cos (ωdt + ϕ) ……….(4)
आयाम A कोणीय आवृत्तियों तथा प्रणोदित आवृत्ति ω का फलन है जिसे हम निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं-
A = \(\frac{\mathrm{F}_0}{\left\{m^2\left(\omega^2-\omega_d^2\right)+\omega_d^2 b^2\right\}^{1 / 2}}\) ………..(5)
तथा tan – = \(\frac{v_0}{\omega_d x_0}\) ………(6)
यहाँ m कण का द्रव्यमान ωd तथा v0 व x0 समय t = 0 पर कण के क्रमशः वेग व विस्थापन हैं। इसी क्षण हम आवर्ती बल आरोपित करते हैं। ωd व ω में अत्यधिक भिन्नता होने और इनके समीप होने की अवस्थाओं में हम दोलित्र का भिन्न-भिन्न व्यवहार देखते हैं। ये दोनों स्थितियाँ निम्नवत् हैं।

प्रश्न 12.
दर्शाइये कि U-नली में भरे एक द्रव की गति सरल आवर्त गति होती है तथा यदि द्रव को n दूरी तक विस्थापित किया जाता है तो दोलन के आवर्तकाल का सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
U-नली में द्रव का दोलन (Oscillation of Liquid of U-Tube) :
माना कि एक U-नली में h ऊँचाई तक द्रव भरा है। जिसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A) एकसमान है। प्रारम्भिक स्थिति में दोनों भुजाओं में द्रव का तल समान है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 33
जब तल B को y दूरी नीचे बिन्दु D तक दबाया जाता है तो तल C उतनी ही दूरी y ऊपर चढ़ जाता है। इस प्रकार U-नली में दायीं भुजा में D’E अतिरिक्त द्रव स्तम्भ है। द्रव के दबाये हुए तल छोड़ देने पर सम्पूर्ण द्रव स्तम्भ D’E के भार के कारण उत्पन्न प्रत्यानयन बल के कारण ऊपर-नीचे दोलन करने लगता है।
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 34
माना नली में एकांक लम्बाई में द्रव का द्रव्यमान = m हो तो द्रव पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल
F = -(एकांक द्रव्यमान × लम्बाई) × g
F = -(m × 2 y) . g ………..(1)
ऋणात्मक चिह्न केवल यह प्रदर्शित करता है कि बल द्रव के विस्थापन के विपरीत दिशा में है।
अतः नली में सम्पूर्ण द्रव का द्रव्यमान
(M)=m × 2 h ………….(2)
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 35

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

प्रश्न 13.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा एवं कुल ऊर्जा में विस्थापन के साथ होने वाले परिवर्तनों की ग्राफीय विधि द्वारा विवेचना कीजिए।
उत्तर :
सरल आवर्त गति में ऊर्जा (Energy in S.H.M.) ;
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण की किसी क्षण कुल ऊर्जा को सरल आवर्त गति की कुल ऊर्जा कहते हैं। सरल आवर्त गति करते हुए कण की ऊर्जा दो प्रकार की होती है-
(i) गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
(ii) स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)।
इस प्रकार कुल ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है अर्थात्
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
ET = K + U

(i) सरल आवर्त गति करते हुए कण की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy of Particle in S.H.M.) :
सरल आवर्त गति करते हुए कण में उसकी गति के कारण विद्यमान ऊर्जा सरल आवर्त गति की गतिज ऊर्जा कहलाती है।
माना कोई कण जिसका द्रव्यमान (m) तथा चाल u है तो कण की गतिज ऊर्जा
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 36

(ii) सरल आवर्त गति में कण की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of Particle in S.H.M.):
सरल आवर्त गति में कण की स्थिति के कारण निहित ऊर्जा कण की स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
माना दोलन करने वाले m द्रव्यमान के पिण्ड का किसी क्षण साम्य स्थिति से विस्थापन y है, अतः पिण्ड की सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण,
y = A sin ωt
जहाँ A पिण्ड का दोलन आयाम तथा ω कोणीय वेग है।
अतः पिण्ड का रेखीय वेग,
v = \(\frac{dy}{dt}=\frac{d}{dt}\)(A sin ωt)
= Aω cos ωt
पिण्ड का रेखीय त्वरण
α = \(\frac{dv}{dt}=\frac{d}{dt}\)(Aω cos ωt)
या α = -Aω². sin ωt
या α = -ω².y
क्योंकि y = A sin ωt
पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल
F = mα = -mω²y …………..(1)

अतः पिण्ड में अत्यन्त सूक्ष्म विस्थापन dy के विपरीत प्रत्यानयन बल द्वारा किया गया कार्य,
dW = F × (-dy) = mω²y dy
या dW = mω².y.dy
अतः पिण्ड को y = 0 से y = y तक विस्थापित करने में कृत कार्य अर्थात् y विस्थापन में पिण्ड y की स्थितिज ऊर्जा
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 37
(i) जब पिण्ड का विस्थापन शून्य होता है अर्थात् पिण्ड माध्य स्थिति में होता है तो
y = 0
∴ Umin = 0 ……………(3)
(ii) जब पिण्ड अधिकतम विस्थापन की स्थिति में होता है तो,
y = a
∴ Umax = \(\frac{1}{2}\)mω²A ……………(3)

(iii) सरल आवर्त गति करते हुए कण की कुल ऊर्जा (Total Energy of Particle in S.H.M.) :
सरल आवर्त गति करने वाले कण की गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग कुल ऊर्जा के बराबर होता है अर्थात्
ET = K + U
या
ET = \(\frac{1}{2}\)mω²(A² – y²) + \(\frac{1}{2}\)mω²A
= \(\frac{1}{2}\)mω²(A² – y² + y²)
= \(\frac{1}{2}\)mω²A²

स्पष्ट है कि कुल ऊर्जा का समय एवं स्थिति अर्थात् उसके विस्थापन पर निर्भर नहीं करती है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, सरल आवर्त गति में कण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। स्पष्ट है कि सरल आवर्त गति में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होता है।
ω = 2πn (जहाँ n = आवृत्ति)
∴ ET = \(\frac{1}{2}\)m(2πn)²A²
= \(\frac{1}{2}\)m.4π²n²A²
या ET = 2mπ²n²A²
इस प्रकार सरल आवर्त गति में कण की कुल ऊर्जा,
ET = 2mπ²n²A²
ET ∝ A² अर्थात् (आयाम)²
तथा
ET ∝ n² अर्थात् (आवृत्ति)²
सरल आवर्त गति में कण की गतिज ऊर्जा (K), स्थितिज ऊर्जा (U)
तथा कुल ऊर्जा (ET) को विस्थापन के साथ निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है-
HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 14 दोलन - 38
नोट – सरल आवर्त गति में कुल ऊर्जा की आवृत्ति शून्य होती है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. कोलॉइडी सॉल होता है-
(अ) वास्तविक विलयन
(ब) निलम्बन
(स) विषमांगी सॉल
(द) समांगी सॉल
उत्तर:
(स) विषमांगी सॉल

2. निम्नलिखित में से किस गैस का सक्रियित चारकोल पर अधिशोषण सुगमता से होगा?
(अ) SO2
(ब) O2
(स) N2
(द) H2
उत्तर:
(अ) SO2

3. दूध, निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(अ) पायस (इमल्शन )
(ब) निलम्बन
(स) सॉल
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) पायस (इमल्शन )

4. निम्नलिखित में से किस धातु का सॉल नहीं बनाया जा सकता?
(अ) Au
(ब) Pt
(स) Cu
(द) K
उत्तर:
(द) K

5. कोहरा निम्नलिखित में से किसका कोलॉइड है-
(अ) द्रव में परिक्षिप्त ठोस
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव
(स) द्रव में परिक्षिप्त गैस
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

6. log \(\frac { x }{ m }\) तथा log p के मध्य ग्राफ खींचने पर सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसका ढाल किसके तुल्य होगा-
(अ) n
(ब) log k
(स) 1/n
(द) k
उत्तर:
(स) 1/n

7. किसी ऋणावेशित कोलॉइड के स्कंदन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त लवण है-
(अ) Na3PO4
(ब) K4[Fe(CN)6]
(स) AlCl3
(द) ZnSO4
उत्तर:
(स) AlCl3

8. निम्नलिखित में से किसका सॉल जलविरोधी है?
(अ) स्टार्च
(ब) गोंद
(स) प्रोटीन
(द) आसनियस सल्फाइड
उत्तर:
(द) आसनियस सल्फाइड

9. किसी आयन की कोलॉइड को स्कन्दित करने की क्षमता निर्भर करती है-
(अ) आयन के आकार पर
(ब) आयन के आवेश पर
(स) ताप पर
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर
उत्तर:
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर

10. अधिशोषण सिद्धान्त, निम्नलिखित में से किस प्रकार के उत्प्रेरण की व्याख्या करता है?
(अ) समांगी उत्प्रेरण
(ब) एन्जाइम उत्प्रेरण
(स) अम्ल-क्षार उत्प्रेरण
(द) विषमांगी उत्प्रेरण
उत्तर:
(द) विषमांगी उत्प्रेरण

11. निम्नलिखित में कौनसा कोलॉइड का उदाहरण नहीं है?
(अ) तेल तथा जल का मिश्रण
(ब) दूध तथा पानी
(स) साधारण जल
(द) पनीर
उत्तर:
(स) साधारण जल

12. कोलॉइड को आवेशविहीन करके अवक्षेपित करना कहलाता है-
(अ) अपोहन
(ब) स्कन्दन
(स) पायसीकरण
(द) परिरक्षण
उत्तर:
(ब) स्कन्दन

13. स्टार्च के माल्टोस में परिवर्तन हेतु उपयुक्त एन्जाइम है-
(अ) माल्टेज
(ब) डायस्टेज
(स) जाइमेज
(द) इन्वर्टेज
उत्तर:
(ब) डायस्टेज

14. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ अच्छा अधिशोषक है?
(अ) चारकोल
(ब) सिलिका जेल
(स) ऐलुमिना जेल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

15. ताप बढ़ाने पर भौतिक अधिशोषण-
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) स्थिर रहता है
(द) कभी बढ़ता है, कभी घटता है
उत्तर:
(ब) घटता है

16. निम्नलिखित में से किस एन्जाइम का स्रोत यीस्ट (खमीर) नहीं है?
(अ) इन्वर्टेज
(ब) जाइमेज
(स) माल्टेज
(द) यूरिएज
उत्तर:
(द) यूरिएज

17. वृहदाण्विक कोलॉइड का उदाहरण निम्नलिखित में से कौनसा नहीं है?
(अ) संश्लेषित रबर
(ब) सल्फर सॉल
(स) स्टार्च
(द) एन्जाइम
उत्तर:
(ब) सल्फर सॉल

18. ऋणावेशित सॉल का उदाहरण है-
(अ) हिमोग्लोबिन
(ब) गोल्ड सॉल
(स) Al2O3 . x H2O
(द) TiO2 सॉल
उत्तर:
(ब) गोल्ड सॉल

19. निम्नलिखित में से कौनसा कोलॉइड का उदाहरण है-
(अ) पेंट
(ब) स्याही
(स) रबर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

20. समान सांद्रता पर कोलॉइडी विलयन के अणुसंख्यक गुणों का मान, वास्तविक विलयन की तुलना में-
(अ) कम होता है।
(ब) अधिक होता है।
(स) समान होता है।
(द) कभी कम तथा कभी अधिक होता है।
उत्तर:
(अ) कम होता है।

21. As2S3 के कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन में निम्नलिखित में से किसका स्कन्दन मान न्यूनतम होगा-
(अ) BaCl2
(ब) KCl
(स) AlCl3
(द) NaCl
उत्तर:
(स) AlCl3

22. रक्षी कोलॉइडों A, B, C तथा D की स्वर्ण संख्या क्रमशः 0.5, 0.01 0.10 तथा 0.005 है तो इनकी रक्षण क्षमता का सही क्रम
(अ) B < D < A < C
(ब) C < B < D < A
(स) D < A < C < B
(द) A < C < B < D
उत्तर:
(द) A < C < B < D

