HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

HBSE 6th Class Hindi जो देखकर भी नहीं देखते Textbook Questions and Answers

निबंध से

पाठ 11 जो देखकर भी नहीं देखते शब्दार्थ HBSE 6th Class Hindi प्रश्न 1.
‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’-हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:
हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि लोगों की संवेदनाएँ मर चुकी हैं। वे प्रकृति के वैभव में कुछ भी नवीनता नहीं देख पाते। वे तो उसके पीछे भागते हैं, जो उनके पास नहीं है।

जो देखकर भी नहीं देखते HBSE 6th Class Hindi प्रश्न 2.
‘प्रकात का जादू’ कस कहा गया ह?
उत्तर:
प्रकृति का जादू वह है जो प्रकृति के रूप में नित्य कुछ न कुछ परिवर्तन करता रहता है। प्रकृति अपने रूप के आकर्षण से हमें अपनी ओर जादू की तरह आकर्षित करती है। प्रकृति में विविधता है, सुंदरता है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

पाठ 11 जो देखकर भी नहीं देखते प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi प्रश्न 3.
‘कुछ खास तो नहीं’ – हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
उत्तर:
हेलेन की मित्र ने यह जवाब उस मौके पर दिया जब वह जंगल की सैर करके लौटी। हेलेन ने उससे पूछा- ‘आपने क्या-क्या देखा?’ तब उस मित्र ने उत्तर दिया- ‘कुछ खास तो नहीं।’ हेलेन को यह उत्तर सुनकर आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वह इस प्रकार के उत्तरों की आदी हो चुकी थी।

HBSE 6th Class Hindi जो देखकर भी नहीं देखते प्रश्न 4.
हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती हैं? पाठ पढ़कर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर:
हेलेन अंधी है अत: प्रकृति की चीजों को देख तो नहीं पाती, वरन् छूकर और सुनकर पहचान लेती है। वह भोजपत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चौड़ की खुरदरी छाल को छूकर पहचान लेती है। वह फूलों की पंखुड़ियों की कोमलता को छूकर पहचान जाती है। चिड़िया का मधुर स्वर सुनकर उसे जान जाती है। अँगुलियों के बीच पानी के झरने को बहते महसूस कर लेती है।

प्रश्न 5.
‘जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से भरा जा सकता है।’-तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
उत्तर:
हमारी नजर में इसका यह अर्थ हो सकता है कि देखने की नियामत जिंदगी की बहुत बड़ी देन है। इससे जिंदगी को रंगीन और खुशहाल बनाया जा सकता है। हमें अपनी इस नियामत का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए।

निबंध से आगे

1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? हेलेन केलर को पत्र लिखकर ये बातें बताओ।
उत्तर:
56/2 क ख ग नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक ……………
प्रिय हेलेन केलर,
इस पत्र में मैं आज देखी चीजों का वर्णन कर रहा हूँ। आज जब मैं अपने घर से स्कूल के लिए चला तो मुझे कई चीजें देखने को मिलीं। घर के द्वार से बाहर निकलते ही मेरी दृष्टि घर के बाहर रखे गमले पर गई। इसके पौधे में दो सुंदर लाल गुलाब के फूल खिले हुए थे। उन पर पड़ी ओस की बूंदें झिलमिला रही थीं। इन्हें देखकर मेरा चित्त प्रसन्न हो गया। एक भौंरा भी उन फूलों पर मैंडरा रहा था।
रास्ते में मुझे कुत्ते एक-दूसरे से लड़ते हुए दिखाई दिए। एक अपंग व्यक्ति सड़क पार करने में कठिनाई अनुभव कर रहा था। मैंने उसे सड़क पार करा दी। फिर मैं स्कूल जा पहुंचा। मुख्य द्वार पर चौकीदार खड़ा था। उसे प्रणाम करके मैं कक्षा में चला गया।
आपका
रमेश चंद्र

2. कान बंद कर लेने से आसपास की दुनिया कैसी लगती है? इस पर टिप्पणी लिखो और साथियों के साथ विचार करो।
उत्तर:
कान बंद कर लेने से आसपास की दुनिया शांत लगती है। हमारी आँखें तो सभी चीजों को देख रही होती हैं, पर हम उनकी आवाज नहीं सुन पाते हैं। तब कोलाहल मिट जाता है और हमारा चित्त स्थिर हो जाता है।

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3. कई चीजों को छूकर ही पता चलता है जैसे कपड़े की चिकनाहट या खुरदरापन, पत्तियों की नसों का उभार आदि। ऐसी और चीजों को छूकर महसूस करो और बताओ कि उनके स्पर्श की खासियत के बारे में तुम्हें कैसे पता चला?
उत्तर:
जब हम चीजों को हाथों से छूते हैं तब हमें उनकी विशेषता के बारे में पता चल जाता है। कई चीजें चिकनी होती हैं तो कई खुरदरी। पत्तियों के बारे में पता चल जाता है। किसी चीज को छूने पर स्वयं ही उसकी खासियत के बारे में पता चल गया।

4. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो-
उत्तर:

सुननाचखनासूंघनाछूना
संगीतसब्जीफूलफूल
पक्षियों की चहचहाटमिठाईइनकपड़ा
लोगों को आवाजफल चाटखाद्य पदार्थछाल कागज

5. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे प्रकृति के उसके अनुभवों के बारे में क्या-क्या पूछना चाहोगे और क्यों?
उत्तर:
हम उससे प्रकृति के अनुभवों के बारे में यह बातें पूछना चाहेंगे ताकि हम उसके अनुभवों को जान सकें:

  • तुम्हें पेड़ों की उपस्थिति का पता कैसे चलता है? वे फलदार हैं या नहीं; इसका पता कैसे लगाते हो?
  • तुम्हें रास्ते में आने वाले नालों, तालाबों का पता कैसे चलता है?
  • क्या आप पक्षी की आवाज को सुनकर उसका नाम बता सकते हैं? यह कैसे संभव हो पाता है?
  • आपको आंधी-तूफान, प्रात:-संध्या का ज्ञान कैसे हो जाता है?

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भाषा की बात

1. पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है:
चिकना …………….
चिपचिपा …………….
मुलायम …………….
खुरदरा …………….
लिजलिजा ……………
ऊबड़-खाबड़ ……………
सख्त …………….
भुरभुरा …………….
उत्तर:
चिकना – कपड़े का, फूलों की पंखुड़ियों का
मुलायम – कपड़े का
लिजलिजा – कई पक्षियों का
सख्त – पत्थर का
चिपचिपा – गोंद का
खुरदरा – कपड़े का, कागज का
ऊबड़-खाबड़ – रास्ते का
भुरभुरा – रेत का।

2. अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और कार्य से भी होता है।

भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो।
मिठास, भूख, शांति, भोलापन, बुढ़ापा, घबराहट, बहाव, फुर्ती, ताजगी, क्रोध, मजदूरी.
उत्तर:
संज्ञा से – क्रिया से
बुढ़ापा (बूढ़ा से) – घबराहट (घबराना से)
मजदूरी (मजदूर से) – बहाव (बहना)

3.

  • मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
  • उस बगीचे में अमलतास, सेमल, कजरी आदि तरह-तरह के पेड़ थे।

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे और समरूपी शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट कीजिए
अवधि – अवधी
ओर – और
में – मैं
दिन – दीन
मेल – मैल
सिल – सील
उत्तर:
अवधि – इस कार्य को करने की अवधि दो वर्ष है।
अवधी – ‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में लिखा हुआ है।

में – टोकरी में फल रखे हैं।
मैं – मैं अपना काम कर लूँगा।

मेल – आपस में मेल से रहो।
मैल – कपड़ों का मैल साबुन लगाने से जाता है।

ओर – इस ओर मुँह करो।
और – राम और श्याम खड़े हो जाओ।

दिन – आज अच्छा दिन है!
दीन – उस दीन व्यक्ति की मदद करो।

सिल – सिल पर मसाला पीसो।
सील – लिफाफे की सील मत तोड़ो।

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सुनना और देखना

1. एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम ‘हेलेन केलर’।
2. सई परांजपे द्वारा निर्देशित फीचर फिल्म ‘स्पर्श’।
उत्तर:
विद्यार्थी इन कार्यक्रमों को देखने/सुनने का प्रयास करें।

HBSE 6th Class Hindi जो देखकर भी नहीं देखते Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस पाठ के माध्यम से लेखिका क्या कहना चाहती है?
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखिका यह कहना चाहती है कि हमें प्रकृति के सौंदर्य को खुली आँखों से देखना चाहिए। हमें परमात्मा ने आँखें देकर बहुत बड़ी नियामत प्रदान की है। हमें संवदेनशील बनना चाहिए।

प्रश्न 2.
लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?
उत्तर:
लेखिका हेलेन केलर को चीजों को छूने में खुशी मिलती है। वह चीजों को छूकर उनके बारे में जान लेती है। यह स्पर्श उसे आर्नोदत कर देता है।

प्रश्न 3.
लेखिका के कानों में किसके मधुर स्वर गूंजने लगते थे?
उत्तर:
लेखिका के कानों में चिड़ियों के मधुर स्वर गूंजने लाते थे।

प्रश्न 4.
इस दुनिया के लोग कैसे हैं?
उत्तर:
इस दुनिया के अधिकांश लोग संवेदनहीन हैं। वे अपनी क्षमताओं की कद्र करना नहीं जानते।

