HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

HBSE 11th Class Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) नाइट्रोजन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(C) नाइट्रोजन

2. वह वायुमंडलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है-
(A) समतापमंडल
(B) क्षोभमंडल
(C) मध्यमंडल
(D) आयनमंडल
उत्तर:
(B) क्षोभमंडल

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

3. समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी किससे संबंधित हैं?
(A) गैस
(B) जलवाष्प
(C) धूलकण
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) धूलकण

4. निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(A) 90 कि०मी०
(B) 100 कि०मी०
(C) 120 कि०मी०
(D) 150 कि०मी०
उत्तर:
(C) 120 कि०मी०

5. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हीलियम
(D) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त वायु के आवरण को वायुमंडल कहा जाता है। वायुमंडल पृथ्वी की गुरुत्व शक्ति के कारण ही इसके साथ टिका हुआ है। मोंकहाउस के शब्दों में, “वायुमंडल गैस की एक पतली परत है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के साथ सटी हुई है।” क्रिचफील्ड के अनुसार, “वायुमंडल गैसों का गहरा आवरण है जो पृथ्वी को पूर्णतः घेरे हुए है।”

प्रश्न 2.
मौसम एवं जलवायु के तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वे तत्त्व जिनसे किसी विशिष्ट प्रकार के मौसम या जलवायु की रचना होती है, उन्हें मौसम अथवा जलवायु के तत्त्व कहा जाता है। तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, वर्षा, वायु की दिशा एवं गति तथा जलवायु परिवर्तन आदि जलवायु के मुख्य तत्त्व हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
वायुमंडल की संरचना के बारे में लिखें।
उत्तर:
वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जबकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। वायुमंडल को पाँच संस्तरों में बाँटा गया है-

  • क्षोभमंडल
  • समतापमंडल
  • मध्यमंडल
  • आयनमंडल
  • बाह्य वायुमंडल या बहिर्मंडल।

प्रश्न 4.
वायुमंडल के सभी संस्तरों में क्षोभमंडल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का संस्तर है इसकी ऊँचाई लगभग 13 कि०मी० है। इस संस्तर में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मी० की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमंडल का संघटन वायुमंडल के संघटन का अर्थ है कि वायुमंडल किन-किन पदार्थों से मिलकर बना हुआ है। वायुमंडल अनेक गैसों का यांत्रिक मिश्रण है। गैसों के अतिरिक्त वायुमंडल में जलवाष्प और कुछ सूक्ष्म ठोस कण भी पाए जाते हैं जिनमें धूलकण सबसे महत्त्वपूर्ण होते हैं।
1. गैसें (Gases)-आयतन के अनुसार शुद्ध शुष्क वायु में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा लगभग 21 प्रतिशत ऑक्सीजन पाई जाती है। इस प्रकार नाइट्रोजन व ऑक्सीजन वायुमंडल की दो प्रमुख गैसें हैं जो समूचे वायुमंडल के आयतन का 99 प्रतिशत भाग घेरे हुए हैं। शेष 1 प्रतिशत में अन्य अनेक गैसें आती हैं।

वायु में विभिन्न गैसों की प्रतिशत मात्रा (आयतन)
नाइट्रोजन78 %
ऑक्सीजन21 %
आर्गन0.93 %
कार्बन-डाइऑक्साइड0.03 %
अन्य0.04 %

कुछ महत्त्वपूर्ण गैसों की उपयोगिता
(1) ऑक्सीजन मनुष्य और जानवर साँस के रूप में ऑक्सीजन को ही ग्रहण करते हैं। ऑक्सीजन दहन (Combustion) के लिए आवश्यक है। इसके बिना आग नहीं जलाई जा सकती। ऑक्सीजन की उत्पत्ति प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से होती है व इसका ह्रास वनों के विनाश से होता है। शैलों के रासायनिक अपक्षय में सहयोग देकर ऑक्सीजन अनेक भू-आकारों की उत्पत्ति का कारण बनती है।

(2) नाइट्रोजन नाइट्रोजन वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के प्रभाव को कम करती है। यदि वायुमंडल में नाइट्रोजन न होती तो वस्तुएँ इतनी तेजी से जलतीं कि उस पर नियन्त्रण करना कठिन होता। इतना ही नहीं, नाइट्रोजन के अभाव में मनुष्य व जीव-जन्तुओं के शरीर के ऊतक भी जलकर नष्ट हो जाते। मिट्टी में नाइट्रोजन की उपस्थिति प्रोटीनों का निर्माण करती है जो पौधों और वनस्पति का भोजन बनते हैं।