23. निम्नलिखित में से जेल का उदाहरण है-
(अ) पनीर
(ब) कुहरा
(स) साबुन
(द) दूध
उत्तर:
(अ) पनीर

24. अधिशोषण प्रक्रम में किसका मान ऋणात्मक (शून्य से कम) होता है?
(अ) △H
(ब) △S
(स) △G
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

25. उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाता है-
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर
(ब) अभिकारकों से क्रिया करके
(स) उत्पादों से क्रिया करके
(द) सक्रियण ऊर्जा बढ़ाकर
उत्तर:
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

26. सल्फर (गन्धक) के सॉल में होते हैं-
(अ) विविक्त सल्फर अणु
(ब) ठोस सल्फर में परिक्षिप्त जल
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह
(द) विविक्त सल्फर परमाणु
उत्तर:
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह

27. फिटकरी द्वारा जल का शोधन होता है-
(अ) अपोहन से
(ब) अधिशोषण से
(स) स्कन्दन से
(द) अवशोषण से
उत्तर:
(स) स्कन्दन से

28. कृत्रिम वर्षा निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युतकणसंचलन
(द) पेप्टीकरण
उत्तर:
(अ) स्कन्दन

29. मानव शरीर में वृक्क (Kidney) द्वारा रक्त का शोधन है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युत परासरण
(द) वैद्युतकणसंचलन
उत्तर:
(ब) अपोहन

30. विभिन्न विधियों से प्राप्त गोल्ड सॉल का रंग भिन्न-भिन्न होने का कारण है-
(अ) भिन्न सान्द्रण
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार
(स) भिन्न अशुद्धियाँ
(द) भिन्न संयोजकता
उत्तर:
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार

31. स्वर्णांक मापक है-
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का
(ब) स्वर्ण की शुद्धता का
(स) धात्विक स्वर्ण का
(द) विद्युत लेपित स्वर्ण का
उत्तर:
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का

32. निम्नलिखित में से कौनसा मिलान अशुद्ध है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 1
उत्तर:
(द)

33. फेरिक क्लोराइड का प्रयोग कटने के कारण होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है, क्योंकि
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
(ब) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक धनावेशित सॉल है।
(स) Cl आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि धनावेशित सॉल है।
(द) Cl आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
उत्तर:
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अधिशोषण एक सतही घटना है, क्यों?
उत्तर:
ठोस या द्रव की सतह पर मुक्त संयोजकताएँ पाई जाती हैं। अतः अधिशोषण सतह पर ही होता है अतः यह एक सतही घटना है।

प्रश्न 2.
अवशोषण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ में प्रवेश करके समान रूप से वितरित हो जाते हैं, उसे अधिशोषण कहते हैं।

प्रश्न 3.
शर्करा के विलयन को रंगहीन करने के लिए कौनसा अधिशोषक प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
शर्करा विलयन को रंगहीन करने के लिए जान्तव चारकोल प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
Pd, Pt, Au तथा Ni की अधिशोषण क्षमता का घटता क्रम बताइए।
उत्तर:
इन धातुओं की अधिशोषण का क्षमता क्रम निम्न प्रकार होता है Pd > Pt > Au > Ni

प्रश्न 5.
दो अधिशोषण सूचकों के नाम बताइए।
उत्तर:
ईओसीन तथा फ्लुओरेसीन अधिशोषण सूचक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6.
रासायनिक अधिशोषण पर ताप का प्रभाव बताइए ।
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण पहले बढ़ता है फिर कम होता है।

प्रश्न 7.
अधिशोषण समतापी क्या होता है?
उत्तर:
निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा तथा साम्यावस्था दाब के मध्य सम्बन्ध को अधिशोषण समतापी कहते हैं।

प्रश्न 8.
समांगी उत्प्रेरण का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण, माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 9.
टेट्रा एथिल लैड (C2H5)4Pb का उपयोग क्या है?
उत्तर:
टेट्रा एथिल लैड पेट्रोल की गुणवत्ता बढ़ाकर उसके अपस्फोटन को कम करता है।

प्रश्न 10.
एन्जाइम की कार्यप्रणाली क्या होती है?
उत्तर:
एन्जाइम ताला चाबी सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 11.
सहएन्जाइम क्या होते हैं?
उत्तर:
वे अप्रोटीन भाग जो एन्जाइम के साथ जुड़े होते हैं तथा एन्जाइम की सक्रियता में वृद्धि करते हैं, उन्हें सहएन्जाइम कहते हैं। मुख्यतः ये विटामिनों के व्युत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 12.
एन्जाइम की सक्रियता को कम करने वाले विषकारकों (उत्प्रेरक विष) के उदाहरण बताइए।
उत्तर:
CS2 तथा HCN विषकारकों की भाँति कार्य करते हैं।

प्रश्न 13.
पेप्सिन एन्जाइम का कार्य बताइए |
उत्तर:
पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीनों को एमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।

प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉल को गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित करने वाला उत्प्रेरक कौनसा होता है?
उत्तर:
ZSM-5

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 15.
एन्जाइम के अणुओं का आकार कितना होता है?
उत्तर:
एन्जाइम के अणुओं का आकार 10Å से 1000Å तक होता है।

प्रश्न 16.
सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक कौन थे?
उत्तर:
बर्जीलियस ने सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग किया था।

प्रश्न 17.
उत्प्रेरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्प्रेरक द्वारा रासायनिक अभिक्रिया के वेग में वृद्धि करने की क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।

प्रश्न 18.
वर्धक क्या होते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं, उन्हें उत्प्रेरक वर्धक कहते हैं। जैसे NH3 के निर्माण में Mo, Fe की क्रियाशीलता को बढ़ा देता है।

प्रश्न 19.
दो गैसों के मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
कोलॉइड विषमांगी तंत्र होता है जबकि गैसें आपस में मिलकर हमेशा समांगी विलयन बनाती हैं अतः दो गैसों को मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता।

प्रश्न 20.
दूध को कोलॉइडी विलयनों की किस श्रेणी में लिया जाता है?
उत्तर:
दूध, जल में तेल श्रेणी का एक पायस है।

प्रश्न 21.
सबसे कम तथा सबसे अधिक स्वणांक वाले द्रव स्नेही कोलॉइडों का नाम बताइए।
उत्तर:
जिलेटिन का स्वर्णाक सबसे कम (0.005) तथा आलू के स्टार्च का स्वणांक सबसे अधिक (25) होता है।

प्रश्न 22.
द्रव स्नेही सॉल, द्रव विरोधी सॉल की तुलना में अधिक स्थायी होता है, क्यों?
उत्तर:
द्रव स्नेही सॉल के अधिक स्थायित्व का कारण उनके कणों का जलयोजन (विलायकन) है।

प्रश्न 23.
कैसियस का पर्पल क्या होता है?
उत्तर:
गोल्ड के कोलॉइडी विलयन को कैसियस का पर्पल कहते हैं।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित को किस प्रकार के कोलॉइड में वर्गीकृत किया जाएगा?
(i) साबुन का सान्द्र विलयन
(ii) जल में अण्डे का सफेद भाग ।
उत्तर:
(i) सहचारी कोलॉइड
(ii) वृहदाण्विक कोलॉइड (प्रोटीन) ।

प्रश्न 25.
कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त कोलॉइड बताइए ।
उत्तर:
कोलॉइडी ऐण्टीमनी को कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 26.
फोटोग्राफी में जिलेटिन का क्या कार्य है?
उत्तर:
फोटोग्राफी में जिलेटिन रक्षी कोलॉइड का कार्य करता है।

प्रश्न 27.
दो नदियों के मिलने पर डेल्टा नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
दो नदियों में उपस्थित कोलॉइडी कणों पर समान आवेश होने के कारण, उनका स्कन्दन नहीं होता अतः डेल्टा नहीं बनता।

प्रश्न 28.
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन का कारण बताइए।
उत्तर:
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन ( टिन्डल प्रभाव ) का कारण परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के अपवर्तनांक में अन्तर है।

प्रश्न 29.
उत्प्रेरक किस प्रकार कार्य करते हैं?
उत्तर:
उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम करके उसे एक नया पथ प्रदान करते हैं जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।

प्रश्न 30.
एन्जाइम तथा अकार्बनिक उत्प्रेरक में एक अन्तर बताइए ।
उत्तर:
एन्जाइम उच्च अणुभार युक्त जटिल प्रोटीन होते हैं जबकि अकार्बनिक उत्प्रेरक सरल अणु या आयन होते हैं।

प्रश्न 31.
ब्राउनी गति किस सिद्धान्त के पक्ष में प्रायोगिक प्रमाण प्रस्तुत करती है?
उत्तर:
गैसों का अणुगति सिद्धान्त ।

प्रश्न 32.
भौतिक अधिशोषण बहुपरतीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण एकपरतीय क्यों?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण के बहुपरतीय होने का कारण वान्डरवाल बल है जबकि रासायनिक अधिशोषण के एकपरतीय होने का कारण रासायनिक बन्ध का बनना है।

प्रश्न 33.
अधिशोषक का विशिष्ट क्षेत्रफल क्या होता है?
उत्तर:
किसी अधिशोषक के प्रतिग्राम पृष्ठ क्षेत्रफल को उसका विशिष्ट क्षेत्रफल कहते हैं।

प्रश्न 34.
नमी को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त दो अधिशोषक बताइए।
उत्तर:
सिलिका जेल तथा ऐलुमिना जेल।

प्रश्न 35.
जल की कठोरता को दूर करने के लिए प्रयुक्त अधिशोषक कौनसा होता है?
उत्तर:
जिओलाइट।

प्रश्न 36.
एन्जाइम उत्प्रेरण समांगी होता है या विषमांगी ।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरण विषमांगी होता है।

प्रश्न 37.
उस अभिक्रिया का समीकरण लिखिए जो माइकोडर्मा एसीटि एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
उत्तर:
माइकोडर्मा एसीटि
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

प्रश्न 38.
समान रंग के कोलाइड तथा वास्तविक विलयन में कैसे अन्तर करेंगे?
उत्तर:
टिन्डल प्रभाव द्वारा, क्योंकि वास्तविक विलयन में टिन्डल प्रभाव नहीं होता।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के प्रकार बताइए।
उत्तर:
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को, अधिशोष्य तथा अधिशोषक के अणुओं के मध्य आकर्षण बलों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(a) भौतिक अधिशोषण
(b) रासायनिक अधिशोषण या रसोवशोषण

(a) भौतिक अधिशोषण (Physical Adsorpiton or Physiorption) या वान्डरवाल अधिशोषण (Vanderwal Adsorption) – किसी ठोस की सतह पर जब गैस का अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है तो इसे भौतिक अधिशोषण कहते हैं। दुर्बल वान्डरवाल बलों के कारण ताप बढ़ाने से या दाब कम करने से इसे आसानी से कम किया जा सकता है। भौतिक अधिशोषण में अधिशोष्य तथा अधिशोषक के मध्य किसी प्रकार के रासायनिक बन्ध का निर्माण नहीं होता।

रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।

भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।

रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।

प्रश्न 2.
रासायनिक अधिशोषण के मुख्य अभिलक्षण बताइए।
उत्तर:
रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।

भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।

रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।

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प्रश्न 3.
भौतिक अधिशोषण तथा रासायनिक अधिशोषण की तुलना कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 2

प्रश्न 4.
(a) नारियल चारकोल द्वारा अक्रिय गैसों का पृथक्करण किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
(b) अधिधारण किसे कहते हैं?
उत्तर:
(a) अक्रिय गैसों के मिश्रण को नारियल चारकोल पर प्रवाहित करके इन्हें पृथक किया जाता है क्योंकि इस चारकोल की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न गैसों के लिए भिन्न-भिन्न होती है। यह अधिशोषण भिन्नभिन्न तापों पर किया जाता है।
(b) किसी धातु के द्वारा हाइड्रोजन गैस के अधिशोषण को अधिधारण (Occlusion) कहते हैं।