प्रश्न 5.
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती है?
उत्तर:
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा यह परखने के लिए लेती है कि वे क्या देखते हैं।

प्रश्न 6.
क्या यह संभव है कि कोई जंगल में घंटा भर घूमे और कोई विशेष चीज़ न मिले?
उत्तर:
नहीं, उसे विशेष चीज मिलती तो है, पर भले वह न देखे।

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प्रश्न 7.
नेत्रहीन तथा अन्य विकलांगों के प्रति आपका क्या दृष्टिकोण रहता है?
उत्तर:
हम सभी प्रकार के विकलांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण एवं सम्मानजक दृष्टिकोण रखते हैं। हमें उन्हें भी समाज की आवश्यक अंग मानते हैं। प्रकृति की ओर से उन्हें जिस अंग से वंचित रखा गया है, हम उसे उसकी याद नहीं दिलाते, अपितु उसे उसकी कमी का अनुभव नहीं होने देते। हम हर प्रकार से उनकी सहायता करते हैं तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भरपूर सहयोग करते हैं।

जो देखकर भी नहीं देखते गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटा-भर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे? मुझे-जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता, को भी सैकड़ों रोचक चीजें मिल जाती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोजपत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ।

वसंत के दौरान मैं टहनियों में नयी कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। कभी, जब मैं खुशनसीब होती हूँ, तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूंजने लगते हैं। अपनी अंगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हेलेन केलर द्वारा रचित पाठ ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ से अवतरित है।

व्याख्या:
लेखिका बताती है कि यह बात संभव ही नहीं है कि कोई एक घंटा जंगल में घूमे और फिर कहे कि उसने कोई विशेष चीज नहीं देखी। मझ अंधी स्त्री को सभी सैकड़ों रोचक चीजें देखने को मिल जाती हैं। मैं इन चीजों को छूकर ही पहचान लेती हूँ। लेखिका भोजपत्र की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल के अंतर को छूकर ही पहचान लेती है। अंधी होते हुए भी वह वसंत ऋतु में टहनियों में आई नई कलियों को खोज ही लेती है।

उसे फूलों की मखमली पंखुड़ियों को छूने तथा उनकी घुमावदार बनावट को छूने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान उसे प्रकृति के जादु का अहसास होने लगता है। जब वह खुशकिस्मत होती है तब उसके टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया की मधुर आवाज कानों में गूंजने लगती है। वह अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस करके आनंदमग्न हो उठती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. जिसे कुछ दिखाई नहीं देता, वह चीजों की कैसे पहचान लेता है?
2. लेखिका किसे स्पर्श से पहचान लेती है?
3. लेखिका को किस काम में आनंद मिलता है?
4. उसे किसकी गाथाएँ जबानी याद थीं?
उत्तर:
1. जिसे कुछ दिखाई नहीं देता वह चीजों को छू कर पहचान लेता है।
2. लेखिका भोजपत्र के चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती है।
3. लेखिका को फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को छूने तथा उनकी घुमावदार बनावट को महसूस करने में अपार आनंद मिलता है।
4. जब लेखिका टहनी पर हाथ रखती है तब चिड़िया के मधुर स्वर उसके कानों में गूंजने लगते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. अंधे व्यक्ति चीजों की पहचान कैसे करते हैं?
(क) छू कर
(ख) देख कर
(ग) सुन कर
(घ) अन्य प्रकार से
उत्तर:
(क) छू कर

2. लेखिका किस मौसम में नई कलियाँ खोजती है?
(क) वर्षा में
(ख) गर्मी में
(ग) वसंत में
(घ) सर्दी में
उत्तर:
(ग) वसंत में

3. ‘आनंदित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) आ
(ख) नंद
(ग) दित
(घ) इत
उत्तर:
(घ) इत

4. ‘आनंद’ व्याकरण में क्या है?
(क) जातिवाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) भाववाचक संज्ञा
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) विशेषण

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2. कभी-कभी मेरा दिल सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। अगर मुझे इन चीजों को सिर्फ छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। परंतु, जिन लोगों की आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हेलेन केलर द्वारा लिखित पाठ ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ से लिया गया है।

व्याख्या:
लाखका अधा है अतः चीजों को देखना उसके लिए संभव नहीं है। वह दुनिया की तरह-तरह की चीजों को देखने के लिए बेचैन हो उठती है। उसे लगता है कि जब उसे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है राब उन चीजों की सुंदरता को देखकर उनका मन अवश्य मोहित हो जाएगा। उसे दुःख इस बात का है कि जिन लोगों को भगवान ने देखने के लिए आँखें दी हैं, वे चीजों की ओर बहुत कम ध्यान देते हैं।