(3) कार्बन-डाइऑक्साइड-पौधे जीवित रहने के लिए कार्बन-डाइऑक्साइड पर निर्भर करते हैं। हरे पौधे वायुमंडल की कार्बन-डाइऑक्साइड से मिलकर स्टार्च व शर्कराओं का निर्माण करते हैं। यह गैस प्रवेशी सौर विकिरण को तो पृथ्वी तल तक आने देती है किन्तु पृथ्वी से विकिरित होने वाली लम्बी तरंगों को बाहर जाने से रोकती है। इससे पृथ्वी के निकट वायुमंडल का निचला भाग गर्म रहता है। इस प्रकार कार्बन-डाइऑक्साइड ‘काँच घर’ का प्रभाव उत्पन्न करती है।

(4) ओषोण या ओज़ोन यह गैस ऑक्सीजन का ही एक विशिष्ट रूप है जो वायुमंडल में अधिक ऊँचाइयों पर ही न्यून मात्रा में मिलती है। ओजोन गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultra-Violet Rays) के कुछ अंश को अवशोषित कर लेती है जिससे स्थलमण्डल एक उपयुक्त सीमा से अधिक गर्म नहीं हो पाता। ओज़ोन मुख्यतः धरातल से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है।

2. जलवाष्प (Water Vapour)-वाष्प वायुमंडल की सबसे अधिक परिवर्तनशील और असमान वितरण वाली गैस है। वायुमंडल में वाष्प के मुख्य स्रोत जलमण्डल से वाष्पीकरण तथा पेड़-पौधों व मिट्टी से वाष्पोत्सर्जन है। अति ठण्डे तथा अति शुष्क क्षेत्रों में यह हवा के आयतन के एक प्रतिशत से भी कम होती है जबकि भूमध्य रेखा के पास उष्ण और आर्द्र क्षेत्रों में आयतन के हिसाब से यह 4 प्रतिशत तक हो सकती है। वायु में उपस्थित कुल जलवाष्प का लगभग आधा भाग 2,000 मीटर की ऊँचाई से नीचे व्याप्त है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर वायु में जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। इसी प्रकार ऊँचाई के साथ भी जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है।

3. ठोस कण व आकस्मिक रचक (Solid Particles and Accidental Component)-गैस तथा वाष्प के अतिरिक्त वायु में कुछ सूक्ष्म ठोस कण भी पाए जाते हैं जिनमें धूलकण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। ये कण सौर विकिरण का कुछ अंश अवशोषित कर लेते हैं साथ ही सूर्य की किरणों का परावर्तन और प्रकीर्णन भी करते हैं। इसी के परिणामस्वरूप हमें आकाश नीला दिखाई पड़ता है। किरणों के प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश में लाल और नारंगी रंग की छटाएँ बनती हैं। इन्हीं धूल कणों के कारण ही धुंध व धूम कोहरा बनता है।

वायुमंडल में कुछ आकस्मिक रचक और अपद्रव्य भी शामिल होते हैं। इनमें धुएँ की कालिख, ज्वालामुखी राख, उल्कापात के कण, समुद्री झाग के बुलबुलों के टूटने से मुक्त हुए ठोस लवण, जीवाणु, बीजाणु तथा पशुशालाओं के पास की वायु में अमोनिया . के अंश इत्यादि पदार्थ आते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमंडल की संरचना का चित्र खींचे और व्याख्या करें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 1
पृथ्वी के चारों तरफ पाया जाने वाला वायु का सारा आवरण केवल एक परत नहीं है बल्कि इसमें हवा की अनेक संकेन्द्रीय परतें हैं जो घनत्व और तापमान की दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न हैं। भूमण्डल से परे हटने के क्रम में वायुमंडल की निम्नलिखित परते हैं-
1. क्षोभमण्डल (Troposphere)-भू-तल के सम्पर्क में यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसका घनत्व सर्वाधिक है। ध्रुवों पर इस परत की ऊँचाई 8 किलोमीटर और भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर है। भूमध्य रेखा पर क्षोभमण्डल की अधिक ऊँचाई का कारण यह है कि वहाँ पर चलने वाली तेज़ संवहन धाराएँ ऊष्मा को धरातल से अधिक ऊँचाई पर ले जाती हैं।

यही कारण है कि जाड़े की अपेक्षा गर्मी में क्षोभमण्डल की ऊँचाई बढ़ जाती है। संवहन धाराओं की अधिक सक्रियता के कारण इस परत को प्रायः संवहन क्षेत्र भी कहते हैं। इस मण्डल में प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस तापमान गिर जाता है। ऊँचाई बढ़ने पर तापमान गिरने की इस दर को सामान्य ह्रास दर कहा जाता है। मानव व अन्य धरातलीय जीवों के लिए यह परत सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। ऋतु व मौसम सम्बन्धी लगभग सभी घटनाएँ; जैसे बादल, वर्षा, भूकम्प आदि जो मानव-जीवन को प्रभावित करती हैं, इसी परत में घटित होती हैं। क्षोभमण्डल में ही भारी गैसों, जलवाष्प, धूलकणों, अशुद्धियों व आकस्मिक रचकों की अधिकतम मात्रा पाई जाती है।