प्रश्न 5.
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) स्टार्च का माल्टोस में परिवर्तन-डायस्टेज एन्जाइम स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 3
(ii) माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-माल्टेज एन्जाइम माल्टोस को ग्लूकोज में बदल देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 4
(iii) यूरिया का अमोनिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड में अपघटन-यह अपघटन यूरिएज एन्जाइम द्वारा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 5

प्रश्न 6.
निम्नलिखित एन्जाइमों द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) इन्वर्टेस
(ii) जाइमेज
(iii) पेप्सिन
(iv) ट्रिप्सिन
(v) लैक्टोबैसिलस।
उत्तर:
(i) इन्बर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है। इसे शर्करा का प्रतीपन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 6
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस, ऐथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 7
यहाँ ग्लूकोस का किण्वन हो रहा है।
(iii) पेप्सिन एन्जाइम, आमाशय में प्रोटीनों को पेप्टाइडों में परिवर्तित
(iv) ट्रिप्सिन एन्जाइम आँत में प्रोटीनों को ऐमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।
(v) लेक्टोबैसिलस द्वारा दुग्ध का दही में परिवर्तन होता है।

प्रश्न 7.
स्वः उत्प्रेरक क्या होता है ? समझाइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण- किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों तथा उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
(i) सीस कक्ष विधि (लेड चेंबर प्रक्रम) में नाइट्रिक ऑक्साइड उत्प्रेक की उपस्थिति में, सल्फर डाइऑक्साइड की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया द्वारा सल्फर ट्राइऑक्साइड में ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 8
(ii) शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा प्राप्त H+ आयनों द्वारा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 9
(iii) NO की उपस्थिति में CO का CO2 में ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 10
(iv) HCl द्वारा प्राप्त H+ आयनों की उपस्थिति में मेथिल ऐसीटेट का जल अपघटन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 11

प्रश्न 8.
कोलॉइडी विलयनों के अणुसंख्यक गुण वास्तविक विलयनों से कम होते हैं, क्यों?
उत्तर:
अणुसंख्य गुण, कणों की संख्या पर निर्भर करते हैं। कोलॉइडी कण बड़े पुंज या समूह के रूप में होते हैं अतः क्रोलॉइडी विलयन हैं में कणों की संख्या वास्तविक विलयन की अपेक्षा कम होती है। अतः समान सान्द्रता पर इसके अणुसंख्य गुणों (परासरण दाब, वाष्पदाब अवनमन, हिमांक अवनमन, क्वथनांक उन्नयन आदि) के मान वास्तविक विलयन से कम होते हैं।

प्रश्न 9
रक्षी कोलॉइड क्या होते हैं? इनसे द्रव विरोधी कोलॉइडों का रक्षण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडी विलयनों के गुण:
कोलॉइडी विलयनों के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-

  • विषमांगी प्रकृति – कोलॉइडी विलयन विषमांगी होता है, जिसमें दो घटक परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था होते हैं।
  • निस्यन्दता – कोलॉइडी विलयन के कण साधारण फिल्टर पत्र से छन जाते हैं लेकिन जान्तव झिल्ली या चर्म पत्र से नहीं छनते।
  • सतही क्षेत्रफल – कोलॉइड में उपस्थित कोलाँइडी कणों का सतही क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है अतः कोलॉइड अच्छे अधिशोषक तथा प्रभावी उत्प्रेरक होते हैं।
  • स्थायित्व – द्रवस्नेही कोलॉइड, द्रव विरोधी कोलॉइड की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।

प्रश्न 10.
(a) वैद्युत परासरण किसे कहते हैं?
(b) निम्नलिखित सॉलों में से धनावेशित तथा ऋणावेशित सॉलों को वर्गीकृत कीजिए-
Sh2S3 सॉल, सिल्वर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन, हिमोग्लोबिन, TiO2 सॉल।
उत्तर:
(a) वैद्युत परासरण जब किसी उपयुक्त विधि द्वारा वैद्युतकणसंचलन अर्थात् कोलॉइडी कणों की गति को रोका जाता है तो विद्युत क्षेत्र द्वारा परिक्षेपण माध्यम गति करना प्रारम्भ कर देता है। इस प्रक्रम को वैद्युत परासरण कहते हैं।
(b) धनावेशित सॉल – हिमोग्लोबिन (रक्त) TiO2 सॉल
ऋणावेशित सॉल – Sb2S3 सॉल, सिल्लर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन।

प्रश्न 11.
(a) स्वर्णांक क्या होता है? समझाइए।
(b) खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं, नीले रंग के नहीं, क्यों?
उत्तर:
(a) स्वणांक से द्रव स्नेही सॉल (रक्षक कोलॉइड) की रक्षण क्षमता को व्यक्त किया जाता है। स्वर्णक, रक्षक कोलॉइड की मिलीग्राम में वह न्यूनतम मात्रा है, जो NaCl के 10 प्रतिशत विलयन के एक मिली आयतन को 10 मिली मानक गोल्ड सॉल में मिलाने पर उसके स्कन्दन को रोकने के लिए पर्याप्त होती है।

(b) लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है जिससे खतरे का संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है जबकि नीले रंग का प्रकीर्णन अधिक होने के कारण संकेत फैला हुआ दिखाई देता है जो कि स्पष्ट नहीं होता । अतः खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं।

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प्रश्न 12.
उद्योगों में मिलों की चिमनियों में कॉट्रेल अवक्षेपक का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडों के अनुप्रयोग – कोलॉइडों के महत्वपूर्ण औद्योगिक अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

(i) चर्मशोधन – पशुओं की खाल कोलॉइडी प्रकृति की होती है जिस पर धनात्मक आवेशित कण होते हैं। इसे टेनिन में भिगोया जाता है, जिसमें ऋणावेशित कोलॉइडी कण होते हैं, जिनसे पारस्परिक स्कंदन हो जाता है। इससे चमड़ा कठोर हो जाता है तथा इस प्रक्रिया को चर्मशोधन कहते हैं। टेनिन के स्थान पर क्रोमियम लवणों का उपयोग भी चर्मशोधन में किया जाता है।

(ii) धूम्र का विद्युतीय अवक्षेपण – धूम्र, कार्बन, आर्सेनिक यौगिकों, धूल आदि ठोस कणों
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 12
का वायु में कोलॉइडी विलयन होता है। उद्योगों में चिमनी के बाहर आने से पहले धुएँ को इसके कणों से विपरीत आवेशित इलैक्ट्रोडों के कक्ष में से गुजारा जाता है। कण इन प्लेटों के संपर्क में आने पर अपना आवेश खोकर अवक्षेपित हो जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त कण कक्ष के फर्श पर बैठ जाते हैं। इस अवक्षेपक को कॉट्रेल अवक्षेपक कहते हैं।

(iii) पेयजल का शुद्धिकरण – प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जल में प्रायः अशुद्धियाँ मिली होती हैं। ऐसे जल से अशुद्धियों को स्कंदित करने के लिए फिटकरी मिलाई जाती है जिससे जल पीने योग्य हो जाता है।

(iv) औषधियाँ – अधिकांश औषधियाँ कोलॉइडी प्रकृति की होती हैं। उदाहरणार्थ, आँखों का लोशन आर्जिरॉल, एक सिल्वर सॉल है। कोलॉइडी एन्टिमनी का उपयोग कालाजार के इलाज में होता है। कोलॉइडी गोल्ड का उपयोग अन्तःपेशी इन्जेक्शन में होता है। दूधिया मैग्नीशिया (पायस) का उपयोग पेट की बीमारियों में किया जाता है। कोलॉइडी औषधियों का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होने के कारण, इनका स्वांगीकरण आसानी से होता है अतः ये अधिक प्रभावी होती हैं।

(v) फोटोग्राफी प्लेटें एवं फिल्में – जिलेटिन में प्रकाश संवेदी सिल्वर ब्रोमाइड के इमल्शन का ग्लास प्लेटों या सेलुलॉइड फिल्मों पर लेपन करके फोटोग्राफी की प्लेटें या फिल्म बनायी जाती हैं।

(vi) रबर उद्योग – लेटेक्स, रबर के ऋणात्मक आवेशित कणों का कोलॉइडी विलयन होता है। अतः रबर को लेटेक्स के स्कंदन से बनाया जाता है।

(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।

(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।

(viii) साबुन की शोधन क्रिया – साबुन की शोधन क्रिया में मिसेल का निर्माण होता है। इसकी व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है। हम पढ़ चुके हैं कि मिसेल निर्माण में जलविरोधी हाइड्रोकार्बन का एक केन्द्रीय कोड (भाग) होता है। शोधन क्रिया में साबुन के अणु तेल या चिकनाई की बूँदों के चारों ओर इस प्रकार मिसेल बनाते हैं कि स्टिऐरेट आयन (साबुन) का जलविरोधी भाग तेल की बूँदों के अंदर होता है एवं जल-स्नेही भाग चिकनाई की बूँदों के बाहर निकला रहता है।

(ix) वहित मल या अवशिष्ट का विसर्जन – नालियों में बहने वाले गन्दे जल में मल तथा मिट्टी के कण ऋणावेशित कोलॉइड के रूप में होते हैं, इसे शहर के बाहर बड़े-बड़े कुण्डों में लगे इलेक्ट्रोडों पर से प्रवाहित किया जाता है तो गन्दगी के कोलॉइडी कण अवक्षेपित होकर पृथक् हो जाते हैं, जिसे खाद के रूप में तथा जल को सिंचाई के लिए प्रयुक्त करते हैं। इस प्रकार के संयंत्रों को अवशिष्ट निस्तारण संयंत्र (Sewage Treatment Plant) कहते हैं।

प्रश्न 13.
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाया जाता है, क्यों?
(b) गोंद तथा जिलेटिन का स्वर्णांक 0.10 तथा 0.005 है। इनमें से किसकी रक्षण क्षमता अधिक है तथा क्यों ?
उत्तर:
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाने से इसमें उपस्थित दूध, . शर्करा तथा बर्फ का स्कन्दन नहीं होता है।
(b) गोंद तथा जिलेटिन में से जिलेटिन की रक्षण क्षमता अधिक है। क्योंकि जिस रक्षी कोलॉइड का स्वर्णाक कम होता है, उसकी रक्षण क्षमता अधिक होती है।

प्रश्न 14.
फाउण्टेन पेन की स्याही क्यों नहीं चिपकती है? कारण बताइए।
उत्तर:
स्याही बनाते समय इसमें काजल के साथ गोंद मिलाया जाता है जो कि रक्षी कोलॉइड है। यह स्याही को स्कन्दित होने से रोकता है अर्थात् उसको स्थायित्व प्रदान करता है। स्याही का स्कन्दन नहीं होने के कारण उसमें चिपचिपाहट नहीं होती अतः फाउण्टेन पेन की स्याही नहीं चिपकती।

प्रश्न 15.
सॉल, जेल तथा पायस में विभेद तथा उदाहरणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 13

प्रश्न 16. बादलों से कृत्रिम वर्षा किस प्रकार की जाती है? समझाइए।
उत्तर:
बादल, कोलॉइडी अवस्था में होते हैं, जिसमें वायु में जल के कण परिक्षिप्त रहते हैं। इनके ऊपर विपरीत आवेशयुक्त लवण का छिड़काव करने से बादल में उपस्थित कोलॉइडी कणों का आवेश समाप्त हो जाता है, जिससे उनका स्कंदन होकर पानी की बूँदों (वर्षा) के रूप में नीचे आ जाते हैं, इसे कृत्रिम वर्षा कहते हैं।