इस संसार में विविध प्रकार के रंग हैं, पर ये रंग उनकी संवेदनाओं (भावनाओं) को छू नहीं पाते। पता नहीं, ऐसा क्यों है? मनुष्य के अंदर बहुत क्षमताएँ हैं, पर वह उनकी कदर नहीं करता। वह तो उन चीजों के पीछे भागता है जो उसके पास नहीं हैं। इस तरह एक असंतोष उसके मन में बना ही रहता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसका दिल किसके लिए मचल उठता है?
2. कौन लोग कम देखते हैं और क्यों?
3. प्रायः लोग किसकी आस लगाए रहते हैं? वे किसकी कद्र नहीं करते?
उत्तर:
1. लेखिका हेलेन केलर का दिल प्रकृति की विभिन्न चीजों को देखने के लिए मचल उठता है।
2. जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इसका कारण यह है कि वे कम संवेदनशील होते हैं। सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छू पाते।
3. प्रायः लोग उस चीज़ की आस लगाए रहते हैं जो उनके पास नहीं होती। वे अपनी क्षमता की कद्र नहीं करते।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?
(क) प्राकृतिक चीज़ों को छूने में
(ख) चीजों को देख कर
(ग) लोगों से बातें करके
(घ) अन्य कामों में
उत्तर:
(क) प्राकृतिक चीज़ों को छूने में

2. इस पाठ की लेखिका का नाम है
(क) हेलेन टेलर
(ख) हेलेन केलर
(ग) हनी केलर
(घ) हेलेन मार्टिन
उत्तर:
(ख) हेलेन केलर

3. ‘सुंदर रंग’ में ‘सुंदर’ क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) गुणवाचक विशेषण
(ग) सर्वनाम
(घ) परिमाणवाचक विशेषण
उत्तर:
(ख) गुणवाचक विशेषण

4. मनुष्य अपनी किस चीज़ की कद्र नहीं करता?
(क) अपनी क्षमता की
(ख) अपनी बुद्धि की
(ग) अपनी पहचान की
(घ) अपनी वाणी की
उत्तर:
(क) अपनी क्षमता की

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जो देखकर भी नहीं देखते Summary in Hindi

जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार

लेखिका का कहना है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं। जब वह अपने मित्रों से इस प्रकार के प्रश्न पूछती थी तो वे प्रायः ऐसे ही उत्तर देते थे- ‘कुछ खास तो नहीं।’ क्या यह संभव है कि कोई घंटा-भर जंगल में घूमे और फिर भी कहे कि कोई विशेष चीज नहीं देखी। मुझे (लेखिका को) कुछ भी दिखाई नहीं देता (क्योंकि वह अंधी है। फिर भी उसे कई रोचक चीजें मिल जाती हैं।

वह उन चीजों को छूकर पहचान लेती है। वह वसंत ऋतु में टहनियों में नई कलियाँ खोज लेती है। उसे फूलों की पंखुड़ियों को छूने में विशेष आनंद आता है। उसके टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर उसके कानों में गूंजने लगते हैं। वह अपनी अंगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस करके आनंदित हो उठती है। उसे चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महंगे कालीन से अधिक प्रिय लगते है। बदलता मौसम उसके जीवन में खुशियाँ भर देता है।

कभी-कभी उसका मन इन सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। जब इन चीजों के छूने से ही खुशी मिल जाती है तब उनकी सुंदरता को देखकर तो मन मुग्ध हो ही जाएगा। हाँ, जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे बहुत कम देखते हैं। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कद्र नहीं करता। वह हमेशा उन चीजों के पीछे भागता है जो उसके पास नहीं होती। यह बहुत दुख की बात है कि लोग दृष्टि (नजर) के आशीर्वाद को एक साधारण-सी बात समझते हैं, जबकि ईश्वर की इस देन से जिंदगी को खुशियों से भरा जा सकता है।

जो देखकर भी नहीं देखते शब्दार्थ

परखना = जाँच करना (Totest)। सैर = अमण (Walk)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। आदी = अभ्यस्त (Habitual)। रोचक = रुचि बढ़ाने वाला (Interesting)। खुशनसीब = भाग्यवान (Lucky)। समाँ = वातावरण, माहौल (Environment)। मुग्ध = मोहित (Attracted)। कदर = गुणों की पहचान (To know qualities)। नियामत = ईश्वरीय देन (God’s gift) प्रिय = प्यारी (Dear)। विश्वास = भरोसा (Belief) स्वर = आवाज (Sound)। प्रकृति = कुदरत (Nature)। आनंदित = आनंद में (Enjoyed)। क्षमता = योग्यता (Capability)। दृष्टि = नजर (Sight)। संवेदना = अनुभव करने की शक्ति (Sensitive)।

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