HBSE 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Notes.

Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ सभी सजीवों को जीवन-निर्वाह के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

→ हमें हमारे द्वारा खाए गए भोजन से ऊर्जा प्राप्त होती है।

→ हरे पौधों को सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त होती है।

→ कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है

  • वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए,
  • वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।

→ कार्य में केवल परिमाण होता है तथा कोई दिशा नहीं होती।

→ जब बल विस्थापन की दिशा की विपरीत दिशा में लगता है तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।

→ जब बल विस्थापन की दिशा में लगता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है।

HBSE 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ सूर्य हमारे लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है।

→ हम परमाणुओं के नाभिकों से, पृथ्वी के आंतरिक भागों से तथा ज्वार-भाटों से भी ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।

→ कार्य तथा ऊर्जा के मात्रक जूल होते हैं। (1 किलो जूल = 1000 जूल)

→ किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है।

→ दैनिक जीवन के शक्ति के अपवर्त्य मात्रकों; जैसे किलोवाट व मैगावाट का प्रयोग किया जाता है।
1 किलोवाट kW) = 1000 वाट (W)।

→ एक अश्व शक्ति में 746 वाट होते हैं।

→ सूर्य की ऊष्मीय ऊर्जा इसके भीतरी भाग व उसके पृष्ठ पर होने वाली नाभिकीय अभिक्रियाओं द्वारा विमोचित ऊर्जा
का परिणाम है।

→ जल विद्युत संयंत्रों द्वारा जल की गतिज ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।

→ जीवाश्म ईंधन पौधों तथा जंतुओं के अवशेषों से बने हैं।

→ जीवाश्मी ईंधनों में निहित ऊर्जा का उपयोग विद्युत्, ताप अथवा यांत्रिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जा
सकता है।

→ जब कोई वस्तु ऊँचाई से गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

→ v वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की गतिज ऊर्जा = my के बराबर होती है।

→ पृथ्वी के तल से h ऊँचाई तक उठाई गई किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा mgh होती है।

→ कार्य यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाए और वस्तु बल की दिशा में गति करे तो कार्य हुआ माना जाता है,
अर्थात्, कार्य = बल – विस्थापन

→ ऊर्जा-कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।

→ गतिज ऊर्जा-गति के आधार पर कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)mv2

→ स्थितिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी स्थिति अथवा आकार में परिवर्तन के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
स्थितिज ऊर्जा = mgh

HBSE 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ यांत्रिक ऊर्जा-किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा के योग को ‘यांत्रिक ऊर्जा’ कहते हैं।

→ जूल-यदि एक वस्तु पर 1 न्यूटन बल लगाने पर वह बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित हो तो वस्तु पर किया गया कार्य एक जूल होगा।

→ विस्थापन-किसी गतिमान वस्तु की दो स्थितियों के बीच निकटतम दूरी को विस्थापन कहते हैं।

→ पलायन वेग-वह न्यूनतम वेग जिससे ऊपर की दिशा में छोड़ी गई वस्तु पृथ्वी के खिंचाव बल से पलायन कर सके, ‘पलायन वेग’ कहलाता है।

→ शक्ति कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। इसकी (S.I.) इकाई वाट है।
HBSE 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 1

→ ऊर्जा संरक्षण नियम-ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। इसे एक वस्तु से दूसरी वस्तु में रूपांतरित या स्थानांतरित किया जा सकता है।

→ गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा-गुरुत्वीय बल के विरुद्ध किए गए कार्य के कारण वस्तु में संचित ऊर्जा को गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

→ प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी आकृति में परिवर्तन के कारण संचित ऊर्जा प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहलाती है; जैसे खिंचे हुए रबड़ बैंड में।

→ एक किलोवाट घंटा ऊर्जा-यदि एक किलोवाट शक्ति के स्रोत का उपयोग एक घंटे के लिए किया जाए तो उसकी ऊर्जा एक किलोवाट घंटा कहलाती है।

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