प्रश्न 17.
सूजी का हलवा बनाते समय उसमें गोंद मिलाने पर क्या प्रभाव होता है तथा क्यों?
उत्तर:
सूजी का हलवा एक प्रकार का कोलॉइड (जेल) होता है जिसमें सूजी में पानी कण परिक्षिप्त होते हैं। गोंद रक्षी कोलॉइड होता है जिसे मिलाने पर हलवे को स्थायित्व प्राप्त होता है जिससे इसका स्वाद बढ़ जाता है एवं काफी समय तक नर्म बना रहता है।

प्रश्न 18.
सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। क्यों ?
उत्तर:
सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज की ओर होता है अतः सूर्य से निकलने वाले प्रकाश की किरणें वायुमण्डल में लम्बी दूरी तय करती हैं। इसलिए वायु में उपस्थित धूल के कण प्रकाश के नीले भाग का प्रकीर्णन कर देते हैं अतः शेष भाग लाल दिखाई देता है।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का वर्णन कीजिए-
(i) टिन्डल प्रभाव
(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण।
उत्तर:
(i) टिन्डल प्रभाव (Tyndal effect) – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शी दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।

अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 14

(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्द्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्त्रेरक होते हैं। ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।

जिओलाइटों के उपयोग-

  • जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बढ़ती है।
  • ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हें सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
  • जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मृदु करने में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन से क्या समझा जाता है ? किसी एक विधि का नाम बताइए जिससे द्रव विरोधी सॉल का स्कन्दन किया जा सकता हो ।
देखें।
उत्तर:
कोलॉइडों का स्कंदन या अवक्षेपण – द्रवस्नेही कोलॉइड-द्रवस्नेही कोलॉइडों का स्थायित्व उन पर उपस्थित आवेश तथा कणों के विलायकन (Solvation) के कारण होता है। जब इन दोनों कारकों को हटा दिया जाए तो द्रवरागी सॉल का स्कंदन हो जाता है क्योंकि इसके कण गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं।

इसके लिए वैद्युत अपघट्य या उपयुक्त विलायक मिलाया जाता है। जब द्रवस्नेही सॉल में ऐल्कोहॉल एवं ऐसीटोन आदि विलायक मिलाते हैं तो परिक्षिप्त प्रावस्था का निर्जलीकरण हो जाता है। इस स्थिति में विद्युत अपघट्य की कम मात्रा से भी स्कंदन हो जाता है। अतः कोलॉइडी कणों के स्कंदित होकर नीचे बैठ जाने के प्रक्रम को स्कंदन या अवक्षेपण कहते हैं।

प्रश्न 3.
आकृति आधारित (शेष सेलेक्टिव) उत्प्रेरण का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
ज़िओलाइटों का आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-
जिओलाइट-जिओलाइट, विभिन्न धातुओं के ऐलुमिनो सिलिकेट होते हैं जिनका सामान्य सूत्र \(\mathrm{M}_{\mathrm{x} / \mathrm{n}}\left[\left(\mathrm{Al}_2 \mathrm{O}_3\right)_{\mathrm{x}}\left(\mathrm{SiO}_2\right)_{\mathrm{y}}\right]_{\mathrm{z}}^{\mathrm{m}} \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\) होता है। यहाँ n = धातु आयन पर आवेश।

जिओलाइट में पाए जाने जाने वाले धनायन मुख्यतः Na+, K+, Mg2+ तथा Ca2+ आदि होते हैं। जिओलाइट आकार वरणात्मक उत्प्रेरण में प्रयुक्त होते हैं। इनमें कुछ Si परमाणु Al परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al-O-Si दाँचे का निर्माण करते हैं।

आकृति वरणात्मक उत्त्रेरण – वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्ध्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद् अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्प्रेरक होते हैं।

ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।

जिओलाइटों के उपयोग-

  • जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बड़ती है।
  • ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हे सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
  • जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मुद करने में प्रयुक्त किया जाता है।

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प्रश्न 4.
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों का वर्गीकरण कीजिए । प्रत्येक वर्ग की विशेषता और एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) जल स्नेही सॉल (द्रव स्नेही)
(ii) जल विरोधी सॉल (द्रव विरोधी)

विभिन्न प्रकार के कोलॉइडों में से सबसे अधिक उपयोगी एवं प्रचलित कोलॉइड, सॉल (द्रव में ठोस), जेल (ठोस में द्रव) तथा इमल्सन (द्रव में द्रव ) हैं।

सॉलों का वर्गीकरण – परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर कोलॉइडी सॉलों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, द्रवरागी या द्रवस्नेही (विलायक को आकर्षित करने वाले) एवं द्रवविरागी या द्रव विरोधी (विलायक को प्रतिकर्षित करने वाले )। जब परिक्षेपण माध्यम जल होता है तो जलरागी एवं जलविरागी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(i) द्रवरागी या द्रवस्ने ही कोलॉइड – द्रवरागी का अर्थ है द्रव को आकर्षित करने वाला। वे कोलॉइड जिन्हें पदार्थों को उचित द्रव (परिक्षेपण माध्यम) में मिलाने से सीधे ही कोलॉइड प्राप्त हो जाते हैं उन्हें द्रवरागी कोलॉइड (सॉल) कहते हैं। जैसे गोंद, जिलेटिन, स्टार्च, रबर इत्यादि। इन्हें उत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं क्योंकि परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था के पृथक् हो जाने के पश्चात् इन्हें पुनः मिश्रित करने पर कोलॉइड बन जाता है। ये स्थायी होते हैं अतः इनका स्कंदन आसानी से नहीं होता।

(ii) द्रवविरागी या द्रव विरोधी कोलॉइड (Lyophobic colloids )-द्रवविरागी का अर्थ है द्रव का विरोध करने वाला अर्थात् द्रव को प्रतिकर्षित करने वाला। परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम को मिश्रित करने से ये कोलॉइड नहीं बनते अतः इन्हें विशेष विधियों से बनाया जाता है। इस प्रकार के कोलॉइडों को द्रवविरोधी कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण धातुएँ तथा उनके सल्फाइडों के सॉल।

द्रव विरोधी सॉलों को वैद्युत अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर, गर्म करके या हिलाकर आसानी से अवक्षेपित (स्कंदित) किया जा सकता है इसलिए ये स्थायी नहीं होते अतः एक बार अवक्षेपित होने के बाद, परिक्षेपण माध्यम मिलाने से ये पुनः कोलॉइड नहीं बनाते। अतः इनको अनुत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं। द्रवविरागी सॉल के परिरक्षण के लिए स्थायी कारक आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 5.
पेप्टीकरण पद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर, परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर कोलॉइडी सॉल बनाने की प्रक्रिया को पेप्टीकरण कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्रत्येक के लिए एक-एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए, निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऐरोसॉल (Aerosol )
(ii) इमल्शन (Emulsion )
(iii) मिसेल (Micelle )
उत्तर:

  • ऐरोसॉल वह कोलॉइड होता है जिसमें परिक्षेपण माध्यम गैस होती है। उदाहरण-धुआँ (ठोस एरोसॉल) इसमें ठोस के कण गैस में परिक्षिप्त रहते हैं।
  • दो आंशिक मिश्रणीय या अमिश्रणीय द्रवों से मिलकर बने कोलॉइड को इमल्शन कहते हैं। उदाहरण- दूध (द्रव वसा का जल में परिक्षेपण) ।
  • वे पदार्थ जो कम सान्द्रता पर प्रबल वैद्युत अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं, लेकिन उच्च सान्द्रताओं पर कोलॉइड की भाँति व्यवहार करते हैं, उन्हें मिसेल कहते हैं। उदाहरण-जल में साबुन ।

प्रश्न 7.
कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। दो कारण दीजिए।
उत्तर:
कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार वास्तविक विलयन से अधिक होता है तथा ये प्रकाश को अन्तराल में सभी दिशाओं में प्रकीर्णित करते हैं। प्रकाश का यह प्रकीर्णन कोलॉइडी परिक्षेपण में किरण के पथ को प्रदीप्त करता है। अतः कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.
जल विरागी कोलॉइड का स्कन्दन आसानी से हो जाता है। कारण दीजिए।
उत्तर:
जल विरागी कोलॉइड विलायक को प्रतिकर्षित करते हैं तथा अस्थायी होते हैं। इनका स्थायित्व आवेश के कारण होता है। अतः किसी भी प्रकार से आवेश को समाप्त कर देने पर इनके कण एक-दूसरे के पास आकर आसानी से स्कंदित हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रक्रियाओं के प्रभाव को दर्शाने के लिए उपयुक्त शब्द दीजिए—
(अ) आर्सेनिक सल्फाइड सॉल में फेरिक हाइड्रोक्साइड सॉल मिलाया जाता है।
(ब) फेरिक हाइड्रोक्साइड के ताजा अवक्षेप में फेरिक क्लोराइड का विलयन मिलाया जाता है।
(स) आर्सेनिक ऑक्साइड के विलयन में H2S गैस प्रवाहित की जाती है।
(द) कोलॉइडी विलयन में प्रकाश पुंज गुजरता है।
उत्तर:
(अ) स्कन्दन (Coagulation)
(ब) पेप्टन या पेप्टीकरण ( Peptisation)
(स) As2S3 का कोलॉइडी विलयन बनता है।
(द) टिण्डल प्रभाव।

प्रश्न 10.
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में दो अन्तर लिखिए।
(ब) समांगी एवं विषमांगी उत्प्रेरण को परिभाषित कीजिए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
(स) विद्युत अपोहन का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में निम्न अन्तर हैं-

  • भौतिक अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण रासायनिक बन्ध बनने के कारण होता है।
  • भौतिक अधिशोषण उत्क्रमणीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण अनुत्क्रमणीय होता है।

(ब) (i) समांगी उत्प्रेरण किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों एवं उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा उत्पन्न H+ आयनों से उत्प्रेरित होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 15

(ii) विषमांगी उत्प्रेरण – किसी अभिक्रिया में जब अभिकारक एवं उत्प्रेरक भिन्न-भिन्न भौतिक अवस्था में होते हैं तो इसे विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 16

प्रश्न 11.
(अ) द्रवरागी एवं द्रवविरागी कोलॉइडों में दो अन्तर लिखिए।
(ब) यीस्ट में उपस्थित दो एन्जाइमों के नाम दीजिए। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) (i) द्रवरागी कोलाइड उत्क्रमणीय होते हैं जबकि द्रवविरागी कोलाइड अनुत्क्रमणीय होते हैं।
(ii) द्रवरागी कोलाइड, पदार्थ को उचित परिक्षेपण माध्यम में मिलाने से सीधे ही प्राप्त हो जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव को अपनी ओर आकर्षित ‘करता है जबकि द्रवविरागी कोलाइड विशेष विधियों द्वारा बनाए जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव का विरोध करता है। रबर का कोलाइड द्रवरागी होता है जबकि धातु सल्फाइडों के कोलाइड द्रवविरागी होते हैं।

(ब) यीस्ट में इन्वर्ट्स तथा जाइमेज एन्जाइम पाए जाते हैं। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) इन्वर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 17
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस एथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 18
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि द्वारा कोलाइड बनाने का नामांकित चित्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 19

प्रश्न 12.
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में गुजारा जाता है, तो क्या होता है ?
(ii) बहु आण्विक कोलॉइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में से गुजारा जाता है तथा इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा में लम्बवत् देखा जाता है तो प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं।

(ii) किसी पदार्थ को घोलने पर उसके बहुत से परमाणु या अणु एकत्रित होकर ऐसी स्पीशीज बनाते हैं जिनका आकार कोलॉइडी सीमा में होता है तो इन्हें बहु आण्विक कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण- गोल्ड तथा सल्फर सॉल।

प्रश्न 13.
(i) द्रवस्नेही तथा द्रवविरोधी सॉल के एक-एक उदाहरण बताइए।
(ii) फ्रॉयन्डलिक अधिशोषण समतापी के सन्दर्भ में ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के व्यंजक को एक समीकरण के रूप में लिखिए |
(iii) सहचारी कोलॉइड का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • द्रवस्नेही सॉल-गोंद
    द्रवविरोधी सॉल – सिल्वर सॉल
  • अधिशोषित गैस की मात्रा = \(\frac{x}{\mathrm{~m}}=\mathrm{kp}^{\frac{1}{n}}\)
  • साबुन तथा अपमार्जक सहचारी कोलॉइड के उदाहरण हैं।