क्षोभमण्डल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा (Tropopause) कहते हैं। यह क्षोभमण्डल व समतापमण्डल को अलग करती है। लगभग 11/2 से 2 किलोमीटर मोटी इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान गिरना बन्द हो जाता है। इस भाग में हवाएँ व संवहनी धाराएँ भी चलना बन्द हो जाती हैं।

2. समतापमण्डल (Stratosphere)-क्षोभ सीमा से परे यह एक संवहन-रहित परत है जिसमें आँधी, बादलों की गरज, तड़ित-झंझा, धूलकण और जलवाष्प इत्यादि नहीं पाए जाते। इसमें केवल क्षीण क्षैतिज हवाएँ चलती हैं। यह परत 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इसकी मोटाई भूमध्य रेखा की अपेक्षा ध्रुवों पर अधिक होती है। कभी-कभी यह परत भूमध्य रेखा पर लुप्तप्राय हो जाती है। इस परत के निचले भागों में अर्थात् 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान एक-जैसा रहता है।

इससे ऊपर 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है। इसका कारण यह है कि 20 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई में वायुमंडल में ओज़ोन गैस पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है। समतापमण्डल की ऊपरी सीमा समताप सीमा (Stratopause) कहलाती है जिसमें ओज़ोन की मात्रा अधिक होती है।

3. मध्यमण्डल (Mesosphere)-समतापमण्डल के ऊपर स्थित वायुमंडल की यह तीसरी परत मध्यमण्डल कहलाती है। इसका विस्तार 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक होता है। इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान घटने लगता है और 80 किलोमीटर की ऊँचाई पर तापमान -100° सेल्सियस तक नीचे गिर जाता है। मध्यमण्डल की ऊपरी सीमा मध्य सीमा (Mesopause) कहलाती है।

4. आयनमण्डल (Ionosphere)-मध्यमण्डल सीमा से परे स्थित यह परत 80 से 400 किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इस परत में विद्यमान गैस के कण विद्युत् आवेशित होते हैं। इन विद्युत् आवेशित कणों को आयन कहा जाता है। ये आयन विस्मयकारी विद्युतीय और चुम्बकीय घटनाओं का कारण बनते हैं। इसी परत में ब्रह्माण्ड किरणों का परिलक्षण होता है। आयनमण्डल पृथ्वी की ओर से भेजी गई रेडियो-तरंगों को परावर्तित करके पुनः पृथ्वी पर भेज देता है। इसी मण्डल से उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश तथा दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश के दर्शन होते हैं।

5. बाह्यमण्डल (Exosphere) वायुमंडल की यह सबसे ऊपरी परत है। इसे बहिर्मंडल भी कहा जाता है। इसकी वायु अत्यन्त विरल है जो धीरे-धीरे अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है। यह सबसे ऊँचा संस्तरन है तथा इसके बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना HBSE 11th Class Geography Notes

→ ब्रह्मांड किरणें (Cosmic Rays)-बाह्य अंतरिक्ष से पृथ्वी पर पहुंचने वाला रहस्यमयी विकिरण।

→ इंद्रधनुष (Rainbow)-बहुरंजित प्रकाश की एक चाप, जो वर्षा की बूंदों द्वारा सूर्य की किरणों के आंतरिक अपवर्तन तथा परावर्तन द्वारा निर्मित होती है।

→ प्रभामंडल (Halo)-सूर्य अथवा चंद्रमा के चारों ओर एक प्रकाश-वलय जो उस समय बनता है जब आकाश में पक्षाभ-स्तरी मेघ की एक महीन परत छायी रहती है। जब सौर प्रभामंडल बन जाता है, तब वह सूर्य की चमक के कारण दिखाई नहीं देता, परंतु गहरे रंग के शीशे से आसानी से देखा जा सकता है।

→ धूम कोहरा (Smog)-अत्यधिक धुएं से भरा कोहरा, जो सामान्य रूप से औद्यौगिक तथा घने बसे नगरीय क्षेत्रों में पाया जाता है। अंग्रेज़ी भाषा के इस शब्द की रचना दो शब्दों स्मोक व फॉग को मिलाकर की गई है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ प्रकीर्णन (Scattering)-लघु तरंगी सौर विकिरण का वायुमंडल के धूलकण व जलवाष्पों से टकराकर टूटना।

→ इंटरनेट (Internet) एक ऐसी विद्युतीय व्यवस्था जिसमें सूचना के महामार्ग (Information Superhighway) पर बैठे लाखों, करोड़ों लोगों द्वारा आपस में जुड़े हुए कंप्यूटरों द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।

→ वायुमंडल (Atmosphere)-पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ कि०मी० की मोटाई में व्याप्त वायु के आवरण को वायुमंडल कहा जाता है।

→ क्षोभमंडल (Troposphere)-भूतल के सम्पर्क में यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसका घनत्व सर्वाधिक है।

→ वायु दीप्ति (Air Glow)-आयनमंडल में वायु में एक अजीब चमक होती है जिसे वायु दीप्ति कहा जाता है।

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