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प्रश्न 14.
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) सॉल एवं जैल में क्या अन्तर है ?
(स) स्कंदन किसे कहते हैं? समझाइए ।
अथवा
(अ) वैद्युत अपघट्य की अतिरिक्त मात्रा की अशुद्धियों वाले कोलाइडी विलयन के शुद्धिकरण की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) एरोसॉल एवं फोम में क्या अन्तर है?
(स) पेष्टन किसे कहते हैं ? समझाइए ।
उत्तर:
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने के लिए विद्युत परिक्षेपण विधि (ब्रेडिंग आर्क विधि) परिक्षेपण एवं संघनन दोनों ही होते हैं प्रयुक्त की जाती है। इस प्रक्रम में गोल्ड, सिल्वर तथा प्लेटिनम इत्यादि धातुओं के कोलॉइडी सॉल इस विधि से बनाये जाते हैं। इस विधि में परिक्षेपण माध्यम में डूबे हुए धातु के इलैक्ट्रोडों के बीच एक विद्युत आर्क उत्पन्न किया जाता है, इससे उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा द्वारा धातु वाष्पित हो जाती है जो पुनः हिमशीत जल द्वारा संघनित होकर कोलॉइडी अवस्था में आ जाती है। इसमें परिक्षेपण माध्यम सामान्यतः KOH या NaOH का तनु जलीय विलयन लिया जाता है।

(ब) सॉल वे कोलॉइड होते हैं जिनमें ठोस (परिक्षिप्त प्रावस्था), ठोस, द्रव या गैस (परिक्षेपण माध्यम ) में वितरित रहता है। मुख्यतः सॉल वे होते हैं जिनमें ठोस, द्रव में वितरित रहता है, जैसे गोंद, स्टार्च इत्यादि । जबकि जैल वे कोलॉइड हैं जिनमें द्रव प्रावस्था ठोस परिक्षेपण माध्यम में वितरित होती है, जैसे-पनीर, मक्खन इत्यादि ।

(स) स्कंदन – जब किसी सॉल में कोई विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो उसका आवेश समाप्त हो जाता है जिससे इसके कण नीचे बैठ जाते हैं अर्थात् उनका अवक्षेपण हो जाता है। इसे सॉल का स्कंदन कहते हैं।

अथवा

(अ) कोलॉइडी विलयन में उपस्थित वैद्युत अपघट्यों की अशुद्धियों को अपोहन द्वारा पृथक् किया जाता है। इस विधि में एक उपयुक्त झिल्ली द्वारा वैद्युत अपघट्य के कणों को पृथक् किया जाता है। वास्तविक विलयन के कण जांतव झिल्ली ( ब्लैडर), पार्चमेन्ट पत्र या सेलोफेन शीट में से निकल जाते हैं परन्तु कोलॉइडी कण नहीं, अतः जांतव झिल्ली को अपोहन में प्रयुक्त किया जाता है। अपोहन के लिए प्रयुक्त उपकरण अपोहक कहलाता है।

अशुद्ध कोलॉइडी विलयन से भरा एक उपयुक्त झिल्ली का बैग पात्र में लटकाया जाता है जिसमें से होकर लगातार जल बहता रहता है। अणु एवं आयन झिल्ली में से विसरित होकर बाहरी जल में आ जाते हैं तथा शुद्ध कोलॉइडी विलयन बच जाता है। विद्युत प्रवाहित करने पर यह प्रक्रम जल्दी होता है तथा इस प्रक्रम को विद्युत अपोहन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 20
(ब) एरोसॉल में परिक्षेपण माध्यम गैस होती है जिसमें ठोस या द्रव परिक्षिप्त रहता है। जैसे तम्बाकू का धुआँ (ठोस एरोसॉल) तथा कोहरा (द्रव एरोसॉल), जबकि फोम में द्रव में गैस के कण परिक्षिप्त रहते हैं जैसे फेन (फ्रोथ ) तथा फेंटी हुई क्रीम।

(स) पेप्टन या पेप्टीकरण – किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर इसे कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पेप्टन कहते हैं तथा पेप्टन में प्रयुक्त वैद्युत अपघट्य को पेप्टीकारक कहते हैं। यह स्कंदन का विपरीत प्रक्रम है। इस विधि से ताजा बने अवक्षेप को कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 21

प्रश्न 15.
(अ) एन्जाइम उत्प्रेरण किसे कहते हैं? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) दूध किस प्रकार का इमल्शन है ? समझाइए।
(स) वैद्युतकणसंचलन को नामांकित चित्र सहित समझाइए।
अथवा
(अ) उत्प्रेरक की वरणात्मकता किसे कहते हैं ? उदाहरण लिखिए।
(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड एवं आर्सेनियस सल्फाइड सॉल को मिश्रित करने पर क्या होता है ?
(स) टिन्डल प्रभाव को नामांकित चित्र सहित समझाइए ।
उत्तर:
(अ) एन्जाइमों द्वारा विभिन्न अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की प्रक्रिया को एन्जाइम उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण-
माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 22

(ब) दूध, जल में तेल प्रकार का इमल्शन है। दूध में जल परिक्षेपण माध्यम है जिसमें द्रव वसा के कण परिक्षिप्त रहते हैं।

(स) जब किसी कोलॉइडी विलयन में डूबे हुये दो प्लैटिनम इलैक्ट्रॉडों पर विद्युत विभव लगाते हैं तो कोलॉइडी कण विपरीत आवेशित इलैक्ट्रॉड की ओर गमन करते हैं। इसे वैद्युत कण संचलन कहते हैं। धनात्मक आवेशित कण कैथोड की ओर तथा ऋणात्मक आवेशित कण ऐनोड की ओर गति करते हैं । वैद्युत कण संचलन से कोलाइडी कणों पर आवेश की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 23

(अ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में किसी अभिक्रिया द्वारा विशिष्ट उत्पाद बनाने की क्षमता को उत्प्रेरक की वरणात्मकता कहते हैं अर्थात् विशिष्ट उत्पाद बनाते समय उत्प्रेरक अभिक्रिया को निश्चित दिशा प्रदान करता है। उदाहरण- Ni उत्प्रेरक की उपस्थिति में CO तथा H2 की क्रिया से CH4 बनती है जबकि Cu उत्प्रेरक की उपस्थिति में HCHO बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 24

(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड ( धन-आवेशित सॉल) एवं आर्सेनियस सल्फाइड (ऋण आवेशित सॉल) को मिश्रित करने पर ये अवक्षेपित (स्कंदित) हो जाते हैं, इसे पारस्परिक स्कंदन भी कहते हैं।

(स) टिन्डल प्रभाव – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शीं दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।

अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 25

प्रश्न 16.
AlCl3 और NaCl में से कौन-सा ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है और क्यों?
उत्तर:
AlCl3 और NaCl में से AlCl3 ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें धनायन (Al3+) पर आवेश अधिक है जो कि ऋणात्मक सॉल के कणों को अधिक आसानी से उदासीन करेगा।

प्रश्न 17.
एक उदाहरण सहित अधिशोषण को परिभाषित कीजिए । क्या कारण है कि अधिशोषण स्वभाव में ऊष्माक्षेपी होता है ? अधिशोष्य और अधिशोषी के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 5.1 तथा 5.8 का उत्तर देखें तथा अधिशोष्य और अधिशोषी (अधिशोषक) के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण दो प्रकार के होते हैं।

  • भौतिक अधिशोषण या वान्डरवाल अधिशोषण
  • रासायनिक अधिशोषण या लैग्म्यूर अधिशोषण।

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. क्लोन शब्द का अर्थ है-
(अ) संतति जनक के एकदम समान हो
(ब) आनुवंशिक रूप से एकसमान हो
(स) आकारिकीय दृष्टि से एकसमान हो
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

2. प्रोटिस्टा तथा मोनेरा में जनन का प्रकार है-
(अ) कलिका
(ब) कोशिका विभाजन
(स) द्विखंडन
(द) कलिकाएँ
उत्तर:
(ब) कोशिका विभाजन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

3. अमीबा तथा पैरामीशियम में जनन विधि है-
(अ) द्विखंडन
(ब) कोशिका विभाजन
(स) जैम्यूल
(द) कोनिडिया
उत्तर:
(अ) द्विखंडन

4. निम्न में से अलैंगिक जननीय संरचनाएँ हैं-
(अ) कोनिडिया
(ब) कलिका
(स) जैम्यूल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

5. बंगाल का आतंक ( Terror of Bengal) किसे कहते हैं ?
(अ) स्पंज
(ब) पैरामीशियम
(स) वाटर हायसिंथ
(द) ब्रायोफिल्लम
उत्तर:
(स) वाटर हायसिंथ

6. कायिक प्रवर्धन में पादपकों (Plantlcts) का उत्पत्ति स्थल होता है-
(अ) पर्वसंधि
(ब) पर्व
(स) कक्ष
(द) शीर्ष
उत्तर:
(अ) पर्वसंधि

7. वह पर्ण जिसके फलककोर से अपस्थानिक कलिकाएँ उत्पन्न होती हैं, वह है-
(अ) डहलिया
(ब) बोगेनविलिया
(स) ब्रायोफिल्लम
(द) ब्रायोफाइटा
उत्तर:
(स) ब्रायोफिल्लम

8. वह पादप जो जीवन अवधि में केवल एक बार पुष्प उत्पन्न करता है-
(अ) नारियल
(ब) वाटर हायसिंथ
(स) कटहल
(द) स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना
उत्तर:
(द) स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना

9. प्राइमेटों में जनन के दौरान चक्र होता है-
(अ) मद चक्र
(ब) स्राव चक्र
(स) ऋतुस्राव चक्र
(द) मौसमी चक्र
उत्तर:
(स) ऋतुस्राव चक्र

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

10. निम्न में से एकलिंगी प्राणी है-
(अ) केंचुआ
(ब) जोंक
(स) टेपवर्म
(द) तिलचट्टा
उत्तर:
(द) तिलचट्टा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जीवन अवधि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
प्रत्येक जीव के जन्म से उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक का काल, उस जीव की जीवन अवधि होती है।

प्रश्न 2.
नारियल का वृक्ष उभयलिंगाश्रयी होता है जबकि खजूर का वृक्ष एकलिंगाश्रयी होता है। उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
नारियल के वृक्ष में नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर पाये जाते हैं, इसलिये उन्हें उभयलिंगाश्रयी कहते हैं परन्तु खजूर के वृक्ष में नर पुष्प व मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर पाये जाने से, उन्हें एकलिंगाश्रयी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
प्रोटिस्टा तथा मोनेरा में किस प्रकार से जनन होता है?
उत्तर:
इनमें अलैंगिक जनन होता है। इन जीवों में जनक कोशिका दो भागों में विभक्त होकर नए जीवों को जन्म देती है। अतः इनमें कोशिका विभाजन एक प्रकार से जनन की क्रियाविधि है।

प्रश्न 4.
दो जनन लक्षण लिखिए जो सरीसृपों को उभयचरों की अपेक्षा अधिक सफल बनाते हैं।
उत्तर;
सरीसृप उभयचरों की अपेक्षा अधिक सफल है, क्योंकि-

  • सरीसृप भूमि पर अण्डे देते हैं।
  • सरीसृपों के अण्डों पर कवच होता है जो अण्डों को सूर्य के .. प्रकाश से सूखने से बचाता है।

प्रश्न 5.
कायिक प्रवर्धन करने वाले कुछ पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन भी एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। अनेक पौधे कायिक प्रवर्धन से विकसित होते हैं; जैसे-आलू, अदरक, अगैव, जलकुंभी ( वाटर हायसिंथ), प्याज, शकरकन्द, गन्ना, केला, डहलिया आदि ।

प्रश्न 6.
ऐसे दो पौधों को बताइए जो अपने जीवन काल में केवल एक बार पुष्प उत्पन्न करते हैं। इनमें क्या विशेषता देखी जाती है?
उत्तर:
कुछ पौधे अपने जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्प उत्पन्न करते हैं। जैसे बांस में प्रायः 50-100 वर्षों के बाद तथा स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना (Strobilanthus Kunthiana ) में 12 वर्षों में एक बार पुष्प उत्पन्न होते हैं। इनमें अधिक संख्या में पुष्प व फल बनकर नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
वृद्धावस्था का क्या मापदंड है?
उत्तर:
प्रजनन आयु की समाप्ति को जीर्णता या वृद्धावस्था के मापदंड के रूप में माना जाता है।

प्रश्न 8.
उभयचरों तथा सरीसृपों में संयुग्मन (Syngamy) कहाँ होती है?
उत्तर:
उभयचरों में बाह्य निषेचन होता है, अतः संयुग्मन की क्रिया जल में होगी, जबकि सरीसृपों में निषेचन आन्तरिक होता है अतः संयुग्मन शरीर के अन्दर होगी।

प्रश्न 9.
एक मॉस ( Moss) का पौधा नर युग्मकों (antherogoids) का निर्माण बड़ी संख्या में करता है परन्तु उसकी तुलना में अण्ड कोशिकाओं की संख्या बहुत कम होती है। क्यों ?
उत्तर:
मॉस में नर युग्मक चल होते हैं जो अचल मादा युग्मक के साथ निषेचित होते हैं। इस प्रक्रिया में नर युग्मक के स्थानान्तरण में अनेक नर युग्मक नष्ट हो जाते हैं, इस कारण इनकी संख्या अधिक होती है ।

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प्रश्न 10.
समयुग्मकी लक्षण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
लैंगिक जनन क्रिया में नर व मादा युग्मक बनते हैं। जब किसी जीव में जैसे कुछ शैवालों में दोनों युग्मक देखने में एक-दूसरे के समान दिखाई देते हैं, तब ऐसे युग्मकों को समयुग्मकी ( Isogametes or Homogametes) कहते हैं।

प्रश्न 11.
अधिकतर लैंगिक जनन करने वाले जीवों में आकारिकी दृष्टि से किस प्रकार के युग्मक पाये जाते हैं?
उत्तर:
अधिकांश लैंगिक जनन करने वाले जीवों में आकारिकी दृष्टि से स्पष्ट रूप से दो विभिन्न आकार के युग्मक पाये जाते हैं, इन्हें विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं। ऐसे जीवों में नर युग्मकों को पुमणु या शुक्राणु (Antherozoid or Sperms) कहते हैं; जबकि मादा युग्मकों को अंड या डिंब (Egg or Ovum) कहते हैं।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) पादपों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कुकरबिट एवं नारियल वृक्ष उभयलिंगाश्रयी के उदाहरण हैं।

प्रश्न 13.
उभयलिंगी या द्विलिंगी प्राणी से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित बताइये ।
उत्तर:
जब किसी प्राणी में नर तथा मादा दोनों जनन अंग एक ही प्राणी में पाये जाते हैं तो उसे उभयलिंगी या द्विलिंगी (Hermaphrodite ) कहते हैं। उदाहरण – स्पंज (Sponge), टेपवर्म (Tapeworm), जोंक (Leech) व केंचुआ (Earthworm) ।

प्रश्न 14.
मानव, चूहा, आलू व प्याज में युग्मकों में पायी जाने वाली गुणसूत्रों की संख्या को बताइये ।
उत्तर:
युग्मकों (Gametes ) से तात्पर्य है कि वे अगुणित (n) होते हैं, अतः इनमें गुणसूत्रों की संख्या निम्न प्रकार से होती है-

जीव का नामयुग्मकों में अगुणित (n) गुणसूत्रों की संख्या
मानव23
चूहा21
आलू24
प्याज16

प्रश्न 15.
युग्मकों के बनने में निहित कोशिका विभाजन विभिन्न जीवों में एक ही समान प्रकार का नहीं होता। ऐसा कहना किस प्रकार न्यायोचित है? बताइए।
उत्तर:
युग्मकों के बनने में निहित कोशिका विभाजन विभिन्न जीवों में विभिन्न प्रकार का होता है। अगुणित जीवों (n) में युग्मकों के बनने में समसूत्री विभाजन होता है क्योंकि पैतृक जीव अगुणित होते हैं और बनने वाले युग्मक भी अगुणित होते हैं। इन जीवों में युग्मनज में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। द्विगुणित (2n ) जीवों में युग्मकों के निर्माण में अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन होता है जिसमें इसके युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक जीव के गुणसूत्रों से आधी रह जाती है व निषेचन पश्चात् फिर से गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित हो जाती है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
भ्रूणोद्भव (Embryogenesis) को समझाइये।
उत्तर:
युग्मनज (Zygote) से भ्रूण (Embryo) के विकास की प्रक्रिया को भ्रूणोद्भव कहते हैं। इस प्रक्रिया में युग्मनज में समसूत्रण (Mitosis) के द्वारा कोशिका विभाजन होता है तथा उसी के साथ कोशिका विभेदीकरण (Cell Differentiation) भी होता है। भ्रूण के विकास के दौरान कोशिका विभाजन के फलस्वरूप कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है, उसी के साथ-साथ कोशिका विभेदीकरण होने से कोशिकाओं के समूह एक निश्चित रूपांतरणों से गुजरकर विशेषीकृत ऊतकों एवं अंगों की रचना करते हैं। इन प्रक्रियाओं के फलस्वरूप जीव का निर्माण होता है।

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प्रश्न 2.
अंडप्रजक (Oviparous ) तथा सजीवप्रजक (Viviparous ) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
प्राणियों को दो श्रेणी अंडप्रजक तथा सजीवप्रजक में विभक्त किया गया है। यह विभक्तीकरण इस आधार पर किया गया है कि युग्मनज का विकास मादा जनक के शरीर के अन्दर हुआ है या बाहर। अंडप्रजक प्राणियों जैसे कि सरीसृप वर्ग ( Reptiles ) तथा पक्षी आदि के द्वारा निषेचित अंडे पर्यावरण के सुरक्षित स्थानों पर दिये जाते हैं तथा ये कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं।

ये अण्डे एक निश्चित निवेशन अवधि (Incubation Period) के पश्चात् स्फुटन द्वारा नये शिशु को जन्म देते हैं। सजीवप्रजक प्राणियों में (अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी शामिल है) युग्मनज का विकास मादा जीव के भीतर होकर शिशु का विकास करता है। इस शिशु का निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों के पूरा होने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव के द्वारा बाहर आता है। इस विधि में भ्रूण का सही विकास व संरक्षण होता है, इसी कारण सजीवप्रजक जीवों की उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

प्रश्न 3.
पुष्पीय पादपों में निषेचन क्रिया के पश्चात् क्या प्रभाव होता है तथा युग्मनज कहाँ बनता है?
उत्तर:
पुष्पीय पादपों में युग्मनज का निर्माण बीजाण्ड के अंदर होता है। निषेचन के बाद पुष्प के बाह्य दल, पंखुड़ी तथा पुंकेसर मुरझा कर झड़ जाते हैं। युग्मनज से भ्रूण बनता है तथा बीजाण्ड बीज में विकसित हो जाता है। अंडाशय (Ovary) फल में परिवर्तित हो जाता है। अंडाशय की भित्ति से फलभित्ति (Pericarp) बनती है, यह फल को सुरक्षा प्रदान करती है। चित्र में मटर की फली में बीज हैं जो पूर्व में बीजाण्ड थे व बाद में विकसित होकर बीज बन गये हैं। सरसों व टमाटर के अनुप्रस्थ काट में भी यही रचना दिखाई दे रही हैं। बीज फलभित्ति के अन्दर रहते हैं ।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन 1

प्रश्न 4.
समयुग्मक तथा विषमयुग्मक को सउदाहरण व चित्रों की सहायता से समझाइये।
उत्तर:
लैंगिक जनन की प्रक्रिया में युग्मकजनन होता है जिसमें दो प्रकार के नर व मादा युग्मकों का निर्माण होता है। कुछ शैवालों में दोनों प्रकार के युग्मक आकारिकीय दृष्टि से एकसमान दिखाई देते हैं। एकसमान होने से इन्हें नर व मादा में विभक्त नहीं किया जा सकता है, ऐसे युग्मकों को समयुग्मक (Isogametes) कहते हैं। उदाहरण- क्लैडोफोरा शैवाल।

अधिकांश जीवों में आकारिकीय दृष्टि से विभिन्न आकृति के नर व मादा युग्मक बनते हैं। नर युग्मक छोटे, चल (Motile) होते हैं तथा मादा बड़े व अचल (Non-motile) होते हैं। इनमें नर युग्मकों को पुमणु (Antherozoid) या शुक्राणु (Sperms) कहते हैं तथा मादा युग्मकों को अंड (Egg) या डिंब (Ovum) कहते हैं। विभिन्न आकृति के युग्मकों को विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं। उदाहरण- फ्यूकस (शैवाल)।

प्रश्न 5.
जीवों में पायी जाने वाली लैंगिकता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
लैंगिकता को स्पष्ट करने हेतु यहाँ पादपों के उदाहरण दिये जा रहे हैं। पादप में नर तथा मादा दोनों जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं जब एक ही पौधे में दोनों नर तथा मादा जनन संरचनाएँ हों तो उसे द्विलिंगी (Bisexual) (चित्र अ व ब ) अथवा जब जनन संरचनाएँ भिन्न पादपों पर हों तो एकलिंगी (Unisexual) (चित्र-स) कहते हैं अनेक कवकों में द्विलिंगी अवस्था को दर्शाने के लिए उभयलिंगाश्रयी या समथैलसी (Monoccious or Homothallic) शब्द का प्रयोग करते हैं।

एकलिंगता को दर्शाने के लिये एकलिंगाश्रयी या विषमथैलसी (Dioecious or Heterothallic) शब्द का उपयोग करते हैं। प्रायः पुष्पों में दोनों लिंग (पुंकेसर व स्त्रीकेसर) होते हैं। कुछ पुष्पीय पादपों में अकेला पादप उभयलिंगाश्रयी (नर तथा मादा दोनों लिंगी) हो सकता है और इसमें पैदा होने वाले पुष्प एकलिंगी तथा द्विलिंगी दोनों हो सकते हैं। कुकरबिटा व नारियल वृक्ष उभयलिंगाश्रयी पादपों के उदाहरण हैं। पपीता व खजूर एकलिंगाश्रयी के उदाहरण हैं।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन 2प्राणियों में एकलिंगी व द्विलिंगी अवस्था होती है। केंचुए (Earthworm), स्पंज, टेपवर्म तथा जोंक (Leech) द्विलिंगी प्राणियों के उदाहरण हैं; इनमें दोनों प्रकार के जनन अंग एक ही प्राणी में मिलते हैं। तिलचट्टा (Cockroach) एकलिंगी प्राणी है।
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प्रश्न 6.
निषेचन के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
निषेचन से तात्पर्य है कि नर व मादा का संलयन। यह संलयन जीव के बाहर तथा उसके अन्दर हो सकता है। निषेचन दो प्रकार का होता है – बाह्य निषेचन (External Fertilization) तथा आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization) अधिकांश जलीय जीवों (शैवाल तथा मछलियाँ) व जल-स्थल चर प्राणियों में युग्मक संलयन बाहरी माध्यम (जल) में होता है अर्थात् जीव के शरीर के बाहर सम्पन्न होता है इस प्रकार के युग्मक संलयन को बाह्य निषेचन कहते हैं।

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जिन जीवों में बाह्य निषेचन होता है उनके दो लिंगों में व्यापक समकालिता होती है तथा संलयन के अवसर को बढ़ाने के लिये अधिक संख्या में युग्मक निर्मुक्त होते हैं। उदाहरण मेंढक तथा ‘बौनी फिश’ (Bony Fishes ) । इससे बहुत अधिक संख्या में संतानें उत्पन्न होती हैं परन्तु इनका शिकार होते रहने से कम ही संतानें जीवित रहती हैं।

अनेक स्थलीय जीवों जैसे फंजाई, उच्च श्रेणी के प्राणी जैसे- सरीसृप ( Reptiles ), पक्षी तथा स्तनधारी एवं अधिकांश पादप (ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म एवं एंजिओस्पर्म) में युग्मक संलयन जीव शरीर के अंदर सम्पन्न होता है। इस प्रक्रिया को आंतरिक निषेचन कहते हैं।

इन सभी में अंडे की रचना मादा के शरीर के भीतर होती है ऐसे जीवों में नर युग्मक चलनशील होते हैं जो अंडे तक पहुँचते हैं। नर युग्मक के रूप में विशाल संख्या में शुक्राणु बनते हैं। मादा युग्मक अचल अण्ड होते हैं जो कम संख्या में बनते हैं। यद्यपि बीजीय पौधों में नर युग्मक अचल बनते हैं जो परागनली की सहायता से मादा युग्मक तक पहुँचते हैं।

प्रश्न 7.
क्लोन (Clone) शब्द से आप क्या समझते हैं? कुछ साधारण श्रेणी के जीवों में पाये जाने वाले अलैंगिक जनन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन में जीव संतति उत्पन्न करते हैं। वह उत्पन्न संतति अपने जनक के एकदम समान होती है। आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से समान होती है। अतः आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है। अलैंगिक जनन सामान्य रूप से एकल जीव, पादप तथा जीव (साधारण जीव) आदि में पाया जाता है प्रोटेस्टा तथा मोनेरा (Protists and Monerans ) में जनक कोशिका दो भागों में विभक्त होकर नये जीवों को जन्म देती है।

अतः इन जीवों में कोशिका विभाजन एक प्रकार से जनन की क्रियाविधि है (अमीबा, पैरामीशियम) अन्य एकल कोशिका जीव द्विखण्डन (Binary Fission) से उत्पन्न होते हैं। यीस्ट में छोटी कलिकाएँ (Buds) उत्पन्न होती हैं जो आरम्भ में तो जनक कोशिका से जुड़ी रहती हैं तथा बाद में पृथक् होकर नये यीस्ट जीव में परिपक्व हो जाती हैं कवक जगत के सदस्य तथा साधारण पादप जैसे शैवाल में विशेष अलैंगिक जनन संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें अलैंगिक चलबीजाणु ( Zoospores) कहते हैं ये रचनाएँ चलनशील होती हैं। अन्य अलैंगिक संरचनाओं में कोनिडियम (पैनीसीलियम), कलिका (हाइड्रा ) तथा जैम्यूल (स्पंज ) होते हैं।

प्रश्न 8.
वाटर हायासिंथ को बंगाल के आतंक के नाम से क्यों जाना जाता है? कारण सहित समझाइये।
उत्तर:
वाटर हायासिंध को बंगाल के आतंक के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह ठहरे जल में सर्वाधिक वृद्धि करने वाला खरपतवार है। यह जल से 0 खींच लेता है जिसके परिणामस्वरूप मछलियाँ मर जाती हैं। इसमें कायिक प्रवर्धन द्रुतगति से होती है और अल्प समय में ही सम्पूर्ण जलाशय में फैल जाता है और अपने आप से जलाशय को ढक लेता है और इससे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन होता है। उक्त कारणों के कारण इसे बंगाल के आतंक के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 9.
सजीव प्रजक जीवों में संतानों की उत्तरजीविता की अधिक सम्भावनाएँ हैं। कारण सहित समझाइये।
अथवा
“सजीव प्रजक प्राणियों की संतानों की उत्तरजीविता अधिक जोखिमपूर्ण नहीं होता है।” दो कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
अण्डप्रजक की तुलना में सजीवप्रजक प्राणियों से शिशु की उत्तरजीविता के सुअवसर क्यों बढ़ जाते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सजीव प्रजक प्राणियों में (अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी शामिल हैं) युग्मनज का विकास मादा जीव के भीतर होकर शिशु का विकास करता है। इस शिशु का निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों के पूरा होने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव के द्वारा बाहर आता है। इस विधि में भ्रूण का सही विकास व संरक्षण होता है, इसी कारण सजीव प्रजक जीवों की उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

प्रश्न 10.
“अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन कहना अधिक उपयुक्त है।” दो कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन द्वारा जो संतति उत्पन्न होती है वह केवल एक-दूसरे के समरूप ही नहीं बल्कि अपने जनक के एकदम समान होती हैं। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान होती है। अतः आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिए क्लोन शब्द की रचना की गई है।

प्रश्न 11.
बाह्य निषेचन एवं आंतर निषेचन में कोई चार अन्तर लिखिए ।
उत्तर:

बाह्य निषेचन (External fertilization)आन्तरिक निषेचन (Internal fertilization)
इसमें युग्मकसंलयन बाह्य माध्यम में होता है।आन्तरिक माध्यम में होता है।
इस प्रकार के निषेचन में दोनों प्रकार के युग्मक माध्यम में छोड़ दिये जाते हैं।इसमें केवल नर युग्मक ही माध्यम में छोड़े जाते हैं।
बाह्य निषेचन के द्वारा उत्पन्न हुए जीवों की संख्या अधिक होती है।जीवों की संख्या कम होती है ।
इस प्रकार के निषेचन में दोनों प्रकार के युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते हैं।इसमें मादा युग्मक कम संख्या में परन्तु नर युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते हैं।

प्रश्न 12.
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई दो अन्तर लिखिए। ” कायिक जनन अलैंगिक जनन ही होता है।” समझाइये।
उत्तर:

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
प्रजनन में दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं।इसमें एकल जीव संतति उत्पन्न करने की क्षमता रखता है।
इसमें युग्मक संलयन होता है।युग्मक संलयन नहीं होता है।

कायिक जनन में दो जनक भाग नहीं लेते हैं। इसमें पादप शरीर का कोई भी कायिक भाग उसके शरीर से पृथक् होकर, अनुकूल परिस्थितियों में नये पौधे का निर्माण करता है । अतः कायिक जनन, अलैंगिक जनन की एक विधि है ।

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
लैंगिक जनन को विस्तार से समझाते हुये, इसमें होने वाली विभिन्न घटनाओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर तथा मादा युग्मक ( Gametes) का निर्माण होता है तथा ये युग्मक आपस में संलयित होकर द्विगुणित युग्मनज (Zygote) का निर्माण कर नये जीव का विकास करते हैं । यह क्रिया एक जटिल विस्तृत एवं धीमी प्रक्रिया है। इसके परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह अपने जनकों के अथवा आपस में भी समरूप नहीं होती है।

प्रत्येक जीव परिपक्वता अवस्था प्राप्त करने के बाद लैंगिक जनन करता है। यद्यपि लैंगिक जनन से संबद्ध संरचनाएँ जीवों में एकदम भिन्न होती हैं तथा यह क्रिया विस्तृत व जटिल होने के बावजूद भी जीवों में लैंगिक जनन की घटनाएँ एक नियमित क्रम का अनुपालन करती हैं। इन घटनाओं को तीन भिन्न-भिन्न अवस्थाओं निषेचन पूर्व, निषेचन तथा निषेचन – पश्चात् में विभक्त किया जा सकता है।
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(अ) निषेचन पूर्व घटनाएँ (Pre-fertilization Events) – इसके अन्तर्गत युग्मकों के निषेचन पूर्व दो मुख्य घटनाएँ युग्मकजनन तथा युग्मक स्थानांतरण होती हैं।
(i) युग्मकजनन (Gamctogenesis) – युग्मकों के निर्माण को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मक अगुणित होते हैं क्योंकि इनके निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है कुछ शैवालों में दोनों प्रकार ( नर व मादा) के युग्मक एकसमान दिखाई देते हैं तो उन्हें समयुग्मक (Isogametes) कहते हैं।

अधिकांश लैंगिक जनन करने वाले जीवों में दोनों युग्मक आकारिकी दृष्टि से भिन्न होते हैं, इन्हें विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं नर युग्मकों को पुमणु या शुक्राणु (Antherozoid or Sperms) तथा मादा युग्मकों को अंड या डिंब (Egg or Ovum) कहते हैं। लैंगिक जनन अंगों को धारण करने के आधार पर जीवों को उभयलिंगाश्रयी (Monoccious) अथवा एकलिंगाश्रयी (Dioecious ) कहते हैं।

(ii) युग्मक स्थानांतरण ( Gamete Transfer) – निषेचन क्रिया सम्पन्न होने के लिए दोनों युग्मक एक-दूसरे के पास आते हैं। प्रायः जीवों में नर युग्मक चलनशील तथा मादा अचल व स्थानबद्ध होते हैं। यद्यपि कुछ कवकों व शैवालों में दो प्रकार के युग्मक चलनशील होते हैं। इन्हें एक माध्यम की आवश्यकता होती है, जिसमें होकर नर युग्मक गति करता है ।

प्रायः साधारण पादपों जैसे शैवाल, ब्रायोफाइट्स तथा टैरिडोफाइट्स में जल माध्यम की आवश्यकता होती है नर युग्मक गति करके मादा युग्मक के पास जाता है। नर युग्मक संख्या में अधिक तथा मादा युग्मक तुलनात्मक कम बनते हैं। बीजीय पादपों में परागकण (Pollen Grain) नर युग्मकों के वाहक होते हैं तथा मादा युग्मक अर्थात् अंड, अण्डप के अन्दर होते हैं।

परागकण परागण (Pollination) क्रिया द्वारा पुष्प के वर्तिकाग्र (Stigma) पर स्थानांतरित हो जाते हैं। परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होकर परागनली बनाते हैं। परागनली नर युग्मकों को अपने साथ लेती हुई अंडप के अन्दर प्रवेश कर जाती है तथा नर युग्मकों को छोड़ देती है। एकलिंगाश्रयी प्राणियों में युग्मकों के स्थानांतरण हेतु विशेष प्रकार की क्रियाविधि विकसित करनी पड़ती है।

(ब) निषेचन ( Fertilization) – दो युग्मकों के संलयन (Fusion) की क्रिया को निषेचन कहते हैं। कुछ जीवों में बिना निषेचन के ही मादा युग्मक नये जीव में विकसित हो जाता है। उदाहरण- रोटीफर्स (Rotifers ), मधुमक्खियाँ, कुछ छिपकलियाँ तथा पक्षी (टर्की) आदि । इस प्रकार की घटना को अनिषेकजनन (Parthenogenesis) कहते हैं।

कुछ जीवों जैसे शैवाल व मछलियों में युग्मक संलयन बाहरी माध्यम (जल) अर्थात् जीव के शरीर के बाहर होता है, इसे बाह्य निषेचन (External Fertilization) कहते हैं । स्थलीय जीवों, उच्च श्रेणी के प्राणी, अधिकांश पादपों में यह संलयन जीव के शरीर के भीतर होता है, अतः इसे आंतरिक निषेचन कहते हैं।

(स) निषेचन – पश्च घटनाएँ (Post-fertilization Events) – निषेचन पश्चात् द्विगुणित युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। बाह्य निषेचन करने वाले सभी जीवों में युग्मनज का निर्माण बाहरी माध्यम में होता है जबकि आंतरिक निषेचन वालों में उनके शरीर के भीतर युग्मनज बनता है। युग्मनज के अंगों का विकास जीव के अपने जीवन-चक्र तथा वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करता है।

युग्मनज अपने चारों ओर एक मोटी भित्ति स्रावित करता है जिससे उसकी शुष्कन व क्षति से रक्षा होती है। युग्मनज के अंकुरण पूर्व कुछ विश्रांति समय भी होता है । द्विगुणित जीवन- -चक्र वाले जीवों में युग्मनज अर्धसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर अगुणित अंडाणु का निर्माण करता है जिससे अगुणित जीव बनता है। इस प्रकार युग्मनज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के जीव के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

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भ्रूणोद्भव (Embryogenesis) – युग्मनज से भ्रूण के विकास को भ्रूणोद्भव कहते हैं। इस दौरान युग्मनज में कोशिका विभाजन तथा कोशिका विभेदन (Cell Differentiation) होता है। कोशिका विभाजन से कोशिकाओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो कोशिका विभेदीकरण से कोशिकाओं के समूह एक निश्चित रूपांतरणों से गुजरकर विशेषीकृत ऊतकों एवं अंगों की रचना करते हैं।

इसके फलस्वरूप जीव का निर्माण होता है। प्राणियों को युग्मनज के विकास आधार पर अंडप्रजक (Oviparous) तथा सजीवप्रजक (Viviparous ) में विभक्त किया गया है । यदि युग्मनज का विकास मादा जनक के शरीर से बाहर होता है तो उसे अंड प्रजक कहते हैं, उदाहरण सरीसृप वर्ग तथा पक्षी ।

सजीवप्रजक में युग्मनज का विकास जीव के शरीर के भीतर होता है। सजीवप्रजक में भ्रूण की सही देखभाल तथा संरक्षण होता है जिससे यह विधि जीवों के उत्तरजीविता हेतु उत्तरदायी है। पुष्पीय पौधों में भी युग्मनज का निर्माण बीजांड के अंदर होता है। इन पौधों में युग्मनज भ्रूण में तथा बीजाण्ड बीज में विकसित होता है एवं अंडाशय फल के रूप में बनता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. कुछ पादपों में मादा युग्मक बिना निषेचन के भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है। इस घटना को क्या कहा जाता है ? ( NEET-2019 )
(अ) अनिषेकजनन
(ब) स्वयुग्मन
(स) अनिषेक फलन
(द) युग्मक संलयन
उत्तर:
(अ) अनिषेकजनन

2. ‘ऑफसेटस’ किसके द्वारा उत्पादित होते हैं ? ( NEET 2018)
(अ) अनिषेक फलन द्वारा
(ब) सूत्री विभाजन द्वारा
(स) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा
(द) अनिषेकजनन द्वारा
उत्तर:
(ब) सूत्री विभाजन द्वारा

3. निम्नलिखित में से किसमें उसके जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्पन होता है? (NEET-2018)
(अ) आम
(ब) कटहल
(स) बाँस स्पेशीज
(द) पपीता
उत्तर:
(स) बाँस स्पेशीज

4. निम्नलिखित में से कौनसा विभिन्नता वाले नये आनुवंशिक संयोजन के उत्पन्न करता है? (NEET-2016)
(अ) लैंगिक जनन
(ब) बीजाण्डकायिक बहुभ्रूणता
(स) कायिक जनन
(द) अनिषेकजनन
उत्तर:
(अ) लैंगिक जनन

5. कॉलम – I को कॉलम-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही विकल्प को चुनिए । (NEET-2016)

कॉलम – Iकॉलम-II
1. आपस में जुड़े स्त्रीकेसर(i) युग्मकजनन
2. युग्मकों का बनना(ii) स्त्रीकेसर
3. उपचार ऐस्कोमाइसिटीज के कवक तन्तु(iii) मुक्ताण्डपी
4. एकलिंगी मादा पुष्प(iv) द्विकेन्द्रकी

उत्तर:

4. एकलिंगी मादा पुष्प(iv) द्विकेन्द्रकी

6. निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही नहीं है? (NEET-2016)
(अ) आलू, केला और अदरक में पादयक रूपान्तरिक तने में उपस्थित पर्वों से उत्पन्न होते हैं।
(ब) रुके हुए जल में उगती हुई जल हायसिन्थ जल से ऑक्सीजन खींच लेती है जिससे मछलियों की मृत्यु हो जाती है।
(स) अलैंगिक प्रजनन द्वारा उत्पन्न संतानों को क्लोन कहा जाता है ।
(द) सूक्ष्मदर्शीय, चल अलैंगिक प्रजनन संरचनायें, जल बीजाणु कहलाती हैं।
उत्तर:
(अ) आलू, केला और अदरक में पादयक रूपान्तरिक तने में उपस्थित पर्वों से उत्पन्न होते हैं।

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7. निम्नलिखित में से कौनसा युग्म सही रूप से नहीं मिलाया गया है ? (NEET-2015)

जनन का प्रकारउदाहरण
(अ) द्विखण्डनसारगेसम
(ब) कोनिडियापेलीसिलियम
(स) भूस्तारिका (ऑफसेट)वाटर हायसिन्थ
(द) राइजोमकेला

उत्तर:

(अ) द्विखण्डनसारगेसम

9. सामान्यतः लैंगिक जनन का उत्पाद क्या बनाता है? (NEET-2013)
(अ) बीज की लम्बी जीवन क्षमता
(ब) प्रवृद्धि सुसु
(स) नये आनुवंशिक संयोग जो विभिन्नता की ओर अग्रसर होते हैं।
(द) विशाल जीव संहिता
उत्तर:
(द) विशाल जीव संहिता

10. अर्धसूत्री विभाजन कहाँ होता है? (NEET-2013)
(अ) अर्धसूत्री कोशिका
(स) जेम्यूल
(ब) कोनिडिया
(द) गुरुबीजाणु
उत्तर:
(अ) अर्धसूत्री कोशिका

11. निम्नलिखित में से किस एक को सही मिलाया गया है? (NEET-2012)
(अ) प्याज- बल्ब
(ब) अदरक- अन्तः भूस्तारी
(स) क्लेमाइडोमोनास – कोनिडिया
(द) भीस्ट – चल बीजाणु
उत्तर:
(अ) प्याज- बल्ब

12. आले के कंद में जिन संरचनाओं को “आँखें” कहते हैं। वे क्या होती हैं? (NEET-2011)
(अ) मूल कलिकाएँ
(ब) पुष्प कलिकाएँ
(स) प्ररोह कलिकाएँ
(द) कक्षीय कलिकाएँ
उत्तर:
(द) कक्षीय कलिकाएँ

13. निम्न में से कौनसा पुष्पीय भाग निषेचन के बाद फल भित्ति (Pericarp) बनाता है। (MPPMT-2009 ORISSA JEE-2011)
(अ) भ्रूणपोष
(ब) बाह्य अध्यावरण
(स) अण्डाशय भित्ति
(द) अन्त: अध्यावरण
उत्तर:
(स) अण्डाशय भित्ति

14. जलकुम्भी में कायिक प्रवर्धन होता है- (MP PMT-2010)
(अ) तनों द्वारा
(ब) जड़ों द्वारा
(स) पत्तियों द्वारा
(द) जननांगों द्वारा
उत्तर:
(अ) तनों द्वारा

15. क्लोन, स्वयं का समूह है जिसे प्राप्त किया जाता है- (DPMT-2010)
(अ) स्वपरागण द्वारा
(ब) संकरण द्वारा
(स) कायिक जनन द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(स) कायिक जनन द्वारा

16. पिस्टियों में कायिक प्रवर्धन किसके द्वारा होता है? (NEET 2010, CBSE PMT (Main) 2010)
(अ) भूस्तारिका
(ब) अपरिभूस्तारी
(स) अंत: भूस्तारी
(द) भूस्तारी
उत्तर:
(अ) भूस्तारिका

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17. पुदीने में कायिक प्रवर्धन किससे होता है? (CBSE, PMT-2009, NEET-2009)
(अ) अंत: भूस्तारी
(ब) उपरिभूस्तारी
(स) भूस्तारिका
(द) प्रमंद
उत्तर:
(अ) अंत: भूस्तारी

18. केला बीज रहित फल है यह उत्पन्न होता है- (BIHAR CECE-2006, WBJEE-2009)
(अ) अलैंगिक जनन के द्वारा
(ब) अनेषक जनन के द्वारा (पार्थिनोमार्पिक के द्वारा)
(स) त्रिगुणित के द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(ब) अनेषक जनन के द्वारा (पार्थिनोमार्पिक के द्वारा)

19. बिना निषेचन से प्राप्त फल को कहते हैं या अण्डाशय बिना निषेचन के फल (Haryana PMT-2005, RPMT-2006, CPMT-2009)
(अ) अनिषेक फल
(ब) अनिषेकजनन
(स) बहुभ्रूणीयता
(द) पॉलीगेजी
उत्तर:
(अ) अनिषेक फल

20. निषेचन के बाद अण्डाशय परिवर्तित हो जाता है- (J&K CET-2008)
(अ) भ्रूण में
(ब) एण्डोरचर्म में
(स) फल में
(द) बीज में
उत्तर:
(स) फल में

21. निम्न युग्म के दोनों पौधे पत्ती द्वारा कायिक जनन करते हैं- (CBSE PMT 2005 NEET 2005)
(अ) ब्रायोफिल्लम और कालेनचोई
(ब) क्राइसेन्थियम और एगेव
(स) एगेव और कालेनचोई
(द) एस्पेरेगस और ब्रायोफिल्लम
उत्तर:
(अ) ब्रायोफिल्लम और कालेनचोई

22. अण्डयुग्मकों में निषेचन प्रक्रिया के दौरान ( NEET 2004)
(अ) गतिविहीन, एक छोटा मादा युग्मक और एक गतिशील नर युग्मक ।
(ब) एक बड़ा, गतिहीन मादा युग्मक और एक छोटा गतिशील नर युग्मक ।
(स) एक बड़ा, गतिविहीन मादा युग्मक और एक छोटा गतिविहीन नर युग्मक।
(द) एक बड़ा, गतिशील मादा युग्मक और एक छोटा गतिविहीन नर-युग्मक ।
उत्तर:
(अ) गतिविहीन, एक छोटा मादा युग्मक और एक गतिशील नर युग्मक ।

23. निम्न में से किस एक पौधे का उपयोग ‘पर्ण अपस्थानिक कलिका’ के रूप में कायिक प्रवर्धन के लिए किया जाता है- (AIEEE-2004)
(अ) केला
(ब) अदरक
(स) ब्रायोफिल्लम
(द) कोलोकेशिया
उत्तर:
(स) ब्रायोफिल्लम

24. पुनरुद्भवन के दौरान, एक अंग का दूसरे अंग में रूपान्तरण क्या कहलाता है? (NEET-2001)
(अ) सारफोजेनिसिस
(ब) एपिमार्फोसिस
(स) मार्फेलैम्सिस
(द) एक्रीएशनरी वृद्धि
उत्तर:
(ब) एपिमार्फोसिस

25. नर केन्द्रक के मादा केन्द्रक के साथ मिलने की क्रिया को कहा जाता है- (MP PMT-1995)
(अ) युग्मक संलयन (Syngamy)
(ब) त्रिसंयोजन (Triple-fusion )
(स) द्विनिषेचन (Double-fertilization)
(द) संयुग्मन (Conjugation)
उत्तर:
(अ) युग्मक संलयन (Syngamy)

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26. परागण की सही परिभाषा है- (AFMC-1994)
(अ) एन्थर से स्टिगमा तक परागकणों का स्थानान्तरण
(ब) परागकण का अंकुरण
(स) बीजाण्ड में परागनली की वृद्धि
(द) कीटों का पुष्पों पर आना
उत्तर:
(अ) एन्थर से स्टिगमा तक परागकणों का स्थानान्तरण

27. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले अनिषेक फल (Parthino Carpic Fruit) है- (CPMT-1988)
(अ) अमरूद
(ब) आम
(स) केला
(द) सेब
उत्तर:
(स) केला

28. क्लोन, स्वयं का समूह है जिसे प्राप्त किया जाता है- (DPMT-1986)
(अ) स्वपरागण द्वारा
(ब) संकरण द्वारा
(स) कायिक प्रवर्धन द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(स) कायिक प्रवर्धन द्वारा

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